Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप
Hindi Guide for Class 9 PSEB प्रकृति का अभिशाप Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए
प्रश्न 1.
सूर्यदेव को किस ग्रह की चिंता थी ?
उत्तर:
सूर्यदेव को पृथ्वी ग्रह की चिंता थी।
प्रश्न 2.
जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को कौन विषाक्त बना रहा है ?
उत्तर:
जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को प्रदूषण विषाक्त बना रहा है।
प्रश्न 3.
पवनदेव ने ऑक्सीजन कम होने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
कारखानों, इंजनों में आग का प्रयोग होने से ऑक्सीजन कम हो रही है।
प्रश्न 4.
वनदेवी ने अपने घटने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
वनदेवी ने अपने घटने का कारण कार्बन-डाइऑक्साइड को बताया।
प्रश्न 5.
गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं ?
उत्तर:
गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य में आँतों की बीमारियाँ उत्पन्न करती हैं। तपेदिक जैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं।
प्रश्न 6.
ओज़ोन परत क्या है ?
उत्तर:
जो परत सूर्य द्वारा विसर्जित पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है उसे ओज़ोन परत कहते हैं।
प्रश्न 7.
ओज़ोन की परत को कौन नष्ट कर रहा है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वायुमंडल में पेट्रोल से चलने वाले जैट जैसे बड़े-बड़े हवाई जहाज ओज़ोन की परत को नष्ट कर रहे हैं।
प्रश्न 8.
प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात किसने सूर्यदेव से की ?
उत्तर:
प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात बुद्धिदेवी ने सूर्यदेव से की।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी का क्या हाल होता ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता। पृथ्वी पर प्राणी जीवित नहीं रह पाते। पृथ्वी पर अनेक संकट आ जाते। अतंरिक्ष की उलकाएँ पृथ्वी पर विनाश कर देतीं। पृथ्वी में धरातल भी चंद्रमा के समान बड़ेबड़े गड्ढों में बदल जाता।
प्रश्न 2.
वनदेवी ने हरी पत्तियों को ‘ऑक्सीजन का कारखाना’ क्यों कहा ?
उत्तर:
वनदेवी ने हरी पत्तियों को ऑक्सीजन का कारखाना इसलिए कहा है क्योंकि हरी पत्तियां भोजन और ऑक्सीजन बनाती हैं। इस कारखाने में कभी कोई हड़ताल नहीं होती। ये प्रकाश-संश्लेषण क्रिया से कार्बन-डाइऑक्साइड को कार्बन और ऑक्सीजन में विश्लेषित करती हैं और कार्बन स्वयं शोषित कर ऑक्सीजन को वायु में छोड़ देती
प्रश्न 3.
वनदेवी ने गुस्से में आकर रश्मिदेवी को क्या कहा ?
उत्तर:
वनदेवी ने रश्मिदेवी को गुस्से में आकर कहा कि मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक वृद्धि के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। विवेकहीन मनुष्य जंगलों को अंधाधुध काट रहा है। इससे वायु को शुद्ध करने की मेरी क्षमता नष्ट हो रही है। प्रदूषण बढ़ रहा है।
प्रश्न 4.
वन किस प्रकार हमारे लिए लाभकारी हैं ?
उत्तर:
वन हमारे लिए बहुत लाभकारी हैं। वनों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। वन वर्षा लाने में सहायक हैं। इससे अनेक उपयोगी वनस्पतियाँ और औषधियां मिलती हैं।
प्रश्न 5.
रेडियोधर्मिता क्या है ? मनुष्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
परमाणु-परीक्षण के लिए जिन यूरेनियम जैसे तत्वों को प्रयोग करने से हानिकारक प्रभाव वायुमंडल में फैलते हैं उसे रेडियोधर्मिता कहते हैं। मनुष्य पर उसका अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे मानव भयंकर बीमारियों से पीड़ित हो जाता है। उसके कुप्रभाव से अगली पीढ़ी को तो पहचानना भी संभव नहीं रह सकेगा।
प्रश्न 6.
बुद्धिदेवी ने मानव-रक्षा के लिए सूर्यदेव को क्या भरोसा दिलाया ?
उत्तर:
बुद्धिदेवी ने मानव रक्षा के लिए सूर्यदेव को यह भरोसा दिलाया कि वह मानव-कल्याण का कार्य करेगी। वह प्रदूषण दैत्य को जड़ से समाप्त कर देगी जैसे आदि मानव विनाशकारी अग्नि से डर गया था। किंतु उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया। आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
लेखक ने प्रदूषण को महादैत्य कहा है। आप लेखक की बात से कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैं लेखक की बात से पूरी तरह से सहमत हूँ क्योंकि प्रदूषण ने वातावरण को इतना दूषित कर दिया है कि आज प्राणियों का सांस लेना भी कठिन हो रहा है। आज पृथ्वी ग्रह पर जीवन संकटों से भरा है। वायु भी दूषित हो गई है जिससे प्राणी सांस भी नहीं ले रहा। आज प्रदूषण ने सारी पृथ्वी पर कब्जा कर लिया है।
प्रश्न 2.
जल, वायु और ध्वनि-प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं। इनसे अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। जल प्रदूषण से हैजा, पेचिश जैसी बीमारियाँ होती हैं। वायु प्रदूषण से दमा, खांसी तथा सांस के अन्य रोग होते हैं। ध्वनि प्रदूषण से हृदय रोग, फेफड़ों के अनेक रोग फैल रहे हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
- यह दैत्य ऐसा ही है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को विषाक्त बना रहा है।
उत्तर:
इस कथन का आशय है कि वर्तमान समय में चारों तरफ प्रदूषण फैलता जा रहा है। यह एक राक्षस की तरह फैला है। यह एक ऐसा राक्षस है जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे इसके प्रभाव से वातावरण ज़हरीला बना रहा है। प्रदूषण के कारण वातावरण प्रदूषित हो रहा है जो अनेक बीमारियों का कारण है।
- मैं हूँ मानव का महाकाल, प्रगति का अभिशाप, औद्योगिक प्रगति का विष-वृक्ष, मैं हूँ मानव का अदृश्य शत्रु-प्रदूषण दैत्य। समझे…प्रदूषण दैत्य।
उत्तर:
आज प्रदूषण एक राक्षस के समान चारों तरफ फैला है। वह अत्यंत भयानक एवं खतरनाक है। वह वनदेवी को अपने खतरे को बताते हुए कहता है कि मैं मानव का महाकाल हूँ। अर्थात् मैं मनुष्य को मारने वाला हूँ। मैं प्रगति के रास्ते में बाधक हूँ। मैं औद्योगिक प्रगति को नष्ट करने वाला हूँ। मैं मानव का अदृश्य शत्रु हूँ अर्थात् मैं मानव-जाति के लिए विनाशकारी प्रगति के लिए अभिशाप हूँ। मैं औद्योगिक विकास का विष वृक्ष हूँ। सबको निरंतर नष्ट कर रहा हूँ।
- आप लोग चिंता न करें, मुझ पर भरोसा रखें। आदि मानव विनाशकारी अग्नि से भयभीत हो गया था। फिर उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया और आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है। मैं इस प्रदूषण दैत्य को ही जड़ से समाप्त कर दूँगी। संसार में इसका उन्मूलन करना परमावश्यक है।
उत्तर:
बुद्धिदेवी मानव कल्याण के लिए सूर्यदेव को आश्वासन देती है वह कहती है कि मानव कल्याण के लिए आप चिंता न करें। इसके लिए आप मुझ पर भरोसा रखें। जैसे आदि मानव विनाशकारी अग्नि से डर गया था किंतु बाद में उसने अग्नि को अपने अधीन कर लिया इसलिए आज अग्नि मानव के लिए कल्याणकारी है। इसी तरह मैं इस प्रदूषण रूपी राक्षस को जड़ से खत्म कर दूंगी। आज संसार में इसको मिटाना बहुत ज़रूरी है।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित एक-वचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए :
एकवचन – बहुवचन
पत्ता – ……………….
पुत्री – ……………….
आँत – ……………….
बहरा – ……………….
नज़र – ……………….
गड्ढा – ……………….
पृथ्वी – ……………….
किरण – ……………….
साड़ी – ……………….
परत – ……………….
नीला – ……………….
पत्ती – ……………….
पीला – ……………….
लकड़ी – ……………….
गैस – ……………….
देवी – ……………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
पत्ता – पत्ते
पुत्री – पुत्रियाँ
आँत – आँतें
बहरा – बहरे
नज़र – नज़रें
गड्ढा – गड्ढे
पृथ्वी – पृथ्वियाँ
किरण – किरणें
साड़ी – साड़ियाँ
परत – परतें
नीला – नीले
पत्ती – पत्तियाँ
पीला – पीले
लकड़ी – लकड़ियाँ
गैस – गैसें
देवी – देवियाँ
2. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उन्नति – ……………. – …………….
असत्य – ……………. – …………….
प्रगति – ……………. – …………….
प्रत्येक – ……………. – …………….
आगमन – ……………. – …………….
प्रदूषण – ……………. – …………….
अत्यधिक – ……………. – …………….
दुष्प्रभाव – ……………. – …………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उन्नति -उत् – नति
असत्य – अ – सत्य
प्रगति -प्र – गति
प्रत्येक – प्रतिएक – दुष्प्रभाव
आगमन – आ – गमन
प्रदूषण – प्र – दूषण
अत्यधिक – अति – अधिक
दुः – प्रभाव
3. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिएशब्द … मूल शब्द प्रत्यय
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
प्रसन्नता – ……………. – …………….
उपयोगी – ……………. – …………….
उपहार – ……………. – …………….
तीव्रता – ……………. – …………….
विषैला – ……………. – …………….
ज़हरीला – ……………. – …………….
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
प्रसन्नता – प्रसन्न – ता
तीव्रता – तीव्र – ता
उपयोग – उपयोग – ई
विषैला – विष – ऐला
उपहार – उप – हार
4. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए
मुहावरा – अर्थ – वाक्य
• चारा न रहना – उपाय न होना – ……………….
• गज़ब ढाना – जुल्म करना – ……………….
• नाक में दम करना – तंग करना – ……………….
• घुला घुला कर मारना – धीरे-धीरे कष्ट पहुँचाकर मारना – ……………….
• लोहा लेना – युद्ध करना – ……………….
• तिनके के समान – बहुत कमज़ोर – ……………….
उत्तर:
मुहावरा – अर्थ – वाक्य
• चारा न रहना – उपाय न होना – समय बीत जाने पर हमारे पास कार्य सिद्धि का कोई चारा नहीं रहता।
• गज़ब ढाना – जुल्म करना – अंग्रेजों ने शहीदों पर बहुत गज़ब ढाए।
• नाक में दम करना – तंग करना – शरारती बच्चों ने सबकी नाक में दम कर दिया
• घुला घुला कर मारना – धीरे-धीरे कष्ट पहुँचाकर मारना – डाकुओं ने यात्री को घुला-घुला कर मार डाला।
• लोहा लेना – युद्ध करना – शिवाजी ने विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया।
• तिनके के समान – बहुत कमज़ोर – डरपोक लोग विपत्ति काल में तिनके के समान होते हैं।
5. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए
तद्भव – तत्सम
सफेद – ……………….
पीला – ……………….
चाँद – ……………….
सूरज – ……………….
करोड़ – ……………….
समुन्दर – ……………….
उत्तर:
तद्भव – तत्सम
सफेद – शुभ्र
पीला – पीत
चाँद – चंद्र
सूरज – सूर्य
करोड़ – कोटि
समुन्दर – समुद्र
6. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए
(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री पृथ्वी
(ii) कौन रश्मि तुम मेरी बातें सुन रही थीं
(iii) हाँ तुमने ठीक पहचाना
(iv) सिंहासन से उठकर आखिर बात क्या है
(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए शक्ति दीजिए कि मैं लोग कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ
उत्तर:
(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री-पृथ्वी।
(ii) कौन रश्मि! तुम मेरी बातें सुन रही थीं।
(iii) हाँ! तुमने ठीक पहचाना।
(iv) सिंहासन से उठकर- आखिर बात क्या है?
(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए, शक्ति दीजिए कि मैं लोग-कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ।
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
प्रदूषण की रोकथाम के लिए आप क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
(1) प्रदूषण की रोकथाम के लिए अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(2) वनों के कटाव पर रोक लगानी चाहिए।
(3) जंगलों को नष्ट होने से बचाना चाहिए।
(4) अपने आस-पास गंदा पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।
(5) व्यर्थ में पानी नहीं बहाना चाहिए।
(6) कूड़ा-कर्कट कूड़ादान में ही डालना चाहिए।
प्रश्न 2.
क्या सचमुच बुद्धिदेवी प्रदूषण जैसे महादैत्य से छुटकारा दिला सकती है ? स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
हाँ, सचमुच बुद्धिदेवी प्रदूषण जैसे महादैत्य से छुटकारा दिला सकती है। यदि मनुष्य अपनी बुद्धि से विचार करें तो वह प्रदूषण को पूर्ण रूप से नष्ट कर सकता है और इस प्रकृति को और अधिक सुंदर बना सकता है। वातावरण को साफ, स्वच्छ एवं सुंदर और मनमोहक बना सकता है।
प्रश्न 3.
आपकी दृष्टि में प्रदूषण को कम करने में सरकारों की क्या भूमिका होनी चाहिए ?
उत्तर-हमारी दृष्टि में प्रदूषण को कम करने में सरकारों की निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए
(1) सरकारों को कारखाने, फेक्ट्रियां शहरों से दूर लगवाने चाहिए।
(2) कारखानों का गंदा पानी नदियों में नहीं डालना चाहिए।
(3) पेड़-पौधे अधिक-से-अधिक लगवाने चाहिए।
(4) जंगलों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए।
(घ) पाठेत्तर सक्रियता
प्रश्न 1.
प्रदूषण-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे एक चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर-अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 2.
तख्तियाँ बनाकर उन पर सुंदर लिखावट के साथ प्रदूषण-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे लिखें और जब भी स्कूल की ओर से प्रदूषण-उन्मूलन-रैली का आयोजन हो तो इन नारों से समाज को प्रदूषण से मुक्ति के लिए जाग्रत करें।
उत्तर-
(1) प्रदूषण मिटाओ, देश बचाओ।
(2) प्रदूषण भगाओ स्वास्थ्य बचाओ।
(3) पेड़-पौधे लगाओ, प्रदूषण मिटाओ।
प्रश्न 3.
इस एकांकी को स्कूल में उचित अवसर पर मंचित करें।
उत्तर:
अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।
प्रश्न 4.
अपने जन्मदिन के अवसर पर एक गमले में बढ़िया-सा पौधा लगाकर उसे स्कूल को भेंट करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 5.
अखबारों, मैगज़ीनों, इंटरनेट आदि से प्रदूषण के भयंकर परिणामों से सम्बन्धित चित्र इकट्ठे करके उनका कोलाज़ बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।
प्रश्न 6.
वैज्ञानिक प्रगति ही प्रदूषण का मुख्य कारण हैइस विषय पर स्कूल में वाद-विवाद आयोजित कीजिए। (नोट : कक्षा में सभी विद्यार्थियों को इस विषय के पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाए)
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।
प्रश्न 7.
अपने विज्ञान-अध्यापक की मदद से विज्ञान-प्रयोगशाला में जाकर प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया को समझें।
उत्तरं:
अध्यापक की सहायता से करें।
प्रश्न 8.
पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने हेतु पॉलिथीन का प्रयोग बंद करें, कागज़ का प्रयोग कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें क्योंकि जितनी अधिक खराब सामग्री रिसाइकिल होगी, उतना ही पृथ्वी का कूड़ा कचरा भी कम होगा।
उत्तर:
स्वयं समझें एवं करें।
प्रश्न 9.
स्कूल में आयोजित होने वाले विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) तथा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) में सक्रिय रूप से भाग लें और पर्यावरण स्वच्छता व सुरक्षा सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करें।
उत्तर:
स्वयं करें।
प्रश्न 10.
यदि आप देखें कि किसी फैक्टरी/कारखाने द्वारा किसी भी तरह का प्रदूषण फैलाया जा रहा है तो अपने बड़ों/अध्यापकों आदि की मदद से प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ सम्बन्धित विभाग में शिकायत करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं कीजिए।
प्रश्न 11.
विश्व जल दिवस, विश्व पृथ्वी दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व ओज़ोन दिवस आदि अवसरों पर लेख, नाटक, कविता, निबन्ध नारे लेखन, भाषण आदि प्रतियोगिताओं में भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं कीजिए।
(ङ ) ज्ञान-विस्तार
1. खर : रावण का सौतेला भाई जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था।
2. दूषण : रावण की सेना का नायक जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था।
3. त्रेता : हिन्दू मान्यतानुसार चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग) में से दूसरा युग।
4. प्रकाश-संश्लेषण : सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश-संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगों जैसे पत्तियों द्वारा सूर्य के प्रकाश की मौजूदगी में हवा से कार्बन डाइऑक्साइड तथा पृथ्वी से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं।
5. कार्बनडाइऑक्साइड : यह एक रासायनिक यौगिक है जिसका निर्माण ऑक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। पृथ्वी के सभी जीव अपनी श्वसन क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं।
6. ऑक्सीजन : यह रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। जीवित प्राणियों के लिए यह गैस अति आवश्यक है। इसे वे श्वसन द्वारा ग्रहण करते हैं।
7. सीसा : सीसा एक धातु एवं तत्व है। आयुर्वेद में इसका भस्म कई रोगों में दिया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग इमारतें बनाने, बंदूक की गोलियाँ तथा वज़न आदि बनाने में भी होता है। यह भी जानें कि पेट्रोल और पेंट (रंग) को सक्षम बनाने के लिए जब सीसा का ज़रूरत से ज्यादा प्रयोग होता है तो इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
8. रेडियोधर्मिता : किसी पदार्थ के परमाणु में से अपने आप विकिरणों के कणों का निकलना रेडियोधर्मिता कहलाता है। रेडियम, यूरेनियम तथा थोरियम रेडियोधर्मी पदार्थ हैं। विकिरणों से त्वचा का कैंसर और अन्य रोगाणुजनक रोग हो सकते हैं।
9. ओज़ोन परत : पृथ्वी की सतह से 30 किलोमीटर की ऊँचाई पर ओज़ोन की परत है। यह ऊँचाई के साथ-साथ मोटी होती जाती है। यह समतल मंडल में 50 किलोमीटर की ऊँचाई पर सबसे अधिक मोटी है। यह परत पराबैंगनी किरणों को वायुमंडल में प्रवेश करने से रोकने के लिए फिल्टर के रूप में कार्य करती है। इसके न होने अथवा नष्ट होने से हानिकारक पराबैंगनी किरणों दवारा लोगों में त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ जायेगा।
10. महत्वपूर्ण दिवस विश्व जल दिवस : 22 मार्च विश्व स्वास्थ्य दिवस : 07 अप्रैल विश्व पृथ्वी दिवस : 22 अप्रैल विश्व पर्यावरण दिवस : 05 जून . विश्व ओज़ोन दिवस : 16 सितम्बर विश्व प्रकृति दिवस : 03 अक्टूबर
PSEB 9th Class Hindi Guide प्रकृति का अभिशाप Important Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
सूर्यदेव की वेषभूषा कैसी है ?
उत्तर:
सूर्यदेव चमकदार पीले वस्त्र तथा चमचमाता सुनहरा मुकुट पहने हुए हैं।
प्रश्न 2.
रश्मिदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
रश्मिदेवी चमकदार पीला लहँगा और वैसी ही चुन्नी ओढ़े हैं।
प्रश्न 3.
वनदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
वनदेवी फूल और पत्तों से चित्रित हरी साड़ी पहने हैं। सिर पर पत्तों का मुकुट है।
प्रश्न 4.
जलदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
जलदेवी मछलियों आदि जलीय जंतुओं से चित्रित नीली साड़ी तथा नीले रंग के मुकुट पहने है।
प्रश्न 5.
बुद्धि देवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
बुद्धि देवी रूपहली किनारी लगी हुई सफेद साड़ी तथा रूपहला झिलमिलाता मुकुट पहने हुए हैं।
प्रश्न 6.
पृथ्वी किसकी पुत्री है ?
उत्तर:
पृथ्वी सूर्य की पुत्री है।
प्रश्न 7.
सौरजगत विशाल कुटुंब में कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
सौरजगत के विशाल कुटुंब में नौ ग्रह हैं। पृथ्वी इनमें से एक है।
प्रश्न 8.
पृथ्वी पर अनोखा कौन हैं ? कैसे ?
उत्तर:
पृथ्वी पर अनोखा मानव है। वह अपने मस्तिष्क के बल पर अनोखा है।
प्रश्न 9.
सौरजगत के अधिपति कौन हैं ?
उत्तर:
सौरजगत के अधिपति सूर्य हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
पृथ्वी के वातावरण का मुख्य घटक कौन है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पृथ्वी के वातावरण का मुख्य घटक पवन है। इसने वायुमंडल के रूप में पृथ्वी को ढका हुआ है।
प्रश्न 2.
वायुमंडल के पृथ्वी के लिए क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
वायुमंडल के पृथ्वी के लिए अनेक लाभ हैं
(1) वायुमंडल के कारण पृथ्वी के प्राणी जीवित रह पाते हैं।
(2) वायुमंडल अनेक प्रकार के संकटों से पृथ्वी की रक्षा करता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
वायुमंडल पृथ्वी की सुरक्षा कैसे करता है ?
उत्तर:
अंतरिक्ष में अनेक उल्काएँ प्रत्येक क्षण पृथ्वी की ओर आकृष्ट होती हैं, किंतु वे वायुमंडल के घर्षण के कारण मार्ग में ही नष्ट हो जाती हैं। यदि वायुमंडल न होता तो उल्काएं पृथ्वी पर विनाश कर देतीं। पृथ्वी का धरातल भी चंद्रमा के समान बड़े-बड़े गड्ढों से युक्त होता है।
प्रश्न 2.
आक्सीजन प्रदान करने में हरी पत्तियों का क्या योगदान है ?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश की सहायता से हरी पत्तियाँ कार्बनडाइऑक्साइड को प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से कार्बन और आक्सीजन में विश्लेषित करती हैं। हरी पत्तियां कार्बन का पोषण कर लेती हैं और ऑक्सीजन को पुन: वायु में छोड़ देती हैं। इस प्रकार आक्सीजन प्रदान करने में हरी पत्तियों का महान् योगदान है।
प्रश्न 3.
एक नागरिक होने के नाते हम प्रदूषण को किस प्रकार दूर कर सकते हैं ?
उत्तर:
(1) हमें नागरिक होने के नाते अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(2) कूड़े-कर्कट को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।
(3) वनों, पेड़-पौधों को काटने नहीं देना चाहिए।
(4) व्यर्थ में ही पानी नहीं बहाना चाहिए।
(5) लाऊड स्पीकरों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(6) कूड़ा-कर्कट एवं गंदा पानी नदी-नालों एवं तालाबों में नहीं डालना चाहिए।
प्रश्न 4.
पर्यावरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पर्यावरण शब्द परि+आवरण के योग से बना है। परि का अर्थ है-चारों ओर तथा आवरण का अर्थ है ढकने वाला अर्थात् जो हमें चारों ओर फैलकर ढके हुए हैं। जो हमारी चारों तरफ से सुरक्षा कर रहा है। उसे पर्यावरण कहते हैं। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश इन पाँचों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
‘प्रकृति का अभिशाप’ एकांकी के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
श्रीपाद विष्णु कानाडे।
प्रश्न 2.
‘प्रकृति का अभिशाप’ एकांकी किसका संदेश देता है ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण का।
प्रश्न 3.
जलदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
जलीय जंतुओं से चित्रित नीली साड़ी तथा नीले रंग का मुकुट।
प्रश्न 4.
सूर्यदेव को किस ग्रह की अधिक चिंता है ?
उत्तर:
पृथ्वी की।
प्रश्न 5.
मानव सबसे अनोखा जीव अपनी किस वस्तु के कारण है ?
उत्तर:
मस्तिष्क के।
हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए
प्रश्न 6.
‘मानव ने अपने मस्तिष्क के सहारे उन्नति की है’-यह कथन रश्मि देवी का है।
उत्तर:
हाँ।
प्रश्न 7.
‘अब कार्बनडाइऑक्साइड बढ़ती जा रही है’-पवन देव ने कहा।
उत्तर:
नहीं।
सही-गलत में उत्तर दीजिए-
प्रश्न 8.
‘मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक वृद्धि के हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं’-वनदेवी ने कहा।
उत्तर:
सही।
प्रश्न 9.
प्राणदायिनी ऑक्सीजन को कार्बन स्वयं रखकर पवन देव भेजता है।
उत्तर:
गलत।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
प्रश्न 10.
दैत्य ……. तो मुझे ………. कर ही रहा है।
उत्तर:
दैत्य प्रदूषण तो मुझे परेशान कर ही रहा है।
प्रश्न 11.
ये कण …. से मिलकर जल और …….. को भी …….. करते हैं।
उत्तर:
ये कण कीटाणुओं से मिलकर जल और वनस्पतियों को भी दूषित करते हैं।
बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें
प्रश्न 12.
चमचमाता सुनहरा मुकुट कौन पहने हुए हैं ?
(क) सूर्यदेव
(ख) रश्मिदेवी
(ग) वनदेवी
(घ) पवन देव।
उत्तर:
(क) सूर्य देव।
प्रश्न 13.
पीला लहँगा और वैसी ही चुन्नी कौन ओढ़े हैं ?
(क) बुद्धि देवी
(ख) जल देवी
(ग) वनदेवी
(घ) रश्मि देवी।
उत्तर:
(घ) रश्मि देवी।
प्रश्न 14.
एकांकी में प्रदूषण दैत्य कहाँ है ?
(क) जल में
(ख) वन में
(ग) नेपथ्य में
(घ) नभ में।
उत्तर:
(ग) नेपथ्य में।
प्रश्न 15.
गंधकयुक्त औषधियां कैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं ?
(क) तपेदिक
(ख) कैंसर
(ग) हृदय
(घ) नेत्र।
उत्तर:
(क) तपेदिक।
कठिन शब्दों के अर्थ
पार्श्वभूमि = आस-पास की ज़मीन। क्षुब्ध = क्रोध मिश्रित दु:ख। अनायास = अचानक। महादैत्य = महाराक्षस। औद्योगिक = उद्योग सम्बन्धी। कुटुंब = परिवार। अंतरिक्ष = आकाश। धरातल = पृथ्वी की सतह। विसर्जित = छोड़ना। यथोचित = जैसा चाहिए वैसा, समुचित। अथाह = गहरा। आत्मघात = अपनी हत्या। विश्लेषित = अलगअलग किया हुआ। अपार = अत्यधिक, जिसका पार न पाया जा सके। तीव्र = तेज। चंगुल = पकड़, अधिकार। निःसंदेह = बेशक, बिना शक के। बला = मुसीबत। विकृति = विकार, खराबी (विकार के बाद प्राप्त रूप)। भ्रमण = घूमना। नेपथ्य = परदे के पीछे। सौरमंडल = सूर्य और उसके ग्रहों का समूह । खर-दूषण = त्रेतायुग के दो राक्षस। अट्टालिका = महल, इमारत। रश्मि = किरण। मस्तिष्क = दिमाग। समक्ष = सामने। विषाक्त = ज़हरीला। अधिपति = स्वामी, मालिक। कोटि-कोटि = करोड़ों। खिन्न = दु:खी, उदास। प्रादुर्भाव = प्रकट होना, उत्पत्ति। आच्छादित = ढका हुआ। गर्त = गड्ढा। उल्काएँ = लौह मिश्रित पत्थर के टुकड़े जो अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। अस्तित्व = हस्ती, सत्ता, विद्यमान होना। ह्रास = कमी, गिरावट। जलीय = जल संबंधी। अनोखा = अनूठा। प्रत्यक्षतः = प्रत्यक्ष रूप से। वायुमंडल = वातावरण। खिन्न = उदास। अनादिकाल = आरम्भ से ही। बलबूते = ताक़त, ज़ोर। उन्मूलन = उखाड़ फेंकना, जड़ से ख़त्म कर देना।
प्रकृति का अभिशाप Summary
प्रकृति का अभिशाप जीवन-परिचय
श्रीपाद विष्णु कानाडे एकांकी-साहित्य के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। उनका साहित्य का विकास करने में महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये एक आधुनिक साहित्यकार हैं। एकांकी साहित्य के क्षेत्र में इनकी विशेष पहचान है।
‘प्रकृति का अभिशाप’ इनकी अत्यंत प्रभावशाली एवं लोकप्रिय एकांकी है। इसके साथ-साथ इन्होंने अनूठा साहित्य रचा है। कानाडे का एकांकी-साहित्य में विशेष स्थान है। इनकी एकांकियों में एकांकी के प्रमुख तत्वों कथानक, पात्र तथा चरित्र-चित्रण, संकलनत्रय वातावरण, संवाद, उद्देश्य एवं अभिनेयशीलता का सफल निर्वाह हुआ है।
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने सूर्यदेव, वनदेवी, जलदेवी, रश्मिदेवी, पवनदेवी, बुद्धिदेवी एवं प्रदूषण पात्रों के द्वारा मानव को वातावरण के प्रति जागृत रहने की प्रेरणा दी है। मानव को प्राकृतिक साधनों के प्रयोग में सावधानी रखने का संदेश दिया है अन्यथा इसके घातक परिणामों से मनुष्य का विनाश निश्चित है।
प्रकृति का अभिशाप एकांकी का सार
‘प्रकृति का अभिशाप’ नामक एकांकी श्रीपाद विष्णु कानाडे द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने प्रकृति के अभिशाप का वर्णन किया है। इसमें लेखक ने सूर्यदेव, रश्मिदेवी, वनदेवी, जलदेवी, पवनदेवी, बुद्धिदेवी तथा प्रदूषण (दैत्य) पात्रों के माध्यम से मानव को सावधान किया है कि यदि मनुष्य प्राकृतिक साधनों के प्रयोग में सावधानी नहीं रखेगा तो इसके घातक परिणामों से मनुष्य का विनाश भी निश्चित है। मंच पर एक विशाल सुनहरे सिंहासन पर सूर्यदेव विराजमान हैं। रश्मिदेवी सिंहासन के पीछे खड़ी है। सूर्यदेव चिंतित मुद्रा सौर जगत् के विशाल कुटुंब में पृथ्वी ग्रह के प्रति चिंता करता है। वह कहता है कि उसने अपनी पुत्री पृथ्वी को अधिक योग्य बनाना है। इसकी गोद में अनेक जीव-जंतु पेड़-पौधे पनप सकते हैं। इतना ही नहीं मानव भी पृथ्वी पर ही रहता है। यह अपने मस्तिष्क के बल पर पृथ्वी का स्वामी और अनोखा है। रश्मिदेवी सूर्य को कोई चिंता न करने का आग्रह करती है। उसे सौर-जगत् में पृथ्वी एक नंदनवन जैसी लगती है। वह सूर्य को बताती है वह पृथ्वी का भ्रमण करके आई है। उसका हाल अच्छा है। मानव ने बहुत प्रगति कर ली है। उसने बड़े-बड़े नगर बसा लिए हैं। वह उन्नति के शिखर पर पहुँच गया है। तभी पवनदेव का प्रवेश हुआ। उसने बताया कि पृथ्वी पर मानव ने उन्नति नहीं की है, बल्कि वह तो पतन के गड्ढे में गिरने वाला है। जलदेवी आकर कहती है कि ऐसी उन्नति का कोई लाभ नहीं है जिससे उसे अशुद्ध जल पीकर बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। वनदेवी प्रवेश करती है। वह बताती है कि असाधारण प्रगति के कारण मानव के समक्ष विषैला भोजन खाकर आत्मघात करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। सूर्यदेव सबके चेहरे को देखता है।
पवनदेव उनसे हाथ जोड़ कर क्षमा मांगते हैं। पवनदेव उनको नमन करता है। उसके बाद जलदेवी, वनदेवी सभी उनको प्रणाम करते हैं। सूर्य उनसे अचानक आने का कारण पूछते हैं। पवनदेव, जलदेवी, आदि सभी सूर्यदेव को बताते हैं कि पृथ्वी संकट में हैं। वनदेवी ने बताया कि प्रदूषण रूपी महादैत्य हम लोगों के पीछे लगा हुआ है। सूर्यदेव सभी से इस दैत्य के बारे में पूछता है। पवनदेव उन्हें बताते हैं कि यह ऐसा दैत्य है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को ज़हरीला बना रहा है। वनदेवी ने बताया कि इस राक्षस का जन्म औद्योगिक क्रांति से हुआ है। पवनदेव ने बताया कि उसने वायुमंडल के रूप में पृथ्वी को ढका हुआ है। सूर्यदेव कहता है वायुमंडल के कारण ही पृथ्वी के प्राणी जीवित रह पाते हैं। वायुमंडल ही पृथ्वी को अंतरिक्ष की उल्काओं से बचाता है। अन्यथा पृथ्वी भी नष्ट हो जाती। सूर्यदेव कहता है कि शुद्ध वायु देने के लिए ही उसने पृथ्वी को वायु के अथाह समुद्र में डुबो दिया है। इस सागर का – भाग ऑक्सीजन है। मानव इसका प्रत्यक्ष उपयोग करता है। पवनदेव कहता है पृथ्वी पर प्रत्येक जीव ऑक्सीजन का उपयोग करता है और कार्बन-डाइऑक्साइड छोड़ता है। किंतु कारखानों, इंजनों से कार्बन-डाइऑक्साइड अधिक उत्पन्न हो रही है। सूर्यदेव बताता है कि उसने कार्बन-डाइऑक्साइड से पुनः ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए ही वनस्पति पृथ्वी को प्रदान की है। वनदेवी कहती है कि सूर्य में तेज़ प्रकाश से ही उसकी हरी पत्तियां कार्बन-डाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से कार्बन तथा ऑक्सीजन में विश्लेषित करती है। मैं स्वयं के पोषण के लिए कार्बन रखकर ऑक्सीजन को पुनः वायु में छोड़ देती हूँ। किंतु आज कार्बन-डाइऑक्साइड बढ़ती जा रही है। मानव की तरक्की तथा उद्योगों के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। विवेकहीन मनुष्य जंगल काट रहा है। शहरीकरण के लिए जंगल काटे जा रहे हैं। इसका मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सूर्यदेव वनदेवी से उन नुकसानों के बारे में पूछते हैं। वनदेवी उन्हें बताती है कि वनों की कमी से वर्षा नहीं होती। जिससे वनस्पतियाँ नहीं उगती। वनस्पतियों के अभाव में वायु शद्ध नहीं रहती। पवनदेव अपने अशुद्ध होने का नमूना औद्योगिक प्रगति बताते हैं। रश्मिदेवी प्रगति को प्रदूषण का कारण सुनकर चकित होती है। पवनदेव उन्हें बताता है कि उद्योगों के कारण अनेक गैसें आती हैं, जिनका जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
गंधकयुक्त औषधियों से आंतों की बीमारियां बढ़ती हैं। तपेदिक जैसे रोग बढ़ते हैं। वनों का भी विकास रुक जाता है। पवनदेव अपने दूषित होने के कारण बताते हैं कि कारखानों से असंख्य सूक्ष्मकण उसे दूषित करते हैं। पेट्रोल को सक्षम बनाने के लिए प्रयुक्त सीसा वायु को विषैला बना देता है। किंतु प्रदूषण रूपी राक्षस के हाथ अभी गाँवों तक नहीं पहुँचे हैं, इसलिए लोगों को गांवों में रहना अच्छा लगता है। सीसा मिश्रित पेट्रोल के कारण ओजोन परत पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के बुरे प्रभाव से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है। पेट्रोल से चलने वाले जैट जैसे बड़े हवाई जहाज़ इस परत को नष्ट कर रहे हैं।
वनदेवी आँसू पोंछते हुए सूर्यदेव को बताती है कि प्रदूषण उसे भी परेशान कर रहा है। साथ ही कीटनाशक रसायन भी उसे हानि पहुँचा रहे हैं। जलदेवी कहती है कि ये कीटनाशक रसायन वर्षा के जल में घुलकर नदी तालाबों को दूषित करते हैं। इससे जलीय वनस्पतियों तथा जीवों को बहुत नुकसान होता है। कारखानों का दूषित तेल और विषैले पदार्थ भी नदियों में बहाने पर उसे हानि पहुँचा रहे हैं।
सबकी बातें सुनकर सूर्यदेव चिंतित होकर कहते हैं कि यह सब बहुत घातक है। इससे सभी को अपने अस्तित्व का खतरा होने लगता है। इसलिए रश्मिदेवी सूर्य को पृथ्वी पर न जाने को कहती है किंतु सूर्य उसे ऐसा न करने को कहते हैं। तभी दैत्य प्रदूषण डरावनी हंसी से कहता है कि वह बहुत खुश है कि उसने वायु, जल तथा वनस्पति की नाक में दम कर दिया है। सूर्य उसके बारे में पूछता है तो प्रदूषण बताता है कि वह अदृश्य होकर ही सबको सताता है। वह मनुष्य के विनाश का कारण बनने वाला है। वही मानव का महाकाल है। औद्योगिक प्रगति का विष वृक्ष है। रश्मिदेवी को अपनी चिंता होने लगती है। किंतु प्रदूषण उसे कहता है कि वह उसे हानि नहीं पहुंचाएगा। वह तो केवल पृथ्वी पर रहने वाले जीवों का ही विनाश करना चाहता है। इसके बाद सभी सूर्यदेव से प्रदूषण से अपनी-अपनी रक्षा करने के लिए कहने लगे।
तभी पर्दे पर मधुर संगीत के साथ बुद्धिदेवी का प्रवेश होता है। वह सूर्यदेव को कहती है कि इस दैत्य से पृथ्वी को बचाने के लिए उन्हें कष्ट करने की ज़रूरत नहीं है। वह पृथ्वीवासियों के जीवन को सुखी बनाने वाली जल, वायु और वनस्पति देवियों की रक्षा करेगी। वह सभी की रक्षा का आश्वासन देती है। बुद्धिदेवी प्रदूषण को मानव द्वारा विनाश होने की बात कहती है। तभी दैत्य प्रदूषण बताता है कि उसके अनेक सहायक हैं। रेडियोधर्मिता उसका नया सहायक है। रश्मिदेवी के पूछने पर वनदेवी बताती है कि रेडियोधर्मिता यूरेनियम जैसे तत्वों के परमाणु परीक्षण द्वारा पैदा होती है। दैत्य प्रदूषण इसकी हानियाँ बताता है कि रेडियोधर्मिता से मानव स्वयं घुट-घुटकर मरेगा। उसकी अगली पीढ़ी को वह पहचान भी नहीं पाएगा। उसका दूसरा साथी ध्वनि प्रदूषण है। जो बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े जहाज़ों, वाहनों, लाऊडस्पीकरों आदि से उत्पन्न होती है। जो थोड़े ही दिन में लाखों को बहरा बना देगी। वह बुद्धि को चुनौती देते हैं। बुद्धि उसकी चुनौती स्वीकार करती है और सूर्य देव, पवन देव आदि सभी को मानव कल्याण एवं पृथ्वी की सुरक्षा करने का आश्वासन देती है कि वह इस प्रदूषण को जड़ से ही समाप्त कर देगी। संसार से इसका उन्मूलन करना परम आवश्यक है। सूर्य देव भी लोक-कल्याण के कार्य में सफल होने का आशीर्वाद देते हैं। सभी खुश हो जाते हैं और पर्दा गिर जाता है।