PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक

Punjab State Board PSEB 7th Class Science Book Solutions Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Science Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक

PSEB 7th Class Science Guide रेशों से वस्त्र तक Textbook Questions and Answers

1. खाली स्थानों की पूर्ति करें :-

(i) ऊन को भेड़, बकरी और याक के ……………… से प्राप्त किया जाता है।
उत्तर-
बालों

(ii) शरीर पर घने बाल जंतुओं को ……………….. से बचाते हैं।
उत्तर-
सर्दी

(iii) जंतुओ के शरीर से ऊन उतारने की प्रक्रिया ……………….. कहलाती है।
उत्तर-
कटाई/ शियरिंग

(iv) रेशम कीट पालन को …………………. कहते हैं।उत्तर-
उत्तर-
सेरी-कल्चर

(v) उबले हुए कोकून से तंतुओं को हटाने की प्रक्रिया को …………………. कहते हैं।
उत्तर-
रीलिंग।

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2. कॉलम ‘क’ के शब्दों का मिलान कॉलम ‘ख’ के शब्दों से कीजिए :-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) अभिमार्जन (क) रेशम कीट का भोजन
(ii) सेरी-कल्चर (ख) राजस्थान और पंजाब में पाई जाने वाली भेड़
(iii) प्रोटीन (ग) रेशम का धागा इससे बना
(iv) शहतूत की पत्तियाँ (घ) रेशम कीट पालन
(v) लोही (ङ) काटी गई ऊन की सफाई।

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘खा’
(i) अभिमार्जन (ङ) काटी गई ऊन की सफाई
(ii) सेरी-कल्चर (घ) रेशम कीट पालन
(iii) प्रोटीन (ग) रेशम का धागा इससे बना
(iv) शहतूत की पत्तियाँ (क) रेशम कीट का भोजन
(v) लोही (ख) राजस्थान और पंजाब में पाई जाने वाली भेड़

3. सही उत्तर के सामने (√) का निशान लगाइए :-

प्रश्न (i)
फाइबर, जो कि जंतुओं द्वारा पैदा नहीं किया गया है-
(क) अंगोरा
(ख) ऊन
(ग) जूट
(घ) सिल्क।
उत्तर-
(ग) जूट ।

प्रश्न (ii)
ऊन सामान्यतः प्राप्त होती है-
(क) भेड़
(ख) बकरी
(ग) याक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) भेड़।

प्रश्न (iii)
काटे गए बालों की धुलाई को कहा जाता है-
(क) अभिमार्जन
(ख) छंटाई
(ग) ऊन की कटाई
(घ) रंगाई।
उत्तर-
(क) अभिमार्जन ।

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प्रश्न (iv)
ऊन रासायनिक रूप से यह है-
(क) वसा
(ख) प्रोटीन
(ग) कार्बोहाइड्रेट्स
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-(ख) प्रोटीन।

प्रश्न (v)
वह जंतु जिससे ऊन प्राप्त नहीं होती-
(क) ऐल्पेका
(ख) बूली कुत्ता
(ग) ऊँट
(घ) बकरी।
उत्तर-
(ख) बूली कुत्ता।

4. नीचे लिखे वाक्यों में सही या गलत बताइए :-

(i) वायु ऊष्मा का कुचालक है तथा लम्बे बालों में फँसी हवा शरीर की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती।
उत्तर-
सही

(ii) तिब्बत तथा लद्दाख में ऊन याक से प्राप्त होती है।
उत्तर-
सही

(iii) रेशम कीट का पालन एप्पीकल्चर कहलाता है।
उत्तर-
गलत

iv) कैटरपिलर के शरीर के आसपास के आवरण को कोकून कहते हैं।
उत्तर-
सही

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(v) टसर रेशम और मूंगा रेशम गैर-शहतूत वृक्षों के पत्ते खाने वाले रेशम के कीटों द्वारा तैयार किए जाते हैं।
उत्तर-
गलत।

5. अति लघूत्तर प्रश्न :-

प्रश्न (i)
पौधों तथा वृक्षों से प्राप्त किन्हीं दो रेशों के नाम बताइए।
उत्तर-
पौधों तथा वृक्षों से प्राप्त रेशे-

  1. कपास,
  2. पटसन ।

प्रश्न (ii)
सेरी-कल्चर क्या है ?
उत्तर-
सेरी-कल्चर-रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम के कीड़ों को पालना सेरी कल्चर कहलाता है।

प्रश्न (iii) ऊन पैदा करने वाले आम जानवरों के नाम बताएं।
उत्तर-ऊन पैदा करने वाले जानवरों के नाम-

  1. याक,
  2. भेड़,
  3. ऊँट,
  4. बकरी।

6. लघूत्तर प्रश्न :-

प्रश्न (i)
अंगोरा तथा कश्मीरी ऊन से क्या अभिपाय है ?
उत्तर-
अंगोरा ऊन पहाड़ी स्थानों जैसे जम्मू तथा कश्मीर में पायी जाने वाली बकरी से प्राप्त होती है। कश्मीरी बकरी के बाल भी बहुत नर्म होते हैं। कश्मीरी ऊन से पश्मीनी शाल बुने जाते हैं।

प्रश्न (ii)
भारत के उन राज्यों के नाम बताइए जहाँ आगे दी गई भेड़ों की किस्में पायी जाती हैं, लोही, बाखरवाल, नाली (नली) और मारवाड़ी।
उत्तर-

भेड की नस्ल का नाम राज्य जहाँ मिलती हैं
1. लोही राजस्थान, पंजाब
2. बखरवाल जम्मू, कश्मीर
3. नाली राजस्थान, हरियाणा, पंजाब
4. मारवाड़ी गुजरात ।

प्रश्न (iii)
रेशों को ऊन परिवर्तित करने की प्रक्रिया के सभी चरण बताइए।
उत्तर-
रेशे से ऊन बनने के भिन्न-भिन्न चरण-

  1. शियरिंग या कटाई
  2. सकोरिंग (अभिमार्जन)
  3. सोर्टिंग
  4. कोंबिंग (कंघी करना)
  5. डाइंग (रंगाई करना)
  6. स्पिनिंग (बुनाई)।

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प्रश्न (iv)
कुछ जानवरों के शरीर पर सघन बाल क्यों होते हैं ?
उत्तर-
ऊन देने वाली भेड़ें जो ठंडे क्षेत्रों में पायी जाती हैं। उनके शरीर पर घनी जत होती है ताकि वह सर्दियों में अपने शरीर को गर्म रख सकें। इन बालों में बहुत-सी हवा फंस जाती है। यह हवा ताप की कुचालक होने के कारण शरीर की गर्मी को बाहर वातावरण में संचारित होने से रोक लेती है जिस कारण भेड़ों का शरीर गर्म रहता है।

प्रश्न (v)
रेशम कीट का पालन कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
मादा रेशम का कीड़ा एक बार में सैंकड़ों अंडे देती है इन अंडों को सावधानी से कपड़े की पट्टियों या कागज़ पर इक्ट्ठे करके सेहतमंद स्थितियों, उचित ताप तथा नमी की अनुकूल परिस्थितियों में रखते हैं। अंडों को सही तापमान तक गर्म रखा जाता है, जिससे अंडों में लारवा निकल आए। लारवा जो कैटरपिलर या रेशम का कीड़ा कहलाता है, को शहतूत के पत्तों पर रखा जाता है। यह दिन-रात इन पत्तों को खाते रहते हैं तथा आकार में काफी बढ़ जाते हैं। कीड़ों को शहतूत की ताज़ी काटी पत्तियों के साथ बाँस की साफ ट्रे में रखा जाता है। 25-30 दिन बाद कैटरपिलर शहतूत खाना बंद कर देते हैं तथा कोकून बनाने के लिए वह बांस के बने चैंबर में चले जाते हैं। इसलिए ट्रे में डालियां रखी जाती हैं, जिससे कोकून चिपक जाते हैं। कैटरपिलर या रेशम के कीड़े कोकून बनाते हैं जिसमें प्यूपा विकसित होता है।

7. निबंधात्मक प्रश्न :-

प्रश्न (i)
कोकून से सिल्क बनने की प्रक्रिया में शामिल सभी चरणों का वर्णन करें।
उत्तर-
कोकून से सिल्क बनाने की प्रक्रिया-कोकून में कीड़े का लगातार विकास होता है। रेशम के कीड़े के कोकून से रेशम का धागा प्राप्त किया जाता है। रेशम के धागे रेशम के कपड़े बुनने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। क्या आप कल्पना कर सकते हो कि नर्म रेशमी, धागे, स्टील के धागे जितने ही मज़बूत होते हैं। रेशम के कीड़े कई किस्म के होते हैं जो एक दूसरे से भिन्न दिखाई देते हैं। इनसे भिन्न-भिन्न प्रकार खुरदरे, मुलायम, चमकदार आदि के रेशम जैसे टस्सर, रेशम, मूंगा रेशम, कौसा रेशम आदि अलग-अलग किस्मों के कीड़ों के कोकून से प्राप्त किये जाते हैं। सबसे सामान्य रेशम का कीड़ा शहतूत रेशमी कीड़ा है। इस कीड़े से प्राप्त रेशम बहुत नर्म, चमकदार तथा लचीला होता है। इसे सुंदर रंगों से रंगा जा सकता है। सेरी-कल्चर या रेशम का पालन करना भारत का बहुत प्राचीन व्यवसाय है। भारत व्यापारिक स्तर पर काफी रेशम पैदा करता है।

प्रश्न (ii)
रेशम कीट के जीवन चक्र का वर्णन करने के लिए चित्र बनाएं और उसे लेबल करें।
उत्तर-
रेशम के कीड़े के जीवन चक्र का सार नीचे दिए गए क्रम में वर्णित हैं-

(i) मादा रेशम का कीड़ा शहतूत के वृक्ष के पत्तों पर अंडे देती हैं।
(ii) अंडों से लारवा उत्पन्न होता है जो अगले दो हफ्तों में एक कीड़े के जैसी संरचना ले लेता है जिसको कैटरपिलर या रेशम का कीड़ा कहते हैं।
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Science Guide for Class 7 PSEB रेशों से वस्त्र तक Intext Questions and Answers

सोचें तथा उत्तर दें :- (पेज 23 )

प्रश्न 1.
पादपों से प्राप्त दो प्राकृतिक रेशों के नाम बताएँ।
उत्तर-
पादपों से प्राप्त होने वाले कुदरती अथवा प्राकृतिक रेशे-

  1. कपास,
  2. पटसन ।

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प्रश्न 2.
जंतुओं से प्राप्त दो प्राकृतिक रेशों के नाम बताएँ। उत्तर-जंतुओं से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक रेशे-

  1. ऊन,
  2. रेशम।

प्रश्न 3.
किन्हीं तीन जंतुओं के नाम बताएँ जो हमें ऊन प्रदान करते हैं ?
उत्तर-
जानवर जो ऊन प्रदान करते हैं-

  1. भेड़,
  2. याक,
  3. बकरी।

प्रश्न 4.
कुछ जंतुओं के आवरण पर बालों की मोटी परत क्यों होती है ?
उत्तर-
ऊन देने वाली भेडें जो ठंडे क्षेत्रों में पायी जाती हैं उनके शरीर पर घनी जत होती है। ताकि वह सर्दियों में अपने शरीर को गर्म रख सकें। इन बालों में बहुत-सी हवा फंस जाती है। यह हवा ताप की कुचालक होने के कारण शरीर की गर्मी को बाहर वातावरण में संचालित होने से रोक लेती है जिस कारण भेड़ों का शरीर गर्म रहता है।

सोचें तथा उत्तर दें :- (पेज 29)

प्रश्न 1.
आप सिल्क के धागे, धागे तथा ऊन को जलाते समय गंध में क्या अंतर महसूस करते हो ?
उत्तर-
सिल्क के धागे के जलने पर मीट के जलने जैसी गंध आती है। सूती धागे के जलने पर कागज़ के जलने जैसी गंध आती है। परंतु ऊन के जलाने पर तीखी गंध उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
उपरोक्त क्रियाकलाप में पाई गई राख का प्रकार क्या है?
उत्तर-
सूती धागा जलने उपरांत दबी राख हल्की स्लेटी रंग की होती है। रेश्मी धागे तथा ऊनी धागों के जलने पर काले रंग के खोखले मनके जैसी राख बनती है।

प्रश्न 3.
क्या जलते हुए रेश्म में रेशे की गंध वैसी ही है जो गंध जलते हए ऊन के धागे की होती है ?
उत्तर-
नहीं, जलते हुए रेश्म के रेशे की गंध जलते हुए वालों जैसी होती है जबकि ऊन के धागे की गंध जलते हुए मीट की गंध जैसी होती है।

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PSEB Solutions for Class 7 Science रेशों से वस्त्र तक Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) सकोरिंग के बाद बढ़ियां किस्म के लंबे बालों की ऊन को अगली प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है जिसको …………………… कहते हैं।
उत्तर-
सोर्टिंग

(ii) कैटरपिलर के गिर्द बने खोल को …………………………. कहते हैं।
उत्तर-
कोकून

(iii) कोकून को भाप देकर रेशों से निकालने की प्रक्रिया को …………………. कहते हैं।
उत्तर-
रीलिंग

(iv) तिब्बत में ऊन ………………….. से प्राप्त की जाती है।
उत्तर-
याक।

प्रश्न 2.
कॉलम A में दिए शब्दों को कॉलम B में दिए गए वाक्यों से मिलाइए-

कॉलम A कॉलम B
(क) अभिमार्जन (i) रेशम फाइबर उत्पन्न करता है
(ख) शहतूत की पत्तियाँ (ii) ऊन देने वाला जंतु
(ग) याक (iii) रेशम कीट का भोजन
(घ) कोकून (iv) रीलिंग

उत्तर-

कॉलम A कॉलम B
(क) अभिमार्जन (v) काटी गई ऊन की सफ़ाई
(ख) शहतूत की पत्तियाँ (ii) रेशम कीट का भोजन
(ग) याक (ii) ऊन देने वाला जंतु
(घ) कोकून (i) रेशम फाइबर उत्पन्न करता है।

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प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनेंप्रश्न

(i) याक से हमें प्राप्त होती है-
(क) रेशम
(ख) कपास
(ग) ऊन
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) ऊन।

(ii) पश्मीना शाले बनाने के लिए ऊन प्राप्त की जाती है(क) ऊँट
(ख) याक
(ग) भेड़
(घ) अंगोरा बकरी।
उत्तर-
(घ) अंगोरा बकरी।

(ii) दक्षिणी अमेरिका में ऊन प्राप्त की जाती है(क) लामा और अंगोरा से
(ख) लामा तथा याक से
(ग) भेड़ तथा लामा से
(घ) लामा तथा अल्पाका से।
उत्तर-
(घ) लामा तथा अल्पाका से।

(iv) बाखरवाल नस्ल वाली भेड़ पाई जाती है-
(क) पंजाब में
(ख) राजस्थान में
(ग) हरियाणा में
(घ) जम्मू और कश्मीर में।
उत्तर-
(घ) जम्मू और कश्मीर में।

(v) भेड़ के बालों को प्रायः काटा जाता है-
(क) गर्मियों में
(ख) सर्दियों में
(ग) दोनों, गर्मियों और सर्दियों में
(घ) न कम गर्मी और न कम सर्दी में।
उत्तर-
(क) गर्मियों में।

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(vi) कोकून में से रेशे निकालने की प्रक्रिया है-
(क) रेशम कीट पालन
(ख) शहतूत कृषि
(ग) रीलिंग
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) रीलिंग।

(vii) लोही नस्ल की भेड़ पाई जाती है
(क) पंजाब और हिमाचल में ।
(ख) पंजाब और हिमाचल में
(ग) पंजाब और गुजरात में
(घ) पंजाब और जम्मू में।
उत्तर-
(ख) पंजाब और हिमाचल में।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से ठीक या गलत बताओ-

(i) पशमीना शाल बनाने के लिए ऊन लामा तथा अल्पाका से प्राप्त की जाती है।
उत्तर-
गलत

(ii) ऊन रासायनिक रूप से कार्बोहाइड्रेट है।
उत्तर-
गलत

(iii) कोसा रेशम शहतूत के पत्ते खाने वाले कीड़ों से प्राप्त किया जाता है।
उत्तर-
ठीक

(iv) गुजरात की मारवाड़ी भेड़ की नस्ल से प्राप्त होने वाली ऊन बहुत मुलायम होती है।
उत्तर-
गलत

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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जंतु के बाल उन्हें गर्म कैसे रखते हैं ?
उत्तर-
बालों के बीच वायु भर जाती है जो ऊष्मा की कुचालक है इसलिए जंतु गर्म रहते हैं।

प्रश्न 2.
ऊन कहाँ से मिलती है ?
उत्तर-
जंतुओं की बालों युक्त त्वचा से।

प्रश्न 3.
ऊन देने वाले जंतुओं के नाम लिखें।
उत्तर-
याक, भेड़, बकरी, लामा, अल्पाका।

प्रश्न 4.
पश्मीना क्या है ?
उत्तर-
पश्मीना : पश्मीना नर्म ऊन है, जिसे कश्मीरी बकरी अंगोरा से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 5.
याक ऊन साधारणतः कहाँ पाई जाती है ?
उत्तर-
तिब्बत और लद्दाख।

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प्रश्न 6.
ऊन के लिए सबसे साधारण जंतु कौन-सा है ?
उत्तर-
भेड़।

प्रश्न 7.
ऊन के धागों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
रेशे।

प्रश्न 8.
भेड़ों को सर्दियों में कैसा आहार दिया जाता है ?
उत्तर-
पत्तियाँ, अनाज और सूखा चारा।

प्रश्न 9.
ऊन कटाई के लिए कौन-सी मशीन का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
नाई द्वारा बाल काटने वाली मशीन जैसी मशीन का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 10.
ऊन कटाई किस मौसम में की जाती है ?
उत्तर-
गर्मी के मौसम में।

प्रश्न 11.
भेड़ों की भारतीय नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर-
लोही, रामपुर, बुशायर, नाली, बाखरवाल, मारवाड़ी, पाटनवाड़ी।

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लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भेड़ से ऊन प्राप्ति के विभिन्न चरण लिखो।
उत्तर-
ऊन प्राप्ति के विभिन्न चरण – ऊन की कटाई, अभिमार्जन, छंटाई, रंगाई, कताई, बुनाई।

प्रश्न 2.
भारत के किन भागों में भेड़ों को ऊन के लिए पाला जाता है ?
उत्तर-
कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणाचल, सिक्किम की पहाड़ियों में और हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के मैदानों में।

प्रश्न 3.
ऊन की कटाई से भेड़ों को दर्द क्यों नहीं होता ?
उत्तर-
बाल ऊपरी पर्त पर उगते हैं। यह त्वचा मृत होती है। बाल भी मृत कोशिकाओं से बने होते हैं। इसलिए बाल काटने पर दर्द अनुभव नहीं होता।

प्रश्न 4.
भेड़ की रोएँदार त्वचा काटकर धोई क्यों जाती है ?
उत्तर-
बालों में मौजूद धूल, चिकनाई और गर्त निकालने के लिए।

प्रश्न 5.
जब ऊन के धागे और कृत्रिम रेशम को जलाया जाता है तो क्या होता है ?
उत्तर-
ऊन के धागे को जलाने से न तो कोई गंध निकलती है और न ही कोई अवशेष बचता है जबकि कृत्रिम रेशम को जलाने से तीखी दुर्गंध और फूला हुआ अवशेष बचता है।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रेशम प्राप्ति के प्रक्रम का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
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रेशम, रेशम कीट से प्राप्त होता है। रेशम कीटों को पाला जाता है। उनके कोकून इकट्ठे करके रेशम का धागा निकाला जाता है।
इस प्रक्रम के दो चरण हैं-

  1. रेशम के कीटों को पालना
  2. रेशम का संसाधन।

1. रेशम के कीटों को पालना – मादा रेशम कीट द्वारा दिए गए अंडों को सावधानी से कपड़े या कागज़ की पट्टियों पर संग्रहित किया जाता है। उन्हें स्वास्थ्यकर स्थितियों, उचित ताप एवं आर्द्रता की अनुकूल स्थितियों
उसके अंडे में रखा जाता है।

लारवा निकालने के लिए कभी-कभी अंडों को गर्म भी किया जाता है। लारवा को शहतूत की नई पत्तियों पर रखा जाता है। यह लारवा दिन-रात खाते हैं और आकृति में वृद्धि करते हैं। इन्हें साफ़ बांस की ट्रे में रखा जाता है। 25 दिन बाद यह खाना बंद कर देते हैं और बांस के कक्ष में चले जाते हैं। यह टहनियों आदि से चिपक जाते हैं और कोकून में परिवर्तित हो जाते हैं। कोकून के अंदर रेशम कीट विकसित होता है।

2. रेशम का संसाधन – कोकून की बड़ी ढेरी को धूप में रखकर या पानी में उबाल कर या भाप द्वारा गर्म किया जाता है, ताकि फाइबर पृथक् हो जाए। कोकून से रेशे निकालकर कताई की जाती है। रेशम के धागे प्राप्त होने पर बुनाई करके कपड़ा तैयार किया जाता है।

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प्रश्न 2.
भेड़ से ऊन प्राप्ति के प्रक्रम की संक्षिप्त व्याख्या करें।
उत्तर-
ऊन प्राप्ति के लिए भेड़ों को पाला जाता है। उनकी रोएँदार त्वचा काटी जाती है और ऊन तैयार की जाती है।
इस प्रक्रम के दो चरण हैं-
(i) भेड़ को पालना
(ii) ऊन का संसाधन।

(i) भेड़ को पालना – भारत के कई भागों में भेड़ें पाली जाती हैं। चरवाहे अपनी भेड़ों को खेतों में चराते हैं और उन्हें हरे चारे के अतिरिक्त मक्का, ज्वार, खली खिलाते हैं।
जब पाली गई भेड़ों के शरीर पर बालों की घनी वृद्धि हो जाती है तो उनके बालों को काट लिया जाता है।

(ii) ऊन का संसाधन – स्वेटर या शाल बनाने के लिए उपयोग आने वाली ऊन एक लंबी प्रक्रिया के बाद प्राप्त होती है, जिसके स्टैप निम्नलिखित हैं-

स्टैप 1. भेड़ के वालों को चमड़ी की पतली पर्त के साथ शरीर से उतार लिया जाता है। (चित्र (a)) यह प्रक्रिया ऊन की कटाई कहलाती है। भेड़ के वाल उतारने के लिए मशीन का प्रयोग किया जाता है जो बारबर द्वारा वाल काटने के लिए प्रयोग की जाती है। आमतौर पर वालों को गर्मी के मौसम में उतारा जाता है। इन रेशों को संसाधित करके धागा बनाया जाता है।

स्टैप 2. चमड़ी से उतारे गए वालों को टैंकियों में डालकर धोया जाता है। जिससे उनकी चिकनाई, धूल तथा मिट्टी निकल जाए। यह विधि अभिमार्जन कहलाती है। आजकल यह काम मशीनों से लिया जाता है।
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स्टैप 3. अभिमार्जन के बाद छंटाई की जाती है। रोमिल तथा लूंदार वालों को कारखानों में भेज कर अलग-अलग गठन वाले वालों को अलग-अलग किया जाता है।

स्टैप 4. वालों में से कोमल तथा फूले हुए रेशों को चुन लिया जाता है। जिनकों ‘बर’ कहते हैं। उसके बाद दोबारा रेशों को अभिमार्जन करके सुखा लिया जाता है। अब यह ऊन धागों के रूप में अनुकूल है।

स्टैप 5. अब रेशों की भिन्न-भिन्न रंग में रंगाई की जाती है।

स्टैप 6. अब रेशों को सीधा करके सुलझाया जाता है फिर लपेट के धागा बनाया जाता है। (चित्र (d)) लंबे रेशों को कात के स्वेटरों के लिए ऊन तथा छोटे रेशों को कात के ऊनी कपड़ा तैयार किया जाता है।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 2 जंतुओं में पोषण

Punjab State Board PSEB 7th Class Science Book Solutions Chapter 2 जंतुओं में पोषण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Science Chapter 2 जंतुओं में पोषण

PSEB 7th Class Science Guide जंतुओं में पोषण Textbook Questions and Answers

1. खाली स्थानों की पूर्ति कीजिए :-

(i) जो जंतु पौधे तथा जन्तु दोनों को खा लेते हैं, उन्हें …………………. कहते हैं।
उत्तर-
सर्वाहारी

(ii) मनुष्य में भोजन का …………………….. मुख में ही आरंभ हो जाता है और ……………………….. में पूर्ण होता है।
उत्तर-
पाचन, छोटी आंत

(iii) ……………………. मनुष्य के शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है।
उत्तर-
यकृत (जिगर)

(iv) बृहदांत्र में अनपचे भोजन में से ……………………. और ……………………. अवशोषित किए जाते हैं।
उत्तर-
फालतू पानी, नमक (लवण)।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 2 जंतुओं में पोषण

2. नीचे लिखे वाक्यों में सही या गलत बताइए :-

(i) जीभ भोजन को लार के साथ मिलाने में सहायता करती है।
उत्तर-
सही

(ii) मनुष्य में पाचन क्रिया अमाशय में पूरी हो जाती है।
उत्तर-
ग़लत

(iii) जुगाली करने वाले जन्तुओं को रूमीनेंट कहते हैं।
उत्तर-
सही

(iv) अमीबा कृत्रिम पाँवों/पादाभ की सहायता से भोजन झपटता है।
उत्तर-
ग़लत

3. सही विकल्पों का मिलान करो :-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) जुगाली करने वाला/रूमीनेंट (क) पित्त
(ii) कार्बोहाइड्रेट (ख) अनपचा भोजन जमा होता है
(ii) पित्ताशय (ग) ग्लूकोस
(iv) क्षुदांत्र (घ) गाय
(v) मल-नली (ङ) भोजन का पाचन पूर्ण होता है।

उत्तर-

कॉलम ‘क कॉलम ‘ख’
(i) जुगाली करने वाला/रूमीनेंट (घ) गाय
(ii) कार्बोहाइड्रेट (ग) ग्लूकोस
(ii) पित्ताशय (क) पित्त
(iv) क्षुदांत्र (ङ) भोजन का पाचन पूर्ण होता है
(v) मल-नली (ख) अनपचा भोजन जमा होता है

4. सही विकल्प चुनें :-

प्रश्न (i)
जो जन्तु केवल पौधे खाते हैं :
(क) मांसाहारी
(ख) शाकाहारी
(ग) सर्वाहारी
(घ) मृतजीवी।
उत्तर-
(ख) शाकाहारी।

प्रश्न (ii)
कोशिका से बाहर पाचन होता है-
(क) परजीवी
(ख) मांसाहारी
(ग) मृतजीवी
(घ) शाकाहारी।
उत्तर-
(ग) मृतजीवी।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 2 जंतुओं में पोषण

प्रश्न (iii)
जंतु द्वारा शरीर के अंदर भोजन ग्रहण करने की क्रिया कहलाती है-
(क) भोजन ग्रहण
(ख) पाचन
(ग) अवशोषण
(घ) मल त्याग।
उत्तर-
(क) भोजन ग्रहण।

प्रश्न (iv)
यकृत का रिसाव है-
(क) प्रोटीन
(ख) पित्त रस
(ग) कार्बोहाइड्रेट
(घ) लार।
उत्तर-
(ख) पित्त रस।

प्रश्न (v)
अमीबा में पोषण है-
(क) परजीवी
(ख) प्राणीवत
(ग) मृतजीवी ।
(घ) स्वांगीकरण।
उत्तर-
(ख) प्राणीवत।

5. लघूत्तर प्रश्न :-

प्रश्न (i)
प्राणीवत पोषण क्या है ?
उत्तर-
प्राणीवत पोषण – इस प्रकार के पोषण के दौरान जटिल भोजन शरीर के भीतर ले जाते हैं तथा फिर इसे एन्जाइमों की सहायता से साधारण घुलनशील यौगिकों में विभाजित किया जाता है। जिसे शरीर द्वारा इसका अवशोषण कर लिया जाता है। जैसे-अमीबा, मनुष्य आदि।
PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 2 जंतुओं में पोषण 1

प्रश्न (ii)
अवशोषण से क्या अभिप्राय है ? ।
उत्तर-
अवशोषण – इस क्रिया में पचे हुए भोजन को छोटी आंत की दीवारों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। इसके बाद पचा हुआ भोजन रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। छोटी आंत की अंदरूनी दीवार पर बड़ी गिनती में उंगली जैसे उभरे हुए आकार होते हैं, जिनको रस-अंकुर या विली (Villi) कहते हैं। यह रस अंकुर आंत के अवशोषण क्षेत्र को बढ़ा देते हैं।

प्रश्न (iii)
स्वांगीकरण की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
स्वांगीकरण – आंतों द्वारा अवशोषित किया भोजन रुधिर वाहिकाओं द्वारा रक्त द्वारा शरीर के भिन्न-भिन्न भागों तक पहुँच जाता है। इसे स्वांगीकरण कहते हैं।

प्रश्न (iv)
भोजन नली के भागों के नाम लिखो।
उत्तर-
पाचन नली के भाग-

  1. मुख गुहिका
  2. भोजन नली
  3. पेट
  4. छोटी आंत
  5. बड़ी आंत
  6. रैक्टम
  7. मल द्वार।

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6. निबंधात्मक प्रश्न :-

प्रश्न (i)
दूध के दाँत एवं स्थायी दाँतों से क्या भाव है ?
उत्तर-
दूध के दाँत – मनुष्य के जीवन काल के दौरान दाँतों के दो सैट विकसित होते हैं। पहला सैट 20 छोटे दाँतों का होता है। जिन्हें दूध के दाँत भी कहते हैं। यह बाल अवस्था के दौरान आते हैं और 06 से 08 साल की उम्र के दौरान टूट जाते हैं।

स्थायी दाँत – 6 से 8 साल की उम्र के दौरान दूध के दाँतों के गिरने के बाद स्थायी दाँत (32) आते हैं। स्थायी दाँत 50 से 60 साल की उम्र तक गिरने आरंभ हो जाते हैं।

प्रश्न (ii)
मनुष्य में पाए जाने वाले चार प्रकार के दाँत तथा उनके कार्य लिखो।
उत्तर-
मनुष्य में पाए जाने वाले चार प्रकार के दाँत तथा उनके कार्य – मनुष्य में चार प्रकार के दाँत होते हैं जो निम्न लिखे गए हैं

दाँत की किस्में दाँतों के कार्य
1. छेदक/कृन्तक (Incisors) यह भोजन को काटने के लिए प्रयोग होते हैं।
2. भेदक/ रदनक (Canines) यह फोड़ने के लिए प्रयोग होते हैं।
3. अग्र चर्वणक (Premolars) यह दाँत भोजन चबाने तथा पीसने के लिए प्रयोग होते हैं।
4. चर्वणक/बुद्धि के दाँत (Molars) यह भी भोजन को पीसने के लिए प्रयोग होते हैं।

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प्रश्न (iii)
चित्र की सहायता से अमीबा में पोषण का वर्णन करो।
उत्तर-
अमीबा में पोषण – अमीबा एक कोशिका (सैली) सूक्ष्मजीव है। इसके बाहर कोशिका झिल्ली होती है। यह आभासी पैरों में चलता है। यह उंगली जैसी रचनाएँ होती हैं जो गति करने में तथा अमीबे के संपर्क में आए भोजन को पकड़ने में सहायता करती हैं। भोजन प्राप्ति के दौरान भोजन के आस-पास दोनों आभासी पैरों के बीच की झिल्ली द्रवित हो जाती है तथा भोजन का कण, भोजन वैक्यूल में बदल जाता है तथा इसके अंदर पाचक रसों का रिसाव होता है जिसमें पोषक अवशोषित कर लिए जाते हैं। अनपचे भोजन कण अमीबा के शरीर में ऐसी ही प्रक्रिया द्वारा त्याग दिए जाते हैं।
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प्रश्न (iv)
नीचे लिखे चित्रों को अंकित करें ।
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उत्तर-
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Science Guide for Class 7 PSEB जंतुओं में पोषण Intext Questions and Answers

सोचें तथा उत्तर दें :- (पेज 12)

प्रश्न 1.
मुख में लार ग्रंथियों द्वारा रिसने वाले घोल का नाम बताइए।
उत्तर-
मुख में लार ग्रंथियों द्वारा छोड़े गए रस का नाम ‘लार रस’ है।

प्रश्न 2.
आयोडीन का घोल स्टार्च के ऊपर डालने पर क्या परिवर्तन पाया जाता है ?
उत्तर-
आयोडीन का घोल स्टार्च में मिलाने से आयोडीन के घोल का रंग जामनी अथवा नीला हो जाता है।

प्रश्न 3.
मुख में पाचन के बाद स्टार्च किस में परिवर्तित हो जाता है ?
उत्तर-
मुख में लार ग्रंथियों द्वारा लार रस छोड़ा जाता है जिसमें एसाइलेज़ नाम का एन्जाइम होता है। यह एन्ज़ाइम स्टार्च को शर्करा (ग्लूकोज़) में बदल देता है।

सोचें तथा उत्तर दें :- (पेज 13)

प्रश्न 1.
भोजन को काटने वाले दाँत का नाम लिखो।
उत्तर-
काटने वाले दाँतों को तीखे दाँत भी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
किस आयु तक अग्रदाढ़ें या दाढ़ें नहीं होती?
उत्तर-
50 साल या इस से अधिक उम्र के व्यक्तियों में अग्रदाढ़ें या दाढें टूटनी आरंभ हो जाती हैं।

प्रश्न 3.
प्रौढ़ व्यक्ति के मुख में अधिक से अधिक कितने दाँत होते हैं ?
उत्तर-
30 साल की उम्र वाले वयस्क के मुख में सभी प्रकार के (कुल 32 दाँत) होते हैं।

सोचें तथा उत्तर दें :- (पेज 14)

प्रश्न 1.
जीभ के किस क्षेत्र से खट्टा स्वाद अनुभव होता है ?
उत्तर-
जीभ के अगले भाग से आरंभ होकर \(\frac{3}{4}\) भाग अर्थात् मध्य से थोड़ा-सा पीछे खट्टा स्वाद अनुभव होता है।

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प्रश्न 2.
जीभ के अगले क्षेत्र में कड़वा स्वाद अनुभव क्यों नहीं होता ?
उत्तर-
जीभ का अगला भाग सभी ओर गति करने के लिए स्वतन्त्र होता है तथा यह भाग केवल भोजन को चबाने तथा लार मिलाने में सहायता करता है। जीभ पर चार ग्रंथियां मीठा, नमकीन, खट्टा तथा कड़वा होती हैं। जीभ के अगले हिस्से में केवल मीठे स्वाद का ही अनुभव होता है जबकि जीभ के अंतिम भाग में कड़वे स्वाद का अनुभव होता है।

PSEB Solutions for Class 7 Science जंतुओं में पोषण Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) मानव पाचन के मुख्य चरण …………………, …………………, ……………….., …………………, एवं ………………. हैं।
उत्तर-
अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण, स्वांगीकरण, निष्कासन

(ख) मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि का नाम ……………………… है।
उत्तर-
यकृत

(ग) आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं ……………………. का स्राव होता है, जो भोजन पर किया करते हैं।
उत्तर-
पाचक रस

(घ) क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति पर अँगुली के समान अनेक उभार होते हैं, जो ………………. कहलाते हैं।
उत्तर-
दीर्घ रोम

(च) अमीबा अपने भोजन का पाचन ……………………. में करता है।
उत्तर-
खाद्य धानी।

प्रश्न 2.
सत्य एवं असत्य कथनों को चिह्नित कीजिए।

(i) मंड का पाचन आमाशय से प्रारंभ होता है।
उत्तर-
असत्य

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(ii) जीभ लाला-ग्रंथि को भोजन के साथ मिलाने में सहायता करती है।
उत्तर-
सत्य

(iii) पित्ताशय में पित्त रस अस्थायी रूप से भंडारित होता है।
उत्तर-
सत्य

(iv) रूमिनेंट निगली हुई घास को अपने मुख में वापस लाकर धीरे-धीरे चबाते रहते हैं।
उत्तर-
सत्य

प्रश्न 3.
कॉलम A में दिए गए कथनों का मिलान कॉलम B में दिए गए कथनों से कीजिए।

कॉलम A- खाद्य घटक कॉलम B-पाचन के उत्पाद
कार्बोहाइड्रेट्स वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल
प्रोटीन शर्करा
वसा ऐमीनो अम्ल

उत्तर-

कॉलम A- खाद्य घटक कॉलम B-पाचन के उत्पाद
कार्बोहाइड्रेट्स शर्करा
प्रोटीन ऐमीनो अम्ल
वसा वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल

प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनें-

(i) जटिल खाद्य पदार्थों के सरल पदार्थों में परिवर्तित होने को क्या कहते हैं ?
(क) स्वांगीकरण
(ख) अंतर्ग्रहण
(ग) पाचन
(घ) बहिक्षेपण।
उत्तर-
(ग) पाचन।

(ii) मानव की सबसे बड़ी पाचन ग्रंथि का नाम क्या है ?
(क) लार
(ख) अग्न्याशय
(ग) यकृत
(घ) आंत्र।
उत्तर-
(ग) यकृत।

(iii) आमाशय में कौन-सा अम्ल जीवाणुओं को मारता है ?
(क) सल्फ्यूरिक
(ख) नाइट्रिक
(ग) हाइड्रोक्लोरिक
(घ) फास्फोरिक।
उत्तर-
(ग) हाइड्रोक्लोरिक।

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(iv) निम्न पशुओं में से किसमें रूमेन पाया जाता है ?
(क) गाय
(ख) कुत्ता
(ग) शेर
(घ) चीता।
उत्तर-
(क) गाय।

(v) क्षुद्रांत्र की लंबाई कितनी होती है ?
(क) 10.5 मीटर
(ख) 4 मीटर
(ग) 3 मीटर
(घ) 7.5 मीटर।
उत्तर-
(घ) 7.5 मीटर।

(vi) पाचन नली में भोजन की गति है-
(क) चलन
(ख) पंपिंग
(ग) संकुचन (पेरीस्टालसिस) ।
(घ) फिसलना।
उत्तर-
(ग) संकुचन (पेरीस्टालसिस)

(vii) सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट कौन-सा है ?
(क) ग्लूकोस
(ख) सुक्रोस
(ग) स्टार्च
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) ग्लूकोस।

(viii) लार कहाँ पैदा होती है ?
(क) आमाशय
(ख) पित्ताशय
(ग) लार ग्रंथि
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) लार ग्रंथि

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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आहारनली क्या है?
उत्तर-
आहारनली – मुख-गुहिका, ग्रास-नली, आमाशय, क्षुद्रांत्र, बृहदांत्र, मलाशय आदि भागों के समूह को आहारनली कहते हैं।

प्रश्न 2.
मानव की पाचक ग्रंथियों के नाम लिखो।
उत्तर-
लार-ग्रंथि, यकृत, अग्न्याशय।

प्रश्न 3.
पाचक तंत्र के विभिन्न अंश कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
पाचक रस और आहार नली।

प्रश्न 4.
अस्थायी अथवा दुग्ध-दाँत कब गिर जाते हैं ?
उत्तर-
छ: से आठ वर्ष की आयु तक।

प्रश्न 5.
क्षुद्रांत्र की कितनी लंबाई है?
उत्तर-
7.5 मीटर (लगभग)

प्रश्न 6.
बृहदांत्र कितनी लंबी होती है?
उत्तर-
1.5 मीटर।

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प्रश्न 7.
विभिन्न प्रकार के दाँतों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. कर्तन,
  2. रुदनक,
  3. अग्रचवर्णक तथा
  4. चवर्णक।

प्रश्न 8.
काटने व दशन के लिए कौन-से दाँत हैं ?
उत्तर-
कर्तन दाँत।

प्रश्न 9.
चीरने (वेधन) और फाड़ने का काम कौन-से दाँतों द्वारा किया जाता है?
उत्तर-
रुदनक दाँत।

प्रश्न 10.
अग्रचवर्णक और चवर्णक के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
चबाना और पीसना।

प्रश्न 11.
जीभ क्या है?
उत्तर-
जीभ – जीभ, एक माँसल पेशीय अंग है जो मुख गुहिका के अधर तल में पीछे की ओर जुड़ी होती है।

प्रश्न 12.
जीभ स्वाद कैसे चखती है?
उत्तर-
स्वाद कलिकाओं की मदद से।

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प्रश्न 13.
दंत क्षय के उत्तरदायी पदार्थो के नाम लिखें।
उत्तर-
चॉकलेट, ठंडे पेय, चीनी युक्त मिठाइयाँ।

प्रश्न 14.
आमाशय में कौन-सा अम्ल जीवाणुओं को मारता है?
उत्तर-
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रसांकुर क्या है ? वह कहां मिलते हैं तथा उनके क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
रसांकुर (Villi) – अंगुलियों के समान उभरी हुई संरचनाएं जो छोटी आंत की आंतरिक भित्ति में होती हैं। रसांकुर कहलाती है।
रसांकुर छोटी आंतों में पाया जाता है। इसका मुख्य कार्य पचे हुए भोजन को अवशोषित करना है।

प्रश्न 2.
पित्त रस कहां बनता है। यह भोजन के किस घटक के पाचन में मदद करता है ?
उत्तर-
पित्त रस जिगर में निर्मित होता है तथा पित्ते में अस्थायी रूप से इकट्ठा होता है। इसका मुख्य कार्य चर्बी का पाचन करना है।

प्रश्न 3.
उस कार्बोहाइड्रेट का नाम लिखें जिसका पाचन रूमीनैंट द्वारा किया जाता है परन्तु मनुष्य द्वारा नहीं। इसका कारण बताएं।
उत्तर-
सैलूलोज का पाचन रूमीनैंट द्वारा आसानी से हो सकता है। सैलूलोज को पचाने में एक प्रकार के जीवाणु सहायक होते हैं जो रूमीनैंट में छोटी तथा बड़ी आंतों के मध्य एक थैली जैसी संरचना में पाये जाते हैं।

प्रश्न 4.
क्या कारण है कि हमें ग्लूकोज़ के द्वारा ऊर्जा तुरंत मिलती है ?
उत्तर-
ग्लूकोज़ कार्बोहाइड्रेट का एक सरल रूप है जिस को शरीर आसानी से अवशोषित कर लेता है। ये लहु में आसानी से घुल जाता है तथा तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।

प्रश्न 5.
आहार नाल के कौन-से भाग द्वारा निम्न क्रियाएँ संपादित होती हैं ?
(i) घचे भोजन का अवशोषण
(ii) भोजन को चबाना ………………… ।
(iii) जीवाणु नष्ट करना ……………….. ।
(iv) भोजन का संपूर्ण पाचन …………………………… ।
(v) मल का निर्माण ………………… ।
उत्तर-
(i) क्षुद्रांत्र
(ii) मुँह गुहिका
(iii) आमाशय
(iv) क्षुद्रांत्र
(v) बृहदांत्र ।

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प्रश्न 6.
मानव एवं अमीबा के पोषण में कोई एक समानता एवं एक अंतर लिखिए।
उत्तर-
मानव और अमीबा के पाचन में समानताएँ-
(क) आहार का अवशोषण
(ख) ऊर्जा का निर्मोचन

मानव और अमीबा के पाचन में असमानताएँ – मानवों में एक विकसित पाचन तंत्र होता है जबकि अमीबा में केवल खाद्यधानी होती है।

प्रश्न 7.
क्या हम केवल हरी सब्जियों/घास का भोजन कर जीवन निर्वाह कर सकते हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
हरी सब्जियों/घास पर जीवन निर्वाह – कच्ची हरी सब्जियाँ, लवण, सेलूलोज, जल और विटामिन के स्रोत हैं। इनके अतिरिक्त शरीर को कार्बोहाइड्रेट्स, वसा और प्रोटीन भी चाहिए। इसलिए केवल हरी सब्जियों/घास पर जीवन निर्वाह करना मुश्किल है।

प्रश्न 8.
पाचन क्रिया क्या है तथा इसके मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर-
पाचन – जटिल पदार्थों का सरल पदार्थों में टूटना या परिवर्तित होना विघटन कहलाता है और यह पाचन क्रिया है।
पाचन क्रिया के उद्देश्य-

  1. बड़े कणों का छोटे कणों मे टूटना ताकि झिल्ली में से गुजर सकें।
  2. अघुलनशील पदार्थों का घुलनशील पदार्थों में बदलना ताकि घोल के रूप में सभी जगह पहुंच सकें।
  3. जटिल भोजन पदार्थों का सरल पदार्थों में परिवर्तित होना ताकि कोशिकाओं द्वारा शोषित किया जा सके।

प्रश्न 9.
दंत खोड (गुहिका) क्या है तथा यह क्यों होती है ?
उत्तर-
दंत खोड (गुहिका) – बहुत ज्यादा मीठी वस्तुएं खाने से तथा दांतों की सफाई न रखने से हम जीवाणुओं को निमंत्रण देते हैं जो हमारे दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं। अगर हम दांतों की सफाई नहीं रखते तो भोजन के कण दांतों में फंसे रह जाते हैं। जिन पर हमला करके वैक्टीरिया इन भोजन कणों का अपघटन करना शुरू कर देते हैं। जिसके कारण तेजाब पैदा होता है। यह तेज़ाब दांतों के इनैमल को नष्ट कर देता है तथा दांतों में खोड़ों का कारण बनता है। इसलिए हमें भोजन तथा मीठा खाने के बाद हमेशा दांत साफ करने चाहिए।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव के पाचन तंत्र की व्याख्या करें।
उत्तर-
मानव पाचन तंत्र – मानव के पाचक तंत्र के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं-
मुँह – यह आहार नली का पहला भाग है। इसमें जीभ, दाँत और लार-ग्रंथियाँ होती हैं। जीभ स्वाद का अनुभव करती है। लार ग्रंथियाँ लार पैदा करती हैं, जो भोजन को नर्म बनाती हैं। दाँत भोजन को छोटे टुकड़ों में काटते हैं।

ग्रास-नली – यह एक गोलाकार नली मुँह से आमाशय तक जाती है। इसका काम भोजन को मुँह से आमाशय तक ले जाना है।
PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 2 जंतुओं में पोषण 6
आमाशय – यह एक U आकृति का थैलीनुमा भाग है, जिसका कार्य भोजन को पचे रूप में परिवर्तन करना है। इसमें हानिकारक जीवाणु भी नष्ट होते हैं।

क्षुद्रांत्र – यह एक 7.5 मीटर लंबी कुंडलित नली है। भोजन का पूरा अवशोषण इसमें होता है। इसमें यकृत और अग्न्याशय के रस आकर मिलते हैं।

बृहदांत्र – यह अनपचे भोजन में से जल का अवशोषण करती है। इसके निचले हिस्से में मल और अनपचा भोजन अस्थायी रूप से संग्रहित होते हैं। फिर गुदा द्वारा शरीर से बाहर फेंके जाते हैं।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 2 जंतुओं में पोषण

प्रश्न 2.
जुगाली करने की प्रक्रिया क्या है। जुगाली करने वाले पशुओं में पाचन कैसे होता है ? समझाएं।
उत्तर-
घास खाने वाले पशु जुगाली करते हैं तथा इनको रूमीनैंट कहते हैं। गाय, भैंस, ऊंट तथा हिरण रूमीनेंट की कुछ उदाहरण हैं इनका यकृत चार खानों वाला होता है। पहला खाना रूमेन होता है जो मेहदे का सब से बड़ा भाग होता है । जंतु पहले भोजन को निगल लेता है तथा उसको रूमेन में जमा कर लेता है। यहां भोजन का अंशक पाचन होता है इस अधपचे भोजन को कड्ड कहते हैं। बाद में यह कड्डू जंतु के मुंह में गोलों के रूप मे आ जाता है तथा जंतु इसे धीरे-धीरे चबाता रहता है इस प्रक्रिया को जुगाली करना कहते हैं। ऐसे जंतुओं को जुगाली करने वाले या रूमीनैंट कहते हैं।

जुगाली करते समय भोजन का सैलूलोज साधारण यौगिकों में टूट जाता है। फिर यह बाकी तीन दिन खानों में तरल रूप में पचता है रूमीनैंट जंतुओं की भोजन नली की छोटी आंत तथा बड़ों आंत के अंदर थैलीनमा रचना होती है जिसको सीकम कहते हैं जहां कुछ बैकटीरिया होते हैं। जो घास फूस के पाचन में सहायक होते हैं।
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PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 1 पादपों में पोषण

Punjab State Board PSEB 7th Class Science Book Solutions Chapter 1 पादपों में पोषण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Science Chapter 1 पादपों में पोषण

PSEB 7th Class Science Guide पादपों में पोषण Textbook Questions and Answers

1. खाली स्थानों की पूर्ति कीजिए :-

(i) किसी जीव द्वारा भोजन ग्रहण करने तथा इसके उपयोग करने को ……………………. कहते हैं।
उत्तर-
पोषण

(ii) पत्तों के नीचे के सूक्ष्मछिद्रों के द्वारा प्रकाश संश्लेषण के लिए हवा से …………………….. ली जाती है।
उत्तर-
कार्बनडाइऑक्साइड

(iii) प्रकाश संश्लेषण का पहला उत्पाद …………………………… है।
उत्तर-
ग्लुकोज़ (कार्बोहाइड्रेट्स)

(iv) जो पादप, दूसरों द्वारा तैयार किए भोजन पर निर्भर करते हैं, उन्हें ……………………… कहते हैं।
उत्तर-
परपोषी।

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2. नीचे लिखे वाक्यों में सही या गलत बताइए :-

(i) कार्बोहाइड्रेट्स भोजन का आवश्यक घटक नहीं है।
उत्तर-
ग़लत

(ii) सभी हरे पादप स्वपोषी होते हैं।
उत्तर-
सही

(iii) एक ऐसा जीव है जिसमें पादप तथा जन्तुओं दोनों के गुण होते हैं।
उत्तर-
सही

(iv) प्रकाश-संश्लेषण के लिए सौर प्रकाश आवश्यक नहीं।
उत्तर-
ग़लत

3. सही विकल्पों का मिलान करो :-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) खुंभ (agaricus) (क) पत्ते
(ii) राइजोबियम (ख) परजीवी
(iii) क्लोरोफिल (ग) मृतजीवी
(iv) अमरबेल (घ) फलीदार पादप।

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) खुंभ (agaricus) (ग) मृतजीवी
(ii) राइजोबियम (घ) फलीदार पादप
(iii) क्लोरोफिल (क) पत्ते
(iv) अमरबेल (ख) परजीवी।

4. सही विकल्प चुनें :-

प्रश्न (i)
ऐसा सूक्ष्मजीव, जो हवा की नाइट्रोजन को मृदा में स्थिर करता है-
(क) अमरबेल
(ख) खुंब (मशरूम)
(ग) राइजोबियम
(घ) क्लोरोफिल।
उत्तर-
(ग) राइजोबियम।

प्रश्न (ii)
जो जीव अपना भोजन स्वयं तैयार नहीं कर सकते एवं अपने भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर करते है-
(क) स्वपोषी
(ख) परपोषी
(ग) पोषक तत्त्व
(घ) खनिज।
उत्तर-
(ख) परपोषी।

प्रश्न (iii)
पादपों का भोजन का कारखाना है-
(क) पत्ता
(ख) तना
(ग) जड़
(घ) फूल।
उत्तर-
(क) पत्ता।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 1 पादपों में पोषण

प्रश्न (iv)
इनमें से मृतजीवी है-
(क) राइजोबियम
(ख) खुंभ (agaricus)
(ग) अमरबेल
(घ) प्रोटीन।
उत्तर-
(ख) खुंभ।

5. अति लघूत्तर प्रश्न :-

प्रश्न (i)
पोषण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
पोषण – जीव द्वारा भोजन प्राप्त करना तथा उसके प्रयोग को पोषण कहते हैं। सभी जीवों के लिए एक जैसा भोजन नहीं होता।

प्रश्न (ii)
प्रकाश-संश्लेषण क्रिया क्या होती है ?
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण – यह एक ऐसी क्रिया है जिसमें पौधों द्वारा भोजन (कार्बोहाइड्रेट्स) का निर्माण होता है। इस क्रिया के दौरान सौर-ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा तथा पौधों के हरे रंग का पदार्थ (क्लोरोफिल वर्णक) की मौजूदगी में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल को
कार्बन ग्लूकोज़ (सरल कार्बोहाइड्रेट्स) में परिवर्तित किया जाता है।
PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 1 पादपों में पोषण 1

इस क्रिया द्वारा हरे पौधे प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक क्लोरोफिल ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
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प्रश्न (iii)
प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक सामग्री का नाम लिखें।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक सामग्री-

  1. कार्बन-डाइऑक्साइड
  2. पानी
  3. सौर प्रकाश ऊर्जा।

प्रश्न (iv)
कीटभक्षी पौधे क्या होते हैं ?
उत्तर-
कीटभक्षी पौधे – ऐसे पौधे जिनके अंदर जीवों को पकड़ने तथा हज़म करने की प्रणाली मौजूद होती है, कीटभक्षी पौधे कहलाते हैं; जैसे-पिचर प्लांट। कीटों को पकड़ने के लिए पौधे के पत्तों के आकार घड़े के रूप में रूपांतरित होते हैं।

6. लघूत्तर प्रश्न :-

प्रश्न (i)
परजीवी पोषण से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
परजीवी पोषण – ऐसा पोषण जिसमें परजीवी जीव दूसरे जीव को हानि पहुँचा कर उससे अपना भोजन प्राप्त करते हैं, परजीवी पोषण कहलाता है।

प्रश्न (ii)
सहजीवन/सहजीवी संबंध का वर्णन करो।
उत्तर-
सहजीवी संबंध – दो भिन्न-भिन्न जीव एक-दूसरे के साथ सह-संबंध में रहते हैं तथा अपने पोषण के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं, इसे सहजीवी संबंध कहते हैं। इस प्रकार के संबंध में दोनों जीवों को एक-दूसरे से लाभ होता है। जैसे कि कई पौधों की जड़ों पर कवक पाये जाते हैं।

काई (कवक) – यह पौधे की जड़ों से पोषण प्राप्त करती है और बदले में पौधे को धरती में से पानी तथा लत्रण अवशोषित करने में सहायता करती है। लाइकेन तथा कवक सहजीवी संबंधों का एक अच्छा उदाहरण है। यहाँ काई (कवक) धरती में से पानी अवशोषित करते है और बदले में काई (कवक) प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन उपलब्ध करवाती है।

प्रश्न (iii)
घटपर्णी पादप कीड़ों को कैसे पकड़ता है ?
उत्तर-
घड़ा-बूटी (पिचर-प्लांट) पौधा कीटों को पकड़ने के लिए अपने पत्ते घड़े जैसी रचनाओं में परिवर्तित करता है। इस घड़े जैसी रचना के मुँह के नीचे की ओर मुड़े हुए बाल होते हैं। जब कोई कीट इस पर बैठता है तो वह नीचे की ओर फिसल जाता है। वह दोबारा ऊपर नहीं चढ़ पाता है तथा घड़े के अंदर के तल पर गिर जाता है। तल के ऊपर उपस्थित पाचक रसों से उस कीट का पाचन हो जाता है।
PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 1 पादपों में पोषण 3

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 1 पादपों में पोषण

7. निबंधात्मक प्रश्न :-

प्रश्न (i)
मृदा में पोषकों की पूर्ति कैसे होती है ?
चित्र-घड़ा-बूटी
उत्तर-
मृदा में पोषकों की पुनः पूर्ति – पौधे मिट्टी में से पानी, लवण तथा पोषक तत्त्व अवशोषित करते रहते हैं जिस कारण मिट्टी में पोषकों की कमी हो जाती है। मिट्टी में इन पोषकों की पूर्ति समय-समय पर करनी चाहिए ताकि मिट्टी में उपजाऊ शक्ति बनी रहे। किसान आम तौर पर मिट्टी में मैन्योर तथा रासायनिक खाद (जिसमें एक से अधिक पोषक तत्त्व होते हैं), मिला कर इन पोषकों की कमी को दोबारा पूरा करते हैं।
जंगलों में विघटकों, पत्तों तथा जन्तुओं की बची सरल अणुओं के विघटन से पोषकों की पूर्ति करते रहते हैं।

प्रश्न (ii)
पोषकों से क्या अभिप्राय है ? पादपों में पोषण की भिन्न-भिन्न विधियों का वर्णन करो।
उत्तर-
पोषक – कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन, विटामिन तथा लवण भोजन के मुख्य अंश हैं। यह शरीर के निर्माण तथा वृद्धि के लिए सहायक होते हैं तथा इन्हें पोषक तत्त्व कहते हैं।

पोषण के विभिन्न ढंग-पौधों (पादपों) में पोषण की दो विधियाँ मुख्य हैं-
(i) स्वपोषी पोषण
(ii) विषमपोषी पोषण

(i) स्वपोषी पोषण – जो पौधे सरल पदार्थों से अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं उन्हें स्वपोषी कहा जाता है। ऐसे पौधों के भोजन तैयार करने की विधि को स्वपोषी पोषण कहते हैं। सारे हरे पौधे स्वपोषी होते हैं। इस विधि में पौधों में मौजूद हरे रंग का वर्णक क्लोरोफिल हवा से कार्बन-डाइऑक्साइड तथा पानी लेकर सौर प्रकाश ऊर्जा की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट के रूप में भोजन बनाते हैं। इस क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। उदाहरण-सारे हरे पौधे।

(ii) परपोषी पोषण – कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनमें हरे रंग का वर्णक (क्लोरोफिल) नहीं होता है तथा वह अपना भोजन स्वयं तैयार नहीं कर सकते जिस कारण वह भोजन के लिए दूसरे पौधों द्वारा तैयार किए भोजन पर निर्भर करते हैं। ऐसे पौधों को विषमपोषी पौधे कहते हैं तथा भोजन प्राप्त करने के इस ढंग को विषमपोषण कहते हैं। विषमपोषी उदाहरण–अमरबेल।

PSEB Solutions for Class 7 Science पादपों में पोषण Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) क्योंकि हरे पादप अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, इसलिए उन्हें …………………….. कहते हैं।
उत्तर-
स्वपोषी

(ख) पादपों द्वारा संश्लेषित भोजन का भंडारण ………………………. के रूप में किया जाता है।
उत्तर-
मंड (स्टार्च)

(ग) प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम में जिस वर्णक द्वारा सौर ऊर्जा संग्रहित की जाती है, उसे ……………………….. कहते हैं।
उत्तर-
क्लोरोफिल

(घ) प्रकाश संश्लेषण में पादप वायुमंडल से …………………. लेते हैं तथा ………………….. का उत्पादन करते हैं।
उत्तर-
कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 1 पादपों में पोषण

प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों में से ठीक/गलत बताएं-

(i) प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होती है।
उत्तर-
ग़लत

(ii) ऐसे पौधे जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषण करते हैं, मृतजीवी कहलाते हैं।
उत्तर-
ग़लत

(iii) प्रकाश संश्लेषण का उत्पाद प्रोटीन नहीं है।
उत्तर-
ग़लत

(iv) प्रकाश संश्लेषण में सूर्य ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में रूपांतरण हो जाता है।
उत्तर-
ठीक ।

प्रश्न 3.
कॉलम A में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम B के शब्दों से कीजिए-

कॉलम A कॉलम B
(क) क्लोरोफिल (i) जीवाणु
(ख) नाइट्रोजन (ii) परपोषित
(ग) अमरबेल (iii) घटपर्णी (पिचर पादप)
(घ) जंतु (iv) पत्ते
(च) कीटभक्षी (v) परजीवी

उत्तर-

कॉलम A कॉलम B
(क) क्लोरोफिल (iv) पत्ते
(ख) नाइट्रोजन (i) जीवाणु
(ग) अमरबेल (v) परजीवी
(घ) जंतु (ii) परपोषित
(च) कीटभक्षी (iii) घटपर्णी (पिचर पादप)।

प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनें-

(i) वे जीव जो अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, क्या कहलाते हैं ?
(क) सहजीवी
(ख) परजीवी
(ग) स्वपोषी
(घ) मृतजीवी।
उत्तर-
(ख) परजीवी।

(ii) रंध्र प्रायः पौधे के किस भाग में पाए जाते हैं ?
(क) जड़
(ख) तना
(ग) पत्ते
(घ) फूल।
उत्तर-
(ग) पत्ते।

(iii) प्रकाश संश्लेषण में कौन-सी गैस मुक्त होती है ?
(क) ऑक्सीजन
(ख) कार्बन डाइऑक्साइड
(ग) नाइट्रोजन
(घ) हाइड्रोजन।
उत्तर-
(क) ऑक्सीजन।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 1 पादपों में पोषण

(iv) सजीवों की इकाई को क्या कहते हैं ?
(क) अंग
(ख) अंग प्रणाली
(ग) सैल
(घ) उत्तक।
उत्तर-
(ग) सैल।

(v) सजीवों में ऊर्जा का चरम स्रोत क्या है ?
(क) चंद्रमा
(ख) सूर्य
(ग) तारे
(घ) ग्रह।
उत्तर-
(ख) सूर्य।

(vi) एक खाने योग्य कवक है।
(क) शैवाल
(ख) जीवाणु
(ग) राइज़ोपस
(घ) मशरूम।
उत्तर-
(घ) मशरूम।

(vii) पादप निम्न में से किस अंग द्वारा साँस लेते हैं ?
(क) ऐपिडर्मिस
(ख) झली
(ग) स्टोमेटा
(घ) मूल रोम।
उत्तर-(ग) स्टोमेटा।

(vii) तालाबों में पानी पर हरे रंग के धागों जैसी संरचनाओं को क्या कहते हैं ?
(क) फंगस
(ख) शैवाल
(ग) अमीबा
(घ) पैरामीशियम।
उत्तर-
(ख) शैवाल।

(ix) पौधे के किस भाग द्वारा प्रकाश संश्लेषण के लिए हवा में से कार्बनडाइऑक्साइड ली जाती है ?
(क) मूलरोम
(ख) स्टोमैटा (रंध्र)
(ग) पत्ता शिराएँ
(घ) सैपल।
उत्तर-
(ख) स्टोमैटा (रंध्र)।

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(x) वायुमंडल में मुख्य रूप में जिस भाग द्वारा पौधे कार्बनडाइऑक्साइड प्राप्त करते हैं। वह है-
(क) जड़
(ख) तना
(ग) फूल
(घ) पत्ते।
उत्तर-
(घ) पत्ते।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पोषकों के नाम लिखो ।
उत्तर-
पोषक – कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन, वसा, प्रोटीन, लवण।

प्रश्न 2.
पादप खाद्य पदार्थों को कैसे संश्लेषित करते हैं ?
उत्तर-
पादप खाद्य पदार्थों को कार्बनडाइऑक्साइड, जल और सूर्य प्रकाश से क्लोरोफिल की उपस्थिति में संश्लेषित करते हैं। इस प्रक्रम को प्रकाश संश्लेषण क्रिया कहते हैं।

प्रश्न 3.
विभिन्न पोषण विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
स्वपोषी, विषमपोशी (परपोषी, मृतजीवी, परजीवी)।

प्रश्न 4.
पत्तियों पर पाए जाने वाले छोटे-छोटे छिद्रों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
रंध्र (Stomata)।

प्रश्न 5.
पत्तियों में क्लोरोफिल का क्या कार्य है?
उत्तर-
क्लोरोफिल, सौर प्रकाश की ऊर्जा को संग्रहित करते हैं।

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प्रश्न 6.
सजीवों में ऊर्जा का मुख्य स्रोत क्या है ?
उत्तर-
सूर्य ऊर्जा का मुख्य स्रोत है।

प्रश्न 7.
प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रम के उत्पाद क्या हैं ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स और ऑक्सीजन।

प्रश्न 8.
पत्तियों के अतिरिक्त पादप के अन्य भागों के नाम लिखिए जो प्रकाश-संश्लेषण में भाग लेते हैं ?
उत्तर-
हरे तने और हरी शाखाएँ।

प्रश्न 9.
हरी पत्तियों के अतिरिक्त किन रंगों की पत्तियाँ पादपों में पाई जाती हैं ?
उत्तर-
लाल तथा भूरे रंग की पत्तियाँ।

प्रश्न 10.
शैवाल क्या है?
उत्तर-
शैवाल – तालाबों या ठहरे पानी में हरे अवपंकी (काई जैसा पादप) ही शैवाल है।

प्रश्न 11.
क्या शैवाल खाद्य संश्लेषण करते हैं ? कैसे?
उत्तर-
हाँ, क्योंकि उनमें क्लोरोफिल नाम का हरा वर्णक पाया जाता है।

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प्रश्न 12.
कार्बोहाइड्रेट्स कौन-कौन से तत्वों से बनते हैं ?
उत्तर-
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन।

प्रश्न 13.
कोई चार मानवी परजीवियों के नाम बताएं।
उत्तर-

  1. मच्छर,
  2. जूं,
  3. खटमल,
  4. जोंक।

प्रश्न 14.
एक आहारीय (कवक) का नाम लिखें।
उत्तर-
खुंभ (मशरूम)।

प्रश्न 15.
कवक कहां उगती है ?
उत्तर-
नमी तथा वर्षा वाले स्थान पर।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न कथनों से संबद्ध पारिभाषिक शब्द बनाइए-
(क) दुर्बल तने वाला परजीवी पादप
(ख) एक पादप जिसमें स्वपोषण एवं विषमपोषण दोनों ही प्रणालियां पाई जाती हैं।
(ग) वे रंध्र, जिनके द्वारा पत्तियों में गैसों का आदान-प्रदान (विनिमय) होता है।
उत्तर-
(क) अमरबेल (Cuscutta)
(ख) घटपर्णी (Pitcher plant)
(ग) रंध्र (Stomata)।

प्रश्न 2.
स्वपोषी और विषमपोषी पोषण में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
स्वपोषी और विषमपोषी पोषण में अंतर-

स्वपोषी (Autotrophs) विषमपोषी (Heterotrophs)
ये सजीव सूर्य की रोशनी में अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। ये सजीव अपना भोजन पादपों या अन्य जीवों से प्राप्त करते हैं।
उदाहरण-हरे पादप, नीली हरित शैवाल। उदाहरण-परजीवी, कवक, जीवाणु, जंतु।

प्रश्न 3.
रंगदार पत्तियाँ हरी नहीं होती फिर भी प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम में सहायक होती हैं। क्यों?
उत्तर-
रंगदार पत्तियाँ (लाल, भूरी) में हरा वर्णक क्लोरोफिल होता है परंतु दूसरे रंग हरे रंग को प्रच्छादित (दबा) कर देते हैं। क्लोरोफिल के अस्तित्व कारण रंगदार पत्ते प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सहायक होते हैं।

प्रश्न 4.
काई (कवक) कहाँ उगती है ?
उत्तर-
नमी तथा वर्षा वाले स्थान पर।

प्रश्न 5.
लाइकेन सहजीवी संबंध कैसे दर्शाते हैं?
उत्तर-
लाइकेन में दो भागीदार होते हैं-एक शैवाल और दूसरा कवक। कवक आवास, जल एवं पोषक शैवाल को देता है जबकि शैवाल प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रम से प्राप्त खाद्य पदार्थ कवक को देता है। इस तरह दोनों सहजीवी संबंध दर्शाते हैं।

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प्रश्न 6.
राइजोबियम तथा पौधों का परजीवी संबंध बताएं।
उत्तर-
राइजोबियम एक बैक्टीरिया है जो फलीदार पौधों की जड़ों पर मौजूद गांठों में रहता है। यह हवा में मौजूद नाइट्रोजन को प्रयोग योग्य बना देता है। जिसका प्रयोग पौधे द्वारा किया जाता है तथा बदले में पौधे इस बैक्टीरिया को आश्रय तथा भोजन प्रदान करते हैं।
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प्रश्न 7.
परजीवी, सहजीवी संबंध और मृतजीवी से क्या अभिप्राय है? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-

  1. परजीवी – वे पादप और जंतु जो अपने भोजन के लिए सजीव परपोषी पर निर्भर करते हैं इन्हें परजीवी कहते हैं। उदाहरण-अमरबेल, कवक, जीवाणु आदि।
  2. सहजीवी संबंध – यह एक ऐसा प्रबंध है जिसमें दोनों सजीवों को लाभ होता है। एक जीव आवास, जल और पोषक तत्व उपलब्ध कराता है जबकि दूसरा जीव खाद्य पदार्थ संश्लिष्ट करता है। उदाहरण-लाइकेन।
  3. मृतजीवी – वे जीव जो मृत एवं विघटनकारी वस्तुओं पर पनपते हैं और अपना भोजन प्राप्त करते हैं, मृतजीवी कहलाते हैं। उदाहरण-जीवाणु, कवक।

प्रश्न 8.
परजीवी एवं मृतजीवी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
परजीवी और मृतजीवी में अंतर-

परजीवी (Parasites) मृतजीवी (Saprophytes)
(1) ये जीव दूसरे सजीवों पर खाद्य के लिए निर्भर होते हैं। (1) ये जीव मृत पदार्थों से अपनी खाद्य सामग्री प्राप्त करते हैं।
(2) ये पोषण के लिए कुछ विशेष अंग विकसित करते हैं।
उदाहरण-अमरबेल, फीताकृमि, गोलकृमि।
(2) ये कुछ एंजाइमों का रिसाव करते हैं जो भोजन को विलयन में परिवर्तित कर देते हैं।
उदाहरण-कवक, जीवाणु।

प्रश्न 9.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ तथा इसके मूल तथा उप-उत्पाद क्या हैं?
उत्तर-
स्वपोषी पोषण के लिए प्रकाश संश्लेषण आवश्यक है जिसके लिए आवश्यक स्थितियाँ हैं-

  1. सूर्य प्रकाश
  2. क्लोरोफिल (हरा वर्णक)
  3. कार्बनडाइऑक्साइड तथा
  4. जल।

मूल उत्पाद – प्रकाश संश्लेषण क्रिया के मूल उत्पाद ऑक्सीजन गैस तथा ग्लूकोज़ हैं। ग्लूकोज़ को बाद में स्टार्च के रूप में जमा किया जाता है। उप-उत्पाद- इस प्रक्रिया के सह अथवा उप-उत्पाद हैं-जल तथा ऑक्सीजन ।

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दीर्य उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सहजीवी संबंध दोनों भागीदारों के लिए लाभदायक है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वह संबंध जो दोनों भागीदारों के लिए लाभदायक हो, सहजीवी संबंध कहलाता है।
लाइकेन जैसे पादपों में, कवक और शैवाल भागीदार दोनों होते हैं। कवक, हरित वर्णक रहित है। यह शैवाल को आवास, जल एवं लवण उपलब्ध कराता है जबकि शैवाल हरित वर्णक होने के कारण कवक के लिए खाद्य पदार्थ संश्लेषित करता है जिसे कवक को उपलब्ध कराता है। इस तरह दोनों एक दूसरे पर निर्भर करते हैं।
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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 18 ਵਿਅਰਥ ਪਾਣੀ ਦੀ ਕਹਾਣੀ

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 18 ਵਿਅਰਥ ਪਾਣੀ ਦੀ ਕਹਾਣੀ

→ ਮਲ-ਪ੍ਰਵਾਹ ਵਿਅਰਥ ਪਾਣੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਘੁਲੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਅਤੇ ਲਟਕਦੀਆਂ ਠੋਸ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਦੁਸ਼ਕ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਧਰਤੀ ਹੇਠਾਂ ਵਿਛਿਆ ਪਾਈਪਾਂ ਦਾ ਜਾਲ ਜੋ ਘਰ ਤੋਂ ਵਿਅਰਥ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਪਟਾਰੇ ਵਾਲੀ ਥਾਂ ਤੱਕ ਲਿਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਨੂੰ ਵਿਸਰਜਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ |

→ ਮਲ-ਪ੍ਰਵਾਹ ਨੂੰ ਬੰਦ ਪਾਈਪਾਂ ਰਸਤੇ ਵਿਅਰਥ ਜਲ-ਸੋਧਕ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਤੱਕ ਲਿਜਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਇਸ ਵਿੱਚੋਂ ਦੂਸ਼ਕਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕਰ ਕੇ ਸੋਧ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਫਿਰ ਨਦੀਆਂ, ਸਮੁੰਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵਹਾਓ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਵਿਅਰਥ ਜਲ ਸੋਧ ਦੌਰਾਨ ਉਪਸਥਿਤ ਦੂਸ਼ਕਾਂ ਨੂੰ ਭੌਤਿਕ, ਰਸਾਇਣਿਕ ਅਤੇ ਜੈਵਿਕ ਵਿਧੀਆਂ ਰਾਹੀਂ ਵੱਖ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਹੁ ਗਾਰ ਉਹ ਠੋਸ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ਜੋ ਜਲ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਣ ਦੌਰਾਨ ਹੇਠਾਂ ਬੈਠ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਵਿਅਰਥ ਜਲ ਸੋਧ ਦੇ ਸਹਿ ਉਤਪਾਦ, ਗਾਰ ਅਤੇ ਬਾਇਓਗੈਸ ਹਨ ।

→ ਮੈਨ ਹੋਲ ਢੱਕਣ ਨਾਲ ਢਕੀ ਹੋਈ ਉਹ ਖੁੱਲ੍ਹੀ ਥਾਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਰਸਤੇ ਵਿਅਕਤੀ ਅੰਦਰ ਜਾ ਕੇ ਮਲ-ਪ੍ਰਵਾਹ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਚੈੱਕ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਮਲ-ਪ੍ਰਵਾਹ ਮੱਖੀਆਂ, ਮੱਛਰਾਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕੀਟਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਜਣਨ-ਸਥਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਤੇਲ, ਘਿਉ, ਗਰੀਸ ਆਦਿ ਨੂੰ ਡੇਨ ਜਾਂ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚ ਨਾ ਸੁੱਟੋ, ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਡੂੰਨ ਬੰਦ (Choke) ਹੋ ਜਾਏਗੀ । ਹੁ ਕੂੜੇ ਨੂੰ ਕੇਵਲ ਕੂੜੇਦਾਨ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸੁੱਟੋ ।

ਕੁੱਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਵਾਂ

  1. ਪਦੁਸ਼ਕ-ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਅਤੇ ਲਟਕਦੀਆਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਨੂੰ ਪਦੁਸ਼ਕ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  2. ਸੀਵਰ-ਛੋਟੀਆਂ ਅਤੇ ਵੱਡੀਆਂ ਪਾਈਪਾਂ ਦਾ ਜਾਲ ਜੋ ਵਿਅਰਥ ਜਲ ਨੂੰ ਨਿਕਾਸੀ ਵਾਲੀ ਥਾਂ ਤੱਕ ਲਿਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਮੈਨ ਹੋਲ-ਵਿਸਰਜਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਹਰ 50-60 ਮੀਟਰ ਦੀ ਦੂਰੀ ਤੇ ਜਿੱਥੋਂ ਦਿਸ਼ਾ ਬਦਲਦੀ ਹੋਵੇ ਉੱਥੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਮੁੰਹ ਵਾਲੇ ਵੱਡੇ ਸੁਰਾਖ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਅੰਦਰ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋ ਕੇ ਵਿਅਕਤੀ ਜਲ ਮਲ ਨਿਕਾਸੀ ਸਮੱਸਿਆ ਦੀ ਜਾਂਚ ਕਰ ਸਕੇ ।
  4. ਜਲ ਸੋਧਕ ਪ੍ਰਣਾਲੀ-ਅਜਿਹੀ ਥਾਂ ਜਿੱਥੇ ਵਿਅਰਥ ਜਲ ਵਿੱਚੋਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਜਲ ਸੋਧਣ-ਵਿਅਰਥ ਪਾਣੀ ਵਿਚੋਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਸਾਫ਼ ਕਰਨਾ ਜਾਂ ਜਲ ਸੋਧਣ ਜਾਂ ਉਪਚਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  6. ਗਾਰ-ਜਲ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਟੈਂਕ ਦੇ ਬੈਠ ਗਿਆ ਠੋਸ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਗਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  7. ਸੈਪਟਿਕ ਟੈਂਕ-ਇਹ ਮਲ-ਪ੍ਰਵਾਹ ਸੋਧ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਛੋਟੀ ਜਿਹੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਜੀਵਾਣੁ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਵਿਅਰਥ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਨਿਖੇੜਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਖ ਮਲ ਵਿਸਰਜਨ ਪਾਈਪਾਂ ਨਾਲ ਕੋਈ ਸੰਬੰਧ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 17 ਜੰਗਲ : ਸਾਡੀ ਜੀਵਨ ਰੇਖਾ

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 17 ਜੰਗਲ : ਸਾਡੀ ਜੀਵਨ ਰੇਖਾ

→ ਪੌਦਿਆਂ, ਜੰਤੂਆਂ ਅਤੇ ਸੂਖਮ ਜੀਵਾਂ ਤੋਂ ਬਣੀ ਇੱਕ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਜੰਗਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਦੀਆਂ ਪਰਤਾਂ, ਚੰਦੋਆ (Canopy) ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਪਰਤ ਤਾਜ (Crown) ਅਤੇ ਨਿਮਨ ਪਰਤ (Understory) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਤੋਂ-ਖੋਰ ਤੋਂ ਭੂਮੀ (Soil) ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਭੁਮੀ ਰੁੱਖਾਂ ਦੇ ਉੱਗਣ ਅਤੇ ਵਧਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਮੱਲੜ ਤੋਂ ਇਹ ਪਤਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚੋਂ ਪੋਸ਼ਕ, ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਏ ਹਨ । ਜੰਗਲ ਹਰੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਾਂਗ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਕਈ ਉਤਪਾਦ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਜੰਗਲ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਖੇਤਰ ਹੈ ਜਿਸਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਪਰਲੀ ਤਹਿ ਰੱਖ ਸ਼ਿਖ਼ਰ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਹਰੇ ਰੰਗ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਵਿਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਜੰਤੂ, ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਕੀਟ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਾਰੇ ਜੰਗਲੀ ਜੰਤੁ, ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਜਾਂ ਮਾਸਾਹਾਰੀ, ਕਿਸੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਭੋਜਨ ਲਈ ਪੌਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਵਧਦੇ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮੁੜ ਸਥਾਪਿਤ (Regenerate) ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਜਲਵਾਯੂ, ਜਲ-ਚੱਕਰ ਅਤੇ ਹਵਾ ਦੀ ਗੁਣਵੱਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਰੁੱਖ, ਝਾੜੀਆਂ, ਬਨਸਪਤੀ, ਜੜੀ-ਬੂਟੀਆਂ ਆਦਿ ਸਾਰੇ ਜੰਗਲਾਂ ਤੋਂ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ।

→ ਰੁੱਖਾਂ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਉਚਾਈ ਅਨੁਸਾਰ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ-

  • ਚੰਦੋਆ
  • ਤਾਜ ਅਤੇ
  • ਨਿਮਨ

ਪਰਤ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

→ ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਪੁਨਰ ਉਤਪੱਤੀ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਜੰਗਲ ਮਿੱਟੀ ਨੂੰ ਖੁਰਣ (Soil erosion) ਤੋਂ ਬਚਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਦੇ ਪੌਦੇ ਵਾਸ਼ਪ ਉਤਸਰਜਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮੀਂਹ ਲਿਆਉਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਕਈ ਪੌਦਿਆਂ, ਜੰਤੂਆਂ ਅਤੇ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵਾਂ ਤੋਂ ਮਿਲ ਕੇ ਬਣੀ ਇੱਕ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਹੈ ।

→ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਬਨਸਪਤੀ ਦੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪਰਤਾਂ-ਜੰਤੂਆਂ, ਪੰਛੀਆਂ ਅਤੇ ਕੀਟਾਂ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਅਤੇ ਆਸਰਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਮਿੱਟੀ, ਪਾਣੀ, ਹਵਾ ਅਤੇ ਸਜੀਵਾਂ ਦਾ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਜੰਗਲੀ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਸਮੁਦਾਇਆਂ ਲਈ ਜੰਗਲ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਾਰੀ ਸਮੱਗਰੀ ਉਪਲੱਬਧ ਕਰਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲ ਜਲਵਾਯੂ, ਜਲ ਚੱਕਰ ਅਤੇ ਹਵਾ ਦੀ ਖੁਬੀ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਨਿਯਮਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਨਿਖੇੜਕ, ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਮ੍ਰਿਤ ਸਰੀਰ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਰਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਅਪਘਟਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਕਟਾਈ ਨਾਲ ਵਿਸ਼ਵ ਤਾਪਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਮੀਂਹ ਘਟਦਾ ਹੈ, ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਵਧਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕੌਂ-ਖੋਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਸੰਤੁਲਨ ਕਾਇਮ ਕਰਨ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਨਿਵਾਸ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਲਈ ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਸੰਭਾਲ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।

ਕੁੱਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਵਾਂ

  • ਜੰਗਲ-ਜੰਗਲ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਖੇਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਸਮੇਤ ਬਹੁਤ ਸੰਘਣੇ ਪੌਦੇ, ਦਰੱਖ਼ਤ, ਝਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਬੂਟੀਆਂ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉੱਗੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਚੰਦੋਆ-ਰੁੱਖਾਂ ਦੀਆਂ ਟਹਿਣੀਆਂ ਉੱਪਰਲੀ ਪਰਤ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣੀ ਛੱਤ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਚੰਦੋਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਤਾਜ ਜਾਂ ਮੁਕਟ-ਉਹ ਪਰਤ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਟਹਿਣੀਆਂ ਅਤੇ ਤਣੇ ਆਉਂਦੇ ਹਨ, ਉਸਨੂੰ ਤਾਜ ਜਾਂ ਮੁਕਟ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਨਿਮਨ ਪਰਤ-ਹੇਠਾਂ ਛਾਂ ਵਾਲਾ ਖੇਤਰ ਜਿੱਥੇ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਨਿਮਨ ਪਰਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ-ਸਜੀਵ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਮਿਲ ਕੇ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪਬੰਧ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਪੌਦੇ, ਜੰਤ ਅਤੇ ਸੂਖਮਜੀਵ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੇ ਜੈਵਿਕ ਘਟਕ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ-ਉਤਪਾਦਕ, ਖਪਤਕਾਰ ਅਤੇ ਨਿਖੇੜਕ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।
  • ਭੋਜਨ ਲੜੀ-ਅਜਿਹੀ ਲੜੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਉਤਪਾਦਕ ਨੂੰ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਖਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਨੂੰ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਖਾਂਦਾ ਹੈ, ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 17 ਜੰਗਲ ਸਾਡੀ ਜੀਵਨ ਰੇਖਾ 1

  • ਭੋਜਨ ਜਾਲ-ਇੱਕ ਭੋਜਨ ਜਾਲ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ ਜੁੜੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇੱਕ ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਅਗਲੇ ਭੋਜਨ ਪੱਧਰ ਦੇ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਉਪਲੱਬਧ ਕਰਵਾਉਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
  • ਜੰਗਲ ਲਗਾਉਣਾ-ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਰੁੱਖ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਜੰਗਲ ਲਗਾਉਣਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਨਿਖੇੜਕ-ਸੂਖਮਜੀਵ ਜਿਹੜੇ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਮ੍ਰਿਤ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਮੱਲ੍ਹੜ (ਹਿਯੂਮਸ) ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਨਿਖੇੜਕ ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਕੌਂ-ਖੋਰ-ਰੁੱਖਾਂ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਵਰਖਾ ਨਾਲ ਵਹਿ ਜਾਣਾ ਚੌਂ-ਖੋਰ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਜੰਗਲ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਪੂਰਤੀ-ਵਧੇਰੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਲਗਾਉਣਾ ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰ ਪੂਰਤੀ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 16 ਪਾਣੀ : ਇੱਕ ਅਨਮੋਲ ਸਾਧਨ

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 16 ਪਾਣੀ : ਇੱਕ ਅਨਮੋਲ ਸਾਧਨ

→ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਜਿਉਂਦਾ ਰਹਿਣ ਲਈ ਪਾਣੀ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਪਾਣੀ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਠੋਸ, ਤਰਲ ਅਤੇ ਗੈਸ ਹਨ ।

→ ਦੁਨੀਆਂ ਦੇ ਕੁੱਲ ਤਾਜ਼ੇ ਪਾਣੀ ਦਾ 1% ਤੋਂ ਵੀ ਘੱਟ ਜਾਂ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਸਾਰੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਲਗਭਗ 0.003% ਪਾਣੀ ਹੀ ਮਨੁੱਖੀ ਵਰਤੋਂ ਲਈ ਉਪਲੱਬਧ ਹੈ ।

→ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਮੌਜੂਦ ਲਗਪਗ ਸਾਰਾ ਪਾਣੀ ਸਮੁੰਦਰਾਂ ਅਤੇ ਮਹਾਂਸਾਗਰਾਂ, ਨਦੀਆਂ, ਤਾਲਾਬਾਂ, ਧਰੁਵੀ ਬਰਫ਼, ਭੂਮੀ ਜਲ ਅਤੇ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।

→ ਵਰਤਣ ਲਈ ਯੋਗ ਪਾਣੀ ਤਾਜ਼ਾ ਪਾਣੀ ਹੈ ।

→ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਲਣ ਵਿਹੀਣ ਪਾਣੀ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਉਪਲੱਬਧ ਪਾਣੀ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦਾ 0.006 ਹੈ ।

→ ਪਾਣੀ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਹਨ-

  • ਠੋਸ,
  • ਗੈਸ ।

→ ਠੋਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਬਰਫ਼ ਅਤੇ ਹਿਮ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਧਰਤੀ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ ਤੇ ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕੇ ਪਹਾੜਾਂ ਅਤੇ ਗਲੇਸ਼ੀਅਰਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ । ਦ੍ਰਵ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਮਹਾਂਸਾਗਰਾਂ, ਝੀਲਾਂ, ਨਦੀਆਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਭੂਮੀ ਤਲ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਭੂਮੀ ਜਲ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।

→ ਗੈਸੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਜਲਵਾਯੂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਮੀਂਹ ਦਾ ਪਾਣੀ ਸਭ ਤੋਂ ਸ਼ੁੱਧ ਪਾਣੀ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪਾਣੀ ਚੱਕਰ ਦੁਆਰਾ ਪਾਣੀ ਦਾ ਸਥਾਨ-ਅੰਤਰਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਪਾਣੀ ਦਾ ਮੁੱਖ ਸਰੋਤ ਭੁਮੀ ਜਲ ਹੈ ।

→ ਸਥਿਰ ਕਠੋਰ ਚੱਟਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਪਰਤਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਭੁਮੀ ਜਲ ਇਕੱਠਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ, ਉਦਯੋਗਿਕ ਅਤੇ ਖੇਤੀ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਆਦਿ ਭੂਮੀ ਜਲ ਸਤਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਕਾਰਕ ਹਨ ।

→ ਭੁਮੀ ਜਲ ਦਾ ਅਧਿਕ ਉਪਯੋਗ ਅਤੇ ਜਲ ਦਾ ਘੱਟ ਰਿਸਾਵ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਭੂਮੀ ਜਲ ਦਾ ਸਤਰ ਘੱਟ ਗਿਆ ਹੈ |

→ ਭੂਮੀ ਜਲ ਸਤਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਕਾਰਕ ਹਨ ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ ਕੱਟਣਾ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਸੋਖਣ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਕਮੀ !

→ ਬਉਲੀਆਂ ਅਤੇ ਬੰਦ ਡਿੱਪ ਸਿੰਚਾਈ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਪਾਣੀ ਦੀ ਕਮੀ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਕੁੱਝ ਤਕਨੀਕਾਂ ਹਨ ।

→ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਤੱਕ ਪਾਣੀ ਨਾ ਦੇਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਉਹ ਮੁਰਝਾ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ੱਕ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਸਾਲ 2009 ਵਿੱਚ ‘‘ਪੰਜਾਬ ਜਲ ਸੰਭਾਲ ਕਾਨੂੰਨ 2009” ਪਾਸ ਕੀਤਾ ਸੀ ਜਿਸ ਤਹਿਤ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਝੋਨੇ ਦੀ ਪਨੀਰੀ ਨੂੰ ਲਗਾਉਣ(Transplantation) ਦੀ ਤਾਰੀਖ 10 ਜੂਨ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਸਾਲ 2015 ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੂੰ 15 ਜੂਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

→ ਮ੍ਰਿਤ ਸਾਗਰ ਇੱਕ ਨਮਕੀਨ ਝੀਲ ਹੈ ਜੋ ਪੂਰਬ ਵਲੋਂ ਜਾਰਡਨ ਅਤੇ ਪੱਛਮ ਵੱਲੋਂ ਇਸਰਾਈਲ ਅਤੇ ਫਿਲਸਤੀਨ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਹ ਦੁਜੇ ਮਹਾਂਸਾਗਰਾਂ ਨਾਲੋਂ 8.6 ਗੁਣਾ ਵੱਧ ਖਾਰੀ ਹੈ । ਵਧੇਰਾ ਖਾਰੀਪਨ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਜਲੀ ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਜਲੀ-ਜੰਤੂਆਂ ਦੀ ਹੋਂਦ ਨੂੰ ਰੋਕਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਮ੍ਰਿਤ ਸਾਗਰ ਆਖਦੇ ਹਨ !

ਕੁੱਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਵਾਂ

  1. ਜਲ ਚੱਕਰ-ਕਈ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਪਾਣੀ ਦਾ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਵਾਸ਼ਪੀਕਰਨ, ਸੰਘਣਨ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਬੱਦਲਾਂ ਦਾ ਬਣਨਾ ਅਤੇ ਵਰਖਾ ਦਾ ਆਉਣਾ ਜਿਸ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਕਾਇਮ ਰਹਿਣਾ, ਭਾਵੇਂ ਸਾਰੀ ਦੁਨੀਆਂ ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜਲ ਚੱਕਰ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਤਾਜ਼ਾ ਪਾਣੀ-ਜਿਹੜਾ ਪਾਣੀ ਪੀਣ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਉਹ ਤਾਜ਼ਾ ਪਾਣੀ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਘੱਟ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਲੂਣ ਘੁਲੇ ਹੋਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਕੁੱਲ ਪਾਣੀ ਦਾ ਲਗਭਗ 3% ਹੈ ਜੋ ਨਦੀਆਂ, ਝੀਲਾਂ, ਗਲੇਸ਼ੀਅਰਾਂ, ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕੀਆਂ ਚੋਟੀਆਂ ਅਤੇ ਧਰਤੀ ਹੇਠਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  3. ਜਲ ਪੱਧਰ ਜਾਂ ਵਾਟਰ ਟੇਬਲ-ਜਲੀ ਸੋਤ ਦੇ ਨੇੜੇ ਡੂੰਘਾਈ ‘ਤੇ ਜਿੱਥੇ ਚੱਟਾਨਾਂ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਥਾਂ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਨੂੰ ਧਰਤੀ ਹੇਠਲੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਖੇਤਰ ਜਾਂ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਖੇਤਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪਾਣੀ ਦੀ ਉੱਪਰਲੀ ਸਤਹਿ ਨੂੰ ਜਲ ਪੱਧਰ ਜਾਂ ਵਾਟਰ ਟੇਬਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਜਲਈ ਚਟਾਨੀ ਪਰਤ-ਧਰਤੀ ਹੇਠਲਾ ਪਾਣੀ ਵਾਟਰ ਟੇਬਲ ਤੋਂ ਵੀ ਹੇਠਾਂ ਸਖ਼ਤ ਚਟਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਪਰਤਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਜਲਈ ਚਟਾਨੀ ਪਰਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਣੀ ਨਲਕਿਆਂ ਅਤੇ ਟਿਊਬਵੈੱਲਾਂ ਰਾਹੀਂ ਕੱਢਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਇਨਫਿਲਟਰੇਸ਼ਨ (ਅੰਕੁਇਫਿਰ)-ਪਾਣੀ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸੋਤਾਂ ਜਿਵੇਂ ਮੀਂਹ, ਨਦੀਆਂ ਅਤੇ ਛੱਪੜਾਂ ਦਾ ਪਾਣੀ ਗੁਰੁਤਾ ਖਿੱਚ ਕਾਰਨ ਰਿਸ-ਰਿਸ ਕੇ ਧਰਤੀ ਅੰਦਰਲੇ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਭਰਨ ਨੂੰ ਇਨਫਿਲਟਰੇਸ਼ਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  6. ਜਲ ਪ੍ਰਬੰਧਨ-ਪਾਣੀ ਦੀ ਸੁਚੱਜੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਵੰਡ ਨੂੰ ਜਲ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  7. ਤੁਪਕਾ ਸਿੰਚਾਈ ਪ੍ਰਣਾਲੀ-ਇਹ ਸਿੰਚਾਈ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਤਕਨੀਕ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਪਾਈਪਾਂ ਰਾਹੀਂ ਤੁਪਕਾ-ਤੁਪਕਾ ਕਰਕੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ ।
  8. ਜਲ ਭੰਡਾਰਨ-ਵਰਖਾ ਦੇ ਜਲ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰਤ ਵੇਲੇ ਉਪਯੋਗ ਵਿੱਚ ਲਿਆਉਣ ਦੀ ਜਮਾਂ ਕਰਨ ਦੀ ਵਿਧੀ ਨੂੰ ਜਲ | ਭੰਡਾਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਜਲ ਪੱਧਰ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਪੂਰਤੀ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  9. ਬਾਉਲੀ-ਇਹ ਪੁਰਾਤਨ ਕਾਲ ਦੀ ਜਲ ਭੰਡਾਰਨ ਦੀ ਵਿਧੀ ਹੈ । ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਕਈ ਥਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਅੱਜ ਵੀ ਇਸ ਵਿਧੀ ਰਾਹੀਂ ਜਲ ਭੰਡਾਰਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 15 ਪ੍ਰਕਾਸ਼

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 15 ਪ੍ਰਕਾਸ਼

→ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਾਨੂੰ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਦੇਖਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਮਾਨ ਵਸਤੂ ਜਾਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੇ ਸੋਤ ਤੋਂ ਆ ਰਹੀਆਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਰਨਾਂ ਵਸਤੂ ਨਾਲ ਟਕਰਾ ਕੇ ਸਾਡੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਸਾਨੂੰ ਵਸਤੂ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਹਮੇਸ਼ਾ ਸਿੱਧੀ ਰੇਖਾ ਵਿੱਚ ਚਲਦਾ ਹੈ ।

→ ਪਤੀਬਿੰਬ ਦੇਖਣ ਲਈ ਵਸਤ ਦੀ ਸਤਹਿ ਤੋਂ ਪਰਾਵਰਤਨ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਸਤਾ ‘ਤੇ ਟਕਰਾਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਵਾਪਸ ਉਸੇ ਮਾਧਿਅਮ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਖ਼ਾਸ ਦਿਸ਼ਾ ‘ਚ ਮੁੜ ਆਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਪਰਾਵਰਤਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਜਿਹੜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਕਿਰਨ ਵਸਤੁ ’ਤੇ ਟਕਰਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਆਪਾਤੀ ਕਿਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜਿਹੜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਕਿਰਨ ਵਸਤੂ ‘ਤੇ ਟਕਰਾਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਸੇ ਮਾਧਿਅਮ ’ਚ ਇੱਕ ਖ਼ਾਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਵਾਪਿਸ ਆਉਂਦੀ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਕਿਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਪਾ ਕਿਰਨ ਅਤੇ ਆਪਨ ਬਿੰਦੂ ‘ਤੇ ਖਿੱਚੇ ਗਏ ਲੰਬ ਦੇ ਵਿਚਲੇ ਕੋਣ ਨੂੰ ਆਪਤਨ ਕੋਣ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਅਭਿਲੰਬ ਵਿਚਲੇ ਕੋਣ ਨੂੰ ਪਰਾਵਰਤਨ ਕੋਣ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਪਨ ਕੋਣ ਅਤੇ ਪਰਾਵਰਤਨ ਕੋਣ ਹਮੇਸ਼ਾ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਨੂੰ ਪਰਾਵਰਤਨ ਦਾ ਨਿਯਮ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਕਿਰਨਾਂ ਦੇ ਅਸਲੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਬਣੇ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਨੂੰ ਵਾਸਤਵਿਕ ਨਿਯਮ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
ਇਸ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਨੂੰ ਸਕਰੀਨ ਪਰਦੇ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਜੇਕਰ ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਕਿਰਨਾਂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਵਾਸਤਵਿਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਪਰੰਤ ਮਿਲਦੀਆਂ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਨੂੰ ਆਭਾਸੀ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਆਖਦੇ ਹਨ | ਅਜਿਹਾ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਪਰਦੇ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਮਤਲ ਦਰਪਣ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਹਮੇਸ਼ਾ ਦਰਪਣ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਆਭਾਸੀ, ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਵਸਤੂ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਹੁ ਸਮਤਲ ਦਰਪਣ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਦਰਪਣ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਓਨੀ ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਹੀ ਬਣਦਾ ਹੈ, ਜਿੰਨੀ | ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਵਸਤੁ ਦਰਪਣ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਰੱਖੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਸਮਤਲ ਦਰਪਣ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਗਏ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਦਾ ਪਾਸੇਦਾਅ ਉਲਟਾਅ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਰਥਾਤ ਵਸਤੂ ਦਾ ਖੱਬਾ ਪਾਸਾ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਦਾ ਸੱਜਾ ਪਾਸਾ ਨਜ਼ਰ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਸਤੂ ਦਾ ਸੱਜਾ ਪਾਸਾ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਦਾ ਖੱਬਾ ਪਾਸਾ ਨਜ਼ਰ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸਦੀ ਪਰਾਵਰਤਕ ਸੜਾ ਅੰਦਰ ਵੱਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸਦੀ ਪਰਾਵਰਤਕ ਸੜਾ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਉਭਰਵੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਬਹੁਤ ਦੂਰ ਸਥਿਤ ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਤੋਂ ਆ ਰਹੀਆਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀਆਂ ਕਿਰਨਾਂ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਦੇ ਸਮਾਨੰਤਰ ਮੰਨੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਪਰਾਵਰਤਨ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਿਸ ਬਿੰਦੁ ’ਤੇ ਅਸਲ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਜਾਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਉਸ ਨੂੰ ਦਰਪਣ ਦਾ ਫੋਕਸ ਬਿੰਦੂ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਲਈ ਸਿਰਫ਼ ਉਦੋਂ ਹੀ ਆਭਾਸੀ, ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਵੱਡਾ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਬਣਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਵਸਤੁ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੇ ਮੁੱਖ ਫੋਕਸ ਅਤੇ ਦਰਪਣ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਰੱਖੀ ਹੋਵੇ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਵਸਤੁ ਦੀਆਂ ਹੋਰਨਾਂ ਸਥਿਤੀਆਂ ਲਈ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਵਾਸਤਵਿਕ ਅਤੇ ਉਲਟਾ ਬਣਦਾ ਹੈ ।

→ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਲਈ ਵਸਤੂ ਦੀ ਹਰੇਕ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਆਭਾਸੀ, ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਆਕਾਰ ਵਿੱਚ ਵਸਤੂ ਤੋਂ ਛੋਟਾ ਬਣਦਾ ਹੈ ।

→ ਲੈਂਜ਼ ਇੱਕ ਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਮਾਧਿਅਮ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਦੋ ਸਤਾਵਾਂ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਲੈਂਜ਼ | ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-

  • ਉੱਤਲ ਅਤੇ
  • ਅਵਤਲ ਲੈਂਜ਼ ।

→ ਉੱਤਲ ਲੈਂਜ਼ ਵਿਚਕਾਰੋਂ ਮੋਟਾ ਅਤੇ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਤੋਂ ਪਤਲਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਅਵਤਲ ਲੈਂਜ਼ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਿਚਕਾਰੋਂ ਮੋਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਉੱਤਲ ਲੈਂਜ਼ ਨੂੰ ਅਭਿਸਾਰੀ ਲੈਂਜ਼ ਅਤੇ ਅਵਤਲ ਲੈਂਜ਼ ਨੂੰ ਅਸਾਰੀ ਲੈਂਜ਼ ਵੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਉੱਤਲ ਲੈਂਜ਼ ਨੂੰ ਬਾਰੀਕ ਅਤੇ ਛੋਟੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਵੱਡਾ ਕਰਕੇ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ‘ ਨੂੰ ਵੱਡਦਰਸ਼ੀ ਲੈਂਜ਼ ਜਾਂ ਰੀਡਿੰਗ ਗਲਾਸ ਵੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

ਕੁੱਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਵਾਂ

  1. ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਪਰਾਵਰਤਨ-ਜਦੋਂ ਸਿੱਧੀ ਰੇਖਾ ਵਿੱਚ ਚੱਲਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਸੇ ਦਰਪਣ ਜਾਂ ਕਿਸੇ ਪਾਲਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਅਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਸਤਹਿ ਨਾਲ ਟਕਰਾਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਹ ਆਪਣੀ ਦਿਸ਼ਾ ਬਦਲ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਾਪਿਸ ਉਸੇ ਮਾਧਿਅਮ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਆਪਣੀ ਦਿਸ਼ਾ ਬਦਲ ਲੈਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਪਰਾਵਰਤਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  2. ਆਪਾਤੀ ਕਿਰਨ-ਜਿਹੜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਕਿਰਨ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸ੍ਰੋਤ ਤੋਂ ਚੱਲ ਕੇ ਦਰਪਣ ’ਤੇ ਟਕਰਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਆਪਾਤੀ ਕਿਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  3. ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਕਿਰਨ-ਜਿਹੜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਕਿਰਨ ਦਰਪਣ ਉੱਤੇ ਟਕਰਾਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਪਣੀ ਦਿਸ਼ਾ ਬਦਲ ਕੇ | ਉਸੇ ਮਾਧਿਅਮ ਵਿਚ ਇੱਕ ਖ਼ਾਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਵਾਪਿਸ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਕਿਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  4. ਆਪਤਨ ਕੋਣ-ਆਪਾਤੀ ਕਿਰਨ ਅਤੇ ਆਪਨ ਬਿੰਦੂ ‘ਤੇ ਖਿੱਚੇ ਗਏ ਅਭਿਲੰਬ ਵਿਚਲੇ ਕੋਣ ਨੂੰ ਆਪਤਨ ਕੋਣ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  5. ਪਰਾਵਰਤਨ ਕੋਣ-ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਆਪਨ ਬਿੰਦੂ ‘ਤੇ ਖਿੱਚੇ ਗਏ ਕੋਣ ਵਿਚਕਾਰ ਬਣੇ ਕੋਣ ਨੂੰ ਪਰਾਵਰਤਨ ਕੋਣ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  6. ਆਪਨ ਬਿੰਦੂ-ਆਪਾਤੀ ਕਿਰਨ ਦਰਪਣ ਦੀ ਸਤਹਿ ਨੂੰ ਜਿਸ ਬਿੰਦੂ ਤੇ ਜਾ ਕੇ ਟਕਰਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਆਪਨ ਬਿੰਦੂ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  7. ਅਭਿਲੰਬ-ਆਪਤਨ ਬਿੰਦੂ ਉੱਤੇ ਬਣਾਏ ਗਏ ਲੰਬ ਨੂੰ ਅਭਿਲੰਭ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  8. ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ-ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀਆਂ ਕਿਰਨਾਂ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਪਰਾਵਰਤਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਿਸ ਬਿੰਦੁ ਤੇ ਵਾਸਤਵਿਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ਜਾਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਉਸਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  9. ਵਾਸਤਵਿਕ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ-ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਤੋਂ ਆ ਰਹੀਆਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਰਨਾਂ ਪਰਾਵਰਤਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕਿਸੇ ਬਿੰਦ ‘ਤੇ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਵਾਸਤਵਿਕ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ|
  10. ਆਭਾਸੀ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ-ਜਦੋਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀਆਂ ਕਿਰਨਾਂ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਹੋ ਰਹੇ ਪਰਾਵਰਤਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕਿਸੇ ਬਿੰਦੂ ‘ਤੇ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਜਾਪਦੀਆਂ ਹਨ ਪਰੰਤੂ ਕਿਸੇ ਬਿੰਦੂ ‘ਤੇ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹੋਣ, ਤਾਂ ਉਸ ਬਿੰਦੂ ਨੂੰ ਆਭਾਸੀ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਆਖਦੇ ਹਨ | ਆਭਾਸੀ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਨੂੰ ਪਰਦੇ ‘ਤੇ ਲਿਆਇਆ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਦਾ ।
  11. ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ-ਅਜਿਹਾ ਦਰਪਣ ਜਿਸਦੀ ਪਰਾਵਰਤਕ ਸੜਾ ਇੱਕ ਖੋਖਲੇ ਕੱਚ ਦੇ ਗੋਲੇ ਦਾ ਇੱਕ ਭਾਗ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  12. ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ-ਅਜਿਹਾ ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ ਜਿਸਦੀ ਪਰਾਵਰਤਕ ਸੜਾ ਉੱਤਲ ਜਾਂ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਉਭਰਵੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਵਾਂਗ ਕੰਮ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
  13. ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ-ਅਜਿਹਾ ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ ਜਿਸਦੀ ਪਰਾਵਰਤਕ ਸੜਾ ਅਵਤਲ ਜਾਂ ਅੰਦਰ ਵੱਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 14 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 14 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

→ ਬਿਜਲਈ ਅਨੁਭਾਗਾਂ ਘੱਟਕਾਂ ਨੂੰ ਸੰਕੇਤਾਂ ਦੁਆਰਾ ਨਿਰੂਪਤ (ਦਰਸਾਉਣਾ) ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਬਹੁਤ ਸੁਵਿਧਾਜਨਕ ਹੈ ।

→ ਸਰਕਟ ਚਿੱਤਰ (Circuit diagram) ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਦਾ ਚਿੱਤਰਾਤਮਕ ਪ੍ਰਤੀਰੂਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਸੈੱਲ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ (ਸੰਕੇਤ) ਦੋ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਲੰਮੀ ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਛੋਟੀ ਰੇਖਾ ਹੈ ।

→ ਬੈਟਰੀ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸੈੱਲਾਂ ਦਾ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਕ੍ਰਮ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਕ ਹੈ, ।

→ ਬੈਟਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਟਾਰਚ, ਜਿਸਟਰ, ਰੇਡਿਓ, ਖਿਡੌਣੇ, ਟੀ.ਵੀ., ਰੀਮੋਟ ਕੰਟਰੋਲ ਆਦਿ ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਬਲਬਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਪਤਲਾ ਤੰਤੂ (ਫਿਲਾਮੈਂਟ) ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਕਾਰਨ ਪ੍ਰਦੀਪ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਅਜਿਹਾ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ‘ਤੇ ਤਾਪਨ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਹੀਟਰ, ਰੂਮ ਹੀਟਰ ਅਤੇ ਟੈਸਟਰ ਆਦਿ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਤਾਪਨ ਪ੍ਰਭਾਵ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪਦਾਰਥ ਦੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਵਧੇਰੇ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੰਘਾਉਣ ਨਾਲ ਉਹ ਗਰਮ ਹੋ ਕੇ ਪਿਘਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਫਿਉਜ਼ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।

→ ਸਰਕਟਾਂ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਫਿਊਜ਼, ਬਿਜਲਈ ਉਪਕਰਣਾਂ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗਣ ਜਾਂ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਨੁਕਸਾਨ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਲਗਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਧਾਤੂ ਦੀ ਤਾਰ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੰਘਾਉਣ ਨਾਲ ਉਹ ਚੁੰਬਕ ਵਾਂਗ ਵਿਵਹਾਰ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਇਸ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਜਿਹਾ ਪਦਾਰਥ ਜਿਸ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੰਘਾਉਣ ਨਾਲ ਉਹ ਚੁੰਬਕ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਪ੍ਰਵਾਹ ਬੰਦ ਕਰਨ ਤੇ ਆਪਣਾ ਚੁੰਬਕੀ ਗੁਣ ਗੁਆ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਚੁੰਬਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਿਸੇ ਟੁਕੜੇ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਬਿਜਲਈ ਰੋਧੀ ਤਾਰ ਲਪੇਟ ਕੇ ਉਸ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਗੁਜ਼ਾਰੀ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਲੋਹੇ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਚੁੰਬਕ ਵਾਂਗ ਵਰਤਾਓ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਣਾਏ ਗਏ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਚੁੰਬਕ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਬਿਜਲਈ ਚੁੰਬਕ ਅਸਥਾਈ ਚੁੰਬਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਬੰਦ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਇਹ ਆਪਣਾ ਚੁੰਬਕੀ ਗੁਣ ਗੁਆ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਈ ਯੰਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਘੰਟੀ, ਚੁੰਬਕੀ ਸ਼੍ਰੇਨ ਆਦਿ ।

ਕੁੱਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਵਾਂ

  1. ਚਾਲਕ-ਅਜਿਹਾ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਆਪਣੇ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨੂੰ ਲੰਘਣ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਰੋਧਕ-ਅਜਿਹਾ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਆਪਣੇ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨੂੰ ਲੰਘਣ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ ।
  3. ਸਵਿੱਚ-ਇਹ ਇੱਕ ਸਾਧਾਰਨ ਜੁਗਤ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਬਿਜਲਈ ਪਰਿਪੱਖ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਤੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਹੋਣ ਲਈ ਜਾਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਲਈ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  4. ਸਰਕਟ ਜਾਂ ਪਰਿਪੱਥ-ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਵਹਾਉ ਨੂੰ ਬੈਟਰੀ ਦੇ ਧਨ-ਟਰਮੀਨਲ ਤੋਂ ਸਵਿੱਚ, ਬਲਬ ਦੇ ਰਸਤੇ ਦੂਜੇ ਰਿਣ ਟਰਮੀਨਲ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਣ ਦਾ ਰਸਤਾ, ਸਰਕਟ ਜਾਂ ਪਰਿਪੱਥ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਬਲਬ-ਇੱਕ ਸਧਾਰਨ ਜੁਗਤ ਜਿਹੜੀ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
  6. ਐਲੀਮੈਂਟ ਜਾਂ ਤੰਤੂ-ਟੰਗਸਟਨ ਧਾਤੂ ਦਾ ਇੱਕ ਬਰੀਕ ਟੁੱਕੜਾ ਜੋ ਬਿਜਲਈ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਕਾਰਨ ਗਰਮ ਹੋ ਕੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  7. ਬੈਟਰੀ-ਇਹ ਇੱਕ ਬਿਜਲਈ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸੈੱਲਾਂ ਦਾ ਸੰਯੋਜਨ ਹੈ ਜੋ ਰਸਾਇਣਿਕ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  8. ਬਿਜਲਈ ਚੁੰਬਕ-ਕੁੰਡਲੀ ਅੰਦਰ ਇੱਕ ਨਰਮ ਲੋਹੇ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਰੱਖ ਕੇ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੰਘਾਉਣ ਨਾਲ ਲੋਹੇ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਅੰਦਰ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਗੁਣ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਜੁਗਤ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਚੁੰਬਕ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  9. ਬਿਜਲਈ ਘੰਟੀ-ਉਹ ਯੰਤਿਕ ਜੁਗਤ ਜੋ ਬਿਜਲਈ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ਤੇ ਕੰਮ ਕਰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੰਘਾਉਣ ਨਾਲ ਬਾਰ-ਬਾਰ ਆਵਾਜ਼ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
  10. ਬਿਜਲਈ ਬ੍ਰੇਨ-ਇਹੋ ਜਿਹੀ ਕੂਨ ਜਿਸਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਤੇ ਵੱਡਾ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਚੁੰਬਕ ਜੁੜਿਆ ਹੋਵੇ ਜਿਸ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਬਣੇ ਹੋਏ ਭਾਰੀ ਸਮਾਨ ਨੂੰ ਚੁੱਕ ਕੇ ਇੱਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ਸੌਖਾ ਲਿਜਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਫਿਰ ਕਬਾੜ ਵਿੱਚੋਂ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਅੱਡ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 13 ਗਤੀ ਅਤੇ ਸਮਾਂ

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 13 ਗਤੀ ਅਤੇ ਸਮਾਂ

→ ਜੇ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਆਪਣੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਅਤੇ ਸਮੇਂ ਅਨੁਸਾਰ ਆਪਣੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀ ਤਾਂ ਉਸ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਵਿਰਾਮ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜੇ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਆਪਣੀ ਸਥਿਤੀ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਅਤੇ ਸਮੇਂ ਅਨੁਸਾਰ ਆਪਣੀ ਸਥਿਤੀ ਬਦਲਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਗਤੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।

→ ਵਸਤੁ ਦੀ ਸਿੱਧੀ ਰੇਖਾ ਵਿੱਚ ਗਤੀ ਨੂੰ ਸਰਲ ਰੇਖੀ ਗਤੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਦੀ ਚੱਕਰਾਕਾਰ ਪੱਥ ‘ਤੇ ਹੋ ਰਹੀ ਗਤੀ ਨੂੰ ਚੱਕਰਾਕਾਰ ਗਤੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਆਪਣੀ ਮੱਧ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਇੱਧਰ-ਉੱਧਰ ਗਤੀ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸ ਵਸਤੂ ਦੀ ਗਤੀ ਨੂੰ ਡੋਲਨ ਗਤੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੇ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਥੋੜੀ ਦੂਰੀ ਨੂੰ ਤੈਅ ਕਰਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਸਮਾਂ ਲਗਾਉਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਵਸਤੂ ਦੀ ਗਤੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਜੇ ਵਸਤੁ ਉਸੇ ਦੁਰੀ ਨੂੰ ਤੈਅ ਕਰਨ ਲਈ ਵੱਧ ਸਮਾਂ ਲੈਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਦੀ ਗਤੀ ਮੰਦ ਗਤੀ ਅਖਵਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਇਕਾਈ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਤੈਅ ਕੀਤੀ ਗਈ ਦੂਰੀ ਨੂੰ ਚਾਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੀ S.I ਇਕਾਈ ਮੀਟਰ/ਪ੍ਰਤੀ ਸਕਿੰਟ (m/s) ਹੈ ।

→ ਚਾਲ ਦੀ ਗਣਨਾ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਸੂਤਰ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ :
PSEB 7th Class Science Notes Chapter 13 ਗਤੀ ਅਤੇ ਸਮਾਂ 1

→ ‘ਇੱਕ ਸਿੱਧੀ ਰੇਖਾ ਉੱਪਰ ਇੱਕ ਗਤੀ ‘ਤੇ ਚਲ ਰਹੀ ਵਸਤੂ ਦੀ ਗਤੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗਤੀ ਆਖਦੇ ਹਨ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਇੱਕ ਸਿੱਧੀ ਰੇਖਾ ਉੱਪਰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਗਤੀ ’ਤੇ ਚਲ ਰਹੀ ਵਸਤੂ ਦੀ ਗਤੀ ਨੂੰ ਅਸਮਾਨ ਗਤੀ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਘੜੀ ਨੂੰ ਘੰਟਿਆਂ ਵਾਲੀ ਸੂਈ ਦੀ ਗਤੀ, ਧਰਤੀ ਦੀ ਸੂਰਜ ਦੁਆਲੇ ਗਤੀ ਅਤੇ ਸਧਾਰਨ ਪੈਂਡੂਲਮ ਦੀ ਗਤੀ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਅਸੀਂ ਦੀਵਾਰ ਘੜੀਆਂ, ਮੇਜ਼ ਘੜੀਆਂ, ਹੱਥ ਘੜੀਆਂ ਜਾਂ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਨਾਲ ਸਮਾਂ ਮਾਪਦੇ ਹਾਂ । ਸਮੇਂ ਦੀ SI. ਇਕਾਈ ਸਕਿੰਟ ਹੈ ।

→ ਇੱਕ ਧਾਗੇ ਨਾਲ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਕਿਸੇ ਸਥਿਰ ਥਾਂ ਜਾਂ ਸਟੈਂਡ ਨਾਲ ਲਟਕਾਏ ਗਏ ਭਾਰੇ ਪੁੰਜ (ਧਾਤਵੀ ਗੋਲੇ) ਨੂੰ ਸਧਾਰਨ ਪੈਂਡੂਲਮ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਧਾਰਨ ਪੈਂਡੂਲਮ ਦੀ ਇੱਧਰ-ਉੱਧਰ ਦੀ ਗਤੀ ਨੂੰ ਆਵਰਤੀ ਜਾਂ ਡੋਲਨ ਗਤੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੈਂਡੂਲਮ ਦੇ ਇੱਕ ਡੋਲਨ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਲੱਗੇ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਆਵਰਤ ਕਾਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਇੱਕ ਸਕਿੰਟ ਵਿੱਚ ਪੂਰੀ ਕੀਤੀ ਡੋਲਨ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਨੂੰ ਆਤੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਆਤੀ ਦੀ S.I. ਇਕਾਈ ਹਰਟਜ਼ ਹੈ ।

→ ਵਾਹਨਾਂ ਦੀ ਚਾਲ ਮਾਪਣ ਵਾਲੇ ਯੰਤਰ ਨੂੰ ਸਪੀਡੋਮੀਟਰ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਪੀਡੋਮੀਟਰ ਵਾਹਨਾਂ ਦੀ ਚਾਲ ਨੂੰ ਕਿਲੋਮੀਟਰ/ਘੰਟਾ ਵਿੱਚ ਮਾਪਦਾ ਹੈ ।

→ ਵਾਹਨਾਂ ਦੁਆਰਾ ਤੈਅ ਕੀਤੀ ਦੂਰੀ ਮਾਪਣ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਯੰਤਰ ਨੂੰ ਉਡੋਮੀਟਰ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਗ੍ਰਾਫ਼ ਇੱਕ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਦੂਜੀ ਮਾਤਰਾ ਨਾਲ ਤੁਲਨਾ ਨੂੰ ਚਿੱਤਰ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਗ੍ਰਾਫ਼ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਹਨ :

  • ਰੇਖੀ ਗ੍ਰਾਫ਼,
  • ਛੜ ਗ੍ਰਾਫ਼,
  • ਪਾਈ ਚਾਰਟ ਗ੍ਰਾਫ਼ ।

→ ਦੂਰੀ ਸਮਾਂ ਗ੍ਰਾਫ਼ ਇੱਕ ਰੇਖੀ ਗ੍ਰਾਫ਼ ਹੈ । ਇਹ ਵਸਤੂ ਦੁਆਰਾ ਤੈਅ ਕੀਤੀ ਦੂਰੀ ਅਤੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚਕਾਰ ਗ੍ਰਾਫ਼ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜਿਹੜੀ ਮਾਤਰਾ ਸੁਤੰਤਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਉਸਨੂੰ ਲੇਟਵੇਂ ਅਕਸ਼ (X-axis) ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਮਾਤਰਾ ਜਿਹੜੀ ਨਿਰਭਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਨੂੰ ਖੜ੍ਹਵੇਂ ਅਕਸ਼ (Y-axis) ‘ਤੇ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਰਾਬਰ ਸਮੇਂ ਅੰਤਰਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਬਰਾਬਰ ਦੂਰੀ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਵਸਤੂ ਦੀ ਗਤੀ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗਤੀ ਅਖਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਬਰਾਬਰ ਸਮੇਂ ਅੰਤਰਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਅਸਮਾਨ ਦੂਰੀ ਤੈਅ ਕਰੇ ਜਾਂ ਅਸਮਾਨ ਸਮੇਂ ਅੰਤਰਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਬਰਾਬਰ ਦੂਰੀ ਤੈਅ ਕਰੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਦੀ ਗਤੀ ਨੂੰ ਅਸਮਾਨ ਗਤੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੇ ਕੋਈ ਵਸਤੁ ਵਿਰਾਮ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਦੂਰੀ-ਸਮਾਂ ਗ੍ਰਾਫ਼ X-ਧੁਰੇ ਦੇ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਇੱਕ ਸਿੱਧੀ ਰੇਖਾ ਹੈ ।

ਕੁੱਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਵਾਂ

  1. ਗਾਫ਼-ਉਹ ਦੋ ਰਾਸ਼ੀਆਂ ਜਿਹੜੀਆਂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਚਿੱਤਰ ਰਾਹੀਂ ਨਿਰੂਪਣ ਗ੍ਰਾਫ਼ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ।
  2. ਚਾਲ-ਇਕਾਈ ਸਮੇਂ ਅੰਤਰਾਲ ਵਿੱਚ ਵਸਤੁ ਦੁਆਰਾ ਤੈਅ ਕੀਤੀ ਗਈ ਦੂਰੀ ਚਾਲ ਅਖਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
  3. ਸਮਾਨ-ਚਾਲ-ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਸਤੁ ਬਰਾਬਰ ਸਮਾਂ ਅੰਤਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਰਾਬਰ ਦੂਰੀ ਤੈਅ ਕਰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਵਸਤੂ ਦੀ ਚਾਲ ਸਮਾਨ ਚਾਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  4. ਅਸਮਾਨ-ਚਾਲ-ਬਰਾਬਰ ਸਮਾਂ ਅੰਤਰਾਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਦੁਰੀ ਨਾ ਤੈਅ ਕਰਨ ਤੇ ਵਸਤੂ ਦੀ ਚਾਲ ਅਸਮਾਨ ਚਾਲ ਅਖਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
  5. ਸਰਲ ਪੈਂਡੂਲਮ-ਧਾਤੂ ਜਾਂ ਪੱਥਰ ਦੇ ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਵਿਡ (ਮਜ਼ਬੂਤ) ਬਿੰਦੂ ਤੋਂ ਧਾਗੇ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਲਟਕਾਉਣ ਤੇ ਸਰਲ ਪੈਂਡੂਲਮ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  6. ਡੋਲਨ-ਇੱਕ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕ ਰਹੀ ਵਸਤੂ ਜਦੋਂ ਆਪਣੀ ਮੱਧ ਸਥਿਤੀ ਤੋਂ ਇੱਕ ਪਾਸੇ ਚਰਮ ਸੀਮਾ ਤੱਕ ਜਾਵੇ ਅਤੇ ਫਿਰ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਦੀ ਚਰਮ ਸੀਮਾ ਤੱਕ ਜਾਵੇ ਅਤੇ ਅਖ਼ੀਰ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਪੂਰਵ ਸਥਿਤੀ ਅਰਥਾਤ ਮੱਧ ਸਥਿਤੀ ‘ਤੇ ਪਹੁੰਚ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਹ ਵਸਤੂ ਇੱਕ ਡੋਲਨ ਪੂਰੀ ਕਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ ।
  7. ਆਵਰਤ ਕਾਲ-ਸਰਲ ਪੈਂਡੂਲਮ ਦੁਆਰਾ ਇੱਕ ਡੋਲਨ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਨੂੰ ਲੱਗਿਆ ਸਮਾਂ ਆਵਰਤ ਕਾਲ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ |
  8. ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗਤੀ-ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਬਰਾਬਰ ਸਮੇਂ ਅੰਤਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਰਾਬਰ ਦੂਰੀ ਤੈਅ ਕਰਦੀ ਹੈ ਭਾਵੇਂ ਸਮਾਂ ਅੰਤਰਾਲ ਕਿੰਨਾ ਵੀ ਛੋਟਾ ਕਿਉਂ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਵੇਲੇ ਵਸਤੂ ਦੀ ਗਤੀ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗਤੀ ਅਖਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
  9. ਅਸਮਾਨ ਗਤੀ-ਜਦ ਕੋਈ ਵਸਤੁ ਬਰਾਬਰ ਸਮਾਂ ਅੰਤਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਰਾਬਰ ਦੂਰੀ ਤੈਅ ਕਰੇ ਭਾਵੇਂ ਸਮਾਂ ਅੰਤਰਾਲ ਕਿੰਨਾ ਵੀ ਛੋਟਾ ਕਿਉਂ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਵਸਤੂ ਦੀ ਗਤੀ ਅਸਮਾਨ ਗਤੀ ਅਖਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 12 ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਜਣਨ

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 12 ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਜਣਨ

→ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਦੋ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਜਣਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-ਅਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਅਤੇ ਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ।

→ ਅਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ, ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਵਿਧੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਰਾਹੀਂ ਕੇਵਲ ਇੱਕੋ ਜਣਕ (Parent) ਤੋਂ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਦੋ-ਖੰਡਨ ਵਿਧੀ, ਕਲੀਆਂ ਰਾਹੀਂ, ਵਿਖੰਡਨ, ਬੀਜਾਣੂਆਂ ਰਾਹੀਂ, ਪੁਨਰਜਣਨ, ਅਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਧੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਦੋ-ਖੰਡਨ ਪ੍ਰਜਣਨ ਵਿਧੀ ਵਿੱਚ ਜੀਵ ਦੋ ਬਰਾਬਰ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਦੋਵੇਂ ਭਾਗ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਕੇ ਦੋ ਨਵੇਂ ਜੀਵ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੌਰਾਨ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਨਰ ਜਣਨ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਅੰਗ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਕ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਮਿਲ ਕੇ ਯੂਰਮਜ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ | ਯੁਗਮਜ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਲਿੰਗੀ ਪਜਣਨ ਕੇਵਲ ਫੁੱਲਦਾਰ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੀ ਇਕ ਅਜਿਹੀ ਵਿਧੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਜੜਾਂ, ਤਣੇ ਜਾਂ ਪੱਤਿਆਂ ਵਰਗੇ ਅੰਗਾਂ ਰਾਹੀਂ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੀ ਇਸ ਵਿਧੀ ਵਿੱਚ ਨਾ ਜਣਨ ਅੰਗ ਭਾਗ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਬੀਜ ਭਾਗ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੇ ਕਈ ਬਨਾਉਟੀ ਢੰਗ ਵੀ ਹਨ । ਇਹ ਹਨ ਕਲਮਾਂ ਲਾਉਣੀਆਂ, ਪਿਓਂਦ ਚੜ੍ਹਾਉਣੀ ਅਤੇ ਜ਼ਮੀਨ ਹੇਠਾਂ ਦਾਬ ਲਗਾਉਣਾ ।

→ ਪੱਕੇ ਹੋਏ ਪਰਾਗ ਕਣਾਂ ਦਾ ਪਰਾਗਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਪਰਾਗਕਣ-ਗਾਹੀ (ਵਰਤਿਕਾਗਰ) ਤੱਕ ਸਥਾਨੰਤਰਣ ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਉਸੇ ਫੁੱਲ ਤੇ ਜਾਂ ਦੂਜੇ ਫੁੱਲ ਦੇ ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ ਦੀ ਪਰਾਗਕਣ-ਹੀ ਤੱਕ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ । ਕਾਈ ਵਰਗੇ ਫੁੱਲ ਰਹਿਤ ਪੌਦੇ ਵਿਖੰਡਣ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਰਦੇ ਹਨ; ਖਮੀਰ ਕਲੀਆਂ ਰਾਹੀਂ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਉੱਲੀਆਂ ਅਤੇ ਮੌਸ ਬੀਜਾਣੁਆਂ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮ ਦਾ ਅੰਡਾਣੂ ਵਿੱਚ ਸੁਮੇਲ (Fusion) ਨੂੰ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅੰਡਾਣੂਆਂ ਦੇ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਫ਼ਲ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਅੰਡਾਣੂ ਬੀਜਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬੀਜਾਂ ਨੂੰ ਜਣਕ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਲਈ ਬੀਜਾਂ ਦਾ ਖਿਲਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਜੋ ਬੀਜ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਵਜੋਂ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਸਕਣ ।

ਕੁੱਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਵਾਂ

  1. ਪ੍ਰਜਣਨ-ਸਜੀਵਾਂ ਦੀ ਆਪਣੇ ਵਰਗੇ ਨਵੇਂ ਜੀਵ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਦੀ ਇਸ ਯੋਗਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  2. ਅਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ-ਅਜਿਹੀ ਵਿਧੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਉਗਾਉਣ ਲਈ ਬੀਜਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । ਇੱਕ ਹੀ ਜਣਕ ਤੋਂ ਨਵਾਂ ਪੰਦਾ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ-ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਦੇ ਯੁਗਮਕਾਂ ਦੇ ਸੰਯੋਜਨ ਨਾਲ ਨਵਾਂ ਜੀਵ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਨੂੰ ਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਣਨ ਕਹਿੰਦੇ : ਹਨ !
  4. ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ-ਜਦੋਂ ਪੌਦੇ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਅੰਗ ਤੋਂ ਨਵਾਂ ਪੌਦਾ ਤਿਆਰ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਉਸਨੂੰ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  5. ਵਿਖੰਡਨ-ਪਾਣੀਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡ ਕੇ ਨਵਾਂ ਜੀਵ ਦਾ ਬਣਨਾ ਵਿਖੰਡਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  6. ਇੱਕ ਲਿੰਗੀ ਫੁੱਲ-ਅਜਿਹਾ ਫੁੱਲ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕੇਵਲ ਪੁੰਕੇਸਰ ਜਾਂ ਕੇਵਲ ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ ਮੌਜੂਦ ਹੋਵੇ, ਨੂੰ ਇੱਕ ਲਿੰਗੀ ਫੁੱਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  7. ਦੋ-ਲਿੰਗੀ ਫੁੱਲ-ਅਜਿਹਾ ਫੁੱਲ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪੁੰਕੇਸਰ ਅਤੇ ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ ਦੋਵੇਂ ਮੌਜੂਦ ਹੋਣ, ਉਸਨੂੰ ਦੋ-ਲਿੰਗੀ ਫੁੱਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  8. ਨਿਸ਼ੇਚਨ-ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਕ ਦੇ ਸੁਮੇਲ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  9. ਪਰਾਗਣ-ਪੱਕੇ ਹੋਏ ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦਾ ਪਰਾਗਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਪਰਾਗਕਣ ਹੀ ਜਾਂ ਵਰਤਿਕਾਗਰ ਤੱਕ ਸਥਾਨੰਤਰਣ ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  10. ਸਵੈ-ਪਰਾਗਣ-ਦੋ ਲਿੰਗੀ ਫੁੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਾਗਕਣ, ਪਰਾਗਕੋਸ਼ ਵਿੱਚੋਂ ਜਦੋਂ ਉਸੇ ਫੁੱਲ ਦੇ ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ ਦੀ ਪਰਾਗਕਣ ਹੀ ਤੱਕ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਸਵੈ-ਪਰਾਗਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  11. ਪਰ-ਪਰਾਗਣ-ਪਰ-ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਪਰਾਗਕਣ ਇੱਕ ਫੁੱਲ ਦੇ ਪੁੰਕੇਸਰ ਤੋਂ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਫੁੱਲ ਦੀ ਪਰਾਗਕਣ ਗਾਹੀ ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ ਤੱਕ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਪਰ ਪਰਾਗਣ-ਕਿਰਿਆ ਇੱਕ ਹੀ ਪੌਦੇ ਦੇ ਦੋ ਫੁੱਲਾਂ ਜਾਂ ਉਸੇ ਪ੍ਰਜਾਤੀ ਦੇ ਦੋ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  12. ਬੀਜਾਂ ਦਾ ਉੱਗਣਾ (ਬੀਜਾਂ ਦਾ ਅੰਕੁਰਨ)-ਸਿੱਲੀ ਮਿੱਟੀ ‘ਤੇ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਬੀਜ ਪਾਣੀ ਸੋਖ ਕੇ ਫੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਭਰੂਣ ਪੁੰਗਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਦਾ, ਜੜ ਅੰਕੁਰ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਧੱਸ ਜਾਂਦਾ ਅਤੇ ਤਣਾ ਅੰਕੁਰ ਉੱਪਰ ਹਵਾ ਵੱਲ ਨਿਕਲ ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਪੱਤੇ ਨਿਕਲ ਆਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਬੀਜਾਂ ਦਾ ਪੁੰਗਰਨਾ ਆਖਦੇ ਹਨ ।