Punjab State Board PSEB 7th Class Science Book Solutions Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Science Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक
PSEB 7th Class Science Guide रेशों से वस्त्र तक Textbook Questions and Answers
1. खाली स्थानों की पूर्ति करें :-
(i) ऊन को भेड़, बकरी और याक के ……………… से प्राप्त किया जाता है।
उत्तर-
बालों
(ii) शरीर पर घने बाल जंतुओं को ……………….. से बचाते हैं।
उत्तर-
सर्दी
(iii) जंतुओ के शरीर से ऊन उतारने की प्रक्रिया ……………….. कहलाती है।
उत्तर-
कटाई/ शियरिंग
(iv) रेशम कीट पालन को …………………. कहते हैं।उत्तर-
उत्तर-
सेरी-कल्चर
(v) उबले हुए कोकून से तंतुओं को हटाने की प्रक्रिया को …………………. कहते हैं।
उत्तर-
रीलिंग।
2. कॉलम ‘क’ के शब्दों का मिलान कॉलम ‘ख’ के शब्दों से कीजिए :-
कॉलम ‘क’ | कॉलम ‘ख’ |
(i) अभिमार्जन | (क) रेशम कीट का भोजन |
(ii) सेरी-कल्चर | (ख) राजस्थान और पंजाब में पाई जाने वाली भेड़ |
(iii) प्रोटीन | (ग) रेशम का धागा इससे बना |
(iv) शहतूत की पत्तियाँ | (घ) रेशम कीट पालन |
(v) लोही | (ङ) काटी गई ऊन की सफाई। |
उत्तर-
कॉलम ‘क’ | कॉलम ‘खा’ |
(i) अभिमार्जन | (ङ) काटी गई ऊन की सफाई |
(ii) सेरी-कल्चर | (घ) रेशम कीट पालन |
(iii) प्रोटीन | (ग) रेशम का धागा इससे बना |
(iv) शहतूत की पत्तियाँ | (क) रेशम कीट का भोजन |
(v) लोही | (ख) राजस्थान और पंजाब में पाई जाने वाली भेड़ |
3. सही उत्तर के सामने (√) का निशान लगाइए :-
प्रश्न (i)
फाइबर, जो कि जंतुओं द्वारा पैदा नहीं किया गया है-
(क) अंगोरा
(ख) ऊन
(ग) जूट
(घ) सिल्क।
उत्तर-
(ग) जूट ।
प्रश्न (ii)
ऊन सामान्यतः प्राप्त होती है-
(क) भेड़
(ख) बकरी
(ग) याक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) भेड़।
प्रश्न (iii)
काटे गए बालों की धुलाई को कहा जाता है-
(क) अभिमार्जन
(ख) छंटाई
(ग) ऊन की कटाई
(घ) रंगाई।
उत्तर-
(क) अभिमार्जन ।
प्रश्न (iv)
ऊन रासायनिक रूप से यह है-
(क) वसा
(ख) प्रोटीन
(ग) कार्बोहाइड्रेट्स
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-(ख) प्रोटीन।
प्रश्न (v)
वह जंतु जिससे ऊन प्राप्त नहीं होती-
(क) ऐल्पेका
(ख) बूली कुत्ता
(ग) ऊँट
(घ) बकरी।
उत्तर-
(ख) बूली कुत्ता।
4. नीचे लिखे वाक्यों में सही या गलत बताइए :-
(i) वायु ऊष्मा का कुचालक है तथा लम्बे बालों में फँसी हवा शरीर की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती।
उत्तर-
सही
(ii) तिब्बत तथा लद्दाख में ऊन याक से प्राप्त होती है।
उत्तर-
सही
(iii) रेशम कीट का पालन एप्पीकल्चर कहलाता है।
उत्तर-
गलत
iv) कैटरपिलर के शरीर के आसपास के आवरण को कोकून कहते हैं।
उत्तर-
सही
(v) टसर रेशम और मूंगा रेशम गैर-शहतूत वृक्षों के पत्ते खाने वाले रेशम के कीटों द्वारा तैयार किए जाते हैं।
उत्तर-
गलत।
5. अति लघूत्तर प्रश्न :-
प्रश्न (i)
पौधों तथा वृक्षों से प्राप्त किन्हीं दो रेशों के नाम बताइए।
उत्तर-
पौधों तथा वृक्षों से प्राप्त रेशे-
- कपास,
- पटसन ।
प्रश्न (ii)
सेरी-कल्चर क्या है ?
उत्तर-
सेरी-कल्चर-रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम के कीड़ों को पालना सेरी कल्चर कहलाता है।
प्रश्न (iii) ऊन पैदा करने वाले आम जानवरों के नाम बताएं।
उत्तर-ऊन पैदा करने वाले जानवरों के नाम-
- याक,
- भेड़,
- ऊँट,
- बकरी।
6. लघूत्तर प्रश्न :-
प्रश्न (i)
अंगोरा तथा कश्मीरी ऊन से क्या अभिपाय है ?
उत्तर-
अंगोरा ऊन पहाड़ी स्थानों जैसे जम्मू तथा कश्मीर में पायी जाने वाली बकरी से प्राप्त होती है। कश्मीरी बकरी के बाल भी बहुत नर्म होते हैं। कश्मीरी ऊन से पश्मीनी शाल बुने जाते हैं।
प्रश्न (ii)
भारत के उन राज्यों के नाम बताइए जहाँ आगे दी गई भेड़ों की किस्में पायी जाती हैं, लोही, बाखरवाल, नाली (नली) और मारवाड़ी।
उत्तर-
भेड की नस्ल का नाम | राज्य जहाँ मिलती हैं |
1. लोही | राजस्थान, पंजाब |
2. बखरवाल | जम्मू, कश्मीर |
3. नाली | राजस्थान, हरियाणा, पंजाब |
4. मारवाड़ी | गुजरात । |
प्रश्न (iii)
रेशों को ऊन परिवर्तित करने की प्रक्रिया के सभी चरण बताइए।
उत्तर-
रेशे से ऊन बनने के भिन्न-भिन्न चरण-
- शियरिंग या कटाई
- सकोरिंग (अभिमार्जन)
- सोर्टिंग
- कोंबिंग (कंघी करना)
- डाइंग (रंगाई करना)
- स्पिनिंग (बुनाई)।
प्रश्न (iv)
कुछ जानवरों के शरीर पर सघन बाल क्यों होते हैं ?
उत्तर-
ऊन देने वाली भेड़ें जो ठंडे क्षेत्रों में पायी जाती हैं। उनके शरीर पर घनी जत होती है ताकि वह सर्दियों में अपने शरीर को गर्म रख सकें। इन बालों में बहुत-सी हवा फंस जाती है। यह हवा ताप की कुचालक होने के कारण शरीर की गर्मी को बाहर वातावरण में संचारित होने से रोक लेती है जिस कारण भेड़ों का शरीर गर्म रहता है।
प्रश्न (v)
रेशम कीट का पालन कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
मादा रेशम का कीड़ा एक बार में सैंकड़ों अंडे देती है इन अंडों को सावधानी से कपड़े की पट्टियों या कागज़ पर इक्ट्ठे करके सेहतमंद स्थितियों, उचित ताप तथा नमी की अनुकूल परिस्थितियों में रखते हैं। अंडों को सही तापमान तक गर्म रखा जाता है, जिससे अंडों में लारवा निकल आए। लारवा जो कैटरपिलर या रेशम का कीड़ा कहलाता है, को शहतूत के पत्तों पर रखा जाता है। यह दिन-रात इन पत्तों को खाते रहते हैं तथा आकार में काफी बढ़ जाते हैं। कीड़ों को शहतूत की ताज़ी काटी पत्तियों के साथ बाँस की साफ ट्रे में रखा जाता है। 25-30 दिन बाद कैटरपिलर शहतूत खाना बंद कर देते हैं तथा कोकून बनाने के लिए वह बांस के बने चैंबर में चले जाते हैं। इसलिए ट्रे में डालियां रखी जाती हैं, जिससे कोकून चिपक जाते हैं। कैटरपिलर या रेशम के कीड़े कोकून बनाते हैं जिसमें प्यूपा विकसित होता है।
7. निबंधात्मक प्रश्न :-
प्रश्न (i)
कोकून से सिल्क बनने की प्रक्रिया में शामिल सभी चरणों का वर्णन करें।
उत्तर-
कोकून से सिल्क बनाने की प्रक्रिया-कोकून में कीड़े का लगातार विकास होता है। रेशम के कीड़े के कोकून से रेशम का धागा प्राप्त किया जाता है। रेशम के धागे रेशम के कपड़े बुनने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। क्या आप कल्पना कर सकते हो कि नर्म रेशमी, धागे, स्टील के धागे जितने ही मज़बूत होते हैं। रेशम के कीड़े कई किस्म के होते हैं जो एक दूसरे से भिन्न दिखाई देते हैं। इनसे भिन्न-भिन्न प्रकार खुरदरे, मुलायम, चमकदार आदि के रेशम जैसे टस्सर, रेशम, मूंगा रेशम, कौसा रेशम आदि अलग-अलग किस्मों के कीड़ों के कोकून से प्राप्त किये जाते हैं। सबसे सामान्य रेशम का कीड़ा शहतूत रेशमी कीड़ा है। इस कीड़े से प्राप्त रेशम बहुत नर्म, चमकदार तथा लचीला होता है। इसे सुंदर रंगों से रंगा जा सकता है। सेरी-कल्चर या रेशम का पालन करना भारत का बहुत प्राचीन व्यवसाय है। भारत व्यापारिक स्तर पर काफी रेशम पैदा करता है।
प्रश्न (ii)
रेशम कीट के जीवन चक्र का वर्णन करने के लिए चित्र बनाएं और उसे लेबल करें।
उत्तर-
रेशम के कीड़े के जीवन चक्र का सार नीचे दिए गए क्रम में वर्णित हैं-
(i) मादा रेशम का कीड़ा शहतूत के वृक्ष के पत्तों पर अंडे देती हैं।
(ii) अंडों से लारवा उत्पन्न होता है जो अगले दो हफ्तों में एक कीड़े के जैसी संरचना ले लेता है जिसको कैटरपिलर या रेशम का कीड़ा कहते हैं।
Science Guide for Class 7 PSEB रेशों से वस्त्र तक Intext Questions and Answers
सोचें तथा उत्तर दें :- (पेज 23 )
प्रश्न 1.
पादपों से प्राप्त दो प्राकृतिक रेशों के नाम बताएँ।
उत्तर-
पादपों से प्राप्त होने वाले कुदरती अथवा प्राकृतिक रेशे-
- कपास,
- पटसन ।
प्रश्न 2.
जंतुओं से प्राप्त दो प्राकृतिक रेशों के नाम बताएँ। उत्तर-जंतुओं से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक रेशे-
- ऊन,
- रेशम।
प्रश्न 3.
किन्हीं तीन जंतुओं के नाम बताएँ जो हमें ऊन प्रदान करते हैं ?
उत्तर-
जानवर जो ऊन प्रदान करते हैं-
- भेड़,
- याक,
- बकरी।
प्रश्न 4.
कुछ जंतुओं के आवरण पर बालों की मोटी परत क्यों होती है ?
उत्तर-
ऊन देने वाली भेडें जो ठंडे क्षेत्रों में पायी जाती हैं उनके शरीर पर घनी जत होती है। ताकि वह सर्दियों में अपने शरीर को गर्म रख सकें। इन बालों में बहुत-सी हवा फंस जाती है। यह हवा ताप की कुचालक होने के कारण शरीर की गर्मी को बाहर वातावरण में संचालित होने से रोक लेती है जिस कारण भेड़ों का शरीर गर्म रहता है।
सोचें तथा उत्तर दें :- (पेज 29)
प्रश्न 1.
आप सिल्क के धागे, धागे तथा ऊन को जलाते समय गंध में क्या अंतर महसूस करते हो ?
उत्तर-
सिल्क के धागे के जलने पर मीट के जलने जैसी गंध आती है। सूती धागे के जलने पर कागज़ के जलने जैसी गंध आती है। परंतु ऊन के जलाने पर तीखी गंध उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2.
उपरोक्त क्रियाकलाप में पाई गई राख का प्रकार क्या है?
उत्तर-
सूती धागा जलने उपरांत दबी राख हल्की स्लेटी रंग की होती है। रेश्मी धागे तथा ऊनी धागों के जलने पर काले रंग के खोखले मनके जैसी राख बनती है।
प्रश्न 3.
क्या जलते हुए रेश्म में रेशे की गंध वैसी ही है जो गंध जलते हए ऊन के धागे की होती है ?
उत्तर-
नहीं, जलते हुए रेश्म के रेशे की गंध जलते हुए वालों जैसी होती है जबकि ऊन के धागे की गंध जलते हुए मीट की गंध जैसी होती है।
PSEB Solutions for Class 7 Science रेशों से वस्त्र तक Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) सकोरिंग के बाद बढ़ियां किस्म के लंबे बालों की ऊन को अगली प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है जिसको …………………… कहते हैं।
उत्तर-
सोर्टिंग
(ii) कैटरपिलर के गिर्द बने खोल को …………………………. कहते हैं।
उत्तर-
कोकून
(iii) कोकून को भाप देकर रेशों से निकालने की प्रक्रिया को …………………. कहते हैं।
उत्तर-
रीलिंग
(iv) तिब्बत में ऊन ………………….. से प्राप्त की जाती है।
उत्तर-
याक।
प्रश्न 2.
कॉलम A में दिए शब्दों को कॉलम B में दिए गए वाक्यों से मिलाइए-
कॉलम A | कॉलम B |
(क) अभिमार्जन | (i) रेशम फाइबर उत्पन्न करता है |
(ख) शहतूत की पत्तियाँ | (ii) ऊन देने वाला जंतु |
(ग) याक | (iii) रेशम कीट का भोजन |
(घ) कोकून | (iv) रीलिंग |
उत्तर-
कॉलम A | कॉलम B |
(क) अभिमार्जन | (v) काटी गई ऊन की सफ़ाई |
(ख) शहतूत की पत्तियाँ | (ii) रेशम कीट का भोजन |
(ग) याक | (ii) ऊन देने वाला जंतु |
(घ) कोकून | (i) रेशम फाइबर उत्पन्न करता है। |
प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनेंप्रश्न
(i) याक से हमें प्राप्त होती है-
(क) रेशम
(ख) कपास
(ग) ऊन
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) ऊन।
(ii) पश्मीना शाले बनाने के लिए ऊन प्राप्त की जाती है(क) ऊँट
(ख) याक
(ग) भेड़
(घ) अंगोरा बकरी।
उत्तर-
(घ) अंगोरा बकरी।
(ii) दक्षिणी अमेरिका में ऊन प्राप्त की जाती है(क) लामा और अंगोरा से
(ख) लामा तथा याक से
(ग) भेड़ तथा लामा से
(घ) लामा तथा अल्पाका से।
उत्तर-
(घ) लामा तथा अल्पाका से।
(iv) बाखरवाल नस्ल वाली भेड़ पाई जाती है-
(क) पंजाब में
(ख) राजस्थान में
(ग) हरियाणा में
(घ) जम्मू और कश्मीर में।
उत्तर-
(घ) जम्मू और कश्मीर में।
(v) भेड़ के बालों को प्रायः काटा जाता है-
(क) गर्मियों में
(ख) सर्दियों में
(ग) दोनों, गर्मियों और सर्दियों में
(घ) न कम गर्मी और न कम सर्दी में।
उत्तर-
(क) गर्मियों में।
(vi) कोकून में से रेशे निकालने की प्रक्रिया है-
(क) रेशम कीट पालन
(ख) शहतूत कृषि
(ग) रीलिंग
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) रीलिंग।
(vii) लोही नस्ल की भेड़ पाई जाती है
(क) पंजाब और हिमाचल में ।
(ख) पंजाब और हिमाचल में
(ग) पंजाब और गुजरात में
(घ) पंजाब और जम्मू में।
उत्तर-
(ख) पंजाब और हिमाचल में।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से ठीक या गलत बताओ-
(i) पशमीना शाल बनाने के लिए ऊन लामा तथा अल्पाका से प्राप्त की जाती है।
उत्तर-
गलत
(ii) ऊन रासायनिक रूप से कार्बोहाइड्रेट है।
उत्तर-
गलत
(iii) कोसा रेशम शहतूत के पत्ते खाने वाले कीड़ों से प्राप्त किया जाता है।
उत्तर-
ठीक
(iv) गुजरात की मारवाड़ी भेड़ की नस्ल से प्राप्त होने वाली ऊन बहुत मुलायम होती है।
उत्तर-
गलत
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जंतु के बाल उन्हें गर्म कैसे रखते हैं ?
उत्तर-
बालों के बीच वायु भर जाती है जो ऊष्मा की कुचालक है इसलिए जंतु गर्म रहते हैं।
प्रश्न 2.
ऊन कहाँ से मिलती है ?
उत्तर-
जंतुओं की बालों युक्त त्वचा से।
प्रश्न 3.
ऊन देने वाले जंतुओं के नाम लिखें।
उत्तर-
याक, भेड़, बकरी, लामा, अल्पाका।
प्रश्न 4.
पश्मीना क्या है ?
उत्तर-
पश्मीना : पश्मीना नर्म ऊन है, जिसे कश्मीरी बकरी अंगोरा से प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 5.
याक ऊन साधारणतः कहाँ पाई जाती है ?
उत्तर-
तिब्बत और लद्दाख।
प्रश्न 6.
ऊन के लिए सबसे साधारण जंतु कौन-सा है ?
उत्तर-
भेड़।
प्रश्न 7.
ऊन के धागों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
रेशे।
प्रश्न 8.
भेड़ों को सर्दियों में कैसा आहार दिया जाता है ?
उत्तर-
पत्तियाँ, अनाज और सूखा चारा।
प्रश्न 9.
ऊन कटाई के लिए कौन-सी मशीन का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
नाई द्वारा बाल काटने वाली मशीन जैसी मशीन का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 10.
ऊन कटाई किस मौसम में की जाती है ?
उत्तर-
गर्मी के मौसम में।
प्रश्न 11.
भेड़ों की भारतीय नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर-
लोही, रामपुर, बुशायर, नाली, बाखरवाल, मारवाड़ी, पाटनवाड़ी।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भेड़ से ऊन प्राप्ति के विभिन्न चरण लिखो।
उत्तर-
ऊन प्राप्ति के विभिन्न चरण – ऊन की कटाई, अभिमार्जन, छंटाई, रंगाई, कताई, बुनाई।
प्रश्न 2.
भारत के किन भागों में भेड़ों को ऊन के लिए पाला जाता है ?
उत्तर-
कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणाचल, सिक्किम की पहाड़ियों में और हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के मैदानों में।
प्रश्न 3.
ऊन की कटाई से भेड़ों को दर्द क्यों नहीं होता ?
उत्तर-
बाल ऊपरी पर्त पर उगते हैं। यह त्वचा मृत होती है। बाल भी मृत कोशिकाओं से बने होते हैं। इसलिए बाल काटने पर दर्द अनुभव नहीं होता।
प्रश्न 4.
भेड़ की रोएँदार त्वचा काटकर धोई क्यों जाती है ?
उत्तर-
बालों में मौजूद धूल, चिकनाई और गर्त निकालने के लिए।
प्रश्न 5.
जब ऊन के धागे और कृत्रिम रेशम को जलाया जाता है तो क्या होता है ?
उत्तर-
ऊन के धागे को जलाने से न तो कोई गंध निकलती है और न ही कोई अवशेष बचता है जबकि कृत्रिम रेशम को जलाने से तीखी दुर्गंध और फूला हुआ अवशेष बचता है।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रेशम प्राप्ति के प्रक्रम का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
रेशम, रेशम कीट से प्राप्त होता है। रेशम कीटों को पाला जाता है। उनके कोकून इकट्ठे करके रेशम का धागा निकाला जाता है।
इस प्रक्रम के दो चरण हैं-
- रेशम के कीटों को पालना
- रेशम का संसाधन।
1. रेशम के कीटों को पालना – मादा रेशम कीट द्वारा दिए गए अंडों को सावधानी से कपड़े या कागज़ की पट्टियों पर संग्रहित किया जाता है। उन्हें स्वास्थ्यकर स्थितियों, उचित ताप एवं आर्द्रता की अनुकूल स्थितियों
उसके अंडे में रखा जाता है।
लारवा निकालने के लिए कभी-कभी अंडों को गर्म भी किया जाता है। लारवा को शहतूत की नई पत्तियों पर रखा जाता है। यह लारवा दिन-रात खाते हैं और आकृति में वृद्धि करते हैं। इन्हें साफ़ बांस की ट्रे में रखा जाता है। 25 दिन बाद यह खाना बंद कर देते हैं और बांस के कक्ष में चले जाते हैं। यह टहनियों आदि से चिपक जाते हैं और कोकून में परिवर्तित हो जाते हैं। कोकून के अंदर रेशम कीट विकसित होता है।
2. रेशम का संसाधन – कोकून की बड़ी ढेरी को धूप में रखकर या पानी में उबाल कर या भाप द्वारा गर्म किया जाता है, ताकि फाइबर पृथक् हो जाए। कोकून से रेशे निकालकर कताई की जाती है। रेशम के धागे प्राप्त होने पर बुनाई करके कपड़ा तैयार किया जाता है।
प्रश्न 2.
भेड़ से ऊन प्राप्ति के प्रक्रम की संक्षिप्त व्याख्या करें।
उत्तर-
ऊन प्राप्ति के लिए भेड़ों को पाला जाता है। उनकी रोएँदार त्वचा काटी जाती है और ऊन तैयार की जाती है।
इस प्रक्रम के दो चरण हैं-
(i) भेड़ को पालना
(ii) ऊन का संसाधन।
(i) भेड़ को पालना – भारत के कई भागों में भेड़ें पाली जाती हैं। चरवाहे अपनी भेड़ों को खेतों में चराते हैं और उन्हें हरे चारे के अतिरिक्त मक्का, ज्वार, खली खिलाते हैं।
जब पाली गई भेड़ों के शरीर पर बालों की घनी वृद्धि हो जाती है तो उनके बालों को काट लिया जाता है।
(ii) ऊन का संसाधन – स्वेटर या शाल बनाने के लिए उपयोग आने वाली ऊन एक लंबी प्रक्रिया के बाद प्राप्त होती है, जिसके स्टैप निम्नलिखित हैं-
स्टैप 1. भेड़ के वालों को चमड़ी की पतली पर्त के साथ शरीर से उतार लिया जाता है। (चित्र (a)) यह प्रक्रिया ऊन की कटाई कहलाती है। भेड़ के वाल उतारने के लिए मशीन का प्रयोग किया जाता है जो बारबर द्वारा वाल काटने के लिए प्रयोग की जाती है। आमतौर पर वालों को गर्मी के मौसम में उतारा जाता है। इन रेशों को संसाधित करके धागा बनाया जाता है।
स्टैप 2. चमड़ी से उतारे गए वालों को टैंकियों में डालकर धोया जाता है। जिससे उनकी चिकनाई, धूल तथा मिट्टी निकल जाए। यह विधि अभिमार्जन कहलाती है। आजकल यह काम मशीनों से लिया जाता है।
स्टैप 3. अभिमार्जन के बाद छंटाई की जाती है। रोमिल तथा लूंदार वालों को कारखानों में भेज कर अलग-अलग गठन वाले वालों को अलग-अलग किया जाता है।
स्टैप 4. वालों में से कोमल तथा फूले हुए रेशों को चुन लिया जाता है। जिनकों ‘बर’ कहते हैं। उसके बाद दोबारा रेशों को अभिमार्जन करके सुखा लिया जाता है। अब यह ऊन धागों के रूप में अनुकूल है।
स्टैप 5. अब रेशों की भिन्न-भिन्न रंग में रंगाई की जाती है।
स्टैप 6. अब रेशों को सीधा करके सुलझाया जाता है फिर लपेट के धागा बनाया जाता है। (चित्र (d)) लंबे रेशों को कात के स्वेटरों के लिए ऊन तथा छोटे रेशों को कात के ऊनी कपड़ा तैयार किया जाता है।