PSEB 10th Class Computer Notes Chapter 6 आप्रेटिंग सिस्टम

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PSEB 10th Class Computer Notes Chapter 6 आप्रेटिंग सिस्टम

जान पहचान
एक आप्रेटिंग सिस्टम कंप्यूटर यूज़र और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच एक इंटरफेस है। एक आप्रेटिंग सिस्टम, फाइल मैनेजमैंट, मैमरी मैनेजमैंट, इनपुट और आऊटपुट को संभालना, डिस्क ड्राइव और प्रिंटर जैसे यंत्रों को कंट्रोल करना आदि जैसे सारे बुनियादी काम करता है। कुछ मशहूर आप्रेटिंग सिस्टम हैं- Linux, Windows, OSX, VMS, OS/400, AIX, Z/OS आदि।

आप्रेटिंग सिस्टम की परिभाषा
एक आप्रेटिंग सिस्टम ऐसा प्रोग्राम है जो कि कंप्यूटर यूज़र और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच में इंटरफेस के रूप में काम करता है और हर किस्म के प्रोग्राम के लागू करने को कंट्रोल करता है। (User 1)
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आप्रेटिंग सिस्टम के द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं
एक आप्रेटिंग सिस्टम कंप्यूटर यूज़र और कंप्यूटर प्रोग्राम दोनों को सर्विस प्रदान करता है।
1. यह प्रोग्राम को लागू करने के लिए वातावरण प्रदान करता है।
2. यह कंप्यूटर यूज़र को कंप्यूटर प्रोग्राम आसान ढंग से लागू करने के लिए सेवा प्रदान करता है।

1. प्रोग्राम को लागू करना-आप्रेटिंग सिस्टम यूज़र प्रोग्राम से सिस्टम प्रोग्राम तक कई किस्म की क्रियाएं करता है जैसे कि-प्रिंटर, स्पूलर, नेम-सर्वर, फाइल सर्वर आदि। इन सभी क्रियाओं को एक प्रोसैस माना जाता है। एक प्रोसैस का संदर्भ किसी क्रिया के पूरी तरह लागू होने के साथ होता है। प्रोग्राम मैनेजमैंट से संबंधित आप्रेटिंग सिस्टम के द्वारा की जाने वाली मुख्य क्रियाएं निम्नलिखित हैं-

  • एक प्रोग्राम को कंप्यूटर मैमरी में लोड करना।
  • प्रोग्राम को लाग करना।
  • प्रोग्राम के लागू होने की क्रिया को कंट्रोल करना।
  • प्रोसैस सीक्रोनाइजेशन के लिए योग्य प्रणाली प्रदान करना।
  • प्रोसैस कम्यूनिकेशन के लिए योग्य प्रणाली प्रदान करना।
  • डैडलॉक हैंडलिंग के लिए योग्य प्रणाली प्रदान करना।

2. इनपुट आऊटपुट आप्रेशन-एक इनपुट-आऊटपुट सबसिस्टम में इनपुट आऊटपुट यंत्र और उनसे संबंधित ड्राइवर या सॉफ्टवेयर होते हैं। ड्राइवर किसी खास हार्डवेयर यंत्र की विशिष्टता को यूज़र से छुपा लेते हैं। एक आप्रेटिंग सिस्टम कंप्यूटर यूज़र और डिवाइस ड्राइवर के बीच में संचार करने का प्रबंध करता है।

  • इनपुट-आऊटपुट आप्रेशन का मतलब किसी फाइल या किसी खास इनपुट-आऊटपुट यंत्र पर रीड या राइट आप्रेशन करना।
  • आप्रेटिंग सिस्टम ज़रूरत पड़ने पर किसी इनपुट-आउटपुट यंत्र पर पहुंच करने की प्रवानगी देता है।
  • फाइल सिस्टम को मैनुप्लेट करना-फाइल सिस्टम को मैनुप्लेट करने से भाव है कि भिन्न-भिन्न तरह के फाइल-आप्रेशन जैसे कि डिलीट, कॉपी और मूव करने की आज्ञा देना।

कंप्यूटर लंबे समय तक स्टोर करने के लिए फाइलों को डिस्क (सैकेंडरी स्टोरेज) पर स्टोर कर सकता है। इन स्टोरेज मीडिया की उदाहरण हैं-मैगनेटिक टेप, मैगनेटिक डिस्क और आप्टीकल डिस्क ड्राइव जैसे कि सी०डी० और डी०वी०डी०।

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एक फाइल सिस्टम को आसानी से प्रयोग और नेवीगेट करने के लिए साधारण रूप से डाइरैक्टरियों में रखा जाता है। इन डाइरैक्टरियों में फाइलें और अन्य डाइरैक्टरियां भी हो सकती हैं। फाइल मैनेजमैंट के संबंध में आप्रेटिंग सिस्टम के द्वारा निम्नलिखित अनुसार मुख्य क्रियाएं की जाती हैं –

  1. किसी फाइल को रीड या राइट करने के लिए प्रोग्राम उपलब्ध करना।
  2. आप्रेटिंग सिस्टम किसी प्रोग्राम को फाइल पर काम करने की आज्ञा देता है।
  3. यह आज्ञा रीड-ओनली, रीड-राइट, डिनाई करना और अन्य हो सकती है।
  4. आप्रेटिंग सिस्टम किसी यूज़र को फाइलें, क्रियेट या डिलीट करने का इंटरफेस प्रदान करता है।
  5. आप्रेटिंग सिस्टम किसी यूज़र को डाइरैक्टरियां क्रियेट या डिलीट करने का इंटरफेस प्रदान करता है।
  6. आप्रेटिंग सिस्मट फाइलों को बैकअप क्रियेट करने के लिए इंटरफेस प्रदान करता है।

4. संचार-आप्रेटिंग सिस्टम डिस्ट्रीब्यूट सिस्टम की इन क्रियाओं के बीच संचार का प्रबंध करता है। मल्टीपल प्रोसैस एक दूसरे से सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए नैटवर्क में उपलब्ध संचार लाइनों का प्रयोग करता है।

आप्रेटिंग सिस्टम रूटिंग और कुनैक्शन ढंगों को कंट्रोल और सुरक्षा से संबंधित मुश्किलों को हैंडल करता है। नीचे आप्रेटिंग सिस्टम की संचार से संबंधित बनियादी क्रियाएं दी गई हैं जैसे कि-

  • दो प्रोसैसों को उनके बीच में ट्रांसफर होने वाले डाटा की अकसर ज़रूरत पड़ती है।
  • इन दोनों के प्रोसैस एक कंप्यूटर पर या भिन्न-भिन्न कंप्यूटर पर हो सकते हैं पर यह कंप्यूटर नेटवर्क के द्वारा आपस में जुड़े होते हैं।
  • इनके बीच में संचार दो तरीकों के द्वारा लागू हो सकता हैशेयर मैमरी द्वारा मैसेज पासिंग द्वारा।

5. त्रुटि को ढूंढना- सी०पी०यू० इनपुट-आऊटपुट यंत्र या कंप्यूटर हार्डवेयर मैमरी में कोई गलती हो सकती है। ऐरर हैंडलिंग के संबंध में आप्रेटिंग सिस्टम के द्वारा निम्नलिखित अनुसार मुख्य क्रियाएं की जाती हैं

  • आप्रेटिंग सिस्टम संभव गलतियों को लगातार चैक करता है।
  • आप्रेटिंग सिस्टम सही और लगातार कंप्यूटिंग करने के लिए पर्याप्त कार्यवाही करता है।

6. रिसोर्स मैनेजमैंट-मल्टी यूजर या मल्टी-टास्किंग वातावरण में उपलब्ध रिसोर्स जैसे कि मुख्य मैमोरी, सी०पी०यू० साइकल और फाइल स्टोरेज़ आदि को हर एक यूज़र या जॉब (Job) में बांटा जाता है। रिसोर्स मैनेजमैंट के संबंध में आप्रेटिंग सिस्टम के द्वारा निम्नलिखित अनुसार मुख्य क्रियाएं की जाती हैं-

  • आप्रेटिंग सिस्टम रिसोर्स मैनेजर के रूप में काम करता है। आप्रेटिंग सिस्टम हर किस्म के प्रोसैस का प्रबन्ध शैड्यूलर के प्रयोग से करता है।
  • सी०पी०यू० के बढ़िया प्रयोग के लिए सी०पी०यू० शैड्यूलिंग ऐलगोरिदम इस्तेमाल किया जाता है।

7. सुरक्षा-एक कंप्यूटर सिस्टम जिस के मल्टीपल (एक से ज्यादा) यूज़र हैं और एक ही समय में जिसके मल्टीपल प्रोसैसिस चल रहे हों, इसको ध्यान में रखते हुए इन प्रोसैसिंस को एक-दूसरे की क्रियाओं से सुरक्षित रखना जरूरी होता है।

सुरक्षा के संबंध में आप्रेटिंग सिस्टम के द्वारा निम्नलिखित अनुसार मुख्य क्रियाएं की जाती हैं

  • आप्रेटिंग सिस्टम यह यकीनी बनाता है कि सिस्टम रिसोरों पर पहुंच कंट्रोल में है।
  • आप्रेटिंग सिस्टम यह यकीनी बनाता है कि सभी बाहरी इनपुट-आऊटपुट यंत्र अवैध (Invalid) पहुंच की कोशिश करने से सुरक्षित हैं।
  • आप्रेटिंग सिस्टम हर यूज़र को प्रमाणित (authorised) करने के लिए पासवर्ड की विशेष सहूलियत देता है।

आप्रेटिंग सिस्टम की किस्में
आप्रेटिंग सिस्टम की निम्नलिखित किस्में हैं-
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बैच आप्रेटिंग सिस्टम
बैच आप्रेटिंग सिस्टम अधीन एक यूज़र सीधे रूप से कंप्यूटर से जुड़ा नहीं होता। हर एक यूज़र अपने काम को ऑफ-लाइन यंत्र जैसे कि पंच-कार्ड पर तैयार करता है और इसको कंप्यूटर आप्रेटर के पास जमा करवा देता है। इस काम को तेज़ी से करने के लिए एक किस्म के कामों को एकत्रित कर लिया जाता है और एक ग्रुप में चलाया जाता है। प्रोग्रामर अपने प्रोग्राम को आप्रेटर के पास छोड़ देते हैं और आप्रेटर इनको एक ही किस्म के प्रोग्राम अनुसार छांट कर बैच में बांट देता है।

बैच सिस्टम की निम्नलिखित मुश्किलें हैं

  • यूज़र और काम (job) में आपसी तालमेल की कमी होना।
  • मेकैनीकल इनपुट-आऊटपुट यंत्रों की रफ्तार सी०पी०यू० से कम होने से कारण सी०पी०यू० बिना किसी काम के ही रहता है।
  • ज़रूरत अनुसार तरजीह देना मुश्किल होता है।

टाइम शेयरिंग आप्रेटिंग सिस्टम
टाइम शेयरिंग एक ऐसी तकनीक है जो कि भिन्न-भिन्न टर्मीनल पर बैठे लोगों को एक ही समय में खास कम्प्यूटर सिस्टम को इस्तेमाल के योग्य बनाता है। टाइम-शेयरिंग या मल्टी-टॉस्किंग मल्टी प्रोग्रामिंग की लोजीकल एक्सटेंशन है। मल्टीपल कामों को सी०पी०यू० के द्वारा उनके बीच में स्विचिंग तकनीक के द्वारा लागू किया जाता है। स्विचिंग तकनीक बहुत रफ्तार में होती है। इसलिए यूज़र बहुत जल्दी रिस्पांस प्राप्त करता है। कंप्यूटर सिस्टम जो कि पहले बैच सिस्टम के लिए डिज़ाइन किए गए थे उनको टाइम शेयरिंग सिस्टम के लिए मोडीफाई किया जा चुका है।

टाइम शेयरिंग आप्रेटिंग सिस्टम की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • जल्दी रिस्पांस प्राप्त करने की सहूलियत देता है।
  • सॉफ्टवेयर की डुपलीकेशन को रोकता है।
  • सी०पी०यू० का खाली समय घटाता है।

टाइम शेयरिंग सिस्टम की निम्नलिखित हानियां हैं

  1. भरोसे योग्यता की समस्या
  2. यूज़र प्रोग्राम और डाटा की सुरक्षा और इंटीग्रिटी में कमज़ोरी।
  3. डाटा संचार की समस्या

डिस्ट्रीब्यूटिड आप्रेटिंग सिस्टम-
डिस्ट्रीब्यूटिड सिस्टम मल्टीपल रीयल टाइम एप्लीकेशन और मल्टीपल यूज़र को सेवा देने के लिए मल्टीपल केंद्रीय प्रोसैसर का प्रयोग करता है। डाटा प्रोसैसिंग कामों को प्रोसैसर की तरतीब अनुसार बांटा जाता है | यह प्रोसैसर एक दूसरे के साथ कई किस्म की संचार लाइनों के अनुसार संचार करते हैं। इन प्रोसैसरों को लूज़ली कप्लड सिस्टम या डिस्ट्रीब्यूटिड सिस्टम कहा जाता है। डिस्ट्रीब्यूटिड सिस्टम में प्रोसैसर आकार और काम के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इन प्रोसैसरों को साधारण रूप से साइट, नोडज़ या कंप्यूटर कहा जाता है।

डिस्ट्रीब्यूटिड सिस्टम की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. रिसोर्स शेयरिंग सुविधा होने के कारण यूज़र एक साइट से दूसरे स्थान पर उपलब्ध रिसोर्स को इस्तेमाल करने के योग्य होता है।
  2. इलैक्ट्रॉनिक मेल की मदद से डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर तेज़ रफ्तार से ट्रांसफर किया जा सकता है।
  3. डिस्ट्रीब्यूटिड सिस्टम में अगर एक साइट काम करना बंद करती है तो दूसरी साइट अपने-आप चलती रहती है।
  4. ग्राहक को बढ़िया सुविधा।
  5. होस्ट कंप्यूटर पर लोड में कमी।
  6. डाटा प्रोसैसिंग में होने वाली देरी में कमी।

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नैटवर्क आप्रेटिंग सिस्टम
एक नैटवर्क आप्रेटिंग सिस्टम सर्वर पर चलता है और सर्वर को डाटा, यूज़र, ग्रुप, सुरक्षा, ऐप्लीकेशनों और अन्य नैटवर्किंग फंक्शन का प्रबंध करने के योग्य बनाता है। नैटवर्क आप्रेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य एक नैटवर्क से जुड़े मल्टीपल कंप्यूटर जैसे कि लोकल एरिया नेटवर्क, प्राइवेट नैटवर्क या अन्य नैटवर्क, को फाइलों और प्रिंटर पर पहुँचने की आज्ञा देना है।

नैटवर्क आप्रेटिंग सिस्टम के उदाहरण हैं, जैसे कि-Microsoft Windows, Server 2003, Microsoft Windows Server 2008, UNIX, Linux, Mac OSX, Novell Net Ware और BSD आदि।

नैटवर्क आप्रेटिंग सिस्टम के लाभ निम्नलिखित हैं

  • सैंटरलाइज़ सर्वर बहुत स्थिर होते हैं।
  • सुरक्षा सर्वर के द्वारा मैनेज़ की जाती है।
  • नई तकनीकों और हार्डवेयर को अपग्रेड सिस्टम के द्वारा आसानी से जोड़ा जाता है।
  • सर्वर को अलग लोकेशन से रिमोर्ट एक्सैस करना संभव है।

नैटवर्क आप्रेटिंग सिस्टम की निम्नलिखित हानियां हैं-

  1. सर्वर को खरीदना और चलाना काफ़ी महंगा है।
  2. कई काम करने के लिए सैंट्रल लोकेशन सर्वर पर निर्भर करना पड़ता है।
  3. रैगुलर रख-रखाव और अपडेट की ज़रूरत पड़ती है।

रीयल टाइम आप्रेटिंग सिस्टम
रीयल टाइम आप्रेटिंग सिस्टम को डाटा आप्रेटिंग सिस्टम भी कहा जाता है। इसमें इनपुट की प्रक्रिया और जवाब देने के लिए जो समय लगता है, वो बहुत कम होता है। एक सिस्टम के द्वारा इनपुट लेने और अपडेटिड सूचना को डिस्पले करने में जो समय लगता है, उसको रिस्पांस टाइम कहा जाता है। इसलिए इस तरीके में रिस्पांस टाइम ऑनलाइन प्रोसैसिंग के मुकाबले बहुत कम होता है।

रीयल टाइम सिस्टम का इस्तेमाल उस समय होता है जब डाटा के फलों या प्रोसैसर के आप्रेशन में लगने वाला समय न बदलने योग्य हो। उदाहरण के लिए वैज्ञानिक तुजुर्बे, मैडीकल इमेजिंग सिस्टम, इंडस्ट्रीयल कंट्रोल सिस्टम, हथियार सिस्टम (Weapon System), रोबोट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम आदि हैं।

डॉस तथा विंडोज़ आप्रेटिंग सिस्टम में अंतर
डॉस और विंडोज़ में निम्नलिखित अंतर हैं –

डॉस विंडोज़
1. डॉस एक यूज़र आप्रेटिंग सिस्टम है। 1. विंडोज़ बहु यूज़र इंटरनेट है।
2. डॉस एकल टास्किंग है। 2. विंडोज़ बहु टास्किंग है।
3. इसमें समय साझा नहीं होता। 3. विंडोज़ में समय साझा होता है।
4. इनपुट यंत्र की बोर्ड होता है। 4. मानक इनपुट यंत्र की-बोर्ड और माउस होते हैं।
5. यह चरित्र यूज़र इंटरफेस है। 5. यह ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस है।
6. इसका आकार छोटा होता है। 6. इसका आकार बड़ा होता है।
7. यह मल्टीमीडिया को समर्थन नहीं करता। 7. यह मल्टीमीडिया को समर्थन करता है।
8. इसका मुख्य कार्य फाइलों को मैनेज करना है। 8. इसके कई प्रकार के मुख्य कार्य हैं।
9. यह फ्लॉपी में स्टोर हो जाती है। 9. इसको फ्लॉपी में स्टोर नहीं किया जा सकता।
10. इसका उत्पादन बंद हो चुका है। 10. इसका उत्पादन चल रहा है।

लाईनैक्स
लाईनैक्स यूनिक्स आप्रेटिंग सिस्टम का एक प्रसिद्ध वर्जन है। यह ओपन सोर्स होता है और इसका सोर्स कोड मुफ्त उपलब्ध होता है। यह इस्तेमाल में फ्री होता है। यूनिक्स की जटिलता को देखते हुए लाईनैक्स को डिज़ाइन किया गया था। इसके काम करने की लिस्ट यूनिक्स (UNIX) की तरह ही है।

लाईनकस की बेसिक विशेषताएं लाईनैक्स आप्रेटिंग सिस्टम की कुछ खास विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
1. पोर्टेबल-यह सॉफ्टवेयर भिन्न-भिन्न किस्म के हार्डवेयर और एक ही तरीके से काम करता है। लाईनैक्स कर्नल और ऐप्लीकेशन प्रोग्राम किसी भी किस्म के हार्डवेयर प्लेटफार्म और इंस्टालेशन को स्पोर्ट करता है।

2. ओपन सोर्स-लाइनक्स सोर्स कोड मुफ्त उपलब्ध है। लाइनैक्स आप्रेटिंग सिस्टम की योग्यता
को बढ़ाने के लिए मल्टीपल टीमें काम करती हैं और यह लगातार विकसित हो रहा है।

3. मल्टीयूज़र-लाइनैक्स एक मल्टीयूज़र सिस्टम है जिसका मतलब यह है कि एक ही समय में सिस्टम रिसोर्स जैसे कि मैमोरी/रैम/ ऐप्लीकेशन प्रोग्राम को प्रयोग कर सकता है।

4. मल्टीप्रोग्रामिंग-लाईनैक्स एक मल्टी प्रोग्रामिंग सिस्टम है जिसका मतलब यह है कि एक ही समय में मल्टीपल ऐप्लीकेशन चल सकती है।

5. हरारकीकल फाइल सिस्टम-लाईनैक्स एक स्टैंडर्ड फाइल स्ट्रक्चर अधीन सिस्टम फाइलें । यूज़र फाइलों को अरेंज करता है। इसमें फ़ाइलें और डाइरैक्टरियां एक ट्री (Tree) के रूप में होती हैं।

6. शैल (Shell)-लाईनैक्स एक खास इंटरप्रेटर प्रोग्राम की सहूलियत देता है जिसका इस्तेमाल आप्रेटिंग सिस्टम की कमांडों को लागू करने के लिए किया जा सकता है। इसका प्रयोग भिन्नभिन्न आप्रेशन एप्लीकेशन प्रोग्राम आदि को बुलाने के लिए है।

7. सुरक्षा-लाइनैक्स ई-इंटरप्रेटर यूज़र को खास अधिकार अधीन सुरक्षा प्रदान करता है जैसे कि पासवर्ड प्रोटैक्शन/खास किस्म की फाइलों पर पहुंच को नियंत्रित करना डाटा को इनकरप्शन करना इत्यादि।

आरीटेक्चर लाइनैक्स सिस्टम के आर्कीटेक्चर में निम्नलिखित परतें (लेयरें) होती हैं

  • हार्डवेयर (Hardware)-लेयर इस लेयर में कभी पैरीफरिल यंत्र (devices) होते हैं जैसे कि रैम/हार्ड डिस्क ड्राइव आदि।
  • कर्नल (Kernel)-यह आप्रेटिंग सिस्टम का कोर कंपोनैट होता है जो कि सीधे रूप से हार्डवेयर से संपर्क करता है और अपर लेयर कंपोनेंट्स को लो लेवल सर्विस प्रदान करता है।
  • शैल (Shell)-कर्नल से संपर्क करके यह यूज़र से कर्नल के जटिल फंक्शन को छुपा देता है। शैल यूज़र से कमांडज़ प्राप्त करती है और कर्नल के फंक्शन को लागू करता है।
  • यूटीलिटी (Utility)-यूटीलिटी प्रोग्राम यूज़र को मुख्य रूप से आप्रेटिंग सिस्टम के फंक्शन प्रदान करता है।

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कंप्यूटर सुरक्षा
कंप्यूटर सुरक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमारे कंप्यूटर पर अन-अधिकारिक प्रयोग को चैक करती है और इसको रोकती है। रोकथाम (prevention) के माप हमारे कंप्यूटर के किसी भी हिस्से को अनअधिकारिक यूज़र (हैकर) की तरफ से पहुंच करने से रोकने में हमारी मदद करते हैं। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि इंटरनैट सिक्योरिटी बहुत महत्त्वपूर्ण पहलू है। हम इन सुरक्षा धमकियों से अपने-आप को और अपनी सूचना को बचाने संबंधी कुछ महत्त्वपूर्ण टिप्स के बारे में वर्णन कर रहे हैं।

नवीनतम एंटी वायरस
एंटी वायरस सॉफ्टवेयर को ज़्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए हमें उपलब्ध नये अपडेट्स के साथ इसको अपडेट करना चाहिए। कई तरह के एंटीवायरस उपलब्ध हैं जो कि मुफ़्त और अदायगी योग्य हैं।

एंटी-स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर
स्पाइवेयर प्रोग्राम वायरस से अलग होते हैं क्योंकि वायरस की तरह यह हमारे कंप्यूटर में पड़े डाटा या सिस्टम को करप्ट नहीं करते बल्कि यह हमारे सिस्टम में अपने-आप इंस्टाल हो जाते हैं और हमारे सिस्टम में स्टोर पासवर्ड, क्रैडिट कार्ड के नंबर अपने सर्वर पर भेजते हैं। इसलिए अपने सिस्टम में से सपाइवेयर प्रोग्राम को ढूंढने और रोकने के लिए हमें नवीनता एंटी स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर की ज़रूरत पड़ती है।

पासवर्ड प्रोटेक्शन
पासवर्ड कई तरह के ऑन-लाइन खातों का बहुत महत्त्वपूर्ण पहलू है। अपने पासवर्ड को सुरक्षित रखना अपने पैसे को सुरक्षित रखने की तरह ही है। भिन्न-भिन्न खातों के लिए एक ही तरह का पासवर्ड न रखें। आसानी से बूझा जाने वाला पासवर्ड जैसे कि अपना निजी मोबाइल नंबर या जन्म तारीख आदि न रखें। अपना पासवर्ड ज्यादा अक्षरों से जैसे कि अक्षर और नंबर हो सके तो कुछ खास करैक्टर के साथ मिला कर रखें। अपने पासवर्ड के साथ संबंधित वैबसाइटों पर पहुंच करने के लिए हमेशा एक नया वैब पेज खोलें और कभी भी ई-मेल में दिये लिंक या और तरीकों के द्वारा न खोलें।

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नवीनतम अपडेटस और पैच को लागू करना
हमारे सिस्टम में इंस्टाल किया कोई भी सॉफ्टवेयर हमेशा के लिए परफैक्ट नहीं होता। अपने सॉफ्टवेयर पर नवीनतम अपडेट और पैच अप्लाई करते रहो। यह अपडेट और पैच सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों के द्वारा समय-समय पर उपलब्ध करवाये जाते हैं।

फॉयरवाल – अगर हो सके तो अपने सिस्टम को हैकरों के अटैक से बचाने के लिए फायरवाल का प्रयोग करें। फायरवाल हमारे सिस्टम के अन-अधिकारिक पहुँच करने वाले ट्रैफ़िक को ब्लॉक कर देता है। फॉयरवाल हमें इंटरनैट सुरक्षित ढंग से इस्तेमाल और हमारे सिस्टम पर अन-अधिकारिक एप्लीकेशन की पहुंच को रोकने के योग्य बनाता है।

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