PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 25 बाल लीला

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 25 बाल लीला Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 25 बाल लीला

Hindi Guide for Class 6 बाल लीला Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न) पावसातार

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिए जा चुके हैं।

गुसैयाँ = स्वामी, मालिक
रिसैयाँ = क्रोध करना, रूठना
छैयाँ = अधीन
रूहठि = रूठना
पठायो = भेजना
तासौं = उससे
छींका = रस्सी, तार आदि से बनी झोली, जिसे छत से लटकाकर उसमें खाने-पीने की चीजें रखते हैं।
दुहैयाँ = दुहाई देकर
दाउँ = दाँव देना
भोर = सुबह, प्रातः
बरबस = ज़बरदस्ती
मोतै = मुझसे
बिहँसि = हँसकर लाठी
बहियन = बाँहें कंबल
ग्वैया = साथी ग्वाले

2. निम्न शब्दों के हिन्दी रूप लिखो

करत ………………
हमते ………………
गैया ……………….
मैया …………….
पाछे ………….
कछु …………..
मोतै ………….
माखन ……………
उत्तर:
1. करत = करते हो
2. हमते = हमसे
3. मोतै = मुझसे
4. गैया = गाय
5. मैया = माँ
6. माखन = मक्खन
7. पाछे = पीछे
8. केहि = किसे
9. कछु = कुछ
10. बैर = वैर

विचार-बोध

(क)
प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण क्यों गुस्से हो जाते हैं ?
उत्तर:
खेल में श्रीदामा से हार जाने पर श्रीकृष्ण गुस्सा हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
कृष्ण के क्रोध करने पर ग्वाल सखा क्या जवाब देते हैं ?
उत्तर:
कृष्ण के क्रोध करने पर ग्वाल सखा उसे फटकारते हैं कि हम उससे नहीं खेलेंगे जो रूठते फिरते हैं, जाओ तुम भी वहां जाकर बैठो, जहां सब अन्य ग्वाले बैठे हुए हैं।

3. खेल में कौन जीतता है ?
उत्तर:
खेल में श्रीकृष्ण के सखा श्रीदामा जीतते हैं।

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प्रश्न 4.
कृष्ण ने मक्खन न खाने की कौन-कौन सी दलीलें दी ?
उत्तर:
माखन न खाने की दलीलें देते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि मैं तो सुबह से शाम तक गौओं को चराने गया हुआ था। तुमने माखन का छींका इतनी ऊँचाई पर लटका रखा है मैं अपने छोटे-छोटे हाथों से इसे कैसे पा सकता हूँ।

प्रश्न 5.
कृष्ण की कौन-सी बात सुनकर माता ने हंसकर उसे गले लगा लिया ?
उत्तर:
सूरदास की बाल सुलभ चंचलता भरी बातें सुनकर यशोदा हंस कर उसे गले से लगा लेती है जब कृष्ण कहते हैं कि ये ले अपनी लाठी और कम्बल तुमने मुझे बहुत ही अपने इशारों पर नचा लिया है।

(ख)
प्रश्न 1.
कृष्ण के क्रोधित होने पर ग्वाल सखा क्या कहते हैं ?
उत्तर:
कृष्ण के क्रोधित होने पर ग्वाल सखा उसे कहते हैं कि खेल में कोई बड़ाछोटा नहीं होता। श्रीदामा के जीत जाने पर तुम गुस्सा क्यों करते हो। जो खेल-खेल में रूठ जाता हो उससे क्या खेलना जाओ तुम भी वहां बैठे रहो जहां सब ग्वाले बैठे हुए हैं।

प्रश्न 2.
सूरदास के इन पदों में बाल-मन की किन-किन भावनाओं को अंकित किया गया है ?
उत्तर:
सूरदास के इन पदों में बाल-मन की चंचल मुद्राओं को चित्रित किया गया। बालक का खेल में हार कर रूठना, रूठ कर बैठ जाना, फिर अपने-आप मान जाना, चालाकी करके न मानना, गुस्सा दिखाना आदि भावनाओं को चित्रित किया गया है।

आत्म-बोध

1. अपने अध्यापक से कृष्ण के जीवन और लीलाओं का परिचय प्राप्त करो।
2. अपने अभिभावक/माता-पिता के साथ जन्माष्टमी पर्व की जानकारी प्राप्त करो वमेला देखो।
3. सूरदास द्वारा लिखित बाल-लीला के अन्य पद पढ़ो।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
हार जाने पर श्रीदामा से कौन गुस्सा हो जाते हैं ?
(क) श्रीकृष्ण
(ख) बलराम
(ग) घनश्याम
(घ) श्रीदामा
उत्तर:
(क) श्रीकृष्ण

प्रश्न 2.
ग्वालों के अनुसार खेल में क्या नहीं होता ?
(क) छोटा
(ख) बड़ा
(ग) बड़ा-छोटा
(घ) शून्य
उत्तर:
(ग) बड़ा-छोटा

प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण ग्वालों की शिकायत किन-से करते हैं ?
(क) पिता जी से
(ख) माता यशोदा से
(ग) श्रीदामा से
(घ) गोपाला से
उत्तर:
(ख) माता यशोदा से

प्रश्न 4.
श्री कृष्ण क्या न खाने की जिद करते हैं ?
(क) मक्खन
(ख) गुड़
(ग) मिश्री
(घ) मेवा
उत्तर:
(क) मक्खन

प्रश्न 5.
खेल में सब कैसे होते हैं ?
(क) बराबर
(ख) असमान
(ग) ज्यादा-कम बराबर
(घ) कुछ नहीं।
उत्तर:
(क) बराबर

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प्रद्यांशों के सरलार्थ

1. खेलन में को काको गुसैंयाँ।।
हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस की कत करत रिसैयां।
जाति पाँति हमते बड़ नाही, नाहीं बसत तुम्हारी छैयां।
अति अधिकार जनावत मोते, जाते अधिक तुम्हारे गैयाँ।
रूठहिं करै तासौं के खेलै, रहे बैठि जहँ-जहँ सब गवैयां।
सूरदास प्रभु खेलन चाहत, दाउँ दियौ करि नन्द दुहैयाँ।

शब्दार्थ-को = कौन। काको = किसका। गुसैंयां = स्वामी, मालिक। बरबस = जबरन। रिसैयां = क्रोध, गुस्सा। बसत = बसते हैं, रहते हैं। छैयां = अधीन। मोतै = मुझसे। तासौं = उससे। गवैयां = ग्वाले। दाउं = दांव। दुहैयां = दुहाई।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद हमारी हिन्दी पुस्तक से सूरदास रचित रचना ‘बाल-लीला’ से लिया गया है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं का वर्णन किया है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि जब श्रीकृष्ण अपने साथियों के साथ गौएं चराने गए और वहां पर श्रीदामा और अन्य साथियों के साथ खेलते, गुस्सा करते और रुठते हैं। श्रीकृष्ण खेलते हुए हार जाते हैं और श्रीदामा जीत जाते हैं तो श्रीकृष्ण रूठ कर बैठ जाते हैं तो उनके साथी कहते हैं कि खेल में कौन किसका स्वामी है तुम हार गए और श्रीदामा जीत गए तो जबरदस्ती में क्यों क्रोध करते हो। जाति-पाति में भी तुम हमसे बड़े नहीं हो अर्थात् हम सभी एक ही हैं और न ही हम तुम्हारे अधीन रहते हैं जो तुम हमें अपना गुस्सा दिखाते हो। हाँ तुम हम पर अपना अधिकार इसलिए जताते हो कि तुम्हारी गौएं हमसे अधिक हैं। सभी ने गुस्से में भर कर कहा कि उससे क्या खेलना जो बात-बात पर रूठ जाता हो। तुम तो दूसरे सब ग्वालों के पास जाकर बैठ जाओ हम तुमसे नहीं खेलते। सूरदास जी कहते हैं कि दोस्तों की फटकार सुनकर श्रीकृष्ण फिर से नन्द की दुहाई देकर फिर से खेलने को सहमत हो गए क्योंकि वे खेलना चाहते थे।

भावार्थ:
बाल-मन और बाल क्रीड़ा की अति सुंदर कल्पना की गई है।

2. मैया मोरी ! मैं नहिं माखन खायो।
भोर भये गैयन के पीछे, मधुबन मोहि पठायो॥
चार पहर बंसीबट भटक्यो, सांझ परे घर आयो।
मैं बालक बहियन को छोटो, छींको केहि विधि पायो॥
ग्वाल बाल सब बैर पड़े हैं, बरबस मुख लपटायो॥
तेरे जिय कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो॥
यह ले अपनी लकुटि कमरिया, बहुतै नाच नचायो।
सूरदास, जब बिहंसि जसोदा, लै कर कंठ लगायो।

शब्दार्थ:
भोर = सवेरा। मोहि = मुझे। पठायो = भेजा। बहियन = बाहें। विधि = तरीका, तरह। बैर = शत्रुता। बरबस = ज़बरदस्ती। जननी = माता। मति = बुद्धि । भोरी = भोली। पतियायो = विश्वास किया। जिय = हृदय। उपजत है = पैदा हो गया है। परायो जायो = दूसरे के द्वारा जन्म दिया हुआ। लकुटी = लाठी। कमरिया = कम्बल। बिहंसि = हंसकर। उर = हृदय, छाती। कंठ = गला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘बाल-लीला’ शीर्षक पदों में से लिया गया है। इस पद के रचयिता कवि सूरदास जी हैं।

सरलार्थ:
श्रीकृष्ण द्वारा मक्खन चुराने और खाने की जब कोई गोपी शिकायत यशोदा जी से करती है, तो यशोदा माँ के पूछने पर श्रीकृष्ण उत्तर देते हैं-हे माँ! मैंने मक्खन नहीं खाया। सुबह होते ही तूने मुझे गायों के पीछे मधुवन में भेज दिया था। वहां पर चार पहर तक मैं वंशीवट में भटकता रहा हूं और सायंकाल के समय घर आया हूँ। मैं बालक हूँ, मेरे बाजू छोटे हैं, मैं छींके पर किस तरह पहुंच सकता था। ग्वालों के सभी बालक मेरे शत्रु बने हुए हैं, उन्होंने ज़बरदस्ती मक्खन मेरे मुंह में लगा दिया है। तू ऐसी माँ है जो बुद्धि से बहुत भोली है जो इनके कहने पर विश्वास कर रही है। ऐसा लगता है कि मुझे पराया पुत्र समझ कर तेरे मन में मेरे लिए भेद उत्पन्न हो गया है। यह अपने द्वारा दी गई लाठी और कम्बल ले लो। तुमने मुझे बहुत नाच नचवाया है। सूरदास जी कहते हैं कि श्रीकृष्ण के मुंह से ये बातें सुनकर यशोदा ने उन्हें अपने गले से लगा लिया।

भावार्थ:
कवि ने श्रीकृष्ण के बहानों और यशोदा माता के वात्सल्य को सुन्दर ढंग से प्रकट किया है।

बाल लीला Summary

बाल लीला पदों का सार

पहले पद में श्रीकृष्ण खेल में श्रीदामा से हार जाते हैं पर श्री कृष्ण अपनी हार नहीं मानते। श्रीदामा ने उनसे कहा कि वे जात-पात में उनसे बड़े नहीं और नहीं वे उनके घर से मांग कर खाते हैं। उनके पिता के पास कुछ गउएं अवश्य अधिक हैं। जो खेल में झगड़ा करता है उसके साथ कौन खेलना पसंद करेगा। श्रीकृष्ण अभी खेलना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपनी हार मान कर बारी दे दी। दूसरे पद में श्रीकृष्ण अपनी माँ से शिकायत करते हैं कि उन्होंने माखन की चोरी नहीं की। वे तो सवेरे-सवेरे गाय ले कर चराने के लिए चले गए थे। वे तो छोटे-से बालक थे और किसी भी प्रकार छींके तक नहीं पहुंच सकते थे। ग्वालों के कुछ बालक उनसे दुश्मनी करते हैं। उन्होंने उनके मुंह पर मक्खन लगा दिया था। माँ पर दोष लगाते हुए कहते हैं कि वह भी पराया समझ कर उन पर आरोप लगाती है। यशोदा माता ने श्रीकृष्ण की बातें सुनकर उन्हें अपने गले से लगा लिया।

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