PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

SST Guide for Class 9 PSEB श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
ऋग्वेद के अनुसार पंजाब का नाम क्या था ?
(क) हड़प्पा
(ख) सप्त सिंधु
(ग) पंचनद
(घ) पेंटापोटामिया।
उत्तर-
(ख) सप्त सिंधु

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में चीनी यात्री कौन था ?
(क) चाणक्य
(ख) लॉर्ड कर्जन
(ग) हयनसांग
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) हयनसांग

प्रश्न 3.
पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में कब मिलाया गया ?
(क) 1849 ई०
(ख) 1887 ई०
(ग) 1889 ई०
(घ) 1901 ई०
उत्तर-
(क) 1849 ई०

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प्रश्न 4.
यह दोआब कम उपजाऊ है-
(क) चज्ज दोआब
(ख) सिंधु सागर दोआब
(ग) रचना दोआब
(घ) बारी दोआब।
उत्तर-
(ख) सिंधु सागर दोआब

प्रश्न 5.
घग्गर और यमुना के बीच का क्षेत्र
(क) मालवा
(ख) बांगर
(ग) माझा
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) बांगर

प्रश्न 6.
मालवा क्षेत्र किन नदियों के मध्य स्थित है ?
(क) सतलुज और यमुना
(ख) सतलुज और घग्गर
(ग) घग्गर और यमुना
(घ) सतलुज और ब्यास।
उत्तर-
(ख) सतलुज और घग्गर

(ख) रिक्त स्थान भरें:

  1. ……. सभ्यता का जन्म पंजाब में हुआ था।
  2. ‘पेंटा’ का अर्थ ……………. है और ‘पोटामिया’ का अर्थ …….. है।
  3. भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को …………. भागों में बांटा गया है।
  4. …………… चिनाब और जेहलम नदियों के बीच का इलाका है।
  5. सिक्ख धर्म के संस्थापक ………. थे।
  6. भाषा के आधार पर ……………. को पंजाब का पुनर्गठन किया गया।
  7. माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई ………….. मीटर है।

उत्तर-

  1. हड़प्पा
  2. पांच, नदी
  3. तीन
  4. चज दोआब
  5. श्री गुरु नानक देव जी
  6. 1 नवंबर, 1966
  7. 8848

(ग) सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. ऋग्वेद – (i) उत्तर-पश्चिमी पर्वत
2. सुलेमान – (i-) सेकिया
3. बांगर – (iii) उप-पर्वतीय क्षेत्र
4. शिवालिक – (iv) सप्त सिंधु
5. यूनसांग – (v) घग्गर और यमुना।
उत्तर-

  1. सप्त सिंधु
  2. पश्चिमी पर्वत
  3. घग्गर और यमुना
  4. पर्वतीय क्षेत्र
  5. सेकिया।

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(घ) निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट करें :

1. ‘मालवा’ तथा ‘बांगर’
2. ‘पश्चिमी पंजाब’ तथा ‘पूर्वी पंजाब’
3. ‘दर्रे’ तथा ‘दोआब’
4. हिमालय तथा उप पर्वतीय क्षेत्र
5. ‘चज’ दोआब तथा ‘बिस्त जालंधर दोआब’
उत्तर-

  1. ‘मालवा’ तथा ‘बांगर’ :
    • मालवा-सतलुज तथा घग्गर नदियों के मध्य में फैले प्रदेश को ‘मालवा’ कहते हैं । लुधियाना, पटियाला, नाभा, संगरूर, फरीदकोट, भटिंडा आदि प्रसिद्ध नगर इस भाग में स्थित हैं।
    • बांगर अथवा हरियाणा-यह प्रदेश घग्गर तथा यमुना नदियों के मध्य में स्थित है। इसके मुख्य नगर अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, जींद, रोहतक, करनाल, गुड़गांव तथा हिसार हैं। यह भाग एक ऐतिहासिक मैदान भी है जहाँ अनेक निर्णायक युद्ध लड़े गए।
  2. ‘पश्चिमी पंजाब’ तथा ‘पूर्वी पंजाब’-1947 ई० में स्वतंत्रता के समय पंजाब को दो भागों में बांटा गया : पश्चिमी पंजाब तथा पूर्वी पंजाब। पंजाब का पश्चिमी भाग मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र था। वह अलग होकर पाकिस्तान के रूप में नया देश बना। पूर्वी पंजाब भारत का हिस्सा बना। उस समय पंजाब के 13 ज़िले पाकिस्तान में चले गए तथा शेष 16 ज़िले भारतीय पंजाब में रह गए।
  3. ‘रे’ तथा ‘दोआब’ :
    • दर्रे-ये ऊंचे पहाड़ों के बीच में से गुजरने के लिए प्रकृति द्वारा बनाए गए मार्ग होते हैं। इन दुर्गम मार्गों में से होकर पर्वतों को पार किया जा सकता है।
    • दोआब-दो नदियों के बीच की भूमि को दोआब कहते हैं। पंजाब का मैदान पांच दोआबों से बना हैं।
  4. हिमालय तथा उप पर्वतीय क्षेत्र : हिमालय-हिमालय अर्थात् हिम + आलय का अर्थ है बर्फ का घर। हिमालय की पहाड़ियां पंजाब में श्रृंखलाबद्ध हैं। इन पहाड़ियों को ऊंचाई के अनुसार तीन भागों में बांटा जाता है-महान् हिमालय, मध्य हिमालय तथा बाहरी हिमालय।
    उप-पर्वतीय क्षेत्र (तराई क्षेत्र)-यह क्षेत्र हिमालय की पीर-पंजाल पहाड़ियों के दक्षिण में स्थित है। इसमें शिवालिक और कसौली की पहाड़ियों के ढलान वाले प्रदेश शामिल हैं। इस क्षेत्र की पहाड़ियों की औसत ऊंचाई 10003000 फुट है।
  5. ‘चज’ दोआब तथा ‘बिस्त-जालंधर’ दोआब :
    • चज दोआब-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआब के नाम से पुकारा जाता है। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।
    •  बिस्त-जालंधर दोआब-इस दोआब में सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है। यह प्रदेश बड़ा उपजाऊ है। जालंधर और होशियारपुर इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब शब्द से क्या भाव है ?
उत्तर-
पंजाब से भाव पांच नदियों के प्रदेश से है। पंजाब’ फारसी के दो शब्दों-पंज तथा आब के मेल से बना है। पंच का अर्थ है पांच और आब का अर्थ है पानी अर्थात् नदी।

प्रश्न 2.
यूनानियों ने पंजाब का क्या नाम रखा ?
उत्तर-
यूनानियों ने पंजाब का नाम पेंटापोटामिया अर्थात् पांच नदियों की धरती रखा था। पेंटा का अर्थ है पांच और पोटामिया का अर्थ है नदी।

प्रश्न 3.
‘सप्त सिंधु’ से क्या भाव है ?
उत्तर-
वैदिक काल में पंजाब को सप्त सिंधु कहा जाता था क्योंकि उस समय यह सात नदियों का प्रदेश था।

प्रश्न 4.
1947 ई० में पंजाब को किन दो भागों में बांटा गया था ?
उत्तर-
1947 ई० में पंजाब को पश्चिमी पंजाब तथा पूर्वी पंजाब दो भागों में बांटा गया था। पश्चिमी हिस्सा पाकिस्तान बना तथा पूर्वी हिस्सा भारत को मिला।

प्रश्न 5.
पंजाब की उत्तर-पश्चिमी सीमा में स्थित किन्हीं दो दरों के नाम लिखो।
उत्तर-पंजाब की उत्तर-पश्चिमी सीमा में स्थित रे हैं-खैबर, कुर्रम, टोची आदि।

प्रश्न 6.
पंजाब को भाषा के आधार पर कब और कितने राज्यों में बांटा गया ?
उत्तर-
पंजाब को भाषा के आधार पर 1 नवंबर, 1966 को दो राज्यों-पंजाब तथा हरियाणा में बांटा गया।

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लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब के भिन्न-भिन्न ऐतिहासिक नामों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
पंजाब के नाम समय-समय पर बदलते रहे हैं-

  1. वैदिक काल में पंजाब को सप्त सिंधु (सात नदियों की धरती) कहा जाता था।
  2. प्राचीन महाकाव्य रामायण, महाभारत तथा पुराणों में पंजाब को पंचनद बताया गया है।
  3. यूनानियों ने पंजाब को पेंटापोटामिया (Pentapotamia) नाम रखा था-पेय का अर्थ है पांच और पोटामिया का अर्थ है नदी अर्थात् पांच (दरियाओं) नदियों की धरती।
  4. टक कबीले ने पंजाब को टक प्रदेश अथवा टकी का नाम दिया।
  5. चीनी यात्री हयूनसांग ने पंजाब को सेकिया कहकर पुकारा।
  6. महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब लाहौर सूबा के नाम से जाना जाने लगा।
  7. मुग़ल सम्राट अकबर ने पंजाब को पंजाब का नाम दिया। पंजाब फारसी भाषा में पंज और आब से मिलकर बना है। पंज का अर्थ है पांच और आब का अर्थ है पानी।
  8. 1849 ई० में अंग्रेजों ने इसे अपने राज्य में मिला लिया और उसे पंजाब प्रांत नाम दिया।
  9. 1947 ई० में भारत-पाकिस्तान बंटवारे में पंजाब को पूर्वी पंजाब तथा पश्चिमी पंजाब नामक दो भागों में बांटा गया। परंतु दोनों ही देशों में आज भी इसे पंजाब के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2.
पंजाब के इतिहास का अध्ययन करने के लिए पंजाब की भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
किसी भी प्रदेश का इतिहास वहां के भूगोल की देन होता है। इसलिए किसी प्रदेश के इतिहास के अध्ययन के लिए उस प्रदेश की भौगोलिक अवस्थाओं का अध्ययन ज़रूरी है। पंजाब के रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा, लोगों के स्वभाव तथा विचार शक्ति काफी सीमा तक भौगोलिक तथ्यों द्वारा प्रभावित हुई है। यहां की प्रत्येक घटना यहां के किसी-न-किसी भौगोलिक तथ्य से जुड़ी हुई है। यहां का उपजाऊ मैदान सभ्यता का पलना बना। समय पड़ने पर यही मैदान रणभूमि बना और यहां के लाखों वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। यहां की नदियों ने अनेक बार आक्रमणकारियों का मार्ग दर्शन किया। यहां के वनों का महत्त्व भी कुछ कम नहीं है। मुग़ल अत्याचारी से पीड़ित पंजाब के लोगों को इन्हीं वनों ने अनेक बार आश्रय दिया। यहां के समृद्ध मैदानों ने आक्रमणकारियों को आक्रमण करने की प्रेरणा दी। इस प्रकार पंजाब के भूगोल ने पंजाब को रंगभूमि और रणभूमि दोनों का स्तर प्रदान किया।

प्रश्न 3.
पंजाब को भारत का प्रवेश द्वार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब वर्षों तक भारत के प्रवेश द्वार का काम करता रहा है। इन पर्वत श्रेणियों में स्थित दरों से गुज़रना कठिन नहीं है। अतः आर्यों से लेकर मंगोलों तक सभी आक्रमणकारी इन्हीं मार्गों द्वारा भारत पर आक्रमण करते रहे क्योंकि ये दरें उन्हें सीधा, पंजाब की धरती पर पहुंचा देते थे। सर्वप्रथम उन्हें पंजाब के लोगों से संघर्ष करना पड़ा। उन्हें पराजित करने पर ही वे पूर्व की ओर आगे बढ़ सके। इस प्रकार पंजाब भारत के लिए प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता रहा है।

प्रश्न 4.
पंजाब में इस्लाम धर्म का प्रसार तेजी से क्यों हुआ ?
उत्तर-
पंजाब में इस्लाम धर्म का प्रसार तेज़ी से हुआ क्योंकि सभी मुस्लिम आक्रमणकारी पहले पंजाब में आकर बसे। उन्होंने यहां के लोगों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए विवश किया। मुस्लिम धर्म प्रचारक, सूफी संतों तथा व्यापारियों ने भी इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिन्दू धर्म के कठोर रीति-रिवाज़ों से तंग आ चुके लोगों ने आसानी से इस्लाम धर्म को अपना लिया। परिणामस्वरूप पंजाब में इस्लाम धर्म काफ़ी तेजी से फैला।

प्रश्न 5.
पंजाब की भौगोलिक स्थिति का लोगों के आर्थिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने यहां के लोगों के जीवन को आर्थिक रूप से दृढ़ता प्रदान की। हिमालय की नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा। उपजाऊ भूमि के कारण यहां अच्छी फसल होती रही और यहां के लोग समृद्ध होते गए। इन नदियों से पंजाब की भूमि सींची भी जाती थी। बर्फ से ढके रहने के कारण हिमालय से निकलने वाली नदियां सारा साल बहती रहती हैं और कृषि के लिए वरदान सिद्ध हुई हैं। हिमालय से प्राप्त लकड़ी के कारण पंजाब में फर्नीचर तथा खेल का सामान बनने लगा। इन्हीं पर्वतों से पंजाब के लोगों को गंदा बिरोजा, जड़ी-बूटियां तथा अन्य अनेक उपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती रहीं जिससे पंजाब में उद्योगों का विकास हुआ।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन करो।
अथवा
पंजाब के उप-पर्वतीय (तराई) प्रदेश के बारे में लिखो।
अथवा
पंजाब के मैदानी क्षेत्र की भौतिक विशेषताओं पर एक नोट लिखो।
उत्तर- भौगोलिक रूप से पंजाब का अध्ययन बहुत ही रोचक है। इस दृष्टि से पंजाब को तीन भागों में बांटा जा सकता है

  1. हिमालय तथा उसकी उत्तर पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां
  2. उप-पर्वतीय क्षेत्र अथवा तराई प्रदेश
  3. मैदानी क्षेत्र।

1. हिमालय तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां-हिमालय अर्थात् हिम+आलय का अर्थ है-बर्फ का घर। भारत के उत्तर में स्थित यह ऊंचा पर्वत वर्ष में अधिकतर समय बर्फ से ढका रहता है। पश्चिम से पूर्व की ओर इसकी लम्बाई लगभग 2400 कि०मी० तथा उत्तर से दक्षिण की ओर औसत चौड़ाई लगभग 250 कि०मी० है। संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मी०) हिमालय में ही स्थित है परन्तु हिमालय की सभी पहाड़ियों की ऊंचाई एक समान नहीं है।

पंजाब के उत्तर-पश्चिम में हिमालय की पश्चिमी शाखाएं स्थित हैं। इन शाखाओं में किरथार तथा सुलेमान की पर्वतश्रेणियां सम्मिलित हैं। इन पर्वतों की ऊंचाई अधिक नहीं है। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें अनेक दर्रे हैं इन दरों में खैबर का दर्रा महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। अधिकतर आक्रमणकारियों के लिए यही दर्रा प्रवेश-द्वार बना रहा। .

2. उप-पर्वतीय क्षेत्र अथवा तराई प्रदेश-हिमालय प्रदेश के उच्च प्रदेशों और पंजाब के मैदानी प्रदेशों के मध्य तराई का प्रदेश स्थित है। इसे उप-पर्वतीय प्रदेश भी कहा जाता है। यह 160 कि० मीटर से 320 कि० मीटर तक चौड़ा है और इसकी ऊंचाई 300 से 900 मीटर तक है। यह भाग अनेक घाटियों के कारण हिमालय पर्वत श्रेणियों से अलगसा दिखाई देता है। इस भाग में सियालकोट, कांगड़ा, होशियारपुर, गुरदासपुर, अंबाला का कुछ क्षेत्र सम्मिलित है। सामान्य रूप से यह एक पर्वतीय प्रदेश है। अतः यहां उपज बहुत कम होती है। वर्षा के कारण यहां अनेक रोग फैलते हैं। जहां कहीं भूमि को कृषि योग्य बनाया गया है वहां आलू, चावल-गेहूँ तथा मक्का की कृषि की जाने लगी है। यहां आने-जाने के साधनों का भी पूरी तरह से विकास नहीं हो पाया है। यहां की जनसंख्या कम है। यहां के लोगों को अपना जीवन-निर्वाह करने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। प्रकृति की सुंदर छटा के कारण यह प्रदेश बहुत की आकर्षक है और वनों से आच्छादित इसकी घाटियां मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती हैं।

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3. मैदानी क्षेत्र-पंजाब के मैदानी क्षेत्र को दो भागों में बांटा गया है-पूर्वी मैदान तथा पश्चिमी मैदान। यमुना तथा रावी के मध्य स्थित भाग को ‘पूर्वी मैदान’ कहते हैं। यह प्रदेश अधिक उपजाऊ है। यहां की जनसंख्या भी घनी है। रावी तथा सिंध के मध्य वाले भाग को ‘पश्चिमी मैदान’ कहते हैं। यह प्रदेश पूर्वी मैदान की तुलना में कम समृद्ध है।
(क) पाँच दोआब-दो नदियों के बीच की भूमि को दोआब कहते हैं। पंजाब का मैदानी भाग निम्नलिखित पाँच दोआबों से घिरा हुआ है।

  1. सिंध सागर दोआब-जेहलम तथा सिंध नदियों के बीच के प्रदेश को सिंध सागर दोआब कहा जाता है। यह प्रदेश अधिक उपजाऊ नहीं है। जेहलम तथा रावलपिंडी यहां के प्रसिद्ध नगर हैं।
  2. रचना दोआब-इस भाग में रावी तथा चिनाब नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है जो काफ़ी उपजाऊ है। गुजरांवाला तथा शेखूपुरा इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।
  3. बिस्त-जालंधर दोआब-इस दोआब में सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है। यह प्रदेश बड़ा उपजाऊ है। जालंधर और होशियारपुर इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।
  4. बारी दोआब-ब्यास तथा रावी नदियों के बीच के प्रदेश को बारी दोआब कहा जाता है। यह अत्यंत उपजाऊ क्षेत्र है। पंजाब के मध्य में स्थित होने के कारण इसे ‘माझा’ भी कहा जाता है। पंजाब के दो सुविख्यात नगर लाहौर तथा अमृतसर इसी दोआब में स्थित हैं।
  5. चज दोआब-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआब के नाम से पुकारा जाता है। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।

(ख) मालवा तथा बांगर-पांच दोआबों के अतिरिक्त पंजाब के मैदानी भाग में सतलुज तथा यमुना के मध्य का विस्तृत मैदानी क्षेत्र भी सम्मिलित है। इसको दो भागों में बांटा जा सकता है-मालवा तथा बांगर।

  1. मालवा-सतलुज तथा घग्घर नदियों के मध्य में फैले प्रदेश को ‘मालवा’ कहते हैं। लुधियाना, पटियाला, नाभा, संगरूर, फरीदकोट, भटिंडा आदि प्रसिद्ध नगर इस भाग में स्थित हैं।
  2. बांगर अथवा हरियाणा-यह प्रदेश घग्घर तथा यमुना नदियों के मध्य में स्थित है। इसके मुख्य नगर अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, जींद, रोहतक, करनाल, गुड़गांव तथा हिसार हैं। यह भाग एक ऐतिहासिक मैदान भी है जहां अनेक निर्णायक युद्ध लड़े गए।

प्रश्न 2.
पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने पंजाब के राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र के इतिहास पर क्या प्रभाव डाला ? विस्तार सहित बताओ।
उत्तर-
पंजाब भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक अति उपजाऊ प्रदेश है। इसकी आदर्श स्थिति ने यहां के इतिहास को एक-एक विशिष्ट रूप प्रदान किया है। वैसे भी किसी प्रदेश का इतिहास वहां के भूगोल की कोख से ही जन्म लेता है। पंजाब का इतिहास भी कोई अपवाद नहीं है। यहां के लोगों ने राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त की हैं। संक्षेप में पंजाब की स्थिति ने पंजाब के इतिहास को निम्नलिखित रंगों में रंगा है-

1. राजनीतिक क्षेत्र पर प्रभाव-

  • पंजाब के उत्तर-पश्चिम में स्थित दरों ने आक्रमणकारियों के लिए प्रवेश द्वार का काम किया। सभी आरंभिक आक्रमणकारी उत्तर-पश्चिम की दिशा से भारत में प्रवेश करते रहे। उनका सामना करने के लिए पंजाब के वीर सपूत आगे बढ़े।
  • सभी महत्त्वपूर्ण तथा निर्णायक युद्ध इसी धरती पर ही लड़े गए। चंद्रगुप्त मौर्य ने भारत में प्रथम विशाल साम्राज्य स्थापित किया था, परंतु उसके साम्राज्य की नींव पंजाब से ही पड़ी। हर्ष के साम्राज्य की पहली राजधानी थानेश्वर (कुरुक्षेत्र के समीप) भी पंजाब में ही थी।
  • पंजाब के वनों तथा पर्वतों ने सिक्खों को संकट के समय शरण दी। यहीं रह कर सिक्खों ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली द्वारा मुग़लों तथा अहमदशाह अब्दाली के दांत खट्टे किए।
  • अंग्रेज़ पंजाब पर सबसे अन्त में अधिकार कर सके। इसका कारण यह था कि उन्होंने देश के पूर्वी तट से भारत में प्रवेश किया था। यह प्रदेश पंजाब से बहुत दूर था।

2. धार्मिक क्षेत्र पर प्रभाव-धार्मिक क्षेत्र में पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने यहां के इतिहास पर निम्नलिखित प्रभाव डाले :

वैदिक धर्म का जन्म तथा विकास-वैदिक धर्म का आरम्भ वेदों से माना जाता है। वेद चार हैं ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद। इनमें से ऋग्वेद सबसे प्राचीन और सर्वोच्च है। इसकी रचना पंजाब की धरती पर ही हुई है। इस प्रकार यह पंजाब वैदिक धर्म के प्रचार का केन्द्र रहा है।

इस्लाम धर्म का प्रसार-इस्लाम धर्म का जन्म मक्का-मदीना में हुआ और तेज़ी से मध्य एशिया के देशों में फैल गया। इन देशों से मुस्लिम आक्रमणकारी धर्म-प्रचारक, व्यापारी, सूफी संत आदि उत्तर-पश्चिमी दरों के रास्ते भारत आए। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने पंजाब पर अपना अधिकार कर लिया और यहाँ के लोगों को इस्लाम धर्म अपनाने पर विवश किया। इसके अतिरिक्त हिन्दू समाज में प्रचलित कठोर रीति-रिवाजों और जाति भेदभाव के कारण निम्न जाति के बहुत से लोगों ने इस्लाम धर्म अपना लिया। इस तरह पंजाब में इस्लाम धर्म का काफ़ी तेजी से प्रसार हुआ।

सिक्ख धर्म का उदय तथा विकास-विदेशी हमलावरों के कारण पंजाब के लोगों पर कई प्रकार के अत्याचार हुए। उस समय हिन्दू समाज जाति भेद, कर्मकाण्डों और पाखण्डों में फंस चुका था। इस प्रकार लोगों का जीवन अत्यन्त दयनीय हो गया था। ऐसे वातावरण में पंजाब की धरती पर एक महान् क्रांतिकारी महापुरुष श्री गुरु नानक देव जी ने जन्म लिया। उन्होंने प्रचलित जाति भेद, कर्मकाण्डों, पाखण्डों और राजनैतिक अत्याचारों का विरोध किया। उन्होंने संसार को सबके कल्याण (सरबत दा भला) का संदेश दिया जिसने सिक्ख धर्म की नींव डाली। श्री गुरु नानक देव जी के बाद नौ . गुरुओं ने सिक्ख धर्म के प्रचार व प्रसार में अपना योगदान दिया। अत्याचारों के विरुद्ध और धर्म की रक्षा के लिए दो सिक्ख गुरुओं ने अपने बलिदान भी दिए। परिणामस्वरूप पंजाब में सिक्ख धर्म तेज़ी से विकसित हुआ।

प्रश्न 3.
विदेशी हमलों का पंजाब के लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
विदेशी हमलों का पंजाब के लोगों के जीवन पर बुरे तथा अच्छे दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े। इनका अलगअलग वर्णन इस प्रकार है-
बुरे प्रभाव

  1. अत्याचार-विदेशी आक्रमणकारियों ने पंजाब के लोगों पर अनेक अत्याचार किए। मुस्लिम हमलावरों ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए विवश किया। उन्होंने यह कार्य तलवार के बल पर करने का प्रयास किया।
  2. जन-धन की हानि-विदेशी हमलों से पंजाब के लोगों को जन-धन की भारी हानि उठानी पड़ी। इन हमलों में कई लोग मारे गए और कृषि उजड़ गई।
  3. कला और साहित्य के विकास में बाधा-पंजाब प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का पलना था। यहां की कला और साहित्य काफ़ी विकसित थे। विदेशी हमलों से इनके विकास में बाधा पड़ी। कई ग्रंथ तथा कलाकृत्तियां नष्ट हो गईं।

अच्छे प्रभाव

  1. पंजाबियों के विशेष गुण-लगातार युद्धों में उलझे रहने के कारण पंजाब के लोगों में वीरता, साहस, परिश्रम जैसे अच्छे गुण उत्पन्न हुए। आज भी पंजाब के लोगों में ये गुण विद्यमान हैं।
  2. समृद्ध मिश्रित संस्कृति का विकास-विदेशियों के सम्पर्क में रहने से पंजाब में एक मिश्रित संस्कृति का विकास हुआ। पंजाबियों के खान-पान, पहनावे तथा रहन-सहन में कई नए मूल्य जुड़ गए। इस प्रकार पंजाब की विशेष संस्कृति काफ़ी समृद्ध हो गई।
    सत्य तो यह है कि विदेशी हमलों ने पंजाब तथा पंजाबियों के चरित्र को एक नया रूप प्रदान किया।

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PSEB 9th Class Social Science Guide श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
पंजाब में पहले सिख राज्य की स्थापना की___
(क) श्री गुरु नानक देव जी
(ख) महाराजा रणजीत सिंह
(ग) बंदा सिंह बहादुर
(घ) गुरु गोबिंद सिंह जी।
उत्तर-
(ग) बंदा सिंह बहादुर

प्रश्न 2.
पंजाब को भाषा के आधार पर दो भागों में बांटा गया
(क) 1947 ई० में
(ख) 1966 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1971 ई० में
उत्तर-
(ख) 1966 ई० में

प्रश्न 3.
अंग्रेज़ों तथा महाराजा रणजीत सिंह के बीच सीमा का काम करता था
(क) सतलुज दरिया
(ख) चिनाब दरिया
(ग) रावी दरिया
(घ) ब्यास दरिया।
उत्तर-
(क) सतलुज दरिया

प्रश्न 4.
आज हिंद-पाक सीमा का काम कौन-सा दरिया करता है ?
(क) रावी दरिया
(ख) चिनाब दरिया
(ग) ब्यास दरिया
(घ) सतलुज दरिया।
उत्तर-
(क) रावी दरिया

प्रश्न 5.
शाह ज़मान ने भारत (पंजाब) पर आक्रमण किया
(क) 1811 ई० में
(ख) 1798 ई० में
(ग) 1757 ई० में
(घ) 1794 ई० में।
उत्तर-
(ख) 1798 ई० में

प्रश्न 6.
दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया
(क) लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने
(ख) लॉर्ड माऊंटबेटन ने
(ग) लॉर्ड हार्डिंग ने
(घ) लॉर्ड कर्जन ने।
उत्तर-
(ग) लॉर्ड हार्डिंग ने

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रिक्त स्थान भरें:

  1. पंजाब को ………… काल में सप्त सिंधु कहा जाता था।
  2. दो दरियाओं के बीच के भाग को ………… कहते हैं।
  3. मुग़ल शासक अकबर ने पंजाब को ………. प्रांतों में बांटा।
  4. महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को ……….. राज्य के नाम से पुकारा जाने लगा।
  5. रामायण तथा महाभारत काल में पंजाब को …….. कहा जाता था।
  6. सिकंदर ने भारत पर …………. ई० पू० में आक्रमण किया।

उत्तर-

  1. वैदिक
  2. दोआबा
  3. दो
  4. लाहौर
  5. सेकिया
  6. 326

सही मिलान करो:

(क) – (ख)
1. महाराजा रणजीत सिंह – (i) सतलुज तथा ब्यास
2. पंजाब का अंग्रेजी राज्य में विलय – (ii) लार्ड हार्डिंग
3. रामायण तथा महाभारत – (iii) लाहौर राज्य
4. दिल्ली भारत की राजधानी – (iv) 1849 ई०
5. बिस्त-जालन्धर दोआब – (v) सेकिया
उत्तर-

  1. लाहौर राज्य
  2. 1849 ई०
  3. सेकिया
  4. लार्ड हार्डिंग
  5. सतलुज तथा ब्यास

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

प्रश्न 1.
भारत के बंटवारे के बाद ‘पंजाब’ शब्द उचित क्यों नहीं रह गया ?
उत्तर-
बंटवारे से पहले पंजाब पांच दरियाओं की धरती था, परंतु बंटवारे के कारण इसके तीन दरिया पाकिस्तान में चले और वर्तमान पंजाब में केवल दो दरिया (ब्यास तथा सतलुज) ही शेष रह गए।

प्रश्न 2.
भारत के बंटवारे का पंजाब पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
भारत के बंटवारे से पंजाब भी दो भागों में बंट गया।

प्रश्न 3.
भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को कितने भागों में बांटा जाता है ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को तीन भागों में बांटा जाता है-

  1. हिमालय तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी पहाड़ियां
  2. उप पहाड़ी क्षेत्र (पहाड़ की तलहटी के क्षेत्र)
  3. मैदानी क्षेत्र।

प्रश्न 4.
अगर पंजाब के उत्तर में हिमालय न होता तो यह कैसा इलाका होता ?
उत्तर-
अगर पंजाब के उत्तर में हिमालय न होता तो यह इलाका शुष्क तथा ठंडा बन कर रह जाता।

प्रश्न 5.
‘दोआबा’ शब्द से क्या भाव है ?
उत्तर-
दो दरियाओं के बीच के भाग को दोआंबा कहते हैं।

प्रश्न 6.
दरिया सतलुज तथा दरिया घग्गर के बीच के इलाके को क्या कहा जाता है तथा यहां के निवासियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
दरिया सतलुज तथा दरिया घग्गर के बीच के इलाके को ‘मालेवा’ कहा जाता है। यहां के निवासियों को मलवई कहते हैं।

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प्रश्न 7.
1. दोआबा बिस्त का यह नाम क्यों पड़ा ?
2. इसके किन्हीं दो प्रसिद्ध शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. दोआबा बिस्त ब्यास तथा सतलुज नदियों के बीच का प्रदेश है जिनके नाम के पहले अक्षरों के जोड़ से ही इस दोआब का नाम बिस्त पड़ा है।
  2. जालंधर तथा होशियारपुर इस दोआबे के दो प्रसिद्ध शहर हैं।

प्रश्न 8.
1. दोआबा बारी को ‘माझा’ क्यों कहा जाता है तथा
2. यहां के निवासियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-

  1. दोआबा बारी पंजाब के मध्य में स्थित होने के कारण माझा कहलाता है।
  2. इसके निवासियों को ‘मझेल’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
मुग़ल बादशाह अकबर ने पंजाब को कौन-कौन से दो प्रांतों में विभाजित किया ?
उत्तर-
लाहौर तथा मुलतान।

प्रश्न 10.
महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को किस नाम से पुकारा जाने लगा था ?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को ‘लाहौर राज्य’ के नाम से पुकारा जाने लगा था।

प्रश्न 11.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब मिलाया गया ?
उत्तर-
पंजाब को अंग्रेज़ी राज्य में 1849 ई० में मिलाया गया।

प्रश्न 12.
पंजाब को भाषा के आधार पर कब बांटा गया ?
उत्तर-
पंजाब को भाषा के आधार पर 1966 ई० में बांटा गया।

प्रश्न 13.
हिमालय के पश्चिमी दरों के मार्ग से पंजाब पर आक्रमण करने वाली किन्हीं चार जातियों के नाम बताओ।
उत्तर-
इन दरों के मार्ग से पंजाब पर आक्रमण करने वाली चार जातियां थीं-आर्य, शक, यूनानी तथा कुषाण।

प्रश्न 14.
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को कौन-कौन से दो भागों में विभक्त किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को पूर्वी मैदान तथा पश्चिमी मैदान में विभक्त किया जाता है।

प्रश्न 15.
भारतीय पंजाब में अब कौन-से दो दरिया रह गये हैं ?
उत्तर-
सतलुज तथा ब्यास।

प्रश्न 16.
रामायण तथा महाभारत काल में पंजाब को क्या कहा जाता था ?
उत्तर-
सेकिया।

प्रश्न 17.
दिल्ली को भारत की राजधानी किस गवर्नर-जनरल ने बनाया ?
उत्तर-
लार्ड हार्डिंग ने।

प्रश्न 18.
हिमालय की पश्चिमी श्रृंखलाओं में स्थित किन्हीं दो दरों के नाम बताओ।
उत्तर-
खैबर तथा टोची।

प्रश्न 19.
दिल्ली भारत की राजधानी कब बनी ?
उत्तर-
1911 में।

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प्रश्न 20.
सिकंदर ने भारत पर कब आक्रमण किया ?
उत्तर-
326 ई० पू० में।

प्रश्न 21.
शाह ज़मान ने भारत (पंजाब) पर आक्रमण कब किया ?
उत्तर-
1798 ई० में।

प्रश्न 22.
अंग्रेज़ों तथा महाराजा रणजीत सिंह के बीच कौन-सा दरिया सीमा का काम करता था ?
उत्तर-
सतलुज।

प्रश्न 23.
आज किस दरिया का कुछ भाग हिंद-पाक सीमा का काम करता है ?
उत्तर-
रावी।

प्रश्न 24.
महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब की राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
लाहौर।

प्रश्न 25.
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को वास्तविक पंजाब’ क्यों कहा गया है ? कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है और समस्त पंजाब की समृद्धि का आधार है।

प्रश्न 26.
पंजाब के किस मैदानी क्षेत्र में महाभारत का युद्ध, पानीपत के तीन युद्ध तथा तराइन के दो युद्ध लड़े गए ?
उत्तर-
बांगर।

प्रश्न 27.
मालवा प्रदेश किन नदियों के बीच स्थित है ?
उत्तर-
मालवा प्रदेश सतलुज और घग्घर नदियों के बीच में स्थित है।

प्रश्न 28.
पंजाब के मालवा प्रदेश का नाम किसके नाम पर पड़ा ?
उत्तर-
पंजाब के मालवा प्रदेश का नाम यहां बसने वाले मालव कबीले के नाम पर पड़ा।

प्रश्न 29.
पंजाब के किन्हीं चार नगरों के नाम बताओ जहां निर्णायक ऐतिहासिक युद्ध हुए।
उत्तर-
तराइन, पानीपत, पेशावर तथा थानेसर में निर्णायक युद्ध हुए।

प्रश्न 30.
पाकिस्तानी पंजाब को किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर-
पश्चिमी पंजाब।

प्रश्न 31.
हिंदी-बाखत्री तथा हिंदी-पारथी राजाओं के अधीन पंजाब की राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
साकला (सियालकोट)।

प्रश्न 32.
दो दरियाओं के मध्य भाग के लिए ‘दोआबा’ शब्द का प्रचलन किस मुगल शासक के समय में हुआ ?
उत्तर-
अकबर।

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लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय की पहाड़ियों के कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर-
हिमालय की पहाड़ियों के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. हिमालय से निकलने वाली नदियां सारा साल बहती हैं। ये नदियां पंजाब की भूमि को उपजाऊ बनाती हैं।
  2. हिमालय की पहाड़ियों पर घने वन पाये जाते हैं। इन वनों से जड़ी-बूटियां तथा लकड़ी प्राप्त होती है।
  3. इस पर्वत की ऊंची बर्फीली चोटियां शत्रु को भारत पर आक्रमण करने से रोकती हैं।
  4. हिमालय पर्वत मानसून पवनों को रोक कर वर्षा लाने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 2.
किन्हीं तीन दोआबों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-

  1. दोआबा सिंध सागर-इस दोआबे में दरिया सिंध तथा दरिया जेहलम के मध्य का प्रदेश आता है। यह भाग अधिक उपजाऊ नहीं है।
  2. दोआब चज-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआबा के नाम से पुकारते हैं। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।
  3. दोआबा रचना-इस भाग में रावी तथा चिनाब नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है जो काफी उपजाऊ है। गुजरांवाला तथा शेखूपुरा इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।

प्रश्न 3.
पंजाब के दरियाओं ने इसके इतिहास पर क्या प्रभाव डाला है ?
उत्तर-
पंजाब के दरियाओं (नदियों) ने सदा शत्रु के बढ़ते कदमों को रोका। बाढ़ के दिनों में तो यहां के दरिया (नदियां) समुद्र का रूप धारण कर लेते हैं और उन्हें पार करना असंभव हो जाता है। यहां के दरिया (नदियां) जहां आक्रमणकारियों के मार्ग में बाधा बने, वहां ये उनके लिए मार्ग-दर्शक भी बने। लगभग सभी आक्रमणकारी अपने विस्तार क्षेत्र का अनुमान इन्हीं नदियों की दूरी के आधार पर ही लगाते थे। पंजाब के दरियाओं (नदियों) ने प्राकृतिक सीमाओं का काम भी किया। मुग़ल शासकों ने अपनी सरकारों, परगनों तथा सूबों की सीमाओं का काम इन्हीं दरियाओं (नदियों) से ही लिया। यहां के दरियाओं (नदियों) ने पंजाब के मैदानों को उपजाऊ बनाया और लोगों को समृद्धि प्रदान की।

प्रश्न 4.
विभिन्न कालों में पंजाब की सीमाओं की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
पंजाब की सीमाएं समय-समय पर बदलती रही हैं-

  1. ऋग्वेद में बताए गए पंजाब में सिंध, जेहलम, रावी, चिनाब, ब्यास, सतलुज तथा सरस्वती नदियों का प्रदेश सम्मिलित था।
  2. मौर्य तथा कुषाण काल में पंजाब की पश्चिमी सीमा हिंदुकुश के पर्वतों तक चली गई थी तथा तक्षशिला इसका एक भाग बन गया था।
  3. सल्तनत काल में पंजाब की सीमाएं लाहौर तथा पेशावर तक थीं जबिक मुग़ल काल में पंजाब दो प्रांतों में बंट गया था-लाहौर तथा मुल्तान।
  4. महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब (लाहौर) राज्य का विस्तार सतलुज नदी से पेशावर तक था।
  5. लाहौर राज्य के अंग्रेजी साम्राज्य में विलय के पश्चात् इसका नाम पंजाब रखा गया।
  6. भारत विभाजन के समय पंजाब के मध्यवर्ती प्रदेश पाकिस्तान में चले गए।
  7. पंजाब भाषा के आधार पर तीन राज्यों में बंट गया-पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश।

प्रश्न 5.
पंजाब के इतिहास को हिमालय पर्वत ने किस तरह से प्रभावित किया ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत ने पंजाब के इतिहास पर निम्नलिखित प्रभाव डाले हैं-

  1. पंजाब भारत का द्वार पथ-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब अनेक युगों से भारत का द्वार पथ रहा। इन पर्वतीय श्रेणियों में स्थित दरों को पार करके अनेक आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण करते रहे।
  2. उत्तर-पश्चिमी सीमा की समस्या-पंजाब का उत्तर-पश्चिमी भाग भारतीय शासकों के लिए सदा एक समस्या बना रहा। जो शासक इस भाग में स्थित दरौं की उचित रक्षा नहीं कर सके, उन्हें पतन का मुंह देखना पड़ा।
  3. विदेशी आक्रमणों से रक्षा-हिमालय पर्वत ऊंचा है तथा हमेशा बर्फ से ढका रहता है। इस लिये इसे पार करना बड़ा कठिन था। परिणामस्वरूप पंजाब उत्तर की ओर से एक लंबे समय तक आक्रमणकारियों से सदा सुरक्षित रहा।
  4. आर्थिक समृद्धि-हिमालय के कारण पंजाब एक समृद्ध प्रदेश बना। हिमालय की नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी ला-लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान संसार के उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा।

प्रश्न 6.
पंजाब ने भारतीय इतिहास में क्या भूमिका निभाई है ?
उत्तर-
पंजाब ने अपनी अद्वितीय भौगोलिक स्थिति के कारण भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह प्रदेश भारत में सभ्यता का पालना बना। भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता (सिंधु घाटी की सभ्यता) इसी क्षेत्र में फलीफूली। आर्यों ने भी अपनी सत्ता का केंद्र इसी प्रदेश को बनाया। उन्होंने वेद, पुराण, महाभारत, रामायण आदि महत्त्वपूर्ण कृतियों की रचना की। पंजाब ने भारत के प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य किया। मध्यकाल तक भारत में आने वाले सभी आक्रमणकारी पंजाब के मार्ग से ही भारत आये। अतः पंजाब वासियों ने बार-बार आक्रमणकारियों के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए बार-बार उनसे युद्ध किए। इसके अतिरिक्त पंजाब हिंदू तथा सिक्ख धर्म की जन्म-भूमि भी रहा है। गुरु नानक देव जी ने अपना पावन संदेश इसी धरती पर दिया। यहीं रहकर गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की और मुग़लों के धार्मिक अत्याचारों का विरोध किया। बंदा बहादुर तथा महाराजा रणजीत सिंह के कार्य भी भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। नि:संदेह पंजाब ने भारत के इतिहास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

प्रश्न 7.
पंजाब के इतिहास को दृष्टि में रखते हुए पंजाब के भौतिक भागों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के इतिहास को दृष्टि में रखते हुए पंजाब को मुख्य रूप से तीन भौतिक भागों में बांटा जा सकता है-

  1. हिमालय तथा उत्तरी-पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां
  2. तराई प्रदेश तथा
  3. मैदानी क्षेत्र।

पंजाब के उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत फैला है। इसकी ऊंची-ऊंची चोटियां सदैव बर्फ से ढकी रहती हैं। हिमालय की तीन श्रेणियां हैं जो एक-दूसरे के समानांतर फैली हैं। हिमालय की उत्तर-पश्चिमी शाखाओं में अनेक महत्त्वपूर्ण दर्रे हैं जो प्राचीन काल में आक्रमणकारियों, व्यापारियों तथा धर्म प्रचारकों को मार्ग जुटाते रहे। पंजाब का दूसरा भौतिक भाग तराई (तलहटी) प्रदेश है। यह पंजाब के पर्वतीय तथा उपजाऊ मैदानी भाग के मध्य में विस्तृत है। इस भाग में जनसंख्या बहुत कम है। पंजाब का सबसे महत्त्वपूर्ण भौतिक भाग इसका उपजाऊ मैदानी प्रदेश है। यह उत्तर-पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर दक्षिण-पूर्व में यमुना नदी तक फैला हुआ है। यह हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी से बना है और आरंभ से ही पंजाब की समृद्धि का आधार रहा है।

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प्रश्न 8.
पंजाब की भौतिक विशेषताओं ने पंजाब के इतिहास को किस प्रकार प्रभावित किया है ?
उत्तर-
पंजाब की भौतिक विशेषताओं ने पंजाब के इतिहास को अपने-अपने ढंग से प्रभावित किया है।

  1. हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के दरों ने अनेक आक्रमणकारियों को मार्ग दिया। अत: पंजाब के शासकों के लिए उत्तरी-पश्चिमी सीमा की सुरक्षा सदा एक समस्या बनी रही। इसके साथ-साथ हिमालय की बर्फ से ढकी ऊंचीऊंची चोटियां पंजाब की आक्रमणकारियों (उत्तर की ओर से) से रक्षा भी करती रहीं।
  2. हिमालय के कारण पंजाब में अपनी एक विशेष संस्कृति का भी विकास हुआ।
  3. पंजाब का उपजाऊ एवं धनी प्रदेश आक्रमणकारियों के लिए सदा आकर्षण का कारण बना रहा। फलस्वरूप इस धरती पर बार-बार युद्ध हुए।
  4. तराई प्रदेश ने संकट के समय सिक्खों को शरण दी। यहां रहकर सिक्खों ने अत्याचारी शासकों का विरोध किया और अपने अस्तित्व को बनाए रखा। अतः स्पष्ट है कि पंजाब का इतिहास वास्तव में इस प्रदेश के भौतिक तत्त्वों की ही देन है।

प्रश्न 9.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब और किसने मिलाया ? स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब को 1849 में लॉर्ड डल्हौज़ी ने अंग्रेज़ी राज्य में मिलाया। स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब का योगदान अद्वितीय था। पंजाब में ही भाई राम सिंह ने कूका आंदोलन की नींव रखी। 20वीं शताब्दी में सिंह सभा लहर, गदर पार्टी, गुरुद्वारा सुधार आंदोलन, बब्बर अकाली आंदोलन, नौजवान सभा तथा अकाली दल के माध्यम से यहां के वीरों ने स्वतंत्रता आंदोलन को सक्रिय बनाया। भगत सिंह ने मातृभूमि की जंजीरें तोड़ने के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया।
पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव करतार सिंह सराभा तथा सरदार ऊधम सिंह जैसे पंजाबी वीरों ने भी हंसते-हंसते भारत माता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। अंतत: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के साथ पंजाब भी अंग्रेजों की दासता से मुक्त हो गया।

प्रश्न 10.
पंजाब की पर्वतीय तलहटी अथवा तराई प्रदेश की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
तराई प्रदेश हिमाचल प्रदेश के उच्च प्रदेशों और पंजाब के मैदानी प्रदेशों के मध्य स्थित हैं। इसकी ऊंचाई 308 में 923 मीटर तक है। यह भाग अनेक घाटियों के कारण हिमालय पर्वत श्रेणियों से अलग-सा दिखाई देता है। इस भाग में सियालकोट, कांगड़ा, होशियारपुर, गुरदासपुर तथा अंबाला का कुछ क्षेत्र सम्मिलित है। सामान्य रूप से यह एक पर्वतीय प्रदेश है। अतः यहां उपज बहुत कम होती है। वर्षा के कारण यहां अनेक रोग फैलते हैं। यहां आने जाने के साधनों का भी पूरी तरह से विकास नहीं हो पाया है। इसलिए यहां की जनसंख्या कम है। यहां के लोगों को अपना जीवन-निर्वाह करने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। इस परिश्रम ने उन्हें बलवान् तथा हृष्ट-पुष्ट बना दिया है।

प्रश्न 11.
पंजाब के मैदानी प्रदेश ने पंजाब के इतिहास को कहां तक प्रभावित किया है ?
उत्तर-
पंजाब के इतिहास पर पंजाब के मैदानी प्रदेश की स्पष्ट छाप दिखाई देती है।-

  1. इस प्रदेश की भूमि अत्यंत उपजाऊ है जिसके कारण यह प्रदेश सदा समृद्ध रहा। पंजाब के मैदानों की यह संपन्नता बाह्य शत्रुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई।
  2. पंजाब निर्णायक युद्धों का केंद्र बना रहा। पेशावर, कुरुक्षेत्र, करी, थानेश्वर, तराइन, पानीपत आदि नगरों में घमासान युद्ध हुए। केवल पार्नीपत के मैदान में तीन बार निर्णायक युद्ध हुए।
  3. अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण जहां पंजाबियों ने अनेक युद्धों का सामना किया, वहां निर्मम अत्याचारों का सामना भी किया। उदाहरण के लिए तैमूर ने पंजाब के लोगों पर अनगिनत अत्याचार किए थे।
  4. निरंतर युद्धों में उलझे रहने के कारण पंजाब के लोगों में वीरता एवं निर्भीकता के विशेष गुण उत्पन्न हुए। 5. पंजाब के मैदानी प्रदेश में आर्यों ने हिंदू धर्म का विकास किया। इसी प्रदेश ने मध्यकाल में गुरु नानक साहिब जैसे महान् संत को जन्म दिया जिनकी सरल शिक्षाएं सिक्ख धर्म के रूप में प्रचलित हुईं। इन सब तथ्यों से स्पष्ट है कि पंजाब के मैदानी प्रदेश ने पंजाब के इतिहास में अनेक अध्यायों का समावेश किया।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
ऋग्वैदिक काल से 1966 तक पंजाब के बदलते राजनीतिक स्वरूप (सीमा संबंधी परिवर्तनों) की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
ऋग्वैदिक काल से लेकर भारत की स्वतंत्रता के कई वर्ष बाद तक पंजाब की सीमाओं में लगातार बदलाव होते रहे हैं। इसके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं :
ऋग्वैदिक काल से मुगल काल तक

  1. ऋग्वेद के समय सिंधु नदी से सरस्वती नदी के बीच का क्षेत्र (सप्तसिंधु) पंजाब में शामिल था।
  2. चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने राज्य का विस्तार पश्चिम की ओर अफगानिस्तान और बलोचिस्तान के क्षेत्रों तक कर लिया। इस प्रकार उसने पंजाब की सीमाओं को हिंदुकुश पर्वतों तक पहुँचा दिया और तक्षशिला भी पंजाब का हिस्सा बन गया।
  3. हिंद-बाखतरी और हिंद-पारथी राजाओं के समय में पंजाब की सीमा अफगानिस्तान को छूती थी और इसकी राजधानी साकला (सियालकोट पाकिस्तान) थी।
  4. दिल्ली सल्तनत के समय में पंजाब (लाहौर प्रांत) की सीमा सतलुज नदी से पेशावर तक थी।
  5. मुगल बादशाह अकबर ने पंजाब को दो प्रांतों में बांट दिया-लाहौर प्रांत व मुल्तान प्रांत
  6. अंग्रेज़ी काल में महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब पूर्व में सतलुज नदी से लेकर पश्चिम में खैबर दर्रे तक फैल
  7. 1849 ई० में पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया। 1857 ई० के विद्रोह के बाद दिल्ली (सतलुज नदी से यमुना नदी तक के क्षेत्र) को भी पंजाब का हिस्सा बना दिया गया।
  8. 1901 ई० में लार्ड कर्जन ने एक और परिवर्तन किया। उसने पश्चिम में सिंधु नदी के पार के क्षेत्र को पंजाब से अलग करके उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रदेश बना दिया।
  9. 1911 ई० में लार्ड हार्डिंग ने पूर्व में सतलुज नदी से यमुना नदी तक के प्रदेश को एक बार फिर पंजाब से अलग कर दिया और दिल्ली को भारत की राजधानी बना दिया। इस प्रकार इतिहास में पंजाब पहली बार सही अर्थों में पाँच नदियों की धरती के रूप में सामने आया।
  10. स्वतन्त्रा प्राप्ति के बाद 1947 ई० में भारत विभाजन के समय पंजाब का भी विभाजन कर दिया गया। पंजाब का पश्चिमी भाग नए बने देश पाकिस्तान में चला गया और पूर्वी भाग भारत में ही रह गया। पाकिस्तान में पंजाब के 29 जिलों में से 13 ज़िले और भारतीय पंजाब में 16 शामिल किए गए।
  11. 1956 में देश के राज्यों का पुनगर्छन किया गया। इसमें मालवा की रियासतों को समाप्त करके पंजाब में मिला दिया गया।
  12. 1 नवंबर 1966 को भाषा के आधार पर पंजाब का फिर से विभाजन किया गया। इसमें से हरियाणा नामक नया राज्य अस्तित्व में आया। पंजाब के कुछ पहाड़ी प्रदेश हिमाचल प्रदेश में मिला दिए गए।

प्रश्न 2.
“हिमालय पर्वत ने पंजाब के इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत पंजाब के उत्तर में एक विशाल दीवार की भांति स्थित है। इस पर्वत ने पंजाब के इतिहास को पूरी तरह प्रभावित किया है-

  1. पंजाब भारत का द्वार पथ-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब अनेक युगों में भारत का द्वार पथ रहा। आर्यों से लेकर ईरानियों तक सभी आक्रमणकारी इन्हीं मार्गों द्वारा भारत पर आक्रमण करते रहे। परंतु सर्वप्रथम उन्हें पंजाब के लोगों से संघर्ष करना पड़ा। इस प्रकार पंजाब भारत के लिए द्वार की भूमिका निभाता रहा है।
  2. उत्तर-पश्चिमी सीमा की समस्या-पंजाब का उत्तर-पश्चिमी भाग भारतीय शासकों के लिए सदा एक समस्या बना रहा। भारतीय शासकों को इनकी रक्षा के लिए काफ़ी धन व्यय करना पड़ा। डॉ० बुध प्रकाश ने ठीक ही कहा है, “जब कभी शासकों का इस प्रदेश (उत्तर-पश्चिमी सीमा) पर नियंत्रण ढीला पड़ गया, तभी उनका साम्राज्य छिन्न-भिन्न होकर अदृश्य हो गया।”
  3. विदेशी आक्रमणों से रक्षा-हिमालय पर्वत बहुत ऊंचा है और सदा बर्फ से ढका रहता है। परिणामस्वरूप यह प्रदेश उत्तर की ओर से एक लंबे समय तक आक्रमणकारियों से सुरक्षित रहा।
  4. आर्थिक समृद्धि-हिमालय के कारण पंजाब एक समृद्ध प्रदेश बना। इसकी नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान संसार के उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा। उपजाऊ भूमि के कारण यहां अच्छी फसल होती रही और यहां के लोग समृद्ध होते चले गए।
  5. विदेशों से व्यापारिक संबंध-उत्तर-पश्चिमी पर्वत श्रेणियों में स्थित दरों के कारण पंजाब के विदेशों से व्यापारिक संबंध स्थापित हुए। एशिया के देशों के व्यापारी इन्हीं दरों के मार्ग से यहां आया करते थे और पंजाब के व्यापारी उन देशों में जाया करते थे।
  6. पंजाब की विशेष संस्कृति-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के दरों द्वारा यहां ईरानी, अरब, तुर्क, मुग़ल, अफ़गान आदि जातियां आईं और यहां अनेक भाषाओं जैसे संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की आदि का संगम हुआ। इस मेल-मिलाप से पंजाब में एक विशिष्ट संस्कृति का जन्म हुआ जिसमें देशी तथा विदेशी तत्त्वों का संगम था।

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प्रश्न 3.
पंजाब के भूगोल अथवा भौगोलिक स्थिति के पंजाब के इतिहास पर जो सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक प्रभाव पड़े, उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के भूगोल ने पंजाब के समाज, संस्कृति तथा आर्थिक जीवन के लगभग हर पक्ष पर गहरा प्रभाव डाला। इसका विस्तृत विवरण इस प्रकार है :
I. सांस्कृतिक व सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव

  1. पंजाबियों की विशेष संस्कृति-मध्य एशिया की ओर से आने वाले सभी विदेशी आक्रमणकारी सबसे पहले पंजाब में ही आए। इनमें से कुछ पंजाब में ही बस गए और उन्होंने यहाँ की स्त्रियों से विवाह भी कर लिए। हिन्दुओं ने इनके वंशजों को अपनी जाति में शामिल करने से इन्कार कर दिया। जिससे कई नई जातियों का जन्म हुआ। इस प्रकार पंजाब में एक मिली-जुली नई सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ। इसके अतिरिक्त जब ये हमलावर यहाँ से वापिस गए वे यहाँ की संस्कृति भी अपने साथ ले गए। फलस्वरूप विदेशों में पंजाबी संस्कृति का प्रसार और प्रचार हुआ।
  2. पंजाबियों के विशेष गुण तथा जीवन-शैली में परिवर्तन-पंजाब के लोगों को बार-बार विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा। अतः वे प्रायः युद्ध में ही व्यस्त रहते थे। युद्धों ने पंजाबियों में साहस, हिम्मत और मेहनत के गुण उत्पन्न किये। लगातार विदेशी लोगों के सम्पर्क में आने के कारण पंजाबियों के खान-पान, रीति-रिवाज़ों, भाषा, रहन-सहन और पहनावे में भी परिवर्तन आए।
  3. कला और साहित्य पर प्रभाव-पंजाब ने प्राचीनकाल से ही कला और साहित्य में बहुत उन्नति की थी। परन्तु सदियों तक विदेशी आक्रमणों के कारण पंजाब की कला और साहित्य को बहुत अधिक क्षति उठानी पड़ी। इस समय के दौरान विदेशी संस्कृति के प्रभाव से पंजाब की भवन निर्माण कला में गुम्बद और मेहराब आदि का प्रयोग होने लगा।

II. आर्थिक क्षेत्र में प्रभाव

  1. पंजाबियों का मुख्य व्यवसाय कृषि-पंजाब का अधिकांश प्रदेश मैदानी है। यहाँ सारा वर्ष बहती नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बने मैदान बहुत ही उपजाऊ हैं। अतः यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यहाँ गेहूँ, चावल, कपास, दालें, मक्की, ज्वार, चने, गन्ना, तिल्हन व सरसों आदि अनेक फसलें हैं। यहाँ के पहाड़ी लोग भेड़-बकरियाँ पालते हैं।
  2. विदेशी व्यापार-पंजाब की समृद्धि ने विदेशी लोगों को हमेशा ही अपनी ओर आकर्षित किया है। उत्तरपश्चिमी पर्वतों में स्थित दर्रे पंजाब को मध्य एशिया से जोड़ते थे। इन दरों ने व्यापारिक मार्ग का काम किया। भारतीय और विदेशी व्यापारी इन दरों के मार्ग से आते जाते रहे। इसी लिए प्राचीन काल से ही पंजाब के मध्य एशिया से अच्छे व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं।
  3. व्यापारिक नगरों का उदय-अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण पंजाब व्यापार का बहुत बड़ा केन्द्र बन गया। पंजाब के इस घरेलू और विदेशी व्यापार के कारण यहाँ कई बड़े व्यापारिक नगरों का उदय हुआ। इनमें लाहौर, मुल्तान, पेशावर, गुजरांवाला अमृतसर, जालन्धर, हिसार और फिरोज़पुर जैसे व्यापारिक नगर प्रमुख हैं।
    सच तो यह है कि पंजाब की समृद्ध भूमि ने विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित किया। जिसने इसके पूरे इतिहास को नये रूप में रंग दिया।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय संसदीय लोकतंत्र

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 4 भारतीय संसदीय लोकतंत्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 भारतीय संसदीय लोकतंत्र

SST Guide for Class 9 PSEB भारतीय संसदीय लोकतंत्र Textbook Questions and Answers

(क) रिक्त स्थान भरें :

  1. …………….. सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति करते हैं।
  2. भारत के राष्ट्रपति महोदय अपनी समस्त शक्तियों का प्रयोग …………………. के परामर्श से करते हैं।

उत्तर-

  1. राष्ट्रपति
  2. प्रधानमंत्री।

(ख) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
भारत में कानून निर्माण की अंतिम शक्ति किसके पास है ?
(अ) मंत्रिमंडल
(आ) संसद्
(इ) लोकसभा
(ई) राष्ट्रपति।
उत्तर-
(ई) राष्ट्रपति

प्रश्न 2.
मंत्रिमंडल की सभाओं की अध्यक्षता करता है :
(अ) राष्ट्रपति
(आ) राज्यपाल (इ) प्रधानमंत्री
(ई) दल का प्रमुख।
उत्तर-
(इ) प्रधानमंत्री।

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(ग) निम्नलिखित कथनों में सही के लिए तथा गलत के लिए चिन्ह लगाएं :

  1. प्रधानमंत्री देश का संवैधानिक प्रमुख होता है।
  2. भारतीय संसद् में लोकसभा, राज्यसभा व राष्ट्रपति सम्मिलित हैं।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में संघ व राज्यों में कौन-सी शासन प्रणाली अपनाई गई है ?
उत्तर-
भारत में संघ व राज्यों में संसदीय शासन प्रणाली अपनाई गई है।

प्रश्न 2.
संसदीय प्रणाली में देश की वास्तविक कार्यपालिका कौन होता है ?
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में देश की वास्तविक कार्यपालिका प्रधानमंत्री व उसका मंत्रिमंडल होते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में नाममात्र कार्यपालिका कौन है ?
उत्तर-
भारत में राष्ट्रपति नाममात्र कार्यपालिका है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रपति के चुनाव में कौन-कौन भाग लेता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति को एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है जिसमें लोकसभा, राज्यसभा तथा राज्य विधानसभाओं (दिल्ली, पुड्डुचेरी तथा जम्मू-कश्मीर भी) के चुने हुए सदस्य होते हैं।

प्रश्न 5.
संसदीय प्रणाली की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  1. संसदीय प्रणाली में देश का मुखिया नाममात्र कार्यपालिका होता है।
  2. चुनाव के पश्चात् संसद् (लोक सभा) में जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, वह सरकार का निर्माण करता है।

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प्रश्न 6.
भारत में संसद् के निम्न सदन को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
भारत में संसद् के निम्न सदन को लोकसभा कहा जाता है।

प्रश्न 7.
राज्यसभा में राष्ट्रपति कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्य मनोनीत कर सकता है जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान व समाज सेवा के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव व विशेष ज्ञान प्राप्त होता है।

प्रश्न 8.
राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल कितना होता है ?
उत्तर-
राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है परंतु एक तिहाई सदस्य दो वर्षों के पश्चात् रिटायर हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
कैनेडा व ऑस्ट्रेलिया में देश के प्रमुख के पद का नाम क्या है ?
उत्तर-
कैनेडा व आस्ट्रेलिया में देश के प्रमुख पद को गवर्नर जनरल कहते हैं।

प्रश्न 10.
प्रधानमंत्री व मंत्रियों को उनके पद की शपथ ग्रहण कौन करवाता है ?
उत्तर-
प्रधानमंत्री व मंत्रियों को उनके पद की शपथ ग्रहण राष्ट्रपति करवाता है।

प्रश्न 11.
मंत्रिमंडल की सभाओं की अध्यक्षता कौन करता है ?
उत्तर-
मंत्रिमंडल की सभाओं की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है।

प्रश्न 12.
कार्यपालिका व विधानपालिका के पारस्परिक संबंधों के आधार पर शासन प्रणाली के कौन-से दो रूप होते हैं ?
उत्तर-

  1. संसदात्मक-इसमें मंत्रिमंडल अपने कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होता है।
  2. प्रधानात्मक-इसमें कार्यपालिका को विधानपालिका द्वारा हटाया नहीं जा सकता।

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प्रश्न 13.
संसदीय शासन प्रणाली किस देश से ली गई है ?
उत्तर-
संसदीय शासन प्रणाली इंग्लैंड से ली गई है।

प्रश्न 14.
इंग्लैंड में संसद् के उच्च व निम्न सदन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
इंग्लैंड में संसद् के उच्च सदन को ‘हाऊस आफ़ लार्ड्स’ (House of Lords) तथा निम्न सदन को ‘हाऊस आफ कॉमनस’ (House of Commons) कहा जाता है।।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति कैसे होती है ?
उत्तर-
लोकसभा के चुनावों के पश्चात् जिस दल या दलों के गठबंधन को बहुमत प्राप्त हो जाता है, वह अपना एक नेता चुनता है तथा उस नेता को राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। उस नेता को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नियुक्त कर देते हैं तथा प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिमंडल की नियुक्ति हो जाती है।

प्रश्न 2.
मंत्रियों की सम्मिलित ज़िम्मेदारी से क्या भाव है ?
उत्तर-

  1. मंत्रियों की सम्मिलित ज़िम्मेदारी का अर्थ है कि संपूर्ण मंत्रिमंडल संसद् अथवा विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होता है। इसका अर्थ है कि चाहे कोई मंत्री मंत्रिमंडल के किसी निर्णय से असहमति रखता हो उसे संसद् के अंदर उस निर्णय का समर्थन करना ही पड़ता है।
  2. यदि संसद् में किसी मंत्री के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए तो इसे संपूर्ण मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास समझा जाएगा तथा प्रधानमंत्री व संपूर्ण मंत्रिमंडल को त्याग-पत्र देना पड़ेगा।
  3. संसद् सदस्य मंत्रियों से उनके विभाग से संबंधित प्रश्न भी पूछ सकते हैं।

प्रश्न 3.
विधानपालिका मंत्रियों पर किस प्रकार नियंत्रण रखती है ?
उत्तर-

  1. यदि संसद् में किसी मंत्री के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए तो इसे संपूर्ण मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास समझा जाएगा तथा प्रधानमंत्री व संपूर्ण मंत्रिमंडल को त्याग-पत्र देना पड़ेगा।
  2. संसद् सदस्य मंत्रियों से उनके विभाग से संबंधित प्रश्न भी पूछ सकते हैं।

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प्रश्न 4.
प्रधानमंत्री के किन्हीं तीन कार्यों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-

  1. प्रधानमंत्री परिषद् का निर्माण करता है।
  2. प्रधानमंत्री अलग-अलग मंत्रियों को उनके विभागों का वितरण करता है।
  3. प्रधानमंत्री राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के बीच एक कड़ी का कार्य करता है।
  4. वह राष्ट्रपति को सलाह देकर लोकसभा को उसका समय पूर्ण होने से पहले भंग भी करवा सकता है।
  5. वह मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता करता है।

प्रश्न 5.
लोकसभा की संरचना पर नोट लिखो।
उत्तर-
लोकसभा को निम्न सदन भी कहा जाता है। इसके अधिकतम 552 सदस्य हो सकते हैं। इन 552 में से 530 सदस्य राज्यों में से चुन कर आएंगे, 20 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों में से चुन कर आएंगे तथा 2 सदस्यों को राष्ट्रपति एंग्लो भारतीय समुदाय (Anglo Indian Community) में से नियुक्त करेगा अगर उसे लगेगा कि इनका लोकसभा में प्रतिनिधित्व नहीं है। वर्तमान में लोकसभा के 545 सदस्य हैं जिनमें 530 राज्यों से, 13 केंद्र शासित प्रदेशों से चुन कर आते हैं तथा 2 सदस्यों को राष्ट्रपति ने मनोनीत किया है।।

प्रश्न 6.
राज्यसभा के सदस्यों का चयन कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
राज्यसभा के अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं। इन 250 में से 238 सदस्य राज्यों में से चुन कर आते हैं तथा 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज सेवा का विशेष ज्ञान व व्यावहारिक अनुभव है। 238 सदस्यों को राज्य विधानसभाओं के चुने हुए सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर इकहरी परिवर्तित वोट द्वारा चुना जाता है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रपति की कोई चार शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राष्ट्रपति की चार शक्तियां निम्नलिखित हैं-

  1. प्रशासनिक शक्तियां-भारत का समस्त प्रशासन राष्ट्रपति के नाम पर चलाया जाता है और भारत सरकार के सभी निर्णय औपचारिक रूप से उसी के नाम पर लिए जाते हैं। देश का सर्वोच्च शासक होने के नाते वह नियम तथा अधिनियम भी बनाता है।
  2. मंत्रिपरिषद् से संबंधित शक्तियां-राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और उसके परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। वह प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रियों को अपदस्थ कर सकता है।
  3. सैनिक शक्तियां-राष्ट्रपति राष्ट्र की सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति है। वह स्थल, जल तथा वायु सेनाध्यक्षों की नियुक्ति करता है। वह फील्ड मार्शल की उपाधि भी प्रदान करता है। वह राष्ट्रीय रक्षा समिति का अध्यक्ष है।
  4. राज्यपालों की नियुक्ति-राष्ट्रपति राज्यों के राज्यपालों को अपने प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त करता है।

प्रश्न 8.
मंत्रिपरिषद् के गठन पर नोट लिखें।
उत्तर-
संघीय मंत्रीपरिषद् का निर्माण संविधान की धारा 75 के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेगा और फिर उसकी सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। परंतु राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति अपनी इच्छा से नहीं कर सकता। जिस दल को लोकसभा में बहुमत प्राप्त होता है, उसी दल के नेता को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। अपनी नियुक्ति के पश्चात् प्रधानमंत्री अपने साथियों अर्थात् अन्य मंत्रियों की सूची तैयार करता है और राष्ट्रपति उस सूची के अनुसार ही अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
राज्य सभा की संरचना पर नोट लिखें।
उत्तर-राज्यसभा के अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं। इन 250 में से 238 सदस्य राज्यों में से चुन कर आते हैं तथा 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज सेवा का विशेष ज्ञान व व्यावहारिक अनुभव है। 238 सदस्यों को राज्य विधानसभाओं के चुने हुए सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर इकहरी परिवर्तित वोट द्वारा चुना जाता है।

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प्रश्न 2.
संसदीय शासन प्रणाली में प्रधानमंत्री के नेतृत्व पर नोट लिखें।
उत्तर-
भारत के राज्य प्रबंध में प्रधानमंत्री को बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। राष्ट्रपति राज्य का मुखिया है जबकि सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री है। प्रधानमंत्री देश का वास्तविक शासक है।
नियुक्ति-प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार किसी भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकता। वह केवल उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त पार्टी का नेता हो।
प्रधानमंत्री के कार्य तथा शक्तियां

  1. मंत्रिमंडल का नेता-प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का नेता है। मंत्रिमंडल को बनाने वाला और नष्ट करने वाला प्रधानमंत्री है।
  2. मंत्रिमंडल का निर्माण-राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श से अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है।
  3. विभागों का विभाजन-प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों में विभागों का विभाजन करता है।
  4. मंत्रिमंडल का सभापति-प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का सभापति होता है। मंत्रिमंडल के अधिकतर निर्णय वास्तव में प्रधानमंत्री के ही निर्णय होते हैं।
  5. मंत्रियों की पदच्युति-संविधान के अनुसार मंत्री राष्ट्रपति की प्रसन्नता तक अपने पद पर रहते हैं, परंतु वास्तव में मंत्री तब तक अपने पद पर रह सकते हैं जब तक उन्हें लोकसभा का समर्थन प्राप्त है।
  6. प्रधानमंत्री का समन्वयकारी रूप-प्रधानमंत्री सरकार के भिन्न-भिन्न विभागों तथा उनके कार्यों में तालमेल रखता है।
  7. राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार राष्ट्रपति प्रशासन के प्रत्येक मामले पर प्रधानमंत्री की सलाह लेता है। राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार ही शासन चलाना पड़ता है।
  8. संसद् का नेता–प्रधानमंत्री को संसद् का नेता माना जाता है। सरकार की नीतियों की सभी महत्त्वपूर्ण घोषणाएं प्रधानमंत्री द्वारा की जाती हैं। प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राष्ट्रपति संसद् का अधिवेशन बुलाता है।
  9. लोक सभा को भंग करने का अधिकार-प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सलाह देकर लोकसभा को भंग करवा सकता है।
  10. नियुक्तियां-शासन के सभी उच्च अधिकारियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति करता है।
  11. संकटकालीन शक्तियां-राष्ट्रपति अपनी संकटकालीन शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री की सलाह से करता

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति के निर्वाचन की योग्यता, चुनाव व कार्यकाल का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
राष्ट्रपति को देश का संवैधानिक मुखिया कहा जाता है। निर्वाचन की योग्यताएं-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु 35 वर्ष से ऊपर हो।
  3. वह लोकसभा का सदस्य बनने की सभी योग्यताएं रखता हो।
  4. वह केंद्रीय सरकार या राज्य सरकारों के अंतर्गत किसी लाभ के पद पर न हो।

चुनाव-भारत के राष्ट्रपति को अप्रत्यक्ष ढंग से चुना जाता है उसे एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है जिसमें लोक सभा, राज्य सभा तथा राज्य विधानसभाओं के केवल चुने हुए सदस्य होते हैं (दिल्ली व पुड्डुचेरी भी)। मनोनीत सदस्य इस चुनाव में भाग नहीं ले सकते। – कार्यकाल-भारत के राष्ट्रपति का चुनाव 5 वर्षों के लिए होता है। परंतु उसे महादोष का महाभियोग (Impeachment) लगाकर 5 वर्ष से पहले भी हटाया जा सकता है। नए राष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति की अवधि खत्म होने से पहले चुना जाता है। अगर ऐसा न हो तो कार्यवाहक राष्ट्रपति उस समय तक अपने पद पर रहता है जब तक नए राष्ट्रपति को निर्वाचित न कर लिया जाए। अगर राष्ट्रपति त्यागपत्र दे दे या उसे महाभियोग पास करके हटा दिया जाए तो छः महीने के अंदर नए राष्ट्रपति का चुनाव करना पड़ता है। इस स्थिति में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 4.
मंत्रिपरिषद् की सामूहिक व व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी (दायित्व) से क्या अभिप्राय है ? व्याख्या करें।
उत्तर-

  1. सामूहिक उत्तरदायित्व-भारतीय संविधान की धारा 75 (3) में स्पष्ट किया गया है कि मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। भारतीय मंत्रिमंडल उसी समय तक अपने पद पर रह सकता है जब तक कि उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त हो। यदि लोकसभा का बहुमत मंत्रिमंडल के विरुद्ध हो जाए तो उसे अपना त्याग-पत्र देना पड़ेगा। मंत्रिमंडल एक इकाई की तरह काम करता है और यदि लोकसभा किसी एक मंत्री के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास कर दे तो सब मंत्रियों को अपना पद छोड़ना पड़ता है।
  2. व्यक्तिगत उत्तरदायित्व- अगर सभी मंत्रियों का सामूहिक दायित्व है तो उनका कुछ व्यक्तिगत दायित्व भी है। सभी मंत्री अपने विभाग के लिए व्यक्तिगत रूप से भी उत्तरदायी होते हैं। अगर किसी विभाग में कोई गलत कार्य हो तो उस मंत्री से प्रश्न पूछे जा सकते हैं। अगर किसी विभाग का कार्य ठीक ढंग से न चल रहा हो तो प्रधानमंत्री उससे त्यागपत्र भी मांग सकता है। यदि वह त्यागपत्र नहीं देता तो प्रधानमंत्री उसे राष्ट्रपति को कहकर निष्कासित भी करवा सकता है।

PSEB 9th Class Social Science Guide भारतीय संसदीय लोकतंत्र Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
भारतीय संसद् के कितने सदन हैं ?
(क) 1
(ख) 2
(ग) 3
(घ) 4.
उत्तर-
(ख) 2

प्रश्न 2.
भारतीय संसद् के उपरि सदन को क्या कहते हैं ?
(क) राज्य सभा
(ख) लोकसभा
(ग) विधानपरिषद्
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) राज्य सभा

प्रश्न 3.
भारतीय संसद् के निचले सदन को क्या कहते हैं ?
(क) राज्य सभा
(ख) लोकसभा
(ग) विधानसभा
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) लोकसभा

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प्रश्न 4.
भारत के वर्तमान राष्ट्रपति कौन हैं ?
(क) श्रीमती सोनिया गांधी
(ख) श्रीमती सुषमा स्वराज ।
(ग) श्री हामिद अंसारी
(घ) श्री रामनाथ कोविंद।
उत्तर-
(घ) श्री रामनाथ कोविंद।

प्रश्न 5.
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री कौन हैं ?
(क) नरेंद्र मोदी
(ख) प्रणव मुखर्जी
(ग) लाल कृष्ण आडवाणी
(घ) अर्जुन सिंह।
उत्तर-
(क) नरेंद्र मोदी

प्रश्न 6.
प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है ?
(क) राष्ट्रपति
(ख) स्पीकर
(ग) राज्यपाल
(घ) उप-राष्ट्रपति।
उत्तर-
(क) राष्ट्रपति

प्रश्न 7.
2019 में 17वीं लोकसभा का स्पीकर किसे चुना गया ?
(क) ओम बिरला
(ख) प्रणव मुखर्जी
(ग) सोनिया गांधी
(घ) राहुल गांधी।
उत्तर-
(क) ओम बिरला

प्रश्न 8.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है ?
(क) प्रधानमंत्री
(ख) राष्ट्रपति
(ग) उपराष्ट्रपति
(घ) स्पीकर।
उत्तर-
(ख) राष्ट्रपति

प्रश्न 9.
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का मासिक वेतन कितना है ?
(क) 50,000
(ख) 2,80,000
(ग) 1,50,000
(घ) 2,00,000
उत्तर-
(ख) 2,80,000

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प्रश्न 10.
भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा कौन करता है ?
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमंत्री
(ग) सर्वोच्च न्यायालय
(घ) स्पीकर।
उत्तर-
(ग) सर्वोच्च न्यायालय

रिक्त स्थान भरें :

  1. भारत में देश के मुखिया को ……………….. कहते हैं।
  2. 2014 के लोकसभा चुनावों के पश्चात् ………………. की सरकार बनी थी।
  3. भारत में वास्तविक शक्तियां …………………. के पास होती हैं।
  4. संसद् में लोकसभा, राज्यसभा तथा …………………. शामिल हैं।
  5. लोकसभा के अधिकतम ………………… सदस्य हो सकते हैं।
  6. राज्यसभा के अधिकतम …………………. सदस्य हो सकते हैं।
  7. राष्ट्रपति ………….. समुदाय के 2 सदस्य लोकसभा में मनोनीत कर सकते हैं।
  8. भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए ……………….. आयु कम-से-कम होनी चाहिए।

उत्तर-

  1. राष्ट्रपति
  2. नरेंद्र मोदी
  3. प्रधानमंत्री
  4. राष्ट्रपति
  5. 552
  6. 250
  7. एंग्लो इंडियन
  8. 85 वर्ष।

सही/गलत :

  1. भारत में प्रधानात्मक व्यवस्था है।
  2. लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पास होने से सरकार को त्याग-पत्र देना पड़ जाता है।
  3. मंत्री बनने के लिए संसद् सदस्य होना आवश्यक नहीं है।
  4. लोकसभा इंग्लैंड के हाऊस आफ़ कॉमन की तरह है।
  5. राष्ट्रपति राज्यसभा के 12 सदस्य मनोनीत करता है।
  6. लोकसभा के अध्यक्ष को स्पीकर कहते हैं।
  7. साधारण बिल के लिए राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✓)
  6. (✓)
  7. (✗)

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अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संसद् के कितने सदन हैं ? उनके नाम लिखो।
उत्तर-
भारतीय संसद् के दो सदन हैं-लोकसभा व राज्यसभा।

प्रश्न 2.
भारतीय संसद् के निम्न तथा उपरि सदन का नाम बताइए।
उत्तर-
लोकसभा संसद् का निम्न सदन है और राज्यसभा उपरि सदन है।

प्रश्न 3.
राज्यसभा किस का प्रतिनिधित्व करती है ?
उत्तर-
राज्यसभा राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है।

प्रश्न 4.
राज्यसभा की कुल संख्या कितनी हो सकती है और आजकल कितनी है ?
उत्तर-
राज्यसभा की कुल संख्या 250 हो सकती है परंतु आजकल 245 है।

प्रश्न 5.
राज्यसभा के कितने सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति राज्यसभा के 12 सदस्यों को मनोनीत करता है।

प्रश्न 6.
राज्यसभा के सदस्य कितने वर्ष के लिए चुने जाते हैं ?
उत्तर-
राज्यसभा के सदस्य छः वर्ष के लिए चुने जाते हैं।

प्रश्न 7.
राज्यसभा की अध्यक्षता कौन करता है ?
उत्तर-
उप-राष्ट्रपति राज्यसभा की अध्यक्षता करता है।

प्रश्न 8.
लोकसभा का अधिवेशन कौन बुलाता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति जब चाहे लोकसभा का अधिवेशन बुला सकता है।

प्रश्न 9.
संसद् के दोनों सदनों में से कौन-सा सदन शक्तिशाली है ?
उत्तर-
लोकसभा।

प्रश्न 10.
साधारण बिल संसद् के किस सदन में पहले पेश किया जाता है ?
उत्तर-
साधारण बिल संसद् के दोनों सदनों में से किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है।

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प्रश्न 11.
वित्त विधेयक संसद् के किस सदन में पेश किया जाता है ?
उत्तर-
लोकसभा।

प्रश्न 12.
लोकसभा के अध्यक्ष को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
लोकसभा के अध्यक्ष को स्पीकर कहते हैं।

प्रश्न 13.
लोकसभा के सदस्य कितने समय के लिए चुने जाते हैं ?
उत्तर-
लोकसभा के सदस्य पांच वर्ष के लिए चुने जाते हैं।

प्रश्न 14.
संसद् की कोई एक शक्ति लिखें।
उत्तर-
संसद् देश के लिए कानून बनाती है।

प्रश्न 15.
संसद् की सर्वोच्चता पर एक प्रतिबंध बताएं।
उत्तर-
देश का संविधान लिखित है, जो संसद् की शक्तियों को सीमित करता है।

प्रश्न 16.
लोकसभा की कुल सदस्य संख्या कितनी हो सकती है और आजकल कितनी है ?
उत्तर-
लोकसभा की कुल सदस्य संख्या 552 हो सकती है, परंतु आजकल 545 है।

प्रश्न 17.
राज्यसभा के अध्यक्ष का कोई एक कार्य बताइए।
उत्तर-
राज्यसभा का अध्यक्ष राज्यसभा के अधिवेशन की अध्यक्षता करता है।

प्रश्न 18.
किस एक परिस्थिति में संसद् का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाता है ?
उत्तर-
संसद् के दोनों सदनों के विवादों को हल करने के लिए संसद् के दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाता है।

प्रश्न 19.
राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए कोई एक योग्यता बताएं।
उत्तर-
राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम 30 वर्ष आयु होनी चाहिए।

प्रश्न 20.
राज्यसभा की किसी एक विशेष शक्ति का वर्णन करें।
उत्तर-
राज्यसभा राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित करके संसद् को इस पर कानून बनाने के अधिकार दे सकती है।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय संसदीय लोकतंत्र

प्रश्न 21.
लोकसभा का सदस्य बनने के लिए किसी एक योग्यता का वर्णन करें।
उत्तर-
लोकसभा का सदस्य बनने वाले उम्मीदवार की आयु 25 वर्ष से कम न हो।

प्रश्न 22.
लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव में क्या अंतर है ?
उत्तर-
लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं, जबकि राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर जनता द्वारा होता है।

प्रश्न 23.
क्या राज्यसभा एक गौण सदन है ? इसके पक्ष में एक तर्क दें।
उत्तर-
राज्यसभा को धन संबंधी कोई शक्ति प्राप्त नहीं है।

प्रश्न 24.
लोकसभा तथा राज्यसभा के समान अधिकारों का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
लोकसभा तथा राज्यसभा को साधारण बिलों पर समान अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 25.
लोकसभा की कोई एक शक्ति लिखें।
उत्तर-
लोकसभा मंत्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास करके उसे हटा सकती है।

प्रश्न 26.
लोकसभा अध्यक्ष का कोई एक कार्य बताएं।
उत्तर-
लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा की कार्यवाही का संचालन करता है।

प्रश्न 27.
लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव कौन करता है ?
उत्तर-
लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्य अपने में से ही करते हैं।

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प्रश्न 28.
2019 में 17वीं लोकसभा का अध्यक्ष किसे चुना गया ?
उत्तर-
2019 में 17वीं लोकसभा का अध्यक्ष ओम बिरला को चुना गया।

प्रश्न 29.
साधारण विधेयक तथा वित्त विधेयक में एक अंतर बताएं।
उत्तर-
साधारण विधेयक संसद् के किसी भी सदन में पेश किए जा सकते हैं, जबकि वित्त विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश हो सकता है।

प्रश्न 30.
सामूहिक उत्तरदायित्व से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सामूहिक उत्तरदायित्व से अभिप्राय मंत्रियों का संसद् के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होना है। किसी एक मंत्री की नीति गलत सिद्ध होने पर संपूर्ण मंत्रिपरिषद् को त्याग-पत्र देना पड़ता है।

प्रश्न 31.
भारत में किस प्रकार की शासन प्रणाली को अपनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है।

प्रश्न 32.
संसद् मंत्रिमंडल को किस प्रकार हटा सकती है ?
उत्तर-
संसद् मंत्रिमंडल को अविश्वास प्रस्ताव पास करके हटा सकती है।

प्रश्न 33.
संसद् के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता कौन करता है ?
उत्तर-
संसद् के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता स्पीकर करता है।

प्रश्न 34.
लोकसभा को कौन भंग कर सकता है ?
उत्तर-
लोकसभा को मंत्रिपरिषद् की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति भंग कर सकता है।

प्रश्न 35.
केंद्रीय कार्यपालिका में कौन-कौन शामिल हैं ?
उत्तर-
केंद्रीय कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री एवं उसकी मंत्रिपरिषद् शामिल है।

प्रश्न 36.
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ?
उत्तर-
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक चुनाव मंडल द्वारा होता है।

प्रश्न 37.
राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में कौन-कौन सम्मिलित होता है ?
उत्तर-
निर्वाचक मंडल में संसद् के दोनों सदनों के चुने हुए सदस्य और प्रांतीय विधानसभाओं (दिल्ली तथा पुड्डुचेरी भी) के चुने हुए सदस्य सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 38.
राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना है ? उसे क्या दोबारा चुना जा सकता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष है और उसे दोबारा चुने जाने का अधिकार है।

प्रश्न 39.
भारत के प्रथम राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति का नाम लिखें।
उत्तर-
प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेंद्र प्रसाद और वर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद हैं।

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प्रश्न 40.
प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त करता है।

प्रश्न 41.
मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता कौन करता है ?
उत्तर-
प्रधानमंत्री।

प्रश्न 42.
मंत्रियों की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रियों को नियुक्त करता है।

प्रश्न 43.
प्रधानमंत्री की अवधि बताइए।
उत्तर-
प्रधानमंत्री की अवधि निश्चित नहीं होती। उसकी अवधि लोकसभा के समर्थन पर निर्भर करती है।

प्रश्न 44.
राष्ट्रपति का मासिक वेतन कितना है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति का मासिक वेतन ₹ 5 लाख है।

प्रश्न 45.
राष्ट्रपति राष्ट्रीय संकटकाल की घोषणा कब कर सकता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति राष्ट्रीय संकटकाल की घोषणा युद्ध, विदेशी आक्रमण तथा सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में कर सकता है।

प्रश्न 46.
संकटकाल कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर-
संकटकाल तीन प्रकार का होता है।

प्रश्न 47.
राष्ट्रपति कब अध्यादेश जारी कर सकता है ?
उत्तर-
जब संसद् का अधिवेशन न हो रहा हो और संकटकालीन परिस्थितियां बाध्य करती हों, तब राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है।

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प्रश्न 48.
राष्ट्रपति लोकसभा में कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति लोकसभा में 2 एंग्लो इंडियन सदस्यों को मनोनीत कर सकता है।

प्रश्न 49.
राष्ट्रपति की एक कार्यकारी शक्ति लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त करता है।

प्रश्न 50.
राष्ट्रपति की कोई एक वैधानिक शक्ति लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रपति संसद् का अधिवेशन बुला और उसे स्थगित कर सकता है।

प्रश्न 51.
राष्ट्रपति की एक वित्तीय शक्ति लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रपति वित्त आयोग की नियुक्ति करता है।

प्रश्न 52.
भारतीय मंत्रिमंडल की एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
संसद् एवं मंत्रिमंडल में घनिष्ठ संबंध है।

प्रश्न 53.
केंद्रीय मंत्रिपरिषद् का कोई एक कार्य लिखें।
उत्तर-
केंद्रीय मंत्रिपरिषद् गृह एवं विदेश नीति निर्धारित करती है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकसभा तथा राज्यसभा के कितने सदस्य होते हैं ?
उत्तर-
लोकसभा की अधिकतम कुल संख्या 552 हो सकती है पर आजकल 545 है। इनमें 543 निर्वाचित सदस्य हैं और दो ऐंग्लो इंडियन हैं। राज्यसभा की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है पर आजकल 245 हैं। इनमें 233 राज्य के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं।

प्रश्न 2.
राज्यसभा के अध्यक्ष के कोई तीन कार्य बताइए।
उत्तर-

  1. वह राज्यसभा के अधिवेशन का सभापतित्व करता है।
  2. वह राज्यसभा में शांति बनाए रखने तथा उसकी बैठकों को ठीक प्रकार से चलाने के लिए जिम्मेदार है।
  3. वह सदस्यों को बोलने की आज्ञा देता है।

प्रश्न 3.
लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव में क्या अंतर है ?
उत्तर-
लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं और प्रत्येक नागरिक को जिसकी आयु 18 वर्ष हो, वोट डालने का अधिकार प्राप्त होता है। एक निर्वाचन क्षेत्र से एक ही उम्मीदवार का चुनाव होता है और जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं उसे ही विजयी घोषित किया जाता है। राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है। इस तरह राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर जनता द्वारा होता है।

प्रश्न 4.
लोकसभा की कोई तीन शक्तियां लिखें।
उत्तर-

  1. लोकसभा राज्यसभा के साथ मिल कर कानून बनाती है।
  2. लोकसभा मंत्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास करके उसे हटा सकती है।
  3. वित्त विधेयक लोकसभा में पेश किया जाता है।

प्रश्न 5.
लोकसभा का सदस्य होने के लिए व्यक्ति में क्या योग्यताएं होनी चाहिए ?
उत्तर-
लोकसभा का सदस्य वही व्यक्ति बन सकता है जिसमें निम्नलिखित योग्यताएं हों-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह 25 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।।
  3. वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अंतर्गत किसी लाभदायक पद पर आसीन न हो।

प्रश्न 6.
राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं होनी चाहिए ?
उत्तर-
राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं निश्चित हैं-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह तीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  3. वह संसद् द्वारा निश्चित अन्य योग्यताएं रखता हो।

प्रश्न 7.
स्पीकर के तीन कार्य लिखें।
उत्तर-

  1. सदन की कार्यवाही चलाने के लिए सदन में शांति और व्यवस्था बनाए रखना स्पीकर का कार्य है।
  2. स्पीकर सदन के नेता से सलाह करके सदन का कार्यक्रम निर्धारित करता है।
  3. स्पीकर सदन की कार्यवाही-नियमों की व्याख्या करता है। स्पीकर ही कार्यवाही के नियमों पर की गई आपत्ति पर निर्णय देता है जोकि अंतिम होता है।

प्रश्न 8.
संसद् की सर्वोच्चता से आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
संसद् की सर्वोच्चता से अभिप्राय यह है कि संसद् देश की सर्वोच्च संस्था है। इसमें जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य होते हैं। अतः इसके द्वारा बनाए गए कानून वास्तव में जनता स्वयं बनाती है। मंत्रिपरिषद् अपने कार्यों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। सरकारी आय-व्यय पर भी इसका नियंत्रण रहता है। अतः स्पष्ट है कि संसद् ही वास्तव में देश की सर्वोच्च संस्था है।

प्रश्न 9.
लोकसभा का कार्यकाल कितना होता है ?
उत्तर-
लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। परंतु राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् की सिफ़ारिश पर इसे पांच वर्ष से पहले भी भंग कर सकता है। संकटकालीन स्थिति में इसका कार्यकाल एक समय में संसद् द्वारा एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 10.
अविश्वास प्रस्ताव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्री तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक उन्हें लोकसभा के बहुमत का विश्वास प्राप्त है। यदि लोकसभा इसके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर दे, तो इन्हें अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ता है।

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प्रश्न 11.
लोकसभा के सदस्यों के चुनाव की विधि का वर्णन करें।
उत्तर-
लोकसभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के आधार पर होता है। सभी नागरिकों को जिनकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो, चुनाव में वोट डालने का अधिकार है। चुनाव गुप्त मतदान प्रणाली के आधार पर होता है। 5 लाख से साढ़े सात लाख की जनसंख्या के आधार पर एक सदस्य चुना जाता है।

प्रश्न 12.
लोकसभा की वित्तीय शक्तियाँ लिखें।
उत्तर-

  1. बजट तथा धन बिल सर्वप्रथम लोकसभा में ही पेश हो सकते हैं।
  2. राज्यसभा अधिक-से-अधिक धन बिल को 14 दिन तक रोक सकती है।
  3. देश के धन पर वास्तविक नियंत्रण लोकसभा का है।

प्रश्न 13.
राज्यसभा की कोई तीन शक्तियां लिखें।
उत्तर-

  1. साधारण बिल राज्यसभा में पेश हो सकता है। दोनों सदनों द्वारा पास होने पर ही साधारण बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है।
  2. संवैधानिक मामलों में राज्यसभा को लोकसभा के समान अधिकार प्राप्त हैं।
  3. राज्यसभा धन बिल या बजट को अधिक-से-अधिक 14 दिन तक रोक सकती है।

प्रश्न 14.
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति का चुनाव एक चुनाव मंडल द्वारा होता है जिसमें संसद् के दोनों सदनों के चुने हुए सदस्य तथा राज्यों की विधानसभाओं (दिल्ली, पुड्डुचेरी तथा जम्मू-कश्मीर भी) के चुने हुए सदस्य सम्मिलित होते हैं। उनका चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System) द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार होता है। राष्ट्रपति के चुनाव में एक सदस्य एक मत वाली विधि नहीं अपनाई गई। वैसे एक मतदाता को केवल एक ही मत मिलता है। परंतु उसके मत की गणना नहीं होती बल्कि उसका मूल्यांकन होता है। राष्ट्रपति पद पर चुने जाने के लिए यह आवश्यक है कि उम्मीदवार को मतों का पूर्ण बहुमत अवश्य प्राप्त होना चाहिए।

प्रश्न 15.
राष्ट्रपति राज्य का नाममात्र मुखिया है। कैसे ?
उत्तर-
समस्त शासन राष्ट्रपति के नाम पर चलता है, परंतु वह नाममात्र का मुखिया है जबकि अमेरिका का राष्ट्रपति राज्य का वास्तविक मुखिया है। इसका कारण यह है कि अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली है जबकि भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिमंडल की सलाह से करता है। वास्तविक कार्यपालिका मंत्रिमंडल है। अभी तक चौदह राष्ट्रपति हुए हैं और सभी ने संवैधानिक मुखिया के रूप में कार्य किया है।

प्रश्न 16.
राष्ट्रपति की तीन विधायनी शक्तियां लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रपति की मुख्य विधायनी शक्तियां निम्नलिखित हैं-

  1. राष्ट्रपति की संसद् के अधिवेशन बुलाने और सत्रावसान संबंधी शक्तियां-राष्ट्रपति संसद् के दोनों सदनों का अधिवेशन बुला सकता है। अधिवेशन का समय बढ़ा सकता है तथा उसे स्थगित कर सकता है।
  2. राष्ट्रपति द्वारा संसद् में भाषण-राष्ट्रपति संसद् के दोनों सदनों को अलग-अलग या दोनों के सम्मिलित अधिवेशन को संबोधित कर सकता है। नई संसद् का तथा वर्ष का पहला अधिवेशन राष्ट्रपति के भाषण से ही आरंभ होता है।
  3. राज्यसभा के 12 सदस्य मनोनीत करना-राष्ट्रपति राज्यसभा के लिए ऐसे 12 सदस्यों को मनोनीत करता है जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान या सामाजिक सेवा के विषय में विशेष ज्ञान या अनुभव प्राप्त हो।

प्रश्न 17.
क्या राष्ट्रपति तानाशाह बन सकता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति तानाशाह नहीं बन सकता और अगर संकटकाल में भी तानाशाह बनना चाहे तो भी नहीं बन सकता। इसका महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि भारत में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है और इसमें राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया होता है। राष्ट्रपति की शक्तियों का वास्तव में प्रयोग प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति यदि मनमानी करने की कोशिश करे तो उसे संसद् महाभियोग द्वारा हटा सकती है। राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा मंत्रिपरिषद् की लिखित सलाह से ही कर सकता है। संसद् साधारण बहुमत से प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति को संकटकाल समाप्त करने को कह सकती है।

प्रश्न 18.
प्रधानमंत्री कैसे नियुक्त होता है ?
उत्तर-
प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है, परंतु ऐसा करने में वह अपनी इच्छा से काम नहीं ले सकता। प्रधानमंत्री के पद पर उसी व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता हो। आम चुनाव के बाद जिस राजनीतिक दल को सदस्यों का बहुमत प्राप्त होगा, उस दल के नेता को राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है। यदि किसी राजनीतिक दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो भी राष्ट्रपति को इस बारे में पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिलती बल्कि कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसी दशा में उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है जो लोकसभा के बहुमत सदस्यों का सहयोग प्राप्त कर सकता हो।

प्रश्न 19.
प्रधानमंत्री की किन्हीं तीन शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
प्रधानमंत्री की निम्नलिखित मुख्य शक्तियां हैं-

  1. प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् का निर्माण करता है-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
  2. विभागों का विभाजन-प्रधानमंत्री अपने साथियों को चुनता ही नहीं अपितु उनमें विभागों का विभाजन भी करता है। वह किसी मंत्री को कोई भी विभाग दे सकता है और जब चाहे इसमें परिवर्तन कर सकता है।
  3. प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का सभापति-प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल का सभापति होता है। वह कैबिनेट की बैठकों में सभापतित्व करता है।

प्रश्न 20.
प्रधानमंत्री की स्थिति की चर्चा करो।
उत्तर-
प्रधानमंत्री की शक्तियों तथा कार्यों को देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि वह हमारे संविधान में सबसे अधिक शक्तिशाली अधिकारी है। संविधान द्वारा कार्यकारी शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई हैं, परंतु इनका प्रयोग प्रधानमंत्री द्वारा ही किया जाता है, वह देश की वास्तविक मुख्य कार्यपालिका है। एक प्रसिद्ध लेखक के शब्दों में, प्रधानमंत्री की अन्य मंत्रियों में वह स्थिति है जो सितारों में चंद्रमा (Shining moon among the lesser stars) की होती है।

प्रश्न 21.
मंत्रिपरिषद् के किन्हीं तीन कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
मंत्रिपरिषद् के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. राष्ट्रीय नीति का निर्माण-मंत्रिमंडल का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य नीति-निर्माण करना है।
  2. विदेशी संबंधों का संचालन-मंत्रिमंडल विदेश नीति का भी निर्माण करता है और विदेशी संबंधों का संचालन करता है।
  3. प्रशासन पर नियंत्रण-प्रशासन का प्रत्येक विभाग किसी-न-किसी मंत्री के अधीन होता है और संबंधित मंत्री अपने विभाग को सुचारु ढंग से चलाने का प्रयत्न करता है।

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प्रश्न 22.
केंद्रीय मंत्रिपरिषद् में कितने प्रकार के मंत्री होते हैं ? व्याख्या करें।
उत्तर-
केंद्रीय मंत्रिपरिषद् में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं-कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री तथा उपमंत्री।

  1. कैबिनेट मंत्री-मंत्रिपरिषद् के सबसे महत्त्वपूर्ण मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री कहा जाता है और कैबिनेट मंत्री महत्त्वपूर्ण विभाग के अध्यक्ष होते हैं।
  2. राज्य मंत्री-राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री के सहायक के रूप में कार्य करते हैं। ये कैबिनेट के सदस्य नहीं होते तथा न ही ये कैबिनेट की बैठक में भाग लेते हैं।
  3. उपमंत्री-ये किसी विभाग के स्वतंत्र रूप में अध्यक्ष नहीं होते। इनका कार्य केवल किसी दूसरे मंत्री के कार्य में सहायता देना होता है।

प्रश्न 23.
भारत के राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का वर्णन करो।
उत्तर-
भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियां इस प्रकार हैं

  1. भारतीय राष्ट्रपति राष्ट्रीय संकटकाल की घोषणा कर सकता है, यदि उसे विश्वास हो जाए कि देश में गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।
  2. राष्ट्रपति को जब राज्यपाल अथवा किसी अन्य स्रोत से विश्वास हो जाए, कि किसी राज्य में संवैधानिक मशीनरी असफल हो गई है, तो उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है।
  3. राष्ट्रपति को यदि यह विश्वास हो जाए कि भारत या इसके किसी क्षेत्र में वित्तीय स्थायित्व संकट में है, तो तब राष्ट्रपति वित्तीय आपात्काल की घोषणा कर सकता है।

प्रश्न 24.
क्या प्रधानमंत्री तानाशाह बन सकता है ?
उत्तर-
प्रधानमंत्री तानाशाह नहीं बन सकता क्योंकि

  1. प्रधानमंत्री संसद् के प्रति उत्तरदायी है और संसद् प्रधानमंत्री को निरंकुश बनने से रोकती है।
  2. प्रधानमंत्री जनमत के विरुद्ध नहीं जा सकता।
  3. प्रधानमंत्री को सदैव विरोधी पार्टी का ध्यान रखना पड़ता है।

प्रश्न 25.
प्रधानमंत्री तथा मंत्रिपरिषद् के आपसी संबंधों की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
प्रधानमंत्री लोकसभा के बहुमत दल का नेता होता है। वह स्वयं ही मंत्रिपरिषद् का निर्माण करता है। वह मंत्रियों में विभागों का बंटवारा करता है एवं मंत्रिपरिषद् की अध्यक्षता करता है। यदि कोई मंत्री प्रधानमंत्री की नीति अनुसार कार्य नहीं करता तो उसे त्याग-पत्र देना पड़ता है। यदि वह मंत्री त्याग-पत्र न दे, तो प्रधानमंत्री त्याग-पत्र देकर मंत्रिपरिषद् को भंग कर सकता है तथा नवीन मंत्रिपरिषद् का गठन करता है, जिसमें उस मंत्री को शामिल नहीं करता।

प्रश्न 26.
राष्ट्रपति की कोई तीन न्यायिक शक्तियां बताइए।
उत्तर-
राष्ट्रपति की तीन न्यायिक शक्तियां इस प्रकार हैं-

  1. राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के मुख्य तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
  2. राष्ट्रपति जटिल कानूनी प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय से परामर्श मांग सकता है।
  3. राष्ट्रपति को क्षमादान करके तथा अपराधी के दंड को कम करने की शक्ति प्राप्त है।

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प्रश्न 27.
सरकार की शक्तियां क्या हैं ?
उत्तर-
सरकार के तीन अंग हैं-विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। इन तीनों अंगों के अपने अलगअलग कार्य हैं-

  1. विधानपालिका देश के लिए कानून बनाती है।
  2. कार्यपालिका कानूनों को लागू करती है तथा सरकार का संचालन करती है।
  3. न्यायपालिका न्याय प्रदान करती है तथा कानूनों का उल्लंघन करने वालों को दंड देती है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संसद् की शक्तियों तथा कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
संसद् की शक्तियों तथा कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. विधायिनी शक्तियां-संसद् का मुख्य कार्य कानून निर्माण करना है। संसद् की कानून बनाने की शक्तियां बड़ी व्यापक हैं। संघीय सूची में दिए गए सभी विषयों पर इसे कानून बनाने का अधिकार है। समवर्ती सूची पर संसद् और राज्यों की विधानपालिका दोनों को ही कानून बनाने का अधिकार है परंतु यदि किसी विषय पर संसद् और राज्य की विधानपालिका के कानून में पारस्परिक विरोध हो तो संसद् का कानून लागू होता है। कुछ परिस्थितियों में राज्यसूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार संसद् को प्राप्त है।
  2. वित्तीय शक्तियां-संसद् राष्ट्र के धन पर नियंत्रण रखती है। वित्तीय वर्ष के आरंभ होने से पहले बजट संसद् में पेश किया जाता है। संसद् इस पर विचार करके अपनी स्वीकृति देती है। संसद् की स्वीकृति के बिना सरकार जनता पर कोई टैक्स नहीं लगा सकती और न ही धन खर्च कर सकती है।
  3. कार्यपालिका पर नियंत्रण-हमारे देश में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है। राष्ट्रपति संवैधानिक अध्यक्ष होने के नाते संसद् के प्रति उत्तरदायी नहीं है जबकि मंत्रिमंडल अपने समस्त कार्यों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी है। मंत्रिमंडल तब तक अपने पद पर रह सकता है जब तक उसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त रहे।
  4. राष्ट्रीय नीतियों को निर्धारित करना-भारतीय संसद् केवल कानून ही नहीं बनाती बल्कि वह राष्ट्रीय नीतियां भी निर्धारित करती है।
  5. न्यायिक शक्तियां-संसद् राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति को यदि वे अपने कार्यों का ठीक प्रकार से पालन न करें तो महाभियोग चलाकर अपने पद से हटा सकती है। संसद् के दोनों सदन सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के जजों को हटाने का प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। कुछ अन्य पदाधिकारियों को पद से हटाए जाने का प्रस्ताव भी संसद् के द्वारा पास किया जा सकता है।
  6. संवैधानिक शक्तियां-भारतीय संसद् को संविधान में संशोधन करने का भी अधिकार प्राप्त है।
  7. सार्वजनिक मामलों पर वाद-विवाद-संसद् में जनता के प्रतिनिधिं होते हैं और इसलिए यह सार्वजनिक मामलों पर वाद-विवाद का सर्वोत्तम साधन है। संसद् में ही सरकार की नीतियों तथा निर्णयों पर वाद-विवाद होता है और उनकी विभिन्न दृष्टिकोणों से आलोचना की जाती है।
  8. निर्वाचन संबंधी अधिकार-संसद् उप-राष्ट्रपति का चुनाव करती है। संसद् राष्ट्रपति के चुनाव में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लोकसभा अपने स्पीकर तथा डिप्टी स्पीकर का चुनाव करती है और राज्यसभा अपने उप-अध्यक्ष का चुनाव करती है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रपति की महत्त्वपूर्ण कार्यकारी शक्तियां लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रपति की मुख्य कार्यकारी शक्तियां अग्रलिखित हैं-

  1. प्रशासनिक शक्तियां-भारत का समस्त प्रशासन राष्ट्रपति के नाम पर चलाया जाता है और भारत सरकार के सभी निर्णय औपचारिक रूप से उसी के नाम पर लिए जाते हैं। देश का सर्वोच्च शासक होने के नाते वह नियम तथा अधिनियम भी बनाता है।
  2. मंत्रिपरिषद् से संबंधित शक्तियां-राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और उसके परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। वह प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रियों को अपदस्थ कर सकता है।
  3. सैनिक शक्तियां-राष्ट्रपति राष्ट्र की सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति है। वह स्थल, जल तथा वायु सेनाध्यक्षों की नियुक्ति करता है। वह फील्ड मार्शल की उपाधि भी प्रदान करता है । वह राष्ट्रीय रक्षा समिति का अध्यक्ष
  4. नियुक्तियां-संघ सरकार की सभी महत्त्वपूर्ण नियुक्तियां राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं।
  5. केंद्रीय प्रदेशों का प्रशासन-केंद्रीय प्रदेशों का प्रशासन राष्ट्रपति के नाम पर ही चलाया जाता है।

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति की विधायिनी शक्तियां लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रपति की मुख्य विधायिनी शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. राष्ट्रपति की संसद् के अधिवेशन बुलाने और सत्रावसान संबंधी शक्तियां-राष्ट्रपति संसद् के दोनों सदनों का अधिवेशन बुला सकता है। अधिवेशन का समय बढ़ा सकता है तथा उसे स्थगित कर सकता है। राष्ट्रपति ही अधिवेशन का समय और स्थान निश्चित करता है।
  2. राष्ट्रपति द्वारा संसद् में भाषण-राष्ट्रपति संसद् के दोनों सदनों को अलग-अलग या दोनों के सम्मिलित अधिवेशन को संबोधित कर सकता है। नयी संसद् का तथा वर्ष का पहला अधिवेशन राष्ट्रपति के भाषण से ही आरंभ होता है।
  3. राज्यसभा के 12 सदस्य मनोनीत करना-राष्ट्रपति राज्यसभा के लिए ऐसे 12 सदस्यों को मनोनीत करता है जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान या सामाजिक सेवा के विषय में विशेष ज्ञान या अनुभव प्राप्त हो।
  4. अध्यादेश-जब संसद् का अधिवेशन न हो रहा हो तब राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है।
  5. राष्ट्रपति को 2 एंग्लो-इंडियनों को लोकसभा का सदस्य मनोनीत करने का अधिकार प्राप्त है।

प्रश्न 4.
मंत्रिपरिषद् पर संसदीय नियंत्रण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
हमारे देश में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है। संसद् कई तरीकों से मंत्रिमंडल पर प्रभाव डाल सकती है और उस पर नियंत्रण रख सकती है और उसे अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य कर सकती

  1. प्रश्न–संसद् के सदस्य मंत्रियों से उनके विभागों के कार्यों के संबंध में प्रश्न पूछ सकते हैं जिनका मंत्रियों को उत्तर देना पड़ता है।
  2. बहस-संसद् राष्ट्रपति के उद्घाटन भाषण पर बहस करती है जबकि सरकार की समस्त नीति की आलोचना की जाती है।
  3. काम-रोको प्रस्ताव-किसी गंभीर समस्या पर विचार करने के लिए संसद् के सदस्यों द्वारा काम-रोको प्रस्ताव (Adjournment Motion) भी पेश किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य यह होता है कि सदन के निश्चित कार्यक्रम को रोककर उस गंभीर समस्या पर पहले विचार किया जाए। इसमें सरकार की काफ़ी आलोचना की जाती है।
  4. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव-जब लोकसभा का अधिवेशन चल रहा हो तो उस समय यदि कोई सदस्य सदन का ध्यान किसी आवश्यक घटना की ओर आकर्षित करना चाहता हो तो वह ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता है। ऐसे प्रस्ताव सभा का ध्यान किसी महत्त्वपूर्ण घटना की ओर आकर्षित करने के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं।
  5.  मंत्रिमंडल को हटाना–संसद् यदि मंत्रिमंडल की नीतियों और कार्यों से संतुष्ट न हो तो वह मंत्रिमंडल को अपने पद से हटा सकती है। अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा द्वारा ही पास किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
संसदीय प्रणाली की कुछ विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
संसदीय सरकार वह शासन व्यवस्था है जिसमें मंत्रिमंडल विधानपालिका अर्थात् संसद् के लोकप्रिय सदन के समक्ष अपनी राजनीतिक नीतियों व कार्यों के लिए उत्तरवादी होता है जबकि राज्य का अध्यक्ष जोकि नाममात्र की कार्यपालिका है उत्तरदायी नहीं होता।
विशेषताएं-

  1. देश का मुखिया नाममात्र कार्यपालिका–संसदीय व्यवस्था में देश का मुखिया अर्थात् राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया होता है। क्योंकि वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री व मंत्रिमंडल के पास होती है।
  2. स्पष्ट बहुमत-संसदीय व्यवस्था में शासन उस राजनीतिक दल द्वारा चलाया जाता है जिसे चुनावों में स्पष्ट बहुमत मिल जाता है। वह दल चुनाव जीतने के पश्चात् अपने नेता का चुनाव करता है जिसे राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है।
  3. संसद् की सदस्यता अनिवार्य-मंत्री बनने के लिए यह आवश्यक है कि उनके पास संसद् की सदस्यता हो। अगर कोई संसद् सदस्य नहीं है तो प्रधानमंत्री की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति उसे मंत्री तो बना सकता है परंतु उसे 6 महीने के भीतर संसद् सदस्य बनना आवश्यक है अन्यथा उसे पद छोड़ना पड़ सकता है।
  4. सामूहिक दायित्व-मंत्रिमंडल अपने कार्यों के लिए सामूहिक रूप से विधानपालिका अर्थात् संसद् के प्रति उत्तरदायी होता है। उनसे संसद् में किसी भी प्रकार का प्रश्न पूछा जा सकता है। अगर संसद (लोकसभा) चाहे तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास करके उन्हें त्याग-पत्र देने के लिए बाध्य भी कर सकती है।
  5. प्रधानमंत्री का नेतृत्व-संसदीय व्यवस्था में मंत्रिमंडल का नेता हमेशा प्रधानमंत्री होता है। राष्ट्रपति अलगअलग मंत्रियों की नियुक्ति उसके परामर्श के अनुसार ही करता है। वह अलग-अलग मंत्रियों के कार्यों को देखता है तथा उनमें सामंजस्य बैठाने का प्रयास करता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

SST Guide for Class 9 PSEB पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां Textbook Questions and Answers

(क) नक्शा कार्य (Map Work) :

प्रश्न 1.
पंजाब के रेखाचित्र में अंकित करें :
उत्तर-

  1. होशियारपुर शिवालिक तथा रोपड़ शिवालिक शृंखालायें
  2. सतलुज का बेट क्षेत्र।

प्रश्न 2.
अर्ध पर्वतीय, मैदानी तथा दक्षिण-पश्चिम रेतीले टीलों वाले क्षेत्रों में पड़ते जिलों की सारणियां बनाकर कक्षा में लगाएं।
नोट-विद्यार्थी यह प्रश्न अध्याय में दिए गए मानचित्र की सहायता से स्वयं करें।

(ख) निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें :

प्रश्न 1.
प्राचीन जलोढ़ निर्मित क्षेत्र को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
बांगर।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 2.
खाडर (खादर) या बेट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खाडर अथवा बेट नई जलोढ़ मिट्टी के मैदान हैं। यह मिट्टी नदियों के किनारों पर निचले क्षेत्रों में पाई जाती है।

प्रश्न 3.
पंजाब के मैदानों को किन भागों में वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब के मैदानों को पांच भागों में बांटा जाता है-

  1. चो वाले मैदान,
  2. बाढ़ के मैदान,
  3. नैली,
  4. जलोढ़ के मैदान,
  5. जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले टीले।

प्रश्न 4.
पंजाब में रेत के टीले किस दिशा में थे/हैं।
उत्तर-
रेतीले टिब्बे पंजाब के दक्षिण पश्चिम में राजस्थान की सीमा के साथ-साथ पाए जाते हैं।

प्रश्न 5.
चंगर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आनंदपुर साहिब के नज़दीक कंडी क्षेत्र को चंगर कहा जाता है।

प्रश्न 6.
सही और गलत कथन बताएं-
(i) हिमालय की बाहरी श्रेणी का नाम शिवालिक है। ( )
(ii) कंडी क्षेत्र रूपनगर व पटियाला ज़िलों के दक्षिण में है। ( )
(iii) होशियारपुर शिवालिक, सतलुज व व्यास नदियों के बीच है। ( )
(iv) पंजाब के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में घग्गर के जलोढ़ मैदान, नैली में मिलते हैं। ( )
उत्तर-

  1. सही,
  2. गलत,
  3.  सही,
  4. सही।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप उत्तर दें:

प्रश्न 1.
कंडी क्षेत्र की विशेषताएं लिखें तथा बतायें ये क्षेत्र कौन-से जिलों में पड़ते हैं ?
उत्तर-
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों के पश्चिम तथा रूपनगर (रोपड़) जिले की नूरपुर बेदी तहसील के पूर्व में स्थित मैदानी प्रदेश को स्थानीय भाषा में कंडी क्षेत्र कहा जाता है। इस क्षेत्र की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. यह क्षेत्र पंजाब के 5 लाख हेक्टेयर भू-भाग में फैला हुआ है जो पंजाब के कुल क्षेत्रफल का 10% हिस्सा है।
  2. इस क्षेत्र की मृदा मुसामदार (Porons) है।
  3. इसमें बहुत से चोअ मिलते हैं।
  4. यहां जल-स्तर काफ़ी गहरा है।

ज़िले-इस क्षेत्र में होशियारपुर, रूपनगर (रोपड़) आदि जिले शामिल हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 2.
चोअ क्या होते हैं ? उदाहरण देकर बतायें।
उत्तर-
चोअ एक प्रकार के बरसाती नाले हैं। ये नाले वर्षा के मौसम में भरकर बहने लगते हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी सूख जाता है। ऐसे नालों को मौसमी चोअ कहते हैं। रूपनगर (रोपड़) के शिवालिक प्रदेश में बहुत अधिक मौसमी नाले पाए जाते हैं। यहाँ पर इन्हें राओ और घाड़ (Rao & Ghar) भी कहा जाता है।

प्रश्न 3.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों की उत्पत्ति के विषय पर नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब का 70% भू-भाग जलोढ़ी मैदानों से घिरा हुआ है। यह मैदान भारत के गंगा और सिंध के मैदान का भाग है। इनकी उत्पत्ति हिमालय क्षेत्र से नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी के जमाव से हुई है। इन नदियों में सिंध और उसकी सहायक नदियों सतलुज, रावी, व्यास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समुद्र तल से इन मैदानों की ऊंचाई 200 मीटर से 300 मीटर तक है।

प्रश्न 4.
गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक पर नोट लिखें।
उत्तर-
गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक की पहाड़ी श्रेणी का विस्तार गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के बीच है। पठानकोट जिले का धार कलां ब्लॉक पूरी तरह शिवालिक पहाड़ों के बीच स्थित है। इन पहाड़ों की औसत ऊंचाई 1000 मीटर के लगभग है।
इस क्षेत्र की पहाड़ी ढलाने, पानी के तेज बहाव के कारण किनारों से कट गई हैं जिससे ये काफी तीखी हो गई
इस क्षेत्र में बहने वाली मौसमी नदियाँ (Seasonal River) चक्की खड्ड और उसकी सहायक नदियां व्यास नदी में गिरती हैं।

PSEB 9th Class Social Science Guide पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
पंजाब का अधिकतर भू-भाग कैसा है ?
(क) पहाड़ी
(ख) मैदानी
(ग) पठारी
(घ) मरुस्थलीय।
उत्तर-
(ख) मैदानी.

प्रश्न 2.
पंजाब के शिवालिक पहाड़ों की उत्पत्ति किन दो भू-भागों के टकराने का परिणाम थी ?
(क) गोंडवाना लैंड तथा भाबर मैदान
(ख) अंगारा लैंड तथा शिवालिक मैदान
(ग) गोंडवाना लैंड तथा यूरेशिया प्लेट
(घ) अंगारालैंड तथा यूरेशिया प्लेट।।
उत्तर-
(ग) गोंडवाना लैंड तथा यूरेशिया प्लेट

प्रश्न 3.
बारी दोआब का एक अन्य नाम कौन-सा है ?
(क) मालवा
(ख) चज
(ग) नैली
(घ) माझा।
उत्तर-
(घ) माझा।

प्रश्न 4.
पंजाब के तराई प्रदेश का चोओं से घिरा प्रदेश क्या कहलाता है ?
(क) कंडी
(ख) बारी दोआब
(ग) बेट
(घ) बेला।
उत्तर-
(क) कंडी

प्रश्न 5.
घग्गर के जलोढ़ मैदानों का एक नाम है-
(क) चो
(ख) नैली
(ग) टैथीज़
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) नैली

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. पंजाब के ……………. में रेत के टीले मिलते हैं।
  2. कंडी क्षेत्र पंजाब के कुल क्षेत्रफल का ……….. प्रतिशत भाग है।
  3. सिरसा नदी के निकट कंडी क्षेत्र को …………. कहा जाता है।
  4. पंजाब का 70% भू-भाग ………….. मैदान है।
  5. पंजाब के मैदान ………. तथा ………… के मैदानों का भाग है।

उत्तर-

  1. दक्षिण-पश्चिम,
  2. 10,
  3. घाड़,
  4. जलोढ़ी,
  5. गंगा, सिंध।

उचित मिलान :

1. बारी दोआब – (i) होशियारपुर शिवालिक
2. बाढ़ के मैदान – (ii) रोपड़ शिवालिक
3. सतलुज-घग्गर – (iii) बेट
4. ब्यास-सतलुज – (iv) माझा।
उत्तर-

  1. माझा।
  2. बेट
  3. रोपड़ शिवालिक
  4. होशियारपुर शिवालिक।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
शिवालिक की पहाड़ियां पंजाब के किस ओर स्थित हैं ?
उत्तर-
पूर्व और उत्तर-पूर्व में।

प्रश्न 2.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियां किस राज्य की सीमाओं को छूती हैं ?
उत्तर-
हिमाचल प्रदेश।

प्रश्न 3.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों की औसत ऊंचाई कितनी है ?
उत्तर-
600 मीटर से 1500 मीटर तक।

प्रश्न 4.
पठानकोट जिले का कौन-सा ब्लॉक पूरी तरह गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित है ?
उत्तर-
धार कलां।

प्रश्न 5.
होशियारपुर शिवालिक का सबसे ऊँचा ब्लॉक/विकास खण्ड कौन-सा है ?
उत्तर-
तलवाड़ा (741 मीटर)

प्रश्न 6.
होशियारपुर शिवालिक के दो प्रमुख चोओं के नाम बताओ।
उत्तर-
कोट मैंरा, ढल्ले की खड्ड।

प्रश्न 7.
किस नदी के कारण रोपड़ शिवालिक श्रेणी की निरंतरता टूट जाती है ?
उत्तर-
सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण।

प्रश्न 8.
कंडी क्षेत्र का निर्माण कौन-सी भू-रचनाओं के आपस में मिलने से हुआ है ?
उत्तर-
जलोढ़ पंख।

प्रश्न 9.
पंजाब के जलोढ़ मैदान कौन-कौन सी भौगोलिक इकाइयों में बंटे हुए हैं ?
उत्तर-
बारी दोआब, बिस्त दोआब, सिज दोआब।

प्रश्न 10.
पंजाब में नदियों के रास्ता बदलने से बने ढाए (Dhaiya) कहां देखे जा सकते हैं ? (कोई एक स्थान)
उत्तर-
फिल्लौर।

प्रश्न 11.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों में नदियों से दूर ऊंचे क्षेत्रों को क्या नाम दिया जाता है ?
उत्तर-
बांगर।

प्रश्न 12.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों की लगभग लंबाई कितनी है ?
उत्तर-
280 कि०मी०।

प्रश्न 13.
होशियारपुर शिवालिक अपने दक्षिणी भाग में क्या कहलाता है ?
उत्तर-
कटार की धार।

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प्रश्न 14.
होशियारपुर शिवालिक की लंबाई-चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
होशियारपुर शिवालिक की लंबाई 130 किलोमीटर और चौड़ाई 5 से 8 किलोमीटर तक है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब के धरातल में भिन्नता पाई जाती है। उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
पंजाब के धरातलीय नक्शे पर सरसरी दृष्टि डालने पर यह एक मैदानी क्षेत्र दिखाई देता है परंतु भौगोलिक दृष्टि और भू-वैज्ञानिक रचना के अनुसार इसमें काफी भिन्नता पाई जाती है।
पंजाब के मैदान संसार के सबसे ऊपजाऊ मैदानों में से एक हैं। पंजाब के पूर्व और उत्तर-पूर्व में शिवालिक की पहाडियां हैं। पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में रेत के टीले भी मिलते हैं। राज्य में जगह-जगह चोअ दिखाई देते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब में शिवालिक की पहाड़ियों का विस्तार बताएं। इसके तीन भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
शिवालिक की पहाड़ियां बाह्य हिमालय का भाग हैं। यह पर्वत पंजाब के पूर्व में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ-साथ 280 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं।
शिवालिक की पहाड़ियों के तीन भाग हैं-

  1. गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक-ये पहाड़ियां रावी और ब्यास नदियों तक फैली हैं।
  2. होशियारपुर शिवालिक-ये पहाड़ियां ब्यास और सतलुज नदियों तक हैं।
  3. रोपड़ शिवालिक-इसका विस्तार सतलुज और घग्गर नदी तक है।

प्रश्न 3.
पंजाब के कंडी क्षेत्र का निर्माण कहां और कैसे हुआ है ?
उत्तर-
कंडी क्षेत्र का निर्माण शिवालिक की तराई में बने गिरीपद मैदानों (Foothill planes) में हुआ है। इनके निर्माण में जलोढ़ पंखों का हाथ है। ये भू-रचनाएं गिरीपद मैदानों में आपस में मिलती हैं और कंडी क्षेत्र बनाती हैं। इस प्रदेश में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे है।

प्रश्न 4.
होशियारपुर शिवालिक को दक्षिण में ‘कटार की धार’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
होशियारपुर शिवालिक की ढलाने नालीदार अपरदन के कारण बहुत अधिक फटी-कटी हैं। इसके अतिरिक्त यहां बहने वाले चोओं ने भी इन पहाड़ियों को कई स्थानों पर बुरी तरह काट दिया है। कटी-फटी पहाड़ियों के सिरे तीखे होने के कारण इन पहाड़ियों को ‘कटार की धार’ कहते हैं।

प्रश्न 5.
रोपड़ शिवालिक की कोई चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. शिवालिक की यह श्रेणी सतलुज और घग्गर नदियों के बीच स्थित है। इसका विस्तार रूपनगर (रोपड़) जिले में हिमाचल प्रदेश की सीमा के उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है।
  2. यह पहाड़ उत्तर में नंगल से शुरू होकर चंडीगढ़ के नजदीक घग्गर नदी तक चले जाते हैं।
  3. इस श्रेणी की लंबाई 90 किलोमीटर तक है। इस श्रेणी की निरंतरता (Continuity) सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण टूट जाती है।
  4. दूसरी शिवालिक श्रेणियों की तरह यह श्रेणी भी मौसमी चोओं से भरी हुई है। इन्हें राओ (Rao) तथा घाड़ (Ghar) भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों का दोआबो के अनुसार वर्गीकरण करते हुए एक सूची बनाएं।
उत्तर-
पंजाब के जलोढ़ मैदान

बारी दोआब (ब्यास-रावी) बिस्त दोआब (ब्यास-सतलुज) सिज-दोआब (सतलुज-जमना)
रावी-सक्की किरन पश्चिमी दोआब कोटकपूरा पठार
सकी किरन-उदियारा मंजकी दोआब नैली
उदियारा-कसूर ढक दोआब पभाध
बेट/खाडर बाढ़ के मैदान
पट्टी-ब्यास रेतीले टिब्बे

प्रश्न 7.
शिवालिक पहाड़ों (पहाड़ियों) की उत्पत्ति कैसे हुई ?
उत्तर-
शिवालिक पहाड़ियों की उत्पत्ति भी हिमालय की तरह टैथीज़ सागर से हुई। इनका निर्माण सागर में जमा कीचड़, चिकनी मिट्टी, ककड़-पत्थर आदि के ऊँचा उठने से हुआ। एक विचार के अनुसार मायोसीन (Miocene) काल में हिमालय के निर्माण के समय हिमालय के सामने एक छिछला सागर अस्तित्व में गया। लाखों वर्षों तक इसमें गाद जमा होती रही। कुछ समय बाद यूरेशिया प्लेट के गोंडवाना लैड से टकराने पर जमा पदार्थों ने ऊपर उठकर पहाड़ों का रूप ले लिया। यही पहाड़ शिवालिक पहाड़ कहलाते हैं।

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प्रश्न 8.
पंजाब के मैदानों का सबसे बड़ा क्षेत्र कौन-सा है ? इसमें शामिल ज़िलों के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब के मैदानों का सबसे बड़ा क्षेत्र मालबा है। इसमें फिरोजपुर, फरीदकोट का उत्तरी भाग, मोगा, लुधियाना, बरनाला, संगरूर, पटियाला, पश्चिमी रूपनगर, साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली), फतेहगढ़ साहिब आदि ज़िले शामिल हैं।

प्रश्न 9.
पंजाब के किन्हीं दो दोआबों के नाम लिखो तथा उनमें शामिल ज़िलों के बारे में बताओ।
उत्तर-
बारी दोआब तथा बिस्त दोआब पंजाब के दो प्रमुख दोआब हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है

  1. बारी दोआब-पंजाब में रावी और सतलुज नदियों के बीच का क्षेत्र बारी दोआब कहलाता है। इसे ‘माझा क्षेत्र’ भी कहा जाता है। इसमें पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर और तरनतारन के ज़िले आते हैं।
  2. बिस्त दोआब-बिस्त दोआब ब्यास और सतलुज नदियों के बीच का क्षेत्र है। इसमें जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर और शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) के जिले आते हैं।

प्रश्न 10.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले टीलों पर नोट लिखो।
उत्तर-
सतलुज नदी के दक्षिणी भाग में पानी का बहाव घग्गर नदी की ओर है। इस क्षेत्र में बाढ़ के दिनों में पानी के बह जाने से रेत के टीले बन गए हैं। बाढ़ों से बचाव के लिए कई स्थानों पर नाले तथा नालियां बनाई गई हैं। अब इन टीलों को कृषि योग्य बना लिया गया है।

प्रश्न 11.
पंजाब के दक्षिण पश्चिमी भाग में स्थित रेतीले टीलों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के साथ लगती सीमा पर जगह-जगह रेतीले टीले दिखाई देते हैं। इस प्रकार के टीले प्रायः भठिंडा, मानसा, फाजिल्का, फरीदकोट, संगरूर, मुक्तसर तथा पटियाला ज़िलों के दक्षिणी भागों में मिलते हैं। फिरोजपुर जिले के मध्यवर्ती भागों में भी कुछ टीले पाए जाते हैं। इन टीलों की ढलान टेढ़ी मेढ़ी है।
इस क्षेत्र की जलवायु अर्ध शुष्क है। अब पंजाब में रेत के टीलों को समतल करके खेती की जाने लगी है। पंजाब के मेहनती किसानों ने सिंचाई की सहायता से कृषि को उन्नत किया है। परिणामस्वरूप इस क्षेत्र की प्राकृतिक भौगोलिक विशेषता लगभग लुप्त हो गई है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब को धरातल के अनुसार हम कौन-कौन से भागों में बांट सकते हैं ? शिवालिक की पहाड़ियों का विस्तृत वर्णन करो।
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि पंजाब अपने विशाल उपजाऊ मैदानों के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है। परंतु यह केवल मैदानी क्षेत्र नहीं है। इसके धरातल में काफी भिन्नता पाई जाती है। इसके पूर्व और उत्तर-पूर्व में शिवालिक की पहाड़ियां हैं। पंजाब के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में रेत के टीले भी हैं। पंजाब के धरातल को हम नीचे लिखे क्षेत्रों में बांट सकते हैं

  1. शिवालिक की पहाड़ियां
  2. विशाल जलोढ़ी मैदान
  3. जलोढ़ मैदानों के मध्य (दक्षिण-पश्चिम के) रेतीले टीले।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब धरातलभू-आकृतियां 1

शिवालिक की पहाड़ियां बाह्य हिमालय का भाग हैं। ये पर्वत पंजाब के पूर्व में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथसाथ 280 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं।
इस पर्वत श्रेणी की औसत चौड़ाई 5 से 12 किलोमीटर तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 600 से 1500 मीटर तक है।
शिवालिक की पहाड़ियों के भाग-शिवालिक की पहाड़ियों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-

  1. गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक रावी और ब्यास नदियों तक,
  2. होशियारपुर शिवालिक ब्यास और सतलुज नदियों तक
  3. रोपड़ शिवालिक सतलुज और घग्गर तक।

इन भागों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है-

1. गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक इस पहाड़ी श्रेणी का विस्तार गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के बीच है। पठानकोट जिले का धार कलां ब्लॉक पूरी तरह शिवालिक पहाड़ों के बीच स्थित है। इन पहाड़ों की औसत ऊंचाई 1000 मीटर के लगभग है।
इस क्षेत्र की पहाड़ी ढलाने, पानी के तेज बहाव के कारण किनारों से कट जाती हैं जिससे गहरी खाइयां/खड्डे (Gullies) बन जाती हैं। इस क्षेत्र में बहने वाली मौसमी नदियाँ (Seasonal River) चक्की खड्डु और उसकी सहायक नदियां ब्यास नदी में गिरती हैं।

2. होशियारपुर शिवालिक होशियारपुर शिवालिक का क्षेत्र ब्यास और सतलुज के मध्य होशियारपुर, शहीद भगत सिंह (नवांशहर) और रूपनगर जिले के नूरपूर बेदी ब्लॉक के बीच फैला हुआ है। इसकी लंबाई 130 किलोमीटर और चौड़ाई 5 से 8 किलोमीटर तक है। उत्तर में ये पहाड़ियाँ अधिक चौड़ी हैं परंतु दक्षिण में नीची तथा तंग हो जाती हैं। इसका सबसे ऊँचा ब्लॉक तलवाड़ा है और जिसकी ऊँचाई 741 मीटर तक है। शिवालिक की ये ढलाने नालीदार अपरदन (Gully Erosion) का बुरी तरह शिकार हैं और बहुत ज्यादा कटी फटी हैं। प्रत्येक किलोमीटर बाद प्रायः एक चोअ (Choe) आ जाता है। इन चोओं के अपरदन (Headward Erosion) के कारण ये पहाड़ कई स्थानों पर कटे हुए हैं। होशियारपुर के दक्षिण में इन्हें कटार की धार भी कहा जाता है। इसका बीच वाला भाग गढ़शंकर के पूर्व में स्थित है। कोट, मैरां, डले की खड़ यहां के प्रमुख चोअ हैं।

3. रोपड़ शिवालिक-शिवालिक की यह श्रेणी सतलुज और घग्गर नदियों के बीच स्थित है। यह रूपनगर (रोपड़) जिले में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व ओर फैली हुई है। ये पहाड़ उत्तर में नंगल से शुरू होकर चंडीगढ़ के नजदीक घग्गर नदी तक चले जाते हैं। इनकी लंबाई 90 किलोमीटर तक है। इस श्रेणी की निरंतरता (Continuity) सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण टूट जाती है। अन्य शिवालिक श्रेणियों की तरह यह श्रेणी भी मौसमी नालों से भरी हुई है। यहां पर इन नालों को राओ और घार (Rao & Ghare) भी कहा जाता है।

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प्रश्न 2.
पंजाब के मैदान की उत्पत्ति कैसे हुई ? इनकी भौगोलिक दृष्टि से बांट करो।
उत्तर-
पंजाब के मैदान गंगा और सिंध के मैदान का भाग हैं। ये मैदान सिंध और उसकी सहायक नदियों रावी, ब्यास, सतलुज और उसकी सहायक नदियों द्वारा हिमालय से बहाकर लाई गई मिट्टी के जमाव से है। इन मैदानों की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 200 मी० से 300 मी० तक है। इनकी ढलान पूर्व से पश्चिम की ओर है।
भौगोलिक बांट-भौगोलिक दृष्टि से पंजाब के मैदानों को 5 भागों में बांटा जा सकता है-

  1. चो (नालों) वाले क्षेत्रों के मैदान
  2. बाढ़ के मैदान
  3. नैली
  4. जलोढ़ के मैदान
  5. जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले (बालू के) टीले

(i) चोअ (नालों) वाले क्षेत्रों के मैदान-ये मैदान शिवालिक पहाड़ियों की तराई में स्थित हैं। यह प्रदेश चोओं से घिरा है। वर्षा के मौसम में इन चोओं में प्रायः बाढ़ आ जाती है। इससे जान-माल की बहुत हानि होती है। इन मैदानों की मिट्टी में कंकड़ पाए जाते हैं। इसके नीचे पानी का स्तर काफी नीचा होता है।

(ii) बाढ़ के मैदान-इन मैदानों में रावी, ब्यास तथा सतलुज़ के बाढ़ वाले मैदान शामिल हैं। इन मैदानों को बेट भी कहा जाता है। पंजाब में फिल्लौर बेट, आनंदपुर बेट तथा नकोदर बेट इसके मुख्य उदाहरण हैं।

(iii) नैली-पंजाब के दक्षिण-पूर्व में घग्गर नदी ने जलोढ़ के मैदानों का निर्माण किया है। इन मैदानों को स्थानीय भाषा में नैली कहते हैं। इन नैलियों में वर्षा ऋतु में बाढ़ें आ जाती हैं। घुड़ाम, समाना तथा सरदूलगढ़ इन मैदानों के मुख्य उदाहरण हैं।
(iv) जलोढ़ के मैदान-बारी तथा बिस्त दोआब के प्रदेश जलोढ़ी मिट्टी से बने हैं। इन मैदानों में खाडर तथा बांगर दोनों प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं।

(v) जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित बालू टीले-सतलुज नदी के दक्षिणी भाग में पानी का बहाव घग्गर नदी की
ओर है। बाढ़ के दिनों में यहां पानी के बहने से रेत के टीले बन जाते हैं। बाढ़ों से बचाव के लिए कई स्थानों पर नाले तथा नालियाँ बनाई गई हैं। अब इन टीलों को कृषि योग्य बना लिया गया है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

SST Guide for Class 9 PSEB भारत : धरातल/भू-आकृतियां Textbook Questions and Answers

(क) नक्शा कार्य (Map Work) :

प्रश्न 1.
भारत के रेखा मानचित्र में अंकित करें :
उत्तर-

  • कराकोरम, पीर पंजाल, शिवालिक, सतपुड़ा, पटकोई वम्म, खासी और गारो की पहाड़ियां।
  • कंचनजुंगा, गोडविन, ऑस्टिन, धौलगिरी, गुरु शिखर व अनाईमुटी पहाड़ियां।
  • कोई पांच दर्रे और तीन पठारी क्षेत्र।
    नोट-विद्यार्थी यह प्रश्न अध्याय में दिए गए मानचित्रों की सहायता से स्वयं करें।

(ख) निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें:

प्रश्न 1.
भारत को भू-आकृति आधार पर वर्गीकृत करते हुए दो भागों के नाम लिखें।
उत्तर-
भारत को भू-आकृति के आधार पर पांच भागों में बांटा जा सकता है-

  1. हिमालय पर्वत
  2. उत्तरी विशाल मैदान व मरुस्थल
  3. प्रायद्वीपीय पठार
  4. तटीय मैदान
  5. भारतीय द्वीप समूह।

प्रश्न 2.
अगर आप गुरु शिखर पर हैं, तो कौन-सी पर्वत श्रृंखला में हैं ?
उत्तर-
माऊंट आबू (अरावली पहाड़ी)।।

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प्रश्न 3.
भारतीय उत्तरी मैदान की लंबाई व चौड़ाई कितनी है ?
उत्तर-
भारत के उत्तरी मैदान की लंबाई लगभग 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है।

प्रश्न 4.
भारतीय द्वीपों को कैसे वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर-
भारतीय द्वीपों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है-

  1. अंडेमान निकोबार द्वीप समूह तथा
  2. लक्षद्वीप समूह।

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा नाम मैदान का नहीं है ?
(i) भाबर
(ii) बांगर
(iii) केयाल
(iv) कल्लर।
उत्तर-
(iii) केयाल।

प्रश्न 6.
इनमें से कौन-सी झील नहीं है ?
(i) सैडल
(ii) सांबर
(iii) चिल्का
(iv) वैबानंद।
उत्तर-
(i) सैडल।

प्रश्न 7.
इनमें से कौन-सा नाम अलग पहचान का हैं ?
(i) शारदा
(ii) कावेरी
(ii) गोमती
(iv) यमुना।
उत्तर-
(i) कावेरी।

प्रश्न 8.
कौन-सी पर्वतीय श्रृंखला हिमालियाई नहीं है ?
(i) रक्शपोशी
(ii) डफ़ला
(iii) जास्कर
(iv) नीलगिरी।
उत्तर-
(iv) नीलगिरी।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप उत्तर दें:

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
जहां आज हिमालय हैं, वहां कभी टैथीज (Tythes) नाम का एक गहरा सागर लहराता था। यह दो विशाल भू-खंडों से घिरा एक लंबा और उथला सागर था। इसके उत्तर में अंगारा लैंड और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भू-खंड थे। लाखों वर्षों तक इन दो भू-खंडों का अपरदन होता रहा। अपरदित पदार्थ अर्थात् कंकड़, पत्थर, मिट्टी, गाद आदि टैथीज सागर में जमा होते रहे। ये दो विशाल भू-खंड धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसकते रहे। सागर में जमी मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में उभर कर पानी की सतह से ऊपर आ गये। कालांतर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम आज हिमालय के नाम से पुकारते हैं।

प्रश्न 2.
खाडर मैदानों के विषय में बताएं कि ये बेट से अलग कैसे हैं ?
उत्तर-
खाडर एक प्रकार की नई जलोढ़ मिट्टी वाला मैदान है। इस मिट्टी को नदियां अपने साथ लाकर निचले प्रदेशों में बिछाती हैं। यह मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होती है। पंजाब में इस प्रकार की मिट्टी वाले प्रदेशों को ‘बेट’ भी कहा जाता है। इस प्रकार बेट खाडर मिट्टी वाले मैदानों का स्थानीय नाम है।

प्रश्न 3.
मध्य हिमालय पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
मध्य हिमालय को लघु हिमालय भी कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई 5050 मीटर तक है। इन श्रेणियों की पहाड़ियां 60 से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में मिलती हैं।

  1. श्रेणियाँ-जम्मू कश्मीर में पीर पंजाल व नागा टिब्बा, हिमाचल में धौलाधार, नेपाल में महाभारत, उत्तराखंड में मसूरी और भूटान में थिम्पू इस पर्वतीय भाग की मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं।
  2. घाटियाँ-इस भाग में कश्मीर घाटी के कुछ भाग, कांगड़ा घाटी, कुल्लू घाटी, भागीरथी घाटी व मंदाकिनी घाटी जैसी लाभकारी व स्वास्थ्यवर्द्धक घाटियां मिलती है।
  3. स्वास्थ्यवर्द्धक स्थान-इस क्षेत्र में शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि प्रमुख स्वास्थ्यवर्द्धक व रमणीय केंद्र हैं।

प्रश्न 4.
पश्चिम और पूर्वी घाटों में क्या अंतर है ?
उत्तर-

  1. पश्चिम घाट उत्तर से दक्षिण तक अरब सागर के समांतर फैले हैं। इसके विपरीत पूर्वी घाट का विस्तार खाड़ी बंगाल के साथ-साथ है।
  2. पश्चिम घाट के पर्वत एक लंबी श्रृंखला बनाते हैं। परंतु पूर्वी घाट नदियों द्वारा कट जाने के कारण अलग-अलग पहाड़ियों के रूप में दिखाई देते हैं।
  3. पश्चिम घाट के पर्वत पूर्वी घाट की अपेक्षा अधिक ऊंचे तथा स्पष्ट हैं।
  4. पूर्वी घाट की सबसे ऊंची चोटी महेंद्रगिरि है। इसके विपरीत पश्चिम घाट की सबसे ऊंची चोटी अनाईमुदी है।
  5. पश्चिम घाट में थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट, शेनकोटा आदि दरें हैं। परंतु पूर्वी घाट में कोई भी महत्त्वपूर्ण दर्रा नहीं है।

प्रश्न 5.
भारतीय द्वीप समूहों का वर्गीकरण कीजिए तथा द्वीपों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारतीय द्वीपों की कुल संख्या 267 है। इन्हें निम्नलिखित दो भागों में बांटा जाता है

  1.  बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडेमान-निकोबार द्वीप समूह-ये द्वीप उत्तर-पूर्वी पर्वत श्रेणी अराकान योमा (म्यांमार में) का भी विस्तार हैं। इनकी संख्या 204 है। सैडल (Saddle Peak) अंडेमान की सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 737 मीटर है। निकोबार में 19 द्वीप शामिल हैं। जिनमें से ग्रेटर निकोबार सबसे बड़ा द्वीप है।
  2. अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप समूह-इन द्वीपों की कुल संख्या 34 है। इसके उत्तर में अमिनदिवी (Amindivi) तथा दक्षिण में मिनीकोय (Minicoy) द्वीप स्थित हैं। इन द्वीपों का मध्यवर्ती भाग लक्कादिव (Laccadive) कहलाता है।

प्रश्न 6.
भाबर और तराई में अंतर बताएं।
उत्तर-
भाबर वे मैदानी प्रदेश होते हैं जहां नदियां पहाड़ों से निकल कर मैदानी प्रदेश में प्रवेश करती हैं और अपने साथ लाए रेत, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि का यहां निक्षेप (जमा) करती हैं। भाबर क्षेत्र में नदियां भूमि तल पर बहने की बजाए भूमि के नीचे बहती हैं।
जब भाबर मैदानों की भूमिगत नदियां पुनः भूमि पर उभरती हैं, तो ये दलदली क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। शिवालिक पहाड़ियों के समानांतर फैली ऐसी आर्द्र दलदली भूमि की पट्टी को तराई प्रदेश कहते हैं। यहां घने वन भी पाये जाते हैं तथा जंगली जीव-जंतु भी अधिक संख्या में मिलते हैं।

(घ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दें:

प्रश्न 1.
प्रायद्वीपीय पठार और उनकी पर्वतीय श्रृंखलाओं के विषय में विस्तार में लिखें।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार भारत के मध्य से लेकर सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ है। यह पठार क्रिस्टलीय आग्नेय तथा
रूपांतरित चट्टानों से बना है। त्रिभुज के आकार के इस प्राचीन भू-भाग का शीर्ष बिन्दु कन्याकुमारी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यहां की वन-संपदा है। इन पठारों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है। इन भागों तथा उनमें स्थित पर्वत श्रेणियों का वर्णन इस प्रकार है

1. मध्य भारत का पठार-यह पठारी प्रदेश मारवाड़ प्रदेश के पूर्व में फैला है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 250500 मी० तक है। इसकी दरार घाटी में चंबल तथा उसकी सहायक नदियां बहती हैं। यह पठार अपनी गहरी घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। इस पठार के पूर्व में यमुना के निकट बुंदेलखंड का प्रदेश स्थित है।

2. मालवा पठार-पश्चिम में अरावली पर्वत, उत्तर में बुंदेलखंड तथा बघेलखंड, पूर्व में छोटा नागपुर, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग के पठार तक और दक्षिण की ओर सतपुड़ा की पहाड़ियों तक घिरा हुआ पठार मालवा का पठार कहलाता है। इसका शीर्ष शिलांग के पठार पर है। इस पठार की उत्तरी सीमा अवतल चापाकार की तरह है। इस पठार में बनास, चंबल, केन तथा बेतवा नामक नदियां बहती हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मी० है। पारसनाथ तथा नैत्रहप्पाट इसकी मुख्य चोटियां हैं। इसकी तीन पर्वत श्रेणियां हैं-अरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
अरावली पर्वत श्रेणी सबसे पुरानी पर्वत श्रेणी है। इसकी लंबाई लगभग 800 किलोमीटर तक है। इसकी सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर (1722 मी०) है। इसमें गोरनघाट नामक एक दर्रा भी स्थित है। सतपुड़ा की पहाड़ियां 900 किलोमीटर की लंबाई में फैली हैं। इस पर्वत श्रेणी की सबसे ऊंची चोटी (धूपगढ़ 1350 मी०) है। अमरकंटक दूसरी ऊंची चोटी है।

3. दक्कन (दक्षिण) का पठार-इसकी औसत ऊँचाई 300 से 900 मीटर तक है। इसके धरातल को मौसमी नदियों ने कांट-छांट कर सात स्पष्ट भागों में बांटा हुआ है-

  1. महाराष्ट्र का टेबल लैंड,
  2. दंडकारण्य-छत्तीसगढ़ क्षेत्र,
  3. तेलंगाना का पठार,
  4. कर्नाटक का पठार,
  5. पश्चिमी घाट,
  6. पूर्वी घाट,
  7. दक्षिणी पहाड़ी समूह।

पश्चिमी घाट की औसत ऊंचाई 1200 मीटर और पूर्वी घाट की 500 मीटर है। दक्षिण भारत की सभी महत्त्वपूर्ण नदियां पश्चिमी घाट से निकलती हैं। उत्तर से दक्षिण तक पश्चिमी घाट में चार प्रसिद्ध दर्रे हैं-थालघाट, भोरघाट, पालघाट तथा शेनकोटा। पूर्वी घाट पश्चिमी घाट की अपेक्षा अधिक चौड़े कटे-फटे तथा टूटी पहाड़ियों वाला है। पूर्वी घाट की सबसे ऊंची चोटी महेंद्रगिरी (1500 मी०) है।

पश्चिमी और पूर्वी घाट जहां जाकर मिलते हैं, उन्हें नीलगिरि पर्वत कहते हैं। इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटी दोदाबेटा है अथवा डोडाबेटा जो 2637 मीटर ऊंची है।
सच तो यह है कि प्रायद्वीपीय पठार खनिज पदार्थों का भंडार है और इसका भारत की आर्थिकता में बड़ा महत्त्व है। यहां चाय, रबड़, गन्ना, कॉफ़ी आदि की कृषि भी की जाती है।

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प्रश्न 2.
गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों की बनावट व उनके क्षेत्रीय वर्गीकरण पर नोट लिखें।
उत्तर-
(क) गंगा के मैदान-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान के मुख्य भौगोलिक पक्षों का वर्णन इस प्रकार है

  1. स्थिति-यह मैदान उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल राज्यों में स्थित है। यह पश्चिम में यमुना, पूर्व में बंगलादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा, उत्तर में शिवालिक तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी विस्तार के मध्य फैला हुआ है।
  2. नदियाँ-इस मैदान में गंगा, यमुना, घागरा, गण्ड्क, कोसी, सोन, बेतवा तथा चंबल नदियां बहती हैं।
  3. भू-आकारीय नाम-गंगा के तराई वाले उत्तरी क्षेत्रों में बनी दलदली पेटियों को ‘कौर (caur) कहा जाता है। इसकी दक्षिणी सीमा में बड़े-बड़े खड्ड (Ravines) मिलते हैं जिन्हें ‘जाला’ व ‘ताल’ (Jala & Tal) अथवा बंजर भूमि कहते हैं। इसके अतिरिक्त समस्त मैदान में पुरानी जमीं बांगर और नई बिछी खादर की जलोढ़ पट्टियों को ‘खोल’ (Khols) कहा जाता है। गंगा और यमुना दोआब में पवनों के निक्षेप द्वारा निर्मित बालू के टीलों को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद तथा बिजनौर जिलों में ‘भूर’ (Bhur) के नाम से जाना जाता है।
  4. ढलान तथा क्षेत्रफल-गंगा के मैदान की ढलान पूर्व की ओर है।
    महाराष्ट्र टेबल लैंड बेसाल्ट के लावे से बना है। कर्नाटक के पठार में बाबा बूदन की पहाड़ियों में स्थित मूल्नगिरी (1913 मी०) सबसे ऊँची चोटी है।
  5. विभाजन-ऊँचाई के आधार पर गंगा के मैदानों को निम्नलिखित तीन उप-भागों में विभाजित किया जा सकता है
    • ऊपरी मैदान-इन मैदानों को गंगा-यमुना दोआब भी कहते हैं। इनके पश्चिम में यमुना नदी है तथा 100 मीटर की ऊंचाई तक मध्यम ढाल वाले क्षेत्र इसकी पूर्वी सीमा बनाते हैं। रुहेलखंड तथा अवध का मैदान भी इन्हीं मैदानों में सम्मिलित हैं।
    • मध्यवर्ती मैदान-इस मैदान को बिहार के मैदान या मिथिला (Mithila) मैदान भी कहते हैं, जिसकी ऊंचाई लगभग 50 से 100 मीटर के बीच है। यह घागरा नदी से लेकर कोसी नदी तक फैला है। इस मैदान की लंबाई 600 कि०मी० तथा चौड़ाई 330 कि०मी० है।
    • निचले मैदान-गंगा के ये मैदानी भाग समुद्र तल से लगभग 50 मीटर ऊंचे हैं। इसकी लंबाई 580 कि०मी० तथा चौड़ाई 200 कि०मी० है। ये राजमहल तथा गारो पर्वत श्रेणियों के मध्य एक समतल डेल्टाई क्षेत्र बनाते हैं। इसके उत्तर में तराई पट्टी के द्वार (Duar) मिलते हैं तथा दक्षिण में विश्व का सबसे बड़ा सुंदरवन डेल्टा स्थित है।

(ख) ब्रह्मपुत्र के मैदान-इस मैदान को आसाम (असम) का मैदान भी कहा जाता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 250 मी० से लेकर 550 मी० तक है।

प्रश्न 3.
भारत के तटीय मैदानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तटवर्ती मैदान अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के साथ-साथ फैले हुए हैं। इन्हें दो भागों में बांटा जाता है-पश्चिमी तट के मैदान तथा पूर्वी तट के मैदान। इनका वर्णन इस प्रकार है
पश्चिमी मैदान-

  1. इसके पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पश्चिमी घाट की पहाड़ियां हैं।
  2. इन मैदानों की लंबाई 1500 कि०मी० और चौड़ाई 65 कि०मी० है। इन मैदानों में डेल्टाई निक्षेप का अभाव है।
  3. पश्चिमी मैदानों को धरातलीय विस्तार के आधार पर चार भागों में बांटते हैं-गुजरात का तटीय मैदान, कोंकण का तटीय मैदान, मालाबार तट का मैदान, केरल का मैदान। गुजरात का मैदान कच्छ से महाराष्ट्र होते हुए खंबात की खाड़ी तक चला जाता है। इसका निर्माण साबरमती, माही, लूनी तथा तापी नदियों द्वारा लाकर बिछाई गई मिट्टी से हुआ है। कोंकण का मैदान दमन से गोवा तक 500 मीटर की लंबाई में फैला है। मुंबई इस तट की प्रमुख बंदरगाह है। कोंकण तट को कारावली तथा केनारा भी कहा जाता है। मालावार का तटवर्ती मैदान मंगलूर से कन्याकुमारी तक फैला है। झीलों अथवा लैगूनों वाले इस मैदान की लंबाई 845 कि०मी० है। बैबानंद द्रत मैदान की सबसे बड़ी झील है।।
  4. इन मैदानों में नर्मदा तथा ताप्ती नदियां बहती है। ये डेल्टा बनाने की बजाए ज्वारनदमुख बनाती हैं।
  5. पश्चिमी मैदान में ग्रीष्म काल में वर्षा होती है। यह वर्षा दक्षिण-पश्चिम पवनों के कारण होती है। ।

पूर्वी तट के मैदान-

  1. पूर्वी तट के मैदानों के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में पूर्वी घाट की पहाड़ियां हैं।
  2. इन मैदानों की लंबाई 2000 कि०मी० है और इनकी औसत चौड़ाई 150 कि०मी० है। ये अपेक्षाकृत अधिक चौड़े हैं तथा इनमें जलोढ़ मिट्टी का निक्षेप है।
  3. पूर्वी तटीय मैदान के दो भाग हैं-उत्तरी तटीय मैदान तथा दक्षिण तटीय मैदान। उत्तरी मैदान को उत्तरी सरकार या गोलकुंडा या काकीनाडा भी कहते हैं। दक्षिण तटीय मैदान को कोरोमंडल तट कहा जाता हैं।
  4. इस मैदान की प्रमुख नदियां महानदी, कावेरी, गोदावरी तथा कृष्णा है।
  5. इस मैदान में पुलिकट तथा चिल्का नामक झीलें पाई जाती हैं। उड़ीसा की चिल्का झील भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है।

प्रश्न 4.
निम्न पर नोट लिखें
(i) राजस्थान के मैदान और मरुस्थल
(ii) मालवा का पठार
(iii) उच्चतम हिमालय।
उत्तर-
(i) राजस्थान के मैदान और मरुस्थल-यह मरुस्थल पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात के रण ऑफ़ कच्छ तक फैला हुआ है। यह समतल तथा शुष्क मरुस्थल थार मरुस्थल के नाम से जाना जाता है। अरावली पर्वत श्रेणी इसकी पूर्वी सीमा बनाती है। इसके पश्चिम में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा लगती है। यह लगभग 650 कि०मी० लंबा तथा 250 कि० मी० चौड़ा है। अति प्राचीन काल में यह क्षेत्र समुद्र के नीचे दबा हुआ था। ऐसे भी प्रमाण मिलते हैं कि यह मरुस्थल किसी समय उपजाऊ रहा होगा। परंतु वर्षा की मात्रा बहुत कम होने के कारण आज यह क्षेत्र रेत के बड़े-बड़े टीलों में बदल गया है। थार मरुस्थल के पूर्वी भाग को ‘राजस्थान बांगर’ भी कहा जाता है।

(ii) मालवा का पठार-पश्चिम में अरावली पर्वत, उत्तर में बुंदेलखंड तथा बघेलखंड पूर्व में छोटा नागपुर, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग के पठार तक और दक्षिण की ओर सतपुड़ा की पहाड़ियों तक घिरा हुआ पठार मालवा का पठार कहलाता है। इसका शीर्ष शिलांग के पठार पर है। इस पठार की उत्तरी सीमा अवतल चापाकार की तरह है। इस पठार में बनास, चंबल, केन तथा बेतवा नामक नदियां बहती हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मी० है। पारसनाथ तथा नैत्रहप्पाट इसकी मुख्य चोटियां हैं। इसको तीन पर्वत श्रेणियां हैं-अरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।

(iii) उच्चतम हिमालय-इसे महान् हिमालय भी कहते हैं। हिमालय का यह विशाल भाग पश्चिम में सिंधु नदी की घाटी से लेकर उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र की दिहांग घाटी तक फैला हुआ है। इसकी मुख्य धरातलीय विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है

  1. यह देश की सबसे लंबी तथा ऊंची पर्वत श्रेणी है। इसमें ग्रेनाइट तथा नीस जैसी परिवर्तित रवेदार चट्टानें मिलती हैं।
  2. इसकी चोटियां बहुत ऊंची हैं। संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर) इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां की चोटियां सदा बर्फ से ढकी रहती हैं।
  3. इसमें अनेक दर्रे हैं जो पर्वतीय मार्ग जुटाते हैं।
  4. इसमें काठमांड तथा कश्मीर जैसी महत्त्वपूर्ण घाटियां स्थित हैं।

प्रश्न 4.
हिमालय पर्वत और दक्षिण पठार के लाभों की तुलना करें।
उत्तर-
हिमालय पर्वत तथा ढक्कन का पठार भारत के दो महत्त्वपूर्ण भू-भाग हैं। ये दोनों ही भू-भाग अपने-अपने ढंग से भारत देश को समृद्ध बनाते हैं। इनके लाभों की तुलना इस प्रकार की जा सकती है
हिमालय के लाभ-

  1. वर्षा-हिंद महासागर से उठने वाली मानसून पवनें हिमालय पर्वत से टकरा कर खूब वर्षा करती हैं। इस प्रकार यह उत्तरी मैदान में वर्षा का दान देता है। इस मैदान में पर्याप्त वर्षा होती है।
  2. उपयोगी नदियां-उत्तरी भारत में बहने वाली सभी मुख्य नदियां गंगा, यमुना, सतलुज, ब्रह्मपुत्र आदि हिमालय पर्वत से ही निकलती हैं। ये नदियां सारा साल बहती रहती हैं। शुष्क ऋतु में हिमालय की बर्फ इन नदियों को जल देती है।
  3. फल तथा चाय-हिमालय की ढलाने चाय की खेती के लिए बड़ी उपयोगी हैं। इनके अतिरिक्त पर्वतीय ढलानों पर फल भी उगाए जाते हैं।
  4. उपयोगी लकड़ी-हिमालय पर्वत पर घने वन पाये जाते हैं। ये वन हमारा धन हैं। इनसे प्राप्त लकड़ी पर भारत के अनेक उद्योग निर्भर हैं। यह लकड़ी भवन निर्माण कार्यों में भी काम आती है।
  5. अच्छे चरागाह-हिमालय पर हरी-भरी चरागाहें मिलती हैं। इनमें पशु चराये जाते हैं।
  6. खनिज पदार्थ-इन पर्वतों में अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं।
  7. पर्यटन-हिमालय में अनेक सुंदर और रमणीक घाटियां हैं। कश्मीर घाटी ऐसी ही एक प्रसिद्ध घाटी है। इसे पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है। अन्य प्रमुख घाटियां हिमाचल प्रदेश में कुल्लू तथा कांगड़ा और उत्तरांचल में कुमायूँ की घाटियाँ हैं। सारे संसार से पर्यटक इन घाटियों की मनोहर छटा को निहारने के लिए यहां आते हैं।

दक्कन (दक्षिणी) पठार के लाभ

  1. दक्षिण का पठार खनिजों से संपन्न है। देश के 98% खनिज भंडार दक्षिणी पठार में ही मिलते हैं यहां कोयला, लोहा, तांबा, मैंगनीज़, अभ्रक, सोना आदि बहुमूल्य खनिज पाये जाते हैं।
  2. यहां की मिट्टी, कपास, चाय, रबड़, गन्ना, कॉफी, मसालों, तंबाकू आदि के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  3. यहां नदियां जलप्रपात बनाती हैं जो जलविद्युत् के उत्पादन के लिये उपयोगी है।
  4. इस भाग में साल, सागवान, चंदन आदि के वन पाये जाते हैं।
  5. यहां उटकमंड, पंचमढ़ी, महाबालेश्वर आदि पर्यटन स्थानों का विकास हुआ है।

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PSEB 9th Class Social Science Guide भारत : धरातल/भू-आकृतियां Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
माऊंट एवरेस्ट की ऊंचाई है-
(क) 9848 मी०
(ख) 7048 मी०
(ग) 8848 मी०
(घ) 6848 मी०।
उत्तर-
(ग) 8848 मी०

प्रश्न 2.
पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर कौन-सा है ?
(क) डोडाबेटा
(ख) महेन्द्रगिरी
(ग) पुष्पागिरी
(घ) कोलाईमाला।
उत्तर-
(ख) महेन्द्रगिरी

प्रश्न 3.
हिमालय का अधिकतर भाग फैला है-
(क) भारत में
(ख) नेपाल में
(ग) तिब्बत में
(घ) भूटान में।
उत्तर-
(ग) तिब्बत में

प्रश्न 4.
हिमालय पर्वतों की उत्पत्ति हुई है-
(क) टैथीज़ सागर से
(ख) अंध-महासागर से
(ग) हिंद महासागर से
(घ) खाड़ी बंगाल से।
उत्तर-
(क) टैथीज़ सागर से

प्रश्न 5.
रावी और ब्यास के मध्य भाग को कहा जाता है-
(क) बिस्त दोआब
(ख) प्रायद्वीपीय पठार
(ग) चज दोआब
(घ) मालाबार दोआब।
उत्तर-
(क) बिस्त दोआब

प्रश्न 6.
कोंकण तट का विस्तार है-
(क) दमन से गोआ तक
(ख) मुम्बई से गोआ तक
(ग) दमन से बंगलौर तक
(घ) मुम्बई से दमन तक।
उत्तर-
(क) दमन से गोआ तक

प्रश्न 7.
पश्चिमी घाट की प्रमुख चोटी है-
(क) गुरु शिखर
(ख) कालस्थाए
(ग) कोंकण शिखर
(घ) माऊंट
उत्तर-
(ख) कालस्थाए

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प्रश्न 8.
सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों से बना मैदान कहलाता ह-
(क) दक्षिणी विशाल मैदान
(ख) पूर्वी विशाल मैदान
(ग) उत्तरी विशाल मैदान
(घ) तिब्बत का मैदान।
उत्तर-
(ग) उत्तरी विशाल मैदान

रिक्त स्थानों की पूर्ति :

1. ट्रांस हिमालय की औसत ऊंचाई …………. मीटर है।
2. दफा बम्म तथा ……………. हिमालय की पूर्वी शाखाओं की प्रमुख चोटियां हैं।
3. ………….. विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है।
4. त्रिभुजाकार भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिंदु ………….. है।
5. थाल घाट, भोर घाट तथा …………. पश्चिमी घाट के दर्रे हैं।
6. चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी …………… पानी की झील है।
7. ………… नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है।
8. ……….. हिमालय भारत की सबसे लंबी और ऊंची पर्वत श्रृंखला है।
9. मालाबार तट का विस्तार गोआ से ………….. तक है।
10. छत्तीसगढ़ का मैदान ……………… द्वारा बना है।
उत्तर-

  1. 6000
  2. सारामती
  3. माऊंट एवरेस्ट
  4. कन्याकुमारी
  5. पाल घाट
  6. खारे
  7. नर्मदा
  8. बृहत्
  9. मंगलौर
  10. महानदी।

सत्य-असत्य कथन :

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं-
1. ट्रांस हिमालय को तिब्बत हिमालय भी कहा जाता है।
2. हिमालय के अधिकतर स्वास्थ्यवर्धक स्थान बृहत् हिमालय में स्थित हैं।
3. उत्तरी विशाल मैदान की रचना में कावेरी तथा कृष्णा नदियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
4. पश्चिम घाट में थाल घाट, भोर घाट तथा पाल घाट नामक तीन दर्रे स्थित हैं।
5. पश्चिमी घाट को सहाद्रि भी कहा जाता है। |
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)

उचित मिलान :

1. उत्कल – सहयाद्रि
2. सागर मथ्था – अरब सागर
3. पश्चिमी घाट – तटवर्ती मैदान
4. लक्षद्वीप – माऊंट ऐवरेस्ट।
उत्तर-

  1. तटवर्ती मैदान
  2. माऊंट ऐवरेस्ट।
  3. घाट–सहयाद्रि
  4. लक्षद्वीप

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अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत श्रेणी की आकृति कैसी है ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत श्रेणी की आकृति एक चाप (Curve) जैसी है।

प्रश्न 2.
हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों का जन्म कैसे हुआ ?
उत्तर-
हिमालय पर्वतीय क्षेत्र की उत्पत्ति टेथिस सागर में जमा गाद में बल पड़ने से हुई।

प्रश्न 3.
ट्रांस हिमालय की प्रमुख चोटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
ट्रांस हिमालय की मुख्य चोटियां हैं—विश्व की दूसरी ऊंची चोटी माऊंट के (गाडविन ऑस्टिन), गशेरबम-I तथा गशेरबम-II

प्रश्न 4.
बृहत् हिमालय में 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
बृहत् हिमालय की 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां हैं-माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर), कंचनजंगा, मकालू, धौलागिरी, अन्नपूर्णा आदि।

प्रश्न 5.
भारत की युवा एवं प्राचीन पर्वत मालाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत भारत के युवा पर्वत हैं और वहां के प्राचीन पर्वत अरावली, विंध्याचल, सतपुड़ा आदि हैं।

प्रश्न 6.
देश में रिफ्ट या दरार घाटियां कहां मिलती हैं ?
उत्तर-
भारत में दरार घाटियां प्रायद्वीपीय पठार में पाई जाती हैं।

प्रश्न 7.
डेल्टा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नदी के निचले भागों में बने स्थल-रूप को डेल्टा कहते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के मुख्य डेल्टाई क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत के प्रमुख डेल्टाई क्षेत्र हैं-गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र, गोदावरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कावेरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कृष्णा नदी डेल्टा क्षेत्र तथा महानदी का डेल्टा क्षेत्र।

प्रश्न 9.
हिमालय पर्वत के दरों के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत में पाये जाने वाले मुख्य दरे हैं-बुरज़िल, जोझीला, लानक ला, चांग ला, खुरनक ला, बाटा खैपचा ला, शिपकी ला, नाथु ला, तत्कला कोट इत्यादि।

प्रश्न 10.
लघु हिमालय की मुख्य पर्वतीय श्रेणियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय की पर्वत श्रेणियां हैं-

  1. कश्मीर में पीर पंजाल तथा नागा टिब्बा,
  2. हिमाचल में धौलाधार तथा कुमाऊं,
  3. नेपाल में महाभारत,
  4. उत्तराखंड में मसूरी,
  5. भूटान में थिम्पू।

प्रश्न 11.
लघु हिमालय में स्थित स्वास्थ्यवर्धक घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय के मुख्य स्वास्थ्यवर्धक स्थान शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीतालं, दार्जिलिंग तथा चकराता हैं।

प्रश्न 12.
देश की प्रमुख ‘दून’ घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
देश की मुख्य दून घाटियां हैं-देहरादून, पतली दून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि।

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प्रश्न 13.
हिमालय क्षेत्र की पूर्वी किनारे वाली प्रशाखाओं (Eastern off shoots) के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय की प्रमुख पूर्वी श्रेणियां पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयंतिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 14.
उत्तर-पश्चिमी मैदान में कौन-कौन से अंतर-दोआब (Inter fluxes) मिलते हैं ?
उत्तर-

  1. बारी दोआब तथा माझा का मैदान,
  2. बिस्त दोआब,
  3. मालवा का मैदान,
  4. हरियाणा का मैदान।

प्रश्न 15.
ब्रह्मपुत्र के मैदानों की औसत ऊंचाई कितनी है ?
उत्तर-
250-550 मी०।

प्रश्न 16.
(i) अरावली पर्वत श्रेणी का विस्तार कहां से कहां तक है तथा
(ii) इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम क्या है ?
उत्तर-

  1. अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक फैली हुई है।
  2. इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम गुरु शिखर है।

प्रश्न 17.
थारमरुस्थल (भारत) की तीन खारे पानी की झीलों के नाम बताओ।
उत्तर-
सांभर, चिदवाना तथा सारमोल।

प्रश्न 18.
पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियों के नाम बताइए।
उत्तर-
जवद्दी (Jawaddi), गिन्गी, शिवराई, कौलईमाला, पंचमलाई, गोंडुमलाई इत्यादि पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 19.
दक्षिणी पठार के पहाड़ी भागों पर कौन-कौन से रमणीय स्थान ( हिल स्टेशन ) हैं ?
उत्तर-
दोदाबेटा, ऊटाकमुंड, पलनी तथा कोडाईकनाल।

प्रश्न 20.
अरब सागर में मिलने वाले द्वीपों के नाम बताओ।
उत्तर-
अरब सागर में स्थित उत्तरी द्वीपों को अमीनोदिवी (Aminolivi), मध्यवर्ती द्वीपों को लक्काद्वीप तथा दक्षिणी भाग को मिनीकोय कहा जाता है।

प्रश्न 21.
देश का दक्षिणी सीमा बिंदु कहां स्थित है ?
उत्तर-
देश का दक्षिणी सीमा बिंदु ग्रेट निकोबार के इंदिरा प्वाइंट (Indira Point) पर स्थित है।

प्रश्न 22.
तटीय मैदानों से समस्त भारत को मिलने वाले तीन प्रमुख लाभों को बताओ।
उत्तर-

  1. गहरे प्राकृतिक पोताश्रय
  2. लैगून तथा
  3. उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी की प्राप्ति।

प्रश्न 23.
ट्रांस हिमालय को ‘तिब्बत हिमालय’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि ट्रांस हिमालय का अधिकतर भाग तिब्बत में है।

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प्रश्न 24.
दून किसे कहते हैं ?
उत्तर-
‘दून’ बाह्य हिमालय में स्थित वे झीलें हैं जो मिट्टी से भर गई हैं।

प्रश्न 25.
विश्व की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कौन-सी है ?
उत्तर-
K2

प्रश्न 26.
भारत के प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिंदु कौन-सा है ?
उत्तर-
कन्याकुमारी।

प्रश्न 27.
भारत के किस राज्य में पश्चिमी घाट नीलगिरी के नाम से विख्यात है ?
उत्तर-
तमिलनाडु।

प्रश्न 28.
कौन-सी नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है ?
उत्तर-
नर्मदा।

प्रश्न 29.
भारत के प्रमुख द्वीप समूह कौन-कौन से हैं और ये कहां स्थित हैं ?
उत्तर-

  1. भारत के प्रमुख द्वीप समूह अंडमान तथा निकोबार और लक्षद्वीप हैं।
  2. ये क्रमश: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में स्थित हैं।

प्रश्न 30.
हिमालय की कौन-सी श्रेणी शिवालिक कहलाती है ?
उत्तर-
बाह्य हिमालय।

प्रश्न 31.
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में किस-किस जल प्रवाह प्रणाली का योगदान रहा है ?
उत्तर-
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों का योगदान है।

प्रश्न 32.
गोआ से मंगलौर तक का समुद्री तट क्या कहलाता है ?
उत्तर-
मालाबार तट।

प्रश्न 33.
कोंकण तट कहां से कहां तक फैला है ?
उत्तर-
कोंकण तट दमन से गोआ तक फैला है।

प्रश्न 34.
भारत का कौन-सा भू-भाग खनिजों का विशाल भंडार है ?
उत्तर–
प्रायद्वीपीय पठार।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत के क्रमवार उत्थान (uplifts) के बारे में कोई दो प्रमाण दीजिए।
उत्तर-
हिमालय का जन्म आज से लगभग 400 लाख वर्ष पहले टैथीज (Tythes) सागर से हुआ है। एक लंबे समय तक तिब्बत पठार तथा दक्षिण पठार की नदियां टैथीज सागर में तलछट लाकर जमा करती रहीं। फिर दोनों पठार एक-दूसरे की ओर खिसकने लगे। इससे तलछट में मोड़ पड़ने लगे और यह ऊंचा उठने लगा। इसी उठाव से हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है। यह क्रमिक उठाव आज भी जारी है।

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प्रश्न 2.
हिमालय पर्वत माला एवं दक्षिण के पठार के बीच क्या समानताएं पायी जाती हैं ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत तथा दक्षिण के पठार में निम्नलिखित समानताएं पायी जाती हैं-

  1. इन दोनों भू-भागों का निर्माण एक-दूसरे की उपस्थिति के कारण हुआ।
  2. हिमालय पर्वतों की भांति दक्षिणी पठार में भी अनेक खनिज पदार्थ पाये जाते हैं।
  3. इन दोनों भौतिक भागों में वन पाये जाते हैं जो देश में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

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प्रश्न 3. क्या हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है ?
उत्तर-इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है। इनकी उत्पत्ति नदियों द्वारा टैथीज सागर में बिछाई गई तलछट से हुई है। बाद में इसके दोनों ओर स्थित भूखंडों के एक-दूसरे की ओर खिसकने से तलछट में मोड़ पड़ गया जिससे हिमालय पर्वतों की ऊंचाई बढ़ गई। आज भी ये पर्वत ऊंचे उठ रहे हैं। इसके अतिरिक्त इन पर्वतों का निर्माण देश के अन्य पर्वतों की तुलना में काफ़ी बाद में हुआ। अतः हम कह सकते हैं कि हिमालय पर्वत अभी भी अपनी युवा अवस्था में है।

प्रश्न 4.
उत्तरी विशाल मैदानी भाग में किस-किस जलोढ़ी मैदान का निर्माण हुआ है ?
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदान में निम्नलिखित जलोढ़ मैदानों का निर्माण हुआ है-

  1. खाडर के मैदान,
  2. बांगर के मैदान,
  3. भाबर के मैदान,
  4. तराई के मैदान,
  5. रेह व कल्लर मिट्टी के बंजर मैदान,
  6. भूर।

प्रश्न 5.
स्थिति के आधार पर भारत के द्वीपों को कितने भागों में बांटा जा सकता है ? उदाहरणों सहित व्याख्या करें।
उत्तर-
स्थिति के अनुसार भारत के द्वीपों को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-तट से दूर स्थित द्वीप तथा तट के निकट स्थित द्वीप।

  1. तट से दूर स्थित द्वीप-इन द्वीपों की कुल संख्या 230 के लगभग है। ये समूहों में पाये जाते हैं। दक्षिणी-पूर्वी
    अरब सागर में स्थित ऐसे द्वीपों का निर्माण प्रवाल भित्तियों के जमाव से हुआ है। इन्हें लक्षद्वीप कहते हैं। अन्य द्वीप क्रमशः अमीनदिवी, लक्काद्वीप तथा मिनीकोय के नाम से प्रसिद्ध हैं। बंगाल की खाड़ी में तट से दूर स्थित द्वीपों के नाम हैं-अंडमान द्वीप समूह, निकोबार, नारकोडम तथा बैरन आदि।
  2. तट के निकट स्थित द्वीप-इन द्वीपों में गंगा के डेल्टे के निकट स्थित सागर, शोरट, ह्वीलर, न्युमूर आदि द्वीप शामिल हैं। इस प्रकार के अन्य द्वीप हैं-भासरा, दीव, बन, ऐलिफैंटा इत्यादि।

प्रश्न 6.
तटवर्ती मैदानों की देश को क्या महत्त्वपूर्ण देन है ?
उत्तर-
तटीय मैदानों की देश को निम्नलिखित देन है-

  1. तटीय मैदान बढ़िया किस्म के चावल, खजूर, नारियल, मसालों, अदरक, लौंग, इलायची आदि की कृषि के लिए विख्यात हैं।
  2. ये मैदान अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अग्रणी हैं।
  3. इन मैदानों से समस्त देश में बढ़िया प्रकार की समुद्री मछलियां भेजी जाती हैं।
  4. तटीय मैदानों में स्थित गोआ, तमिलनाडु तथा मुंबई के समुद्री बीच पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
  5. देश में प्रयोग होने वाला नमक पश्चिमी तटीय मैदानों में तैयार किया जाता है।

प्रश्न 7.
तट के मैदान न केवल संकरे हैं, बल्कि डेल्टाई निक्षेपण से भी विहीन हैं, व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भारत के पश्चिमी तट के मैदान संकरे हैं और यहां डेल्टाई निक्षेप का भी अभाव है। इसके कारण निम्नलिखित हैं

  1. पश्चिमी तट पर सागर दूर तक अंदर चला गया है। इसके अतिरिक्त पश्चिमी घाट की पहाड़ियां कटी-फटी नहीं हैं। परिणामस्वरूप पश्चिमी तट के मैदानों के विस्तार में बाधा आ गई है। इसी कारण ये मैदान संकरे हैं।
  2. जो नदियां पश्चिमी घाट से होकर अरब सागर में गिरती हैं, उनका बहाव तेज़ है, परंतु बहाव क्षेत्र कम है। परिणामस्वरूप ये नदियां (नर्मदा, ताप्ती) डेल्टे नहीं बनातीं, अपितु ज्वारनदमुख बनाती हैं।

प्रश्न 8.
प्रायद्वीपीय पठार का देश के लिए क्या महत्त्व रहा है ? कोई तीन बिंदु लिखिए।
उत्तर-

  1. प्रायद्वीपीय पठार प्राचीन गोंडवाना लैंड का भाग है जो खनिज पदार्थों में धनी है। अतः यह देश के लिए खनिज पदार्थों का बहुत बड़ा स्रोत रहा है।
  2. प्रायद्वीपीय पठार के दोनों ओर घाटों पर बने जल-प्रपात तटीय मैदानों को सिंचाई के लिए जल तथा औद्योगिक विकास के लिए बिजली देते हैं।
  3. यहां के वन देश के अन्य भागों में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(i) बांगर और खादर/खाडर
(ii) नाले (चो), नदी और बंजर भूमि।
उत्तर-

  1. बांगर और खादर/खाडर-उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल में बहने वाली नदियों में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आ जाती है और वे अपने आस-पास के क्षेत्रों में मिट्टी की नई परतें बिछा देती हैं। बाढ़ से प्रभावित इस तरह के मैदानों को खादर के मैदान भी कहा जाता है।
    बांगर वह ऊंची भूमि होती है जो बाढ़ के पानी से प्रभावित नहीं होती और जिसमें चूने के कंकड़-पत्थर अधिक मात्रा में मिलते हैं। इसे रेह तथा कल्लर भूमि भी कहते हैं।
  2. नाले (चो), नदी और बंजर भूमि-चो वे छोटी-छोटी नदियां होती हैं जो वर्षा ऋतु में अकस्मात् सक्रिय हो उठती हैं। ये भूमि में गहरे गड्ढे बनाकर उसे कृषि के अयोग्य बना देते हैं।
    बहते हुए जल को नदी कहते हैं। इसका स्रोत किसी पर्वतीय स्थान (हिमानी) पर होता है। यह अंततः किसी सागर या भूमिगत स्थान पर जा मिलती है। बंजर भूमि से अभिप्राय ऐसी भूमि से है जिसकी उपजाऊ क्षमता न के बराबर होती है। ऐसी भूमि खेती के अयोग्य होती है। भारत में उत्तरी प्रायद्वीपीय पठार तथा पश्चिमी शिवालिक पहाड़ियों के आस-पास बंजर भूमि का विस्तार है।

प्रश्न 10.
हिमालय पर्वत की चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. ये पर्वत भारत के उत्तर में स्थित हैं। ये एक चाप की तरह कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैले हुए हैं। संसार का कोई भी पर्वत इनसे अधिक ऊंचा नहीं है। इनकी लंबाई 2400 किलोमीटर और चौड़ाई 240 से 320 किलोमीटर तक है।
  2. हिमालय पर्वत की तीन समानांतर शृंखलाएं हैं। उत्तरी श्रृंखला सबसे ऊंची है तथा दक्षिणी श्रृंखला सबसे कम ऊंची है। इन श्रृंखलाओं के बीच बड़ी उपजाऊ घाटियां हैं।
  3. इन पर्वतों की मुख्य चोटियां ऐवरेस्ट, नागा पर्वत, गाडविन ऑस्टिन (K2), नीलगिरि, कंचनजंगा आदि हैं। ऐवरेस्ट संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है।
  4. हिमालय की पूर्वी शाखाएं.भारत तथा म्यनमार की सीमा बनाती हैं। हिमालय की पश्चिमी शाखाएं पाकिस्तान में हैं। इनके नाम सुलेमान तथा किरथर पर्वत हैं। इन शाखाओं में खैबर तथा बोलान के प्रे स्थित हैं।

प्रश्न 11.
भारत के विशाल उत्तरी मैदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। भारत की अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
भारत का विशाल उत्तरी मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ पश्चिम से पूर्व तक फैला हुआ है। इसका विस्तार राजस्थान से असम तक है। इसके कुछ पश्चिमी रेतीले भाग को छोड़कर शेष सारा मैदान बहुत ही उपजाऊ है। इनका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। इसलिए इसे जलोढ़ मैदान भी कहते हैं। इसे चार भागों में बांटा जा सकता है–

  1. पंजाब-हरियाणा का मैदान,
  2. थार मरुस्थलीय मैदान,
  3. गंगा का मैदान,
  4.  ब्रह्मपुत्र का मैदान। भारत की आर्थिक समृद्धि का आधार यही विशाल मैदान है। यहां नाना प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। इसके पूर्वी भागों में खनिज पदार्थों के विशाल भंडार विद्यमान हैं।

प्रश्न 12.
भारत के पश्चिमी तथा पूर्वी तटीय मैदानों की तुलना करो।
उत्तर-

पश्चिमी तटीय मैदान पूर्वी तटीय मैदान
1. ये मैदान पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित हैं। 1. ये मैदान पूर्वी घाट तथा खाड़ी बंगाल के बीच स्थित हैं।
2. ये मैदान बहुत ही असमतल एवं संकुचित हैं। 2. ये मैदान अपेक्षाकृत समतल एवं चौड़े हैं
3. इस मैदान में कई ज्वारनदमुख और लैगून हैं। 3. इस मैदान में कई नदी डेल्टा हैं।

प्रश्न 13.
किन्हीं चार बातों के आधार पर प्रायद्वीपीय पठार तथा उत्तर के विशाल मैदानों की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
उत्तर-

  1. उत्तर के विशाल मैदानों का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है जबकि प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण प्राचीन ठोस चट्टानों से हुआ है।
  2. उत्तर के विशाल मैदानों की समुद्र तल से ऊंचाई प्रायद्वीपीय पठार की अपेक्षा बहुत कम है।
  3. विशाल मैदानों की नदियां हिमालय पर्वत से निकलने के कारण सारा वर्ष बहती हैं। इसके विपरीत पठारी भाग की नदियां केवल बरसात के मौसम में ही बहती हैं।
  4. विशाल मैदानों की भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां गेहूं, जौ, चना, चावल आदि की कृषि होती है। दूसरी ओर पठारी भाग में कपास, बाजरा तथा मूंगफली की कृषि की जाती है।

प्रश्न 14.
ट्रांस हिमालय से क्या भाव है ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत की ये विशाल श्रेणियां भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित पामीर की गांठ (Pamir’s Knot) से उत्तर-पूर्वी दिशा के समानांतर फैली हुई हैं। इसका अधिकतर भाग तिब्बत में है। इसलिए इन्हें ‘तिब्बत हिमालय’ भी कहा जाता है। इनकी कुल लंबाई 1000 किलोमीटर और चौड़ाई (दोनों किनारों पर) 40 किलोमीटर है परंतु इसका केंद्रीय भाग 222 किलोमीटर के लगभग हो जाता है। इनकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। इसकी मुख्य पर्वतीय श्रेणियां जास्कर, कराकोरम, लद्दाख और कैलाश हैं। यह पर्वतीय क्षेत्र बहुत ऊंची एवं मोड़दार चोटियों तथा विशाल हिमानियों (Glaciers) के लिए प्रसिद्ध है। माऊंट K2 इस क्षेत्र की सबसे ऊंची एवम् संसार की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।

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प्रश्न 15.
बाह्य हिमालय पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बाह्य हिमालय को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय और दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। ये पर्वत श्रेणियां लघु हिमालय के दक्षिण भाग के समानांतर पूर्व से पश्चिम की तरफ फैली हुई हैं। इनकी औसत लंबाई 2400 किलोमीटर मीटर तथा चौड़ाई 50 से 15 किलोमीटर तक है। इस क्षेत्र का निर्माण टरशरी युग में हुआ था। इस क्षेत्र में लंबी व गहरी तलछटी चट्टानें मिलती हैं जिनकी रचना चिकनी मिट्टी, रेत, पत्थर, स्लेट आदि के निक्षेपों द्वारा हुई है जो हिमालय से अपरदन द्वारा इन क्षेत्रों में जमा किया जाता रहा है। इस भाग की प्रसिद्ध घाटियां देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, छोखंभा, ऊधमपुर तथा कोटली हैं।

प्रश्न 16.
हिमालय की पूर्वी तथा पश्चिमी शाखाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
(क) पूर्वी शाखाएं-इन शाखाओं को पूर्वांचल (Purvanchal) भी कहते हैं। अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की दिहांग गॉर्ज से लेकर ये श्रृंखलाएं भारत और म्यनमार (बर्मा) की सीमा बनाती हुई दो भागों में बँट जाती हैं

  1. गंगा-ब्रह्मपुत्र द्वारा निर्मित शाखाएं बंगलादेश के मैदानों तक पहुंचती हैं जिसमें दफा बम्म, पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयंतिया व त्रिपुरा की पहाड़ियाँ आती हैं।
  2. ये शाखाएं पटकोई बम्म से शुरू होकर नागा पर्वत, बरेल, लुशाई से होती हुई इरावदी के डेल्टे तक पहुंचती हैं। . हिमालय की इन पूर्वी शाखाओं में दफा बम्म और सारामती प्रमुख ऊंची चोटियां हैं।

(ख) पश्चिमी शाखाएं-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गांठ से हिमालय श्रेणियों की आगे दो उप-शाखाएं बन जाती हैं। एक शाखा पाकिस्तान के मध्य में से सॉल्ट रेंज, सुलेमान व किरथर होती हुई दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में अरब सागर तक पहुंचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान से होकर हिंदुकुश तथा कॉकेशस पर्वत की श्रृंखला से जा मिलती है।
भारत-प्रमुख पर्वत चोटियां
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प्रश्न 17.
विशाल उत्तरी मैदानों की चार धरातलीय विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
विशाल उत्तरी मैदानों की चार प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. समतल मैदान-संपूर्ण उत्तरी भारतीय मैदान समतल और सपाट है।
  2. नदियों का जाल-इस संपूर्ण मैदानी क्षेत्र में दरियाओं व नदनालों (Choes) का जाल सा बिछा हुआ है। इनके कारण यहां दोआब क्षेत्रों का निर्माण हुआ है। पंजाब राज्य का नाम भी पांच नदियों के बहने के कारण तथा एकसार मिट्टी जमा होने के कारण पंज-आब पड़ा है।
  3. भू-आकार-इन मैदानों में जलोढ़ पंखे, जलोढ़ीय शंकु, विसर्पाकार नदियां, प्राकृतिक सीढ़ी बंध, बाढ़ के मैदान जैसे भू-आकार देखने को मिलते हैं।
  4. मैदानी तलछट-इन मैदानों के तलछट में चिकनी मिट्टी (clay), बालू, दोमट और सिल्ट ज्यादा मोटाई में मिलती है। चिकनी मिट्टी अर्थात् पांडु मिट्टी नदियों के मुहानों के समीप अधिक मिलती है और ऊपरी भागों में बालू की मात्रा में वृद्धि होती जाती है।

प्रश्न 18.
विशाल उत्तरी मैदानों में पाये जाने वाले चार जलोढ़क मैदानों का वर्णन करो।
उत्तर-
विशाल उत्तरी मैदानों में पाये जाने वाले चार जलोढक मैदानों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. खादर के मैदान-उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल की नदियों में हर साल बाढ़ों के आने के कारण मृदा की नई तहें बिछ जाती हैं। इन नदियों के आस-पास बाढ़ वाले क्षेत्रों को खादर के मैदान कहा जाता है।
  2. बांगर के मैदान-ये वे ऊंचे मैदानी क्षेत्र हैं जहाँ पर बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। यहाँ की पुरानी तलछटों में चूने के कंकड़ अधिक मात्रा में मिलते हैं।
  3. भाबर के मैदान-उत्तर भारत में जब दरिया शिवालिक के पहाड़ी प्रदेशों को छोड़कर, समतल प्रदेश में प्रवेश करते हैं तो यह अपने साथ लाई बालू, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि के जमाव द्वारा जिन मैदानों का निर्माण करते हैं, उसे भाबर के मैदान कहा जाता है। ऐसे मैदानी क्षेत्रों में छोटी-छोटी नदियों का पानी अक्सर धरती के नीचे बहता है।
  4. तराई के मैदान-जब भाबर क्षेत्रों में अलोप हुई नदियों का पानी पुनः धरातल से निकल आता है तब पानी के इकट्ठे हो जाने के कारण दलदली क्षेत्र (Marshy Lands) बन जाते हैं। इसमें गर्मी व नमी के कारण सघन वन हो जाते हैं और जंगली जीव-जंतुओं की भरमार हो जाती है।

प्रश्न 19.
पंजाब-हरियाणा मैदान की चार विशेषताएं लिखो। .
उत्तर-

  1. यह मैदान सतलुज, रावी, ब्यास व घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों के जमाव से बना है। 1947 में भारत व पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बन जाने के कारण इसका अधिकतर भाग पाकिस्तान में चला गया है।
  2. उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक इनकी लंबाई 640 किलोमीटर तथा औसत चौड़ाई 300 किलोमीटर है।
  3. इस मैदान की औसत ऊंचाई 300 मीटर तक है।
  4. इस उपजाऊ मैदान का क्षेत्रफल 1.75 लाख वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 20.
ब्रह्मपुत्र के मैदान पर एक भौगोलिक टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र के मैदान को असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के सुदूर उत्तर-पूर्व में सादिआ (Sadiya) तक फैला हुआ है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई 250-550 मी० है। इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा बिछाई गई मिट्टी से हुआ है। इस तंग मैदान में लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ों के कारण नवीन तलछटों का निक्षेप होता रहता है। इस मैदान का ढलान उत्तर-पूर्वी तथा पश्चिम की ओर है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न।

प्रश्न 1.
भारत को धरातलीय आधार पर विभिन्न भागों में बांटो तथा किसी एक भाग का विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर-
धरातल के आधार पर भारत को हम पांच भौतिक विभागों में बांट सकते हैं-

  1. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र
  2. उत्तर के मैदान व मरुस्थल
  3. प्रायद्वीपीय पर्वत
  4. तट के मैदान
  5.  भारतीय द्वीप समूह।

इनमें से हिमालय पर्वतीय क्षेत्र का वर्णन इस प्रकार है
हिमालय पर्वत-हिमालय पर्वत भारत की उत्तरी सीमा पर एक चाप के रूप में फैले हैं। पूर्व से पश्चिम तक इसकी लंबाई 2400 कि० मी० तथा कश्मीर हिमालय में इसकी चौड़ाई 400 से 500 कि० मी० तक है।
ऊंचाई के आधार पर हिमालय पर्वतों को निम्नलिखित पांच उपभागों में बांटा जा सकता

  1. ट्रांस हिमालय-इस विशाल पर्वत-श्रेणी का अधिकांश भाग तिब्बत में होने के कारण इसे तिब्बती हिमालय भी कहा जाता है। इसकी कुल लंबाई 1000 कि० मी० तथा चौड़ाई (किनारों पर) 40 कि० मी० है। इन पर्वतों की औसत ऊंचाई 6000 मी० है। भारत की सबसे ऊँची चोटी माऊंट K2 गॉडविन ऑस्टिन तथा गशेरबम I तथा II इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटियां हैं।
  2. महान् (उच्चतम) हिमालय- यह भारत की सबसे लंबी तथा ऊंची पर्वत-श्रेणी है। इसकी लंबाई 2400 कि० मी० तथा औसत ऊँचाई 5100 मी० है। इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। संसार की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मी०) इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है।
  3. लघु-हिमालय-इसे मध्य हिमालय भी कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई 5050 मी० से लेकर 5050 मी० तक है। इस पर्वत श्रेणी की ऊंची चोटियां शीत ऋतु में बर्फ से ढक जाती हैं। यहां शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि स्वास्थ्यवर्धक स्थान पाये जाते हैं।
  4. बाह्य हिमालय-इस पर्वत श्रेणी को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय तथा दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। इन पर्वतों के दक्षिण में कई झीलें पायी जाती थीं। बाद में इनमें मिट्टी भर गई और इन्हें दून (Doon) (पूर्व में इन्हें द्वार (Duar) कहा जाता है) कहा जाने लगा। इनमें देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि शामिल हैं।
  5. पहाड़ी शाखाएं-हिमालय पर्वतों की दो शाखाएं हैं–पूर्वी शाखाएं तथा पश्चिमी शाखाएं। पूर्वी शाखाएं-इन शाखाओं को पूर्वांचल भी कहा जाता है। इन शाखाओं में ढफा बुम, पटकाई बुम, गारो, खासी, जैंतिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां सम्मिलित हैं।
    पश्चिमी शाखाएं-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गांठ से हिमालय की दो उपशाखाएं बन जाती हैं। एक शाखा पाकिस्तान की साल्ट रेंज, सुलेमान तथा किरथर होते हुए दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर तक पहुंचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान में स्थित हिंदुकुश तथा कॉकेशस पर्वत श्रेणी से जा मिलती है।

प्रश्न 2.
हिमालय की उत्पत्ति एवं बनावट पर लेख लिखो और बताइए कि क्या हिमालय अभी भी बढ़ रहे हैं ?
उत्तर-
हिमालय की उत्पत्ति तथा बनावट का वर्णन इस प्रकार है-
उत्पत्ति-जहां आज हिमालय है, वहां कभी टैथीज (Tythes) नाम का सागर लहराता था। यह दो विशाल भू-खंडों से घिरा एक लंबा और उथला सागर था। इसके उत्तर में अंगारा लैंड और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भू-खंड थे। लाखों वर्षों तक इन दो भू-खंडों का अपरदन होता रहा। अपरदित पदार्थ अर्थात् कंकड़, पत्थर, मिट्टी, गाद आदि टैथीज सागर में जमा होते रहे। ये दो विशाल भू-खंड धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसकते रहे। सागर में जमी मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में उभर कर पानी की सतह से ऊपर आ गये। कालान्तर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम आज हिमालय के नाम से पुकारते हैं।

बनावट-हिमालय पर्वतीय क्षेत्र एक उत्तल चाप (Convex Curve) जैसा दिखाई देता है जिसका मध्यवर्ती भाग नेपाल की सीमा तक झुका हुआ है। इसके उत्तर-पश्चिमी किनारे सफ़ेद कोह, सुलेमान तथा किरथर की पहाड़ियों द्वारा अरब सागर में पहुंच जाते हैं। इसी प्रकार के उत्तर-पूर्वी किनारे टैनेसरीम पर्वत श्रेणियों के माध्यम से बंगाल की खाड़ी तक पहुंच जाते हैं।

हिमालय पर्वतों की दक्षिणी ढाल भारत की ओर है। यह ढाल बहुत ही तीखी है। परंतु इसकी उत्तरी ढाल साधारण है। यह चीन की ओर है। दक्षिणी ढाल के अधिक तीखा होने के कारण इस पर जल-प्रपात तथा तंग नदी-घाटियां पाई जाती हैं।

ऊंचाई की दृष्टि से हिमालय की पर्वत श्रेणियों को पांच उपभागों में बांटा जा सकता है-

  1. ट्रांस हिमालय,
  2. महान् हिमालय,
  3. लघु हिमालय,
  4. बाह्य हिमालय तथा
  5. पहाड़ी शाखाएं।

हिमालय पर्वत की मुख्य विशेषता यह है कि ये आज भी ऊंचे उठ रहे हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 3.
देश के विशाल उत्तरी मैदानों के आकार, जन्म एवं क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के विशाल उत्तरी मैदानों के आकार, जन्म तथा क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन इस प्रकार है
आकार-रावी नदी से लेकर गंगा नदी के डैल्टे तक इस मैदान की कुल लंबाई लगभग 2400 कि० मी० तथा चौड़ाई 150 से 200 कि० मी० तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 180 मी० के लगभग है। अनुमान है कि इसकी गहराई 5 कि० मी० से लेकर 32 कि० मी० तक है। इसका कुल क्षेत्रफल 7.5 लाख वर्ग कि० मी० है।
जन्म-भारत का उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में विशाल प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई हुई मिट्टी से बना है। लाखों, करोड़ों वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल में उत्तरी मैदान के स्थान पर टैथीज नामक एक सागर लहराता था। इस सागर से विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम हिमालय के नाम से पुकारते हैं। हिमालय की ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ उस पर नदियां तथा अनाच्छादन के दूसरे कारक सक्रिय हो गए। इन कारकों ने पर्वत प्रदेश का अपरदन किया और यह भारी मात्रा में गाद ला-ला कर टैथीज सागर में जमा करने लगे। सागर सिकुड़ने लगा। नदियां जो मिट्टी इसमें जमा करती रहीं, वह बारीक पंक जैसी थी। इस मिट्टी को जलोढ़क कहते हैं। अत: टैथीज सागर के स्थान पर जलोढ़ मैदान अर्थात् उत्तरी मैदान का निर्माण हुआ।
क्षेत्रीय विभाजन-विशाल उत्तरी मैदान को निम्नलिखित चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है-

  1. पंजाब हरियाणा का मैदान-इस मैदान का निर्माण सतलुज, रावी, ब्यास तथा घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों से हुआ है। इसमें बारी दोआब, बिस्त दोआब, मालवा का मैदान तथा हरियाणा का मैदान शामिल है।
  2. थार मरुस्थल का मैदान-पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात में स्थित कच्छ की रण तक के इस मैदान को थार मरुस्थल का मैदान कहते हैं।
  3. गंगा का मैदान-गंगा का मैदान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में स्थित है।
  4. ब्रह्मपुत्र का मैदान-इसे असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के अति उत्तरी भाग सादिया (Sadiya) तक लगभग 720 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है। समुद्र तल से इतनी औसत ऊंचाई 250-550 मी० है।

प्रश्न 4.
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार के भौतिक लक्षणों की तुलना कीजिए तथा अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।

  1. बनावट-हिमालय तलछटी शैलों से बना है और यह संसार का सबसे युवा पर्वत है। इसकी ऊंचाई भी सबसे अधिक है। इसकी औसत ऊंचाई 5000 मीटर है।
    इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार का जन्म आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व प्रिकैम्बरीअन महाकाल में हुआ था। ये आग्नेय शैलों से निर्मित हुआ है।
  2. विस्तार-हिमालय जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके पूर्व में पूर्वी श्रेणियां और पश्चिम में पश्चिमी श्रेणियां हैं। पूर्वी श्रेणियों में खासी, गारो, जयंतिया तथा पश्चिमी श्रेणियों में हिंदुकुश तथा किरथर श्रेणियां पाई जाती हैं। हिमालय के पांच भाग हैं-ट्रांस हिमालय, महान् हिमालय, लघु हिमालय, बाह्य हिमालय तथा पहाड़ी शाखाएं।
  3. इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार । ये अरावली पर्वत से लेकर शिलांग के पठार तक तथा दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसमें पाई जाने वाली प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैंअरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
    इसके अतिरिक्त यहां पूर्वी घाट की पहाड़ियां, पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा नीलगिरि पर्वत आदि पाये जाते हैं।
  4. नदियां-हिमालय से निकलने वाली नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण सारा साल बहती हैं। प्रायद्वीपीय पठार की नदियां बरसाती नदियां हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी का अभाव हो जाता है।
  5. आर्थिक महत्त्व-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
पश्चिमी तथा पूर्वी हिमालय की उप-शाखाओं की चित्र सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।

  1. बनावट-हिमालय तलछटी शैलों से बना है और यह संसार का सबसे युवा पर्वत है। इसकी ऊंचाई भी सबसे अधिक है। इसकी औसत ऊंचाई 5000 मीटर है।
    इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार का जन्म आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व प्रिकैम्बरीअन महाकाल में हुआ था। ये आग्नेय शैलों से निर्मित हुआ है।
  2. विस्तार-हिमालय जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके पूर्व में पूर्वी श्रेणियां और पश्चिम में पश्चिमी श्रेणियां हैं। पूर्वी श्रेणियों में खासी, गारो, जयंतिया तथा पश्चिमी श्रेणियों में हिंदुकुश तथा किरथर श्रेणियां पाई जाती हैं। हिमालय के पांच भाग हैं-ट्रांस हिमालय, महान् हिमालय, लघु हिमालय, बाह्य हिमालय तथा पहाड़ी शाखाएं।
  3. इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार । ये अरावली पर्वत से लेकर शिलांग के पठार तक तथा दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसमें पाई जाने वाली प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैंअरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
    इसके अतिरिक्त यहां पूर्वी घाट की पहाड़ियां, पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा नीलगिरि पर्वत आदि पाये जाते हैं।
  4. नदियां-हिमालय से निकलने वाली नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण सारा साल बहती हैं। प्रायद्वीपीय पठार की नदियां बरसाती नदियां हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी का अभाव हो जाता है।
  5. आर्थिक महत्त्व-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर नोट लिखो-
1. विन्ध्याचल,
2. सतपुड़ा,
3. अरावली पर्वत,
4. नीलगिरि की पहाडियां।
उत्तर-

  1. विंध्याचल-विंध्याचल पर्वत श्रेणियों का पश्चिमी भाग लावे से बना है। इसका पूर्वी भाग कैमूर तथा भानरेर की श्रेणियां कहलाता है। इसकी दक्षिणी ढलानों के पास नर्मदा नदी बहती है।
  2. सतपुड़ा-सतपुड़ा की पहाड़ियां नर्मदा नदी के दक्षिण किनारे के साथ-साथ पूर्व में महादेव तथा मैकाल की पहाड़ियों के सहारे बिहार में स्थित छोटा नागपुर की पहाड़ियों तक जा पहुंचती हैं। इसकी मुख्य चोटियां हैं-धूपगढ़ तथा अमरकंटक। इस पर्वत श्रेणी की औसत ऊंचाई 1120 मी० है।
  3. अरावली पर्वत-अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक 800 कि० मी० की लंबाई में फैला हुआ है। इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम है और यहां अब पहाड़ियों के बचे-खुचे टुकड़े ही रह गये हैं। इसकी सबसे ऊंची चोटी माऊंट आबू (1722 मी०) है।
  4. नीलगिरि की पहाड़ियां-पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा पूर्वी घाट की पहाड़ियां दक्षिण में जहां जाकर आपस में मिलती हैं, उन्हें दक्षिणी पहाड़ियां या नीलगिरि की पहाड़ियां कहते हैं। इन्हें नीले पर्वत भी कहते हैं।

प्रश्न 7.
“क्या भारत के भिन्न-भिन्न भौतिक भाग एक-दूसरे से अलग स्वतंत्र इकाइयां हैं या ये एक-दूसरे के पूरक हैं ?” इस कथन की उदाहरणों सहित व्याख्या करो।
उत्तर-
इसमें कोई शक नहीं कि भारत की भिन्न-भिन्न भौतिक इकाइयां एक-दूसरे की पूरक हैं। वे देखने में अलग अवश्य लगते हैं, परंतु उनका अस्तित्व अलग नहीं है। यदि हम उनके जन्म और उनके मिलने वाले प्राकृतिक भंडारों का अध्ययन करें तो स्पष्ट हो जायेगा कि वे पूरी तरह एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
(क) जन्म-

  1. हिमालय पर्वत का जन्म ही प्रायद्वीपीय पठार के अस्तित्व में आने के पश्चात् हुआ है।
  2. उत्तरी मैदानों का जन्म उन निक्षेपों से हुआ है, जिनके लिए प्रायद्वीपीय पठार तथा हिमालय पर्वत की नदियां उत्तरदायी हैं।
  3. प्रायद्वीपीय पठार की पहाड़ियां, दरार घाटियां तथा अपभ्रंश हिमालय के दबाव के कारण ही अस्तित्व में आए हैं।
  4. तटीय मैदानों का जन्म प्रायद्वीपीय घाटों की मिट्टी से हुआ है।

(ख) प्राकृतिक भंडार-

  1. हिमालय पर्वत बर्फ का घर है। इसकी नदियां जल प्रपात बनाती हैं और इनसे जो बिजली बनाई जाती है, उसका उपयोग पूरा देश करता है।
  2. भारत के विशाल मैदान उपजाऊ मिट्टी के कारण पूरे देश के लिए अन्न का भंडार है। इसमें बहने वाली गंगा नदी सारे भारत को प्रिय है।
  3. प्रायद्वीपीय पठार में खनिजों का खज़ाना दबा पड़ा है। इसमें लोहा, कोयला, तांबा, अभ्रक, मैंगनीज़ आदि कई प्रकार के खनिज दबे पड़े हैं, जो देश के विकास के लिए अनिवार्य हैं।
  4. तटीय मैदान देश को चावल, मसाले, अदरक, लौंग, इलायची जैसे व्यापारिक पदार्थ प्रदान करते हैं।
    सच तो यह है कि देश की भिन्न-भिन्न इकाइयां एक दूसरे की पूरक हैं और ये देश के आर्थिक विकास में अपना विशेष योगदान देती हैं।

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प्रश्न 8.
पश्चिमी तटीय मैदानों का उसके उपभागों सहित विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर-
पश्चिमी तटीय मैदान कच्छ के रण से लेकर कन्याकुमारी तक फैले हुए हैं। ये विस्तृत संकरे मैदान हैं। इनकी चौड़ाई 65 कि.मी. के लगभग है। इनका ढलान दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम की ओर है। इन मैदानों को धरातलीय विशेषताओं के आधार पर चार प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. गुजरात का तटवर्ती मैदान,
  2. कोंकण का तटवर्ती मैदान,
  3. मालाबार का तटवर्ती मैदान,
  4. केरल का मैदान।

1. गुजरात का तटवर्ती मैदान-इस तटवर्ती मैदानी भाग में साबरमती, माही, लुनी, बनास, नर्मदा, ताप्ती आदि नदियों के तलछट के जमाव से कच्छ तथा काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय मैदान और सौराष्ट्र के लंबवत् मैदानों का निर्माण हुआ है। कच्छ का क्षेत्र अभी भी दलदली तथा समुद्र तल से नीचा है। काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय भाग में लावा युक्त गिर पर्वतीय श्रेणियां भी मिलती हैं। यहाँ की गिरनार पहाड़ियों में स्थित गोरखनाथ चोटी की ऊंचाई सबसे अधिक है। गुजरात का यह तटवर्ती मैदान 400 किलोमीटर लंबा तथा 200 किलोमीटर चौड़ा है। इसकी औसत ऊंचाई 300 मीटर है।

2. कोंकण का तटवर्ती मैदान-दमन से लेकर गोआ तक का मैदान कोंकण तट कहलाता है। इसके अधिकतर तटवर्ती भागों में धंसने की क्रिया होती रहती है। इसीलिए इस 500 किलोमीटर लंबे मैदान की पट्टी की चौड़ाई 50 से 80 किलोमीटर तक रह जाती है। इस मैदानी भाग में तीव्र समुद्री लहरों द्वारा बनी संकरी खाड़ियां, आंतरिक कटाव (Coves) और समुद्री बालू में बीच (Beach) आदि भू-आकृतियां मिलती हैं। थाना की संकरी खाड़ी में प्रसिद्ध मुंबई द्वीप स्थित है।

3. मालाबार का तटवर्ती मैदान-यह गोआ से लेकर मंगलौर तक लगभग 225 किलोमीटर लंबा तथा 24 किलोमीटर चौड़ा मैदान है। इसे कर्नाटक का तटवर्ती मैदान भी कहते हैं। यह उत्तर की ओर संकरा परंतु दक्षिण की ओर चौड़ा है। कई स्थानों पर इसका विस्तार कन्याकुमारी तक भी माना जाता है। इस मैदान में मार्मागोआ, मान्ढवी तथा शेरावती नदियों के समुद्री जल में डूबे हुए मुहाने (Estuaries) मिलते हैं।

4. केरल के मैदान-मंगलौर से लेकर कन्याकुमारी तक 500 किलोमीटर लंबे, 10 किलोमीटर चौड़े तथा 300 मीटर ऊंचे भू-भाग केरल के मैदान कहलाते हैं। इनमें बहुत-सी झीलें (Lagoons) तथा काईल अथवा क्याल (Kayals) पाये जाते हैं। क्याल झीलों का स्थानीय नाम है। यहाँ पर बैंबानद (Vembanad) और अष्टमुदई (Astamudi) की झीलों वाले क्षेत्रों में नौकाओं का व्यापारिक स्तर पर प्रयोग होता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

PSEB 9th Class Home Science Guide गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गृह विज्ञान को पहले कौन-कौन से नाम दिये जाते थे ?
उत्तर-
गृह विज्ञान विषय को घरेलू विज्ञान, घरेलू कला, घरेलू अर्थशास्त्र आदि के नाम दिये गए हैं।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान का अर्थ लिखो।
उत्तर-
डॉ० ए० एच० रिचर्डज़ अनुसार, गृह विज्ञान वह विशेष विषय है जो परिवार की आय तथा खर्च, कपड़ों सम्बन्धी ज़रूरतें, भोजन की स्वच्छता, घर का सही चुनाव आदि से सम्बन्धित है।

प्रश्न 3.
गृह विज्ञान को कितने और कौन-कौन से क्षेत्रों में बांटा गया है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान को मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में बांटा गया है –
भोजन तथा पोषण, वस्त्र विज्ञान, गृह व्यवस्था, बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध, गृह विज्ञान की शिक्षा का विस्तार।

प्रश्न 4.
गृह विज्ञान की शिक्षा का मुख्य लाभ बताओ।
उत्तर-

  1. गृह विज्ञान की शिक्षा से भोजन तथा पोषण के बारे में जानकारी प्राप्त होती
  2. इसकी शिक्षा से कपड़ों की बनावट, कटाई, सिलाई, बुनाई आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
  3. इसकी शिक्षा से मानवीय तथा भौतिक साधनों को अच्छी तरह व्यवस्थित किया जा सकता है।
  4. इसकी शिक्षा से बाल विकास तथा वृद्धि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
    इस तरह गृह विज्ञान की शिक्षा से ज़िन्दगी के प्रत्येक पक्ष के बारे में जानकारी मिलती है।

प्रश्न 5.
गृह व्यवस्था से क्या भाव है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान वास्तविक विज्ञान है जो विद्यार्थी को पारिवारिक जीवन सफलतापूर्वक बिताने तथा सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को आसानी से तथा सही ढंग से सुलझाने के योग्य बनाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

प्रश्न 6.
भोजन और पोषण विज्ञान से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
भोजन तथा पोषण विज्ञान में भोजन के तत्त्व, शरीर की वृद्धि तथा विकास के लिए खुराकी तत्त्वों की जरूरत, कमी-वृद्धि, भोजन पकाना, भोजन से शरीर में होने वाले परिवर्तन, भोजन को सुरक्षित रखना, भोजन की सफाई का स्वास्थ्य से सम्बन्ध आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।

प्रश्न 7.
वस्त्र विज्ञान के अन्तर्गत क्या पढ़ाया जाता है ?
उत्तर-
वस्त्र विज्ञान में कपड़ों की बनावट, कटाई, सिलाई, धुलाई आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। आयु, आय, मौसम, पेशे तथा रंग अनुसार पोशाकों का सही चुनाव, सम्भाल, धुलाई के लिए साबुन आदि के बारे में जानकारी दी जाती है।

प्रश्न 8.
गृह विज्ञान के विषय के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर-
गृह विज्ञान के मुख्य उद्देश्य इस तरह हैं –

  1. मनुष्य का सर्वपक्षीय विकास करना तथा परिवार के सदस्यों के व्यक्तित्व में सुधार लाना।
  2. परिवार में उपलब्ध साधनों को सुधारना।
  3. परिवार को अच्छा जीवन जीने के लिए तैयार करना।
  4. परिवार में अच्छे ढंग से रहने की शिक्षा प्रदान करना।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 9.
गृह विज्ञान विषय से आप क्या समझते हो और इसका क्या महत्व है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान विषय का आधार विज्ञान की बुनियादी शाखाएं जैसे भौतिक विज्ञान, रासायनिक विज्ञान, जीव विज्ञान तथा सामाजिक शाखाओं जैसे-अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान आदि हैं।

यह विषय ज़िन्दगी, समाज के उन सभी पहलुओं से सम्बन्ध रखता है जो विभिन्न विज्ञानों से ली जानकारी का संयोजन करके मनुष्य का आस-पास, परिवार का पोषण, साधनों की व्यवस्था, बाल विकास तथा उपभोगी सामर्थ्य पैदा करता है।

महत्त्व-अच्छी गृहिणी तथा अच्छी मां बनने के लिये इस विषय की शिक्षा बहुत ज़रूरी है। इस विषय की जानकार छात्राएं आगे चलकर जब पारिवारिक जीवन में कदम रखेंगी तो वह परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रतिदिन की ज़रूरतों, अच्छे तथा सन्तुलित भोजन का ध्यान रख सकेंगी। कपड़ों सम्बन्धी बच्चों तथा परिवार के सदस्यों की ज़रूरतें, बच्चों की वृद्धि, विकास, पालन-पोषण तथा उनकी रुचियों को समझकर तथा सुखमय घर बना सकती हैं।

आज के उन्नति तथा तकनालॉजी वाले युग में इस विषय का और भी महत्त्व बढ़ गया है। कई स्थानों पर तो यह विषय लड़कों को भी पढ़ाया जाने लगा है।

प्रश्न 10.
किस उद्देश्य को मुख्य रखकर गृह विज्ञान विषय की पढ़ाई की जाती है ?
उत्तर-
पहले तो गृह विज्ञान को खाना पकाने अथवा कपड़े सिलने के विज्ञान के रूप में ही जाना जाता था परन्तु अब इसमें पोषण, स्वास्थ्य तथा घर से जुड़ी सुविधाओं के बारे में भी पढ़ाया जाता है। इन सभी विषयों की जानकारी हो तो जीवन सुखमय हो जाता है। गृह विज्ञान के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. मनुष्य का सर्वपक्षीय विकास करना तथा परिवार के सदस्यों के व्यक्तित्व में सुधार लाना।
  2. परिवार में उपलब्ध साधनों को सुधारना।
  3. मनुष्यों को अच्छा जीवन जीने के लिये तैयार करना।
  4. परिवार में अच्छे ढंग से रहने की शिक्षा प्रदान करना।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

प्रश्न 11.
गृह विज्ञान विषय का क्षेत्र बहुत विशाल है । कैसे ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का आधार सामाजिक तथा विज्ञान की बुनियादी शाखाएं जैसे कि रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि हैं। इस तरह गृह विज्ञान एक बहुत फैला हुआ विषय है तथा इसका क्षेत्र भी बहुत विशाल है। इसको निम्नलिखित शाखाओं में बांटा जा सकता है –
वस्त्र विज्ञान, भोजन तथा पोषण विज्ञान, गृह व्यवस्था, गृह विज्ञान की पढ़ाई का विस्तार तथा बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध।

इन विभिन्न क्षेत्रों में भोजन का स्वास्थ्य से सम्बन्ध उत्पादन तथा व्यवस्था, कपड़ों के रेशों की बनावट, धुलाई, घर का प्रबन्ध, बच्चों का हर पक्ष से विकास आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

प्रश्न 12.
गृह विज्ञान विषय को कौन-से भागों में बांटा गया है ? किन्हीं दो के बारे बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 13.
पारिवारिक जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में गृह विज्ञान ने क्या भूमिका निभाई है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का विषय पारिवारिक जीवन को ऊँचा उठाने में अपनी भूमिका निभाता है। यह विषय पढ़कर गृहिणियों को अपने घर, बच्चों, कपड़ों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इस तरह प्राप्त हुए ज्ञान का प्रयोग करके वह अपने परिवार के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक होती है।

गृह विज्ञान का विषय समाज तथा देश के प्रत्येक पहलू से जुड़ा हुआ है। घर इसका एक हिस्सा है। इस विषय का दायरा जितना फैला हुआ है उतना शायद ही कोई अन्य विषय हो। यह विषय पढ़कर सदस्यों को चरित्रवान् बनाना, घर के बाहर की मुश्किलों को सुलझाना आदि कार्य आसानी से हो जाते हैं।

प्रश्न 14.
गृह विज्ञान की शिक्षा को ज्यादा महत्त्व क्यों दिया जाना चाहिए ?
उत्तर-
गृह विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसका क्षेत्र बहुत फैला हुआ है। इस विषय की जानकारी से अच्छे इन्सान बनाये जा सकते हैं। साईंस तथा तकनालॉजी की आधुनिक जानकारी तथा गृह विज्ञान विषय की शिक्षा से पारिवारिक जीवन में सुधार करके सुखमय परिवार बनाया जा सकता है।

महत्त्व-अच्छी गृहिणी तथा अच्छी मां बनने के लिये इस विषय की पढ़ाई बहुत ज़रूरी है। इस विषय की जानकार छात्राएं आगे चलकर जब पारिवारिक जीवन में कदम रखेंगी तो वह परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रतिदिन की ज़रूरतें, अच्छे तथा सन्तुलित भोजन का ध्यान रख सकेंगी। कपड़ों सम्बन्धी बच्चों तथा परिवार के सदस्यों की ज़रूरतों, बच्चों की वृद्धि, विकास, पालन-पोषण तथा उनकी रुचियां समझकर सुन्दर तथा सुखमय घर बना सकती हैं।

आज के उन्नति तथा तकनालॉजी वाले युग में तो इस विषय का और भी महत्त्व बढ़ गया है। कई स्थानों पर तो यह विषय लड़कों को भी पढ़ाया जाने लगा है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 15.
गृह विज्ञान का क्षेत्र बहुत विशाल है, कैसे ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का आधार सामाजिक तथा विज्ञान की बुनियादी शाखाएं जैसे कि रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि हैं। इस तरह गृह विज्ञान एक बहुत फैला हुआ विषय है तथा इसका क्षेत्र भी बहुत विशाल है। इस को निम्नलिखित शाखाओं में बांटा जा सकता है –

वस्त्र विज्ञान, भोजन तथा पोषण विज्ञान, गृह व्यवस्था, गृह विज्ञान की शिक्षा का विस्तार तथा बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध।

इन विभिन्न क्षेत्रों में भोजन का स्वास्थ्य से सम्बन्ध, उत्पादन तथा व्यवस्था, कपड़ों के रेशों की बनावट, धुलाई, बुनाई, घर का प्रबन्ध, बच्चों का प्रत्येक पक्ष से विकास आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

भोजन तथा पोषण विज्ञान में भोजन के तत्त्व, शरीर की वृद्धि तथा विकास के लिये खाद्य तत्त्वों की ज़रूरत, वृद्धि-कमी, भोजन पकाना, भोजन से शरीर में होने वाले परिवर्तन, भोजन को सुरक्षित रखना, भोजन की सफाई का स्वास्थ्य से सम्बन्ध आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।

वस्त्र विज्ञान में कपड़े की बनावट, सिलाई, धुलाई आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। आयु, आय, मौसम, पेशे तथा रंग अनुसार पोशाकों का सही चुनाव, सम्भाल, धुलाई के लिये साबुन आदि के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्धों के बारे में जानकारी होने का हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव होता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है तथा वह समाज में लोगों के साथ खुश रहता है तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करता है।

बच्चे देश का भविष्य हैं इसलिये बाल विकास की जानकारी बहुत आवश्यक है। बच्चे की सफलता अथवा असफलता की ज़िम्मेदारी मां की होती है। इसलिए गृहिणी को बच्चों की शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक आवश्यकताओं का पता होना चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले कारक, बच्चों के लिए मनोरंजन, भोजन आदि के बारे में बाल विकास के विषय के ज्ञान से ही पता चलता है।

गृह व्यवस्था-मानवीय तथा भौतिक साधनों की सही ढंग से प्रयोग करके शक्ति, समय, पैसा, मेहनत आदि को बचाया जा सकता है। गृहिणी अपनी आय के अनुसार घर का बजट बनाती है, मौजूदा साधनों का प्रयोग करके परिवार के सभी सदस्यों के लिये अच्छे कपड़े, स्वास्थ्य, रहने का स्थान, पढ़ाई तथा मनोरंजन आदि का प्रबन्ध योजनाबद्ध ढंग से करती है।

प्रश्न 16.
गृह विज्ञान कौन-कौन से विषयों का समूह है और इनके अन्तर्गत क्या क्या पढ़ाया जाता है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का आधार सामाजिक तथा विज्ञान की बुनियादी शाखाएं जैसे कि रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि हैं। इस तरह गृह विज्ञान एक बहुत फैला हुआ विषय है तथा इसका क्षेत्र भी बहुत विशाल है। इस को निम्नलिखित शाखाओं में बांटा जा सकता है –

वस्त्र विज्ञान, भोजन तथा पोषण विज्ञान, गृह व्यवस्था, गृह विज्ञान की शिक्षा का विस्तार तथा बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध।

इन विभिन्न क्षेत्रों में भोजन का स्वास्थ्य से सम्बन्ध, उत्पादन तथा व्यवस्था, कपड़ों के रेशों की बनावट, धुलाई, बुनाई, घर का प्रबन्ध, बच्चों का प्रत्येक पक्ष से विकास आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

भोजन तथा पोषण विज्ञान में भोजन के तत्त्व, शरीर की वृद्धि तथा विकास के लिये खाद्य तत्त्वों की ज़रूरत, वृद्धि-कमी, भोजन पकाना, भोजन से शरीर में होने वाले परिवर्तन, भोजन को सुरक्षित रखना, भोजन की सफाई का स्वास्थ्य से सम्बन्ध आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।

वस्त्र विज्ञान में कपड़े की बनावट, सिलाई, धुलाई आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। आयु, आय, मौसम, पेशे तथा रंग अनुसार पोशाकों का सही चुनाव, सम्भाल, धुलाई के लिये साबुन आदि के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्धों के बारे में जानकारी होने का हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव होता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है तथा वह समाज में लोगों के साथ खुश रहता है तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करता है।

बच्चे देश का भविष्य हैं इसलिये बाल विकास की जानकारी बहुत आवश्यक है। बच्चे की सफलता अथवा असफलता की ज़िम्मेदारी मां की होती है। इसलिए गृहिणी को बच्चों की शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक आवश्यकताओं का पता होना चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले कारक, बच्चों के लिए मनोरंजन, भोजन आदि के बारे में बाल विकास के विषय के ज्ञान से ही पता चलता है।

प्रश्न 17.
गृह विज्ञान का उद्देश्य क्या है ? आजकल इस विषय को अधिक महत्त्व क्यों दिया जाने लगा है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान के मुख्य उद्देश्य इस तरह हैं –

  1. मनुष्य का सर्वपक्षीय विकास करना तथा परिवार के सदस्यों के व्यक्तित्व में सुधार लाना।
  2. परिवार में उपलब्ध साधनों को सुधारना।
  3. परिवार को अच्छा जीवन जीने के लिए तैयार करना।
  4. परिवार में अच्छे ढंग से रहने की शिक्षा प्रदान करना।

महत्त्व-अच्छी गृहिणी तथा अच्छी मां बनने के लिये इस विषय की शिक्षा बहुत ज़रूरी है। इस विषय की जानकार छात्राएं आगे चलकर जब पारिवारिक जीवन में कदम रखेंगी तो वह परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रतिदिन की ज़रूरतों, अच्छे तथा सन्तुलित भोजन का ध्यान रख सकेंगी। कपड़ों सम्बन्धी बच्चों तथा परिवार के सदस्यों की ज़रूरतें, बच्चों की वृद्धि, विकास, पालन-पोषण तथा उनकी रुचियों को समझकर तथा सुखमय घर बना सकती हैं।
आज के उन्नति तथा तकनालॉजी वाले युग में इस विषय का और भी महत्त्व बढ़ गया है। कई स्थानों पर तो यह विषय लड़कों को भी पढ़ाया जाने लगा है।

प्रश्न 18.
गृह व्यवस्था ही गृह विज्ञान का आधार है ? स्पष्ट करो और इसके अन्तर्गत कौन-कौन से उप-विषय पढ़ाए जाते हैं ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार माना जाता है क्योंकि इसमें घर तथा घर की व्यवस्था के सभी पहलू आते हैं। जैसे-अच्छा जीवन गुजारने के सिद्धान्त, परिवार के सदस्यों के लिए शिक्षा का सही प्रबन्ध, परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भोजन तथा घर के सामान की खरीद, सम्भाल तथा प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है। इसी तरह घर में प्रयोग किये जाने वाले हर प्रकार के सामान की सफ़ाई तथा सम्भाल तथा समाज में मनुष्य के जीवन को अनुशासनमय बनाने के लिए आत्मिक तथा धार्मिक पक्ष को भी गृह-व्यवस्था के क्षेत्र में शामिल किया जाता है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरो

  1. गृह विज्ञान घर में रहने की …………………. शिक्षा है।
  2. गृह विज्ञान का आधार विज्ञान की मूल तथा ………………. शाखाएं ही हैं।
  3. बच्चों का पालन-पोषण ………………… वातावरण में होना चाहिए।

उत्तर-

  1. क्रमबद्ध,
  2. सामाजिक,
  3. प्रेरणादायक।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
बच्चे की सफलता तथा असफलता की ज़िम्मेदारी किसकी होती है ?
उत्तर-
मां की।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान का उद्देश्य मनुष्य का कैसा विकास करना है ?
उत्तर-
सर्वपक्षीय।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. गृह विज्ञान को घरेलू विज्ञान का नाम भी दिया गया है।
  2. गृह विज्ञान का उद्देश्य मनुष्य को अच्छा जीवन जीने के लिए तैयार करना भी है।
  3. गृह विज्ञान का आधार सामाजिक तथा विज्ञान की प्राथमिक शाखाएं हैं।
  4. मानवीय तथा भौतिक साधनों का उचित प्रयोग करके शक्ति, समय, पैसा, मेहनत आदि को बचाया जा सकता है।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. ठीक।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में ठीक हैं
(A) गृह व्यवस्था पारिवारिक ज़िन्दगी के प्रत्येक पक्ष से सम्बन्धित हैं।
(B) घर की आमदन बढ़ाने के लिए कुछ लघु उद्योग शुरू किए जा सकते हैं।
(C) संयुक्त परिवार में माता-पिता तथा अन्य सम्बन्धी मिल कर रहते हैं।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
मानवीय साधन है
(A) शक्ति
(B) रुचि
(C) कुशलता
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
गृह विज्ञान की पढ़ाई सहायक है –
(A) चरित्र का एकीकरण।
(B) घर के अन्दर तथा बाहर अकस्मात् स्थितियों में समस्याओं को सुलझाना।
(C) घर में प्यार तथा मेल-मिलाप का वातावरण पैदा करना।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेडी इरविन की गृह विज्ञान संस्था के अनुसार गृह विज्ञान की परिभाषा दें।
उत्तर-
गृह विज्ञान एक वास्तविक विज्ञान है जो विद्यार्थी को सफलतापूर्वक पारिवारिक जीवन व्यतीत करने तथा सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को सरलता से तथा अच्छे ढंग से सुलझाने के योग्य बनता है।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान के क्षेत्र से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का क्षेत्र काफ़ी विशाल है। इसका आधार विज्ञान की बुनियादी शाखाएं तथा सामाजिक शाखाएं हैं। गृह विज्ञान को निम्नलिखित शाखाओं में बांटा जा सकता है –
भोजन तथा पोषण विज्ञान, वस्त्र विज्ञान, गृह व्यवस्था, बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध आदि। इस तरह गृह विज्ञान के क्षेत्र से अभिप्राय उपरोक्त विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करना है।

प्रश्न 3.
बाल विकास और पारिवारिक सम्बन्धों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव है ?
उत्तर-
बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्धों के बारे में जानकारी होने का हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव होता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है तथा वह समाज में लोगों के साथ खुश रहता है तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करता है।

बच्चे देश का भविष्य हैं इसलिए बाल विकास की जानकारी बहुत ज़रूरी है। बच्चे की सफलता-असफलता की ज़िम्मेदारी मां की होती है। इसलिए गृहिणी को बच्चों की शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक आवश्यकताओं का पता होना चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले कारक, बच्चों के लिए मनोरंजन, भोजन आदि के बारे में बाल विकास के विषय से ही ज्ञान प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
‘गृह व्यवस्था का महत्त्व’ के अन्तर्गत पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाना के बारे में लिखें।
उत्तर-
गृह व्यवस्था का एक कार्य परिवारिक स्तर को ऊँचा उठाना भी है। प्रत्येक मनुष्य जीवन में उन्नति करना चाहता है तथा अपने रहन-सहन को बढ़िया रखना चाहता है। घर में अच्छी व्यवस्था जहां विकास की सीढ़ी का पहला पड़ाव पार करने के लिए सहायक है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी PSEB 9th Class Home Science Notes

  • घर एक ऐसा स्थान है जहां परिवार के सदस्य आपस में प्यार से रहते हैं। एक दूसरे का दुःख-सुख बांटते हैं तथा भावनात्मक रूप में जुड़े होते हैं।
  • डॉ० ए०एच० रिचर्डज़ ने कहा है कि गृह विज्ञान एक ऐसा विशेष विषय है जो परिवार की आय तथा खर्च, भोजन की स्वच्छता, कपड़ों सम्बन्धी आवश्यकताएं घर का सही चुनाव आदि से सम्बन्ध रखता है।
  • गृह विज्ञान की शिक्षा के बिना गृहिणी की शिक्षा को अधूरा माना जाता है।
  • गृह विज्ञान का सम्बन्ध स्वास्थ्य, पोषण तथा घर से जुड़ी सुविधाओं से है।
  • गृह विज्ञान का क्षेत्र बहुत विशाल है। इस में भोजन तथा पोषण विज्ञान, गृह व्यवस्था, वस्त्र विज्ञान, बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।
  • गृह विज्ञान का विषय मानवीय जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

SST Guide for Class 9 PSEB फ्रांसीसी क्रांति Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
पुराने राज्य के दौरान आर्थिक गतिविधियों का भार किस द्वारा चुकाया जाता था ?
(क) चर्च
(ख) केवल अमीर
(ग) तीसरा वर्ग
(घ) केवल राजा।
उत्तर-
(ग) तीसरा वर्ग

प्रश्न 2.
आस्ट्रियन राजकुमारी मैरी एंटोनिटी फ्रांस के किस राजा की रानी थी ?
(क) लुइस तीसरा
(ख) लुइस 14वां
(ग) लुइस 15वां
(घ) लुइस 16वां।
उत्तर-
(घ) लुइस 16वां।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 3.
नेपोलियन ने स्वयं को फ्रांस का राजा कब बनाया ?
(क) 1805 ई०
(ख) 1804 ई०
(ग) 1803 ई०
(घ) 1806 ई०
उत्तर-
(ख) 1804 ई०

प्रश्न 4.
फ्रांस में टेनिस कोर्ट शपथ कब ली गई ?
(क) 4 जुलाई, 1789 ई०
(ख) 20 जून, 1789 ई०
(ग) 4 अगस्त, 1789 ई०
(घ) 5 मई, 1789 ई०।
उत्तर-
(ख) 20 जून, 1789 ई०

प्रश्न 5.
फ्रांस संदर्भ में कन्वेंशन से क्या अभिप्राय है ?
(क) एक फ्रांसीसी स्कूल
(ख) नई चुनी परिषद्
(ग) क्लब
(घ) एक महिला संगठन।
उत्तर-
(ख) नई चुनी परिषद्

प्रश्न 6.
मांटेस्क्यू ने कौन-से विचार का प्रचार किया ?
(क) दैवी अधिकार
(ख) सामाजिक समझौता
(ग) शक्तियों की विकेंद्रीकरण
(घ) शक्ति का संतुलन।
उत्तर-
(ग) शक्तियों की विकेंद्रीकरण

प्रश्न 7.
फ्रांसीसी इतिहास में किस समय को आतंक का दौर के नाम से जाना जाता है ?
(क) 1792 ई०-93 ई०
(ख) 1774 ई०-76 ई०
(ग) 1793 ई०-94 ई०
(घ) 1804 ई०-1815 ई०
उत्तर-
(ग) 1793 ई०-94 ई०

(ख) रिक्त स्थान भरो :

  1. एक सिर काटने वाला यंत्र था जिसका प्रयोग फ्रांसीसियों ने किया था ……………
  2. बेस्टाइल का हमला ………….. में हुआ था।
  3. 815 ई० में वाटरलू के युद्ध में …………. पराजित हुआ।
  4. जैकोबिन क्लब का प्रतिनिधि …………….. था।
  5. …………. ने सोशल कांट्रेक्ट नाम पुस्तक की रचना की।
  6. मारसेइस (Marseillaise) की रचना ………….. ने की ।

उत्तर-

  1. गुलुटाइन,
  2. 14 जुलाई, 1789 ई०
  3. नेपोलियन बोनापार्ट
  4. मेक्सीमिलान रोबसपायरी (Maximilian Robespierie),
  5. रूसो
  6. रोजर डी लाइसले (Roger de LTsle)THEMAHI

(ग) मिलान करो :

(क) – (ख)
1. किलेनुमा जेल – (अ) गुलूटाइन
2. चर्च द्वारा प्राप्त कर – (आ) जैकोबिन
3. आदमी का सिर काटना – (इ) रूसो
4. फ्रांस की मध्य श्रेणी का क्लब – (ई) बेस्टाइल
5. द सोशल कांट्रैक्ट – (उ) टित्थे।

उत्तर-

  1. बेस्टाइल
  2. टित्थे,
  3. गुलटाइन
  4. जैकोबिन
  5. रूसो।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

(घ) अंतर बताओ :

प्रश्न 1.
1. पहला वर्ग और तीसरा वर्ग
2. टित्थे और टाइले।
उत्तर-
1. पहला वर्ग-समाज के पहले वर्ग में पादरी शामिल थे। पादरी वर्ग दो हिस्सों में विभाजित था-उच्च पादरी, साधारण पादरी। उच्च पादरियों में प्रधान पादरी , धर्माध्यक्ष और महंत शामिल थे। वे गिरिजाघरों का प्रबन्ध चलाते थे। उनको लोगों से कर (Tithe) इकट्ठा करने का अधिकार प्राप्त था।
तीसरा वर्ग-समाज के तीसरे वर्ग में कुल जनसंख्या के 97 प्रतिशत लोग आते थे। यह वर्ग असमानता और सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार था। इस श्रेणी में धनी व्यापारी, अदालती व कानूनी अधिकारी, साहूकार, किसान, कारीगर, छोटे काश्तकार, आदि आते थे। तीसरे वर्ग के लोग ही सबसे अधिक कर देते थे।

2. टित्थे (Tithe)—यह गिरिजाघर को दिया जाने वाला कर था। किसानों को अपनी वार्षिक आय का दसवां भाग भूमि कर के रूप में देना पड़ता था। यह भूमि पर लगाया जाने वाला कर था जो पहले किसान अपनी इच्छा से देते थे, परंतु बाद में इसे अनिवार्य कर दिया गया।
टाइले (Taille) यह राज्य को दिया जाने वाला कर था जो कि साधारण लोगों पर लगाया जाता था। प्रायः राजा अपनी प्रजा की भूमि और सम्पत्ति पर यह कर लगाता था। यह कर रोज़ की आवश्यकताओं जैसे कि नमक व तम्बाकू पर लगाया जाता था। इसका प्रतिशत हर वर्ष राजा की मर्जी से निश्चित किया जाता था।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांस की क्रांति कब हुई ?
उत्तर-
1789 ई०।

प्रश्न 2.
जैकोबिन क्लब का नेता कौन था ?
उत्तर-
मेक्सीमिलान रोबसपायरी।

प्रश्न 3.
डायरैक्टरी क्या थी ?
उत्तर-
पांच सदस्यों की कौंसिल।

प्रश्न 4.
फ्रांस के समाज में कौन कर देता था ?
उत्तर-
तीसरा वर्ग।

प्रश्न 5.
राज्य को प्रत्यक्ष दिये जाने वाले कर को क्या कहते थे ?
उत्तर-
टैले (Taille)।

प्रश्न 6.
किन वर्गों को कर से छूट प्राप्त थी ?
उत्तर-
पहला वर्ग अथवा पादरी वर्ग तथा दूसरा वर्ग अथवा कुलीन वर्ग।

प्रश्न 7.
किसानों को कितने प्रकार के करों का भुगतान करना पड़ता था ?
उत्तर-
किसानों को दोनों प्रकार के कर देने पड़ते थे-टित्थे (Tithe) तथा टाइले (Taille)।

प्रश्न 8.
फ्रांस के राष्ट्रीय गान का नाम लिखो।
उत्तर-
‘मारसेइस’ (Marseillaise)

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व समाज किस प्रकार विभाजित था ?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व समाज तीन वर्गों (एस्टेट) में बंट था-पहला वर्ग तथा पादरी वर्ग, दूसरा वर्ग अथवा कुलीन वर्ग, तीसरा वर्ग अथवा साधारण वर्ग।

  1. पहला वर्ग अथवा पादरी वर्ग-पहला वर्ग में अधिकार युक्त बड़े-बड़े सामंत, पादरी आदि सम्मिलित थे। इन लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ता था। योग्य न होने पर भी वे राज्य के बड़े-बड़े पदों पर आसीन थे।
  2. दूसरा वर्ग अथवा कुलीन वर्ग-दूसरे एस्टेट में कुलीन वर्ग के लोग सम्मिलित थे।
  3. तीसरे वर्ग अथवा साधारण वर्ग-तीसरे एस्टेट में अर्थात् वकील, डॉक्टर तथा शिक्षक वर्ग के लोग सम्मिलित थे। योग्यता होने पर भी ये लोग राज्य के उच्च पदों से वंचित थे। जनसाधारण भी इसी वर्ग में सम्मिलित थे। उन्हें राज्य को भी कर देना पड़ता था और चर्च को भी। इनसे बेगार ली जाती थी और वर्षों से इनका शोषण हो रहा था।

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं के योगदान पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति के समय किसी भी सरकार ने महिलाओं को सक्रिय नागरिक नहीं माना, परंतु क्रांति के समय उनकी भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण थी।
तीसरे एस्टेट की अधिकतर महिलाएं जीवन निर्वाह के लिए काम करती थीं। वे सिलाई-बुनाई तथा कपड़ों की धुलाई करती थीं और बाजारों में फल-फूल तथा सब्जियां बेचती थीं। कुछ महिलाएं संपन्न घरों में घरेलू काम करती थीं। बहुतसी महिलाएं वेश्यावृत्ति भी करती थीं। अधिकांश महिलाओं के पास पढ़ाई-लिखाई तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर नहीं थे। कामकाजी महिलाओं को अपने परिवार की देखभाल भी करनी पड़ती थी। महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए निरंतर आंदोलन चलाया। फ्रांसीसी क्रांति के समय ओलंपे दे गाजस एक सक्रिय राजनीतिक महिमा प्रतिनिधि थी। उसने संविधान के मनुष्य व नागरिकों के अधिकारों के घोषणा-पत्र का विरोध किया। इसलिए उसे मृत्यु दंड दे दिया गया। ऐसी अन्य कई महिला प्रतिनिधियों को आतंक के दौर में मौत के घाट उतार दिया गया। लगभग 150 वर्षों के बाद 1946 ई० में महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कुछ कानून लागू किए। एक कानून के अनुसार सरकारी विद्यालयों की स्थापना की गई और सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी क्रांति की प्रभावित करने वाले तीन प्रमुख लेखकों, दार्शनिकों के विषय में संक्षेप में लिखो।
उत्तर-

  1. जॉन लॉक ने अपनी कृति ‘टू ट्रीटाइज़ेज ऑफ़ गवर्नमैंट’ में राजा के दैवी तथा निरंकुश अधिकारों के सिद्धांत का खंडन किया।
  2. रूसो ने इसी विचार को आगे बढ़ाया। उसने जनता और उसके प्रतिनिधियों के बीच एक सामाजिक अनुबंध पर आधारित सरकार का प्रस्ताव रखा।
  3. मॉटेस्क्यू ने अपनी रचना ‘द स्पिरिट ऑफ़ द लॉज़’ में सरकार के अंदर विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच सत्ता विभाजन की बात कही।
    दार्शनिकों के इन विचारों से फ्रांस में क्रांति के विचारों को और अधिक बल मिला।

प्रश्न 4.
राजतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
राजतंत्र ऐसी शासनतंत्र प्रणाली होती है जिसमें राजा ही सबसे बड़ा अधिकारी होता है। वह प्रायः तानाशाह होता है और राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास रखता है। फ्रांस में भी राजतंत्र था और वहां का शासक लुईस 16वां सभी अधिकारों का स्वामी था। उसके अधिकारों को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता था उसे न तो देश के संविधान की चिंता थी और न ही जनता के हितों का ध्यान था। वर्षों तक उसने देश की संसद् भी नहीं बुलाई थी। जब उसने संसद् बुलाई तो उसका उद्देश्य भी कर लगाना था। यही घटना क्रांति के विस्फोट का कारण बनी।

प्रश्न 5.
‘राष्ट्रीय संवैधानिक परिषद्’ का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
फ्रांस का सम्राट् लुई (XVI) अपनी विद्रोही प्रजा की शक्ति को देखकर सहम गया था। अतः उसने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी और यह भी मान लिया कि अब से उसकी सत्ता पर संविधान का अंकुश होगा। 1791 में नेशनल असेंबली ने संविधान का प्रारूप तैयार कर लिया। इसका मुख्य उद्देश्य सम्राट की शक्तियों को सीमित करना था। अब शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में विभाजित कर दिया गया। इस प्रकार शक्तियां एक हाथ में केंद्रित न रह कर तीन विभिन्न संस्थाओं को हस्तांतरित कर दी गईं। इसी के फलस्वरूप फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उन स्थितियों का वर्णन करें जिनके कारण फ्रांसीसी क्रांति का उदय हुआ ?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति आधुनिक यूरोप के इतिहास की महानतम घटना थी। इसका आरंभ भले ही 1789 ई० में हुआ हो, परंतु इसकी पृष्ठभूमि बहुत पहले से तैयार हो रही थी। फ्रांस में राजा, उसके दरबारी, सेना के अधिकारी तथा चर्च के पादरी जन-साधारण का खून चूस रहे थे। इन्हें कोई कर नहीं देना पड़ता था। करों का सारा बोझ जनता पर था। आम आदमी राज्य की सेवा करता था, परंतु योग्यता होने पर भी वह उच्च पद प्राप्त नहीं कर सकता था। किसान तो दासता में पैदा होता था और दासता में ही मर जाता था। 1789 ई० में स्थिति और भी गंभीर हो गई और क्रांति की ज्वाला भड़क उठी। संक्षेप में, फ्रांस में क्रांति की शुरुआत निम्नलिखित परिस्थितियों में हुई
1. राजनीतिक परिस्थितियां

  1. फ्रांस के राजा स्वेच्छाचारी थे और वे राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास रखते थे। सम्राट की इच्छा ही कानून थी। वह अपनी इच्छा से युद्ध अथवा संधि करता था। सम्राट् लुई 14वां तो यहां तक कहता था-“मैं ही राज्य हूं।”
  2. कर बहुत अधिक थे जो मुख्यतः जनसाधारण को ही देने पड़ते थे। दरबारी और सामंत करों से मुक्त थे।
  3. राज्य में सैनिक तथा अन्य पद पैतृक थे और उन्हें बेचा भी जा सकता था।
  4. सेना में असंतोष था।
  5. शासन में व्यापक भ्रष्टाचार फैला हुआ था।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

2. सामाजिक परिस्थितियां

  1. फ्रांस में मुख्य तीन श्रेणियां (एस्टेट्स) थीं-उच्च, मध्यम तथा निम्न। उच्च श्रेणी में अधिकार युक्त बड़े-बड़े सामंत, पादरी आदि सम्मिलित थे। इन लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ता था। योग्य न होने पर भी वे राज्य के बड़ेबड़े पदों पर आसीन थे।
  2. दूसरे एस्टेट में कुलीन वर्ग के लोग सम्मिलित थे।

3. आर्थिक परिस्थितियां-

  1. फ्रांस के राजा धन का दुरुपयोग करते थे और उन्होंने व्यक्तिगत ऐश्वर्य के लिए खज़ाना खाली कर दिया।
  2. करों का विभाजन दोषपूर्ण था। धनी लोग कर से मुक्त थे जबकि जनसाधारण को कर चुकाने पड़ते थे। कर एकत्रित करने की विधि भी दोषपूर्ण थी।
  3. फांस में औद्योगिक क्रांति के कारण अनेक कारीगर बेकार हो गए और उनमें असंतोष फैल गया।
  4. फ्रांस ऋण के बोझ से दबा हुआ था।
  5. दोषपूर्ण कर-प्रणाली के कारण व्यापार अवनति की ओर बढ़ रहा था।
  6. फ्रांस ने अमेरिका के लोगों को वित्तीय सहायता दी जिससे राजकोष पर ऋण का बोझ बढ़ गया।

4. दार्शनिकों का योगदान-फ्रांस की स्थिति बहुत ही खराब थी, जिसे दर्शाने में दार्शनिकों ने बड़ा योगदान दिया। उन्होंने जनता को यह समझाने का प्रयास किया कि उनके दुःखों का वास्तविक कारण राजतंत्र है।

  1. रूसो ने अपनी पुस्तक ‘सामाजिक समझौता’ में राजा के दैवीय अधिकारों पर प्रहार किया।
  2. वाल्तेयर ने चर्च के धार्मिक आडंबरों और पादरियों के भ्रष्टाचार को अपना निशाना बनाया।
  3. मांतेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘The Spirit of the Laws’ में राजा के दैवीय अधिकारों और उसकी निरंकुशता की कड़ी आलोचना की।
    इस प्रकार, दार्शनिकों के प्रयत्नों से नवीन विचारधारा का प्रादुर्भाव हुआ। इसी नवीन विचारधारा के कारण फ्रांस में क्रांति हुई।

5. एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन बुलाया जाना तथा क्रांति की शरुआत-फ्रांसीसी क्रांति का तात्कालिक कारण एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन बुलाया जाना था। अधिवेशन बुलाए जाने के बाद जनसाधारण के प्रतिनिधियों ने राजा के सामने यह मांग रखी कि एस्टेट्स जेनराल के तीनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई जाए। राजा के इन्कार करने
पर जनसाधारण के प्रतिनिधि टैनिस कोर्ट में एकत्रित हुए और उन्होंने नवीन संविधान बनाने की घोषणा की। इसी बीच राजा ने जनता के प्रतिनिधियों की मांग स्वीकार कर ली जिन्होंने एस्टेट्स जेनराल के प्रथम अधिवेशन में ही क्रांति का बिगुल बजा दिया।
PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (1)

प्रश्न 2.
फ्रांस की क्रांति के पड़ावों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति आधुनिक काल की सबसे महान् घटना थी। यह केवल फ्रांस की ही आंतरिक घटना नहीं थी, बल्कि यह विश्व क्रांति थी। इसने केवल फ्रांसीसी समाज को ही नहीं, बल्कि पूरी मानव-जाति को प्रभावित किया। शताब्दियों के पश्चात् मानवीय मूल्यों का आदर किया जाने लगा, मध्यकालीन सामंती ढांचा जड़ से हिल गया और राजतंत्र का स्थान प्रजातंत्र ने लेना आरंभ किया। समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों की गूंज विश्व के अनेक देशों में सुनी गई। फ्रांस की क्रांति के 1789 ई० से आरंभ होकर नेपोलियन के पतन तक चली इसके विभिन्न पड़ावों का वर्णन इस प्रकार है-

1. टैनिस कोट और बेस्टील का पतन-14 जुलाई, 1789 को क्रुद्ध भीड़ से पेरिस नगर में बेस्टील के किले पर धावा बोला। यह किला फ्रांस के सम्राट् की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था। उस दिन सम्राट ने सेना को नगर में प्रवेश करने का आदेश दे दिया था। अफ़वाह थी कि वह सेना को नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश देने वाला है। अतः लगभग 7000 पुरुष तथा स्त्रियां टाऊन हॉल के सामने एकत्र हुए और उन्होंने एक जन-सेना का गठन किया। हथियारों की खोज में वे अनेक सरकारी भवनों में जबरन प्रवेश कर गए। अंततः सैंकड़ों लोगों के एक समूह ने पेरिस नगर में स्थित बेस्टील (Bastile) के किले की जेल को तोड़ डाला जहां उन्हें भारी मात्रा में गोला-बारूद मिलने की आशा थी। हथियारों पर कब्जे के इस संघर्ष में बेस्टील का कमांडर मारा गया और कैदी छुड़ा लिए गए, यद्यपि उनकी संख्या केवल सात थी। किले को ध्वस्त कर दिया गया और उसके अवशेष बाज़ार में उन लोगों को बेच दिए गए जो इस ध्वंस को स्मृति-चिह्न के रूप में संजो कर रखना चाहते थे।

2. फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र (राष्ट्रीय महासभा)-फ्रांस का सम्राट् लुई (XVI) अपनी विद्रोही प्रजा की शक्ति को देखकर सहम गया था। अत: उसने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी और यह भी मान लिया कि अब से उसकी सत्ता पर संविधान का अंकुश होगा। 1791 में नेशनल असेंबली ने संविधान का प्रारूप तैयार कर लिया। इसका मुख्य उद्देश्य सम्राट की शक्तियों को सीमित करना था। अब शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में विभाजित कर दिया गया। इस प्रकार शक्तियां एक हाथ में केंद्रित न रह कर तीन विभिन्न संस्थाओं को हस्तांतरित कर दी गईं। इसी के फलस्वरूप फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई।

3. आतंक का राज्य जैकोबिन क्लब-जैकोबिन क्लब के सदस्य मुख्यतः समाज के हम समृद्ध वर्गों से संबंधित थे। इनमें छोटे दुकानदार और कारीगर जैसे जूता बनाने वाले, पेस्ट्री बनाने वाले, घड़ीसाज़, छपाई करने वाले और नौकर व दैनिक मज़दूर शामिल थे। उनका नेता मैक्समिलियन रोबेस्प्येर था। रोबेस्प्येर ने 1793 से 1794 तक फ्रांस पर शासन किया। उसने बहुत ही कठोर एवं क्रूर नीतियां अपनाईं। वह जिन्हें गणतंत्र का शत्रु मानता था अथवा उसकी पार्टी का जो कोई सदस्य उससे असहमति जताता था, उन्हें जेल में डाल देता था। उन पर एक क्रांतिकारी न्यायालय द्वारा मुकद्दमा चलाया जाता था। जो कोई भी दोषी पाया जाता था, उसे गुलोटाइन पर चढ़ा कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था।
रोबेस्प्येर ने अपनी नीतियों को इतनी कठोरता एवं क्रूरता से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि-त्राहि कर उठे। इसी कारण उसके राज्य की ‘आतंक का राज्य’ कहा जाता है।

4. डायरेक्टरी का शासन-जैकोबिन सरकार के पतन के बाद नेशनल कन्वेंशन ने 1795 ई० में फ्रांस के लिए एक संविधान तैयार किया था। इस संविधान के अनुसार देश के शासन की बागडोर डायरेक्टरी के हाथ में सौंप दी गई। 26 अक्तूबर, 1795 ई० को डायरेक्टरी का पहला अधिवेशन बुलाया गया और इसके साथ ही नेशनल कन्वेंशन भंग हो गई। डायरेक्टरी ने चार वर्ष (1795-1799 ई०) तक फ्रांस पर शासन किया। इन चार वर्षों में इसे अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। डायरेक्टरी की राजनीतिक असफलता ने सैनिक तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

5. नेपोलियन का काल-1799 में डिरेक्ट्री के शासन का तख्तापलट कर नेपोलियन प्रथम काउंसिल (First Council) बन गया। उसने तानाशाही शक्तियां प्राप्त कर ली। उसने जनमत-संग्रह करवाया। 99.9 प्रतिशत मतदाताओं ने उसकी नई शासन व्यवस्था के पक्ष में मत दिया। विजयों की एक श्रृंखला के बाद वह फ्रांस के शत्रुओं के साथ भी शांति संधि स्थापित करने में सफल रहा। संधि तथा शांति स्थापना के इन कार्यों ने सिद्ध कर दिया कि वह एक योग्य प्रशासक है। 1799 से 1804 तक, उसने अनेक सुधार लागू किए।

  • उसने वित्तीय उपायों द्वारा बढ़ती हुई मुद्रास्फीति (मूल्य वृद्धि) पर रोक लगाई।
  • इसके बाद बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की गई।
  • उसने पोप के साथ काफ़ी समय से चले आ रहे उस विवाद को भी सुलझा लिया, जो 1789 में चर्च की भूमि को जब्त किए जाने के कारण शुरू हुआ था। इसके लिए उसने घोषित कर दिया कि कैथोलिकवाद ही बहुसंख्यक फ्रांसीसियों का धर्म है।
  • तत्पश्चात् उसने फ्रांसीसी कानून को संहिताबद्ध करने का काम पूरा किया। इसीलिए उस संहिता को नेपोलियन कोड (संहिता) के नाम से पुकारा जाता है। यही संहिता भविष्य में फ्रांसीसी कानून प्रणाली का आधार बनी रही।
  • नेपोलियन सम्राट् बना-1804 तक आते-आते नेपोलियन प्रथम काउंसिल के पद से संतुष्ट नहीं रहा। उसने एक बार फिर जनमत-संग्रह करवाया और उसे वह सब बनने व करने का अधिकार मिला जो वह चाहता था। दिसंबर
    PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (2)
    1804 में उसने पोप पिअस सप्तम की उपस्थिति में स्वयं अपने हाथों से अपने सिर पर राजमुकुट धारण किया। इस प्रकार उसने स्वयं को सम्राट् घोषित कर दिया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 3.
फ्रांस की क्रांति के क्या प्रभाव पड़े ?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति (1789 ई०) से न केवल फ्रांस, बल्कि संसार के समस्त देश स्थायी रूप से प्रभावित हुए। वास्तव में इस क्रांति के कारण एक नये युग का उदय हुआ। इसके तीन प्रमुख सिद्धांत-समानता, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व की भावना पूरे विश्व के लिए अमर वरदान सिद्ध हुए। इन्हीं के आधार पर संसार के अनेक देशों में एक नये समाज की स्थापना का प्रयत्न किया गया। इस क्रांति की विरासत का वर्णन इस प्रकार है-

1. स्वतंत्रता-स्वतंत्रता फ्रांसीसी क्रांति का एक मूल सिद्धांत था। इस सिद्धांत से यूरोप के लगभग सभी देश प्रभावित हुए। फ्रांस में मानव-अधिकारों के घोषणा-पत्र (Declaration of the Rights of Man) द्वारा सभी लोगों को उनके अधिकारों से परिचित कराया गया। देश में अर्द्धदास प्रथा (Serfdom) का अंत कर दिया गया और निर्धन किसानों को सामंतों के चंगुल से छुटकारा दिलाया गया। फ्रांसीसी क्रांति के परिणामस्वरूप अनेक देशों में निरंकुश शासन के विरुद्ध आंदोलन आरंभ हो गए। लोगों ने धार्मिक, सामाजिक तथा राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना आरंभ कर दिया।

2. समानता-क्रांति के कारण निरंकुश शासन का अंत हुआ और इसके साथ ही समाज में फैली असमानता का भी अंत हो गया। समानता क्रांति का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत था। इसका प्रचार लगभग सभी देशों में हुआ। इसके फलस्वरूप सभी लोग कानून की दृष्टि में एक समान समझे जाने लगे। सभी लोगों को उन्नति के समान अवसर प्राप्त होने लगे। सरकार अब सभी लोगों से एक समान व्यवहार करने लगी। वर्ग भेद सदा के लिए समाप्त हो गया।

3. लोकतंत्र-फ्रांस के क्रांतिकारियों ने राष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा निरंकुश तथा स्वेच्छाचारी शासन का अंत कर दिया और इसके स्थान पर लोकतंत्र की स्थापना की। लोगों को बताया गया कि राज्य की सारी शक्ति जनता में निहित है और राजा के दैवी अधिकारों का सिद्धांत बिल्कुल गलत है। लोगों को यह अधिकार है कि वे अपने चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा सरकार चलायें। फ्रांस को क्रांति ने यह स्पष्ट कर दिया था कि सरकार केवल जनता के लिए ही नहीं बल्कि जनता के द्वारा बनाई जाए। आरंभ में लोकतंत्र के सिद्धांत के विरुद्ध यूरोप में प्रतिक्रिया हुआ, परंतु कुछ समय पश्चात् यूरोप तथा संसार के अन्य देशों ने इस सिद्धांत के महत्त्व को समझा और उन देशों में लोकतंत्र का जन्म हुआ।

4. राष्ट्रीयता की भावना-फ्रांसीसी क्रांति के कारण फ्रांस तथा यूरोप के अन्य देशों में राष्ट्रीयता की भावना का जन्म हुआ। क्रांति के समय जब आस्ट्रिया तथा प्रशा ने फ्रांस पर आक्रमण किया था तो फ्रांस के सभी लोग, कंधे से कंधा मिलाकर उनके विरुद्ध लड़े थे। यह उनकी राष्ट्रीय भावना का ही परिणाम था। फ्रांसीसी होने के नाते वे एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और देश के शत्रु को अपना साझा शत्रु मानते थे। राष्ट्रीयता की इसी भावना से प्रेरित हो कर नेपोलियन के सैनिकों ने अनेक देशों पर विजय प्राप्त की। यह भावना केवल फ्रांस तक ही सीमित न रहकर जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल आदि देशों में भी पहुंची।

5. सामंतवाद से प्रजातंत्र की ओर-फ्रांसीसी क्रांति ने सामंतवाद का अंत कर दिया। सामंतों को उनके विशेषाधिकारों से वंचित कर दिया गया। अब उन्हें भी अन्य लोगों की भांति कर देने पड़ते थे। अर्द्धदास प्रथा (Serfdom) का अंत कर दिया गया और वर्ग-भेद मिटा दिये गये। समाज का गठन समानता के आधार पर किया गया। धीरे-धीरे ये परिवर्तन यूरोप तथा संसार के अन्य देशों में भी किये गए। इस प्रकार सामंतवाद का स्थान प्रजातंत्र ने लेना आरंभ कर दिया।

6. सार्वजनिक कल्याण-फ्रांस की राज्य-क्रांति ने सार्वजनिक कल्याण की भावना को विकसित किया। इस भावना से प्रेरित होकर दयालु लोगों तथा उन्नत सरकारों ने धन तथा कानूनों द्वारा लोगों के सामाजिक जीवन को सुधारने के प्रयास किए। जेलों की व्यवस्था को सुधारा गया तथा दासता का अंत कर दिया गया। कारखानों, खानों तथा खेतों में काम करने वाले मजदूरों की अवस्था में भी काफी सुधार किए गए। अशिक्षितों की शिक्षा के लिए स्कूलों की स्थापना की गई तथा रोगियों के लिए अस्पताल खोले गए। पिछड़े हुए लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई। इस प्रकार क्रांति के कारण सार्वजनिक भलाई की भावना का काफ़ी विकास हुआ। तो यह है कि क्रांति ने प्रचलित कानूनों का रूप बदल दिया, सामाजिक मान्यताएं बदल डालीं और आर्थिक ढांचे में आश्चर्यजनक परिवर्तन किए। राजनीतिक दल नवीन आदर्शों से प्रेरित हुए। सुधार आंदोलन तीव्र गति से चलने लगे। साहित्यकारों ने नवीन वाणी पाई। फ्रांसीसी क्रांति के तीन स्तंभ-समानता, स्वतंत्रता तथा बंधुत्व प्रत्येक देश के लिए पथ-प्रदर्शक बने। मानवता के लिए अंधकार का युग समाप्त हुआ और एक आशा भरी प्रातः का उदय हुआ।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी क्रांति के कारणों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
नोट-इसके लिए दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्नों का प्रश्न नंबर 1 पढ़ें।

प्रश्न 5.
1789 ई० से पूर्व तीसरे वर्ग की महिलाओं की क्या स्थिति थी ?
उत्तर-
फ्रांस में तीसरे एस्टेट (वर्ग) की अधिकतर महिलाएं जीवन निर्वाह के लिए काम करती थीं। वे सिलाईबुनाई तथा कपड़ों की धुलाई करती थीं और बाजारों में फल-फूल तथा सब्जियां बेचती थीं। कुछ महिलाएं संपन्न घरों में घरेलू काम करती थीं। बहुत-सी महिलाएं वेश्यावृत्ति भी करती थीं। अधिकांश महिलाओं के पास पढ़ाई-लिखाई तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर नहीं थे। केवल कुलीनों की लड़कियां अथवा तीसरे एस्टेट के धनी परिवारों की लड़कियां ही कॉन्वेंट में पढ़ पाती थीं। इसके बाद उनकी शादी कर दी जाती थी। कामकाजी महिलाओं को अपने परिवार की देखभाल भी करनी पड़ती थी।
प्रारंभिक वर्षों में क्रांतिकारी सरकार ने महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कुछ कानून लागू किए। एक कानून के अनुसार सरकारी विद्यालयों की स्थापना की गई और सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया।

PSEB 9th Class Social Science Guide फ्रांसीसी क्रांति Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
फ्रांस की राज्य क्रांति कब हुई ?
(क) 1917 ई० में
(ख) 1905 ई० में
(ग) 1789 ई० में
(घ) 1688 ई० में।
उत्तर-
(ग) 1789 ई० में

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस पर किसका शासन था ?
(क) लुई फिलिप का
(ख) लुई सोलहवें का
(ग) लुई चौदहवें का
(घ) लुई अमरहवें का।
उत्तर-
(ख) लुई सोलहवें का

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी क्रांति के समय किसानों की गणना किस वर्ग में की जाती थी ?
(क) कुलीन वर्ग में
(ख) मध्य वर्ग में
(ग) निम्न वर्ग में
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) निम्न वर्ग में

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प्रश्न 4.
रोमन कैथोलिक चर्च का सबसे बड़ा अधिकारी था
(क) रोमन सम्राट
(ख) रोमन प्रधानमंत्री।
(ग) पोप
(घ) मैटर्निख।
उत्तर-
(ग) पोप

प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रांति के समय यूरोप में भूमि के स्वामी थे
(क) जागीरदार
(ख) किसान
(ग) दास-कृषक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) जागीरदार

प्रश्न 6.
इनमें से किसका संदर्भ राजकीय शक्ति के प्रतीक से है ?
(क) राजदंड
(ख) कानूनी टेबल
(ग) लिवर (लिव्रे)
(घ) राजस्व।
उत्तर-
(क) राजदंड

प्रश्न 7.
इनमें से कौन-सा दासों की आजादी का प्रतीक है ?
(क) राजदंड
(ख) छड़ों का बींदार गट्ठर
(ग) अपनी पूंछ मुंह में लिए सांप
(घ) टूटी हुई जंजीर/हथकड़ी।
उत्तर-
(घ) टूटी हुई जंजीर/हथकड़ी।

प्रश्न 8.
विधि पट किस बात का प्रतीक है ? .
(क) कानून की नज़र में सब बराबर हैं।
(ख) कानून सबके लिए समान हैं।
(ग) सामंत विशेष सुविधाओं के अधिकारी हैं।
(घ) (क) तथा (ख)।
उत्तर-
(घ) (क) तथा (ख)।

प्रश्न 9.
फ्रांस के राष्ट्रीय रंगों का समूह निम्न में से कौन-सा है?
(क) नीला-पीला-लाल
(ख) पीला-सफ़ेद-नीला
(ग) नीला-सफ़ेद-लाल
(घ) केसरी-सफ़ेद-हरा।
उत्तर-
(ग) नीला-सफ़ेद-लाल

प्रश्न 10.
निम्न में से किसका संदर्भ ‘एकता में ही बल है’ के प्रतीक से है ?
(क) त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आँख
(ख) छड़ों का बींदार गट्ठर
(ग) लाल फ्राइजियन टोपी
(घ) टिथे।
उत्तर-
(ख) छड़ों का बींदार गट्ठर

प्रश्न 11.
लाल-फ्राइजियन टोपी का संबंध निम्न में से किससे है ?
(क) स्वतंत्र दासों से
(ख) समानता से
(ग) कानून के मानवीय रूप से
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) स्वतंत्र दासों से

प्रश्न 12.
निम्न में से कानून के मानवीय रूप का प्रतीक कौन-सा है ?
(क) विधि पट
(ख) लाल-फ्राइजियन टोपी
(ग) डैनों वाली स्त्री
(घ) अपनी पूंछ मुंह में लिए सांप।
उत्तर-
(ग) डैनों वाली स्त्री

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प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से ज्ञात का प्रतीक कौन-सा है ?
(क) राजदंड
(ख) टूटी हुई जंजीर
(ग) डैनों वालो स्त्री
(घ) त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आंख।
उत्तर-
(घ) त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आंख।

प्रश्न 14.
तीसरे एस्टेट (फ्रांस) द्वारा राज्य को दिए जाने वाले प्रत्यक्ष कर का नाम इनमें से क्या था ?
(क) टाइद
(ख) टेली (टाइल)
(ग) लिवर (लिव्रे)
(घ) राजस्व।
उत्तर-
(ख) टेली (टाइल)

प्रश्न 15.
चर्च द्वारा किसानों (फ्रांस) से वसूला जाने वाला धार्मिक कर निम्न में से कौन-सा था ?
(क) लिने
(ख) टाइद
(ग) टिले
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) टाइद

प्रश्न 16.
फ्रांस के संदर्भ में लिने क्या था ?
(क) फ्रांस की मुद्रा
(ख) कारागार
(ग) एक प्रकार का कर
(घ) उच्च पद्र।
उत्तर-
(क) फ्रांस की मुद्रा

प्रश्न 17.
लुई 16वां फ्रांस का सम्राट् कब बना था ?
(क) 1747 ई० में
(ख) 1789 ई० में
(ग) 1774 ई० में
(घ) 1791 ई० में।
उत्तर-
(ग) 1774 ई० में

प्रश्न 18.
फ्रांस के शासक लुई 16वें ने किस प्रकार की सरकार को अपनाया ?
(क) निरंकुश
(ख) साम्यवादी
(ग) समाजवादी
(घ) उदारवादी।
उत्तर-
(क) निरंकुश

प्रश्न 19.
कौन-सा कारक फ्रांसीसी क्रांति के लिए उत्तरदायी था ?
(क) प्रजातंत्रात्मक शासन प्रणाली
(ख) सामंतों की शोचनीय दशा
(ग) भ्रष्ट शासन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) भ्रष्ट शासन

प्रश्न 20.
लुई 16वें का संबंध किस राजवंश से था ?
(क) हेप्सबर्ग
(ख) हिंडेनबर्ग
(ग) नार्डिक
(घ) बूबों।
उत्तर-
(घ) बूबों।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 21.
रूसो ने ग्रंथ लिखा
(क) ट्रीटाइड ऑन टालरेंस
(ख) द सोशल कंट्रेक्ट/सामाजिक समझौता।
(ग) विश्वकोष
(घ) फिलीसिफिकल डिक्शनरी।
उत्तर-
(ख) द सोशल कंट्रेक्ट/सामाजिक समझौता।

प्रश्न 22.
एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन हुआ
(क) पेरिस में
(ख) वर्सेय में
(ग) वियाना में
(घ) बर्लिन में।
उत्तर-
(ख) वर्सेय में

प्रश्न 23.
ऐंटोनिटी कौन थी ?
(क) लुई 14वें की पत्नी
(ख) लुई 15वें की पत्नी
(ग) लुई 16वें की पत्नी
(घ) लुई 16वें की पत्नी।
उत्तर-
(ग) लुई 16वें की पत्नी

प्रश्न 24.
मेरी ऐंटोनिटी कहां की राजकुमारी थी ?
(क) जर्मनी
(ख) फ्रांस
(ग) इंग्लैंड
(घ) आस्ट्रिया।
उत्तर-
(घ) आस्ट्रिया।

प्रश्न 25.
क्रांति (1789) के समय फ्रांस पर कितना विदेशी ऋण था ?
(क) 2 अरब लिने
(ख) 12 अरब लिने
(ग) 10 अरब लिवे
(घ) 2.8 अरब लिने।
उत्तर-
(ख) 12 अरब लिने

प्रश्न 26.
फ्रांस में एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन हुआ था
(क) 1788 ई० में
(ख) 1801 ई० में
(ग) 1791 ई० में
(घ) 1789 ई० में।
उत्तर-
(घ) 1789 ई० में।

प्रश्न 27.
किस पुस्तक को ‘क्रांति का बाइबल’ कहा जाता है ?
(क) दि प्रिंसिपल ऑफ पोलिटकल राइट्स
(ख) एडिसकोर्स ऑन एंड साईंसिस ।
(ग) लॉ नैवेल
(घ) द सोशल कांट्रेक्ट/सामाजिक समझौता।
उत्तर-
(घ) द सोशल कांट्रेक्ट/सामाजिक समझौता।

प्रश्न 28.
कौन-सा सिद्धांत फ्रांसीसी क्रांति का नहीं है ?
(क) समानता
(ख) स्वतंत्रता
(ग) बंधुत्व
(घ) साम्राज्यवाद।
उत्तर-
(घ) साम्राज्यवाद।

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प्रश्न 29.
” मैं फ्रांस हूँ। मेरी इच्छा ही कानून है।” ये शब्द किसके हैं ?
(क) बिस्मार्क
(ख) मांटेस्क्यू
(ग) लुई 16वें
(घ) नेपोलियन।
उत्तर-
(ग) लुई 16वें

प्रश्न 30.
राष्ट्रीय सभा बुलाने का उद्देश्य क्या था ?
(क) राजा को दंड देना
(ख) कर लगाना
(ग) कर हटाना
(घ) दार्शनिकों को पुरस्कृत करना।
उत्तर-
(ख) कर लगाना

प्रश्न 31.
राजा से झगड़े के पश्चात् राष्ट्रीय सभा किस स्थान पर एकत्रित हुई ?
(क) राजा के महल में
(ख) राजमहल के सामने
(ग) टेनिस कोर्ट में
(घ) बर्लिन में।
उत्तर-
(ग) टेनिस कोर्ट में

प्रश्न 32.
टेनिस कोर्ट में जनसाधारण के प्रतिनिधियों ने क्या शपथ ली ?
(क) संविधान बनाने की
(ख) राजा को हटाने की
(ग) चर्च की संपत्ति लूटने की
(घ) सामंत वर्ग का विनाश करने की।
उत्तर-
(क) संविधान बनाने की

प्रश्न 33.
राष्ट्रीय महासभा का अधिवेशन कब आरंभ हुआ ?
(क) 15 अगस्त, 1789 को
(ख) 9 जुलाई, 1789 को
(ग) 14 अगस्त, 1789 को
(घ) 4 अगस्त, 1789 को।
उत्तर-
(घ) 4 अगस्त, 1789 को।

प्रश्न 34.
राष्ट्रीय सभा ने मानवीय अधिकारों की घोषणा कब की ?
(क) 1790 को
(ख) 1791 को
(ग) 27 अगस्त, 1789
(घ) 1792 को।
उत्तर-
(ग) 27 अगस्त, 1789

प्रश्न 35.
फ्रांस में मानव एवं नागरिक अधिकारों की घोषणा किसने की ?
(क) विधानसभा ने
(ख) राष्ट्रीय महासभा ने
(ग) राष्ट्रीय सम्मेलन ने
(घ) किसी ने भी नहीं।
उत्तर-
(ख) राष्ट्रीय महासभा ने

प्रश्न 36.
बेस्टील का पतन कब हुआ ?
(क) 12 जुलाई, 1789 को
(ख) 10 जुलाई, 1789 को
(ग) 11 जुलाई, 1789 को
(घ) 14 जुलाई, 1789 को।
उत्तर-
(घ) 14 जुलाई, 1789 को।

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प्रश्न 37.
बेस्टील का किला किस बात का प्रतीक था ?
(क) स्वतंत्रता का
(ख) समानता का
(ग) बंधुत्व का
(घ) निरंकुश शक्तियों का।
उत्तर-
(घ) निरंकुश शक्तियों का।

प्रश्न 38.
फ्रांसीसी क्रांति का आरंभ किस ऐतिहासिक घटना से माना जाता है ?
(क) एस्टेट्स जेनराल का भंग होना
(ख) बेस्टील का पतन
(ग) राजा का फ्रांस से भागना
(घ) रानी का जिद्दी स्वभाव।
उत्तर-
(ख) बेस्टील का पतन

प्रश्न 39.
‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक सेना’ के गठन का क्या उद्देश्य था ?
(क) राजा पर नियंत्रण रखना
(ख) राष्ट्रीय सभा पर नियंत्रण रखना
(ग) फ्रांस का नेतृत्व करना
(घ) अराजकता को रोकना।
उत्तर-
(घ) अराजकता को रोकना।

प्रश्न 40.
राष्ट्रीय सभा ने संविधान तैयार किया
(क) 1789 में
(ख) 1799 में
(ग) 1791 में
(घ) 1792 में।
उत्तर-
(ग) 1791 में

प्रश्न 41.
1791 ई० के फ्रांसीसी संविधान के अनुसार फ्रांस की सरकार का स्वरूप कैसा था ?
(क) गणतंत्रीय
(ख) राजतंत्रीय
(ग) अल्पतंत्रीय
(घ) सामंतशाही।
उत्तर-
(क) गणतंत्रीय

प्रश्न 42.
10 अगस्त, 1792 से लेकर 20 सितंबर, 1792 तक फ्रांस का शासन किसके हाथ में रहा ?
(क) लुई 16वां
(ख) लफायेत
(ग) फ्रांसीसी सेना
(घ) पेरिस कम्यून।
उत्तर-
(घ) पेरिस कम्यून।

प्रश्न 43.
राष्ट्रीय सम्मेलन में लुई 16वें के लिए क्या दंड निश्चित किया गया ?
(क) मृत्यु दंड
(ख) निर्वासन
(ग) आजीवन कारावास
(घ) क्षमादान।
उत्तर-
(क) मृत्यु दंड

प्रश्न 44.
लुई 16वें को मृत्यु दंड कब दिया गया ?
(क) 1791 ई० में
(ख) 1792 ई० में
(ग) 1789 ई० में
(घ) 1793 ई० में।
उत्तर-
(घ) 1793 ई० में।

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प्रश्न 45.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने किस अमानवीय प्रथा का अंत किया ?
(क) सती प्रथा
(ख) बेगार प्रथा
(ग) दास प्रथा
(घ) सामंत प्रथा।
उत्तर-
(ग) दास प्रथा

प्रश्न 46.
रोबेस्प्येर को गिलोटिन पर कब चढ़ाया गया ?
(क) जुलाई, 1794 ई० में
(ख) जुलाई, 1791 ई० में
(ग) जुलाई, 1789 ई० में
(घ) जुलाई, 1795 ई० में।
उत्तर-
(क) जुलाई, 1794 ई० में

प्रश्न 47.
फ्रांस में ‘आतंक का राज्य’ निम्नलिखित राजनीतिक दल ने स्थापित किया
(क) जिरोंदिस्त दल
(ख) राजतंत्रवादी दल
(ग) जैकोबिन दल
(घ) उपरोक्त सभी ने सामूहिक रूप से।
उत्तर-
(ग) जैकोबिन दल

प्रश्न 48.
आतंक के शासन में मृत्युदंड प्राप्त व्यक्ति को मारा जाता था
(क) फांसी देकर
(ख) गिलोटिन द्वारा
(ग) बिजली का झटका देकर
(घ) विष देकर।
उत्तर-
(ख) गिलोटिन द्वारा

प्रश्न 49.
जिरोंदिस्त दल ने देश की आर्थिक दशा सुधारने के लिए कौन-सी नई मुद्रा चलाई ?
(क) चांदी के सिक्के
(ख) सोने के सिक्के
(ग) तांबे के सिक्के
(घ) कागज़ के नोट।
उत्तर-
(घ) कागज़ के नोट।

प्रश्न 50.
‘पैट्रियाट’ नामक पत्र के प्रकाशन का कार्य फ्रांसीसी क्रांति के किस नेता ने आरंभ किया ?
(क) रूसो
(ख) रोबेस्प्येर
(ग) दांते
(घ) ब्रीसो।
उत्तर-
(घ) ब्रीसो।

प्रश्न 51.
डायरेक्टरी की राजनीतिक अस्थिरता जिस सैनिक तानाशाह के उदय का आधार बनी
(क) नेपोलियन बोनापार्ट
(ख) लुई 16वां
(ग) रोबेस्प्येर
(घ) रूसो।
उत्तर-
(क) नेपोलियन बोनापार्ट

प्रश्न 52.
फ्रांस में महिलाओं को मत देने का अधिकार मिला
(क) 1792
(ख) 1794
(ग) 1904
(घ) 1946.
उत्तर-
(घ) 1946

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प्रश्न 53.
क्रांतिकारी फ्रांस से आने वाले विचारों का समर्थन किया
(क) टीपू सुल्तान तथा राजा राममोहन राय
(ख) हैदरअली तथा स्वामी दयानंद
(ग) बहादुरशाह ज़फ़र तथा स्वामी विवेकानंद
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) टीपू सुल्तान तथा राजा राममोहन राय

II. रिक्त स्थान भरो:

  1. फ्रांसीसी क्रांति के समय ………………….. यूरोप में भूमि के स्वामी थे।
  2. फ्रांस के राष्ट्रीय रंगों का समूह ………………………. है।
  3. …………….. तीसरे वर्ग (एस्टेट) द्वारा फ्रांस राज्य को दिया जाने वाला प्रत्यक्ष कर था।
  4. फ्रांस में एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन ……….. ………. ई० में हुआ।
  5. बेस्टील का किला …. ……………….. का प्रतीक था।
  6. फ्रांस के ‘आतंक का राज्य’ …………………….. ने स्थापित किया।

उत्तर-

  1. जमींदार
  2. नीला सफेद लाल
  3. टेली (टाइले)
  4. 1789
  5. निरंकुश शक्तियों
  6. जैकोरि

III. सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. फ्रांसीसी क्रांति – (i) स्वतंत्र दास
2. किसान – (ii) जैकोबिन दल
3. लाल फ्रीजियन टोपी – (iii) लुई सोलहवां
4. क्रांति का बाइबल – (iv) द सोशल कांट्रेक्ट
5. आतंक का राज्य – (v) निम्न वर्ग

उत्तर-

  1. लुई सोलहवां
  2. निम्न वर्ग
  3. स्वतंत्र दास
  4. द सोशल कांट्रेक्ट
  5. जैकोबिन दल। जिला

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

प्रश्न 1.
फ्रांस की राज्य क्रांति कब हुई ?
उत्तर-
1789 ई० में।

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व फ्रांस में किस वर्ग को विशेषाधिकार प्राप्त थे ?
उत्तर-
सामंत वर्ग को।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस का शासक कौन था ? उसका संबंध किस राजवंश से था ?
उत्तर-
लुई सोलहवां, बूढे राजवंश।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस के समाज में सबसे अधिक शक्तिशाली थे ?
उत्तर-
सामंत, चर्च।

प्रश्न 5.
रोमन कैथोलिक चर्च का सबसे बड़ा अधिकारी कौन था ?
उत्तर-
पोप।

प्रश्न 6.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस की संसद् किस नाम से प्रसिद्ध थी ?
उत्तर-
एस्टेट्स जेनराल।

प्रश्न 7.
लुई सोलहवें का निवास स्थान कहां था ?
उत्तर-
वर्सेय में।

प्रश्न 8.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस में किस प्रकार का शासन तंत्र था ?
उत्तर-
निरंकुश राजतंत्र।

प्रश्न 9.
फ्रांसीसी क्रांति को जन्म देने वाले दो प्रमुख दार्शनिकों के नाम बताओ।
उत्तर-
मांटेस्क्यू, रूसो।

प्रश्न 10.
रूसो ने किस बात पर अधिक बल दिया ?
उत्तर-
मनुष्यों की समानता पर।

प्रश्न 11.
रूसो द्वारा लिखित ग्रंथ का नाम लिखो।
उत्तर-
द सोशल कंट्रेक्ट (सामाजिक समझौता)।

प्रश्न 12.
मांतेस्क्यू ने किस ग्रंथ की रचना की थी ?
उत्तर-
‘The Spirit of The Laws’ (कानून की आत्मा)।

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प्रश्न 13.
मेरी ऐंटोनिटी कौन थी ?
उत्तर-
लुई सोलहवें की पत्नी।

प्रश्न 14.
फ्रांस की भूमि पर कितना भाग चर्च की संपत्ति थी ?
उत्तर-
1/5 भाग।

प्रश्न 15.
फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व फ्रांस में राज्य तथा सेना के महत्त्वपूर्ण पदों पर किसका अधिकार था ?
उत्तर-
सामंतों का।

प्रश्न 16.
फ्रांस के किस दार्शनिक को दार्शनिकों का सम्राट् कहा जाता है ?
उत्तर-
वाल्तेयर को।

प्रश्न 17.
फ्रांसीसी क्रांति का फ्रांस पर कोई एक प्रभाव बताओ।
उत्तर-
निरंकुश राजतंत्र का पतन।

प्रश्न 18.
फ्रांसीसी क्रांति के तीन प्रमुख सिद्धांत कौन-कौन से थे ?
उत्तर-
समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व।

प्रश्न 19.
राष्ट्रीय सभा का नाम संविधान सभा कब रखा गया ?
उत्तर-
9 जुलाई, 1789.

प्रश्न 20.
राष्ट्रीय सभा बुलाने का क्या उद्देश्य था?
उत्तर-
कर लगाना।

प्रश्न 21.
तुर्गों द्वारा किया गया एक वित्तीय सुधार लिखो।
उत्तर-
कर्मचारियों की संख्या में कमी।

प्रश्न 22.
एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन बुलाने से पूर्व लुई 16वें ने कौन-सी सभा बुलाई ?
उत्तर-
पैरिस की पार्लियामेंट।

प्रश्न 23.
पैरिस की पार्लियामेंट क्यों बुलाई गई ?
उत्तर-
कर लगाने के लिए।

प्रश्न 24.
एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन कब हुआ ?
उत्तर-
17 जुलाई, 1789.

प्रश्न 25.
टैनिस कोर्ट (फ्रांस) में जनसाधारण के प्रतिनिधियों ने किस विषय में शपथ ली ?
उत्तर-
संविधान बनाने की।

प्रश्न 26.
फ्रांस में मानव एवं नागरिक अधिकारों की घोषणा किसने की ?
उत्तर-
राष्ट्रीय महासभा ने।

प्रश्न 27.
बेस्टील का पतन कब हुआ ?
उत्तर-
14 जुलाई, 1789.

प्रश्न 28.
फ्रांसीसी क्रांति का आरंभ किस घटना से माना जाता है ?
उत्तर-
बेस्टील के पतन से।

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प्रश्न 29.
फ्रांस की ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक सेना’ का मुखिया कौन था ?
उत्तर-
लफायेत।

प्रश्न 30.
राजा को वर्सेय से पेरिस कौन लाया ?
उत्तर-
स्त्रियों का जलस।

प्रश्न 31.
राष्ट्रीय संविधान सभा ने संविधान कब तैयार किया ?
उत्तर-
1791 ई० में।

प्रश्न 32.
जिरोंदिस्त क्लब के सदस्य किस विचारधारा के पक्षपाती थे ?
उत्तर-
गणतंत्रवादी विचारधारा।

प्रश्न 33.
पहली बार फ्रांस की जनता ने किस दिन राजमहल को घेरा ?
उत्तर-
20 जून, 1792 ई०।

प्रश्न 34.
पेरिस की भीड़ ने दूसरी बार राजा के महल को कब घेरा ?
उत्तर-
10 अगस्त, 1792 ई०।

प्रश्न 35.
फ्रांस के राजा को किसके शासन द्वारा बंदी बनाया गया ?
उत्तर-
विधानसभा के शासन द्वारा।

प्रश्न 36.
फ्रांसीसी विधान सभा का सबसे प्रमुख कार्य क्या था ?
उत्तर-
राजतंत्र की समाप्ति।

प्रश्न 37.
विधानसभा द्वारा राजतंत्रवादियों की हत्या की घटना को किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर-
सितंबर हत्याकांड।

प्रश्न 38.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने फ्रांस में कैसी शासन प्रणाली स्थापित की ?
उत्तर-
गणतंत्रात्मक।

प्रश्न 39.
राष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा जारी नये कैलेंडर की प्रथम तिथि कब से आरंभ हुई ?
उत्तर-
22 सितंबर, 1979 से।

प्रश्न 40.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने लुई 16वें के लिए क्या दंड निश्चित किया ?
उत्तर-
मृत्यु दंड।

प्रश्न 41.
लुई 16वें को मृत्यु दंड कब दिया गया ?
उत्तर-
1793 ई० में।

प्रश्न 42.
राष्ट्रीय सम्मेलन के शासन काल में फ्रांस के दो प्रमुख राजनीतिक दल कौन-कौन से थे ?
उत्तर-
जिरोंदिस्त तथा जैकोबिन।

प्रश्न 43.
फ्रांस के राष्ट्रीय सम्मेलन ने भीतरी शत्रुओं का सामना करने के लिए किस समिति की स्थापना की ?
उत्तर-
सार्वजनिक रक्षा समिति।

प्रश्न 44.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने नाप-तोल की कौन-सी नई विधि अपनाई ?
उत्तर-
दशमलव विधि।

प्रश्न 45.
फ्रांस में ‘आतंक का राज्य’ लगभग कितने वर्ष चला ?
उत्तर-
एक वर्ष।

प्रश्न 46.
फ्रांस में ‘आतंक का राज्य’ किस राजनीतिक दल ने स्थापित किया ?
उत्तर-
जैकोबिन दल।

प्रश्न 47.
सामान्य सुरक्षा समिति (आतंक का राज्य) की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
1792 ई० में।

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प्रश्न 48.
क्रांतिकारी न्यायालय (आतंक का राज्य) की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
1793 ई० में।

प्रश्न 49.
वह चौक किस नाम से प्रसिद्ध था जहां आतंक के राज्य में लोगों को मौत के घाट उतारा जाता था ?
उत्तर-
क्रांति चौक।

प्रश्न 50.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने पेरिस में क्रांति के विरोधियों का अंत करने के लिए कौन-सा महत्त्वपूर्ण अधिनियम बनाया ?
उत्तर-
लॉ ऑफ़ सस्पैक्ट।

प्रश्न 51.
दांते को मृत्यु दंड कब दिया गया ?
उत्तर-
अप्रैल, 1774.

प्रश्न 52.
कौन-सा युद्ध जिरोंदिस्त दल के पतन का कारण बना ?
उत्तर-
आस्ट्रिया-फ्रांस युद्ध।

प्रश्न 53.
पेरिस कम्यून पर किस राजनीतिक दल का प्रभाव था ?
उत्तर-
जैकोबिन दल।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांसीसी समाज के किन तबकों (वर्गों) को क्रांति का फायदा (लाभ) मिला ? कौन-से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए ? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?
उत्तर-

  1. फ्रांसीसी क्रांति से श्रमिक वर्ग तथा कृषक वर्ग को लाभ पहुंचा। इसका कारण यह था कि ये समाज के सबसे शोषित वर्ग थे। करों के बोझ से दबी आम जनता को भी राहत मिली। स्वतंत्रता एवं समानता की कामना करने वाले लोग भी प्रसन्न थे।
  2. क्रांति से अभिजात वर्ग को सत्ता त्यागनी पड़ी। राजतंत्र का अंत हो गया। जागीरदारों, सामंतों तथा चर्च को अपने विशेषाधिकारों से हाथ धोना पड़ा।
  3. क्रांति से अभिजात वर्ग को ही निराशा हुई होगी। इसके अतिरिक्त राजतंत्र के समर्थकों को भी क्रांति ने निराश ही किया होगा।

प्रश्न 2.
लुई 16वां (XVI) फ्रांस का सम्राट् कब बना ? उस समय फ्रांस की आर्थिक दशा कैसी थी ?
अथवा
लुई 16वें के राजगद्दी पर बैठते समय फ्रांस आर्थिक संकट में फंसा हुआ था। इसे स्पष्ट करने के लिए कोई तीन बिंदु लिखिए।
उत्तर-
लुई XVI 1774 ई० में फ्रांस का सम्राट् बना। उस समय उसकी आयु केवल 20 वर्ष की थी। उसके राज्यारोहण के समय फ्रांस का राजकोष खाली था जिसके कारण फ्रांस आर्थिक संकट में फंसा हुआ था। इस आर्थिक संकट के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे

  1. लंबे समय तक चले युद्धों के कारण फ्रांस के वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुके थे।
  2. वर्साय (Versailles) के विशाल महल और राजदरबार की शानो-शौकत बनाए रखने के लिए धन पानी की तरह बहाया जा रहा था।
  3. फ्रांस ने अमेरिका के 13 उपनिवेशों को अपने सांझा शत्रु ब्रिटेन से स्वतंत्र कराने में सहायता दी थी। इस युद्ध के चलते फ्रांस पर दस अरब लिने से भी अधिक का कर्ज और बढ़ गया, जबकि उस पर पहले से ही दो अरब लिने के ऋण का बोझ था। सरकार से ऋणदाता अब 10 प्रतिशत ब्याज की मांग करने लगे थे। फलस्वरूप फ्रांसीसी सरकार अपने बजट का बहुत बड़ा भाग लगातार बढ़ते जा रहे कर्ज को चुकाने पर मजबूर थी।

प्रश्न 3.
1789 से पहले फ्रांसीसी समाज किस प्रकार व्यवस्थित था ? तीसरे एस्टेट की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1789 से पहले फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में बंटा हुआ था जिन्हें एस्टेट कहते थे। तीन एस्टेट थे-प्रथम एस्टेट, द्वितीय एस्टेट तथा तृतीय एस्टेट। पहले एस्टेट में कुलीन वर्ग (पादरी आदि) के लोग तथा दूसरे वर्ग में सामंत शामिल थे। तीसरे एस्टेट में बड़े-बड़े व्यवसायी, व्यापारी, सौदागर, वकील, किसान, शिल्पकार, श्रमिक आदि आते थे। पहले दो एस्टेट के लोगों को कई विशेषाधिकार प्राप्त थे जिनमें से करों से मुक्ति का अधिकार सबसे महत्त्वपूर्ण था। करों का सारा बोझ तीसरे एस्टेट पर था, जबकि सभी आर्थिक कार्य इन्हीं लोगों द्वारा किये जाते थे। किसान तथा खेतिहर अनाज उगाते थे, श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन करते थे और सौदागर व्यापार का संचालन करते थे। परंतु वे अपनी स्थिति में सुधार नहीं ला सकते थे।

प्रश्न 4.
रोबेस्प्येर कौन था ? उसके राज्य को ‘आतंक का राज्य’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
रोबेस्प्येर ने 1793 से 1794 तक फ्रांस पर शासन किया। उसने बहुत ही कठोर एवं क्रूर नीतियां अपनाईं। वह जिन्हें गणतंत्र का शत्रु मानता था अथवा उसकी पार्टी का जो कोई सदस्य उससे असहमति जताता था, उन्हें जेल में डाल देता था। उन पर एक क्रांतिकारी न्यायालय द्वारा मुकद्दमा चलाया जाता था। जो कोई भी दोषी पाया जाता था, उसे गिलोटिन पर चढ़ा कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था।
रोबेस्प्येर ने अपनी नीतियों को इतनी कठोरता एवं क्रूरता से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि-त्राहि कर उठे। इसी कारण उसके राज्य को ‘आतंक का राज्य’ कहा जाता है।

प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रांति के राजनीतिक कारण क्या थे?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति के राजनीतिक कारण निम्नलिखित थे-

  1. फ्रांस के राजा स्वेच्छाचारी थे और वे राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास करते थे। वे जनता के प्रति अपना कोई कर्त्तव्य नहीं समझते थे। सारे देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला था।
  2. कर बहुत अधिक थे और. वे मुख्यतः जनसाधारण को ही देने पड़ते थे। दरबारी और सामंत करों से मुक्त थे।
  3. शासन में एकरूपता का अभाव था। सारे देश में एक जैसे कानून नहीं थे। यदि देश के एक भाग में रोमन कानून लागू थे, तो दूसरे भाग में जर्मन कानून प्रचलित थे।
  4. राज्य में सैनिक तथा अन्य पद पैतृक थे और उन्हें बेचा भी जा सकता था। जनसाधारण के लिए उन्नति का कोई मार्ग नहीं था।
  5. राज्य का धन फ्रांस की रानी मेरी एंतोएनेत पर पानी की तरह बहाया जा रहा था। जनता पर बड़े अत्याचार हो रहे थे। किसी भी व्यक्ति को बिना दोष बंदी बना लिया जाता था।
  6. सेना में असंतोष था। सैनिकों के वेतन बहुत कम थे तथा उन्हें पर्याप्त सुख-सुविधा उपलब्ध नहीं थी।

प्रश्न 6.
14 जुलाई, 1789 को क्रुद्ध लोगों ने पेरिस के किस भवन पर धावा बोला ? यह भवन जनता का निशाना क्यों बना ?
अथवा
बेस्टील का पतन किन कारणों से हुआ तथा इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर-
14 जुलाई, 1789 को क्रुद्ध भीड़ ने पेरिस नगर में बेस्टील के किले पर धावा बोला। यह किला फ्रांस के सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था। उस दिन सम्राट ने सेना को नगर में प्रवेश करने का आदेश दे दिया था। अफ़वाह थी कि वह सेना को नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश देने वाला है। अतः लगभग 7000 पुरुष तथा स्त्रियां टाऊन हॉल के सामने एकत्र हुए और उन्होंने एक जन-सेना का गठन किया। हथियारों की खोज में वे अनेक सरकारी भवनों में जबरन प्रवेश कर गए। अंततः सैकड़ों लोगों के एक समूह ने पेरिस नगर में स्थित बेस्टील (Bastille) के किले की जेल को तोड़ डाला जहां उन्हें भारी मात्रा में गोला-बारूद मिलने की आशा थी। हथियारों पर कब्जे के इस संघर्ष में बेस्टील का कमांडर मारा गया और कैदी छुड़ा लिए गए, यद्यपि उनकी संख्या केवल सात थी। किले को ध्वस्त कर दिया गया और उसके अवशेष बाज़ार में उन लोगों को बेच दिए गए जो इस ध्वंस को स्मृति-चिह्न के रूप में संजो कर रखना चाहते थे।

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प्रश्न 7.
नेशनल असेंबली के अस्तित्व में आने के तुरंत पश्चात् क्रांति की ज्वाला किस प्रकार पूरे फ्रांस में फैल गई ?
उत्तर-
जिस समय नेशनल असेंबली संविधान का प्रारूप तैयार करने में व्यस्त थी, पूरा फ्रांस आंदोलित हो रहा था। कड़ाके की ठंड के कारण फ़सल नष्ट हो गई थी और पावरोटी की कीमतें आसमान को छू रही थीं। बेकरी मालिक स्थिति का लाभ उठा कर जमाखोरी में जुटे थे। बेकरी की दुकानों पर घंटों के इंतजार के बाद क्रोधित औरतों की भीड़ ने दुकान पर धावा बोल दिया। दूसरी ओर सम्राट ने सेना को पेरिस में प्रवेश करने का आदेश दे दिया था। अतः क्रुद्ध भीड़ ने 14 जुलाई को बेस्टील पर धावा बोलकर उसे ध्वस्त कर दिया।
शीघ्र ही गांव-गांव यह अफ़वाह फैल गई कि जागीरों के मालिकों ने भाड़े पर लठैतों-लुटेरों के दल बुला लिए हैं जो पकी फ़सलों को नष्ट कर रहे हैं। कई जिलों में भययीत किसानों ने कुदालों तथा बेलचों से ग्रामीण किलों (chateau) पर आक्रमण कर दिए। उन्होंने अन्न भंडार लूट लिये और लगान संबंधी दस्तावेजों को जलाकर राख कर दिया। कुलीन बड़ी संख्या में अपनी जागीरें छोड़कर भाग गए। उनमें से अधिकांश ने पड़ोसी देशों में जाकर शरण ली। इस प्रकार क्रांति की ज्वाला चारों ओर फैल गई।

प्रश्न 8.
4 अगस्त, 1789 की रात को फ्रांस की नेशनल असेंबली द्वारा किये गए किन्हीं तीन प्रशासनिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लुई XVI से मान्यता मिलने के बाद नेशनल असेंबली ने 4 अगस्त, 1789 की रात को निम्नलिखित प्रशासनिक परिवर्तन किए

  1. करों, कर्त्तव्यों और बंधनों वाली सामंती व्यवस्था के उन्मूलन का आदेश पारित कर दिया गया।
  2. पादरी वर्ग के लोगों को अपने विशेषाधिकारों को छोड़ देने के लिए विवश किया गया।
  3. धार्मिक कर समाप्त कर दिया गया और चर्च के स्वामित्व वाली भूमि ज़ब्त कर ली गई। इस प्रकार लगभग 20 अरब लिने की संपत्ति सरकार के हाथ में आ गई।

प्रश्न 9.
फ्रांस में दास-व्यापार के आरंभ तथा महत्त्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
फ्रांस में दास-व्यापार सत्रहवीं शताब्दी में आरंभ हुआ। फ्रांसीसी सौदागर बोर्दे या नाते बंदरगाह से अफ्रीका तट पर जहाज़ ले जाते थे। वहां वे स्थानीय सरदारों से दास खरीदते थे। दासों को दाग कर तथा हथकड़ियां डाल कर अटलांटिक महासागर के पार कैरिबिआई देशों तक ले जाने के लिए जहाज़ों में ढूंस दिया जाता था। वहां उन्हें बागानमालिकों को बेच दिया जाता था।
महत्त्व-

  1. दास-श्रम के बल पर यूरोपीय बाजारों में चीनी, कॉफी तथा नील की बढ़ती मांग को पूरा करना संभव हो सका।
  2. बोर्दे और नाते जैसे बंदरगाह फलते-फूलते दास-व्यापार के कारण समृद्ध नगर बन गए।

प्रश्न 10.
18वीं और 19वीं शताब्दी में फ्रांस की दासता के विषय में क्या स्थिति थी ? किन्हीं तीन स्थितियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  1. 18वीं शताब्दी में फ्रांस में दास प्रथा की अधिक निंदा नहीं हुई। नेशनल असेंबली में लंबी बहस हई कि व्यक्ति के मूलभूत अधिकार उपनिवेशों में रहने वाली प्रजा सहित समस्त फ्रांसीसी प्रजा को दिए जाएं या नहीं। परंतु दास-व्यापार पर निर्भर व्यापारियों के विरोध के भय के कारण नेशनल असेंबली में कोई कानून पारित नहीं किया गया।
  2. अंततः सन् 1794 के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशों में सभी दासों की मुक्ति का कानून पारित कर दिया। परंतु यह कानून एक छोटी-सी अवधि तक ही लागू रहा। दस वर्ष बाद नेपोलियन ने दास-प्रथा फिर से शुरू कर दी। बागान-मालिकों को अपने आर्थिक हित साधने के लिए अफ्रीकी नीग्रो लोगों को दास बनाने की स्वतंत्रता दे दी गई।
  3. फ्रांसीसी उपनिवेशों से अंतिम रूप से दास-प्रथा का उन्मूलन 1848 में किया गया।

प्रश्न 11.
नेपोलियन बोनापार्ट कौन था ? उसने किन सुधारों को लागू किया ?
उत्तर-
नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का सम्राट् था। उसने 1804 में अपने आपको फ्रांस का सम्राट घोषित किया था। इससे पहले वह डिरेक्ट्री में प्रथम डिरेक्टर था।
सुधार-नेपोलियन स्वयं को यूरोप के आधुनिकीकरण का अग्रदूत मानता था। उसने निम्नलिखित सुधार लागू किए1. उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा के लिए कानून बनाए। 2. उसने दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली चलायी।

प्रश्न 12.
फ्रांस के 1791 के संविधान से महिलाएं क्यों निराश थीं ? महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए क्रांतिकारी सरकार ने कौन-से कानून लागू किए ?
उत्तर-
फ्रांस में महिलाएं 1791 के संविधान से इसलिए निराश थीं क्योंकि इसमें उन्हें निष्क्रिय नागरिक का दर्जा दिया गया था। परंतु महिलाओं ने मताधिकार, असेंबली के लिए चुने जाने तथा राजनीतिक पदों की मांग रखी। उनका मानना था कि तभी नई सरकार में उनका प्रतिनिधित्व हो पायेगा। क्रांतिकारी सरकार के कानून-महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए क्रांतिकारी सरकार ने निम्नलिखित कानून लागू किए

  1. सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा अनिवार्य कर दी गई।
  2. अब पिता उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध शादी के लिए बाध्य नहीं कर सकता था। शादी को स्वैच्छिक अनुबंध माना गया और नागरिक कानूनों के अनुसार उनका पंजीकरण किया जाने लगा।
  3. तलाक को कानूनी रूप दे दिया गया और स्त्री-पुरुष दोनों को ही इसकी अर्जी देने का अधिकार दिया गया।
  4. अब महिलाएं व्यावसायिक प्रशिक्षण ले सकती थीं, कलाकार बन सकती थीं और छोटे-मोटे व्यवसाय चला सकती थीं।

प्रश्न 13.
जैकोबिन कौन थे ? उन्हें ‘सौं कुलॉत’ के नाम से क्यों जाना गया ?
उत्तर-
जैकोबिन क्लब के सदस्य मुख्यतः समाज के कम समृद्ध वर्गों से संबंधित थे। इनमें छोटे दुकानदार और कारीगर-जैसे जूता बनाने वाले, पेस्ट्री बनाने वाले, घड़ीसाज़, छपाई करने वाले और नौकर व दैनिक मजदूर शामिल थे। उनका नेता मैक्समिलियन रोबेस्प्येर था। जैकोबिनों के एक बड़े वर्ग ने गोदी कामगारों की तरह लंबी धारीदार पतलून पहनने का निर्णय किया। ऐसा उन्होंने समाज के फ़ैशनपरस्त वर्ग, विशेषकर स्वयं को घुटने तक पहने जाने वाले ब्रीचेस (घुटन्ना) पहनने वाले कुलीनों से अलग करने के लिए किया। यह उनका ब्रीचेस पहनने वाले कुलीनों की सत्ता समाप्ति को दर्शाने का तरीका था। इसलिए जैकोबिनों को ‘सौं कुलॉत’ के नाम से जाना गया जिसका शाब्दिक अर्थ है-बिना घुटन्ने वाले। सौं कुलॉत पुरुष लाल रंग की टोपी भी पहनते थे जो स्वतंत्रता की प्रतीक थी। महिलाओं को यह टोपी पहनने की अनुमति नहीं थी।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 14.
फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र के स्थान पर गणतंत्र की स्थापना कैसे हुई ?
उत्तर-
1792 ई० की गर्मियों में जैकोबिनों ने खाद्य पदार्थों की महंगाई एवं अभाव से क्रुद्ध पेरिसवासियों को लेकर एक विशाल हिंसक विद्रोह की योजना बनायी। 10 अगस्त की प्रातः उन्होंने ट्यूलेरिए के महल पर धावा बोल दिया। उन्होंने राजा के रक्षकों को मार डाला और राजा को कई घंटों तक बंधक बनाये रखा। बाद में नेशनल असेंबली ने शाही परिवार को जेल में डाल देने का प्रस्ताव पारित किया। नये चुनाव कराये गए। 21 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी पुरुषोंचाहे उनके पास संपत्ति थी या नहीं-को मतदान का अधिकार दिया गया।
नवनिर्वाचित असेंबली को कन्वेंशन का नाम दिया गया। 21 सितंबर, 1792 को कन्वेंशन ने राजतंत्र का अंत करके फ्रांस को एक गणतंत्र घोषित कर दिया।

प्रश्न 15.
फ्रांस के इतिहास पर फ्रांसीसी क्रांति के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  1. 1789 से बाद के वर्षों में फ्रांस के लोगों के पहनावे, बोलचाल तथा पुस्तकों आदि में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए।
  2. क्रांतिकारी सरकारों ने कानून बना कर स्वतंत्रता तथा समानता के आदर्शों को दैनिक जीवन में उतारने का प्रयास किया।
  3. सेंसरशिप को समाप्त कर दिया। अधिकारों के घोषणा-पत्र ने भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नैसर्गिक अधिकार घोषित कर दिया।

प्रश्न 16.
1791 का फ्रांसीसी संविधान किस महत्त्वपूर्ण प्रावधान से शुरू होता था ? इसमें क्या कहा गया था?
उत्तर-
1791 का फ्रांसीसी संविधान ‘पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणा-पत्र’ के साथ शुरू हुआ था। इसके अनुसार जीवन के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और कानूनी समानता के अधिकार को ‘नैसर्गिक एवं अहरणीय’ अधिकार के रूप में स्थापित किया गया। प्रत्येक व्यक्ति को ये अधिकार जन्म से प्राप्त थे। अतः इन अधिकारों को छीना नहीं जा सकता था। राज्य का यह कर्त्तव्य माना गया कि वह प्रत्येक नागरिक के नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा करे।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएं जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में है ?
अथवा
उन लोकतांत्रिक अधिकारों की सूची बनाओ जिनका आज हम उपभोग करते हैं और जो फ्रांसीसी क्रांति की उपज होंगे।
उत्तर-
आज के मानव को निम्नलिखित लोकतांत्रिक (जनवादी) अधिकार फ्रांसीसी क्रांति की देन हैं। इनकी घोषणा 27 अगस्त, 1789 को राष्ट्रीय महासभा में की गई थी।

  1. मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है और उसके अधिकार अन्य मनुष्यों के समान होंगे।
  2. प्रत्येक राजनीतिक संगठन का उद्देश्य मनुष्य के सभी अधिकारों की रक्षा करना है।
  3. प्रत्येक मनुष्य को पूर्ण स्वतंत्रता का अधिकार है, परंतु वह दूसरों की स्वतंत्रता को हानि न पहुंचाए।
  4. राज्य की शक्ति का मुख्य स्रोत राज्य के नागरिक हैं । अतः कोई भी व्यक्ति अथवा कोई भी संगठन ऐसा निर्णय लागू नहीं कर सकता जो देश के लोगों की इच्छा के विरुद्ध हो।
  5. कानून केवल उन्हीं कार्यों को रोकता है जिनसे समाज को हानि पहुंचती हो।
  6. न्याय की दृष्टि में सभी नागरिक समान हैं। कानूनी कार्यवाही के बिना किसी भी व्यक्ति को बंदी नहीं बनाया जा सकता। दोष सिद्ध होने पर ही किसी को दंड दिया जा सकता है।
  7. कानून देश के सभी लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति हैं। अतः सभी नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से अथवा अपने प्रतिनिधियों द्वारा कानून के निर्माण में भाग लेने का अधिकार है। .
  8. सभी व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है।
  9. प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता है। परंतु उससे समाज या देश को हानि न पहुंचे।
  10. बिना क्षति-पूर्ति (Compensation) के किसी भी व्यक्ति की संपत्ति नहीं ली जा सकती।
  11. कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का शोषण नहीं कर सकता।

प्रश्न 2.
क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे ?
उत्तर-
सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश निश्चित रूप से विरोधाभासों से ग्रस्त थे। इनमें निम्नलिखित कई दोष थे-

  1. इसमें सभा आयोजित करने तथा संघ आदि बनाने की स्वतंत्रता के विषय में कुछ नहीं कहा गया था।
  2. इसमें सार्वजनिक शिक्षा के विषय में कुछ नहीं कहा गया था।
  3. इसमें व्यापार तथा व्यवसाय की स्वतंत्रता का अधिकार नहीं दिया गया था।
  4. इसमें नागरिकों को संपत्ति रखने का सीमित अधिकार प्रदान किया गया था। अतः राज्य सार्वजनिक हित का बहाना बनाकर किसी की भी संपत्ति छीन सकता था।
  5. फ्रांस के उपनिवेशों (Colonies) में काम करने वाले हब्शी दासों के विषय में इसमें कोई उल्लेख न था।
  6. इन अधिकारों की सबसे बड़ी त्रुटि यह थी कि इनके साथ मानव के कर्त्तव्य निश्चित नहीं किए गए थे। कर्त्तव्यों के बिना अधिकार प्रायः महत्त्वहीन ही समझे जाते हैं। इस विषय में मिराब्यो ने भी लिखा है कि नागरिकों को अधिकार देने की उतनी आवश्यकता न थी जितनी कि उन्हें अपने कर्तव्यों से अवगत कराने की थी।

प्रश्न 3.
फ्रांस में नेशनल असेंबली किस प्रकार अस्तित्व में आई ?
उत्तर-
फ्रांस में नेशनल असेंबली टेनिस कोर्ट की शपथ के फलस्वरूप अस्तित्व में आई। तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधि स्वयं को संपूर्ण फ्रांसीसी राष्ट्र का प्रवक्ता मानते थे। 20 जून को ये प्रतिनिधि वर्साय के इंडोर टेनिस कोर्ट में एकत्र हुए। उन्होंने अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया और शपथ ली कि जब तक सम्राट की शक्तियों को कम करने वाला संविधान तैयार नहीं हो जाता तब तक असेंबली भंग नहीं होगी। उनका नेतृत्व मिराब्यो और आबे सिए ने किया। मिराब्यो का जन्म कुलीन परिवार में हुआ था, परंतु वह सामंती विशेषाधिकारों वाले समाज को समाप्त करने के पक्ष में था। उसने एक पत्रिका निकाली और वर्साय में जमा भीड़ के सामने जोरदार भाषण भी दिए। आबे सिए मूलतः पादरी था और उसने ‘तीसरा एस्टेट क्या है ?’ शीर्षक से एक अत्यंत प्रभावशाली प्रचार-पुस्तिका (पैंफ़्लेट) लिखी।
अपनी विद्रोही प्रजा के तेवर देखकर लुई XVI ने अंततः नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी और यह भी मान लिया कि उसकी सत्ता पर अब से संविधान का अंकुश होगा।

प्रश्न 4.
रोबेस्प्येर ने किस प्रकार फ्रांसीसी समाज में समानता लाने के प्रयास किए ?
उत्तर-
रोबेस्प्येर ने निम्नलिखित सुधारों द्वारा फ्रांसीसी समाज में समानता लाने का प्रयास किया-

  1. रोबेस्प्येर ने कानून द्वारा मज़दूरी तथा कीमतों की अधिकतम सीमा निश्चित कर दी।
  2. गोश्त तथा पावरोटी की राशनिंग कर दी गई।
  3. किसानों को अपना अनाज शहरों में जाकर सरकार द्वारा निश्चित मूल्यों पर बेचने के लिए विवश कर दिया गया।
  4. अपेक्षाकृत महंगे सफ़ेद आटे के प्रयोग पर रोक लगा दी गई। अब सभी नागरिकों के लिए साबुत गेहूँ से बनी और समानता का प्रतीक मानी जाने वाली ‘समता रोटी’ खाना अनिवार्य कर दिया गया।
  5. बोलचाल और संबोधन में भी समानता का आचार-व्यवहार लागू करने का प्रयास किया गया। परंपरागत मॉन्स्यूर (महाशय) एवं मदाम (महोदया) के स्थान पर अब सभी फ्रांसीसी पुरुषों एवं महिलाओं को सितोयेन (नागरिक) एवं सितोयीन (नागरिका) के नाम से संबोधित किया जाने लगा।
  6. चर्चों को बंद कर दिया गया और उनके भवनों को बैरक या दफ़्तर बना दिया गया।

प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रांति के इतिहास में 1791 के संविधान का क्या महत्त्व हैं ?
उत्तर-
1791 के संविधान में सम्राट की शक्तियों को सीमित करके फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना की गई। इस संविधान के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित थे

  1. शासन की शक्तियों को विभिन्न संस्थाओं अर्थात् विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में विभाजित एवं हस्तांतरित कर दिया गया।
  2. कानून बनाने का अधिकार नेशनल असेंबली को सौंप दिया गया।
  3. नेशनल असेंबली का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होता था। पहले नागरिक एवं निर्वाचक समूह का चुनाव करते थे जो असेंबली के सदस्यों को चुनते थे।
  4. मत देने का अधिकार केवल 25 वर्ष या उससे अधिक आयु के ऐसे पुरुषों को प्राप्त था जो कम-से-कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे। इन्हें सक्रिय नागरिक का दर्जा दिया गया था। शेष पुरुषों और महिलाओं को निष्क्रिय नागरिक के रूप में वर्गीकृत किया गया था। निर्वाचक की योग्यता प्राप्त करने तथा असेंबली का सदस्य बनने के लिए लोगों का करदाताओं की उच्चतम श्रेणी में होना आवश्यक था।

प्रश्न 6.
नेपोलियन का सम्राट के रूप में उदय किस प्रकार हुआ था ? उसके शासनकाल की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
जैकोबिन सरकार के पतन के बाद फ्रांस की सत्ता मध्य वर्ग के संपन्न लोगों के हाथ में आ गई। नए संविधान के अनुसार संपत्तिहीन वर्ग को मताधिकार से वंचित कर दिया गया। इस संविधान में चुनी गई दो विधान परिषदों की व्यवस्था थी। इन परिषदों ने पांच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका-डायरेक्टरी को नियुक्त किया। नई व्यवस्था में
जैकोबिनों के शासनकाल वाली एक व्यक्ति-केंद्रित कार्यपालिका से बचने का प्रयास किया गया, परंतु विधान परिषदों में डायरेक्टरों का झगड़ा होता रहता था। तब परिषद् उन्हें हटाने की चेष्टा करती थी। डायरेक्टरी की राजनीतिक अस्थिरता ने सैनिक तानाशाह-नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 1804 ई० में नेपोलियन ने अपने आप को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया।
शासनकाल-

  1. नेपोलियन ने यूरोपीय देशों की विजय यात्रा आरंभ की। पुराने राजवंशों को हटा कर उसने नए साम्राज्य बनाए और उनकी बागडोर अपने खानदान के लोगों के हाथ में दे दी ।
  2. नेपोलियन अपने आप को आधुनिकीकरण का दूत मानता था। उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा के लिए कानून बनाए और दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली आरंभ की।
  3. आरंभ में बहुत-से लोगों को नेपोलियन मुक्तिदाता लगता था और उससे जनता को स्वतंत्रता दिलाने की आशा थी। परंतु जल्दी ही उसकी सेनाओं को लोग आक्रमणकारी मानने लगे। आखिरकार 1815 में वॉटरलू में उसकी पराजय हुई
    यूरोप के अन्य भागों में उसके मुक्ति और आधुनिक कानूनों को फैलाने वाले क्रांतिकारी उपायों का प्रभाव उसकी मृत्यु के काफ़ी समय बाद सामने आया।

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प्रश्न 7.
बेस्टील के पतन के बाद फ्रांस में पारित सबसे महत्त्वपूर्ण कानून कौन-सा था ? इसका क्या महत्त्व था ?
अथवा
फ्रांस में भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ को नैसर्गिक अधिकार घोषित किए जाने का फ्रांसीसी जनता के लिए क्या महत्त्व था ?
उत्तर-
बेस्टील के पतन के बाद 1789 की गर्मियों में जो सबसे महत्त्वपूर्ण कानून अस्तित्व में आया, वह था सेंसरशिप की समाप्ति। प्राचीन राजतंत्र के अंतर्गत समस्त लिखित सामग्री तथा सांस्कृतिक गतिविधियों-पुस्तकों, अखबारों, नाटक आदि को राजा के सेंसर अधिकारियों द्वारा पास किए जाने के बाद ही प्रकाशित या मंचित किया जा सकता था। परंतु अब अधिकारों के घोषणापत्र के अनुसार भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नैसर्गिक अधिकार घोषित कर दिया। परिणामस्वरूप फ्रांस के नगरों में अखबारों, पर्यों, पुस्तकों तथा चित्रों की बाढ़-सी आ गई, जो तेज़ी से गांव-देहात तक जा पहुंची। उनमें फ्रांस में हो रही घटनाओं एवं परिवर्तनों का ब्यौरा और उन पर टिप्पणी होती थी। प्रेस की स्वतंत्रता का अर्थ यह था कि किसी भी घटना पर परस्पर विरोधी विचार भी व्यक्त किए जा सकते थे। प्रिंट माध्यम का उपयोग करके एक पक्ष ने दूसरे पक्ष को अपने दृष्टिकोण से सहमत कराने के प्रयास किए। अब नाटक, संगीत और उत्सवी जुलूसों में असंख्य लोग जाने लगे। स्वतंत्रता और न्याय के बारे में राजनीतिज्ञों एवं दार्शनिकों के पांडित्यपूर्ण लेखन को समझने और उससे जुड़ने का यह एक लोकप्रिय तरीका था क्योंकि किताबों को केवल मुट्ठी भर शिक्षित लोग ही पढ़ सकते थे।

प्रश्न 8.
फ्रांसीसी सम्राट् लुई XVI ने एस्टेट्स जनरल (जेनराल) की बैठक क्यों बुलाई ? इसमें विभिन्न एस्टेट्स की क्या स्थिति थी ?
उत्तर-
फ्रांस पर ऋण के बढ़ते बोझ के कारण फ्रांस के सम्राट को धन की आवश्यकता थी। इसके लिए उसने नए कर लगाने का निर्णय किया। प्राचीन राजतंत्र के अंतर्गत फ्रांसीसी सम्राट अपनी मर्जी से कर नहीं लगा सकता था। इसके लिए उसे एस्टेट्स जेनराल (प्रतिनिधि सभा) की बैठक बुला कर नए करों के अपने प्रस्तावों पर मंजूरी लेनी पड़ती थी। एस्टेट्स जेनराल एक राजनीतिक संस्था थी जिसमें तीनों एस्टेट्स अपने-अपने प्रतिनिधि भेजते थे। परंतु सम्राट् ही यह निर्णय करता था कि इस संस्था की बैठक कब बुलाई जाए। इसकी अंतिम बैठक 1614 में बुलाई गई थी।
इसके बाद लुई XVI ने 5 मई, 1789 को नये करों के प्रस्ताव पर मंजूरी के लिए एस्टेट्स जेनराल की बैठक बुलाई। प्रतिनिधियों की मेजबानी के लिए वर्साय के एक भव्य भवन को सजाया गया। पहले और दूसरे एस्टेट ने इस बैठक में अपने 300-300 प्रतिनिधि भेजे जिन्हें आमने-सामने की पंक्तियों में बिठाया गया। तीसरे एस्टेट के 600 प्रतिनिधियों को उनके पीछे खड़ा किया गया। तीसरे एस्टेट का प्रतिनिधित्व इसके अपेक्षाकृत समृद्ध एवं शिक्षित वर्ग के लोग कर रहे थे। किसानों, औरतों एवं कारीगरों को सभा में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। फिर भी लगभग 40,000 पत्रों के माध्यम से उनकी शिकायतों तथा मांगों की सूची बनाई गई थी जिसे प्रतिनिधि अपने साथ लेकर आए थे।

प्रश्न 9.
फ्रांस में जेनराल नेशनल असेंबली किस प्रकार अस्तित्व में आई? इसमें मिराब्यो और आबे सिए की क्या भूमिका रही ?
उत्तर-
एस्टेट्स जेनराल के नियमों के अनुसार प्रत्येक एस्टेट (सामाजिक वर्ग) को एक मत देने का अधिकार था। इस बार भी लुई XVI का इसी प्रथा का पालन करने के लिए दृढ़ संकल्प था। परंतु तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधियों ने मांग रखी कि अबकी बार पूरी सभा द्वारा मतदान कराया जाना चाहिए, जिसमें प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का अधिकार हो। यह नि:संदेह एक लोकतांत्रिक सिद्धांत था, जिसे अपनी पुस्तक ‘द सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ में रूसो ने भी प्रस्तुत किया था। परंतु सम्राट ने इस प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया। इस विरोध में तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधि सभा से बाहर चले गए। वे स्वयं को संपूर्ण फ्रांसीसी राष्ट्र का प्रवक्ता मानते थे। 20 जून को वे वर्साय के इनडोर टेनिस कोर्ट में जमा हुए। उन्होंने स्वयं को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया और शपथ ली कि जब तक सम्राट की शक्तियों को कम करने वाला संविधान तैयार नहीं हो जाता तब तक असेंबली भंग नहीं होगी। उनका नेतृत्व मिराब्यो और आबे सिए ने किया। मिराब्यो का जन्म कुलीन परिवार में हुआ था, लेकिन वह सामंती विशेषाधिकारों वाले समाज को समाप्त करने की ज़रूरत से सहमत था। उसने एक पत्रिका निकाली और वर्साय में जुटी भीड़ के सामने ज़ोरदार भाषण भी दिए। आबे सिए मूलतः पादरी था और उसने ‘तीसरा एस्टेट क्या है ?’ शीर्षक से एक अत्यंत प्रभावशाली प्रचार-पुस्तिका (पैंफ्लेट) लिखी।

प्रश्न 10.
फ्रांसीसी नेशनल असेंबली के अधीन क्रांतिकारी युद्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। इनके क्या परिणाम निकले ?
उत्तर-
लुई XVI ने 1791 के संविधान पर हस्ताक्षर कर दिए थे, परंतु प्रजा के राजा से उसकी गुप्त वार्ता भी चल रही थी। फ्रांस की घटनाओं से अन्य पड़ोसी देशों के शासक भी चिंतित थे। इन शासकों ने फ्रांस की नेशनल असेंबली की सरकार के विरुद्ध सेना भेजने की योजना बना ली थी। परंतु, आक्रमण होने से पहले ही, अप्रैल, 1792 में नेशनल असेंबली ने प्रशा तथा ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा का प्रस्ताव पारित कर दिया। प्रांतों से हज़ारों स्वयं सेवी सेना में भर्ती होने के लिए आने लगे। उन्होंने इस युद्ध को यूरोपीय राजाओं एवं कुलीनों के विरुद्ध जनता के युद्ध के रूप में लिया। उनके होठों पर देशभक्ति के जो गीत थे उनमें कवि रॉजेट दि लाइल द्वारा रचित मार्सिले भी था। यह गीत पहली बार मार्सिलेस के स्वयंसेवियों ने पेरिस की ओर कूच करते हुए गाया था। इसलिए इस गीत का नाम मार्सिले हो गया जो अब फ्रांस का राष्ट्रगान है।
क्रांतिकारी युद्धों के परिणाम-

  1. क्रांतिकारी युद्धों ने जनता को भारी क्षति पहुंचाई। लोगों को अनेक आर्थिक कठिनाइयां झेलनी पड़ी। पुरुषों के मोर्चे पर चले जाने के बाद घर-परिवार और रोजी-रोटी की ज़िम्मेवारी औरतों पर आ पड़ी।
  2. देश की आबादी के एक बड़े भाग को ऐसा लगता था कि क्रांति के घटनाक्रम को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है क्योंकि 1791 के संविधान से केवल धनी लोगों को ही राजनीतिक अधिकार प्राप्त हुए थे। लोग राजनीतिक क्लबों में अड्डे जमा कर सरकारी नीतियों और अपनी कार्ययोजना पर बहस करते थे। इनमें से जैकोबिन क्लब सबसे आगे था, जिसका नाम पेरिस के भूतपूर्व कॉन्वेंट ऑफ़ सेंट जेकब के नाम पर पड़ा।

प्रश्न 11.
जैकोबिन सरकार के पतन के बाद फ्रांस में हुए किन्हीं चार परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
डायरेक्टरी शासित फ्रांस की कोई चार विशेषताएं बताइए।
उत्तर-

  1. जैकोबिन सरकार के पतन के बाद वहां की सत्ता मध्य वर्ग के संपन्न लोगों के हाथों में आ गईं।
  2. नए संविधान के अनुसार संपत्तिहीन वर्ग को मताधिकार से वंचित कर दिया गया।
  3. इस संविधान में दो निवर्चित विधान परिषदों की व्यवस्था की गई थी । इन परिषदों ने पांच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका को नियुक्त किया। इसे डायरेक्टरी कहा जाता था। इस प्रावधान के माध्यम से जैकोबिनों के शासनकाल वाली एक व्यक्ति-केंद्रित कार्यपालिका से बचने का प्रयास किया गया, परंतु डायरेक्टरी का प्रायः विधान परिषदों से झगड़ा होता रहता था। ऐसे अवसरों पर परिषद् उन्हें पद से हटाने की चेष्टा करती थी।
  4. डायरेक्टरी की राजनीतिक अस्थिरता ने सैनिक तानाशाह-नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

मानचित्र संबंधी प्रश्न (Map Work Questions)
PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (3)
नोट- दिये गए मानचित्र में दिखाए गये तथ्यों का अध्ययन करें तथा उन्हें रिक्त मानचित्र में भरने का अभ्यास करें।

महत्त्वपूर्ण राजनीतिक प्रतीक

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (4)
त्रिकोण में आँख ज्ञान का प्रतीक है और सूर्य की किरणें अज्ञानता दूर करने के लिए हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (5)
एक सांप अपनी पूंछ को खा रहा है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक प्रक्रिया का अंत होता है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (6)
टूटी हुई जंजीर का अर्थ है दासता से आज़ादी।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (7)
एक फ्रीजियन टोपी (Phrygian Cap) दासों की आज़ादी का प्रतीक है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (8)
कुल्हाड़ी सहित दंड की गांठ एकता में बल को दर्शाती है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (9)
राजदंड राज्य की शाही ताकत का प्रतीक है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (10)
कानून की पट्टी का अर्थ है कि कानून की नज़रों में सभी नागरिक समान हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (11)
पंखों वाली औरत कानून की सर्वोच्चता को दर्शाती है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (12)
नीला, सफेद तथा लाल रंग फ्रांस के राष्ट्रीय रंग हैं।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 4 First Aid Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 4 First Aid

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
What do you know about First Aid?
Answer:
The aid which is given to a patient before arrival to the doctor is known as first aid.

Question 2.
What is Fracture?
Answer:
Breakage in Bone is called Fracture.

Question 3.
What is Unconsciousness?
Answer:
It means to lose consciousness.

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid

Question 4.
What is Electric Shock?
Answer:
One gets electric shock when touches a live electric wire.

Question 5.
Name any two types of fracture?
Answer:

  • Simple fracture
  • Multiple fracture.

Question 6.
Complicated Fracture is dangerous. (Right or Wrong)
Answer:
Right.

PSEB 9th Class Physical Education Book Chapter 4 First Aid

Question 7.
Depressed Fracture is harmful. (Right or Wrong)
Answer:
Wrong.

Question 8.
Write any two symptoms of unconciousness.
Answer:

  • Pulse becomes very slow
  • skin becomes cold.

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid

Question 9.
What is dislocation?
Answer:
Displacement of bone from the joint is known as Dislocation.

Question 10.
Is there any difference between strain and sprain?
Answer:
Yes, there is a difference.

Short Answer Type Questions

Question 1.
What do you know about First Aid?
Answer:
In our daily life many accidents occur. No wonder we may get injured or wounded on bicycle or in the playfield. Accidents can occur anywhere and anytime at home and outside. It is not possible that doctor may be present at the place of accident. The aid given to the wounded or the patient till the doctor arrives or is approached is called FIRST AID.

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid

Question 2.
What is strain?
Answer:
Often we hear players say that their muscles are under strain, and so they cannot carry on their game any more. Over work makes the muscles crack, sometimes more and sometimes less. As a result of cracked muscles players feel much pain. Many times that part that has been greatly strained swells.

Question 3.
What is sprain?
Answer:
The player may get sprain:
The feet and the wrists are prone to receive sprains. The ligaments and tissues quickly crack by chance around it. The player feels pain and is unable to take part in the game.

Question 4.
What will you do if you got dislocation of your knee joint while playing Hockey?
Answer:
If I got my knee joint dislocated while playing Hockey, I will get treatment as under:
I will get dressed dislocated joint with plaster. I will try my level best the joint which was dislocated may not have external pressure. I shall use splint to check die movement of the joint.

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid

Question 5.
What First Aid will you render to a patient of drowning?
Answer:
Treatment of Drowning:
Some people get drowned while crossing, or bathing in rivers, canals or streams. If First Aid is given to a drowned person after taking him out of water, his life may be saved. Such a person should be given First Aid in the following ways:

1. Removing Water from the Belly:
The drowned person should be taken out of water, and lied down with his belly on a pitcher to get water removed from his belly. If the pitcher is not available, he should be lied on belly-side, and toss him upward by holding his waist. This action will remove water from his belly.

2. Making the Patient Wear Dry clothes: Give the patient dry clothes to wear.

3. Keeping the Patient’s Body Warm: Wrap a blanket or sheet round the patient’s body so that his body may remain warm.

4. Administering Artificial Respiration: If the breathing of the drowned man stops, he should be administered artificial respiration.

5. Giving Hot Tea or Coffee: When the patient comes to his senses, he should be given hot tea or coffee to drink.

6. Taking the Patient to the Doctor: If necessary, the patient should be taken to a doctor.

Question 6.
What First Aid will you render to a patient in case of burning?
Answer:
Sometimes a person gets burnt in fire, by hot vessels, chemicals, acid or electric shock. The result is that skin, muscles and tissues are destroyed. Sometimes scalds are caused by very hot tea, milk, coffee or acid. The skin turns red or clothes get stuck up to the body. One feels intolerable pain. Sometimes a person dies as a result of excessive burns.

Treatment:

  • The burnt up part should be carefully treated.
  • One should not run in case one catches fire. In such case, one should lie down.
  • The person whose clothes catch fire should be wrapped with a blanket.

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Question 7.
What do you mean by Electric Shock? How will you treat it?
Answer:
Electric Shock:
One gets electric shock when one touches a live electric wire, or when such a wire accidentally touches any part of his body. Even one’s body may get burnt in the process. One may go unconscious, or may even die of electric shock. If a person gets touch to a live electric wire, the main supply of electricity should be switched off to release him from the wire. If one fails to locate main switch, the following steps may be taken:

1. Using Rubber Gloves and Dry Wood:
The life of a person may be saved by the use of rubber gloves and dry wood in case the power of electricity is up to 500 watts. Electric current does not pass through these things. A moist or metallic thing should not be used.

2. Removing the Plug: If electric wire is coming from a distant place, it should be broken or the plug should be removed.

3. Giving Artificial Respiration: If the electrocuted person is not breathing, he should be administered artificial respiration.

4. Treatment of Scald or Burnt Part: If some part of the patient is scalded or burnt, its treatment should be done.

5. Encouraging the Patient: The patient should be encouraged.

6. Wrapping in a Blanket: The patient should be kept warm in a blanket.

7. Giving Hot Milk or Tea: The patient should be given hot tea or milk to drink.

Question 8.
Describe the various rules of First Aid.
Answer:
Rules of First Aid:
1. Immediate Aid:
First Aid should be given to the injured at the earliest possible. There should be no hesitation or fear in providing First Aid because there is no time in thinking. Immediate decisions have to be taken to save the life of the injured.

2. Artificial Respiration:
If a person is unconscious, and is not breathing, he should be given artificial respiration. A person suffering from heart attack can also be saved by artificial respiration.

3. Sympathetic Attitude:
The injured person gets extremely frightened. So a sympathetic attitude and goodwill prove to be very important. These are beneficial in removing the fear in the mind of the injured.

4. Prevention of Bleeding:
The flow of blood from the injury should be stopped at the earliest as the excessive loss of blood may endanger the life of the injured.

5. Keeping the injured away from the Crowd:
When a person gets involved in an accident, many people come and surround him from all sides. It prevents the flow of fresh air to the injured and the injured also gets frightened and upset. So the steps should be taken to keep the injured away from the crowd, and to provide First Aid at the earliest.

6. Immediate Medical Aid:
The Medical aid should be arranged for the injured immediately. No untrained person should be allowed to use hit and trial methods of treatment.

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Question 9.
Write down the causes, symptoms and treatment of dislocation of joints.
Answer:
Generally, there is a joint dislocation in the field of sports. The displacement of bones is known as dislocation. The displacement generally occurs in the case of bones of shoulders, hips and wrists.

Causes:

  • When heavy thing hit fastly to any joints of a person.
  • The weight of sports material is too much heavy.
  • Hard surface or uneven ground.
  • Insufficient warming up of a player.
  • Suddenly falling of an athlete.

Symptoms:

  • The movement in the joint stops. The joint pains with the slightest of movement.
  • The joint pains as well as swelling.
  • The bone can be seen protruding at the place of dislocation.
  • The shape of the joint also changed.
  • There is a feeling of strain in the joint.

Treatment:

  • The dislocated joint should not be moved much.
  • The bone should be got reset from a competent doctor.
  • Icy cold water should be poured on the dislocated joint.

Question 10.
Mention the causes of Fracture, its symptoms and treatment.
Answer:
Causes:

  • When a player plays the game with over courage, over joy or under pressure.
  • To fall on hard or slippery ground.
  • To play on uneven playfields and fall down.
  • To play the game without the supervision of an expert.

Symptoms:

  • The place of fracture develops swelling.
  • The fracture part of the body becomes strengthless.
  • The player feels much pain.
  • The shape of fracture part also changes.
  • The part of the body becomes shapeless.
  • A cracking sound is produced when the fractured part is made to move.

Treatment:

  • In case of fracture, the fractured part should not be allowed to move.
  • The treatment of the fracture should be immediately done as far as possible.
  • In case of injury in the fracture, first of all bleeding should be controlled.
  • The broken bone should be set with splints and bandage.
  • The fractured part should be plastered with the help of a doctor.

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Question 11.
What is unconsciousness? Mention its symptoms and treatment.
Answer:
Unconsciousness means losing of sense
Symptoms:
These are as under-

  • Rate of pulse becomes very slow.
  • Skin becomes cold.
  • The colour of face turns pale.
  • Blood pressure becomes low.

Treatment:

  • Check up the heart beat and pulse rate of the patient properly.
  • The tongue of the patient should not touch the upper part of the wind pipe.
  • Peal off the clothes or loosen the clothes of a patient.
  • Let the fresh air should come.
  • Massage the chest continuously.
  • Try to give artificial respiration if needed.
  • Patient should not be given anything orally till he gets conscious.
  • He may be given hot drink.
  • You may make him smell ammonia, spirit or onion.
  • The cause of unconsciousness may be removed as early as possible.

Long Answer Type Questions

Question 1.
What are the qualities and duties of First Aider?
Answer:

  • A First Aider should be a person who seeks comfort and joy in serving others, and who looks upon his job as his religious duty.
  • He should have the maximum knowledge of medical sciences particularly, he should be quite well versed in
  • Anatomy and Physiology.
  • He should be capable of understanding the nature of injury, and should be properly trained in First Aid.
  • He should be a man of genial nature and self-confidence.
  • He should be capable of understanding the mental state of the injured.
  • He should have patience, devotion and dedication.
  • He should be capable of giving First Aid in a very natural, affectionate manner.
  • He should be capable of encouraging the injured.
  • He should be familiar with all those points which are relevant to providing First Aid.
  • All necessary medicines should always be ready for use in his First Aid Box.
  • A high academic qualification is not sufficient for a First Aider. He should have developed in him qualities of a man of high moral character.

In order to make the job of First Aid interesting, a First Aider should be a jovial person. His jovial nature will help in establishing a good rapport between him and the person who needs First Aid, but his humour should not be of cheap variety. His personality should be balanced. He should be perfectly capable, healthy and strong from physical, mental, social and psychological point of view.

Duties of First Aider:

  • First aider should give First Aid immediately to the patient.
  • He should encourage the patient.
  • Try to arrange the doctor as early as possible.
  • The dress of the patient should be removed or loosened.
  • He should help the patient to save his life.
  • He should keep the patient in a comfortable position.
  • There should not be crowd or noise around the patient.
  • In case of continuous bleeding, the main vessels should be pressed.
  • The patient must be kept in open air.
  • If the accident occurs due to electronic current or gas, he should first switch off electric current or gas.

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Question 2.
Describe the types of Fracture which is the most dangerous fracture.
Answer:
When a bone is broken into two or more parts is known as fracture. Fractures are of seven types which are as under:
1. Simple Fracture: In this type of fracture, there is neither any visible injury on the body nor is there any harm to the muscles. This is known as simple or closed fracture.
PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid 1
2. Compound Fracture or Open Fracture: In case of Com-pound Fracture, the part of the bone comes out of the skin.
PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid 2
3. Complicated Fracture: In this type of fracture, the internal organs are hurt and affected such as heart, spinal cord, lungs, kidney etc.
4. Commuted Fracture: In commuted fracture, the bones gets broken at many places, and sometimes it is broken Sito pieces.
PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid 3
5. Impacted Fracture: In this type of fracture, the broken bones come inside another bone.
PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid 4
6. Green Stick Fracture: This type of fracture occurs mostly in the young boys of tender age because their bones are very soft and they bend easily. A piece of bones, getting out of the bone, cracks up in this type of fracture.
PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid 5
7. Depressed Fracture: This type of fracture occurs in the skull bones. The skull bones gets depressed downward. It is known as depressed fracture.

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid

Question 3.
What is strain? Describe its causes, symptoms and treatment?
Answer:
Strain:
Often we hear players say that their muscles are under strain, and so they cannot carry on their game any more. Over work makes the muscles crack, sometimes more and sometimes less. As a result of cracked muscles players feel much pain. Many times that part that has been greatly strained swells.

Causes:

  • Excess loss of water from the body through sweating.
  • More Physical Fatigue.
  • Less co-ordination in the parts of the body.
  • The hard playground also causes straining of muscles.
  • The main cause of strain is insufficient working of a player.
  • Bring the weak muscles in action quickly.
  • Use of bad types of sports equipments.
  • Body is insufficient in strength to bear the load of the activities.

Symptoms:

  • Too much tension in muscles.
  • Strain parts become unable to do the work.
  • Feeling too much pain after getting strain.
  • The part of the body seems to be depressed.
  • The player may turn blue internally.
  • Joint becomes very soft.

Safety Measures:

  • The playground should be properly watered, neat and clean. The surface should not be uneven.
  • The pitch of High Jump and Long Jump must be kept very soft.
  • The students must get safety education.
  • The players should be properly warmed up before entering the field.
  • Players should not play on wet or slipery place.
  • The equipment should be of high standard.
  • The players should be cool. They should not take part in games while they are excited.

Treatment:

  • The main cause of strain is insufficient warming of a player entering the field.
  • The hard playground, too, causes straining of muscles. As such, the playground should be watered off and on.
  • The weak muscles crack soon. So one should do exercises to make muscles strong.
  • In case muscles are under strain, the player should take rest.
  • At first, the strained spot should be cooled down with ice. After 24 hours, it should be fomented by salty hot water.

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 First Aid

Question 4.
What is sprain? Discuss its causes, symptoms and treatment.
Answer:
Sprain:
The player may get sprain. The feet and the wrists are prone to receive sprains. The ligaments and tissues quickly crack by chance around it. The player feels pain and is unable to take part in the game.

Type of Sprain:
Broadly speaking, there are two types of sprain-

1. Ordinary Sprain: In such a case the player gets slight in-jury on the tissue groups that crack, and he does not feel much pain.

2. Heavy Sprain: The player gets hard injury on his tissue group, and feels much pain, and is unable to take part in the game.

Causes:
There may be causes of sprain, some of which are as follows:

  • The feet of the player land on uneven place.
  • Sometimes the jumping pit is not well dug out.
  • Sprain is caused sometimes when the player is not properly warmed up before actual play.
  • The weakness of joints.
  • The lack of proper coaching.
  • A sudden fall while running.
  • Sprain may be caused because of inadequate or rough sports equipment such as stud loose boots used in football.

Symptoms:
Whenever a player gets sprain on his joints, he feels pain on the very joint. He is unable to carry on with his game. He feels as if his joint has lost strength and is inflamed.

Treatment:

  • When a player gets sprain, he should be called out of the play ground.
  • By pouring cold water on the sprained joint or putting some ice on it, the bleeding slows down internally and the swelling also decreases.
  • Dressing on the sprained joint also reduces the pain and swelling. Dressing should be done in shape of number 8.
  • The sprained joint should be fomented after 48 hours.
  • The player should not be allowed to move much.
  • Index should be applied after 48 hours on the upper part of the joint. The patient may get some relief and the swelling decreases.
  • The sprained joint should be fomented by warm lemon.

Question 5.
Describe the various rules of First Aid.
Answer:
Rules of First Aid:
1. Immediate Aid:
First Aid should be given to the injured at the earliest possible. There should be no hesitation or fear in providing First Aid because there is no time in thinking. Immediate decisions have to be taken to save the life of the injured.

2. Artificial Respiration:
If a person is unconscious, and is not breathing, he should be given artificial respiration. A person suffering from heart attack can also be saved by artificial respiration.

3. Sympathetic Attitude:
The injured person gets extremely frightened. So a sympathetic attitude and goodwill prove to be very important. These are beneficial in removing the fear in the mind of the injured.

4. Prevention of Bleeding:
The flow of blood from the injury should be stopped at the earliest as the excessive loss of blood may endanger the life of the injured.

5. Keeping the injured away from the Crowd:
When a person gets involved in an accident, many people come and surround him from all sides. It prevents the flow of fresh air to the injured and the injured also gets frightened and upset. So the steps should be taken to keep the injured away from the crowd, and to provide First Aid at the earliest.

6. Immediate Medical Aid:
The Medical aid should be arranged for the injured immediately. No untrained is should be allowed to use hit and trial methods of treatment.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 वृत्त Ex 10.5

प्रश्न 1.
आकृति में, केंद्र O वाले एक वृत्त पर तीन बिंदु A, B, और C इस प्रकार है कि ∠BOC = 30° तथा ∠AOB = 60° हैं। यदि चाप ABC के अतिरिक्त वृत्त पर D एक बिंदु है, तो ∠ADC ज्ञात कीजिए।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 1
हल :
∠AOC = ∠AOB + ∠BOC
⇒ ∠AOC = 60° + 30°
⇒ ∠AOC = 90°
अब,
∠AOC = 2∠ADC
[∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है।
या ∠ADC = \(\frac{1}{2}\)∠AOC
⇒ ∠ADC = \(\frac{1}{2}\) × 90°
⇒ ∠ADC = 45°.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5

प्रश्न 2.
किसी वृत्त की एक जीवा वृत्त की त्रिज्या के बराबर है। जीवा दवारा लघु चाप के किसी बिंद पर अंतरित कोण ज्ञात कीजिए तथा दीर्घ चाप के किसी बिंदु पर भी अंतरित कोण ज्ञात कीजिए।
हल :
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 2
मान लीजिए AB एक लघु चाप है।
जीवा AB = त्रिज्या OA = त्रिज्या OB
∴ ΔAOB एक समबाहु त्रिभुज है।
∴ ∠AOB = 60°
[∵ समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° है।]
अब m \(\widehat{\mathrm{AB}}\) + m\(\widehat{\mathrm{BA}}\) = 360°
⇒ ∠AOB + ∠BOA = 360°
⇒ 60° + ∠BOA = 360°
⇒ ∠BOA = 360° – 60°
⇒ ∠BOA = 300°
D लघु चाप पर एक बिंदु है।
∴ m\(\widehat{\mathrm{BA}}\) = 2∠BDA
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 3
⇒ ∠BOA = 2∠BDA
[∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है।]
या ∠BDA = \(\frac{1}{2}\)∠BOA
∠BDA = \(\frac{1}{2}\) × 300°
⇒ ∠BDA = 150°
अतः, लघु चाप \(\widehat{\mathrm{BA}}\) द्वारा लघु चाप के किसी बिंदु D पर अंतरित कोण 150° है।
मान लीजिए दीर्घ चाप \(\widehat{\mathrm{BA}}\) पर एक बिंदु E है।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 4
∴ m\(\widehat{\mathrm{AB}}\) = 2∠AEB
⇒ ∠AOB = 2∠AEB
[∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है।]
या ∠AEB = \(\frac{1}{2}\)∠AOB
⇒ ∠AEB = \(\frac{1}{2}\) × 60°
⇒ ∠AEB = 30°
अतः लघु चाप \(\widehat{\mathrm{AB}}\) द्वारा दीर्घ चाप के किसी बिंदु E पर अंतरित कोण 30° है।

प्रश्न 3.
आकृति में, ∠PQR = 100°है, जहाँ P, Q तथा R केंद्र O वाले एक वृत्त पर स्थित हैं। ∠OPR ज्ञात कीजिए।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 5
हल :
आकृति ; Q लघु चाप \(\widehat{\mathrm{PQR}}\) पर स्थित कोई बिंदु है।
∴ m\(\widehat{\mathrm{RP}}\) = 2∠PQR
⇒ ∠ROP = 2∠PQR
[∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है।]
∴ ∠ROP = 2 × 100°
⇒ ∠ROP = 200°
अब
m\(\widehat{\mathrm{PR}}\) + m\(\widehat{\mathrm{RP}}\) = 360°
⇒ ∠POR + ∠ROP = 360°
⇒ ∠POR + 200° = 360°
⇒ ∠POR = 360° – 200°
⇒ ∠POR = 160° ………(i)
अब, ΔOPR एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
∴ OP = OR (वृत्त की त्रिज्याएँ)
∴ ∠OPR = ∠ORP
(बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण) …….(ii)
अब समद्विबाहु त्रिभुज OPR में,
∠OPR + ∠ORP + ∠POR = 180°
⇒ ∠OPR + ∠OPR + 160° = 180°
[(i) और (ii) का प्रयोग करने पर]
⇒ 2∠OPR = 180° – 160°
⇒ 2∠OPR = 20°
⇒ ∠OPR = \(\frac{20^{\circ}}{2}\)
⇒ 2∠OPR = 10°

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5

प्रश्न 4.
आकृति में, ∠ABC = 69° और ∠ACB = 31° हो, तो ∠BDC ज्ञात कीजिए।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 6
हल :
ΔABC में,
∠BAC + ∠ABC + ∠ACB = 180°
⇒ ∠BAC + 69° + 31° = 180°
⇒ ∠BAC = 180° – 69° – 31°
⇒ ∠BAC = 80° ……..(i)
बिंदु A और D वृत्त के एक ही वृत्तखंड में है।
इसलिए, ∠BDC = ∠BAC [∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है।]
⇒ ∠BDC = 80° [(i) का प्रयोग करने पर]

प्रश्न 5.
आकृति में, एक वृत्त पर A, B, C और D चार बिंदु हैं। AC और BD एक बिंदु E पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि ∠BEC = 130° और ∠ECD = 20° हैं। ∠BAC ज्ञात कीजिए।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 7
हल :
आकृति के अनुसार ∠CED + ∠BEC = 180° (रैखिक युग्म)
⇒ ∠CED + 130° = 180°
⇒ ∠CED = 180° – 130°
⇒ ∠CED = 50°… (i)
∠AEB = ∠CED (शीर्षाभिमुख कोण)
∠AEB = 50° [(i) का प्रयोग करने पर]
अब,
∠ABD = ∠ACD
[चाप AD द्वारा एक ही वृत्तखंड में अंतरित कोण बराबर होते हैं।]
⇒ ∠ABD = 20°
[∵ ∠ACD = 20° (दिया है)]
अब, ΔAEB में,
∠BAE + ∠ABE + ∠AEB = 180°
[त्रिभुज का कोण योग गुण]
⇒ ∠BAE + 20° + 50° = 180°
⇒ ∠BAE = 180° – 20° – 50°
⇒ ∠BAE = 110°
या ∠BAE = 110°

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5

प्रश्न 6.
ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसके विकर्ण एक बिंदु E पर प्रतिच्छेद करते हैं। यदि ∠DBC = 70° और ∠BAC = 30° हो, तो ∠BCD ज्ञात कीजिए। पुनः, यदि AB = BC हो, तो ∠ECD ज्ञात कीजिए।
हल :
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 8
∠BDC = ∠BAC
[एक ही वृत्तखंड के कोण]
∠BDC = 30° (∵ ∠BAC = 30°)
ΔBCD में,
⇒ ∠BCD + ∠DBC + ∠BDC = 180°
⇒ ∠BCD + 70° + 30° = 180°
[∵ ∠DBC = 70°]
⇒ ∠BCD = 180° – 70° – 30°
⇒ ∠BCD = 80° ……(i)
यदि AB = BC
तो ΔABC में;
∠ACB = ∠BAC
(त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।).
⇒ ∠ACB = 30° …….(ii)
अब
∠BCD = ∠ACB + ∠ACD
⇒ 80° = 30° + ∠ACD
[(i) और (ii) का प्रयोग करने पर]
⇒ 80° – 30° = ∠ACD
⇒ 50° = ∠ACD
या, ∠ACD = 50°
या, ∠ECD = 50°

प्रश्न 7.
यदि एक चक्रीय चतुर्भुज के विकर्ण उसके शीर्षों से जाने वाले वृत्त के व्यास हों, तो सिद्ध कीजिए कि वह एक आयत है।
हल :
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 9
AC एक व्यास है।
∴ ∠B = ∠D = 90° ……(1)
(अर्धवृत्त में कोण समकोण होता है।)
इसी प्रकार BD व्यास है।
∴ ∠A = ∠C = 90° …(2)
अब, व्यास
AC = BD
⇒ \(\overparen{\mathrm{AC}}\) ≅ \(\overparen{\mathrm{BD}}\)
(बराबर जीवाओं की सम्मुख चापें)
\(\overparen{\mathrm{AC}}\) – \(\overparen{\mathrm{DC}}\) ≅ \(\overparen{\mathrm{BD}}\) – \(\overparen{\mathrm{DC}}\)
⇒ \(\overparen{\mathrm{AD}}\) ≅ \(\overparen{\mathrm{BC}}\)
⇒ AD = BC
(बराबर चापों को सम्मुख जीवाएँ ) ….. (3)
इसी प्रकार AB = DC ….. (4)
(1), (2), (3) और (4) में हम देखते हैं कि चतुर्भुज का प्रत्येक कोण 90° का है और सम्मुख भुजाएँ बराबर है।
अतः, ABCD एक आयत है।

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5

प्रश्न 8.
यदि एक समलंब की असमांतर भुजाएँ बराबर हैं, तो सिद्ध कीजिए कि वह चक्रीय है।
हल :
दिया है : एक समलंब ABCD जिसमें AB || CD और AD = BC है।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 10
सिद्ध करना है : बिंदु A, B, C, D चक्रीय है। (अर्थात् ABCD चक्रीय समलंब है)
रचना : DE || CB खींचिए।
उपपत्ति : DE || CB और EB || DC.
∴ EBCD एक समांतर चतुर्भुज है।
∴ DE = CB और CDEB = LDCB.
∵ समांतर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
अब, ∵ AD = BC और BC = DE
∴ DA = DE ⇒ ∠DAE = ∠DEA.
[∵ त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं]
परंतु ∠DEA + ∠DEB = 180° … ( रैखिक युग्म)
⇒ ∠DAE + ∠DCB = 180°
[∵ ∠DEA = ∠DAE और ∠DEB = ∠DCB] (ऊपर प्रमाणित)
⇒ ∠DAB + ∠DCB = 180° …….(1)
⇒ ∠A + ∠C = 180°
अतः, ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है।
[∵ चक्रीय चतुर्भुज के सम्मुख कोण संपूरक होते हैं जैसा कि परिणाम (1) है।]

प्रश्न 9.
दो वृत्त बिंदुओं B और C पर प्रतिच्छेद करते हैं। B से जाने वाले दो रेखाखंड ABD और PBQ वृत्तों को A, D और P, Q पर क्रमशः प्रतिच्छेद करते हुए खींचे गए हैं (देखिए आकृति)। सिद्ध कीजिए कि ∠ACP = ∠QCD है।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 11
हल :
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 12
वृत्त I की चाप एक ही वृत्त खण्ड में ∠1 और ∠2 अंतरित करती है।
∴ ∠1 = ∠2
[एक ही वृत्त खण्ड के कोण बराबर होते हैं।]
चाप BC वृत्त II के एक ही वृत्तखण्ड में ∠3 और ∠4 अंतरित करती है।
∴ ∠3 = ∠4 [उपरोक्त कारण ही]
अब, ΔACD में,
∠A + ∠C + ∠D = 180° [त्रिभुज का कोण योग गुण]
∠1 + ∠5 + ∠6 + ∠3 = 180° … (i)
ΔPCQ में,
∠P + ∠C + ∠Q = 180°
[त्रिभुज का कोण योग गुण]
⇒ ∠2 + ∠5 + ∠7 + ∠4 = 180° ….. (ii)
(i) और (ii) से,
∠1 + ∠5 + ∠6 + ∠3 = ∠2 + ∠5 + ∠7 + ∠4 ……. (iii)
परंतु ∠1 = ∠2 और ∠3 = ∠4 (ऊपर प्रमाणित)
∴ (iii) से हमें प्राप्त होता है :
∠1 + ∠5 + ∠6 + ∠3 = ∠1 + ∠5 + ∠7 + ∠3
⇒ ∠6 = ∠7
या ∠ACP = ∠QCD इति सिद्धम

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5

प्रश्न 10.
यदि किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को व्यास मानकर वृत्त खींचे जाएं, तो सिद्ध कीजिए कि इन | वृत्तों का प्रतिच्छेद बिंदु तीसरी भुजा पर स्थित है।
हल :
दिया है : दो वृत्त एक दूसरे को बिंदुओं A और B प्रतिच्छेद करते हैं। AP और AQ उनके व्यास हैं।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 13
सिद्ध करना है : बिंदु B, तीसरी भुजा PQ पर स्थित है।
रचना : A और B को मिलाइए।
उपपत्ति : AP व्यास है।
∴ ∠1 = 90° (अर्धवृत्त का कोण)
साथ ही, AQ व्यास है।
∴ ∠2 = 90° (अर्धवृत्त का कोण)
∠1 + ∠2 = 90° + 90°
⇒ ∠PBQ = 180°
⇒ PBQ एक सरल रेखा है
अतः, B अर्थात् इन वृत्तों का प्रतिच्छेद बिंदु तीसरी भुजा अर्थात् PQ पर स्थित है।

प्रश्न 11.
उभयनिष्ठ कर्ण AC वाले दो समकोण त्रिभुज ABC और ADC है। सिद्ध कीजिए कि ∠CAD = ∠CBD है।
हल:
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 14
दिया है कि दो समकोण त्रिभुज ABC और ADC जिनमें B और D पर क्रमशः समकोण हैं।
∴ ∠ABC = ∠ADC (प्रत्येक 90°)
यदि हम AC (उभयनिष्ठ कर्ण) व्यास लेकर एक वृत्त खींचे तो यह निश्चित रूप से बिंदुओं B और D में से होकर जाएगा।
[क्योंकि B और D वे बिंदु है जो चाप AC के एकांतर खंडों में हैं।]
अब, \(\overparen{\mathrm{CD}}\) एक ही वृत्तखंड में ∠CBD और ∠CAD अंतरित करती है।
∴ ∠CAD = ∠CBD (इति सिद्धम)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5

प्रश्न 12.
सिद्ध कीजिए कि एक चक्रीय समांतर चतुर्भुज आयत होता है।
हल :
मान लीजिए ABCD एक चक्रीय समांतर चतुर्भुज है। यह सिद्ध करने के लिए कि यह एक आयत है इतना ही सिद्ध करना पर्याप्त है कि समांतर चतुर्भुज का एक कोण समकोण है।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.5 15
अब, ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।
⇒ ∠B = ∠D …….(i)
[∵ समांतर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।]
साथ ही, ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है।
⇒ ∠B + ∠D = 180° …….(ii)
(i) और (ii) से हमें प्राप्त होता है :
∠B + ∠B = 180°
⇒ ∠2B = 180°
⇒ ∠B = 90°
इसलिए, ∠B = ∠D = 90°
अतः, ABCD एक आयत है।

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 वृत्त Ex 10.4

प्रश्न 1.
5 cm तथा 3 cm त्रिज्या वाले दो वृत्त दो बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करते हैं तथा उनके केंद्रों के बीच की दूरी 4 cm है। उभयनिष्ठ जीवा की लंबाई ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए दो वृत्त जिनके केंद्र O और O’ हैं, परस्पर बिंदुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं। A और B को मिलाने पर, AB उभयनिष्ठ जीवा है।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 1
त्रिज्या OA = 5 cm, त्रिज्या O’A = 3 cm,
उनके केंद्रों के बीच की दूरी OO’ = 4 cm
हम देखते हैं कि त्रिभुज AOO’ में ;
52 = 42 + 32
⇒ 25 = 16 + 9
⇒ 25 = 25
ΔAO’O में पाइथागोरस का परिणाम संतुष्ट होता है।
अतः, ΔAO’O एक समकोण त्रिभुज है जिसमें O’ पर समकोण है।
जैसा कि हम जानते हैं कि वृत्त के केंद्र से जीवा पर गिराया गया लंब जीवा को समद्विभाजित करता है।
अतः O जीवा AB का मध्य-बिंदु है। साथ ही O’ वृत्त II का केंद्र है।
इसलिए जीवा AB की लंबाई = वृत्त II का व्यास
∴ जीवा AB की लंबाई = 2 × 3 cm
= 6 cm.

वैकल्पिक
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 2
मान लीजिए दो वृत्त, जिनके केंद्र O और O’ हैं, परस्पर बिंदुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं।
मान लीजिए उभयनिष्ठ जीवा AB, OO’ को C पर प्रतिच्छेद करती है।
मान लीजिए OC = x cm
∴ O’C = 4 – x cm
जैसा कि हम जानते हैं कि दो वृत्तों के केंद्रों को मिलाने वाली रेखा वृत्तों को उभयनिष्ठ जीवा का लंब समद्विभाजक होते हैं।
∴ समकोण ΔOCA में,
AC2 + OC2 = OA2
[पाइथागोरस के परिणाम का प्रयोग करके
⇒ AC2 + x2 = 52
⇒ AC2 = 25 – x2 ……(i)
इसी प्रकार ΔACO’ में,
AC2 + O’C2 = AO2
⇒ AC2 + (4 – x)2 = 32
⇒ AC2 = 9 – (4 – x) …..(ii)
(i) और (ii) से हमें प्राप्त होता है :
25 – x2 = 9 – (4 – x)2
⇒ 25 – x2 = 9 – (16 + x2 – 8x)
⇒ 25 – x2 = 9 – 16 – x2 + 8x
⇒ – 8x = 9 – 16 – 25 – x2 + x2
⇒ – 8x = – 32
⇒ x = 4
∴ CO’ = 4 – x
⇒ CO’ = 4 – 4
⇒ CO’ = 0
इसका अर्थ है कि O’, C के साथ संपाती है।
∴ AC = त्रिज्या AO’ = 3 cm
जीवा AB की लंबाई = केंद्र O’ वाले वृत्त का व्यास
जीवा AB की लंबाई = 2 × AO’
= 2 × AC
= 2 × 3
= 6 cm.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4

प्रश्न 2.
यदि एक वृत्त की दो समान जीवाएँ वृत्त के अंदर प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि एक जीवा के खंड दूसरी जीवा के संगत खंडों के बराबर हैं।
हल :
मान लीजिए एक वृत्त जिसका केंद्र O है, की दो समान जीवाएँ AB तथा CD वृत्त के अंदर E पर प्रतिच्छेद करती हैं।
हमने सिद्ध करना है कि
(a) AE = CE
(b) BE = DE.
रचना : OM⊥AB, ON⊥CD खींचिए OE को मिलाइए।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 3
उपपत्ति : समकोण ΔOME और समकोण ΔONE
∠OME = ∠ONE (प्रत्येक 90°)
OM = ON [∵ समान जीवाएँ वृत्त के केंद्र से समदूरस्थ होगी।
कर्ण OE = कर्ण OE (उभयनिष्ठ)
∴ ΔΟΜΕ ≅ ΔΟΝΕ
[R.H.S. सर्वांगसमता नियम]
∴ ME = NE
(सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) ….(i)
अब ; O वृत्त का केंद्र है और
OM ⊥ AB
∴ AM = \(\frac{1}{2}\)AB
[∵ वृत्त के केंद्र से जीवा पर लंब जीव को समद्विभाजित करता है।] …(ii)
इसी प्रकार, NC = \(\frac{1}{2}\)CD ….(iii)
परंतु AB = CD (दिया है)
(ii) और (iii) से हमें प्राप्त होता है
AM = NC ….(iv) साथ ही,
MB = DN ….(v)
(i) और (iv) को जोड़ने पर हमें प्राप्त होता है :
AM + ME = NC + NE
⇒ AE = CE भाग (a) सिद्ध हुआ
अब AB = CD (दिया है)
AE = CE (ऊपर सिद्ध किया है)
AB – AE = CD – CE
⇒ BE = DE भाग (b) सिद्ध हुआ

प्रश्न 3.
यदि एक वृत्त की दो समान जीवाएँ वृत्त के अंदर प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि प्रतिच्छेद बिंदु को केंद्र से मिलाने वाली रेखा जीवाओं से बराबर कोण बनाती है।
हल :
मान लीजिए एक वृत्त जिसका केंद्र O है, की दो समान जीवाएँ AB तथा CD वृत्त के अंदर E पर प्रतिच्छेद करती हैं। हमने सिद्ध करना है कि
∠OEM = ∠OEN.
रचना : OM ⊥ AB, ON ⊥ CD खींचिए। OE को मिलाइए।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 4
उपपत्ति : समकोण त्रिभुजों OME और ONE में,
∠OME = ∠ONE (प्रत्येक 90°)
OM = ON
[∵ वृत्त की समान जीवाएँ केंद्र से समदूरस्थ होती हैं।]
कर्ण OE = कर्ण OE (उभयनिष्ठ)
∴ ΔOME ≅ ΔONE
[R.H.S. सर्वांगसमता नियम]
∴ ∠OEM = ∠OEN
(सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4

प्रश्न 4.
यदि एक रेखा दो संकेंद्री वृत्तों (एक ही केंद्र वाले वृत्त) को जिनका केंद्र O है, A, B, C और D पर प्रतिच्छेद करे, तो सिद्ध कीजिए AB = CD है (देखिए आकृति)।
हल :
एक रेखा l दो संकेंद्रीय वृत्तों को, जिनका केंद्र O है, A, B, C और D पर प्रतिच्छेद करती है।
हमने सिद्ध करना है कि
AB = CD
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 5
रचना : OL ⊥ l खींचिए
उपपत्ति : AD बाह्य वृत्त की जीवा है
और OL ⊥ AD
∴ AL = LD
[∵ केंद्र से खींचा गया लंब, जीवा को समद्विभाजित करता है।] …..(i)
अब ; BC अंत: वृत्त की जीवा है और OL ⊥ BC.
∴ BL = LC
[∵ केंद्र से खींचा गया लंब, जीवा को समद्विभाजित करता है। …(ii)
(ii) को (i), में से घटाने पर हमें प्राप्त होता है।
AL – BL = LD – LC
⇒ AB = CD (इति सिद्धम्)

प्रश्न 5.
एक पार्क में बने 5 मी त्रिज्या वाले वृत्त पर खड़ी तीन लड़कियाँ रेशमा, सलमा एवं मनदीप खेल रही हैं। रेशमा एक गेंद को सलमा के पास, सलमा मनदीप के पास तथा मनदीप रेशमा के पास फेंकती हैं। यदि रेशमा तथा सलमा के बीच और सलमा तथा मनदीप के बीच की प्रत्येक दूरी 6 m हो, तो रेशमा और मनदीप के बीच की दूरी क्या है ?
हल :
मान लीजिए रेशमा, सलमा और मनदीप की स्थिति को बिंदुओं A, B और C से दर्शाया गया है।
दिया गया है कि रेशमा और सलमा के बीच की दूरी 6 मी है तथा सलमा और मनदीप के बीच की दूरी भी 6 मी है। इसका अर्थ है कि :
AB = BC = 6 मी
∴ वृत्त का केंद्र ∠BAC के समद्विभाजक पर स्थित है।
मान लीजिए कि M, BC और OA का प्रतिच्छेद बिंदु है।
पुनः क्योंकि AB= BC
और AM, ∠CAB को समद्विभाजित करता है
∴ AM⊥CB और M, CB का मध्य बिंदु है।
मान लीजिए OM = x
तब MA = 5 – x
अब, समकोण ΔOMB से
⇒ OB2 = OM2 + MB2
52 = x2 + MB2
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 6
पुन: समकोण ΔAMB से,
AB2 = AM2 + MB2
⇒ 62 = (5 – x)2 + MB ….(2)
(1) और (2) से MB2 के मूल्य को बराबर करने से हमें प्राप्त होता है :
52 – x2 = 62 – (5 – x)2
⇒ (5 – x)2 – x2 = 62 – 52
⇒ (25 – 10x + x2) – x2 = 36 – 253
⇒ 25 – 10x + x2 – x2 = 11
⇒ -10x = 11 – 25
⇒ -10x = -14
⇒ x = \(\frac{14}{10}\)
अतः, (i) से,
MB2 = 52 – x2
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 7
∴ BC = 2MB = 2 × 4.8 = 9.6 मी
अतः, रेशमा और मनदीप के बीच की दूरी 9.6 मी है।

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4

प्रश्न 6.
20 m त्रिज्या का एक गोल पार्क (वृत्ताकार) एक कालोनी में स्थित है। तीन लड़के अंकुर, सैय्यद तथा डेविड उसकी परिसीमा पर बराबर दूरी पर बैठे हैं और प्रत्येक के हाथ में एक खिलौना टेलीफोन आपस में बात करने के लिए हैं। प्रत्येक फोन की डोरी की लंबाई ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए तीनों लड़कों अंकुर, सैय्यद तथा डेविड की स्थिति को बिंदुओं A, B और C से दर्शाया गया है।
तीनों बिंदु स मान दूरी पर हैं।
∴ AB = BC = AC = a m (माना)
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 8
समबाहु त्रिभुज की समान भुजाएँ वृत्त की समान जीवाएँ । हैं और वृत्त की समान जीवाएँ केंद्र से समदूरस्थ होती हैं।
∴ OD = OE = OF = x m (माना)
OA, OB और OC को मिलाइए।
अब, हमारे पास तीन सर्वांगसम त्रिभुजें हैं।
ΔOAB, ΔOBC और ΔAOC
∴ ar (ΔAOB) = ar (ΔBOC)
= ar (ΔAOC) …(i)
अब, a भुजा वाली समबाहु ΔABC का क्षेत्रफल
= ar (ΔAOB) + ar (ΔBOC) + ar (ΔAOC) …(ii)
⇒ ar (ΔABC) = 3ar (ΔBOC)
[(i) को (ii) में प्रयोग करने पर]
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.4 9
OE ⊥ BC
∴ BE = EC = \(\frac{1}{2}\)BC
[∵ केंद्र से खींचा गया लंब जीवा को समद्विभाजित करता है।]
BE = EC = \(\frac{1}{2}\)a
BE = EC = \(\frac{1}{2}\)(2\(\sqrt{3}\)x)
[(iii) को प्रयोग करने पर]
⇒ BE = EC = \(\sqrt{3}\)x
अब, समकोण ΔBEO में,
OE2 + BE2 = OB2 (पाइथागोरस प्रमेय)
⇒ x2 + (\(\sqrt{3}\)x2) = 202
⇒ x2 + 3x2 = 400
4x2 = 400
⇒ x2 = \(\frac{400}{4}\)
⇒ x2 = 100
⇒ x = \(\sqrt{100}\)
⇒ x = 10 m …(iv)
अब (iii) से हमें प्राप्त होता हैं।
a = 2\(\sqrt{3}\)x
⇒ a = 2\(\sqrt{3}\) × 10 मी
[(iv) का प्रयोग करने पर]
⇒ a = 20\(\sqrt{3}\) मी
अतः, किन्हीं दो लड़कों के बीच की दूरी 20\(\sqrt{3}\) मी है।

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि दो प्रतिच्छेदित करते हुए वृत्तों की केंद्रों की रेखा दोनों प्रतिच्छेद बिंदुओं पर समान कोण अंतरित करती है।
हल :
मान लीजिए दो वृत्त जिन के केंद्र क्रमश: A और B हैं, परस्पर C और D पर प्रतिच्छेद करते हैं। हमने सिद्ध करना है कि ∠ACB = ∠ADB
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 1
उपपति : ΔABC और ΔABD में,
AC = AD (प्रत्येक = r)
BC = BD (प्रत्येक = r)
AB = AB (उभयनिष्ठ)
∴ ΔABC ≅ ΔABD
(SSS सर्वांगसमता नियम)
⇒ ∠ACB = ∠ADB
(सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

प्रश्न 2.
एक वृत्त की 5 cm तथा 11 cm लंबी दो जीवाएँ AB और CD समांतर हैं और केंद्र की विपरीत दिशा में स्थित हैं। यदि AB और CD के बीच की दूरी 6 cm हो, तो वृत्त की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए O वृत्त का केंद्र है।
OA और OC को मिलाइए।
क्योंकि वृत्त के केंद्र से जीवा पर खींचा गया लंब जीवा को समद्विभाजित करता है।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 2
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 3
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 4
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 5

प्रश्न 3.
किसी वृत्त की दो समांतर जीवाओं की लंबाइयाँ 6 cm और 8 cm हैं। यदि छोटी जीवा केंद्र से 4 cm की दूरी पर हो, तो दूसरी जीवा केंद्र से कितनी दूर है ?
हल :
मान लीजिए AB = 6 cm और CD = 8 cm, O केंद्र वाले वृत्त की जीवाएँ हैं।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 6
OA और C को मिलाइए।
क्योंकि वृत्त के केंद्र से जीवा पर खींचा गया लंब जीवा को समद्विभाजित करता है।
∴ AE = EB = \(\frac {1}{2}\)AB
= \(\frac {1}{2}\) × 6 = 3cm
और
CF = FD = \(\frac {1}{2}\)CD
= \(\frac {1}{2}\) × 8
= 4 cm
जीवा AB की केंद्र O से लंबात्मक दूरी OE है।
∴ OE = 4 cm
अब समकोण ΔAOE में,
OA2 = AE2 + OE2 [पाइथागोरस का परिणाम प्रयोग करने पर]
⇒ r2 = 32 + 42
⇒ r2 = 9 + 16
⇒ r2 = 25
⇒ r2 = \(\sqrt{25}\)
⇒ r2 = 5cm
जीवा CD की केंद्र O से लंबात्मक दूरी OF है।
समकोण ΔOFC में,
OC2 = CF2 + OF2
[पाइथागोरस का परिणाम प्रयोग करने पर] |
⇒ r2 = 42 + OF2
⇒ 52 = 42 + OF2
या OF2 = 25 – 16
⇒ OF2 = 9
⇒ OF = \(\sqrt{9}\)
⇒ OF = 3 cm
अतः, दूसरी जीवा की केंद्र से दूरी 3 cm है।

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

प्रश्न 4.
मान लीजिए कि कोण ABC का शीर्ष एक वृत्त के बाहर स्थित है और कोण की भुजाएँ वृत्त से बराबर जीवाएँ AD और CE काटती हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠ABC जीवाओं AC तथा DE द्वारा केंद्र पर अंतरित कोणों के अंतर का आधा है।
हल :
∠ABC का शीर्ष B एक वृत्त (जिसका केंद्र O है) के बाहर स्थित है।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 7
भुजा AB, जीवा CE को बिंदु E पर प्रतिच्छेद करती है और BC जीवा AD को बिंदु D पर प्रतिच्छेद करती है।
हमने सिद्ध करना है कि
∠ABC = \(\frac {1}{2}\)[∠AOC – ∠DOE]
OA, OC, OE और OD को मिलाइए।
अब, ∠AOC = 2∠AEC [चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण वृत्त के शेष भाग के किसी बिंदु पर अंतरित कोण का दुगुना होता है]
या \(\frac {1}{2}\)∠AOC = ∠AEC …………(i)
इसी प्रकार, \(\frac {1}{2}\) ∠DOE = ∠DCE …………..(ii)
[उपरोक्त कारण से]
(ii) को (i) में से घटाने पर हमें प्राप्त होता है,
\(\frac {1}{2}\)[∠AOC – ∠DOE] = ∠AEC – ∠DCE …………(iii)
अब, ∠AEC = ∠ADC …….(iv)
(एक ही वृत्तखंड के कोण)
साथ ही, ∠DCE = ∠DAE
(एक ही वृत्तखंड के कोण)
(iv) और (v) को (iii) में प्रयोग करने पर हमें प्राप्त होता है,
\(\frac {1}{2}\)[∠AOC – ∠DOE] = ∠ADC – ∠DAE …….(vi)
ΔADB में,
∠ADC = ∠DAE + ∠ABD …(vii) (त्रिभुज का बाह्य कोण अंत:अभिमुख कोणों के योग के बराबर होता है)
(vii) को (vi) में प्रयोग करने पर हमें प्राप्त होता है :
\(\frac {1}{2}\)[∠AOC – ∠DOE] = ∠DAE + ∠ABD – ∠DAE
⇒ \(\frac {1}{2}\)[∠AOC – ∠DOE] = ∠ABD
या \(\frac {1}{2}\)[∠AOC – ∠DOE] = ∠ABC
(इति सिद्धम)

प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि किसी चतुर्भुज की किसी भूजा को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त उसके विकणों के प्रतिच्छेद बिंदु से होकर जाता है।
हल :
मान लीजिए कि ABCD एक समचतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC और BD परस्पर बिंदु पर प्रतिच्छेद करते हैं।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 8
जैसा कि हमें ज्ञात है कि समचतुर्भुज के विकर्ण एकदूसरे के लंब समद्विभाजिक होते हैं।
∴ ∠AOB = 90°
यदि हम AB को व्यास मानकर वृत्त खींचे तो यह निश्चित रूप से ही बिंदु ०(विकर्णों का प्रतिच्छेद बिंदु) में से होकर जाएगा। क्योंकि तब ∠AOB = 90° इसके अर्धवृत्त में बना कोण होगा।

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

प्रश्न 6.
ABCD एक समांतर चतुर्भुज है। A, B और C से होकर जाने वाला वृत्त CD (यदि आवश्यक हो तो बढ़ाकर) को E पर प्रतिच्छेद करता है। सिद्ध कीजिए कि AE = AD है।
हल :
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 9
आकृति (a) में,
ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।
⇒ ∠1 = ∠3 …………(i)
(समांतर चतुर्भुज के सम्मुख कोण)
ABCE एक चक्रीय चतुर्भुज है।
∠1 + ∠6 = 180° …… (ii)
∠5 + ∠6 = 180°…(रैखिक युग्म)… (iii)
(ii) और (iii) से
∠1 = ∠5 …. (iv)
अब, (i) और (iv) से
∠3 = ∠5
अब, ΔAED में,
∠3 = ∠5
⇒ AE = AD (∵ त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ) आकृति (b) में,
ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।
⇒ ∠1 = ∠3 (समांतर चतुर्भुज के सम्मुख कोण)
∠2 = ∠4
साथ ही AB || CD और BC इनको मिलती है।
∠1 + ∠2 = 180° ……. (1)
और AD || BC और EC इनको मिलती है।
∠5 = ∠2 (संगत कोण) …… (2)
ABCE एक चक्रीय चतुर्भुज है।
∴ ∠1 + ∠6 = 180°
(1) और (3) से हमें प्राप्त होता है :
∠1 + ∠2 = ∠1 + ∠6
⇒ ∠2 = ∠6
परंतु (2) से,
∠2 = ∠5
⇒ ∠5 = ∠6
अब, ΔAED में,
∠5 = ∠6
⇒ AE = AD
अतः, दोनों स्थितियों में,
AE = AD.

प्रश्न 7.
AC और BD एक वृत्त की जीवाएँ हैं जो परस्पर समद्विभाजित करती हैं। सिद्ध कीजिए :
(i) AC और BD व्यास हैं,
(ii) ABCD एक आयत है।
हल :
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 10
मान लीजिए वृत्त की जीवाएँ AC और BD परस्पर O पर समद्विभाजित करती हैं।
तो OA = OC और OB = OD.
हमने सिद्ध करना है कि (i) AC और BD व्यास हैं दूसरे शब्दों में, O वृत्त का केंद्र है।
ΔAOD और ΔBOC में,
AO = OC (दिया है।)
∠AOD = ∠BOC (शीर्षाभिमुख कोण)
OD = OB (दिया है)
∴ ΔAOD ≅ ΔCOB
(SAS सर्वांगसमता नियम)
⇒ AD = CB
(सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग)
इसी प्रकार, ΔAOB ≅ ΔCOD
⇒ AB = CD
⇒ \(\widehat{\mathrm{AB}}\) ≅ \(\widehat{\mathrm{CD}}\)
[बराबर जीवाओं की सम्मुख चा]
⇒ \(\widehat{\mathrm{AB}}\) + \(\widehat{\mathrm{BC}}\)
⇒ \(\widehat{\mathrm{CD}}\) + \(\widehat{\mathrm{BC}}\)
⇒ \(\widehat{\mathrm{ABC}}\) = \(\widehat{\mathrm{BCD}}\)
⇒ AC = BD
(बराबर चापों की सम्मुख जीवाएँ)
∴ AC और BD व्यास हैं। क्योंकि केवल व्यास ही, वृत्त की जीवाओं के रूप में परस्पर समदृविभाजित करते हैं।
(ii) के लिए (i) में जैसा कि सिद्ध हुआ ;
AC व्यास है।
∴ ∠B = ∠D = 90° ………(1)
[अन्त का कोण समकोण होता है]
इसी प्रकार BD व्यास है
∴ ∠A = ∠C = 90° …(2)
अब व्यास
AC = BD
⇒ \(\widehat{\mathrm{AC}}\) ≅ \(\widehat{\mathrm{BD}}\)
(बराबर जीवाओं की संगत चाप बराबर होती हैं)
⇒ \(\widehat{\mathrm{AC}}\) – \(\widehat{\mathrm{DC}}\) ≅ \(\widehat{\mathrm{BD}}\) – \(\widehat{\mathrm{DC}}\)
⇒ \(\widehat{\mathrm{AD}}\) ≅ \(\widehat{\mathrm{BC}}\)
⇒ AD = BC
(बराबर जीवाओं की संगत चाप बराबर होती हैं) ……..(3)
इसी प्रकार AB = DC ……..(4)
(1), (2), (3) और (4) से हम देखते हैं कि चतुर्भुज का प्रत्येक कोण 90° का है तथा सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।
अतः, ABCD एक आयत है।

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

प्रश्न 8.
एक त्रिभुज ABC के कोणों A, B और C के समद्विभाजक इसके परिवृत्त को क्रमश: D, E और F पर प्रतिच्छेद करते हैं। सिद्ध कीजिए कि त्रिभुज DEF के कोण 90° – \(\frac {1}{2}\)A, 90° – \(\frac {1}{2}\)B तथा 90° – \(\frac {1}{2}\)C हैं।
हल :
प्रश्न के अनुसार (नीचे दी गई आकृति को देखिए)।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 11
AD, ∠A का समद्विभाजक है
∴ ∠1 = ∠2 = \(\frac {A}{2}\)
BE, ∠B का समद्विभाजक है।
∴ ∠3 = ∠4 = \(\frac {B}{2}\)
CE, ∠C का समद्विभाजक है।
∴ ∠5 = ∠6 = \(\frac {C}{2}\)
जैसा कि हम जानते हैं कि एक ही वृत्तखंड के कोण बराबर होते हैं।
∴ ∠9 = ∠3
(\(\widehat{\mathrm{AE}}\) द्वारा अंतरित कोण)
∠8 =∠5
(\(\widehat{\mathrm{FA}}\) द्वारा अंतरित कोण)
∠9 + ∠8 = ∠3 + ∠5
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 12

प्रश्न 9.
दो सर्वांगसम वृत्त परस्पर बिंदुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं। A से होकर कोई रेखाखंड PAQ इस प्रकार खींचा गया है कि P और दोनों वृत्तों पर स्थित हैं। सिद्ध कीजिए कि BP = BQ है।
हल :
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 13
दिया है : दो सर्वांगसम वृत्त बिंदुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं।
A से खींची गई रेखा वृत्तों को P और Q पर मिलती
सिद्ध करना है : BP = BQ
रचना : A और B को मिलाइए
उपपत्ति : AB उभयनिष्ठ जीवा है और वृत्त बराबर हैं।
∴ उभयनिष्ठ जीवा के संगत चाप बराबर होते हैं।
अर्थात्
\(\widehat{\mathrm{ACB}}=\widehat{\mathrm{ADB}}\)
क्योंकि दो सर्वांगसम वृत्तों के सर्वांगसम चाप वृत्त के । शेष भाग पर बराबर कोण बनाते हैं
इसलिए, हमें प्राप्त है
∠1 = ∠2
APBQ में,
∠1 = ∠2 (सिद्ध किया है)
∴ त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।
इसलिए :
BP = BQ.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

प्रश्न 10.
किसी त्रिभुज ABC में, यदि ∠A का समद्विभाजक तथा BC का लंब समद्विभाजक प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि वे ΔABC के परिवृत्त पर प्रतिच्छेद करेंगे।
हल :
दिया है कि ABC एक त्रिभुज है और इसके शीर्षों में से वृत्त गुजरता है।
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 - 14
मान लीजिए कि कोण A का समद्विभाजक तथा सम्मुख भुजा BC का लंब समद्विभाजक (कह लीजिए) बिंदु P पर प्रतिच्छेद करते हैं।
हमें सिद्ध करना है कि त्रिभुज ABC का परिवृत्त भी बिंद P में से होकर जाएगा।
उपपत्ति : जैसा कि हमें ज्ञात है कि किसी भुजा के लंब समद्विभाजक पर कोई भी बिंदु इस संगत भुजा के अंत:बिंदुओं से समदूरस्थ होता है।
∴ BP = PC ………(i)
साथ ही प्राप्त है: ∠1 = ∠2 …… (ii) [ क्योंकि, AP, ∠A का समद्विभाजक है।
(दिया है)]
(i) और (ii) से हमें ज्ञात होता है कि बराबर रेखाखंड वृत्त के एक ही खंड (अर्थात् Δ ABC के परिवृत्त के बिंदु A पर) में बराबर कोण बनाते हैं।
इसलिए BP और PC, ΔABC के परिवृत्त की जीवाओं के रूप में हैं और उनकी संगत चापें ; \(\widehat{\mathrm{BP}}\) और \(\widehat{\mathrm{PC}}\) परिवृत्त के ही भाग हैं।
अतः बिंदु P परिवृत्त पर ही है।
दूसरे शब्दों में, बिंदु A, B, P और C एकवृत्तीय हैं।
(इति सिद्धम)