PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

PSEB 8th Class Agriculture Guide भूमि एवम् भूमि सुधार Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
कृषि की दृष्टि से भूमि का pH कितना होना चाहिए?
उत्तर-
6.5 से
8.7 तक pH होना चाहिए।

प्रश्न 2.
भूमि के दो मुख्य भौतिक गुण बताएँ।
उत्तर-
कणों का आकार, भूमि घनत्व, कणों के मध्य खाली जगह, पानी रोकने की ताकत और पानी विलय करने की ताकत आदि।

प्रश्न 3.
किस भूमि में पानी लगाने के फौरन बाद ही विलय हो जाता है?
उत्तर-
रेतली भूमि।

प्रश्न 4.
चिकनी मिट्टी में चिकने कणों की मात्रा बताएँ।
उत्तर-
कम-से-कम 40% चिकने कण होते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 5.
क्षारीय एवं अम्लीय को मापने का पैमाना बतलाएँ।
उत्तर-
क्षारीय और तेज़ाबीपन (अम्लीयता) को मापने का पैमाना pH है।

प्रश्न 6.
लवणी भूमि में किन लवणों की प्रचुरता (अधिकता) होती है ?
उत्तर-
इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों की अधिकता होती है।

प्रश्न 7.
जिस भूमि में सोडियम के कार्बोनेट व बाइकार्बोनेट अत्यधिक मात्रा में हो, उस भूमि को किस श्रेणी में रखा जाता है ?
उत्तर-
क्षारीय भूमि।

प्रश्न 8.
हरी खाद के लिए दो फसलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
सन अथवा लैंचा, जंतर।

प्रश्न 9.
चिकनी धरती किस फसल के लिए श्रेष्ठ है?
उत्तर-
धान की बुवाई के लिए।

प्रश्न 10.
क्षारीय धरती के सुधार के लिए कौन-सा पदार्थ प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
जिप्सम।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भू-विज्ञान के अनुसार मिट्टी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार भूमि प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव के अधीन प्राकृतिक मादे से पैदा हुई एक प्राकृतिक वस्तु है।

प्रश्न 2.
भूमि के प्रमुख भौतिक गुण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
कणों के आकार, भूमि घनत्व, कणों के मध्य खाली स्थान, पानी संजोए रखने की ताकत और पानी विलय करने की ताकत आदि।

प्रश्न 3.
चिकनी व रेतली मिट्टी की तुलना करें।
उत्तर-

रेतीली मिट्टी चिकनी मिट्टी
(1) उंगलियों में मिट्टी को रगड़ने से कणों का आकार खटकता है। (1) कण बहुत बारीक होते हैं।
(2) पानी बहुत जल्दी अवशोषित हो जाता है। (2) पानी बहुत देर तक खड़ा रहता है।
(3) दो कणों के मध्य खाली स्थान होता है। (3) दो कणों के मध्य खाली स्थान कम ज़्यादा होता है।

 

प्रश्न 4.
अम्लीय भूमि होने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
जिन भूमियों में तेज़ाबी (अम्लीय) मादा ज़्यादा होता है उनको अम्लीय भूमि कहते हैं। इन भूमियों में ज्यादा बारिश होने के कारण क्षारीय लवण बह जाते हैं और पौधों आदि के पत्तों के गलने-सड़ने से तेज़ाबी मादा पैदा होता है।

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प्रश्न 5.
कल्लर वाली भूमि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जिस भूमि में लवण की मात्रा बढ़ जाती है उनको कल्लर वाली भूमि कहते हैं। यह तीन तरह की होती है–लवणीय, क्षारीय और लवणीय-क्षारीय।

प्रश्न 6.
सेम वाली भूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उन भूमियों को जिन भूमियों के नीचे पानी का स्तर शून्य से लेकर 1.5 मीटर नीचे ही मिल जाए, उसको सेम वाली भूमि कहते हैं।

प्रश्न 7.
लवणीय भूमि का सुधार कैसे किया जा सकता है?
उत्तर-

  1. जिंदरा या ट्रैक्टर वाले कराहे के साथ भूमि की ऊपर वाली सतह खुरच कर किसी अन्य स्थान पर गहरे गड्ढे में दबा देनी चाहिए।
  2. भूमि को पानी के साथ भर कर इसमें हल चला दिया जाता है और फिर पानी बाहर निकाल दिया जाता है। इसके साथ लवण पानी में घुल कर बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 8.
कल्लर भूमि को सुधारने के लिए अभीष्ट जानकारी दें।
उत्तर–
कल्लर भूमि को सुधारने के लिए कुछ जानकारी प्राप्त करनी ज़रूरी है, जैसे—

  1. भूमि के नीचे पानी की सतह।
  2. पानी की सिंचाई के लिए योग्यता किस तरह की है।
  3. नहर का पानी उपलब्ध है या नहीं।
  4. धरती में कंकर या अन्य सख्त परतें हैं या नहीं।
  5. ज्यादा पानी निकालने के लिए खालों का योग्य प्रबंध है कि नहीं।
  6. कल्लर की कौन-सी किस्म है।

प्रश्न 9.
मैरा भूमि के प्रमुख गुण बताएँ।
उत्तर-
मैरा भूमि के गुण रेतीले और चिकनी भूमियों के बीच में होते हैं। हाथों में डालने पर इसके कण पाउडर की तरह फिसलते हैं।

प्रश्न 10.
लवणीय क्षारीय भूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इन भूमियों में क्षारत्व और लवणों की मात्रा ज्यादा होती है। इनमें चिकने कणों के साथ जुड़ा सोडियम ज्यादा मात्रा में होता है और भूमि में अच्छे लवण भी बहुत ज़्यादा मात्रा में होते हैं।

(इ) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
रेतीली भूमि (धरती) के सुधार के लिए समुचित प्रबंध का वर्णन करें।
उत्तर-
रेतीली भूमियों के सुधार के लिए योग्य प्रबंध निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरी खाद को फूल पड़ने से पहले या दो महीने की फ़सल को ज़मीन में दबा दें। हरी खाद के लिए सन या ढेंचे की बुवाई की जा सकती है।
  2. अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी को प्रयोग कर खेत में जुताई के द्वारा खेत में मिला देना चाहिए।
  3. मुर्गियों की खाद, सूअर की खाद, कंपोस्ट खाद आदि के प्रयोग से भी सुधारा जा सकता है।
  4. मई-जून के महीने में खेतों को खाली नहीं रखना चाहिए। कोई न कोई फसल बोकर रखें ताकि इनके जीवांश मादे को बचाया जा सके।
  5. फ़ली वाली फसलों की कृषि करनी चाहिए।
  6. सिंचाई के लिए छोटी क्यारियां बनाओ।
  7. ऊपर वाली रेतीली सतह को कराहे के साथ एक तरफ कर दो और नीचे की अच्छी मैरा मिट्टी की सतह का इस्तेमाल करें।
  8. तालाबों की चिकनी मिट्टी भी खेतों में डालकर लाभ मिलता है।

प्रश्न 2.
कणों के आकार के अनुपात भूमि के तीन प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
कणों के आकार के अनुपात अनुसार भूमि की तीन श्रेणियां हैं—
1. रेतीली भूमि
2. चिकनी भूमि
3. मैरा (दोमट) भूमि।।

  1. रेतीली भूमि-गीली मिट्टी का लड्डू बनाते तुरन्त ही टूट जाता है। इसके कण उंगलियों में रख कर महसूस किए जा सकते हैं। सिंचाई का पानी लगाते ही सोख लिया जाता है। इसके कणों में मध्य खाली स्थान अधिक होता है। इस मिट्टी की जुताई आसान है तथा इसको हल्की भूमि कहा जाता है। इसमें हवा तथा पानी का आवागमन सरल है।
  2. चिकनी भूमि-गीली मिट्टी का लड्डू सरलता से बन जाता है तथा टूटता नहीं है। इसके कणों का आकार रेत के कणों की तुलना में बहुत कम होता है। इसमें कम-सेकम 40% चिकने कण होते हैं। इसमें कई दिनों तक पानी रुका रहता है। जब नमी कम हो जाती है तो जुताई के समय मिट्टी ढीम बनके निकलती है। सूख जाने पर इसमें दरारें पड़ जाती हैं। भूमि जैसे फट जाती है। इनमें पानी रखने की शक्ति रेतीली भूमि से कहीं अधिक होती है।
  3. मैरा (दोमट) भूमि-यह भूमि रेतीली से चिकनी भूमि के बीच होती है। इसके कणों का आकार भी चिकनी तथा रेतीली भूमियों के कणों के मध्य होता है। इनमें रोगों की संरचना हवा तथा पानी का संचालन, पानी सम्भाल समर्था आहारीय तत्त्व की मात्रा आदि गुण अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए उपयुक्त तथा उपजाऊ हैं। इस भूमि को कृषि के लिए उत्तम माना गया है। इसके कण हाथों में पाऊडर जैसे फिसलते हैं।

प्रश्न 3.
एक आँकड़ा आकृति के द्वारा भूमि के मुख्य भाग दर्शाएं।
उत्तर-
भूमि एक मिश्रण है जिसमें खनिज पदार्थ, जैविक पदार्थ, पानी तथा हवा होती है। इनकी मात्रा को नीचे दिए गए चित्र के अनुसार दर्शाया गया है। हवा तथा पानी की मात्रा आपस में कम अधिक हो सकती है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार 1
चित्र-भूमि के मुख्य भाग

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प्रश्न 4.
रेतीली धरती के सुधार का उपाय विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
उत्तर-
रेतीली भूमियों के सुधार के लिए योग्य प्रबंध निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरी खाद को फूल पड़ने से पहले या दो महीने की फ़सल को ज़मीन में दबा दें। हरी खाद के लिए सन या ढेंचे की बुवाई की जा सकती है।
  2. अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी को प्रयोग कर खेत में जुताई के द्वारा खेत में मिला देना चाहिए।
  3. मुर्गियों की खाद, सूअर की खाद, कंपोस्ट खाद आदि के प्रयोग से भी सुधारा जा सकता है।
  4. मई-जून के महीने में खेतों को खाली नहीं रखना चाहिए। कोई न कोई फसल बोकर रखें ताकि इनके जीवांश मादे को बचाया जा सके।
  5. फ़ली वाली फसलों की कृषि करनी चाहिए।
  6. सिंचाई के लिए छोटी क्यारियां बनाओ।
  7. ऊपर वाली रेतीली सतह को कराहे के साथ एक तरफ कर दो और नीचे अच्छी मैरा मिट्टी की सतह का इस्तेमाल करें।
  8. तालाबों की चिकनी मिट्टी भी खेतों में डालकर लाभ मिलता है।

प्रश्न 5.
सेम वाली धरती में फसलों की प्रमुख समस्याएँ एवम् सेम की धरती को सधारने की विधि बतलाएँ।
उत्तर-
ऐसी भूमियाँ जिनमें भूमि के नीचे पानी की सतह ज़ीरो से 1.5 मीटर तक की गहराई पर हो तो उनको सेम वाली भूमियाँ कहा जाता है। यह पानी इतनी नज़दीक आ जाता है कि पौधों की जड़ों वाली स्थान पर भूमि के सुराख पानी के साथ भरे रहते हैं और भूमि एवम् भूमि सुधार भूमि हमेशा ही गीली रहती है। पौधे की जड़ों को हवा नहीं मिलती और हवा का आवागमन भी कम हो जाता है। भूमि में ऑक्सीजन कम हो जाती है और कार्बनडाइऑक्साइड ज़्यादा हो जाती है।
सेम की समस्या सुलझाने के लिए कई उपाय किए जाते हैं, जैसे-रुके हुए पानी का सेम नालियों द्वारा निकास, बहुत ट्यूबवैल लगा कर पानी का ज़्यादा प्रयोग, धान और गन्ने जैसी फसलों की कृषि करनी चाहिए, जंगलों के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाना चाहिए।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB भूमि एवम् भूमि सुधार Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमि-विज्ञान के अनुसार धरती को निर्जीव वस्तु या जानदार वस्तु माना गया?
उत्तर-
जानदार वस्तु।

प्रश्न 2.
भूमि में कितने प्रतिशत खनिज तथा जैविक पदार्थ होता है?
उत्तर-
खनिज 45% और जैविक पदार्थ 0-5% है।

प्रश्न 3.
हल्की भूमि किसको कहा जाता है?
उत्तर-
रेतीली भूमि को।

प्रश्न 4.
पानी सम्भालने की शक्ति सबसे ज्यादा किस भूमि में है?
उत्तर-
चिकनी मिट्टी में।

प्रश्न 5.
खेती के लिए कौन-सी भूमि उत्तम मानी गई है?
उत्तर-
मैरा भूमि।

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों की समस्या किस इलाके में ज्यादा है ?
उत्तर-
बारिश वाले इलाकों में।

प्रश्न 7.
कितने पी० एच० वाली भूमियाँ तेज़ाबी होती हैं ?
उत्तर-
पी० एच० 7 से कम वाली।

प्रश्न 8.
कितनी पी० एच० वाली भूमि खेती के लिए ठीक मानी जाती है?
उत्तर-
6.5 से 8.7 तक पी० एच० वाली।

प्रश्न 9.
लवणी भूमियों की पी० एच० कितनी होती है?
उत्तर-
8.7 से कम।

प्रश्न 10.
रेह, थूर या शोरे वाली भूमियाँ कौन-सी हैं ?
उत्तर-
लवणी भूमियाँ।

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प्रश्न 11.
क्षारीय भूमियों में पानी समाने की क्षमता कितनी है?
उत्तर-
बहुत कम।

प्रश्न 12.
हरी खाद की फ़सल बताओ।
उत्तर-
सन जंतर।

प्रश्न 13.
रेतीली भूमियों में सिंचाई के लिए कैसा क्यारा बनाया जाता है ?
उत्तर-
छोटे आकार का।

प्रश्न 14.
तेज़ाबी भूमि में चूना डालने का सही समय बताओ।
उत्तर-
फसल बोने से 3-6 महीने पहले।

प्रश्न 15.
पंजाब में तेज़ाबी भूमियों की कितनी गम्भीर समस्या है ?
उत्तर-
पंजाब में तेज़ाबी भूमियों की समस्या नहीं है।

प्रश्न 16.
लवणीय भूमियों में कौन-से लवण अधिक होते हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा पोटाशियम के क्लोराइड।

प्रश्न 17.
सेम वाली भूमि में धरती के नीचे पानी का स्तर क्या है ?
उत्तर-
धरती के नीचे पानी का स्तर शून्य से डेढ़ मीटर तक होता है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रेतीली भूमि की पहचान के लिए दो तरीके बताएँ।
उत्तर-
रेतीली भूमि में पानी सिंचाई करने के साथ ही पानी समा जाता है। उँगलियों में इसके कण महसूस किए जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
चिकनी मिट्टी में पानी सोखने और सम्भालने की शक्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर-
प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना, जुताई करना और गोडी करने के साथ चिकनी मिट्टी की पानी सोख और सम्भालने की शक्ति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
भूमि में तेज़ाबीपन बढ़ने का कारण बताएँ।
उत्तर-
बहुत बारिश कारण ज़्यादा हरियाली रहती है। पौधों आदि के पत्ते भूमि पर गिर कर गलते-सड़ते रहते हैं और वर्षा के पानी के बहाव से क्षारीय लवण बह जाते हैं, जिसके कारण भूमि में तेज़ाबीपन बढ़ जाता है।

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प्रश्न 4.
लवणी भूमियों के दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों की मात्रा बढ़ जाती है।
  2. इनमें पानी समाने की समर्था काफ़ी होती है और जुताई के लिए नर्म होती हैं।

प्रश्न 5.
क्षारीय भूमियों के दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. इन भूमियों में सोडियम के कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट वाले लवण बहुत मात्रा में होते हैं।
  2. waq पानी समाने की समर्था कम होती है। जुताई बहुत कठिन होती है।

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों के सुधार के लिए दो तरीके बताएँ।
उत्तर-
चूने का प्रयोग करके और गन्ना मिल की मैल और लकड़ी की राख का प्रयोग किया जा सकता है। चूने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग होता है।

प्रश्न 7.
तेज़ाबी भूमि में चूना डालने के तरीके के बारे में बताएँ।
उत्तर-
चूना डालने का सही समय बुवाई से 3-6 महीने डाल कर जुताई कर देनी चाहिए।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मलहड़ किसे कहते हैं? यह कैसे बनता है ?
उत्तर-
जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति के अवशेष, मल-मूत्र तथा उनके गले सड़े अंग जो कि मिट्टी में समय-समय पर मिलते रहते हैं, को मलहड़ अथवा ह्यमस कहते हैं। घास-फूस, फसलें, वृक्ष, सुंडियां केंचुए, जीवाणु, कीटाणु ढेरों की रूढ़ि तथा घर का कूड़ा-कर्कट भी मलहड़ के हिस्से हो सकते हैं। इन पदार्थों के ज़मीन में मिलने से भूमि के गुणों में बहुत सुधार होता है। इससे प्राप्त होने वाली उपज पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

जब भी जैविक पदार्थ अथवा कार्बनिक चीजें मिट्टी में मिलाई जाती हैं, सूक्ष्म जीवाणुओं तथा बैक्टीरिया की क्रियाओं से इन पदार्थों का विघटन आरम्भ हो जाता है तथा यह पदार्थ गलना-सड़ना आरम्भ कर देते हैं। इनमें से कई प्रकार की गैसें पैदा होती हैं जो हवा में मिल जाती हैं। इसलिए गल-सड़ रही चीज़ों से हमें कई बार दुर्गन्ध भी आने लग जाती है। कार्बनिक पदार्थ टूट कर अकार्बनिक तत्त्वों जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस तथा गन्धक में बदल जाते हैं। पानी, भू-ताप तथा भू-जीवों की क्रिया से यह तत्त्व पौधों के लिए प्राप्त योग्य रूप में परिवर्तित हो जाते हैं तथा यह दुबारा पौधों से शरीरों के अंग बनकर कार्बनिक पदार्थों में बदल जाते हैं तथा इस तरह यह बनने तथा टूटने का चक्र चलता रहता है इस तरह यह कहा जा सकता है कि मलहड़ जैविक पदार्थों की पौधों के लिए प्राप्ति योग्य अवस्था है।

प्रश्न 2.
भूमि-बनावट की कौन-सी किस्म कृषि के लिए सबसे अच्छी है तथा क्यों ? उदाहरण सहित बताओ।
उत्तर-
फसलें जड़ों द्वारा भूमि में से अपना भोजन प्राप्त करती हैं। फसलें आसानी से यह भोजन तभी प्राप्त कर सकती हैं यदि भूमि के टुकड़ों के आकार छोटे हों तथा यह बहुत कम शक्ति से टूट जाएं। ऐसी बनावट उसी हालत में सम्भव है अगर भूमि में मलहड़ अथवा जैविक पदार्थ की मात्रा काफ़ी अधिक हो। भूमि की ऐसी उचित तथा आवश्यक बनावट को भुरभुरी बनावट कहा जाता है। भुरभुरी बनावट वाली भूमि में ढेले नर्म तथा बहुत छोटे आकार के होते हैं। इन ढेलों को हाथों में मलकर आसानी से तोड़ा जा सकता है। ढेलों के कणों में आपस में जुड़कर रहने की शक्ति बहुत कम होती है। इसलिए वह टूट कर छोटे-छोटे कणों के रूप में भूमि का अंग बन जाती हैं। कणों के बीच जुड़ने की शक्ति का कम होना पानी तथा हवा के लिए काफ़ी स्थान उपलब्ध होने के कारण बनता है। जुड़ने की शक्ति कम होने से जीवाणुओं के लिए विघटन का कार्य करना काफ़ी आसान रहता है तथा उन्हें सांस लेने के लिए आवश्यक हवा भी मिल जाती है। भूमि नर्म होने से जड़ों को फैलने में कोई कठिनाई नहीं आती तथा वह अच्छी तरह फैलकर आवश्यक पौष्टिक तत्त्व प्राप्त कर सकती हैं।

प्रश्न 3.
भूमि के भौतिक गुणों की सूची बनाओ। इनमें से किसी एक गुण के बारे में तीन-चार लाइनें लिखो।
उत्तर-
विभिन्न भूमियों के भौतिक गुण भी अलग-अलग होते हैं। इसका कारण भूमियों में कणों के आकार, क्रम, जैविक पदार्थों की मात्रा तथा मुसामों में अन्तर होना है। भूमि में पानी का संचार तथा बहाव कैसे होता है, पौधों को खुराक देने की शक्ति तथा हवा की गति, यह बातें भूमि के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
भूमि के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं—

  1. कण-आकार
  2. प्रवेशता
  3. गहराई
  4. रंग
  5. घनत्व
  6. नमी सम्भालने की योग्यता
  7. तापमान।

कण-आकार- भूमि विभिन्न मोटाई के खनिज कणों की बनी होती है। भूमि का कण आकार इसमें मौजूद अलग-अलग मोटाई के कणों के आपसी अनुपात पर निर्भर करता है। भूमि की उर्वरा शक्ति कण-आकार पर निर्भर करती है। कण-आकार का प्रभाव भूमि की जल ग्रहण शक्ति तथा हवा के यातायात की मात्रा तथा गति पर भी पड़ता है।

प्रश्न 4.
पी० एच० अंक से क्या अभिप्राय है ? भूमि के पी० एच० अंक का उसकी तासीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
पी० एच० अंक-भूमि अम्लीय है, क्षारीय अथवा उदासीन है बताने के लिए एक अंक प्रणाली उपयोग की जाती है जिसे भूमि की पी० एच० मूल्य अथवा मात्रा कहा जाता है। वास्तव में पी० एच० मात्रा किसी घोल में हाइड्रोजन (H+) तथा हाइड्राक्सल (OH) आयनों के आपसी अनुपात को बताती है।

भूमि की पी० एच० मात्रा गुण
8.7 से अधिक क्षारीय भूमि
8.7 – 7 हल्का खारापन
7 उदासीन
7.5 – 5 तक हल्की अम्लीय
6.5 से कम अम्लीय भूमि

 

अधिकतर फसलें 6.5 से 7.5 पी० एच० तक वाली भूमियों में अच्छी तरह फलफूल सकती हैं। खाद्य तत्त्वों का पौधों को उचित रूप में प्राप्त होना भूमि को पी० एच० मात्रा पर निर्भर करता है। 6.5 से 7.5 पी० एच० मात्रा वाली भूमियों में से पौधे बहुत सारे खाद्य तत्त्वों को आसानी से उचित रूप में प्राप्त कर लेते हैं। कुछ सूक्ष्म तत्त्व जैसे मैंगनीज़, लोहा, तांबा, जिस्त आदि अधिक अम्लीय भूमियों में से अधिक मात्रा में पौधों को प्राप्त हो जाते हैं पर कई बार इनकी अधिक मात्रा पौधों के लिए जहर का कार्य भी करती है।

प्रश्न 5.
भूमि में नमी कैसे आ जाती है ? नमी का फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है तथा कैसे ?
उत्तर-
नमी का कारण स्थाई रूप से बहने वाली नहरों का पानी भूमि छिद्रों द्वारा आस-पास की भूमि में रिस-रिस कर पहुंच जाता है। पन्द्रह-बीस साल में धरती के खुले पानी का तट धरती की सतह के निकट आ जाता है, भूमि नमी की मार तले आ जाती है। इसके अतिरिक्त बाढ़ों का पानी, अच्छे जल निकास प्रबन्ध की कमी आदि भी नमी का कारण बन सकते हैं।

नमी का प्रभाव-पौधों के बढ़ने पर नमी के कई प्रभाव पड़ते हैं। बहुत सारे काश्त किये जाने वाले पौधों की जड़ें जल-तल के ऊपर वाली भूमि-तह में ही रह जाती हैं। पौधे अधिक समय पानी में खड़े रहकर मर जाते हैं। भूमि वायु की कमी हो जाती है। पानी की उच्च ताप योग्यता के कारण भूमि में तापमान परिवर्तन भी घट जाता है।

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प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों में चूना डालने के लाभ बताओ।
उत्तर-
तेज़ाबी भूमियों में चूना डालने के लाभ—

  1. इससे भूमि का तेज़ाबीपन समाप्त हो जाता है।
  2. फॉस्फोरस पौधों को उचित रूप में प्राप्त होने वाले रूप में बदल जाती है।
  3. चूने में खाद्य तत्त्व मैग्नीशियम तथा कैल्शियम होते हैं।
  4. जैविक पदार्थों के गलने-सड़ने की क्रिया तेज़ हो जाती है तथा पौधों के लिए नाइट्रोजन योग्य रूप की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो जाती है।
  5. सूक्ष्म जीव क्रियाएं तेज़ी से होने लगती हैं।

प्रश्न 7.
भू-आकार बांट पर विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
मिट्टी के कणों का आकार एक-सा नहीं होता। कुछ बहुत मोटे तथा कुछ बहुत सूक्ष्म अथवा बारीक होते हैं। आकार के आधार पर मिट्टी के कणों की बांट को आकार बांट कहा जाता है। मिट्टी में साधारणतः तीन तरह के कण होते हैं—
रेत के कण, चिकनी मिट्टी के कण तथा भाल के कण।
इन कणों की मात्रा अनुसार भूमि के आकार की बांट की जाती है जिसे भू-आकार बांट कहा जाता है। भू-आकार बांट निम्नानुसार की गई है—

मात्रा बांट
40 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि भारी चिकनी
40-31 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि चिकनी
31-21 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि मैरा चिकनी
20-11 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि मैरा
10-06 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि रेतीली मैरा
05-00 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि रेतीली

 

अन्तर्राष्ट्रीय सोसाइटी अनुसार भूमि के कणों की आकार-बांट निम्नानुसार—

कण-आकार कण-आकार मिली मीटरों में देखना
चिकनी मिट्टी 0.002 से कम माइक्रोस्कोप से
भाल 0.002 तथा 0.02 के बीच माइक्रोस्कोप से
बारीक रेत 0.02 तथा 0.20 के बीच नंगी आंख से
मोटी रेत 0.20 तथा 2.00 के बीच नंगी आंख से
पत्थर, रोड़े अथवा कंकड़ 2.00 से अधिक नंगी आंख से

 

प्रश्न 8.
भूमि के मुख्य भौतिक गुणों के नाम लिखो तथा कोई दो की व्याख्या भी करो।
उत्तर-
विभिन्न भूमियों के भौतिक गुण भी अलग-अलग होते हैं। इसका कारण भमियों में कणों के आकार, क्रम, जैविक पदार्थों की मात्रा तथा मुसामों में अन्तर का होना है। भूमि में जल का संचार तथा बहाव कैसे होता है, पौधों को खुराक देने की शक्ति तथा हवा की गति यह बातें भूमि के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
भूमि के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं—

  1. कण-आकार
  2. प्रवेशता
  3. गहराई
  4. रंग
  5. घनत्व
  6. नमी सम्भालने की योग्यता
  7. तापमान

उपरोक्त गुणों की व्याख्या निम्नलिखित अनुसार है—

1. कण-आकार-भूमि विभिन्न मोटाई के खनिज कणों की बनी होती हैं। भूमि का कण-आकार इसमें मौजूद विभिन्न मूल कणों के आपसी अनुपात पर निर्भर करता है।
महत्त्व-भूमि की उर्वरा शक्ति कण के आकार पर निर्भर करती है। कण-आकार का प्रभाव भूमि की जल ग्रहण शक्ति तथा हवा के आवागमन की मात्रा तथा गति पर भी पड़ता है। अन्तर्राष्ट्रीय सोसाइटी अनुसार भूमि-कणों को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है—

  1. पत्थर, रोड़े अथवा कंकड़
  2. मोटी रेत
  3. बारीक रेत
  4. भाल
  5. चिकनी मिट्टी।

कणों के आकार अनुसार भूमि को 12 श्रेणियों में बांटा जा सकता है। पर तीन मुख्य श्रेणियां हैं-रेतीली भूमियां, मैरा भूमियां तथा चिकनी भूमियां।
2. प्रवेशता-प्रवेशता से अभिप्राय है भूमि में पानी तथा हवा का संचार अथवा प्रवेश करना कितना आसान है। भूमि की जल अवशोषण की शक्ति, पानी सम्भालने की शक्ति तथा जड़ों की गहराई भूमि के इस गुण पर निर्भर है। प्रवेशता का गुण भूमि में मुसामों की मात्रा पर निर्भर करता है। बहुत ही बारीक छिद्रों को मुसाम कहा जाता है। मुसाम शरीर की त्वचा (चमड़ी) में भी होते हैं जिनके द्वारा हमें पसीना आता है। जिस भूमि में प्रवेशता गुण अधिक हो, वह भूमि फसलों के फलने-फूलने के लिए अच्छी रहती है। क्योंकि इस तरह की भूमि में जल तथा सम्भालने की शक्ति अधिक होती है तथा फसल की जड़ें भूमि में अधिक गहराई तक जाकर अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्त्व तथा भोजन प्राप्त करने के समर्थ हो जाती हैं। कई बार तो भूमि के नीचे कठोर परत बन जाती है जिस कारण जड़ें नीचे नहीं जा सकतीं।

प्रश्न 9.
भूमि के कोई दो रासायनिक गुणों के नाम बारे विस्तार से लिखें।
उत्तर-
भूमि के रासायनिक गुणों का महत्त्व-भूमि के रासायनिक गुणों का पौधों के फलने-फूलने पर सीधा प्रभाव पड़ता है। खाद्य तत्त्व को पौधे प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त नहीं कर सकते।
1. पी० एच०-भूमि तेजाबी है, क्षारीय अथवा उदासीन है बताने के लिए एक अंक प्रणाली उपयोग की जाती है जिसे भूमि की पी० एच० मूल्य अथवा मात्रा कहा जाता है। वास्तव में पी० एच० मात्रा किसी घोल में हाइड्रोजन (H+) अथवा हाइड्राक्सल (OH) आयनों के आपसी अनुपात को बताती है।

भूमि की पी० एच० मात्रा गुण
8.7 से अधिक क्षारीय भूमि
8.7-7 हल्का क्षारीयपन
7 उदासीन
7-65 तक हल्की तेज़ाबी
6.5 से कम तेजाबी भूमि

 

अधिकतर फसलें 6.5 से 7.5 पी० एच० तक वाली भूमियों में ठीक तरह फल-फूल सकती है। खाद्य तत्त्वों का पौधों को उचित रूप में प्राप्त होना भी पी० एच० पर निर्भर करता है। 6.5 से 7.5 पी० एच० मात्रा वाली भूमियों में पौधे बहुत सारे खाद्य तत्त्वों को आसानी से उचित रूप में प्राप्त कर लेते हैं। कुछ सूक्ष्म तत्त्व जैसे मैगनीज़, लोहा, तांबा, जिस्त आदि अधिक तेज़ाबी भूमियों में से अधिक मात्रा में उचित रूप में पौधों को प्राप्त हो जाते हैं पर कई बार इनकी अधिक मात्रा पौधों के लिए ज़हर का कार्य भी करती है।

2. जैविक पदार्थ-ज़मीन में जैविक पदार्थ पौधों की जड़ों, पत्तों तथा घास-फूस के गलने-सड़ने से बनता है। भूमि में पाए जाते किसी भी जैविक पदार्थ पर बहत सारे सूक्ष्म जीव अपना असर करते हैं तथा जैविक पदार्थ विघटन करके उसको अच्छी तरह गला-सड़ा देते हैं। ऐसे पदार्थ को मलहड़ (ह्यूमस) का नाम दिया गया है। ह्यूमस खाद्य तत्त्वों फॉस्फोरस, गन्धक तथा नाइट्रोजन का विशेष स्रोत है। इसमें थोड़ी मात्रा में अन्य खाद्य तत्त्व भी हो सकते हैं। भूमि की जल ग्रहण योग्यता, हवा की गति तथा बनावट को ठीक रखने के लिए जैविक पदार्थ बहुत लाभदायक हैं। इससे भूमि की खाद्य तत्त्व सम्भालने की शक्ति भी बढ़ती है। पंजाब की जमीनों में जैविक पदार्थ की मात्रा साधारणत: 0.005 से 0.90 प्रतिशत है। जैविक तथा कम्पोस्ट डालने से भूमि में जैविक पदार्थों की मात्रा में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 10.
मलहड़ की कृषि में महत्ता पर रोशनी डालो।
उत्तर-
मलहड़ की कृषि में महत्ता—

  1. शीघ्र गलने वाला मलहड़ डालने से मिट्टी के कण आपस में इस तरह जुड़ जाते हैं कि उनके छोटे तथा नर्म (भुरभुरी) ढेले बन जाते हैं। इस तरह का मलहड़ रेतीली तथा चिकनी किस्मों की भूमियों के लिए बढ़िया रहता है। मलहड़ रेतीली मिट्टी तथा खुरदरे कणों को आपस में जोड़ने में सहायता करता है तथा चिकनी मिट्टी को नर्म कर देता है जिससे इसका आयतन बढ़ जाता है। हवा का आवागमन आसान तथा तेज़ हो जाता है। इस तरह मलहड़ रेतीली तथा चिकनी दोनों प्रकार की भूमियों को अधिक भुरभुरी तथा उपजाऊ बना देता है।
  2. मलहड़ भूमि को नर्म कर देता है जिससे भूमि की पानी सोखने की शक्ति में बढ़ौत्तरी होती है तथा भूमि पानी को अधिक देर तक लम्बे समय तक अपने अन्दर सम्भाल कर रख सकती है।
  3. भूमि में मौजूद लाभदायक तथा उपयोगी जीवाणु मलहड़ से अपना भोजन भी प्राप्त करते हैं। मलहड़ के विघटन से जो कार्बन पैदा होती है वह इन जीवाणुओं के लिए भोजन का कार्य करती है। इससे यह अधिक शक्तिशाली रूप में क्रिया करने के योग्य हो जाते हैं।
  4. पौधों की जड़ें ज़मीन में छिद्र करके धरती को नर्म कर देती हैं। जड़ों के गलनेसड़ने के पश्चात् छिद्रों द्वारा पानी धरती के नीचे चला जाता है तथा ऑक्सीजन गैस के अन्दर जाने तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बाहर निकलने के लिए भी यह छिद्र मदद अथवा सहायता करते हैं।
  5. मलहड़ तथा कई पौष्टिक तत्त्व जैसे नाइट्रोजन, गन्धक, फॉस्फोरस आदि प्राप्त होते हैं। यह तत्त्व भूमि के कणों के साथ चिपके रहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर पौधा इन तत्त्वों को प्रयोग कर सकता है।
  6. कई भूमियों की तासीर ऐसी होती है कि पौधे भूमि में मौजूद आवश्यक तत्त्व प्राप्त नहीं कर सकते। पर मलहड़ की मौजूदगी में तत्त्व पौधों के उपयोग लायक बन जाते हैं। उदाहरणतः अम्लीय ज़मीनों में फॉस्फोरस।
  7. मलहड़ के गलने-सड़ने से कई तरह के तेज़ाब पैदा होते हैं जो कि क्षारीय भूमियों का खारापन कम करते हैं। यह तेज़ाब तथा कार्बन गैसों (जो खुद भी अम्लीय गुण रखती हैं) पोटाशियम आदि से मिलकर भूमि के खारेपन को घटा कर उसके पौधों को बढ़ने तथा फलने-फूलने के अनुकूल तथा उचित बनाते हैं।
  8. मलहड़ भू-ताप को स्थिर रखने में मदद करता है। बाह्य तापमान में कमी या बढ़ौतरी मलहड़ वाली भूमि के तापमान पर बहुत प्रभाव नहीं डालता।
  9. कई तत्त्व पौधों को बहुत थोड़ी मात्रा में चाहिएं। ये तत्त्व रासायनिक खादों को प्राप्त नहीं होते। इनकी कमी से फसलों की पैदावार बहुत घट सकती है तथा किसान को काफी नुकसान हो सकता है। इनमें से काफ़ी तत्त्व मलहड़ से मिल जाते हैं।

प्रश्न 11.
मलहड़ कैसे समाप्त हो जाता है तथा भूमि में इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
प्रत्येक फसल के साथ जड़ों, पत्तों, जीवाणुओं, कूड़ा-कर्कट, गोबर तथा हरी खाद द्वारा नया मलहड़ खेतों में मिलता रहता है। परन्तु साथ ही यह समाप्त भी होता
रहता है। पौधे तथा जीवाणु इसे प्रयोग कर लेते हैं। इसके कई तत्त्व गैसों के रूप में बदल जाते हैं तथा वायुमण्डल में मिल जाते हैं। कई स्थानों पर बहुत सख्त गर्मी पड़ती है जिससे मलहड़ के लाभदायक अंशों का नाश हो जाता है। इस तरह मलहड़ का फसल को कोई भी लाभ नहीं पहुंचता। जैसे कि पता ही है कि मलहड़ फसलों के लिए बहुत ‘लाभदायक होता है। इसलिए इसकी मात्रा भूमि में कम नहीं होने देनी चाहिए। इसलिए खेत में ऐसी फसल बो देनी चाहिए जिससे मलहड़ की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो। इस मन्तव्य के लिए चने तथा अन्य फलीदार फसलें जिनकी जड़ों में नाइट्रोजन बांधने वाले बैक्टीरिया होते हैं, बो लेनी चाहिएं। इन फसलों की हरी खाद बनाकर जो उत्तम किस्म की मलहड़ होती है भूमि को अधिक उपजाऊ बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ढेर की रूड़ी तथा कूड़ा मलहड़ की मात्रा बढ़ाने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
भूमि की उर्वरा शक्ति की सम्भाल तथा प्रतिपूर्ति के लिए कौन-सी मुख्य बातों की ओर ध्यान देना आवश्यक है ?
उत्तर-
इसके लिए निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान देना आवश्यक है—

1. धरती की भौतिक हालत-धरती की उचित भौतिक स्थिति अच्छी बुआई पर निर्भर करती है। अच्छी बुआई से अभिप्राय है इस तरह की बुआई जिससे धरती के कणों की बनावट ठीक तरह कायम रह सके अर्थात् ज़मीन में मिट्टी के ढेले भुरभुरे तथा नर्म हों। गीली बोई भूमि में वतर से पहले भूमि-कण अधिक अच्छी तरह जुड़ कर सख्त ढेलों का रूप धारण कर लेते हैं तथा यदि वतर में देरी हो जाए तो भी ज़मीन सूख जाती है तथा सख्त हो जाती है। ज़मीन के बीच वाला पानी बहुत सारी केशका नालियों द्वारा बाहर निकल जाता है तथा भूमि में नमी की कमी हो जाती है। फसल की अच्छी पैदावार के लिए हवा तथा पानी का धरती-छिद्रों में चलते रहना बहुत आवश्यक होता है। इसलिए बुआई समय पर करनी चाहिए। क्योंकि न तो इससे ढेले बनते हैं तथा न ही धरती की नमी बाहर निकलती है। अच्छी बुआई से भूमि की पानी जज़ब (अवशोषण) करने की शक्ति भी बढ़ जाती है तथा भूमि क्षरण से भी बची रहती है। भूमि की बनावट को ठीक रखने के लिए मलहड़ का अच्छा तथा उचित प्रयोग सहायक होता है। इसके अतिरिक्त अच्छे तथा उचित फसल-चक्र, जिसमें समय-समय पर गुच्छेदार जड़ों वाली तथा फलीदार फसलें आती रहें, साथ ही धरती की भौतिक हालत को ठीक रखने में सहायता मिलती है।

2. खेतों के नदीनों को साफ़ रखना-भूमि की उर्वरा शक्ति को कायम रखने के लिए खेत नदीनों से मुक्त हों, यह भी बहुत आवश्यक है। नदीन, खेत में बोई फसल के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों को खुद ही खा जाते हैं। कम पौष्टिकता मिलने के कारण फसल कमज़ोर हो जाती है तथा अच्छी तरह फल-फूल नहीं सकती। इससे पैदावार कम हो जाती है। कई बार यदि नदीन अधिक मात्रा में हों तो वह छोटी फसल भूमि एवम् भूमि सुधार को पूरी तरह दबा लेते हैं तथा सारी फसल को नष्ट कर देते हैं। यदि नदीन फसल को फूल, फल लगने से पहले, न नष्ट किए जाएं तो पक जाने पर उनके बीज भूमि में मिल जाते हैं तथा अगली फसल के समय वह फसल से पहले ही उग कर अथवा उसके साथ बढ़कर उसे छोटी आयु में ही दबा लेते हैं तथा उसकी वृद्धि रोक देते हैं। इसलिए खेत को नदीनों से साफ़ रखने के लिए गुड़ाई तथा कई बार बुआई भी करनी पड़ती है। पंजाबी की प्रसिद्ध कहावत है-‘उठता वैरी, रोग दबाइये, बढ़ जाए तां फेर पछताइये’। नदीन भी किसान, फसल तथा धरती की उर्वरा शक्ति के रोग तथा वैरी हैं। इसलिए इन्हें भी पैदा होते ही नष्ट कर देना चाहिए। नदीनों को मारने के लिए वैज्ञानिकों ने नदीननाशी दवाइयों की खोज भी की है। पर इन रासायनिक दवाइयों का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। इन दवाइयों को बच्चों की पहुँच से बहुत दूर रखना चाहिए, क्योंकि यह ज़हरीली होती हैं। इन दवाइयों के अधिक प्रयोग से वातावरण में प्रदूषण फैलता है। इसलिए इनका प्रयोग इस पक्ष से भी सावधानी से करना चाहिए।

3. कीड़ों तथा रोगों की रोकथाम-फंगस, निमाटोड तथा अन्य हानिकारक कीड़ेमकौड़े की कटाई के बाद भी ज़मीन पर ही पलते हैं। इस समय उन्हें समाप्त कर देना आसान रहता है। उनके खात्मे से ही धरती की उर्वरा शक्ति को सम्भाल कर रखना सम्भव होता है। इसलिए फसल की कटाई के पश्चात् समय पर ज़मीन की जुआई, बदल-बदल कर फसलों की बिजाई, एक से दूसरी फसल के बीच में समय का अन्तर, पराली को जलाना तथा जमीन में कीट तथा फंगस नाशक दवाइयों का उपयोग कुछ ऐसे साधन हैं, जिनसे रोगों तथा हानिकारक फंगस तथा कीटों को नष्ट करके काबू किया जा सकता है। इन्हें काबू करके ही ज़मीन की उर्वरा शक्ति को कायम रखा जा सकता है।

4. उचित तथा योग्य फसल-चक्र-विभिन्न फसलों के लिए अलग-अलग भोजन तत्त्वों की ज़रूरत होती है। कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं जो प्रत्येक फसल द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। परन्तु इनकी खपत की गई मात्रा तथा दर का अन्तर तो फिर भी होता है। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि एक खेत में एक फसल के पश्चात् दूसरी फसल वह बोई जाए जिसको पहली फसल से अलग प्रकार के तत्त्वों की ज़रूरत हो अथवा यह पहली फसल द्वारा हुए उर्वरा शक्ति के घाटे को कुछ हद तक पूरा करती हो। इस तरह भूमि की उपजाऊ शक्ति लम्बे समय तक कायम रखी जा सकती है।

प्रश्न 13.
सेम वाली भूमि पर नोट लिखें।
उत्तर-
स्वयं करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

प्रश्न 1.

  1. भूमि में 45% खणिज पदार्थ हैं।
  2. लवणी भूमियों का पी.एच.मान 8.7 से कम होता है।
  3. तेज़ाबी भूमियों में चूना डाला जाता है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
तेज़ाबी भूमि का पी.एच. मान है—
(क) 7 के बराबर
(ख) 7 से कम
(ग) 7 से अधिक
(घ) 12.
उत्तर-
(ख) 7 से कम

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 2.
कौन-सी भूमि में पानी देर तक खड़ा रहता है ?
(क) चिकनी
(ख) मैरा
(ग) रेतीली
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(क) चिकनी

रिक्त स्थान भरो

  1. ……….. भूमि की समस्या अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में होती है।
  2. कृषि के लिए ……………… पी०एच०वाली भूमि ठीक मानी जाती है ।
  3. …………. भूमि के लिए जिपस्म का प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

  1. तेज़ाबी,
  2. 6.5 से 8.7,
  3. क्षारीय।

भूमि एवम् भूमि सुधार PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भूमि धरती की ऊपर वाली मिट्टी की परत है, जिसमें फ़सल की जड़ें होती हैं और इसमें से फ़सल पानी और आहारीय तत्त्व प्राप्त करती है।
  • भूमि पौधे को खड़ा रखने में मदद करती है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव से प्राकृतिक मादे से पैदा हुई एक प्राकृतिक वस्तु है।
  • भू वैज्ञानिकों की दृष्टि से भूमि एक सजीव वस्तु है क्योंकि इसमें बहुत सारे असंख्य सूक्ष्मजीवों, कीटाणुओं, जीवाणुओं और छोटे-बड़े पौधों के पालन-पोषण की शक्ति है।
  • भूमि में 45% खनिज, 25% हवा, 25% पानी, 0 से 5% जैविक पदार्थों का मिश्रण . है जिसमें हवा पानी कम ज्यादा हो सकते हैं।
  • भूमि के मुख्य तौर पर दो तरह के गुण हैं-रासायनिक और भौतिक गुण।
  • भूमि के मुख्य भौतिक गुण हैं-कणों का आकार, भूमि घनत्व कम होना, कणों के मध्य में खाली जगह, पानी संजोए रखने की ताकत और पानी विलय करने की , ताकत आदि।
  • रेतीली भूमि के कण हाथों में रगड़ने पर खटकते हैं।
  • चिकनी मिट्टी में 40% चीकने कण होते हैं।
  • मैरा (दोमट) भूमि के लक्षण रेतीली और चिकनी भूमियों के बीच में होते हैं।
  • बहुत बारिश होने वाले खेतों में तेज़ाबी भूमि देखने को मिलती है।
  • pH का मूल्य 7 से कम होता है तो भूमि अम्लीय या तेज़ाबी होती है।
  • लवणों की किस्म के आधार पर कल्लर वाली भूमियां तीन तरह की होती हैं।
  • कल्लरी भूमियां हैं-लवणीय, क्षारीय और लवणीय-क्षारीय भूमि।
  • अम्लीय (तेज़ाबी) भूमियों का सुधार चूना डाल कर किया जा सकता है।
  • क्षारीय भूमियों में मिट्टी जांच के आधार पर जिप्सम का प्रयोग किया जा सकता है।
  • रेतली भूमि के सुधार के लिए हरी खाद, गली-सड़ी रूडी, फलीदार फसलों आदि की सहायता ली जाती है।
  • लवण वाली भूमि को पानी के साथ धोकर या फिर मिट्टी की ऊपर वाली परत को कराहे आदि के साथ खुरच कर साफ़ कर देते हैं।
  • चिकनी भूमियों में धान की बुवाई करनी लाभदायक रहती है।
  • सेम वाली भूमियों में भूमि के नीचे वाले पानी (भूमिगत जल) का स्तर बहुत ऊपर पौधों की जड़ों तक आ जाता है।
  • आमतौर पर जब भूमि के नीचे वाला पानी शून्य से डेढ़ मीटर होता है तो उस भूमि को सेम वाली भूमि कहते हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 9 लिंग समानता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 9 लिंग समानता

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB लिंग समानता InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या लड़के और लड़की में भेदभाव करना सही है?
उत्तर-
नहीं, लड़के और लड़की में भेदभाव करना सही नहीं है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी पर पुरुष और स्त्री का अनुपात क्या है?
उत्तर-
अधिकतर समान या 50 : 50.

प्रश्न 3.
अपनी कक्षा में कितने लड़के और लड़कियां हैं?
उत्तर-
हमारी कक्षा में 30 लड़कियां और 20 लड़के हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 4.
उन कार्यों के नाम लिखो जिसे समाज सोचता है कि ये कार्य केवल लड़के कर सकते हैं?
उत्तर-
वे कार्य जो प्रकृति से यान्त्रिक होते हैं और उनके लिए अधिक शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है। इस के साथ ही समाज यह भी सोचता है कि लड़कों को बाहरी कार्य करने चाहिए।

प्रश्न 5.
उन कार्यों के नाम लिखो जिसे समाज सोचता है कि ये कार्य केवल लड़कियों को करना चाहिए।
उत्तर-
अधिकतर घरेलू कार्य और जिनमें कम शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
क्या समाज में लिंग असमानता अच्छी है या बुरी।
उत्तर-
समाज में लिंग समानता अच्छी है।

प्रश्न 7.
जो परिजन लड़की के जन्म पर खुशी व्यक्त नहीं करते वे अच्छे हैं। इस कथन के विषय में आपका क्या विचार है?
उत्तर-
नहीं, वे अच्छे परिजन नहीं हैं।

प्रश्न 8.
उन कुछेक कार्यों का नाम लिखो जो परम्परागत रूप में लड़कियों के लिए नहीं हैं परन्तु आजकल भी लड़कियां उनको कर रही हैं।
उत्तर-
लड़कियों ने गाड़ी चलाना, अभियन्ता और कुलियों आदि का कार्य शुरू कर दिया है।

प्रश्न 9.
लिंग समानता का क्या अर्थ है?
उत्तर-
साधारण शब्दों में इसका अर्थ है लड़कों और लड़कियों को उनके लिंग के आधार पर समान अवसर प्रदान करना।

प्रश्न 10.
क्या हमें कृषि करती लड़की का मजाक उड़ाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं हमें कृषि करती लड़की का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।

प्रश्न 11.
क्या हमें अपने विद्यालय की देखभाल नहीं करनी चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें अपने विद्यालय की देखभाल करनी चाहिए जैसे कि ये विद्या के मन्दिर हैं।

प्रश्न 12.
आजकल समाज में असमानता के तीन उदाहरण कौन-से हैं?
उत्तर-
असमान भत्ते, पुरुषों के लिए कुछेक कार्य आरक्षित रखना, स्त्रियों को गृह कार्य करने के लिए बाध्य करना आदि।

प्रश्न 13.
क्या हमें लिंग असमानता या लिंग समानता का समर्थन करना चाहिए?
उत्तर-
हमें लिंग समानता को समर्थन करना चाहिए और लिंग असमानता के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए।

प्रश्न 14.
क्यों स्त्रियों को रेलगाड़ी चलाने और विमान उड़ाने की आज्ञा दी जानी चाहिए?
उत्तर-
हां. स्त्रियों को रेलगाड़ी चलाने और विमान उड़ाने की आज्ञा दी जानी चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 15.
क्या हमें बहुत योग्य स्त्री को अपने नेता के रूप में चुनना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें बहुत योग्य स्त्री को अपने नेता के रूप में चुनना चाहिए।

प्रश्न 16.
क्या भाई होने के नाते आप अपनी बहन का समर्थन करेंगे यदि वह तैराक या पहलवान बनना चाहती है?
उत्तर-
हां, मैं उसका समर्थन करूंगा।

प्रश्न 17.
क्या स्त्रियों को देर रात तक कार्य करने की आज्ञा होनी चाहिए?
उत्तर-
हां, स्त्रियों को देर रात तक कार्य करने की आज्ञा होनी चाहिए।

प्रश्न 18.
उन तीन स्त्रियों के नाम बताओ जिनकी आप उनकी प्राप्तियों के लिए प्रशंसा करते हैं?
उत्तर-
हिमा दास, कल्पना चावला और मैरी कॉम।

प्रश्न 19.
दो प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों के नाम लिखो।
उत्तर-
मैरी क्यूरी (भौतिकी और रसायन वैज्ञानिक) एवं जानकी अम्मल (वनस्पति वैज्ञानिक)।

प्रश्न 20.
उस स्त्री का नाम लिखो जो भारत की प्रधानमन्त्री थी।
उत्तर-
इन्दिरा गाँधी।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लिंग समानता के विषय में संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
लिंग समानता शब्द का अर्थ है कि लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो। स्त्रियों और पुरुषों को सब प्रकार से समान समझा जाना चाहिए। स्त्रियां पुरुषों के समान अवसर प्राप्त करें और उन्हें किसी कार्य के लिए पुरुषों के समान भत्ते दिए जाने चाहिए।

प्रश्न 2.
क्या अतीत में लिंग समानता थी?
उत्तर-
नहीं, अतीत में लिंग समानता नहीं थी। आज भी विश्व के कई भागों में लिंग समानता नहीं है। स्त्रियों को पुरुषों से कम समझा जाता है। उन्हें घर के अन्दर रहने और गृह कार्य करने के लिए विवश किया जाता है।

प्रश्न 3.
लिंग असमानता की क्या हानियां हैं?
उत्तर-
निम्नलिखित कुछेक लिंग असमानता की हानियां हैं

  1. यह उचित शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है।
  2. जीवन वातावरण सामंजस्यपूर्ण नहीं होगा।
  3. सभी राष्ट्र और समाज की उन्नति में योगदान देने के योग्य नहीं होंगे।
  4. राष्ट्र की G.D.P. (सकल घरेलू उत्पाद) निम्न रहेगी।
  5. सभी ज़िन्दगी का पूर्ण आनन्द नहीं ले सकते।

प्रश्न 4.
लिंग समानता के मुख्य लक्षण कौन-से हैं?
उत्तर-
लिंग समानता के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. लड़कों और लड़कियों को समान समझना।
  2. जो भी कार्य करने के योग्य है, उसे कार्य करना चाहिए।
  3. भत्ते निश्चित होने चाहिए यह विचार किए बिना कि कार्य कौन कर रहा है।
  4. स्त्रियां वे सभी कार्य करने के योग्य हैं जो केवल पुरुष कर सकते हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 5.
लिंग समानता का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
यदि समाज में लिंग समानता है तो हमारे पास निम्नलिखित होगा

  1. स्त्रियों और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा नहीं।
  2. समाज में आर्थिक समृद्धि।
  3. उच्च सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
  4. बहुत सुखद पारिवारिक और सामाजिक वातावरण।

प्रश्न 6.
लिंग असमानता का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-
लिंग असमानता के लिए उत्तरदायी बहुत-से तत्त्व हैं। उनमें से कुछेक हैं:

  1. समाज की छोटी सोच।
  2. स्त्रियों की योग्यता के बारे में तुच्छ सोच।
  3. पुरुषों को स्त्रियों का रखवाला समझना।
  4. पुरुषों में झूठी श्रेष्ठता समझने की भावना।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न माग

प्रश्न 1.
उन कुछेक स्त्रियों के नाम लिखो जिन पर भारत को मान है।
उत्तर-
हमारे यहाँ ऐसी बहुत-सी स्त्रियां हैं जिन्होंने भारत के लिये ख्याति अर्जित की है। उनमें से कुछेक हैं

  1. इन्दिरा गांधी-वह पहली स्त्री थी जो भारत की प्रधानमन्त्री बनी। उन्होंने जनवरी, 1966 से मार्च, 1977 तक तथा पुनः जनवरी 1980 से उनकी हत्या किए जाने तक अक्तूबर, 1984 तक प्रधानमन्त्री के रूप में सेवा की। वह आयरन लेडी के नाम से प्रसिद्ध है।
  2. मैरी कॉम-वह भारत की मुक्केबाजी की स्टार है। उन्होंने छ: बार विश्व अव्यवसायी मुक्केबाजी प्रतियोगिता जीती। भारत को उन पर मान है।
  3. हिमा दास-वह भारत की सेवानिवृत्त ऐथलीट है। उन्होंने 2019 में पांच स्वर्ण पदक जीते।
  4. कल्पना चावला-वह अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, अभियंता और अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली स्त्री थी।
  5. मदर टेरेसा-उन्होंने अपना जीवन गरीबों और बेसहारा लोगों की सहायता करने को समर्पित किया और 1979 ई० में नोबल शान्ति पुरस्कार जीतने वाली पहली स्त्री थी।
  6. आनन्दी गोपाल जोशी-वह पहली स्त्री थी जो भारत में डॉक्टर बनी।

प्रश्न 2.
हमारा समाज बदल रहा है। इस कथन को लिंग समानता के आधार पर समायोजित करें।
उत्तर-
हमारा समाज बदल रहा है विशेषतया जब हम लड़कियों के प्रति मनोदृष्टि की बात करते हैं। कुछेक बिन्दु जो इस परिवर्तन को दर्शाते हैं, वे निम्नानुसार हैं:

  1. परिजन लड़कियों के जन्म-दिन और उनकी प्राप्तियों पर खुशी मनाते हैं।
  2. परिजन लड़कियों को वे कार्य करने से भी नहीं रोकते जो कभी केवल लड़कों के करने योग्य समझे जाते थे।
  3. लड़कियां समाज में बहुत उच्च पदों पर आसीन हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वे दिखाई देती हैं।
  4. लोग अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सहायक हैं।
  5. समाज के सभी क्षेत्रों में लड़कों और लड़कियों के लिए समान अवसर हैं।
  6. लड़कियां पुलिस अफ्सर, पायलट, प्रशासन अधिकारी आदि बन रही हैं।
  7. स्त्रियां राष्ट्र की उन्नति में भी अद्भुत कार्य करके अपना योगदान दे रही हैं।
  8. बहुत-सी स्त्रियां न केवल खेलों में भाग ले रही हैं बल्कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत रही हैं। इन सभी बिन्दुओं से कोई भी सरलता से जान सकता है कि हमारा समाज बदल रहा है और लिंग समानता की अवधारणा का समर्थन कर रहा है।

प्रश्न 3.
पुरुष और स्त्री में भेदभाव करना क्या सही है? अपने उत्तर के सन्दर्भ में विचार दें।
उत्तर-
पुरुष और स्त्री में भेदभाव करना सही नहीं है। निम्न बिन्दु इस उत्तर का समर्थन करते हैं।

  1. स्त्रियां पुरुषों की भान्ति ही महत्त्वपूर्ण हैं । वे समाज के दो स्तंभ हैं।
  2. यदि हम बेटियों को शिक्षा नहीं देंगे तो हमारे पोत्तों-नवासों को कौन शिक्षा देगा।
  3. यदि हम उन्हें चिकित्सा व्यवसाय में जाने की अनुमति नहीं देंगे तो हमारी माताओं, बहनों और बेटियों का उपचार कौन करेगा।
  4. यदि हम उन्हें खेलों में जाने की अनुमति नहीं देंगे तो हम अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक तालिका में ऊपर तक कैसे जा सकते हैं।
  5. यदि हम अपनी बेटियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार नहीं करेंगे तो दूसरे कैसे उनके साथ सम्मान से पेश आएंगे। उपरोक्त बातों से कोई भी सरलता से लिंग समानता के समर्थन की महत्ता को समझ सकता है।

प्रश्न 4.
लड़कियों को समान अवसर और समान भत्ते देकर हम अप्रत्यक्ष रूप से केवल उनकी सहायता कर रहे हैं। क्या आप इस कथन से सहमत या असहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में बताएं।
उत्तर-
मैं उक्त कथन से सहमत हूँ कि लड़कियों को समान अवसर और समान भत्ते देकर हम अप्रत्यक्ष रूप से केवल उनकी सहायता कर रहे हैं। मेरे उत्तर के पक्ष में निम्नलिखित बिन्दु हैं,

  1. यदि मेरी माता एक कार्यरत महिला हैं और उनको कम भत्ता दिया जाता है तो यह हमारे लिए कम पैसे लाएँगी।
  2. हमें अपनी बहनों, बेटियों और माताओं के उपचार के लिए महिला डॉक्टरों की आवश्यकता है। हम उन्हें तभी पा सकते हैं यदि स्त्रियां डॉक्टरी शिक्षा ग्रहण करेंगी।
  3. हमें महिला नौं की आवश्यकता है क्योंकि केवल वे ही हैं जो हमारी स्त्रियों की देखभाल कर सकती हैं।
  4. हमें महिला अध्यापिकाओं की आवश्यकता अपनी बहनों और बेटियों की शिक्षा के लिए है।
  5. हमें महिला खिलाड़ियों की आवश्यकता है नहीं तो हम अंतर्राष्ट्रीय खेलों के दौरान तालिका में उच्च स्थान प्राप्त नहीं कर सकते।
  6. हमें और बहुत-से वैज्ञानिकों, कम्प्यूटर विशेषज्ञों और तकनीशियनों की आवश्यकता है। यह तभी सम्भव है जब हम लड़कियों को समान अवसर प्रदान करते हैं।
  7. यदि पुरुष और स्त्री दोनों मिल कर कार्य करेंगे तो हमारा देश सुपर शक्ति बन सकता है। अतः हम विकसित राष्ट्र बनने की कल्पना नहीं कर सकते यदि हम लड़कियों को समान अवसर प्रदान नहीं करेंगे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
लिंग समानता सुनिश्चित करती है
(क) स्त्रियों के प्रति हिंसा
(ख) पुरुष प्रधान समाज
(ग) सभी लोगों के लिए समान अवसर
(घ) लड़कों के लिए अधिक रोज़गार।
उत्तर-
(ग) सभी लोगों के लिए समान अवसर।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा कथन लिंग समानता के लिए उपयुक्त है?
(क) लड़कों और लड़कियों के लिए रोजगार के अधिक अवसर
(ख) गृह कार्यों में पुरुषों की भागीदारी नहीं
(ग) स्त्रियों का खेलों में भाग न लेना
(घ) यह सभी।
उत्तर-
(क) लड़कों और लड़कियों के लिए रोजगार के अधिक अवसर।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 3.
नारीवादी आन्दोलनों का लक्ष्य है
(क) स्वतन्त्रता
(ख) समानता
(ग) सहभागिता
(घ) शक्ति।
उत्तर-
(ख) समानता।

प्रश्न 4.
भारत में स्त्रियों से ……. में भेदभाव किया जाता है।
(क) राजनीतिक जीवन
(ख) सामाजिक जीवन
(ग) आर्थिक जीवन
(घ) सभी ग़लत हैं।
उत्तर-
(घ) सभी ग़लत हैं।

प्रश्न 5.
लिंग आधारित मजदूरी का विभाजन दर्शाता है कि
(क) कार्य पुरुषों और स्त्रियों के बीच में विभाजन तय करता है
(ख) जाति पुरुषों और स्त्रियों के बीच विभाजन का आधार है
(ग) शिक्षा के आधार पर काम का विभाजन
(घ) सभी ग़लत हैं।
उत्तर-
(क) कार्य पुरुषों और स्त्रियों के बीच में विभाजन तय करता है।

प्रश्न 6.
समान मज़दूरी अधिनियम व्यक्त करता है
(क) घरेलू और परिवार सम्बन्धी मामलों को कैसे नियन्त्रित करना है।
(ख) कि स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान कार्य के लिए समान भत्ता दिया जाना चाहिए।
(ग) कि सभी कार्य स्त्रियों और पुरुषों द्वारा सीमा में रहते हुए किये जाते हैं।
(घ) कि लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
उत्तर-
(ख) कि स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान कार्य के लिए समान भत्ता दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
लिंग विभाजन आमतौर पर ………… का उल्लेख करता है।
(क) पुरुषों और स्त्रियों के बीच जैविक अन्तर।
(ख) असमान साक्षरता दर ।
(ग) समाज द्वारा पुरुषों और स्त्रियों को असमान भूमिकाएं सौंपी गई हैं ,
(घ) स्त्रियों को मताधिकार न देना।
उत्तर-
(ग) समाज द्वारा पुरुषों और स्त्रियों को असमान भूमिकाएं सौंपी गई हैं।

प्रश्न 8.
स्त्रियों का उत्तरदायित्व ………… है।
(क) केवल बच्चों की देखभाल करना
(ख) केवल घरेलू कार्य करना
(ग) निर्णय लेने और अन्य गतिविधियों में भाग लेना
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(ग) निर्णय लेने और अन्य गतिविधियों में भाग लेना।

प्रश्न 9.
पुरुषों को ……………….. नहीं करना चाहिए।
(क) गृह कार्यों में योगदान
(ख) बच्चों की देखभाल
(ग) स्त्रियों का शोषण
(घ) स्त्रियों का सम्मान।
उत्तर-
(ग) स्त्रियों का शोषण।

प्रश्न 10.
कथन (क): लिंग समानता हम सब के लिए अच्छी है।
कथन (ख): स्त्रियां पुरुषों से कम हैं। निम्न में से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है। कथन ख गलत है।
(ख) कथन क गलत है। कथन ख सही है।
(ग) दोनों कथन सही हैं।
(घ) इन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) कथन क सही है। कथन ख गलत है।

प्रश्न 11.
लड़कियों को …………… में अवश्य भाग लेना चाहिए।
(क) खेल गतिविधियों
(ख) कृषि और बागबानी कार्यों
(ग) यांत्रिक कार्यों
(घ) इन सभी में।
उत्तर-
(घ) इन सभी में।

प्रश्न 12.
पक्षपातीय लिंग ……….. का परिणाम है।
(क) समाज की संकीर्ण सोच
(ख) कार्यवाही की कमी
(ग) समाज की पुरुष प्रधान प्रकृति
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

रिक्त स्थान भरोः

  1. ……….. लिंग असमानता का कारण है जो सोचता है कि लड़कियां कमज़ोर हैं।
  2. समाज की ………… के लिए लिंग समानता बहुत ज्यादा आवश्यक है।
  3. स्त्रियां और पुरुष दोनों समाज का ………………. अंग हैं।
  4. लिंग समानता स्त्रियों के विरुद्ध ……………. को रोकता है।
  5. लिंग समानता घर पर या कार्य स्थल पर स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान ………… को निश्चित करती है।
  6. …………. लिंग सम्बन्धी रूढ़ प्रारूप को तोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  7. लिंग समानता एक मानवीय ……….. है।
  8. लड़कों को ………….. गतिविधियों में शामिल होना चाहिए।
  9. स्त्रियों को शिक्षित करना उसके ………….. को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
  10. भेदभाव साधारणतः ………….. बनाया जाता है।

उत्तर-

  1. संकीर्ण विचारधारा
  2. उन्नति
  3. अपरिहार्य
  4. हिंसा
  5. अवसर
  6. शिक्षा
  7. अधिकार
  8. घरेलू
  9. आत्म-सम्मान
  10. सामाजिक रूप से।

सही/गलत:

  1. हमें लड़कों और लड़कियों में भेदभाव करना चाहिए।
  2. लड़कियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के अवसर मिलने चाहिए।
  3. यान्त्रिक और चालक कार्य लड़कियों की पहुँच से दूर हैं।
  4. लड़कियों को कृषि और बागबानी कार्य में भाग लेना चाहिए।
  5. लिंग समानता करना उचित व्यवहार नहीं है।
  6. लड़कों और लड़कियों को आगे बढ़ने के समान अवसर दिए जाने चाहिए।
  7. लड़कियों को उनके द्वारा सामना किए गए दुर्व्यवहार के बारे में किसी को नहीं बताना चाहिए।
  8. लड़कों और लड़कियों दोनों को पौष्टिक भोजन दिया जाना चाहिए।
  9. लिंग असमानता उनके लिंग पर आधारित व्यक्तिगत असमान बर्ताव को प्रस्तुत करती है।
  10. लिंग समानता का मुख्य उद्देश्य समाज की रचना करना है जिसमें पुरुष और स्त्रियां समान अधिकारों का आनन्द मानें।

उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. ग़लत
  6. सही
  7. ग़लत
  8. सही
  9. सही
  10. ग़लत।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वजनिक सम्पत्ति क्या है?
उत्तर-
ऐसी सम्पत्ति जो लोगों से एकत्र किए कर से चलती है।

प्रश्न 2.
किसी एक सार्वजनिक सम्पत्ति का नाम बताओ।
उत्तर-
सार्वजनिक पुस्तकालय।

प्रश्न 3.
किसी एक व्यक्तिगत सम्पत्ति का नाम बताओ।
उत्तर-
अपना घर।

प्रश्न 4.
इनमें से कौन-सी सार्वजनिक सम्पत्ति नहीं है? बंगला, पार्क और संग्रहालय।
उत्तर-
बंगला।

प्रश्न 5.
इनमें से कौन-सी सार्वजनिक सम्पत्ति है? बंगला, पार्क और संग्रहलय।
उत्तर–
पार्क और संग्रहालय।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

प्रश्न 6.
सार्वजनिक सम्पत्तियों का रख-रखाव और रक्षा करना सरकार का कार्य है। क्या यह कथन सही या गलत है?
उत्तर-
नहीं, सार्वजनिक सम्पत्तियों का रख-रखाब और रक्षा करना सरकार, सहित हम सबका कर्त्तव्य है।

प्रश्न 7.
क्या हमें सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचानी चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए।

प्रश्न 8.
क्या हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों के निर्माण, रख-रखाव और रक्षा में योगदान देना चाहिए?
उत्तर-
हां, हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों के निर्माण, रख-रखाव और रक्षा में योगदान देना चाहिए।

प्रश्न 9.
कुछ सम्पत्तियों को सार्वजनिक सम्पत्तियां क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
क्योंकि ये जनता से आए पैसे से बनाई, रक्षित और रख-रखाव की जाती हैं।

प्रश्न 10.
क्या हमें संग्रहालय की दीवारों पर लिखना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, संग्रहालय की दीवारों पर नहीं लिखना चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक सम्पत्ति है।

प्रश्न 11.
क्या हमें अपने विद्यालय का ध्यान नहीं रखना चाहिए?
उत्तर-
हूँ, हमें अपने विद्यालय का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ये शिक्षा के मन्दिर हैं।

प्रश्न 12.
समाज की सेवा का सबसे बढ़िया ढंग कौन-सा है?
उत्तर-
समाज की सेवा का सबसे बढ़िया ढंग सार्वजनिक सम्पत्ति को बनाने, रख-रखाव करने, रक्षा करने और बचाने में योगदान देना।

प्रश्न 13.
यदि हम हार जाएं तो क्या हमें प्रेरणाहीन अनुभव करना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, यदि हम हार जाएं तो हमें स्वयं को प्रेरणाहीन नहीं समझना चाहिए।

प्रश्न 14.
यदि हम जीतने में असफल हों तो क्या हमें खेलना बन्द कर देना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें अपनी कमियों और असफलता से सीखना चाहिए और अगली बार जीतने के लिए कड़ा परिश्रम करने का यत्न करना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

प्रश्न 15.
क्या सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही होनी चाहिए?
उत्तर-
हाँ, सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।

प्रश्न 16.
सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाना किस प्रकार का व्यवहार है?
उत्तर-
यह समाज विरोधी व्यवहार है या पूर्ण समाज के विरुद्ध अपराध है।

प्रश्न 17.
क्या हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों की साफ़-सफ़ाई का ध्यान नहीं रखना चाहिए?
उत्तर-
हमें ध्यान रखना चाहिए कि सार्वजनिक सम्पत्तियों को साफ़-सुथरा रखना चाहिए।

प्रश्न 18.
क्या रेलवे स्टेशन और बस स्टाप सार्वजनिक सम्पत्तियां हैं?
उत्तर-
हां, रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप सार्वजनिक सम्पत्तियां हैं।

प्रश्न 19.
सड़क और फार्मलैंड में से कौन-सी सार्वजनिक सम्पत्ति है?
उत्तर-
सड़क सार्वजनिक सम्पत्ति है।

प्रश्न 20.
सार्वजनिक सम्पत्ति को कौन उपयोग कर सकता है?
उत्तर-
हम सब सार्वजनिक सम्पत्ति का उपयोग कर सकते हैं।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वजनिक सम्पत्ति के अर्थ की व्याख्या करें।
उत्तर-
सार्वजनिक सम्पत्तियां समाज की विशिष्ट सम्पत्तियां हैं। ये सभी बड़े यत्नों से बनाई गई हैं। इनको बनाने और इनके रख-रखाव में बहुत बड़ी मात्रा में पैसे का निवेश होता है। इन सम्पत्तियों को सार्वजनिक सम्पत्तियां कहा जाता है। क्योंकि ये लोगों से कर के रूप में एकत्र किए पैसे से चलती हैं। विद्यालय, अस्पताल, पुस्तकालय, बैंक, रेलवे, बसें, पार्क आदि सार्वजनिक सम्पत्तियां हैं।

प्रश्न 2.
निजी सम्पत्ति, सार्वजनिक सम्पत्ति से कैसे भिन्न होती है?
उत्तर-
निजी सम्पत्ति, सार्वजनिक सम्पत्ति से निम्नानुसार भिन्न है

  1. सार्वजनिक सम्पत्ति अकसर निजी सम्पत्ति से बड़ी होती है।
  2. सार्वजनिक सम्पत्ति हम सबसे करो के रूप में एकत्र किए धन से बनायी और चलायी जाती है। दूसरी ओर निजी सम्पत्ति मालिक द्वारा बनाई जाती है और रख-रखाव की जाती है।
  3. सार्वजनिक सम्पत्ति सामान्य सम्पत्ति है जो सभी द्वारा उपयोग की जाती है। निजी सम्पत्ति केवल मालिक द्वारा उपयोग की जाती है।
  4. सार्वजनिक सम्पत्ति के रख-रखाव को बनाए रखना हम सबका कर्त्तव्य है। निजी सम्पत्ति का रख-रखाव मालिक द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 3.
सार्वजनिक सम्पत्तियों की हम कैसे रक्षा कर सकते हैं?
उत्तर-
निम्न कुछेक विधियां हैं जिससे हम सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा कर सकते हैं।

  1. हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए।
  2. हमें उन लोगों की सहायता करनी चाहिए जो सार्वजनिक सम्पत्ति का रख-रखाव और रक्षा कर रहे हैं।
  3. हम सबको सार्वजनिक सम्पत्तियों के महत्त्व के बारे में जागरुकता फैलानी चाहिए।
  4. सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा के लिए कानून और नियम होने चाहिए।
  5. जो लोग सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाने का यत्न करते हैं या वास्तव में क्षति पहुंचाते हैं, उन्हें कठोर दण्ड दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 4.
सार्वजनिक सम्पत्तियों के लिए धन के स्त्रोत क्या हैं?
उत्तर-
जिस सम्पत्ति पर हम सबका समान अधिकार हो उसे सार्वजनिक सम्पत्ति कहा जाता है। सार्वजनिक सम्पत्तियों के लिए धन के मुख्य साधन ये हैं

  1. प्रत्यक्ष कर जैसे कि आयकर।
  2. अप्रत्यक्ष कर जैसे कि बिक्री कर, उत्पाद और सीमा शुल्क।
  3. लोगों से दान, जो सोचते हैं कि समाज के प्रति यह उनकी नैतिक जिम्मेवारी है।

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प्रश्न 5.
विद्यालय की सम्पत्ति के बारे में कुछेक पंक्तियां लिखो।
उत्तर-
विद्यालय की सम्पत्ति में, कुर्सियां, मेज़, डैस्क, विज्ञान प्रयोगशालाएं, खेल के मैदान और पुस्तकालय शामिल होते हैं। विद्यार्थियों को विद्यालय की सम्पत्ति को नष्ट नहीं करना चाहिए। विद्यालय की सम्पत्ति का निर्माण सरकार और जनता दोनों द्वारा किया जाता है। हमें विद्यालय की सम्पत्ति की देखभाल में सहायता के लिए कक्षासमितियां बनानी चाहिएं।

प्रश्न 6.
निम्न पहेलियों को सुलझाने का यत्न करें

  1. मेरे पास बहुत-सी कुर्सियां, मेज़, समाचार-पत्र और किताबों से भरी बहुत-सी अलमारियां हैं।
  2. मेरे पास सुन्दर लॉन है और बहुत-से सुन्दर फूल और पौधे हैं।
  3. मैं बहुत-से कमरों वाली प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, खेल के मैदान, रसोई शनिका वाली बड़ी
    इमारत हूँ और औपचारिक शिक्षा देने का स्थान हूँ।

उत्तर-

  1. यह पुस्तकालय है।
  2. यह पार्क है।
  3. यह एक विद्यालय है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कुछेक सार्वजनिक सम्पत्तियों का नाम लिखो और इनके महत्त्व बताओ।
उत्तर-
सार्वजनिक सम्पत्तियां वे सम्पत्तियां हैं जो जनता के पैसे से बनाई जाती हैं और उनका रख-रखाव किया जाता है,। कुछेक सार्वजनिक सम्पत्तियां और उनका महत्त्व निम्नलिखित है

  1. सार्वजनिक पुस्तकालय-यह सबको पढ़ने और पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करती है। अत: यह बढ़िया समाज को बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।
  2. सार्वजनिक खेल के मैदान-ये विभिन्न बाहरी खेलों को सीखने और खेलने में हमारी सहायता करते हैं। ये हमारी ऊर्जा और समय को सकारात्मक ढंग से उपयोग करने में सहायता करते हैं।
  3. पार्क और बाग-ये वे स्थान हैं जहां हम योगा, कसरत और सैर कर सकते हैं। हम अच्छा और चिन्तामुक्त अनुभव करते हैं जब हम सुन्दर फूलों को देखते हैं। अतः ये वे स्थान हैं जो हमारा तनाव कम करने में सहायता करते हैं।
  4. सार्वजनिक यातायात-बसें और रेलगाड़ियां सार्वजनिक यातायात का महत्त्वपूर्ण भाग हैं। ये ईंधन बचाने और प्रदूषण कम करने में सहायता करती हैं।
  5. अस्पताल-सार्वजनिक अस्पताल स्वस्थ रहने में हमारी सहायता करते हैं और बहुत कम लागत पर उपचार लेने को हमारी सहायता करते हैं।

प्रश्न 2.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दें

  1. क्या सार्वजनिक सम्पत्तियों के बगैर बढ़िया जीवन की कल्पना कर सकते हैं?
  2. जो सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाते हैं, उनसे हमें कैसे व्यवहार करना चाहिए?
  3. सार्वजनिक सम्पत्तियों की क्षति हमारी अपनी क्षति है, सिद्ध करें।
  4. आप दूसरों की सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाने से दूर रहने के लिए किस प्रकार उत्साहित करेंगे?

उत्तर-

  1. नहीं, हम सार्वजनिक सम्पत्तियों के बगैर बढ़िया जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। उदाहरणत: हमें कम पैसे खर्चे पर दूर स्थानों तक यात्रा करने के लिए बसों और रेलगाड़ियों की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार कम लागत पर उपचार प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक अस्तपालों की आवश्यकता है।
  2. कुछेक लोग सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाते हैं। हमें किसी को भी सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने से रोकना चाहिए और जागरूक करना चाहिए।
  3. सार्वजनिक सम्पत्तियां जनता के पैसे से बनाई और चलाई जाती हैं। हम सरकार को कर अदा करते हैं और सरकार एकत्रित धन में से कुछ सार्वजनिक सम्पत्तियों के रख-रखाव पर खर्च करती है। यदि हम सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाएंगे तो सरकार हम पर भारी कर लगाएगी। अतः हमें उनकी क्षति पूर्ति के लिए धन अदा करना है। साधारण शब्दों में यदि हम सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाते हैं तो हम स्वयं को क्षति पहुंचा रहे हैं।
  4. सार्वजनिक स्थानों का ध्यान रखना हमारा सामूहिक उत्तरदायित्व है। हमें यह हमारे इर्द-गिर्द सभी को बताना होगा। हम सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने से रोकने के लिए लोगों के लिए नारे तैयार कर सकते हैं। हम सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा के लिए जागरुकता फैलाने के लिए पोस्टर बना सकते हैं, खेल खेलते हैं, ड्रामा आदि दिखा सकते हैं।

प्रश्न 3.
विद्यालय की सम्पत्ति का ध्यान रखना प्रत्येक विद्यार्थी के लिए महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
अग्रलिखित वे कारण हैं जो प्रत्येक विद्यार्थी के लिए विद्यालय की सम्पत्ति का ध्यान रखने की व्याख्या करते हैं

  1. विद्यालय एक सार्वजनिक सम्पत्ति है और इस स्थान की आवश्यकता ज्ञान प्राप्त करने और औपचारिक शिक्षा ग्रहण के लिए है।
  2. यदि हम अपने विद्यालय की सम्पत्ति को हानि पहुंचाएंगे तो आवश्यकता के समय उसका उपयोग नहीं कर सकेंगे।
  3. यदि हम पुस्तकालय से पुस्तकें चुराते हैं या फाड़ते हैं तो आवश्यकता के समय हम पुस्तकें प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
  4. यदि हम प्रयोगशाला में उपकरणों और यन्त्रों को तोड़ते हैं तो हम प्रयोग नहीं कर सकते।
  5. यदि हम विद्यालय के लॉन को खराब करते हैं तब हमें असुखद परिवेश में बैठना पड़ेगा।
  6. यदि हम खेल के मैदानों का उपयोग कूड़ा-कर्कट फैंकने के लिए करेंगे तो हमें खेलने के लिए कोई स्थान नहीं मिलेगा।
  7. यदि हम कक्षा में फर्नीचर को क्षति पहुंचाएंगे तो हमारे पास बैठने के लिए अच्छा फर्नीचर नहीं होगा। ऊपरी तथ्यों से, प्रत्येक व्यक्ति विद्यालय की सम्पत्तियों के ध्यान रखने के महत्त्व को सरलता से समझ सकता है।

प्रश्न 4.
निम्न प्रश्नों का उत्तर दें:
(i) हमें सार्वजनिक यातायात का क्यों ध्यान रखना चाहिए?
(ii) हमें पार्कों और बागों का क्यों ध्यान रखना चाहिए?
(iii) हमें सड़कों और रेल मार्गों को क्षति क्यों नहीं पहुंचानी चाहिए?
उत्तर-
(i) सार्वजनिक यातायात सस्ता, टिकाऊ और सबके लिए उपलब्ध साधन है। हम सबको, चाहे वह अमीर हो या गरीब, दूरस्थ स्थानों पर यात्रा करने के लिए सार्वजनिक यातायात की आवश्यकता होती है। यह तब और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है जब हम दुर्गम और बीहड़ स्थानों पर जाना चाहते हैं। इनका प्रयोग करके हम सभी मौसमों में यात्रा कर सकते हैं और हम बिना थकावट के यात्रा कर सकते हैं । हम खुशी अनुभव करेंगे यदि सार्वजनिक यातायात साफ और अच्छी स्थिति में होगा। यह तभी सम्भव है यदि हम अच्छी तरह ध्यान रखेंगे और इनको किसी प्रकार की क्षति न पहुंचाएं।

(ii) अच्छी तरह से साफ और रख-रखाव किए हुए पार्क लोगों को लम्बी सैर, पिकनिक मनाने, खेल गतिविधियों या केवल आराम करने के लिए सुरक्षित और आनन्ददायक स्थान उपलब्ध करवाते हैं। वे हमारे वातावरण और पानी की गुणवत्ता को सुधारते हैं। हम कई प्रकार के फूलों, पौधों और जानवरों के बारे में जानते हैं। पार्कों और बागों में जाकर सीख सकते हैं। पार्कों और बागों को साफ़ रखना प्रत्येक आने वाले का कार्य हैं। अतः हमारे अपने लाभ के लिए हमें पार्कों और बागों की अच्छी तरह देखभाल करनी चाहिए।

(iii) हमें सड़कों और रेलमार्गों को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए क्योंकि यदि ये क्षतिपूर्ण होंगे तो हमारी यात्रा धीमी और असुखद होगी। हमें अपने निर्धारित स्थान पर पहुंचने में अधिक समय लगेगा। यदि सड़क या रेल मार्ग खराब होंगे तो दुर्घटनाओं की सम्भावनाएं अधिक होंगी। यह बहुत से लोगों के जीवन को खतरे में डाल देगी। अतः हमें अपनी सुरक्षा और उन्नति के लिए सड़कों और रेलमार्गों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
स्कूल वह स्थान है जहां हम
(क) खेलते समय सीखते हैं
(ख) अनौपचारिक विधि से सीखते हैं
(ग) औपचारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं
(घ) ये सभी।
उत्तर-
(ग) औपचारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सी सार्वजनिक सम्पत्ति नहीं है?
(क) स्कूल
(ख) खेल का मैदान
(ग) पार्क
(घ) ये सभी सार्वजनिक सम्पत्ति हैं।
उत्तर-
(घ) ये सभी सार्वजनिक सम्पत्ति हैं।

प्रश्न 3.
सभी सार्वजनिक सम्पत्तियां जनता के पैसे से बनाई जाती हैं।
(क) सत्य
(ख) असत्य
(ग) इनमें कुछेक जनता के पैसे से बनाई जाती हैं
(घ) सभी गलत हैं।
उत्तर-
(क) सत्य।

प्रश्न 4.
हमें ………………….. चाहिए।
(क) सार्वजनिक सम्पत्ति की देखभाल नहीं करनी
(ख) सार्वजनिक सम्पत्ति की देखभाल करनी।
(ग) सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचानी
(घ) सभी गलत हैं।
उत्तर-
(ख) सार्वजनिक सम्पत्ति की देखभाल करनी।

प्रश्न 5.
सार्वजनिक सम्पत्ति के लिए पैसे ……………. से आता है।
(क) आमदन कर
(ख) बिक्री कर
(ग) सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(क) सभी सही हैं।

प्रश्न 6.
हम पढ़ने के लिए विभिन्न विषयों पर बहुत-सी पुस्तकें कहां पाते हैं?
(क) निजी पुस्तकालय में
(ख) सार्वजनिक पुस्तकालय में
(ग) अस्पताल में
(घ) पार्क में।
उत्तर-
(ख) सार्वजनिक पुस्तकालय में।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

प्रश्न 7.
सार्वजनिक सम्पत्तियां समाज की महत्त्वपूर्ण सम्पत्तियां होती हैं।
(क) महत्त्वपूर्ण
(ख) प्रतिष्ठा
(ग) बहुमूल्य
(घ) सभी सत्य हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सत्य हैं।

प्रश्न 8.
हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों के निर्माण के लिए ……….. योगदान देना चाहिए।
(क) अधिक से अधिक जितना हो सके
(ख) कुछ भी नहीं
(ग) सब कुछ
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(क) अधिक-से-अधिक जितना हो सके।

प्रश्न 9.
यह सभी का प्रमुख कर्तव्य है कि
(क) सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना
(ख) सार्वजनिक सम्पत्ति का रख-रखाव करना
(ग) सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाना
(घ) सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना और रख-रखाव करना।
उत्तर-
(घ) सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना और रख-रखाव करना।

प्रश्न 10.
कथन क : सार्वजनिक सम्पत्ति का निर्माण जनता से एकत्र किए धन से होता है।
कथन ख : सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। निम्न में से कौनसा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है
(ख) कथन क गलत है और कथन ख सही है
(ग) दोनों कथन सही हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है।

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा सबका कर्तव्य है?
(क) सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा और रख रखाव
(ख) सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति न पहंचाना
(ग) सार्वजनिक सम्पति को बढ़िया बनाने के लिए पैसा दान करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 12.
जो सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाते हैं उनके विरुद्ध किस प्रकार की कार्यवाही की जानी चाहिए?
(क) कोई कार्यवाही नहीं
(ख) सख्त कार्यवाही
(ग) कोमल कार्यवाही
(घ) केवल थोड़ा सा जुर्माना करना चाहिए।
उत्तर-
(ख) सख्त कार्यवाही।

रिक्त स्थान भरो:

  1. खेल के मैदान और पार्क …………. सम्पत्ति हैं।
  2. हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों का रख-रखाव और …………. करने का यत्न करना चाहिए।
  3. सार्वजनिक सम्पत्तियां हम सबके ……………… लिए हैं।
  4. सार्वजनिक सम्पत्तियां ………………….. निवेश से बनती हैं।
  5. सार्वजनिक सम्पत्तियों का बढ़िया ……………. सभ्य समाज का चिन्ह है।
  6. लोगों से ……………. द्वारा एकत्र किए पैसे से चलने वाली सम्पत्तियों को सार्वजनिक सम्पत्तियां कहते हैं।
  7. सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा और रख-रखाव करना हम सबका ………………….. है।
  8. जो सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाते हैं, उनके विरुद्ध …………. कार्यवाही करनी चाहिए।
  9. हमें …………… जैसे कि रेलों में गन्दगी नहीं फैलानी चाहिए।
  10. सार्वजनिक सम्पत्तियां समाज के प्रत्येक व्यक्ति की …………. करती हैं।

उत्तर-

  1. सार्वजनिक
  2. रक्षा
  3. उपयोग
  4. विशाल
  5. रख-रखाव
  6. टैक्सों
  7. कर्त्तव्य
  8. सख्त
  9. सार्वजनिक सम्पत्ति
  10. सेवा।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

सही/ग़लत:

  1. हमें सार्वजनिक पुस्तकालय में शान्ति बनाए रखनी चाहिए।
  2. बसों और रेलों में सफाई व्यवस्था को बनाए रखना सामूहिक उत्तरदायित्व है।
  3. हमें सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए।
  4. हमें सार्वजनिक पुस्तकालय में किताबों से पन्ने फाड़ने चाहिए।
  5. हमें सार्वजनिक बागों और पार्कों में से फूल तोड़ने चाहिए।
  6. सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने वाले के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
  7. सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा और रख-रखाव करना हम सबका कर्त्तव्य है।
  8. हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों की दीवारों पर नहीं लिखना चाहिए।
  9. हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।
  10. सार्वजनिक सम्पत्तियां लोगों से एकत्र करों पर चलती हैं।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. सही
  4. ग़लत
  5. ग़लत
  6. सही
  7. सही
  8. सही
  9. सही
  10. सही।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 6 निर्णय लेना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 6 निर्णय लेना

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB निर्णय लेना InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्णय लेने को परिभाषित करें।
उत्तर-
निर्णय लेना एक व्यक्ति सभी सम्भावित विकल्पों में से चुनाव करने की योग्यता है।

प्रश्न 2.
क्या निर्णय लेना केवल अव्यवस्थित विकल्प बनाना है?
उत्तर-
नहीं, यह केवल अव्यवस्थित विकल्प बनाना नहीं है।

प्रश्न 3.
निर्णय लेने का मुख्य बिन्दु कौन-सा है?
उत्तर-
यह प्रत्येक विकल्प के बारे में तर्कसंगत सोच पर आधारित है।

प्रश्न 4.
क्या हमें हमेशा शीघ्रता से निर्णय लेना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, अधिकतर स्थितियों में हमें अति शीघ्रता से निर्णय नहीं लेना चाहिए।

प्रश्न 5.
क्या बढ़िया निर्णय लेना एक गुण है?
उत्तर-
हाँ, बढ़िया निर्णय लेना एक गुण है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 6.
क्या हमें निर्णय लेने से पहले समस्या के कारण के बारे में जानना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, निर्णय लेने से पहले हमें समस्या के कारण के बारे में जानना चाहिए।

प्रश्न 7.
क्या कार्य करने से पहले समस्या का विश्लेषण करना बढ़िया है?
उत्तर-
हाँ, कार्य करने से पहले समस्या का विश्लेषण करना अच्छा है।

प्रश्न 8.
क्या समाधान ढूंढने का प्रत्यन करने से पहले समस्या की प्रकृति के बारे में जानना अच्छा है?
उत्तर-
हाँ, समाधान ढूंढने का प्रयत्न करने से पहले समस्या की प्रकृति के बारे में जानना अच्छा है।

प्रश्न 9.
क्या निर्णय लेने से पहले हमें सभी सम्भावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, निर्णय लेने से पहले हमें सभी सम्भावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

प्रश्न 10.
क्या हमें अपने निर्णय पर स्थिर रहना चाहिए यदि यह समस्या को और गम्भीर बना दे?
उत्तर-
नहीं, हमें अपने निर्णय पर स्थिर नहीं रहना चाहिए यदि यह समस्या को और गम्भीर बना दे।

प्रश्न 11.
क्या प्रत्येक विकल्प/समाधान के बारे में पूर्ण जानकारी एकत्र करना बढ़िया है?
उत्तर-
हाँ, प्रत्येक विकल्प/समाधान के बारे में पूर्ण जानकारी एकत्र करना बढ़िया है।

प्रश्न 12.
निर्णय लेना सरल क्यों नहीं है?
उत्तर-
क्योंकि इसमें विश्लेषण करना, जानकारी प्राप्त करना और दूसरों से चर्चा करना शामिल है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 13.
जब हमारे पास अपनी समस्या के लिए बहुत-से विकल्प हों तो कौन-सा विकल्प चुना जाना चाहिए?
उत्तर-
हमें कम लागत के साथ बढ़िया परिणाम वाले विकल्प को चुनना चाहिए।

प्रश्न 14.
क्या निर्णय लेने से पूर्व सभी विकल्पों की तुलना करना अच्छा है?
उत्तर-
हाँ, निर्णय लेने से पूर्व सभी विकल्पों की तुलना करना अच्छा है।

प्रश्न 15.
हमें अपने निर्णय को लागू करने से पहले दूसरे के साथ चर्चा क्यों करनी चाहिए?
उत्तर-
क्योंकि यह हमें अपने निर्णय में उपयुक्त परिवर्तन करने के लिए सहायता करेगा ताकि बढ़िया परिणाम प्राप्त किए जा सकें।

प्रश्न 16.
क्या पूर्व निर्णयों के नकारात्मक परिणामों के आधार पर अपने निर्णय को बदलना अच्छा है?
उत्तर-
हाँ, पूर्व निर्णयों के नकारात्मक परिणामों के आधार पर अपने निर्णय को बदलना अच्छा है।

प्रश्न 17.
क्या नया निर्णय लेने से पहले पूर्व निर्णयों के परिणामों के बारे में जानना अच्छा है?
उत्तर-
हाँ, नया निर्णय लेने से पहले पूर्व निर्णयों के परिणामों के बारे में जानना बढ़िया है।

प्रश्न 18.
हम बढ़िया निर्णय कैसे ले सकते हैं?
उत्तर-
हम बढ़िया निर्णय केवल पूर्ण विश्लेषण, उपलब्ध विभिन्न विकल्पों की तुलना और दूसरों से बातचीत करने के पश्चात् ले सकते हैं।

प्रश्न 19.
क्या हमें सभी समाधानों के सभी सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के बारे में सोचना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें सभी समाधानों के सभी सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के बारे में सोचना चाहिए।

प्रश्न 20.
यदि हमारे पूर्व निर्णय सही नहीं थे तो हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर-
हमें उस निर्णय को दिमाग में रखना चाहिए और भविष्य में समस्या के समाधान में कभी लागू नहीं करना चाहिए।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्णय लेना क्या है ? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर-
निर्णय लेना वह योग्यता है जो सभी सम्भावित विकल्पों में से सही को चुनने के योग्य बनाती है। यह प्रत्येक विकल्प के बारे में तर्कसंगत सोच पर आधारित है जोकि अव्यवस्थित विकल्प पर।

प्रश्न 2.
निर्णय लेने की प्रक्रिया में कौन-से पग शामिल हैं?
उत्तर-
महत्त्वपूर्ण पग ये हैं:

  1. हमें समस्या के बारे में, इसके कारणों और इसकी प्रकृति के विषय में जानना चाहिए।
  2. हमें समस्या के समाधान के लिए उपलब्ध विकल्पों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करना चाहिए।
  3. हमें दूसरों के साथ अपने निर्णय पर बातचीत करनी चाहिए।
  4. हमें अपने पूर्व निर्णयों को इस जैसी स्थिति में याद करना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 3.
क्या यह आवश्यक है कि हमें समस्या के लिए उत्तरदायी विभिन्न तत्त्वों का विश्लेषण करना चाहिए?
उत्तर-
समस्या के लिए उत्तरदायी विभिन्न तत्त्वों का विश्लेषण करना आवश्यक है क्योंकि कई बार विशेष तत्त्व को केवल हटाने से ही समस्या का समाधान हो सकता है। उदाहरणतया यदि किसी को किसी तत्त्व से एलर्जी है तो दवाई से उसका उपचार नहीं किया जा सकता। इस मामले में, समस्या का समाधान एलर्जी फैलाने वाले तत्त्व को हटा कर ही किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
तर्कसंगत सोच से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
तर्कसंगत सोच सोचने की एक विधि है जिसमें हम समस्या के समाधान के लिए प्रयत्न करने से पहले समस्या के प्रत्येक पहलू का विश्लेषण करते हैं। इस प्रकार की सोच में, हम समस्या के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं की तुलना करते हैं।

प्रश्न 5.
पूर्व अनुभव से सीखना निर्णय लेने में हमेशा सहायक होता है। सिद्ध करो।
उत्तर-
हम प्रतिदिन निर्णय लेते हैं। हमारे निर्णयों में से कुछ सही और लाभदायक सिद्ध होते हैं परन्तु कुछेक ग़लत या कम लाभदायक होते हैं। अतः यदि हम पूर्व निर्णयों और उनके परिणामों को दिमाग में रखते हैं तो हमारे लिए भविष्य में सही व लाभदायक निर्णय लेने में सरलता होगी। इसके कारण जब हमारा वैसी ही समस्या से सामना होगा तो हम ग़लत या कम लाभदायक निर्णय नहीं लेंगे। इसलिए पूर्व अनुभव से सीखना निर्णय लेने में हमेशा सहायक होता है।

प्रश्न 6.
स्व-विश्लेषण या आत्म-निरीक्षण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आत्म-निरीक्षण या स्व-विश्लेषण एवं प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति के विचारों और भावनाओं को भीतर से जानना शामिल है। जिसमें जब आप परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के कारणों का किसी दूसरे से मशवरा किए बगैर विश्लेषण करते हैं, यह इसकी उदाहरण है। यह आपको भविष्य में बढ़िया कर्ता बनने में सहायता करेगा। हम सबको आत्म-निरीक्षण करना चाहिए।

प्रश्न 7.
यदि आपको पता चलता है कि आपकी टेबल लैम्प कार्य नहीं कर रही तो अपने निर्णय का फ्लोचार्ट बनाओ।
उत्तर-
यदि हमारी टेबल लैम्प कार्य नहीं कर रही तो इसके बहुत-से कारण हो सकते हैं और हम निम्न फ्लोचार्ट के आधार पर अपने कार्य को निश्चित कर सकते हैं

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना 1

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एक प्रभावशाली निर्णय लेने के लिए विभिन्न पग लिखें।
उत्तर-
एक प्रभावशाली निर्णय लेने के लिए निम्नलिखित पगों की आवश्यकता है

  1. निर्णय की पहचान-यह पहला पग है जो बहुत महत्त्वपूर्ण है। आपने जो निर्णय किया है उसके प्रति स्पष्ट रहो।
  2. सम्बन्धित जानकारी एकत्र करना-निर्णय लेने से पूर्व पूरी सम्बन्धित जानकारी एकत्र करो।
  3. विकल्पों की पहचान-आप सभी सम्भव और इच्छित विकल्पों की सूची बनाओ।
  4. विकल्पों की परख-आपको विकल्पों की परख अवश्य करनी चाहिए। इन विकल्पों को स्थिति की मांग के आधार पर प्राथमिक क्रम में रखो। इसके बाद बढ़िया विकल्प को चुनो जिसको कम लागत की आवश्यकता हो और अधिक परिणाम दें।
  5. निर्णय को लागू करना-सभी आवश्यक कार्य करने के पश्चात् आपको क्रिया करनी चाहिए।
  6. अपने निर्णय और इसके परिणामों की समीक्षा करें-अन्त में देखो कि परिणाम क्या है। यदि परिणाम अच्छा नहीं है या लक्ष्य तक नहीं है तो विभिन्न तत्वों पर विचार करें जहां आपको सुधारों की आवश्यकता है।
    इस पूरी प्रक्रिया को निम्न चित्र की सहायता से दिखा जा सकता है।
    PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना 2

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 2.
रोजमर्रा की ज़िन्दगी में बढ़िया निर्णय लेने की आवश्यकता या महत्ता के बारे में लिखें।
उत्तर-
बढ़िया निर्णय लेना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि:

  1. यदि अब हम ग़लत निर्णय लेते हैं तो हमें अपने जीवन में इसे पुनः दोहराना पड़ सकता है।
  2. सही व्यवसाय के बारे में राय बनाना बहुत महत्त्वपूर्ण है नहीं तो हमारी पूरी ज़िन्दगी के लिए हमें कुछ ऐसा करना पडेगा जो हमारे स्वभाव के विरुद्ध है।
  3. बढ़िया निर्णय हमें खुश रखता है और निर्धारित क्षेत्र में उन्नति करने और विशिष्ट बनने के लिए उत्साहित करता है।
  4. अपनी योजना और लक्ष्य निर्धारित करने के पश्चात् हम दिल लगा कर और अपनी पूरी योग्यता से कार्य कर सकते हैं।
  5. हमारे अपने निर्णयों के साथ हम निरन्तर कार्य करते हैं जो हमारी सफलता को निश्चित करता है। चाहे हमें सफलता शीघ्रता से या देरी से मिलेगी परन्तु हमारी सफलता निश्चित है।

प्रश्न 3.
दिए गए पगों को पुनर्व्यवस्थित करें, जिनका बढ़िया निर्णय लेते समय पालन किया जाना चाहिए।

  1. निर्णय की समीक्षा
  2. समस्या का विश्लेषण
  3. सभी समाधानों या विकल्पों की परख
  4. सभी समाधानों या विकल्पों की पहचान
  5. क्रिया करना
  6. जानकारी एकत्र करना
  7. समाधानों या विकल्पों में से चुनना।

उत्तर-
हमें ऊपर बताए पगों के साथ निम्न क्रम में चलना चाहिए

  1. समस्या का विश्लेषण
  2. सभी समाधानों या विकल्पों की पहचान
  3. जानकारी एकत्र करना
  4. सभी समाधानों या विकल्पों की परख
  5. समाधानों या विकल्पों में से चुनना
  6. क्रिया करना
  7. निर्णय की समीक्षा।

प्रश्न 4.
उन ढंगों को सुचीबद्ध करो जिनमें आप अपनी निर्णय लेने की कुशलता को सुधार सकते हैं।
उत्तर-
यहां ऐसे बहुत-से ढंग हैं जिनसे हम अपनी निर्णय लेने की कुशलता को सुधार सकते हैं

  1. पहली और महत्त्वपूर्ण कुशलता अपने धैर्य को बनाए रखना है।
  2. हमें कठिन परिस्थितियों में कभी भी घबराहट महसूस नहीं करनी चाहिए।
  3. यदि हम एक समय पर एक से अधिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो हमें प्राथमिकता तय करनी चाहिए।
  4. हमें समस्या और इसके कारणों का विश्लेषण करना चाहिए।
  5. हमें हमारे लिए उपलब्ध सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए और उनकी परख करनी चाहिए।
  6. हमें पूर्ण सम्बन्धित जानकारी एकत्र करनी चाहिए और सबसे बढ़िया सम्भव विकल्प को चुनना चाहिए।
  7. हमें अपने निर्णय के बारे में दूसरों से विचार विमर्श करना चाहिए और अपने पूर्व के निर्णय के साथ मिलाकर जांचना चाहिए।
  8. हमें अपने निर्णय को तय करने के पश्चात् कार्य करना चाहिए।
  9. हमारे निर्णय के लिए हम उत्तरदायी हैं और हमें इसकी उपयोगिता या अपयोगिता के लिए समीक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
मान लो आपका नाम x है और आपके मित्र का है जिसे आप उसके घर में मिलते हो। Y ने अपने पिता की अलमारी में से सिगरेट चुराई और पीने लगा। उसने आपको भी सिगरेट पेश की। आप इस स्थिति में क्या करेंगे? निर्णय लेने के लिए अपने विकल्प दो। यह आपके जीवन में अच्छा निर्णय लेने में आपकी सहायता करेगा। जब कभी भी आपको कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने हैं या आप सही या गलत के बीच दुविधा में हैं। सही निर्णय तक पहुंचने के लिए आवश्यक छः पगों को बताओ।
उत्तर-
निर्णय लेने की क्रिया को निम्नलिखित ढंग से पूरा किया जा सकता है

  1. समस्या की पहचान-यहां मैंने समस्या की पहचान कर ली है जैसे सिगरेट पीने के बारे में निर्णय लेना है।
  2. विकल्पों के बारे में विचार करना-मेरे पास दो विकल्प हैं या तो सिगरेट पीऊं या न।
  3. एक विकल्प या अनुसरण करने के परिणाम-मैं जानता हूँ कि सिगरेट पीना बुरी आदत है और मेरे जीवन को बर्बाद कर सकती है। अत: यदि मैं सिगरेट पीता हूँ तो मैं अपने जीवन को बर्बाद कर लूंगा और यदि मैं सिगरेट नहीं पीता तो मैं अपने जीवन को बर्बाद होने से बचा लूंगा।
  4. सही विकल्प के बारे में तय करना-क्योंकि मैं जानता हूँ, सिगरेट पीना बहुत हानिकारक है और जीवन के लिए खतरनाक है। अत: सिगरेट पीने का निर्णय गलत निर्णय होगा। अत: सही विकल्प सिगरेट पीने की पेशकश को अस्वीकार करना होगा।
  5. अन्तिम निर्णय-मेरा अन्तिम निर्णय मेरे मित्र के प्रस्ताव को छोड़ देना है। मैं अपने मित्र को सब कुछ बताऊंगा और वह मुझ से सहमत होता है और अपनी सिगरेट पीने की आदत के विरुद्ध निर्णय लेगा।
  6. मेरे निर्णय की समीक्षा-सिगरेट न पीने का मेरा निर्णय एकदम सही है। इसने मुझे खुश किया है जैसे कि मैंने अपने मित्र को सिगरेट पीने की बुरी आदत को छोड़ने के लिए आश्वस्त किया है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 6.
मध्यांतर में, आपने देखा कि आपका परम मित्र किसी दूसरे विद्यार्थी के बैग से कुछ निकाल रहा है। आपके मित्र ने यह नहीं देखा कि आप उसे देख रहे हो। मध्यांतर के पश्चात् अध्यापक ने कक्षा में घोषणा की कि किसी ने एक विद्यार्थी के बैग से पैसे चुरा लिए हैं। आप क्या करोगे? एक निर्णय लो और निम्न प्रश्नों का उत्तर दें।

  1. समस्या क्या है?
  2. आपके पास क्या विकल्प हैं?
  3. प्रत्येक विकल्प का परिणाम क्या है?
  4. कौन-सा विकल्प अधिक बढ़िया है और क्यों?
  5. आपका क्या निर्णय है?
  6. क्या आप सोचते हो कि आपने सही निर्णय किया? क्यों?

उत्तर-
इस स्थिति में प्रश्नों के उत्तरों के आधार पर मेरा निर्णय है:

  1. यह सारी समस्या मेरे मित्र द्वारा किए कार्य के कारण है जोकि पूर्ण रूप से ग़लत कार्य है।
  2. मेरे पास विभिन्न विकल्प हैं जैसे कि मित्र के कार्य को नज़र अंदाज़ कर देना, प्रयत्न करना कि मेरा मित्र पुनः ऐसा कार्य न करे जोकि ग़लत हो।
  3. यदि मैं मित्र के कार्य को नज़र अंदाज़ कर देता हूँ तो वह बुरा व्यक्ति बन सकता है। यदि मैं प्रयत्न करता हूँ तो उसको अच्छा व्यक्ति बना सकता है।
  4. दूसरा विकल्प बढ़िया है क्योंकि यह मेरे मित्र व समाज की भलाई के लिए होगा।
  5. मेरा अन्तिम निर्णय अध्यापक को बताना है कि मेरे मित्र ने पैसे चोरी किए हैं। मुझे अध्यापक और सहपाठियों को विश्वास दिलाना चाहिए कि भविष्य में वह ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा और उसे क्षमा कर देना चाहिए।
  6. हाँ, मेरे विचार से मेरा निर्णय सही है क्योंकि इससे सबको लाभ होगा।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
निर्णय लेने का सार है
(क) समस्या का समाधान
(ख) विकल्पों में से चुनना
(ग) कार्य के विकल्प का पाठ्यक्रम विकसित करना
(घ) निगरानी।
उत्तर-
(ख) विकल्पों में से चुनना।

प्रश्न 2.
निर्णय लेना एक व्यक्ति की ……………. बनाने की योग्यता है।
(क) सभी सम्भव विकल्पों में से एक को चुनना
(ख) समस्या के समाधान के लिए सभी सम्भावनों की सूची
(ग) समस्या के सभी कारणों की सूची
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(क) सभी सम्भव विकल्पों में से एक को चुनना।

प्रश्न 3.
निर्णय लेना है:
(क) अव्यवस्थित विकल्प बनाना
(ख) केवल अव्यवस्थित विकल्प न बनाना
(ग) हमारे बुजुर्गों द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(ख) केवल अव्यवस्थित विकल्प न बनाना।

प्रश्न 4.
हमें तर्कसंगत बनना चाहिए जब:
(क) निर्णय लेना हो
(ख) स्नान करना हो
(ग) अध्यापकों का अभिनंदन करना
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(क) निर्णय लेना हो।

प्रश्न 5.
हमें समस्या का विश्लेषण करना चाहिए:
(क) कार्य करने से पहले
(ख) कार्य करने के बाद
(ग) कार्य करते समय
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(क) कार्य करने से पहले।

प्रश्न 6.
निर्णय तब बढ़िया होता है यदि हम ……… का विचार विमर्श करने के बाद इसे लेते हैं।
(क) इसके सकारात्मक परिणाम
(ख) इसके नकारात्मक परिणाम
(ग) इसके हानिकारक या हानिरहित परिणामों
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

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प्रश्न 7.
निर्णय लेने से पहले यदि हम हमारे ………. से विचार विमर्श करते हैं तो यह बढ़िया है।
(क) मित्रों
(ख) परिजनों
(ग) अध्यापकों
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

प्रश्न 8.
हमारे पूर्व निर्णयों के परिणामों से सीख हमारी निम्न में सहायता करती है:
(क) दूसरे के प्रति हमारी सोच को बदलने में
(ख) हमारी निर्णय लेने की योग्यता को बनाए रखने में
(ग) हमारी निर्णय लेने की योग्यता में सुधार में
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(ग) हमारी निर्णय लेने की योग्यता में सुधार में।

प्रश्न 9.
निर्णय लेने की बढ़िया योग्यता वाले व्यक्ति …………. हैं।
(क) दूसरों से अच्छे
(ख) दूसरों से अच्छे नहीं
(ग) दोनों सही हैं
(घ) कोई भी सही नहीं हैं।
उत्तर-
(क) दूसरों से अच्छे।

प्रश्न 10.
कथन (क) समस्या का विश्लेषण निर्णय लेने का पहला चरण है। कथन (ख) एक व्यक्ति जो बढ़िया निर्णय ले सकता है वह बढ़िया नेता है। निम्न में से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है
(ख) कथन क ग़लत है और कथन ख सही है।
(ग) दोनों कथन सही हैं
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) दोनों कथन सही हैं।

प्रश्न 11.
निम्न में से निर्णय लेने का कौन-सा मुख्य तत्त्व है?
(क) समस्याओं का विश्लेषण करना
(ख) मित्रों, अध्यापकों, परिजनों व अनुभवी व्यक्तियों से परामर्श करना
(ग) विभिन्न परिणामों और उनके प्रभावों के प्रति सम्पूर्ण जानकारी द्वारा
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

प्रश्न 12.
जब आज रात को बाहर जाते हैं तो आपके पास किस वस्तु का होना अति आवश्यक है?
(क) पैंसिल
(ख) चाकू
(ग) टार्च
(ख) रोटी।
उत्तर-
टार्च।

रिक्त स्थान भरो:

  1. सभी सम्भावित विकल्पों में से सही को चुनना एक व्यक्ति की ……………….. की योग्यता है।
  2. निर्णय लेना केवल ………………. विकल्प चुनना नहीं है।
  3. निर्णय लेना प्रत्येक विकल्प पर ……………… विचार करने पर आधारित है।
  4. किसी समस्या पर कार्य करने से पूर्व हमें समस्या का ……………… करना चाहिए।
  5. हमें समस्या के …………… लिए विभिन्न समाधानों की भाल करनी चाहिए।
  6. हमें सभी समाधानों के सही और गलत ……… के बारे में सोचना चाहिए।
  7. हमें विकल्पों/समाधानों के विषय में परिजनों व मित्रों से …………….. करना चाहिए।
  8. हमें प्रत्येक विकल्प/समाधान सम्बन्धी सम्पूर्ण …………… एकत्र करनी चाहिए।
  9. हमें हमारे …………….. को अन्तिम रूप देने से पहले सभी समाधानों/विकल्पों की तुलना करनी चाहिए।
  10. नए निर्णय लेने से पूर्व हमें पूर्व निर्णयों के ………….. के बारे में सोचना चाहिए।
  11. हमें हमारे निर्णय में परिवर्तन हमारे पूर्व निर्णयों के ……………. परिणामों के आधार पर करना चाहिए।

उत्तर-

  1. निर्णय लेना
  2. अव्यवस्थित
  3. तर्कसंगत
  4. विश्लेषण
  5. हल
  6. पहलुओं
  7. चर्चा
  8. जानकारी
  9. निर्णय
  10. परिणामों
  11. गलत।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

सही/ग़लत:

  1. निर्णय लेने से पूर्व समस्या का विश्लेषण करना बढ़िया है।
  2. हमें समस्या के समाधान के लिए विभिन्न समाधानों पर विचार करना चाहिए।
  3. हमें सभी समाधानों के विभिन्न पहलुओं पर विचार नहीं करना चाहिए।
  4. पशु अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत-से कानून हैं।
  5. हमें सभी परिस्थितियों के लिए एक ही निर्णय लागू करना चाहिए।
  6. सभी विकल्पों के बारे में पूर्ण जानकारी लेना समय की बर्बादी है।
  7. हमें हमेशा हमारे परिजनों, अध्यापकों व मित्रों के साथ चर्चा करने के पश्चात् निर्णय लेना चाहिए।
  8. हमें अति सरल समाधान चुनना चाहिए।
  9. हमें अपना निर्णय नहीं बदलना चाहिए चाहे यह स्थिति को और बिगाड़ दे।
  10. सभी सम्भावित विकल्पों में से एक को चुनना व्यक्ति की निर्णय लेने की योग्यता है।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही
  5. ग़लत
  6. ग़लत
  7. सही
  8. सही
  9. ग़लत
  10. सही।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

SST Guide for Class 8 PSEB संसाधन-प्रकार और संभाल Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
संसाधनों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
संसाधन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाये गए वे उपयोगी पदार्थ हैं जो मनुष्य की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। दूसरे शब्दों में संसाधन वे प्राकृतिक उपहार हैं जो मनुष्य के लिए किसी-न-किसी रूप में अपना विशेष महत्त्व रखते हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक संसाधन कौन-कौन से हैं ? ये हमें कौन प्रदान करता है ?
उत्तर-
वन, खनिज पदार्थ, मिट्टी, समुद्र, सौर ऊर्जा आदि साधन प्राकृतिक संसाधन हैं। ये हमें प्रकृति से मिले हैं।

प्रश्न 3.
संसाधन कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर-
संसाधन प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक दो प्रकार के हैं। इन्हें आगे भी कई भागों में बांटा जा सकता है; जैसे-

  • सजीव तथा निर्जीव संसाधन।
  • समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधन।
  • विकसित व सम्भावित संसाधन।
  • मिट्टी व भूमि संसाधन।
  • समुद्री तथा खनिज संसाधन।
  • मानवीय संसाधन।

प्रश्न 4.
मिट्टी की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
मिट्टी (मृदा) पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है। जो शैलों से बनी है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

प्रश्न 5.
समुद्रों से हमें क्या-क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
समुद्र हमें खनिज तथा शक्ति संसाधन प्रदान करते हैं। इनके अतिरिक्त समुद्रों से हमें मछलियां, मोती, सीपियां, हीरे-जवाहरात आदि प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
संसाधनों की सही सम्भाल कैसे हो सकती है ?
उत्तर-
संसाधनों की सही सम्भाल इनका उचित तथा ज़रूरत के अनुसार प्रयोग करने से हो सकती है। इसके लिए संसाधनों के दुरुपयोग तथा विनाश से बचना चाहिए।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
सजीव और निर्जीव संसाधनों में अन्तर लिखो।
उत्तर-
सजीव संसाधन-सजीव संसाधन हमें सजीव पदार्थों से प्राप्त होते हैं। जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधे इनके उदाहरण हैं। कोयला तथा खनिज तेल भी सजीव संसाधन कहलाते हैं, क्योंकि ये पेड़-पौधों तथा मृत जीवों के गलनेसड़ने से बनते हैं।
निर्जीव संसाधन-निर्जीव संसाधन प्रकृति से प्राप्त निर्जीव वस्तुएं हैं। खनिज पदार्थ तथा जल इनके उदाहरण हैं। खनिज पदार्थ हमारे उद्योगों का आधार हैं। इनकी सम्भाल बहुत ज़रूरी है क्योंकि ये जल्दी समाप्त हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
भूमि और मिट्टी संसाधनों के महत्त्व पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
भूमि तथा मिट्टी संसाधनों का मनुष्य के लिए निम्नलिखित महत्त्व है-

  1. भूमि-भूमि पर मनुष्य अपनी आर्थिक क्रियाएं तथा गतिविधियां करता है। इन क्रियाओं तथा गतिविधियों में कृषि करना, उद्योग लगाना, यातायात के संसाधनों का विकास करना, खेल-खेलना, सैर-सपाटा करना आदि शामिल हैं। मनुष्य अपने घर भी भूमि पर बनाता है।
  2. मिट्टी-मिट्टी में मनुष्य पौधे तथा फ़सलें उगाता है। ये मानव जीवन के महत्त्वपूर्ण अंग हैं, क्योंकि इनसे मनुष्य को भोजन मिलता है। इनसे मनुष्य को कई प्रकार के अन्य पदार्थ भी प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 3.
खनिज पदार्थ हमें कहां से प्राप्त होते हैं और इनका प्रयोग कहां किया जाता है ?
उत्तर-
खनिज पदार्थ हमें धरती के भीतरी भाग से प्राप्त होते हैं। ये भिन्न-भिन्न प्रकार की चट्टानों में मिलते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-धातु खनिज तथा अधातु खनिज । धातु खनिजों में लोहा, तांबा, सोना, चांदी, एल्यूमीनियम आदि शामिल हैं। अधातु खनिजों में कोयला, अभ्रक, मैंगनीज़ तथा खनिज तेल प्रमुख हैं। खनिज पदार्थों का प्रयोग उद्योगों में किया जाता है। इन्हें हम प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग नहीं कर सकते। प्रयोग करने से पहले इन्हें उद्योगों में साफ़ करना पड़ता

प्रश्न 4.
विकसित और संभावित संसाधनों को उदाहरण सहित समझाओ।
उत्तर-
जब संसाधन किसी लाभदायक उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं, तो वे विकसित संसाधन कहलाते हैं। परन्तु जब तक उन्हें प्रयोग में नहीं लाया जाता है तब तक उन्हें सम्भावित संसाधन कहा जाता है। इन्हें निम्नलिखित उदाहरणों से समझा जा सकता है-

  1. पर्वतों से नीचे बहती नदियां बिजली पैदा करने के लिए एक सम्भावित संसाधन हैं। परन्तु इन नदियों के जल से जब बिजली पैदा की जाने लगती है, तो ये विकसित संसाधन बन जाती हैं।
  2. पृथ्वी के नीचे दबा हुआ कोयला एक सम्भावित संसाधन है। इसके विपरीत प्रयोग में लाया जा रहा कोयला एक विकसित संसाधन है।

प्रश्न 5.
समाप्त होने वाले संसाधनों का प्रयोग हमें समझदारी व संकोच के साथ क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
समाप्त होने वाले संसाधन वे संसाधन हैं जो लगातार तथा अधिक मात्रा में प्रयोग के कारण समाप्त होते जा रहे हैं। उदाहरण के लिये कोयले तथा पेट्रोलियम का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। इसलिए ये कम होते जा रहे हैं। एक समय आयेगा जब ये बिलकुल समाप्त हो जायेंगे। क्योंकि इनके बनने में लाखों वर्ष लगते हैं, इसलिए हम इनसे सदा के लिए वंचित हो जायेंगे। यदि हमें ऐसी स्थिति से बचना है, तो हमें इनका प्रयोग समझदारी व संकोच के साथ करना होगा।

प्रश्न 6.
मानवीय संसाधनों का दूसरे संसाधनों के विकास में क्या योगदान है ?
उत्तर-
मनुष्य को पृथ्वी के सभी जीवों में सर्वोत्तम प्राणी माना जाता है। वह अपनी बुद्धिमत्ता, कार्य शक्ति तथा कौशल के कारण अपने आप में एक बहुत बड़ा संसाधन है। पृथ्वी पर उपलब्ध अन्य सभी संसाधनों को वही प्रयोग में लाता है और उन्हें विकसित करता है। किसी भी क्षेत्र के विकास के पीछे मनुष्य की ही महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जापान इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। वहां अन्य संसाधनों की कमी होते हुए भी देश ने बहुत अधिक उन्नति की है। वास्तव में मनुष्य को पहले उसके गुण, शिक्षा, तकनीकी योग्यता विकसित संसाधन बनाते हैं, तब वह अन्य संसाधनों को विकसित बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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III. नीचे लिखे प्रश्न का उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न-
संसाधनों से आपका क्या अभिप्राय है ? इनके प्रकार बताते हुए संसाधनों के महत्त्व और इनकी सम्भाल के लिए अपनाए गए ढंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसाधन-संसाधन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाये गए वे उपयोगी पदार्थ हैं जो मनुष्य की ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
संसाधनों के प्रकार-संसाधन प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक दो प्रकार के होते हैं। इन्हें आगे भी कई भागों में बांटा जा सकता है। जैसे –

1. सजीव और निर्जीव संसाधन-सजीव संसाधन सजीव वस्तुओं से प्राप्त होते हैं, जैसे जीव-जन्तु तथा पौधे। इसके विपरीत निर्जीव संसाधन प्रकृति से प्राप्त निर्जीव वस्तुएं हैं, जैसे खनिज पदार्थ, जल आदि।
2. विकसित तथा सम्भावित संसाधन-सभी उपलब्ध संसाधन संभावित संसाधन कहलाते हैं। परन्तु जब इनका प्रयोग होने लगता है तो इन्हें विकसित संसाधन कहा जाता है।
3. समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधन-कोयला, पेट्रोलियम आदि समाप्त होने वाले संसाधन हैं। लगातार प्रयोग से ये किसी भी समय समाप्त हो सकते हैं। दूसरी ओर जल न समाप्त होने वाला संसाधन है। लगातार प्रयोग से भी यह समाप्त नहीं होता।
4. मिट्टी तथा भूमि संसाधन-मिट्टी में मनुष्य भोजन तथा अन्य उपयोगी पदार्थ प्राप्त करने के लिए पौधे तथा फ़सलें उगाता है। भूमि पर वह उद्योग लगाता है, यातायात के संसाधनों का विकास करता है तथा अन्य गतिविधियां करता है।
5. समुद्री व खनिज संसाधन-समुद्रों से हमें मछलियां, मोती, सीपियां तथा हीरे-जवाहरात प्राप्त होते हैं। खनिज संसाधनों से हमें धातुएं, अधातुएं, ऊर्जा आदि मिलती हैं। ये संसाधन हमारे उद्योगों का आधार हैं।
6. मानवीय संसाधन-मनुष्य अपने आप में सबसे बड़ा संसाधन है। अन्य सभी संसाधनों का विकास मनुष्य ही करता है।
संसाधनों का महत्त्व-संसाधनों का मनुष्य के लिए बहत अधिक महत्त्व है-

  • ये मनुष्य की मूल तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  • ये मनुष्य के जीवन को सुखी तथा समृद्ध बनाते हैं और उसके जीवन स्तर को ऊंचा करते हैं।
  • संसाधन देश के विकास के लिए ज़रूरी हैं।

सम्भाल के तरीके-संसाधनों के महत्त्व को देखते हुए इनकी सम्भाल करना आवश्यक हो जाता है। खनिज पदार्थों जैसे संसाधन तो दुर्लभ होते हैं। इनके लगातार तथा बड़ी मात्रा में उपयोग से ये शीघ्र ही समाप्त हो जायेंगे। अतः इनकी सम्भाल और भी आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इनसे लाभ उठा सकें। संसाधनों की सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है-

  • इनका उपयोग सूझ-बूझ के साथ लम्बे समय तक किया जाये।
  • इनके दुरुपयोग को रोका जाये ताकि इनके विनाश से बचा जा सके।
  • फिर से प्रयोग में लाये जा सकने वाले संसाधनों को दोबारा प्रयोग में लाया जाए।
  • मनुष्यों की योग्यता और कौशल में वृद्धि की जाए, ताकि वे संसाधनों की उपयोगिता को बढ़ा सकें।

PSEB 8th Class Social Science Guide संसाधन-प्रकार और संभाल Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. पृथ्वी का …………. प्रतिशत भाग पानी है।
2. संसाधन ………… उपहार हैं जो मनुष्य के लिए विशेष महत्त्व रखते हैं।
3. जिन संसाधनों का प्रयोग नहीं होता उन्हें ………… संसाधन कहते हैं।
उत्तर-

  1. 71,
  2. प्राकृतिक,
  3. संभावित।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. पृथ्वी पर जीवन सबसे पहले समुद्रों में शुरू हुआ।
2. खनिज संसाधन पृथ्वी के भीतरी भाग से प्राप्त होने वाले पदार्थ हैं।
3. प्रकृति के जीवों में से पशु-पक्षियों को सर्वोत्तम प्राणी माना जाता है।
उत्तर-

  1. ✗.

(ग) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
समाप्त होने वाला संसाधन कौन-सा है ?
(i) पानी
(i) कोयला
(iii) वायु
(iv) सूर्य की ऊर्जा । ।
उत्तर-
(i) कोयला

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प्रश्न 2.
न समाप्त होने वाला संसाधन कौन-सा है ?
(i) सूर्य की ऊर्जा
(ii) पैट्रोलियम
(iii) कोयला
(iv) एल्यूमीनिय ।।
उत्तर-
(i) सूर्य की ऊर्जा

प्रश्न 3.
पृथ्वी की कौन-सी सतह मिट्टी कहलाती है ?
(i) सबसे अंदर की सतह
(ii) बीच की सतह
(iii) सबसे ऊपरी सतह
(iv) ये तीनों सतहें।
उत्तर-
(iii) सबसे ऊपरी सतह

(घ) सही जोड़े बनाइए :

1. धातु खनिज – जल
2. सजीव संसाधन – मैंगनीज़
3. निर्जीव संसाधन – पौधे
4. अभातु खनिज – तांबा।
उत्तर-

  1. तांबा,
  2. पौधे,
  3. जल,
  4. मैंगनीज़।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आज के मनुष्य को बहुत से संसाधनों पर निर्भर क्यों होना पड़ता है ?
उत्तर-
पहले मनुष्य की आवश्यकताएं बहुत कम थीं। परन्तु आज उसकी आवश्यकताएं असीमित हो गई हैं। इसलिए उसे आज बहुत से संसाधनों पर निर्भर होना पड़ता है।

प्रश्न 2.
उदाहरण देकर समझाइए कि संसाधनों का उचित प्रयोग ही संसाधनों का उचित विकास है।
उत्तर-
कोयला या खनिज तेल आदि मानव के लिए तथा वायुयान के आविष्कार से पहले एल्यूमीनियम आधुनिक मानव के लिए कोई महत्त्व नहीं रखता था। परन्तु इनकी उपयोगिता बढ़ने पर इनका महत्त्व बढ़ गया। अत: हम कह सकते हैं कि संसाधनों का उचित प्रयोग ही इनका उचित विकास है।

प्रश्न 3.
संसाधनों को विभिन्न वर्गों में बांटने के चार मुख्य आधार कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  1. जीवन
  2. उपलब्धियां
  3. विकास स्तर
  4. प्रयोग।

प्रश्न 4.
खाद्य पदार्थों की प्राप्ति के लिए कौन-से संसाधन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं और क्यों ?
उत्तर-
खाद्य पदार्थों की प्राप्ति के लिए जैव संसाधन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि संसार में लगभग 85% खाद्य पदार्थ इन्हीं साधनों से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 5.
कोयले तथा खनिज तेल को सजीव संसाधनों की श्रेणी में क्यों रखा जाता है ?
उत्तर-
कोयला तथा खनिज तेल पौधों तथा जीवों जैसे सजीव संसाधनों के अवशेषों से बनते हैं।

प्रश्न 6.
किसी देश के धनी होने का अनुमान किस बात से लगाया जाता है ?
उत्तर-
किसी देश के धनी होने का अनुमान देश में प्राप्त होने वाले संसाधनों से लगाया जाता है।

प्रश्न 7.
मृदा या मिट्टी कितने प्रकार की होती है ? नाम लिखें।
उत्तर-
मृदा कई प्रकार की होती हैं; जैसे- (1) रेतीली, (2) चिकनी (3) दोमट (4) जलोढ़ (5) पर्वतीय (6) लाल तथा (7) काली मृदा।

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प्रश्न 8.
उपजाऊ मृदा वाले क्षेत्र घनी जनसंख्या वाले तथा आर्थिक क्रियाओं से भरपूर होते हैं। क्यों ?
उत्तर-
उपजाऊ मृदा (मिट्टी) फ़सलें उगाने के लिए सर्वोत्तम होती है। अत: उपजाऊ मृदा वाले क्षेत्रों में कृषि उन्नत होती है जिसके कारण ये क्षेत्र घनी जनसंख्या वाले तथा आर्थिक क्रियाओं से भरपूर होते हैं।

प्रश्न 9.
भूमि का प्रयोग किन बातों को ध्यान में रख कर होता है ?
उत्तर-
भूमि का प्रयोग धरातल, ढलान, मिट्टी के प्रकार, जल-निकास तथा मनुष्य की ज़रूरतों आदि बातों को ध्यान में रख कर होता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक तथा मानवीय संसाधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
संसाधन प्राकृतिक तथा मानवीय दो प्रकार के होते हैं। प्राकृतिक संसाधन मनुष्य को प्रकृति द्वारा प्राप्त होते हैं। इनमें वन, खनिज पदार्थ, नदियां, सौर ऊर्जा तथा समुद्र आदि शामिल हैं।
मानवीय संसाधन स्वयं मनुष्य द्वारा बनाये जाते हैं; जैसे-सड़कें, मशीनरी, यातायात के साधन, कृत्रिम खादें आदि। ये संसाधन मानव की प्रगति के प्रतीक हैं। ये भौतिक भी हो सकते हैं तथा अभौतिक भी। मनुष्य की बुद्धि, ज्ञान एवं कार्यकुशलता को भी मानव साधन कहा जाता है।

प्रश्न 2.
समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
समाप्त होने वाले संसाधन वे संसाधन हैं जो अधिक मात्रा में तथा लगातार प्रयोग के कारण समाप्त होते जा रहे हैं। यदि ये समाप्त हो गए तो हम इन्हें फिर से नहीं पा सकेंगे क्योंकि इनके बनने में लाखों-करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। कोयला तथा पेट्रोलियम इसी प्रकार के संसाधन हैं।
वे संसाधन जो बार-बार प्रयोग करने पर भी समाप्त नहीं होते, न समाप्त होने वाले संसाधन कहलाते हैं। ये इसलिए समाप्त नहीं होते क्योंकि इनकी पूर्ति होती रहती है। इन साधनों में सूर्य की ऊर्जा, वायु, पानी, वन आदि शामिल हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समुद्री तथा खनिज संसाधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
समुद्री संसाधन-पृथ्वी का लगभग 71% भाग जल है। जल के बड़े-बड़े भण्डारों को समुद्र कहा जाता है। माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन का आरम्भ सबसे पहले समुद्रों में ही हुआ था। इसलिए समुद्र हमें बड़ी मात्रा में जैविक संसाधन प्रदान करते हैं जिनमें शक्ति के संसाधन (पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस) भी शामिल हैं। समुद्रों से हमें मछलियां, सीपियां, मोती, नमक तथा हीरे-जवाहरात भी प्राप्त होते हैं। मछलियां संसार में बड़ी संख्या में लोगों को भोजन प्रदान करती हैं।

खनिज संसाधन-खनिज संसाधन हमें पृथ्वी के भीतरी भाग से प्राप्त होते हैं। ये मूल रूप से दो प्रकार के होते हैं-धातु (Metallic) खनिज तथा अधातु (Non Metallic) खनिज। धातु खनिजों में लोहा, तांबा, सोना, चांदी, एल्यूमीनियम आदि खनिज शामिल हैं। अधातु खनिज पदार्थों में कोयला, अभ्रक, मैंगनीज़ तथा पेट्रोलियम आदि मुख्य हैं। खनिज संसाधन भिन्न-भिन्न प्रकार की चट्टानों में पाये जाते हैं। चट्टानों से मिलने वाले खनिज पदार्थ प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग नहीं किये जा सकते। प्रयोग करने से पहले इन्हें साफ़ किया जाता है और इनकी अशुद्धियां दूर की जाती हैं। खनिज हमारे उद्योगों का आधार माने जाते हैं। इसलिए इन्हें बहुत अधिक महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 2.
संसाधनों की सम्भाल पर एक नोट लिखिए।
उत्तर-
संसाधन मनुष्य को प्रकृति की बहुत बड़ी देन हैं। मनुष्य इन्हें अपने और अपने देश के विकास के लिए प्रयोग करता है। परन्तु विकास के मार्ग पर चलते हुए मनुष्य दूसरे देशों के साथ मुकाबला भी कर रहा है। इसलिए वह बिना सोचे-समझे इन संसाधनों को समाप्त कर रहा है। वह यह नहीं जानता कि बहुत-से साधनों के भण्डार सीमित हैं। यदि ये भण्डार एक बार समाप्त हो गए तो हम इन्हें फिर से प्राप्त नहीं कर सकेंगे। उदाहरण के लिए कोयला और पेट्रोलियम जिन्हें पूर्ण संसाधन बनने में लाखों करोड़ों वर्ष लगते हैं, यदि एक बार समाप्त हो गये तो इन्हें दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसलिए इनकी सम्भाल ज़रूरी है।

  • संसाधनों तथा इनकी सम्भाल का आपस में बहुत गहरा सम्बन्ध है। संसाधनों की सम्भाल से अभिप्राय इनका सही प्रयोग है ताकि इनका दुरुपयोग या विनाश न हो। दूसरे शब्दों में इनका प्रयोग विकास के लिए हो और लम्बे समय के लिए हो ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ियां भी इनका लाभ उठा सकें। उचित और ज़रूरत के अनुसार इनका प्रयोग ही इन साधनों की सही सम्भाल होगी।
  • यूं तो सम्भाल प्रत्येक संसाधन के लिए आवश्यक है, परन्तु जो संसाधन दुर्लभ हैं उनकी विशेष सम्भाल की आवश्यकता है। एक अनुमान के अनुसार यदि कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग इसी गति से होता रहा, तो लगभग 80% जीवांश ईंधन इसी शताब्दी में समाप्त हो जायेंगे।
  • हमें मृदा, जल और वन आदि संसाधनों की सम्भाल भी करनी चाहिए। इनका प्रयोग करते समय इन्हें व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त दोबारा प्रयोग होने वाले साधनों को बार-बार प्रयोग में लाया जाये।
  • यह भी आवश्यक है कि ज्ञान, शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाया जाये और लोगों को इन संसाधनों की संभाल के बारे में जागृत किया जाये।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

PSEB 8th Class Home Science Guide भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
खाना खाने के कितने तरीके हैं ?
उत्तर-
खाना खाने के दो तरीके हैं-आधुनिक तथा पुरातन।

प्रश्न 2.
खाना खाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
आधुनिक तरीके आजकल भारत में पढ़े-लिखे व्यक्ति ही व्यवहार में लाते हैं और मेज़ पर बैठकर ही खाना पसंद करते हैं।

प्रश्न 3.
खाना खाने के कौन-से ढंग में आमतौर पर स्त्रियाँ मेहमान के साथ बैठकर खाना नहीं खातीं और क्यों ?
उत्तर-
खाना खाने की पुरातन ढंग में स्त्रियाँ प्रायः अतिथि के साथ बैठकर खाना नहीं खाती क्योंकि वे मेजबान बनकर खाना बनाने और परोसने में मान महसूस करती हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

प्रश्न 4.
प्लेटों के स्थान पर खाना खाने के लिए केले के पत्ते कहाँ प्रयोग किये जाते हैं ?
उत्तर-
प्लेटों के स्थान पर खाना खाने के लिए केले के पत्ते दक्षिणी भारत में प्रयोग किये जाते हैं।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
तुम्हारे विचार में भोजन इकट्ठे बैठकर खाना चाहिए या अलग-अलग बैठकर और क्यों ?
उत्तर-
हमारे विचार से भोजन इकट्ठे बैठकर करना चाहिए क्योंकि इकट्ठे बैठकर भोजन करने से जो भी भोजन बना होगा सभी मिल-जुलकर खाना खाएँगे और किसी तरह की शिकायत नहीं होगी। साथ ही गृहिणी को खाना परोसने में आसान भी रहेगा।

प्रश्न 2.
खाना खाते समय आप किन नियमों का पालन करोगे ? विस्तार से लिखो।
उत्तर-
खाना खाते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए-

  1. मुँह में चपचप की आवाज़ नहीं आनी चाहिए। उतनी देर तक कोई चीज़ दोबारा नहीं लेना चाहिए जब तक सभी एक-एक बार न ले लें।
  2. अगर खाना हाथ से खाओ तो पूरा हाथ नहीं भरना चाहिए।
  3. भोजन करते समय प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। तली हुई चीज़ों का इस्तेमाल कम करना चाहिए। उतना ही खाना खाना चाहिए जितना आसानी से पच सके।
  4. हाथ साफ़ होने चाहिएँ। कपड़े साफ़, हल्के और ढीले हों तो अति उत्तम है।
  5. गर्म भोजन के साथ ठंडा और ठंडे भोजन के साथ गर्म पानी नहीं पीना चाहिए।
  6. भोजन करते समय न तो खाँसी होना चाहिए न ही छींक आनी चाहिए। चम्मच, काँटे या बर्तन अगर कोई दूसरे व्यक्ति ने इस्तेमाल किए हों तो गर्म पानी में धो कर इस्तेमाल करना चाहिए।
  7. रात को सोने से एक घंटा पहले खाना खाना चाहिए। भोजन करके तुरन्त नहीं सोना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

प्रश्न 3.
आपखाना खाने और परोसने के लिए कौन-सा ढंग पसन्द करोगे और क्यों ?
उत्तर-
हम खाना खाने और परोसने के लिए आधुनिक ढंग पसन्द करेंगे, क्योंकि आधुनिक ढंग में सब लोग इकट्ठा खाना शुरू करते हैं और अन्त में कुर्सियों से इकट्ठे ही उठते हैं। इसमें मेज़ के ऊपर सभी चीजें रख ली जाती हैं जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुसार चीज़ ले लेता है। इस प्रकार कोई भी पदार्थ व्यर्थ नहीं जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तरी और दक्षिणी भारत में खाना परोसने के ढंग बताओ।
उत्तर-
उत्तरी भारत में थाली में विभिन्न आकार की कटोरियों में सजे व्यंजन रखे जाते हैं। दाल, सब्जी व रायता एक ही आकार की कटोरियों में रखते हैं। छोटी कटोरियों में चटनी व अचार रखते हैं। पापड़ और रोटी, पराँठा या पूरी भी थाली में रखते हैं। थाली में चम्मच भी अवश्य रखा जाता है। पानी से भरा गिलास दायीं ओर चौकी पर थाली के पास रखा जाता है। चावल यदि बनाये जाते हैं तो कुछ रोटी के बाद पूछकर दिए जाते हैं। पंजाब में तथा अन्य बहुत-से घरों में दही की नमकीन लस्सी भी दी जाती है।

खाना प्रायः गृहिणी ही खिलाती है। पहले थाली व कटोरी में थोड़ा-थोड़ा खाना लगाकर चौकी पर रख दिया जाता है। भोजनकर्ता खाना खाता रहता है और गृहिणी बीच-बीच में आवश्यकतानुसार थोड़ा-थोड़ा परोसती रहती है।

भोजन के पश्चात् जूठे बर्तन उठाकर चौकी, पटरा तथा कमरे व स्थान को साफ़ कर दिया जाता है।
दक्षिण भारत में प्लेटों या थाली की जगह केले के पत्ते इस्तेमाल किए जाते हैं। पत्ते की नोक खाने वाले के दायीं तरफ़ होती है। पत्ते के ऊपर बायीं तरफ़ पानी के लिए गिलास रखा जाता है। यदि मिठाई परोसनी हो तो पत्ते के दाएँ हाथ के कोने पर परोसी जाती है। कई लोग खाने के शुरू में और कई खाने के अन्त में मिठाई परोसते हैं। अचार पत्ते के नोक की बाईं तरफ रखते हैं। चावल जो दक्षिण भारत के लोगों का मुख्य खाना है, पत्ते के बीच में रखा जाता है। चावलों के साथ घी और सांबर देते हैं। दूसरे दौर में चावल के साथ रसम और तीसरी बार देना हो तो अचार, चावल, दही या लस्सी परोसी जाती है। भोजन खाने के बाद हाथ धोकर पान बाँटते हैं।

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प्रश्न 2.
खाना खाने के आधुनिक और पुरातन ढंग में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
खाना खाने के आधुनिक तथा पुरातन ढंग में निम्नलिखित अन्तर हैं-

आधुनिक ढंग पुरातन ढंग
(1) इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों तरफ़ कुर्सियाँ लगी होती हैं। (1) पुराने ढंग में भोजन भूमि पर आसन या चौकी बिछाकर किया जाता है।
(2) मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोंगों, प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। (2) इस विधि में प्रत्येक सदस्य के लिए अलग थाली में भोजन परोसा जाता है।
(3) भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों  पर बैठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं। (3) इस विधि में गृहिणी को सामान्यतः भोजन परोसने के लिए तत्पर रहना आवश्यक है।
(4) आवश्यकता पड़ने पर दुबारा या अधिक बार वह अपने आप भोजन डोंगों से लेते हैं। (4) प्रारम्भिक रूप से गृहिणी थोडा-थोड़ा भोजन थालियों में परोसती है तथा आवश्यकता पड़ने पर खाने वाले सदस्य से पूछकर दोबारा डालती है।

 

प्रश्न 3.
खाना परोसते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
खाना परोसते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

  1. गृहिणी अथवा खाना परोसने वाले व्यक्ति का शरीर स्वच्छ तथा वस्त्र साफ़-सुथरे होने चाहिए। सफेद या हल्के रंग के वस्त्र हों तो अधिक उत्तम रहता है।
  2. यदि गृहिणी खाना परोसे तो उसे अपने बाल भली-भान्ति बाँध लेने चाहिएँ जिससे बार-बार बालों को स्पर्श न करना पड़े। पल्ला व दुपट्टा उचित स्थिति में रखना चाहिए ताकि वह लटके नहीं।
  3. भोजन प्रसन्नचित्त होकर कराना चाहिए।
  4. बर्तन साफ़, बेदाग और चमकते होने चाहिएं।
  5. कटोरियाँ और प्लेटें खाने के समय पूरी-पूरी नहीं भरनी चाहिए। थोड़ी खाली ही रहने देनी चाहिए।
  6. भोजन परोसते समय मेज़ या फर्श पर न गिरे और न ही बर्तन के किनारे पर गिरे, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
  7. खाना खिलाते समय प्रत्येक सदस्य की ओर ध्यान रखना चाहिए।
  8. भोजन करने वालों की रुचि का ध्यान रखना चाहिए।
  9. प्रत्येक आदमी के लिए 20” से 24″ तक लम्बी और 15 से 16” चौड़ी जगह होनी चाहिए ताकि खाना आसानी से खाया जा सके।
  10. खाने की मेज़ पर कोई ऐसा कपड़ा बिछाना चाहिए जिससे खाना खाते समय प्लेटों, छुरियों, काँटों आदि की आवाज़ कम हो।
  11. फूलदान, फूल ट्रे आदि को मेज़ के केन्द्र में रखना चाहिए तथा ये कम ऊँचे होने चाहिए जिससे सभी व्यक्ति बिना रुकावट एक-दूसरे को देख सकें।
  12. खाना परोसते समय थाली, कटोरी या किसी बर्तन को ज़मीन पर बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।
  13. खाना खाने के बाद हाथ धोने, हाथ पोंछने आदि का प्रबन्ध होना चाहिए।
  14. भोजन को इस तरह परोसना चाहिए कि भोजन खाने वाले भोजन की ओर आकर्षित हो जायें और खुश होकर खायें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

Home Science Guide for Class 8 PSEB भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय तरीके में घर की स्त्री पति के किस तरफ बैठती है ?
(क) बायें
(ख) दायें
(ग) बैठती ही नहीं
(घ) खड़ी रहती है।
उत्तर-
(क) बायें

प्रश्न 2.
प्लेटों के स्थान पर केले के पत्ते कहां प्रयोग होते हैं
(क) दक्षिणी भारत
(ख) पूर्वी भारत
(ग) अमरीका
(घ) रूस।
उत्तर-
(क) दक्षिणी भारत

प्रश्न 3.
विदेशी शैली में भोजन परोसने में सब से पहले क्या परोसा जाता है ?
(क) सूप
(ख) खीर
(ग) पानी
(घ) कुछ नहीं
उत्तर-
(क) सूप

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प्रश्न 4.
मक्खन को गर्म करने से
(क) खाने योग्य नहीं रहता
(ख) विटामिन A नष्ट हो जाता है
(ग) जल जाता है
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(ख) विटामिन A नष्ट हो जाता है

II. ठीक/गलत बताएं

  1. भारतीय शैली में भोजन के अंत में स्वीट डिश परोसी जाती है।
  2. मिठाई केले के पत्ते के कोने पर परोसी जाती है।
  3. भोजन प्रसन्नचित्त हो कर करना चाहिए।
  4. भोजन करते समय खूब बातें करना चाहिए।

उत्तर-

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III. रिक्त स्थान भरें

  1. दक्षिणी भारत में ……………. के पत्ते बर्तनों की जगह प्रयोग में लाए जाते हैं।
  2. पुराने ढंग में भोजन खाने के बाद हाथ धोकर ……………… बाँटा जाता है।
  3. रात को सोने से ……………… पहले खाना खायो।
  4. ……………… के गिलास प्रयोग नहीं करने चाहिए।

उत्तर-

  1. केले,
  2. पान,
  3. एक घण्टे,
  4. काँसे।

IV. एक शब्द में उत्तर दें-

प्रश्न 1.
भोजन परोसते समय किस बात का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
स्वच्छता का।

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प्रश्न 2.
विदेशी शैली में भोजन परोसने में सबसे पहले क्या परोसा जाता है ?
उत्तर-
सूप या फ्रूट जूस।

प्रश्न 3.
भारतीय शैली में भोजन के अन्त में क्या परोसा जाता है ?
उत्तर-
मीठी चीजें (स्वीट डिश)

प्रश्न 4.
खाना खाने की किस विधि में स्त्रियाँ प्रायः अतिथि के साथ बैठकर खाना नहीं खातीं ?
उत्तर-
पुरातन ढंग में।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाना खाने के कौन-कौन से दो तरीके हैं ?
अथवा
खाना परोसने के दो ढंगों के नाम लिखो।
उत्तर-
खाना खाने के पुरातन और आधुनिक दो तरीके हैं।

प्रश्न 2.
मक्खन को गर्म क्यों नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
मक्खन को गर्म करने से उसका विटामिन ‘ए’ नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 3.
भोजन परोसने की तीन (दो) विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?
अथवा
भोजन परोसने के ढंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. भारतीय शैली,
  2. विदेशी शैली,
  3. बुफे भोज।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

प्रश्न 4.
यथासम्भव एक ही धातु के पात्रों में भोजन क्यों परोसना चाहिए ?
उत्तर-
एकरूपता होने के कारण आकर्षण बढ़ता है।

प्रश्न 5.
बुफे विधि प्रायः कहाँ प्रयोग में लाई जाती है ?
उत्तर-
शादी, पार्टियों, सामूहिक भोज आदि अवसरों पर।

प्रश्न 6.
सेकने की विधि द्वारा भोजन पकाने के लाभ तथा हानि क्या हैं ?
उत्तर-
लाभ-भोज्य पदार्थ स्वादिष्ट तथा पोषक तत्त्वयुक्त रहता है। हानि-यह महँगी विधि है और इसमें अधिक सावधानी की आवश्यकता होती है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

प्रश्न 7.
चावल पकाते समय चावलों में कितना पानी डालना चाहिए ?
उत्तर-
जितना पानी चावल सोख लें।

प्रश्न 8.
मेज़ लगाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हैं ।
उत्तर-
इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों तरफ कुर्सियां लगी होती हैं। मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोगों प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों पर बाठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं।

प्रश्न 9.
मेज़ पर खाना परोसने के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए ? ।
उत्तर-
मेज़ पर खाना परोसने के लिए, डोंगे, कड़छियाँ, चम्मच, छरी, काँटे, नेपकिन पानी का जग, गिलास, प्लेटें, कटोरियाँ, नमकदानी आदि सामग्री की आवश्यकता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन परोसने की देशी और विदेशी विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हमारे देश में भोजन परोसने के लिए सामान्यतः दो विधियां हैं-
(1) देशी विधि,
(2) विदेशी विधि। कहीं-कहीं इन दोनों विधियों का मिला-जुला रूप भी प्रचलित है।

1. देशी विधि-देशी विधि अर्थात् भारतीय विधि में भोजन भूमि पर आसन या चौकी बिछाकर किया जाता है। प्रत्येक सदस्य के लिए अलग थाली में भोजन परोसा जाता है। थाली में पकाया हुआ भोजन भली-भाँति सजाया जाता है। रसेदार सब्जी व तरल भोज्य पदार्थों को कटोरी में व अन्य चीजें थाली में ही रखी जाती हैं। इस विधि में गृहिणी को सामान्यत: भोजन पोसने के लिए तत्पर रहना आवश्यक है। प्रारम्भिक रूप में गृहिणी थोड़ा-थोड़ा भोजन थालियों में परोसती है तथा आवश्यकता पड़ने पर खाने वाले सदस्य से पूछकर दोबारा डालती है। यह बात गृहिणी के ध्यान रखने योग्य है कि शुरू में ही वह थाली में इतना भोजन न परोसे कि खाया ही न जाए तथा व्यर्थ जाए, बल्कि खाने वाले की इच्छानुसार पूछकर देना चाहिए।

देशी विधि में बदलते समय के साथ-साथ कुछ परिवर्तन भी होते रहे हैं, जैसे अब विदेशी विधि की भान्ति डोंगों में भोज्य पदार्थों को रखकर परिवार के सारे सदस्य भूमि में आसन बिछाकर एक साथ भोजन करते हैं।

2. विदेशी विधि- यह विधि परा-भारतीय है किन्तु भारत में अब इसका काफ़ी प्रचलन है। इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों ओर कुर्सियाँ लगी होती हैं। मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोंगों, प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों पर बैठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं। आवश्यकता पड़ने पर दोबारा या अधिक बार वह अपने आप भोजन डोंगों से ले लेते हैं। इस विधि में बार-बार परोसने के लिए किसी अतिरिक्त व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती । अतः सभी व्यक्ति एक साथ भोजन कर सकते हैं। इस विधि में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • प्रत्येक डोंगे के साथ एक सर्विस चम्मच होना चाहिए।
  • प्रत्येक व्यक्ति के प्रयोग के लिए नेपकिन होते हैं जिससे कपड़े खराब नहीं होते।
  • प्रत्येक व्यक्ति के सामने एक बड़ी प्लेट होती है।
  • छुरी, काँटे की उचित व्यवस्था हो। छुरी प्लेट के दायीं ओर हो तथा उसकी धार प्लेट की तरफ़ होनी चाहिए। काँटे प्लेट के बायीं ओर सीधे रखने चाहिएँ।
  • मेज़ पर एक सुन्दर फूलदान रखना चाहिए लेकिन यह इस स्थिति में रखा जाए कि भोजन लेने में उससे रुकावट उत्पन्न न हो।

आजकल देशी-विदेशी दोनों विधियों का मिला-जुला रूप कई स्थानों पर देखने को मिलता है। जो भी हो, भोजन परोसने की विधि ऐसी मनोहारी, स्वच्छ व रुचिकर होनी चाहिए जिसमें आकर्षण झलकता हो।

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प्रश्न 2.
खाने की मेज़ की व्यवस्था करना क्यों आवश्यक है ? यह व्यवस्था कैसे की जाती है ?
उत्तर-
मेज़ पर खाना परोसने से पहले मेज़ की व्यवस्था करना ज़रूरी है। मेज़ की व्यवस्था खाना खाने के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए की जाती है। मेज़ की व्यवस्था से गहिणी का व्यक्तित्व प्रकट होता है।

मेज़ की व्यवस्था में कोई जटिल नियम नहीं होते हैं। भोजन के परोसे जाने की विधि; मीन का चुनाव, मेज़ का आकार, इन सब पर मेज़-व्यवस्था निर्भर करती है। भोजन परोसने की विधि के अनुसार हम वस्तुओं की स्थिति निर्धारित करते हैं।

मेज़पोश-मेज़ पर मेज़पोश, मैट्स, नेपकिन इत्यादि की आवश्यकता होती है। आजकल सनमाइका के मेज़ होने के कारण मेज़पोश तथा मैट्स की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि कागज़ के नैपकिन के इस्तेमाल से ही काम चल जाता है। यदि इन वस्तुओं का इस्तेमाल करना हो तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
1. मेज़पोश मेज़ के चारों तरफ 30-40 सेमी० से ज्यादा नहीं लटकना चाहिए।

2. मेज़ चौड़ी हो तो मैट्स को मेज़ के किनारों से 3-4 सेमी. दूरी पर रखनी चाहिए। यदि मेज़ कम चौड़ी हो तो मैट्स को किनारों के साथ-साथ लगाया जाना चाहिए।

3. मेज़ की सज्जा रुचि अनुसार की जाती है। यदि बैठकर भोजन करना हो तो फूल सज्जा नीची रखनी चाहिए और यदि खड़े होकर खाने का प्रबन्ध हो तो ऊँचे आकार की फूल सज्जा रखी जाती है।

4. नेपकिन के रंग ध्यानपूर्वक चुनने चाहिएँ। नेपकिन रखने से पहले कई तरह से तह लगाया जा सकता है, जैसे-चौरस, आयताकार आदि। नेपकिन को मैट्स पर प्लेट के बाईं तरफ या प्लेट के ऊपर ही रखा जाता है।

5. चीनी और काँच के बर्तन आदि रखने के लिए ठीक स्थान होना चाहिए। पानी के गिलास को छुरी के एक दम सामने रखना चाहिए। सब्जी की प्लेटें चम्मच के दाईं ओर रखनी चाहिएँ। डोंगे मेज़ के मध्य भाग में ही रखने चाहिए।

5. चम्मच, छुरी, काँटे खाना खाने की सुविधा के लिए होते हैं । खाना खाने की छुरी को प्लेट के दाईं तरफ़ तथा चम्मचों को छुरी के बाईं तरफ रखना चाहिए। काँटे को प्लेट की बाईं ओर रखना चाहिए।

6. यदि मेहमानों की संख्या उपलब्ध स्थान से ज्यादा हो तो इसका सरल समाधान बुफे सर्विस है। बड़ी मेज़ के साथ छोटी मेजें लगाकर डेजर्ट तथा पानी की व्यवस्था की जा सकती है।

प्रश्न 3.
मेज़ लगाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

भारतीय ढंग से मेज़ लगाना PSEB 8th Class Home Science Notes

  • खाना खाने के दो तरीके हैं-एक पुरातन और दूसरा आधुनिक।
  • भारतीय ढंग के अनुसार खाना खाने के लिए दाएँ हाथ का इस्तेमाल करते हैं और खाना उँगलियों से खाते हैं।
  • दक्षिणी भारत में प्लेटों या थाली की जगह केले के पत्ते इस्तेमाल करते हैं।
  • भारतीय ढंग में घर की स्त्री पति के बाएँ ओर बैठती है।
  • मेज़ को सजाने के लिए फूलदान, फ्रूट ट्रे आदि इस्तेमाल करते हैं।
  • खाना परोसते समय बर्तन साफ़, बेदाग और चमकते हुए होने चाहिएँ।
  • खाना खाते समय मुँह से चपचप की आवाज़ नहीं आनी चाहिए।
  • भोजन करते समय प्रसन्नचित्त रहना चाहिए।
  • गर्म भोजन के साथ ठंडा और ठंडे भोजन के साथ गर्म पानी नहीं पीना चाहिए।
  • रात को सोने से एक घंटा पहले खाना खा लेना चाहिए। भोजन करके तुरन्त नहीं सोना चाहिए।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

SST Guide for Class 8 PSEB प्राकृतिक संसाधन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
भूमि को मुख्यतः किस-किस धरातली वर्गों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
भूमि को मुख्यत: तीन धरातली वर्गों में बांटा जा सकता है-पर्वत, पठार तथा मैदान।

प्रश्न 2.
मैदानों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
मैदान कृषि योग्य तथा घनी आबादी वाले क्षेत्र होते हैं। ये मनुष्य की अनेक ज़रूरतों को पूरा करते हैं। कृषि तथा वनस्पति के अनुरूप मैदानी भूमि को बहुत ही बहुमूल्य माना जाता है।

प्रश्न 3.
वे कौन-से तत्त्व हैं जो मिट्टी की रचना में अपनी भूमिका अदा करते हैं ?
उत्तर-
प्रमुख चट्टानें, जलवायु, पौधे तथा जीव-जन्तु।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 4.
भारत में कितने प्रकार की मिट्टी (मृदा) पाई जाती है ? किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारत में निम्नलिखित 6 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है-

  1. जलौढ़ मृदा
  2. काली मृदा
  3. लाल मृदा
  4. लेटराइट मृदा
  5. वनीय तथा पर्वतीय मृदा
  6. मरुस्थलीय मृदा।

प्रश्न 5.
काली मिट्टी में कौन-कौन सी उपजें उगाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
काली मिट्टी कपास, गेहूँ, ज्वार, अलसी, तम्बाकू, सूरजमुखी आदि फ़सलें उगायी जा सकती हैं। यदि सिंचाई का प्रबन्ध हो तो इसमें चावल तथा गन्ने की खेती भी की जा सकती है।

प्रश्न 6. जल के मुख्य स्रोतों के नाम लिखो।
उत्तर-जल के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं-

  1. वर्षा
  2. नदियां और नाले
  3. नहरें
  4. तालाब
  5. भूमिगत जल।

प्रश्न 7. प्राकृतिक वनस्पति से मानव को क्या-क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-

  1. प्राकृतिक वनस्पति से मानव को लकड़ी मिलती है जिसका प्रयोग ईंधन के रूप में तथा बड़े-बड़े उद्योगों में होता है।
  2. इससे हमें फल, दवाइयां तथा अन्य कई प्रकार के उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 8. भारत में वनों की कौन-सी किस्में पाई जाती हैं ?
उत्तर-भारत में वनों की निम्नलिखित किस्में पाई जाती हैं-

  1. सदाबहार वन
  2. पतझड़ी वन
  3. मरुस्थलीय वन
  4. पर्वतीय वन
  5. डैल्टाई वन।

प्रश्न 9.
पक्षी क्या हैं और ये कहाँ से आते हैं ?
उत्तर-
जो पक्षी सर्दी के मौसम में अत्यधिक ठण्डे प्रदेशों से भारत आते हैं उन्हें प्रवासी पक्षी कहते हैं। ये मुख्यत: साइबेरिया तथा चीन से आते हैं।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
भारत में भूमि का प्रयोग किस तरह किया जा रहा है ?
उत्तर-
भारत में भूमि का प्रयोग भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए होता है-

  1. वन-भारत के क्षेत्रफल का 23% भाग वनों के अन्तर्गत आता है जो वैज्ञानिक दृष्टि से कम है। वैज्ञानिक दृष्टि से देश का 33% क्षेत्र वनों के अधीन होना चाहिए।
  2. कृषि योग्य भूमि-भारत का 46% क्षेत्रफल कृषि योग्य भूमि है। इसमें विभिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई जाती है
  3. कृषि अयोग्य भूमि-देश की 14% भूमि गांवों, शहरों, सड़कों, रेलवे लाइनों, नदियों तथा झीलों के अधीन है। इसमें बंजर भूमि भी शामिल है।
  4. कृषि के बिना छोड़ी हुई भूमि-भारत की बहुत-सी भूमि कृषि के बिना छोड़ी हुई है। इस पर कृषि तो की जाती है। परन्तु इसे 1 से 5 वर्ष तक खाली छोड़ दिया जाता है, ताकि यह अपनी उपजाऊ शक्ति फिर से प्राप्त कर ले।
  5. अन्य-
    • भारत की 5% भूमि कृषि योग्य, परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि है। इस पर कृषि तो की जा सकती है, परन्तु कुछ कारणों से इस पर कृषि नहीं की जाती।
    • भारत की 4% भूमि चरागाहें हैं जिस पर पशु चराये जाते हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन 1

प्रश्न 2.
मिट्टी के प्रकार बता कर जलोढ़ मिट्टी के महत्त्व के बारे में लिखो।
उत्तर-
मिट्टी के प्रकार-मिट्टी (मृदा) मुख्य रूप से 6 प्रकार की होती है

  1. जलौढ़ मृदा
  2. काली मृदा
  3. लाल मृदा
  4. लेटराइट मृदा
  5. वनीय तथा पर्वतीय मृदा
  6. मरुस्थलीय मृदा।

जलौढ़ मिट्टी का महत्त्व-जलौढ़ मिट्टी बारीक कणों से बनी होती है। ये कण मिट्टी को उपजाऊ बना देते हैं। इसलिए जलौढ़ मिट्टी द्वारा बने मैदान कृषि के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। भारत के सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान इसी प्रकार के मैदान हैं।

प्रश्न 3.
मिट्टी संसाधन की सम्भाल किस प्रकार की जा सकती है ?
उत्तर-
मिट्टी की सम्भाल नीचे दिए गए तरीकों से की जा सकती हैमिट्टी के संसाधन के महत्त्व को देखते हुए हमें-

  • मिट्टी के अपरदन को रोकना चाहिए।
  • नदियों पर बांध बनाकर बाढ़ों के पानी को रोकना चाहिए।
  • अधिक पानी का निकास करके सीलन (सेम). की समस्या से छुटकारा पाना चाहिए।
  • बाढ़ों को रोकने से मिट्टी अपरदन भी रोका जा सकता है और नदियों के आस-पास पड़ी अतिरिक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
  • कृषि के गलत तरीकों से भी मिट्टी कमजोर होती है। इसलिए आवश्यक है कि कृषि के ढंग अच्छे हों।
    यदि हम मिट्टी का प्रयोग अच्छे ढंग तथा समझदारी से करेंगे तो मिट्टी की उपजाऊ शक्ति अधिक समय तक बनी रहेगी।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 4.
जल संसाधन में नदियों और नहरों के महत्त्व के बारे में लिखें।
उत्तर-
मानव सभ्यता के विकास में नदियों तथा नहरों की आरम्भ से ही महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मनुष्य ने आरम्भ में अपने आवास नदियों के आस-पास ही बनाये थे, ताकि उसे जल प्राप्त होता रहे। कई स्थानों पर मनुष्य ने नदियों पर बांध बना कर अपने लाभ के लिए नहरें निकाली हैं। इन नहरों के जल का प्रयोग सिंचाई तथा मानव के अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है। सिंचाई संसाधनों के विस्तार से कृषि में एक नई क्रान्ति आ गई है।

प्रश्न 5.
जल की सम्भाल कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
जल एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। अतः इसकी सम्भाल अति आवश्यक है। इसकी सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है

  • जल का ज़रूरत से अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • सिंचाई की नई विधियों का प्रयोग किया जाए। उदाहरण के लिए फव्वारों द्वारा सिंचाई।
  • वर्षा के जल को भूमिगत कुओं द्वारा भूमि के अन्दर ले जाया जाये ताकि भूमिगत जल का स्तर ऊँचा हो।
  • प्रयोग किये गये जल को पुनः प्रयोग करने योग्य बनाया जाए।
  • सीवरेज के जल को साफ़ करके सिंचाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है। वास्तव में जल का प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए और इसे व्यर्थ बह जाने से रोकना चाहिए।

प्रश्न 6.
पतझड़ वनों पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
पतझड़ वन वे वन हैं जिन वृक्षों के पत्ते एक विशेष मौसम में झड़ जाते हैं। बसंत के मौसम में इन पर फिर से पत्ते आ जाते हैं। इस प्रकार के वन भारत में अधिक मिलते हैं। लकड़ी प्राप्त करने के लिए ये वन बहुत अधिक महत्त्व रखते हैं। इन वनों में मुख्यतः साल, टीक, बांस, शीशम (टाहली) तथा खैर के वृक्ष पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
जंगली जीवों के बचाव और सम्भाल के लिए भारत सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाये हैं ?
उत्तर-
भारत सरकार की ओर से जंगली जीवों के बचाव और सम्भाल के लिए बहुत से कदम उठाये गए हैं-

  • 1952 में “जंगली जीवों के लिए भारतीय बोर्ड” की स्थापना की गई।
  • जंगली जीवों के बचाव के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर 1973’ तथा ‘प्रोजेक्ट ऐलीफैंट 1992’ आदि प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं।
  • इस उद्देश्य से 1972 तथा 2002 में विभिन्न एक्ट पास किए गए।
  • बहुत-से राष्ट्रीय पार्क तथा जंगली जीव सैंक्चुरियां बनाई गई हैं। इनमें जंगली जीव अपनी प्राकृतिक अवस्था में सुरक्षित रह सकते हैं। इस समय भारत में 89 राष्ट्रीय पार्क तथा 490 जंगली जीव सैंक्चुरियां हैं।
  • जंगली जीवों के शिकार पर रोक लगाई गई है।

प्रश्न 8.
मिट्टी से जुड़ी समस्याओं का वर्णन करो।
उत्तर-
मिट्टी मनुष्य के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। मनुष्य की भोजन सम्बन्धी अधिकतर आवश्यकताएं मिट्टी से ही पूरी होती हैं। इसके लिए उपजाऊ मिट्टी की ज़रूरत होती है। परन्तु निम्नलिखित समस्याओं के कारण मिट्टी सदैव उपजाऊ नहीं रह पाती-

  1. मिट्टी का अपरदन
  2. लगातार खेती
  3. मिट्टी में रेत कण
  4. मिट्टी में सेम (अधिक पानी) की समस्या
  5. मिट्टी में तेजाब या लवणता
  6. मिट्टी का समर्थता से अधिक प्रयोग।

III. नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर लगभग 250 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
प्राकृतिक संसाधन कौन-से हैं ? मिट्टी और प्राकृतिक वनस्पति की किस्में और महत्त्व लिखो।
उत्तर-
प्रकृति द्वारा प्रदान किए गये उपहारों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। इन संसाधनों में भूमि,जल, मृदा, प्राकृतिक वनस्पति, जंगली जीव, खनिज पदार्थ आदि शामिल हैं।

1. मिट्टी-मिट्टी की मुख्य किस्में निम्नलिखित हैं-

  • जलौढ़ मिट्टी
  • काली मिट्टी
  • लाल मिट्टी
  • लेटराइट मिट्टी
  • वनीय तथा पर्वतीय मिट्टी
  • मरुस्थलीय मिट्टी।

महत्त्व-मिट्टी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। ये फ़सलें उगाने के लिए अनिवार्य है। उपजाऊ मिट्टी विशेष रूप से उन्नत कृषि का आधार है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए तो मिट्टी का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। यहां भिन्न-भिन्न प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं जिनमें भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई जाती हैं।

2. प्राकृतिक वनस्पति-भारत में मिलने वाली प्राकृतिक वनस्पति की मुख्य किस्में निम्नलिखित हैं(1) सदाबहार वन (2) पतझड़ी वन (3) मरुस्थलीय वन (4) पर्वतीय वन (5) डैल्टाई वन।
महत्त्व-मिट्टी की तरह वनस्पति भी एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। यह मनुष्य की अनेक ज़रूरतों को पूरा करती है-

  • वनस्पति से हमें ईंधन, भवन बनाने तथा फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी मिलती है। वनों की नर्म लकड़ी से कागज़ तथा माचिसें बनाई जाती हैं। वनों पर अन्य भी कई उद्योग निर्भर हैं।
  • वनों से लाख, गोंद, गंदा बिरोज़ा, रबड़ आदि पदार्थ प्राप्त होते हैं।
  • वनों की घास पर पशु चरते हैं।
  • वन अनेक पशु-पक्षियों को आश्रय देते हैं।
  • वनों से अनेक जड़ी-बूटियां मिलती हैं जिनसे दवाइयां बनाई जाती हैं।
  • वन अनेक प्रकार के फल प्रदान करते हैं।
  • वन मिट्टी के अपरदन को रोकते हैं तथा वनों के विस्तार को नियन्त्रित करते हैं।
  • वन बाढ़ों को नियन्त्रित करते हैं।
  • ये वर्षा लाने तथा प्राकृतिक सन्तुलन बनाये रखने में सहायता करते हैं। . सच तो यह है कि वनों से अनेक लोगों को रोजगार मिलता है।

प्रश्न 2.
जल और जंगली जीवों की सम्भाल कैसे की जा सकती है ‘? अपने विचार प्रकट करो।
उत्तर-
जल की सम्भाल-जल एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। अतः इसकी सम्भाल अति आवश्यक है। इसकी सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है

  • जल का ज़रूरत से अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • सिंचाई की नई विधियों का प्रयोग किया जाए। उदाहरण के लिए फव्वारों द्वारा सिंचाई।
  • वर्षा के जल को भूमिगत कुओं द्वारा भूमि के अन्दर ले जाया जाये ताकि भूमिगत जल का स्तर ऊँचा हो।
  • प्रयोग किये गये जल को पुनः प्रयोग करने योग्य बनाया जाए।
  • सीवरेज के जल को साफ़ करके सिंचाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है। वास्तव में जल का प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए और इसे व्यर्थ बह जाने से रोकना चाहिए।

जंगली जीवों की सम्भाल-जंगली जीव हमारी धरती की शोभा हैं। परन्तु मानव द्वारा शिकार किये जाने के कारण इनकी कई किस्में समाप्त हो चुकी हैं और कई अन्य समाप्त होने के कगार पर हैं। इसलिए जंगली जीवों की सम्भाल करना अति आवश्यक है। इसके लिए अग्रलिखित पग उठाए जाने चाहिए-

  • हमें सरकार द्वारा जंगली जीवों की रक्षा के लिए बनाए गये कानूनों का पूरी तरह पालन करना चाहिए।
  • हमें राष्ट्रीय पार्कों तथा जंगली-जीव सैंक्चुरियों के रख-रखाव में सरकार को सहयोग देना चाहिए।
  • हमें अपनी ओर से जंगली जीवों तथा पक्षियों का शिकार नहीं करना चाहिए।
  • वन जंगली जीवों तथा पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम वनों को न काटें, ताकि जीवों के घर नष्ट न हों।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

PSEB 8th Class Social Science Guide प्राकृतिक संसाधन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. भारत का लगभग ………….. प्रतिशत भाग पर्वतीय है।
2. ………… मिट्टी को रेगुर भी कहा जाता है।
3. डैल्टाई वनों में ……………के वृक्ष अधिक संख्या में मिलते हैं।
उत्तर-

  1. 30
  2. काली
  3. सुन्दरी।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. पतझड़ी वनों को मानसूनी वन भी कहा जाता है।
2. दक्षिण भारत में नहरें लोगों के लिए बहुत बड़ा जल साधन हैं।
3. संसार में जल का सबसे अधिक प्रयोग कृषि के लिए होता है।
उत्तर-

(ग) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किस स्रोत के जल का प्रयोग मनुष्य नहीं कर सकता ?
(i) समुद्र
(ii) नहरें
(iii) तालाब
(iv) भूमिगत जल।
उत्तर-
(i) समुद्र

प्रश्न 2.
जल के संरक्षण का कौन-सा उपाय नहीं है ?
(i) भूमिगत कुएं
(ii) बांध बनाना
(iii) पुनः प्रयोग
(iv) नदियों में बहा देना।
उत्तर-
(iv) नदियों में बहा देना,

प्रश्न 3.
किस प्रकार की जलवायु में अधिक घने वन मिलते हैं ?
(i) कम वर्षा तथा कम तापमान
(ii) अधिक वर्षा और उच्च तापमान
(iii) अधिक वर्षा तथा कम तापमान
(iv) कम वर्षा तथा उच्च तापमान।
उत्तर-
(iii) अधिक वर्षा तथा उच्च तापमान।

(घ) सही जोड़े बनाइए :

1. मरुस्थलीय मिट्टी – पूर्वी तथा पश्चिमी घाट
2. काली मिट्टी – राजस्थान
3. जलोढ़ मिट्टी – महाराष्ट्र
4. वनी एवं पर्वतीय मिट्टी – भारत का उत्तरी मैदान।
उत्तर-1. राजस्थान,
2. महाराष्ट्र,
3. भारत का उत्तरी मैदान,
4. पूर्वी तथा पश्चिमी घाट।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
धरती पर भूमि और पानी की बांट लिखें।
उत्तर-
धरती का केवल 29% भाग भूमि है। शेष 71% भाग पानी है।

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प्रश्न 2.
भारत में बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाने की आवश्यकता है। क्यों?
उत्तर-
भारत जैसे घनी जनसंख्या वाले देश का 33% क्षेत्र वनों के अधीन होना चाहिए। परन्तु भारत का केवल 22.2 प्रतिशत क्षेत्र ही वनों के अधीन है। इसलिए भारत में बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाये जाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 3.
कृषि योग्य परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि क्या होती है?
उत्तर-
कृषि योग्य परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि ऐसी भूमि होती है जिस पर कृषि तो की जा सकती है, परन्तु कुछ कारणों से इस पर कृषि नहीं की जाती। इन कारणों में जल की कमी, मिट्टी अपरदन, अधिक लवणता, पानी का अधिक समय तक खड़ा रहना आदि बातें शामिल हैं।

प्रश्न 4.
वनीय एवं पर्वतीय मिट्टी कहां मिलती है? इसकी कोई दो विशेषताएं लिखो।
उत्तर-
वनीय एवं पर्वतीय मिट्टी वनों तथा पर्वतीय ढलानों पर मिलती है। विशेषताएं-(1) इस मिट्टी में जैविक तत्त्व अधिक होते हैं।
(2) इसमें पोटाश, फ़ास्फोरस तथा चूने की कमी होती है। इसलिए इसमें कृषि करने के लिए उर्वरकों की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 5.
जलोढ़ मिट्टी क्या होती है?
उत्तर-
जलोढ़ मिट्टी वह मिट्टी है जो बारीक गाद के निक्षेपण से बनती है। यह गाद नदियां अपने साथ बहा कर लाती हैं। समुद्र तट के निकट समुद्री लहरें भी इस प्रकार की मिट्टी का जमाव करती हैं। जलोढ़ मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होती है।

प्रश्न 6.
काली मिट्टी को कपास की मिट्टी क्यों कहा जाता है ? इसका एक अन्य नाम बताओ।
उत्तर-
काली मिट्टी कपास की फ़सल के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। इसलिए इसे कपास की मिट्टी कहते हैं। इस मिट्टी का एक अन्य नाम रेगुर मिट्टी है।

प्रश्न 7.
भारत में मरुस्थलीय मिट्टी कहां-कहां पाई जाती है? .
उत्तर-
भारत में मरुस्थलीय मिट्टी राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है। गुजरात के कुछ भागों में भी इस प्रकार की मिट्टी मिलती है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी को ‘जल ग्रह’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
पृथ्वी का अधिकतर भाग जल है जो लगभग 71% है। जल की अधिकता के कारण ही पृथ्वी को ‘जल • ग्रह’ कहा जाता है।

प्रश्न 9.
पृथ्वी पर सबसे अधिक जल किस रूप में मिलता है? यह कुल जल का कितने प्रतिशत है?
उत्तर-
पृथ्वी पर सबसे अधिक जल समुद्रों, सागरों तथा नमकीन जल की झीलों के रूप में मिलता है। यह कुल जल का 97.20% है।

प्रश्न 10.
संसार में सबसे अधिक जल का प्रयोग किस कार्य के लिए होता है? यह कुल जल का कितने प्रतिशत है?
उत्तर-
संसार में सबसे अधिक जल का प्रयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। यह कुल जल का लगभग 93.37% है।

प्रश्न 11.
तालाब प्रायः किन क्षेत्रों में पाये जाते हैं ?
उत्तर-
तालाब प्रायः उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां सारा साल बहने वाली नदियों तथा नहरों की कमी होती है। इन क्षेत्रों में भूमिगत जल भी बहुत गहरा है। भारत में तालाब मुख्यतः दक्षिणी भारत में पाये जाते हैं।

प्रश्न 12.
मरुस्थलीय वनस्पति की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
मरुस्थलीय वनस्पति कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। यह वनस्पति विरली होती है। इसमें खजूर, कैक्टस तथा कांटेदार झाड़ियां ही मिलती हैं। भारत में इस प्रकार की वनस्पति राजस्थान, गुजरात तथा हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है।

प्रश्न 13.
पर्वतीय वनस्पति के किन्हीं चार वृक्षों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. फर
  2. देवदार
  3. ओक तथा
  4. अखरोट।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जलौढ़ (जलौद) मिट्टी पर एक नोट लिखो। इसे कौन-कौन से दो भागों में बांटा जाता है?
उत्तर-
जलौढ़ मिट्टी देश के लगभग 45% भाग में पाई जाती है। इस प्रकार की मिट्टी का हमारी कृषि में बहुत अधिक योगदान है। यह मिट्टी नदियों तथा नहरों के पानी द्वारा बिछाई जाती है। समुद्र तट के साथ-साथ समुद्री लहरें भी इस प्रकार की मिट्टी का जमाव करती हैं। बाढ़ आने पर पानी में घुले मिट्टी के बारीक कण धरातल पर आ जाते हैं। ये कण मिट्टी को बहुत अधिक उपजाऊ बना देते हैं। भारत के उपजाऊ उत्तरी मैदानों में प्रमुख रूप से जलौढ़ मिट्टी ही पाई जाती है। __ जलौढ़ मिट्टी के भाग-जलौढ़ मिट्टी को दो भागों में बांटा जाता है-खादर तथा बांगर । खादर मिट्टी के नये जमाव को कहा जाता है, जबकि बांगर मिट्टी का पुराना जमाव होता है।

प्रश्न 2.
काली मिट्टी की मुख्य विशेषताएं बताओ। भारत में यह मिट्टी कहां-कहां पाई जाती है?
उत्तर-
काली मिट्टी कृषि के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। इसे रेगुर मिट्टी भी कहा जाता है। क्योंकि यह मिट्टी कपास की उपज के लिए अति उत्तम मानी जाती है, इसलिए इसे कपास की मिट्टी भी कहते हैं।
विशेषताएं-

  • काली मिट्टी आग्नेय चट्टानों से बनी है।
  • यह मिट्टी अपने अन्दर नमी को लम्बे समय तक बनाये रखती है।
  • यह बहुत ही उपजाऊ होती है। इसमें कपास, गेहूं, ज्वार, अलसी, तम्बाकू, सूरजमुखी आदि फ़सलें उगाई जाती हैं। सिंचाई क. सबन्ध होने पर इसमें चावल तथा गन्ने जैसी फसलें भी उगाई जा सकती हैं।

प्रदेश-काली मिट्टी भारत के लगभग 16.6% भाग पर पाई जाती है। यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात तथा तमिलनाडु राज्यों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 3.
मरुस्थलीय मिट्टी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
मरुस्थलीय मिट्टी में रेत के कणों की अधिकता होती है। इसलिए यह अधिक उपजाऊ नहीं होती। इस मिट्टी में जल को समा कर रखने की शक्ति भी बहुत कम होती है, क्योंकि जल जल्दी से नीचे चला जाता है। अतः इस प्रकार की मिट्टी में अधिक जल वाली फ़सलें नहीं उगाई जा सकती। इसमें प्राय: जौ, बाजरा, मक्की तथा दालों की खेती की जाती है। जिन प्रदेशों में नहरी सिंचाई की सुविधा प्राप्त है, वहां कृषि उन्नत हो रही है। भारत में कुल भूमि के लगभग 4.3% भाग पर मरुस्थलीय मिट्टी पाई जाती है। यह मुख्यत: राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा के कुछ भागों में मिलती है। गुजरात के कुछ भागों में भी मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार है।

प्रश्न 4.
लाल मिट्टी की विशेषताओं तथा भारत में इसके वितरण के बारे में लिखो।
उत्तर-

  • लाल मिट्टी को इसके लाल रंग के कारण इस नाम से पुकारा जाता है। वैसे इसकी रचना तथा रंग इसकी मूल चट्टान पर निर्भर करता है।
  • इस मिट्टी में चूने, मैग्नीशियम, फास्फेट, नाइट्रोजन तथा जैविक तत्त्वों की कमी होती है।
  • फ़सलें उगाने के लिए यह मिट्टी अधिक उपयोगी नहीं होती। परन्तु अच्छी सिंचाई सुविधाएं मिलने पर इसमें गेहूं, कपास, दालें, आलू, फल आदि फ़सलें उगाई जा सकती हैं।

वितरण-भारत की कुल भूमि के 10.6% भाग पर लाल मिट्टी पाई जाती है। इस प्रकार की मिट्टी मुख्य रूप से तमिलनाडु, दक्षिण-पूर्वी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, राजस्थान आदि राज्यों में मिलती है।

प्रश्न 5.
लेटराइट मिट्टी की विशेषताएं बताओ। यह भारत में कहां पाई जाती है?
उत्तर-
लेटराइट मिट्टी 90-100% तक लौह अंश, एल्यूमीनियम, टाइटेनियम और मैंगनीज़ आक्साइड से बनी होती है। ऐसी मिट्टी प्रायः उच्च तापमान तथा अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। अधिक वर्षा के कारण इसके उपजाऊ तत्त्व घुलकर पृथ्वी की भीतरी परतों में चले जाते हैं और ऑक्साइड पृथ्वी के ऊपर रह जाते हैं। उपजाऊ तत्त्वों की कमी हो जाने के कारण यह मिट्टी कृषि योग्य नहीं रहती। परन्तु सिंचाई सुविधाओं तथा रासायनिक खादों के उपयोग से इसमें चाय, रबड़, कॉफी तथा नारियल जैसी फ़सलें पैदा की जा सकती हैं।

भारत में वितरण-लेटराइट मिट्टी देश की कुल मिट्टी क्षेत्रफल के 7.5% भाग में पाई जाती है। यह मुख्यतः पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट, राजमहल की पहाड़ियों, विंध्याचल, सतपुड़ा और मालवा के पठार में मिलती है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, केरल, झारखण्ड तथा असम राज्य के कुछ भागों में भी इस प्रकार की मिट्टी पाई जाती है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 6.
जंगली जीवों से क्या भाव है? भारत के जंगली जीवों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
जंगलों में रहने वाले जीवों को जंगली जीव कहा जाता है। इनमें बड़े-बड़े जानवरों से लेकर छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े शामिल हैं। जंगलों में भिन्न-भिन्न प्रकार के पक्षी भी पाये जाते हैं। संसार के बड़े-बड़े जंगलों तथा घास के मैदानों में तरह-तरह के जंगली जीव मिलते हैं। भारत में भी 80,000 से अधिक प्रकार के जंगली जीव मिलते हैं। इनमें हाथी, शेर, चीता, बाघ, गैंडा, भालू, यॉक, हिरण, गीदड़, नील गाय, बन्दर, लंगूर आदि शामिल हैं। इनके अतिरिक्त हमारे देश में नेवले, कछुए तथा कई प्रकार के सांप भी पाये जाते हैं। यहां अनेक प्रकार के पक्षी तथा मछलियां भी मिलती हैं। सर्दियों में कई प्रकार के पक्षी संसार के ठण्डे प्रदेशों से हमारे देश में आते हैं।

प्रश्न 7.
प्राकृतिक संसाधनों का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ? इसके मुख्य क्षेत्र हमारे देश में कहां-कहां
उत्तर-
प्रकृति द्वारा प्रदान किये गए संसाधनों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। इन संसाधनों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। ये संसाधन किसी देश की खुशहाली तथा शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। इसलिए इन्हें किसी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी’ कहा जाता है। __भारत में प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र-

  1. भारत का 30% भाग पर्वतीय है। इन पर्वतों को संसाधनों का भण्डार कहते हैं। ये जल तथा वन संसाधनों में धनी हैं।
  2. देश का 27% भाग पठारी है। इस क्षेत्र से हमें कई प्रकार के खनिज पदार्थ प्राप्त होते हैं। इनमें कृषि भी होती है।
  3. देश का शेष 43% भाग मैदानी है। उपजाऊ मिट्टी के कारण यहां की कृषि बहुत ही उन्नत है। इसलिए ये मैदान देश के ‘अन्न-भण्डार’ भी कहलाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य के लिए ताजे जल (fresh water) के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पृथ्वी पर बहुत अधिक खारा तथा ताजा जल पाया जाता है। मनुष्य इसमें से कुछ सीमित तथा ताज़े जल के स्रोतों का ही प्रयोग करता है। इन स्रोतों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

  1. वर्षा-वर्षा पृथ्वी पर जल-पूर्ति का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। परन्तु वर्षा के जल की प्राप्ति में काफ़ी भिन्नताएं पाई जाती हैं। कहीं वर्षा बहुत अधिक होती है तो कहीं बहुत ही कम। भारत में औसत रूप से 118 सें०मी० वार्षिक वर्षा होती है। वर्षा का यह सारा जल मनुष्य के प्रयोग में नहीं आता। इसका बहुत-सा भाग रिस-रिस कर धरातल में चला जाता है जिससे भूमिगत जल में वृद्धि होती है।
  2. नदियां एवं नहरें-मनुष्य के विकास में नदियों तथा नहरों की आरम्भ से ही महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मनुष्य ने आरम्भ में अपने आवास नदियों के आसपास ही बनाये थे, ताकि उसे जल प्राप्त होता रहे। कई स्थानों पर मनुष्य ने नदियों पर बांध बना कर अपने लाभ के लिए नहरें निकाली हैं। इन नहरों के जल का प्रयोग सिंचाई तथा मानव के अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है। सिंचाई संसाधनों के विस्तार से कृषि में एक नई क्रान्ति आ गई है।
  3. तालाब-तालाब अधिकतर उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां सारा साल बहने वाली नदियों या नहरों की कमी होती है। इन भागों में भूमिगत जल भी बहुत गहरा होता है जिसका प्रयोग नहीं किया जा सकता। इसलिए लोग वर्षा के जल को तालाबों में इकट्ठा कर लेते हैं और आवश्यकता के समय इसका प्रयोग करते हैं। दक्षिण भारत में तालाब लोगों के लिए बहुत बड़ा जल संसाधन हैं।
  4. भूमिगत जल-भूमिगत जल मानव के लिए विशेष महत्त्व रखता है। इसे कुओं और ट्यूबवेलों द्वारा धरती से बाहर निकाला जाता है। यह जल मुख्य रूप से पीने या सिंचाई के काम आता है। भूमिगत जल की मात्रा चट्टानों की बनावट तथा उस प्रदेश में होने वाली वर्षा की मात्रा पर निर्भर करती है।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक वनस्पति से क्या अभिप्राय है? यह किन तत्त्वों पर निर्भर करती है ? भारत की किन्हीं चार किस्मों की प्राकृतिक वनस्पति का वर्णन करो।
उत्तर-
प्राकृतिक रूप से उगने वाले पेड़-पौधों को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं। प्राकृतिक वनस्पति जलवायु, मिट्टी तथा जैविक तत्त्वों पर निर्भर करती है। इनमें से जलवायु सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। संसार के भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न-भिन्न प्रकार की वनस्पति मिलती है। वनस्पति की किस्मों को जलवायु, मिट्टी के प्रकार, समुद्र तल से ऊंचाई आदि तत्त्व प्रभावित करते हैं।
भारत की वनस्पति की किस्में- भारत की वनस्पति की चार मुख्य किस्मों का वर्णन इस प्रकार है

1. सदाबहार वन-सदाबहार वन सारा साल हरे-भरे रहते हैं। इनके पत्ते किसी भी मौसम में पूरी तरह से नहीं झड़ते। सदाबहार वनस्पति अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। यह अधिकतर दक्षिण भारत के पश्चिमी तट, बंगाल, असम के उत्तर-पूर्व में और हिमालय की निचली ढलानों पर पायी जाती है। कर्नाटक के कुछ भागों में भी इस प्रकार के वन पाये जाते हैं, जहां लौटती हुई मानसून पवनें वर्षा करती हैं। हिमालय की ढलानों पर टीक तथा रोज़वुड और कर्नाटक में अलबनी, नीम तथा इमली आदि के वृक्ष मिलते हैं।

2. मरुस्थलीय वन-मरुस्थलीय वनस्पति कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। वर्षा कम होने के कारण यह वनस्पति बहुत ही विरली होती है। इस प्रकार की वनस्पति राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है। इन वनों में खजूर, कैक्टस और कांटेदार झाड़ियां ही मिलती हैं। बढ़िया लकड़ी प्राप्त करने की दृष्टि से इस प्रकार की वनस्पति अधिक महत्त्व नहीं रखती।

3. पर्वतीय वनस्पति-पर्वतीय वनस्पति पर्वतों की ढलानों पर मिलती है। असम से लेकर कश्मीर तक हिमालय पर्वत की ढलानों में अनेक प्रकार के वृक्ष पाये जाते हैं। इन वनों की लकड़ी बहुत ही उपयोगी होती है। यहां मिलने वाले मुख्य वृक्ष फर, चील, देवदार, ओक, अखरोट, मैपल तथा पापूलर आदि हैं। इन वृक्षों की लकड़ी महंगी और बढ़िया प्रकार की होती है। इसका प्रयोग भवन बनाने, रेल के डिब्बे, माचिस तथा बढ़िया प्रकार का फर्नीचर बनाने में होता है। पर्वतीय वनस्पति की पेटी में कई प्रकार के फल जैसे सेब, बादाम, अखरोट और आलूबुखारा आदि भी मिलते हैं।

4. डैल्टाई वन-डैल्टाई वन समुद्री तटों के समीप मिलते हैं। नदियां समुद्रों में प्रवेश करने से पहले डैल्टा बनाती हैं। इन डैल्टों में उगने वाली वनस्पति को ही डैल्टाई वनों का नाम दिया जाता है। गंगा-ब्रह्मपुत्र या दक्षिण भारत की कुछ नदियों के डैल्टाई भागों में इस प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। यहां सुन्दरी, नीमा और पाम आदि के वृक्ष मिलते हैं। सुन्दरी वृक्ष की लकड़ी, मनुष्य के प्रयोग के लिए बहुत अधिक महत्त्व रखती है। इस प्रकार की वनस्पति में ‘सुन्दरी’ के वृक्षों की अधिकता के कारण ही गंगा-ब्रह्मपुत्र डैल्टा को ‘सुन्दर वन डैल्टा’ कहा जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 3 खनिज एवं ऊर्जा संसाधन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 3 खनिज एवं ऊर्जा संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 3 खनिज एवं ऊर्जा संसाधन

SST Guide for Class 8 PSEB खनिज एवं ऊर्जा संसाधन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
खनिज पदार्थों की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
खनिज पदार्थ वे प्राकृतिक पदार्थ हैं जो एक या अधिक तत्त्वों से बने हों। ये पृथ्वी के भीतरी भाग में पाये जाते हैं। इनकी एक विशेष रासायनिक बनावट होती है। ये अपने भौतिक तथा रासायनिक गुणों से पहचाने जाते हैं।

प्रश्न 2.
भारत में कच्चा लोहा कहाँ-कहाँ से प्राप्त होता है ?
उत्तर-
भारत में कच्चा लोहा, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, गोआ, सीमांध्र, छत्तीसगढ़, झारखंड तथा । तमिलनाडु राज्यों में पाया जाता है। झारखंड में सिंहभूम, उड़ीसा में मयूरभंज, छत्तीसगढ़ में दुर्ग और बस्तर तथा कर्नाटक के मैसूर, बैलाड़ी एवं मारवाड़ क्षेत्र बढ़िया किस्म के कच्चे लोहे के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 3.
तांबे का प्रयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है ?
अथवा
तांबे के क्या उपयोग हैं ?
उत्तर-
तांबे का प्रयोग बर्तन, सिक्के, बिजली की तारें तथा बिजली के उपकरण बनाने में किया जाता है। नर्म तथा बढ़िया धातु होने के कारण तांबे की बारीक शीट्स भी बनाई जा सकती है।

प्रश्न 4.
भारत की सोने की प्रसिद्ध खानों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारत में सोने की प्रसिद्ध खाने कोलार, हट्टी और रामगिरी हैं। .

प्रश्न 5.
परमाणु पदार्थों का प्रयोग हमें किस प्रकार करना चाहिए ?
उत्तर-
परमाणु पदार्थों का प्रयोग हमें बहुत सावधानी से करना चाहिए। इन्हें देश की उन्नति के लिए प्रयोग में लाया जाना चाहिए न कि विनाश या प्रदूषण के लिए।

प्रश्न 6.
शक्ति (ऊर्जा) के नवीन अथवा गैर परम्परागत संसाधन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
शक्ति के नवीन संसाधन पन-विद्युत्, सौर ऊर्जा, वायु शक्ति, भू-तापी ऊर्जा तथा ज्वारीय ऊर्जा हैं।

प्रश्न 7.
कोयले की चार किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
(1) एंथेसाइट . (2) बिटुमिनियस (3) लिगनाइट (4) पीट।

प्रश्न 8.
बहु-उद्देशीय प्रोजेक्ट क्या होते हैं ?
उत्तर-
पन-विद्युत् (जल-विद्युत्) बनाने के लिए बनाये गए डैम या प्रोजेक्ट बहुउद्देश्यीय प्रोजेक्ट कहलाते हैं। ये एक से अधिक उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 3 खनिज एवं ऊर्जा संसाधन

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
कच्चा लोहा प्रायः किन देशों में पाया जाता है ? इनकी किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
देश-कच्चा लोहा रूस और उसके पड़ोसी देशों, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में बड़ी मात्रा में पाया जाता है। संसार का 55% कच्चा लोहा भारत पैदा करता है। किस्में-कच्चा लोहा प्रायः चार प्रकार का होता है(1) मैगनेटाइट (2) हैमेटाइट (3) लिमोनाइट (4) साइडराइट।

प्रश्न 2.
बॉक्साइट के महत्त्व पर नोट लिखो।
उत्तर-
बॉक्साइट एक महत्त्वपूर्ण कच्ची धातु है जिसे एल्यूमीनियम से बनाया जाता है। यह चिकनी मिट्टी जैसी धातु है जिसका रंग सफ़ेद तथा हल्का गुलाबी होता है। इसका प्रयोग बहुत-से उद्योगों में किया जाता है। बर्तन, बिजली की तारें, मोटर कारें, रेल-गाड़ियां, समुद्री जहाज़ तथा हवाई जहाज़ आदि सभी उद्योगों में बॉक्साइट अथवा एल्यूमीनियम का प्रयोग होता है। प्रयोग में इसने तांबे तथा टीन जैसी धातुओं को काफ़ी पीछे छोड़ दिया है।

प्रश्न 3.
प्राकृतिक गैस का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है और इसके मुख्य क्षेत्र हमारे देश में कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
प्राकृतिक गैस पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त होती है। जब कोई तेल का कुआं खोदा जाता है तो सबसे ऊपर प्राकृतिक गैस ही मिलती है।
महत्त्व-प्राकृतिक गैस का प्रयोग घरों, वाहनों तथा कई उद्योगों में होता है। मुख्य क्षेत्र-संसार के सभी तेल उत्पादक देशों में प्राकृतिक गैस भी मिलती है। भारत के भी कई क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस मिलती है। इन क्षेत्रों में कृष्णा-गोदावरी बेसिन, उड़ीसा के समीप बंगाल की खाड़ी तथा राजस्थान के बाड़मेर क्षेत्र शामिल हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात के खंभात और कच्छ क्षेत्र तथा त्रिपुरा में भी प्राकृतिक गैस मिलने की सम्भावना है। देश की लगभग 75% प्राकृतिक गैस बॉम्बे हाई से पैदा होती है।

प्रश्न 4.
जल-विद्युत् तैयार करने के लिए आवश्यक तत्त्वों के बारे में लिखें।
उत्तर-
जल-विद्युत् तैयार करने के लिए निम्नलिखित तत्त्व आवश्यक हैं(1) जल पूरा वर्ष बहता हो। (2) विद्युत् तैयार करने के लिए आवश्यकता अनुसार जल उपलब्ध हो। (3) जल के मार्ग में ज़रूरी ढलान या बांध बनाने के लिए उचित ऊंचाई हो। (4) बांध के पीछे बड़े जल भण्डार अथवा बड़ी झील के लिए पर्याप्त स्थान हो। (5) बांध बनाने, विद्युत् घरों का निर्माण करने तथा बिजली की लाइनें खींचने के लिए आवश्यक पूंजी उपलब्ध हो। (6) आसपास के क्षेत्र में बिजली की मांग हो।

III. नीचे लिखे प्रश्न का उत्तर लगभग 250 शब्दों में दो :

प्रश्न-
शक्ति (ऊर्जा) संसाधन कौन-कौन से हैं? किसी देश के विकास में इनका क्या योगदान है ? किन्हीं दो शक्ति संसाधनों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
उत्तर-
मानव को भिन्न-भिन्न कार्य करने के लिए शक्ति अथवा ऊर्जा प्रदान करने वाले संसाधनों को शक्ति संसाधन कहा जाता है। इनमें कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि शामिल हैं। मानव इन संसाधनों का प्रयोग घर में चूल्हे से लेकर बड़े-बड़े उद्योग चलाने के लिए करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शक्ति संसाधन किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार हैं। ये यातायात के संसाधनों के विकास के लिए भी आवश्यक हैं।
दो महत्त्वपूर्ण शक्ति संसाधन-कोयला तथा पेट्रोलियम दो अति महत्त्वपूर्ण शक्ति संसाधन हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है-

1. कोयला-कोयला काले या भूरे रंग का एक जैविक पदार्थ है। यह एक ज्वलनशील पदार्थ है। इसे ताप और प्रकाश दोनों कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है। इससे कई उद्योग तथा रेलगाड़ियां चलाई जाती हैं। कोयले का प्रयोग तापघरों में बिजली बनाने के लिए भी किया जाता है। – किस्में-कोयले की चार मुख्य किस्में हैं-एंथेसाइट, बिटुमिनियस, लिगनाइट तथा पीट। इनमें से एंथेसाइट सबसे बढ़िया तथा पीट सबसे घटिया कोयला होता है।

कोयले का वितरण-कोयला संसार के बहुत-से देशों में पाया जाता है। यू० एस० ए० संसार का सबसे अधिक कोयला पैदा करता है। इसके बाद चीन, रूस, पोलैण्ड तथा यू० के० का स्थान है। कोयले के उत्पादन में भारत का छठा स्थान है। यह संसार का लगभग 4% कोयला उत्पन्न करता है। यहां कोयला बहुत-से राज्यों में मिलता है। झारखण्ड राज्य का कोयले के भण्डारों तथा उत्पादन दोनों में पहला स्थान है। यह देश का लगभग 23% कोयला पैदा करता है। कोयला उत्पन्न करने वाले भारत के अन्य राज्य छत्तीसगढ़, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, सीमांध्र, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, असम, बिहार आदि हैं। मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड आदि राज्य भी काफ़ी कोयला पैदा करते हैं।

2. पेट्रोलियम-पेट्रोलियम को खनिज तेल तथा चट्टानी तेल भी कहा जाता है। यह पृथ्वी की परतदार चट्टानों में मिलता है। आज के मशीनी युग में इसके महत्त्व को देखते हुए इसे ‘तरल सोने’ का नाम दिया गया है। इसका प्रयोग मशीनों तथा यातायात के साधनों में किया जाता है। स्कूटर से लेकर वायुयान तक यातायात के सभी साधन पेट्रोलियम पर निर्भर करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि पेट्रोलियम एक जैविक पदार्थ है जो पौधों तथा मृत जीवों के गलने-सड़ने से बनता है। पृथ्वी से जो खनिज तेल प्राप्त होता है, उसे कच्चा तेल (Crude Oil) कहते हैं। प्रयोग करने से पहले इसे तेल शोधक उद्योगों में साफ़ किया जाता है।
वितरण-खनिज तेल संसार के बहुत-से देशों में मिलता है। यू० एस० ए०, रूस और उसके पड़ोसी देश तथा चीन इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं। ईरान, इराक, सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत आदि मध्य-पूर्वी देश भी तेल में बहुत अधिक धनी हैं। ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका महाद्वीपों के कई देशों में भी तेल निकाला जाता है।

तेल के उत्पादन में भारत की स्थिति अच्छी नहीं है। यहां प्रति वर्ष तेल का उत्पादन लगभग 33.4 मिलियन टन है। देश में तेल उत्पन्न करने वाले मुख्य राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान आदि हैं।

PSEB 8th Class Social Science Guide खनिज एवं ऊर्जा संसाधन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. ………… संसार का सबसे अधिक कोयला पैदा करता है।
2. भारत में ………….. राज्य कोयले के भंडार तथा उत्पादन में पहले स्थान पर है।
3. तेल का कुआं खोदने पर सबसे ऊपर ………….. मिलती है।
उत्तर-

  1. यू०एस०ए०,
  2. झारखंड,
  3. प्राकृतिक गैस।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. जल शक्ति पुनः उत्पादित न हो सकने वाला संसाधन है।
2. ज्वारभाटा भविष्य में प्रयोग होने वाला एक शक्ति साधन है।
3. दक्षिण अफ्रीका संसार में सबसे अधिक सोना पैदा करता है।
उत्तर-

  1. ✗,
  2. ✓,
  3. ✓.

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 3 खनिज एवं ऊर्जा संसाधन

(ग) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
भारत में कौन-सा राज्य सबसे अधिक सोना पैदा करता है ?
(i) आंध्र प्रदेश
(ii) केरल
(iii) झारखंड
(iv) कर्नाटक।
उत्तर-
कर्नाटक

प्रश्न 2.
पैट्रोलियम या कच्चा तेल किस प्रकार की चट्टानों में से निकलता है ?
(i) परतदार.
(ii) आग्नेय
(iii) कायांतरित
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
परतदार,

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा परमाणु खनिज नहीं है ?
(i) चूना पत्थर
(ii) यूरेनियम
(iii) थोरियम
(iv) बेरेलियम।
उत्तर-
चूना पत्थर ।.

(घ) सही जोड़े बनाइए:

1. बंबई हाई – एंथेसाइट
2. सबसे बढ़िया कोयला – प्राकृतिक गैस
3. सबसे घटिया कोयला – पैट्रोलियम
4. तरल सोना – पीट
उत्तर-

  1. प्राकृतिक गैस,
  2. एंथेसाइट,
  3. पीट,
  4. पैट्रोलियम।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खनिज पदार्थों को कौन-कौन सी श्रेणियों में बांटा जा सकता है? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
खनिज पदार्थों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बांटा जाता है(1) धातु खनिज-कच्चा लोहा, टंगस्टन आदि (2) अधातु खनिज-हीरा, जिप्सम आदि (3) परमाणु खनिज-यूरेनियम, थोरियम आदि।

प्रश्न 2.
लौह धातु खनिजों तथा बिना लौह धातु खनिजों में अन्तर “पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जिन खनिजों में लोहे का अंश पाया जाता है उन्हें लौह धातु खनिज तथा जिन खनिजों में लोहे का अंश नहीं पाया जाता उन्हें बिना लौह धातु खनिज कहा जाता है। कच्चा लोहा, मैंगनीज़, करोमाइट, टंगस्टन धातु खनिज पदार्थ हैं, जबकि सिक्का, बॉक्साइट, टीन, मैग्नीशियम आदि बिना लौह धातु खनिज पदार्थ हैं।

प्रश्न 3.
मैंगनीज़ के क्या उपयोग हैं?
उत्तर-

  • मैंगनीज़ लोहा और स्टील बनाने के काम आता है। इसका सबसे अधिक प्रयोग लोहे का मिश्रण बनाने में होता है।
  • मैंगनीज़ ब्लीचिंग पाऊडर, कीटनाशक दवाइयां, पेंट, बैटरियां आदि बनाने में भी काम आता है।

प्रश्न 4.
मैंगनीज़ के उत्पादन में भारत का संसार में कौन-सा स्थान है? भारत में यह कहां-कहां निकाला जाता है?
उत्तर-
मैंगनीज़ के उत्पादन में भारत का संसार में दूसरा स्थान है। भारत में मैंगनीज़ मुख्य रूप से कर्नाटक, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा गोवा में निकाला जाता है।

प्रश्न 5.
कांसा (Bronze) क्या होता है? इसका क्या उपयोग है?
उत्तर-
कांसा एक मज़बूत तथा कठोर पदार्थ है। इसे टीन के साथ मिलाकर बनाया जाता है। कांसे का प्रयोग औज़ार तथा हथियार बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 6.
संसार में तांबा कहां-कहां पाया जाता है ? भारत में तांबे के मुख्य क्षेत्र बताओ। (V. Imp.)
उत्तर-
संसार में तांबा मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चिली, जांबिया, कनाडा तथा जायरे में पाया जाता है। भारत में तांबे के मुख्य क्षेत्र सिंहभूम (झारखण्ड), बालाघाट (मध्य प्रदेश) और झंझनु तथा अलवर (राजस्थान) हैं।

प्रश्न 7.
भारत में बॉक्साइट के दो प्रमुख राज्य कौन-से हैं ? इन राज्यों के दो-दो तांबा उत्पादक क्षेत्र भी बताइए।
उत्तर-
भारत के दो प्रमुख बॉक्साइट उत्पादक राज्य उड़ीसा तथा गुजरात हैं। उड़ीसा में कालाहांडी तथा कोरापुट और गुजरात में जामनगर तथा जूनागढ़ तांबा उत्पन्न करने वाले मुख्य क्षेत्र हैं।

प्रश्न 8.
सोने के क्या उपयोग हैं?
उत्तर-
सोना एक बहुमूल्य धातु है। इसके निम्नलिखित उपयोग हैं(1) इससे ज़ेवर तथा विभिन्न प्रकार की सजावटी वस्तुएं बनाई जाती हैं। (2) इसका प्रयोग सोने की परत चढ़ाने, दांतों की सजावट तथा कुछ दवाइयां बनाने में भी होता है।

प्रश्न 9.
कौन-सा देश संसार का सबसे अधिक सोना पैदा करता है? यह कुल सोने का कितना भाग पैदा करता है?
उत्तर-
संसार का सबसे अधिक सोना दक्षिण अफ्रीका पैदा करता है। यह संसार के कुल सोने का लगभग 70 प्रतिशत भाग पैदा करता है।

प्रश्न 10.
अबरक (अभ्रक) क्या होता है ? इसका प्रयोग बिजली का सामान बनाने में क्यों किया जाता है?
उत्तर-
अभ्रक एक काला, भूरा या सफ़ेद रंग का पारदर्शी पदार्थ होता है। यह एक अधातु खनिज पदार्थ है। यह विद्युत् का कुचालक होता है। इसलिए इसका प्रयोग बिजली का सामान बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 11.
शक्ति के पुराने संसाधनों तथा नये साधनों में अन्तर बताइए।
उत्तर-
शक्ति के पुराने संसाधनों में कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि शामिल हैं। ये समाप्त होने वाले संसाधन हैं। दूसरी ओर सूर्य ऊर्जा, वायु शक्ति, समुद्री लहरें, ज्वार भाटा, भूमिगत ताप ऊर्जा, गोबर शक्ति के नये संसाधन – हैं। ये संसाधन सस्ते, दोबारा पैदा होने वाले तथा प्रदूषण रहित हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 3 खनिज एवं ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 12.
प्राकृतिक संसाधनों की सम्भाल कैसे की जानी चाहिए?
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग आवश्यकता के अनुसार तथा उचित ढंग से करना चाहिए। किसी भी संसाधन का व्यर्थ प्रयोग नहीं करना चाहिए। इन संसाधनों का प्रयोग करते समय आने वाली पीढ़ियों का भी ध्यान रखना चाहिए।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संसार तथा भारत में अबरक की पैदावार के बारे में लिखें।
उत्तर-
संसार में अबरक पैदा करने वाले मुख्य देश यू० एस० ए०, रूस, भारत, फ्रांस, अर्जेन्टाइना तथा दक्षिणी …… कोरिया हैं। पैदावार के अनुसार भारत इनमें सब से आगे रहा है। परन्तु इस समय हमारे देश में अबरक की पैदावार कम हो रही है। पैदावार कम होने के दो मुख्य कारण हैं-विदेशों में इसकी मांग कम होना तथा इसके स्थान पर प्लास्टिक जैसे पदार्थों का बढ़ता हुआ उपयोग।

भारत में अबरक की कुल पैदावार का 90% भाग चार राज्यों सीमांध्र, तेलंगाना, राजस्थान तथा झारखंड से प्राप्त होता है। बिहार, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश आदि राज्य भी अबरक पैदा करते हैं। देश के मुख्य अबरक उत्पादक जिले नालौर, विशाखापट्टनम, कृष्णा, जयपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, गया तथा हजारीबाग हैं।

प्रश्न 2.
परमाणु ऊर्जा क्या होती है? भारत में परमाणु खनिज पैदा करने वाले प्रदेशों के नाम बताएं।
उत्तर-
परमाणु खनिज पदार्थों से पैदा की जाने वाली ऊर्जा (शक्ति) को परमाणु ऊर्जा कहते हैं। इन खनिज पदार्थों में यूरेनियम, थोरियम (थयोरियम), लीथियम आदि शामिल हैं। भारत में ये खनिज पैदा करने वाले मुख्य प्रदेश निम्नलिखित हैं

  • यूरेनियम-सिंहभूम, हजारीबाग (झारखण्ड), गया (बिहार), सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) तथा उदयपुर (राजस्थान)।
  • थयोरियम-केरल, झारखण्ड, बिहार, राजस्थान और तमिलनाडु राज्य।
  • लीथियम-झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा केरल राज्य।

प्रश्न 3.
पन विद्युत् के अतिरिक्त शक्ति के नये (गैर-परम्परागत) साधन कौन-कौन से हैं ? उनकी संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
पन विद्युत् के अतिरिक्त ऊर्जा के अन्य नये साधन सौर ऊर्जा, वायु शक्ति, भू-तापी ऊर्जा, ज्वारभाटा आदि

  • सौर ऊर्जा से भी विद्युत् पैदा करने के प्रयोग चल रहे हैं।
  • बहती हुई वायु को हम पवन कहते हैं। इस वायु शक्ति से भी विद्युत् पैदा करने के प्रयास चल रहे हैं।
  • भू-तापी शक्ति (Geo-thermal Energy) कई प्रकार से उपयोग में लाई जा सकती है। इसे प्रायः घरों को गर्म रखने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। रूस, जापान तथा न्यूज़ीलैण्ड जैसे देशों में तो भू-तापी ऊर्जा से विद्युत् भी तैयार की जा रही है।
  • ज्वारभाटा (Tides) भी शक्ति का एक साधन है जिसे भविष्य में शक्ति संसाधन के रूप में प्रयोग किया जायेगा।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
पन विद्युत् क्या होती है? यह कैसे पैदा की जाती है ? संसार तथा भारत में पन विद्युत् के उत्पादन के बारे में लिखें।
उत्तर-
पानी (जल) द्वारा पैदा की जाने वाली विद्युत् को पन विद्युत् कहते हैं। नदियों पर बांध बनाकर जल को सुरंगों के मार्ग से भेजकर टर्बाइनें घुमायी जाती हैं। टर्बाइनों के घूमने पर घर्षण के साथ विद्युत् पैदा होती है।

पन विद्युत् का उत्पादन-संसार के बहुत-से देशों में काफ़ी मात्रा में पानी उपलब्ध है। अत: ये देश बड़ी मात्रा में पन विद्युत् का उत्पादन करते हैं। इन देशों में यू० एस० ए०, रूस, जापान, जर्मनी, कनाडा, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, पोलैंड, ब्राज़ील तथा भारत शामिल हैं। संसार की 31% पन विद्युत् केवलं यू० एस० ए० उत्पन्न करता है।

भारत में पन विद्युत् का उत्पादन-भले ही भारत में जल संसाधनों की कमी नहीं है, तो भी भारत संसार की कुल पन-विद्युत् का केवल 1% भाग ही पैदा करता है। भारत के जल संसाधन नदियों तथा नहरों के रूप में विद्यमान हैं। इन्हें मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है

  1. उत्तरी भारत अथवा हिमालय पर्वत से निकली नदियां ।
  2. दक्षिण भारत की नदियां।

भारत के उत्तर दिशा की ओर से आने वाली गंगा, ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियां हिमालय की बर्फ पिघलने के कारण सारा साल बहती रहती हैं। इनमें पन विद्युत् पैदा करने की बहुत अधिक क्षमता है। उत्तरी भारत में मिलने वाले इन जल साधनों की क्षमता भारत के कुल सम्भावित जल विद्युत् संसाधन का 18% से भी अधिक है। दूसरी ओर दक्षिण भारत की नदियां वर्षा पर निर्भर करती हैं। इन सभी नदियों की पन विद्युत् तैयार करने की सम्भावित क्षमता कम है।

वितरण-गोआ को छोड़कर भारत के सभी राज्य पन विद्युत् पैदा करते हैं। आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, उड़ीसा तथा केरल राज्यों के पास पनविद्युत् तैयार करने की सम्भावित क्षमता बहुत अधिक है। उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्य पन विद्युत् के सम्भावित संसाधनों में बहुत अधिक धनी हैं। इसलिए इन साधनों को विकसित करने की आवश्यकता है।

  • कर्नाटक में नागा-अर्जुन सागर बांध
  • उत्तर प्रदेश में गंगा इलेक्ट्रिक ग्रिड सिस्टम
  • महाराष्ट्र में टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रिक ग्रिडं
  • उड़ीसा में हीराकुड बांध
  • हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित पंडोह प्रोजेक्ट तथा भाखड़ा बांध पन-विद्युत् पैदा करने वाले महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 3 भोजन की सम्भाल

PSEB 8th Class Home Science Guide भोजन की सम्भाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बैक्टीरिया भोजन को कैसा बना देता है?
उत्तर-
बैक्टीरिया भोजन को कड़वा और ज़हरीला बना देता है।

प्रश्न 2.
फफूंदी कौन-से खाद्य पदार्थों को लगती है ?
उत्तर-
फफूंदी नमी वाले भोज्य पदार्थों में लगती है।

प्रश्न 3.
ताप को बढ़ाकर खाद्य-पदार्थों को सुरक्षित रखने की किसी एक विधि का नाम लिखें।
उत्तर-

  1. पास्चुरीकरण, तथा
  2. अनुर्वरीकरण (स्टेरीलाइजेशन)

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 4.
मक्खन और घी को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर-
मक्खन, घी की खटाई दूर करके, ठण्डी जगह में रखना चाहिए।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
मांस, मछली, सब्जियों को फलों की टोकरी में डालकर ज़मीन पर क्यों नहीं रखना चाहिए? इन्हें धोकर क्यों प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
मांस, मछली, सब्जियों को फलों की टोकरी में डालकर ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए क्योंकि रोग के कीटाणु इन पर बहुत जल्दी हमला करते हैं और अपने प्रभाव से इनको हानिकारक बना देते हैं। इनको धोकर प्रयोग में लाना चाहिए क्योंकि बिना धोए मांस, मछली, सब्जियाँ और फल खाने से कई बार कीड़े हमारे शरीर में पहुँच जाते हैं और इससे हैजा, टाइफाइड और पेचिश जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं।

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प्रश्न 2.
दूध बीमारियाँ कैसे फैलाता है और उनसे कैसे बचाव किया जा सकता है?
उत्तर-
दूध बीमारियाँ बैक्टीरिया से फैलाता है जिससे पेचिश, टाइफाइड आदि रोग .फैलने का खतरा रहता है।
बचाव-

  1. दूध को एक मिनट तक उबालकर बैक्टीरिया को मार देना चाहिए।
  2. उबलने के बाद दूध को छान लेना चाहिए।
  3. उबलने के बाद सघन जाली या मलमल के कपड़े से ढक देना चाहिए ताकि मिट्टी या मक्खी से बचाया जा सके।

प्रश्न 3.
फ्रिज़ के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
फ्रिज़ से निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. यह कच्ची-पक्की सब्जी, दूध, दही, मक्खन, पनीर, अण्डा, मांस, मछली और फलों को सुरक्षित रखते हैं।
  2. गर्मी से खराब होने वाले पदार्थ इसमें रखे जाते हैं।
  3. इसमें भोज्य पदार्थ ठंडे रहते हैं।
  4. भोजन फ्रिज में रखने से फफूंदी नहीं होती।

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प्रश्न 4.
भोजन की नमी दूर करने से वह कैसे सुरक्षित हो जाते हैं ?
उत्तर-
नमी वाले भोजनों में फफूंदी लग जाती है उसमें खमीर उठ जाता है। इसलिए भोजन को सुरक्षित रखने के लिए भोजन की नमी दूर कर दी जाती है, जिससे भोजन सुरक्षित हो जाता है।

प्रश्न 5.
खाद्य पदार्थों की खुशबू तेज़ करने से वे कैसे सुरक्षित हो जाते हैं ?
उत्तर-
खाद्य पदार्थों की खुशबू तेज़ करने से फफूंदी, खमीर और बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं, जिससे खाद्य पदार्थ सुरक्षित हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
कम तापमान या फ्रिज़ आदि के प्रयोग से भोजन पदार्थ कैसे सुरक्षित हो जाते हैं ?
उत्तर-
कम तापमान या फ्रिज़ आदि के प्रयोग से भोजन में बैक्टीरिया उत्पन्न नहीं हो पाते हैं जिससे भोजन पदार्थ सुरक्षित हो जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 7.
कच्चा दूध जल्दी खराब हो जाता है जबकि उबाला हुआ देर से क्यों?
उत्तर-
कच्चे दूध में बैक्टीरिया जल्दी उत्पन्न हो जाता है जिससे दूध शीघ्र खराब हो जाता है, जबकि उबले हुए दूध में बैक्टीरिया नष्ट हो जाता है इसलिए वह देरी से खराब होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन खराब होने के क्या कारण हैं ?
अथवा
भोजन खराब होने के कोई तीन कारण लिखिए।
उत्तर-
(1) सूक्ष्म जीव-जीवाणु, फफूंद तथा कवक।
(2) अवयव।
(3) भोजन के अंश।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल 1
चित्र 3.1 खमीर फफूंदी तथा कीटाणु भोजन खराब करने वाले तत्त्व

  1. जीवाणु-ये मांस, अण्डे, मछली एवं दूध को खराब कर देते हैं।
  2. फफूंद-ये गर्म एवं नम मौसम से मुरब्बे आदि पर भूरी सी रोंएदार तह बना देते हैं।
  3. खमीर-यह शर्करा युक्त पदार्थों को खराब करते हैं।
  4. अवयव-सूक्ष्म जीवों के साथ-साथ ये सब्जियों, फलों तथा अन्य भोज्य पदार्थों को सड़ा देते हैं।
  5. भोजन के अंश-कई परिस्थितियों में फलों तथा सब्जियों की रासायनिक रचना भी उनमें सड़न का कारण बनती है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 2.
भोजन को ठीक ढंग से संग्रह करने के घरेलू तरीके बताओ।
उत्तर-
भोजन को ठीक ढंग से संग्रह करने के घरेलू तरीके निम्नलिखित हैं-
1. दूध-दूध में बैक्टीरिया जल्दी हो जाती है। इससे पेचिश, टाइफाइड आदि फैलने का खतरा रहता है। इसलिए दूध को एक मिनट तक उबालकर बैक्टीरिया मार देते हैं। उबालने से पहले दूध छान लेना चाहिए। उबलने के बाद सघन जाली या मलमल के कपड़े से ढाँप देना चाहिए ताकि मिट्टी या मक्खी से बचाया जा सके।

2. मक्खन और घी-मक्खन और घी में से खटाई निकाल लेनी चाहिए और गीली मलमल से ढककर रखना चाहिए ताकि ये ठंडा रहकर सुरक्षित रह सकें। कीड़े-मकोड़ों से बचाने के लिए पानी के बर्तन में मक्खन तथा शहद को भी जाली में रखना चाहिए।

3. सब्ज़ियाँ और फल-बिना धोए सब्जियाँ और फल खाने से कई बार कीड़े हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं। इसलिए सब्जी को कच्चा खाना हो या पत्तेदार सब्जियों का सलाद के रूप में इस्तेमाल करना हो तो हमेशा लाल दवाई से धोकर खानी चाहिए। पानी इतना लेना चाहिए कि सब्जी अच्छी तरह डूब जाए। दो किलो पानी में चुटकी भर दवाई काफ़ी होती है। खास कर हैज़ा, टाइफाइट और पेचिश की बीमारियों के मौसम में लाल दवाई का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।

4. अनाज और दालें-अनाज की बोरी या टीन के बड़े बर्तन में डालकर उसको अच्छी तरह बन्द कर देना चाहिए। गेहूँ भरते समय मेथी या नीम के पत्ते सुखाकर तथा पीसकर बीच में मिला देने चाहिए और बोरी के आस-पास भूसा डाल देना चाहिए। अगर गेहूँ अधिक समय के लिए रखनी हो तो डी० टी० टी० के कपड़े की पोटली में बांधकर गेहूँ के बीच में रखना चाहिए। दालों को समय-समय पर धूप में सुखा देना चाहिए।

5. मांस और मछली-मांस और मछली पर रोग के कीटाणु बहुत जल्दी हमला करते हैं और अपने प्रभाव से इसको हानिकारक बना देते हैं। इनको छोटे लटकाने वाले बर्तनों में रखकर ठंडी जगह पर लटकाना चाहिए।

प्रश्न 3.
भोजन को सुरक्षित रखने के सिद्धान्तों के बारे में बताओ।
अथवा
भोजन को सुरक्षित रखने के किन्हीं तीन सिद्धान्तों के बारे में लिखें।
उत्तर-
भोजन को सुरक्षित रखने के निम्नलिखित सिद्धान्त हैं-
1. फफूंदी, खमीर और बैक्टीरिया को रोकने के लिए पदार्थों की खुशबू तेज़ कर लेनी चाहिए। इसलिए आचार में मसाले डाले जाते हैं। तेल, सिरका, चीनी, शक्कर और नमक इस काम के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं।

2. भोजन को सुरक्षित करने के लिए भोजन की नमी दूर करनी चाहिए। सब्ज़ियाँ और फल अच्छी तरह सुखाकर ही इकट्ठे करने चाहिएँ। दालों और अनाज को भी समयसमय पर धूप और हवा लगवा लेना चाहिए।

3. बैक्टीरिया उस भोजन में होते हैं जिसका तापमान शारीरिक खून के तापमान के बराबर होता है। इसलिए भोजन का तापमान बढ़ा देना चाहिए या कम कर देना चाहिए। इसलिए उबला हुआ दूध कच्चे दूध से अधिक सुरक्षित रहता है। अगर भोजन को 0°C तापमान में रखा जाए तो बैक्टीरिया बढ़ नहीं पाते हैं।

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Home Science Guide for Class 8 PSEB भोजन की सम्भाल Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-सा तथ्य ठीक है ?
(क) भोजन फ्रिज में रखने से उल्ली नहीं लगती
(ख) दूध उबालने से बैक्टीरिया मर जाते हैं
(ग) उल्ली नमी वाले पदार्थ में लगती है
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 2.
जीवाणु भोजन को कैसा बना देते हैं ?
(क) मीठा
(ख) स्वाद
(ग) कड़वा तथा ज़हरीला
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) कड़वा तथा ज़हरीला

प्रश्न 3.
भोजन खराब करने वाले जीवाणुओं के लिए उचित तापमान है-
(क) 30-40°C
(ख) 0-5°C
(ग) 70-80°C
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 30-40°C

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प्रश्न 4.
भोजन पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए पदार्थ हैं
(क) नमक
(ख) चीनी
(ग) सिरका
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 5.
निम्न में ग़लत तथ्य है
(क) खमीर शक्कर वाले पदार्थों को खराब करते हैं
(ख) कच्चा दूध लम्बे समय तक खराब नहीं होता
(ग) कम तापमान पर बैक्टीरिया पैदा नहीं होते।
(घ) सभी ग़लत।
उत्तर-
(ख) कच्चा दूध लम्बे समय तक खराब नहीं होता

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II. ठीक/गलत बताएं

  1. दालों को समय-समय पर धूप में सुखा लेना चाहिए।
  2. आचार में सरसों का तेल डाल कर सुरक्षित किया जाता है।
  3. खमीर स्टार्च वाले भोजन पदार्थों को अल्कोहल में तथा कार्बन डायाक्साइड में बदल देता है।
  4. फ्रिज में रखा भोजन खराब हो जाता है।
  5. गेहूँ को स्टोर करते समय मेथी तथा नीम के पत्तों का प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. उल्ली ………… वाले पदार्थों को लगती है। (From Board M.Q.P.)
  2. सब्जियों आदि को कच्चा खाना हो तो ……………… दवाई में धो लें।
  3. गेहूँ में ……………. के पत्ते डाल कर रखें।
  4. खराब अण्डे पानी में ……………… हैं।

उत्तर-

  1. नमी
  2. लाल
  3. नीम
  4. तैरते

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IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भोजन पदार्थों को सुरक्षित रखने का एक साधन बताओ।
उत्तर-
फ्रिज़।

प्रश्न 2.
गेहूँ को भण्डार करते समय कौन-से पत्ते प्रयोग करते हैं ?
उत्तर-
मेथी तथा नीम के।

प्रश्न 3.
फफूंदी कौन-सी वस्तुओं को लगती है ?
उत्तर-
नमीयुक्त।

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प्रश्न 4.
एक क्विटल चावल को संग्रह करने के लिए कितने नमक का प्रयोग करते हैं ?
उत्तर-
ढाई किलोग्राम।

प्रश्न 5.
फफूंदी से बचाने के लिए भोजन को कैसे स्थान पर रखना चाहिए?
उत्तर-
शुष्क स्थान पर।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फफूंदी तथा खमीर भोजन को किस प्रकार खराब कर देते हैं ?
उत्तर-
फफूंदी नमी युक्त पदार्थों में लगती है। खमीर शक्कर वाले पदार्थों को खराब करते हैं।

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प्रश्न 2.
सुरक्षित रखने के लिए भोजन को कहाँ रखते हैं ?
उत्तर-
सुरक्षित रखने के लिए भोजन को ठंडी जगह या फ्रिज में रखते हैं।

प्रश्न 3.
भोजन खराब करने वाले जीवाणुओं के लिए सबसे उपयुक्त तापमान कौन-सा है?
उत्तर-
30° से 40°C तक।

प्रश्न 4.
बिना उबाला दूध, उबाले हुए दूध की अपेक्षा जल्दी खराब क्यों हो जाता है?
उत्तर-
बिना उबाले दूध में उपस्थित जीवाणु तेजी से पनपते हैं जबकि दूध को उबालने से उसमें उपस्थित जीवाणु मर जाते हैं।

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प्रश्न 5.
जीवाणु भोजन को कैसा बना देते हैं ?
उत्तर-
जीवाणु भोजन को कड़वा तथा विषैला बना देते हैं।

प्रश्न 6.
खमीर स्टार्च वाले भोजन को किसमें बदल देता है ?
उत्तर-
खमीर स्टार्च वाले भोजन को एल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देता है।

प्रश्न 7.
घर मे पकाए हुए भोज्य पदार्थ किस प्रकार सुरक्षित रखे जाते हैं ?
उत्तर-
ठण्डी जगह, जैसे फ्रिज़ आदि में रखकर।

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प्रश्न 8.
खाद्य पदार्थों के संरक्षण के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बात क्या है ?
उत्तर-
जीवाणुओं की वृद्धि तथा प्रकिण्वों (एन्जाइमों) की क्रियाशीलता को रोका जाए।

प्रश्न 9.
खाद्य पदार्थों को सुखाकर सुरक्षित रखने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं ?
उत्तर-

  1. जीवाणुओं को दूर रखना,
  2. दबाव के साथ फिल्टर द्वारा,
  3. किण्वन द्वारा,
  4. ताप संसाधन द्वारा,
  5. रसायनों का उपयोग करके,
  6. सुखाकर,
  7. किरणों द्वारा,
  8. प्रतिजीवियों द्वारा।।

प्रश्न 10.
धूप में सुखाकर सुरक्षित रखे जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों के नाम बताएँ।
उत्तर-
आलू, गोभी, मटर, मेथी, शलगम, सरसों-चने का साग आदि।

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प्रश्न 11.
फल तथा सब्ज़ियों को ऑवन में सुखाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-

  1. फल व सब्ज़ियाँ जल्दी सूखती हैं,
  2. मक्खी व धूल-मिट्टी से संदूषण का खतरा नहीं रहता।

प्रश्न 12.
पास्चुरीकरण क्रिया क्या है?
उत्तर-
इस प्रक्रिया में खाद्य-पदार्थों को पहले गर्म करके फिर ठण्डा किया जाता है।

प्रश्न 13.
पास्चुरीकरण विधि किन खाद्य-पदार्थों के संरक्षण में प्रयोग में लाई जाती
उत्तर-
दूध, फलों के रस, सिरका।

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प्रश्न 14.
अनुर्वरीकरण विधि कब प्रयोग में लाते हैं ?
उत्तर-
जब खाद्य-पदार्थों को बोतलों अथवा डिब्बों में सीलबन्द करते हैं।

प्रश्न 15.
संरक्षणीय पदार्थ क्या होते हैं?
उत्तर-
ये पदार्थ किसी खाद्य-पदार्थ में मिला देने से उस खाद्य-पदार्थ की सुरक्षा की जाती है।

प्रश्न 16.
कुछ घरेलू संरक्षणीय पदार्थों के नाम बताएँ। (पंजाब बोर्ड, 2004)
उत्तर-
नमक, चीनी, नींबू का रस, सिरका, टारटेरिक अम्ल, सिट्रिक अम्ल, मसाले, तेल।

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प्रश्न 17.
खाद्य-पदार्थों की सुरक्षा में नमक का प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर-
अचार, चटनी, साँस, फलों तथा सब्जियों की बोतलबन्दी तथा डिब्बाबन्दी के समय।

प्रश्न 18.
खाद्य-पदार्थों के संरक्षण में नमक किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर-

  1. खाद्य-पदार्थों की नमी कम करना,
  2. खाद्य-पदार्थों में वातावरण की ऑक्सीजन न मिलने देना,
  3. क्लोराइड आयन मिलने में खाद्य संरक्षण में सहायता करना,
  4. प्रकिण्वों की क्रियाशीलता को मन्द करना।

प्रश्न 19.
चीनी का प्रयोग किन खाद्य-पदार्थों के संरक्षण के लिए किया जाता है ?
उत्तर-
जैम, जैली, मार्मलेड, मुरब्बा, कैण्डी, स्क्वैश, शर्बत, चटनी आदि।

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प्रश्न 20.
तेल, अचार का संरक्षण किस प्रकार करता है?
उत्तर-
तेल खाद्य-पदार्थों का ऑक्सीजन से सम्पर्क तोड़ देता है और इस प्रकार उसे खराब नहीं होने देता।

प्रश्न 21.
पोटेशियम मेटाबाइसल्फाइट का प्रयोग किन खाद्य-पदार्थों के संरक्षण
उत्तर-
सन्तरा, नींबू, लीची, अनानास, आम आदि हल्के रंग वाले फलों तथा सब्जियों के संरक्षण के लिए।

प्रश्न 22.
अनाज तथा दालों को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर-
अनाज को सुखाकर बोरी या टीन के बड़े ढोल में डाल कर अच्छी तरह बन्द करके खा जाता है। गेहूँ को संभालते समय उस में नीम या मेथी के सूखे पीसे हुए पत्ते मिला देने चाहिए फिर डी० डी० टी० की पोटली बना कर इस में रखें। एक किलो चावलों के लिए अढाई किलो पीस कर मिला दें। दालों को समय-समय पर धूप लगाते रहना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 23.
बैक्टीरिया और खमीर भोजन को किस प्रकार खराब कर देते हैं ?
उत्तर-
स्वयं करें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन संरक्षण के लाभ लिखिए।
उत्तर-
भोज्य पदार्थों के संरक्षण के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. खाद्य पदार्थों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
  2. खाद्य पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता है।
  3. आपत्ति, अकाल आदि के समय सुरक्षित खाद्य पदार्थों का उपयोग होता है।
  4. युद्ध में, पर्वतारोहण में, समुद्र यात्रा में तथा ध्रुवीय अभियात्रा में सुरक्षित भोज्य पदार्थ ही लाभदायक सिद्ध होते हैं।
  5. बेमौसम सब्जी, फल आदि प्राप्त हो सकते हैं।
  6. फ़सलों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने पर उन्हें संरक्षित कर सड़ने से बचाया जा सकता है और उन्हें अन्य देशों को भेजा जा सकता है।
  7. संरक्षण से भोज्य पदार्थ का वास्तविक स्वाद और सुगन्ध बनी रहती है।
  8. भोजन में विविधता लाई जा सकती है।

प्रश्न 2.
भोजन के संरक्षण के उपाय किन सिद्धान्तों पर आधारित है?
उत्तर-
1. सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा होने वाले विश्लेषण को रोकना और विलम्बित करना-भोजन को सुरक्षित करने के लिए सूक्ष्म जीवों को नष्ट या उनको निकालने के उपाय करने पड़ते हैं। इसके अलावा यदि सूक्ष्म जीवों की बढ़ोत्तरी शुरू हो चुकी है तो इसको रोकना पड़ता है। ऐसा जीवाणुओं को दूर रखकर अथवा जीवाणुओं को फिल्टर द्वारा निकालकर किया जाता है। इनकी बढ़ोत्तरी नमी सुखाकर, इनका वायु से सम्पर्क हकर तथा रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके रोकी जा सकती है।

2. भोजन में स्वयं विश्लेषण को रोकना या विलम्बित करना-भोजन में पाए जाने वाले पदार्थ को ताप द्वारा खत्म करने से या निष्क्रिय करने से उसमें होने वाले स्वयं विश्लेषण को नष्ट किया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
क्या भोजन को खराब होने से बचाया जा सकता है?
उत्तर-
भोजन को खराब होने से निम्न तरीकों से बचाया जा सकता है-
1. फफूंदी, खमीर और बैक्टीरिया को रोकने के लिए पदार्थों की खुशबू तेज़ कर लेनी चाहिए। इसलिहाकार में मसाले डाले जाते हैं। तेल, सिरका, चीनी, शक्कर और नमक इस काम के लिए इस्तेमाल में लाते हैं। इस तरह पदार्थ स्वादिष्ट और सुरक्षित रहता है।

2. नमी युक्त पदार्थों में फफूंदी लग जाती है या खमीर उठ जाता है। इसलिए भोजन को सुरक्षित करने के लिए भोजन की नमी दूर करनी चाहिए। सब्जियाँ और फल अच्छी तरह सुखाकर ही इकट्ठे करने चाहिएँ। दालों और अनाज को भी समय-समय पर धूप और हवा में सुखाना चाहिए।

3. बैक्टीरिया उस भोजन में होते हैं जिसका तापमान शारीरिक खून के तापमान के बराबर होता है। इसलिए भोजन का तापमान बढ़ा देना चाहिए या कम कर देना चाहिए। इसलिए उबला हुआ दूध कच्चे दूध से अधिक सुरक्षित होता है। अगर भोजन को 0°C तापमान में रखा जाए तो बैक्टीरिया बढ़ते नहीं है। इसलिए फ्रिज़ और बर्फ के बॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रश्न 4.
दूध उबालना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
दूध में बैक्टीरिया जल्दी पलते हैं, इसलिए दूध उबालना ज़रूरी है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन को संरक्षित करने का क्या अभिप्राय है? किन-किन विधियों से भोजन को सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर-
बहुत से खाद्य-पदार्थों जैसे-ताजे फल, सब्जियाँ, मांस, मछली, अण्डा आदि अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रखे जा सकते। मौसमी खाद्य पदार्थ मौसम में बहुत अधिक मात्रा में उत्पादित होते हैं अत: उन्हें अन्य स्थानों पर पहुँचाना होता है। इस प्रकार खाद्य पदार्थों की अधिक मात्रा को देश के विभिन्न भागों में पहुँचाने तथा सही उपयोग के लिए ऐसी विधियों से गुज़ारा जाता है जिससे वे सड़ने से बचे रहें। इसी को भोजन का संरक्षण कहते हैं। भोजन को संरक्षित करने की आवश्यकता निम्न प्रकार बताई जा सकती है-

  1. खाद्य पदार्थों को नष्ट होने से बचाने के लिए।
  2. खाद्य पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने-ले-जाने के लिए जिससे वे रास्ते में खराब न हों और लाने-ले-जाने में असुविधा न हो।
  3. सुरक्षा द्वारा खाद्य पदार्थों के संग्रह करने के लिए।
  4. विभिन्न खाद्य पदार्थों को बिना मौसम के तथा सारे साल आसान उपलब्धि के लिए।
  5. समय और श्रम की बचत के लिए।
  6. भोजन के रंग, रूप, स्वाद में विभिन्नता लाने के लिए।
  7. आधुनिक जीवन की बढ़ती हुई आवश्यकताओं को किसी हद तक पूरा करने के लिए भी भोजन की सुरक्षा आवश्यक होती है

भोजन को निम्नलिखित विधियों से सुरक्षित रखा जा सकता है-
1. जीवाणुओं को दूर रखकर- भोजन को खराब करने वाले जीवाणु वायु में उपस्थित होते हैं। अत: यदि भोजन को वायु से बचाकर रखा जाए तो वह सुरक्षित रहता है। सबसे भोजन की सम्भाल पहले खाद्य पदार्थ को गर्म करके उसमें उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं। फिर इन्हें चौड़े मुँह की बोतलों या डिब्बों में भरकर पानी के तसले में रखकर गर्म करते हैं। ऐसा करने में खाद्य सामग्री से उपस्थित या प्रविष्ट हुई वायु निकल जाती है। अब तुरन्त ही ढक्कनों को वायुरोधक ढंग से बन्द कर देते हैं। बाहर के देशों में अधिकतर खाद्य पदार्थ इसी प्रकार बन्द डिब्बों में बिकते हैं। अचार, मुरब्बे, शर्बत, फल-सब्जियाँ, मांस, मछली आदि खाने की अनेक वस्तुएँ इस विधि से सुरक्षित रखी जा सकती है।

2. दबाव के साथ फिल्टर द्वारा-इस विधि से तरल भोज्य पदार्थों, जैसे–फलों का रस, बीयर, वाइन तथा पानी आदि को सुरक्षित किया जा सकता है। इन तरल पदार्थों को कम या अधिक दबाव से जीवाणु फिल्टरों में से फिल्टर कर लिया जाता है।

3. खमीरीकरण द्वारा-जीवाणु द्वारा पैदा किए गए कार्बोनिक अम्ल से भोजन संरक्षित हो जाता है। संरक्षीकरण में एल्कोहल, एसिटिक अम्ल तथा लेक्टिक अम्ल द्वारा किया गया खमीरीकरण महत्त्वपूर्ण है। वाइन, बीयर, फलों के सिरके आदि पेय पदार्थों को इसी विधि से तैयार किया जाता है। इस प्रकार से संरक्षित खाद्य पदार्थों को सावधानी से सीलबन्द करके रखने से उनमें अवांछित खमीरीकरण नहीं हो पाता।

4. ताप संसाधन विधि द्वारा-इस विधि से जीवाणुओं तथा अवयवों को नष्ट किया जाता है। यह विधि तीन प्रकार से प्रयोग की जाती है-
i) पास्चुरीकरण-इस विधि में भोज्य पदार्थ को गर्म करके ठण्डा किया जाता है। ऐसे में जीवाणु इस बदलते हुए ताप को सहन नहीं कर पाते और जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं। इस विधि में अधिकांश जीवाणु तो नष्ट हो जाते हैं फिर भी कुछ रह जाते हैं। यह विधि मुख्य रूप से दूध (Milk) के लिए उपयोग में लाई जाती है। भोज्य पदार्थों का पास्चुरीकरण निम्नलिखित उद्देश्यों से किया जाता है

ii) दूध का पास्चुरीकरण करने से रोग उत्पन्न करने वाले सभी जीवाणुओं को नष्ट किया जा सकता है।

iii)  लेक्टिक अम्ल की उपस्थिति से दूध खड़ा हो जाता है। इस अम्ल को उत्पन्न करने वाले बहुत से जीवाणु दूध के पास्चुरीकरणं से नष्ट हो जाते हैं। इससे दूध खट्टा नहीं होता।

iv) इस क्रिया द्वारा स्वाद बिगाड़ने वाले और दुर्गन्ध उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को भी नष्ट कर दिया जाता है। पास्चुरीकरण की निम्न तीन विधियाँ हैं

  •  होल्डिंग विधि- इस विधि में खाद्य पदार्थ को 62.67°C या 145°F पर 30 मिनट तक रखने के बाद ठण्डा होने दिया जाता है।
  • फ्लैश विधि-इस विधि में खाद्य पदार्थ को 71°C या 161°F पर 15 सेकिण्ड के लिए रखकर एकदम से ठण्डा कर दिया जाता है।
  • अत्यधिक ताप की विधि-इस विधि में खाद्य-पदार्थ को 90°C या 194°F या इससे भी अधिक ताप पर एक सेकिण्ड के लिए रखकर एकदम ठण्डा किया जाता है। यह विधि अधिक सुरक्षित है तथा इसमें बहुत कम समय लगता है।

5. ठण्डे स्थान में रखकर- भोजन को खराब करने वाले जीवों की वृद्धि के लिए 30°C से 40°C का तापमान उचित रहता है। 30°C से तापमान जितना कम होगा उतना ही सूक्ष्म जीव नहीं पनप सकेंगे। इसी प्रकार गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में भोजन अधिक देर तक सुरक्षित रहता है।

इस प्रकार खाद्य पदार्थों को बहुत कम तापमान में रखकर उन्हें खराब होने से बचाया जा सकता है। घर में भोजन को जैसे दूध, दही, सब्जियों, फल आदि को रेफ्रीजरेटर में रखकर । सुरक्षित रखा जा सकता है। आइस बॉक्स भी कुछ समय के लिए रेफ्रीजरेटर के समान ही कार्य करता है।

बड़े स्तर पर फल तथा सब्जियों आदि को शून्य डिग्री तापमान में शीत संग्रहागार (कोल्ड स्टोरेज) में सुरक्षित रखा जाता है।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल 2
चित्र 3.2 भोजन को सुरक्षित
चित्र 3.3 आइस-बॉक्स रखने का साधन रेफ्रिजरेटर
6. सुखाकर-जीवाणुओं व अन्य सूक्ष्म जीवों को अपनी वृद्धि के लिए नमी की आवश्यकता होती है। नमी के अभाव में ये पनप नहीं सकते। यदि खाद्य पदार्थों को सुखाकर उनकी नमी समाप्त कर दी जाए तो उन्हें खराब होने से बचाया जा सकता है। घरों में मेथी, पोदीना, धनिया, मटर, गोभी, शलगम, प्याज, भिंडी, लाल मिर्च आदि को छाया में सुखाकर अधिक समय तक सुरक्षित रखा जाता है।

बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों को मशीनों द्वारा गरम हवा के वातावरण में सुखाया जाता है। इस प्रकार सुखाए गए खाद्य पदार्थ धूप में सुखाए गए खाद्य पदार्थों की अपेक्षा अधिक अच्छी प्रकार तथा अधिक समय तक सुरक्षित रहते हैं।

7. जीवाणुनाशक वस्तुओं के प्रयोग से-जीवाणु प्राकृतिक पदार्थों तथा कम सान्द्रता वाली खाद्य सामग्री पर अच्छी प्रकार पनपते हैं। शक्कर, नमक, सिरका, राई, तेल आदि भोजन की सम्भाल जीवाणुओं की बाढ़ को रोककर खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखते हैं। इसी विधि से अचार को तेल से, मुरब्बे को चीनी से, चटनी को नमक से, मछली को धुआँ देकर सुरक्षित रखा जा सकता

8. रसायनों की सहायता से-पोटैशियम मेटा बाइसल्फाइट, सोडियम बेंजोएट, सोडियम मेटा बाइसल्फाइट, टाटरी, बोरिक अम्ल, सल्फर डाइऑक्साइड आदि कई रासायनिक पदार्थ जीवाणुओं की संख्या वृद्धि में रुकावट डालते हैं। इस विधि में खाद्य पदार्थ, मुरब्बे, चटनी, शर्बत आदि की बोतलों अथवा डिब्बों में बन्द करने से पहले थोड़ी मात्रा में इनमें से किसी रसायन का प्रयोग किया जाता है।

9. उबालकर-जीवाणु-फफूंद तथा खमीर आदि भोजन खराब करने वाले तत्त्वों की वृद्धि बढ़े हुए तापमान पर रुक जाती है। इसलिए कुछ खाद्य-पदार्थ जैसे दूध को उबालकर अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

10. किरणों द्वारा-भोज्य पदार्थों के संरक्षण की इस विधि में रेडियो-एक्टिव किरणों के प्रयोग से सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर दिया जाता है। इन किरणों का भिन्न-भिन्न मात्रा से परिरक्षित खाद्य पदार्थों का प्रयोग हमारे शरीर व स्वास्थ्य पर कितना व कैसा विपरीत प्रभाव डाल सकता है, इस पर अभी और जानकारी प्राप्त की जानी आवश्यक है।

11. एण्टीबायोटिक्स का प्रयोग-खाद्य पदार्थों के परिरक्षण में एण्टीबायोटिक्स का सीमित प्रयोग ही किया जाता है। अधिकांश ऐसे एण्टीबायोटिक्स ही प्रयोग में लाए जाते हैं जो विशेष हानिकारक नहीं होते। इनका प्रयोग बहुत सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
भोजन को सुरक्षित रखने के उपायों के अलावा खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. भोजन बनाते समय पूर्ण स्वच्छता का पालन करना चाहिए।
  2. चर्म रोग से पीड़ित गृहणियों को जहाँ तक हो सके, भोजन नहीं बनाना चाहिए।
  3. पकाये हुए भोजन को भली प्रकार ढककर जालीदार अलमारी में रखना चाहिए।
  4. अनाज, दालों आदि खाद्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए, ताकि चूहे, गिलहरी आदि के सम्पर्क से भोजन दृषित न हो।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 2.
भोजन को सुरक्षित रखने के दो (तीन) ढंग बारे लिखो।
उत्तर-
स्वयं करो।

भोजन की सम्भाल PSEB 8th Class Home Science Notes

  • यदि मांस, मछली, अण्डे और दूध आदि में बैक्टीरिया या कीटाणु पैदा हो जाएँ तो ये खराब हो जाते हैं।
  • फफूंदी से भी आचार, जैम, जैली खराब हो जाते हैं। फफूंदी उन खाने वाली चीज़ों को लगती है जिनमें नमी हो।
  • खमीर स्टार्च को शक्कर में बदलकर और शक्कर को एल्कोहल में बदलकर कार्बन हाइऑक्साइड में बदल देता है।
  • फफूंदी, खमीर और बैक्टीरिया को रोकने के लिए पदार्थों की खुशबू तेज़ कर लेनी चाहिए।
  • दूध में बैक्टीरिया जल्दी हो जाते हैं। इससे पेचिश, टाइफाइड आदि फैलने का खतरा रहता है।
  • मक्खन और घी में से खटाई निकाल लेनी चाहिए और नमी युक्त मलमल से ढककर रखना चाहिए ताकि ठंडा रहकर सुरक्षित रहे।
  • बिना धोए सब्ज़ियाँ और फल खाने से कई बार कीड़े हमारे शरीर में पहुँच जाते हैं।
  • अगर गेहूँ अधिक समय के लिए रखनी हों तो डी० टी० टी० को कपड़े की पोटली में बाँधकर गेहूँ के बीच में रखना चाहिए।
  • रोग के कीटाणु मांस और मछली पर बहुत जल्दी हमला करते हैं और अपने प्रभाव से इनको हानिकारक बना देते हैं।
  • रेफरिजरेटर कच्ची-पक्की सब्जी, दूध, दही, मक्खन, पनीर, अण्डा, मांस, मछली और फलों को सुरक्षित रखने का आधुनिक यंत्र है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 2 नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 2 नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 2 नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार

PSEB 8th Class Home Science Guide नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
नियमबद्ध आदतों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
बच्चों में समय पर तथा नियमित ढंग से खाने, पीने, सोने, टट्टी, पेशाब, खेलने आदि की आदतों का होना।

प्रश्न 2.
नियमबद्ध आदतों की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
अच्छे मनुष्य तथा अच्छे नागरिक बनने के लिए।

प्रश्न 3.
अपने परिवार की भलाई के साथ-साथ गाँव, शहर और देश के हित का ध्यान रखना कौन सा शिष्टाचार कहलाता है ?
उत्तर-
नागरिक शिष्टाचार।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 2 नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
खाने-पीने और सोने की अच्छी आदतें कौन-सी हैं ?
उत्तर-
खाने की आदतों का नियमबद्ध होना ज़रूरी है। सुबह से लेकर सोने तक उनका टाइम-टेबल होना चाहिए। खाना प्रत्येक दिन समय के अनुसार और एक जगह बैठकर ही खाना चाहिए। हर समय खाते रहना न तो स्वास्थ्य के लिए ठीक है और न ही इससे खाने वाले की सन्तुष्टि होती है। अधिक खाने की आदत अच्छी नहीं है। खाना खाते समय किसी और बात के बारे में सोचना नहीं चाहिए और न ही खाना जल्दी-जल्दी खाना चाहिए। खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोना और कुल्ला करना चाहिए। रात को खाना खाने के बाद दाँतों पर ब्रुश करना चाहिए।

बच्चों के सोने का निश्चित समय होना चाहिए। शुरू से ही बच्चे को अपनी माँ से अलग और बिना लोरी गाए या थपथपाए सोने की आदत डालनी चाहिए। बच्चे को हमेशा खुले हवादार कमरे में सोना चाहिए। भारतीय लोगों की गर्मियों में बाहर सोने की आदत अच्छी है। इससे छूत की बीमारियों का डर कम रहता है। मुँह सिर लपेटकर सोने की आदत अच्छी नहीं है। इस तरह आदमी का सिर भारी सा रहता है और सुबह उठने के बाद ताज़ा महसूस नहीं करता।

प्रश्न 2.
बुरी आदतें कैसे पड़ जाती हैं ? इनसे कैसे बचा जा सकता है ?
उत्तर-
युवावस्था में प्रारम्भिक वर्षों में कई बुरी आदतें पड़ जाती हैं। हमारे युवा वर्ग अनुशासन की कमी या बुरी संगति के कारण तम्बाकू, शराब या नशीली गोलियों की आदतों का शिकार हो जाते हैं। ये आदतें कई बार फैशन के तौर पर शुरू होती हैं। लेकिन फिर मनुष्य विवश होकर इनका गुलाम बन जाता है। जीवन में उचित उद्देश्य न होने के कारण नवयुवक विशेषकर विद्यार्थी नशीली गोलियों के आदी हो जाते हैं। कई ज़मींदार या फैक्टरियों के मालिक श्रमिकों से अधिक काम लेने के लिए स्वयं ही नशीली गोलियाँ उनको देते हैं। इन तीनों चीज़ों का स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। लेकिन सबसे बढ़कर इसका आचरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। अगर एक बार बुरी आदतें पड़ जाएं तो उसको दूर करना बहुत कठिन होता है। इसलिए शुरू से ही यह कोशिश करनी चाहिए कि बुरी आदतें न पड़ें। माता-पिता को चाहिए कि युवावस्था में बच्चों का विशेष ध्यान रखें । उनको प्यार और सहानुभूति दें और उनके कार्यों में रुचि लें ताकि वे बुरी संगत और बुरे कार्यों से बचे रह सकें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 2 नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तम शिष्टाचार से क्या भाव है ?
उत्तर-
अच्छी और नियमबद्ध आदतों के साथ हमारे लिए उत्तम शिष्टाचार भी बहुत आवश्यक है। हम अपने जीवन को अकेले ही नहीं जीना चाहते। समाज और परिवार में रहना हमारे लिए आवश्यक है। सुखमय, खुशहाल और लाभदायक जीवन के लिए अच्छे शिष्टाचार की आवश्यकता पड़ती है। इसके साथ ही व्यक्ति की सभ्यता की पहचान होती है।

प्रश्न 2.
सामाजिक शिष्टाचार क्यों आवश्यक है ? बुरे शिष्टाचार के क्या चिह्न
उत्तर-
सामाजिक शिष्टाचार रस्मों और रिवाजों के अनुकूल शिष्टाचार है जो किसी समाज में प्रचलित होता है। इसमें किसी समूह या किसी बिरादरी में ठीक प्रकार से विचरण करना शामिल होता है। किसी भी अवसर पर अपने आपको ठीक ढंग से ढालना इसमें शामिल है। ठीक प्रकार खाना, प्लेटें, प्यालियाँ, चम्मच, छुरियाँ, काँटों का ठीक इस्तेमाल करना भी इसमें आता है। यह सब कुछ सीखना ही पड़ता है और परिवार, पार्टी, बड़ी पार्टी या रस्मी समारोह में अपने कर्तव्य को निभा सकना अपने में एक कला है। मुँह खोलकर खाना, खाते समय ऊँचा बोलना या लड़ाई-झगड़ा करना, खाते-खाते हिलना या उठ-उठ कर चीजें पकड़ना, सब बुरे शिष्टाचार के चिह्न हैं।

प्रश्न 3.
नैतिक और सामाजिक शिष्टाचार में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
नैतिक और सामाजिक शिष्टाचार में अन्तर-

नैतिक शिष्टाचार सामाजिक शिष्टाचार
(1) इसमें दूसरे लोगों की ओर व्यवहार शामिल हैं। (1) इसमें मनुष्य एक सामाजिक संस्था में रहता है।
(2) इसमें अपने से बड़ों के लिए सम्मान, स्त्रियों के लिए सम्मान, माता-पिता के लिए सम्मान भाव, अध्यापकों के प्रति सम्मान, अजनबी लोगों से मीठा बोलना इत्यादि शामिल हैं। (2) इसमें अपने परिवार और घर की ही सफ़ाई और भलाई का ध्यान रखना चाहिए बल्कि अपने गाँव, शहर और देश के हित का भी ध्यान रखना चाहिएं।
(3) ऊँचा न बोलना, प्रत्येक व्यक्ति की बात ध्यान से सुनना, किसी को बात करते समय न टोकना आदि शिष्टाचार के चिह्न हैं। (3) इसमें सरकारी संस्थाएं और सरकारी चीज़ों को अपनी चीज़ों की तरह ही इस्तेमाल करना चाहिए।

 

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प्रश्न 4.
जीवन को सफल बनाने के लिए अच्छे शिष्टाचार और आचरण का क्या योगदान है ?
उत्तर-
अच्छी और नियमबद्ध आदतों के साथ हमारे लिए उत्तम शिष्टाचार भी बहुत आवश्यक है। हम अपने जीवन को अकेले ही रहीं जीना चाहते समाज और परिवार में रहना हमारे लिए आवश्यक है। सुखमय, खुशहाल और लाभदायक जीवन के लिए अच्छे शिष्टाचार की आवश्यकता पड़ती है। इसके साथ ही एक व्यक्ति की सभ्यता की पहचान होती है।

प्रश्न 5.
समाज के प्रति आप का क्या कर्त्तव्य है ?
उत्तर-
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। यदि कोई पुरस्कार, प्रतिष्ठा किसी मनुष्य को मिलती है तो समाज से ही मिलती है। ऐसा तभी होता है जब व्यक्ति समाज के लाभ के लिए अपने निजी स्वार्थों से परे कछ करता है। प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि जिस समाज में वह रहता है वहाँ के रीति रिवाजों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करे। नशीली वस्तुओं का प्रयोग न किया जाए, गंदगी न फैलायी जाए, वातावरण को शुद्ध रखा जाए। देश की, समाज की सम्पत्ति को हानि न पहुँचाई जाए। यदि हम सभी अपने-अपने हिस्से का काम उचित ढंग से करेंगे तो यह समाज स्वर्ग बन सकता है।

Home Science Guide for Class 8 PSEB नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
शिष्टाचार को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
(क) तीन
(ख) सात
(ग) दस
(घ) एक।
उत्तर-
(क) तीन

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प्रश्न 2.
सोने (नींद) से संबंधित गलत तथ्य हैं
(क) खुले हवादार कमरे में सोना चाहिए
(ख) मुँह ढक कर सोना चाहिए।
(ग) बच्चे के सोने का समय निश्चित होना चाहिए।
(घ) सभी तथ्य ग़लत हैं।
उत्तर-
(ख) मुँह ढक कर सोना चाहिए।

प्रश्न 3.
कौन-से शिष्टाचार में गांव, शहर तथा देश हित का ध्यान रखते हैं ?
(क) नागरिक
(ख) रीती-रिवाज के अनुकूल
(ग) नैतिक
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) नागरिक

II. ठीक/गलत बताएं

  1. भोजन करने की आदतें नियमबद्ध होनी चाहिए।
  2. अच्छे मनुष्य तथा अच्छे नागरिक बनने के लिए नियमबद्ध आदतों की आवश्यकता है।
  3. निजी जीवन में अच्छी आदतों का आधार बचपन से बनता है।

उत्तर-

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III. रिक्त स्थान भरें

  1. निजी जीवन में …………. आदतों का आधार बचपन से बनता है।
  2. ……………. में प्रारम्भिक वर्षों में कई बुरी आदतें पड़ जाती हैं।
  3. मनुष्य एक ………….. संस्था में रहता है।
  4. मनुष्य को अपने ……………. तथा शिष्टाचार को ऊँचा रखना चाहिए।

उत्तर-

  1. नियमबद्ध,
  2. युवावस्था,
  3. सामाजिक,
  4. आचरण।

IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
हमेशा कैसे कमरे में सोना चाहिए ?
उत्तर-
खुले हवादार कमरे में।

प्रश्न 2.
शिष्टाचार को कितने भागों में बांटा गया है ?
उत्तर-
तीन।

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प्रश्न 3.
कौन-सा शिष्टाचार हमारे समाज के रीति रिवाज़ों के अनुकूल है ?
उत्तर-
सामाजिक शिष्टाचार

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे जीवन में किसका बहुत बड़ा स्थान है ?
उत्तर-
हमारे जीवन में नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार का बहुत बड़ा स्थान है।

प्रश्न 2.
निजी जीवन में नियमबद्ध आदतों का आधार कब से बनता है ?
उत्तर-
निजी जीवन में नियमबद्ध आदतों का आधार बचपन से बनता है।

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प्रश्न 3.
सबसे पहले बच्चों की कौन-सी आदत नियमबद्ध होना ज़रूरी है ?
उत्तर-
सबसे पहले बच्चों की खाने की आदतों का नियमबद्ध होना ज़रूरी है।

प्रश्न 4.
हर समय खाना स्वास्थ्य के लिए क्यों ठीक नहीं है ?
उत्तर-
हर समय खाते रहना न तो स्वास्थ्य के लिए ठीक है और न ही इससे खाने वाले की सन्तुष्टि होती है।

प्रश्न 5.
बच्चे के सोने का समय कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
बच्चे के सोने का समय निश्चित होना चाहिए।

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प्रश्न 6.
मुँह सिर लपेटकर सोने से सिर भारी हो जाता है, क्यों ?
उत्तर-
मुँह सिर लपेटकर सोने की आदत अच्छी नहीं है। इस तरह सोने से आदमी अपनी ही अन्दर की गन्दी हवा में दोबारा साँस लेता है जिससे आदमी का सिर भारी हो जाता है।

प्रश्न 7.
निजी और राष्ट्रीय जीवन के लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर-
बुरी आदतों से अपने आपको दूर रखना निजी और राष्ट्रीय जीवन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 8.
नवयुवक किस कमी के कारण तम्बाकू, शराब या नशीली गोलियों की आदतों का शिकार हो जाते हैं ?
उत्तर-
नवयुवक अनुशासन की कमी या बुरी संगति के कारण तम्बाकू, शराब या नशीली गोलियों की आदतों का शिकार हो जाते हैं।

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प्रश्न 9.
अच्छी और नियमबद्ध आदर के साथ हमारे जीवन में और क्या आवश्यक
उत्तर-
अच्छी और नियमबद्ध आदतों के साथ हमारे लिए उत्तम शिष्टाचार भी बहुत आवश्यक है।

प्रश्न 10.
सरकारी संस्थाएँ और सरकारी चीज़ों को कैसे इस्तेमाल करना चाहिए ?
उत्तर-
सरकारी संस्थाएँ और सरकारी चीज़ों को अपनी चीज़ों की तरह ही इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रश्न 11.
शराबी व्यक्ति की दुर्घटना की सम्भावना अधिक क्यों होती है ?
उत्तर-
शराबी व्यक्ति में प्रतिक्रिया की अवधि सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा कम हो जाती है, इसलिए इनकी दुर्घटना की सम्भावना अधिक हो जाती है।

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प्रश्न 12.
शराब से मुक्ति पाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं ?
उत्तर-
शराब की आदत से मुक्ति पाने के लिए सरकार ने कई राज्यों में ‘नशा मुक्ति केन्द्र’ खोले हैं।

प्रश्न 13.
शराब पीने वाले व्यक्ति के शरीर में किसकी मात्रा बढ़ जाती है ?
उत्तर-
शराब पीने वाले व्यक्ति के शरीर में रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शराब किस प्रकार का पदार्थ है ?
उत्तर-
शराब एक तरल पदार्थ है जो पीने में कड़वी तथा जलन पैदा करने वाली होती है। इसे एथाइल एल्कोहल के नाम से भी जाना जाता है। भिन्न-भिन्न शराब के इस एल्कोहल की मात्रा अलग-अलग होती है। शराब के निरन्तर सेवन से व्यक्ति शराबी बन जाता है और निरन्तर अस्वस्थ होता जाता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 2 नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार

प्रश्न 2.
अधिक शराब पीना मस्तिष्क के कार्य में किस प्रकार बाधा पहुँचाती है ?
उत्तर-
शराब पीने के थोड़ी देर पश्चात् ही रक्त प्रवाह के साथ मस्तिष्क में पहुँच जाती है और केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र की क्रिया में बाधा डालती है। यह मस्तिष्क के उस भाग को भी प्रभावित करती है जो हमारे सोचने, समझने व चेतन क्रियाओं पर नियन्त्रण करता है। यह मस्तिष्क के एक भाग में पाए जाने वाले एक रसायन पदार्थ की क्रियाशीलता को कम कर देता है जिससे जबान लड़खड़ाने लगती है।

प्रश्न 3.
शराब की आदत से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है ?
उत्तर-
आरम्भ में इसका सेवन करने वाले व्यक्ति का उपचार थोड़े से प्रयत्नों से सफलतापूर्वक किया जा सकता है। परंतु शराब की लत पड़ जाने पर इससे छुटकारा पाना कठिन है। शराबी व्यक्ति के दृढ़ संकल्प तथा नियमित रूप से उपयुक्त उपचार द्वारा इस घातक द्रव से मुक्ति पाई जा सकती है। आजकल सरकार द्वारा राज्य में कई स्थानों पर नशा मुक्ति केन्द्र खोले गए हैं जहाँ शराबी व्यक्तियों को इस आदत से छुटकारा दिलाने हेतु हर संभव प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 4.
मदिरा सेवन करने वाले व्यक्ति के रक्त में शर्करा की मात्रा घट जाने से उसके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति के रक्त में शर्करा की मात्रा घट जाने से उसका शरीर क्षीण हो जाता है। यह हृदय की कार्यविधि पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, क्योंकि इससे रुधिर वाहिकाएँ फैल जाती हैं। निरन्तर शराब पीने से धमनियों की दीवारें सख्त और भंगुर हो जाती हैं।

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प्रश्न 5.
अच्छे शिष्टाचार से क्या भाव है ? शिष्टाचार कितनी प्रकार का होता है ? विस्तारपूर्वक लिखें।
अथवा
शिष्टाचार को कितने भागों में बांटा जा सकता है ? विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
शिष्टाचार मुख्यत: तीन तरह का होता है-

  1. सामाजिक
  2. नैतिक
  3. नागरिक स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 6.
सामाजिक शिष्टाचार का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 7.
सामाजिक तथा नैतिक शिष्टाचार में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 8.
नैतिक शिष्टाचार के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
नैतिक मूल्यों की पालना करना नैतिक शिष्टाचार है। इसमें अन्य लोगों से अच्छा व्यवहार करना शामिल है। अपनों से बड़ों के लिए सम्मान, स्त्रियों के लिए सम्मान, माता-पिता के लिए सम्मान, अध्यापकों के लिए सम्मान, अज़नबी लोगों के साथ मीठा बोलना शामिल है ऊँचा न बोलना, प्रत्येक व्यक्ति की बात ध्यान से सुनना, किसी को बात करते समय न टोकना आदि शिष्टाचार के चिन्ह हैं।

प्रश्न 9.
नियमबद्ध आदतों की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
निजी जीवन में नियमबद्ध आदतों का आधार बचपन से बनता है। छोटे बच्चों को ये आदतें सिखानी पड़ती हैं। आजकल के व्यस्तता भरे जीवन में यह और भी आवश्यक है कि बच्चों की आदतें बिल्कुल नियमबद्ध हो । प्राचीन समय में माताएँ अपने बच्चों को जब वे रोते या कुछ माँगते थे, तो दूध दे देती थीं या खाने को कुछ पकड़ा देती थीं। उनके खाने, सोने, टट्टी, पेशाब करने, खेलने आदि का न कोई समय था और न ही कोई ठीक तरीका होता था। यह न सिर्फ उनके अपने शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ठीक नहीं था, बल्कि पारिवारिक जीवन की अपनी मर्यादा को भी ठीक नहीं रहने देता था। इसलिए यह आवश्यक है कि बच्चों की आदतें नियमबद्ध हों और उनको शिक्षा बराबर दी जाए।

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नियमबद्ध आदतें और उत्तम शिष्टाचार PSEB 8th Class Home Science Notes

  • खाना खाने की आदतों का नियमबद्ध होना ज़रूरी है। सुबह से लेकर सोने तक खाने का एक टाइम-टेबल होना चाहिए।
  • खाना प्रतिदिन समय के अनुसार और एक जगह पर बैठकर ही खाना चाहिए।
  • हर समय खाना खाते रहना न तो स्वास्थ्य के लिए ठीक है और न ही इसे.खाने वाले की सन्तुष्टि होती है।
  • बच्चे के सोने का निश्चित समय होना चाहिए।
  • शुरू से ही बच्चे को अपनी माँ से अलग और बिना लोरी गाये या थपथपाए सोने की आदत डालनी चाहिए।
  • हमेशा खुले हवादार कमरे में सोना चाहिए।
  • मुँह और सिर लपेट कर सोने की आदत अच्छी नहीं है। इस तरह सोने से आदमी अपनी ही अन्दर की गन्दी हवा में दोबारा साँस लेता है।
  • बुरी आदतों से अपने आपको दूर रखना न केवल निजी बल्कि राष्ट्रीय जीवन के लिए भी बहुत आवश्यक है।
  • नवयुवक अनुशासन की कमी या बुरी संगति के कारण तम्बाकू, शराब या नशीली गोलियों की आदतों का शिकार हो जाते हैं।
  • अच्छी और नियमबद्ध आदतों के साथ हमारे लिए उत्तम शिष्टाचार भी बहुत आवश्यक है।
  •  शिष्टाचार को कई भागों में बांटा जा सकता है-
    • पहली प्रकार का शिष्टाचार रस्मों और रिवाजों के अनुकूल शिष्टाचार है जो किसी समाज में प्रचलित होता है।
    • दूसरी प्रकार का शिष्टाचार नैतिक है।
    • तीसरी प्रकार का शिष्टाचार नागरिक दृष्टिकोण में प्रकट होता है।
  • सरकारी संस्थाएँ और सरकारी चीज़ों को अपनी चीज़ों की तरह ही इस्तेमाल में लाना चाहिए।