PSEB 12th Class Sociology Solutions Chapter 10 मद्य व्यसन तथा नशा व्यसन

Punjab State Board PSEB 12th Class Sociology Book Solutions Chapter 10 मद्य व्यसन तथा नशा व्यसन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Sociology Chapter 10 मद्य व्यसन तथा नशा व्यसन

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न । (TEXTUAL QUESTIONS)

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बढ़ रहे औद्योगीकरण ने पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाया है जैसे :
(क) भूमि का विकृत व मरुस्थलीकरण
(ख) भाई-भतीजावाद
(ग) अधिक जनसंख्या
(घ) जाति प्रथा।
उत्तर-
(क) भूमि का विकृत व मरुस्थलीकरण।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा मद्य व्यसन (शराबखोरी) का पड़ाव नहीं है ?
(क) अपव्ययी होना (फिजूलखर्ची)
(ख) नाजुक अवस्था
(ग) दीर्घकालिक अवस्था ।
(घ) बार-बार पीने वाली अवस्था।
उत्तर-
(ख) नाजुक अवस्था।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा पियक्कड़ों का वर्गीकरण नहीं है :
(क) कभी-कभी पीने वाले
(ख) कम पीने वाले
(ग) बहुत अधिक पीने वाले
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) बहुत अधिक पीने वाले।

प्रश्न 4.
मद्य व्यसन से कौन-सी समस्याएं जुड़ी हैं :
(क) सामाजिक समस्याएं
(ख) आर्थिक समस्याएं
(ग) स्वास्थ्य समस्याएं ।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 5.
तम्बाकू 30 प्रतिशत तक होने वाली किस बीमारी के लिए उत्तरदायी है ?
(क) कैंसर से मृत्यु
(ख) एड्ज़ (ग) डेंगू
(घ) मधुमेह।
उत्तर-
(क) कैंसर से मृत्यु।

प्रश्न 6.
जब सामाजिक स्वीकृत मापदण्डों का हनन होता है तब बुरे शारीरिक, मनोवैज्ञानिक व सामाजिक परिणाम होते हैं।
(क) नशीली दवाओं का व्यसन
(ख) मोटापा
(ग) भोजन में मिलावट ,
(घ) मूल्यों में संघर्ष।
उत्तर-
(घ) मूल्यों में संघर्ष।

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B. रिक्त स्थान भरें

1. नेताओं में बढ़ रहे राजनैतिक भ्रष्टाचार से संबंधित समस्याएं ………… व ………….. हैं।
2. भारत में अस्पृश्यता की समस्या ……………….. प्रथा के कारण है।
3. जब एक व्यक्ति सुबह से शराब पीना आरम्भ कर देता है तो उसे …………… अवस्था में समझा जाता है।
4. ……………. एक ऐसा नशा है जो स्नायु विकार, लीवर सरोसिज़, उच्च रक्तचाप एवं कई अन्य बीमारियों से संबंधित होता है।
5. ………….. वो व्यक्ति हैं जो महीने में तीन या चार बार पीते हैं।
6. एक नए व्यक्ति को नशीली दवाओं की ओर ले जाने में …………… का प्रभाव महत्त्वपूर्ण है।
7. नारकोटिक ड्रग्ज व साक्रोट्रोपिक सबसटैंस अधिनियम का संशोधन ………….. में नशा विरोधी कानून को और सशक्त बनाने के लिए किया गया।
8. नशीले पदार्थों का दुरुपयोग बहुत से …………… व …………… प्रभावों को जन्म देता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
9. नशे के सेवन से शरीर की …………….. कमज़ोर होती है एवं व्यक्ति कई प्रकार के संक्रमण का शिकार हो जाता है।
उत्तर-

  1. लाल फीताशाही, भाई-भतीजावाद,
  2. जाति,
  3. दीर्घकालीन,
  4. Sedative,
  5. नियमित उपभोगी,
  6. साथी समूह,
  7. 1987,
  8. अल्पकालीन, दीर्घकालीन,
  9. स्नायुतंत्र।

C. सही/ग़लत पर निशान लगाएं

1. मद्य व्यसन नशीली दवाओं के व्यसन से अधिक उपचार योग्य है।
2. सामाजिक समस्याएं पारस्परिक अन्तर्सम्बन्धित हैं।
3. लड़कों को प्राथमिकता व पितृपक्ष की प्रबलता जैसी सामाजिक समस्याएं पर्यावरणीय तत्त्वों से संबंधित होती हैं।
4. मद्य व्यसन का परिवार व समुदाय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
5. व्यक्ति इसलिए भी मद्यपान करते हैं क्योंकि उनका व्यवसाय उन्हें पूर्णत: थका देता है।
6. बड़े पियक्कड़ वे हैं जो प्रतिदिन या दिन में कई बार पीते हैं।
7. मद्य व्यसन को रोकने में अध्यापक महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाते।
8. अभिभावक नशीली दवाओं के व्यसन की समस्या को हल करने में असमर्थ है।
9. नशीले पदार्थ परिवार व समुदाय को प्रभावित नहीं करते।
उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. गलत
  4. गलत
  5. सही
  6. सही
  7. गलत
  8. गलत
  9. गलत।

D. निम्नलिखित शब्दों का मिलान करें

कॉलम ‘ए’ — कॉलम ‘बी’
निर्धनता — पर्यावरणीय समस्याएं
अवांछित स्थितियां — सामाजिक सांस्कृति समस्या
पुत्रों को प्राथमिकता — आर्थिक समस्या
वैश्विक ताप में वृद्धि — भ्रूण हत्या के कारक
मद्य व्यसन के पड़ाव — दीर्घकालिक अवस्था
(कम) पीने वाले नशे के आदी — महीने में एक दो बार पीने वाला
अल्पायु में पीना– बढ़ रहा तनाव
मद्य व्यसन का कारण — हिंसक अपराध
उत्तर-
कॉलम ‘ए’ — कॉलम ‘बी’
निर्धनता — सामाजिक सांस्कृतिक समस्या
अवांछित स्थितियां — आर्थिक समस्या
पुत्रों को प्राथमिकता — भ्रूण हत्या के कारक
वैश्विक ताप में वृद्धि — पर्यावरणीय समस्याएं
मद्य व्यसन के पड़ाव — दीर्घकालिक अवस्था
(कम) पीने वाले नशे के आदी — महीने में एक दो बार पीने वाला
अल्पायु में पीना — हिंसक अपराध
मद्य व्यसन का कारण — बढ़ रहा तनाव।

II. अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1. सामाजिक समस्या के उत्तरदायी कारणों की सूची बताएं।
उत्तर-सामाजिक सांस्कृतिक कारक, आर्थिक कारक, राजनीतिक कारक, वातारवण से संबंधित कारक इत्यादि।

प्रश्न 2. मद्य व्यसन से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-मद्य व्यसन मद्यपान का एक तरीका है जो न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि उसके परिवार के लिए भी हानिकारक होता है।

प्रश्न 3. कम पीने वाले मद्य व्यसनी किसे कहा जाता है ?
उत्तर-जो लोग महीने में एक या दो बार पीते हैं उन्हें कम पीने वाले मद्य व्यसनी कहा जाता है।

प्रश्न 4. मद्य व्यसन (शराबखोरी) के पड़ावों की सूची बनाएं।
उत्तर-पूर्व मद्य व्यसनी पड़ाव, तनाव से मुक्ति के लिए पीना, गंभीर (तीव्र) अवस्था, दीर्घकालिक अवस्था।

प्रश्न 5. नशीली दवा से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-नशीली दवा एक ऐसी कैमीकल वस्तु है जिसके शरीर तथा दिमाग पर गहरे तथा अलग प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं तथा उसके शारीरिक कार्यों में परिवर्तन लाते हैं।

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प्रश्न 6. नशे से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-नशे का अर्थ है किसी दवा या कैमीकल वस्तु के ऊपर शारीरिक रूप से निर्भर हो जाना।

प्रश्न 7. नशीली दवा क्या है ?
उत्तर-नशीली दवा एक ऐसी कैमीकल वस्तु है जिसके शरीर तथा दिमाग पर गहरे तथा अलग प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं तथा उसके शारीरिक कार्यों में परिवर्तन लाते हैं।

III. लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आप सामाजिक समस्या से क्या समझते हैं ?
अथवा सामाजिक समस्या को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
सामाजिक समस्या ऐसे अवांछनीय हालत हैं जिन्हें बदलना आवश्यक होता है। प्रत्येक समाज कई परिवर्तनों में से गुज़रता है। अगर परिवर्तन विनाशकारी होंगे तो इससे समाज में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। जिनके काफ़ी भयंकर परिणाम होते हैं। इन समस्याओं को ही सामाजिक समस्याएं कहा जाता है।

प्रश्न 2.
सामाजिक समस्या से सम्बन्धित किन्हीं दो कारकों का वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक समस्या के कारकों की चर्चा कीजिए।
उत्तर-

  1. सामाजिक सांस्कृतिक कारक जैसे अस्पृश्यता, भ्रूण हत्या, दहेज, पितृ प्रधान समाज इत्यादि के कारण सामाजिक समस्याएं होती हैं।
  2. आर्थिक कारक जैसे कि निर्धनता, बेरोज़गारी, अनपढ़ता, गंदी बस्तियां इत्यादि के कारण बहुत सी सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

प्रश्न 3.
मद्यपान के तीन प्रभावों का वर्णन करो।
उत्तर-

  1. मद्यपान से देश तथा जनता के पैसे की बर्बादी होती है।
  2. मद्यपान का प्रत्यक्ष प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है तथा वह खराब हो जाता है।
  3. मद्यपान से व्यक्ति का कार्य करने का सामर्थ्य कम हो जाता है तथा वह मानसिक रूप से परेशान रहने लग जाता है।

प्रश्न 4.
मद्य व्यसन की दीर्घकालीन अवस्था से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
मद्य व्यसन की दीर्घकालीन अवस्था में व्यक्ति रोज़ पीने तथा दिन में कई बार पीने लग जाता है। इसमें वह लंबे समय तक नशे में रहते हैं, ग़लत सोचने लग जाते हैं, डरने लग जाते हैं तथा कोई कार्य नहीं कर पाते। वह हमेशा पीने के बारे में सोचते हैं तथा शराब के बिना बेचैनी महसूस करते हैं।

प्रश्न 5.
मद्य पर निर्भरता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
जब व्यक्ति शराब का प्रयोग रोज़ाना करने लग जाता है तथा उसके बिना नहीं रह सकता तो इस अवस्था को मद्य पर निर्भरता कहते हैं। शराब उस व्यक्ति के अंदर इतना बस जाती है कि वह उसका बार-बार प्रयोग करता है वह इसके बिना नहीं रह सकता। इसे ही मद्य पर निर्भरता कहते हैं।

प्रश्न 6.
मद्य व्यसन से आपका क्या अभिप्राय है ?
अथवा मद्यपान।
उत्तर-
मद्य व्यसन उस स्थिति को कहते हैं जिसमें व्यक्ति मद्यपान की मात्रा पर नियन्त्रण नहीं रख पाता तथा जिसका प्रयोग शुरू करने के बाद उसे बंद नहीं कर सकता। वह शारीरिक व मानसिक रूप से शराब पर इतना निर्भर हो जाता है कि उसके बिना रह ही नहीं सकता।

प्रश्न 7.
आप मद्य व्यसन की पूर्वकालिक अवस्था से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
इस स्तर पर, सामाजिक प्रतिबन्धों का फायदा उठा कर, व्यक्ति अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए तथा व्यक्तिगत समस्याओं से भागने के लिए मद्य व्यसन करना शुरू कर देते हैं। वह पीने को चिंतामुक्त होने से संबंधित कर देता है तथा पीने के मौके ढूंढता है। इस प्रकार मद्यपान भी बढ़ जाता है।

प्रश्न 8.
नशीली दवाओं के व्यसन की ओर उन्मुख करने वाले सामाजिक कारकों की सूची बनाएं।
उत्तर-
कई सामाजिक कारक होते हैं जिनकी वजह से व्यक्ति नशों की तरफ बढ़ता है; जैसे कि मित्रों के कारण, समाज के उच्च वर्ग में जाने की इच्छा, सामाजिक तजुर्बे के लिए, सामाजिक मूल्यों का विरोध करने के लिए, नए सामाजिक रुझान स्थापित करने के लिए इत्यादि।

प्रश्न 9.
एक व्यक्ति पर नशीली दवाओं के अल्पकालीन प्रभावों की सूची बनाएं।
उत्तर-
नशीली दवा लेने के कुछ अल्पकालीन प्रभाव होते हैं जो नशा करने के बाद केवल कुछेक मिनट ही दिखते हैं। व्यक्ति को सब कुछ अच्छा लगता है तथा वह किसी अन्य संसार में घूमने लग जाता है। कुछ अन्य प्रभाव भी होते हैं जैसे कि धुन्धला दिखना, ग़लत परिणाम निकालना, मुँह में से गंदी बदबू इत्यादि।

प्रश्न 10.
नशीली दवाओं के व्यसन को रोकने में अध्यापक की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
नशीली दवाओं के व्यसन के रोकने में अध्यापक काफ़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वह अपने विद्यार्थियों से खुल कर बात कर सकते हैं तथा उन्हें अच्छे कार्यों में व्यस्त रख सकते हैं। उन्हें अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

प्रश्न 11.
नशीली दवा से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नशीली दवा एक ऐसी कैमीकल वस्तु है जिसके शरीर तथा दिमाग पर गहरे तथा अलग प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं तथा उसके शारीरिक कार्यों में परिवर्तन लाते हैं।

IV. दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न-

प्रश्न 1.
भारत में सामाजिक समस्या के विभिन्न कारकों की चर्चा करें।
अथवा
भारत में सामाजिक समस्याओं के दो मुख्य कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  • सामाजिक सांस्कृतिक कारक-इन कारकों में हम अस्पृश्यता, मादा भ्रूण हत्या, दहेज, घरेलू हिंसा, स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा, पीढ़ी का अंतर इत्यादि ले सकते हैं।
  • आर्थिक कारक-इसमें हम निर्धनता, गंदी बस्तियां, बेरोज़गारी, अपराध, नगरीकरण, औद्योगीकरण इत्यादि जैसे कारक ले सकते हैं।
  • प्रादेशिक कारक-इन कारकों में हम आवास-प्रवास, जनसंख्या संरचना का बिगड़ना, तंग क्षेत्र, प्रदूषण, बेरोज़गारी इत्यादि को ले सकते हैं।
  • राजनीतिक कारक-इन कारकों में हम चुनाव संबंधी राजनीति , भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार, रिश्वत, साम्प्रदायिकता इत्यादि को ले सकते हैं।
  • पर्यावरणीय कारक-इनमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ग्रीन हाउस प्रभाव इत्यादि आ जाते हैं।

प्रश्न 2.
नशीली दवाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
नशीली वा एक ऐसी कैमीकल वस्तु है जिसके शरीर तथा दिमाग पर गहरे तथा अलग प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। यह एक साधारण व्यक्ति के शारीरिक कार्यों में परिवर्तन ला देते हैं। मैडीकल की भाषा में नशीली दवा एक ऐसी वस्तु है जिसे डाक्टर किसी रोगी को बीमारी ठीक करने के लिए देता है। मानसिक व सामाजिक तौर पर नशे को हम एक ऐसी आदत के रूप में लेते हैं जिसका सीधे दिमाग पर प्रभाव पड़ता है तथा जिसके ग़लत प्रयोग होने के मौके बढ़ जाते हैं। आवश्यकता से अधिक नशा इतना खतरनाक होता है कि यह साधारण जनता के विरुद्ध समाज विरोधियों में उत्तेजना भर देता है। हेरोईन, कोकीन, एल० एस० डी०, शराब, अफीम, तंबाकू इत्यादि का नशा गलत होता है।

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प्रश्न 3.
मद्य व्यसन के पड़ावों का संक्षेप में उल्लेख करें।
उत्तर-

  • पूर्व मद्य व्यसनी पड़ाव-इस स्तर पर व्यक्ति सामाजिक प्रतिबन्धों का फायदा उठा कर अपनी चिंताएं दूर करने व व्यक्तिगत समस्याओं से भागने के लिए पीना शुरू कर देता है।
  • तनाव से मुक्ति के लिए पीना-इस स्तर पर आकर व्यक्ति के शराब पीने की मात्रा तथा दिनों में बढ़ौतरी हो जाती है चाहे उसे पता होता है कि वह गलत कर रहा है।
  • गंभीर (तीव्र) अवस्था-इस स्तर पर आकार मद्यपान व्यक्ति के लिए आवश्यक हो जाता है। उसे सामाजिक दबाव भी झेलना पड़ता है परन्तु फिर भी वह कहता है कि उसने अपना नियन्त्रण नहीं खोया है।
  • दीर्घकालिक अवस्था-इस अवस्था में वह सारा दिन शराब पीता रहता है। वह हमेशा नशे में रहता है तथा अपने कार्य भूल जाता है। बिना शराब के वह असहज महसूस करता है।

प्रश्न 4.
मद्य व्यसन के हानिकारक प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर-

  • महा व्यसन से व्यक्ति तथा देश के पैसे खराब होते हैं।
  • अधिक शराब पीने से व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा उसे कई प्रकार की बीमारियां भी लग जाती हैं।
  • अधिक मद्य व्यसन से व्यक्ति में कार्य करने का सामर्थ्य कम हो जाता है।
  • अधिक मद्य व्यसन वाले व्यक्ति का दिमाग उसके नियन्त्रण में नहीं रहता तथा वह मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है।
  • मद्य व्यसन के कारण लोग कई प्रकार के अपराध भी कर लेते हैं जैसे कि कत्ल, बलात्कार, चोरी इत्यादि।
  • मद्यपान से पैसे की बर्बादी होती है तथा निर्धनता भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 5.
किशोर मद्य व नशे के व्यसन का अधिक शिकार क्यों होते हैं ?
उत्तर-
यह सत्य है कि किशोर काफी जल्दी मद्य व्यसन व नशे के व्यसन की तरफ झुक जाते हैं। कई बार व्यक्ति अपने मित्रों के कारण नशा करता है। उसके मित्र उसे नशा करने या मद्य व्यसन के लिए कहते हैं। वह शौक-शौक में पीना शुरू कर देता है तथा धीरे-धीरे वह इनका आदी हो जाता है। कई बार किशोरों में अपने बुजुर्गों को देख कर भी नशा करने की इच्छा होती है तथा वह मद्यपान या नशा करने लग जाते हैं। व्यक्ति सामाजिक मूल्यों का विरोध करने के लिए भी नशा करने लग जाता है। नौजवान पढ़-लिख जाते हैं परन्तु उन्हें अपनी इच्छा का काम नहीं मिल पाता या मिलता ही नहीं। वह अर्द्ध बेरोज़गार या बेरोज़गार रह जाते हैं तथा तंग आकर वह नशों की तरफ बढ़ना शुरू कर देते हैं।

प्रश्न 6.
किसी व्यक्ति पर नशीली दवाओं के दीर्घकालीन प्रभाव की चर्चा करें।
उत्तर-

  • नशे करने से व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक रूप से उन पर निर्भर हो जाता है जिस कारण जीवन में समझौते करने पड़ते हैं।
  • नशों के कारण व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियां लग जाती है जैसे कि पेट खराब रहना, चमड़ी के रोग, लीवर पर असर, दिल की बीमारी इत्यादि।
  • नशे के कारण व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिस कारण उसे कई प्रकार की नई बीमारियां लगने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
  • नशा करने से कई बार एड्ज़ जैसी बीमारी होने का खतरा हो जाता है। नशे के प्रभाव के अंदर कई बार गलत संबंध बन जाते हैं तथा एड्ज़ हो जाती है।
  • यह भी देखा है कि ज़रूरत से ज्यादा नशा करने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

प्रश्न 7.
नशीली दवाओं के व्यसन के मनोवैज्ञानिक व शारीरिक प्रभाव क्या होते हैं ?
अथवा
नशा व्यसन के हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानसिक प्रभाव-नशीली दवाओं के व्यसन से व्यक्ति इनका इतना आदी हो जाता है कि वह इनके बिना नहीं रह सकता। उन्हें लगता है कि वह नशा किए बिना कोई कार्य नहीं कर सकते तथा नशे से वह कार्य बढ़िया ढंग से कर सकते हैं। साथ ही उन्हें लगता है कि नशे से उनकी चिन्ताएं दूर हो जाएंगी तथा उसका तनाव भी दूर हो जाएगा।
शारीरिक प्रभाव-नशीली दवाओं के व्यसन से व्यक्ति के शरीर पर काफ़ी बुरा प्रभाव पड़ता है। नशे के बिना उसे नींद नहीं आती, उसका सिरदर्द करता है, नशा करने से उसकी कामुक इच्छा बढ़ जाती है तथा उसका शरीर नशे का इतना आदी हो जाता है जिस कारण वह शारीरिक रूप से उस पर निर्भर हो जाता है।

प्रश्न 8.
किशोरों को नशीली दवाओं से बचाने के लिए किस प्रकार का विशेष ध्यान दिया जा सकता है ?
उत्तर-
किशोर अवस्था ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चा घर के सदस्यों के हाथों से निकल कर समाज के सदस्यों के हाथों में आ जाता है। इस अवस्था में बच्चे के लिए यह आवश्यक होता है कि वह सीधे रास्ते पर चले। अगर वह गलत हाथों में चला जाए तो वह नशे के रास्ते पर चल पड़ता है तथा उसका सारा जीवन बर्बाद हो जाता है। ऐसी स्थिति में माता-पिता को अपने बच्चों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। माता-पिता को बच्चों के साथी समूह, उसके मित्रों पर रखनी पड़ती है ताकि वह गलत रास्ते पर न जाए। अगर बच्चे का कोई मित्र नशा करता है तो उस समय बच्चे को उसकी मित्रता से दूर करना चाहिए तथा उस मित्र के खाने-पीने, कपड़े पहनने, सोने, जागने के बारे में भी ध्यान रखना चाहिए ताकि बच्चों को नशे के रास्ते पर जाने से रोका जा सके।

प्रश्न 9.
नशीली दवाओं के व्यसन के कारणों का उल्लेख करें।
अथवा
नशा व्यसन के चार कारण लिखो।
उत्तर-

  1. जब व्यक्ति अपने ऊपर पड़े तनाव को कम करना चाहता है तो वह नशीली दवाओं का प्रयोग करने लग जाता है।
  2. कई बार व्यक्ति के मित्र उसका नशा न करने पर मज़ाक उड़ाते हैं जिस कारण वह नशा करने लग जाता है।
  3. कई व्यक्तियों में यह पता करने की इच्छा होती है कि नशा करने के पश्चात् कैसा लगता है, तो भी वह नशा करने लग जाते हैं।
  4. घरों में पति-पत्नी के बीच या घर के सदस्यों के बीच झगड़े के कारण भी लोग नशा करने लग जाते हैं ताकि कोई तनाव न रहे।
  5. कभी-कभी व्यक्ति में अपने बुजुर्गों को नशा करता देख इच्छा जागती है तथा वह भी नशा करने लग जाता है।

प्रश्न 10.
किशोर अवस्था में नशीली दवाओं के व्यसन के बुरे प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर-

  • नशे करने से व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक रूप से उन पर निर्भर हो जाता है जिस कारण जीवन में समझौते करने पड़ते हैं।
  • नशों के कारण व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियां लग जाती है जैसे कि पेट खराब रहना, चमड़ी के रोग, लीवर पर असर, दिल की बीमारी इत्यादि।
  • नशे के कारण व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिस कारण उसे कई प्रकार की नई बीमारियां लगने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
  • नशा करने से कई बार एड्ज़ जैसी बीमारी होने का खतरा हो जाता है। नशे के प्रभाव के अंदर कई बार गलत संबंध बन जाते हैं तथा एड्ज़ हो जाती है।
  • यह भी देखा है कि ज़रूरत से ज्यादा नशा करने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

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V. अति दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आप मद्य व्यसन से क्या समझते हैं ? इसके लिए ज़िम्मेदार तत्त्वों की विस्तार सहित चर्चा करें।
अथवा
मद्य व्यसन के दो कारण लिखें।
अथवा
मद्यपान का भारतीय समाज की मुख्य सामाजिक समस्या के रूप में वर्णन करें।
उत्तर-
मद्यपान को पिछले कुछ समय से एक सामाजिक तथा नैतिक समस्या के रूप में देखा जा रहा है। कुछ समय पहले देश के कई राज्यों में मद्यपान पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था तथा मद्य-निषेध नीति को लागू कर दिया गया था। इस नीति के लागू होने के बाद मद्यपान अवैध रूप से किया जाने लग गया। कुछ विद्वान् इसे विचलित व्यवहार के साथसाथ एक जटिल बीमारी भी कहते हैं। जो व्यक्ति शराब का आदी हो जाता है उसको ठीक करने के लिए किसी विशेषज्ञ डाक्टर की आवश्यकता होती है। मद्यपान को एक ऐसी अवस्था के रूप में लिया जा सकता है जिसमें व्यक्ति को अपने ऊपर नियन्त्रण नहीं रहता। यदि उसको शराब मिल जाए तो वह इसे पीता ही जाता है परन्तु यदि उसे यह न मिले तो वह उसके लिए तड़पता है तथा इसे किसी भी ढंग से प्राप्त करने की कोशिश करता है। व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत-से मानसिक तनावों से गुजरना पड़ता है। इसको पीने के बाद वह कुछ समय के लिए तनाव से मुक्त हो जाता है तथा उसको सभी चिन्ताओं से मुक्ति मिल जाती है।

परन्तु प्रश्न यह उठता है कि मद्यपान किसे कहते हैं तथा कौन मद्यसारिक होता है। आजकल के समय में साधारण शब्दों में जो व्यक्ति शराब का सेवन करता है उसे मद्यसारिक अथवा शराबी कहते हैं तथा शराब पीने की प्रक्रिया को मद्यपान का नाम दिया जाता है। कई विद्वानों के अनुसार थोड़ी-सी शराब पीने को हम मद्यपान नहीं कह सकते हैं। जो व्यक्ति शराब का इतना आदी हो चुका हो कि वह इसके बिना रह नहीं सकता है उसे शराबी या मद्यसारिक कहते हैं तथा जो व्यक्ति लगातार तथा बहुत अधिक मात्रा में शराब पीता है उसे भी मद्यसारिक कहा जाता है। इस तरह शराब पीने की प्रक्रिया को मद्यपान कहा जाता है।

मद्यपान को हम एक दीर्घकालिक बीमारी के रूप में भी ले सकते हैं जिसमें एक मद्यसारिक व्यक्ति को लगातार इसकी आवश्यकता महसूस होती है। व्यक्ति कई बार इसका सेवन इसलिए भी करता है कि उसे इसके सेवन से तनाव से मुक्ति मिलती है तथा कुछ समय के लिए चिन्ताओं से मुक्ति मिल जाती है। चाहे मद्यपान के बारे में यह कहा जाता है कि मद्यपान के पीछे व्यक्ति के सामाजिक तथा मानसिक कारण होते हैं परन्तु कई बार व्यक्ति इतने अधिक समय के लिए पीते हैं कि उन्हें इसकी लत लग जाती है। उनका शरीर उसके बिना रह नहीं सकता है उसे कार्य करने के लिए इसकी आवश्यकता पड़ती है। यदि वह इसे छोड़ना चाहे तो उसके शरीर को कई प्रकार के दुःखों का सामना करना पड़ता है जैसे कि अंगों में कंपकपी, बहुत अधिक पसीना आना, दिल का तेज़ी से धड़कना इत्यादि। इस प्रकार मद्यपान एक शारीरिक तथा मानसिक बीमारी बन जाती है। जब व्यक्ति बहुत अधिक मद्यपान करने लग जाए तो यह एक व्यक्तिगत समस्या के साथ-साथ सामाजिक समस्या का रूप धारण कर लेती है। बहुत अधिक मद्यपान करने से उसका स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है। इसके बिना वह कोई कार्य नहीं कर सकता है तथा उसकी कार्य करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है।

मद्यपान के कारण (Reasons of Alcoholism) –

1. व्यवसाय (Occupation)-बहुत-से मामलों में व्यवसाय मद्यपान का कारण बनता है। कई लोगों का व्यवसाय ऐसा होता है कि वह काम करते-करते इतना थक जाते हैं कि उन्हें अपने आपको दोबारा कार्य करने के लिए किसी चीज़ की आवश्यकता होती है। इससे उनकी थकावट भी मिट जाती है तथा उन्हें अगले दिन कार्य करने के लिए प्रेरणा भी मिलती है। कई लोग अपने व्यवसाय से जुड़े और लोगों को खुश करने के लिए भी मद्यपान करना शुरू कर देते हैं। उदाहरण के लिए किसी कर्मचारी को अपने मालिक को खुश करने के लिए मालिक के साथ मदिरा पीनी पड़ती है जिससे वह मदिरा का आदि हो जाता है। इस तरह व्यवसाय के कारण व्यक्ति को मदिरा पीनी पड़ती है तथा वह इसका आदी हो जाता है।

2. ग़लत संगति (Bad Company)-बहुत-से लोग मदिरा इसलिए भी पीने लग जाते हैं क्योंकि उसके मित्र, उसकी संगति ही ग़लत होती है। उसकी संगति में उसके मित्र नशा करने, शराब पीने के आदी होते हैं। यदि वह शराब नहीं पीता है तो उसके दोस्त उसको शराब पीने के लिए मजबूर करते हैं, उसको समय-समय पर ताने देते हैं कि, कैसे मर्द हो तुम, शराब नहीं पीते, शराब पीना तो मर्दो का काम है। इस तरह वह मित्रों के तानों से तंग आकर या तो मित्रों को ही छोड़ देता है या फिर शराब पीना शुरू कर देता है। इस तरह ग़लत संगति के कारण पहले तो वह दोस्तों को खुश करने के लिए थोड़ी-सी पीनी शुरू कर देता है परन्तु धीरे-धीरे वह शराब पीने का आदी हो जाता है।

3. बड़ों को पीते देखकर उत्सुकता जागना (Curiosity Due to Elder members of The Family) साधारणतया यह देखा गया है कि बच्चे उत्सुकता वश शराब पीना शुरू कर देते हैं। परिवार में बड़े लोग यदि शराब पीते हैं तो बच्चे उनके पास जाकर खड़े हो जाते हैं तथा पूछते हैं कि आप क्या पी रहे हैं? बड़े बुजुर्ग बच्चों की बात हंस कर टाल देते हैं तथा बच्चों को उधर से जाने के लिए कहते हैं। बच्चों में इस बात को लेकर उत्सुकता जाग जाती हैं कि उनके पिता क्या पी रहे हैं? यदि उनके पिता गिलास में थोड़ी-सी शराब छोड़कर कहीं चले जाते हैं तो वह चोरी से तथा छुपकर उसे पी लेते हैं। चाहे यह कड़वी होती है परन्तु यह उत्सुकता तब तक बरकरार रहती है जब तक वह स्वयं ही इसे पीना शुरू नहीं कर देते हैं। इस तरह बच्चों में भी यह आदत आ जाती है। बच्चे जब यह देखते हैं कि उनके पिता शराब का सेवन करते हैं तो वह भी शराब का स्वाद लेना चाहते हैं जिससे धीरे-धीरे उनको आदत पड़ जाती है। कई बार तो पिता ही बच्चे को गिलास देकर कहते हैं कि इसे पीकर देखो कि यह क्या है। इस प्रकार बच्चे को अनजाने में ही इसकी लत पड़ जाती है तथा वह मद्यपान करने लग जाता है।

4. अधिक धन (More Money)-अधिक धन होना भी मद्यपान का कारण बन सकता है। आजकल का युग पदार्थवाद का युग है। प्रत्येक व्यक्ति पैसे के पीछे भाग रहा है। पैसे कमाने के लिए वह नए-नए ढंग अपना रहा है। कई बार तो किसी से पैसा कमाने के लिए उसे मदिरा पिलानी पड़ती है तथा साथ में पीनी भी पड़ती है। इससे व्यक्ति को मदिरा पीने की आदत पड़ जाती है। जब व्यक्ति के पास अधिक पैसा आ जाता है तो वह उसे खर्च करने के नएनए ढंग भी ढूंढ लेता है। वह अपना मनोरंजन करने के लिए अपने मित्रों के साथ पीनी शुरू कर देता है परन्तु धीरेधीरे उसे पीने की लत लग जाती है तथा वह मद्यपान करना शुरू कर देता है।

5. मानसिक तनाव (Mental Tension)—प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी तनाव का शिकार होता है। किसी के पास पैसा नहीं है तो उसे अपना घर चलाने का तनाव है, किसी के पास पैसा है तो उसे सम्भालने की चिन्ता है, किसी को व्यापार की चिन्ता है, किसी को दफ़्तर की चिन्ता है, कोई निर्धनता से परेशान है तो कोई अपने मालिक, बॉस या बीवी से, किसी को व्यापार में घाटा होने की चिन्ता है तो किसी को प्रतिस्पर्धा की। इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति किसीन-किसी मानसिक चिन्ता का शिकार है। यदि वह शराब पीता है तो यह शराब उसके स्नायु तन्त्र को कुछ समय के लिए शिथिल कर देती है तथा कम-से-कम कुछ समय के लिए उसे मानसिक तनाव से मुक्ति मिल जाती है। शराब के नशे में वह सभी प्रकार की चिन्ताओं से मुक्त हो जाता है तथा अपने आपको एक स्वतन्त्र व्यक्ति महसूस करने लग जाता है। धीरे-धीरे जब उसे लगता है कि मदिरा उसे उसकी चिन्ताओं से कुछ समय के लिए मुक्ति दिला सकती है तो वह इसे रोज़ ही पीना शुरू कर देता है तथा मद्यपान का शिकार हो जाता है।

6. निर्धनता (Poverty)-निर्धनता भी मद्यपान का एक बहुत बड़ा कारण है। निर्धन व्यक्ति को हमेशा पैसा कमाने की चिन्ता रहती है। उसके परिवार के सदस्य तो अधिक होते हैं परन्तु कमाने वाला वह अकेला ही होता है। इसलिए घर का खर्च तो अधिक होता है परन्तु आय काफ़ी कम होती है। बच्चों को पढ़ाने, कपड़े, खाने की चिन्ता उसे हमेशा ही लगी रहती है। इसलिए वह चिन्ता से दूर होने के लिए शराब का सहारा ले लेता है। शराब पीने से उसे कुछ समय के लिए चिन्ताओं तथा तनाव से मुक्ति मिल जाती है। इस तरह वह धीरे-धीरे अधिक मात्रा में शराब पीनी शुरू कर देता है तथा वह मद्यसारिक हो जाता है।

7. व्यक्तिगत कारण (Personal Reasons) व्यक्तिगत कारण भी मद्यपान के लिए उत्तरदायी हैं। कुछ लोगों की संगति ऐसी होती है जो शराब पीते हैं। पहले तो वह केवल शराब का स्वाद लेने के लिए ही पीते हैं। परन्तु जब उन्हें स्वाद की आदत पड़ जाती है तो धीरे-धीरे शराब पीने की आदत पड़ जाती है। कई लोग अपनी शारीरिक पीड़ा को खत्म करने के लिए भी शराब पीते हैं। व्यापार में घाटा पड़ने पर, प्यार में असफल होने पर, अपनी पत्नी से तलाक होने पर किसी शारीरिक कमी के कारण लोग मद्यपान करना शुरू कर देते है। बहुत-से लोग जुआ खेलते हैं। परन्तु जब वह जुए में हार जाते हैं तो वह अपना गम भुलाने के लिए भी मद्यपान का सहारा लेते हैं। जीवन में किसी आपत्ति के आने के कारण भी लोग चिन्ता मुक्त होने के लिए भी शराब का सहारा लेते हैं। इस प्रकार यह बहुत-से ऐसे व्यक्तिगत कारण हैं जिनकी वजह से लोग मद्यपान करना शुरू कर देते हैं।

8. सामाजिक कमियां (Social Inadequacy) सामाजिक कमियों के कारण भी लोग मद्यपान करना शुरू कर देते हैं। कुछ लोगों के जीवन में कुछ ऐसी कमियां होती हैं जो उनमें पूरी नहीं हो पाती हैं। वह उन कमियों को पूरा भी नहीं कर पाते हैं तथा उन कमियों के कारण आने वाली कठिनाइयों का सामना भी नहीं कर पाते हैं। इसलिए वह इन कमियों की पूर्ति के लिए मद्यपान करना शुरू कर देते हैं तथा मदिरा के आदी हो जाते हैं।

9. पारिवारिक परिस्थितियां (Family Circumstances)-व्यक्ति की पारिवारिक परिस्थितियां भी उसे मद्यपान करने के लिए प्रेरित करती हैं। घर में अशान्ति है, घर में निर्धनता है, माता तथा पत्नी में हमेशा झगड़ा होता रहता है, पत्नी झगड़ालू है तथा चैन से रहने नहीं देती, परिवार में खर्चे तो अधिक हैं पर आय कम है इत्यादि। इन सभी कारणों के कारण वह हमेशा परेशान रहता है तथा वह अपनी परेशानी से मुक्ति चाहता है। इसलिए वह मद्यपान करने लग जाता है जिससे उसे कुछ समय के लिए शान्ति मिलती है। इस प्रकार वह धीरे-धीरे इसका आदी हो जाता है।

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10. फैशन के लिए (For Fashion)-आजकल के समय में फैशन के लिए भी व्यक्ति मद्यपान करना शुरू कर देते हैं। आधुनिक समय में युवा वर्ग तो मद्यपान करता ही फैशन के लिए है। बड़े-बड़े शहरों में यदि कोई नौजवान मद्यपान नहीं करता है तो उसे पिछड़े वर्ग से सम्बन्धित कहा जाता है। लोग दूसरों को प्रभावित करने के लिए अथवा अपने आपको अधिक आधुनिक सांस्कृतिक और खुशहाल दिखाने के लिए भी मद्यपान करना शुरू कर देते हैं। केवल लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी मद्यपान करने लग गई हैं। बड़े-बड़े शहरों में क्लब, पब इत्यादि खुल गए हैं जहां नौजवान पीढ़ी अपने मनोरंजन के लिए खुल कर मदिरा का प्रयोग करते हैं तथा नशे में झूमते हुए इसका आनन्द लेते हैं। दफ्तरों, कॉलेजों में जाने वाले लोग तो अपने आपको ऊँचा दिखाने के लिए भी इसका प्रयोग करते हैं तथा धीरेधीरे मद्यपान के आदी हो जाते हैं।

11. प्रतिकूल स्थितियाँ (Adverse Conditions) कई बार व्यक्ति के सामने ऐसे प्रतिकूल हालात आ जाते हैं जिससे उसे अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं रहता है तथा उनका मानसिक सन्तुलन भी बिगड़ जाता है। प्रतिकूल हालात जैसे कि कोई गम्भीर समस्या का खड़े हो जाना, निर्धनता, बेरोज़गारी, प्यार में असफलता, उन्नति न मिल पाना, किसी द्वारा अपमान कर देना, जुए में हार जाना, परिवार में लड़ाई-झगड़े इत्यादि ऐसे कारण हैं जो व्यक्ति की चिन्ताओं को बहुत बढ़ा देते हैं। इन चिन्ताओं को दूर करने के लिए वह शराब का सहारा लेने लग जाते हैं तथा मद्यपान करने लग जाते हैं। धीरे-धीरे वह मदिरा के आदी हो जाते हैं।

12. बड़े शहरों की गन्दी बस्तियां (Slums of Big Cities)-बड़े-बड़े शहरों में रहने की काफ़ी समस्या होती है। सही प्रकार के रहने के स्थान की व्यवस्था न होने के कारण भी मद्यपान की स्थिति बढ़ती है। गन्दी बस्तियों में मिलने वाला वातावरण, जोकि व्यक्तियों के रहने के लायक भी नहीं होता है, उस बुराई अर्थात् मद्यपान को उत्साहित करता है। जब व्यक्ति को लगता है कि वह अपनी इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर पा रहा है तथा उनको दबा रहा है तो वह मद्यपान करके अपनी इच्छाओं को सन्तुष्ट करता है।

13. वंशानुगत सेवन (Hereditary Usage)-वंशानुगत सेवन भी मद्यपान की समस्या को बढ़ाने का कारण बनता है। कई कबीलों में सदियों से देसी शराब बनाने की प्रथा चली आ रही है। बनाने के साथ-साथ उन्हें इसे स्वाद देखने के लिए पीना भी पड़ता है। इस तरह बच्चे अपने बड़ों को ऐसा करते हुए देखते हैं जिससे वह भी अपने बड़ों का अनुकरण करने लग जाते हैं। वह शराब बनाना भी सीख जाते हैं तथा साथ-साथ पीना भी सीख जाते हैं। इससे मद्यपान की लत बढ़ जाती है।

इस प्रकार इन कारणों को देख कर हम कह सकते हैं कि मद्यपान की लत केवल एक कारण से ही नहीं लगती है बल्कि इसके बहुत-से कारण हो सकते हैं। इन ऊपर दिए गए कारणों के अतिरिक्त मद्यपान के और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे कि आनन्द लेने की इच्छा, यौन सुख में अधिक आनन्द प्राप्त करने के लिए, थकान दूर करने के लिए, नई चीज़ के अनुभव करने के लिए इत्यादि।

प्रश्न 2.
मद्य व्यसन के हानिकारक प्रभावों पर विस्तृत टिप्पणी करें।
अथवा
मद्य व्यसन के नुकसानदायक प्रभावों पर विस्तृत रूप में लिखिए।
अथवा
मद्य व्यसन के हानिकारक प्रभावों को लिखें।
उत्तर-
मद्यपान को किसी भी दृष्टिकोण से ठीक नहीं कह सकते चाहे वह व्यक्तिगत दृष्टिकोण हो, चाहे वह पारिवारिक, आर्थिक, नैतिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण ही क्यों न हो। मद्यपान करने से व्यक्ति का जीवन पतन की तरफ ही जाता है। इससे उसके पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन को भी खतरा पैदा हो जाता है। इसके प्रभावों का वर्णन इस प्रकार है :

1. मद्यपान और व्यक्तिगत विघटन (Alcoholism and Personal Disorganization)—व्यक्ति यदि मद्यपान करना शुरू करता है तो उसके कई कारण व्यक्तिगत होते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि व्यक्ति को नींद नहीं आती है या भूख नहीं लगती है तो वह थोड़ी-सी मदिरा का सेवन कर लेता है ताकि उसे नींद आ जाए या भूख लग जाए। धीरे-धीरे वह मदिरा का अधिक सेवन करने लग जाता है तथा उसे इसकी लत लग जाती है। वह इसके पीछे इतना अधिक भागने लग जाता है कि उसे अच्छे-बुरे का भी ध्यान नहीं रहता है। उसे अपने बच्चों तथा घर का भी ध्यान नहीं रहता है। उसकी आय शराब पर खर्च होने लग जाती है जिससे उसके घर की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। उसे आर्थिक रूप से चिन्ताएं सताने लगती हैं। वह चिन्ता दूर करने के लिए और अधिक शराब पीने लग जाता है जिससे उसका व्यक्तिगत विघटन होने लग जाता है। उसे और अधिक चिन्ताएँ होने लगती हैं। वह समस्याओं से संघर्ष नहीं कर पाता है तथा शराब पीकर हालातों से दूर भागने का प्रयास करता है। इससे उसका चरित्र कमजोर हो जाता है जिससे व्यक्तिगत विघटन और अधिक बढ़ जाता है।

2. मद्यपान तथा सामाजिक विघटन (Alcoholism and Social Disorganization) हमारे समाज में हज़ारों लाखों व्यक्ति ऐसे हैं जो मदिरा का सेवन किसी-न-किसी वजह से करते हैं । मद्यपान करने से व्यक्तिगत विघटन होने से उनके परिवारों पर भी असर पड़ता है। परिवार विघटित होने शुरू हो जाते हैं क्योंकि परिवार समाज की प्राथमिक तथा सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है इसलिए यदि परिवार विघटित होंगे तो निश्चय ही समाज पर भी असर पड़ेगा तथा समाज भी विघटित होगा। जब समाज में रह कर व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारी को नहीं समझेगा तो निश्चय ही समाज विघटित होने की राह पर चल पड़ेगा। इस तरह मद्यपान से सामाजिक विघटन बढ़ता है।

3. मद्यपान तथा पारिवारिक विघटन (Alcoholism and Family Disorganization)-मद्यपान करने से न केवल व्यक्ति का व्यक्तिगत विघटन होता है, बल्कि उसके इस व्यवहार से परिवार भी विघटित हो जाते हैं। जब वह किसी कारणवश मदिरा का सेवन करना शुरू करता है तो पहले तो सभी उसे कुछ नहीं कहते हैं। इस कारण वह शराब पीने के लिए और उत्साहित हो जाता है इसलिए वह रोज़ पीना शुरू कर देता है। उसे केवल एक बात का ध्यान रहता है कि कब शाम हो तथा कब वह शराब पीना शुरू करे। इस तरह उसे केवल शराब का ही ध्यान रहता है। वह बाकी सभी बातें भूल जाता है। उसके इस व्यवहार से दुःखी होकर परिवार में तनाव आ जाता है। निर्धनता के कारण आर्थिक तंगी आनी शुरू हो जाती है। आर्थिक तंगी के कारण परिवार में रोज़ क्लेश, लड़ाई-झगड़े शुरू हो जाते हैं। परिवार में विघटन आना शुरू हो जाता है। तलाक की स्थिति भी आ जाती है। आर्थिक तंगी से दुःखी होकर कई लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं। इस तरह मद्यपान से पारिवारिक विघटन भी आ जाता है तथा पारिवारिक विघटन से सामाजिक विघटन भी हो जाता है।

4. कम नैतिकता (Less Morality)-जब व्यक्ति को अच्छे-बुरे का ज्ञान हो जाता है तो यह कहा जाता है कि उसमें नैतिकता आ गई है। परन्तु जब व्यक्ति मद्यपान करना शुरू कर देता है तो उसमें नैतिकता कम होनी शुरू हो जाती है। उसे अच्छे-बुरे का ध्यान नहीं रहता है। वह शराब के साथ-साथ और नशीली वस्तुओं का सेवन करना शुरू कर देता है। उसे शराब के आगे और कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। वह किसी भी कीमत पर शराब हासिल करना चाहता है। इसके लिए वह अपने परिवार, पत्नी तथा बच्चों से भी लड़ता है, उन्हें पीटता भी है। इस तरह मद्यपान करने से उसे अच्छे-बुरे का पता चलना बन्द हो जाता है तथा नैतिकता खत्म हो जाती है।

5. आर्थिक तंगी (Economic Problems)-बहुत-से लोग अपनी चिन्ताओं को दूर करने के लिए शराब पीना शुरू कर देते हैं। आमतौर पर चिन्ताओं का कारण पैसा अथवा कम आय और अधिक खर्च होता है। उसे वैसे ही आर्थिक तंगी के कारण चिन्ताएं होती हैं तथा वह शराब पीना शुरू करके और आर्थिक तंगी में आ जाता जिससे उसके जीवन में और मुश्किलें आनी शुरू हो जाती हैं। नशीले पदार्थों के लिए वह घर की चीजें यहां तक कि पत्नी के गहने भी बेचना शुरू कर देता है। आर्थिक तंगी के कारण पत्नी लोगों के घरों में कार्य करके पैसे कमाती है तथा पति वह पैसे भी छीन कर शराब पीता है। वह पैसे-पैसे के लिए लोगों का मुंह ताकता रह जाता है। मद्यपान के कारण उसके परिवार पर बहुत बुरा असर पड़ता है तथा वह दर-दर की ठोकरें खाता है। इस तरह व्यक्ति का आर्थिक जीवन मद्यपान के कारण पूरी तरह नष्ट हो जाता है।

6. अपराधों का बढ़ना (Increasing Rate of Crimes)-मद्यपान से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। परन्तु उसे शराब पीने के लिए पैसे चाहिए होते हैं। पैसे न होने की सूरत में वह घर के सामान को बेचना शुरू कर देता है। उसके बाद भी यदि उसे पैसे न मिले तो वह अपराध करने भी शुरू कर देता है। शराब न मिलने की स्थिति में उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है तथा वह लूटमार, पिटाई इत्यादि करने भी शुरू कर देता है। डकैती, चोरी, बलात्कार इत्यादि जैसे अपराध तो साधारण बातें हैं। इन कार्यों को करते समय उसे नैतिकता का भी ध्यान नहीं रहता। इस तरह मद्यपान के कारण समाज में अपराध भी बढ़ जाते हैं।

7. स्वास्थ्य पर असर (Effect on Health)-जब व्यक्ति मद्यपान करना शुरू कर देता है तो शुरू में तो उसे कुछ नहीं होता परन्तु जब वह मदिरा का अधिक सेवन करने लग जाता है तो उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है। शराब न मिलने पर उसका शरीर कांपने लग जाता है, उसका लीवर खराब हो जाता है तथा कई और प्रकार की बीमारियां लग जाती हैं। शराब के बिना वह कुछ नहीं कर सकता। उसके कार्य करने की क्षमता खत्म हो जाती है। वह शराब पीता है तो कार्य कर सकता है नहीं तो उसका शरीर शिथिल पड़ जाता है। इस तरह मद्यपान का उसके शरीर पर काफ़ी बुरा असर पड़ता है।
इस प्रकार हम देख सकते हैं कि मद्यपान से व्यक्ति का परिवार ही नहीं बल्कि समाज भी विघटित हो जाता है। उसमें नैतिकता खत्म हो जाती है, अपराध बढ़ जाते हैं। इस तरह मद्यपान के व्यक्ति पर बहुत ही बुरे प्रभाव पड़ते हैं।

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प्रश्न 3.
मद्य व्यसन के विभिन्न पड़ावों पर विस्तृत टिप्पणी करें।
उत्तर-
किसी भी व्यक्ति को मद्यसारिक बनने के लिए बहुत-से अलग-अलग चरणों में से होकर गुजरना पड़ता है। जैलीनेक (Jellineck) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को शराबी बनने के लिए सात अवस्थाओं में से गुजरना पड़ता है जोकि इस प्रकार हैं-

  • अन्धकार की स्थिति-इस स्थिति में व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत समस्याओं का हल नहीं निकाल पाता है तथा हमेशा चिन्ता और तनाव में रहता है।
  • गुप्त रूप से पीना-जब वह अपनी समस्याओं का हल नहीं निकाल पाता है तो वह गुप्त रूप से पीना शुरू कर देता है जिसमें कोई उसे पीते हुए देख न सके।
  • बढ़ी हुई सहनशीलता-इस स्थिति से पहले ही पीना शुरू कर देता है तथा मदिरा पीने के बढ़े हुए प्रभावों को भी सहन करता है।
  • नियन्त्रण का अभाव-यह वह स्थिति है जब वह अधिक पीना शुरू कर देता है तथा उसको अपनी पीने की इच्छा पर नियन्त्रण नहीं रहता है।
  • पीने के बहाने ढूंढ़ना-इस स्थिति में आकर व्यक्ति पीने के बहाने ढूंढ़ता है ताकि समय-समय पर मद्यपान किया जा सके।
  • केवल पीने के कार्यक्रम रखना-मद्यपान करने वाला व्यक्ति इस स्थिति में समय-समय पर केवल पीने के कार्यक्रम रखता है तथा अपने रिश्तेदारों, मित्रों को आमन्त्रित करता रहता है ताकि नियमित रूप से पीया जा सके।
  • प्रातःकाल से ही पीना शुरू करना-इस स्थिति में आकर व्यक्ति नियमित रूप से प्रात:काल में पीना शुरू कर देता है तथा वह प्रत्येक कार्य करने के लिए मदिरा पर ही निर्भर रहता है।

इस प्रकार से व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को हल न कर पाने की स्थिति में पीना शुरू कर देता है तथा समय के साथ मनोरंजन के लिए भी पीना शुरू कर देता है। धीरे-धीरे वह पीने की सीमाएं पार करता जाता है तथा मद्यसारिक बन जाता है। अब उसे पीने के लिए किसी भी बहाने की आवश्यकता नहीं होती है तथा वह लगातार पीना शुरू कर देता है। वह इसका आदी हो जाता है तथा एक समय ऐसा आता है जब वह मदिरा का सेवन किए बिना कोई कार्य नहीं कर सकता। उसका शरीर उसके नियन्त्रण में नहीं रहता बल्कि शराब के नियन्त्रण में आ जाता है। शराब न मिलने की स्थिति में उसका शरीर कांपने लग जाता है तथा वह कोई कार्य नहीं कर सकता है। इस प्रकार वह मद्यसारिक बन जाता है।

वैसे मुख्य रूप से मद्यसारिक बनने के निम्नलिखित चार स्तर होते हैं :

  • पूर्व मद्य व्यसनी पड़ाव-इस स्तर पर व्यक्ति सामाजिक प्रतिबन्धों का फायदा उठाते हुए, अपनी चिंताओं को दूर करने तथा अपनी व्यक्तिगत समस्याओं से दूर भागने के लिए पीना शुरू कर देता है। वह पीने को राहत से जोड़ देता है कि पीने से उसकी चिन्ताएं खत्म हो जाती हैं तथा वह मद्यपान के मौके ढूंढ़ता है। जैसे-जैसे उसमें जीवन के संघर्षों से लड़ने का सामर्थ्य खत्म होता जाता है तो उसका पीना बढ़ता जाता है।
  • तनाव से मुक्ति के लिए पीने का स्तर-इस स्तर में मद्यपान की मात्रा के साथ मद्यपान के मौके भी बढ़ने शुरू हो जाते हैं। परन्तु इस स्तर पर व्यक्ति के भीतर गलती का अहसास होना शुरू हो जाता है कि वह एक असामान्य व्यक्ति बनता जा रहा है।
  • गंभीर अवस्था-इस स्तर पर व्यक्ति का मद्यपान करना एक विशेष घटना बन जाती है या पीना आम हो जाता है। यहाँ आकर व्यक्ति अपने पीने को तर्कसंगत बनाना शुरू कर देता है तथा स्वयं को विश्वास दिलाना शुरू कर देता है कि उसका स्वयं पर नियन्त्रण है, परन्तु इस स्तर पर व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से दूर होना शुरू हो जाता है क्योंकि सभी उसे शराबी समझना शुरू कर देते हैं।
  • दीर्घकालिक अवस्था-इस स्तर पर व्यक्ति दिन में ही पीना शुरू कर देता है तथा हमेशा ही पीता रहता है। वह हमेशा ही नशे में रहता है जिससे उसकी सोचने की शक्ति कम हो जाती है, उसे कई चीजों से डर लगता है तथा उसकी कई प्रकार की कार्य करने की शक्ति खत्म हो जाती है। वह हमेशा मद्यपान के बारे में सोचता रहता है तथा उसके बिना बेचैन हो जाता है।

प्रश्न 4.
मद्य व्यसन पर नियंत्रण करने के लिए स्कूल व अध्यापक किस प्रकार सहायक हो सकते हैं-वर्णन करें।
उत्तर-
(i) स्कूल-घर की सुरक्षा से निकलकर बच्चा सबसे पहले जिस संस्था के हाथों में जाता है वह है स्कूल। यहाँ पर ही बच्चे के कच्चे मन पर प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है तथा यहाँ पर ही उसे समाज में रहने के तरीके सिखाए जाते हैं। उसे जीवन जीने, खाने-पीने, रहने-सहने, व्यवहार करने इत्यादि सभी प्रकार के ढंग स्कूल में ही सिखाए जाते हैं। स्कूल में बच्चा अन्य बच्चों से मिलता है तथा उनके साथ रहने के ढंग सीखता है। यह स्कूल ही होता है जो बच्चों के अर्द्धचेतन मन पर पक्का प्रभाव डाल कर उसे समाज का एक अच्छा नागरिक बनाने का प्रयास करता है।

अगर स्कूल बच्चे के मन पर इतना प्रभाव डालता है तो निश्चित रूप से बच्चों को मद्यपान से दूर रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्कूल में बच्चों को शुरू से ही मद्यपान के प्रभावों के बारे में बताया जा सकता है। स्कूल में सैमीनार करवाए जा सकते हैं, नाटक करवाए जा सकते हैं, नुक्कड़ नाटक खेले जा सकते हैं ताकि बच्चों को शराब के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताया जा सके। समय-समय पर बच्चों के माता-पिता को इस चीज़ के बारे में बताया जा सकता है तथा उन्हें कहा जा सकता है कि वह अपने बच्चों के लिए एक प्रेरणा बनें। इस प्रकार स्कूल में अगर बच्चे के मद्यपान के विरुद्ध विचार उत्पन्न हो जाएं तो वह तमाम आयु चलते रहेंगे तथा मद्यपान की समस्या स्वयं ही खत्म हो जाएगी।

(ii) अध्यापक-बच्चों को शराब से दूर रखने में अध्यापक बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। माता-पिता के हाथों से निकलकर बच्चे अध्यापक के हाथों में आते हैं। इस कारण यह उनका उत्तरदायित्व होता है कि वह बच्चों को ठीक रास्ता दिखाएं। बच्चों के अचेतन मन पर सबसे अधिक प्रभाव अध्यापकों का ही पड़ता है। बच्चे अपने अध्यापक के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित होते हैं तथा वह स्वयं को अध्यापक के अनुसार ढालने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार अध्यापक का कार्य तथा उत्तरदायित्व काफ़ी बढ़ जाता है कि वह कोई गलत कार्य न करें जो बच्चों के लिए ठीक न हो। अध्यापक बच्चों के लिए एक प्रेरणास्रोत होते हैं जिस कारण बच्चे उनका अनुकरण करते हैं। अध्यापक समय-समय पर बच्चों को मद्यपान न करने के लाभों के बारे तथा पीने के नुकसानों के बारे में बता सकते हैं। बच्चे अध्यापक की बात काफ़ी जल्दी मानते हैं जिस कारण वह इस बारे में अपने विचार बना सकते हैं। इस प्रकार मद्यपान की समस्या को रोका जा सकता है।

प्रश्न 5.
नशा व्यसन विषय पर 250 शब्दों में नोट लिखें।
उत्तर-
आज नशे की समस्या पर काफ़ी विवाद चल रहा है। माता-पिता तथा और ज़िम्मेदार नागरिक इस नशा लेने की उपसंस्कृति से काफ़ी सावधान हो रहे हैं। नशा लेने की आदत को पथभ्रष्ट व्यवहार या सामाजिक समस्या के रूप में देखा जा सकता है। पथभ्रष्ट व्यवहार से मतलब है स्थिति से समायोजन न कर पाना है। एक सामाजिक समस्या के रूप,में इसका अर्थ है वह सर्वव्यापक स्थिति जिसके समाज के ऊपर नुकसानदायक प्रभाव पड़ते हैं। पश्चिमी देशों में इसको काफ़ी समय से सामाजिक समस्या के रूप में देखा जा रहा है। कई संस्कृतियों में किसी-न-किसी तरीके से नशा करना एक लक्षण रहा है। सबसे ज़्यादा प्रचलित तरीका अफीम खाने का रहा है। भारत में बड़े-बड़े परिवारों के लोग यह नशा किया करते थे पर अब भारत में इसे समस्या के रूप में देखा जा रहा है।

ड्रग एक ऐसी कैमिकल वस्तु है जिसके शरीर तथा दिमाग पर गहरे तथा अलग प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। यह एक आम व्यक्ति के शारीरिक कार्यों में परिवर्तन ले आता है। मैडीकल भाषा में ड्रग एक ऐसी चीज़ है जिसे डाक्टर रोगी को किसी बीमारी को ठीक करने के लिए देता है ताकि उसके शरीर पर असर पड़ सके। मानसिक तथा सामाजिक तौर पर ड्रग को एक आदत के रूप में लेते हैं जो सीधे तौर पर दिमाग पर असर डालता है तथा जिस का दुरुपयोग होने के मौके ज़्यादा होते हैं तथा जिसके शरीर पर गलत प्रभाव पड़ते हैं। इस परिभाषा के अनुसार ज़रूरत से ज़्यादा ड्रग लेना इतना खतरनाक माना जाता है कि कई बार यह आम जनता के विरुद्ध समाज के विरोधियों में उत्तेजना भर देता है। कुछ ड्रग शरीर पर अच्छा प्रभाव डालते हैं पर उनके विपरीत कुछ ड्रग जैसे हैरोइन, कोकीन, (L.S.D.), शराब, तम्बाकू इत्यादि के शरीर पर बुरे प्रभाव पड़ते हैं तथा व्यक्ति इनका आदी हो जाता है।।

नशे की आदत में आदत शब्द का मतलब है शारीरिक तौर पर आश्रित हो जाना। इस तरह आदत या शारीरिक तौर पर आश्रित होने का अर्थ है वह स्थिति जिसमें शरीर को कार्य करने के लिए वह चीज़ चाहिए जो वह बार-बार प्रयोग करता है। यदि उस चीज़ को शरीर को देना बन्द कर दिया जाए तो शरीर के कार्य करने की प्रक्रिया पर उल्टा प्रभाव पड़ेगा तथा उसके शरीर पर गलत प्रभाव दिखने लग जाएंगे। इस सारे का प्रभाव यह दिखेगा कि वह चीज़ नहीं है जिसकी उसे ज़रूरत है।

एक व्यक्ति जो लगातार नशे का प्रयोग करता है वह पहली बार ड्रग लेने के बाद लगातार उसकी मात्रा बढ़ाता रहता है ताकि उसका वही प्रभाव कायम रहे जो उस पर पहली बार पड़ा था। यह प्रक्रिया बर्दाशत (Tolerance) कहलाती है। इसमें शरीर की उस बाहर की चीज़ में प्रति क्षमता को दिखाया जाता है।

मानसिक तौर पर व्यक्ति उस समय ड्रग पर आश्रित होता है जब उसे लगने लगे कि इस ड्रग का लेना ही उसके शरीर के लिए अच्छा है या उस ड्रग के प्रभाव उस पर अच्छे पड़ते हैं। शब्द आदत को कभी-कभी दिमागी आश्रित के तौर पर भी लिया जा सकता है। इस रूप में आदत का अर्थ होता है कि शरीर उस ड्रग पर इतना ज्यादा या उस ड्रग के प्रभावों पर इतना ज़्यादा आश्रित है कि वह उसके बिना कुछ नहीं कर सकता है। इस तरह नशाखोरी का मतलब नशा करने की आदत से है। यह आदत इस हद तक जा सकती है कि व्यक्ति इसके अतिरिक्त कुछ सोचता ही नहीं है। इस नशे के प्रभाव का व्यक्ति पर इतना असर होता है कि उसका शरीर इसके अतिरिक्त किसी चीज़ को Respond नहीं करता है। यदि शरीर को नशे की मात्रा मिलती रहे तो वह सही तरीके से उस नशे के प्रभाव में काम करेगा। यदि शरीर को नशा न मिल पाया तो उसके गम्भीर परिणाम व्यक्ति के सामने आने शुरू हो जाते हैं। उसका शरीर नशा प्राप्त करने के लिए तड़पने लगता है तथा वह किसी भी हालत में तथा किसी भी कीमत पर नशा प्राप्त करने की कोशिश करता है। इस तरह ड्रग व्यक्ति पर इस कदर हावी हो जाता है कि वह हमेशा नशे के प्रभाव में रहना चाहता है।

प्रश्न 6.
नशीली दवाओं के व्यसन की समस्या का वर्णन करते हुए बताएं कि इस समस्या का समाधान आप कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर-
नशीली दवाओं के व्यसन की समस्या का वर्णन-
आज नशे की समस्या पर काफ़ी विवाद चल रहा है। माता-पिता तथा और ज़िम्मेदार नागरिक इस नशा लेने की उपसंस्कृति से काफ़ी सावधान हो रहे हैं। नशा लेने की आदत को पथभ्रष्ट व्यवहार या सामाजिक समस्या के रूप में देखा जा सकता है। पथभ्रष्ट व्यवहार से मतलब है स्थिति से समायोजन न कर पाना है। एक सामाजिक समस्या के रूप,में इसका अर्थ है वह सर्वव्यापक स्थिति जिसके समाज के ऊपर नुकसानदायक प्रभाव पड़ते हैं। पश्चिमी देशों में इसको काफ़ी समय से सामाजिक समस्या के रूप में देखा जा रहा है। कई संस्कृतियों में किसी-न-किसी तरीके से नशा करना एक लक्षण रहा है। सबसे ज़्यादा प्रचलित तरीका अफीम खाने का रहा है। भारत में बड़े-बड़े परिवारों के लोग यह नशा किया करते थे पर अब भारत में इसे समस्या के रूप में देखा जा रहा है।

ड्रग एक ऐसी कैमिकल वस्तु है जिसके शरीर तथा दिमाग पर गहरे तथा अलग प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। यह एक आम व्यक्ति के शारीरिक कार्यों में परिवर्तन ले आता है। मैडीकल भाषा में ड्रग एक ऐसी चीज़ है जिसे डाक्टर रोगी को किसी बीमारी को ठीक करने के लिए देता है ताकि उसके शरीर पर असर पड़ सके। मानसिक तथा सामाजिक तौर पर ड्रग को एक आदत के रूप में लेते हैं जो सीधे तौर पर दिमाग पर असर डालता है तथा जिस का दुरुपयोग होने के मौके ज़्यादा होते हैं तथा जिसके शरीर पर गलत प्रभाव पड़ते हैं। इस परिभाषा के अनुसार ज़रूरत से ज़्यादा ड्रग लेना इतना खतरनाक माना जाता है कि कई बार यह आम जनता के विरुद्ध समाज के विरोधियों में उत्तेजना भर देता है। कुछ ड्रग शरीर पर अच्छा प्रभाव डालते हैं पर उनके विपरीत कुछ ड्रग जैसे हैरोइन, कोकीन, (L.S.D.), शराब, तम्बाकू इत्यादि के शरीर पर बुरे प्रभाव पड़ते हैं तथा व्यक्ति इनका आदी हो जाता है।।

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नशे की आदत में आदत शब्द का मतलब है शारीरिक तौर पर आश्रित हो जाना। इस तरह आदत या शारीरिक तौर पर आश्रित होने का अर्थ है वह स्थिति जिसमें शरीर को कार्य करने के लिए वह चीज़ चाहिए जो वह बार-बार प्रयोग करता है। यदि उस चीज़ को शरीर को देना बन्द कर दिया जाए तो शरीर के कार्य करने की प्रक्रिया पर उल्टा प्रभाव पड़ेगा तथा उसके शरीर पर गलत प्रभाव दिखने लग जाएंगे। इस सारे का प्रभाव यह दिखेगा कि वह चीज़ नहीं है जिसकी उसे ज़रूरत है।

एक व्यक्ति जो लगातार नशे का प्रयोग करता है वह पहली बार ड्रग लेने के बाद लगातार उसकी मात्रा बढ़ाता रहता है ताकि उसका वही प्रभाव कायम रहे जो उस पर पहली बार पड़ा था। यह प्रक्रिया बर्दाशत (Tolerance) कहलाती है। इसमें शरीर की उस बाहर की चीज़ में प्रति क्षमता को दिखाया जाता है।

मानसिक तौर पर व्यक्ति उस समय ड्रग पर आश्रित होता है जब उसे लगने लगे कि इस ड्रग का लेना ही उसके शरीर के लिए अच्छा है या उस ड्रग के प्रभाव उस पर अच्छे पड़ते हैं। शब्द आदत को कभी-कभी दिमागी आश्रित के तौर पर भी लिया जा सकता है। इस रूप में आदत का अर्थ होता है कि शरीर उस ड्रग पर इतना ज्यादा या उस ड्रग के प्रभावों पर इतना ज़्यादा आश्रित है कि वह उसके बिना कुछ नहीं कर सकता है। इस तरह नशाखोरी का मतलब नशा करने की आदत से है। यह आदत इस हद तक जा सकती है कि व्यक्ति इसके अतिरिक्त कुछ सोचता ही नहीं है। इस नशे के प्रभाव का व्यक्ति पर इतना असर होता है कि उसका शरीर इसके अतिरिक्त किसी चीज़ को Respond नहीं करता है। यदि शरीर को नशे की मात्रा मिलती रहे तो वह सही तरीके से उस नशे के प्रभाव में काम करेगा। यदि शरीर को नशा न मिल पाया तो उसके गम्भीर परिणाम व्यक्ति के सामने आने शुरू हो जाते हैं। उसका शरीर नशा प्राप्त करने के लिए तड़पने लगता है तथा वह किसी भी हालत में तथा किसी भी कीमत पर नशा प्राप्त करने की कोशिश करता है। इस तरह ड्रग व्यक्ति पर इस कदर हावी हो जाता है कि वह हमेशा नशे के प्रभाव में रहना चाहता है।

समाधान-यदि हम नशे की आदत को रोकना चाहते हैं तो इसके लिए समाज को मिलकर कोशिश करनी पड़ेगी क्योंकि किसी समस्या का समाधान एक या दो व्यक्तियों की कोशिशों की वजह से नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए सामूहिक कोशिश की ज़रूरत होती है। यदि कोई व्यक्तिगत रूप से इसको दूर करने के कोशिश करता है तो वह ज़्यादा से ज़्यादा अपनी समस्या दूर कर सकता है न कि समाज की। फिर भी इस समस्या के निवारण के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं-

1. लोगों को इसके विरुद्ध जागृत करना-लोगों को नशे की आदत के विरुद्ध जागृत करना चाहिए। इसके लिए सरकार समाज-सेवी संस्थाएं, शिक्षण संस्थाएं बहुत कुछ कर सकती हैं। यह सब लोगों को नशे के नुकसान के बारे में बता सकते हैं कि नशे के क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। स्कूलों में, कॉलेजों में, विश्वविद्यालयों में, होस्टलों में, झोंपड़ पट्टियों में इसके ऊपर सैमीनार आयोजित किए जा सकते हैं। कई और साधनों जैसे नुक्कड़ नाटकों इत्यादि के जरिए उनको इनके नुकसान के बारे में बताया जा सकता है कि यह न केवल शरीर की बल्कि पैसे की बर्बादी भी करते हैं। इन तरीकों से हम विद्यार्थियों को तथा आम जनता को नशे के विरुद्ध कर सकते हैं।

2. डॉक्टरों का रवैया (Attitude) बदल कर-नशे की आदत दूर करने में डॉक्टर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। देखा जाता है कि डॉक्टर मरीज़ को ठीक करने के लिए नशे वाली दवा दे देते हैं जिसकी मरीज को आदत पड़ जाती है। वह इसके बगैर नहीं रह सकता। यदि डॉक्टर अपना इस तरह का रवैया बदल कर मरीजों को नशे मिली दवा देनी बन्द कर दें तो भी इस समस्या का काफ़ी हद तक निवारण किया जा सकता है तथा लोगों की नशे की आदत को छुड़वाया जा सकता है।

3. नशे के आदियों के बारे में जानकारी-यदि कोई नशा करना शुरू करता है तो उसके पीछे कोई कारण होता है। बगैर किसी कारण के कोई इस समस्या का शिकार नहीं होगा। इसका हल इस तरह निकल सकता है कि उस व्यक्ति की पिछली ज़िन्दगी के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए ताकि हम उस कारण को जान सकें जिस वजह से व्यक्ति ने नशा करना शुरू किया। यदि उस कारण का पता चल गया तो उस कारण को दूर करके इस समस्या का निवारण किया जा सकता है। इसलिए नशाखोरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने से यह समस्या दूर हो सकती है।

4. माता-पिता का बच्चों के प्रति व्यवहार-कई बार देखने में आया है कि घरेलू व्यवहार नशे की आदत का एक कारण बनता है। माता-पिता के बीच समस्या, उनका बच्चों को समय न दे पाना या बच्चों के प्रति प्यार भरा व्यवहार न होना, बच्चों को नशे की तरफ ले जाता है। इसके लिए माता-पिता को बच्चों के प्रति अपना व्यवहार बदलना चाहिए। माता-पिता को बच्चों की प्रत्येक चीज़ का ध्यान करना चाहिए, उनका खाना-पीना, उनकी संगति, प्यार इत्यादि सभी चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि बच्चे नशे के प्रति आकर्षित न हों। माता-पिता को बच्चों को नशे के गलत प्रभावों की जानकारी भी देनी चाहिए।

5. नशा बेचने वालों को सज़ा देना-किसी को नशे की आदत लगाना उसकी ज़िन्दगी से खेलना है। इसलिए जो नशे का व्यापार करते हैं उन्हें सख्त सजा देनी चाहिए, क्योंकि जो एक बार नशे का आदी हो जाता है उसका अंत मौत पर ही जाकर रुकता है। इसलिए लोगों की ज़िन्दगी से खेलने वालों को सख्त सज़ा देकर हम समाज के लिए एक उदाहरण स्थापित कर सकते हैं कि कोई दोबारा ऐसी हरकत करने की कोशिश न करे।

6. उन पुलिस वालों तथा कानून के रखवालों को भी सख्त-से-सख्त सजा देनी चाहिए जो नशे का व्यापार करने वालों की मदद करते हैं। पुलिस की मदद के बिना समाज में कोई अपराध कर पाना बहुत मुश्किल है। इसलिए पुलिस पर नकेल डालनी चाहिए ताकि नशे का धंधा फलने-फूलने की बजाए बन्द हो जाए।

7. शिक्षक का योगदान-नशे की आदत को रोकने के लिए शिक्षक काफ़ी महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। शिक्षक चाहे स्कूल में हों, कालेज में हों या विश्वविद्यालय में हों विद्यार्थी पर बहुत गहरा प्रभाव डालते हैं। यह शिक्षक ही होता है जो विद्यार्थी का जीवन संवारता है। ज़रा सोचिए कि यदि समाज से शिक्षक गायब हो जाएं तो क्या होगा। शिक्षक की बात हर विद्यार्थी मानता है। यहां पर शिक्षक एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह देखा गया है कि नशे करने की आदत छोटी उम्र में ही पड़ जाती है। शिक्षक बच्चों को इसके बुरे प्रभावों के बारे में बता सकता है कि इससे उनके शरीर, उनके भविष्य, उनके माता-पिता इत्यादि पर क्या प्रभाव पड़ेंगे। इस तरह बच्चे जो शिक्षक को अपना आदर्श मानते हैं उसकी बात मानकर नशे का विरोध कर सकते हैं।

8. मानसिकता को बदलना-नशे की आदत को कम करने के लिए अथवा खत्म करने के लिए लोगों की मानसिकता को भी बदलना चाहिए। उनको नशे के गलत प्रभावों के बारे में बताना चाहिए ताकि लोग इस आदत को छोड़ सकें। इसके लिए सैमीनार आयोजित किए जा सकते हैं, कैम्प लगाए जा सकते हैं, गली-नुक्कड़ों पर नाटक किए जा सकते हैं ताकि लोगों को इनके गलत प्रभावों के बारे में पता चल सके।

9. समाज-सेवी संस्थाओं का योगदान-मादक द्रव्य व्यसन की आदत को कम करने में समाज सेवी संस्थाएं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यह लोगों में चेतना जागृत कर सकते हैं, उनको नशे की आदत के गलत प्रभावों के बारे में बता सकते हैं तथा कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं। इसके लिए सरकार इन्हें वित्तीय सहायता भी दे सकती है।
इस प्रकार यदि लोग एक-दूसरे से मिलकर कार्य करें तथा सरकार प्रयत्न करे तो मादक द्रव्य व्यसन की आदत को काफ़ी कम किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
नशा व्यसन के उत्तरदायी कारणों की विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर-
वैसे तो मादक द्रव्य व्यसन के बहुत-से कारण हो सकते हैं जैसे संगति, परिवार का कम नियन्त्रण, मज़ा करने की इच्छा, बड़ों को देख कर ऐसा करना इत्यादि पर कुछ महत्त्वपूर्ण कारणों का वर्णन निम्नलिखित है
नशे की आदत के कारणों को हम चार भागों में बांट सकते हैं-

1. मानसिक कारण (Psychological Causes)-

(i) तनाव घटाना-कई लोग नशे के इसलिए आदी हो जाते हैं क्योंकि वह तनाव कम करना चाहते हैं। कई व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनको कई प्रकार की परेशानियां या समस्याएं होती हैं। जब उनसे इन समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता तो वह अपना तनाव कम करने के लिए नशे का सहारा लेते हैं। इस तरह धीरे-धीरे वह नशे के आदी हो जाते हैं। इस तरह तनाव दूर करने के लिए नशे लेने से व्यक्ति धीरे-धीरे नशे के आदी हो जाते हैं।

(ii) उत्सुकता पूरी करना-कई व्यक्तियों में यह जानने की उत्सुकता होती है कि यदि कोई नशा किया जाए तो कैसा महसूस होता है। इस तरह वह पहली बार उत्सुकता के लिए नशा करता है पर धीरे-धीरे उसे इस नशे की आदत पड़ जाती है। इस तरह उत्सुकता पूरी करते समय वह नशे का आदी हो जाता है।

(iii) तनाव कम करना-कई व्यक्तियों के पास कोई काम नहीं होता है। इसलिए वह अपना समय बिताने के लिए नशा करना शुरू करते हैं, पर धीरे-धीरे उनको इसकी आदत पड़ जाती है। केवल काम ही नहीं और बहुत से कारण हैं जिनसे व्यक्ति में तनाव आ जाता है। उदाहरण के तौर पर उसकी आय कम है, व्यापार ठीक प्रकार से नहीं चल रहा है, घर में पत्नी के व्यवहार से परेशानी है, बच्चों की पढ़ाई की चिंता है, दफ्तर के कार्य से अथवा बॉस के व्यवहार से परेशान है इत्यादि। इन सभी कारणों के अतिरिक्त और बहुत-से कारण हो सकते हैं जिनसे व्यक्ति में तनाव आ सकता है। तनाव पूरी तरह तो दूर नहीं हो सकता है परन्तु कुछ समय के लिए तो दूर हो सकता है। इसलिए कुछ समय के लिए तनाव को दूर करने के लिए वह और कुछ नहीं तो शराब का सहारा लेते हैं जिससे तनाव कम हो जाता है।

(iv) आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए-कई व्यक्ति अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए भी नशा करते हैं जैसे कोई व्यक्ति किसी काम को करने के लिए जा रहा है पर उसे थोड़ी शंका होती है कि शायद वह यह काम नहीं कर पाएगा इसलिए वह अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए नशा कर लेता है। इसके बाद हर काम से पहले वह नशा करता है तथा धीरे-धीरे वह नशे का आदी हो जाता है।

2. सामाजिक कारण (Social Causes) –

  • दोस्तों की वजह से कई बार अपने दोस्तों की वजह से भी व्यक्ति नशा करने का आदी हो जाता है। यदि किसी के दोस्त नशा करते हैं तो वे दोस्त उसे नशा करने को कहते हैं। उसके मना करने पर वे उसका मज़ाक उड़ाते हैं। इस मज़ाक से बचने के लिए वह थोड़ा सा नशा कर लेता है। इस तरह जब भी वह अपने दोस्तों से मिलता है थोड़ा सा नशा कर लेता है। धीरे-धीरे वह नशे का आदी हो जाता है।
  • पारिवारिक कारण-यदि कोई बच्चा नशा करना शुरू करता है तो हो सकता है कि उसके परिवार में कोई समस्या हो। हो सकता है कि उसके मां-बाप की न बनती हो तथा उसको इससे तनाव रहता है। उसके मां-बाप उसे समय न देते हों, उस पर नियन्त्रण की कमी हो। यदि कोई बड़ा नशे का आदी है तो हो सकता है कि उसकी पत्नी से उसकी हमेशा लड़ाई रहती हो, उसके बच्चों की वजह से उसे कोई परेशानी हो, कोई आर्थिक कारण हो। इस तरह पारिवारिक कारण भी नशाखोरी का कारण बनता है।
  • बड़ों को देखकर इच्छा जागना-यदि कोई बच्चा नशा करना शुरू करता है तो हो सकता है कि उसे घर के बड़ों को नशा करते देख यह इच्छा जागी हो कि नशा करके देखना चाहिए। जब बड़े नशा करते हैं तो बच्चे इनको बड़े ध्यान से देखते हैं कि वह क्या कर रहे हैं। इनके बाद वह भी ऐसा ही करने की कोशिश करते हैं तथा धीरे-धीरे नशे के आदी हो जाते हैं।
  • सामाजिक मूल्यों के विरोध के लिए कई बार व्यक्ति सामाजिक मूल्यों का विरोध करने के लिए भी नशा करने लग जाता है। उसे इस बात से रोका जाता है कि नशा नहीं करना चाहिए। उसे इतना रोका जाता है कि वह आवेग में आकर उसका विरोध करने के लिए नशा करने लगता है।

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3. शारीरिक कारण (Physiological Causes)-

  • जागते रहने के लिए-कई लोग सिर्फ जागते रहने के लिए नशा करना शुरू कर देते हैं। कइयों का काम रात का होता है पर उनको नींद आती है। इस वजह से वह जागते रहने के लिए नशे का सहारा लेते हैं। कइयों की कई प्रकार की परेशानियां होती हैं। यदि नींद आएगी तो वह परेशानियां सताएंगी इस वजह से वह जागते रहने के लिए नशे का सहारा लेते हैं।
  • कामुक अनुभव को बढ़ाना-कई लोगों में कामुकता ज़्यादा होती है इसलिए वह अपने कामुक अनुभव को ज़्यादा-से-ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं। इस वजह से वह नशा करते हैं ताकि इसके अनुभव का प्रभाव ज्यादा-से-ज्यादा प्राप्त हो। इसलिए वे नशा ले लेते हैं।
  • नींद के लिए-कई लोगों को नींद न आने की समस्या होती है। इसमें चाहे हम उसके शारीरिक कारणों को सम्मिलित कर लेते हैं या सामाजिक कारणों को। पर उनको नींद चाहिए होती है। इसलिए वे नींद की गोलियां या कोई और नशा लेने लग जाते हैं ताकि नींद आ सके।

4. अन्य कारण (Miscellaneous Causes)-

  • पढ़ने के लिए-कई लोग पढ़ने के लिए भी ड्रग या नशे का सहारा लेते हैं। कइयों को पढ़ते वक्त नींद आती है इस वजह से वह शुरू-शुरू में कोई नशा करता है ताकि उसे नींद न आए। पर धीरे-धीरे वह इस नशे का आदी हो जाता है तथा वह हमेशा पढ़ने से पहले नशा करता है।
  • इसमें हम कई चीज़ों को ले सकते हैं जैसे (Deepening Self-understanding तथा Solving Personal Problems)—-इन वजहों से या समस्याओं की वजह से व्यक्ति नशा करना शुरू करता है पर धीरे-धीरे वह इसका आदी हो जाता है। इस तरह अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को दूर करते-करते वह एक नई समस्या का शिकार हो जाता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न (OTHER IMPORTANT QUESTIONS)

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इनमें से कौन-सी अवस्था सामाजिक समस्या की है ?
(क) समाज के अधिकतर लोग प्रभावित होते हैं।
(ख) यह एक अवांछनीय स्थिति होती है।
(ग) सामाजिक मूल्यों में संघर्ष होता है।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.
इनमें से कौन-सा सामाजिक समस्या का आर्थिक कारक है ?
(क) बेरोज़गारी
(ख) निर्धनता
(ग) गंदी बस्तियां
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
जो वर्ष में एक-दो बार पीता हो उसे क्या कहते हैं ?
(क) दुर्लभ उपभोगी
(ख) कभी-कभी उपभोग करने वाले
(ग) हल्के उपभोगी
(घ) नियमित उपभोगी।
उत्तर-
(क) दुर्लभ उपभोगी।

प्रश्न 4.
उस व्यक्ति को क्या कहते हैं जो सुबह से ही पीना शुरू कर देता है ?
(क) नियमित उपभोगी
(ख) हल्के उपभोगी
(ग) भारी उपभोगी
(घ) दुर्लभ उपभोगी।
उत्तर-
(ग) भारी उपभोगी।

प्रश्न 5.
इनमें से कौन-सा नशे का प्रकार है ?
(क) अफीम
(ख) कोकीन
(ग) चरस
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त सभी।

B. रिक्त स्थान भरें-

1. …………. के हालात समाज के लिए अवांछनीय होते हैं।
2. ………….. भी एक प्रकार का नशा है जिसे पिया जाता है।
3. हैरोइन, अफीम, कोकीन इत्यादि ………… की श्रेणी में आते हैं।
4. ………….. तथा ……….. बच्चों को नशे से दूर रखने में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
5. …………… करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर काफी गलत प्रभाव पड़ता है।
उत्तर-

  1. सामाजिक समस्या
  2. शराब
  3. नारकोटिक्स
  4. स्कूल, अध्यापक
  5. नशा।

C. सही/ग़लत पर निशान लगाएं-

1. सामाजिक समस्या समाज के अधिकतर लोगों को प्रभावित करती है।
2. गांजा एक नारकोटिक है।
3. नशा करने वाला व्यक्ति हमेशा नशा करने की इच्छा में रहता है।
4. केंद्रीय सरकार ने 1955 में The Narcotic Drugs and Psychotropic Substance Act बनाया
5. सामाजिक समस्या में सामाजिक मूल्यों में संघर्ष नहीं होता।
उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. सही
  4. गलत
  5. गलत।

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II. एक शब्द/एक पंक्ति वाले प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. सामाजिक समस्या क्या होती है ?
उत्तर-सामाजिक समस्या वह अवांछनीय स्थिति है जिन्हें सभी लोग बदलना चाहते हैं।

प्रश्न 2. सामाजिक समस्या किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर-सामाजिक समस्या समाज की कीमतों तथा मूल्यों पर निर्भर करती है।

प्रश्न 3. सामाजिक समस्या समाज के कितने व्यक्तियों को प्रभावित करती है ?
उत्तर- यह समाज के अधिकतर व्यक्तियों को प्रभावित करती है।

प्रश्न 4. सामाजिक समस्या के सामाजिक सांस्कृतिक कारक बताएं।
उत्तर-अस्पृश्यता, पितृ प्रधान समाज, भ्रूण हत्या, दहेज, घरेलू हिंसा, स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा इत्यादि।

प्रश्न 5. सामाजिक समस्या के आर्थिक कारक बताएं।
उत्तर-निर्धनता, बेरोजगारी, गंदी बस्तियां, अनपढ़ता, अपराध इत्यादि।

प्रश्न 6. मद्यपान क्या होता है ?
उत्तर- जब व्यक्ति आवश्यकता से अधिक शराब पीने लग जाए उसे मद्यपान कहते हैं।

प्रश्न 7. दुर्लभ उपभोगी कौन होता है ?
उत्तर- जो व्यक्ति वर्ष में एक-दो बार मद्यपान करता है उसे दुर्लभ उपभोगी कहते हैं।

प्रश्न 8. कभी-कभी उपभोग करने वाला कौन होता है ?
उत्तर-जो दो-तीन महीनों में एक बार पीता है।

प्रश्न 9. हल्के उपभोगी कौन होते हैं ?
उत्तर- जो महीने में एक-दो बार पीते हैं उन्हें हल्के उपभोगी कहते हैं।

प्रश्न 10. नियमित उपभोगी कौन होते हैं ?
उत्तर-महीने में तीन या चार बार पीने वाले को नियमित उपभोगी कहते हैं।

प्रश्न 11. भारी पियक्कड़ कौन होता है ?
उत्तर-जो रोज़ पीता है, वह भारी पियक्कड़ होता है।

प्रश्न 12. भारत की कितनी वयस्क जनसंख्या जीवन में कभी न कभी शराब पीती है ?
उत्तर-32-42% वयस्क जनसंख्या।

प्रश्न 13. मद्यपान का एक कारण बताएं।
उत्तर-लोग अपनी चिंताओं को भुलाने के लिए शराब पीते हैं।

प्रश्न 14. मद्यपान का एक प्रभाव बताएं।
उत्तर- मद्यपान से पैसे और स्वास्थ्य की बर्बादी होती है।

प्रश्न 15. ड्रग क्या है ?
उत्तर-ड्रग ऐसा कैमीकल होता है जो हमारे शरीर के शारीरिक तथा मानसिक कार्य करने की शक्ति पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 16. किन्हीं चार नारकोटिक पदार्थों के नाम बताएं।
उत्तर-अफीम, कोकीन, हैरोइन, चरस, गांजा, मारीजुआना इत्यादि।

प्रश्न 17. The Narcotic Drugs and Psychotropic Substance Act कब पास हुआ था ?
उत्तर-यह कानून 1985 में पास हुआ था।

III. अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक समस्या की दो विशेषताएं बताएं।
उत्तर-

  • सामाजिक समस्या ऐसी अवांछनीय स्थिति होती है जिनसे समाज के अधिकतर सदस्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं।
  • सामाजिक समस्या के बारे में समाज के अधिकतर लोग यह मानते हैं कि इन अवांछनीय स्थितियों का हल निकालना आवश्यक होता है।

प्रश्न 2.
सामाजिक समस्या के सामाजिक सांस्कृतिक कारण लिखें।
उत्तर-
भारत में बहुत से धर्मों, जातियों, अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं जिस कारण यहाँ बहुतसी सामाजिक सांस्कृतिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। अस्पृश्यता, भ्रूण हत्या, दहेज, घरेलू हिंसा, स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा इत्यादि भी कई प्रकार की समस्याएं हैं जो यहां पर मिलती हैं।

प्रश्न 3.
मद्यपान के तीन कारण लिखें।
उत्तर-

  1. लोग अपनी चिंताओं को खत्म करने के लिए मद्यपान करते हैं।
  2. लोगों का पेशा उन्हें थका देता है जिस कारण वे मद्यपान करना शुरू कर देते हैं।
  3. कई लोग अपने मित्रों के साथ बैठना पसंद करते हैं तथा उनके साथ मद्यपान करना शुरू कर देते हैं।

प्रश्न 4.
नशीली दवाओं के व्यसन के तीन कारण लिखें।
उत्तर-

  1. कई बार मित्र समूह व्यक्ति को नशा करने के लिए बाध्य करते हैं।
  2. कई बार व्यक्ति स्वयं को अकेला महसूस करता है तथा अकेलेपन को दूर भगाने के लिए नशा करना शुरू कर देता है।
  3. कई लोग जीवन के हालातों का मुकाबला नहीं कर सकते तथा उनसे दूर भागने के लिए नशा करना शुरू कर देते हैं।

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IV. लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मद्यपान।
उत्तर-
मद्यपान उस स्थिति को कहते हैं जिसमें व्यक्ति मदिरा लेने की मात्रा पर नियन्त्रण नहीं रख पाता है जिससे वह सेवन करने को शुरू करने के बाद उसे बन्द नहीं कर सकता है।
केलर तथा एफ्रोन (Keller and Affron) के अनुसार, “मद्यपान का लक्षण मदिरा का इस सीमा तक बार-बार पीना है जोकि उसके प्रथागत उपयोग अथवा समाज के सामाजिक रिवाजों के अनुपालन से अधिक है और जो पीने वाले के स्वास्थ्य या उसके सामाजिक अथवा आर्थिक कार्य करने को प्रभावित करता है।”

प्रश्न 2.
मद्यसारिक व्यक्ति।
उत्तर-
मद्यसारिक अथवा शराबी व्यक्ति वह व्यक्ति है जो मदिरा का सेवन करता है अथवा पीने वाला होता है। मजबूरी में पीने वाला व्यक्ति (Compulsive) मदिरा पिए बिना नहीं रह सकता है। इस तरह जो व्यक्ति मदिरा पिए बिना नहीं रह सकता उसे मद्यसारिक व्यक्ति अथवा शराबी कहते हैं। उसका अपने ऊपर नियन्त्रण कम हो जाता है। वह रोजाना पीते-पीते इतना आगे निकल जाता है कि वह बिना पिए कोई कार्य भी नहीं कर सकता है। बिना पिए उसके हाथ पैर कांपने लगते हैं।

प्रश्न 3.
मद्यसारिक व्यक्तियों के प्रकार।
उत्तर-

  • विरले मद्यसारिक जो वर्ष में एक या दो बार पीते हैं।
  • अनित्य मद्यसारिक जो दो तीन महीने में एक या दो बार शादी विवाह में पीते हैं।
  • हल्का प्रयोक्ता मद्यसारिक जो महीने में एक या दो बार पीते हैं।
  • मध्यम प्रयोक्ता मद्यसारिक जो अपनी छुट्टी का आनन्द लेने के लिए महीने में तीन-चार बार पीते हैं।
  • भारी प्रयोक्ता मद्यसारिक जो प्रतिदिन अथवा दिन में कई बार पीते हैं।

प्रश्न 4.
मद्यपान का कारण-व्यवसाय।
उत्तर-
बहुत-से मामलों में व्यवसाय मद्यपान का कारण बनता है। कई लोगों का व्यवसाय ऐसा होता है कि वे काम करते-करते इतना थक जाते हैं कि उन्हें अपने आपको दोबारा कार्य करने के लिए किसी चीज़ की आवश्यकता होती है। इससे उनकी थकावट भी मिट जाती है तथा उन्हें अगले दिन कार्य करने के लिए प्रेरणा भी मिलती है। कई लोग अपने व्यवसाय से जुड़े और लोगों को खुश करने के लिए भी मद्यपान करना शुरू कर देते हैं। उदाहरण के लिए किसी कर्मचारी को अपने मालिक को खुश करने के लिए मालिक के साथ मदिरा पीनी पड़ती है जिससे वह मदिरा का आदी हो जाता है। इस तरह व्यवसाय के कारण व्यक्ति को मदिरा पीनी पड़ती है तथा वह इसका आदी हो जाता है।

प्रश्न 5.
मानसिक तनाव-मद्यपान का कारण।
उत्तर-
प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी तनाव का शिकार होता है। किसी के पास पैसा नहीं है तो उसे अपना घर चलाने का तनाव है, किसी के पास पैसा है तो उसे सम्भालने की चिन्ता है, किसी को व्यापार की चिन्ता है, किसी को दफ़्तर की चिन्ता है, कोई निर्धनता से परेशान है तो कोई अपने मालिक, बॉस या बीवी से, किसी को व्यापार में घाटा होने की चिन्ता है तो किसी को प्रतिस्पर्धा की। इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी मानसिक चिन्ता का शिकार है। यदि वह शराब पीता है तो यह शराब उसके स्नायु तन्त्र को कुछ समय के लिए शिथिल कर देती है तथा कम-सेकम कुछ समय के लिए उसे मानसिक तनाव से मुक्ति मिल जाती है।

प्रश्न 6.
निर्धनता-मद्यपान का कारण।
उत्तर-
निर्धन व्यक्ति को हमेशा पैसा कमाने की चिन्ता रहती है। उसके परिवार के सदस्य तो अधिक होते हैं परन्तु कमाने वाला वह अकेला ही होता है। इसलिए घर का खर्च तो अधिक होता है परन्तु आय काफ़ी कम होती है। बच्चों को पढ़ाने, कपड़े, खाने की चिन्ता उसे हमेशा ही लगी रहती है। इसलिए वह चिन्ता से दूर होने के लिए शराब का सहारा ले लेता है। शराब पीने से उसे कुछ समय के लिए चिन्ताओं तथा तनाव से मुक्ति मिल जाती है। इस तरह वह धीरेधीरे अधिक मात्रा में शराब पीनी शुरू कर देता है तथा वह महामारिक हो जाता है।

प्रश्न 7.
मादक द्रव्य व्यसन।
उत्तर-
जब व्यक्ति किसी ऐसे पदार्थ का उपयोग करता है जिससे उसका शरीर उस पदार्थ अथवा द्रव्य पर निर्भर हो जाता है तो उसे मादक द्रव्य व्यसन कहा जाता है। द्रव्य वह चीज़ है जो मस्तिष्क तथा नाड़ी मण्डल को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। इस तरह जब व्यक्ति उस द्रव्य पर इतना अधिक निर्भर हो जाता है कि उसके बिना रह ही नहीं सकता है तो उसे मादक द्रव्य व्यसन कहा जाता है।

प्रश्न 8.
द्रव्य दुरुपयोग।
उत्तर-
जब व्यक्ति किसी अवैध द्रव्य का सेवन करने लग जाता है अथवा वैध द्रव्य का गलत प्रयोग (Misuse) करने लग जाता है तो उसे द्रव्य दुरुपयोग कहा जाता है। इससे उसको शारीरिक तथा मानसिक नुकसान पहुंचता है। कोकीन तथा एल० एस० डी० का प्रयोग, हेरोइन का प्रयोग, हशीश या गांजे को पीना, मद्यपान करना इत्यादि सभी इसमें शामिल हैं। इसका प्रयोग करने पर उसे असीम आनन्द आता है, वह आमोद यात्रा (Trip) पर चला जाता है। इसको पीने के बाद ही वह कुछ कार्य नही कर सकता है अन्यथा इसके बिना वह कुछ भी नहीं कर सकता है।

प्रश्न 9.
द्रव्य निर्भरता।
उत्तर-
जब व्यक्ति किसी वैध अथवा अवैध द्रव्य का रोज़ सेवन करने लग जाता है तथा उसका सेवन किए बिना रह नहीं सकता है तो उसे द्रव्य निर्भरता कहते हैं। निर्भरता शारीरिक भी होती है तथा मानसिक भी। जब व्यक्ति लगातार किसी द्रव्य का बार-बार सेवन करता है तथा द्रव्य को अपने अन्दर समा लेता है तो इसे शारीरिक निर्भरता कहते हैं। परन्तु जब द्रव्य बन्द करने से उसे दर्द, पीड़ा होती है तो शारीरिक हानि के साथ मानसिक हानि भी होती है।

प्रश्न 10.
मादक द्रव्य व्यसन की विशेषताएं।
उत्तर-

  • मादक द्रव्य व्यसन में व्यक्ति को द्रव्य प्राप्त करने की बहुत तेज़ इच्छा जागती है।
  • इस स्थिति में उसे द्रव्य किसी भी ढंग से प्राप्त करना होता है नहीं तो शरीर शिथिल पड़ जाता है।
  • मादक द्रव्य व्यसन में द्रव्य बढ़ाते रहने की प्रवृत्ति होती है।
  • मादक द्रव्य व्यसन में व्यक्ति मानसिक तथा शारीरिक तौर पर नशीली दवाओं पर निर्भर हो जाता है।

प्रश्न 11.
मादक द्रव्यों के प्रकार।
अथवा नशे के कोई दो प्रकार लिखिए।
उत्तर-

  1. शराब (Liquor)
  2. शान्तिकर पदार्थ (Sedatives)
  3. नारकोटिक्स (Narcotics)
  4. उत्तेजक पदार्थ (Stimulants)
  5. भ्रमोत्पादक पदार्थ (Hallucinogens)
  6. निकोटीन अथवा तम्बाकू (Nicotine)।

प्रश्न 12.
मादक द्रव्य व्यसन के मानसिक कारण।
उत्तर-

  • जब व्यक्ति अपने ऊपर पड़े तनाव को घटाना चाहता है तो वह मादक द्रव्यों का प्रयोग करने लग जाता है।
  • कई व्यक्तियों में यह जानने की इच्छा होती है कि नशा किए जाने पर कैसे महसूस होता है तो भी वह नशा करने लग जाते हैं।
  • बेरोज़गार व्यक्ति अपना समय पास करने के लिए भी इसका व्यसन करना शुरू कर देते हैं।
  • कई लोग आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए भी इसका प्रयोग करना शुरू कर देते हैं।

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प्रश्न 13.
मादक द्रव्य व्यसन के सामाजिक कारण।
उत्तर-

  • कई बार व्यक्ति के दोस्त उसे नशा न करने के लिए उसका मज़ाक उड़ाते हैं जिस कारण वह नशा करने लग जाता है।
  • घर में लड़ाई-झगड़े के कारण भी लोग नशा करना शुरू कर देते हैं ताकि उसे कोई तनाव न हो।
  • कभी-कभी व्यक्ति में बड़ों को देखकर नशा करने की इच्छा जागती है जिससे वह नशा करना शुरू कर देता

प्रश्न 14.
मादक द्रव्य व्यसन को रोकने के उपाय।
उत्तर-

  • लोगों को नशा न करने के विरुद्ध जागृत करना चाहिए ताकि वे नशा न करने की प्रेरणा ले सकें।
  • डॉक्टरों को अपने मरीज़ों को नशे की दवाओं को देने से बचना चाहिए ताकि वे नशे के आदी न होने पाएं।
  • लोगों को नशे के नुकसानों के बारे में जानकारी देनी चाहिए ताकि लोग इससे दूर रहें।
  • माता-पिता को अपने बच्चों से दोस्तों सा व्यवहार करना चाहिए तथा उन्हें नशे के गलत परिणामों के बारे में लगातार उन्हें बताना चाहिए ताकि वे नशे से दूर रहें।

V. बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मद्यपान को कैसे रोका जा सकता है? वर्णन करें।
अथवा
मद्यपान की समस्या का समाधान कैसे हो सकता है ?
उत्तर-
मद्यपान एक ऐसी समस्या है जिसका सामना हमारा समाज पिछले काफी समय से कर रहा है। इस समस्या से न केवल व्यक्ति स्वयं ही बल्कि उसका परिवार और समाज भी विघटित हो जाता है। उसमें नैतिकता खत्म हो जाती है, वह अपराध करने लग जाता है तथा उसका स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है। इस तरह व्यक्ति पर इसके बहुत-से दुष्परिणाम निकलते हैं। हमें इस समस्या को मिलकर सुलझाना चाहिए ताकि समाज को विघटित होने से बचाया जा सके। सरकार तथा समाज सेवी संस्थाएँ इसमें बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस समस्या को निम्नलिखित ढंगों से रोकने के प्रयास किए जा सकते हैं

(1) सबसे पहले तो व्यक्ति को स्वयं ही इस बात के लिए प्रेरित करना चाहिए कि वह मद्यपान की शुरुआत ही न करे। जब वह मद्यपान करना शुरू ही नहीं करेगा तो इसका आदी कैसे होगा। परिवार इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। परिवार के बड़े बुजुर्ग भी मद्यपान न करके बच्चों के सामने प्रेरणा बन सकते हैं। बड़े बुजुर्ग बच्चों को इसके दुष्परिणामों के बारे में बता सकते हैं। समय-समय पर उन्हें इसके बारे में प्यार से बिठा कर शिक्षा दे सकते हैं ताकि वे रास्ते से न भटक जाएं।

(2) सरकार इसके लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सरकार मद्यपान निषेध की नीति की घोषणा कर सकती है। राज्य में शराब बन्दी लगा सकती है। जो लोग फिर भी शराब बेचें या खरीदें उन्हें कठोर दण्ड देना चाहिए ताकि लोग इससे डर जाएं तथा शराब का व्यापार करना ही बन्द कर दें। सरकार को शराब पीने वालों को भी हतोत्साहित करना चाहिए ताकि वे शराब को छोड़ दें।

(3) डाक्टर यदि मद्यसारिक व्यक्तियों का इलाज करते हैं तो उनके मन में उनके प्रति नफरत होती है। इससे मद्यसारिक व्यक्ति को काफ़ी ठेस पहुंचती है। इसके लिए डाक्टरों को अपने व्यवहार को परिवर्तित करना चाहिए ताकि शराबी व्यक्ति अपना दिल लगाकर शराब छोड़ने की प्रक्रिया में अपना योगदान दे सकें। डाक्टरों को शराबियों के प्रति दया से भरपूर रहना चाहिए ताकि रोगी को ठेस न पहुँचे।

(4) शराबबन्दी तथा शराब न पीने के लिए जोरदार प्रचार करना चाहिए। सरकार, समाज सेवी संस्थाएँ तथा लोग इसके लिए टी०वी, रेडियो, समाचार पत्र, मैगज़ीनों इत्यादि का सहारा ले सकते हैं तथा इसके दुष्परिणामों के विरुद्ध जोर शोर से प्रचार कर सकते हैं। शिक्षा संस्थाएँ भी इसके लिए आगे आ सकती हैं। वे अपने संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों को इसके लिए जागृत कर सकती हैं। समय-समय पर इसके बारे में सैमीनार, लैक्चर इत्यादि करवाए जा सकते हैं ताकि लोग इस समस्या से दूर ही रहें।

(5) आमतौर पर शराब को मनोरंजन के तौर पर प्रयोग किया जाता है। परन्तु यदि इसे बंद कर दिया गया तो लोगों के मनोरंजन का साधन बंद हो जाएगा। इसके लिए सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थान मिलकर मनोरंजन केन्द्रों की स्थापना कर सकते हैं ताकि लोग अपना समय शराब पीने की बजाए इन केन्द्रों पर जाकर व्यतीत कर सकते हैं।

(6) लोगों को इस समस्या के बारे में जागृत करना चाहिए। यह समस्या इतनी बड़ी है कि उसे एक दो दिन में ही हल नहीं किया जा सकता। इसके लिए लोगों को समय-समय पर जागृत करने की आवश्यकता होती है। हमारे देश में अनपढ़ता के कारण लोग इस समस्या के दुष्परिणामों के बारे में अनजान है। लोगों को शराब न पीने की शिक्षा देकर, उनको अच्छे प्रकार से जीवन व्यतीत करने की शिक्षा देनी चाहिए। यदि लोगों को अच्छी तरह से शिक्षित किया जाए तो यह समस्या तेज़ी से खत्म की जा सकती है।

(7) सरकार को शराबबन्दी के लिए कठोर कानूनों का निर्माण करना चाहिए ताकि शराब बेचने वालों तथा पीने वालों को कठोर दण्ड दिया जा सके। इसके लिए विशेष न्यायालयों का निर्माण भी करना चाहिए ताकि इनको तोड़ने वालों को कठोर तथा जल्दी से दण्ड दिया जा सके।

(8) शराब बन्दी के बाहरी प्रभावों के साथ-साथ लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाना भी ज़रूरी है। वास्तव में सही शराबबन्दी तो ही हो सकती है यदि व्यक्ति के अन्दर से आवाज़ आए। इसके लिए लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाना चाहिए। गली मोहल्लों में नाटकों, लैक्चरों का आयोजन किया जा सकता है ताकि लोगों को शराब छोड़ने के लिए उनके अन्दर से आवाज़ आए।

इस प्रकार इस व्याख्या को देखने के बाद हम कह सकते हैं कि मद्यपान की समस्या एक सामाजिक समस्या है। इस समस्या का एक ही कारण नहीं बल्कि कई कारण हैं। लोग इस समस्या को बढ़ाते भी हैं तथा वह ही इस समस्या को खत्म कर सकते हैं। यदि जनमत इस समस्या के विरुद्ध खड़ा हो जाए तो सरकार को भी इस कार्य में मजबूरी में हाथ बंटाना पड़ेगा। यदि सरकार तथा लोग हाथ मिला लें तो इस समस्या को बहुत ही जल्दी हल किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
नशे अथवा मादक द्रव्यों के प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
मादक द्रव्यों को हम छ: भागों में बाँट सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं –

  1. शराब (Whisky or Liquor)
  2. शान्तिकर पदार्थ (Sedatives)
  3. नार्कोटिक अथा स्वापक पदार्थ (Narcotics)
  4. उत्तेजक पदार्थ (Stimulants)
  5. भ्रमोत्पादक पदार्थ (Hallucinogens)
  6. निकोटीन अथवा ताम्रकूटी अथवा तम्बाकू (Nicotine)

1. शराब (Whisky or Alcohol)—कुछ लोग शराब को सुख का बोध करवाने वाली चीज़ के रूप में पीते हैं तथा कुछ लोग शराब इसलिए पीते हैं ताकि उन्हें कार्य करने की उत्तेजना मिल सके। शराब एक शान्ति देने वाले पदार्थ की तरह भी कार्य करती है जिससे हमारी नाड़ियां शांत हो जाती हैं। इसे संवेदनाहारी पदार्थ के रूप में भी ग्रहण किया जाता है ताकि जीवन की पीड़ा को कम किया जा सके। लोगों को अपने जीवन में बहुत सी परेशानियों तथा समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिस कारण वह मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। इसलिए वह कुछ समय के लिए अपना मानसिक तनाव दूर करने के लिए शराब का सहारा लेते हैं। इससे व्यक्ति कुछ समय के लिए अपने तनाव को भूल जाता है तथा नशे में अपनी ही धुन में चलता जाता है। इससे व्यक्ति के निर्णय लेने की शक्ति कमजोर होती है तथा उसमें दुविधा पैदा होती है।

2. शान्तिकर पदार्थ (Sedatives)—इस प्रकार के पदार्थों को हम आराम देने वाले पदार्थ भी कह सकते हैं। इससे हमारा स्नायुतन्त्र क्षीण हो जाता है जिससे नींद आ जाती है तथा व्यक्ति को शान्ति मिलती है। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है जिनको नींद नहीं आती है अथवा जिन्हें मिरगी (Epilepsy) के दौरे पड़ते हैं उन्हें ये दवाएं दी जाती हैं। व्यक्ति के आप्रेशन से पूर्व भी यह दवा दी जाती है ताकि रोगी सो जाए तथा आप्रेशन आराम से हो जाए। ये अवसादक पदार्थ (Depressants) का कार्य करते हैं जिससे हमारी नसों तथा मांसपेशियों की क्रियाएं कम हो जाती हैं। ये दिल की धड़कन को धीमा कर देते हैं जिससे व्यक्ति में शिथिलता आ जाती है। परन्तु यदि व्यक्ति इनका अधिक सेवन करने लग जाए तो वह आलसी, उदासीन, निष्क्रिय तथा झगड़ालू हो जाता है। उसके कार्य करने तथा सोचने की शक्ति कम हो जाती है।

3. नार्कोटिक तथा स्वापक पदार्थ (Narcotics)-नार्कोटिक पदार्थों में हम अफीम, हेरोइन, ब्राउन शूगर, स्मैक, कोकीन, मारिजुआना, चरस, गांजा, भांग इत्यादि को ले सकते हैं। हेरोइन सफ़ेद पाऊडर होता है जो मार्फीन से बनता है। कोकीन कोकाबुश की पत्तियों से बनती है। गांजा तथा चरस को हेम्प पौधे (Hemp plant) से प्राप्त किया जाता है। मारिजुआना कैनाबिस का एक विशेष रूप है। कोकीन, हेरोइन, मार्फीन इत्यादि को या तो इंजेक्शन के रूप में लिया जाता है या फिर सिगरेट के कश के रूप में लिया जाता है। इन सभी पदार्थों से व्यक्ति में हिम्मत बढ़ जाती है, उसे असीम आनन्द प्राप्त होता है, उसका कार्य करने का सामर्थ्य बढ़ जाता है तथा उसमें श्रेष्ठता की भावना आ जाती है। परन्तु जब इसकी लत लग जाए तो व्यक्ति इनके बिना रह नहीं सकता है। इनके न मिलने पर व्यक्ति तड़प जाता है तथा अंत में मर भी जाता है।

4. उत्तेजक पदार्थ (Stimulants)-उत्तेजक पदार्थों को लोग अपने तनाव को कम करने के लिए, सतर्कता बढ़ाने के लिए, थकान तथा आलस्य को दूर करने के लिए तथा अनिद्रा (Insomania) को पैदा करने के लिए लेते हैं। कैफीन, कोकीन, पेप गोली (ऐम्फेटामाइन) इत्यादि को उत्तेजक पदार्थों के रूप में प्रयोग किया जाता है। यदि इसे डाक्टर द्वारा दिए गए नुस्खे के अनुसार लिया जाए तो इससे व्यक्ति में आत्म-विश्वास तथा फुर्ती आ जाती है परन्तु यदि इनका अधिक प्रयोग किया जाए तो इससे कई समस्याएं जैसे दस्त, सिरदर्द, पसीना निकलना, चिड़चिड़ापन इत्यादि भी हो जाते हैं। इन पर व्यक्ति शारीरिक तौर पर तो निर्भर नहीं होता परन्तु मानसिक या मनोवैज्ञानिक तौर पर निर्भर ज़रूर हो जाता है। इनको एकदम बन्द कर देने से मानसिक बीमारी तथा आत्महत्या करने जैसी बातें भी उभर कर सामने आ सकती हैं।

5. भ्रमोत्पादक पदार्थ (Hallucinogens) इस श्रेणी में एल. एस. डी. (L.S.D.) मुख्य पदार्थ है जिसके सेवन की सलाह डॉक्टर कभी भी नहीं देते हैं। इसे या तो मौखिक रूप से या फिर इंजेक्शन द्वारा लिया जाता है। इसके लेने से व्यक्ति को स्वप्न आने लगते हैं। सभी कुछ नई प्रकार से दिखता तथा सुनता है अर्थात् व्यक्ति इसको लेने से हमेशा भ्रम में ही रहता है। बहुत ही कम मात्रा भी व्यक्ति के दिमाग पर सीधे असर करती है। इसको बंद करने से व्यक्ति में मानसिक असन्तुलन भी पैदा हो जाता है।

6. निकोटीन अथवा ताम्रकूटी अथवा तम्बाकू (Nicotine)-निकोटीन में हम तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, सिगार इत्यादि ले सकते हैं। इसका हमारे शरीर पर कोई सकारात्मक प्रभाव तो नहीं पड़ता है परन्तु व्यक्ति इन पर शारीरिक तौर पर निर्भर ज़रूर हो जाता है। इनको लेने से व्यक्ति का शरीर उत्तेजित हो जाता है, जागना बढ़ जाता है, शिथिलन (Relaxation) बढ़ जाता है। यदि इनका अधिक सेवन किया जाए तो इससे फेफड़े का कैंसर, श्वास नली में गतिरोध, दिल की बीमारी इत्यादि पैदा हो जाते हैं। यदि व्यक्ति एक बार इनको लेना शुरू कर दे तो वह इन पर निर्भर हो जाता है।

मद्य व्यसन तथा नशा व्यसन PSEB 12th Class Sociology Notes

  • प्रत्येक समाज कई प्रकार के परिवर्तनों में से होकर गुजरता है। यह परिवर्तन सकारात्मक भी हो सकते हैं व नकारात्मक भी। अगर यह परिवर्तन नकारात्मक होंगे तो इनसे समाज में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं जिनके काफ़ी भयंकर परिणाम होते हैं। इन समस्याओं को ही सामाजिक समस्याएं कहा जाता है।
  • सामाजिक समस्याएं लाने में कई प्रकार के कारक उत्तरदायी हैं जैसे कि सामाजिक-सांस्कृतिक कारक, आर्थिक कारक, क्षेत्रीय कारक, राजनीतिक कारक, पर्यावरण से संबंधित कारक इत्यादि। ये सभी कारक इकट्ठे मिलकर सामाजिक समस्याओं को जन्म देते हैं।
  • आजकल के समय में मद्य व्यसन अथवा शराब पीने को एक समस्या माना जाने लगा है चाहे यह पहले नहीं माना जाता था। मद्य व्यसन शराब पीने का एक ऐसा ढंग है जो न केवल व्यक्ति बल्कि उसके परिवार के लिए भी हानिकारक होता है।
  • मद्य व्यसन के कई कारण होते हैं जैसे कि दुःख के कारण, पेशे के कारण, मित्रों के कारण पीना, व्यापार के लिए पीना इत्यादि।
  • मद्य व्यसन के काफ़ी गलत प्रभाव होते हैं पैसे की बर्बादी, स्वास्थ्य पर ग़लत प्रभाव, अपराधों का बढ़ना, निर्धनता का बढ़ना, व्यक्ति तथा पारिवारिक विघटन इत्यादि।
  • आजकल के समय में नशा व्यसन की समस्या काफ़ी बढ़ती जा रही है। नौजवान लोग नशों की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। वह नशे के आदी हो रहे हैं। नशा व्यसन शारीरिक तथा मानसिक रूप से किसी ऐसी वस्तु पर निर्भरता है जिसके बिना व्यक्ति रहे नहीं सकता।
  • नशों में हम कई चीज़ों को ले सकते हैं जैसे कि शराब, शांत करने वाले पदार्थ, बेहोशी लाने वाली नशीली दवाएं (नारकोटिक्स), निकोटिन या तंबाकू इत्यादि। इनमें से किसी एक की आदत लगने पर व्यक्ति उस पदार्थ पर इतना निर्भर हो जाता है कि वह इनके बिना नहीं रह सकता।
  • नशा व्यसन के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि मानसिक कारण, शारीरिक कारण, सामाजिक कारण, मित्रों का प्रभाव, चिंताओं से दूर भागने के लिए इत्यादि।
  • नशा करने के बहुत से ग़लत प्रभाव होते हैं जैसे कि व्यक्ति नशे पर काफ़ी अधिक निर्भर हो जाता है, पैसे की बर्बादी, स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव, परिवार पर गलत प्रभाव इत्यादि।
  • गंदी बस्तियां (Slums)-नगरीय क्षेत्रों में अधिक लोगों के रहने के लिए वह स्थान जो अनाधिकृत रूप से बसा होता है तथा जहां जीवन जीने की आवश्यक सुविधाओं की कमी होती है।
  • लाल फीताशाही (Red Tapism) लाल फीताशाही एक मुहावरा है जिसे सरकारी दखलअन्दाज़ी का नाम भी दिया जाता है। जिसमें अफसरशाही सरकारी नियमों का वास्ता देकर कई प्रकार के रोड़े अटकाती है।
  • मद्य (Alcohol)-मद्य एक ऐसा पेयजल पदार्थ है जिसके प्रभाव के कराण दिमाग कार्य करना बंद कर देता है तथा व्यक्ति एक विशेष ढंग से सोचने व व्यवहार करने लग जाता है।
  • पूर्ण निर्धनता (Absolute Poverty)- पूर्ण निर्धनता अथवा बहुत अधिक निर्धनता का अर्थ है वह स्थिति जिसमें लोगों के पास जीवन जीने की आवश्यक वस्तुएं भी नहीं होतीं। उदाहरण के लिए खाना, पीने का साफ़ पानी, घर, कपड़े, दवाओं इत्यादि का न होना।
  • भाई-भतीजावाद (Nepotism)-यह ऐसी प्रथा है जिसमें सरकारी नौकरियां देने या किसी अन्य कार्य के लिए अपने मित्रों, रिश्तेदारों को पहल दी जाती है।
  • डेलीक्युऐसी (Delinquency)-किशोरों द्वारा किया गया छोटा-मोटा अपराध।
  • साथी समूह (Peer Group)-साथी समूह एक सामाजिक तथा प्राथमिक समूह होता है जिसके सदस्यों के बीच विचारों, आयु, पृष्ठभूमि, सामाजिक स्थिति इत्यादि की समानता होती है।

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