Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 9 उपभोग प्रवृत्ति और बचत प्रवृत्ति Textbook Exercise Questions, and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 9 उपभोग प्रवृत्ति और बचत प्रवृत्ति
PSEB 12th Class Economics उपभोग प्रवृत्ति और बचत प्रवृत्ति Textbook Questions and Answers
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
उपभोग फलन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
उपभोग तथा आय के सम्बन्ध को ही उपभोग फलन कहते हैं।
प्रश्न 2.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कुल उपभोग में परिवर्तन और कुल आय में परिवर्तन के अनुपात को व्यक्त करती है।
अर्थात्
प्रश्न 3.
औसत उपभोग प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-समग्र उपभोग व्यय को समग्र आय से विभाजित करने पर जो भागफल आता है, उसको औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
अर्थात्
प्रश्न 4.
बचत फलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बचत फलन बचत और आय के सम्बन्ध को व्यक्त करता है।
प्रश्न 5.
औसत बचत प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समग्र बचत को समग्र आय से विभाजित करने पर जो भजनफल आता है उसे औसत बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 6.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आय में परिवर्तन से बचत में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 7.
बचत प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक अनुसूची जिसमें बचत और आय के सम्बन्ध को प्रकट किया जाता है, उस अनुसूची को बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 8.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का माप कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का माप करने के लिए उपभोग में परिवर्तन को आय में परिवर्तन से बांट दिया जाता है।
प्रश्न 9.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति आय के स्तर पर क्या प्रभाव डालती है ?
उत्तर-
जितनी सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति अधिक होगी आय में उतनी अधिक वृद्धि होगी।
प्रश्न 10.
क्या औसत बचत प्रवृत्ति ऋणात्मक हो सकती है ? यदि हाँ तो कब ऐसा होता है ?
उत्तर-
औसत बचत प्रवृत्ति (APS) ऋणात्मक हो सकती है जब APC > 1. ऐसा तब होता है जब उपभोग (C) आय (Y) से अधिक हो।
प्रश्न 11. सीमान्त बचत प्रवृत्ति और सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-सी
मान्त बचत प्रवृत्ति और सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का योग इकाई के बराबर होता है। अर्थात् (MPS + MPC = 1)|
प्रश्न 12.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य क्या होगा यदि सीमान्त बचत प्रवृत्ति शून्य (Zero) होती है।
उत्तर-
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य इकाई (1) के बराबर होगा।
प्रश्न 13.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति का अधिकतम मूल्य क्या हो सकता है ?
उत्तर-
सीमान्त बचत प्रवृत्ति का अधिकतम मूल्य इकाई (1) के बराबर हो सकता है।
प्रश्न 14.
औसत बचत प्रवृत्ति और औसत उपभोग प्रवृत्ति में से किस का मूल्य इकाई से अधिक हो सकता है और कब ?
उत्तर-
APC का मूल्य इकाई से अधिक हो सकता है जब उपभोग, आय से अधिक होता है (C > Y).
प्रश्न 15.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति का अधिकतम मूल्य कितना हो सकता है ?
उत्तर-
सीमान्त बचत प्रवृत्ति का अधिकतम मूल्य इकाई (1) के बराबर हो सकता है।
प्रश्न 16.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य इकाई (1) से अधिक क्यों नहीं होता ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि उपभोग में परिवर्तन, आय में परिवर्तन से अधिक नहीं हो सकता।
प्रश्न 17.
यदि MPC = 0.8 है तो MPS कितनी होगी ?
उत्तर-
MPC + MPS = 1
0.8 + MPS = 1 MPS
= 1 – 0.8 = 0.2 उत्तर
प्रश्न 18.
यदि MPS = 0.75 है तो MPC कितनी होगी ?
उत्तर-
MPC + MPS = 1
MPC + 0.75 = 1
MPC = 1 – 0.75 = 0.25 उत्तर
प्रश्न 19.
यदि खर्चयोग आय (Disposable Income) 1000 करोड़ रुपए है और उपभोग व्यय 750 करोड़ रुपए है तो औसत बचत प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर-
APS = \(\frac{S}{Y}=\frac{250(1000-750)}{1000}=\frac{1}{4}\) = 0.25 or 25%.
प्रश्न 20.
यदि MPS = 1 तो MPC कितनी होगी ?
उत्तर-
MPC + MPS = 1
1 – MPS = 1-1 = 0(Zero)
प्रश्न 21.
नियोजन बचत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नियोजन बचत (Planned or Ex-ante) का अर्थ जितनी बचत करने की लोग इच्छा रखते हैं।
प्रश्न 22.
वास्तविक बचत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वास्तविक बचत (Actual or Ex-Post) का अर्थ जितनी बचत लोगों द्वारा की जाती है।
प्रश्न 23.
क्या वास्तविक बचत और नियोजन बचत बराबर हो सकती है ?
उत्तर-
बराबर हो भी सकती है परन्तु ज़रूरी नहीं बराबर ही हो।
प्रश्न 24.
APC और APS में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
APC + APS = 1
प्रश्न 25.
उपभोग प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक सूचीपत्र जिसमें उपभोग तथा आय के सम्बन्ध को प्रकट किया जाता है उस सूचीपत्र को उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 26.
अल्पकालीन उपभोग प्रवृत्ति का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
C = a + by
C = अल्पकालीन उपभोग
a = स्वतन्त्र उपभोग
b = सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति
Y = आय।
प्रश्न 27. ‘
दीर्घकालीन उपभोग प्रवृत्ति का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
C = by
समें C = दीर्घकालीन उपभोग
b = सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति
Y = आय।
प्रश्न 28.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का मान कितना होता है ?
उत्तर-
MPC का मान 0 से 1 के बीच में होता है।
प्रश्न 29.
यदि औसत उपभोग प्रवृत्ति 0.65 है तो औसत बचत प्रवृत्ति कितनी होगी ?
उत्तर-
APC + APS = 1
0.65 + APS = 1
ADS = 1 – 0.65 = 0.35 उत्तर
प्रश्न 30.
औसत बचत प्रवृत्ति (APS) =…………………………..
उत्तर-
औसत बचत प्रवृत्ति APC =
प्रश्न 31.
औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) =……………………..
उत्तर-
औसत उपभोग प्रवृत्ति (AFC) =
प्रश्न 32.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = …………………………..
उत्तर-
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) =
प्रश्न 33.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) = ………..
उत्तर-
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) =
प्रश्न 34.
यदि MPC = , है तो MPS कितनी होगी ?
उत्तर-
MPC = MPS = 1
\(\frac{1}{2}\) + MPS = 1
MPS = 1- \(\frac{1}{2}\) = \(\frac{1}{2}\) उत्तर
प्रश्न 35.
क्या औसत बचत प्रवृत्ति ऋणात्मक हो सकती है ? यदि हाँ तो ऐसा कब होता है ?
उत्तर-
औसत बचत प्रवृत्ति (APS) ऋणात्मक हो सकती है जब APC>1 ऐसा तब होता है जब उपभोग (C) आय (Y) से अधिक हो।
प्रश्न 36.
यदि MPC = 0.8 है तो MPS कितनी होगी ?
उत्तर-
MPC + MPS = 1
0.8 + MPS = 1
MPS 1- 0.8 = 0.2 उत्तर
प्रश्न 37.
यदि MPS = 0.8 है तो MPC कितनी होगी ?
उत्तर-
MPC + MPS = 1
MPC + 0.3 = 1
MPS = 1 – 0.3 = 0.7 उत्तर
प्रश्न 38.
यदि खर्चयोग आय (Disposable Income) ₹ 1000 करोड़ हैं। और उपभोग व्यय ₹750 करोड़ हैं तो औसत बचत प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर-
APS = \(\frac{250(1000-750)}{1000}=\frac{1}{4}\) = 0.25 Or 25%
प्रश्न 39.
यदि MPS = 1 तो MPC कितनी होगी ?
उत्तर-
MPS + MPC = 1
MPC = 1 – MPS
= 1-1 = 0 (शून्य)
प्रश्न 40.
APC और APS में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
APC + APS = 1
प्रश्न 41.
उपभोग प्रवृत्ति का अर्थ देश में कुल उपभोग से होता है ?
उत्तर-
ग़लत।
प्रश्न 42.
\(\frac{\Delta \mathbf{C}}{\Delta \mathbf{Y}}\) = MPC
उत्तर-
सही।
प्रश्न 43.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का अधिकतम मूल्य कितना हो सकता है ?
(a) शून्य (0)
(b) 1
(c) 2
(d) 10,000.
उत्तर-
(b) 1.
प्रश्न 44.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति का न्यूनतम मूल्य कितना हो सकता है ?
उत्तर-
(a) शून्य (0)
(b) 1
(c) \(\frac{1}{2}\)
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) शून्य (0)।
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ? ।
उत्तर-
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें पारिवारिक क्षेत्र (Household Sector) तथा फ़र्मे (Firms) अथवा उत्पादन क्षेत्र होता है। इसलिए कुल मांग में उपभोग तथा निवेश को शामिल किया जाता है। इसमें सरकारी क्षेत्र तथा शेष विश्व क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाता।
प्रश्न 2.
पूर्ण रोज़गार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ण रोज़गार उस स्थिति को कहा जाता है, जिसमें वह श्रमिक जो वर्तमान प्रचलित मज़दूरी की दर पर कार्य करना चाहते हैं तथा उनको बिना देरी से कार्य प्राप्त हो जाता है। पूर्ण रोज़गार में अनइच्छित बेरोज़गारी का अभाव होता है ।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
उपभोग प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोग तथा आय के सम्बन्ध को उपभोग फलन कहते हैं। इसे निम्न सूत्र द्वारा दिखाया जा सकता है–
C = f cy
अर्थात् Consumption in the function of National Income.
उपभोग प्रवृत्ति एक अनुसूची पत्र होता है जिसमें आय के विभिन्न स्तर पर उपभोग की स्थिति को दिखाया जाता है। उपभोग प्रवृत्ति को एक सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 1 में दिखाया है कि जब लोगों की आय सिफर (Zero) होती है तो भी लोग ₹ 50 करोड़ उपभोग पर खर्च करते हैं। यह पैसे लोग उधार लेकर अथवा पुरानी बचत को खर्च करके पूरा करते हैं। आय ₹ 100 करोड़ पर उपभोग व्यय 100 करोड़ है। इसके पश्चात् जैसे-जैसे आय में वृद्धि होती है उपभोग में भी वृद्धि होती है, परन्तु उपभोग में वृद्धि कम दर से होती है। रेखाचित्र में CC उपभोग प्रवृत्ति वक्र है।
प्रश्न 2.
औसत उपभोग प्रवृत्ति और सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ? इनमें से किस का मूल्य एक से अधिक हो सकता है और कब ?
उत्तर-
किसी भी आय के स्तर पर उपभोग और आय के अनुपात को औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। इसका माप निम्नलिखित अनुसार किया जाता है
APC = \(\frac{C}{Y}\)
APC प्रत्येक आय स्तर पर औसत उपभोग और आय के सम्बन्ध को दर्शाता है।
आय में वृद्धि होने से उपभोग में जो वृद्धि होती है उन वृद्धियों के सम्बन्ध को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
MPC =
जैसा कि आय यदि ₹ 100 करोड़ से बह कर ₹ 110 करोड़ हो जाती है और उपभोग ₹ 60 करोड़ से बढ़कर ₹ 65 करोड़ हो जाता है तो आय में वृद्धि 10 करोड़ होने से उपभोग में वृद्धि ₹ 5 करोड़ हुई है तो-
MPC = \(\frac{\Delta C}{\Delta Y}=\frac{5}{10}=\frac{1}{2}\) or 50%
इन दोनों का मूल्य एक से अधिक हो सकता है जब वर्तमान उपभोग वर्तमान आय से अधिक हो।
प्रश्न 3.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति और औसत बचत प्रवृत्ति का अर्थ बताइए। क्या औसत बचत प्रवृत्ति का मूल्य ऋणात्मक हो सकता है ?
अथवा
इनमें से किसका मूल्य ऋणात्मक हो सकता है ?
उत्तर-
सीमान्त बचत प्रवृत्ति-सीमान्त बचत प्रवृत्ति बचत फलन की ढाल होती है। यह आय में वृद्धि के कारण बचत में हो रही वृद्धि को दर्शाती है।
MPS = \(\frac{\Delta S}{\Delta Y}\)
औसत बचत प्रवृत्ति-औसत बचत प्रवृत्ति किसी भी आय के स्तर पर बचत और आय का अनुपात है।
APS = \(\frac{S}{Y}\)
औसत बचत प्रवृत्ति (APS) सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) दोनों का मूल्य ऋणात्मक हो सकता है जब वर्तमान उपभोग वर्तमान आय से अधिक होता है।
प्रश्न 4.
औसत उपभोग प्रवृत्ति और औसत बचत प्रवृत्ति में क्या सम्बन्ध है ? क्या औसत बचत प्रवृत्ति का मूल्य ऋणात्मक हो सकता है ? यदि हां तो कब ?
उत्तर-
(i) औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC)-प्रत्येक आय के स्तर पर औसत उपभोग, प्रवृत्ति उपभोग तथा आय के सम्बन्ध को दर्शाती है।
(ii) औसत बचत प्रवृत्ति (APS)-औसत बचत प्रवृत्ति प्रत्येक आय के स्तर पर बचत और आय का अनुपात होती है।
APC + APS = 1
औसत बचत प्रवृत्ति का मूल्य ऋणात्मक हो सकता है जब वर्तमान उपभोग, वर्तमान आय से अधिक हो।
प्रश्न 5.
उपभोग फलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोग फलन, उपभोग व्यय और आय के सम्बन्ध को व्यक्त करता है। उपभोग व्यय, आय का फलन है [C = f (y)] अर्थात् आय पर निर्भर करता है। आय में वृद्धि होने से उपभोग व्यय में वृद्धि होती है, परन्तु उपभोग में वृद्धि आय में वृद्धि से कम होती है और उपभोग व्यय शून्य नहीं होता। अर्थशास्त्र में उपभोग फलन को केन्ज़ की सबसे बढ़ी धारणा माना जाता है। इस धारणा पर अर्थशास्त्रियों ने बहुत अधिक खोज की है।
प्रश्न 6.
केन्ज़ के मनोवैज्ञानिक उपभोग के नियम की व्याख्या करें।
उत्तर-
केन्ज़ ने अपनी पुस्तक में उपभोग के सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिक नियम का निर्माण किया, जिसको उपभोग का आधार पूर्वक नियम (Psychological Law or Fundamental Law of Consumption) भी कहा जाता है। इस नियम में केन्ज़ ने तीन धारणाओं को स्पष्ट करने की चेष्टा की है –
- जब किसी देश में लोगों की आय बढ़ती है तो उपभोग में ज़रूर वृद्धि होती है। परन्तु उपभोग में वृद्धि कम दर पर होती है |
C <Y. - जब लोगों की आय में वृद्धि होती है तो इसका कुछ अंश उपभोग पर व्यय किया जाता है और कुछ अंश बचत के रूप में रखा जाता है|
Y = C + S. - जब लोगों की आय में वृद्धि होती है तो उपभोग व्यय और बचत दोनों में वृद्धि होती है। ये तीनों धारणाएं अन्तर्सम्बन्धित हैं।
प्रश्न 7.
अधिक उपभोग प्रवृत्ति एक गुण है जबकि अधिक बचत प्रवृत्ति नहीं है। व्याख्या करें।
उत्तर-
अधिक उपभोग प्रवृत्ति एक गुण है क्योंकि अधिक उपभोग व्यय करने से लोगों की आय में वृद्धि होती है। इसलिए उपभोग प्रवृत्ति एक गुण है जोकि देश में आय तथा रोजगार में वृद्धि करती है। बचत एक व्यक्ति के लिए अच्छी होती है परन्तु अधिक बचत प्रवृत्ति अच्छी नहीं होती। यदि देश में बचत अधिक की जाती है तो इससे उपभोग व्यय कम हो जाता है। एक व्यक्ति का व्यय दूसरे व्यक्ति की आय होती है। इसलिए दूसरे लोगों की आय कम हो जाती है। देश में उत्पादन कम होने लगता है और मन्दीकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस लिए अधिक बचत प्रवत्ति गुण नहीं अभिशाप बन जाती है।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
उपभोग प्रवृत्ति अथवा उपभोग फलन से क्या अभिप्राय है ? उपभोग प्रवृत्ति की किस्में बताएँ।
(What is meant by Consumption section of Propensity to Consume ? Explain the types of Propensity to Consume.)
उत्तर-
उपभोग फलन को उपभोग प्रवृत्ति भी कहा जाता है। कुल उपभोग तथा उपभोग प्रवृत्ति में अन्तर होता है। जब एक उपभोगी देश में ₹ 100 करोड़ में से ₹ 60 करोड़ उपभोग पर खर्च किए जाते हैं तो इसको औसत उपभोग कहा जाता है। जैसे कि 50 = 60% औसत उपभोग है। उपभोग फलन राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उपभोग के क्रियात्मक सम्बन्ध को प्रकट करती है। इसलिए इस धारणा को निम्नलिखित समीकरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
C = f (Y) (उपभोग, आय का फलन है)
साधारणत: उपभोग फलन एक सूची-पत्र होता है जिसमें राष्ट्रीय आय के विभिन्न स्तर पर उपभोग के विभिन्न स्तरों को स्पष्ट किया जाता है। इस सूची-पत्र को उपभोग फलन या उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता है। उदाहरण के लिए उपभोग प्रवृत्ति को एक सूची-पत्र तथा रेखा-चित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
उपभोग फलन तालिका
उपभोग प्रवृत्ति-उपभोग फलन तालिका में स्पष्ट किया है कि जब आय 0 है तो 20 करोड़ | ”
Y=(C+S) रुपए उपभोग पर खर्च है। आय में वृद्धि ₹ 50, 100, 150, 200, 250 करोड़ होती है तो उपभोग में वृद्धि ₹ 20, 60, 100, 140, 180, 220 करोड़ है।
जब E/ Ac b=4C आय 100 करोड़ रुपए हैं तो उपभोग भी ₹ 100 करोड़ है। इसके बाद जैसे-जैसे आय में वृद्धि होती | है, बचत में भी वृद्धि होती है। इस सूची-पत्र को उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
बचत प्रवृत्ति-जब राष्ट्रीय आय 0 है तो बचत (-) 20 करोड़ है। आय 100 करोड़ पर उपभोग ₹ 100 करोड़ हैं। इसके पश्चात् राष्ट्रीय आय बढ़ने से बचत में वृद्धि होती है। रेखा को बचत प्रवृत्ति कहा जाता है।
उपभोग प्रवृत्ति की किस्में (Types of Propensity to Consume)-केन्ज़ ने उपभोग प्रवृत्ति की दो किस्मों को स्पष्ट किया है
(A) औसत उपभोग प्रवृत्ति (Average Propensity to Consume)-एक देश के लोग अपनी आय में से कितने पैसे उपभोग पर खर्च करते हैं। इन दोनों तत्त्वों के सम्बन्ध को औसत उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता है। उदाहरण के लिए यदि राष्ट्रीय आय ₹ 100 करोड़ है और उपभोग पर ₹ 60 करोड़ खर्च किए जाते हैं। राष्ट्रीय उपभोग को राष्ट्रीय आय पर बाँट दिया जाए तो औसत उपभोग प्रवृत्ति प्राप्त हो जाती है।
APC = \(\frac{C}{Y}=\frac{60}{100}\) = ਧਾ 0.6 ਧਾ 60%
रेखाचित्र 3 में दिखाया है कि जब आय ₹ 100 करोड़ है तो उपभोग खर्च 60 करोड़ है। उपभोग प्रवृत्ति CC रेखा पर A बिन्दु औसत उपभोग प्रवृत्ति 60% प्रकट करता है।
(B) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (Marginal Propensity to Consume)-जब किसी देश में राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में भी वृद्धि हो जाती है, जब हम इन वृद्धियों के सम्बन्ध को स्पष्ट करते हैं तो उसको सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता है। उदाहरण के लिए एक देश में राष्ट्रीय आय ₹ 100 करोड़ से बढ़कर ₹ 110 करोड़ हो जाती है और उपभोग ₹ 60 करोड़ से बढ़कर ₹ 65 करोड़ हो जाता है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि ₹ 10 करोड़ है तथा राष्ट्रीय उपभोग में वृद्धि ₹ 5 करोड़ है। इन वृद्धियों के सम्बन्ध को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
MPC = \(\frac{\Delta C}{\Delta Y}=\frac{5}{10}=\frac{1}{2}\) = 0.5 Or 50%
रेखाचित्र 4 में दिखाया गया है कि जब राष्ट्रीय आय 100 करोड़ से बढ़कर ₹ 110 करोड़ हो जाती है तो उपभोग 60 करोड़ से बढ़कर ₹ 65 करोड़ हो जाता है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि ₹ 10 करोड़ होने के कारण उपभोग में वृद्धि ₹ 5 करोड़ है। इन वृद्धियों के सम्बन्ध को सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
MPC = \(\frac{\Delta C}{\Delta Y}=\frac{5}{10}=\frac{1}{2}\) = 0.5 ਧਾ 50%
प्रश्न 2.
बचत प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है ? औसत बचत प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति की धारणा को स्पष्ट करें।
उत्तर-
आय और बचत के सम्बन्ध को बचत प्रवृत्ति कहते हैं। [S = f(y)] अर्थात् बचत आय का फलन है। आय के बढ़ने से बचत भी बढ़ती है और आय के कम होने से बचत कम हो जाती है। केन्ज़ ने अपने मनोवैज्ञानिक नियम में यह बताया है कि जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में वृद्धि तो होती है परन्तु उपभोग में वृद्धि कम अनुपात में होती है और बचत अधिक अनुपात में बढ़ती है। यदि हम साधारण रूप में देखें तो बचत प्रवृत्ति को समझने के लिए सीधी रेखा अंकित चित्र द्वारा आसानी से दिखा सकते हैं।
सूची पत्र में दिखाया गया है कि जब लोग बेरोजगार होते हैं और उनकी आय शून्य होती है तो भी उपभोग पर व्यय किया जाता है जोकि ₹ 50 करोड़ दिखाया गया है। इसलिए बचत ऋणात्मक (₹ -50 करोड़) दिखाई गई है। जब आय ₹ 100 करोड़ हो जाती है तो उपभोग भी बढ़कर ₹ 100 करोड़ हो जाता है और बचत शून्य हो जाती है। इसके पश्चात् जैसे-जैसे आय में वृद्धि होती है बचत में भी वृद्धि होती है। इसको रेखाचित्र 5 द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है। जब आय शून्य है तो उपभोग ₹ 50 करोड़ किया जाता है और बचत ऋणात्मक है। जब आय बढ़कर ₹ 100 करोड़ हो जाती है तो उपभोग भी ₹ 100 करोड़ हो जाता है और बचत शून्य हो जाती है। इसके पश्चात् आय के बढ़ने से बचत बढ़ती है : – SS वक्र को बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
बचत फलन दो प्रकार का होता है –
1. औसत बचत प्रवृत्ति (Average Propensity to Save)-बचत और आय के अनुपात को औसत बचत प्रवृत्ति कहा जाता है। जैसा कि यदि आय ₹ 100 करोड़ है और लोग ₹ 20 करोड़ बचत करते हैं तो औसत बचत प्रवृत्ति
APS = \(\frac{S}{Y}=\frac{20}{100}=\frac{1}{5}\) Or 20%
रेखाचित्र 6. में दिखाया है कि आय 100 करोड़ रुपए है और बचत ₹ 20 करोड़ की जाती है तो बिन्दु A पर
APS = \(\frac{S}{Y}=\frac{20}{100} \) or 20%
2. सीमान्त बचत प्रवृत्ति (Marginal Propensity to Save)-जब आय में वृद्धि होती है तो बचत में भी वृद्धि होती है। बचत में वृद्धि और आय में वृद्धि के अनुपात को सीमान्त बचत प्रवृत्ति कहते हैं। जैसा कि आय ₹ 100 करोड़ से बढ़कर ₹ 110 करोड़ हो जाती है और बचत ₹ 20 करोड़ से बढ़कर ₹ 25 करोड़ हो जाती है। आय में वृद्धि 10 करोड़ होने से बचत में वृद्धि ₹5 करोड़ है। इस प्रकार
MPS = \(\frac{\Delta S}{\Delta Y}=\frac{5}{10}=\frac{1}{2}\) \( Or 50%
रेखाचित्र 7 में दिखाया है कि आय में वृद्धि ₹ 10 करोड़ है और उपभोग में वृद्धि ₹ 5 करोड़ है तो
MPS = [latex]\frac{\Delta S}{\Delta Y}=\frac{5}{10}=\frac{1}{2}\) Or 50%
APC + APS = 1
MPC + MPS = 1
प्रश्न 3.
उपभोग प्रवृत्ति तथा बचत प्रवृत्ति के निर्धारक तत्त्व बताएं।
(Explain the Factors determining Propensity to Consume or Propensity to Save.)
उत्तर-
आय के बिना उपभोग प्रवृत्ति तथा बचत प्रवृत्ति बहुत से तत्त्वों पर निर्भर करती है। इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण तत्त्व इस प्रकार हैं –
- आय का वितरण (Distribution of Income)-आय का वितरण एक देश के लोगों की उपभोग प्रवृत्ति को प्रभावित करता है। इससे बचत प्रवृत्ति पर भी प्रभाव पड़ता है। हम जानते हैं कि अमीर लोगों की उपभोग प्रवृत्ति कम होती है जबकि ग़रीब लोग अपनी आय का अधिक भाग उपभोग पर व्यय करते हैं और उनकी उपभोग प्रवृत्ति अधिक होती है। यदि आय का समान वितरण कर दिया जाए तो ग़रीब लोग और अमीर लोग उपभोग पर अधिक खर्च करेंगे, इसलिए उपभोग प्रवृत्ति अधिक हो जाएगी और बचत प्रवृत्ति कम हो जाएगी।
- धन का वितरण (Distribution of Income)-आय की भांति यदि धन का समान वितरण कर दिया जाये तो इससे उपभोग प्रवृत्ति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और बचत प्रवृत्ति कम हो जाएगी।
- उधार की प्राप्ति (Availability of Credit)-साख की सुविधा प्राप्त होने से उपभोग प्रवृत्ति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति को कार पर खर्च करना हो तो एकदम भुगतान करना मुश्किल होता है, परन्तु यदि उधार प्राप्त हो जाता है और कार का भुगतान किश्तों में किया जाना हो तो लोग ज़्यादा कारें खरीदने लग जाते हैं और उपभोग प्रवृत्ति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- ब्याज की दर (Rate of Interest)-बाज़ार में प्रचलित ब्याज की दर भी उपभोग प्रवृत्ति पर असर डालती है। यदि ब्याज की दर कम हो तो लोग उधार लेकर वस्तु खरीद लेते हैं और उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि होती है और बचत प्रवृत्ति कम हो जाएगी। इसके विपरीत ब्याज की दर अधिक है तो उपभोग प्रवृत्ति कम हो जाती है।
- भविष्य की संभावनाएं (Future Expectation)-वर्तमान का उपभोग भविष्य की संभावनाओं पर निर्भर करता है। यदि भविष्य में कीमतें बढ़ने की संभावना हो तो वर्तमान में उपभोग प्रवृत्ति बढ़ जाएगी और लोग वस्तुओं पर अधिक खर्च करेंगे। यदि भविष्य में कीमत कम होने की संभावना हो तो वर्तमान में उपभोग प्रवृत्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- सरकार की नीति (Government Policy)-सरकार की नीति भी उपभोग प्रवृत्ति पर प्रभाव डालती है। यदि सरकार प्रत्यक्ष कर अधिक लगाती है तो लोगों की व्यय करने की शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उपभोग प्रवृत्ति कम हो जाती है इससे बचत प्रवृत्ति में वृद्धि होती है।
- जीवन स्तर (Standard of Living)-यदि जीवन स्तर में तेजी से वृद्धि होती है तो लोग अपनी आय को बचत में रखने के स्थान पर खर्च करना चाहेंगे क्योंकि लोग अच्छा जीवन व्यतीत करना पसन्द करते हैं और आय का अधिक भाग खर्च करते हैं।
प्रश्न 4.
निवेश से क्या अभिप्राय है ? प्रेरित निवेश तथा स्वतन्त्र निवेश में क्या अन्तर है ? निवेश के मुख्य निर्धारक तत्त्व बताएं।
(What is meant by Investment ? Distinguish between Induced Investment & Autonomous Investment. Explain the main determinents of Investment.)
उत्तर-
निवेश का अर्थ (Meaning of Investment)-निवेश का अर्थ उस खर्च से होता है जिस द्वारा पूँजीगत पदार्थों का निर्माण होता है। जैसे कि कारखानों, मशीनों, औज़ारों में वृद्धि की जाती है। जिससे देश में रोज़गार में वृद्धि होती है। उसको निवेश कहते हैं। यदि पुराने मकान, दुकान, मशीन पर खर्च किया जाता है तो इसे वित्तीय निवेश कहते हैं। परन्तु जब नए मकान, दुकान या मशीन पर खर्च किया जाता है तो इसको वास्तविक निवेश कहते हैं। केन्ज़ के अनुसार निवेश से हमारा अभिप्राय वास्तविक निवेश से होता है। वित्तीय निवेश से नहीं होता।
निवेश की किस्में (Types of Investment)-प्रेरित निवेश तथा स्वचालित निवेश (Induced Investment and Autonomous Investment)
प्रेरित निवेश-यह आय तथा लाभ में होने वाले परिवर्तनों से प्रेरणा प्राप्त करता है। आय अथवा लाभ के बढ़ने की सम्भावना से यह बढ़ता है तथा इनमें कमी होने से यह कम हो जाता है। यह निवेश लाभ या आय सापेक्ष होता है। प्रेरित निवेश प्रायः निजी क्षेत्र (Private Sector) में किया जाता है। रेखाचित्र 8 द्वारा प्रेरित निवेश को स्पष्ट किया जा सकता है। इस रेखाचित्र में OX अक्ष पर आय तथा OY अक्ष पर निवेश प्रकट किया है। निवेश II, रेखा नीचे से ऊपर की ओर उठ रही है।
इससे सिद्ध होता है कि आय के बढ़ने पर निवेश बढ़ रहा है। कुरीहारा के अनुसार, आय के बहुत कम स्तर पर निवेश ऋणात्मक (Negative) हो सकता है। II, रेखा के OX से नीचे होने से यही प्रकट होता है। स्वचालित निवेश-यह निवेश आय-प्रेरित नहीं होता। इस प्रकार का निवेश आय में होने वाले परिवर्तन के आधार पर नहीं किया जाता। स्वचालित निवेश से अभिप्राय उस निवेश से है जो नई तकनीकों, नये आविष्कारों को लागू करने के लिए किया जाता है।
यह निवेश मन्दी तथा बेरोज़गारी को दूर करने तथा नये साधनों का रेखाचित्र 8 विकास करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार का निवेश देश की आर्थिक उन्नति तथा सुरक्षा के लिए किया जाता है। इस प्रकार का निवेश प्रायः सरकार द्वारा किया जाता है। रेखाचित्र द्वारा स्वतन्त्र निवेश की धारणा को स्पष्ट किया जा सकता है। रेखाचित्र 9 में II, स्वचालित निवेश वक्र है। यह OX अक्ष से समानान्तर एक सीधी रेखा (Horizontal Straight Line) है। इससे सिद्ध होता है कि आय के बढ़ने या कम होने पर निवेश में कोई परिवर्तन नहीं आयेगा। निवेश OI के बराबर होगा। केन्ज़ के अपने रोज़गार सिद्धान्त में मुख्यतः इस प्रकार के निवेश का प्रतिपादन किया है।
निवेश के निर्धारक तत्त्व
(Determinants of Investment)
निवेश-प्रेरणा को निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं-
1. पूँजी की सीमान्त कुशलता (Marginal Efficiency of Capital)-यदि ब्याज की दर में कोई भी परिवर्तन न हो तो पूँजी की सीमान्त उत्पादकता जितनी अधिक होगी उतनी ही निवेश की मात्रा अधिक होगी।
2. ब्याज दर (Rate of Interest)-दूसरी ओर, यदि पूँजी की सीमान्त उत्पादकता में परिवर्तन हो तो ब्याज की दर जितनी कम होगी उतना ही निवेश अधिक मात्रा में होगा।
3. तकनीकी विकास तथा नये आविष्कार (Technological Growth and Innovation)-कीज़र के अनुसार तकनीकी परिवर्तन एक बड़ी सीमा तक निवेश प्रेरणा को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए पिछले कई वर्षों से कृषि तथा उद्योगों में श्रम-बचाऊ (Labour-Saving) या पूँजी-बचाऊ (Capital Saving) मशीनों के बनने से इन क्षेत्रों में काफ़ी निवेश बढ़ा है। इसी प्रकार नये आविष्कारों का जैसे टैरीलीन के कपड़े, स्कूटर, टेलीविज़न, ए० सी०, रैफ्रीजिरेटर आदि ने भी निवेश के स्तर को ऊंचा उठाने में सहायता दी है। संक्षेप में प्रो० मैक्कोलन के अनुसार, “नये आविष्कारों की बढ़ती हुई तेज़ रफ्तार निवेश को बहुत प्रेरणा देती है।”
4. बनाए रखने और चालू रखने वाली लागते (Maintenance and Operation Costs)-निवेश करते समय लाभ की सम्भावना इस बात पर भी निर्भर करती है कि मशीनों आदि पर क्या खर्च आया है और उन्हें चालू हालत में रखने के लिए अनुमानित लागतें क्या हैं। यदि ये तागतें ऊंची हैं तो शुद्ध लाभ कम होगा और इससे निवेश स्तर में कमी होगी और यदि ये लागतें नीची हैं तो शुद्ध लाभ बढ़ने से निवेश स्तर में वृद्धि होगी।
5. सरकारी नीतियाँ (Government Policies)-निजी निवेश का निर्णय लेते हुए सरकार की कर (Tax) नीति का भी ध्यान रखना पड़ता है। कर व्यापारिक लागतों का ही एक भाग होते हैं और यदि ये कर अधिक हों तो लाभ की सम्भावना कम हो जाने से निवेश स्तर भी कम हो जाएगा। परन्तु यदि कर कम होंगे तो निवेश-प्रेरणा को प्रोत्साहन मिलेगा।
6. पूँजीगत वस्तुओं का वर्तमान स्टॉक (The Present Stack of Capital Gooks किसी उद्योग में पूँजी पदार्थों का वर्तमान स्टॉक अतिरिक्त निवेश से अनुमानित लाभ को प्रभावित करता है। यदि किसी उद्योग में उत्पादन सुविधाओं, तैयार माल आदि का पहले से ही कम स्टॉक है तो उद्योग में अतिरिक्त निवेश में क्षेत्र बढ़ जाएगा।
7. व्यावसायिक सम्भावनाएं (Bussiness Expectations)- निवेश इस बात पर भी निर्भर करता है कि भविष्य में कितना लाभ होगा। यदि भविष्य में अधिक लाभ होने की आशा होती है तो अधिक निवेश किया जाता है। इस प्रकार तेज़ी की आशंकाएं निवेश पर अच्छा प्रभाव डालती हैं।
V. संख्यात्मक प्रश्न
(Numericals)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित आय तथा उपभोग अनुसूची से औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) ज्ञात करें।
आय (₹ करोड़) | 0 | 100 | 200 | 300 | 400 |
उपभोग (₹ करोड़) | 40 | 100 | 150 | 180 | 200 |
उत्तर
प्रश्न 2.
निम्नलिखित सूचीपत्र में औसत बचत प्रवृत्ति (APS) तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति का माप करें।
आय (₹ करोड़) | 0 | 100 | 200 | 300 | 400 | 500 |
उपभोग (₹ करोड़) | 20 | 100 | 180 | 260 | 340 | 420 |
उत्तर-
आय तथा उपभोग के अन्तर से बचत का माप किया जा सकता है तथा फिर औसत वचत प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति का माप कर सकते हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर-
- वर्ष के प्रारम्भ में APC = \( \frac{\mathrm{C}}{\mathrm{Y}}=\frac{4000}{10000}\) = 0.4.
- वर्ष के अन्त में APC = \(\frac{C}{Y}=\frac{5000}{15000}\) = 0.33
- सीमान्त उपभोग प्रवत्ति (MPC) = \(\frac{\Delta C}{\Delta Y}=\frac{1000}{5000}\) = 0.2 उत्तर
प्रश्न 4.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करो –
उत्तर-
यदि प्रारम्भिक आय 400 रु० तथा प्रारम्भिक खर्च 340 रुपए है तो
प्रश्न 5.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें –
आय का स्तर । उपभोग खर्च
उत्तर-
यदि प्रारम्भिक आय तथा उपभोग = 0 है।
उत्तर-
यदि प्रारम्भिक आय = 100 और उपभोग = ₹ 100 है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें –
उत्तर-
I–यदि प्रारम्भिक आय तथा उपभोग खर्च = 0 है।
उत्तर-
II……यदि प्रारम्भिक आय = 300 तथा उपभोग = ₹ 280 है।
प्रश्न 7.
(a) यदि सीमान्त बचत प्रवृत्ति 0.3 है तो सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कितनी होगी ?
(b) यदि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.8 है तो सीमान्त बचत प्रवृत्ति कितनी होगी ?
उत्तर-
MPS = 0.3 MPC = ?
(a) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = 1 – MPS
= 1 – 0.3
= 0.7 उत्तर
(b) सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) = 1 – MPC
= 1 – 0.8
= 0.2 उत्तर
प्रश्न 8.
यदि राष्ट्रीय आय ₹ 100 है तो उपभोग ₹ 50 है। राष्ट्रीय आय बढ़कर ₹ 150 हो जाती है तो उपभोग बढ़कर ₹ 75 हो जाता है। सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात करें तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर
MPC = \(\frac{\Delta C}{\Delta Y}\)
आय में परिवर्तन (AY) = 150 – 100 = ₹ 50
उपभोग में परिवर्तन (AC) = 75 – 50 = ₹ 25
सीमान्त उपभोग में परिवर्तन (MPC) = \(\frac{\Delta C}{\Delta Y}=\frac{25}{50}\) = 0.5
सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 1 – MPC
= 1 – 0.5 = 0.5 उत्तर
प्रश्न 9.
आय ₹ 100 से बढ़कर ₹ 200 हो जाती है। उपभोग खर्च ₹ 75 से बढ़कर ₹ 140 हो जाता है। सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति तथा बचत उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर-
आय में परिवर्तन (ΔY) = 200 – 100 = ₹ 100
उपभोग में परिवर्तन (ΔC) = 140 – 75 = ₹ 65
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = \(\frac{\Delta C}{\Delta Y}=\frac{65}{100}\) = 0.65
सीमान्त बचत प्रवत्ति (MPS) = \(\frac{\Delta S}{\Delta Y}\) 1 – MPC
= 1 – 0.65
= ₹ 0.35 उत्तर
प्रश्न 10.
यदि उपभोग खर्च ₹ 1000 है, उपभोग खर्च ₹ 750 है तो औसत बचत प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर-
आय ₹ 1000 उपभोग खर्च = 750
बचत = आय – उपभोग = 1000 – 750 = ₹ 250
= 0.25 उत्तर
प्रश्न 11.
एक अर्थव्यवस्था में सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.65 है। सीमान्त बचत प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = 0.65
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) = 1 – MPC
= 1 – 0.65
= 0.35 उत्तर
प्रश्न 12.
एक अर्थव्यवस्था में सीमान्त बचत प्रवृत्ति 0.25 है तो सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर-
सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) = 0.25
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = 1 – MPS
= 1 – 0.25
= 0.75 उत्तर
प्रश्न 13.
यदि औसत उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है तो औसत बचत प्रवृत्ति कितनी होगी ?
उत्तर-
औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) = 0.75
औसत बचत प्रवृत्ति (APS) = 1 – APC
= 1 – 0.75
= 0.25 उत्तर
प्रश्न 14.
यदि APC 0.55 है तो APS कितनी होगी ?
उत्तर
APC + APS = 1
0.55 + APS = 1
APS = 1-0.55
= 0.45 उत्तर
प्रश्न 15.
यदि व्यय योग्य आय ₹ 2400 करोड़ तथा उपभोग का स्तर ₹ 1600 करोड़ है तो औसत बचत प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
व्यय योग्य आय = ₹ 2400 करोड़
उपभोग व्यय = ₹ 1600 करोड़
बचत = 2400 – 1600 = ₹ 800 करोड़
= \(\frac{1}{3}\) =33.3% उत्तर
प्रश्न 16.
यदि व्यय योग्य आय ₹ 1200 करोड़ और उपभोग का स्तर ₹800 करोड़ हो तो औसत बचत प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर
व्यय योग्य आय = ₹ 1200 करोड़
उपभोग का स्तर = ₹ 800 करोड़
बचत = 1200 – 800 = ₹ 400 करोड़
= \(\frac{1}{3}\) = 33.3% उत्तर
प्रश्न 17.
यदि व्यय योग्य आय ₹ 3600 करोड़ और उपभोग का स्तर ₹ 2400 करोड़ हो तो औसत बचत प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
व्यय योग्य आय = ₹ 3600 करोड़
उपभोग का स्तर = ₹ 2400 करोड़
बचत = 3600 – 2400 = ₹ 1200 करोड़
= \(\frac{1}{3}\) = 33.3% उत्तर
प्रश्न 18.
यदि व्यय योग्य आय ₹ 1200 करोड़ और उपभोग का स्तर ₹ 800 करोड़ हो तो औसत उपभोग प्रवृत्ति कितनी होगी ?
उत्तर-
व्यय योग्य आय = ₹ 1200 करोड
उपभोग का स्तर = ₹ 800 करोड़
= 69.6% उत्तर
प्रश्न 19.
यदि व्यय योग्य आय ₹ 1800 करोड़ तथा उपभोग का स्तर ₹ 1200 करोड़ हो तो औसत उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर-
व्यय योग्य आय = ₹ 1800 करोड़
उपभोग का स्तर = ₹ 1200 करोड़
= 69.6% उत्तर
प्रश्न 20.
व्यय योग्य आय = ₹ 2400 करोड़ और उपभोग का स्तर ₹ 1600 करोड़ हो तो औसत बचत प्रवृत्ति ज्ञात करें।
उत्तर-
व्यय योग व्यय = ₹ 2400 करोड़
उपभोग का स्तर = ₹ 1600 करोड़
बचत = 2400 – 1600 = ₹ 800 करोड़
= 33.3% उत्तर
प्रश्न 21.
एक अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय ₹ 200 करोड़ है और सीमान्त उपभोग प्रवृति (MPC) 0.75 हैं। यदि ₹ 450 करोड़ का निवेश किया जाता है तो कुल राष्ट्रीय आय कितनी होगी ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय = ₹ 200 करोड़
सीमान्त उपभोग प्रवृति (MPC) = 0.75
निवेश = ₹ 450 करोड़
गुणक (K) = \(\frac{1}{1-\mathrm{MPC}}=\frac{1}{1-0.75}\) = \(\frac{1}{.25} \times 100\) = 4
राष्ट्रीय आय में वृद्धि (ΔY) = निवेश x गुणक
= 450 x 4
= ₹ 1800 करोड़
कुल राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय आय + राष्ट्रीय आय में वृद्धि
= 200 + 1800 = ₹ 2000 करोड़ उत्तर