PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB अशोक का शस्त्र-त्याग Textbook Questions and Answers

अशोक का शस्त्र-त्याग अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 1
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उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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2. निहत्था नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

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PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन शब्दों/मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. मंत्रमुग्ध होना ____________ _____________________________
  2. लोहा लेना ____________ _____________________________
  3. सदा के लिए आँखें बंद कर लेना ____________ _____________________________
  4. पूर्णाहुति ____________ _____________________________
  5. तलवार फेंक देना ____________ _____________________________
  6. सिर काटना ____________ _____________________________
  7. सिर न झुकना ____________ _____________________________
  8. सदावर्त ____________ _____________________________
  9. साक्षात् चंडी-सी दिखाई देना ____________ _____________________________
  10. मृत्यु की गोद में सो जाना ____________ _____________________________
  11. मुख पर चिंता की छाया होना ____________ _____________________________

उत्तर :

  1. मन्त्रमुग्ध होना – पूरी तरह मुग्ध होना।
    वाक्य – सभी श्रोता गायक का गीत सुनकर मन्त्रमुग्ध हो गए।
  2. लोहा लेना – युद्ध करना, मुकाबला करना।
    वाक्य – भारतीय सेना किसी भी शत्र से लोहा लेने को तैयार है।
  3. सदा के लिए आँखें बन्द कर लेना मर जाना।
    वाक्य – वैभव के दादा जी नब्बे वर्ष के थे कि अचानक दिल का दौरा पड़ने से उन्होंने सदा के लिए अपनी आँखें बन्द कर लीं।
  4. पूर्णाहुति – यज्ञ की अन्तिम आहुति।
    वाक्य – कल यज्ञ की पूर्णाहुति पड़ेगी।
  5. तलवार फेंक देना – पराजय स्वीकार करना।
    वाक्य – महाराज अशोक ने तलवार फेंक दी और बौद्ध धर्म अपना लिया।
  6. सिर काटना – मार देना।
    वाक्य – भगवान कृष्ण ने अत्याचारी राक्षस का सिर काटना उचित समझा।
  7. सिर न झुकना – हार न मानना।
    वाक्य – रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेज़ों के आगे सिर न झुकाया।
  8. सदावर्त – अखंड भोज।
    वाक्य – महेश्वर ने घर में सदावर्त लगा रखा है।
  9. साक्षात चण्डी – सी दिखाई देना–निश्चित मृत्यु प्रदान करने वाली वीरांगना।
    वाक्य – युद्ध में लक्ष्मीबाई साक्षात् चण्डी जैसी दिखाई देती थी।
  10. मृत्यु की गोद में सो जाना – मर जाना।
    वाक्य – वृद्ध रोगी मृत्यु की गोद में सो गया।
  11. मुख पर चिंता की छाया होना – परेशान होना।
    वाक्य – पुत्र की बीमारी के कारण पिता के मुख पर चिंता की छाया साफ दिख रही थी।

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4. सिर काटना सिर न झुकना सदावर्त साक्षात् चंडी-सी दिखाई देना मृत्यु की गोद में सो जाना मुख पर चिंता की छाया होना उपयुक्त शब्द से रिक्त स्थान भरें :

(क) अशोक ने स्वयं सेना का …………………………… करने का निश्चय किया। (नेतृत्व, संचालन, स्वामित्व)।
(ख) कलिंग से युद्ध …………………………… चलता रहा। (तीन, पाँच, चार वर्ष)
(ग) कलिंग के महाराजा के मरने का समाचार पाकर अशोक …………………………… हुए। (प्रसन्न, विस्मित, स्तब्ध)
(घ) कलिंग के फाटक बंद हैं, यह समाचार सुनकर अशोक …………………………… हुए। (लज्जित, दुःखी, उत्तेजित, क्रोधित)
(ङ) पद्मा के सम्मुख अशोक तलवार फेंक देता है क्योंकि वह ……………………………। (डर, निराश, नारी वध नहीं करना चाहता था, आत्मग्लानि)
उत्तर :
(क) संचालन
(ख) चार वर्ष
(ग) प्रसन्न
(घ) उत्तेजित
(ङ) नारी वध नहीं करना चाहता था।

5. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) अशोक अपने शिविर में परेशान क्यों है?
उत्तर :
भयंकर नरसंहार तथा कलिंग को न जीत पाने के कारण अशोक अपने शिविर में परेशान थे।

(ख) संवाददाता ने अशोक को क्या समाचार दिया?
उत्तर :
संवाददाता ने सम्राट अशोक को कलिंग के महाराजा का युद्ध में मारे जाने का समाचार सुनाया।

(ग) मगध की विजय हुई है, पूछने पर संवाददाता चुप क्यों रह जाता है?
उत्तर :
सम्राट अशोक के यह पूछने पर कि क्या मगध की विजय हई थी? संवाददाता इसलिए चुप हो जाता है क्योंकि कलिंग दुर्ग के फाटक अभी भी बन्द था। फिर किस मुँह से वह कहता कि कलिंग जीत लिया गया है।

(घ) अशोक ने सेना-संचालन का भार अपने ऊपर क्यों लिया?
उत्तर :
कलिंग दुर्ग के फाटक खुलवाने के लिए सम्राट अशोक ने सेना संचालन का भार अपने ऊपर ले लिया।

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(ङ) अशोक पद्मा के युद्ध के लिए ललकारने पर तलवार क्यों फेंक देता है ?
उत्तर :
पद्मा द्वारा युद्ध के लिए ललकारने पर भी अशोक तलवार इसलिए फेंक देता है। क्योंकि वह कहता है कि मैं स्त्री – वध नहीं करूँगा।

(च) बदला लेने का अवसर मिलने पर भी पद्मा अशोक को युद्धभूमि से सुरक्षित क्यों जाने देती है?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने पदमा के समक्ष सिर झुका कर कहा कि काट दो इस सिर को। मैं अपराधी हूँ। पद्मा ने कहा जाइए महाराज ! स्त्रियाँ भी निहत्यों पर वार नहीं करेंगी।

6. इन प्रश्नों के उत्तर-चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म क्यों अपनाया?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त करने के लिए उस पर आक्रमण कर दिया। भीषण युद्ध हुआ। लाखों लोग मारे गए। कलिंग के महाराजा भी मारे गए। फिर भी कलिंग के दुर्ग का फाटक बंद था। भीषण रक्तपात ने सम्राट अशोक के मन को बदल दिया। इस बदलाव के कारण सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।

(ख) सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षु के सामने क्या-क्या प्रतिज्ञाएँ की?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षु के सामने निम्नलिखित प्रतिज्ञाएँ की

  • जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, अहिंसा ही मेरा धर्म होगा।
  • मैं सबसे प्रेम करूँगा और मेरी करूणा का सदाव्रत आप सबको मिलेगा।
  • मैं आजीवन अपनी प्रजा की भलाई करूँगा।
  • सब धर्मों को समान दृष्टि
  • सब प्राणियों को सुख और शान्ति पहुँचाने का प्रयत्न करूँगा।

7. लिंग बदलें :

  1. सम्राट = सम्राज्ञी
  2. देवी = ………………………..
  3. महाराज = ………………………..
  4. परुष = ………………………..
  5. प्रति = ………………………..

उत्तर :

  1. सम्राट = सम्राज्ञी
  2. देवी = देवता
  3. महाराज = महारानी
  4. पुरुष = स्त्री
  5. पति = पत्नी।

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8. समुचित विराम चिह्नन लगायें :

यह कौन है क्या साक्षात् दुर्गा कलिंग की रक्षा करने के लिए युद्ध भूमि में उतर आई है शेष सैनिक भी सभी स्त्रियाँ हैं क्या स्त्रियों से युद्ध करना होगा क्या अशोक को स्त्रियों का भी वध करना होगा ना ना मैं स्त्री वध नहीं करूँगा मुझे विजय नहीं चाहिए मैं यह पाप नहीं करूंगा मैं शस्त्र नहीं चलाऊँगा।

चिन्तन
(1) बुद्धं शरणं गच्छामि।
अर्थात् बुद्ध की शरण में जाता हूँ।
(2) संघं शरणं गच्छामि।
अर्थात् संघ (संस्था) की शरण में जाता हूँ।
(3) धर्मं शरणं गच्छामि।
अर्थात् धर्म की शरण में जाता हूँ।

मनन : सर्वप्रथम गुरु की शरण, फिर संस्था, फिर धर्म। गुरु एक व्यक्ति है: व्यक्ति से बड़ी संस्था है, सब से ऊपर धर्म है। यहाँ संस्था का अर्थ संगठन, जमात, मत है। और धर्म का अर्थ मूल सिद्धांतसत्य, अहिंसा आदि हैं : जिसका स्थान सबसे ऊँचा है।

तुम प्रण करो कि जननी जन्मभूमि को पराधीन होते देखने से पहले तुम सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर लोगी।

नारी (पदमा) की यह घोषणा देश प्रेम का ज्वलंत उदाहरण है। नारियों में वीरता, त्याग व बलिदान की भावना मनुष्यों से कम नहीं, उपरोक्त कथन पर मनन करें। देश प्रेम का व्रत लें। पद्मा जैसी हठव्रती, त्यागमयी, वीर नारी ने ही हिंसक अशोक को अहिंसक और करुणामय बना दिया। इतिहास को नयी दिशा दी।

उन नारियों के नाम पता करो जिन्होंने पद्मा के समान देश के लिए अपने-आप को पूर्ण रूप से समर्पण किया। ऐसी पुस्तकें पुस्तकालय से लेकर पढ़ें और उनकी जीवन से प्रेरणा लें।

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • कलिंग के फाटक आज बंद हैं।
  • महाराज! आप यहाँ बैठिए।
  • सैनिक ने अपनी तलवार झटपट संभाल ली।
  • अधिक मत बोलो।

उपर्युक्त पहले वाक्य में ‘आज’ शब्द क्रिया के काल, दूसरे वाक्य में ‘यहाँ’ शब्द क्रिया के स्थान, तीसरे वाक्य में ‘झटपट’ शब्द क्रिया की रीति तथा चौथे वाक्य में ‘अधिक’ शब्द क्रिया की मात्रा संबंधी विशेषता बता रहे हैं अत: ये क्रिया विशेषण हैं।

अतएव क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्रियाविशेषण कहते हैं।

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1. -मैं युद्ध कल करूंगा।
इस वाक्य में ‘कल’ शब्द से क्रिया के काल (समय) का पता लग रहा है। अतः यह कालवाचक क्रियाविशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया के काल (समय) संबंधी विशेषता बताये, उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

अन्य कालवाचक शब्द:-रोज़, प्रातः, परसों, अभी, सुबह, शाम, रात, कभी, अब, तब, आजकल आदि।

2. सब आश्चर्य से उधर देखने लगते हैं। इस वाक्य में ‘उधर’ शब्द से क्रिया के स्थान का पता चल रहा है। अत: यह स्थानवाचक क्रियाविशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की स्थान संबंधी विशेषता बताये, उसे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।

अन्य स्थानवाचक क्रियाविशेषण : यहाँ, वहाँ, इधर, ऊपर, नीचे, भीतर, बाहर, दूर, आगे, पीछे, चारों तरफ आदि।

3. वह बहुत बोलता है।

इस वाक्य में बहुत’ शब्द से क्रिया की मात्रा या परिमाण का पता चल रहा है। अत: यह परिमाणवाचक क्रिया विशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की परिमाण संबंधी विशेषता बताये, उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। अन्य परिमाणवाचक शब्द: थोड़ा, ज्यादा, कम, पर्याप्त, तनिक, इतना, उतना, न्यून, लगभग, काफी आदि।

4. संवाददाता महाराज से धीरे-से बोला।

इस वाक्य में ‘धीरे-से’ शब्द से क्रिया की रीति (ढंग) का पता चल रहा है अतः यह रीतिवाचक क्रिया विशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की रीति संबंधी विशेषता बताये, उसे रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।

अन्य रीतिवाचक क्रियाविशेषण : ऐसे, कैसे, जैसे, तैसे, वैसे, जल्दी-जल्दी, अकस्मात, अचानक, सहसा, सामान्यतः, साधारणतः आदि।

अशोक का शस्त्र-त्याग Summary in Hindi

अशोक का शस्त्र त्याग एकांकी का सार

इस एकांकी में सम्राट अशोक का शास्त्र त्याग तथा बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने का वर्णन किया गया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

पिछले चार वर्ष से सम्राट अशोक की सेना कलिंग से लड़ रही थी। दोनों ओर के लाखों लोग मारे जा चुके थे, लाखों घायल हो चुके थे। फिर भी सम्राट अशोक कलिंग पर विजय नहीं पा सके थे। तभी संवाददाता खबर लाया कि कलिंग नरेश मारे गए। सम्राट अशोक ने समझा कि युद्ध में मेरी विजय हो गई पर पता चला है कि कलिंग दुर्ग के फाटक अभी भी बन्द थे। सम्राट अशोक ने उत्तेजित होकर निर्णय लिया कि कल वे स्वयं युद्ध का संचालन करेंगे या तो कलिंग जीत लेंगे या फिर मगध की सेना वापस चली जाएगी।

अगले दिन सम्राट अशोक ने सेना की कमान खुद सँभाली और अपने सैनिकों को उत्साहित करते हुए या तो कलिंग जीत लेने या फिर मौत के मुँह में सो जाने का आह्वान किया। तभी सहसा कलिंग के दुर्ग का फाटक खुला तथा कलिंग नरेश की लड़की पद्मा वीरांगना के वेश में स्त्रियों की सेना के साथ बाहर आई। उसने भी अपनी सेना को हत्यारे अशोक के विरुद्ध जी – जान से लड़ने का आह्वान किया।

स्त्रियों की सेना सम्मुख देख अशोक उन पर शस्त्र नहीं उठा सके। पद्मा ने पूछने पर बताया कि वह अपने पिता के हत्यारे अशोक से लड़ने आई थी। सम्राट अशोक अपराधी की भाँति पद्मा के सामने खड़ा हो गया कि वह स्त्रियों पर शस्त्र नहीं उठाएगा क्योंकि यह शास्त्र की आज्ञा थी। पद्मा ने पूछा कि निरपराधियों की हत्या करना किस शास्त्र में लिखा था? लज्जित होकर सम्राट अशोक सदा के लिए तलवार फेंक दी तथा पद्मा के सामने नतमस्तक होकर उससे अपना बदला चुका लेने के लिए कहा। पद्मा ने भी निहत्थे पर वार नहीं किया और वापिस दुर्ग में अपनी सेना के साथ चली गई।

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और आजीवन युद्ध न करने और अहिंसा का पालन करने की शपथ ली।

अशोक का शस्त्र-त्याग कठिन शब्दों के अर्थ

  • शिविर = छावनी।
  • पताका = झण्डा।
  • सम्राट् = राजा।
  • संध्या = सायं।
  • स्वतः = अपने आप।
  • असफल = सफल न होना।
  • संवाददाता = सन्देश लाने – ले जाने वाला।
  • प्रसन्नतापूर्वक = खुशी से।
  • विजय = जीत।
  • कलिंग दुर्ग = कलिंग का किला।
  • उत्तेजित = गुस्से में आना।
  • संचालन = चलाना।
  • शस्त्र सुज्जित = हथियारों से लैस।
  • आत्मसमर्पण = अपने आपको सौंपना।
  • शपथ = सौगन्ध।
  • अधिकार = हक।
  • सहसा = अचानक।
  • वीरांगना = बहादुर स्त्री।
  • चकित = हैरान।
  • हत्या = मारना।
  • जननी = माता।
  • पराधीन = परतन्त्र दूसरे के अधीन।
  • वध = हत्या।
  • द्वन्द्व युद्ध = अकेले से अकेले की लड़ाई।
  • भीषण = भयंकर।
  • पूर्णाहुति = अन्तिम आहुति।
  • आक्रमण = हमला।
  • अटल = न टलने वाली।
  • अहिंसा = हिंसा न करना।
  • करुणा = दया।

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अशोक का शस्त्र-त्याग गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मेरे वीर सैनिको ! आज चार साल से युद्ध हो रहा है, फिर भी हम कलिंग को जीत नहीं पाये हैं। उसके किसी दुर्ग पर मगध की पताका नहीं फहरा रही है। कलिंग के महाराज मारे गये हैं। उनके सेनापति पहले ही कैद हो चुके हैं, फिर भी कलिंग आत्मसमर्पण नहीं कर रहा है। आओ, आज हम अपनी मातृभूमि की शपथ लेकर प्रण करें कि या तो हम कलिंग के दुर्ग पर अधिकार कर लेंगे या सदा के लिए मृत्यु की गोद में सो जायेंगे।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र – त्याग’ से लिया गया है। लेखक ने यहाँ सम्राट अशोक के द्वारा कलिंग पर किए गए आक्रमण एवं उसके परिणाम का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि कलिंग के दुर्ग पर अधिकार जमाने के लिए सम्राट अशोक अपने वीर सैनिकों से कहता है कि आज चार वर्ष से कलिंग से उनका युद्ध चल रहा है लेकिन अभी तक वे कलिंग को जीत नहीं पाए हैं। कलिंग के किसी भी किले पर मगध की विजय पताका नहीं फहरा रही है। कलिंग नरेश को तो हमने मार दिया है। उसके सेनापति को हमने पहले ही अपनी कैद में कर रखा है, लेकिन फिर भी जाने क्यों कलिंग की जनता एवं सैनिक आत्मसमर्पण नहीं कर रहे हैं। वे हथियार नहीं डाल रहे हैं। इसलिए ये मगध के वीर सैनिक आज हम अपनी मातृभूमि की कसम खाते हुए प्रतिज्ञा करते हैं कि या तो हम कलिंग के किले पर मगध की विजय पताका फहरा देंगे या फिर अपने प्राणों की आहुति दे देंगे।

विशेष –

  • सम्राट अशोक द्वारा अपने वीर सैनिकों का उत्साह बढ़ाने का चित्रण किया गया है।
  • भाषा शैली प्रवाहमयी है।

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2. सहसा दुर्ग का फाटक खुल जाता है। सब आश्चर्य से उधर देखने लगते हैं। उनकी तलवारें खिंची की खींची रह जाती हैं। शस्त्र – सज्जित स्त्रियों की विशाल सेना फाटक के बाहर निकलने लगती है। सेना के आगे पुरुष भेष में एक वीरांगना है, जो सैनिक भेष में साक्षात् चंडी – सी दिखाई देती है। यह कलिंग महाराज की लड़की पदमा है। स्त्रियों की सेना अशोक की सेना से कुछ दूरी पर रुक जाती है। अशोक के सिपाही मन्त्रमुग्ध से देखते रह जाते हैं। अशोक भी चकित रह जाते हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र – त्याग’ नामक शीर्षक से लिया गया है। लेखक ने यहाँ कलिंग युद्ध में हुए भीषण संहार का सजीव चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने कलिंग नरेश पुत्री पद्मा को रणक्षेत्र में स्त्री सैनिकों के साथ रणक्षेत्र में आते हुए दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि सम्राट अशोक और उसकी सेना अभी कलिंग के किले पर अधिकार जमाने की सोच रहे थे कि अचानक कलिंग के किले का फाटक खुल जाता है। सभी मगध सैनिक हैरानी से इधर – उधर देखने लगते हैं। मगध सैनिकों की तलवारें उनकी मयानों से खींची की खींची रह जाती हैं। वे देखते हैं कि अस्त्र – शस्त्र लिए कलिंग की विशाल स्त्री – सेना किले के बाहर आ रही है।

सेना के आगे – आगे पुरुष का वेष धारण किए हए एक वीरांगना चल रही थी जो देखने में साक्षात माँ दुर्गा लग रही थी। वह वीरांगना कोई और न होकर कलिंग नरेश की पुत्री पद्मा थी। किले के द्वार से बाहर आकर पद्मा की स्त्री – सेना सम्राट अशोक की सेना से कुछ दूर पहले ही रुक जाती है। मगध के वीर सैनिक कलिंग की स्त्री सेना को मन्त्रमुग्ध से देखते रह जाते हैं। सम्राट अशोक भी इस प्रकार सुसज्जित स्त्री सेना को देखकर हैरान थे।

विशेष –

  • लेखक ने कलिंग के रणक्षेत्र में पद्मा तथा उसकी वीरांगनाओं का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

3. बहनो ! तुम वीर कन्या, वीर – भगिनी, और वीर – पत्नी हो ! मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना। जिस सेना ने तुम्हारे पिता, भाई, पुत्र और पति की हत्या की है, वह तुम्हारे सामने खड़ी है। आज उसी से तुम्हें लोहा लेना है। तुम प्रण करो कि जननी जन्म – भूमि को पराधीन होते देखने से पहले तुम सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर लोगी।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र त्याग’ से अवतरित है। लेखक ने यहाँ कलिंग नरेश पुत्री पद्मा द्वारा वीर कन्याओं को अपनी जन्म – भूमि के लिए न्योछावर हो जाने के लिए प्रेरित करते हुए दिखाया है। –

व्याख्या – लेखक कहता है कि कलिंग नरेश की पुत्री पदमा स्त्रियों के अन्दर उत्साह का संचार करते हुए कहती है कि हे बहनो ! तुम वीर पिता की पुत्री हो, वीर भाइयों की बहनें हो और पति की पत्नी हो। तुमसे तुम्हारी इस राजकुमारी पद्मा को ज्यादा कुछ नहीं कहना है। बस इतना ही कहना है कि जिस सेना ने तुम्हारे पिता, भाई, पत्र तथा पति की हत्या की है, वह सेना तुम्हारे सामने खड़ी है। आज तुम्हें उनसे मुकाबला करना है। तुम सभी प्रतिज्ञा करो कि अपनी मातृभूमि को दासता की जंजीरों में देखने से पहले तुम सभी अपने देश की रक्षा में अपने प्राणों को न्योछावर कर देगी।

विशेष –

  • लेखक ने राजकुमारी पद्मा के देश प्रेम तथा नेतृत्व करने की क्षमता को दर्शाया है।
  • वाक्य – विन्यास सटीक है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. मैं कलिंग महाराज की कन्या हूँ। मैं हत्यारे अशोक की सेना से लड़ने आई हूँ, जब तक मैं हूँ मेरी ये वीरागनाएँ हैं, कलिंग के भीतर कोई पैर नहीं रख सकता। कहाँ हैं अशोक, कहाँ हैं मेरे पिता का हत्यारा ? मैं द्वन्द्व – युद्ध करना चाहती हूँ।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र त्याग’ से अवतरित है। लेखक ने अपने इस लेख में कलिंग युद्ध का चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने वीरांगना पद्मा की वीरता एवं साहस को दर्शाया है।

व्याख्या – लेखक कलिंग नरेश की पुत्री पद्मा की वीरता एवं साहस का परिचय देते हुए कहता है कि राजकुमारी पद्मा पुरुष वेष में सम्राट अशोक सेना पर साक्षात् दुर्गा बनकर टूट पड़ती है वह अपना परिचय देते हुए कहती है कि वह कलिंग के महाराज की पुत्री पद्मा है। वह अपने पिता के हत्यारे अशोक और उसकी सेना से युद्ध करने के लिए आई है।

वह अशोक और उसकी सेवा को चुनौती देते हुए कहती है कि जब तक उसके प्राणों में प्राण हैं और कलिंग की वीरांगनाएं हैं तब तक मगध का कोई भी सैनिक कलिंग के अन्दर प्रवेश नहीं कर सकता। वह सम्राट अशोक पुकारती है और पूछती है कि उसके पिता कलिंग नरेश का हत्यारा अशोक कहाँ है। वह उसके साथ आमने – सामने का युद्ध करना चाहती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

विशेष –

  • लेखक ने राजकुमारी पद्मा की वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय कराया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 हार की जीत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 हार की जीत (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB हार की जीत Textbook Questions and Answers

हार की जीत अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा भारती के घोड़े का क्या नाम था?
उत्तर :
बाबा भारती के घोड़े का नाम ‘सुलतान’ था।

(ख) खड्गसिंह कौन था?
उत्तर :
खड्ग सिंह इलाके का एक प्रसिद्ध डाकू था। लोग उसका नाम सुनकर काँपते।

(ग) बाबा भारती अपने घोड़े को देखकर खुश क्यों होते थे?
उत्तर :
बाबा भारती का घोड़ा बहुत ही सुन्दर और बलवान् था। इसलिए बाबा भारती उसे देखकर खुश होते थे और उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

(घ) “बाबा जी यह घोड़ा अब न दूँगा।” यह वाक्य किसने कहा और किसे कहा?
उत्तर :
“बाबा जी यह घोड़ा अब न दूंगा।” यह वाक्य खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा था।

(ङ) “इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना” यह वाक्य किसने कहा, किसे और कब कहा?
उत्तर :
“इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना” वाक्य बाबा भारती ने खड्ग सिंह ने कहा था जब वह बाबा भारती को घोड़ा न देकर उसे बलपूर्वक ले जा रहा था।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा भारती को अपना घोड़ा क्यों प्रिय था?
उत्तर :
बाबा भारती को अपना घोड़ा उसी प्रकार प्रिय था जिस प्रकार माँ को अपनी संतान तथा किसान अपने लहलहाते खेत देखकर प्रसन्न होता है, उसी प्रकार बाबा भारती को अपना घोड़ा प्रिय था। वह घोड़ा सुन्दर तथा बलवान था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे। वे स्वयं घोड़े को दाना खिलाते थे और उसे देख – देख कर प्रसन्न होते थे।

(ख) खड्गसिंह ने घोड़े को प्राप्त करने के लिए क्या चाल चली?
उत्तर :
खड्ग सिंह ने बाबा भारती के घोड़े को प्राप्त करने के लिए अपाहिज का वेश बनाया और बाबा भारती के मार्ग में जा खड़ा हुआ। अपाहिज बनकर उसने बाबा भारती से प्रार्थना की, “बाबा, मैं दुखी हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो परमात्मा भला करेगा।” तब बाबा भारती ने दया करके अपाहिज को घोड़े पर बिठा दिया। वह अपाहिज और कोई नहीं बल्कि डाकू खड्ग सिंह था जिसने घोड़ा प्राप्त करने के लिए चाल चली थी।

(ग) बाबा भारती ने खड्ग सिंह से क्या प्रार्थना की?
उत्तर :
जब खड्ग सिंह अपाहिज बनकर घोड़े पर बैठ गया और कुछ देर बाद जब बाबा भारती को पता चला कि वह डाकू खड्ग सिंह है तो उन्होंने डाकू से कहा कि “यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। मैं तुमसे इसे वापिस करने के लिए नहीं कहूँगा परन्तु खड्ग सिंह, केवल एक प्रार्थना करता हैं उसे अस्वीकार न करना नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा।” तम इस घटना का नाम किसी से न लेना नहीं तो लोग गरीब पर विश्वास न करेंगे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

(घ) खड्गसिंह ने घोड़ा क्यों लौटा दिया?
उत्तर :
बाबा भारती के चले जाने के बाद खड्ग सिंह के कानों में बाबा भारती के शब्द उसी प्रकार गूंज रहे। वह सोच रहा था कि बाबा भारती के विचार कितने ऊँचे हैं। उनका भाव कितना पवित्र है। वे मनुष्य नहीं देवता हैं। उसे उनका घोड़ा नहीं लेना चाहिए था। इस समय खड्ग सिंह का हृदय परिवर्तित हो चुका था। उसकी आँखों में नेकी के आँसू थे। अतः इसी भाव से खड्ग सिंह ने बाबा भारती को घोड़ा लौटा दिया।

(ङ) इस कहानी की महत्वपूर्ण पंक्ति ढूँढकर लिखें, जिसने डाकू का हृदय परिवर्तित कर दिया।
उत्तर :
कहानी में डाकू के हृदय को परिवर्तित कर देने वाली पंक्तियाँ निम्न प्रकार से
(i) “अब घोड़े का नाम न लो। मैं तुम्हें इसके विषय में कुछ न कहूँगा। मेरी प्रार्थना यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।”
(ii) “लोगों को यदि इस घटना का पता चल गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे।”
उक्त पंक्तियों ने डाकू खड्ग सिंह के हृदय में परिवर्तन ला कर रख दिया।

5. इन मुहावरों के अर्थ लिखकर उनको वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. हृदय अधीर होना …………… ……………………………………………..
  2. शब्द कानों में गूंजना …………… ……………………………………………..
  3. हृदय पर साँप लोटना …………… ……………………………………………..
  4. हाथ से छूटना …………… ……………………………………………..
  5. गले लिपटकर रोना …………… ……………………………………………..
  6. दिल टूटना …………… ……………………………………………..
  7. नेकी के आँसू बहना …………… ……………………………………………..
  8. मुँह मोड़ना …………… ……………………………………………..
  9. पीठ पर हाथ फेरना …………… ……………………………………………..
  10. मन मोह लेना …………… ……………………………………………..
  11. कीर्ति कानों तक पहुँचना …………… ……………………………………………..
  12. चाह खींच लाना …………… ……………………………………………..
  13. हृदय पर छवि अंकित हो जाना …………… ……………………………………………..
  14. हृदय में हलचल होना …………… ……………………………………………..
  15. वायु वेग से उड़ना …………… ……………………………………………..
  16. आश्चर्य का ठिकाना न रहना …………… ……………………………………………..
  17. तन कर बैठना …………… ……………………………………………..

उत्तर :

  1. हृदय अधीर होना = दिल बेचैन होना।
    वाक्य – शीला को जब पता चला कि सुबह परीक्षा का परिणाम आएगा तो उसका हृदय अधीर हो गया।
  2. शब्द कानों में गूंजना = बार – बार किसी की बातें याद आना।
    वाक्य – बाबा भारती द्वारा कहे गए शब्द रात भर खड्ग सिंह के कानों में गूंजते रहे।
  3. हृदय पर साँप लोटना = बहुत ईर्ष्या होना।
    वाक्य – सेठ जी की ऊँची हवेली देखकर फकीर चंद के हृदय पर
  4. हाथ से छूटना = गंवा बैठना, किसी वस्तु से वंचित होना।
    वाक्य – सहसा बाबा भारती को एक झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई।
  5. गले लिपटकर रोना = प्यार उमड़ कर आना।
    वाक्य – अस्तबल में घोड़े को देखकर आश्चर्य और प्रसन्नता से बाबा भारती अपने घोड़े के गले से लिपटकर रोने लगे मानो कोई पिता पुत्र से मिल रहा है।
  6. दिल टूटना = हताश होना।
    वाक्य – इकलौते पुत्र की मृत्यु से राम गोपाल का दिल टूट गया।
  7. नेकी के आँसू बहना = पश्चाताप करना।
    वाक्य – बाबा भारती के वचनों को सुनकर डाकू खड्ग सिंह नेकी के आँसू बहाने लगा।
  8. मुँह मोड़ना = रूठ जाना। प्रफर कार चदक हृदय पर साप लोटने लगा।
    वाक्य – मैंने उसे बुरे लड़कों की संगति में रहने से मना किया तो वह मुझ से ही मुँह मोड़ बैठा।
  9. पीठ पर हाथ फेरना = शाबाशी देना।
    वाक्य – गुरु जी ने मोहन की पीठ पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया।
  10. मन मोह लेना = मन को आकर्षित करना।
    वाक्य – शिमला के प्राकृतिक सौन्दर्य ने हम सबका मन मोह लिया।
  11. कीर्ति कानों तक पहुँचना = किसी के यश को सुनना।
    वाक्य – अच्छे लोगों की कीर्ति शीघ्र ही लोगों के कानों तक
  12. चाह खींच लाना = इच्छा से प्रभावित होना।
    वाक्य – मुझे तो आज तुम तक मेरे हृदय की चाह खींच लाई है।
  13. हृदय पर छवि अंकित हो जाना = मन में बस जाना।
    वाक्य – रमेश के सुन्दर व्यक्तित्व की छवि मेरे हृदय पर सदा के लिए अंकित हो चुकी है।
  14. हृदय में हलचल होना = उत्सुक होना, अस्थिर होना।
    वाक्य – नृत्य करती हुई राधिका को लड़खड़ाते देखकर सब के हृदय में हलचल होने लगी।
  15. वायु वेग से उड़ना = तेज दौड़ना।
    वाक्य – बाबा भारती का घोड़ा जब दौड़ता था तो ऐसा लगता था मानो वह वायु वेग से उड़ रहा हो।
  16. आश्चर्य का ठिकाना न रहना = हैरान रह जाना।
    वाक्य – वर्षों से खो चुके पुत्र को वापस आया देख माँ के आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
  17. तन पर बैठना = अकड़ कर बैठना।।
    वाक्य – नेता जी सभा में तन कर बैठे थे।

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6. लिंग बदलें :

  1. घोड़ा = घोड़ी
  2. बालिका = …………………………
  3. बेटा = …………………………
  4. पुत्री = …………………………
  5. दास = …………………………
  6. बकरा = …………………………
  7. पिता = …………………………
  8. देवी = …………………………

उत्तर :

  1. घोड़ा = घोड़ी
  2. बेटा = बेटी
  3. बालिका = बालक
  4. दास = दासी
  5. पुत्री = पुत्र
  6. बकरा = बकरी
  7. पिता = माता
  8. देवी = देव।

7. विपरीत शब्द लिखें :

  1. सावधान = असावधान
  2. गरीब = अमीर
  3. भय = …………………….
  4. सुख = …………………….
  5. विश्वास = …………………….
  6. संध्या = …………………….
  7. संतोष = …………………….
  8. छाया = …………………….
  9. स्वीकार = …………………….
  10. भला = …………………….

उत्तर :

  1. सावधान = असावधान
  2. गरीब = अमीर
  3. भय = निर्भयसख
  4. सुख = दुःख
  5. विश्वास = अविश्वास
  6. संध्या = प्रातः, सवेरा
  7. संतोष = असंतोष
  8. छाया = धूप
  9. स्वीकार = अस्वीकार
  10. भला = बुरा

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8. शुद्ध रूप लिखें :

  1. आननद = आनंद
  2. प्रमात्मा = …………………….
  3. नमष्कार = …………………….
  4. परसन्न = …………………….
  5. हिरद्य = …………………….
  6. कीरती = …………………….

उत्तर :

  1. आननद = आनंद
  2. नमष्कार = नमस्कार
  3. प्रमात्मा = परमात्मा
  4. हिरदय = हदय
  5. परसन्न = प्रसन्न
  6. कीरती = कीर्ति

9. इन शब्दों में ‘र’ पूरा है या आधा, लिखें :

  1. प्रकट = …………………….
  2. आश्चर्य = …………………….
  3. कीर्ति = …………………….

उत्तर :

  1. प्रकट – ‘र’ आधा
  2. आश्चर्य – ‘र’ आधा
  3. कीर्ति – ‘र’ आधा

10. इन अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द लिखें :

  1. जहाँ पर घोड़े रखे जाते हैं = …………………….
  2. जिसका कोई अंग ठीक न हो = …………………….

उत्तर :

  1. अस्तबल
  2. अपाहिज

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11. इन वाक्यों में विशेषण शब्दों को ढूँढ़कर लिखें :

(क) वह घोड़ा सुंदर तथा बड़ा बलवान था। – सुंदर – बड़ा बलवान
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था। ______ – _______
(ग) बाबा, मैं दुःखी हूँ। ______ – _______
(घ) मैं उनका सौतेला भाई हूँ। ______ – _______
(ङ) चौथा पहर आरंभ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल, ठंडे जल से स्नान किया। ______ – _______
उत्तर :
(ख) इलाके प्रसिद्ध
(ग) दुःखी
(घ) सौतेला
(ङ) चौथा पहर ठंडे

12. इन वाक्यों में रेखांकित पदों के कारक बतायें :

(क) वे गाँव से बाहर एक छोटे से मंदिर में रहते थे।
(ख) उसके हृदय में हलचल होने लगी।
(ग) उसकी चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया।
(घ) बाबा ने घोड़े को रोक लिया।
(ङ) उनके हाथ से लगाम छूट गई।
(च) वह धीरे-धीरे अस्पताल के फाटक पर पहुंचा।
(छ) वे घोड़े को खोलकर बाहर ले गये।
उत्तर :
(क) गाँव से – करण तत्पुरुष कारक
मन्दिर में – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(ख) उसके हृदय में – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(ग) खड्ग सिंह – संबंध तत्पुरुष कारक
हृदय पर – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(घ) बाबा ने – कर्ता तत्पुरुष कारक
(ङ) उनके – संबंध तत्पुरुष
हाथ से – अपादान तत्पुरुष कारक
(च) अस्पताल के – संबंध तत्पुरुष
फाटक पर – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(छ) घोड़े को – कर्म तत्पुरुष कारक

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योग्यता विस्तार

  • इस कहानी में बाबा भारती और खड्गसिंह के संवाद कहानी को चरम सीमा तक पहुँचाने में सहायक हुए हैं। कक्षा में अध्यापक उन संवादों को उचित भाव-भंगिमा तथा तान-अनुतान के साथ बच्चों को बुलवाये।
  • कई बार किसी व्यक्ति के मुख से निकले वचन किसी के जीवन की दिशा बदल देते हैं। बाबा भारती के उन वाक्यों को लिखो जिन्होंने डाकू खड्गसिंह का हृदय परिवर्तित कर दिया।
  • इसी भाव को लेकर लिखी गई एक कहानी है ‘अंगुलिमाल’ । उस कहानी को पढ़ो।

प्रयोगात्मक व्याकरण

(क) घोड़ा हिनहिनाया।
(ख) घोड़ा हिनहिना रहा है।
(ग) घोड़ा हिनहिनायेगा।

उपर्युक्त वाक्यों में ध्यान से क्रिया को पहचानिए। ध्यान दीजिए कि पहले वाक्य में क्रिया हो गयी है (हिनहिनाया) दूसरे वाक्य में क्रिया हो रही है- (हिनहिना रहा है) तथा तीसरे वाक्य में क्रिया आने वाले समय में अभी होगी (हिनहिनायेगा)। दरअसल क्रिया से यह भी पता चलता है कि काम कब हुआ अर्थात् क्रिया होने का समय। इसे ही क्रिया का काल कहते हैं।

अतएव क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का ज्ञान हो उसे ‘काल’ कहते हैं।
(क) बाबा ने घोड़े को रोका।
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था।
(ग) बाबा भारती सुलतान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे थे।

इन वाक्यों में ‘रोका’, था’ तथा ‘ जा रहे थे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है।अतः बीते समय को भूतकाल कहते हैं।
(क) अपाहिज घोड़े को दौड़ाए जा रहा है।
(ख) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता है।
(ग) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता होगा।

इन वाक्यों में दौड़ाए जा रहा है’, ‘दौड़ाता है’, तथा दौड़ाता होगा’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया चल रहे समय अर्थात् वर्तमान काल में हो रही है अतः चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।
(क) बाबा जी, यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।
(ख) उसकी चाल तुम्हारा मन मोह लेगी।

उपर्यक्त वाक्यों में रहने दूंगा’ तथा ‘मोह लेगी’ क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं से भविष्य में कार्य के होने का पता चलता है अर्थात् अभी कार्य हुआ नहीं है। अत: जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है, उसे भविष्यत काल कहते हैं।

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याद रखें :
कामका करना या होना-यह बतलाये क्रिया हमें
भूत, वर्तमान है भविष्य-यह बतलाये काल हमें

हार की जीत Summary in Hindi

हार की जीत कहानी का सार

बाबा भारती का घोड़ा बहुत सुन्दर था। सारे इलाके में ऐसा कोई घोड़ा न था। बाबा भारती उससे बहुत प्यार करते थे। वे घोड़े को ‘सुलतान’ कह कर पुकारते थे।

डाकू खड्ग सिंह का हृद्य घोड़ा देखने को अधीर हो उठा। एक दिन दोपहर को वह बाबा भारती के पास पहुँच गया। बाबा भारती और खड्ग सिंह दोनों अस्तबल में पहुंचे। खड्ग सिंह ने घोड़े की चाल देखी तो वह उस पर लटू हो गया। जाते हुए उसने कहा, ‘बाबा जी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।’

बाबा जी रातें अस्तबल की रखवाली में काटने लगे। महीनों बीत गए। मगर खड्ग सिंह नहीं आया। अब बाबा भारती का डर जाता रहा। एक दिन बाबा भारती जी घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। उन्हें एक आवाज़ आई, “ओ बाबा ! मैं अपाहिज हूँ। रामावाला गाँव तक जाना चाहता हूँ दया करके मुझे घोड़े पर चढ़ा लोग।”

बाबा भारती उस अपाहिज को घोड़े पर चढ़ा कर स्वयं उसकी लगाम थाम कर साथ चलने लगे। अचानक झटका लगा और लगाम हाथ से छूट गई। अपाहिज डाकू खड्ग सिंह था। वह घोड़े को दौड़ाए लिए जा रहा था।

बाबा भारती ने खड्ग सिंह से कहा – एक बात सुनते जाओ। उसने घोड़ा रोक लिया। बाबा भारती ने पास जाकर कहा कि यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका। मैं इसे वापस करने को नहीं कहूँगा केवल एक बात का वायदा करो कि तुम इस घटना को किसी से न कहोगे क्योंकि लोगों को यदि इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे। बाबा भारती घोड़े से मुंह मोड़ कर अपनी कुटिया में आ गए।

खड्ग सिंह के कानों में बाबा भारती जी के उक्त शब्द गूंज रहे थे। उसने सोचा, “बाबा भारती मनुष्य नहीं देवता है।” एक रात खड्ग सिंह चुपचाप घोड़े को बाबा भारती जी के अस्तबल में छोड़ आया। बाबा भारती ने जब सुबह उठ कर देखा तो उनकी आँखों से आनन्द के आँसू बह निकले।

हार की जीत कठिन शब्दों के अर्थ

  • भगवद् भजन = ईश्वर का स्मरण।
  • वेदना = पीड़ा।
  • असहाय = बेसहारा।
  • कीर्ति = यश।
  • अधीर = बेचैन।
  • विचित्र = अनोखा।
  • प्रशंसा = बड़ाई, तारीफ।
  • छवि = शोभा।
  • अभिलाषा = इच्छा।
  • अस्तबल = घोड़ों को बाँधने का स्थान।
  • सहस्त्रों = हज़ारों।
  • बांका = सुन्दर।
  • भाग्य = किस्मत।
  • वायु वेग = हवा की चाल।
  • अधिकार = हक।
  • बाहुबल = भुजाओं की शक्ति।
  • प्रतिक्षण = हर समय।
  • मिथ्या = झूठ।
  • फूला न समाना = बहुत खुश होना।
  • अपाहिज = अपंग।
  • विस्मय = हैरानी।
  • अस्वीकार = नामंजूर।
  • दास = नौकर।
  • प्रयोजन = मतलब।
  • अन्धकार = अन्धेरा।
  • पश्चात्ताप = पछताना।
  • बलवान = ताकतवर।

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हार की जीत गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. बाबा जी भी मनुष्य ही थे। अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय अधीर हो गया। घोड़े को खोलकर बाहर ले गए। घोड़ा वायु – वेग से उड़ने लगा। उसकी चाल देखकर खड्ग सिंह के हृदय पर साँप लोट गया। वह डाकू था जो वस्तु उसे पसन्द आ जाए, उस पर वह अपना अधिकार समझता था। जाते – जाते उसने कहा, “बाबा जी यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से अवतरित है, जिसके लेखक सुदर्शन हैं। लेखक ने डाकू खड्ग सिंह द्वारा बाबा भारती के घोड़े की प्रशंसा करने का तथा उस पर मन्त्रमुग्ध होने का सुन्दर वर्णन किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 5

व्याख्या – लेखक कहता है कि इस संसार में ऐसा कोई मानव नहीं जिसे अपनी या अपनी वस्तु की प्रशंसा सुनना अच्छा न लगता हो। बाबा भारती भी इसी प्रकार के व्यक्ति थे। वे भी अपने घोड़े की प्रशंसा सुनना चाहते थे। घोड़े की प्रशंसा सुनने के लिए उनका दिल बेचैन हो उठा। अपनी इसी बेचैनी को दूर करने के लिए वे घोड़ा खोलकर बाहर खड्ग सिंह के समक्ष ले आए। शीघ्र ही घोड़ा तीव्र गति से दौड़ने लगा।

घोड़े की गति और चाल देखकर डाकू खड्ग सिंह को ईर्ष्या होने लगी। खड्ग सिंह तो एक डाकू थां, उसे जो वस्तु पसन्द आ जाती थी, फिर वह उसे अपना ही समझता था। फिर चाहे उसे वह चीज़ बलपूर्वक ही क्यों न लेनी पड़े। बाबा भारती के अस्तबल से जाते समय वह बाबा से कह गया कि वह बाबा के पास उनके घोड़े सुलतान को अधिक समय तक नहीं रहने देगा। वह उसे अवश्य लेकर चला जाएगा।

विशेष –

  • लेखक ने डाकू खड्ग सिंह के मन में बाबा भारती के घोड़े के प्रति ईर्ष्या में लालच के भाव को दिखाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

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2. बाबा भारती ने घोड़े से उतर कर अपाहिज को घोड़े पर सवार किया और स्वयं उसकी लगाम पकड़कर धीरे – धीरे चलने लगे। सहसा उन्हें एक झटका – सा लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उन्होंने देखा कि अपाहिज घोड़े की पीठ पर तन कर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए जा रहा है। वह खड्ग सिंह था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से लिया गया है, जिसके रचनाकार सुदर्शन हैं। लेखक ने यहाँ घोड़ा पाने की चाह में खड्ग सिंह की कुटिल चाल को दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि बाबा भारती एक नेक दिल व्यक्ति थे। उनके हृदय में गरीबी के प्रति अनन्य सेवा – भाव एवं प्रेम था। इस सेवा – भाव के कारण बाबा भारती स्वयं घोड़े से नीचे उतर गए और अपाहिज को घोड़े पर बैठा दिया और घोड़े की लगाम को पकड़ कर वे स्वयं धीरे चलने लगे।

अचानक बाबा भारती को एक झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। उनका दिल यह देखकर बेचैन हो उठा कि जो अपाहिज अभी तक दया के लिए गिड़गिड़ा रहा था, वह अब अकड़ कर घोड़ की पीठ पर बैठा हुआ, घोड़े को तेजी से दौड़ा रहा था। वह व्यक्ति अपाहिज का वेश लिए कोई और न होकर डाकू खड़ग सिंह था।

विशेष –

  • लेखक ने बाबा भारती की उदारता एवं खड्ग सिंह की कुटिलता को दर्शाया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

3. घोड़े ने अपने स्वामी के पाँवों की चाप को पहचान लिया और ज़ोर से हिनहिनाया। अब बाबा भारती आश्चर्य और प्रसन्नता से दौड़ते हुए अन्दर घुसे और अपने घोड़े के गले से लिपट कर इस प्रकार रोने लगे मानो कोई पिता बहुत दिन के बिछुड़े हुए पुत्र से मिल रहा हो। बार – बार उसकी पीठ पर हाथ फेरते, बार – बार उसके मुँह पर थपकियाँ देते।

फिर से संतोष से बोले, “अब कोई ग़रीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से अवतरित है, जिसके रचनाकार सुदर्शन हैं। लेखक ने अपनी इस कहानी में अच्छाई की बुराई पर जीत दिखाई है। यहाँ लेखक ने बाबा भारती के पशु प्रेम को उजागर किया

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब बाबा भारती घटना की रात के बाद सुबह स्नान करने बाद अस्तबल के फाटक के पास पहुंचे तो उनके घोड़े सुलतान ने बाबा भारती के कदमों की आवाज़ को सुनकर पहचान लिया और ज़ोर – ज़ोर से हिनहिनाने लगा। घोड़े के हिनहिनाने की आवाज़ सुनकर बाबा भारती बड़ी ही हैरानी एवं खुशी से अस्तबल के अन्दर पहुँचे और अपने घोड़े सुलतान को गले लगाकर फूट – फूट कर रोने लगे।

उस सयम ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पिता अपने बिछुड़े पुत्र को गले से लगाकर रो रहा हो। यह प्यार ऐसा लगा रहा था मानो ये दोनों पिता – पुत्र हो। बाबा भारती बार – बार सुलतान की पीठ पर प्यार से हाथ फेर रहे थे और उसे थपकियाँ दे रहे थे। कुछ देर बाद बाबा भारती सन्तोष भरे स्वरों में बोले की अभी समय इतना खराब नहीं हुआ है। अभी लोग गरीबों पर भरोसा करेगे। उनकी मदद करेंगे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

विशेष –

  • लेखक ने बाबा भारती का घोड़े के प्रति असीम प्यार दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

4. माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनन्द आता है, वही आनन्द बाबा भारती को अपना घोड़ा देख कर आता था। वह घोड़ा सुन्दर तथा बड़ा बलवान था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते, खुद दाना खिलाते और देख – देख कर प्रसन्न होते थे। वे गाँव से बाहर एक छोटे – से मन्दिर में रहते और भगवान का भजन करते थे। सुलतान के बिना जीना उनके लिए बहुत ही कठिन था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ नामक शीर्षक से लिया गया है, जिसके लेखक सुदर्शन हैं। यहाँ लेखक ने बाबा भारती के घोड़े की विशेषताएँ एवं बाबा भारती का घोड़े के प्रति प्रेम दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जिस प्रकार कोई माँ अपने पुत्र से प्रेम करती है, किसान अपने हरे – भरे लहलहाते हुए खेतों से प्यार करता है और उसे आनन्द आता है ठीक उसी प्रकार बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आनन्द आता था। उनका घोड़ा बहुत ही सुन्दर तथा ताकतवर था। बाबा भारती अपने घोड़े को प्यार से ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे।

वे उसे स्वयं दाना खिलाते थे। वे अपने घोड़े सुलतान को देखकर खूब आनन्दमग्न होते थे। बाबा भारती गाँव के बाहर बने एक मन्दिर रहते थे जहाँ वे भगवान के भजन गया करते थे। अपने घोड़े सुलतान से असीम प्रेम के कारण उसके बिना बाबा भारती अपने जीवन को अत्यंत कठिन मानते थे।

विशेष –

  • लेखक ने घोड़े के प्रति बाबा भारती के असीम प्रेम को उजागर किया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 फूल और काँटा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 फूल और काँटा (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB फूल और काँटा Textbook Questions and Answers

फूल और काँटा अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 2
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 4
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) फूल और काँटा कहाँ जन्म लेते हैं ?
उत्तर :
फूल और काँटा एक ही स्थान पर एक ही पौधे पर जन्म लेते हैं।

(ख) काँटे की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर :
काँटा अपनी कठोरता और तीक्ष्णता के कारण किसी को अच्छा नहीं लगता। वह पीड़ा देने के अतिरिक्त और कुछ नहीं करता।

(ग) फूल की क्या विशेषता होती है?
उत्तर :
फूल अपनी कोमलता और सुगंध के कारण सबको अच्छा लगता है। वह देवताओं के सिर पर चढ़ाया जाता है।

(घ) फूल और काँटा किस का प्रतीक हैं ?
उत्तर :
फूल सुख का प्रतीक है।
काँटा दुःख का प्रतीक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) फूल और काँटे को कौन-कौन सी समान परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं ?
उत्तर :
फल और काँटा दोनों एक ही स्थान से उत्पन्न होते हैं। उनका विकास भी एक ही साथ होता है। उन्हें एक ही समान सूर्य की धूप मिलती है। वायु का स्पर्श भी दोनों को समान रूप से मिलता है। वर्षा भी दोनों पर एक समान रूप में ही गिरती है। एक समान वायु, धूप और वर्षा को झेलते हुए फूल और काँटा दोनों विकसित होते हैं।

(ख) फूल और काँटे में स्वभावगत क्या अंतर है?
उत्तर :
फूल और काँटे का विकास समान रूप से होता है लेकिन दोनों का स्वभाव बहुत भिन्न है। एक ओर फूल अपनी खुशबू चारों ओर फैलाकर अपनी अच्छाई दिखाता है वहीं दूसरी ओर काँटा सभी के हाथों को छेदता हुआ उन्हें पीड़ा एवं कष्ट पहुँचाता है। वह सबके कपड़े फाड़ देता है। वह फूलों पर बैठने वाली तितलियों तथा भँवरों को भी छेद देता है।

(ग) आपकी दृष्टि में कुलवान व्यक्ति महान/बड़ा होता है या गुणवान। अपने विचार लिखें।
उत्तर :
हमारी दृष्टि कुलवान की अपेक्षा गुणवान व्यक्ति भला एवं महान् होता है। वह अपने गुणों एवं अच्छे स्वभाव से सभी का मन जीत लेता है। वह कभी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाता है। वह सदैव दूसरों की भलाई के बारे में सोचता रहता है। वह कुल की बजाय अपने गुणों के कारण सम्मान प्राप्त करता है।

(घ) ‘किस—-बड़प्पन की कसर’ काव्य-पंक्ति की सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठय – पस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित कविता ‘फूल और काँटा’ से ली गई हैं जिसके कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हैं। कवि ने इस कविता में फूल और काँटे के माध्यम से अच्छे और बुरे लोगों
के व्यवहार पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या – कवि कहता है कि खानदान की बड़ाई किस काम की अगर अपने में बड़प्पन की कमी हो अर्थात् कांटे का जन्म सुन्दर पौधे पर हुआ परन्तु उसमें अपना बड़प्पन पुस्तकीय भाग नहीं होता। इसलिए बुरा समझा जाता है। भाव है कि आदमी ऊँचे कुल में जन्म लेने पर बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने गुणों के कारण महान् बनता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

5. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर उनके वाक्य बनायें :

  1. प्यार में डूबना _____________________
  2. पर कतरने _____________________
  3. जी खिल उठना _____________________
  4. आँखों में खटकना _____________________
  5. कसर होना _____________________
  6. गोद बिठाना _____________________
  7. सीस (सिर) पर सोहना _____________________

उत्तर :

  1. प्यार में डूबना – प्यार करना, प्यार होना।
    वाक्य – राधा कृष्ण के प्यार में डूब गई थी।
  2. पर कतरने – अधिकार कम करना।
    वाक्य – बहत ऊँचा उड रहे हो, तम्हारे पर कतरने ही पड़ेंगे।
  3. जी खिल उठना – मन खुश उठना।
    वाक्य – अपने जन्मदिन पर मिली घड़ी देखकर विनोद का जी खिल उठा।
  4. आँखों में खटकना – बुरा लगना।
    वाक्य – झूठा व्यक्ति सबकी आँखों में खटकता है।
  5. कसर होना – कमी होना।
    वाक्य – विश्वास करो अब मेरे काम में कोई कसर नहीं रहेगी।
  6. गोद बिठाना – शरण में लेना।
    वाक्य – रोते हुए बच्चे को माँ ने गोद में बिठा लिया।
  7. सीस (सिर) पर सोहना – सिर पर अच्छा लगन।
    वाक्य – कृष्ण के सीस पर मोर पंख सोह रहा था।

6. इन शब्दों के समानार्थक शब्द लिखें :

  1. फूल = पुष्प, प्रसून
  2. मेह = ______________
  3. चाँद = ______________
  4. हवा = ______________
  5. चाँदनी = ______________
  6. भौंरा = ______________

उत्तर :

  1. फूल = पुष्प, प्रसून
  2. मेघ = बादल, जलद।
  3. चाँद = चन्द्रमा, इन्दु, राकेश, शशि, चंद्र।
  4. हवा = वायु, समीर, पवन।
  5. चाँदनी = मरीची, ज्योत्सना।
  6. भौंरा = भ्रमर, अष्टपाद, भंवरा।

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7. बच्चो! कुछ शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं। नीचे दिए गए अनेकार्थक शब्दों के अर्थ समझते हुए उन्हें वाक्यों में प्रयोग करें :

शब्द – अर्थ – वाक्य

  1. कुल – पूरा, सब, सारा ___________________
  2. कुल – खानदान, वंश ___________________
  3. सदा – हर समय ___________________
  4. सदा – आवाज़, पुकार ___________________
  5. वर – उत्तम, श्रेष्ठ ___________________
  6. वर – देवता से प्रसाद रूप में कुछ माँगना ___________________
  7. वर – नव विवाहिता स्त्री का पति ___________________
  8. पर – पराया ___________________
  9. पर – पंख ___________________
  10. खिलना – विकसित होना ___________________
  11. खिलना – प्रसन्न होना ___________________
  12. खिलाना – खाने में प्रवृत्त करना ___________________
  13. खिलाना – खेल खेलाना ___________________

उत्तर :

  1. कुल – पूरा, सब, सारा।
    वाक्य – परीक्षा में कुल पाँच छात्र पास हुए।
  2. कुल – खानदान, वंश।
    वाक्य – विवाह के समय व्यक्ति के कुल का ध्यान अवश्य रखा जाता है।
  3. सदा – हर समय।
    वाक्य – व्यक्ति को सदा सच बोलना चाहिए।
  4. सदा – आवाज़, पुकार।
    वाक्य – रमेश की दर्द भरी सदा ने मुझे जाने से रोक दिया।
  5. वर – उत्तम, श्रेष्ठ, देवता से प्रसाद रूप में कुछ माँगना।
    वाक्य – भगवान शिव ने अर्जुन को दो वर दिए।
  6. वर – नवविबाहित स्त्री का पति।
    वाक्य – सीमा ने अवनीश को वर के रूप में स्वीकार किया।
  7. पर – पराया।
    वाक्य – स्वार्थी से
  8. पर – उपकारी
    व्यक्ति श्रेष्ठ होता है
  9. पर – पंख।
    वाक्य – पक्षी अपने पर फड़फड़ा रहे हैं।
  10. खिलना – विकसित होना।
    वाक्य – बाग़ में बहुत – से सुन्दर पुष्प खिल गए हैं।
  11. खिलना – प्रसन्न होना।
    वाक्य – परीक्षा में प्रथम आने की बात सुनते ही आकाश का चेहरा खिल गया।
  12. खिलाना – खाने में प्रवृत्त करना
    वाक्य – माँ अपने बच्चे को सबसे बेहतर खाना खिलाती है।
  13. खिलाना – खेल खिलाना।
    वाक्य – आज खेल के मैदान में कोच ने हमें बहुत खिलाया।

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फूल और काँटा Summary in Hindi

फूल और काँटा कविता का सार

‘फूल और काँटा’ नामक कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन करते हुए स्वभाव में भिन्नता प्रकट की है। उसके अनुसार फूल और काँटा एक स्थान से उत्पन्न होते हैं तथा बढ़ते हैं। एक जैसी हवा, बारिश, धूप उनको लगती है फिर भी दोनों का स्वभाव बहुत भिन्न है। एक अपनी बुराई दिखाता है तथा दूसरा अपनी अच्छाई प्रकट करता है।

काँटा सबके हाथों को छेदता है; वस्त्र फाड़ता है ; तितलियों तथा भँवरों के शरीर को बौंधता है परन्तु फूल सब को अपनी महक तथा सुगन्धि से प्रसन्न करता है। कवि यह कहना चाहता है कि अच्छे कुल में जन्म लेने का क्या लाभ अगर अपने आप में बड़प्पन्न नहीं है। अपने गुणों के कारण ही कोई सम्मान प्राप्त करता है, परिवार के कारण नहीं।

फूल और काँटा काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. हैं जन्म लेते जगह में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता।
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक ही सी चाँदनी है डालता॥

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 5

शब्दार्थ :

  • जन्म लेते = पैदा होते।
  • पौधा = छोटा पेड़।
  • पालता = पालन करता।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘फूल और काँटा’ नामक कविता से लिया गया है। यह कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन करते हुए उनके स्वभाव में अन्तर को स्पष्ट किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि फूल और काँटा दोनों एक ही जगह से जन्म लेते हैं। एक ही पौधा उन्हें पालता है अर्थात् एक ही पौधे पर दोनों पैदा होते हैं तथा बढ़ते हैं। रात में उन पर चमकता हुआ चन्द्रमा एक जैसी चाँदनी डालता है। दोनों को ही प्रकृति का प्रेम समान रूप से मिलता है।

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

2. मेंह उन पर है बरसता एक – सा
एक – सी उन पर हवाएँ हैं बही।
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उनके एक से होते नहीं॥

शब्दार्थ – मेंह = वर्षा, बारिश। ढंग = प्रणाली, पद्धति, तरीका, उपाय।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ से लिया गया है। इस कविता में कवि फूल और काँटे के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण कर रहे हैं

सरलार्थ – कवि कहता है कि फूल और काँटे दोनों पर एक – जैसी बारिश होती है। बहती हुई हवा भी दोनों को एक समान मिलती है। अत: सब कुछ समान होते हुए भी दोनों के ढंग व्यवहार एक – से नहीं हैं। दोनों का स्वभाव एक – जैसा नहीं है बल्कि भिन्न है।

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे के परस्पर विरोधी स्वभाव को स्पष्ट किया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

3. छेद कर काँटा किसी की उंगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
प्यार डूबी तितलियों का पर कतर,
भौंर का है बेंध देता श्याम तन॥

शब्दार्थ :

  • छेद देता = चुभ जाता, फाड़ देता।
  • वर = सुन्दर।
  • वसन = कपड़ा।
  • कतरना = काटना।
  • भौंर = भँवरे।
  • श्याम तन = काला शरीर।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में काँटे के स्वभाव के बारे में बताया गया है। काँटा हाथ लगाने वाले की अंगुली में चुभ जाता है तथा किसी का सुन्दर कपड़ा फाड़ देता है। प्यार में डूबी हुई, फूल पर बैठ कर रस चूसने वाली तितलियों के परों को काट देता है। भँवरे के काले शरीर को भी बींध डालता है।

विशेष –

  • कवि ने काँटे के स्वभाव का यथार्थ वर्णन किया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

4. का फूल लेकर तितलियों को गोद में,
भौंर को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगन्धि और निराले रंग से,
है सदा देता कली का जी खिला॥

शब्दार्थ :

  • अनूठा = अनोखा।
  • भौंर = भँवरा।
  • निज = अपना।
  • जी = दिल।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में फूल के स्वभाव का वर्णन किया गया है। फूल तितलियों को अपनी गोद में बिठाता है। भँवरों को अपना अनोखा रस पिलाता है फूल की कलियाँ अपनी खुशबू और अपने अनोखे रंग से हमेशा सबके दिल को खुश करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति फूल की सुगन्धि और रंग से प्रसन्न हो जाता है।

विशेष –

  • कवि ने फूल के स्वभाव का सुंदर वर्णन किया है।
  • भाषा भावों के अनुरूप है।

5. है खटकता एक सब की आँख में,
दूसरा है सोहता सुर सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर॥

शब्दार्थ :

  • खटकना = बुरा लगना।
  • सोहता = अच्छा लगता।
  • सुर सीस = देवताओं के सिर पर।
  • बढ़ाई = बड़प्पन।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में फूल और काँटे दोनों की तुलना की गई है। इनमें से काँटा सब की आँखों में खटकता है। बुरा लगता है पर फूल देवताओं के सिर पर शोभा पाता है। कवि कहता है कि खानदान की बड़ाई किस काम की अगर अपने में बड़प्पन की कमी हो। काँटे का जन्म सुन्दर पौधे पर हुआ परन्तु उसमें अपना बड़प्पन नहीं होता। इसलिए बुरा समझा जाता है। भाव यह है कि आदमी ऊँचे कुल में जन्म लेने पर बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने गुणों के कारण महान् बनता है। इसलिए व्यक्ति को गुणों को ही अपनाना चाहिए तभी कुल का बड़प्पन होगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे की परस्पर तुलना की है।
  • भाषा सहज तथा स्वाभाविक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार Textbook Questions and Answers

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) आमतौर पर दान का अर्थ किस रूप में लिया जाता है?
उत्तर :
आमतौर पर दान का अर्थ ज़रूरतमंदों को रोटी, कपड़ा या कुछ पैसे देने के रूप में लिया जाता है।

(ख) सर्वोत्तम दान कौन-सा है?
उत्तर :
रक्तदान सर्वोत्तम दान है, क्योंकि यह दूसरे को जीवन दे सकता है।

(ग) एक मानव दूसरे मानव की जीवन रक्षा कैसे कर सकता है ?
उत्तर :
एक मानव अपने शरीर से कुछ रक्तदान करके दूसरे के जीवन की रक्षा कर सकता है।

(घ) रक्त की ज़रूरत कब पड़ती है?
उत्तर :
जब कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है या किसी दुर्घटना में घायल हो जाता है तो उसे रक्त की आवश्यकता पड़ती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

(ङ) रक्त समूह कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
रक्त समूह आठ प्रकार के होते हैं, जिसके नाम निम्न प्रकार से हैं –

  • ए – पॉजिटिव
  • ए – नेगिटिव
  • ए – बी – पॉजिटिव
  • ए – बी – नेगिटिव
  • बी – पॉजिटिव
  • बी – नेगिटिव
  • ओ – पॉजिटिव
  • ओ – नेगिटिव।

(च) किन व्यक्तियों को रक्तदान नहीं करना चाहिए? पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर :
उन व्यक्तियों को रक्तदान नहीं करना चाहिए जो किसी संक्रमित रोग से पीड़ित हों। गर्भवती महिलाओं को जिनकी सर्जरी को कम – से – कम एक वर्ष न हुआ हो। जिस व्यक्ति को रक्तदान किए तीन महीने न हुए हों तथा जिसे मदिरा का सेवन किए 24 घंटे न बीते हों।

(छ) रक्तदान करने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
रक्तदान करने से शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। हम रक्तदान के बाद अपने सभी कार्य दिनचर्या के अनुसार आम दिनों की तरह कर सकते हैं।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) रक्तदान को एक संस्कार के रूप में क्यों नहीं विकसित किया जा सका?
उत्तर :
रक्तदान को एक संस्कार के रूप में इसलिए नहीं विकसित किया जा सका क्योंकि हमें अपने अभिभावकों से रक्तदान जैसा बहुमूल्य संस्कार अल्पमात्र ही प्राप्त होता है। इसका मुख्य कारण आम लोगों का अशिक्षित होना तथा उनमें तरह – तरह के भ्रमों से युक्त रूढ़िवादी विचारों का होना है। हमारे समाज में शिक्षित वर्ग का भी काफ़ी बड़ा भाग इस प्रमाणित तथ्य को मानने को तैयार नही हैं कि रक्तदान एक सुरक्षित दान है। इस दान से हमारे शरीर पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता।

(ख) स्वैच्छिक रक्तदान से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
स्वैच्छिक रक्तदान से अभिप्राय है अपनी इच्छानुसार अपने शरीर का रक्तदान करना। जब हम कहीं पर भी अपनी इच्छा से अपने रक्त का दान किसी शिविर, अस्पताल या अन्य किसी स्थान पर करते हैं तो वह दान स्वैच्छिक दान कहलाता है। किसी के दबाव या डर से दिया गया दान स्वैच्छिक दान नहीं कहलाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

(ग) क्या रक्तदान करने वाले व्यक्ति की आयु, भार और स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाता है? यदि हाँ, तो समस्त बातों को लिखें।
उत्तर :
हाँ, रक्तदान करने वाले व्यक्ति की आयु, भार और स्वास्थ्य का उचित ध्यान रखा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष से 60 वर्ष के बीच में हो तथा जिस का भार 35 किलोग्राम से कम न हो, वह व्यक्ति प्रत्येक तीन महीने बाद आसानी से इच्छापूर्वक रक्तदान कर सकता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि स्वस्थ व्यक्ति ही रक्तदान कर सकता है। किसी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति नहीं।

(घ) आपने कई स्थानों पर रक्तदान शिविर लगा देखा होगा। वहाँ पर जाकर डॉक्टर/नर्स से इस प्रक्रिया को समझें और अपनी डायरी में नोट करें।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

5. नये शब्द बनायें :

  1. सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
  2. सर्व + _________ = _________
  3. अन + भिज्ञ = _________
  4. अन + _________ = _________

उत्तर :

  1. सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
  2. अन + भिज्ञ = अनभिज्ञ
  3. सर्व + मान्य = सर्वमान्य
  4. अन + तर = अंतर

6. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिख कर उन्हें वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. प्राणों की रक्षा करना ________________________
  2. तुच्छ पड़ जाना ________________________
  3. प्राण हर लेना ________________________
  4. अपनी चपेट में लेना ________________________
  5. हाथ धो बैठना ________________________
  6. आनाकानी करना ________________________

उत्तर :

  1. प्राणों की रक्षा करना = जान बचाना।
    वाक्य – विनोद ने अपने रक्त का दान करके अपने मित्र प्रदीप के प्राणों की रक्षा कर ली।
  2. तुच्छ पड़ जाना = फीका एवं कमज़ोर पड़ जाना।
    वाक्य – रक्तदान के समक्ष अन्य सभी प्रकार के दान तुच्छ पड़ जाते हैं।
  3. प्राण हर लेना = जान ले लेना।
    वाक्य – पीलिया की बीमारी ने रमेश के प्राणों को हर लिया।
  4. अपनी चपेट में लेना = अपनी पकड़ में लेना।
    वाक्य – कैंसर तथा डेंगू जैसी भयानक बीमारियाँ लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही हैं।
  5. हाथ धो बैठना = खो देना।
    वाक्य – रक्तदान के विषय में हमारी अज्ञानता किसी को प्राणों से हाथ धो बैठने पर विवश कर देती है।
  6. आनाकानी करना = टाल मटोल करना।
    वाक्य – जब मैंने बलराज से अपने पचास रुपये वापस माँगे तो वह आनाकानी करने लगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

7. ‘ता’ शब्दांश लगाकर भाववाचक संज्ञा बनायें :

  1. आधुनिक + ता = ________________________
  2. आवश्यक + ता = ________________________
  3. अनभिज्ञ + ता = ________________________
  4. अज्ञान + ता = ________________________

उत्तर :

  1. आधुनिक + ता = आधुनिकता
  2. अनभिज्ञ + ता = अनभिज्ञता
  3. आवश्यक + ता = आवश्यकता
  4. अज्ञान + ता = अज्ञानता

8. नीचे रक्तदान से जुड़े कुछ वाक्य दिये गये हैं। उन पर सही (✓) या गलत (X) का चिह्न लगायें :

(क) कितने रोगी प्रतिवर्ष केवल समय पर रक्त न मिलने के कारण ही प्राणों से अकारण हाथ धो बैठते हैं।
(ख) सभी लोगों को रक्तदान के बारे में पूरी जानकारी होती है।
(ग) प्रत्येक व्यक्ति को अपना ब्लड-ग्रुप पता होना चाहिए।
(घ) इन्सान को केवल इंसान का ही रक्त दिया जा सकता है।
(ङ) स्वस्थ शरीर वाले व्यक्ति पर सुरक्षित रूप से रक्तदान करने पर प्रतिकूल प्रभाव
उत्तर :
(क) कितने रोगी प्रतिवर्ष केवल समय पर रक्त न मिलने के कारण ही प्राणों से अकारण हाथ धो बैठते हैं।
(ख) सभी लोगों को रक्तदान के बारे में पूरी जानकारी होती है।
(ग) प्रत्येक व्यक्ति को अपना ब्लड – ग्रुप पता होना चाहिए।
(घ) इन्सान को केवल इन्सान का ही रक्त दिया जा सकता है।।
(ङ) स्वस्थ शरीर वाले व्यक्ति पर सुरक्षित रूप से रक्तदान करने पर प्रतिकूल पड़ता है।

9. अंतर समझें :

  • खाद : सड़ा-गलाकर बनाई गयी गोबर
  • खाद्य : खाने योग्य
  • सम्मान : इज्जत
  • समान : बराबर
  • सामान : वस्तुएँ, सामग्री
  • जहाँ : जिस जगह
  • जहां (जहान) : संसार, लोक
  • हालत : परिस्थिति, वर्तमान स्थिति, अवस्था, दशा
  • हालात : परिस्थितियाँ, स्थितियाँ
  • दवा : दवाई
  • दावा : अधिकार, हक, न्याय हेतु न्यायालय में दिया गया प्रार्थना-पत्र
  • परितोषक : संतुष्ट या खुश करने वाला
  • पारितोषिक : इनाम
  • कॉफी : कहवा, एक पेड़ का बीज जिसे भूनकर दूध, शक्कर मिलाकर पेय पदार्थ बनाया जाता है
  • काफी : बहुत

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

10. शुद्ध करके लिखें :

शाबासी = …………………..
आपति = …………………..
असानी = …………………..
उमीद = …………………..
उदारण = …………………..
जिमेवारी = …………………..
कटूशब्द = …………………..
अवश्यकता
सरिष्ट = …………………..
अनभिगयता = …………………..
बीमारियाँ = …………………..
सामगरी = …………………..
दुरघटनाएँ = …………………..
तुछ = …………………..
शान्ती = …………………..
भरम = …………………..
वियर्थ = …………………..
उचीत = …………………..
उत्तर :

  • शाबाशी = आपत्ति = आसानी
  • उम्मीद = उदाहरण = जिम्मेवारी
  • कटुशब्द = आवश्यकता = सृष्टि
  • अनभिज्ञता = बीमारियाँ = सामग्री
  • दुरघटनाएँ = तुछ = शान्ती
  • दुर्घटनाएँ = शान्तिः = उचित

11. ‘इक’ और ‘इत’ लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. इक – इत
  2. धर्म : धार्मिक
  3. प्रमाण :
  4. अधुना :
  5. पुलक :
  6. विज्ञान :
  7. सुरक्षा :
  8. स्वेच्छा :
  9. शिक्षा :
  10. नीति :
  11. परिवार :
  12. आनंद :
  13. इतिहास :
  14. सम्मान :
  15. पीड़ा :

उत्तर :

  1. इक – इत
  2. धर्म = धार्मिक
  3. प्रमाण = प्रमाणित
  4. अधुना + इक = आधुनिक
  5. पुलक + इत = पुलकित
  6. विज्ञान + इक = वैज्ञानिक
  7. सुरक्षा + इत = सुरक्षित
  8. स्वेच्छा + इक = स्वैच्छिक
  9. शिक्षा + इत शिक्षितः
  10. नीति + इक = नैतिक
  11. पीड़ा + इत = पीड़ित
  12. परिवार + इक = पारिवारिक
  13. आनंद + इत = आनन्दित
  14. इतिहास + इक = ऐतिहासिक
  15. सम्मान + इत = सम्मानित

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

12. अपने मित्र/सहेली को रक्तदान का महत्व समझाते हुए पत्र लिखें।
उत्तर :
208, सराभा नगर,
लुधियाना।
29 नवम्बर, 20….
प्रिय सुरेश,

प्रसन्न रहो।
कुछ दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। तुम्हारे बीमार सहपाठी के स्वास्थ्य की बहुत चिंता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी पूँजी होती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। मेरा एक ही सुझाव है कि तुम प्रत्येक व्यक्ति से रक्तदान के विषय में बात करो। रक्तदान से मनुष्य को अनेक लाभ होते हैं। इससे हम किसी को एक नया जीवन दे सकते हैं। रक्तदान करने वाले व्यक्ति को इस कारण कोई क्षति नहीं पहुँचती है। रक्तदान करने के बाद शरीर में स्वत: नवीन एवं स्वच्छ रक्त का संचार होता है। रक्तदान करने से आत्मा तथा मन दोनों प्रसन्न हो उठते हैं। इससे संतुष्टि और परोपकार का भाव उत्पन्न होता है।

मुझे आशा है कि तुम मेरे द्वारा बताई गई बातों के महत्त्व को समझोगे। अधिक क्या कहूँ तुम्हारे और अन्य लोगों के स्वास्थ्य का रहस्य रक्तदान में छिपा है। पूज्य माता जी को प्रणाम। अनन्या को प्यार।

तुम्हारा मित्र,
प्रमोद कुमार

13. ‘रक्तदान’ पर नारे लिखें।
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 5
उत्तर :

  1. रक्तदान महादान,
    जो करे उसका जीवन बने महान्।
  2. असली दान ही है रक्तदान,
    जो बने किसी की रक्षा का दान।
  3. सबसे उत्तम है रक्तदान,
    जो दे दूसरों को जीवनदान।
  4. बहुत सी चीजें हैं मूल्यवान्,
    किंतु रक्तदान है अमूल्य दान।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

अध्यापन निर्देश
(क) इक’ प्रत्यय लगने पर शब्द में प्रयुक्त पहले स्वर को वृद्धि अर्थात् ‘अ’ को ‘आ’, इ.ई. ए को ‘ऐ’ तथा उ, ऊ, ओ को औ हो जाता है। जैसे- संसार-सांसारिक (अ को आ),

विवाह-वैवाहिक (इ को ऐ), नीति-नैतिक (ई को ऐ) वेद-वैदिक (ए को ऐ) मुख-मौखिक (उ को औ) मूलमौलिक (क को औ) योग-यौगिक (ओ को औ)

अपवाद : कुछ शब्दों में ‘इक’ प्रत्यय होने पर पहले स्वर को आदि वृद्धि नहीं होती जैसे-प्रशासन-प्रशासनिक, क्रम-क्रमिक आदि

(ख) (1) कुछ संज्ञा शब्दों के अंत में ‘आ’ स्वर लगा होता है वहाँ ‘इत’ प्रत्यय होने पर अंतिम आ स्वर का लोप हो जाता है जैसे-पीड़ा-पीड़ित
(2) कुछ ऐसे शब्द भी हैं जिनके साथ इत’ प्रत्यय अलग तरह से लगता है, अतः यह अपवाद है। जैसे विकास-विकसित इसमें मध्य स्वर ‘आ’ का लोप हुआ है। संक्रमण-संक्रमित (इसमें अंतिम अक्षर का ही लोप हो गया है) प्रेरणा-प्रेरित इसमें मध्य अक्षर ‘र’ के साथ इत प्रत्यय लगा है और अंतिम अक्षर का लोप हो गया है।

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार Summary in Hindi

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार पाठ का सार

भारत एक विशाल देश है। भारतीय संस्कृति उदार, ग्रहणशील एवं समय के साथ परिवर्तनशील रही है। यहाँ नित्य नये संस्कार देखने को मिलते हैं। भारत मानव समुद्र है। यह तो सुन्दर फूलों का गुलदस्ता है। भारत की सभ्यता और संस्कृति इस बात की साक्षी है कि यहाँ के लोगों में दान का संस्कार प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। आज का युग वैज्ञानिक युग है। इस वैज्ञानिक युग में भी भारत में संस्कार कुछ कम नहीं हुए हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 6

हमारे यहाँ दान देने से अभिप्राय यह है कि किसी को धन का दान देना, श्रमदान देना, भूखे को भोजन कराना, वस्त्र आभूषण दान देना आदि अच्छा होता है। इस प्रकार के दान देने वाले व्यक्ति को हमारे समाज में विशेष सम्मान दिया जाता है। यह सर्वमान्य मत है कि दान देने वाले व्यक्ति का मन आनन्द और शान्ति से खिल उठता है। दान में भी एक दान ऐसा है जिसे विश्व में सर्वोत्तम माना जाता है। वह दान है – जीवनदान। यह दान दिया जा सकता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

इसके लिए हमें स्वयं को थोड़ा – सा मज़बूत करके अपना कुछ रक्त दान में देकर दूसरे को जीवन – दान दे सकते हैं। इस दान के सामने बाकी सब दान फीके पड़ जाते हैं। आज मानव का जीवन वैज्ञानिक उन्नति के कारण अत्यन्त गतिशील बन चुका है। यह गति ही प्रतिदिन कई दुर्घटनाओं का कारण बनती जा रही है। दूसरी ओर अनेक बीमारियाँ विकराल रूप धारण करके मानव जीवन को नष्ट करने के लिए ताक में बैठी हैं।

कैंसर, एड्स, डेंगू, ड्रॉप्सी तथा हैपेटाइटस नामक बीमारियां कुछ इसी प्रकार की जानलेवा बीमारियां हैं। भारत में प्रत्येक वर्ष दुर्घटनाओं तथा बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए अस्सी लाख यूनिट से अधिक रक्त की आवश्यकता पड़ती है जबकि भरसक यत्नों के द्वारा हम मात्र बीस लाख यूनिट रक्त ही इकट्ठा कर पाते हैं।

रक्त का पर्याप्त मात्रा में न मिल पाने का एक सबसे बड़ा कारण हमारे अन्दर चेतना और ज्ञान का अभाव है। इसी अभाव के कारण हम अन्य किसी को रक्तदान के लिए प्रेरित नहीं कर पाते। रक्तदान के विषय में हमारे कम ज्ञान का कारण हमारे अभिभावक हैं जिन्होंने हमें रक्तदान जैसा बहुमूल्य संस्कार बहुत कम मात्रा में दिया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 7

यदि कोई बालक साहस करके किसी को रक्तदान के लिए प्रेरित करता हैं तो अभिभावक उसे उत्साहित करने के स्थान पर डाँटते हैं। उनका इस प्रकार से डांटना अशिक्षा तथा भ्रमों से युक्त रूढ़िवादी विचारों का होना बताता है। किन्तु इसके विपरीत हमारे समाज में एक शिक्षित वर्ग ऐसा भी है जो पुरानी रूढ़िवादी विचारधारा को तोड़कर नवीन जीवन मूल्यों को अपना रहा है। वह रक्तदान करता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

रक्तदान के लिए औरों को प्रेरित करता है। ऐसे बहुत से लोगों के उदाहरण हमें समाज में देखने को मिलते हैं जिन्होंने दस, बीस, पचास या फिर सौ से भी अधिक बार स्वेच्छा से रक्तदान किया है, किन्तु इनकी संख्या समाज में कम है। हम लोगों में रक्तदान एक संस्कार के रूप में विकसित करना होगा। प्रत्येक समय प्रत्येक ब्लड ग्रुप की आवश्यकता रहती है। ब्लड ग्रुप आठ प्रकार के होते हैं

  • ए – पॉजिटिव
  • ए – नेगिटिव
  • ए – बी – पॉजिटिव
  • ए – बी – नेगिटिव
  • बी – पॉजिटिव
  • बी – नेगिटिव
  • ओ – पॉज़िटिव
  • ओ – नेगिटिव।

पॉजिटिव ग्रुपों की अपेक्षा नेगिटिव ग्रुप संख्या में बहुत कम होने के कारण उनकी उपलब्धता भी कठिन होती है। एक स्वस्थ व्यक्ति जिस की आयु 18 वर्ष से 60 वर्ष हो वह व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। एक बार में 250 मिली लीटर से 300 मिली लीटर तक रक्त लिया जाता है। हमारे शरीर में लगभग 5 लीटर रक्त होता है। रक्तदान प्रत्येक तीन मास के बाद वर्ष में चार बार किया जा सकता है। रक्तदान में पाँच से दस मिनट लगते हैं।

बीमार तथा संक्रमित रोग से पीड़ित व्यक्ति को रक्तदान नहीं करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति ने मदिरा का सेवन किया है तो 24 घण्टे बाद ही वह रक्तदान कर सकता है। रक्तदान के लिए हमें अपने मन को दृढ़ करना होगा। सब प्रकार के दान में रक्तदान ही महादान है। इसके लिए हम सब को मन, कर्म और वचन से तैयार होना होगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार कठिन शब्दों के अर्थ

  • रक्तदान = खून का दान।
  • शिविर = कैम्प।
  • विज्ञापन = इश्तिहार।
  • स्वस्थ = तन्दरुस्त।
  • दुर्घटनाग्रस्त = हादसे का शिकार।
  • खाद्य सामग्री = खाने की वस्तु।
  • साक्षी = गवाह।
  • अनभिज्ञता = अज्ञानता।
  • विकराल रूप = भयानक रूप।
  • संदेह = शक।
  • आपातकालीन = अकस्मात् आया हुआ संकट।
  • उपलब्ध = प्राप्त होना।
  • बहुमूल्य = बहुत कीमती।
  • मानवता = इन्सानियत।
  • अकारण = बिना कारण के।
  • अल्प = थोड़ा।
  • अभिभावक = पालन – पोषण करने वाले।
  • रूढ़िवादी विचार = पुराने विचार।
  • स्वैच्छा = अपनी इच्छा।
  • मदिरा = शराब।

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. आज के आधुनिक युग ने जहाँ हमारे जीवन को अत्यन्त सुखदायी व गतिशील बना दिया है वही प्रतिदिन दुर्घटनाएँ न जाने कितनों के प्राण हर लेती हैं और कितने ही अपनी जीवन – रक्षा के लिए अस्पतालों में साँसों से संघर्ष कर रहे होते हैं। दूसरी ओर अनभिज्ञता, प्रदूषण और गिर रहे नैतिक मूल्यों के परिणामस्वरूप एक से बढ़कर एक घातक बीमारी ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। बहुत सी बीमारियाँ जिनको हमने पहले कभी सुना भी न था, आज विकराल रूप धारण कर चुकी हैं जैसे कैंसर, एड्स, डेंगू, ड्रॉप्सी, हैपेटाइटस आदि।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘रक्तदानं – एक बहुमूल्य संस्कार’ से लिया गया है, जिसके लेखक महेश कुमार शर्मा हैं। लेखक ने अपने इस लेख में बताया है कि हमें रक्तदान को एक संस्कार के रूप में लेना चाहिए। यहाँ लेखक ने आधुनिक युग के तेज़ जीवन से उभरती हुई समस्याओं का उल्लेख किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

व्याख्या – लेखक कहता है कि आज के आधुनिक एवं वैज्ञानिक युग ने व्यक्ति के जीवन को अत्यन्त आरामदायक एवं तेज़ बना दिया है। जीवन की यह गतिशीलता प्रतिदिन अनेक दुर्घटनाओं का कारण बनती है और अनेक लोगों के जीवन को समाप्त कर देती है। बहुत से दुर्घटनाग्रस्त लोग अस्पतालों में अपने प्राणों की रक्षा के लिए अपनी सांसों से पल पल लड़ रहे होते हैं।

इसके साथ आधुनिक मानव के गिरते नैतिक मूल्यों, उसकी अज्ञानता तथा बढ़ते प्रदूषण के कारण बहुत – सी खतरनाक बीमारियाँ लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं। आज वे बीमारियाँ जिनका कभी हम लोगों ने नाम भी नहीं सुना था, अपना भयानक रूप लेकर हमारे समक्ष आ खड़ी हुई हैं। ये खतरनाक बीमारियां कैंसर, एड्स, डेंग, ड्रॉप्सी तथा हैपेटाइटस के रूप में हमारे समाज में विद्यमान हैं।

विशेष –

  • लेखक ने समाज में फैली भयंकर बीमारियों की ओर संकेत किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा विचारानुकूल है।

2. हम लोगों में इतनी चेतना और ज्ञान नहीं कि समय पर किसी के लिए रक्तदान करें ताकि उस व्यक्ति की प्राण – रक्षा की जा सके। अगर हम विचार करें कि उचित समय पर हम किसी जरूरतमंद को रक्तदान नहीं करते या आपत्ति के समय रक्तदान में पहल नहीं करते तो इसमें केवल हमारा ही दोष नहीं है क्योंकि हमें अभिभावकों से रक्तदान जैसा बहुमूल्य संस्कार अल्पमात्र ही प्राप्त होता है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘रक्तदान – एक बहुमूल्य संस्कार’ से अवतरित है, जिसके लेखक महेश कुमार शर्मा हैं। लेखक ने यहाँ रक्तदान के महत्त्व को प्रतिपादित किया है।

व्याख्या – लेखक रक्तदान के विषय में बताते हुए कहता है कि हम लोग अभी इतने जागरूक एवं ज्ञानवान नहीं हुए कि हम किसी के प्राणों की रक्षा के लिए अपने रक्त का दान करें और समय पर उसके प्राणों को बचाएँ। यदि हम यह जानने का प्रयास करें कि हम किसी ऐसे व्यक्ति के लिए रक्तदान नहीं करते, जिसे हमारे रक्त की आवश्यकता है तो इसमें हमारा कोई दोष नहीं। क्योंकि रक्तदान जैसा संस्कार हमें अपने माता – पिता से बहुत कम प्राप्त हुआ है। इसके बारे में उन्होंने हमें बहुत कम ज्ञान दिया है।

विशेष –

  • लेखक ने रक्तदान के विषय में हमारे अल्प ज्ञान को उजागर किया है।
  • भाषा सरल और साधारण है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

3. यदि कोई बच्चा अपने निर्णय या किसी की प्रेरणा से किसी रक्तदान शिविर में रक्तदान कर देता है तो उसे घर जाने पर पारितोषिक या शाबाशी के स्थान पर कटुशब्द और फटकार को ही सुनना पड़ता है। अभिभावक बड़े होने का दावा तो करते हैं पर अज्ञानतावश किसी भी तर्क को सुनने को तैयार नहीं होते।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘रक्तदान एक बहुमूल्य संस्कार’ से लिया गया है, जिसके लेखक महेश कुमार शर्मा हैं। लेखक ने यहाँ रक्तदान के विषय में अभिभावकों के अल्पज्ञान को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि यदि किसी घर का कोई बालक अपनी स्वेच्छा से स्वयं रक्तदान करता है या फिर किसी के मार्गदर्शन से किसी रक्तदान शिविर में जाकर रक्तदान करता है, तो घर वाले उसे सम्मान, पुरस्कार एवं शाबाशी न देकर उसे कड़वे बोल बोलते हैं। उसे डाँटा जाता है। घर के बड़े लोग एवं अभिभावक अपने आप को घर का बड़ा तो कहते हैं लेकिन अज्ञानता के कारण किसी ओर की बात सुनने को तैयार नहीं होते।

विशेष –

  • लेखक ने अभिभावकों की रक्तदान के विषय में अज्ञानता को दर्शाया
  • भाषा सरल, सहज तथा विचारानुरूप है।

4. बस एक बार अपने मन को तैयार करने की आवश्यकता है, फिर आपका भय दूर हो जाएगा और आप खुद तो रक्तदान करेंगे ही साथ में दूसरों को भी स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित करेंगे। याद रखें, सभी दानों में सर्वोत्तम रक्तदान ही है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘रक्तदान – एक बहुमूल्य सस्कार’ से लिया गया है, जिसके लेखक महेश कुमार शर्मा हैं। यहाँ लेखक ने रक्तदान के लिए मन तैयार करने की बात कही है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि रक्तदान करने के लिए सबसे पहले हमें अपने मन को इसके लिए तैयार करना होगा। मन तैयार होने के बाद हमारा डर अपने आप दूर हो जाएगा। तब हम स्वयं तो अपने रक्त का दान करेंगे साथ ही साथ दूसरो को भी स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए प्रेरित करेंगे। हमें इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि रक्तदान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि यह दूसरे को नवजीवन देता है।।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

विशेष –

  • लेखक ने रक्तदान को सर्वोत्तम दान कहा है।
  • भाषा सरल तथा साधारण है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है Textbook Questions and Answers

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) सुमति कौन था?
उत्तर :
सुमति राजा शूरसेन का मन्त्री था।

(ख) सुमति किस बात पर विश्वास करता था?
उत्तर :
सुमति आस्तिक था। वह परमात्मा के बारे में यह सोचता था – परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।

(ग) राजा शूरसेन शिकार खेलने कहाँ गया?
उत्तर :
राजा शूरसेन शिकार खेलने के लिए घोड़े पर सवार होकर मन्त्री और बहुत से सेवकों के साथ जंगल में गया था।

(घ) राजा ने मंत्री से बदला लेने का क्या उपाय सोचा?
उत्तर :
राजा शूरसेन ने मन्त्री से बदला लेने के लिए प्यास का बहाना बनाकर मन्त्री को कुएँ से जल लाने की आज्ञा दी और जैसे ही मन्त्री जल निकालने के लिए नीचे झुका तो राजा ने उसे कुएँ में गिरा दिया।

(ङ) राजा ने अपने घोड़े का कहाँ बाँधा?
उत्तर :
राजा शूरसेन ने अपने घोड़े को वृक्ष से बाँध दिया था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

(च) घोड़े को वृक्ष के साथ बँधा देखकर सैनिकों ने क्या सोचा?
उत्तर :
घोड़े को वृक्ष के साथ बँधा देखकर सैनिकों ने सोचा कि यहां निकट ही उसका मालिक अवश्य होगा।

(छ) सैनिक राजा शूरसेन को क्यों पकड़ना चाहते थे?
उत्तर :
सैनिक राजा शूरसेन को इसलिए पकड़ना चाहते थे ताकि वे उसकी बलि चढ़ा सकें।

(ज) राजा के प्राण कैसे बचे?
उत्तर :
जब राजा की बलि दी जाने लगी तो दूसरे राजा की दृष्टि उसकी कटी अंगुली पर पड़ी। उसने कहा कि अंगहीन मनुष्य की बलि नहीं दी जा सकती। इसलिए इसे छोड़ दिया जाए। इस प्रकार राजा की जान बच गई।

(झ) राजा ने मंत्री को कुँए से कब निकाला?
उत्तर :
जब राजा बलि न दिए जाने से बच कर राजधानी लौट रहा था, तब एकाएक उसके विचारों में परिवर्तन आया और उसने मन्त्री को कुएँ से निकाल लिया।

(ञ) राजा ने किससे क्षमा माँगी और क्यों?
उत्तर :
उंगली कटी होने के कारण राजा जब बलि होने से बच गया तो उसे एहसास हुआ कि मन्त्री ठीक कहता था कि परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है। अब उसे मन्त्री से किए व्यवहार पर पछतावा था अतः राजा ने मन्त्री से क्षमा माँगी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) राजा अपने जीवन से निराश क्यों हो गया था?
उत्तर :
राजा शूरसेन एक प्रतापी राजा था। एक बार राजा की उंगली में एक फोड़ा निकल आया। इस फोड़े का दर्द असहनीय था। राजा ने पीड़ा से आहत होकर मन्त्री को बुलवाया। मन्त्री ने दर्द से तड़पते हुए राजा को देखकर कहा कि राजन ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है। मन्त्री के ये शब्द सुनकर राजा सोचने लगा कि यह मन्त्री कितना पत्थर – दिल है। इसके हृदय में किसी के प्रति सहानुभूति नहीं है। कुछ दिनों के बाद राजा की उंगली गल गई। उस समय राजा अपनी दयनीय स्थिति को देखकर निराश हो गया।

(ख) कुँए के पास से गुजरते हुए राजा ने क्या सोचा?
उत्तर :
राजा शूरसेन को रह – रहकर मन्त्री की वह बात कचौट रही थी जो उसने पीड़ा से तड़प रहे राजा को कही थी कि – ‘परमात्मा जो करता है, अच्छे के लिए करता है। अब राजा मन्त्री से उस बात का बदला लेना चाहता था। इसलिए राजा ने जंगल में कुएँ के पास से निकलते हुए एक योजना सोची कि वह प्यास का बहाना बनाकर, मन्त्री को कुएँ से पानी निकालने को कहेगा। जब मन्त्री पानी निकालने के लिए नीचे झुकेगा तब वह उसे कुएँ में धकेल देगा।

(ग) राजा की बलि क्यों नहीं दी जा सकती थी?
उत्तर :
जब राजा शूरसेन की बलि दी जाने लगी तो दूसरे राजा की दृष्टि उसकी कटी हुई उंगली पर पड़ी तो राजा हैरान होकर चिल्ला उठा – ‘अरे पापियो! यह क्या कर डाला ? तुम नहीं जानते कि अंगहीन मनुष्य की बलि नहीं दी जाती। तो हटाइए इसे यहाँ से।’ इस प्रकार राजा की जान बच गई और उसकी बलि नहीं दी जा सकी।

(घ) ‘मुझ भले-अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना संभव न होता’ मंत्री के इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘मुझ भले अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना सम्भव न होता’ मन्त्री के इस कथन का अभिप्राय यह है कि यदि राजा के सैनिक उसे पकड़ लेते तो राजा शूरसेन अंगहीन होने के कारण बच जाते लेकिन मन्त्री पूर्णतः स्वस्थ था। अतः वे लोग उसकी बलि चढ़ा देते तब अच्छे भले मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना सम्भव न होता। इसलिए यह मानना ग़लत न होगा कि ईश्वर ने सब कुछ मनुष्य की भलाई के लिए ही किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

(ङ) इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य के जीवन में जो कुछ भी अच्छा – बुरा होता है, उससे दुःखी एवं निराश नहीं होना चाहिए। इसमें भी कहीं न कहीं अच्छाई छिपी रहती है। ईश्वर सदैव सही करता है। उसकी दृष्टि में सभी मनुष्य एक समान हैं। उसके द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य उद्देश्य पूर्ण होता है। सृष्टि की कोई वस्तु निरर्थक नहीं अत: परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।

5. कहानी में घटी घटनाओं के क्रम बॉक्स में अंकों में लिखो :

[ ] बार-बार अपना दोष स्वीकार करते हुए राजा ने मंत्री से क्षमा माँगी।
[ ] राजा की उँगली पर फोड़ा निकल आया।
[ 1. ] राजा मंत्री और बहुत-से सेवकों को साथ लेकर जंगल की ओर निकल पड़ा।
[ ] मंत्री ने दर्द से बेहाल राजा को कहा कि परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।
[ ] राजा ने मंत्री को कुँए से बाहर निकाला।
[ ] दूसरे राजा के सैनिकों ने राजा को पकड़ लिया और अपने स्वामी की सेवा में हाज़िर कर दिया।
[ ] राजा ने अपने मंत्री को कुँए में धक्का दे दिया।
[ ] दूसरे राजा ने अंगहीन होने के कारण राजा की बलि देने से इंकार कर दिया।
[ ] राजा को जंगल से बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था।
[ ] राजा शूरसेन अपने प्राणों की खैर मनाता हुआ वहाँ से तत्काल निकल भागा।
उत्तर :
[ 1 ] राजा की उंगली पर फोड़ा निकल आया।
[ 2 ] मन्त्री ने दर्द से बेहाल राजा को कहा कि परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।
[ 3 ] राजा मन्त्री और बहुत – से सेवकों को साथ लेकर जंगल की ओर निकल पड़ा।
[ 4 ] राजा ने अपने मन्त्री को कुएँ में धक्का दे दिया।
[ 5 ] राजा को जंगल से बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था।
[ 6 ] दूसरे राजा के सैनिकों ने राजा को पकड़ लिया और अपने स्वामी की सेवा में हाजिर कर दिया।
[ 7 ] दूसरे राजा ने अंगहीन होने के कारण राजा की बलि देने से इन्कार कर दिया।
[ 8 ] राजा शूरसेन अपने प्राणों की खैर मनाता हुआ वहाँ से तत्काल निकल भागा।
[ 9 ] राजा ने मन्त्री को कुएँ से बाहर निकाला।
[ 10 ] बार – बार अपना दोष स्वीकार करते हुए राजा ने मन्त्री से क्षमा माँगी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

6. किसने कहा, किससे कहा?
किसने कहा? – किससे कहा?
(क) अरे पापियो! यह क्या कर डाला?
तुम नहीं जानते कि अंगहीन मनुष्य की
बलि नहीं दी जाती।
(ख) परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।
(ग) हे धर्मात्मा बंधुवर ! क्या तुम अब भी जिंदा हो?
(घ) मेरा कुँए में गिरना भी एक शुभ लक्षण था।
उत्तर :
किसने कहा? – किससे कहा?
(क) बलि देने वाले राजा ने – अपने सैनिकों से कहा।
(ख) सुमति मन्त्री ने – राजा शूरसेन से कहा।
(ग) राजा शूरसेन ने – सुमति मन्त्री से कहा।
(घ) मन्त्री सुमति ने – राजा शूरसेन से कहा।

7. इन शब्दों और मुहावरों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. पत्थर दिल _____________________
  2. रोगहीन _____________________
  3. थका-हारा _____________________
  4. नेकदिल _____________________
  5. शुभ लक्षण _____________________
  6. मौत के घाट उतारना _____________________
  7. संकल्प पूरा करना _____________________
  8. प्राणों की खैर मनाना _____________________
  9. मृत्यु-तुल्य जीवन बिताना _____________________
  10. जल भुनना _____________________

उत्तर :

  1. पत्थर दिल = कठोर हृदय वाला।
    वाक्य – राजा शूरसेन सुमति मन्त्री को प्रारम्भ में पत्थर दिल समझ रहा था।
  2. रोगहीन = जिसे कोई बीमारी न हो।
    वाक्य – रोगहीन व्यक्ति रोगी व्यक्ति की अपेक्षा अधिक दिन जीवित रह सकता है।
  3. थका – हारा = बहुत थका हुआ।
    वाक्य – दिन – भर की मेहनत से थका – हारा किसान खेत में सो गया।
  4. नेकदिल = दयावान, अच्छे हृदय वाला।
    वाक्य – महात्मा जी बहुत नेकदिल थे।
  5. शुभ लक्षण = अच्छा संकेत।
    वाक्य – तुम्हारे बेटे के शुभ लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
  6. मौत के घाट उतारना = मार देना।
    वाक्य – गुरु जी ने दोनों पठानों को मौत के घाट उतार दिया।
  7. संकल्प पूरा करना = इच्छा पूरी करना।
    वाक्य – रावण को मारकर श्री राम ने अपना संकल्प पूरा किया।
  8. प्राणों की खैर मनाना = अपनी जान का बचाव करना।
    वाक्य – भारतीय सेना ने हथियार संभालते हुए दुश्मन को ललकारा कि अब तुम अपने प्राणों की खैर मनाओ।
  9. मृत्यु तुल्य जीवन बताना = दुःखों और अभावों में जीवन जीना।
    वाक्य – रमेश गम्भीर बीमारी से ग्रस्त होने के कारण मृत्यु तुल्य जीवन बिता रहा था।
  10. जल भुनना = ईर्ष्या करना।
    वाक्य – राकेश की नई कार को देखकर मुकेश जल भुन गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

8. इन शब्दों के विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें :

  1. जीवित = मृत
  2. भलाई = ………………………….
  3. अस्त = ………………………….
  4. प्रात:काल = ………………………….
  5. कृतघ्न = ………………………….
  6. शुभ = ………………………….
  7. रोगहीन = ………………………….
  8. दोष = ………………………….
  9. स्वामी = ………………………….
  10. इच्छा = ………………………….

उत्तर :

  1. जीवित = मृत
  2. भलाई = बुराई
  3. अस्त = उदय
  4. प्रात:काल = सायंकाल
  5. शुभ = अशुभ
  6. कृतघ्न = कृतज्ञ
  7. रोगहीन = रोगग्रस्त
  8. दोष = गुण
  9. स्वामी = सेवक, दास
  10. इच्छा = अनिच्छा

9. इन शब्दों के दो-दो समानार्थक शब्द लिखें :

  1. राजा = नृप, भूपति
  2. परमात्मा = ………………………….
  3. घोड़ा = ………………………….
  4. सेवक = ………………………….
  5. रात = ………………………….
  6. जंगल = ………………………….
  7. वृक्ष = ………………………….
  8. तलवार = ………………………….

उत्तर :

  1. राजा = नृप, भूपति, भूप, नरेश
  2. परमात्मा = ईश्वर, भगवान, प्रभु, ईश
  3. घोड़ा = अश्व, तुरंग, घोटक, सैंधव
  4. सेवक = दास, नौकर, अनुचर, परिचारक
  5. रात = निशा, रात्रि, रजनी, यामिनी
  6. जंगल = वन, कानन, अरण्य, अटवी
  7. वृक्ष = पेड़, पादप, विटप, तरू तलवार
  8. तलवार = खड्ग, कृपाण, असि, करवाल

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

10. नये शब्द बनायें :

  1. धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
  2. भला + आई = भलाई
  3. परम + आत्मा = ………………………….
  4. अच्छा + आई = ………………………….

उत्तर :

  1. धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
  2. परम + आत्मा = परमात्मा
  3. भला + आई = भलाई
  4. अच्छा + आई = अच्छाई

11. इन शब्दों के शुद्ध रूप लिखें :

  1. कृतघन = ………………………….
  2. चूमुण्डा = ………………………….
  3. पतथर = ………………………….
  4. डावाडोल = ………………………….
  5. कुआ = ………………………….
  6. सैनीक = ………………………….

उत्तर :

  1. कृतघन = कृतघ्न
  2. चूमुण्डा = चामुण्डा/चामुंडा
  3. पतथर = पत्थर
  4. डावाडोल = डांवाडोल
  5. कुआ = कुआँ
  6. सैनीक = सैनिक

प्रयोगात्मक व्याकरण

1. (क) (i) जल्लाद ने तलवार उठायी।
(ii) सैनिकों ने राजा को पकड़ लिया।

पहले वाक्य में जल्लाद ने क्या उठायी? उत्तर-तलवार’। तलवार’ कर्म है। इसलिए यह सकर्मक क्रिया है। इसी तरह दूसरे वाक्य में सैनिकों ने किसे पकड़ लिया? उत्तर-राजा को। ‘राजा को’ कर्म है। इसलिए यह भी सकर्मक क्रिया है।

अतएव जिस क्रिया में कर्म होता है, वह सकर्मक क्रिया कहलाती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

(ख) (i) राजा चिल्ला रहा था।
(ii) सैनिक चल पड़े।

उपर्युक्त वाक्यों में केवल कर्ता (राजा, सैनिक) तथा क्रिया (चिल्ला रहा था, चल पड़े) का, प्रयोग किया गया है। यहाँ कर्म नहीं है। इसलिए यहाँ अकर्मक क्रिया है।

अतएव जिन क्रियाओं में कर्म नहीं होता, वह अकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं।

सकर्मक एवं अकर्मक क्रिया की पहचान सकर्मक तथा अकर्मक क्रिया की पहचान करने के लिए वाक्य में आई क्रिया पर ‘क्या’, ‘किसे’ या ‘किसको’ लगाकर प्रश्न किया जाये। यदि उत्तर में कोई व्यक्ति या वस्तु आए, तो क्रिया सकर्मक होगी अन्यथा क्रिया अकर्मक होगी। जैसे : –

जल्लाद ने क्या उठायी? उत्तर मिलता है- ‘तलवार’। इसी तरह सैनिकों ने किसे पकड़ लिया? उत्तर मिलता है- राजा को। अतएव ये सकर्मक क्रियाएँ हैं किंतु ‘ख’ भाग के दोनों वाक्यों में प्रश्न करें तो उत्तर नहीं मिलता। जैसे

राजा क्या चिल्ला रहा था? तथा सैनिक क्या चल पड़े? यहाँ प्रश्न ही अटपटा लगता है। यहाँ ‘चिल्ला रहा था’ तथा ‘चल पड़े’ क्रियाएँ कर्म की अपेक्षा नहीं रखतीं, अतः ये अकर्मक क्रियाएँ हैं।

2. (क) सेवक चला गया।
(ख) सेविका चली गयी।

उपर्युक्त पहले वाक्य में ‘क’ उदाहरण में क्रिया का कर्ता पुल्लिग (सेवक) है, अतः क्रिया भी पुल्लिग (चला गया) है जबकि दूसरे वाक्य में ‘ख’ उदाहरण में क्रिया का कर्ता स्त्रीलिंग (सेविका) है अतः क्रिया भी स्त्रीलिंग (चली गयी) है।

अत: लिंग में परिवर्तन के कारण क्रिया में भी परिवर्तन हुआ।

इस प्रकार- संज्ञा शब्दों की तरह क्रिया शब्दों के भी दो लिंग होते हैं।
1. पुल्लिग
2. स्त्रीलिंग।

3. (क ) राजा जंगल की ओर निकल पड़ा।
(ख) वे (राजा और मंत्री) जंगल की ओर निकल पड़े।

उपर्युक्त पहले वाक्य में ‘क’ उदाहरण में कर्ता (राजा) एक वचन है, अत: क्रिया भी एक वचन (निकल पड़ा) प्रयुक्त हुई है तथा दूसरे वाक्य में कर्ता वे’ बहुवचन है, अतः क्रिया भी बहुवचन (निकल पड़े) प्रयुक्त हुई है।

अत: वचन बदलने पर क्रिया का रूप भी बदल जाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

इस प्रकार क्रिया शब्दों के दो वचन होते हैं।
1. एकवचन
2. बहुवचन।

  • परमात्मा पर विश्वास रखते हुए सभी काम ईमानदारी से करो।
  • किसी को धोखा नदो।
  • किसी का बुरा मत करो।

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है Summary in Hindi

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है पाठ का सार

किसी देश में शूरसेन नाम का एक राजा था। सुमति नाम का उसका मन्त्री था, जो ईश्वर में अटूट विश्वास रखता था। एक बार राजा की अंगुली पर फोड़ा निकल आया। बेचैन राजा ने मन्त्री को बुलाया। मन्त्री ने राजा को देखकर कहा,”परमात्मा जो करता है, अच्छा ही, करता है।”

राजा ने सोचा यह कैसा मन्त्री है, जिसे मुझ पर दया नहीं आती। रोग के बढ़ जाने से राजा की अंगुली गल गई। मन्त्री ने देखकर फिर कहा कि “परमात्मा जो करता है, वह अच्छा ही करता है।” इस पर राजा के दिल में बहुत क्रोध आया। उसने निश्चय कर लिया कि स्वस्थ होने पर वह उसे मौत के घाट उतार देगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 5

कुछ दिन बाद राजा स्वस्थ हो गया। वह मन्त्री और सैनिकों को लेकर शिकार के लिए निकला। जंगल में उसने प्यास का बहाना बनाकर मन्त्री को कुएँ से पानी लाने को कहा। मन्त्री जैसे ही पानी निकालने लगा, राजा ने उसे कएँ में धकेल दिया। मन्त्री ने कएँ में गिरते हुए भी यही वाक्य दोहराया कि “परमात्मा जो करता है, वह अच्छा ही करता है।”

रात हो जाने के कारण राजा रास्ता भूल गया। वह घोड़े को पेड़ से बाँधकर खुद पेड़ पर जा छिपा। तभी किसी दूसरे राजा के सैनिकों का दल वहाँ आ पहुँचा। वह किसी मनुष्य की खोज में था, जिसे उनका राजा चामुण्डा देवी को बलि चढ़ाकर अपना संकल्प पूरा कर सके। वे राजा को बांध कर अपने देश की ओर चल पड़े। राजधानी पहुँच कर उन्होंने उसे अपने राजा के सामने पेश कर दिया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

चामुण्डा देवी को मनुष्य की बलि चढ़ाने का अवसर आ गया। जैसे ही उसकी बलि दी जाने लगी राजा ने उसकी कटी अंगुली देखकर जल्लादों को बलि चढाने से रोक दिया। उसने कहा कि अंगहीन की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती। अत: इसे छोड़ दो।

राजा शूरसेन तत्काल वहाँ से निकल भागा। अब उसके विचारों ने पलटा खाया। उसे भी अब विश्वास हो गया था कि “परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।” वह कुएँ के पास गया और अपने मन्त्री को कुएँ से बाहर निकाला और उससे क्षमा माँगी। राजा और मन्त्री दोनों प्रसन्नतापूर्वक अपनी राजधानी लौटे।

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है कठिन शब्दों के अर्थ

  • संतान = औलाद।
  • प्रजा = जनता, लोग।
  • अटूट विश्वास = गहरा यकीन, न टूटने वाला यकीन।
  • संयोग = मेल, इत्तफाक।
  • पीड़ा = कष्ट।
  • दया = रहम।
  • क्रोध = गुस्सा।
  • कृतघ्न = किए हुए उपकार को न मानने वाला।
  • स्वस्थ = तन्दुरुस्त।
  • रोगहीन = नीरोग।
  • प्रबन्ध = इन्तजाम।
  • सेवकों = नौकरों।
  • आदेश = आज्ञा।
  • अस्त होना = छिप जाना।
  • भयानक = डरावने।
  • प्रातः काल = सुबह।
  • बलि = कुर्बानी।
  • संकल्प = निश्चय।
  • सैनिक = सिपाही, फौजी।
  • विजय = जीत।
  • स्वामी = मालिक।
  • अंगहीन = जिसका कोई अंग न हो।
  • तत्काल = उसी समय।
  • हत्या = मारना।
  • अपराध = जुर्म, पाप।
  • धर्मात्मा = धार्मिक विचारों वाला, धार्मिक।
  • बन्धुवर = भाई।
  • मृत्यु – तुल्य = मौत के समान।
  • स्वीकार = मन्जूर, मान्य।
  • प्रसन्नतापूर्वक = खुशी से।।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. राजा घोड़े पर सवार होकर मंत्री और बहुत से सेवकों को साथ लेकर जंगल – की ओर निकल पड़ा। जब वह घने जंगल में पहुँच गया तो उसने सेवकों को वहीं ठहर , जाने का आदेश दिया और मंत्री को साथ लेकर भयानक जंगल के बीचों – बीच चल पड़ा।घूमते – घूमते जब वे एक कुएँ के पास से गुज़रे, राजा अपने मन में विचार करने लगा – – – – इससे अच्छा मौका कहाँ मिलेगा? प्यास का बहाना बनाकर इसे कुएँ से जल लाने की आज्ञा देता हूँ और ज्योंही यह जल निकालने के लिए नीचे की ओर झुकेगा, मैं इसे कुँए में गिरा दूंगा।

राजा ने जैसा सोचा था वैसा ही कर दिखाया। मंत्री ने गिरते – गिरते भी वही पुराने शब्द दोहराए ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।’

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठय पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखिका ने राजा के मन में छिपी बदले की भावना को उजागर करने का प्रयास किया है।

व्याख्या – लेखिका का कहना है कि अपनी शिकार खेलने की इच्छा को पूर्ण करने के लिए राजा शूरसेन घोड़े पर सवार होकर बहुत से नौकरों और मंत्री सुमति के साथ जंगल की ओर चल पड़ा। जंगल के बीचों – बीच पहुँच कर राजा ने सेवकों को वहीं रुक जाने का आदेश दिया। तत्पश्चात् राजा सुमति मंत्री को अपने साथ लेकर घने जंगल के बीचों – बीच चल पड़ा। जंगल में घूमते हुए राजा को एक कुँआ दिखाई दिया।

जिसे देखकर उसके मन में एक विचार आया कि यही सही अवसर है कि वह मंत्री सुमति से अपना बदला ले ले। इसके लिए राजा ने अपने मन में एक विचार बनाया कि वह मंत्री को कुएँ से पाने लाने को कहेगा, जब मंत्री पानी निकालने के लिए कुएँ में झुकेगा तब वह उसे कुएँ में धक्का दे देगा।

जब मौका मिला तब राजा ने अपनी योजनानुसार मंत्री सुमति को कुएँ में धकेल दिया। कुएँ में गिरते हुए भी मंत्री सुमति ने ईश्वर में अपनी पूर्ण आस्था और विश्वास को प्रकट करते हुए अपने वही पुराने शब्द कहे जो वो हमेशा कहता था कि ‘परमात्मा जो करता है, अच्छे के लिए ही करता है।’

विशेष –

  • लेखिका ने ईश्वर के प्रति अपनी आस्था प्रकट की है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

2. अब रात काफी घनी हो चुकी थी। इतने में किसी दूसरे राजा के सैनिकों का एक बहुत बड़ा दल उस भयानक जंगल में घुस आया। घोड़े को वृक्ष के साथ बँधा देखकर उनको विश्वास हो गया कि इसका सवार भी अवश्य ही आस – पास छिपा बैठा होगा। वे लोग मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे कि यदि कोई मनुष्य उनके हाथ लग जाएगा तो वे उसे प्रातःकाल राजा के पास ले जायेंगे। राजा चामुण्डा देवी को उसकी बलि चढ़ा कर अपना संकल्प पूरा कर लेगा और उनके कर्तव्य का पालन भी हो जाएगा।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ शीर्षक से लिया गया है। लेखिका ने जंगल में एक अन्य राजा के सिपाहियों के आने का वर्णन किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि जंगल में रात काफी अंधकारमय हो चुकी थी। तभी अचानक जंगल में किसी अन्य राजा के सिपाहियों का एक बहुत बड़ा झुंड जंगल में आ गया। वे सिपाही राजा शूरसेन के घोड़े को पेड़ से बँधा देखकर बहुत खुश हुए। उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया था कि इस घोड़े का सवार भी यहीं कहीं छुपा होगा। इन बातों को सोचकर राजा के सिपाही अपने मन में खुश हो रहे थे। वे सोच रहे थे कि यदि उन्हें इसका सवार मिल गया तो वे उसे पकड़ कर सुबह – सवेरे अपने राजा के पास ले जाएँगे। जहाँ उनका राजा चामुण्डा देवी के समक्ष उसकी बलि चढ़ा कर अपने संकल्प को पूरा करेगा। साथ ही साथ राजा के प्रति उनके कर्त्तव्य का भी पालन स्वतः हो जाएगा।

विशेष –

  • लेखिका ने पुरानी कुप्रथा मानव – बलि की ओर संकेत किया है।
  • भाषा – शैली प्रवाहमयी है।

3. अब बलि देने की तैयारियां शुरू हो गईं। अभी जल्लाद ने तलवार उठाई ही थी कि राजा की नज़र बलि – जीव के कटे हुए अंग पर जा टिकी। राजा हैरान होकर चिल्ला उठा – – – ‘अरे पापियो! यह क्या कर डाला? तुम नहीं जानते कि अंगहीन मनुष्य की बलि नहीं दी जाती। तो हटाइए इसे यहाँ से।’ फिर क्या था। राजा शूरसेन अपने प्राणों की खैर मनाता हुआ वहाँ से तत्काल निकल भागा।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ से अवतरित है। लेखिका ने बलि की कुप्रथा का यथार्थ चित्रण किया
है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि राजा शूरसेन को पकड़ने के बाद उसकी बलि देने की सभी तैयारियाँ पूर्ण हो चुकी थीं। बलि देने के लिए जल्लाद ने अभी अपनी तलवार ऊपर उठाई ही थी कि तभी बलि देने वाले राजा की दृष्टि शूरसेन की कटी हुई उंगली पर जा पड़ी, जिसे देखकर राजा आश्चर्य से चिल्ला उठा कि पापियो! तुम सबने यह क्या अनर्थ कर दिया। तुम्हें इस बात का ज्ञान नहीं कि किसी ऐसे व्यक्ति की बलि नहीं दी जा सकती जिसके शरीर का कोई अंग भंग हो या कटा हुआ हो। इसलिए इस अंगहीन व्यक्ति को बलि की वेदी से तुरन्त हटा दो। राजा के आदेश के तुरंत बाद राजा शूरसेन अपनी जान की खैर मनाता हुआ वहाँ से उसी समय भाग निकला।

विशेष –

  • लेखिका ने बलि – प्रथा की उस बात का उल्लेख किया है जहाँ अंगहीन व्यक्ति की बलि नहीं दी जाती।
  • भाषा सरल, सरस है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

4. राजधानी लौटते हए मार्ग में राजा के विचारों ने पलटा खाया। सोचने लगा कि मन्त्री के इस विश्वास को कि परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है, मैंने भली भांति परख लिया है। अंगहीन होने के कारण ही मेरी जान बची है। अब मैं शीघ्र ही अपने नेकदिल मन्त्री के पास जाता है। नाहक उसकी हत्या करके मैंने घोर अपराध किया है। क्या वह अब भी जीवित है? चलकर देखता हूँ।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ से लिया गया है। लेखिका ने यहाँ राजा शूरसेन के मन में आए परिवर्तन का उल्लेख किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि बलि का शिकार होने से बच जाने के बाद जब राजा शूरसेन अपनी राजधानी लौट रहे थे, तभी अचानक उनके विचारों में परिवर्तन आया और वे सोचने लगे कि ‘परमात्मा जो करता है वह अच्छा ही करता है। उसने अपने आस्तिक मंत्री को आज भली प्रकार से जान और समझ लिया है। उँगली कटी होने के कारण ही आज मेरा जीवन बच सका है। अब जल्दी उस साफ दिल मन्त्री सुमति के पास जाता हूँ, जिसकी हत्या करने का घोर अपराध मैंने किया है। राजा के मन में बार – बार विचार आ रहा था कि क्या मन्त्री सुमति अभी जिन्दा होगा। उसे चलकर देखना चाहिए।

विशेष –

  • लेखिका ने राजा शूरसेन के मन में ईश्वर के प्रति उत्पन्न हुए आस्था के भाव और पश्चाताप को उजागर किया है।
  • भाषा सरल, सहज और सरस है।

5. राजा ने मन्त्री को कुएँ से बाहर निकाला। बार – बार अपना दोष स्वीकार करते हुए उससे क्षमा माँगी। मन्त्री ने कहा, महाराज ! परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है। मेरा कुएँ में गिरना भी एक शुभ लक्षण था। अंगहीन होने के कारण आप तो बच जाते परन्तु मुझ भले – अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना सम्भव न होता। इसलिए मानना पड़ता है कि यह सब कुछ परमात्मा ने भलाई के लिए ही किया है।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ से लिया गया है। लेखिका ने यहाँ राजा के मन में आए पश्चाताप और ईश्वर के प्रति विश्वास को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि मन में पश्चाताप लिए राजा शूरसेन ने मन्त्री सुमति को कुएँ से बाहर निकाला। वह बार – बार सुमति से अपने अपराध की क्षमा याचना कर रहे थे। राजा द्वारा क्षमा याचना करने पर मन्त्री सुमति ने कहा महाराज! ईश्वर जो भी कार्य करता है, वह अच्छा ही होता है। आपके द्वारा मुझे कुएँ में गिराना अच्छा संकेत था। अन्यथा आप तो अंगहीन होने के कारण बंच जाते और वे लोग इस अच्छे खासे व्यक्ति को बलि पर चढ़ा देते। तब इस मन्त्री के लिए बच पाना असम्भव था। अत: मानना पड़ता है, ईश्वर जो भी करता है। वह भलाई के लिए है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

विशेष –

  • लेखिका ने बताया है कि प्रत्येक कार्य मानव की भलाई के लिए ही होता है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB राष्ट्र के गौरव प्रतीक Textbook Questions and Answers

राष्ट्र के गौरव प्रतीक अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिन्दी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) राष्ट्रीय प्रतीक किसे कहते हैं?
उत्तर :
प्रत्येक राष्ट्र अपने आत्म सम्मान, एकता, गौरव एवं स्वाभिमान के लिए जो प्रतीक निश्चित करता है उसे राष्ट्रीय प्रतीक कहते हैं।

(ख) हमारे देश के झंडे को क्या कहते हैं?
उत्तर :
हमारा देश भारत है और इसके झंडे को तिरंगा कहते हैं।

(ग) राष्ट्रीय गान के रचयिता का नाम लिखें।
उत्तर :
राष्ट्रीय गान के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर हैं।

(घ) राष्ट्रीय गीत कौन-सा है?
उत्तर :
हमारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् है।

(ङ) राष्ट्रीय चिह्न कौन-सा है?
उत्तर :
हमारा राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ है, जिसके शीर्ष पर चार सिंह बने हैं जो कि शक्ति, साहस एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं।

(च) राष्ट्रीय फल आम किस लिए मशहूर है?
उत्तर :
राष्ट्रीय फल आम अपने स्वाद एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

(छ) गंगा नदी की क्या विशेषता है?
उत्तर :
गंगा नदी भारत की एक पवित्र नदी है। हिंदुओं की आस्था इससे जुड़ी हुई है। इस नदी में स्नान करना हिंदू अपने लिए बहुत बड़ा पुण्य समझते हैं।

(ज) भारत सरकार ने किस पशु और पक्षी के शिकार पर रोक लगायी हुई है? और क्यों?
उत्तर :
भारत सरकार ने राष्ट्रीय पशु बाघ और राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार पर रोक लगाई हुई है क्योंकि इनकी संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। इसे न रोका गया तो कहीं ये जातियाँ लुप्त न हो जाएँ।

(झ) हॉकी को राष्ट्रीय खेल के रूप में क्यों स्वीकार किया गया है?
उत्तर :
हॉकी के खेल में खिलाड़ियों ने सन् 1928 से लेकर सन् 1956 तक भारत को छः ओलम्पिक स्वर्ण पदक दिलवाए। इस बीच उन्होंने इस बीच उन्होंने चौबीस मैच खेले और सभी के सभी जीते, इसलिए हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल निश्चय किया गया।

(ञ) बरगद का वृक्ष हमें क्या संदेश देता है?
उत्तर :
बरगद का पेड़ हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का संदेश देता है।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

(क) राष्ट्रीय झंडे के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर :
हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में सबसे ऊपर भगवा रंग, फिर सफेद रंग तथा सबसे नीचे हरे रंग की पटियाँ हैं। सफेद पट्टी के बीच में सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ पर अंकित चक्र को स्थान दिया गया है। भगवा रंग त्याग और साहस का, सफेद रंग शांति और सत्य का तथा हरा रंग हरी-भरी फ़सलों और खुशहाली का प्रतीक है। सफेद पट्टी के बीच में अंकित चक्र हमारी गतिशीलता तथा प्रगति के पथ पर निरंतर बढ़ने के संकल्प का प्रतीक है। ध्वज की लंबाई और चौड़ाई में 3 और 2 का अनुपात होता है। स्वाधीनता के बाद झण्डे में चरखे के बाद चक्र लिया गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

(ख) राष्ट्रीय चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ पर होता है? पता करके लिखें।
उत्तर :
भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ है। यह भारत सरकार के अधिकारिक लेटरहेड का भाग है। यह राष्ट्रपति और राज्यपालों की सरकारी मोहर है। यह सभी भारतीय मुद्राओं पर अंकित होता है। यह भारत गणराज्य के राजनयिक, पासपोर्ट, पहचान पत्र आदि पर भी छपा होता है। देश की रक्षा करने वाले वीर जवान और पुलिस वाले इसे अपनी टोपी पर लगाते हैं। यह राष्ट्रीय चिह्न स्वतंत्र भारत की पहचान तथा सम्प्रभुता का प्रतीक है।

5. नये शब्द बनायें:

  1. राष्ट्र + ईय = …………………….
  2. भारत + ईय = …………………….
  3. मानव + ईय = …………………….
  4. सम्पादक + ईय = …………………….
  5. सराहना + ईय = …………………….
  6. देश + ईय = …………………….

उत्तर :

  1. राष्ट्रीय
  2. भारतीय
  3. मानवीय
  4. सम्पादकीय
  5. सराहनीय
  6. देशीय।

6. पाठ में आये सभी चिन/प्रतीकों के चित्र इकट्ठे करें और उन्हें अपनी कॉपी पर चिपका कर प्रत्येक चिह्न पर पाँच-पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
पाठ में आए सभी चिह्नों का परिचय निम्न प्रकार से है –

राष्ट्र ध्वज-

  • भारत के राष्ट्र ध्वज में तीन रंग हैं, इस लिए इसे तिरंगा कहा जाता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 5
  • इसे सभी पर्यों और विशेष अवसरों पर फहराया जाता है।
  • राष्ट्र ध्वज की लंबाई चौड़ाई 3 अनुपात 2 है।
  • सफेद पट्टी में बना नीला चक्र अशोक स्तम्भ से लिया गया है।
  • राष्ट्र ध्वज के तीनों रंग ध्वज में समान अनुपात में हैं।

राष्ट्रगान-

  1. राष्ट्रगान के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर हैं।
  2. राष्ट्रगान की रचना 27 दिसम्बर, सन् 1911 में हुई थी।
  3. राष्ट्रगान को 24 जनवरी, सन् 1950 में स्वीकार कर लिया गया।
  4. राष्ट्रगान को गाते समय सावधान की दशा में खड़ा होना होता है।
  5. राष्ट्रगान गाने का अधिकतम समय 52 सैकण्ड है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्रगान :

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता।
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग,
विंध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा
उच्छल-जलधि-तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे॥ – रवीन्द्रनाथ टैगोर

राष्ट्रगीत-

  • ‘वन्दे मातरम्’ हामारा राष्ट्रीय गीत है।
  • सन् 1886 में इसे पहली बार गाया गया था।
  • इसके रचनाकार बंकिमचन्द्र चटर्जी हैं।
  • ‘वंदे मातरम्’ गीत की रचना सन् 1875 में हुई थी।
  • इस गीत की पहली सात पंक्तियों को ही राष्ट्रीय के रूप में स्वीकार किया गया है।

राष्ट्रगीत :

वन्दे मातरम् !
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज-शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम् !
शुभ्रज्योत्सना, पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्
सुखदाम्, वरदाम्, मातरम् ! – बंकिमचन्द्र चटर्जी

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्रीय चिह्न-

  • आशोक स्तम्भ हमारा राष्ट्रीय चिह्न है।
  • यह सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए 70 फुट ऊँचे सिंह स्तम्भ के ऊपरी भाग का नमूना है।
  • सामने से इसके तीन सिंह दिखाई देते हैं चौथा सिंह पीछे ओर में छिपा है।
  • इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है।
  • यह भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का भाग है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 6

राष्ट्रीय मुद्रा-

  • ‘१’ हमारी राष्ट्रीय मुद्रा है।
  • इसे 15 जुलाई, सन् 2010 को आधिकारिक रूप में मान्य किया गया।
  • इसे तैयार करने का श्रेय आई०आई०टी० गुवाहटी के प्रोफैसर डी० उदय कुमार को जाता है।
  • इसमें देवनागरी लिपि के र और रोमन लिपि के आर दोनों की छवि मिलती है।
  • इसमें R बिना डंडे के है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 7

राष्ट्रपिता-

  • हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी हैं।
  • इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।
  • इन्हें बापू कहकर भी पुकारा जाता है।
  • इनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
  • इन्होंने सत्याग्रह, भारत छोड़ो आदि आंदोलन चलाकर अंग्रेजी शासन की नींव उखाड़ दी।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 8

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्रीय खेल-

  • हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है।
  • इसने सन् 1928 से लेकर सन् 1956 तक भारत को छहः ओलम्पिक स्वर्ण पदक दिलवाए।
  • ध्यानचंद राष्ट्रीय खेल हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे।
  • छ: ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्होंने चौबिस मैच खेले और सभी के सभी जीते। इसलिए इसे हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी निश्चित किया गया।
  • हॉकी के खेल में ग्यारह खिलाड़ी होते हैं।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 9

राष्ट्रीय पक्षी-

  • मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है।
  • 31 जनवरी, सन् 1963 को मोर की राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था।
  • मोर साँप तथा कीड़े-मकोड़ों को खा जाता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 10
  • मोर का शिकार करना दंडनीय अपराध है।
  • यह अपनी सुंदरता के लिए विदेशों में भी चर्चित है।

राष्ट्रीय पशु-

  • बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है।
  • बाघ का शिकार करना दंडनीय अपराध है।
  • यह वीरता, दृढ़ता एवं साहस का प्रतीक है।
  • इसकी दहाड़ बड़ी डरावनी है।
  • अपनी चुस्ती एवं फुर्ती के लिए यह जग प्रसिद्ध है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 11
    राष्ट्रीय पशु बाघ (पैन्थर)

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राष्ट्रीय वृक्ष-

  • भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है।
  • यह वृक्ष हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का संदेश देता है।
  • यह हमें एक होकर रहने का संदेश देता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 12
  • इसकी टहनियाँ लिपटकर तने को मजबूती देती हैं।
  • यह हमें सभी को साथ लेकर चलने को कहता है।

राष्ट्रीय कैलेंडर-

  • शक संवत् भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है।
  • इसे 22 मार्च, सन् 1957 को अपनाया गया था।
  • शक सम्वत् कैलेंडर में 365 दिन एक वर्ष में तथा 12 देसी महीने चैत्र से फाल्गुन तक होते हैं।
  • इस कैलेंडर का ग्रेगोरियन कैलेंडर से सटीक मिलान किया होता है।
  • इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेंडर का उपयोग होता था।

राष्ट्रीय पुष्प-

  • भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल है।
  • इस के पत्ते चौड़े तथा पंखुड़ियाँ चमकदार होती हैं।
  • इसका जन्म पानी में होता है।
  • अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है जो कीचड़ में खिलता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 13
  • यह सफेद, गुलाबी तथा नीले रंग का होता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्रीय नदी-

  • गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है।
  • हिन्दू इसमें स्नान करना अपना सौभाग्य समझते हैं।
  • वे इसे पापों का नाश करने वाली पवित्र-पावन नदी मानते हैं।
  • भारत के लोग गंगा नदी को माँ कहकर पुकारते हैं।
  • यह अपनी निर्मलता एवं पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 14

राष्ट्रीय फल-

  • आम भारत का राष्ट्रीय फल है।
  • इसके अनेक रूप भारत में पाए जाते हैं।
  • यह अपनी मिठास एवं स्वाद के लिए जग ज़ाहिर है।
  • आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
  • दशहरी आम खाने में सबसे अच्छा माना जाता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 15

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

7. राष्ट्रीय-गान, राष्ट्रीय-गीत, जुबानी याद करें।
उत्तर :
राष्ट्रीय गान

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्धय-हिमाचल-यमुना गंगा
उच्छल जलधि-तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष माँगे
गाहे तव जय गाथा
जन-गण-मंगलदायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।

राष्ट्रीय गीत

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्य श्यामलां मातरम्
शुभ्र ज्योत्स्न पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनी सुमधुर भाषिनीम
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम्

ऊपर लिखित राष्ट्रीय गान एवं राष्ट्रीय गीत को विद्यार्थी स्वयं जुबानी याद करें।

8. राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत को सुलेख के रूप में चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लटकायें।
उत्तर :
पहले लिखे हुए प्रश्न की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।

राष्ट्र के गौरव प्रतीक Summary in Hindi

राष्ट्र के गौरव प्रतीक पाठ का सार

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 16

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

प्रस्तुत पाठ ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ सुधा जैन ‘सुदीप’ द्वारा लिखा एक श्रेष्ठ निबंध है। इसमें उन्होंने हमारे राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय गीत, राष्ट्र चिह्न, राष्ट्रीय मुद्रा, राष्ट्र पिता, राष्ट्र पशु, राष्ट्र पक्षी, राष्ट्र पुष्प, राष्ट्र फल, राष्ट्रीय नदी, राष्ट्रीय खेल, राष्ट्रीय वृक्ष आदि पर प्रकाश डाला है। इसमें उन्होंने इनके विकास के विभिन्न चरणों पर रोचक ढंग से रोशनी डाली है।

अध्यापक ने कक्षा में सभी छात्रों को बताया कि आज वह उन सभी को विद्यालय के प्रांगण में लगी राष्ट्र-गौरव की प्रदर्शनी दिखाएंगे और उस के बारे में बताएंगे। उन्होंने बताया कि प्रत्येक स्वतन्त्र देश अपनी अलग पहचान स्थापित करने के लिए अपने कुछ प्रतीक निश्चित करता है। ये प्रतीक उसकी सभ्यता, संस्कृति, आदर्शों तथा गौरवमयी परम्पराओं को प्रकट करते हैं। इन्हें ही राष्ट्र प्रतीक कहा जाता है।

राष्ट्रीय झण्डा किसी भी देश की स्वतन्त्रता, एकता, प्रभुसत्ता और उसके अस्तित्व का प्रतीक होता है। इससे राष्ट्र का गौरव झलकता है। इसके सम्मान में ही प्रत्येक नागरिक का सम्मान छिपा है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की पट्टियां हैं इसलिए इसे तिरंगा भी कहते हैं। इसे सभी राष्ट्रीय पर्यों और विशेष अवसरों पर सरकारी कार्यालयों के मुख्य भवनों, स्कूल, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों पर इसे लहराया ही जाता है लेकिन 23 जनवरी, सन् 2004 से संविधान ने भारत के सभी नागरिकों को उनके घर, पार्क आदि में इसे फहराने का अधिकार दे दिया है।

प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर पर भारत के प्रधानमन्त्री इसे लालकिले पर तथा 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस पर राष्ट्रपति इसे राज पथ पर फहराते हैं। ‘जन-गण-मन’ हमारा राष्ट्रीय गान है जिसे प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। इन्होंने 27 दिसम्बर, सन् 1911 में इसकी रचना की थी और 24 जनवरी, सन् 1950 को इसे राष्ट्र गान के रूप में स्वीकार किया गया। इसे गाने का अधिकतम समय 52 सैकण्ड निर्धारित किया गया है। ‘वन्दे मातरम्’ हमारा राष्ट्रीय गीत है। इसकी रचना सन् 1874 में प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने की थी।

यह गीत बांग्ला-संस्कृत भाषा को मिलाकर 26 पंक्तियों में लिखा गया है। किन्तु इसकी पहली सात पंक्तियाँ ही राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार की गई हैं। हमारा राष्ट्रीय चिह्न अशोक-स्तम्भ है। यह स्तम्भ सारनाथ (वाराणसी) में सम्राट अशोक के द्वारा बनवाए गए 70 फुट ऊंचे स्तम्भ के ऊपरी भाग का एक नमूना है। इसके शीर्ष पर चार सिंह बने हैं जो शक्ति, साहस एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं। स्तम्भ के नीचे अशोक का धर्म चक्र है जो हमारे तिरंगे में भी है।

इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है जिसका अर्थ है- सत्य की सदैव जीत होती है। राष्ट्रीय चिह्न राष्ट्रपति और राज्यपालों की सरकारी मोहर है। यह पासपोर्ट पर भी छपा रहता है।” हमारी राष्ट्रीय मुद्रा है। इसे 15 जुलाई, सन् 2010 को आधिकारिक रूप में मान्य किया गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

इसे तैयार करने का श्रेय आई०आई०टी० गुवाहाटी के प्रोफेसर डी० उदय कुमार को जाता है। इसमें देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि के ‘आर’ दोनों की छवि मिलती है। महात्मा गांधी की तस्वीर की ओर संकेत करते हुए अध्यापक ने बच्चों को बताया है कि ये हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं। इन्हें लोग प्यार से बापू भी कहते हैं। इन्होंने अंग्रेजी शासन की नींव उखाड़ कर भारत को आजादी दिलाई और नए भारत का निर्माण किया।

इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को गुजरात के पोरबन्दर शहर में हुआ था। इनके जन्म दिवस 2 अक्तूबर को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। हमारा राष्ट्रीय फल आम है। गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है तथा कमल हमारा राष्ट्रीय फूल है। ये सभी क्रमशः अपने स्वाद, मिठास, निर्मलता, पवित्रता एवं सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध हैं। मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है जो अपनी सुन्दरता के लिए न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी चर्चित है।

बाघ की ओर इशारा करते हुए अध्यापक बताता है कि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है। यह साहस एवं दृढ़ता का प्रतीक है। भारत सरकार ने मोर और दोनों को मारने और पकड़ने पर प्रतिबन्ध लगाया हुआ है। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। हॉकी में भारत को सन् 1928 से लेकर 1956 तक छ: ओलम्पिक स्वर्ण पदक मिले हैं। शक सम्वत् हमारा राष्ट्रीय कैलण्डर है। जिसे 22 मार्च, सन् 1957 को अपनाया गया था।

इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेंडर का उपयोग होता था। बरगद हमारा राष्ट्रीय वृक्ष है। यह वृक्ष हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का सन्देश देता है। हम सभी भारतीय नागरिकों का यह परम कर्तव्य बनता है कि हम अपने राष्ट्रीय प्रतीकों की रक्षा एवं सम्मान के लिए सदैव तत्पर रहें।

राष्ट्र के गौरव प्रतीक कठिन शब्दों के अर्थ

  • प्रांगण = आंगन।
  • स्वतन्त्रता = आज़ादी।
  • रचयिता = रचनाकार।
  • पग = पाँव।
  • ध्वज = झण्डा।
  • शीर्ष = चोटी।
  • सिंह = शेर।
  • सार्वजनिक = जहाँ सभी जा सकें।
  • ओर = तरफ।
  • संरक्षक = रक्षा करने वाला।
  • सरपट = तेज़।
  • सत्यमेव जयते = सत्य की हमेशा जीत होती है।
  • अंकित = छपा हुआ।
  • संप्रभुता = प्रभुसत्ता सम्पन्न।
  • डिजाइन = रूपरेखा।
  • छवि = रूप।
  • बहिष्कार = त्यागना, छोड़ना।
  • स्वाधीनता = आजादी।
  • मशहूर = प्रसिद्ध।
  • उत्सुक = बेचैन।
  • धीरज = धैर्य।
  • चर्चित = विख्यात।
  • बाघ = चीता।
  • प्रतिबन्ध = रोक।
  • बरगद = वृक्ष का नाम।
  • विरासत = पूर्वजों से मिला हुआ।
  • चैत = हिन्दी महीना शक संवत् का।
  • अनुसरण = पीछे चलना या कहे पर चलना।
  • तत्पर = तैयार। अनोखा = अद्भुत।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्र के गौरव प्रतीक गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. चौथा सिंह ओट में हैं। इनके ठीक नीचे सम्राट अशोक का वही धर्म चक्र है जो तिरंगे में भी है। चक्र के साथ चारों दिशाओं के संरक्षक के रूप में : पूर्व दिशा में हाथी, पश्चिम दिशा में बैल, उत्तर दिशा में सिंह और दक्षिण देश में सरपट दौड़ता घोड़ा चिह्नित है। इन्हीं के बीच एक कमल का फूल बना है। इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ आदर्श वाक्य लिखा है। जिसका अर्थ है- सत्य की हमेशा जीत होती है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित निबन्ध ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से लिया गया है, जिसकी लेखिका सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने अपने इस निबन्ध में राष्ट्र के प्रतीकों के बारे में हमें अवगत कराया है। यहाँ लेखिका ने अशोक स्तम्भ का उल्लेख किया है।

व्याख्या-लेखिका भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ का उल्लेख करते हुए कहती है कि इसे सारनाथ के स्तम्भ से लिया गया था। इसमें चार शेर हैं। तीन शेर हमें दिखाई देते हैं और चौथा शेर ओट में छिपा होने के कारण हमें दिखाई नहीं देता। इन शेरों के नीचे धर्मचक्र है जो हमारे तिरंगे में भी है। चक्र के साथ-साथ चारों दिशाओं की रक्षा हेतु चार पशु बने हैं। पूर्व दिशा में हाथी, पश्चिम दिशा में बैल, उत्तर दिशा में सिंह तथा दक्षिण दिशा में तेज़ दौड़ने वाला घोड़ा है जो प्रतीक रूप में बने हैं। इन्हीं संरक्षक पशुओं के बीच एक कमल का फूल बना है जिसके नीचे लिखा है ‘सत्यमेव जयते’ इसका अर्थ है सत्य की हमेशा जीत होती है।

विशेष-

  • लेखिका ने राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ का परिचय कराया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

2. यह हमारा राष्ट्रीय कैलेण्डर : शक सम्वत् है। जिसे 22 मार्च 1957 को अपनाया गया था। इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेण्डर का उपयोग होता था। शक सम्वत् कैलेण्डर में एक वर्ष में 365 दिन और 12 देसी महीने चैत्र से फाल्गुन तक होते हैं। चैत्र की प्रथम तिथि यानि देसी वर्ष का आरम्भ सामान्य वर्ष में 22 मार्च और लीप वर्ष में 21 मार्च को होता है। इस कैलेण्डर का ग्रेगोरियन कैलेण्डर से सटीक मिलान किया होता है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से लिया गया है, जिसकी रचयिता सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने इस पाठ में राष्ट्र के प्रतीकों के बारे में बताया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

व्याख्या-लेखिका कहती है कि अध्यापक बच्चों को समझाते हुए कहते हैं कि हमारा राष्ट्रीय कैलेण्डर शक सम्वत है। इस शक सम्वत कैलेण्डर को भारत ने 22 मार्च सन 1957 को राष्ट्रीय कैलेण्डर के रूप में अपना लिया था। इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेण्डर का प्रयोग किया जाता था। भारत द्वारा अपनाए गए शक संवत् कैलेण्डर में एक साल में 365 दिन तथा बारह देसी महीने होते हैं जिसका प्रारम्भ मास चैत्र तथा अंतिम मास फाल्गुन होता है। चैत्र मास की पहली दिनांक से देसी वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है जो आम वर्ष में 22 मार्च को तथा लीप वर्ष में 21 मार्च को शुरू होता है। इस कैलेण्डर का सटीक मिलान ग्रेगोरियन कैलेण्डर से होता है।

विशेष-

  • शक संवत् को राष्ट्रीय कैलेण्डर बताया है।
  • भाषा शैली सरल तथा सहज है।।

3. महात्मा गांधी ने भारत को जगाया। अपना काम स्वयं करने, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की राह दिखाई। सत्याग्रह और असहयोग जैसे आन्दोलन चलाकर अंग्रेज़ी शासन की नींव उखाड़ दी। भारत माता को आजादी दिलाई तथा नये राष्ट्र का निर्माण किया। इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता और बापू कहते हैं। साथ ही तुम्हें बता दूं कि बापू के जन्मदिन (2 अक्तूबर) को गांधी जयंति यानि राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से अवतरित है जिसकी लेखिका सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने अपने इस लेख में राष्ट्र के प्रतीकों का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है।

व्याख्या-लेखिका कहती है कि अध्यापक बच्चों को बताते हैं कि महात्मा गांधी ने भारत को देश की स्वतन्त्रता के लिए गुलामी की गहरी नींद से जगाया था। उन्होंने देशवासियों को अपना काम अपने आप करने तथा विदेशी वस्तुओं को पूर्णत: त्यागने की राह दिखाई थी। इन्होंने देश की आजादी के लिए सत्याग्रह तथा असहयोग आन्दोलन चलाए थे, जिनसे अंग्रेजी शासन की नींव उखड़ गई।

गांधी जी ने अपने भरसक प्रयत्नों से भारत को आजादी दिलाई और एक नए भारत का निर्माण किया। गांधी जी के इन्हीं कामों के कारण उन्हें राष्ट्र-पिता और बापू भी कहते हैं। अध्यापक बच्चों को कहते हुए कहता है कि गांधी जी के जन्मदिन को दो अक्तूबर को गांधी जयंती के रूप में राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

विशेष-

  • लेखिका ने भारत की आज़ादी में महात्मा गाँधी के योगदान का उल्लेख किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 भारत के कोने-कोने से (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB भारत के कोने-कोने से Textbook Questions and Answers

भारत के कोने-कोने से अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 6
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 7
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 8
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 9
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) गीत गाने वाले बच्चे कहाँ से आये हैं ?
उत्तर :
गीत गाने वाले बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं।

(ख) ‘भारत के कोने-कोने से’ कविता में बच्चे क्या संदेश लेकर आये हैं ?
उत्तर :
भारत देश के कोने – कोने से आए बच्चे नई उमंगों और आशाओं का संदेश लेकर आए हैं।

(ग) कविता में ‘गिरि’ और ‘सागर’ का क्या अर्थ है?
उत्तर :
गिरि = पर्वत
सागर = समुद्र

(घ) बच्चे अपने देश के लिए क्या करना चाहते हैं ?
उत्तर :
भारत देश के बच्चे अच्छे और बड़े काम करके भारत के नाम को और अधिक ऊँचा उठाना चाहते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) ‘नई उमंगों-आशाओं’ से कवि का क्या भाव है?
उत्तर :
नई उमंगों – आशाओं से कवि का भाव है कि जीवन में आगे बढ़ने का संकल्प लेकर अपना तथा देश का नाम ऊँचा करना। आगे आने वाले समय में बड़े – बड़े काम करके राष्ट्र का नाम ऊँचा करना। अपने मन में इस भाव को बनाए रखना कि देश हमारा और हम देश के लिए।

(ख) ‘कल आने वाली दुनिया में
हम कुछ कर दिखलायेंगे,
भारत के ऊँचे माथे को
ऊँचा और उठायेंगे।’
इन काव्य-पंक्तियों की प्रसंग सहित व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। इस कविता के रचयिता डॉ० हरिवंशराय बच्चन जी हैं। कवि ने यहाँ बच्चों के मन में व्याप्त देश भक्ति की भावना और संकल्प को उजागर किया है।

व्याख्या – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम भारतीय बच्चे आगे आने वाले समय में कुछ बड़े काम करके दिखाएँगे। जिस भारत का नाम दुनिया में ऊँचा है उसे हम अपने बड़े कामों से और भी ऊँचा उठाएँगे।

5. भाववाचक संज्ञा बनायें :

  1. ऊँचा = ऊँचाई
  2. गहरा = …………………………
  3. अरुण = …………………………

उत्तर :

  1. ऊँचा = ऊँचाई
  2. गहरा = गहराई
  3. अरुण = अरुणिमा

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

6. निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद करें:

  1. भारत : भ् + आ + र् + अ+ त् + अ
  2. गिरि = …………………………
  3. राजस्थानी = …………………………
  4. दुनिया = …………………………
  5. संदेशा = …………………………
  6. निर्मल = …………………………

उत्तर :

  1. भारत : भ् + आ + र् + अ+ त् + अ
  2. गिरि = ग् + इ + + ई
  3. राजस्थानी = र् + आ + ज् + अ + स् + थ् + आ + न् + ई
  4. दुनिया = द् + उ + न् + इ + य् + आ
  5. संदेशा = स् + अ + म् + द् + ए + श् + आ
  6. निर्मल = न् + इ + र् + म् + अ + ल् + अ।

7. समान अर्थवाले शब्द लिखें :

  1. गिरि = पर्वत
  2. सागर = …………………………
  3. संदेशा = …………………………
  4. दुनिया = …………………………
  5. माथा = …………………………
  6. किरण = …………………………
  7. पानी = …………………………
  8. प्रातः = …………………………

उत्तर :

  1. गिरि = पर्वत, पहाड़
  2. माथा = ललाट, मस्तक
  3. सागर = समुद्र, रत्नाकर
  4. किरण = अंशु, कर
  5. संदेशा = समाचार, खबर
  6. पानी = जल, आब
  7. पूरब = पूर्व, प्राची
  8. प्रातः = सवेरा, सुबह

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

8. बहुवचन रूप लिखें:

  1. आशा = …………………………
  2. उमंग = …………………………
  3. संदेश = …………………………
  4. ऊँचा = …………………………
  5. कोना = …………………………
  6. बच्चा = …………………………

उत्तर :

  1. आशा = आशाएँ
  2. ऊँचा = ऊँचे
  3. उमंग = उमंगें
  4. कोना = कोने
  5. संदेश = संदेशे
  6. बच्चा = बच्चे

9. नीचे दी गई पंक्तियों को पूरा करें:

  1. हम गिरि की = …………………………
  2. हम सागर की = …………………………
  3. हम पश्चिम से आए, लाए = …………………………
  4. हम लाए हैं गंग-जमुन के = …………………………

उत्तर :

  1. हम गिरि की ऊँचाई लाए
  2. हम सागर की गहराई।
  3. हम पश्चिम से आए, लाए
    आग – राग राजस्थानी
  4. हम लाए हैं गंग – जमुन के।
    संगम का निर्मल पानी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

10. पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण क्षेत्रों में स्थित दो-दो राज्यों के नाम लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 1
उत्तर :
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 3

भारत के कोने-कोने से Summary in Hindi

भारत के कोने-कोने से कविता का सार

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 2

‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता डॉ० हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित देश भक्ति पूर्ण श्रेष्ठ रचना है। इसमें कवि ने बच्चों को कविता में स्थान देकर उनके भावों और क्रिया – कलापों को अनोखे रूप में प्रकट किया है। कवि बच्चों की ओर से कहता है कि हम सब बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं।

हम अपने साथ आशाओं और उमंगों का संदेश लेकर आए हैं। हम पर्वतों की ऊँचाई और सागरों की गहराई भी लाए हैं, जो हमारे ऊँचे और गहरे विचारों के प्रतीक हैं। हम बच्चे भारत के पश्चिमी दिशा में स्थित प्रदेशों से आए हैं। हम अपने साथ खुशियों के गीत और राजस्थानी जोश लेकर आए हैं।

हम प्रयागराज का पवित्र और स्वच्छ जल भी लेकर आए हैं। हम बच्चे भावी जीवन में बड़े – बड़े काम करके दिखाएँगे जिससे हमारे देश का नाम दुनिया में और भी ऊँचा हो जाएगा। हम बच्चों के भीतर उमंगों और आशाओं का भंडार भरा हुआ है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

भारत के कोने-कोने से काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम सन्देशा लाए हैं।
हम गिरि की ऊँचाई लाए,
हम सागर की गहराई,
हम पूरब से आए, लाए
प्रातः – किरण की अरुणाई।

शब्दार्थ :

  • उमंग = उत्साह।
  • आशाओं = उम्मीदों।
  • सन्देशा = संवाद, समाचार।
  • गिरि = पर्वत।
  • सागर = समुद्र।
  • गहराई = गहरापन।
  • पूरब = पूर्व दिशा।
  • प्रातः – किरण = सुबह की किरण।
  • अरुणाई = लाली, लालिमा।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। इस कविता के रचयिता डॉ० हरिवंशराय बच्चन जी हैं। इसमें कवि ने भारत की एकता एवं अखंडता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम सब बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं। हम नई उमंगों और आशाओं का सन्देश लेकर आए हैं। आगे बढ़ने का संकल्प लेकर आए हैं। हम पर्वत की ऊँचाई और समुद्र की गहराई लेकर आए हैं। हम ऊँचे और गहरे विचारों से भरे हुए हैं। हम पूर्व दिशा से आए हैं और साथ में सुबह की किरणों की लाली लेकर आए हैं। भाव यह है कि हम प्रसन्नता लेकर आए हैं।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों को उन्नति का प्रेरक माना है।
  • भाषा सरल है।

2. हम पश्चिम से आए, लाए
आग – राग राजस्थानी,
हम लाए हैं गंग – जमुन के
संगम का निर्मल पानी।
भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम संदेशा लाए हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

शब्दार्थ :

  • आग – राग = जोश और प्रेम।
  • गंग – जमुन = गंगा – यमुना।
  • संगम = मेल (प्रयाग राज)।
  • निर्मल = स्वच्छ, साफ।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। कविवर डॉ० बच्चन ने बच्चों के माध्यम से भारत की एकता और अखंडता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम बच्चे भारत के पश्चिम दिशा में स्थित प्रदेशों से आए हैं। हम अपने साथ राजस्थानी जोश और खुशियों के गीत लेकर आए हैं। हम गंगा – यमुना के संगम (प्रयाग राज) का स्वच्छ पानी लेकर आए हैं। हम बच्चे अपने देश भारत के हर प्रान्त से आए हैं। हमारे भीतर नई उमंगें और आशाएँ, आगे बढ़ने का भाव भरा है।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों के मन में उमड़ते जोश को दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

3. कल आने वाली दुनिया में,
हम कुछ कर दिखलाएँगे,
भारत के ऊँचे माथे को,
ऊँचा और उठाएँगे।
भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम संदेशा लाए हैं।

शब्दार्थ :

  • दुनिया = संसार।
  • ऊँचे माथे = ऊपर उठे मस्तक।

प्रसंग – यह पद्यांश हमारी पाठय – पस्तक में संकलित कविता ‘भारत के कोने – कोने से’ में से लिया गया है। डॉ० हरिवंशराय बच्चन ने इन पंक्तियों में भारत की एकता और अखंडता की बात कही है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि – हम भारतीय बच्चे आगे आने वाले समय में कुछ बड़े काम करके दिखाएंगे। जिस भारत का नाम दुनिया में ऊँचा है, उसे हम अपने बड़े कामों से और ऊँचा उठाएँगे। हम बच्चे भारत के हर प्रदेश के कोने – कोने से आए हैं। हमारे अन्दर नई उमंगें और आशाएँ हैं।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों के माध्यम से भारतीय एकता और अखंडता को उजागर किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण (2nd Language)

शब्दों का शुद्ध रूप

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लिंग परिवर्तन

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वचन परिवर्तन

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भाववाचक संज्ञाएं

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विशेषण रचना

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विपरीतार्थक या विलोम शब्द

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पर्यायवाची या समानार्थक शब्द

अमृत सोम, सुधा, पीयूष।
असुर राक्षस, दैत्य, दानव, दनुज।
अग्नि आग, अनल, पावक, दहन।
अन्धकार अन्धेरा, तम, तिमिर।
आँख नेत्र, चक्षु, नयन, लोचन।
आकाश गगन, आसमान, नभ, अम्बर।
आनन्द मोद, हर्ष, उल्लास, प्रसन्नता।
इच्छा अभिलाषा, कामना, चाह, लालसा।
ईश्वर भगवान्, परमात्मा, ईश, प्रभु।
कपड़ा वस्त्र, पट, वसन।
कमल पंकज, सरोज, अरविन्द।
किनारा तट, तीर, कूल।
गौ गाय, सुरभि, धेनु।
घर गृह, सदन, भवन।
घोड़ा अश्व, वाजी, घोटक, तुरंग।
चन्द्रमा चाँद, इन्दु, राकेश, शशि, चन्द्र।
जल वारि, पानी, नीर, पय।
तलवार खड्ग, कृपाण, असि।
तीर वाण, शर, सायक।
दिन दिवस, वार, अहन।
देवता सुर, देव, अमर।
नदी सरिता, तरंगिणी, नद, तटिनी।
नमस्कार प्रणाम, नमस्ते, अभिवादन।
पृथ्वी ज़मीन, धरती, भूमि।
पुत्र बेटा, सुत, तनय।
पर्वत गिरि, पहाड़, अचल, शैल।
पक्षी खग, नभचर, विहंग।
बाग़ बगीचा, उपवन, वाटिका।
बादल मेघ, घन, जलद, नीरद।
बिजली विद्युत्, तड़ित, दामिनी।
फूल सुमन, कुसुम, पुष्प।
माता जननी, माँ, मैया।
मृत्यु मौत, अन्त, निधन, देहान्त।
राजा नरेश, नरपति, भूपति।
वायु अनिल, पवन, हवा।
रात रजनी, निशा, रात्रि।
संसार दुनिया, विश्व, जगत्।
सूर्य रवि, भानु, दिनकर।
स्त्री महिला, अबला, नारी, औरत।
सरोवर तालाब, सर, तड़ाग।
समुद्र सागर, सिन्धु, जलधि।
शत्रु दुश्मन, बैरी, अरि।

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

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PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

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PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

1. भाषा

प्रश्न 1.
भाषा किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस साधन द्वारा हम अपने विचार दूसरों पर प्रकट करते हैं, उसे भाषा कहते हैं ; जैसे हिन्दी, मराठी, बांग्ला, पंजाबी आदि भाषाएं हैं।

प्रश्न 2.
भाषा के कितने प्रकार हैं?
उत्तर :
भाषा के दो प्रकार हैं –

  • लिखित और
  • मौखिक।

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प्रश्न 3.
लिपि किसे कहते हैं? हिन्दी की लिपि का नाम बताइए।
उत्तर :
जिन वर्ण चिहनों के द्वारा भाषा लिखी जाती है, उसे लिपि कहते हैं। हिन्दी भाषा की लिपि का नाम देवनागरी है।

प्रश्न 4.
व्याकरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस शास्त्र की सहायता से हमें किसी भाषा को शुद्ध लिखना और बोलना आता है, उसे व्याकरण कहते हैं। व्याकरण के तीन भाग होते हैं – वर्ण विचार, शब्द विचार और वाक्य विचार।

प्रश्न 5.
हिन्दी व्याकरण के कितने भाग हैं?
उत्तर :
हिन्दी व्याकरण के तीन भाग हैं –

  • वर्ण विचार – इसमें वर्ण, उसके भेद, उच्चारण एवं शब्द निर्माण के नियम आदि होते हैं।
  • शब्द विचार – इसमें शब्द, भेद, उत्पत्ति, रचना और रूपांतर का वर्णन होता है।
  • वाक्य विचार – इसमें वाक्य भेद, अन्वय, संश्लेषण, विश्लेषण आदि का वर्णन होता है।

प्रश्न 6.
वर्ण या अक्षर किसे कहते हैं?
उत्तर :
वह छोटी – से – छोटी ध्वनि जिसका कोई खंड न हो सके, वर्ण (अक्षर) कहलाती हैं ; जैसे – अ, क, स, प, ह, इ, उ आदि।

प्रश्न 7.
वर्णमाला किसे कहते हैं?
उत्तर :
वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।

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प्रश्न 8.
हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण (अक्षर) हैं?
उत्तर :
हिन्दी वर्णमाला में ग्यारह स्वर और तैंतीस व्यंजन हैं। प्रश्न 9. वर्ण के कितने भेद होते हैं? उत्तर : वर्ण के दो भेद हैं –

  • स्वर
  • व्यंजन।

प्रश्न 10.
स्वर किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर :
जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोले जाते हैं, उन्हें स्वर कहा जाता जैसे –
अ, इ, उ, ऋ आदि ग्यारह स्वर हैं।

स्वरों के तीन भेद हैं –

  • ह्रस्व
  • दीर्घ
  • प्लुत।

प्रश्न 11.
मात्रा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
व्यंजन के साथ मिलाकर लिखे जाने वाले स्वर के संक्षिप्त रूप को मात्रा कहते हैं; जैसे –
प् + ई (1) = पी।

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प्रश्न 12.
शब्द किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
अक्षरों के समूह को शब्द कहते हैं। शब्द दो प्रकार के होते हैं –
(i) सार्थक शब्द
(ii) निरर्थक शब्द।

(i) सार्थक शब्द – अक्षरों का ऐसा समूह, जिससे कोई अर्थ प्रकट होता हो, सार्थक शब्द कहलाता है; जैसे – पुस्तक, मेज, कलम, गाय आदि।
(ii) निरर्थक शब्द – अक्षरों का ऐसा समूह, जिससे कोई अर्थ प्रकट न होता हो, निरर्थक शब्द कहलाता है; जैसे – स्तफुल, यमाक आदि।

प्रश्न 13.
शब्द के वर्गीकरण के आधार बताइए।
उत्तर :
शब्द के वर्गीकरण के तीन आधार हैं

  • उत्पत्ति के आधार पर।
  • वाक्य के प्रयोग के आधार पर
  • व्युत्पत्ति के आधार पर।

प्रश्न 14.
पद किसे कहते हैं?
उत्तर :
शब्दों में ने, को, के लिए आदि विभक्ति चिह्न जोड़ने पर वे पद बन जाते हैं; जैसे – राम ने रोटी खाई। यहाँ ‘राम ने’, ‘रोटी’ तथा ‘खाई’ – ये तीन पद हैं।

प्रश्न 15.
शब्द और पद में क्या अंतर है?।
उत्तर :
वर्णों के सार्थक समूह को खंड कहते हैं तथा खंडों में विभक्ति चिह्न जोड़ने पर शब्द ही पद कहलाते हैं।

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प्रश्न 16. वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
पदों के ऐसे समूह को वाक्य कहते हैं, जिससे भाव पूरी तरह स्पष्ट हो ; जैसे –
राम रोटी खाता है।

प्रश्न 17.
वाक्य कैसे बनते हैं?
उत्तर :
शब्दों में विभक्ति चिहन जोड़ने पर वे शब्द ‘पद’ कहलाते हैं और पदों से वाक्य बनते हैं; जैसे –
राम ने पुस्तक पढ़ी।

यहाँ ‘राम ने’ कर्ता पद, ‘पुस्तक’ कर्म पद तथा ‘पढ़ी’ क्रिया पद है। शब्दों से वाक्य कभी नहीं बनते। पदों से ही वाक्य बनते हैं। यदि शब्दों के समूह का नाम वाक्य हो तो सभी शब्द कोश ही वाक्य बन जाएँ।

प्रश्न 18.
शब्द और वाक्य में क्या अंतर है? ..
उत्तर :
वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और पदों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 19.
प्रयोग के अनुसार शब्द के कितने भेद हैं?
उत्तर :
प्रयोग के अनुसार शब्द के आठ भेद हैं
विकारी – अविकारी
(1) संज्ञा – (5) क्रिया विशेषण
(2) सर्वनाम – (6) सम्बन्ध बोधक
(3) विशेषण – (7) समुच्चय बोधक
(4) क्रिया – (8) विस्मयादि बोधक

विकारी – जिन शब्दों का पुरुष, लिंग, वचन आदि के कारण रूप बदल जाता है, उन्हें विकारी कहा जाता है, जैसे – पर्वत, पर्वतों, बादल, बादलों, विद्वान्, विदुषी आदि।

अविकारी – जिन शब्दों का रूप नहीं बदलता, उन्हें अविकारी कहा जाता है। जैसे – और, यहाँ, वहाँ, या, अथवा आदि।

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2. संज्ञा

प्रश्न 1.
संज्ञा की परिभाषा लिखो और उसके भेद बताओ।
उत्तर :
किसी व्यक्ति, जाति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहा जाता संज्ञा के तीन भेद हैं –

  • व्यक्तिवाचक – जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि का बोध कराए, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – कृष्ण, दिल्ली, गंगा आदि।
  • जातिवाचक – जो शब्द किसी सम्पूर्ण जाति का बोध कराए, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – स्त्री, पुरुष, पशु, नगर आदि।
  • भाववाचक – जो शब्द किसी के धर्म, अवस्था, भाव, गुण – दोष आदि प्रकट करे, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – मिठास, मानवता, सत्यता आदि।

3. लिंग

प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं? उसके भेद बताओ।
उत्तर :
संज्ञा के जिस रूप में स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में लिंग के दो प्रकार हैं –

  • पुल्लिग – संज्ञा के जिस रूप से पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिग कहते हैं। जैसे – लड़का, शेर, हाथी।
  • स्त्रीलिंग – संज्ञा के जिस रूप से स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – लड़की, शेरनी, हथिनी।।

4. वचन

प्रश्न 1.
वचन किसे कहते हैं और वचन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
शब्दों के जिस रूप से किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में वचन के दो भेद हैं –

  • एकवचन – संज्ञा का जो रूप एक ही वस्तु का बोध कराए, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – लड़की, घोड़ा, बहिन आदि।
  • बहुवचन – संज्ञा का जो रूप एक से अधिक वस्तुओं का बोध कराए, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे – लड़कियाँ, घोड़े, बहनें आदि।

प्रश्न 2.
एकवचन का बहवचन के रूप में प्रयोग किन स्थितियों में होता है?
उत्तर :
सम्मान के भाव में एकवचन का प्रयोग बहुवचन के रूप में होता है, जैसे –

  • पिता जी आए हैं।
  • बापू महान् नेता थे।

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5. कारक

प्रश्न 1.
कारक किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
अथवा
कारक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका वाक्य के दूसरे शब्दों से सम्बन्ध जाना जाए, उस रूप को कारक कहते हैं। जैसे – मोहन ने पुस्तक को मेज़ पर रख दिया।

विभक्तिकारक प्रकट करने के लिए संज्ञा अथवा सर्वनाम के साथ ‘ने’, ‘को’, ‘से’ आदि जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन्हें विभक्ति कहा जाता है।

हिन्दी में आठ कारक हैं। इनके नाम और विभक्ति चिहन इस प्रकार हैं : –
कारक – विभक्ति चिहन

  1. कर्ता – ने
  2. कर्म – को
  3. करण – से, के द्वारा, के साथ
  4. सम्प्रदान – को, के लिए, वास्ते
  5. अपादान – से (पृथकत्व, बोधक)
  6. सम्बन्ध – का, के, की
  7. अधिकरण – में, पर
  8. सम्बोधन – हे, अरे, रे

1. कर्ता – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहा जाता है। जैसे –
(i) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ii) सोहन ने दूध पिया।
2. कर्म – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। जैसे – श्याम पाठशाला को जाता है।
3. करण – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से कर्ता के काम करने के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहा जाता है। जैसे – राम ने बाण से बालि को मारा।
4. सम्प्रदान – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप के लिए क्रिया की जाए, उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है। जैसे – अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें लाया।
5. अपादान – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से पृथक्कता, आरम्भ, भिन्नता आदि का बोध होता है, उसे अपादान कारक कहा जाता है। जैसे – वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
6. सम्बन्ध – संज्ञा या सर्वनाम का जो रूप एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध प्रकट करे, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। जैसे – यह मोहन का घर है।
7. अधिकरण – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। जैसे – वीर सैनिक युद्ध भूमि में मारा गया।
8. सम्बोधन – संज्ञा का जो रूप चेतावनी या किसी को पुकारने का सूचक हो। जैसे हे ईश्वर ! हमारी रक्षा करो।

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6. सर्वनाम

प्रश्न 1.
सर्वनाम की परिभाषा लिखो और उसके भेद भी बताओ।
उत्तर :
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे – सोहन, मोहन के साथ उसके घर गया। इस वाक्य में ‘उसके’ सर्वनाम मोहन के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है।

सर्वनाम के पाँच भेद हैं –

  1. पुरुषवाचक – जिससे वक्ता (बोलने वाला), श्रोता (सुनने वाला) और जिसके सम्बन्ध में चर्चा हो रही हो, उसका ज्ञान प्राप्त हो, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे –
    • अन्य पुरुष – वह, वे
    • मध्यम पुरुष – तू, तुम
    • उत्तम पुरुष – मैं, हम
  2. निश्चयवाचक इस सर्वनाम से वक्ता के समीप या दर की वस्तु पर निश्चय होता है। जैसे – यह, ये, वह, वे।
  3. अनिश्चयवाचक – इस सर्वनाम से किसी पुरुष एवं वस्तु का निश्चित ज्ञान नहीं होता। जैसे – कोई, कुछ।
  4. सम्बन्धवाचक – इस सर्वनाम से दो संज्ञाओं में परस्पर सम्बन्ध का ज्ञान होता है। जैसे – जो, सो। जो करेगा, सो भरेगा।
  5. प्रश्नवाचक – इस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न पूछने और कुछ जानने के लिए होता है। जैसे – कौन, क्या। आप कौन हैं? मैं क्या करूँगा?

7. विशेषण

प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं? इसके भेद बताओ।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें विशेषण कहा जाता है। जैसे – वीर पुरुष। इसमें ‘वीर’ शब्द पुरुष की विशेषता प्रकट करता है। इसलिए यह विशेषण है।

विशेषण के चार भेद हैं –

  1. गुणवाचक – संज्ञा या सर्वनाम के गुण – दोष, रंग, अवस्था आदि को बताने वाला गुणवाचक विशेषण होता है। जैसे विद्वान् पुरुष। मूर्ख लड़का (गुण – दोष)। नीला घोड़ा। काली बिल्ली (रंग)।
  2. संख्यावाचक – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का ज्ञान कराए, वह संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – एक पुस्तक। दस मनुष्य।
  3. परिमाणवाचक जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के नाप – तोल का ज्ञान होता हो, वह परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – दो मीटर कपड़ा। चार किलो मिठाई।
  4. सार्वनामिक या सांकेतिक – जब सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके संकेत के रूप में आता है, तब वह सर्वनाम विशेषण बन जाता है। जैसे – वह मेरी पुस्तक है।

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8. क्रिया

प्रश्न 1.
क्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाओ।
उत्तर :
जिस शब्द से किसी काम का करना या होना पाया जाए, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे

  • नेहा दौड़ती है।
  • मैं पुस्तक पढ़ती हूँ।
  • हम खाना खाते हैं।

इन वाक्यों में दौड़ती’, ‘पढ़ती’, ‘खाते’ शब्दों से कोई काम करने या होने का पता चलता है।

प्रश्न 2.
कर्म के अनुसार क्रिया के कितने भेद हैं?
उत्तर :
कर्म के अनुसार क्रिया के दो भेद हैं –

  1. सकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का कोई कर्म हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – सुरेश पत्र लिखता है। इस वाक्य में सुरेश क्या लिखता है? ‘पत्र’। पत्र क्या है? कर्म। यह क्रिया सकर्मक है।
  2. अकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का कोई कर्म न हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – सलमा नहाती है। इस वाक्य में ‘नहाती’ है क्रिया का कोई कर्म नहीं है। यह अकर्मक क्रिया है।

क्रिया में परिवर्तन

प्रश्न 3.
क्रिया में परिवर्तन किस प्रकार होता है? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
संज्ञा शब्दों की तरह क्रिया शब्द भी विकारी शब्द है। क्रिया शब्दों में परिवर्तन लिंग, वचन, पुरुष, काल और वाच्य के कारण होता है। जैसे
(क) लिंग – मोहन गा रहा था। (पुल्लिग)
राधा खेल रही थी। (स्त्रीलिंग)
यहाँ ‘रहा था’ क्रिया पुल्लिग है और ‘रही थी’ क्रिया स्त्रीलिंग है।

इस प्रकार संज्ञा शब्दों की भांति क्रिया शब्दों के दो लिंग होते हैं।

  • पुल्लिग
  • स्त्रीलिंग

(ख) वचन लड़का हँसता है। लड़के पढ़ते हैं। यहाँ ‘हँसता है’ एकवचन है और ‘पढ़ते हैं’ बहुवचन है। इस प्रकार क्रिया शब्दों के दो वचन होते हैं –

  • एकवचन
  • बहुवचन

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(ग) पुरुष – मैं पढ़ता हूँ।
हम लिखते हैं।
यहाँ ‘मैं’ और ‘हम’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अत: उत्तम पुरुष हैं।
तू जाता है।
तुम खाते हो।
यहाँ ‘तू’ और ‘तुम’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अत: मध्यम पुरुष हैं।
वह देखता है।
कोई जा रहा है।
यहाँ ‘वह’ और ‘कोई’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अतः अन्य पुरुष हैं। इस प्रकार कर्ता के अनुसार क्रिया के तीन पुरुष हैं –

  • उत्तम पुरुष – (मैं, हम)
  • मध्यम पुरुष – (तू, तुम)
  • अन्य पुरुष – (वह, वे, संज्ञा शब्द)

9. काल

प्रश्न 1.
काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप से क्रिया के करने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं।

प्रश्न 2.
काल के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखो।
उत्तर :
काल के मुख्यत: तीन भेद हैं :

  • भूतकाल
  • वर्तमानकाल
  • भविष्यत्काल।

प्रश्न 3.
भूतकाल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना बीते समय में पाया जाए तो भूतकाल की क्रिया होती है।

मैंने रोटी खाई।
गाड़ी तेज़ चल रही थी।
आंधी से कुछ पेड़ गिरे।

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ऊपर के वाक्यों में ‘खाई’, ‘चल रही थी’, ‘गिरे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है। बीते हुए समय को भूतकाल कहते हैं।

प्रश्न 4.
वर्तमान काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना चल रहे समय में पाया जाए तो वह वर्तमान काल की क्रिया होती है।
कवि कविता लिखता है।
लड़की गाना गाती है।
छात्र पुस्तकें पढ़ते हैं।

इन वाक्यों में लिखता है’, ‘गाती’ है, ‘पढ़ते’ हैं. क्रियाएँ हैं। इनसे क्रिया का करना या होना इसी समय में पाया जाता है। चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।

प्रश्न 5.
भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाए, तो भविष्यत् काल की क्रिया होती है।
लड़के मैदान में खेलेंगे।
किसान फसल काटेंगे।
वह दिल्ली जाएगा।
ऊपर के वाक्यों में ‘खेलेंगे’, ‘काटेंगे’, ‘जाएगा’ – क्रियाएँ हैं। इन से क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है। ये भविष्यत् काल की क्रियाएँ हैं।

PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

10. वाच्य

प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं? वाच्य के भेद भी लिखो।
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप में कर्ता या कर्म या भाव अर्थात् क्रिया व्यापार की प्रमुखता कही जाए, उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के तीन भेद होते हैं –

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य।

प्रश्न 2.
कर्तृवाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप से कर्ता के व्यापार का पता चले उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। राम आता है। मोहन ने दरवाज़ा खोला। श्याम ने पुस्तक खरीदी।

यहाँ ‘आता है’। क्रिया व्यापार करने वाला कर्ता राम है। खोलने की क्रिया करने वाला कर्ता मोहन है और खरीदने की क्रिया करने वाला कर्ता श्याम है।

प्रश्न 3.
कर्मवाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस क्रिया व्यापार से कर्म का व्यापार मुख्य रूप से सूचित हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।

छात्र के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाएगी।
मोहन से लकड़ी नहीं काटी जा रही है।
शीला से दरवाजा नहीं खोला गया।

यहाँ ‘पढ़ने’ की क्रिया व्यापार में कर्ता गौण होकर कर्म पर बल है। इसी प्रकार ‘लकड़ी’ और ‘दरवाज़ा’ पर बल है। यहाँ कर्ता प्रधान नहीं है, कर्म प्रधान है। इसमें कर्ता के साथ ‘के द्वारा’, ‘से’ आदि लगा दिया जाता है।

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प्रश्न 4.
भाववाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस वाक्य रचना में क्रिया का व्यापार ही प्रधान हो उसे भाववाच्य कहते हैं। यहाँ अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग होता है।

हम से नहीं नहाया गया।
बच्चे से रोया जाता है।
नेहा से हँसा जाता है।

यहाँ न कर्म प्रधान है और न ही कर्ता, बल्कि क्रिया के व्यापार को प्रमुखता दी गई है।

11. क्रिया विशेषण

प्रश्न 1.
क्रिया विशेषण किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर :
क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहते हैं। यह अभी आया है।
देखो, यहाँ बहुत शोर है।
मोहन आज बहुत सोया।
समय जल्दी – जल्दी जा रहा है।

ऊपर के वाक्यों में यह कब आया? ‘अभी’। कहाँ बहुत शोर है? ‘यहाँ। मोहन आज कितना सोया? ‘बहुत’। समय कैसा जा रहा है? ‘जल्दी – जल्दी’। क्रिया में यदि हम कब, कहाँ, कितना और कैसे प्रश्न लगाएँ तो हमें क्रिया की विशेषताएँ पता चलती हैं।

क्रिया विशेषण के चार भेद हैं –

  • कालवाचक क्रिया विशेषण
  • स्थानवाचक क्रिया विशेषण
  • परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
  • रीतिवाचक क्रिया विशेषण।

कुछ क्रिया विशेषण इस प्रकार हैं –

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12. सम्बन्ध बोधक

प्रश्न 1.
सम्बन्ध बोधक का लक्षण लिखो।
अथवा
सम्बन्ध बोधक किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ बताए, उसे सम्बन्ध बोधक कहते हैं। जैसे –
मोहन और सोहन साथ जा रहे हैं।
नीतू राम के समान बुद्धिमान है।
बच्चे छत के ऊपर उछल – कूद कर रहे हैं।
आपके सामने कौन बोल सकता है?

ऊपर के वाक्यों में साथ, समान, ऊपर, सामने आदि शब्द वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध प्रकट करते हैं।

कुछ सम्बन्ध बोधक शब्द ये हैं…
पहले, बाद, आगे, पीछे, बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, बीच, निकट, पास, सामने, तरफ, द्वारा, विरुद्ध, अनुसार, तरह, समान, सिवा, रहित, अतिरिक्त, समेत, संग, साथ आदि।

प्रश्न 2.
सम्बन्ध बोधक और क्रिया विशेषण में अन्तर उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर :
मकान के भीतर जाओ।
भीतर जाओ।

पहले वाक्य में भीतर’ शब्द मकान के साथ आया है जबकि दूसरे वाक्य में भीतर’। शब्द क्रिया की विशेषता बता रहा है। जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त हो, उसे सम्बन्ध बोधक कहते हैं और क्रिया के साथ प्रयुक्त होकर क्रिया की विशेषता बताए, उसे क्रिया विशेषण कहते हैं।

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13. योजक

प्रश्न 1.
योजक की परिभाषा लिखो।
अथवा
योजक किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
दो शब्दों या वाक्यों को मिलाने वाले शब्द को योजक कहते हैं। जैसे हरदीप और मनदीप इकट्ठे खेल रहे हैं।
चुपचाप बैठो अन्यथा बाहर चले जाओ। गुरप्रीत पढ़ने में तो अच्छा है परन्तु स्वास्थ्य में कमजोर है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्द ‘और’, ‘अन्यथा’, ‘परन्तु’ आदि दो शब्दों या वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं।
कुछ योजकों के उदाहरण ये हैं : तथा, एवं, या, अथवा, नहीं तो, पर, लेकिन, बल्कि, किन्तु, इसलिए, अतः, क्योंकि, चूँकि, कि, जोकि, ताकि, जिससे, जिसमें, यद्यपि, तथापि, अगर तो, यानि, मानो, यहाँ तक कि आदि।

14. विस्मयादिबोधक

प्रश्न 1.
विस्मयादिबोधक का लक्षण लिखो।
अथवा
विस्मयादिबोधक किसे कहते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो शब्द अचानक मुख से निकलकर घृणा, शोक, आश्चर्य, हर्ष आदि मनोभावों को प्रकट करते हैं, वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।

उदाहरण –
हाय ! मैं तो लुट गया।
वाह ! क्या मधुर आवाज़ है।
शाबाश ! तुमने तो कमाल कर दिया।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘हाय’, ‘वाह’, ‘शाबाश’ आदि शब्द मन के भावों को प्रकट करते हैं। कुछ विस्मयादिबोधक शब्द हैं – ओहो, हे, छि:छि:, धन्य, उफ, बाप रे, अहो, ऐं, वाह – वाह, दुर्, धिक्कार, ठीक, भला, अच्छा, सावधान, होशियार, खबरदार, काश आदि।

15. विराम चिहन

प्रश्न 1.
विराम चिह्न से क्या अभिप्राय है? हिन्दी में प्रचलित चिह्न को स्पष्ट करें।
उत्तर :
बातचीत करते समय हम अपने भावों को स्पष्ट करने के लिए कहीं – कहीं ठहरते हैं। लिखने में भी ठहराव प्रकट करते हैं। ठहराव को प्रकट करने के लिए जो चिहन लगाए जाते हैं, वे विराम चिहन कहलाते हैं।

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मुख्य विराम चिह्न

  1. पूर्ण विराम – ()
    (क) हर वाक्य के अन्त में लगाया जाता है। जैसे – गोपाल आठवीं कक्षा में पढ़ता है।
    (ख) कविता में वाक्य की पूर्णता – अपूर्णता नहीं देखी जाती। इसका प्रयोग पद या पंक्ति के अन्त में किया जाता है।
  2. अल्प – विराम – (,)
    बोलने वाला जहाँ बहुत थोड़ी देर के लिए रुकता है, वहाँ अल्प – विराम लगता है ; जैसे – मैं, कमला और गीता कल मन्दिर जाएंगी।
  3. प्रश्न – सूचक चिह्न – (?) प्रश्न – सूचक वाक्य के अन्त में प्रश्न – सू लगाया जाता है; जैसे – इस समय भारत के प्रधानमन्त्री कौन हैं?
  4. उद्धरण चिह्न – (“”) किसी के कथन को उसी रूप में दिखाने के लिए उद्धरण चिह्न लगाया जाता है ; जैसे – महात्मा गांधी जी ने कहा था, “सच्चाई की अन्त में विजय होती है।”
  5. विस्मयादिबोधक चिह्न – (!) विस्मयादिबोधक चिह्न अव्ययों के बाद लगते हैं; जैसे – अहो ! हाय ! आदि।
  6. निर्देशक – ( – ) इसका प्रयोग कथोपकथन (बातचीत) में बोलने वाले के नाम के आगे आता है। माता – पुत्र ! इधर आओ, मेरी बात सुनो।
    आचार्य – बालको ! भारत को कब आजादी मिली थी?
  7. योजक – ( – ) दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे – माता – पिता की सेवा करो।
  8. कोष्ठक चिह्न – () (क) किसी शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे – क्या तुम मेरे कहने का तात्पर्य (मतलब) समझ गए?

(ख) विभाग सूचक अंक या अक्षरों के लिए भी इसी चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे – संज्ञा के तीन भेद हैं –

  • व्यक्तिवाचक
  • जातिवाचक और
  • भाववाचक।

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9. लाघव चिन – (०) जहाँ शब्द को पूरा न लिख कर उसका संक्षिप्त रूप लिख दिया जाए वहाँ लाघव चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे पं० नेहरू। ला० लाजपतराय। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Patra Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 1.
अपने मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
खालसा हाई स्कूल,
जालन्धर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन यह है कि मुझे कल रात सख्त बुखार हो गया है। डॉक्टर ने दवा देने के साथ-साथ आराम करने को कहा है। इसलिए मैं आज स्कूल नहीं आ सकता। कृपा करके मुझे दो दिन 14-4-20….. से 15-4-20…… की छुट्टी देकर कृतार्थ करें। मैं आपका बहुत धन्यवादी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
विजय सिंह।
कक्षा सातवीं ‘ए’।

तिथि : 14 अप्रैल, 20……

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 2.
आवश्यक काम के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
नकोदर।

श्रीमान् जी,
विनम्र निवेदन यह है कि आज मुझे घर पर एक अति आवश्यक कार्य पड़ गया है। इसलिए मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपा करके मुझे एक दिन का अवकाश देकर कृतार्थ करें। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद होगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
बलदेव सिंह।
तिथि : 5 मई, 20……
कक्षा सातवीं ‘बी’।

प्रश्न 3.
बड़े भाई/बड़ी बहन के विवाह के कारण अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापिका महोदया,
गुरु तेग बहादुर हाई स्कूल,
फिरोज़पुर।

श्रीमती जी,
सविनय प्रार्थना यह है कि मेरे बड़े भाई/बड़ी बहन का विवाह 12 अक्तूबर को होना निश्चित हुआ है। मेरा इसमें सम्मिलित होना आवश्यक है। इसलिए इन दिनों मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकती। कृपया आप मुझे 11 अक्तूबर से 13 अक्तूबर तक का अवकाश प्रदान करें।

आपकी अति कृपा होगी।

आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
निर्मल कौर।
रोल नं05
कक्षा सातवीं ‘ए’।

तिथि : 11 अक्तूबर, 20……

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प्रश्न 4.
फीस माफी के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
नवांशहर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में सातवीं श्रेणी में पढ़ता हूँ। मैं एक निर्धन विद्यार्थी हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आमदनी केवल चार हज़ार रुपये है। इस आय से परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल से होता है। अत: मेरे पिता जी मेरी फीस नहीं दे सकते। मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, परन्तु आपके सहयोग की आवश्यकता है। कृपा करके मेरी पूरी फीस माफ करने का कष्ट करें। इस हेतु मैं आपका जीवन भर आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
महेन्द्र सिंह।
कक्षा सातवीं ‘ए’
रोल नं0 15

तिथि : 10 मई, 20……

प्रश्न 5.
जुर्माना माफ करवाने के लिए मुख्याध्यापिका को प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापिका महोदया,
खालसा हाई स्कूल,
अमृतसर।

श्रीमती जी,
सविनय प्रार्थना है कि इस शनिवार को मेरी अंग्रेजी विषय की अध्यापिका जी ने हमारा टैस्ट लेना था। उस दिन मेरे माता जी बीमार थे। घर में मेरे अलावा कोई नहीं था। अत: उस दिन मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकी। मेरी अध्यापिका ने मुझे बीस रुपए विशेष जुर्माना किया। मेरे पिता जी बहुत गरीब हैं। मैं यह जुर्माना नहीं दे सकती। वैसे मैं अंग्रेज़ी विषय में बहुत अच्छी हूँ। इस बार त्रैमासिक परीक्षा में मेरे 100 में से 80 अंक आए थे।

आपसे सविनय प्रार्थना है कि आप कृपया मेरा जुर्माना माफ कर दीजिए। मैं आपकी अत्यन्त आभारी रहूँगी।

आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
सिमरन,
कक्षा सातवीं ‘ए’।

तिथि : 12 अगस्त, 20……

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 6.
स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र लेने के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गुरु नानक मिंटगुमरी हाई स्कूल,
कपूरथला।

श्रीमान् जी,
सविनय प्रार्थना यह है कि मेरे पिता जी की बदली फिरोज़पुर की हो गई है। इसलिए हम सबको यहाँ से जाना पड़ रहा है। मेरा यहाँ अकेला रहना मुश्किल है। अत: मुझे स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें ताकि फिरोज़पुर जाकर मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुखबीर सिंह,
कक्षा सातवीं ‘बी’
रोल नं0 18

तिथि : 15 सितम्बर, 20……..

प्रश्न 7.
पुस्तकें मँगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
प्रबन्धक महोदय,
मल्होत्रा बुक डिपो,
रेलवे रोड,
जालन्धर।

श्रीमान् जी,
कृपया निम्नलिखित पुस्तकें वी०पी०पी० द्वारा शीघ्र भेज दें। पुस्तकें भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि कोई पुस्तक मैली और फटी न हो। आपके नियमानुसार दो सौ रुपए मनीआर्डर द्वारा भेज रहा हूँ।

ये सब पुस्तकें सातवीं श्रेणी के लिए और नए संस्करण (एडीशन) की होनी चाहिएँ।
1. MBD हिन्दी गाइड 10 प्रतियाँ
2. MBD इंग्लिश गाइड 12 प्रतियाँ
3. MBD पंजाबी गाइड 8 प्रतियाँ

भवदीय,
मोहन सिंह (मुख्याध्यापक),
माता गुजरी स्कूल,
तिथि : 15 मई, 20…..
अबोहर।

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प्रश्न 8.
रुपए मँगवाने के लिए पिता जी को पत्र लिखो।
उत्तर :
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
गढ़दीवाला।
15 मई, 20….
पूज्य पिता जी,

सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर बड़ी खुशी होगी कि मैं छठी कक्षा में से अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण अब मैंने सातवीं श्रेणी में दाखिला लेना है। इस श्रेणी की मैंने पुस्तकें एवं कापियाँ भी खरीदनी हैं। इसलिए कृपा करके मुझे पाँच सौ रुपए मनीआर्डर द्वारा शीघ्र भेज दें ताकि मैं ठीक समय पर सातवीं श्रेणी में दाखिला ले सकूँ। माता जी को प्रणाम। बिट्ट और मधु को प्यार।

आपका आज्ञाकारी बेटा,
राजीव कुमार

प्रश्न 9.
अपने जन्म-दिन पर चाचा जी को निमन्त्रण पत्र लिखो।
उत्तर :
205, मॉडल टाऊन,
जालन्धर शहर।
20 अप्रैल, 20……
पूज्य चाचा जी,

सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि 23 अप्रैल को मेरा जन्म-दिन है। इसलिए मैं अपने मित्रों को शाम को चाय पार्टी दे रहा हूँ। आप भी चाची जी एवं रिंकू और नीतू को लेकर इस छोटी-सी चाय पार्टी पर आएँ।

चाची जी को प्रणाम। रिंकू और नीतू को प्यार।

आपका भतीजा,
विजय सिंह

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 10.
मित्र के प्रथम आने पर बधाई पत्र लिखो।
उत्तर :
208, प्रेमनगर,
लुधियाना।
11 अप्रैल, 20…..

प्रिय मित्र प्रताप,
कल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुम पाँचवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हो। मेरी ओर से अपनी इस शानदार सफलता पर हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं कामना करता हूँ कि तुम अगली परीक्षा में भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त करोगे। मैं एक बार फिर तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र,
मनोहर सिंह

प्रश्न 11.
चाचा जी को जन्म-दिन पर भेजे गए उपहार का धन्यवाद देते हुए पत्र लिखो।
उत्तर :
16, जवाहर नगर,
जालन्धर शहर।
24 अगस्त, 20…..
पूज्य चाचा जी,

सादर प्रणाम।
आपका भेजा हुआ उपहार मुझे परसों मिल गया था। जब मैंने उसे खोला तो उसमें अपने लिए एक पैन देखकर बहुत खुश हुआ। यह बहुत बढ़िया पैन है। यह बहुत सुन्दर लिखता है। मैं इसे हर रोज़ अपने स्कूल लेकर जाता हूँ। मेरे मित्रों को यह बहुत पसन्द है। मैं इस सुन्दर उपहार के लिए आपका बहुत आभारी हूँ। चाची जी को प्रणाम। रमा और बिट्ट को प्यार।

आपका भतीजा,
बलवन्त सिंह

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प्रश्न 12.
अपने मित्र को बड़े भाई के विवाह पर निमन्त्रण-पत्र लिखो।
उत्तर :
105, आदर्श नगर,
लुधियाना।
12 सितम्बर, 20…..

प्रिय मित्र दिनेश,
तुम्हें यह जानकर बड़ी खुशी होगी कि मेरे बड़े भाई का विवाह 15 सितम्बर को होना निश्चित हुआ है। बारात गुरदासपुर जा रही है। इसी खुशी के मौके पर मैं तुम्हें भी विवाह पर आने का निमन्त्रण देता हूँ। कृपया इस शुभ अवसर पर आकर मंडप की शोभा बढ़ाएँ। तुम्हें बारात के साथ भी चलना पड़ेगा। सचमुच अगर तुम साथ होगे तो बड़ा मज़ा आएगा। भैया और माता-पिता जी को साथ लाना न भूलना।

तुम्हारा मित्र,
उदय सिंह

प्रश्न 13.
अपने मित्र को पत्र लिखकर बतायें कि आपका नया स्कूल किन-किन बातों में अच्छा है।
उत्तर :
81, विजय नगर,
पटियाला।
17 मई, 20…..
प्रिय मित्र सुरेश,

सादर प्रणाम!
तुम्हारी इच्छा के अनुसार मैं इस पत्र में अपने स्कूल के बारे में कुछ पंक्तियां लिख रहा हूं। मेरे स्कूल का नाम राजकीय हाई स्कूल है। यह अपने नगर के सभी स्कूलों में सबसे अच्छा स्कूल है। यहां खेलों का बहुत ही अच्छा प्रबंध है। प्रत्येक छात्र किसी-न-किसी खेल में अवश्य भाग लेता है। इसका भवन बहुत बड़ा है। इसमें लगभग 1500 छात्र पढ़ते हैं तथा 50 अध्यापक पढ़ाते हैं। इसके चारों और सुंदर बाग हैं, जिसमें कई प्रकार के फूल खिले रहते हैं। हमारे अध्यापक बहुत ही सदाचारी तथा मेहनती हैं। मुख्याध्यापक तो बहुत ही योग्य, शांत तथा अनुशासन-प्रिय व्यक्ति हैं। मुझे अपने स्कूल पर गर्व है।

तुम्हारा मित्र,
गुरदेव।

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प्रश्न 14.
मान लो आपका नाम गणेश है। आप 15, पटेल नगर, दिल्ली में रहते हैं। अपने मित्र, जिसका नाम हरीश है, को गर्मी की छुट्टियाँ किसी पर्वत पर बिताने के लिए निमन्त्रण-पत्र लिखें।
अथवा
अपने मित्र को एक पत्र लिखें, जिसमें उसे गर्मी की छुट्टियाँ शिमला में बिताने के लिए कहा गया हो।
उत्तर :
15, पटेल नगर,
दिल्ली।
20 मार्च, 20…..
प्रिय मित्र हरीश,

सप्रेम नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। तुमने ग्रीष्मावकाश में मेरा कार्यक्रम जानने की इच्छा प्रकट की। तुम्हें याद होगा कि मैंने गत गर्मियों की छुट्टियाँ तुम्हारे साथ जयपुर में बिताई थीं। इस समय तुमने वायदा किया था कि अगली गर्मी की छुट्टियाँ किसी पर्वतीय स्थान पर बिताएंगे। इस बार मेरा विचार शिमला जाने का है। अपने वचन के अनुसार तुम्हें भी मेरे साथ चलना है। मेरे मामा जी वहाँ अध्यापक हैं। अत: वहाँ मनोरंजन के साथ-साथ पढ़ाई भी हो सकेगी।

इस प्रकार शिमला में गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने में एक पंथ और दो काज होंगे। तुम तो जानते ही होगे कि शिमला को पहाड़ों की रानी कहा जाता है। गर्मियों में वहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना होता है। वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य तो अद्भुत हैं। चीड़ और देवदार के ऊँचे-घने पेड़ उसकी शोभा को चार चाँद लगाते हैं। वहाँ जब शाम के समय हम रिज और माल रोड पर घूमेंगे तो मज़ा आ जाएगा।

आशा है कि तुम मेरा शिमला चलने का सुझाव अवश्य स्वीकार करोगे। तुम्हारी स्वीकृति आने पर मैं मामा जी को पत्र लिखूगा। पूज्य माता-पिता जी को मेरी चरण वन्दना कहना। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में –

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
गणेश।

प्रश्न 15.
खिड़की का शीशा टूट जाने पर क्षमा माँगते हुए प्रार्थना पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय हाई स्कूल,
जालन्धर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में सातवीं श्रेणी में पढ़ता हूँ। मैं एक निर्धन विद्यार्थी हूँ। आधी छुट्टी के समय मैं अपने सहपाठियों के साथ खेल रहा था। अचानक मेरे हाथ से गेंद छूटकर खिड़की के शीशे पर लगी और शीशा टूट गया। मेरे कारण विद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुँचा है। इस नुकसान के लिए मुझं पर ₹ 500 का जुर्माना किया गया है। मुझे अपनी गलती पर दुख एवं शर्मिंदगी है। मेरे पिता जी की मासिक आमदनी बहुत कम है। वह यह जुर्माना नहीं भर पाएँगे। अत: आपसे मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि मेरी इस भूल तथा मुझ पर लगाए जुर्माने को क्षमा करने का कष्ट करें। इस हेतु मैं आपका जीवन भर आभारी रहूँगा।

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आपका आज्ञाकारी शिष्य,
प्रेम कुमार,
कक्षा सातवीं बी,
तिथि : 10 दिसंबर, 20.
रोल नं0 25