PSEB 7th Class Hindi Vyakaran समास

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Samas समास Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar समास

प्रश्न 1.
समास किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर:
परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को समास कहा जाता है। जैसे-माता-पिता (माता और पिता)।

विग्रह :
समास के नियम हटाकर पूर्वपद तथा उत्तरपद को पुनः अलग-अलग करने और विभक्तियाँ आदि फिर से जोड़ने की क्रिया को विग्रह कहते हैं; जैसे-‘माता-पिता’ समस्तपद का विग्रह होगा-माता और पिता।

समास के भेद-
समस्त शब्दों में कभी दोनों पद (पूर्वपद तथा उत्तरपद) प्रधान होते हैं, कभी पूर्वपद प्रधान होते हैं, कभी उत्तरपद और कभी दोनों को ही छोड़कर कोई अन्य होता है। समास के निम्नलिखित चार भेद हैं
1. तत्पुरुष समास
2. बहुब्रीहि समास
3. द्वंद्व समास
4. अव्ययीभाव समास

1. तत्पुरुष समास :
जिस समास में सम्मिलित शब्दों में अर्थ की दृष्टि से पूर्वपद गौण और उत्तरपद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में दोनों के मध्य आने वाले परसर्गों का लोप हो जाता है।

कर्म : स्वर्ग को प्राप्त-स्वर्गप्राप्त। यश को प्राप्त-यशप्राप्त। परलोक को गमनपरलोकगमन । ग्राम को गत (गया)-ग्रामगत। गिरह को काटने वाला-गिरहकट। देश को गत-देशगत। ग्रन्थ को करने वाला-ग्रन्थकार।

करण :
तुलसी द्वारा कृत-तुलसीकृत। रचना को करने वाला-रचनाकार। दुर्दशा से ग्रस्त-दुर्दशाग्रस्त। हस्त से लिखित-हस्तलिखित। भाग्य द्वारा कृत-भाग्यकृत। मन से माना-मनमाना। प्रेम से आतुर-प्रेमातुर। दया से आर्द्र-दयार्द्र । रेखा से अंकित-रेखांकित। अकाल से पीड़ित-अकालपीड़ित। मन से गढ़ा-मनगढंत। मन से चाहा-मनचाहा। मद से माता-मदमाता।

सम्प्रदान :
रसोई के लिए घर-रसोईघर। मार्ग के लिए व्यय-मार्गव्यय। पाठ के लिए शाला-पाठशाला। यज्ञ के लिए शाला-यज्ञशाला। देश के लिए अर्पण-देशार्पण। देश के लिए भक्ति-देशभक्ति । गुरु के लिए दक्षिणा-गुरुदक्षिणा। युद्ध के लिए भूमियुद्धभूमि। डाक के लिए गाड़ी-डाकगाड़ी। राह के लिए खर्च-राहखर्च। सत्य के लिए आग्रह-सत्याग्रह।

अपादान :
ऋण से मुक्त-ऋणमुक्त। पद से च्युत-पदच्युत। भय से भीत-भयभीत। धन से हीन-धनहीन। पथ से भ्रष्ट-पथभ्रष्ट। देश से निकाला-देशनिकाला। देश से निर्वासित-देशनिर्वासित।

सम्बन्ध :
गंगा का जल-गंगाजल। देव का स्थान–देवस्थान। देश का वासीदेशवासी। गंगा का जल-गंगाजल । घोड़ों की दौड़-घुड़दौड़। राजा का कुमार-राजकुमार। पवन का पुत्र-पवनपुत्र। राज्य का दूत-राजदूत। बैलों की गाड़ी-बैलगाड़ी। सेना का पति-सेनापति। उद्योग का पति-उद्योगपति। देवों का आलय-देवालय।

अधिकरण :
गृह में प्रवेश-गृहप्रवेश। शरण में आगत-शरणागत। शोक में मग्नशोकमग्न। सिर में दर्द-सिरदर्द। हर फन में मौला-हरफनमौला। शरम में आगत शरणागत। दान में वीर-दानवीर। घोड़े पर सवार-घुड़सवार। आप पर बीती-आपबीती। वन में वास-बनवास।

(i) कर्मधारय तत्पुरुष का भेद है। इसमें भी उत्तरपद प्रधान होता है। जब पर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा उपमेय हो तब कर्मधारय समास होता है; जैसे-

विशेषण-विशेष्य : नीली है जो गाय-नीलगाय। महान् है जो देव-महादेव। पीत है जो अम्बर– पीताम्बर। लाल है जो टोपी-लालटोपी।

उपमान-उपमेय : कमल के समान नयन-कमलनयन। चन्द्र के समान मुख-चन्द्रमुख। घन के समान श्याम-घनश्याम।

उपमेय-उपमानमुख : रूपी चन्द्र-मुखचन्द्र। विद्या रूपी धन-विद्याधन।

(ii) द्विगु समास, कर्मधारय का भेद है।
इस समास में पूर्वपद संख्यावाचक होता है। विशेष्य-विशेषण भाव के अतिरिक्त यह समास समूहवाची भी होता है; जैसे
नव (नौ) रत्नों का समूह-नवरत्न। चार मासों का समूह-चौमासा। सात सौ (दोहों) का समूह-सतसई। शत अब्दों (वर्षों) का समूह-शताब्दी। चार राहों का समूह-चौराहा। पाँच वटों का समूह-पंचवटी।

(iii) नञ् समास भी तत्पुरुष का ही भेद है। जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो, उसे नञ् समास कहते हैं; जैसे
न सत्य-असत्य। नस्थिर-अस्थिर। न आस्तिक-नास्तिक। न हिंसा-अहिंसा। न वैरअवैर। न देखी-अनदेखी। न होनी-अनहोनी।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran समास

2. बहुब्रीहि समास :

जिस समास के समस्तपदों में कोई भी प्रधान न होकर कोई अन्य (बाहर का) पद प्रधान हो, उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। बहुब्रीहि समास द्वारा रचित शब्द विशेषण का कार्य करता है; जैसे-
पीत (पीले) हैं अम्बर (वस्त्र) जिसके-पीतांबर। नीला है कंठ जिसका-नीलकंठ। उदार है हृदय जिसका-उदारहृदय। दस आनन (मुख) हैं जिसके-दशानन (रावण)। चन्द्र है शिखर (माथे) पर जिसके-चन्द्रशेखर (शिव)। विष को धारण करने वालाविषधर (सर्प) । घन (बादल) के समान श्याम-घनश्याम (कृष्ण)। चार हैं आनन (मुख) जिसके-चतुरानन (ब्रह्मा) । कुसुमों का आकर (खज़ाना) जो-कुसुमाकर (बसंत)। नाक कटी है जिसकी-नकटा। महान् है आत्मा जिसकी-महात्मा। बारह हैं सींग जिसकेबारहसिंगा।

3. द्वंद्व समास :
जिस समास में दोनों खंड समान हों, कोई प्रधान-गौण न हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। इनको मिलाने वाले समुच्चयबोधक अव्यय का लोप हो जाता है; जैसे

सुख और दुःख-सुख-दुःख। माता और पिता-माता-पिता। नर और नारी-नरनारी। पाप और पुण्य-पाप-पुण्य। राम और लक्ष्मण-राम-लक्ष्मण। सीता और रामसीता-राम । दाल और रोटी-दाल-रोटी। दाल और भात-दाल-भात । वेद और पुराणवेद-पुराण। जन्म और मरण-जन्म-मरण। खरा और खोटा-खरा-खोटा। अन्न और जल-अन्न-जल। हाथ और पाँव-हाथ-पाँव। राधा और श्याम-राधेश्याम। राजा और प्रजा-राजा-प्रजा। गुरु और शिष्य-गुरु-शिष्य।

4. अव्ययीभाव समास :

जब समास में सम्मिलित पूर्वपद अव्यय हो तथा उसके योग से पूर्ण समस्तपद अव्यय बन जाए तो अव्ययीभाव समास होता है; जैसे-
स्थान के अनुसार-यथास्थान। दिन-दिन-प्रतिदिन। एक एक-प्रत्येक। जैसे संभव हो-यथासंभव। शक्ति के अनुसार-यथाशक्ति। रूप के योग-अनुरूप। मरने तक – आमरण। वर्ष वर्ष-प्रतिवर्ष। जन्म से लेकर-आजन्म। हाथ ही हाथ में-हाथोंहाथ। जीवन भर-आजीवन । आँखों के सामने प्रत्यक्ष। पेट भर कर-भरपेट। आदर के सहितसादर। डर से रहित-निडर। खटके के बिना-बेखटके। समुद्र पर्यंत-आसमुद्र।

 

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran सन्धि

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Sandhi सन्धि Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar सन्धि

प्रश्न 1.
सन्धि किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
दो वर्गों के मेल को सन्धि’ कहते हैं। सन्धि संस्कृत का शब्द है। दो शब्द जब पास-पास होते हैं तब उच्चारण की सुविधा के लिए पहले शब्द के अन्तिम और दूसरे शब्द के आरम्भिक अक्षर आपस में एक-दूसरे से मिल जाते हैं। सन्धि में जब दो अक्षर मिलते हैं तब शब्दों में भी विकार उत्पन्न हो जाता है।
सन्धि के तीन भेद हैं-
(क) स्वर सन्धि
(ख) व्यंजन सन्धि
(ग) विसर्ग सन्धि।
स्वर सन्धि स्वर वर्णों के साथ स्वर वर्णों के मेल को स्वर-सन्धि कहते हैं। इनके पाँच भेद हैं
PSEB 7th Class Hindi Vyakaran सन्धि 1

स्वर सन्धि : (अक: सवर्ण दीर्घः) :
दो समान स्वर वर्ण, परस्पर मिलकर दीर्घ हो जाते हैं। यदि ह्रस्व या दीर्घ, अ, इ, उ, ऋ वर्ण के पश्चात् ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ या ऋ आवें तो इन दोनों वर्गों के स्थान पर उन्हीं का दीर्घ वर्ण अर्थात् आ, ई, या ऋ हो जाता है।
उदाहरण-
(क) अ + अ = आ = परम + अर्थ = परमार्थ ।
अ + आ = आ = भोजन + आलय = भोजनालय।
आ + अ = आ = विद्या + अर्थी – विद्यार्थी ।
आ + आ = आ = महा + आशय = महाशय।

(ख) इ + इ = ई = गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र।
इ + ई = ई = वारि + ईश = वारीश।
ई + इ = ई = मही + इन्द्र = महीन्द्र।
उ + उ = ऊ = भानु + उदय =भानूदय।
उ + ऊ = ऊ = लघु + ऊर्मि = लघूर्मि।
ऊ + उ = ऊ = वधू + उत्सव = वधूत्सव।
ऊ + ऊ = ऊ = भू + उर्ध्व = भूल।

गुण स्वर-सन्धि :
(क) यदि अ अथवा आ के पश्चात् इ अथवा ई आती है तो दोनों के स्थान पर ‘ए’ हो जाता है; जैसे
अ + इ = ए = नर + इन्द्र =नरेन्द्र।।
अ + ई = ए = परम + ईश्वर =परमेश्वर।
आ + इ = ए = महा + इन्द्र = महेन्द्र।
आ + इ = ए = महा + ईश = महेश।

(ख) अब अ या आ के बाद उ या ऊ आते हैं तो दोनों के स्थान में ‘ओ’ हो जाता है; जैसे
अ + उ = ओ = हित + उपदेश = हितोपदेश।
अ + ऊ = ओ = जल + ऊर्मि = जलोर्मि।
आ + उ = ओ = गंगा — उदक = गंगोदक।
आ + ऊ = ओ = गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि।

(ग) यदि अ अथवा आ के परे ऋ हो तो दोनों मिलकर ‘अर्’ हो जाते हैं; जैसे
अ + ऋ = अर् = देव + ऋषि = देवर्षि
आ + ऋ = अर् = महा + ऋषि = महर्षि

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran सन्धि

वृद्धि स्वर-सन्धि :

(क) यदि अ अथवा आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों मिलकर ‘ऐ’ हो जाते हैं; जैसे
अ + ए = ऐ = एक + एक = एकैक।
अ + ऐ = ऐ = मत + ऐक्य = मतैक्य।
आ + ए = ऐ = सदा + एव = सदैव।
ऐ = ऐ = महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य।

(ख) यदि अ अथवा आ के बाद ओ या औ आए तो दोनों मिलकर ‘औ’ हो जाते हैं;
जैसे
अ + ओ = औ = जल + ओध = जलौध।
अ + औ = औ = परम + औषधि = परमौषधि।
आ + ओ = औ = महा + ओजस्वी = महौजस्वी।
आ + औ = औ = महा + औदार्य = महौदार्य।

यण स्वर-सन्धि :
(क) इ अथवा ई के बाद यदि इ या ई को छोड़कर कोई दूसरा स्वर हो तो इ या ई के स्थान पर ‘य्’ हो जाता है; जैसे
इ + अ = य = यदि + अपि = यद्यपि।
इ + आ = या = इति + आदि = इत्यादि।
इ + उ = य = अति + उत्तम = अत्युत्तम।
इ + ए = ये = प्रति + एक = प्रत्येक।

(ख) उ या ऊ के पश्चात् उ या ऊ को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आये तो उ या ऊ के स्थान पर ‘व्’ हो जाया करता है; जैसे
उ + अ = व = अनु + अय = अन्वय
उ + आ = वा = सु + आगतम् = स्वागतम्।
उ + ए = वे = अनु + एषण = अन्वेषण।

(ग) ऋ या ऋ के पश्चात् कोई असवर्ण स्वर (ऋया ऋ) को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आये तो ऋ अथवा ऋ के स्थान पर ‘र’ हो जाता है; जैसे
ऋ + अ = र = पितृ + अनुमति = पित्रनुमति ।
ऋ + आ = रा = पित + आज्ञा = पित्राज्ञा।
ऋ + इ = रि = पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा।
ऋ + उ = रु = पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran सन्धि

अयादि स्वर-सन्धि :

(क) ए अथवा ऐ के पश्चात् जब कोई स्वर हो तो ए के स्थान पर ‘अय्’ और ऐ के स्थान पर ‘आय’ हो जाता है; जैसे
ए + अ = अय् = ने + अन = नयन।।
ऐ + अ = आय = नै + अक = नायक।
ऐ + ई = आयि = नै + इका = नायिका।

(ख) ओ अथवा औ के पश्चात् जब कोई स्वर हो तो ओ के स्थान पर ‘अव्’ और औ के स्थान पर ‘आव्’ हो जाता है; जैसे
ओ + अ = अव् = पो + अन = पवन।
औ + अ = आव् = पौ + अक = पावक।

व्यंजन सन्धि :

(क) त् या द् के परे च या छ हो अथवा ज या झ हो तो त् या द् के स्थान में क्रम से च् और ज् हो जाते हैं; जैसे-
उत् + चारण = उच्चारण।
शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र।
विपद् + जाल = विपज्जाल।
सत् + जन = सज्जन ।

(ख) यदि पद के अन्त में त् या द् और इनके परे श वर्णन हो तो त् या द् के स्थान में ‘च’ हो जाता है और श बदलकर ‘छ’ हो जाता है; जैसे-
सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र।
उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट।
तद् + शरीर = तच्छरीर।

(ग) यदि पद के अन्त में त् या द् हो और इनके परे ह हो तो त् या द् के स्थान पर ‘द’ और ह के स्थान में ‘ध्’ हो जाता है। जैसे-
उत् + हत = उद्धत।
तत् + हित = तद्धित।

(घ) पदान्त त् के बाद यदि कोई स्वर आये अथवा ग, घ, द, ध, व, भ, य,र व इनमें कोई वर्ण हो, तो त् बदलकर ‘द्’ हो जाता है; जैसे-
जगत् + ईश = जगदीश।
महत् + ऐश्वर्य = महदैश्वर्य।
जगत् + इन्द्र = जगदिन्द्र।
महत् + औषध = महदौषध।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran सन्धि

विसर्ग-सन्धि :

(क) यदि विसर्ग के परे च या छ हो, तो विसर्ग का श् हो जाता है। जैसे
निः + चल = निश्चल।
निः + छल = निश्छल।

(ख) यदि विसर्ग के बाद ट या ठ आवे,तो विसर्ग का ष् हो जाता है। जैसे
धनुः + टकार = धनुष्टंकार।
स्थिरः + ठक्कुर = स्थिरष्ठक्कुर।

(ग) यदि विसर्ग के पहले अ हो और आगे किसी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ अथवा पंचम वर्ण अथवा य, र, ल,व, ह इनमें से कोई वर्ण हो तो विसर्ग और पूर्ववर्ती अ दोनों मिलकर ओ हो जाते हैं; जैसे
मनः + योग = मनोयोग।
तेजः + राशि = तेजोराशि।
मनः + रथ = मनोरथ।
मनः + हर = मनोहर।
मनः + विकार = मनोविकार।

(घ) यदि विसर्ग के पहले अ, आ को छोड़कर कोई दूसरा स्वर हो और आगे किसी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ या पंचम वर्ण य, र, ल, व, ह या अन्य कोई स्वर हो, तो विसर्ग के स्थान में र हो जाता है; जैसे-
निः + धन = निर्धन।
निः + गुण = निर्गुण।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग और प्रत्यय

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Upasarg aur Pratyay उपसर्ग और प्रत्यय Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar उपसर्ग और प्रत्यय

प्रश्न 1.
उपसर्ग किसे कहते हैं ? इसके कितने प्रकार हैं ?
उत्तर:
जो शब्दांश किसी शब्द के आरम्भ में जुड़ कर उसके अर्थ को बदल देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहा जाता है; जैसे-प्र + हार = प्रहार (हार = माला या हार जाना) प्रहार का अर्थ हमला या प्रहार करना।

संस्कृत के उपसर्गों का प्रयोग तत्सम शब्दों के साथ होता है। जैसे-

उपसर्ग अर्थ उदाहरण
अति अधिक अतिप्रिय, अतिरिक्त, अत्यन्त
अधि विशेष, प्रधान अधिकार, अध्यक्ष, अधिपति
अनु पीछे अनुशासन, अनुचर, अनुमान, अनुरूप
अप बुरा अपकर्ष, अपकार, अपमान, अपयश
अभि सामने अभिसार, अभिमुख, अभिमान, अभ्यास
अव नीचे, हीन अवनति, अवतार, अवगुण
तक, चारों ओर आमरण, आजीवन, आगमन, आकार
उत् ऊपर, ऊँचा उद्गार, उत्कर्ष, उत्थान, उत्तीर्ण
उप सहायक, पास उपकार, उपमंत्री, उपस्थित, उपदेश
दुः, दुर् बुरा, कठिन दुश्चरित्र, दुष्कर, दुष्कर्म, दुश्शासन, दुराचार, दुर्जन, दुर्दशा
नि विशेष निरत, नियम, निवारण, निकाम
निः, निर् बिना, बाहर निस्तेज, निश्चज, निष्काम, निर्गुण, निर्धन, निगमन
परा परे, उलटा परामर्श, पराजय, पराभव, पराक्रम
परि चारों ओर परिक्रमा, परिश्रम, परिचय, परिवर्तन
प्र विशेष, आगे प्रकाश, प्रगति, प्रसिद्ध, प्रचार, प्रदेश, प्रबल
प्रति उलटा, विपरीत प्रत्युत्तर, प्रतिकूल, प्रतिकार, प्रतिशोध
वि विशेष, भिन्न विकास, विज्ञान, विशेष, विदेश, विमान
सम् अच्छी तरह सम्पूर्ण, संगीत, संतोष, संसार
सु अच्छा सुमति, सुधार, स्वागत, सूक्ति, सुगति
नहीं अजर, अज्ञान, अमर, अधर्म, असुर
अधः नीचे अधोमुख, अध:पतन, अधोलिखित
कु बुरा कुमार्ग, कुपुत्र, कुकर्म, कुरूप, कुमति
पर पराया परदेश, पराधीन, परधन
बहु बहुत बहुमूल्य, बहुवचन, बहुमुखी
सह साथ सहकारी, सहपाठी, सहयोग, सहशिक्षा
साथ ससाथ, सरस, सपरिवार, सफल, सगोत्र

कुछ अन्य प्रसिद्ध उपसर्ग-

अन नहीं अनपढ़, अनजान, अनबन, अनहोनी
बै बिना बेईमान, बेचारा, बेकार, बेअसर
भर भरभरा भरपेट, भरपूर, भरमार, भरसक

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग और प्रत्यय

प्रश्न 2.
प्रत्यय किसे कहते हैं और इसके कितने भेद हैं ?
उत्तर:
जो धातु या शब्द के अन्त में जुड़ कर उसके रूप को बदल देते हैं, उन्हें प्रत्यय कहा जाता है।

प्रत्यय शब्द
-अन गमन, चलन, दर्शन
-अना घटना, सूचना, भावना
-ति गति, स्तुति, यति, मति
-या क्रिया, विद्या, माया
-ता सुन्दरता, मधुरता, दासता, साधुता, मानवता
– त्व गुरुत्व, महत्त्व (महत् + त्व), बन्धुत्व, कवित्व, नारीत्व
-अक कारक, पाठक, लेखक
-इक धार्मिक, दैनिक, ऐतिहासिक, मार्मिक, हार्दिक, दार्शनिक
-मान् बुद्धिमान् श्रीमान्, कीर्तिमान्
-वान् बलवान् , रथवान्, धनवान्, दयावान्
-आई चढ़ाई, लड़ाई, खुदाई, पढ़ाई, लिखाई, अच्छाई
-पन बचपन, लड़कपन, पागलपन, भोलापन, सस्तापन
-त रंगत, बचत, हालत, संगत
-हार पालनहार, सिरजनहार, होनहार, राखनहार, देवनहार
-आव पड़ाव, छिड़काव, घेराव
-आवट थकावट, सजावट, रुकावट, लिखावट
-खाना डाकखाना, कैदखाना, छापाखाना, जेलखाना, दवाखाना।

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Note-Making & Messages Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Note-making

का अर्थ है किसी पैरे की मुख्य बातों को संक्षिप्त और साफ-सुथरे ढंग से प्रस्तुत करना। अच्छे Notes में निम्नलिखित विशेषताएं होती है –
1. वे संक्षिप्त होते हैं।

2. केवल प्रासंगिक बातें ही उनमें दी जाती हैं।

3. केवल शब्दों या वाक्यांशों का प्रयोग ही किया जाता है। पूरे वाक्यों की आमतौर पर आवश्यकता नहीं होती। अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि Notes बनाते समय प्रयुक्त भाषा व्याकरण की दृष्टि से पूरी तरह सही नहीं भी हो सकती।

4. सूचना को सूचीबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। इसे विभाजित व उपविभाजित किया जाता है। विभाजन निम्न प्रकार से हो सकता है –
मुख्य खण्ड : 1, 2, 3, इत्यादि।
उपखण्ड : a, b, c, इत्यादि।

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Passage 1:

If the young students in schools and colleges do not learn discipline, they will never be able to extract’ obedience from others in society. In fact, society will never accept them as persons fit for any responsible position in life. A school or college without discipline can never impart? suitable education to students.

Such a school or college is no better than a factory that turns out imperfect’ men and women. Sense of discipline plays a very important part in the playground and the battlefield. A disciplined team is likely to win the match in spite of its weakness but a very good team may not fare well for want of discipline. The rule of discipline equally applies to soldiers in the battlefield.

Read the above passage carefully and make notes on it in points only, using headings and sub-headings.
Answer:
1. Need for discipline in schools and colleges for good education.
2. Indisciplined students fail’ to win any respect or position later on in their life.
3. Importance of discipline, for players on the playground
4. Importance of discipline, for soldiers in the battlefield.

Passage 2

Early rising leads to health and happiness. The man who rises late, can have little rest in the course of the day. Anyone who lies in bed late is compelled to work till a late hour in the evening. He has to go without the morning exercise which is so necessary for his health. In spite of all efforts’, his work will not produce as good results as that of the early riser. The reason for this is that he cannot take advantage of the refreshing hours in the morning.

Some people say that the quiet hour of midnight is the best time for working. Several great thinkers say that they can write best only when they burn the midnight oil. Yet it is true to say that few men have a clear brain at midnight when the body needs rest and sleep. Those who work at that time soon ruin their health. Bad health must, in the long run, have a bad effect on the quality of their work.

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Read the above passage carefully and make notes on it in points only, using headings and sub-headings.
Answer:
1. Advantages of early rising :
(i) health
(ii) Disadvantages

2. Disadvantages of late rising
(i) work till late in the evening
(ii) go without morning exercise
(iii) work not done properly.

(3) (i) Burning midnight oil bad for health.
(ii) Bad health, poor quality of our work.

Passage 3

Games, though essential, should not become the be-all and end-all of student life. Generally, the sportsmen waste too much time on them, and fail in their examinations. One must never devote more than an hour to sports and after that, one should not even think about them. Again, if a player plays a game rashly’, there is every danger of breaking bones.

If it is played without the spirit of sportsmanship, it can lead to bad blood and quarrels. In some of the colleges, there is a tradition that if the visiting team is winning a match, the home team plays foul, picks a quarrel and breaks the bones of the visitors. But in spite of these minor defects, sports are very useful in keeping the students busy and in developing their personalities.

India expects its citizens to have the qualities of true sportsmen. If we all acquire these qualities, there will be no narrow-mindedness, no corruption, and no injustice. There will be independence in the real sense of the word.

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Read the given passage carefully and make notes on it in points only, using headings and sub-headings.

1. Sports essential for students, but not the be-all and end-all.
2. Wasting too much time → failure in examinations.
3. Playing rashly → breaking of bones.
4. Lack of sportsmanship → quarrels between teams.
5. True sportsmanship can end narrow – mindedness, corruption and injustice.

Passage 4

Of all amusements which can possibly be imagined for a hard-working man after his daily toil, there is nothing like reading an entertaining book. It calls for no bodily exertion of which he has had enough. It relieves his home of its dullness. It transports him to a livelier and more interesting scene, and while he enjoys himself there, he may forget the evils of the present moment.

It accompanies him to his next day’s work and if the book he has been reading be anything above the very idlest and the dullest, it gives him something to think about besides the drudgery of his everyday occupation. If I were to pray for a taste which should stand me in good stead under every variety of circumstances and be. a source of happiness and cheerfulness through life, it would be a taste for reading.

Give a man this taste,.and the means of gratifying it, and you can hardly fail to make him happy unless indeed you put into his hand a most perverse selection of books.

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Read the above passage carefully and make notes on it in points only, using headings and sub-headings.
Answer:
1. Reading of an interesting book a good diversion after the day’s hard work.
2. (i) Removes dullness of home,
(ii) Transports one into a livelier world.
3. (i) A good book food for thought.
(ii) Stands in good srcad under every circumstance.
4. Taste for reading, a source of great happiness.

Passage -5

English is important not because a number of people know it in India, although it is a factor to be remembered. It is not important because it is the language of Milton and Shakespeare, although that has to be considered. English is important because it is the major window for us on the modern world. And we dare not close that window. If we close it, we imperil our future. We think of Industrialisation, scientific development, research and technology.

But every door of modern knowledge will be closed if we do not have one or more foreign languages. We need not have English : we can have Russian, French or German, if you like, but obviously it is infinitely simpler for us to deal with a language which we know than to shift over to Russian, French or German which will be a tremendous job.
Certainly, we want to learn foreign languages, because we deal with the people of those languages in business, trade and science. So in the present stage of our development, we cannot go ahead without English and other foreign languages.

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Read the above passage carefully and make notes on it in points only, using headings and sub-headings.
Answer:
1. Mistakes do little harm

  • when admitted.
  • set tight before they a do any carnage

2. Delay in admitting mistakes

  • harmful for the task in hand.
  • harmful for the reputation.

3. Person who admits his mistakes

  • is liked by everybody
  • wins the confidence and respect of others.

4. Person who hides his mistakes

  • is considered a fool.
  • nobody likes him

Passage – 7

Teachers have a great responsibility at this time when our society is undergoing transformation. The future of the teaching profession in India will depend on the decision which the teachers take on vital questions relating to social change. In normal times, when society is comparatively more stable, the teachers’ primary task is transmitting culture. But in a period of transition, like the one through which we are passing, they have sometimes to set aside the culture in which they live, make a proper appraisal9 of it, pick out its salient features and reinterpret them for the new generation. The oncoming generations can rise to a high level of wisdom and cultivation only when teachers guide them carefully during this period of change.

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Read the given passage carefully and make notes on it in points only, using headings and sub-headings.
Answer:
A. Teachers’ role in normal times :

  • transmitting culture.

B. Modern rimes :

  • not normal
  • a period of transition.

C. teacher roles:

  • proper appraisal of old culture
  • pick out its salient features
  •  re-interpreting them for future generations.

Passage – 8
Each one of us must realize that the only future for India and her people is one of tolerance and co-operation, which have been the basis of our culture for ages past. We have laid down in our constitution that Indians a Secular State. This does not mean irreligion. It means equal respect for all faiths and equal opportunities for those who profess different faiths. We have, therefore, always to keep in mind this vital aspect of our culture which is also of the highest importance in India today. Those who put up barriers between one Indian and another and who promote disruptive tendencies do not serve the cause of India and her culture. They weaken us at home and discredit us abroad.
Read the above passage carefully and make notes on it in points only, using headings and sub-headings.
Answer
(A) Tolerance and co-operation

  • basis of our past culture
  • pillars of our future

(B) Secularism

  • equal respect for all faiths
  • equal opportunities
  • of highest importance in present-day India.

(C) Disruptive tendencies

  • serve no cause
  • discredit the country

Passage – 9

As a result of a long series of discoveries, mans life has been altered more radically and more rapidly during the last one hundred and fifty years than during the whole of the preceding two thousand years. In what ways does this alteration chiefly show itself ? In the first place, most of the external enemies to which our species in the past had been exposed are either overcome or are in a fair way to being overcome.

Look back over mans life in the past and you cannot but realize what sordid, meagre, frightened affair it must have been. His crops and, therefore, his livelihood have been at the mercy of forces which he could neither understand nor control; forces of fire and flood, of earthquake and drought; his communities were swept by pestilence and famine; and with the sweat of his brow, he wrung meager sustenance from nature. Today, thanks to science, all these enemies to man’s well-being have either disappeared or have been reduced to comparative impotence.

PSEB 9th Class English Note-Making & Messages

Read the above passage carefully and make notes on it in points only, using headings and sub-headings.
Answer
1. Discoveries of science during the
2. Man’s life completely changed.
3. External enemies overpowered :

  • floods and fires
  • earthquakes
  • famines.
  • pestilence

4. Now getting one’s livelihood not so difficult as it used to bo’

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हिमालय

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 हिमालय Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 हिमालय

Hindi Guide for Class 7 PSEB हिमालय Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

सरलार्थों के साथ दे दिए गए हैं।

अविचल = जो विचलित न हो, दूढ, स्थिर
प्रण = प्रतिज्ञा, वचन
पथ = रास्ता, मार्ग
संकट = मुसीबत
अचल = अडिग, स्थिर
जग = संसार

2. हिमालय शब्द हिम+आलय शब्दों से मिलकर बना है इसी प्रकार अन्य शब्द बनाएं:

हिम+आलय = हिमालय
पुस्तक+आलय = ………………
चिकित्सा+आलय = ………………
भोजन+आलय = ………………..
देव+आलय = ………………..
उत्तर:
बना हुआ शब्द
हिम+आलय = हिमालय
पुस्तक+आलय = पुस्तकालय
चिकित्सा+आलय = चिकित्सालय
भोजन+आलय = भोजनालय
देव+आलय = देवालय

3. अचल शब्द ‘चल’ शब्द से पूर्व ‘अ’ जुड़ने से बना है इसी प्रकार ‘अ’ लगाकर नए विपरीत शब्द बनाएँ:

अ+चल = अचल
अ+सफलता = …………………
अ+शुद्ध = ……………….
अज्ञिान = ……………….
उत्तर:
शब्द  विपरीत शब्द
अ+चल = अचल
अ+सफलता = असफलता
अ+शुद्ध = अशुद्ध
अ+ज्ञान = अज्ञान

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हिमालय

4. इन शब्दों के पर्यायवा ची शब्द लिखें:

पानी = सलिल, नीर
नभ = …………….
प्रण = ……………
पथ = ……………
पथ = ……………
जग = …………….
मुसीबत = ………………
उत्तर:
शब्द पर्यायवाची शब्द
पानी = सलिल, नीर, जल
नभ = आकाश, गगन, व्योम
प्रण = प्रतिज्ञा, वचन, कसम
पथ = मार्ग, रास्ता, राह
जग = संसार, दुनिया, विश्व
मुसीबत = कठिनाई, कष्ट, पीड़ा

5. प्रयोगात्मक व्याकरण

हिम +आलय = हिमालय
अ+आ = आ

उपुर्यक्त उदाहरण में ‘हिम’ ‘के’ ‘म’ ‘में’ ‘अ’ तथा आलय के शुरू में ‘आ’ स्वर है। इस प्रकार ‘अ+आ’ के मेल से एक नई ध्वनि ‘आ’ बनने से शब्द बना = हिमालय। वर्णों के ऐसे मेल को संधि कहते हैं।

संधि विच्छेद

संधि संधि विच्छेद
योगाभ्यास योग+अभ्यास

अतः विच्छेद का अर्थ है अलग करना। संधि के नियमों द्वारा मिले हुए वर्णों को पुनः पूर्व अवस्था में ले जाने को संधि विच्छेद कहते हैं।

संधि के भेद
(1) विद्या+आलय = विद्यालय
आ+आ = आ

उपर्युक्त उदाहरण में विद्या’ में अंत में ‘आ’ स्वर है तथा पर अर्थात् बाद के शब्द आलय के शुरू में ‘आ’ स्वर है। इन दोनों स्वरों में (आ+आ) के मेल से ‘आ’ होने पर शब्द बना-विद्यालय।

अतः स्वर के बाद स्वर के मेल से जो परिवर्तन आता है, उसे स्वर संधि कहते हैं।

(2) संधि विच्छेद = संधि विशेष
जगत्+नाथ = जगन्नाथ त् को न्
जगत्+ईश = जगदीश त् को द्

पहले उदाहरण में व्यंजन ‘त’ के बाद ‘न’ होने से ‘त’ को ‘न’ हो गया तथा दूसरे उदाहरण में ‘त्’ के बाद स्वर में ‘ई’ होने से ‘त’ को ‘द’ हो गया (और बाद में द् + ई – दी) है। अतः व्यंजन वर्ण के बाद किसी स्वर या व्यंजन के आ जाने पर उसमें जो परिवर्तन आता है, उन्हें व्यंजन संधि कहते हैं।

(3) संधि विच्छेद = संधि विशेष
नमः+ते = नमस्ते विसर्ग के बाद ‘त’ होने से विसर्ग को ‘स्’ हो गया।
नि:+आधार = निराधार विसर्ग से पूर्व ‘इ’ स्वर होने से विसर्ग को ‘र’ हो गया तथा बाद वाला स्वर (आ) र् में मिलकर ‘रा’ बन गया।

अतः विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन होने पर जो विकार सहित मेल होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

संधि विच्छेद = संधि विशेष
(क) देव + आलय = देवालय अ+आ = आ
सती + ईश = सतीश ई+ई = ई
गुरु + उपदेश = गुरुपदेश उ+उ = ऊ

अतः जब ह्रस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘इ’ और ‘उ’ के बाद ह्रस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘इ’, ‘उ’ आएँ तो दोनों के मेल से क्रमशः इनका दीर्घ रूप ‘आ’, ‘ई’, ‘इ’ और ‘ऊ’ हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।

इसी प्रकार नीचे लिखे पदों की संधि करें:

अति+इव = …………….
दया-आनन्द = …………….
परि+ईक्षा = …………….
विद्या+अर्थी = …………….
नारी+ इच्छा = …………….
सिंधु-ऊर्मि = …………….
वधू+उत्सव = …………….
उत्तर:
अति+इव = अतीव
दया+आनन्द = दयानन्द
परि+ईक्षा = परीक्षा
विद्या+अर्थी = विद्यार्थी
नारी+इच्छा = नारीच्छा
सिंधु+ऊर्मि = सिंधूर्मि
वधू+उत्सव = वधूत्सव

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हिमालय

(ख) विचार-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) हिमालय पर्वत भारत की किस दिशा में स्थित है ?
उत्तर:
हिमालय पर्वत भारत की उत्तर दिशा में स्थित है।

(ख) सभी संकटों के समय हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए ?
उत्तर:
सभी संकटों के समय हमें स्थिर रहना चाहिए।

(ग) हम सब कुछ कैसे पा सकते हैं ?
उत्तर:
अपने प्रण पर अटल रहने से हम सब कुछ पा सकते हैं।

(घ) संसार में सफलता कैसे लोगों को मिलती है ?
उत्तर:
संसार में सफलता उन लोगों को मिलती है, जो लाख मुसीबतों के आने पर भी अपने पथ पर कायम रहते हैं।

2.  इन काव्य पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें

प्रश्न 1.
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो,
छू सकते हो नभ के तारे
उत्तर:
उत्तर के लिए सप्रसंग सरलार्थ देखिए।

प्रश्न 2.
हिमालय से हम कौन-कौन से गुण सीख सकते हैं ?
उत्तर:
हिमालय से हम आँधी-तूफान में भी अडिग भाव से डटे रहना, अपने प्रण का पालन करना, मुसीबतों से भी नहीं घबराना तथा संकटों का सामना करना सीख सकते हैं।

प्रश्न 3.
हिमालय पर्वत से हमारे देश को कौन-कौन से लाभ हैं ?
उत्तर:
हिमालय हमारे देश की उत्तरी सीमा का रक्षक है। यह ठंडी हवाओं को भारत में आने से रोकता है। इससे अनेक जड़ी-बूटियाँ और बहुमूल्य पदार्थ प्राप्त होते हैं।

(ग) कुछ करो

(1) अपने भूगोल वाले अध्यापक की सहायता से भारत में स्थित अन्य पर्वतों तथा उनकी स्थिति के बारे में पता करें।
(2) भारत में हिमालय पर्वत की सबसे ऊँची चोटी का नाम पता करें।
(3) हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियों के नाम पता करें और अपने अध्यापक/ अध्यापिका की सहायता से करें।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

PSEB 7th Class Hindi Guide हिमालय Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
‘हिमालय’ कविता में कवि ने किसके समान अडिग रहने का संदेश दिया है ?
(क) हिमालय
(ख) राहुल
(घ) विवेक
(घ) भगवान
उत्तर:
(क) हिमालय

प्रश्न 2.
हिमालय खड़ा होकर हमें क्या बता रहा है ?
(क) खूब पढ़ो
(ख) आँधी-पानी से नहीं डरना
(घ) नाचो
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ख) आँधी-पानी से नहीं डरना

प्रश्न 3.
‘हिमालय’ कविता में अचल शब्द का क्या अर्थ है |
(क) अडिग
(ख) डिंग
(ग) आना
(घ) जाना
उत्तर:
(क) अडिग

प्रश्न 4.
अपने प्रण पर अडिग रहने से मनुष्य क्या पा लेता है ?
(क) कलम
(ख) रुपया
(ग) सब कुछ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) सब कुछ

प्रश्न 5.
जो मरने से नहीं डरते उन्हें क्या मिलता है ?
(क) सफलता
(ख) असफलता
(ग) पुरस्कार
(घ) वेतन
उत्तर:
(क) सफलता

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
हिमालय सदा …………… रहता है।
(क) डटकर
(ख) बैठा
(ग) खड़ा
(घ) रोता
उत्तर:
(क) डटकर

प्रश्न 2.
जो व्यक्ति अपने ……….. पर मजबूती से खड़ा रहता है, उसे सफलता मिलती है।
(क) घर
(ख) पथ
(घ) छत
(घ) विद्यालय
उत्तर:
(ख) पथ

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हिमालय

प्रश्न 3.
संकटों के समय हमारा व्यवहार ………………. रहना चाहिए।
(क) स्थिर
(ख) कठोर
(ग) डाँवाडोल
(घ) नरम
उत्तर:
(क) स्थिर

प्रश्न 4.
भारत के उत्तर में ………… पर्वत स्थित है।
(क) विध्यांचल
(ख) हिमालय
(ग) अरावली
(घ) शिवालिक
उत्तर:
(ख) हिमालय

प्रश्न 5.
गंगा नदी …………. से निकलती है।
(क) विध्यांचल
(ख) शिवालिक
(ग) हिमालय
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ग) हिमालय

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए:

प्रश्न 1.
प्रतिज्ञा:
प्राण
प्रण
प्रात:काल
उत्तर:
प्रण

प्रश्न 2.
सलिल:
सरल
कठिन
जल
उत्तर:
जल

प्रश्न 3.
देवालय:
मंदिर
गिरजाघर
मस्जिद
उत्तर:
मंदिर

प्रश्न 4.
अडिग:
अकड़ना
दृढ़
उत्तर:
दृढ़

सप्रसंग सरलार्थ

1. खड़ा हिमालय बता रहा है,
डरो न आंधी पानी से,
खड़े रहो तुम अविचल होकर,
सब संकट तूफानों में।

शब्दार्थ:
अविचल = स्थिर, अडिग, दृढ़। संकट = मुसीबत।

प्रसंग:
यह पद्यांश हिमालय’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य को सदा मज़बूती से सब मुसीबतों का सामना करने की प्रेरणा दी है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि खड़ा हुआ हिमालय यह बता रहा है कि आंधी-पानी से मत डरो। तुम सब मुसीबतों और तूफानों में भी घबराओ मत तथा उनका मज़बूती से सामना करो।

भावार्थ:
कवि का कहना है कि हमें जीवन की राह में आने वाली सब मुसीबतों का सामना इस प्रकार डट कर करना चाहिए जैसे हिमालय सदा डट कर खड़ा रहता है।

2. डिगो न अपने प्रण से, तो तुम,
सब कुछ पा सकते हो प्यारे।
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो,
छू सकते हो नभ के तारे।

शब्दार्थ:
डिगना = हिलना, किसी बात पर स्थिर न रहना। प्रण = प्रतिज्ञा, वचन। नभ = आकाश।

प्रसंग:
यह पद्यांश ‘हिमालय’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने मुसीबतों में भी न घबराने तथा स्थिर रहने की प्रेरणा दी है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि तुम कभी भी अपने वचनों से मत फिरो, क्योंकि ऐसा करने से तुम सब कुछ प्राप्त कर सकते हो। तुम ऊँचे उठ कर आकाश के तारे भी छू सकते हो।

भावार्थ:
कवि का कथन है कि अपने प्रण पर अडिग रहने से मनुष्य सब कुछ पा कर ऊँचा उठ सकता है तथा आकाश की ऊँचाइयों को भी छू सकता है।

3 अचल रहा तो अपने पथ पर,
लाख मुसीबत आने में,
मिली सफलता जग में उसको,
जीने में मर जाने को

शब्दार्थ:
अचल = अडिग, स्थिर। पथ = शस्ता, मार्ग, उद्देश्य, लक्ष्य। जग = संसार, दुनिया।

प्रसंग:
यह पद्यांश ‘हिमालय’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का डट कर सामना करने की प्रेरणा दी है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि जो व्यक्ति लाख मुसीबतों के आने पर भी नहीं घबराता और अपने पथ पर मज़बूती से स्थिर रहता है, उसे ही संसार में सफलता मिलती है जो जीते हुए भी मरने के लिए सदा तैयार रहता है।

भाव:
संसार में सफलता सदा उन्हें मिलती है जो मरने से नहीं डरते तथा हर मुसीबत में अडिग रहते हैं।

हिमालय Summary

हिमालय कविता का सार

‘हिमालय’ कविता में कवि हिमालय के समान अडिग बनने का संदेश देता है। कवि कहता है कि हिमालय खड़े होकर हमें यह बता रहा है कि कभी भी आँधी-पानी से नहीं डरना चाहिए और सभी मुसीबतों और तूफानों में भी हमें मजबूती से खड़े रहना चाहिए। यदि हम अपने वचनों पर डटे रहें तो सब कुछ पा सकते हैं और ऊँचे उठकर आकाश के तारों को भी छू सकते हैं। जो व्यक्ति लाखों मुसीबतों के आने पर भी अपने पथ पर स्थिर रहता है, उसी को संसार में सफलता मिलती है।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran काल

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Kaal काल Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar काल

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran काल

प्रश्न 1.
काल किसे कहते हैं और काल के भेद लिखो।
उत्तर:
क्रिया के जिस रूप से उसके होने या करने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं।
काल के भेद :
काल के मुख्य तीन भेद हैं-
1. भूतकाल : जिससे क्रिया के बीते हुए समय में होने का बोध हो उसे भूतकाल कहते हैं।
2. वर्तमान काल : जिस से क्रिया के चल रहे अथवा वर्तमान समय में होने का बोध हो उसे वर्तमान काल कहते हैं।
3. भविष्यत्काल : जिससे क्रिया के आने वाले समय में होने का बोध हो उसे भविष्यत्काल कहते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran कारक

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Karak कारक Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar कारक

प्रश्न 1.
कारक किसे कहते हैं ? कारक कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर:
संज्ञा वाचक सर्वनाम के जिस रूप से उसका वाक्य के दूसरे शब्दों से सम्बन्ध जाना जाए, उस रूप को कारक कहते हैं; जैसे-मोहन ने पुस्तक को मेज़ पर रख दिया।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran कारक

प्रश्न 2.
विभक्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कारक प्रकट करने के लिए संज्ञा अथवा सर्वनाम के साथ ‘ने’, ‘की’, ‘से’ आदि जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन्हें विभक्ति कहा जाता है।
हिन्दी में आठ कारक हैं। इनके नाम और विभक्ति चिह्न इस प्रकार हैं

कारक विभक्ति चिह्न
1. कर्ता ने
2. कर्म को
3. करण से, के द्वारा, के साथ
4. सम्प्रदान को, के लिए, वास्ते
5. अपादान से (पृथक्त्व बोधक)
6. सम्बन्ध का, के, की
7. अधिकरण में, पर
8. सम्बोधन हे, अरे, रे

1. कर्ता : संज्ञा का सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहा जाता है; जैसे-
(i) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ii) सोहन ने दूध पीया।
उक्त दोनों वाक्यों में मोहन और सोहन कर्ता हैं।

2. कर्म : संज्ञा सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता हो, उसे कर्म कारक कहते हैं; जैसे-श्याम पाठशाला को जाता है।

3. करण : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से कर्ता के काम करने के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहा जाता है; जैसे-राम ने बाण से बालि को मारा।

4. सम्प्रदान : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप के लिए क्रिया की जाए, उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है; जैसे-अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें लाया।

5. अपादान : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से पृथक्ता, आरम्भ, भिन्नता आदि का बोध होता हो, उसे अपादान कारक कहा जाता है; जैसे-वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।

6. सम्बन्ध : संज्ञा या सर्वनाम का जो रूप एक वस्तु या दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध प्रकट करे, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं; जैसे–यह मोहन का घर है।

7. अधिकरण : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं; जैसे-वीर सैनिक युद्ध भूमि में मारा गया।

8. सम्बोधन : संज्ञा का जो रूप चेतावनी या किसी को पुकारने का सूचक हो उसे सम्बोधन कारक कहते हैं; जैसे-हे ईश्वर ! हमारी रक्षा करो।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran लिंग और वचन

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Ling aur Vachan लिंग और वचन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar लिंग और वचन

प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं और उसके भेद बताओ।
उत्तर:
संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति, वस्तु की जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में दो लिंग होते हैं-
1. पुल्लिग – जिससे पुरुष जाति का बोध हो उसे पुल्लिग कहते हैं।
2. स्त्रीलिंग – जिससे स्त्री जाति का बोध हो उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran लिंग और वचन

प्रश्न 2.
वचन किसे कहते हैं और वचन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
शब्दों के जिस रूप से किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध हो उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में दो वचन हैं-
(i) एकवचन और
(ii) बहुवचन।
(i) एकवचन : संज्ञा का जो रूप एक ही वस्तु का बोध कराए, उसे एक वचन कहते हैं; जैसे-लड़की, घोड़ा, बहन।
(ii) बहुवचन : संज्ञा का जो रूप एक से अधिक वस्तुओं का बोध कराए, उसे बहुवचन कहते हैं; जैसे-लड़कियाँ, घोड़े, बहनें।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran क्रिया-विशेषण

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Kriya-Visheshan क्रिया-विशेषण Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar क्रिया-विशेषण

प्रश्न 1.
क्रिया-विशेषण किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर:
‘जो शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करे, उसे क्रिया-विशेषण कहते हैं; जैसेधीरे-धीरे, यहाँ से, कल, आज, ऊँचे से।

क्रिया विशेषण के भेद :
क्रिया-विशेषण के चार भेद हैं-
1. स्थानवाचक – जो विशेषण क्रिया का स्थान बताए उसे स्थानवाचक क्रिया कहते हैं; जैसे-उस जगह, यहाँ, वहाँ।
2. कालवाचक – जो विशेषण क्रिया का समय बताए, उसे काल वाचक क्रिया कहते हैं; जैसे-आज, कल, परसों।
3. परिमाणवाचक – जो विशेषण क्रिया का माप बताए, उसे परिमाणवाचक क्रिया कहते हैं; जैसे-कम, अधिक, न्यून।
4. रीतिवाचक – जो विशेषण क्रिया के होने का ढंग बताए, उसे रीतिवाचक क्रिया कहते हैं; जैसे-धीरे बोलो। गाड़ी तेज़ चलती है।

प्रश्न 2.
सम्बन्ध बोधक अव्यय किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो संज्ञा और सर्वनाम के आगे पीछे आकर वाक्यों के दूसरे शब्दों से उसका सम्बन्ध बताते हैं, उन्हें सम्बन्ध बोधक अव्यय कहा जाता है; जैसे-ऊपर, भीतर, पीछे तक, और, सहित।
उदाहरण – डर के मारे उसका चेहरा पीला पड़ गया।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran क्रिया-विशेषण

प्रश्न 3.
समुच्चय बोधक अथवा योजक अव्यय किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को मिलाते हैं, उन्हें समुच्चय बोधक या योजक अव्यय कहते हैं; जैसे-और, भी, तथा, कि, अर्थात्, इसलिए, मानो।
उदाहरण – मोहन ने कहा कि मैं आपकी प्रतीक्षा करूँगा।

प्रश्न 4.
विस्मयादि बोधक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो शब्द बोलने वाले के हर्ष, शोक, लज्जा, विस्मयादि भावों को प्रकट करते हैं, उन्हें विस्मयादि बोधक कहते हैं; जैसे-ओहो, आह, हाय, बाप रे, खूब, वाह वाह, धन्य, अरे, अजी। उदाहरण-हाय ! मैं मारा गया।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran क्रिया

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Kriya क्रिया Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar क्रिया

प्रश्न 1.
क्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जिस में किसी काम का करना, होना, सहना आदि पाया जाए, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे-मोहन पढ़ता है। कमला लिखती है।

क्रिया के भेद :
क्रिया के दो भेद हैं-
1. अकर्मक : जिस के व्यापार और फल दोनों का भार कर्ता पर ही पड़े (कर्म न हो), उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-कृष्ण रोता है। मोहन भागता है।
कुछ अकर्मक क्रियाएँ – मरना, जीना, हँसना, रोना, उठना, बैठना, दौड़ना, भागना, चलना, सोना, डरना।

2. सकर्मक : जिस क्रिया में व्यापार का फल कर्ता को छोड़कर कर्म पर पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-श्याम पुस्तक पढ़ता है। मोहन पेंसिल देता है।
कुछ सकर्मक क्रियाएँ – लेना, देना, पढ़ना, लिखना, कहना, देखना, सीना, छूना, रोकना, सुनना, भागना, खाना।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 2.
प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जिस में कर्ता अपने आप काम न करके दूसरों को काम करने की प्रेरणा करे, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं; जैसे-सुनना से सुनाना।

कुछ अन्य प्रेरणार्थक क्रियाएँ

पढ़ना – पढ़ाना
उठना – उठाना
चलना – चलाना
लेटना – लिटाना
भूलना – भुलाना
चढ़ना – चढ़ाना
बचना – बचाना
पिसना – पिसाना
पिटना – पिटाना
जीतना – जिताना

प्रश्न 3.
पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो क्रिया मूल क्रिया की समाप्ति से पहले आ जाए, उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं; जैसे-बैठ कर। सुन कर। खा कर।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 4.
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब क्रिया में एक से अधिक क्रियाएँ आती हैं, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं; जैसे-लिखना चाहता है। पढ़ सकता है। जा सकता है।