PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

SST Guide for Class 10 PSEB भारत में औद्योगिक विकास Textbook Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दें

प्रश्न 1.
आधारभूत उद्योगों के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
(i) लोहा व इस्पात उद्योग
(ii) सीमेन्ट उद्योग।

प्रश्न 2.
कुटीर उद्योगों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
कुटीर उद्योग से अभिप्राय उस उद्योग से है जो एक परिवार के सदस्यों द्वारा एक ही छत के नीचे पूर्णतः या आंशिक रूप से चलाया जाता है।

प्रश्न 3.
लघु उद्योगों की एक समस्या पर प्रकाश डालिये।
उत्तर-
कच्चे माल तथा शक्ति की समस्या।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 4.
लघु उद्योगों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
लघु उद्योग वे उद्योग होते हैं जिनमें 3 करोड़ तक बंधी पूंजी का निवेश हुआ हो।

II. लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दें

प्रश्न 1.
भारत के तीव्र तथा सन्तुलित औद्योगिकीकरण की आवश्यकता के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. उद्योगों के विकास से राष्ट्रीय आय में बड़ी तीव्र वृद्धि होती है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि उद्योगों के विकास ने देशों की आय में वृद्धि करके निर्धनता की जंजीरों को काटा है।
  2. उद्योगों के विकास से राष्ट्रीय आय के बढ़ने से बचतों में भी वृद्धि होती है तथा बचतें पूंजी निर्माण के लिए आवश्यक हैं। परिणामस्वरूप देश का आर्थिक विकास और तीव्र होता है।
  3. उद्योगों के विकास से रोज़गार अवसरों में वृद्धि होती है। इससे भूमि पर जनसंख्या के दबाव को कम किया जा सकता है।
  4. औद्योगिकीकरण कृषि विकास में सहायक सिद्ध होता है। वास्तव में, तीव्र औद्योगिकीकरण तीव्र कृषि विकास के लिए आवश्यक है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 2.
भारत में लघु तथा कुटीर उद्योगों से क्या अभिप्राय है ? इनकी समस्याओं का वर्णन,करें।
उत्तर-
लघु तथा कुटीर उद्योग-कुटीर उद्योग से आशय उसं उद्योग से है जो एक परिवार के सदस्यों द्वारा एक ही छत के नीचे एक पूर्णकालीन या अंशकालीन व्यवसाय के रूप में चलाया जाता है। चूंकि ये उद्योग मुख्यतः गांवों में चलाए जाते हैं, इसलिए इन्हें ग्रामीण उद्योग भी कहा जाता है।
नवीन परिभाषा (1999) के अनुसार, लघु उद्योगों में उन सब कारखानों को शामिल किया गया है जिनमें 1 करोड़ रुपए तक बन्धी पूंजी का निवेश हुआ हो।
लघु तथा कुटीर उद्योगों की समस्याएं-लघु तथा कुटीर उद्योगों की मुख्य समस्याएं निम्नलिखित हैं —

  1. कच्चे माल तथा शक्ति की समस्या-इन उद्योग-धन्धों को कच्चा माल उचित मात्रा में नहीं मिल पाता तथा जो माल मिलता है  उसकी किस्म बहुत घटिया होती है और उसका मूल्य भी बहुत अधिक देना पड़ता है।
  2. वित्त की समस्या-भारत में इन उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में ऋण नहीं मिल पाता है।
  3. उत्पादन के पुराने ढंग-इन उद्योगों में अधिकतर उत्पादन के पुराने ढंग ही अपनाए जाते हैं जिसके कारण इन उद्योगों की उत्पादकता निम्न है व प्रति इकाई लागत अधिक।
  4. बिक्री सम्बन्धी कठिनाइयां-इन उद्योगों को अपना माल उचित मात्रा में बेचने के लिए काफ़ी कठिनाइयां उठानी पड़ती हैं।
  5. बड़े उद्योगों से प्रतियोगिता-इन उद्योगों की एक बड़ी समस्या यह भी है कि इनको बड़े उद्योगों से मुकाबला करना पड़ता है। अत: छोटे उद्योगों का माल बड़े उद्योगों के माल के सामने टिक नहीं पाता।

प्रश्न 3.
भारत में लघु तथा कुटीर उद्योगों का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भारत में लघु तथा कुटीर उद्योगों का महत्त्व निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट हो जाता है —

  1. बेरोज़गारी की समस्या का हल-भारत में बढ़ती हुई बेरोज़गारी की समस्या का हल लघु तथा कुटीर उद्योगों का विकास करके ही हो सकता है।
  2. उत्पादन में शीघ्र वृद्धि-लघु तथा कुटीर उद्योगों को स्थापित करने तथा उनमें उत्पादन कार्य करने में कम समय लगता है।
  3. ग्रामों का विकास-भारत में अधिकांश जनसंख्या गांवों में रहती है। घरेलू उद्योगों की प्रगति से गांवों की आर्थिक दशा सुधरेगी। ग्रामीणों का जीवन-स्तर ऊंचा होगा तथा उनके जीवन का सर्वांगीण विकास होगा।
  4. वितरण-विषमता में कमी-बड़े-बड़े कारखानों के स्थापित होने से देश में एक ओर अति धनी और दूसरी ओर अति निर्धन लोग दिखाई देने लगते हैं। अधिक धन कुछ ही हाथों में केन्द्रित हो जाता है। समाज में अमीरग़रीब के बीच खाई और चौड़ी होने से शान्ति तथा सुख नष्ट हो जाता है। अत: इस समस्या को दूर करने के लिए घरेलू उद्योग-धन्धों का विकास करना चाहिए।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 4.
भारत के लघु तथा कुटीर उद्योगों में अन्तर बताएं तथा सभी समस्याओं के समाधान के लिये सुझाव दें।
उत्तर-
कुटीर व लघु उद्योगों में अन्तर —

  1. कुटीर उद्योग प्रायः गांवों में होते हैं, जबकि लघु उद्योग अधिकतर शहरों में होते हैं।
  2. कुटीर उद्योगों में परिवार के सदस्यों से ही काम चल जाता है, जबकि लघु उद्योगों को चलाने के लिए भाड़े के मज़दूर लगाने पड़ते हैं।

लघु एवं कुटीर उद्योगों की समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव

  1. इन उद्योगों को कच्चा माल उचित मात्रा व उचित कीमत पर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
  2. इन उद्योगों को ऋण उचित मात्रा व उचित ब्याज दर पर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
  3. इन उद्योगों को विक्रय सम्बन्धी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए ताकि इनको अपने माल की उचित कीमत मिल सके।
  4. इन उद्योगों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले उत्पादन के तरीकों में सुधार किया जाना चाहिए। इससे इनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी व प्रति इकाई लागत कम होगी।

प्रश्न 5.
बड़े उद्योगों के महत्त्व की विवेचना करें।
उत्तर-
किसी भी देश के आर्थिक विकास में बड़े पैमाने के उद्योगों का बहुत महत्त्व होता है। तीव्र औद्योगिकीकरण देश के आर्थिक विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक होता है और तीव्र औद्योगिकीकरण बड़े उद्योगों को विकसित किए बिना सम्भव नहीं। औद्योगिकीकरण के लिए आवश्यक पूंजीगत वस्तुएं व आर्थिक आधारिक संरचनाएं जैसे यातायात के साधन, बिजली, संचार व्यवस्था इत्यादि बड़े पैमाने के उद्योगों द्वारा ही उपलब्ध करवाई जा सकती हैं। बड़े पैमाने के उद्योग ही औद्योगिकीकरण के लिए आवश्यक अनुसंधान तथा उच्च तकनीक के लिए आवश्यक धन का प्रबन्ध कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त बड़े उद्योगों को स्थापित करने से उत्पादकता में वृद्धि होती है, बचतें प्रोत्साहित होती हैं और कई प्रकार के सहायक उद्योगों की स्थापना को बल मिलता है। वास्तव में, बड़े उद्योगों के विकास के बिना अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ अथवा मजबूत आधार प्रदान नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 6.
भारत में औद्योगिकीकरण की धीमी गति के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
भारत में औद्योगिक विकास की गति निम्नलिखित कारणों से धीमी एवं कम रही है

  1. उद्योगों के विकास के लिए पूंजी की बहुत आवश्यकता होती है। भारत में अधिकतर लोग निर्धन हैं। अतः पूंजी की कमी भारत में औद्योगिकीकरण की धीमी गति के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक है।
  2. भारत में कुशल श्रमिकों की कमी है। वास्तव में, आधुनिक उद्योगों को उचित प्रकार से चलाने के लिए कुशल मजदूरों की अत्यन्त आवश्यकता होती है।
  3. उद्योगों को चलाने के लिए सस्ती शक्ति की आवश्यकता होती है, परन्तु भारत में सस्ते शक्ति साधनों की कमी है।
  4. भारत में कुशल प्रबन्धकों की कमी भी औद्योगिकीकरण की धीमी गति के लिए उत्तरदायी रही है।
  5. भारत में उद्योगों के लिए कच्चा माल बहुत कम मात्रा में और घटिया किस्म का प्राप्त होता है।
  6. भारत एक निर्धन देश है। निर्धनता के कारण बचत कम होती है तथा निवेश भी कम होता है।
  7. देश में यातायात व संचार-साधनों के कम विकास के कारण भी औद्योगिकीकरण की गति धीमी रही है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 7.
भारत में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार के योगदान के बारे में संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
भारतीय अर्थ-व्यवस्था की आर्थिक गति को तीव्र करने के लिए, आत्म-निर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए और रोज़गार तथा आय के साधनों में वृद्धि करने के लिए भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं के अधीन उद्योगों के विकास हेतु निम्नलिखित पग उठाए हैं —

  1. ऋण सुविधाएं प्रदान करना-देश में औद्योगिक विकास को तीव्र करने के लिए सरकार ने कई प्रकार की ऋण प्रदान करने वाली संस्थाओं का गठन किया है, जैसे-औद्योगिक वित्त निगम, राष्ट्रीय औद्योगिक विकास निगम, पुनर्वित्त निगम, औद्योगिक विकास बैंक, यू० टी० आई०।
  2. आधारभूत उद्योगों की स्थापना
  3. यातायात तथा परिवहन साधनों का विकास
  4. बिजली क्षेत्र का विकास
  5. आविष्कारों का विकास
  6. निर्यात प्रोत्साहन तथा आयात प्रतिस्थापन सुविधाएं
  7. पिछड़े क्षेत्रों का औद्योगीकरण
  8. बीमार औद्योगिक इकाइयों का पुनः स्वास्थ्यकरण
  9. तकनीकी विकास बोर्ड की स्थापना
  10. नवीन औद्योगिक नीति।

PSEB 10th Class Social Science Guide भारत में कृषि विकास Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारत में औद्योगीकरण के तीव्र विकास के लिए उत्तरदायी एक कारण लिखें।
उत्तर-
आधुनिकीकरण।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 2.
आधारभूत उद्योगों का उदाहरण दें।
उत्तर-
रासायनिक उद्योग।

प्रश्न 3.
लघु उद्योगों में निवेश की सीमा कितनी है?
उत्तर-
5 करोड़ रुपए।

प्रश्न 4.
लघु उद्योगों की एक समस्या बताएं।
उत्तर-
वित्त की समस्या।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 5.
लघु उद्योगों का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
उत्पादन में तीव्र वृद्धि।

प्रश्न 6.
बड़े उद्योगों का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
पूंजीगत व आधारभूत वस्तुओं का उत्पादन।

प्रश्न 7.
औद्योगीकरण की निम्न प्रगति का क्या कारण है?
उत्तर-
पूंजी की कमी।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 8.
भारत के जी० डी० पी० में उद्योगों का योगदान कितने प्रतिशत है?
उत्तर-
लगभग 26.1 प्रतिशत।

प्रश्न 9.
औद्योगीकरण क्या है?
उत्तर-
देश के सभी उद्योगों का विकास।

प्रश्न 10.
एक कारण बताएं कि क्यों लघु उद्योगों का विकास किया जाना आवश्यक है?
उत्तर-
रोज़गार तथा धन व आय के समान वितरण के लिए।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 11.
नई औद्योगिक नीति कब लागू की गई थी ?
उत्तर-
1991 में।

प्रश्न 12.
भारत की किन्हीं दो औद्योगिक नीतियों का नाम बताएं।
उत्तर-
(i) औद्योगिक नीति 1956
(ii) औद्योगिक नीति 1948.

प्रश्न 13.
1956 की औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत कितने उद्योग आरक्षित थे?
उत्तर-
17 उद्योग।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 14.
भारत के किसी एक बड़े उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर-
कपड़ा उद्योग।

प्रश्न 15.
औद्योगीकरण की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
पूंजी का अधिकतम प्रयोग।

प्रश्न 16.
बड़े उद्योगों की एक समस्या बताएं।
उत्तर-
मालिक-मज़दूर का झगड़ा।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 17.
नई औद्योगिक नीति की विशेषता बताएं।
उत्तर-
सार्वजनिक क्षेत्र का संकुचन।

प्रश्न 18.
पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान औद्योगिक उत्पादन में हुई वृद्धि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
योजनाओं के लागू होने से पूर्व देश में कई वस्तुओं जैसे-मशीनरी, ट्रैक्टर्स, स्कूटर्स आदि का बिल्कुल ही उत्पादन नहीं होता था, परन्तु अब इन सभी वस्तुओं का उत्पादन देश में पर्याप्त मात्रा में होने लगा है।

प्रश्न 19.
सार्वजनिक उद्यम, संयुक्त उद्यम तथा निजी उद्यम से क्या आशय है?
उत्तर-
सार्वजनिक उद्यम वे उद्यम हैं जिनकी स्वामी सरकार होती है। संयुक्त उद्यम वे उद्यम हैं जिन पर सरकार तथा निजी क्षेत्र दोनों का सांझा स्वामित्व होता है। निजी उद्यम वे उद्यम हैं जिनके स्वामी निजी व्यक्ति होते हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 20.
भारत के कुटीर उद्योगों के पतन के मुख्य कारण कौन-से हैं?
उत्तर-

  1. आधुनिक उद्योगों के सस्ते तथा बढ़िया उत्पादन का मुकाबला करने में असमर्थता।
  2. उचित मात्रा में सस्ता वित्त न मिल पाना।

प्रश्न 21.
कुटीर उद्योगों के विकास के लिए क्या कुछ किया गया है?
उत्तर-

  1. खादी तथा ग्रामोद्योग कमीशन की स्थापना की गई है जो इन उद्योगों की विशिष्ट आवश्यकताओं की देखभाल करता है।
  2. इनकी बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।

प्रश्न 22.
भारत में लघु तथा कुटीर उद्योगों के पक्ष में कोई एक तर्क दीजिए।
उत्तर-
ये उद्योग श्रम प्रधान होते हैं, इसलिए इनके विकास के फलस्वरूप रोज़गार बढ़ने की अधिक सम्भावना होती है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 23.
आधारभूत उद्योगों से क्या आशय है?
उत्तर-
आधारभूत उद्योग वे उद्योग हैं, जो कृषि तथा उद्योगों को आवश्यक इन्पुट्स प्रदान करते हैं। इनके उदाहरण हैं-स्टील, लोहा, कोयला, उर्वरक तथा बिजली।

प्रश्न 24.
पूंजीगत वस्तु उद्योगों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वे उद्योग जो कृषि तथा उद्योगों के लिए मशीनरी तथा यन्त्रों का उत्पादन करते हैं। इनमें मशीनें, मशीनी औज़ार, ट्रैक्टर, ट्रक आदि शामिल किए जाते हैं।

प्रश्न 25.
मध्यवर्ती वस्तु उद्योगों से क्या आशय है ?
उत्तर-
वे उद्योग जो उन वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जिनका दूसरी वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है। इनके उदाहरण हैं-टायर्स, मॉबिल ऑयल आदि।

प्रश्न 26.
उपभोक्ता वस्तु उद्योगों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उपभोक्ता वस्तु उद्योग वे उद्योग हैं जो उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। जैसे-चीनी, कपड़ा, कागज उद्योग आदि।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 27.
भारत में बड़े उद्योगों के कोई चार नाम बताइए।
उत्तर-

  1. लोहा व इस्पात
  2. कपड़ा उद्योग
  3. जूट उद्योग
  4. सीमेंट उद्योग।

प्रश्न 28.
भारत में बड़े उद्योगों की चार समस्याएं लिखिए।
उत्तर-

  1. औद्योगिक अशान्ति
  2. प्रस्थापित क्षमता का अपूर्ण प्रयोग
  3. शक्ति एवं ईंधन साधनों की कमी
  4. संस्थागत वित्तीय सुविधाओं का अभाव।

प्रश्न 29.
कुटीर उद्योग की परिभाषा दें।
उत्तर-
कुटीर उद्योग वह उद्योग होता है जो एक परिवार के सदस्यों द्वारा एक ही छत के नीचे एक पूर्णकालीन या अंशकालीन व्यवसाय के रूप में चलाया जाता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 30.
लघु उद्योग की परिभाषा दें।
उत्तर-
लघु उद्योग वह उद्योग है जिसमें तीन करोड़ की पूंजी का निवेश किया जा सकता है।

प्रश्न 31.
बड़े उद्योगों को परिभाषित करें।
उत्तर-
बड़े उद्योग वह उद्योग होते हैं जिनमें निवेश की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।

प्रश्न 32.
संयुक्त क्षेत्र क्या होता है?
उत्तर-
संयुक्त क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिस पर सरकार तथा निजी लोगों का स्वामित्व होता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 33.
औद्योगिक विकास क्या है?
उत्तर-
वर्तमान उद्योगों की कुशलता बढ़ाना, उनके उत्पादन में वृद्धि करना तथा नए, उद्योगों की स्थापना करना औद्योगिक विकास कहलाता है।

प्रश्न 34.
निजी क्षेत्र क्या है?
उत्तर-
निजी क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिस पर निजी लोगों का स्वामित्व होता है।

प्रश्न 35.
औद्योगिकीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
औद्योगिकीकरण से अभिप्राय देश की उत्पादन इकाई का सम्पूर्ण विकास करने से है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ……….. मूलभूत उद्योग का उदाहरण है। (लोहा उद्योग/रासायनिक उद्योग)
  2. नई औद्योगिक नीति वर्ष ……….. में शुरू हुई। (1956/1991)
  3. ………. क्षेत्र वह होता है जिस पर निजी लोगों का स्वामित्व होता है। (निजी/सार्वजनिक)
  4. ………. क्षेत्र वह होता है जिस पर सरकार तथा निजी दोनों क्षेत्रों का स्वामित्व होता है। (संयुक्त/निजी)
  5. ………. उद्योग वह होता है जिस पर 3 करोड़ तक की पूंजी लगी होती है। (लघु कुटीर)
  6. ICICI की स्थापना ……….. में हुई। (1945/1955)

उत्तर-

  1. रासायनिक उद्योग,
  2. 1991,
  3. निजी,
  4. संयुक्त,
  5. लघु,
  6. 1955

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
………… क्षेत्र वह होता है जिसका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है।
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(A) सार्वजनिक

प्रश्न 2.
………….. क्षेत्र वह होता है जिसका संचालन निजी लोगों द्वारा किया जाता है।
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(B) निजी

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 3.
………. क्षेत्र वह होता है जिस पर सरकार तथा निजी दोनों क्षेत्रों का स्वामित्व होता है।
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(C) संयुक्त

प्रश्न 4.
लघु उद्योगों में निवेश की सीमा क्या है?
(A) 2 करोड़
(B) 3 करोड़
(C) 4 करोड़
(D) 10 करोड़।
उत्तर-
(B) 3 करोड़

प्रश्न 5.
GDP में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान कितना है?
(A) 14.8
(B) 27.9
(C) 29.6
(D) 26.1
उत्तर-
(D) 26.1

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 6.
नई औद्योगिक नीति कब लागू हुई?
(A) 1956
(B) 1971
(C) 1991
(D) 2003
उत्तर-
(C) 1991

प्रश्न 7.
लघु उद्योगों की एक समस्या बताइए।
(A) वित्त की समस्या
(B) उत्पादन की पुरानी तकनीक
(C) कच्चे माल की समस्या
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

IV. सही/गलत

  1. नई औद्योगिक नीति 2001 में लागू हुई।
  2. निजी क्षेत्र का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है।
  3. संयुक्त क्षेत्र में निजी व सार्वजनिक क्षेत्रों का सहअस्तित्व पाया जाता है।’
  4. ICICI की स्थापना 1955 में हुई।

उत्तर-

  1. गलत
  2. गलत
  3. सही
  4. सही।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer type Questions)

प्रश्न 1.
आर्थिक विकास के लिए औद्योगिकीकरण का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
आर्थिक विकास के निम्नलिखित कारणों से औद्योगिकीकरण का महत्त्व है —

  1. औद्योगिकीकरण से सन्तुलित आर्थिक विकास सम्भव होता है तथा आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।
  2. इससे अविकसित देशों में कुल राष्ट्रीय उत्पाद में तेजी से वृद्धि की जा सकती है।
  3. औद्योगिकीकरण के द्वारा अविकसित देशों में प्रति व्यक्ति उत्पादन एवं आय में भी वृद्धि की जा सकती है।
  4. औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सकता हैं।
  5. औद्योगिकीकरण के द्वारा अविकसित देशों में कृषि के क्षेत्र में पायी जाने वाली छिपी हुई, बेरोजगारी एवं अर्द्ध-बेरोज़गारी की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
  6. औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप अर्थ-व्यवस्था में विविधता आती है।

प्रश्न 2.
भारतीय अर्थ-व्यवस्था में किन तीन अर्थों में सन्तुलित औद्योगिक ढांचे की आवश्यकता है?
उत्तर-
भारतीय अर्थ-व्यवस्था को तीव्र औद्योगिकीकरण की आवश्यकता है, किन्तु इसे कम-से-कम तीन अर्थों में सन्तुलित औद्योगिक ढांचे की आवश्यकता है —

  1. तीव्र विकास के लिए विभिन्न उद्योगों का चुनाव इस प्रकार किया जाए जिससे कुल मिलाकर रोजगार अवसरों में भी तेजी से वृद्धि हो।
  2. इस प्रकार से चुने गए विभिन्न उद्योगों का देश के विभिन्न प्रदेशों में उचित प्रकार से वितरण हो अर्थात् एक ऐसी औद्योगिक नीति हो जो विशेष रूप से विकास के लिए पिछड़े प्रदेशों के पक्ष में हो।
  3. देश के छोटे से ही वर्ग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विलासितापूर्ण वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्योगों की तुलना में सामाजिक प्राथमिकता वाली वस्तुओं (उदाहरण के लिए “मजदूरी वस्तुएं” जिनका मजदूरों द्वारा प्रयोग किया जाता है) का उत्पादन करने वाले उद्योगों का चुनाव हो।

प्रश्न 3.
औद्योगिकीकरण से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
औद्योगिकीकरण-औद्योगिकीकरण से आशय राष्ट्र के सर्वांगीण औद्योगिक विकास से है। संकुचित अर्थ में औद्योगिकीकरण से आशय निर्माण उद्योगों की स्थापना से है जबकि विस्तृत अर्थ में औद्योगिकीकरण के अन्तर्गत किसी देश की सम्पूर्ण अर्थ-व्यवस्था को परिवर्तित करने की प्रक्रिया को शामिल किया जाता है।
औद्योगिकीकरण की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

  1. औद्योगिकीकरण आर्थिक विकास का पर्यायवाची है।
  2. इसमें पूंजी का गहन एवं व्यापक रूप में प्रयोग किया जाता है।
  3. इसका उद्देश्य अर्थ-व्यवस्था की संरचना में आमूल-चूल परिवर्तन करना होता है।
  4. इसमें सभी क्षेत्रों का सामयिक एवं तीव्र विकास होता है।
  5. नए बाजारों की खोज की जाती है तथा नए क्षेत्रों का विदोहन किया जाता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 4.
लघु तथा कुटीर उद्योगों के विकास के उपाय लिखिए।
उत्तर-

  1. कच्चे माल की व्यवस्था करनी होगी,
  2. पूंजी की व्यवस्था करनी होगी,
  3. उत्पादन की विधि में सुधार की आवश्यकता,
  4. शिक्षा का प्रसार,
  5. बाजार की व्यवस्था करनी होगी,
  6. निर्मित वस्तुओं का प्रचार होना चाहिए,
  7. बड़े उद्योगों की प्रतियोगिता से इसे सुरक्षा प्रदान करनी होगी।

प्रश्न 5.
कुटीर तथा लघु उद्योगों का नैतिक एवं सामाजिक महत्त्व क्या है?
उत्तर-
बड़े पैमाने के उद्योगों में श्रमिक अपना व्यक्तित्व खो देता है। वह स्वयं मशीन का एक भाग बन जाता है। उसकी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का अन्त हो जाता है। लेकिन कुटीर एवं लघु उद्योग के अन्तर्गत श्रमिक बहुधा उद्योग का मालिक होता है, इससे उसमें आत्म-गौरव की भावना जागती है। साथ ही, बड़े उद्योगों में शोषण की प्रवृत्ति होती है, उससे उसे मुक्ति मिल जाती है। इस प्रकार, कुटीर उद्योगों का सामाजिक एवं नैतिक दृष्टि से भी महत्त्व है। इसके द्वारा ही शोषण रहित समाज की स्थापना हो जाती है।

प्रश्न 6.
कुटीर व लघु उद्योगों के विकास के लिए सुझाव दीजिए।
उत्तर-

  1. इन उद्योगों की उत्पादन तकनीक में सुधार किया जाना चाहिए।
  2. लघु उद्योगों की स्थापना के लिए पर्याप्त सलाहकार सेवाओं की व्यवस्था होनी चाहिए।
  3. लघु उद्योग सहकारी समितियों का अधिक-से-अधिक विकास किया जाना चाहिए।
  4. विशाल एवं लघु उद्योगों में समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए। कुटीर व लघु उद्योगों की उत्पादकता तथा उत्पादन क्षमता बढ़ाने तथा उत्पादों की किस्म सुधारने के लिए अनुसन्धान कार्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  5. लघु उद्योग प्रदर्शनियों का अधिकाधिक आयोजन किया जाना चाहिए।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 7.
भारत में (अ) छोटे पैमाने के उद्योगों एवं (ब) बड़े पैमाने के उद्योगों को विकसित करने के लिए क्या कदम उठाये गए हैं?
उत्तर-
(अ) छोटे पैमाने के उद्योगों को विकसित करने के लिए उठाए गए कदम

  1. कई वस्तुओं के उत्पादन को विशेष रूप से लघु पैमाने की इकाइयों के लिए ही सुरक्षित कर दिया गया है। इस सुरक्षित सूची में आयी वस्तुओं के उत्पादन के लिए बड़े उद्योगों को नये लाइसेंस नहीं दिए गए हैं।
  2. सरकारी संस्थाओं की क्रय नीति में बड़े पैमाने के उद्योगों की वस्तुओं की तुलना में छोटे पैमाने की बस्तुओं को प्राथमिकता दी गयी है।

(ब) बड़े पैमाने के उद्योगों को प्रोत्साहन करने के लिए उठाए गए कदम
(क) जुलाई, 1991 से बड़े पैमाने के उद्योगों के क्षेत्र में उदारीकरण की नीति को अपनाया गया है, जिसके तीन उद्देश्य हैं —

  1. उद्योगों को प्रौद्योगिकी के सुधार के लिए प्रोत्साहन दिया गया है। जहां कहीं सम्भव हो वहां आधुनिक औद्योगिक टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए कई प्रकार की राजकोषीय और वित्तीय प्रेरणाएं दी गई हैं।
  2. उद्योगों को लागत-कुशलता प्राप्त करने के लिए सब प्रकार की सहायता दी गयी है। जो नियम कार्य-कुशलता में बाधक हैं और जिसके परिणामस्वरूप उद्योग की लागत को बढ़ाने की प्रवृत्ति रखते हैं, उन्हें बदला अथवा हटाया गया है।

प्रश्न 8.
भारत में कुटीर उद्योगों की समस्याएं बताइए।
उत्तर-
भारत में कुटीर उद्योगों की समस्याएं निम्नलिखित हैं —

  1. इन उद्योगों में प्राय: कच्चे माल तथा शक्ति सम्बन्धी साधनों जैसे कोयला, बिजली आदि की कमी पाई जाती है।
  2. इन उद्योगों को ऋण भी उचित मात्रा में नहीं मिल पाता। इसलिए उन्हें अधिकतर साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ता है।
  3. इनके उत्पादन के तरीके पुराने होते हैं जिससे उत्पादन कम रहता है।
  4. इन्हें कच्चा माल महंगा मिलता है जिससे इनके उत्पादन की लागत ऊँची आती है।

प्रश्न 9.
सन् 1956 की औद्योगिक नीति की मुख्य विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
सन् 1956 की औद्योगिक नीति की विशेषताएं निम्न हैं —

  1. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के पहले वर्ग में 17 उद्योग सम्मिलित किए गए। इन उद्योगों पर मुख्य रूप से केवल राज्य को एकाधिकार प्राप्त हो।
  2. दूसरे वर्ग में 12 उद्योग शामिल हैं। इन उद्योगों का स्वामित्व अधिकतर सरकार के हाथों में रहेगा तथा नई इकाइयों में लगाने में सामान्यतः सरकार पहल करेगी।
  3. तीसरे वर्ग में वह सभी उद्योग जो पहले वर्ग और दूसरे वर्ग में दिए गए हैं, को छोड़कर बाकी सभी उद्योग निजी क्षेत्र को सौंप दिए गए।
  4. कुटीर तथा लघु उद्योगों को पर्याप्त महत्त्व दिया गया।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत में लघु एवं कुटीर उद्योगों के क्या महत्त्व हैं?
उत्तर-
लघु एवं कुटीर उद्योग (Small Scale and Cottage Industries) भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु एवं कुटीर उद्योगों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है।
लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्त्व (Importance of Cottage and Small Scale Industries) इस उद्योग के निम्न महत्त्व हैं —

  1. रोजगार (Employment) — कुटीर तथा लघु उद्योग श्रम प्रधान उद्योग है अर्थात् इन उद्योगों में कम पूंजी का निवेश करके अधिक व्यक्तियों को रोजगार दिया जा सकता है।
  2. धन का समान वितरण (Equal Distribution of Wealth) — इन उद्योगों के कारण आय व धन का वितरण अधिक समान होता है। इसका कारण यह है कि इन उद्योगों में पूंजी कुछ लोगों के पास ही केंद्रित नहीं होती वह थोडीथोड़ी मात्रा में बंटी होती है। इसलिए इन उद्योगों से जो आय प्राप्त होती है उसका लाभ अधिक लोगों को मिलता है।
  3. विकेंद्रीकरण (Decentralisation) — कुटीर व लघु उद्योग सारे देश में गांवों व कस्बों में फैले होते हैं। युद्ध के दिनों में इनके नष्ट होने का डर भी नहीं रहता। इसके फलस्वरूप शहरीकरण के दोषों जैसे शहरों में मकानों की कमी, कीमतों का अधिक होना, स्त्रियों तथा बच्चों का शोषण आदि से बचाव हो सकेगा। इसके फलस्वरूप प्रादेशिक असमानता कम होगी।
  4. कृषि पर जनसंख्या का कम दबाव (Less Pressure an Agriculture) — एक कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत में कुटीर उद्योगों का बहुत महत्त्व है। प्रतिवर्ष 30 लाख व्यक्ति खेती पर आश्रित होने के लिए बढ़ जाते हैं। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि भूमि पर बढ़ते हुए भार को कम किया जाए। ऐसा तभी हो सकता है जब लोग कुटीर उद्योग-धंधों की स्थापना करे और उनमें कार्य करने लगे।
  5. कम पूंजी की आवश्यकता (Needs of Less Capital) — कुटीर एवं लघु उद्योग कम पूंजी से आरंभ किए . जा सकते हैं। भारत जैसे देश में अधिकतर इस उद्योग पर ही ज़ोर देना चाहिए क्योंकि साधारणतया कम पूंजी के स्वामी छोटे उद्योगों की स्थापना कर सकते हैं।
  6. उत्पादन में शीघ्र वृद्धि (Immediate Increase in Production) — लघु उद्योगों का उत्पादन निवेश अंतराल बड़े उद्योगों की अवधि की तुलना में कम होता है। इसका अभिप्राय यह है कि इन उद्योगों में निवेश करने के तुरंत बाद ही उत्पादन आरंभ हो जाता है। देश की कुल औद्योगिक उत्पादन का 40 प्रतिशत भाग लधु एवं कुटीर उद्योगों द्वारा उत्पादित किया जाता है।

प्रश्न 2.
नई औद्योगिक नीति की मुख्य विशेषताओं को बताइए।
उत्तर-
नई औद्योगिक नीति की विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

  1. सार्वजनिक क्षेत्र का संकुचन (Contraction of Public Sector) — नई नीति के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित 17 उद्योगों में से अब केवल 6 उद्योग सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रहेंगे। बाकी उद्योग निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए जाएंगे। यह छ: उद्योग
    1. सैनिक सामग्री
    2. परमाणु ऊर्जा
    3. कोयला
    4. खनिज तेल
    5. परमाणु ऊर्जा उत्पादन एवं उपयोग का नियंत्रण
    6. रेल यातायात।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण (Privatisation of Public Sector) — सार्वजनिक क्षेत्र के गाटे वाले कारखानों को या तो बंद कर दिया जाएगा या निजी क्षेत्र को सौंप दिया जाएगा। बाकी उद्यमों के 20 प्रतिशत तक के शेयर सरकारी वित्तीय संस्थाओं को बेचे गए हैं।
  3. औद्योगिक लाइसेंस नीति (Industrial Licensing Policy) — नई नीति के अनुसार 14 उद्योगों को छोड़कर शेष पर से लाइसेंस प्रणाली समाप्त कर दी गई।
  4. विदेशी पूंजी (Foreign Capital) — नई नीति के अनुसार विदेशी पूंजी निवेश की सीमा 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत कर दी गई है।
  5. एकाधिकार कानून से छूट (Concession from MRTP Act) — एकाधिकार कानून के अंतर्गत आने वाली कंपनियों को भारी छूट दी गई है।

Leave a Comment