PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 दो कलाकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 दो कलाकार

Hindi Guide for Class 10 PSEB दो कलाकार Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
छात्रावास में रहने वाली दो सहेलियों के नाम क्या थे?
उत्तर:
छात्रावास में रहने वाली दो सहेलियों के नाम अरुणा और चित्रा थे।

प्रश्न 2.
चित्रा कहानी के आरंभ में अरुणा को क्यों जगाती है?
उत्तर:
चित्रा कहानी के आरंभ में अरुणां को अपने द्वारा बनाया हुआ चित्र दिखाने के लिए जगाती है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

प्रश्न 3.
अरुणा चित्रा के चित्रों के बारे में क्या कहती है?
उत्तर:
अरुणा चित्रा के चित्रों को देखकर कहती है कि “कागज़ पर इन बेज़ान चित्रों को बनाने की बजाय दोचार की ज़िंदगी क्यों नहीं बना देती।”

प्रश्न 4.
अरुणा छात्रावास में रात को देर से लौटती है तो शीला उसके बारे में क्या कहती है?
उत्तर:
शीला अरुणा के बारे में कहती है कि वह बहुत गुणी है। वह दूसरों के बारे में सोचने वाली समाज सेविका है।

प्रश्न 5.
चित्रा के पिता जी ने पत्र में क्या लिखा था?
उत्तर:
चित्रा के पिता जी ने जो पत्र भेजा उसमें लिखा था कि जैसे ही उसकी पढ़ाई खत्म हो जाएगी, वह विदेश जा सकती है।

प्रश्न 6.
अरुणा बाढ़ पीड़ितों की सहायता करके स्वयंसेवकों के दल के साथ कितने दिनों बाद लौटी?
उत्तर:
अरुणा बाढ़ पीड़ितों की सेवा के लिए स्वयंसेवकों के दल के साथ सहायता पंद्रह दिन बाद लौटी।

प्रश्न 7.
विदेश में चित्रा के किस चित्र ने धूम मचायी थी?
उत्तर:
विदेश में भिखमंगी और दो अनाथ बच्चों के चित्र ने खूब धूम मचायी।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखें

प्रश्न 1.
अरुणा के समाज सेवा के कार्यों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
अरुणा अपने विद्यार्थी जीवन से ही समाज सेवा के कार्यों से जुड़ी हुई थी। वह बेसहारा लोगों को सहारा देने का काम करती हैं। वह अपनी सेवा के खूबसूरत रंगों से लोगों की बेरंगी जिंदगी में रंग भरने का काम करती है। वह दाइयों, चपरासियों आदि के बच्चों को पढ़ाती है। फुलिया के बच्चे की मृत्यु उसे अत्यधिक आहत करती है। भिखारिन के मरने के बाद वह उसके दोनों बच्चों का पालन-पोषण करती है।

प्रश्न 2.
मरी हुई भिखारिन और उसके दोनों बच्चों को उसके सूखे शरीर से चिपक कर रोते देख चित्रा ने क्या किया?
उत्तर:
मरी हुई भिखारिन और उसके दोनों बच्चों को उसके सूखे शरीर से चिपक कर रोते देख चित्रा का हृदय करुणा से भर गया। वह चाह कर भी स्वयं को वहां से दूर नहीं कर पाई। वह वहीं रुकी और उस दृश्य को देखकर उसने उनका चित्र कागज़ पर उतारा। यह उसके अंदर का कलाकार था जो चित्र के रूप में उभर कर हमारे सामने आया।

प्रश्न 3.
चित्रा की हॉस्टल से विदाई के समय अरुणा क्यों नहीं पहुँच सकी?
उत्तर:
जब चित्रा की हॉस्टल से विदाई हो रही थी तब अरुणा वहाँ नहीं पहुँच सकी थी। चित्रा बार-बार हॉस्टल के फाटक पर खड़ी हो उसे इधर-उधर ढूँढ़ रही थी लेकिन वह वहाँ कहीं नहीं थी। अरुणा उस समय उन दो अनाथ बच्चों के पास पहुँच गई थी जिनकी तस्वीर चित्रा ने तब बनाई थी जब उनकी माँ पेड़ के नीचे मरी पड़ी थी। वह उन अनाथ बच्चों को संभालने के कारण समय पर नहीं पहुँच सकी थी।

प्रश्न 4.
प्रदर्शनी में अरुणा के साथ कौन-से बच्चे थे?
उत्तर:
प्रदर्शनी में अरुणा के साथ वे दो बच्चे थे जो भिखारिन के मरने के बाद बेसहारा रह गए थे। अरुणा ने उन्हें पाला-पोसा था। अब वह माँ की तरह उन दोनों की देखभाल करती थी।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिए।

प्रश्न 1.
दो कलाकार कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मन्नू भंडारी रचित ‘दो कलाकार’ एक उद्देश्यपूर्ण कहानी है जिसमें यह दर्शाया गया है कि कला विशेष के अनन्य साधक या साधिका को कलाकार मानना परंपरागत रूप में यथार्थ है किंतु कलाकार वह भी है जिसमें मानवोचित गुणों का समुचित विकास हो भले ही वह किसी कला का अभ्यासी न हो। सच तो यह है कि मानव मूल्यों का संपोषक उस कलाकार से बड़ा है जो मनुष्य समाज के प्रति अपने दायित्व से विरक्त होकर केवल कला की साधना में ही लीन रहता है। लेखिका ने चित्रा को आत्म-सुख, अपनी उन्नति, अपनी चित्रकला में लीन दिखा कर तथा अरुणा को समाज के लिए दया, करुणा, सहानुभूति आदि बांटते हुए दिखाकर यही सिद्ध किया है कि अरुणा चित्रा से महान् कलाकार है क्योंकि उसमें उच्च मानवीय गुण विद्यमान हैं।

प्रश्न 2.
दो कलाकार के आधार पर अरुणा का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर:
मन्नु भंडारी द्वारा रचित कहानी ‘दो कलाकार’ में अरुणा को एक समर्पित समाज-सेविका के रूप में चित्रित किया गया है। वह निर्जीव चित्र बनाने की अपेक्षा किसी का जीवन संवार देना अधिक उचित मानती है। चित्रा के प्रति उसके मन में मित्रता का भाव है। वह अध्ययन से भी अधिक दीन-दुखियों की सेवा को महत्त्व देती है। पर दुःख कातरता के कारण ही वह मृत भिखारिन के बच्चों का पालन-पोषण करती है। फुलिया दाई के बीमार बच्चे की सेवा करती है। वह अत्यंत भावुक भी है। इसी कारण दाई के बच्चे के मर जाने पर वह खाना भी नहीं खाती है। वह अपने कर्तव्य पालन में इतनी लीन रहती है कि वह चित्रा को विदा करने भी नहीं आ पाती। वह अपनी जैसी विचारधारा वाले मनोज को पति के रूप में पाना चाहती है क्योंकि वह मानती है कि जो व्यक्ति समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को जानता हो वही उसका पति बन सकता है। इस प्रकार अरुणा एक ऐसी आदर्शवादी युवती है जिसने अपना समस्त जीवन-सेवा में अर्पित कर दिया है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

प्रश्न 3.
चित्रा एक मंझी हुई चित्रकार है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर:
हाँ, चित्रा एक मंझी हुई चित्रकार है। उसे चित्रकला का बहुत शौक है। वह चित्र बनाने के लिए सदैव नवीन प्रेरणाओं की तलाश करती है। उसकी मेहनत उसे विश्व प्रसिद्ध चित्रकार बना देती है। वह आधुनिक चित्रकला के नियमों के अनुसार अपने चित्रों को बनाती है। उसकी कला जीवन के सुख-दुःख से जुड़ी हुई थी। उसके द्वारा बनाया गया भिखमंगी तथा उसके दोनों बच्चों का चित्र उसकी मंझी कलाकार होने का सबूत हैं।

प्रश्न 4.
‘दो हाथ’/’दो कलाकार’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘दो हाथ’/ दो कलाकार’ कहानी का शीर्षक एक उचित शीर्षक है क्योंकि इसमें एक कलाकार, एक चित्रकार तथा दूसरी कलाकार एक समाज सेवी महिला है। दोनों की कलाओं की तुलना करते हुए लेखिका ने दोनों को समान रूप से सच्ची संवेदना प्रदान की है। दूसरों की पीड़ा से अनुप्रेरित होने के कारण समाज सेवा सौंदर्यपरक चित्रकला की भाँति है। अतः इस कहानी का शीर्षक ‘दो कलाकार’ बिल्कुल उचित है।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझ कर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए

मुहावरा = अर्थ = वाक्य
राह देखना = बेसब्री से इंतज़ार करना रोब खाना = ————–
रोब खाना = प्रभाव या हस्ती मानना = ————
आँखें छलछला आना = आँसू निकल आने = ———–
पीठ थपथपाना = हौसला शाबाशी देना = ————–
धूम मचना = प्रसिद्धि होना = ————–
उत्तर:
राह देखना = बेसब्री से इंतज़ार करना
वाक्य = बूढ़े माता-पिता अपने इकलौते पुत्र की कई घंटों से राह देख रहे थे।
रोब खाना = प्रभाव या हस्ती मानना
वाक्य = सिकंदर की वीरता का रोब शीघ्र ही सारे संसार में फैल गया था।
आँखें छलछला आना = आँसू निकल आने
वाक्य = बालक की मृत्यु का समाचार सुनाते-सुनाते अरुणा की आँखें छलछला आईं।
पीठ थपथपाना = हौसला, शाबाशी देना
वाक्य = विद्यार्थी द्वारा अच्छे अंक लाने पर अध्यापक ने विद्यार्थी की पीठ थपथपाई।
धूम मचना = प्रसिद्धि होना
वाक्य = आजकल सारे देश में क्रिकेट की धूम मची हई है।

II. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखें

बेवकूफी
गुण
निरक्षरता
आदर्श
जिंदगी
बंधन
शोहरत
बीमार
धनी
विदेश
उत्तर:
शब्द = विपरीत शब्द
बेवकूफी = समझदारी
गुण = अवगुण
निरक्षरता = साक्षरता
आदर्श = अनादर्श
जिंदगी = मौत
बंधन = मुक्त
शोहरत = बदनामी
बीमार = स्वस्थ
धनी = निर्धन
विदेश = स्वदेश।

III. निम्नलिखित का हिंदी में अनुवाद कीजिए

प्रश्न 1.
‘भेटे से गठ, ठेठ विमरे। प्टिर उडी रिउता भगमी चै, लभमडे व भायटी भगमी ” मठा ठे भारत (वन) ठिा।
उत्तर:
“मेरे बच्चे हैं, और किसके। यह तुम्हारी चित्रा मासी है, नमस्ते करो अपनी मासी को” अरुणा ने आदेश (हुक्म) दिया।

प्रश्न 2.
ਸੱਚ ? ਹੈਰਾਨੀ ਨਾਲ ਬੱਚੀ ਬੋਲ ਪਈ । ਫਿਰ ਤਾਂ ਮਾਸੀ, ਤੁਸੀਂ ਜ਼ਰੂਰ ਚਿੱਤਰਕਲਾ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲਾ ਨੰਬਰ ਲਿਆਉਂਦੀ हेगी। मैं ही पग्लिा ठप्पत प्लिभारिटी गां।
उत्तर:
सच? हैरानी से बच्ची बोल पड़ी। फिर तो मासी, आप अवश्य चित्रकला में प्रथम स्थान लाती होंगी। मैं भी प्रथम स्थान लाती हूँ,

प्रश्न 3.
उिता हुँ ठगी, निउता? हेवट माप्टी मी। ई उ प्टिवर उप्ल ती ताप्टी।
उत्तर:
चित्रों को नहीं, चित्रा को देखने आई थी। तुम तो एकदम भूल ही गई।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
क्या आप ने भी अरुणा की तरह किसी ज़रूरतमंद या बेसहारा की मदद की है-अगर की है तो उस प्रसंग को लिख कर अपने अध्यापक को दिखाएं या कक्षा में सुनाएं।
उत्तर:
पिछले रविवार की बात है मैं अपने मित्र के साथ सुबह-सुबह सैर करने माल रोड पर गया। वहाँ बहुत से स्त्री-पुरुष और बच्चे भी सैर करने आये हुए थे। जब से दूरदर्शन पर स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम आने लगे हैं। अधिकसे-अधिक लोग प्रातः भ्रमण के लिए इन जगहों पर आने लगे हैं। रविवार होने के कारण उस दिन भीड़ कुछ अधिक थी। तभी मैंने वहाँ एक युवा दंपत्ति को अपने छोटे बच्चे को बच्चा गाड़ी में बिठा कर सैर करते देखा। अचानक लड़कियों के स्कूल की ओर एक तांगा आता हुआ दिखाई पड़ा। उसमें चार पाँच सवारियाँ भी बैठी थीं। बच्चा गाड़ी वाले दंपत्ति ने तांगे से बचने के लिए सड़क पार करनी चाही। जब वे सड़क पार कर रहे थे तो दूसरी तरफ से बड़ी तेज़ गति से आ रही एक कार उस तांगे से टकरा गई।

तांगा चलाने वाला और दो सवारियाँ बुरी तरह से घायल हो गये थे। बच्चा गाड़ी वाली स्त्री के हाथ से बच्चा गाड़ी छूट गयी किंतु इससे पूर्व कि वह बच्चे समेत तांगे और कार की टक्कर वाली जगह पर पहुँच कर उनसे टकरा जाती मैंने और मेरे साथी ने भागकर उस बच्चा गाड़ी को संभाल लिया। कार चलाने समय फ़ोन करके मैंने एंबुलैंस को बुलवाया। हम सबने घायलों को उठा कर एंबुलैंस में लिटाया। कार चालक को पुलिस ने पकड़ लिया था। दूसरी तरफ बच्चे को बचाने के लिए मेरे मित्र तथा मेरे द्वारा चुस्ती-फुर्ती की लोग खूब प्रशंसा कर रहे थे।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

प्रश्न 2.
स्कूल में हुई किसी चित्र प्रदर्शनी या प्रतियोगिता का अपने शब्दों में वर्णन करें।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अनुभव के आधार पर स्वयं लिखें।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता

(1) सभी विद्यार्थी मिलकर अपनी चित्रकला की प्रदर्शनी का आयोजन करें। यह आयोजन दीवाली आदि त्योहार पर किया जा सकता है।
(2) अपने विद्यालय या शहर में आयोजित होने वाली चित्रकला को देखने जायें और चित्रकला से संबंधित ज्ञान प्राप्त करें।
(3) समाज भलाई का काम करने वाले प्रसिद्ध चरित्र मदर टेरेसा, फलोरेंस नाइटगेल, स्वामी दयानंद आदि के जीवन के बारे में पढ़ें तथा इंटरनेट पर सहायतार्थ कार्य करने वालों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

चित्रकला के क्षेत्र में विश्व भर में प्रसिद्ध अमृता शेरगिल का जन्म हंगरी के बुडापेस्ट नगर में 30 जनवरी, सन् 1913 ई० को हुआ था। इनके पिता उमराव सिंह, संस्कृत-फ़ारसी के विद्वान् थे। इनकी माता मेरी एंटोनी गोट्समन हंगरी की यहूदी तथा ओपेरा गायिका थीं। इनके पति का नाम डॉ० विक्टर इगान था। इन्हें भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने सन् 1976 और 1979 में भारत के नौ सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में सम्मलित किया था। दिल्ली की नेशनल आर्ट गैलरी में इनके चित्र सुरक्षित हैं। सबसे कम आयु की एशियाई चित्रकार के रूप में इन्हें पेरिस की एसोसिएशन ऑफ़ दी ग्रैंड सैलून में अपनी कलाकृति ‘यंग गर्ल्स’ के माध्यम से पहुँचने का अवसर मिला था। इनका 5 दिसंबर, सन् 1941 ई० को लाहौर में निधन हो गया था।

PSEB 10th Class Hindi Guide दो कलाकार Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘दो कलाकार’ कहानी किसके द्वारा लिखी गई है?
उत्तर:
‘दो कलाकार’ कहानी लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखी गई है।

प्रश्न 2.
‘दो कलाकार’ कहानी में लेखिका ने किस चीज़ का विश्लेषण करने का प्रयास किया है?
उत्तर:
‘दो कलाकार’ कहानी में लेखिका ने एक महिला चित्रकार तथा एक महिला समाज सेविका की सोच का विश्लेषण किया है।

प्रश्न 3.
चित्रा विदेश क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर:
चित्रा पढ़ाई समाप्त कर कला के विशेष अध्ययन के लिए विदेश जाना चाहती थी।

प्रश्न 4.
अरुणा और चित्रा में कैसा संबंध था?
उत्तर:
अरुणा और चित्रा दोनों सहेलियां थीं। दोनों छात्रावास के एक ही कमरे में रहती थी। दोनों का आपस में गहरा प्रेम था।

प्रश्न 5.
अरुणा को कौन-सा काम सबसे अधिक पसंद आता था?
उत्तर:
अरुणा को चपरासियों के बच्चों को पढ़ाने, किसी बीमार की सेवा करने आदि में बहुत आनंद आता था।

प्रश्न 6.
किस दुर्घटना ने अरुणा को विचलित कर दिया था?
उत्तर:
अरुणा फुलिया दाई के बीमार बच्चे की सेवा कर रही थी, किंतु अथाह प्रयास के बाद भी वह उस बच्चे को बचा न सकी। इस घटना ने उसे विचलित कर दिया था।

प्रश्न 7.
बच्चे की मृत्यु के बाद अरुणा की क्या दशा थी?
उत्तर:
बच्चे की मृत्यु के बाद अरुणा बहुत उदास थी। उसकी मृत्यु के दिन अरुणा ने खाना भी नहीं खाया। वह दो-तीन दिन तक उदास और गुमसुम रही।

प्रश्न 8.
चित्रा किससे मिलने गई थी और कब लौट कर आई?
उत्तर:
चित्रा विदेश जाने से पहले गुरु जी से मिलने गई थी और उनसे मिलकर वह साढ़े चार बजे हॉस्टल के फाटक पर आई।

प्रश्न 9.
चित्रा की आँखें किसे ढूँढ़ रही थीं?
उत्तर:
चित्रा की आँखें अरुणा को ढूँढ़ रही थीं। वह रह-रहकर भीड़ में अरुणा को ही खोज़ रही थी।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

प्रश्न 10.
लेखक ने चित्रकला की अपेक्षा किसे अच्छा और सार्थक काम बताया है?
उत्तर:
लेखक ने चित्रकला की अपेक्षा अशिक्षितों को पढ़ाना अधिक अच्छा और सार्थक काम बताया है।

प्रश्न 11.
‘दो कलाकार’ कहानी की मूल संवेदना क्या है?
(क) कला केवल कला के लिए होती है।
(ख) कला का अंतिम प्रयोजन यश प्राप्त करना है।
(ग) जीवन के सुःख-दुःख से सीधे जुड़ कर ही कला उत्कृष्ट बनती है।
(घ) सच्ची कला धन-संपदा प्रदान करती है।
उत्तर:
(ग) जीवन के सुःख-दुःख से सीधे जुड़ कर ही कला उत्कृष्ट बनती है।

प्रश्न 12.
‘रहने दे चित्रा मैं खाऊंगी नहीं, मुझे ज़रा भी भूख नहीं है’-अरुणा द्वारा भोजन करने से इन्कार करने का क्या कारण था?
उत्तर:
फुलिया दाई का बच्चा बड़ा बीमार था। अरुणा दोपहर से ही उसकी देख-भाल में लगी हुई थी। अनेक प्रयत्न करने पर भी उसे बचाया न जा सका और उसकी मृत्यु हो गई। बच्चे की मृत्यु से दुःखी होने के कारण ही अरुणा ने भोजन करने से इन्कार कर दिया था।

प्रश्न 13.
‘किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दे’-इस कथन का तात्पर्य क्या हैं?
उत्तर:
जो कला मनुष्य को मानवीय गुणों से वंचित कर उसे स्वार्थी चित्रकार ही बना दे वह कला निरर्थक है। मनुष्य की कला को तो मानव जीवन के सुख-दुःख से जुड़ा होना चाहिए।

प्रश्न 14.
अरुणा के इस कथन में कि ‘तू हर घड़ी हर जगह और हर चीज़ में से अपने चित्रों के लिए मॉडल खोजती रहती है।’ चित्रा की किस मनोवृत्ति पर व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
अरुणा के इस कथन से स्पष्ट है कि चित्रा को अपनी चित्रकला के अतिरिक्त मानव जीवन के सुख-दुःखों से कोई संबंध नहीं है। वह कला को केवल-कला मानती है तथा चित्रकला के प्रति उसका स्वार्थी मनोवृत्ति का भी इस कथन से ज्ञात होता है।

प्रश्न 15.
‘दोनों कलाकारों की कलाओं में अंतर है एक में मात्र कला है तो दूसरे में जीवन’-आपकी दृष्टि से दोनों में कौन श्रेष्ठ है और क्यों?
उत्तर:
मेरी दृष्टि में वह कला श्रेष्ठ है जो जीवन से जुड़ी हुई होती है। जिस कला में जीवन न हो वह मानव मन में किसी प्रकार की भावनाएँ नहीं उत्पन्न कर सकतीं। जिस कलाकृति को देखकर दर्शक का मन उसमें रम जाए वही कलाकृति श्रेष्ठ कही जा सकती है। अतः जीवन के सुख-दुःख से सीझे जुड़ कर ही कला उत्कृष्ट बनती है। इस दृष्टि में समाज-सेविका की कला श्रेष्ठ है।

प्रश्न 16.
‘जब तक समाज का सारा ढांचा नहीं बदलता तब तक कुछ होने का नहीं।’ लेखिका के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
लेखिका के इस कथन से हम पूरी तरह सहमत नहीं हैं क्योंकि जब तक समाज की रूढ़ियों से ग्रस्त परंपराओं को धीरे-धीरे बदला नहीं जाएगा तब तक समाज का सुधार भी नहीं हो सकता। यह परिवर्तन एकदम तथा अपने आप नहीं हो सकता। इसके लिए हममें से कुछ लोगों को पहल करनी होगी तथा हमारे नये कदमों की आलोचना करने वालों की चिंता न करते हुए हमें समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास करना होगा। जैसे बूंद-बूंद से घड़ा भर जाता है उसी प्रकार से हम में से एक-एक व्यक्ति के द्वारा किया गया समाज सुधार का प्रयास समस्त समाज को भी बदल सकता है। जैसे इस कहानी में अरुणा ने चपरासियों के अनपढ़ बच्चों को पढ़ा कर साक्षर बनाया गया तथा दो अनाथ बच्चों को अपनी सन्तान के समान पाल-पोस कर बड़ा किया। अतः समाज को बदलने के लिए धीरे-धीरे किए गए प्रयास भी महत्त्वपूर्ण होते हैं।

प्रश्न 17.
अपने चित्र के जीवित मॉडल देख कर चित्रा हतप्रभ क्यों हो गई?
उत्तर:
चित्रा हतप्रभ रह गई थी क्योंकि उसे यह आशा नहीं थी कि मृत भिखारिन के बच्चों को अरुणा अपने बच्चों के समान पाल-पोस कर बड़ा करेगी। वह तो यह सोचती थी कि भिखारिन के बच्चे मर गए होंगे अथवा कहीं भिखारी के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे होंगे।

प्रश्न 18.
दोनों बच्चों की जानकारी हो जाने के बाद चित्रा की दोनों बच्चों और अरुणा के प्रति क्या प्रतिक्रिया हुई होगी? अपनी कल्पना से बताइए।
उत्तर:
चित्रा को जब यह ज्ञात हुआ कि अरुणा ने मृत भिखारिन के अनाथ बच्चों को अपने बच्चों के समान पालापोसा है तो वह विस्मित रह गई। वह सोचने लगी कि वह कितनी स्वार्थी है जो उस समय वह मृत भिखारिन और उसके दोनों बच्चों का स्केच ही बनाती रही तथा उन बच्चों के प्रति उसके मन में कोई भी विचार क्यों न आया। अपनी इस स्वार्थी मनोवृत्ति पर उसे बहुत ग्लानि हुई होगी। दूसरी ओर वह अरुणा की मन ही मन प्रशंसा कर रही होगी कि अरुणा ने दुनिया की चिंता न करके इन अनाथ बच्चों का अपने बच्चों के समान पालन-पोषण किया तथा इन्हें जीवन दान दिया। वह अरुणा को बहुत ही महान् त्यागी, दयावान् तथा करुणाशील महिला मान रही थी।

प्रश्न 19.
दो कलाकार कहानी के आधार पर ‘चित्रा’ का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
चित्रा मन्नू भंडारी द्वारा रचित कहानी ‘दो कलाकार’ की एक प्रमुख पात्रा है। वह अभिजात्य वर्ग में उत्पन्न एक संपन्न युवती है। उसके पिता अत्यंत धनी व्यक्ति हैं। उसे चित्रकला का बहुत शौक है। वह चित्रकला में निपुण बन कर विश्व प्रसिद्ध चित्रकार बनना चाहती है। वह चित्र बनाने के लिए सदा नवीन प्रेरणाओं को तलाश करती रहती है। अरुणा के प्रति उसके मन में सद्भाव है तथा उसे वह अपनी सच्ची सखी मानती है। विचारशील होने के कारण वह अपने भावी जीवन के संबंध में स्वयं ही निर्णय लेती है। अपनी मेहनत से ही वह विश्व प्रसिद्ध कलाकार बन जाती है। वह परिस्थितियों के साथ समझौता भी कर लेती है। कहानी के अंत में अपने चित्र के अनाथ बच्चों को अरुणा द्वारा पाला-पोसा जान कर वह जीवन और कला में सामंजस्य को स्वीकार कर लेती है। अत: हम कह सकते हैं कि चित्रा विचारशील, महत्त्वाकांक्षिणी कला अनुरागिणी एवं सत्यनिष्ठ सखी भाव से युक्त युवती है।

प्रश्न 20.
चित्रा एवं अरुणा की संवेदना में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चित्रा को दूसरों से कोई मतलब नहीं, बस चौबीस घंटे अपने रंग और तालिका में डूबी रहती है। दुनिया में बड़ी-से-बड़ी घटना हो जाए पर यदि उसमें चित्र के लिए कोई ‘आइडिया’ नहीं, तो उसके लिए वह घटना कोई महत्त्व नहीं रखती। वह बाढ़ पीड़ितों तथा अनाथ बच्चों के प्रति संवेदना शून्य, जड़ बनी रहती है। हां, उनके चित्र अवश्य बना डालती है। अरुणा की दीन-दुःखियों के प्रति संवेदना-सहानुभूति बड़ी गहरी है। वह बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए अपना अध्ययन भी स्थगित कर देती है तथा अनाथों का जिक्र सुनते ही उनकी सहायता के लिए चल पड़ती है। चित्रा की संवेदना मात्र मौखिक है किंतु अरुणा की हार्दिक एवं मर्मस्पर्शिणी है। इसी कारण वह मृत भिखारिन के बच्चों का पालन-पोषण करती है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

प्रश्न 21.
आधुनिक चित्रकला के संबंध में अरुणा के क्या विचार हैं?
उत्तर:
जब चित्रा अरुणा को नींद से उठाकर अपना नवीन चित्र दिखाती है तो उसने आधुनिक चित्रकला के नियमों के अनुसार बनाया था। अरुणा को चित्रा की यह कलाकृति बिल्कुल भी समझ में नहीं आती इसलिए वह उसे कहती है कि तेरा यह चित्र मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आ रहा क्योंकि इससे यह पता ही नहीं चलता कि चौरासी लाख योनियों में से तुमने यह किस जीव का चित्र बनाया है।

प्रश्न 22.
चित्रा और अरुणा के जीवन में क्या अंतर था?
उत्तर:
लेखिका के अनुसार चित्रा और अरुणा दोनों के रहन-सहन, सोचने-विचारने, आचरण तथा रुचियों में बहुत अंतर था। चित्रा चित्रकला के कल्पना लोक में विचरण करती थी जबकि अरुणा यथार्थ जीवन के सुख-दुःखों को महत्त्व देते हुए दीन-दुःखियों की सेवा करना अपना मुख्य लक्ष्य मानती थी। इस प्रकार से दोनों की रुचियों में मूल रूप में अंतर होते हुए भी दोनों में बहुत अधिक प्रेम है।

प्रश्न 23.
कौन-सी कला निरर्थक होती है?
उत्तर:
अरुणा चित्रा को निरंतर चित्रकला में लीन देख कर कहती है कि वह कला निरर्थक है जो मनुष्य को मनुष्य ही न रहने दे। जो व्यक्ति दुनिया के सुख-दुःख से दूर केवल अपने रंगों और बुशों में ही डूबा रहे वह मानव कहलाने के योग्य नहीं है क्योंकि कला जीवन के सुख-दुःख से जुड़कर ही उत्कृष्ट बनती है। जो कला मानवता के विरुद्ध आचरण करना सिखाए वह कला कहलाने योग्य नहीं है।

प्रश्न 24.
चित्रा क्या देखकर विस्मित रह जाती है?
उत्तर:
विदेश जाकर चित्रा अपनी कला की साधना में लीन हो गई। भिखमंगी तथा दो अनाथ बच्चों का उसका चित्र बहुत प्रशंसित हुआ। कुछ दिन उसका अरुणा से पत्र-व्यवहार होता रहा फिर वह भी बंद हो गया। तीन वर्ष बाद वह भारत आई तो उसका बहुत स्वागत हुआ। दिल्ली में उसके चित्रों की प्रदर्शनी लगी तो अरुणा उससे मिलने आई। उसके साथ आठ और दस साल के दो बच्चे भी थे। चित्रा के पूछने पर उसने उन बच्चों को अपने बच्चे बताया तथा स्वयं चित्रा के साथ बातचीत करती है। चित्रा उससे फिर उन बच्चों के विषय में पूछती है तो अरुणा उसे बताती है कि ये बच्चे चित्र में मरी हुई भिखारिन के अनाथ बच्चे हैं तो चित्रा विस्मित रह जाती है।

प्रश्न 25.
‘चित्रा’ और ‘अरुणा’ में से आपको किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर:
‘चित्रा’ और ‘अरुणा’ में से मुझे अरुणा ने अधिक प्रभावित किया है। अरुणा और चित्रा दोनों अभिन्न सखियाँ हैं। अरुणा समाज सेवा को प्रमुखता देती है तथा चित्रा सदा चित्रकला में ही डूबी रहती है। चित्रा अरुणा को अपना एक आधुनिक कला पर आधारित चित्र दिखा कर उसकी व्याख्या कर रही है कि तभी अरुणा से पढ़ने आये बच्चों ने आकर उसे बताया कि पढ़ने वाले सभी बच्चे आ गए हैं तो अरुणा उन्हें जैसे ही पढ़ाने के लिए जाने लगती है कि चित्रा उसके समाज सेविका होने पर व्यंग्य करती है जो निरंतर निम्न वर्ग की सेवा में लगी रहती है तथा अपनी कोई चिंता नहीं करती। वह उस पर आक्षेप करती है कि वह उसकी तरह बेकार में लकीरें खींचकर समय तो व्यर्थ नहीं गंवाती। अत: स्पष्ट है कि चित्रा की अपेक्षा अरुणा का कार्य और सोच अत्यधिक प्रभावित करने वाली है।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रूनी किसका नाम है?
उत्तर:
प्नी अरुणा का नाम है।

प्रश्न 2.
अरुणा किसके बीमार बच्चे के लिए परेशान थी?
उत्तर:
अरुणा फुलिया दाई के बीमार बच्चे के लिए परेशान थी।

प्रश्न 3.
चित्रा को किस चित्र पर अनेक प्रतियोगिताओं में पहला ईनाम मिला था?
उत्तर:
चित्रा को ‘अनाथ’ शीर्षक चित्र पर अनेक प्रतियोगिताओं में पहला ईनाम मिला था।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

प्रश्न 4.
“तेरी बेवकूफी का/आयी है बड़ी प्रतीक वाली”-ये कथन किसने किसे कहा है?
उत्तर:
यह कथन अरुणा ने चित्रा को कहा है।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
“तेरे मनोज की चिट्ठी आई है” यह कथन किसका है?
(क) शीला का
(ख) चित्रा का
(ग) अरुणा का
(घ) सविता का।
उत्तर:
(ख) चित्रा का

प्रश्न 2.
चित्रा कितने वर्षों बाद भारत लौटी
(क) दो
(ख) चार
(ग) तीन
(घ) पाँच।
उत्तर:
(ग) तीन

प्रश्न 3.
अरुणा के साथ आए लड़के की क्या उम्र थी?
(क) आठ
(ख) दस
(ग) बारह
(घ) पाँदहु
उत्तर:
(ख) दस

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के किस शहर में चित्रा के चित्रों की शानदार प्रदर्शनी हुई? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
दिल्ली

प्रश्न 2.
विदेश जाने से पहले स्टेशन पर चित्रा को विदा करने अरुणा भी आई। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 3.
अरुणा चित्र बनाती थी तथा चित्रा समाज सेवा करती थी। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 4.
चित्रा धनी पिता की इकलौती बेटी थी। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 5.
चित्रा की मनोज से शादी होने वाली थी। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 6.
हॉस्टल में उसे बड़ी ………. विदाई मिली थी।
उत्तर:
शानदार

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

प्रश्न 7.
चित्रा ने माचिस लेकर ……… जलाया।
उत्तर:
लालटेन

प्रश्न 8.
तू लिखा करना …………… चिट्ठियाँ।
उत्तर:
रसभरी।

दो कलाकार कठिन शब्दों के अर्थ

उल्लास = हर्ष, खुशी। तनिक = थोड़ी। फरमाइश = इच्छा। प्रेरणा = प्रोत्साहन। अनुमति = आज्ञा। दिनचर्या = दैनिक कार्य। मेस = होस्टल का भोजन कक्ष। कमबख्त = बदकिस्मत। निरर्थक = व्यर्थ। तमन्ना = इच्छा, कामना। विराट् = भव्य, बहुत अधिक। आश्चर्य = हैरानी। छात्रावास = होस्टल। प्रतियोगिता = मुकाबला। घनचक्कर = जंजाल। खिझलाहट = खीझ से भरी हुई। हुनर = कला। बड़-बड़ = प्रलाप। प्रतीक = चित्र, प्रतिरूप। कन्फ्यूज़न = भ्रम। सृजन = रचना, निर्माण। असहन = न सहने योग्य। शोहरत = प्रसिद्धि। ठाट = मज़े, आनन्द। पंडिता = विदुषी।

दो कलाकार Summary

दो कलाकार लेखिका परिचय

सुप्रसिद्ध कथा लेखिका श्रीमती मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल, सन् 1931 ई० को मध्य प्रदेश के भानपुरा नामक स्थान में हुआ था। सन् 1949 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की परीक्षा पास करने के बाद एम० ए० हिंदी में शिक्षा प्राप्त कर वे कलकत्ता तथा दिल्ली में अध्यापन कार्य करती रही हैं। इन्होंने उपन्यास तथा कहानियाँ लिखी हैं। इनकी रचनाओं में सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण प्राप्त होता है। पारिवारिक एवं नारी जीवन की विसंगतियों को इन्होंने मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया है। अपने पात्रों के मनोवैज्ञानिक विश्लेषण में ये अधिक सफल रही हैं। इनका विवाह हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार श्री राजेंद्र यादव के साथ हुआ था। मन्नू भंडारी ने अपने पति के साथ मिलकर ‘एक इंच मुस्कान’ की रचना की थी। इनकी कहानियाँ मानव-मन को बहुत गहरे से छू लेती हैं। लेखिका को सन् 2008 में व्यास सम्मान प्रदान किया गया था।

रचनाएँ-कहानी संग्रह-मैं हार गई, एक प्लेट सैलाब, यही सच है, तीन निगाहों की तस्वीर।
उपन्यास-आपका बंटी, स्वामी, महाभोज।

श्रीमती मन्नू भंडारी छठे दशक की प्रतिष्ठित कथाकार हैं। इस दशक में हिंदी कहानी में जो मोड़ आया, मन्नू भंडारी जी का उसमें योगदान उल्लेखनीय रहा है। उनकी कहानियों में घटनाओं का विस्तार कम तथा पात्रों का मानसिक विश्लेषण अधिक मिलता है। इनकी कहानियाँ अनेक प्रकार की हैं, कुछ कहानियों में जीवन की विसंगतियों को उभारा गया है, किन्हीं कहानियों में नारी जीवन का वर्णन है जो किन्हीं अन्य कहानियों में पारिवारिक जीवन को अभिव्यक्ति मिली है। इनके उपन्यास ‘यही सच है’ पर आधारित ‘रजनी गंधा’ फ़िल्म बनी थी जिसे फ़िल्मफेयर अवार्ड में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म घोषित किया गया था। इन्होंने ‘स्वामी’ फ़िल्म के संवाद भी लिखे थे जो बासु चैटर्जी के द्वारा निर्देशित की गई थी।

दो कलाकार कहानी का सार

‘दो कलाकार’ कहानी लेखिका के “मैं हार गई” कहानी संग्रह से इस संकलन में संकलित किया गया है। इस कहानी में लेखिका ने एक महिला चित्रकार तथा एक महिला समाज सेविका की सोच का विश्लेषण करते हुए यह बताने का प्रयास किया है कि जीवन के सुख-दुःख सीधे जुड़कर ही कला उत्कृष्ट बनती है। चित्रा और अरुणा दो सहेलियाँ थीं तथा छात्रावास के एक ही कमरे में रहती थीं। चित्रा को चित्रकला का बहुत शौक था तथा अरुणा की समाज-सेवा में रुचि थी। चित्रा जब भी अपना कोई चित्र बनाती तो सबसे पहले अरुणा को दिखाती थी। अरुणा को चपरासियों के बच्चों को पढ़ाने, किसी बीमार की सेवा करने आदि में ही अधिक आनन्द आता था। एक बार फुलिया दाई का बच्चा बीमार हुआ तो अरुणा उसकी देखभाल में लगी रही और जब उस बच्चे की मृत्यु हो गई तो उसकी मृत्यु के दिन अरुणा ने खाना भी न खाया और दो-तीन दिन तक बहुत उदास भी रही थी।

चित्रा पढ़ाई समाप्त कर कला के विशेष अध्ययन के लिए विदेश जाना चाहती थी जबकि अरुणा यहीं रहना चाहती थी। वह कागज़ पर निर्जीव चित्र बनाने के स्थान पर समाज सेवा द्वारा कुछ लोगों के जीवन को सुधारना श्रेष्ठ मानती थी। अरुणा परीक्षा के दिनों में भी बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए भटकती रहती थी। दोनों के आचार-विचार, रहनसहन, रुचियों आदि में पर्याप्त भिन्नता होते हुए भी जो स्नेह था उससे समस्त छात्रावास की छात्राओं को ईर्ष्या थी। अन्त में चित्रा का विदेश जाने का दिन भी आ गया। छात्रावास में उसे शानदार विदाई पार्टी मिली।

अरुणा ने सुबह से ही उसका सामान ठीक कर दिया था। चित्रा गुरु जी से मिलने गई तो तीन बजे तक न लौटी। पांच बजे की गाड़ी से उसे जाना था। अरुणा उसे खुद जाकर देखने का विचार बना ही रही थी कि तभी हड़बड़ाती-सी चित्रा आ गई और अपनी देरी का कारण बताते हुए कहने लगी की गर्ग स्टोर के सामने पेड़ के नीचे जो भिखारिन बैठती थी वह मर गई थी तथा उसके दोनों बच्चे उसके सूखे शरीर से चिपक कर बुरी तरह रो रहे थे–वह उसी दृश्य का स्कैच बनाने के लिए वहाँ रुक गई थी। चित्रा का यह कथन सुनते ही अरुणा वहाँ से चुपके से खिसक गई थी और फिर वह चित्रा को विदा करने न आ सकी थी।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो कलाकार

विदेश जाकर चित्रा अपनी कला की साधना में लीन हो गई। भिखमंगी तथा दो अनाथ बच्चों का उसका चित्र बहुत प्रशंसित हुआ। कुछ दिन उसका अरुणा से पत्र-व्यवहार होता रहा फिर वह भी बंद हो गया। तीन वर्ष बाद वह भारत आई तो उसका बहुत स्वागत हुआ। दिल्ली में उसके चित्रों की प्रदर्शनी लगी तो अरुणा उससे मिलने आई। उसके साथ आठ और दस साल के दो बच्चे भी थे। चित्रा के पूछने पर उसने उन बच्चों को अपने बच्चे बताया। चित्रा ने बच्चों को प्रदर्शनी दिखाई और अंत में वे उसी चित्र के पास पहुँचे जिसमें भिखारिन और दो बच्चे थे। चित्रा ने अरुणा को बताया कि इसी चित्र ने उसे इतनी प्रसिद्धि दिलाई थी। बच्चे इस चित्र में मृत भिखारिन को देखकर उसके बच्चों के बारे में सोचने लगे थे। अरुणा ने बच्चों को अपने पति के साथ प्रदर्शनी देखने के लिए भेज दिया तथा स्वयं चित्रा के साथ बातचीत करने लगी। चित्रा ने उससे फिर उन बच्चों के विषय में जब पूछा तो अरुणा ने उसे बताया कि वे बच्चे चित्र में मरी हुई भिखारिन के अनाथ बच्चे थे तो चित्रां आश्चर्यचकित रह गई।

Leave a Comment