This PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं will help you in revision during exams.
PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं
याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)
→ कोशिका के केंद्रक में पाए जाने वाले गुण सूत्रों के DNA के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है।
→ कोई भी जैव रासायनिक प्रक्रिया पूर्ण रूप से विश्वसनीय नहीं होती इसलिए DNA प्रतिकृति की प्रक्रिया में कुछ विभिन्नता आ जाती है।
→ विभिन्नताओं के उग्र होने की अवस्था में DNA की नई प्रतिकृति अपने कोशिकीय संगठन के साथ समायोजित न हो पाने के कारण संतति कोशिका की मृत्यु का कारण बनती है।
→ जनन में होने वाली विभिन्नताएँ जैव-विकास का आधार हैं।
→ कालाजार के रोगाणु लेसमानियां में द्विखंडन एक निर्धारित तल से होता है।
→ मलेरिया परजीवी, प्लाज्मोडियम जैसे एक कोशिक जीव एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जिसे बहुखंडन कहते हैं।
→ यीस्ट कोशिका से छोटे मुकुल ऊभर कर कोशिका से अलग हो जाते हैं और स्वतंत्र रूप से वृद्धि करते हैं।
→ बहुकोशिक जीवों में जनन अपेक्षाकृत जटिल विधि से होती है।
→ हाइड्रा, प्लेनेरिया आदि सरल जीव टुकड़ों में कट कर पूर्ण जीव का निर्माण करते हैं जिसे पुनरुद्भवन कहते हैं। यह विशेष कोशिकाओं द्वारा पूरा होता है।
→ ऊतक संवर्धन तकनीक में पौधे के ऊतक अथवा कोशिकाओं को पौधे के शीर्ष के वर्तमान भाग से पृथक् कर नए पौधे उगाए जाते हैं।
→ लैंगिक जनन के लिए नर और मादा दोनों लिंगों की आवश्यकता होती है।
→ दो या अधिक एकल जीवों की विभिन्नताओं के संयोजन से विभिन्नताओं के नए संयोजन उत्पन्न होते हैं, क्योंकि इस प्रक्रम में दो विभिन्न जीव भाग लेते हैं।
→ गतिशील जनन-कोशिका के नर युग्मक तथा जिस जनन कोशिका में भोजन का भंडार संचित होता है, उसे मादा युग्मक कहते हैं।
→ जब पुष्प में पुंकेसर या स्त्रीकेसर में से कोई एक जननांग उपस्थित होता है तो पुष्प एकलिंगी कहलाते हैं, जैसे पपीता, तरबूज। जब पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं तो उसे उभयलिंगी कहते हैं, जैसे-गुड़हल, सरसों।
→ जनन कोशिकाओं में युग्मक अथवा निषेचन से युग्मनज बनता है।
→ परागकणों का स्थानांतरण वायु, जल या प्राणियों के द्वारा संपन्न होता है।
→ निषेचन के पश्चात्, युग्मनज में अनेक विभाजन होते हैं तथा बीजांड में भ्रूण विकसित होते हैं।
→ युवावस्था आरंभ होते ही युवकों-युवतियों में अनेक शारीरिक परिवर्तन होते हैं। ये परिवर्तन मंद गति से होते हैं और सभी में एक ही दर और समान तेज़ी से नहीं होते।
→ किशोरावस्था की अवधि को यौवनारंभ (प्यूबरटी) कहते हैं।
→ जनन कोशिका उत्पादित करने वाले अंग एवं जनन कोशिकाओं को निषेचन के स्थान तक पहुँचाने वाले अंग संयुक्त रूप से नर जनन अंग बनाते हैं।
→ शुक्राणु का निर्माण वृषण में होता है।
→ शुक्राणु उत्पादन के नियंत्रण के अतिरिक्त टेस्टोस्टेरॉन लड़कों में यौवनावस्था के लक्षणों का नियंत्रण करता है।
→ मादा जनन कोशिकाओं का निर्माण अंडाशय में होता है। वे कुछ हॉर्मोन भी उत्पन्न करती हैं।
→ निषेचन के पश्चात् निषेचित अंड अथवा युग्मनज गर्भाशय में स्थापित हो जाता है। निषेचन न होने की अवस्था में ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म होता है जिसकी अवधि 2 से 8 दिन की होती है।
→ गोनेरिया, सिफ़लिस, वाइरस संक्रमण, HIV AIDS आदि यौन संबंधी रोग हैं।
→ लैंगिक क्रिया द्वारा गर्भ धारण की संभावना सदा ही बनी रहती है।
→ गर्भरोधी तरीकों को अपनाने से गर्भधारण करने से बचा जा सकता है।
→ गर्भ धारण न करने के यांत्रिक, हॉर्मोनल, शल्यचिकित्सा आदि अनेक तरीके हैं।
→ भ्रूण लिंग निर्धारण एक कानूनी अपराध है।
→ हमारे देश में मादा भ्रूण हत्या के कारण शिशु लिंग अनुपात तेज़ी से घटता जा रहा है।
→ हमारे देश में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है।