PSEB 8th Class Home Science Practical चपाती बनाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical चपाती बनाना Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical चपाती बनाना

गेहूँ की रोटी

सामग्री—

  1. गेहूँ का आटा — 200 ग्राम
  2. पानी — आवश्यकतानुसार (आटा गूंथने के लिए)
  3. मक्खन या घी — थोड़ा-सा

विधि—आटे में पानी मिलाकर गूंथ ले। आधे घण्टे के लिए ढककर रख दें। अब इसकी छोटी-छोटी लोइयाँ बनाकर लगभग 5 व्यास की चपाती बेल लें। इन्हें गर्म तवे पर डाल दें
और उसको एक तरफ़ तब पलट दें जब उसका रंग बदलने लगे। अब दूसरी तरफ़ पकाएँ। जब भूरे रंग के निशान बनने लगें तो पहली तरफ़ को आग पर सेंकें। चपाती अच्छी प्रकार से फूलनी चाहिए। फिर घी लगाकर परोसें।

पराठा बनाना

सामग्री—

  1. आटा — 200 ग्राम
  2. पानी — आवश्यकतानुसार
  3. घी — तलने के लिए

विधि—चपाती की भाँति ही आटा गूंथ लें। आटे की लोई बनाकर उसे थोड़ा बेल लें। अब थोड़ा-सा घी लगाकर इसे मोड़ दें और दुबारा बेल लें। बेला हुआ पराँठा गर्म तवे पर डाल दें और थोड़ा सिकने पर उसे पलट दें। अब थोड़ा-थोड़ा घी लगाकर दोनों तरफ़ से तल लें। गरम-गरम पराँठे सब्जियों के साथ परोसें।

PSEB 8th Class Home Science Practical चपाती बनाना

मेथी का पराँठा

सामग्री—

  1. एक भाग मक्की का आटा — 100 ग्राम
  2. तीन भाग गेहूँ का आटा — 300 ग्राम
  3. हरी मेथी — 20 ग्राम (भूनी हुई)
  4. प्याज — 20 ग्राम
  5. नमक और मिर्च — स्वादानुसार

विधि—मेथी को धोकर बहुत बारीक काट लें। प्याज को छीलकर धोकर लम्बाई की तरफ़ पतला-पतला काटें। आटा गूंथने के समय आधे प्याज बीच में गूंथ लें। एक पैड़ की रोटी बनाएँ। घी लगाकर बीच में मेथी, प्याज, नमक और मिर्च मिला दें। पराँठे की तरह घी ऊपर ही लगाएँ। दही और मक्खन के साथ परोसें।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

पनीर बनाना

सामग्री—

  1. दूध — 1 लीटर
  2. दही — 100 ग्राम
  3. नींबू का रस — 2 बड़े चम्मच

विधि—दूध को आग पर रखकर उबालें। जब दूध उबल जाए तो उसमें फेंटा हुआ दही या नींबू का रस थोड़ा-थोड़ा करके डालें। जब दूध और पानी अलग-अलग हो जाए तो पतीला आग से उतार लें। 10-15 मिनट के बाद इसको साफ़ मलमल के कपड़े में डालकर कुछ देर के लिए लटका दें। पानी को निकलने दें। अगर पनीर की टुकड़ियाँ काटनी हों तो पनीर वाले कपड़े को चकले पर रखकर ऊपर कोई भारी वस्तु रख दें ताकि पनीर का सारा पानी निकल जाए और दब जाएं। इसके बाद पनीर के टुकड़े कर लें।

शाकाहारी लोगों के भोजन में पानी की बहुत महत्ता है क्योंकि इसमें अच्छे किस्म का प्रोटीन और कैल्शियम काफ़ी मात्रा में होता है। पनीर को खाने के लिए तो इस्तेमाल किया ही जाता है, इसके अतिरिक्त भारतीय लोग पनीर से कई प्रकार की मिठाइयाँ बनाते हैं।

खट्टा-मीठा पनीर

सामग्री—

  1. पनीर — 200 ग्राम
  2. टमाटर — 400 ग्राम
  3. टमाटर की सॉस — \(\frac{1}{2}\) कप
  4. गाजर — 1
  5. शिमला मिर्च — 1
  6. फ्रॉसबीन — 50 ग्राम
  7. नमक और काली मिर्च — स्वादानुसार
  8. प्याज —1 चम्मच
  9. चीनी — 1 चम्मच
  10. घी — थोड़ा-सा

विधि—टमाटरों को धोकर बारीक काट लें और थोड़े-से पानी में अच्छी तरह पकाएँ। छाननी से छानें और फोक फेंक दें। गाजर, शिमला मिर्च, फ्रॉसबीन और प्याज को लम्बा और पतला काटें। घी में सब्जियों को थोड़ा तलकर टमाटरों का गूद्दा डालकर कुछ देर पकाएँ ताकि सब्जियाँ गल जाएँ। पनीर के टुकड़े डालें, नमक, मिर्च और चीनी डाल दें और उतारने से पहले टमाटरों की सॉस डाल दें।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

पनीर के पकौड़े

सामग्री—

  1. पनीर — 100 ग्राम
  2. बेसन — 50 ग्राम
  3. सूखा धनिया — 1 चम्मच
  4. दही — 1
  5. नमक और लाल मिर्च — स्वादानुसार
  6. घी — तलने के लिए

विधि—पनीर के टुकड़े काट लें। बेसन में नमक, मिर्च, सूखा धनिया और दही मिलाकर पानी के साथ घोलें। कड़ाही में घी डालकर गर्म करने के लिए रखें। जब घी में से धुआँ निकलने लगे तो आँच थोड़ी हल्की करके, पनीर के टुकड़ों को बेसन लगाकर तलें। पकौडों को तलकर किसी साफ़ कागज़ पर रखें ताकि फालतू घी निकल जाए। टमाटरों की सॉस के साथ परोसें।

बेसन का पूड़ा

सामग्री—

  1. बेसन — 100 ग्राम
  2. प्याज — 2 छोटे
  3. हरी मिर्च — 1-2
  4. नमक, मिर्च — स्वाद के अनुसार
  5. घी — तलने के लिए

विधि—प्याज और हरी मिर्च को बारीक काट लें। बेसन में नमक, मिर्च और कटा हुआ प्याज आदि मिलाकर पानी से थोड़ा पतला घोल बना लें। तवा गर्म करके पहले थोड़ासा घी लगा लें। इस पर घोल को कड़छी से फैला लें। अब इसके चारों तरफ़ थोड़ा घी डाल लें। सिक जाने पर दूसरी तरफ़ पलट कर फिर घी डालकर सेंक लें।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

पनीर वाले टोस्ट

सामग्री—

  1. डबलरोटी के टुकड़े — 4
  2. कद्दूकस किया पनीर — \(\frac{3}{4}\) प्याला
  3. दही — 1 चम्मच
  4. बेसन — 2 बड़े चम्मच
  5. पिसी हुई राई — \(\frac{1}{4}\) चम्मच

विधि—पनीर, राई, काली मिर्च, दही, मैदा, बेसन और नमक को मिला लें ताकि गाढ़ासा घोल बन जाए। अगर ज़रूरत हो तो थोड़ा-सा पानी या दूध डालें। अच्छी तरह फेंटे। डबल रोटी के टुकड़ों को इस घोल में दोनों तरफ इबो दें। फ्राइंग पैन में घी डालकर गर्म करें और टोस्ट को दोनों कैफ से तलकर परोसें।
नोट—जो लोग अण्डा खा हैं उनके लिए बेसन की जगह अण्डे का इस्तेमाल कर सकते हैं।

दही का जमाना

सामग्री—

  1. दूध — \(\frac{1}{2}\) लीटर
  2. दही — \(\frac{1}{2}\) से 1 चम्मच

विधि—दूध को उबालकर बैंडा करें। गर्मियों में दूध जमाने के समय बिल्कुल कोसा ही होना चाहिए। इसे मिट्टी या स्टील के बर्तन में डालकर \(\frac{1}{2}\) चम्मच दही मिलाकर ढक दें। 3-4 घण्टे बाद दही जम जाएगा।
सर्दियों में दूध थोड़ा तथा अधिक गर्म होना चाहिए। इसमें 1 चम्मच दही घोलकर बर्तन को ढककर रख दें। ज़्यादा सर्दी के मौसम में दही वाले बर्तन को गर्म जगह पर रखें या फिर इसको किसी कंबल या पुरानी शाल में लपेटकर रखें। इसको आटे वाले टीन में भी रखा जा सकता है। सर्दियों में दही जमने में 5-6 घण्टे लग जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

आलू का रायता

सामग्री—

  1. आलू — 150 ग्राम
  2. नमक — इच्छानुसार
  3. जीरा (भुना हुआ) — \(1 \frac{1}{2}\) चम्मच
  4. दही — 750 ग्राम
  5. मिर्च — \(1 \frac{1}{2}\) चम्मच
  6. सुखाया हुआ पुदीना — 1- चम्मच

विधि—आलू उबालकर छील लें और बारीक काट लें। दही मथकर उसमें कटे हुए आलू डाल दें, ऊपर से सब मसाले डालकर मिला दें। फिर इसे ठण्डा करें। ठण्डा होने पर परोसें। कुल मात्रा—4 व्यक्तियों के लिए।

खीरे का रायता

साम्रगी—

  1. दही — 250 ग्राम
  2. नमक — इच्छानुसार
  3. जीरा — चम्मच
  4. खीरा — 150 ग्राम
  5. मिर्च — 1/2 चम्मच
  6. सुखाया हुआ पुदीना — 1/2 चम्मच

विधि—खीरे को छीलकर कद्कस कर लें। अब दही को मथ लें। इसमें मसाले डालकर मिलाएँ। इसमें कद्दूकस किया हुआ खीरा डालकर मिला लें। फ्रिज में रखकर ठण्डा करें। ठण्डा होने पर खाने के साथ परोसें।
कुल मात्रा—4 व्यक्तियों के लिए।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

प्याज का रायता

सामग्री—

  1. प्याज — 250 ग्राम
  2. नमक — इच्छानुसार
  3. भुना हुआ जीरा — 1 चम्मच
  4. सुखाया हुआ पुदीना — 1 चम्मच
  5. दही — 500 ग्राम
  6. मिर्च — 1/2 चम्मच
  7. काली मिर्च — 1/2 चम्मच

विधि—प्याज को छीलकर कद्दूकस कर लें। दही को मथकर उसमें कद्दूकस की हुई प्याज डाल दें। अब इसमें नमक, मिर्च, जीरा, पुदीना और काली मिर्च डालकर मिला लें। ठण्डा करके खाने के साथ परोसें।
कुल मात्रा—4-5 व्यक्तियों के लिए।

पालक-गाजर का रायता

सामग्री—

  1. दही — 250 ग्राम
  2. गाजर — 50 ग्राम
  3. पालक — 100 ग्राम
  4. नमक, मिर्च — स्वाद के अनुसार

विधि—पालक को धोकर, बारीक काटकर, हल्की आँच पर पकाएँ ताकि यह गल जाए। गाजर को धोकर, छीलकर कद्दूकस कर लें। दही को भली प्रकार फेंटकर पालक तथा गाजर मिला दें। नमक तथा मिर्च डालकर परोसें।
कुल मात्रा—2-3 व्यक्तियों के लिए।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

लौकी का रायता

सामग्री—

  1. दही — 250 ग्राम
  2. लौकी — 100 ग्राम
  3. पिसा हुआ जीरा — स्वाद के अनुसार
  4. नमक — स्वाद के अनुसार
  5. मिर्च — स्वाद के अनुसार

विधि—लौकी को धोकर छीलकर, कदूकस कर लें। अब इसे भाप में पका लें। दही को फेंटकर नमक मिला दें। लौकी का पानी निचोड़कर दही में मिला दें। ऊपर से लाल मिर्च और पिसा हुआ जीरा छिड़क दें।
कुल मात्रा—2-3 व्यक्तियों के लिए।

केले का रायता

सामग्री—

  1. दही — 500 ग्राम
  2. केले — 3
  3. चीनी — 2 बड़े चम्मच
  4. किशमिश — थोड़ी-सी

विधि—किशमिश को कोसे पानी से धोकर साफ़ कर लें। दही में चीनी मिलाकर मथानी से अच्छी तरह फेंटें ताकि चीनी अच्छी तरह घुल जाए। केले को छीलकर काट लें और केले और किशमिश को दही में मिला दें।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

कस्टर्ड

सामग्र—

  1. दूध — 500 ग्राम
  2. चीनी — \(1 \frac{1}{2}\) बड़ा चम्मच
  3. कस्टर्ड पाउडर — 2 चाय के चम्मच

विधि—आधा कप दूध बचाकर, बाकी के दूध को उबालने के लिए रखें। गर्म दूध में चीनी मिलाकर और कप वाले दूध में कस्टर्ड पाउडर डालकर अच्छी तरह घोलें। जब दूध उबलने लगे तो इसमें कस्टर्ड वाला दूध धीरे-धीरे करके डालें और हाथ से चम्मच के साथ दूध को अच्छी तरह हिलाएँ ताकि गिलटियाँ न बन जाएँ। उबाल आने पर उतार लें। इसको गर्म या ठंडा करके परोसें।
कस्टर्ड में ऋतु के अनुसार फल, जैसे-आम, केला, सेब, अँगूर आदि भी डालें। अगर फल डालने हों तो कस्टर्ड को पहले अच्छी तरह ठंडा कर लें। फ्रिज में या बर्फ में रखकर ठंडा करके परोसें। ठंडे कस्टर्ड को जैली के साथ परोसे।

बेक किया हुआ कस्टर्ड

सामग्री—

  1. अण्डा — 1 छोटा
  2. दूध — 1 कप
  3. चीनी — 2 छोटे चम्मच

विधि—अण्डा और चीनी अच्छी तरह फेंट लें। फिर इसको दूध में मिलाएँ। अब इस मिश्रण को हल्की आँच पर पकाएं ठंडी हो जाने पर परोसें।

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical अण्डा पकाना Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

ऑमलेट

सामग्री-

  1. अण्डे — 4
  2. प्याज — 2 छोटे
  3. टमाटर — \(\frac{1}{2}\)छोटा
  4. हरी मिर्च — 1 – 2
  5. नमक और काली मिर्च — स्वाद के अनुसार
  6. घी — तलने के लिए

विधि—अण्डे का पीला और सफ़ेद भाग अलग-अलग कर लें। सफेद भाग को अच्छी तरह फेंट लें। अब इसमें पीला भाग अच्छी तरह मिला लें और नमक व काली मिर्च भी डाल लें। फ्राइंग पैन (Frying pan) गरम करके थोड़ा-सा घी डालकर अण्डे के आधे घोल को फैला दें। इसके ऊपर बारीक कटा हुआ प्याज, टमाटर और हरी मिर्च फैलाकर सिक जाने पर ऑमलेट को मोड़ दें। इसी प्रकार आधे बचे घोल का भी ऑमलेट बना लें।
कुल मात्रा—दो ऑमलेट

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

फ्राइड अण्डा

सामग्री—

  1. अण्डे — 2
  2. घी — तलने के लिए
  3. नमक तथा काली मिर्च — स्वाद के अनुसार

विधि-फ्राइंग पैन (Frying Pan) गरम करके उसमें थोड़ा-सा घी डाल दें। अण्डे को फ्राइंग पैन में ऐसे तोड़ें ताकि पीला और सफ़ेद भाग मिले नहीं। अब फ्राइंग पैन को ढककर मन्द आँच पर रखें। दो मिनट में अण्डा अपनी ही भाप में पक जाता है। परोसते समय सिकी हुई डबलरोटी पर मक्खन लगाकर ऊपर से फ्राइड अण्डा रख दें और नमक, काली मिर्च छिड़क दें।
कुल मात्रा-दो।

पोचड् अण्डा

सामग्री-

  1. अण्डे — 2
  2. पानी — 2 गिलास के लगभग
  3. नमक, काली मिर्च — स्वाद के अनुसार
  4. सिरका — 2 छोटी चम्मच

विधि—फ्राइंग पैन (Frying Pan) में पानी गरम कर लें। इसमें सिरका और थोड़ासा नमक डालकर उबाल आने दें। अब इसमें अण्डा ऐसे तोड़ें कि सफ़ेद और पीला भाग मिले नहीं। दो-तीन मिनट में पक जाने पर निकालकर काली मिर्च छिड़क कर टोस्ट या तले हुए आलू के टुकड़ों के साथ परोसें।
कुल मात्रा—दो।

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

सक्रैम्बल्ड अण्डा

सामग्री-

  1. अण्डे — 4
  2. दूध — 2 बड़े चम्मच
  3. मक्खन — 2 छोटे चम्मच
  4. नमक, काली मिर्च — स्वाद के अनुसार।

विधि—अण्डों को तोड़कर फेंट लें। इसमें बाकी सब चीजें मिला लें। पतीले में यह घोल डालकर धीमी आँच पर बराबर हिलाते हुए पकाएँ। एक-दो मिनट में पक जाने पर निकाल लें। ध्यान रखें कि वह बहुत ज्यादा सख्त न हो।
कुल मात्रा—दो कटोरी।

ऐग ऑन बडूज नेस्ट

सामग्री—

  1. अण्डे — 2 स्लाइस
  2. डबलरोटी — 5
  3. प्रोसेस्ड पनीर — 25 ग्राम
  4. मक्खन — 10 ग्राम
  5. काली मिर्च (पिसी) — थोड़ी-सी
  6. नमक — स्वादानुसार

विधि—डबल रोटी के स्लाइसों पर मक्खन लगा लें। पनीर को कद्दूकस कर लें तथा उसका आधा भाग डबलरोटी के टुकड़ों पर डाल दें। एक ट्रे में थोड़ा घी लगाकर डबलरोटी को उसमें रख दें। अब अण्डों को तोड़कर उनकी ज़र्दी व सफ़ेदी को अलग-अलग कर लें। (ध्यान रहे कि जर्दी टूटे नहीं) अण्डे की सफेदी को ‘ऐग बीटर’ (Egg Beater) की सहायता से अच्छी तरह फेंट लें ताकि सख्त-सी हो जाए। अब इस सफेदी को डबलरोटी के स्लाइसों पर चारों तरफ़ डाल दें तथा दोनों के बीच में अण्डे की जर्दी को तोड़ दें। ऊपर से कद्दूकस किया हुआ पनीर ओवन में भूरे रंग का होने तक सेंकें। अब इन पर नमक व काली मिर्च बुरक कर परोसें।
कुल मात्रा—दो व्यक्तियों के लिए।

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

पौष्टिक पराँठे

सामग्री—

  1. आटा — \(\frac{1}{2}\)कटोरी
  2. पालक — 100 ग्राम
  3. मूंगफली — 50 ग्राम
  4. हरा धनिया — थोड़ा-सा
  5. बेसन — \(\frac{1}{2}\)कटोरी
  6. हरी मिर्च — 2-3
  7. अदरक — 1 छोटा टुकड़ा
  8. नमक — स्वादानुसार
  9. घी — तलने के लिए

विधि—मूली कद्दूकस कर लें। मूली के नरम पत्तों और पालक के पत्तों को धोकर बारीक काट लें। हरी मिर्च, हरा धनिया और अदरक को भी काट लें। मूंगफली के दानों को मोटा-मोटा सा कूट लें। आटा और बेसन को छननी में छान लें और शेष सारी चीजें मिलाकर आटा गूंथ लें। इसके पराँठे बनाकर दही के साथ परोसें।

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

भरवां पराँठा

सामग्री-

  1. गेहूँ का आटा —150 ग्राम
  2. जल — आवश्यकतानुसार
  3. नमक — थोड़ा-सा
  4. आलू — 50 ग्राम
  5. चने की दाल — 30 ग्राम
  6. हरी मिर्च — 1-2 2
  7. घी — 2 छोटी चम्मच
  8. गर्म मसाला — \(\frac{1}{4}\) चाय का चम्मच
  9. पिसी हुई लाल मिर्च — आवश्यकतानुसार
  10. घी या तेल — सेंकने के लिए

विधि—आटे में नमक डालकर गूंथ लें और \(\frac{1}{2}\) घण्टे के लिए रख दें। आलू तथा चने की दाल उबालें और आलू को छीलकर मथ लें। दाल को भी इसी में मिला लें। हरी मिर्च धोकर बारीक काटें और इसे दाल व आलू में मिला दें। एक चम्मच घी गर्म करके दाल व आलू का मिक्सचर तथा मसाले डालकर पाँच मिनट के लिए भून लें। इस प्रकार स्टफिंग तैयार हो जाएगी। आटे को भली प्रकार गूंथ कर उसमें चार गोलियाँ बना लें। हर एक गोली को थोड़ा-सा बेल लें फिर इसमें एक बड़ा चम्मच स्टफिंग भरकर फिर से गोली बना लें। अब इस पराँठे को पूरा बेल लें। पराँठे को तवे पर घी लगाकर सेंक लें।

नोट—स्टफिंग, मौसम के अनुसार सब्जियाँ; जैसे-मूली और फूलगोभी की भी बनाई जा सकती है।
मूंगफली की स्टफिंग भी बनाई जा सकती है।
कुल मात्रा—4 पराँठे।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 8 प्राथमिक सहायता

PSEB 8th Class Home Science Guide प्राथमिक सहायता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
घायल की तत्काल थोड़ी सहायता, रोग को अधिक गम्भीर होने से बचाना, रक्त स्राव रोकना, अचानक बेहोश होने या बेहोशी दूर करना।

प्रश्न 2.
जलन कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
जलन दो प्रकार की होती है-

  1. सूखी (शुष्क) जलन,
  2. तरल जलन।

प्रश्न 3.
अगर कपड़ों को आग लग जाए तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर–
व्यक्ति को मोटे कंबल आदि में लपेटें तथा धरती पर लिटा कर लुढ़काना चाहिए।

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प्रश्न 4.
डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर क्या लगाओगे ?
उत्तर-
बरनौल।

प्रश्न 5.
अपने आप को लू से कैसे बचाओगे ?
उत्तर-
पानी अधिक पीना चाहिए, कच्चे आम को भून कर रस पीना चाहिए। प्याज का प्रयोग करना चाहिए, सीधे धूप में नहीं जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
ल वाले रोगी को किस तरह से सम्भालोगे ?
उत्तर-
रोगी को छाया वाली ठण्डी जगह पर रखें। धड़ को ठंडे पानी में डुबोना चाहिए। सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए। कच्चे आम का रस देना चाहिए आदि।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 7.
लू क्यों लगती है ?
उत्तर-
तेज़ गर्मी के मौसम में अचानक सूर्य की किरणें किसी कमज़ोर व्यक्ति, बच्चे या बूढ़े पर पड़ जाएं तो उसे लू लग सकती है।

प्रश्न 8.
ज़ख्म पर क्या लगाना चाहिए ?
उत्तर-
डिटोल, स्पिरीट आदि।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कान में से खून बहने का क्या कारण है ?
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटने से कान से खून बहने लगता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हो ?
अथवा
प्राथमिक सहायता से क्या भाव है ?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता वह सहायता है जो डॉक्टर के आने से पहले या रोगी को डॉक्टर के पास ले जाने से पहले रोग की पड़ताल करके, उसे शीघ्र ही चिकित्सा के रूप में पहुँचाई जाए।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति कैसा होना चाहिए?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति धैर्यवान्, सहनशील, शान्त, दयावान्, होशियार, पक्के इरादे वाला, स्पष्टवादी, शारीरिक और मानसिक स्तर पर चुस्त होना चाहिए।

प्रश्न 4.
क्या प्राथमिक सहायता के उपरान्त डॉक्टर को बुलाना आवश्यक है ?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता के उपरान्त शेष कार्य डॉक्टर के लिए छोड़ देना चाहिए। जितनी जल्दी हो उसे डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए और डॉक्टर के पहुंचने पर उसे बीमार की पूरी स्थिति बता देनी चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 5.
सूखी जलन से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
आग या धातु का गर्म टुकड़ा शरीर के किसी भाग के साथ छू जाए या रगड़ा जाए अथवा गाढ़े तेज़ाब या क्षार द्वारा पैदा हुआ जख्म या घाव सूखी जलन कहलाता है।

प्रश्न 6.
तरल जलन कैसे हो जाती है?
उत्तर-
भाप, गर्म तेल, लुक या उबलती चाय या दूध या अयोग्य ढंग से लगाई हुई पुलटिस के साथ पैदा हुए घाव को तरल जलन कहा जाता है।

प्रश्न 7.
डूबते हुए व्यक्ति को बचाने के लिए एक-एक पल कीमती क्यों होता है ?
उत्तर-
डूबते हुए व्यक्ति को बचाने के लिए एक-एक पल कीमती है, क्योंकि कई बार डूबने से आदमी मरता तो नहीं, लेकिन बेहोश हो जाता है। झिल्ली काम करना बन्द कर देती है और सांस रुक जाता है। इस समय अगर बनावटी सांस दिया जाए तो जान बच सकती है।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जख्म कितनी तरह के होते हैं ?
उत्तर-
जख्म या घाव कई तरह के होते हैं। मुख्य प्रकार से जख्मों या घावों को निम्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
1. कटा हुआ घाव या कर्टित घाव-कभी-कभी तेज़ चाक, ब्लेड या काँच आदि के किनारे से लगकर रक्त बहने लगता है। यदि घाव गहरा हो जाता है तो धमनियाँ तथा नाड़ियाँ भी कट जाती हैं।

2. फटा हुआ घाव या दीर्घ घाव-इस प्रकार के घाव सामान्यतः मशीन के कल-पुर्जो, जानवरों के सींगों तथा पंजों द्वारा हो जाया करते हैं। घाव के किनारे फटे तथा टेढ़े-मेढ़े हो जाते प्राथमिक सहायता हैं। ये घाव ज्यादा खतरनाक होते हैं। इनके विषैले होने का खतरा रहता है। घाव के भर जाने पर भी शरीर पर स्थाई तथा भद्दे निशान पड़ जाते हैं।

3. संवेधित घाव-इस प्रकार के घाव गोली लगने, लकड़ी की फास चुभने, नुकीला हथियार लगने, काँटा चुभने आदि से हो जाते हैं। इन घावों का मुंह ऊपर से छोटा होता है। इनके बारे में सही अनुमान लगाना सम्भव नहीं होता। गोली लगने पर गोली निकालने का काम डॉक्टर पर छोड़ देना चाहिए।

4. कुचला हुआ घाव या कुचलित घाव-किसी भारी वस्तु के शरीर पर गिरने से, हथौड़े की चोट उँगली पर पड़ जाने से, दरवाज़े के बीच उंगली आ जाने से जो घाव बनता है; वह कुचला हुआ या कुचलित घाव कहलाता है।

प्रश्न 2.
अगर नाक में खून आए तो क्या करोगे?
उत्तर-
प्रायः गर्मियों में अधिक गर्मी होने के कारण नाक से खून बहता है। इसे नक्सीर आना या फूटना कहते हैं। नक्सीर फूटने पर निम्नलिखित प्रकार से उपचार करना चाहिए-
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चित्र 8.1 नाक से खून बहना

  1. रोगी को खुले स्थान पर खिड़की के सामने ले जाकर कुर्सी पर बिठाना चाहिए जिससे शुद्ध वायु मिल सके।
  2. उसके सिर को पीछे और हाथों को ऊँचा करना चाहिए।
  3. यदि रोगी बैठ न सकता हो तो उसके कन्धे के नीचे दो तकिये लगा देने चाहिएँ।
  4. गर्दन व छाती के आस-पास के वस्त्रों को ढीला कर देना चाहिए।
  5. नाक द्वारा सांस न लेकर मुँह द्वारा साँस लेने को कहना चाहिए।
  6. नाक, हँसली और रीढ़ की हड्डी पर ठण्डे पानी की पट्टी रखनी चाहिए ताकि खून का बहना कम हो जाए।
  7. पाँव गर्म रखने चाहिएँ। ऐसा करने के लिए एक चिलमची में गुनगुना पानी लेकर रोगी के पैरों को उसमें रखकर तौलिए से ढक देना चाहिए। इससे खून का बहाव पैरों की ओर अधिक होगा।
  8. खून बहना बन्द हो जाने पर भी रोगी की नाक जल्दी साफ़ नहीं करनी चाहिए और न ही उसे बहुत हिलने-डुलने देना चाहिए।

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प्रश्न 3.
आप रोगी की सहायता कैसे करोगे?
उत्तर-
रोगी की सहायता-कान की कनपटी पर थोड़ी रूई रखकर ढीली पट्टी बाँध देनी चाहिए और रोगी का सिर चोट वाली तरफ झुका देना चाहिए।

Home Science Guide for Class 8 PSEB प्राथमिक सहायता Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
दहन कितने प्रकार की होती है ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) पांच
(घ) दस।
उत्तर-
(ख) दो

प्रश्न 2.
कांटा चुभने के कारण हुआ घाव कैसा है ?
(क) कर्टित घाव
(ख) दीर्घ घाव
(ग) संवेधित घाव
(घ) कुचलित घाव।
उत्तर-
(ग) संवेधित घाव

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प्रश्न 3.
कुचलित घाव है
(क) तेज़ चाकू वाला
(ख) मशीन के पुर्जे के कारण
(ग) बांस चुभना
(घ) दरवाज़े में ऊंगली आ जाना।
उत्तर-
(घ) दरवाज़े में ऊंगली आ जाना।

प्रश्न 4.
ठीक तथ्य है
(क) जले हुए स्थान पर बरनौल लगानी चाहिए।
(ख) घाव को एंटीसेप्टिक घोल से साफ़ करना चाहिए।
(ग) क्षार से जले हुए अंग को पानी से धो दें।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

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II. ठीक/गलत बताएं

  1. शरीर में 6 दबाव बिन्दु होते हैं।
  2. धमनी की तुलना में शिरा का रक्त स्राव सरलता से रोका जा सकता है।
  3. लू वाले रोगी के सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए।
  4. लू लगने से रोगी की नब्ज तेज़ चलती है।
  5. गर्म धातु से जलना तरल जलन है।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. लू वाले रोगी को ……………….. स्थान पर ले जाएं।
  2. दरवाज़े में उंगली आने से ……………….. घाव बनता है।
  3. शरीर में ……………….. दबाव बिंदु है।
  4. लू लगने पर शरीर का तापमान 102° F से ……………….. तक हो सकता है।

उत्तर-

  1. ठण्डे,
  2. कुचला,
  3. छ:,
  4. 108°

IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कान से खून आने का कारण बताएं।
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटना।

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प्रश्न 2.
लू से बचने के लिए नमक की मात्रा कम लेनी चाहिए या अधिक ?
उत्तर-
साधारण से 1/2 गुणा अधिक।

प्रश्न 3.
जले हुए घाव पर किस घोल से ड्रेसिंग करनी चाहिए ?
उत्तर-सोडे के घोल से।

प्रश्न 4.
सूखी जलन का उदाहरण दें।
उत्तर-
गर्म धातु से जलन।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रमुख घरेलू दुर्घटनाएं कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
भीगे या चिकने फर्श पर फिसल कर गिर जाना, सीढ़ियों से लुढ़क जाना, खेल-कूद में चोट लगना, रसोई में आग लगना, गर्म जल या दीपक या किसी तेज़ गर्म वस्तु से जल जाना, गर्म पानी या चाय आदि के गिरने से जल जाना, आग से झुलस जाना, भाप से जल जाना, दम घुटना, कटना या खरोंच पड़ना, धोखे से जहरीली दवाएँ पी लेना आदि-आदि।

प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अचानक घटने वाली दुर्घटनाओं की जो चिकित्सा डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाने से पूर्व की जाती है, उसे प्रार्थामक सहायता कहते हैं।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
घायल की तत्काल थोड़ी सहायता, रोग को अधिक गम्भीर होने से बचाना, रक्त स्राव रोकना, अचानक बेहोश होने पर बेहोशी दूर करना।

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प्रश्न 4.
रक्तस्त्राव किसे कहते हैं ? ।
उत्तर-
चोट से, खरोंच से, सुई चुभने से या किसी तेज़ धार वाली वस्तु द्वारा धमनी या शिरा के कट जाने से रक्त के बहने को रक्तस्राव कहते हैं।

प्रश्न 5.
रक्तस्त्राव कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-

  1. कोशिकाओं के कट जाने से रक्तस्राव,
  2. धमनी से रक्तस्राव,
  3. शिरा से रक्तस्राव,
  4. आन्तरिक रक्तस्राव,
  5. नाक से रक्तस्राव

प्रश्न 6.
कान से खून बहने का क्या कारण है?
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटने से कान से खून बहने लगता है।

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प्रश्न 7.
कान से खून बहने पर आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर-
कान की कनपटी पर थोड़ी रूई रखकर ढीली पट्टी बाँध देना चाहिए और रोगी का सिर चोट वाली तरफ झुका देना चाहिए।

प्रश्न 8.
दबाव बिन्दु क्या होते हैं ?
उत्तर-
शरीर में ऐसे स्थान जहाँ पर दबाव डालकर खून का बहना रोका जा सकता है।

प्रश्न 9.
शरीर में कितने दबाव बिन्दु प्रमुख हैं ? नाम दीजिए।
उत्तर-
शरीर में छः दबाव बिन्दु प्रमुख हैं

  1. गले स्राव नलिका की बगल में,
  2. कान के ठीक सामने की ओर,
  3. जबड़े से कोण बनाता हुआ 2.5 सेमी. की दूरी पर,
  4. कॉलर की हड्डी के अन्दर के भाग के पीछे की ओर,
  5. भुजाओं के अन्दर की ओर,
  6. जाँघ में मूत्राशय के निकट।

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प्रश्न 10.
दबाव बिन्दु का प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर-
दबाव बिन्दुओं पर उचित दबाव डालकर रक्त के बहने को रोक कर रोगी को एक बहुत बड़े सदमे से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 11.
नक्सीर फूटना किसे कहते हैं ?
उत्तर-
तेज़ गर्मी से छींकने अथवा सीधी चोट के कारण नाक से खून बहने लगता है, तो उसे नक्सीर फूटना कहते हैं।

प्रश्न 12.
प्राथमिक चिकित्सक के गुण क्या हैं ?
उत्तर-

  1. स्पष्ट बोलने वाला।
  2. धैर्यवान्, सहनशील तथा साहसी।
  3. मृदु भाषी तथा प्रसन्नचित
  4. दूरदर्शी, सतर्क तथा निपुण।
  5. हृष्ट-पुष्ट।
  6. दयालु व सेवाभाव रखने वाला।

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प्रश्न 13.
भाप, गर्म तेल या उबलती चाय के साथ पैदा हुए घाव को कौन सी जलन कहां जाता है ?
उत्तर-
तरल जलन।

प्रश्न 14.
शुष्क जलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
रोगी की प्राथमिक सहायता करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  1. घायल की तत्काल थोड़ी-सी सहायता करने से उसका जीवन बच सकता है।
  2. प्राथमिक सहायता से रोग को और अधिक गम्भीर होने से बचाया जा सकता है।
  3. किसी भी कारण खून के बहने को रोका जा सकता है।
  4. किसी के अचानक चोट लगने पर या बेहोश हो जाने पर बेहोशी दूर करने के उपाय किए जा सकते हैं।
  5. थोड़ी देर के लिए अचानक पीड़ा को कम किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
सूखी गर्मी से जलने के क्या लक्षण होते हैं? इसका उपचार किस प्रकार किया जाना चाहिए?
उत्तर-
आग, गर्म धातु, तेज़ाब, क्षार, बिजली, तेज़ घूमने वाले पहिये या तार की रगड से जलने को सूखी गर्मी से जलना कहते हैं। इसके प्रमुख लक्षण निम्न होते हैं

  1. पीड़ा अधिक होती है।
  2. सदमा पहुँचता है।
  3. त्वचा पर लाली आ जाती है।

उपचार-

  1. सदमें को दूर करने के लिए घायल को गर्म रखना चाहिए।
  2. जलन को कम करने के लिए कोई भी ठण्डक पहुँचाने वाला घोल, जैसे खाने के सोडे का गाढ़ा घोल जले हुए स्थान पर लगाना चाहिए।
  3. जले हुए स्थान पर बरनॉल नामक औषधि भी लगाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
लू लगने के क्या लक्षण होते हैं ?
उत्तर-
लू लगने के लक्षण-

  1. रोगी की नब्ज तेज़ चलती है।
  2. शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
  3. बुखार 102°F से 110°F तक हो सकता है।
  4. बुखार बढ़ने से नाक-कान से खून बहने लगता है।
  5. मूर्छा आ जाती है।
  6. पुतली सिकुड़ जाती है।
  7. सिर घूमने लगता है।
  8. प्यास लगने लगती है।

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प्रश्न 4.
रक्तस्त्राव को रोकने के उपाय बताइए।
उत्तर-
रक्तस्राव को रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं-

  1. खरोंच, सूई चुभने या सामान्य कोशिका के कट जाने पर रक्तस्त्राव को रोकने के लिए कटे स्थान को हाथ या अँगूठे से दबा दिया जाता है।
  2. यदि अँगूठे या हाथ से रक्त का बहाव बन्द न हो तो रूई व कपड़े का पैड या बौरसिक लिन्ट के टुकड़े को घाव पर रखकर पट्टी बाँधनी चाहिए। तब तक पट्टी न खोली जाये जब तक रक्त का बहाव बन्द न हो जाए।
  3. धमनी से रक्त बहने की स्थिति में पहले घायल व्यक्ति को लिटा देना चाहिए। जिस अंग से रक्त बह रहा हो उसे यथासम्भव हृदय के लैवल से ऊपर उठाकर रखना चाहिए।
  4. बर्फ की थैली रखने से भी रक्त बहना बन्द हो जाता है।
  5. शिरा से रक्त बहने पर चोट लगे हिस्से को नीचे की ओर झुकाना चाहिए।
  6. यदि हड्डी नहीं टूटी हो तो घाव को अँगूठे व हथेली से दबाकर भी रक्त बहना बन्द किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
तेज़ाब से जलने पर प्राथमिक उपचार बताइए।
उत्तर-

  1. क्षतिग्रस्त भाग को दो चाय के चम्मच बेकिंग सोडा, सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडा कार्बन एक पाइन्ट गर्म पानी में घोलकर भली-भान्ति धो डालें।
  2. दूषित वस्त्रों को सावधानीपूर्वक उतार दें और जले हुए घाव के सामान्य नियमों का पालन करें।
  3. जले हुए भाग को कभी भी सादे पाने से न धोयें।
  4. यदि आँख पर तेज़ाब पड़ने की शंका हो तो उसे पानी से अच्छी प्रकार धोकर पट्टी बाँध दें।

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प्रश्न 6.
क्षार से जलने पर क्या प्राथमिक उपचार किया जाना चाहिए ?
उत्तर-

  1. जले अंग पर पड़ा क्षार (चूना) नर्म ब्रुश से हटा दें।
  2. जले हुए अंग को पानी से धो डालें।
  3. सिरका या नींबू के रस को समान मात्रा में पानी मिलाकर क्षतिग्रस्त भाग को धोएँ इससे क्षार का प्रभाव कम हो जाता है।
  4. दृषित वस्त्रों को शीघ्र हटा दें और जलने के सामान्य नियमों का पालन करें।
  5. यदि आँख पर क्षार पड़ने की शंका हो तो पानी में भली-भान्ति धो डालें। आँखों को नर्म रूई की गद्दी लगाकर पट्टी बाँध दें तथा डॉक्टर को तुरन्त दिखाने का प्रयास करें।

प्रश्न 7.
शिरा के रक्तस्त्राव को कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर-
धमनी की अपेक्षा शिरा का रक्तस्राव सरलता से रोका जा सकता है। शिराओं से बहने वाला रक्त अशुद्ध तथा नीलापन लिए हुए गहरे रंग का होता है। शिरा से रक्त लगातार तेज़ी से एक बंधी धार के साथ निकलता है।

उपचार-जिस अंग में चोट लगी हो उसे नीचे की ओर झुका देना चाहिए। यदि घाव गन्दा हो तो एण्टीसेप्टिक घोल से धो देना चाहिए। यदि हड्डी न टूटी हो तो उँगली से घाव को ज़ोर से दबाना चाहिए और रूई का एक मोटे पैड पर रखकर बाँध देना चाहिए। घाव के नीचे कसकर पट्टी बाँध देने से रक्तस्राव पूर्ण रूप से बन्द हो जाता है।।

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प्रश्न 8.
डूबते व्यक्ति को बचाने के लिए उस की प्राथमिक सहायता कैसे करोगे ?
उत्तर-
डूबते व्यक्ति को पानी में से बाहर निकाल कर बचाने के लिए उस को उल्टा कर पेट पर दबाव डाल कर फालतू पानी निकाल दें तथा बनावटी सांस देनी चाहिए। जल्दी ही डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए।

प्रश्न 9.
प्राथमिक सहायता किसे कहते हैं तथा प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के घाव के उपचार बताइए।
उत्तर-
1. कटे हुए घाव का उपचार-यदि घाव कम गहरा हो तो थोड़ा-सा रक्त बहा देना चाहिए। इससे कीटाणु बाहर निकल जायेंगे। इस प्रकार के घाव को एण्टीसेप्टिक घोल, टिंचर आयोडीन, स्प्रिट आदि से साफ़ करना चाहिए तथा घाव के ऊपर रूई रखकर पट्टी बाँध
देनी चाहिए। साफ़ करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आस-पास की गन्दगी तथा पानी घाव में न जाये। यदि रक्तस्राव अधिक हो तो कसकर पट्टी बाँध देनी चाहिए। यदि घाव बड़ा हो तो डॉक्टर की सलाह से टाँके लगवा देने चाहिएँ।

2. फटे हुए घाव का उपचार-

  • रक्तस्राव बन्द करके घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से साफ़ करना चाहिए।
  • घाव साफ़ करने के बाद उस पर सल्फोनामाइड पाउडर अच्छी तरह बुरक कर तथा रूई रखकर बाँध देना चाहिए। डॉक्टरी इलाज करना चाहिए।

3. संवेधित घाव का उपचार-रक्तस्राव रोकने के उपरान्त घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से धोकर साफ़ करना चाहिए और फिर रूई को मरक्यूरीक्रोम या एक्रोफ्लेविन में भिगोकर घाव पर रखने के बाद पट्टी बाँध देनी चाहिए। यदि गोली अन्दर रह गई हो तो घायल को तुरन्त चिकित्सालय ले जाना चाहिए। रोगी को मूर्छित नहीं होने देना चाहिए।

4. कुचले हुए या कुचलित घाव का उपचार- इस प्रकार के घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से धोकर कपड़े को बर्फ के पानी में गीला कर बाँध देना चाहिए। यदि घायल को बेचैनी हो तो ठण्डे पानी के साथ ग्लुकोस देना चाहिए।

प्रश्न 2.
फर्स्ट एड बॉक्स क्या होता है ? प्राथमिक सहायता हेतु आवश्यक वस्तुओं की सूची दीजिए।
उत्तर-
प्राथमिक सहायता के लिए आवश्यक सामग्री को एक डिब्बे में रखा जाता है जिससे उसका उपयोग आपातकाल के समय तुरन्त किया जा सके और सामान के लिए इधरउधर न भटकना पड़े। इस डिब्बे को फर्स्ट एड बॉक्स (First Aid Box) कहते हैं।
फर्स्ट एड बॉक्स में प्राथमिक सहायता सम्बन्धी निम्नलिखित सामान होना चाहिए-
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता 2
चित्र 8.2 फर्स्ट एड बॉक्स

  1. टिंक्चर आयोडीन
  2. टिंक्चर बेन्जोइन
  3. मरक्यूरोक्रोम या ऐक्रीफ्लेविन
  4. स्प्रिट तथा अमोनिया
  5. पोटाशियम परमैंगनेट (लाल दवाई)
  6. डिटोल (कृमिनाशक घोल)
  7. सोडा बाइकार्बोनेट (खाने का मीठा सोडा)
  8. सूंघने का नमक (स्मैलिंग साल्ट)
  9. बरनॉल
  10. आयोडेक्स
  11. दवाईयुक्त प्लास्टर (हेसिव टेप)
  12. ए० पी० सी०, डिस्प्रीन, एनासिन या नोवलजिन
  13. पट्टियाँ (गोल व तिकोनी)
  14. गॉज (जाली वाला कपड़ा)
  15. रूई (कॉटन) मेडीकेटिड
  16. खपच्चियाँ
  17. आँख धोने का गिलास
  18. आधा दर्जन सेफ्टी पिन
  19. 2-3 ड्रापर
  20. कुछ लम्बी सीकें जो फुरहरी बनाने के काम आयें
  21. टूनिकेट
  22. छोटी कैंची, चाकू तथा चिमटी।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 3.
सूखे तथा तरल दहन से क्या भाव है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
अथवा
शुष्क और तरल जलन से क्या अभिप्राय है ? उदाहरण देकर स्वष्ट कीजिए।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 4.
लू क्यों लगती है तथा लू वाले रोगी की प्राथमिक सहायता कैसे करोगे ?
उत्तर-
उपरोक्त प्रश्नों में देखें।

प्रश्न 5.
प्राथमिक सहायता क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
दैनिक जीवन में कई प्रकार की दुर्घटनाएं घटती रहती हैं। घर में, स्कूल में, सड़क पर यात्रा करते हुए, कारखाने आदि में कहीं भी दुर्घटना हो सकती है। जल जाना, लू लगना, किसी कीड़े-मकौड़े का काटना, गलती से कोई विषैली वस्तु खा लेना, किसी अंग का कट जाना, मूर्च्छित हो जाना, चोट लगने से रक्त बहना आदि भी रोज़ की घटनाएँ हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर को बुलाना और इलाज करना आवश्यक हो जाता है। परन्तु हर जगह और हर समय शीघ्र डॉक्टर का मिलना सम्भव नहीं होता। डॉक्टर के न मिलने पर तत्काल उपचार न होने से मरीज की हालत बिगड़ जाती है और मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की स्थिति को डॉक्टर के आने से पूर्व बिगड़ने से रोकने के लिए और उसकी जान बचाने के लिए प्राथमिक सहायता (प्राथमिक उपचार) की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 6.
अगर कपड़ों को आग लग जाए तो क्या करना चाहिए?
उत्तर-
कपड़ों को आग लगने पर उपाय-
1. यदि खाना बनाते समय या किसी और कारण से कपड़ों में आग लग गई हो तो रोगी को तुरन्त ज़मीन पर लेट कर लुढ़कना चाहिए। रोगी के ऊपर एक कम्बल या ओवरकोट डालना चाहिए, लेकिन रोगी का मुँह खुला रखना चाहिए।
2. आग बुझाने के लिए जलते हुए व्यक्ति पर कभी भी पानी नहीं डालना चाहिए, नहीं तो घाव और गम्भीर हो जाते हैं।
3. रोगी के कपड़े व जूते उतार देने चाहिएं। यदि नहीं उतर सकें तो उन्हें काट देना चाहिए।
4. रोगी को उठाकर किसी एकान्त स्थान पर ले जाकर लिटा देना चाहिए। उसे पीने के लिए गर्म दूध या चाय देनी चाहिए।
5. यदि फफोले पड़ गए हों तो उन्हें फोड़ना नहीं चाहिए।
6. जले हुए स्थान पर खाने के सोडे के घोल से ड्रेसिंग करनी चाहिए।
7. एक भाग अलस के तेल में एक भाग चूने का पानी मिलाकर स्वच्छ कपड़े के फाये द्वारा जले हुए भाग पर लगाना लाभदायक होता है।बरनोल उपलब्ध हो तो जले हुए स्थान पर धीरे-धीरे लगाना चाहिए।
8. जले हुए स्थान पर नारियल का तेल मलने से भी आराम मिलता है।
9. यदि अधिक जल गया हो तो जले हुए स्थान के कपड़े सावधानीपूर्वक हटा देने चाहिएँ यदि कपड़े चिपक गए हों तो उस स्थान पर नारियल या जैतून का तेल लगा देना चाहिए।
10. रोगी को शीघ्रातिशीघ्र डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर क्या लगाओगे?
उत्तर-
डॉक्टर के आने से पूर्व जले हुए व्यक्ति के फफोले या छाले नहीं फोड़ने चाहिएं क्योंकि ये बाहर के रोगाणुओं से घाव को बचाते हैं। डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर निम्नलिखित पदार्थ लगाए जा सकते हैं-
1. यदि कपड़ों के जलने से शरीर जला है तो जले हुए स्थान पर खाने के सोडे का घोल, एक भाग चूने का पानी मिलाकर, जैतून या नारियल का तेल या बरनोल लगाया जा सकता है।

2. यदि शरीर रासायनिक पदार्थों से जला है तो जले हुए स्थान के भाग को पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए। यदि शरीर का भाग तेज़ाब (अम्ल) से जला है तो उस पर अमोनिया या खाने के सोडे का घोल लगाना चाहिए।

3. तीव्र क्षार से जलने पर सिरके या नींबू के रस में पानी मिलाकर लगाने से आराम मिलता है और क्षार का प्रभाव कम हो जाता है। कार्बोलिक अम्ल से जले हुए भाग पर एल्कोहल मलने से आराम मिलता है।

4. वाष्प या शुष्क ताप से जलने पर या बिजली से जलने पर भी वही उपचार देना चाहिए जो कपड़ों में आग लगने पर गम्भीर रूप से जलने पर दिया जाता है।

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प्रश्न 8.
अपने आपको लू से कैसे बचाओगे?
उत्तर-
अपने आप को लू से बचाने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए-

  1. गर्मी में काम करते समय हल्के रंग के सूती कपड़े पहनने चाहिएँ।
  2. गर्मी के स्थान से वातानुकूलित ठण्डे स्थान में या वातानुकूलित ठण्डे स्थान से गर्मी के स्थान पर एकाएक नहीं आना-जाना चाहिए।
  3. घर से खाली पेट बाहर नहीं जाना चाहिए। खाना खाए हुए व्यक्ति की अपेक्षा खाली पेट वाले व्यक्ति को लू अधिक तेजी से लगती है।
  4. अधिकाधिक पानी पीना चाहिए। घर से जाते समय भी पानी पी कर जाना चाहिए।
  5. लू के दिनों में कच्चे आम के पीने (आम को भून कर बनाए गए रस) तथा प्याज का सेवन करना चाहिए।
  6. नमक की मात्रा अधिक लेनी चाहिए।
  7. पौष्टिक खुराक लेने वाले को लू कम लगती है। शराब पीने वालों को, त्वचा के रोगियों को व पौष्टिक खुराक न खाने वालों को जल्दी लू लगती है।

प्रश्न 9.
लू वाले रोगी को किस तरह सम्भालोगे?
उत्तर-
लू से पीड़ित व्यक्ति को तत्काल डॉक्टरी सहायता पहुँचानी चाहिए। अन्यथा तेज़ बुखार से उसकी मृत्यु का भय रहता है। लू लगने पर निम्नलिखित प्राथमिक उपचार किए जाने चाहिएँ.

  1. रोगी को सबसे छायादार या ठण्डे स्थान पर ले जाना चाहिए।
  2. जितना शीघ्र हो सके उसके मस्तिष्क को ठण्डक पहुँचानी चाहिए। इसके लिए उसके धड़ को ठण्डे पानी में डुबोना चाहिए। पूरे शरीर को ठण्डे पानी से मल-मल कर नहलाना चाहिए।
  3. रोगी के सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए।
  4. बुखार उतरते ही रोगी को बिस्तर पर लिटा देना चाहिए। यदि बुखार दुबारा तेज़ होता है तो यही उपचार करना चाहिए।
  5. रोगी को कच्चा आम भूनकर या उबालकर उसका रस बनाकर देना चाहिए। प्याज़ का रस देना भी लाभदायक रहता है।
  6. रोगी के हाथ-पाँव पर विशेष रूप से हथेलियों एवं तलवों पर मेंहदी या प्याज़ पीस कर मलना चाहिए।
  7. रोगी को लस्सी या नींबू के साथ नमक खिलाना चाहिए क्योंकि पसीने द्वारा अधिक मात्रा में नमक शरीर से बाहर निकल जाता है।
  8. रोगी को कोई उत्तेजक पदार्थ नहीं पिलाना चाहिए।

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प्रश्न 10.
ल क्यों लगती है?
उत्तर-
लू गर्म देशों में घटित होने वाली घटना है। तेज़ गर्मी के मौसम में एकापक सूर्य की तेज़ किरणें दुर्बल व्यक्ति, बच्चे या बूढ़े पर पड़ती हैं तो उसे लू लग सकती है। मनुष्य काफ़ी लम्बे समय के लिए खुली गर्मी में काम करे तो उसे लू लग सकती है। घर के अन्दर भी तेज़ गर्मी लू लगने के समान परिणाम ला सकती है। लू लगने की दशा में शरीर तापं के निष्कासन की सामान्य शक्ति नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 11.
जख्म पर क्या लगाना चाहिए?
उत्तर-
जख्म से यदि खून बहता हो तो पहले खून बन्द करने का उपचार करना चाहिए। जिस अंग से खून बहता हो उसे हल्के से पकड़कर हृदय के लैवल से थीड़ा ऊपर रखना चाहिए ताकि खून बहना बन्द हो जाए। यदि हड्डी टूटी हो तो जख्म पर सख्त कपड़ा रखकर ज़ोर से पट्टी बाँधने से खून बहना बन्द हो जाता है। यदि जख्म में कोई चीज़ या हड्डी का टुकड़ा फँसा हो तो जख्म के किनारों पर दबाव डालना चाहिए।

खुले जख्म के सबसे पहले किसी कीटाणुनाशक या एण्टीसेप्टिक घोल, जैसे डिटोल, पोटेशियम परमैंगनेट या स्प्रिट से साफ़ करना चाहिए। इससे घाव विषैला होने से बच जाता है। घाव पर मरक्यूरी क्रीम या टिंचर बेंजोइन लगाना चाहिए। घाव पर यदि खुरण्ड बन आया हो तो उसे नहीं हटाना चाहिए क्योंकि यह खून बहना रोकने का प्राकृतिक साधन है।

प्रश्न 12.
काटे जाने पर रक्त बहने की स्थिति में प्राथमिक सहायतों के बारे में लिखें। जख़्म कितनी प्रकार के होते हैं ? विस्तार से लिखें।।
उत्तर-
ऐसी स्थिति में प्राथमिक सहायता देने का भाव है कि रक्त बहने से रोकना तथा रोगाणुओं को रक्त में मिलने से रोकना। साधारण जख़्म पर टिंकचर आयोडीन लगा देनी चाहिए। गहरे जख़्म को पानी से धो कर फलालैन के कपड़े से पोंछ दें। यदि दवाई न हो तो शहद का प्रयोग कर सकते हैं।
जख़्मों के प्रकार-स्वयं करें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्राथमिक सहायता PSEB 8th Class Home Science Notes

  • प्राथमिक सहायता वह सहायता है, जो डॉक्टर के आने से पहले या रोगी को डॉक्टर के पास ले जाने से पहले रोगी के रोग की पड़ताल करके, उसे शीघ्र ही चिकित्सा के रूप में पहुँचाई जाए।
  • प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति धैर्यवान्, सहनशील, शान्त, दयावान्, होशियार, पक्के इरादे वाला, स्पष्टवादी, शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त होना चाहिए।
  • आग या धातु का गर्म टुकड़ा शरीर के किसी भाग के साथ छू जाए या रगड़ा जाए अथवा गाढ़े तेज़ाब या क्षार द्वारा पैदा हुआ ज़ख्म या घाव सूखी जलन कहलाता है।
  • भाप, गर्म तेल, लुक या उबलती चाय का दूध या अभोज्य ढंग से लगाई हुई पुलटिस के साथ पैदा हुए घाव को तरल जलन कहा जाता है।
  • जले हुए स्थान पर तेल लगाने से खून में जहर फैलने का डर रहता है।
  • जले हुए व्यक्ति को गर्म मीठी चाय में हल्दी डालकर रोगी को देना चाहिए ताकि रोगी को गर्म रखा जा सके।
  • लू लगने से रोगी की नब्ज़ तेज़ चलती है।
  • गर्मी में काम करने वाले को हल्के रंग के सूती कपड़े पहनने चाहिएँ।
  • गर्मी के दिनों में धूप में काले चश्मों और छतरी का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • लू अधिक शराब पीने वालों को, एग्ज़ीमा के रोगियों को, पौष्टिक खुराक न खाने वालों को जल्दी लगती है।
  • साधारण कटे हुए ज़ख्म पर टॅनर आयोडीन लगानी ठीक रहती है।
  • किसी भी तेज़ ब्लेड, उस्तरा आदि लगने से हुए घाव को कटित घाव कहते हैं।
  • मशीन में शरीर के किसी अंग का आ.। या किसी पशु के मुँह में आ जाने से होने वाले घाव को दीर्घ घाव कहते हैं।
  • किसी चाकू, तेज़ धार वाले या नुकीले हथियार से हुए गहरे घाव, जिसका मुँह ऊपर से छोटा होता है, लेकिन अन्दर घाव गहरा होता है, इसको ही संवेधित घाव कहते हैं।
  • किसी भारी वस्तु के शरीर पर गिरने से या किसी कुंद हथियार के ज़ोर से लगने से होने वाला घाव कुचलित घाव कहलाता है।
  • नाक से खून बहे तो नाक पर ठंडे पानी की पट्टी रखें। और नाक साफ़ नहीं करना चाहिए।
  • लू के दिनों में पानी और नमक का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
  • लू लगे हुए रोगी को ठंडी और खुली हवा में लिटाना चाहिए।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती)

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती) Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती)

PSEB 8th Class Agriculture Guide खुम्बों की काश्त (खेती) Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
खुम्बों की दो उन्नत किस्मों के नाम बताएं।
उत्तर-
बटन खुम्ब, पराली खुम्ब, शिटाकी खुम्ब।

प्रश्न 2.
खुम्बें किन रोगों से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक हैं?
उत्तर-
शूगर तथा ब्लड प्रैशर

प्रश्न 3.
सर्द ऋतु की खम्बों की वर्ष में कितनी फसलें प्राप्त की जा सकती हैं?
उत्तर-
बटन खुम्ब की दो, ढींगरी की तीन तथा शिटाकी की एक फसल ली जा सकती है।

प्रश्न 4.
खुम्बों के पालन के लिए बनाई जाने वाली खाद की ढेरियों की ऊंचाई अधिक-से-अधिक कितने फुट रखनी चाहिएं?
उत्तर–
पाँच फुट।

प्रश्न 5.
तैयार खाद को पेटियों में खुम्बें भरते समर गली-सड़ी रूड़ी व रेतीली मिट्टी में क्या अनुपात होता है?
उत्तर-
गले-सडे गोबर की खाद तथा रेतली मिट्टी में 4 : 1 का अनुपात होना चाहिए।

प्रश्न 6.
खुम्बों को मक्खियों से बचाने के लिए किस औषधि का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
नूवान (डाइक्लोरोवेस)।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती)

प्रश्न 7.
मक्खियों से बचाने के लिये दवाई छिड़कने के कितने घण्टे उपरांत तक खुम्बें नहीं तोड़नी चाहिए?
उत्तर-
48 घण्टे।

प्रश्न 8.
खुम्बें उगाने के लिए प्रति क्यारी कितने बीज की आवश्यकता पड़ती है ?
उत्तर-
300 ग्राम।

प्रश्न 9.
पंजाब में वर्तमान समय में कितनी खुम्बें पैदा हो रही हैं ?
उत्तर-
वार्षिक लगभग 45000-48000 टन

प्रश्न 10.
खाद तैयार करते समय कितनी पल्टियां दी जाती हैं?
उत्तर-
सात।

प्रश्न 11.
बढ़िया खाद तैयार करने की pH कितनी होती है ?
उत्तर-
7.0 से 8.0

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
खुम्बों से कौन-कौन से भोजन तत्त्व प्राप्त होते हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा, पोटाश, खनिज पदार्थ तथा विटामिन सी आदि काफ़ी मात्रा में प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2.
खुम्बें पालने के लिए किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है?
उत्तर-
भूसा, गेहूँ की छान (चोकर), किसान खाद, युरिया, सुपरफास्फेट, मिऊरेट आफ पोटाश, जिप्सम, गामा बी० सी०-20 ई, फ्यूराडान, सीरा आदि तथा खुम्बों का बीज (स्पान)।

प्रश्न 3.
खुम्बें पालने के लिए खाद की ढेरी को बार-बार मिलाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
ऐसा करने से ढेर का बाहर का हिस्सा अंदर और बीच का हिस्सा बाहर आ जाता है। कम्पोस्ट बनाने वाले जीवाणुओं को ताज़ी हवा मिल जाती है तथा अच्छी खाद बन जाती है।

प्रश्न 4.
खुम्बों के लिए तैयार खाद में संशोधन कैसे किया जा सकता है?
उत्तर-
खुम्बों का बीज बोने से पहले तैयार की खाद में बाविस्टन 50% घुलनशील 20 मिलीग्राम प्रतिलीटर के हिसाब से मिला देनी चाहिए। इसके लिए एक क्विंटल खाद में 20 ग्राम बाविस्टन काफ़ी है जो चार पेटियों के लिए पर्याप्त है।

प्रश्न 5.
केसिंग करने का क्या लाभ है ? केसिंग मिट्टी कैसे तैयार की जाती है?
उत्तर-
केसिंग खुम्बों को वातावरण प्रदान करती है। खेत की गली-सड़ी रूड़ी तथा रेतीली मिट्टी को 4:1 के अनुपात में मिलाने से या चावलों की सड़ी हुई भूसी तथा गोबर की सलरी को 1:1 के अनुपात में मिलाने से केसिंग मिश्रण बनाया जाता है।

प्रश्न 6.
पंजाब में कौन-कौन सी खुम्बों की सिफ़ारिश की है? उनके तकनीकी नाम भी लिखें।
उत्तर-
पंजाब के वातावरण में खुम्बों की पाँच किस्मों की कृषि की जाती है।
यह किस्में हैं-बटन खुम्ब (Button Mushroom), ढींगरी खुम्ब (Oyster Mushroom), शिटाकी (Shitake), पराली खुम्ब (Chinese Mushroom) तथा मिल्की खुम्ब (Milky Mashroom)

प्रश्न 7.
खाद तैयार करने के लिए पल्टियों का विवरण देते हुए बतलाएं कि इसके लिए क्या कुछ चाहिए?
उत्तर-
खाद तैयार करने के लिए निम्नलिखित अनुसार पल्टियां दी जाती हैं—

पलटना ढेर लगाने से तत्त्व मिलाना कितने दिन बाद तत्व मिलाना
पहली बार 4 सीरा
दूसरी बार 8
तीसरी बार 12 जिप्सम
चौथी बार 15
पांचवीं बार 18 फूराडान
छठी बार 21
सातवीं बार 24 गामा बी० एच० सी०

इस प्रकार सात बार पलटियां दी जाती हैं। पहले 4-4 दिन के बाद तीन बार तथा फिर 3-3 दिनों के बाद। इसके लिए सीरा, जिप्सम, फुराडान, गामा वी० एच०. सी० की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 8.
केसिंग मिश्रण को विषाणु रहित करने का ढंग लिखें।
उत्तर-
रेत तथा गली-सड़ी रूड़ी की खाद को गीला करके इसके ऊपर 4-5% फार्मलीन का छिड़काव किया जाता है। प्रति क्विंटल मिट्टी के हिसाब से इसमें 20 ग्राम फुराडान डाल दिया जाता है तथा 48 घण्टों के लिए इसको तिरपाल या बोरी से ढक दिया जाता है। प्रयोग से पहले हिला कर फार्मालीन को उड़ा दिया जाता है। इस तरह केसिंग मिश्रण जर्म रहित हो जाता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती)

प्रश्न 9.
खुम्बों की कृषि के लिए बढ़िया खाद की पहचान कैसे की जाती है?
उत्तर-
खाद की पहचान उसके रंग, गंध तथा नमी से की जाती है। इसका रंग काला भूरा हो जाता है तथा अमोनिया की गंध आनी बंद हो जाती है तथा इसमें 65-72% नमी होती है तथा इसकी पी० एच० का मूल्य 7.0 से 8.0 होता है। इस तरह खाद तैयार होती है।

प्रश्न 10.
एक वर्ग मीटर में खुम्बों की कितनी उपज प्राप्त की जाती है?
उत्तर-
एक वर्ग मीटर में से 8-12 किलो खुम्ब का उत्पादन मिल जाता है।

(इ) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
खुम्बों का हमारे भोजन में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
खुम्बें सारी दुनिया में भोजन के रूप में प्रयोग की जाती हैं। इसमें भोज्य तत्त्व ज्यादा मात्रा में होने के कारण यह शरीर को हृष्ट-पुष्ट रखने में सहायक होती है। खुम्बों में प्रोटीन बहुत ज़्यादा मात्रा में होती है, जो आसानी से हज्म हो जाती है। इसके अतिरिक्त इसमें पोटाश, कैल्शियम, लोहा, फॉस्फोरस, खनिज पदार्थ तथा विटामिन सी० भी भरपूर मात्रा में होते हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट तथा चिकनाहट की मात्रा कम होती है। इसलिए शूगर तथा ब्लडप्रैशर के मरीजों के लिए खुम्बें काफ़ी लाभदायक हैं।

प्रश्न 2.
सर्द ऋतु की खुम्बों को उगाने के लिए खाद की ढेरी बनाने की विधि बताएं।
उत्तर-
भूसे को पक्के फर्श पर बिछाकर इस पर पानी छिड़क दें तथा 48 घण्टे तक भूसे को खुले ढेर की तरह पड़ी रहने दें। साफ़ की गई खादों का बुरादा मिलाकर थोड़ा गीला कर दें। 24 घण्टे बाद इसे गीली भूसे पर मिश्रित छान बिखेर दें। इस मिश्रण को इकट्ठा करके लकड़ी के तख्तों की सहायता से 5 × 5 × 5 फुट, ऊंचे, लंबे व चौड़े ढेर बनाएं। इन ढेरों की ऊंचाई और चौड़ाई 5 फुट से अधिक नहीं होनी चाहिए।

प्रश्न 3.
खुम्बों (मशरूम) के मंडीकरण (विपणन) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
खुम्बों को काटकर या खींचकर न तोड़ें। परन्तु खुम्ब को अंगुलियों के बीच लेकर धीरे से मरोड़ें तथा दिन में एक बार खुलने से पहले ज़रूर तोड़ लें। ऐसा करते समय छोटी-छोटी बटन खुम्बों को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। खुम्ब को तोड़ने के दौरान उसकी डंडी के मिट्टी वाले हिस्से को काटकर साफ़ कर दें।
इन तोड़ी खुम्बों को बारीक छिद्र वाले प्लास्टिक के लिफाफों में पैक करें। हर लिफाफे में 250 ग्राम ताज़ी खुम्ब भरें। इन खुम्बों को मंडी में बेचने के लिए भेजा जाता है। खुम्बों को धूप तथा छाया में प्राकृतिक ढंग से सुखाकर बे-मौसमी बिक्री के लिए स्टोर करके रख लें।

प्रश्न 4.
खुम्बों का बीज (Spawn) क्या होता है और बोआई पेटियों में कैसे की जाती है?
उत्तर-
पेटियों को ढंग से लगाना-पेटियों को एक-दूसरी पर टिकाकर खेती का क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है। पंक्तियों में रखी पेटियों का अन्तर 2-2 फुट तथा पेटियों में ऊपर-नीचे रखी ट्रेओं में फासला 1 फुट होना चाहिए। ऐसा करते समय छोटी-छोटी बटन खुम्बों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। निकालने के बाद खुम्बों की डंडी का मिट्टी वाला भाग काट देना चाहिए तथा साफ़ कर लेना चाहिए।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती) 1
चित्र-वटन मशरूम

प्रश्न 5.
‘बटन मशरूम’ की कृषि के लिए कौन-कौन से पड़ाव हैं उनके विषय में लिखें।
उत्तर-
बटन खुम्ब की खेती के पड़ाव—

1. खाद की तैयारी के लिए वस्तुएं-भूसा 300 किलो, गेहूँ का चोकर 15 किलोग्राम, किसान खाद 9 किलोग्राम, यूरिया, सुपरफास्फेट, म्यूरेट आफ पोटाश तीनों खाद 3-3 किलोग्राम प्रत्येक, जिपस्म 30 किलोग्राम, गामा वी० सी० 20 ई 60 मिलीलीटर, सीरा 5 किलोग्राम, फूराडान 3 जी 150 ग्राम।।

2. ढेरी बनाना-भूसे को पक्के फर्श पर बिछाकर इस पर पानी छिड़क दें तथा 48 घण्टे तक भूसे को खुले ढेर की तरह पड़ी रहने दें। साफ़ की गई खादों का बुरादा मिलाकर थोड़ा गीला कर दें। 24 घण्टे बाद इसे गीली भूसे पर मिश्रित छान बिखेर दें। इस मिश्रण को इकट्ठा करके लकड़ी के तख्तों की सहायता से 5 × 5 × 5 फुट, ऊंचे, लंबे व चौड़े ढेर बनाएं। इन ढेरों की ऊंचाई और चौड़ाई 5 फुट से अधिक नहीं होनी चाहिए।

3. खाद के ढेरों को हिलाना-ढेर को मिलाने के लिए हर बार ऊपरी सिरे से चारों तरफ कुछ पानी छिड़का कर अच्छी तरह मिलाएं तथा कुछ और पानी डाल दें। इससे ढेर का बाहर का हिस्सा अंदर तथा बीच का हिस्सा बाहर आ जाएगा। कम्पोस्ट बनाने वाले जीवाणुओं को भी ताजा हवा मिल जाती है। हर बार ढेर को दोबारा बनाने के लिए इस ढंग का प्रयोग करें। ढेर को तीन बार हर चौथे दिन हिलाकर इसमें सीरा, जिप्सम, फ्यूराडान तथा गामा वी० एच० सी० को क्रमवार पहली, तीसरी, पाँचवीं तथा सातवीं बार हिलाने पर मिला दें। 24 दिन बाद 300 किलोग्राम भूसे से पूरी तरह तैयार की गई यह खाद 100 × 150 × 18 सें० मी० आकार की 20-25 पेटियां भरने के लिए काफ़ी है। जब खाद का रंग काला-भूरा हो जाए तथा अमोनिया की बदबू आनी बंद हो जाए तब इसमें 65-72% नमी होती है और खाद तैयार हो जाती है। पी० एच० 7.0 से 8.0 होती है।

4. खाद की सुधाई-खुम्बों का बीज बोने से पहले तैयार की गई खाद में बाविस्टन 50% घुलनशील 20 मिग्रा० प्रति लिटर के हिसाब से मिला देनी चाहिए। इसलिए एक क्विटल खाद में 20 ग्राम बाविस्टन का बुरादा काफ़ी है जो चार पेटियों के लिए काफ़ी है।

5. पेटियां भरना तथा खम्बें बोना-खाद के ढेर को बिखेर कर कुछ देर के लिए ठंडा होने दें, खुम्बों के बीज (स्पान) को बोतलों से निकालें तथा दो परतों में खुम्बें बोने वाले ढंग का प्रयोग करते हुए खाद पर बीज बिखेर कर पेटियों में बीज दें। फिर इस पर खाद की मोटी परत डालें तथा बाकी हिस्सा इस पर बिखेर कर खाद में मिला देना चाहिए। पेटियों पर गीला अखबार और कागज़ रख देना चाहिए। 2-3 सप्ताह के अन्दर खुम्बों के बीज से कपास की पेटियों जैसे सफेद रेशों से 80-100% पेटियां भर जाती हैं।

6. पेटियां मिट्टी से ढकना-बाद में 80-100% (माइसीलियम) से भरी ट्रे को 4 : 1 के अनुपात वाले खाद तथा रेतली मिट्टी या 1 : 1 अनुपात वाले चावलों की सड़ी हुई भुसी
और गोबर गैस की सलरी के मिश्रण से एकसार ढक देना चाहिए। इस मिश्रण को केसिंग मिश्रण कहते हैं । ढकने से पहले इसे 4-5% फार्मलीन के घोल से रोग रहित करें।

7. केसिंग मिश्रण को कीटाणु रहित करना-रेत मिली गली-सड़ी गोबर की खाद को गीला कर दें। इस पर 4-5% फार्मलीन का छिड़काव करें। प्रति क्विंटल केसिंग मिट्टी के हिसाब में 20 ग्राम फ्यूराडान डालें। बाद में इसे तिरपाल या बोरियों में 48 घण्टों के लिए ढक दें ताकि फार्मलीन अच्छी तरह उड़ जाए।

8. ट्रे को ढांपने का ढंग-खुम्बों के बीज बोने के 2-3 सप्ताह के बाद पेटियों से अख़बार के कागज़ उतार देने चाहिएं तथा माइसीलियम से भरी खाद को एक से डेढ़ इंच मोटी रोग रहित की गई मिट्टी की तह से ढक देना चाहिए।

9. पेटियों को ढंग से लगाना-पेटियों को एक-दूसरी पर टिकाकर खेती का क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है। पंक्तियों में रखी पेटियों का अन्तर 2-2 फुट तथा पेटियों में ऊपर-नीचे रखी ट्रेओं में फासला 1 फुट होना चाहिए। ऐसा करते समय छोटी-छोटी बटन खुम्बों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। निकालने के बाद खुम्बों की डंडी का मिट्टी वाला भाग काट देना चाहिए तथा साफ़ कर लेना चाहिए।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती) 1
चित्र-वटन मशरूम

  1. खुम्ब का उगना-पेटियों को मिट्टी से ढकने से 2-3 सप्ताह बाद खुम्ब निकलने लगती हैं तथा 2-3 दिन में तोड़ने के लिए तैयार हो जाती है।
  2. उत्पादन-एक वर्गमीटर स्थान से एक मौसम में लगभग 8-12 किलोग्राम ताज़ी खुम्बें प्राप्त हो जाती हैं।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB खुम्बों की काश्त (खेती) Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
दो-तीन सप्ताह में खुम्बों के बीज तैयार माइसीलियम से कितने फीसदी ढेर भर जाते हैं?
उत्तर-
80-100 प्रतिशत

प्रश्न 2.
लिफाफों में कितनी खुम्बें डालकर बेचने के लिए भरी जा सकती हैं ?
उत्तर-
250 ग्राम।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती)

प्रश्न 3.
खुम्बों के बीजों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
खुम्बों के बीजों को स्पान कहते हैं।

प्रश्न 4.
खुम्बों में कौन-से खुराकी तत्त्व कम मात्रा में होते हैं?
उत्तर-
खुम्बों में कार्बोहाइड्रेट्स तथा चिकनाहट कम मात्रा में होती है।

प्रश्न 5.
गर्मी के मौसम में बोयी जाने वाली खुम्बों की कौन-सी किस्म तथा उनकी कितनी फसलें ली जा सकती हैं?
उत्तर-
गर्मी के मौसम में बोयी जाने वाली किस्म पराली वाली खुम्ब है। इससे चार फसलें ली जाती हैं।

प्रश्न 6.
तीन सौ किलो भूसे से तैयार खाद कितनी पेटियों के लिए काफ़ी है?
उत्तर-
100 × 150 × 18 सेमी० आकार की 20-25 पेटियों के लिए यह खाद काफ़ी है।

प्रश्न 7.
तैयार हो चुकी खाद की पहचान क्या है?
उत्तर-
जब खाद का रंग काला-भूरा हो जाए तथा अमोनियम की बदबू खत्म हो जाए तब खाद तैयार होती है।

प्रश्न 8.
किसी एक रोग का नाम बताएं जिसके लिए खुम्बें लाभदायक हैं।
उत्तर-
ब्लॅड प्रैशर।

प्रश्न 9.
सर्दियों में खुम्बों की कितनी फसलें ले सकते हैं ?
उत्तर-
सर्दियों में सफ़ेद बटन खुम्बों की दो फसलें ले सकते हैं।

प्रश्न 10.
सर्दियों में खुम्बों की फसलें कब बोयी जाती हैं ?
उत्तर-
सर्दियों में खुम्बें अक्तूबर से अप्रैल तक बोयी जाती हैं।

प्रश्न 11.
खुम्बों के लिए खाद मिलाकर तैयार करने के लिए कौन-से पदार्थ चाहिए?
उत्तर-
सीरा, जिप्सम, फ्यूराडान, गामा तथा बी० एच० सी० आदि पदार्थों की ज़रूरत है |

प्रश्न 12.
एक वर्गमीटर के लिए कितने बीजों की आवश्यकता है?
उत्तर-
एक वर्गमीटर के लिए 300 ग्राम बीजों की आवश्यकता है।

प्रश्न 13.
एक वर्गमीटर में खुम्बों का कितना उत्पादन हो सकता है ?
उत्तर-
एक वर्गमीटर स्थान में एक मौसम में 8-12 किलोग्राम ताजी खुम्बों का उत्पादन प्राप्त हो जाता है।

प्रश्न 14.
गर्मी में मिल्की खुम्बों की कितनी फसलें हो सकती हैं?
उत्तर-
गर्मियों में मिल्की खुम्बों की तीन फसलें हो सकती हैं।

प्रश्न 15.
पंजाब में खुम्बों की खेती कितने स्थानों पर की जाती है?
उत्तर-
400 स्थानों पर।

प्रश्न 16.
बटन खुम्ब की फसलें लेने का समय बताओ।
उत्तर-
सितम्बर से मार्च तक दो फसलें।

प्रश्न 17.
ढींगरी की फसल लेने का समय बताओ।
उत्तर-
अक्तूबर से मार्च तक तीन फसलें।

प्रश्न 18.
शिटाकी खुम्ब लेने का समय बताओ।
उत्तर-
शिटाकी की एक फसल सितम्बर से मार्च तक।

प्रश्न 19.
पंजाब में कौन-सी खुम्ब की खेती सब से अधिक की जाती है?
उत्तर-
बटन खुम्ब की।

प्रश्न 20.
तीन क्विटल रूड़ी खाद के लिए खुम्ब का कितना बीज चाहिए?
उत्तर-
3 किलो स्पान।

प्रश्न 21.
खुम्ब के बीज कहां से प्राप्त किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनीवर्सिटी के माइक्रो बायलोजी विभाग से।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खुम्बों की खेती के समय बीज को पेटियों में कैसे भरा जाता है?
उत्तर-
खाद के ढेर को हिलाकर कुछ समय के लिए ठंडा होने दें। खुम्बों (स्पान) को बोतलों से निकालें तथा तहों में खुम्बें बोने वाले ढंग का प्रयोग करने पर बीज बिखेर कर पेटियों में बो दें। फिर इस पर खाद की मोटी परत डालें तथा शेष भाग इसमें बिखेर कर खाद में मिला देना चाहिए। पेटियों पर गीला अख़बार, कागज़ रख देना चाहिए।

प्रश्न 2.
ढींगरी की खेती के लिए लिफाफे भरने की क्या विधि है?
उत्तर-
लिफाफों को 3 इंच तक भूसे से भर लें तथा इस पर चुटकी जितना खुम्ब बीज बिखेर दें। फिर इस पर 2-2 इंच भुसा और डाल दें तथा खुम्बों का बीज बिखेर दें तथा लिफाफे पूरी तरह से भर लें। लिफाफे के मुँह को किसी पतली रस्सी से बांध देना चाहिए तथा निचले कोनों में कट लगा दें ताकि वायु और पानी बाहर निकल जाए। इन लिफाफों को अच्छी रोशनी वाले कमरे में रखें। 3-4 सप्ताह बाद जब छोटी खुम्बों में अंकुरण दिखाई दे तो प्लास्टिक के लिफाफे काट दें तथा पानी डाल दें ताकि भुसा गीला रहे।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती)

प्रश्न 3.
खुम्बें तोड़ते हुए किस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
खुम्बों को काटकर या खींचकर न तोड़ें। परन्तु खुम्ब को अंगुलियों के बीच लेकर धीरे-धीरे मरोड़ें तथा दिन में एक बार खुलने से पहले ज़रूर तोड़ लें।

प्रश्न 4.
खुम्बों को कौन-सा कीट हानि पहुंचाता है ? इससे बचाव की विधि बताएं।
उत्तर-
खुम्बों की मवखी इसे नुकसान पहुंचाती है। जब खुम्बों की मक्खियां खुम्ब घर की खिड़कियों के शीशे, दीवार या छतों पर नज़र आने लग जाएं तो 30 मिलीलिटर नूवान (डाइक्लोरोवेस) 100 ई०सी० (डब्ल्यू० पी०) 100 घन मीटर स्थान पर छिड़काव करें। इसके बाद दरवाजे व खिड़कियां दो घण्टों के लिए बंद कर दें तथा छिड़काव के 48 घण्टे बाद तक खुम्बें नहीं तोड़नी चाहिएं। क्यारियों में सीधा छिड़काव न करें।

प्रश्न 5.
फसल के क्षेत्र में वृद्धि करने के लिए क्या किया जाता है ?
उत्तर-
पेटियों को एक-दूसरे के ऊपर टिकाकर खेती का क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है। पंक्तियों में रखी पेटियों का अन्तर 2-2 फुट होना चाहिए तथा पेटियों में ऊपर-नीचे रखी ट्रे का अन्तर एक फुट होना चाहिए।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
पराली वाली खुम्बें कैसे उगाई जाती हैं ?
उत्तर-

  1. ज़रूरी वस्तुएं-ताज़ी पराली (एक साल से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए), बांस की छड़ियां तथा खुम्बों का बीज स्पान।
  2. ढंग-सूखी पराली की 1-1.5 किलोग्राम भार की पूलियां बना लेनी चाहिएं। इनके दोनों सिरों को बांध दें तथा बढ़े हुए भाग को काटकर बराबर कर दें। पराली की पूलियों को 16 से 20 घण्टों तक साफ़ पानी में भिगो कर रखें। पूलियों को ढलान वाले स्थान पर रखें ताकि हवा, पानी निकल जाए। खुम्ब घर में एक फुट दूरी पर रखी बांस की छड़ियों पर पांच पूलियों की पहली तह पर खुम्बों का बीज चुटकियों से बिखेर दें। इस तरह 22 पूलियों से एक वर्ग मीटर की एक क्यारी बन जाती है। फसलों के लिए स्थान बढ़ाने के लिए एक दूसरी पर भी क्यारियों बनाई जा सकती हैं। एक क्यारी के लिए 300 ग्राम बीज काफ़ी है।
  3. बीज बिखेरना-एक क्यारी के लिए 300 ग्राम बीज की ज़रूरत होती है। हर तह में एक सार बीज डालने चाहिएं।
  4. सिंचाई-बिजाई से 2-3 दिन बाद पानी डालना शुरू कर देना चाहिए। कमरों में हवा का आना ज़रूरी नहीं है, परन्तु बाद में खुली हवा की ज़रूरत होती है।
  5. खुम्बों का उगाना-बीज डालने के 7-9 दिन बाद खुम्बों के छोटे-छोटे दाने दिखाई देने लग जाते हैं। दसवें दिन यह तोड़ने योग्य हो जाते हैं। यह चार चक्करों में 15-20 दिन तक अंकुरित होती रहती हैं। इस मौसम की खुम्बों की एक महीने में एक बार फसल ली जा सकती है। इस तरह आखिरी अप्रैल से अगस्त तक चार फसलें प्राप्त हो जाती हैं।
  6. लिफाफों में डालना-मंडी भेजने से पहले छोटे-छोटे छिद्र वाले हर लिफाफे में 200 ग्राम खुम्बें डालकर लिफाफे बंद कर लें। इस मौसम की खुम्बों को धूप या छाया में रखकर प्रकृति रूप से भी सुखाया जा सकता है।
  7. उत्पादन-22 किलोग्राम सूखी पराली की एक क्यारी में बताए गए समय दौरान 2.5-3 किलोग्राम ताज़ी खुम्बें मिल जाती हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. खम्बें उगाने के लिए प्रति क्यारी 300 ग्राम बीज की आवश्यकता है।
  2. अच्छी खाद तैयार करने के लिए pH का मान 7.0 से 8.0 होना चाहिए ।
  3. सर्दी ऋतु की बटन खुम्बों की सिंतबर से मार्च तक दो फसलें प्राप्त हो जाती

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
खुम्बों की किस्म है
(क) बटन खुम्ब
(ख) पराली खुम्ब
(ग) शिटाकी खुम्ब
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 2.
खाद तैयार करने के लिए कौन-से तत्त्व मिलाये जाते हैं ?
(क) सीरा
(ख) जिप्सम
(ग) फूराडान
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खुम्बों की काश्त (खेती)

प्रश्न 3.
प्लास्टिक के लिफाफों में कितनी खुम्बें भरी जाती हैं. ?
(क) 50 ग्राम
(ख) 250 ग्राम
(ग) 500 ग्राम
(घ) 100 ग्राम।
उत्तर-
(ख) 250 ग्राम

रिक्त स्थान भरें

  1. खुम्बों को मक्खियों से बचाव के लिए …………… का छिड़काव किया जाता
  2. खुम्बों के बीज को ………… कहते हैं।

उत्तर-

  1. नूवान,
  2. स्पान

खुम्बों की काश्त (खेती) PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • पंजाब में खुम्बों की खेती लगभग 400 स्थानों पर की जाती है।
  • पंजाब में वार्षिक कुल 45000-48000 टन ताज़ी खुम्बें पैदा की जाती हैं।
  • खुम्बों में कई खुराकी तत्त्व होते हैं; जैसे-प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा, पोटाश, खनिज पदार्थ तथा विटामिन-सी।
  • इसमें कार्बोहाइड्रेट्स तथा चिकनाई की मात्रा कम होती है। इसलिए ब्लड प्रैशर तथा शूगर के मरीजों के लिए खुम्बें लाभदायक हैं।
  • पंजाब के वातावरण अनुसार खुम्बों की पांच किस्में हैं-बटन खुम्ब, ढींगरी खुम्ब, शिटाकी खुम्ब, पराली खुम्ब मिल्की खुम्ब।
  • शीत ऋतु की बटन खुम्बों से सितम्बर से मार्च तक दो फसलें प्राप्त की जा सकती हैं।
  • ढींगरी की तीन फसलें अक्तूबर से मार्च तक तथा शिटाकी की एक फसल सितम्बर से मार्च तक ली जा सकती है।
  • खाद के ढेर को हर चौथे दिन हिलाएं तथा इसमें सीरा, जिप्सम, लिंडेन व फूराडान की धूल क्रमवार पहली, तीसरी, पांचवीं, छठी तथा सातवीं बार हिलाने पर मिलाएं।
  • एक वर्गमोटर स्थान के लिए 300 ग्राम बीज का प्रयोग करना चाहिए।
  • गर्म ऋतु की पराली खुम्ब की अप्रैल से अगस्त तक चार फसलें तथा मिल्की खुाब की अप्रैल से अक्तूबर तक तीन फसलें ली जा सकती हैं।
  • खेत की गली-सड़ी रूड़ी तथा रेतीली मिट्टी को 4:1 के अनुपात में मिलाने से या चावलों की सड़ी हुई भूसी तथा गोबर की सलरी को 1:? के अनुगत में मिलाने से केसिंग मिश्रण बनाया जाता है।
  • केसिंग मिश्रण को कीटाणु रहित करने के लिए 4-5% फार्मली छिडकाव करें।
  • खुम्बों का मक्खियों से बचाव के लिए नूवान (डाइक्लोरोले) का छिड़काव करें तथा छिड़काव के 48 घंटे बाद तक खुम्बें न तोड़ें।
  • खुम्बों के बीज को स्पान कहते हैं।
  • दो-तीन सप्ताह में खुम्बों के बीज से तैयार कपास के कोपलों जैसे सफ़ेद रेशे (माइसीलियम) से 80-100 प्रतिशत तक पेरी भर जाती है।
  • एक वर्ग मीटर से 8-12 किलो खुम्भ मिल जाती है।
  • बारीक छेद वाले प्लास्टिक के लिफाफों में 250 ग्राम ताज़ी खुम्बें भरनी चाहिएं।
  • प्रति किलोग्राम के लिए बटन खुम्ब उगाने का खर्चा 38.44 रुपए तथी ढींगरी खुम्ब उगाने के लिए 31.84 रुपए खर्चा आता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 29 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 29 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 29 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव

SST Guide for Class 8 PSEB सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव Textbook Questions and Answers

I. खाली स्थान भरें :

1. सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक न्याय देने का वायदा ………. में किया गया है।
2. प्रस्तावना भारतीय नागरिकों को …………. न्याय देने का वायदा करती है।
3. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ……… से ……… धार्मिक स्वतन्त्रता दी गई है।
4. भारत में लगभग ………….. से ज्यादा जातियां हैं।
5. भारतीय संविधान में ………… भाषाओं को मान्यता दी गई है।
6. मण्डल कमीशन की स्थापना ………… में की गई थी।
7. मण्डल कमीशन ने भारत में ………… अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों की पहचान की है
उत्तर-

  1. प्रस्तावना
  2. सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक
  3. 25, 28
  4. 3,000
  5. 22
  6. 1978
  7. 3743.

II. निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ :

1. सामाजिक असमानताएँ लोकतन्त्रीय सरकार को प्रभावित नहीं करती हैं। – (✗)
2. भारत में आज 54% लोग अनपढ़ है। – (✗)
3. हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। – (✓)
4. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण आज भी लागू है। – (✓)
5. 73वीं और 74वीं शोध गांवों और शहरी स्वै-शासन का प्रबन्ध करती है। – (✓)
6. आज भारतीय समाज में सामाजिक असमानताएं खत्म हो रही हैं। – (✓)

III. विकल्प वाले प्रश्न :

प्रश्न 1.
“भारत में जाति सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल है।” ये शब्द किसने कहे ?
(क) महात्मा गांधी
(ख) पं० जवाहर लाल नेहरू
(ग) श्री जय प्रकाश नारायण
(घ) डॉ० बी० आर० अंबेडकर।
उत्तर-
श्री जय प्रकाश नारायण

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव

प्रश्न 2.
भारतीयों को सामाजिक न्याय देने के लिए संविधान में कौन-सा मौलिक अधिकार दर्ज किया गया ?
(क) स्वतन्त्रता का अधिकार
(ख) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(ग) समानता का अधिकार
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
समानता का अधिकार

प्रश्न 3.
‘पढ़ो सारे बढ़ो सारे’ यह किस का सिद्धान्त (Motto) है ?
(क) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
(ख) सर्वशिक्षा अभियान
(ग) राष्ट्रीय साक्षरता मिशन
(घ) पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड।
उत्तर-
सर्वशिक्षा अभियान

प्रश्न 4.
सरकारी नौकरियों में आरक्षण किनके लिए लागू है ?
(क) अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए
(ख) केवल पिछड़ी श्रेणियों के लिए
(ग) केवल गरीब लोगों के लिए
(घ) अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़ी श्रेणियों के लिए।
उत्तर-
अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए

IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
सामाजिक असमानताओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
हमारे समाज में जाति, सम्प्रदाय, भाषा आदि के नाम पर अनेक असमानताएं पाई जाती हैं। इन्हें सामाजिक असमानता का नाम दिया जाता है। स्वतन्त्रता से पूर्व समाज में अनुसूचित जातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों को सम्मानजनक स्थान प्राप्त नहीं था। अतः स्वतन्त्रता के पश्चात् सरकार ने सामाजिक समानता लाने के लिए विशेष पग उठाए। इसी उद्देश्य से संविधान में समानता के अधिकार का समावेश किया गया। इसके अनुसार किसी से ऊँच-नीच, धनी, निर्धन, रंग, नस्ल, जाति, जन्म, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता। छुआछूत को अवैध घोषित कर दिया गया है। इसका अनुसरण करने वालों को कानून द्वारा दण्ड दिया जा सकता है।

प्रश्न 2.
जातिवाद और छुआछूत से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जातिवाद-भारतीय समाज जाति के नाम पर भिन्न-भिन्न वर्गों में बंटा है। इन वर्गों में ऊंच-नीच पाई जाती है। इसे जातिवाद कहते हैं।
छुआछूत-भारत में कुछ पिछड़ी जातियों के लोगों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। कुछ लोग उन्हें छूना भी पाप समझते हैं। इस प्रथा को छुआछूत कहा जाता है।

प्रश्न 3.
अनपढ़ता (निरक्षरता) किसको कहते हैं ?
उत्तर-
अनपढ़ता का अर्थ है-लोगों का पढ़ा-लिखा न होना। ऐसे लोगों को स्वार्थी राजनेता आसानी से पथभ्रष्ट कर देते हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग एक तिहाई लोग अनपढ़ हैं।

प्रश्न 4.
भाषावाद से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
भाषावाद का अर्थ है-भाषा के नाम पर समाज का बंटवारा। भारत में सैंकड़ों भाषाएं बोली जाती हैं। भाषा के आधार पर लोग बंटे हुए हैं। कई लोग अन्य भाषाएं बोलने वाले लोगों को अच्छा नहीं समझते। भाषा के आधार पर ही राज्यों (प्रांतों) का गठन किया गया है। अब भी भाषाओं के आधार पर कई भागों में नये प्रान्तों के . गठन की मांग की जा रही है। भाषा के आधार पर लोगों में वर्ग बने हुए हैं। लोग राष्ट्रीय हितों की अपेक्षा प्रान्तीय भाषा तथा संस्कृति को प्राथमिकता देते हैं।

प्रश्न 5.
आरक्षण का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
भारत में कुछ जातियां बहुत ही पिछड़ी हुई हैं क्योंकि इनका अन्य जातियों द्वारा शोषण होता रहा है। इन्हें अनुसूचित जातियों की संज्ञा दी गई है। इनके उत्थान के लिए लोकसभा, विधानसभा तथा नौकरियों में स्थान आरक्षित हैं। इसे आरक्षण कहा जाता है। 1978 में गठित किये गये मण्डल आयोग द्वारा अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त अन्य पिछड़े वर्गों के लिये जनसंख्या के अनुसार सीटें आरक्षित किये जाने का सुझाव दिया गया था, परन्तु इस रिपोर्ट को आज तक भी लागू नहीं किया जा सका। समय-समय पर लोकसभा तथा विधान सभाओं में स्त्रियों के लिए भी एक तिहाई सीटें आरक्षित किये जाने की मांग होती रही है। वास्तव में भारत में आज भारतीय राजनीतिक प्रणाली को जाति की राजनीति प्रभावित कर रही है। श्री जय प्रकाश नारायण ने ठीक ही कहा था कि भारत में जाति सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल है।

प्रश्न 6.
क्या मैला ढोने की प्रक्रिया बंद हो गई है ?
उत्तर-
मैला ढोने की प्रथा एक घृणापूर्ण प्रथा थी। यह समाज में शताब्दियों से चली आ रही थी। इसके अनुसार एक जाति के लोगों को दूसरों का मल-मूत्र सिर पर उठा कर बाहर फेंकना पड़ता था। मैला ढोने वाली जाति के लोगों को अछूत माना जाता था। प्रत्येक व्यक्ति उनसे घृणा करता था। समय के परिवर्तन के साथ इस बुराई को समाप्त करना आवश्यक था। समय-समय पर सरकारें इसको बन्द करने पर विचार करती रहीं। अब कानून के अनुसार सिर पर मैला ढोने की यह प्रथा बन्द कर दी गई है। इसके विरुद्ध दण्ड देने के कानून का प्रावधान कर दिया गया है।

प्रश्न 7.
अनपढ़ता का लोकतन्त्र पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
अनपढ़ता एक बहुत बड़ा अभिशाप है। इसके लोकतन्त्र पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं :

  • अनपढ़ता बहुत सी बुराइयों की जड़ है। इसी बुराई के कारण ही बेकारी, धार्मिक संकीर्णता, रूढ़िवाद, अन्धविश्वास, हीनता, क्षेत्रीयता, जातिवाद आदि भावनाएं उत्पन्न होती हैं।
  • अनपढ़ व्यक्ति एक अच्छा नागरिक भी नहीं बन सकता। स्वार्थी राजनीतिज्ञ अनपढ़ व्यक्तियों को आसानी से पथभ्रष्ट कर देते हैं। इस प्रकार अनपढ़ता लोकतन्त्र के मार्ग में बाधा डालती है।

PSEB 8th Class Social Science Guide सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. छुआछूत कानूनी अपराध घोषित – 1979
2. मंडल आयोग का गठन – 1955
3. समानता का अधिकार – संविधान के अनुच्छेद 25 से 28
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार – संविधान के अनुच्छेद 14 से 18.
उत्तर-

  1. 1955
  2. 1979
  3. संविधान के अनुच्छेद 14 से 18
  4. संविधान के अनुच्छेद 25 से 28.

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान में सम्मिलित तीन सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त कौन-से हैं जो सामाजिक समानता को सुनिश्चित करते हैं ?
उत्तर-
समानता, स्वतन्त्रता तथा धर्म-निरपेक्षता।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सभी नागरिकों को कौन-कौन से तीन प्रकार के न्याय प्रदान करने की बात कही गई है?
उत्तर–
सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक।

प्रश्न 3.
सामाजिक असमानताओं के कोई चार प्रकार लिखिए।
उत्तर-

  1. साम्प्रदायिकता
  2. जातिवाद तथा छुआछूत
  3. भाषावाद
  4. अनपढ़ता।

प्रश्न 4.
भारतीय लोकतंत्र की कोई दो समस्याएं लिखो।
उत्तर-

  1. भारत में अधिकतर लोग निरक्षर हैं।
  2. साम्प्रदायिकता तथा भाषावाद भारतीय लोकतंत्र की सफलता में बाधा डालते हैं।

प्रश्न 5.
छुआछूत को कानूनी अपराध क्यों घोषित किया गया है ?
उत्तर-
छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है। यह सफल लोकतन्त्र के मार्ग की बहुत बड़ी बाधा है। इसी कारण छुआछूत को कानूनी अपराध घोषित किया गया है।

प्रश्न 6.
सरकार द्वारा अनपढ़ता को समाप्त करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं ?
उत्तर-
हमारी सरकार द्वारा अनपढ़ता को समाप्त करने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। देश भर में सर्व शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है। आठवीं कक्षा तक निःशुल्क शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। शैक्षणिक संस्थाओं की संख्या में वृद्धि की गई है। शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया है।

प्रश्न 7.
संविधान में कितनी भाषाओं को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है ? किस भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है?
उत्तर-
संविधान में 22 भाषाओं को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है। हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में साम्प्रदायिक असमानता पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
साम्प्रदायिकता सामाजिक असमानता का पहला रूप है। भारत में अनेक धर्म हैं। भिन्न-भिन्न धर्मों के कुछ लोगों में धार्मिक कट्टरता पाई जाती है जो साम्प्रदायिकता को जन्म देती है। परिणामस्वरूप साम्प्रदायिकता सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन का एक अंग बन चुकी है। इसी धार्मिक कड़वाहट के कारण ही 1947 में भारत को दो भागों में बांट दिया गया था। यह भी धार्मिक कट्टरता का ही परिणाम है कि देश में साम्प्रदायिक दंगे होते रहते हैं। यही कड़वाहट भारतीय राजनीति में भी है। धर्म के नाम पर वोट मांगे जाते हैं और लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया जाता है। परिणामस्वरूप देश में समय-समय पर धार्मिक तनाव का वातावरण पैदा हो जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक लोगों को धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। इसके अनुसार सभी धर्मों को समान माना गया है। लोगों को किसी भी धर्म को अपनाने, मानने तथा प्रचार करने का अधिकार दिया गया है।

प्रश्न 2.
मैला ढोने की प्रथा क्या थी ? इसे क्यों समाप्त कर दिया गया है ?
उत्तर-
मैला ढोने की प्रथा एक घृणापूर्ण प्रथा थी। यह समाज में शताब्दियों से चली आ रही थी। इसके अनुसार एक जाति के लोगों को दूसरों का मल-मूत्र सिर पर उठा कर बाहर फेंकना पड़ता था।

मैला ढोने वाली जाति के लोगों को अछूत माना जाता था। प्रत्येक व्यक्ति उनसे घृणा करता था। समय के परिवर्तन के साथ इस बुराई को समाप्त करना आवश्यक था। समय-समय पर सरकारें इसको बन्द करने पर विचार करती रहीं। अब कानून के अनुसार सिर पर मैला ढोने की यह प्रथा बन्द कर दी गई है। इसके विरुद्ध दण्ड देने के कानून का प्रावधान कर दिया गया है।

प्रश्न 3.
भारत के सीमान्त ग्रुपों (समूहों) की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
सीमान्त ग्रुप हमारे समाज के वे समूह हैं जो सामाजिक तथा आर्थिक कारणों से एक लम्बे समय तक पिछड़े रहे हैं। इन समूहों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

  1. अनुसूचित जातियां-अनुसूचित जातियों की कोई स्पष्ट संवैधानिक परिभाषा नहीं है। हम इतना कह सकते हैं कि इन जातियों का सम्बन्ध उन लोगों से है जिनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जाता रहा है।
  2. अनुसूचित कबीले-अनुसूचित कबीलों की भी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। ये भी समाज के शोषित कबीले हैं। पिछड़ा होने के कारण ये समाज से अलग-थलग होकर रह गए।
  3. पिछड़ी श्रेणियां- इन्हें भी संविधान में परिभाषित नहीं किया गया है। वास्तव में ये समाज का कमजोर वर्ग है। मण्डल आयोग के अनुसार देश की कुल जनसंख्या का 5.2% भाग पिछड़ी श्रेणियां हैं।
  4. अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक धार्मिक या भाषा की दृष्टि से वे लोग हैं जिनकी अपने धर्म या सम्प्रदाय में संख्या कम है।

प्रश्न 4.
साम्प्रदायिक असमानता के प्रभाव वर्णित करें।
उत्तर-
साम्प्रदायिक असमानता के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  1. राजनीतिक दल धर्म के आधार पर संगठित होते हैं।
  2. धर्म पर आधारित कई दबाव समूह भारतीय लोकतन्त्र को प्रभावित करते हैं।
  3. साम्प्रदायिकता भारतीय जनजीवन में हिंसा को बढावा दे रही है।
  4. मन्त्रिपरिषद् के निर्माण में धर्म विशेष को महत्त्व दिया जाता है।
  5. साम्प्रदायिकता लोगों को निष्पक्ष मतदान करने से रोकती है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव

प्रश्न 5.
जातिवादी असमानता का अर्थ बताते हुए इसके प्रभाव लिखो।
उत्तर-
जातिवादी असमानता- भारत में तीन हज़ार से भी अधिक जातियों के लोग रहते हैं। इनमें जाति के नाम पर ऊंच-नीच पाई जाती है। इसे जातिवादी असमानता कहते हैं। इस असमानता के कारण कुछ जातियों के लोगों को सार्वजनिक कुओं का प्रयोग नहीं करने दिया जाता। उन्हें मन्दिरों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी जाने से रोका जाता है। जाति के नाम पर राजनीति होती है तथा विभिन्न राजनीतिक दल जाति के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़काते रहते हैं।

प्रभाव-

  1. राजनीतिक दलों का निर्माण जाति के आधार पर हो रहा है।
  2. चुनाव के समय जाति के नाम पर वोट मांगे जाते हैं।
  3. अनुसूचित जातियों को विशेष सुविधायें प्रदान करने की व्यवस्था ने समाज का जातिकरण कर दिया है।
  4. जाति के कारण छुआछूत जैसी अमानवीय प्रथा को बढ़ावा मिलता है।
  5. कई बार जाति संघर्ष तथा हिंसा का कारण बनती है।
  6. जाति पर आधारित दबाव समूहों का निर्माण होता है जो लोकतन्त्र पर बुरा प्रभाव डालते हैं।

प्रश्न 6.
क्या छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है ? स्पष्ट करो।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है। इस प्रथा के कारण भारतीय समाज के एक बड़े वर्ग का शताब्दियों से शोषण होता रहा है। उनसे घृणा की जाती रही है। यहां तक कि उन्हें छूना भी पाप समझा जाता रहा है। छुआछूत के प्रभावों से यह स्पष्ट हो जायेगा कि यह वास्तव में ही एक अमानवीय प्रथा है।

प्रभाव :

  1. छुआछूत की प्रथा सामाजिक असमानता को जन्म देती है।
  2. छुआछूत से लोगों में हीन भावना पैदा होती है।
  3. यह प्रथा हिंसा को जन्म देती है।
  4. बहुत-से लोगों को राजनीतिक शिक्षा नहीं मिलती।
  5. छुआछूत के कारण लोगों को राजनीति में प्रवेश नहीं करने दिया जाता। इन सब बातों को देखते हुए भारतीय संविधान द्वारा छुआछूत को कानूनी अपराध घोषित कर दिया गया है।

प्रश्न 7.
भाषावाद के क्या प्रभाव होते हैं ?
उत्तर-

  1. भाषा के आधार पर नये राज्यों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
  2. भाषा के आधार पर ही राजनीतिक दलों का गठन हो रहा है।
  3. भाषा के आधार पर ही आन्दोलन चल रहे हैं।
  4. भाषा क्षेत्रवाद तथा साम्प्रदायिकता को उत्साहित करती है।
  5. भाषा के आधार पर लोगों में भेदभाव तथा हिंसा उत्पन्न होती है।
  6. भाषावाद मतदान को प्रभावित करता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 6 मुख्य उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 6 मुख्य उद्योग

SST Guide for Class 8 PSEB मुख्य उद्योग Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर-20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
लौह-इस्पात उद्योग को पहले दर्जे का उद्योग क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
लौह-इस्पात उद्योग को निम्नलिखित कारणों से पहले दर्जे का उद्योग माना जाता है(1) यह उद्योग इंजीनियरिंग, यातायात के साधन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों को कच्चा माल देता है। (2) अन्य उद्योगों में प्रयोग होने वाली लगभग सभी मशीनें लोहे तथा इस्पात से बनती हैं।।

प्रश्न 2.
लौह-इस्पात उद्योग को स्थापित करने के लिए कौन-कौन सी आवश्यक अवस्थाएं हैं ?
उत्तर-
(1) कच्चे लोहे की पूर्ति (2) अच्छी किस्म के कोयले की प्राप्ति (3) पानी की निरन्तर आपूर्ति (4) तैयार माल के लिए खपत केन्द्रों की निकटता (5) यातायात के सस्ते तथा विकसित साधन (6) प्रशिक्षित मजदूर (7) पूंजी।

प्रश्न 3.
जमशेदपुर और डीट्रोयट शहर कहां-कहां स्थित हैं ?
उत्तर-
जमशेदपुर झारखंड राज्य में सिंहभूम जिले में स्थित है। पहले इसका नाम साकची था और यह बिहार राज्य का भाग था। डीट्रोयट यू० एस० ए० के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यह महान् झीलों के किनारे बसा हुआ है। .

प्रश्न 4.
कपड़ों का निर्माण किन पदार्थों से किया जाता है ?
उत्तर-
कपड़ों का निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से कपास, ऊन, पटसन, रेशम तथा बनावटी (कृत्रिम) रेशा शामिल है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

प्रश्न 5.
कपड़ा उद्योग को किन-किन श्रेणियों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
कपड़ा उद्योग को निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है
(1) सूती कपड़ा उद्योग (2) ऊनी कपड़ा उद्योग (3) रेशमी कपड़ा उद्योग (4) पटसन कपड़ा उद्योग (5) बनावटी रेशम तथा बनावटी रेशा कपड़ा उद्योग।

प्रश्न 6.
रेशम कहाँ से प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर-
रेशम हमें एक प्रकार के कीड़े से प्राप्त होता है। ये कीड़े पौधों (विशेषकर शहतूत) की पत्तियों पर पलते हैं।

प्रश्न 7.
कपास की सबसे बढ़िया किस्म कौन-सी है ?
उत्तर-
लम्बे रेशे वाली कपास की सबसे बढ़िया किस्म है। इससे बना कपड़ा बाज़ार में महंगा बिकता है।

प्रश्न 8.
सूचना-तकनीक उद्योग में भारत ने कितनी उन्नति की है ?
उत्तर-
भारत ने सूचना तकनीक में बहुत अधिक उन्नति की है। हमारे देश में बंगलुरु, मुम्बई, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद आदि सूचना तकनीक उद्योग के मुख्य केन्द्र हैं।

प्रश्न 9.
बंगलुरु में कौन-कौन से उद्योग पाए जाते हैं ?
उत्तर-
कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में मशीन टूल्ज़, संचार के साधन, घड़ियाँ, मोटरें तथा हवाई जहाज़ बनाने के उद्योग पाये जाते हैं। इस समय बंगलुरु कम्प्यूटर निर्माण उद्योग के लिए देश भर में प्रसिद्ध हैं। इसलिए इसे भारत की ‘सिलीकॉन घाटी’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 10.
सिलीकान घाटी कहां है ? यह पहले किस वस्तु के लिए प्रसिद्ध थी ?
उत्तर-
सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिम में कैलिफोर्निया राज्य में स्थित है। पहले यह फल उगाने के लिए प्रसिद्ध थी।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दीजिए :

प्रश्न 1.
कच्चे लोहे से स्टील बनाने की क्रिया बताएं।
उत्तर-
कच्चे लोहे से स्टील बनाने की क्रिया में सबसे पहले कच्चे माल को भट्ठियों में पिघलाया जाता है। पिघले हुए लोहे में से सभी अशुद्धियाँ निकाल कर लोहे को साफ़ कर लिया जाता है। साफ़ किए गये इस लोहे से स्टील बनाया जाता है तथा स्टील से भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनाई जाती हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

प्रश्न 2.
चीन और जापान के लौह-इस्पात औद्योगिक केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
1. चीन के लौह-इस्पात केन्द्र-मंचूरिया, यंगसी घाटी तथा होपे सांतूंग।
2. जापान के लौह-इस्पात केन्द्र यवाता (Yawata), तोबाता (Tobata), क्यूसू (Kyushu), टोकियो (Tokyo), कावासाकी (Kawasaki), योकोहामा (Yokohoma), ओसाका (Osaka) तथा कोबे (Kobe) ।

प्रश्न 3.
जमशेदपुर में लौह-इस्पात उद्योग के लिए कौन-कौन सी अनुकूल अवस्थाएं मौजूद हैं ?
उत्तर-
जमशेदपर में लौह-इस्पात उद्योग के लिए निम्नलिखित अवस्थाएँ अनुकूल हैं

  • अच्छी किस्म का कच्चा लौह झारखण्ड के सिंहभूम तथा उड़ीसा के मयूरभंज की खानों से मिल जाता है।
  • कोयले की पूर्ति झरिया तथा रानीगंज की खानों से हो जाती है।
  • मैंगनीज़ तथा चूने के पत्थर जैसा कच्चा माल उड़ीसा से मिल जाता है।
  • पानी की आवश्यकता सुबरन रेखा (स्वर्ण रेखा) नदी से पूरी हो जाती है। ।
  • कोलकाता की बंदरगाह जमशेदपुर से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लौह-इस्पात का अन्य देशों को निर्यात करने में यह बंदरगाह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • उद्योग के लिए बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक झारखण्ड, बिहार तथा उड़ीसा राज्यों से आसानी से मिल जाते हैं।
  • जमशेदपुर, मुम्बई, चेन्नई, दिल्ली तथा कोलकाता जैसे नगरों के साथ सड़कों तथा रेलमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। अतः यहाँ का तैयार माल देश के भिन्न-भिन्न भागों में आसानी से भेजा जाता है।

प्रश्न 4.
डीट्रोयट के लौह-इस्पात उद्योग के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
डीट्रोयट यू० एस० ए० के लौह-इस्पात उद्योग का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यह दो झीलों डरो तथा ऐरी के मध्य मिशीगन स्टेट में स्थित है। इसके आस-पास के क्षेत्र में कच्चा लौह, कोयला तथा लौह-इस्पात उद्योग के लिए अन्य कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में मिलता है। अतः डीट्रोयट में लौह को पिघलाने तथा स्टील बनाने के बहुत से कारखाने पाये जाते हैं। झीलों के किनारे बसा होने के कारण इस शहर को जल यातायात की सुविधा भी उपलब्ध है। जल मार्गों द्वारा यह स्थान यूरोप तथा एशिया की बड़ी-बड़ी मंडियों से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 5.
ऊनी वस्त्र उद्योग पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
ऊनी कपड़ा उद्योग जानवरों के बालों पर निर्भर करता है। भेड़, बकरी, ऊंट, याक, खरगोश आदि जानवरों के बालों का प्रयोग ऊनी कपड़ा बुनने में किया जाता है। सबसे अधिक मात्रा में ऊन भेड़ों से प्राप्त की जाती है। ‘मैरीनो’ किस्म की भेड़ से लम्बे रेशे वाली बढ़िया प्रकार की ऊन मिलती है। संसार के लगभग प्रत्येक महाद्वीप में ऊन के लिए भेड़ें पाली जाती हैं। भेड़ें पालने वाले मुख्य देश आस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, रूस, अर्जनटाइना, दक्षिणी अफ्रीका, चीन, युरुगवे, तुर्की, यू० एस० ए० तथा इंग्लैण्ड हैं। भेड़ें पालने वाले सभी देशों में ऊनी कपड़ा उद्योग काफ़ी विकसित है। ऊनी कपड़ा गर्म होता है। इसलिए इसे ठण्डे देशों या ठण्डे मौसम में पहना जाता है।

प्रश्न 6.
ओसाका शहर में सूती कपड़ा उद्योग के विकसित होने के कारण लिखें। (P.B. 2009 Set-B)
उत्तर-
औद्योगिक विकास की दृष्टि से ओसाका जापान का एक महत्त्वपूर्ण शहर है। यह जापान के किनकी (Kinki) क्षेत्र में आता है। यह अपने सूती कपड़ा उद्योग के लिए विख्यात है। जापान का 100% सूती कपड़ा ओसाका के उद्योगों की देन है। इसलिए इस शहर को ‘जापान का मानचेस्टर’ भी कहा जाता है। इस शहर में सूती कपड़ा उद्योग के विकास के लिए शहर की भौगोलिक स्थिति का बहुत बड़ा योगदान है। समुद्री मार्ग निकट होने के कारण कच्चे माल का आयात करना तथा तैयार माल का निर्यात करना सरल हो जाता है। इसके अतिरिक्त यहां की नम जलवायु भी सूती कपड़ा उद्योग के अनुकूल है। .

प्रश्न 7.
बंगालुरु शहर में कौन-कौन सी अवस्थाएं सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अनुकूल हैं ?
उत्तर-
बंगालुरु कर्नाटक राज्य की राजधानी है। यह सूचना तकनीक उद्योग का बहुत बड़ा केन्द्र है। इस शहर की निम्नलिखित अवस्थाएँ सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अनुकूल हैं

  • यहां सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अधिक पढ़े-लिखे लोग आसानी से मिल जाते हैं।
  • यहां की जलवायु यहां रहने तथा काम करने के लिए बहुत अनुकूल है।
  • राज्य सरकार भी बंगालुरु में सूचना-तकनीक उद्योग के विकास में पूरा-पूरा सहयोग दे रही है।

प्रश्न 8.
सिलीकान घाटी के सूचना-तकनीक उद्योग के विकास पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका (यू०एस०ए०) के पश्चिम में कैलीफोर्निया राज्य में स्थित है। यह यू० एस० ए० का एक बहुत बड़ा सूचना तकनीक केन्द्र है। यहां इनटैल (Intel), एप्पल (Apple) तथा सन (Sun) जैस बड़ी-बड़ी कम्प्यूटर कम्पनियों के उद्योग स्थापित हैं। अनुसन्धान को प्रोत्साहित करने के लिए.यहाँ 1951 में स्टेनफोर्ड रिसर्च पार्क की स्थापना की गई थी। इस कार्य के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से सभी सुविधाएँ प्रदान की गई थीं। 1959 ई० तक यहां लगभग 100 सूचना तकनीक औद्योगिक कम्पनियों ने अपने उद्योग स्थापित कर लिए थे। इस समय सिलीकान घाटी में लगभग तीन लाख लोग काम कर रहे हैं। यहाँ अरबों रुपयों का सामान बेचा जाता है। सूचना तकनीक उद्योग के लिए सिलीकान घाटी में आवश्यक अवस्थाएँ भी अनुकूल हैं। यातायात के साधन पूरी तरह से विकसित हैं। सरकार की ओर से भी इस उद्योग को विकसित करने के लिए बहुत-सी सुविधाएँ दी जा रही हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

III. नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर लगभग 250 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
लौह-इस्पात उद्योग का महत्त्व और आवश्यक अवस्थाएं बताइए। भारत के लौह-इस्पात केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
लौह-इस्पात उद्योग एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण उद्योग है। इसका महत्त्व निम्नलिखित बातों से जाना जा सकता है

  • यह उद्योग इंजीनियरिंग, यातायात के साधन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को कच्चा माल प्रदान करता है।
  • अन्य उद्योगों में प्रयोग होने वाली लगभग सभी मशीनें लौह-इस्पात से बनती हैं।
  • सभी प्रकार के औजार तथा हथियार लोहे से बनते हैं। .

आवश्यक अवस्थाएं-लौह-इस्पात उद्योग स्थापित करने के लिए निम्नलिखित अवस्थाओं का अनुकूल होना आवश्यक है-

1. कच्चे लौह की प्राप्ति-कच्चा लौह लौह-इस्पात का मुख्य कच्चा माल है। इसलिए इसकी प्राप्ति होना आवश्यक है। इस उद्योग को कच्चे लौह के भण्डार के समीप ही स्थापित किया जाना चाहिए, क्योंकि कच्चा लौह भारी होता है।

2. बढ़िया किस्म के कोयले की प्राप्ति-कच्चे लौह को भट्ठियों में पिघलाने के लिए बढ़िया किस्म के कोयले
की आवश्यकता होती है। कोयले के अतिरिक्त चूने का पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज़ आदि भी लौह-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक हैं। इसलिए इन पदार्थों की पर्याप्त मात्रा में प्राप्ति होनी चाहिए।

3. जल की आपूर्ति-लौह को पिघलाने के पश्चात् इसे ठण्डा करने और धोने के लिए काफ़ी मात्रा में जल की
आवश्यकता होती है। इसलिए इस उद्योग के निकट जल की व्यवस्था या जल भण्डारों का होना अति आवश्यक है।

4. उद्योगों में तैयार माल के लिए मांग क्षेत्रों का समीप होना-लौह-इस्पात उद्योग में तैयार माल को बेचने के लिए मण्डियों का समीप होना अति आवश्यक है। मांग क्षेत्र समीप होने से समय की बचत होगी और तैयार माल के लिए यातायात का खर्चा कम होगा। यदि तैयार माल को अन्य देशों को निर्यात किया जाना हो तो उद्योग की स्थापना किसी बन्दरगाह के समीप की जानी चाहिए।

5. यातायात के सस्ते और विकसित साधन-लौह इस्पात उद्योग में प्रयोग होने वाली बहुत-सी वस्तुओं को लाने ले जाने के लिए बढ़िया किस्म के यातायात साधनों का होना अति आवश्यक है। श्रमिकों के आने-जाने के लिए भी यातायात के साधन ज़रूरी हैं।

6. पूँजी-लौह-इस्पात जैसे बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए बड़ी मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है। इसलिए यह उद्योग बहुत ही धनी व्यक्ति या विदेशी कम्पनियों के सहयोग से ही स्थापित हो सकता है।

7. शिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता-लौह-इस्पात उद्योग में भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यों के लिए शिक्षित तथा अनुभवी श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इसलिए इस प्रकार के श्रमिकों का उपलब्ध होना जरूरी है।’

भारत के लौह-इस्पात केन्द्र-भारत के मुख्य लौह-इस्पात के केन्द्र जमशेदपुर तथा बोकारो (झारखंड), बर्नपुर तथा दुर्गापुर (पश्चिमी बंगाल), रुड़केला (उड़ीसा) तथा भिलाई (छत्तीसगढ़) और भद्रावती (कर्नाटक) हैं।

प्रश्न 2.
सूती कपड़ा उद्योग के संसार में वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सूती कपड़ा उद्योग संसार के बहुत-से देशों में स्थापित है। इसके मुख्य उत्पादकों में संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व-सोवियत संघ के देश, इंग्लैंड, जापान, चीन, मिस्र और भारत आदि हैं। यूरोप में इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली और पोलैंड जैसे देशों में सूती कपड़े का उत्पादन 18वीं या 19वीं शताब्दी से होने लगा था। इन देशों के अतिरिक्त बैल्जीयम, नीदरलैंड, स्पेन, पुर्तगाल, तुर्की, चैकोस्लोवाकिया आदि देशों में भी सूती कपड़ा उद्योग स्थापित हैं। कुछ मुख्य देशों में सूती कपड़ा उद्योग का वितरण इस प्रकार हैं

जापान-जापान का सूती कपड़ा उद्योग अधिक पुराना नहीं है, परन्तु इस देश ने इस उद्योग में बहुत अधिक उन्नति की है। यह देश पूरे संसार का लगभग 5% सूत तैयार करता है। जापान, सूती कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल मुख्य रूप से यू० एस० ए०, चीन तथा भारत से मंगवाता है। वहां नोबी पलेन तथा हानसिन क्षेत्र सूती कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। इस उद्योग के मुख्य केन्द्र ओसाका, कोबे तथा क्योटो हैं। – चीन-चीन इस समय संसार का सबसे बड़ा सूती कपड़ा उत्पादक देश है। चीन में इस उद्योग के मुख्य केन्द्र चीक्यिांग, सांतुंग, होपे, हुनान, सैंसी, नानकिंग, शंघाई आदि हैं।

यू० एस० ए०यू० एस० ए० में सूती कपड़ा उद्योग उत्तर-पूर्व, मध्य अटलांटिक तथा दक्षिणी क्षेत्रों में केन्द्रित है। इसके मुख्य केन्द्र न्यूबैडफोर्ड, मानचेस्टर, सैंट लारेंस, बोस्टन, फिलाडैलफिया, बाल्टीमोर, न्यूयार्क, ग्रीनविले, कोलम्बिया, एटलांटा तथा कैलीफोर्निया आदि हैं।
पूर्व-सोवियत संघ-पूर्व-सोवियत संघ के देशों में मास्को, लेनिनग्राड, युक्रेन, इवानोवो, यूराल, वोल्गा, मध्य एशिया का क्षेत्र तथा साइबेरिया आदि सूती कपड़ा बनाने के मुख्य क्षेत्र हैं।

मिस्त्र-मिस्र (Egypt) कपास के उत्पादन और सूती कपड़ा उद्योग में भले ही बहुत पीछे हैं, परन्तु इस देश का महत्त्व बहुत अधिक है। यहां लम्बे रेशे वाली कपास पैदा होती है, जिससे उत्तम कोटि का कपड़ा बनाया जाता है।

भारत-हमारे देश का सूती कपड़ा उद्योग बहुत ही पुराना है। यहां के हाथ से बुने कपड़ों की मांग संसार के भिन्नभिन्न देशों में रही है। परन्तु 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो हमारे सूती कपड़ा उद्योग को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि बढ़िया किस्म की कपास पैदा करने वाले क्षेत्र पाकिस्तान में चले गये थे। अतः भारत ने अन्य देशों से कपास आयात करके अपने इस पुराने उद्योग को फिर से जीवित किया।

भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर-प्रदेश, राजस्थान, पांडिचेरी, कर्नाटक तथा केरल सूती कपड़ा पैदा करने वाले मुख्य राज्य हैं। इस उद्योग के कुछ महत्त्वपूर्ण केन्द्र निम्नलिखित हैं

  • मुम्बई, शोलापुर, पूना, कोल्हापुर, सतारा, नागपुर, औरंगाबाद तथा अमरावती (महाराष्ट्र)।
  • अहमदाबाद, बड़ोदरा, भारुच, सूरत तथा राजकोट (गुजरात)।
  • ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, जबलपुर तथा भोपाल (मध्य प्रदेश)।
  • चेन्नई, मदुराए, स्लेम तथा पैरम्बूर (तमिलनाडु)।
  • कोलकाता, मुर्शिदाबाद तथा हुगली (पश्चिमी बंगाल)।
  • कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आगरा, बरेली, सहारनपुर तथा लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
  • लुधियाना, अमृतसर तथा फगवाड़ा (पंजाब)।
  • भिवानी, हिसार तथा पानीपत (हरियाणा)।
  • बंगलुरु तथा मैसूर (कर्नाटक)।
  • भीलवाड़ा, कोटा तथा अजमेर (राजस्थान)।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

प्रश्न 3.
सूचना-तकनीक उद्योग का महत्त्व बताते हुए संसार और भारत में इसके मुख्य केन्द्रों के बारे में लिखो।
उत्तर-
आज का युग मशीनी युग है। मशीनों के प्रयोग से हर प्रकार के उद्योग का तेजी से विकास हो रहा है। सूचना-तकनीक उद्योग भी इनमें से एक है। इसमें रेडियो, टेलीफोन, टेलीविज़न, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर आदि शामिल हैं।

सूचना-तकनीक उद्योग का महत्त्व-

(1) सूचना-तकनीक उद्योग ने संसार भर के लोगों को आपस में जोड़ने का काम किया है। इन यन्त्रों के प्रयोग ने मानव के जीवन में समृद्धि और उन्नति ला दी है। इन यन्त्रों तथा उपकरणों की सहायता से कोई भी सूचना, संसार के एक कोने से दूसरे कोने तक बहुत ही शीघ्र पहुंचाई जा सकती है। परिणामस्वरूप सूचना-तकनीक यन्त्रों द्वारा हम संसार के किसी भी कोने में घटित घटना की जानकारी मिनटों और सैकिंडों में प्राप्त कर सकते हैं।
(2) अपने बैंक खातों में ए० टी० एम० द्वारा किसी भी समय इस तकनीक के द्वारा हम पैसे निकलवा सकते हैं।
(3) कम्प्यूटर की सूचना तकनीक उद्योग को बहुत बड़ी देन है। कम्प्यूटर को अपनी मर्जी से कहीं भी ले जा सकते हैं। इसमें बहुत-सी सूचना भी स्टोर की जाती है। आजकल तो मोबाइल सेटों में कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग (1)

संसार में सूचना-तकनीक उद्योग का वितरण-संसार में पहले डिजीटल इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर का निर्माण 1946 में य० एस० ए० में हुआ था। आज संसार के सभी विकसित देश सूचना-तकनीक उद्योग में बहुत आगे निकल चुके हैं। इन देशों में यू० एस० ए० के अतिरिक्त कनाडा, इंग्लैंड, फ्रांस, चीन, रूस, जापान तथा जर्मनी आदि शामिल हैं। यू० एस० ए० की सिलीकान घाटी इस उद्योग का बहुत बड़ा केन्द्र है।

भारत में सूचना तकनीक उद्योग-भारत एक विकासशील देश है। यहां कम्प्यूटर बहुत देर बाद आया। परन्तु फिर भी देश ने सूचना-तकनीक उद्योग में बड़ी तेज़ी से उन्नति की है। भारत में बंगलुरु, मुम्बई, पूना, चेन्नई, हैदराबाद, नोएडा (दिल्ली), गुड़गांव, मोहाली, चण्डीगढ़ आदि शहर सूचना तकनीक उद्योग के मुख्य केन्द्र हैं। इनमें से बंगगलुरु इस उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र है। इसे भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कह कर पुकारा जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Guide मुख्य उद्योग Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(1) सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिम में ………. राज्य में स्थित है।
(2) रेडियो, टी०वी०, मोबाइल आदि ………. के मुख्य यंत्र हैं।
(3) ……… यू० एस० ए० का महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात केंद्र है।
(4) कपास को ……….. सोना भी कहा जाता है।
(Sample Paper) (5) …………. उद्योग का मुख्य कच्चा माल कपास है।
(6) …………. किस्म की भेड़ से लंबे रेशे वाली ऊन प्राप्त की जाती है।
(7) बोरियाँ, टाट तथा रस्से ……….. से बनते हैं।
उत्तर-

  1. कैलिफोर्निया
  2. सूचना तकनीक
  3. डीट्रोयट
  4. सफेद
  5. सूती कपड़ा उद्योग
  6. मेरीनो
  7. जूट (पटसन)।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

(1) लौह-इस्पात उद्योग को पहले दर्जे का उद्योग माना जाता है।
(2) जमशेदपुर भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात केंद्र है।
(3) लम्बे रेशे वाली कपास, कपास की सबसे बढ़िया किस्म है।
(4) कपास, पटसन, ऊन, रेशम आदि का उपयोग कपड़ा उद्योग में किया जाता है।
(5) सूती कपड़े के मुख्य उत्पादक प्रदेश सूरत, अहमदाबाद, मुंबई आदि हैं।
(6) बंगलुरु में मशीन टूल्स, घड़ियां, मोटरें तथा हवाई जहाज़ बनाने के उद्योग पाये जाते हैं।
उत्तर-

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संसार में लौह-इस्पात उद्योग के वितरण में असमानता क्यों पाई जाती हैं ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि संसार में कच्चे लौह तथा कोयले का वितरण एक समान नहीं है।

प्रश्न 2.
संसार के किस देश ने कच्चा माल न होते हुए भी लौह-इस्पात उद्योग में बड़ी उन्नति की है और कैसे ?
उत्तर-
जापान ने कच्चा माल न होते हुए भी लौह-इस्पात उद्योग में बड़ी उन्नति की है। वह कच्चा लौह तथा कोयला संसार के अन्य देशों से मंगवाता है।

प्रश्न 3.
संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात उद्योग के बड़े-बड़े केन्द्र कहां स्थित हैं ? किन्हीं चार केन्द्रों के नाम भी बताइए।
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात के बड़े-बड़े केन्द्र महान् झीलों के आस-पास स्थित हैं। इसके चार मुख्य केन्द्र पिट्सबर्ग, शिकागो, बरमिंघम तथा अलबामा हैं।

प्रश्न 4.
भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात केन्द्र (कारखाना) कौन-सा है ? इसे कब और किसने लगाया था ?
उत्तर-
भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात कारखाना टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (TISCO) है। इसे 1907 ई० में जमशेद जी टाटा ने लगाया था।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित लौह-इस्पात केन्द्र ( कारखाने ) कब-कब और किस-किस देश के सहयोग से स्थापित किये गयेभिलाई, रुड़केला, दुर्गापुर तथा बोकारो।
उत्तर-
1. भिलाई-1957 में रूस के सहयोग से। 2. रुड़केला-1957 में जर्मनी की सहायता से। 3. दुर्गापुर-1959 में इंग्लैंड की सहायता से। . 4. बोकारो-1964 में रूस की सहायता से।

प्रश्न 6.
स्टील अथार्टी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की स्थापना कब और किस उद्देश्य से की गई ?
उत्तर-
स्टील अथार्टी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1973 में लौह-इस्पात उद्योग का अच्छा प्रबंध करने के लिए की गई।

प्रशन 7.
डीट्रोयट (यू० एस० ए०) किन-किन उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर-
लौह-इस्पात, मोटर गाड़ियां, कृषि मशीनरी, मशीनी पुर्जे, कैमिकल्स, फूड प्रोसेसिंग तथा समुद्री जहाज़ निर्माण आदि।

प्रश्न 8.
सूचना उद्योग में तैयार होने वाले यंत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
सूचना उद्योग में तैयार होने वाले मुख्य यंत्र हैं-रेडियो, टी० वी०, टेलीफोन, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर आदि।

प्रश्न 9.
प्रयोग होने वाले कच्चे माल के आधार पर हम कपड़ा उद्योग को कौन-कौन सी श्रेणियों में बांट सकते हैं ?
उत्तर–
प्रयोग होने वाले कच्चे माल के आधार पर हम इस उद्योग को निम्नलिखित श्रेणियों में बांट सकते हैं
(1) सूती कपड़ा उद्योग (2) ऊनी कपड़ा उद्योग (3) रेशमी कपड़ा उद्योग (4) पंटसन कपड़ा उद्योग (5) कृत्रिम रेशम और बनावटी रेशों द्वारा बुने गये कपड़े का उद्योग।

प्रश्न 10.
मुम्बई के बाद भारत का दूसरा बड़ा सूती कपड़ा औद्योगिक केन्द्र कौन-सा शहर है ? यह शहर किस राज्य में है ?
उत्तर-
भारत का दूसरा बड़ा सूती कपड़ा औद्योगिक केन्द्र अहमदाबाद है। यह शहर गुजरात राज्य में है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

प्रश्न 11.
ओसाका को ‘जापान का मानचेस्टर’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
इंग्लैंड के मानचेस्टर की तरह ओसाका (जापान) का सूती कपड़ा उद्योग एक बहुत बड़ा केन्द्र है। जापान का 100% सूती कपड़ा इसी शहर के उद्योगों से प्राप्त होता है। इसीलिए ओसाका को ‘जापान का मानचेस्टर’ कहा जाता है।

प्रश्न 12.
किस शहर को भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कहा जाता है ? यहां सूचना-तकनीक उद्योग का विकास कब आरंभ हुआ ?
उत्तर-
कर्नाटक राज्य के बंगलुरु शहर को भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कहा जाता है। यहां सूचना-तकनीक उद्योग का विकास 1970 के बाद आरम्भ हुआ।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़े का निर्माण किस प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है ? इस उद्योग का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
कपड़े का निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से कपास, पटसन, ऊन, रेशम तथा कृत्रिम रेशे शामिल हैं। महत्त्व-

  • कपड़ा उद्योग बहुत बड़ी मात्रा में लोगों को रोज़गार देता है और राष्ट्रीय आय में वृद्धि करता है।
  • संसार के बहुत-से देशों में कपड़ा उद्योग को मुख्य उद्योगों में शामिल किया जाता है। कपड़ा उद्योग द्वारा बनाया गया कपड़ा पहनने, घरों की सजावट और भिन्न-भिन्न वस्तुओं को पैक करने के काम आता है।
  • मानव की मूल आवश्यकताओं-रोटी, कपड़ा और मकान में कपड़े का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 2.
कपास से सूती कपड़ा बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सबसे पहले श्रमिक खेतों से कपास के डोडे इकट्ठे करते हैं। इन्हें मशीनों द्वारा भी इकट्ठा किया जाता है। इनमें बीज होते हैं जिन्हें कपास से अलग कर दिया जाता है।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग (2)
इस कपास की पिंजाई करके इसे साफ़ किया जाता है। साफ़ की गई कपास से सूत काता जाता है। इस सूत के धागे (Yarn) को बुनकर कपड़ा तैयार किया जाता है। इसके पश्चात् कपड़े को ज़रूरत अनुसार रंगा जाता है या प्रिंट किया – जाता है। ज़रूरत होने पर इसे अच्छी तरह रंगरहित भी रहने दिया जाता है।

प्रश्न 3.
अहमदाबाद में सूती कपड़ा उद्योग के अनुकूल अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  • अहमदाबाद (गुजरात राज्य) भारत की “कपास पेटी” में आता है इसलिए यहां की कपड़ा मिलों को कपास के रूप में कच्चा माल आसानी से प्राप्त हो जाता है।
  • यहां की जलवायु आर्द्र (नम) है। यह जलवायु कपड़ा उद्योग के लिए वरदान सिद्ध होती है क्योंकि इसमें धागा आसानी से नहीं टूटता।
  • आस-पास ही बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं।
  • बिजली सस्ती है।
  • अहमदाबाद रेलों और सड़कों द्वारा देश के अन्य भागों से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है।
  • मुंबई की तुलना में यहां भूमि सस्ते रेटों में मिल जाती है।
  • तैयार माल (कपड़ा) के लिए मांग क्षेत्र भारत में ही मिल जाता है।
  • सरकार भी कपड़ा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
रेशमी कपड़ा उद्योग, पटसन कपड़ा उद्योग तथा कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने के उद्योग का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रेशमी कपड़ा उद्योग-रेशमी कपड़ा उद्योग में रेशम को कच्चे माल के रूप में प्राप्त किया जाता है। रेशम एक प्रकार के कीड़े से प्राप्त किया जाता है जिसे शहतूत के वृक्ष के पत्तों पर पाला जाता है। रेशम से कपड़ा बनाने की कला लगभग 2500 ईसा पूर्व-चीन में आरंभ हुई थी। अन्य देशों में यह कला तीसरी या चौथी शताब्दी में ही पहुंची। रेशम से कपड़ा बनाने वाले मुख्य देश चीन, जापान, दक्षिणी कोरिया, रूस, भारत, उत्तरी कोरिया तथा ब्राज़ील हैं।
रेशमी कपड़ा काफ़ी महंगा होता है जो प्रायः धनी लोग ही पहनते हैं। इसलिए इसे ‘धनी पोषाक’ भी कहा जाता
है।

पटसन कपड़ा उद्योग-पटसन एक पौधे से मिलने वाला रेशा होता है। यह पौधा प्रायः गर्म और नम क्षेत्रों में उगाया जाता है। पटसन का उपयोग मुख्य रूप से बोरियां, टाट और रस्से बनाने में किया जाता है। परन्तु आजकल इससे कपड़ा भी बनाया जाने लगा है। पटसन से बने बारीक कपड़े की काफ़ी मांग है। पटसन उद्योग मुख्यतः चीन, भारत, बांग्ला देश, थाइलैंड और ब्राजील में विकसित हैं। इस उद्योग में भारत तथा बांग्लादेश संसार में अग्रणी हैं।

कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने का उद्योग-कृत्रिम रेशों में कृत्रिम रेशे तथा कई प्रकार के अन्य रासायनिक रेशे शामिल हैं। कृत्रिम रेशम भी एक रासायनिक यौगिक है। इसे फैक्ट्रियों में तैयार किया जाता है। नाइलोन, टैरालीन, एवरीलोन, टैटरोन भी रासायनिक रेशे हैं। इनसे बना कपड़ा काफ़ी सस्ता तथा मजबूत होता है। इसलिए यह कपड़ा प्राकृतिक रेशों से बने कपड़े का अच्छा मुकाबला कर रहा है। कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने वाले मुख्य देश जापान, यू० एस० ए०, इंग्लैंड, जर्मनी, भारत, चीन तथा इटली हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

मुख्य उद्योग PSEB 8th Class Social Science Notes

  • लौह-इस्पात उद्योग – इस उद्योग को प्राथमिक या पहले दर्जे का उद्योग कहा जाता है क्योंकि यह उद्योग अन्य सभी उद्योगों का आधार है।
  • लौह-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक अवस्थाएं – कच्चे लौह की पूर्ति, बढ़िया किस्म का कोयला, पानी की निरन्तर आपूर्ति, मांग क्षेत्रों की समीपता, यातायात के सस्ते तथा विकसित साधन, शिक्षित श्रमिक तथा पूंजी। .
  • लौह-इस्पात उत्पन्न करने वाले मुख्य देश – चीन, जापान, यू० एस० ए०, रूस, जर्मनी, ब्राजील, भारत तथा इंग्लैण्ड।
  • भारत के मुख्य लौह-इस्पात केन्द्र – जमशेदपुर, बर्नपुर, दुर्गापुर, भिलाई, रुड़केला तथा बोकारो।
    डीट्रोयट – यह यू० एस० ए० का महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात केन्द्र है।
  • कपड़ा उद्योग – कपड़ा मानव की मूल आवश्यकताओं में से एक है। इसका निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल द्वारा किया जाता है, जैसे-कपास, पटसन, ऊन, रेशम तथा कृत्रिम रेशे। ।
  • कच्चे माल के आधार पर कपड़ा उद्योग की किस्में – सूती कपड़ा उद्योग, ऊनी कपड़ा उद्योग, रेशमी कपड़ा उद्योग, पटसन वस्त्र उद्योग तथा कृत्रिम रेशम तथा बनावटी रेशों का कपड़ा उद्योग।
  • सूती कपड़ा उद्योग – इस उद्योग का मुख्य कच्चा माल कपास है।
  • सूती कपड़ा उद्योग के लिए आवश्यक तत्त्व – कच्चा माल, पूँजी, सस्ते श्रमिक, यातायात के विकसित साधन, मण्डी का समीप होना तथा अनुकूल जलवायु।
  • सूती कपड़े के मुख्य उत्पादक देश – यू० एस० ए०, रूस, जापान, चीन, इंग्लैण्ड, भारत तथा मिस्र।
  • भारत के मुख्य सूती कपड़ा उद्योग केन्द्र – मुम्बई, शोलापुर, नागपुर, अहमदाबाद, सूरत, ग्वालियर, चेन्नई, कोलकाता, हुगली, कानपुर, लखनऊ, हैदराबाद, भीलवाड़ा, लुधियाना, अमृतसर, फगवाड़ा आदि ।
  • ओसाका – जापान का महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग केन्द्र जिसे ‘जापान का मानचेस्टर’ कहा जाता है।
  • सूचना-तकनीक उद्योग – महत्त्व-इसने संसार के लोगों को आपस में जोड़ दिया है।
    मुख्य यन्त्र-रेडियो, टी० वी०, टेलीफोन, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर इत्यादि।
    सूचना-तकनीक उद्योग वाले मुख्य देश-यू० एस० ए०, कनाडा, इंग्लैण्ड, चीन, फ्रांस, रूस, जापान, जर्मनी, भारत।
    भारत में सूचना तकनीक उद्योग के केन्द्र-बंगलुरु, मुम्बई, हैदराबाद, दिल्ली, चेन्नई, नोएडा, मोहाली, चण्डीगढ़ आदि।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 5 औद्योगिक विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 5 औद्योगिक विकास

SST Guide for Class 8 PSEB औद्योगिक विकास Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
वस्तु-निर्माण क्रिया से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लगभग सभी आरम्भिक (मूल) पदार्थ मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष क्रिया से गुज़रते हैं। इसी क्रिया को वस्तु-निर्माण क्रिया कहते हैं। इस क्रिया को बताने के लिए उद्योग शब्द का प्रयोग किया जाता है। उद्योग में कच्चे माल को पक्के माल में बदला जाता है।

प्रश्न 2.
किसी देश के आर्थिक विकास का सही अंदाज़ा कैसे लगाया जा सकता है ?
उत्तर-
किसी देश के आर्थिक विकास का सही अनुमान (अंदाजा) देश के औद्योगिक विकास से लगाया जाता है। संसार के सभी विकसित देश औद्योगिक रूप से पूरी तरह विकसित हैं। .

प्रश्न 3.
उद्योगों को कौन-कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
उद्योगों को निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं : (1) कच्चा माल (2) शक्ति के साधन (3) मजदूर (4) यातायात के साधन (5) बाज़ार अथवा मण्डी (6) पानी (7) जलवायु (8) पूंजी (9) सरकार की नीतियां (10) बैंक तथा बीमा आदि की सुविधाएं।

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प्रश्न 4.
निजी उद्योग किन उद्योगों को कहा जाता है ?
उत्तर-
वे उद्योग जो लोग निजी रूप से अथवा कोई फ़र्म बना कर स्थापित करते हैं, निजी उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण के लिए एटलस अथवा हीरो साइकिल उद्योग। इस प्रकार उद्योगों में लागत तथा लाभ दोनों पर उद्योग के स्वामी का नियन्त्रण होता है।

प्रश्न 5.
कृषि आधारित उद्योगों में कौन-कौन से कच्चे माल का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
कृषि पर आधारित उद्योगों में कृषि से प्राप्त कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण-कपड़ा उद्योग में कपास को, चीनी उद्योग में गन्ने को तथा चाय उद्योग में चाय की पत्तियों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

प्रश्न 6.
समुद्री जहाज़ों के उद्योग भारत में कहां-कहां हैं ?
उत्तर-
भारत में समुद्री जहाज़ उद्योग विशाखापट्टनम, कोलकाता, चेन्नई, कोचीन (कोच्चि) तथा मुम्बई में स्थित है।

प्रश्न 7.
ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ कब हुआ ?
उत्तर-
ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ 19वीं शताब्दी में हुआ।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
उद्योगों का मानव जीवन पर क्या प्रभाव है ?
उत्तर-
उद्योगों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव है :(1) ये किसी देश के आर्थिक ढांचे को मज़बूत बनाते हैं। (2) ये देश में से गरीबी तथा बेरोज़गारी को दूर करने में सहायता करते हैं। (3) ये पुराने समाज को नये समाज में बदल देते हैं। (4) उद्योगों का विकास किसी देश के आर्थिक विकास को दर्शाता है। (5) उद्योग जीवन-स्तर को ऊंचा उठाते हैं।

प्रश्न 2.
कच्चा माल और शक्ति साधन उद्योगों को कैसे प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
कच्चा माल तथा शक्ति के साधन उद्योगों को निम्नलिखित ढंग से प्रभावित करते हैं :-

  1. कच्चा माल-जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है, उसे कच्चा माल कहते हैं। उदाहरण के लिए सूती वस्त्र उद्योग का कच्चा माल कपास है। कोई भी उद्योग लगाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की पूर्ति आवश्यक है। यदि कच्चा माल भारी हो तो उद्योग को कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर यदि कच्चा माल हल्का हो तो उसे दूर तक ले जाया जा सकता है।
  2. शक्ति के साधन-उद्योगों को चलाने के लिए शक्ति के साधनों का होना आवश्यक है। कोयला, खनिज तेल तथा बिजली उद्योगों को चलाने वाले मुख्य शक्ति साधन हैं।

प्रश्न 3.
उद्योगों के विकास में सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
उद्योगों के विकास में सरकारी नीतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी स्थान पर उद्योग लगाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना ज़रूरी होता है। यह मंजूरी सरकार के अलग-अलग विभागों से लेनी पड़ती है। इन विभागों में प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, वन विभाग, सुरक्षा विभाग आदि शामिल हैं। वैसे भी किसी स्थान पर कोई उद्योग केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार की योजना-नीतियों के अनुसार ही लगाया जा सकता है। किसी प्रदेश में औद्योगिकीकरण करना सीधे तौर पर सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करता है। सरकारी नीति के अनुसार किसी सीमावर्ती प्रदेश में औद्योगिक विकास नहीं हो सकता।

प्रश्न 4.
बड़े, मध्यम और छोटे पैमाने वाले उद्योगों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बड़े पैमाने के उद्योग-जिन उद्योगों में मजदूरों की संख्या बहुत अधिक होती है, उन्हें बड़े पैमाने के उद्योग कहा जाता है। इन उद्योगों में पूंजी भी बहुत अधिक लगती है। पूंजी की राशि 10 करोड़ या अधिक होती है। – मध्यम पैमाने के उद्योग-इन उद्योगों में मजदूरों की संख्या तथा पूंजी की राशि बड़े पैमाने के उद्योगों से कम होती है। पूंजी की राशि 5 करोड़ से 10 करोड़ तक होती है।

छोटे पैमाने के उद्योग-छोटे पैमाने के उद्योगों में मज़दूर बहुत ही कम संख्या में होते हैं। नई औद्योगिक नीति के अनुसार इन उद्योगों में पूंजी की लागत 5 करोड़ तक होती है।

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प्रश्न 5.
भारी और हल्के उद्योगों में उदाहरण सहित अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
भारी उद्योग-जिन उद्योगों का कच्चा माल बहुत भारी होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं। लोहा-इस्पात उद्योग, समुद्री जहाज़ उद्योग तथा रेलवे उद्योग भारी उद्योगों के उदाहरण हैं। हल्के उद्योग-जिन उद्योगों में हल्के कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है, वे हल्के उद्योग कहलाते हैं। इनमें तैयार माल भी हल्का होता है। पंखे, पैसें, घड़ियां आदि उद्योग हल्के उद्योगों में शामिल हैं।

प्रश्न 6.
कपड़ा (वस्त्र) और लौह-इस्पात उद्योग के मुख्य देश कौन-कौन से हैं ? भारत के तीन कपड़ा उद्योग के केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
कपड़ा उद्योग-कपड़ा उद्योग में इंग्लैण्ड संसार में सबसे आगे है। कपड़ा उद्योग के अन्य मुख्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, चीन, मित्र तथा भारत हैं।

लोहा-इस्पात उद्योग-लोहा-इस्पात उद्योग में संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ के देश तथा जर्मनी सबसे आगे है। ये देश संसार के कुल लोहा-इस्पात का 50 प्रतिशत पैदा करते हैं। इस उद्योग के अन्य मुख्य देश इंग्लैण्ड, फ्रांस, कनाडा, जापान, चीन तथा भारत हैं।
भारत में वस्त्र उद्योग के केन्द्र-भारत के तीन प्रमुख वस्त्र उद्योग केन्द्र मुम्बई (महाराष्ट्र), अहमदाबाद (गुजरात) तथा कोलकाता (पश्चिमी बंगाल) हैं।

प्रश्न 7.
हवाई जहाज़ों का प्रयोग कहाँ होता है ? भारत में हवाई जहाज़ बनाने वाले मुख्य केन्द्र कौन-से हैं ?
उत्तर-
हवाई जहाज़ों का प्रयोग निम्नलिखित कार्यों में होता है-

  1. दुर्गम स्थानों पर पहुंचने के लिए।
  2. वायु सेना में शत्रु के ठिकानों पर हमला करने के लिए।
  3. आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने के लिए।
  4. विदेशों से संपर्क बनाए रखने के लिए।
  5. तीव्र यात्रा के लिए।

III. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लगभग 200-250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
उद्योगों को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उद्योगों की स्थापना तथा विकास को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं। इनमें से मुख्य तत्त्वों का वर्णन इस प्रकार-

  • कच्चा माल-जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है, उसे कच्चा माल कहते हैं। उदाहरण के लिए सूती वस्त्र उद्योग का कच्चा माल कपास है। कोई भी उद्योग लगाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की पूर्ति आवश्यक है। यदि कच्चा माल भारी हो तो उद्योग को कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर यदि कच्चा माल हल्का हो तो उसे दूर तक ले जाया जा सकता है।
  • शक्ति के साधन-उद्योगों को चलाने के लिए शक्ति के साधनों का होना आवश्यक है। कोयला, खनिज तेल तथा बिजली उद्योगों को चलाने वाले मुख्य शक्ति साधन हैं।
  • मज़दूर अथवा श्रमिक-उद्योगों को चलाने के लिए मज़दूरों की ज़रूरत होती है। मज़दूर सस्ते, कुशल तथा प्रशिक्षित होने चाहिए। आज के मशीनी युग में भी उद्योगों में मजदूरों का अपना महत्त्व है। .
  • यातायात के साधन-उद्योगों के लिए तरह-तरह का सामान इकट्ठा करने, मज़दूरों के आने-जाने तथा तैयार माल को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए यातायात के विकसित साधनों की ज़रूरत होती है।
  • मण्डी अथवा बाज़ार-उद्योगों में तैयार माल को बेचने के लिए मण्डी (बाज़ार) निकट होनी चाहिए। बाज़ार में तैयार माल की मांग होना भी ज़रूरी है।
  • पानी-उद्योगों की स्थापना के लिए पानी भी बहुत आवश्यक है। इसलिए अनेक उद्योग नदियों तथा झीलों के किनारे लगाये जाते हैं। जिन उद्योगों को कम पानी की ज़रूरत होती है, उन्हें नदियों आदि से दूर भी लगाया जा सकता है। फिर भी मजदूरों के प्रयोग तथा अन्य छोटे-मोटे कार्यों के लिए आवश्यक पानी की पूर्ति अवश्य होनी चाहिए।
  • जलवायु-उद्योगों की स्थापना पर जलवायु का प्रभाव भी पड़ता है। बहुत अधिक गर्म या ठण्डे स्थान उद्योगों की स्थापना के लिए ठीक नहीं रहते। सूती कपड़ा उद्योग के लिए थोड़ी नमी वाला स्थान उपयुक्त रहता है। ऐसे स्थान पर धागा बार-बार नहीं टूटता।
  • पूंजी-पूंजी के बिना किसी उद्योग की स्थापना नहीं की जा सकती। पूंजी कम होने पर उद्योग का विकास भी नहीं हो पाता। इसलिए उद्योग को आवश्यक पूंजी अवश्य मिलनी चाहिए।
  • सरकार की नीतियां–उद्योगों के विकास में सरकारी नीतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी स्थान पर उद्योग लगाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना ज़रूरी होता है। वैसे भी किसी स्थान पर कोई उद्योग केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार की योजना-नीतियों के अनुसार ही लगाया जा सकता है। किसी प्रदेश में औद्योगिकीकरण करना अथवा कोई औद्योगिक विकेन्द्रीकरण करना सीधे तौर पर सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करता है।
  • बैंक तथा बीमा आदि की सुविधाएं-उद्योगों की स्थापना, मज़दूरों को वेतन अथवा मजदूरी देने, कच्चा माल खरीदने तथा तैयार माल को बेचने आदि कार्यों के लिए पैसे का काफ़ी लेन-देन करना पड़ता है। अतः पैसे की सुरक्षा, उचित हिसाब-किताब तथा लेन-देन के लिए निकट ही बैंक की सुविधा होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त मशीनों पर काम करते समय किसी भी समय दुर्घटना हो सकती है जिससे मशीन अथवा श्रमिक को हानि पहुंच सकती है। इस क्षति की पूर्ति के लिए मशीनों तथा श्रमिकों के बीमे की सुविधा होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
उद्योगों को मुख्य रूप से किस-किस आधार पर बांटा गया है ? कच्चे माल पर आधारित उद्योगों की किस्मों का वर्णन करो।
उत्तर-
उद्योगों को मुख्य रूप से निम्नलिखित आधारों पर बांटा गया है :

  1. आकार के आधार पर
  2. कच्चे माल के आधार पर
  3. स्वामित्व (मिलकियत) के आधार पर।

कच्चे माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण-कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित दो प्रकार से बांटा गया है :

A. कच्चे माल के भार के आधार पर

  • भारी उद्योग-जिन उद्योगों का कच्चा माल बहुत भारी होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं । लोहा-इस्पात उद्योग, समुद्री जहाज़ उद्योग तथा रेलवे उद्योग भारी उद्योगों के उदाहरण हैं।
  • हल्के उद्योग-जिन उद्योगों में हल्के कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है, वे हल्के उद्योग कहलाते हैं। इनमें तैयार माल भी हल्का होता है। पंखे, पैसें, घड़ियां आदि उद्योग हल्के उद्योगों में शामिल हैं।

B. कच्चे माल की किस्म अथवा स्रोत के आधार पर

  • खेती (कृषि) पर आधारित उद्योग-जिन उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, उन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं। कपड़ा उद्योग, चाय उद्योग तथा चीनी उद्योग कृषि आधारित उद्योग हैं।
  • खनिज पदार्थों पर आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में खनिज पदार्थों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है, उन्हें खनिज-आधारित उद्योग कहा जाता है। लोहा-इस्पात उद्योग तथा एल्यूमीनियम उद्योग इनके उदाहरण हैं।
  • जानवरों पर आधारित उद्योग-इन उद्योगों के लिए कच्चा माल जानवरों से प्राप्त होता है। इन उद्योगों में डेयरी उद्योग, चमड़ा उद्योग, ऊनी कपड़ा उद्योग तथा जानवरों की हड्डियों से सम्बन्धित उद्योग शामिल हैं।
  • वनों (जंगलों) पर आधारित उद्योग-इन उद्योगों को कच्चा मालं वनों से प्राप्त होता है। इन उद्योगों के मुख्य उदाहरण कागज उद्योग, लकड़ी उद्योग तथा माचिस उद्योग हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

PSEB 8th Class Social Science Guide औद्योगिक विकास Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. वे उद्योग जिनका कच्चा माल भारी होता है ……….. उद्योग कहलाते हैं।
2. कपड़ा उद्योग, चाय उद्योग …………… उद्योग तथा कृषि आधारित उद्योग हैं।
3. डेयरी उद्योग, चमड़ा उद्योग आदि उद्योग …………. आधारित उद्योग हैं।
4. एक सहकारी संस्था बनाकर उसके सदस्यों के सहयोग से चलाए जाने वाले उद्योग ……….. कहलाते हैं।
5. प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले पदार्थ ………….. उत्पाद कहलाते हैं।
6. बंगलौर भारत के …………. राज्य की राजधानी है।
7. बड़े पैमाने के उद्योगों में – करोड़ या इससे अधिक पूंजी. वाले उद्योग शामिल हैं।
उत्तर-

  1. भारी
  2. चीनी
  3. जानवर
  4. सहकारी
  5. प्राथमिक
  6. कर्नाटक
  7. पांच।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं : .

1. कच्चा माल, शक्ति के साधन, मजदूर, मण्डी, पानी इत्यादि तत्त्व उद्योगों को प्रभावित करते हैं।
2. कागज उद्योग तथा लकड़ी उद्योग जानवरों पर आधारित उद्योग हैं।
3. पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली तथा होशियारपुर) निजी उद्योग हैं।
4. कपड़ा उद्योग में भारत संसार में सबसे आगे है।
5. छोटे पैमाने के उद्योगों में मज़दूर बहुत ही कम संख्या में होते हैं।
6. जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है उसे पक्का माल कहा जाता है।
7. इंग्लैंड को कपड़ा उद्योग का लीडर माना जाता है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)
  6. (✗)
  7. (✓).

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक उत्पाद (Primary Produsets) क्या होते हैं। ? मनुष्य को ये कहां से प्राप्त होते हैं ?
उत्तर-
प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले पदार्थ प्राथमिक उत्पादकहलाते हैं। मनुष्य को ये पदार्थ खेती, वनों, मछलियों, खानों तथा जानवरों से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2.
किस प्रकार के उद्योग कच्चे माल के स्रोत के निकट लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
जिन उद्योगों का कच्चा माल तथा तैयार माल भारी होता है, वे कच्चे माल के स्रोत के निकट लगाये जाते हैं।

प्रश्न 3.
जंगलों तथा जानवरों पर आधारित दो-दो उद्योगों के नाम बताओ।
उत्तर-
जंगलों पर आधारित उद्योग-कागज उद्योग तथा लकड़ी उद्योग। .. जानवरों पर आधारित उद्योग-डेयरी उद्योग तथा चमड़ा उद्योग।

प्रश्न 4.
सहकारी उद्योग क्या होते हैं ?
उत्तर-
जो उद्योग एक सहकारी संस्था बना कर, उसके सदस्यों के सहयोग से लगाए जाते हैं, उन्हें सहकारी उद्योग कहते हैं। पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली तथा होशियारपुर) इसी प्रकार का उद्योग है।

प्रश्न 5.
कौन-कौन से उद्योगों को मुख्य उद्योगों में शामिल किया जाता है ? किन्हीं छः के नाम बताओ।
उत्तर-
(1) लोहा-इस्पात उद्योग (2) कपड़ा उद्योग (3) ऑटोमोबाइल उद्योग (4) समुद्री जहाज़ उद्योग (5) वायुयान उद्योग (6) रेलवे इंजनों का उद्योग।

प्रश्न 6.
भारत के लौह-इस्पात पैदा करने वाले चार राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा तथा पश्चिमी बंगाल।

प्रश्न 7.
वायुयान उद्योग में संसार के कौन-कौन से देश अग्रणी हैं ?
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमेरिका, रूंस, इंग्लैण्ड, फ्रांस, कनाडा, इटली, आस्ट्रेलिया, जापान तथा चीन।

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कोई चार उदाहरण दीजिए जिनसे पता चले कि लगभग प्रत्येक प्राथमिक पदार्थ मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष प्रक्रिया में से गुजरता है।
उत्तर-

  • खेतों से प्राप्त गेहूं को पीसकर आटा बनाया जाता है। फिर आटे से रोटी, डबल रोटी, बिस्कुट तथा खाने के लिए अन्य पदार्थ बनाए जाते हैं।
  • कपास के गीले डोडों को साफ करके रूई बनाई जाती है। रूई से धागा तैयार करके कपड़ा बुना जाता है।
  • गन्ने के रस से चीनी तथा गुड़ बनाया जाता है। (4) धरती से प्राप्त कच्चे लौह को साफ़ करके लोहे या स्टील की वस्तुएं बनाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
संसार के ऑटोमोबाइल उद्योग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
संसार में ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में हुआ। इस उद्योग में संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, जर्मनी, जापान, फ्रांस, स्वीडन और यूरोप के कई अन्य देश मुख्य हैं। कनाडा, आस्ट्रेलिया, स्पेन, चीन और भारत जैसे देशों में भी बहुत से ऑटोमोबाइल उद्योग स्थापित हैं। भारत में इस उद्योग के मुख्य केन्द्र मुम्बई, चेन्नई, जमशेदपुर, जबलपुर, कोलकाता, कानपुर, अहमदाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव आदि हैं।

प्रश्न 3.
संसार तथा भारत में रेल इंजन तथा रेल के डिब्बे बनाने के उद्योगों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसार में रेल के इंजन तथा रेल के डिब्बे बनाने वाले मुख्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इंग्लैण्ड, जर्मनी और जापान हैं। भारत में चितरंजन (पश्चिमी बंगाल) वाराणसी. (उत्तर प्रदेश) तथा जमशेदपुर (झारखण्ड) रेल के इंजन बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। पैराम्बूर (तमिलनाडु), बंगलौर (कर्नाटक) और कपूरथला (पंजाब) रेल के डिब्बे बनाने के मुख्य औद्योगिक केन्द्र हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
मालकीयत (स्वामित्व) आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-
मालकीयत आधारित मुख्य उद्योग निम्नलिखित हैं

  1. निजी क्षेत्र के उद्योग-जो उद्योग लोगों द्वारा निजी रूप से या फर्म बनाकर लगाये जाते हैं, उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहा जाता है। इस प्रकार के उद्योगों में पूंजी, लाभ या हानि पर उद्योग मालिक का नियन्त्रण होता है। हीरो साइकिल उद्योग इसी प्रकार का उद्योग है।
  2. सरकारी क्षेत्र के उद्योग-सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा लगाये गये उद्योग सरकारी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं। इन उद्योगों में पूंजी, लाभ और हानि पर सरकार का नियन्त्रण होता है। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल (भोपाल) और रेल कोच फैक्टरी कपूरथला आदि सरकारी क्षेत्र के उद्योगों के उदाहरण हैं।
  3. साझे क्षेत्र के उद्योग-जो उद्योग सरकार और प्राइवेट लोगों या एजेंसियों द्वारा साझे रूप में लगाये जाते हैं उन्हें साझे क्षेत्र के उद्योग कहा जाता है। उदाहरण के लिए पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली और होशियारपुर) तथा गुजरात औलकलीज़ लिमिटेड आदि उद्योग साझे क्षेत्र में आते हैं। .
  4. सहकारी क्षेत्र-जो उद्योग एक सहकारी संस्था बनाकर उसके सदस्यों के सहयोग से लगाये जाते हैं, उन्हें सहकारी उद्योग कहा जाता है। सहकारी चीनी मिलें तथा सहकारी कपड़ा मिलें इसी प्रकार के उद्योग हैं।
  5. बहु-देशीय उद्योग-इस प्रकार के उद्योगों में एक मुख्य कम्पनी अपना उद्योग, एक साथ कई देशों में लगाती है। इसीलिए इन उद्योगों को बहु-देशीय उद्योग कहा जाता है। बहु-देशीय उद्योगों में कारों की कम्पनियां तथा कोकाकोला आदि कम्पनियां शामिल हैं।

औद्योगिक विकास PSEB 8th Class Social Science Notes

  • निर्माण क्रिया – प्रत्येक प्राथमिक पदार्थ, मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष क्रिया में से गुज़रता है इसे निर्माण क्रिया (Manufacturing) कहा जाता है।
  • उद्योगों का महत्त्व मनुष्य के जीवन में उद्योगों का बहुत महत्त्व है। ये रोज़गार जुटाते हैं तथा जीवन-स्तर को ऊंचा उठाते हैं।
  • उद्योगों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण कारक-
    • कच्चा माल
    • शक्ति साधन
    • श्रमिक
    • यातायात के साधन
    • मण्डियां
    • जल
    • जलवायु
    • पूंजी
    • सरकारी नीतियां
    • बैंक एवं बीमा सुविधाएं
  • उद्योगों का वर्गीकरण
    (A) आकार पर आधारित उद्योग

    • बड़े पैमाने वाले उद्योग
    • मध्यम पैमाने वाले उद्योग
    • छोटे पैमाने वाले उद्योग

(B) कच्चे माल पर आधारित उद्योग

(1) कच्चे माल के भार पर आधारित -भारी उद्योग, हल्के उद्योग
(2) कच्चे माल की किस्म या स्रोत के आधार पर –

  • कृषि आधारित उद्योग
  • खनिज पदार्थों पर आधारित उद्योग
  • जानवरों पर आधारित उद्योग
  • वनों पर आधारित उद्योग

(C) मलकीयत (स्वामित्व) के आधार पर-

  • निजी क्षेत्र के उद्योग
  • सरकारी क्षेत्र के उद्योग
  • सहकारी क्षेत्र -साझे क्षेत्र के उद्योग
  • बहु-देशीय कम्पनियां

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

मुख्य उद्योग और वर्गीकरण – उद्योग तो कई प्रकार के हैं परन्तु मुख्य उद्योगों में लौह-इस्पात उद्योग, कपड़ा उद्योग, ऑटोमोबाइल उद्योग, समुद्री जहाजों के उद्योग, वायुयान उद्योग, रेलवे इंजन और रेल के डिब्बे बनाने वाले उद्योग तथा इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग को शामिल किया जाता है। ये उद्योग संसार के भिन्न-भिन्न भागों में केन्द्रित हैं।

कृषि पर आधारित उद्योग – वस्त्र, चीनी, वनस्पति तेल आदि उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से मिलता है। इसलिए इन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

SST Guide for Class 8 PSEB जाति-प्रथा को चुनौती Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें:

प्रश्न 1.
ज्योतिबा फूले ने निम्न जाति के उद्धार के लिए कौन-से कार्य किये ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले महाराष्ट्र के एक महान् समाज-सुधारक थे। उन्होंने निम्न जातियों के लोगों के उद्धार के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये।

  • सर्वप्रथम उन्होंने अनुसूचित जाति की कन्याओं की शिक्षा के लिए पुणे में तीन स्कूल खोले। इन स्कूलों में ज्योतिबा फूले तथा उनकी पत्नी सावित्री बाई स्वयं पढ़ाते थे।
  • उन्होंने अपने भाषणों तथा अपनी दो पुस्तकों के माध्यम से ब्राह्मणों तथा पुरोहितों द्वारा अनुसूचित जातियों के लोगों के आर्थिक शोषण की निन्दा की।
  •  उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों को ब्राह्मणों तथा पुरोहितों के बिना ही विवाह की धार्मिक रीति सम्पन्न करने का परामर्श दिया।
  • ज्योतिबा फूले ने 24 सितम्बर, 1873 ई० को सत्यशोधक समाज नामक संस्था स्थापित की। इस संस्था ने अनुसूचित जातियों के लोगों की सामाजिक दासता की निन्दा की तथा उनके लिए सामाजिक न्याय की मांग की।
  • उन्होंने अनुसूचित जाति के निर्धन किसानों तथा काश्तकारों की दशा सुधारने के लिए सरकार से अपील की कि उनसे यथोचित भूमि कर लिया जाये। ज्योतिबा फूले ने अपना सारा जीवन अनुसूचित जाति की महिलाओं की दशा सुधारने के लिए व्यतीत किया। अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए किए गये अनेक कार्यों के लिए उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 2.
समाज सुधारकों ने जाति-प्रथा को ही क्यों निशाना बनाया ?
उत्तर-
जाति आधारित समाज में ब्राह्मणों का बहुत आदर-सत्कार किया जाता था, जबकि शूद्रों की दशा बहुत ही दयनीय थी। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। वे उच्च जाति के लोगों के साथ मेल-मिलाप नहीं रख सकते थे। उन्हें सार्वजनिक कुओं तथा तालाबों का प्रयोग करने की मनाही थी। न तो उन्हें मन्दिरों में जाने दिया जाता था और न ही उन्हें वेदों का पाठ करने की अनुमति थी। उन्हें अछूत समझा जाता था। यदि किसी व्यक्ति पर किसी शूद्र की परछाईं भी पड़ जाती थी, तो उसे (शुद्र को) अपनी जान से हाथ धोना पड़ता था। शूद्रों को झाड़ लगा कर सफ़ाई करने, मृत पशुओं को उठाने तथा उनकी खाल उतारने, जूते तथा चमड़ा बनाने जैसे काम करने के लिए विवश किया जाता था। इन लोगों को समाज के अत्याचारों से बचाने के लिए ही समाज-सुधारकों ने जाति-प्रथा को अपना निशाना बनाया।

प्रश्न 3.
महात्मा गांधी जी ने समाज से छुआछूत समाप्त करने के लिए क्या किया ?
उत्तर-
छुआछूत का अर्थ है–किसी व्यक्ति को छूना भी पाप समझना। समाज के एक बड़े वर्ग को, जिसमें मुख्यत: शूद्र शामिल थे. अछुत समझा जाता था। इन लोगों की दशा बहुत दयनीय थी। महात्मा गांधी ने छूतछात को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित पग उठाए

  • गांधी जी ने अछूतों को ईश्वर की संतान बताया और कहा कि उनके साथ समानता का व्यवहार किया जाये।
  • अछूतों की भलाई के लिए गांधी जी ने वर्धा से अपनी यात्रा आरम्भ की। वह जहां भी गए, उन्होंने वहां के लोगों को पिछड़े वर्गों के लिए स्कूल तथा मन्दिरों के द्वार खोल देने को कहा।
  • उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अछूतों को सड़कों, कुओं तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने से न रोका जाये।
  • उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान पिछड़े वर्गों के लोगों की भलाई के लिए फण्ड भी एकत्रित किया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

प्रश्न 4.
वीरसलिंगम को वर्तमान आन्ध्र प्रदेश के पैगम्बर क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
कन्दूकरी वीरसलिंगम आन्ध्र प्रदेश के एक महान् समाज-सुधारक थे। समाज-सुधारक होने के साथ-साथ वह एक महान् विद्वान् भी थे। उन्होंने प्राइमरी स्कूल में पढ़ते समय ही समाज में प्रचलित खोखले रीति-रिवाजों तथा धार्मिक विश्वासों की निन्दा की थी। जब वे स्कूल में अध्यापक थे, तब उन्होंने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष आरम्भ किया था। वे अन्तर्जातीय विवाहों के पक्ष में थे। उन्होंने जाति-प्रथा की कड़ी निन्दा की तथा अस्पृश्यता (छुआछूत) समाप्त करने के लिए प्रचार किया।

वीरसलिंगम एक प्रसिद्ध लेखक भी थे। उन्होंने अपने लेखों तथा नाटकों के माध्यम से जाति-प्रथा समाप्त करने के लिए प्रचार किया। वे पिछड़े वर्गों एवं निर्धन लोगों की सदा सहायता करते थे। उन्होंने बालकों एवं बालिकाओं की अति अल्प आयु में विवाह की प्रथा के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए अनेक यत्न किये।

वीरसलिंगम जीवन भर समाज-सेवा, समाज-सुधार तथा अनुसूचित जातियों के लोगों का उद्धार करने में जुटे रहे। इसीलिए उन्हें वर्तमान आन्ध्र प्रदेश राज्य का पैगम्बर कहा जाता है।

प्रश्न 5.
श्री नारायण गुरु ने निम्न जाति की भलाई के लिए क्या योगदान दिया ?
उत्तर-
श्री नारायण गुरु केरल राज्य के एक महान् समाज सुधारक थे। उनका जन्म 1856 ई० में करल में हुआ था। वह जीवन भर अनुसूचित जातियों, विशेषतया एजहेवज़ जाति के लोगों के उद्धार के लिए संघर्ष करते रहे। अन्य जातियों के लोग इस जाति के लोगों को ‘अछूत’ (अस्पृश्य) समझते थे। श्री नारायण गुरु जी इस अन्याय को सहन न कर सके। अत: उन्होंने एजहेवज़ जाति तथा अन्य निम्न जातियों के लोगों के उद्धार के लिए लम्बे समय तक संघर्ष किया। उन्होंने समाज-सुधार के लिए 1903 ई० में ‘श्री नारायण धर्म परिपालन योगम्’ की स्थापना की। उन्होंने जाति एवं धर्म के आधार पर किये जा रहे भेद-भाव का विरोध किया तथा निम्न जाति के लोगों को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए भरसक प्रयत्न किये।

प्रश्न 6.
महात्मा गांधी जी ने निम्न जाति के लोगों के लिए किस शब्द का प्रयोग किया तथा उसका भावार्थ क्या था ?
उत्तर-
महात्मा गांधी ने निम्न जाति के लोगों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किया जिसका भावार्थ है ‘परमात्मा के बच्चे।

प्रश्न 7.
महात्मा गांधी जी द्वारा निम्न जाति के लोगों का उद्धार करने के लिए किए गये कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
(1) महात्मा गांधी अस्पृश्यता को पाप मानते थे। 1920 ई० में महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया गया। इस आन्दोलन के कार्यक्रम की रूप-रेखा में समाज में अस्पृश्यता समाप्त करना भी सम्मिलित था। 1920 ई० में नागपुर में निम्न जातियों के लोगों का सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने अस्पृश्यता की निन्दा की। उन्होंने हिन्दू लोगों में अस्पृश्यता के प्रचलन को भारत का सबसे बड़ा अपराध बताया। परन्तु महात्मा गांधी को इस बात से बहुत कष्ट हुआ कि असहयोग आन्दोलन में कांग्रेस ने समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए आवश्यक प्रयत्न नहीं किये। इसी कारण ही निम्न जातियों के लोगों ने असहयोग आन्दोलन में कांग्रेस का साथ नहीं दिया था। वे हिन्दू-स्वराज की अपेक्षा ब्रिटिश शासन को ही अच्छा समझते थे।

(2) असहयोग आन्दोलन स्थगित हो जाने के पश्चात् महात्मा गांधी ने कांग्रेसी संस्थाओं को आदेश दिया कि वे अनुसूचित जातियों के लोगों के हित के लिए उन्हें संगठित करें और उनकी सामाजिक, मानसिक तथा नैतिक दशा सुधारने के लिए प्रयत्न करें। उन्हें वे सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए जो अन्य नागरिकों को प्राप्त हैं। – (3) 1921 ई० से 1923 ई० के बीच कांग्रेस द्वारा विकास कार्यक्रम पर खर्च की गई 49.5 लाख रुपये की राशि में से अनुसूचित जाति के लोगों के हित के लिए केवल 43,381 रुपये ही खर्च किये गये थे। भले ही अनुसूचित जाति के लोगों ने महात्मा गांधी द्वारा आरम्भ किये गये असहयोग आन्दोलन में भाग नहीं लिया था, फिर भी गान्धी जी ने उन लोगों की दशा सुधारने के लिए अनेकों प्रयत्न किये थे।

गांधी जी के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य-महात्मा गांधी जी द्वारा अछूतों के उद्धार के लिए किए गए कार्यों में से निम्नलिखित कार्य बहुत ही महत्त्वपूर्ण थे-

  • गांधी जी ने अछूतों को ईश्वर की संतान बताया और कहा कि उनके साथ समानता का व्यवहार किया जाये।
  • अछूतों की भलाई के लिए गांधी जी ने वर्धा से अपनी यात्रा आरम्भ की। वह जहां भी गए, उन्होंने वहां के लोगों को पिछड़े वर्गों के लिए स्कूलों तथा मन्दिरों के द्वार खोल देने को कहा।
  • उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अछूतों को सड़कों, कुओं तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने से न रोका जाये।
  • उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान पिछड़े वर्गों के लोगों की भलाई के लिए फण्ड भी एकत्रित किया।

कई स्थानों पर कुछ सनातनी हिन्दू लोगों ने गांधी जी के भाषणों का विरोध किया। पुणे में तो उन पर बम फेंकने का यत्न किया गया। परन्तु विरोधियों को सफलता नहीं मिली।

प्रश्न 8.
भारतीय समाज सुधारकों द्वारा निम्न जाति के लोगों का उद्धार करने के लिए की गई गतिविधियों के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक भारतीय समाज में अनेक बुराइयां थीं। इनमें सती _प्रथा, कन्या वध, जाति प्रथा, दहेज प्रथा, बाल विवाह तथा विधवाओं को पुनर्विवाह न करने जैसी आदि बुराइयां मुख्य थीं। भारतीय समाज सुधारकों ने भारतीय समाज की इन सामाजिक एवं धार्मिक बुराइयों को दूर करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। वास्तव में समाज-सुधारकों के प्रयत्नों के बिना समाज में प्रचलित बुराइयों को दूर करना बहुत ही कठिन था। उनके द्वारा बुराइयों को समाप्त करने के लिए किये गये प्रयत्नों के निम्नलिखित परिणाम निकले

1. सुधार आन्दोलन-बुराइयों को समाप्त करने के लिए समाज सुधारकों ने सुधार आन्दोलन चलाए। इनमें ब्रह्म समाज, आर्य समाज, नामधारी लहर, सिंह सभा, रामकृष्ण मिशन, अलीगढ़ आन्दोलन आदि ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन आन्दोलनों के प्रयत्नों से समाज में से सती-प्रथा, बहु-विवाह प्रथा, बाल-विवाह, पर्दा-प्रथा तथा कई अन्य बुराइयां कमज़ोर पड़ गईं।

2. कानूनी प्रयास- भारतीय समाज-सुधारकों द्वारा जोर देने पर ब्रिटिश सरकार ने सामाजिक-धार्मिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए कई कानून लागू किये-

  • 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने सती प्रथा को गैर-कानूनी (अवैधानिक) घोषित किया। उसने अपने शासन काल में कन्या-वध तथा नर-बलि के विरुद्ध भी कानून पारित किये।
  • 1891 ई० में बाल-विवाह प्रथा को अवैधानिक घोषित कर दिया गया।

3. राष्ट्रवाद की भावना का उदय-भारतीय समाज-सुधारकों के प्रयत्नों के फलस्वरूप भारत के लोगों में राष्ट्रवाद – की भावना उत्पन्न हुई जिससे नये भारत का निर्माण करना सम्भव हो सका।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. समाज चार वर्गों में बंटा हुआ था-ब्राह्मण, क्षत्रिय, ………… तथा शूद्र।
2. ज्योतिबा फूले को …………. की उपाधि से सम्मानित किया गया।
3. डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने …………ई० में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ इण्डिया की स्थापना की।
4. महात्मा गांधी ने निम्न जाति के लोगों के लिए हरिजन शब्द का प्रयोग किया जिसका अर्थ था ………..
उत्तर-

  1. वैश्य
  2. महात्मा
  3. 1936
  4. परमार के बच्चे।

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III. सही जोड़े बनाएं:

1. ज्योतिबा फूले – श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम
2. पेरियार रामास्वामी – आंध्र प्रदेश राज्य के पैग़म्बर
3. वीरसलिंगम – तमिलनाडु के महान् समाज सुधारक
4. श्री नारायण गुरु – सत्य शोधक समाज नामक संस्था।
उत्तर-

  1. ज्योतिबा फूले – सत्य शोधक समाज नामक संस्था।
  2. पेरियार रामास्वामी – तमिलनाडु के महान् समाज सुधारक
  3. वीरसलिंगम – आंध्र प्रदेश राज्य के पैग़म्बर
  4. श्री नारायण गुरु – श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम।

PSEB 8th Class Social Science Guide जाति-प्रथा को चुनौती Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
सत्यशोधक समाज के संस्थापक थे –
(i) वीरसलिंगम
(ii) ज्योतिबा फुले
(iii) श्री नारायण गुरु
(iv) महात्मा गाँधी।
उत्तर-
ज्योतिबा फूले

प्रश्न 2.
बाल विवाह की प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया गया –
(i) 1891 ई० में
(ii) 1829 ई० में
(iii) 1856 ई० में
(iv) 1875 ई० में।
उत्तर-
1891 ई० में

प्रश्न 3.
1936 ई० में ‘इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ इण्डिया’ की स्थापना की –
(i) ज्योतिबा फूले
(ii) वीरसलिंगम
(iii) डॉ० भीमराव अम्बेडकर
(iv) पेरियार रामास्वामी।
उत्तर-
डॉ० भीमराव अम्बेडकर

प्रश्न 4.
अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए ‘बैंकोम’ सत्याग्रह आरम्भ किया
(i) ज्योतिवा फूले
(ii) वीरसलिंगम
(iii) डॉ० भीमराव अम्बेडकर
(iv) पैरियार रामास्वामी।
उत्तर-
पैरियार रामास्वामी

प्रश्न 5.
‘श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम’ नामक संस्था की स्थापना की –
(i) श्री नारायण गुरु
(ii) श्री नारायण स्वामी
(iii) श्री चैतन्य नारायण
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
श्री नारायण गुरु।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन पर (✗) का निशान लगाएं :

1. महात्मा गांधी जी छुआ-छत को पाप समझते थे।
2. बहिकृत हितकारिणी सभा ने उच्च जातियों के हितों की रक्षा की।
3. वीर सलिंगम अंतर्जातीय विवाह के पक्ष में थे।
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗),
  3. (✓) .

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार समाज-सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर-
(1) ज्योतिबा फुले (2) वीरसलिंगम (3) श्री नारायण गुरु (4) महात्मा गांधी।

प्रश्न 2.
सती प्रथा को कब और किसने गैर-कानूनी घोषित किया ?
उत्तर-
सती प्रथा को 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने गैर-कानूनी घोषित किया।

प्रश्न 3.
ज्योतिबा फूले कौन था तथा उसने निम्न अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए पहला महत्त्वपूर्ण कार्य क्या किया ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले महाराष्ट्र के एक महान् समाज सुधारक थे। उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों के उद्धार के लिए अनेक कार्य किए। इस उद्देश्य से सबसे पहले, उन्होंने पुणे में तीन स्कूल खोले जहां निम्न जातियों की लड़कियों को शिक्षा दी जाती थी।

प्रश्न 4.
ज्योतिबा फूले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना कब की तथा इसके प्रथम प्रधान तथा सैक्रेटरी कौन-कौन थे ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना 24 सितम्बर, 1873 ई० को की। इसके पहले प्रधान स्वयं ज्योतिबा फूले तथा सैक्रेटरी नारायण राव, गोविंद राव कडालक थे।

प्रश्न 5.
श्री नारायण गुरु का जन्म कब, कहां तथा किस जाति में हुआ ?
उत्तर-
श्री नारायण गुरु का जन्म 1856 ई० में केरल राज्य में एज़हेवज़ जाति में हुआ।

प्रश्न 6.
पेरियार रामा स्वामी ने समाज से अछूत प्रथा समाप्त करने के लिए कौन-सा सत्याग्रह आरम्भ किया तथा इसमें कौन-से राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया?
उत्तर-
पेरियार रामा स्वामी ने समाज में अछूत प्रथा समाप्त करने के लिए वैकोम सत्याग्रह आरम्भ किया। इस सत्याग्रह में महात्मा गांधी, सी० राज गोपालाचार्य, विनोबा भावे आदि राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया।

प्रश्न 7.
डॉ० अम्बेदकर ने अनुसूचित जाति के लोगों की भलाई के लिए कौन-से दो संघों की स्थापना की तथा कौन-से समाचार-पत्र निकाले ?
उत्तर-
डॉ० अम्बेदकर ने अनुसूचित जाति के लोगों की भलाई के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा तथा समाज समत संघ की स्थापना की। उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत तथा जनता आदि समाचार-पत्र निकाले।

प्रश्न 8.
बाल-विवाह की प्रथा को कब गैर-कानूनी घोषित किया गया ?
उत्तर-
1891 ई० में।

प्रश्न 9.
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना 1936 ई० में डॉ० भीमराव अम्बेदकर ने की।

प्रश्न 10.
प्राचीन भारतीय समाज कौन-से चार वर्गों में बंटा हुआ था ? इस बंटवारे का आधार क्या था ?
उत्तर-
प्राचीन भारतीय समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र नामक चार वर्गों में बंटा हुआ था। इस बंटवारे का आधार काम-धन्धे थे।

प्रश्न 11.
जाति-प्रथा किस काल में कठोर हो गई और कैसे ?
उत्तर-
जाति-प्रथा राजपूत काल में कठोर हो गई, क्योंकि इस काल में चार मुख्य जातियों के अतिरिक्त और भी कई जातियां तथा उप-जातियां पैदा हो गईं।

प्रश्न 12.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार समाज-सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. ज्योतिबा फुले
  2. वीरसलिंगम
  3. श्री नारायण गुरु
  4. महात्मा गांधी।

प्रश्न 13.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी में भारतीय समाज में प्रचलित किन्हीं चार बुराइयों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. सती प्रथा
  2. बाल विवाह
  3. कन्या वध
  4. विधवाओं को पुनर्विवाह की मनाही।

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प्रश्न 14.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलनों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. ब्रह्म समाज
  2. आर्य समाज
  3. रामकृष्ण मिशन
  4. नामधारी लहर।

प्रश्न 15.
सती प्रथा को कब और किसने गैर-कानूनी घोषित किया ?
उत्तर-
सती प्रथा को 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने गैर-कानूनी घोषित किया।

प्रश्न 16.
बाल-विवाह की प्रथा को कब गैर-कानूनी घोषित किया गया ?
उत्तर-
1891 ई० में।

प्रश्न 17.
गांधी जी के असहयोग आन्दोलन में अनुसूचित जाति के लोगों ने हिस्सा क्यों नहीं लिया ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन में अनुसूचित जाति के लोगों ने इसलिए हिस्सा नहीं लिया क्योंकि तब तक कांग्रेस ने समाज से छुआछूत को समाप्त करने के लिए कोई ठोस पग नहीं उठाया था।

प्रश्न 18.
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना 1936 ई० में डॉ० भीमराव अम्बेदकर ने की।

प्रश्न 19.
डॉ० भीमराव अम्बेदकर द्वारा गठित दो राजनीतिक दलों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. लेबर पार्टी
  2. शैड्यूल कास्ट फेडरेशन।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पेरियार रामा स्वामी कौन थे ? उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों के हितों की रक्षा के लिए क्या किया ?
उत्तर-
पेरियार रामा स्वामी तमिलनाडु के महान् समाज-सुधारक थे। उनका जन्म 17 सितम्बर, 1879 ई० को चेन्नई (मद्रास) में हुआ था। उन्होंने अनुभव किया कि समाज में अनुसूचित जाति के लोगों को अछूत समझा जाता है। इसके अतिरिक्त इन लोगों को सामाजिक रीति-रिवाजों में भाग लेने, दूसरी जातियों के साथ मेल-मिलाप करने तथा शिक्षा प्राप्त करने की मनाही है। अतः उन्होंने इन लोगों के हितों की रक्षा के लिए द्रविड़ काज़गाम नामक संस्था स्थापित की।
इस संस्था ने अनुसूचित जाति के लोगों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण दिलाने के प्रयास किये। फलस्वरूप जिन जातियों के साथ भेद-भाव किया जाता था उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भारत के संविधान में प्रथम संशोधन किया गया। पेरियार रामा स्वामी ने अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए ‘वैकोम’ सत्याग्रह आरम्भ किया। इस प्रकार पेरियार रामा स्वामी ने तमिलनाडु में अनुसूचित जाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा की।

प्रश्न 2.
भारतीय नारी की दशा सुधारने के लिए आधुनिक सुधारकों द्वारा किए गए कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर-

  1. सती प्रथा का अन्त-सती प्रथा स्त्री जाति के उत्थान में बहुत बड़ी बाधा थी। आधुनिक समाजसुधारकों के अथक प्रयत्नों से इस अमानवीय प्रथा का अन्त हो गया।
  2. विधवा विवाह की आज्ञा-समाज में विधवाओं की दशा बड़ी खराब थी। उन्हें पुनः विवाह करने की आज्ञा नहीं थी। इस कारण कई विधवाएं पथ-भ्रष्ट हो जाती थीं। आधुनिक समाज-सुधारकों के प्रयत्नों से उन्हें दोबारा विवाह करने की आज्ञा मिल गई।
  3. पर्दा-प्रथा का विरोध आधुनिक सुधारकों का विश्वास था कि पर्दे में रहकर नारी कभी उन्नति नहीं कर सकती। इसलिए उन्होंने स्त्रियों को पर्दा न करने के लिए प्रेरित किया। .
  4. स्त्री-शिक्षा पर बल-स्त्रियों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए समाज सुधारकों ने स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल दिया। स्त्रियों की शिक्षा के लिए अनेक स्कूल भी खोले गए।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
डॉ० बी० आर० अम्बेदकर द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए की गई गतिविधियों के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर-
डॉ० भीमराव अम्बेदकर को अनुसूचित जातियों का मसीहा कहा जाता है। उन्होंने समाज तथा सरकार से अनुसूचित जातियों के लोगों के साथ न्याय करने की मांग की। इन लोगों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने सत्याग्रह तथा प्रदर्शन किए। इस दिशा में उनके योगदान का वर्णन इस प्रकार है

  • 1918 ई० में अम्बेदकर जी ने साऊथबोरो रिफ़ार्ज़ कमेटी से मांग की कि अनुसूचित जातियों के लोगों के लिए सभी प्रान्तों की विधान परिषदों तथा केन्द्रीय विधान परिषद् में उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें संरक्षित की जायें। इसके अतिरिक्त उनके लिए अलग से चुनाव क्षेत्र निश्चित किये जाएं, परन्तु कमेटो ने यह मांग नहीं मानी।
  • 1931 ई० की गोलमेज़ काफ्रेंस में अम्बेदकर जी ने अनुसूचित जाति के लोगों को राजनीतिक अधिकार देने की सिफ़ारिश की। इस सिफ़ारिश को काफ़ी सीमा तक 16 अगस्त, 1932 ई० को ब्रिटिश प्रधानमन्त्री द्वारा तैयार किए गए ‘कम्युनल अवार्ड’ में शामिल कर लिया गया।
  • अनुसूचित जाति के लोगों के सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकारों के लिए नागपुर, कोल्हापुर आदि स्थानों पर सम्मेलन हुए। डॉ० साहिब ने इन सम्मेलनों में भाग लिया।
  • उन्होंने इन जातियों के लोगों के उद्धार से सम्बन्धित प्रचार करने के लिए ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ तथा ‘समाज संमत संघ’ की स्थापना की। इस उद्देश्य से उन्होंने ‘मूक नायक’, ‘बहिष्कृत भारत’, ‘जनता’ आदि समाचारपत्र प्रकाशित करने भी आरम्भ किये।
  • उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों को दूसरी जातियों के लोगों के समान सार्वजनिक कुओं से पानी भरने तथा मन्दिरों में प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह आरंभ किया।
  • बम्बई (मुम्बई) लेजिस्लेटिव असेम्बली का सदस्य होने के नाते उन्होंने 1926 ई० से लेकर 1934 ई० तक किसानों, मज़दूरों तथा अन्य निर्धन लोगों के उद्धार के लिए कई बिल प्रस्तुत किये जो रूढ़िवादी सदस्यों के विरोध के कारण पास नहीं हो सके।
  • अक्तूबर, 1936 ई० में उन्होंने इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की जिसने 1937 ई० में प्रेज़िडेंसी की लेजिस्लेटिव असेम्बली के लिए हुए चुनाव में अनुसूचित जातियों के लिए संरक्षित सीटों पर जीत प्राप्त की।
  • अम्बेदकर जी ने ‘लेबर पार्टी’ तथा ‘शेड्यूल्ड कॉस्ट फेडरेशन’ नामक राजनीतिक दलों का संगठन किया। उनके प्रबल अनुरोध के फलस्वरूप भारत के संविधान में अनुसूचित जातियों तथा कबीलों के लोगों को विशेष सुविधाएं देने की व्यवस्था की गयी।
  • उनके प्रयत्नों के कारण सरकार ने अस्पृश्यता (छूआछात) को गैर-कानूनी (अवैधानिक) घोषित कर दिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

SST Guide for Class 8 PSEB न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Textbook Questions and Answers

I. खाली स्थान भरो:

1. ………… पहली सूचना रिपोर्ट को कहते हैं।
2. भारत की सबसे बड़ी अदालत …………. है।
3. सरकार के मुख्य अंग ………… हैं।
4. सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) का जज (न्यायाधीश) …………. साल और हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) का न्यायाधीश …………. साल तक अपने पद पर बने रहते हैं।
5. पी०आई०एल० से तात्पर्य ………… है।
6. फ़ौजदारी मुकद्दमा धारा …………. अधीन दर्ज किया जाता है।
उत्तर-

  1. FIR
  2. सर्वोच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट
  3. विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका
  4. 65, 62
  5. जनहित मुकद्दमें
  6. 134.

II. निम्नलिखित वाक्यों में सही (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ :

1. न्यायपालिका को संविधान की रक्षक कहा जाता है। – (✓)
2. भारत में दोहरी न्याय प्रणाली लागू है। – (✗)
3. जिला अदालत के विरुद्ध उच्च अदालत में अपील नहीं हो सकती है। – (✗)
4. न्यायाधीश की नियुक्ति प्रधानमन्त्री द्वारा की जाती है। – (✗)
5. ज़मीन-जायदाद से सम्बन्धित झगड़े फ़ौजदारी झगड़े होते हैं। – (✗)

III. बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
सर्वोच्च अदालत को विशेष अधिकार संविधान की किस धारा के अनुसार दिए गए हैं ?
(क) धारा-134
(ख) धारा-135
(ग) धारा-136
(घ) धारा-137
उत्तर-
(ग) धारा-136

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

प्रश्न 2.
उच्च अदालतों का गठन कैसे किया जाता है ?
(क) जिला स्तर
(ख) तहसील स्तर
(ग) राज्य स्तर
(घ) गांव स्तर।
उत्तर-
राज्य स्तर

प्रश्न 3.
जनहित मुकद्दमें किस प्रकार दर्ज हो सकते हैं ?
(क) निजी हितों की रक्षा हेतु
(ख) सरकारी हितों की रक्षा हेतु
(ग) जनतक हितों की रक्षा हेतु
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
जनता के हितों की रक्षा के लिए।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

IV. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
न्यायपालिका किस को कहते हैं ?
उत्तर-
न्यायपालिका सरकार का वह अंग है जो न्याय करती है। यह संविधान तथा मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है और कानून का उल्लंघन करने वालों को दण्ड देती है।

प्रश्न 2.
भारत की सबसे बड़ी अदालत कौन-सी है और यह कहां पर स्थित है ?
उत्तर-
भारत की सबसे बड़ी अदालत को सर्वोच्च न्यायालय कहते हैं। भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 3.
मुख्य मुकद्दमें कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
मुख्य मुकद्दमें दो प्रकार के होते हैं-सिविल मुकद्दमें तथा फ़ौजदारी मुकद्दमें। सिविल मुकद्दमों में मौलिक अधिकार, विवाह, तलाक, सम्पत्ति, ज़मीनी झगड़े आदि शामिल हैं। फ़ौजदारी मुकद्दमों का सम्बन्ध मारपीट, लड़ाईझगड़ों तथा गाली-गलोच आदि से है।

प्रश्न 4.
सिविल (दीवानी) मुकद्दमा क्या है ?
उत्तर-
सिविल मुकद्दमें आम लोगों से सम्बन्धित होते हैं। इन विवादों में नागरिकों के मौलिक अधिकार, विवाह, तलाक, बलात्कार, सम्पत्ति तथा भूमि सम्बन्धी झगड़े आदि आते हैं। इनका सम्बन्ध निजी जीवन से होता है। इनमें दीवानी मुकद्दमें भी शामिल हैं।

प्रश्न 5.
सरकारी वकील कौन होते हैं ?
उत्तर-
जो वकील सरकार की ओर से मुकद्दमा लड़ते हैं, उन्हें सरकारी वकील कहा जाता है।

प्रश्न 6.
जनहित मुकद्दमा (PIL) क्या है ?
उत्तर-
जन-हित-मुकद्दमा सरकार के किसी विभाग या अधिकारी या संस्था के विरुद्ध दायर किया जाता है। ऐसे मुकद्दमें का सम्बन्ध सार्वजनिक हित से होना अनिवार्य है। किसी के निजी हितों की रक्षा के लिए जन-हित-मुकद्दमेबाज़ी की शरण नहीं ली जा सकती। ऐसे केसों की पैरवी सरकारी वकीलों द्वारा ही की जाती है।

प्रश्न 7.
एफ० आई० आर० (प्रथम सूचना शिकायत) क्या है ?
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ है-किसी तरह की दुर्घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को सूचित करना। यह सूचना समीप के पुलिस केन्द्र को देनी होती है।

V. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
न्यायपालिका का महत्त्व वर्णन करें।
उत्तर-
न्यायपालिका सरकार का वह अंग है जो न्याय करता है। लोकतन्त्रीय सरकार में न्यायपालिका का विशेष महत्त्व है क्योंकि इसे ‘संविधान की रक्षक’, लोकतन्त्र की पहरेदार और अधिकारों एवं स्वतन्त्रताओं की समर्थक माना गया है। संघीय प्रणाली में न्यायपालिका की महत्ता और भी अधिक है क्योंकि संघीय प्रणाली में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मध्य होने वाले झगड़ों का निपटारा करने, संविधान की रक्षा करने तथा इसकी निरपेक्ष व्याख्या करने के लिए न्यायपालिका को विशेष भूमिका निभानी पड़ती है। किसी सरकार की श्रेष्ठता को परखने के लिए उसकी न्यायपालिका की निपुणता सबसे बड़ी कसौटी है।

प्रश्न 2.
भारत में न्यायपालिका के विशेष अधिकार लिखें।
उत्तर-
न्याययिक पुनर्निरीक्षण न्यायपालिका का विशेष अधिकार है। इसके अनुसार न्यायपालिका यह देखती है कि विधानपालिका द्वारा पारित किया गया कोई कानून या कार्यपालिका द्वारा जारी कोई अध्यादेश संविधान के विरुद्ध तो नहीं है। यदि न्यायपालिका को महसूस हो कि यह संविधान के विरुद्ध है , तो वह उसे (कानून या अध्यादेश को) रद्द कर सकती है। अपने इसी अधिकार के कारण ही न्यायापालिका संविधान की संरक्षक कहलाती है।

प्रश्न 3.
भारत की एकल न्यायिक प्रणाली के बारे में लिखो।
उत्तर-
भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। सर्वोच्च न्यायालय भारत का सबसे बड़ा न्यायालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। प्रांतों के अपने-अपने न्यायालय हैं जिन्हें हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) कहा जाता है। जिला स्तर पर सत्र न्यायालय कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त तहसील स्तर पर उपमण्डल मैजिस्ट्रेट है। स्थानीय स्तर पर न्याय का कार्य पंचायतें तथा न्यायपालिका-निगमें करती हैं। सभी न्यायालय क्रमवार सर्वोच्च न्यायालय के अधीन हैं। यदि कोई निम्न अदालत के न्याय से प्रसन्न नहीं है तो वह उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।

प्रश्न 4.
फ़ौजदारी मुकद्दमें कौन-से होते हैं ? सिविल तथा फ़ौजदारी मुकद्दमों में अन्तर लिखें।
उत्तर-
फ़ौजदारी मुकद्दमों में मारपीट, लड़ाई-झगड़े, गाली-गलोच आदि के मुकद्दमें शामिल हैं। किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि पहुंचाने के मामले फ़ौजदारी मुकद्दमों में आते हैं। उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति किसी की भूमि पर अनुचित अधिकार कर लेता है तो वह दीवानी मुकद्दमें का विषय है। परन्तु जब दोनों पक्षों में लड़ाई-झगड़ा या मारपीट होती है और एक-दूसरे की शारीरिक हानि होती है, तो यह मुकद्दमा दीवानी के साथ-साथ फ़ौजदारी भी बन जाता है। इरादा-ए-कत्ल (Intention to Murder) या हत्या करने की भावना भी फ़ौजदारी मुकद्दमें में शामिल है। जब किसी पर धारा 134 के अन्तर्गत फ़ौजदारी मुकद्दमा चलाया जाता है, तो उसे मृत्युदण्ड भी दिया जा सकता है।

इसके विपरीत सिविल मुकद्दमें प्रायः मौलिक अधिकारों, विवाह, तलाक, बलात्कार, ज़मीनी झगड़ों आदि से सम्बन्ध रखते हैं। इस प्रकार इनका सम्बन्ध व्यक्ति के निजी जीवन से होता है।

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प्रश्न 5.
एफ० आई० आर० (प्राथमिक सूचना रिपोर्ट) कहां दर्ज हो सकती है ? एफ० आई० आर० दर्ज न होने पर अदालत की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ है पुलिस को किसी दुर्घटना की प्रथम सूचना देना। यह शिकायत समीप के पुलिस केन्द्र में दर्ज कराई जा सकती है। किसी भी पुलिस केन्द्र की पुलिस यह सूचना दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकती। फिर भी यदि किसी नागरिक की एफ० आई० आर० किसी पुलिस केन्द्र में दर्ज नहीं हो पाती, तो वह किसी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का सहारा ले सकता है।

संविधान के अनुसार कोई भी अदालत पुलिस को एफ० आई० आर० दर्ज करने का निर्देश दे सकती है। इसके अतिरिक्त न्यायालय स्वयं भी एफ० आई० आर० दर्ज करके पुलिस को पैरवी करने का निर्देश दे सकता है। सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के पास ऐसे विशेष अधिकार हैं। परन्तु आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जबकि किसी पुलिस अधिकारी ने किसी घटना या दुर्घटना की एफ० आई० आर० दर्ज करने से इन्कार किया हो। यदि ऐसा हो तो देश की अदालतों को इस सम्बन्ध में भी विशेष अधिकार प्राप्त हैं।

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PSEB 8th Class Social Science Guide न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय – प्रांत का न्यायालय.
2. उच्च न्यायालय – सम्पति तथा ज़मीनी झगड़े
3. फौजदारी मुकद्दमे – दिल्ली
4. दीवानी मुकद्दमे – मारपीट, लड़ाई-झगड़े।
उत्तर-

  1. दिल्ली
  2. प्रांत का न्यायालय
  3. सम्पत्ति तथा ज़मीनी झगड़े
  4. मारपीट, लड़ाई-झगड़े।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल बताओ।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।

प्रश्न 2.
संविधान की धारा 136 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को क्या विशेष अधिकार प्राप्त है ?
उत्तर-
संविधान की धारा 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मुकद्दमें में निम्न न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।

प्रश्न 3.
‘विशेष अदालत कानून’ (Special Courts Act) क्या है ?
उत्तर-
विशेष अदालत कानून के अनुसार विशेष अदालतों के निर्णयों के विरुद्ध अपील केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही की जा सकती है। यह अपील विशेष अदालत द्वारा निर्णय दिए जाने के पश्चात् 30 दिन के अन्दर की जानी आवश्यक है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत के सभी न्यायालय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। देश का सबसे बड़ा न्यायालय ‘सर्वोच्च न्यायालय’ भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। प्रान्तों (राज्यों) के अपने-अपने ‘उच्च न्यायालय’ हैं। जिला स्तर पर सेशन (सत्र) न्यायालय हैं। इसके अतिरिक्त तहसील स्तर पर उपमण्डल अधिकारी (सिविल) हैं। स्थानीय स्तर पर लोगों को न्याय उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं तथा नगर-परिषदों आदि का गठन किया गया है। सबसे बड़े न्यायालय ‘सर्वोच्च न्यायालय’ के अधीन उच्च-न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधीन जिला न्यायालय हैं। इसी प्रकार तहसील स्तर के न्यायालय जिला न्यायालयों के अधीन हैं।
इससे स्पष्ट है कि भारत में एकल (इकहरी) न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 2.
भारत में न्यायपालिका को किस प्रकार स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं

  1. न्यायपालिका को विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है ताकि किसी मुकद्दमें का निर्णय करते समय उस पर किसी दल या सरकार का नियन्त्रण न हो।
  2. न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने का ढंग भी आसान नहीं है।
  4. न्यायाधीशों का वेतन भी अधिक है। इसे उनके कार्यकाल में कम नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
एफ० आई० आर० (F.I.R.) अथवा प्राथमिक सूचना शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई व्यक्ति क्या-क्या प्रयास कर सकता है ?
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ किसी भी दुर्घटना की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराने से है। यह रिपोर्ट समीप के पुलिस केन्द्र में दर्ज कराई जा सकती है। नियम के अनुसार किसी भी पुलिस केन्द्र की पुलिस एफ० आई० आर० दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकती। यदि किसी पुलिस केन्द्र की पुलिस यह सूचना दर्ज नहीं करती, तो उस पुलिस केन्द्र के एस० एच० ओ० (थानेदार) तक पहुंच की जा सकती है। यदि थानेदार भी उस प्रथम सूचना शिकायत को दर्ज करने से इन्कार करता है तो उप-पुलिस अधीक्षक से मिला जा सकता है। यदि वह भी प्रथम शिकायत सूचना दर्ज नहीं . करवाता, तो जिले के पुलिस अधीक्षक के पास जाया जा सकता है। यदि पुलिस अधीक्षक भी प्रथम शिकायत सूचना दर्ज करने में आनाकानी-करता है तो एफ० आई० आर० देश के किसी भी पुलिस केन्द्र में दर्ज करवाई जा सकती है।

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प्रश्न 4.
भारत में न्यायपालिका को किस प्रकार स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-

  1. न्यायपालिका को विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है ताकि किसी मुकद्दमें का निर्णय करते समय उस पर किसी दल या सरकार का नियन्त्रण न हो।
  2. न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने का ढंग भी आसान नहीं है।
  4. न्यायाधीशों का वेतन भी अधिक है। इसे उनके कार्यकाल में कम नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
सरकारी वकील की भूमिका स्पष्ट करें।
उत्तर-
सरकारी वकील वे वकील होते हैं जो सरकार के पक्ष में मुकद्दमा लड़ते हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के मुकद्दमें लड़ने के लिए भिन्न-भिन्न सरकारी वकील होते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि सरकार और सरकारी कर्मचारियों के मध्य होने वाले मुकद्दमें, सरकारी सम्पत्ति के केस, फ़ौजदारी मुकद्दमें और सिविल मुकद्दमें लड़ने के लिए अलग अलग सरकारी वकील होते हैं। इन सब मुकद्दमों में सरकारी वकीलों को सरकार के पक्ष में लड़ना होता है और हर मुकद्दमें में सरकार का बचाव करना होता है।

प्रश्न 6.
सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, सत्र न्यायालय तथा तहसील स्तर के न्यायालय कहां-कहां स्थित होते हैं ? गांव स्तर के न्यायालय के बारे में भी बताओ।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में, उच्च न्यायालय प्रान्तों में तथा सत्र न्यायालय जिलों में स्थित होते हैं। तहसील स्तर के न्यायालय सत्र न्यायालय के अधीन होते हैं। गांव स्तर पर लोगों को न्याय दिलवाने के लिए ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है। परन्तु ग्राम पंचायतों के अधिकार अधिक विस्तृत नहीं हैं। ये छोटे-मोटे झगड़ों का ही निपटारा करती हैं। इन्हें किसी अपराधी को कारावास का दण्ड देने का अधिकार नहीं है। ये अपराधी को प्रायः जुर्माना ही करती हैं।

प्रश्न 7.
मुकद्दमा निम्न न्यायालय से उच्च न्यायालय में लाने की प्रक्रिया के सम्बन्ध में अपने विचार लिखो।
उत्तर-
भारतीय संविधान में नागरिकों को न्याय दिलाने की व्यवस्था की गई है। यदि किसी केस (विवाद) में ऐसा प्रतीत हो कि न्याय ठीक नहीं हुआ है, तो कोई भी नागरिक उच्च स्तर के न्यायालय की शरण ले सकता है। जिला न्यायालयों के विरुद्ध ‘उच्च-न्यायालय’ में अपील की जा सकती है और उच्च-न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को मानने के लिए उच्च न्यायालय प्रतिबद्ध हैं। इसी प्रकार उच्च-न्यायालयों के निर्णयों को मानने के लिए जिला न्यायालय प्रतिबद्ध हैं।

प्रश्न 8.
न्यायाधीशों की नियुक्ति koun करता है।
उत्तर-न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्यत: राष्ट्रपति करता है। वह पहले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करता है, फिर वह उसकी सलाह से सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करते समय वह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ सम्बन्धित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्यपाल की सलाह लेता है।
जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। इसमें वह उच्च न्यायालय की सलाह लेता है।

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प्रश्न 9.
सर्वोच्च न्यायालय का अपीली क्षेत्र लिखो।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय का अपीलीय अधिकार क्षेत्र अपीलें सुनने से सम्बन्ध रखता है। यह उच्च न्यायालयों द्वारा किए गए निर्णय के विरुद्ध अपीलें सुनता है। ये अपीलें तीन प्रकार की हो सकती हैं-संविधान सम्बन्धी, दीवानी तथा फ़ौजदारी।

1. संविधान सम्बन्धी अपीलें-

  • यदि किसी राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा दीवानी, फ़ौजदारी या किसी अन्य मुकद्दमे के बारे में यह प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाये कि मुकद्दमे में और अधिक संवैधानिक व्याख्या की ज़रूरत है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
  • यदि उच्च न्यायालय प्रमाण-पत्र न भी जारी करे तो सर्वोच्च न्यायालय स्वयं ऐसी स्वीकृति देकर मुकद्दमे की सुनवाई कर सकता है।

2. दीवानी अपीलें-

  • यदि उच्च न्यायालय द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मुकद्दमे में साधारण महत्त्व का कोई कानूनी प्रश्न है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
  • कुछ विशेष मुकद्दमों में सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना भी उसके निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।

3. फ़ौजदारी अपीलें सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित स्थितियों में उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध फ़ौजदारी अपील में सुन सकता है

  • कोई भी ऐसा मुकद्दमा जिसमें निम्न न्यायालयों ने किसी व्यक्ति को दोषमुक्त कर दिया हो, परन्तु उच्च न्यायालय ने उसे मृत्युदण्ड दे दिया हो।
  • यदि उच्च न्यायालय ने निम्न न्यायालय में चल रहे मुकद्दमे को सीधा अपने पास मंगवा लिया हो और दोषी को मृत्यु दण्ड दे दिया हो।
  • यदि उच्च न्यायालय यह प्रमाणित करे कि मुकद्दमा अपील के योग्य है।

इसके अतिरिक्त धारा 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मुकद्दमें में निम्न न्यायालयों द्वारा दिये गए निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।