PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 2 पिंजरे का शेर

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 2 पिंजरे का शेर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 पिंजरे का शेर (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB पिंजरे का शेर Textbook Questions and Answers

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 2 पिंजरे का शेर

पिंजरे का शेर अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 2 पिंजरे का शेर 1
PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 2 पिंजरे का शेर 2
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 2 पिंजरे का शेर 3
PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 2 पिंजरे का शेर 4
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं अभ्यास करें।

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3. शब्दार्थ

  • दूत = हरकारा, एक जगह से दूसरी जगह चिट्ठी-पत्र, संदेश आदि पहुँचाने वाला
  • निरीक्षण = गौर से देखना, मुआइना करना
  • फुसफुसाहट = बहुत धीमी आवाज़ में बोलना
  • सीसा = एक प्रसिद्ध मूल धातु जिसकी चादरें, गोलियाँ आदि बनती हैं।

उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं अभ्यास करें।

4. उपर्युक्त शब्द भरकर वाक्य पूरे करें :

(क) ……………………………… राज्य सबसे शक्तिशाली समझा जाता था।
(ख) पिंजरे को खोले या ……………………………… बगैर शेर को पिंजरे से बाहर निकालना है।
(ग) नौकरों ने पिंजरे के चारों ओर ……………………………… लगा दी।
(घ) पिंजरे का शेर ……………………………… कर धरती पर फैल गया।
उत्तर :
(क) मगध
(ख) तोड़े
(ग) आग
(घ) पिघल

5. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) महापद्म नंद के दरबार में किस देश के दूत आये थे?
उत्तर :
महापद्म नन्द के दरबार में रोम देश के दूत आये थे।

(ख) रोम के राजदूत मगध के सम्राट के लिए क्या लाये?
उत्तर :
रोम के राजदूत मगध के सम्राट के लिए पिंजरे के शेर के रूप में बहुमूल्य उपहार लाये।

(ग) सम्राट महापद्म नंद के मंत्री का क्या नाम था?
उत्तर :
सम्राट महापद्म नन्द के मन्त्री का नाम शकटार था।

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(घ) शेर किस धातु का बना हुआ था?
उत्तर :
शेर सीसा धातु का बना हुआ था।

(ङ) शेर को पिंजरे से निकालने वाला किशोर बड़ा होकर किस नाम से प्रसिद्ध हुआ?
उत्तर :
किशोर बड़ा होकर चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

(च) पिंजरा किस धातु से बना था?
उत्तर :
पिंजरा लोहा धातु से बना था।

6. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) रोम के राजदूत ने पिंजरे के शेर को बाहर निकालने की क्या शतें बतायीं ?
उत्तर :
रोम के राजदूत ने पिंजरे के शेर को बाहर निकालने की निम्नलिखित शर्ते बताईं थी –

  • पिंजरे को न तो खोलना है और न ही उसे कहीं से भी काटना है।
  • पिंजरे को खोले या तोड़े बिना ही शेर को पिंजरे से बाहर निकालना है।

(ख) पिंजरे के शेर के चारों ओर आग लगती देख सभा में सन्नाटा क्यों छा गया?
उत्तर :
सभा के लोग किशोर द्वारा पिंजरे में से शेर को बाहर निकालने की युक्ति को बड़े ध्यान से देख रहे थे। वे शेर के बाहर आने का इंतज़ार कर रहे थे। पिंजरे के शेर के चारों तरफ आग लगती देखकर सभा में सन्नाटा छा गया।

(ग) चंद्रगुप्त ने पिंजरे के शेर को कैसे बाहर निकाला?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त ने पिंजरे के शेर को चारों तरफ पहले तो पानी में डुबाया और फिर उसने पिंजरे के चारों तरफ आग लगवा दी। आग लगाने से सीसे से बनी शेर की मूर्ति धीरे धीरे पिघलने लगी और वह पिघल कर धरती पर फैल गया। इस तरह चन्द्रगुप्त ने शेर को पिंजरे से बाहर निकाला।

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7. इन शब्दों के लिंग बदलें :

  1. सम्राट = ________________
  2. शोर = ________________
  3. महाराज = ________________
  4. नौकर = ________________
  5. किशोर = ________________
  6. राजा = ________________

उत्तर :

  1. सम्राट = सम्राज्ञी
  2. शेर = शेरनी
  3. महाराज = महारानी
  4. नौकर = नौकरानी
  5. किशोर = किशोरी
  6. राजा = रानी

8. इन शब्दों के वचन बदलें :

  1. पिंजरा = ________________
  2. सभा = ________________
  3. मूर्ति = ________________
  4. यह = ________________
  5. बूँद = ________________
  6. मंदिर = ________________

उत्तर :

  1. पिंजरा = पिंजरे
  2. सभा = सभाएँ
  3. मूर्ति = मूर्तियाँ
  4. यह = ये
  5. बूँद = बूँदं
  6. मन्दिर = मन्दिरों

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9. विपरीतार्थक शब्द लिखें :

  1. पुराना = ________________
  2. अनेक = ________________
  3. असफल = ________________
  4. धरती = ________________

उत्तर :

  1. पुराना = नया
  2. अनेक = एक
  3. असफल = सफल
  4. धरती = आकाश

10. शुद्ध करके लिखें :

अशुद्ध = शुद्ध

  1. शकतीशाली = ________________
  2. बहूमूलय = ________________
  3. घोषना = ________________
  4. पुरसकार = ________________
  5. सूदरिढ़ = ________________
  6. मरितयु = ________________

उत्तर :
अशुद्ध = शुद्ध

  1. शकतीशाली = शक्तिशाली
  2. बहूमूलय = बहुमूल्य
  3. घोषना = घोषणा
  4. पुरसकार = पुरस्कार
  5. सूदरिढ़ = सुदृढ़
  6. मरितयु = मृत्यु

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11. उचित विराम चिह्न लगायें :

(क) किशोर ने मुस्कारते हुए कहा वह देखिए महामंत्री
उत्तर :
किशोर ने मुस्कराते हुए कहा, “वह देखिए महामंत्री।”

(ख) शेर को कौन बाहर निकाल सकता है सहसा सम्राट ने गुस्से में कहा
उत्तर :
“शेर को कौन बाहर निकाल सकता है ?” सहसा सम्राट ने गुस्से में कहा।

(ग) किशोर ने सिर झुकाकर कहा महाराज शेर पिंजरे से बाहर आ गया है
उत्तर :
किशोर ने सिर झुकाकर कहा, “महाराज! शेर पिंजरे से बाहर आ गया।”

12. प्रत्येक शब्द के आगे लिखो, यह कौन-सी संज्ञा है ?

  1. शब्द = संज्ञा
  2. शेर = जातिवाचक संज्ञा
  3. शकटार = व्यक्तिवाचक संज्ञा
  4. लज्जा = ______________
  5. पिंजरा = ______________
  6. गर्मी = ______________
  7. गुस्सा = भाववाचक संज्ञा
  8. किशोर = ______________
  9. दूत = ______________
  10. पानी = ______________
  11. मंदिर = ______________

उत्तर :

  1. शब्द = संज्ञा
  2. शेर = जातिवाचक संज्ञा
  3. शकटार = व्यक्तिवाचक संज्ञा
  4. लज्जा = भाववाचक संज्ञा
  5. पिंजरा = जातिवाचक संज्ञा
  6. गर्मी = भाववाचक संज्ञा
  7. गुस्सा = भाववाचक संज्ञा
  8. किशोर = जातिवाचक संज्ञा
  9. दूत = जातिवाचक संज्ञा
  10. पानी = द्रव्यवाचक संज्ञा
  11. मन्दिर = जातिवाचक संज्ञा

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13. नीचे दी गई जातिवाचक संज्ञा से संबंधित व्यक्तिवाचक संज्ञा लिखें :

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उत्तर :
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14. नये शब्द बनायें : (कम से कम दो)
वातावरण – फुसफुसाहट – झुकाकर
उत्तर :
वातावरण – फुसफुसाहट – झुकाकर
वात – वर – वरण
फुस – फुसफुस – हट
झुक – कर – काक

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परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मगध राज्य का राजा कौन था?
उत्तर :
मगध राज्य का राजा महापद्म नन्द था।

प्रश्न 2.
पुराने समय में भारत कैसा था?
उत्तर :
पुराने समय में भारत अनेक छोटे – छोटे राज्यों में बंटा हुआ था।

प्रश्न 3.
शेर को पिंजरे में किसने बंदी बनाया था?
उत्तर :
रोम के सम्राट ने शेर को पिंजरे में बंदी बनाया था।

प्रश्न 4.
राजा ने दूत को क्या कहा?
उत्तर :
राजा ने दूत को कहा कि तुम अपने राजा से कहना कि हमारे प्रताप से शेर पिघलकर बाहर आ गया है। यह केवल पिंजरे का शेर था पिंजरे के बिना इसका कोई अस्तित्व नहीं।

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प्रश्न 5.
चन्द्रगुप्त मौर्य के चरित्र के दो विशेष गुण बताओ।
उत्तर :

  • बुद्धिमानी,
  • निडर।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें :

प्रश्न 1.
‘पिंजरे का शेर’ पाठ में किस किशोर की बुद्धि – कौशल का वर्णन किया गया है?
(क) चंद्रगुप्त
(ख) रामगुप्त
(ग) समुद्रगुप्त
(घ) श्यामगुप्त।
उत्तर :
(क) चंद्रगुप्त

प्रश्न 2.
प्राचीन भारत में सबसे शक्तिशाली राज्य कौन – सा माना जाता था?
(क) कौशल
(ख) मगध
(ग) पाटन
(घ) विदर्भ।
उत्तर :
(ख) मगध

प्रश्न 3.
किसी धातु से बना कौन पिंजरे में बंद था?
(क) गाय
(ख) शेर
(ग) भालू
(घ) हाथी।
उत्तर :
(ख) शेर

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प्रश्न 4.
पिंजरा किस नगर के राजदूत ने अपने सम्राट की तरफ से भेंट किया था?
(क) न्यूयार्क
(ख) रोम
(ग) पेरिस
(घ) ओकासा।
उत्तर :
(ख) रोम

प्रश्न 5.
बिना पिंजरा खोले शेर को बाहर निकालने की आज्ञा कितने वर्ष के किशोर ने मांगी?
(क) 13 – 14
(ख) 14 – 15
(ग) 15 – 16
(घ) 16 – 17
उत्तर :
(ग) 15 – 16

प्रश्न 6.
असफल होने पर क्या दंड मिलना था?
(क) उम्रकैद
(ख) मृत्युदंड
(ग) समाज सेवा
(घ) सिर मुड़ाना।
उत्तर :
(ख) मृत्युदंड

प्रश्न 7.
शेर किस धातु का बना था?
(क) सोना
(ख) चाँदी
(ग) सीसा
(घ) ताँबा।
उत्तर :
(ग) सीसा

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प्रश्न 8.
मगध का महामंत्री कौन था?
(क) नंद
(ख) शकटार
(ग) चाणक्य
(घ) मिहिरसेन।
उत्तर :
(ख) शकटार

प्रश्न 9.
पिंजरा किस धातु का बना था?
(क) सोना
(ख) चाँदी
(ग) पीतल
(घ) लोहा।
उत्तर :
(घ) लोहा।

प्रश्न 10.
किशोर ने पिंजरे के चारों ओर क्या लगाई?
(क) तिरपाल
(ख) बर्फ
(ग) आग
(घ) घास – फूस।
उत्तर :
(ग) आग

पिंजरे का शेर Summary in Hindi

पिंजरे का शेर पाठ का सार

‘पिंजरे का शेर’ नामक पाठ में किशोर चन्द्रगुप्त मौर्य की बुद्धि एवं कौशल का वर्णन किया गया है। प्राचीन समय में भारत अनेक राज्यों में बंटा हुआ था। इनमें मगध राज्य सब से शक्तिशाली माना जाता था। महापद्म नंद मगध का राजा था। एक दिन राजा की राजसभा हुई। वहाँ किसी धातु से बना शेर पिंजरे में बंद करके रखा था, जिसे सभी लोग देख रहे थे। यह पिंजरा रोम के राजदूत ने राजा को अपने सम्राट की तरफ से भेंट किया।

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राजदूत ने राजा को बताया कि इस पिंजरे में उन्होंने शेर को बंद कर दिया है किन्तु इस पिंजरे को बिना खोले और काटे शेर को बाहर निकालना है, जो खेल आप ही कर सकते हैं। तभी सम्राट के संकेत से महामंत्री ने सभा में बैठे सभी लोगों को बिना पिंजरा खोले और तोडे शेर को बाहर निकालने को कहा। सभा में उपस्थित सभी लोग पिंजरे की तरफ देखते रहे किसी ने भी उसमें से बिना खोले शेर को बाहर निकालने की हिम्मत नहीं दिखाई।

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अचानक वहाँ एक पन्द्रह – सोलह वर्ष का किशोर आया और उसने सम्राट् से उसे बाहर निकालने की आज्ञा माँगी। असफल होने पर मृत्यु का कठोर दंड भी उसे अपनी मंज़िल से विचलित नहीं कर सका। किशोर ने पिंजरे को पानी में डालने के लिए कहा और बाद में निकलवा लिया।

उसने पिंजरे में बंदी शेर को ध्यानपूर्वक देखकर उसके चारों तरफ आग लगवा दी। इससे सभा में सन्नाटा छा गया। धीरे – धीरे सीसा धातु से बना शेर गर्मी से पिघलकर धरती पर फैल गया और पिंजरा खाली हो गया। इस कार्य के लिए उस किशोर को पुरस्कार दिया गया।

यही किशोर बड़ा होकर चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसने उत्तर भारत के सभी छोटे – छोटे राज्यों को एक सूत्र में बाँधकर सुदृढ़ साम्राज्य की नींव रखी।

पिंजरे का शेर शब्दार्थ :

  • बहुमूल्य = मूल्यवान।
  • संकेत = इशारा।
  • की ओर = की तरफ।
  • बगैर – बिना।
  • प्रताप = बल।
  • निरीक्षण = जांच – पड़ताल।
  • सहसा अचानक।
  • लजा = शर्म।
  • डग = कदम।
  • एकटक = बिना पलक झपके।
  • निर्भीक = निडर।
  • अपलक = बिना पलक झपकाए।

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पिंजरे का शेर गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. एक दिन राजसभा लगी हुई थी। वातावरण विचित्र था। एक ओर कछ व्यक्ति अलग खड़े थे। वे रोम देश के दूत थे। सभा भवन के बीचोंबीच एक पिंजरा रखा हुआ था। जिसमें किसी धातु का बना हुआ एक शेर बन्द था। राजसभा में बैठे सभी लोग पिंजरे की ओर देख रहे थे। थोड़ी देर बाद सम्राट् महापद्म नन्द राजसभा में पधारे। उनके आते ही सारी सभा में चुप्पी छा गई। महामन्त्री शकटार का संकेत पा कर विदेशी दूत ने आगे बढ़कर अपने राजा की ओर से लाए बहुमूल्य उपहार सम्राट को भेंट किये।

प्रसंग – यह गद्यांश हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘पिंजरे का शेर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसमें मगध राज्य के राजा महापद्म नंद की राजसभा का वर्णन किया गया है।

व्याख्या – एक दिन राजदरबार में राजसभा लगी हुई थी। राजसभा का वातावरण बहुत अनूठा था। वहाँ कुछ लोग एक तरफ खड़े थे। वे रोम देश से आए हुए दूत थे। सभा भवन के बीच में एक पिंजरा रखा हुआ था जिसमें किसी धातु का बना हुआ एक शेर बंद था। राजसभा में बैठे हुए सभी लोग उस पिंजरे की तरफ देख रहे थे। कुछ देर के बाद सम्राट महापद्म नन्द उस राजसभा में आए। सम्राट् के सभा में आते ही सभा चुप हो गई। महामन्त्री शकटार के संकेत से रोम से आए विदेशी दूत ने आगे बढ़कर अपने राजा की तरफ से लाई गई अनमोल भेंट सम्राट को भेंट की।

भावार्थ – मगध राज्य के सम्राट महापद्म नन्द की राजसभा का चित्रांकन हुआ है। सम्राट् को रोम के दूत के द्वारा दी गई विचित्र भेंट का वर्णन है।

2. सभा में फिर कुछ हलचल हुई। सभी लोग एक दूसरे की ओर देख रहे थे। सभी की आँखें लज्जा के कारण झुकी हुई थीं। सम्राट फिर गरज उठे, “मगध की बुद्धि को क्या हो गया है? महापद्म नन्द की राजसभा में क्या ऐसा एक भी ज्ञानी नहीं था जो शेर को बाहर निकाल सके?”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘पिंजरे का शेर’ शीर्षक नामक पाठ से लिया गया है। इसमें लेखक ने रोम के दूत के द्वारा दिए गए पिंजरे को देखकर सभा में जो हलचल हुई उसी का वर्णन किया है।

व्याख्या – मगध के राजा ने सभा में उपस्थित लोगों को गुस्से में आकर पिंजरे में से शेर को बाहर निकालने का आदेश दिया तो सभा में दोबारा हलचल मच उठी। राजसभा में बैठे लोग फिर एक – दूसरे की तरफ देखने लगे और फिर सब लोगों की आँखें शर्म से झुक गईं। सम्राट् फिर तेज़ आवाज़ से कहने लगे कि मगध – राज्य की बुद्धि को क्या हो गया था? महापद्म नन्द की राजसभा में क्या कोई ऐसा एक भी ज्ञानी, विद्वान् नहीं है जो शेर को इस पिंजरे से बाहर निकाल सके।

भावार्थ – पिंजरे में से शेर को बाहर निकालने के विषय में सम्राट् की चिंता का वर्णन है।

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3. सभा में सन्नाटा छा गया। सभी की साँसें रुक गईं। हर व्यक्ति एकटक पिंजरे की ओर देख रहा था। किशोर भी अपलक दृष्टि से उस शेर को घूर रहा था। सहसा उसने देखा कि शेर की मूर्ति के माथे पर धीरे – धीरे गीली – सी चमक उभरी और देखते ही देखते पिघली हुई चाँदी की – सी बूंदें धरती पर आ गिरी।

प्रसंग – यह गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘पिंजरे का शेर’ नामक पाठे से लिया है। इसमें लेखक ने राजसभा में किशोर द्वारा पिंजरे में से शेर को बाहर निकालने की युक्ति को दर्शाया है।

व्याख्या – किशोर की आज्ञा से नौकरों ने पिंजरे के चारों तरफ जब आग लगा दी तो राजसभा में सूनापन छा गया। सभी लोगों की साँसें रुक गईं। प्रत्येक व्यक्ति टकटकी लगाकर पिंजरे की ओर देख रहा था। किशोर भी बिना पलक झपकाए उस शेर को घूर रहा था। उसने अचानक देखा कि शेर की तस्वीर के माथे पर धीरे – धीरे गीली – सी चमकती/प्रकट हुई। वह उभर कर उठी और देखते ही देखते पिघली हुई चांदी की तरह बूंदें धरती पर आकर गिरी।

भावार्थ – किशोर द्वारा पिंजरे को खोले बिना शेर को बाहर निकालने की युक्ति का वर्णन किया गया है।

4. सम्राट् ने गर्व से दूत की ओर देखते हुए कहा, “दूत अपने राजा से कहना कि हमारे प्रताप के कारण शेर पिघल कर बाहर आ गया है।” यह शेर केवल पिंजरे का शेर था। पिंजरे के बिना इसका कोई अस्तित्व नहीं। फिर महामन्त्री को आदेश दिया, “इस किशोर को पुरस्कार दिया जाए।” इतना कह कर सम्राट् उठ कर चले गए। सभा में कोलाहल – सा मच गया। यही किशोर बड़ा होकर चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसने उत्तरी भारत के सभी छोटे – छोटे राज्यों को एक सूत्र में पिरो दिया और एक सुदृढ़ साम्राज्य की नींव रखी।

प्रसंग – यह गद्यांश हिन्दी की पाठय पुस्तक में संकलित ‘पिंजरे का शेर’ नामक पाठ से लिया गया है। किशोर द्वारा पिंजरे में से शेर को बाहर निकालने पर किशोर को पुरस्कार देने तथा उसकी प्रतिज्ञा का उल्लेख किया गया है।

व्याख्या – मगध के सम्राट ने गर्व से रोम के दूत की तरफ देखकर कहा कि हे दूत, तुम अपने राजा से जाकर कहना कि हमारे बल के कारण शेर पिघल कर बाहर आ गया है। यह शेर केवल पिंजरे का शेर था। पिंजरे के बिना इसका कोई अस्तित्व नहीं था। इसके बाद सम्राट ने महामन्त्री को आदेश दिया कि इस किशोर को पुरस्कार दिया जाए। इतनी बात कहकर सम्राट अंदर चले गए। राजसभा में शोर मच गया। यही किशोर बड़ा होकर चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसने उत्तरी भारत के सभी छोटे – छोटे राज्यों को एक सूत्र में बाँध दिया था तथा एक मजबूत साम्राज्य की नींव रखी थी।

भावार्थ – चन्द्रगुप्त मौर्य की प्रतिभा एवं कौशल को दर्शाया गया है।

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