PSEB 8th Class Computer Notes Chapter 7 कम्प्यूटर जनरेशन्स

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PSEB 8th Class Computer Notes Chapter 7 कम्प्यूटर जनरेशन्स

कम्प्यूटर जनरेशन्ज़
कम्प्यूटर की तकनीकी शब्दावली में जनरेशन से अभिप्राय कम्प्यूटर की टैक्नोलॉजी में बदलाव से है। पहले जनरेशन से सिर्फ हार्डवेयर बदलाव से ही माना जाता था परंतु आप इसमें हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर दोनों प्रकार के बदलाव शामिल हैं। कम्प्यूटर को टैकनॉलोजी के बदलाव के हिसाब से पांच जनरेशन में विभाजित किया जाता है।

पहली जनरेशन
पहली जनरेशन वैक्यूम ट्यूब प्रयोग करने वाली, बड़े आकार की, महंगी, इस्तेमाल में मुश्किल तथा मशीन भाषा प्रयोग करने वाली थी। इस का समय 1942 से 1955 तक था। इन कम्प्यूटर में वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था। यह वैक्यूम ट्यूब बिजली के बल्ब की तरह दिखाई देती थी इनके प्रयोग से बहुत गर्मी उत्पन्न होती थी तथा यह ट्यूब बहुत जल्दी खराब भी हो जाती थी। इस जनरेशन के कम्प्यूटर बहुत ही बड़े तथा महंगे होते थे। इन कंप्यूटर में बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग होता था तथा इसके साथ ही इनमें पंच कार्ड पेपर, टेप तथा मैग्नेटिक टेप का ही प्रयोग होता था।

पहली जनरेशन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार थीं

  1. वैक्यूम टयूब अकेले विकल्प थे।
  2. मशीन तथा असैंबली भाषा का प्रयोग होता था।
  3. ये आकार में काफ़ी बड़े थे।
  4. ये भरोसे योग्य नहीं थे।
  5. इनका प्रयोग व्यापारिक कार्यों में नहीं हो सकता था।
  6. ये बहुत महंगे तथा प्रयोग में मुश्किल थे।

पहली जनरेशन कम्प्यूटर के नाम

  1. ENIAC
  2. EDVAC
  3. EDSAC
  4. UNIVAC-I
  5. IBM 701

दूसरी जनरेशन दूसरी जनरेशन कम्प्यूटर 1955 से 1964 तक थी। इसमें ट्रांजिस्टर का प्रयोग होता था। ये पहली जनरेशन से आकार में कम, सस्ते, कम बिजली खपत करने वाले, भरोसेमंद तथा तेज थे। इनमें मैगनैटिक कोर वाली प्राइमरी मैमरी तथा मैगनैटिक टेप या डिस्क सैकेण्डरी स्टोरेज के तौर पर प्रयोग होती थी। इन कम्प्यूटरों में FORTRAN तथा COBOL जैसी भाषाएं प्रयोग होती थीं। इनमें बैच प्रोसैसिंग तथा मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम प्रयोग होते थे। इन कम्प्यूटर की उत्पादकता अभी भी मुश्किल थी।

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इनकी कीमत भी ज्यादा थी। दूसरी जनरेशन की मुख्य विशेषताएं तथा गुण-

  1. इसका मुख्य भाग ट्रांजिस्टर, मैगनैटिक कोर मैमरी, मैगनैटिक टेप तथा डिस्क का प्रयोग होता था।
  2. वैच आपरेटिंग सिस्टम तथा हाई लैवल प्रोग्रामिंग भाषाओं का प्रयोग होता था।
  3. यह पिछली जनरेशन से तेज, छोटे, भरोसेलायक तथा प्रोग्राम करने में आसान थे। इनका प्रयोग वैज्ञानिक तथा व्यापारिक कार्यों के लिए किया जाता है।
  4. इनका उत्पादन मुश्किल था।
  5. यह महंगे होते थे।
  6. यह पहली जनरेशन से कम गर्मी पैदा करते थे।
  7. इन में बिजली की खपत कम होती थी।

दूसरी जनरेशन सिस्टम के नाम

  • IBM 7030
  • UNIVAC – LARC तीसरी जनरेशन

तीसरी जनरेशन
कम्प्यूटर 1964 से 1975 तक थे। इनमें आई० सी० का प्रयोग होता था। इसमें कई ट्रांजिस्टर तथा कपैसटर लगे होते थे। ये कम्प्यूटर छोटे आकार के, भरोसे लायक तथा बढ़िया थे। इनमें रिमोट प्रोसैसिंग, टाइम शेयरिंग, रियल टाइम, मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम प्रयोग किये जाते थे। इन कम्प्यूटरों में हाई लैवल भाषाएं जैसे FORTRAN II-IV, COBOL, PASCAL PL/1, BASIC, ALGOL-68 आदि प्रयोग होती थी। इन कम्प्यूटरों की उत्पादकता तथा अपग्रेड आसान था। इनका प्रयोग वैज्ञानिक, व्यापारिक तथा इंटरएक्टिव ऑनलाइन कामों के लिए होता था। IBM, 360/370, PDP-8, 11, CDC-6600 आदि इसकी उदाहरण हैं।

तीसरी जनरेशन की मुख्य विशेषताएं तथा गुण

  1. इनका मुख्य पुर्ने IC या जो SSI तथा MSI तकनीक का प्रयोग करते थे।
  2. बड़ी मैगनैटिक कौर मैमरी, डिस्क तथा मैगनैटिक टेप का प्रयोग होता था।
  3. इनमें टाइम शेयरिंग तथा मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम प्रयोग होते थे।
  4. इनका उत्पादन आसान था तथा अपग्रेड भी आसानी से होते थे।
  5. इनका वैज्ञानिक, व्यापारिक तथा इंटरएक्टिव आन लाइन कार्यों के लिए प्रयोग होता था।

कम्प्यूटर जनरेशन्ज़
चौथी जनरेशन चौथी जनरेशन में IBM PC, Apple-II, Cray-I, Cray-II तथा Cray-X/MP कम्प्यूटर सिस्टम थे। 1975 से 1989 तक का समय चौथी जनरेशन कम्प्यूटर का समय था। इनमें वैरी लार्ज स्केल इंटीग्रेटिड सर्कट (VLSI) का प्रयोग होता था। इससे एक विषय पर पांच हज़ार ट्रांजिस्टर तथा अन्य पुर्जे लग जाते थे। इससे माइक्रो कम्प्यूटर का निर्माण सम्भव हुआ। ये कम्प्यूटर बहुत शक्तिशाली, छोटे, भरोसे लायक तथा आसानी से खरीदने लायक थे। इससे पर्सनल कम्प्यूटर का युग शुरू हो गया। इस जनरेशन में टाइम शेयरिंग, रीयल टाइम, नैटवर्क, डिस्ट्रीबियुटिड आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग होता था। इनमें सारी हाई लैवल भाषाएं जैसे कि C, C++, DBMS का प्रयोग होता था।

चौथी जनरेशन की मुख्य विशेषताएं तथा गुण

  1. VLSI वाली तकनीक IC तथा माइक्रो प्रोसैसर का प्रयोग होता है।
  2. सैमी कंडक्टर मैमरी तथा ज्यादा क्षमता वाली हार्डडिस्क का सैकंडरी स्टोरेज के लिए प्रयोग होता था।
  3. मैगनैटिक टेप तथा फ्लापी डिस्क का पोर्टेवल मीडिया के रूप में प्रयोग होता था।
  4. PC में CIUI तथा सिंगल टरमीनल में मल्टीपल विंडो प्रयोग में आई।
  5. मल्टी प्रोसैसिंग आपरेटिंग सिस्टम, यूनिक्स, आपरेटिंग सिस्टम, C, आवजैक्ट ओरिएंटिड डिजाइन का प्रयोग होता था।
  6. PC नैटवर्क आधारित तथा सुपर कम्प्यूटिंग का प्रयोग करते थे।
  7. इनका आकार छोटा, भरोसेमंद, आसानी से खरीदे तथा प्रयोग आने वाले थे।
  8. ये जनरल परपज कम्प्यूटर थे जिनकी उत्पादन तथा अपग्रेडेशन काफ़ी आसान थी।

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पांचवीं जनरेशन
कम्प्यूटर की पांचवीं जनरेशन 1989 से शुरू होती है तथा आज तक चलती है। इसमें VLSI से टैक्नोलोजी ULSI में बदल गई। इसमें माइक्रोप्रोसैसर चिप का प्रयोग होता है जिसमें दस मिलियन मतलब एक करोड़ तक पुर्जे लगे होते हैं। यह जनरेशन समांतर प्रोसैसिंग हार्डवेयर तथा आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर कार्य करती है।
AI में शामिल है

  1. रोवोटिक
  2. गेम प्लेईंग
  3. एक्सपर्ट सिस्टम
  4. मानवी भाषाओं को समझना तथा बोलना इसमें हाई लेबल भाषाएं जैसे C, C++, Java आदि का प्रयोग होता है।

पांचवीं जनरेशन कम्प्यूटर के नाम

  1. IBM नोटबुक
  2. पेंटियम पीसी
  3. Sun वर्क स्टेशन
  4. IBM SP/2
  5. परम 10000

पांचवीं जनरेशन कम्प्यूटर की निम्न विशेषताएं हैं –

  • ULSI तकनीक का प्रयोग होता है।
  • ऑप्टीकल डिस्क का प्रयोग होता है।
  • नोटबुक, डेस्कटॉप, वर्क स्टेशन, सरवर तथा सुपर कम्प्यूटर प्रयोग होते हैं।
  • इंटरनैट तथा कलस्टर कम्प्यूटिंग का प्रयोग होता है।
  • कठिन एप्लीकेशनज़ का प्रयोग होता है।
  • इनकी उत्पादकता तथा अपग्रेड करना आसान है।
  • रैपिड साफ्टवेयर डिवैल्पमैंट संभव है।

IBM नोट बुक, पैंटीयम PC, सन वर्क स्टेशन, 1BM sp/2 तथा परम 10000 इसकी

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