PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)

→ विद्युत् धारावाही तार चुंबक की भांति व्यवहार करती है। चुंबक और विद्युत् एक-दूसरे से संबंधित हैं।

→ हैंस क्रिश्चियन ऑर्टेड ने विद्युत् चुंबकत्व को समझाने में महत्त्वपूर्ण कार्य किया।

→ दिक्सूचक एक छोटा छड़ चुंबक है जो स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर सदा उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करता है।

→ स्वतंत्रतापूर्वक लटकाये गए चुंबक का जो सिरा उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे को उत्तरोमुखी ध्रुव या उत्तर ध्रुव कहते हैं तथा दक्षिण दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे को दक्षिणोमुखी ध्रुव या दक्षिणी ध्रुव कहते हैं।

→ चुंबकों के सजातीय ध्रुव परस्पर प्रतिकर्षण और विजातीय ध्रुव परस्पर आकर्षण करते हैं।

→ चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का अनुभव किया जा सकता है उसे चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं।

→ चुंबकीय क्षेत्र एक ऐसी राशि है जिसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।

→ चंबक के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर तथा चुंबक के बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर होती है। इसलिए चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक बंद वक्र होती हैं।

→ दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करतीं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

→ किसी धातु चालक में विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर उसके चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।

→ किसी विद्युत् धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र उससे दूरी के व्युत्क्रम पर निर्भर करता है।

→ किसी विद्युत् धारावाही तार के कारण किसी दिए गए बिंदु पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र प्रवाहित विद्युत् धारा पर अनुलोमतः निर्भर करता है।

→ पास-पास लिपटे विद्युत् रोधी ताँबे की तार को बेलन की आकृति की अनेक वलयों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं।

→ परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओं की भाँति होती हैं। किसी परिनालिका के भीतर सभी बिंदुओं पर चुंबकीय क्षेत्र समान होता है।

→ फ्रांसीसी वैज्ञानिक ओद्रेयैरी एंपियर ने स्पष्ट किया कि चुंबक को भी विद्युत् धारावाही चालक पर परिमाण में समान परंतु दिशा में विपरीत बल आरोपित करना चाहिए।

→ चालक पर आरोपित बल की दिशा विद्युत् धारा की दिशा और चुंबकीय क्षेत्र की दिशा पर लंबवत् होती है। इसे फ्लेमिंग का वामहस्त नियम कहते हैं।

→ विद्युत्मोटर, विद्युत् जनित्र, ध्वनि विस्तारक यंत्र, माइक्रोफोन तथा विद्युत् मापक यंत्र का संबंध विद्युत् धारावाही तथा चुंबकीय क्षेत्र से है।

→ हमारे हृदय और मस्तिष्क में चुंबकीय क्षेत्र का उत्पन्न होना महत्त्वपूर्ण है।

→ शरीर के भीतर चुंबकीय क्षेत्र शरीर के विभिन्न भागों का प्रतिबिंब प्राप्ति का आधार है।

→ चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंबन (MRI) चिकित्सा निदान में महत्त्वपूर्ण है।

→ विद्युत् मोटर एक ऐसी घूर्णन युक्ति है जिसमें विद्युत् ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है।

→ विद्युत् मोटरों का उपयोग विद्युत् पंखों, रेफ्रिजरेटरों, विद्युत् मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कंप्यूटरों, MP33 प्लेयरों आदि में किया जाता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

→ विद्युत् मोटर में विद्युत् रोधी तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र के दो ध्रुवों के बीच रखी जाती है।

→ वह युक्ति जो परिपथ में विद्युत् धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है, उसे दिक्परिवर्तक कहते हैं।

→ नर्म लोह-क्रोड और कुंडली दोनों मिल कर आर्मेचर बनाते हैं। इससे मोटर की शक्ति में वृद्धि हो जाती है।

→ फैराडे ने खोज की थी कि किसी गतिशील चुंबक का उपयोग किस प्रकार विद्युत् धारा उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।

→ गैल्वेनोमीटर एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत् धारा की उपस्थिति संसूचित करता है।

→ माइकेल फैराडे ने विद्युत् चुंबकीय प्रेरण तथा विद्युत् अपघटन पर कार्य किया था।

→ वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक के परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र के कारण किसी अन्य चालक में विद्युत् धारा प्रेरित होती है, उसे विद्युत् चुंबकीय प्रेरण कहते हैं।

→ जब कुंडली की गति की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है तब कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत्धारा अधिकतम होती है।

→ विद्युत् जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया जाता है जिसके फलस्वरूप विद्युत् धारा उत्पन्न होती है।

→ विद्युत् उत्पन्न करने की युक्ति को विद्युत् धारा जनित्र (AC जनित्र) कहते हैं।

→ दिष्टधारा सदा एक ही दिशा में प्रवाहित होती है लेकिन प्रत्यावर्ती धारा एक निश्चित काल-अंतराल के बाद अपनी दिशा उत्क्रमित करती है।

→ हमारे देश में उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा प्रत्येक 1/100 सेकंड के पश्चात् अपनी दिशा उत्क्रमित करती है। प्रत्यावर्ती धारा (AC) की आवृति 50 हर्ट्ज है।

→ dc की तुलना में AC का लाभ यह है कि विद्युत् शक्ति को सुदूर स्थानों पर बिना अधिक ऊर्जा क्षय के प्रेषित किया जा सकता है। हम अपने घरों में विद्युत् शक्ति की आपूर्ति मुख्य तारों से प्राप्त करते हैं।

→ लाल विद्युत्रोधी आवरण से युक्त तार विद्युमय (धनात्मक) कहलाती है तथा काले आवरण वाली तार उदासीन (ऋणात्मक) कहलाती है।

→ हमारे देश में धनात्मक और ऋणात्मक तारों के बीच 220V का विभवांतर होता है।

→ भू-संपर्क तार हरे आवरण से युक्त होता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

→ विद्युत् फ्यूज़ सभी घरेलू परिपथों का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह अतिभारण के कारण होने वाली हानि से बचाता है।

→ जब विद्युन्मय तार और उदासीन तार सीधे संपर्क में आते हैं तो अतिभारण होता है।

→ फ्यूज़ों में होने वाला ताप फ्यूज़ को पिघला देता है जिससे विद्युत् परिपथ टूट जाता है।

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