PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 1 मेरी अभिलाषा है

Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 मेरी अभिलाषा है Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 1 मेरी अभिलाषा है

Hindi Guide for Class 5 PSEB मेरी अभिलाषा है Textbook Questions and Answers

I. बताओ

प्रश्न 1.
बालक किन-किन की तरह चमकना चाहता है ?
उत्तर:
बालक सूरज, चाँद और तारों की तरह चमकना चाहता है।

प्रश्न 2.
बालक किसके समान सहनशील बनना चाहता है ?
उत्तर:
बालक धरती के समान सहनशील बनना चाहता है।

प्रश्न 3.
सेवा के पथ पर किसके समान बिछना चाहता है ?
उत्तर:
सेवा के पथ पर सुमनों (फूलों) के समान बिछना चाहता है।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखो

प्रश्न 1.
बालक इस कविता में क्या-क्या इच्छाएँ करता है ?
उत्तर:
बालक इस कविता में यह इच्छा प्रकट करता है कि वह सूर्य के समान दूसरों को प्रकाश दे। चाँद और तारों की तरह चमकता रहे। वह चाहता है कि वह पक्षियों के समान मीठी वाणी बोले। वह आकाश से निर्मलता, चन्द्रमा से शीतलता, धरती से सहनशीलता और पहाड़ से दृढ़ता ग्रहण करे। उसकी इच्छा है कि वह बादलों के समान दूसरों के लिए अपने आपको मिटा दे तथा फूलों के समान दूसरों की सेवा के रास्ते पर बिछ जाए।

प्रश्न 2.
आपकी क्या अभिलाषा है ?
उत्तर:
मेरी अभिलाषा है-
(1) सूर्य और चाँद की तरह चमकूँ। तारों की तरह दमकता रहूँ।
(2) फूलों के समान सुगन्ध बिखेरता रहूँ।
(3) पक्षियों की तरह चहकता रहूँ।
(4) धरती के समान सहनशील बनूँ।
(5) दूसरों की सेवा के मार्ग पर फूलों के समान बिछ जाऊँ।

III. सरलार्थ करो
मेघों सा मिट जाऊँ
सागर-सा लहराऊँ
सेवा के पथ पर मैं।
सुमनों सा बिछ जाऊँ
मेरी अभिलाषा है
उत्तर:
उत्तर के लिए सरलार्थ भाग में देखें।

IV. समान अर्थ वाले शब्द लिखो

कामना, चाहत, जलधि, अंबुधि, शशि, पुष्प, इन्दु, प्रसून, वारिद, पक्षी, नभचर,

(i) सूरज – सूर्य – रवि
(ii) चन्दा …………… , …………..
(iii) फूल …………… , …………..
(iv) विहग …………… , …………..
(v) कोयल ………….. , …………..
(vi) नभ ………….. , …………..
(vii) धरती ………….. , ……………
(viii) पर्वत ………….. , ……………
(ix) मेघ ………….. , ……………
(x) सागर ………….. , ……………
(xi) अभिलाषा ………….. , ……………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
(i) सूरज – सूर्य, रवि।
(ii) चन्दा इन्दु, शशि।
(iii) फूल पुष्प, प्रसून।
(iv) विहग पक्षी, नभचर।
(v) कोयल पिक, कोकिल।
(vi) नभ व्योम, गगन।
(vii) धरती पृथ्वी, वसुधा।
(vii) पर्वत गिरि, पहाड़।
(ix) मेघ वारिद, जलंद।
(x) सागर अंबुधि, जलधि।
(xi) अभिलाषा कामना, चाहत।

V. निम्नलिखित के वाक्य बनाओ

1. झलमल : रह-रहकर होने वाला हल्का प्रकाश,
2. सहनशील : ……………
3. निर्मल : साफ़ ……………
4. गुंजित : चहचहाटयुक्त …………….
उत्तर:
1. झलमल : रह-रहकर होने वाला हल्का प्रकाश-चाँदनी के कारण पानी झलमला रहा था।
2. सहनशील : सहन करने वाला-हमें धरतीसा सहनशील बनना चाहिए।
3. निर्मल : साफ-नदी में निर्मल जल बह रहा था।
4. गुंजित : चहचहाटयुक्त-पक्षियों के कलरव से सारा वातावरण गुंजित हो रहा था।।

पढ़ो, समझो और लिखो

(i) सूरज-सा – सूरज जैसा
(ii) चन्दा-सा
(iii) तारों-सा
(iv) फूलों-सा
(v) विहगों-सा
(vi) कोयल-सा
(vii) धरती-सा
(viii) मेघों-सा
(xi) सागर-सा
(x) सुमनों-सा
उत्तर:
(i) सूरज-सा – सूरज जैसा
(ii) चन्दा-सा – चाँद जैसा
(iii) तारों-सा – तारों जैसा
(iv) फूलों-सा – फूलों जैसा
(v) विहगों-सा – विहगों जैसा
(vi) कोयल-सा – कोयल जैसा
(vii) धरती-सा – धरती जैसा
(viii) मेघों-सा – मेघों जैसा
(ix) सागर-सा – सागर जैसा
(x) सुमनों – सासु मनों जैसा।

योग्यता-विस्तार

1. इस कविता के साथ भाव समानता दर्शाती निम्नलिखित कविता की पंक्तियाँ पढ़ो

फूलों से नित हँसना सीखो
भौरों से नित. गाना
तरु की झुकी.डालियों से नित
सीखो शीश झुकाना
सत्पुरुषों के जीवन से
सीखो चरित्र निज गढ़ना
अपने गुरु से सीखो बच्चो
उत्तम विद्या पढ़ना।
उत्तर:
फूलों-सा महकूँ मैं
विहगों-सा चहकँ मैं
गुंजित कर वन-उपवन
कोयल-सा कुहकूँ मैं
नभ जैसा निर्मलं
शशि-जैसा शीतल
धरती-सा सहनशील
पर्वत-सा अविचल बन जाऊँ।

2. कविता की सही पंक्तियाँ चुनकर लिखो-

1. मेरी अभिलाषा है कि मैं उज्ज्वल तारों की भाँति। झिलमिलाऊँ ……………….
2. जिस प्रकार फूल हमारे पैरों में बिछ जाते हैं उसी तरह हमें बिना किसी स्वार्थ दूसरों की सेवा में जुट जाना चाहिए ………………
3. पृथ्वी सारी दुनिया का भार वहन करती है हमें भी पृथ्वी की तरह सहनशील बनना चाहिए और पृथ्वी की तरह डट जाना चाहिए।
उत्तर:
1. झलझल-झलमल उज्ज्वल तारों-सा दमकँ मैं, मेरी अभिलाषा है।
2. सेवा के पथ पर मैं सुमनों-सा बिछ जाऊँ।
3. धरती-सा सहनशील पृथ्वी-सा अविचल बन जाऊँ।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प पर (✓) निशान लगाएं

प्रश्न 1.
बालक किसके समान चमकना चाहता है ?
(क) सूरज के
(ख) चाँद के
(ग) रात के
(घ) दिन के।
उत्तर:
(ख) चाँद के

प्रश्न 2.
बालक किसके समान महकना चाहता है ?
(क) फूलों
(ख) झूलों
(ग) गोलों
(घ) शोलों।
उत्तर:
(क) फूलों

प्रश्न 3.
बालक किसकी तरह चहकने की कामना करता है ?
(क) जानवरों
(ख) पक्षियों
(ग) बच्चों
(घ) शोलों।
उत्तर:
(ख) पक्षियों

प्रश्न 4.
धरती का स्वभाव कैसा है ?
(क) सहनशील
(ख) ज्वलनशील
(ग) चलनशील
(घ) घुमावशील।
उत्तर:
(क) सहनशील

प्रश्न 5.
शशि का स्वभाव कैसा है ?
(क) गर्म
(ख). ठंडा
(ग) शीतल
(घ) गुनगुना।
उत्तर:
(ग) शीतल

प्रश्न 6.
बालक किसके पथ पर चलने की कामना करता है ?
(क) सेवा
(ख) मेवा
(ग) प्रभु देवा
(घ) सबकी।
उत्तर:
(क) सेवा

मेरी अभिलाषा है Summary

मेरी अभिलाषा है पाठ का सार

‘मेरी अभिलाषा है’ नामक कविता में कोई बालक प्रकृति के अद्भुत गुणों से प्रभावित होकर स्वयं वैसा बनना चाहता है। वह सबको सुख बाँटना चाहता है। वह सूरज के समान दमकना, चाँद के समान चमकना
और तारों की तरह झिलमिलाना चाहता है। उसकी इच्छा है कि वह फूलों की तरह सुगंध फैलाए और पक्षियों की तरह वह सदा चहकता रहे। कोयल की तरह उसकी आवाज़ सबको प्रसन्नता प्रदान करे। वह आकाश जैसी स्वच्छता, चन्द्रमा जैसी ठंडक, धरती-सी सहनशीलता और पर्वत-सी स्थिरता पाना चाहता है। वह बादलों-सा उपकारी बनना चाहता है। सागर की लहरों की तरह लहराना चाहता है और दूसरों की सेवा में स्वयं को अर्पित कर देना चाहता है।

कठिन शब्दों के अर्थ:

उज्ज्वल = चमकीला।। दमकूँ = चमकूँ। अभिलाषा = इच्छा। महकू = खुशबू बिखेरूँ। विहग = पक्षी। उपवन = बाग। नभ = आकाश। निर्मल = स्वच्छ, साफ़। शशि = चाँद, चन्द्रमा। अविचल = स्थिर, अडिग। सहनशील = सहन करने वाला। सुमन = फूल। पथ = रास्ता। – मेघ = बादल।

पद्यांशों के सरलार्थ

1. सूरज-सा दमकूँ मैं
चन्दा-सा चमकूँ मैं
झलमल-झलमल उज्वल
तारों-सा दमकूँ मैं
मेरी अभिलाषा है।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘मेरी अभिलाषा है’ नामक कविता में से लिया गया है। इसके लेखक श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी हैं। कवि ने इसमें एक बालक की हार्दिक इच्छा को प्रकट किया है।

सरलार्थ:
बालक अपनी इच्छा को प्रकट करते हुए कहता है कि मैं सूर्य और चन्द्रमा के समान चमकता रहूँ। सब को प्रकाश दिखलाऊँ। झिलमिलाते हुए उज्ज्वल तारों के समान प्रकाश बिखेरता रहूँ। जिस प्रकार तारे रात के अन्धकार को दूर कर मार्ग दिखाते हैं; उसी प्रकार मैं भी अपने कार्यों द्वारा दूसरों का पथ-प्रदर्शक बनूँ।

भावार्थ:
कवि ने सभी के कल्याण के लिए बालक के भावों को प्रकट किया है।

2. फूलों-सा महकूँ मैं
विहगों-सा चहकूँ मैं
गुंजित कर वन-उपवन
कोयल-सा कुहकूँ मैं
मेरी अभिलाषा है।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘मेरी अभिलाषा है’ से लिया गया है। इसमें कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी एक बालक की इच्छा को बताते हुए कहते हैं कि

सरलार्थ:
बालक कहता है-मेरी यह इच्छा है कि मैं फूलों के समान सुगन्ध बिखेरता रहूँ, पक्षियों के समान मीठी वाणी बोलता रहूँ। वन और बागों को गुंजायमान करता हुआ कोयल के समान कुहू कुहू – का मधुर स्वर चारों दिशाओं में भर दूं।

भावार्थ:
कवि संसार भर को सुख देने की कामना करता है।

3. नभ-जैसा निर्मल
शशि-जैसा शीतल
धरती-सा सहनशील
पर्वत-सा अविचल बन जाऊँ
मेरी अभिलाषा है।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘मेरी अभिलाषा है’ से लिया गया है। इसमें कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी एक बालक की इच्छा को बताते हुए कहते हैं कि-

सरलार्थ:
एक बालक यह इच्छा करता है कि मैं आकाश के समान साफ़-स्वच्छ रहना सीखू। चन्द्रमा की तरह सब को शीतलता एवं सुख प्रदान करूँ। मैं धरती के समान सब कुछ सहन करने की ताकत प्राप्त करूँ। मैं पहाड़-सा सदा दृढ़ बनना सीखू। मैं अपने इरादे पर अडिग रहूँ।

भावार्थ:
कवि ने सभी को सुख प्रदान करने की कामना की है।

4. मेघों-सा मिट जाऊँ
सागर-सा लहराऊँ
सेवा के पथ पर मैं
सुमनों-सा बिछ जाऊँ
मेरी अभिलाषा है।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘मेरी अभिलाषा है’ से लिया गया है। कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी इसमें बालक की हार्दिक इच्छा का चित्रण करते हुए कहते

सरलार्थ:
मेरी इच्छा है कि मैं बादलों के समान अपने-आप को दूसरों के लिए मिटा दूँ। सदा दूसरों का भला करता रहूँ। मैं समुद्र के समान लहराता रहूँ। दूसरों की सेवा के रास्ते पर मैं अपने आपको फूलों के समान बिछा दूं। मैं स्वयं दुःख और कष्ट उठाकर दूसरों की सेवा करता रहूँ।

भावार्थ:
कवि सबके सुख के लिए स्वयं को मिटा देना चाहता है।

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