PSEB 8th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

→ कुछ पदार्थ अपने में से विद्युत् धारा को प्रवाहित होने देते हैं और कुछ पदार्थ विद्युत् धारा को आसानी से प्रवाहित नहीं होने देते, क्रमशः सुचालक और कुचालक कहलाते हैं।

→ कुछ द्रव विद्युत् धारा को अपने से प्रवाहित होने देते हैं, उन्हें इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं।

→ इलेक्ट्रोलाइट में से विद्युत् धारा प्रवाहित होने से बल्ब प्रकाशमान हो जाता है।

→ सपरीक्षित में जब विद्युत् धारा दुर्बल होती है, तो एल० ई० डी० (LED) (प्रकाश उत्सर्जक डायोड) का उपयोग किया जाता है।

→ शुद्ध वायु, विद्युत्हीन चालक होती है।

→ नल का जल, नमकीन जल, समुद्र अथवा तालाब का जल, सभी विद्युत के सुचालक हैं, क्योंकि इनमें अशुद्धियाँ और लवण उपस्थित होते हैं।

→ अम्ल, क्षार और लवणों के विलयन विद्युत् सुचालक हैं।

→ शुद्ध आसुत जल, विद्युत्हीन चालक है।

→ चालक द्रव (Electrolyte) में से विद्युत् धारा प्रवाहित होने पर रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं।

→ गैसों का उत्सर्जन, विलयन के रंग में बदलाव, इलेक्ट्रोडों की सतह पर धातु की परत का जमा होना आदि कुछ विद्युत् धारा के रासायनिक प्रभाव हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

→ फल और सब्जियाँ भी विद्युत् चालन करती हैं।

→ अम्लयुक्त जल में विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के बुलबुले क्रमशः धन (+Ve) और ऋण (-Ve) टर्मिनलों (Terminals) पर उत्पन्न होते हैं।

→ विद्युत् लेपन, विद्युत् धारा के रासायनिक प्रभाव का एक सर्वाधिक सामान्य उपयोग है।

→ विद्युत् लेपन, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी धातु की वस्तु पर किसी दूसरी मनचाही उत्तम धातु की पतली परत विलोपित करते हैं।

→ विद्युत् लेपन अति उपयोगी है, क्योंकि इस द्वारा वस्तुएँ चिरस्थायी, चमकदार, संक्षरण रहित प्राप्त होती हैं। इस विधि द्वारा सस्ते धातु को महँगे धातु की परत से रोपित किया जाता है।

→ विद्युत् चालक (Conductor)-पदार्थ, जो अपने में से विद्युत् धारा को आसानी से प्रवाहित होने देते हैं, विद्युत् चालक कहलाते हैं।

→ विद्युत्हीन चालक (Insulators)-पदार्थ, जो अपने में से विद्युत् धारा को आसानी से प्रवाहित नहीं होने देते, विद्युत्हीन चालक (कुचालक) कहलाते हैं।

→ विद्युत् अपघटक (Electrolysis)-वह प्रक्रम, जिसमें विद्युत् चालक द्रव में से विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर द्रव संघटकों में अपघटित होता है।

→ एनोड (Anode)-इलेक्ट्रोड, जो बैटरी के +ve सिरे (धन टर्मिनल) से जुड़ा हो, एनोड कहलाता है।

→ कैथोड (Cathode)-इलेक्ट्रोड, जो बैटरी के –ve सिरे (ऋण टर्मिनल) से जुड़ा हो, कैथोड कहलाता है।

→ विद्युत् चालन द्रव (Electrolyte)-जल में कुछ बूंदें सल्फ्यूरिक अम्ल डालने से जल विद्युत् चालन बन जाता है। यह अम्ल युक्त जल विद्युत् चालक द्रव कहलाता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 13 ध्वनि

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 13 ध्वनि

→ कंपित वस्तु द्वारा ध्वनि, उत्पन्न होती है।

→ किसी वस्तु द्वारा अपनी माध्य स्थिति के इधर-उधर, आगे-पीछे या ऊपर-नीचे की दिशा में तय की गई अधिकतम दूरी, कंपन का आयाम (amplitude) कहलाती है।

→ एक कंपन को पूरा करने में लगे समय को आवर्तकाल (time period) कहते हैं।

→ एक सेकंड में कंपनों की संख्या, कंपन की आवृत्ति (frequency) कहलाती है।

→ आवृत्ति का मात्रक हर्ट्ज (Hz) है।

→ कंपन का आयाम जितना अधिक होता है, ध्वनि उतनी ही प्रबल होती है।

→ कंपन की आवृत्ति अधिक होने पर तारत्व अधिक होता है और ध्वनि अधिक तीक्ष्ण होती है।

→ मानव कान के लिए, आवृत्ति की सीमा 20Hz to 20,000 Hz है।

→ ध्वनि को संचारण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। यह निर्वात में संचरित नहीं हो सकती।

→ प्रकाश, ध्वनि की अपेक्षा बहुत तेज़ चलता है।

→ ध्वनि किसी बाधा से परावर्तित हो सकती है। इस परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं।

→ कुछ सतहें दूसरी सतहों की अपेक्षा ध्वनि को अधिक परावर्तित करती हैं।

→ प्रिय ध्वनि संगीत (music) और अप्रिय ध्वनि शोर (noise) कहलाती है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 13 ध्वनि

→ मानवों में वाक्-तंतुओं के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।

→ आयाम (Amplitude)-दोलन करती वस्तु द्वारा माध्य स्थिति से तय की गई अधिकतम दूरी आयाम कहलाती है।

→ प्रतिध्वनि (Echo)-बाधा जैसे कि इमारत और पहाड़ से परावर्तित हुई ध्वनि ।

→ आवृत्ति (Frequency)-दोलित वस्तु द्वारा एक सेकंड में कंपनों की संख्या।

→ हर्ट्ज (Hertz)-आवृत्ति का मात्रक।

→ स्वर यंत्र (Larynx)-मानव में ध्वनि का अंग।

→ तीक्ष्णता (Loudness)-ध्वनि का गुण जो दोलन/कंपन के आयाम और आवृत्ति पर निर्भर करता है।

→ संगीत (Musical Sound)-वह ध्वनि, जो कानों पर मधुर प्रभाव डालती है।

→ शोर (Noise)-कानों को अप्रिय लगने वाली ध्वनि।

→ पराश्रव्य (Ultrasonic)-20,000 Hz से ऊपर आवृत्ति वाले कंपन।

→ दोलन (Vibrating Body)-एक वस्तु, जो मध्य स्थिति के इधर-उधर अथवा आगे-पीछे गति करती है।

→ कंपन (Vibration)-इधर-उधर या आगे-पीछे की गति।

→ वाक्-तंतु (Vocal cords)-स्वर यंत्र में दो युग्म पेशीय तंतु।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 12 घर्षण

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 12 घर्षण

→ घर्षण बल, गति का विरोध करता है।

→ घर्षण बल, दो संपर्क कर रही सतहों के बीच लगता है।

→ घर्षण बल, सतह की प्रकृति और चिकनेपन पर निर्भर करता है।

→ घर्षण बल, सतह की अनियमितताओं के कारण होता है।

→ दाब से घर्षण बढ़ता है।

→ सी घर्षण, स्थैतिक घर्षण से कम होता है।

→ घर्षण, मित्र भी है और शत्रु भी।

→ घर्षण, हानिकारक है परंतु अनिवार्य भी है।

→ घर्षण को आवश्यकता के अनुसार कम या अधिक किया जा सकता है।

→ पहिया अथवा बेलन घर्षण को कम करते हैं।

→ स्नेहक, ऐसे पदार्थ हैं जो घर्षण को कम करते हैं।

→ द्रवों (तरलों) द्वारा उत्पन्न घर्षण, कर्षण कहलाता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 12 घर्षण

→ द्रवों (तरलों) में उत्पन्न घर्षण वस्तु की प्रकृति, आकृति और गति पर निर्भर करती है।

→ मछली, की विशिष्ट आकृति द्रवों में कम घर्षण उत्पन्न करती है।

→ घर्षण (Friction)-संपर्क में रखे दो पृष्ठों के बीच सापेक्ष गति का विरोध करने वाला बल, घर्षण बल कहलाता है।

→ स्थैतिक घर्षण (Static Friction)-किसी रुकी हुई वस्तु की विराम अवस्था में लगा बल, स्थैतिक घर्षण कहलाता है।

→ सी घर्षण (Sliding Friction)-एक वस्तु का दूसरे वस्तु पर सरकने से उत्पन्न प्रतिरोध बल को सी घर्षण कहते हैं।

→ लोटनिक घर्षण (Rolling Friction)-दो वस्तुओं के परस्पर पृष्ठों पर लोटने से गति के प्रतिरोध बल को लोटनिक घर्षण कहते हैं।

→ तरल घर्षण (Fluid Friction)-तरल में डूबी वस्तुओं पर तरल द्वारा लगाया गया बल।

→ धारा रेखीय (Streamline)-एक विशिष्ट आकृति जिससे वायु और जल में घर्षण कम होता है।

→ तरल (Fluids)-द्रवों और गैसों का एक नाम।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 11 बल तथा दाब

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 11 बल तथा दाब

→ बल, एक धक्का या खिंचाव है, जो वस्तु की स्थिति बदलने में सहायक है।

→ बल का प्रभाव केवल बल के परिमाण पर निर्भर नहीं करता, अपितु क्षेत्रफल पर भी निर्भर करता है।

→ बल, वस्तु की गति, गति की दिशा और वस्तु की आकृति बदल सकता है।

→ बल कई प्रकार के होते हैं जैसे-पेशीय, चुंबकीय बल, घर्षणीय बल, गुरुत्वीय बल और स्थिर वैद्युतीय बल।

→ प्रति क्षेत्रफल पर लगाया गया बल, दाब कहलाता है।

→ द्रव बर्तन की दीवारों पर दाब लगाते हैं।

→ वातावरण भी दाब लगाता है, जिसे वायुमंडलीय दाब कहते हैं।

→ द्रव, बर्तन की दीवारों पर समान गहराई पर समान दाब डालते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 11 बल तथा दाब

→ किसी बर्तन में द्रव के स्तंभ की ऊँचाई पर दाब निर्भर करता है। जितनी ऊँचाई अधिक होगी, दाब उतना ही अधिक होगा।

→ गैसें सभी दिशाओं में दाब डालती हैं।

→ बल (Force)-कोई भी बाह्य कारण, जो वस्तु की विराम अवस्था और गतिशील अवस्था में परिवर्तन लाये, या लाने का प्रयत्न करे उसे बल कहते हैं। यह एक सदिश राशि है।

→ परिणामी ( नेट ) बल (Resultant Force)-जब दो या दो से अधिक बल किसी वस्तु पर एक ही समय लगते हैं, तो वस्तु पर लगा रहा कुल बल का प्रभाव परिणामी बल कहलाता है।

→ घर्षणीय बल (Force of Friction)-दो सतहों के बीच लगने वाला बल जो वस्तु गति के विपरीत लगता है, घर्षणीय बल कहलाता है।

→ गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)-विश्व में प्रत्येक दो वस्तुओं के बीच लग रहे आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं।

→ भार (Weight)-जिस बल द्वारा कोई वस्तु धरती की ओर आकर्षित होती है। दाब (Pressure)-प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगाया गया बल।

→वायुमंडलीय दाब (Atmospheric Pressure)-धरती पर स्थित सभी वस्तुओं पर वातावरण द्वारा लगाया गया बल।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

→ मानव एवं अधिकांश जंतु एक निश्चित आयु तक पहुँचने के बाद ही जनन कर सकते हैं।

→ 10 या 11 वर्ष की आयु के बाद वृद्धि में तीव्रता आती है।

→ वृद्धि एक प्राकृतिक प्रक्रम है।

→ जीवनकाल की वह अवधि जब शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है, किशोरावस्था (Adolescence) कहलाती है।

→ किशोरावस्था लगभग 11 वर्ष की आयु से प्रारंभ होकर 18 अथवा 19 वर्ष की आयु तक रहती है।

→ किशोरों को ‘टीनेजर्स’ (Teenagers) भी कहा जाता है।

→ किशोरावस्था के दौरान मनुष्य के शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं। यह परिवर्तन यौवनारंभ (Puberty) का संकेत है।

→ लंबाई में यकायक वृद्धि यौवनारंभ के दौरान होने वाला सबसे अधिक दृष्टिगोचर परिवर्तन है।

→ शरीर के सभी अंग समान दर से वृद्धि नहीं करते।

→ लंबाई, माता-पिता से प्राप्त जींस (Genes) पर निर्भर करती है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

→ यौवनारंभ (Puberty) में ‘स्वरयंत्र’ में वृद्धि का प्रारंभ होता है। सामान्यत: लड़कियों का स्वर उच्च तारत्व वाला होता है जबकि लड़कों का स्वर गहरा होता है।

→ किशोरावस्था में स्वेद एवं तैल-ग्रंथियों का स्राव बढ़ जाता है।

→ अत:स्त्रावी ग्रंथियाँ हार्मोनों को सीधे रुधिर प्रवाह में निर्मोचित करती हैं।

→ किशोरावस्था व्यक्ति के सोचने के ढंग में परिवर्तन की अवधि भी है।

→ गौण लैंगिक लक्षण लड़कियों को लड़कों से पहचानने में सहायता करते हैं।

→ किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन हार्मोन द्वारा नियंत्रित होते हैं। हार्मोन रासायनिक पदार्थ हैं जो अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित किए जाते हैं।

→ पिट्यूटरी, एड्रीनल, थायराइड और जनन अंत:स्त्रावी ग्रंथियां हैं।

→ अंतःस्त्रावी ग्रंथि में नली नहीं होती इसलिए इसे नलिका रहित ग्रंथि (Ductless Gland) भी कहते हैं।

→ कीट हार्मोन कीटों में पाए जाते हैं।

→ नलिका रहित और अंत:स्रावी ग्रंथि अपने स्त्राव रुधिर प्रवाह में स्रावित करती है ताकि वे अपने लक्ष्य पर पहुँच सके।

→ अंतःस्त्रावी ग्रंथियों का स्राव हार्मोन (Hormone) कहलाता है।

→ वृषण अथवा नर जननांग मिश्रित अंग हैं जो शुक्राणु और पौरुष हार्मोन उत्पन्न करते हैं (जैसे टेस्टोस्टरॉन, एंड्रोस्टेरॉन)।

→ अंडाशय एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्ट्रान स्त्राव करता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

→ मादा मानव में 28 से 30 दिन में जनन चक्र में परिवर्तन दौरान एक बार रक्त स्त्राव होने को ऋतु स्त्राव (menstrual cycle) कहते हैं।

→ लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु में मादा में ऋतु स्त्राव होना रुक जाता है। इस क्रिया को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं।

→ मानव कोशिका में 22 जोड़ी सामान्य गुणसूत्र और 1. जोड़ी लिंग गुणसूत्र पाए जाते हैं।

→ मनुष्य की प्रत्येक जनन कोशिका में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं।

→ लारवा से वयस्क में परिवर्तन कायांतरण (Metamorphosis) कहलाता है। यह परिवर्तन भी हार्मोन द्वारा नियंत्रित होते हैं।

→ व्यक्ति का कायिक एवं मानसिक विसंगति मुक्त होना उस व्यक्ति का स्वास्थ्य कहलाता है।

→ किसी भी किशोर को आहार नियोजन अत्यंत सावधानीपूर्वक करना चाहिए क्योंकि यह तीव्र वृद्धि एवं विकास की अवस्था है।

→ किशोरों के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता अति आवश्यक है क्योंकि स्वेद ग्रंथियों की अधिक क्रियाशीलता के कारण शरीर से गंध आने लगती है।

→ सभी युवा/किशोरों को टहलना, व्यायाम करना एवं बाहर खेलना चाहिए।

→ किशोरावस्था (Adolescence)-11 या 12 वर्ष की आयु से 18 या 19 वर्ष तक की अवधि किशोरावस्था कहलाती है। ___

→ यौवनारंभ (Puberty)-11 से 18 वर्ष की अवस्था जब जनन क्षमता का विकास होता है अथवा जनन चक्र का आरंभ होता है।

→ स्वरयंत्र (Voice Box)-मनुष्य के गले में उपास्थि (cartilage) से बना बॉक्स, जो आवाज़ पैदा करता है।

→ ऐडम्स ऐपल (कंठमणि) (Adam’s Apple)-लड़कों में बढ़ता हुआ स्वरयंत्र गले के सामने की ओर सुस्पष्ट उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है, जिसे कंठमणि कहते हैं।

→ गौण लैंगिक लक्षण (Secondary Sexual Characters)-लड़के और लड़कियों में कुछ ऐसे गुण जिनसे उन्हें पहचाना जाता है और भिन्न किया जाता है, गौण लैंगिक लक्षण कहलाते हैं।

→ हार्मोन (Hormones)-शरीर की क्रियात्मक क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले विशेष रासायनिक पदार्थ।

→ अतःस्त्रावी ग्रंथियां (Endocrine Glands)-नलिका रहित ग्रंथियाँ जो हार्मोन उत्पन्न करती हैं और इन्हें सीधा रक्त में बहा देती हैं।

→ लक्ष्य स्थल (Target Site)-शरीर का वह भाग, जहाँ अत: स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित हार्मोन, रक्त प्रवाह दवारा पहुँचते हैं।

→ पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland)-यह मस्तिष्क में उपस्थित मास्टर ग्रंथि है।

→ टेस्टोस्टरॉन (Testosterone)-यौवनारंभ में वृषण द्वारा स्त्रावित नर हार्मोन।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

→ एक्स्ट्रोजन (Estrogen)-यौवनारंभ में अंडाशय द्वारा स्त्रावित मादा हार्मोन. जो स्तनों में विकास करता है।

→ लिंग गुणसूत्र (Sex chromosomes)-मानव शरीर में 23 जोड़े गुणसूत्र हैं उनमें से एक (23वां जोड़ा) लिंग गुणसूत्र है।

→ थाइराक्सिन (Thyroxin)-गले में स्थित थायराइड ग्रंथि द्वारा स्त्रावित हार्मोन।

→ इंसुलिन (Insulin)-अग्न्याशय (Pancreas) द्वारा स्त्रावित हार्मोन जो रक्त में शक्कर के स्तर को नियंत्रित करता है।

→ एड्रिनेलिन (Adrenalin)-रक्त में लवण मात्रा के संतुलन के लिए एड्रीनल ग्रंथि का स्त्राव।

→ संतुलित आहार (Balanced diet)-वह आहार जिसमें सभी पोषक (कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन, लवण, विटामिन आदि) उचित अनुपात में हो।

→ स्वास्थ्य (Health)-व्यक्ति का कायिक एवं मानसिक विसंगतिमुक्त होना।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 9 जंतुओं में जनन

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 9 जंतुओं में जनन

→ जनन का एक विशेष महत्त्व है क्योंकि यह एक जैसे जीवों में पीढ़ी दर पीढ़ी निरंतरता बनाए रखना सुनिश्चित करता है।

→ सभी सजीव अपने जैसे जीव पैदा करते हैं। इस प्रक्रम को जनन कहते हैं।

→ जनन की दो विधियाँ हैं-

  1. लैंगिक जनन
  2. अलैंगिक जनन।

→ अलैंगिक जनन में, नया जीव एक ही जनक से उत्पन्न होता है।

→ सजीव अलैंगिक जनन में पाँच विधियों द्वारा जनन करते हैं-
(क) द्विखंडन
(ख) मुकुलन
(ग) बीजाणु बनना
(घ) कायिक जनन।
(ङ) पुनर्जनन (Regeneration)-

→ लैंगिक जनन में, दोनों नर और मादा की आवश्यकता होती है। नर जनक, नर युग्मक पैदा करते हैं और मादा, मादा युग्मक पैदा करते हैं। नर और मादा युग्मक के संलयन को निषेचन (fertilization) कहते हैं।

→ कुछ ऐसे जीव हैं, जिसमें दोनों जननांग ही पाए जाते हैं, उभयलिंगी (Hermaphrodite) कहलाते हैं।

→ निषेचन, किसी जीव में बाह्य और किसी जीव में आंतरिक होता है।

→ पौधों में वृद्धि अनियमित होती है जबकि पशुओं में सीमित होती है।

→ वह प्रक्रम जिसमें विशेष आकार और आकृतियां बनती हैं विकास और वृद्धि कहलाता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 9 जंतुओं में जनन

→ अंगों की वृद्धि में आकृति, आकार और संघटकों की संख्या में परिवर्तन आता है।

→ बीज, युग्मनज या शरीर के अन्य भाग से नए जीव के बनने को विकास कहते हैं। विभिन्न जंतुओं में विकास के विभिन्न ढंग हैं।

→ लैंगिक जनन अधिकतर प्रयुक्त होता है।

→ मादा जननांगों में एक जोड़ी, अंडाशय, अंडवाहिनी तथा गर्भाशय होता है।

→ नर जनन अंगों में एक जोड़ा वृषण, दो शुक्राणु नलिका तथा एक शिश्न होता है।

→ वीर्य Semen, एक दूध जैसा द्रव्य है जिसमें शुक्राणु होते हैं।

→ शिश्न नर में मूत्र और शुक्राणु को उत्सर्जन करने का काम करता है।

→ शुक्राणु (Spermatozoan) सूक्ष्म नर युग्मक है। एक शुक्राणु में एक सिर, मध्य भाग और एक पूंछ होती है।

→ क्लोनिंग में समरूप कोशिका या अन्य जीवित भाग अथवा संपूर्ण जीव को कृत्रिम रूप से उत्पन्न किया जाता है। क्लोन वाले जंतुओं में अक्सर जन्म के समय अनेक विकृतियाँ होती हैं।

→ लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)-एक ऐसा प्रक्रम जिसमें नर और मादा के संलयन से निषेचन होता है।

→ अंडाणु (Egg)-मादा युग्मक जिसे मादा अंडाशय उत्पन्न करता है।

→ शुक्राणु (Sperm)-नर युग्मक जिन्हें नर वृषण पैदा करते हैं।

→ निषेचन (Fertilization)-नर युग्मक (शुक्राणु) और मादा युग्मक (अंडाणु) का संलयन निषेचन कहलाता है।

→ युग्मनज (Zygote)-एक कोशिक संरचना जो शुक्राण और अंडाणु के संलयन से बनती है।

→ आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization)-मादा के शरीर के अंदर होने वाला निषेचन ।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 9 जंतुओं में जनन

→ जतु में जनन बाह्य निषेचन (External Fertilization)-मादा के शरीर के बाहर होने वाला निषेचन।

→ भ्रूण (Embryo)-युग्मनज विभाजनों से बनी संरचना भ्रूण कहलाती है।

→ गर्भ (Foetus) भ्रूण की अवस्था जिसमें सभी शारीरिक भाग विकसित होकर पहचानने योग्य हो जाते हैं।

→ जरायुज जंतु (Viviparous Animals)-जंतु जो शिशु को जन्म देते हैं।

→ अंडप्रजनक जंतु (Oviparous Animals)-जंतु जो अंडे देते हैं।

→ कायांतरण (Metamorphosis)-लारवा के कुछ उग्र-परिवर्तनों द्वारा वयस्क जंतु में बदलने की प्रक्रिया।

→ अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)-जनन का वह प्रकार जिसमें केवल एक ही जीव भाग लेता है।

→ मुकुलन (Budding)-ऐसा अलैंगिक जनन जिसमें नया जीव मुकुल (Bud) से उत्पन्न होता है।

→ विखंडन (Binary Fission)-ऐसा अलैंगिक जनन जिसमें जीव दो भागों में विभाजित होकर संतति उत्पन्न करता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 8 कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 8 कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य

→ सभी सजीव कुछ मूलभूत कार्य संपादित करते हैं।

→ जड़ें, तने, पत्ते और फूल पौधे के अंग हैं।

→ जानवरों के भी अंग जैसे हाथ, पाँव, टाँगें आदि होती हैं।

→ शरीर के छिद्र बिना आवर्धक लेंस (Magnifying Lens) नहीं देखे जा सकते।

→ सभी सजीव भोजन खाते और पचाते हैं, साँस लेते हैं और उत्सर्जन करते हैं।

→ प्रत्येक जीव अपने जैसे जीवों का प्रतिनिधित्व करता है।

→ सजीवों में कोशिकाओं की संरचना भवन में ईंटों की तुलना में अधिक जटिल है।

→ सजीवों में पाई जाने वाली कोशिकाओं के विभिन्न आकार, रंग और संख्या होती है।

→ एक कोशिका जीव जैसे अमीबा, पैरामिशियम और जीवाणु एक कोशिय जीव कहलाते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 8 कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य

→ बहकोशिय सजीवों (पादप और जन्तु ) में कोशिकाएँ विभिन्न आकार की होती हैं। अधिकतर कोशिकाएँ गोल आकार की होती हैं।

→ अंडे का पीला भाग योक (Yolk) कहलाता है। इसके इर्द सफेद एल्ब्यूमिन का आवरण होता है। पीला भाग एकल कोशिका को दर्शाता है।

→ सभी कोशिकाएँ एक आवरण से आबद्ध होती हैं जिसे कोशिका झिल्ली कहते हैं।

→ कोशिका झिल्ली के अंदर कोशिका द्रव्य होता है। पौधे कोशिका में कोशिका भित्ति होती है, जो सैलूलोज़ की बनी होती है। दोनों कोशिका झिल्ली और कोशिका भित्ति कोशिका को आकार देती है।

→ शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ी कोशिका का रूप है जिसे नंगी आँख से देखा जा सकता है।

→ प्रत्येक कोशिका के छोटे अवयव कोशिकांग हैं।

→ कोशिकाएँ विभाजन करके बहुकोशिक जीव बनाती हैं जो आकार में वृद्धि करते हैं।

→ विभिन्न कोशिकाओं के समूह विभिन्न कार्य करते हैं।

→ कोशिकाओं की कम संख्या, छोटे जीवों के कार्यों को प्रभावित नहीं करती।

→ मानव रक्त में श्वेत रक्तकोशिका (W.B.C.) भी एक कोशिका है।

→ एक समान कोशिकाओं के समूह को ऊतक (Tissue) कहते हैं।

→ प्रत्येक अंग (Organs) कई ऊतकों को मिल कर बनता है।

→ अंग (Organ)-सजीवों के छोटे भाग हैं। प्रत्येक अंग कई ऊतकों के मिलने से बनता है।

→ ऊतक (Tissue)-कोशिकाओं का समूह, जो एक ही प्रकार के कार्य करता है।

→ कोशिका-सजीव की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई।

→ एक कोशीय (Uni-Cellular)-कुछ जीव एक ही कोशिका से बने होते हैं जिसमें जीवन की सभी क्रियाएँ होती हैं। इन्हें एक कोशीय जीव कहते हैं।

→ बहुकोशीय (Multicellular)- सभी सजीव कई कोशिकाओं के मिलने से बनते हैं। इन जीवों में विभिन्न कोशिकाएँ विभिन्न कार्य करती हैं। इन्हें बहुकोशीय कहते हैं।

→ आभासी पाँव (Psendopodia)- यह अमीबा की अंगुलियों जैसे असमान आभासी संरचनाएँ हैं।

→ श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC)-यह एक कोशिक है और रक्त के घटकों में से एक हैं। यह हानिकारक पदार्थों का पोषण करती हैं।

→ कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)-यह कोशिका की बाहरी पतली आवरण है, जो इसे आकार देती है।

→ जीव द्रव्य (Protoplasm)-कोशिका झिल्ली और केंद्रक के बीच पाया जाने वाला द्रव्य, जीव द्रव्य कहलाता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 8 कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य

→ अंगक (Organelles)- यह सूक्ष्म संरचनाएँ जीव द्रव्य में पाई जाती हैं।

→ कोशिका भित्ति (Cell Wall)- यह पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के बाहर अतिरिक्त आवरण है, जो कोशिका को मज़बूत और दृढ़ बनाती है।

→ केंद्रक (Nucleus)- यह केंद्रक का भाग है, जो गाढ़ा और गोल आकार का है।

→ केंद्रक झिल्ली (Nuclear Membrane)-केंद्रक जीव द्रव्य से एक झिल्ली द्वारा पृथक् होता है, जिसे केंद्रक झिल्ली कहते हैं।

→ असीम केंद्री कोशिकाएँ (Prokaryotic)-जिन कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट नहीं होता अर्थात् केंद्रक झिल्ली नहीं होती।

→ समीम केंद्री कोशिकाएँ (Eukaryotic)-जिन कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट और केंद्रक झिल्ली द्वारा घिरा होता है।

→ घानी (Vacuole)-द्रव्य से भरे अंगक।

→ वर्णक (Plastids)-छोटी रंगदार संरचनाएँ जो केवल पौधों में पाई जाती हैं।

→ हरित वर्णक (Chloroplast) जो हरे वर्णक पौधों में पाए जाते हैं।

→ जीन (Gene)- क्रोमोसोम पर उपस्थित बिंदु जैसी इकाइयाँ जो गुणों की आनुवंशिकता की उत्तरदायी हैं।

→ गुणसूत्र (Chromosomes)-कोशिका के केंद्रक में धागे जैसी संरचनाएँ, गुणसूत्र हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 7 पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 7 पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण

→ आजकल वनों को काटकर उस भूमि का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।

→ दावानल एवं भीषण सूखा भी वनोन्मूलन (deforestation) के प्राकृतिक कारक हैं।

→ वनोन्मूलन से पृथ्वी पर ताप एवं प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होती है।

→ वनोन्मूलन से विश्व ऊष्मण, मृदा के गुणों में परिवर्तन, मृदा अपरदन का कारण, मृदा की जलधारण क्षमता में कमी आती है।

→ सरकार द्वारा वनों की सुरक्षा और संरक्षण हेतु नियम, विधियाँ और नीतियाँ बनाई गई हैं।

→ जैवमंडल पृथ्वी का वह भाग है जिसमें सजीव पाए जाते हैं अथवा जो जीवनयापन के योग्य हैं।

→ जैव विविधता से अभिप्राय है, पृथ्वी पर पाए जाने वाले विभिन्न जीवों की प्रजातियाँ, उनके पारस्परिक संबंध एवं पारस्परिक पर्यावरण से संबंध ।

→ जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र विविधताओं के संरक्षण के लिए बनाए गए क्षेत्र हैं।

→ किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले पेड़-पौधे उस क्षेत्र के ‘वनस्पतिजात’ एवं जीव-जंतु ‘प्राणिजात’ कहलाते हैं।

→ स्पीशीज़ सजीवों की समष्टि का वह समूह है, जो एक-दूसरे से अंतर्जनन करने में सक्षम होते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 7 पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण

→ वे क्षेत्र जहाँ वन्य प्राणी (जंतु) सुरक्षित एवं संरक्षित रहते हैं, वन्यप्राणी अभ्यारण्य (Wild Life Sanctuaries) कहलाते हैं। यहाँ वन्य प्राणियों को सुरक्षा और रहने की उचित परिस्थितियाँ उपलब्ध करवाई जाती हैं।

→ कई सुरक्षित वन भी सुरक्षित नहीं रहे क्योंकि आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग वनों का अतिक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देते हैं।

→ राष्ट्रीय उद्यान (National Parks) उस क्षेत्र के वनस्पतिजाति, प्राणिजात, दृश्यभूमि तथा ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण करते हैं।

→ सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में सर्वोत्तम किस्म की टीक (सागौन) मिलती है।

→ 1 अप्रैल, 1973 में भारत सरकार द्वारा ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ कानून बाघों के संरक्षण हेतु लागू हुआ।

→ संकटापन्न जंतु (Endangered Animals) वे जंतु हैं, जिनकी संख्या विलुप्त हो रही है।

→ पारितंत्र में सभी पौधे, जीव एवं सूक्ष्मजीव और अजैव घटक आते हैं।

→ ‘रेड डाटा पुस्तक’ एक ऐसी किताब है, जिसमें सभी संकटापन्न स्पीशीज़ का रिकार्ड रखा जाता है।

→ जलवायु में परिवर्तन के कारण प्रवासी पक्षी प्रत्येक वर्ष सुदूर क्षेत्रों से एक निश्चित समय पर उड़कर आते हैं।

→ कागज़ एक महत्त्वपूर्ण उत्पाद है, जो वनों से प्राप्त होता है अतः हमें कागज़ की बचत करनी चाहिए।

→ पुनर्वनरोपण (Reforestation) में काटे गए वृक्षों की कमी पूरी करने के उद्देश्य से नए वृक्षों का रोपण करना है।

→ जैव विविधता (Biodiversity)-पृथ्वी पर पाए जाने वाले विभिन्न जीवों की प्रजातियाँ, उनके पारस्परिक संबंध एवं पर्यावरण से संबंध से है।

→ वनोन्मूलन (Deforestration)-वनों का काटना।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 7 पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण

→ मरुस्थलीकरण (Desertification)-उर्वर- भूमि का मृदा अपरदन के कारण अनउपजाऊ होना।

→ पारितंत्र (Ecosystem)-इसमें सभी पौधे, जीव एवं सूक्ष्मजीव और अजैव घटक आते हैं।

→ पुनर्वनरोपण (Reforestation)-पौधों का रोपण करना।

→ संकटापन्न स्पीशीज़ (Endangered Species)-वे जंतु हैं, जिनकी संख्या विलुप्त हो रही है।

→ प्राणिजात (Fauna)-किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव-जंतु प्राणिजात कहलाते हैं।

→ रेड डाटा पुस्तक (Red Data Book)-ऐसी किताब जिसमें सभी संकटापन्न स्पीशीज का रिकार्ड रखा जाता है।

→ विशेष क्षेत्री प्रजाति (Endemic Species)-जीवों की वह स्पीशीज जो किसी विशेष क्षेत्र में पाई जाती है।

→ वनस्पतिजात (Flora)-किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधे।

→ विलुप्त (Extinct)-वे जीव जो पृथ्वी से विलुप्त हो चुके हैं या जिनका अस्तित्व समाप्त हो चुका है।

→ प्रवास (Migration)-जीवनयापन हेतु कुछ स्पीशीज़ द्वारा अपने आवास से किसी निश्चित समय में बहुत दूर जाना।

→ अभ्यारण्य (Sanctuary)-वे क्षेत्र जहाँ वन्य प्राणी (जंतु) सुरक्षित एवं संरक्षित रहते हैं।

→ राष्ट्रीय उद्यान (National Park)-उस क्षेत्र के वनस्पतिजात, प्राणिजात, दृश्यभूमि तथा ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण करते हैं।

→ जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserve Area)-ये विविधताओं के संरक्षण के लिए बनाए क्षेत्र हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 6 दहन और ज्वाला

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 6 दहन और ज्वाला

→ विविध प्रयोजनों के लिए, विभिन्न प्रकार के ईंधनों का उपयोग होता है।

→ घरों में, उद्योगों में तथा वाहनों में विभिन्न प्रकार का ईंधन उपयोग होता है।

→ गोबर, लकड़ी, कोयला, काष्ठ कोयला, पेट्रोल, डीज़ल, प्राकृतिक गैस, एल० पी० जी० आदि विभिन्न ईंधन हैं।

→ कुछ पदार्थ ज्वाला के साथ जलते हैं और कुछ नहीं।

→ दहन, एक रासायनिक प्रक्रम है, जिसमें पदार्थ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर ऊष्मा देते हैं।

→ ईंधन, वह पदार्थ है, जो जलने पर प्रकाश और ऊष्मा देता है।

→ भोजन, शरीर का ईंधन है।

→ ईंधनों को ठोस, तरल और गैसों में वर्गीकृत किया जाता है।

→ वे पदार्थ, जो जलने पर प्रकाश और ऊष्मा देते हैं, दाह्य पदार्थ कहलाते हैं।

→ वे पदार्थ, जो जलने पर ऑक्सीजन से अभिक्रिया नहीं कर सकते और न ही प्रकाश और ऊष्मा देते हैं। उन्हें अदाह्य पदार्थ (Non-combustible substances) कहते हैं।

→ लकड़ी, कागज़, मिट्टी का तेल, काष्ठ कोयला, माचिस की तीलियाँ, सब दाह्य पदार्थ (Combustible substance) हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 6 दहन और ज्वाला

→ लोहे की कीलें, पत्थर के टुकड़े, काँच आदि अदाह्य पदार्थ हैं।

→ वह न्यूनतम ताप, जिस पर कोई पदार्थ जलने लगता है, उसका ज्वलन-ताप कहलाता है।

→ विभिन्न दाह्य पदार्थों को जलने के लिए विभिन्न ताप की आवश्यकता होती है।

→ ज्वलनशील पदार्थ वे पदार्थ हैं, जिनका ज्वलन-ताप बहुत कम होता है और जो ज्वाला के साथ जल्दी से आग पकड़ लेते हैं।

→ पेट्रोल, डीज़ल, एल० पी० जी०, एल्कोहल कुछ ज्वलनशील पदार्थों के उदाहरण हैं।

→ जंगल की आग बहुत खतरनाक होती है।

→ दहन के लिए ऑक्सीजन आवश्यक है।

→ आग उत्पन्न करने के लिए तीन आवश्यक परिस्थितियाँ हैं-

  1. ऑक्सीजन की उपस्थिति
  2. दहन पदार्थ की उपस्थिति
  3. पदार्थ का निम्न ज्वलन ताप।

→ आग बुझाने के लिए इनमें से किसी एक आवश्यकता को दूर करना है।

→ आग बुझाने के लिए प्रायः जल का उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह ज्वलन-ताप को कम कर देता है।

→ तेल और पेट्रोल में लगी आग बुझाने हेतु जल का उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि जल तेल से भारी होता है। यह तेल के नीचे चला जाता है और तेल ऊपर जलता रहता है।

→ जल विद्युत् का सुचालक है, इसलिए इसका उपयोग विद्युत् उपकरणों में लगी आग बुझाने हेतु नहीं किया जा सकता।

→ तरल ईंधनों अथवा विद्युत् से लगी आग बुझाने के लिए रेत/मिट्टी का उपयोग किया जाता है।

→ आग बुझाने के लिए, वायु का प्रवाह काटना या ईंधन का ताप कम करना अथवा दहन पदार्थ को दूर हटाना है।

→ विभिन्न प्रकार के अग्निशामक इस्तेमाल किए जाते हैं।

→ दहन की कई किस्में हैं, जैसे तीव्र दहन, स्वतः दहन और विस्फोट ।

→ ज्वाला, दहन के समय दहन पदार्थ से उत्पन्न वाष्पों से बनती है।

→ ज्वाला का नीला अदीप्त क्षेत्र का ताप सबसे अधिक है।

→ ज्वाला के दीप्त क्षेत्र में बिना जले कार्बन कण होते हैं।

→ ईंधन का उष्मीयमान 1 किलोग्राम के पूर्ण दहन से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा है।

→ उष्मीयमान की इकाई किलोजूल प्रति किलोग्राम है।

→ कोई भी ईंधन आदर्श ईंधन नहीं है।

→ ईंधनों के जलने से वायु प्रदूषण, स्वास्थ्य समस्याएँ, विश्व उष्मण, अम्लीय वर्षा आदि होते हैं।

→ पृथ्वी के वायुमंडल के ताप में धीमी वृद्धि विश्व उष्णन है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 6 दहन और ज्वाला

→ सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड वर्षा में घुल कर अम्लीय वर्षा बनाते हैं। यह ऑक्साइड जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न होते हैं।

→ अम्ल वर्षा उपजों, भवनों और मृदा के लिए हानिकारक है।

→ सी० एन० जी० एक साफ ईंधन है, क्योंकि यह वायु प्रदूषण नहीं फैलाते।

→ दहन (Combustion)-एक रासायनिक प्रक्रम है, जिसमें पदार्थ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर ऊष्मा देते हैं।

→ दाहृय पदार्थ (Combustible Substance)-वे पदार्थ, जो जलने पर प्रकाश और ऊष्मा देते हैं, दाहय पदार्थ कहलाते हैं।

→ अदाह्य पदार्थ (Non Combustible Substance)-वे पदार्थ, जो जलने पर ऑक्सीजन से अभिक्रिया नहीं कर सकते और न ही प्रकाश और ऊष्मा देते हैं, उन्हें अदाह्य पदार्थ कहते हैं।

→ ज्वलन-ताप (Ignition Temperature)-वह न्यूनतम ताप, जिस पर कोई पदार्थ जलने लगता है।

→ ज्वलनशील पदार्थ (Combustible Substance)-वे पदार्थ, जिनका ज्वलन-ताप बहुत कम होता है और जल्दी से आग पकड़ लेते हैं।

→ अग्निशामक (Fire Extinguisher)-आग बुझाने का एक यंत्र।

→ ऊष्मीय मान (Calorific Value)-1 किलोग्राम पदार्थ के पूर्ण दहन के बाद प्राप्त ऊर्जा की मात्रा।

→ विश्व उष्णन (Global Warming)-पृथ्वी के वातावरण में धीमी ताप की वृद्धि।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 5 कोयला और पेट्रोलियम

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 5 कोयला और पेट्रोलियम

→ मूलभूत आवश्यकताओं के लिए विभिन्न पदार्थ उपयोग में लाए जाते हैं।

→ दैनिक उपयोग में आने वाले पदार्थों का वर्गीकरण, प्राकृतिक और मानव-निर्मित में किया जाता है।

→ प्रकृति से मिले पदार्थों को प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources) कहते हैं।

→ मृदा, जल, खनिज, पौधे और वन प्राकृतिक संसाधन हैं।

→ प्रकृति में उपलब्धता के आधार पर इन्हें अक्षय प्राकृतिक संसाधन (Inexhaustible Natural Resources) और समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन (Exhaustible Natural Resources) में किया गया है।

→ पदार्थ, जिनकी उपलब्धता प्रकृति में सीमित है और जो मनुष्य के क्रिया-क्लापों द्वारा खत्म किए जा सकते हैं, उन्हें समाप्त होने वाले संसाधन कहते हैं। कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस समाप्त होने वाले संसाधन हैं।

→ सजीवों के अवशेषों से बने जीवाश्म ईंधनों में कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सम्मिलित हैं।

→ कोयला ठोस, काले रंग का पदार्थ ईंधन के रूप में उपयोग में आता है।

→ कोयला जलकर कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करता है।

→ कोयले के भुनना प्रक्रमण से कोक, कोलतार और कोयला गैस उत्पन्न होती है।

→ कोक, एक कठोर, सरंध्र और काला पदार्थ है। यह कार्बन का शुद्ध रूप है।

→ कोलतार लगभग 200 पदार्थों का मिश्रण है। यह एक अप्रिय गंध वाला काला गाढ़ा द्रव है।

→ कोलतार, संश्लेषित रंग, औषधि, विस्फोटक, प्लास्टिक, सुगंध, पेंट, फोटोग्राफिक सामग्री, छत-निर्माण सामग्री, नैफ्थलीन की गोलियाँ आदि के लिए प्रारंभिक पदार्थ के रूप में काम आता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 5 कोयला और पेट्रोलियम

→ पेट्रोलियम, गहरे रंग का तेलीय द्रव है। इसकी अप्रिय-सी गंध है। यह कई विभिन्न संघटकों का मिश्रण है।

→ पेट्रोलियम के संघटकों में LPG, पेट्रोल, डीज़ल, केरोसीन, स्नेहक तेल, पैराफिन मोम, बिट्मन आदि होते हैं।

→ पेट्रोलियम के विभिन्न संघटकों को पृथक् करने का प्रक्रम परिष्करण (Refining) कहलाता है।

→ कोयले और पेट्रोलियम की मात्रा प्रकृति में सीमित है। इसलिए इनका न्यायोचित उपयोग करना चाहिए।

→ एल० पी० जी० (LPG) पेट्रोलियम गैस का तरल रूप है।

→ ईंधन (Fuel)-जलने पर ऊष्मा तथा प्रकाश ऊर्जा पैदा करने वाले पदार्थ।

→ जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel)-कुछ ज्वलनशील पदार्थ, जिनका निर्माण सजीवों के मृत अवशेषों से लाखों वर्ष पूर्व हुआ था।

→ कार्बनीकरण (Carbonisation)-मृत वनस्पति जो मृदा के नीचे दबी हुई है, उच्च ताप और दाब के कारण, धीमे प्रक्रम द्वारा कोयले में परिवर्तित होने के क्रम कार्बनीकरण कहते हैं।

→ कोयले का प्रक्रमण (Destructive Distillation of Coal)-कोयले को 1000°C ताप से अधिक पर गर्म करने के प्रक्रम को कोयले का प्रक्रमण कहते हैं।

→ परिष्करण (Refining)-पेट्रोलियम से विभिन्न प्रभाजों को पृथक् करने और अशुद्धियों को दूर करने के प्रक्रम को परिष्करण कहते हैं।

→ समाप्त होने वाले संसाधन (Exhaustible Resources)-वे संसाधन, जो मानव क्रिया-कलापों द्वारा धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं, समाप्त होने वाले संसाधन अथवा सीमित प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। उदाहरण, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।

→ अक्षय प्राकृतिक संसाधन (Inexhaustible Resources)-वे संसाधन जो मानव क्रिया-कलापों द्वारा समाप्त नहीं हो सकते, उन्हें अक्षय प्राकृतिक संसाधन अथवा असीमित प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। उदाहरण-वायु, जल और सूर्य का प्रकाश आदि।