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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 14 पानी
→ जल एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है और इसे जीवन के लिए वरदान माना जाता है।
→ जल पूरी पृथ्वी पर मौजूद है।
→ पृथ्वी की सतह का लगभग 3/4 भाग पानी से ढका हुआ है।
→ मानव शरीर में 70% पानी होता है।
→ हमें अपने दैनिक कार्यों तथा अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए जल की आवश्यकता होती है। पानी के दो मुख्य स्रोत सतही जल और भूजल हैं।
→ जल तीन अवस्थाओं अर्थात ठोस, द्रव और गैस में पाया जाता है।
→ हमें तालाबों, झीलों, नदियों, कुओं आदि से पानी मिलता है।
→ समुद्र या सागर का पानी खारा होता है। यह पीने के लिए और घरेलू, कृषि और औद्योगिक जरूरतों के लिए उपयुक्त नहीं है।
→ चूंकि जल एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है, इसलिए इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।
→ जल का विवेकपूर्ण उपयोग और उसे बचाना ही जल संरक्षण है।
→ बारिश का पानी, पानी का शुद्ध रूप है और पीने के लिए सुरक्षित है।
→ वर्षा जल संचयन एक ऐसी तकनीक है जो वर्षा जल के संग्रहण द्वारा जल संरक्षण करती है। इस पानी का पुनउपयोग विभिन्न उपयोगी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
→ जल चक्र एक चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें जल पृथ्वी और वायुमंडल के बीच परिचालित होता है।
→ महासागरीय जल, जल चक्र को जल की आपूर्ति करता है और इस प्रकार एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
→ महासागरों, झीलों, गीले कपड़ों और पौधों का पानी वाष्पित हो जाता है।
→ बादल हवा में वाष्पित जल के संघनन रूप मात्र हैं।
→ बादल बारिश का कारण बनते हैं और पानी पृथ्वी, महासागरों, झीलों आदि में लौट आता है।
→ पहाड़ों पर बर्फ पिघलती है और पानी नदियों में चला जाता है।
→ जल भी भूमि द्वारा अवशोषित किया जाता है और भूजल के रूप में हमारे लिए उपलब्ध हो जाता है।
→ भारी बारिश और बारिश नहीं होने से बहुत सारी समस्याएँ होती हैं।
→ भारी बारिश बाढ़ का कारण बनती है जो जीवन और संपत्ति को नष्ट कर देती है।
→ अपनी सामान्य सीमा से अधिक मात्रा में पानी का अतिप्रवाह बाढ़ के रूप में जाना जाता है।
→ बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है।
→ किसी क्षेत्र में कोई वर्षा या बहुत कम वर्षा सूखे का कारण है। सूखे की स्थिति में भोजन, चारा और पानी की उपलब्धता नगण्य हो जाती है।
→ जनसंख्या वृद्धि के साथ उद्योग और कृषि भी बढ़ते हैं जो पानी के उपयोग पर जोर देते हैं।
→ पिघलना या गलन-ठोस के द्रव में बदलने की प्रक्रिया को पिघलना या गलन कहते हैं।
→ गलनांक-जिस तापमान पर कोई ठोस द्रव में बदलता है उस तापमान को गलनांक कहते हैं।
→ जमना या हिमीकरण-किसी तरल के ठोस में बदलने की प्रक्रिया को जमना या हिमीकरण कहते हैं।
→ वाष्पीकरण-किसी तरल के वाष्प में बदलने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।
→ वाष्पोत्सर्जन-जिस प्रक्रिया से पौधे हवा में अपना पानी खो देते हैं उसे वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
→ संघनन-जलवाष्पों के जल में परिवर्तन की प्रक्रिया संघनन कहलाती है।
→ अवक्षेपण-वर्षा और हिम के रूप में जल का गिरना अवक्षेपण कहलाता है।
→ बादल–संघनित पानी की बूंदे मिलकर बादल बनाती हैं।
→ जल चक्र-जल का हवा में वाष्पीकरण, संघनन द्वारा बादलों का बनना और पृथ्वी पर वर्षा का गिरना प्रकृति में जल चक्र का निर्माण करता है।
→ वर्षा जल संचयन या संग्रहण-वर्षा जल को ऐसे समय में उपयोग के लिए एकत्र करना जब वह उपलब्ध न हो वर्षा जल संचयन या संग्रहण कहलाता है।