PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 4 प्राथमिक सहायता

PSEB 9th Class Physical Education Guide प्राथमिक सहायता Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
डॉक्टरी सहायता के मिलने से पहले जो रोगी या घायल की चिकित्सा की जाती है, उसे प्राथमिक सहायता (First Aid) कहते हैं।

प्रश्न 2.
फ्रैक्चर का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
किसी हड्डी के टूटने या उसमें दरार पड़ जाने को फ्रैक्चर कहा जाता है।

प्रश्न 3.
बेहोशी क्या है ?
उत्तर-
बेहोशी का अर्थ है चेतना का खोना।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 4.
विद्युत् का झटका क्या है ?
उत्तर-
विद्युत् की नंगी तार जिसमें धारा प्रवाहित हो रही हो, के अचानक हाथ से लगने से जो झटका लगता है।

प्रश्न 5.
फ्रैक्चर की किन्हीं दो किस्मों के नाम लिखें।
उत्तर-
(1) सरल फ्रैक्चर (2) बहुखण्ड फ्रैक्चर ।

प्रश्न 6.
जटिल फ्रैक्चर अधिक हानिकारक होता है। ठीक अथवा ग़लत?
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 7.
दबी हुई फ्रैक्चर का नुकसान नहीं होता ? ठीक अथवा ग़लत ?
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 8.
बेहोशी के कोई दो चिन्ह लिखें।
उत्तर-

  1. रोगी की नब्ज़ धीरे-धीरे चलती है
  2. त्वचा ठण्डी हो जाती है।

प्रश्न 9.
जोड़ का उतरना क्या होता है ?
उत्तर-
हड्डी का जोड़ वाले स्थान से खिसकना, जोड़ उतरना (Dislocation) कहलाता

प्रश्न 10.
पट्टे के तनाव अथवा मोच में अन्तर होता है ?
उत्तर-
हां, अन्तर होता है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता के विषय में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about First Aid ?)
उत्तर-
हमारे दैनिक जीवन में प्रायः दुर्घनाएं तो होती रहती हैं। स्कूल जाते समय साइकिल से टक्कर, खेल के मैदान में चोट लग जाना आदि। प्रायः घटना स्थल पर डॉक्टर उपस्थित नहीं होता। डॉक्टर के पहुंचने से पहले रोगी या घायल को जो सहायता दी जाती है, उसे प्राथमिक सहायता (First Aid) कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता के क्या नियम हैं ?
(Describe the various rules of First Aid ?)
उत्तर-
प्राथमिक सहायता के मुख्य नियम इस प्रकार हैं –

  • रोगी को हमेशा आरामदायक हालत में रखो।
  • रोगी को हमेशा धैर्य देना चाहिए।
  • रोगी को प्रेम और हमदर्दी देनी चाहिए।
  • यदि खून बह रहा हो तो सबसे पहले खून बन्द करने का प्रबन्ध करना चाहिए।
  • भीड़ को अपने इर्द-गिर्द से दूर कर दो।
  • रोगी के कपड़े इस ढंग से उतारो जिससे उसे कोई तकलीफ़ न हो।
  • उसे तुरन्त डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
  • उतनी देर तक सहायता देते रहना चाहिए जितनी देर तक उसमें प्राण बाकी हैं।
  • यदि सांस रुकता हो तो बनावटी सांस देने का प्रबन्ध करना चाहिए।
  • यदि ज़ख्म छिल गया हो तो उसे साफ़ करके पट्टी बांध दो।
  • दुर्घटना के समय जिस चीज़ की पहले आवश्यकता हो उसे पहले करना चाहिए।
  • रोगी को नशीली चीज़ न दो।
  • हड्डी टूटने की हालत में रोगी को ज्यादा हिलाना-जुलाना नहीं चाहिए।
  • रोगी को हमेशा खुली हवा में रखो।
  • यदि रोगी सड़क पर धूप में पड़ा हो तो उसे ठंडी छांव में पहुंचाना चाहिए।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता क्या होती है ? इसकी हमें क्यों ज़रूरत है ?
(What is First Aid ? Why we need it ?)
उत्तर-
हमारे जीवन में प्रायः दुर्घटनाएं होती रहती हैं। खेल के मैदान में खेलते समय, सड़क पर चलते समय, स्कूल की प्रयोगशाला में काम करते समय, घर में सीढ़ियां चढ़तेउतरते समय, रसोई घर में काम करते हुए या स्नानागृह में स्नान करते समय व्यक्ति किसी भी प्रकार की दुर्घटना का शिकार हो सकता है। कई बार खेल के मैदान में अनेक दुर्घटनाएं हो जाती हैं। इन दुर्घटनाओं से बचाव के लिए आवश्यक है कि खेल का मैदान न ही अधिक कठोर हो और नन्ही अधिक नर्म। खेल का सामान भी ठीक प्रकार का बना हो और खेल किसी कुशल-प्रबन्धक की देख-रेख में खेली जाए। ऐसे समय यह तो सम्भव नहीं कि डॉक्टर हर जगह मौजूद हो। डॉक्टर के पहुंचने से पहले या डॉक्टर तक ले जाने से पहले उपलब्ध साधनों से दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को जो सहायता दी जाती है, उसे प्राथमिक सहायता कहते हैं।

इस प्रकार डॉक्टरी सहायता के मिलने से पहले जो रोगी या घायल की चिकित्सा की जाती है, उसे प्राथमिक सहायता (First Aid) कहते हैं।
यदि घायल या दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को प्राथमिक सहायता प्रदान न की जाए तो हो सकता है कि घटना स्थल पर ही दम तोड़ दे।
अन्त में हम यह कह सकते हैं कि प्राथमिक सहायता घायल या रोगी के लिए जीवनरूपी अमृत के समान है। इसलिए प्राथमिक सहायता जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।

प्रश्न 4.
हॉकी खेलते समय यदि तुम्हारे घुटने की हड्डी उतर जाए तो आप क्या करोगे ?
(What will you do if you got dislocation of your knee joint while playing Hockey ?)
उत्तर-
यदि हॉकी खेलते समय मेरे घुटने की हड्डी उतर जाये तो मैं इसका इलाज इस प्रकार करूंगा हड्डी को इलास्टिक वाली पट्टी बांधूगा। मैं यह पूरी कोशिश करूंगा कि चोट वाली जगह पर किसी भी प्रकार का भार न पड़े। चोट वाली जगह पर स्लिग डाल लूंगा ताकि हड्डी में हिलजुल न हो।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायक (First Aider) के गुणों और कर्तव्यों का वर्णन करो।
(What are the qualities and duties of First Aider ?)
उत्तर–
प्राथमिक सहायक में निम्नलिखित गुण होने चाहिएं –

  • प्राथमिक सहायक चुस्त तथा समझदार हो।
  • वह शैक्षणिक योग्यता रखता हो।
  • उसमें सहन-शक्ति होनी चाहिए।
  • उसका दूसरों से व्यवहार अच्छा हो।
  • दूसरों से किसी प्रकार का भेद-भाव न करे।
  • प्रत्येक कार्य को तेज़ी से करे।
  • उसका स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए।
  • उसका चरित्र अच्छा हो।
  • उसमें यह शक्ति होनी चाहिए कि कठिन से कठिन कार्य को आसानी से करे।
  • वह ईमानदार होना चाहिए।
  • वह चुस्त होना चाहिए।
  • उसमें योजना बनाने की शक्ति होनी चाहिए।
  • प्राथमिक सहायक सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए।
  • वह साहस वाला होना चाहिए।
  • प्राथमिक सहायक सोचने की शक्ति वाला होना चाहिए।

प्राथमिक सहायक के कर्त्तव्य इस प्रकार हैं –

  1. पहला कार्य पहले करना चाहिए।
  2. रोगी को सदैव हौसला देना चाहिए।
  3. जितना शीघ्र हो सके डॉक्टर का प्रबन्ध करना चाहिए।
  4. यदि आवश्यक हो तो रोगी के कपड़े आवश्यकतानुसार उतार देने चाहिएं।
  5. रोगी के प्राण बचाने के लिए अन्तिम श्वास तक सहायता करनी चाहिए।
  6. रोगी को सदैव आराम की दशा में रखें।
  7. रोगी के इर्द-गिर्द शोर न हो।
  8. यदि रक्त बह रहा हो तो रक्त को बन्द करने का प्रबन्ध पहले करना चाहिए।
  9. रोगी को सदैव खुली वायु में रखें।
  10. यदि दुर्घटना बिजली के करंट या गैस से हुई हो तो एक-दम बिजली या गैस बन्द कर दें।

प्रश्न 2.
पट्टे के तनाव से क्या अभिप्राय है ? इसके कारण, चिन्ह तथा उपचार का वर्णन करो।
(What is strain ? Describe its causes, symptoms and treatment.)
उत्तर-
मांसपेशियों के खिंचाव को ही मांसेपशियों का तनाव कहते हैं। ऐसी दशा में मांसपेशियों में सूजन आ जाती है तथा अत्यधिक पीड़ा होती है।
मांसपेशियों में तनाव के कारण (Causes of Strain) मांसपेशियों में तनाव के . कारण निम्नलिखित हैं –

  • शरीर में से पसीने के रूप में पानी का निकास हो जाना।
  • आवश्यकता से अधिक थकावट।
  • शरीर के अंगों का परस्पर समन्वय न होना।
  • खेल के मैदान का अधिक कठोर होना।
  • मांसपेशियों को एक दम हरकत में लाना।
  • शरीर को गर्म (Warm up) न करना।
  • खेल के सामान का ठीक न होना।
  • शरीर की शक्ति का उचित अनुपात में न होना।

चिन्ह (Symptoms)-

  • मांसपेशियों में अचानक खिंचाव सा आ सकता है।
  • मांसपेशियां कमज़ोरी के कारण काम करने के योग्य नहीं रहतीं।
  • चोट लगने के एक दम बाद पीड़ा महसूस होती है।
  • चोट वाली जगह पर गड्डा दिखाई देता है।
  • कभी-कभी चोट वाली जगह के आस-पास की जगह नीले रंग की हो जाती है।
  • चोट वाली जगह नर्म लगती है।

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बचाव (Safety Measures) –

  • खेल का मैदान समतल व साफ़-सुथरा होना चाहिए। इसमें कंकर आदि बिखरे नहीं होने चाहिएं।
  • ऊंची तथा लम्बी छलांग के अखाड़े नर्म रखने चाहिएं।
  • खिलाड़ियों को चोटों से बचने के लिए आवश्यक शिक्षा देनी चाहिए।
  • खेल आरम्भ करने से पहले कुछ हल्के व्यायाम करके शरीर को गर्म (Warm up) करना चाहिए।
  • गीले या फिसलन वाले मैदान पर नहीं खेलना चाहिए।
  • खेल का सामान अच्छी प्रकार का होना चाहिए।
  • खिलाड़ियों को परस्पर सद्भावना रखनी चाहिए। खेल कभी क्रोध में आकर नहीं खेलना चाहिए।

इलाज (Treatment)-

  • चोट वाली जगह पर ठंडे पानी की पट्टी या बर्फ़ रखनी चाहिए।
  • चोट वाली जगह पर भार नहीं डालना चाहिए।
  • चोट वाली जगह के अंग को हिलाना नहीं चाहिए।
  • चोट वाली जगह पर 24 घण्टे पश्चात् सेंक या मालिश करना चाहिए।

प्रश्न 3.
मोच के क्या कारण हैं ? इसकी निशानियों तथा उपचार के बारे में वर्णन करो।
(What is sprain ? Discuss its causes, symptoms and treatment.)
उत्तर-
किसी जोड़ के बन्धनों के फट जाने को मोच कहते हैं।

कारण (Causes)-

  • गीले या फिसलन वाले मैदान में खेलना।
  • मैदान में पड़े कंकर आदि का पांव के नीचे आ जाना।
  • खेल के मैदान में गड्डे आदि का होना।
  • अनजान-खिलाड़ी का गलत ढंग से खेलना।
  • अखाड़ों की ठीक तरह से गोडी न करना।

चिन्ह (Symptoms)-

  • थोड़ी देर के बाद मोच वाली जगह पर सूजन होने लगती है।
  • सूजन वाली जगह पर पीड़ा होने लगती है।
  • मोच वाले भाग की सहन करने, कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है।
  • गम्भीर मोच की दशा में जोड़ की ऊपरी त्वचा का रंग नीला हो जाता है।

इलाज (Treatment)-मोच.का इलाज इस प्रकार है-

  • मोच वाले स्थान को अधिक हिलाना नहीं चाहिए।
  • घाव वाले स्थान पर 48 घण्टे तक पानी की पट्टियां रखनी चाहिएं।
  • मोच वाले स्थान पर आठ के आकार की पट्टी बांधनी चाहिए।
  • मोच वाले स्थान पर भार नहीं डालना चाहिए।
  • यदि हड्डी टूटी हो तो एक्सरे करवाना चाहिए।
  • 48 से 72. घण्टे के पश्चात् ही सेंक देना चाहिए।
  • मोच वाले स्थान को सदैव ध्यान से रखना चाहिए। जहां एक बार मोच आ जाए, दोबारा फिर आ जाती है। (“Once a sprain, always a sprain.”)
  • मोच ठीक होने के पश्चात् ही क्रियाएं करनी चाहिएं।

प्रश्न 4.
जोड़ के उतरने के कारण, चिन्ह तथा इलाज बताओ।
(Write down the causes, symptoms and treatment of dislocation of joints.)
उत्तर-
हड्डी का जोड़ वाले स्थान से खिसकना जोड़ उतरना (Dislocation) कहलाता है।

कारण (Causes)-

  • किसी बाहरी भार के तेज़ी से हड्डी से टकराने से हड्डी अपनी जगह छोड़ देती है।
  • खेल का सामान शारीरिक शक्ति से अधिक भारी होना।
  • खेल के मैदान का असमतल या अधिक कोठर या नर्म होना।
  • खेल में भाग लेने से पहले शरीर को हल्के व्यायामों से गर्म (Warm up) करना।
  • खिलाड़ी का अचानक गिर जाना।

चिन्ह (Symptoms) –

  • चोट वाली जगह बेढंगी सी दिखाई देती है।
  • चोट वाली जगह अपने आप हिल नहीं सकती।
  • चोट वाली जगह पर सूजन आ जाती है।
  • सोट वाली जगह पर पीड़ा होती है।

इलाज (Treatment)—जोड़ के खिसकने के इलाज इस प्रकार हैं –

  •  ह को इलास्टिक वाली पट्टी बांधनी चाहिए।
  • घाव वाले स्थान पर भार नहीं डालना चाहिए।
  • घ. पाले स्थान पर स्लिग डाल देना चाहिए ताकि हड्डी हिल न सके।
  • जोड़ को अधिक हिलाना नहीं चाहिए।
  • जोड़ को 48 से 72 घण्टे के पश्चात् ही सेंक देना चाहिए।

प्रश्न 5.
हड्डी की टूट या फ्रैक्चर के कारण, चिन्ह तथा इलाज बताओ।
(Mention the causes of Fracture, its symptoms and treatment.)
उत्तर-
हड्डी की टूट के कारण (Causes of Fracture) हड्डी की टूट के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

  • खिलाड़ी का बहुत जोश, खुशी या क्रोध में बेकाबू होकर खेलना।
  • बहुत सख्त या नर्म मैदान में खिलाड़ी का गिरना।
  • असमतल या फिसलने वाले मैदान में खेलना।
  • किसी योग्य और कुशल व्यक्ति की देख-रेख में खेल न खेला जाना।

चिन्ह (Symptoms)-

  • टूट वाली जगह के समीप सूजन हो जाती है।
  • टूट वाली जगह शक्तिहीन हो जाती है।
  • टूट वाली जगह पर पीड़ा होती है।
  • टूट वाली जगह बेढंगी हिल-जुल होती है।
  • अंग कुरुप हो जाता है।
  • हाथ लगा कर हड्डी की टूट का पता लगाया जा सकता है।

इलाज (Treatment)-

  • टूट वाली जगह को हिलाना नहीं चाहिए।
  • रक्त बहने की दशा में पहले रक्त को रोकने का प्रयास करना चाहिए।
  • घाव वाली जगह पर पट्टी बांध देनी चाहिए।
  • घायल को एक्स-रे के लिए ले जाना चाहिए।
  • टूट वाली जगह पर पट्टियों तथा चपटियों का सहारा बांधना चाहिए।
  • घायल को और इलाज के लिए डॉक्टर के पास पहुंचाना चाहिए।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 6.
मोच किसे कहते हैं ? इसके लिए प्राथमिक सहायता क्या हो सकती है ?
(What is sprain ? How you will render a first Aid to a person who got Sprain ?)
उत्तर-
मोच (Sprain)—किसी जोड़ के बन्धन (ligaments) का फट जाना मोच (Sprain) कहलाता है। साधारणतया टखने, घुटने, रीढ़ की हड्डी तथा कलाई को मोच आती है।
मोच के प्रकार (Type of Sprain)-मोच निम्नलिखित तीन प्रकार की होती है—

  • नर्म मोच (Mild Sprain)—इस दशा में मोच की जगह में कुछ कमज़ोरी, सूजन तथा पीड़ा अनुभव होती है।
  • दरमियानी मोच (Mediocre Sprain)—इस दशा में सूजन तथा पीड़ा में वृद्धि हो जाती है।
  • पूर्ण मोच (Complete Sprain)—इस दशा में पीड़ा इतनी अधिक हो जाती है कि सहन नहीं की जा सकती।

प्राथमिक सहायता (First Aid) –

  • जिस जगह पर चोट आई हो वहां ज़रा भी हिल-जुल नहीं होनी चाहिए।
  • चोट वाली जगह पर 48 घण्टे तक ठंडे पानी की पट्टियां रखनी चाहिएं।
  • मोच वाली जगह पर भार नहीं डालना चाहिए।
  • टखने में मोच आने की दशा में ‘आठ’ के आकार की पट्टी बांधनी चाहिए।
  • मोच वाली जगह पर 48 घण्टे से 72 घण्टे के पश्चात् सेंक देना वा मालिश करनी चाहिए।
  • हड्डी टूटने की आशंका होने पर एक्सरे करवाना चाहिए।
  • मोच ठीक होने के बाद योग क्रियाएं करनी चाहिएं।

प्रश्न 7.
फ्रैक्चर (टूट) की कितनी किस्में हैं ? सबसे खतरनाक टूट कौन-सी है ?
(Describe the types of Fracture ? Which is the most dangerous fracture ?)
उत्तर-
फ्रैक्चर का अर्थ (Meaning of Fracture)-किसी हड्डी के टूटने या उसमें दरार पड़ जाने को फ्रैक्चर कहा जाता है।
फ्रैक्चर के कारण-हड्डियों के टूटने या उसमें दरार पड़ जाने के कई कारण हो सकते हैं। इसमे से सबसे बड़ा कारण किसी प्रकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष चोट (Direct of Indirect Injury) हो सकती है।

फ्रैक्चर के प्रकार (Types of Fracture)
1. सरल या बन्द फ्रैक्चर (Simple or Closed Fracture)-जब कोई बाह्य घाव न हो जो टूटी हुई हड्डी तक जाता हो। देखें चित्र।
PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता (1)

2. खुला फ्रैक्चर (Compound or Open Fracture)-जब कोई ऐसा घाव हो जो टूटी
PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता (2)

हड्डी तक जाता हो अथवा जब हड्डी के टूटे हुए भाग चमड़ी या मांस को चीर कर बाहर निकल आते हैं और कीटाणु फ्रैक्चर वाले स्थान में प्रविष्ट हो जाते हैं। देखें चित्र।

3. जटिल फ्रैक्चर (Complicated Fracture)-हड्डी टूटने के साथ-साथ दिमाग़, फेफड़े, जिगर, गुर्दे पर चोट लगने से जोड़ भी उतर जाता है। एक जटिल फ्रैक्चर सरल या खुला हो सकता है।
इसके अतिरिक्त कई अन्य फैक्चर भी होते हैं जो प्राथमिक चिकित्सक को पता नहीं चलते। इनमें से मुख्य फ्रैक्चरों का विवरण नीचे दिया जाता है

4. बुहखण्ड फ्रैक्चर (Comminuted Fracture)-जब हड्डी कई स्थानों से टूट जाती है। देखो चित्र।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता (3)

5. पचड़ी फ्रैक्चर (Impacted Fracture) जब टूटी हड्डियों के सिरे एक-दूसरे में धंस जाते हैं। देखो चित्र।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता (4)

6. कच्चा या हरी लकड़ी जैसी फ्रैक्चर (Green Stick Fracture)—ऐसा फ्रैक्चर प्रायः छोटे बच्चों में होता है। उनकी हड्डियां कोमल होती हैं । जब उनकी हड्डी टूट जाती है तो वह पूरी तरह आर-पार निकल कर टेढ़ी हो जाती है या उसमें दराड़ आ जाती है। देखो चित्र।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता (5)

7. दबा हुआ फ्रैक्चर (Depressed Fracture)—जब खोपड़ी के ऊपर वाले भाग या उसके आस-पास कहीं हड्डी टूट जाए या अन्दर धंस जाए। देखें चित्र-पचड़ी फ्रैक्चर।। इनमें सबसे खरतनाक टूट या फ्रैक्चर जटिल फ्रैक्चर है। इस टूट के कारण मनुष्य का जीवन संकट में पड़ जाता है। इसलिए यह फ्रैक्चर सबसे भयानक है।

प्रश्न 8.
बेहोशी क्या है ? इसके चिन्हों तथा इलाज के बारे में बताओ।
(What is unconsciousness ? Mention its symptoms and treatment.)
उत्तर-
बेहोशी (Unconsciousness) बेहोशी का अर्थ है चेतना का खोना। चिन्ह (Symptoms) बहोशी के निम्नलिखित लक्षण होते हैं –

  • नब्ज़ धीमी चलती है।
  • त्वचा ठण्डी और चिपचिपी हो जाती है।
  • चेहरा पीला पड़ जाता है।
  • रक्त का दबाव कम हो जाता है।

इलाज (Treatment) –

  • रोगी की नब्ज़ और दिल की धड़कन अच्छी तरह देख लेनी चाहिए।
  • रोगी की जीभ को पिछली ओर खिसकने नहीं देना चाहिए।
  • यदि शरीर के कपड़े तंग हों तो उतार देने चाहिएं।
  • खुली वायु आने देनी चाहिए।
  • दिल पर मालिश करनी चाहिए।
  • सांस की गति कम होने की दशा में कृत्रिम सांस देना चाहिए।
  • रोगी को पूरा होश न आने तक मुंह के द्वारा कुछ खाने के लिए नहीं देना चाहिए।
  • जब तक रोगी होश में न आए उसे पानी या गर्म चीज़ पीने के लिए देनी चाहिए।
  • रोगी को स्पिरिट अमोनिया सुंघा देनी चाहिए। यदि यह न मिल सके तो प्याज़ ही सुंघा देना चाहिए।
  • जिस कारण से बेहोशी हुई हो उसका इलाज करना चाहिए।

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प्रश्न 9.
सांप के काटने की अवस्था में रोगी को आप कैसी प्राथमिक सहायता देंगे?
(What First Aid will you render to a patient in case of snake bite ?)
उत्तर-
सांप के काटने की अवस्था में प्राथमिक सहायता
(First Aid in case of Snake-bite) सांप के काटने से व्यक्ति की मृत्यु होने की सम्भावना हो सकती है। इसलिए ऐसे व्यक्ति को तुरन्त प्राथमिक सहायता दी जानी चाहिए। सांप द्वारा डंसे व्यक्ति को निम्नलिखित विधि द्वारा प्राथमिक सहायता देनी चाहिए –

  • रक्त परिभ्रमण को रोकना (Stopping the circulation of blood) सर्वप्रथम जिस अंग पर सांप ने डंसा है उस अंग में रक्त परिभ्रमण को रोकना चाहिए। इसके लिए हृदय की ओर वाले भाग के ऊपर के भाग को कपड़े के साथ या रस्सी के साथ कस कर बांध देना चाहिए। यह बन्धन पैर या भुजा के गिर्द घुटने या कुहनी के ऊपर बांधना चाहिए। प्रत्येक 10-20 मिनट के पश्चात् इस को आधे मिनट के लिए ढीला छोड़ना चाहिए। .
  • पानी या लाल दवाई से धोना (Washing with water or Potassium per-manganate)-जिस स्थान पर सांप ने डंक मारा हो उस स्थान को पानी या लाल दवाई (Potassium permanganate) के साथ धो लेना चाहिए।
  • कटाव लगाना (To make an incision)-डंक वाले स्थान को चाकू या ब्लेड के साथ 1″ (2.5 सम) लम्बा और 1″ (1.25 सम) गहरा कटाव लगाना चाहिए। चाकू या ब्लेड को पहले कीटाणु रहित कर लेना चाहिए। कटाव लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी बड़ी रक्त नली को कोई हानि न हो।
  • रोगी को घूमने-फिरने न देना (Not allowing the patient to move)-रोगी को घूमने-फिरने न दिया जाए। रोगी के चलने-फिरने से शरीर में विष फैल जाता है।।
  • शरीर को गर्म रखना (Keeping the body warm) रोगी के शरीर को गर्म रखा जाए। उसको पीने के लिए गर्म चाय देनी चाहिए।
  • कृत्रिम श्वास देना (Administering artificial respiration) रोगी का सांस रुकने की दशा में उसको कृत्रिम श्वास देना चाहिए।
  • रोगी को उत्साहित करना (Encouraging the patient)-रोगी को उत्साहित करना चाहिए।
  • डॉक्टर के पास या अस्पताल में पहुंचाना (Taking toadoctor or hospital)रोगी को शीघ्र ही किसी डॉक्टर के पास या अस्पताल में पहुंचाना चाहिए।

प्रश्न 10.
पानी में डूबने पर आप रोगी को कैसी प्राथमिक सहायता देंगे ?
(What First Aid will you render to a patient of drowning ?)
उत्तर-
पानी में डूबने का उपचार
(The Treatment of Drowning)

नहरों, तालाबों और नदियों में कई बार स्नान करते या इनको पार करते समय कई व्यक्ति डूब जाते हैं।
यदि डूबे हुए व्यक्ति को पानी में से निकाल कर प्राथमिक सहायता दी जाए तो उसके जीवन की रक्षा की जा सकती है। पानी में डूबे हुए व्यक्ति को निम्नलिखित विधि से प्राथमिक सहायता देनी चाहिए –

  • पेट में से पानी निकालना (Removing water from the belly)-डूबे हुए व्यक्ति को पानी से बाहर निकालो। फिर उसको पेट के बल घड़े पर लिटा कर उस के पेट में से पानी निकाला जाएगा। घड़ा न मिलने की अवस्था में उसको पेट के बल लिटा कर । उसे कमर से पकड़ कर ऊपर को उछालो। ऐसा करने से उसके पेट में से पानी निकल जाएगा।
  • रोगी को सूखे कपड़े पहनाना (Making the patient wear dry clothes)रोगी को सूखे कपड़े पहनने के लिए दो।

प्रश्न 11.
जले हुए व्यक्ति को आप कैसी प्राथमिक सहायता देंगे ? (What First Aid will you render to a patient in case of burning ?)
उत्तर-
जलना (Burning)-
कारक तथा प्रभाव (Causes and Effects) – कई बार आग, गर्म बर्तनों, रासायनिक पदार्थ, तेज़ाब तथा विद्युत्धारा से व्यक्ति जल जाता है। इस से त्वचा, मांसपेशियां और ऊतक (Tissues) नष्ट हो जाते हैं।
कभी-कभी गर्म चाय, गर्म दूध, गर्म काफी, भाप या तेजाब से घाव (Scalds) हो जाते हैं। त्वचा लाल हो जाती है, जल जाती है या कपड़े शरीर से चिपक जाते हैं। असहनीय दर्द होता है। कभी-कभी व्यक्ति अधिक जलने से मर भी जाता है।

उपचार (Treatment)-

  • जले हुए भाग का ध्यानपूर्वक उपचार करना चाहिए।
  • यदि कपड़ों को आग लग जाए तो भागना नहीं चाहिए। व्यक्ति को लेट जाना चाहिए और करवटें बदलनी चाहिएं।
  • जिस व्यक्ति के कपड़ों को आग लग जाए उसे कम्बल या मोटे कपड़े से ढक देना चाहिए।

प्रश्न 12.
बिजली के झटके से क्या अभिप्राय है ? आप रोगी को कैसी प्राथमिक सहायता देंगे ?
(What do you mean by electric shock ? How will you treat it ?)
उत्तर-
विद्युत् का झटका (Electric Shock)-

विद्युत् की नंगी तार जिसमें धारा प्रवाहित हो रही हो, को अचानक हाथ लगाने से या लग जाने से झटका लगता है। कई बार व्यक्ति तार से चिपक जाता है, परन्तु कई बार दूर जा गिरता है। विद्युत् के झटके के साथ रोगी बेसुध हो जाता है। कई बार शरीर झुलस भी जाता है। यदि किसी कारण (Main Switch) न मिले तो निम्नलिखित ढंग प्रयोग करने चाहिएं –

  • रबड़ के दस्ताने और सूखी लकड़ी का प्रयोग करना (Using the rubber gloves and dry wood) यदि विद्युत् की शक्ति 5 वोल्ट तक हो तो रबड़ के दस्ताने या सूखी लकड़ी का प्रयोग करके व्यक्ति को बचाना चाहिए। इसमें विद्युत् की धारा नहीं गुज़रती। गीली वस्तु या धातु का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • प्लग निकालना (Removing the plug) यदि विद्युत् की तार किसी दूर के स्थान से आ रही है तो प्लग (Plug) निकाल देना चाहिए या फिर तार तोड़ देनी चाहिए।

उपचार (Treatment)-

  • कृत्रिम सांसदेना (Giving artificial respiration)यदि रोगी का सांस बन्द हो तो उसको कृत्रिम सांस देना चाहिए।
  • झुलसे या सड़े अंगों का उपचार (Treatment of Scalded or Burnt part)यदि कोई अंग झुलस या सड़ गया हो तो उसका उपचार करना चाहिए।
  • रोगी को उत्साहित करना (Encouraging the patient) रोगी को उत्साहित करना चाहिए।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 प्राथमिक सहायता

प्राथमिक सहायता PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • प्राथमिक सहायता-डॉक्टर के पास ले जाने से पहले रोगी को जो प्राथमिक सहायता दी जाती है ताकि उसकी जीवन रक्षा हो सके, उसे प्राथमिक सहायता कहते
    हैं।
  • प्राथमिक सहायता की ज़रूरत-अगर दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को प्राथमिक सहायता न दी जाए तो हो सकता है कि उसकी मृत्यु हो जाए। इसलिए प्राथमिक सहायता रोगी के लिए जीवन रूपी अमृत है।
  • पुट्ठों का तनाव-मांसपेशियों के खिंचें जाने को पुट्ठों का तनाव कहते हैं। आवश्यकता से अधिक थकावट और शरीर के अंगों का आपसी तालमेल न होने के कारण पुट्ठों का तनाव हो जाता है।
  • मोच-किसी जोड़ के बन्धन का फट जाना ही मोच है। मोच वाली जगह को हिलाना नहीं चाहिए और 48 घंटों तक सर्द पानी की पट्टियां करनी चाहिएं और उसके बाद उन्हें गर्म करना चाहिए।
  • फ्रैक्चर-हड्डी टूटना फ्रैक्चर होता है।
  • बेहोशी-बेहोशी का अर्थ चेतना गंवाना है। बेहोशी में नब्ज़ धीरे-धीरे चलती है और चमड़ी ठण्डी हो जाती है।
  • फ्रैक्चर की किस्में-फ्रैक्चर, सादी, गुंझलदार, दबी हुई और बहुखण्डीय हो … सकती है।

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