PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

Punjab State Board PSEB 11th Class English Book Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 English Chapter 4 Liberty and Discipline

Short Answer Type Questions

Question 1.
How does the author define liberty’ ?
Answer:
‘Liberty’ is the freedom to think what we like, say what we like, work at what we like and go where we like. Liberty is the birthright of each and every person. But even then, it is not a personal affair. It is a compromise or social contract.

‘लिबर्टी’ आज़ादी है – वह सोचने की जो हम सोचना चाहते हैं, वह कहने की जो हम कहना चाहते हैं, वह काम करने की जो हम करना चाहते हैं और वहां जाने की जहां हम जाना चाहते हैं। स्वतन्त्रता प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार होती है। परन्तु फिर भी यह कोई निजी विषय नहीं होता। यह एक समझौता अथवा एक सामाजिक इकरारनामा होता है।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

Question 2.
What is discipline ?
Answer:
Discipline is restraint on liberty. It trains people to obey rules and orders and punishes them if they don’t do. Discipline is very necessary in every field of society. It is only discipline that enables men to live in a society and yet retain individual liberty.

अनुशासन स्वतन्त्रता पर लगाई गई एक पाबन्दी है। यह लोगों को नियमों तथा आदेशों का पालन करने में प्रशिक्षित करता है और यदि वे ऐसा न करें तो उन्हें दण्ड देता है। समाज के हर क्षेत्र में अनुशासन बहुत जरूरी है। यह केवल अनुशासन ही है जो व्यक्ति को समाज में रहने और फिर भी अपनी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को कायम रखने के योग्य बनाता है।

Question 3.
Why should one keep to the left ?
Answer:
Keeping to the left while going on a road is the rule of the road. We should obey this rule of the road not only for our own advantage, but also for the rights of others. If we don’t do so, we will not only endanger others, but ourselves also.

सड़क पर जाते समय बाएं तरफ चलना सड़क का नियम है। हमें सड़क के इस नियम का पालन सिर्फ अपने फायदे के लिए ही नहीं, बल्कि दूसरों के अधिकारों के लिहाज से भी करना चाहिए। यदि हम ऐसा नहीं करते तो हम सिर्फ दूसरों को ही नहीं, बल्कि स्वयं को भी खतरे में डालते हैं।

Question 4.
How does pure discipline differ from enforced discipline ?
Answer:
The discipline that comes from our inside is pure discipline. And the discipline that is enforced on us from outside is enforced discipline. Since discipline is a restraint on liberty, it is quite natural that man has an inclination to avoid this restraint.

वह अनुशासन जो हमारे अन्दर से उठता है, वह शुद्ध अनुशासन होता है। और वह अनुशासन जो बाहर से हम पर थोपा जाता है, वह बाध्यकारी (जबरदस्ती लागू किया गया) अनुशासन होता है। क्योंकि अनुशासन स्वतन्त्रता पर लगा एक प्रतिबन्ध होता है, इसलिए यह बहुत स्वाभाविक है कि मनुष्य के अन्दर इस प्रतिबन्ध को नज़रअंदाज करने की प्रवृत्ति होती है ।

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Question 5.
What types of liberty do the British believe in ?
Answer:
The British believe in four types of liberty. They want the liberty to think what they like. They want the liberty to say what they like. They want to have liberty to work at what they like. They want to have the liberty to go where they like.

अंग्रेज चार किस्मों की स्वतन्त्रता में विश्वास रखते हैं। वह सोचने की आजादी चाहते हैं जो वे सोचना चाहें। वह कहने की आजादी चाहते हैं जो वे कहना चाहें। वह काम करने की आजादी चाहते हैं जो वे करना चाहें। वे वहां जाने की आजादी चाहते हैं जहां वे जाना चाहें।

Question 6.
Why does one have a natural inclination to avoid discipline ?
Answer:
Discipline trains people to obey rules and orders and punishes them if they don’t do so. It is a restraint on liberty. So it is quite natural that man has an inclination to avoid this restraint.

अनुशासन लोगों को नियमों और आदेशों का पालन करने की शिक्षा देता है और यदि वे ऐसा नहीं करते तो यह उन्हें दण्ड देता है। यह स्वतन्त्रता पर लगा एक प्रतिबन्ध होता है। इसलिए यह बहुत स्वाभाविक है कि मनुष्य के अन्दर इस प्रतिबन्ध को नज़रअंदाज करने की प्रवृत्ति होती है ।

Question 7.
Why is discipline unavoidable for a modern man ?
Answer:
Modern man lives in complex communities in which every person is dependent on others. So discipline is unavoidable for a modern man. If every man were free to do what he liked, there
would be chaos everywhere. So discipline is very necessary for modern man in every field of society.

आधुनिक मनुष्य मिश्रित समुदायों में रहता है जिनमें प्रत्येक व्यक्ति दूसरों पर निर्भर करता है। इसलिए आधुनिक मनुष्य के लिए अनुशासन बहुत अनिवार्य है। यदि प्रत्येक व्यक्ति वही करने को आजाद हो जो वह करना चाहता है, तो सभी जगह अराजकता फैल जाएगी। इसलिए आधुनिक मनुष्य के लिए समाज के हर क्षेत्र में अनुशासन बहुत जरुरी हैं।

Question 8.
How did the author acknowledge the salute of a private soldier ?
Answer:
The author was a brand new second lieutenant at that time. Once he was walking on to parade. A private soldier passed him and saluted him. The author acknowledged the salute of that soldier with an airy wave of his hand.

उस समय लेखक नया-नया भर्ती हुआ सैकण्ड लेफ्टिनेंट था। एक दिन वह परेड के लिए जा रहा था। एक निचले दर्जे का सैनिक उसके पास से गुजरा और उसने उसे सलामी दी। लेखक ने उस सैनिक की सलामी का जवाब हवा में अपना हाथ लहराते हुए दिया ।

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Question 9.
How did the Colonel punish the author for not returning a salute properly ?
Answer:
The Colonel rebuked the author for not returning a salute properly. He punished the author for this. He made the author march in front of the whole battalion and practise before the Sergeant Major’s cane how to return a salute. “Discipline begins with the officers,” he said to the author.

कर्नल ने सलामी का जवाब उचित ढंग से न देने के लिए लेखक को डांटा। उसने इसके लिए लेखक को दंडित किया। उसने लेखक से पूरी बटालियन के सामने मार्च करवाया और सार्जेंट मेजर के बेंत के आगे अभ्यास करवाया कि सलामी का जवाब कैसे दिया जाता है। “अनुशासन की शुरुआत अफसरों से होती है,” उसने लेखक से कहा।

Question 10.
What did the Colonel tell the author about discipline ?
Answer:
The author had not returned the salute of a private soldier properly. The Colonel rebuked him for this and also punished him. He made the author practise before the Sergeant Major’s cane how to return a salute. The Colonel told the author that discipline begins with the officers.

लेखक ने एक निजी सैनिक की सलामी का जवाब उचित ढंग से नहीं दिया था। कर्नल ने उसे इस बात के लिए डांटा और उसे सजा भी दी। उसने सार्जेन्ट मेजर के बेंत के आगे उससे अभ्यास भी करवाया कि सलामी का जवाब कैसे दिया जाता है। कर्नल ने लेखक को बताया कि अनुशासन की शुरुआत अफसरों से होती है ।

Question 11.
How can the leader build up the leadership of his team ?
Answer:
The leader can build up the leadership of his team on the discipline of understanding. In order to inculcate a sense of discipline in his team, he must first realize his own responsibility. He must display high standards of discipline in his own life. Only then he can succeed in building up the leadership of his team.

नेता अपने दल के नायकत्त्व का निर्माण आपसी समझ के अनुशासन के आधार पर कर सकता है। अपने दल में अनुशासन की भावना भरने के लिए एक नेता को सबसे पहले अपनी स्वयं की जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। उसे स्वयं के जीवन में अनुशासन के उच्च मापदण्डों का प्रदर्शन करना चाहिए। सिर्फ तभी वह अपने दल के नायकत्व का निर्माण करने में सफल हो सकता है।

Question 12.
What, according to the author, was not a new technique invented in the last war ?
Answer:
According to the author, taking men into one’s confidence was not a new technique invented in the last war. He says that leaders have always followed this technique to lead the people by winning their confidence. This art is a must in a successful leader. It helps in building a good rapport between the leader and his followers.

लेखक के अनुसार लोगों को अपने विश्वास में ले लेना पिछले युद्ध में खोजी गई कोई नई तकनीक नहीं थी। वह कहता है कि नेताओं ने लोगों का विश्वास जीत कर उनका नेतृत्व करने के लिए हमेशा ही इस तकनीक का अनुसरण किया है। एक सफल नेता में यह कला होना अनिवार्य है। यह नेता तथा उसके अनुचरों के बीच अच्छे संबंध पैदा करने में मदद करती है।

Question 13.
How can you say that discipline is not derogatory?
Answer:
It is only discipline that enables people to live in a community and yet retain individual liberty. It does put some check on our freedom, but it does not cut down our individual freedom. It makes man truly free. Totalitarian discipline with its slogan-shouting masses is deliberately designed to submerge the individual.

यह केवल अनुशासन ही है जो लोगों को समाज में रहने और फिर भी अपनी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को बनाए रखने के योग्य बनाता है। यह हमारी स्वतन्त्रता पर कुछ रोक अवश्य लगाता है, परन्तु यह हमारी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता में कोई कटौती नहीं करता। यह व्यक्ति को सही अर्थों में स्वतन्त्र बनाता है। सर्वसत्तावादी अनुशासन, जिसमें नारेबाजी करती जनता शामिल होती है, का निर्माण पूर्ण विचार-विमर्श के साथ किया गया है, व्यक्ति को पूरी तरह से गायब कर देने के लिए।

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Question 14.
What type of discipline is deliberately designed to submerge the individual ?
Answer:
Totalitarian discipline with its slogan-shouting masses is deliberately designed to submerge the individual. Totalitarian discipline means a system of government in which there is only one political party that has complete power and control over the people.

सर्वसत्तावादी अनुशासन, जिसमें नारेबाजी करती जनता शामिल होती है, का निर्माण पूर्ण विचार-विमर्श के साथ किया गया है, व्यक्ति को पूरी तरह से गायब कर देने के लिए। सर्वसत्तावादी अनुशासन का अर्थ है, सरकार की एक ऐसी प्रणाली जिससे केवल एक राजनीतिक दल होता है जिसका लोगों के ऊपर सम्पूर्ण अधिकार एवं नियंत्रण होता है।

Question 15.
How does the author commend the role of British railway signalmen in the last war?
Answer:
The author says that in the blitz of the last war, not even a single British Railway signalman left his post. They stood in the heart of the target area. They didn’t leave their place. They put
their job before themselves. They knew the importance of their work for their country.

लेखक कहता है कि पिछले युद्ध में हुए हमलों के दौरान बरतानवी रेलवे सिग्नलमैनों में से एक भी व्यक्ति ने अपनी नियुक्त की गई जगह नहीं छोड़ी। वे लक्ष्य बनाई गई जगहों के बीचो-बीच पर डटे रहे। उन्होंने अपनी जगह न छोड़ी। उन्होंने अपने काम को अपने से पहले रखा। वे जानते थे कि उनके देश के लिए उनके काम का क्या महत्त्व था।

Question 16.
How can a nation overcome an economic or military crisis ?
Answer:
A nation can overcome an economic or military crisis with the help of discipline only. Any nation without discipline surely goes to the dogs. And no work or progress is possible without a disciplined living. Rather there is bound to be confusion, disorder and chaos.

सिर्फ अनुशासन की सहायता से ही एक राष्ट्र किसी आर्थिक अथवा सैन्य संकट से उभर सकता है। किसी भी ऐसे राष्ट्र की दुर्दशा होना निश्चित है जिसमें अनुशासन न हो। और अनुशासित जीवन के बिना कोई भी कार्य अथवा प्रगति संभव नहीं है। बल्कि वहां अफरा-तफरी, अव्यवस्था तथा अशांति होना निश्चित है।

Question 17.
What, according to the author, is meant by democracy ?
Answer:
According to the author, democracy means that responsibility is decentralised. And no one can avoid doing something he should do. He says that a nation can overcome an economic or military crisis with the help of discipline only.

लेखक के अनुसार, प्रजातन्त्र का अर्थ है कि ज़िम्मेदारी विकेन्द्रित होती है। और कोई भी उस काम को नज़रअंदाज नहीं कर सकता जो उसे करना चाहिए। वह कहता है कि सिर्फ अनुशासन की सहायता से ही एक राष्ट्र किसी आर्थिक अथवा सैन्य-संकट से उभर सकता है।

Question 18.
Why did the Colonel punish the author ?
Answer:
The author had acknowledged the salute of a private soldier with an airy wave of his hand. At this, his Colonel punished him for not returning a salute properly. He made the author march in front of the whole battalion and practise before the Sergeant Major’s cane how to return a salute.

लेखक ने एक निजी सैनिक की सलामी का जवाब हवा में अपना हाथ लहराते हुए दिया था। इस बात पर उसके कर्नल ने उसे सलामी का जवाब उचित प्रकार से न देने के लिए दंड दिया। उसने लेखक से पूरी बटालियन के सामने मार्च करवाया और सार्जेंट मेजर के बेंत के सामने अभ्यास करवाया कि सलामी का जवाब कैसे दिया जाता है।

Question 19.
What are the advantages of discipline ?
Answer:
Discipline is, in fact, the foundation of all freedom. It makes man truly free. It enables man to live in the society and yet retain individual liberty. It brings order in the society. It is only discipline which enables a nation to march on the way to progress.

वास्तव में, अनुशासन ही संपूर्ण स्वतन्त्रता की नींव होता है। यह मनुष्य को सही अर्थों में स्वतन्त्र बनाता है। यह मनुष्य को समाज में रहने और फिर भी अपनी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता कायम रखने के योग्य बनाता है। यह समाज में व्यवस्था लाता है। यह सिर्फ अनुशासन ही है जो किसी राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जाता है।

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Question 20.
What does indiscipline lead to ?
Answer:
Indiscipline leads to confusion and chaos in a society. It creates corruption, lawlessness and disorder all around. The evil elements in the society look for excuses to create violence. Security for the poor and the weak vanishes. In short, indiscipline eats into the roots of our moral, social and national life.

अनुशासनहीनता समाज में अफरा-तफरी तथा अशांति फैलाती है। यह हर तरफ भ्रष्टाचार, अराजकता तथा अव्यवस्था फैलाती है। समाज में फैले बुरे तत्त्व हिंसात्मक कार्य करने के बहाने ढूंढते रहते हैं। गरीब लोगों तथा कमज़ोरों के प्रति सुरक्षा गायब हो जाती है। संक्षेप में, अनुशासनहीनता हमारे नैतिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन की जड़ों तक को खा जाती है।

Question 21.
What do you mean by totalitarian discipline?
Answer:
Totalitarian discipline means a system of government in which there is only one political party that has complete power and control over the people. Totalitarian discipline with its slogan-shouting masses is deliberately designed to submerge the individual.

सर्वसत्तावादी अनुशासन का अर्थ है, सरकार की एक ऐसी प्रणाली जिसमें सिर्फ एक राजनीतिक दल होता है जिसका लोगों के ऊपर सम्पूर्ण अधिकार तथा नियंत्रण होता है। सर्वसत्तावादी अनुशासन, जिसमें नारेबाजी करती जनता शामिल होती है, का निर्माण पूर्ण विचार-विमर्श के साथ किया गया है, व्यक्ति को पूरी तरह से गायब कर देने के लिए।

Question 22.
What great job did the British Railway signalmen do during the last war ?
Answer:
They never left their post during the war. They stood often in the heart of target areas where the bombs were dropped. They always put their job before themselves.

युद्ध के दौरान उन्होंने अपना स्थान बिल्कुल न छोड़ा। वे अक्सर उन लक्ष्य क्षेत्रों के मध्य में खड़े रहते थे जहां बम गिराए जाते थे। उन्होंने अपने काम को सदैव स्वयं से पहले रखा।

Long Answer Type Questions

Question 1.
How does history teach us the need of a disciplined living ? Explain.
Answer:
From history, we have learnt that whenever the sense of order or discipline fades in a nation, its economic life declines completely. Its standard of living falls and its security vanishes. Then the nation goes into the hands of either some more powerful militant power or a dictator.

In short, any nation without discipline surely goes to the dogs. And no work or progress is possible without a disciplined living. Rather there is bound to be confusion, disorder and chaos. Modern man lives in complex communities in which every person is dependent on others. So discipline is indispensable for a modern man.

इतिहास से हमने सीखा है कि जब भी किसी राष्ट्र में व्यवस्था अथवा अनुशासन की भावना लुप्त हो जाती है, तब इसके आर्थिक जीवन का पूरी तरह पतन हो जाता है। इसका जीवन-स्तर गिर जाता है तथा इसकी सुरक्षा गायब हो जाती है। फिर वह राष्ट्र या तो किसी अधिक ताकतवर लड़ाकू शक्ति के हाथों में चला जाता है या फिर किसी तानाशाह के हाथों में चला जाता है। संक्षेप में कहें तो किसी भी ऐसे राष्ट्र की दुर्दशा होना निश्चित है जिसमें अनुशासन न हो।

और अनुशासित जीवन के बिना कोई भी कार्य अथवा प्रगति संभव नहीं है। बल्कि वहां अफरा-तफरी, अव्यवस्था तथ अशांति होना निश्चित है। आधुनिक मनुष्य जटिल समुदायों में रहता है जिनमें प्रत्येक व्यक्ति दूसरे पर निर्भर करता है। इसलिए आधुनिक मनुष्य के लिए अनुशासन बहुत अनिवार्य है।

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Question 2.
What is the relationship between liberty and discipline ?
Answer:
“Liberty’ is the freedom to think what we like, say what we like, work at what we like and go where we like. Discipline is a restraint on liberty. It trains people to obey rules and orders and punishes them if they don’t do. Liberty is the birthright of each and every person. But even then, it is not a personal affair. It is a compromise or social contract.

If every man were free to do what he liked, there would be chaos everywhere. So discipline is very necessary in every field of society. It is only discipline that enables men to live in a society and yet retain individual liberty. We can have discipline without liberty, but we cannot have liberty without discipline.

‘लिबर्टी’ आज़ादी है वह सोचने की जो हम सोचना चाहते हैं, वह कहने की जो हम कहना चाहते हैं, वह काम करने की जो हम करना चाहते हैं और वहां जाने की जहां हम जाना चाहते हैं। अनुशासन स्वतन्त्रता पर लगाई गई एक पाबन्दी है। यह लोगों को नियमों तथा आदेशों का पालन करने में प्रशिक्षित करता है और यदि वे ऐसा न करें, तो उन्हें दण्ड देता है। स्वतन्त्रता प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार होती है।

परन्तु फिर भी यह कोई निजी विषय नहीं होता। यह एक समझौता अथवा एक सामाजिक इकरारनामा होता है। यदि प्रत्येक व्यक्ति वही करने के लिए आज़ाद हो जो वह करना चाहता है, तो सभी जगह अराजकता फैल जाएगी। इसलिए समाज के हर क्षेत्र में अनुशासन बहुत ज़रूरी है। यह केवल अनुशासन ही है जो व्यक्ति को समाज में रहने और फिर भी अपनी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को कायम रखने के योग्य बनाता है। हम स्वतन्त्रता के बिना अनुशासन तो प्राप्त कर सकते हैं, परन्तु अनुशासन के बिना स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं कर सकते।

Question 3.
What does indiscipline lead to ?
Answer:
Indiscipline leads to confusion and chaos in a society. It creates corruption, lawlessness and disorder all around. It creates violence also among the people. The evil elements in the society look for excuses to create violence. Security for the poor and the weak vanishes. Indiscipline eats into the roots of our moral, social and national life.

Whenever the sense of order or discipline fades in a nation, its economic life declines completely. Its standard of living falls and its security vanishes. Then the nation goes into the hands of either some more powerful militant power or a dictator. And an indisciplined nation surely goes to the dogs.

अनुशासनहीनता समाज में अफरा-तफरी तथा अशांति फैलाती है। यह हर तरफ भ्रष्टाचार, अराजकता तथा अव्यवस्था फैलाती है। यह लोगों के बीच हिंसा की भावना पैदा करती है। समाज में फैले बुरे तत्त्व हिंसात्मक कार्य करने के बहाने ढूंढते हैं। गरीब लोगों तथा कमज़ोरों के प्रति सुरक्षा गायब हो जाती है। अनुशासनहीनता हमारे नैतिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन की जड़ों तक को खा जाती है।

जब भी किसी राष्ट्र में व्यवस्था अथवा अनुशासन की भावना लुप्त हो जाती है, तब इसके आर्थिक जीवन का पूरी तरह पतन हो जाता है। इसका जीवन-स्तर गिर जाता है तथा इसकी सुरक्षा गायब हो जाती है। फिर वह राष्ट्र या तो किसी अधिक ताकतवर लड़ाकू शक्ति के हाथों में चला जाता है या फिर किसी तानाशाह के हाथों में चला जाता है। और एक अनुशासनहीन राष्ट्र को अवश्य ही दुर्दशा का शिकार होना पड़ता है।

Question 4.
How can an officer inculcate a sense of discipline in his subordinates ?
Answer:
In order to inculcate a sense of discipline in his subordinates, an officer must first realize his own responsibility. He must display high standards of discipline in his own life. Only then can his teaching or his instructions have an effect on his subordinates.

In this chapter, the writer tells us that once he acknowledged the salute of a private soldier with an airy wave of his hand. And his Colonel punished him for not returning the salute properly. He made the writer march in front of the whole battalion and practise before the Sergeant Major’s cane how to return a salute. He said to the writer, “Discipline begins with the officers.”

अपने अधीनस्थ कर्मचारियों में अनुशासन की भावना जगाने के लिए एक अधिकारी को पहले अपनी खुद की ज़िम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। उसे स्वयं अपने जीवन में अनुशासन के उच्च मानदण्डों का प्रदर्शन करना चाहिए। सिर्फ तब ही उसकी शिक्षा अथवा उसके दिशा-निर्देश उसके अधीनस्थ कर्मचारियों पर कोई प्रभाव डाल सकते हैं।

इस पाठ में लेखक हमें बताता है कि एक बार उसने निचले दर्जे के एक सैनिक की सलामी का जवाब हवा में अपना हाथ लहराते हुए दिया। और उसके कर्नल ने उसे सलामी का जवाब उचित प्रकार से न देने के लिए दण्ड दिया। उसने लेखक से पूरी बटालियन के सामने मार्च करवाया और सार्जेंट मेजर के बेंत के सामने इस बात का अभ्यास करवाया कि सलामी का जवाब कैसे दिया जाता है। उसने लेखक से कहा, “अनुशासन की शुरुआत अफ़सरों से होती है।”

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

Question 5.
What are the advantages of discipline ?
Answer:
Discipline is very necessary in every field of society. It means training of the mind and character. It trains people to obey rules and orders. It does put some checks on our freedom. But it does not cut down our individual freedom. In fact, it is the foundation of all freedom.

It makes man truly free. It enables man to live in the society and yet retain individual liberty. It helps in maintaining law and order in the society. It is only discipline which enables a nation to march on the way to progress.

समाज के हर क्षेत्र में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। इसका अर्थ है, मन तथा चरित्र का प्रशिक्षण। यह लोगों को नियमों तथा आदेशों का पालन करने में प्रशिक्षित करता है। यह हमारी स्वतन्त्रता पर कुछ रोक अवश्य लगाता है। परन्तु यह हमारी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता में कोई कटौती नहीं करता है। वास्तव में यह सारी स्वतन्त्रता की नींव है।

यह मनुष्य को सही अर्थों में स्वतन्त्र बनाता है। यह मनुष्य को समाज में रहने और फिर भी अपनी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता कायम रखने के योग्य बनाता है। यह समाज में कानून तथा व्यवस्था बनाए रखने में मदद करता है। यह सिर्फ अनुशासन ही है जो किसी राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जाता है।

Question 6.
In the chapter, Liberty and Discipline’, the writer describes an incident which took place when he was a brand new second lieutenant. What was that incident ?
Answer:
Once he was walking to to parade. A private soldier passed him and saluted him. The writer acknowledged his salute with an airy wave of the hand. Just then, his Colonel came there along with the Regimental Sergeant Major.

He rebuked the writer for not returning the salute properly. He punished the writer for this. He said to the Major, “Plant your staff in the ground and let Mr Slim practise until he does know how to return a salute !” After about ten minutes, he called the writer up to him and said, “Now remember, discipline begins with the officers.”

एक दिन वह परेड के लिए जा रहा था। एक निचले दर्जे का सैनिक उसके पास से गुजरा और उसने उसे सलामी दी। लेखक ने उसकी सलामी का जवाब अपना हाथ हवा में लहराते हुए दिया। तभी उसका कर्नल, रेजिमेण्टल सार्जेंट मेजर के साथ वहां आ गया। उसने सलामी का जवाब उचित तरीके से न देने के लिए लेखक को डांटा।

उसने इसके लिए लेखक को दण्ड दिया। उसने मेजर से कहा, “अपना डंडा जमीन में गाड़ दो और मिस्टर स्लिम को तब तक अभ्यास करने दो जब तक उसे यह न पता चल जाए कि सलामी का जवाब कैसे दिया जाता है !” लगभग दस मिनट के पश्चात् उसने लेखक को अपने पास बुलाया और कहा, “अब याद रखना, अनुशासन की शुरुआत अफसरों से होती है।”

Question 7.
What should a person do when he / she holds a position of authority ?
Answer:
If a man holds a position of authority, he must impose discipline on himself first. It is true that if he gives orders, they will be obeyed. But he should keep in mind that he can build up the leadership of his team on the discipline based on understanding only.

In order to inculcate a sense of discipline in his subordinates, an officer must first realize his own responsibility. He must display high standards of discipline in his own life. Only then can his teaching or his instructions have an effect on his subordinates.

यदि किसी व्यक्ति के पास प्रभावशाली पद हो तो उसे सबसे पहले खुद के ऊपर अनुशासन लागू करना चाहिए। यह सच है कि अगर वह आदेश देगा तो उसका पालन होगा। लेकिन उसे यह बात दिमाग़ में रखनी चाहिए कि वह अपने दल के नेतृत्व का निर्माण केवल आपसी समझ के अनुशासन की नींव पर ही कर सकता है।

अपने अधीनस्थ कर्मचारियों में अनुशासन की भावना भरने के लिए एक अधिकारी को सबसे पहले अपनी स्वयं की जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। उसे स्वयं के जीवन में अनुशासन के उच्च मापदण्डों का प्रदर्शन करना चाहिए। केवल.तभी उसके अधीनस्थ कर्मचारियों पर उसकी शिक्षा या उसके दिशा-निर्देशों का कोई प्रभाव हो सकता है।

Question 8.
We can have discipline without liberty. But we can’t have liberty without discipline. Explain.
Answer:
Without discipline, no nation can overcome any economic or military crisis. Democracy means that responsibility is decentralised. And no one can avoid doing something he should do. But it is very sad that many of us shirk our share of work. If everyone of us really works, we can overcome any sort of crisis.

But all that takes discipline pure discipline that comes from inside. We think more of liberty than of responsibility. We should always keep in mind that we can never get anything without paying something for it. And in this case, liberty is no exception. We can have discipline without liberty, but we cannot have liberty without discipline.

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अनुशासन के बिना कोई भी राष्ट्र किसी आर्थिक अथवा सैनिक संकट पर काबू नहीं पा सकता है। प्रजातन्त्र का अर्थ होता है, जिम्मेदारी का विकेन्द्रीकृत होना। और कोई भी उस काम की अनदेखी नहीं कर सकता जो काम करने की उससे आशा की जाती है। लेकिन यह बड़े दुःख की बात है कि हम में से बहुत से लोग अपने हिस्से के काम से जी चुराते हैं। यदि हम में से हर कोई काम करे, तो हम किसी भी प्रकार के संकट पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

लेकिन इस सब के लिए अनुशासन – बल्कि शुद्ध अनुशासन -की आवश्यकता होती है जो कि हमारे अन्दर से पैदा होता है। हम अपनी ज़िम्मेदारी से ज़्यादा अपनी आज़ादी के बारे में सोचते हैं। हमें यह बात हमेशा दिमाग़ में रखनी चाहिए कि हम किसी भी चीज़ की कीमत अदा किए बगैर उसे प्राप्त नहीं कर सकते हैं। और इस संबंध में आज़ादी भी कोई अपवाद नहीं है। हम आज़ादी के बिना अनुशासन तो प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन अनुशासन के बिना हम आज़ादी प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

Objective Type Questions

Question 1.
Who wrote the chapter, ‘Liberty and Discipline’ ?
Answer:
William Slim.

Question 2.
What is discipline’ ?
Answer:
It is the training of mind and character.

Question 3.
What is considered as a restraint on liberty ?
Answer:
Discipline

Question 4.
What would happen if everybody did what he wanted ?
Answer:
There would be complete disorder in the world.

Question 5.
What happens when the sense of order or discipline fades in a nation ?
Answer:
Its economic life declines.

Question 6.
What would you call the discipline imposed forcibly’ ?
Answer:
It is nothing but dictatorship.

Question 7.
Who saluted the narrator when he was walking on to a parade ?
Answer:
A private soldier.

Question 8.
What did the Colonel rebuke the writer for ?
Answer:
For not returning a salute properly.

Question 9.
For what purpose is totalitarian discipline designed ?
Answer:
To submerge the individual.

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Question 10.
How can a nation overcome an economic or military crisis?
Answer:
With the help of discipline only.

Question 11.
How can an officer build up the leadership of his team ?
Answer:
He can build up the leadership of his team on the discipline of understanding only.

Question 12.
What should an officer do to inculcate a sense of discipline in his subordinates ?
Answer:
He must display high standards of discipline in his own life.

Vocabulary And Grammar

1. Tick mark (✓) the correct meaning of each of the following words :

1. choose
a. select
b. reject
c. accept

2. sermon
a. rebuke
b. a holy lecture
c. a political practice

3. inclination
a. dislike
b. hatred
c. bent of mind

4. unavoidable
a. impossible
b. simultaneous
c. inevitable

5. acknowledge
a. admire
b. dislike
c. know to be correct

6. grin
a. burst out
b. smile widely
c. praise

7. technique
a. desire
b. method
c. description

8. derogatory
a. ennobling
b. insulting
c. praiseworthy

9. initiative
a. fear
b. helplessness
c. courage to start

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10. crisis a.
a walkover
b. a difficult situation
c. a challene.
Answer:
1. choose = select
2. sermon = a holy lecture
3. inclination = bent of mind;
4. unavoidable = inevitable
5. acknowledge = know to be correct
6. grin = smile widely
7. technique = method
8. derogatory = insulting
9. initiative = courage to start
10. crisis = a difficult situation.

2. Form adjectives from the following words :

Word — Adjective

1. ornament — ornamental
2. delight — delightful
3. business — businesslike
4. use — useful / useless
5. craft — crafty
6. taste — tasty
7. curiosity — curious
8. memory — memorable
9. wit — witty
10. defect — defective.

3. Fill in each blank with a suitable determiner :

1. We felt …………… indefinable sense of discomfort. (a / an)
2. …………… fugitives had fled from Hiroshima. (many / much)
3. ………….. living thing was petrified in an attitude of indescribable suffering. (many / every)
4. Children begin learning by imitating …………… elders. (his/ their)
5. Each unhappy family is unhappy in ………….. own way. (his / its)
Answer:
1. an
2. Many
3. Every
4. their
5. its.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

4. Change the form of narration :

1. The teacher will say, “Gita is performing on the stage.”
2. She said, “If I were rich, I would help him.”
3. “Oh, Tom,” she said, “I am so ashamed of you !”
4. The lawyer asked Bob, “Do you still deny the charges ?”
5. The principal said, “Virtue is its own reward.”
Answer:
1. The teacher will say that Gita is performing on the stage.
2. She said that if she had been rich, she would have helped him.
3. She rebuked Tom saying she was very ashamed of him.
4. The lawyer asked Bob if he still denied the charges.
5. The principal said that virtue is its own reward.

5. Use each of the following words as a noun and a verb :

face, lock, delight, water, consent.
Answer:
1. Face (noun) – Her face is very pretty.
(verb) – I had to face several difficulties.

2. Lock (noun) – I have lost the key to this lock.
(verb) – Lock the room.

3. Delight (noun) – He takes great delight in teasing others.
(verb) – His victory delighted his fans all over the world.

4. Water (noun) — Please give me a glass of water.
(verb) – The gardener is watering the plants.

5. Consent (noun) – Our parents finally gave their consent to our marriage.
(verb) – At last, Mr Raman had to consent to answer our questions.

Liberty and Discipline Summary & Translation in English

Liberty and Discipline Summary in English:

Liberty is the freedom to think what we like, say what we like, work at what we like and go where we like. Discipline is the training of mind and character. It trains people to obey rules and orders and punishes them if they don’t. In short, discipline is a restraint on liberty.

So man has a very natural inclination to avoid it. But since ancient times, man has no option but to accept it. If everybody did what he wanted, there would be complete disorder in the world. There would be the law of the jungle.

From all history we have learnt that whenever the sense of order or discipline fades in a nation, its economic life declines. Its standard of living falls and its security vanishes. Then the nation goes into the hands of either some more virile militant power or a dictator.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

Then both of them impose their own brand of discipline. Somehow, eventually, discipline is again enforced. Now the question is not “Shall we accept discipline ?” Sooner or later we have to accept it. So the question is  “How shall we accept it ?” Shall it be imposed by physical violence and fear or accepted by consent and understanding. However, the discipline imposed forcibly is not discipline. That is dictatorship. The discipline that comes from our inside is pure discipline.

Here the writer describes an incident which took place when he was a brand new second lieutenant. Once he was walking on to parade. A private soldier passed him and saluted him. The writer acknowledged his salute with an airy wave of the hand. Just then, his Colonel came there along with the Regimental Sergeant Major.

He rebuked the writer for not returning a salute properly. He punished the writer for this. He said to the Major, “Plant your staff in the ground and let Mr Slim practise until he does know how to return a salute !” After about ten minutes, he called the writer up to him and said, “Now remember, discipline begins with the officers.”

If a man holds a position of authority, he must impose discipline on himself first. It is true that if he gives orders, they will be obeyed. But he should keep in mind that he can build up the leadership of his team on the discipline based on understanding only.

In order to inculcate a sense of discipline in his subordinates, an officer must first realize his own responsibility. He must display high standards of discipline in his own life. Only then can his teaching or his instructions have an effect on his subordinates.

No doubt, discipline puts some checks on our freedom. But it does not cut down individual freedom. In fact, it is the foundation of all freedom. It makes man truly free. It enables man to live in a community and yet retain individual liberty.

So it is not at all derogatory for any man or woman. Rather it is ennobling. Without discipline, no nation can overcome any economic or military crisis. Democracy means that responsibility is decentralised. And no one can avoid doing something he should do. But it is very sad that many of us shirk our share of work. If everyone of us really works,

we can overcome any sort of crisis. But all that takes discipline pure discipline that comes from inside. We think more of liberty than of responsibility. We should always keep in mind that we can never get anything without paying something for it. And in this case, liberty is no exception. We can have discipline without liberty. But we cannot have liberty without discipline.

Liberty and Discipline Translation in English:

Field Marshal Sir William Slim, the Chief of the Imperial General Staff, held the highest office in the British Army. He is well qualified to speak on the subject of discipline and the relation it bears to liberty?. This chapter has been condensed from an article contributed by Sir William Slim to The Fortnightly, London. This will be of special interest to all those who are rightly worried about the general disquiet for lack of discipline both at the personal and the national level.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

When you get into your car or on your bicycle, you can choose where you want to go. That is liberty. But, as you drive or ride through the streets, you will keep to the left of the road. That is discipline.

There are four reasons why you will keep to the left :

  • Your own advantage
  • Consideration for others
  • Confidence in your fellows; and
  • Fear of punishment.

It is the relative weight which we give to each of these reasons that decides what sort of discipline we have. And that can vary from the pure self-discipline of the Sermon on the Mount to the discipline of the concentration camp, the enforced discipline of fear. In spite of all our squabbles, the British are united when it comes to the most of the things that matter and liberty is one of them.

We believe in freedom to think what we like, say what we like, work at what we like, and go where we like. Discipline is a restraint on liberty, so many of us have a very natural inclination to avoid it. But we cannot. Man, ever since the dim prehistoric past, has had no option but to accept the discipline of some kind. For a modern man, living in complex communities, in which every individual is dependent on others, discipline is more than ever unavoidable.

All history teaches that when through either idleness, weakness or faction, the sense of order fades in a nation, its economic life sinks into decay, then, as its standard of living falls and security vanishes, one of two things happens.

Either some more virile militant power steps in to impose its own brand of discipline or a dictator arises and clamps down the iron control of the police state. Somehow, eventually, discipline is again enforced. The problem is not; “Shall we accept discipline ?”

sooner or later we have to; it is “How shall we accept it ?” Shall it be imposed by physical violence and fear, by grim economic necessity, or accepted by consent and understanding ? Shall it come from without or from within ? The word “discipline” for some flashes on the screen of the mind a jackbooted commissar bawling commands across the barrack square at tramping squads. But that is dictatorship, not discipline. The voluntary, reasoned discipline accepted by free, intelligent men and women is another thing. It is binding on all, from top to bottom.

One morning, long ago, as a brand new second lieutenant, I was walking on to parade. A private soldier passed me and saluted. I acknowledged his salute with an airy wave of the hand. Suddenly behind me, a voice rasped out my name.

I spun round and there was my Colonel, for whom I had a most wholesome respect, and with him the Regimental Sergeant Major, of whom also I stood in some awe . “I see,” said the Colonel, “you don’t know how to return a salute. Sergeant Major, plant your staff in the ground, and let Mr Slim practise saluting it until he does know how to return a salute !”

So to and fro I marched in sight of the whole battalion, saluting the Sergeant Major’s cane. (I could cheerfully have murdered the Colonel, the Sergeant Major, and my grinning9 fellow-subalterns.) At the end of ten minutes, the Colonel called me up to him. All he said was : “Now remember, discipline begins with the officers !”

And so it does. The leader must be ready, not only to accept a higher degree of responsibility but a severer standard of self – discipline than those he leads. If you hold a position of authority, whether you are the managing director or the charge-head, you must impose discipline on yourself first. Then forget the easy way of trying to enforce

it on others by just giving orders and expecting them to be obeyed’. You will give orders and you will see they are obeyed, but you will only build up the leadership of your team on the discipline of understanding. There is more to a soldier’s discipline than blind obedience and to take men into your confidence is not a new technique invented in the last war.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

Oliver Cromwell demanded that every man in his new model army should “know what he fights for, and love what he knows. Substitute work for fight and you have the essence of industrial discipline too to know what you work for and to love what you know. it is only discipline that enables men to live in a community and yet retain individual liberty.

Sweep away or under mine discipline, and security for the weak and the poor vanishes. That is why, far from it being derogatory” for any man or woman voluntarily to accept discipline, it is ennobling.

Totalitarian discipline with its slogan shouting masses is deliberately designed to submerge the individual. The discipline a man imposes on himself because he believes intelligently that it helps him to get a worthwhile job done to his own and his country’s benefit, fosters character and initiative’.

It makes a man do his work, without being watched, because it is worth doing. in the blitzt of the last war not a man of the thousands of British railway signalmen even left his post. They stood, often in the heart of the target areas, cooked up in flimsy buildings, surrounded by glass, while the bombs screamed down. They knew what they worked for, they knew its importance to others and to their country and they put their job before themselves.

That was discipline. No nation even got out of a difficult position, economic or military, without discipline. Democracy means that responsibility is decentralized and that no one can shirk his share of the strain. And some of us, a lot of us, in all walks of life, do not. If everyone not only the other fellows we are always pointing at really worked when we were supposed to be working, we should beat our economic crisis hollow.

That takes discipline based not only on ourselves, but backed by a healthy public opinion. We are apt these days to think more of liberty than of responsibility but, in the long run, we never get anything worth having without paying something for it. Liberty is no exception. You can have discipline without liberty, but you cannot have liberty without discipline.

Liberty and Discipline Summary & Translation in Hindi

Liberty and Discipline Summary in Hindi:

लेख का विस्तृत सार । आजादी वह सोचने की स्वतंत्रता होती है जो हम सोचना चाहते हैं, वह कहने की स्वतंत्रता जो हम कहना चाहते हैं, वह काम करने की स्वतंत्रता जो हम करना चाहते हैं, वहां जाने की स्वतंत्रता जहां हम जाना चाहते हैं। अनुशासन दिमाग तथा चरित्र का प्रशिक्षण होता है। यह लोगों को नियमों तथा आदेशों का पालन करना सिखाता है और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो यह उन्हें दण्ड देता है।

संक्षेप में, अनुशासन आजादी पर लगाई गई पाबन्दी होता है। इसलिए मनुष्य के अन्दर इसे अनदेखा करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। लेकिन प्राचीन समय से ही मनुष्य के पास इसे स्वीकार करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं रहा है। अगर हर कोई वही करता जो उसे पसन्द था, तो दुनिया में पूर्ण अव्यवस्था होती।

तब वहां जंगल का कानून चलता। पूरे इतिहास से हमने सीखा है कि जब भी किसी राष्ट्र में व्यवस्था तथा अनुशासन की भावना लुप्त हो जाती है, तो इसके आर्थिक जीवन का पतन हो जाता है। उसका जीवन-स्तर गिर जाता है तथा उसकी सुरक्षा गायब हो जाती है। फिर राष्ट्र या तो किसी अधिक ताकतवर लड़ाकू शक्ति के हाथों में चला जाता है या किसी तानाशाह के हाथ में। फिर वे दोनों अपने-अपने किस्म के अनुशासन को जबरदस्ती लागू कर देते हैं।

अब प्रश्न यह नहीं है -“क्या हम इसे स्वीकार करें ?” देर-सवेर हमें इसे स्वीकार करना ही पड़ता है। इसलिए प्रश्न यह है – “हम इसे कैसे स्वीकार करें ?” क्या इसे शारीरिक हिंसा तथा भय के द्वारा थोपा जाएगा अथवा सहमति और आपसी समझ के द्वारा स्वीकार कर लिया जाएगा ? परंतु जबरदस्ती थोपा गया अनुशासन, अनुशासन नहीं होता है। वह तानाशाही होता है। वह अनुशासन जो हमारे अन्दर से उत्पन्न होता है, वही शुद्ध अनुशासन होता है।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

यहां लेखक उस समय की एक घटना का वर्णन करता है जब वह बिल्कुल नया-नया भर्ती हुआ सैकण्ड लेफ्टिनेंट था। एक दिन वह परेड के लिए जा रहा था। एक निचले दर्जे का सैनिक उसके पास से गुजरा और उसने उसे सलामी दी। लेखक ने उसकी सलामी का जवाब अपना हाथ हवा में लहराते हुए दिया। तभी उसका कर्नल, रेजीमेण्टल सारजैंट मेजर के साथ वहां आ गया।

उसने सलाम का जवाब उचित तरीके से न देने के लिए लेखक को डांटा। उसने इसके लिए लेखक को दण्ड दिया। उसने मेजर से कहा, “अपना डंडा जमीन में गाड़ दो और मिस्टर स्लिम को तब तक अभ्यास करने दो जब तक उसे यह न पता चल जाए कि सलामी का जवाब कैसे दिया जाता है !” लगभग दस मिनट के पश्चात् उसने लेखक को अपने पास बुलाया और कहा, “अब याद रखना, अनुशासन की शुरुआत अफसरों से होती है।”

यदि किसी व्यक्ति के पास प्रभावशाली पद हो तो उसे सबसे पहले खुद के ऊपर अनुशासन लागू करना चाहिए। यह सच है कि अगर वह आदेश देगा तो उसका पालन होगा, लेकिन उसे यह बात दिमाग में रखनी चाहिए कि वह अपने दल के नेतृत्व का निर्माण केवल आपसी समझ के अनुशासन की नींव पर ही कर सकता है।

अपने अधीनस्थ कर्मचारियों में अनुशासन की भावना भरने के लिए एक अधिकारी को सबसे पहले अपनी स्वयं की जिम्मेवारी का एहसास होना चाहिए। उसे स्वयं के जीवन में अनुशासन के उच्च मापदण्डों का प्रदर्शन करना चाहिए। केवल तभी उसके अधीनस्थ कर्मचारियों पर उसकी शिक्षा या उसके दिशा-निर्देशों का कोई प्रभाव हो सकता है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि अनुशासन हमारी स्वतंत्रता पर कुछ पाबन्दियां लगाता है। लेकिन यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता में किसी प्रकार की कटौती नहीं करता है। वास्तव में यह सारी स्वतंत्रता की नींव है। यह मनुष्य को वास्तव में स्वतंत्र बनाती है। यह मनुष्य को समाज में रहने और फिर भी अपनी निजी आज़ादी बनाए रखने के योग्य बनाती है। यह किसी पुरुष या स्त्री के लिए अपमानजनक नहीं होता है। अपितु यह तो महान् बनाने वाला होता है। अनुशासन के बिना कोई भी राष्ट्र किसी आर्थिक अथवा सैनिक संकट पर काबू नहीं पा सकता है।

प्रजातन्त्र का अर्थ होता है-जिम्मेवारी का विकेन्द्रीकृत होना। और कोई भी उस काम की अनदेखी नहीं कर सकता जो काम करने की उससे आशा की जाती है। लेकिन यह बड़े दुःख की बात है कि हम में से बहुत से लोग अपने 53 हिस्से के काम से जी चुराते हैं। यदि हम में से हर कोई काम करे, तो हम किसी भी प्रकार के संकट पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इस सब के लिए अनुशासन – बल्कि शुद्ध अनुशासन – की आवश्यकता होती है जो कि हमारे अन्दर से पैदा होता है।

हम अपनी जिम्मेवारी से ज़्यादा अपनी आज़ादी के बारे में सोचते हैं। हमें यह बात हमेशा दिमाग में रखनी चाहिए कि हम किसी भी चीज़ की कीमत अदा किए बगैर उसे प्राप्त नहीं कर सकते हैं। और इस संबंध में आजादी भी कोई अपवाद नहीं है। हम आज़ादी के बिना अनुशासन तो प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन अनुशासन के बिना हम आजादी प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

Liberty and Discipline Translation in Hindi:

फील्ड मार्शल सर विलियम स्लिम, जो कि इंपीरियल जनरल स्टाफ का मुखिया था, बरतानवी सेना में सबसे ऊँचे ओहदे पर था। वह अनुशासन तथा स्वतंत्रता के साथ इसके सम्बन्ध के विषय में बोलने के लिए सुयोग्य है। यह अध्याय सर विलियम स्लिम के दि फोर्टनाईटली, लन्दन, के लिए लिखे गए लेख में से संक्षिप्त किया गया है। यह उन सभी लोगों के लिए विशेष दिलचस्पी वाला साबित होगा जो उचित रूप से व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर अनुशासन की कमी के कारण फैली अशांति के बारे में चिंतित हैं।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

आप जब अपनी कार में बैठते हैं या अपनी साइकिल पर बैठते हैं तो आप फैसला कर सकते हैं कि आप कहां जाना चाहते हैं। इसे स्वतंत्रता कहते हैं। लेकिन जब आप कार में या साइकिल पर सवार होकर गलियों में से निकलेंगे तो आप सड़क की बाईं तरफ रहेंगे। इसे अनुशासन कहते हैं।

इसके चार कारण हैं कि आप बाईं तरफ ही क्यों चलेंगे :

  • आपका अपना फायदा
  • दूसरों का लिहाज़
  • अपने साथियों में आपका विश्वास; और
  • सज़ा का भय।

यह तुलनात्मक महत्त्व है जो कि हम इन कारणों मेंसे प्रत्येक को देते हैं जो यह निश्चित करता है कि हम किस प्रकार का अनुशासन रखते हैं। और यह सरमन ऑन दि माउन्ट (ईसा मसीह द्वारा पहाड़ी पर खड़े होकर दिया गया पहला उपदेश) वाले शुद्ध आत्म-अनुशासन से लेकर बंदी शिविर, जो कि भय पैदा करने का जबरदस्ती लागू किया हुआ अनुशासन था, तक भिन्न हो सकता है। हमारे सभी महत्त्वहीन झगड़ों के बावजूद, बरतानवी लोग एक हैं जब बात उन ज्यादातर चीज़ों पर आ जाती है जो महत्त्व की हैं और स्वतंत्रता इनमें से एक है।

हम इन बातों की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं की जो हम चाहते हैं, वह कहने की जो हम चाहते हैं, वह काम करने की जो हम चाहते हैं, तथा वहां जाने की जहां हम जाना चाहते हैं। अनुशासन स्वतंत्रता पर लगाई गई पाबन्दी है, इसलिए हम में से बहुतेरों का स्वाभाविक झुकाव इसे नज़रअंदाज़ करने की तरफ ही रहता है, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते।

धुंधले अति पुरातन काल से ही मनुष्य के पास किसी न किसी प्रकार के अनुशासन को स्वीकार करने के अलावा और कोई चारा नहीं रहा है। उस आधुनिक मनुष्य के लिए, जो कि जटिल समुदायों में रहता है, जिनमें प्रत्येक व्यक्ति दूसरों पर निर्भर है, अनुशासन पहले से भी कहीं अधिक अनिवार्य है।

सारे इतिहास ने हमें सिखाया है कि जब आलस्य, कमज़ोरी अथवा गुटबन्दी के कारण किसी राष्ट्र में व्यवस्था की भावना लुप्त हो जाती है, तो इसके आर्थिक जीवन का पतन हो जाता है, फिर, जब इसका जीवन-स्तर गिर जाता है तथा सुरक्षा गायब हो जाती है, तो दो में से एक बात घटित होती है। या तो कोई अधिक ताकतवर लड़ाकू

शक्ति अपनी ही किस्म का अनुशासन थोपने के लिए आ जाती है अथवा एक तानाशाह का उदय होता है और वह पुलिस राज्य (शासन) का सख़्त नियंत्रण (लोगों के ऊपर) लागू कर देता है। किसी न किसी तरह अन्ततः अनुशासन को दोबारा लागू कर दिया जाता है। समस्या यह नहीं है; “क्या हम अनुशासन को स्वीकार करें?” आज नहीं तो कल हमें करना ही पड़ना है-; समस्या तो यह है “हम इसे कैसे स्वीकार करें?”

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

क्या इसे शारीरिक हिंसा या भय के द्वारा, गंभीर आर्थिक आवश्यकता के द्वारा लागू किया जाएगा अथवा सहमति तथा (आपसी) समझ के द्वारा स्वीकार कर लिया जाएगा? क्या यह कहीं बाहर से आएगा या हमारे भीतर से? शब्द ‘अनुशासन’ कुछ लोगों के लिए मन के पर्दे पर एक ऊँचे जूते पहने हुए अधिकारी, जो कि बैरकों के

चौराहे के उस तरफ मार्च कर रहे फौजियों के दस्ते को जोर-जोर से आदेश दे रहा हो, की तस्वीर बिजली की चमक की भांति ले आता है। लेकिन यह तानाशाही है, अनुशासन नहीं। बुद्धिमान पुरुषों और स्त्रियों के द्वारा स्वीकार किया गया स्वैच्छिक तथा तर्कसंगत अनुशासन एक दूसरी चीज़ है।

यह ऊपर से नीचे तक सभी के ऊपर लागू होता है। बहुत समय पहले, एक सुबह नए-नए भर्ती हुए सेकण्ड लेफ्टिनेंट के रूप में, मैं परेड के लिए जा रहा था। एक निचले दर्जे का सैनिक मेरे पास से गुज़रा और उसने सलामी दी। मैंने उसकी सलामी का जवाब हवा में हाथ लहराते हुए दिया। अचानक मेरे पीछे से एक रूखी-सी आवाज़ ने मेरा नाम पुकारा। मैं तुरंत घूमा और यह मेरा कर्नल था, जिसके लिए मेरे अंदर बहुत आदर था, तथा |

उसके साथ रेजीमेण्टल सारजैंट मेजर था, जिसका मैं आदर भी करता था और जिससे मैं डरता भी था। “मैंने देखा है,” कर्नल ने कहा, “तुम्हें नहीं मालूम कि सलामी का जवाब कैसे दिया जाता है। सारजैंट मेजर, अपना डंडा मैदान में गाड़ दो, और मिस्टर स्लिम को तब तक अभ्यास करने दो जब तक उसे पता न चल जाए कि सलामी का जवाब कैसे दिया जाता है!”

इसलिए आगे-पीछे मैं पूरी बटालियन की आंखों के सामने मार्च करने लगा, सारजैंट मेजर के बेंत को सलामी देते हुए। (मैंने प्रसन्नतापूर्वक कर्नल, सारजैंट मेजर तथा दांत निकालकर हँसते हुए अपने साथी अफसरों को मार दिया होता।) दस मिनट समाप्त होने के बाद कर्नल ने मुझे अपने पास बुलाया।

उसने जो भी कहा वह था “अब याद रखना, अनुशासन की शुरुआत अफसरों से |होती है!” और होता भी ऐसे ही है। नेता को तैयार रहना चाहिए, न सिर्फ उत्तरदायित्व के ऊँचे दर्जे को स्वीकार करने के लिए, बल्कि जिनकी अगुवाई वह करता है उनसे भी अधिक सख़्त आत्म-अनुशासन के दर्जे के लिए। अगर आप किसी प्रभावशाली ओहदे पर हैं, चाहे आप प्रबंध निदेशक हैं या किसी कार्यभार के मुखिया हैं, सबसे पहले आपको अनुशासन अपने स्वयं के ऊपर लागू करना चाहिए। फिर इसे दूसरों के ऊपर लागू करने की कोशिश

करने के आसान तरीके को भूल जाइए – केवल आदेश दे देना और आशा करना कि उनका पालन किया जाएगा। आप आदेश देंगे और आप देखेंगे कि उनका पालन किया जाएगा, लेकिन आप केवल (आपसी) समझ के अनुशासन के ऊपर अपनी टीम के नेतृत्व का निर्माण करेंगे। एक फौजी के अनुशासन में अंधाधुंध आज्ञापालन से बढ़कर भी कुछ होता है और लोगों को अपने विश्वास में लेना कोई पिछले युद्ध में खोजी गई नई तकनीक नहीं है।

ओलिवर क्रॉमवैल यह अपेक्षा करता था कि उसकी should नई आदर्श सेना में प्रत्येक व्यक्ति को “यह मालूम होना चाहिए कि वह किस के लिए लड़ रहा है तथा वह जो जानता है, उससे उसे प्यार होना चाहिए।” शब्द ‘लड़ाई’ की जगह ‘काम’ कर दीजिए और आपको औद्योगिक अनुशासन का सार भी मिल जाएगा – यह जानना कि आप किस के लिए काम करते हैं तथा जो आप जानते हैं उससे प्यार करना।

यह केवल अनुशासन ही है जो लोगों को समाज में रहने तथा फिर भी अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कायम रखने के योग्य बनाता है। अनुशासन से छुटकारा पा लीजिए या इसे अंदर ही अंदर खोखला कर लीजिए, और कमज़ोर लोगों तथा गरीबों की सुरक्षा गायब हो जाएगी। इसलिए, किसी पुरुष या स्त्री के द्वारा अनुशासन को स्वेच्छा से स्वीकार करना अपमानजनक होना तो दूर की बात है, बल्कि यह तो श्रेष्ठ बना देने वाला होता है।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 4 Liberty and Discipline

सर्वसत्तावादी अनुशासन, जिसमें नारेबाजी करती जनता शामिल होती है, का निर्माण व्यक्ति को पूरी तरह से छिपा देने के लिए किया गया है। वह अनुशासन, जिसे व्यक्ति अपने ऊपर इसलिए लागू करता है क्योंकि उसका समझदारीपूर्वक मानना होता है कि इससे उसकी अपनी तथा देश की भलाई के लिए किए जाने वाले लाभदायक काम को करने में उसे सहायता मिलेगी, चरित्र तथा पहलकदमी का विकास करता है।

यह व्यक्ति को उसका काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है, किसी के जाने या देखे बगैर, क्योंकि यह काम करने लायक होता है। पिछले युद्ध के हमलों के दौरान हज़ारों बरतानवी रेलवे सिग्नलमैनों में से एक भी व्यक्ति ने अपनी नियुक्त की गई जगह नहीं छोड़ी। जब बम शोर करते हुए नीचे गिर रहे थे तो वे चारों तरफ शीशे लगी हुई कमज़ोर इमारतों में गर्मी से झुलसे हुए लक्ष्य-क्षेत्रों के बीचों-बीच डटे रहे।

वे जानते थे कि वे किस लिए काम कर रहे थे, वे जानते थे कि इसका दूसरों के लिए तथा उनके देश के लिए क्या महत्त्व था और उन्होंने स्वयं से पहले अपने काम को रखा। यह था अनुशासन। कोई भी देश कभी भी अनुशासन के बिना बुरी स्थिति, चाहे वह आर्थिक हो या सैन्य, से बाहर नहीं निकला।

प्रजातन्त्र का अर्थ है कि जिम्मेवारी विकेन्द्रीकृत होती है और कोई भी परिश्रम के अपने हिस्स स जा नहा चुरा सकता। और हम में से कुछ (बल्कि ) हम में से बहुतेरे, जिंदगी के सभी क्षेत्रों में, जी नहीं चुराते हैं। यदि हर किसी – सिर्फ वही अन्य लोग नहीं जिनकी तरफ हम हमेशा इशारा करते रहते हैं ने उस समय काम किया होता जब उससे काम करने की उम्मीद की जाती थी, तो हम अपने आर्थिक संकट से छुटकारा पा चुके होते।

उसके लिए अनुशासन की जरूरत पड़ती है, जो सिर्फ हम पर ही आधारित न हो, बल्कि जिसको एक स्वस्थ जनमत का समर्थन भी प्राप्त हो। आजकल हम जिम्मेवारी से ज्यादा स्वतन्त्रता के बारे में सोचते हैं, लेकिन अन्ततः हमें कोई भी अच्छी चीज़ उसकी कीमत अदा किए बगैर नहीं मिलती। स्वतन्त्रता भी कोई अपवाद नहीं है। आप स्वतन्त्रता के बिना अनुशासन तो प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन आप अनुशासन के बिना स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं कर सकते।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

Short Answer Type Questions

Question 1.
Discuss the appropriateness of the title of the story ‘The Bull Beneath the Earth’.
“The Bull Beneath the Earth’ कहानी के शीर्षक की उचितता पर तर्क करें
Answer:
The title of a story must be appropriate. It must capture its theme and throw light on its events. The title refers to the old man in the story. He is burdened by his personal sorrows. His eldest son Karam Singh has recently died. He has to take care of his daughter-in-law and his grandson. Mann Singh rightly compares him with the mythical bull who carries on its head the burden of the whole earth.

कहानी का शीर्षक उचित होना चाहिए। इसकी इसके विषय पर पकड़ होनी चाहिये और कहानी की घटनाओं पर प्रकाश डालना चाहिए। यह शीर्षक कहानी में बूढ़े आदमी से सम्बन्धित है। वह अपने व्यक्तिगत दुःखों के बोझ तले दबा हुआ है। उसका बड़ा बेटा कर्म सिंह हाल ही में मर गया है। उसको अपनी बहु और पोते का ध्यान रखना है। मान सिंह ठीक ही उसकी तुलना उस पौराणिक बैल से करता है जिसने अपने सिर पर सारी ज़मीन का बोझ उठाया हुआ है।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

Question 2.
Why did Mann Singh not get a warm welcome by the father of Karam Singh ?
कर्म सिंह के बाप ने मान सिंह का हार्दिक स्वागत क्यों नहीं किया ?
Answer:
Mann Singh was a true friend of Karam Singh. During his leave he visited Karam Singh’s house. Because of the tragedy of Karam Singh, his father didn’t give him a warm welcome. Mann Singh understood that his personal loss and responsibilities had given him a great shock. He rightly compared him with the mythical bull beneath the earth.

मान सिंह कर्म सिंह का एक सच्चा मित्र था। अपनी छुट्टी के दौरान वह कर्म सिंह के घर गया। कर्म सिंह के दुखांत के कारण उसके पिता ने उसका हार्दिक स्वागत नहीं किया। मान सिंह समझ गया कि उसकी व्यक्तिगत हानि और दायित्वों ने उसे बहुत बड़ा सदमा दिया था। उसने ठीक ही उसकी तुलना धरती के नीचे वाले पौराणिक बैल से की।

Long Answer Type Questions

Question 1.
Write a character-sketch of Karam Singh.
Karam Singh का चरित्र – चित्रण करे|
Answer:
Karam Singh was a Havildar in the army. He was posted in Burma. The text does not tell us anything about his early life. He belonged to the village named Thathi Khara in Amritsar district. He was a hearty, friendly character. He had a very pleasant manner of speech.

The people of his village loved to sit by his side and listen to his tales of war and adventure. Karam Singh was very popular in his village. When he came on leave, he had many tales to tell the people. In his regiment also, he was famous as a crack shot.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

He had killed many Japanese in the war. It was said that whenever he pressed the trigger of his rifle, a Japanese used to be killed. He used to be the best performer in rifle shooting competitions. In his regiment, he was known for his feats in the gymnasium. He was a sincere friend of Mann Singh, Naik in his regiment. During war days, Mann Singh went on leave for a few days.

He was from Chuharkana (now in Pakistan). Karam Singh told him to visit his village in Amritsar district and see his parents. Mann Singh met the members of his family. Karam Singh’s end was tragic. His loss was a permanent loss for his family. He was a brave and efficient soldier.

कर्म सिंह सेना में हवलदार था। वह Burma में अपने सैनिक काम पर नियुक्त था। मूलपाठ हमें उसके आरम्भिक जीवन के बारे कुछ नहीं बताता। वह अमृतसर जिला के ठठी खारा गांव का रहने वाला था। वह खुशदिल और मैत्री भाव वाला व्यक्ति था। उसके बोलचाल का तरीका बड़ा सुहावना था। उसके गांव के लोग उसके पास बैठकर उससे युद्ध और जोखिम वाली कहानियाँ सुनना पसंद करते थे। कर्म सिंह अपने गांव में प्रसिद्ध था।

जब वह छुट्टी पर आता था, उसके पास लोगों को सुनाने के लिए कई कहानियां होती थीं। अपनी रैजीमैंट का वह प्रसिद्ध निशानेबाज़ था। युद्ध में उसने कई जापानियों को मारा था। कहा जाता था कि जब भी वह अपनी बन्दूक के घोड़े को दबाता था तो एक जापानी मर जाता था। Rifle द्वारा गोली चलाने की प्रतियोगिताओं में वह सबसे बेहतरीन निशानेबाज़ होता था। अपनी रैजीमैन्ट में वह Gymnasium के अपने करतबों के लिए भी काफ़ी प्रसिद्ध था। वह मान सिंह का सच्चा मित्र था जो कि उसी रैजीमैन्ट में नायक था। युद्ध के दिनों में मान सिंह कुछ दिनों की छुट्टी पर गया।

वह चूड़काना (अब पाकिस्तान में) का रहने वाला था। कर्म सिंह ने उसे कहा कि वह अमृतसर जिले में उसके गांव जाकर उसके माता-पिता से मिले। मान सिंह कर्म सिंह के गांव जाकर उसके परिवार वालों को मिला। कर्म सिंह का अन्त दुःखद था। अपने परिवार वालों के लिए उसकी हानि एक स्थाई हानि थी। वह एक कुशल और वीर सैनिक था।

Question 2.
Write a character-sketch of Mann Singh.
Mann Singh का चरित्र-चित्रण करें।
Answer:
Mann Singh was a Naik in the army. He belonged to Chuharkana (now in Pakistan). He was a sincere friend of Karam Singh who was a Havildar in the same regiment in Burma.

He was a fast friend of Karam Singh. He was full of praise for his friend’s skill and efficiency as a soldier. He was a true friend of Karam Singh. During the war days. he had to go on leave. Karam Singh also wanted to have leave and he wished to spend his leave with Mann Singh. But he did not get leave. Karam Singh told Mann Singh to go to his village, Thathi Khara in district Amritsar.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

By his visit to his village, he would be able to meet his people. He wanted his parents to feel that he had visited them through the visit of Mann Singh. Because of the tragedy of Karam Singh, his father did not give him a warm welcome.

But Mann Singh understood that his personal loss and responsibilities had given him a great shock. He rightly compared the old father of Karam Singh with the mythical bull beneath the earth.

मान सिंह सेना में नायक था। वह चूड़काना (अब पाकिस्तान में) का रहने वाला था। वह कर्मसिंह का सच्चा दोस्त था जो बर्मा की उसी रैजीमैन्ट में हवलदार था। वह कर्म सिंह का पक्का मित्र था। वह एक सैनिक के रूप में अपने मित्र की प्रवीणता और कौशल की बहुत प्रशंसा करता था। वह एक सच्चा मित्र था।

युद्ध के दिनों में उसे छुट्टी पर जाना पड़ा। कर्म सिंह भी छुट्टी लेकर जाना चाहता था ताकि वह छुट्टी मान सिंह के साथ बिता सके। लेकिन उसे छुट्टी नहीं मिली। कर्म सिंह ने मान सिंह को कहा कि वह उसके गांव ठुठी खारा जिला अमृतसर में जाये। उसके गांव जाकर वह उसके परिवार के लोगों से मिल सकेगा। कर्म सिंह चाहता था कि मान सिंह के जाने से उसके मातापिता को लगेगा कि उसके ज़रिये से वे कर्म सिंह को मिल सके थे।

कर्म सिंह के दुःखांत के कारण कर्म सिंह के पिता ने मान सिंह का अच्छी तरह स्वागत नहीं किया। लेकिन मान सिंह समझ गया था कि उसके व्यक्तिगत नुकसान और ज़िम्मेदारियों ने उसको बड़ा झटका दिया था। इस लिए उसने कर्म सिंह के बूढ़े बाप की तुलना ज़मीन के नीचे उपस्थित पौराणिक बैल से की थी।

Question 3.
Why did Mann Singh visit Karam Singh’s village during his leave ? How did Karam Singh’s family treat him ? What was the reason for such treatment?
अपनी छुट्टी के दौरान मान सिंह कर्म सिंह के गांव क्यों गया ? कर्म सिंह के परिवार ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया ? ऐसे बर्ताव का क्या कारण था ?
Answer:
Mann Singh was going on leave to his home in Chuharkana. His friend Karam Singh told him that he must go to his village Thathi Khara and see his people before he returned from leave. He told him that his family members would be happy to see him. Then Karam Singh told him about the geography of his village.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

He would write to his parents about Mann Singh’s visit. So Mann Singh made it a point to visit Thathi Khara. He took a tonga from Amritsar to reach the village. As he reached the place, he entered Karam Singh’s house. He greeted Karam Singh’s father. Karam Singh’s father welcomed him. He sat down on a charpai.

The old man did not appear to be warm in welcoming Mann Singh. He seemed to be disturbed at Mann Singh’s arrival. His eyes wandered away from Mann Singh’s face. Mann Singh thought this welcome strange. For a moment, Mann Singh thought that the old man was not Karam Singh’s father.

The old man said that this was Karam Singh’s house. He added that Karam Singh had written to him about his visit. After speaking these words, the old man walked away to the courtyard. The reason for this cold treatment was the sudden death of Karam Singh. The whole family was in grief.

मान सिंह छुट्टी पर (चूड़काना) अपने घर जा रहा था। कर्म सिंह ने उसको कहा कि उसे छुट्टी से वापस आने से पहले उसके गांव ठठ्ठी खारा में उसके घर जाकर उसके माता-पिता को ज़रूर मिलना चाहिये। उसने उसको कहा कि उसके माता-पिता उसको मिल कर बहुत प्रसन्न होंगे। फिर कर्मसिंह ने उसको अपने गांव की भौगोलिक स्थिति बता दी।

वह अपने माता-पिता को मान सिंह के दौरे के बारे लिख देगा। इसलिए मान सिंह ने इरादा कर लिया कि वह Thathi Khara ज़रूर जायेगा। गांव पहुंचने के लिए उसने Amritsar से टांगा ले लिया। वहां पहुंच कर उसने कर्म सिंह के घर प्रवेश किया। उसने कर्म सिंह के पिता को नमस्कार किया।

बूढ़े बाप ने उसको कहा कि यह कर्म सिंह का घर है। कर्म सिंह के पिता ने उसका स्वागत किया। वह एक चारपाई पर बैठ गया। बूढ़े आदमी द्वारा मान सिंह का स्वागत करने में रूखापन था। वह मान सिंह के आने पर परेशान-सा था। उसकी आँखें मान सिंह के चेहरे से परे हट गईं। मान सिंह इस स्वागत को विचित्र पा समझता था।

एक पल के लिए तो मान सिंह ने सोचा कि यह बूढ़ा कर्म सिंह का बाप नहीं था। देर कहा ।क यह कर्म सिंह का घर था। उसने कहा कि कर्म सिंह ने उसके आने के बारे लिखा था। ये शब्द बोलने के बाद बूढ़ा आदमी वहां से आंगन की ओर चला गया। इस ठंडे या रूखे स्वागत का कारण कर्म सिंह की अचानक मौत थी। सारा परिवार शोकग्रस्त था।

Question 4.
Give a brief character-sketch of Karam Singh’s father.
कर्म सिंह के बाप का संक्षेप में चरित्र-चित्रण करें।
Answer:
Karam Singh’s father is an old man. He must be past sixty. The story does not tell us about his early life. He seems to be engaged in domestic duties. He does not talk much. When Mann Singh comes to his house at the request of Karam Singh, he does not talk frankly with the visitor. He is not at all warm to his son’s dear friend. Mann Singh gets a cold treatment.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

He does not ask Mann Singh any question about the welfare of his son. So Mann Singh asks him if he is Karam Singh’s father. He is a man of sorrows. He has several sorrows of his own. After the death of Karam Singh, he has to take care of his daughter-in-law and his grandson.

He has become numb after the death of his son in the army. When Mann Singh comes to know that his friend is dead, he then understands why he is so sad and almost silent. Mann Singh compares him to a mythical bull in the mythical stories which bore upon its head the burden of the whole earth. Karam Singh’s father appeared to him a kind, generous and helpful spirit who was willing to share other people’s burden.

कर्म सिंह का बाप एक बूढ़ा व्यक्ति है। वह 60 वर्ष से ऊपर है। कहानी उसके प्रारम्भिक जीवन के बारे कुछ नहीं बताती। वह घरेलू कार्यों में व्यस्त है। वह अधिक बातें भी नहीं करता। जब मान सिंह कर्म सिंह के कहने पर उसके घर आता है तो वह आगन्तुक के साथ खुलकर बात भी नहीं करता।

वह अपने बेटे के प्यारे मित्र के साथ गर्मजोशी से नहीं मिलता। मान सिंह के साथ शुष्क व्यवहार होता है। वह अपने बेटे की भलाई के बारे मान सिंह से कोई प्रश्न भी नहीं पूछता। इसलिए मान सिंह पूछता है क्या वह कर्म सिंह का बाप है। वह दुःखों से पीड़ित व्यक्ति है।

उस पर कई दुःखों का बोझ लदा हुआ है। कर्म सिंह की मौत के बाद उस पर अपनी बहू और पोते का बोझ है। अपने बेटे की सेना में मौत हो जाने से सन्न हो गया है। जब मान सिंह को अपने मित्र की मृत्यु के बारे में पता चलता है तो उसे पता चलता है कि वह इतना उदास और बिल्कुल खामोश क्यों है।

मान सिंह उसकी तुलना पौराणिक कहानियों में दिये हुए पौराणिक बैल से करता है जिसने सारे संसार के बोझ को अपने सिर पर उठाया हुआ था। कर्म सिंह का पिता उसे एक दयालु, उदार और सहायक आत्मा लगता था जो दूसरों का बोझ बांटने को तैयार था।

Objective Type Questions

This question will consist of 3 objective type questions carrying one mark each. These objective questions will include questions to be answered in one word to one sentence or fill in the blank or true/false or multiple choice type questions.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

Question 1.
Who were Mann Singh and Karam Singh ?
Answer:
Mann Singh and Karam Singh were soldiers in the same Regimental Centre and were serving together in a battalion on the Burma Front.

Question 2.
What were the designations of Karam Singh and Mann Singh in the army?
Answer:
Mann Singh was a Naik and Karam Singh was a Havildar in the army.

Question 3.
Where did Mann Singh go when he got a few days’ leave ?
Answer:
He went to his friend Karam Singh’s village, Thathi Khara.

Question 4.
Who did Mann Singh meet first on entering Karam Singh’s house?
Answer:
He first met Karam Singh’s father.

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Question 5.
Who was Jaswant Singh ?
Answer:
He was Karam Singh’s brother.

Question 6.
What did Mann Singh tell Karam Singh’s family about the latter’s war skills ?
Answer:
Mann Singh said that Karam Singh was very famous in the Burma war and a Japanese was killed as he pressed the trigger.

Question 7.
Which words of Mann Singh pierced Karam Singh’s father’s heart ?
Answer:
Mann Singh told Karam Singh’s little son to come with him if he wanted to go to his father. There he would have plenty of water to play in.

Question 8.
How far was Taran Taran from Karam Singh’s village ?
Answer:
It was nearly four miles.

Question 9.
What news did the postman bring ?
Answer:
The postman brought papers concerning Karam Singh’s pension.

Question 10.
What was the effect of Karam Singh’s death on Mann Singh ?
Answer:
Mann Singh felt choked in his chest and throat and his body became feelingless (numb).

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Question 11.
Why did the members of Karam Singh’s family not break the news of his death …to Mann Singh ?
Answer:
They did not tell him as they did not want to spoil his days of leave and they knew that he would come to know everything on returning to his regiment.

Question 12.
Why did Mann Singh compare Karam Singh’s father to a bull who bore upon its head the burden of the whole earth ? (V.V. Imp.)
Answer:
Karam Singh’s father had extraordinary capacity for bearing his personal sorrows and shocks just like the bull in mythical stories who bore upon its head the burden
of the whole earth.

Question 13.
This story relates to rural area of district Amritsar. (True/False)
Answer:
True.

Question 14.
Name the village of Karam Singh.
Answer:
Thathi Khara.

Question 15.
Name the brother of Karam Singh.
Answer:
Jaswant Singh.

Question 16.
Name the writer of this lesson.
Answer:
Kulwant Singh Virk.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

Question 17.
Who brought Karam Singh’s pension papers ?
Answer:
The postman.

Question 18.
Where do you find the mention of the bull bearing the burden of the earth?
Answer:
In mythical or ancient stories.

The Bull beneath the Earth Summary in English

The Bull beneath the Earth Introduction:

This story is about two friends. They were Mann Singh and Karam Singh. They were serving in the same regiment in Burma. Mann Singh visits Karam Singh’s house when he comes on leave. He finds that the members of Karam Singh’s family are very cold and formal towards him.

He is bitterly disappointed at their cold behaviour. But later on he comes to know the reason of their dry behaviour. They had got the news of their son’s death. They withhold the news of the death of their son.

The Bull beneath the Earth Summary in English:

This story is about two army men. They were Havildar Karam Singh and Naik Mann Singh. Both of them were serving in the same Regimental Centre in Burma. They were now serving together in a battalion on the Burma front. Karam Singh had joined the army earlier and was now a Havildar. Mann Singh was a Naik.

Many persons from Karam Singh’s village often enquired from his father when he would come on leave. He was a healthy and friendly character. He had a very pleasant manner of speech. People loved to sit by his side and listen to his tales of war and adventure.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

There were many young men from Karam Singh’s village in the army. But when they came on leave, they did not have many topics for talk. Karam Singh used to tell several things to the people of his village. Karam Singh was often busy talking with the people of the village. He was a good shot. In the war several Japanese were killed by his bullets.

Thus he took revenge for his serveral men killed by the Japanese in the war. While on leave in his village, Karam Singh kept up an interesting course of discussion with people of the village. This went on till midnight by the fire.

During the war gymnastics and many other things had of course been stopped. One never met anyone from one’s village or town. When Mann Singh was about to go on leave, Karam Singh felt that he should also get some leave. Then they could go on leave together. They could perhaps pass the holidays together.

But it was difficult to get leave during war days. Karam Singh belonged to a village in district Amritsar. Mann Singh belonged to Chuharkana (now in Pakistan). Amritsar was not more than fifty miles away from Mann Singh’s Chuharkana.

When Mann Singh got into the military truck to come away, Karam Singh gave him the parting message. He told Mann Singh that he must go to his village and see his people before he returned from leave.

As Mann Singh had not been to areas outside Amritsar, Karam Singh told him about the geography of his village. Karam Singh told him that there were a number of gurudwaras in the countryside of Amritsar. They were Taran Taran, Khadur Sahib and Goindwal. He could visit all of them. Then he could see his parents and members of the family. He will write to them about his visit. Mann Singh had to take a tonga to reach Karam Singh’s village.

Mann Singh reached Karam Singh’s house and introduced himself to Karam Singh’s father. Mann Singh sat on the string-bed. Karam Singh’s father looked disturbed. His eyes wandered away from Mann Singh’s face. Mann Singh’s thought this welcome rather strange. He asked the old man if he was Karam Singh’s father. He told Mann Singh that Karam Singh had written about his visit to them.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

The old man got up and walked away to the courtyard. He petted one buffalo calf and then went inside to announce Mann Singh’s arrival. He wanted tea to be sent to Mann Singh. Then he went near the mare. He put in some more gram in the chaff.

But the old man seemed lost. Mann Singh asked about Jaswant Singh. Mann Singh knew that Jaswant Singh was Karam Singh’s younger brother. He had gone outside. Then Karam Singh’s mother brought tea. Mann Singh wished ‘Sat Sri Akaľ to Karam Singh’s mother. Mann Singh said to himself that the Majhails were strange people.

Jaswant Singh came at night. The talk between the two became more informal. Mann Singh said that Karam Singh’s bullet had killed several Japanese in the war. He wanted to tell more about Karam Singh but nobody in the house was interested to listen.

Jaswant Singh then told his father that canal water will be available to them the day after tomorrow at three o’ clock in the morning. Mann Singh said that Karam Singh in the army did not have to get up early in the morning. This remark about Karam Singh failed to arouse any interest in anyone in the family.

Next, food came with several dishes for him. Jaswant Singh kept waving the fan as Mann Singh ate. He forgot the feeling that he had not been shown much attention. As he finished. food, Karam Singh’s little son walked in. He asked the child if he would like to go to his father. Mann Singh told the child that place gets a lot of rain and he would have a lot of water for playing.

Mann Singh’s words seemed to pierce the old man’s heart. He shouted that the child should be taken away. The mother came and took the child away. Mann Singh’s food stuck in his throat. Then he started making enquiries about his morning’s journey. Jaswant Singh offered to go to see off Mann Singh.

Mann Singh told Jaswant Singh that Karam Singh had won for himself a name in the army. Jaswant started talking about the sugarcane crop. Mann Singh wanted to talk about his friend. He planned his journey back to his village. He thought he would take the night train at Amritsar.

After some time the postman brought a letter containing Karam Singh’s pension papers. The postman gave the information to Mann Singh about Karam Singh’s death and the grief in the village. All shed copious tears over the news of his death. Karam Singh’s father was sorry that they had kept the news of Karam Singh’s death away from him.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

Mann Singh’s eyes ranged over the environment which formed the area. There were forts built around the villages for protection. There were tombs and monuments which had many a deathless story of heroic fights against the invaders of Bharat. That was the secret of the old man’s capacity for absorbing the shocks. He could comfortably absorb additional burdens to lighten the burden of other persons.

Mann Singh had heard that there was a bull which bore upon its head the burden of the whole earth. Karam Singh’s father was just another person who could share other people’s burdens.

The Bull beneath the Earth Summary in Hindi

The Bull beneath the Earth Introduction:

यह कहानी दो मित्रों के बारे है। उनके नाम हैं मान सिंह और कर्म सिंह । वे दोनों Burma में एक ही रैजमैन्ट में नौकरी करते थे। Mann Singh छुट्टी पर आता है और वह कर्म सिंह के गाँव में उसके घर जाता है। उसे पता चलता है कि Karam Singh के परिवार के सदस्य उसके प्रति भाव शून्य और औपचारिक हैं। वह उनके ठंडे बर्ताव को देखकर बहुत निराश हो जाता है। लेकिन बाद में उसे उनके शुष्क व्यवहार के बारे में पता चल जाता है। उन्हें अपने बेटे की मौत का समाचार मिल गया था। यह उनके बेटे कर्म सिंह का दुखान्त है। वे अपने बेटे की मौत की खबर को रोक कर रखते हैं।

The Bull beneath the Earth Summary in Hindi:

यह कहानी दो सैनिकों के बारे है। उनके नाम थे हवलदार Karam Singh और नायक Mann Singh । दोनों Burma में स्थित एक ही Regimental Centre में नियुक्त थे। अब वे दोनों एक ही Battalion में Burma front पर काम करते थे। कर्म सिंह सेना में पहले भर्ती हुआ था और अब वह हवलदार था। मान सिंह नायक था।

कर्म सिंह के गाँव के कई व्यक्ति उसके बाप से पूछा करते थे कि वह कब छुट्टी पर आयेगा । वह एक स्वस्थ आदमी और मैत्री भाव वाला पात्र था। उसके बोलचाल का ढंग बहुत ही सुहावना था। लोग उसके पास बैठना पसन्द करते थे और उसके साहसिक कार्यों और युद्ध की कहानियां सुनना पसन्द करते थे।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

कर्म सिंह के गाँव के कई नवयुवक सेना में थे। लेकिन जब वे छुट्टी पर आते थे तो उनके पास दूसरों को बताने के लिए कोई कहानियां नहीं होती थीं। कर्म सिंह अपने गांव के लोगों को कई कहानियां बताया करता था। कर्म सिंह अपने गाँव के लोगों के साथ बातें करता हुआ दिखाई देता था। वह अच्छा निशानेबाज़ था।

युद्ध में कई जापानी मारे गये थे। वे कर्म सिंह की गोलियों से मरे थे। जब कर्म सिंह अपने गाँव में छुट्टी पर आता था, तो वह अपने गाँव के लोगों से कई विषयों पर तर्क किया करता था। यह तर्क आधी रात तक चलते रहते थे और वे आग के पास बैठे रहते थे। युद्ध के दिनों में कसरत/व्यायाम और बहुत सी कई चीजें बन्द कर दी जाती थीं।

किसी सैनिक को अपने गाँव या शहर से कोई व्यक्ति नहीं मिलता था। जब मान सिंह छुट्टी पर जाने वाला था, तो कर्म सिंह को महसूस हुआ कि उसे भी छुट्टी पर जाना चाहिए। तब वे छुट्टी पर इकट्ठे जा सकते थे। तो शायद वे छुट्टी के दिन भी इकट्ठे गुजार सकते थे।

लेकिन युद्ध के दिनों में छुट्टी मिलनी बहुत कठिन थी। कर्म सिंह Amritsar के एक गाँव ठट्ठी खारा का रहने वाला था। मान सिंह चूड़काना का रहने वाला था (अब चूड़काना पाकिस्तान में है)। अमृतसर चूड़काना से 50 मील से अधिक दूरी पर नहीं था। जब मान सिंह छुट्टी पर जाने के लिए मिलिटरी ट्रक में बैठा, कर्म सिंह ने उसे विदाई के समय संदेश दिया। उसने मान सिंह को कहा कि उसे उसके गांव जरूर जाना चाहिये, वापस आने से पहले उसके घरवालों को ज़रूर मिल कर आना चाहिये।

चूँकि मान सिंह अमृतसर के बाहर किसी ग्रामीण क्षेत्र में नहीं गया था, कर्म सिंह ने उसे गाँव की Geographical position बता दी। कर्म सिंह ने मान सिंह को बताया कि अमृतसर के देहाती इलाके में कई गुरद्वारे थे। वे थे Taran Taran, खडूरसाहिब और गोइन्दवाल। वह उन सब गुरुद्वारों के दर्शन कर सकता था। फिर वह उसके पिता और परिवार के सदस्यों से मिल सकता था। वह उन्हें पत्र लिख देगा कि मान सिंह उनके घर आयेगा।

मान सिंह को टांगा में बैठकर कर्म सिंह के घर पहुंचना था। Mann Singh कर्म सिंह के घर पहुंच गया और मान सिंह के पिता को अपना परिचय दिया। Mann Singh चारपाई पर बैठ गया। कर्म सिंह का पिता कुछ परेशान सा लगता था। उसकी आँखें मान सिंह के चेहरे से हटकर कहीं और देखती रहीं।

मान सिंह ने इस स्वागत को जरा रुखा और ठंडा समझा। उसने बूढ़े आदमी को पूछा कि क्या वह कर्म सिंह का पिता था। उसने मान सिंह को बताया कि कर्म सिंह ने उनको लिखा था कि मान सिंह उनको मिलने के लिए उनके घर आयेगा।

बूढ़ा आदमी (कर्म सिंह का बाप) वहां से उठकर सेहन की ओर चला गया। उसने भैंस के बच्चे को थपकी दी और फिर वह अन्दर चला गया ताकि वह सबको बता सके कि मान सिंह आ गया है। बूढ़े बाप ने यह भी कहा कि मान सिंह को चाय पिलाई जाये। फिर बूढ़ा घोड़ी के पास गया। उसने भूसे में कुछ चने डाले। लेकिन बूढा बाप खोया-खोया नज़र आता था। मान सिंह ने जसवन्त सिंह के बारे पूछा।

मान सिंह जानता था कि जसवन्त सिंह कर्म सिंह का छोटा भाई था। वह घर से बाहर गया हुआ था। तब Karam Singh की माता चाय लेकर आई। मान सिंह ने कर्म सिंह की माता को ‘सत श्री अकाल’ कहा। फिर मान सिंह ने अपने को कहा कि मझेल (कर्म सिंह की Caste) विचित्र प्रकार के व्यक्ति थे।

जसवन्त सिंह रात को आया। दोनों के बीच बातचीत अधिक अनौपचारिक हो गई। मान सिंह ने कहा कि कर्म . सिंह की गोली से कई जापानी मारे गये थे। मान सिंह, कर्म सिंह के बारे में और बातें भी करना चाहता था लेकिन कर्म सिंह के बारे में कोई भी बात सुनने के लिए तैयार नहीं था।

जसवन्त ने तब अपने पिता को बताया कि उनको नहर का पानी परसों तीन बजे प्रातः मिलेगा। मान सिंह कहने लगा कि सेना में कर्म सिंह को प्रातः जल्दी नहीं उठना पड़ता था। कर्म सिंह के बारे इस टिप्पणी ने भी परिवार के किसी सदस्य में कर्म सिंह के बारे कोई रुचि जागृत नहीं की।

कुछ देर के बाद Mann Singh के लिए भोजन परोसा गया। इसमें कई पकवान थे। जसवन्त सिंह मान सिंह को पंखा करता रहा। अब मान सिंह इस विचार को भूल गया कि उसकी ओर इस परिवार ने विशेष ध्यान नहीं दिया। ज्यूं ही उसने भोजन कर लिया कर्म सिंह का छोटा लड़का उधर आ गया।

उसने बच्चे को पूछा क्या वह अपने पिता के पास जाना चाहेगा । उसने बच्चे से कहा कि वहां वर्षा खूब पड़ती है और वहां उसे खेलने के लिए बहुत सा पानी मिल जायेगा। मान सिंह के शब्दों ने मानो बूढ़े बाप का दिल चीर दिया। उसने चिल्ला कर कहा कि बच्चे को वहां से ले जाओ। बच्चे की मां आई और वह बच्चे को वहाँ से ले गई। मान सिंह का खाना मानो उसके गले में रुक गया हो। फिर उसने अपनी सुबह की यात्रा के बारे में पूछताछ करनी शुरू कर दी।

जसवन्त सिंह ने मान सिंह को कहा कि वह उसको इस गांव से जाने में तरनतारन तक उसके साथ जायेगा। Mann Singh ने जसवन्त सिंह को बताया कि Karam Singh ने अपने लिए सेना में बड़ा नाम कमाया था। जसवन्त सिंह ने गन्ने की फसल के बारे बात करनी शुरू कर दी। मान सिंह अपने मित्र कर्म सिंह के बारे में बात करना चाहता था। मान सिंह ने अपने गांव जाने के लिए योजना बना ली। उसने सोचा कि वह रात को अमृतसर से गाड़ी में सवार होगा। कुछ समय के बाद डाकिया एक चिट्ठी लेकर आ गया जिसमें कर्म सिंह की पैन्शन के कागज़ थे।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth

डाकिये ने मान सिंह को कर्म सिंह की मौत और गाँव में उसकी मौत पर शोक और दुःख के बारे में बताया। फिर Mann Singh ने गाँव के इर्द-गिर्द के वातावरण पर नज़र डाली। गाँव के बाहर किले बने हुए थे जो सुरक्षा देते थे। वहां पर मकबरे और स्मारक थे जिनमें भारत पर आक्रमणकारियों के हाथों शहीद हो गये बहादुरों का विवरण दिया गया था।

यह कर्म सिंह के बूढ़े पिता की असाधारण शक्ति का पता देता था जो सब सदमों को सहन करता था। मान सिंह ने सुन रखा था कि एक ऐसा बैल भी था जिसने अपने सिर पर सारी पृथ्वी का बोझ उठाया हुआ था। कर्म सिंह का बाप भी एक ऐसा ही व्यक्ति था जो कि दूसरे लोगों के दुःखों में भागीदार बन सकता था।

Word Meaninigs :

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth 1
PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 6 The Bull beneath the Earth 2

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

Punjab State Board PSEB 7th Class Punjabi Book Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Punjabi Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

(ਉ) ਬਹੁਵਿਕਲਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ : ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਅੱਗੇ (✓) ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਾਓ

(i) ਮਿੰਨੀ ਦੀ ਉਮਰ ਕਿੰਨੀਂ ਹੈ ?
(ਉ) ਸੱਤ ਸਾਲ
(ਅ) ਪੰਜ ਸਾਲ
(ਇ) ਨੌਂ ਸਾਲ ।
ਉੱਤਰ :
(ਅ) ਪੰਜ ਸਾਲ ✓

(ii) ਰਹਿਮਤ ਨੇ ਮੋਢਿਆਂ ‘ਤੇ ਕੀ ਲਟਕਾਇਆ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
(ਉ) ਅੰਗੁਰਾਂ ਦੀ ਟੋਕਰੀ
(ਅ) ਕੱਪੜੇ
(ਈ) ਮੇਵਿਆਂ ਦੀ ਬੋਰੀ ।
ਉੱਤਰ :
(ਈ) ਮੇਵਿਆਂ ਦੀ ਬੋਰੀ । ✓

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

(iii) ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਜਾਂਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਘਰ-ਘਰ ਕਿਉਂ ਜਾਣਾ ਪੈਂਦਾ ਸੀ ?
(ੳ) ਪੈਸੇ ਉਗਰਾਹੁਣ ਲਈ
(ਅ) ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਲਈ
(ਇ) ਸੁਗਾਤਾਂ ਦੇਣ ਲਈ ।
ਉੱਤਰ :
(ੳ) ਪੈਸੇ ਉਗਰਾਹੁਣ ਲਈ ✓

(iv) ਲੇਖਕ ਆਪਣੇ ਕਮਰੇ ਵਿੱਚ ਕੀ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ?
(ਉ) ਸੌਂ ਰਿਹਾ ਸੀ
(ਅ) ਹਿਸਾਬ ਲਿਖ ਰਿਹਾ ਸੀ
(ਇ) ਪੜ੍ਹ ਰਿਹਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ :
(ਅ) ਹਿਸਾਬ ਲਿਖ ਰਿਹਾ ਸੀ ✓

(v) ਰਹਿਮਤ ਕਿਸ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ਗੁੰਮ ਹੋ ਗਿਆ ?
(ੳ) ਮਿੰਨੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ
(ਅ) ਆਪਣੀ ਬੱਚੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ
(ਇ) ਪਤਨੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ :
(ਅ) ਆਪਣੀ ਬੱਚੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ✓

(ਆ) ਛੋਟੇ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਰਹਿਮਤ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਿੰਨੀ ਦੇ ਮਨ ਵਿਚ ਕਿਹੜੀ ਗੱਲ ਘਰ ਕਰ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਬੱਚੇ ਚੁੱਕਣ ਵਾਲਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਉਸਦੀ ਬੋਰੀ ਖੋਲ੍ਹੀ ਜਾਵੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਦੋ-ਚਾਰ ਬੱਚੇ ਨਿਕਲ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਿੰਨੀ ਦੀ ਮਾਂ ਉਸਨੂੰ ਕਿਉਂ ਡਾਂਟ ਰਹੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਸਮਝ ਰਹੀ ਸੀ ਕਿ ਉਸਨੇ ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਤੋਂ ਅਠਿਆਨੀ ਲਈ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਉੱਤੇ ਕਿਹੋ ਜਿਹੀ ਛਾਪ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਨਿੱਕੇ ਨਿੱਕੇ ਦੋ ਹੱਥਾਂ ਦੀ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਰਹਿਮਤ ਭੁੱਜੇ ਕਿਉਂ ਬੈਠ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ :
ਕਿਉਂਕਿ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਵਿਆਹ ਵਾਲੀ ਪੁਸ਼ਾਕ ਵਿਚ ਦੇਖ ਕੇ ਰਹਿਮਤ ਇਹ ਸੋਚ ਕੇ ਘਬਰਾ ਗਿਆ ਕਿ ਉਸਦੀ ਨਿੱਕੀ ਜਿਹੀ ਧੀ ਵੀ ਹੁਣ ਜਵਾਨ ਹੋ ਚੁੱਕੀ ਹੋਵੇਗੀ ਤੇ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਬੀਤੇ ਅੱਠਾਂ ਸਾਲਾਂ ਵਿਚ ਉਸ ਨਾਲ ਕੀ ਬੀਤੀ ਹੋਵੇਗੀ ।

(ਈ) ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਮਿੰਨੀ ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਤੋਂ ਕਿਉਂ ਡਰਦੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਮਿੰਨੀ ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਤੋਂ ਇਸ ਕਰਕੇ ਡਰਦੀ ਸੀ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਬੱਚੇ ਚੁੱਕਣ ਵਾਲਾ ਸਮਝਦੀ ਸੀ । ਉਸਦਾ ਖ਼ਿਆਲ ਸੀ ਕਿ ਜੇਕਰ ਉਸਦੀ ਬੋਰੀ ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਦੇਖੀ ਜਾਵੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਦੋ-ਚਾਰ ਬੱਚੇ ਨਿਕਲ ਆਉਣਗੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਕੀ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਹਰ ਸਾਲ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਤੋਂ ਆ ਕੇ ਕਲਕੱਤੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਸੁੱਕੇ ਮੇਵੇ, ਬਦਾਮ, ਕਿਸ਼ਮਿਸ਼, ਅੰਗੂਰ ਤੇ ਚਾਦਰਾਂ ਆਦਿ ਵੇਚਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਕਿਉਂ ਮਿਲਣ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਇਸ ਕਰਕੇ ਮਿਲਣ ਆਉਂਦਾ ਸੀ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਵਰਗੀ ਹੀ ਉਸਦੀ ਆਪਣੀ ਧੀ ਸੀ । ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰ ਕੇ ਮਿੰਨੀ ਲਈ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿੰਨਾ ਮੇਵਾ ਲਿਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਉਸ ਨਾਲ ਹੱਸ-ਖੇਡ ਲੈਂਦਾ ਸੀ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਵਿਆਹ ਵਾਲੀ ਪੁਸ਼ਾਕ ਵਿਚ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਰਹਿਮਤ ਨੇ ਕੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਵਿਆਹ ਵਾਲੀ ਪੁਸ਼ਾਕ ਵਿਚ ਦੇਖ ਕੇ ਰਹਿਮਤ ਨੇ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੀ ਜਿਸ ਮਿੰਨੀ ਵਰਗੀ ਨਿੱਕੀ ਧੀ ਨੂੰ ਅੱਠ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਘਰ ਛੱਡ ਕੇ ਆਇਆ ਸੀ, ਉਹ ਵੀ ਹੁਣ ਜਵਾਨ ਹੋ ਚੁੱਕੀ ਹੋਵੇਗੀ ਤੇ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਇੰਨੇ ਲੰਮੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਉਸਦੇ ਸਿਰ ਕੀ ਬੀਤੀ ਹੋਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਪੈਸੇ ਦੇ ਕੇ ਲੇਖਕ ਨੇ ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਨੂੰ ਕੀ ਕਿਹਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਲੇਖਕ ਨੇ ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਨੂੰ ਪੈਸੇ ਦੇ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਹੁਣ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਜਾਵੇ ਤੇ ਆਪਣੀ ਬੱਚੀ ਨੂੰ ਮਿਲੇ ।

(ਸ) ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਵਾਕਾਂ ਵਿਚ ਵਰਤੋਂ ਕਰੋਅਚਾਨਕ, ਧੀਮੀ, ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ, ਝਿਜਕ, ਪੁਸ਼ਾਕ, ਚਿਹਰਾ ।
ਉੱਤਰ :
1. ਅਚਾਨਕ (ਬਿਨਾਂ ਅਗਾਊਂ ਸੂਚਨਾ ਤੋਂ, ਇਕਦਮ) – ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਮੇਰਾ ਧਿਆਨ ਅਚਾਨਕ ਹੀ ਝਾੜੀ ਵਿਚ ਬੈਠੇ ਸ਼ੇਰ ਉੱਤੇ ਪੈ ਗਿਆ ।
2. ਧੀਮੀ (ਹੌਲੀ) – ਲਾਊਡ ਸਪੀਕਰ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਜ਼ਰਾ ਧੀਮੀ ਕਰ ਦਿਓ ।
3. ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਧੀਮੀ, ਘੱਟ ਚਾਲ ਨਾਲ)-ਅਸੀਂ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਤੁਰਦੇ ਅੰਤ ਆਪਣੀ ਮੰਜ਼ਲ ਉੱਤੇ ਪਹੁੰਚ ਗਏ ।
4. ਝਿਜਕ ਹਿਚਕਚਾਹਟ)-ਤੁਸੀਂ ਬਿਨਾਂ ਝਿਜਕ ਤੋਂ ਸਾਰੀ ਗੱਲ ਸੱਚੋ ਸੱਚ ਦੱਸ ਦਿਓ ।
5. ਪੁਸ਼ਾਕ ਪਹਿਰਾਵਾ)-ਸਲਵਾਰ ਕਮੀਜ਼ ਪੰਜਾਬੀ ਇਸਤਰੀਆਂ ਦੀ ਪੁਸ਼ਾਕ ਹੈ ।
6. ਚਿਹਰਾ ਮੂੰਹ-ਬਦਮਾਸ਼ਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਚਿਹਰੇ ਢੱਕੇ ਹੋਏ ਸਨ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ
1. ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ …………. ਚਾਲ ਵਿੱਚ ਸੜਕ ‘ਤੇ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ।
2. ਡਰ ਨਾਲ ਉਹ ਮੇਰੀਆਂ …………. ਨਾਲ ਚਿੰਬੜ ਗਈ ।
3. ਮਿੰਨੀ ਦੀ ਝੋਲੀ …………. ਅਤੇ …………. ਨਾਲ ਭਰੀ ਹੋਈ ਸੀ ।
4. ਹਰ ਸਾਲ ਸਰਦੀਆਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ …………. ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ।
5. ਮਿੰਨੀ ਦੇ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇੱਕ ਹਉਕਾ ਭਰ ਕੇ …………. ਭੁੱਜੇ ਹੀ ਬੈਠ ਗਿਆ ।
ਉੱਤਰ :
1. ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਧੀਮੀ ਚਾਲ ਵਿੱਚ ਸੜਕ ‘ਤੇ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ।
2. ਡਰ ਨਾਲ ਉਹ ਮੇਰੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਨਾਲ ਚਿੰਬੜ ਗਈ ।
3. ਮਿੰਨੀ ਦੀ ਝੋਲੀ ਬਦਾਮਾਂ ਅਤੇ ਕਿਸ਼ਮਿਸ਼ ਨਾਲ ਭਰੀ ਹੋਈ ਸੀ ।
4. ਹਰ ਸਾਲ ਸਰਦੀਆਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ।
5. ਮਿੰਨੀਂ ਦੇ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇੱਕ ਹਉਕਾ ਭਰ ਕੇ ਰਹਿਮਤ ਭੇਜੇ ਹੀ ਬੈਠ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੰਜਾਬੀ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੀ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਲਿਖੋ-
ਖਿੜਕੀ, ਜਾਣ-ਪਛਾਣ, ਹਰ ਰੋਜ਼, ਟੁਕੜਾ, ਚਿਹਰਾ ।
ਉੱਤਰ :
ਪੰਜਾਬੀ – ਹਿੰਦੀ – ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ
1. ਖਿੜਕੀ – खिड़की – Window
2. ਜਾਣ-ਪਛਾਣ – परिचय – Introduction
3. ਹਰ ਰੋਜ਼ – प्रतिदिन – Daily
4. ਟੁਕੜਾ – खंड – Piece
5. ਚਿਹਰਾ – चेहरा – Face.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ੁੱਧ ਕਰ ਕੇ ਲਿਖੋ
1. ਜਰੂਰੀ – ……………..
2. ਸੌਹਰਾ – ……………..
3. ਮਿਲਣ – ……………..
4. ਚੇਹਰਾ – ……………..
5. ਕੁਜ – ……………..
6. ਸੋਦਾ – ……………..
ਉੱਤਰ :
1. ਜਰੂਰੀ – ਜ਼ਰੂਰੀ
2. ਸੌਹਰਾ – ਸਹੁਰਾ
3. ਮਿਲਣ – ਮਿਲਣ
4. ਚੇਹਰਾ – ਚਿਹਰਾ
5. ਕੁਜ – ਕੁੱਝ
6. ਸੋਦਾ – ਸੌਦਾ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਰਾਬਿੰਦਰ ਨਾਥ ਟੈਗੋਰ ਦੀਆਂ ਲਿਖੀਆਂ ਪੰਜ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਹਾਣੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ :
1. ਸੋਮਪੋਤੀ ਸੋਪੋਰੋ
2. ਘਰੇ-ਬਾਰੇ
3. ਜੋਗ-ਅਯੋਗ
4. ਸੋਸ਼ਰ ਕੋਬਿਤਾ
5. ਗੋਰਾ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਨੂੰ ਸੁੰਦਰ ਲਿਖਾਈ ਕਰ ਕੇ ਲਿਖੋ-
ਰਹਿਮਤ ਹੱਸਦਾ ਹੋਇਆ ਕਹਿੰਦਾ, “ਹਾਥੀ ।” ਫਿਰ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਪੁੱਛਦਾ, “ਤੂੰ ਸਹੁਰੇ ਕਦੋਂ ਜਾਵੇਗੀ ?” ਉਲਟਾ ਮਿੰਨੀ ਰਹਿਮਤ ਨੂੰ ਪੁੱਛਦੀ, ‘ਤੂੰ ਸਹੁਰੇ ਕਦੋਂ ਜਾਵੇਗਾ ?”

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :

ਪਲ ਭਰ-ਬਹੁਤ ਥੋੜ੍ਹਾ ਸਮਾਂ | ਦਰਬਾਨ-ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਉੱਤੇ ਪਹਿਰਾ ਦੇਣ ਵਾਲਾ | ਕਾਗ-ਕਾਂ । ਮੇਵਿਆਂ-ਸੁੱਕੇ ਫਲਾਂ, ਬਦਾਮ, ਅਖਰੋਟ, ਸੌਗੀ, ਨਿਊਜ਼ੇ ਆਦਿ । ਸਲਾਮ-ਨਮਸਕਾਰ | ਪਟਾਕ ਪਟਾਕ-ਖੁੱਲ ਕੇ, ਬਿਨਾਂ ਝਿਜਕ ਤੋਂ । ਕਿਸ਼ਮਿਸ਼-ਸੌਗੀ । ਅਠਿਆਨੀ-ਪੁਰਾਣੇ ਸਿੱਕੇ ਦਾ ਨਾਂ, ਜੋ ਅੱਜ ਦੇ 50 ਪੈਸਿਆਂ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਡਾਂਟ ਰਹੀ-ਝਿੜਕ ਰਹੀ, ਗੁੱਸੇ ਹੋ ਰਹੀ । ਉਗਰਾਹੁਣ-ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਆਪਣੇ ਦਿੱਤੇ ਹੋਏ ਜਾਂ ਕਿਸੇ ਸਭਾ ਦੁਆਰਾ ਮਿੱਥੇ ਹੋਏ ਪੈਸੇ ਜਾਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਲੈਣਾ | ਸ਼ੋਰ-ਰੌਲਾ । ਖਿੜ ਗਿਆ-ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋ ਗਿਆ । ਅਪਰਾਧ-ਦੋਸ਼, ਕਸੂਰ । ਗਹੁ ਨਾਲ-ਧਿਆਨ ਨਾਲ । ਰੁੱਝਿਆ ਹੋਇਆ-ਲਗਾਤਾਰ ਕੰਮ ਵਿਚ ਲੱਗਾ ਹੋਇਆ ਹੋਣਾ | ਪੁਕਾਰਦੀ-ਬੁਲਾਉਂਦੀ । ਕਲਕੱਤੇ-ਕੋਲਕਾਤੇ । ਸੌਦਾ-ਨਿੱਤ ਵਰਤੋਂ ਦਾ ਸਮਾਨ । ਪੁਸ਼ਾਕ-ਪਹਿਰਾਵਾ, ਕੱਪੜੇ | ਬਾਅਦ-ਪਿੱਛੋਂ 1 ਚਿਹਰਾ-ਮੂੰਹ ਮਤਲਬਅਰਥ, ਭਾਵ । ਗੁੰਮ ਹੋ ਗਿਆ-ਗੁਆਚ ਗਿਆ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ Summary

ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਪਾਠ ਦਾ ਸਾਰ

ਲੇਖਕ ਦੀ ਪੰਜ ਕੁ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਛੋਟੀ ਬੇਟੀ ਮਿੰਨੀ ਪਲ ਭਰ ਲਈ ਵੀ ਚੁੱਪ ਨਹੀਂ ਬੈਠਦੀ ਤੇ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਗੱਲ ਛੇੜੀ ਰੱਖਦੀ ਹੈ । ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਅਚਾਨਕ ਖੇਡ ਛੱਡ ਕੇ ਖਿੜਕੀ ਵਲ ਦੌੜ ਗਈ ਅਤੇ “ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਨੂੰ ਅਵਾਜ਼ਾਂ ਮਾਰਨ ਲੱਗੀ । ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਮੋਢਿਆਂ ਉੱਤੇ ਮੇਵਿਆਂ ਦੀ ਬੋਰੀ ਲਟਕਾਈ ਤੇ ਹੱਥ ਵਿਚ ਅੰਗੁਰਾਂ ਦੀ ਟੋਕਰੀ ਫੜੀ ਜਾ ਰਿਹਾ, ਸੀ । ਜਿਉਂ ਹੀ ਉਹ ਲੇਖਕ ਦੇ ਘਰ ਵਲ ਮੁੜਿਆ, ਤਾਂ ਮਿੰਨੀ ਡਰ ਕੇ ਅੰਦਰ ਦੌੜ ਗਈ । ਉਹ ਸਮਝਦੀ ਸੀ ਕਿ ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਬੱਚੇ ਚੁੱਕ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਨੇ ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੂੰ ਸਲਾਮ ਕੀਤੀ | ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੇ ਕੁੱਝ ਸੌਦਾ ਖ਼ਰੀਦਿਆ ਤੇ ਉਸ ਵਲੋਂ ਮਿੰਨੀ ਬਾਰੇ ਪੁੱਛਣ ਤੇ ਉਸਨੇ ਉਸ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਬੁਲਾਇਆ | ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਬੋਰੀ ਵਿਚੋਂ ਬਦਾਮ, ਕਿਸ਼ਮਿਸ਼ ਕੱਢ ਕੇ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਦੇਣ ਲੱਗਾ, ਤਾਂ ਮਿੰਨੀ ਨੇ ਕੁੱਝ ਨਾ ਲਿਆ ਤੇ ਡਰ ਨਾਲ ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਨੂੰ ਚਿੰਬੜ ਗਈ । ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਪਿੱਛੋਂ ਜਦੋਂ ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਕਿਸੇ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਲਈ ਬਾਹਰ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਮਿੰਨੀ ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਨਾਲ ਪਟਾਕ-ਪਟਾਕ ਗੱਲਾਂ ਕਰ ਰਹੀ ਸੀ ਅਤੇ ਉਸਦੀ ਝੋਲੀ ਵਿਚ ਬਦਾਮ ਤੇ ਕਿਸ਼ਮਿਸ਼ ਪਏ ਸਨ । ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੇ ਇਕ ਅਠਿਆਨੀ ਦਿੰਦੇ ਹੋਏ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਅੱਗੋਂ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਨਾ ਦੇਵੇ ।

ਜਾਂਦਾ ਹੋਇਆ ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਉਹੋ ਅਠਿਆਨੀ ਮਿੰਨੀ ਦੀ ਝੋਲੀ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਗਿਆ । ਜਦੋਂ ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਘਰ ਆਇਆ ਤਾਂ ਮਿੰਨੀ ਦੀ ਮਾਂ ਉਸਨੂੰ ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਤੋਂ ਅਠਿਆਨੀ ਲੈਣ ਬਾਰੇ ਡੱਟ ਰਹੀ ਸੀ ।

ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਆਉਂਦਾ । ਉਸਦਾ ਨਾਂ ਰਹਿਮਤ ਸੀ ।ਉਸਨੇ ਬਦਾਮ-ਕਿਸ਼ਮਿਸ਼ ਦੇ ਕੇ ਮਿੰਨੀ ਦੇ ਦਿਲ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਮਿੰਨੀ ਉਸਨੂੰ ਪੁੱਛਦੀ ਕਿ ਉਸਦੇ ਬੋਰੀ ਵਿਚ ਕੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਕਹਿੰਦਾ, “ਹਾਥੀ” ਫਿਰ ਉਹ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਪੁੱਛਦਾ ਕਿ ਉਹ ਸਹੁਰੇ ਕਦੋਂ ਜਾਵੇਗੀ ? ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਿੰਨੀ ਉਸਨੂੰ ਉਲਟਾ ਪੁੱਛਦੀ ਕਿ ਉਹ ਸਹਰੇ ਕਦ ਜਾਵੇਗਾ ? ਰਹਿਮਤ ਆਪਣਾ ਕੰਮ ਮੁਕਾ ਕੇ ਕਹਿੰਦਾ ਕਿ ਉਹ ਸਹੁਰੇ ਨੂੰ ਮਾਰੇਗਾ । ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਿੰਨੀ ਹੱਸਦੀ ।

ਹਰ ਸਾਲ ਸਰਦੀਆਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ । ਇਕ ਦਿਨ ਸਵੇਰੇ ਬਾਹਰ ਸੜਕ ਉੱਤੇ ਰੌਲਾ ਸੁਣਾਈ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਰਹਿਮਤ ਨੂੰ ਦੋ ਸਿਪਾਹੀ ਬੰਨ ਕੇ ਲਿਜਾ ਰਹੇ ਸਨ ।ਉਸਦੇ ਕੁੜਤੇ ਉੱਤੇ ਖ਼ੂਨ ਦੇ ਦਾਗ ਸਨ ਤੇ ਇਕ ਸਿਪਾਹੀ ਦੇ ਹੱਥ ਵਿਚ ਲਹੂ-ਲਿਬੜਿਆ ਛੁਰਾ ਸੀ । ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੂੰ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਰਹਿਮਤ ਨੂੰ ਕੋਈ ਬੰਦਾ ਉਸ ਤੋਂ ਖ਼ਰੀਦੀ ਚਾਦਰ ਦੇ ਪੈਸੇ ਨਹੀਂ ਸੀ ਦੇ ਰਿਹਾ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਝਗੜਾ ਹੋ ਗਿਆ ਤੇ ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਨੇ ਉਸਦੇ ਛੁਰਾ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ ।

ਮਿੰਨੀ ‘‘ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ-ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ’ ਕਹਿੰਦੀ ਹੋਈ ਬਾਹਰ ਆਈ । ਉਹ ਕਾਬਲੀਵਾਲੇ ਨੂੰ ਕਹਿਣ ਲੱਗੀ ਕਿ ਕੀ ਉਹ ਸਹੁਰੇ ਜਾਵੇਗਾ | ਰਹਿਮਤ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਹ ਉੱਥੇ ਹੀ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਉਸਨੇ ਹੋਰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਸਹੁਰੇ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੰਦਾ, ਪਰ ਉਹ ਕੀ ਕਰੇ ਕਿਉਂਕਿ ਉਸਦੇ ਹੱਥ ਬੰਨ੍ਹੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਛੁਰਾ ਮਾਰਨ ਦੇ ਅਪਰਾਧ ਵਿਚ ਰਹਿਮਤ ਨੂੰ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਹੋਈ । ਕਈ ਸਾਲ ਬੀਤ ਗਏ ।

ਹੁਣ ਮਿੰਨੀ ਦੇ ਵਿਆਹ ਦਾ ਦਿਨ ਆ ਗਿਆ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਰਹਿਮਤ ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਆ ਖੜ੍ਹਾ ਹੋਇਆ । ਉਸਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਹ ਕੱਲ੍ਹ ਸ਼ਾਮ ਹੀ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿਚੋਂ ਛੁੱਟ ਕੇ ਆਇਆ ਹੈ । ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅੱਜ ਉਹ ਰੁਝੇਵੇਂ ਵਿਚ ਹੈ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਫਿਰ ਕਿਸੇ ਦਿਨ ਆਵੇ ।

ਰਹਿਮਤ ਉਦਾਸ ਹੋ ਕੇ ਮੁੜਨ ਲੱਗਾ, ਪਰੰਤੁ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਤੋਂ ਫਿਰ ਮੁੜ ਆਇਆ । ਉਸਨੇ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਦੀ ਇੱਛਾ ਪ੍ਰਗਟ ਕੀਤੀ । ਸ਼ਾਇਦ ਉਹ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਜਿੰਨੀ ਨਿੱਕੀ ਹੀ ਸਮਝਦਾ ਸੀ । ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੇ ਫਿਰ ਉਸਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅੱਜ ਘਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੰਮ ਹੈ । ਉਹ ਅੱਜ ਉਸਨੂੰ ਨਹੀਂ ਮਿਲ ਸਕੇਗਾ |

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 5 ਕਾਬਲੀਵਾਲਾ

ਰਹਿਮਤ ਉਦਾਸ ਹੋਇਆ ਤੇ ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੂੰ ਸਲਾਮ ਕਰ ਕੇ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਗਿਆ । ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਉਸਨੂੰ ਵਾਪਸ ਬੁਲਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਉਹ ਆਪ ਹੀ ਮੁੜ ਆਇਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਹ ਬੱਚੀ ਲਈ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਮੇਵਾ ਲਿਆਇਆ ਹੈ । ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਪੈਸੇ ਦੇਣੇ ਚਾਹੇ, ਪਰ ਉਸ ਨੇ ਨਾ ਲਏ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੁਹਾਡੀ ਬੱਚੀ ਵਰਗੀ ਮੇਰੀ ਵੀ ਇੱਕ ਬੱਚੀ ਹੈ । ਉਸਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰ ਕੇ ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੀ ਬੱਚੀ ਲਈ ਥੋੜਾ ਜਿੰਨਾ ਮੇਵਾ ਲਿਆਇਆ ਕਰਦਾ ਸਾਂ, ਸੌਦਾ ਵੇਚਣ ਲਈ ਨਹੀਂ ਸੀ ਆਇਆ ਕਰਦਾ ।

ਉਸਨੇ ਆਪਣੀ ਜੇਬ ਵਿਚੋਂ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦਾ ਇਕ ਟੁਕੜਾ ਕੱਢਿਆ ।ਉਸ ਉੱਤੇ ਦੋ ਨਿੱਕੇ-ਨਿੱਕੇ ਹੱਥਾਂ ਦੀ ਛਾਪ ਸੀ । ਇਹ ਹੱਥਾਂ ਉੱਤੇ ਕਾਲਖ਼ ਲਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਏ ਹੋਏ ਸਨ ।ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਪਣੀ ਬੱਚੀ ਦੀ ਯਾਦ ਸੀਨੇ ਨਾਲ ਲਾ ਕੇ ਰਹਿਮਤ ਹਰ ਸਾਲ ਕਲਕੱਤੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਸੌਦਾ ਵੇਚਣ ਆਉਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ।

ਇਹ ਦੇਖ ਦੇ ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਦੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਭਰ ਆਈਆਂ ।ਉਸਨੇ ਸਭ ਕੁੱਝ ਭੁੱਲ ਕੇ ਮਿੰਨੀ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਬੁਲਾਇਆ । ਵਿਆਹ ਵੇਲੇ ਦੀ ਪੂਰੀ ਪੁਸ਼ਾਕ ਪਾਈ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜੀ ਮਿੰਨੀ ਉਸ ਕੋਲ ਆ ਗਈ । ਉਸ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਰਹਿਮਤ ਹੱਕਾ-ਬੱਕਾ ਰਹਿ ਗਿਆ । ਕਿੰਨਾ ਚਿਰ ਉਹ ਕੋਈ ਗੱਲ ਨਾ ਕਰ ਸਕਿਆ । ਫਿਰ ਹੱਸ ਕੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ‘‘ਝੱਲੀ ! ਸੱਸ ਦੇ ਘਰ ਜਾ ਰਹੀ ਏਂ ?” ਮਿੰਨੀ ਹੁਣ ਸੱਸ ਦਾ ਮਤਲਬ ਸਮਝ ਰਹੀ ਸੀ । ਉਸਦਾ ਚਿਹਰਾ ਸੰਗ ਨਾਲ ਲਾਲ ਹੋ ਗਿਆ ।

ਮਿੰਨੀ ਦੇ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਰਹਿਮਤ ਹਉਕਾ ਭਰ ਕੇ ਭੇਜੇ ਹੀ ਬਹਿ ਗਿਆ ਸ਼ਾਇਦ ਉਹ ਸੋਚ ਰਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਉਸਦੀ ਬੱਚੀ ਵੀ ਇੰਨਾ ਚਿਰ ਵਿਚ ਮਿੰਨੀ ਜਿੱਡੀ ਹੋ ਗਈ ਹੋਵੇਗੀ । ਉਹ ਉਸ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਗੁੰਮ ਹੋ ਗਿਆ । ਕਹਾਣੀਕਾਰ ਨੇ ਕੁੱਝ ਰੁਪਏ ਕੱਢ ਕੇ ਉਸਨੂੰ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਕਿਹਾ, “ਜਾਹ ਰਹਿਮਤ ! ਸੁਣ ਤੂੰ ਵੀ ਆਪਣੀ ਬੱਚੀ ਕੋਲ, ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਚਲਾ ਜਾ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 4 ਲਾਇਬਰੇਰੀ

Punjab State Board PSEB 7th Class Punjabi Book Solutions Chapter 4 ਲਾਇਬਰੇਰੀ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Punjabi Chapter 4 ਲਾਇਬਰੇਰੀ

(ਉ) ਬਹੁਵਿਕਲਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਅੱਗੇ (✓) ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਾਓ

(i) ਨਵੀਆਂ ਪੁਸਤਕਾਂ ਕਿੱਥੋਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ?
(ਉ) ਪ੍ਰਯੋਗਸ਼ਾਲਾ ਤੋਂ
(ਅ) ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਤੋਂ
(ੲ) ਜਮਾਤ ਦੇ ਕਮਰੇ ਤੋਂ ।
ਉੱਤਰ :
(ਅ) ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਤੋਂ ✓

(ii) ਅਗਿਆਨਤਾ ਕਿਵੇਂ ਦੂਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
(ੳ) ਖੇਡ ਕੇ
(ਅ) ਘੁੰਮ-ਫਿਰ ਕੇ
(ੲ) ਪੁਸਤਕਾਂ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ।
ਉੱਤਰ :
(ੲ) ਪੁਸਤਕਾਂ ਪੜ੍ਹ ਕੇ । ✓

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 4 ਲਾਇਬਰੇਰੀ

(iii) ਚੰਗੀ ਸੋਚ ਕਿਵੇਂ ਬਣਦੀ ਹੈ ?
(ਉ) ਚੰਗੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਸਿੱਖ ਕੇ
(ਅ) ਵਿਹਲੇ ਰਹਿ ਕੇ
(ੲ) ਖਾ-ਪੀ ਕੇ ।
ਉੱਤਰ :
(ਉ) ਚੰਗੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਸਿੱਖ ਕੇ ✓

(iv) ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਮਨ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਕਿਉਂ ਲਗਦੀ ਹੈ ?
(ਉ) ਵੰਨ-ਸੁਵੰਨੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਕਾਰਨ
(ਅ) ਫ਼ਰਨੀਚਰ ਕਾਰਨ
(ੲ) ਫ਼ਰਸ਼ ਦੇ ਮੈਟ ਕਾਰਨ ।
ਉੱਤਰ :
(ਉ) ਵੰਨ-ਸੁਵੰਨੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਕਾਰਨ ✓

(v) ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿੱਚ ਕੀ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ?
(ਉ) ਵਿਹਲਾ ਸਮਾਂ
(ਆ) ਗਿਆਨ
(ਈ) ਵਰਦੀਆਂ ।
ਉੱਤਰ :
(ਆ) ਗਿਆਨ ✓

(ਅ) ਛੋਟੇ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੁਸਤਕਾਂ ਪੜ੍ਹਨ ਨਾਲ ਕੀ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਗਿਆਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੜ੍ਹਨ ਲਈ ਵਿਹਲ ਕਿਸ ਕੋਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਜਿਸ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨ ਦਾ ਸ਼ੌਕ ਪੈ ਜਾਵੇ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 4 ਲਾਇਬਰੇਰੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗਿਆਨ ਦੀ ਢੇਰੀ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ।

(ੲ) ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਸਤਰਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰੋ
1. …………… ਦੀ ਲਾਇਬ੍ਰੇਰੀ,
ਜਿੱਥੇ ਲੱਗੀ ……………..।
2. ਪੁਸਤਕਾਂ ਕਰਦੀਆਂ ………….
…………… ਵਾਲੀ ਰੋਕਣ ਨੇਰੀ ।

3. ……………….. ਮੇਰੇ ਮਨ ਨੂੰ ਮੋਹੇ,
ਛੋਟੀ ਹੋਵੇ ਭਾਵੇਂ …………… !
ਉੱਤਰ :
1. ਸਕੂਲ ਮੇਰੇ ਦੀ ਲਾਇਬ੍ਰੇਰੀ,
ਜਿੱਥੇ ਲੱਗੀ ਗਿਆਨ ਦੀ ਢੇਰੀ ।

2. ਪੁਸਤਕਾਂ ਕਰਦੀਆਂ ਚਾਨਣ ਸਾਨੂੰ,
ਅਗਿਆਨਤਾ ਵਾਲੀ ਰੋਕਣ ‘ਨੇਰੀ ।

3. ਹਰ ਰਚਨਾ ਮੇਰੇ ਮਨ ਨੂੰ ਮੋਹੇ,
। ਛੋਟੀ ਹੋਵੇ ਭਾਵੇਂ ਲੰਮੇਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਵੱਲ ਵੇਖ ਕੇ ਇੱਕੋ-ਜਿਹੀ ਅਵਾਜ਼ ਵਾਲੇ ਹੋਰ ਸ਼ਬਦ ਲਿਖੋ
ਢੇਰੀ, – ਦੇਰੀ – ‘ਨੇਰੀ
ਲਮੇਰੀ – ਬਥੇਰੀ – ਫੇਰੀ
ਲਹਿੰਦਾ – ਕਹਿੰਦਾ – …………
ਆਵਣ – ……….. – …………..
ਚੜ੍ਹਦਾ – ……….. – …………..
ਜਲ – ……….. – …………..
ਉੱਤਰ :
ਢੇਰੀ – ਦੇਰੀ – ਨੇਰੀ
ਲਮੇਰੀ – ਬਥੇਰੀ – ਫੇਰੀ
ਲਹਿੰਦਾ – ਕਹਿੰਦਾ – ਵਹਿੰਦਾ
ਆਵਣ – ਜਾਵਣ – ਖਾਵਣ
ਚੜ੍ਹਦਾ – ਫੜਦਾ – ਵੜਦਾ
ਜਲ – ਥਲ – ਫਲ

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 4 ਲਾਇਬਰੇਰੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ੁੱਧ ਕਰ ਕੇ ਲਿਖੋਕਵੀਤਾ, ਵੇਹਲ, ਸ਼ੌਕ, ਨਮੀਆਂ-ਨਮੀਆਂ
ਉੱਤਰ :
ਕਵੀਤਾ – ਕਵਿਤਾ
ਵੇਹਲ – ਵਿਹਲ
ਛੌਕ -ਸ਼ੌਕ
ਨਮੀਆਂ-ਨਮੀਆਂ – ਨਵੀਆਂ-ਨਵੀਆਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਧਿਆਪਕ ਦੁਆਰਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ ।
ਉੱਤਰ :
ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਸਕੂਲ ਦਾ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਹੈ । ਇਹ ਭੂਤਕਾਲ ਅਤੇ ਵਰਤਮਾਨ ਕਾਲ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਗਿਆਨ ਦਾ ਅਥਾਹ ਭੰਡਾਰ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਮਹਾਨ ਵਿਚਾਰਵਾਨ ਤੇ ਬੁੱਧੀਮਾਨ ਵਿਅਕਤੀ ਆਪਣੀਆਂ ਪੁਸਤਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਹਰ ਵਕਤ ਮੌਜੂਦ ਹਨ । ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚਲੀਆਂ ਅਲਮਾਰੀਆਂ ਅੰਦਰ ਸੁੱਟੀ ਇੱਕ ਨਜ਼ਰ ਤੋਂ ਹੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਮਹਾਨ ਲੇਖਕਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਸਾਨੂੰ ਨਜ਼ਰ ਆਉਣ ਲਗਦੇ ਹਨ ।

ਇੱਥੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੇ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਵਾਲੀਆਂ ਸਟੀਲ ਦੀਆਂ 30 ਅਲਮਾਰੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਦੀਆਂ ਲਗਪਗ 10,000 ਪੁਸਤਕਾਂ ਮੌਜੂਦ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਅਲਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ-ਪੰਜਾਬੀ, ਹਿੰਦੀ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ-ਅਨੁਸਾਰ ਵੀ ਹੈ ਤੇ ਵਿਸ਼ਿਆਂ-ਸਾਹਿਤ, ਕਵਿਤਾ, ਡਰਾਮਾ, ਨਾਵਲ, ਕਹਾਣੀ, ਜੀਵਨੀਆਂ, ਸ਼ੈ-ਜੀਵਨੀਆਂ, ਇਤਿਹਾਸ, ਸਾਇੰਸ, ਮਨੋਵਿਗਿਆਨ, ਜਿਉਗਰਾਫ਼ੀ, ਆਮ-ਗਿਆਨ, ਦਿਲ ਪਰਚਾਵਾ, ਧਰਮ, ਮਹਾਨ ਕੋਸ਼, ਡਿਕਸ਼ਨਰੀਆਂ, ਸਰੀਰ-ਵਿਗਿਆਨ, ਅਰਥ-ਵਿਗਿਆਨ, ਬਨਸਪਤੀ-ਵਿਗਿਆਨ, ਰਾਜਨੀਤੀ-ਸ਼ਾਸਤਰ, ਧਰਮ, ਫਿਲਾਸਫ਼ੀ, ਵਣਜ-ਵਪਾਰ ਅਤੇ ਕੰਪਿਊਟਰ ਸਾਇੰਸ ਆਦਿ ਅਨੁਸਾਰ ਵੀ ।

ਇਹ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਗਿਆਨ ਦੇ ਚਾਹਵਾਨ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮਾਪਿਆਂ ਲਈ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੰਪੰਨ, ਅਰਾਮਦਾਇਕ ਤੇ ਯੋਗ ਸਥਾਨ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਪਾਠਕਾਂ ਦੇ ਬੈਠਣ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮੇਜ਼ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਗੱਦਿਆਂ ਵਾਲੀਆਂ ਕੁਰਸੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਕੋਈ ਜਿੰਨਾ ਚਿਰ ਮਰਜ਼ੀ ਚਾਹੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਕਿਤਾਬਾਂ ਤੇ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਅਧਿਐਨ ਦਾ ਲਾਭ ਉਠਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਇਕ ਖੁੱਲਾ ਸਥਾਨ ਹੈ, ਇੱਥੇ ਤੁਸੀਂ ਜਿਹੜੀ ਵੀ ਪੁਸਤਕ ਚਾਹੋ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚੋਂ ਚੁੱਕ ਕੇ ਮੇਜ਼ ਨਾਲ ਲੱਗੀ ਕੁਰਸੀ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਪੜ੍ਹ ਸਕਦੇ ਹੋ । ਤੁਹਾਡਾ ਇਹ ਫ਼ਰਜ਼ ਬਣਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪੜ੍ਹਾਈ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਜਾਣ ਲੱਗੇ ਪੁਸਤਕ ਨੂੰ ਉਸੇ ਥਾਂ ਟਿਕਾ ਕੇ ਜਾਓ, ਜਿੱਥੋਂ ਤੁਸੀਂ ਚੁੱਕੀ ਸੀ ।

ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦਾ ਇੰਚਾਰਜ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਸਾਇੰਸ ਵਿਚ ਡਿਗਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਇਕ ਸਮਝਦਾਰ ਵਿਅਕਤੀ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਦੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਦੀਆਂ ਪੁਸਤਕਾਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸਣ ਤੇ ਲੱਭਣ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਇਸ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦੇ ਇਕ ਪਾਸੇ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਮੇਜ਼ ਲੱਗਾ ਹੋਇਆ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਪੰਦਰਾਂ-ਵੀਹ ਕੁਰਸੀਆਂ ਪਈਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਮੇਜ਼ ਉੱਤੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੀਆਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਤੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਤੇ ਖੇਤਰਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮੈਗਜ਼ੀਨ ਪਏ ਹਨ । ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੇ ਮਨ ਵਿੱਚ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦੀ ਖਿੱਚ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਤਸਵੀਰਾਂ ਵਾਲੇ ਮੈਗਜ਼ੀਨ ਹਨ । ਇਸ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਘਰ ਲਿਜਾਣ ਦੀ ਸਹੂਲਤ ਵੀ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਕਲਾਸ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕੇਵਲ ਇਕ ਕਿਤਾਬ ਹੀ ਘਰ ਲਿਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਵੱਡੀ ਕਲਾਸ ਵਾਲਾਂ ਦੋ ।

ਕੋਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਇਕ ਹਫ਼ਤੇ ਦੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਪਣੇ ਕੋਲੋਂ ਕਿਤਾਬ ਨਹੀਂ ਰੱਖ ਸਕਦਾ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਇੱਕ ਰੁਪਇਆ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੁਰਮਾਨਾ ਦੇਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਕਿਤਾਬਾਂ ਗੁਆਚਣ ਜਾਂ ਪਾਟਣ ਦੀ ਸੂਰਤ ਵਿਚ ਵੀ ਉਸ ਦੀ ਕੀਮਤ ਅਦਾ ਕਰਨੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ ।

ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਇਹ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਸਚਮੁੱਚ ਹੀ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਵਿੱਦਿਅਕ ਮਿਆਰ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸਹਾਇਕ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਵਿਚ ਪੁਸਤਕਾਂ ਪੜ੍ਹਨ ਦੀ ਰੁਚੀ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗਿਆਨ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਕਈ ਮਾਪੇ ਵੀ ਇਸ ਦਾ ਲਾਭ ਉਠਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਜਿਸ ਨੂੰ ਇਕ ਵਾਰ ਇੱਥੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਪੜ੍ਹਨ ਦੀ ਚੇਟਕ ਲਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਉਹ ਹਮੇਸ਼ਾ ਨਵੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗਿਆਨ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਕਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਉਹ ਚੰਗਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਵੀ ਬਣਦਾ ਹੈ ਤੇ ਚੰਗਾ ਨਾਗਰਿਕ ਵੀ । ਸਾਡੇ ਸੀਪਲ ਸਾਹਿਬ ਹਮੇਸ਼ਾ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚ ਚੰਗੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਰੱਖਣ ਦੇ ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਉਪਯੋਗੀ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਯਤਨ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਦਾ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲਾਭ ਉਠਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 4 ਲਾਇਬਰੇਰੀ

ਕਾਵਿ ਟੋਟਿਆਂ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ

(ਉ) ਸਕੂਲ ਮੇਰੇ ਦੀ ਲਾਇਬ੍ਰੇਰੀ,
ਜਿੱਥੇ ਲੱਗੀ ਗਿਆਨ ਦੀ ਢੇਰੀ ।
ਨਵੀਆਂ-ਨਵੀਆਂ ਪੜ੍ਹਾਂ ਪੁਸਤਕਾਂ ।
ਪੜਨ ਵਿੱਚ ਮੈਂ ਕਰਾਂ ਨਾ ਦੇਰੀ ।
ਆਪਣੇ ਸਾਥੀਆਂ ਨਾਲ ਮੈਂ ਅਕਸਰ,
ਚਾਈਂ-ਚਾਈਂ ਲਾਉਂਦਾ ਫੇਰੀ ।
ਸਕੂਲ ਮੇਰੇ ਦੀ ………….. !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਲਿਖੋ
ਉੱਤਰ :
ਮੇਰੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਅਜਿਹੀ ਥਾਂ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਗਿਆਨ ਦੀ ਢੇਰੀ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਜਾ ਕੇ ਮੈਂ ਬਿਨਾਂ ਦੇਰ ਕੀਤਿਆਂ ਨਵੀਆਂ-ਨਵੀਆਂ ਪੁਸਤਕਾਂ ਪੜ੍ਹਦਾ ਹਾਂ । ਇੱਥੇ ਮੈਂ ਅਕਸਰ ਆਪਣੇ ਸਾਥੀਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਬੜੇ ਚਾਅ ਨਾਲ ਫੇਰਾ ਮਾਰਨ ਜਾਂਦਾ ਹਾਂ, ਤਾਂ ਜੋ ਮੈਂ ਨਵੀਆਂ ਤੋਂ ਨਵੀਆਂ ਪੁਸਤਕਾਂ ਪੜ੍ਹ ਸਕਾਂ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :
ਅਕਸਰ-ਆਮ ਕਰ ਕੇ । ਚਾਈਂ-ਚਾਈਂ-ਚਾਅ ਨਾਲ ।

(ਅ) ਚੰਗੀਆਂ-ਚੰਗੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਸਿੱਖ ਕੇ,
ਸੋਚ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੋਰ ਚੰਗੇਰੀ ।
ਹਰ ਰਚਨਾ ਮੇਰੇ ਮਨ ਨੂੰ ਮੋਹੇ,
ਛੋਟੀ ਹੋਵੇ ਭਾਵੇਂ ਲਮੇਰੀ ।
ਸਕੂਲ ਮੇਰੇ ਦੀ …………

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਲਿਖੋ
ਉੱਤਰ :
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚ ਜਾ ਕੇ ਮੈਂ ਚੰਗੀਆਂ-ਚੰਗੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਸਿੱਖ ਕੇ ਆਪਣੀ ਸੋਚ-ਵਿਚਾਰ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਬਣਾਉਣੀ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ । ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਦੀਆਂ ਪੁਸਤਕਾਂ ਵਿਚ ਦਰਜ ਹਰ ਇਕ ਰਚਨਾ ਭਾਵੇਂ ਉਹ ਛੋਟੀ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਲੰਮੇਰੀ, ਉਹ ਮੇਰੇ ਮਨ ਨੂੰ ਮੋਹ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਮੇਰਾ ਮਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਪੜਾਂ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ : ਮੋਹ-ਖਿੱਚੇ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 4 ਲਾਇਬਰੇਰੀ

(ਈ) ਜਿਸ ਨੂੰ ਸ਼ੌਕ ਪੜ੍ਹਨ ਦਾ ਪੈ ਜਾਏ,
ਪੜ੍ਹਨ ਲਈ ਉਸ ਕੋਲ ਵਿਹਲੇ ਬਥੇਰੀ ।
ਪੁਸਤਕਾਂ ਦਿੰਦੀਆਂ ਚਾਨਣ ਸਾਨੂੰ,
ਅਗਿਆਨਤਾ ਵਾਲੀ ਰੋਕਣ ਰੀ ॥
ਸਕੂਲ ਮੇਰੇ ਦੀ ……….. !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਲਿਖੋ
ਉੱਤਰ :
ਮੇਰੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਚੰਗੀ ਲਗਦੀ ਹੈ । ਜਿਸ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨ ਦਾ ਸ਼ੌਕ ਪੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਇਸ ਕੰਮ ਲਈ ਬਥੇਰੀ ਵਿਹਲ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੁਸਤਕਾਂ ਸਾਨੂੰ ਗਿਆਨ ਦਾ ਚਾਨਣ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਅਗਿਆਨਤਾ ਦੀ ਹਨੇਰੀ ਨੂੰ ਰੋਕ ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਉਸ ਤੋਂ ਬਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਸਾਨੂੰ ਗਿਆਨਵਾਨ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :
ਅਗਿਆਨਤਾ-ਜਾਣਕਾਰੀ ਨਾ ਹੋਣਾ ।

(ਸ) ਵੰਨ-ਸੁਵੰਨੀਆਂ ਤੱਕ ਪੁਸਤਕਾਂ,
ਮਨ ਨੂੰ ਭਾਉਂਦੀ ਲਾਇਬ੍ਰੇਰੀ ।
ਸਕੂਲ ਮੇਰੇ ਦੀ ਲਾਇਬ੍ਰੇਰੀ,
ਜਿੱਥੇ ਲੱਗੀ ਗਿਆਨ ਦੀ ਢੇਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਲਿਖੋ
ਉੱਤਰ :
ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਪੁਸਤਕਾਂ ਹਨ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਮੇਰੇ ਮਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਚੰਗੀ ਲਗਦੀ ਹੈ । ਮੇਰੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਅਜਿਹੀ ਥਾਂ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਗਿਆਨ ਦੀ ਢੇਰੀ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

Punjab State Board PSEB 7th Class Punjabi Book Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Punjabi Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

(ਉ) ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਿਹੜੇ ਖ਼ਿਆਲਾਂ ਨੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੂੰ ਟਿਕ ਕੇ ਨਾ ਬੈਠਣ ਦਿੱਤਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਜਦੋਂ ਰਿਆਸਤ ਪਟਿਆਲਾ ਦੀ ਨਿੱਘਰਦੀ ਹਾਲਤ ਬਾਰੇ ਸੁਣਿਆ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਦਿਲ ਕੰਬ ਉੱਠਿਆ । ਪਟਿਆਲੇ ਨਾਲ ਇਕ ਤਾਂ ਪੇਕਿਆਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ ਕਾਰਨ ਮੋਹ, ਦੁਸਰਾ ਕੌਮ ਦੀ ਰਿਆਸਤ ਤੇ ਤੀਜਾ ਸਾਹਿਬ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਭੈਣ ਦਾ ਪਿਆਰ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਖ਼ਿਆਲਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਟਿਕ ਕੇ ਨਾ ਬੈਠਣ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਪਟਿਆਲੇ ਆ ਕੇ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਠੀਕ ਕੀਤਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਪਟਿਆਲੇ ਆ ਕੇ ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਅਮੀਰਾਂ-ਵਜ਼ੀਰਾਂ ਤੇ ਦਰਬਾਰੀ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਕੀਤਾ ਤੇ ਰਿਆਸਤ ਦੀ ਸਾਰੀ ਹਾਲਤ ਦੱਸ ਕੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੀ ਵਾਗਡੋਰ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਲੈ ਲਈ । ਹਰ ਮਹਿਕਮੇ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਲੈ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਰਾਜ ਦੇ ਅੰਦਰਲੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਸੁਧਾਰਨ ਲਈ ਵੱਢੀ-ਖੋਰ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾਵਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਕਠਿਨ ਮਿਹਨਤ ਪਿੱਛੋਂ ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਅਕਲਮੰਦੀ ਤੇ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰ ਲਿਆ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਆਪਣੇ ਭਾਸ਼ਨ ਵਿਚ ਕੀ ਕੁੱਝ ਕਿਹਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਸ਼ਾਹੀ ਦਰਬਾਰ ਲਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਤੇ ਦਰਬਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਭਾਸ਼ਨ ਦਿੰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਨਾਨੂੰ ਮੱਲ ਵਜ਼ੀਰ ਦੀਆਂ ਚਾਲਾਂ ਕਾਰਨ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਨੂੰ ਲਹੂ ਲੱਗ ਚੁੱਕਾ ਹੈ । ਉਹ ਪਟਿਆਲੇ ਨੂੰ ਲੁੱਟਣਾ ਤੇ ਆਪਣਾ ਗੁਲਾਮ ਬਣਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜੇ ਉਹ ਆਪਣੀ ਇੱਜ਼ਤ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਲ ਕੁਰਬਾਨੀ ਵਿਚ ਤਾਰਨਾ ਪਵੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਕੇ ਧਰਮ-ਯੁੱਧ ਵਿਚ ਜੂਝਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਭ ਲਈ ਇਮਤਿਹਾਨ ਦਾ ਵਕਤੇ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਰਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ :
ਜਦੋਂ ਦਿਨ ਭਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿਚ ਦੋਵੇਂ ਧਿਰਾਂ ਸਿਰ ਧੜ ਦੀ ਬਾਜ਼ੀ ਲਾ ਕੇ ਲੜੀਆਂ, ਤਾਂ ਸੰਝ ਪੈਣ ਕਰਕੇ ਲੜਾਈ ਮੱਠੀ ਪੈ ਗਈ । ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਸ ਸਮੇਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੈਰੀ ਥੱਕੇ-ਟੁੱਟੇ ਹਨ । ਹੁਣ ਉਹ ਆਪਣੇ ਤੰਬੂਆਂ ਵਿਚ ਬੇਸੁਰਤ ਪਏ ਹਨ । ਜੇਕਰ ਉਹ ਰਾਤ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਪਰ ਹਮਲਾ ਬੋਲਣ, ਤਾਂ ਉਹ ਨਾ ਨੱਸ ਸਕਣਗੇ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਲੜ ਸਕਣਗੇ । ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੇ ਰਾਣੀ ਦੀ ਗੱਲ ਮੰਨ ਕੇ ਰਾਤ ਨੂੰ ਅਚਨਚੇਤ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਉੱਪਰ ਭਿਆਨਕ ਹਮਲਾ ਬੋਲ ਦਿੱਤਾ । ਇਕ ਘੰਟੇ ਦੀ ਲੜਾਈ ਪਿੱਛੋਂ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦੇ ਪੈਰ ਉੱਖੜ ਗਏ ਤੇ ਉਹ ਮੈਦਾਨ ਛੱਡ ਕੇ ਦੌੜ ਗਏ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰਾਣੀ ਨੇ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਨੂੰ ਹਰਾ ਕੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਪਾਠ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦਾ ਜੀਵਨ ਆਪਣੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ :
ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਪਟਿਆਲੇ ਦੀ ਬਹਾਦਰ ਇਸਤਰੀ ਸੀ । ਉਹ ਫ਼ਤਹਿਗੜ੍ਹ ਦੇ ਸਰਦਾਰ ਜੈਮਲ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਵਿਆਹੀ ਹੋਈ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਪਿਤਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਅਮਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਮਗਰੋਂ ਉਸ ਦਾ ਸੱਤਾਂ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਉਮਰ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ਸਾਹਿਬ ਸਿੰਘ ਗੱਦੀ ਉੱਤੇ ਬੈਠਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਜਿਸ ਵਜ਼ੀਰ ਨੇ ਵੀ ਰਾਜ ਦੀ ਵਾਗ-ਡੋਰ ਸੰਭਾਲੀ, ਉਹ ਚਲਾਕ, ਧੋਖੇਬਾਜ਼ ਤੇ ਲੂਣ-ਹਰਾਮੀ ਨਿਕਲਿਆ । ਫਲਸਰੂਪ ਰਿਆਸਤ ਦੀ ਹਾਲਤ ਨਿੱਘਰਦੀ ਗਈ ।

ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਜਦੋਂ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੂੰ ਪਹੁੰਚੀ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਦਿਲ ਕੰਬ ਗਿਆ । ਉਹ ਪਟਿਆਲੇ ਨਾਲ ਪੇਕਿਆਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ ਕਾਰਨ, ਕੌਮ ਦੀ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਪੈਣ ਕਾਰਨ ਤੇ ਛੋਟੇ ਭਰਾ ਸਾਹਿਬ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਪਿਆਰ ਕਾਰਨ ਟਿਕ ਕੇ ਨਾ ਬੈਠ ਸਕੀ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਤੀ ਤੋਂ ਆਗਿਆ ਲੈ ਕੇ ਪਟਿਆਲੇ ਆ ਗਈ ।

ਪਟਿਆਲੇ ਆ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਰਾਜ ਦੀ ਵਾਗ-ਡੋਰ ਆਪਣੇ ਹੱਥ ਲੈ ਲਈ ਤੇ ਵੱਢੀਖੋਰ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾਵਾਂ ਦੇ ਕੇ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਵਿਚ ਸਾਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਨੀਂ-ਦਿਨੀਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰ ਟਾਮਸਨ ਨੇ ਜੀਂਦ ਦੀ ਰਿਆਸਤ ਉੱਪਰ ਹੱਲਾ ਬੋਲ ਦਿੱਤਾ । ਨੀਂਦ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਉਸ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਟਿਕ ਨਾ ਸਕੀ । ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਸੁਣ ਕੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਆਪ ਫ਼ੌਜ ਲੈ ਕੇ ਉੱਥੇ ਪੁੱਜੀ ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਟਾਮਸਨ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਨੀਂਦ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ ।

1794 ਵਿਚ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੂੰ ਹਰਕਾਰੇ ਰਾਹੀਂ ਖ਼ਬਰ ਮਿਲੀ ਕਿ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਮਰਹੱਟਾ ਫ਼ੌਜ ਲੈ ਕੇ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤੇ ਉਹ ਪਟਿਆਲੇ ਉੱਪਰ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਇਰਾਦਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਰਾਣੀ ਨੇ ਇਕ ਸ਼ਾਹੀ ਦਰਬਾਰ ਲਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਤੇ ਦਰਬਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਭਾਸ਼ਨ ਦੇ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਦਾ ਟਾਕਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਡਟ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਉਸ ਦੇ ਭਾਸ਼ਨ ਨਾਲ ਸਭ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲ ਉੱਠਿਆ ਤੇ ਜੰਗ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਏ । ਮਰਦਾਨਪੁਰ ਵਿਖੇ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਤੇ ਲਛਮਣ ਰਾਓ 30,000 ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਲੈ ਕੇ ਆ ਗਏ ਤੇ ਰਾਣੀ ਵੀ ਸੱਤ ਕੁ ਹਜ਼ਾਰ ਸੂਰਮੇ ਲੈ ਕੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਆ ਗਈ ।

ਜੰਗ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਰਾਣੀ ਨੇ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪਟਿਆਲਾ ਇਕ ਸਿੱਖ ਰਿਆਸਤ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੀ ਇੱਜ਼ਤੇ ਤੇ ਕੌਮੀ ਅਣਖ ਇਸ ਗੱਲ ਦੀ ਆਗਿਆ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੀ ਕਿ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦੀ ਪੂਜਾ ਨੂੰ ਲੁੱਟਿਆ-ਪੁੱਟਿਆ ਜਾਵੇ ਅਤੇ ਉਹ ਚੁੱਪ-ਚਾਪ ਬੈਠੇ ਰਹਿਣ । ਉਸ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਵਾਪਸ ਮੁੜ ਜਾਣ ਜਾਂ ਜੰਗ ਵਿਚ ਦੋ-ਹੱਥ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਹਾ ।

ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਦੋਹਾਂ ਧਿਰਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਭਿਆਨਕੇ ਯੁੱਧ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਿਆ । ਬਹੁਤ ਮਾਰ-ਵੱਢ ਹੋਈ । ਅੰਤ ਸ਼ਾਮ ਪੈਣ ਨਾਲ ਲੜਾਈ ਮੱਠੀ ਪੈ ਗਈ । ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਸਲਾਹ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਉਹ ਰਾਤੀਂ ਸੁੱਤੇ ਪਏ ਵੈਰੀਆਂ ਉੱਪਰ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਬੋਲਣ । ਸਿੰਘਾਂ ਨੇ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਕੀਤਾ । ਇਕ ਘੰਟੇ ਦੀ ਲੜਾਈ ਪਿੱਛੋਂ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਵਿਚ ਭਾਜੜ ਪੈ ਗਈ ਤੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੂੰ ਫ਼ਤਹਿ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਈ ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦਾ ਨਾਂ ਪਟਿਆਲਾ ਰਾਜ ਘਰਾਣੇ ਦੀਆਂ ਬਹਾਦਰ ਰਾਜਕੁਮਾਰੀਆਂ ਤੇ ਮਹਾਰਾਣੀਆਂ ਵਿਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਹਿੰਦੀ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਸਮਾਨ ਅਰਥ ਰੱਖਦੇ ਪੰਜਾਬੀ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਲਿਖੋ
कांपना, मायका, अहम्, रिश्वतखोर, नमक-हराम, शर्म (इज्जत), आक्रमण ।
ਉੱਤਰ :
कांपना – ਕੰਬਣਾ
मायका – ਪੇਕੇ
अहम् – ਅਣਖ
रिश्वतखोर – ਵੱਢੀਖੇਰ
नमक-हराम – ਲੈਣ ਗਰਮ
शर्म (इज्जत) – ਲਾਮ
आक्रमण – ਚੱਲਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਹੇਠਾਂ ਦੇਵਨਾਗਰੀ ਵਿਚ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰਮੁਖੀ ਵਿਚ ਲਿਖੋ-
उबलना, बागडोर, बिगुल, शाम ।
ਉੱਤਰ :
उबलना – ਉਬਲਣਾ
बागडोर – ਵਾਗਡੋਰ
बिगुल – ਬਿਗਲ
शाम (पी:09) ਸੰਝ

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

(ਅ) ਬਹੁਵਿਕਲਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ :

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਅੱਗੇ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਾਓ

(i) ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਕਿੱਥੇ ਆ ਗਏ ?
(ਉ) ਜੀਂਦ
(ਅ) ਪਟਿਆਲਾ
(ਈ) ਫ਼ਤਿਹਗੜ੍ਹ
ਉੱਤਰ :
(ਅ) ਪਟਿਆਲਾ ✓

(ii) ਟਾਮਸਨ ਨੇ ਕਿਹੜੀ ਰਿਆਸਤ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ ?
(ਉ) ਪਟਿਆਲਾ
(ਅ) ਫ਼ਤਿਹਗੜ੍ਹ
(ਈ) ਨੀਂਦ ।
ਉੱਤਰ :
(ਈ) ਨੀਂਦ । ✓

(iii) ਮਰਹੱਟੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਕਿੰਨੀ ਸੀ ?
(ਉ) ਤੀਹ ਹਜ਼ਾਰ
(ਅ) ਸੱਤ ਹਜ਼ਾਰ
(ਇ) ਦਸ ਹਜ਼ਾਰ ।
ਉੱਤਰ :
(ਉ) ਤੀਹ ਹਜ਼ਾਰ ✓

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(iv) ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਅਤੇ ਮਰਹੱਟੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਦਰਮਿਆਨ ਯੁੱਧ ਕਿਸ ਸਥਾਨ ਤੇ ਹੋਇਆ ?
(ਉ) ਜੀਂਦ
(ਅ) ਪਟਿਆਲਾ
(ਇ) ਮਰਦਾਂਪੁਰ ।
ਉੱਤਰ :
(ਇ) ਮਰਦਾਂਪੁਰ । ✓

(v) ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਕਿੰਨੀ ਗਿਣਤੀ ਸੀ ?
(ਉ) ਸੱਤ ਹਜ਼ਾਰ
(ਅ) ਤੀਹ ਹਜ਼ਾਰ
(ਇ) ਅਠਾਰਾਂ ਹਜ਼ਾਰ ।
ਉੱਤਰ :
(ਉ) ਸੱਤ ਹਜ਼ਾਰ ✓

(ਇ) ਛੋਟੇ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਅਮਰ ਸਿੰਘ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਕੌਣ ਬੈਠਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਸਾਹਿਬ ਸਿੰਘ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਕਿੱਥੇ ਵਿਆਹੀ ਹੋਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਫ਼ਤਿਹਗੜ੍ਹ ਦੇ ਸਰਦਾਰ ਜੈਮਲ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪਟਿਆਲਾ ਰਿਆਸਤ ਵਲ ਕੌਣ ਵਧਦੇ ਆ ਰਹੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ :
ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਮਰਹੱਟਾ ਅਤੇ ਲਛਮਣ ਰਾਓ ਮਰਹੱਟਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮਰਦਾਂਪੁਰ ਵਿਖੇ ਕਿਹੜੀਆਂ ਧਿਰਾਂ ਦਰਮਿਆਨ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ :
ਮਰਦਾਂਪੁਰ ਵਿਖੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਮਰਹੱਟੇ ਅਤੇ ਲਛਮਣ ਰਾਓ ਮਰਹੱਟੇ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨਾਲ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੋਇਆ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਨੂੰ ਕਿਸ ਨੇ ਹਰਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ :
ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਨੂੰ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠਲੀ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਹਰਾਇਆ ।

(ਸ) ਸਖੇਪ ਉਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਿਹੜੇ ਖ਼ਿਆਲਾਂ ਨੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੂੰ ਟਿਕ ਕੇ ਨਾ ਬੈਠਣ ਦਿੱਤਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਜਦੋਂ ਰਿਆਸਤ ਪਟਿਆਲਾ ਦੀ ਨਿੱਘਰਦੀ ਹਾਲਤ ਬਾਰੇ ਸੁਣਿਆ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਦਿਲ ਕੰਬ ਉੱਠਿਆ । ਪਟਿਆਲੇ ਨਾਲ ਇਕ ਤਾਂ ਪੇਕਿਆਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ ਕਾਰਨ ਮੋਹ, ਦੁਸਰਾ ਕੌਮ ਦੀ ਰਿਆਸਤ ਤੇ ਤੀਜਾ ਸਾਹਿਬ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਭੈਣ ਦਾ ਪਿਆਰ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਖ਼ਿਆਲਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਟਿਕ ਕੇ ਨਾ ਬੈਠਣ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਪਟਿਆਲਾ ਰਿਆਸਤ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਿਵੇਂ ਚਲਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ :
ਪਟਿਆਲੇ ਆ ਕੇ ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਅਮੀਰਾਂ-ਵਜ਼ੀਰਾਂ ਤੇ ਦਰਬਾਰੀ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਕੀਤਾ ਤੇ ਰਿਆਸਤ ਦੀ ਸਾਰੀ ਹਾਲਤ ਦੱਸ ਕੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੀ ਵਾਗਡੋਰ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਲੈ ਲਈ । ਹਰ ਮਹਿਕਮੇ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਲੈ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਰਾਜ ਦੇ ਅੰਦਰਲੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਸੁਧਾਰਨ ਲਈ ਵੱਢੀ-ਖੋਰ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾਵਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਕਠਿਨ ਮਿਹਨਤ ਪਿੱਛੋਂ ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਅਕਲਮੰਦੀ ਤੇ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰ ਲਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹਰਕਾਰੇ ਨੇ ਕੀ ਸੂਚਨਾ ਦਿੱਤੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਹਰਕਾਰੇ ਨੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੂੰ ਸੂਚਨਾ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਮਰਹੱਟੇ ਦਾ ਖ਼ਿਆਲ ਪਟਿਆਲੇ ਉੱਤੇ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਹੈ ਤੇ ਉਹ ਰਿਆਸਤ ਪਟਿਆਲੇ ਵਲ ਵਧਦਾ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਆਪ ਭਾਸ਼ਨ ਵਿਚ ਕੀ ਕਿਹਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਸ਼ਾਹੀ ਦਰਬਾਰ ਲਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਤੇ ਦਰਬਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਭਾਸ਼ਨ ਦਿੰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਨਾਨੂੰ ਮੱਲ ਵਜ਼ੀਰ ਦੀਆਂ ਚਾਲਾਂ ਕਾਰਨ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਨੂੰ ਲਹੂ ਲੱਗ ਚੁੱਕਾ ਹੈ । ਉਹ ਪਟਿਆਲੇ ਨੂੰ ਲੁੱਟਣਾ ਤੇ ਆਪਣਾ ਗੁਲਾਮ ਬਣਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜੇ ਉਹ ਆਪਣੀ ਇੱਜ਼ਤ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਲ ਕੁਰਬਾਨੀ ਵਿਚ ਤਾਰਨਾ ਪਵੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਕੇ ਧਰਮ-ਯੁੱਧ ਵਿਚ ਜੂਝਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਭ ਲਈ ਇਮਤਿਹਾਨ ਦਾ ਵਕਤੇ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨੇ ਕੀ ਸਿੱਧ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ?
ਉੱਤਰ :
ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨੇ ਸਿੱਧ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਅਤੇ ਇਸ ਕੌਮ ਦੇ ਕੇਵਲ ਮਰਦ ਹੀ ਬਹਾਦਰ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਔਰਤਾਂ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਕਿਸੇ ਗੱਲੋਂ ਪਿੱਛੇ ਨਹੀਂ । ਉਹ ਵੀ ਲੋੜ ਪੈਣ ਤੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਨਾਲ ਟੱਕਰ ਲੈ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।

(ਹ) ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਵਾਕਾਂ ਵਿਚ ਵਰਤੋਂ ਕਰੋਪ੍ਰਬੰਧਕ, ਨਿਗਰਾਨੀ, ਅਚਨਚੇਤ, ਸਲਾਹ, ਬਹਾਦਰੀ, ਭਗਦੜ ।
ਉੱਤਰ :
1. ਪ੍ਰਬੰਧਕ (ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਵਾਲਾ) – ਪ੍ਰਬੰਧਕਾਂ ਦੀ ਨਲਾਇਕੀ ਕਾਰਨ ਇਹ ਸਮਾਗਮ ਸਫ਼ਲ ਨਾ ਹੋਇਆ ।
2. ਨਿਗਰਾਨੀ (ਦੇਖ-ਰੇਖ) – ਯਤੀਮ ਬੱਚੇ ਆਪਣੇ ਚਾਚੇ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਹੇਠ ਪਲ ਰਹੇ ਹਨ ।
3. ਅਚਨਚੇਤ (ਅਚਾਨਕ, ਬਿਨਾਂ ਅਗਾਊਂ ਸੂਚਨਾ ਤੋਂ) – ਕਲ੍ਹ ਅਚਨਚੇਤ ਹੀ ਉਸਦੀ ਸਿਹਤ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਗਈ ।
4. ਸਲਾਹ (ਖ਼ਿਆਲ, ਇੱਛਾ) – ਤੂੰ ਦੱਸ, ਹੁਣ ਤੇਰੀ ਕੀ ਸਲਾਹ ਹੈ ?
5. ਬਹਾਦਰੀ (ਦਲੇਰੀ) – ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦਾ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਟਾਕਰਾ ਕੀਤਾ ।
6. ਭਗਦੜ (ਜਿਧਰ ਮੂੰਹ ਆਏ ਭੱਜਣਾ) – ਬੰਬ ਹੋਣ ਦੀ ਅਫਵਾਹ ਸੁਣ ਕੇ ਭਰੇ ਬਜ਼ਾਰ ‘ ਵਿਚ ਭਗਦੜ ਮਚ ਗਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ-
1. ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ …………. ਦੇ ਸਰਦਾਰ …………. ਨਾਲ ਵਿਆਹੀ ਹੋਈ ‘ ਸੀ ।
2. ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ …………. ਆ ਗਈ ।
3. ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦਾ …………. ਉਬਾਲੇ ਖਾਣ ਲੱਗਾ ।
4. ਦੋਹਾਂ ਧਿਰਾਂ ਦੀ …………. ਦੀ …………. ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਸੀ ।
5. ਬਹਾਦਰ ਸਿੰਘਣੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ …………. ਬਚਾ ਲਈ ।
ਉੱਤਰ :
1. ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਫ਼ਤਿਹਗੜ੍ਹ ਦੇ ਸਰਦਾਰ ਜੈਮਲ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਵਿਆਹੀ ਹੋਈ ਸੀ ।
2. ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਪਟਿਆਲੇ ਆ ਗਈ ।
3. ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦਾ ਖ਼ੂਨ ਉਬਾਲੇ ਖਾਣ ਲੱਗਾ ।
4. ਦੋਹਾਂ ਧਿਰਾਂ ਦੀ ਸਿਰ-ਧੜ ਦੀ ਬਾਜ਼ੀ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਸੀ ।
5. ਬਹਾਦਰ ਸਿੰਘਣੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਇੱਜ਼ਤ ਬਚਾ ਲਈ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੰਜਾਬੀ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੀ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਲਿਖੋ-
ਬਹਾਦਰ, ਖ਼ਬਰ, ਖੂਨ, ਲੋਥ, ਫ਼ੌਜ ।
ਉੱਤਰ :
ਪੰਜਾਬੀ – ਹਿੰਦੀ – ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ
1. ਬਹਾਦਰ – साहसी – Brave
2. ਖ਼ਬਰ – समाचार – News
3. ਖੂਨ – खून – Blood
4. ਲੋਥ ਬਾਕ – रक्त लाश – Corpse
5. ਫ਼ੌਜ – सेना – Army.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ੁੱਧ ਕਰ ਕੇ ਲਿਖੋ
1. ਪ੍ਰਬੰਧਕ – ………………
2. ਫਤੇਹਗੜ੍ਹ – ………………
3. ਮੈਹਕਮਾ – ………………
4. ਬੈਰੀ – ………………
5. ਤੂਫਾਨ – ………………
ਉੱਤਰ :
1. ਪਰਬੰਧਕ – ਪ੍ਰਬੰਧਕ
2. ਫਤੇਹਗੜ੍ਹ – ਫ਼ਤਿਹਗੜ੍ਹ
3. ਮੈਹਕਮਾ – ਮਹਿਕਮਾ
4. ਬੈਰੀ – ਵੈਰੀ
5. ਤੂਫਾਨ – ਤੂਫ਼ਾਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇਤਿਹਾਸ ਸਿਰਜਣ ਵਾਲੀ ਕਿਸੇ ਮਹਾਨ ਔਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ :
ਨੋਟ-ਦੇਖੋ ਪਾਠ 15 ਵਿਚ ਮਾਈ ਭਾਗੋ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਨੂੰ ਸੁੰਦਰ ਲਿਖਾਈ ਕਰ ਕੇ ਲਿਖੋ ।
ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦਾ ਲੰਮਾ ਭਾਸ਼ਨ ਸੁਣ ਕੇ ਦਰਬਾਰੀਆਂ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲ ਉੱਠਿਆ । ਦੇਸ਼ਪਿਆਰ ਦੇ ਵਲਵਲੇ ਜਾਗ ਉੱਠੇ ਤੇ ਸਭ ਜੰਗ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਏ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :

ਨਿੱਘਰਦੀ ਗਈ-ਗਿਰਾਵਟ ਵਲ ਗਈ, ਖ਼ਰਾਬ ਹੁੰਦੀ ਗਈ । ਖੁੱਸ ਜਾਣਾ-ਹੱਥੋਂ ਨਿਕਲ ਜਾਣਾ । ਖੂਨ ਖੌਲ ਉੱਠਿਆ-ਜੋਸ਼ ਆ ਗਿਆ, ਗੁੱਸਾ ਆ ਗਿਆ । ਲਸ਼ਕਰ-ਫ਼ੌਜ । ਹਰਕਾਰਾ-ਚਿੱਠੀ ਪੁਚਾਉਣ ਵਾਲਾ । ਖੂਨ ਉਬਾਲੇ ਖਾਣ ਲੱਗਾ-ਗੁੱਸਾ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ । ਮੂੰਹ ਨੂੰ ਲਹੂ ਲੱਗ ਗਿਆ ਸੀ-ਲਾਲਚ ਪੈ ਜਾਣਾ । ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ-ਲਲਚਾ ਗਿਆ । ਨਿੱਤ ਨਵੇਂ ਸੂਰਜ-ਹਰ ਰੋਜ਼ । ਅਣਖ-ਗ੍ਰੈਮਾਨ । ਦਿਲ ਟੁੱਟਦਾ-ਹੋਂਸਲਾ ਹਾਰਦਾ ! ਖੇਮਿਆਂ-ਤੰਬੂਆਂ । ਭਗਦੜ ਮਚ ਗਈ-ਭਾਜੜ ਪੈ ਗਈ ।

ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ Summary

ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਪਾਠ ਦਾ ਸਾਰ

ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਉਹ ਬਹਾਦਰ ਇਸਤਰੀ ਹੋਈ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੇ ਬਹੁਤ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਰਿਆਸਤ ਪਟਿਆਲਾ ਦੀ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਹੱਥੋਂ ਰੱਖਿਆ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਪਟਿਆਲੇ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜ ਅਮਰ ਸਿੰਘ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੱਤਾਂ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਉਮਰ ਦਾ ਸਪੁੱਤਰ ਸਾਹਿਬ ਸਿੰਘ ਗੱਦੀ ਉੱਤੇ ਬੈਠਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਰਿਆਸਤ ਦੀ ਵਾਗ-ਡੋਰ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਜਿਸ ਵੀ ਵਜ਼ੀਰ ਨੇ ਸੰਭਾਲੀ, ਉਹ ਚਲਾਕ, ਧੋਖੇਬਾਜ਼ ਤੇ ਲੂਣ-ਹਰਾਮੀ ਨਿਕਲਿਆ ਸੀ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਰਿਆਸਤ ਦੀ ਹਾਲਤ ਦਿਨੋ-ਦਿਨ ਨਿੱਘਰਦੀ ਗਈ ।

ਮਹਾਰਾਜਾ ਅਮਰ ਸਿਘ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸਪੁੱਤਰੀ ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਫ਼ਤਹਿਗੜ੍ਹ ਦੇ ਸਰਦਾਰ ਜੈਮਲ ਸਿੰਘ ਦੀ ਪਤਨੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪੇਕਿਆਂ ਦੀ ਰਿਆਸਤ ਦਾ ਜਦੋਂ ਇਹ ਹਾਲ ਸੁਣਿਆ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਦਿਲ ਕੰਬ ਉੱਠਿਆ । ਪਟਿਆਲੇ ਨਾਲ ਇਕ ਤਾਂ ਪੇਕਿਆਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ ਕਾਰਨ ਮੋਹ, ਦੂਸਰਾ ਕੌਮ ਦੀ ਰਿਆਸਤ ਤੇ ਤੀਜਾ ਸਾਹਿਬ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਭੈਣ ਦਾ ਪਿਆਰ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਖ਼ਿਆਲਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਟਿਕ ਕੇ ਨਾ ਬੈਠਣ ਦਿੱਤਾ। ਆਪਣੇ ਪਤੀ ਸਰਦਾਰ ਜੈਮਲ ਸਿੰਘ ਤੋਂ ਆਗਿਆ ਲੈ ਕੇ ਉਹ ਪਟਿਆਲੇ ਆ ਗਈ ।

ਪਟਿਆਲੇ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਅਮੀਰਾਂ-ਵਜ਼ੀਰਾਂ ਤੇ ਦਰਬਾਰੀ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਿਆਂ ਕੀਤਾ ਤੇ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੀ ਵਾਗਡੋਰ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਲੈ ਲਈ ਤੇ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਕਠਿਨ ਮਿਹਨਤ ਨਾਲ ਉਸ ਨੇ ਅਕਲਮੰਦੀ ਤੇ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਕਰ ਲਏ ।

ਇਸ ਸਮੇਂ ਨੀਂਦ ਦੀ ਰਿਆਸਤ ਉੱਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰ ਟਾਮਸਨ ਨੇ ਹੱਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਜੀਂਦ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਕੀਤਾ ਪਰ ਟਾਮਸਨ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਗਿਣਤੀ ਵਿਚ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੀ ਤੇ ਸਿੱਖੀ ਹੋਈ ਵੀ ਸੀ । ਬੀਬੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੂੰ ਜਦੋਂ ਸਿੱਖ ਰਿਆਸਤ ਜੀਂਦ ਦੇ ਖੁੱਸ ਜਾਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਮਿਲੀ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲ ਉੱਠਿਆ । ਉਹ ਭਾਰੀ ਲਸ਼ਕਰ ਲੈ ਕੇ ਆਪ ਜੀਂਦ ਪਹੁੰਚੀ ।ਟਾਮਸਨ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਜਾਨ ਤੋੜ ਕੇ ਲੜੀ ਪਰ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਸਾਹਮਣੇ ਉਸ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਭੱਜਣਾ ਪਿਆ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 3 ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ

1794 ਦੇ ਸਿਆਲ ਵਿਚ ਅਚਾਨਕ ਇਕ ਦਿਨ ਹਰਕਾਰੇ ਨੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਮਰਹੱਟਾ ਰਿਆਸਤ ਪਟਿਆਲਾ ਵਲ ਵਧਦਾ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤੇ ਉਹ ਅਚਨਚੇਤ ਹਮਲਾ ਕਰੇਗਾ । ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਇਕ ਸ਼ਾਹੀ ਦਰਬਾਰ ਲਾਇਆ ਤੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਤੇ ਦਰਬਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪਹਿਲਾਂ ਵੀ ਨਾਨੂੰ ਮੱਲ ਵਜ਼ੀਰ ਦੀਆਂ ਚਾਲਾਂ ਕਾਰਨ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਨੂੰ ਲਹੁ ਲੱਗ ਗਿਆ ਸੀ । ਉਹ ਨਿੱਤ ਨਵੇਂ ਸੂਰਜ ਪਟਿਆਲੇ ਵਲ ਵਧਦੇ ਆ ਰਹੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਰਜ਼ੀ ਇੱਥੋਂ ਦਾ

ਸਾਰਾ ਮਾਲ-ਅਸਬਾਬ ਕਾਬੂ ਕਰਨ ਤੇ ਸਾਨੂੰ ਗੁਲਾਮੀ ਦੀਆਂ ਜ਼ੰਜੀਰਾਂ ਵਿਚ ਜਕੜਨ ਦੀ ਹੈ । ਜੇ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀ ਇੱਜ਼ਤ ਬਚਾਉਣੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਲ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿਚ ਦੇਣਾ ਪਵੇਗਾ । ਸਾਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਕੇ ਆਪਣੀ ਇੱਜ਼ਤ ਤੇ ਕੌਮ ਦੀ ਇੱਜ਼ਤ ਲਈ ਧਰਮ-ਯੁੱਧ ਵਿਚ ਜੂਝਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਸਭ ਦੇ ਇਮਤਿਹਾਨ ਦਾ ਵਕਤ ਹੈ । ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਦਰਬਾਰੀਆਂ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲ ਉੱਠਿਆ ਤੇ ਉਹ ਜੰਗ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਏ ।

ਮਰਦਾਨਪੁਰ ਦੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਇਕ ਪਾਸੇ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਤੇ ਲਛਮਣ ਲਾਓ ਮਰਹੱਟੇ ਸਰਦਾਰ 30 ਹਜ਼ਾਰ ਦੀ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਫ਼ੌਜ ਲੈ ਕੇ ਆ ਗਏ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਸੱਤ , ਹਜ਼ਾਰ ਦੇਸ਼-ਭਗਤ ਸਿਰ ਤਲੀ ਤੇ ਰੱਖ ਮੈਦਾਨਿ-ਜੰਗ ਵਿਚ ਆ ਡਟੇ । । ਲੜਾਈ ਆਰੰਭ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਮਰਹੱਟੇ ਸਰਦਾਰ ਵਲ ਹਰਕਾਰਾ ਭੇਜ ਕੇ ਇਕ ਸੁਨੇਹਾ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਪਟਿਆਲਾ ਇਕ ਸਿੱਖ ਰਿਆਸਤ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੀ ਇੱਜ਼ਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਅਣਖ ਇਸ ਗੱਲ ਦੀ ਆਗਿਆ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੀ ਕਿ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦੀ ਪੂਜਾ ਨੂੰ ਖ਼ਰਾਬ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ, ਨਾਹੱਕ ਲੁੱਟਿਆ-ਪੁੱਟਿਆ ਜਾਵੇ ਅਤੇ ਉਹ ਚਾਪ-ਚੁੱਪ ਬੈਠੇ ਰਹਿਣ ।ਇਸ ਵਕਤ ਉਸ ਵਾਸਤੇ ਦੋ ਹੀ ਗੱਲਾਂ ਹਨ ਕਿ ਜਾਂ ਤਾਂ ਉਹ ਆਪਣੀ ਫ਼ੌਜ ਵਾਪਸ ਲੈ ਜਾਵੇ ਜਾਂ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਨਿੱਤਰ ਕੇ ਦੋ ਹੱਥ ਦਿਖਾਵੇ ।

। ਹਰਕਾਰੇ ਨੇ ਚਿੱਠੀ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਨੂੰ ਦਿੱਤੀ ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਪੜ ਕੇ ਲਛਮਣ ਰਾਓ ਨੂੰ ਦੇ ਦਿੱਤੀ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਵਾਂਗ ਨਾਨੂੰ ਮੱਲ ਦੇ ਦਿਵਾਏ ਭਰੋਸਿਆਂ ‘ਤੇ ਹੀ ਯਕੀਨ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸੋਚਿਆ ਕਿ ਆਖ਼ਰ ਰਿਆਸਤ ਦੀ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਇਕ ਇਸਤਰੀ ਹੀ ਹੈ । ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇੰਨੀ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕੇਗੀ । ਅੰਤ ਦੋਹਾਂ ਧਿਰਾਂ ਵਿਚ ਜੰਗ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਈ । ਤੀਜੇ ਪਹਿਰ ਤਕ ਹਾਲਤ ਬਹੁਤ ਭਿਆਨਕ ਹੋ ਗਈ ਸੀ । ਦਿਨ ਢਲਣ ਵੇਲੇ ਅੰਟਾ ਰਾਓ ਨੇ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੱਲਾ-ਸ਼ੇਰੀ ਦਿੱਤੀ । ਮਰਦਾਨਪੁਰ ਦੀ ਭੂਮੀ ਇਕ ਵਾਰ ਫਿਰ ਪਰਲੋ ਦਾ ਨਮੂਨਾ ਬਣ ਗਈ ।

ਦੋਹਾਂ ਧਿਰਾਂ ਦੀ ਸਿਰ-ਧੜ ਦੀ ਬਾਜ਼ੀ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਸੀ । ਆਖ਼ਰ ਸੰਝ ਪੈਣ ਕਰਕੇ ਲੜਾਈ ਮੱਠੀ ਪੈ ਗਈ । ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਨੇ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨਾਲ ਸਲਾਹ ਕੀਤੀ ਤੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਹੁਣ ਵੈਰੀ ਥੱਕੇ-ਟੁੱਟੇ ਹਨ ਤੇ ਆਪਣੇ ਤੰਬੂਆਂ ਵਿਚ ਬੇਸੁਰਤ ਪਏ ਹਨ, ਜੇ ਰਾਤ ਨੂੰ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ, ਤਾਂ ਦੁਸ਼ਮਣ ਨਾ ਨੱਸਣ ਜੋਗਾ ਰਹੇਗਾ ਤੇ ਨਾ ਖੜ੍ਹਨ ਜੋਗਾ । ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੇ ਇਸ ਸਲਾਹ ਨੂੰ ਸਿਰ-ਮੱਥੇ ‘ਤੇ ਮੰਨਿਆ ਅਤੇ ਅੱਧੀ ਰਾਤ ਨੂੰ ਉਹ ਸੁੱਤੇ ਪਏ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਉੱਪਰ ਟੁੱਟ ਪਏ । ਇਸ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲੇ ਕਾਰਨ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਵਿਚ ਭਗਦੜ ਮਚ ਗਈ । ਇਕ ਘੰਟੇ ਦੀ ਲਗਾਤਾਰ ਲੜਾਈ ਪਿੱਛੋਂ ਮਰਹੱਟਿਆਂ ਦੇ ਪੈਰ ਉੱਖੜ ਗਏ ਤੇ ਉਹ ਮੈਦਾਨ ਛੱਡ ਕੇ ਨੱਸ ਗਏ । ਦਿਨ ਚੜੇ ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਸਿਪਾਹੀ ਰਣਜੀਤ ਨਗਾਰਾ ਵਜਾਉਂਦੇ ਪਟਿਆਲੇ. ਪਹੁੰਚੇ ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਇਸ ਬਹਾਦਰ ਸਿੰਘਣੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਇੱਜ਼ਤ ਬਚਾ ਲਈ । ਰਾਣੀ ਸਾਹਿਬ ਕੌਰ ਦਾ ਨਾਂ ਪਟਿਆਲੇ ਦੇ ਰਾਜ ਘਰਾਣੇ ਦੀਆਂ ਬਹਾਦਰ ਰਾਜਕੁਮਾਰੀਆਂ ਤੇ ਮਹਾਰਾਣੀਆਂ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 2 ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ

Punjab State Board PSEB 7th Class Punjabi Book Solutions Chapter 2 ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Punjabi Chapter 2 ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ

(ਓ) ਬਵਿਕਲਪੀ ਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਅੱਗੇ (✓) ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਾਓ-

(i) ਕਿਸੇ ਦੇਸ ਦੀ ਸਿਹਤ ਲਈ ਕੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
(ਉ) ਧਨ-ਦੌਲਤ
(ਅ) ਤੇ ਜੰਗਲ
(ਈ) ਜਨ-ਸੰਖਿਆ ।
ਉੱਤਰ :
(ਅ) ਤੇ ਜੰਗਲ ✓

(ii) ਪਹਿਲਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਰਿਵਾਜ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ?
(ੳ) ਰੁੱਖ ਲਾਉਣ ਦਾ
(ਅ) ਕੋਠੀਆਂ ਪਾਉਣ ਦਾ
(ਈ)ਕਾਰਾਂ ਖ਼ਰੀਦਣ ਦਾ ।
ਉੱਤਰ :
(ੳ) ਰੁੱਖ ਲਾਉਣ ਦਾ ✓

(iii) ਪਹਾੜੀਆਂ ਨੰਗੀਆਂ ਕਿਉਂ ਹੋ ਗਈਆਂ ?
(ਉ) ਹਨੇਰੀ ਨਾਲ
(ਅ) ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੱਟਣ ਨਾਲ
(ਈ) ਆਪਣੇ-ਆਪ !
ਉੱਤਰ :
(ਅ) ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੱਟਣ ਨਾਲ ✓

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 2 ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ

(iv) ਜੜੀਆਂ-ਬੂਟੀਆਂ ਕਿੱਥੇ ਉੱਗਦੀਆਂ ਹਨ ?
(ਉ) ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ
(ਅ) ਖੇਤਾਂ ਵਿੱਚ
(ਈ) ਗਮਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ :
(ਉ) ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ✓

(ਅ) ਛੋਟ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਜੰਗਲ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ :
ਜੰਗਲ ਇਸ ਕਰਕੇ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਹੀ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਮਨੁੱਖਾਂ, ਪਸ਼ੂਆਂ ਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀ ਹੋਂਦ ਸੰਭਵ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਅੰਨ ਦੇ ਸੰਕਟ ਦਾ ਜੰਗਲਾਂ ‘ਤੇ ਕੀ ਅਸਰ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ :
ਅੰਨ ਦੇ ਸੰਕਟ ਕਾਰਨ ਕੁੱਝ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਸਰਕਾਰਾਂ ਨੇ ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਵਾਹੀ ਹੇਠ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਜੰਗਲ ਕੱਟ ਦਿੱਤੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਾਰੂਥਲ ਵਿਚ ਵਰਖਾ ਘੱਟ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਮਾਰੂਥਲ ਜੰਗਲੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਾਂਗ ਠੰਢੇ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ, ਸਗੋਂ ਗਰਮ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੋਂ ਬੱਦਲ ਬਿਨਾਂ ਵਰੇ ਹੀ ਲੰਘ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਇੱਥੇ ਵਰਖਾ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜ ਕਿਹੜੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੀਆਂ ਮਕਾਨ, ਫ਼ਰਨੀਚਰ, ਕਿਸ਼ਤੀਆਂ, ਜਹਾਜ਼, ਗੱਡੇ-ਰੇੜੇ ਬਣਾਉਣ ਤੇ ਬਾਲਣ ਦੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 2 ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕਵੀਆਂ ਨੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਰੁੱਖਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਗਾਏ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ :
ਕਵੀਆਂ ਨੇ ਕਿੱਕਰਾਂ, ਬੇਰੀਆਂ, ਪਿੱਪਲਾਂ ਤੇ ਬੋਹੜਾਂ ਦੇ ਗੀਤ ਗਾਏ ਹਨ ।

(ਈ) ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਵੱਡੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਲੋਕ ਕੀ ਸੋਚਦੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ :
ਵੱਡੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕਈ ਲੋਕ ਸੋਚਦੇ ਸਨ ਕਿ ਧਰਤੀ ਦੇ ਐਡੇ ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਟੋਟੇ ਵਿਅਰਥ ਪਏ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਥਾਂ ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਸਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ਤੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਨੁੱਖੀ ਰਹਿਣ-ਸਹਿਣ ਵਧੇਰੇ ਚੰਗਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਬਣਾਉਣ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਸਿਹਤ ਉੱਤੇ ਕੀ ਅਸਰ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ :
ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਬਣਾਉਣ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਮਹਾਨ ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇਡੁੱਲ੍ਹੇ ਜੀਵਨ ਤੋਂ ਦੂਰ ਹੁੰਦਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਲੋਹੇ, ਇੱਟਾਂ ਤੇ ਸੀਮਿੰਟ ਦੇ ਪਿੰਜਰਿਆਂ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਕੈਦ ਕਰਦਾ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਸਦੀ ਸਿਹਤ ਡਿਗਦੀ ਗਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜੰਗਲੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿਚ ਮੀਂਹ ਜ਼ਿਆਦਾ ਕਿਉਂ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਸਾਇੰਸ ਦਾ ਅਸੂਲ ਹੈ ਕਿ ਜੰਗਲਾਂ ਨਾਲ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਬੜਾ ਸੀਤਲ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਬੱਦਲ ਸਮੁੰਦਰ ਤੋਂ ਉੱਡ ਕੇ ਆਉਂਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਉਹ ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਦੇ ਗਰਮ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਉਨਾਂ ਉੱਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਮੀਂਹ ਪਾਏ ਲੰਘ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਜਦੋਂ ਉਹ ਜੰਗਲਾਂ ਉੱਤੋਂ ਲੰਘਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਉੱਥੋਂ ਦਾ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਠੰਢਾ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਉਹ ਠੰਢੇ ਹੋ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਵਰੁ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨਾਲ ਢੱਕੇ ਹੋਏ ਪਰਬਤਾਂ ਉੱਤੇ ਮੀਂਹ ਬਹੁਤ ਪੈਂਦਾ ਹੈ, ਪਰੰਤੁ ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਵਰਖਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਤਬਾਹੀ ਤੋਂ ਬਚਣ ਦਾ ਕੀ ਤਰੀਕਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਤਬਾਹੀ ਤੋਂ ਬਚਣ ਦਾ ਇੱਕੋ ਤਰੀਕਾ ਹੈ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਨਾ ਚੱਲਿਆ ਜਾਵੇ ਤੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਵੱਢਣਾ ਬੰਦ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ । ਇਸ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਰੁੱਖ ਉਗਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ । ਤਦ ਹੀ ਅਸੀਂ ਹੜਾਂ ਤੇ ਸੋਕੇ ਦੀ ਤਬਾਹੀ ਤੋਂ ਬਚ ਸਕਦੇ ਹਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
‘‘ਜੰਗਲ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਬਣਾਏ ਹੋਏ ਹਸਪਤਾਲ ਹਨ ।’ ਦੱਸੋ ਕਿਵੇਂ ?
ਉੱਤਰ :
ਕੁਦਰਤ ਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਠੀਕ ਰੱਖਣ ਤੇ ਰੋਗਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਪੈਰਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਜੜੀਆਂ-ਬੂਟੀਆਂ ਉਗਾ ਰੱਖੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਕਈ ਇੰਨੀਆਂ ਨਾਜ਼ੁਕ ਹਨ ਕਿ ਸੰਘਣੇ ਜੰਗਲਾਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਬਚ ਨਹੀਂ ਸਕਦੀਆਂ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸਿਆਣੇ ਮਨੁੱਖ ਸਾਲਾਂ ਬੱਧੀ ਮਿਹਨਤ ਕਰ ਕੇ ਅਤੇ ਪੜਤਾਲਾਂ ਕਰ-ਕਰ ਕੇ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੇ ਰੋਗਾਂ ਨੂੰ ਕੱਟਣ ਵਾਲੀਆਂ ਜੜੀਆਂ-ਬੂਟੀਆਂ ਲਿਆਉਂਦੇ ਰਹੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਬਣਾਏ ਹਸਪਤਾਲ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਦੀ ਜੰਗਲ ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਭੰਡਾਰ ਹਨ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 2 ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ

(ਸ) ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਵਾਕਾਂ ਵਿਚ ਵਰਤੋ- . ਕੁਦਰਤ, ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ, ਤਜਰਬਾ, ਰਿਵਾਜ, ਮਹੱਤਤਾ, ਰੁਜ਼ਗਾਰ, ਪੜਤਾਲ ।
ਉੱਤਰ :
1. ਕੁਦਰਤ (ਧਰਤੀ ਤੇ ਉਸਦੇ ਆਲੇ) – ਦੁਆਲੇ ਬਨਸਪਤੀ, ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਹਿਮੰਡ ਦਾ ਪਸਾਰਾ, ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ-ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੀ ਕੁਦਰਤ ਦਾ ਕੋਈ ਪਾਰਾਵਾਰ ਨਹੀਂ ।
2. ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ (ਸੁਖਾਂ ਭਰਿਆ ਜੀਵਨ) – ਵਿਗਿਆਨ ਕਾਢਾਂ ਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਲਿਆਂਦੀ ਹੈ ।
3. ਤਜਰਬਾ (ਪ੍ਰਯੋਗ) – ਵਿਗਿਆਨੀ ਪ੍ਰਯੋਗਸ਼ਾਲਾ ਵਿਚ ਨਵੇਂ-ਨਵੇਂ ਤਜਰਬੇ ਕਰਦੇ ਹਨ !
4. ਰਿਵਾਜ (ਰੀਤ) – ਦੁਆਬੇ ਵਿਚ ਲੋਹੜੀ ਦੀ ਰਾਤ ਨੂੰ ਰੀਨਿਆਂ ਦੇ ਰਸ ਦੀ ਖੀਰ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਰਿਵਾਜ ਹੈ, ਜੋ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਸਵੇਰੇ ਖਾਧੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
5. ਮਹੱਤਤਾ/ਮਹੱਤਵ (ਅਹਿਮ) – ਬੱਚੇ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦਾ ਪਿਆਰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਤਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ।
6. ਰੁਜ਼ਗਾਰ (ਕਾਰੋਬਾਰ, ਪੇਸ਼ਾ) – ਸਾਡੇ ਮੁਲਕ ਵਿਚ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਪੜ੍ਹਿਆਂ-ਲਿਖਿਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ ਹੈ।
7. ਪੜਤਾਲ (ਜਾਂਚ) – ਪੁਲਿਸ ਇਸ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਹੋਏ ਕਤਲ ਦੀ ਪੜਤਾਲ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ
1. ਜੰਗਲ ਕੁਦਰਤ ਦੀ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ …………… ਹਨ ।
2. ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਘੱਟ . ………….. ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
3. ਬਿਰਖਾਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਧਰਤੀ …………… ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
4. ਰੁੱਖ ਨੂੰ ਕੱਟਣਾ …………… ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
5. ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਦੇ ਸਮੇਂ ਨੂੰ …………… ਤੇ ….. ਦਾ ਯੁਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ :
1. ਜੰਗਲ ਕੁਦਰਤ ਦੀ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਦਾਤ ਹਨ ।
2. ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਵਰਖਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
3. ਬਿਰਖਾਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਪੋਲੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
4. ਰੁੱਖ ਨੂੰ ਕੱਟਣਾ ਪਾਪ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
5. ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਦੇ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਲੋਹੇ ਤੇ ਕੋਲੇ ਦਾ ਯੁਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੰਜਾਬੀ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੀ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਲਿਖੋ-
ਬਿਰਖ, ਕਵੀ, ਕੁਦਰਤ, ਤਬਦੀਲੀ, ਖੇਤੀਬਾੜੀ ।
ਉੱਤਰ :
ਪੰਜਾਬੀ – ਹਿੰਦੀ – ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ
1. ਬਿਰਖੁ – वृक्ष – Tree
2. ਕਵੀ – कवि – Poet
3. ਕੁਦਰਤ – प्रकृति – Nature
4. ਤਬਦੀਲੀ – परिवर्तन – Change
5. ਖੇਤੀਬਾੜੀ – कृषि – Agriculture.

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 2 ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ੁੱਧ ਕਰ ਕੇ ਲਿਖੋ
1. ਸੇਹਤ – ………..
2. ਸ਼ੈਹਰ – ………..
3. ਵਾਯੂਮੰਡਲ – ………..
4. ਲਾਬ – ………..
5. ਜੁੱਗ – ………..
ਉੱਤਰ :
1. ਸੇਹਤ – ਸਿਹਤ
2. ਸ਼ੈਹਰ – ਸ਼ਹਿਰ
3. ਵਾਜੂਮੰਡਲ – ਵਾਯੂਮੰਡਲ
4. ਲਾਬ – ਲਾਭ
5. ਜੁੱਗ – ਯੁਗ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਮਨਾਏ ਗਏ ਵਣ-ਮਹਾਂਉਤਸਵ ਸਮਾਗਮ ਬਾਰੇ ਕੁੱਝ ਸਤਰਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ :
ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਬੀਤੀ 24 ਜੁਲਾਈ ਨੂੰ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਵਣ-ਮਹਾਂਉਤਸਵ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਸਮਾਗਮ ਰਾਹੀਂ ਮਨੁੱਖਾਂ ਸਮੇਤ ਧਰਤੀ ਉੱਤਲੇ ਸਮੁੱਚੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਰੁੱਖਾਂ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ਨੂੰ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਉਤਸਵ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਲਈ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਵਿੱਦਿਅਕ ਟੂਸਟ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸ: ਸਵਰਨ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸੈਕਟਰੀ ਸ੍ਰੀਮਤੀ ਸੁਨੀਤਾ ਗੁਪਤਾ ਨੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼-ਤੌਰ ‘ਤੇ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ । ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਰੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਇਕ ਪੰਡਾਲ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋਏ । ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨ ਵਜੋਂ ਸਟ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸਾਹਿਬ ਕੁਰਸੀ ਉੱਤੇ ਸੁਸ਼ੋਭਿਤ ਹੋ ਗਏ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਸ੍ਰੀਮਤੀ ਸੁਨੀਤਾ ਗੁਪਤਾ, ਪ੍ਰਿੰਸੀਪਲ ਸਾਹਿਬ ਤੇ ਹੋਰ ਅਧਿਆਪਕ ਬੈਠ ਗਏ ।

ਸਮਾਗਮ ਦਾ ਆਰੰਭ “ਦੇਹ ਸ਼ਿਵਾ ਬਰ ਮੋਹਿ ਇਹੈ ਸ਼ਬਦ ਦੇ ਗਾਇਨ ਨਾਲ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਪ੍ਰਿੰਸੀਪਲ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਾਰੇ ਸ੍ਰੋਤਿਆਂ ਨੂੰ ਵਣ-ਮਹਾਂਉਤਸਵ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਿਆਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਚੁੱਕੇ ਮਸ਼ੀਨੀਕਰਨ, ਕੁਦਰਤੀ ਸੋਤਾਂ ਦੀ ਅੰਨੇਵਾਹ ਵਰਤੋਂ, ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਕਟਾਈ ਤੇ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਨੇ ਧਰਤੀ ਉਤਲੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਗਾੜ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਹਵਾ, ਪਾਣੀ ਤੇ ਮਿੱਟੀ ਸਭ ਜ਼ਹਿਰੀਲੇ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ । ਧਰਤੀ ਉੱਪਰਲਾ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਗਰਮ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਮੌਸਮ ਬਦਲ ਰਹੇ ਹਨ, ਕਿਤੇ ਸੋਕਾ ਪੈ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤੇ ਕਿਤੇ ਹੜ੍ਹ ਆ ਰਹੇ ਹਨ, ਗਲੇਸ਼ੀਅਰ ਪਿਘਲ ਰਹੇ ਹਨ ਤੇ ਪਸ਼ੂ-ਪੰਛੀ ਘਟ ਰਹੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਨੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਪਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣਾ ਤੇ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਰੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਲਾਉਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਹੀ ਗੰਦੀ ਹਵਾ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰ ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਹੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਠੰਢਾ ਰੱਖਦੇ ਤੇ ਮੀਂਹ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਹੀ ਪਸ਼ੂਆਂ-ਪੰਛੀਆਂ ਦਾ ਜੀਵਨ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਸਮਾਗਮ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸ: ਸਵਰਨ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸ੍ਰੋਤਿਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅੱਜ ਰੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣਾ ਤੇ ਨਵੇਂ ਰੁੱਖ ਲਾਉਣਾ ਸਾਡੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਰੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਵੱਢ ਕੇ ਅਸੀਂ ਕੁਦਰਤ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਖਿਲਵਾੜ ਕੀਤੀ ਹੈ । ਅਸੀਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਦੱਸੇ ਧਰਤੀ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਗਏ ਹਾਂ । ਉਨ੍ਹਾਂ ‘ਪਵਣ ਗੁਰੂ ਪਾਣੀ ਪਿਤਾ ਮਾਤਾ ਧਰਤੁ ਮਹਤ` ਰਾਹੀਂ ਸਾਨੂੰ ਧਰਤੀ, ਹਵਾ ਤੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ਨੂੰ ਸਮਝਣ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਨ ਤੇ ਸੰਭਾਲ ਕਰਨ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਅਸੀਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀਆਂ ਖ਼ੁਦਗਰਜ਼ੀਆਂ ਲਈ ਇੰਨੀ ਬੇਰਹਿਮੀ ਨਾਲ ਵਰਤਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸਦੇ ਪ੍ਰਤੀਕਰਮ ਵਜੋਂ ਅੱਜ ਸਾਡਾ ਜੀਵਨ ਹੀ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਪੈ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਸਾਨੂੰ ਸਭ ਨੂੰ ਧਰਤੀ ਮਾਤਾ ਅਤੇ ਇਸ ਉੱਤੇ ਮੌਜੂਦ ਹਵਾ-ਪਾਣੀ ਦੇ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਲਈ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਸੰਭਾਲ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਤੇ ਹਰ ਇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਸਾਲ ਵਿਚ ਘੱਟੋ-ਘੱਟ ਪੰਜ ਰੁੱਖ ਲਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਟ ਵਲੋਂ ਸਾਰੇ ਸ੍ਰੋਤਿਆਂ ਤੇ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਦੋਂ-ਦੋ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਪਨੀਰੀ ਮੁਫ਼ਤ ਦੇਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਕੁੱਝ ਲੜਕਿਆਂ ਤੇ ਲੜਕੀਆਂ ਨੇ ਸਮੂਹ ਗਾਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸ਼ਿਵ ਕੁਮਾਰ ਬਟਾਲਵੀ ਦੀ ਕਵਿਤਾ ‘ਰੁੱਖ’ ਦਾ ਗਾਇਨ ਕੀਤਾ ।

ਇਸ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨ ਅਤੇ ਵਸਟ ਦੀ ਸੈਕਟਰੀ ਨੇ ਵਣ-ਮਹਾਂਉਤਸਵ ਦਾ ਆਰੰਭ ਕਰਨ ਲਈ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਪੌਦੇ ਲਾਏ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਦਿੱਤਾ । ਸਕੂਲ ਵਲੋਂ ਸਾਰੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਤੇ ਮੁੱਖ ਸੜਕ ਤੋਂ ਸਕੂਲ ਤਕ ਆਉਂਦੇ ਰਸਤੇ ਉੱਪਰ ਰੁੱਖ ਲਾਉਣ ਲਈ 100 ਟੋਏ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਪੁਟਾ ਲਏ ਗਏ ਸਨ ਤੇ ਛੋਟੇ ਅਕਾਰ ਦੇ ਕੋਈ 500 ਪੌਦੇ ਲਿਆ। ਰੱਖੇ ਸਨ । ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਪੌਦੇ ਲਏ ਤੇ ਵੱਖਵੱਖ ਥਾਂਵਾਂ ਉੱਤੇ ਲਾਏ । ਪਿੱਛੋਂ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਲੰਮੀ ਪਾਈਪ ਲਾ ਕੇ ਤੇ ਕੁੱਝ ਨੇ ਬਾਲਟੀਆਂ ਭਰ ਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਦਿੱਤਾ । ਅੰਤ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ-ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਤੇ ਗਲੀ-ਮੁਹੱਲਿਆਂ ਵਿਚ ਲਾਉਣ ਲਈ ਪੌਦੇ ਦਿੱਤੇ ਗਏ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿੱਚ ਵਣ-ਮਹਾਂਉਸਤਵ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 2 ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਨੂੰ ਸੁੰਦਰ ਲਿਖਾਈ ਕਰ ਕੇ ਲਿਖੋ
ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਬਿਰਖਾਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਪੋਲੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਬਾਰਸ਼ ਦਾ ਪਾਣੀ ਸਹਿਜੇ ਹੀ ਚੂਸ ਲੈਂਦੀ ਹੈ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :

ਦਾਤ-ਬਖ਼ਸ਼ਿਸ਼ । ਵਿਅਰਥ-ਬੇਮਤਲਬ ! ਆਤਮਾ-ਰੂਹ । ਨਜ਼ਾਰੇ-ਦਿਸ਼ । ਤ੍ਰਿਪਤ-ਸੰਤੁਸ਼ਟ । ਸਦੀਵੀ-ਸਦੀ ਦੀ, ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਚਲੀ ਆ ਰਹੀ । ਮਹਾਂਪੁਰਖ-ਵੱਡਾ ਧਾਰਮਿਕ ਮਨੁੱਖ । ਸੰਦੇਹ-ਸ਼ੱਕ । ਸੰਕਟ-ਤੰਗੀ, ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹਲ ਹੇਠਵਾਹੀ ਹੇਠ, ਖੇਤੀ ਹੇਠ । ਸੀਤਲ-ਠੰਢਾ । ਮਾਰੂਥਲ-ਰੇਗਸਤਾਨ । ਉਪਜਾਊ-ਬਹੁਤੀ ਫ਼ਸਲ ਦੇਣ ਵਾਲੀ । ਲਾਗਲੀਆਂ-ਨੇੜੇ ਦੀਆਂ । ਸ਼ਿਵਾਲਿਕ ਪਰਬਤ-ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਦੇ ਨੇੜਲੇ ਪਹਾੜ । ਲੀਲ੍ਹਾ-ਖੇਡ । ਪੜਤਾਲਾਂ-ਜਾਂਚ-ਪੜਤਾਲ, ਪਰਖਾਂ ਕਰਦੇ । ਸੰਜੀਵਨੀ ਬੁਟੀ-ਜੀਵਨ ਦੇਣ ਵਾਲੀ ਬੁਟੀ ! ਰੁਜ਼ਗਾਰ-ਰੋਜ਼ੀ । ਦੀਆ ਸਲਾਈ-ਤੀਲਾਂ ਦੀ ਡੱਬੀ ।

ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ Summary

ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਲਾਭ ਪਾਠ ਦਾ ਸਾਰ

ਜੰਗਲ ਕੁਦਰਤ ਦੀ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਦਾਤ ਹਨ । ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਤੇ ਸੁਖ ਲਈ ਜੰਗਲ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ । ਜੇ ਜੰਗਲ ਨਾ ਹੋਣ, ਤਾਂ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਸਾਹ ਘੁੱਟਿਆ ਜਾਵੇ । ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਨਜ਼ਾਰੇ ਮਨੁੱਖੀ ਆਤਮਾ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਦੀ ਭੁੱਖ ਨੂੰ ਜੁਗਾਂ-ਜੁਗਾਂ ਤੋਂ ਤ੍ਰਿਪਤ ਕਰਦੇ ਆਏ ਹਨ । ਪਿਛਲੇ ਸਮਿਆਂ ਵਿਚ ਰਿਸ਼ੀ ਲੋਕ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿ ਕੇ ਤਪੱਸਿਆ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਸ਼ੁਰੂ-ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦਾ ਘਰ ਜੰਗਲ ਹੀ ਸੀ । ਹੁਣ ਵੀ ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿਚ ਬਾਗ਼ ਲਾਉਂਦੇ ਹਾਂ, ਤਾਂ ਇਸ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਜੰਗਲਾਂ ਲਈ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸਦੀਵੀ ਤਾਂਘ ਲੁਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਇਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਸ਼ੱਕ ਨਹੀਂ ਕਿ ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਬਣਾ ਕੇ ਮਨੁੱਖ ਨੇ ਬਹੁਤ ਉੱਨਤੀ ਕੀਤੀ ਹੈ, ਪਰ ਜਿਉਂ-ਜਿਉਂ ਮਨੁੱਖ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਮਹਾਨ ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ-ਡੁਲੇ ਜੀਵਨ ਤੋਂ ਦੂਰ ਹੁੰਦਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਉਸ ਦੀ ਸਿਹਤ ਡਿਗਦੀ ਗਈ ਹੈ ।

ਅੰਨ ਸੰਕਟ ਕਾਰਨ ਕੁੱਝ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਸਰਕਾਰਾਂ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਜੰਗਲ ਕੱਟ ਕੇ ਜ਼ਮੀਨ ਨੂੰ ਵਾਹੀ ਹੇਠ ਲੈ ਆਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉੱਥੇ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਕਾਨੂੰਨ ਅਨੁਸਾਰ ਜਲਵਾਯੂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਤਬਦੀਲੀ ਆ ਗਈ ਹੈ । ਜਦ ਬੱਦਲ ਸਮੁੰਦਰ ਵਲੋਂ ਉੱਡ ਕੇ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਜਦੋਂ ਜੰਗਲਾਂ ਉੱਤੋਂ ਲੰਘਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਠੰਢਾ ਹੋਣ ਕਰ ਕੇ ਮੀਂਹ ਵਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਇਹੋ ਕਾਰਨ ਹੈ ਕਿ ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਵਰਖਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਸ ਪਾਸੇ ਵਲ ਉਚੇਂਚਾ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਹਰ ਸਾਲ ਵਣ-ਮਹਾਂਉਤਸਵ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਰੁੱਖ ਲਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ਤੋਂ ਮਕਾਨ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਕੁਰਸੀਆਂ, ਮੇਜ਼, ਮੰਜੇ, ਪੀੜੀਆਂ ਵੀ ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਹੀ ਦਾਤ ਹਨ । ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ਨਾਲ ਹੀ ਸਾਡੇ ਚੁੱਲ੍ਹਿਆਂ ਵਿਚ ਅੱਗ ਬਲਦੀ ਹੈ । ਲੱਕੜੀ ਨਾਲ ਹੀ ਕਿਸ਼ਤੀਆਂ, ਨਿੱਕੇ ਜਹਾਜ਼ ਅਤੇ ਗੱਡੇ ਬਣਾਏ ਗਏ ਹਨ । ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਬਿਰਛਾਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਪੋਲੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਤੇ ਉਹ ਬਾਰਸ਼ ਦਾ ਪਾਣੀ ਚੂਸ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਜੇ ਜੰਗਲ ਨਾ ਹੋਣ, ਤਾਂ ਪਹਾੜਾਂ ਉੱਤੇ ਵਸੇ ਮੀਹਾਂ ਦਾ ਪਾਣੀ ਸਾਰੇ ਦਾ ਸਾਰਾ ਰੁੜ ਕੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚ ਆ ਡਿਗੇ ਅਤੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿਚ ਤਬਾਹੀ ਮਚਾ ਦੇਵੇ ।

ਸਾਡੇ ਸਮਾਜ ਵਿਚ ਕਈ ਬਿਰਛਾਂ ਨੂੰ ਪੂਜਣ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਵੀ ਬਿਰਛ ਦੀ ਇਸ ਮਹੱਤਤਾ ਦਾ ਖ਼ਿਆਲ ਹੀ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਬਿਰਛ ਲਾਉਣ ਦਾ ਰਿਵਾਜ ਘਟ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਆਪਣੀ ਲੋੜ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਲਈ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਲਾਗਲੀਆਂ ਪਹਾੜੀਆਂ ਤੋਂ ਲੱਕੜੀ ਮੰਗਾਉਣੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਹੈ । ਫਲਸਰੂਪ ਕਸ਼ਮੀਰ ਵਿਚ ਜੰਗਲ ਕੱਟੇ ਜਾਣ ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਹੜ੍ਹ ਆਉਣ ਲੱਗ ਪਏ ਹਨ ।

ਜੰਗਲ ਦਾ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਬੜਾ ਵੱਡਾ ਸੰਬੰਧ ਹੈ । ਇਹ ਆਪਣੀ ਠੰਢੀ ਛਾਂ ਅਤੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਪੋਲੀ ਕੀਤੀ ਧਰਤੀ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਦੀ ਦੌਲਤ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲ ਕੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਜੋ ਜੰਗਲ ਨਾ ਹੋਣ, ਤਾਂ ਸਾਡਾ ਜੀਵਨ ਪੰਛੀਆਂ ਤੋਂ ਵਾਂਝਾ ਹੋ ਜਾਵੇ । ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ ਮਨੁੱਖੀ ਸਿਹਤ ਨਾਲ ਇਕ ਹੋਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵੀ ਸੰਬੰਧ ਹੈ । ਜੰਗਲਾਂ ਵਿਚ ਕੁਦਰਤ ਨੇ ਦਵਾਈਆਂ ਵਿਚ ਕੰਮ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਲੱਖਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਜੜੀਆਂ-ਬੂਟੀਆਂ ਉਗਾ ਰੱਖੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਈ ਸੰਘਣੇ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਵਧ ਫੁਲ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਜੰਗਲ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਵੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਕਰੋੜਾਂ ਆਦਮੀ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਕਰਕੇ ਕੰਮ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਦੀਆਸਲਾਈ ਤੇ ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਕਾਰਖ਼ਾਨੇ ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਸਹਾਰੇ ਹੀ ਚਲਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੂੰਦ, ਲਾਖ, ਸ਼ਹਿਦ ਅਤੇ ਹੋਰ ਅਨੇਕਾਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਤੋਂ ਹੀ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਕੁਦਰਤ ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਵਾਧੇ ਉੱਪਰ ਆਪ ਹੀ ਕਾਬੂ ਰੱਖਦੀ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਜੰਗਲ ਲੋੜ ਤੋਂ ਵੱਧ ਫੈਲ ਜਾਣ, ਤਾਂ ਕੁਦਰਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪ ਹੀ ਜੰਗਲੀ ਅੱਗ ਨਾਲ ਸਾੜ ਕੇ ਘਟਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਜਾਂ ਵੱਡੇ ਤੇਜ਼ ਝੱਖੜਾਂ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਖਾੜ ਕੇ ਸੁੱਟ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਸਮੇਂ ਨਾਲ ਮਿੱਟੀ ਹੇਠ ਦੱਬ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਫਿਰ ਸਮਾਂ ਪਾ ਕੇ ਇਹ ਦੱਬੇ ਹੋਏ ਜੰਗਲ ਧਰਤੀ ਦੀ ਅੰਦਰਲੀ ਗੁੱਝੀ ਅੱਗ ਨਾਲ ਸੜ ਕੇ ਕੋਲੇ ਦੀ ਖਾਣ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਅੱਜ ਕੋਲਾ ਇਕ ਵੱਡੀ ਮਨੁੱਖੀ ਲੋੜ ਹੈ । ‘ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਨੂੰ ਸਾਹਮਣੇ ਰੱਖ ਕੇ ਹੀ ਕਵੀਆਂ ਨੇ ਸਾਡੀਆਂ ਕਿੱਕਰਾਂ, ਬੇਰੀਆਂ ਅਤੇ ਪਿੱਪਲਾਂ, ਬੋਹੜਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਗਾਏ ਹਨ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ

Punjab State Board PSEB 7th Class Punjabi Book Solutions Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Punjabi Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿੰਨੇ ਦਰਿਆ ਵਗਦੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ :
ਪੰਜ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੋਰਸ ਦਾ ਯੁੱਧ ਕਿਸ ਰਾਜੇ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ :
ਪੋਰਸ ਦਾ ਯੁੱਧ ਯੂਨਾਨ ਦੇ ਹਮਲਾਵਰ ਰਾਜੇ ਸਿਕੰਦਰ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
“ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ਕਵਿਤਾ ਵਿਚ ਕਿਹੜੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4,
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਂਬਲੀ ਰਾਜਾ ਕੌਣ ਹੋਇਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ॥

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
“ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬੀ ਕਵਿਤਾ ਵਿਚ ਕਿਹੜੇ ਦੇਸ਼-ਭਗਤਾਂ ਦੀਆਂ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ :
ਇਸ ਕਵਿਤਾ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਦੇਸ਼-ਭਗਤਾਂ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਹੈ-
ਸ਼ਹੀਦ ਕਰਤਾਰ ਸਿੰਘ ਸਰਾਭਾ, ਸ਼ਹੀਦ ਉਧਮ ਸਿੰਘ, ਸ਼ਹੀਦ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਸ਼ਹੀਦ ਸੁਖਦੇਵ ਤੇ ਸ਼ਹੀਦ ਰਾਜਗੁਰੁ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨਾਲ ਤੋਲ-ਤੁਕਾਂਤ ਮਿਲਾਓ
ਪੰਜਾਬ – ……………….
ਹੋਇਆ – ……………….
ਭਾਈ – ……………….
ਰਿਝਾਏ – ……………….
ਉੱਤਰ :
ਪੰਜਾਬ – ਗੁਲਾਬ
ਹੋਇਆ – ਖਲੋਇਆ
ਭਾਈ – ਪਾਈ
ਰਿਝਾਏ – ਅਖਵਾਏ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਖ਼ਾਲੀ ਸਥਾਨ ਭਰੋ
ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ……………………
ਛੱਡ ਕੇ ਇਸ ਦਾ ਮੋਹ ਸਿਕੰਦਰ ……………………
ਇਸ ਧਰਤੀ ਦਾ ਜਾਇਆ । ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਸੀ
ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਵਾਰੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ……………।
ਉੱਤਰ :
ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ, ਖਿੜਿਆ ਫੁੱਲ ਗੁਲਾਬ ।
ਛੱਡ ਕੇ ਇਸ ਦਾ ਮੋਹ ਸਿਕੰਦਰ, ਦੇਸ ਨੂੰ ਭੱਜ ਖਲੋਇਆ ।
“ਮਹਾਂਬਲੀ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸੀ, ਇਸ ਧਰਤੀ ਦਾ ਜਾਇਆ |
ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਸੀ ਰਹਿੰਦੇ, ਬਣ ਕੇ ਭਾਈ-ਭਾਈ,
ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਵਾਰੀਆਂ ਜਾਨਾਂ, ਹੋ ਕੇ ਬੜੇ ਬੇਤਾਬ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ/ਮੁਹਾਵਰਿਆਂ ਦੀ ਵਾਕਾਂ ਵਿਚ ਵਰਤੋ-
ਕਰੋਖਿੜਿਆ, ਬੇਹਿਸਾਬ, ਵਿਤਕਰੇ, ਫੁੱਟ ਪਾਉਣਾ, ਬੇਤਾਬ, ਲਾੜੀ ।
ਉੱਤਰ :
1. ਖਿੜਿਆ ਪੂਰੇ ਅਕਾਰ ਦਾ ਫੁੱਲ)-ਗੁਲਾਬ ਦਾ ਖਿੜਿਆ ਫੁੱਲ ਮਹਿਕਾਂ ਵੰਡ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
2. ਬੇਹਿਸਾਬ (ਬੇਅੰਤ)-ਅਸਮਾਨ ਵਿਚ ਬੇਹਿਸਾਬ ਤਾਰੇ ਹਨ ।
3. ਵਿਤਕਰੇ (ਭਿੰਨ-ਭੇਦ, ਫ਼ਰਕ-ਸਾਨੂੰ ਧਰਮ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਵਿਤਕਰੇ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਿਆਸੀ ਲੀਡਰਾਂ ਤੋਂ ਬਚਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
4. ਫੁੱਟ ਪਾਉਣਾ (ਏਕਤਾ ਨਾ ਰਹਿਣ ਦੇਣੀ)-ਸਿਆਸੀ ਲੀਡਰ ਵੋਟਾਂ ਦੀ ਖ਼ਾਤਰ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਫੁੱਟ ਪਾਉਣ ਦੇ ਯਤਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
5. ਬੇਤਾਬ (ਉਤਾਵਲਾ)-ਮਾਂ ਆਪਣੇ ਵਿਛੜੇ ਪੁੱਤਰ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਲਈ ਬੇਤਾਬ ਸੀ ।
6. ਲਾੜੀ (ਦੁਲਹਨ)-ਲਾੜੇ ਤੇ ਲਾੜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਲਾਵਾਂ ਦੀ ਰਸਮ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਵਿਰੋਧੀ ਸ਼ਬਦ ਲਿਖੋ-

ਮਿੱਠੀ – ……………….
ਆਪਣੇ – ……………….
ਫੁੱਟ – ……………….
ਅਜ਼ਾਦੀ – ……………….
ਮੌਤ – ……………….
ਉੱਤਰ :
ਵਿਰੋਧੀ ਸ਼ਬਦਮਿੱਠੀ-
ਮਿੱਠੀ – ਕੌੜੀ
ਆਪਣੇ – ਪਰਾਏ
ਫੁੱਟ – ਏਕਾ
ਅਜ਼ਾਦੀ – ਗੁਲਾਮੀ
ਮੌਤ – ਜ਼ਿੰਦਗੀ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੰਜਾਬੀ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੀ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਲਿਖੋ-
ਮੇਰਾ, ਪਿਆਰੀ , ਧਰਤੀ, ਲੋਕ, ਦੇਸ, ਕਿਤਾਬ ।
ਉੱਤਰ :
ਪੰਜਾਬੀ – ਹਿੰਦੀ – ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ
1. ਮੇਰਾ – मेरा – My
2. ਪਿਆਰੀ – प्यारी – Dear
3. ਧਰਤੀ – धरती – Earth
4. ਲੋਕ – लोग – People
5. ਦੇਸ – देश – Country
6. ਕਿਤਾਬ – पुस्तक – Book.

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
“ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬੀ ਕਵਿਤਾ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਸਤਰਾਂ ਜ਼ਬਾਨੀ ਲਿਖੋ
ਉੱਤਰ :
ਪੰਜਾਂ ਪਾਣੀਆਂ ਕਾਰਨ, ਇਹ ਧਰਤੀ ਪੰਜਾਬ ਕਹਾਈ ॥
ਮਿੱਠੀ ਪਿਆਰੀ ਬੋਲੀ ਇਸ ਦੀ, ਪੰਜਾਬੀ ਅਖਵਾਈ ।
ਦੁਨੀਆ ਨੂੰ ਰਿਗਵੇਦ ਦੀ ਦਿੱਤੀ, ਪਹਿਲੀ ਏਸ ਕਿਤਾਬ ।
ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ਬੇਲੀਓ, ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ।

ਕਵਿ-ਟੋਟਿਆਂ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ

(ੳ) ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ਬੇਲੀਓ, ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ,
ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ, ਖਿੜਿਆ ਫੁੱਲ ਗੁਲਾਬ ।
ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ……………..।
ਪੰਜ ਪਾਣੀਆਂ ਕਾਰਨ, ਇਹ ਧਰਤੀ ਪੰਜਾਬ ਕਹਾਈ,
ਮਿੱਠੀ, ਪਿਆਰੀ ਬੋਲੀ ਇਸ ਦੀ, ਪੰਜਾਬੀ ਅਖਵਾਈ ।
ਦੁਨੀਆ ਨੂੰ “ਰਿਗਵੇਦ ਦੀ ਦਿੱਤੀ, ਪਹਿਲੀ ਏਸ ਕਿਤਾਬ,
ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ :
ਸਾਥੀਓ ! ਇਹ ਮੇਰਾ ਦੇਸ ਪੰਜਾਬ ਹੈ । ਇਹ ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ਹੈ । ਇਹ ਖਿੜੇ ਹੋਏ ਗੁਲਾਬ ਦੇ ਫੁੱਲ ਵਰਗੀ ਸੁੰਦਰ ਹੈ । ਇਸ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਪੰਜ ਦਰਿਆਸਤਲੁਜ, ਬਿਆਸ, ਰਾਵੀ, ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜਿਹਲਮ-ਵਗਦੇ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਪੰਜਾਬ ਕਹਾਈ ।ਇਸ ਦੀ ਮਿੱਠੀ, ਪਿਆਰੀ ਬੋਲੀ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੇ ਦੁਨੀਆ ਨੂੰ ਇਸ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀ ਪੁਸਤਕ ‘ਰਿਗਵੇਦ’ ਦਿੱਤੀ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :
ਬੇਲੀਓ-ਸਾਥੀਓ, ਦੋਸਤੋ ! ਪੰਜ ਪਾਣੀਆਂ-ਪੰਜ ਦਰਿਆ । ਕਹਾਈ-ਅਖਵਾਈ । ਰਿਗਵੇਦ-ਵੈਦਿਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਚ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਤਨ ਗ੍ਰੰਥ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ

(ਅ) ਪੋਰਸ ਅਤੇ ਸਿਕੰਦਰ ਦਾ ਯੁੱਧ, ਇਸ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਹੋਇਆ,
ਛੱਡ ਕੇ ਇਸ ਦਾ ਮੋਹ ਸਿਕੰਦਰ, ਦੇਸ ਨੂੰ ਭੱਜ ਖਲੋਇਆ ।
ਤੱਕੀਆਂ ਉਸ ਨੇ ਪੋਰਸ ਦੇ ਵਿੱਚ, ਅਣਖਾਂ ਬੇਹਿਸਾਬ,
ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ :
ਹੇ ਸਾਥੀਓ ! ਯੂਨਾਨ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਮਲਾਵਰ ਸਿਕੰਦਰ ਦਾ ਪੋਰਸ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਇਸੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ਉੱਪਰ ਹੀ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿਚ ਸਿਕੰਦਰ ਨੂੰ ਇੰਨੀ ਮਾਰ ਪਈ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਇਸਦਾ ਮੋਹ ਛੱਡ ਕੇ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਯੂਨਾਨ ਨੂੰ ਵਾਪਸ ਭੱਜ ਗਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿਚ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਰਾਜੇ ਪੋਰਸ ਵਿਚ ਬੇਹਿਸਾਬ ਅਣਖਾਂ ਦੇਖੀਆਂ ਸਨ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਉਸਦੀ ਅੱਗੇ ਵੱਧਣ ਦੀ ਹਿੰਮਤ ਨਹੀਂ ਸੀ ਪਈ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :
ਪੋਰਸ ਅਤੇ ਸਿਕੰਦਰ-ਪੋਰਸ ਜਿਹਲਮ ਦੇ ਕੰਢੇ ਦੇ ਇਲਾਕੇ ਦਾ ‘ ਰਾਜਾ ਸੀ, ਜਿਸ ਦੀ 327 ਈ: ਪੂ: ਵਿਚ ਯੂਨਾਨ ਤੋਂ ਆਏ ਹਮਲਾਵਰ ਸਿਕੰਦਰ ਨਾਲ ਲੜਾਈ ਹੋਈ ਸੀ । ਇਸ ਵਿਚ ਪੋਰਸ ਦੀ ਭਾਵੇਂ ਹਾਰ ਹੋਈ ਸੀ, ਪਰ ਉਸ ਨੇ ਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਕਬੀਲਿਆਂ ਨੇ ਸਿਕੰਦਰ ਨੂੰ ਅਜਿਹੀ ਕਰਾਰੀ ਟੱਕਰ ਦਿੱਤੀ ਸੀ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਅੱਗੇ ਵੱਧਣ ਦਾ ਹੌਸਲਾ ਹੀ . ਨਾ ਪਿਆ ਤੇ ਉਹ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆ ਤੋਂ ਹੀ ਵਾਪਸ ਮੁੜ ਗਿਆ ਸੀ । ਭੱਜ ਖਲੋਇਆ-ਦੌੜ ਗਿਆ | ਅਣਖ-ਸ਼ੈ-ਸਤਿਕਾਰ ਦੀ ਇੱਛਾ । ਬੇਹਿਸਾਬ-ਬੇਅੰਤ ।

(ਇ) ਬੁੱਲ੍ਹੇ, ਸ਼ਾਹ ਹੁਸੈਨ ਨੇ ਇੱਥੇ, ਆਪਣੇ ਪੀਰ ਰਿਝਾਏ,
ਨਾਨਕ ਇਸ ਧਰਤੀ ਦੇ ਸਾਂਝੇ ਗੁਰੂ, ਪੀਰ ਅਖਵਾਏ ।
ਮਰਦਾਨੇ ਨੇ ਛੇੜੀ, ਰੱਬੀ ਬਾਣੀ ਨਾਲ ਰਬਾਬ,
ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ……………………. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ ;
ਹੇ ਸਾਥੀਓ ! ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਇਸ ਧਰਤੀ ਉੱਪਰ ਹੀ ਸ਼ਾਹ ਹੁਸੈਨ ਤੇ ਬੁੱਲ੍ਹੇ ਸ਼ਾਹ ਜਿਹੇ ਸੂਫ਼ੀ ਫ਼ਕੀਰਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪੀਰ-ਮੁਰਸ਼ਦਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪਿਆਰ ਨਾਲ ਨਿਹਾਲ ਕੀਤਾ । ਇਸੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਹੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਸਭ ਹਿੰਦੂਆਂ-ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੇ ਸਾਂਝੇ ਗੁਰੂ-ਪੀਰ ਅਖਵਾਏ । ਇਸੇ ਧਰਤੀ ਉੱਪਰ ਹੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਸਾਥੀ ਮਰਦਾਨੇ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰੱਬੀ ਬਾਣੀ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਰਬਾਬ ਵਜਾਈ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :
ਬੁੱਲ੍ਹੇ ਸ਼ਾਹ-ਅਠਾਰਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਹੋਇਆ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੂਫ਼ੀ ਫ਼ਕੀਰ । ਸ਼ਾਹ ਹੁਸੈਨ-16ਵੀਂ ਸਦੀ ਦਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੂਫ਼ੀ ਫ਼ਕੀਰ । ਪੀਰ-ਗੁਰੂ, ਮੁਰਸ਼ਦ । ਰਿਝਾਏ-ਖ਼ੁਸ਼ ਕੀਤੇ, ਨਿਹਾਲ ਕੀਤੇ । ਪੀਰ-ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਬਜ਼ੁਰਗ, ਧਰਮ-ਗੁਰੂ, ਮੁਰਸ਼ਦ | ਰਬਾਬ-ਇਕ ਸੰਗੀਤ-ਸਾਜ਼ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ

(ਸ) “ਮਹਾਂਬਲੀ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ’ ਸੀ, ਇਸ ਧਰਤੀ ਦਾ ਜਾਇਆ,
ਬਿਨਾਂ ਵਿਤਕਰੇ ਚਾਲੀ ਸਾਲ ਉਸ, ਰੱਜ ਕੇ ਰਾਜ ਕਮਾਇਆ ।
ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਪੂਰੇ ਕੀਤੇ, ਉਸ ਨੇ ਕੁੱਲ ਖੁਆਬ, .
ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ …………….. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ :
ਹੇ ਸਾਥੀਓ ! ਮਹਾਂਬਲੀ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਵੀ ਇਸੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ਦਾ ਜੰਮਪਲ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਜਾਤ-ਪਾਤ ਜਾਂ ਧਰਮ ਦਾ ਕੋਈ ਫ਼ਰਕ ਪਾਏ ਬਿਨਾਂ ਚਾਲੀ ਸਾਲ ਰੱਜ ਕੇ ਰਾਜ ਕੀਤਾ। ਉਸ ਨੇ ਸਾਰਿਆਂ ਧਰਮਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਸੁਪਨਿਆਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਸ ਦੇ ਹਲੀਮੀ ਰਾਜ ਨੇ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲ ਕੀਤਾ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :
ਮਹਾਂਬਲੀ-ਬਹੁਤ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ । ਜਾਇਆ-ਪੁੱਤਰ । ਵਿਤਕਰੇ- ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ । ਖ਼ੁਆਬ-ਸੁਪਨੇ ।

(ਹ) ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਸੀ ਰਹਿੰਦੇ, ਬਣ ਕੇ ਭਾਈ-ਭਾਈ,
ਰਾਜ ਕਰਨ ਦੀ ਖ਼ਾਤਰ ਸੀ, ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਫੁੱਟ ਪਾਈ ॥
ਸੰਤਾਲੀ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੋ ਗਏ, ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਚਨਾਬ,
ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ …………………. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ :
ਹੇ ਸਾਥੀਓ ! ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਕਦੇ ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਵੈਰ-ਵਿਰੋਧ ਤੋਂ ਭਰਾਵਾਂ ਵਾਂਗ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਰਾਜ ਕਰਨ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ “ਪਾੜੋ ਤੇ ਰਾਜ ਕਰੋ’ ਦੀ ਨੀਤੀ ਉੱਤੇ ਚਲਦਿਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਫ਼ਿਰਕੂ ਫੁੱਟ ਪਾ ਦਿੱਤੀ, ਜਿਸਦਾ ਸਿੱਟਾ ਇਹ ਨਿਕਲਿਆ ਕਿ 1947 ਵਿੱਚ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦਾ ਦਿਨ ਆਉਣ ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਮ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਵੰਡ ਹੋ ਗਈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਤੋਂ ਵੱਖ ਹੋ ਗਏ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :
ਭਾਈ ਭਾਈ-ਭਰਾ-ਭਰਾ ਬਣ ਕੇ 1 ਫੁੱਟ-ਦੋ ਧਿਰਾਂ ਵਿਚ ਏਕਤਾ ਦੀ ਥਾਂ ਪਾਸੋਂ ਧਾੜ ਪਈ ਹੋਣੀ । ਸੰਤਾਲੀ-ਸੰਨ 1947, ਜਦੋਂ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦੀ ਮਿਲੀ ।

PSEB 7th Class Punjabi Solutions Chapter 1 ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ

(ਕ) ਊਧਮ ਸਿੰਘ, ਕਰਤਾਰ ਸਰਾਭੇ; ਜਾਨ ਦੀ ਬਾਜ਼ੀ ਲਾਈ,
ਰਾਜਗੁਰੂ, ਸੁਖਦੇਵ, ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਲਾੜੀ ਮੌਤ ਵਿਆਹੀ ॥
ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਵਾਰੀਆਂ ਜਾਨਾਂ, ਹੋ ਕੇ ਬੜੇ ਬੇਤਾਬ,
ਇਹ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬ ………………… ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੇ ਸਰਲ ਅਰਥ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ :
ਹੇ ਮੇਰੇ ਸਾਥੀਓ ! ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਛੁਡਾਉਣ ਤੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਦਿਆਂ ਸ: ਉਧਮ ਸਿੰਘ ਤੇ ਸ: ਕਰਤਾਰ ਸਿੰਘ ਸਰਾਭੇ ਨੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਦੀ ਪਰਵਾਹ ਵੀ ਨਾ ਕੀਤੀ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਾਂਗ ਹੀ ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਰਾਜਗੁਰੂ ਤੇ ਸੁਖਦੇਵ ਨੇ ਲਾੜੀ ਮੌਤ ਨੂੰ ਵਿਆਹ ਲਿਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਬੇਚੈਨ ਹੋ ਕੇ ਆਪਣੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ਕੁਰਬਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ।

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ :
ਉਧਮ ਸਿੰਘ-ਸ: ਉਧਮ ਸਿੰਘ ਸੁਨਾਮ, ਜਿਸ ਜਲ੍ਹਿਆਂ ਵਾਲੇ ਬਾਗ਼ ਦੇ ਖੂਨੀ ਕਾਂਡ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਲਈ ਸ: ਮਾਈਕਲ ਉਡਵਾਇਰ ਦਾ ਕਤਲ ਕੀਤਾ ਤੇ ਫਿਰ ਹੱਸਦਾ ਹੋਇਆ ਫਾਂਸੀ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ । ਕਰਤਾਰ ਸਰਾਭੇ-ਸ: ਕਰਤਾਰ ਸਿੰਘ ਸਰਾਭਾ, ਜਿਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢਣ ਲਈ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਬਣੀ ਗ਼ਦਰ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਸਰਗਰਮ ਹਿੱਸਾ ਪਾਇਆ ਤੇ ਕੇਵਲ 19 ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਹੱਸਦਾ ਹੋਇਆ। ਫਾਂਸੀ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ । ਰਾਜਗੁਰੂ, ਸੁਖਦੇਵ, ਭਗਤ ਸਿੰਘ-ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਨਾਲ ਰਾਜਗੁਰੂ ਤੇ ਸੁਖਦੇਵ ਨੂੰ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਵਿਰੋਧੀ ਸਰਗਰਮੀਆਂ ਕਾਰਨ ਇਕੱਠਿਆਂ ਫਾਂਸੀ ਲਾਈ ਗਈ ਸੀ | ਲਾੜੀ-ਦੁਲਹਨ 1 ਵਾਰੀਆਂ-ਕੁਰਬਾਨ ਕੀਤੀਆਂ । ਬੇਤਾਬ-ਬੇਚੈਨ, ਵਿਆਕੁਲ ।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Punjab State Board PSEB 11th Class English Book Solutions Chapter 3 Of Studies Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 English Chapter 3 Of Studies

Short Answer Type Questions

Question 1.
What do studies serve for?
Answer:
Studies serve for three purposes. They serve for delight, for ornament and for ability. Books give us joy in our leisure. They enable a person to make his conversation polished and beautiful. They make him capable of managing the practical affairs of daily life.

अध्ययन तीन उद्देश्यों के लिए उपयोगी हैं। वे खुशी के लिए, सजावट के लिए तथा योग्यता के लिए उपयोगी होते हैं। पुस्तकें हमें हमारे अवकाश में प्रसन्नता देती हैं। वे एक व्यक्ति को अपना वार्तालाप शिष्ट तथा सुन्दर बनाने के योग्य बनाती हैं। वे उसे दैनिक जीवन के व्यावहारिक धंधों को सुव्यवस्थित करने के योग्य बनाती हैं।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Question 2.
What are the chief uses of studies ?
Answer:
Studies mould our character in a healthy manner. History makes us wise, as we learn lessons from past experiences. Poetry makes a person witty. The study of mathematics makes us subtle. We can understand difficult or deep ideas. Science makes us profound. Philosophy makes us serious and sober. Rhetoric sharpens our ability to argue and discuss.

पुस्तकों का अध्ययन हमारे चरित्र को श्रेष्ठ रूप से ढालता है। इतिहास हमें बुद्धिमान् बनाता है क्योंकि हम अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेते हैं। कविता व्यक्ति को चतुर बनाती है। गणित का अध्ययन हमें सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है। हम कठिन अथवा गहन विचार समझ पाते हैं। विज्ञान हमें गहन बनाता है। दर्शनशास्त्र हमें गंभीर और विनम्र बनाता है। व्याख्यान हमारी तर्क तथा वाद-विवाद करने की योग्यता को तीक्ष्ण बनाता है।

Question 3.
When do the studies become the humour of a scholar ?
Answer:
No doubt, studies have great importance in our life. But we cannot lead our life completely according to the rules given in the books. This is the reason that studies become the humour of a scholar when he starts judging things on the basis of rules given in the books. A scholar can judge everything according to bookish knowledge.

निस्सन्देह हमारे जीवन में अध्ययन का बहुत महत्व है। परन्तु हम अपना जीवन पूरी तरह से किताबों में दिए गए नियमों के अनुसार नहीं बिता सकते। यही कारण है कि अध्ययन एक विद्वान का मजाक बन जाता है जब वह चीजों का मूल्यांकन किताबों में दिए नियमों के अनुसार करने लगता है। एक विद्वान हर चीज का मूल्यांकन किताबी ज्ञान के आधार पर कर सकता है।

Question 4.
What do the crafty men, simple men and wise men do with the studies respectively ?
Answer:
The crafty men look down upon books. They think that cunningness will do for them; wisdom of books is of no use. Simple men admire books. They look at them with awe. But the wise men derive advantage out of books. With the help of studies, they prune their natural abilities and thus perfect their nature.

मक्कार लोग अध्ययन से घृणा करते हैं। उनके विचार से दुष्टता ही उनके लिए काफी रहेगी; पुस्तकों का ज्ञान किसी काम का नहीं है। साधारण लोग पुस्तकों की सराहना करते हैं। वे इनको प्रशंसा तथा अचम्भे से देखते हैं। परन्तु बुद्धिमान लोग पुस्तकों से लाभ प्राप्त करते हैं। पुस्तकों के अध्ययन की सहायता से वे अपनी स्वाभाविक योग्यताओं की काट-छांट करते हैं और इस प्रकार अपने स्वभाव को संपूर्ण बनाते हैं।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Question 5.
Why should we read ?
Answer:
Studies offer many advantages. Books give us delight when we study them at leisure. They enable us to make our conversation polished and beautiful. Books also give us the sense to manage the practical affairs of our daily life.

पुस्तकें पढ़ने के बहुत से लाभ हैं। पुस्तकें हमें अवकाश में पढ़ते समय खुशी देती हैं। वे हमें इस योग्य बनाती हैं कि हम अपने वार्तालाप को शिष्ट और सुन्दर बना लें। पुस्तकें हमें अपने दैनिक जीवन के व्यावहारिक धन्धों को सुव्यवस्थित करने की बुद्धिमत्ता भी देती हैं।

Question 6.
‘Some books are to be tasted.’ What does the author mean by this statement ?
Answer:
Some books are good in parts only. So we should taste them, study them in parts. Here the author means to say that some books don’t need thorough reading. They may be given cursory reading only. They don’t need deep and serious reading

कुछ पुस्तकों के कुछ भाग ही अच्छे होते हैं। हमें उनका स्वाद लेना चाहिए, उनको भागों में पढ़ना चाहिए। यहां लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि कुछ पुस्तकों को पूरी तरह से पढ़ने की जरूरत नहीं होती। उनका सिर्फ सतही अध्ययन किया जाना चाहिए। उनका गहन तथा गंभीर अध्ययन करने की कोई जरूरत नहीं होती।

Question 7.
What do reading, conference and writing make a man respectively?
Answer:
Reading develops the mental faculties of a man. Conversation and discussion make him a man with a ready wit. Writing makes a man very exact. He can quote exact facts and figures. He learns how to state everything clearly.

अध्ययन मनुष्य के मानसिक गुणों का विकास करता है। वार्तालाप तथा वाद-विवाद उसे हाजिर जवाबी वाला मनुष्य बना देता है। लिखना एक मनुष्य को परम शुद्ध बनाता है। वह बिल्कुल सही तथ्य व आंकड़े बता सकता है। वह सीख लेता है कि प्रत्येक चीज़ को स्पष्ट रूप से कैसे बतलाए।

Question 8.
How are different types of physical activities beneficial to us ?
Answer:
Different types of physical activities and exercises cure our physical ailments. Bowling is good for the stone and the kindneys. Shooting is good for the lungs and breast. Gentle walking is useful for the stomach and riding for the head.

भिन्न-भिन्न प्रकार की शारीरिक गतिविधियां तथा व्यायाम हमारे शरीर की बीमारियों को ठीक करते हैं। गेंद मार कर बोतलों को गिराना पथरी तथा गुर्दो के लिए अच्छा होता है। तीरन्दाजी फेफड़ों तथा छाती के लिए अच्छी होती है। आराम से चलना पेट के लिए तथा घुड़सवारी करना सिर के लिए लाभदायक है।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Question 9.
When should a man study mathematics?
Answer:
When a man wants to improve his concentration, he should study mathematics. Mathematics improves our concentration. The study of mathematics makes us subtle. We can understand difficult or deep ideas. It makes us intelligent.

जब कोई व्यक्ति अपनी एकाग्रता को सुधारना चाहे, तो उसे गणित का अध्ययन करना चाहिए। गणित हमारी एकाग्रता को सुधारता है। गणित का अध्ययन हमें सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है। हम कठिन अथवा गहन विचार समझ पाते हैं। यह हमें बुद्धिमान बनाता है।

Question 10.
When should we study lawyers’ cases ?’
Answer:
When we lack reasoning and want to improve our intellect, we should study law and lawyers’ cases. It will make us apt to beat over matter. If we want to call up one thing to prove and illustrate another thing, we should study lawyers’ cases.

जब हम में तर्क की कमी हो और हम अपनी बुद्धि को सुधारना चाहें, तो हमें कानून तथा वकीलों के मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए। यह हमें तेजी से निरीक्षण तथा विश्लेषण करने के योग्य बनाएगा। यदि हम किसी बात को साबित करने तथा उदाहरण सहित व्याख्या करने के उद्देश्य से किसी चीज को दिमाग में लाना चाहते हैं, तो हमें वकीलों के मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए।

Question 11.
How are natural abilities like plants ?
Answer:
Natural abilities mean natural talents. These talents are like plants. Plants have a wild growth. They must be pruned and trimmed. Only then do they become orderly and beautiful. Same is the case with our abilities. These abilities need guidance in a right direction. Only then they become useful for society.

स्वाभाविक योग्यताओं का अर्थ है, स्वाभाविक प्रतिभाएं। ये प्रतिभाए पौधों के समान होते हैं। पौधे ऊटपटांग तरीके से उगते हैं। उनके अनावश्यक भागों को काट देना चाहिए तथा उनकी काट-छांट कर देनी चाहिए। केवल तभी वे सुव्यवस्थित तथा सुन्दर बन सकते हैं। ऐसा ही हमारी योग्यताओं के साथ होता है। इन योग्यताओं को उचित दिशा में मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। केवल तभी वे समाज के लिए उपयोगी बन सकेंगी।

Question 12.
What must books not be read for?
Answer:
Books should be read not to condemn or refute others. At the same time, we should not suspend our judgement, and believe whatever is written in books. Again, we should not study books merely to deliver talks and discourses.

पुस्तकों को दूसरों से घृणा करने या उनका खंडन करने के लिए नहीं पढ़ा जाना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी परख को नहीं छोड़ना चाहिए तथा जो कुछ पुस्तकों में लिखा है उन पर अंधाधुन्ध विश्वास नहीं करना चाहिए। फिर हमें पुस्तकों का अध्ययन केवल व्याख्यान तथा उपदेश देने के लिए नहीं करना चाहिए।

Question 13.
The study of which subject can improve concentration if ‘one’s wits be wandering’ ? How?
Answer:
The study of mathematics is needed to improve our concentration. Solving mathematical problems, in fact, gives us a training in having undivided concentration. If while solving a mathematical sum, our attention wanders, we have to begin all over again. That’s a training in concentration.

गणित का अध्ययन हमारी एकाग्रता को सुधार सकता है। वास्तव में गणित की समस्याओं का समाधान हमें अविभाजित एकाग्रता प्राप्त करने का प्रशिक्षण देता है। यदि गणित का कोई प्रश्न हल करते हुए हमारा ध्यान भटक जाता है, तो हमें वह प्रश्न पुनः आरम्भ करना पड़ता है। यही एकाग्रता का प्रशिक्षण है।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Question 14.
Do you agree with Bacon that ‘studies pass into character’?
Answer:
We do agree with Bacon partly, not wholly. Studies mould man’s character in a healthy manner. Books do influence our mind. Different subjects teach us wisdom, concentration, sobriety, reasoning, etc. But other factors count too. The reader’s mind, too, should be open to the ideas presented in books. Otherwise those ideas won’t pass into character.

हम बेकन से थोड़ा सहमत हैं, पूरी तरह नहीं। अध्ययन व्यक्ति के चरित्र को एक स्वास्थ्यकर ढंग से ढालता है। पुस्तकें हमारे मस्तिष्क को अवश्य ही प्रभावित करती हैं। भिन्न-भिन्न विषय हमें बुद्धिमत्ता, एकाग्रता, गम्भीरता व तर्क, इत्यादि सिखाते हैं। परन्तु अन्य तत्त्वों का भी महत्त्व होता है। पाठक का मस्तिष्क भी पुस्तकों द्वारा प्रस्तुत किए गए विचारों के लिए खुला होना चाहिए। अन्यथा वे विचार हमारे चरित्र में नहीं उतर पायेंगे।

Question 15.
Do studies have a harmful effect, according to Bacon ?
Answer:
Yes, but only excessive studies. A person who spends too much time in studying books can become lazy. Making too much use of bookish knowledge in conversation will make it artificial. Similarly, judging everything according to bookish knowledge won’t be practical.

हाँ, परन्तु केवल अत्यधिक अध्ययन। एक व्यक्ति जो पुस्तकों के अध्ययन में अत्यधिक समय व्यतीत करता है, सुस्त बन सकता है। वार्तालाप में किताबी ज्ञान का अत्यधिक प्रयोग करने से यह कृत्रिम बन जायेगा। इसी प्रकार हर चीज़ को किताबी ज्ञान से परखना व्यावहारिक नहीं होगा।

Question 16.
Studies are to mind what exercises are to body. How ?
Answer:
Exercises cure physical ailments. Similarly, studies can cure mental ailments. Mathematics improves concentration. It makes a man subtle and he can understand a deep or difficult idea. If a man cannot find differences, he should study the philosophers of the Medieval times. To improve intellect, a man should study legal cases.

व्यायाम शारीरिक बीमारियों को ठीक करते हैं। इसी प्रकार अध्ययन मानसिक बीमारियों को दूर कर सकता है। गणित एकाग्रता सुधारता है। यह व्यक्ति को सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है और वह गहन अथवा कठिन विचार को समझ सकता है। यदि कोई व्यक्ति (वस्तुओं में) अन्तर नहीं ढूंढ सकता है तो उसे मध्यकाल के दार्शनिकों का अध्ययन करना चाहिए। बुद्धि को सुधारने के लिए मनुष्य को कानूनी मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए। .

Question 17.
Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested.’ Explain.
Answer:
The author talks about the books of different quality. Some books are good only in parts. So they should be tasted, that is, they should be read in parts. Some books are of a mediocre quality. Not much time should be wasted on them. They should be gone through hurriedly. But some few books are of a very high quality. Such books should be read with full concentration. They should be assimilated.

लेखक भिन्न-भिन्न गुणों वाली पुस्तकों की बात करता है। कुछ पुस्तकें भागों में ही अच्छी होती हैं। अतः उनका स्वाद ही लेना चाहिए, अर्थात उन्हें भागों में ही पढ़ना चाहिए। कुछ पुस्तकें मध्यम (साधारण) श्रेणी की होती हैं। उन पर अधिक समय नष्ट नहीं करना चाहिए। उनको जल्दी-जल्दी पढ़ लेना चाहिए। परन्तु कुछ थोड़ी-सी पुस्तकें उच्चतम व श्रेष्ठ होती हैं। ऐसी पुस्तकों को पूर्ण एकाग्रता से पढ़ना चाहिए। उनको आत्मसात कर लेना चाहिए।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Long Answer Type Questions

Question 1.
How do studies perfect man’s nature ?
Answer:
Studies mould man’s character in a healthy manner. They have great influence on his mind. Studies, in fact, pass into man’s character. Different subjects teach him wisdom, concentration, soboriety, reasoning, etc. History makes him wise as he learns lessons from past experiences.

Poetry makes him witry. The study of Mathematics makes him subtle and man can understand difficult or deep ideas. Science makes him profound. Philosophy makes him serious and sober. Rhetoric sharpens his ability to argue and discuss. Books enable man to make his conversation polished and beautiful. They enable man to manage the affairs of his day-to-day life most efficiently. Thus studies prune man’s natural abilities and perfect his nature.

पुस्तकों का अध्ययन मनुष्य के चरित्र को श्रेष्ठ रूप में ढालता है। उनका उसके दिमाग पर बहुत प्रभाव पड़ता है। पुस्तकों का अध्ययन वास्तव में मनुष्य के चरित्र का निर्माण करता है। विभिन्न विषय उसे बुद्धिमत्ता, एकाग्रता, गंभीरता तथा तर्क, इत्यादि सिखाते हैं। इतिहास उसे बुद्धिमान बनाता है क्योंकि वह अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेता है।

कविता उसे चतुर बनाती है। गणित का अध्ययन उसे सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है और मनुष्य कठिन अथवा गहन विचार समझ पाता है। विज्ञान मनुष्य को गहन बनाता है। दर्शन-शास्त्र उसे गम्भीर बनाता है। व्याख्यान उसमें तर्क तथा वाद-विवाद करने की योग्यता को तीक्ष्ण बनाता है। पुस्तकें मनुष्य के वार्तालाप को सुन्दर तथा शिष्ट बनाती हैं।

वे मनुष्य को इस योग्य बनाती हैं कि वह अपने दैनिक जीवन के काम-धन्धों को सकुशल रूप से व्यवस्थित कर सके। इस प्रकार पुस्तकों का अध्ययन मनुष्य की स्वाभाविक योग्यताओं की काट-छांट करता है और उसके स्वभाव को संपूर्णता प्रदान करता है।

Question 2.
How do different types of men make use of studies ?
Answer:
Different people have different attitudes towards studies. The wicked people don’t consider studies worthwhile. They look down upon books. They are full of cunningness and they think that their cunningness will do for them. According to them, wisdom of books is of no use.

Simple-minded people have respect for books. They know the value of books in man’s life. But they just admire books and look at them with awe. But the wise men, says the author, derive advantage out of books. With the help of studies, they make their conversation polished and beautiful.

Wisdom and knowledge gained from the books makes them capable of managing the practical affairs of daily life. With the help of studies, they prune their natural abilities and thus perfect their nature.

अध्ययन के प्रति भिन्न-भिन्न लोगों का भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण होता है। दुष्ट लोग पुस्तकों के अध्ययन को व्यर्थ मानते हैं। वे पुस्तकों से घृणा करते हैं। वे धूर्तता से भरे होते हैं और उनके विचार से दुष्टता ही उनके लिए काफी रहेगी। उनके अनुसार पुस्तकों की बुद्धिमत्ता किसी काम की नहीं होती है।

साधारण लोग पुस्तकों का सम्मान करते हैं। वे मनुष्य के जीवन में पुस्तकों के मूल्य को समझते हैं। परन्तु वे पुस्तकों की सिर्फ सराहना करते हैं और इनको प्रशंसा तथा अचम्भे से देखते हैं। परन्तु बुद्धिमान लोग, लेखक कहता है, पुस्तकों से लाभ प्राप्त करते हैं। पुस्तकों के अध्यययन की मदद से वे अपने वार्तालाप को शिष्ट तथा सुंदर बना लेते हैं।

पुस्तकों से प्राप्त हुआ ज्ञान तथा बुद्धिमत्ता उन्हें दैनिक जीवन के व्यावहारिक धंधों को सुव्यवस्थित करने के योग्य बनाता है। पुस्तकों के अध्ययन की सहायता से वे अपनी स्वाभाविक योग्यताओं की काट-छांट करते हैं और इस प्रकार अपने स्वभाव को संपूर्ण बनाते हैं।

Question 3.
What does the author say about different types of books ?
Answer:
The author talks about the books of different quality. He says that some books are good in parts only. So they should be tasted, that is they should be read in parts only. Then there are some books of mediocre quality. They don’t deserve a thoughtful study.

So not much time should be wasted on them. They should be swallowed. In other words, they should be gone through hurriedly. But there are some books which are really good. These books are of a high quality. Such books should be read thoroughly and with full concentration. They should be read seriously and deeply. In short, such books should be assimilated.

लेखक भिन्न-भिन्न गुणों वाली पुस्तकों की बात करता है। वह कहता है कि कुछ पुस्तकें सिर्फ भागों में ही अच्छी होती हैं। इसलिए उनका स्वाद ही लेना चाहिए, अर्थात् उन्हें भागों में ही पढ़ना चाहिए। फिर कुछ पुस्तकें होती हैं जो मध्यम (साधारण) श्रेणी की होती हैं। उन्हें गौर से नहीं पढ़ा जाना चाहिए।

इसलिए उन पर अधिक समय नष्ट नहीं करना चाहिए। उन्हें निगल जाना चाहिए। अन्य शब्दों में, उनको जल्दी जल्दी पढ़ लेना चाहिए। परन्तु कुछ पुस्तकें होती हैं जो वास्तव में बहुत अच्छी होती हैं। ऐसी पुस्तकें उच्चतम व श्रेष्ठ होती हैं। ऐसी पुस्तकों को अच्छी तरह तथा पूर्ण एकाग्रता से पढ़ना चाहिए। उनका अध्ययन गहनता से तथा गंभीरतापूर्वक करना चाहिए। संक्षेप में, ऐसी पुस्तकों को आत्मासात कर लेना चाहिए।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Question 4.
What must man have if he writes, confers or reads little ?
Answer:
The author says that there are some sort of qualities which a man should possess, if he writes or confers or reads little. He says that if a man writes little, he must have a great memory. With his good memory, he will be able to retain the things in his mind.

Then the author says that if a man confers little, he must have a present wit. According to the author, present wit would make him able to tackle the unexpected and unpleasant situations at times occurring in his life. And if a man reads little, says the author, he must have cunningness. It would make him look confident. Then he would seem to know that he does not know in fact.

लेखक कहता है कुछ किस्म के गुण हैं जो एक मनुष्य में होने चाहिएं यदि वह कम लिखता है, अथवा कम बातचीत करता है अथवा कम पढ़ता है। वह कहता है कि यदि कोई व्यक्ति कम लिखता हो, तो उसकी याद्दाश्त बहुत तेज़ होनी चाहिए। अपनी अच्छी याद्दाश्त की मदद से वह बातों को अपने दिमाग में याद रख सकेगा।

फिर लेखक कहता है कि यदि व्यक्ति कम वार्तालाप करता है, तो उसे हाज़िर-जवाब अवश्य होना चाहिए। लेखक के अनुसार, हाज़िर-जवाबी उसे जीवन में समय-समय पर होने वाली अप्रत्याशित तथा असुखद परिस्थितियों का सामना करने के काबिल बनाएगी। और यदि व्यक्ति कम पढ़ता है, तो लेखक कहता है, उसके अन्दर धूर्तता (चालाकी) अवश्य होनी चाहिए। इससे वह विश्वस्त दिखाई देगा। फिर ऐसा प्रतीत होगा कि वह सब जानता है जो कि वह वास्तव में नहीं जानता होगा।

Question 5.
How do studies pass into the character ?
Answer:
Studies have a great influence on human character. They remove mental deficiencies and improve our character. They enable us to make our conversation polished and beautiful. They make us capable of managing the practical affairs of daily life.

Studies indeed are of immense value in our life. Studies have a great influence on our mind as well. Different subjects teach us wisdom, concentration, sobriety, reasoning, etc. History makes us wise as we learn lessons from past experiences. Poetry makes us witty.

Mathematics makes us subtle. Science makes us profound. Philosophy makes us sober and serious. Rhetoric sharpens our ability to argue and discuss. Thus, studies pass into our character and mould it in a healthy manner.

अध्ययनों का मानव-चरित्र पर बड़ा प्रभाव होता है। ये मानसिक त्रुटियों को दूर करते हैं तथा हमारे चरित्र को सुधारते हैं। ये हमें अपना वार्तालाप शिष्ट तथा सुंदर बनाने योग्य बनाते हैं। वे हमें दैनिक जीवन के व्यावहारिक धंधों को व्यवस्थित करने के योग्य बनाते हैं। हमारे जीवन में अध्ययन की सचमुच बहुत महत्ता है।

अध्ययन का हमारे मस्तिष्क पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है। भिन्न-भिन्न विषय हमें बुद्धिमत्ता, एकाग्रता, गम्भीरता तथा तर्क, इत्यादि सिखाते हैं। इतिहास हमें बुद्धिमान बनाता है क्योंकि हम अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेते हैं। कविता हमें हाज़िरजवाब बनाती है। गणित हमें सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है।

विज्ञान हमें गहन बनाती है। दार्शनिकता हमें शांत तथा गम्भीर बनाती है। व्याख्यान हममें तर्क तथा वाद-विवाद करने की योग्यता को तीक्ष्ण बनाता है। इस प्रकार अध्ययन हमारे चरित्र का निर्माण करता है और इसे एक श्रेष्ठ रूप प्रदान करता है।

Question 6.
What are the different ways of reading books ?
Answer:
The author suggests different ways of reading books. As Bacon says : ‘Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested.’. It means there are different types of books, and a reader should have a different approach towards them.

Some books, for example, are good in parts only. So they should be tasted, that is, they should be read in parts only. Then, there are books that don’t deserve a thoughtful study. They should be swallowed. In other words, we should go through them hurriedly. But there are really good books too books of high quality. Such books should be thoroughly read and assimilated.

There are books of a fourth kind too. These books are of a very low quality. Such books should be read by proxy. They should not be read in original. They should be studied through notes, etc. These are the ways of reading different books.

लेखक पुस्तकें पढ़ने के भिन्न-भिन्न तरीके सुझाता है। जैसा कि बेकन कहता है, “कुछ पुस्तकों का स्वाद लेना चाहिए, कुछ पुस्तकों को निगल जाना चाहिए तथा कुछ थोड़ी-सी ऐसी होती हैं जिन्हें चबाया तथा हजम किया जाना चाहिए।” इसका अर्थ है कि पुस्तकें भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं तथा एक पाठक को उनके प्रति भिन्न-भिन्न व्यवहार रखना चाहिए।

उदाहरणतः कुछ पुस्तकों के केवल कुछ भाग ही अच्छे होते हैं। अतः उनका स्वाद लेना चाहिए, अर्थात् उनको भागों में ही पढ़ना चाहिए। तब कुछ ऐसी पुस्तकें होती हैं, जिनको गौर से नहीं पढ़ा जाना चाहिए। उनको निगल जाना चाहिए। दूसरे शब्दों में, हमें उन्हें शीघ्रता से पढ़ना चाहिए। परन्तु वास्तव में श्रेष्ठ पुस्तकें भी होती हैं – उच्च कोटि की पुस्तकें । इन पुस्तकों को पूर्णतः पढ़ना चाहिए तथा अपने अन्दर आत्मसात करना चाहिए।

पुस्तकों की एक चौथी किस्म भी होती है। ये पुस्तकें बड़े निम्न स्तर वाली होती हैं। ऐसी पुस्तकों को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए रूपांतर में पढ़ना चाहिए। इन्हें इनके मूल रूप में नहीं पढ़ना चाहिए। इन्हे नोट्स, इत्यादि के जरिए पढ़ना चाहिए। ये भिन्न-भिन्न पुस्तकों को पढ़ने के तरीके हैं।

Question 7.
What are the advantages of studies ?
Answer:
Studies offer many advantages. Books give us delight when we study them at leisure. They enable us to make our conversation polished and beautiful. Books also give us the sense to manage the practical affairs of our daily life.

Studies mould our character in a healthy manner. History makes us wise, as we learn lessons from past experiences. Poetry makes a person witty. The study of mathematics makes us subtle. We can understand difficult or deep ideas. Science makes us profound. Philosophy makes us serious and sober. Rhetoric sharpens our ability to argue and discuss.

Books are useful in another way also. They serve as an effective cure for many mental ailments. Mathematics improves our concentration. The philosophers of the Middle Ages teach us to find differences. If we lack reasoning, we should study law and lawyers’ cases. Thus studies offer a variety of advantages.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

पुस्तकें पढ़ने के बहुत से लाभ होते हैं। पुस्तकें हमें अवकाश में पढ़ते समय खुशी देती हैं। वे हमें इस योग्य बनाती हैं कि हम अपने वार्तालाप को सुन्दर बना लें। पुस्तकें हमें अपने दैनिक जीवन के व्यावहारिक धन्धों को सुव्यवस्थित करने की बुद्धिमत्ता भी देती हैं। पुस्तकों का अध्ययन हमारे चरित्र को श्रेष्ठ रूप से ढालता है।

इतिहास हमें बुद्धिमान् बनाता है क्योंकि हम अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेते हैं। कविता व्यक्ति को चतुर बनाती है। गणित का अध्ययन हमें सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है। हम कठिन अथवा गहन विचार समझ पाते हैं। विज्ञान हमें गहन बनाता है। दर्शनशास्त्र हमें गंभीर और विनम्र बनाता है। व्याख्यान हमारी तर्क तथा वाद-विवाद करने की योग्यता को तीक्ष्ण बनाता है। पुस्तकें एक और तरीके से भी लाभदायक होती हैं।

वे बहुत-सी मानसिक बीमारियों के प्रभावशाली उपचार का कार्य करती हैं। गणित हमारी एकाग्रता को सुधारता है। मध्यकाल के दार्शनिक हमें अन्तर करना सिखाते हैं। यदि हम में तर्क की कमी है तो हमें कानून तथा वकीलों के मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए। अतः पुस्तकों के अध्ययन के बहुत से लाभ होते हैं।

Question 8.
Give the substance of the essay, ‘Of Studies’.
Answer:
Of Studies’ tells us the importance of studying books. Books are a source of delight and usefulness. They entertain us when we read them at leisure. They make our conversation polished and beautiful. Excessive studies, however, will make us lazy and pedant.

Studies do give us an insight into the working of human mind. But we should not read books to condemn or contradict others. Nor should we use our bookish knowledge for delivering talks and discourses. The real aim of studies is the acquisition of wisdom. Books are of different kinds. Some are to be studied in parts. There are books which we should go through hurriedly.

But really good books should be studied thoroughly, with full concentration. Studies have a great influence on human character. They remove mental deficiencies and improve our character. They, indeed, are of immense value.

‘Of Studies हमें पुस्तकों के अध्ययन की महत्ता बताता है। पुस्तकें खुशी तथा उपयोगिता का स्रोत हैं। जब हम अवकाश में इन्हें पढ़ते हैं, तो ये हमारा मनोरंजन करती हैं। ये हमारे वार्तालाप को शिष्ट और सुन्दर बनाती हैं। परन्तु पुस्तकों का अत्यधिक अध्ययन हमें सुस्त तथा विद्यागर्वी बना देता है।

पुस्तकों का अध्ययन हमें मानव-मस्तिष्क के कार्य के ढंग का अन्तर्ज्ञान देता है। हमें दूसरों की निन्दा अथवा उनकी बात काटने के लिए पुस्तकें नहीं पढ़नी चाहिएं। न ही हमें अपने किताबी ज्ञान का प्रयोग भाषण अथवा उपदेश देने के लिए करना चाहिए। अध्ययन का वास्तविक उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति है। पुस्तकें भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। कुछ को भागों में ही पढ़ना चाहिए। कुछ पुस्तकें ऐसी हैं जिन्हें हमें शीघ्रता से पढ़ लेना चाहिए।

परन्तु वास्तविक श्रेष्ठ पुस्तकों को पूर्ण एकाग्रता के साथ पूरी तरह पढ़ना चाहिए। अध्ययन का मानव-चरित्र पर बड़ा प्रभाव होता है। यह मानसिक त्रुटियों को दूर करता है तथा हमारे चरित्र को सुधारता है। सचमुच उनकी अत्यधिक महत्ता है।

Objective Type Questions

Question 1.
Who wrote the essay, ‘Of Studies’ ?
Answer:
Francis Bacon.

Question 2.
How many purposes does the study of books serve ?
Answer:
Three purposes.

Question 3.
When do the books give us joy ?
Answer:
When we study, When we study them in loneliness.

Question 4.
What is the harm of spending too much time in studies ?
Answer:
It makes us lazy and ease-loving.

Question 5.
What perfects the study of books ?
Answer:
Experience.

Question 6.
For what purpose should we read books ?
Answer:
To think deep and gain wisdom.

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Question 7.
What sort of books should be read by proxy ?
Answer:
The books of lower quality.

Question 8.
What must a man have if he writes little ?
Answer:
A good memory.

Question 9.
What influence does writing poetry have on man?
Answer:
It makes a man creative.

Vocabulary And Grammar

1. Fill in the blanks in the following sentences with suitable words selected from the box below :

learned , extract, perfect ,crafty, chew, exact ,contradict

1. This gold …………. carries a purity of 95 percent.
2. Many a ………….. professor took part in the conference.
3. You must ……….. your food well.
4. ………….. persons are sometimes caught in their own nets.
5. This passage is an …………. from a speech by Nehru.
6. Your reply must be ………….. and to the point.
7. Practice makes a man ……………. .
8. I do not mean to …………….. what you are saying.
Answer:
1. ornament
2. learned
3. chew
4. Crafty
5. extract
6. exact
7. perfect
8. contradict.

2. Form nouns from the following words :

Word –Noun

1. consider — consideration
2. punish — punishment
3. believe — belief
4. opt — option
5. idle — idleness
6. weak — weakness
7. dictate — dictation
8. violent — violence
9. intelligent — intelligence
10. obey — obedience

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3. Fill in each blank with a suitable preposition :

1. Her face was a criss-cross ……. wrinkles.
2. She used to get up …………. the morning and get me ready …………. school.
3. He rules ………… a vast empire.
4. I never bothered ……………… learn the prayer.
5. The driver jumped …………… the car.
Answer:
1. of
2. in; for
3. over
4. to
5. out of.

4. Change the voice :

1. Baron Hausberg buys all my pictures.
2. Will Pakistan build a nuclear breeder ?
3. His conduct amazed us.
4. Who is creating this mess?
5. He is said to be very rich.
Answer:
1. All my pictures are bought by Baron Hausberg.
2. Will a nuclear breeder be built by Pakistan ?
3. We were amazed at his conduct.
4. By whom is this mess being created ?
5. They say that he is very rich.

5. Change the form of narration :

1. My mother said to me, “You will miss the train.”
2. “Gandhiji believed in non-violence,” said the Prime Minister.
3. Rita said to me, “Trust in God and do the right.”
4. “Don’t run away, Hughie,” said he.
5. “What an amazing model !” shouted Trevor.
Answer:
1. My mother told me that I would miss the train.
2. The Prime Minister said that Gandhiji believed in non-violence.
3. Rita advised me to trust in God and do the right.
4. He asked Hughie not to run away.
5. Trevor shouted that it was an amazing model.

Of Studies Summary & Translation in English

Of Studies Summary in English:

According to Bacon, studying books serves three useful purposes. They are a source of entertainment for us in our leisure. They enable us to make our conversation polished and beautiful. They enable us to manage the affairs of our day-to-day life most efficiently. Thus studies give us profit as well as pleasure.

But excessive studies can prove harmful. Spending too much time on studies will make us lazy. Using bookish knowledge in conversation will make it artificial. Judging everybody and everything according to the bookish knowledge too is no good. The author calls it the mere whim of a scholar. There is nothing sensible about it.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Different people have different attitudes towards studies. The wicked people look down upon books. They think that cunningness will do for them; wisdom of books is of no use. Simple-minded people admire books. They look at them with awe.

But the wise men derive advantage out of books. A person, however, must have clear aims of studying books. We should not use bookish knowledge to contradict and condemn others. We should not have blind faith in books. We should not suspend our judgement and believe all that is written in books. Moreover, the aim of studies is not to indulge in talks and discourses.

The aim of studies, in fact, is the acquisition of wisdom. We must develop the wisdom to judge the actions, achievements and values of men and society.

According to Bacon, every book should not be read with the same interest and concentration. There are books and books in the world. There are good books and bad books – well-written books and badly-written books, as they say. There are books of high quality and books of low quality. Time on books should be spent according to their quality.

Bacon beautifully remarks : Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested.’ It means that some books should be read in parts – they are good in parts only. Some books should be swallowed. We should go through them hurriedly.

They don’t deserve our time and concentration. But some books are of a very high quality. We must read them with full concentration. We must digest them, assimilate them. But there are certain books which need not be read in original. Reading them through notes and extracts will be enough. Such books are read through proxy.

Bacon goes on to say : ‘Reading maketh a full man; conference a ready man; and writing an exact man. In other words, it means that reading develops the mental faculties of man; conversation and discussion make him quick-witted. Writing makes him an accurate man. He can quote exact facts and figures. Studies have a great influence on the human mind. History makes men wise. Poetry makes him witty and Mathematics, subtle. Science makes man profound and philosophy makes him sober and serious.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

Books have curative powers too. Physical exercises cure physical ailments while studies cure a man of his mental deficiencies. Mathematics cures lack of concentration. If a man cannot find differences, he should study the philosophers of the Middle Ages. Similarly, if a man lacks reasoning, he should study law and lawyers’ cases. Thus, Bacon believes that every defect of the mind has a special remedy.

Of Studies Translation in English:

Francis Bacon (1561-1626), “the brightest, wisest and meanest? of mankind”, is known as the father of the English essay and the father of modem English prose. Eke was a voluminous writer. His essays mostly deal with the ethicall qualities of men or with matters pertaining to the government or the state. They are full of practical wisdom of life. His style is aphoristic ,formal, impersonal and informative.

In the present essay Bacon describes the advantages of studies. This is one of his most popular essays. Studies give pleasure, embellish our conversation and augment our practical abilities. Different men view studies differently.

Reading, writing and conversation are all necessary to perfect and develop the powers of a man. A study of different subjects carries with it different advantages. Studies cure mental ailments or defects just as certain sports and exercises cure specific physical ailments.

Studies serve for delight, for ornament, and for ability. Their chief use for delight, is in privateness and retiring, for ornament, is in discourse, and for ability, is in the judgement and disposition of business.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

For expert men can execute, and perhaps judge of particulars, one by one, but the general counsels, and the plots and marshalling of affairs, come best from those that are learned. To spend too much time in studies is sloth; to use them too much for ornament is affectation; to make judgement wholly by their rules, is the humour of a scholar.

They perfect nature and are perfected by experience: for natural abilities are like natural plants that need pruning by study; and studies themselves do give forth directions too much at large, except they be bounded in by experience. Crafty men condemn studies; simple men admire them; and wise men use them for they teach not their own use; but that is a wisdom without them, and above them, won by observation.

Read not to contradict and confute, nor to believe and take for granted, nor to find talk and discourse; but to weigh and consider. Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested, that is, some books are to be read only in parts; others to be read but not curiously, and some to be read wholly and with diligence and action.

Some books also may be read by deputy, and extracts made of them by others, but that would be only in the less important arguments and the meaner sort of books, else distilled books are like common distilled waters, flashy things.

Reading maketh a full man; conference a ready man; and writing an exact man. And therefore if a man writes little; he had need have a great memory; if he confers little, he had need have a present wit, and if he reads little, he had need have much cunning, to seem to know that he doth not. Histories make men wise, poets witty; the mathematics subtle; natural philosophy deep; moral grave ; logic and rhetoric able to contend. About studia in mores (Studies pass into the character).

Nay there is no stand or impediment in the wit, but may be wrought out by fit studies: like as diseases of the body may have appropriate exercise. Bowling is good for the stone and reins shooting for the lungs and breast, gentle walking for the stomach; riding for the head, and the like.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

So if a man’s wit be wandering, let him study the mathematics, for in demonstration if his wit be not apt to distinguish or find differences, let him study the schoolmen; for they are cymini sectores If he be not apt to beat over matters, and to call up one thing to prove and illustrate another, let him study the lawyers’ cases. So every defect of the mind may have a special

Of Studies Summary & Translation in Hindi

Of Studies Summary in Hindi:

लेख का विस्तृत सार बेकन के विचार में पुस्तकें पढ़ने के तीन लाभदायक उद्देश्य हैं। वे हमारे अवकाश में मनोरंजन का साधन हैं। वे हमारे वार्तालाप को शिष्ट तथा सुन्दर बनाती हैं। वे हमें इस योग्य बनाती हैं कि हम अपने दैनिक जीवन के धन्धों को सकुशल रूप से व्यवस्थित कर सकें। इस प्रकार पुस्तकें हमें लाभ तथा मनोरंजन दोनों ही प्रदान करती हैं। परन्तु अत्यधिक अध्ययन हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

अध्ययन करने में अत्यधिक समय बिताना हमें सुस्त बना देगा। वार्तालाप में किताबी ज्ञान का प्रयोग इसको कृत्रिम बना देगा। प्रत्येक व्यक्ति तथा प्रत्येक वस्तु को किताबी ज्ञान के अनुसार परखना भी कोई अच्छी बात नहीं है। लेखक इसे एक विद्वान् के मन की लहर मात्र कहता है। इसमें कुछ भी बुद्धिमत्ता की बात नहीं है।

अध्ययन के प्रति भिन्न-भिन्न लोगों का भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण होता है। दुष्ट लोग अध्ययन से घृणा करते हैं। उनके विचार में दुष्टता ही उनके लिए काफी रहेगी। पुस्तकों का ज्ञान किसी काम का नहीं है। साधारण लोग पुस्तकों की सराहना करते हैं। वे इनको प्रशंसा व अचम्भे से देखते हैं। परन्तु बुद्धिमान लोग पुस्तकों से लाभ प्राप्त करते हैं। परन्तु एक व्यक्ति के पुस्तकों के अध्ययन के स्पष्ट उद्देश्य होने चाहिएं। हमें किताबी ज्ञान का प्रयोग दूसरों की बात काटने तथा निन्दा करने के लिए नहीं करना चाहिए। हमें पुस्तकों में अन्धविश्वास नहीं होना चाहिए।

हमें अपनी परख को रोक कर उन सब बातों पर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए जोकि पुस्तकों में लिखी हुई हैं। इसके अतिरिक्त अध्ययन का उद्देश्य वार्तालाप तथा व्याख्यान करना नहीं है। वास्तव में अध्ययन का उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति है। हम में मनुष्यों तथा समाज के कार्यों, उपलब्धियों तथा महत्ताओं को परखने की बुद्धिमत्ता होनी चाहिए।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

बेकन के विचार से प्रत्येक पुस्तक को सामान्य रुचि तथा एकाग्रता के साथ नहीं पढ़ना चाहिए। संसार में पुस्तकें ही पुस्तकें हैं। अच्छी पुस्तकें हैं तथा बुरी पुस्तकें हैं – ऐसा कहा जाता है कि अच्छी लिखी पुस्तकें तथा बुरी लिखी पुस्तकें होती हैं। उच्च श्रेणी की पुस्तकें होती हैं तथा घटिया श्रेणी की पुस्तकें होती हैं।

पुस्तकों पर समय उनके गुण के हिसाब से लगाना चाहिए। बेकन ने बड़े सुन्दर तरीके से कहा, “कुछ पुस्तकों का स्वाद चखना चाहिए, कुछ को निगल जाना चाहिए तथा कुछ थोड़ी-सी पुस्तकें ऐसी होती हैं जिनको चबाना तथा हज़म करना चाहिए।” इसका अर्थ यह है कि कुछ पुस्तकों को भागों में पढ़ना चाहिए – वे भागों में ही अच्छी होती हैं।

कुछ पुस्तकों को निगल जाना चाहिए। उन्हें शीघ्रता से पढ़ डालना चाहिए। वे हमारे समय तथा एकाग्रता की अधिकारी नहीं होती। परन्तु कुछ पुस्तकें श्रेष्ठ गुण वाली होती हैं। हमें उन्हें पूर्ण एकाग्रता के साथ पढ़ना चाहिए। हमें उन्हें हज़म करना चाहिए, रचा-बसा लेना चाहिए। परन्तु कुछ पुस्तकें ऐसी होती हैं जिन्हें मूल रूप से पढ़ने की आवश्यकता नहीं होती। इन पुस्तकों को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए रूपान्तर में पढ़ना चाहिए!

बेकन आगे कहता है : “अध्ययन एक मनुष्य को पूर्ण बनाता है, वार्तालाप उसे तत्पर बनाता है तथा लिखने से वह परम शुद्ध बन जाता है।” दूसरे शब्दों में इसका अर्थ यह है कि अध्ययन मनुष्य की मानसिक योग्यताओं का विकास करता है; वार्तालाप तथा वाद-विवाद उसे चालाकी वाला बना देते हैं। लिखना उसे शुद्ध बनाता है।

वह शुद्ध तथ्य तथा आंकड़े लिख सकता है। मानव मस्तिष्क पर अध्ययन का बहुत बड़ा प्रभाव होता है। इतिहास मनुष्य को बुद्धिमान बनाता है। कविता उसे चतुर और गणित उसे सूक्ष्म बनाता है। विज्ञान उसे गहरा और दार्शनिकता उसे शांत तथा गम्भीर बनाती है। किताबों में आरोग्यकर शक्तियां होती हैं।

शारीरिक व्यायाम शारीरिक बीमारियों का इलाज करते हैं जबकि अध्ययन मानसिक त्रुटियों को दूर करता है। गणित विद्या एकाग्रता की कमी को दूर करती है। यदि कोई मनुष्य अन्तर नहीं ढूंढ सकता है तो उसे मध्यकाल के दार्शनिकों का अध्ययन करना चाहिए। इसी प्रकार यदि उसमें तर्कशक्ति नहीं है तो उसे कानून तथा वकीलों के मुकदमें पढ़ने चाहिएं। इस प्रकार बेकन विश्वास करता है कि मस्तिष्क की प्रत्येक त्रुटि का एक विशेष उपचार होता है।

Of Studies Translation in Hindi:

फ्रांसिस बेकन (1561-1626), जो कि मानवता में “सबसे अधिक होनहार, बुद्धिमान तथा घटिया” था, को अंग्रेज़ी लेख तथा आधुनिक अंग्रेज़ी गद्य के जन्मदाता के रूप में जाना जाता है। वह एक बहुत ज्यादा लिखने वाला लेखक था। उसके लेख ज़्यादातर लोगों के नैतिक गुणों से सम्बन्ध रखते हैं या सरकार अथवा राज्य से सम्बन्ध रखते हैं।

वे जीवन की व्यावहारिक बुद्धिमत्ता से भरपूरैं। उसकी शैली सूक्तिपूर्ण, औपचारिक, अवैयक्तिक तथा ज्ञान देने वाली है।
प्रस्तुत लेख में बेकन अध्ययन करने के लाभों का वर्णन करता है। यह उसके सबसे प्रसिद्ध लेखों में से एक है। अध्ययन हमें आनंद देता है, हमारे वार्तालाप को सुन्दर बनाता है तथा हमारी व्यावहारिक योग्यताओं में बढ़ोतरी करता है। भिन्न-भिन्न लोग अध्ययन को भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से देखते हैं।

पढ़ना, लिखना तथा बातचीत करना व्यक्ति की शक्तियों को संपूर्ण बनाने तथा विकसित करने के लिए अति आवश्यक हैं। भिन्न-भिन्न विषयों के अध्ययन के भिन्न-भिन्न लाभ होते हैं। अध्ययन मानसिक बीमारियों या त्रुटियों को दूर करता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे कुछ विशेष खेल तथा व्यायाम कुछ विशेष शारीरिक रोगों को दूर करते हैं।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

अध्ययन आनंद, सुंदरता तथा योग्यता प्रदान करता है। आनंद से संबंधित उसका फायदा अकेलेपन तथा फुरसत के समय में ही लिया जा सकता है, सुन्दरता के सम्बन्ध में उसका फायदा बातचीत करने में ही लिया जा सकता है, तथा योग्यता के सम्बन्ध में उसका फायदा परख करने में अथवा दैनिक कार्यों की व्यवस्था करने में ही लिया जा सकता है।

क्योंकि विशेषज्ञ लोग काम कर सकते हैं, और शायद व्यक्तिगत मामलों की परख कर सकते हैं, एक एक करके, लेकिन आम सलाहें, तथा योजनाएं तथा चीज़ों की व्यवस्था सबसे उत्तम ढंग से उन लोगों के द्वारा की जाती है जो विद्वान होते हैं। अध्ययन में बहुत ज्यादा समय व्यतीत करना आलसी बना देता है; वार्तालाप को सुंदर बनाने के लिए उसका अत्यधिक प्रयोग बनावटीपन

लाता है। पूरी तरह से उसके नियमों के अनुसार फैसला करना विद्वानों के मन का वहम होता है। वह हमारे स्वभाव को संपूर्ण बनाता है तथा खुद भी अनुभव के द्वारा संपूर्ण बन जाता है : क्योंकि स्वाभाविक योग्यताएं प्राकृतिक पौधों की भांति होती हैं जिन्हें अध्ययन के मार्गदर्शन द्वारा काट-छांट की आवश्यकता होती है; तथा अध्ययन खुद भी आमतौर पर बहुत ज्यादा निर्देश देता है, सिवाए जब उसे अनुभव के द्वारा सीमित न कर दिया गया हो।

दुष्ट लोग अध्ययन से घृणा करते हैं; साधारण लोग उसकी प्रशंसा करते हैं; तथा बुद्धिमान लोग उसका प्रयोग करते हैं: क्योंकि वे (पुस्तकें) सिर्फ अपना प्रयोग करना नहीं सिखातीं; बल्कि वह समझदारी भी सिखाती हैं जो उनके बगैर भी होती है, तथा उनसे ऊपर भी होती है, जो

जिंदगी का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने से प्राप्त होती है। किसी की बात का खंडन करने के लिए तथा किसी को गलत साबित करने के लिए न पढ़ें, न ही बिना जांचे परखे किसी बात को स्वीकार करने के लिए पढ़ें (न ही अन्धविश्वास करने के लिए पढ़ें), न ही वार्तालाप तथा व्याख्यान की तलाश में पढ़ें; बल्कि इसलिए पढ़ें ताकि आप ध्यानपूर्वक आंकलन कर सकें तथा सोचने-समझने की शक्ति विकसित कर सकें।

कुछ पुस्तकों का स्वाद चखना चाहिए, अन्यों को निगलना चाहिए, तथा कुछ थोड़ी-सी पुस्तकें ऐसी होती हैं जिनको चबाना तथा हज़म करना चाहिए, यानि कि कुछ पुस्तकों के केवल भागों को ही पढ़ना चाहिए; दूसरी पुस्तकों को भी पढ़िए लेकिन उत्सुकतापूर्वक नहीं, तथा कुछ पुस्तकों को पूरी तरह पढ़ना चाहिए तथा बड़े ध्यान से और निरंतर प्रयास के साथ। कुछ पुस्तकों को किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा भी

पढ़ा जा सकता है। (यानि कि अगर किसी दूसरे व्यक्ति ने कोई पुस्तक पढ़ी है तो उसके साथ उस पुस्तक के बारे में बातचीत करके), तथा उनके अंशों को पढ़कर जो किसी और के द्वारा लिखे गए हैं, लेकिन वे पुस्तकें कम महत्त्वपूर्ण विषय-वस्तु वाली होंगी तथा घटिया दर्जे की होंगी, ऐसी पुस्तकें जिनमें मौलिक पुस्तक के सिर्फ अंश | ही हों, वे तो साधारण शुद्ध किए हुए पानी की भांति होती हैं स्वादहीन, खोखली चीजें।

अध्ययन मनुष्य को संपूर्ण बनाता है; वार्तालाप उसे तत्पर बनाता है; तथा लिखना उसे परम शुद्ध बना देता है। और इसलिए अगर कोई व्यक्ति कम लिखता है; तो उसे अत्यधिक याद्दाश्त की आवश्यकता है; अगर वह लोगों के साथ कम बातचीत करता है, तो उसे हाज़िर-जवाब होने की आवश्यकता है, और अगर वह कम पढ़ता है, तो उसे बहुत चतुराई की आवश्यकता है ताकि देखने में ऐसा प्रतीत हो कि उसके अंदर कोई कमी नहीं है।

सारे इतिहास लोगों को बुद्धिमान बनाते हैं, कवि लोगों को कल्पनाशील बनाते हैं; गणित उन्हें सूक्ष्म (तीव्र बुद्धि वाला) बनाता है; नैतिक दर्शन उन्हें गंभीर बनाता है; तर्क तथा प्रभावशाली तरीके से बोलने या लिखने की कला उन्हें वाद-विवाद करने की योग्यता प्रदान करते हैं।

स्वाद चरित्र बन जाते हैं (अध्ययन चरित्र में उतर जाता है)। नहीं, दिमाग़ में कोई अवरोध या रुकावट नहीं होती है लेकिन (अगर कोई हो तो) उसे अध्ययन के द्वारा दूर किया जा सकता है जिस तरह शरीर की बीमारियों को सही व्यायाम के द्वारा दूर किया जा सकता है। गेंद मार के बोतलों को गिराना पथरी तथा गुर्दो के लिए, तीरन्दाजी फेफड़ों तथा छाती के लिए; आराम से चलना पेट के लिए; घुड़सवारी सिर के लिए लाभदायक है तथा इसी तरह अन्य भी।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 3 Of Studies

इसलिए अगर किसी व्यक्ति में एकाग्रता की कमी हो तो उसे गणित का अध्ययन करना चाहिए, अगर कोई व्यक्ति अन्तर नहीं ढूंढ सकता तो उसे मध्य काल के यूरोपीय दार्शनिकों तथा अध्यापकों का अध्ययन करना चाहिए : क्योंकि वे सब बाल की खाल निकालने वाले हैं। अगर वह तेजी से निरीक्षण तथा विश्लेषण नहीं कर सकता, तो किसी बात को साबित करने तथा उदाहरण सहित व्याख्या करने के उद्देश्य से किसी बात को दिमाग़ में लाने के लिए उसे वकीलों के मुकद्दमें पढ़ने चाहिएं। दिमाग़ की हरेक त्रुटि को दूर करने के लिए कोई न कोई नुस्खा या उपचार हो सकता है।

 

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber’s Trade Union

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber’s Trade Union Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Supplementary Chapter 5 The Barber’s Trade Union

Short Answer Type Questions

Question 1.
How did the village elders behave when Chandu dressed up like a doctor?
गांव के वयोवृद्धों ने कैसा व्यवहार किया जब Chandu डाक्टरों की तरह कपड़े पहन कर आया ?
Answer:
The landlord called Chandu the son of a pig. He cursed him by saying that he was bringing a leather bag of cow-hide into his house and a coat of some animal’s marrow. He told him to get out of his house less he should defile his religion.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union

The Sahukar abused Chandu in the foulest way. He told him that he had come wearing the defiled clothes of the hospital people. He told him to come after wearing his own clothes. Only then will he let him cut his hair.

जमींदार ने उसको सूअर का पुत्र कह कर पुकारा। उसने उसे यह कहकर गाली दी कि वह उसके घर में चमड़े का बैग लेकर आया जोकि गाय की चमड़ी का बना है और उसने कोट पहना है जो किसी पशु के मज्जे से बना है। उसने उसको आदेश दिया कि वह उसके घर से निकल जाये ताकि वह उसके धर्म को भ्रष्ट न कर दे। साहूकार ने भी बड़े गन्दे शब्दों में Chandu को गालियां दीं। उसने उसको कहा कि वह हस्पताल के लोगों के गन्दे कपड़े पहन कर आ गया था। उसने उसे कहा कि वह अपने कपड़े पहन कर आये। तभी वह उससे अपने बाल कटवायेगा।

Question 2.
Give a brief character-sketch of Chandu’s mother.
Chandu की माता का संक्षेप में चरित्र-चित्रण दीजिए।
Answer:
Chandu’s mother was an ill-tempered woman. She was over sixty years old. She could always read the nature of the upper caste people. But she was very kind to the narrator. She did not have a good word for the upper caste people.

Probably, she must have suffered at the hands of the upper caste people. She was happy when Chandu started earning more money by shaving and cutting hair of people in the town. We can only pity Chandu’s old mother because she did not have a good quality of life.

Chandu की माता चिड़चिड़े स्वभाव की महिला थी। वह साठ साल से ऊपर उम्र की थी। वह उच्चजाति के लोगों के स्वभाव को जान लेने में सक्षम थी। लेकिन वह वर्णनकर्ता पर बहुत मेहरबान थी। उसका ऊँची जाति के लोगों के बारे में कोई अच्छा विचार नहीं था। सम्भवतः उसने ऊँची जाति के लोगों से कष्ट उठाये हैं। वह खुश थी जब चन्दू ने शहर में जाकर लोगों की दाढ़ी और हजामत करके अधिक पैसे कमाने शुरू कर दिये। हमें उसकी बूढ़ी माता पर दया आती है क्योंकि उसने अच्छे प्रकार का जीवन व्यतीत नहीं किया है।

Long Answer Type Questions

Question 1.
Give a brief character-sketch of Chandu.
Answer:
Chandu is the barber boy of the narrator’s village. He is the main character of the story. He is a close friend of the narrator. The narrator calls him one of the makers of modern India. He organises barbers into a union.

He stops going to people’s homes to give them a haircut or shave beards. He refuses to dance to the tune of upper-caste people. Chandu is the narrator’s senior. He takes lead in all matters. He is very fond of his boyish mischiefs.

He likes catching wasps. Then he takes out the poison from their tails. He makes them fly by tying their legs with a thread. The narrator considers him the embodiment of perfection. He is an expert at making kites of various designs. Despite his skill in other matters, he is a duffer in learning. He is a member of a low caste. Upper caste people often abused him and insulted him. They did not like the narrator to mix with him.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union

Chandu is self-respecting. He did not like to be insulted by the upper-caste people. He decided to teach them a lesson. He bought a cycle and started shaving people in the town. He set up a barber’s shop. He organised some barbers in villages into a union.

They stopped going to people’s homes for haircutting and shaving. They forced the people to come to their shops. We cannot help admiring Chandu for his skill of enterprise.

Chandu वर्णनकर्ता के गांव के नाई का लड़का है। वह कहानी का मुख्य पात्र है। वह वर्णनकर्ता का घनिष्ठ मित्र है। वर्णनकर्ता उसको आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक समझता है। वह नाईयों के Union का आयोजन करता है। वह लोगों के घरों में जाकर उनके लिए बतौर नाई का काम करने से इन्कार कर देता है। वह ऊँची जाति के लोगों के इशारों पर नाचने से मना कर देता है। Chandu वर्णनकर्ता से वरिष्ठ है। वह तमाम मामलों में अगवाई करता है। वह लड़कों वाली शरारतें करता है।

वह भिड़ों को पकड़ना पसन्द करता है। फिर वह उनका विष निकालता है। उनकी टांगों को धागे से बांध कर उनको उड़ता है। वर्णनकर्ता Chandu को पूर्णता का साकार समझता है। वह कई designs वाले पतंग बनाने में बहुत निपुण है। दूसरे मामलों में प्रवीणता के बावजूद, वह पढ़ाई में निकम्मा है। वह निचली जाति का सदस्य है। ऊँची जाति के लोग उसको प्रायः गालियां देते थे और अपमानित करते थे। वे नहीं चाहते थे कि वर्णनकर्ता उससे मेलजोल रखे।

Chandu स्वाभिमानी है। वह नहीं चाहता कि ऊँची जाति के लोग उसका अपमान करें। उसने उनको सबक सिखाने का निर्णय कर लिया। उसने भिन्न गांवों के कुछ नाईयों का Union स्थापित कर लिया। उसने एक साइकिल खरीद लिया और इस पर सवार होकर अपना नाई का काम करने लगा। उसने नाई की दुकान खोल ली। नाईयों ने लोगों के घरों में हजामत और शेव आदि के लिए जाना बन्द कर दिया। हम उसकी उद्यमशीलता के लिए Chandu की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकते।

Question 2.
Why did Chandu go on a strike ? What was the result of the strike ?
Chandu ने हड़ताल क्यों की ? हड़ताल का क्या नतीजा निकला ?
Answer:
Chandu was a barber in a village. He used to go to people’s homes to cut their hair and shave their beards. He started going to the town from time to time. He earned more money there by haircutting. One day he put on a doctor’s dress and went on the round of his village to shave the beards of a landlord, a sahukar and some other person. They were all from higher castes. But Chandu belonged to a lower caste.

The narrator and the landlord’s little boy Devi were happy to see him in the doctor’s dress. The landlord called him the son of a pig. He insulted him by saying that he was carrying a leather bag of cow-hide and the coat of the marrow of some animal.

He told him to get out of his house. He did not want his house and his religion to be defiled. He asked him to wear the clothes that suit his profession. Then he went to the village Shaukar’s house. He abused Chandu in the foulest way.

He told him not to go about dressed like a clown. He should shoulder his own responsibilities and look after his old mother. He should not wear the defiled clothes of the hospital folk. He told him to go and come back in his own clothes.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union

Then he would let him cut his hair. He decided to teach the orthodox village idiots a lesson. He would go on strike and not go to their houses to attend to them. They were forced to go to his shop to get their beards shaved and their hair cut.

Chandu गांव का नाई था। वह लोगों के घरों में जाकर उनके बाल काटता था और दाढ़ियां साफ़ किया करता था। उसने कभी-कभी शहर जाना भी शुरू कर दिया। वहां वह हजामतों द्वारा अधिक पैसे कमा लेता था। एक दिन उसने डॉक्टर की dress पहन ली और उसने अपने गांव का चक्कर लगाना आरम्भ किया ताकि वह एक जमींदार, एक साहूकार और किसी और व्यक्ति की दाढ़ी की shave कर दे। वे सब ऊँची जाति के थे। परन्तु Chandu नीची जाति का था। वर्णनकर्ता और ज़मींदार का छोटा बच्चा उसको डॉक्टर के कपड़ों में देखकर बहुत खुश हुए। लेकिन जमींदार ने उसको सूअर का पुत्र कह कर पुकारा।

उसने यह कर उसका अपमान किया कि उसने गाय की त्वचा से बने बैग और किसी पशु के मजे का कोट पहना हुआ था। उसने उसको कहा कि वह उसके घर से बाहर निकल जाये। वह नहीं चाहता कि उसका घर और धर्म भ्रष्ट हो जायें। उसने उसको यह भी कहा कि वह कपड़े पहने जो उसके व्यवसाय के अनुसार उचित हो। इसके बाद वह गांव के साहूकार के घर गया। उसने चन्दू को बहुत ही गन्दी गालियां दीं।

उसने उसे कहा कि वह जोकर के कपड़े पहन कर न घूमे फिरे। उसे अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिये और अपनी बूढी माता का ध्यान रखना चाहिए। उसे हस्पताल के लोगों के प्रदूषित कपड़े नहीं पहनने चाहिए। उसने उसे कहा कि वह जाये और अपने कपड़ों में वापस आये। तब वह उसके बाल काट सकेगा। उसने गांव के गांव के रुढ़िवादी मूल् को सबक सिखाने का निर्णय किया। वह हड़ताल करेगा और उनकी सेवा में उनके घरों में नहीं जायेगा। उन्हें विवश होकर Chandu की दुकान पर जाना पड़ा ताकि वे अपने बाल और दाढ़ियां कटवा सकें।

कि ऊँची जाति के लोग उसका अपमान करें। उसने उनको सबक सिखाने का निर्णय कर लिया। उसने भिन्न गांवों के कुछ नाईयों का Union स्थापित कर लिया। उसने एक साइकिल खरीद लिया और इस पर सवार होकर अपना नाई का काम करने लगा। उसने नाई की दुकान खोल ली। नाईयों ने लोगों के घरों में हजामत और शेव आदि के लिए जाना बन्द कर दिया। हम उसकी उद्यमशीलता के लिए Chandu की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकते।

Question 2.
Why did Chandu go on a strike ? What was the result of the strike ?
Chandu ने हड़ताल क्यों की ? हड़ताल का क्या नतीजा निकला ?
Answer:
Chandu was a barber in a village. He used to go to people’s homes to cut their hair and shave their beards. He started going to the town from time to time. He earned more money there by haircutting. One day he put on a doctor’s dress and went on the round of his village to shave the beards of a landlord, a sahukar and some other person. They were all from higher castes. But Chandu belonged to a lower caste.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union

The narrator and the landlord’s little boy Devi were happy to see him in the doctor’s dress. The landlord called him the son of a pig. He insulted him by saying that he was carrying a leather bag of cow-hide and the coat of the marrow of some animal.

He told him to get out of his house. He did not want his house and his religion to be defiled. He asked him to wear the clothes that suit his profession. Then he went to the village Shaukar’s house.

He abused Chandu in the foulest way. He told him not to go about dressed like a clown. He should shoulder his own responsibilities and look after his old mother. He should not wear the defiled clothes of the hospital folk. He told him to go and come back in his own clothes.

Then he would let him cut his hair. He decided to teach the orthodox village idiots a lesson. He would go on strike and not go to their houses to attend to them. They were forced to go to his shop to get their beards shaved and their hair cut.

Chandu गांव का नाई था। वह लोगों के घरों में जाकर उनके बाल काटता था और दाढ़ियां साफ़ किया करता था। उसने कभी-कभी शहर जाना भी शुरू कर दिया। वहां वह हजामतों द्वारा अधिक पैसे कमा लेता था। एक दिन उसने डॉक्टर की dress पहन ली और उसने अपने गांव का चक्कर लगाना आरम्भ किया ताकि वह एक जमींदार, एक साहूकार और किसी और व्यक्ति की दाढ़ी की shave कर दे। वे सब ऊँची जाति के थे।

परन्तु Chandu नीची जाति का था। वर्णनकर्ता और ज़मींदार का छोटा बच्चा उसको डॉक्टर के कपड़ों में देखकर बहुत खुश हुए। लेकिन जमींदार ने उसको सूअर का पुत्र कह कर पुकारा। उसने यह कर उसका अपमान किया कि उसने गाय की त्वचा से बने बैग और किसी पशु के मजे का कोट पहना हुआ था।

उसने उसको कहा कि वह उसके घर से बाहर निकल जाये। वह नहीं चाहता कि उसका घर और धर्म भ्रष्ट हो जायें। उसने उसको यह भी कहा कि वह कपड़े पहने जो उसके व्यवसाय के अनुसार उचित हो। इसके बाद वह गांव के साहूकार के घर गया। उसने चन्दू को बहुत ही गन्दी गालियां दीं।

उसने उसे कहा कि वह जोकर के कपड़े पहन कर न घूमे फिरे। उसे अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिये और अपनी बूढी माता का ध्यान रखना चाहिए। उसे हस्पताल के लोगों के प्रदूषित कपड़े नहीं पहनने चाहिए। उसने उसे कहा कि वह जाये और अपने कपड़ों में वापस आये। तब वह उसके बाल काट सकेगा। उसने गांव के गांव के रुढ़िवादी मूल् को सबक सिखाने का निर्णय किया। वह हड़ताल करेगा और उनकी सेवा में उनके घरों में नहीं जायेगा। उन्हें विवश होकर Chandu की दुकान पर जाना पड़ा ताकि वे अपने बाल और दाढ़ियां कटवा सकें।

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Objective Type Questions:

This question will consist of 3 objective type questions carrying one mark each. These objective questions will include questions to be answered in one word to one sentence or fill in the blank or true/false or multiple choice type questions.

Question 1.
What was the age difference between Chandu and the narrator ?
Answer:
It was a difference of six months; Chandu was senior to the narrator.

Question 2.
Why did the narrator consider Chandu the embodiment of perfection for him ?
Answer:
He considered him the embodiment of perfection because he could make and fly paper kites of complicated designs and balance which the narrator could not do.

Question 3.
Why was Chandu not good at doing sums at school ?
Answer:
He was not good at doing sums because he did not do any homework given by teachers and he went to learn the work as a barber.

Question 4.
Why did the narrator’s mother constantly dissuade him to play with Chandu ?
Answer:
She dissuaded him by saying that Chandu was a low-caste barber’s son and he had to keep up the status of his caste and class.

Question 5.
What does the narrator tell us about Chandu’s dress?
Answer:
Chandu wore a Khaki shorts, black velvet waist-coat with many buttons and a round felt cap.

Question 6.
What did Chandu tell the narrator about Kalan Khan’s appearance ?
Answer:
He was a young man with parted hair, dressed in a starched shirt, an ivory collar and bow tie, a black coat and striped trousers and a wonderful rubber overcoat.

Question 7.
Why did Bijay Chand, the landlord, turn Chandu out of his house ?
Answer:
He told him to get out of his house as he was defiling it with a leather bag of cow hide, a coat of some animal’s marrow and to wear the dress suiting his profession.

Question 8.
What did the Sahukar think about Chandu’s wearing clothes like a doctor ?
Answer:
He abused him and told him to come back in his own clothes and not wear the defiled clothes of the hospital people.

Question 9.
Why had the landlord summoned Pandit Parmanand ?
Answer:
He had been called by the landlord to discuss the unholy emergency in which Chandu had landed by wearing English shoes and a doctor’s dress.

Question 10.
What type of woman was Chandu’s mother ?
Answer:
She was an ill-tempered woman from low caste and knew the reality about upper caste people.

Question 11.
How did Chandu’s mother treat the narrator ?
Answer:
She was very kind to the narrator though she spoke to him in a joking manner.

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Question 12.
Why did Chandu decide to go on strike ?
Answer:
He decided to go on strike by stopping to shave the upper-caste people as they had been abusing him.

Question 13.
Why did Chandu decide to buy a bicycle ?
Answer:
He decided to buy a cycle in order to shave people and give them a haircut and earn money after stopping to do the haircut of the upper-caste people.

Question 14.
Why had the men gathered in the Sahukar’s shop ?
Answer:
They had gathered there round the figure of the landlord to talk with him.

Question 15.
How did the Sahukar look without being trimmed by the barber?
Answer:
He looked like a leper with the brown colour of tobacco on his big moustaches.

Question 16.
What jokes became popular in every home and why?
Answer:
Jokes about the unclean beards of the elders and the landlord’s young wife threatening to run away with somebody because of his shabby appearance became popular.

Question 17.
What was the reason of the rumour that the landlord’s wife had threatened to run away with someone else ?
Answer:
She threatened to do so because being twenty years younger than her husband, she had tolerated him as long as he kept in trim. But now his unclean beard was disgusting to her.

Question 18.
What did the village elders threaten Chandu ?
Answer:
They threatened to have him sent to prison for his offences and ordered his mother to force him to obey them.

Question 19.
Name the union that gave birth to many other active trade unions in the town.
Answer:
The name was ‘Rajkot District Barber Brothers’ Hairdressing and Shaving Saloon’.

Question 20.
Was the narrator of the story caste conscious ?
Answer:
No.

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Question 21.
Did the narrator’s mother like him to play with Chandu ?
Answer:
No.

Question 22.
Who was Kala Khan ?
Answer:
Dentist.

Question 23.
Who abused Chandu ?
Answer:
The Sahukar.

Question 24.
What was the name of the landlord’s son ?
Answer:
Devi.

Question 25.
What was the opinion of Chandu’s mother about the high caste people ?
Answer:
They were hypocrites.

Question 26.
What was Chandu going to buy with five rupees ?
Answer:
A Japanese cycle.

Question 27.
The landlord’s wife threatead to run away unless :
(i) he gave her all his money.
(ii) he stopped staying away from home.
(iii) he looked smart, trim and handsome.
Answer:
(iii) he looked smart, trim and handsome.

Question 28.
Who was younger of the landlord and his wife ?
Answer:
His wife.

Question 29.
The landlord’s wife wanted to run away with someone smarter and trim. (True/False)
Answer:
True.

Question 30.
What was Chandu in Barbers’ Trade Union ?
Answer:
He was a barber boy.

The Barber’s Trade Union Summary in English

The Barber’s Trade Union Introduction:

This is the story of a barber boy. He is the main character in the story. The author calls him one of the makers of modern India. He does a great act. He unites the barbers and asks them to open their own barber shops and not to go to people’s homes to give them a haircut or shave. Thus the upper-caste people are compelled to go to the shops for hair-cut or a shave. The barber boy is senior to the narrator.

He is also the narrator’s close friend. He takes the lead in all the matters. He is very fond of boyish mischiefs. He likes catching wasps. Then he takes the poison out of their tails and makes them fly by tying their legs with a thread. He knows how to make very good kites of various designs. Despite these talents he is very dull at school. Chandu adopted the profession of his father.

As he belonged to a low caste, people of higher castes made fun of him. In the end he decided to go on strike and stopped visiting people’s houses for giving a hair-cut or shave. The people of the village had to go to barbers’ shops for hair-cuts. Then he becomes the organiser of Barbers’ Union.

The Barber’s Trade Union Summary in English:

Chandu is the barber boy of the narrator’s village. He has a place in the history of India as one of the makers of modern India. He has done something which has great significance. But he never had any idea about his greatness. The narrator knows him since his childhood. They used to play together in the streets of their village near Amritsar. Their mothers felt happy to see them at play.

Chandu was the narrator’s senior by six months. He always took the lead in all matters. The narrator always followed him because he was an expert at catching wasps, taking the poison out of their tails, tying their tails with a thread and making them fly. But the narrator used to be stung on his cheeks if he went near the wasp.

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The narrator considered Chandu to be perfect because he could make and fly kites of very good designs. At school, Chandu was not so good at doing sums as the narrator because his father put him in learning the trade of a barber. His father used to send him to villages for hair-cutting. He had no time for doing home work. But he was good at reciting poetry. He remembered all the verses in the textbook.

The narrator’s mother did not feel happy when Chandu won a scholarship at school while the narrator had to pay fees to be taught. She constantly told the narrator not to play with Chandu by saying that he was a low-caste boy and he must keep up the status of caste and class. The narrator had no sense of superiority of his class or caste.

His mother used to put a red caste-mark on his forehead every morning and he put on uchkin, the tight trousers, the gold worked shoes and the silk turban. He wanted to wear clothes like Chandu. Chandu used to wear a pair of khakhi shorts which the retired subedar had given him, a black velvet waist-coat and a round cap which had once belonged to Lala Hukam Chand, the lawyer of their village.

The narrator envied Chandu the freedom of movement which he enjoyed after the death of his father. He used to go to the houses of upper caste people and cut their hair or shave them. When Lala Hukam Chand went to town in his carriage (buggy), Chandu went with him by sitting on the foot-rest of the buggy. The narrator had to walk three miles to attend his school at Jandiala. Chandu did not have to go to school. But he used to bring some gifts for the narrator.

Chandu saw sahibs, the lawyers, the chaprasis and the policemen wearing English style clothes. Once he told the narrator that he wanted to steal some money from home to buy a dress like that of Kalan Khan, the dentist. He said that Kalan Khan was fitting people with dentures and even new eyes. Kalan Khan was a young man. He was dressed in a starched shirt, an ivory collar and bow tie. He wore a blank coat and striped trousers and rubber overcoat and pumps.

Then he asked the narrator if he, a barber educated up to the fifth class, would not look more dignified by wearing a dress like Dr. Kalan Khan. Chandu added that though he was not a doctor, he has learnt how to treat pimples, boils and cuts on people’s bodies from his father who had learnt from his father.

The narrator agreed with his plan. He encouraged him a good deal that his hero did. One day Chandu dressed up in a turban, a white rubber coat, a pair of pumps with a leather bag in his hand. He was going on his round and had come to see the narrator. How smart he looked in his new dress. The narrator told him that he looked marvellous.

Then he left for the house of the landlord to shave every morning. The narrator followed Chandu. He looked nice in a doctor’s dress. He reached the door-step of the landlord. Devi, the little son of the landlord clapped his hands to announce the coming of Chandu the barber in a beautiful heroic dress like the Padre Sahib of the Mission School.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union

Bijay Chand, the stout landlord was taking the name of God. He was just coming out of the lavatory. He called Chandu the son of a pig. He regretted that Chandu was bringing a leather bag of cow-hide into his house, and the coat of the marrow of some animal, and black shoes. He ordered him to get out as he was defiling his house.

Chandu told him that he was wearing the dress of a doctor. He ordered him to wear clothes suiting his status as a barber. Chandu returned. His face was flushed as he had been insulted before the narrator. Then he rushed to the shop of Thanu Ram, the village Sahukar. He had a grocer’s store at the corner of the lane.

When the narrator reached Sahukar’s shop. Devi, the landlord’s son began to cry at his father’s harsh words for Chandu. He abused Chandu in the foulest words for wearing the dirty clothes of the hospital folk. He told him to come back in his own clothes. Then only he will let him cut his hair.

Chandu felt very angry. He ran angrily past the narrator. He felt that Chandu hated him because he belonged to a superior caste. The narrator shouted after Chandu that he should go to Pandit Parmanand and tell him that the clothes were not dirty.

Pandit Parmanand came out of the landlord’s house. He said that the boys of the village had been spoiled by education. But the low caste boy has no right to such clothes. He has to touch the heads and beards of people in the village. He should not defile them. Chandu heard what was said by Parmanand. He ran away from there. He seemed to have some set purpose in mind.

The narrator’s mother called him and told him that it was time for him to go to school. So he should eat and go to school. She advised him not to mix with the barber boy. But the narrator was very disturbed about Chandu’s fate all day. On his way back from school, he called in at the hut where Chandu lived with his mother. His mother was an ill-tempered woman.

As a low caste-woman she could understand the upper caste people. She however liked the narrator. She asked him if he had come to see his friend. She also told him that if his mother came to know that he had come to this hut, she would accuse her for casting her evil eyes on his sweet face. She asked him if he was as innocent as he looked or if he was a hypocrite like the rest of others of his caste.

The narrator wanted to know where Chandu was. She did not know where he was. She said that he earned some money by shaving people on the roadside. She also said that he was having some funny ideas. She added that he should serve the clients his father used to serve. He is only a boy. She told the narrator that she will tell him that his friend wanted to play with him. He has just gone up the road. The narrator took leave of Chandu’s mother.

Chandu whistled for the narrator in the afternoon. He came. He invited the narrator to come for a walk. He told him that he earned a rupee shaving and hair cutting near the court that morning as he had to come back on the back bar of Hukam Chand’s carriage early. In the afternoon, he should have earned more.

He told the narrator that he was going to teach a lesson to the caste conscious idiots. He was going on strike. He will not go to their houses to attend to them. He was going to buy a Japanese bicycle for five rupees. He shall learn to ride it.

Then he will go to town every day. He will ride the bicycle with his overcoat, his black shoes, and white turban on his head. He will look fine in this dress. The narrator said that he would definitely look nice.

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The narrator supported Chandu’s ideas. Chandu bought a cycle with the money le had made by haircuts and shaving in the town. Then one day he started learning how to cycle. Chandu got on the cycle and the narrator started pushing him from the backside. Chandu could not keep balance and he fell down on the other side along with the cycle.

There were peals of laughter from the shop of the Sahukar. Then the Sahukar abused Chandu for being a rascal. He said that he would come to his sense only if he broke his bones. Chandu hung his head in shame. He told the narrator that he was worthless. The narrator had thought that Chandu would grip him by the neck and give him a good beating.

Chandu did not lose courage. He decided to try riding cycle again. The narrator told Chandu that he would hold the cycle tightly this time. The landlord again said that Chandu would break his bones by falling from the cycle. Chandu however told the narrator that he was not bothered.

Chandu again began to try riding. The people at the Sahukar’s shop were watching with interest. The narrator thought that Chandu would again fall and come to greif. Chandu’s feet had got quite rightly on the pedals and he was riding smoothly. The narrator was running behind the cycle. The narrator did not see Chandu the next day.

For one or two days the narrator did not see Chandu. But on the third day, Chandu showed the narrator some men of the village sitting round the Sahukar. He showed him the unshaven faces of the villagers. They were all looking unclean.

Chandu told the narrator to run past the shop and call the elderly people beavers. The narrator did so. The peasants who had gathered round the shop laughed. The Sahukar shouted that the narrator should be caught. They said that the upper-caste boy was also with Chandu.

The rumour about the barber boy’s strike spread. Jokes about the dirty beards of the elders also spread. The landlord’s wife threatened to run away with someone because she was twenty years younger than her husband. She had tolerated him as long as he looked neat and trim. But now she was disgusted with him because his appearance had become shabby.

But Chandu’s mother was seeing prosperity because of Chandu’s increasing income. Then they thought of getting the barber of Verka to come and attend them. They offered him an anna instead of the two pice they had usually paid to Chandu. Chandu opened a new shop and he asked other barbers from other villages to come and start their shops.

He convinced them that it was time that the villagers came to them for hair-cut and shave. The Union of barbers was given a new name. The name was “Rajkot District Barber Brothers Hairdressing and Shaving Saloon”. The Union has been followed by many other trade unions of working men.

The Barber’s Trade Union Summary in Hindi

The Barber’s Trade Union Introduction:

यह एक नाई लड़के की कहानी है। वह इस कहानी में मुख्य पात्र है। लेखक उसको आधुनिक भारत के निर्माताओं में एक समझता है। वह एक महान कार्यकर्ता है। वह नाईयों को एक कर देता है और उनको कहता है कि वे अपनी-अपनी नाई की दुकान खोल लें और लोगों को घरों में उनके बाल काटने या शेव करने के लिए न जायें।

इस तरह ऊंची जाति के लोगों को विवश होकर नाई की दुकानों पर जाना पड़ता है। कहानी के मुख्य पात्र का नाम चन्दू है। वह वर्णनकर्ता का मित्र है। वह वर्णनकर्ता से बड़ा है। वह वर्णनकर्ता का घनिष्ट मित्र भी है। बड़ा होने के कारण Chandu हर मामले में अगवाई करता है। वह लड़कों वाली शरारतें करने का बहुत शौकीन है।

वह भिड़ों को पकड़ना पसन्द करता है। फिर वह उनकी दुमों से विष निकालता है और उनकी टांगों को धागे से बांध कर उड़ाता है। वह अच्छे नमूने के पंतग बनाना भी जानता है। इन योग्यताओं के बावजूद वह स्कूल में मन्दबुद्धि वाला छात्र है। वह जाति से नाई था। उसने अपने पिता का व्यवसाय अपना लिया।

चूंकि Chandu निचली जाति से सम्बन्ध रखता था, ऊंची जाति के लोग उसका अपमान किया करते थे। वे उसको गालियां भी दिया करते थे। अन्त में वह हड़ताल करने का निर्णय करता है और वह shave करने के लिए लोगों के घरों में जाना बन्द कर देता है। अब गांव के लोगों को हजामत करवाने के लिए उसकी दुकान में जाना पड़ता था।

The Barber’s Trade Union Summary in Hindi:

Chandu वर्णनकर्ता के गांव के नाई का लड़का है। उसका भारत के इतिहास में भारत के निर्माणकर्ताओं में से एक होने में उसका नाम है। उसने कुछ ऐसा काम किया है जिसका बड़ा महत्त्व है। लेकिन उसको अपनी महानता के बारें कोई विचार नहीं था। वर्णनकर्ता उसको अपने बचपन से जानता है।

Amritsar के समीप स्थित अपने गांव की गलियों में वे खेला करते थे। उनकी माताएं उनको खेलते हुए देखकर प्रसन्न हुआ करती थीं। Chandu वर्णनकर्ता से छः महीने बड़ा था। वह सब मामलों में अगवाई करता था। वर्णनकर्ता सदा उसका अनुसरण करता था क्योंकि वह भिड़ों (तातैया) को पकड़ने में निपुण था। वह उनकी दुमों से विष निकालता था और उनकी टांगों में धागा बांधता था और उनको उड़ाया करता था। लेकिन यदि वर्णनकर्ता भिड़ों के पास जाता तो वे उसकी गालों पर डंक मारती थीं।

वर्णनकर्ता Chandu को हर पक्ष में निपुण समझता था क्योंकि वह बहुत से नमूने के पतंग बना सकता था और उनको उड़ा भी सकता था। स्कूल में चन्दू गणित के प्रश्न हल करने में इतना अच्छा नहीं था क्योंकि उसके पिता ने उसको नाई का काम सीखने में डाल दिया था। उसका पिता उसको गांव में लोगों के बाल काटने के लिए भेजा करता था। Chandu के पास स्कूल से दिया हुआ homework करने के लिए समय नहीं था।

लेकिन वह कविता पाठ में अच्छा था। पाठ्य पुस्तकों की सब कविताएं उसे स्मरण थीं। – वर्णनकर्ता की माता खुश नहीं थी जब Chandu को स्कूल में छात्रवृत्ति मिली, जब कि वर्णनकर्ता को अपनी पढ़ाई के लिए फीस देनी पड़ती थी। वह लगातार वर्णनकर्ता को कहती थी कि वह चन्दू के साथ न खेला करे यह कहते हुए कि वह निचली जाति का लड़का था और उसे अपनी जाति और श्रेणी की प्रतिष्ठा बनाकर रखनी चाहिए। वर्णनकर्ता में अपनी श्रेणी या जाति की श्रेष्ठता के बारे कोई विचार तक नहीं था।

उसकी माता उसके माथे पर लाल रंग का तिलक लगाया करती थी और वह अचकन, चूड़ीदार पाजामा, तिल्ले वाले जूते और रेशमी पगड़ी पहना करता था। वह चन्दू जैसे कपड़े पहनना चाहता था। चन्दू खाकी निक्कर पहना करता था जो रिटायर्ड (retired) सूबेदार ने उसे दी थी और काली मखमल की बास्कट पहनता था। और साथ ही felt cap पहनता था जो कि लाला हुक्म चन्द ने उसे दी थी।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union

वर्णनकर्ता Chandu से ईर्ष्या करता था क्योंकि उसको घूमने फिरने की आज़ादी थी जो उसको अपने बाप की मौत के बाद उपलब्ध थी। वह ऊंची जाति के लोगों के घरों में जाया करता था और बाल काटा करता था या उनकी Shave किया करता था। जब Chandu Lala Hukam Chand की बग्गी में शहर जाया करता था तो बग्गी के पायदान पर बैठ जाता था। वर्णनकर्ता को Jandiala के स्कूल में जाने के लिए तीन मील चलना

पड़ता था। अब Chandu को स्कूल नहीं जाना पड़ता था। लेकिन वह वर्णनकर्ता के लिए कुछ उपहार लेकर आया करता था। Chandu साहिबों, वकीलों, चपरासियों और पुलिस वाले को देखा करता था जिन्होंने अंग्रेज़ी शैली के कपड़े पहने होते थे। एक बार चन्दू ने वर्णनकर्ता को बताया कि वह अपने घर से कुछ पैसे चुराकर दांतों के डाक्टर कालन खान की तरह एक dress खरीद लेगा।

वह कहता कि कालन खान लोगों के नये दांत लगाता था और नई आंखें भी लगाता था। वह स्टारच (कलफ वाली) लगी कमीज़ पहनता था, एक हाथी दांत का कालर और एक Bow tie भी पहनता था। वह एक काला कोट भी पहनता था और लकीरदार पतलून पहनता था और रबड़ का overcoat पहनता था और चमड़े के पम्पशू (गुरगाबी) पहनता था।

फिर वह वर्णनकर्ता से पूछता क्या वह पांचवी श्रेणी पढ़ा हुआ डॉक्टर कालन खान जैसे कपड़े पहनकर रोबदार और सम्मानित दिखेगा। चन्दू कहता गया कि यद्यपि वह डाक्टर नहीं भी है फिर भी उसने pimples (मुहांसो), फुसियों और काटे जाने के कारण घावों का इलाज करना सीखा हुआ है।

उसने यह सब अपने बाप से सीखा है। वर्णनकर्ता चन्दू की स्कीम से सहमत हो गया। उसका नायक (hero) जो कुछ भी करता था वर्णनकर्ता उसकी बहुत प्रशंसा करता था। एक दिन चन्दू ने Dr. Kalan Khan जैसे कपड़े पहन लिए, पगड़ी भी पहन ली, एक सफेद रबड़ का कोट पहन लिया, पम्पशू भी पहने और अपने हाथ में चमड़े का बैग ले लिया। वह लोगों की Shave आदि करने के लिए अपने दौरे पर जा रहा था।

और वह वर्णनकर्ता को मिलने आया था। वर्णनकर्ता ने उसे कहा कि वह कमाल का लगता है। फिर वह जमींदार के घर की ओर चल दिया ताकि वह उसकी हजामत करे। वर्णनकर्ता भी उसके पीछे चल दिया। वह (चन्दू) जमींदार के घर की दहलीज तक पहुंचा। चन्दू डाक्टर की dress में बहुत अच्छा लगता था। जमींदार के लड़के देवी ने चन्दू की शानदार वेशभूषा देखकर तालिया बजाईं। उसके अनुसार वह मिशन स्कूल के पादरी साहिब की तरह लगता था।

Bijay Chand जमींदार अभी शौचालय से बाहर आ रहा था। उसने Chandu को सूअर का बच्चा कह कर पुकारा। उसे दुःख था कि चन्दू गाय की त्वचा से बना हुआ चमड़े का बैग लिए जा रहा था और वह किसी जानवर के मजे का बना कोट पहने हुआ था और काले जूते। उसने चन्दू को कहा कि वह उसके घर से बाहर निकल जाये क्योंकि वह उसके घर को प्रदूषित कर रहा था। चन्दू ने कहा कि वह डाक्टर की dress पहने हुए था।

उसने उसे कहा कि वह नाईयों को ठीक लगने वाले कपड़े पहना करे। Chandu वहां से वापस चला गया। उसका चेहरा लाल हो गया था क्योंकि उसका वर्णनकर्ता के सामने अपमान हो गया था। फिर वह जल्दी-जल्दी गांव के साहूकार Thanu Ram की दुकान पर गया। उसकी किरयाने की दुकान गली के कोने में थी।

जब वर्णनकर्ता साहूकार की दुकान पर पहुंचा, जमींदार का लड़का देवी रोने लग पड़ा क्योंकि उसके बाप ने Chandu के लिए बड़े सख्त शब्द प्रयोग किए थे। उसने चन्दू को बहुत गन्दे शब्दों के प्रयोग से उसको गालियां दी क्योंकि उसके अनुसार चन्दू ने हस्पताल के लोगों के गन्दे कपड़े पहने थे। उसने उसे कहा कि वह अपने कपड़े पहन कर आये। तब ही वह उसको अपने बाल काटने देगा।

चन्दू को बहुत गुस्सा आया। वह वर्णनकर्ता के पास से निकल गया। उसने महसूस किया कि चन्दू उससे घृणा करता था क्योंकि वह ऊंची जाति से था। वर्णनकर्ता ने ऊंची आवाज़ में कहा कि वह पंडित परमानन्द के पास जाए और कहे कि कपड़े गन्दे नहीं थे। पंडित परमानन्द ज़मींदार के घर से बाहर आया।

उसने बाहर आकर कहा कि गांव के लड़कों को शिक्षा ने खराब कर दिया था लेकिन नीची जाति के लड़के को ऐसे कपड़े पहनने का कोई अधिकार नहीं था। उसने तो गांव के लोगों की दाढ़ियां और सिरों को हाथ लगाना है। उसे उनको प्रदूषित नहीं करना चाहिए। चन्दू ने वह सब जो परमानन्द ने कहा था सुन लिया। वह वहां से दौड़ गया। वर्णनकर्ता की माता ने उसको बुलाया और उसे कहा कि उसके स्कूल जाने का समय हो गया है। इस लिए उसे कुछ खाकर स्कूल जाना चाहिए।

उसने उसको कहा कि वह Chandu के साथ मेलजोल न रखे क्योंकि वह निचली जाति से सम्बन्ध रखता है। लेकिन वर्णनकर्ता को चन्दू की दशा के बारे में बहुत चिन्ता थी। स्कूल से वापस लौटते समय वह चन्दू की झोपड़ी में गया, जहां पर चन्दू अपनी माता के साथ रहता था। . उसकी माता बड़े चिड़चिड़े स्वभाव की थी। निचली जाति की होने के कारण वह ऊंची जाति के लोगों को अच्छी तरह से समझती थी।

फिर भी वह वर्णनकर्ता को पसन्द करती थी। उसने वर्णनकर्ता से पूछा क्या वह अपने मित्र को मिलने आया था। उसने उसे यह भी कहा कि यदि उसकी माता को पता लग गया कि वह इस झोपड़ी में आया था तो वह उसको दोष देगी कि वह उसके प्यारे चेहरे पर बुरी नज़र डालती है। उसने वर्णनकर्ता को पूछा कि क्या वह उतना ही मासूम है जितना वह दिखाई देता है या अपनी जाति के दूसरे लोगों की तरह बगुलाभक्त है।

वर्णनकर्ता जानना चाहता था कि चन्दू कहां है उसकी माता को नहीं पता था कि वह कहां है। उसने कहा कि चन्दू ने सड़क के पास बैठे हुए कुछ लोगों की Shave करके कुछ पैसे कमाये थे। उसने यह भी कहा कि Chandu के कुछ विचित्र विचार थे।

वर्णनकर्ता ने चन्दू के विचारों का समर्थन किया। Chandu ने कमाए हुए पैसों से साईकल खरीद लिया। उसने साईकल पर सवार होना भी सीखने की कोशिश की। Chandu cycle पर बैठ गया और वर्णनकर्ता ने पिछली तरफ से धकेलना शुरू कर दिया। चन्दू अपना सन्तुलन न रख सका और वह cycle से दूसरी साईड पर गिर गया और साथ ही उसका साईकल भी गिर गया।

साहूकार की दुकान से हंसी के ठहाके आने लगे। फिर साहूकार ने Chandu को गालियां दे कर कहा कि वह उल्लू का पट्ठा है। उसने फिर कहा कि उसके होश ठिकाने तब ही आयेंगे जब वह अपनी हड्डियां तोड़ लेगा। Chandu का सिर शर्म से झुक गया। उसने वर्णनकर्ता को कहा कि वह निकम्मा है।

वर्णनकर्ता ने सोचा कि Chandu उसको गर्दन से पकड़ लेगा और उसकी खूब पिटाई करेगा। Chandu ने हिम्मत नहीं हारी। उसने cycle पर फिर सवारी करने का फैसला कर लिया। वर्णनकर्ता ने चन्दू को कहा कि वह अब की बार साईकल को मज़बूती से पकड़ेगा। जमींदार ने कहा कि Chandu साईकल से गिरकर अपनी हड्डियां तोड़ लेगा। Chandu ने वर्णनकर्ता को कहा कि उसको कोई परवाह नहीं है।

Chandu ने फिर साईकल पर सवारी करने की कोशिश की। Sahukar की दुकान में बैठा जनसमूह बड़ी रुचि से देख रहा था। वर्णनकर्ता ने सोचा कि Chandu फिर से गिर जायेगा और उसको कष्ट होगा। Chandu के पांव अच्छी तरह पैडलों पर जम गए और वह आसानी से साईकल चलाता गया।

वर्णनकर्ता साईकल के पीछे भागता गया। अगले दिन वर्णनकर्ता Chandu को नहीं मिला। एक दो दिन वर्णनकर्ता Chandu से मिल नहीं सका। लेकिन तीसरे दिन Chandu ने वर्णनकर्ता को कुछ आदमी साहूकार के गिर्द बैठे हुए दिखाये। उसने वर्णनकर्ता को गांव वालों के चेहरे दिखाए जिनकी दाढ़ियां साफ-सुथरी नहीं थीं। वे सब गंदे नज़र आ रहे थे।

Chandu ने वर्णनकर्ता को कहा कि वह उस दुकान के पास दौड़ कर निकल जाये और वृद्धों को ऊदबिलाव कह कर पुकारे। वर्णनकर्ता ने वैसे ही किया। जो किसान दुकानों में बैठे थे वे हंसने लगे। Sahukar चिल्लाया कि वर्णनकर्ता को पकड़ना चाहिए। वे कहने लगे कि वह ऊंची जाति का लड़का था जो Chandu के साथ है।

नाई लड़के की हड़ताल के बारे अफवाह फैल गई। गंदी दाढ़ियों के बारे तरह-तरह के मज़ाक लोगों को सुनने में मिलने लगे। ज़मींदार की पत्नी ने धमकी दी कि वह किसी के साथ भाग जायेगी क्योंकि वह अपने पति से 20 साल कम आयु की थी। उसने तब तक उसको सहन किया था जब तक वह साफ-सुथरा था।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union

लेकिन अब उसको घृणा या विरक्ति हो गई थी क्योंकि उसकी शक्ल गंदी लगती थी। तब गांव वालों ने Verka से एक नाई लाने के बारे में सोचा। Chandu ने दुकान खोल ली। नाईयों का Union बना लिया गया। इस तरह उस ने गांव वालों को दुकानों पर आने पर विवश कर दिया। Barbers के Union को नया नाम दे गिया गया।

Word Meanings:

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union 1
PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 5 The Barber's Trade Union 2

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

Punjab State Board PSEB 11th Class English Book Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 English Chapter 2 The Portrait of a Lady

Short Answer Type Questions

Question 1.
Whose portrait hung above the mantelpiece in the drawing-room ?
Answer:
It was the portrait of the author’s grandfather that hung above the mantelpiece in the drawing room. He wore a big turban and loose-fitting clothes. He had a long white beard. He looked at least a hundred years old.

यह लेखक के दादा का चित्र था जो बैठक की अंगीठी के ऊपर लटका हुआ था। उसने एक बड़ी पगड़ी और खुलेढीले वस्त्र पहने हुए थे। उसकी लम्बी सफेद दाढ़ी थी। वह कम से कम एक सौ वर्ष का बूढ़ा प्रतीत होता था।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

Question 2.
What, according to the author, was absurd and undignified on Grandmother’s part ?
Answer:
Grandmother often described the games she used to play in her childhood. It seemed to the author absurd and undignified on her part. It was so because as a child, the author could not imagine that his grandmother who was so old, could ever have been young and pretty.

दादी प्रायः उन खेलों का वर्णन करती जो वह अपने बचपन में खेला करती थी। लेखक को उसकी तरफ से ऐसी बातें मूर्खतापूर्ण तथा अशोभनीय प्रतीत होती थीं। ऐसा इसलिए था क्योंकि एक बच्चे के रूप में लेखक कभी यह कल्पना ही नहीं कर सकता था कि उसकी दादी जो इतनी बूढ़ी थी, कभी नौजवान तथा सुन्दर भी रही होगी।

Question 3.
Why did she say her prayer in a monotonous singsong ?
Answer:
Every day when grandmother got the author ready for school, she would keep saying her morning prayer all the time. But she would say her prayer in a monotonous singsong. She did so with the hope that the author would listen and get to know it by heart.

हर रोज सुबह जब दादी लेखक को स्कूल के लिए तैयार करती तो वह उस दौरान सारा समय अपना प्रातः का धार्मिक पाठ बोलती रहती। वह अपने पाठ को एक ही लय में बोलती रहती। वह ऐसा इस आशा के साथ किया करती थी कि लेखक इसे सुनता रहे और इस प्रकार यह उसे धीरे-धीरे जुबानी याद हो जाए।

Question 4.
What did they have for breakfast ?
Answer:
For breakfast, they used to have thick stale chapattis with some butter and sugar spread on them.
नाश्ते में वे मोटी बासी चपातियां खाया करते थे जिनके ऊपर थोड़ा-सा मक्खन तथा चीनी का लेप लगा होता।

Question 5.
Why did Grandmother always go to school. with the author ?
Answer:
Grandmother always went to school with the author because the school was attached to the village temple. While the author studied in the school, Grandmother would read the scriptures in the temple. And after the school, Grandmother and the author would come back home together.

दादी हमेशा लेखक के साथ स्कूल जाती थी क्योंकि स्कूल गांव के गुरुद्वारे के अंदर ही बना हुआ था। जिस दौरान लेखक स्कूल में पढ़ाई करता, दादी गुरुद्वारे में धार्मिक ग्रन्थ पढ़ा करती। और स्कूल के बाद दादी तथा लेखक दोनों इकट्ठे घर वापिस आया करते थे।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

Question 6.
The children in the village school were taught the alphabet. Did Grandmother know the alphabet ?
Answer:
Yes, she knew the alphabet. She used to read the scriptures in the village temple.
हां, उसे वर्णमाला आती थी। वह गांव के गुरुद्वारे में धार्मिक ग्रंथ पढ़ा करती थी।

Question 7.
How did they feed the village dogs while returning home ?
Answer:
Every day in the morning before taking the author for school, Grandmother would pack several stale chapattis for the village dogs. And while returning home after the school, she and the author would feed the village dogs with those chapattis.

हर रोज सुबह लेखक को स्कूल ले जाने से पहले दादी गांव के कुत्तों के लिए कई बासी चपातियां पैक कर लेती। और स्कूल से वापिस घर आते समय वह तथा लेखक गांव के कुत्तों को वही चपातियां खिलाया करते थे।

Question 8.
‘That was the turning-point in our friendship.’ What happened to the friendship ?
Answer:
While living in the village, Grandmother used to accompany the author to his school. Grandmother knew the alphabet. She helped the author in his studies also. But in the city, she could neither accompany him to school nor help him in his studies. Their friendship did not remain as intimate as it was in the village.

गांव में रहते हुए दादी लेखक के स्कूल जाने के वक्त उसके साथ जाया करती थी। दादी को वर्णमाला आती थी। वह पढ़ाई में लेखक की मदद भी करती थी। परन्तु शहर में वह न उसके साथ स्कूल जा सकती थी और न ही अब वह पढ़ाई में मदद कर सकती थी। उनकी मित्रता इतनी घनिष्ठ न रही, जितनी गांव में हुआ करती थी।

Question 9.
How did the author go to school in the city ?
Answer:
In the village, the author used to go to school on foot with his Grandmother. There the school was situated not far from Grandmother’s house. But in the city, the school was very far from the author’s home. So he would go to school in a motor-bus in the city.

गांव में लेखक अपनी दादी के साथ पैदल ही स्कूल जाया करता था। वहां स्कूल दादी के घर से अधिक दूर नहीं था। परन्तु नगर में स्कूल लेखक के घर से बहुत दूर था। इसलिए वह नगर में एक मोटर-बस में बैठ कर स्कूल जाया करता था ।

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Question 10.
Why was Grandmother unhappy about the school education in the city ?
Answer:
In the city school, the children were taught lessons in science and music only. They were not given any religious education. They were not taught any holy books or prayers. This was the reason that Grandmother was unhappy about the school education in the city.

नगर वाले स्कूल में बच्चों को सिर्फ विज्ञान और संगीत के पाठ सिखाए जाते थे। उन्हें कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती थी। उन्हें कोई धार्मिक पुस्तकें नहीं पढ़ाई जाती थीं और उन्हें कोई प्रार्थनाएं नहीं सिखाई जाती थी। यही कारण था कि दादी नगर के स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा से नाखुश थी।

Question 11.
Why did she feel disturbed when the author announced that they were being given – music lessons at school ?
Answer:
According to grandmother, music had lewd associations. She considered it the monopoly of harlots and beggars. She believed that music was not meant for gentle folk. This was the reason why she felt disturbed when the author announced that they were being given music lessons at school.

दादी के विचार में संगीत घटिया किस्म की काम-वासनाएं पैदा करने वाली चीज़ था। वह समझती थी कि यह केवल वेश्याओं तथा भिखारियों का ही एकाधिकार था। उसका मानना था कि संगीत भले लोगों के लिए नहीं बना था। यही कारण था कि वह बहुत परेशान हो गई जब लेखक ने बताया कि उसके स्कूल में उन्हें संगीत के पाठ पढ़ाए जा रहे थे।

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Question 12.
When was the common link of friendship between the author and his grandmother broken ?
Answer:
The common link of friendship between the author and his grandmother was broken when the author went to a university. He was given a room of his own. Grandmother accepted her seclusion calmly. Now she would spend most of her time in spinning wheel.

लेखक तथा उसकी दादी के बीच की मित्रता की साझी कड़ी तब टूट गई जब लेखक ने विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया। उसे उसका अपना एक अलग कमरा दे दिया गया। दादी ने इस अकेलेपन को शन्तिपूर्वक स्वीकार कर लिया। अब वह अपना अधिकतर समय चरखा कातने में बिताती थी।

Question 13.
What did Grandmother do from sunrise to sunset ?
Answer:
When the author joined the university and was given a separate room for him, Grandmother started spending most of her time in spinning wheel. From sunrise to sunset, she would sit by her wheel, spinning and reciting prayers. She would rarely leave her spinning wheel to talk to anyone.

जब लेखक ने विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया और उसे उसके लिए एक अलग कमरा दे दिया गया, तो दादी अपना अधिकतर समय चरखा कातने में बिताने लगी। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक वह अपने चरखे पर बैठी सूत कातती रहती और प्रार्थना करती रहती। वह किसी से बात करने के लिए अपने चरखे से शायद ही कभी उठा करती थी।

Question 14.
What took the place of village dogs in Grandmother’s life in the city ?
Answer:
Sparrows took the place of village dogs in her life in the city. Grandmother would daily feed the sparrows with breadcrumbs. She would feed them very lovingly. Hundreds of sparrows collected round her. But she never shooed them away.

उसकी नगर वाली जिंदगी में गांव वाले कुत्तों की जगह चिड़ियों ने ले ली। दादी रोजाना चिड़ियों को रोटी के टुकड़े खिलाया करती। वह उन्हें बड़े प्यार से खिलाया करती। सैंकड़ों चिड़ियां उसके इर्द-गिर्द इकट्ठी हो जाती। परन्तु वह उन्हें कभी परे नहीं हटाती थी।

Question 15.
What could have been the cause of Grandmother’s falling ill ?
Answer:
When the author came back from aborad, she celebrated his homecoming in her own way. She collected the women of her neighbourhood, got a drum and started singing. Grandmother overstrained herself in thumping the drum and singing. That was why she fell ill.

जब लेखक विदेश से वापिस लौटा, तो उसने लेखक की घर-वापसी की खुशी अपने ही तरीके से मनाई। उसने पड़ोस की औरतों को इकट्ठा किया, एक ढोलक ली और गाना शुरू कर दिया। दादी ने ढोलक बजाने और गाने में स्वयं को बहुत ज्यादा थका लिया। यही कारण था कि वह बीमार पड़ गई।

Question 16.
How did the sparrows show (on the last day) that they had not come for the bread ?
Answer:
Grandmother was lying dead in her room. A large number of sparrows came and sat all around her. The author’s mother threw crumbs to them, but the sparrows didn’t eat them. When the dead body was carried off for cremation, the sparrows also flew away in silence. It clearly shows that they had not come for the bread.

दादी अपने कमरे में मृत पड़ी हुई थी। बड़ी संख्या में चिड़ियां आईं और उसके चारों ओर बैठ गईं। लेखक की मां ने रोटी के टुकड़े उनकी ओर फेंके, परन्तु चिड़ियों ने उनको नहीं खाया। जब मृत शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तो चिड़ियां भी चुपचाप वहां से उड़ गईं। इससे साफ़ पता चलता है कि वे रोटी के लिए नहीं आई थीं।

Question 17.
What was Grandmother’s routine when she lived with the author together in their village home?
Answer:
Grandmother would wake the author in the morning. She would bathe and dress him for school. She would give him breakfast and then accompany him to school. The school was attached to the village temple. While the author studied in the school, Grandmother would read scriptures in the temple. She would walk back with the author after school.

दादी लेखक को सवेरे जगा देती थी। स्कूल भेजने के लिए वह उसे नहलाती व कपडे पहनाती थी। वह उसे नाश्ता देती थी व फिर स्कूल तक उसके साथ जाती थी। स्कूल गांव के गुरुद्वारे के साथ संबद्ध था। जिस दौरान लेखक स्कूल में पढ़ाई करता, दादी मंदिर में धर्मग्रंथ पढ़ती थी। वह स्कूल बंद होने के बाद लेखक के साथ ही वापस लौटती थी।

Question 18.
Draw a comparison between the village-school education and city-school education.
Answer:
The village school was attached to the village temple. The priest acted as the teacher. He taught the children the alphabet and the prayer. Thus religious education was given in the village school. But in the city school, there was no religious education. Children were taught there science and even music.

गांव का स्कूल गांव के मंदिर से संबद्ध था। पुजारी ही अध्यापक का काम करता था। वह बच्चों को वर्णमाला तथा प्रार्थना सिखाता था। इस प्रकार गांव के स्कूल में धार्मिक शिक्षा दी जाती थी। परन्तु शहर के स्कूल में धार्मिक शिक्षा बिल्कुल नहीं थी। बच्चों को वहां विज्ञान और यहां तक कि संगीत भी सिखाया जाता था।

Question 19.
What was the happiest moment of the day for the grandmother ?
Answer:
It was the afternoon time when she fed the sparrows. She took great delight in feeding them. She would feed them very lovingly. Hundreds of sparrows collected round her. Some sat on her legs, shoulders and head. She would just keep smiling. She never shooed them away.

वह दोपहर का समय होता था जब वह चिड़ियों को खिलाया करती थी। उसे उन्हें खिलाने में बहुत आनंद आता था। वह उन्हें बहुत प्रेमपूर्वक खिलाया करती। सैंकड़ों चिड़ियां उसके चारों ओर इकट्ठा हो जाती थीं। उनमें से कुछ उसकी टांगों, कंधों और सिर पर भी बैठ जाती थीं। वह सिर्फ मुस्कराती रहती थी। वह उन्हें कभी भगाती नहीं थी।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

Question 20.
What was the last sign of physical contact between the author and his grandmother ? Why did the author think it to be the last physical contact ?
Answer:
The author was going abroad. Grandmother came to see him off at the railway station. She kissed him on the forehead. The author thought it to be the last sign of physical contact between them. Grandmother had grown very old. The author didn’t think she would live long. That was why he thought it to be the last physical contact.

लेखक विदेश जा रहा था। दादी उसे अलविदा कहने के लिए रेलवे स्टेशन आई। उसने उसके माथे पर चूमा। लेखक ने सोचा कि यह उनके बीच शारीरिक संपर्क का अंतिम चिन्ह था। दादी बहुत बूढ़ी हो चुकी थी। लेखक को विश्वास नहीं था कि अब वह ज्यादा देर जी पाएगी। इसी वजह से वह उसको अंतिम संपर्क ही मानता था।

Question 21.
Everybody including the sparrows mourned Grandmother’s death. Elaborate.
Answer:
Grandmother lay dead in her room. When the people went to take her to the funeral ground, they saw sparrows all round her body. The author’s mother threw crumbs to them, but the sparrows didn’t eat them. Thus everybody, including the sparrows, mourned Grandmother’s death.

दादी अपने कमरे में मृत पड़ी थी। जब लोग उसे श्मशान ले जाने के लिए अंदर आए तो उन्होंने चिड़ियों को उसके शरीर के चारों ओर बैठे देखा। लेखक की मां ने रोटी के टुकड़े उनकी तरफ फेंके, पर चिड़ियों ने उन्हें नहीं खाया। इस प्रकार चिड़ियों समेत सभी ने दादी की मृत्यु पर शोक जताया।

Long Answer Type Questions

Question 1.
Grandmother ‘had always been short and fat and slightly bent’: Is this true in the light of what is said in the first paragraph ? What information in the first paragraph would you cite in support of your answer ?
Answer:
In the chapter, ‘The Portrait of a Lady, the author Khuswant Singh describes the physical appearance of his Grandmother. He says that his Grandmother was terribly old. He says that Grandmother had always been short and fat and slightly bent.

He further says that people said that she had been once young and pretty. But the author finds it hard to believe. He says that he had known her for twenty years and she had always looked the same; short and slightly bent.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

But it is not true. The very first paragraph of the chapter tells us that she was once young and pretty. In this passage, we come to know that Grandmother often told the author about the games she used to play in her childhood. This shows that the author’s grandmother had not always been short and fat and slightly bent’.

इस पाठ, ‘The Portrait of a Lady, में लेखक खुशवन्त सिंह अपनी दादी के शारीरिक रूप का वर्णन करता है। वह कहता है कि उसकी दादी बहुत ज्यादा बूढ़ी थी। वह कहता है कि दादी हमेशा से ही छोटे कद वाली और मोटी और थोड़ी-सी कुबड़ी थी। वह आगे कहता है कि लोग कहते थे कि वह भी कभी जवान तथा सुन्दर हुआ करती थी।

परन्तु लेखक को इस पर विश्वास करना बहुत कठिन लगता है। वह कहता है कि वह उसे बीस सालों से जानता आ रहा था। और वह हमेशा एक जैसी ही दिखाई दी – छोटे कद की और मोटी और थोड़ी-सी कुबड़ी। – परन्तु यह सच नहीं है। पाठ का सबसे पहला पैरा हमें बतलाता है कि वह किसी समय जवान और सुन्दर हुआ करती थी।

इस पैरे में हमें यह भी पता चलता है कि दादी लेखक को उन खेलों के बारे में बताया करती थी जो वह अपने बचपन में खेला करती थी। इससे पता चलता है कि लेखक की दादी सदा से ही ‘नाटी और मोटी तथा थोड़ी सी कुबड़ी’ नहीं थी।

Question 2.
How would Grandmother prepare the author for school ?
Answer:
The author’s grandmother would wake him up in the morning to get him ready for school. She would bathe him and dress him up for school. All the time, she would keep saying her morning prayer. She would say her prayer in a monotonous singsong.

She did so with the hope that the author would listen and get to learn it by heart. She would wash his wooden slate and plaster it with yellow chalk. She would tie a tiny earthen inkpot and a reed pen in a bundle.

Then she would give the author a thick stale chapatti to eat. She would spread on it some butter and sugar. Then after breakfast, she would hand the bundle to the author and walk with him to school.

लेखक की दादी उसे प्रात:काल जगा देती थी। वह उसे नहलाती और स्कूल के लिए तैयार करती। इस दौरान सारा समय वह अपना प्रातः का धार्मिक पाठ करती रहती। वह अपने पाठ को एक ही लय में बोलती रहती। वह ऐसा इस उम्मीद के साथ करती कि लेखक इसे सुनता रहे और इस प्रकार उसे यह धीरे-धीरे जुबानी याद हो जाए।

वह उसकी लकड़ी की स्लेट धोती और उस पर पीली मिट्टी का लेप करती। वह मिट्टी की छोटी-सी दवात और सरकण्डे की कलम को एक गठरी में बांध देती। फिर वह लेखक को खाने के लिए एक मोटी बासी रोटी दिया करती। वह इस पर कुछ मक्खन और चीनी लगा देती। फिर नाश्ते के बाद वह लेखक को गठरी थमा देती और उसके साथ स्कूल चल पड़ती।

Question 3.
Grand mother is portrayed as a very religious woman. What details in the story create that impression ?
Answer:
The author’s grandmother was a deeply religious lady. She spent most of her time saying prayers and telling beads. She was fond of reading the scriptures also. She would spend whole day in the temple of the village. When the author was sent to an English school, she was unhappy because children were not given any religious education there. It was because of her religious nature that she fed birds and animals.

Her inner peace was also because of this. She remained calm and showed no emotion when the author left for abroad for five years. Like all great persons of religion, she knew when her end was near. Now she did not want to waste her little time in talking to anyone. She kept saying her prayers and telling the beads till her last breath.

लेखक की दादी गहरे रूप से एक धार्मिक स्त्री थी। वह अपना अधिकतर समय प्रार्थना करने तथा माला फेरने में ही व्यतीत करती थी। उसे धार्मिक ग्रन्थों का पाठ करना बहुत अच्छा लगता था। वह अपना पूरा दिन गांव के गुरुद्वारे में व्यतीत करती थी। जब लेखक को अंग्रेजी स्कूल में भेजा गया, तो वह अप्रसन्न हो गई क्योंकि वहां बच्चों को कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती थी। अपनी धार्मिक प्रवृत्ति के कारण ही वह पशु-पक्षियों को खाना खिलाती थी।

उसकी आंतरिक शान्ति भी इसी वजह से थी। वह शान्त रही और बिल्कुल भावुक नहीं हुई जब लेखक पांच वर्ष के लिए विदेश चला गया। सभी महान् लोगों की भांति वह जान गई जब उसका अंतिम समय नज़दीक आ गया। अब वह अपना थोड़ासा बचा समय किसी से बातचीत करने में नष्ट नहीं करना चाहती थी। वह अपने अन्तिम श्वास तक प्रार्थना करती रही और माला फेरती रही।

Question 4.
Grandmother has been portrayed as a kind woman. What details in the story illustrate this?
Answer:
The author’s grandmother had a truly kind heart. Her love for the author is no proof of her kindness. Every grandmother loves her grandchildren. The real proof of the old lady’s kindness lies in her love for animals and birds.

As long as she lived in the village, she used to feed the dogs with stale chapatties. And when she came to live in the city, she took to feeding the sparrows. She took great delight in it. The sparrows would perch on her legs, shoulders and even on her head.

But the old woman never shooed them away. The little birds were full of grief when their foster mother passed away. All this shows that the author’s grandmother was really a kind-hearted lady.

लेखक की दादी का हृदय सचमुच में बहुत दयालु था। लेखक के लिए उसका प्यार उसकी दयालुता का कोई प्रमाण नहीं है। हर दादी अपने पोते-पोतियों से प्यार करती है। बूढ़ी औरत की दयालुता का सही प्रमाण जानवरों और पक्षियों के उसके प्रति उसके प्यार में दिखता है। जब तक वह गांव में रही, वह गांव के कुत्तों को बासी रोटियां खिलाती रही।

और जब वह शहर में रहने आई, तो वह चिड़ियों को खिलाने लगी। इसमें उसे अत्यधिक आनन्द मिलता। चिड़ियां उसकी टांगों, कन्धों और यहां तक कि उसके सिर पर भी बैठ जातीं। परन्तु बूढ़ी औरत कभी उन्हें दूर नहीं हटाती थी। छोटे-छोटे पक्षी भी दुःख से भर गए जब उनका पालन-पोषण करने वाली मां की मृत्यु हो गई। इन सब बातों से पता चलता है कि लेखक की दादी सचमुच एक दयालु हृदय वाली औरत थी।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

Question 5.
What was Grandmother’s daily routine in the city ?
Answer:
From sunrise to sunset, Grandmother would sit by her wheel spinning and reciting her prayer. Only in the afternoon, she would relax a little when she fed sparrows with little bits of bread. She took great delight in feeding them. She would feed them very lovingly.

Hundreds of sparrows collected round her. Some sat on her legs, shoulders and head. She would just keep smiling. She never shooed them away. The sparrows also seemed to feel quite at home in her company. It used to be the happiest half hour of the day for Grandmother.

सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक दादी अपने चरखे पर बैठी सूत कातती रहती और प्रार्थना करती रहती। केवल दोपहर के समय ही वह थोड़ी देर के लिए आराम करती जब वह चिड़ियों को रोटी के लिए छोटे-छोटे टुकड़े खिलाती। उसे उन्हें खिलाने में बहुत आनंद आता। वह उन्हें बहुत प्रेमपूर्वक खिलाया करती।

सैंकड़ों चिड़ियां उसके चारों ओर इकट्ठा हो जाती थीं। उनमें से कुछ उसकी टांगों, कंधों और सिर पर भी बैठ जाती थीं। वह सिर्फ मुस्कराती रहती। वह उन्हें कभी भगाती नहीं थी। चिड़ियों को भी उसकी संगति में आनन्द आता प्रतीत होता था। दादी के लिए आधे घण्टे का वह समय दिन-भर में सबसे अधिक खुशी वाला समय हुआ करता था।

Question 6.
Give a brief pen-portrait of the grandmother.
Answer:
The authors grandmother was very old. Her face was criss-cross of wrinkles. She was fat and had a little stoop. She was so old that she couldn’t have looked older. The author had lived with her for twenty years. She had always looked the same.

It was difficult to imagine that she had ever been young and pretty. But in spite of being so old, she looked very attractive. She was dignified in her looks and habits. She was deeply religious. She spent

most of her time saying prayers and telling the beads. She was fond of reading the scriptures also. She had a kind heart. She took great delight in feeding dogs and little birds. She dressed in spotless white. In her soul also, she was spotless.

Her inner purity lent her spiritual peace. Like all pious souls, the grandmother knew when her end was near. She refused to talk to anybody. She kept saying her prayers and telling the beads till her end.

लेखक की दादी बहुत बूढ़ी थी। उसका चेहरा झुर्रियों का एक ताना-बाना था। वह मोटी थी तथा कुछ झुकी हुई थी। वह इतनी बूढ़ी थी कि वह इससे अधिक बूढ़ी नहीं लग सकती थी। लेखक उसके साथ बीस वर्षों तक रहा था। वह हमेशा एक जैसी ही दिखी। इस बात पर विश्वास करना मुश्किल था कि वह कभी जवान तथा सुन्दर भी रही होगी। परन्तु इतनी बूढ़ी होने के बावजूद वह आकर्षक दिखाई देती थी।

अपनी शक्ल-सूरत तथा आदतों में वह ओजस्वी लगती थी। वह बहुत धार्मिक स्वभाव की थी। वह अपना अधिकतर समय प्रार्थना करने तथा माला के मनकों को फेरने में बिताती थी। उसे धार्मिक ग्रन्थ पढ़ने का भी शौक था। उसका हृदय दयालु था। कुत्तों तथा नन्ही चिड़ियों को खिलाने में उसे बहुत प्रसन्नता मिलती थी।

वह बिल्कुल बेदाग सफेद कपड़े पहनती थी। उसकी आत्मा भी बिल्कुल बेदाग थी। उसकी आंतरिक शुद्धता उसे आध्यात्मिक शांति प्रदान करती थी। सभी पावन आत्माओं की भांति दादी को भी पता चल गया था कि कब उसका अन्त निकट था। उसने किसी से भी बात करने से इन्कार कर दिया। वह अपने अन्त तक प्रार्थना करती रही तथा माला फेरती रही।

Question 7.
Write a brief note on Grandmother’s relationship with the sparrows.
Answer:
In the city, Grandmother used to feed the sparrows daily with breadcrumbs. She took great delight in it. She would feed the sparrows very lovingly. Hundreds of sparrows collected round her. The sparrows would come and sit on her legs, shoulders, and head also.

But the old woman never shooed them away. The little birds too loved her. They seemed to enjoy her company. When Grandmother died, the sparrows were full of grief. Thousands of sparrows came to the place where Grandmother lay dead.

They were all very quiet. They did not chirp at all. The author’s mother threw some crumbs to them. But they did not touch them even. They flew away quietly when Grandmother’s deadbody was carried off for cremation.

शहर में दादी रोज़ाना चिड़ियों को रोटी के टुकड़े खिलाया करती थी। ऐसा करने में उसे बहुत आनन्द अनुभव होता था। वह चिड़ियों को बहुत प्रेमपूर्वक खिलाया करती थी। सैंकड़ों चिड़ियां उसके गिर्द इकट्ठी हो जातीं। चिड़ियां
आ कर उसकी टांगों, उसके कन्धों और सिर पर भी बैठ जातीं। परन्तु बूढी औरत उन्हें कभी भगाती नहीं थी।

नन्हे पक्षी भी उससे प्रेम करते थे। वे भी उसकी संगति का आनन्द उठाते प्रतीत होते थे। जब दादी की मृत्यु हो गई, तो चिड़ियां दुख से भर गईं। हजारों चिड़ियां उस जगह पर आ गई जहां दादी का शव पड़ा हुआ था। वे सब बहुत शान्त थीं। वे बिल्कुल भी नहीं चहचहाई। लेखक की मां ने उनके सामने रोटी के कुछ टुकड़े फेंके। परन्तु चिड़ियों ने उन्हें छुआ तक नहीं। जब अंतिम संस्कार के लिए दादी का शव उठा लिया गया तो वे चुपचाप उड़ गईं।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

Question 8.
The grandmother was not formally educated, but was serious about the author’s education. How does the text support this ?
Answer:
While living in the village, Grandmother rook every care of the author and his education. She would wake him up in the morning. She would bathe him and dress him up for school. She would wash his wooden slate and plaster it with yellow chalk.

She would tie a tiny earthen inkpot and a reed pen in a bundle. Then after breakfast, she would hand all these to the author and walk with him to school. She would pass the day in the village temple and walk back home with the author after school. All this shows how serious the old lady was about her grandson’s education.

गांव में रहते समय दादी लेखक और उसकी शिक्षा का पूरा ख्याल रखा करती थी। वह उसे प्रात:काल जगा देती थी। वह उसे नहलाती और स्कूल के लिए तैयार करती। वह उसकी लकड़ी की स्लेट धोती और उस पर पीली मिट्टी का लेप करती। वह मिट्टी की छोटी-सी दवात और सरकण्डे की कलम को एक गठरी में बांध देती।

फिर नाश्ते के बाद वह इसे लेखक को थमा देती और उसके साथ स्कूल चल पड़ती। वह गांव के गुरुद्वारे में अपना दिन व्यतीत करती और स्कूल के बाद लेखक के साथ घर वापस आती। यह सब इस बात को दर्शाता है कि बूढ़ी औरत अपने पोते की शिक्षा के प्रति कितनी गम्भीर थी।

Question 9.
Gradually, the author and Grandmother saw less of each other and their friendship was broken. Was the distancing in the relationship deliberate or due to demand of
the situation ?
Answer:
As long as the author and his grandmother lived together in the village, they were good friends. Grandmother used to wake him up in the morning. She bathed and dressed him. She got him ready for school. She would give him breakfast. Then she would accompany him to school also.

But this friendship was broken when they came to live in the city. The author was sent to an English school. Now Grandmother could neither accompany him to school nor help him in his lessons. She was shocked to know that there was no religious teaching in the new school and that music was taught there.

Now she rarely talked to the author. But this distancing wasn’t deliberate. It was due to the new situation. The old lady understood this and accepted the new situation calmly.

जब तक लेखक और उसकी दादी गांव में रहते थे, वे अच्छे मित्र थे। दादी उसे सुबह जगाया करती थी। वह उसे नहलाती और कपड़े पहनाती थी। वह उसे स्कूल के लिए तैयार करती थी। वह उसे नाश्ता देती थी। फिर वह स्कूल भी उसके साथ जाया करती थी। परन्तु उस समय यह मित्रता टूट गई जब वे शहर में रहने आ गए।

लेखक को एक अंग्रेजी स्कूल में भेजा जाने लगा। दादी न तो अब उसके साथ स्कूल जा सकती थी और न ही वह उसकी पढ़ाई में कोई सहायता कर सकती थी। उसे इस बात से बहुत आघात लगा कि नए स्कूल में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती थी और वहां संगीत सिखाया जाता था। अब वह लेखक से कभी-कभार ही बात करती। परन्तु यह दूरी जानबूझ कर नहीं उत्पन की गई थी। यह नई परिस्थिति की वजह से थी। बूढ़ी औरत इसे समझ गई और उसे नई परिस्थिति को शान्ति से स्वीकार कर लिया।

Question 10.
Give a brief account of the friendship between the author and his grandmother.
Answer:
The author spent his early childhood with his grandmother in the village. The two lived as good friends. Grandmother used to wake him up in the morning. She bathed and dressed him. She got him ready for school. After breakfast, she would walk with him to school.

She would pass her day in the village temple. She would sit and read scriptures there. Then after school, she would walk back home with the author. On their way, they would throw chapattis to the village dogs. But this bond of friendship was broken when they came to live in the city with the author’s parents. The author was sent to an English school.

He went to school in a motor-bus. Grandmother had no need to go with him. She was shocked when she came to know that children in the English school were not given any religious education and were taught music. After this, she rarely talked to the author.

लेखक ने अपना शुरुआती बचपन गांव में अपनी दादी के साथ बिताया। वे अच्छे मित्रों की भांति रहे। दादी उसे प्रातः उठाया करती। वह उसे नहलाती और कपड़े पहनाती। वह उसे स्कूल के लिए तैयार करती। नाश्ते के बाद वह उसके साथ स्कूल जाया करती। वह अपना दिन गांव के गुरुद्वारे में व्यतीत करती।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

वह वहां बैठ कर धार्मिक ग्रन्थ पढ़ा करती। फिर स्कूल के बाद वह लेखक के साथ वापस घर जाती। रास्ते में वे गांव के कुत्तों को रोटियां डाला करते। परन्तु मित्रता का यह बन्धन उस समय टूट गया जब वे शहर में लेखक के मां-बाप के साथ रहने आ गए। लेखक को एक अंग्रेजी स्कूल में भेजा जाने लगा।

वह स्कूल एक मोटर-बस में जाता । दादी को उसके साथ जाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। उसे उस समय धक्का लगा जब उसे पता लगा कि अंग्रेजी स्कूल में बच्चों को कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती थी और उन्हें संगीत सिखाया जाता था। इसके बाद वह लेखक से कभी-कभार ही बात करती थी।

Objective Type Questions

Question 1.
Name the writer of the story, ‘The Portrait of a Lady’.
Answer:
Khushwant Singh.

Question 2.
Whose portrait does the writer give in ‘The Portrait of a Lady’ ?
Answer:
His grandmothers.

Question 3.
Was the writer’s grandmother still alive or dead ?
Answer:
She was dead.

Question 4.
Was the writer’s grandmother tall or short ?
Answer:
She was short.

Question 5.
Was the writer’s grandmother thin or fat ?
Answer:
She was fat.

Question 6.
Who accompanied the writer to the village school ?
Answer:
His grandmother.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

Question 7.
Why did the author’s grandmother carry stale chapattis with her ?
Answer:
To feed the village dogs.

Question 8.
Which school was the writer sent to in the city ?
Answer:
An English school.

Question 9.
Why did the author’s grandmother stop feeding the dogs in the city ?
Answer:
There were no street dogs in the city.

Question 10.
Who did the author’s grandmother feed in the city instead of the dogs ?
Answer:
The sparrows.

Question 11.
How many years did the author study abroad ?
Answer:
Five.

Question 12.
Who threw breadcrumbs to the sparrows after the grandmother’s death?
Answer:
The author’s mother.

Vocabulary And Grammar

1. Match the words under column A with their antonyms under column B :

Α —– B

1. pretty — happy
2. absurd — dry
3. untidy — noisily
4. distressed — eastern
5. sure — fresh
6. moist — serious
7. frivolous — doubtful
8. quietly — rational
9. western — smart-looking / neat
10. stale — ugly
Answer:
1. pretty → ugly
2. absurd → rational
3. untidy → smart-looking / neat;
4. distressed – happy
5. sure → doubtful
6. moist → dry
7. frivolous → serious
8. quietly — noisily
9. western → eastern
10. stale → fresh.

2. Form verbs from the following words :

Word — Verb
1. belief — believe
2. knowledge — know
3. prayer — pray
4. food — feed
5. association — associate
6. arrival — arrive
7. decision — decide
8. suspicion — suspect
9. sweeper — sweep
10. Sure — assure

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

3. Fill in each blank with a suitable determiner :

1. ……….. of us were constantly together. (our / both)
2. She told me about the games she used to play as ……….. child. (the / a)
3. ……….. parents left me with Grandmother. (my / each)
4. …………. drop of water is precious. (every / all)
5. We hear …………. amazing success stories but we refuse to acknowledge them. (much / many)
Answer:
1. Both
2. a
3. My
4. Every
5. many.

4. Fill in each blank with a suitable modal :

1. I did not know who headed Telco. I thought it …………. be one of the Tatas. (need / must)
2. The film ………….. to be a great success. (should / ought)
3. My hostel mates told me I ……. use the opportunity to go to Pune. (should I would)
4. She …………. never have been pretty. (can I could)
5. You …………. …… start somewhere, otherwise, no woman will ever be able to work in your factories. (may / must)
Answer:
1. must
2. ought
3. should
4. could
5. must.

5. Do as directed :

1. I was too scared to go to meet Mr JRD Tata. (Rewrite the sentence after removing ‘too’)
2. She was too old to have grown older. (Rewrite the sentence after removing too’)
3. We are so lazy that we do not care to lift the garbage lying around us. (Rewrite using too’)
4. Major Som Nath was too brave to quit even in the face of heavy firing. (Rewrite after removing too’)
5. I’m not too sure about it. (Rewrite after removing too’)
Answer:
1. I was so scared that I could not go to meet Mr JRD Tata.
2. She was so old that she could not look older.
3. We are too lazy to care to lift the garbage lying around us.
4. Major Som Nath was so brave that he did not quit even in the face of heavy firing.
5. I’m not so very sure about it.

The Portrait of a Lady Summary & Translation in English

The Portrait of a Lady Summary in English:

Khushwant Singh draws here an interesting portrait of his grandmother. He presents her as a tender, loving and deeply religious old lady. Khushwant Singh says that his grandmother was an old woman. She was so old and her face was so wrinkled that it was difficult to believe she could ever have been young and pretty.

It appeared unbelievable when she talked of the games she used to play in her childhood. Her hair was as white as snow. She had a little stoop in her back. She could be seen telling the beads of her rosary all the time. The author says, “She was like the winter landscape in the mountains, an expanse of pure white serenity breathing peace and contentment.”

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

A picture of author’s grandfather hung on the wall. He appeared too old to believe that he ever had a wife. He appeared to have only lots and lots of grandchildren. Khushwant Singh was only a child at that time. His parents had gone to live in the city, leaving him behind in the village with Grandmother.

She would wake him in the morning and get him ready for school. As she bathed and dressed him, she would sing prayers. She hoped that in time, Khushwant Singh would also come to learn it by heart, but he could never do so.

After a breakfast of a stale bread and butter, Grandmother would accompany Khushwant Singh to the village school. The school was attached to the village temple. While the children sat in the verandah singing the alphabet or the prayer in chorus, Grandmother would read religious books in the temple. She would walk back home with Khushwant Singh when the school was over. On their way back, they would throw chapattis to the village dogs.

When his parents were well settled in the city, Khushwant Singh and his grandmother also went to live with them. Khushwant Singh joined an English-medium school. His grandmother didn’t like many things taught in this school. Though she still shared her room with Khushwant Singh, she could no longer help him in his lessons. She no longer went with him to his school.

In due course, Khushwant Singh went up to the University. He was then given a room of his own, and thus the common link of friendship between them now snapped completely. Grandmother began to pass her time at the spinning wheel from sunrise to sunset.

Only in the afternoon did she relax a little when she fed sparrows with little bits of bread. The sparrows also seemed to feel quite at home in her company. Some of the birds would sit on her shoulders, and even on her head.

Khushwant Singh decided to go abroad for further studies. He was to be away for five years. His grandmother went to the railway station to see him off. Khushwant Singh felt

that his grandmother would not live till the time he was to come back. But that was not so. She was there to receive him at the station when he came back. She celebrated his homecoming in her own way. She collected the women of the neighbourhood, got an old drum and started singing.

She kept singing and beating the drum for several hours. Next morning Grandmother fell ill. The doctor said that it was only a mild fever and would soon go. But Grandmother knew that her end was near.

She lay peacefully in bed, praying and telling the beads of her rosary. She did’t want to waste the remaining moments of her life in talking to anybody. Quite suddenly, the rosary fell from her hand. She had breathed her last.

Her body was placed on the ground and covered with a red shroud. After making preparations for her funeral, they went to her room to fetch her body for the last journey.

Thousands of sparrows had already gathered in the verandah and in her room right up to her dead body. The birds were all silent, and there was no chirping. The writer’s mother brought some bread, broke it into bits and threw it to them.

The sparrows did not pay any attention to the crumbs. When Grandmother’s dead body was taken away, the sparrows flew away quietly.

The Portrait of a Lady Translation in English:

Khushwant Singh has written a number of books on Sikh history and religion. He has also translated a number of books from Urdu and Punjabi into English. Apart from being a writer, he has been a lawyer, a public relations officer, and the editor of the Illustrated Weekly of India.

Two of his well-known novels are ‘Train to Pakistan and Shall Not Hear the Nightingale’. My grandmother, like everybody’s grandmother, was an old woman. She had been old and wrinkled for the twenty years that I had known her.

People said that she had once been young and pretty and even had a husband. But that was hard to believe. My grandfather’s portrait hung above the mantelpiece in the drawing-room. He wore a big turban and loose-fitting clothes. His long, white beard covered the best part of his chest and he looked at least a hundred years old. He did not look the sort of person who would have a wife or children. He looked as if he could only have lots and lots of grandchildren.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

As for my grandmother being young and pretty, the thought was almost revolting. She often told us of the games she used to play as a child. That seemed quite absurd and undignified on her part and we treated it like the fables’ of the prophets she used to tell us.

She had always been short and fat and slightly bent. Her face was a criss-cross of wrinkles running from everywhere to everywhere. No, we were certain she had always been as we had known her. Old, so terribly old that she could not have grown older, and has stayed at the same age for twenty years. She could never have been pretty; but she was always beautiful.

She hobbled about the house in spotless white with one hand resting on her waist to balance her stoop and the other telling the beads of her rosary. Her silver locks were scattered undtidily over her pale, puckere face and her lips constantly moved in an inaudible prayer. Yes, she was beautiful.

She was like the winter landscape in the mountains, and expanse of pure white serenity breathing peace and contentment. My grandmother and I were good friends. My parents left me with her when they went to live in the city and we were constantly together. She used to wake me up in the

morning and get me ready for school. She said her morning prayer in a monotonous singsong while she bathed and dressed me in the hope that I would listen and get to know it by heart. I listened because I loved her voice but never bothered to learn it.

Then she would fetch my wooden slate which she had already washed and plastered with yellow chalk, a tiny earthen ink-pot and a reed pen, tie them all in a bundle and hand it to me. After a breakfast of a thick, stale chapatti with a little butter and sugar spread on it, we went to the school. She carried several stale chapattis with her for the village dogs.

My grandmother always went to school with me because the school was attached to the temple. The priest taught us the alphabet and the morning prayer. While the children sat in rows on either side of the verandah singing the alphabet or the prayer in a chorus, my grandmother sat inside reading the scriptures.

When we had both finished, we would walk back together. This time the village dogs would meet us at the temple door. They followed us to our home growling and fighting with each other for chapattis we threw to them.

When my parents were comfortably settled in the city, they sent for us. That was a turning-point in our friendship. Although we shared the same room, my grandmother no longer came to school with me. I used to go to an English School in a motor bus. There were no dogs in the streets and she took to feeding sparrows in the courtyard of our city house. As years rolled by, we saw less of each other. For some time she continued to wake

me up and get me ready for school. When I came back she would ask me what the teacher had taught me. I would tell her English words and little things of western science and learning, the law of gravity, Archimedes’ principle, the world being round, etc. This made her unhappy. She could not help me with my lessons.

She did not believe in the things they taught at the English school and was distressed that there was no teaching about God and scriptures. One day I announced that we were being given music lessons. She was very disturbed. To her music had lewd associations. It was the monopoly’ of harlots and beggars and not meant for gentlefolk. She said nothing but her silence meant disapproval. She rarely talked to me after that.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

When I went up to the University, I was given a room of my own. The common link of friendship was snapped. My grandmother accepted her seclusion with resignation. She rarely left her spinning-wheel to talk to anyone. From sunrise to sunset, she sat by her wheel spinning and reciting prayers.

Only in the afternoon she relaxed for a while to feed the sparrows. While she sat in the verandah breaking the bread into little bits, hundreds of little birds collected round her creating a veritable bedlam of chirrupings. Some came and perched on her legs, others on her shoulders. Some even sat on her head. She smiled but never shood them away. It used to be the happiest half-hour of the day for her.

When I decided to go abroad for further studies, I was sure my grandmother would be upset. I would be away for five years, and at her age one could never tell. But my grandmother could. She was not even sentimental.

She came to leave me at the railway station but did not talk or show any emotion. Her lips moved in prayers, her mind was lost in prayer. Her fingers were busy telling the beads of her rosary’. Silently she kissed my forhead, and when I left I cherished the moist imprint as perhaps the last sign of physical contact between us.

But that was not so. After five years I came back and was met by her at the station. She did not look a day older. She still had no time for words, and while she clasped me in her arms, I could hear her reciting her prayer. Even on first day of my arrival, her happiest moments were with her sparrows whom she fed longer and with frivolous rebukes. In the evening a change came over her.

She did not pray. She collected the women of the neighbourhood, got an old drum and started to sing. For several hours she thumped the sagging skin of the dilapidated drum and sang of the homecoming of warriors.

We had to persuade her to stop to avoid overstraining. That was the first time since I had known her that she did not pray. The next morning she was taken ill. It was a mild fever and the doctor told us that it would go. But my grandmother thought differently. She told us that her end was near.

She said that, since only a few hours before the close of the first chapter of her life she had omitted to pray, she was not going to waste any more time talking to us. We protested. But she ignored our protest. She lay peacefully in bed praying and telling her beads.

Even before we could suspect, her lips stopped moving and the rosary fell from her lifeless fingers. A peaceful pallor spread on her face and we knew that she was dead.

We lifted her off the bed and, as is customary, laid her on the ground and covered her with a red shroud. After a few hours of mourning, we left her alone to make arrangements for her funeral. In the evening we went to her room with a crude stretcher to take her to be cremated.

The sun was setting and had lit her room and verandah with a blaze of golden light. We stopped halfway in the courtyard. All over the verandah and in her room right up to where she lay dead and stiff wrapped in red shroud, thousands of sparrows sat scattered on the floor. There was no chirruping. We felt sorry for the birds and my mother fetched some bread for them.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

She broke it into little crumbs, the way my grandmother used to, and threw it to them. The sparrows took no notice of the bread. When we carried my grandmother’s corpse off, they flew away quietly. Next morning the sweeper swept the breadcrumbs into the dustbin.

The Portrait of a Lady Summary & Translation in Hindi

The Portrait of a Lady Summary in Hindi:

खुशवंत सिंह यहां अपनी दादी की एक दिलचस्प तस्वीर पेश करता है। वह उसे एक कोमल, प्रेमपूर्ण तथा गहरे रूप से धार्मिक बूढ़ी स्त्री के रूप में पेश करता है। खशवंत सिंह कहता है कि उसकी दादी एक बढी स्त्री थी।

वह इतनी बुढी थी तथा उसका चेहरा झर्रियों से इतना भरा हुआ था कि यह विश्वास करना कठिन था कि वह कभी जवान और सुन्दर भी रही थी। यह अविश्वसनीयसा प्रतीत होता जब वह उन खेलों के बारे में बातें करती जो वह अपने बचपन में खेला करती थी। उसके बाल बर्फ़ की भांति सफ़ेद थे। उसकी पीठ थोड़ी-सी झुकी हुई थी।

उसे हमेशा ही अपनी माला के मनके फेरते हुए देखा जा सकता था। लेखक कहता है, “वह पर्वतों के शीतकालीन प्राकृतिक नज़ारे की भांति प्रतीत होती थी, शुद्ध सफ़ेद स्थिरता की एक प्रतिमा जिसके श्वासों में शांति और सन्तोष भरा होता था।”

लेखक के दादा का एक चित्र दीवार पर टंगा हुआ था। वह इतना बूढ़ा प्रतीत होता था कि यह विश्वास कर पाना कठिन था कि कभी उसकी कोई पत्नी भी थी। ऐसा प्रतीत होता था कि उसके केवल ढेर सारे पोते । पोतियां / नवासे / नवासियां ही हो सकते थे।

उस समय खुशवंत सिंह सिर्फ एक बच्चा ही था। उसके माता-पिता उसे पीछे गांव में उसकी दादी के पास छोड़कर शहर में रहने चले गए थे। वह उसे प्रातःकाल जगा देती तथा उसे स्कूल जाने के लिए तैयार करती। जब वह उसे नहला और वस्त्र पहना रही होती, तो वह अपनी प्रार्थनाएं गाती रहती। उसे आशा थी कि धीरे-धीरे खुशवंत सिंह को वे ज़बानी याद हो जाएंगी, लेकिन वह ऐसा कभी न कर पाया।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

बासी रोटी और मक्खन का नाश्ता करने के बाद दादी खुशवंत सिंह के साथ स्कूल तक उसे छोड़ने जाती। स्कूल गांव के गुरुद्वारे के अन्दर ही बना हुआ था। जिस दौरान बच्चे बरामदे में बैठे गा-गा कर अक्षर-माला अथवा प्रार्थना एक सुर में बोल रहे होते, तो उस समय दादी गुरुद्वारे के अंदर बैठी धार्मिक ग्रन्थ पढ़ रही होती।

स्कूल के बंद होने के बाद वह खुशवंत सिंह के साथ ही चलते हुए वापस आ जाती। वापस आते समय वे गांव के कुत्तों के आगे चपातियां फेंका करते। जब उसके माता-पिता शहर में अच्छी तरह से बस गए, तो खुशवंत सिंह तथा उसकी दादी भी उनके साथ रहने के लिए चले गए। खुशवंत सिंह ने अंग्रेजी माध्यम के एक स्कूल में दाखिला ले लिया। उसकी दादी इस स्कूल में पढ़ाई जाने वाली बहुत-सी चीज़ों को पसन्द नहीं करती थी।

यद्यपि वह अभी भी खुशवंत सिंह के साथ एक ही कमरे में रहती थी, लेकिन अब वह उसके पाठों (lessons) में उसकी सहायता नहीं कर पाती थी। अब वह उसके साथ उसके स्कूल तक नहीं जाती थी।

समय बीतने के साथ खुशवंत सिंह ने विश्वविद्यालय में प्रवेश ले लिया। तब उसे उसका एक अलग कमरा दे दिया गया, और इस तरह उनके बीच की मित्रता की साझी कड़ी पूरी तरह से टूट गई। दादी सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक अपना समय चरखे पर ही बिताने लगी। वह केवल तीसरे पहर ही विश्राम करती जब वह चिड़ियों को रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े खिला रही होती। चिड़ियां भी उसकी संगति में आनंदमय महसूस करतीं।

उनमें से कुछ पंछी उसके कंधों, तथा सिर पर भी बैठ जाते। खुशवंत सिंह ने आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने का फैसला कर लिया। उसे पांच वर्ष तक (घर से) दूर रहना था। उसकी दादी उसे विदा करने के लिए रेलवे स्टेशन पर गई। खुशवंत सिंह ने महसूस किया कि वह उस समय तक जीवित नहीं रहेगी जब वह वापस आएगा। लेकिन ऐसा न हुआ। जब वह वापस आया तो वह स्टेशन

पर उसका स्वागत करने के लिए मौजूद थी। उसने उसकी घर-वापसी की खुशी को अपने ही ढंग से मनाया। उसने आस-पड़ोस की औरतों को इकट्ठा किया, एक पुराना-सा ढोलक लिया और गाना शुरू कर दिया। वह कई घंटों तक गाती रही और ढोलक को बजाती रही।

अगली सुबह दादी बीमार पड़ गई। डॉक्टर ने बताया कि यह सिर्फ हल्का-सा ज्वर था और जल्दी उतर जाएगा। किंतु दादी जानती थी कि उसका अंतिम समय करीब आ गया था। वह बिस्तर पर प्रार्थना करती हुई तथा अपनी माला के मनके फेरती हुई शांतिपूर्वक पड़ी रही। वह अपनी जिंदगी के बचे हुए पल किसी से बात करने में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहती थी। अचानक ही माला उसके हाथ से गिर पड़ी। उसके प्राण निकल चुके थे।

उसके शव को ज़मीन पर रख दिया गया और लाल कफ़न से ढक दिया गया। उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां करने के बाद वे उसकी अंतिम यात्रा के लिए उसे ले जाने के लिए उसके कमरे में गए। बरामदे में तथा उसके कमरे में उसके शव तक हज़ारों की संख्या में चिड़ियां इकट्ठी हो गई थीं।

पंछी बिल्कुल शांत थे और वहां चहचहाने का कोई शोर नहीं था। लेखक की मां कुछ रोटियां लाई, इसे छोटेछोटे टुकड़ों में तोड़ा और उनके आगे फेंक दिया। चिड़ियों ने रोटी के टुकड़ों की तरफ कोई ध्यान न दिया। जब दादी के शव को उठाकर ले जाया गया तो चिड़ियां चुपचाप उड़ गईं।

The Portrait of a Lady Translation in Hindi:

खुशवंत सिंह ने सिखों के इतिहास तथा धर्म पर कई पुस्तकें लिखी हैं। उसने उर्दू तथा पंजाबी की कई किताबों का अंग्रेज़ी में अनुवाद भी किया है। एक लेखक होने के अतिरिक्त वह एक वकील, एक जन सम्पर्क अधिकारी का सम्पादक भी रहा है। उसके सुप्रसिद्ध उपन्यासों में से दो हैं : मेरी दादी प्रत्येक व्यक्ति की दादी की भांति एक वृद्धा स्त्री थी।

पिछले बीस वर्षों से वह बूढ़ी और झुर्रियों से भरी चली आ रही थी, जब से मैं उसे पहचानने लगा था। लोग कहा करते थे कि कोई समय था जब वह जवान और सुन्दर हुआ करती थी, तथा उसका एक पति भी हुआ करता था। किन्तु इन बातों पर विश्वास हो पाना कठिन था। मेरे दादा का चित्र बैठक में अंगीठी के ऊपर की ओर लटका हुआ था। उसने एक बड़ी पगड़ी और खुले-ढीले वस्त्र पहने हुए थे। उसकी लम्बी सफेद दाढ़ी से उसके

वक्षस्थल का अधिकतर भाग ढका हुआ था और वह कम से कम एक सौ वर्ष बूढ़ा प्रतीत होता था। वह इस तरह का व्यक्ति प्रतीत नहीं होता था जिसकी कोई पत्नी अथवा बच्चे हो सकते हों। वह ऐसे लगता था जैसे उसके केवल पोते / पोतियां / नवासे / नवासियां ही हो सकते थे।

जहां तक मेरी दादी के जवान और सुन्दर होने का सम्बन्ध है, ऐसा सोचना भी लगभग असहनीय था। वह हमें प्रायः उन खेलों के बारे में बतलाती जो वह बचपन में खेला करती थी। ऐसी बात उसकी तरफ से बहुत मूर्खतापूर्ण और अशोभनीय प्रतीत होती थी, और हम इसे सन्त महात्माओं की उन काल्पनिक कहानियों जैसी ही एक काल्पनिक कहानी समझा करते थे जो वह हमें सुनाया करती थी।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 2 The Portrait of a Lady

वह सदा से ही छोटे कद वाली और मोटी और थोड़ी-सी कुबड़ी थी। उसके चेहरे पर ताना-बाना बनाती हुई अनगिनत झुर्रियां रही थीं जो हर जगह से हर जगह की तरफ फैली हुई थीं। नहीं, हमें पक्का विश्वास था कि वह सदा से वैसी ही थी जैसा हम उसे देखते आ रहे थे। वह बूढ़ी, इतनी भयानक रूप से बूढ़ी थी कि वह इससे और अधिक बूढ़ी हो ही नहीं सकती थी, और बीस वर्ष से वह उसी आयु पर टिकी हुई थी।

वह कभी भी सुन्दर नहीं रही हो सकती थी, किन्तु वह सदा आकर्षक दिखलाई दिया करती थी। वह घर में इधर-उधर लंगड़ाती हुई चक्कर काटती रहती; उसने बेदाग़ सफेद वस्त्र पहने होते, अपने एक हाथ को उसने अपनी कमर पर टिकाया होता जिससे उसके झुके हुए शरीर का सन्तुलन बना रह सके तथा दूसरा उसकी माला के मनके फेरने में व्यस्त रहता। उसकी चांदी जैसी सफेद लटें उसके पीले, सिकुड़े हुए चेहरे पर उलझी हुई लटकी रहतीं और उसके होंठ मौन पाठ (प्रार्थना) में लगातार हिलते रहते। हां, वह आकर्षक अवश्य थी।

वह पर्वतों के शीतकालीन प्राकृतिक नज़ारे की भांति प्रतीत होती थी, शुद्ध सफेद स्थिरता की एक प्रतिमा जिसके श्वासों में शान्ति और सन्तोष भरा होता था। मेरी दादी और मैं अच्छे मित्र थे। मेरे माता-पिता मुझे उसके पास छोड़ गए जब वे रहने के लिए शहर चले गए थे, और अब हम हर समय इकट्ठे ही रहते थे। वह मुझे प्रातःकाल जगा दिया करती और मुझे स्कूल के लिए

तैयार किया करती थी। जब वह मुझे नहला और वस्त्र पहना रही होती तो वह अपना प्रातः का पाठ एक ही लय में बोलती रहती, इस आशा के साथ कि मैं इसे सुनता रहूं और इस प्रकार यह मुझे धीरे-धीरे जबानी याद हो जाए। मैं इसे सुनता रहता क्योंकि मुझे उसकी आवाज़ अच्छी लगती थी, किन्तु उसे याद करने का मैंने कभी कष्ट न किया।

फिर वह मेरी लकड़ी की तख्ती लेकर आती जिसे उसने पहले ही धोया होता और उस पर पीली मिट्टी का लेप किया होता; मिट्टी की एक छोटी-सी दवात और सरकंडे की एक कलम लाती जिन्हें वह एक पोटली में बांधती और मुझे पकड़ा देती। मोटी बासी रोटी जिसके ऊपर थोड़ा-सा मक्खन और चीनी का लेप किया गया होता, नाश्ते के रूप में खाने के बाद हम स्कूल की तरफ चल पड़ते। वह गांव के कुत्तों के लिए बहुत-सी बासी

रोटियां अपने साथ ले लिया करती थी। मेरी दादी सदा मेरे साथ स्कूल जाया करती क्योंकि स्कूल (गांव के) गुरुद्वारे के अन्दर ही बना हुआ था। पुजारी (पाठी) हमें अक्षरमाला तथा प्रात:कालीन प्रार्थना (पाठ) सिखलाया करता। जिस दौरान बच्चे बरामदे के दोनों तरफ पंक्तियों में बैठे गा-गा कर अक्षर-माला अथवा पाठ बोल रहे होते, तो उस समय मेरी दादी अंदर बैठी धार्मिक ग्रन्थ पढ़ रही होती।

जब हम दोनों अपना अपना काम समाप्त कर लेते, तो हम इकट्ठे चलते हुए वापस आ जाते। इस समय गांव के कुत्ते हमें मन्दिर (गुरुद्वारे) के द्वार पर मिल जाते। वे हमारे पीछे-पीछे हमारे घर तक आ जाते, गुर्राते हुए तथा उन रोटियों के लिए एक-दूसरे से लड़ते हुए जो हम उनकी तरफ फेंका

करते। जब मेरे माता-पिता शहर में अच्छी तरह से बस गए तो उन्होंने हमें बुलवा भेजा। यह हमारी मित्रता में एक नया मोड़ था। यद्यपि हम एक ही कमरे में इकट्ठे रहते थे, मेरी दादी अब मेरे साथ स्कूल नहीं जाया करती थी। मैं एक मोटर-बस में बैठ कर एक अंग्रेजी स्कूल में जाया करता था।

वहां गलियों में कोई कुत्ते नहीं होते थे, और उसने (मेरी दादी ने) हमारे शहर वाले मकान के आंगन में चिड़ियों को दाने खिलाने की आदत डाल ली थी। जैसे-जैसे वर्ष बीतते गए हम एक-दूसरे को पहले से कम देखने-मिलने लगे। कुछ समय तक उसने मुझे जगाना और स्कूल के लिए तैयार करना जारी रखा। जब मैं वापस आता तो वह मुझसे पूछती कि अध्यापक ने मुझे क्या-क्या पढ़ाया था।

मैं उसे अंग्रेज़ी के शब्दों और पश्चिमी ज्ञान विज्ञान, गुरुत्व-आकर्षण के नियम, आर्कीमीडीज़ के सिद्धान्त, संसार के गोल होने, आदि के सम्बन्ध में छोटी-छोटी बातें बतलाया करता था। यह सब सुन कर वह दुःखी हो उठती। वह मेरे पाठों में मेरी सहायता नहीं कर सकती थी। वह उन चीज़ों में विश्वास नहीं रखती थी जो अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई जाती थीं और उसे इस बात पर बहुत पीड़ा महसूस होती कि वहां ईश्वर और धार्मिक ग्रन्थों के सम्बन्ध में कोई पढ़ाई नहीं करवाई जाती थी।

एक दिन मैंने कह दिया कि हमें संगीत के पाठ सिखलाए जा रहे थे। वह बहुत बेचैन हो उठी। उसके विचार में संगीत घटिया किस्म की वासनाएं पैदा करने वाली चीज़ थी। यह केवल वेश्याओं और भिखारियों का ही एकाधिकार था और शरीफ लोगों का इससे कोई प्रयोजन नहीं हो सकता था। वह बोली तो कुछ नहीं, किन्तु उसकी खामोशी उसकी नापसंदगी की सूचक थी। इसके बाद वह मेरे साथ कभी-कभार ही बोला करती थी। जब मैंने विश्वविद्यालय में प्रवेश ले लिया तो मुझे अपना एक अलग से कमरा दे दिया गया। इस प्रकार हमारी मित्रता की साझी कड़ी टूट गई।

मेरी दादी ने अपना एकान्तपन शान्तिपूर्वक स्वीकार कर लिया। वह किसी से बात करने के लिए अपने चरखे पर से शायद ही कभी उठा करती थी। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक वह कातती और पाठ (प्रार्थना) करती हुई अपने चरखे पर बैठी रहती। केवल तीसरे पहर को ही वह चिड़ियों को खिलाने के लिए थोड़ा आराम किया करती। जब वह रोटी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ती हुई बरामदे में बैठी होती तो सैंकड़ों छोटे-छोटे पक्षी उसके गिर्द एकत्रित हो जाते जिससे वहां चहचहाने की आवाज़ों से भरा हुआ एक सचमुच का पागलखाना बना जाता।

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कुछ (चिड़ियां) आ कर उसकी टांगों पर बैठ जाती, और अन्य उसके कन्धों पर। कुछ उसके सिर पर भी बैठ जातीं। वह मुस्कराती रहती और कभी भी उन्हें (डरा कर) उड़ाती नहीं थी। उसके लिए आधे-घण्टे का यह समय दिन भर में सबसे खुशी वाला समय हुआ करता था।

जब मैंने आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने का मन बनाया, तो मुझे पक्का विश्वास था कि मेरी दादी बेचैन हो उठेगी। मैंने पांच वर्ष तक (घर से) दूर रहना था और उसकी आयु के हिसाब से कुछ नहीं कहा जा सकता था। किन्तु मेरी दादी जानती थी। वह तनिक भी भावुक न हुई। वह मुझे छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन पर आई, किन्तु न तो वह कुछ बोली और न ही उसने कोई भावुकता दिखलाई।

उसके होंठ पाठ करते हुए हिल रहे थे, उसका मन पाठ में खोया हुआ था। उसकी अंगुलियां उसकी माला के मनकों को फेरने में व्यस्त थीं। उसने खामोशी से मेरे माथे को चूमा और जब मैं (गाड़ी में) चल दिया तो मुझे वह नम छाप बहुत प्रिय महसूस होती रही, शायद हम दोनों के बीच शारीरिक सम्पर्क के एक अन्तिम चिह्न के रूप में। किन्तु ऐसा नहीं था। पांच वर्ष पश्चात् मैं घर लौट आया और वह मुझे स्टेशन पर मिली।

वह पहले की अपेक्षा एक दिन भी अधिक बूढी प्रतीत नहीं हो रही थी। अब भी उसके पास बोलने को कोई समय नहीं था, तथा जब उसने मुझे अपनी बांहों में कसकर लिया तो मुझे उसके पाठ करने की आवाज़ सुनाई दे रही थी। मेरे वापस आने से पहले दिन भी उसके सबसे खुशी-भरे क्षण अपनी चिड़ियों के मध्यं ही बीते जिन्हें वह पहले से अधिक देर तक खिलाती रही और उन्हें मज़ाक-भरी गालियां निकालती रही।

सायंकाल के समय उसमें एक परिवर्तन आ गया। उसने पाठ न किया। उसने पड़ोस की औरतों को इकट्ठा किया, एक पुराना ढोलक लिया और गाने बैठ गई। कई घण्टों तक वह उस टूटे-फूटे ढोलक की धंसी हुई चमड़ी को पीटती रही और योद्धाओं के घर लौटने सम्बन्धी गीत कहीं अधिक थकावट न हो जाए।

जब से मैं उसे पहचानने लगा था, यह पहला अवसर था जब उसने अपना पाठ नहीं किया था। अगली प्रातः वह बीमार पड़ गई। यह हल्का-सा ज्वर था और डॉक्टर ने हमें बतलाया कि यह उतर जाएगा। किन्तु मेरी दादी कुछ अलग ही सोच रही थी। उसने हमें बतलाया कि उसका अन्त समीप आ गया था।

उसने कहा कि क्योंकि अपने जीवन के पहले अध्याय की समाप्ति से कुछ ही घण्टे पहले वह अपना पाठ करना भूल गई थी, इसलिए वह अब और कोई समय हमारे साथ बातें करने में व्यर्थ गंवाना नहीं चाहती थी। हमने इस पर विरोध व्यक्त किया। किन्तु उसने हमारे विरोध की कोई परवाह न की। वह बिस्तर पर शान्तिपूर्वक पड़ी रही, पाठ करती हुई और अपनी माला फेरती हुई। हमें कोई सन्देह होने से पहले ही उसके होंठ हिलना बन्द हो गए और उसकी निर्जीव अंगुलियों में से माला नीचे गिर पड़ी। उसके चेहरे पर एक शान्तिमय पीलापन

छा गया और हम समझ गए कि वह मर चुकी थी। हमने उसे बिस्तर पर से उठाया और, जैसा कि रिवाज है, धरती पर लिटा दिया तथा उसे एक लाल कफ़न से ढक दिया। कुछ घण्टों तक विलाप करने के पश्चात् हम अन्तिम संस्कार की तैयारियां करने के लिए उसे अकेला छोड़ कर चले गए।

सायंकाल को हम उसका अन्तिम संस्कार करने को ले जाने के लिए एक अर्थी लेकर उसके कमरे में गए। सूर्य अस्त हो रहा था तथा उसके कमरे और बरामदे को अपनी सुनहरी रोशनी की चमक के साथ प्रकाशित कर रहाथा । हम बरामदे के आधे रास्ते में रुक गए। पूरे बरामदे में और कमरे में ठीक उस जगह तक जहां तक वह लाल कफ़न में लिपटी हुई निर्जीव और अकड़ी पड़ी थी, हजारों चिड़ियां फ़र्श पर सभी जगह बैठी हुई थीं।

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वहां कोई चहचहाना नहीं हो रहा था। हमें इन पक्षियों पर दया आई, और मेरी मां उनके लिए रोटी ले आई। उसने उसे तोड़ कर छोटे-छोटे टुकड़े किए, जिस तरह मेरी दादी किया करती थी, और इन्हें उनके सामने फेंक दिया। चिड़ियों ने रोटी की ओर कोई ध्यान न दिया। जब हम दादी का शव उठा कर ले गए तो वे (चिड़ियां) खामोशी से उड़ कर वहां से चली गईं। अगली प्रातः सफाई करने वाले ने झाड़ लगा कर उन रोटी के टुकड़ों को कूड़ेदान में डाल दिया।