PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

Punjab State Board PSEB 11th Class English Book Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 English Chapter 6 The Earth is Not Ours

Short Answer Type Questions

Question 1.
What is the meaning of globalization ?
Answer:
Globalisation means treating the entire world as the field of an activity. It means world wide interaction of groups and individuals. People interact directly across State frontiers. Sometimes, the State has no involvement at all. Globalisation is a new trend.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

वैश्वीकरण का अर्थ है, किसी गतिविधि के लिए पूरे संसार को एक क्षेत्र मानना। इसका अर्थ है, समूहों तथा व्यक्तियों का विश्वव्यापी आदान-प्रदान। लोग राज्यों की सीमाओं के आर-पार सीधे रूप से आदान-प्रदान करते हैं। कई बार राज्य की इसमें बिल्कुल कोई भूमिका नहीं होती है। वैश्वीकरण एक नई प्रवृत्ति है।

Question 2.
What are the dangers of globalization ?
Answer:
There can be an increase in crime. Narcotics and weapons can have a free movement across the borders. As a result, there can be an increase in terrorist activities also.

इसमें जुर्मों में वृद्धि हो सकती है। नशीले पदार्थों और हथियारों का सीमाओं के पार से खुला आदान-प्रदान हो सकता है। इसके फलस्वरूप आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि भी हो सकती है।

Question 3.
What are the benefits of globalization ?
Answer:
Globalization can lead to a better understanding between nations. People can have new opportunities for their economic development. They can have higher standards of living. The growth rate can become much faster. Thus globalisation can help to fight the problem of poverty in the world.

वैश्वीकरण राज्यों के मध्य बेहतर सूझ-बूझ की ओर ले जा सकता है। लोग अपनी आर्थिक प्रगति के लिए नए अवसर प्राप्त कर सकते हैं। वे जीवन-यापन का अधिक ऊंचा स्तर प्राप्त कर सकते हैं। प्रगति की रफ्तार बहुत तेज़ हो सकती है। इस प्रकार वैश्वीकरण संसार में ग़रीबी की समस्या से लड़ने में सहायता कर सकता है।

Question 4.
What is the overarching challenge of our times ?
Answer:
The overarching challenge of our times is to make globalisation mean more than just bigger markets. Globalisation is a new trend. It means treating the entire world as the field of an activity. If we want to make this great revolution successful, we will have to learn how to govern better and that also together.

हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वैश्वीकरण का अर्थ केवल बड़ी मण्डियों तक सीमित न रख कर हम इसे और अधिक विशाल बनाएं। वैश्वीकरण एक नई प्रवृत्ति है। इसका अर्थ है, किसी गतिविधि के लिए पूरे संसार को एक क्षेत्र मानना। यदि हम इस महान क्रान्ति को सफल बनाना चाहते हैं तो हमें सीखना होगा कि बेहतर शासन कैसे चलाया जाए और वह भी इकट्ठे मिल कर।

Question 5.
What fundamental freedoms does the author talk about ?
Answer:
The fundamental freedoms that the author talks about are –
(i) freedom from poverty
(ii) freedom from fear and
(iii) freedom for the future generations to survive on this planet.
We can’t say that human beings are free and equal because, at present, half of the human race is still living in poverty.

वह मूल स्वतन्त्रताएं जिसके बारे में लेखक बात करता है, वे हैं
(i) ग़रीबी से मुक्ति,
(ii) भय से मुक्ति तथा
(iii) आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ग्रह पर जीवन को बनाए रखने की आज़ादी।
हम यह बात नहीं कह सकते कि सभी मनुष्य स्वतन्त्र तथा समान हैं क्योंकि वर्तमान समय में लगभग आधी मानव-जाति ग़रीबी में रह रही है।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

Question 6.
Why can’t we say that human beings are not yet free and equal ?
Answer:
In this world, there are some who have unlimited wealth. They may be a few thousand in number. But about half of the human race still lives in deep poverty. The rich worry about mastering the latest computers. But there are more than half who have never made even a telephone call in their life.

इस संसार में कुछ लोग ऐसे हैं जिनके पास असीमित सम्पत्ति है। वे गिनती में कुछ हज़ार हो सकते हैं। परन्तु लगभग आधी मानव-जाति अभी तक घोर ग़रीबी की हालत में रहती है। अमीर लोग नए से नए कम्प्यूटरों में अभ्यस्त होने की चिंता करते हैं। किन्तु आधे से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने जीवन में एक टेलीफोन कॉल तक कभी नहीं की है।

Question 7.
What does the author say about internal wars?
Answer:
Internal wars are fought in a nation between its own people. Most of the internal conflicts happen in poor countries. They happen in countries that are badly governed. They result from unfair distribution of power and wealth in a country. Different groups of the country fight among themselves.

आन्तरिक युद्ध किसी राष्ट्र में इसके अपने लोगों के मध्य लड़े जाते हैं। अधिकतर आन्तरिक झगड़े ग़रीब देशों में होते हैं। वे ऐसे देशों में होते हैं जो कुशासित हैं। किसी देश में आन्तरिक युद्ध सत्ता तथा सम्पत्ति का न्यायपूर्ण ढंग से बंटवारा न किए जाने का परिणाम होते हैं। देश के विभिन्न समुदाय आपस में लड़ते रहते हैं।

Question 8.
Where do most conflicts happen and why?
Answer:
Most conflicts happen in poor countries. They happen in the countries that are badly governed. They happen where power and wealth are unfairly distributed between ethnic and religious groups.

अधिकतर झगड़े ग़रीब देशों में होते हैं। वे ऐसे देशों में होते हैं जो कुशासित हों। वे ऐसी जगहों पर होते हैं, जहां जातीय तथा धार्मिक सम्प्रदायों के मध्य शक्ति तथा सम्पत्ति का न्यायोचित रूप से बंटवारा नहीं किया जाता।

Question 9.
What is the best way to prevent these conflicts ?
Answer:
The best way to end these conflicts is to end poverty. Power and wealth should be fairly distributed. All groups should be fairly represented in the government. Human rights and minority rights should be respected. Above all, there should be broad-based economic development.

इन झगड़ों को समाप्त करने का सबसे बढ़िया तरीका है, ग़रीबी को समाप्त करना। सत्ता और सम्पत्ति का न्यायपूर्ण ढंग से बंटवारा होना चाहिए। सरकार में सभी समूहों का उचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए। मानव-अधिकारों और अल्पसंख्यक अधिकारों का सम्मान होना चाहिए। सबसे बढ़ कर, विस्तृत आधार वाली अर्थिक प्रगति होनी चाहिए।

Question 10.
What is the third fundamental freedom ?
Answer:
The third kind of freedom is with respect to future generations. They should have the freedom to sustain their life on this planet. But for that, we shall have to stop the destruction of our forests, fisheries and various species of wildlife.

तीसरी प्रकार की आज़ादी भावी पीढ़ियों के सम्बन्ध में है। उन्हें इस ग्रह पर अपना जीवन बनाए रखने की आजादी होनी चाहिए। किन्तु इसके लिए हमें अपने वनों, मत्स्य-क्षेत्रों तथा वन्य-जीवन की विभिन्न नस्लों का विनाश बन्द करना होगा।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

Question 11.
How is the third fundamental freedom threatened?
Answer:
The freedom for future generations to sustain their life on this planet is the third fundamental freedom. By plundering our natural resources thoughtlessly, we are making the earth unliveable for our children. Thus we are threatening the third fundamental freedom.

तीसरी मूल स्वतन्त्रता है, भावी पीढ़ियों के लिए इस ग्रह पर अपना जीवन बनाए रखने की आजादी। अपने प्राकृतिक संसाधनों का बिना कोई विचार किए अत्यधिक उपभोग करके हम अपने बच्चों के लिए इस धरती को न रहने लायक बना रहे हैं। इस प्रकार हम तीसरी मूल स्वतन्त्रता को खतरे में डाल रहे हैं।

Question 12.
What is the old African wisdom that the author refers to ?
Answer:
Kofi Annan refers to an old African wisdom which he had learnt in his childhood According to this wisdom, the earth is not ours. It is a treasure we hold in trust for our descendar We have no right to destroy our children’s heritage. We must preserve it with all care.

कोफ़ी अन्नान एक पुरानी अफ्रीकी कहावत की ओर संकेत करता है जो उसने अपने बचपन में सीखी थी। इस कहावत के अनुसार धरती हमारी नहीं है। यह एक खज़ाना है जिसे हमने अपने वंशजों के लिए अमानत के रूप में रखा हुआ है। हमें अपने बच्चों की कुल-सम्पति (विरासत) को नष्ट करने का कोई अधिकार नहीं है। हमें इसे पूरे ध्यान से सहेज कर रखना चाहिए।

Question 13.
Why does the author say that new opportunities are not equally distributed ?
Answer:
In this world, there are some who have unlimited wealth. But about half of the human race still lives in deep poverty. The rich worry about mastering the latest computers. But there are more than half of the world population who have never made even a telephone call in their life. So the author rightly says that new opportunities are not equally distributed.

इस संसार में कुछ लोग हैं जिनके पास असीमित सम्पत्ति है। परन्तु लगभग आधी मानव-जाति अभी तक घोर ग़रीबी की हालत में रहती है। अमीर लोग नए से नए कम्प्यूटरों में अभ्यस्त होने की चिंता करते हैं। किन्तु दुनिया की जनसंख्या के आधे से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने जीवन में एक टेलीफोन कॉल तक कभी नहीं की है। इसलिए लेखक सही कहता है कि नए अवसरों का बंटवारा समान रूप से नहीं किया गया है।

Question 14.
How does the author explain each of the fundamental freedoms ?.
Answer:
The first fundamental freedom is freedom from want. Over a billion people don’t get even two meals a day. The world needs freedom from poverty. The second freedom is freedom from fear of wars. Now there are internal wars which are caused due to the unfair distribution of power and wealth. We need freedom from this fear also. The third kind of freedom is for future generations to sustain their life on this planet.

पहली आज़ादी है. ग़रीबी से मक्ति। एक अरब से भी अधिक लोगों को दिन में दो जून का भोजन भी प्राप्त नहीं होता। संसार को ग़रीबी से मुक्ति की ज़रूरत है। दूसरी आज़ादी है, युद्धों के भय से मुक्ति। अब आन्तरिक युद्ध होते हैं जो सत्ता तथा सम्पत्ति के न्यायोचित रूप से बंटवारा न होने के कारण होते है। हमें इस भय से भी आज़ादी चाहिए। तीसरी किस्म की आज़ादी भावी पीढ़ियों के लिए है, इस ग्रह पर अपना जीवन बनाए रखने की खातिर।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

Question 15.
Explain the significance of the title of the lesson, “The Earth Is Not Ours.
Answer:
This lesson makes us aware of the vital fact that the earth does not belong to us only. It belongs to the coming generations also. So we have no right to destroy our children’s heritage. We should not plunder the natural resources of the earth. We should use them judiciously. Thus we see that the title of the lesson is quite appropriate.

यह पाठ हमें इस अत्यंत महत्त्वपूर्ण वास्तविकता के बारे में जागृत करता है कि यह धरती सिर्फ हमारी ही नहीं है। यह आने वाली पीढ़ियों की भी है। इसलिए हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम अपने बच्चों की कुल-सम्पत्ति (विरासत) को नष्ट करें। हमें धरती के प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग नहीं करना चहिए। हमें उन्हें विवेकपूर्ण रूप से प्रयोग करना चहिए। इस प्रकार हम देखते हैं कि इस पाठ का शीर्षक बिल्कुल उपयुक्त है।

Question 16.
Where do most conflicts take place ? How can we prevent these conflicts ?
Answer:
Most conflicts take place in poor countries which are badly governed. We can prevent these conflicts by promoting political arrangements in which all groups are fairly represented combined with human rights and broad-based economic development.

अधिकतर झगड़े गरीब देशों में होते हैं जो कुशासित होते हैं। हम इन झगड़ों को ऐसी राजनीतिक व्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करके टाल सकते हैं जिसमें सभी समूहों का उचित प्रतिनिधित्व हो, मानव-अधिकारों तथा विस्तृत आधार वाली आर्थिक प्रगति सहित।

Long Answer Type Questions

Question 1.
What does the author tell us about globalization ?
Or
What is meant by globalization’ ? What are its dangers and benefits ?
Answer:
Globalization means treating the entire world as the field of an activity. It means worldwide interaction of groups and individuals. People interact directly across State frontiers. Sometimes, the State has no involvement at all. Globalization is a new trend.

It has its dangers as well as benefits. For example, there can be an increase in crime. Narcotics and weapons can have a free movement across the borders. As a result, there can be an increase in terrorist activities also. But the benefits also are not a few.

Globalization can lead to a better understanding between nations. People can have new opportunities for their economic development. They can have higher standards of living. The growth rate can become much faster. Thus globalization can help to fight the problem of poverty in the world.

वैश्वीकरण का अर्थ है, किसी गतिविधि के लिए पूरे संसार को एक क्षेत्र मानना। इसका अर्थ है, समूहों तथा व्यक्तियों का विश्वव्यापी आदान-प्रदान। लोग राज्यों की सीमाओं के आर-पार सीधे रूप से आदान-प्रदान करते हैं। कई बार राज्य की इसमें बिल्कुल कोई भूमिका नहीं होती है। वैश्वीकरण एक नई प्रवृत्ति है।

इसके ख़तरे भी हैं, तथा लाभ भी। उदाहरण के रूप में, इसमें जुर्मों में वृद्धि हो सकती है। नशीले पदार्थों और हथियारों का सीमाओं के पार से खुला आदान-प्रदान हो सकता है। इसके फलस्वरूप आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि भी हो सकती है। किन्तु लाभ भी कोई कम नहीं हैं।

वैश्वीकरण राज्यों के मध्य बेहतर सूझ-बूझ की ओर ले जा सकता है। लोग अपनी आर्थिक प्रगति के लिए नए अवसर प्राप्त कर सकते हैं। वे जीवन-यापन का अधिक ऊंचा स्तर प्राप्त कर सकते हैं। प्रगति की रफ्तार बहुत तेज़ हो सकती है। इस प्रकार वैश्वीकरण संसार में ग़रीबी की समस्या से लड़ने में सहायता कर सकता है।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

Question 2.
Why does the author say that new opportunities are not equally distributed ?
Or
Why can’t we call human beings free and equal ?
Answer:
In this world, there are some who have unlimited wealth. They may be a few thousands in number. But there are about half of the population who live in deep poverty. They don’t get even two meals a day. They don’t get safe drinking water.

They have to live in dirty conditions. There is no sanitation. The rich worry about stock markets. They worry about mastering the latest computers. But there are many more who have never made even a telephone call in their life.

They remain worried about where their children’s next meal is to come from. For them, freedom is a mere mockery. Any talk of equality is an insult to them. So the author rightly says that new opportunities are not equally distributed.

इस संसार में कुछ लोग हैं जिनके पास असीमित सम्पत्ति है। वे गिनती में कुछ हज़ार हो सकते हैं। किन्तु वहीं लगभग आधे ऐसे हैं जो घोर ग़रीबी की हालत में रहते हैं। उन्हें दिन में दो बार का भोजन भी प्राप्त नहीं होता। उन्हें पीने का सुरक्षित पानी नहीं मिलता। उन्हें गंदगी की हालतों में रहना पड़ता है।

वहां कोई सफ़ाई नहीं होती। अमीर लोगों को शेयर मार्किट की चिंता रहती है। वे नए-से-नए कम्प्यूटरों में अभ्यस्त होने की चिंता करते हैं। किन्तु बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन में कभी एक टैलीफोन काल तक नहीं की है। वे चिन्तित रहते हैं कि उनके बच्चों का अगला भोजन कहां से आना है।

उनके लिए आजादी मात्र एक उपहास है। समानता की कोई भी बात करना उनका अपमान करना है। इसलिए लेखक सही कहता है कि नए अवसरों का बंटवारा समान रूप से नहीं किया गया है।

Question 3.
How does the author explain each of the fundamental freedoms ?
Or
What different kinds of freedom does Kofi Annan talk of in his speech ?
Answer:
Kofi Annan talks of three kinds of freedom. The first is the freedom from want. Over a billion people don’t get even two meals a day. They don’t get safe drinking water. They have to live in dirty conditions. Kofi Annan wants the world to have freedom from poverty.

Then he talks of freedom from fear. It is the fear of wars. Previously, there used to be wars between States. But now there are internal wars. In the last decade, five million lives were lost in such wars. Most of these wars are due to the unfair distribution of power and wealth.

We need freedom from this fear also. The third kind of freedom is with respect to future generations. They should have the freedom to sustain their life on this planet. But for that, we shall have to stop the destruction of our forests, fisheries and various species of wildlife.

कोफ़ी अन्नान तीन प्रकार की आज़ादी की बात करता है। सबसे पहले ग़रीबी से आजादी की बात है। एक अरब से ज्यादा लोग दिन में दो समय का भोजन भी प्राप्त नहीं करते। उन्हें पीने का सुरक्षित पानी नहीं मिलता। उन्हें गंदगी की हालतों में रहना पड़ता है। कोफ़ी अन्नान चाहता है कि संसार ग़रीबी से मुक्ति प्राप्त कर ले।

फिर वह भय से मुक्ति की बात करता है। यह युद्धों का भय है। पहले राज्यों के मध्य युद्ध हुआ करते थे। किन्तु अब आन्तरिक यद्ध होने लगे हैं। पिछले दशक में इस तरह के युद्धों में पचास लाख लोगों की जानें गई थीं। इन युद्धों में से अधिकतर युद्ध सत्ता और सम्पत्ति के अन्यायपूर्ण बटवारे की वजह से होते हैं।

हमें इस भय से मुक्ति की भी ज़रूरत है। तीसरी प्रकार की आज़ादी भावी पीढ़ियों के सम्बन्ध में है। उन्हें इस ग्रह पर अपना जीवन बनाए रखने की आजादी होनी चाहिए। किन्तु इसके लिए हमें अपने वनों, मत्स्य-क्षेत्रों तथा वन्य-जीवन की विभिन्न नस्लों का विनाश बन्द करना होगा।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

Question 4.
Explain the significance of the title of the lesson, “The Earth Is Not Ours’.
Answer:
In this lesson, the author makes us aware of the vital fact that the earth does not belong to us only. It belongs to the coming generations also. It is a treasure we hold in trust for them. So we have no right to destroy our children’s heritage. We should not plunder the natural resources of the earth. We should use them judiciously. Thus we see that the title of the lesson is quite appropriate.

इस पाठ में लेखक हमें इस अत्यंत महत्त्वपूर्ण वास्तविकता के बारे में जागृत करता है कि यह धरती सिर्फ हमारी ही नहीं हैं। यह आने वाली पीढ़ियों की भी है। यह एक खज़ाना है जिसे हमने अपने वंशजों के लिए अमानत के रूप में रखा हुआ है। इसलिए हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम अपने बच्चों की कुल सम्पत्ति (विरासत) को नष्ट करें। हमें धरती के प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग नहीं करना चहिए। हमें उन्हें विवेकपूर्ण रूप से प्रयोग करना चहिए। इस प्रकार हम देखते हैं कि इस पाठ का शीर्षक बिल्कुल उपयुक्त है।

Question 5.
Write a paragraph on ‘Man and His Environment’.
Answer:
Environment pollution is the biggest problem facing the modern man. All advancement becomes useless if man does not get the very basic necessity of life, i.e. fresh and pure air. And
only trees can do this service to man.

Unluckily man, in his ignorance, has so far been destroying his very benefactors. Only recently has our government become aware of the gravity of this problem. Various steps have been taken to keep the environment free from pollution.

In fact, environmental awareness is a social necessity. It is not only the duty of the government, but also a social responsibility of each and every individual to help in keeping the environment free from pollution.

वातावरण का प्रदूषण आधुनिक मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या है। सारी प्रगति अर्थहीन हो जाती है, यदि मनुष्य को जीवन की मूल आवश्यकता, जोकि ताज़ी एवम् शुद्ध हवा है, ही न मिले। और केवल वृक्ष ही मनुष्य की यह सेवा कर सकते हैं। दुर्भाग्यवश, मनुष्य अपनी नासमझी के कारण अपने इन्हीं भला करने वालों को नष्ट किए जा रहा है। हाल ही में हमारी सरकार इस समस्या की गम्भीरता के प्रति सचेत हुई है।

वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। वास्तव में वातावरण के प्रति जागरूकता एक सामाजिक आवश्यकता है। यह केवल सरकार का ही कर्त्तव्य नहीं है, अपितु यह हर व्यक्ति की सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है कि वह अपने वातावरण को प्रदूषण से मुक्त रखे।

Question 6.
What are the causes of internal conflicts in a nation ? How can we prevent such conflicts ?
Or
What conflict and fear Kofi Annan is referring to in his speech ? How can we be free from fear and solve the conflict ?
Answer:
Man has always lived in the fear of wars. Luckily, wars between States are not so frequent now. But now there is the fear of another kind of wars. They are not fought between one nation and another. They are fought in a nation between its own people.

They are internal wars. In the last decade, they have claimed more than five million lives. Many times that number have been made homeless. Most of the internal conflicts happen in poor countries. They happen in countries that are badly governed. They happen where power and wealth are unfairly distributed.

The best way to end these conflicts is to end poverty. Power and wealth should be fairly distributed. All groups should be fairly represented in the government. Human rights and minority rights should be respected. Above all, there should be broad-based economic development.

मनुष्य हमेशा ही युद्धों के भय में रहा है। सौभाग्य से राज्यों के बीच युद्ध अब इतने बारंबार नहीं रहे। किन्तु अब एक अन्य प्रकार के युद्धों का भय है। वे एक राष्ट्र और दूसरे राष्ट्र के मध्य नहीं लड़े जाते। वे किसी राष्ट्र में इसके अपने लोगों के मध्य लड़े जाते हैं। वे आन्तरिक युद्ध हैं।

पिछले दशक में उन्होंने पचास लाख से ज्यादा लोगों की जाने ले ली हैं। इस गिनती से कई गुणा ज़्यादा बेघर हो गए हैं। अधिकतर आन्तरिक झगड़े ग़रीब देशों में होते हैं। वे ऐसे देशों में होते हैं जो कुशासित हैं। वे ऐसी जगहों पर होते हैं जहां सत्ता और सम्पत्ति का बटवारा न्यायपूर्ण ढंग से नहीं हुआ होता।

इन झगड़ों को समाप्त करने का सबसे बढ़िया तरीका है, ग़रीबी को समाप्त करना। सत्ता और सम्पत्ति का न्यायपूर्ण ढंग से बंटवारा होना चाहिए। सरकार में सभी समूहों का उचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए। मानव-अधिकारों और अल्पसंख्यक अधिकारों का सम्मान होना चाहिए। सबसे बढ़ कर, विस्तृत आधार वाली अधिक प्रगति होनी चाहिए।

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Question 7.
How has Kofi Annan justified that the United Nations will play a significant role in shaping the future of this planet ? Give instances from the text.
Answer:
Kofi Annan talks of three problems that the world is facing in present times. The biggest problem is the problem of poverty. There are over a billion who don’t get even two meals a day. Then there is the problem of internal wars.

In the last decade, more than five million people have lost their lives in such wars. Here again, the major cause is poverty. Power and wealth are not fairly distributed. The third problem is the destruction of our forests, fisheries and many species of wildlife. Kofi Annan thinks that the United Nations must play a significant role in solving these problems.

Its utility will be judged on its ability to handle these problems. The United Nations was founded in the name of common people. Therefore, it must listen to what the people are saying : “Our past achievements are not much. We must do more, and do it better.”

कोफ़ी अन्नान तीन समस्याओं की बात करता है जिनका सामना संसार वर्तमान में कर रहा है। सबसे बड़ी समस्या ग़रीबी की समस्या है। एक अरब से अधिक लोग ऐसे हैं जो दिन में दो बार का भोजन भी प्राप्त नहीं कर पाते। फिर आन्तरिक युद्धों की समस्या है। पिछले दशक में पचास लाख से ज्यादा लोग ऐसे युद्धों में अपनी जानें खो बैठे हैं।

यहां भी मुख्य कारण ग़रीबी है। सत्ता और सम्पत्ति का न्यायपूर्ण ढंग से बटवारा नहीं हुआ है। तीसरी समस्या हमारे वनों, मत्स्य-क्षेत्रों और वन्य-जीवन की अनेक किस्मों का विनाश है। कोफ़ी अन्नान का विचार है कि संयुक्त राष्ट्र को इन समस्याओं को हल करने में अवश्य एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

इसकी उपयोगिता को इन समस्याओं को हल करने में इसकी योग्यता के आधार पर आंका जाएगा। संयुक्त राष्ट्र को साधारण लोगों के नाम पर स्थापित किया गया था। इसलिए अवश्य सुनना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं – “हमारी पिछली प्राप्तियां अधिक नहीं हैं। हमें अवश्य ही और अधिक काम करना चाहिए, और इसे बेहतर ढंग से करना चाहिए।”

Question 8.
What is our children’s heritage ? How are we plundering it?
Or
What is the old African wisdsom’ Kofi Annan has quoted in his speech ? How is it relevant even today?
Answer:
Kofi Annan refers to an old African wisdom. He had learnt it in his childhood. According to this wisdom, the earth is not ours. It is a treasure we hold in trust for our descendants. Therefore, we have no right to destroy our children’s heritage.

We must preserve it with all care. But what we are doing is quite the opposite of it. We are plundering it thoughtlessly. We are destroying our forests, fisheries and various species of wildlife. We are making the earth unliveable for our children.

Thus the old African wisdom has a great relevance even today. We should stop the over-consumption of our non-renewable resources. There should be regulations and incentives to discourage pollution. Environment-friendly practices should be encouraged.

कोफ़ी अन्नान एक पुरानी अफ्रीकी कहावत की तरफ संकेत करता है। उसने यह अपने बचपन में सीखी थी। इस कहावत के अनुसार धरती हमारी नहीं है। यह एक खज़ाना है जो हमने अपने वंशजों के लिए अमानत के रूप में रखा हुआ है। इसलिए हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम अपने बच्चों की कुल-सम्पत्ति को नष्ट करें।

हमें पूरे ध्यान के साथ इसे संभाल कर रखना चाहिए। किन्तु जो हम कर रहे हैं, वह इसके बिल्कुल विपरीत है। हम बिना कोई विचार किए इसे लूट रहे हैं। हम अपने वनों, मत्स्य-क्षेत्रों और वन्य-जीवन की विभिन्न नस्लों को नष्ट कर रहे हैं। हम धरती को अपने बच्चों के लिए रहने के काबिल नहीं छोड़ रहे हैं।

इसलिए उस पुरानी अफ्रीकी कहावत की आज भी बहुत प्रासंगिकता है। हमें अपने उन साधनों का ज़रूरत से ज़्यादा उपभोग करना बन्द कर देना चाहिए जिन्हें पुनः स्थापित नहीं किया जा सकता। प्रदूषण को निरुत्साहित करने के लिए नियम और प्रोत्साहन होने चाहिएं। पर्यावरण-सहायक तरीकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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Question 9.
What are the basic problems man is facing these days ? How can we remove them ?
Answer:
There are three kinds of basic problems man is facing these days. First of all, there is the problem of poverty. Over a billion people don’t get even two meals a day. They don’t get safe drinking water. They have to live in dirty conditions.

Then there is the fear of wars. Previously, there used to be wars between States. But now there are internal wars. In the last decade, five million lives were lost in such wars. Many times that number were made homeless. Most of these wars are due to the unfair distribution of power and wealth. Then there are the problems of pollution.

We are destroying our natural resources. We are destroying our forests, fisheries and various species of wildlife. Thus we are making the earth unliveable for our children. We should remember that this earth is not ours. It is a treasure we hold in trust for our descendants. We have no right to destroy it.

तीन प्रकार की मौलिक समस्याएं हैं जिनका मनुष्य आज सामना कर रहा है। सबसे पहले ग़रीबी की समस्या है। दस अरब से ज़्यादा लोगों को दिन में दो बार का भोजन भी प्राप्त नहीं होता। उन्हें पीने का सुरक्षित पानी नहीं मिलता। उन्हें गन्दगी की हालतों में रहना पड़ता है।

इसके अतिरिक्त युद्धों का भय भी होता है। पूर्व समय में राज्यों के बीच युद्ध हुआ करते थे। किन्तु अब आन्तरिक युद्ध होने लगे हैं। पिछले दशक में इस तरह के युद्धों में पचास लाख लोग मारे गए थे। इस गिनती से कई गुना ज्यादा बेघर हो गए थे। इन युद्धों में से अधिकतर युद्ध सत्ता और सम्पत्ति के अन्यायपूर्ण बंटवारे की वजह से होते हैं।

फिर प्रदूषण की समस्या भी है। हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहे हैं। हम अपने वनों, मत्स्य-क्षेत्रों और वन्य-जीवन की विभिन्न नस्लों को नष्ट कर रहे हैं। इस तरह हम धरती को अपने बच्चों के रहने के अयोग्य बना रहे हैं। हमें याद रखना चाहिए कि यह धरती हमारी नहीं है। यह एक ख़जाना है जिसे हम अपने वंशजों के लिए एक अमानत के रूप में रखे हुए हैं। इसे नष्ट करने का हमें कोई अधिकार नहीं है।

Objective Type Questions

Question 1.
Who wrote the essay, ‘The Earth is not Ours’ ?
Answer:
Kofi Annan.

Question 2.
What change has come about in the present-day world ?
Answer:
Groups and individuals can interact very freely across borders.

Question 3.
What is ‘globalisation’ ?
Answer:
Treating the entire world as the field of an activity.

Question 4.
What are the benefits of globalisation ?
Answer:
Faster growth, higher living standards and new opportunities.

Question 5.
What is the problem about opportunities in the present-day world ?
Answer:
They are not equally distributed.

Question 6.
What kind of freedom does the writer want for future generations ?
Answer:
The freedom to sustain their lives on this planet.

Question 7.
What is the basic worry of poor people ?
Answer:
To get meals for their children.

Question 8.
What constant fear do we have ?
Answer:
The fear of wars.

Question 9.
Where do most conflicts take place ?
Answer:
In poor countries which are badly governed.

Question 10.
What things should we keep in mind in our economic policy decisions ? .
Answer:
Environmental costs and benefits.

Question 11.
What is the old African wisdom that the author refers to in this chapter ?
Answer:
The earth is not ours.

Question 12.
What was founded in the name of common people ?
Answer:
The United Nations.

Vocabulary And Grammar

1. Match the words under column A with their antonyms under column B : 

A — B
1. benefit — die
2. upheaval — rare
3. survive — demote
4. adequate — encourage
5. next — remember
6. frequent construction
7. promote — previous
8. discourage insufficient
9. forget — peace
10. destruction — harm
Answer:
1. benefit → harm
2. upheaval → peace
3. survive → die
4. adequate → insufficient
5. next → previous
6. frequent → rare
7. promote → demote;
8. discourage → encourage
9. forget – remember
10. destruction. → construction.

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2. Use a prefix to form the antonyms of the following words :

justice, pleasant, dignified, convenience, polite.

Answer:
1. justice → injustice
2. pleasant → unpleasant
3. dignified → undignified;
4. convenience → inconvenience
5. polite → impolite.

3. Fill in each blank with a suitable preposition :

1. Major Som Nath Sharma was honoured ……………. the Param Vir Chakra.
2. Trust …………. God and do what is right.
3. I wear a ring …………… my finger.
4. We believe …………. freedom to think.
5. A man becomes a gentleman only …………. overcoming his weakness.
Answer:
1. with
2. in
3. on
4. in
5. by.

4. Change the form of narration :

1. The boy said to the girl, “Aren’t you happy to see me ?”
2. “I see,” said the Colonel, “you don’t know how to return a salute.”
3. I asked him, “Where do you come from?”
4. The old woman said, “May you live long !”
5. The policeman said to the driver, “Show me your licence.”
Answer:
1. The boy asked the girl if she wasn’t happy to see him.
2. The Colonel told me that I did not know how to return a salute.
3. I asked him where he came from.
4. The old woman wished for my long life.
5. The policeman asked the driver to show him his licence.

5. Use each of the following words as a noun and an adjective :

Public, Round, Crime, Back, Future.
Answer:
1. Public
(noun) – The palace is not open to the public.
(adjective) – There is a big public park in our colony.

2. Round
(noun) – Let us have a round of cards.
(adjective) – The earth is round.

3. Crime (noun) – There is a rapid increase in crime against women.
(adjective) – Her brother is a famous crime reporter.

4. Back
(noun) – I have pain in my back.
(adjective) – He came through the back door.

5. Future
(noun) – We need to plan for the future.
(adjective) – We must preserve the natural resources for our future generations.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

The Earth is Not Ours Summary & Translation in English

The Earth is Not Ours Summary in English:

This chapter contains the inaugural speech delivered by Kofi Annan, the then Secretary General of UNESCO, at the 55th session of the General Assembly in 2000. In his speech, Kofi Annan says that the world has become interconnected as it never before was. Groups and individuals can interact almost freely across borders. The entire world can be treated as the field of an activity. We can call it ‘globalisation’.

Globalisation is a new trend. It has its dangers as well as benefits. There can be an increase in crime, terrorism and smuggling of weapons and narcotics. But globalisation has a number of benefits also. It can lead to a better understanding between nations.

It can help us to tackle global issues more effectively. It can lead to new opportunities, faster growth and higher standard of living. Thus globalisation can help to fight the problem of poverty in the world. Then Kofi Annan groups global issues under three headings :

  • Freedom from poverty
  • Freedom from fear of wars
  • Freedom for the future generations to survive on this planet.

First of all, Kofi Annan talks about freedom from poverty. He says that at present, half of the human race is living in poverty. Over a billion people don’t get even two meals a day. They don’t get safe drinking water. They have to live in very dirty conditions.

Kofi Annan wants the world to have freedom from poverty. Then he talks of freedom from fear of wars. Man has always been in the fear of wars. Previously, there were wars between states. But now there are internal wars. Different groups in a country fight among themselves.

Such wars result from unfair distribution of power and wealth. Most of the internal wars are fought in poor countries or in countries that are badly governed. In the last decade, more than five million lives were lost in internal wars. Many times that number were made homeless. We need freedom from this fear also.

Then he talks about the pollution and destruction of natural resources. Due to overconsumption, our forests, fisheries and various species of wildlife are being destroyed. An old wisdom says that the earth is not ours. It is a treasure we hold in trust for our descendants.

Therefore, we have no right to destroy our children’s heritage. We must preserve it with all care. But we are doing quite the opposite of it. We are plundering this treasure thoughtlessly. In the end of his speech, Kofi Annan says that the United Nations has a significant role to play to solve these problems.

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

The utility of the United Nations will be judged on how these problems are handled. The United Nations was founded in the name of common people. Therefore, it must listen to what the people are saying, “Our past achievements are not enough. We must do more, and do it better.”

The Earth is Not Ours Translation in English:

In a partly symbolic gesture, in 1998, the General Assembly of the United Nations Organisation (UNO) decided that its fifty-fifth session would be designated?, ‘The Millennium Assembly of the United Nations’. This Millennium Summit was held from 6 to 8 September 2000.

The following passage is an extract from the inauguraf address given by Kofi Annan, the then Secretary General of the UNO. The Millennium might have been no more than an accident of the calendar. But you, the Governments and peoples of the world, have chosen to make it more than that an occasion for all humanity to celebrate, and to reflect.

If one word encapsulates the changes we are living through, it is ‘globalisation’. We live in a world that is interconnected as never before one in which groups and individuals interact more and more directly across State frontiers, often without involving the States at all.

This has its dangers, of course. Crime, narcotics, terrorism, disease, weapons all these move back and forth faster, and in greater numbers, than in the past. People feel threatened by events far away.

But the benefits of globalization are obvious too : faster growth, higher living standards, and new opportunities not only for individuals but also for a better understanding between nations, and for common action

One problem is that, at present, these opportunities are far from equally distributed. How can we say that the half of the human race, which has yet to make or receive a telephone call, let alone use a computer, is taking part in globalization ? We cannot, without insulting their poverty.

The overarching challenge of our times is to make globalization mean more than bigger markets. To make a success of this great upheaval we must learn how to govern better, and, above all, how to govern better together.

What are these global issues? I have grouped them under three headings, each of which I relate to a fundamental’ human freedom freedom from want, freedom from fear, and the freedom of future generations to sustain-1 their lives on this planet.

First, freedom from want. How can we call human beings free and equal in dignity when over a billion of them are struggling to survive on less than one dollar a day, without safe drinking water, and when half of all humanity lacks adequate sanitation ?

Some of us are worrying about whether the stock market will crash, or struggling to master our latest computer, while more than half of our fellow men and women have much more basic worries, such as where their children’s next meal is coming from.

The second main heading is freedom from fear. Wars between States are mercifully less frequent than they used to be. But in the last decade internal wars have claimed more than five million lives, and driven many times.

that number of people from their homes. Moreover, we still live under the shadow of weapons of mass destruction. We must do more to prevent conflicts happening at all. Most conflicts happen in poor countries, especially those which are badly governed or where power and wealth are very unfairly distributed between ethnic or religious groups.

So the best way to prevent conflict is to promote political arrangements in which all groups are fairly represented, combined with human rights, minority rights, and broad-based economic development.

The third fundamental freedom is one that is not clearly identified in the United Nations Charter, because in 1945 our founders could scarcely imagine that it would ever be threatened. I mean the freedom of future generations to sustain their lives on this planet.

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Even now, many of us have not understood how seriously that freedom is threatened. If I could sum it up in one sentence, I should say we are plundering our children’s heritage to pay for our present unsustainable practices.

We must preserve our forests, fisheries , and the diversity of living species, all of which are close to collapsing under the pressure of human consumption and destruction. In short, we need a new ethic of stewardship.

We need a much better informed public, and we need to take environmental costs and benefits fully into account in our economic policy decisions. We need regulations and incentivest discourage pollution and over-consumption of non-renewable resources, and to encourage environment-friendly practices.

And we need more accurate scientific data. Above all we need to remember the old African wisdom which I learned as a child that the earth is not ours. It is a treasure we hold in trust for our descendants

Those are the. problems and the tasks which affect the everyday lives of our peoples. It is on how we handle them that the utility of the United Nations will be judged. If we lose sight of the point the United Nations will have little or no role to play in the twenty-first century.

Let us never forget, that our organisation was founded in the name of “We, the peoples”. We are at the service of the worlds peoples, and we must listen to them. They are telling us that our past achievements are not enough. They are telling us we must do more, and do it better.

The Earth is Not Ours Summary & Translation in Hindi

The Earth is Not Ours Summary in Hindi:

इस अध्याय में वह उद्घाटन भाषण दिया गया है जो यूनेस्को (UNESCO) के जनरल सेक्रेटरी, कोफ़ी अन्नान, ने सन 2000 में जनरल असैम्बली के 55वें सत्र में 2000 में दिया था। अपने भाषण में कोफ़ी अन्नान कहता है कि संसार इतना अन्त:सम्बन्धित हो गया है जितना यह पहले कभी नहीं था।

समुदाय तथा अलग-अलग व्यक्ति लगभग मुक्त रूप से सीमाओं के आर-पार आदान-प्रदान कर सकते हैं। किसी क्रिया के लिए पूरे संसार को एक क्षेत्र माना जा सकता है। हम इसे वैश्वीकरण का नाम दे सकते हैं। वैश्वीकरण एक नई प्रवृत्ति है। इसके ख़तरे भी हैं तथा लाभ भी।

इससे जुर्म, आतंकवाद तथा हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी में वृद्धि हो सकती है। किन्तु वैश्वीकरण के अनेक लाभ भी हैं। यह हमें राष्ट्रों के मध्य बेहतर सूझबूझ की ओर ले जा सकता है। इससे हमें अधिक प्रभावशाली ढंग से संसार की समस्याओं का समाधान करने में सहायता मिल सकती है। इससे नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं, प्रगति की गति अधिक तेज़ हो सकती है तथा जीवन-स्तर ऊँचा हो सकता है।

इस प्रकार वैश्वीकरण संसार में ग़रीबी की समस्या से लड़ने में हमारी सहायता कर सकता है। कोफ़ी अन्नान संसार की समस्याओं को तीन शीर्षकों में बांटता है –

  • ग़रीबी से मुक्ति
  • युद्धों के भय से मुक्ति
  • आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ग्रह पर जीवन को बनाए रखने की आज़ादी।

सबसे पहले कोफ़ी अन्नान ग़रीबी से मुक्ति के बारे में बात करता है। वह कहता है कि वर्तमान समय में लगभग आधी मानव-जाति ग़रीबी में रह रही है। एक अरब से ज़्यादा लोगों को प्रतिदिन दो समय का भोजन भी नहीं मिलता। उन्हें पीने का सुरक्षित पानी नहीं मिलता। उन्हें बहुत गन्दी परिस्थितियों में रहना पड़ता है।

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कोफ़ी अन्नान चाहता है कि संसार ग़रीबी के भय से मुक्ति प्राप्त कर ले। फिर वह भय से मुक्ति के बारे में बात करता है। मनुष्य सदा युद्धों के भय में रहा है। पूर्व समय में राष्ट्रों के मध्य युद्ध हुआ करते थे। किन्तु अब आन्तरिक युद्ध होने लगे हैं। एक देश में विभिन्न समुदाय आपस में लड़ते रहते हैं।

इस तरह के युद्ध सत्ता और सम्पत्ति के अन्यायपूर्ण बटवारे का परिणाम होते हैं। अधिकतर आन्तरिक युद्ध ग़रीब देशों में लड़े जाते हैं अथवा ऐसे देशों में जो कुशासित होते हैं। पिछले दशक में आन्तरिक युद्धों में पचास लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इस गिनती से कई गुणा ज्यादा बेघर हो गए थे। हमें इस भय से मुक्ति की भी ज़रूरत है।

फिर वह प्रदूषण और हमारे प्राकृतिक संसाधनों के विनाश की समस्या के बारे में बात करता है। ज़रूरत से ज़्यादा उपभोग की वजह से हमारे वन, मत्स्य-क्षेत्र और वन्य-जीवन की अनेक प्रजातियां नष्ट हो रही हैं। एक पुरानी अफ्रीकी कहावत है कि धरती हमारी नहीं है।

यह एक खज़ाना है, जो हमारे वंशजों के लिए हमारे पास रखी एक अमानत है। इसलिए हमें कोई अधिकार अपनी नहीं है कि हम अपने बच्चों की कुल सम्पत्ति (विरासत) को नष्ट करें। हमें पूरे ध्यान के साथ इसे संभाल कर रखना चाहिए। परन्तु हम इसका बिल्कुल विपरीत कर रहे हैं। अपने भाषण के अन्त में कोफ़ी अन्नान कहता है कि इन समस्याओं को हल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

संयुक्त राष्ट्र की उपयोगिता को इस बात से आंका जाएगा कि इन समस्याओं का समाधान कैसे किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ को साधारण लोगों के नाम पर स्थापित किया गया था। इसलिए इसे अवश्य सुनना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं-“हमारी पिछली प्राप्तियां पर्याप्त नहीं हैं। हमें अवश्य ही और अधिक काम करना है और वह भी बेहतर ढंग से।”

The Earth is Not Ours Translation in Hindi:

कठिन शब्दार्थ तथा संपूर्ण लेख का हिन्दी अनुवाद 1998 में एक आँशिक प्रतीकात्मक काम के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असैम्बली ने यह फैसला किया कि पचपनवें सत्र का नाम ‘संयुक्त राष्ट्र की सहस्राब्दि सभा’ रखा जायेगा। यह सहस्राब्दि शिखर सम्मेलन 6 सितम्बर से 8 सितम्बर 2000 तक आयोजित किया गया।

नीचे दिया गया गद्यांश यू० एन० ओ० के तत्कालीन सेक्रेटरी जनरल, कोफ़ी अन्नान, द्वारा दिए गए उद्घाटन भाषण से लिया गया अंश है। यह सहस्राब्दि केलेण्डर के एक संयोग से अधिक शायद और कुछ न हुई होती, किन्तु आपने, संसार की सरकारों और लोगों ने, इसे उससे कुछ अधिक बनाने का निर्णय किया है – पूरी मानव-जाति के लिए उत्सव मनाने, और चिन्तन करने का एक अवसर।

यदि उन परिवर्तनों, जिनमें से हम गुज़र रहे हैं, का सार एक शब्द में देना हो तो इसे ‘वैश्वीकरण’ कहा जाएगा। हम एक ऐसे संसार में रह रहे हैं जो इतना अन्तःसम्बद्ध हो गया है जितना पहले कभी नहीं था – ऐसा संसार जिसमें वर्ग एवम् पृथक्-पृथक् व्यक्ति अधिकाधिक रूप से राष्ट्रों की सीमाओं के पार एक-दूसरे से लेन-देन करते हैं; प्राय: राष्ट्रों को इसमें बिल्कुल भी शामिल न करते हुए।

निस्सन्देह इसके अपने ख़तरे हैं। जुर्म, नशीले पदार्थ, आतंकवाद, बीमारी, हथियार – ये सभी चीजें अतीत की अपेक्षा ज़्यादा तेज़ी से और ज्यादा गिनती में आने-जाने लगी हैं। लोग बहुत दूर की घटनाओं से भयभीत होने लगते हैं। किन्तु वैश्वीकरण के लाभ भी स्पष्ट हैं : अधिक तेज़ गति से प्रगति, अधिक ऊंचे जीवन-स्तर तथा नए अवसर – केवल व्यक्तियों के लिए ही नहीं, अपितु राष्ट्रों के मध्य बेहतर सूझ-बूझ के लिए तथा मिल कर काम करने के लिए भी।

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एक समस्या यह है कि वर्तमान में ये अवसर समान रूप से बंटे होने से बहुत दूर की बात हैं। हम ऐसा कैसे कह सकते हैं कि मानव-जाति का आधा भाग वैश्वीकरण में हिस्सा ले रहा है, जिसने अभी तक कभी टैलीफोन पर न कभी बात की है और न सुनी है, कम्प्यूटर इस्तेमाल करने की बात तो एक तरफ रही ?

हम उनकी ग़रीबी का अपमान किए बिना ऐसा नहीं कह सकते हैं। हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वैश्वीकरण का अर्थ केवल बड़ी मण्डियों तक सीमित न रख कर हम इसे और अधिक विशाल बनाएँ। इस महान् क्रान्ति को सफल बनाने के लिए हमें अवश्य सीखना होगा कि बेहतर शासन कैसे चलाया जाए, और सबसे बढ़ कर यह सीखना होगा कि किस तरह इकट्ठे मिल कर बेहतर शासन चलाया जाए।

ये विश्वव्यापी विषय (या समस्याएं) क्या हैं ? मैंने इन्हें तीन शीर्षकों में बांटा है, जिसमें से प्रत्येक को मैंने मौलिक मानवीय स्वतन्त्रता के साथ जोड़ा है-अभाव से मुक्ति, भय से मुक्ति तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ग्रह पर अपना जीवन बनाए रखने की स्वतन्त्रता।

पहले, अभाव से मुक्ति। हम मानव लोगों को स्वतन्त्र तथा प्रतिष्ठा में समान कैसे कह सकते हैं जब उनमें से एक अरब लोग प्रतिदिन एक डालर से भी कम पर जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, सुरक्षित पीने के पानी के बिना तथा जब पूरी मानव जाति के आधे भाग में पर्याप्त सफ़ाई-सुविधाओं का अभाव है ?

हम में से कुछ को इस बात की चिन्ता रहती है कि शेयर बाज़ार गिरेगा या नहीं, या हम में से कुछ अपने आधुनिकतम कम्प्यूटर में अभ्यस्त होने के लिए ज़ोर लगाते हैं, जबकि हमारे साथी पुरुषों तथा स्त्रियों में आधे से ज्यादा कहीं बड़ी मौलिक चिंताएँ रखते हैं, जैसे कि उनके बच्चों के लिए अगला भोजन कहां से आएगा।

दूसरा मुख्य शीर्षक है, भय से मुक्ति। सौभाग्य से राष्ट्रों के बीच युद्ध पहले की अपेक्षा प्रायः कम हो गए हैं। किन्तु पिछले दशक में आन्तरिक युद्धों ने पचास लाख से ज़्यादा जाने ले ली हैं, तथा लोगों की उस संख्या से कई गुणा अधिक को उनके घरों से बेघर कर दिया है।

इसके अतिरिक्त हम अब भी विशाल स्तर पर विनाश करने वाले हथियारों के साए में रह रहे हैं। हमें झगड़ों को बिल्कुल ही होने से रोकने के लिए अधिक यत्न करना होगा। अधिकतर झगड़े ग़रीब देशों में होते हैं; विशेष रूप से उन देशों में जो कुशासित हैं अथवा जहां जातीय और धार्मिक सम्प्रदायों के मध्य शक्ति और धन-दौलत न्यायोचित रूप से नहीं बांटे गए हैं। इसलिए झगड़ों को रोकने का सबसे बढ़िया तरीका ऐसी राजनीतिक व्यवस्था को प्रोत्साहित करना है जिसमें सभी समूहों को उचित रूप से प्रतिनिधित्व प्राप्त हो, और इसके साथ साथ मानवीय अधिकार, अल्पसंख्यक अधिकार तथा विस्तृत आधार वाली आर्थिक प्रगति हो।

तीसरी मौलिक स्वतन्त्रता वह है जिसे संयुक्त राष्ट्र के शासन-पत्र में स्पष्ट रूप से बताया नहीं गया है, क्योंकि में हमारे संस्थापक इस बात का मुश्किल से ही अनुमान लगा सकते थे कि यह ख़तरे में पड़ जाएगी। मेरे कहने का भाव है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ग्रह पर अपने जीवन को बनाए रखने की स्वतन्त्रता। अब भी हम में से अनेक यह समझ नहीं पाए हैं कि यह स्वतन्त्रता कितनी गम्भीर रूप से ख़तरे में है। यदि मैं इसका सार एक वाक्य में दे सकता तो मैं कहता कि हम अपने बच्चों की विरासत को लूट रहे हैं, अपनी उन आदतों पर खर्च करने के लिए जिन्हें बनाए रखना सम्भव

नहीं है। हमें अपने वनों, मत्स्य-क्षेत्रों और जीवित प्रजातियों की विभिन्नता को अवश्य सुरक्षित रखना चाहिए, जो सभी की सभी ही मानवों द्वारा उपभोग और विनाश के दबाव के अधीन नष्ट होने के कगार पर हैं। संक्षेप में, हमें नेतृत्व के सम्बन्ध में एक नए आचार शास्त्र की ज़रूरत है। हमें एक बहुत बेहतर ज्ञान-प्राप्त जनता की जरूरत है, तथा हमें अपने आर्थिक फैसलों में पर्यावरण सम्बन्धी लागतों और लाभों को पूरी तरह से ध्यान में रखने की ज़रूरत है। हमें नियमों और प्रोत्साहनों की ज़रूरत है, प्रदूषण को तथा फिर से न स्थापित किए

जा सकने वाले साधनों की अत्यधिक खपत को निरुत्साहित करने के लिए, तथा पर्यावरण-अनुकूल व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए। तथा हमें और अधिक शुद्ध वैज्ञानिक आंकड़ों की ज़रूरत है। सबसे बढ़ कर हमें अक्लमंदी की एक पुरानी अफ्रीकी कहावत याद रखने की ज़रूरत है जो मैंने बचपन में सीखी थी

यह धरती हमारी नहीं है। यह एक खजाना है जो हम अपने वंशजों के लिए एक अमानत के रूप में रखे हुए हैं। यही समस्याएं और काम हैं जो हमारे लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं। हम इनसे कैसे निबटते हैं इस बात पर संयुक्त राष्ट्र की उपयोगिता को जांचा जाएगा। यदि हम इस बात को भूल जाएँगे तो इक्कीसवीं शताब्दी में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका न के बराबर अथवा बिल्कुल ही नहीं रह जाएगी।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 6 The Earth is Not Ours

हम यह बात कभी न भूलें कि हमारे संगठन की स्थापना ‘हम लोग’ के नाम पर हुई थी। हम संसार के लोगों की सेवा में हैं और हमें उनकी बात अवश्य सुननी होगी। वे हमें कह रहे हैं कि हमारी पिछली प्राप्तियां पर्याप्त नहीं हैं। वे हमें कह रहे हैं कि हमें अवश्य ही और ज़्यादा काम करना चाहिए और वह भी बेहतर ढंग से।

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