PSEB 7th Class Science Notes Chapter 2 जंतुओं में पोषण

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 2 जंतुओं में पोषण

→ जन्तु (प्राणी) पौधों की तरह अपना भोजन स्वयं तैयार नहीं करते हैं। वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से अपना भोजन पौधों (पादपों) से प्राप्त करते हैं।

→ प्राणी जटिल भोजन खाते हैं तथा उन्हें सरल पदार्थों में तोड़ते हैं।

→ भिन्न-भिन्न प्राणियों को पोषकों की आवश्यकता, भोजन ग्रहण करने के ढंग तथा शरीर में भोजन के प्रयोग के ढंग भिन्न-भिन्न होते हैं।

→ जो प्राणी केवल पौधे खाते हैं, उन्हें शाकाहारी कहा जाता है।

→ जो प्राणी केवल दूसरे प्राणी अथवा जन्तुओं को अपना भोजन बनाते हैं, उन्हें मांसाहारी कहते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 2 जंतुओं में पोषण

→ जो प्राणी पौधे तथा जन्तुओं दोनों को खाते हैं, उन्हें सर्वाहारी प्राणी कहा जाता है।

→ भिन्न-भिन्न प्रकार के प्राणियों में भोजन प्राप्त करने का ढंग भिन्न-भिन्न होता है।

→ परपोषी पोषण तीन प्रकार का होता है-

  1. मृतजीवी पोषण
  2. परजीवी पोषण
  3. प्राणीवत पोषण।

→ प्राणी उस पोषण के दौरान जटिल भोजन को शरीर के अंदर ले जाते हैं तथा जहाँ वह एंजाइमों की सहायता से सरल घुलनशील पदार्थों (यौगिकों) में विभाजित हो जाता है, जिसे शरीर द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।

→ भोजन प्राप्त करने की क्रिया के दौरान पाँच चरण-

  1. भोजन ग्रहण करना,
  2. पाचन करना,
  3. अवशोषण,
  4. स्वांगीकरण,
  5. निकास।

→ मानव पाचन तंत्र में मुख गुहिका, ग्रास नली, आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत तथा मलद्वार होता है।

→ मानव के मुख में चार प्रकार के दाँत होते हैं :

  1. काटने वाले (छेदक या कृतक) तीखे दांत (zncisors)
  2. भेदक या रदनक (Canianes)
  3. अग्र चवर्णक दाढ़ें (Premolar)
  4. चवर्णक दाढ़ें (Molars)

→ भोजन का पाचन मुख से आरंभ होकर छोटी आंत (क्षुद्रांत्र) तक होता है।

→ अवशोषित हुआ भोजन रक्त द्वारा शरीर के भिन्न-भिन्न भागों तक भेजा जाता है।

→ पानी तथा कुछ लवणों का अवशोषण बड़ी आंत (वृहदांत्र) में होता है।

→ अनपचा तथा अनअवशोषित भोजन मल के रूप में मल द्वार द्वारा उसका त्याग होता है।

→ मांसाहारी : ऐसे प्राणी जो केवल दूसरे प्राणियों (जन्तुओं) को अपना भोजन बनाते हैं, उन्हें मांसाहारी कहा जाता है।

→ सर्वाहारी : जो प्राणी पौधे तथा दूसरे जन्तु को भोजन के रूप में खाते हैं, उन्हें सर्वाहारी प्राणी कहा जाता है।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 2 जंतुओं में पोषण

→ भोजन ग्रहण करना : भोजन को शरीर के अंदर ले जाने की क्रिया को भोजन ग्रहण करना कहते हैं।

→ पाचन : यह वह जैव-प्रक्रिया है जिसके दौरान जटिल पदार्थों को सरल पदार्थों में विभाजित किया जाता है। शरीर के अंदर ग्रंथी से रिसते हुए एन्जाइम (रसायन) इस पाचन क्रिया में सहायक होते हैं। पाचन मुख गुहिका से आरंभ होकर छोटी आंत में पूरा होता है।

→ अवशोषण : यह भोजन प्राप्त करने की क्रिया का एक चरण है जिसमें पचे हुए भोजन को छोटी आंत की अंदरूनी दीवार द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।

→ निष्कासन : अपचित भोजन, भोजन नली अथवा ग्रास नली से बाहर निकल जाता है। इस प्रक्रिया को निष्कासन कहते हैं।

→ मुख गुहिका : मुख से प्राप्त भोजन फिर मुख गुहिका में चला जाता है। यह दाँतों से आगे का क्षेत्र हैं।

→ इनेमल : दाँतों के ऊपर मज़बूत सुरक्षा प्रदान करने वाला पदार्थ इनेमल की परत होती है।

→ जटिल भोजन : प्राणियों (जन्तुओं) द्वारा तेज़ी में निगला हुआ भोजन खानों में जमा कर लिया जाता है। यहाँ भोजन का आंशिक पाचन होता है। इस आधे पचे भोजन को जटिल भोजन कहते हैं।

→ ग्रास नली : यह मानव शरीर की सबसे लम्बी नली है जो मुख से आरंभ होकर गुदा तक जाती है। इसमें एन्जाइमों द्वारा जटिल भोजन को सरल अणुओं में तोड़ा जाता है।

→ पित्ता : यह एक थैली है जिसमें यकृत (जिगर) जो कि एक सबसे बड़ी ग्रंथी है द्वारा रिसा हुआ रस जमा होता है।

→ कृमि रूपी अंग अथवा सीकम : यह प्राणियों की ग्रास नली की छोटी आंत तथा बड़ी आंत के बीच थैली जैसी रचना है, जिसे कृमि रूपी अंग या सीकम कहते हैं।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 2 जंतुओं में पोषण

→ पित्ता रस : जिगर या यकृत हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथी है जिसमें से रिसाव होता है जो पित्ते में जमा होता रहता है। इस रिसाव को पित्ता रस कहते हैं।

→ रूमीनेंट : घास खाने वाले जन्तु जैसे-गाय, भैंस को रूमीनेंट कहते हैं।

→ स्वांगीकरण : आंत द्वारा अवशोषित किया भोजन रक्त द्वारा शरीर के भिन्न-भिन्न भागों तक पहुँचा दिया जाता है। इस क्रिया को स्वांगीकरण कहते हैं।

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