PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

Hindi Guide for Class 9 PSEB झाँसी की रानी की समाधि पर Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
समाधि में छिपी राख की ढेरी किसकी है?
उत्तर:
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की है। राख की ढेरी समाधि में छिपी हुई है।

प्रश्न 2.
किस महान् लक्ष्य के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान दिया?
उत्तर:
अंग्रेजों से देश में स्वतंत्र कराने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान दिया था।

प्रश्न 3.
रानी लक्ष्मीबाई को कवयित्री ने ‘मरदानी’ क्यों कहा है?
उत्तर:
कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई को ‘मरदानी’ इसलिए कहा है क्योंकि मर्दो के समान शत्रु से युद्ध किया था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

प्रश्न 4.
रण में वीरगति को प्राप्त होने से वीर का क्या बढ़ जाता है?
उत्तर:
रण में वीरगति को प्राप्त करने पर वीर का मान बढ़ जाता है।

प्रश्न 5.
कवयित्री को रानी से भी अधिक रानी की समाधि क्यों प्रिय है?
उत्तर:
कवयित्री को रानी से भी अधिक रानी की समाधि इसलिए प्रिय है क्योंकि इससे उसे स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। वैसे भी सोने से अधिक सोने की भस्म कीमती होती है। उसी प्रकार रानी से अधिक उसकी समाधि मूल्य वाली है।

प्रश्न 6.
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि का ही गुणगान कवि क्यों करते हैं?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि का ही गुणगान कवि इसलिए करते हैं क्योंकि इसकी कहानी चिरस्थाई है जो कभी मिट नहीं सकती। उन्हें रानी के प्रति आदर, स्नेह और श्रद्धा है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :

प्रश्न 1.
यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजय-माला-सी।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति शाला-सी॥
सहे वार पर वार अन्त तक, लड़ी वीर बाला-सी।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी॥
उत्तर:
कवयित्री लिखती है कि इसी स्थान के आस-पास वे एक टूटी हुई विजय की माला के समान बिखर गई थी अर्थात् यहीं उनकी मृत्यु हुई थी। उनकी अस्थियाँ उसी समाधि में एकत्र करके रखी गई हैं। यह उनकी याद की स्थली है। उन्होंने शत्रुओं के वार पर वार अंत समय तक सहन किए थे। वे एक वीरांगना के समान लड़ी थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में आहुति के समान गिर कर चिता पर चढ़ गईं और एक ज्वाला के समान चमक उठीं।

प्रश्न 2.
बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से॥
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी॥
उत्तर:
कवयित्री कहती है कि जब कोई वीर युद्ध क्षेत्र में अपना बलिदान दे देता है तो उसका आदर-सत्कार उसी प्रकार बढ़ जाता है जैसे सोने की भस्म सोने से भी अधिक कीमती होती है। इसलिए कवयित्री को अब रानी से भी अधिक रानी की यह समाधि प्यारी है क्योंकि यहाँ स्वतंत्रता प्राप्त करने की आशा रूपी चिंगारी छिपी हुई है।

प्रश्न 3.
इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते॥
पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी।
स्नेह और श्रद्धा से गाती, है वीरों की बानी॥
उत्तर:
कवयित्री के अनुसार इस समाधि से सुंदर समाधियाँ हमें इस संसार में मिलती हैं। उनके संबंध में जो भी कथा होगी उसे आधी रात को तुच्छ जीव ही गाते हैं। परन्तु कवियों की अमर वाणी में इस झाँसी की रानी की समाधि की तो कभी भी न गिरने वाली अमर कहानी कही जाती है जिसे वीर अपने स्वर में अत्यंत श्रद्धा और स्नेहपूर्वक गाते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिएएकवचन बहुवचन

एकवचन – बहुवचन
रानी – रानियाँ
समाधि – ————
ढेरी – ————
प्यारी – ————
चिनगारी – ————
कहानी – ————
माला – ————
शाला – ————
चिता – ————
ज्वाला – ————
बाला – ————
गाथा – ————
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
रानी – रानियाँ
समाधि – समाधियाँ
ढेरी – ढेरियाँ
प्यारी – प्यारियाँ
चिनगारी – चिनगारियाँ
कहानी – कहानियाँ
माला – मालाएँ
शाला – शालाएँ
चिता – चिताएँ
ज्वाला – ज्वालाएँ
बाला – बालाएँ
गाथा – गाथाएँ

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

2. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए

अशुद्ध – शुद्ध
सुतंत्रता – स्वतंत्रता
लघू – ————
भगन – ————
मुल्यवती – ————
कशुद्र – ————
श्रधा – ————
आरति – ————
स्थलि – ————
आहूति – ————
भसम – ————
कवीयों – ————
जंतू – ————
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
सुतंत्रता – स्वतंत्रता
लघू – लघु
भगन – भग्न
मुल्यवती – मूल्यवती
कशुद्र – कशुद्र
श्रधा – श्रद्धा
आरति – आरती
स्थलि – स्थली
आहूति – आहुति
भसम – भस्म
कवीयों – कवियों
जंतू – जंतु

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

(ग) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
रानी लक्ष्मीबाई की पूरी जीवनी पुस्तकालय से पुस्तक लेकर पढ़ें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
रानी लक्ष्मीबाई के अतिरिक्त दर्गाभाभी (क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा की धर्मपत्नी), झलकारी बाई, सनीति चौधरी, सुहासिनी गांगुली, विमल प्रतिभा देवी (भारत नौजवान सभा, बंगाल शाखा की अध्यक्ष) आदि की जीवनियों के बारे में पुस्तकों/इंटरनेट से जानकारी ग्रहण करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता सेनानियों से सम्बन्धित डाक टिकटों/सिक्कों अथवा चित्रों का संग्रह करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

प्रश्न 4.
पंजाब के अमर शहीदों जैसे लाला लाजपतराय, भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, मदनलाल ढींगरा आदि के बारे में पढ़ें व इनके जीवन से देशभक्ति की प्रेरणा लें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 5.
झाँसी की आधिकारिक वेबसाइट (www. jhansi.nic.in) पर झाँसी/रानी झाँसी से सम्बन्धित दुर्लभ चित्रों का अवलोकन करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

(घ) ज्ञान-विस्तार

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

1. झाँसी : झाँसी भारत के उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। यह उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यह शहर बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है।

2. झाँसी के दर्शनीय स्थल : झाँसी-किला, रानी-महल, झाँसी-संग्रहालय, महालक्ष्मी मंदिर, गणेश-मंदिर व गंगाधर राव की छतरी।

3. रानी लक्ष्मीबाई :
लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर, सन् 1828 ई० को काशी (बाद में बनारस और अब वाराणसी) के भदैनी नगर में हुआ। लक्ष्मीबाई की जन्म तिथि के बारे में इतिहासकारों/विद्वानों की एक राय नहीं है। कुछ विद्वान् इनका जन्म 19 नवम्बर, सन् 1835 को मानते हैं। इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी बाई था। लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था किन्तु सभी इसे प्यार से मनु कहते थे। मनु का विवाह झाँसी के महाराज गंगाधर राव से हुआ था। विवाह के बाद मनु का नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। इस तरह मनु झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बन गई। सन् 1851 को रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया किन्तु कुछ ही महीने बाद गंभीर रूप से बीमार होने पर इस बालक की चार महीने की उम्र में ही मृत्यु हो गई। तत्पश्चात् महाराज बीमार रहने लगे और उन्होंने एक बच्चे को गोद लिया। इस बालक का नाम दामोदर राव रखा गया। किन्तु महाराज का स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा था अत: कहते हैं कि पुत्र गोद लेने के दूसरे ही दिन महाराज की भी मृत्यु हो गई। अंग्रेज़ों ने गोद लिए हुए पुत्र को राजा मानने से इन्कार कर दिया। वे झाँसी को अपने अधीन करना चाहते थे किन्तु रानी ने अंग्रेजों को घोषणा की कि मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी। तत्पश्चात् रानी और अंग्रेज़ों में भयंकर युद्ध हुआ और 18 जून, सन् 1858 को रानी अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई। (कुछ इतिहासकार यह मानते हैं कि रानी 17 जून, सन् 1858 को शहीद हुई थीं अतः जन्म तिथि की ही भाँति इनकी शहादत की तिथि पर भी मतभेद है।)

4. रानी लक्ष्मीबाई पर डाक टिकट :
भारत सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई पर वर्ष 1957 को पंद्रह पैसे का एक डाक टिकट जारी किया। इसके बाद वर्ष 1988 को भारत सरकार ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के प्रमुख सेनानियों के लिखे नामों (रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल, नाना साहब, मंगल पांडे, बहादुर शाह ज़फर) का डाक टिकट जारी किया जिसमें रानी लक्ष्मीबाई का नाम सबसे ऊपर दर्ज है।

5. झलकारी बाई :
रानी लक्ष्मीबाई की सेना की महिला शाखा ‘दुर्गा दल’ की सेनापति थी-झलकारी बाई। इसकी वीरता के किस्से भी झाँसी में प्रसिद्ध हैं। कहते हैं कि रानी की हमशक्ल होने के कारण इसने कई बार अंग्रेज़ों को धोखा दिया। मैथिलीशरण गुप्त ने झलकारी बाई की बहादुरी पर लिखा है

“जाकर रण में ललकारी थी, वह तो झाँसी की झलकारी थी
गोरों से लड़ना सिखा गई, है इतिहास में झलक रही
वह तो भारत की ही नारी थी।”
भारत सरकार ने 22 जुलाई, सन् 2001 को झलकारी बाई का चार रुपए का डाक टिकट जारी किया।

6. बुदेलखंड :
बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। यूं तो बुंदेलखंड क्षेत्र दो राज्यों-उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में विभाजित है परन्तु भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह एक-दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़ा है। रीतिरिवाजों, भाषा और विवाह सम्बन्धों के कारण इसकी एकता और भी मज़बूत हुई है। बुंदेली इस क्षेत्र की बोली है। इतिहासकारों के अनुसार बुंदेलखंड में 300 ई० पूर्व मौर्य शासन काल के साक्ष्य उपलब्ध हैं। इसके बाद वाकाटक शासन, गुप्त, कलचुरी, चंदेल, बुंदेल शासन, मराठा शासन और अंग्रेज़ों का शासन रहा।

7. बुंदेले हरबोले : बुंदेले हरबोले बुंदेलखंड की एक जाति विशेष है। इस जाति के लोग राजा-महाराजाओं के यश का गुणगान करने के लिए जाने जाते हैं।

8. बुंदेलखंड की अमर विभूतियाँ विशिष्ट व्यक्तित्व

  • आल्ह-ऊदल : आल्ह और ऊदल ये दो भाई थे। ये बुंदेलखंड (महोबा) के वीर योद्धा थे। इनकी वीरता की कहानी उत्तर भारत में गायी जाती है।
  • कवि पद्माकर : रीतिकालीन कवि।
  • रानी लक्ष्मीबाई : प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की अमर सेनानी।
  • मैथिलीशरण गुप्त : राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिंदी साहित्य के देदीप्यमान नक्षत्र हैं। इनका जन्म झाँसी (उत्तर प्रदेश) के चिरगांव में हुआ।
  • डॉ० हरिसिंह गौर : डॉ० हरिसिंह गौर सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, शिक्षा शास्त्री, ख्याति प्राप्त विधिवेत्ता, समाज सुधारक, साहित्यकार, महान् दानी व देशभक्त थे। ये दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली तथा नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर के उपकुलपति भी रहे हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

PSEB 9th Class Hindi Guide झाँसी की रानी की समाधि पर Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका ने समाधि में किस के छिपे होने की बात कही है?
उत्तर:
लेखिका ने समाधि में राख की एक ढेरी के दबे होने की बात कही है। वह राख झाँसी की रानी की मृतक देह की है। रानी ने सारे देश में स्वतंत्रता की प्राप्ति की आग सुलझा दी थी।

प्रश्न 2.
रानी का देहांत कहाँ हुआ था और कैसे?
उत्तर:
रानी का देहांत उनकी समाधि के आस-पास ही किसी जगह पर हुआ था। वह अंग्रेजों से युद्ध लड़ते हुए विजय की माला के समान वहाँ बिखर गई थी। उसने अपने शरीर पर शत्रु की तलवारों के अनेक वार झेले थे और अंत में आहुति की तरह वहीं चिता पर भस्म हो गई थी।

प्रश्न 3.
वीरों का मान किस प्रकार बढ़ जाता है?
उत्तर:
वीरों का मान युद्ध भूमि में अपना जीवन देश के लिए अर्पित कर देने से बढ़ जाता है।

प्रश्न 4.
बलिदानी वीरों की राख का मूल्य कैसा होता है?
उत्तर:
बलिदानी वीरों की राख का मूल्य सोने की भस्म से भी अधिक होता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

प्रश्न 5.
कवि के अनुसार अब हमें रानी की समाधि कैसी लगती है और क्यों?
उत्तर:
कवि के अनुसार अब हमें रानी की समाधि रानी से भी अधिक प्यारी लगती है क्योंकि उसमें हमारे देश की स्वतंत्रता की चिंगारी छिपी हुई है।

प्रश्न 6.
हमारे देश में वीर देशभक्तों की बानी कैसे गाई जाती है?
उत्तर:
हमारे देश में वीर देशभक्तों की बानी अत्यंत स्नेह और श्रद्धा से गाई जाती हैं।

प्रश्न 7.
कवयित्री ने झाँसी की रानी की कहानी किससे सुनी थी?
उत्तर:
कवयित्री ने झाँसी की रानी की कहानी बुंदेल हरबोलों के मुख से सुनी थी।

प्रश्न 8.
कवयित्री ने ‘मरदानी’ किसे कहा है?
उत्तर:
कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई को ‘मरदानी’ कहा है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ कविता किस के द्वारा रचित है?
उत्तर:
सुभद्राकुमारी चौहान।

प्रश्न 2.
‘झाँसी की रानी’ का क्या नाम था?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई।

प्रश्न 3.
रानी लक्ष्मीबाई को कवयित्री ने क्या कहकर संबोधित किया है?
उत्तर:
लक्ष्मी मरदानी।

प्रश्न 4.
वीर का मान कब बढ़ जाता है?
उत्तर:
जब वह रणभूमि में शहीद हो जाता है।

प्रश्न 5.
कवयित्री ने किनके मुख से झाँसी की रानी की कहानी सुनी थी?
उत्तर:
बुंदेलों के।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
बलिदानी वीरों की राख का मूल्य सोने की भस्म से भी अधिक होता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
रानी से भी अधिक हमें अब यह समाधि है प्यारी।
उत्तर:
हाँ।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
रानी लक्ष्मीबाई ने अंत तक वार नहीं सहे थे।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 9.
रानी लक्ष्मीबाई के फूल इस समाधि में संचित हैं।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
यहाँ ….. है ….. की, ……. की चिनगारी।
उत्तर:
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी।

प्रश्न 11.
स्नेह और ……… से गाती है, …….. की बानी।
उत्तर:
स्नेह और श्रद्धा से गाती है, वीरों की बानी।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
रानी लक्ष्मीबाई ने स्वतंत्रता की दिव्य आरती कैसे फेरी थी-
(क) जलकर
(ख) चलकर
(ग) गाकर
(घ) तपकर।
उत्तर:
(क) जलकर।

प्रश्न 13.
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि को कवयित्री ने कौन-सी स्थली बताया है?
(क) क्रीड़ा
(ख) लीला
(ग) जीवन
(घ) संघर्ष।
उत्तर:
(ख) लीला।

प्रश्न 14.
रानी लक्ष्मीबाई चिता पर आहुति-सी गिरकर कैसी चमकी?
(क) चिंगारी-सी
(ख) ज्वाला-सी
(ग) बिजली-सी
(घ) चाँदनी-सी।
उत्तर:
(ख) ज्वाला-सी।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

प्रश्न 15.
कवियों की ‘गिरा’ में रानी की समाधि की कैसी कहानी है?
(क) अमर
(ख) अनाम
(ग) अमिट
(घ) अनंत।
उत्तर:
(ग) अमिटी

झाँसी की रानी की समाधि पर सप्रसंग व्याख्या

1. इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी।
जलकर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी॥
यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की।
अंतिम लीला स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की॥

शब्दार्थ:
समाधि = किसी की चिता पर बनाए जाने वाले स्मारक। दिव्य = अलौकिक। लघु = छोटी-सी। अंतिम = आखिरी। लीला-स्थली = कार्य करने का स्थान। मरदानी = मर्दो जैसी।

प्रसंग:
यह काव्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को स्मरण किया है।

व्याख्या:
कवयित्री का मानना है कि इस झाँसी की रानी की समाधि में एक राख की ऐसी ढेरी छिपी हुई है जिसने स्वयं जलकर स्वतंत्रता की अलौकिक आरती फेरी थी। यह समाधि, यह जो छोटी-सी समाधि है, वह झाँसी की रानी की समाधि है। यह उनके युद्ध क्षेत्र का अंतिम स्थान है, यह उस मों जैसी लक्ष्मीबाई की समाधि है।

विशेष:

  1. झाँसी की रानी के बलिदान से देश में स्वतंत्रता प्राप्त करने की लहर उत्पन्न हो गई थी।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

2. यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजय-माला-सी।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति शाला-सी॥
सहे वार पर वार अन्त तक, लड़ी वीर बाला-सी।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी॥

शब्दार्थ:
भग्न = टूटी हुई। विजय-माला = जीत की माला। फूल = अस्थियाँ। संचित = एकत्र किए हुए, जमा। स्मृति = याद। बाला = युवती। ज्वाला = आग की लपट।

प्रसंग;
प्रस्तुत काव्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ से लिया गया है। इसमें उन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री लिखती है कि इसी स्थान के आस-पास वे एक टूटी हुई विजय की माला के समान बिखर गई थी अर्थात् यहीं उनकी मृत्यु हुई थी। उनकी अस्थियाँ उसी समाधि में एकत्र करके रखी गई हैं। यह उनकी याद की स्थली है। उन्होंने शत्रुओं के वार पर वार अंत समय तक सहन किए थे। वे एक वीरांगना के समान लड़ी थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में आहुति के समान गिर कर चिता पर चढ़ गईं और एक ज्वाला के समान चमक उठीं।

विशेष:

  1. झाँसी की रानी के अंतिम समय तक शत्रुओं से युद्ध कर आत्म-बलिदान देने का वर्णन है।
  2. भाषा सहज, सरल, भावपूर्ण है। अनुप्रास तथा उपमा अलंकार है।

3. बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से॥
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी॥

शब्दार्थ:
मान = सम्मान, आदर। रण = युद्ध । मूल्यवती = कीमती। यथा = जैसे। निहित = छिपी हुई।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री कहती है कि जब कोई वीर युद्ध क्षेत्र में अपना बलिदान दे देता है तो उसका आदर-सत्कार उसी प्रकार बढ़ जाता है जैसे सोने की भस्म सोने से भी अधिक कीमती होती है। इसलिए कवयित्री को अब रानी से भी अधिक रानी की यह समाधि प्यारी है क्योंकि यहाँ स्वतंत्रता प्राप्त करने की आशा रूपी चिंगारी छिपी हुई है।

विशेष:

  1. कवयित्री को इस समाधि से भविष्य में स्वतंत्रता प्राप्त करने की प्रेरणा प्राप्त होती है।
  2. भाषा भावपूर्ण सरस तथा सरल है। उदाहरण अलंकार है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

4. इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते॥
पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी।
स्नेह और श्रद्धा से गाती, है वीरों की बानी॥

शब्दार्थ:
जग = संसार। गाथा = कथा, कहानी। निशीथ = आधी रात। क्षुद्र = तुच्छ, छोटे। गिरा = बाणी। अमिट = कभी न मिटने वाली।।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री के अनुसार इस समाधि से सुंदर समाधियाँ हमें इस संसार में मिलती हैं। उनके संबंध में जो भी कथा होगी उसे आधी रात को तुच्छ जीव ही गाते हैं। परन्तु कवियों की अमर वाणी में इस झाँसी की रानी की समाधि की तो कभी भी न गिरने वाली अमर कहानी कही जाती है जिसे वीर अपने स्वर में अत्यंत श्रद्धा और स्नेहपूर्वक गाते हैं।

विशेष:

  1. झाँसी की रानी के बलिदान की अमर गाथा कवि और वीर आज भी श्रद्धापूर्वक गाते हैं।
  2. भाषा सरल, सरस, भावपूर्ण है।

5. बुंदेले हर बोलों के मुख, हमने सुनी कहानी।
खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी॥
यह समाधि यह चिर समाधि है, झाँसी की रानी की।
अन्तिम लीला स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की।

शब्दार्थ:
बुंदेले = बुंदेलखंड के। हर बोलों = चारण, भाट, यशगान गाने वाले। चिर = सदा रहने वाली, स्थाई।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ से ली गई हैं। इसमें कवयित्री ने झाँसी की रानी के बलिदान के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त की हैं।

व्याख्या:
कवयित्री कहती है कि हमने बुंदेलखंड के यशोगान करने वालों के मुख से यह कहानी सुनी है कि वह मरदानी खूब डट कर लड़ी थी, वह झाँसी वाली रानी थी। यह उनकी लंबे समय तक बनी रहने वाली समाधि है। यह झाँसी की रानी की समाधि है। यह उनके अंतिम युद्ध क्षेत्र की स्थली है। लक्ष्मीबाई वास्तव में ही मरदानी वीरांगना थीं। .

विशेष:

  1. रानी लक्ष्मीबाई का वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए बलिदान देना उनकी इस समाधि के रूप में सदा स्मरण रहेगा।
  2. भाषा सरल, सहज भावपूर्ण है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

झाँसी की रानी की समाधि पर Summary

झाँसी की रानी की समाधि पर कवि-परिचय

जीवन-परिचय:
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म सन् 1904 ई० की नागपंचमी के दिन प्रयाग में हुआ था। कुछ विद्वान् इनका जन्म सन् 1905 ई० में मानते हैं। इनके पिता का नाम ठाकुर राम नाथ सिंह था। इनकी शिक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में हुई थी। जब ये आठवीं कक्षा में पढ़ रही थीं तब इनका विवाह स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण सिंह से हो गया था। स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भाग लेने के कारण इन्हें भी कई बार जेल जाना पड़ा था। इनका समग्र जीवन संघर्षमय रहा था। सन् 1948 ई० की बसंत पंचमी के दिन इनका निधन हो गया था।

रचनाएँ:
इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ ‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’ हैं। इनकी ‘झाँसी की रानी’ कविता भाषा, भाव, छंद की दृष्टि से सुप्रसिद्ध वीर गीत है। इनकी अन्य प्रसिद्ध कविताएँ ‘वीरों का कैसा हो वसंत’, ‘राखी की चुनौती’, ‘जलियाँवाला बाग में बसंत’ आदि हैं। इन्होंने अनेक यथार्थवादी मार्मिक कहानियाँ भी लिखी हैं।

विशेषताएँ:
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं में राष्ट्रप्रेम, वीरों के प्रति श्रद्धा, तत्कालीन परिस्थितियों का यथार्थ अंकन प्राप्त होता है। उनकी मान्यता थी कि “परीक्षाएँ जब मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य को क्षत-विक्षत कर डालती हैं, तब उनमें उत्तीर्ण होने-न-होने का कोई मूल्य नहीं रह जाता।” उनके मन का गंभीर, ममता-सजल और वीरभाव है वह उनकी कविताओं में झलकता है। जीवन के प्रति ममता भरा विश्वास ही उनके काव्य का प्राण माना जाता है

“सुख भरे सुनहले बादल, रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास प्रेम साहस है, जीवन के साथी मेरे।”

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

झाँसी की रानी की समाधि पर कविता का सार

‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ कविता में कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने अंग्रेज़ी सेना के साथ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में युद्ध करते हुए अपने प्राणों का आहुति देने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है। उनके अनुसार इस समाधि में एक ऐसी राख की ढेरी छिपी हुई है जिसने स्वयं जल कर भारत की स्वतंत्रता की चिंगारी को भड़काया था। इसी स्थल पर युद्ध करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इस प्रकार युद्ध क्षेत्र में अपने प्राणों का बलिदान देने से वीरों का आदर-सत्कार बढ़ जाता है। इसलिए अब हमें रानी से भी अधिक उनकी समाधि प्रिय है क्योंकि यह हमें भविष्य में स्वतंत्रता दिलाने की आशा दिलाती है। संसार. में इससे भी सुंदर समाधियाँ होंगी परन्तु कवियों ने अपनी वाणी से इस समाधि की अमर गाथा गाई है। कवयित्री ने बुंदेलखंड के यशोगान गायकों से झाँसी की रानी की मर्यों के समान युद्ध करने की गाथा सुनी थी। यह उसी रानी की सदा रहने वाली समाधि है जो उनके युद्ध क्षेत्र का अंतिम स्थल था।

Leave a Comment