PSEB 12th Class History Notes Chapter 7 गुरु हरगोबिंद जी और सिख पंथ का रूपांतरण

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PSEB 12th Class History Notes Chapter 7 गुरु हरगोबिंद जी और सिख पंथ का रूपांतरण

→ प्रारंभिक जीवन (Early Career)-गुरु हरगोबिंद जी का जन्म 14 जून, 1595 ई० को जिला अमृतसर के गाँव वडाली में हुआ था-

→ आपके पिता जी का नाम गुरु अर्जन देव जी और माता जी का नाम गंगा देवी था-

→ आपके घर पाँच पुत्रों तथा एक पुत्री बीबी वीरो ने जन्म लिया—आप 1606 ई० में गुरुगद्दी पर विराजम्प्रन हुए।

→ गुरु हरगोबिंद जी की नई नीति (New Policy of Guru Hargobind Ji)-गुरु हरगोबिंद जी की नई नीति से संबंधित मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं—

→ कारण (Causes)-मुग़ल बादशाह जहाँगीर इस्लाम के अतिरिक्त किसी अन्य धर्म को विकसित होता नहीं देख सकता था-

→ जहाँगीर ने 1606 ई० में गुरु अर्जन देव जी को शहीद करवा दिया था-

→ गुरु अर्जन देव जी ने स्वयं नई नीति अपनाने का गुरु हरगोबिंद जी को आदेश दिया था।

→ विशेषताएँ (Features)-गुरु हरगोबिंद जी ने सांसारिक तथा धार्मिक सत्तां का प्रतीक मीरी तथा पीरी नामक दो तलवारें धारण की-

→ गुरु हरगोबिंद जी द्वारा सेना का संगठन किया गया-अकाल तख्त साहिब का निर्माण करवाया गया-

→ गुरु जी राजसी ठाठ-बाट से रहने लगे और उन्होंने राजनीतिक प्रतीकों को अपना लिया-अमृतसर शहर की किलेबंदी की गई-

→ लोहगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया गया—गुरु साहिब ने अपने दैनिक जीवन में अनेक परिवर्तन किए।

→ महत्त्व (Importance)-सिख संत सिपाही बन गए—सिखों के परस्पर भाईचारे में वृद्धि हुई-

→ सिख धर्म का प्रचार और प्रसार बढ़ा-सिखों तथा मुग़लों के संबंधों में तनाव और बढ़ गया—नई नीति ने खालसा पंथ की स्थापना का आधार तैयार किया।

→ गुरु हरगोबिंद जी और जहाँगीर (Guru Hargobind Ji and Jahangir)-जहाँगीर ने गुरु हरगोबिंद जी को 1606 ई० में बंदी बना लिया उन्हें ग्वालियर के दुर्ग में रखा गया-

→ गुरु साहिब के बंदी काल के संबंध में इतिहासकारों में मतभेद है- जब गुरु साहिब को रिहा किया गया तो उनकी जिद्द पर वहाँ बंदी 52 अन्य राजाओं को भी रिहा करना पड़ा-

→ इस कारण गुरु जी को ‘बंदी छोड़ बाबा’ कहा जाने लगा—रिहाई के बाद गुरु साहिब के जहाँगीर के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रहे।

→ गुरु हरगोबिंद जी और शाहजहाँ (Guru Hargobind Ji and Shah Jahan)-1628 ई० में शाहजहाँ के मुग़ल बादशाह बनते ही मुग़ल-सिख संबंध पुनः बिगड़ गए-

→ शाहजहाँ ने अपनी कट्टरतापूर्ण कारवाइयों से सिखों को अपने विरुद्ध कर लिया-1634 ई० में मुग़लों तथा सिखों में प्रथम लड़ाई अमृतसर में हुई—इसमें सिख विजयी रहे-

→ मुग़लों तथा सिखों के मध्य हुई लहरा, करतारपुर और फगवाड़ा की लड़ाइयों में भी सिखों की जीत हुई—इन विजयों से गुरु हरगोबिंद जी की ख्याति दूर दूर तक फैल गई।

→ ज्योति जोत समाना (Immersed in Eternal Light)-1635 ई० में गुरु हरगोबिंद जी ने कीरतपुर साहिब नगर बसाया उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दस वर्ष यहाँ व्यतीत किए-

→ ज्योति जोत समाने से पूर्व उन्होंने हर राय जी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया-गुरु हरगोबिंद जी 3 मार्च, 1645 ई० को कीरतपुर साहिब में ज्योति जोत समा गए।

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