PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 3 सूचना टैकनॉलोजी से जान पहचान

Punjab State Board PSEB 8th Class Computer Book Solutions Chapter 3 सूचना टैकनॉलोजी से जान पहचान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Computer Chapter 3 सूचना टैकनॉलोजी से जान पहचान

Computer Guide for Class 8 PSEB सूचना टैकनॉलोजी से जान पहचान Textbook Questions and Answers

1. रिक्त स्थान भरें

1. …………………………….. का अर्थ है कम्प्यूटर इंटरनेट से डाटा प्राप्त कर रहा है।
(क) अपलोडिंग
(ख) डाऊनलोडिंग
(ग) सर्किंग
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) डाऊनलोडिंग

2. वैबसाइट का जो पेज खुलता है उसे ……………………… कहते हैं।
(क) होम पेज़
(ख) वैब पेज
(ग) मेन पेज
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) होम पेज़

3. ………………………………. का अर्थ है इंटरनेट से जुड़े होना।
(क) ऑफलाइन
(ख) ऑनलाइन
(ग) इन लाइन
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) ऑनलाइन

4. ……………………………………….. का अर्थ है एक वैबसाइट से दूसरी पर जाना।
(क) सर्किंग
(ख) सचिंग
(ग) डाऊनलोडिंग
(ग) सारे ही।
उत्तर-
(क) सर्किंग

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 3 सूचना टैकनॉलोजी से जान पहचान

5. ……………………………….. एक प्रकार का इलैक्ट्रॉनिक कॉमर्स है जो उपभोक्ताओं को सीधा ही इंटरनैट से वस्तुएं खरीदने की आज्ञा देता है।
(क) मोडम
(ख) ई-मेल
(ग) ई-कॉमर्स
(ग) मोबाइल।
उत्तर-
(ग) ई-कॉमर्स

2. सही या गलत बताएँ

1. किसी भी बोर्ड या यूनिवर्सिटी का ऑनलाइन देखा जा सकता है।
उत्तर-
सही

2. हम अगर ऑफ लाइन हो तो सर्किंग कर सकते हैं।
उत्तर-
गलत

3. वैबसाइट में एक ही पेज होता है।
उत्तर-
गलत

4. वैब सर्च के साथ हम अपने पेज देख सकते हैं।
उत्तर-
गलत

5. हर पेज का अपना वैबसाइट एडरैस होता है।
उत्तर-
सही।

3. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
इन्फारमेशन (सूचना) टैकनॉलोजी क्या है ?
उत्तर-
इसमें टैलीफोन और कम्प्यूटर टैकनॉलोजी दोनों ही शामिल हैं। सूचना टैकनॉलोजी की मदद से हम एक कम्प्यूटर से अलग-अलग प्रकार का डाटा दूसरे कम्प्यूटर पर भेज सकते हैं। डाटा किसी भी प्रकार का हो सकता है। जैसे-लिखति, ध्वनि वाला, वीडियो, ग्राफिकल आदि।

प्रश्न 2.
वैबसाइट क्या है ?
उत्तर-
एक या एक से ज्यादा वैब पेजों के समूह को वैबसाइट कहा जाता है।

प्रश्न 3.
सचिंग क्या होती है ?
उत्तर-
सचिंग का अर्थ है कुछ ढूंढना। वेब सर्च वेब पेजों को ढूंढने की एक प्रक्रिया होती है। इसका प्रयोग तब किया जाता है जब यूजर को यह मालूम नहीं होता कि कोई वस्तु इंटरनेट पर कहां पर मिलेगी इसके लिए वेब सर्च इंजन का प्रयोग किया जाता है। Google, Yahoo तथा Bing कुछ आम प्रयोग होने वाले सर्च इंजन हैं।

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प्रश्न 4.
ऑनलाइन तथा ऑफ लाइन के बारे में बताओ।
उत्तर-
ऑफलाइन-ऑफलाइन का अर्थ है इंटरनेट से जुड़े न होने की अवस्था। इस स्थिति में इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर सकते। ऑनलाइन-इंटरनेट के साथ जुड़े होने की अवस्था को ऑनलाइन कहा जाता है। इसमें हम इंटरनेट पर कई कार्य कर सकते हैं।

4. बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
इन्फारमेशन टैकनॉलोजी की आवश्यकता की व्याख्या करो।
उत्तर-
इन्फारमेशन टैकनॉलोजी की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है –

  1. सरकारी संस्थानों के बिलों का भुगतान का प्रिंट निकलाने के लिए
  2. व्यापार तथा उद्योगों में काम करवाने तथा उत्पादन को बढ़ाने के लिए
  3. ई-मेल तथा चैटिंग द्वारा दूसरे लोगों तक संदेश पहुँचाने के लिए
  4. शिक्षा संबंधी तथा ज्ञान विज्ञान की जानकारी प्राप्त करने के लिए
  5. ऑडियो तथा वीडियो फिल्में देखने के लिए।

प्रश्न 2.
ऑनलाइन रिजल्ट देखने का तरीका बताओ।
उत्तर-
ऑनलाइन रिजल्ट निम्न ढंग से देखा जाता है

  1. अपने कम्प्यूटर पर वैब ब्राओजर जैसे कि इंटरनेट एक्सप्लोरर या मोजिला फायरफॉक्स आदि खोलो।
  2. एडरैस बार में, जिस बोर्ड या यूनिवर्सिटी का रिजल्ट देखना है, उसका पता टाइप करो, जैसे-www.pseb.ac.in

प्रश्न 3.
मोबाइल टैकनॉलोजी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
मोबाइल टैकनॉलोजी का अर्थ मोबाइल की सहायता से टैकनॉलोजी का प्रयोग करने से है। इस टैकनॉलोजी ने संसार के दूरवर्ती क्षेत्रों का संचार के क्षेत्र में चेहरा पूरी तरह बदल दिया है। मोबाइल टैकनॉलोजी के कुछ प्रयोग क्षेत्र निम्न अनुसार हैं।

  1. शिक्षा
  2. निरीक्षण तथा पोलिंग
  3. बैंकिंग
  4. डाटा एनालिसिस

प्रश्न 4.
ऑनलाइन शॉपिंग की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
ऑनलाइन शॉपिंग व्यापार का तरीका है जो उपभोक्ता को इंटरनेट का प्रयोग करके वस्तुओं तथा सेवाओं को खरीदने की सहूलत प्रदान करता है। दुकानदार वस्तुओं को इंटरनेट पर उपलब्ध करवाते हैं। खरीददार इंटरनेट का प्रयोग करके उस वस्तु का ऑर्डर देता है। दुकानदार उस वस्तु को खरीददार के घर तक पहुंचा देता है। ऑनलाइन शॉपिंग में खरीददारी का बिल नेट बैंकिंग या क्रेडिट कार्ड आदि द्वारा किया जा सकता है। ऑनलाइन शॉपिंग द्वारा हमें किसी भी दुकान पर जाने की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 5.
नेट बैंकिंग क्या है व्याख्या करो।
उत्तर-
नेट बैंकिंग, बैकिंग की वह सहूलियत है जिसकी मदद से ग्राहक इंटरनेट का प्रयोग करके अपने अकाउंट की जानकारी प्राप्त कर सकता है तथा पैसे ट्रांसफर कर सकता है। इंटरनेट की सहायता से बैंक की सहूलतें प्राप्त करना तथा बैंक वाले कार्य करना ही नेट बैंकिंग है। इसके द्वारा हम कई कार्य कर सकते हैं जैसे कि-

  1. पैसे ट्रांसफर करना
  2. बिल भरना
  3. अकाउंट चेक करना
  4. फीस भरनी।

एक्टिविटी निम्नलिखित कार्यों में से बताओ कौन-से ऑनलाइन किए जा सकते हैं तथा कौन-से ऑफलाइन किए जा सकते हैं-

  1. प्रेजेंटेशन बनाना – ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों ही
  2. शॉपिंग करना – ऑनलाइन
  3. डॉक्यूमेंट बनाना – ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों ही
  4. बिल भरना – ऑनलाइन
  5. बैलेंस शीट बनाना – ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों ही
  6. वीडियो डाउनलोड करना – ऑनलाइन
  7. एग्जाम का रिजल्ट देखना – ऑनलाइन।

PSEB 8th Class Computer Guide सूचना टैकनॉलोजी से जान पहचान Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरो

1. वेबसाइट के एड्रेस को ……. कहा जाता है।
(क) पेज
(ख) URL
(ग) LOC
(घ) www
उत्तर-
(ख) URL

2. हम वेब सर्च इंजन जैसे ……… या …………….. को किसी विषय से संबंधित वेब पेज सर्च करने के लिए प्रयोग करते हैं।
(क) Google
(ख) Facebook
(ग) Bing
(घ) Twitter
उत्तर-
(क) Google

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3. URL से अभिप्राय है………………………
(क) Universal Resource Locator
(ख) Uniform Resource Locator
(ग) Unitech Resource Locator
(घ) Unified Resource Locator
उत्तर-
(ख) Uniform Resource Locator

4. मोबाइल टैकनॉलोजी ने संचार का तरीका ………………… दिया है।
(क) शुरू
(ख) खत्म
(ग) बदल
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) बदल

सही या गलत बताओ-

1. इन्फार्मेशन टैकनॉलोजी कंप्यूटर हार्डवेयर से संबंधित है।
उत्तर-
गलत

2. सचिंग सिर्फ गूगल के लिए प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-
गलत

3. डाउनलोडिंग ऑफलाइन भी की जा सकती है।
उत्तर-
गलत

4. नेट बैंकिंग से पैसे ट्रांसफर किए जा सकते हैं।
उत्तर-
सही

5. वेब सर्च का अर्थ है वैब पेजों को देखना।।
उत्तर-
सही।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्च इंजन के नाम बताओ।
उत्तर-
Google, Yahoo तथा Bing.

प्रश्न 2.
ऑनलाइन शॉपिंग कौन-सी साइट पर होती है ?
उत्तर-
ई-कॉमर्स।

प्रश्न 3.
ऑफलाइन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
ऑफलाइन का अर्थ है इंटरनैट से जुड़े न होना।

प्रश्न 4.
मोबाइल टैकनॉलोजी के मुख्य प्रयोग क्षेत्र कौन-से हैं ?
उत्तर-
शिक्षा, निरीक्षण तथा पोलिंग, बैंकिंग, डाटा एनालिसिस।

प्रश्न 5.
घरों में इंटरनैट टैकनॉलोजी का क्या प्रयोग हो रहा है ?
उत्तर-
ऑडियो वीडियो बनाने के लिए, मनोरंजन के लिए, संचार के लिए, शिक्षा प्राप्त करने के लिए।

प्रश्न 6.
डाउनलोडिंग का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
डाउनलोडिंग का अर्थ है इंटरनैट सरवर से कोई फाइल अपने कंप्यूटर पर सेव करना।

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 3 सूचना टैकनॉलोजी से जान पहचान

प्रश्न 7.
नेट बैंकिंग क्या होती है ?
उत्तर-
नैट बैंकिंग का अर्थ है इंटरनैट का प्रयोग करके बैंक वाले कार्य करना।

प्रश्न 8.
ऑनलाइन शॉपिंग क्या है ?
उत्तर-
ऑनलाइन शॉपिंग का अर्थ है इंटरनैट का प्रयोग करके खरीददारी करना।

प्रश्न 9.
इन्फारमेशन टैकनॉलोजी क्या है ?
उत्तर-
इन्फारमेशन टैकनॉलोजी का अर्थ है तकनीक का प्रयोग करके जानकारी प्राप्त करना तथा भेजना।

प्रश्न 10.
वेबसाइट क्या होती है ?
उत्तर-
वेब पेजों के समूह को वेबसाइट कहा जाता है।

प्रश्न 11.
मोबाइल टैकनॉलोजी का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
मोबाइल टैकनॉलोजी का अर्थ है मोबाइल फोन की मदद से इंटरनेट के माध्यम से संचार तथा अन्य ऑनलाइन कार्यों के लिए टैकनॉलोजी का प्रयोग करना।

प्रश्न 12.
आनलाइन शापिंग का क्या लाभ है ?
उत्तर-
आनलाइन शापिंग से उपभोक्ता घर बैठ कर ही सारी खरीददारी कर सकती है।

प्रश्न 13.
नेट बैंकिंग क्या है ?
उत्तर-
नैट बैंकिंग, बैंकिंग का वह सिस्टम है जिसमें ग्राहक इंटरनैट की मदद से अपने अकाऊंट की जानकारी प्राप्त कर सकता है, बिल अदा कर सकता है तथा पैसे ट्रांसफर कर सकता है।

प्रश्न 14.
डाऊनलोडिंग से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
डाऊनलोडिंग का अर्थ है कि हमारा कम्प्यूटर इंटरनैट से डाटा प्राप्त कर रहा है।

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प्रश्न 15.
वैब सर्किंग क्या होती है ?
उत्तर-
वैब सर्किंग का अर्थ है इंटरनैट पर एक वैबसाइट से दूसरी वैबसाइट पर कुछ विषय वस्तु ढूंढ़ते हुए जाना।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

→ मल प्रवाह (वाहित मल) अपशिष्ट जल है जिसमें घुली हुई तथा लटकती ठोस अशुद्धियाँ मौजूद होती हैं, जिन्हें प्रदूषक कहते हैं।

→ धरती के नीचे बिछी हुई पाइपों का जाल जो घर से व्यर्थ पानी के निपटारे वाली स्थान तक पहुँचती है, को विसर्जन प्रणाली कहते हैं।

→ मल प्रवाह/वाहित मल को बन्द पाइपों के द्वारा अपशिष्ट जल-शोधक प्रणाली तक लाया जाता है जहाँ इसमें से दूषकों को अलग करके शोध लिया जाता है तथा फिर नदियों, समुद्रों में बहा दिया जाता है।

→ अपशिष्ट जल शोध दौरान उपस्थित दूषकों को भौतिक, रासायनिक तथा जैविक विधियों के द्वारा अलग किया जाता है।

→ गार वह ठोस पदार्थ है जो जल शुद्धिकरण के दौरान नीचे बैठ जाता है।

→ अपशिष्ट जल शोध के सह-उत्पाद, आपंक (गार) और बायोगैस हैं।

→ मैनहोल ढक्कन से ढका हुआ वह स्थान होता है जिस रास्ते से व्यक्ति अन्दर जाकर वाहित मल/मल प्रवाह प्रणाली चैक कर सकता है।

→ खुला मल प्रवाह मक्खियों, मच्छरों तथा अन्य कीटों का प्रजनन-स्थल होता है। जो कई बीमारियां पैदा करते है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

→ तेल, घी, ग्रीस आदि को ड्रेन या खुले में न फेंके। ऐसा करने से ड्रेन बन्द (चोक) हो जाएगा।

→ कूड़े को केवल कूड़ेदान में ही फेंकें।

→ प्रदूषक : गन्दे जल में घुली हुईं तथा लटकती हुई अशुद्धियों (निलंबित अपद्रव्य) को प्रदूषक कहते हैं।

→ सीवर : छोटे तथा बड़े पाइपों के जाल जो अपशिष्ट जल को निकासी के स्थान तक लेकर जाता है।

→ मेनहोल : विसर्जन प्रणाली के हर 50-60 मीटर की दूरी पर जहाँ दिशा बदलती है वहाँ खले मुँह वाले बड़े सुराख बनाए जाते हैं। जिनके अन्दर दाखिल होकर व्यक्ति जल मल निकासी समस्या की जाँच कर सके।

→ जल शोधक प्रणाली : ऐसी जगह अथवा स्थान जहाँ अपशिष्ट जल में से अशुद्धियों को अलग किया जाता है।

→ जल शोधन : अपशिष्ट जल में से अशुद्धियों को अलग करने की प्रक्रिया को जल साफ़ करना या जल शोधन या उपचार कहते हैं।

→ आपंक अथवा गार : जल शुद्धिकरण टैंक में बैठ गया ठोस पदार्थ ही आपंक अथवा गार है।

→ सैप्टिक टैंक : यह मल-प्रवाह शोध की ऐसी छोटी-सी प्रणाली होती है जिसमें ऑक्सीजन रहित जीवाणु होते हैं जो अपशिष्ट पदार्थों को अपघटित करते हैं। इसका मुख्य मल विसर्जन पाइपों से कोई सम्बन्ध नहीं होता।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 17 वन: हमारी जीवन रेखा

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 17 वन: हमारी जीवन रेखा

→ पौधों, जंतुओं तथा सूक्ष्मजीवों से बनी एक प्रणाली को वन कहते हैं।

→ वनों की परतें चंदोया (Canopy) बीच की परत ताज (Crown) तथा निम्न परत (Understory) होते हैं।

→ वन भूमि-अपरदन से रक्षा करते हैं।

→ भूमि वृक्षों के उगने तथा बढ़ने में सहायता करती है।

→ ह्यूमस से पता लगता है कि मृत पौधे तथा जंतुओं के शरीर से पोषक, मिट्टी में शामिल हुए हैं।

→ वन हरे फेफड़ों की भांति कार्य करते हैं तथा इनसे कई उत्पाद प्राप्त होते हैं। इसलिए वन बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

→ वन एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी सबसे ऊपरी सतह वृक्ष शिखर बनाते हैं।

→ वन हमेशा हरे रंग के होते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 17 वन: हमारी जीवन रेखा

→ विभिन्न प्रकार के जंतु, पौधे तथा कीट जंगलों में पाए जाते हैं।

→ सभी वन्य जंतु, शाकाहारी या मांसाहारी, किसी-न-किसी रूप में वन में पाए जाने वाले भोजन के लिए पौधों पर निर्भर करते हैं।

→ वन बढ़ते और विकास करते रहते हैं तथा पुनर्स्थापित (Regenerate) हो सकते हैं।

→ वन जलवायु, जल-चक्र और हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।

→ वृक्ष, झांड़ियां, वनस्पति, जड़ी-बूटियां आदि जंगल से प्राप्त होते हैं।

→ वृक्षों और पौधों की ऊंचाई के अनुसार वनों को तीन श्रेणियों-

  1. चंदोया
  2. ताज तथा
  3. निम्न परत में । रखा गया है।

→ वनों की मृदा/मिट्टी पुनउत्पत्ति में सहायक होती है।

→ वन भूमि को अपरदन (Soil Erosion) से बचाते हैं।

→ वन के पौधे वाष्पोत्सर्जन करते हैं तथा वर्षा लाने में सहायक होते हैं।

→ वन जंगली कई पौधों, जंतुओं तथा सूक्ष्म-जीवों से मिलकर बनी एक प्रणाली है।

→ वन में वनस्पति की भिन्न-भिन्न परतें जंतुओं, पक्षियों और कीटों को भोजन और सहारा प्रदान करती हैं।

→ वन में मिट्टी, जल, हवा तथा सजीवों का आपस में आदान-प्रदान होता है।

→ क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों के लिए वन उनके जीवन के लिए ज़रूरी सामग्री उपलब्ध करवाते हैं।

→ वन जलवायु, जल-चक्र और हवा की खूबी को बनाए रखते हैं और नियमित करते हैं।

→ अपघटक पौधों और जीव-जंतुओं के मृत शरीरों पर निर्भर करते हैं और उनको सरल पदार्थों में अपघटित करते हैं।

→ वनों की कटाई से विश्व तापन होता है, वर्षा कम होती है, प्रदूषण बढ़ता है और भूमि अपरदन होता है।

→ प्रकृति में संतुलन कायम करने और वन्य जीवों तथा पौधों का निवास बनाए रखने के लिए वन का संरक्षण आवश्यक है।

→ वन : वन एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां जीव-जन्तुओं समेत बहुत घने पौधे, वृक्ष, झाड़ियां तथा बूटियां प्रकृतिक रूप से उगी होती हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 17 वन: हमारी जीवन रेखा

→ चंदोया : वृक्षों की डोलियां ऊपरी परत पृथ्वी पर वृक्षों की घनी छत बनाती हैं, जिसे चंदोया कहते हैं।

→ ताज या मुकुट : वह परत जिसमें डालियां तथा तने आते हैं, उसे ताज कहते हैं।

→ निम्न परत : निचला छाया वाला क्षेत्र जहां बहुत कम प्रकाश होता है।

5. पारिस्थितिक प्रबंध : सजीव और उनका वातावरण मिलकर पारिस्थितिक प्रबन्ध बनाते हैं। पौधे, जंतु तथा सूक्ष्मजीव पारिस्थितिक प्रबंध के जैविक अंश हैं। इन्हें विभिन्न श्रेणियों उत्पादक, खपतकार तथा अपघटक में बांटा गया है।

→ भोजन-चक्र : ऐसा चक्र जिसमें उत्पादक को शाकाहारी खाता है और शाकाहारी को मांसाहारी खाता है, को भोजन-चक्र कहते हैं।
PSEB 7th Class Science Notes Chapter 17 वन हमारी जीवन रेखा 1

→ भोजन जाल : एक भोजन जाल में बहुत-से भोजन-चक्र जुड़े होते हैं। एक भोजन-चक्र अगले भोजन स्तर के जीवों को भोजन उपलब्ध करवाने में सहायता करते हैं।

→ वन लगाना : बड़े स्तर पर वृक्ष लगाने की प्रक्रिया को वन लगाना/रोपण कहते हैं।

→ अपघटक : सूक्ष्मजीव जो पौधों तथा जंतुओं के मृत शरीर को ह्यूमस में परिवर्तित करते हैं, अपघटक कहलाते हैं।

→ भूमि अपरदन : वृक्षों और पौधों की अनुपस्थिति में मिट्टी का वर्षा के साथ बहाव में बह जाना भूमि अपरदन कहलाता है।

→ वन की प्रतिपर्ति : अधिक मात्रा में पौधों को लगाना वनों की प्रतिपूर्ति कहलाता है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 16 जल: एक बहुमूल्य संसाधन

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 16 जल: एक बहुमूल्य संसाधन

→ सभी जीवों को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता होती है।

→ जल की तीन अवस्थाएँ–ठोस, द्रव तथा गैस हैं।

→ दुनिया के कुल ताजे पानी का 1% से भी कम या धरती/पृथ्वी पर उपलब्ध संपूर्ण जल का लगभग 0.003% जल ही मनुष्य के प्रयोग के लिए उपलब्ध है।

→ पृथ्वी पर उपलब्ध लगभग संपूर्ण जल समुद्रों तथा महासागरों, नदियों, तालाबों, ध्रुवीय बर्फ, भूमि जल तथा वायुमंडल में मिलता है।

→ उपयोग के लिए उपयुक्त जल ताज़ा पानी है।

→ पृथ्वी पर नमक रहित जल पृथ्वी पर उपलब्ध जल की मात्रा का 0.006% है।

→ जल की तीन अवस्थाएं हैं-

  1. ठोस,
  2. द्रव,
  3. गैस।

→ ठोस अवस्था में जल बर्फ तथा हिम के रूप में पृथ्वी के ध्रुवों पर बर्फ से ढके पहाड़ों तथा ग्लेशियरों में मिलता है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 16 जल: एक बहुमूल्य संसाधन

→ द्रव अवस्था में जल महासागरों, झीलों, नदियों के अतिरिक्त भूमि तल के नीचे भूमि जल के रूप में मिलता है।

→ गैसी अवस्था में जल हवा में जलवायु के रूप में उपलब्ध रहता है।

→ वर्षा का जल सबसे शुद्ध जल समझा जाता है।

→ जल-चक्र द्वारा जल का स्थानांतरण होता है।

→ जल का मुख्य स्रोत भूमि-जल है।

→ स्थिर कठोर चट्टानों की पर्तों में भूमि जल इकट्ठा हो जाता है।

→ जनसंख्या में वृद्धि, औद्योगिक तथा खेती गतिविधियों आदि भूमि-जल स्तर को प्रभावित करने वाले कारक हैं।

→ भूमि-जल का अधिक उपयोग तथा जल का कम रिसाव होने के कारण भूमि-जल का स्तर कम हो गया है।

→ भूमि-जल स्तर को प्रभावित करने वाले कारक हैं-जंगलों (वनों) का कटना तथा पानी को सोखने के लिए आवश्यक क्षेत्रों की कमी।

→ बावड़िया तथा बूंद (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली जल की कमी को पूर्ण करने की तकनीकें हैं।

→ पौधों को कुछ दिनों तक पानी/जल न देने से वह मुरझा जाते हैं तथा अंत में सूख जाते हैं।

→ पंजाब सरकार ने वर्ष 2009 में “पंजाब भूमि-जल संरक्षण कानून 2009” पास (लागू) किया था जिसके तहत पहली बार धान की खेती लगाने की तारीख 10 जून निर्धारित की गई। बाद में वर्ष 2015 में इसे 15 जून किया गया।

→ मृत सागर एक नमकीन झील है जो पूर्व से जार्डन तथा पश्चिम से इसराईल तथा फिलस्तीन से घिरा हुआ है। यह दूसरे महासागरों से 8.6 गुणा अधिक क्षारक है। अधिक क्षारीय होने से जलीय पौधे तथा जलीय जंतुओं को उत्पन्न होने से रोकता है, जिस कारण इसे मृत सागर कहते हैं।

→ जल चक्र : कई प्रक्रियाएँ जैसे कि पानी का वायु में वाष्पीकरण, संघनन क्रिया द्वारा बादलों का बनना तथा वर्षा का आना जिससे पृथ्वी पर जल का कायम रहना, भले ही पूरी दुनिया इसका प्रयोग करती है, जल चक्र कहलाता है।

→ ताज़ा जल : जो जल पीने के लिए उचित होता है, वह ताज़ा जल है। इसमें कम मात्रा में नमक (लवण) घुले होते हैं। यह पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का लगभग 3% है जो नदियों, झीलों, ग्लेशियरों, बर्फ से ढकी चोटियों तथा पृथ्वी के नीचे होता है।

→ जल-स्तर या वॉटर-टेबल : जलीय स्रोत के समीप गहराई में जहाँ चट्टानों के बीच की जगह जल से भरी होती है, को पृथ्वी के नीचे का क्षेत्र या संतृप्त क्षेत्र कहते हैं। इस जल की ऊपरी सतह को जल स्तर या वॉटर टेवल कहते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 16 जल: एक बहुमूल्य संसाधन

→ जलीय चट्टानी पर्त : पृथ्वी के नीचे का जल वाटर लेबल से भी नीचे सख्त चट्टानों की पर्तों के बीच होता है जिसे जलीय चट्टानी पर्त कहते हैं। यह जल नलों तथा ट्यूबवैलों द्वारा निकाला जाता है।

→ इनफिल्ट्रेशन (अंकुइफिर) : जल के भिन्न-भिन्न स्रोतों जैसे-वर्षा, नदी तथा छप्पड़ों का पानी गुरुत्वाकर्षण के कारण रिस-रिस कर पृथ्वी के अंदर के रिक्त स्थान पर भरने को इनफिल्ट्रेशन कहते है।

→ जल प्रबंधन : जल को उचित ढंग से बाँटना जल प्रबंधन है।

→ बूंद सिंचाई प्रणाली : यह सिंचाई की ऐसी तकनीक है जिसमें पानी पाइपों के द्वारा पौधों तक बूंद-बूंद करके पहुँचता है।

→ जल भंडारण : वर्षा जल को आवश्यकता के समय उपयोग में लाने के लिए जमा करने की विधि को जल भंडारण कहते हैं। इसको जल स्तर की प्रतिपूर्ति के लिए किया जाता है।

→ बाउली (बावड़ी) : यह पुरातन (प्राचीन) काल की जल भंडारण की विधि है। भारत में कई स्थानों पर यह विधि जल-भंडारण के लिए प्रयोग होती है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 15 प्रकाश

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 15 प्रकाश

→ प्रकाश हमें इर्द-गिर्द की वस्तुओं को देखने में सहायता करता है।

→ किसी प्रकाशमान वस्तु या प्रकाश के स्रोत से आ रही प्रकाश किरणें वस्तु से टकरा कर हमारी आँखों में दाखिल/प्रवेश होती हैं तो हमें वस्तु दिखाई देती है।

→ प्रकाश हमेशा सीधी रेखा में चलता है।

→ प्रतिबिम्ब देखने के लिए वस्तु की सतह से परावर्तन एक समान होना चाहिए।

→ किसी सतह से टकराने के बाद प्रकाश का वापिस उसी माध्यम में एक खास दिशा में मुड़ने की प्रक्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

→ जो प्रकाश की किरण वस्तु पर टकराती है, उसे आपाती किरण कहते हैं तथा जो प्रकाश की किरण वस्तु पर टकराने के बाद उसी माध्यम में एक खास दिशा में वापिस आती है उसे परावर्तित किरण कहते हैं।

→ आपाती किरण तथा आपतन बिंदु पर खींचे गए लम्ब के कोण को आपतन कोण कहते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 15 प्रकाश

→ परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के कोण को परावर्तन कोण कहते हैं।

→ आपतन कोण तथा परावर्तन कोण हमेशा बराबर होते हैं। इसे परावर्तन का नियम कहते हैं।

→ परावर्तित किरणों के वास्तविक रूप में मिलने पर बने प्रतिबिम्ब को वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं। इस प्रतिबिम्ब को स्क्रीन (पर्दे) पर प्राप्त किया जा सकता है।

→ यदि परावर्तित किरणें आपस में वास्तविक रूप में नहीं मिलती परन्तु मिलते हुए दिखाई देती हैं तो उनसे प्राप्त हुए प्रतिबिम्ब को आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं। ऐसा प्रतिबिम्ब पर्दे पर प्राप्त नहीं होता।

→ समतल दर्पण द्वारा बनाया प्रतिबिम्ब हमेशा दर्पण के पीछे बनता है। यह प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा तथा वस्तु के आकार का होता है।

→ समतल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे उतनी दूरी पर ही बनता है, जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने रखी होती है।

→ समतल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिम्ब का पार्श्व परिवर्तन होता है अर्थात् वस्तु की दाईं तरफ का प्रतिबिम्ब बाईं तरफ नज़र आता है तथा वस्तु की बाईं तरफ का प्रतिबिम्ब का दाईं तरफ नज़र आता है।

→ अवतल दर्पण एक ऐसा गोलाकार दर्पण होता है, जिसकी परावर्तक सतह अन्दर की ओर होती है।

→ उत्तल दर्पण एक ऐसा गोलाकार दर्पण होता है, जिसकी परावर्तक सतह बाहर की ओर उभरी होती है।

→ बहुत दूर स्थित किसी वस्तु से आ रही प्रकाश की किरणें एक-दूसरे के समानान्तर मानी जाती हैं तथा दर्पण से परावर्तन होने के बाद जिस बिन्दु पर वास्तव में मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं, उसे दर्पण का फोकस बिन्दु कहते हैं।

→ अवतल दर्पण में केवल उसी स्थिति में आभासी, सीधा तथा बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है जब वस्तु अवतल दर्पण के मुख्य फोकस तथा दर्पण के बीच रखी हो। इसके अतिरिक्त वस्तु की अन्य स्थितियों में प्रतिबिम्ब वास्तविक तथा उल्टा बनता है।

→ उत्तल दर्पण के लिए वस्तु की प्रत्येक स्थिति में प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा तथा आकार में वस्तु से छोटा बनता है।

→ लैंस एक पारदर्शी माध्यम का टुकड़ा होता है जो दो सतहों से घिरा होता है। लैंस मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-

  1. उत्तल लैंस तथा
  2. अवतल लैंस।

→ उत्तल लैंस मध्य से मोटा तथा किनारों पर पतला होता है।

→ अवतल लैंस किनारों की तुलना में मध्य से पतला होता है।

→ उत्तल लैंस को अभिसारी लैंस तथा अवतल लैंस को अपसारी लैंस भी कहते हैं।

→ उत्तल लैंस द्वारा बारीक तथा छोटी वस्तुओं को बड़े आकार में देखा जा सकता है। इसलिए इसे रीडिंग ग्लास भी कहते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 15 प्रकाश

→ प्रकाश का परावर्तन : जब सीधी रेखा में चलता प्रकाश किसी दर्पण या किसी पॉलिश की गई अपारदर्शी सतह से टकराने के बाद यह अपनी दिशा बदल लेता है तथा वापिस उसी माध्यम में आ जाता है तो प्रकाश की इस अपनी दिशा बदल लेने की प्रक्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

→ आपाती किरण : जो प्रकाश की किरण प्रकाश स्रोत से चलकर दर्पण पर टकराती है, उसे आपाती किरण कहते हैं।

→ परावर्तित किरण : जो प्रकाश की किरण दर्पण पर टकराने के बाद अपनी दिशा बदलकर उसी माध्यम पर एक विशेष दिशा में वापिस आ जाती है, उसे परावर्तित किरण कहते हैं।

→ आपतन कोण : आपाती किरण तथा आपतन बिन्दु पर खींचे गए अभिलम्ब के मध्य बने कोण को आपतन कोण कहते हैं।

→ परावर्तन कोण : परावर्तित किरण और आपतन बिन्दु पर खींचे गए कोण के मध्य बने कोण को परावर्तन कोण कहते हैं।

→ आपतन बिन्दु : आपाती किरण दर्पण की सतह पर जिस बिन्दु पर जाकर टकराती है, उसे आपतन बिन्दु कहते हैं।

→ अभिलम्ब : आपतन बिन्दु पर बनाए गए लम्ब को अभिलम्ब कहते हैं।

→ प्रतिबिम्ब : प्रकाश की किरणें दर्पण से प्रकाश परावर्तन के बाद जिस बिन्दु पर वास्तविक रूप में मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं, उसे प्रतिबिम्ब कहते हैं।

→ वास्तविक प्रतिबिम्ब : जब किसी वस्तु से आ रही प्रकाश किरणें परावर्तन के बाद किसी बिन्दु पर असल/ वास्तव में मिलती हैं, तो उसे वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते हैं।

→ आभासी प्रतिबिम्ब : जब प्रकाश की किरणें दर्पण से हो रहे परावर्तन के बाद किसी बिन्दु पर वास्तव में मिलती हुई प्रतीत होती हैं परन्तु किसी बिन्दु पर मिलती हों, तो उस बिन्दु को आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं। आभासी प्रतिबिम्ब को पर्दे पर नहीं लाया जा सकता है।

→ गोलाकार दर्पण : ऐसा दर्पण जिसकी परावर्तक सतह एक खोखले काँच के गोले का एक भाग होता है।

→ उत्तल दर्पण : ऐसा गोलाकार दर्पण जिसकी परावर्तक सतह उत्तल या बाहर की ओर उभरी हुई है, तो उसे उत्तल दर्पण कहते हैं।

→ अवतल दर्पण : ऐसा गोलाकार दर्पण जिसकी परावर्तक सतह अवतल या अन्दर की ओर होती है।

→ प्रकाश अपवर्तन : जब प्रकाश की किरणें किसी एक माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में दाखिल होती हैं, तो वह अपना पथ बदल लेती हैं, प्रकाश किरणों के पथ बदलने की प्रक्रिया को प्रकाश अपवर्तन कहते हैं।

→ उत्तल लैंस : यह पारदर्शी कांच का ऐसा टुकड़ा है, जो किनारों के मुकाबले मध्य से मोटा होता है। इसे अभिसारी लैंस भी कहते हैं।

→ अवतल लैंस : यह पारदर्शी कांच का ऐसा टुकड़ा है जो मध्य से पतला तथा किनारों से मोटा होता है। इस लैंस को अपसारी लैंस भी कहते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 15 प्रकाश

→ फोकस बिन्दु : मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जहाँ प्रकाश की समानान्तर किरणें लैंस से गुज़रने के बाद असल रूप में मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं, को फोकस बिन्दु कहते हैं।

→ फोकस दूरी : मुख्य फोकस तथा लैंस के प्रकाश केन्द्र के बीच की दूरी, लैंस की फोकस दूरी कहलाती है।

→ प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण : सफेद प्रकाश का किसी पारदर्शी माध्यम (जैसे कांच का प्रिज्म) में से गुज़र कर सात रंगों में विभक्त हो जाने की प्रक्रिया वर्ण-विक्षेपण कहलाती है।

→ स्पैक्ट्रम : सफ़ेद प्रकाश के प्रिज्म में से गुज़रने के बाद प्राप्त सात रंगों की पट्टी को जिसके एक सिरे पर बैंगनी रंग तथा दूसरे सिरे पर लाल रंग होता है, स्पैक्ट्रम कहलाता है।

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 2 इंटरनैट फंडामैंटल्स

Punjab State Board PSEB 8th Class Computer Book Solutions Chapter 2 इंटरनैट फंडामैंटल्स Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Computer Chapter 2 इंटरनैट फंडामैंटल्स

Computer Guide for Class 8 PSEB इंटरनैट फंडामैंटल्स Textbook Questions and Answers

1. रिक्त स्थान भरें

1. इंटरनैशनल नैटवर्क ऑफ कम्प्यूटर को ……….. कहा जाता है।
(क) अपरानैट
(ख) इंटरनेट
(ग) इंटरानैट
(घ) इथरनैट।
उत्तर-
(ख) इंटरनेट

2. www का मतलब है ……………।
(क) वर्ल्ड वाइड वैब
(ख) वाइड वैब वर्ल्ड
(ग) वाइड वर्ल्ड वैब
(घ) वैब वर्ल्ड वाइड।
उत्तर-
(क) वर्ल्ड वाइड वैब

3. …………. द्वारा आनलाइन इंटरनैट से बातचीत की जाती है।
(क) ई-कामर्स
(ख) चैटिंग
(ग) www
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) चैटिंग

4. …………. मेल भेजने का सबसे तेज़ तरीका है।
(क) टैलीग्राम
(ख) लैटरज़
(ग) आई० एस ० पी०
(घ) ई-मेल।
उत्तर-
(घ) ई-मेल।

5. ………. एक यंत्र है जो कम्प्यूटर को टैलीफोन से जोड़ता है।
(क) मोडम
(ख) टैलीफोन तार
(ग) माऊस
(घ) मोबाइल।
उत्तर-
(क) मोडम

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 2 इंटरनैट फंडामैंटल्स

2. पूरे नाम लिखो

1. www
2. Email
3. MODEM
4. ARPANET
5. ISDN
6. DSL
Answer:
1. WWW-World Wide Web
2. Email-Electronic Mail
3. MODEM–Modulator Demodulator
4. ARPANET-Advanced Research Project Agency Network
5. ISDN-Integrated Service Digital Network
6. DSL-Digital Subscriber Line

3. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
इंटरनैट क्या है?
उत्तर-
दुनिया में फैले अलग-अलग तरह के नैटवर्कों को आपस में जोड़कर इंटरनैट बनता है। इससे सूचना का आदान-प्रदान करवाया जा सकता है। इंटरनेट का इस्तेमाल नीचे लिखे कामों के लिए किया जाता है-

  1. व्यापार और उद्योगों के लिए
  2. संचार के लिए
  3. शिक्षा के लिए
  4. मनोरंजन के लिए
  5. विज्ञान के लिए
  6. सिखलाई के लिए।

प्रश्न 2.
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) की उदाहरण दें।
उत्तर-
इंटरनैट सर्विस प्रोवाइडर्ज यूज़र को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करवाता है। वह यूज़र से फीस प्राप्त करता है। यह फीस इंटरनैट इस्तेमाल करने के हिसाब से होती है।
इंटरनेट की अलग-अलग सेवाओं के लिए आपको अपने ISP (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) में खाता खोलना पड़ेगा। BSNL एक ISP का उदाहरण है।

प्रश्न 3.
ई-कॉमर्स से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
इंटरनेट का उपयोग करके व्यापार करने तथा शापिंग करने वाली सुविधा को ई-कॉमर्स कहते हैं।

प्रश्न 4.
वैब ब्राऊजिंग क्या है ?
उत्तर-
इंटरनैट पर ब्राऊजर की मदद से विभिन्न वैब साईट को देखने की प्रक्रिया वैब ब्राऊजिंग कहलाती है। इस से हम सूचना देख सकते हैं, ढूंढ सकते हैं तथा लोगों को भी ढूंढ सकते हैं।

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 2 इंटरनैट फंडामैंटल्स

4. बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
MODEM क्या है? मोडम की किस्में तथा रफ्तार बताओ।
उत्तर-
डिजीटल से एनालॉग सिग्नल और एनालोग से डिजीटल सिग्नल में बदलने वाले उपकरण को मोडम कहा जाता है। मोडम दो प्रकार के होते हैं

  1. अन्दरूनी मोडम
  2. बाहरी मोडम बाहरी मोडम एक डिब्बे के रूप में कम्प्यूटर से बाहरी तरफ से केबल से जोड़े जाते हैं।

अन्दरूनी मोडम कम्प्यूटर के बीच ही लगे होते हैं। मोडम की रफ़्तार भी अलग-अलग होती है। धीमे मोडम सन्देश को भेजते समय अधिक समय लगाते हैं। केबल या टेलीफोन की तार दीवार से लगे प्लग के द्वारा मोडम में जाती है। आजकल तो बेतार मॉडम भी आ गए हैं जो मोबाइल फोन की तरह हवा में ही काम करते हैं।

मोडम की रफ़्तार अलग-अलग होती है। धीमे मोडम सन्देश भेजते या प्राप्त करते समय अधिक समय लगाते हैं। यह इंटरनेट से फाइलों की नकल करने पर भी अधिक समय लगाते हैं। अगर संचार वाले दोनों कम्प्यूटरों में अलग-अलग रफ़्तार वाले मोडम हों तो संचार कम रफ्तार वाले मोडम की रफ्तार के साथ होता है। तेज़ संचार करवाने के लिए अधिक रफ़्तार वाले मोडम ही प्रयोग करने चाहिए। आमतौर पर 28.8 Kbps रफ़्तार वाला मोडम प्रयोग किया जाता है। सर्किंग के लिए कम-से-कम 56 Kbps वाले मोडम की सिफारिश की जाती है।

प्रश्न 2.
इंटरनेट द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का वर्णन करो।
उत्तर-
इंटरनेट द्वारा निम्नलिखित सुविधाएं मिलती हैं-
1. ख़बर तथा जानकारी प्राप्त करना-इंटरनेट से हम ऑनलाइन अख़बार से ख़बरें पढ़ सकते हैं। इससे हम देश-विदेश की किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

2. कला तथा मनोरंजन-इंटरनेट पर हम गेम खेल सकते हैं, गाने सुन सकते हैं, फिल्में देख सकते हैं, चुटकुले कहानियां आदि पढ़ सकते हैं। इंटरनेट की सहायता से इन सभी के द्वारा हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं।

3. खरीदारी-इंटरनेट की सहायता से हम दुनिया में कहीं से भी कपड़े, किताबें, गिफ्ट या अन्य ज़रूरी सामान आदि खरीद सकते हैं। इस प्रक्रिया को ऑनलाइन शॉपिंग कहा जाता है।

4. पत्र भेजना-इंटरनेट पर पत्र भेजने की सर्विस को ईमेल कहते हैं। इंटरनेट की सहायता से हम दुनिया । में किसी भी व्यक्ति को ईमेल भेज सकते हैं तथा किसी से भी ईमेल प्राप्त कर सकते हैं। ईमेल के जरिए हम तस्वीरें, फिल्में, आवाज़ आदि दूसरों को भेज सकते हैं।

5. सेहत तथा तंदुरुस्ती-इंटरनेट के द्वारा हम अपने स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके द्वारा हम किसी भी डॉक्टर से ज़रूरी सलाह भी कर सकते हैं।

6. सैर सपाटा-इंटरनेट पर दुनिया भर के सैर सपाटे से संबंधित जानकारी रेल टिकट, हवाई टिकट तथा विभिन्न होटलों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

7. चैटिंग-इंटरनेट के द्वारा हम दुनिया में किसी भी व्यक्ति के साथ टैक्सट, ऑडियो या वीडियो चैट कर सकते हैं।

8. बैंकिंग-इंटरनेट की सहायता से हम अपने बैंक के कार्य भी कर सकते हैं। ऑनलाइन बैंकिंग के द्वारा बैंक से संबंधित लगभग सभी कार्य किए जा सकते हैं।

9. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दो या दो से ज्यादा व्यक्ति एक-दूसरे को देख कर बात करते हैं। इसके लिए वेब कैमरे का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
ई-मेल क्या है ? इसके प्रयोग के लाभ लिखो।
उत्तर-
ई-मेल एक इलैक्ट्रॉनिक मेल है जिसके द्वारा कम्प्यूटर से पत्र भेजे जाते हैं। इसके द्वारा दुनिया भर में कहीं भी एक ही समय सन्देश पहुँचाया जा सकता है। इंटरनेट इस्तेमाल करने के समय आपके पास विलक्षण ई-मेल पता होना चाहिए। ई-मेल के पते को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, यूज़र नेम और होस्ट नेम। ई-मेल में @ संकेत होता है जिसको ‘ऐट दा रेट ऑफ’ कहा जाता है। [email protected] ई-मेल के पते की एक उदाहरण है।

ई-मेल के लाभ-ई-मेल के बहुत सारे लाभ हैं जो कि नीचे लिखे अनुसार हैं-
1. खर्च (Cost)-इंटरनैट के प्रयोग के लिए दी जाने वाली रकम के बिना अन्य कुछ नहीं लगता। यूज़र को डाक टिकटों के पैसे नहीं पड़ते। यह फैक्स से भी सस्ती पड़ती है। फैक्स पर कागज़ और टैलीफोन के खर्चे पड़ते हैं। ई-मेल करते समय ऐसा कोई खर्चा नहीं पड़ता। लम्बे सन्देश का खर्च छोटे सन्देश जितना होता है। उदाहरण के लिए स्विट्ज़रलैंड और अपने शहर में सन्देश का खर्च बराबर होता है।

2. रफ़्तार (Speed)-ई-मेल की रफ्तार हमारे दूसरे चिट्ठी-पत्र से अधिक होती है। ई-मेल सन्देश अपनी मंजिल पर कुछ मिनटों-सैकिण्डों में पहुंच जाते हैं। एक दिन में कई बार पत्र-व्यवहार किया जा सकता है।

3. आराम (Convenience)-कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने वाले सन्देश को अपने कम्प्यूटर पर टाइप करते हैं और फिर ई-मेल कर देते हैं। इसके साथ न कागज़ का प्रयोग होता है, न कोई डाक खर्चा आता है और न ही कोई अन्य समस्या आती है।

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प्रश्न 4.
वर्ल्ड वाइड वेब पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
वर्ल्ड वाइड वेब एक बहुत बड़ा कंप्यूटर नेटवर्क है जिसे हम इंटरनेट एक्सप्लोरर या गूगल क्रोम जैसे ब्राउज़र का प्रयोग करके सर्च कर सकते हैं। इससे हम आवश्यकता अनुसार जानकारी तथा सूचना प्राप्त कर सकते हैं। यह बहुत सारी पब्लिक वेबसाइट का समूह है जो आपस में हाइपरलिंक की सहायता से जुड़े हुए हैं। इसमें वेबसाइट के साथ क्लाइंट उपकरण जैसे कि कंप्यूटर मोबाइल फोन आदि भी शामिल होते हैं जो पूरी दुनिया में इंटरनेट से जुड़े होते हैं।

वर्ल्ड वाइड वेब तथा इंटरनेट इकट्ठे ही कार्य करते हैं, पर यह दोनों एक समान नहीं हैं। असल में वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट पर फैला हुआ वैब पेजों का एक जाल है। यह सारे वेब पेज एचटीएमएल में बने होते हैं तथा आपस में हाइपरलिंक द्वारा जुड़े होते हैं। हाइपरलिंक द्वारा आपस में जुड़े होने के कारण इनका एक जाल बन जाता है जो पूरी दुनिया में फैला होता है। इसी कारण इसे वर्ल्ड वाइड वेब कहा जाता है।

प्रश्न 5.
इंटरनेट द्वारा प्रदान की जाने वाली मुख्य सेवाओं का वर्णन करो।
उत्तर-
1. वर्ड वाइड वैब-वर्ड वाइड वैब इंटरनैट पर वैब पेज का एक जाल है। ये पेज आपस में लिंकड होते हैं। इस को किसी खास एडरैस द्वारा पाया जाता है। इसको कम्प्यूटर, लैपटाप, मोबाइल, आदि पर असैस किया जा सकता है। वर्ल्ड वाइड वैब Www इंटरनैट की बहुत बड़ी सेवा है। इसके द्वारा पूरी दुनिया की सूचना प्राप्त की जा सकती है। इसमें व्यापार, शिक्षा स्रोत, सेहत और सरकारी अदारों आदि से सम्बन्धित सूचना शामिल होती है। यह हर एक स्थान पर यूज़र की सोच, विचारों और पसंद के मुताबिक सेवाएं देती हैं।

2. ई-मेल-ई-मेल एक इलैक्ट्रॉनिक मेल है जिसके द्वारा कम्प्यूटर से पत्र भेजे जाते हैं। इसके द्वारा दुनिया भर में कहीं भी एक ही समय सन्देश पहुँचाया जा सकता है। इंटरनेट इस्तेमाल करने के समय आपके पास विलक्षण ई-मेल पता होना चाहिए। ई-मेल के पते को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, यूजर नेम और होस्ट नेम। ई-मेल में @ संकेत होता है जिसको ‘ऐट दा रेट ऑफ’ कहा जाता है। [email protected] ई-मेल के पते की एक उदाहरण है।

3. ई-कामर्स-ई-कामर्स इंटरनैट पर व्यापार को करते हैं। इससे हम अपनी ज़रूरत की वस्तुएं 24 घंटे खरीद, बेच सकते हैं।

4. सोशल नेटवर्किंग साइट-यह इंटरनैट पर सोशल ग्रुप की साइट होती है। इसमें यूज़र अपना प्रोफाइल बना कर दूसरों से वार्तालाप तथा अपने अनुसार शेयर कर सकता है।

5. विडीयो कानसिंग-यह कैमरे का उपयोग करती है। इसमें हम तस्वीरों तथा आवाज़ द्वारा अपने विचार दूसरों से साझा कर सकते हैं। हम दूसरों को देख भी सकते हैं। इसमें समय की बहुत बचत होती है।

6. चैटिंग-यह फोन पर की जाने वाली बातचीत की तरह ही होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें बातचीत के लिए शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप इंटरनेट से जुड़े हो तो आप टैलीफोन में बोलने के स्थान पर कम्प्यूटर में टाइप करोगे। आजकल व्याँस चैट (जुबान के द्वारा चर्चा) करनी भी सम्भव हो गई है। व्यॉस चैट में आप बोल और सुन सकते हो।

7. वैबसाइट को सर्च करना-वैबसाइट पर पन्नों की गिनती निश्चित नहीं होती। यह अनगिनत होते हैं। यह बढ़ते ही रहते हैं। बड़ी कम्पनियां अपने वैब पन्नों को डाटाबेस में सम्भाल के रखती हैं। जानकारी ढूँढ़ने के लिए सर्च इंजन का प्रयोग किया जाता है। यह बहुत ही शक्तिशाली प्रोग्राम होता है। ढूँढ़ी जाने वाली जानकारी को टाइप करके सर्च (खोज) की जाती है। यह उस शब्द से सम्बन्धित अनेकों वैबसाइटों की सूची जारी करता है।

PSEB 8th Class Computer Guide इंटरनैट फंडामैंटल्स Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरो

1. मोडम ……….. को एनालॉग सिग्नल में बदलता है।
(क) एनालॉग
(ख) डिजिटल
(ग) दोनों ही
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) डिजिटल

2. ……… ऑनलाइन बातचीत का तरीका है।
(क) चैटिंग
(ख) ईमेल
(ग) सचिंग
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(क) चैटिंगग।

2. पूरा नाम लिखो
1. DOD
2. TCP/IP
3. IAP
4. URL
5. ISP
Answer:
1. DOD – Department of Defence
2. TCP/IP-Transmission Control Protocol/Internet Protocol
3. IAP-Internet Access Providers
4. URL-Uniform Resource Locator
5. ISP-Internet Service Provider

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 2 इंटरनैट फंडामैंटल्स

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सोशल नेटवर्किंग साइट क्या होती है ?
उत्तर-
सोशल नेटवर्किंग साइट वह होती है जो हमें ऑनलाइन सामाजिक समूह बनाने में मदद करती है। facebook.com एक सोशल नेटवर्किंग साइट है।

प्रश्न 2.
कुछ सोशल नेटवर्किंग साइट के नाम बताओ।
उत्तर-
Facebook, Twitter, Orkut, Linkedin, Fickr

प्रश्न 3.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग क्या होती है ?
उत्तर-
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग वह सहूलियत है जिसके द्वारा हम किसी भी दूसरे व्यक्ति की वीडियो देख कर उसके साथ बातचीत कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
ब्राउजिंग क्या होती है ?
उत्तर-
इंटरनेट पर वेब साइट देखने की प्रक्रिया को ब्राउजिंग कहते हैं।

प्रश्न 5.
इंटरनेट कनेक्शनों के नाम बताओ।
उत्तर-
डायल अप, ब्रॉडबैंड, वायरलेस, डी० एस० एल०, आई० एस० डी० एन०।

प्रश्न 6.
मोडम का पूरा नाम बताओ।
उत्तर-
मोडूलेटर-डीमोडूलेटर।

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प्रश्न 7.
मोडम की किस्में बताओ।
उत्तर-
मोडम की निम्नलिखित किस्में हैं –

  1. अंदरूनी मॉडल
  2. बाहरी मॉडल

प्रश्न 8.
ISP का पूरा नाम बताओ।
उत्तर-
ISP का पूरा नाम है-Internet Service Provider.

प्रश्न 9.
URL का पूरा नाम बताओ।
उत्तर-
URL का पूरा नाम है-Uniform Resource Locator.

प्रश्न 10.
www क्या है ? बताओ।
उत्तर-
www का अर्थ है-वर्ल्ड वाइड वैब। यह इंटरनैट पर फैला हुआ वैबसाइटों का एक जाल है।

प्रश्न 11.
इंटरनैट कुनैक्शनों की किस्में बताएं।
उत्तर-
इंटरनैट कुनैक्शन इस प्रकार के होते हैं-

  1. डायल-अप कुनैक्शन
  2. ब्रॉड बैंड
  3. वायरलैस
  4. डी० एस० एल०
  5. आई० एस० डी० एन० ।

प्रश्न 12.
ई-मेल के बारे में बताओ।
उत्तर-
ई-मेल इंटरनैट की एक वह सुविधा है जिसके द्वारा दुनिया में किसी भी कम्प्यूटर, जो इंटरनैट से जुड़ा हो, तक संदेश भेज सकते हैं।

प्रश्न 13.
वैब सचिंग क्या है?
उत्तर-
इंटरनैट पर किसी भी वस्तु को ढूंढ़ने की प्रक्रिया को वैब सचिंग कहते हैं।

प्रश्न 14.
इंटरनेट के लिए कौन-कौन से हार्डवेयर ज़रूरी हैं ?
उत्तर-
इंटरनैट के लिए निम्न हार्डवेयर ज़रूरी है-

  1. एक पर्सनल कम्प्यूटर जिसकी स्पीड 800 Mz या ज्यादा हो।
  2. 128 MB या ज्यादा RAM
  3. टैलीफोन कुनैक्शन लाइन
  4. मोडम।

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 1 टाइपिंग ट्यूटर

Punjab State Board PSEB 8th Class Computer Book Solutions Chapter 1 टाइपिंग ट्यूटर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Computer Chapter 1 टाइपिंग ट्यूटर

Computer Guide for Class 8 PSEB टाइपिंग ट्यूटर Textbook Questions and Answers

1. रिक्त स्थान भरो

1. ………. फोंट का प्रयोग पंजाबी में टाइप करने के लिए किया जाता है।
(क) अनमोल लिपि
(ख) रावी
(ग) जोआए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

2. अनमोल लिपि के साथ टाइप करते समय बाएं हाथ की छोटी उंगली से होम रोअ की ………………………… कीअ दबाई जाती है |
(क) θ/ਅ
(ख) म/म
(ग) र/प
(घ) ਢ/ह
उत्तर-
(क) θ/ਅ

3. अनमोल लिपि को टाइप करते समय बाएं हाथ की रिंग उंगली के साथ दूसरी रोअ की ………………………. .
कीअ दवाई जाती है।
(क) उ/ਬ
(ख) \(\mathrm{T} / \dot{\mathrm{T}}\)
(ग) ट/6
(घ) ਰ/;
उत्तर-
(ख) \(\mathrm{T} / \dot{\mathrm{T}}\).

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 1 टाइपिंग ट्यूटर

4. अनमोल लिपि टाइप करते समय दाएं हाथ की इंडेक्स उंगली के साथ तीसरी रोअ की ………………. कीअ दवाई जाती है |
(क) घ/उ
(ख) ਨ/ \(\dot{\mathrm{T}}\)
(ग) ਮ/”
(घ) ਮ/ ਨ/
उत्तर-
(ख) ਨ/ \(\dot{\mathrm{T}}\)

5. नंबर पैड का प्रयोग करने के लिए ……………………….. कीअ ON रखनी चाहिए।
(क) Num Lock
(ख) Caps Lock
(ग) Scroll Lock
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(क) Num Lock

2. सही या गलत बताओ-

1. टाइपिंग करने के लिए कीबोर्ड को दो हिस्सों में बांटा गया है एक बाएं हाथ के लिए तथा एक दाएं हाथ के लिए।
उत्तर-
सही

2. टच टाइपिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा हम कीबोर्ड को देखते हुए तेज़ रफ़्तार से टाइपिंग करना सीख सकते हैं।
उत्तर-
गलत

3. अनमोल लिपि फोंट हमें पंजाबी में टाइप करने में मदद करता है।
उत्तर-
सही

4. स्पेस बार कीअ दबाने के लिए हम छोटी उंगली का प्रयोग करते हैं।
उत्तर-
गलत

5. Shift कीअ का प्रयोग अगली लाइन में जाने के लिए किया जाता है।
उत्तर-
गलत।

3. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
टच टाइपिंग क्या होती है ?
उत्तर-
टच टाइपिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा हम बिना कीबोर्ड को देखें अपनी सारी उंगलियों का प्रयोग करके तेज़ रफ्तार से टाइपिंग करनी सीख सकते हैं अगर हम कीबोर्ड देखकर एक एक कीअ ढूंढ कर टाइपिंग करते हैं तो हमारी स्पीड बहुत कम हो जाती है।

प्रश्न 2.
होम रोअ पर हमारी उंगलियों की स्थिति का वर्णन करो।
उत्तर-
होम रोअ पर हमारी उंगलियों की स्थिति निम्न अनुसार होती है-
सबसे पहले हमारे बाएं हाथ की चौथी उंगली (लिटिल फिंगर) A कीअ ऊपर, तीसरी उंगली S कीअ के ऊपर, दूसरी उंगली D कीअ के ऊपर तथा पहली उंगली F कीअ के ऊपर तथा साथ ही G कीअ के ऊपर होनी चाहिए। दाएं हाथ की चौथी तीसरी दूसरी तथा पहली उंगली क्रमवार ; L, K, J, H पर होनी चाहिए।

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 1 टाइपिंग ट्यूटर

प्रश्न 3.
पंजाबी भाषा में टाइपिंग किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर-
अनमोल लिपि फोंट द्वारा हम आसानी से पंजाबी में टाइपिंग कर सकते हैं। हम अंग्रेजी भाषा की टाइपिंग में प्रयोग होने वाली उंगलियों की स्थिति के अनुसार पंजाबी भाषा में भी टाइपिंग का अभ्यास कर सकते हैं। टाइप करने से पहले हमें अनमोल लिपि फोंट का चुनाव करना पड़ता है।

प्रश्न 4.
पंजाबी भाषा में टाइप करने के लिए कोई तीन फोंट का नाम लिखो ?
उत्तर-
पंजाबी भाषा में टाइप करने के लिए 3 फोंट निम्नानुसार हैं-

  1. अनमोल,
  2. रावी,
  3. जोआए।

4. बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हम अपनी टाइपिंग की स्पीड कैसे बढ़ा सकते हैं ?
उत्तर-
टाइपिंग स्पीड को निम्न हिदायतों का प्रयोग कर बढ़ाया जा सकता है-

  1. हमारे हाथ की उंगलियां होम रोअ पर होनी चाहिए।
  2. हमें हमेशा यहीं से शुरू कर वापिस आना चाहिए।
  3. होम रोअ की पोजीशन से बाकी कीज़ तक पहुंचो।
  4. अपना ध्यान सही कीअ दबाने पर रखो।।
  5. कीअ-बोर्ड को मत देखो।
  6. लगातार, आराम से तथा सही टाइप करने की तरफ ध्यान रखें।
  7. जिस भी कीअ को दबाओ उसको मन में दोहराओ।

प्रश्न 2.
अनमोल लिपि का कीअ मैप बनाएं।
उत्तर-
PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 1 टाइपिंग ट्यूटर 1

PSEB 8th Class Computer Guide टाइपिंग ट्यूटर Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

1. टाइप मास्टर …………. सिखाने के लिए प्रयोग होता है।
(क) प्रोग्रामिंग
(ख) कम्प्यू टर
(ग) प्रिंटिंग
(घ) टाइपिंग।
उत्तर-
(घ) टाइपिंग।

2. कीअ-बोर्ड ………… भागों में बांटा जाता है।
(क) तीन
(ख) चार
(ग) दो
(घ) पांच।
उत्तर-
(ग) दो

3. न्यूमैरिक पैड …………. तरफ होते हैं।
(क) दायें
(ख) वायें
(ग) ऊपर
(घ) नीचे।
उत्तर-
(क) दायें

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 1 टाइपिंग ट्यूटर

4. …………… की, कीअ-बोर्ड के दोनों तरफ होती है।
(क) फंक्श न
(ख) स्पैशल
(ग) ऐरो
(घ) शिफ्ट।
उत्तर-
(घ) शिफ्ट।

सही या ग़लत बताएँ

1. टाइप मास्टर टाइप की गति में सुधार करने में मदद करता है।
उत्तर-
सही

2. टच टाइपिंग में हम कीअ-बोर्ड को बगैर छुए टाइप कर सकते हैं।
उत्तर-
ग़लत

3. न्यूमैरिक पैड कीअ-बोर्ड के दाईं तरफ होता है।
उत्तर-
सही

4. न्यूमैरिक पैड की सहायता से टैक्सट टाइप किया जाता है।
उत्तर-
ग़लत

5. शिफ्ट कीअ सिर्फ एक होती है।
उत्तर-
ग़लत।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कीअ-बोर्ड के प्रयोग के लिए निर्देश लिखें।
उत्तर-

  1. कीज़ को जल्दी-जल्दी न दबाएं।
  2. कीज़ को बराबर तथा सही ढंग से दबाएं।
  3. कीज़ को हल्का दबाने की आदत डालें।
  4. प्रत्येक शब्द टाइप करने के बाद दायें अँगूठे से स्पेस बार दबाएं।
  5. टाइप के दौरान आपकी आँखों, हाथों तथा दिमाग़ का सही तालमेल होना चाहिए।

प्रश्न 2.
टाइप मास्टर क्या है ?
उत्तर-
टाइप मास्टर एक प्रोग्राम है जो हमें सही तथा तीव्र गति से टाइप करना सीखने में मदद करता है। इसकी सहायता से हम बगैर कीअ-बोर्ड देखे टाइप कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
न्यूमैरिक की पैड क्या होता है ?
उत्तर-
यह कीअ बोर्ड के दाईं तरफ न्यूमैरिक कीज़ का ग्रुप होता है। इसका प्रयोग अंक टाइप करने में होता है।

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 1 टाइपिंग ट्यूटर

प्रश्न 4.
शिफ्ट-कीअ की परिभाषा दो।
उत्तर-
शिफ्ट-कीअ वह कीअ है जिसका प्रयोग ऊपर वाले चिन्ह तथा बड़े अक्षर टाइप करने के लिए किया जाता है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा तथा इसके चुंबकीय प्रभाव

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा तथा इसके चुंबकीय प्रभाव

→ विद्युत अवयवों को प्रतीकों द्वारा निरूपित किया जा सकता है जो कि बहुत सुविधाजनक है।

→ सर्कट चित्र (Circuit Diagram) विद्युत सर्कट का चित्रात्मक प्रतिरूप होता है।

→ विद्युत सैल का प्रतीक दो समानांतर रेखाएं हैं। जिनमें एक लंबी और दूसरी छोटी रेखा है।

→ बैटरी दो या दो से अधिक सैंलों का श्रेणी क्रम में संयोजक है।

→ बैटरी का उपयोग टार्च, ट्रांजिस्टर, रेडियो, खिलौने, टी०वी०, रीमोट कंट्रोल आदि में किया जाता है।

→ विद्युत बल्बों में एक पतला तंतु (फिलामैंट) होता है, जो विद्युत धारा के प्रवाह से दीप्त हो जाता है। ऐसा विद्युत धारा के तापीय प्रभाव से होता है।

→ विद्युत तापक (Heater), रूम तापक (हीटर) तथा टैस्टर आदि में विद्युत धारा के तापीय प्रभाव का उपयोग किया जाता है।

→ विशेष पदार्थ की तारें जिनमें से अधिक मात्रा में विद्युत धारा गुज़ारने से वह गर्म होकर पिघल जाती हैं; जिनका प्रयोग फ्यूज़ बनाने के लिए किया जाता है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा तथा इसके चुंबकीय प्रभाव

→ सर्कट में विद्युत फ्यूज़, विद्युत उपकरणों को आग लगने या किसी अन्य नुकसान से बचाने के लिए लगाए जाते हैं।

→ धातु की तार में से विद्युत धारा प्रवाह करने से वह चुंबक जैसा व्यवहार करती है। विद्युत धारा के इस प्रभाव को चुंबकीय प्रभाव कहते हैं।

→ ऐसा पदार्थ जिसमें से विद्युत धारा प्रवाह करने से वह चुंबकीय बन जाता है तथा विद्युत प्रवाह बंद करने पर अपना चुंबकीय गुण खो देता है, को विद्युत चुंबक कहते हैं।

→ लोहे के किसी टुकड़े के इर्द-गिर्द विद्युत रोधी तार लपेट कर उसमें से विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो लोहे का टुकड़ा चुंबकीय व्यवहार करता है। इस प्रकार बनाए गए चुंबक को विद्युत चुंबक कहते हैं। विद्युत चुंबक अस्थायी चुंबक होता है क्योंकि विद्युत धारा बंद करने से यह अपना चुंबकीय गुण खो/गंवा देता है।

→ विद्युत चुंबक का प्रयोग कई यंत्रों में किया जाता है; जैसे विद्युत घंटी, चुंबकीय क्रेन आदि।

→ चालक : वह पदार्थ, जो अपने में से विद्युत धारा को प्रवाहित होने देता है।

→ रोधक : वह पदार्थ जो अपने में से विद्युत धारा को प्रवाहित होने से रोकता है।

→ स्विच : यह एक साधारण युक्ति है जो विद्युत परिपथ में विद्युत धारा प्रवाह को पूर्ण होने या विद्युत धारा के प्रवाह को तोड़ने के लिए प्रयुक्त होती है।

→ सर्कट या परिपथ : विद्युत धारा के बहाव को बैटरी के धन-टर्मिनल से स्विच, बल्ब के रास्ते दूसरे ऋण-टर्मिनल तक पहुँचने का पथ, सर्कट या परिपथ कहलाता है।

→ बल्ब : एक साधारण युक्ति जिसमें विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित/रूपांतरित करती है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा तथा इसके चुंबकीय प्रभाव

→ ऐलीमैंट या तंतु : टंगस्टन धातु का एक बारीक टुकड़ा जो विद्युत धारा के प्रवाह से गर्म होकर प्रकाश उत्सर्जित करता है।

→ बैटरी : यह एक विद्युत रासायनिक सैलो का संयोजन है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

→ विद्युत चुंबक : कुंडली के भीतर एक नरम लोहे का टुकड़ा रखकर कुंडली में से विद्युत धारा प्रवाहित करने से लोहे के टुकड़े में चुंबक के गुण आ जाते हैं। इस युक्ति को विद्युत चुंबक कहते हैं।

→ विद्युत घण्टी : वह यांत्रिक युक्ति जो विद्युत चुंबक के सिद्धांत पर काम करती है तथा विद्युत धारा प्रवाहित करने से बार-बार ध्वनि उत्पन्न करती है।

→ विद्युत क्रेन : ऐसी क्रेन जिसके एक छोर पर बड़ा शक्तिशाली चुंबक जुड़ा हो जिसका इस्तेमाल करके लोहे से बने हुए भारी सामान को उठाकर एक स्थान-से-दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है या फिर कबाड़ में से लोहे को अलग किया जा सकता है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 13 गति तथा समय

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 13 गति तथा समय

→ यदि कोई वस्तु अपने इर्द-गिर्द की वस्तुओं तथा समयानुसार अपनी स्थिति में परिवर्तन नहीं करती तो उस वस्तु को विराम अवस्था में कहा जाता है।

→ यदि कोई वस्तु अपनी स्थिति अपने इर्द-गिर्द की वस्तुओं तथा समयानुसार अपनी स्थिति बदलती है तो वह गति अवस्था में होती है।

→ वस्तु की सीधी रेखा में गति को सरल रेखा गति कहते हैं।

→ किसी वस्तु की चक्कराकार पथ पर हो रही गति को चक्कराकार गति कहते हैं।

→ यदि कोई वस्तु अपनी मध्य स्थिति के इधर-उधर गति करती है, तो उस वस्तु की गति को दोलन गति कहते हैं।

→ यदि कोई वस्तु थोड़ी दूरी को तय करने में बहुत कम समय लगाती है, तो उस वस्तु को गति तेज़ होती है तथा यदि वस्तु उसी दूरी को तय करने में अधिक समय लगाती है तो उसकी गति मंद गति/धीमी गति कहलाती है।

→ इकाई/एकांक समय में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं। इसकी S.I. इकाई मीटर/प्रति सैकण्ड (m/s) है।

→ चाल की गणना निम्नलिखित सूत्र द्वारा की जा सकती है :
PSEB 7th Class Science Notes Chapter 13 गति तथा समय 1

→ एक सीधी रेखा के ऊपर एक गति से चल रही वस्तु की गति को एक समान गति कहते हैं, जबकि एक सीधी रेखा के ऊपर भिन्न-भिन्न गति से चल रही वस्तु की गति को असमान गति/चाल कहते हैं।

→ घड़ी, घंटों वाली सूई की गति, धरती की सूरज के इर्द-गिर्द गति तथा साधारण पेंडुलम की गति एक समान गति है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 13 गति तथा समय

→ समय की S.I. इकाई सैकण्ड है। एक धागे से बांधकर किसी स्थिर जगह या स्टैंड से लटकाए गए भारी पुंज (धातु गोले) को साधारण पेंडुलम कहते हैं।

→ साधारण पेंडुलम की इधर-उधर की गति को आवर्ती या दोलन गति कहते हैं।

→ पेंडुलम के एक दोलन गति को पूरा करने के लिए लगे समय को आवर्त काल कहते हैं।

→ एक सैंकण्ड में पूरी की दोलन संख्या को आवर्ती कहते हैं। आवर्ती की S.I. इकाई हरटज़ है।

→ वाहनों की चाल मापने वाले यंत्र को स्पीडोमीटर कहते हैं।

→ स्पीडोमीटर वाहनों की चाल को किलोमीटर/घण्टा में मापता है।

→ वाहनों द्वारा तय की गयी दूरी मापने के लिए प्रयोग किये जाने वाले यंत्र को ओडोमीटर कहते हैं।

→ ग्राफ एक मात्रा की दूसरी मात्रा से तुलना को चित्र रूप में दर्शाता है।

→ सामान्य रूप से तीन प्रकार के ग्राफ प्रचलित हैं :

  1. रेखीय ग्राफ,
  2. छड़ ग्राफ,
  3. पाई चार्ट ग्राफ।

→ दूरी समय ग्राफ एक रेखा ग्राफ है। यह वस्तु द्वारा तय की गयी दूरी तथा समय के बीच ग्राफ को दर्शाता है। जो मात्रा स्वतन्त्र होती है उसको क्षितिज अक्ष (x-axis) तथा दूसरी मात्रा जो निर्भर होती है को उर्ध्वाकार अक्ष (y-axis) पर लिया जाता है।

→ समान समय अंतराल में समान दूरी तय करने वाली वस्तु की गति कहलाती है।

→ जब कोई वस्तु समान समय अंतरालों में असमान दूरी तय करे या असमान समय अंतरालों में समान दूरी तय करे, तो उसकी गति को असमान गति कहते हैं।

→ जब कोई वस्तु विराम अवस्था में है, तो उसकी दूरी-समय ग्राफ X-अक्ष के समानांतर एक सीधी रेखा है।

→ ग्राफ : वह दो राशियाँ जो आपस में एक-दूसरे पर निर्भर करती हैं तथा इनका चित्र द्वारा निरूपण ग्राफ कहलाता है।

→ चाल : इकाई समय अंतराल में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी चाल कहलाती है।

→ समान चाल : जब कोई वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है तो उस वस्तु की चाल होती है।

→ असमान चाल : समान समय अंतराल में एक समान दूरी न तय करने पर वस्तु की चाल असमान चाल कहलाती है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 13 गति तथा समय

→ सरल पेंडुलम : धातु या पत्थर के छोटे से टुकड़े को किसी दृढ़ (मज़बूत) बिंदू पर धागे की सहायता से लटकाने पर सरल पेंडुलम प्राप्त होता है।

→ दोलन : एक स्वतन्त्रतापूर्वक लटक रही वस्तु जब अपनी मध्य स्थिति से एक तरफ चर्म सीमा तक जाए और फिर दूसरे तरफ की चर्म सीमा तक जाए और आखिर में अपनी पूर्व स्थिति अर्थात् मध्य स्थिति पर पहुँच जाए जो वह वस्तु एक दोलन पूरा कर लेती है।

→ आवर्तन काल : सरल पेंडुलम द्वारा एक दोलन पूरा करने में लगा समय आवर्तनकाल कहलाता है।

→ एक समान गति : जब कोई वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है भले ही समय अंतराल कितना ही छोटा क्यों न हो तो उस समय वस्तु की गति एक समान गति कहलाती है।

→ असमान गति : जब कोई वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी न तय करे भले ही समय अंतराल कितना भी छोटा क्यों न हो तो उस वस्तु की गति असमान गति कहलाती है। अध्याय के अन्तर्गत आने वाले प्रश्न-उत्तर

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 12 पौधों में प्रजनन

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 12 पौधों में प्रजनन

→ पौधों में दो प्रकार का प्रजनन होता है-

  1. अलैंगिक प्रजनन,
  2. लैंगिक प्रजनन।

→ अलैंगिक प्रजनन, प्रजनन की ऐसी विधि है, जिसके द्वारा केवल एक ही जनक से नए पौधे पैदा होते हैं।

→ दो-खंडन विधि, कलियों द्वारा, विखंडन, बीजाणु द्वारा, पुनर्जनन, अलैंगिक प्रजनन की भिन्न-भिन्न विधियाँ हैं।

→ दो-खंडन प्रजनन विधि में जीव दो बराबर हिस्सों में बाँटा जाता है। दोनों हिस्से विकसित होकर दो नए जीव बन जाते हैं।

→ लैंगिक प्रजनन के दौरान पौधों के नर जनन तथा मादा जनन अंग नर युग्मक तथा मादा युग्मक पैदा करते हैं जो मिलकर युग्मज़ बनाते हैं। युग्मज़ नए पौधों में विकसित होता है।

→ लैंगिक प्रजनन केवल फूलदार पौधों में होता है।

→ कायिक प्रजनन एक ऐसी विधि है जिसमें जड़, तने या पत्ते जैसे अंगों द्वारा नए पौधे पैदा होते हैं। प्रजनन की इस विधि में न जनन अंग भाग लेते हैं तथा न ही बीज भाग लेते हैं।

→ पौधों में प्रजनन के कई बनावटी ढंग भी हैं। यह हैं कलमें लगाना, प्योंद चढ़ाना तथा ज़मीन के नीचे दाब लगाना।

→ पके हुए परागकणों का परागकोष से परागकण-ग्राही (वर्तिकाग्र) तक स्थानांतरण परागण क्रिया कहलाता है। यह उसी फूल पर या दूसरे फूल के स्त्री केसर की परागकण-ग्राही तक पहुँचते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 12 पौधों में प्रजनन

→ काई जैसे फूल रहित पौधे विखंडन द्वारा प्रजनन करते हैं; खमीर कलियों द्वारा, जब कि फफूंदी तथा मौस बीजाणुओं द्वारा प्रजनन करते हैं।

→ नर युग्मक तथा मादा युग्मक के अंडाणु में सुमेल (Fusion) को निषेचन क्रिया कहते हैं।

→ अंडाणुओं के निषेचन के बाद अंडाशय फल में तथा अंडाणु बीज रूप में विकसित हो जाते हैं।

→ बीजों को जनक पौधों से दूर पहुँचाने के लिए बीजों को बिखेरना आवश्यक होता है, ताकि बीज नये पौधे के रूप में विकसित हो सके।

→ प्रजनन : सजीवों के अपने जैसे नये जीव उत्पन्न करने की योग्यता को प्रजनन कहते हैं।

→ अलैंगिक प्रजनन : ऐसी विधि जिसमें नये पौधे उगाने के लिए बीजों की आवश्यकता नहीं होती। एक ही जनक से नया पौधा तैयार हो जाता है।

→ लैंगिक प्रजनन : नर तथा मादा के युग्मकों के संयोग से नया जीव पैदा करने को लैंगिक प्रजनन कहते हैं।

→ कायिक प्रजनन : जब पौधो के किसी भी अंग से नया पौधा तैयार हो, तो उसे कायिक प्रजनन कहते हैं।

→ विखंडन : प्राणियों के शरीर का दो या दो से अधिक भागों में बँटकर नये जीव का बनना विखंडन कहलाता है।

→ एकलिंगी पुष्प : वे फूल जिनमें केवल पुंकेसर या केवल स्त्री केसर मौजूद हों, को एकलिंगी पुष्प कहते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 12 पौधों में प्रजनन

→ द्विलिंगी पुष्प : वे फूल जिसमें पुंकेसर और स्त्री केसर दोनों मौजूद हो, उसे द्विलिंगी पुष्प कहते हैं।

→ निषेचन : नर युग्मक तथा मादा युग्मक के सुमेल को निषेचन क्रिया कहते हैं।

→ परागण : पके हुए परागकणों का परागकोष से परागकण–ग्राही या वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण परागण कहलाता है।

→ स्वःपरागण : दो लैंगिक पुष्यों में परागकण, परागकोष में से जब उसी पुष्प के स्त्री केसर की परागकण ग्राही तक जाते हैं तो इस क्रिया को स्वः परागकण कहते हैं।

→ पर-परागण : पर-परागण क्रिया में परागकण एक पुष्प के पुंकेसर से किसी और फूल की परागकण-ग्राही (स्त्री केसर) तक जाते हैं। पर-परागकण क्रिया एक ही पौधे के दो पुष्पों या उसी प्रजाति के दो पौधों के पुष्पों के बीच होती है।

→ बीजों का उगना (बीजों का अंकुरन) : शुष्क मिट्टी पर पहुँच कर बीज पानी अवशोषित कर फूल जाते हैं। भ्रूण अंकुरित होना शुरू करता है, जड़ अंकुर मिट्टी में धंस जाता तथा तना अंकुर ऊपर हवा की ओर निकल आता है। पत्ते निकल आते हैं। इस प्रक्रिया को बीजों का अंकुरन कहते हैं।