Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 7 जीवों में विविधता
PSEB 9th Class Science Guide जीवों में विविधता Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
जीवों के वर्गीकरण के लाभ-
- यह विभिन्न प्रकार के जीवों के अध्ययन को सरल बनाता है।
- यह सभी जीवों की एकदम स्पष्ट तस्वीर प्रदान करता है।
- यह जीवों के विभिन्न समूहों के बीच संबंध के बारे में बतलाता है।
- यह जीव विज्ञान की अन्य शाखाओं को आधार प्रदान करता है।
- भूगोल का अध्ययन पूर्णतया पौधों तथा जंतुओं के वर्गीकरण पर आधारित है।
- जीव विज्ञान की अन्य शाखाएं जैसे पारिस्थितिकी, कोशिका विज्ञान, कायिकी आदि का विकास वर्गीकरण के कारण ही संभव हुआ है।
प्रश्न 2.
वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे ?
उत्तर-
वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए कोशिकीय संरचना, पोषण के स्रोत और तरीके तथा शारीरिक संगठन को आधार बनाया गया है। प्रायः जीवों को उनकी शारीरिक संरचना और कार्य के आधार पर जाना जाता है। शारीरिक बनावट के लक्षण अन्य लक्षणों की तुलना में अधिक परिवर्तन लाते हैं। जब शारीरिक बनावट अस्तित्व में आती है तो यह शरीर में बाद में होने वाले परिवर्तनों को प्रभावित करती है। शरीर का संरचना के दौरान पहले दिखाई देने वाले लक्षणों को मूल लक्षण मानते हैं। वर्गीकरण के पदानुक्रम में जीवों को विभिन्न लक्षणों के आधार पर छोटे से छोटे समूहों में बांट कर आधारभूत इकाई तक पहुँचने में यह पद्धति अधिक सहायक है इसीलिए इसी का चयन ही श्रेष्ठ है। वर्गीकरण का अनक्रम है :
जगत → संघ → वर्ग → गण → कुल → वंश → जाति।
प्रश्न 3.
जीवों के पाँच जगत् के वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
व्हिटेकर ने सन् 1959 में जगत् के वर्गीकरण में पांच आधार स्थापित किए थे। वे हैं-मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी और एनीमेलिया। इनका वर्गीकरण तीन
विशिष्टताओं पर आधारित है-
(I) कोशिकीय संरचना
(II) पोषण के स्रोत और तरीके
(III) शारीरिक संगठन
बाद में कार्ल बोस ने सन् 1977 में इसमें कुछ परिवर्तन किया था तथा मोनेरा किंगडम के आर्थीलैक्टेरिया और यूबैक्टेरिया भागों में विभाजित कर दिया था। वर्गीकरण की आधारभूत इकाई जाति (स्पीशीज़) को माना गया है क्योंकि एक ही जाति के जीवों के बाहय रूप से पर्याप्त समानता होती है। वृहिटेकर के दवारा वर्गीकृत पाँच जगत हैं-
(I) मोनेरा – इस वर्ग में उन एक कोशिकीय प्रोकेरियाटिक जीवों को स्थान दिया गया है जिनमें कोशिका भित्ति पाई जाती है। पोषण के आधार पर ये स्वपोषी या विषमपोषी दोनों हो सकते हैं। नीली हरी शैवाल, जीवाणु, माइक्रो प्लाज्मा आदि इस वर्ग के उदाहरण हैं।
(II) प्रोटिस्टा – इस वर्ग में उन एक कोशिक, यूकेरियोटिक जीवों को स्थान दिया जाता है जिनमें गमन के लिए सीलिया, फ्लैजेला नामक संरचनाएँ विद्यमान होती हैं। ये स्वपोषी और विषमपोषी दोनों प्रकार के होते हैं। एक कोशिक शैवाल, पैरामीशियम, डाइएटमस, प्रोटोजोवा, युग्लीना आदि इस वर्ग के उदाहरण हैं।
(III) फ्रंजाई – इन्हें मृत जीवी भी कहते हैं। ये विषमपोषी यूकेरियोटिक जीव सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते हैं। इनमें से अनेक अपने जीवन में बहुकोशिक क्षमता पा लेते हैं। यीस्ट, मशरूम, पैंसीलियम आदि इनके उदाहरण हैं।
(IV) प्लांटी-इस वर्ग में बहुकोशिक यूकेरियोटिक जीवों को स्थान दिया जाता है जिनमें कोशिका भित्ति होती है। ये स्वपोषी हैं क्योंकि प्रकाश संश्लेषण विधि से ये अपना भोजन सूर्य के प्रकाश में क्लोरोफिल की सहायता से स्वयं तैयार करते हैं। सभी पेड़-पौधों को इसी वर्ग में रखा गया है। थैलोफाइटा, ब्रायेफ़ाइटा, टेरिडोफ़ाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म इसी के भाग हैं।
(V) एनीमेलिया – इस वर्ग में बहुकोशिकीय यूकेरियोटीक जीव को स्थान दिया जाता है। इनमें कोशिका भित्ति नहीं होती। इस वर्ग के जीव विषमपोषी होते हैं। सभी रीढ़धारी और अरीढ़धारी जंतु इसी वर्ग के उदाहरण हैं।
प्रश्न 4.
पादप जगत् के प्रमुख वर्ग कौन हैं ? इस वर्गीकरण का क्या आधार है ?
उत्तर-
पादप जगत् के प्रमुख वर्ग हैं-
(I) थैलोफाइटा
(II) ब्रायोफाइटा
(III) टेरिडोफाइटा
(IV) जिम्नोस्पर्म
(V) एंजियोस्पर्म।
इसके वर्गीकरण के आधार हैं-
- पादप शरीर के प्रमुख घटकों का पूर्ण विकास और विभेदन।
- पादप शरीर में जल तथा अन्य पदार्थों को संवहन करने वाले विशिष्ट ऊतकों की उपस्थिति।
- पादप में बीज धारण करने की क्षमता।
- फल में बीज की स्थिति।
प्रश्न 5.
जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अंतर क्या है ?
उत्तर-
जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अंतर-
पौधे (Plants) | जंतु (Animals) |
(1) ये एक स्थान पर स्थिर रहते हैं। | (1) ये एक स्थान से दूसरे स्थान तक भ्रमण करते हैं। |
(2) ये सूर्य के प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। | (2) ये पौधों तथा अन्य जंतुओं से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। |
(3) इनमें अनिश्चित तथा लगातार वृद्धि होती है। | (3) इनमें वृद्धि कुछ विशेष आयु के पश्चात् रुक जाती है। |
(4) इनमें पर्णहरित उपस्थित होता है। | (4) इनमें पर्णहरित नहीं होता। |
(5) इनकी कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है। | (5) इनकी कोशिका भित्ति नहीं होती। |
प्रश्न 6.
वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न वर्गों में बांटने के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
वर्टीब्रेटा (कशेरुका प्राणी) में वास्तविक मेरुदंड और अंत: कंकाल होता है। उनमें पेशियों का वितरण और पेशियों का कंकाल से संबंध उन्हें चलने-फिरने में सहायक होता है। इनमें मस्तिष्क, हृदय, बाह्य त्वचा के अनेक स्तर, हीमोग्लोबिन, अस्थियां-उपस्थियां (Cartilages) आदि होते हैं। सभी कशेरुकाओं में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं-
(I) नोटोकार्ड
(II) कशेरुक दंड और मेरुरज्जु
(III) त्रिकोरिक शरीर
(IV) जोड़ीदार गलफड़
(V) देहगुहा
(VI) समतापी या असमतापी
(VII) अंडज या जरायुज
(VIII) हृदय में कक्षों की संख्या
(IX) क्लोम, त्वचा या फेफड़ों द्वारा श्वसन
(X) कवच रहित या कवच युक्त अंडे।
इनमें ऊतकों और अंगों का जटिल विभेदन पाया जाता है। इसीलिए इन्हें मत्स्य, जल, स्थल, चर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी वर्गों में बांटा गया है।
Science Guide for Class 9 PSEB ऊतक InText Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1.
हम जीवधारियों का वर्गीकरण क्यों करते हैं ?
उत्तर-
संसार में विभिन्न प्रकार के पौधे तथा जंतु पाए जाते हैं। इस में से कुछ जीवों की संरचना सरल तथा कुछ की जटिल होती है। उनके अध्ययन को सरल बनाने के लिए वर्गीकरण किया जाता है जो उनकी समानताओं और असमानताओं पर आधारित होता है।
प्रश्न 2.
अपने चारों ओर फैले जीव रूपों की विभिन्नता के तीन उदाहरण दें।
उत्तर-
- अमीबा जैसे जीव सूक्ष्मदर्शी से ही देखे जा सकते हैं तो नीली व्हेल तीस मीटर तक लंबी होती है।
- लाइकेन छोटे धब्बों के समान दिखाई देते हैं तो केलिफोर्निया के रेडवुड पेड़ 100 मीटर लंबे हैं।
- मच्छर का जीवनकाल कुछ दिन का होता है तो कछुआ 300 वर्ष तक जीवित रह लेता है। सिकोया जैसे वृक्ष तो हजारों वर्ष तक जीवित रहते हैं।
प्रश्न 3.
जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मूलभूत लक्षण क्या हो सकता है ?
(a) उनका निवास स्थान
(b) उनकी कोशिका संरचना।
उत्तर-
उनकी कोशिका संरचना।
प्रश्न 4.
जीवों के प्रारंभिक विभाजन के लिए किस मूल लक्षण को आधार बनाया गया ?
उत्तर-
जीवों के स्थल, जल और वायु में रहने के आधार पर।
प्रश्न 5.
किस आधार पर जंतुओं और वनस्पतियों को एक-दूसरे से भिन्न वर्ग में रखा जाता है ?
उत्तर-
जंतुओं को भोजन ग्रहण करने के अनुसार तथा वनस्पतियों को भोजन बनाने की क्षमता के अनुसार एक-दूसरे से भिन्न वर्ग में रखा जाता है।
प्रश्न 6.
आदिम जीव किन्हें कहते हैं ? ये तथाकथित उन्नत जीवों से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
आदिम जीव पहले प्रकार के जीवों को कहते हैं। इनकी शारीरिक संरचना में तो खास परिवर्तन नहीं हुआ है पर तथाकथित उन्नत जीवों के समूहों में बदलाव हुआ है जो इन्हें उनसे भिन्न करता है।
प्रश्न 7.
क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं ?
उत्तर-
हाँ, उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं क्योंकि विकास के दौरान जीवों में जटिलता की संभावना बनी रहती है।
प्रश्न 8.
मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण का मापदंड क्या है ?
उत्तर-
मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीव एक कोशिकीय होते हैं। पोषण के स्तर पर ये स्वपोषी या विषमपोषी दोनों हो सकते हैं।
प्रश्न 9.
प्रकाश-संश्लेषण करने वाले एक कोशिक, यूकेरियोटीक जीव को आप किस जगत में रखेंगे ?
उत्तर-
एक कोशिक शैवाल।
प्रश्न 10.
वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों में किस समूह में सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम जीवों को और किस समूह में सबसे ज्यादा संख्या में जीवों को रखा जाएगा ?
उत्तर-
सबसे कम-जाति (स्पीशीज़)
सबसे ज्यादा-जगत् (किंगडम)।
प्रश्न 11.
सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है ?
उत्तर-
थैलोफाइटा में।
प्रश्न 12.
टेरिडोफाइट और फ़ेनेरोगैम में क्या अंतर है ?
उत्तर-
टेरिडोफाइट में जड़, तना, पत्ती और संवहन ऊतक पाए जाते हैं। इसमें जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं तथा बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती पर फेनेरोगेम्स में जनन ऊतक पूर्ण विकसित और विभेदित होते हैं। जनन प्रक्रिया के पश्चात् बीज उत्पन्न करते हैं। बीज के अंदर भ्रूण के साथ संचित खाद्य पदार्थ होता है जिसका उपयोग भ्रूण के प्रारंभिक विकास और अंकुरण के समय होता है।
प्रश्न 13.
जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म में अंतर-
जिम्नोस्पर्म (अनावृत्तबीजी) | एंजियोस्पर्म (आवृतबीजी) |
1. इनके बीज नग्न होते हैं। | 1. इनके बीज ढके हुए होते हैं। |
2. इनके बीज फलों के द्वारा ढके हुए नहीं होते। | 2. इनके बीज फलों के द्वारा ढके होते हैं। |
3. यह बीज पाइन तथा साइकस पाए जाते हैं। | 3. यह बीज गेहूं, मक्की आदि में पाए जाते हैं। |
4. इनमें कोण (Cones) बनते हैं। | 4. इनमें फूल बनते हैं। |
5. इनमें साथी कोशिका नहीं होती। | 5. इनमें साथी कोशिका होती है। |
6. इनमें एकल निषेचन होता है। | 6. इनमें दोहरा निषेचन होता है। |
7. भ्रूणपोष निषेचन से पहले बनता है। | 7. भ्रूणपोष निषेचन के बाद बनता है। |
प्रश्न 14.
पोरीफ़ेरा और सिलेंटरेटा वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है ?
उत्तर-
पोरीफ़ेरा और सिलेंटरेटा वर्ग के जंतुओं में अंतर-
पोरीफेरा | सिलेंटरेटा |
1. इनकी शारीरिक संरचना अति सरल होती है जिसमें ऊतकों का विभेदन नहीं होता। | 1. इनका शारीरिक संगठन ऊतकीय स्तर का होता है। |
2. इनके पूरे शरीर में अनेक छिद्र होते हैं। | 2. इनके शरीर में देहगुहा पायी जाती है। |
3. इनके शरीर में नाल प्रणाली होती है और शरीर कठोर आवरण से ढका रहता है। | 3. इनका शरीर दो परतों (आंतरिक और बाह्य) से बना होता है। |
4. ये अचर हैं तथा किसी आधार से चिपके रहते हैं। | 4. ये मिल-जुल कर समूहों में एकाकी रहते हैं। कोरल समूह में रहते हैं तो हाइड्रा एकाकी रहता है। |
5. ये स्थिर होते हैं और समूह में पाए जाते हैं। | 5. ये चल होते हैं। अकेले या समूह में पाए जाते हैं। |
प्रश्न 15.
एनीलिडा के जंतु, आर्थोपोडा के जंतुओं से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
एनीलिडा के जंतु, आर्थोपोडा के जंतुओं में अंतर-
एनीलिडा | आर्थोपोडा |
1. इनका शरीर द्विपार्श्व सममिति, त्रिकोरक और खंडयुक्त होता है। | 1. इनमें द्विपार्श्व सममिति पाई जाती है और शरीर खंडयुक्त होता है। |
2. इनकी देहगुहा में अंतरंग पाए जाते हैं। | 2. इनमें खुला परिसंचरण तंत्र होता है जिस कारण देहगुहा रक्त से भरी रहती है। देहगुहा सीलोम की बजाय हीमोसील होता है। |
3. इसके जीवों की संख्या कम है। | 3. इस वर्ग में सबसे अधिक जीव हैं। |
4. इनमें नेत्र नहीं होते। | 4. इनमें संयुक्त नेत्र होते हैं। |
5. आहार नली सीधी होती है। | 5. आहार नली कुंडलित नलिका होती है। |
6. ये एक लिंगी या द्विलिंगी होते हैं। | 6. ये एक लिंगी होते हैं। |
7. इनमें परिचलन शूक, चूसक या पैरोपोडिया के द्वारा होता है। | 7. इनमें परिचलन संधियुक्त अंगों से होता है। |
8. इनमें बाहरी कंकाल नहीं होता। | 8. इनका बाह्य कंकाल काइटिन से बना होता है। |
प्रश्न 16.
जल-स्थलचर और सरीसृप में क्या अंतर है ?
उत्तर-
जल स्थलचर और सरीसृप में अंतर-
जल स्थलचर | सरीसृप |
1. इनकी त्वचा पर श्लेष्म ग्रंथियां होती हैं तथा शल्कों का अभाव होता है। | 1. इनका शरीर श्लकों से ढका होता है। |
2. इनमें बाह्य कंकाल नहीं होता। | 2. इनमें हड्डियों से बना अंत:कंकाल होता है। |
3. इनमें श्वसन गलफड़ों, त्वचा या फेफड़ों से होता है। | 3. इनमें श्वसन फेफड़ों से होता है। |
4. इनके हृदय में दो अलिंद और एक निलय होता है। | 4. इसके हृदय में दो अलिंद और अपूर्ण रूप से बंटा हुआ निलय होता है। |
5. ये सदा जल में अंडे देते हैं जो कवच रहित होते हैं। | 5. ये स्थल पर कवच युक्त अंडे देते हैं। |
6. ये जल और स्थल दोनों जगह रह सकते हैं। | 6. ये प्रायः स्थल पर रहते हैं और रेंग कर चलते हैं। |
प्रश्न 17.
पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है ?
उत्तर-
पक्षी वर्ग और स्तनधारी वर्ग के जंतुओं में अंतर-
पक्षी वर्ग | स्तनपायी वर्ग |
1. इनमें लैंगिक दविरूपता स्पष्ट होती है और ये अंडे देते हैं। | 1. ये संतान को जन्म देते हैं और इनमें दूध उत्पादन के लिए ग्रंथियां होती हैं। इकिडाना और प्लैटिपस अंडे देते हैं पर बच्चों को दूध पिलाते हैं। |
2. इनका शरीर पंखों से ढंका होता है। | 2. इनकी त्वचा पूर्ण या आंशिक रूप से बालों से ढकी होती है। |
3. इनके आगे वाले पैर उड़ने के लिए पंखों में परिवर्तित हो जाते हैं। | 3. इनमें पंख नहीं होते। चमगादड़ अपवाद है। |
4. इन में कर्ण पल्लव तथा स्तन ग्रंथियां नहीं होतीं। | 4. कर्ण पल्लव तथा स्तन ग्रंथियां होती हैं। |
5. ये अंडज होते हैं। | 5. ये जरायुज होते हैं। |
6. जबड़े दाँत से रहित चोंच में बदल जाते हैं। | 6. जबड़े दाँत युक्त होते हैं। |