PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 13 नवयुवकों के प्रति

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 नवयुवकों के प्रति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 13 नवयुवकों के प्रति

Hindi Guide for Class 8 PSEB नवयुवकों के प्रति Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ : देखिए

नवयुवाओ = नवयुवको, नौजवानों।
दृष्टि = नज़र।
मनुज = मनुष्य।
ज्योति = प्रकाश।
योग = सहायता, सहयोग।
देशोद्धार = देश का उद्धार करना।
कार्य = काम।
परिणत = बदलना, परिवर्तन करना।
भक्तवर = भक्तों में श्रेष्ठ।
निम्नोक्ति = नीचे लिखी उक्ति या कथन।
धरो = धारण करो, रखो।
कौमार = कुमार, यौवन की अवस्था।
भागवत = प्रभु का।
धर्माचरण = धर्म के अनुसार आचरण, व्यवहार करना।
नर-जन्म = इन्सान का जन्म।
दुर्लभ = कठिन।
अधिक = ज्यादा।
पथ = रास्ता।
असंयम = संयम से रहित, अनियन्त्रित।
अशुभ = बुरा।
शुभ = अच्छा, भला, कल्याणकारी, हितकारी।
प्रथम = पहले।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 13 नवयुवकों के प्रति

(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) इस कविता के कवि का नाम लिखें।
उत्तर:
इस कविता के कवि का नाम ‘नवयुवको’ के प्रति’ है।

(ख) यह कविता किन्हें सम्बोधित की गई है ?
उत्तर:
यह कविता देश के युवाओं को सम्बोधित की गई है।

(ग) जो कुछ पढ़ो तुम कार्य में भी साथ ही परिणत करो।’ इस काव्य-पंक्ति का अर्थ लिखें।
उत्तर:
इस पंक्ति का अर्थ है कि हम पुस्तक में जो कुछ पढ़ें उसे कार्य क्षेत्र और व्यावहारिक जीवन में भी स्थान दें तभी हम उसकी उपयोगिता को समझ पाएंगे।

(घ) नवयुवकों के सम्मुख कौन-से दो पथ हैं ? उन्हें किस पथ का चुनाव करना चाहिए ?
उत्तर:
नवयुवकों के सम्मुख दो पथ हैं-असंयम का पथ और संयम का पथ । असंयम का पथ कभी नहीं चुनना चाहिए क्योंकि वह अहितकर और बुरा है जबकि दूसरा पथ संयम का है। यह दूसरा पथ हितकर होता है।

II. इन काव्य-पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :

दो पथ असंयम ………….. संभलोगे कभी।
उत्तर:
कवि कहता है कि हे युवाओ! तुम्हें जीवन में अब सदा ही असंयम और संयम नामक दो रास्ते मिलेंगे। कभी न भूलना कि पहला रास्ता बुरा और अकल्याणकारी है और दूसरा अच्छा और कल्याणकारी है। तुम्हारा मन सदा की तरह तुम्हें पहले रास्ते की ओर झुकायेगा। हर मनुष्य को बुरा रास्ता जल्दी आकृष्ट करता है पर ध्यान रखना कि यदि तुम अभी नहीं सम्भलोगे तो फिर तुम कभी नहीं सम्भल पाओगे। भाव है कि जब मनुष्य एक बार बुराई की राह पर बढ़ चलता है तो फिर आसानी से अच्छाई की राह की ओर नहीं बढ़ पाता।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 13 नवयुवकों के प्रति

III. नवयुवक देश के उत्थान में क्या-क्या योगदान दे सकते हैं ? चार-पाँच वाक्यों में उत्तर दें।

उत्तर:
नवयुवक ही तो देश के विकास को वास्तविक दिशा देने वाले होते हैं। उनमें नये युग के साथ कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ने की क्षमता होती है। उनके पास साहस और क्षमता के साथ-साथ नया ज्ञान होता है। उनमें नई सोच होती है जिसके कारण वे रूढ़ियों को ठोकर मार कर नया रास्ता बना सकते हैं। वे अपनी शक्ति से विरोधी शक्तियों को परे धकेल सकते हैं। वे ही अच्छे शिल्पी, सैनिक, वैज्ञानिक, कलाकार, अध्यापक, चिकित्सक, इन्जीनियर और प्रत्येक क्षेत्र में मेहनतकश कर्मी बनने की क्षमता रखते हैं।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें :

मनुज = ………………..
ज्योति = ………………..
संसार = ………………..
पथ = ………………..
उत्तर:
मनुज = मनुष्य , मानव।
ज्योति = लौ , जोत।
संसार = विश्व , दुनिया
पथ = मार्ग , राह।

II. ‘अ’ लगाकर विपरीत शब्द बनायें :

अ + संयम = असंयम
अ + शुभ = ………………..
अ + धर्म = ………………..
अ + विश्वास = ………………..
उत्तर
अ + संयम = असंयम
अ + शुभ = अशुभ
अ + धर्म = अधर्म
अ + विश्वास = अविश्वास।

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III. देश + उद्धार धर्म + आचरण इसी प्रकार नये शब्द बनायें

अ + उ = ओ
निम्न + उक्ति = निम्नोक्ति
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
नव + उदय = नवोदय
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
शुभ + उदय = शुभोदय
सूर्य + उदय = सूर्योदय
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
भाग्य + उदय = भाग्योदय
मानव + उचित = मानवोचित
रोग + उपचार = रोगोपचार
हित + उपदेश = हितोपदेश

अ + आ = आ
कर्म + अनुसार = कर्मानुसार
सत्य + अग्रह = सत्याग्रह
युग + आदि = युगादि
मरण + आसन्न = मरणासन्न
न्याय + आलय = न्यायालय
विरह + आतुर = विरहातुर
शुभ + आरम्भ = शुभारम्भ
नव + आगत = नवागत
प्राण + आयाम = प्राणायाम
देव + आलय = देवालय
हिम + आलय = हिमालय।

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PSEB 8th Class Hindi Guide नवयुवकों के प्रति Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘नवयुवकों के प्रति’ कविता किस कवि की रचना है ?
(क) हरिवंशराय बच्चन
(ख) योगेंद्र बख्शी
(ग) मैथिलीशरण गुप्त ।
(घ) गोपाल दास नीरज।
उत्तर:
मैथिलीशरण गुप्त।

प्रश्न 2.
कवि किन्हें संबोधित कर रहा है ?
(क) बालकों को
(ख) युवाओं को
(ग) नेताओं को
(घ) कर्मचारियों को।
उत्तर:
युवाओं को।

प्रश्न 3.
कवि नवयुवकों को देश का क्या मानता है ?
(क) कर्मकार
(ख) कर्णधार
(ग) कर्मचारी
(घ) कर्मठ।
उत्तर:
कर्णधार।

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प्रश्न 4.
नवयुवकों को कौन-सी आदत डाल लेनी चाहिए ?
(क) धर्माचरण की
(ख) राजनीति की
(ग) स्वार्थ की
(घ) परार्थ की।
उत्तर:
धर्माचरण की।

प्रश्न 5.
कवि ने किस मार्ग को शुभ बताया है ?
(क) असंयम
(ख) संयम
(ग) विकट
(घ) सरल।
उत्तर:
संयम।

प्रश्न 6.
कवि ने किस भक्त का उल्लेख किया है ?
(क) ध्रुव
(ख) प्रहलाद
(ग) नरसी
(घ) श्रवण।
उत्तर:
प्रहलाद

सप्रसंग व्याख्या

1. हे नवयुवाओ! देश भर की दृष्टि तुम पर ही लगी,
है मनुज जीवन की तुम्हीं में ज्योति सब से जगमगी।
दोगे न तुम तो कौन देगा योग देशोद्धार में ?
देखो, कहाँ क्या हो रहा है आजकल संसार में॥

शब्दार्थ:
नवयुवाओ = नवयुवको, नौजवानों। दृष्टि = नज़र। मनुज = मनुष्य। ज्योति = प्रकाश। योग = सहायता, सहयोग। देशोद्धार = देश का उद्धार करना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘नवयुवकों के प्रति’ से ली गई हैं। कवि ने देश के युवा वर्ग को सम्बोधित करते हुए उन्हें प्रेरणा दी है कि वे देश के विकास के लिए काम करे।

व्याख्या:
कवि कहता है कि देश के नवयुवको! सारे देश के लोगों की नज़र तुम्हारी ही ओर लगी है। मानव-जीवन ने अब तक जितनी भी विशेषताएँ समय के साथ-साथ प्राप्त की हैं वे सब प्रकाश तुम्हारे भीतर जगमगा रही हैं। तुम उन सभी गुणों और विशेषताओं से सम्पन्न हो। देश के उद्धार के लिए यदि तुम ही सहयोग नहीं दोगे तो फिर और कौन देगा ? देश का उद्धार तुम्हारे ही हाथ में है। तुम सजग और सचेत रहो। तुम देखो कि इस संसार में आजकल सभी जगह क्या हो रहा है और कैसे हो रहा है ? भाव है कि संसार की चाल को देख कर ही विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा जा सकता है।

विशेष:

  1. कवि ने युवावर्ग को प्रेरणा दी है कि वह समय की चाल को समझे और उसके अनुसार ही जीवन की राह में आगे बढ़े।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 13 नवयुवकों के प्रति

2. जो कुछ पढ़ो तुम कार्य में भी साथ ही परिणत करो,
सब भक्तवर प्रह्लाद की निम्नोक्ति को मन में धरो”
कौमार में ही भागवत धर्माचरण कर लो यहाँ
नर-जन्म दुर्लभ और वह भी अधिक रहता है कहाँ॥

शब्दार्थ:
कार्य = काम। परिणत = बदलना, परिवर्तन करना। भक्तवर = भक्तों में श्रेष्ठ। निम्नोक्ति = नीचे लिखी उक्ति या कथन। धरो = धारण करो, रखो। कौमार = कुमार, यौवन की अवस्था। भागवत = प्रभु का। धर्माचरण = धर्म के अनुसार आचरण, व्यवहार करना। नर-जन्म = इन्सान का जन्म। दुर्लभ = कठिन। अधिक = ज्यादा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘नवयुवकों के प्रति’ से ली गई हैं। कवि ने नवयुवकों को प्रेरणा दी है कि वे देश के लिए परिश्रम करें और उसे विकास के मार्ग पर आगे ले चलें।

व्याख्या:
कवि कहता है कि हे नौजवानों! तुम जिस भी विषय को पढ़ो उसे केवल पुस्तक के ज्ञान तक सीमित न रखो बल्कि उसे उपयोगी कार्य में भी बदलो। उस शिक्षा को इस्तेमाल करना सीखो। सभी युवक भक्तों में श्रेष्ठ प्रहलाद की नीचे लिखी इस पंक्ति को भी ध्यान में रखो कि युवावस्था के आरम्भ में ही ईश्वर के नाम और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने की आदत को अपना लो, ग्रहण कर लो। मानव जीवन प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। वह आसानी से प्राप्त नहीं होता और बहुत अधिक देर तक रहता भी कहाँ है अथवा मनुष्य का जीवन छोटा होता है। भाव है कि मनुष्य को भगवान के द्वारा दिए गए अपने छोटे से जीवन में कार्यों के साथ-साथ ईश्वर के नाम की ओर भी बढ़ना चाहिए।

विशेष:

  1. कवि का मानना है कि युवाओं को पढ़ने और कार्य करने के साथ-साथ ईश्वर का नाम भी लेना चाहिए।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

3. दो पथ, असंयम और संयम हैं तुम्हें अब सब कहीं॥
पहला अशुभ है, दूसरा शुभ है इसे भूलो नहीं”।
पर मन प्रथम की ओर ही तुम को झुकावेगा अभी,
यदि तुम न सम्भलोगे अभी तो फिर न संभलोगे कभी॥

शब्दार्थ:
पथ = रास्ता। असंयम = संयम से रहित, अनियन्त्रित। अशुभ = बुरा। शुभ = अच्छा, भला, कल्याणकारी, हितकारी। प्रथम = पहले।

प्रसंग:
यह अवतरण हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘नवुयवकों के प्रति’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने प्रेरणा दी है कि हमें अपने जीवन में उच्चता और श्रेष्ठता के लिए अच्छी राह को चुनना चाहिए।

व्याख्या:
कवि कहता है कि हे युवाओ! तुम्हें जीवन में अब सदा ही असंयम और संयम नामक दो रास्ते मिलेंगे। कभी न भूलना कि पहला रास्ता बुरा और अकल्याणकारी है और दूसरा अच्छा और कल्याणकारी है। तुम्हारा मन सदा की तरह तुम्हें पहले रास्ते की ओर झुकायेगा। हर मनुष्य को बुरा रास्ता जल्दी आकृष्ट करता है पर ध्यान रखना कि यदि तुम अभी नहीं सम्भलोगे तो फिर तुम कभी नहीं सम्भल पाओगे। भाव है कि जब मनुष्य एक बार बुराई की राह पर बढ़ चलता है तो फिर आसानी से अच्छाई की राह की ओर नहीं बढ़ पाता।

विशेष:

  1. कवि ने प्रेरणा दी है कि मनुष्य को सदा जीवन में अच्छी राह पर आगे बढ़ना चाहिए। उसे बुरी राह छोड़ देनी चाहिए।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 13 नवयुवकों के प्रति

नवयुवकों के प्रति Summary

नवयुवकों के प्रति कविता का सार

कवि देश के युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे युवाओ! सारे देश की दृष्टि उन पर ही लगी हुई है। सारी मानव जाति के गुणों की चमक तुम्हीं में जगमगा रही है। तुम्हारे बिना देश के उद्धार में योगदान और कौन दे सकता है ? तुम जरा देखो तो सही कि इस संसार में आजकल क्या हो रहा है। तुम जो कुछ भी शिक्षा प्राप्त करो उसे कार्य के रूप में बदल दो। तुम सब भक्त प्रह्लाद की इस बात को मन में धारण कर लो कि युवावस्था में ही ईश्वर के प्रति अपने भक्ति भावों को मन में रखना है। प्राणियों का इन्सान का जन्म बहुत कठिनाई से प्राप्त होता है और जिनको प्राप्त होता भी है तो वह बहुत देर तक नहीं रहता। जीवन जीते हुए दो ही रास्ते मिलते हैं-असंयम और संयम। असंयम का रास्ता बुरा होता है और संयम का अच्छा। लेकिन मन प्रायः असंयम के रास्ते पर पहले चलने लगता है, इसका झुकाव उधर ही होता है। यदि इस रास्ते पर एक बार चलना शुरू कर दिया और तुम नहीं सम्भले तो फिर कभी भी नहीं सम्भल पाओगे। सदा सोच-विचार कर अच्छे और सही मार्ग पर ही चलना सीखो।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 10 अंगुलिमाल

Hindi Guide for Class 8 PSEB अंगुलिमाल Textbook Questions and Answers

(क) भाषा बोध

I. शब्दार्थ

निरन्तर = लगातार
चकित = हैरान
सहसा = अचानक
दृष्टि = नज़र
युक्ति = तरकीब
तत्काल = उसी क्षण
जागृति = जागरण,सचेत
विकराल = भयंकर
निहत्था = बिना हथियार के
घृणा = नफ़रत
धर्मोपदेश = (धर्म + उपदेश)धर्म के उपदेश
दैत्य = राक्षस

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

II. इन मुहावरों के अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

धीरज बँधाना = ……………………..
दृष्टि डालना = ……………………..
घिग्घी बँध जाना = ……………………..
रोम-रोम से प्रेम बरसना = ……………………..
आँखों से दया टपकना = ……………………..
जादू का-सा असर होना = ……………………..
छुट्टी लेना = ……………………..
तेज से काँपना = ……………………..
उत्तर:
1. धीरज बँधाना = साहस बढ़ाना।।
वाक्य – माँ ने तब मेरा धीरज बँधाया था जब मैं अपने जीवन से लगभग हार ही चुका था।

2. दृष्टि डालना = देखना।
वाक्य – एक बार उस गरीब की ओर भी अपनी दृष्टि डालना ना भूलना।

3. घिग्घी बँध जाना = भय के कारण बोल ना पाना।
वाक्य – जंगल में भयंकर भालू को अपनी ओर देख कर राघव की घिग्घी बँध गई थी।

4. रोम-रोम से प्रेम बरसना = प्रेम भाव को व्यक्त करना।
वाक्य – श्रद्धालुओं के प्रति महात्मा जी के रोम-रोम से प्रेम बरस रहा था।

5. आँखों से दया टपकना = दया के भाव प्रकट होना।
वाक्य – भिखारी की दशा को देख मेरी दादी की आँखों से दया टपक रही थी।

6. जादू का-सा असर होना = तत्काल प्रभाव पड़ना।
वाक्य – हकीम जी की एक ही पुड़िया से मेरे पेट दर्द पर जादू का-सा असर हुआ है।

7. छुट्टी लेना = काम छोड़ना।
वाक्य – बुढ़ापे में भी अनेक लोग अपने काम धंधे से छुट्टी नहीं लेते।

8. तेज से काँपना = बल से भयभीत हो जाना।
वाक्य – बाली भगवान राम के तेज से काँप उठा था।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

(ख) विषय – बोधं

I. उपयुक्त शब्द भरकर वाक्य पूरा करें:

(क) महान् पुरुषों को धर्म का प्रचार करने के लिए …… नगर-नगर और गाँव-गाँव घूमना पड़ा।
(ख) महात्मा बुद्ध ने राजा को ……… बँधाया।
(ग) एक …….. मूर्ति सामने खड़ी थी।
(घ) मैं तो ……. गया, भला तुम कब …….।
(ङ) जीवन दु:ख रूप है और तुम उसे अपनी ……… और बढ़ा रहे हो।
(च) यह सत्य, दया और प्रेम के भावों की क्रूरता, घृणा और हिंसा पर …….. थी।
उत्तर:
(क) निरन्तर
(ख) धीरज
(घ) ठहर, ठहरोगे
(ङ) करनी से
(च) विजय।

II. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) प्रसेनजित कहाँ का राजा था?
उत्तर:
प्रसेनजित कौशल प्रदेश का राजा था। श्रावस्ती उसकी राजधानी थी।

(ख) प्रसेनजित किसका शिष्य था?
उत्तर:
प्रसेनजित महात्मा बुद्ध का शिष्य था।

(ग) प्रसेनजित ने महात्मा बुद्ध को अपनी व्याकुलता का क्या कारण बताया?
उत्तर:
प्रसेनजित ने महात्मा बुद्ध को अपनी व्याकुलता इसलिए बताई थी क्योंकि वह अंगुलिमाल की क्रूरता से व्याकुल हो गया था। अंगुलिमाल उसकी प्रजा को बहुत परेशान कर रहा था। उसने उन्हें बताया था किवह उस डाकू से तंग आ चुका था और उसे सहन नहीं कर सकता था।

(घ) अंगुलिमाल कौन था?
उत्तर:
अंगुलिमाल एक डाकू था। जब वह किसी की हत्या करता था तो उसकी अंगुली काट कर अपनी माला में पिरो लिया करता था।

(ङ) अंगुलिमाल ने क्या प्रतिज्ञा कर रखी थी?
उत्तर:
अंगुलिमाल ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि वह एक हज़ार व्यक्तियों की हत्या करेगा।

(च) महात्मा बुद्ध ने प्रसेनजित को क्या विश्वास दिलाया?
उत्तर:
महात्मा बुद्ध ने प्रसेनजित को विश्वास दिलाया था कि वे डाकू को शांति, प्रेम और अहिंसा का पाठ पढ़ायेंगे।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखें

(क) अंगुलिमाल का नाम ‘अंगुलिमाल’ क्यों पड़ा ?
उत्तर:
अंगुलिमाल डाकू बहुत क्रूर था। वह लोगों की लूट-पाट तो करता ही था पर उनकी हत्या भी कर देता था। वह मारे गए लोगों की एक-एक अंगुली काट कर अपने गले में डाली गई माला में पिरो लेता था। इससे उसे पता रहता था कि उसने कितने लोगों की हत्या कर दी थी। इसी कारण उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा था।

(ख) अंगुलिमाल को जब महात्मा बुद्ध ने देखा तो वह कैसा दिखाई दे रहा था?
उत्तर:
अंगुलिमाल को जब महात्मा बुद्ध ने देखा तो वह अति विकराल था। ऊँचा कद, काला शरीर, भयंकर चेहरा और लाल आँखें थीं। उसके उठे हुए बाल थे, बड़ी-बड़ी मूंछे थीं। उसके हाथ में कटार थी। वह दैत्य के समान दिखाई देता था। उसके गले में अंगुलियों की माला पड़ी हुई थी।

(ग) मैं तो ठहर गया, भला तुम कब ठहरोगे? इस पंक्ति का आशय बतायें।
उत्तर:
महात्मा बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल से कहा था कि वे तो ठहर गए थे पर वह कब ठहरेगा। इसका आशय था कि महात्मा बुद्ध तो अपना राज-पाट त्याग कर समाज की सेवा में लग गए थे, सब का भला करते थे पर वह डाकू कब बुरे रास्ते से दूर होगा। वह कब लोगों की लूट-पाट और हत्या के रास्ते से दूर होगा। वह बुरे काम करने से कब परे हटेगा।

(घ) अंगुलिमाल महात्मा बुद्ध के चरणों में क्यों गिर पड़ा?
उत्तर:
अंगुलिमाल महात्मा बुद्ध से बहुत प्रभावित हुआ था। अन्य लोग तो डाकू को देखते ही काँप उठते थे पर वे निर्भयतापूर्वक उसके सामने खड़े थे। महात्मा बुद्ध के शब्दों का उस पर सीधा असर हुआ था। उसने अपने घुटने टेक दिए थे और उन्हें अपना गुरु मान कर उनके चरणों में गिर पड़ा था।

(ङ) महात्मा बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल का कठोर हृदय कैसे जीत लिया?
उत्तर:
महात्मा बुद्ध ने डाकू का कठोर हृदय अपने मानसिक बल, साहस और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए जीता था। उन्होंने सच्चाई, दया और प्रेम के भावों से क्रूरता, घृणा और अन्याय पर विजय प्राप्त की थी और कठोर हृदयी डाकू के हृदय पर विजय प्राप्त कर ली थी।

(ग) व्यावहारिक – व्याकरण

I. पर्यायवाची शब्द लिखें :

राजा = ……………………..
मनुष्य = ……………………..
विजय = ……………………..
जंगल = ……………………..
राक्षस = ……………………..
चरण = ……………………..
उत्तर:
राजा = राजन, नृप, भूप, नरेश, सम्राट्, नरपति।
विजय = जीत, जय, जीतना, पछाड़ना।
राक्षस = दैत्य, निशाचर, दनुज, असुर।
मनुष्य = मानव, मनुज, इन्सान, आदमी।
जगंल = अरण्य, वन, कानन, विपिन।
चरण = पैर, पाद, पद, पाँव।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

II. ‘अ’ और ‘अन’ लगाकर विपरीत अर्थ वाले शब्द बनायें :

‘अ’
समर्थ = असमर्थ
शुद्ध = ……………………..
शान्ति = ……………………..
आदर = ……………………..
हिंसा = ……………………..

‘अन’
इच्छा = अनिच्छा
इष्ट = ……………………..
सत्य = ……………………..
उचित = ……………………..
आस्था = ……………………..

उत्तर:
‘अ’
समर्थ = असमर्थ
शुद्ध = अशुद्ध
शान्ति = अशान्ति
सत्य = असत्य
हिंसा = अहिंसा

‘अन’
इच्छा = अनिच्छा
इष्ट = अनिष्ट
आदर = अनादर
उचित = अनुचित
आस्था – अनास्था

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

III. वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखें :

जिसकी आत्मा महान् हो
हिंसा करने वाला
जो निरन्तर घूमता हो ————————-
जिसके हाथ में कोई अस्त्र न हो ————————-
अत्याचार करने वाला ———————–
किसी के उपकार को मानने वाला ————————–
धर्म का उपदेश देने वाला ————————
उत्तर:
जिसकी आत्मा महान् हो = महात्मा
हिंसा करने वाला = हिंसक
जो निरन्तर घूमता हो =घुमक्कड़, यायावर
जिसके हाथ में कोई अस्त्र न हो = नि:शस्त्र
अत्याचार करने वाला = अत्याचारी
किसी के उपकार को मानने वाला = कृतज्ञ
धर्म का उपदेश देने वाला = धर्मोपदेशक।

IV. इनमें से संज्ञा व विशेषण शब्दों को अलग-अलग करके लिखें

(1) ऊँचा कद, काला शरीर, विकराल-चेहरा, लाल आँखें, उठे हुए केश, बड़ी-बड़ी मूंछे और हाथ में तेज़ कटार।
संज्ञा शब्द : ……………………..
विशेषण शब्द : ……………………..

(2) महात्मा बुद्ध ने अपनी शान्त दृष्टि उस पर डाली।
संज्ञा शब्द : ……………………..
विशेषण शब्द : ……………………..

(3) महात्मा बुद्ध ने भयंकर डाकू के कठोर हृदय को जीत लिया।
संज्ञा शब्द : ……………………..
विशेषण शब्द : ……………………..

(4) मैं एक हज़ार मनुष्यों की हत्या करूँगा।
संज्ञा शब्द : ……………………..
विशेषण शब्द : ……………………..

उत्तर:
संज्ञा – विशेषण
1. कद – उँचा
शरीर – काला
चेहरा – विकराल
आँखें – लाल
केश – उठे हुए
मूंछे – बड़ी-बड़ी
हाथ/कटार – तेज़

2. बुद्ध – महात्मा
दृष्टि – शांत

3. बुद्ध – महात्मा
डाकू – भयंकर
हृदय – कठोर

4. मनुष्यों – हजार

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

V. निर्देशानुसार वाक्य को बदलकर दोबारा लिखें

(1) वह प्रजा को बहुत कष्ट पहुँचाता है। (भूतकाल में बदलें)
(2) डाकू महात्मा के तेज़ से काँप रहा था। (वर्तमान में बदलें)
(3) डाकू के पास कटार थी, भाला था और महात्मा निहत्थे थे। (वर्तमान काल में बदलें)
(4) गाँव के गाँव उजड़ गये थे। (भविष्यतकाल में बदलें)
(5) इसे मैं सहन नहीं कर सकता। (भविष्यतकाल में बदलें)
(6) जंगल के बाहर एक पहरेदार नियुक्त होगा। (भूतकाल में बदलें)
(7) वह उँगलियों की माला पहनेगा। (भूतकाल में बदलें)
उत्तर:
(1) वह प्रजा को बहुत कष्ट पहुँचाता था।
(2) डाकू महात्मा के तेज़ से काँप रहा है।
(3) डाकू के पास कटार है, भाला है और महात्मा निहत्थे हैं।
(4) गाँव के गाँव उजड़ जाएंगे।
(5) इसे मैं सहन नहीं कर सकूँगा।
(6) जंगल के बाहर एक पहरेदार नियुक्त था।
(7) वह उँगलियों की माला पहने हुआ था।

PSEB 8th Class Hindi Guide अंगुलिमाल Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें-

प्रश्न 1.
महात्मा बुद्ध के मन में किस की भलाई की इच्छा रहती थी
(क) अपनी
(ख) परिवार की
(ग) पत्नी की
(घ) संसार भर की।
उत्तर:
संसार भर की।

प्रश्न 2.
महात्मा बुद्ध लगभग कितने वर्षों तक संसार के कल्याण के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहे
(क) 40
(ख) 42
(ग) 43
(घ) 45.
उत्तर:
45.

प्रश्न 3.
कौशल की राजधानी कौन-सी थी ?
(क) पाटन
(ख) श्रावस्ती
(ग) अमरावती
(घ) अयोध्या।
उत्तर:
श्रावस्ती।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

प्रश्न 4.
अंगुलिमाल कौन था ?
(क) राजा
(ख) मंत्री
(ग) डाकू
(घ) संत।
उत्तर:
डाकू।

प्रश्न 5.
महात्मा बुद्ध ने अंगुलिमाल को किस बंधन से छुट्टी लेने के लिए कहा ?
(क) परिवार के
(ख) हिंसा के
(ग) अहिंसा के
(घ) समाज के।
उत्तर:
हिंसा के।

प्रश्न 6.
अंगुलिमाल की काया कैसी थी ?
(क) विकराल
(ख) सामान्य
(ग) आकर्षक
उत्तर:
विकराल।

प्रश्न 7.
अंगुलिमाल ने कितने लोगों की हत्या की प्रतिज्ञा की थी ?
(क) एक सौ
(ख) पांच सौ
(ग) एक हजार
(घ) दो हज़ार।
उत्तर:
एक हज़ार।

प्रश्न 8.
अंगुलिमाल मारे गए लोगों के किस अंग की माला पहनता था ?
(क) सिर
(ख) हाथ
(ग) अंगुलि
(घ) कान।
उत्तर:
अंगुलि।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 अंगुलिमाल

अंगुलिमाल Summary

अंगुलिमाल कहानी का सार

महात्मा बुद्ध संसार-भर की भलाई की इच्छा अपने मन में रखते थे। इसी कारण वे लगभग पैंतालिस वर्ष तक एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहे थे । एक बार महात्मा बुद्ध घूमते-घूमते कौशल की राजधानी श्रावस्ती गए। वहाँ का राजा प्रसेनजित उनका शिष्य था। बुद्ध धर्मोपदेश देने वहाँ जाते थे। इस बार जब वे वहाँ गए तो राजा को परेशान पाया। पूछने पर उन्हें बताया कि अंगुलिमाल नामक डाकू मेरी प्रजा को परेशान कर रहा है। महात्मा बुद्ध ने राजा को धैर्य बंधाया और उस पर विजय प्राप्त करने का विश्वास दिलाया। वह डाकू बड़ा खतरनाक था। जनता में आंतक फैला हुआ था। वह सैंकड़ों लोगों को मार चुका था। हत्याओं की गिनती के लिए उसने हर एक की अंगुली काट कर माला बनाई हुई थी। वह माला उसने गले में पहन रखी थी। इसी कारण उसका नाम भी अंगुलिमाल रखा गया था। महात्मा बुद्ध राजा से विदा लेकर उस जगंल की ओर चले जहाँ वह डाकू रहता था। महात्मा बुद्ध अभी कुछ दूरी पर ही गए थे कि उन्हें जोर की आवाज़ सुनाई दी -‘ठहरो’। बुद्ध ने मुड़ कर देखा तो झाड़ियों को चीरता हुआ वह विकराल डाकू वहाँ आ पहुँचा जिसे देखते ही महात्मा बुद्ध समझ गए कि यह वही अंगुलिमाल डाकू है।

महात्मा बुद्ध ने प्यार से अंगुलिमाल की ओर देखा और कहा,”मैं तो ठहर गया तुम कब ठहरोगे।” अंगुलिमाल हैरान था कि यह कौन आ गया जो मेरे आगे डरने की बजाए मुस्कुरा रहा है। महात्मा बुद्ध फिर बोले , “बोल कब ठहरेगा ” महात्मा बुद्ध के इन शब्दों का उस पर जादू-सा प्रभाव पड़ा और वह घुटने टेक उनके आगे बोला ,” मैं आपकी बात नहीं समझा।” महात्मा बुद्ध ने उसे समझाया कि मैं तो इस संसार के दु:खों के बन्धन से मुक्त हो गया हूँ परन्तु तुम इस मार-काट के बन्धन से कब छुट्टी लोगे? यह सुनकर डाकू बुद्ध के पैरों पर गिर पड़ा और बोला ,”महात्मन् मुझे सही मार्ग बताइए।” महात्मा बुद्ध ने उसे शान्ति, दया तथा प्रेम का पाठ पढ़ा कर उसे अपना शिष्य बनाया और अपने प्रेम, दया और निर्मल हृदय से डाकू के कठोर हृदय को जीत लिया। इसके बाद उसने कभी भी कोई मारकाट एवं लूट-पाट का काम नहीं किया।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 माँ का प्यार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 12 माँ का प्यार

Hindi Guide for Class 8 PSEB माँ का प्यार Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

शब्दार्थ:

शयन कक्ष = सोने का कमरा।
सुसज्जित = सजाया हुआ।
वत्स = पुत्र।
साम्राज्य = अति विशाल राज्य।
चेष्टा = प्रयास, कोशिश।
आन = मर्यादा, इजत।
दूभर = कठिन, मुश्किल।
यवन = विदेशी। पेट की ज्वाला = भूख।
नरेश = राजा।
प्रस्थान = जाना।
घातक = हमला करने वाला।
आभारी = उपकार को मानने वाला।
पटाक्षेप = पर्दे का गिरना।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार

II. इन शब्दों और मुहावरों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

मृत्यु-दंड = ……………….
सत्यवादी = ……………….
कसर न उठा रखना = ……………….
प्राण न्योछावर करना = ……………….
पेट भर अन्न = ……………….
पेट की ज्वाला = ……………….
उज्वल = ……………….
आभारी = ……………….
अगाध = ……………….
हिम्मत न पड़ना = ……………….
जीवन दान = ……………….
आँखें खुलना = ……………….
वीरता कूट-कूटकर भरी होना = ……………….
उत्तर:
मृत्यु दंड = मौत की सज़ा – देश के साथ गद्दारी करने के अपराध में राजा ने अपने ही सैनिक को मृत्यु दंड दे दिया था।
सत्यवादी = सच बोलने वाला – राजा हरिश्चन्द्र को सभी लोग अब भी सत्यवादी कहकर सम्मान देते हैं। ।
कसर न उठा रखना = कोई कमी न रखना – नौकर ने कहा कि वह सबकी सेवा करने में कोई कसर न उठा रखेगा।
प्राण न्योछावर करना = मर जाना – देश के लिए हज़ारों-लाखों युवकों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।
पेट भर अन्न = भूख मिटाने के लिए अनाज – मज़दूर और किसान दिन-रात कठोर परिश्रम करके भी पेट भर अन्न प्राप्त नहीं कर पाते।
पेट की ज्वाला = पेट की भूख-मनुष्य से पेट की आग कौन – सा अपराध नहीं कराती ?
उज्वल = प्रकाशमय – ईश्वर आपको उज्ज्वल भविष्य प्रदान करे।
आभारी = कृतार्थ – मैं आपकी इस दयालुता के लिए आभारी हूँ।
अगाध = अत्यधिक, बहुत – हे भगवान! आपने मुझ पर अपनी अगाध कृपा की है।
हिम्मत न पड़ना = साहस न होना – मुझ में कभी भी इतनी हिम्मत न पड़ती यदि मुझे तुम्हारा सहारा न मिलता।
जीवन दान = जीवन प्रदान करना – भगवान् ने मुझे इस भयंकर दुर्घटना से बचाकर जीवन दान प्रदान किया है।
आँखें खुलना = होश आना – अपने ही रिश्तेदारों के द्वारा की गई बेईमानी को देखकर अनुजा की तो आँखें खुल चुकी हैं।
वीरता कूट-कूट कर भरी होना = शक्ति सम्पन्न होना – चन्द्रगुप्त मौर्य में वीरता कूट-कूट कर भरी हुई थी।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार

(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) मालव जी कौन था ?
उत्तर:
मालव जी शिवाजी के एक सिपाही का वीर पुत्र था जो दो वर्ष पहले मुगलों से लड़ते हुए मारा जा चुका था।

(ख) वह शिवाजी को क्यों मारना चाहता था ?
उत्तर:
पेट की आग से परेशान और एक यवन के द्वारा दिए गए लालच के कारण वह शिवाजी को मारना चाहता था।

(ग) दिखावटी रोष किसने किया और कब किया ?
उत्तर:
दिखावटी रोष शिवाजी ने किया था जब मालव जी की वीरता, विवशता और साहस को उन्होंने भली-भांति परख लिया था।

(घ) बालक ने कौन-सी प्रतिज्ञा की और क्यों की ?
उत्तर:
बालक ने माँ से मिलकर एक घंटे में वापस आने की प्रतिज्ञा की ताकि शिवाजी उसे मृत्यु दंड दे सकें।

(ङ) मालव जी के चले जाने पर शिवाजी ने तानाजी से क्या कहा ?
उत्तर:
मालव जी के चले जाने के बाद शिवाजी ने तानाजी से कहा था कि वह बहुत वीर, सत्यवादी और साहसी था।

(च) बालक ने अपनी माँ से मृत्यु दंड की बात क्यों नहीं बतायी ?
उत्तर:
बालक ने अपनी माँ को अपने मृत्यु दंड की बात नहीं बताई थी। ऐसा करने पर वह उसे मरने के लिए वापस न भेजती।

(छ) शिवाजी ने बालक को क्षमा क्यों किया ?
उत्तर:
शिवाजी ने बालक को उसकी सत्यवादिता, ईमानदारी, वीरता और भारत माता की सेवा के लिए क्षमा किया था।

(ज) जीवन दान मिलने पर बालक ने शिवाजी को कौन-सा वचन दिया ?
उत्तर:
जीवन दान मिलने पर बालक ने शिवाजी को वचन दिया था कि जब तक उसके शरीर में जान है तब तक वह मातृभूमि की सेवा से कभी पीछे नहीं हटेगा।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार

II. ये वाक्य किसने, किससे कहे :

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार 1
उत्तर:
किसने कहा – किससे कहा
(क) मालव जी – शिवाजी
(ख) तानाजी – शिवाजी
(ग) शिवाजी – तानाजी
(घ) शिवाजी – मालव जी
(ङ) तानाजी – शिवाजी
(च) शिवाजी – तानाजी
(छ) मालव जी – शिवाजी
(ज) मालव जी – शिवाजी
(झ) मालव जी – शिवाजी

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. विपरीतार्थक शब्द लिखें :

अपराध = ………………
दंड = ……………….
मृत्यु = ……………….
झूठ = ……………….
मालिक = ……………….
सौभाग्य = ……………….
कर्तव्य = ……………….
सत्यवादी = ……………….
वीर = ……………….
कृतज्ञ = ……………….
सन्देह = ……………….
आदर = ……………….
उपस्थित = ………………
आशा = ………………
वैरी = ……………….
उत्तर:
अपराध = निरपराध
दंड = पुरस्कार
मृत्यु = जीवन
झूठ = सच
मालिक = सेवक
सौभाग्य = दुर्भाग्य
कर्त्तव्य = अकर्तव्य
सत्यवादी = मिथ्यावादी
वीर = कायर
कृतज्ञ = कृतघ्न
संदेह = निस्सन्देह
आदर = निरादर/अनादर
उपस्थित = अनुपस्थित
आशा = निराशा
वैरी = मित्र

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार

II. पर्यायवाची शब्द लिखें :-

तलवार = ……………….
वार = ……………….
मालिक = ……………….
वैरी = ……………….
ज्वाला = ……………….
लालच = ……………….
नरेश = ……………….
जेलखाना = ……………….
माँ = ……………….
माता-पिता = ……………….
संदेह = ……………….
भेद = ……………….
अपराध = ……………….
उत्तर:
तलवार = असि , कृपाण।
वार = आघात , चोट।
मालिक = स्वामी , ईश्वर।
वैरी = रिपु , दुश्मन।
ज्वाला = लपट , लौ।
लालच = तृष्णा , लोभ।
नरेश = राजा , राजन।
जेलखाना = बंदीगृह , कारागार।
माँ = माता , जननी।
माता-पिता = मात-पितु , जन्मदाता।
संदेह = शक , शंका।
भेद = रहस्य , अन्तर।
अपराध = जुर्म , गलती।

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III. नीचे एक और कुछ विशेषण शब्द दिये हैं, दूसरी ओर विशेष्य। उपयुक्त विशेषण के साथ विशेष्य जोड़कर लिखें :

विशेषण – विशेष्य
अगाध साम्राज्य
बड़ा – अवस्था
भयानक – प्राण
समस्त – साहस
दिखावटी – प्रेम
स्वप्न – मराठा
छोटी – कठिन
अपने – भार
इतना – रोष
उत्तर:
विशेषण – विशेष्य
अगाध – प्रेम
भयानक – स्वप्न
दिखावटी – रोष
छोटी – अवस्था
इतना – साहस
बड़ा – कठिन
समस्त – भार
मराठा – साम्राज्य
अपने – प्राण।

IV. समासों का विग्रह करें :

मृत्युदंड = ……………….
कुलभूषण = ……………….
वीर पुत्र = ……………….
महाराज = ……………….
सेनानायक = ……………….
शयनकक्ष = ……………….
प्रेमभरी = ……………….
उत्तर:
मृत्यु दंड = मृत्यु का दंड
कुलभूषण = कुल का भूषण
वीर पुत्र = वीर का पुत्र
महाराज = महान् है जो राजा
सेनानायक = सेना का नायक
शयनकक्ष = शयन का कक्ष
प्रेमभरी = प्रेम से भरी।

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V. सन्धि करें :

वि + आकुल = ……………….
वि + अवहार = ……………….
उत् + ज्वल = ……………….
परि + ईक्षा = ……………….
सम् + सार = ……………….
निः + भय = ……………….
उत्तर
संसार
वि + आकुल = व्याकुल
वि + अवहार = व्यवहार
उत् + ज्वल = उज्ज्वल
परि + ईक्षा = परीक्षा
सम् + सार = संसार
निः + भय = निर्भय।

VI. निम्नलिखित में से प्रत्यय छांटकर अलग लिखें :

वीरता = ……………….
पूजनीय = ……………….
हिन्दुत्व = ……………….
कायरता = ……………….
आभारी = ……………….
उत्तर:
वीरता = ता
पूजनीय = ईय
हिन्दुत्व = त्व
कायरता = ता
आभारी = ई

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार

PSEB 8th Class Hindi Guide माँ का प्यार Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘माँ का प्यार’ में किस वीर बालक की गाथा प्रस्तुत की गई है ?
(क) ताना जी
(ख) नाना जी
(ग) मालव जी
(घ) मालक जी।
उत्तर:
मालव जी।

प्रश्न 2.
मालव जी हाथ में नंगी तलवार लेकर किसकी हत्या करना चाहते हैं ?
(क) नाना जी की
(ख) शिवाजी की
(ग) यवन की .
(घ) पिता की।
उत्तर:
शिवाजी की।

प्रश्न 3.
मालव जी के पिता किन से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे ?
(क) अंग्रेज़ों
(ख) मुग़लों
(ग) तुर्कों
(घ) तुगलकों।
उत्तर:
मुग़लों।

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प्रश्न 4.
शिवाजी ने बालक को क्या दण्ड दिया ?
(क) अर्थदंड
(ख) मृत्युदंड
(ग) आजीवन कारावास
(घ) देश निकाला।
उत्तर:
मृत्युदंड।

प्रश्न 5.
शिवाजी ने बालक को किस कारण क्षमादान दिया ?
(क) उसकी माता के
(ख) उसके पिता की मृत्यु के
(ग) उसकी वीरता के
(घ) उसके क्षमा माँगने के।
उत्तर:
उसकी वीरता के।

प्रश्न 6.
बालक किसकी सेवा करने की प्रतिज्ञा करता है ?
(क) अपनी माता की
(ख) अपने समाज की
(ग) शिवाजी की
(घ) मातृभूमि की।
उत्तर:
मातृभूमि की।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार

माँ का प्यार Summary

माँ का प्यार एकांकी का सार

शिवाजी अपने कमरे में सो रहे थे। मालव जी नाम का एक बालक अपने हाथ में नंगी तलवार लिए हुए उनका वध करने के लिए आया। जैसे ही उसने शिवाजी पर वार करना चाहा वैसे ही तानाजी ने पीछे से आकर उसका हाथ पकड़ लिया। शिवाजी की नींद खुल चुकी थी। उन्होंने उस बालक से नाम पूछा तो उसने बताया कि वह मालव जी था। वध का प्रयास करने का कारण पूछने पर उसने बताया कि उसके पिता उनकी सेना में सिपाही थे। वे उनकी ओर से मुगलों से लड़ते हुए दो वर्ष पहले मारे गए थे। उनकी रोजी-रोटी का कोई भी और साधन नहीं था। उन्हें पेट-भर अन्न मिलना भी अब कठिन हो गया था। इन्सान सब कुछ सहन कर सकता है लेकिन पेट की आग नहीं। शिवाजी ने उससे पूछा कि यदि उन माँ-बेटे को इतना अधिक कष्ट था तो वे उसके पास सहायता के लिए क्यों नहीं आए थे। उसने उत्तर दिया कि जिस सिपाही ने उनकी सेना में भर्ती होकर उनका नाम उज्ज्वल किया था उसके बाल-बच्चों की देखरेख करना उनका कर्त्तव्य था।

उसने यह भी बताया कि उसे एक यवन ने उनकी हत्या के लिए कुछ इनाम देने का लालच दिया था। शिवाजी उसकी वीरता और निडरता पर मुग्ध हो गए थे। उन्होंने बनावटी क्रोध दिखाते हुए तानाजी से कहा कि उस बालक को जेलखाने में बंद कर दो और कल उसे मृत्यु-दंड दिया जाएगा। मालव जी ने शिवाजी से प्रार्थना की कि वह मरने से पहले एक बार अपनी माँ से मिलना चाहता था। यह शंका प्रकट करने पर कि वह वापस नहीं लौटेगा उसने कहा कि वह वीर पुत्र था और वह माँ के दर्शन करने के पश्चात् एक घंटे बाद अवश्य वहाँ आ जाएगा। शिवाजी ने उसे घर जाकर माँ से मिलकर लौट आने की आज्ञा दे दी। ठीक एक घंटे बाद बालक वापस आ गया। उसने बताया कि उसकी माँ उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। उसने उसे अपनी छाती से लगाया। उसने उसे वापस लौटने और मृत्यु दंड भोगने के बारे में उसे नहीं बताया था। मालव जी ने शिवाजी से प्रार्थना की कि वे उसकी माँ की देखरेख का सारा भार अपने ऊपर ले लें। शिवाजी ने यह सुनकर कहा कि वे वीरों का आदर करते हैं। वे अब तक उसकी परीक्षा ले रहे थे। उन्होंने उसके अपराध को क्षमा कर दिया और उसे बताया कि जैसे वह अपनी माँ के लिए चिन्तित था वैसे ही वे भारत माता के लिए चिन्तित थे और उसका दुःख दूर करना चाहते थे। मालव जी ने कहा कि जब तक उसके शरीर में जान है वह मातृभूमि की सेवा से कभी भी पीछे नहीं हटेगा।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

Hindi Guide for Class 8 PSEB बाबा साहेब अम्बेदकर Textbook Questions and Answers

(क) भाषा बोध

शब्दार्थ:

समस्त = सम्पूर्ण।
उपेक्षित = जिसकी उपेक्षा की गई हो, तिरस्कृत ।
दृढ़ संकल्प = पक्का निश्चय।
परिश्रम = मेहनत। कटु = कड़वा।
आजीविका = रोजी, पेट भरने का धन्धा।
पीड़ित = सताया हुआ।
शोषित = जिसका शोषण किया गया हो।
छात्रवृत्ति = वज़ीफा।
दुर्व्यवहार = बुरा बर्ताव।
उद्विग्न = दुःखी।
जागृति = जागना।
क्षितिज = आसमान।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

(ख) विषय बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा अम्बेदकर का जन्म कब, कहाँ और किसके घर हुआ ?
उत्तर:
अम्बेदकर का जन्म मऊ (इन्दौर) के निकट 14 अप्रैल, सन् 1891 को श्री राम जी राव के घर हुआ।

(ख) इन की प्रारम्भिक शिक्षा कहाँ हुई ?
उत्तर:
डॉ० अम्बेदकर की प्रारम्भिक शिक्षा ग्राम के स्कूल में हुई।

(ग) सामाजिक भेदभाव को मिटाने के लिए डॉ० अम्बेदकर का क्या योगदान रहा ?
उत्तर:
सामाजिक भेदभाव समाप्त करने के लिए डॉ० अम्बेदकर ने ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ स्थापित की। इससे सम्बद्ध ही ‘बहिष्कृत भारत’ समाचार-पत्र निकाला।

(घ) इन्होंने कौन-कौन से समाचार-पत्रों में काम किया ?
उत्तर:
डॉ० अम्बेदकर ने बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ और ‘बहिष्कृत भारत’ समाचारपत्रों में काम किया।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा साहब अम्बेदकर को ‘उपेक्षितों का मसीहा’ क्यों कहा जाता है ? लगभग 50 शब्दों में उत्तर लिखो।
उत्तर:
डॉ० अम्बेदकर ने समाज के उपेक्षित वर्ग को समानता का अधिकार दिलाया है। उन्हीं के प्रयासों से समाज के इस वर्ग को सभी क्षेत्रों, स्कूलों, गाड़ियों, होटलों, तीर्थों, मन्दिरों में समानता के अधिकार प्राप्त हुए। अब सरकारी नौकरियों और चुनाव क्षेत्रों में उनके लिए स्थान आरक्षित हैं। इन्हीं कारणों से उन्हें उपेक्षितों का मसीहा कहा जाता है।

(ख) छुआछूत को मिटाने के लिए बाबा साहिब का क्या योगदान रहा ? ।
उत्तर:
छुआछूत के कलंक को मिटाने के लिए डॉ० अम्बेदकर ने अनेक प्रयत्न किए। उन्होंने भाषणों, लेखों द्वारा छुआछूत की कुरीति के विरुद्ध प्रचार किया। लन्दन की गोलमेज़ सभा में भी इस समस्या की चर्चा की। वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य होने पर वहाँ भी इस प्रश्न को उठाया। उन्हीं के प्रयत्न से स्वतन्त्र भारत के संविधान ने छुआछूत को दण्डनीय अपराध माना है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. शुद्ध करके लिखें

परिशरम – …………………….
दरिदरता – …………………….
संसकृत – …………………….
छातरवृती – …………………….
जागरित – …………………….
आकरषित – …………………….

उत्तर:
अशुद्ध रूप – शुद्ध रूप
परिशरम – परिश्रम
दरिदरता – दरिद्रता
संसकृत – संस्कृत
छातरवृती – छात्रवृत्ति
जागरित – जागृत।
आकरषित – आकर्षित

II. भाववाचक संज्ञाएँ बनाएँ

एक – …………………….
समान – …………………….
महान – …………………….
स्वतंत्र – …………………….
उत्तर:
भाववाचक – संज्ञाएँ
एक – एकता
समान – समानता
महान् – महानता
स्वतंत्र – स्वतंत्रतां।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

III. विशेषण बनाएं

परिवार – …………………….
शिक्षा – …………………….
परिश्रम – …………………….
समाज – …………………….
आधार – …………………….
अनुभव – …………………….
आरक्षण – …………………….
आयोजन – …………………….
धर्म – …………………….
शोषण – …………………….
उत्तर:
विशेषण
परिवार – पारिवारिक
शिक्षा – शैक्षिक
परिश्रम – पारिश्रमिक
समाज – सामाजिक
आधार – आधारित
अनुभव – अनुभवी
आरक्षण – आरक्षित
आयोजन – आयोजित
धर्म – धार्मिक
शोषण – शोषित।

IV. सुशिक्षित में ‘सु’, दुर्व्यवहार में ‘दुर्’ और विलीन में ‘वि’ उपसर्ग हैं। अब ‘सु’, ‘दुर्’, ‘वि’ उपसर्गों से पाँच-पाँच नये शब्द बनाएँ।

उत्तर:
‘सु’-सुरक्षा, सुधीर, सुगंध, सुचारु, सुगठित।
“दुर्’-दुर्गम, दुर्भिक्ष, दुर्दिन, दुर्बोध, दुर्जेय।
“वि’-विकार, विक्रय, विग्रह, विपक्ष, विफल।

V. समस्त पद बनायें :

मंत्रियों का मण्डल – …………………….
संविधान की सभा – …………………….
कानून का मंत्री – …………………….
बुद्ध का धर्म – …………………….
परिषद् के सदस्य – …………………….
अभ्यास की पुस्तिका – …………………….
स्त्री और पुरुष – …………………….
महान् है जो राजा – …………………….
राष्ट्र की भाषा – …………………….

उत्तर:
मंत्रियों का मण्डल – मंत्रिमण्डल
संविधान की सभा – संविधानसभा
कानून का मंत्री – कानून मंत्री
बुद्ध का धर्म – बौद्धधर्म
परिषद् के सदस्य – परिषद् सदस्य
अभ्यास की पुस्तिका – अभ्यासपुस्तिका
स्त्री और पुरुष – स्त्री-पुरुष
महान् है जो राजा – महाराजा
राष्ट्र की भाषा – राष्ट्रभाषा।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

VI.
(1) संधि करें :

सम् + विधान = …………………….
सम् + कल्प = …………………….
सम् + पूर्ण = …………………….
सम् + उन्नत = …………………….
सम् + तोष = …………………….
उत्तर:
सम् + विधान = संविधान
सम् + पूर्ण = संपूर्ण
सम् + तोष = संतोष
सम् + उन्नत = समोन्नत
सम + कल्प = संकल्प।

(2) संधि विच्छेद करें:

प्रधानाध्यापक = …………………….
व्यवहार = …………………….
परीक्षा = …………………….
विद्यालय = …………………….
दुर्व्यवहार = …………………….
अध्यवसाय = …………………….
शताब्दी = …………………….
संगठित = …………………….
उत्तर:
प्रधानाध्यापक = प्रधान + अध्यापक
व्यवहार = विः + अव + हार
परीक्षा = परि + ईक्षा
विद्यालय = विद्या + आलय
दुर्व्यवहार = दुः + व्यवहार
अध्यवसाय = अधि + अव + साय
शताब्दी = शत + अब्दी
संगठित = सम् + गठित।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

VII. विराम चिह्न लगाएँ

सैनिक सचिव के पद पर रहते हुए उन्हें अनेक कटु अनुभव हुए चपरासी तक उनके हाथों से फाइलें लेने में कतराते थे उन्हें पानी तक नहीं मिलता था अंत में तंग आकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बम्बई चले गए।
उत्तर:
सैनिक सचिव के पद पर रहते हुए उन्हें अनेक कटु अनुभव हुए। चपरासी तक उनके हाथों से फाइलें लेने में कतराते थे। उन्हें पानी तक नहीं मिलता था। अंत में तंग आकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बम्बई चले गए।

VIII. इन वाक्यों में उचित योजक शब्द लगायें :

(1) वे संस्कृत पढ़ना चाहते थे ……….. अध्यापक उन्हें संस्कृत पढ़ाने को तैयार न थे।
(2) उन्होंने दृढ़ निश्चय किया था ……. वे समाज के इस दुर्व्यवहार के प्रति संघर्ष करेंगे।
(3) वहाँ उन्हें सबसे प्यार …….. समानता का व्यवहार मिला।
(4) समाज में मनुष्य शिक्षा से ही सम्मान पा सकता है ……… वे अपने प्रिय पुत्र भीमराव को उच्च शिक्षा दिलाने के इच्छुक थे।
(5) वे बौद्ध धर्म को पसन्द करते थे ……….. वह समानता पर आधारित है।
(6) डॉ० अम्बेदकर के जीवन को देखकर यही सिद्ध होता है ……… कोई भी व्यक्ति जन्म से नहीं, बल्कि कर्म से महान् बनता है।
उत्तर:
(1) लेकिन
(2) कि
(3) और
(4) इसलिए
(5) क्योंकि
(6) कि

PSEB 8th Class Hindi Guide बाबा साहेब अम्बेदकर Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
बाबा साहब अम्बेडकर का पूरा नाम क्या है ?
(क) डॉ० भीमराव अम्बेडकर
(ख) रामराव अम्बेडकर
(ग) भीष्मराव अम्बेडकर
(घ) डॉ. भीमा सिंह अम्बेडकर।
उत्तर:
डॉ० भीमराव अम्बेडकर।

प्रश्न 2.
बाबा साहब अम्बेडकर के पिता का क्या नाम था ?
(क) श्री राम राव
(ख) श्री राम जी राव
(ग) श्री रामकुमार राव
(घ) श्री रामरत्न राव।
उत्तर:
श्री राम जी राव।

प्रश्न 3.
बाबा साहब अम्बेडकर का जन्म कब हुआ था ?
(क) 14-4-1879
(ख) 14-4-1889
(ग) 14-4-1891
(घ) 14-4-1899.
उत्तर:
14-4-1891

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

प्रश्न 4.
बाबा साहब अम्बेडकर अमेरिका पढ़ने किस राज्य की छात्रवृत्ति पर गए थे?
(क) मैसूर
(ख) बड़ौदा
(ग) इंदौर
(घ) ग्वालियर।
उत्तर:
बड़ौदा।

प्रश्न 5.
अमेरिका के किस विश्वविद्यालय से बाबा साहब अम्बेडकर ने डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी ?
(क) न्यूजर्सी
(ख) कोलम्बिया
(ग) न्यूयार्क
(घ) कैलफोरनिया।
उत्तर:
कोलम्बिया।

प्रश्न 6.
बाबा साहब अम्बेडकर अमेरिका में कब से कब तक पढ़ते रहे ?
(क) 1913 से 1917 तक
(ख) 1913 से 1916 तक
(ग) 1913 से 1918 तक
(घ) 1913 से 1919 तक।
उत्तर:
1913 से 1917 तक।

प्रश्न 7.
बड़ौदा रियासत में बाबा साहब ने किस सचिव के पद पर कार्य किया ?
(क) वित्त
(ख) शिक्षा
(ग) सैनिक
(घ) गृह।
उत्तर:
सैनिक।

प्रश्न 8.
स्वतंत्र भारत में बाबा साहब को किस विभाग का मंत्री बनाया गया ?
(क) वित्त
(ख) विधि
(ग) गृह
(घ) शिक्षा।
उत्तर:
विधि।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 11 बाबा साहेब अम्बेदकर

प्रश्न 9.
बाबा साहब स्वतंत्र भारत में किस समिति के अध्यक्ष थे ?
(क) समाज कल्याण
(ख) संविधान
(ग) रक्षा
(घ) शिक्षा।
उत्तर:
संविधान।

प्रश्न 10.
बाबा साहब का निधन कब हुआ ?
(क) 6-12-1955
(ख) 6-12-1956
(ग) 6-12-1957
(घ) 6-12-1958.
उत्तर:
6-12-1956.

बाबा साहब अम्बेदकर Summary

बाबा साहब अम्बेदकर पाठ का सार

डॉ० भीमराव अम्बेदकर आधुनिक भारत के प्रमुख विधिवेत्ता, समाज सुधारक और राष्ट्रीय नेता थे। उनका जन्म 14 अप्रैल, सन् 1891 ई० को मऊ में हुआ जो अब मध्य प्रदेश में इन्दौर के पास स्थित है। वे महार जाति के थे। उनके पिता श्री राम जी राव एक सैनिक स्कूल के प्रधानाध्यापक थे। उन्होंने भीमराव को जीवन में आगे बढ़ने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा दिलाने का संकल्प किया। बी० ए० की परीक्षा पास करने के बाद वे बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति पर अमेरिका में अध्ययन के लिए गए। वहाँ उन्होंने पीएच० डी० की उपाधि प्राप्त की। अध्ययन के उपरान्त बड़ौदा लौटकर वे बड़ौदा महाराज के सैनिक सचिव बन गए। इसके बाद उन्होंने वकालत शुरू करने का इरादा बनाया। समाज में बराबरी के अधिकार के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया।

जब भारत आजाद हुआ तो पं० नेहरू ने उन्हें अपने मन्त्रिमण्डल में विधि मन्त्री बनाया। वे स्वतन्त्र भारत का संविधान तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष थे। उन्हीं के प्रयत्नों से समानता के मूल अधिकारों को सुरक्षित रखा गया। डॉ० अम्बेदकर के जीवन को देखकर यही सिद्ध होता है कि कोई भी व्यक्ति जन्म से नहीं बल्कि कर्म से महान् बनता है। कर्म करते रहने से व्यक्ति किसी भी उच्च स्तर तक पहुँच सकता है। लगभग तीस वर्षों तक देश के क्षितिज पर चमकने वाला यह नक्षत्र 6 दिसम्बर, सन् 1956 को सदा के लिए विलीन हो गया।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 पथ की पहचान

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 पथ की पहचान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 9 पथ की पहचान

Hindi Guide for Class 8 PSEB पथ की पहचान Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ-देखिए सप्रंसग व्याख्या में।

बटोही = मुसाफिर।
बाट = रास्ता।
अनगिनत = जिनकी गिनती न की जा सके, असंख्य।
निशानी = चिह्न।
मूक = खामोशी।
पंथी = मुसाफिर।
पंथ = मार्ग।
व्यर्थ = बेकार ।
असम्भव = नामुमकिन।
पथ = रास्ता।
पग = पैर।
अवधान = मन लगाना।
सरित् = नदी।
गिरि = पहाड़।
गह्वर = गड्ढा, खाई।
सुमन = फूल।
कंटकों = कांटों।
शर = तीर।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 पथ की पहचान

II. इन शब्दों/मुहावरों के अर्थ बताकर वाक्यों में प्रयोग करेंपथ, सुमन, अनगिनत, सहसा, बटोही, पैरों की निशानी छोड़ना, मन में बिठाना।

उत्तर:
पथ = मार्ग-व्यक्ति को. महापुरुषों के बताए हुए पथ का अनुसरण करना चाहिए।
सुमन = फूल-वाटिका में खिले हुए सुमन सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं। – अनगिनत = असंख्य, जिनकी गणना न हो सके-अनगिनत कीड़े-मकोड़े खेत पर मंडरा रहे हैं।
सहसा = अचानक-सीढ़ियों से सहसा पाँव फिसलने से मोहन को गम्भीर चोट लगी। बटोही = यात्री, मुसाफिर-थके-हारे बटोही ने वट-वृक्ष के नीचे आराम किया।
पैरों की निशानी छोड़ना = संकेत छोड़ना-श्रीकृष्ण ने गीता में पैरों की निशानी छोड़कर ही हमें कर्म का पाठ पढ़ाया है।
मन में बिठाना = याद रखना-अरे राघव, मन में बिठा लो कि तुम्हें कल तक वापस लौटना ही है।

(ख) विषय – बोध

प्रश्न 1.
कवि ने कविता में किस पथ की पहचान कर लेने का भाव प्रस्तुत किया
उत्तर:
कवि ने कविता में व्यक्ति को जीवन-पथ की पहचान कर लेने का भाव प्रस्तुत किया है।

प्रश्न 2.
‘अनगिनत राहियों’ से कवि ने किस ओर जाने का संकेत दिया है ?
उत्तर:
व्यक्ति के जीवन पथ में अनेक साथी मिलते हैं, परन्तु जो अपने पाँव के निशान छोड़ गए हैं, उन पर ही आगे बढ़ना चाहिए।

प्रश्न 3.
राही पथ पर अपनी निशानी कैसे छोड़ जाते हैं ?
उत्तर:
अपने अच्छे कारनामों से यात्री पथ पर अपनी निशानियाँ छोड़ जाते हैं, जो सबके लिए अनुकरणीय होती हैं।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 पथ की पहचान

प्रश्न 4.
सफल यात्री राह पर कैसे बढ़ता है ?
उत्तर:
सफल यात्री मार्ग की विघ्न-बाधाओं की परवाह किये बिना आगे बढ़ता है। वह अपने मार्ग को पूरी तरह पहचान कर लेता है।

प्रश्न 5.
राही को कब नहीं रुकना चाहिए ?
उत्तर:
साथियों के छोड़ जाने पर और बाधाएं आने पर भी राही को नहीं रुकना चाहिए।

प्रश्न 6.
इन पंक्तियों की व्याख्या करो-
है अनिश्चित किस जगह पर सरित, गिरि, गह्वर मिलेंगे,
है अनिश्चित किस जगह पर बाग़-वन सुन्दर मिलेंगे।
उत्तर:
हे यात्री ! यह पहले से निश्चित नहीं है कि जीवन-पथ पर कहाँ नदी, पर्वत और खाई मिलेंगे, किस समय कौन-सी कठिनाई का सामना करना पड़े, इस विषय में पहले से कोई अनुमान लगाना सम्भव नहीं। किस मार्ग पर सुन्दर बाग और वन मिलेंगे अर्थात् किस समय सुख का अनुभव होगा, इस विषय में भी पहले से कुछ नहीं कहा जा सकता। किस स्थान पर जीवन-यात्रा समाप्त हो जाएगी, यह भी पहले से नहीं जाना जा सकता। यह भी निश्चित नहीं कि कब सुख रूपी फूल और कब तीव्र चुभन पैदा करने वाले दुःख रूपी कांटे मिलेंगे। इस जीवन-पथ पर बढ़ते हुए कौन-से साथी अलग हो जाएंगे और कौन-से नए आ मिलेंगे यह भी पहले से जानना सम्भव नहीं। बस तू केवल इतना फैसला कर ले कि तुम्हारे मार्ग में भले ही कुछ आ जाए पर तू अपने पथ पर रुकेगा नहीं, अपितु निरन्तर आगे बढ़ता जाएगा। अतः हे पथिक ! तू चलने से पूर्व अपने मार्ग की पहचान कर ले। भाव है कि जीवन-पथ के यात्री के लिए यह अनिश्चित होता है कि उसे कहाँ सुख मिलेंगे और कहाँ दुःख।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 पथ की पहचान

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें

आँख – ……………….
पहाड़ – ……………….
नदी – ………………..
मुसाफिर – ………..
वन – ……………….
उत्तर:
आँख – नेत्र, नयन।
पहाड़ – पर्वत, गिरि।
नदी – सरिता, तटिनी।
मुसाफिर – यात्री, बटोही।
वन – अरण्य, कानन।

II. इन शब्दों के आगे ‘अ’ लगाकर विलोम शब्द बनाएँ

ज्ञात – ……………..
निश्चित – ……………..
सम्भव – ……………..
सफल – ……………..
सत्य – ……………..
उत्तर:
ज्ञात – अज्ञात।
निश्चित-अनिश्चित।
सम्भव – असम्भव।
सफल – असफल।
सत्य – असत्य।

III. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें

(1) जो गिना न जा सके
(2) जो निश्चित न हो
(3) पथ पर चलने वाला।
उत्तर:
(1) अनगिनत
(2) अनिश्चित
(3) पथिक।

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IV. ‘अनगिनत’, ‘अनुमान’ शब्द में ‘अन’ और ‘अनु’ उपसर्ग हैंइसी प्रकार ‘अन’ और ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर नये शब्द बनाएँ

अन + होनी =………….
अन + जान =…………..
अन + मोल =………….
अन + अन्य =…………..
अनु + सार =………….
अनु + शासन =………….
अनु + मति =………….
अनु + करण। = ……….
उत्तर:
अन + होनी = अनहोनी
अन + जान = अनजान
अन + मोल = अनमोल
अन + अन्य = अनन्य
अनु + सार = अनुसार
अनु + शासन = अनुशासन
अनु + मति = अनुमति
अनु + करण = अनुकरण।

(घ) रचना बोध

प्रश्न 1.
कविता के आधार पर सभी विद्यार्थी जीवन का लक्ष्य’ विषय पर निबन्ध करें।
उत्तर:
‘जीवन का लक्ष्य’ निबन्ध के लिए विद्यार्थी व्याकरण के निबन्ध भाग में देखें।

PSEB 8th Class Hindi Guide पथ की पहचान Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
चलने से पहले बटोही को किसकी पहचान करनी चाहिए ?
(क) साथी की
(ख) बाट की
(ग) बाहर की
(घ) वातावरण की।
उत्तर:
बाट की।

प्रश्न 2.
कवि किस पथ की पहचान की बात कर रहा है ?
(क) घर के
(ख) वन के
(ग) जीवन के
(घ) समाज के।
उत्तर:
जीवन के।

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प्रश्न 3.
राही पथ पर अपने निशान कैसे छोड़ जाते हैं ?
(क) निशान लगाकर
(ख) धर्मशाला बनाकर
(ग) पक्का रास्ता बनाकर
(घ) अच्छे कार्य करने से।
उत्तर:
अच्छे कार्य करने से।

प्रश्न 4.
सफल यात्री किसकी चिंता नहीं करता ?
(क) साथी की
(ख) रास्ते की
(ग) वस्त्रों की
(घ) विघ्न बाधाओं की
उत्तर:
विघ्न बाधाओं की।

प्रश्न 5.
राही की आन क्या है ?
(क) सड़कें बनाना
(ख) साथी के साथ रहना
(ग) किसी की चिंता नहीं करना
(घ) सदा चलते रहना।
उत्तर:
सदा चलते रहना।

पथ की पहचान Summary

सप्रसंग व्याख्या

1. पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
पुस्तकों में है नहीं, छापी गई इसकी कहानी,
हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की जबानी,
अनगिनत राही गये इस राह से, उनका पता क्या,
पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी,
यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है,
खोल इसका अर्थ पंथी, पंथ का अनुमान कर ले,
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।

शब्दार्थ:
बटोही = मुसाफिर। बाट = रास्ता। अनगिनत = जिनकी गिनती न की जा सके, असंख्य। निशानी = चिह्न। मूक = खामोशी। पंथी = मुसाफिर। पंथ = मार्ग।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित श्री हरिवंश राय ‘बच्चन’ द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ नामक कविता में से लिया गया है। इसमें कवि ने जीवन मार्ग पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। जीवन-मार्ग पर चलने वाले मनुष्य को सावधान किया गया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जीवन के मार्ग पर चलने वाले हे यात्री ! तू चलने से पहले रास्ते को समझ ले। इस जीवन के रास्ते की कहानी पुस्तकों में नहीं छापी गई है। दूसरे के मुँह से सुनकर भी इसका हाल ज्ञात नहीं होता। आज तक इस रास्ते पर अनगिनत यात्री जा चुके हैं, परन्तु उन सब का आज कुछ भी पता नहीं कि कहाँ गए, परन्तु कुछ लोग इस रास्ते पर अपने पैरों की निशानी छोड़ गए हैं। यह निशानी चुप रह कर भी बहुत कुछ बताती है। हे यात्री ! तू इसका अर्थ समझ कर अपने रास्ते का अनुमान लगा ले। मुसाफिर ! तू चलने से पहले अपने मार्ग की पहचान कर ले। भाव है कि जीवन-पथ का रास्ता बड़ा विस्तृत है। इस पर सोच-समझ कर चलना चाहिए।

विशेष:

  1. कवि ने मानव को जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए जिन बातों को जानने की आवश्यकता होती है उसका पाठ पढ़ाया है।
  2. भाषा सरल और सरस है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 पथ की पहचान

2. यह बुरा है या कि अच्छा व्यर्थ दिन इस पर बिताना,
जब असम्भव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना,
तू इसे अच्छा समझ यात्रा सरल इससे बनेगी,
सोच मत केवल तुझे ही, यह पड़ा मन में बिठाना,
हर सफल पंथी यही विश्वास ले इस पर बढ़ा है,
तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले,
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

शब्दार्थ : व्यर्थ = बेकार । असम्भव = नामुमकिन। पथ = रास्ता। पग = पैर। अवधान = मन लगाना।

प्रसंग:
यह पद्यांश ‘श्री हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित ‘पथ की पहचान’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य को जीवन पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। कवि जीवन-मार्ग पर चलने वाले मनुष्य को सावधान करते हुए कहते हैं

व्याख्या:
कवि कहता है कि हे पथिक! यह मार्ग बुरा है या अच्छा, इस बात के लिए सोच-सोचकर दिन बिता देना बेकार है। तू अपने पथ पर निरन्तर आगे बढ़ता जा, जबकि .इस रास्ते को छोड़कर दूसरे रास्ते पर चलना असम्भव है। जीवन का रास्ता एक ही है, उस पर चलना ही पड़ेगा, इसलिए यह सोचना व्यर्थ है कि यह बुरा है या अच्छा। तू इसी मार्ग को अच्छा जान ले, इससे तू रास्ते पर आसानी से चल सकेगा। यह मत सोच कि केवल तुझे ही मन में यह निश्चय करना पड़ा है, बल्कि हर एक सफल यात्री ने इसी विश्वास को लेकर इस रास्ते पर अपना मन लगा कर चलना शुरू किया है। तू भी आज. इसी रास्ते पर अपना मन लगा ले। हे यात्री ! चलने से पहले अपने मार्ग की पहचान कर ले। भाव है कि जब व्यक्ति कोई रास्ता अपना ले तो फिर उस पर बढ़ते रहना चाहिए।

विशेष:

  1. कवि ने मनुष्य को जीवन में स्थिरता का परिचय दिया है और माना है कि उसे बार-बार अपने लक्ष्य को बदलना नहीं चाहिए।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 पथ की पहचान

3. है अनिश्चित किस जगह पर सरित्, गिरि, गह्वर मिलेंगे,
है अनिश्चित किस जगह पर बाग, वन सुन्दर मिलेंगे,
किस जगह यात्रा खत्म हो जाएगी, यह भी अनिश्चित,
है अनिश्चित, कब सुमन, कब कंटकों के शर मिलेंगे,
कौन सहसा छूट जाएंगे, मिलेंगे कौन सहसा,
आ पड़े कुछ भी, रुकेगा तू न, ऐसी आन कर लें,
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।

शब्दार्थ : सरित् = नदी। गिरि = पहाड़। गह्वर = गड्ढा, खाई। सुमन = फूल। कंटकों = कांटों। शर = तीर।

प्रसंग:
यह पद्यांश ‘पथ की पहचान’ नामक कविता से लिया गया है। यह श्री हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित है। इसमें कवि ने मनुष्य को जीवन पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। कवि जीवन-मार्ग पर चलने वाले मनुष्य को सावधान करते हुए कहते हैं

व्याख्या:
हे यात्री ! यह पहले से निश्चित नहीं है कि जीवन-पथ पर कहाँ नदी, पर्वत और खाई मिलेंगे, किस समय कौन-सी कठिनाई का सामना करना पड़े, इस विषय में पहले से कोई अनुमान लगाना सम्भव नहीं। किस मार्ग पर सुन्दर बाग और वन मिलेंगे अर्थात् किस समय सुख का अनुभव होगा, इस विषय में भी पहले से कुछ नहीं कहा जा सकता। किस स्थान पर जीवन-यात्रा समाप्त हो जाएगी, यह भी पहले से नहीं जाना जा सकता। यह भी निश्चित नहीं कि कब सुख रूपी फूल और कब तीव्र चुभन पैदा करने वाले दुःख रूपी कांटे मिलेंगे। इस जीवन-पथ पर बढ़ते हुए कौन-से साथी अलग हो जाएंगे और कौन-से नए आ मिलेंगे यह भी पहले से जानना सम्भव नहीं। बस तू केवल इतना फैसला कर ले कि तुम्हारे मार्ग में भले ही कुछ आ जाए पर तू अपने पथ पर रुकेगा नहीं, अपितु निरन्तर आगे बढ़ता जाएगा। अतः हे पथिक ! तू चलने से पूर्व अपने मार्ग की पहचान कर ले। भाव है कि जीवन-पथ के यात्री के लिए यह अनिश्चित होता है कि उसे कहाँ सुख मिलेंगे और कहाँ दुःख।

विशेष:

  1. कवि ने मनुष्य को निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।
  2. भाषा सरल और सरस है।।

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पथ की पहचान कविता का सार

‘पथ की पहचान’ कविता श्री हरिवंश राय ‘बच्चन’ की श्रेष्ठ रचना है। इसमें कवि मनुष्य को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे मनुष्य ! जीवन के मार्ग पर चलने से पहले तू उसकी पहचान कर ले, क्योंकि इसका ज्ञान लोगों के बताने या पुस्तकों से प्राप्त नहीं होगा। कुछ लोग जो जीवन-पथ पर अपने चिह्न छोड़ गए हैं, उनके आधार पर अपनी यात्रा आरम्भ करनी चाहिए। एक बार रास्ते में चलने के बाद अच्छे या बुरे का विचार नहीं करना चाहिए। दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इस रास्ते पर चलते हुए यह निश्चित नहीं कि कहाँ सुख मिलेंगे और कहाँ दुःख। कौन रास्ते में छोड़ जाएगा और कब तुम्हारी जीवनयात्रा समाप्त हो जाएगी। ये सारी बातें अनिश्चित हैं, परन्तु तू दृढ़ता के साथ आगे बढ़ता चल।
‘पथ की पहचान’ कविता श्री हरिवंश राय ‘बच्चन’ की श्रेष्ठ रचना है। इसमें कवि मनुष्य को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे मनुष्य ! जीवन के मार्ग पर चलने से पहले तू उसकी पहचान कर ले, क्योंकि इसका ज्ञान लोगों के बताने या पुस्तकों से प्राप्त नहीं होगा। कुछ लोग जो जीवन-पथ पर अपने चिह्न छोड़ गए हैं, उनके आधार पर अपनी यात्रा आरम्भ करनी चाहिए। एक बार रास्ते में चलने के बाद अच्छे या बुरे का विचार नहीं करना चाहिए। दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इस रास्ते पर चलते हुए यह निश्चित नहीं कि कहाँ सुख मिलेंगे और कहाँ दुःख। कौन रास्ते में छोड़ जाएगा और कब तुम्हारी जीवनयात्रा समाप्त हो जाएगी। ये सारी बातें अनिश्चित हैं, परन्तु तू दृढ़ता के साथ आगे बढ़ता चल।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 बस चुप भली

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 8 बस चुप भली Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 बस चुप भली

Hindi Guide for Class 8 PSEB बस चुप भली Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ

निगाह = नज़र।
जुबानदराजी = अधिक बोलने की आदत।
दस्तक = खटखटाना।
जहर उगलना = बुरा-भला कहना।
रामबाण औषधि = अचूक दवा।
नसीहतें = उपदेश।
बयान = वर्णन करना।
चटोरी = स्वाद लेने वाली।
रसना = जीभ।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 बस चुप भली

II. इन मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग करें:

1. काला अक्षर भैंस बराबर
2. छाती पर मूंग दलना
3. फाँसी का फंदा चूमना
4. कान पकड़ना
5.मैदान में कूद पड़ना
6. राग अलापना
7. नमक खाना
8. अपना-सा मुँह लेकर चले जाना
9. जान के पीछे पड़ना
उत्तर:
1. काला अक्षर भैंस बराबर – आज के युग में काला अक्षर भैंस बराबर व्यक्ति को समाज में सम्मान प्राप्त नहीं होता।
2. छाती पर मूंग दलना – गणेशी का बदमाश पोता न पढ़ता है और न ही कोई काम करता है, बस बूढ़ी दादी की छाती पर मूंग दलता रहता है।
3. फाँसी का फंदा चूमना – भगत सिंह ने देश के लिए खुशी-खुशी फाँसी का फंदा चूम लिया था।
4. कान पकड़ना – मैं तो कान पकड़ता हूँ कि तुम्हारे घर अब कभी नहीं आऊँगा।
5. मैदान में कूद पड़ना – झांसी की रानी अंग्रेजों के व्यवहार से क्रोधित हो कर मैदान में कूद पड़ी थी।
6. राग अलापना – तेरी यहाँ कोई सुनवाई नहीं तो फिर क्यों अपना राग अलाप रहा है।
7. नमक खाना – तुम्हारा बरसों तक नमक खाया है इसलिए यह काम तो मुझे करना ही पड़ेगा।
8. अपना-सा मुँह लेकर चले जाना – अफ़सर ने जब गाँव वालों की बात सुनी ही नहीं तो वे अपना-सा मुँह लेकर चले गए।
9. जान के पीछे पड़ना – ये गुंडे तो तुम्हारी जान के पीछे पड़े हुए हैं इसलिए जल्दी पुलिस की सहायता प्राप्त करो।

(ख) विषय – बोध

I. सही पर (✓) और गलत पर (×) का चिह्न लगायें :

(क) जुबानदराजी बुरी आदत है?
(ख) मौन के बल पर कालिदास का विवाह राजकुमारी से नहीं हुआ था। ( )
(ग) निर्दय जुबान के कारण रहीम अन्तिम दिनों में परेशान हुए थे। ( )
(घ) बिहारी लाल और मुरारी लाल को साहब ने तरक्की दी थी। ( )
(ङ) चुनाव अभियान में लेखक ने खन्ना का पक्ष लिया था। ( )
उत्तर:
सही- क, ग।
गलत- ख, घ, ङ।

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II. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
सब आफ़तों से बचने की रामबाण औषधि क्या है?
उत्तर:
सब आफ़तों से बचने की रामबाण औषधि मौन धारण कर लेना है।

प्रश्न (ख)
न चाहते हुए भी हम क्यों जुबानदराजी करते हैं?
उत्तर:
न चाहते हुए भी मन के भावों के कारण जुबान नियंत्रण में नहीं रहती है और हम जुबानदराजी करते हैं।

प्रश्न (ग)
जुबानदराजी के कारण मनसूर का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
जुबानदराजी के कारण मनसूर को फांसी के फंदे पर झूलना पड़ा था।

प्रश्न (घ)
अपने ही घर में लेखक को मेहमान क्यों बनना पड़ा?
उत्तर:
लेखक को अपने किसी जान-पहचान वाले के बेटे की शादी में न चाहते हुए भी भागीदार बनने के कारण अपने ही घर में मेहमान बनना पड़ा था।

प्रश्न (ङ)
बिहारी लाल और मुरारी लाल की गवाही से लेखक ने मुक्ति किस युक्ति से ली?
उत्तर:
लेखक को झूठ-मूठ की भयंकर खाँसी का बहाना करने की युक्ति से बिहारी लाल और मुरारी लाल की गवाही से मुक्ति मिली थी।

III. चार या पाँच वाक्यों में उत्तर लिखें:

प्रश्न (क)
एक चुप सौ सुख’ इस तथ्य (सच्चाई) को अपनी युक्तियों से स्पष्ट करें।
उत्तर:
वास्तव में ही ‘एक चुप सौ सुख’ एक सच्चाई है। यदि दो मित्र आपस में किसी भी बात पर झगड़ पड़ें तो उन में से किसी एक का पक्ष नहीं लिया जा सकता। ऐसा करने से उन दो में से एक मित्र का दुश्मन बन जाना निश्चित होता है। लड़ाई-झगड़ा तो घर में भी हो जाता है। चुप रह कर किसी भी पक्ष का साथ न देना समस्या को कम ही करता है और अपने शत्रुओं और विरोधियों की संख्या को भी कम करता है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 बस चुप भली

प्रश्न (ख)
क्या हर स्थिति में चुप रहना चाहिए’ अपने विचार लिखें।
उत्तर:
हर स्थिति में चुप नहीं रहना चाहिए। ऐसा तो केवल वही कर सकता है जो मूर्ख हो या पागल हो। जब कोई अन्याय के रास्ते पर चलता हुआ किसी पर भी अनावश्यक रूप से अत्याचार कर रहा हो तो चुप नहीं रहना चाहिए। देखकर मक्खी नहीं निगली जा सकती। जब हमारे हितों को चोट लग रही हो या किसी पर भी अनर्थ ढाया जा रहा हो तो चुप नहीं रहना चाहिए, सदा चुप रहने वाले को लोग मूर्ख ही मानते हैं और जीवन जीते हुए मूर्ख कदापि नहीं बनना चाहिए। इसके लिए व्यवहार बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न (ग)
बिहारी लाल और मुरारी लाल के झगड़े से बचने के लिए लेखक ने क्या नाटक किया?
उत्तर:
बिहारी लाल और मुरारी लाल के झगड़े से बचने के लिए लेखक ने अपने दफ़्तर के साहब से भयंकर खांसी का नाटक किया था। वह ज़ोर-जोर से खाँसी करते हुए लुढ़क गया था। उसने अपनी सांस रोक ली थी। उसे डिस्पैंसरी ले जाना पड़ा था।

प्रश्न (घ)
लेखक ने उलझनमयी परिस्थितियों कोर्ट कचहरी, शादी-मंगनी, चुनाव उपचुनाव-आदि से दूर रहने का संकेत क्यों दिया है ?
उत्तर:
जब हम किसी विषय पर चुप हो जाते हैं और किसी भी पक्ष के पक्ष या विपक्ष का साथ नहीं देते तो लोग हमें अपना शस्त्र नहीं बना पाते। वे हम से तब किसी गवाही की उम्मीद नहीं रखते। उन्हें लगता है कि हम उनके किसी काम के नहीं हैं। ऐसी स्थिति में हम कोट-कचहरी, शादी-मंगनी, चुनाव-उपचुनाव आदि चक्करों से बच जाते हैं।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग पृथक् करें :

1. अधिपति, अध्यक्ष, अध्यात्म, अधिराज।
2. अभिप्राय, अभिशाप, अभिलाषा, अभिमान।
3. अपराध, अपमान, अपशब्द, अपवाद।
4. अतिशय, अतिनिर्धन, अत्याचार, अत्यावश्यक।
5. अनुवाद, अनुचर, अनुरूप, अनुकरण।
6. अवगुण, अवनति, अवस्था, अवसर।
7. उपमान, उपवन, उपकार, उपमंत्री।
8. निर्भय, निर्दोष, निर्वाह, नीरोग (निर्)
9. निस्तार, निश्चल, निष्प्राण, निष्प्रभ (निस / निश / निष् । निः)
10. परिचय, परिमाण, परिक्रमा, परिवर्तन।
उत्तर:
1. अधि
2. अभि
3. अप
4. अति
5. अनु
6. अव
7. उप
8. निर्
9. निस / निश / निष् / निः
10. परि।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 बस चुप भली

II. समस्तपदों को अलग करें (विग्रह)

जुबान दराजी = ……………….
वाणी-संयम = ……………….
योग-साधना = ……………….
तन-मन = ……………….
शरणागत = ……………….
रसोईघर = ……………….
आपबीती = ……………….
अनपढ़ = ……………….
उत्तर:
जुबान दराजी = जुबान की दराजी
वाणी-संयम = वाणी का संयम
योग-साधना = योग की साधना
तन-मन = तन और मन
शरणागत = शरण में गत
रसोई घर = रसोई के लिए घर
आप बीती = अपने पर बीती
अनपढ़ = नहीं पढ़ा है जो/ न पढ़ा

PSEB 8th Class Hindi Guide बस चुप भली Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
किस पर लगाम लगाने से सभी काम शीघ्रता और शांति से हो जाते हैं ?
(क) हाथों पर
(ख) पैरों पर
(ग) जुबान पर
(घ) मन पर।
उत्तर:
जुबान पर।

प्रश्न 2.
जुबानदराजी के कारण किसे फाँसी पर झूलना पड़ा
(क) महमूद को
(ख) मनसूर को
(ग) मुनव्वर को
(घ) मुज़रूह को।
उत्तर:
मनसूर को।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 बस चुप भली

प्रश्न 3.
गवाही नहीं देने से मुक्ति कैसे मिलती है ?
(क) बेहोश होकर
(ख) बीमार होकर
(ग) खांसी के दौरे से
(घ) विदेश भाग कर।
उत्तर:
खांसी के दौरे से।

प्रश्न 4.
रहीम के अनुसार अनुचित बात कहने पर जूते किसे पड़ते हैं ?
(क) मुँह को
(ख) खोपड़ी को
(ग) पीठ को
(घ) टांगों को
उत्तर:
खोपड़ी को।

प्रश्न 5.
विधानसभा के चुनाव अभियान का काम संभालने से बचने के लिए लेखक कहाँ चले गए ?
(क) दिल्ली
(ख) शिमला
(ग) अमृतसर
(घ) पटियाला।
उत्तर:
दिल्ली

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 बस चुप भली

बस चुप भली Summary

बस चुप भली पाठ का सार

युगों से समझदार लोग सभी प्रकार की मुसीबतों से बचने के लिए एक ही बात कहते आएं हैं कि ‘एक चुप सौ सुख’। जुबान पर लगाम लगाने से सभी काम शीघ्रता और शांति से पूरे हो जाते हैं लेकिन जुबान है कि मुँह में टिकती ही नहीं। जरा-सी बात पर गज भर लंबी हो कर यह बाहर निकल आती है और झगड़े का बड़ा कारण बन जाती है। बुजुर्गों की चुप रहने की नसीहत धरी-की-धरी रह जाती है। चुप रहना आसान नहीं है पर इसके फ़ायदे बहुत हैं। मूर्ख और अनपढ़ कालिदास केवल चुप रहने के कारण सुंदर राजकुमारी का पति बन गया था और वहीं अपने युग का सबसे बड़ा दार्शनिक मन्सूर जोबस हर बात को बोलने के कारण फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। तभी तो रहीम को कहना पड़ा था कि जुबान अच्छी-बुरी सब बातें कह कर स्वयं तो दाँतों के पीछे मुँह में जा छिपती है और जूते बेचारी खोपड़ी को खाने पड़ते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के समय मुहल्ले के दो लोग लेखक के घर पधारे।

वे दोनों चाहते थे कि लेखक महोदय उनके लिए चुनावअभियान का सारा कार्यभार संभाल लें। लेखक ने उन दोनों को किन्हीं विशेष एहसानों के कारण साफ-साफ मना तो करना नहीं था, इसलिए उन्होंने उन्हें एक कागज़ पर लिख कर बताया कि वे मौन व्रत पर थे और अगले दिन बताएंगे कि वे उन दोनों में से किस के लिए काम करेंगे। अगले दिन सुबह-सवेरे वे दिल्ली चले गए और विवाद से बच गए। दफ़्तर में बिहारी लाल और मुरारी लाल ने आपस में जोरदार झगड़ा किया, तोड़-फोड़ भी कर दी। बड़े साहब ने उन दोनों के कहने पर लेखक को गवाह के रूप में बुलाया। संकट से बचने के लिए लेखक ने भयंकर खाँसी के दौरे का नाटक किया। लेखक को तो डिस्पैंसरी भेज दिया गया पर बिहारी-मुरारी दोनों की तरक्की रोक दी गई थी जिसका सारा दोष दोनों ने लेखक पर डाला। एक बार मुहल्ले के कुछ बुजुर्गों ने अपने होनहार पुत्र को विवाह के लिए लड़की पक्ष को दिखाने हेतु लेखक का घर चुन लिया। लेखक चाह कर भी उन्हें ना नहीं कह सका जिसका परिणाम है कि अब उसका मेहमानखाना लड़के-लड़की वालों के आपसी झगड़ों का पंचायत घर बना हुआ है। लेखक का यही मानना है कि कोर्ट-कचहरी, शादी-मंगनी, चुनाव-उपचुनाव, सिफ़ारिश, गवाही, जमानत आदि से दूर ही रहना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जा सकता तो जुबान अवश्य खोलनी पड़ेगी और जुबान का रस तो निश्चित रूप से दुःखदायी होता ही है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

Hindi Guide for Class 8 PSEB गुरु गोबिन्द सिंह जी Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ

दशम् = दसवें।
दुर्लभ = जिनका मिलना कठिन हो।
तेजस्वी = शक्तिशाली।
बलात् = बलपूर्वक, ज़बरदस्ती।
अल्पावस्था = छोटी आयु।
आक्रमण = हमला।
मैत्री = मित्रता।
कृपाण = तलवार।
निधन = स्वर्गवास।
नेतृत्व करना = अगुवाई करना।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

II. मुहावरों और लोकोक्तियों का वाक्यों में प्रयोग करो

1. छक्के छुड़ाना –
2. होनहार बिरवान के होत चीकने पात –
3. काम तमाम करना –
4. हिम्मत न हारना –
5. वीरगति को प्राप्त होना –
6. तलवार के घाट उतारना –
7. खूब फलना –
8. फूलना –
9. बीड़ा उठाना –
10. मौत को गले लगाना –
11. ईंट से ईंट बजाना –
12. प्राण फूंक देना –
13. जान से खेलना –
उत्तर:
1. छक्के छुड़ाना – शिवाजी ने मुग़ल सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
2. होनहार बिरवान के होत चीकने पात – गुरु गोबिन्द सिंह की बचपन में ही अद्भुत योग्यता इस बात की परिचायक थी कि होनहार बिरवान के होत चीकने पात।
3. काम तमाम करना – तलवार के एक ही वार से उसने डाकू का काम तमाम कर दिया।
4. हिम्मत न हारना – अनेक संकटों के बाद भी गुरु जी ने हिम्मत न हारी।
5. वीरगति को प्राप्त होना – युद्ध में अनेक भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
6. तलवार के घाट उतारना – वीर सैनिक ने शत्रु को तलवार के घाट उतार दिया।
7. खूब फलना – फूलना-ईश्वर की कृपा से हमारा व्यापार खूब फल-फूल गया है।
8. बीड़ा उठाना – मैंने देश की सेवा करने का बीड़ा उठा लिया है।
9. मौत को गले लगाना – गरीब किसान ने उधार न चुका पाने के कारण नदी में कूद कर मौत को गले लगाया था।
10. ईंट से ईंट बजाना – चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने विरोधियों की ईंट से ईंट बजा दी थी।
11. प्राण फूंक देना – सेठ जी की सहायता ने युवक में प्राण फूंक दिये थे।
13.जान से खेलना – जान से खेलकर राहुल ने अपने पिता को डाकुओं से बचा लिया था।

(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
भारतीय इतिहास में गुरु गोबिन्द सिंह जी का नाम क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह के त्याग, बलिदान और वीरता के कारण ही उनका नाम भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध है।

प्रश्न (ख)
गोबिन्द राय ने पिता को बलिदान के लिए प्रेरणा क्यों दी ?
उत्तर:
गोबिन्द राय ने अपने पिता गुरु तेग़ बहादुर को हिन्दू-धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देने की प्रेरणा दी।

प्रश्न (ग)
गुरु जी के प्रिय खेल क्या-क्या थे ?
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी के प्रिय खेल हथियार चलाना, घुड़सवारी करना, साथियों की दो टोलियाँ बनाकर नकली युद्ध करना आदि थे।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

प्रश्न (घ)
‘पाऊँटा’ शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
पाऊँटा का अर्थ है पाँव टिकाना। जिस स्थान पर गुरु जी ने पाँव टिकाए, वह स्थान पाऊँटा साहिब के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

प्रश्न (ङ)
गुरु जी ने सेना क्यों सजाई ?
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने धर्म की रक्षा और औरंगज़ेब के अत्याचारों का मुकाबला करने के लिए सेना सजाई।

प्रश्न (च)
जफरनामा के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
निडर और साहसी गुरु गोबिन्द सिंह जी ने औरंगज़ेब को जो फ़ारसी में पत्र लिखा था उसे जफ़रनामा कहते हैं।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
गोबिन्द राय का बचपन ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात’ कहावत को कैसे चरितार्थ करता है ?
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी जब बाल्यावस्था में ही थे, तो उनमें महानता के गुण झलकने लगे थे। तीर-तलवार चलाना, घुड़सवारी करना आदि उनके प्रिय खेल थे। जब कश्मीरी पंडित फ़रियाद लेकर गुरु तेग़ बहादुर जी के पास आनन्दपुर आए तो उस समय गुरु गोबिन्द सिंह जी केवल नौ वर्ष के थे। उन्होंने अपने पिता गुरु तेग़ बहादुर जी को धर्म की रक्षा तथा अत्याचारों के विरुद्ध बलिदान देने की प्रेरणा दी। गुरु गोबिन्द सिंह जी की इन्हीं विशेषताओं के कारण यह लोकोक्ति उन पर पूर्णतया चरितार्थ होती है, ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात।’

प्रश्न (ख)
गुरु जी ने खालसा पंथ की स्थापना कैसे की ?
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने सन् 1699 को वैशाखी के पर्व पर आनन्दपुर साहिब में दरबार सजाया। भरी सभा में उन्होंने बलिदान के लिए पाँच शिष्यों की माँग की। सभा में सन्नाटा छा गया। फिर दिल्ली का जाट धर्मदास, द्वारिका का धोबी मुहकम चन्द, जगन्नाथ का कहार हिम्मत राय और लाहौर का क्षत्रिय दयाराम और विदर का नाई साहब चन्द बलिदान के लिए सामने आए। गुरु जी एक-एक करके उन्हें अपने तम्बू में ले जाते और उन्हें वहाँ बैठा देते। इस तरह पाँच प्यारों का चुनाव किया गया। उन्हें अमृत छकाया। ‘पाँच ककार धारण कराये। स्वयं भी अमृत पिया। इस तरह धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की।

प्रश्न (ग)
“इन पुत्रन के सीस, पर, वार दिए. सुत चार,
चार मुए तो क्या भया, जीवित कई हजार।”
इन पंक्तियों का क्या भाव है?
उत्तर:
मुग़ल सेना से लड़ते हुए गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने एक जाट शिष्य की हवेली को ही किला बना कर शत्रु का सामना किया। उनके दो पुत्र अजीत सिंह और जुझार सिंह युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए। छोटे दोनों पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहिन्द के सूबेदार ने जीवित ही दीवार में चिनवा दिया पर उन्होंने अपना धर्म नहीं बदला। माता सुन्दरी के आँसुओं को देखकर गुरु जी ने भरी सभा में कहा था-

इन पुत्रन के सीस पर, वार दिए सुत चार,
चार मुए तो क्या भया, जीवित कई हजार।

अर्थात् मेरे हज़ारों शिष्य पुत्रों के समान हैं। मैंने चार पुत्रों का बलिदान इन्हीं की रक्षा के लिए किया है। वे चार मर भी गए तो कोई बड़ी बात नहीं, जबकि मेरे कई हज़ार पुत्र जीवित हैं।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

प्रश्न (घ)
‘सुभ करमन से कबहूँ न टरौ’ पंक्ति का क्या भाव है?
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी स्वभाव से मानवतावादी थे। वे किसी भी अवस्था में जीवन की राह में आने वाली मुसीबतों और कठिनाइयों से भयभीत नहीं होते थे। धर्म और जाति की रक्षा के लिए वे सदा तत्पर रहते थे। ‘सुभ करमन से कबहूँ न टरौ’ से तात्पर्य है कि मैं जीवन की राह पर शुभ कार्यों को पूरा करने से कभी भी भयभीत न होऊँ। मैं सदा जाति और धर्म के लिए श्रेष्ठ कार्य करता रहूँ।

प्रश्न (ङ)
“मैं हूँ परम पुरख का दासा। देखन आयो जगत तमासा” पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी पूर्ण रूप से ईश्वर में विश्वास रखते हुए अपने कर्तव्यपथ पर डटे रहे थे। “मैं हूँ परम पुरख का दासा। देखन आयो जगत तमासा” के द्वारा उन्होंने यही माना है कि मैं परम पिता परमात्मा का दास हूँ और उनके द्वारा रचे गए संसार रूपी इस तमाशे को देखने के लिए ही धरती पर आया हूँ। इस संसार की सुंदरता-बदसूरती, अच्छाई-बुराई, कोमलता-कठोरता, सच-झूठ, प्रेम-घृणा आदि सब सांसारिक तमाशे ही हैं। महान् आत्मा होते हुए भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह गुरु जी ने इस संसार में रह कर परमात्मा के तमाशे ही तो देखे थे।

प्रश्न (च)
गुरु गोबिन्द सिंह जी का व्यक्तित्व अलौकिक था, स्पष्ट करें।
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी का व्यक्तित्व निस्संदेह रूप से अलौकिक था। उन्होंने धर्म, जाति और देश के लिए अपने युग को दिशा-निर्देश ही नहीं दिया था बल्कि स्वयं तलवार हाथ में थाम कर इन्सानियत के दुश्मनों को संसार से दूर भी कर दिया था। वे अवतार पुरुष थे जिन्होंने निर्जीवों में प्राण फूंक दिये थे, कायरों को वीरता का पाठ पढा दिया था और वीरों को शेर की तरह बहादुर बना दिया था। उनके एक-एक सिंह में लाखों से जूझने की अद्भुत शक्ति थी। उन्होंने अपनी अलौकिक क्षमता से धर्म, जाति और राष्ट्र को नया जीवन प्रदान कर दिया था। वै महान् बोद्धा, दीन-दुखियों के संरक्षक, महान् संत, धर्म और संस्कृति के उद्धारक, खालसा पंथ के संस्थापक और मानवतावादी होने के कारण लौकिक न हो कर अलौकिक थे।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें

जो विश्वास के योग्य हो – ……………
जो निडरता से कार्य करे – ……………
जो कभी न मरे – ……………
आक्रमण करने वाला – ……………
धर्म से सम्बन्धित – ……………
दूर की सोचने वाला – ……………
जो घोड़े की सवारी करे – ……………
जानने की इच्छा रखने वाला – ……………
उत्तर:
1. जो विश्वास के योग्य हो – विश्वसनीय, विश्वासपात्र
2. जो निडरता से कार्य करे – निर्भीक/निडर
3. जो कभी न मरे – अमर
4. आक्रमण करने वाला – आक्रमणकारी/हमलावर
5. धर्म से सम्बन्धित – धार्मिक
6. दूर की सोचने वाला – दूरदर्शी
7. जो घोड़े की सवारी करे – घुड़सवार
8. जानने की इच्छा रखने वाला – जिज्ञासु

II. निम्नलिखित समास का विग्रह करके समास का नाम बतायें :

शस्त्र विद्या = ……………
धर्म परिवर्तन = ……………
महापुरुष = ……………
पुत्र इच्छा = ……………
युद्ध साम्रगी = ……………
भयभीत = ……………
पंजाब = ……………
उत्तर:
शस्त्र विद्या = शस्त्र की विद्या – संबंध तत्पुरुष समास
धर्म परिवर्तन = धर्म का परिवर्तन – संबंध तत्पुरुष समास
महापुरुष = महान् है पुरुष जो – कर्मधारय समास
पुत्र इच्छा = पुत्र की इच्छा – संबंध तत्पुरुष समास
युद्ध साम्रगी = युद्ध के लिए सामग्री – संप्रदान तत्पुरुष समास
भयभीत = भय से भीत – करण तत्पुरुष समास
पंजाब = पाँच आबों (नदियों) का समूह-द्विगु समास।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

III. सन्धि-विच्छेद करें

अत्याचारी = ……………
युवावस्था = ……………
अल्पावस्था = ……………
भाषानुवाद = ……………
रामायण = ……………
दुर्लभ = ……………
विद्याभ्यास = ……………
सम्मान = ……………
उत्तर:
संधि विच्छेद
अत्याचारी = अति + आचारी।
युवावस्था = युवा + अवस्था।
अल्पावस्था = अल्प + अवस्था।
भाषानुवाद = भाषा + अनुवाद।
रामायण = राम + आयन।
दुर्लभ = दुः + लभ।
विद्याभ्यास = विद्या + अभ्यास।
सम्मान = सम् + मान।

IV. विशेषण बनाएँ

साहित्य + इक = साहित्यिक
सम्प्रदाय + इक = ………
धर्म + इक = ……………
संस्कृति + इक = ………
साहस + इक = …………..
स्वभाव + इक = ………..
उत्तर:
विशेषण
साहित्य + इक = साहित्यिक
सम्प्रदाय + इक = साम्प्रदायिक
धर्म + इक = धार्मिक
संस्कृति + इक = सांस्कृतिक
साहस + इक = साहसिक
स्वभाव + इक = स्वाभाविक।

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V. ‘प्रहार’ और ‘प्रशिक्षित’ में ‘प्र’ उपसर्ग है। ‘निर्जीव’ में ‘निर्’ और ‘दुर्लभ’ में ‘दुर्’ उपसर्ग है। इन तीनों उपसर्गों का प्रयोग करते हुए पाँच-पाँच शब्द लिखें।

उत्तर:
प्र – प्रगति, प्रमाण, प्रवीण, प्रचण्ड, प्रवृत्ति।
निर् – निर्लज्ज, निर्लोभ, निर्बल, निर्धन, निर्जन।
दुर् – दुर्दशा, दुर्जन, दुर्गम, दुराचार, दुर्लभ।

(घ) रचनाबोध

प्रश्न 1.
गुरु गोबिन्द सिंह जी पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर:
निबन्ध-लेखन भाग देखिए।

PSEB 8th Class Hindi Guide गुरु गोबिन्द सिंह जी Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी सिखों के कौन-से गुरु थे ?
(क) द्वितीय
(ख) चतुर्थ
(ग) अष्टम
(घ) दशम्।
उत्तर:
दशम्।

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प्रश्न 2.
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म कब हुआ था ?
(क) 22-12-1646
(ख) 22-12-1666
(ग) 22-12-1665
(घ) 22-12-1664.
उत्तर:
22-12-1666.

प्रश्न 3.
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) पटियाला
(ख) पटना
(ग) पाटन
(घ) पालमपुर।
उत्तर:
पटना।

प्रश्न 4.
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का बचपन का नाम क्या था ?
(क) गोबिन्द राय
(ख) गोबिन्द राम
(ग) गोबिन्द सिंह
(घ) गोबिन्द लाल।
उत्तर:
गोबिन्द्र राय।

प्रश्न 5.
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने गुरु पद कब ग्रहण किया था ?
(क) 11-11-1657
(ख) 11-11-1670
(ग) 11-11-1675
(घ) 11-11-1660.
उत्तर:
11-11-1675.

प्रश्न 6.
पाऊँटा साहिब का किला कब बना था?
(क) 1680
(ख) 1682
(ग) 1683
(घ) 1685.
उत्तर:
1685.

प्रश्न 7.
पाँच प्यारों का चुनाव कहाँ हुआ था ?
(क) पटना साहिब में
(ख) नांदेड़ में
(ग) आनन्दपुर साहिब में
(घ) अमृतसर में।
उत्तर:
आनन्दपुर साहिब में।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

प्रश्न 8.
गुरु गोबिन्द सिंह जी के कितने पुत्रों ने बलिदान दिया था ? ।
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
चार।

प्रश्न 9.
‘जफरनामा’ किस भाषा की रचना है ?
(क) अरबी
(ख) फ़ारसी
(ग) संस्कृत
(घ) गुरुमुखी।
उत्तर:
फ़ारसी।

प्रश्न 10.
खालसा पंथ की स्थापना सन् 1699 ई० को किस दिन हुई थी ?
(क) लोहड़ी के
(ख) वैशाखी के
(ग) दीपावली के
(घ) दशहरा के।
उत्तर:
वैशाखी के।

गुरु गोबिन्द सिंह जी Summary

गुरु गोबिन्द सिंह जी पाठ का का सार

गुरु गोबिन्द सिंह जी सिखों के दशम गुरु थे। वे अनेक गणों के भंडार थे। वे धीर. वीर. त्यागी और तेजस्वी महापुरुष थे। उन्होंने देश धर्म की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्रों का बलिदान दिया। वे महान् योद्धा थे। वे सूर्य के समान तेजस्वी थे। उन्होंने कायरों को वीर बनाया और वीरों को सिंह बना दिया था।

गुरु जी का जन्म 22 दिसम्बर, सन् 1666 ई० को पटना (बिहार) में हुआ। उनका बचपन का नाम गोबिन्द राय रखा गया। उनके पिता गुरु तेग़ बहादुर जी थे। उनकी माता जी श्रीमती गुजरी जी थीं। गोबिन्द राय जी का बचपन भी असाधारण था। शस्त्र और शास्त्र विद्या से उन्हें बड़ा प्रेम था।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 गुरु गोबिन्द सिंह जी

गुरु तेग़ बहादुर परिवार सहित पटना से आनन्दपुर आ गए। देश में औरंगजेब का शासन था। भयभीत कश्मीरी गुरु तेग़ बहादुर जी की शरण में आए। उन्होंने हिन्दू-धर्म की रक्षा के लिए प्रार्थना की। गुरु तेग़ बहादुर जी ने कहा-“स्थिति किसी महापुरुष का बलिदान चाहती है।” पास बैठे नौं वर्षीय पुत्र गोबिन्द राय ने कहा-“पिता जी, आप से बढ़ कर बलिदान योग्य महापुरुष कौन हो सकता है ?” पुत्र की इच्छा को समझ कर गुरु जी ने दिल्ली पहुँच कर चाँदनी चौक में अपना शीश भेंट कर दिया।

श्री गोबिन्द राय ने 11 नवम्बर, सन् 1675 को गुरु-पद ग्रहण किया। उन्होंने गुरु-गद्दी पर बैठकर ही धर्म की रक्षा का बीड़ा उठाया। उन्होंने पाँच सिखों को संस्कृत पढ़ने के लिए काशी भेजा। सन् 1685 ई० में उन्होंने यमुना के किनारे एक किला बनवाया जिसका नाम पाऊँटा साहिब रखा गया। वहाँ गुरु जी ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाया। गुरु जी की बढ़ती शक्ति से पहाड़ी राजा उनके शत्रु बन गए। औरंगजेब भी क्रोधित हो उठा। सन् 1699 ई० में वैशाखी के दिन गुरु जी ने आनन्दपुर साहिब में दरबार सजाया। वहाँ आपने पाँच प्यारों का चुनाव किया। वहाँ खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु जी ने अपना नाम गोबिन्द सिंह रखा। धर्म की रक्षा करने के लिए अन्याय तथा अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष किया। उन्होंने अपने चारों पुत्रों को देश धर्म के लिए बलिदान कर दिया।
गुरु जी ने औरंगज़ेब को फ़ारसी में एक पत्र लिखा। इसे ‘जफ़रनामा’ कहा जाता है। औरंगज़ेब को इसमें धिक्कारा गया था। गुरु जी नन्देड़ (महाराष्ट्र) में रहने लगे। वहाँ से उन्होंने बन्दा बहादुर को अत्याचार का दमन करने के लिए पंजाब भेजा। उसने सरहिन्द की ईंट से ईंट बजा दी। गुरु गोबिन्द सिंह जी 7 अक्तूबर, सन् 1708 ई० को स्वर्ग सिधार गए। उनके महान् आदर्श आज भी हमारे प्रेरणा स्रोत हैं।

 

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 मुँह बोले बेटे

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 6 मुँह बोले बेटे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 6 मुँह बोले बेटे

Hindi Guide for Class 8 PSEB मुँह बोले बेटे Textbook Questions and Answers

(क) भाषा बोध

I. शब्दार्थ

दुर्घटना = दुर् + घटना = बुरी घटना
असमर्थ = शक्ति के बाहर
निरुत्तर = निर् + उत्तर = उत्तर न देना
गति = चाल
चौकस = सतर्क
शीघ्र = जल्दी
फुर्ती = तेजी
अनुरोध = प्रार्थना
लथपथ = भीगा हुआ, तर। .
समीप = पास
दर्पण = शीशा
पर्याप्त = काफी
इशारा = संकेत
दंग = हैरान
तिराहा = तीन रास्तों का समूह
प्रभाव = असर।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 मुँह बोले बेटे

II. इन शब्दों को अपने वाक्यों में प्रयुक्त करें

दुर्घटना – ……………..
निरुत्तर – ……………..
चौकस – ……………..
लथपथ – ……………..
प्रभाव – ……………..
दंग – ……………..
उत्तर:
दुर्घटना – बस दुर्घटना में कई लोग मारे गए।
निरुत्तर – गुरु जी के कथन पर सब निरुत्तर हो गए।
चौकस – यात्रा करते समय चौकस रहना चाहिए।
लथपथ – सब घायल खून से लथपथ थे।
प्रभाव – महात्मा जी के भाषण का बड़ा प्रभाव हुआ।
दंग – मोहन के आने पर सब दंग रह गए।

III. मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करें

1.  झाँसा देना – ……………..
2. चम्पत हो जाना – ……………..
3. जान में जान आना – ……………..
4. धोखा खाना – ……………..
5. आँख लगना – ……………..
6. लहूलुहान होना – ……………..
7. जान के लाले पड़ना – ……………..
8. ढांढ़स बंधाना – ……………..
9. साँस फूलना – ……………..
10. दंग रह जाना – ……………..
11. चपेट में आ जाना – ……………..
12. चौकसी बरतना – ……………..
13. बंटाधार हो जाना – ……………..
उत्तर:
1. झाँसा देना – आज के राजनीतिज्ञ जनता को झांसा देने में बहुत चतुर हैं।
2. चम्पत हो जाना – लुटेरा पुलिस को देखते ही चम्पत हो गया।
3. जान में जान आना – सुरेश के सकुशल लौटने पर सब की जान में जान आ गई।
4. धोखा खाना – जनता नेताओं से बार-बार धोखा खाती रहती है।
5. आँख लगना – ठण्डी हवा के झोंके से सुधा की आँख लग गई।
6. लहूलुहान होना – दुर्घटना में सभी यात्री लहूलुहान हो गए।
7. जान के लाले पड़ना – सब यात्रियों को अपनी-अपनी जान के लाले पड़े थे।
8. ढांढ़स बंधाना – दुर्घटना स्थल पर लोगों ने बढिया को ढांढस बंधाया।
9. साँस फूलना – पहाड़ी की चढ़ाई पर साँस फूलने लगता है।
10. दंग रह जाना – छोटी-सी बच्ची की चतुराई भरी बातें सुन कर मैं तो दंग रह गया हूँ।
11. चपेट में आ जाना – दो कारों की टक्कर की चपेट में बेचारा साइकिल वाला भी आ गया था।
12. चौकसी बरतना – बिजली के उपकरणों को हाथ लगाते समय हमेशा चौकसी बरतनी चाहिए।
13.बंटाधार हो जाना – तुम्हारे बहकावे में आकर मेरी परीक्षा का भी बंटाधार हो गया है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 मुँह बोले बेटे

(ख) विषय बोध

I रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(1) दो बसों की ……….. हो गई थी।
उत्तर:
टक्कर

(2) मार्च का ……….. था।
उत्तर:
महीना

(3) नौजवान …… वाली दुकान से …. खरीद लाया।
उत्तर:
दवाइयों, टीका

(4) हम ……… पास हैं।
उत्तर:
बी० ए०

(5) नौकरी की ………… में हैं।
उत्तर:
तलाश।

II. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
घटना स्थल से शिमला कितनी दूर था?
उत्तर:
घटना स्थल से शिमला पाँच मील दूर था।

प्रश्न (ख)
सोहन लाल खन्ना चण्डीगढ़ से कहाँ जा रहे थे?
उत्तर:
सोहन लाल खन्ना चण्डीगढ़ से शिमला जा रहे थे।

प्रश्न (ग)
डॉ० सोहन लाल खन्ना बस से उतरने के लिए कितनी देर इन्तजार करते रहे?
उत्तर:
सोहन लाल खन्ना बस से उतरने के लिए पाँच मिनट इन्तजार करते रहे।

प्रश्न (घ)
जब दुर्घटना घटित हुई तब कौन-सा महीना था?
उत्तर:
जब दुर्घटना घटी, उस समय मार्च का महीना था।

प्रश्न (ङ)
कितने युवक डॉ० खन्ना की ओर लपके ?
उत्तर:
दो युवक डॉ० खन्ना की ओर लपके।

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III. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
दुर्घटना होने के बाद जब डॉ० खन्ना की आँख खुली तो उन्होंने क्या अनुभव किया?
उत्तर:
जब बसों के टकराने से डॉ० खन्ना की आँख खुली तो वह दस-बीस सैकण्ड तक यह न समझ पाये कि वह सपना देख रहे थे कि सचमुच कोई दुर्घटना हुई है। उनके निचले होंठ और ठोडी के बीच के भाग से खून टपक रहा था। उन्हें दर्द हो रही थी। उन के सफेद स्वैटर पे खून के धब्बे थे।

प्रश्न (ख)
दोनों लड़कों ने डॉ० खन्ना की किस प्रकार सहायता की?
उत्तर:
दोनों लड़कों ने डॉ० खन्ना की बहुत सहायता की। बस से उतरने पर उनका भारी सामान उठा लिया। फिर वे उन्हें घायल अवस्था में एक अस्पताल ले गए। अपने पास से पैसे खर्च करके उन्हें टीका लगवाया। तदन्तर उन्हें पंचायत भवन पहुंचाया।

प्रश्न (ग)
‘मुँह बोले बेटे’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट करें।
उत्तर:
‘मुँह बोले बेटे’ कहानी का उद्देश्य यह है कि मुसीबत और कष्ट में फंसे व्यक्ति की नि:स्वार्थ भाव से सहायता करनी चाहिए। स्वयं कष्ट सहकर भी दूसरों की मदद करनी चाहिए। व्यर्थ में किसी पर सन्देह नहीं करना चाहिए। सभी इन्सान स्वार्थी या धोखेबाज नहीं होते। बेरोज़गार और सुविधाविहीन लोग भी परोपकारी होते हैं और वे सेवाभाव का कोई मूल्य नहीं चाहते।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. कारक ढूंढ़ कर नाम बताएँ

(1) दो बसों की टक्कर हो गई।
(2) चण्डीगढ़ से शिमला के लिए चले थे।’
(3) बाज़ार में काफ़ी भीड़ थी।
(4) लड़कों ने डॉ० खन्ना की बहुत सेवा की।
(5) दोनों लड़के डॉ० खन्ना के मुँह बोले बेटे बन गए।
(6) डॉ० खन्ना ने अपनी आप बीती सुनाई।
(7) स्ट्रेचर से उतर कर चप्पल पहनी।
(8) हे भगवान्! रक्षा करो।
(9) लड़कों को पैसे दिए।
(10) दर्पण में देखना चाहते थे।
उत्तर:
(1) बसों की-सम्बन्ध
(2) चण्डीगढ़ से-अपादान, शिमला के लिए-कर्म
(3) बाज़ार में-अधिकरण
(4) लड़कों ने-करण, खन्ना का-संबंध।
(5) दोनों लड़केकर्ता, खन्ना के-संबंध
(6) खन्ना ने-कर्ता
(7) स्ट्रेचर से-अपादान
(8) हे भगवान्संबोधन
(9) लड़कों को-सम्प्रदान
(10) दर्पण में-अधिकरण।

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II. इन वाक्यों में सकर्मक क्रिया पर गोला लगायें तथा अकर्मक क्रिया को रेखांकित करें :

(i) दो बसों की टक्कर हो गई थी।
(ii) नींद का झोंका आया।
(ii) वे खिड़की से सटी सीट पर बैठे थे।
(iv) दोनों एक साथ बोले।
(v) खन्ना साहब ने दोनों ओर निगाह दौड़ाई।
(vi) दोपहर का समय था।
(vii) उसने अपना वाहन रोक दिया।
(viii) मार्च का महीना था।
उत्तर:
(i) बसों की टक्कर हो गई-सकर्मक
(ii) नींद का झोंका आया-अकर्मक
(iii) सीट पर बैठे थे-सकर्मक
(iv) दोनों एक साथ बोले-अकर्मक
(v) दोनों ओर निगाह दौड़ाई-अकर्मक
(vi) दोपहर का समय था-अकर्मक
(vii) वाहन रोक दिया-सकर्मक
(viii) मार्च का महीना था-अकर्मक।

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III. विराम चिह्न लगायें

  • एक युवक ने हँसते हुए कहा हम ही आपको पंचायत भवन पहुँचाएँगे
  • बस हमारे पीछे पीछे चले आओ
  • मुँह खोलने में कष्ट होने पर भी शिष्टाचार के नाते उन्होंने पूछ ही लिया बेटा तुम क्या काम करते हो
  • डॉक्टर ने पूछा कहिए दादा कैसा लग रहा है
  • उन्होंने कहा हाँ अब ठीक हूँ

उत्तर:

  • एक युवक ने हँसते हुए कहा- “हम ही आपको ‘पंचायत भवन’ पहुँचाएँगे।” ।
  • बस, हमारे पीछे-पीछे चले आओ।
  • मुँह खोलने में कष्ट होने पर भी शिष्टाचार के नाते उन्होंने पूछ ही लिया, “बेटा! तुम क्या काम करते हो?”
  • डॉक्टर ने पूछा, “कहिए दादा! कैसा लग रहा है?”
  • उन्होंने कहा, “हाँ! अब ठीक हूँ।”

IV. विशेषण बनायें।

नीचे = निचला
ऊपर = …………….
आगे = …………….
भीतर = …………….
पीछे = …………….
बाहर = …………….
उत्तर:
नीचे = निचला
ऊपर = ऊपरी
आगे = अगला
भीतर = भीतरी
पीछे = पिछला
बाहर = बाहरी।

V. यद्यपि-तथापि, जो-सो, यदि-तो, क्योंकि-इसलिए आदि योजकों को प्रयोग करते हुए वाक्य बनाएँ।

उत्तर:
यद्यपि-तथापि – यद्यपि वह ग़रीब है, तथापि ईमानदार है।
जो-सो – जो उचित समझो, सो लिखो।
यदि-तो – यदि तुम वहाँ गए तो मेरा काम करते आना।।
क्योंकि-इसलिए – क्योंकि वह बीमार हो गया, इसलिए परीक्षा नहीं दे सका।

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VI. शब्दों के शुद्ध रूप लिखें

दूरघटना – …………….
लहूलुहान – …………….
सवारिया – …………….
वयोवरदध – …………….
अनूरोध – …………….
उत्तर:
अशुद्ध रूप – शुद्ध रूप
दूरघटना – दुर्घटना
लहूलूहान – लहूलुहान
सवारिया – सवारियाँ
वयोवरदध – वयोवृद्ध
अनूरोध – अनुरोध।

VII. समस्त पद विग्रह करें

पंचायत-भवन = …………….
दुर्घटना-स्थल = …………….
गंतव्य-स्थलों = …………….
उत्तर:
(1) पंचायत का भवन।
(2) दुर्घटना का स्थल।
(3) गंतव्य का स्थल।

(घ) रचना भाग

I. अपने मित्र को आँखों देखी दुर्घटना का विवरण देते हुए पत्र लिखो।

उत्तर:
181-मॉडल टाऊन,
पटियाला।
दिसंबर 18, 20….
प्रिय परमजीत,
नमस्ते।

आशा है कि घर में सभी प्रसन्नचित होंगे। मैं काफी दिन से तुम्हें पत्र लिखने की सोच रहा था। लेकिन परीक्षाओं के कारण ऐसा नहीं कर पाया। आज स्कूल से लौटते समय मैंने एक ऐसी दुर्घटना देखी जिसे तुम्हें बताने के लिए मैं चाह कर भी स्वयं को रोक नहीं पा रहा हूँ। तुम्हें तो पता ही है कि मेरा स्कूल और घर का फासला बहुत कम है और मुझे वहाँ पहुंचने में मुश्किल से पांच मिनट लगते हैं। आज जब छुट्टी के बाद मैं स्कूल से घर की ओर चला तो स्कूल के गेट से कुछ आगे एक मोटा आवारा सांड सड़क किनारे खड़ा था। वह बिल्कुल शांत था। एक रिक्शा चालक वहीं पास ही सड़क पर खड़ा था। शायद वह सवारी का इंतजार कर रहा था। अचानक सांड को पता नहीं क्या हुआ? उसने दो-तीन बार अपने अगले खुर जमीन पर ज़ोर से मारे और उस रिक्शा चालक की ओर सिर झुका कर तेज़ी से भागा और सीधा उसके पेट में टक्कर मार दी। उसके सींग उस बेचारे के पेट में जा घुसे। सांड ने अपना सिर पीछे किया। खून से रंगा हुआ रिक्शा चालक चीख भी नहीं पाया था कि सांड ने उसे अपने पाँव से कुचल डाला। जब तक लोग सांड को काबू कर पाते तब तक बेचारा रिक्शा वाला खून से लथपथ सड़क किनारे मृत रूप में पड़ा था। यह देखकर सब सन्न रह गए थे। यह दृश्य मेरे लिए अति भयानक था। ईश्वर ऐसा कभी किसी को न दिखाए। मेरा मन अभी भी अन्दर ही अन्दर डर रहा है। बाकी फिर कभी लिखूगा।
माता-पिता जी को मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र,
रमनीत सिंह।

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II. यदि आपकी किसी ने संकट के समय सहायता की हो तो उसे 50 शब्दों में लिखें।

उत्तर:
पिछले सोमवार मैं स्कूल नहीं गया था। पेट में तेज दर्द था जो दवाई लेने के बाद भी ठीक नहीं हुआ था। मम्मी ने मुझे स्कूल न जाने के लिए कहा था और स्वयं ही पड़ोस में रहने वाले आलोक को मेरी छुट्टी का प्रार्थना-पत्र दे आई थी। लगभग दो-तीन घंटे बाद पेट दर्द ठीक हो गया और मैं पिता जी की दुकान पर चला गया। उन्होंने मुझे बिजली का बिल जमा कराने के लिए पैसे दिए। मैं साइकिल पर बिल जमा कराने गया। बिल जमा करा के जब लौट रहा था तो मेरा साइकिल एक स्कूटर वाले से टकरा गया। मैं सड़क पर जा गिरा था। मेरा सिर सड़क से टकरा गया था। मुझे इसके बाद कुछ पता नहीं। मुझे एक आदमी उठा कर डॉक्टर के पास ले गया था। मेरी आँखें जब खुली तो वह मेरे पास था। उसने मेरी पट्टी करवाई थी। वही मुझे मेरे घर छोड़ कर गया था। मैं उसकी सद्भावना और सहायता को अपने जीवन में कभी नहीं भुला पाऊँगा।

PSEB 8th Class Hindi Guide मुँह बोले बेटे Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर.लिखें

प्रश्न 1.
एक बस चण्डीगढ़ से कहाँ जा रही थी ?
(क) कांगड़ा
(ख) मनाली
(ग) शिमला
(घ) सोलन।
उत्तर:
शिमला।

प्रश्न 2.
दूसरी बस शिमला से कहाँ जा रही थी ?
(क) चण्डीगढ़
(ख) रोपड़
(ग) अमृतसर
(घ) लुधियाना।
उत्तर:
चण्डीगढ़।

प्रश्न 3.
किस बस का ड्राइवर खून से लथपथ था ?
(क) शिमला की
(ख) चण्डीगढ़ की
(ग) सोलन की
(घ) रोपड़ की।
उत्तर:
चण्डीगढ़ की।

प्रश्न 4.
डॉ० सोहनलाल खन्ना किस सीट पर बैठे थे ?
(क) सातवीं
(ख) आठवीं
(घ) दसवीं।
उत्तर:
नौवीं।

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प्रश्न 5.
एम्बुलेंस कितने घायलों को अस्पताल ले गई ?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) छः
(घ) सात।
उत्तर:
छः।

प्रश्न 6.
वैन के किस ड्राइवर ने खन्ना साहब को अस्पताल तक पहुँचाया ?
(क) पारसी
(ख) खान
(ग) सिक्ख
(घ) पंडित।
उत्तर:
सिक्ख।

प्रश्न 7.
खन्ना साहब को युवकों ने कहाँ पहुँचाया ?
(क) उनके घर
(ख) पंचायत भवन
(ग) होटल
(घ) धर्मशाला।
उत्तर:
पंचायत भवन।

प्रश्न 8.
कितने युवकों ने खन्ना साहब की सहायता की ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पांच।
उत्तर:
दो।

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प्रश्न 9.
युक्क खन्ना साहब के लिए क्या खरीद कर लाए ?
(क) फल
(ख) भोजन
(ग) टीका
(घ) दवा।
उत्तर:
टीका

प्रश्न 10.
खन्ना साहब ने युवकों को कितने रुपए का नोट देना चाहा ?
(क) पचास
(ख) सौ
(ग) दो सौ
(घ) पाँच सौ।
उत्तर:
पचास।

प्रश्न 11.
युवक कितने पढ़े-लिखे थे ?
(क) मैट्रिक
(ख) बारहवीं
(ग) बी. ए.
(घ) एम. ए.।
उत्तर:
बी.ए.।

प्रश्न 12.
युवकों को किसकी तलाश थी ?
(क) मकान की
(ख) भोजन की
(ग) नौकरी की
(घ) समान की।
उत्तर:
समान की।

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मुँह बोले बेटे Summary

मुँह बोले बेटे कहानी का सार

‘मुँह बोले बेटे’ नामक कहानी इन्सानियत का पाठ पढ़ाने वाली एक कहानी है। दो बसों में टक्कर हो गई। एक बस चण्डीगढ़ से शिमला जा रही थी, दूसरी शिमला से चण्डीगढ़। चण्डीगढ़ वाली बस का ड्राइवर खून से लथपथ अपनी सीट में फँसा कराह रहा था। डॉ० सोहन लाल खन्ना नौवीं सीट पर बैठे थे। वह शिमला जा रहे थे। वे नींद के झोंके में थे। जैसे ही टक्कर हुई वह अगली सीट से टकरा गए। खून की कुछ बूंदें टपक पड़ी। सभी सवारियों को अपनी जान के लाले पड़े थे। सभी बस से उतरने लगे। सब उतरने की जल्दी में थे। डॉ० सोहन लाल खन्ना सब के बाद बस से उतर सके। उनका रुमाल खून से तर-बतर हो चुका था। बस से उतरने पर दो युवक खन्ना साहब की ओर बढ़े। एक ने उनका अटैची थाम लिया और दूसरे ने बैग।

पुलिस की सूचना पर एक एम्बुलेंस की गाड़ी आई। वह छः घायलों को अस्पताल ले गई। इनमें एक महिला भी थीं। रोकने पर भी कोई वाहन वहाँ न रुकता था। लोग दुर्घटना के लिए कंकरीट को दोष दे रहे थे। खन्ना साहब को यह डर था कि कहीं दोनों युवक सामान लेकर चंपत न हो जाएं। युवकों के अनुरोध पर खन्ना साहिब ने पहाड़ी सड़क पर चढ़ने का इरादा बना लिया। एक किलोमीटर चलने के बाद तिराहा आया। इतने में एक वैन आई। उसका ड्राइवर एक सिक्ख नौजवान था। वह उन्हें अस्पताल तक पहुँचाने को तैयार हो गया। दोनों युवक और खन्ना साहब उसमें सवार हो गए। दस-बारह मिनट बाद वैन एक चौड़ी सड़क पर जा रुकी। अब तीनों अस्पताल तक पहुँचने के लिए छोटे रास्ते पर चल पड़े। खन्ना साहब अब भी शंकित थे। थोड़ी देर में एक सरकारी अस्पताल में पहुँच गए। डॉक्टर ने खन्ना साहब को स्ट्रेचर पर लिटाया और चोट पर दवाई का फाहा रख दिया। डॉक्टर के कहने पर एक नौजवान दवाइयों वाली दुकान से टीका खरीद लाया।

खन्ना साहब की कमर में टीका लगाया गया। खन्ना साहब ने स्वस्थ मन से कहाअब वह ठीक है। पहाड़ी-साहित्य-गोष्ठी का समय दस बजे था। खन्ना साहब ने कहाडॉक्टर साहब आपका भी धन्यवाद है, और इन दोनों बेटों का भी। उन्होंने लड़कों से कहा बेटा ! इंजैक्शन कितने का आया ? अपने पैसे ले लो। मुझे एक कुली कर दो, जो पंचायतभवन पहुँचा दे। एक युवक ने हँसते हुए कहा-हम ही आपको पंचायत भवन पहुँचाएंगे।

दूसरे ने कहा-वहीं आपसे इंजैक्शन के पैसे ले लेंगे। डॉक्टर की फीस और माल ढुलाई का भाड़ा भी लेंगे। तीनों पंचायत भवन की ओर चल पड़े। पूछने पर दोनों युवकों ने बताया कि वे बी० ए० पास थे और वे किसी नौकरी की तलाश में थे। अब खन्ना साहब पंचायत भवन पहुँच गए थे। खन्ना साहब ने लड़कों को पचास रुपये का नोट देते हुए कहा-‘बेटा’, यह लो दवाई के पैसे। अपने घर का पता बता दो। युवकों ने कहा-आपने हमें बार-बार बेटा कहा है। पैसे देकर हमारी इन्सानियत पर धब्बा न लगाएं। खन्ना साहब के मन में उन ‘मुँह बोले बेटों’ के सद् कारनामे याद आने लगे।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 पेड़

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 पेड़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 पेड़

Hindi Guide for Class 8 PSEB पेड़ Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ:

स्वच्छ = साफ़।
विश्रामस्थल = आराम का स्थान
कोटर = वृक्षों की खोह, गह्वर।
नीड़ = घोंसला।
बरगद = बोहड़, वटवृक्ष।
वन-सम्पदा = वनों की दौलत।
लोलुप = लालची।
विभूतियाँ = सम्पत्तियाँ।
आशीष = आशीर्वाद।
पथिकों = मुसाफिरों।
पर्यावरण = वातावरण।
चिकित्सक = वैद्य, डॉक्टर।
भक्षक = खाने वाला।

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(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें.

प्रश्न (क)
धूल और धुएँ से दूषित वातावरण में पैदा होने वाले रोगों की कौनसी सर्वोत्तम दवा है ?
उत्तर:
दूषित वातावरण में, खाँसी, श्वास-रोग, हृदय रोग, कैंसर आदि घातक रोग पनपते हैं। इनसे बचने की एकमात्र दवा शुद्ध वायु है। यह केवल पेड़ों से ही उपलब्ध हो सकती है।

प्रश्न (ख)
पेड़ किस तरह अपनी ममता बरसाते हैं ?
उत्तर:
पेड़ मनुष्य को फल-फूल देकर अपनी ममता बरसाते रहते हैं।

प्रश्न (ग)
शरारती बच्चे पेड़ों से किस तरह फल प्राप्त करते हैं ?
उत्तर:
शरारती बच्चे उन पर पत्थर फेंक कर फल प्राप्त करते हैं।

प्रश्न (घ)
पक्षी और जीव-जन्तु पेड़ पर कहाँ-कहाँ घर बनाकर रहते हैं ?
उत्तर:
पक्षी पेड़ पर घोंसले बना कर रहते हैं। अन्य जीव-जन्तु पेड़ों की खोखल (खोह) में अपना आवास बनाते हैं।

प्रश्न (ङ)
नीम के पेड़ को बड़ा चिकित्सक क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
नीम के सभी अंग अर्थात् जड़, छाल, पत्ते, फल-फूल किसी-न-किसी रोग का इलाज उपलब्ध कराते हैं। मधुमेह के रोगियों के लिए नीम वरदान है। इसके पत्ते, फलफूल रक्त-शोधक हैं। इसी कारण नीम को बड़ा चिकित्सक कहा गया है।

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प्रश्न (च)
पेड़ों को सोने के अण्डे देने वाली मुर्गी क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
पेड़ मानव-जाति के लिए हर प्रकार से उपयोगी हैं। मनुष्य को फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ, लकड़ी पेड़ों से ही प्राप्त होती है। इसी कारण इन्हें सोने का अंडा देने वाली मुर्गी कहा गया है।

प्रश्न (छ)
पाँच फल देने वाले पेड़ों के नाम लिखें।
उत्तर:
(1) आम
(2) जामुन
(3) अनार
(4) सेब
(5) खजूर।

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II. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखें

प्रश्न (अ)
प्रस्तुत कविता ‘पेड़’ का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
‘पेड़’ कविता का सारांश पहले दिया जा चुका है।

प्रश्न (आ)
पेड़ों को उगाना और उनकी रक्षा करना मनुष्य के लिए क्यों आवश्यक
उत्तर:
मानव-सभ्यता का विकास करने में पेड़ों का योगदान सभी को ज्ञात है। हम अपने जीवन बिताने के लिए जो कुछ खाते हैं, वह पेड़-पौधों की ही देन है। सभी प्रकार के फल जैसे-आम, सेब, अंगूर, आदि मधुर फल हमें पेड़ों से ही प्राप्त होते हैं। सभी प्रकार की सब्जियाँ और दालें भी पौधों से ही प्राप्त होती हैं। हमारे घरों में जितना भी फर्नीचर है, दरवाजे और खिड़कियाँ हैं, उनकी लकड़ी हमें पेड़ों से ही प्राप्त होती है। हमारे आवागमन को सुविधापूर्ण बनाने में पेड़ों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। रेलगाड़ियों के डिब्बे और पटड़ियों के आधार पेड़ों से प्राप्त लकड़ी से ही तैयार होते हैं। पेड़ों की लकड़ी ईंधन के रूप में भी प्रयुक्त होती है। इन्हीं कारणों से मनुष्य को पेड़ लगाने चाहिए। पेड़ वातावरण को भी स्वच्छ रखते हैं अतः मनुष्य के लिए पेड़ लगाना आवश्यक है।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. इन काव्य-पंक्तियों में से क्रिया-शब्द छाँटिए

हरियाली-आशीष बाँटते,
भरते जीवन की झोली।
वर्षा लाते अन्न उगाते,
बरसाते ममता भोली।
उत्तर:
बाँटते, भरते, लाते उगाते, बरसाते क्रिया-शब्द हैं।

II. इन शब्दों के समानार्थक शब्द देंपेड़, मानव, हवा, फूल, नज़र, पक्षी, हाथ, नीड़।

उत्तर:
पेड़ = वृक्ष, तरु। मानव = मनुष्य, इन्सान, नर। हवा = वायु, अनिल। फूल = कुसुम, पुष्प। नज़र = दृष्टि, निगाह। पक्षी = खग, विहग। नीड़ = घोंसला, घरोंदा। हाथ = हस्त, कर।

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III. विपरीतार्थक शब्द लिखेंरक्षक, प्राणी, रोग, लाभ, धूप, ताज़ा, दुःख, स्वागत।

रक्षक – …………….
प्राणी – …………….
रोग – …………….
लाभ – …………….
धूप – …………….
ताज़ा – …………….
दुःख – …………….
स्वागत – …………….
उत्तर:
रक्षक – भक्षक।
प्राणी – अप्राणी (जड़)।
रोग – नीरोग।
लाभ – हानि।
धूप – छाया।
ताज़ा – बासी।
दुःख – सुख।
स्वागत – तिरस्कार।

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IV. शुद्ध करके लिखें

अशुद्ध – शुद्ध रूप
विशराम – …………….
चीकित्सक – …………….
कुलहाड़ा – …………….
विभूती – …………….
लोलूप – …………….
सम्पधा – …………….
भाशा – …………….
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध रूप
विशराम – विश्राम
चीकित्सक – चिकित्सक
कुलहाड़ा – कुल्हाड़ा.
विभूती – विभूति
लोलूप – लोलुप।
सम्पधा – संपदा
भाशा – भाषा।

V. निम्नलिखित समासों का विग्रह. करें तथा समास का नाम बतायें :

विश्राम स्थल = …………….
जीव-जन्तु = …………….
वन सम्पदा = …………….
पीपल-बरगद = …………….
उत्तर:
विश्राम स्थल = विश्राम के लिए स्थल – संप्रदान तत्पुरुष समास

जीव-जन्तु = जीव और जन्तु – द्वंद्व समास
वन-सम्पदा = वन की सम्पदा – संबंध तत्पुरुष समास
पीपल-बरगद = पीपल और बरगद – द्वंद्व समास।

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VI. निम्नलिखित की संधि विच्छेद करें :

स्वच्छ – …………….
पर्यावरण – …………….
मनोरम – …………….
स्वागत – …………….
वर्षर्तु – …………….
उत्तर:
स्वच्छ – सु + अच्छ
पर्यावरण – परि + आवरण
मनोरम – मनः + रम
स्वागत – सु + आगत
वर्षर्तु – वर्षा + ऋतु।

(घ) रचना – भाग

I. ‘पेड़ों’ का हमारे जीवन में महत्त्व’ विषय पर एक 150 शब्दों का निबन्ध । लिखें।

उत्तर:
पेड़ों का हमारे जीवन में महत्त्व
प्राय : कहा जाता है कि पेड़-पौधे ही हमारा जीवन हैं। यह कथन पूरी तरह से सत्य है। पेड़-पौधे हम सब जीवों के लिए प्रकृति के अद्भुत उपहार हैं और इन्हीं के कारण हम सब का जीवन संभव है। यदि पेड़-पौधे न हों तो धरती पर अन्य प्राणियों का जीवन संभव नहीं हो सकता। पेड़-पौधे ही सूर्य के प्रकाश में अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। वे स्वयं जीवित रहते हैं और अन्य सभी प्राणी उन से ही किसी-न-किसी रूप में जीवन प्राप्त करते हैं। पेड़-पौधे ही हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। पेड़ हमें भयानक से भयानक रोगों को समाप्त करने वाली अमूल्य औषधियां प्रदान करते हैं। इन्हीं से हमें तरहतरह के फल प्राप्त होते हैं; पौधे हमें सब्ज़ियाँ और अनाज प्रदान करते हैं जिन से आवश्यक पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। ये ही प्राकृतिक खाद प्रदान करते हैं जिनसे फसलें उगती हैं और भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। पेड़-पौधों के महत्त्व के कारण ही प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि वनों में रहते थे और वहीं अपने शिष्यों को शिक्षा दिया करते थे। युगों से बढ़, पीपल, तुलसी, नीम आदि को जीवन में अति महत्त्वपूर्ण माना जाता रहा है। हरे वक्षों को काटना पाप माना जाता है। संध्या के बाद किसी पत्ते को तोड़ने का निषेध है। पेड़ वर्षा लाने में सहायक होते हैं। प्राचीन काल में जब कागज़ की खोज नहीं हुई थी तो भोज पत्तों पर ही लिखा जाता था। आदि मानव ने सदियों तक वृक्षों की छाल को अपने वस्त्रों के समान प्रयोग किया था। उनकी टहनियों को अस्त्र-शस्त्र की तरह प्रयुक्त किया था। जब वह सभ्य हुआ तो उन्हीं की सहायता से अपनी झोंपड़ियां और घर बनाए थे। आज भी पेड़ों से प्राप्त लकड़ी का घर में भरपूर प्रयोग किया जाता है। फर्नीचर इसी से ही तो बनता है। पेड़ों की रक्षा हर अवस्था में की जानी चाहिए। यदि किसी भी कारण हमें एक पेड़ काटना पड़े तो उसकी जगह दो पेड़ लगाने चाहिए और उनकी रक्षा की जानी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति और समाज को पेड़ों का महत्त्व समझना चाहिए।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 पेड़

II. अपने मित्र को पत्र लिखकर अपने स्कूल में होने वाले ‘वन-महोत्सव’ का वर्णन करें।

उत्तर:
48-सराभा नगर,
लुधियाना।
सितम्बर 17, 20….
प्रिय सखी नव्या,
नमस्ते।

मैं तुम्हें बहुत लम्बे समय के बाद पत्र लिख रही हूँ। तुम्हारा भी तो कोई पत्र नहीं आया था। शायद तुम्हें पढ़ाई और परीक्षाओं में उलझ कर समय नहीं मिला होगा। मैं पिछले सप्ताह तक अपने स्कूल के एक कार्यक्रम के कारण बहुत व्यस्त थी। हमारे स्कूल में वन महोत्सव इस बार बड़े उत्साह से मनाया गया था और मुझे भी इस कार्यक्रम के लिए कुछ ज़िम्मेदारियों को सौंपा गया था। सच मुझे कार्यक्रम में सहभागी बन कर बहुत अच्छा लगा। कार्यक्रम से पंद्रह दिन पहले ही सब कक्षाओं में पर्यावरण बचाओ’ शीर्षक से चित्रकलाप्रतियोगिता का हर कक्षा में आयोजन किया गया था और सभी से दस-दस श्रेष्ठ प्रवृष्टियां ले कर उन्हें मुख्य हॉल में सजाया गया था। माली ने स्कूल के चारों ओर की दीवार के साथ-साथ पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोद दिए थे। जिस दिन मुख्य कार्यक्रम था उसमें एक दिन पहले शाम के समय दो सौ फूलों-फलों के पौधे नर्सरी से स्कूल में मंगवा लिए थे। मुख्य कार्यक्रम में नगर के उपायुक्त महोदय को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। वे ठीक समय पर पहुँच गए थे। पहले उनका स्वागत किया गया और फिर एक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिसमें पर्यावरण संबंधी एक नाटिका भी प्रस्तुत की गई थी। मुख्य अतिथि के भाषण के बाद पौधों में से एक को रोपित किया गया था। अन्य पौधे अध्यापकों और विद्यार्थियों ने लगाए थे। उन पौधों की देखभाल की ज़िम्मेदारी माली के साथ-साथ हम विद्यार्थियों को भी दी गई है। जब पेड़-पौधे बड़े हो जाएंगे तब हमारा स्कूल हरा-भरा दिखाई देने लगेगा। तुम भी मुझे स्कूल के बारे में कुछ लिखना। अच्छा, अब बस करती हूँ।

अंकल-आंटी को मेरी ओर से नमस्ते।
तुम्हारी सखी,
मान्या।

III. एक-एक पौधा लगायें और उसकी देखभाल करें।

उत्तर:
आप अपनी मनपसंद का पौधा लगायें और उसकी देखभाल करें।

PSEB 8th Class Hindi Guide पेड़ Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘पेड़’ कविता के कवि कौन हैं ?
(क) डॉ. बच्चन
(ख) डॉ. योगेन्द्र बख्शी
(ग) डॉ. संसार चन्द्र
(घ) डॉ. पंत।
उत्तर:
डॉ. योगेन्द्र बख्शी।

प्रश्न 2.
पेड़ झूम-झूम कर क्या देते हैं ?
(क) फल
(ख) फूल
(ग) पत्ते
(घ) हवा।
उत्तर:
हवा।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 पेड़

प्रश्न 3.
पेड़ किनके विश्राम स्थल हैं ?
(क) छाया के
(ख) धरती के
(ग) पथिकों के
(घ) जल के।
उत्तर:
पथिकों के।

प्रश्न 4.
पेड़ पक्षियों को क्या देते हैं ?
(क) कोटर
(ख) नीड़
(ग) पीड़ा
(घ) छाया।
उत्तर:
नीड़।

प्रश्न 5.
कवि ने बड़ा चिकित्सक’ किस पेड़ को बताया है ?
(क) आम
(ख) अमरूद
(ग) कीकर
(घ) नीम।
उत्तर:
नीम।

सप्रसंग व्याख्या

1 झूम-झूम कर पेड़ कह रहे
यह लो ताज़ा स्वच्छ हवा,
धूल धुएँ से दूषित जग के,
रोगों की है यही दवा।

शब्दार्थ : स्वच्छ = साफ़। दूषित = गन्दा। जग = संसार। रोगों = बीमारियों।

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘पेड़’ कविता में से लिया गया है। कविता के रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। इसमें पेड़ों की महिमा का वर्णन किया गया है।

व्याख्या:
पेड़ मानव समाज को झूम-झूम कर कह रहे हैं कि ताज़ा और स्वच्छ हवा लो। पेड़ ही वायु को शुद्ध कर देते हैं। धूल और धुएँ से दूषित हुए इस संसार को यही पेड़ बीमारियों से छुटकारा दिलाते हैं। भाव यह है कि पेड़ धूल और धुएँ को दूर करते हैं और रोगों से मुक्ति दिलाते हैं।

विशेष

  1. कवि ने पेड़ों की देन की ओर संकेत किया है।
  2. भाषा सरल, सरस और सहज है।

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2 हरियाली-आशीष बाँटते।
भरते जीवन की झोली।
वर्षा लाते, अन्न उगाते,
बरसाते ममता भोली।

शब्दार्थ : आशीष = आशीर्वाद। जीवन = ज़िन्दगी। वर्षा = बरसात। ममता = ममत्व, प्यारा।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित ‘पेड़’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने पेड़ों के महत्त्व को प्रकट किया जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक होते हैं।

व्याख्या:
पेड़ मानव समाज को हरियाली का आशीर्वाद बाँटते हैं। ये मनुष्य की झोली खुशियों से भर देते हैं। पेड़ वर्षा लाने में सहायक सिद्ध होते हैं। यही अन्न पैदा करने में मददगार बनते हैं। ये अपना भोला प्यार बरसाते रहते हैं। भाव यह है कि पेड़ हरियाली प्रदान कर मानव को प्रसन्न रखते हैं।

विशेष:

  1. कवि ने पेड़ों की उपयोगिता की ओर संकेत किया है।
  2. भाषा सरल और सरस है।

3 विश्रामस्थल ये पथिकों के,
कड़ी धूप में दे छाया।
पत्थर फेंक रहे हाथों ने,
भी इनसे मधु फल पाया।

शब्दार्थ : विश्रामस्थल = आराम का स्थान। पथिकों = मुसाफिरों। मधु = मीठा।

प्रसंग : यह पद्यांश डॉ योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित ‘पेड़’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने पेड़ों के महत्त्व को प्रकट किया जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक होते

व्याख्या:
पेड़ों की महिमा का गुण-गान करते हुए कवि कहता है कि ये थके-मांदे मुसाफिरों के लिए आराम करने का स्थल प्रदान करते हैं अर्थात् थके-हारे मुसाफ़िर इसकी शीतल छाया में आराम करते हैं। ये उन्हें कड़कती धूप में छाया प्रदान करते हैं। पेड़ों की महिमा का कहाँ तक बख़ान करें, जो हाथ इन पर पत्थर फेंकते हैं, उन्हें भी ये मीठे फल प्रदान करते हैं। भाव यह है कि हम पेड़ों की बहुत उपेक्षा करते हैं, जबकि पेड़ हमें स्वच्छ वायु, फल, लकड़ी एवं छाया प्रदान करते हैं।

विशेष:

  1. कवि ने पेड़ों के महत्त्व को स्पष्ट किया है।
  2. भाषा सरल, सरस और सहज है।

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4 जीव-जन्तुओं को कोटर दें,
पक्षी को देते हैं नीड़।
पर्यावरण मनोरम करते,
प्राणी का दुःख इनकी पीड़।

शब्दार्थ : कोटर = वृक्षों की खोह, गह्वर। नीड़ = घोंसला। पर्यावरण = वातावरण। मनोरम = सुन्दर, मन को अच्छा लगने वाला। प्राणी = जीव। पीड़ = दुःख।

प्रसंग:
यह पद्यांश ‘पेड़’ नामक कविता से लिया गया है। यह डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित है। इसमें कवि ने पेड़ों के महत्त्व को प्रकट किया जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक होते हैं।

व्याख्या:
कवि वृक्षों के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए कहता है-ये सभी जीवजन्तुओं को रहने के लिए तनों में बने खोह (कोटर) प्रदान करते हैं। उड़ने वाले पक्षियों को ये घोंसले देते हैं। अधिकतर पक्षी वृक्षों पर अपने घोंसले बनाते हैं। ये पेड़ वातावरण को सुन्दर एवं स्वच्छ बनाते हैं। हर जीव के दुःख को ये अपना दुःख मानते हैं। भाव है कि पेड़ समस्त मानव जाति एवं जीव-जन्तुओं को हमेशा देते ही हैं, उनसे कुछ लेते नहीं।

विशेष:

  1. कवि ने पेड़ों की उपयोगिता प्रकट की है।
  2. भाषा सरल, सरस और सहज है।

5 पीपल बरगद युगों-युगों से,
अपने बनते रहे हकीम।
सारी नज़रें टिकी उसी पर,
बड़ा चिकित्सक अपना नीम।

शब्दार्थ : बरगद = बोहड़, वटवृक्ष। चिकित्सक = वैद्य, डॉक्टर।
प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण ‘पेड़’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता के कवि डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने पेड़ों के महत्त्व को इस माध्यम से प्रकट किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है-अति प्राचीनकाल से ही पेड़ के विभिन्न भाग औषधि के रूप में प्रयुक्त होते रहे हैं। पीपल और बरगद तो हकीम के रूप में सिद्ध हुए हैं। आज के नवीन अनुसंधानों ने भी सिद्ध कर दिया कि नीम का पेड़ रोगों का उपचार करने वाला बहुत बड़ा वैद्य है। भाव यह है कि पेड़ हमें अनेक प्रकार की जीवनदायी जड़ी-बूटियाँ भी प्रदान करते हैं।

विशेष:

  1. कवि ने पेड़ों के महत्त्व को प्रकट किया है।
  2. सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया है।

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6 सोने के अण्डे देती,
मुर्गी पर तने, कुल्हाड़े अब।
थोड़ा लाभ प्राप्त करने हित
लोलुप नज़रें गाड़े अब।

शब्दार्थ : लाभ = फायदा। प्राप्त = पाना, ग्रहण करना। करने हित = करने के लिए। लोलुप = लालची।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण ‘पेड़’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने पेड़ों के महत्त्व को इस माध्यम से प्रकट किया है।

व्याख्या:
कवि पेड़ों की अन्धा-धुन्ध कटाई पर क्षुब्ध होकर कहता है-पेड़ तो सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी के समान हैं। उस पर मनुष्य ने कुल्हाड़े तान लिए हैं। उन्हें काटने पर उतारू हो गया है। यह तो मानव की हीन प्रवृत्ति है कि थोड़ा-सा लाभ प्राप्त करने के लिए उन पर लालची नजरें गड़ा रखी हैं। भाव है कि थोड़े से लाभ के लिए वृक्षों को काटना निंदनीय है।

विशेष:

  1. कवि ने मनुष्य के लालची और स्वार्थी स्वभाव को प्रकट किया है।
  2. भाषा सरल और सरस है।

7 वन-सम्पदा धरोहर अपनी,
प्राणि मात्र की रक्षक है।
इसका नाश करेगा जो भी,
मानवता का भक्षक है।

शब्दार्थ : वन-सम्पदा = वनों की दौलत। धरोहर = विरासत। प्राणि मात्र = सब जीवों। रक्षक = रक्षा करने वाला। मानवता = इन्सानियत। भक्षक = खाने वाला।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण ‘पेड़’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने पेड़ों के महत्त्व को इस माध्यम से प्रकट किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि वन हमें विरासत में मिली एक महान् दौलत हैं। वनसम्पदा जीव मात्र की रक्षा करती है। जो भी इसे नष्ट करेगा, वह इन्सानियत का भक्षक होगा। भाव है कि वन-सम्पदा हमारी धरोहर है, इसकी रक्षा करना हमारा परम कर्त्तव्य है।

विशेष:

  1. कवि ने पेड़ काटने वालों को बुरा माना है।
  2. भाषा सरल, सरस और सहज है।

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8 रंग-बिरंगे गंध भरे,
फूलों की भाषा में स्वागत।
पाना है तो पेड़ उगाओ,
ये विभूतियाँ बिन लागत।

शब्दार्थ : गन्ध = खुशी। स्वागत = आने पर खुशी। विभूतियाँ = सम्पत्तियाँ।

प्रसंग:
प्रस्तुत अवतरण ‘पेड़’ नामक कविता से लिया गया है। इसके कवि डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने पेड़ों के महत्त्व को इस माध्यम से प्रकट किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि पेड़ विविध रंगों वाले हैं, जो खुशबू से भरे रहते हैं। ये अपने फूलों की भाषा में सबका स्वागत करते हैं। यदि बिना मूल्य दिए बहुमूल्य दौलत प्राप्त करनी है तो सबको मिलकर पेड़ लगाने चाहिए। भाव है कि पेड़ मानव जाति की अमूल्य सम्पत्ति हैं, सभी को पेड़ लगाने चाहिए।

विशेष:

  1. कवि ने पेड़ों की उपयोगिता के कारण इन्हें उगाने की प्रेरणा दी है।
  2. भाषा सरल और सरस है।

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पेड़ Summary

पेड़ कविता का सार

‘पेड़’ डॉ० योगेन्द्र बख्शी के द्वारा रचित कविता है। इसमें कवि ने पेड़ों की महिमा का गान किया है। पेड़ पर्यावरण की रक्षा करते हैं। इन्हीं से वायु स्वच्छ होती है। संसार को धुएँ और धूल से दूर करके यही रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। पेड़ हरियाली लाते हैं। यही वर्षा लाते हैं और अन्न पैदा करते हैं। झुलसती गर्मी में ये पथिकों को छाया प्रदान करते हैं। हमें मधुर फल भी पेड़ से प्राप्त होते हैं। पेड़ ही जीव-जन्तुओं और पक्षियों को सहारा देते हैं। पर्यावरण को स्वच्छ बनाकर सभी प्राणियों को सुख पहुँचाते हैं। पीपल, बरगद युगों से हकीम बन कर प्राणियों के रोग दूर करते आए हैं। नीम अनेक रोगों को दूर करता रहा है और वह हमारा बड़ा चिकित्सक सिद्ध होता है। पेड़ तो सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी के समान है। मनुष्य की लोभी नज़रें इसी पर कुल्हाड़ा चला रही हैं। वन-सम्पदा को जो भी नष्ट करता है, वह मानवता का भक्षक है। पेड़ धरती की विभूतियाँ हैं। इनकी रक्षा करना सबका कर्त्तव्य है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 4 कश्मीर यात्रा

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 कश्मीर यात्रा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 4 कश्मीर यात्रा

Hindi Guide for Class 8 PSEB कश्मीर यात्रा Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ

ग्रीष्मावकाश = गर्मियों की छुट्टियाँ
अचानक = एकाएक
सौन्दर्य = सुन्दरता
मध्य = बीच में
पर्वतीय = पहाड़ी क्षेत्र
पर्यटन स्थल = वह स्थान जहाँ यात्री घूमने आते हैं।
खूबसूरत = सुन्दर
अनुभूति = महसूस होना
आजीविका = रोजगार
पर्यटक = सैलानी
सुरम्य = सुन्दर
नौका-विहार = किश्ती से सैर
रौनक = गहमागहमी, चहलकदमी
प्रतिबिम्ब = परछाई
वास्तव में = सच में
मशहूर = प्रसिद्ध
सूर्योदय = सूरज का चढ़ना
मनोहारी = मन हरने वाला
सूर्यास्त = सूर्य का डूबना
व्यञ्जन = खाद्य
पदार्थ सीढ़ीनुमा = सीढ़ी जैसा
हिमक्रीड़ा = बर्फ के खेल
निर्यात = बाहर भेजना
रोमांचकारी = आनन्द दायक
उत्कृष्ट = सबसे अच्छा
धूमिल = ओझल

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 4 कश्मीर यात्रा

II. शुद्ध करें

श्रृंखला, थित, मुखय, ग्रीष्म अवकाश, हिमकरीड़ा, शोपिंग सैंटर
उत्तर:
श्रृंखला, स्थित, मुख्य, ग्रीष्मावकाश, हिमक्रीड़ा, शॉपिंग सैंटर।

(ख) विषय बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
कश्मीर अन्य पर्वतीय प्रदेशों से किस प्रकार अलग है ?
उत्तर:
कश्मीर में अन्य पर्वतीय प्रदेशों की तरह ढलानों पर घर, बाज़ार नहीं बसे हैं। वे सब इसकी विशाल घाटी में मैदानी क्षेत्र की तरह बने हुए हैं।

प्रश्न (ख)
कश्मीरी लोगों की आजीविका का मुख्य साधन क्या है ?
उत्तर:
पर्यटन ही कश्मीरी लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है।

प्रश्न (ग)
इस प्रदेश की गर्मी और सर्दी की राजधानी के नाम लिखें।
उत्तर:
इस प्रदेश की गर्मी की राजधानी श्रीनगर और सर्दी की जम्मू है।

प्रश्न (घ)
यहाँ पर कौन-कौन सी झीलें हैं ?
उत्तर:
यहां पर डल, वूलर, नगीना आदि झीलें हैं।

प्रश्न (ङ)
यहाँ के लोगों को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
यहां के लोगों को डोगरी कहते हैं।

प्रश्न (च)
यहाँ के कौन-कौन से बाग देखने योग्य हैं ?
उत्तर:
यहां के निशात और शालीमार बाग देखने योग्य हैं।

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प्रश्न (छ)
यहाँ की प्रसिद्ध वस्तुएँ कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर:
पशमीना, अंगोरा, जामावर शाल, कश्मीरी कढ़ाई वाले फरन, गलीचे, केसर, सूखे मेवे, हस्तशिल्प, पेपरमेशी और चमड़े की बनी वस्तुएँ प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न (ज)
यहाँ के लोग अपने आपको ठण्ड से कैसे बचाते हैं ?
उत्तर:
यहां के लोग अपने आपको कहवा, गर्म कपड़ों और कांगड़ी से अपने आपको ठण्ड से बचाते हैं।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
डल झील के सौन्दर्य का वर्णन करें।
उत्तर:
डल झील कश्मीर की शोभा है। इसमें खिले हुए कमल इसकी शोभा को चार चाँद लगा देते हैं। इसमें हाऊस बोट तैरती हुई बहुत सुन्दर लगती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आकाश का नारंगी रंग इसे अपने रंग में रंग देता है। रात के समय हाऊस बोटों की बत्तियाँ इसके पानी में झिलमिलाती हुई दिखाई देती हैं तब ऐसा लगता है जैसे आकाश के तारे इसमें जगमगाने लगे हों।

प्रश्न (ख)
मुगल बागों की क्या विशेषता है ?
उत्तर:
कश्मीर के मुगल बाग निशात और शालीमार मुगल बादशाहों ने शाही आरामगाहों के रूप में बनवाये थे। निशात बाग तो डल झील के किनारे बना हुआ है पर शालीमार वहाँ से दस किलोमीटर दूर है। निशात को ‘बागों की रानी’ कहते हैं और शालीमार ‘बागों का राजा’ माना जाता है। इन बागों में चिनार, देवदार और चील के लम्बे-लम्बे पेड़ शोभा देते हैं। सीढ़ीनुमा बागों में रंग-बिरंगे फूल, मखमली घास, आड़, बादाम, चेरी, खुमानी, सेब आदि के फलों से लदे हुए पेड़ अति आकर्षक लगते हैं।

प्रश्न (ग)
हाऊस बोट के बारे में आपने क्या जाना ?
उत्तर:
हाऊस बोट डल झील में तैरती हुई नौकाएं हैं जो किसी होटल के समान ही दिखाई देती हैं। इनमें घर की तरह रसोई, खाने, बैठने और सोने के अलग-अलग कमरे बने होते हैं। इन्हें फूलों से सजाया जाता है। रोशनी की पूरी व्यवस्था इन पर की जाती है। रात के समय इनमें जलने वाली बत्तियाँ पानी में दीपमालिका की तरह जगमगाती हुई बहुत ही सुन्दर लगती हैं। तब ऐसा लगता है जैसे आसमान तारों सहित धरती पर उतर आया हो।

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व्यावहारिक व्याकरण

I. इन मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करें :

चार चाँद लगाना = …………..
मन मोहित करना = …………..
अपने रंग में रंग लेना = …………..
मनोहारी लगना = …………..
मंत्र मुग्ध करना = …………..
मन मोह लेना = …………..
उत्तर:
1. चार चाँद लगाना = सुन्दरता को बढ़ा देना-विवाह मंडप में मोतियां और गुलाब के फूलों की सुन्दर लड़ियों ने तो चार चांद लगा दिए थे।
2. मन मोहित करना = आकृष्ट करना-श्री कृष्ण की बाँसुरी की मोहक तान ने राधा का मन मोहित कर दिया था।
3. अपने रंग में रंग लेना = पूरी तरह से प्रभावित करना-नवाब को तो अब बाबा जी के उपदेशों ने पूरी तरह अपने रंग में रंग लिया है।
4. मनोहारी लगना = सुन्दर लगना-चांदनी रात में ताजमहल बहुत मनोहारी लगता है।
5. मन्त्र मुग्ध करना = बस में कर लेना, प्रभावित कर लेना-लता मंगेश्कर की मधुर आवाज़ तो सभी को मन्त्र मुग्ध करने की क्षमता रखती है।
6. मन मोह लेना = आकृष्ट कर लेना-तुम्हारे इस सुन्दर नृत्य ने सभी का मन मोह लिया है।

II. वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखें :

1. सूर्य का उदय होना = …………..
2. सूर्य का अस्त होना = …………..
3. गर्मियों की छुट्टियाँ = …………..
4. जहाँ तरह-तरह की वस्तुएं प्रदर्शित की जाएं = …………..
5. आराम करने का स्थान = …………..
6. मनमोहने वाला = …………..
उत्तर
1. सूर्य का उदय होना = सूर्योदय
2. सूर्य का अस्त होना = सूर्यास्त
3. गर्मियों की छुट्टियाँ = ग्रीष्मावकाश
4. जहां तरह-तरह की वस्तुएं प्रदर्शित की जाएं। = प्रदर्शनी
5. आराम करने का स्थान = आरामगाह
6. मन मोहने वाला = मनमोहक

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III. विपरीतार्थक शब्द लिखें :

दिन = ………………
देश = …………..
विशाल = ………………
सर्दी = ………………
निर्यात = ………………
सुबह = ………………
सूर्योदय = = ………………
दूर = ………………
सरकारी = ………………
उत्तर:
दिन = रात
देश = विदेश
विशाल = संकुचित
सर्दी = गर्मी
निर्यात = आयात।
सुबह = शाम
सूर्योदय = सूर्यास्त
दूर = पास
सरकारी = गैर-सरकारी

IV. इन शब्दों में से विशेषण और विशेष्य अलग करके लिखें :-

शब्द = विशेषण – विशेष्य
पर्वत श्रृंखला = पर्वत , श्रृंखला
पर्वतीय प्रदेश = ………. – ………..
पहाड़ी ढलान = ………. – ………..
विशाल घाटी = ………. – ………..
मैदानी शहर = ………. – ………..
मनमोहक झील = ………. – ………..
सुरम्य वातावरण = ………. – ………..
अद्भुत सौन्दर्य = ………. – ………..
शाकाहारी व्यंजन = ………. – ………..
मुगल उद्यान = ………. – ………..
सीढ़ीनुमा बाग = ………. – ………..
बर्फ की चादर = ………. – ………..
उत्तर:
शब्द – विशेषण – विशेष्य
पर्वत श्रृंखला = पर्वत – श्रृंखला
पर्वतीय प्रदेश = पर्वतीय – प्रदेश
पहाड़ी ढलान = पहाड़ी – ढलान
विशाल घाटी = विशाल – घाटी
मैदानी शहर = मैदानी – शहर
मनमोहक झील = मनमोहक – झील
सुरम्य वातावरण = सुरम्य – वातावरण
अद्भुत सौन्दर्य = अद्भुत – सौन्दर्य
शाकाहारी व्यंजन = शाकाहारी – व्यंजन
मुगल उद्यान = मुगल – उद्यान
सीढ़ीनुमा बाग = सीढ़ीनुमा – बाग
बर्फ की चादर = बर्फ की – चादर

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V. इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें :

बाग = ………. , ………..
पहाड = ………. , ………..
आजीविका = ………. , ………..
पर्यटक = ………. , ………..
आकाश = ………. , ………..
तारा = ………. , ………..
प्रसिद्ध = ………. , ………..
उत्तर:
बाग = बगीचा , वाटिका
पहाड़ = पर्वत , गिरि
आजीविका = धन्धा , रोज़गार
पर्यटक = घुमक्कड़ , भ्रमणकारी
आकाश = व्योम , नभ
तारा = तारक , नक्षत्र
प्रसिद्ध = मशहूर , विख्यात।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 4 कश्मीर यात्रा

(घ) रचना बोध

  • इस पत्र को पढ़कर कश्मीर के बारे में दस पंक्तियाँ लिखें।

उत्तर:
हमारे देश भारत के उत्तर दिशा में स्थित कश्मीर राज्य अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसे धरती का स्वर्ग माना जाता है। यह अन्य पर्वतीय क्षेत्रों की तरह नहीं है क्योंकि इसके घर, दुकानें, संस्थान आदि पहाड़ी ढलानों पर बने हुए नहीं हैं। वे सब मैदानी नगरों की तरह एक बड़ी और अपार सुन्दर घाटी में बने हुए हैं। इसमें जहां सब ओर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं तो दूसरी ओर समतल मैदान हैं जिन पर केसर लहलहाता है। यहाँ शालीमार, निशात और चश्माशाही जैसे सुन्दर बाग हैं जिनसे नज़र हटाने का मन नहीं करता। इनके ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, रंग-बिरंगे फूल और हरी-भरी मखमली घास सभी को अपने पास रोक रखने की अद्भुत प्राकृतिक क्षमता रखते हैं। पीर पंचाल के आंचल में स्थित बेरी नाग, जलस्रोतों का प्राकृतिक स्थल कुक्कर नाग, दूध जैसे पानी से भरी नदी वाला पहलगाम, पर्वतीय शिखर पर बना गुलमर्ग और जादुई भूमि सनासर इसी राज्य की शोभा हैं जो संसारभर में पर्यटकों को अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। डल झील, वुल्लर झील और विष्णु पाद झील अपनी सुन्दरता से सब का मन मोह लेती हैं। कश्मीर घाटी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। यहाँ की सुन्दरता से मन और तन को अपार सुख प्राप्त होता है।

  • भ्रमण से जहां हमारा ज्ञान बढ़ता है वहीं हमें स्थानीय लोगों की संस्कृति, वेशभूषा, रीति-रिवाज, खान-पान आदि समझने का भी अवसर प्राप्त होता है। यदि आपने किसी अन्य प्रदेश की यात्रा की हो तो अपने अनुभव डायरी में नोट करें।
  • कश्मीर के लोक गीत याद करें और वार्षिक उत्सव या किसी अन्य अवसर पर भाव-भंगिमा के साथ गायें।
  • छुट्टियों में आप अन्य कौन-कौन से काम सीख सकते हैं, उनकी सूची बनायें। जैसे :
  • नृत्य सीखना
  • चटनी, जैम आदि बनाना सीखना
  • चित्रकला सीखना • वस्त्रों की सिलाई करना
  • तैराकी सीखना • कढ़ाई करना
  • योग-आसन करना
  • मिट्टी, पेपरमेशी, पत्थर, लकड़ी आदि से हस्तशिल्प बनाना
  • चारपाई बुनना
  • पेंट-सफेदी करना
  • बिजली का काम
  • खेतीबाड़ी करना
  • जूडो-कराटे सीखना।
  • अपने माता-पिता के द्वारा किए जाने वाले व्यावसायिक कार्य को सीखना

PSEB 8th Class Hindi Guide कश्मीर यात्रा Important Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
कश्मीर भारत की किस दिशा में है ?
(क) उत्तर
(ख) दक्षिण
(ग) पूर्व …
(घ) पश्चिम।
उत्तर:
उत्तर।

प्रश्न 2.
‘कश्मीर यात्रा’ पत्र किसने गुंजन को लिखा है ?
(क) महक
(ख) सुगन्ध
(ग) खुशबू
(घ) खुशनुमा।
उत्तर:
खुशबू।

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प्रश्न 3.
कश्मीर की कितनी राजधानियाँ हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
दो।

प्रश्न 4.
कश्मीरी लोगों की आजीविका का मुख्य साधन क्या है ?
(क) खेती
(ख) सरकारी नौकरी
(ग) पर्यटन
(घ) दस्तकारी।
उत्तर:
पर्यटन।

प्रश्न 5.
डल झील के किनारे कौन-सा बाग है ?
(क) निशान
(ख) निशात
(ग) निहात
(घ) निहाल।
उत्तर:
निशात।

प्रश्न 6.
कश्मीर की घाटियाँ किससे महकती हैं ?
(क) केवड़े
(ख) केसर
(ग) कमल
(घ) क्यूर।
उत्तर:
केसर।

प्रश्न 7.
कश्मीर का प्रसिद्ध गर्म पेय कौन-सा है ?
(क) चाय
(ख) काफी
(ग) कहवा
(घ) काढ़ा।
उत्तर:
कहवा।

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प्रश्न 8.
कश्मीर में बागों का राजा कौन-सा बाग है ?
(क) निशात
(ख) शालीमार
(ग) शालीन
(घ) निस्बत।
उत्तर:\
शालीमार।

प्रश्न 9.
कश्मीर में बागों की रानी किस बाग को कहते हैं ?
(क) निकहत
(ख) निशात
(ग) निहाल
(घ) निस्बत।
उत्तर:
निशात।

प्रश्न 10.
जाड़े से बचने के लिए कश्मीरी अपने साथ क्या रखते हैं ?
(क) काँवड़ी
(ख) काँगड़ी
(ग) काँखड़ी
(घ) काँघड़ी।
उत्तर:
काँगड़ी।

प्रश्न 11.
कश्मीर के लोगों को क्या कहते हैं ?
(क) कश्मीरी
(ख) कह्वा
(ग) शालीमार
(घ) डोगरी।
उत्तर:
कश्मीरी।

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कश्मीर यात्रा Summary

कश्मीर यात्रा पाठ का सार

‘कश्मीर यात्रा’ नामक पाठ पत्र-शैली में लिखा गया है। जालन्धर में रहने वाली एक लड़की खुशबू ने अपनी सहेली गुंजन को गर्मी की छुट्टियों में की गई अपनी कश्मीर-यात्रा का वर्णन एक पत्र में किया है। कश्मीर ग्रेट हिमालयन रेंज और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित एक सुन्दर पर्वतीय प्रदेश है। यह एक विशाल घाटी के बीचो-बीच स्थित है। इसलिए इसके घर, बाज़ार आदि पहाड़ी ढलानों पर नहीं बने हुए हैं। यह मैदानी शहरों जैसा ही लगता है। गर्मियों में यहाँ का मौसम बहुत सुहावना होता है और सर्दियों में हर तरफ बर्फ की चादर बिछी होती है। पतझड़ आने पर चिनार के पेड़ों का सुनहरा सौन्दर्य सभी का मन मुग्ध कर देता है। कश्मीर की गर्मियों की राजधानी श्रीनगर है और सर्दियों की जम्मू। कश्मीर झीलों और बागों का प्रदेश है। डल, वूलर, नगीना आदि इसकी प्रसिद्ध झीलें हैं जो कमल के फूलों से सजी-संवरी प्रतीत होती हैं। डल झील पर सुबह से शाम तक रौनक छाई रहती है। पर्यटक प्रायः हाऊसबोट पर ठहरना पसन्द करते हैं जिनमें घर की तरह सब सुख-सुविधाएं होती हैं। इनसे झील की सुबह, दोपहर, शाम और रात की सुन्दरता झिलमिलाती-सी दिखाई देती रहती है। रात के समय हाऊसबोटस में जगमगाती रोशनियां इसके जल में ऐसे लगती हैं जैसे आकाश के तारे झील के जल में उतर आए हों। झील के बीचों-बीच एक छोटे से टापू पर नेहरू पार्क बना हुआ है। यहाँ से दूर-दूर का दृश्य बहुत सुन्दर लगता है। यहाँ के लोगों को डोगरी और उनकी भाषा को कश्मीरी कहते हैं। ये बहुत अच्छे मेहमाननवाज़ होते हैं। मुगल-उद्यान निशात बाग डल झील के किनारे बना हुआ है। इसे बागों की रानी कहते हैं। शालीमार बाग यहाँ से दस किलोमीटर दूर है। उसे बागों का राजा कहते हैं। ये बाग अपनी सुन्दरता से सभी के मन को मोह लेते हैं। कश्मीर में केसर बहुत उगता है। इसीलिए इसे ‘केसर की क्यारी’ कहते हैं। संसार का सबसे ऊँचा गोल्फ कोर्स भी यहीं है। सर्दियों में यहीं हिमक्रीड़ा और स्कीइंग के शौकीन अपना शौक पूरा करते हैं। कड़ाके की सर्दी को दूर करने के लिए यहाँ का कहवा बहुत प्रसिद्ध है। हमने सरकारी एम्पोरियम हस्तकला प्रदर्शनी और लाल चौंक शॉपिंग केन्द्र से अनेक वस्तुएँ भी खरीदी। यहाँ के लोग सुन्दर, आकर्षक और लम्बे कद के हैं। युवक प्रायः पठानी सूट और युवतियाँ कश्मीरी कढ़ाई वाले पोंचू या फरन पहनती हैं। यहाँ की सुन्दरता के चित्र देखकर ही मन में धरती के स्वर्ग की सैर करने की इच्छा जाग जाती है।