PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

PSEB 12th Class Economics समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तु से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उन सभी चीज़ों को वस्तु कहते हैं जो मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं तथा जिन्हें मानव प्राप्त करना चाहता है।

प्रश्न 2.
सेवाओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सेवाएं अभौतिक वस्तु हैं जिन्हें छुआ, देखा या हस्तान्तरित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 3.
भौतिक वस्तु कौन-सी वस्तु को कहते हैं ?
उत्तर-
भौतिक वस्तु वह वस्तु है जिसे छुआ जा सकता है, देखा जा सकता है तथा जिसका हस्तान्तरण किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
अभौतिक वस्तुओं का दूसरा नाम बताइये।
उत्तर-
अभौतिक वस्तुओं का दूसरा नाम सेवाएं है जैसे डॉक्टर की सेवा, अध्यापक की सेवा आदि।

प्रश्न 5.
आर्थिक वस्तुएं क्या हैं ?
उत्तर-
आर्थिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो सीमित होती हैं, जिनमें उपयोगिता होती है तथा हस्तान्तरणीयता होती है।

प्रश्न 6.
अनार्थिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अनार्थिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनकी पूर्ति मांग से बहुत अधिक होने के कारण दुर्लभ नहीं होती और निःशुल्क उपलब्ध होती हैं जैसे सूर्य का प्रकाश, हवा आदि।

प्रश्न 7.
आगत (Input) क्या है ?
उत्तर-
उत्पादन-प्रक्रिया की दृष्टि से एक उत्पादकीय फर्म द्वारा जो भी वस्तुएं एवं सेवाएँ खरीदी जाती हैं, उन्हें आगत कहते हैं।

प्रश्न 8.
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
आर्थिक वस्तु के लिए कीमत देनी पड़ती है जबकि अनार्थिक वस्तु के लिए कीमत नहीं देनी पड़ती।

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प्रश्न 9.
उपभोक्ता वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकता को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं।

प्रश्न 10.
पूंजीगत वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो अन्य वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होती हैं।

प्रश्न 11.
गैर टिकाऊ या एक प्रयोग उपभोग वस्तुएं कौन सी हैं ?
उत्तर-
गैर-टिकाऊ या एक प्रयोग उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो एक बार उपभोग करने के बाद समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 12.
एक प्रयोग उपभोग वस्तुओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
चाय, ब्रैड, मक्खन, बिस्कुट आदि ।

प्रश्न 13.
अर्द्ध टिकाऊ उपभोग वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्द्ध टिकाऊ उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उपभोग प्रायः एक वर्ष की अवधि तक किया जा सकता है जैसे कमीज़, फर्नीचर, परदे, क्राकरी आदि।

प्रश्न 14.
टिकाऊ उपभोग वस्तुओं के तथ्य को उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
टिकाऊ उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उपभोग बार-बार किया जा सकता है जैसे टी०वी०, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि।

प्रश्न 15.
एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो उत्पादन की क्रिया में केवल एक बार ही प्रयोग में लाई जा सकती हैं जैसे ईंधन, कच्चा माल आदि।

प्रश्न 16.
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं कौन-सी वस्तुएँ हैं ?
उत्तर-
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
उपभोग वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में भेद का क्या आधार है ?
उत्तर-
इनमें अन्तर का आधार इनके उपभोग का उद्देश्य है।

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प्रश्न 18.
मध्यवर्ती उपभोग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है उत्पादन के लिए गैर टिकाऊ वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग।

प्रश्न 19.
फर्मों का मध्यवर्ती उपभोग क्या है ?
उत्तर-
उद्यमों के मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है गैर टिकाऊ वस्तुओं और सेवाओं, विज्ञापन, अनुसन्धान तथा विकास आदि पर किया गया व्यय।

प्रश्न 20.
गैर वित्तीय निगमित उद्यमों के मध्यवर्ती उपभोग के उदाहरण दें।
उत्तर-
कच्चा माल और ईंधन।

प्रश्न 21.
टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जाता है जैसे मशीन।

प्रश्न 22.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है या जो पुनः बिक्री के लिए खरीदे जाते हैं।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ किसे कहते हैं ? Distinguish between material and non-material goods.)
उत्तर-
भौतिक तथा अभौतिक पदार्थों में अग्रलिखित अंतर हैं –

भौतिक वस्तुएँ अभौतिक वस्तुएँ
1. इनका भौतिक स्वरूप होता है अर्थात् इन्हें देखा जा सकता है, छुआ जा सकता है। 1. इनका भौतिक स्वरूप नहीं होता।
2. इनके उत्पादन और उपभोग में समय अन्तर होता है। 2. इनका उत्पादन और उपभोग साथ-साथ होता है।
3. इनका संग्रह किया जा सकता है। 3. इनका संग्रह नहीं किया जा सकता ।
4. इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तान्तरित किया जा सकता
है।
4. इन्हें हस्तान्तरति नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2.
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुएँ किसे कहते हैं ? (Distinguish between economic and non economic goods.) उत्तर-
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुओं में निम्न अन्तर पाया जाता है-

आर्थिक वस्तुएँ अनार्थिक वस्तुएँ
1. इनकी पूर्ति सीमित होती है। 1. इनकी पूर्ति सीमित नहीं होती।
2. इनके लिए कीमत देनी पड़ती है। 2. ये निःशुल्क प्राप्त होती हैं।
3. इनका उत्पादन सीमित साधनों द्वारा किया जाता हैं जैसे हवा और धूप। 3. ये वस्तुएँ प्रकृति द्वारा उपहार स्वरूप प्राप्त होती है।

प्रश्न 3.
एक प्रयोग उपभोग वस्तुओं तथा टिकाऊ उपभोग वस्तुओं पर एक टिप्पणी लिखिए। (Write a note on single use consumer goods and consumer durables.)
उत्तर-
कई वस्तुएं एक ही बार प्रयोग में लाई जा सकती हैं जैसे फल, ईंधन, दूध, आटा, बिजली आदि। इन वस्तुओं का तुष्टिगुण एक बार के प्रयोग से समाप्त हो जाता है। ऐसी वस्तुओं को एकल प्रयोग वस्तुएँ अथवा गैर-टिकाऊ वस्तुएँ कहते हैं। सेवायें भी इसी श्रेणी में आती हैं। इन वस्तुओं की मांग निरन्तर रूप से की जाती रहती है। कई वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें निरन्तर रूप से कई वर्षों तक प्रयोग में लाया जा सकता है जैसे टेलीविज़न, फ्रिज, कार आदि। ऐसी वस्तुएँ टिकाऊ कहलाती हैं।

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? (What do you mean by intermediate goods ?)
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं प्रायः गैर टिकाऊ होती हैं। सभी गैर-साधन आगत (non factor inputs) मध्यवर्ती वस्तुएँ होते हैं। गैर साधन आगतों में साधन आगतों (factor inputs) को छोड़कर उत्पादन में काम आने वाले अन्य साधन शामिल हैं। साधन आगत टिकाऊ होते हैं। वर्ष के दौरान खरीदा गया माल भण्डार यदि वर्ष के दौरान प्रयोग में आ जाता है तो यह मध्यवर्ती वस्तु कहलाता है। मध्यवर्ती वस्तुएँ उत्पादन प्रक्रिया में पुनः प्रयोग में आती हैं और इनका सम्बन्ध उपभोग और निवेश के लिए नहीं होता। ये वस्तुएँ उत्पादन परिसीमा के अन्दर होती हैं। मध्यवर्ती वस्तुएँ राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होतीं, केवल अन्तिम वस्तुओं का मूल्य आंका जाता है।

III. लयु उत्तरीय प्रश्न (Very Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अन्तिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? इसके दो उदाहरण दें। (What do you mean by final goods ? Give two examples of final goods.)
उत्तर-
अन्तिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका या तो अन्तिम उपभोग के लिए या पूंजी निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है। इनकी पुनः बिक्री नहीं होती। अन्तिम वस्तुएँ उत्पादन परिसीमा से बाहर निकलकर अन्तिम प्रयोग के लिए होती हैं। उदाहरण के लिए सोफा सेट, कपड़ा बनाने की मशीनें, स्कूटर, पंखे आदि अन्तिम वस्तुओं के उदाहरण हैं। अन्तिम वस्तुएँ दो प्रकार की हो सकती हैं-

  1. उपभोक्ता वस्तुएँ (वे अन्तिम वस्तुएँ जो उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को प्रत्यक्षरूप से सन्तुष्ट करती हैं जैसे टेलीविज़न (टिकाऊ वस्तु), कमीज, फर्नीचर (अर्द्ध टिकाऊ वस्तु) और गैर टिकाऊ वस्तुएँ (फल, सब्जी, दूध आदि) तथा
  2. पूंजीगत वस्तुएँ वे अन्तिम वस्तुएँ जो आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, पूंजीगत वस्तुएँ कहलाती हैं जैसे कार, ट्रक, इमारतें, वायुयान, मशीनें, सड़कें, पुल आदि।

प्रश्न 2.
उत्पादन के मूल्य तथा मूल्य वृद्धि में अन्तर बताइये। (Explain the difference between value of output and value added.)
उत्तर-
उत्पादक फर्मे एक लेखा वर्ष के दौरान वस्तुओं के उत्पादन के लिए कच्चा-माल (मध्यवर्ती वस्तुएँ) और साधन आगतों (factor inputs) का प्रयोग करती हैं। विभिन्न फर्मे एवं उत्पादन इकाइयां भिन्न-भिन्न वस्तुओं का उत्पादन करती हैं। इस उत्पादन का मौद्रिक मूल्य, उत्पादन मूल्य (value of output) कहलाता है। उत्पादन मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल होता है। इसलिए यह राष्ट्रीय आय की गणना का आधार नहीं हो सकता क्योंकि यहाँ दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है।

एक लेखा वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, जिसमें चालू कार्य में शुद्ध वृद्धि और स्व लेखा (own account) पर उत्पादित वस्तुएँ भी शामिल हैं, उत्पादन मूल्य कहलाता है। उत्पादन मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल है जिन्हें उत्पादित फर्म ने अन्य फर्मों से प्राप्त किया। यदि उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटा दिया जाये तो उसे मूल्य वृद्धि कहते हैं। उत्पादन मूल्य = फर्म द्वारा बिक्री + माल भण्डार में वृद्धि मूल्य वृद्धि = उत्पादन मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग प्रवाह में योगदान डाला जाता है। राष्ट्रीय आय सम्बन्धी आंकड़े-राष्ट्रीय आय लेखा विधि में अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन, बांट तथा कुल उपभोग सम्बन्धी आंकड़ों की जानकारी दी गई होती है।

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प्रश्न 3.
बाजार से खरीदे गये रेफ्रिजरेटर के कौन-कौन से उपयोग हो सकते हैं ? (Explain the different uses of Refrigerator.)
उत्तर-
एक उपभोक्ता प्रत्यक्ष रूप से अपनी आवश्यकता सन्तुष्ट करने के लिए फ्रिज खरीदता है तो यह प्रयोग घरेलू प्रयोग होगा। अतः यह उपभोक्ता वस्तु होगी और क्योंकि इसका प्रयोग बार-बार किया जायेगा, अत: यह टिकाऊ वस्तु होगी। सरकार द्वारा सैनिक उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाने वाला फ्रिज मध्यवर्ती वस्तु (Intermediate good) है। एक होटल द्वारा ठण्डा कोला बेचे जाने के लिए खरीदा फ्रिज पूंजीगत वस्तु है। वे अन्तिम वस्तुएँ जो आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, पूंजीगत वस्तुएँ कहलाती हैं। एक दवाई विक्रेता यदि फ्रिज दुकान के लिए खरीदता है तो वह पूंजीगत टिकाऊ वस्तु है।

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती उपभोग की मांग को स्पष्ट कीजिये। (Explain the demand for intermediate consumption.)
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग की मांग अर्थव्यवस्था के विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों द्वारा की जाती है। सभी उद्यमी दो प्रकार के आगतों (Inputs) का प्रयोग करके वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करते हैं। अर्थात् साधन आगत या प्राथमिक आगत (Factor inputs or primary inputs) तथा गैर साधन आगत या द्वितीयक आगत (Non-factor inputs or secondary inputs)। मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है सभी उत्पादक क्षेत्रों तथा सरकार द्वारा उत्पादन के लिए गैरसाधन आगतों का प्रयोग करना।

1.उद्यमियों का मध्यवर्ती उपभोग = उत्पादन में प्रयोग की जाने वाली गैर टिकाऊ वस्तुएँ व सेवायें (Non durable goods and services) + पूंजीगत स्टॉक की मरम्मत तथा रख-रखाव (Repair and maintenance of capital goods) + अनुसंधान तथा विकास पर व्यय (expenditure on research and development) + व्यावसायिक यात्राओं आदि पर व्यय (expenditure on business tours) + अन्य व्यय (परिवारों के मकान, दुकान, गोदाम, कारखानों की इमारतों के रख-रखाव पर व्यय)।

2. सामान्य सरकार का मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Consumption of General Government) = गैर टिकाऊ वस्तुएँ (Non durable goods) + टिकाऊ वस्तुएँ (Durable goods) + मरम्मत एवं रख-रखाव पर खर्च (expenditure on Repair and Maintenance) + विदेशों से उपहार तथा हस्तान्तरण (Gifts and Transfers from foreign governments)- विदेशों से प्राप्त जो वस्तुएँ बिना किसी परिवर्तन के उपभोक्ता परिवारों में वितरित कर दी जाती हैं उन्हें मध्यवर्ती वस्तु नहीं माना जाता। सरकार द्वारा खरीदी गई टिकाऊ तथा गैर टिकाऊ तथा विदेशी सरकारों से प्राप्त वस्तुओं का शुद्ध मूल्य निकालने के लिए उनके क्रय मूल्य से सरकार द्वारा पुरानी वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त रकम को घटा दिया जाता है।

प्रश्न 5.
स्व-उपभोग के लिए उत्पादित वस्तुओं के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। (Explain the nature of goods produced for self-consumption.)
उत्तर-
प्रत्येक देश में अनेक उदाहरण ऐसे मिलते हैं जहां उत्पादक उत्पादन का एक भाग अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रखते हैं और परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद जो भी अधिशेष उत्पादन बचता है उसे बाज़ार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है। यह बात केवल वस्तुओं पर ही लागू नहीं होती बल्कि सेवाओं पर भी लागू होती है। पारिवारिक स्नेह या उत्तरदायित्व के कारण जब कोई व्यक्ति अपनी सेवाएं प्रदान करता है तो वे सेवाएं स्व-उपभोग सेवाएं कहलाती हैं।

उदाहरण के लिए गृहिणी परिवार में अनेक बहुमूल्य सेवाएं प्रदान करती है। परिवार के लिए भोजन बनाना, परिवार के सदस्यों के लिए कपड़े सीना, अस्वस्थ होने पर नर्स का कार्य करना, घर में बच्चों को शिक्षा देना, कढ़ाई-बुनाई आदि। यदि ये सेवाएं हम पारिश्रमिक द्वारा प्राप्त करना चाहें तो सम्भवतः प्राप्त न हों क्योंकि हम मुद्रा द्वारा भोजन तो प्राप्त कर सकते हैं परन्तु उस भोजन में जो भाव होता है उसे कहाँ से लाया जाए ? जब तक अध्यापक अपने बच्चे को घर पर पढ़ाता है, नर्स अपने बच्चे की देखभाल करती हैं, एक कलाकार अपने घर के लिए चित्र बनाता है, एक डॉक्टर अपनी पत्नी का इलाज करता है आदि ये सभी स्व-उपभोग सेवाओं के उदाहरण हैं।

एक किसान अपने उपभोग के लिए कुल उत्पादन में से गेहूँ का एक भाग रख लेता है, एक जुलाहा अपने उत्पादन में से घर के लिए कपड़ा बचा लेता है, एक मोची अपने उत्पादन में से जूते अपने लिए रख लेता है, ये सभी स्व-उपभोग के उदाहरण हैं। हम कह सकते हैं कि स्व-उपभोग के लिए उपयोग में लाई गई वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्यांकन नहीं होता जबकि ये वस्तुएँ और सेवाएं मौद्रिक मूल्य रखती हैं।

प्रश्न 6.
स्टॉक तथा प्रवाह में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
स्टॉक तथा प्रवाह में अन्तरस्टॉकया ।

स्टॉक प्रवाह
1. स्टॉक का माप समय के बिन्दु पर किया जाता 1. प्रवाह का माप समय की अवधि में किया जाता
है।
2. स्टॉक का समय काल नहीं होता। 2. स्टॉक का समय काल होता है जैसे प्रति घण्टा, प्रति महीना आदि।
3. प्रवाह एक परिवर्तनशील धारणा है। 3. स्टॉक एक स्थिर धारणा है।
4. प्रवाह देश में स्टॉक को प्रभावित करता है। 4. स्टॉक देश में प्रवाह को निर्धारित करता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का वर्णन कीजिए। (What is meant by goods ? Mention the different types of goods.)
उत्तर-
मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। वस्तुएं भौतिक होती हैं तथा सेवाएं अभौतिक होती हैं। पदार्थ वे वस्तुएं हैं जिन्हें मनुष्य प्राप्त करना चाहता है। वे सब वस्तुएँ जो मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं, पदार्थ कहलाती हैं। (Goods are desirable things. All things that satisfy human wants are called goods-Marshall). राष्ट्रीय आय लेखांकन में मनुष्य द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं को कई वर्गों में बांट दिया जाता है।
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1. उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer Goods)-उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उपभोक्ता वस्तुएं अन्तिम उपभोग के लिए प्रयोग की जाती हैं। उदाहरण के लिए कमीज़, चाय, पैप्सी, कोला, पैन आदि।

(A) एक प्रयोग वाली उपभोग वस्तुएं (Single Use Consumer Goods)-एक प्रयोग वाली उपभोग वस्तुएं वे जिनका उपभोग केवल एक बार ही किया जाता है अर्थात् जो एक बार उपयोग करने के साथ ही समाप्त हो जाती हैं। जैसे रोटी, चाय, कॉफी, आदि।

(B) टिकाऊ उपभोग वस्तुएं (Durable Consumer Goods)-टिकाऊ वस्तुएँ वे वस्तुए हैं जिनका काफी लम्बे समय तक उपयोग किया जा सकता है। जैसे-रेडियो, कार, स्कूटर, वाशिंग मशीन, टेलीविज़न आदि टिकाऊ उपभोग वस्तुएं हैं।

2. पूंजीगत पदार्थ या उत्पादक वस्तुएं (Capital or Producer’s Goods)-पूंजीगत पदार्थ वे पदार्थ हैं जो वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होते हैं। ये वस्तुएं प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट नहीं करतीं। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन के फलस्वरूप पूंजी का निर्माण होता है। पूंजीगत वस्तुओं को भी दो भागों में बांटा जा सकता है।

(A) एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएं (Single use Capital Goods)-एक प्रयोग पूंजीगत उत्पादक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उत्पादन की एक ही क्रिया में समाप्त हो जाती हैं। जैसे-कच्चा माल।

(B) टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएँ (Durable Capital Goods)-टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मशीनें, यन्त्र, फैक्ट्री, ट्रैक्टर आदि।

प्रश्न 2.
आर्थिक वस्तुओं तथा अनार्थिक वस्तुओं में अन्तर बताइये। (Distinguish between economic goods and non-economic goods.)
उत्तर-
उत्पादन प्रक्रिया के अन्तर्गत अनेक पदार्थों का उत्पादन किया जाता है। इसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थों को शामिल किया जाता है। भौतिक पदार्थों को वस्तुएं कहते हैं जबकि अभौतिक पदार्थों को सेवायें कहा जाता है। वस्तुओं के उत्पादन तथा उपभोग में समय अन्तर होता है, जबकि सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में समय अन्तर नहीं होता।

आर्थिक पदार्थ (Economic Goods)-ये वे पदार्थ हैं जो मानव द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कीमत देकर प्राप्त किए जाते हैं। ऐसी वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए हमें आर्थिक कार्य करने पड़ते हैं जिससे आर्थिक साधनों को प्राप्त किया जा सके। इन्हें प्राप्त करने के लिए या तो मुद्रा अथवा अन्य वस्तुओं का त्याग करना पड़ता है।

अनार्थिक पदार्थ (Non-Economic Goods)-अनार्थिक वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्राप्त हो जाती हैं। इनके लिए साधनों का त्याग नहीं किया जाता। ये लागतहीन वस्तुएं होती हैं। जैसे-हवा, धूप, रोशनी, रेत आदि। आर्थिक और अनार्थिक वस्तुओं के बीच कोई विभाजन रेखा नहीं खींची जा सकती। उदाहरण के लिए गांवों में पानी एक अनार्थिक वस्तु हैं, क्योंकि यह नि:शुल्क प्राप्त होता है परन्तु शहरों में पानी एक आर्थिक वस्तु है, क्योंकि इसके लिए मूल्य चुकाना पड़ता है।

इन दोनों प्रकार के पदार्थों में आधारभूत अन्तर पदार्थ की दुर्लभता (Scarcity) है। यहां दुर्लभता का प्रयोग तुलनात्मक (relative) अर्थों में किया जाता है। इनका सम्बन्ध वस्तुओं की निरपेक्ष (absolute) मात्रा से नहीं है। दुर्लभता का पता करने के लिए हमें मांग या पूर्ति की तुलना करनी पड़ती है। उस वस्तु को दुर्लभ कहते हैं जिसकी मांग, पूर्ति से अधिक हो। जिस वस्तु की मांग पूर्ति से बहुत कम हो वह वस्तु दुर्लभ नहीं होती, जैसे-गन्दे अण्डे, सड़े हुए टमाटर आदि। इसी कारण ये पदार्थ नि:शुल्क प्राप्त होते हैं। कोई वस्तु अथवा सेवा आर्थिक पदार्थ है या नहीं, इसका निर्णय उसके मूल्य पर निर्भर करता है। नि:शुल्क प्राप्त पदार्थ का वर्गीकरण न तो निश्चित है और न ही स्थायी। संसार में विकास के साथ-साथ नि:शुल्क पदार्थों का क्षेत्र कम हो रहा है तथा आर्थिक पदार्थों का क्षेत्र बढ़ रहा है।

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प्रश्न 3.
वस्तुओं एवं सेवाओं के अन्तिम उपभोग का वर्गीकरण कीजिए। (Classify the final consumption of goods and services.) उत्तर-
अन्तिम उपभोग के अनुसार वस्तुओं एवं सेवाओं को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1. उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer goods)-उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उपभोक्ता गृहस्थ एवं सामान्य सरकार दोनों ही उपभोक्ता वस्तुओं की मांग करते हैं। उपभोक्ता वस्तु टिकाऊ तथा गैर टिकाऊ हो सकती है। उपभोक्ता गृहस्थों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली उपभोक्ता वस्तुओं में कार, रेफ्रिजरेटर, स्कूटर, टी.वी., वी.सी. आर. वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर आदि को शामिल किया जाता है। अर्द्ध टिकाऊ वस्तुओं (semi durables) में फर्नीचर, पर्दे आदि को शामिल किया जाता है जो सामान्यतः एक वर्ष तक चलते हैं। टिकाऊ वस्तुओं का उपयोग सामान्य सरकार द्वारा भी किया जाता है और ये सामान्य सरकार के अन्तिम उपभोग व्यय में शामिल होती हैं। इसी प्रकार गृहस्थों तथा सामान्य सरकार द्वारा उपभोग की गई गैर-टिकाऊ वस्तुओं में खाद्य पदार्थ,पेय-पदार्थ, दवाइयां, पेट्रोल, पेन्सिल, कागज़, स्याही, साबुन, तेल आदि शामिल होते हैं। ये वस्तुएं भी उनके अन्तिम उपभोग व्यय का हिस्सा होती हैं।

2. मध्यवर्ती वस्तुएं (Intermediate Goods)-मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है या जिनकी पुनः बिक्री की जाती है। सामान्यतः सरकार द्वारा वाहनों, हवाई जहाज़ों, सैनिक सामान के गोदामों, रेफ्रिजरेटर्स आदि का उपभोग मध्यवर्ती वस्तुओं के उपभोग के उदाहरण हैं। इसी प्रकार गैर टिकाऊ वस्तुएं एवं सेवायें जैसे कि स्टेशनरी, कपड़ा, पेट्रोल, तेल आदि जिनका उपयोग निगमित उद्यमों एवं सरकार द्वारा उत्पादन के दौरान किया जाता है, मध्यवर्ती वस्तुएं कहलाती हैं। परन्तु यदि इन्हीं वस्तुओं व सेवाओं का उपभोग यदि गृहस्थों द्वारा किया जाता है तो इन्हें उपभोक्ता वस्तुएँ कहेंगे।

3. पूंजीगत वस्तुएँ (Capital Goods)-भावी उत्पादन के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग किया जाता है उन्हें पूंजीगत वस्तुएं कहते हैं। फैक्ट्री की इमारत, मशीनें, प्लांट, उपस्कर, सड़क, बांध, नहरें, हवाई जहाज़, ट्रक आदि टिकाऊ पूंजीगत वस्तुओं के उदाहरण हैं। पूंजीगत वस्तुओं में कच्चे माल के स्टॉक, अर्ध निर्मित वस्तुओं के स्टॉक तथा अन्तिम वस्तुओं के स्टॉक भी शामिल किए जाते हैं। पूंजीगत वस्तुओं का उपभोग अर्थव्यवस्था के केवल उत्पादक क्षेत्र के द्वारा ही किया जाता है। एक वस्तु जो एक श्रेणी के उपभोक्ता के लिए उपभोक्ता वस्तु हैं, दूसरी श्रेणी के लिए मध्यवर्ती वस्तु और तीसरी श्रेणी के उपभोक्ता के लिए पूंजीगत वस्तु कहलाती है। सरकार द्वारा उपभोग की गई सभी मध्यवर्ती वस्तुएँ उसके अन्तिम उपभोग का अंग है।

प्रश्न 4.
पूंजी निर्माण से क्या अभिप्राय है ? सकल घरेलू पूंजी निर्माण तथा सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण में अन्तर बताइये। (Explain the meaning of capital formation. Distinguish between Gross Domestic capital formation and Gross Domestic fixed capital formation.)
उत्तर-
एक वित्तीय वर्ष में उपभोग की तुलना में उत्पादन के आधिक्य (surplus) को जिसे भविष्य में उत्पादन में प्रयोग किया जाता है, पंजी निर्माण कहते हैं। एक वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण तथा स्टॉक में परिवर्तन के योग को सकल घरेलू पूंजी निर्माण कहते हैं। सकल घरेलू पूंजी निर्माण = सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन। सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण एक वित्तीय वर्ष में नई परिसम्पत्तियों तथा पुरानी भौतिक परिसम्पत्तियों के शुद्ध क्रय का जोड़ है।

सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण = नई परिसम्पत्तियां + पुरानी भौतिक परिसम्पत्तियों का शुद्ध क्रय। नई परिसम्पत्तियों को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है-

  • बाज़ार में उत्पादन इकाइयों से क्रय करके तथा
  • स्वयं के उपभोग के लिए उत्पादन द्वारा। उदाहरण के लिए सरकार पैराशूट बनाने के लिए धागा या कपड़ा निजी उद्यमों से बाज़ार में खरीद सकती है या स्वयं के उपयोग हेतु इसका उत्पादन कर सकती है। नई परिसम्पत्तियों को विदेशों से भी आयात किया जा सकता है। निजी एवं सार्वजनिक उद्यम दोनों ही आयातित परिसम्पत्तियों को प्राप्त कर सकते हैं।

ये परिसम्पत्तियां निम्न हैं

  1. सड़कें एवं पुल
  2. इमारतें,
  3. विनिर्माण क्रिया (Construction Activity)
  4. परिवहन उपस्कर (Transport Equipment) तथा
  5. मशीनें, प्लांट एवं अन्य उपस्कर (Machinery, Plants and other Equipments)।

पुरानी सम्पत्तियों का क्रय-विक्रय (Purchase and sale of old assets)-पुरानी परिसम्पत्तियों के क्रयविक्रय को भी स्थिर घरेलू पूंजी निर्माण में शामिल किया जाता है। तकनीकी परिवर्तनों के साथ अपने उद्यम को समन्वित करने के उद्देश्य से अपनी पुरानी और अप्रचालित भौतिक परिसम्पत्तियों को बेचकर नई परिसम्पत्तियां प्राप्त करते हैं।

स्टॉक में परिवर्तन (Change in Stock or Inventories)-स्टॉक के भौतिक मूल्य में निम्न रूपों में परिवर्तन हो सकते हैं –
(क) उत्पादक गृहस्थों तथा उद्यमों के पास कच्चे माल, अर्द्ध-निर्मित माल तथा निर्मित माल के स्टॉक में परिवर्तन।
(ख) सरकार के स्वामित्व में सामरिक महत्त्व (Strategic importance) के तथा खाद्यान्नों के स्टॉक में परिवर्तन।
(ग) उद्यमों द्वारा बूचड़खानों (Slaughter houses) में काम आने वाले पशुओं के स्टॉक में परिवर्तन। स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक (Closing Stock)-आरम्भिक स्टॉक (Opening Stock)।

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