PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन समूह और सन्तुलित भोजन

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Chapter 3 भोजन समूह और सन्तुलित भोजन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Home Science Chapter 3 भोजन समूह और सन्तुलित भोजन

PSEB 7th Class Home Science Guide भोजन समूह और सन्तुलित भोजन Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
अनाज से कौन-सा पोषक तत्त्व प्रमुख रूप से प्राप्त होता है?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट।

प्रश्न 2.
दालों में सबसे अधिक कौन-सा पौष्टिक तत्त्व पाया जाता है?
उत्तर-
प्रोटीन।

प्रश्न 3.
फलों से कौन-से पौष्टिक तत्त्व प्राप्त होते हैं?
उत्तर-
फलों से विटामिन तथा खनिज लवण तथा मीठे फलों से कार्बोहाइड्रेट।

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प्रश्न 4.
दूध में कौन-से पोषक तत्त्व नहीं पाये जाते?
उत्तर-
दूध में लोहा और विटामिन ‘सी’ तत्त्व नहीं पाए जाते हैं।

प्रश्न 5.
सूखे मेवों में से हमें कौन-से मुख्य पौष्टिक तत्त्व मिलते हैं?
उत्तर-
प्रोटीन, लोहा तथा विटामिन ‘बी’।

प्रश्न 6.
हरी मिर्च से कौन-सा पौष्टिक तत्त्व मिलता है?
उत्तर-
विटामिन ‘सी’।

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प्रश्न 7.
सोयाबीन किस पौष्टिक तत्त्व का मुख्य साधन है?
उत्तर-
प्रोटीन का।

प्रश्न 8.
गुड़, शक्कर और चीनी से कौन-सा पोषक तत्व प्राप्त होता है?
उत्तर-
ये हमें कार्बोहाइड्रेट देते हैं।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन को कौन-कौन से भोजन समूहों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर-
भोजन के सात समूह हैं-

  1. कई प्रकार के अनाज,
  2. कई प्रकार की दालें और सूखे मेवे,
  3. भांति-भांति की सब्जियाँ,
  4. ताजे फल,
  5. दूध और दूध से बनी वस्तुएं,
  6. मांस समूह,
  7. गुड़, चीनी, तेल और तेलों के बीज।

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प्रश्न 2.
सन्तुलित भोजन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
विभिन्न भोज्य पदाथों के मिश्रण से बना वह आहार जो हमारे शरीर को सभी पौष्टिक तत्त्व हमारी शारीरिक आवश्यकतानुसार, उचित मात्रा में प्रदान करता है, सन्तुलित भोजन (Balanced food) कहलाता है।

प्रश्न 3.
ताजी सब्जियाँ और फल हमारे लिए क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर-
ताजी सब्जियाँ-इस समूह में पत्ते वाली और बिना पत्ते वाली सभी सब्जियाँ शामिल हैं। इसमें हमें विटामिन और खनिज लवण मिलते हैं। हरे मटर, लोबिये की फलियों आदि से काफ़ी मात्रा में प्रोटीन मिलती है। फल-फलों में ग्लूकोज़ होता है जो बड़ी आसानी से पच जाता है। फलों में प्रोटीन और वसा (चिकनाई) नहीं होती, परन्तु विटामिन ‘ए’, ‘सी’, और लोहा काफ़ी मात्रा में होता है। कुछ मात्रा में विटामिन ‘बी’ भी मिलते हैं।

प्रश्न 4.
सोयाबीन का दूध और दही कैसे बनाते हैं?
उत्तर-
सोयाबीन का दूध बनाने के लिए उसे 3-4 घण्टे तक पानी में भिगोते हैं। अब धूप में सुखाकर उसका छिलका उतार लेते हैं। अब रातभर पानी में भिगोकर रगड़ते हैं जिससे छिलका साफ़ हो जाए। इसके बाद इसे 10 मिनट तक सोडियम बाइकार्बोनेट के गरम घोल में गिो देते हैं। इस मिश्रण को 15 मिनट तक उबालकर ठण्डा करते हैं। अब इसे छान लेते और इस प्रकार सोयाबीन का दूध तैयार हो जाता है। इसका दही बनाने के लिए दूध में थोड़ी चीनी या शहद मिलाकर और थोड़ा खट्टा मिलाकर दूध को जमा देते हैं।

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प्रश्न 5.
चावल को पकाते समय इनके पौष्टिक तत्त्वों को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर-
चावलों को पकाते समय इसके पौष्टिक तत्त्वों को मॉड़ नहीं निकालकर सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रश्न 6.
सबसे बढ़िया दाल कौन-सी है और क्यों?
उत्तर-
सबसे बढ़िया दाल सोयाबीन की है, क्योंकि इसमें प्रोटीन और विटामिन ‘बी’ की अधिक मात्रा होती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक साधारण काम करने वाले व्यक्ति को कितने भोजन की ज़रूरत होती है ?
उत्तर-
साधारण काम करने वाले व्यक्ति का भोजन –
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प्रश्न 2.
नीचे लिखे भोजनों से हमें क्या-क्या मिलता है दूध, मीट, गेहूँ, सोयाबीन।
उत्तर-
दूध से-प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा (चिकनाई), विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘डी’, चूना और फॉस्फोरस।
मीट से-प्रोटीन, लोहा, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, ‘ए’ और ‘बी’।
गेहूँ से- प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण। – सोयाबीन-प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेटस, लोहा, कैल्शियम, विटामिन ‘बी’ आदि।

प्रश्न 3.
क्या गेहूँ सम्पूर्ण आहार है ? इसे सम्पूर्ण आहार कैसे बनाया जा सकता है।
उत्तर-
हाँ, गेहूँ सम्पूर्ण भोजन है क्योंकि इसमें अन्य अनाज़ों की अपेक्षा प्रोटीन अधिक और अच्छी किस्म का होता है। इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन और खनिज लवण भी होते हैं। अन्य अनाजों की तरह इसमें अधिकतर कार्बोहाइड्रेट होते हैं। क्योंकि ज़्यादातर इसके पौष्टिक तत्त्व छिलके के पास ही होते हैं, इसलिए आटा अगर मशीन से बारीक पीसा जाए या मैदा बना लिया जाए तो पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं और मैदा में केवल कार्बोहाइड्रेट ही रह जाते हैं। इसे सम्पूर्ण भोजन बनाने के लिए दालें, दूध, सब्जियाँ और दूसरे आहारों का भी इस्तेमाल किया जाता है।

प्रश्न 4.
गेहूँ और मक्की के पौष्टिक तत्त्वों की तुलना करो।
उत्तर-
गेहूँ के छिलके के पास अधिक पौष्टिक तत्व होते हैं यदि इसे बारीक पीस दिया जाए तो इसके अत्यधिक पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसलिए गेहूँ और मक्का के आटे को बारीक नहीं पीसना चाहिए।

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प्रश्न 5.
अपने लिए एक दिन के सन्तुलित भोजन की सूची बनाओ।
उत्तर-
अपने लिए एक दिन के सन्तुलित भोजन की सूची –

मांसाहारी नाश्ता शाकाहारी नाश्ता
आमलेट पौष्टिक परांठे
दूध दही
मक्खन वाले टोस्ट चाय
अमरूद
मांसाहारी दोपहर का खाना शाकाहारी दोपहर का खाना
दाल दाल
आलू गोभी आलू फलियां
रायता रायता
फुलके फुलके
सन्तरा सन्तरा
शाम की चाय शाम की चाय
चाय चाय
मैदे के मटर बिस्कुट
रात का खाना रात का खाना
पालक मीट सरसों का साग
चावल मक्की की रोटी
सलाद सलाद
कोई मीठी चीज़ खीर।

Home Science Guide for Class 7 PSEB भोजन समूह और सन्तुलित भोजन Important Questions and Answers

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हरी साग-सब्जियों में कौन-कौन से पोषक तत्त्व मिलते हैं?
उत्तर-
कैल्शियम, लोहा, विटामिन ‘ए’, विटामिन ‘सी’ तथा अन्य खनिज लवण।

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प्रश्न 2.
किन व्यक्तियों के लिए भोजन में हरी स! जयों का समावेश अति आवश्यक है?
उत्तर-
बच्चों, गर्भवती तथा स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए।

प्रश्न 3.
विटामिन ‘ए’ किन फलों से अधिक मिलता है?
उत्तर-
पपीता, आम तथा दूसरे पीले रंग के फलों से।

प्रश्न 4.
आहार में मसालों का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
मसाले भोजन को सुगन्धित, आकर्षक, स्वादिष्ट तथा सुपाच्य बनाते हैं।

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प्रश्न 5.
कितने प्रतिशत लोग कार्बोहाइड्रेट्स की पूर्ति अनाज से करते हैं?
उत्तर-
लगभग 70 से 80% लोग।

प्रश्न 6.
सोयाबीन व मूंगफली के दूध में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं?
उत्तर-
प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, लोहा, कैल्शियम, विटामिन ‘बी’ आदि।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जन्तुओं से प्राप्त होने वाले भोज्य-पदार्थों के नाम बताओ।
उत्तर-
जन्तुओं से प्राप्त होने वाले भोज्य-पदार्थ निम्नलिखित हैं

  1. दूध तथा दूध से बनी वस्तुएँ-दूध से बनी वस्तुआ में प्रमुख हैं-क्रीम, दही, मक्खन, मट्ठा, घी, पनीर।
  2. मांस।
  3. मछली।
  4. अण्डे।
  5. जन्तुओं से प्राप्त होने वाले वसा एवं तेल।

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प्रश्न 2.
मांस, मछली तथा अण्डों से मिलने वाले भोजन की क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर-
मांस, मछली, मुर्गा आदि में उत्तम किस्म की प्रोटीन व विटामिन ‘बी’ उचित मात्रा में पाए जाते हैं। इनमें विटामिन ‘ए’ नहीं होता। मछलियों में कैल्शियम होता है।
अण्डे में विटामिन ‘सी’ को छोड़कर सभी पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
मूंगफली का दूध किस प्रकार तैयार किया जाता है?
उत्तर-
मूंगफली का दूध बनाने के लिए उत्तम किस्म की मूंगफली का प्रयोग किया जाता है। सबसे पहले मूंगफली का छिलका उतार कर दानों को तीन घण्टे के लिए पानी में भिगो देते हैं। अब उन्हें सिल पर या मिक्सी में पीस कर लुगदी बना लेते हैं। किलोग्राम लुगदी में 30 कप पानी मिलाकर उसमें 1/2 कप चूने का स्वच्छ पानी मिला देते हैं। घोल को छानकर 25 मिनट तक उबालते हैं। इसमें चीनी मिलाते हैं। दूध तैयार हो जाता है।

प्रश्न 4.
फलों के रस उपयोगी पेय हैं, क्यों?
उत्तर-

  1. इनमें प्रोटीन, शर्करा, खनिज लवण तथा विटामिन आदि पोषक तत्त्व पाए जाते हैं।
  2. ये मानव शरीर की गर्मी शान्त करते हैं।
  3. ये प्यास बुझाने के साथ-साथ मस्तिष्क को शीतल एवं बलिष्ठ बनाते हैं।
  4. ये स्वादिष्ट तथा पौष्टिक पेय होते हैं।

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प्रश्न 5.
चाय का मानव शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, क्यों?
उत्तर-
चाय के अधिक सेवन से निम्न हानिकारक प्रभाव होते हैं

  1. दिल की धड़कन तेज़ होकर रक्त-प्रवाह की गति तेज़ हो जाती है।
  2. पसीना अधिक बनता है।
  3. टैनिक अम्ल पाचन क्रिया को कमजोर बनाता है तथा कब्ज की शिकायत रहने लगती है।
  4. अनिद्रा रोग हो जाता है।
  5. भूख नहीं लगती।

प्रश्न 6.
हरी शाक-सब्जियों व जड़ों वाली सब्जियों की विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
हरी शाक सब्जियों जैसे-पालक, बथुआ, चौलाई, धनिया और दूसरी पत्तेदार सब्जियाँ प्रत्येक व्यक्ति के लिए ज़रूरी हैं। इन सबसे हमें कैल्शियम, लोहा, विटामिन “ए” और “सी” तथा अन्य खनिज लवण मिलते हैं। गर्भवती तथा स्तनपान करवाने वाली महिलाओं तथा बच्चों के लिए भोजन में इन हरी सब्जियों का होना जरूरी होता है।

प्रश्न 7.
वनस्पति दूध की क्या विशेषता है?
उत्तर-
वनस्पति दूध-यह वनस्पति पदार्थ सोयाबीन व मूंगफली से प्राप्त होता है। इनसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, लोहा, कैल्शियम, विटामिन “बी” इत्यादि सभी प्रकार के पोषक पदार्थ अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं।

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प्रश्न 8.
मक्की में पौष्टिक तत्वों के बारे में बताएं।
उत्तर-
इसमें प्रोटीन, चिकनाई, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए होता है। प्रोटीन अच्छी किस्म का नहीं है तथा विटामिन ‘बी’ कम होता है।

प्रश्न 9.
गेहूँ और मक्की के पौष्टिक तत्त्वों की तुलना करो।
उत्तर-

गेहूँ में पौष्टिक तत्त्व मक्की में पौष्टिक तत्त्व
गेहूँ में प्रोटीन अन्न अनाजों से अच्छी किस्म का होता है। इसमें खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, विटामिन ‘बी’ होते । इसमें पौष्टिक तत्त्व गेहूँ जितने ही होते हैं। इसमें गेहूँ से अधिक चिकनाई (वसा) और साथ में विटामिन ‘ए’ भी होता है। लेकिन इसकी प्रोटीन अच्छी किस्म की नहीं होती, न ही इसमें विटामिन ‘बी’ होती है।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
उच्च स्तर का कार्बोहाइड्रेट किस अनाज से प्राप्त होता है?
उत्तर-
चावल से।

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प्रश्न 2.
रॉगी में कौन-सा खनिज लवण पाया जाता ह?
उत्तर-
कैल्शियम।।

प्रश्न 3.
दालों को अनाज के साथ मिलाकर खाने से क्या लाभ होता है?
उत्तर-
भोजन की पौष्टिकता बढ़ जाती है।

प्रश्न 4.
अंकरित दालें किस विटामिन का उत्तम स्त्रोत होती हैं?
उत्तर-
विटामिन ‘सी’ का।

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प्रश्न 5.
जड़ों वाली सब्जियों में मुख्य रूप से कौन-सा पोषक तत्त्व प्राप्त होता है?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट।

प्रश्न 6.
विटामिन ‘सी’ का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर-
आंवला।

प्रश्न 7.
भोजन के कितने समूह हैं?
उत्तर-
सात।

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प्रश्न 8.
गेहूँ ……………. आहार है।
उत्तर-
सम्पूर्ण।

प्रश्न 9.
जड़ वाली सब्जियों में ……… अधिक मिलता है।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स।

प्रश्न 10.
चीनी से क्या मिलता है?
उत्तर-
ऊर्जा (कार्बोज)।

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प्रश्न 11.
मक्की में कौन-सा विटामिन कम होता है?
उत्तर-
विटामिन ‘बी’।

भोजन समूह और सन्तुलित भोजन PSEB 7th Class Home Science Notes

  • हमारा शरीर कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, गन्धक, फॉस्फोरस, चूना, लोहा तथा अन्य कई रासायनिक तत्त्वों से मिलकर बना है।
  • गेहूँ सभी अनाजों से उत्तम माना जाता है।
  • भोजन में विटामिन ‘बी’ वाले और कोई खाद्य-पदार्थ शामिल न हों तो बेरी बेरी नामक रोग होने का भय रहता है।
  • गेहूँ एक सम्पूर्ण आहार नहीं है। इसलिए इसके साथ-साथ दालें, दूध, सब्जियाँ और दूसरे आहारों का भी प्रयोग करना चाहिए।
  • छिलके वाली और साबुत दालों का प्रयोग अधिक करना चाहिए क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
  • जड़ वाली सब्जियाँ-इनमें अधिक कार्बोहाइड्रेट मिलते हैं। ताजी सब्ज़ियाँ-इनमें हमें विटामिन और खनिज लवण मिलते हैं।
  • पत्ते वाली सब्जियाँ- इनमें लोहा, सोडियम, फॉस्फोरस, चूना, आयोडीन और गन्धक होता है। जितने गहरे रंग के पत्ते हों उतना ही ज़्यादा विटामिन ‘ए’ होता है।
  • आँवला, नींबू और टमाटर में विटामिन
  • ‘सी’ काफ़ी अधिक होता है। सभी फलों की अपेक्षा अमरूद में विटामिन ‘सी’ ज़्यादा होता है।
  • पपीता में शक्कर और विटामिन ‘ए’ काफ़ी मात्रा में होते हैं।
  • शाकाहारी लोगों को दूध, दही और पनीर का प्रयोग अधिक करना चाहिए।
  • दूध को फटा कर पनीर तैयार किया जाता है।
  • भारत में अधिकतर भेड़ों और बकरों का मीट खाया जाता है।
  • मांस दो प्रकार के होते हैं-(i) पट्टे का मांस, (ii) खास अंगों का मांस जैसे कलेजी, गुर्दा, मगज आदि।
  • सन्तुलित भोजन उसे कहते हैं जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज की ठीक मात्रा शामिल हो।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 2 पृथ्वी का आन्तरिक तथा बाहरी स्वरूप

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2 पृथ्वी का आन्तरिक तथा बाहरी स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Geography Chapter 2 पृथ्वी का आन्तरिक तथा बाहरी स्वरूप

SST Guide for Class 7 PSEB पृथ्वी का आन्तरिक तथा बाहरी स्वरूप Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में लिखें

प्रश्न 1.
धरती की कितनी पर्ते हैं? इनके नाम लिखो।
उत्तर-
धरती की तीन पर्ते हैं-स्थल मण्डल, मैंटल तथा केन्द्रीय भाग। इन्हें क्रमशः सियाल, सीमा तथा नाइफ कहा जाता है।

प्रश्न 2.
धरती पर कितनी प्रकार की चट्टानें पाई जाती हैं?
उत्तर-
धरती पर कई प्रकार की चट्टानें (शैलें) पाई जाती हैं। निर्माण के आधार पर चट्टानें तीन प्रकार की होती हैं-आग्नेय चट्टानें, तलछटी या तहदार चट्टानें तथा परिवर्तित चट्टानें।

प्रश्न 3.
धरती के मैंटल भाग के बारे में लिखो।
उत्तर-
पृथ्वी की ऊपरी पर्त के नीचे पृथ्वी का मैंटल भाग है। इसकी सामान्य मोटाई 2900 किलोमीटर है। इनको दो भागों में बांटा जाता है-ऊपरी मैंटल और निचली मैंटल।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 2 पृथ्वी का आन्तरिक तथा बाहरी स्वरूप

प्रश्न 4.
धरती की सियाल परत को इस नाम से क्यों पुकारा जाता है?
उत्तर-
धरती की सियाल परत में सिलिकॉन (Si) तथा एल्युमीनियम (AI) तत्त्वों की अधिकता है। इसी कारण इस परत को सियाल (Si + Al = SIAL) कहा जाता है।

प्रश्न 5.
धरती के आन्तरिक भाग (परत) को क्या कहते हैं? यह कौन-कौन से तत्त्वों की बनी हुई है?
उत्तर-
पृथ्वी के आन्तरिक भाग को ‘नाइफ़’ कहते हैं। यह परत निक्कल तथा लोहे से बनी है।

प्रश्न 6.
धरती के भूमि कटाव से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर-
धरती को निम्नलिखित उपायों द्वारा भूमि कटाव से बचाया जा सकता है –

  1. अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाकर
  2. खेतीबाड़ी के अच्छे ढंग अपनाकर
  3. पशुओं की चराई को घटाकर।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दो।

प्रश्न 1.
अग्नि (आग्नेय) चट्टानें किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार की हैं? अंतर्वेदी (अंतर्वेधी) चट्टानों के बारे में लिखो।
उत्तर-
अग्नि (आग्नेय) चट्टान वह चट्टान है जिसका निर्माण मैग्मा तथा लावा के ठण्डा होने से हुआ है। ये चट्टानें दो प्रकार की होती हैं-अंतर्वेदी (अन्तर्वेधी) चट्टानें तथा बाहरवेदी (बहिर्वेधी) चट्टानें।

अन्तर्वेधी आग्नेय चट्टानें-कभी-कभी मैग्मा पृथ्वी के अन्दर ही धीरे-धीरे ठण्डा होकर जम जाता है। इस प्रकार बनी चट्टानों को अन्तर्वेधी आग्नेय चट्टानें कहते हैं। ये चट्टानें दो प्रकार की होती हैं-पातालीय आग्नेय चट्टानें तथा . मध्यवर्ती आग्नेय चट्टानें।

1. पातालीय आग्नेय चट्टानें-जब पृथ्वी के आन्तरिक भाग में मैग्मा बहुत अधिक गहराई पर चट्टान का रूप ले लेता है, तो उस चट्टान को पाताली अग्नि (पातालीय आग्नेय) चट्टान कहा जाता है। ग्रेनाइट इसी प्रकार की चट्टान है ।

2. मध्यवर्ती आग्नेय चट्टानें-कभी कभी मैग्मा पृथ्वी के मध्य भागों की दरारों में जम जाता है। इस प्रकार जो चट्टानें बनती हैं उन्हें मध्यवर्ती अग्नि (आग्नेय) चट्टानें कहते हैं। डाइक तथा सिल इन चट्टानों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
पर्तदार (सतहदार) चट्टानें किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार की हैं?
उत्तर-
पर्तदार (सतहदार) चट्टानें वे चट्टानें हैं जो पर्तों (परतों) के रूप में पाई जाती हैं। ये अनाच्छादन के कारकों की जमाव क्रिया से बनती हैं। ये जमाव पृथ्वी के निचले स्थानों पर पाए जाते हैं।
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 2 पृथ्वी का आन्तरिक तथा बाहरी स्वरूप 1
पृथ्वी के तल पर वर्षा, वायु, गर्मी, सर्दी, नदी तथा हिमनदी के कारण शैलें टूटती रहती हैं। नदी-नाले इन टूटे हुए शैल कणों को अपने साथ बहाकर ले जाते हैं। जब ये नदी-नाले समुद्र में जाकर गिरते हैं तो सारा तलछट समुद्र की तह में जमा हो जाता है। वायु भी अनेक शैल कण उड़ाकर समुद्र में फेंकती है। समुद्र में जमा होने वाली इस सामग्री को तलछट अथवा अवसाद कहते हैं। समय बीतने के साथ-साथ नदियां तलछट की परतों पर परतें बिछाती रहती हैं। लाखों वर्षों के पश्चात् दबाव के कारण तलछट की परतें कठोर हो जाती हैं और तलछटी अथवा तहदार चट्टानों का रूप धारण कर लेती हैं। रचना के आधार पर तलछटी शैलें दो प्रकार की होती हैं-जैविक तथा अजैविक।

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प्रश्न 3.
रूपान्तरित चट्टानों के बारे में लिखो, इन चट्टानों के प्रमुख उदाहरण दो।
उत्तर-
धरती के अंदर ताप एवं दबाव या दोनों के संयुक्त प्रभाव के कारण, आग्नेय और तहदार चट्टानों के रंग, रूप, संरचना, कठोरता आदि में परिवर्तन आ जाता है। इन परिवर्तनों के कारण मूल रूप से बदल जाने वाली इन चट्टानों को परिवर्तित या रूपान्तरित चट्टानें कहते हैं। रूपान्तरण दो प्रकार का होता है, तापीय और क्षेत्रीय।

तापीय रूपान्तरण-जब दरारों और नालियों आदि में बहता हुआ मैग्मा चट्टानों के सम्पर्क में आता है, तो वह अपने उच्च तापमान के कारण उनको पिघला देता है। इसे तापीय रूपान्तरण कहते हैं।

क्षेत्रीय रूपान्तरण-किसी बड़े क्षेत्र में ऊपर की चट्टानों के अत्यन्त दबाव के कारण नीचे की चट्टानों के मूल रूप में परिवर्तन आ जाता है। इसे क्षेत्रीय रूपान्तरण कहते हैं।
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प्रश्न 4.
धरती में मिलने वाले खनिज पदार्थों का वर्गीकरण करो।
उत्तर-
धरती में पाये जाने वाले खनिजों को निम्नलिखित तीन वर्गों में बांटा जा सकता है –

  1. धात्विक खनिज-इन खनिजों में धातु के अंश होते हैं। लोहा, तांबा, टिन, एल्युमीनियम, सोना, चांदी आदि खनिज धात्विक खनिज हैं।
  2. अधात्विक खनिज-इन खनिजों में धातु के अंश नहीं होते। सल्फर (गंधक), अभ्रक, जिप्सम, पोटाश, फॉस्फेट आदि खनिज अधात्विक खनिज हैं।
  3. शक्ति खनिज-इन खनिजों से ज्वलन शक्ति तथा ऊर्जा प्राप्त होती है। इस ऊर्जा से कारखाने, मोटरगाड़ियां आदि चलाई जाती हैं। इन खनिजों में कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि शामिल हैं।

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प्रश्न 5.
अभ्रक (अबरक) किस प्रकार का खनिज है? यह कौन से काम आता है?
उत्तर-
अभ्रक (अबरक) एक अधात्विक खनिज है। इसके कई लाभ हैं जिसके कारण यह एक महत्त्वपूर्ण खनिज बन गया है।

  1. इस खनिज का अधिकतर उपयोग बिजली का सामान बनाने में किया जाता है।
  2. इसका उपयोग लैंप की चिमनियों, रंग-रोगन, रबड़, कागज़, दवाइयों, मोटरों, पारदर्शी चादरों आदि के निर्माण . में किया जाता है।
  3. अभ्रक की पतली शीटें बिजली की मोटरों और गर्म करने वाली वस्तुओं में ताप नष्ट होने और करंट लगने से बचाव के लिए डाली जाती हैं।

प्रश्न 6.
तरल सोना किसे कहते हैं? इसके बारे में संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर-
तरल सोना खनिज तेल को कहा जाता है। इसे यह नाम इसलिए दिया जाता है क्योंकि यह एक तरल खनिज है और बहुत ही उपयोगी है। इसे पेट्रोलियम अथवा चालक शक्ति भी कहते हैं। क्योंकि खनिजों की तरह इसे भी धरती में से निकाला जाता है, इसलिए इसे खनिज तेल कहा जाता है। इसे पेट्रोलियम नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह दो शब्दों-पेट्रो और उलियम के जोड़ से बना है। लातीनी भाषा में पैट्रो का अर्थ होता है चट्टान और उलियम का अर्थ होता है-तेल। इस प्रकार पेट्रोलियम का शाब्दिक अर्थ चट्टान से प्राप्त खनिज तेल है। यह वनस्पति और मरे हुए जीव-जन्तुओं के परतदार चट्टानों के बीच दब जाने से बना है।

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प्रश्न 7.
पृथ्वी पर मिट्टी का क्या महत्त्व है? इसके बारे में लिखो ।
उत्तर-
मिट्टी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमि साधन है। मिट्टी का महत्त्व इसकी उपजाऊ शक्ति में निहित है। उपजाऊ मिट्टी सदैव मनुष्य को आकर्षित करती रही है, क्योंकि मनुष्य को भोजन की वस्तुएं इसी से प्राप्त होती हैं। यही कारण है कि मनुष्य आरम्भ से ही उपजाऊ भूमियों पर रहना पसन्द करता है। प्राचीन सभ्यताओं का जन्म एवं विकास भी संसार की उपजाऊ नदी-घाटियों में ही हुआ है। इसमें सिन्ध, नील, दजला-फरात, यंगसी घाटियों का विशेष योगदान रहा है। आज भी उपजाऊ नदी-घाटियों और मैदानों में ही घनी जनसंख्या पाई जाती है। भारत अपनी उपजाऊ मिट्टी के कारण ही इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए भोजन पैदा करने में समर्थ हो सका है।

प्रश्न 8.
भारत में लोहा, कोयला व पैट्रोलियम कहां-कहां पाया जाता है ?
उत्तर-
भारत में ये खनिज क्रमश: निम्नलिखित प्रदेशों में पाया जाता है –

  1. लोहा- भारत में लोहा उड़ीसा, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक तथा गोवा में पाया जाता है।
  2. कोयला- भारत में कोयला मुख्य रूप से दामोदर घाटी में पाया जाता है। इसके अन्य उत्पादक प्रदेश पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश हैं।
  3. पैट्रोलियम-पैट्रोलियम मुख्य रूप से भारत के तटीय क्षेत्रों में मिलता है। इसके मुख्य उत्पादक राज्य गुजरात, असम तथा महाराष्ट्र हैं।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 2 पृथ्वी का आन्तरिक तथा बाहरी स्वरूप

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125-130 शब्दों में दो।

प्रश्न 1.
धरती पर मिलने वाली चट्टानों (शैलों) के बारे में विस्तार से लिखें।
उत्तर-
पृथ्वी की ऊपरी पर्त जिन पदार्थों से मिलकर बनी है, उन सभी पदार्थों को शैल कहते हैं। शैलें पत्थर की तरह कठोर भी होती हैं और रेत की तरह नर्म भी। कुछ शैलें बहुत कठोर होती हैं और देर से टूटती हैं। कुछ शैलें नर्म होती हैं और शीघ्र टूट जाती हैं। शैलें तीन प्रकार की होती हैं –

1. आग्नेय शैलें-आग्नेय का अर्थ होता है-आग या अग्नि से सम्बन्धित। यहां अग्नि से भाव है-उच्च तापमान अथवा गर्मी से है। आग्नेय शैलें पृथ्वी की आन्तरिक गर्मी से बनती हैं। इसलिए इनका नाम आग्नेय शैलें पड़ गया है। पृथ्वी के भीतरी भाग में बहुत गर्मी होती है। यहां सब पदार्थ पिघली हुई अवस्था में होते हैं। इन पिघले हुए पदार्थों को मैग्मा कहते हैं। पृथ्वी के बाहर आने वाले मैग्मा को लावा कहा जाता है। बाहर निकलने पर गर्म लावा धीरे-धीरे ठण्डा होकर ठोस बन जाता है। इस प्रकार आग्नेय शैलों का निर्माण होता है। आग्नेय शैलें दो प्रकार की होती हैं –
(i) अन्तर्वेधी शैलें तथा
(ii) बहिर्वेधी शैलें।
(i) अन्तर्वेधी शैलें-ये शैलें धरातल के भीतर बनती हैं। ये भी दो प्रकार की होती हैं-पातालीय तथा मध्यवर्ती।
(a) पातालीय आग्नेय शैलें-कई बार लावा धरातल के नीचे ही ठण्डा होकर जम जाता है। धरातल के नीचे बनी इस प्रकार की आग्नेय शैलों को पातालीय आग्नेय शैलें कहा जाता है। ग्रेनाइट इस प्रकार की चट्टान है।
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(b) मध्यवर्ती आग्नेय शैलें-प्रायः लावा पृथ्वी के धरातल को फाड़कर बाहर निकलने का प्रयास करता है। परन्तु कभी यह धरातल पर नहीं पहुंच पाता और धरातल की दरारों में ही ठण्डा होकर कठोर रूप धारण कर लेता है। इस प्रकार बनी आग्नेय चट्टानों को मध्यवर्ती आग्नेय चट्टानें कहते हैं। डाइक, सिल, डोलोराइट आदि आग्नेय शैलों का निर्माण इसी प्रकार होता है।

(ii) बहिर्वेधी शैलें-ये शैलें धरातल पर लावे के ठण्डा होने से बनती हैं।

2. तलछटी या अवसादी शैलें-पृथ्वी के धरातल की शैलें वर्षा, वायु, नदी, हिमनदी और गर्मी-सर्दी के कारण टूटती-फूटती रहती हैं। इनके टूटे-फूटे कणों को नदियां और हिमनदियां अपने साथ बहाकर ले जाती हैं और किसी एक स्थान पर इकट्ठा कर देती हैं। धीरे-धीरे इन कणों की तहें एक-दूसरे पर जमा होने लगती हैं। हज़ारों सालों तक दबाव के कारण ये तहें कठोर हो जाती हैं। इस तरह ये तहें तलछटी चट्टानों का रूप धारण कर लेती हैं। इन शैलों को अवसादी या परतदार शैलें भी कहते हैं। गंगा और सिन्धु का मैदान तथा हिमालय पर्वत भी इसी प्रकार की शैलों से बना है।

3. रूपान्तरित शैलें-ये चट्टानें आग्नेय तथा तहदार चट्टानों की संरचना के रंग-रूप तथा गुण आदि बदलने से बनती हैं। यह रूपान्तरण पृथ्वी के भीतर की गर्मी और दबाव के कारण होता है। उदाहरण के लिए चूने का पत्थर संगमरमर बन जाता है, जो एक रूपान्तरित शैल है। भारत का दक्षिणी पठार रूपान्तरित चट्टानों से बना है।

रूपान्तरित चट्टानें धरातल के नीचे बहुत अधिक गहराई में पाई जाती हैं। ये दो प्रकार से बनती हैं-तापीय रूपान्तरण द्वारा तथा क्षेत्रीय रूपान्तरण द्वारा।
(i) तापीय रूपान्तरण द्वारा-जब गर्म मैग्मा पृथ्वी के भीतर की दरारों तथा नालियों में से गुज़रता है, तो यह अपने सम्पर्क में आने वाली चट्टानों को पका देता है। इसे तापीय रूपान्तर कहते हैं, जिससे रूपान्तरित चट्टानें बनती हैं।

(ii) क्षेत्रीय रूपान्तरण द्वारा-कभी-कभी एक बड़े क्षेत्र में ऊपरी शैलों के दबाव के कारण निचली शैलों का मूल रूप बदल जाता है। इसे क्षेत्रीय रूपान्तरण कहते हैं।

रूपान्तरित चट्टान में मूल चट्टान के कुछ गुण अवश्य रह जाते हैं। उदाहरण के लिए तहदार चट्टान से बनी रूपान्तरित चट्टान भी तहदार होती है। इसी प्रकार आग्नेय चट्टान से बनी परिवर्तित (रूपान्तरित) चट्टान के कुछ गुण मूल चट्टान से मिलते-जुलते होते हैं।

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प्रश्न 2.
खनिज पदार्थ किसे कहते हैं? हमारी धरती पर कौन-से खनिज पदार्थ मिलते हैं? इनका वर्गीकरण करो। धातु खनिजों के बारे में भी जानकारी दें।
उत्तर-
चट्टानों का निर्माण करने वाले पदार्थों को खनिज पदार्थ कहते हैं। इन्हें धरती को खोदकर निकाला जाता है। हमारी धरती पर अनेक प्रकार के खनिज मिलते हैं।
खनिजों का वर्गीकरण-इन खनिजों को तीन वर्गों में बांटा गया है –

  1. धात्विक (धातु) खनिज-इन में धातु के अंश होते हैं। इनमें लोहा, तांबा, टिन, एल्युमीनियम, सोना, चांदी आदि खनिज शामिल हैं।
  2. अधात्विक खनिज-इन खनिजों में धातु का अंश नहीं होता। इनमें सल्फर, जिप्सम, अभ्रक, फॉस्फोरस, पोटाश आदि खनिज शामिल हैं।
  3. शक्ति खनिज-इन खनिजों से ज्वलन शक्ति, ऊर्जा आदि मिलते हैं। इनसे हमारे थर्मल प्लांट, कारखाने, मोटर गाड़ियां आदि चलती हैं। कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि मुख्य शक्ति खनिज हैं।

धात्विक खनिज-मुख्य धात्विक खनिजों का वर्णन इस प्रकार है –
1. लोहा-लोहे का उपयोग छोटी-सी कील से लेकर बड़े-बड़े समुद्री जहाज़ बनाने में होता है। पूरी औद्योगिक मशीनरी, मोटर कारों, रेलों, खेती के लिए मशीनरी आदि का निर्माण भी इसी खनिज पर आधारित है। लोहे और इस्पात ने औद्योगिक क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। लोहा लगभग संसार के सभी महाद्वीपों में पाया जाता है। भारत में उड़ीसा, झारखण्ड, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और गोवा लोहे के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

2. तांबा-तांबा मनुष्य द्वारा खोजी गई सबसे पहली धातु थी। इसके औद्योगिक महत्त्व को देखते हुए लोहे के बाद तांबे का ही स्थान आता है। धातु-युग का आरम्भ तांबे के प्रयोग से ही हुआ था। इससे कई प्रकार के बर्तन बनाए जाते हैं। आज के युग में इसका महत्त्व और भी बढ़ गया है। इसका उपयोग बिजली का सामान बनाने के लिए किया जाता है। यह बिजली का सुचालक है। इसी कारण बिजली की तारें अधिकतर तांबे की ही बनाई जाती हैं। टेलीफोन-केबल तारें, रेलवे-इंजन, हवाई-जहाज़ और घड़ियों में भी इसका उपयोग किया जाता है।
चिली (दक्षिण अमेरिका) संसार में सबसे अधिक तांबा पैदा करता है। दूसरे नम्बर पर संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.) आता है। अफ्रीका महाद्वीप में भी तांबे के पर्याप्त भण्डार हैं। इसके अतिरिक्त भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया में भी तांबे का उत्पादन होता है। भारत में झारखण्ड, मध्य प्रदेश, सीमांध्र, राजस्थान राज्यों में तांबे के भण्डार पाए जाते हैं।

3. बॉक्साइट-बॉक्साइट से एल्युमीनियम प्राप्त किया जाता है। एल्युमीनियम हल्के भार वाली धातु है, जिसका अधिकतर उपयोग हवाई जहाज़ बनाने में किया जाता है। रेल-गाड़ियों, मोटरों, बसों, कारों और बिजली की तारों में भी इसका उपयोग होता है। इससे बर्तन बनाए जाते हैं। इससे बर्तन भी बनाए जाते हैं। इससे बनी वस्तुओं को जंग नहीं लगता। इसलिए ये वस्तुएं बहुत देर तक प्रयोग में लाई जा सकती हैं।
संसार में सबसे अधिक बॉक्साइट ऑस्ट्रेलिया में निकाला जाता है। भारत में बॉक्साइट महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में पाया जाता है।

4. मैंगनीज़-मैंगनीज़ भी एक अति महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है। इसका अधिक उपयोग कच्चे लोहे (जो कि धरती में से मिलता है) से स्टील बनाने में किया जाता है। यह ब्लीचिंग पाऊडर, कीट-नाशक दवाएं, रंग-रोगन और शीशा बनाने के लिये भी उपयोग में लाया जाता है। रूस, जार्जिया, यूक्रेन, कज़ाखिस्तान में मैंगनीज़ के काफ़ी भण्डार हैं। इनके अतिरिक्त दक्षिणी अफ्रीका, ब्राजील (दक्षिणी अमेरिका) और भारत भी मैंगनीज़ के मुख्य उत्पादक देश हैं। भारत में मध्य-प्रदेश से सबसे अधिक मैंगनीज़ प्राप्त होता है। तेलंगाना, सीमांध्र, कर्नाटक, उड़ीसा और झारखण्ड में भी मैंगनीज़ मिलता है।

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प्रश्न 3.
शक्ति खनिज किसे कहते हैं? किसी एक शकिा खनिज के विषय में जानकारी दें।
उत्तर-
वे खनिज जिनसे कारखाने, मोटर गाड़ियां आदि चलाने के लिए ऊर्जा तथा ज्वलन ऊर्जा प्राप्त होती है, शक्ति खनिज कहलाते हैं। मुख्य शक्ति खनिज कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि हैं। इनमें से कोयले तथा खनिज तेल का औद्योगिक दृष्टि से विशेष महत्त्व है। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

1. कोयला-कोयला मुख्य शक्ति खनिज है। अब कोयले का सीधे शक्ति के रूप में उपयोग.कम हो गया है। अब इससे बिजली पैदा करके शक्ति प्राप्त की जाने लगी है। इस उद्देश्य के लिए उपयोग में लाया जाने वाला कोयला प्रत्थरी कोयला है। यह कोयला हजारों साल पहले वनों के धरती की गहरी परतों में दबे रहने और उन पर धरती की गर्मी और ऊपर की तहों के दबाव के कारण बना था। इस प्रक्रिया में करोड़ों वर्ष लग गए।

संसार में कोयले के अधिकतर भण्डार 35° से 65° अक्षांशों में पाये जाते हैं। संसार का 90% कोयला चीन, यू० एस० ए०, रूस और यूरोपीय देशों में मिलता है। इनके अतिरिक्त दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और एशिया महाद्वीप में भी कोयले के विशाल भण्डार हैं। जापान और थाइलैण्ड में भी कोयला पाया जाता है। भारत संसार का 5% कोयला पैदा करता है। भारत में दामोदर घाटी प्रमुख कोयला क्षेत्र है। पश्चिमी बंगाल और मध्य-प्रदेश राज्यों में भी कोयला पाया जाता है।

2. खनिज तेल-खनिज तेल को तरल सोना भी कहा जाता है। इसे यह नाम इसके बढ़ते हुए उपयोग तथा महत्त्व
के कारण दिया गया है। इसे पेट्रोलियम तथा चालक शक्ति भी कहते हैं। क्योंकि खनिजों की तरह इसे भी धरती में से निकाला जाता है, इस कारण इसे खनिज तेल कहा जाता है। इसे पेट्रोलियम नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह दो शब्दों-‘पेट्रो’ और ‘ओलियम’ के जोड़ से बना है। लातीनी भाषा में पैट्रा का अर्थ है-चट्टान और ओलियम का अर्थ है-तेल। इस प्रकार पेट्रोलियम का शाब्दिक अर्थ चट्टान से प्राप्त खनिज तेल है। यह वनस्पति और मरे हुए जीव-जन्तुओं के परतदार चट्टानों के बीच दब जाने से बना है। जो पेट्रोल हमें धरती के नीचे से मिलता है, वह अशुद्ध और अशोधित होता है। इसे कच्चा तेल कहा जाता है। कच्चे तेल को शोधक कारखानों में शुद्ध करके इससे कई वस्तुएं प्राप्त की जाती हैं, जैसे-पेट्रोल, डीज़ल, मिट्टी का तेल, गैस, चिकनाहट वाले तेल, ग्रीस, मोम आदि।

संसार में सबसे बड़े तेल भण्डार दक्षिण-पश्चिमी एशिया में हैं। इस क्षेत्र में सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत तथा यू० ए० ई० (यूनाइटिड अरब अमीरात) शामिल हैं।
नोट : विद्यार्थी दोनों में से कोई एक लिखें।

प्रश्न 4.
भारत में पायी जाने वाली मिट्टी की किस्मों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
मिट्टी (मृदा) एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। यह कृषि का आधार है। भारत में मुख्य रूप से छः प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है –
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1. जलोढ़ मिट्टी-जलोढ़ मिट्टी वह मिट्टी है जो नदियों द्वारा लाई गई तलछट के जमाव से बनती है। यह संसार को सबसे उपजाऊ मिट्टियों में से एक है। भारत में यह मिट्टी सतलुज-गंगा के मैदान और महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी के डेल्टों में पाई जाती है। जलोढ़ मिट्टी का प्रत्येक वर्ष नवीनीकरण होता रहता है। इसका कारण यह है कि नदियां हर वर्ष नई मिट्टी लाकर बिछाती हैं। नई जलोढ़ मिट्टी को खादर तथा पुरानी जलोढ़ मिट्टी को बांगर कहते हैं।

2. काली मिट्टी-लावा चट्टानों के टूटने-फूटने से बनी मिट्टी को काली मिट्टी कहते हैं। इसमें फॉस्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन की बहुत कमी होती है, जबकि मैग्नीशियम, लोहा, चूना तथा जीवांश काफ़ी मात्रा में पाए जाते हैं। यह मिट्टी नमी को काफ़ी समय तक समाए रखती है। यह मिट्टी कपास की उपज के लिए बहुत उपयोगी होती है। इसलिए इसे कपास की मिट्टी के नाम से भी पुकारा जाता है। हमारे देश में काली मिट्टी उत्तरी महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश और पश्चिमी आन्ध्र प्रदेश में पाई जाती है।

3. लाल मिट्टी-इस मिट्टी का निर्माण आग्नेय शैलों से हुआ है। इसमें लोहे का अंश अधिक होता है। इसी कारण ही इसका रंग लाल या पीला होता है। यह मिट्टी अधिक उपजाऊ नहीं होती। परन्तु खादों के उपयोग द्वारा इस मिट्टी से अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। भारत में लाल मिट्टी प्रायद्वीप के दक्षिण तथा पूर्व के गर्म-शुष्क प्रदेशों में फैली हुई है।

4. लैटराइट मिट्टी-यह मिट्टी अधिक वर्षा वाले गर्म प्रदेशों में मिलती है। भारी वर्षा तथा उच्च तापमान के कारण इस मिट्टी के पोषक तत्त्व घुल कर मिट्टी के नीचे चले जाते हैं। इस क्रिया को निक्षालन (Deaching) कहते हैं। पोषक तत्त्वों की कमी के कारण यह मिट्टी कृषि के लिए अधिक उपयोगी नहीं होती। भारत में यह मिट्टी पश्चिमी घाट, छोटा नागपुर के पठार तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों के कुछ भागों में फैली हुई है।

5. शुष्क रेतीली अथवा मरुस्थली मिट्टी-इस मिट्टी में रेत के कणों की अधिकता होती है, परन्तु इसमें ह्यूमस का अभाव होता है। इसलिए यह मिट्टी उपजाऊ नहीं होती। भारत में यह मिट्टी राजस्थान तथा गुजरात के मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाती है।

6. पर्वतीय (पर्वती) मिट्टी-पर्वतीय मिट्टी कम गहरी तथा पतली सतह वाली होती है। इसमें लोहे का अंश अधिक होता है। पर्याप्त वर्षा मिलने पर इस मिट्टी में चाय की कृषि की जाती है। भारत में यह मिट्टी हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है।

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PSEB 7th Class Social Science Guide पृथ्वी का आन्तरिक तथा बाहरी स्वरूप Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
ज्वालामुखी पर्वत कैसे बनता है? इसका एक उदाहरण दें।
उत्तर-
ज्वालामुखी पर्वत धराबल में से बाहर निकलने वाले लावे के इकट्ठा होने से बनता है। जापान का फियूजीयामा पर्वत इस का एक उत्तम उदाहरण है।

प्रश्न 2.
छिद्रदार (Porous) तथा छिद्रहीन (Non Porous) चट्टानों में क्या अन्तर है?
उत्तर-
छिद्रदार चट्टानों में रेत की मात्रा अधिक होती है, जबकि छिद्रहीन चट्टानों में चिकनी मिट्टी की मात्रा अधिक होती है।

प्रश्न 3.
पानी समा सकने के आधार पर चट्टानों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर–
पानी समा सकने के आधार पर चट्टानें दो प्रकार की होती हैं-पारगामी (पारगम्य) तथा अपारगामी (अपार-गम्य)। पारगामी चट्टानों में पानी आसानी से प्रवेश कर जाता है, परन्तु अपारगामी चट्टानों में पानी प्रवेश नहीं कर पाता।

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प्रश्न 4.
रासायनिक रचना के आधार पर चट्टानें कौन-कौन से दो प्रकार की होती हैं?
उत्तर-

  1. क्षारीय चट्टानें तथा
  2. तेज़ाबी अथवा अम्लीय चट्टानें।

प्रश्न 5.
मैग्मा तथा लावा में क्या अन्तर है?
उत्तर-
धरातल के अन्दर पिघला हुआ पदार्थ मैग्मा कहलाता है। जब यह मैग्मा दरारों में से होकर धरातल पर आ जाता है, तो इसे लावा कहते हैं।

प्रश्न 6.
प्राथमिक चट्टानें किन्हें कहते हैं और क्यों? इनकी दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
आग्नेय चट्टानों को प्राथमिक चट्टानें कहते हैं, क्योंकि पृथ्वी पर सबसे पहले इन्हीं चट्टानों का निर्माण हुआ था।
विशेषताएं-

  1. आग्नेय चट्टानें रवेदार पिण्डों में पाई जाती हैं। इसलिए इनमें तहें या परतें नहीं होती।
  2. इन चट्टानों में वनस्पति और जीव-जन्तुओं के अवशेष भी नहीं पाये जाते।

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प्रश्न 7.
मिट्टी किसे कहते हैं?
उत्तर-
मिट्टी धरातल के ऊपर का वह भाग है जो चट्टानों की टूट-फूट से बनती हैं। इसके कण बहुत बारीक, कोमल और अलग-अलग होते हैं ताकि पौधों की जड़ें इसमें आसानी से प्रवेश कर सकें।

प्रश्न 8.
मिट्टी में कौन-से दो प्रकार के तत्त्व होते हैं?
उत्तर-
मिट्टी में दो प्रकार के तत्त्व अथवा पदार्थ होते हैं-खनिज पदार्थ और कार्बनिक पदार्थ। मिट्टी को खनिज पदार्थ मूल चट्टान से प्राप्त होते हैं। मिट्टी में शामिल वनस्पति और जीव-जन्तुओं के गले-सड़े पदार्थ को ‘कार्बनिक पदार्थ’ कहा जाता है।

प्रश्न 9.
मिट्टी (मृदा) की रचना में कौन-से कारक सहायक होते हैं?
उत्तर-
मिट्टी (मृदा) की रचना में निम्नलिखित कई कारक सहायक होते हैं –
1. मूल शैल-मूल शैल से अभिप्राय उस शैल से है जिससे मृदा अथवा मिट्टी का निर्माण होता है। मृदा की विशेषताएं जनक शैल के अनुरूप होती हैं। उदाहरण के लिए शैल (Shale) से चीका मिट्टी बनती है, जबकि बलुआ पत्थर से बालू के कण प्राप्त होते हैं।

2. जलवाय-मदा निर्माण को प्रभावित करने वाले जलवायु के कारकों में तापमान और वर्षा प्रमुख हैं। तापमान में बार-बार परिवर्तन होने और वायुमण्डल में जल की उपस्थिति से अपक्षय की दर बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप मृदा के निर्माण की गति में तेजी आ जाती है।

3. स्थलाकृति-किसी क्षेत्र की स्थलाकृति उसके अपवाह को प्रभावित करती है। तीव्र ढाल पर अपक्षयित शैल कण टिक नहीं पाते। जल के द्वारा तथा गुरुत्व बल के प्रभाव से ये कण ढाल पर नीचे की ओर सरक जाते हैं। इसके विपरीत मैदानों और मंद ढालों पर मृदा बिना किसी बाधा के टिकी रहती है।

4.. मृदा में विद्यमान मृत पौधे तथा जीव-जन्तु-मृत पौधों और जीव-जन्तुओं से मृदा को हमस प्राप्त होती है। ह्यमस वाली मृदा अधिक उपजाऊ होती है।

5. समय-मृदा निर्माण के कारक के रूप में समय बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। मृदा के निर्माण में जितना अधिक समय लगता है, उतनी ही अधिक मोटी उसकी परत होती है।

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प्रश्न 10.
मिट्टी के अपरदन अथवा भूमि कटाव से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
तेज़ वायु तथा बहता जल मिट्टी की ऊपरी सतह को अपने साथ बहाकर ले जाते हैं। इसे मिट्टी का अपरदन अथवा भूमि का कटाव कहते हैं। इसके कारण मिट्टी कृषि योग्य नहीं रहुती। यह क्रिया उन स्थानों पर अधिक होती है जहां भूमि की ढाल बहुत तीव्र हो और जहां वर्षा बहुत तेज़ बौछारों के रूप में होती है। भूमि कटाव उन क्षेत्रों में भी अधिक होता है, जहां वनस्पति कम हो, जैसे कि मरुस्थलीय क्षेत्र में।

प्रश्न 11.
किस मिट्टी को कपास की मिट्टी कहा जाता है और क्यों?
उत्तर-
काली अथवा रेगड़ मिट्टी को कपास की मिट्टी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि यह मिट्टी कपास की फसल के लिए आदर्श होती है।

प्रश्न 12.
जलोढ़ मिट्टी की दो विशेषताएं बताएं।
उत्तर-

  1. इस मिट्टी में पोटाश, फॉस्फोरिक अम्ल तथा चूना पर्याप्त मात्रा में होता है।
  2. इस मिट्टी में नाइट्रोजन तथा जैविक पदार्थों की कमी होती है।

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प्रश्न 13.
काली अथवा रेगड़ मिट्टी की दो विशेषताएं बताएं।
उत्तर-

  1. काली मिट्टी लावा के प्रवाह से बनी है।
  2. यह मिट्टी कपास की फसल के लिए अधिक उपयोगी है।

प्रश्न 14.
लैटराइट मिट्टी की दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. लैटराइट मिट्टी कम उपजाऊ होती है।
  2. यह मिट्टी घास और झाड़ियों के पैदा होने के लिए उपयुक्त है।

प्रश्न 15.
मरुस्थलीय मिट्टी को कृषि के लिए उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर-
सिंचाई की सुविधाएं जुटा कर मरुस्थलीय मिट्टी को कृषि के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है।

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(क) सही कथनों पर (✓) तथा ग़लत कथनों पर (✗) का चिन्ह लगाएं :

  1. आज तक विश्व ग्लोबल गांव नहीं बन सका।
  2. जीव जगत में पेड़-पौधे शामिल नहीं हैं।
  3. समुद्र का धरती पर सबसे अधिक प्रभाव जलवायु पर पड़ता है।
  4. बुध ग्रह के इर्द-गिर्द वायुमण्डल नहीं है।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✓)

(ख) सही जोड़े बनाएं:

  1. धातु खनिज – अत्यधिक उपजाऊ
  2. अधातु खनिज – सोना, चांदी
  3. रेतीली मिट्टी – पोटाश, फास्फेट
  4. जलौढ़ मिट्टी – ह्यूमस की कमी

उत्तर-

  1. धातु खनिज – सोना, चांदी
  2. अधातु खनिज – पोटाश, फास्फेट
  3. रेतीली मिट्टी – ह्यूमस की कमी
  4. जलौढ़ मिट्टी – अत्यधिक उपजाऊ।

(ग) सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
जापान का फ्यूजीयामा पर्वत लावे से बना है। यह लावा कहां से आता है?
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(i) ऊँचे पर्वतों से
(ii) धरती के आन्तरिक भाग से
(iii) पर्तदार या तलछटी चट्टानों के जमने से ।
उत्तर-
(ii) धरती के आन्तरिक भाग से।

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प्रश्न 2.
भारत में गंगा सतलुज का मैदान एक विशेष प्रकार की सामग्री से बना है। इस सामग्री का जमाव कैसे होता
(i) बहते हुए पानी के द्वारा
(ii) हिमनदी तथा वायु द्वारा
(iii) इन सबके द्वारा।
उत्तर-
(iii) इन सबके द्वारा।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 19 लोकतन्त्र-प्रतिनिधित्व संस्थाएँ

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 19 लोकतन्त्र-प्रतिनिधित्व संस्थाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Civics Chapter 19 लोकतन्त्र-प्रतिनिधित्व संस्थाएँ

SST Guide for Class 7 PSEB लोकतन्त्र-प्रतिनिधित्व संस्थाएँ Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 1 से 15 शब्दों में लिखें

प्रश्न 1.
सर्वव्यापक मताधिकार से क्या भाव है?
उत्तर-
जब देश के सभी वयस्क नागरिकों को मत देने का अधिकार होता है, तो उसे सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार कहा जाता है। मत का अधिकार देते समय लिंग, जाति, धर्म, सम्पत्ति आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

प्रश्न 2.
चुनाव प्रक्रिया के कोई दो चरणों (स्तरों) का वर्णन करो।
उत्तर-
1. चुनाव की तिथि की घोषणा-हमारे देश के राष्ट्रपति या राज्यों में राज्यपाल लोगों के लिए चुनाव का आदेश जारी करते हैं, जिस के आधार पर चुनाव आयोग चुनाव की तिथि की घोषणा करता है।

2. उम्मीदवारों का चुनाव-विभिन्न राजनीतिक दल अपने उन उम्मीदवारों को नामजद करते हैं जो उनके विचार से किसी विशेष क्षेत्र से जीत सकते हैं। कभी-कभी स्वतन्त्र उम्मीदवार भी खड़े हो जाते हैं और राजनीतिक दल उनकी सहायता करते हैं।

प्रश्न 3.
प्रतिनिधि सरकार कौन-सी सरकार को कहा जाता है?
उत्तर-
लोकतन्त्र में नागरिक अपने प्रतिनिधि चुनते हैं जो सरकार बनाते हैं। यही प्रतिनिधि नीतियों का निर्माण करते हैं और कानून बनाते हैं। ऐसी सरकार को ही प्रतिनिधि सरकार कहते हैं।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 19 लोकतन्त्र-प्रतिनिधित्व संस्थाएँ

प्रश्न 4.
लोकतन्त्र में प्रतिनिधित्व का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
लोकतन्त्र जनता का शासन होता है। परन्तु आधुनिक राज्यों की जनसंख्या इतनी अधिक है कि सभी नागरिक शासन में सीधे भाग नहीं ले सकते। अतः वे अपने प्रतिनिधि चुनते हैं जो सरकार का निर्माण करते हैं। यह अप्रत्यक्ष रूप से जनता का अपना ही शासन होता है।

प्रश्न 5.
भारत में मत देने का अधिकार किसको होता है?
उत्तर
भारत में 18 वर्ष या इससे अधिक आयु के प्रत्येक स्त्री-पुरुष को मत देने का अधिकार है। इसे सर्वव्यापक मताधिकार कहते हैं।

प्रश्न 6.
सामान्य तथा मध्यकालीन चुनावों में क्या अन्तर हैं?
उत्तर-
आम चुनाव वे चुनाव हैं जो हर पांच वर्ष के बाद नियमित रूप से होते हैं।
इसके विपरीत यदि विधानपालिका अवधि पूरी होने से पहले भंग कर दी जाये और नये सिरे से चुनाव कराये जाएं, तो उन्हें मध्यकालीन चुनाव कहते हैं।

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प्रश्न 7.
दो दलीय तथा बहुदलीय प्रणाली में क्या अन्तर है?
उत्तर-
जब किसी देश में दो मुख्य राजनीतिक दल होते हैं तो उसे दो दलीय प्रणाली कहते हैं। अमेरिका तथा इंग्लैंड में द्विदलीय प्रणाली है।
बहुदलीय प्रणाली में कई राजनीतिक दल होते हैं। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
राजनीतिक दलों का प्रतिनिधि लोकतन्त्र में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
राजनीतिक दलों का प्रतिनिधि लोकतन्त्र में बहुत महत्त्व है। अधिकतर लोगों का विचार है कि प्रजातन्त्र राजनीतिक दलों के बिना सम्भव नहीं है। प्रजातन्त्र में प्रत्येक राजनीतिक दल अपनी सरकार बनाने का प्रयत्न करता है। ये दल लोगों के सामने अपने कार्यक्रम एवं नीतियां रखते हैं। जिस दल की सरकार बनती है वह अपने कार्यक्रम और नीतियों को लागू करता है, परन्तु विरोधी दल उस के कार्यों की आलोचना करता है। इस प्रकार प्रजातन्त्र में विरोधी दल भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 2.
गुप्त मतदान क्या होता है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर-
गुप्त मतदान प्रजातान्त्रिक चुनाव का महत्त्वपूर्ण आधार है। लोग अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं चाहते। इसलिए कोई भी यह नहीं चाहता कि किसी दूसरे को यह पता चले कि उस ने किस प्रतिनिधि के पक्ष में मत डाला है। इसलिए ही स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए गुप्त मतदान का प्रबन्ध किया गया है। भारत में प्रत्येक मतदाता का एक वोट होता है। जब कोई मतदाता मतदान केन्द्र पर अपनी वोट डालता है तो उसे यह बताने की आवश्यकता नहीं कि उसने किसे अपना वोट दिया है। इसे ही गुप्त मतदान कहा जाता है।
गुप्त मतदान द्वारा बिना किसी बुरे विचार तथा नकारात्मक सोच के सरकार में परिवर्तन किया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
लोकतंत्र में विरोधी दल की भूमिका संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
विधानपालिका में जो राजनीतिक दल बहुमत में नहीं होते, वे सरकार नहीं बना पाते। वे विरोधी दल की भूमिका निभाते हैं। लोकतन्त्र में विरोधी दल की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कहा जाता है कि यदि विरोधी दल नष्ट या कमजोर हो जाये तो प्रजातन्त्र प्रणाली ही समाप्त हो जाती है। इसके विपरीत यदि विरोधी दल को सही और प्रजातान्त्रिक ढंग से काम करने दिया जाये तो प्रजातन्त्र मज़बूत होता है। वास्तव में विरोधी दल शासक दल की कमियों और कमजोरियों को प्रकट करता है। विरोधी दल संसद् में सरकार की केवल आलोचना ही नहीं करता, अपितु लोक-मत के हित में भी काम करता है। इसकी आलोचना के बिना सरकार उत्तरदायित्वहीन तथा तानाशाह भी बन सकती है। विरोधी दल नये चुनाव होने तक सरकार को मनमानी नहीं करने देता और उस पर निरन्तर नियन्त्रण बनाये रखता है। इस प्रकार विरोधी दल सरकार द्वारा नागरिकों के अधिकारों का हनन नहीं होने देता।

प्रश्न 4.
विरोधी दल के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
विरोधी दल लोकतन्त्र की आत्मा होता है। यह एक तरफ शासक दल की तानाशाही को रोकता है तो दूसरी ओर सरकार के कार्यों पर नियन्त्रण रखता है। संक्षेप में विरोधी दल के कार्यों की भूमिका का वर्णन इस प्रकार है –

(i) शासक दल पर नियन्त्रण-चुनाव में विजय प्राप्त करने के पश्चात् बहुमत प्राप्त दल सरकार का गठन करता है। मतदाता पांच वर्ष तक सरकार पर नियन्त्रण नहीं रख सकते। सरकार पर नियन्त्रण रखने का कार्य विरोधी दल ही करते हैं।

(ii) सरकार को तानाशाह बनने से रोकना-कभी-कभी शासक दल अपने बहुमत के कारण तानाशाही कार्य करता हैं। इससे नागरिकों के अधिकारों का हनन होता है। इन अवसरों पर विरोधी दल सरकार की सदन के भीतर और बाहर आलोचना करते हैं और सरकार को तानाशाह नहीं बनने देते।

(iii) कानून बनाने में सहयोग-सरकार कानून बनाने के लिए विधेयक पेश करती है। विरोधी दल विधेयकों से सम्बन्धित मामलों पर वाद-विवाद करते हैं और प्रयास करते हैं कि जो कानून बने वह देश के हित में हो।

(iv) बजट पास करना-प्रत्येक वर्ष शासक दल अपनी नीतियों को लागू करने के लिए विधानमंडल में बजट पेश करता है। यह एक ऐसा अवसर होता है जब विरोधी दल सरकार की सम्पूर्ण नीति की आलोचना कर सकता है। विरोधी दल सरकार को इस बात के लिए मजबूर कर सकते हैं कि वह करों की दर कम करे।

(v) कार्यपालिका पर नियन्त्रण-विरोधी दल अविश्वास प्रस्ताव, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव तथा और कई प्रकार से सरकार पर अंकुश रखती है। प्रश्नकाल में प्रश्न पूछ कर विरोधी दल के सदस्य मंत्रियों को सतर्क रखते हैं।

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प्रश्न 5.
राजनीतिक दलों के कोई दो कार्यों के बारे में लिखो।
उत्तर-
राजनीतिक दल मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्य करते हैं

1. चुनाव लड़ना तथा सरकार बनाना-राजनीतिक दल का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य चुनाव लड़ना है। इसका उद्देश्य शासन शक्ति प्राप्त करना होता है। ये दल चुनाव लड़ने के लिए अपने उम्मीदवार चुनते हैं। वे चुनाव जीतने के लिए चुनाव अभियान चलाते हैं। ये दल जनता को राष्ट्रीय मामलों और अपनी सरकार की भूमिका की जानकारी देते हैं। इससे लोकमत का निर्माण होता है। जो दल चुनाव जीत जाता है वह सरकार चलाता है और अपने कार्यों के लिए लोगों के प्रति उत्तरदायी होता है। जो दल सरकार नहीं बना पाते हैं वे विरोधी दल की भूमिका निभाते हैं।

2. जनता के हितों की रक्षा करना-वे सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं और उन्हें सुधारने के सुझाव देते हैं। इसलिए कहा जाता है कि विरोधी दल प्रजातन्त्र में जनता के हितों का रक्षक होता है।

प्रश्न 6.
इंडियन नेशनल कांग्रेस की किन्हीं तीन नीतियों का वर्णन करो।
उत्तर-
इंडियन नेशनल कांग्रेस की मुख्य नीतियां निम्नलिखित हैं –

  1. इस दल की सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण नीति अमीरी-गरीबी में अन्तर कम करना है। दूसरे शब्दों में यह दल लोकतान्त्रिक समाजवाद चाहता है।
  2. इस दल के अनुसार धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान किया जाना चाहिए।
  3. यह दल कृषि पर आधारित कारखानों के विकास में विश्वास रखता है। कृषि के विकास के लिए सिंचाई के साधनों में सुधार करना भी इस दल की नीति है।
  4. ग्रामीण स्तर पर रोज़गार के अवसर पैदा करना ताकि गरीबी को कम किया जा सके।
  5. विदेशों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करना और विदेशों के साथ अपने मतभेद शान्तिपूर्ण ढंग से दूर करना।
  6. भारत की आर्थिक स्थिति के सुधार के लिए विदेशी व्यापार को बढ़ावा देना।

नोट-विद्यार्थी इनमें से कोई तीन लिखें।

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प्रश्न 7.
लोकतन्त्र में चुनावों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
चुनाव लोकतन्त्र का आधार हैं। लोकतन्त्र में इनका निम्नलिखित महत्त्व है –
(i) सभी नागरिक राज्य प्रबन्ध को एक साथ चला नहीं सकते। इसलिए उन्हें प्रतिनिधि चुनने पड़ते हैं जो चुनावों द्वारा चुने जाते हैं।
(ii) चुनाव के माध्यम से ही लोग सरकार को बदल सकते हैं।
(iii) चुनाव के माध्यम से ही कार्यपालिका बनती है।
(iv) चुनाव द्वारा शासन-प्रणाली में स्थिरता आती है।
(v) सच तो यह है कि चुनाव के अभाव में प्रजातन्त्र सम्भव नहीं है।

(ग) खाली स्थान भरो

  1. हमारे भारत में ……….. लोकतंत्रीय प्रणाली है।
  2. भारत में चुनाव प्रक्रिया के लिए एक स्वतंत्र संस्था ………….. बनाई गई है।
  3. भारत वर्ष में ……….. साल के नागरिकों को मत देने का अधिकार होता है।
  4. ……….. तथा ……….. में दो दलीय तथा ………………. में बहुदलीय प्रणाली है।
  5. ………. और ………. भारत के दो राष्ट्रीय दल हैं।
  6. एक नागरिक एक मत नागरिकों की ……….. पर आधारित है।

उत्तर-

  1. प्रतिनिधि
  2. चुनाव आयोग
  3. न्यूनतम 18
  4. इंग्लैंड, अमेरिका, भारत
  5. कांग्रेस दल, भारतीय जनता पार्टी
  6. समानता।

(घ) निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ

  1. भारत देश में इस समय वयस्क नागरिक की आयु 18 वर्ष है।
  2. भारत देश में दो दलीय प्रणाली है।
  3. विरोधी दल संसद् में सरकार की आलोचना ही नहीं करते बल्कि लोक मत या लोक राय भी बनाते हैं।

संकेत-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)

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(ङ) बहु-वैकल्पिक प्रश्नोत्तर-

प्रश्न 1.
भारत में बालिग (वयस्क) होने की आयु कितनी है ?
(क) 18 वर्ष
(ख) 24 वर्ष
(ग) 22 वर्ष।
उत्तर-
(क) 18 वर्ष (वोट देने का अधिकार)

प्रश्न 2.
लोक सभा के सदस्यों का चुनाव कितने वर्षों के लिए किया जाता है ?
(क) चार वर्ष
(ख) 2 वर्ष
(ग) पाँच वर्ष।
उत्तर-
(ग) पाँच वर्ष

प्रश्न 3.
इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी की स्थापना कब हुई ?
(क) 1920
(ख) 1885
(ग) 1960
उत्तर-
(ख) 1885

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PSEB 7th Class Social Science Guide लोकतन्त्र-प्रतिनिधित्व संस्थाएँ Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
चुनाव कमीशन अथवा चुनाव आयोग पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
भारत में चुनाव प्रक्रिया के लिए एक कानून स्वतन्त्र संस्था बनाई गई है। इसे चुनाव आयोग अथवा चुनाव कमीशन कहते हैं। यह संस्था स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव करवाती है। इस का प्रधान चुनाव कमिश्नर होता है, जिसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। चुनाव कमीशन देश में हर स्तर पर अर्थात् संसद्, राज्य विधान सभाओं और स्थानीय नगरपालिकाओं एवं निगमों के चुनाव कराने के लिए उत्तरदायी होता है।

प्रश्न 2.
‘एक व्यक्ति-एक वोट’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
‘एक व्यक्ति-एक वोट’ सर्वव्यापक मताधिकार का एक महत्त्वपूर्ण नियम है। यह नागरिकों की समानता पर आधारित है। इसके अनुसार पढ़े-लिखे और अनपढ़ को समान माना जाता है। इस प्रकार समानता का सिद्धान्त हमारे सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार में पूर्ण रूप में अपनाया गया है।

प्रश्न 3.
सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार के सशक्त आधार क्या हैं ?
उत्तर-
सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार के निम्नलिखित सशक्त आधार हैं –

  1. यह अधिकार राजनीतिक समानता पर आधारित है।
  2. यह सच्चे प्रजातन्त्र के लिए आवश्यक है।
  3. यह सरकार को सभी के प्रति उत्तरदायी बनाता है।

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प्रश्न 4.
उप-चुनाव क्या होता है?
उत्तर-
कभी-कभी संसद् या राज्य विधानपालिका के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने अथवा उसके द्वारा त्याग-पत्र देने से उसकी सीट खाली हो जाती है। इस सीट की पूर्ति के लिए जो चुनाव कराया जाता है, उसे उप-चुनाव कहते हैं।

प्रश्न 5.
मतदान किस प्रकार होता है?
अथव
नागरिक अपना वोट किस प्रकार डालते हैं ?
उत्तर-
चुनाव के समय प्रत्येक क्षेत्र से प्रतिनिधि चुनने के लिए चुनाव बूथ बनाए जाते हैं। यहां रिटर्निंग आफिसर के अधीन मतदान होता है। वयस्क नागरिकों के नाम मतदाता सूची में प्रविष्ट होते हैं। वे बारी-बारी से बूथ पर जा कर अपने वोट पहचान पत्र दिखाते हैं। तब अपनी उंगली पर निशान लगवा कर मतपत्र में अपने मन चाहे उम्मीदवार के नाम पर मोहर लगाते हैं और मतपत्र को वोट बाक्स में डाल देते हैं। यदि उसे कोई भी उम्मीदवार पसंद न हो तो वह ‘नोटा’ के सामने दिए गए निशान पर मोहर लगा सकता है। वोट बाक्स में वोट डालते समय किसी दूसरे को पता नहीं चलता कि वोट किसके पक्ष में डाला गया है। अब यह काम वोटिंग मशीनों द्वारा भी किया जाता है। साधारण बहुमत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है।

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प्रश्न 6.
चुनाव-प्रक्रिया से संबंधित निम्नलिखित चरणों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
1. नामांकन पत्र भरना तथा नामांकन वापिस लेना।
2. चुनाव चिन्ह प्रदान करना।
3. चुनाव पत्र (घोषणा-पत्र) जारी करना।
4. चुनाव अभियान।
5. मतों की गणना एवं परिणाम।
उत्तर-
1. नामांकन पत्र भरना तथा नामांकन वापिस लेना-राजनीतिक दलों द्वारा चुने गये सदस्य अपने नामांकन पत्र भरते हैं। इनकी रिटर्निंग आफिसर द्वारा पड़ताल की जाती है और इन्हें स्वीकृत या अस्वीकृत किया जाता है। स्वीकृत उम्मीदवार एक निश्चित तिथि तक अपना नाम वापिस ले सकते हैं। उसके बाद चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की अन्तिम सूची तैयार की जाती है, जिस के आधार पर वोट-पत्र (मत-पत्र) और उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न छापे जाते हैं।

2. चुनाव चिह्न प्रदान करना-राष्ट्रीय दलों के निश्चित चुनाव चिह्न होते हैं, जिस के आधार पर वोटर उन चिह्नों पर मोहर लगा कर वोट डालते हैं। इन चुनाव चिह्नों का अस्तित्व अनपढ़ लोगों के लिए अत्यावश्यक है।

3. चुनाव-पत्र जारी करना-प्रत्येक राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए एक चुनाव-पत्र जारी करता है। इसमें उनके कार्यक्रम एवं वचन होते हैं जो मतदाता को प्रभावित करते हैं। इन्हें पढ़कर मतदाताओं को जीत के बाद अपनाई जाने वाली नीतियों के विषय में पता चलता है।

4. चुनाव अभियान-उम्मीदवारों को जिताने के लिए राजनीतिक दल अपना चुनाव अभियान चलाते हैं। वे पोस्टर आदि छपवा कर लोगों में बांटते हैं। इसके अतिरिक्त चुनाव अभियान में जलूस आदि निकालना, जलसा करना, घरघर जा कर मतदाता को प्रभावित करना, मतदाताओं की समस्याओं का समाधान करने के वचन देना और मत देने के लिए कहना आदि बातें शामिल हैं। चुनाव अभियान को मतदान के शुरू होने से 48 घंटे पहले बन्द करना अनिवार्य होता है।

5. मतों की गणना एवं परिणाम- प्रत्येक क्षेत्र में मतदान के बाद मत-पेटियों को एक केन्द्र में एकत्रित करना होता है। निश्चित किये समय पर राजनीतिक दलों के या उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों के सामने मतों की गिनती होती है। सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है।

प्रश्न 7.
राजनीतिक दल क्या होता है?
उत्तर-
लोगों का ऐसा समूह जिस की देश के राजनीतिक उद्देश्यों के विषय में एक जैसी विचारधारा हो, राजनीतिक दल कहलात है। किसी भी व्यक्ति को किसी राजनीतिक दल विशेष में सदस्य बनने के लिए विवश नहीं किया जा सकता। किसी दल का सदस्य बनना व्यक्ति की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है।

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प्रश्न 8.
भारत में कौन-कौन से दो प्रकार के राजनीतिक दल हैं ?
अथवा
राष्ट्रीय दल तथा क्षेत्रीय दल में अन्तर बताओ।
उत्तर-
भारत में दल दो प्रकार के हैं-राष्ट्रीय दल तथा क्षेत्रीय दल। कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय दल हैं। ये सारे भारत में काम करते हैं। यदि कोई दल चार या पांच राज्यों में विशेष प्रभाव रखता हो, तो उसे चुनाव आयोग राष्ट्रीय स्तर दे देता है। इसके विपरीत जिन दलों का प्रभाव एक या दो राज्यों तक सीमित हो उन्हें क्षेत्रीय दल कहा जाता है; जैसे पंजाब का अकाली दल।

प्रश्न 9.
भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय दल कौन-सा है ? इसकी स्थापना कब हुई थी?
उत्तर-
भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय दल इंडियन नेशनल कांग्रेस है। इसकी स्थापना 1885 ई० में हुई थी।

प्रश्न 10.
संयुक्त सरकार क्या होती है?
उत्तर-
यदि लोकसभा या विधानसभा में किसी एक दल को बहुमत प्राप्त न हो, तो प्रमुख दल दूसरे दलों की सहायता तथा सहयोग से सरकार बना लेता है। कई दलों के प्रतिनिधियों से बनाई गई ऐसी सरकार संयुक्त सरकार कहलाती है। भारत में इस प्रकार की सरकार सबसे पहले 1977 में बनाई गई थी। 1999 से 2004 तक भी 13 दलों की संयुक्त सरकार बनाई गई थी। संयुक्त सरकार में भिन्न-भिन्न दलों के व्यक्तियों को मन्त्री बनने का अवसर मिलता है, जो कि सामान्य स्थिति में संभव नहीं होता।

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सही जोड़े बनाइए:

  1. सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार – स्वतन्त्र तथा उचित चुनाव
  2. राजनीतिक दल – कम-से-कम 18 वर्ष की आयु
  3. गुप्त मतदान – लोगों की विचारधारा की अभिव्यक्ति
  4. वयस्क नागरिक – समानता का सिद्धान्त

उत्तर-

  1. सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार – समानता का सिद्धान्त
  2. राजनीतिक दल – लोगों की विचारधारा की अभिव्यक्ति
  3. गुप्त मतदान – स्वतन्त्र तथा उचित चुनाव
  4. वयस्क नागरिक – कम-से-कम 18 वर्ष की आयु

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 1 पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 1 पर्यावरण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Geography Chapter 1 पर्यावरण

SST Guide for Class 7 PSEB पर्यावरण Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 1-15 शब्दों में लिखें

प्रश्न 1.
पर्यावरण से क्या भाव है?
उत्तर-
पर्यावरण से भाव हमारे आस-पास अथवा इर्द-गिर्द से है। यह किसी प्रदेश के भौतिक तत्त्वों पर निर्भर करता है।

प्रश्न 2.
पर्यावरण कितने मण्डलों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 3.
तीन मण्डलों के सुमेल से बने मण्डल को किस नाम से जाना जाता है? इसके सम्बन्ध में लिखो।
उत्तर-
तीनों मण्डलों के सुमेल से बने मण्डल को जीव-मण्डल के नाम से जाना जाता है। यह वायुमण्डल, थलमण्डल तथा जल-मण्डल के आपसी मेल से बनता है।

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प्रश्न 4.
पर्यावरण के मुख्य मण्डल कौन-से हैं?
उत्तर-
पर्यावरण के तीन मुख्य मण्डल हैं –

  1. वायुमण्डल
  2. थल-मण्डल
  3. जल-मण्डल

इनके अतिरिक्त एक अन्य मण्डल भी है। उसे जैव-मण्डल कहते हैं।

प्रश्न 5.
परिवर्तित पर्यावरण से क्या भाव है?
उत्तर-
धरातल पर पर्यावरण सदैव एक जैसा नहीं रहता। इसके तत्त्वों में परिवर्तन आता रहता है जिसके कारण पर्यावरण बदलता रहता है। ये परिवर्तन धीमे भी हो सकते हैं और तेज़ भी। धीमी गति वाले परिवर्तन पृथ्वी की सतह पर अपरदन के कारकों (नदियों, ग्लेशियर, वायु आदि) द्वारा होते हैं, जबकि तेज़ परिवर्तन थल के ऊंचा-नीचा होने से होते हैं।

प्रश्न 6.
मनुष्य पर्यावरण को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर-
मनुष्य पर्यावरण को कई प्रकार से प्रभावित करता है –

  1. खेती करने तथा रहने के लिए भूमि प्राप्त करने के लिए वनों को काट कर।
  2. नदियों पर बांध बना कर तथा उनके पानी को नहरों द्वारा शुष्क मरुस्थलों में ले जाकर।
  3. खनिज प्राप्त करने के लिए खानें खोद कर।
  4. औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करके।

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प्रश्न 7.
पृथ्वी की पर्तों के नाम लिखें।
उत्तर-
पृथ्वी की तीन पर्ते हैं –

  1. सियाल
  2. सीमा
  3. नाइफ।

II. खाली स्थान भरो

  1. पर्यावरण को …………. मण्डलों में बांटा गया है।
  2. धरती की स्याल पर्त उन चट्टानों की बनी है जिनमें ………….. तथा ……..तत्त्व ज्यादा हैं।
  3. धरती की नाइफ पर्त में………… तथा…………. तत्त्व ज्यादा मात्रा में होते हैं।।
  4. जीव मण्डल के अनेक प्रकार के जीव-जन्तुओं को ………… कहते हैं।
  5. पृथ्वी की सतह का ………… भाग जल है।

उत्तर-

  1. तीन
  2. सिलीकॉन, एल्युमीनियम
  3. निक्कल, लोहा
  4. जीव जगत्।
  5. 71 प्रतिशत।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 1 पर्यावरण

PSEB 7th Class Social Science Guide पर्यावरण Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
भिन्न-भिन्न स्थानों का पर्यावरण भिन्न-भिन्न होता है। एक उदाहरण दें।
उत्तर-
महाद्वीपों पर रहने वाले लोग आम तौर पर कृषि, पशु-पालन और वनों से सम्बन्धित कार्यों में लगे रहते हैं, जबकि समुद्र के किनारे बसे लोग या टापुओं के निवासी प्रायः मछली पकड़ने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 2.
आवास (HABITAT) क्या होता है?
उत्तर-
मनुष्य की तरह पौधे और जीव भी अपने-अपने वातावरण पर निर्भर और आश्रित होते हैं। इसे आवास कहते हैं।

प्रश्न 3.
पारिस्थितिकी (Ecology) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
किसी स्थान के जीव मण्डल तथा वहां के भौतिक वातावरण के मेल को पारिस्थितिकी कहते हैं।

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प्रश्न 4.
पृथ्वी के विभिन्न मण्डल किस प्रकार अस्तित्व में आये?
उत्तर-
पृथ्वी आरम्भ में गैसीय अवस्था में थी। इसके बाद यह पिघले रूप में आयी। धीरे-धीरे यह ठण्डी हुई और ठोस हो गई। इसके गैसीय तत्त्वों ने वायुमण्डल, जलीय तत्त्वों ने जलमण्डल तथा ठोस तत्त्वों ने थलमण्डल का रूप धारण कर लिया।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर-
पृथ्वी के इर्द-गिर्द सैंकड़ों किलोमीटर की ऊंचाई तक वायु का एक घेरा अथवा गिलाफ़ बना हुआ है। इस घेरे को वायुमण्डल कहते हैं। पृथ्वी से वायुमंडल की ऊंचाई 1600 कि०मी० तक है। परन्तु इसकी 99% वायु केवल 32 कि०मी० की ऊंचाई तक ही मिलती है। इससे अधिक ऊंचाई पर वायु विरल है।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल के मुख्य भौतिक अंश कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
वायुमण्डल के मुख्य भौतिक अंश तापमान, नमी, वायुदाब आदि हैं।

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प्रश्न 7.
पृथ्वी के पर्यावरण के किस अंश (मण्डल) में सबसे अधिक परिवर्तन होता है?
उत्तर-
वायुमण्डल में।

प्रश्न 8.
पृथ्वी पर जल और थल की बांट बताएं।
उत्तर-
पृथ्वी का धरातल जल और थल से बना है। इसका 71% भाग जल है और शेष 29% भाग थल है। थल का 2/3 भाग उत्तरी गोलार्द्ध में है।

प्रश्न 9.
थल मण्डल किसे कहते हैं? इसकी दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
धरातल के बाहरी ठोस भाग को थल मण्डल कहते हैं। विशेषताएँ-1. थल मण्डल की मोटाई 80 से 100 कि० मी० तक है। 2. यह मोटाई भूमि पर अधिक तथा समुद्री भागों में कम है।

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प्रश्न 10.
धरती की ऊपरी ठोस परत से लेकर आन्तरिक भागों में पृथ्वी को कितने भागों में बांटा जाता है? प्रत्येक का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
धरती की ऊपरी ठोस परत से लेकर आन्तरिक भागों तक पृथ्वी को तीन भागों में बांटा जाता है-भूतल, मध्य भाग तथा केंद्रीय भाग।

  1. भूतल-यह पृथ्वी का सबसे ऊपरी भाग है। इसे सियाल कहते हैं। इसके मुख्य तत्त्व सिलिकॉन (Si) तथा एल्युमीनियम (AI) हैं। इसी कारण इसका नाम सियाल (Si + Al) पड़ा है।
  2. मैंटल अथवा मध्य भाग-यह पृथ्वी के बीच का भाग है। इसे सीमा भी कहते हैं। इसके मुख्य तत्त्व सिलिकॉन (Si) तथा मैग्नीशियम (Mg) हैं।
  3. केन्द्रीय भाग-यह पृथ्वी का सबसे अन्दर का भाग है। इसे नाइफ (Nife) कहते हैं क्योंकि इसमें निक्कल (Ni) तथा लोहे (Fe) की अधिकता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 1 पर्यावरण 1

प्रश्न 11.
पृथ्वी को जल-ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तर-
पृथ्वी के तल का अधिकतर (71%) भाग जल से घिरा है। इसी कारण पृथ्वी को जल-ग्रह कहते हैं।

प्रश्न 12.
जल-मण्डल से क्या अभिप्राय है? ।
उत्तर-
पृथ्वी के जल से ढके भाग को जलमण्डल कहते हैं। यह जल छोटे-बड़े समुद्रों, खाड़ियों, नदियों, झीलों आदि के रूप में मिलता है।

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प्रश्न 13.
महासागरों (समुद्रों) का क्या महत्त्व है?
अथवा
मनुष्य को महासागरों की ओर विशेष ध्यान क्यों देना चाहिए?
उत्तर-
महासागरों का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्त्व है –

  1. महासागरों (समुद्रों) का सबसे अधिक प्रभाव पृथ्वी की जलवायु पर पड़ता है। ये जल का स्रोत हैं, जो गर्म होने के बाद बादलों का रूप धारण कर लेता है। बादल हवा के साथ-साथ वर्षा करते हैं।
  2. समुद्रों से चलने वाली हवाएं जलवायु को सम बना देती हैं।
  3. समुद्री धाराएं और ज्वार-भाटा साथ लगते क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। ये समुद्री यातायात एवं व्यापार में बहुत अधिक सहायक हैं। इसलिए मनुष्य को समुद्रों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिये।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) सही कथनों पर (✓) तथा ग़लत कथनों पर (✗) का चिन्ह लगाएं :

  1. धरती की सतह पर पर्यावरण सदा परिवर्तित होता रहता है।
  2. धरती पर जल की अपेक्षा स्थल अधिक है।
  3. जीवमण्डल पर्यावरण का अंश नहीं है।
  4. पर्यावरण के अंशों में से स्थलमण्डल सबसे अधिक परिवर्तित होता है।

उत्तर-

  1. (✓),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✗)

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 1 पर्यावरण

(ख) सही जोड़े बनाएं :

  1. नमी तथा दबाव – अपरदन के कारक
  2. ग्लेशियर तथा दरिया – पृथ्वी का सबसे अन्दर का भाग
  3. नाइफ़ – पृथ्वी की सबसे ऊपरी सतह
  4. सयाल – वायुमण्डल के अंश

उत्तर-

  1. नमी तथा दबाव – वायुमण्डल के अंश
  2. ग्लेशियर तथा दरिया – अपरदन के कारक
  3. नाइफ़ – पृथ्वी का सबसे अन्दर का भाग
  4. सयाल – पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत।

(ग) सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
क्या आप बता सकते हैं कि पृथ्वी की सतह किन तत्त्वों के मेल से बनी है?
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 1 पर्यावरण 2
(i) जल और वायु
(ii) जल और धरती
(iii) धरती और वायु।
उत्तर-
(ii) जल और धरती।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 1 पर्यावरण

प्रश्न 2.
पर्यावरण परिवर्तनशील है। आपके विचार में पर्यावरण के किस अंश में सबसे अधिक परिवर्तन होता है?
(i) वायुमण्डल
(ii) जलमण्डल
(iii) थलमण्डल
उत्तर-
(iii) थलमण्डल।

प्रश्न 3.
पृथ्वी पर एक ऐसा मण्डल है जहां प्राकृतिक तत्त्वों का प्रत्यक्ष प्रभाव दिखाई देता है। वह मण्डल क्या कहलाता है?
(i) वायुमण्डल
(ii) जलमण्डल
(iii) जैवमण्डल।
उत्तर-
(iii) जैवमण्डल।

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical कुछ भोजन-नुस्खे Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

चावल उबालना

सामग्री—

  1. चावल — 1 गिलास
  2. नमक — 1/2 चम्मच
  3. पानी — 2 गिलास
  4. घी — 1 चम्मच

सब्जियाँ बनाने की विधि

मटर-पनीर की रसदार सब्जी

सामग्री—

  1. मटर फली — 500 ग्राम
  2. पनीर — 250 ग्राम
  3. प्याज — 2
  4. हरी मिर्च — 3
  5. अदरक — 1 बड़ी गांठ
  6. लहसुन— 3-4 टुकड़े
  7. टमाटर — 2
  8. दही — थोड़ा-सा
  9. नमक — आवश्यकतानुसार
  10. लाल मिर्च चूर्ण — 1/2 छोटी चम्मच
  11. हल्दी — 1/2 छोटी चम्मच
  12. धनिया चूर्ण — छोटी चम्मच
  13. हरा धनिया — थोड़ा-सा
  14. घी — तलने व सब्जी छौंकने के लिए।

विधि—मटर के दाने निकाल लें। पनीर के टुकड़ों को कड़ाही में गुलाबी रंग का तल लें। प्याज, अदरक व लहसुन को पीसकर मसाले मिलाकर गीला मसाला तैयार कर लें। देगची में घी गर्म करके मसाला भून लें। उसी में दही व टमाटर डाल दें और अच्छी तरह से भून लें, भुन जाने पर थोड़े पानी की छीटें लगा दें और भूनें। ऐसा दोतीन बार करें। जब मसाला अच्छी तरह भुन जाए तो मटर व पनीर को उसमें डालकर अच्छी तरह से भून लें फिर पानी व नमक डालकर ढक दें। मटर के गल जाने पर गर्म मसाला व हरा धनिया डालकर उतार लें। अगर सब्जी पर रंग नहीं आया तो थोड़ा घी कटोरी में गर्म करें। (नीचे उतारकर) उसमें थोड़ा रतनजोत डाल दें। थोड़ी देर में उसका लाल रंग घी में आ जायेगा। घी को कपड़े में छानकर सब्जी के ऊपर डालकर हिला दें।
कुल मात्रा—4-5 व्यक्तियों के लिए।

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

भरे हुए बैंगन

सामग्री—

  1. बैंगन — 2500 ग्राम
  2. ब्रैड — एक पूरी
  3. आलू — 125 ग्राम मटर
  4. मटर — 125 ग्राम
  5. टमाटर — 1 छोटा
  6. गाजर — 125 ग्राम
  7. हरी मिर्च — 1-2 प्याज़
  8. नमक — स्वादानुसार
  9. घी — 50 ग्राम

विधि—मटर निकाल लें। आलू, गाजर, प्याज़ छील लें। इनको धोकर कद्दूकस कर लें। बैंगन को उबाल कर अधपका कर लें। ऊपर से काट कर अन्दर से खोखला कर लें। इस गुद्दे को भी कदूकस कर लें। टमाटर तथा हरी मिर्च को बारीक-बारीक काट लें। थोडे से घी में सारी सब्जी को भून कर पका लें ताकि पानी सूख जाए। इस सब्जी को बैंगन में भरें तथा इस के ऊपर ब्रैड के टुकड़ों को पीस कर लगा दें। कड़ाही में घी या तेल डालकर गर्म करो तथा बैंगन को तल लें। पकने पर चपाती अथवा पूरी के साथ परोसें।

भिण्डी की सब्जी

सामग्री—

  1. भिण्डी — 1/2 किलोग्राम
  2. मिर्च — 1/2 चम्मच
  3. हल्दी — 1/2 चम्मच
  4. आमचूर — 1/2 चम्मच
  5. हरी मिर्च — 1-2 प्याज़
  6. पिसा धनिया — 1/2 चम्मच
  7. गर्म मसाला — 1/2 चम्मच
  8. नमक — स्वादानुसार
  9. घी — 50 ग्राम

विधि—भिण्डीयों को अच्छी प्रकार धो लें तथा साफ कपड़े से पोंछ कर सुखा लें। छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। हरी मिर्च को काटें। प्याज़ को छील कर धो लें तथा लम्बा तथा पतला काटें। कड़ाही में घी डाल कर गर्म करें। गर्म होने पर प्याज़ इस में डाल दें। प्याज़ लाल हो जाएं तो भिण्डी, हरी मिर्च कटी हई, नमक, मिर्च, हल्दी तथा सुखा धनिया डालकर हल्की आंच पर पकाएं। भिण्डी गलने तक पकाएं तथा लेस भी न छोड़े। उतराने से पहले आमचूर तथा गर्म मसाला डालें तथा मिला दें।

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

रसमिसे आलू

सामग्री—

  1. आलू — 250 ग्राम
  2. टमाटर — 2 छोटे
  3. अदरक — 1/2 इंच का टुकड़ा
  4. हरी मिर्च — 1-2
  5. पीसा धनिया — 1/2 चम्मच
  6. जीरा — 1/2 चम्मच
  7. हल्दी — 1/2 चम्मच
  8. मिर्च — स्वादानुसार
  9. नमक — स्वादानुसार

विधि—आलू उबाल लें तथा छील लें। इनके छोटे टुकड़े कर लें। अदरक, टमाटर, हरी मिर्च के भी छोटे टुकड़ें कर लें। पतीले में घी गर्म करने के लिए रखें। गर्म होने पर जीरा डाल दें। एक मिनट के बाद टमाटर, अदरक तथा हरी मिर्च भी डाल दें। जब टमाटर गल जाएं तो कटे हुए आलू, हल्दी, नमक, मिर्च तथा पीसा हुआ धनिया डाल दें। थोड़ी देर भून कर प्याला पानी डाल दें। 10 मिनट बाद 2-3 उबाले आने पर उतार लें।

खट्टी मीठी सब्जी

सामग्री—

  1. मटर — 150 ग्राम
  2. आलू — 150 ग्राम
  3. शिमला मिर्च — 100 ग्राम
  4. टमाटर — 500 ग्राम
  5. फ्रांस बीन — 100 ग्राम
  6. प्याज़ — 100 ग्राम
  7. गाजर — 100 ग्राम
  8. टमाटर की सास — 1/2 प्याला
  9. चीनी — 1 चम्मच
  10. नमक — स्वादानुसार
  11. घी — 1 चम्मच

विधि—सब्जियां छील कर धो लें तथा काट लें, टमाटर धो कर काट लें तथा आधा प्याला पानी पतीले में डालें तथा टमाटर इस में पका लें। पक जाएं तो बारीक छलनी से अच्छी तरह छान लें तथा बीज तथा छिलके फेंक दें। मटर निकाल लें तथा धो लें। पतीले में घी गर्म करें। प्याज़ को छीलकर मोटा-मोटा काटें तथा पतीले में डाल दें। एक मिनट के बाद बाकी सब्जियों को भी पतीले में डालें, नमक भी डालें तथा हल्की आंच पर पकाएं, सब्जियां गल जाएं, टमाटर का गुद्दा तथा चीनी डाल कर उबालें। इसमें सॉस डालें तथा गाढ़ा होने पर उतारें। सॉस गाढ़ी तरी की तरह हो। चावलों के साथ परोसें।

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

बन्द गोभी और मटर की सब्जी

सामग्री—

  1. बन्द गोभी — 250 ग्राम
  2. मटर — 150 ग्राम
  3. अदरक — एक छोटा टुकड़ा
  4. हरी मिर्च — 1-2
  5. नींबू — 1
  6. जीरा — 1/2 चम्मच
  7. नमक, मिर्च, हल्दी, गर्म मसाला — आवश्यकतानुसार
  8. घी — एक कड़छी

विधि—बन्द गोभी को धो लें तथा बारीक काटें। मटर फलियों से निकाल लें तथा धो लें। घी को कड़ाही में गर्म करें तथा अदरक तथा जीरा डालें। कुछ देर बाद मटर, बन्दगोभी,, हरी मिर्च, नमक, हल्दी, मिर्च डाल दें। ढक कर कुछ देर के लिए पकायो ताकि गल जाए तथा पानी सूख जाएं। जब सब्जी तैयार हो जाए तो उतारने से पहले नींबू का रस तथा गर्म मसाला डाल दें। हिलाकर उतार लें।

आलू दम

सामग्री—

  1. आलू — 500 ग्राम
  2. प्याज — 2
  3. अदरक — 1 टुकड़ा
  4. टमाटर — 1 बड़ा
  5. जीरा, हल्दी, लाला-मिर्च, धनिया चूर्ण रूप में — आवश्यकतानुसार
  6. नमक — आवश्यकतानुसार
  7. गर्म मसाला — 1/2 चम्मच
  8. घी — आलुओं को तलने के लिए
  9. तथा मसाला भूनने के लिए
  10. हरा धनिया — थोड़ा-सा

विधि—आलुओं को अच्छी प्रकार धोकर छील लें। अब प्रत्येक आलू को कांटे या गोदने से घुमा-घुमाकर गोद लें। कड़ाही में घी डालकर गर्म करें। इस घी में गोदे हुए आलुओं को सुर्ख होने तक तल लें। प्याज, अदरक तथा अन्य मसाले मिलाकर मिक्सी में या सिलबट्टे पर गीला मसाला तैयार कर लें। अब इस मसाले को घी में भुनें। भूनते समय ही टमाटर को छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में मसाले में मिला दें। टमाटर एकदम मिल जाना चाहिए। टमाटर के स्थान पर दही भी डाला जा सकता है। भूनते समय मसाले को करछुल से चलाते रहें। अब तले हुए आलुओं को भुनते हुए मसाले में डालकर अच्छी तरह चला दें। पानी न डालें। मंदी आंच पर पकाएं। आलुओं के गल जाने पर गर्म मसाला और हरा धनिया डालकर उतार लें।
कुल मात्रा—4 व्यक्तियों के लिए।

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

बैंगन का भुरता

सामग्री—

  1. गोल बैंगन — 200 ग्राम
  2. प्याज — 1
  3. टमाटर — 1
  4. अदरक — 1 गांठ
  5. नमक — आवश्यकतानुसार
  6. जीरा — 1/2 चम्मच
  7. हल्दी चूर्ण — 1/2 छोटी
  8. चम्मच धनिया — 1/2 छोटी चम्मच
  9. हरी मिर्च — 2
  10. हरा धनिया — -थोड़ा-सा
  11. घी — 2 चम्मच

विधि—गोल बैंगन को थोड़ा चीरकर देख लें कि अन्दर वह खराब तो नहीं है, कोई कीड़ा आदि तो नहीं है। इसे आग (अंगारों) पर भून लें। अच्छी तरह भुन जाने के बाद उसका छिलका उतारकर उसे हाथ से कुचल दें। अच्छी तरह पका बैंगन हाथ से मसला जाता है। प्याज व अदरक छील लें। प्याज, अदरक व हरी मिर्च को बारीक काट लें। टमाटर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें । कड़ाही में घी डालकर गर्म करें। इसमें जीरे का छौंक लगाकर प्याज, अदरक, हरी मिर्च डालकर भूनें। हल्दी, मिर्च, नमक भी डाल दें। भूनते-भूनते ही टमाटर डाल दें और हिलाते जाएं। जब मसाला सुर्ख हो जाए बैंगन का कुचला डालकर खूब मिलाकर मंद आंच पर थोड़ी देर पकाएं। पूरी तरह पकने या भुनने पर हरे धनिया की पत्तियां कतरकर छिड़ककर परोसें। टमाटर के स्थान पर खटाई चूर्ण या नींबू का भी प्रयोग किया जा सकता है।

कुल मात्रा—2-3 व्यक्तियों के लिए।
यदि प्याज नहीं डालना हो तो घी या तेल में हींग या राई, जीरे और मिर्च का छौंक देकर थोड़ा दही, खटाई चूर्ण या टमाटर भून लें। इसमें बैंगन का (भुरता) तथा नमक डालकर भूनें। भुन जाने पर उसमें हरे धनिया की पत्ती कतरकर छिड़क दें।
नोट-आलू, केला, अरूई, जिमीकन्द, मटर, चना आदि के भुरते के लिए उसे उबालकर कुचल दिया जाता है। कुचली हुई सब्जी या भुरता, बैंगन के भुरते के समान ही बनाया जाता है।

फूलगोभी-आलू

सामग्री—

  1. फूलगोभी — 1 फूल
  2. आलू — 250 ग्राम
  3. प्याज — 2
  4. लहसुन — 2-3 टुकड़े
  5. खटाई चूर्ण — 1 छोटी चम्मच
  6. जीरा — 1/2 छोटी चम्मच
  7. हल्दी चूर्ण — 1/2 छोटी चम्मच
  8. हरा धनिया — थोड़ा-सा
  9. नमक — आवश्यकतानुसार
  10. गर्म मसाला — 1/212 छोटी चम्मच
  11. अदरक — 1 गांठ
  12. हरी मिर्च — 2 चम्मच

विधि—आलू धोकर, पतला छीलकर मध्यम आकार के टुकड़ों में काट लें। फूलगोभी को भी मध्यम आकार के टुकड़ों में काटकर धो लें। प्याज, लहसुन, अदरक को छीलकर बारीक काट लें। हरी मिर्च भी बारीक काट लें। कड़ाही या पतीली में घी गर्म करें और जीरे का छौंक देकर प्याज, लहसुन, अदरक और हरी मिर्च को भूनें। इसी में आलू तथा गोभी के टुकड़े डालकर कुछ देर तक भूनें। हल्दी, मिर्च, धनिया, नमक आदि मसाले भी डाल दें। सब्जी को अच्छी तरह हिलाकर ढककर मंद आंच पर पकाएं। आल तथा गोभी गल जाने पर उसमें गर्म मसाला तथा खटाई चूर्ण डालकर 5-10 मिनट तक आंच पर रहने दें। फिर उतार लें।
नोट-केवल गोभी की सब्जी बनानी हो तो आलू डालने की आवश्यकता नहीं। इसी प्रकार गोभी, मटर, परवल, आलू आदि की सब्जी बनायी जा सकती है।

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

पतली खिचड़ी

सामग्री—

  1. चावल — 1 कटोरी
  2. मूंग की धुली हुई दाल — 1 कटोरी
  3. जीरा — 1 चम्मच
  4. प्याज — 1/2 टुकड़ा
  5. नमक — 1/2 चम्मच
  6. पानी — 5 कटोरी।

विधि—दाल और चावलों को चुनकर अलग-अलग भिगो लें। पाँच कटोरी पानी उबालकर दाल को 10-15 मिनट तक पका लें। इसके साथ ही नमक, जीरा और कटा हुआ प्याज भी डाल दें। पतीले को ढककर पकाओ ताकि चावल और दाल गलकर आपस में मिल जाएं। यह खिचड़ी पतली होनी चाहिए। यह बीमारों को दी जाती है। अगर रोगी पचा सके तो घी भी डाला जा सकता है।
नोट-इसमें अधिक मिर्च मसाले का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

खिचड़ी

सामग्री—

  1. चावल — 2 बड़े चम्मच
  2. मूंग की दाल — 2 बड़े चम्मच
  3. हल्दी — आवश्यकतानुसार
  4. नमक — इच्छानुसार
  5. पानी — 2 गिलास या आवश्यकतानुसार

विधि—दाल और चावलों दोनों को भली प्रकार करके धो लें। उबलते हुए पानी में दाल और चावल डाल दें। साथ ही नमक और हल्दी भी डाल दें। जब दाल, चावल खूब अच्छी तरह गल जाएं तो खिचड़ी ठण्डी करके रोगी को खाने के लिए दें।
खिचड़ी विशेष रूप से मलेरिया के रोगी को दी जाती है। इसमें प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट पाये जाते हैं। मलेरिया के रोगी को यह कटी अदरक तथा नींबू के अर्क व पेचिश के रोगी को दही के साथ दी जा सकती है।
नोट-चावलों के स्थान पर दलिया और मूंग की धुली दाल का प्रयोग किया जा सकता है।

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

दलिया

सागम्री—

  1. दलिया — 1 बड़ा चम्मच
  2. पानी — 1 गिलास या आवश्यकतानुसार
  3. चीनी व दूध — इच्छानुसार (यदि मीठा बनाना हो)
  4. नमक व नींबू — इच्छानुसार (यदि नमकीन बनाना हो)

विधि—दलिये को बर्तन में खूब भून लें। गुलाबी रंग का हो जाने पर उबलते हुए पानी में — पकाएं। जब दलिया भली प्रकार से पक जाये तो दूध व चीनी मिलाकर रोगी को दें। यदि रोगी नमकीन खाना चाहे तो दलिये में इच्छानुसार नमक, काली मिर्च व नींबू डालकर दिया जा सकता है।
नोट-यह शक्तिवर्धक हल्का भोजन है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व लवण पाए जाते हैं। यह रोगी के साथ-साथ बच्चों को नाश्ते में भी दिया जा सकता है।

साबूदाने की खीर

सामग्री—

  1. साबूदाना — 1 या 2 बड़े चम्मच
  2. दूध — 2 कप
  3. चीनी — 1 चम्मच अथवा इच्छानुसार

विधि—सर्वप्रथम साबूदाने को भली-भांति साफ़ कर लें। उबलते हुए पानी में इतना पका लें कि साबूदाना भली-भांति गल जाये, तब दूध व चीनी मिलाकर रोगी को खाने के लिए दें।
नोट-साबूदाना एक हल्का व शीघ्र पचने वाला स्वादिष्ट भोजन है। इसमें कार्बोहाइड्रेट व लवण पाये जाते हैं। बुखार व गले में दर्द होने पर यह रोगी को दिया जाता है।

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

सादी कॉफी

सामग्री—

  1. कॉफी पाउडर – 1/2 से 3/4 छोटी चम्मच
  2. चीनी — 1 से 1 1/2 छोटी चम्मच
  3. गर्म दूध — 2-3 बड़े चम्मच
  4. उबलता हुआ पानी — 1 कप

विधि—पानी को उबाल में तथा पहले से गर्म की हुई केतली में डालें (जैसा गर्म चाय के लिए किया गया है) कॉफी बनाते समय कॉफी पाउडर को कप में डालकर गर्म पानी डालें तथा उन्हें मिलाएं। इसमें गर्म दूध व चीनी डालकर परोसें।
कुल मात्रा—1 कप

एस्प्रेसो कॉफी

सामग्री—

  1. कॉफी पाउडर — 3/4 छोटी चम्मच
  2. चीनी — 1/2 छोटी चम्मच
  3. दूध — 1/2 कप
  4. पानी — 1⁄2 कप
  5. चॉकलेट पाउडर — थोड़ा-सा।

विधि—कप में कॉफी और चीनी डालकर थोड़े से पानी की सहायता से उसे अच्छी प्रकार फेंट लें। दूध और पानी मिलाकर उबाल लें। उबला हुआ दूध और पानी फेंटी हुई कॉफी में मिलाकर ऊपर से थोड़ा-सा चॉकलेट पाउडर छिड़ककर परोसें।
कुल मात्रा—1 कप

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

ठण्डी कॉफी

सामग्री—

  1. दूध — 1 कप
  2. कॉफी पाउडर — 1 छोटी चम्मच
  3. चीनी — 1 छोटी चम्मच

विधि—दूध को उबालकर ठण्डा कर लें। कॉफी पाउडर और चीनी को मिलाकर उनमें दूध डालें और भली प्रकार मिलाएं। अब इसमें बर्फ को चूरा करके अच्छी तरह मिला लें। यदि हो सके तो ऊपर के मिश्रण को मिक्सी में फेंट लें। परोसते समय यदि चाहें तो ऊपर क्रीम या आइसक्रीम का प्रयोग कर सकते हैं।
कुल मात्रा—1 छोटा गिलास

नींबू वाली ठण्डी चाय

सामग्री—

  1. चाय की पत्ती — छोटी चम्मच
  2. उबला हुआ पानी — 1 कप
  3. चीनी, नींबू — स्वाद के अनुसार
  4. बर्फ — कुछ टुकड़े

विधि—गर्म चाय की भांति चाय बनाकर छान लें। इसमें चीनी मिलाकर कुटी हुई बर्फ डाल दें। अब इसे नींबू के साथ परोसें।
कुल मात्रा—1 छोटा गिलास

PSEB 7th Class Home Science Practical कुछ भोजन-नुस्खे

शिकंजवी

सामग्री—

  1. नींबू — 2
  2. पानी — 500 मि० ली०
  3. चीनी — आवश्यकतानुसार
  4. काली मिर्च — स्वादानुसार
  5. बर्फ — ठण्डा करने के लिए।

विधि—पानी में चीनी डालकर अच्छी तरह मिलाएं। फिर उसमें नींबू का रस मिला दें। इस घोल को छान लें और स्वादानुसार नमक व काली मिर्च डालें। ठण्डा करने के लिए बर्फ डालें। शिकंजवी तैयार है, कांच के गिलासों में परोसें।

लस्सी

सामग्री—

  1. दही — 100 पानी
  2. पानी — 1 गिलास
  3. नमक या चीनी — आवश्यकता अनुसार

विधि—दही को गहरे बर्तन जैसे जग आदि में डाल कर मधानी से मथ लें। इसमें पानी डाले तथा फिर से फैंटे। स्वाद अनुसार नमक या चीनी डाल कर परोसे। ठण्डा करने के लिए बर्फ का टुकड़ा भी डाल सकते हैं।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Civics Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

SST Guide for Class 7 PSEB लोकतन्त्र तथा समानता Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में लिखें

प्रश्न 1.
लोकतंत्रीय सरकार से क्या भाव है ?
उत्तर-
लोकतंत्र (प्रजातन्त्र) लोगों की अपनी सरकार होती है, अर्थात् वहां का शासन लोगों की इच्छानुसार चलाया जाता है। कानून के अनुसार भी शासन चलाने की शक्ति लोगों के हाथ में होती है। प्रजातन्त्र में कानून का शासन (Rule of Law) होता है। प्रजातान्त्रिक सरकार लोगों द्वारा ही बनाई जाती है और वह लोगों के कल्याण के लिए ही कार्य करती है। अब्राहिम लिंकन के शब्दों में प्रजातान्त्रिक सरकार ‘लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के लिए’ होती है।

प्रश्न 2.
‘कानून के शासन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
कानून के शासन से अभिप्राय यह है कि देश का शासन निश्चित कानूनों अथवा नियमों के अनुसार चलाया जाता है। सरकार इन नियमों की अवहेलना नहीं कर सकती। उसकी शक्ति का स्रोत कानून होते हैं।

प्रश्न 3.
मताधिकार का लोकतंत्र में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
आधुनिक लोकतंत्र प्रतिनिधि लोकतंत्र है। इसमें नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो सरकार चलाते हैं और कानून बनाते हैं। इन प्रतिनिधियों का चुनाव वोट अथवा मताधिकार द्वारा किया जाता है। यदि सरकार अयोग्य हो, तो उसे भी मताधिकार द्वारा बदला जाता है। इसलिए लोकतंत्र में मताधिकार बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 4.
प्रधानात्मक सरकार कौन-सी होती है ?
उत्तर-
कृपया इसके लिए 50-60 शब्दों वाला प्रश्न नं. 4 पढ़ें।

प्रश्न 5.
लोकतंत्र में लोकमत का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
लोकमत से अभिप्राय लोगों की इच्छा से है। लोकतंत्र में नीतियों का निर्माण लोकमत के आधार पर ही होता है। लोकमत की उपेक्षा करने वाली सरकार को अगले चुनावों में बदल दिया जाता है। इस प्रकार लोकतन्त्र में लोकमत बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 6.
कौन से देश में आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है ?
उत्तर-
स्विट्ज़रलैण्ड में आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर 50-60 शब्दों में लिखें :

प्रश्न 1.
लोकतंत्र के अस्तित्व में आने संबंधी संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र (प्रजातन्त्र) का आरम्भ यूनान के शहर ऐथन्ज़ में हुआ। वहां का प्रजातन्त्र लगभग 2500 वर्ष पुराना है। यह प्रत्यक्ष (सीधा) लोकतंत्र था जिसमें सभी लोग मिलकर शासन चलाते थे। वे लोग वर्ष में कई बार एकत्रित होकर सभा किया करते थे। वहां पर लोगों द्वारा राज्य प्रबन्ध चलाने के निर्णय लिए जाते थे। उस समय सीधा लोकतंत्र इसलिए सम्भव था क्योंकि लोगों की संख्या कम थी और सभी एक स्थान पर बैठकर निर्णय ले सकते थे। सीधा प्रजातन्त्र इसलिए भी सम्भव था क्योंकि उस समय लोकतान्त्रिक देशों में स्त्रियों, विदेशियों और दासों को शासन में भाग लेने का अधिकार नहीं था।

प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता की धारणा के विकास के संबंध में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
स्वतन्त्रता लोकतन्त्र का मूल आधार है। इस धारणा का विकास 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड की शानदार क्रान्ति तथा 18वीं शताब्दी में फ्रांस की क्रान्ति के साथ हुआ। आरम्भ में मतदान का अधिकार केवल धनी लोगों को ही प्राप्त था। समय की आवश्यकता के अनुसार सभी वयस्क स्त्री-पुरुषों को मतदान का अधिकार दिया गया।

19वीं और 20वीं शताब्दी में प्रजातन्त्र के समानता के अधिकार ने और ज़ोर पकड़ा। यह अधिकार पहले केवल राजनीतिक क्षेत्र तक ही सीमित था। समय की आवश्यकता के अनुसार आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्रों में भी समानता के अधिकार पर बल दिया जाने लगा। लोगों को कई प्रकार की स्वतन्त्रताएं भी दी गईं। इनमें विचारों की स्वतन्त्रता प्रमुख थी।

प्रश्न 3.
लोकतन्त्र सबसे पहले किस देश में स्थापित हुआ ?
उत्तर-
लोकतन्त्र सबसे पहले यूनान में स्थापित हुआ। वहां लोकतन्त्र का विकास ऐथन्स नगर में हुआ। वहां का लोकतन्त्र लगभग 2500 वर्ष पुराना है। ऐथन्स के लोग साल में कई बार इकट्ठे होते थे और सभा करते थे। इन सभाओं में वे मिलकर निर्णय लेते थे कि राज्य प्रबन्ध किस प्रकार चलाया जाए।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 4.
लोकतंत्रीय सरकार के चार भिन्न-भिन्न स्वरूपों का नाम लिखें।
उत्तर-
(1) प्रधानात्मक सरकार
(2) संसदीय सरकार
(3) एकात्मक सरकार
(4) संघात्मक सरकार।
1. प्रधानात्मक (अध्यक्षात्मक) सरकार-प्रधानात्मक सरकार में राष्ट्रपति सीधे लोगों द्वारा चुना जाता है। वह राज्य का वास्तविक शासक होता है। इसलिए राष्ट्रपति और मन्त्री एक ही राजनीतिक दल से नहीं होते। इस प्रकार की प्रधानात्मक लोकतान्त्रिक सरकार अमेरिका में है। वहां का राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है।

2. संसदीय सरकार-संसदीय अथवा संसदात्मक सरकार में संसद् अधिक शक्तिशाली होती है। राष्ट्रपति केवल नाममात्र का मुखिया होता है। राज्य की वास्तविक शक्ति प्रधानमन्त्री के पास होती है। मन्त्रिपरिषद् के सभी सदस्य संसद् अर्थात् विधानपालिका से ही लिए जाते हैं। इसलिए संसदात्मक सरकार में विधानपालिका एवं कार्यपालिका में तालमेल बना रहता है।

3. एकात्मक सरकार-एकात्मक प्रजातन्त्र में राज्यों और केन्द्र के बीच शक्तियों का विभाजन होता है। परन्तु केन्द्र राज्यों की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होता है। हमारे भारत का संविधान भी संघात्मक है, परन्तु किसी आन्तरिक संकट के समय केन्द्रीय सरकार की शक्तियां बढ़ जाती हैं।

4. संघात्मक सरकार-संघात्मक सरकार में संविधान लिखित एवं कठोर होता है। राज्यों और केन्द्र के बीच शक्तियों का बंटवारा होता है। प्रत्येक राज्य की अपनी सरकार होती है। भारत में भी संघात्मक सरकार है।

प्रश्न 5.
संसदीय लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
संसदात्मकं अथवा संसदीय लोकतन्त्र में संसद् अधिक शक्तिशाली होती है। राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया होता है। राज्य की वास्तविक शक्ति प्रधानमन्त्री के पास होती है। मन्त्रिपरिषद् के सभी सदस्य संसद् अर्थात् विधानपालिका से ही लिये जाते हैं। इसलिए संसदीय सरकार में विधानपालिका तथा कार्यपालिका के बीच तालमेल बना रहता है।

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प्रश्न 6.
लोकतंत्रीय सरकार की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र को प्रजातंत्र भी कहा जाता है। आधुनिक युग में लोकतंत्रीय सरकार को सर्वश्रेष्ठ सरकार माना जाता है। सफल लोकतंत्र के लिए कुछ शर्तों का होना अनिवार्य है। लोकतन्त्र सरकार की विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है :–

1. सत्तेत नागरिक-प्रजातन्त्र सरकार का मूल आधार लोकमत है, जिसके आधार पर सरकार चलाई जाती है। इसलिए लोगों का सचेत होना बहुत आवश्यक है। इसका अर्थ यह है कि जनता राजनीतिक रूप से परिपक्व हो। ऐसे लोग ही अपने प्रतिनिधियों पर नियन्त्रण रख सकते हैं।

2. योग्य एवं सचेत नेतागण-यदि सरकार पढ़े-लिखे तथा सचेत नेताओं द्वारा चलाई जायेगी, तो सरकार योग्य होगी। केवल समझदार मतदाता (वोटर) ही ऐसे नेताओं को चुन सकते हैं।

3. अनुशासित नागरिक एवं राजनीतिक दल-प्रजातन्त्र में लोगों का अनुशासित होना बहुत आवश्यक है। तभी वे सरकार की गलत नीतियों और अनुचित कार्यों का विरोध करके सरकार को ठीक ढंग से कार्य करने पर विवश कर सकते हैं। लोगों में दूसरों के विचारों के प्रति आदर भी होना चाहिए। लोगों के राजनीतिक विचारों में भिन्नता के आधार पर राजनीतिक दल बनते हैं। लोगों के प्रतिनिधि चुनाव द्वारा चुने जाते हैं। चुनावों के लिए राजनीतिक दल बहुत ही महत्त्वपूर्ण होते हैं। राजनीतिक दल लोगों को सरकार के कार्यों के बारे सूचित करके लोक मत बनाने में सहायता करते हैं। इसलिए राजनीतिक दलों का सचेत और अनुशासित होना अति आवश्यक है।

4. सामाजिक एवं आर्थिक समानता-प्रजातन्त्र में धनी एवं निर्धन का अन्तर नहीं होना चाहिए। यदि सभी नागरिक सामाजिक और आर्थिक रूप से समान नहीं होंगे तो प्रजातन्त्र सफल नहीं हो सकता। इसलिए समाज में जाति, धर्म और भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

5. सहनशीलता-लोकतन्त्र में बहुमत प्राप्त दल का शासन होता है। परन्तु दल का उदार होना आवश्यक है। विरोधी दल को भी शासक दल के प्रति सहनशील होना चाहिए। सहनशीलता प्रजातन्त्र की सफलता के लिए एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
नोट-विद्यार्थी कोई दो लिखें।

प्रश्न 7.
सामाजिक तथा आर्थिक समानता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
सामाजिक समानता-सामाजिक समानता का अर्थ है कि सामाजिक दृष्टि से सभी व्यक्ति समान हैं। किसी के साथ जन्म स्थान, रंग, धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता। सभी व्यक्ति समाज के उपयोगी अंग हैं। किसी व्यक्ति विशेष को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता।

आर्थिक समानता-आर्थिक समानता का अर्थ है कि देश में धनी एवं निर्धन का अन्तर नहीं होना चाहिए। समाज के किसी वर्ग का शोषण न हो। इसका अर्थ यह भी है कि उत्पादन के साधन कुछ एक व्यक्तियों के हाथों में सीमित न हों। सभी को रोज़ी कमाने के समान अवसर प्राप्त हों।

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प्रश्न 8.
आधुनिक युग में लोकतंत्रीय सरकार अत्यधिक प्रिय क्यों है ?
उत्तर-
आज संसार के अधिकतर देशों में लोकतन्त्रीय सरकार है। ऐसी सरकार कल्याणकारी होती है और मानव अधिकारों एवं स्वतन्त्रता को विशेष महत्त्व देती है। लोकतन्त्र में कानून की दृष्टि में सभी बराबर माने जाते हैं। ये कानून भी लोगों के अपने प्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाते हैं। लोकतन्त्र को लोकप्रिय बनाने वाले कई अन्य आधार भी हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :–

1. समानता-प्रजातन्त्र में अमीरी-गरीबी, धर्म या जाति के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जाता। कानून की दृष्टि से सब समान होते हैं। इसलिए तानाशाही सरकार की अपेक्षा प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक लोकप्रिय

2. स्वतन्त्रता-प्रजातन्त्र में लोग हर पक्ष में स्वतन्त्र होते हैं। वे कोई भी व्यवसाय अपनाने, अपने विचारों को प्रकट करने और किसी भी क्षेत्र में रहने के लिए स्वतन्त्र होते हैं। परन्तु तानाशाही राज्य में लोगों को तानाशाह राजा की आज्ञा अनुसार चलना पड़ता है।

3. निर्णय लेने की कार्य विधि-प्रजातन्त्र में राज्य प्रबन्ध चलाने के लिए निर्णय लेने का एक विशेष ढंग होता है, जोकि लोगों के हाथ में होता है। लोग अपने प्रतिनिधि चुनकर विधानपालिका में भेजते हैं। ये प्रतिनिधि शासन चलाने के लिए कानून बनाते हैं। विधानपालिका में बहमत दल सरकार बनाती है। सरकार लोगों की इच्छानुसार कार्य करती है। यदि सरकार लोगों की इच्छानुसार कार्य न करे, तो जनता, उसे अगले चुनावों में बदल सकती है।

4. नागरिकों की सक्रिय भागीदारी-प्रजातन्त्र में सभी मतदाता चुनाव लड़ सकते हैं या चुनाव में अपना मत इच्छानुसार दे सकते हैं। देश के शासन में सभी बराबर के भागीदार हैं। तानाशाही राज्यों में ऐसा नहीं होता। इसलिए आधुनिक समय में प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक लोकप्रिय है।

5. मतभेद दूर करना-प्रजातन्त्र में किसी पर भी अपना विचार थोपा नहीं जाता, बल्कि सभी के विचारों का आदर किया जाता है। शासक दल विरोधी दल के सुझावों पर उदारता से विचार करता है। दूसरी ओर विरोधी दल सरकार के कार्यों में उदारता से सहयोग देता है। इस प्रकार प्रजातन्त्र में वैचारिक मतभेदों को उदारतापूर्वक दूर किया जाता है। इसी कारण प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक पसन्द की जाती है।

6. मानव गौरव (शान) में वृद्धि-स्वतन्त्रता, समानता तथा भाईचारा प्रजातन्त्र के मुख्य सिद्धान्त हैं। इनके आधार पर ही फ्रांस में प्रजातन्त्र का आरम्भ हुआ। प्रजातन्त्र में केवल राजनीतिक स्वतन्त्रता और समानता ही नहीं होती, अपितु सामाजिक तथा आर्थिक समानता भी होती है। इसके लिए सरकार सभी देशवासियों को रोज़ी कमाने के लिए समान अवसर प्रदान करती है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए नौकरियों में स्थान आरक्षित किये जाते हैं। इस प्रकार प्रजातन्त्र में मानव गौरव और शान को बढ़ाने के लिए हर सम्भव प्रयत्न किया जाता है।

(ग) खाली स्थान भरें

  1. भारत एक ………….. गणराज्य है।
  2. हमारे देश की केन्द्रीय सरकार का नाममात्र का प्रधान …………… है और राज्य सरकारों के मुख्य ……………. होते हैं।
  3. लोकतंत्र का आरम्भ ………………. के शहर ……………… में हुआ।
  4. ………………. ही ऐसा देश है जहां आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है।
  5. लोकतंत्र का आरम्भिक सिद्धांत …………. तथा ……………. है।

उत्तर-

  1. लोकतंत्रीय,
  2. राष्ट्रपति, राज्यपाल,
  3. यूनान, एथेंस
  4. स्विट्ज़रलैण्ड
  5. स्वतन्त्रता तथा समानता।

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(घ) निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ

  1. भारत एक लोकतंत्रीय गणराज्य है।
  2. स्विट्ज़रलैण्ड ही ऐसा देश है जहाँ आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र चल रहा है।
  3. वोट डालने का अधिकार केवल कुछ बालिगों (वयस्कों) को ही प्राप्त है।
  4. लोकतंत्रीय देश में कानून का राज्य होता है।
  5. आधुनिक लोकतंत्र की स्थापना पहले फ्रांस देश में हुई थी।

संकेत-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✗)

(ङ) बहु-वैकल्पिक प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर पर निशान लगाएं :–
प्रश्न 1.
लोकतांत्रिक सरकार लोगों की, लोगों के लिए तथा लोगों के द्वारा-यह कथन है
(क) इब्राहिम लिंकन
(ख) लास्की
(ग) डेविड ईस्टन।
उत्तर-
(क) इब्राहिम लिंकन

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प्रश्न 2.
आधुनिक युग में किस सरकार को सर्वोत्तम माना जाता है ?
(क) तानाशाही सरकार
(ख) लोकतांत्रिक सरकार
(ग) सैनिक शासन।
उत्तर-
(ख) लोकतांत्रिक सरकार

प्रश्न 3.
लोकतांत्रिक सरकार वाले देशों में देश के मुखिया कितनी तरह के होते हैं ?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) दो।
उत्तर-
(ग) दो।

PSEB 7th Class Social Science Guide लोकतन्त्र तथा समानता Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्रजातन्त्र (लोकतन्त्र) की दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. लोकतन्त्र में शासन चलाने की शक्ति लोगों के हाथ में होती है।
  2. लोकतन्त्र में सरकार की नीतियों का निर्णय लोगों की इच्छा के अनुसार लिया जाता है।

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प्रश्न 2.
लोकतन्त्र कौन-कौन से दो प्रकार का होता है ?
उत्तर-

  1. प्रत्यक्ष अथवा सीधा लोकतन्त्र
  2. अप्रत्यक्ष अथवा प्रतिनिधि लोकतन्त्र।

प्रश्न 3.
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र तथा अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में शासन की नीतियों के निर्माण में सभी नागरिक सीधे रूप में भाग लेते हैं। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में नागरिक अपने प्रतिनिधि चुनते हैं जो शासन की नीतियों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 4.
लोकतन्त्रीय सरकार में देश के मुखिया कौन-कौन से दो प्रकार के होते हैं ? भारत से उदाहरण दें।
उत्तर-
लोकतन्त्रीय सरकार में देश के दो प्रकार के मुखिया होते हैं-नाममात्र मुखिया और वास्तविक मुखिया। हमारे देश की केन्द्रीय सरकार का नाममात्र का मुखिया राष्ट्रपति और राज्यों में राज्यपाल है जबकि केन्द्र में वास्तविक मुखिया प्रधानमन्त्री और राज्य में मुख्यमन्त्री होता है।

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प्रश्न 5.
गणराज्य क्या होता है ?
उत्तर-
जिस देश का प्रमुख लोगों के द्वारा चुना जाता है उसे गणराज्य कहा जाता है।

प्रश्न 6.
हम भारत को लोकतान्त्रिक गणराज्य क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
भारत एक लोकतन्त्र है। देश का मुखिया अर्थात् राष्ट्रपति लोगों द्वारा चुना जाता है। इसलिए भारत को लोकतान्त्रिक गणराज्य कहते हैं।

प्रश्न 7.
राजतन्त्रीय लोकतन्त्र क्या होता है ? एक उदाहरण भी दें।
उत्तर-
राजतन्त्रीय लोकतन्त्र में देश का मुखिया राजा या रानी होते हैं। वे लोगों द्वारा नहीं चुने जाते बल्कि उनका पद परम्परागत होता है। वे नाममात्र के मुखिया होते हैं। इंग्लैंड में राजतन्त्रीय लोकतन्त्र है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 8.
प्रजातन्त्र (लोकतन्त्र) का मुख्य सिद्धान्त क्या है ? यह किस बात पर आधारित है ?
उत्तर-
लोकतन्त्र का मुख्य सिद्धान्त कानून का शासन है। यह मानव की स्वतन्त्रता तथा समानता पर आधारित है।

प्रश्न 9.
व्यापक (सार्वभौम) वयस्क मताधिकार क्या होता है ?
उत्तर-
जब देश के सभी वयस्क स्त्री-पुरुषों को बिना किसी भेदभाव के मतं देने का अधिकार दिया जाता है, तो उसे सार्वभौम वयस्क मताधिकार कहा जाता है।

प्रश्न 10.
कार्यपालिका तथा विधानपालिका के प्रभाव की दृष्टि से लोकतान्त्रिक सरकार कौन-कौन से दो प्रकार की होती है ?
उत्तर-

  1. प्रधानात्मक (अध्यक्षात्मक) सरकार
  2. संसदीय सरकार।

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प्रश्न 11.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन के आधार पर लोकतान्त्रिक सरकार कौन-कौन से दो प्रकार की होती है ?
उत्तर-

  1. एकात्मक सरकार
  2. संघात्मक सरकार।

प्रश्न 12.
“लोकतन्त्र अथवा प्रजातन्त्र राज्य सरकार का एक प्रकार नहीं, अपितु एक जीवन-परीक्षण है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रजातन्त्र में समाज में किसी भी आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। कानून की दृष्टि में अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष सब समान हैं। प्रत्येक को अपने व्यक्तित्व का विकास करने का अधिकार होता है। जाति या जन्म के आधार पर किसी को भी कोई विशेष सुविधा प्राप्त नहीं होती, क्योंकि प्रजातान्त्रिक समाज में इस प्रकार के भेद-भाव के लिए कोई स्थान नहीं होता। यदि आर्थिक एवं सामाजिक पक्ष से सभी स्त्री-पुरुष समान होंगे तभी सभी लोग राजनीतिक पक्ष से भी समान होंगे। इसीलिए प्रजातन्त्र राज्य सरकार का एक प्रकार नहीं अपितु एक जीवन परीक्षण है।

सही जोड़े बनाइए:

  1. लोकतन्त्र का आरम्भ – यूरोप
  2. आधुनिक लोकतन्त्र की सबसे पहले स्थापना – भारत
  3. प्रधानात्मक लोकतन्त्र – एथेंस (यूनान)
  4. संसदीय सरकार – अमेरिका

उत्तर-

  1. लोकतन्त्र का आरम्भ – एथेंस (यूनान)
  2. आधुनिक लोकतन्त्र की सबसे पहले स्थापना – यूरोप
  3. प्रधानात्मक लोकतन्त्र – अमेरिका
  4. संसदीय सरकार – भारत।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना

SST Guide for Class 7 PSEB 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना Textbook Questions and Answers

(क) निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में स्थापित हुई किन्हीं चार प्रादेशिक शक्तियों के नाम लिखें।
उत्तर-
दक्षिण भारत की शक्तियाँ-मराठे, हैदराबाद के निज़ाम तथा मैसूर में हैदरअली और टीपू सुल्तान। उत्तरी भारत की शक्तियाँ-बंगाल, अवध, बुंदेलखंड, मथुरा तथा पंजाब।

प्रश्न 2.
पाठ में उत्तरकालीन मुग़लों की सूची बनाएं।
उत्तर-
बहादुर शाह, जहांदार शाह, फरुख्सीयर, मुहम्मद शाह तथा बहादुरशाह जफ़र।

प्रश्न 3.
18वीं शताब्दी में अवध के उत्थान का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
सआदत खां-अवध के स्वतन्त्र राज्य का संस्थापक सआदत खां था। वह 1722 ई० में मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह के अधीन अवध का सूबेदार बना था। उसने राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार किए। उसने खेती-बाड़ी की ओर विशेष ध्यान दिया। 1739 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

सफदर जंग-सआदत खां की मृत्यु के पश्चात् सफदर जंग अवध का नया शासक बना। उसने 1754 ई० में रूहेलखण्ड के प्रदेश जीत लिये। 1775 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

शुजाउद्दौला तथा आसफुद्दौला-सफदर जंग के पश्चात् क्रमशः शुजाउद्दौला तथा आसफुद्दौला अवध के शासक बने। अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्ज़ ने आसफुद्दौला को फैजाबाद की संधि करने के लिए विवश कर दिया। उसने आसफुद्दौला को अवध में रखी गई अंग्रेजी सेना के बदले मिलने वाली धनराशि बढ़ाने के लिए भी मज़बूर किया। 1797 ई० में आसफुद्दौला की मृत्यु हो गई।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना

प्रश्न 4.
18वीं शताब्दी में सिक्ख किस प्रकार शक्तिशाली बने ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी में मुग़लों तथा सिक्खों के बीच एक लंबा संघर्ष हुआ। इसी संघर्ष ने सिक्खों को शक्तिशाली बना दिया था।

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के अधीन सिक्ख-मुग़लों ने सिक्खों पर बहुत अत्याचार किए थे। मुग़ल अत्याचारों का सामना करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्खों को वीर योद्धा बनाने का निर्णय किया। इस उद्देश्य से उन्होंने 1699 ई० में खालसा पंथ की स्थापना की। इसके बाद मुग़लों तथा सिक्खों के बीच कई लड़ाइयां हुईं। इनमें आनंदपुर साहिब की पहली तथा दूसरी,लड़ाई, चमकौर साहिब की लड़ाई तथा खिदराना की लड़ाई प्रमुख थी। चमकौर साहिब की लड़ाई में गुरु साहिब के दो बड़े साहिबज़ादे अजीत सिंह तथा जुझार सिंह शहीद हो गए। 1706 ई० में गुरु साहिब ने खिदराना अथवा मुक्तसर की लड़ाई में मुग़लों को बुरी तरह हराया। 1708 ई० में गुरु साहिब ज्योति जोत समा गए। इससे पूर्व उन्होंने बंदा बहादुर को सिक्खों का नेतृत्व सौंप दिया था।

बंदा बहादुर के अधीन सिक्ख-बंदा बहादुर ने 1709 ई० में कैथल से अपनी विजयों की शुरुआत की। इसके पश्चात् उसने समाना, कपूरी तथा सढौरा पर विजय प्राप्त की। बंदा बहादुर ने श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के पुत्रों की शहीदी का बदला लेने के लिए जलालाबाद, करनाल, पानीपत, अमृतसर, गुरुदासपुर, कलानौर तथा पठानकोट पर विजय प्राप्त की। इस प्रकार उसने पंजाब में सिक्ख राज्य की स्थापना की। उसने लौहगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। 1715 ई० में मुग़लों ने बंदा बहादुर तथा उसके साथियों को बंदी बना लिया। उन्हें दिल्ली भेज दिया गया, जहां 9 जून, 1716 ई० को उन्हें शहीद कर दिया गया।

पंजाब के गवर्नरों द्वारा सिक्खों पर अत्याचार-
1. मुग़ल सम्राट् फरुख्सीयर ने 1716 ई० में अबदुसमन्द खां को पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया। उसने अपने शासन- काल में अनगिनत सिक्खों का कत्ल किया। इस कारण मुग़ल बादशाह फरुख्सीयर ने उसे ‘राज्य की तलवार’ की उपाधि दी।

2. 1726 ई० में अबदुसमन्द खां के पुत्र जकरिया खां को पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया गया। उसने सिक्खों का दमन करने के लिए कठोर नीति अपनाई। उसने बड़ी संख्या में सिक्खों को मरवा डाला। उसके शासनकाल में भाई मनी सिंह भाई, भाई मेहताब सिंह, भाई तारू सिंह तथा भाई हकीकत राय जैसे व्यक्तियों ने शहीदी दी। परंतु वह सिक्खों का पूरी तरह से दमन करने में असफल रहा।

3. 1745 ई० में जकरिया खां का पुत्र याहिया खां पंजाब का सूबेदार बना। उसने भी सिक्खों के प्रति दमनकारी . नीति जारी रखी। उसने काहनूवाल (गुरदासपुर) में सिक्खों पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले के दौरान 700 सिक्ख मारे गए तथा 3000 सिक्खों को बंदी बना लिया गया। इस घटना को छोटा घल्लूघारा कहा जाता है।

4. 1748 ई० में मीर मन्नू पंजाब का नया सूबेदार बना। उसने भी बड़ी संख्या में सिक्खों का कत्ल करवाया। परंतु वह सिक्खों की ओर पूरा ध्यान न दे सका। परिणामस्वरूप सिक्खों ने अपनी शक्ति को और अधिक संगठित कर लिया।

अहमदशाह अब्दाली के आक्रमण तथा पंजाब में स्वतंत्र सिक्ख राज्य की स्थापना-अहमदशाह अब्दाली अफगानिस्तान का शासक था। उसने पंजाब पर आठ बार आक्रमण किया। 1765 ई० में सिक्खों ने लाहौर पर अधिकार करके अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी। परंतु उनका कोई नेता न होने के कारण उन्होंने अपने आप को जत्थों (समूहों) में संगठित कर लिया। इन जत्थों को मिसलें कहा जाता था। ये संख्या में 12 थीं। प्रत्येक मिसल का एक सरदार होता था जो अपनी मिसल का शासन चलाता था। 18वीं सदी के अंत में शुकरचकिया मिसल के सरदार रणजीत सिंह ने सभी मिसलों को एकत्रित करके पंजाब में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।

प्रश्न 5.
हैदरअली तथा टीपू सुल्तान ने मैसूर को किस प्रकार एक शक्तिशाली राज्य बनाया ?
उत्तर-
हैदरअली तथा टीपू सुल्तान मैसूर के दो प्रसिद्ध शासक थे। उन्होंने अंग्रेजों से ज़बरदस्त टक्कर ली।

हैदरअली-हैदरअली 1761 में मैसूर का शासक बना। उसने अपने शासनकाल में मैसूर के शासन प्रबन्ध को कुशल बनाया। वह सभी धर्मों का सत्कार करता था। उसने बहुत-से हिंदुओं को ऊंचे पदों पर नियुक्त किया। उसने बहुत-से क्षेत्रों को जीत कर मैसूर को एक शक्तिशाली राज्य बनाया। उसने मराठों, हैदराबाद के निज़ाम, कर्नाटक के शासकों तथा अंग्रेजों के साथ अनेक लड़ाइयां लड़ी। हैदरअली तथा अंग्रेज़ों के बीच दो लड़ाइयां हुईं जिन्हें ऐंग्लो-मैसूर युद्ध कहा जाता है। प्रथम ऐंग्लो-मैसूर युद्ध में हैदरअली ने अंग्रेजों को बुरी तरह पराजित किया। 1780 ई० में उनके बीच दूसरा युद्ध हुआ। यह युद्ध अभी चल ही रहा था कि हैदरअली की मृत्यु हो गई।

टीपू सुल्तान-हैदरअली की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर का शासक बना। अपने पिता की भांति वह भी एक योग्य शासक था। उसने शासन प्रबन्ध में अनेक सुधार किए। उसे मैसूर का टाइगर कहा जाता है। वह एक महान् देशभक्त था। वह भारत में अंग्रेजों के अत्याचारी शासन का अन्त करना चाहता था। इसलिए उसने अपनी सेना का आधुनिकीकरण किया और उसे आधुनिक शस्त्रों से लैस किया। उसने राज्य के उद्योग तथा व्यापार को उन्नत किया। वह 1799 ई० में अंग्रेजों के साथ मैसूर के चौथे युद्ध में लड़ते हुए मारा गया।

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प्रश्न 6.
शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की स्थापना करने में क्या योगदान दिया?
उत्तर-
शिवाजी एक महान् देशभक्त थे। वह भारत में मुसलमानों के अत्याचारी शासन को समाप्त करके एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य की स्थापना करना चाहते थे। उन्होंने निम्नलिखित विजयों द्वारा स्वतन्त्र मराठा साम्राज्य की स्थापना की –
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना 1
आरम्भिक विजयें –
(1) शिवाजी की पहली विजय तोरण दुर्ग (1646 ई०) पर थी। 1648 ई० में उन्होंने सिंहगड, पुरन्धर तथा कोंकण के दुर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया।

(2) उन्होंने जावली के सरदार चन्दराव को मरवा कर जावली को भी अपने अधिकार में ले लिया।

(3) शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति को देख कर बीजापुर का सुल्तान चिन्ता में पड़ गया। उसने शिवाजी के विरुद्ध अपने सेनापति अफ़जल खां को भेजा। अफ़जल खां ने धोखे से शिवाजी को मारने का प्रयत्न किया। परन्तु इस प्रयास में वह स्वयं मारा गया। अन्त में शिवाजी तथा बीजापुर के सुल्तान के बीच सन्धि हो गई।

मुगलों से टक्कर-शिवाजी ने अब मुग़लों के प्रदेशों पर आक्रमण करने आरम्भ कर दिए। औरंगज़ेब ने उनके विरुद्ध अपने मामा शाइस्ता खां को भेजा, परन्तु शिवाजी ने उसे पूना से मार भगाया।

अब औरंगजेब ने राजा जयसिंह और राजकुमार मुअज्जम को भेजा। जयसिंह ने शिवाजी से कई किले छीन लिए और उन्हें सन्धि करने के लिए मजबूर कर दिया। शिवाजी आगरा पहुंचे जहां उन्हें कैद कर लिया गया। परन्तु मौका पाकर शिवाजी आगरा से भाग निकले और अपने प्रदेश महाराष्ट्र पहुंचने में सफल हो गए।
1674 ई० में उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की। उन्होंने मुग़लों से युद्ध जारी रखे। दक्षिण में उन्होंने जिंजी, बैलौर तथा कनारा के प्रदेश जीत लिए। 1680 ई० में उनका देहान्त हो गया।

(ख) रिक्त स्थान की पूर्ति करो

  1. मुहम्मद शाह ने …………. तक राज्य किया।
  2. मुर्शिद कुली खां ……….. था।
  3. हैदरअली …………. का शासक था।
  4. सआदत खां ………….. ई० में अवध का सूबेदार बना।
  5. शिवाजी …………. साम्राज्य का संस्थापक था।
  6. गोकुल …………… का नेता था।
  7. बन्दा बहादुर का वास्तविक नाम ……

उत्तर-

  1. 1719 से 1748 ई०
  2. बंगाल तथा उड़ीसा का सूबेदार
  3. मैसूर
  4. 1722
  5. मराठा
  6. जाटों
  7. लक्ष्मण दास।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना

(ग) निम्नलिखित प्रत्येक कथन के आगे ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिन्ह लगाएं

  1. फरुखसियर दिल्ली का शासक बना।
  2. मुर्शिद कुली खां अवध का सूबेदार था।
  3. निज़ाम-अल-मुल्क हैदराबाद रियासत का संस्थापक था।
  4. राजा राम शिवाजी का उत्तराधिकारी बना।
  5. 1740 ई० में बालाजी राव तीसरा पेशवा बना।
  6. बदन सिंह गोकुल का उत्तराधिकारी था।
  7. बंदा बहादुर ने पंजाब में सिक्ख राज्य की स्थापना की।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)
  5. (✓)
  6. (✗)
  7. (✓)

निम्नलिखित के ठीक जोड़े बनाओ

कॉलम ‘क’ – कॉलम ‘ख’

  1. बहादुर शाह की – 1739 ई० में मृत्यु हो गई।
  2. शुज्जाउद्दीन की – 20 अप्रैल, 1627 ई० को हुआ।
  3. हैदरअली की – 1712 ई० में मृत्यु हो गई।
  4. टीपू सुल्तान को – मैसूर का टाइगर कहा जाता था।
  5. शिवाजी का जन्म – 1782 ई० में मृत्यु हो गई।
  6. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने– 27 अक्तूबर, 1670 ई० को हुआ।
  7. बंदा बहादुर का जन्म – खालसा पन्थ की स्थापना 1699 ई० में की।

उत्तर-

  1. बहादुर शाह की 1712 ई० में मृत्यु हो गई।
  2. शुज्जाउद्दीन की 1739 ई० में मृत्यु हो गई।
  3. हैदरअली की 1782 ई० में मृत्यु हो गई।
  4. टीपू सुल्तान को मैसूर का टाइगर कहा जाता था।
  5. शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 ई० को हुआ।
  6. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पन्थ की स्थापना 1699 ई० में की।
  7. बंदा बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० को हुआ।

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PSEB 7th Class Social Science Guide 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
उत्तरकालीन मुगल कौन थे ?
उत्तर-
औरंगज़ेब की मृत्यु के पश्चात् जिन मुग़ल शासकों ने राज्य किया उन्हें उत्तरकालीन मुग़ल कहा जाता है। वे इतने शक्तिहीन तथा अयोग्य थे कि साम्राज्य के दूर के प्रान्तों को इकट्ठा न रख सके।

प्रश्न 2.
अठारहवीं शताब्दी में भारत में स्वतन्त्र राज्यों के उदय का एक कारण लिखो।
उत्तर-
1707 ई० में मुग़ल शासक औरंगजेब की मृत्यु हो गई तो उस के कमज़ोर उत्तराधिकारियों के शासनकाल में अनेक शक्तियों ने स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिए।

प्रश्न 3.
बंगाल में मुर्शिद कुली खां ने अपनी शक्ति को कैसे बढ़ाया ?
उत्तर-
मुर्शिद कुली खां ने बिहार तथा उड़ीसा को अपने राज्य में मिला लिया। इससे उसकी शक्ति का विस्तार हुआ।

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प्रश्न 4.
बंगाल के शासक मुर्शिद कुली खां के दो उत्तराधिकारियों के नाम लिखो।
उत्तर-
मुर्शिद कुली खां के दो सफल उत्तराधिकारी शुजाउद्दीन तथा अलीवर्दी खां थे।

प्रश्न 5.
अलीवर्दी खां कहां का शासक था ? उसने कितने समय तक शासन किया ?
उत्तर-
अलीवर्दी खां बंगाल का शासक था। उसने 1740 से 1756 ई० तक शासन किया।

प्रश्न 6.
हैदराबाद में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना किसने और कब की ?
उत्तर-
हैदराबाद में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना निज़ामुलमुल्क आसफजाह ने की। उसने इस राज्य की स्थापना 1724 ई० में की।

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प्रश्न 7.
हैदराबाद राज्य के संस्थापक निज़ामुल्मुल्क आसफजाह के कोई दो कार्य लिखो।
उत्तर-

  1. उसने राज्य में शान्ति व्यवस्था स्थापित की और शासन में महत्त्वपूर्ण सुधार किए।
  2. उसने हिन्दुओं तथा मुसलमानों से समान व्यवहार किया।

प्रश्न 8.
हैदराबाद राज्य के पतन का कोई एक कारण लिखो। .
उत्तर-
1748 ई० में हैदराबाद के शक्तिशाली शासक आसफजाह की मृत्यु हो गई। उसके उत्तराधिकारी अयोग्य निकले। परिणामस्वरूप हैदराबाद राज्य का पतन आरम्भ हो गया।

प्रश्न 9.
अवध के स्वतन्त्र राज्य का संस्थापक कौन था ? उसे कौन-सी पदवी मिली हुई थी ?
उत्तर-
अवध के स्वतन्त्र राज्य का संस्थापक सआदत्त खां था। उसे बुरहानुउल मुल्क की पदवी मिली हुई थी।

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प्रश्न 10.
अवध के स्वतन्त्र शासक सआदत्त खां का कोई एक महत्त्वपूर्ण कार्य लिखिए।
उत्तर-
अवध के शासक सआदत्त खां ने नई भू-नीति लागू की। इससे किसानों की दशा में बहुत सुधार हुआ।

प्रश्न 11.
सआदत्त खां (अवध का शासक)का उत्तराधिकारी कौन था ? उसकी किसी एक सफलता का वर्णन करो।
उत्तर-
सआदत्त खां का उत्तराधिकारी उसका भतीजा और दामाद सफदरजंग था। उसने इलाहाबाद क्षेत्र को अपने राज्य में मिलाया।

प्रश्न 12.
अठारहवीं शताब्दी के दो प्रसिद्ध विदेशी आक्रमणकारियों के नाम बताओ। उन्होंने भारत पर कबकब आक्रमण किए ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी के दो प्रसिद्ध आक्रमणकारी थे-नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली। नादिरशाह ने 1739 ई० में भारत पर आक्रमण किया। अहमदशाह अब्दाली ने 1748 से 1758 तक पांच बार भारत पर आक्रमण किया।

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प्रश्न 13.
‘मिसल’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी में पंजाब में सिक्ख सरदारों ने अपने छोटे-छोटे स्वतन्त्र जत्थे बना लिए थे। इन्हें मिसल कहा जाता था। इनकी कुल संख्या 12 थी।

प्रश्न 14.
पंजाब में किस शासक ने मिसलों का अन्त किया ? उसका सम्बन्ध किस मिसल से था ?
उत्तर-
पंजाब में रणजीत सिंह ने मिसलों का अन्त करके एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की। वह सुकरचकिया मिसल से सम्बन्ध रखता था।

प्रश्न 15.
मैसूर राज्य के दो स्वतन्त्र शासकों के नाम बताओ।
उत्तर-
मैसूर राज्य के दो स्वतन्त्र शासक हैदरअली और टीपू सुल्तान थे।

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प्रश्न 16.
पेशवा कौन थे ? सबसे पहला पेशवा कौन था ? .
उत्तर-
मराठा राज्य में प्रधानमन्त्री को पेशवा कहते थे। साहूजी के अधीन पेशवा मराठा राज्य के वास्तविक शासक बन गए। सबसे पहला पेशवा बालाजी विश्वनाथ था।

प्रश्न 17.
बालाजी विश्वनाथ कब पेशवा बना ? उसका कोई एक काम लिखो।
उत्तर-
बालाजी विश्वनाथ 1713 ई० में पेशवा बना। उसने साहूजी की माता को मुग़ल कैद से रिहा करवाया।

प्रश्न 18.
बालाजी विश्वनाथ के दो उत्तराधिकारियों के नाम बताओ।
उत्तर-
बालाजी विश्वनाथ के दो उत्तराधिकारी थे :–
बाजीराव प्रथम तथा बालाजी बाजीराव।

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प्रश्न 19.
पेशवा बाजीराव प्रथम का कोई एक कार्य लिखो।
उत्तर-
पेशवा बाजीराव प्रथम ने अनेक प्रदेश विजय किए। उसने मराठा राज्य का विस्तार दिल्ली तक कर दिया।

प्रश्न 20.
मराठों की किसी एक कमज़ोरी का वर्णन करो।
उत्तर-
मराठा सरदार आपस में ईर्ष्या और द्वेष रखते थे। यह कमज़ोरी बाद में उनके पतन का कारण बनी।

प्रश्न 21.
जाटों के नेताओं के नाम लिखो जिन्होंने मुगलों से संघर्ष किया।
उत्तर-
मुग़लों के साथ संघर्ष करने वाले मुख्य जाट नेता गोकुल, राजाराम तथा चूड़ामणि (चूड़ामन) थे।

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प्रश्न 22.
शिवाजी का जन्म कब हुआ ?
उत्तर-
शिवाजी का जन्म 1627 ई० में हुआ।

प्रश्न 23.
शाइस्ता खां कौन था ?
उत्तर-
शाइस्ता खां औरंगज़ेब का मामा था। वह एक योग्य सेनानायक था। औरंगज़ेब ने उसे दक्षिण का गवर्नर नियुक्त किया था।

प्रश्न 24.
पुरन्धर की सन्धि के बारे में लिखो।
उत्तर-
पुरन्धर की सन्धि मुग़ल सेनानायक मिर्जा राजा जयसिंह तथा शिवाजी के बीच हुई। इस सन्धि के अनुसार शिवाजी ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली। उन्हें अपने 23 किले मुग़लों को देने पड़े।

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प्रश्न 25.
शिवाजी के विरुद्ध भेजे गए बीजापुर के अधिकारी का क्या नाम था और उसे किसने भेजा था ?
उत्तर-
शिवाजी के विरुद्ध भेजे गए बीजापुर के अधिकारी का नाम अफ़जल खां था। उसे बीजापुर के सुल्तान ने भेजा था।

प्रश्न 26.
शिवाजी राजगद्दी पर कब बैठे और उन्होंने कौन-सी उपाधि धारण की ?
उत्तर-
शिवाजी 1674 ई० में राजगद्दी पर बैठे और उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की।

प्रश्न 27.
बन्दा बहादुर के समय में सरहिन्द का फौजदार कौन था और उसे बन्दा बहादुर ने किस लड़ाई में मारा ?
उत्तर-
बन्दा बहादुर के समय में सरहिन्द का फौजदार वज़ीर खां था। उसे बन्दा बहादुर ने चप्परचिड़ी के युद्ध में मारा।

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प्रश्न 28.
शिवाजी ने अफ़ज़ल खां का वध कैसे किया ?
उत्तर-
अफ़जल खां शिवाजी को धोखे से मारना चाहता था। इसलिए उसने शिवाजी को अकेले मिलने के लिए कहा और साथ ही यह भी कहा कि वह उनसे सन्धि करना चाहता है, परन्तु शिवाजी उसकी चाल भांप गए। वे अपने कपड़ों के नीचे कवच पहन कर तथा बिछुआ छिपा कर अफ़जल खां से मिलने जा पहुँचे। दोनों आपस में गले मिले।

अफ़जल खां ने धोखे से शिवाजी के पेट में छुरा घोंपने की कोशिश की, परन्तु शिवाजी ने शीघ्र ही अपना बिछुआ उसके पेट में घोंप कर उसे मार डाला।

प्रश्न 29.
शिवाजी का शाइस्ता खां के साथ टकराव का वर्णन करें।
उत्तर-
मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब शिवाज़ी की बढ़ती हुई शक्ति का दमन करना चाहता था। उसने अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया। शाइस्ता खां ने दो-तीन वर्षों में ही मराठों के कई दुर्ग विजय कर लिए और पूना पर अधिकार कर लिया। शाइस्ता खां को वर्षा के कारण कुछ समय पूना में व्यतीत करना पड़ा। शिवाजी ने अवसर का लाभ उठाते हुए 400 सैनिकों सहित एक बारात के रूप में पूना में प्रवेश किया। आधी रात के समय उन्होंने शाइस्ता खां के निवास स्थान पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में शाइस्ता खां का बेटा और उसके 40 सैनिक मारे गए। इस विजय से शिवाजी के सम्मान में बड़ी वृद्धि हुई।

प्रश्न 30.
पानीपत का तीसरा युद्ध कब और किस-किस के बीच हुआ ? इस युद्ध में किस की विजय हुई ?
उत्तर-
पानीपत का तीसरा युद्ध 1761 ई० में अहमदशाह अब्दाली तथा मराठों के बीच हुआ। इस युद्ध में अहमदशाह अब्दाली की विजय हुई।

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प्रश्न 31.
पानीपत के तीसरे युद्ध का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर-
मराठों ने उत्तरी भारत में पंजाब तक अपना विस्तार कर लिया था। अफ़गानिस्तान का शासक अहमदशाह अब्दाली पंजाब के अधिकांश क्षेत्र को अपने साम्राज्य का अंग मानता था। अतः उसने मराठों को दण्ड देने के लिए उनके साथ पानीपत के मैदान में युद्ध किया।

प्रश्न 32.
पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों की पराजय का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
युद्ध में मराठों की सैनिक व्यवस्था ठीक नहीं थी। अब्दाली की चतुराई से मराठों को दक्षिण दिशा से कोई सहायता न मिल पाई। अतः वे पराजित हुए।

प्रश्न 33.
पानीपत के तीसरे युद्ध का एक परिणाम लिखिए।
उत्तर-
इस युद्ध से मराठा शक्ति का अन्त हो गया। उनके अनेक वीर सैनिक तथा सेनापति मारे गए।

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प्रश्न 34.
पेशवा बालाजी बाजीराव की मृत्यु कब हुई ? उसकी मृत्यु का क्या कारण था ?
उत्तर-
पेशवा बालाजी बाजीराव की मृत्यु 1761 ई० में हुई। पानीपत के तीसरे युद्ध में मसठों की पराजय उसकी मृत्यु का मुख्य कारण था।

प्रश्न 35.
उत्तरकालीन मुग़लों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
औरंगजेब के अयोग्य उत्तराधिकारी उत्तरकालीन मुग़ल कहलाते हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

बहादुर शाह प्रथम (1707-1712)-मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ने छ: वर्ष तक राज्य किया। परन्तु वह मराठों तथा सिक्खों पर काबू न पा सका। 1712 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

जहांदार शाह-बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जहांदार शाह राजगद्दी पर बैठा। उसने कुछ ही महीनों तक शासन किया। उसके राज्यकाल में दो सैयद भाई हुसैन अली तथा अब्दुल बहुत ही शक्तिशाली हो गए थे। वे जहांदार शाह को अपने हाथों की कठपुतली बनाना चाहते थे। परन्तु वे अपने उद्देश्य में सफल न हो सके। अत: उन्होंने जहांदार शाह का वध कर दिया।

फरुख्सीयर (1713-1719 ई०)-जहांदार की मृत्यु के पश्चात् उसका भतीजा फरुख्सीयर शासक बना। वह केवल नाम मात्र का ही राजा था। राज्य का वास्तविक शासन हुसैन अली तथा अब्दुल के हाथ में ही था, जिन्हें सैयद भाई कहा जाता था। 1719 ई० में सैयद भाइयों ने उसका भी वध कर दिया।

मुहम्मदशाह-मुहम्मदशाह अगला प्रसिद्ध मुग़ल शासक था। उसने 1719 से 1748 ई० तक शासन किया। उसके शासनकाल में सैयद भाइयों का प्रभाव समाप्त हो गया। परन्तु उसने साम्राज्य को संगठित करने का प्रयास नहीं किया। अतः शक्तिशाली गवर्नरों ने देश के भिन्न-भिन्न भागों में अपने स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिए।

बहादुरशाह ज़फ़र-बहादुरशाह ज़फ़र अन्तिम मुग़ल बादशाह था। उसे 1858 ई० में अंग्रेज़ों ने गद्दी से उतार कर मुग़ल साम्राज्य का अन्त कर दिया।

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प्रश्न 36.
बंगाल राज्य के उत्थान और पतन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बंगाल मुग़ल साम्राज्य का एक समृद्ध प्रान्त था। यहां का सूबेदार मुर्शिद कुली खां था। औरंगज़ेब की मृत्यु के पश्चात् बंगाल पर मुगलों का नियन्त्रण कमज़ोर पड़ गया। अवसर का लाभ उठा कर मुर्शिद कुली खां ने बंगाल में एक स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिया। विभिन्न शासकों के अधीन बंगाल राज्य के विकास का वर्णन इस प्रकार है –

1. मुर्शिद कुली खां-मुर्शिद कुली खां बंगाल राज्य का संस्थापक था। उसने 1714 से 1718 ई० के बीच बिहार तथा उड़ीसा को अपने राज्य में मिला कर अपनी शक्ति और भी बढ़ा ली।

2. अन्य शासक-बंगाल के अन्य प्रसिद्ध शासक शुजाउद्दीन (1727-39), सरफराज (1739) तथा अलीवर्दी खां (1740-56 ई०) थे। इन सभी शासकों ने राज्य में शान्ति व्यवस्था स्थापित की। उन्होंने कृषि, व्यापार और उद्योगों की उन्नति के लिए भी कार्य किया। इस प्रकार बंगाल राज्य काफ़ी समृद्ध हो गया।

3. राज्य का पतन-बंगाल के शासकों ने राज्य की समृद्धि के लिए कार्य अवश्य किए, परन्तु राज्य की सुरक्षा की ओर कोई ध्यान न दिया। परिणामस्वरूप बंगाल राज्य का पतन हो गया।

प्रश्न 37.
हैदराबाद का स्वतन्त्र राज्य के रूप में उदय एवं विकास का वर्णन कीजिए। इस राज्य का पतन कैसे हुआ?
अथवा
हैदराबाद के शासक निजामुलमुल्क आसफजाह की प्रमुख सफलताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हैदराबाद मुग़ल साम्राज्य के अधीन दक्षिणी भारत का एक प्रान्त था। 1724 ई० में वहां निज़ामुलमुल्क आसफजाह ने स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। उसने तत्कालीन मुग़ल शासक मुहम्मद शाह के प्रति अपनी स्वामी भक्ति अवश्य दिखाई परन्तु यह सब कुछ दिखावा मात्र ही था।

आसफजाह की सफलताएं-आसफजाह एक सफल शासक था। उसने राज्य में शान्ति-व्यवस्था स्थापित की और शासन-प्रबन्ध में अनेक सुधार किए। उसने अपनी हिन्दू प्रजा के साथ अच्छा व्यवहार किया। उसने अपनी सेना को भी शक्तिशाली बनाया और शक्तिशाली मराठों से अपने राज्य की रक्षा की। 1748 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

राज्य का पतन-आसफजाह के उत्तराधिकारी बड़े कमज़ोर और अयोग्य थे। अत: वे अधिक समय तक अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा न कर सके।

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प्रश्न 38.
बन्दा बहादुर पर नोट लिखो।
उत्तर-
बन्दा बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० को पुंछ (जम्मू) में हुआ था। उसका वास्तविक नाम लक्ष्मणदास था। वह दक्षिण में गुरु गोबिन्द सिंह जी के सम्पर्क में आया। गुरु जी से प्रभावित होकर वह स्वयं को गुरु जी का बन्दा कहने लगा। गुरु साहिब ने उसे ‘बहादुर’ की उपाधि दी। इस प्रकार वह बन्दा बहादुर कहलाने लगा। गुरु जी का आदेश पा कर वह पंजाब आया और उसने सिक्खों का नेतृत्व किया। उसने मुग़लों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया। उसने सरहिन्द के फौजदार वज़ीर खां से गुरु पुत्रों की हत्या का बदला लिया और उसे मौत के घाट उतार दिया। वास्तव में उसने हर उस स्थान को जीतने का प्रयास किया जहां के शासकों ने गुरु जी को कष्ट देने का प्रयास किया था। परन्तु अन्त में वह पकड़ा गया। 9 जून, 1716 ई० में उसे तथा उसके 25 प्रमुख साथियों को दिल्ली में शहीद कर दिया गया। उसकी शहीदी पंजाब के इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी।

प्रश्न 39.
औरंगजेब के शासनकाल में जाटों तथा राजपूतों के विद्रोह के बारे में लिखो।
उत्तर-
औरंगजेब का शासनकाल अत्यन्त अशान्तिपूर्ण रहा। इसका कारण था औरंगजेब की अनुचित नीतियों के कारण होने वाले विद्रोह। इन विद्रोहों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

1. जाट-जाटों ने 1669 ई० में विद्रोह किया। उन्होंने मुग़ल फौजदार को मार डाला। सम्राट ने जाटों के विद्रोह को बड़ी कठोरता से दबाया। परन्तु जाट औरंगज़ेब के शासनकाल में उत्पात मचाते रहे और सम्राट् उन्हें न रोक सका।

2. राजपूत-अकबर के समय में राजपूतों और मुग़लों में मित्रतापूर्ण सम्बन्ध थे। परन्तु औरंगजेब ने अपनी कट्टर धार्मिक नीति के कारण उन्हें भी अपना विरोधी बना लिया। फलस्वरूप औरंगज़ेब को मेवाड़ और मारवाड़ के राजपूतों से एक लम्बे युद्ध में उलझना पड़ा। मारवाड़ के वीर दुर्गादास ने छापामार लड़ाई द्वारा मुग़लों को बड़ी क्षति पहुँचाई।

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प्रश्न 40.
मराठों (शिवाजी) की शासन व्यवस्था की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
शिवाजी ने एक स्वतन्त्रं मराठा राज्य स्थापित किया था। उन्होंने अपने राज्य में एक कुशल शासन-व्यवस्था की नींव रखी। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं –

1. राजा-सारे शासन का मुखिया राजा था। उसे ‘छत्रपति’ कहते थे। राजा के अनेक अधिकार थे। वह अपनी इच्छा से कोई भी शासन-सम्बन्धी कार्य कर सकता था। उसने अपनी सहायता के लिए अष्ट-प्रधान नामक परिषद् नियुक्त की हुई थी।

2. अष्ट-प्रधान-शिवाजी ने अपनी सहायता के लिए आठ मन्त्री नियुक्त किए हुए थे। इन मन्त्रियों के समूह को अष्ट-प्रधान कहा जाता था। सबसे बड़े मन्त्री को पेशवा कहते थे।

3. भूमि का प्रबन्ध-सैनिकों के वेतन तथा अन्य खर्चों के लिए शिवाजी ने नए सिरे से भूमि का प्रबन्ध किया। उन्होंने सारी भूमि को फिर से नपवाया और उपज के अनुसार भूमिकर निश्चित किया। मराठों की कर व्यवस्था में चौथ तथा सरदेशमुखी दो प्रमुख कर थे। चौथ नामक कर मुग़ल क्षेत्रों से लोगों की सुरक्षा के बदले वसूल किया जाता था।

4. न्याय प्रबन्ध-शिवाजी बड़े न्यायप्रिय थे। उन्होंने न्याय के लिए पंचायतों की व्यवस्था की।

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सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
मैसूर के शासक हैदरअली के उत्तराधिकारी को मैसूर का टाइगर’ कहा जाता है। उसका नाम बताइए।
(i) टीपू सुल्तान
(ii) शुजाउद्दौला
(iii) सफदरजंग।
उत्तर-
(i) टीपू सुल्तान।

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प्रश्न 2.
चित्र में दिखाए गए मराठा शासक की बढ़ती हुई शक्ति को नष्ट करने का प्रयास किसने किया?
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(i) अंग्रेजों ने
(ii) हैदर अली ने
(iii) औरंगजेब ने।
उत्तर-
(iii) औरंगजेब ने।

प्रश्न 3.
सवाई राजा जयसिंह ने निम्न में से क्या बनवाया?
(i) जंतर-मंतर
(ii) विशाल मन्दिर
(iii) सुन्दर राजदरबार।
उत्तर-
(i) जंतर-मंतर।

प्रश्न 4.
नीचे अन्तिम मुगल बादशाह का चित्र दिया गया है। इसका क्या नाम था ?
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना 4
(i) जहांदार शाह
(ii) बहादुर शाह ज़फ़र
(iii) मुहम्मद शाह।
उत्तर-
(i) बहादुर शाह जफ़र।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

Punjab State Board PSEB 7th Class Agriculture Book Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Agriculture Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

PSEB 7th Class Agriculture Guide फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
धान-गेहूँ फसली चक्र वाले खेतों में आने वाले किसी एक खरपतवार का नाम लिखो।
उत्तर-
गुल्ली डंडा।

प्रश्न 2.
गेहूँ में चौड़ी पत्ती वाला कौन-सा खरपतवार आता है ?
उत्तर-
मैना, मैनी, तकला, जंगली पालक।

प्रश्न 3.
धान में कौन-सा खरपतवार आता है ?
उत्तर-
सवांक, मोथा, घरिल्ला, सनी।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

प्रश्न 4.
फसल और खरपतवार उगने से पहले कौन-से खरपतवार-नाशक का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
ट्रेफलान।

प्रश्न 5.
खड़ी फसल में जब खरपतवार उगे हों, तब कौन-से खरपतवार-नाशक का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
टोपिक।

प्रश्न 6.
सुरक्षित हुड लगाकर कौन-से खरपतवार-नाशक का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
राऊंड अप।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

प्रश्न 7.
गुडाई में काम आने वाले दो खेती यंत्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
खुरपा, कसौला, व्हील हो, त्रिफाली।

प्रश्न 8.
खरपतवार को काबू करने के लिए उपयोग में आने वाले कोई एक काश्तकारी ढंग का नाम लिखो।
उत्तर-
फसलों की अदला-बदली।

प्रश्न 9.
खरपतवार-नाशकों के छिड़काव के लिए उपयोग में आने वाली नोज़ल का नाम लिखो।
उत्तर-
फ्लैट फैन या फ्लड जैट नोज़ल।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

प्रश्न 10.
क्या एक खेत में लगातार एक ही किस्म के खरपतवार-नाशक का छिड़काव करना चाहिए ?
उत्तर-
एक ही किस्म के खरपतवार-नाशकों का छिड़काव नहीं करना चाहिए।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
खरपतवार क्या होते हैं ?
उत्तर-
मुख्य फसल में उगे अवांछित, पौधे जो फसल की काश्त के साथ उग जाते हैं तथा फसल का भोजन, पानी तथा प्रकाश खींच लेते हैं उन्हें खरपतवार कहा जाता है।

प्रश्न 2.
घास वाले खरपतवारों की पहचान कैसे की जाती है ?
उत्तर-
घास वाले खरपतवारों के पत्ते लम्बे, पतले तथा नाडियां सीधी लम्बी-लम्बी होती हैं।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

प्रश्न 3.
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की पहचान कैसे की जाती है ?
उत्तर-
इन खरपतवारों के पत्ते चौड़े होते हैं तथा नाड़ियों का समूह होता है।

प्रश्न 4.
फसलों में खरपतवारों की किस्म और बहुलता किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
खरपतवारों की किस्म तथा बहुलता फसली चक्र, खादों की मात्रा, पानी के साधन, मिट्टी की किस्म पर निर्भर करती है।

प्रश्न 5.
गुडाई करने में कौन-सी मुश्किलें आती हैं ?
उत्तर-
गुडाई महंगी पड़ती है, समय भी अधिक लगता है, कई बार गुडाई करने के लिए मज़दूर नहीं मिलते तथा सावन की ऋतु में वर्षा के कारण गुडाई करनी संभव नहीं होती।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

प्रश्न 6.
खरीफ के खरपतवार बड़ी समस्या क्यों पैदा करते हैं ?
उत्तर-
खरीफ की फसलों के समय वर्षा अधिक होने के कारण पानी की कमी नहीं आती तथा खरपतवार बढ़िया ढंग से फलते-फूलते हैं, इसलिए एक बड़ी समस्या पैदा करते हैं।

प्रश्न 7.
खरपतवार-नाशकों का छिड़काव कैसे मौसम में करना चाहिए ?
उत्तर-
खरपतवार-नाशकों का छिड़काव शांत मौसम वाले दिन करना चाहिए तथा जब हवा न चलती हो।

प्रश्न 8.
गेहूँ में गुल्ली डंडे की रोकथाम काश्तकारी ढंग से कैसे की जाती है ?
उत्तर-
गेहूँ में गुल्ली डंडे की रोकथाम काश्तकारी ढंग से की जा सकती है। इसमें फसलों की अदला-बदली कर के इस खरपतवार की रोकथाम की जा सकती है।

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प्रश्न 9.
रबी की फसलों में आने वाले खरपतवारों के नाम लिखो।
उत्तर-
रबी की फसलों में गुल्ली डंडा, जौंघर, जंगली जवी, मैना, मैनी, जंगली पालक, कंटीली पालक, बटन बूटी, जंगली मटरी, बिल्ली बूटी, तकला, पित्त पापड़ा आदि।

प्रश्न 10.
खरपतवार फसलों से कौन-कौन से ऊर्जा-स्रोतों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं ?
उत्तर-
खरपतवार खादों, पानी, सूर्य के प्रकाश, भोजन आदि ऊर्जा स्रोतों के लिए फसलों से प्रतिस्पर्धा (मुकाबला) करते हैं।

(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
फसलों में खरपतवारों की रोकथाम करना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
फसलों में कुछ अवांछित तथा अनावश्यक पौधे अपने आप उग पड़ते हैं जिन्हें खरपतवार कहा जाता है। इनका खेतों में मुख्य फसल के साथ उगना हानिकारक होता है। यह मुख्य फसल के साथ खादों, पानी, सूर्य के प्रकाश पोषक तत्त्वों को लेने के लिए मुकाबला करते हैं। खरपतवारों के कारण मुख्य फसलों की गुणवत्ता पर खराब प्रभाव पड़ता है तथा इसकी पैदावार भी कम हो जाती है। इसलिए फसलों में नदीनों (खरपतवारों) की रोकथाम करना ज़रूरी है।

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प्रश्न 2.
काश्तकारी ढंग से खरपतवारों को कैसे काबू किया जा सकता है ?
उत्तर-
खरपतवारों को काबू करने के लिए कई बार काश्तकारी ढंग का प्रयोग किया जाता है। कई खरपतवार एक ही फसल के बोने पर आते हैं, ऐसा इसलिए होता है कि खरपतवार की प्राथमिक आवश्यकताएं इसी मुख्य फसल से पूरी होती हैं। जैसे गेहूँ की फसल में गुल्ली डंडा। ऐसे खरपतवार की रोकथाम के लिए फसलों की अदला-बदली करके बुआई की जाती है। अधिक फैलने वाली फसलों को बोकर तथा उनकी दोहरी रौणी बोई जाए तो भी खरपतवार कम होते हैं। खाद को छींटा (छट्टा) की बजाय पोरा करने से, दोनों ओर बिजाई करने से, सियाड़ों में फासला घटाने से भी नदीनों पर काबू करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 3.
खरपतवार-नाशक क्या होते हैं और इनके उपयोग के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
यह रासायनिक दवाइयां होती हैं, जो खरपतवारों को मार देती हैं । यह खरपतवारों की रोकथाम का एक प्रभावशाली ढंग है। इसमें फसल में खरपतवार जमने से पहले ही मारे जा सकते हैं, इस तरह यह फसल के साथ खाद, हवा, पानी, प्रकाश, पोषक तत्त्वों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के योग्य नहीं रहते तथा इस तरह फसल की पैदावार भी बढ़ती है और गुणवत्ता भी परन्तु इन दवाइयों का अनावश्यक प्रयोग नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 4.
उपयोग के समय के अनुसार खरपतवार-नाशकों की कितनी श्रेणियां हैं ?
उत्तर-
उपयोग के समय के अनुसार खरपतवार-नाशक की चार श्रेणियां होती हैं—

  1. बुआई के लिए खेत तैयार करके फसल बोने से पहले उपयोग
  2. फसल उगने से पहले उपयोग
  3. खड़ी फसल में उपयोग
  4. खाली स्थान पर उपयोग।

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प्रश्न 5.
खरपतवार-नाशकों का छिड़काव करते समय कौन-सी सावधानियां रखनी चाहिएं ?
उत्तर-
खरपतवार-नाशक के छिड़काव के समय सावधानियां—

  1. खरपतवारों के प्रयोग के समय हाथों में दस्ताने अवश्य पहनने चाहिएं।
  2. खरपतवार दवाइयों के छिड़काव के लिए सदा फ्लैट फैन या फ्लड जैट नोज़ल का प्रयोग करना चाहिए।
  3. खरपतवार-नाशकों का प्रयोग शांत मौसम वाले दिन ही करना चाहिए।
  4. फसल उगने से पहले प्रयोग किए जाने वाले खरपतवार-नाशकों का प्रयोग सुबह या शाम के समय ही करना चाहिए, दोपहर के समय नहीं करना चाहिए।
  5. खरपतवार-नाशकों को बच्चों से दूर ताले में रखना चाहिए।
  6. खरपतवार-नाशकों को खरीदते समय दुकानदार से पक्का बिल अवश्य ही लें।
  7. खरपतवार-नाशकों का घोल छिड़काव वाले पम्प में डालने से पहले ही तैयार करना चाहिए।
  8. खरपतवार-नाशकों का छिड़काव सारी फसल के ऊपर एक जैसा करना चाहिए।

Agriculture Guide for Class 7 PSEB फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
घास वाले खरपतवारों में नाड़ियां कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर-
लम्बी तथा सीधी।

प्रश्न 2.
चौड़े पत्ते वाले खरपतवार की नाड़ियां कैसी होती हैं ?
उत्तर-
इनमें नाड़ियों का समूह होता है।

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प्रश्न 3.
खरीफ की फसल में खरपतवारों के कारण पैदावार कितनी कम हो जाती है ?
उत्तर-
20-25%.

प्रश्न 4.
कद् किए धान के खेत में कुछ खरपतवार बताओ।
उत्तर-
संवाक, मोथा, कनकी।

प्रश्न 5.
खरीफ की कुछ अन्य फसलों में खरपतवार बताएं।
उत्तर-
खब्बल घास, कौआ मक्की, सलारा, मकरा।

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प्रश्न 6.
धान फसली चक्र वाले खेतों में कौन-सा खरपतवार अधिक होता है ?
उत्तर-
गुल्ली डंडा/सिट्टी खरपतवार।

प्रश्न 7.
रबी में दूसरे फसली चक्रों में कौन-से खरपतवार होते हैं ?
उत्तर-
जौंधर/जंगली जई आदि।

प्रश्न 8.
गेहूँ में कौन-से खरपतवार देखे जा सकते हैं ?
उत्तर-
मैना, मैनी, जंगली पालक, कंटीली पालक, तकला आदि।

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प्रश्न 9.
खरपतवारों की रोकथाम के लिए कितने ढंग हैं ?
उत्तर-
तीन, गुडाई, काश्तकारी ढंग, खरपतवार-नाशक दवाइयां।

प्रश्न 10.
खरपतवार पैदा होने से पहले प्रयोग किए जाने वाले खरपतवारनाशकों के नाम बताओ।
उत्तर-
ट्रेफ्लान।

प्रश्न 11.
बुवाई से 24 घण्टे के अन्दर-अन्दर छिड़काव किए जाने वाले नदीननाशक बताओ।
उत्तर-
स्टोंप।

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प्रश्न 12.
खड़ी फसल में नदीनों के लिए कौन-सी दवाई का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
टोपिक।

प्रश्न 13.
सुरक्षित हुड्ड लगा कर कौन-सा खरपतवार-नाशक प्रयोग किया जाता
उत्तर-
राऊंड अप।

प्रश्न 14.
फसल उगने से पहले खरपतवार-नाशक किस समय छिड़कना चाहिए ?
उत्तर-
सुबह या शाम के समय।

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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
धान-गेहूँ फसली चक्र में गुल्ली डंडा के फलने-फूलने का क्या कारण
उत्तर-
धान-गेहूँ का फसली चक्र इसके फलने-फूलने के लिए अनुकूल परिस्थिति देता है।

प्रश्न 2.
खरपतवार की गुडाई करके काबू करने के लिए कौन-से यन्त्र प्रयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
खुरपा, कसौला, व्हील हो, त्रिफाली या ट्रैक्टर से चलने वाले हल, टिल्लर।

प्रश्न 3.
खाद डालने का ढंग, बुआई का ढंग आदि से खरपतवारों की रोकथाम करने का क्या ढंग हैं ?
उत्तर-
खाद को छींटे के स्थान पर पोरे से डालना, दोनों तरफ बुआई करना, सियाडों में फासला कम करना आदि से खरपतवारों की रोकथाम की जा सकती है।

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प्रश्न 4.
खरपतवार-नाशक क्या हैं ?
उत्तर-
खरपतवार-नाशक रासायनिक दवाइयां हैं जो खरपतवारों को मार देती हैं, परन्तु मुख्य फसल को नुकसान नहीं करतीं।

प्रश्न 5.
खरपतवार-नाशकों का प्रयोग किसकी सिफ़ारिश से तथा कितना तथा कब करना चाहिए ?
उत्तर-
इन दवाइयों का प्रयोग पी०ए०यू० लुधियाना की सिफारिशों के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर तथा उचित मात्रा में समय पर ही करना चाहिए। इनके अनावश्यक उपयोग से बचना चाहिए।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
खरपतवारों की रोकथाम के दो ढंग विस्तारपूर्वक बताएं।
उत्तर-
खरपतवारों की रोकथाम के लिए गुडाई, काश्तकारी ढंग, खरपतवार-नाशकों का प्रयोग किया जाता है।
गुडाई-खरपतवारों को गुडाई करके समाप्त किया जा सकता है। इस कार्य के लिए खुरपा, कसौली, व्हील हो, त्रिफाली, ट्रैक्टर से चलने वाले हल का प्रयोग किया जाता है। परन्तु गुडाई सही समय तथा सही ढंग से करनी चाहिए। इस ढंग के कुछ नुकसान भी हैं; जैसे-कई बार गुडाई करने के लिए मज़दूर नहीं मिलते, वर्षा में गुडाई करनी मुश्किल होती है। यह ढंग महंगा है तथा समय भी अधिक लगता है।

खरपतवार-नाशकों का प्रयोग-ये रासायनिक दवाइयां हैं जो खरपतवारों को नष्ट कर देती हैं परन्तु मुख्य फसल को हानि नहीं पहुंचाते। भिन्न-भिन्न फसलों में भिन्न-भिन्न खरपतवारों के लिए तथा खरपतवारों के उगने के समय के अनुसार भिन्न-भिन्न खरपतवारनाशकों का प्रयोग किया जाता है। यह दवाइयां कुछ सीमा तक ज़हरीली होती हैं तथा इनका प्रयोग पी.ए.यू. लुधियाना की सिफारिशों के अनुसार ही आवश्यकता अनुसार करना चाहिए। एक ही खरपतवार-नाशक का एक ही खेत में लगातार प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम PSEB 7th Class Agriculture Notes

  • मुख्य फसल में उगे अवांछित पौधे जो फसल की काश्त के साथ उगते हैं तथा भोजन खाते हैं, उन्हें खरपतवार कहते हैं।
  • खरपतवार के कारण फसल की पैदावार कम होती है तथा इसकी गुणवत्ता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • खरपतवार को दो भागों में बांटा गया है।
  • घास वाले खरपतवार के पत्ते लम्बे, पतले तथा नाड़ियां सीधी तथा लम्बी होती
  • चौड़े पत्तों वाले खरपतवार के पत्ते चौड़े तथा नाड़ियों का समूह होता है।
  • सावन में वर्षा आम होती रहती है इसके कारण खरपतवार एक बड़ी समस्या पैदा करते हैं। इनको पानी की कोई कमी नहीं होती तथा अधिक फलते-फूलते हैं।
  • खरीफ ऋतु में कद्रू किए धान के खेत में खरपतवार हैं-घरिल्ला, सावंकी, सवांक, सनी, कनकी, मोंथा आदि।
  • खरीफ ऋतु के अन्य खरपतवार हैं-बलवती घास, कुत्ता घास, मकरा, मधाना, अरैकनी घास, खब्बल घास, कौआ मक्की, बरु, डिला, सलारा, माकरू बेल
    चौलाई, तांदला आदि।
  • रबी की फसलों में गुल्ली डंडा, जौंधर, जंगली जवी, मैना, मैनी, जंगली पालक, कंटीली पालक, बटन बूटी, जंगली मटरी, बिल्ली बूटी, तकला, पित्त पापड़ा आदि।
  • गुल्ली डंडा गेहूँ में बहुत नुकसान करता है।
  • खरपतवार की रोकथाम के ढंग हैं-गुडाई करना, फसलों की अदला-बदली, खरपतवार-नाशक दवाइयों का प्रयोग।
  • स्टौंप जैसे खरपतवारनाशक का प्रयोग बुवाई के 24 घण्टे के अन्दर-अन्दर किया जाता है।
  • टोपिक जैसे खरपतवारनाशक का प्रयोग जब खड़ी फसल में खरपतवार उगे हों, तब किया जाता है।
  • राऊंड अप जैसे खरपतवारनाशक का प्रयोग नोज़ल को ढककर सीधे ही खरपतवार पर किया जाता है।
  • कई खरपतवारनाशक ज़हरीले होते हैं। इसलिए इनका प्रयोग करते समय बहुत सावधानी रखनी चाहिए।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पौधों में कायिक जनन का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
पौधों में कायिक जनन मुख्य रूप से दो प्रकार से होता है
(i) प्राकृतिक और
(ii) कृत्रिम कायिक जनन।

(i) प्राकृतिक कायिक जनन-प्राकृतिक कायिक जनन निम्नवत् होता है –
(क) जड़ों द्वारा-कुछ पौधों की जड़ों, जैसे शकरकंद में कलिकाएं (आँक) मौजूद होती हैं। शकरकंद को भूमि में गाड़ देने से कलिकाओं के कोंपल फूटते हैं, जिससे नया पौधा बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 1
(ख) तने द्वारा- कुछ तनों से भी आँक या कलिकाएं मौजूद होती हैं जैसे आलू, अदरक आदि। इनको भूमि में बो देने से कलिकाओं से कोंपल निकल आती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 2
(ग) पत्तियों द्वारा-ब्रायोफिलम, बिगोनिया आदि की पत्तियों से पर्ण-कलिकाएं निकल आती हैं, जो पत्तियों से विलग होकर भूमि पर गिर कर नये पौधे को जन्म देती हैं।

(ii) कृत्रिम कायिक जनन-यह मुख्यत: निम्नलिखित प्रकार का होता है-
(क) लेयरिंग-कुछ पौधों की टहनियों को झुकाकर भूमि के भीतर मिट्टी में दबा देते हैं। कुछ दिन बाद मिट्टी में दबी टहनी में से कोंपल फूट आते हैं। उदाहरण-चमेली, अंगूर आदि।

(ख) कलम-गुलाब, गुड़हल, चमेली आदि की ऐसी शाखा काट लेते हैं जिनमें दो पर्व हों। इनको भूमि में गाड़ देने से पर्वो से अपस्थानिक जड़ें निकल आती हैं और कक्षकलिकाओं से कोंपल फूटने लगते हैं।

(ग) रोपण-इसमें एक वृक्ष की शाखा को काट कर उसमें ‘T’ के आकार का खांच बना लेते हैं, इसको स्टाक कहते हैं। अब उसी जाति को दूसरे वृक्ष की शाखा को काट कर स्टॉक के खांच के अनुरूप खांच बना लेते हैं, इसको सिऑन कहते हैं। सिऑन को स्टॉक में फिट कर देते हैं। खांच के चारों ओर मिट्टी लगा कर बाँध देते हैं। कुछ दिन बाद दोनों जुड़कर पौधा बन जाता है। उदाहरण-गन्ना, आम, अमरूद, लीची आदि।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

(घ) कलिका-इसमें एक वृक्ष की टहनी की छाल में ‘T’ की तरह खांच बना लेते हैं। किसी दूसरे चुने हुए पौधे की कलिका को लेकर स्टॉक के खांचे में घुसा देते हैं। इसको अच्छी तरह से बांधकर इसके ऊपर मिट्टी लपेट देते हैं। कुछ दिन बाद उस स्थान में कोंपल निकल आते हैं।
उदाहरण-नींबू, नारंगी आदि।

प्रश्न 2.
अंकित चित्र की सहायता से पुष्प के भागों का वर्णन करो।
उत्तर-
पुष्प-पुष्पी पौधों में पुष्प लैंगिक जनन में सहायता करता है। पुष्पों की सहायता से बीज बनते हैं। पुष्प में एक आधारी भाग होता है जिस पर पुष्प के सभी भाग लगे होते हैं। इसे पुष्पासन कहते हैं। पुष्प के मुख्य चार भाग होते हैं –
(i) बाह्य दलपुंज या हरी पत्तियाँ- यह पुष्प का सबसे बाहरी भाग होता है। यह हरी पत्तियों के रूप में परागकोष होता है जिन्हें बाह्य दल कहते हैं। यह पुष्प की रक्षा करता है।

(ii) दलपुंज या रंगीन पत्तियाँ- बाह्य दलपुंज के भीतरी भाग को दलपुंज कहते हैं। प्रत्येक अंग पंखुड़ी या दल कहलाता है। इसका रंग विभिन्न पुष्पों में अलग-अलग होता है। इनका कार्य कीटों को आकर्षित करके परागण में सहायता करना है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 3

(iii) पुंकेसर-यह पुष्प का बाहर से तीसरा भाग है। इसके प्रत्येक अंग को पुंकेसर कहते हैं। पुंकेसर के मुख्य दो भाग होते हैं-पराग सूत्र एवं पुतंतु। पराग सूत्र भोजी द्वारा पराग कोष से जुड़ा होता है। पराग कोष के अंदर परागकण होते हैं। ये निषेचन के बाद बीज बनाते हैं।

(iv) स्त्रीकेसर-यह पुष्प का मादा भाग होता है। इसके प्रत्येक अंग को स्त्रीकेसर या गर्भ केसर कहते हैं। इसके तीन भाग होते हैं-

  1. वर्तिकाग्र
  2. वर्तिका
  3. अंडाशय।

अंडाशय के अंदर बीजाणु होते हैं।

प्रश्न 3.
परागण से आरंभ करके पौधों में बीज बनने तक सभी अवस्थाएं बताइए।
उत्तर-
परागकोश से परागकणों का वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण परागण कहलाता है। फूल के पुंकेसर में परागकोश होते हैं, जो परागकण उत्पन्न करते हैं। स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं-अंडाशय, वर्तिका और वर्तिकाग्र। परागण के बाद परागकण से एक नली निकलती है जिसे परागनली कहते हैं। पराग नली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक पराग नली में से होता हुआ बीजांड तक पहुँच जाता है। यह बीजांड के साथ संलयन करता है जिससे युग्मनज बनता है। दूसरा नर युग्मक दो ध्रुवीय केन्द्रकों से मिलकर प्राथमिक एंडोस्पर्म (भ्रूणकोष) केंद्रक बनाता है जिस से अंत में एंडोस्पर्म बनता है। इस प्रकार उच्चवर्गीय (एंजियोस्पर्मी) पौधे दोहरी निषेचन क्रिया प्रदर्शित करते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 4
निषेचन के बाद फूल की पंखुड़ियां, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र गिर जाते हैं। बाह्य दल सूख जाते हैं और अंडाशय पर लगे रहते हैं। अंडाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है और इनमें स्थित कोशिकाएं विभाजित होकर वृद्धि करती हैं और बीज का बनना आरंभ हो जाता है। बीज में एक शिशु पौधा अथवा भ्रूण होता है। भ्रूण में एक छोटी जड़ (मूल जड़), एक छोटा प्ररोह (प्रांकुर) तथा बीजपत्र होते हैं। बीजपत्र में भोजन संचित रहता है। समयानुसार बीज सख्त होकर सूख जाता है। यह बीज प्रतिकूल परिस्थिति में जीवित रह सकता है। अंडाशय की दीवार भी सख्त हो सकती है और एक फली बन जाती है। निषेचन के बाद सारे अंडाशय को फल कहते हैं।

प्रश्न 4.
बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन का क्या अर्थ है ? परनिषेचन तथा स्वनिषेचन में क्या अंतर है? इनमें से कौन-सी ज्यादा लाभदायक है?
उत्तर-
बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन-जब नर और मादा अपने-अपने शुक्राणु तथा अंडे सारे शरीर से बाहर पानी में छोड़ देते हैं और शुक्राणु और अंडे का संयोग शरीर से बाहर होता है तो इस क्रिया को बाह्य निषेचन कहते हैं। जैसे मेंढक और मछलियों में। आंतरिक निषेचन में नर अपने शुक्राणु मादा के शरीर में विसर्जित करता है और शुक्राणु मादा के शरीर में अंडे से संयोग करता है। जैसे पक्षियों और स्तनधारियों में।

परनिषेचन और स्वनिषेचन-
परनिषेचन (Cross-Fertilization)-यह उन जीवों में होता है जहां नर और मादा अलग-अलग होते हैं। उभयलिंगी जंतुओं में यह हो सकता है यदि जनन अंग विभिन्न समय पर परिपक्व हों। इससे जीवों में विविधताएं आती हैं।

स्वनिषेचन (Self-Fertilization)-उभयलिंगी जीवों में जहां नर और मादा जनन अंग एक ही समय पर परिपक्व होते हैं, स्वनिषेचन होता है। इस विधि में पैतृक गुण पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रहते हैं। परपरागण से जीवों में विविधताएँ उत्पन्न होती हैं जिससे जीवों में क्षमताएँ बढ़ती हैं। जीवन के नए युग्मक बनने में आनुवंशिक विविधता का विकास होता है।

प्रश्न 5.
अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
अलैंगिक जनन में जीव स्वयं गुणित होते हैं। अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियां निम्नलिखित हैं
(i) विखंडन (Binary Fission)-द्विखंडन में जीव का शरीर लंबवत् अनुप्रस्थ खांच से दो बराबर भागों में विभाजित हो जाता है। प्रत्येक भाग जनक के समान हो जाता है। जनन की यह विधि प्रोटोज़ोआ (अमीबा, पैरामीशियम आदि) में होती है जिन में यही विधि आवश्यक रूप से कोशिका विभाजन की विधि है जिसके परिणामस्वरूप संतति कोशिकाओं का पृथक्करण होता है। बहुकोशिकीय जंतुओं में भी इस विधि को देखा गया है। जैसे-सी-ऐनीमोन में लंबवत् खंडन तथा प्लेनेरिया में अनुप्रस्थ खंडन।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 5
(ii) मुकुलन (Budding)-मुकुलन एक प्रकार की अलैंगिक जनन क्रिया है जिसमें नया जीव जो अपेक्षाकृत छोटे पुँज की कोशिकाओं से निकलता है, आरंभ में जनक जीव में मुकुल बनाता है। मुकुल अलग होने से पहले जनक का रूप धारण कर लेता है जैसे-बाह्य मुकुलन में या जनक से अलग होने के पश्चात् आंतरिक मुकुलन में। बाह्य मुकुलन स्पंज, सोलेंट्रेटा (जैसे हाइड्रा), चपटे कृमि और ट्यूनीकेट में मिलता है लेकिन कुछ सीलेंट्रेट जैसे ओबेलिया पोलिप की अपेक्षा मैडूयूसी पैदा करते हैं।

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(iii) खंडन (Fragmentation)-स्पाइरोगायरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद साधारणतया दो या अधिक खंडों में टूट जाते हैं। ये खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं। खंडन चपटे कृमि, रिबन कृमि
और एनेलिडा संघ के प्राणियों में भी होता है।

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(iv) बहुखंडन (Multiple Fission)-कभी-कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर एक संरक्षक परत या भित्ति बन जाती है। ऐसी अवस्था को पुटी (सिस्ट) कहते हैं। पुटी के अंदर कोशिका कई बार विभाजित हो जाती है जिससे बहुत-सी संतति कोशिकाएं बन जाती हैं। ऐसी प्रक्रिया को बहुखंडन कहते हैं। पुटी के फटने के बाद बहुत-सी कोशिकाएं बाहर निकल जाती हैं।
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(v) कायिक प्रवर्धन (Vegetative Reproduction)-जब पौधे के किसी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड़ से नया पौधा उगाया जा सकता हो तो इस प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन कहते हैं।

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प्रश्न 6.
मनुष्य में नर जनन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य में नर जनन तंत्र-नर मनुष्य (पुरुष) में जंघनास्थि क्षेत्र में एक मांसल संरचना शिश्न होता है जिसके बीच में मूत्रवाहिनी होती है। शिश्न के नीचे उसकी जड़ में एक मांसल थैली वृषण कोष होता है जिसमें अंडाकार संरचनाएं वृषण होते हैं। वृषण नर युग्मक शुक्राणु का निर्माण करते हैं। वृषण में एक विशिष्ट संरचना शुक्राशय पाया जाता है जिसमें शुक्राणु के पोषण के लिए चिपचिपा पदार्थ स्रावित होता है। चिपचिपे पदार्थ (वीर्य) के साथ शुक्राणु एक संकरी नली द्वारा मूत्र वाहिनी में पहुंचते हैं। जहाँ से शिश्न की सहायता से मादा की योनि में छोड दिए जाते हैं। शिश्न मूत्र एवं शुक्राणु युक्त वीर्य दोनों को बाहर निकालता है।

प्रश्न 7.
मनुष्य के मादा जनन तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य के मादा जनन तंत्र के निम्नलिखित भाग हैं –
(i) अंडाशय (Ovary) – श्रोणीय गुहिका में दो अंडाशय होते हैं जो बहुत छोटे आकार के होते हैं। अंडाशय में अंडे बनते हैं। अंडाशय की अंदर की सतह पर एपीथीलियम कोशिकाओं की पतली परत होती है जिसे जनन एपीथीलियम कहते हैं। इसकी कोशिकायें विभाजित होकर फोलिकल तथा अंडा बनाती हैं। अंडाशय की गुहा में संयोजी ऊतक होते हैं जिन्हें स्ट्रोमा कहते हैं। प्रत्येक फोलिकल में एक जनन कोशिका होती है जिसके चारों ओर स्ट्रोमा की कोशिकाएं रहती हैं। अर्ध सूत्री विभाजन के फलस्वरूप जनन कोशिकाएं अंडे का निर्माण करती हैं। ओस्ट्रोजिन तथा प्रोजिस्ट्रॉन नामक दो हार्मोन अंडाशय द्वारा स्रावित होते हैं जो मादा में प्रजनन संबंधी विभिन्न क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं।

(ii) फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube)-यह रचना में नलिका समान होती है। इसका एक सिरा गर्भाशय से जुड़ा रहता है और दूसरा सिरा अंडाशय के पास खुला रहता है। इसके सिरे पर झालदार रचना होती है जिसे फिंब्री कहते हैं। अंडाशय से जब अंडा निकलता है तो फिंब्री की संकुचन क्रिया के कारण फैलोपियन नलिका में आ जाता है। यहाँ से गर्भाशय की ओर बढ़ता है। अंड निषेचन फैलोपियन नलिका में ही होता है। यदि अंडे का निषेचन नहीं होता यह गर्भाशय से होकर योनि में और ऋतु स्राव के समय योनि से बाहर निकल जाता है।
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(iii) गर्भाशय (Uterus)-यह मूत्राशय तथा मलाशय के बीच स्थित एक मांसल रचना है। फैलोपियन नलिकाएँ इसके दोनों ओर ऊपर के भागों में खुलती हैं। गर्भाशय का निचला सिरा कम चौड़ा होता है और योनि में खुलता है। गर्भाशय के अंदर की दीवार एंड्रोमीट्रियम की बनी होती है। गर्भाशय का मुख्य कार्य निषेचन अंडे को परिवर्धन काल में जब तक कि गर्भ विकसित होकर शिशु के रूप में जन्म न ले ले, आश्रय तथा भोजन प्रदान करना है।

(iv) योनि (Vagina)-यह मांसल नलिका समान रचना है। इसका पिछला भाग गर्भाशय की ग्रीवा में खुलता है। मादा में मूत्र निष्कासन के लिए अलग छिद्र होता है जो योनि में खुलता है।

(v) भग (Vulva)–योनि बाहर की ओर एक सुराख से खुलती है जिसे भग कहते हैं।

प्रश्न 8.
(क) परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?
(ख) फूल के नर तथा मादा जनन अंगों का नामांकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
(क) परागण क्रिया तथा निषेचन क्रिया में अंतर-देखें “अध्याय के अंतर्गत प्रश्न’ शीर्षक के अधीन प्रश्न 1 पृष्ठ 201
(ख) फूल का नर जनन अंग : पुंकेसर
फूल का मादा जनन अंग : स्त्रीकेसर
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कायिक प्रवर्धन के लाभ बताइए।
उत्तर-

  • सभी नये पौधे मातृ पौधे के समान होते हैं। इस प्रकार एक अच्छे गुणों वाले पौधे से कलम द्वारा उसके समान ही अनेक पौधे तैयार किये जाते हैं।
  • फलों द्वारा उत्पन्न सभी बीज समान नहीं होते परंतु कायिक जनन खरा उत्पन्न पौधों में पूर्ण समानता होती है।
  • कायिक जनन द्वारा नये पौधे थोड़े समय में ही प्राप्त हो जाते हैं।
  • वे पौधे जो बीज द्वारा सरलता से प्राप्त नहीं किए जा सकते, कायिक जनन द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं। केला, अंगूर, संतरे आदि की खेती इस प्रकार की जाती है।

प्रश्न 2.
पुनरुद्भवन (Regeneration) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पुनरुद्भवन-शरीर के कटे हुए किसी भाग में पूर्ण जीव बना लेने या उसे फिर से विकसित कर लेने की क्षमता को पुनर्जनन या पुनरुद्भवन कहते हैं। स्टार फिश कटी हुई भुजा को फिर से प्राप्त कर लेती है। स्पाइरोगायरा, हाइड्रा, प्लैनेरिया आदि इस विधि से जनन करते हैं।
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प्रश्न 3.
ऊतक संवर्धन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊतक संवर्धन (Tissue Culture)- इस विधि में पौधे के ऊतक का एक टुकड़ा काट लेते हैं। एक बीकर में पोषक तत्वों से युक्त माध्यम लेकर उसमें उचित परिस्थितियों में ऊतक के टुकड़े को रख देते हैं। इस चीकर के अंदर उस ऊतक की वृद्धि एक असंगत पिंड की तरह होती है जिसे कैलस कहा जाता है। कैलस का थोड़ा-सा भाग एक अन्य माध्यम में रखा जाता है जिसमें पदपादक में विभेदन होता है। इस पदपादक को गमले या मिट्टी में रोपित कर देते हैं। इस प्रकार एक नया पौधा बनकर तैयार हो जाता है।

प्रश्न 4.
राइज़ोपस में बीजाणु समासंघ से नए जीव किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अनेक सरल बहुकोशिक जीवों में विशिष्ट जनन संरचनाएँ पाई जाती हैं। नमी युक्त ब्रेड पर धागे के समान कुछ संरचनाएं विकसित होती हैं। वह राइजोपस का कवक जाल है। यह जनन के भाग नहीं हैं। इन उर्ध्व तंतुओं पर गोल सूक्ष्म गुच्छ (संरचनाएँ) जनन में भाग लेती हैं। यह गुच्छ बीजाणुधानी हैं जिसमें विशेष कोशिकाएँ अथवा बीजाणु होते हैं। यह बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उत्पन्न करते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है। नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगते हैं।
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प्रश्न 5.
मासिक धर्म के बंद होने का क्या कारण है ?
उत्तर–
गर्भाशय में भ्रूण की उपस्थिति में प्लेसैंटा बनता है। प्लेसैन्टा ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोजन हार्मोन पैदा करता है जो मासिक धर्म को बंद कर देते हैं।

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प्रश्न 6.
गर्भधारण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भधारण-निषेचित अंडा बार-बार माइटोटिक विभाजन करता है जिससे कोशिकाओं का एक पुँज-सा बन जाता है जो अंडवाहिनी से गर्भाशय तक जाता है। यहाँ यह गर्भाशय की गर्भ दीवारों में धंस जाता है। इस क्रिया को गर्भाधारण करना कहते हैं।

प्रश्न 7.
मैनोपॉज (Menopause) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मैनोपॉज-मादा में प्राकृतिक मासिक धर्म की क्रिया के बंद होने को मैनोपॉज कहते हैं। मानव मादा में यह 45-50 वर्ष की अवस्था में होता है। इस मैनोपॉज के बंद होने के पश्चात् स्त्री बच्चों को जन्म नहीं दे सकती।

प्रश्न 8.
एक लिंगी तथा उभयलिंगी की परिभाषा एक-एक उदाहरण देते हुए लिखिए।
उत्तर-
एक लिंगी-वे जीव जिनमें नर और मादा स्पष्ट रूप से अलग-अलग हों उन्हें एक लिंगी जीव कहते हैं। उदाहरण- मनुष्य। उभयलिंगी-जिन जीवों में नर और मादा लिंग एक साथ उपस्थित होते हैं उन्हें उभयलिंगी कहते हैं। उदाहरण-केंचुआ।

प्रश्न 9.
पुरुष तथा स्त्री के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
किशोर अवस्था में लड़के तथा लड़कियों में आने वाले परिवर्तन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
(क) नर के शरीर में दिखाई देने वाले परिवर्तन

  • आवाज़ में भारीपन आ जाता है।
  • दाढ़ी और मूंछे उग जाती हैं।
  • जननांगों पर बाल उग आते हैं।
  • शिश्न का आकार बढ़ जाता है और दिन या रात के सपनों में उसका स्तंभन बढ़ जाता है।
  • कंधे चौड़े हो जाते हैं। माँस पेशियाँ विकसित हो जाती हैं।
  • विपरीत लिंग की ओर आकर्षण बढ़ जाता है।

(ख) मादा के शरीर में दिखाई देने वाले परिवर्तन

  • जननांगों पर बाल उग आते हैं।
  • वक्षों का विकास हो जाता है। मांसलता आ जाती है।
  • रजोधर्म चक्र आरंभ हो जाता है।
  • कूल्हों के आस-पास वसा इकट्ठी हो जाती है।
  • विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है।
  • जनन अंगों का विकास हो जाता है।

प्रश्न 10.
अंडे और शुक्राणु में क्या अंतर है ?
उत्तर-

अंडा शुक्राणु
(1) यह नर जनन कोशिका है। (1) यह मादा जनन कोशिका है।
(2) यह अंडे की अपेक्षा आकार में छोटा होता है। (2) यह शुक्राणु की अपेक्षा आकार में बड़ा होता है।
(3) इसकी पूंछ नहीं होती। (3) इसकी पूंछ होती है।
(4) यह तैर नहीं सकते।
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(4) ये पूंछ की सहायता से तैर सकते हैं।
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प्रश्न 11.
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर बताओ।
उत्तर-
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर

लैंगिक जनन अलैंगिक जनन
(1). इस क्रिया में नर और मादा दोनों की आवश्यकता नहीं होती। (1) इस क्रिया में नर और मादा दोनों की आवश्यकता पड़ती है।
(2) इस प्रकार का जनन उच्च श्रेणी के जीवों में होता है। (2) यह निम्न श्रेणी के जीवों में होता है।
(3) लैंगिक जनन निषेचन क्रिया के बाद जीव बनना आरंभ करता है। (3) अलैंगिक जीव में निषेचन क्रिया नहीं होती।
(4) इस जनन द्वारा उत्पन्न संतान में नए गुण विकसित सकते। (4) इस जनन द्वारा उत्पन्न संतान में नए गुण नहीं आ हो सकते हैं।
(5) इस क्रिया में बीजाणु उत्पन्न नहीं होते। (5) इस क्रिया में एककोशिकीय बीजाणु (जैसे फफूंदी में) उत्पन्न हो सकते हैं।

प्रश्न 12.
नर मानव में वृषण शरीर के बाहर क्यों स्थित होते हैं ?
उत्तर-
नर मानव में वृषण की स्थिति वृषण कोश में होती है जो उदर गुहिका के बाहर नीचे की ओर स्थित होता है। शुक्राणुओं के जनन के लिए निम्न ताप प्राप्ति के लिए ऐसा संभव होता है ताकि शुक्राणु देर तक सक्रिय रह सकें।

प्रश्न 13.
एड्स (AIDS) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
एड्स (AIDS)-एड्स (एक्वायर्ड इम्युनो-डेफिशिएंसी सिंड्रोम) नामक रोग एक ऐसे विषाणु (Virus) के कारण होता है जो शरीर के प्रतिरक्षण संस्थान को निष्क्रिय करता है जिसके कारण शरीर को कोई भी रोग सरलता से लग सकता है। इस के वायरस का नाम HIV है। एड्स के रोगी उनके कमज़ोर शरीर पर हुए अन्य आक्रमण के कारण मरते हैं। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करने से फैलता है परंतु कभी-कभी इसके विषाणु सीधे ही रक्त में पहुँच जाते हैं।

ऐसा तब होता है जब रक्त आधान (खून चढ़ाना) द्वारा किया गया रक्त संक्रमित हो या टीका लगाने के लिए संक्रमित सुई का उपयोग किया गया हो यह आनुवंशिक भी होता है। इस रोग से संक्रमित माताओं के बच्चों से भी यह रोग माता के रक्त द्वारा पहुँच जाता है इसके उपचार का कोई भी टीका या औषधि अब तक उपलब्ध नहीं है। इस रोग का अधिक प्रकोप अफ्रीका तथा पश्चिमी देशों में है। अज्ञानता, ग़रीबी और अशिक्षा के कारण हमारा देश इस रोग के चंगुल में बहुत तेजी से आ रहा है।

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प्रश्न 14.
मानव मादा जनन तंत्र का अंकित अंकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
मानव मादा जनन तंत्र का अंकित चित्र-
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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
DNA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
डिऑक्सी राइबो न्यूक्लीक एसिड।

प्रश्न 2.
किन जीवों में एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजन होता है।
उत्तर-
मलेरिया परजीवी, प्लैज्मोडियम जैसे एक कोशिका जीव।

प्रश्न 3.
कैलस किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊतक संवर्धन में जब कोशिकाएं विभाजित हो कर अनेक कोशिकाओं का छोटा समूह बनाती हैं तो उसे कैलस कहते हैं।

प्रश्न 4.
पुष्प के जनन भाग कौन-से हैं ?
उत्तर-
पुंकेसर और स्त्रीकेसर।

प्रश्न 5.
एकलिंगी पुष्प के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
पपीता, तरबूज।

प्रश्न 6.
उभयलिंगी पुष्प के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
गुड़हल, सरसों।।

प्रश्न 7.
कलम एवं दाब लगाकर नये पौधे उत्पन्न करने के कौन-से दो मुख्य लाभ हैं ?
उत्तर-

  1. सभी नए पौधे मूल या मातृ पौधे के समान होते हैं।
  2. नए पौधे थोड़े ही समय में तैयार हो जाते हैं।

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प्रश्न 8.
परागण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
परागण-पौधों में निषेचन क्रिया के पूर्व पराग कणों के स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं।

प्रश्न 9.
निषेचन क्रिया के पश्चात् युग्मनज में क्या बनता है ?
उत्तर-
भ्रूण।

प्रश्न 10.
नर तथा मादा युग्मकों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
शुक्राणु तथा अंडाणु।

प्रश्न 11.
फीटस किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भ धारण के दो या तीन महीने बाद विकसित हो रहे बच्चे को फीटस कहते हैं।

प्रश्न 12.
वीर्य क्या है ?
उत्तर-
वीर्य में शुक्राणु और कुछ ग्रंथियों का स्राव होता है।

प्रश्न 13.
प्लेसेंटा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भवती माँ के गर्भाशय की दीवार तथा भ्रूण की झिल्ली के संयोजन की एक नाल की रचना होती है जिसे आँवल या गर्भनाल या प्लेसैंटा कहते हैं। प्लेसेंटा में पर्याप्त रुधिर कोशिकाएं होती हैं जिनके द्वारा माता का रुधिर भ्रूण या गर्भ के शरीर में आता जाता रहता है।

प्रश्न 14.
पुनर्जनन से उत्पन्न प्राणी का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
स्टारफिश।

प्रश्न 15.
यौवन की आयु क्या होती है ?
उत्तर-
लड़कों में 13-14 वर्ष, लड़कियों में 10-12 वर्ष।

प्रश्न 16.
मनुष्य की मादा में गर्भकाल कितना होता है ?
उत्तर-
लगभग नौ मास।

प्रश्न 17.
IUCD क्या है ?
उत्तर-
IUCD (इंटरायूटीरिन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) नारी गर्भाशय में लगाई जाने वाली एक युक्ति है जो गर्भ निरोधक का कार्य करती है।

प्रश्न 18.
STD क्या है ?
उत्तर-
STD (Sexually Transmitted Disease) यौन संक्रमित रोग।

प्रश्न 19.
दो यौन रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. गोनेरिया,
  2. सिफलिस।

प्रश्न 20.
नीचे दिए गए चित्र किस जीव के हैं तथा किस क्रिया को दर्शाते हैं ?
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उत्तर-
जीव का नाम : अमीबा। क्रिया पोषण क्रिया।

प्रश्न 21.
नीचे दिए चित्र में अमीबा की कौन-सी जीवन क्रिया दर्शायी गई है ?
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उत्तर-
जनन क्रिया की द्विखण्डन विधि।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है।
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लैज्मोडियम
(d) लेप्मानिया।
उत्तर-
(b) यीस्ट।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है ?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिंबवाहिनी।
उत्तर-
(c) शुक्रवाहिका।

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प्रश्न 3.
यीस्ट में अलैंगिक जनन प्रायः होता है
(a) मुकुलन द्वारा
(b) विखंडन द्वारा
(c) बीजाणु
(d) रोपण द्वारा।
उत्तर-
(a) मुकुलन द्वारा।

प्रश्न 4.
विखंडन द्वारा अलैंगिक जनन होता है –
(a) अमीबा में
(b) यीस्ट में
(c) स्पाइरोगाइरा में
(d) फर्न।
उत्तर-
(c) स्पाइरोगाइरा में।

प्रश्न 5.
हाइड्रा में अनुकूल परिस्थितियों में अलैंगिक जनन होता है –
(a) विखंडन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) बीजाणुओं द्वारा
(d) विखंडन द्वारा।
उत्तर-
(b) मुकुलन द्वारा।

प्रश्न 6.
कायिक प्रवर्धन होता है-
(a) दूब घास में
(b) आलू में
(c) ब्राइओफिलम में
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
स्त्री में आर्तव चक्र पूर्ण होता है –
(a) 14 दिन में
(b) 21 दिन में
(c) 28 दिन में
(d) 30 दिन में।
उत्तर-
(b) 21 दिन में।

प्रश्न 8.
कौन-सा हॉर्मोन लड़कियों में यौवनावस्था के लक्षणों को नियंत्रित करता है ?
(a) एस्ट्रोजन
(b) टेस्टोस्टेरॉन
(c) थायरॉक्सिन
(d) इंसुलिन।
उत्तर-
(a) एस्ट्रोजन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) नर तथा मादा जनन कोशिकाओं के मेल से बनी संरचना को ……………………. कहते हैं।
उत्तर-
युग्मनज

(ii) प्रजनन अंगों में होने वाली कोशिका विभाजन से ………………………. कोशिकाएँ बनती हैं।
उत्तर-
जनन

(iii) मनुष्य का जीवन ………………………….. कोशिका से शुरू होता है।
उत्तर-
एक

(iv) जब वृद्धि एक निश्चित अनुपात में होती है तो इसे …………………….. कहते हैं।
उत्तर-
परिवर्धन

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(v) अमीबा में अलैंगिक जनन …………………. विधि द्वारा होता है।
उत्तर-
द्विखंडन।

PSEB 7th Class Computer Notes Chapter 8 डॉस कमांडज्र

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PSEB 7th Class Computer Notes Chapter 8 डॉस कमांडज्र

जान पहचान-डॉस फाइलों का प्रबंध करती है। यह यूजर को असल तकनीक से दूर रखती है। यूजर सिर्फ हिदायतें देता है बाकी काम आपरेटिंग सिस्टम स्वयं ही करता है।

एम एस डॉस की ज़रूरी फाइल :
एम एस डॉस के लिए आवश्यक फाइल निम्न अनुसार है –
1. MSDOS.SYS
2. IO.SYS
3. Command.Com

एम एस डॉस की कमांड : डॉस में दो प्रकार की कमांडज़ होती हैं।
1. इंटरनल कमांड
2. एक्सटरनल कमांड

1. इंटरनल कमांड वे होती हैं जिन्हें चलाने के लिए किसी कमांड की ज़रूरत नहीं होती।

2. एक्सटर्नल कमांड वह होती है जिसे चालने के लिए बाहरी फाइल की आवश्यकता होती है।

डॉस का डिस्क प्रबंध :
डॉस ट्री रूप की डायरैक्टरी स्ट्रकचर में फाइलें सेव करती है। सबसे ऊपर रूट डायरैक्टरी होती है। उसके बाद अन्य डायरैक्टरी तथा अन्दर सव डायरैक्टरी आती-
PSEB 7th Class Computer Notes Chapter 8 डॉस कमांडज्र 1
फाइल को नाम देना : डॉस में फाइल को नाम देने के निम्न नियम हैं –

  1. फाइल के नाम के दो हिस्से होते हैं।
  2. स्पैशल क्रैक्टर का प्रयोग नहीं कर सकते।’
  3. अपर या लोअर केस दोनों में नाम लिख सकते हैं।

PSEB 7th Class Computer Notes Chapter 8 डॉस कमांडज्र

रूट डायरैक्टरी :
रूट डायरैक्टरी वह डायरैक्टरी होती है जिसके अन्दर अन्य सभी डायरैक्टरी होती हैं।

डॉस की डायरैक्टरी स्ट्रक्चर :
डॉस की डायरैक्टरी स्ट्रक्टर अलमारी के दराज की तरह है। इसमें सबसे उपर रूट डायरैक्टरी होती है। उस के अंदर डायरैक्टरी तथा सब डायरैक्टरी होती है। यह सब मिल कर एक ट्री बनाती है। एक डायरैक्टरी में कई चाइलड डायरैक्टरी हो सकती हैं, परन्तु चाईल्ड की एक ही पेरेंट डायरैक्टरी होती है। डास की डायरैक्टरी स्ट्रक्चर निम्न प्रकार की होती है।
PSEB 7th Class Computer Notes Chapter 8 डॉस कमांडज्र 2

इंटर्नल कमांडज़ :
इंटर्नल कमांडज़ वो होती हैं जिसके चलने के लिए किसी फाइल की आवश्यकता नहीं होती। डॉस की इंटरनल कमांड निम्न हैं –
1. Cls : Cls कमांड का प्रयोग स्क्रीन के कंटेंट को साफ करने के लिए किया जाता है। इससे सिर्फ स्क्रीन साफ होती है। कंटैंट डिलीट नहीं होता। इसका सिंटैक्स निम्न प्रकार हैCls

2. Date : Date कमांड का प्रयोग कम्प्यूटर पर तारीख देखने तथा बदलने के लिए किया जाता है। Date टाइप करने से पहले हमें तारीख दिखाई देती है फिर डॉस उसको बदलने के लिए पुछता है। यदि तारीख बदलनी हो तो बदली जा सकती है। Date

3. Time : Time कमांड का प्रयोग कम्प्यूटर पर टाइम देखने तथा बदलने के लिए किया जाता है। यह कमांड भी Date की तरह ही कार्य करती है।
Time

एक्सटर्नल कमांडज़ :
एक्सटर्नल कमांडज़ वो होती हैं जिनके चलने के लिए किसी फाइल की आवश्यकता होती है। इंटर्नल तथा एक्सटर्नल कमांडज़ में अंतर : Internal तथा External कमांड में निम्नलिखित अंतर हैं-

Internal External
1. ये कमांड DOS के अंदर होती है। 1. ये कमांड डॉस की बाहरी होती है।
2. इनकी कोई अपनी फाइल नहीं होती। 2. इनकी अपनी फाइल होती है।
3. ये छोटी होती हैं। 3. ये काफी बड़ी भी हो सकती हैं।
4. इनसे सरल कार्य किए जाते हैं। 4. इनका प्रयोग कठिन कार्य करने में होता है।
5. इनकी संख्या निश्चित है। 5. इनकी संख्या घटाई या बढ़ाई जा सकती है।

डॉस एडीटर :
डॉस एडीटर वह यूटिलिटी है जिसमें हम अपनी फाइल को एडिट कर सकते हैं। इसमें हम नई फाइल भी तैयार कर सकते हैं। इसमें काफी सारे अन्य विकल्प भी मौजूद होते हैं।

PSEB 7th Class Computer Notes Chapter 8 डॉस कमांडज्र

बैच फाइल :
वैच फाइल वह फाइल होती है जिसमें डॉस की काफी कमांडज़ स्टोर की जाती हैं ताकि उनको इक्ट्ठा ही चलाया जा सके। इस प्रकार हम ज्यादा कमांडज़ को इकट्ठा चला सकते हैं। बैच फाइल की एक्सटेंशन .bat होती है। इनके द्वारा हमारा काम काफी आसान तथा जल्दी हो जाता है।