PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व

Punjab State Board PSEB 11th Class Physical Education Book Solutions Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Physical Education Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व

PSEB 11th Class Physical Education Guide शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
जिन्दगी द्वारा पैदा हुई चुनौतियों से किस तरह निपटा जा सकता है ?
(How to handle the challenges generated by the life ?)
उत्तर-
आधुनिक युग में मनुष्य भौतिक पदार्थों को एकत्र करने में इतना उलझा हुआ है कि उसके पास अपने लिए ही समय नहीं है। यह युग मानव के लिए तनाव, दबाव तथा चिंता का युग बन कर रह गया है। इसीलिए अत्याधिक व्यक्ति खुशी से भरपूर और लाभदायक जीवन नहीं गुजार रहे हैं। ऐसे व्यस्तता भरे जीवन कारण प्रत्येक विषय की धारणाओं में परिवर्तन हो रहे हैं जिस कारण शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में भी विस्तार हुआ है। आज शारीरिक शिक्षा का सम्बन्ध शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ मानव के जीवन के हर पक्ष के साथ है। शारीरिक शिक्षा मनुष्य को अपने व्यस्तता भरे जीवन को ठीक ढंग के साथ व्यतीत करने के लिए उसकी मदद करती है। इसके साथ मनुष्य शारीरिक कौशल, शरीर की जानकारी, जीवन-मूल्य और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने के गुण प्राप्त करता है। इन गुणों के साथ व्यक्ति में साहस पैदा होता है और वह जीवन की मुश्किलों का सुदृढ़ता से सामना कर पाता है। आधुनिक मशीनी युग और क्रिया रहित जिंदगी में उत्पन्न हुई चुनौतियों का सामना शारीरिक शिक्षा तथा शारीरिक व्यायाम द्वारा ही किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा की परिभाषा लिखें।
(Write the definition of Physical Education.)
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा एक ऐसा ज्ञान है जो शरीर से सम्बन्ध रखता है। शरीर को बनावट, विकास और स्वास्थ्य देता है और इसका साधन शारीरिक क्रियाएं ही हैं। इस विषय के बारे में भिन्न-भिन्न परिभाषायें हैं जिनमें से कुछ इस तरह हैं
डैल्बर्ट उबर्टीउफर के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा उन सभी तुजुर्षों का जोड़ है जो किसी व्यक्ति को शारीरिक हरकत द्वारा प्राप्त होते हैं।”
(“Physical Education is the sum of those experiences which come to the individual through movement.”
—Delbert Oberteuffer)
आर० कैसिडी के शब्दों में “शारीरिक शिक्षा उन सभी तबदीलियों का जोड़ है जो व्यक्ति में हरकत के द्वारा आती
(“Physical Education is the sum of change in the individual caused by experiences, which bring in motor Activity.”
—R. Cassedy)
जे०बी०नैश लिखते हैं, “शारीरिक शिक्षा समूची विद्या का वह भाग है जिसका सम्बन्ध मांसपेशियों की क्रियाओं तथा उनसे सम्बन्धित क्रियाओं के साथ है।”
(“Physical Education is that part of whole field of education that deals with big muscle activities and their related responses.”
—J.B. Nash)
चार्ल्स ए० बियोकर के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा सम्पूर्णता का अभिन्न अंग है जिसका उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक तौर पर ठीक शहरी पैदा करना है, इस तक पहुंचने के लिए शारीरिक क्रियाओं का स्थान चुना गया है ताकि इसको प्राप्त कर सकें।”
(“Physical education is an integral part of total education process and has its aim the development of physical, mentally, educationally and socially fit citizens through the Medium of physical activities, selected with a view to realising these outcomes.”
—Charles A. Bucher)
जे०एफ०विलियम के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा व्यक्ति की कुल शारीरिक क्रियाओं का जोड़ है जो कि अपनी भिन्नता के अनुसार चुनी जाती हैं तथा अपने उद्देश्य के अनुसार प्रयोग की जाती हैं।”
(“Physical Education is the sum of man’s physical activities selected and conducted as to their out comes.”
—J.F. Williams)

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प्रश्न 3.
शारीरिक शिक्षा का क्या लक्ष्य है ?
(What is the aim of Physical Education ?)
उत्तर-
‘लक्ष्य’ व ‘उद्देश्य’ शब्दों में अन्तर
(Difference in the terms aim and objective)
शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य व उद्देश्य जानने से पहले हम यह आवश्यक समझते हैं कि लक्ष्य व उद्देश्य शब्द में अंतर स्पष्ट किया जाए।
आम तौर पर लक्ष्य व उद्देश्य एक-दूसरे के लिए प्रयोग किए जाते हैं। लेकिन वास्तव में ये दोनों ही शब्द समानार्थक नहीं हैं। इन दोनों शब्दों में अंतर की एक स्पष्ट रेखा अंकित है जो इनके अर्थों में भिन्नता लाती है।

“लक्ष्य तो अंतिम निशाना होता है। जब कि उद्देश्य एक विशेष नपा-तुला व नज़र आने वाला पड़ाव है। अगर हमारा लक्ष्य सर्व उच्च मंजिल है तो उद्देश्य इस मंजिल तक पहुंचने के छोटे-छोटे पड़ाव हैं जो कि मंज़िल के रास्ते में स्थित हैं जिन से गुजर कर हम मंज़िल पर पहुंच सकते हैं।”
इस तरह हम कह सकते हैं कि मंज़िल रूपी सीढ़ी पर चढ़ने के लिए उद्देश्य सहारे का काम करते हैं।

जब शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य उच्चकोटि के नागरिकों का निर्माण करना है तो उस व्यक्ति को शारीरिक दृष्टि के साथ हृदय-पुष्ट रखना इसका उद्देश्य है। इससे अच्छी आदत विकसित करना व उसको चरित्र वाले गुणों से जोड़ना इसके दूसरे उद्देश्य हैं। एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उसका शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास करना ज़रूरी उद्देश्य है।

शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य (Aim of Physical Education) शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य सम्बन्धी अलग-अलग विद्वानों ने अपने-अपने तरीके के साथ विचार प्रकट किए हैं। इनमें प्रमुख विद्वानों के विचार इस तरह हैं

“शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य एक कुशल नेतृत्व, उचित सुविधाएं व काफ़ी समय दिलाना है जिससे व्यक्ति या संगठनों को इस तरह की स्थितियों में भाग लेने का अवसर मिल सके ताकि वह शारीरिक रूप के साथ आनंददायक, मानसिक रूप के साथ संतोषजनक व सामाजिक रुख से तंदुरुस्त है।”
(“Physical Education should aim to provide the skilled leadership, adequate facilities and ample time for affording full opportunity for individuals and groups to participate in situation that are physically wholesome, mentally stimulating and satisfying and socially sound.”)

जे०आर० शरमन के विचार (Views of J.R. Sharman)_”शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य लोगों के अनुभवों को इस सीमा तक प्रभावित करना है कि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार समाज में ठीक तरह रह सके, अपनी ज़रूरतों को बढ़ा सके व सुधार कर सके तथा लोगों को संतुष्ट करने की अपनी योग्यता विकसित कर सके।”
(“The aim of Physical Education is to influence the experiences of person to the extent that each individual within the limits of his capacity may be helped to adjust successfully in society, to increase and improve his wants and to develop the ability to satisfy his wants.”)

शारीरिक शिक्षा के केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड के विचार (Views of Central Advisory Board of Physical Education)-“शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक व भावात्मक तौर पर योग्य बनाना है व उसमें इस तरह के निजी व सामाजिक गुण विकसित करना है जिससे वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ स्वतन्त्रतापूर्वक रह सके व अच्छा नागरिक बन सके।”
(“’The aim of physical education is to make every child physically, mentally fit and also to develop in him such personality and social qualities as will help him live happily with others and build him as a good citizen.”)

शारीरिक शिक्षा कॉलेजों के प्रिंसीपलों के सम्मेलन में प्रकट किए गए विचार (Views expressed in conference of principles of physical training colleges)-“शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य भारतीय बच्चों व जवानों को इस तरह के अवसर प्रदान करना है जिससे वह शारीरिक, मानसिक व भावात्मक रूप से स्वस्थ बनें तो उनमें इस तरह कुशलता व दृष्टिकोण का विकास हो जिस द्वारा वह परिवर्तनशील, समाज में अधिक समय तक एक सूत्र पैदा करते रह सकें।”
(“Physical education should aim to provide opportunities that will make the children and youth of India, Physically, mentally and constitutionally fit and develop in them the skills and attitudes conducive to long happy and creative living in the fluid changing society.”)

निष्कर्ष (Conclusion)—उपरोक्त परिभाषाओं के अध्ययन से हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं कि शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य का पूर्ण विकास करना है। लगभग सभी विद्वान् इस विचार से सहमत हैं कि शारीरिक शिक्षा के माध्यम से मनुष्य में इस तरह के गुण विकसित किए जाएं जिनसे उनका शारीरिक, मानसिक व भावात्मक विकास हो सके।

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प्रश्न 4.
शारीरिक शिक्षा के किन्हीं तीन उद्देश्यों की विस्तारपूर्वक जानकारी दीजिए।
(Explain any three objectives of Physical Education in detail.)
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Physical Education)—जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि लक्ष्य अंतिम निशाना होता है जिसकी प्राप्ति के लिए कुछ उद्देश्य होते हैं। आम तौर पर लक्ष्य एक ही होता है लेकिन उसको एकत्र करने के लिए उद्देश्य अनेक हो सकते हैं। इसी तरह शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य तो एक ही होता है व वह है व्यक्ति का पूर्ण विकास, लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कई उद्देश्य हैं। शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य सम्बन्धी अलग-अलग विद्वानों ने अपने-अपने विचार पेश किए हैं। प्रमुख विद्वानों के विचार इस तरह हैं—

  1. लॉस्की (Laski) के अनुसार शारीरिक शिक्षा के नीचे लिखे पांच उद्देश्य हैं—
    • शारीरिक पक्ष वाला विकास (Physical aspect of development)
    • भावात्मक पक्ष वाला विकास (Emotional aspect of development)
    • सामाजिक पक्ष वाला विकास (Social aspect of development)
    • बौद्धिक पक्ष वाला विकास (Intellectual aspect of development)
    • न्यूरो मांसपेशी पक्ष वाला विकास (Neuro-muscular aspect of development)
  2. जे०बी०नैश (J.B. Nash) ने शिक्षा के नीचे लिखे चार उद्देश्यों का वर्णन किया है—
    • न्यूरो मांसपेशी विकास (Neuro muscular development)
    • भावात्मक विकास (Emotional development)
    • उचित बात समझने की योग्यता का विकास (Interpretative development)
    • शारीरिक अंगों का विकास (Organic development)
  3. एक अन्य विद्वान बक बाल्टर ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को तीन वर्गों में बांटा है। ये इस तरह “जए।
    • स्वास्थ्य (Health)
    • नैतिक आचरण (Moral character)
    • व्यर्थ समय का उचित प्रयोग (Worthy use or leisure)
  4. प्रसिद्ध विद्वान् एच० सी० बक ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों का वर्गीकरण इस तरह किया है—
    • शारीरिक अंगों का विकास (Organic development)
    • न्यूरो मांस पेशियों में तालमेल का विकास (Development of neuro muscular co-ordination)
    • खेल व शारीरिक क्रियाओं के प्रति उचित दृष्टिकोण का विकास (Development of right attitude towards play and physical activites).

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प्रश्न 5.
शारीरिक शिक्षा का क्या महत्त्व है ? इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी दीजिए।
(What is the importance of Physical Education ? Explain in detail.)
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा का महत्त्व (Importance of Physical Education)
1. शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम (Curriculum of Physical Education)—शारीरिक शिक्षा साधारण शिक्षा का ही एक अंग है। इसके द्वारा बहुत-से गुणों को विकसित किया जा सकता है जो कि राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक है। शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम द्वारा मनुष्य में सहनशीलता, सामाजिकता, नागरिकता और दूसरों के लिए प्रतिष्ठा की भावना सिखाई जा सकती है। शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। इसलिए यह राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में अपना पूरा योगदान डालती है।

2. शारीरिक शिक्षा में साम्प्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं (No Place for Communalism in Physical Education)-शारीरिक शिक्षा किसी तरह भी साम्प्रदायिकता को अपने निकट नहीं आने देती। शारीरिक शिक्षा रंग-रूप, जातिवाद, धर्म, वर्ग, समुदाय के भेदभाव को स्वीकार नहीं करती। इसलिए सारी मनुष्य जाति की भलाई का ही विशेष महत्त्व है। घटिया विचारों को यह स्वीकार नहीं करती जिनके द्वारा जातिवाद के झगड़े उत्पन्न हों। साम्प्रदायिकता हमारे देश के लिए बहुत घातक है। शारीरिक शिक्षा इस खतरे को कम करते हुए राष्ट्रीय एकता में वृद्धि करती है।

3. समानता और शारीरिक शिक्षा (Equality and Physical Education) शारीरिक शिक्षा असमानता को स्वीकार नहीं करती। इसके लिए छोटा-बड़ा, अमीर-ग़रीब सभी एक-जैसे हैं। आज के युग में असमानता एक गम्भीर समस्या है। शारीरिक शिक्षा इस समस्या को समाप्त कर राष्ट्रीय एकता की भावना लोगों को प्रदान करती है।

4. प्रान्तीयवाद और शारीरिक शिक्षा (Provincialism and Physical Education) शारीरिक शिक्षा में प्रान्तीयवाद का कोई स्थान नहीं है। जब कोई खिलाड़ी शारीरिक क्रियाएं करता है उस समय उसमें प्रान्तीयवाद की कोई भावना नहीं होती है कि वह अमुक प्रान्त का निवासी है। उसको केवल मानव भलाई का लक्ष्य ही दिखाई पड़ता है। खिलाड़ी खेलते समय आपस में सहयोग रखते हुए एक-दूसरे की भावनाओं का सत्कार करते हैं, जिससे उनमें एकता में वृद्धि होती है। देश शक्तिशाली बनता है और राष्ट्रीय एकता समृद्ध होती है।

5. भाषावाद और शारीरिक शिक्षा (Linguism and Physical Education)-भारतवर्ष में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। कई प्रान्तों में भाषा के लिए झगड़े हो रहे हैं। कहीं पर पंजाबी, कहीं तमिल भाषा का झगड़ा, कहीं बंगला एवं उड़िया भाषाओं के नाम पर झगड़ा उत्पन्न हुआ है। एक स्थान की भाषा दूसरे स्थान पर समझने में कठिनाई आती है, परन्तु शारीरिक शिक्षा किसी भी भाषा के झगड़े में न पड़ते हुए इसे स्वीकार ही नहीं करती। अच्छा खिलाड़ी चाहे वह बंगला बोलता हो या पंजाबी, सभी को अपना भाई मानते हैं। सभी खिलाड़ी एक टीम के रूप में मैदान में आते हैं। आपसी सहयोग से अपने देश की मान-मर्यादा को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। इस तरह शारीरिक शिक्षा भाषाओं के झगड़े को समाप्त करके राष्ट्रीय एकता में वृद्धि करने का यत्न करती है।

6. फुर्सत का समय और शारीरिक शिक्षा (Leisure Time and Physical Education)-फुर्सत का समय वह समय है जब मनुष्य के पास कोई काम करने के लिए नहीं होता। बहुत-से लोग फुर्सत का समय उपयोगी ढंग से व्यतीत नहीं करते, व्यर्थ में लड़ते-झगड़ते रहते हैं और अपना और दूसरों का नुकसान करते. रहते हैं। ये झगड़े कई बार इतने बढ़ जाते हैं जिससे देश में बहुत-सी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं और देश की एकता एवं अखण्डता को खतरा पैदा हो जाता है। फुर्सत के समय को उपयोगी ढंग से व्यतीत करने के लिए शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम में बहुत-सी क्रियाएं हैं। सभी बच्चों और नवयुवकों के फुर्सत के समय के उपयोगी प्रयोग के लिए क्रियाएं होती हैं ताकि नवयुवकों की शक्ति अच्छे मार्ग पर लगाई जाए जिससे राष्ट्रीय एकता की समस्या का समाधान हो सकता है।

7. देश भक्ति , अनुशासन और सहनशीलता (Patriotism, Discipline and Tolerance)-शारीरिक शिक्षा द्वारा देश भक्ति की भावना उत्पन्न होती है। शारीरिक शिक्षा नवयुवकों में देश भक्ति की भावना पैदा करके उसके व्यक्तित्व को विकसित करती है। एन०सी०सी०, ए०सी०सी०, गर्ज़ गाइड और एन०एस०एस० द्वारा शारीरिक शिक्षा देकर उनके स्वास्थ्य में वृद्धि की जाती है। इसके साथ-साथ देश भक्ति और देश प्रेम की भावना भी पैदा की जाती है। खेलों का उद्देश्य खिलाड़ियों में इस भावना को उत्पन्न करना है और सहनशीलता की भावना में वृद्धि करना है। खेलों द्वारा खिलाड़ियों में सहनशीलता, देश भक्ति और अनुशासन आदि गुणों को विकसित करके उनको राष्ट्रीय एकता में वृद्धि करने को प्रेरित करती है।

8. राष्ट्रीय चरित्र और शारीरिक शिक्षा (National Character and Physical Education)-खेलों में सामाजिक गुणों के महत्त्व को ध्यान में रखा गया है। इनके द्वारा राष्ट्रीय एकता की भावना पैदा करना, उनमें राष्ट्रीय चरित्र का विकास करना तथा सामाजिक ज्ञान को बढ़ाना है। यदि लोगों में राष्ट्रीय चरित्र की कमी हो तो देश या कौम उन्नति नहीं कर सकते। शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम इस प्रकार बनाए जाते हैं जिससे नवयुवकों में देश-प्रेम तथा आदर की भावना पैदा हो जिससे राष्ट्रीय चरित्र एवं राष्ट्रीय एकता मजबूत हो। इन सभी गुणों के बिना राष्ट्रीय एकता बनी नहीं रह सकती। शारीरिक शिक्षा राष्ट्रीय चरित्र द्वारा राष्ट्रीय एकता को हमेशा बनाए रखती है।

Physical Education Guide for Class 11 PSEB शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
क्या शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य शिक्षा एक ही है ?
उत्तर-
नहीं, शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य शिक्षा एक नहीं है।

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प्रश्न 2.
“शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि, सामाजिक गुण में वृद्धि, संस्कृति।” किसका कथन है ?
(a) एच. कलर्क
(b) हैथरिंगटन
(c) बक वाल्टर
(d) जे० बी० नैश।
उत्तर-
(a) एच. कलर्क।

प्रश्न 3.
“शारीरिक विकास के उद्देश्य , मानसिक विकास के उद्देश्य, हरकत व कार्य शक्ति के विकास, सामाजिक विकास के उद्देश्य।” यह किसका कथन है ?
(a) जे० बी० नैश
(b) हैथरिंगटन
(c) जे०आर०शरमन
(d) लॉस्की।
उत्तर-
(b) हैथरिंगटन।

प्रश्न 4.
“शारीरिक अंगों का विकास, न्यूरो मांसपेशियों में तालमेल का विकास, खेल व शारीरिक क्रियाओं के प्रति उचित दृष्टिकोण का विकास” यह उद्देश्य किस के अनुसार है ?
(a) जे० बी० नैश
(b) एच. कलर्क
(c) एच. सी. बक
(d) हैथरिंगटन।
उत्तर-
(c) एच. सी. बक।

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प्रश्न 5.
न्यूरो मांसपेशी विकास, भावात्मक विकास, उचित बात समझने की योग्यता का विकास, शारीरिक अंगों का विकास। यह उद्देश्य किसके अनुसार है ?
(a) जे० बी० नैश
(b) बक वाल्टर
(c) एच. सी. बक
(d) लॉस्की
उत्तर-
(a) जे० बी० नैश।

प्रश्न 6.
“शारीरिक शिक्षा उन सभी तुजुओं का जोड़ है जो किसी व्यक्ति को शारीरिक हरकत द्वारा प्राप्त होते हैं।” यह किसका कथन है ?
(a) डैल्बर्ट उबर्टीउफर
(b) आर कैसिडी
(c) जे०बी०नैश
(a) चार्ल्स ए०बियोकर।
उत्तर-
(a) डैल्बर्ट उबर्टीउफर।

प्रश्न 7.
शारीरिक शिक्षा क्या है ?
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा एक ऐसा ज्ञान है जो शरीर से सम्बन्ध रखता है।

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प्रश्न 8.
“शारीरिक शिक्षा व्यक्ति की कुल शारीरिक क्रियाओं का जोड़ है जो कि अपनी भिन्नता के अनुसार धुनी जाती हैं तथा अपने उद्देश्य के अनुसार प्रयोग की जाती हैं।” यह किस का कथन है ?
उत्तर-
जे० एफ० विलियम।

प्रश्न 9.
“शारीरिक शिक्षा समूची विद्या का वह भाग है जिसका सम्बन्ध मांसपेशियों की क्रियाओं तथा उनसे सम्बन्धित क्रियाओं के साथ है।” यह किसका कथन है ?
उत्तर-
जे०बी०नैश।

प्रश्न 10 .
शारीरिक शिक्षा सम्पूर्णता का अभिन्न अंग है जिसका उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक तौर पर ठीक शहरी पैदा करना है, इस तक पहुंचने के लिए शारीरिक क्रियाओं का स्थान चुना गया है ताकि इसको प्राप्त कर सकें।”
उत्तर-
चार्ल्स ए. बूचर।

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अति छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा के कोई तीन उद्देश्य लिखें।
उत्तर-

  1. शारीरिक विकास,
  2. मानसिक विकास,
  3. भावनात्मक विकास।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र लिखो।
उत्तर-
विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास जैसे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक विकास करने की अनगिनत शारीरिक क्रिया द्वारा कोशिश की जाती है।

प्रश्न 3.
शारीरिक शिक्षा के कोई तीन महत्त्व लिखें।
उत्तर-

  1. शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम
  2. शारीरिक शिक्षा में साम्प्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं।
  3. देशभक्ति, अनुशासन तथा सहनशीलता।

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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न | (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जे० एफ० विलियम के अनुसार शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य क्या है ?
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य कुशल मार्गदर्शन करना है जिससे मनुष्य या संगठन को इस तरह की स्थिति में भाग लेने का अवसर मिलता है ताकि वह आनन्ददायक मानसिक रूप और प्रेरक रूप से स्वस्थ रहे।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा सलाहकार बोर्ड के अनुसार शारीरिक शिक्षा की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
“शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक व भावात्मक तौर पर योग्य बनाना है व उसमें इस तरह के निजी व सामाजिक गुण विकसित करना है जिससे वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ स्वतन्त्रतापूर्वक रह सके व अच्छा नागरिक बन सके।”

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प्रश्न 3.
शारीरिक शिक्षा के केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड के अनुसार शारीरिक शिक्षा की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
“शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक व भावात्मक तौर पर योग्य बनाना है। उसमें इस तरह के निजी व सामाजिक गुण विकसित करना है जिससे वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ स्वतापूर्वक रह सके व अच्छ नागरिक बन सके।”

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बड़े उत्तर वाला प्रश्न (Long Answer Type Question)

प्रश्न-
शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र बताओ।
उत्तर-
आज शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र इतना विशाल है कि खेलों से लेकर मनोरंजन और भौतिक चिकित्सा (Physiotheraphy) तक शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में शामिल हैं! आज शारीरिक शिक्षा विद्यार्थियों के शारीरिक मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक विकास में योगदान दे रही है। शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र निम्नलिखित क्रियाओं का सुमेल है-

1. संशोधक व्यायाम (Corrective Exercises)-इन व्यायामों द्वारा किसी खिलाड़ी या व्यक्ति की शारीरिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कई बार मांसपेशियों की कमज़ोरी, हड्डियों की बनावट या चोट लगने के कारण शारीरिक त्रुटि पैदा हो जाती है। भौतिक चिकित्सा (Physiotheraphy) की मदद से हलके व्यायामों के द्वारा इन त्रुटियों का इलाज किया जा सकता है।

2. आत्म-रक्षक व्यायाम (Self Defence Activities) – इसमें वे सभी क्रियाएं शामिल होती हैं जिनकी सहायता से व्यक्ति आत्म-रक्षा कर सकता है। इन क्रियाओं के द्वारा व्यक्ति को आत्म-रक्षा करने के भिन्न भिन्न कौशल सिखाए जाते हैं। गतका, मुक्केबाजी, कराटे, कुश्ती, जूडो आदि खेल इस क्षेत्र में शामिल होती हैं।

3. ताल नाच (Rhythmics)-संगीत या ताल के साथ की जाने वाली क्रियाएं इसमें शामिल होती हैं। जैसे, डम्बल, लेज़ियम (रिदमिक जिमनास्टिक) लोक-नृत्य क्रियाएं आदि।

4. मनोरंजन क्रियाएं (Recreational Activities)-दैनिक जीवन की भाग-दौड़ के उपरांत जब मानव ऊब जाता है तो मनोरंजन उसके जीवन में दोबारा ताज़गी भरने की शक्ति रखता है। मनोरंजन के लिए मानव कई प्रकार की क्रियाएं कर सकता है, जैसे कैंप लाना, पिकनिक, पहाड़ों की सैर, मछली पकड़ना आदि। मनोरंजन की ये सभी क्रियाएं भी शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में ही शामिल हैं।

5. यौगिक क्रियाएं (Yogic Activites)-योग भारत की एक पुरातन विधि है जो आज पूरे संसार में प्रचलित हो रही है। योग में अलग-अलग आसन, प्राणायाम और अन्य क्रियाएं शामिल होती हैं जिनका प्रयोग व्यायाम, इलाज, ध्यान लगाने आदि के लिए किया जाता है।

6. शैक्षिक क्षेत्र (Educational Scope)-शारीरिक शिक्षा में हम अलग-अलग विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, जैसे-जीव विज्ञान, शारीरिक बनावट, मनोविज्ञान, भौतिक चिकित्सा आदि। विद्यार्थी भविष्य में इन विषयों को अपने पेशे के रूप में अपना सकते हैं।

7. व्यावसायिक क्षेत्र (Vocational Scope)—शारीरिक शिक्षा सिर्फ एक खिलाड़ी ही नहीं बनाता बल्कि शारीरिक शिक्षा अध्याय, प्रशिक्षक, खेल पत्रकार, कमैंटेटर आदि प्रमुख व्यवसायों में भी जाने का अवसर प्रदान करता है।

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