PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

SST Guide for Class 9 PSEB भारत : जलप्रवाह Textbook Questions and Answers

(क) नक्शा कार्य (Map Work) :

प्रश्न 1.
भारत के रेखाचित्र में अंकित करें-
(i) गंगा
(ii) ब्रह्मपुत्र
(iii) सांबर व वुलर झीलें
(iv) गोबिंद सागर झील
उत्तर-
यह प्रश्न विद्यार्थी MBD Map Master की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
भारत के रेखाचित्र में दिखायें-
(i) गंगा के दाएं व बाएं किनारों से मिलने वाली तीन-तीन सहायक नदियां ।
(ii) पश्चिम की ओर बहने वाली दो प्रायद्वीपीय नदियां।
(iii) पूर्व की ओर बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली तीन प्रायद्वीपीय नदियां।
उत्तर-
यह प्रश्न विद्यार्थी MBD Map Master की सहायता से स्वयं करें।

(ख) निम्न वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें:

प्रश्न 1.
इनमें से कौन-सी नदी गंगा की सहायक नदी नहीं है ?
(i) यमुना
(ii) ब्यास
(iii) गंडक
(iv) सोन।
उत्तर-
(ii) ब्यास।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 2.
कौन-सी झील प्राकृतिक नहीं है ?
(i) रेणुका
(ii) चिल्का
(iii) डल
(iv) रणजीत सागर।
उत्तर-
(iv) रणजीत सागर।

प्रश्न 3.
भारत का सबसे बड़ा नदी तंत्र कौन-सा है ?
(i) गंगा जलतंत्र
(it) गोदावरी जलतंत्र
(iii) ब्रह्मपुत्र जलतंत्र
(iv) सिन्धु जलतंत्र
उत्तर-
(i) गंगा जलतंत्र।

प्रश्न 4.
विश्व का सबसे बड़ा डैल्टा कौन-सा है ?
उत्तर-
सुन्दरवन डैल्टा।

प्रश्न 5.
दोआबा क्या होता है ?
उत्तर-
दो दरियाओं के बीच के क्षेत्र को दोआबा कहते हैं।

प्रश्न 6.
सिंध की लंबाई कितनी है और भारत में इसका कितना हिस्सा पड़ता है ?
उत्तर-
सिंधु दरिया की कुल लंबाई 2880 किलोमीटर है तथा भारत में इसका 709 किलोमीटर भाग पड़ता है।

प्रश्न 7.
प्रायद्वीपीय भारत की कोई तीन नदियों के नाम लिखें जो बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं ?
उत्तर-
गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, महानदी।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 8.
भारतीय नदी तंत्र को कितने भागों में बांटा जाता है ?
उत्तर-
भारतीय नदी तंत्र को हम चार भागों में बांट सकते हैं तथा वह हैं-हिमालय की नदियां, प्रायद्वीपीय तन्त्र, तट की नदियां, आन्तरिक नदी तथा झीलें।

प्रश्न 9.
सिन्ध नदी कौन-से ग्लेशियर में से जन्म लेती है ?
उत्तर-
सिन्धु नदी बोखर-छू ग्लेशियर से निकलता है जो तिब्बत में स्थित है।

प्रश्न 10.
किसी दो मौसमी नदियों के नाम लिखें।
उत्तर-
वेलुमा, कालीनदी, सुबरनरेखा इत्यादि।

प्रश्न 11.
महानदी का उद्गम स्थान क्या है ? इसकी दो सहायक नदियां बतायें।
उत्तर-
महानदी का उदम्म स्थान छत्तीसगढ़ में दण्डाकारनिया है। शिवनाथ, मण्ड, ऊँग इत्यादि महानदी की सहायक नदियाँ हैं।

प्रश्न 12.
भारत की कोई पाँच प्राकृतिक झीलों के नाम लिखें।
उत्तर-
डल झील, चिल्का, सूर्यताल, वूलर, खजियार, पुष्कर इत्यादि।

(ग) इन प्रश्नों के संक्षेप उत्तर लिखें:

प्रश्न 1.
गंगा में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसकी रोकथाम के लिए क्या किया गया है ?
उत्तर-
इसमें कोई शंका नहीं है कि गंगा का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इसका प्रमुख कारण उद्योगों की गंदगी, कीटनाशक इत्यादि हैं। इस प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने कई प्रयास किए हैं जैसे कि

  1. अप्रैल 1980 में केन्द्र सरकार ने गंगा एक्शन प्लान बनाया तथा गंगा की सफाई का कार्य शुरू किया।
  2. गंगा एक्शन प्लान को जारी रखते हुए 2009 में सरकार ने नेशनल गंगा बेसिन अथॉरिटी का गठन किया जिसका मुख्य कार्य गंगा का प्रदूषण रोकना था।
  3. 2014 में केन्द्र सरकार ने गंगा की सफाई के लिए एक विशेष मंत्रालय का गठन किया तथा इसके लिए एक मन्त्री की नियुक्ति भी की।
  4. अब तक सरकार गंगा की सफाई के लिए सैंकड़ों करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है।

प्रश्न 2.
भारत के अन्दरूनी जलतंत्र पर नोट लिखें।
उत्तर-
भारत में बहुत-सी नदियां बहती हैं तथा इनमें से कई नदियां किसी न किसी समुद्र में जाकर मिल जाती हैं परन्तु कुछ नदियां ऐसी होती हैं जो समुद्र में नहीं पहुंच पाती तथा रास्ते में ही विलीन हो जाती हैं या खत्म हो जाती हैं। इसे ही अन्दरूनी जलतंत्र कहा जाता है। इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण उदाहरण घग्गर नदी है जो 465 किलोमीटर चलने के पश्चात् राजस्थान में अलोप हो जाती है। इस प्रकार लद्दाख में बहने वाली नदियां तथा राजस्थान में बहने वाली लुनी नदी भी इसकी उदाहरण है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 3.
वृद्ध गंगा क्या है ? इसकी सहायक नदियों के नाम लिखें।
उत्तर-
गोदावरी नदी दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी है जबकि गंगा उत्तरी भारत की सबसे बड़ी नदी है। गंगा की भांति गोदावरी भी मार्ग में अनेक सहायक नदियों से जल प्राप्त करती है। पूर्वी घाट को पार करती हुई वह एक गहरी घाटी में से होकर गुजरती है। इसके द्वारा लगभग 190 हज़ार वर्ग किलोमीटर भूमि को जल प्राप्त होता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह गंगा नदी से भी प्राचीन है। इस कारण इसे दक्षिण की वृद्ध गंगा कहते हैं।

प्रश्न 4.
धुंआधार झरना कौन-सी नदी पर है ? उसकी सहायक नदियों के नाम भी लिखें।
उत्तर-

  1. धुंआधार झरना नर्मदा नदी पर स्थित है जो कि मध्य प्रदेश में जबलपुर नाम के स्थान पर बनता है।
  2. नर्मदा नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं- शकर, भुरनेर, रीजल, दुधी, बरना, हीरा इत्यादि।

(घ) निम्न प्रश्नों के विस्तृत उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
हिमालय व प्रायद्वीपीय नदियां कौन-कौन सी हैं ? इनकी विशेषताओं में क्या अंतर है।
उत्तर-

  1. हिमालय की नदियां-यह वह नदियां हैं जो हिमालय पर्वत से निकलती हैं तथा इनमें सम्पूर्ण वर्ष पानी रहता है। उदाहरण के लिए सिन्धु, गंगा, ब्रह्मपुत्र इत्यादि। .
  2. प्रायद्वीपीय नदियां- वह नदियां जो प्रायद्वीपीय पठार अथवा दक्षिण भारत में होती हैं उन्हें प्रायद्वीपीय नदियां कहा जाता है। उदाहरण के लिए नर्मदा, तापी, महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी इत्यादि।

अन्तर (Differences)

हिमालय की नदियाँ द्वीपीय पठार की नदियाँ
(1) इन नदियों की लंबाई बहुत अधिक है। (1) इनकी लंबाई अपेक्षाकृत कम है।
(2) ये नदियाँ बारहमासी हैं। वर्षा ऋतु में इनमें वर्षा  का जल बहता है। ग्रीष्म ऋतु में हिमालय की  हिम पिघलने से इन नदियों को जल मिलता रहता है। (2) ये नदियाँ मौसमी हैं। इनमें केवल वर्षा ऋतु में ही जल रहता है। ग्रीष्मकाल में ये नदियाँ शुष्क हो जाती हैं।
(3) ये नदियाँ काँप के जमाव से एक विस्तृत मैदान  का जल बहता है। (3) ये नदियाँ अधिक विस्तृत मैदान नहीं बनाती हैं। का निर्माण करती हैं। केवल इन नदियों के मुहाने पर ही संकरे मैदान बनते हैं।
(4) इन नदियों से जल-विद्युत् उत्पन्न की जाती है  और सिंचाई के लिए सारा वर्ष जल प्राप्त किया जाता है। (4) इन नदियों से सम्पूर्ण वर्ष सिंचाई नहीं की जा सकती।
(5) ये नदियाँ यातायात की दृष्टि से उपयोगी नहीं हैं। (5) ये नदियाँ यातायात की सुविधा प्रदान करती  हैं।
(6) ये नदियाँ अपने मार्ग में महाखड्ड (गार्ज) बनाती  हैं। इस प्रकार ये गहरी घाटियों में से होकर बहती हैं। (6) ये नदियाँ महत्त्वपूर्ण जल-प्रपात बनाती हैं। ये उथली घाटियों में से होकर बहती हैं।
(7) इनकी अपरदन क्षमता बहुत ही अधिक है। इसलिए इनमें अवसाद की मात्रा बहुत अधिक होती है। (7) इनकी अपरदन क्षमता अपेक्षाकृत कम है। इसलिए  इनमें अवसाद की मात्रा कम होती है।
(8) अवसाद के जमाव से ये नदियाँ मैदानों में बड़ी संख्या में विसरों का निर्माण करती हैं। (8) चट्टानी धरातल होने तथा अवसाद की कमी होने के कारण ये नदियाँ विसरों का निर्माण नहीं कर पातीं।

 

प्रश्न 2.
भारत के कोई तीन नदी तंत्रों से बोध करवाएं तथा किसी एक की व्याख्या भी करें।
उत्तर-
भारत की नदियों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-हिमालय से निकलने वाली नदियां, प्रायद्वीपीय पठार की नदियां तथा तटीय नदियां। इनका वर्णन इस प्रकार है
I. हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियां-

  1. सिंधु नदी-यह नदी मानसरोवर झील के उत्तर में बोखर-छू ग्लेशियर से निकलती है। यह कश्मीर राज्य में दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर बहती है। यह नदी मार्ग में गहरी घाटियाँ बनाती है। यह पाकिस्तान से होती हुई अरब सागर में जा गिरती है। सतलुज, रावी, ब्यास, चिनाब तथा जेहलम इसकी सहायक नदियाँ हैं।
  2. गंगा नदी-यह नदी गंगोत्री हिमनदी के गौ-मुख के स्थान पर निकलती है। आगे चलकर इसमें अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियाँ भी मिल जाती हैं। यह शिवालिक की पहाड़ियों से होती हुई हरिद्वार पहुँचती है। अंत में यह खाड़ी बंगाल में जा गिरती है। इसकी सहायक नदियों में यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, चंबल, बेतवा, सोन तथा कोसी नदियाँ प्रमुख हैं।
  3. ब्रह्मपुत्र नदी-यह नदी मानसरोवर झील के पूर्व में ‘चेमायुंगडुंग’ नामक हिमनदी से निकलती है। यह तिब्बत, भारत तथा बंगला देश से होती हुई गंगा नदी में जा मिलती है। यहाँ से ब्रह्मपुत्र तथा गंगा का इकट्ठा पानी पद्मा नदी के नाम से आगे बढ़ता है। अंत में यह बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। यह नदी अपने मुहाने पर सुंदरवन नामक डेल्टा का निर्माण करती है।

II. प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ-

  1. महानदी-यह नदी छत्तीसगढ़ में बस्तर की पहाड़ियों से दंदाकारनिया से निकलती है। छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा से होती हुई यह खाड़ी बंगाल में जा गिरती है।
  2. गोदावरी नदी-यह नदी पश्चिमी घाट के उत्तरी भाग (सहयाद्री) से निकलती है। यह महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से होती हुई बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है।।
  3. कृष्णा नदी-यह नदी महाबलेश्वर के निकट पश्चिमी घाट से निकलती है। यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से होती हुई बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। इसकी सहायक नदियों में भीमा, तुंगभद्रा तथा घाट प्रभा प्रमुख हैं।
  4. कावेरी नदी-यह नदी पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग से तालकांवेरी से आरंभ होकर खाड़ी बंगाल में जा गिरती है। मार्ग में यह कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से गुजरती है। यह शिव-समुद्रम नामक स्थान पर एक सुंदर जल-प्रपात बनाती है।
  5. नर्मदा नदी-यह नदी अमरकंटक के निकट मैकाल की पहाड़ियों से निकलती है तथा खंबात की खाड़ी में जा गिरती है।
  6. ताप्ती नदी-यह नदी सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों से अल्ताई के पवित्र कुंड से निकलती है। यह नदी भी अंत में खंबात की खाड़ी में जा गिरती है।

III. तटीय नदियां-भारत के दक्षिणी भाग को तीन समुद्र अरब सागर, बंगाल की खाड़ी तथा हिंद महासागर लगते हैं तथा इनके तटों के साथ बहती हुई नदियों को तटीय नदियां कहा जाता है। इनकी लंबाई काफी कम होती है तथा यह कम समय के लिए बहती हैं। वर्षा की ऋतु में इन नदियों में काफी पानी आ जाता है। वेलुमा, पालाइ, मांडोवी, डापोरा, कालीनदी, शेरावती, नेत्रावती, पेरियार, पोनानी, सुबरनरेखा, खारकायी, पलार, वेराई इत्यादि प्रमुख तटीय नदियां हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 3.
उत्तर तथा दक्षिण भारत की नदियों के आर्थिक उपयोगों की चर्चा करें।
उत्तर-
किसी देश की अर्थव्यवस्था में नदियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत की नदियाँ कोई अपवाद नहीं हैं। ये उत्तरी मैदानों को उपजाऊ बनाती हैं। ये सिंचाई के लिए जल जुटाती हैं तथा पेयजल की आपूर्ति करती हैं। यही नहीं ये परिवहन तथा जल विद्युत निर्माण की दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में इनके महत्त्व का वर्णन इस प्रकार है-

  1. जलोढ़ मिट्टी-नदियाँ उपजाऊ जलौढ़ मिट्टी का निर्माण करती हैं। इस प्रकार की मिट्टी नदियों द्वारा लाई गई रेत तथा मृत्तिका के जमा होने से बनती है। नदियाँ प्रतिवर्ष मिट्टी की नई परतें बिछाती रहती हैं। इसलिये इस प्रकार की मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है। भारत में जलौढ़ मिट्टी बहुत विस्तृत भाग में पाई जाती है। सतलुज-गंगा का मैदान, ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी, महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टों और पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में इस प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। यह मिट्टी कृषि के लिए बहुत उपयोगी है।
  2. मानव सभ्यता का विकास-नदियाँ प्राचीनकाल से ही मानव सभ्यता के विकास तथा प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। भारत की प्रथम महान् सभ्यता सिंधु नदी घाटी में ही फली-फूली थी। वास्तव में नदियों ने आरंभ से ही लोगों को जीवन के विकास तथा प्रगति के लिए आदर्श दशाएँ प्रदान की। नदियों को आरंभ में परिवहन के लिए प्रयोग में लाया गया। इस प्रकार विभिन्न मानव-बस्तियों के बीच संपर्क स्थापित हुआ। नदियों के निकट लोग गेहूँ तथा चावल जैसे खाद्यान्न उगाने लगे। यहाँ उन्हें रेत में मिश्रित सोना, ताँबा, लोहा आदि खनिज भी प्राप्त हुए।
  3. बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ तथा सिंचाई-नहरें-नदियों पर भाखड़ा बाँध, दामोदर घाटी परियोजना आदि बहुउद्देशीय परियोजनाएँ बनाई गई हैं। पं० जवाहर लाल नेहरू ने इन परियोजनाओं को ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ कह कर पुकारा। ये परियोजनाएँ भारत के लोगों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। इन आवश्यकताओं में सिंचाई, विद्युत् उत्पादन, नौका वाहन, बाढ़ नियंत्रण, मत्स्य पालन, मिट्टी का संरक्षण, पर्यटन इत्यादि शामिल हैं।
  4. पीने का जल-नदियाँ पीने के जल का मुख्य स्रोत हैं। बड़े-बड़े नगरों में पीने के जल की आपूर्ति नदियों के जल से ही की जाती है। इस जल का शुद्धिकरण करके इसे पीने योग्य बनाया जाता है।
  5. अवसादी निक्षेप-नदियाँ अवसादी निक्षेपों का निर्माण करती हैं। इन निक्षेपों में वनस्पति तथा प्राणी-अवशेष पाए जाते हैं। ये अवशेष गल-सड़ कर कोयले तथा पेट्रोलियम में बदल जाते हैं।
  6. झीलों का उदय-कुछ नदियाँ झीलों को जन्म देती हैं। उदाहरण के लिए श्रीनगर की वूलर झील नदीनिर्मित ही है। झीलों से मनुष्य को भोजन के रूप में मछली प्राप्त होती है। ये जलवायु को सम बनाने में भी सहायता करती है।

PSEB 9th Class Social Science Guide भारत : जलप्रवाह Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
हिमालय की अधिकतर नदियां ……….. हैं।
(क) मौसमी
(ख) छ:मासी
(ग) बारहमासी
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) बारहमासी

प्रश्न 2.
हिमालय की दो मुख्य नदियां हैं-
(क) कृष्णा व कावेरी
(ख) नर्मदा व तापी
(ग) कृष्णा व तुगभद्रा
(घ) सिन्धु व ब्रह्मपुत्र
उत्तर-
(घ) सिन्धु व ब्रह्मपुत्र

प्रश्न 3.
भारत की सबसे बड़ी नदी है-
(क) गंगा
(ख) कावेरी
(ग) ब्रह्मपुत्र
(घ) सतलुज
उत्तर-
(क) गंगा

प्रश्न 4.
गंगा नदी कहां से निकलती है ?
(क) हरिद्वार
(ख) देव प्रयाग
(ग) गंगोत्री
(घ) सांभर
उत्तर-
(ग) गंगोत्री

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 5.
दो दरियाओं के बीच के क्षेत्र को ……..कहते हैं।
(क) दोआब
(ख) जल विभाजन
(ग) अप्रवाह क्षेत्र
(घ) जल निकास स्वरूप
उत्तर-
(क) दोआब

प्रश्न 6.
इनमें से कौन-सी हिमालय की प्रमुख नदी है ?
(क) गंगा
(ख) सिन्धु
(ग) ब्रह्मपुत्र
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 7.
सिन्धु नदी की कुल लंबाई कितनी है ?
(क) 2500 कि०मी०
(ख) 2880 कि०मी०
(ग) 2720 कि०मी०
(घ) 3020 कि०मी०
उत्तर-
(ख) 2880 कि०मी०

प्रश्न 8.
गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियां ………… डैल्टा बनाती हैं।
(क) सुन्दरवन
(ख) अमरकंटक
(ग) नामचा बरवा
(घ) कुमाऊँ।
उत्तर-
(क) सुन्दरवन

रिक्त स्थानों की पूर्ति :

  1. गंगा की कुल लंबाई ………. कि०मी० है।
  2. घाघरा गंडक, कोसी, सोन नदियां ……….. नदी की सहायक नदियां हैं।
  3. ब्रह्मपुत्र ………….. नामक स्थान से भारत में प्रवेश करती है।
  4. ब्रह्मपुत्र की कुल लंबाई ……….. कि०मी० है।
  5. ………. द्वीप दुनिया का सबसे बड़ा नदी में बीच का द्वीप है।
  6. लुनी नदी राजस्थान में ………… से निकलती है।

उत्तर-

  1. 2525,
  2. गंगा,
  3. नामचा बरवा,
  4. 2900,
  5. मंजुली,
  6. पुष्कर।

सही/गलत :

1. साबरमती नदी देबार झील से निकलती है।
2. लुनी नदी की लंबाई 495 किलोमीटर है।
3. कृष्णा को वृद्ध गंगा भी कहते हैं।
4. तटीय नदियों की लंबाई काफी अधिक होती है।
5. भाखड़ा डैम के पीछे गोबिन्द सागर झील बनाई गई है।
6. 1980 में गंगा एक्शन प्लान बनाया गया था।
उत्तर-

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जलप्रवाह क्या होता है ?
उत्तर-
किसी क्षेत्र में बहने वाली नदियों तथा नहरों के जाल को जलप्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 2.
दोआब क्या होता है ?
उत्तर-
दो दरियाओं के बीच मौजूद क्षेत्र को दोआब कहते हैं।

प्रश्न 3.
जल विभाजक का अर्थ बताएं।
उत्तर-
जब कोई ऊंचा क्षेत्र, जैसे कि पर्वत, जब दो नदियों या जल प्रवाहों को विभाजित करता हो तो उस क्षेत्र को जल विभाजक कहते हैं।

प्रश्न 4.
अप्रवाह क्षेत्र क्या होता है ?
उत्तर-
किसी नदी या उसकी सहायक नदियों के नज़दीक का क्षेत्र जहां से वह पानी प्राप्त करते हैं उसे अप्रवाह क्षेत्र कहते हैं।

प्रश्न 5.
जल निकास स्वरूप किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब पृथ्वी पर बहता हुआ पानी अलग-अलग स्वरूप बनाता है तो इसे जल निकास स्वरूप कहते हैं।

प्रश्न 6.
जल निकास स्वरूप के प्रकार बताएं।
उत्तर-
द्रुमाकृतिक अप्रवाह, जालीनुमा प्रवाह, आयताकार अप्रवाह तथा अरीय अप्रवाह।

प्रश्न 7.
भारत के नदी तंत्र को हम किन चार भागों में विभाजित कर सकते हैं ?
उत्तर-
हिमालय की नदियां, प्रायद्वीपीय नदी तंत्र, तट की नदियां तथा आंतरिक नदी तंत्र तथा झीलें।

प्रश्न 8.
देश के मुख्य जल विभाजक कौन से हैं ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत श्रेणी तथा दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार।

प्रश्न 9.
सिन्धु नदी की सहायक नदियों के नाम बताएं।
उत्तर-
सतलुज, रावी, ब्यास तथा जेहलम।।

प्रश्न 10.
गंगा की सहायक नदियों के नाम बताएं।
उत्तर-
यमुना, सोन, घाघरा, गंडक, बेतवा, कोसी इत्यादि।

प्रश्न 11.
कौन सी नदियां Antecedent Drainage की उदाहरण हैं।
उत्तर-
सिन्धु, सतलुज, अलकनंदा, गंडक, कोसी तथा ब्रह्मपुत्र ।

प्रश्न 12.
तिब्बत में सिन्धु नदी को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
तिब्बत में सिन्धु नदी को सिंघी खम्बत या शेर का मुख कहते हैं।

प्रश्न 13.
सिन्धु नदी की कुल लंबाई कितनी है ?
उत्तर-
2880 किलोमीटर।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 14.
भारत की पवित्र नदी किसे माना जाता है ?
उत्तर-
गंगा नदी को भारत की पवित्र नदी माना जाता है।

प्रश्न 15.
गंगा की मुख्य धारा को क्या कहते हैं?
उत्तर-
गंगा की मुख्य धारा को भगीरथी कहते हैं।

प्रश्न 16.
गंगा तथा ब्रह्मपुत्र कौन से डैल्टा को बनाती है ?
उत्तर-
सुन्दरवन डैल्टा को।

प्रश्न 17.
गंगा की कुल लंबाई कितनी है ?
उत्तर-
2525 किलोमीटर।

प्रश्न 18.
ब्रह्मपुत्र नदी कहां से शुरू होती है ?
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में कैलाश पर्वत में आंगसी ग्लेशियर से शुरू होती है।

प्रश्न 19.
तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को सांगपो (Tsengpo) कहा जाता है।

प्रश्न 20.
भारत में ब्रह्मपुत्र किस स्थान पर आती है ?
उत्तर-
नमचा बरवा।।

प्रश्न 21.
ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों के नाम बताएं।
उत्तर-
सुबरनगिरी, कमिंग, धनगिरी, दिहांग, लोहित इत्यादि।

प्रश्न 22.
दक्षिण की कौन-सी नदियां पश्चिम दिशा की तरफ बहती हैं ?
उत्तर-
नर्मदा तथा ताप्ती नदियां।

प्रश्न 23.
दक्षिण की कौन सी नदियां पूर्व दिशा की तरफ बहती हैं ?
उत्तर-
महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी।

प्रश्न 24.
आंतरिक जल निकास प्रणाली क्या होती है ?
उत्तर-
देश की कई नदियां समुद्र तक पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाती हैं तथा इन सब को ही आन्तरिक जल निकास प्रणाली कहा जाता है।

प्रश्न 25.
देश की आंतरिक जल निकास प्रणाली की तीन नदियों के नाम लिखें।
उत्तर-
घग्गर नदी, लूनी नदी, सरस्वती नदी।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 26.
प्रायद्वीपीय पठार में प्राकृतिक झीलें कहां मिलती हैं ?
उत्तर-
लोनार (महाराष्ट्र), चिल्का (ओडिशा), पुलीक (तमिलनाडु), पैरीयार (केरल), कोलेरू (सीमांध्र) इत्यादि।

प्रश्न 27.
चिल्का झील की लंबाई कितनी है तथा यह कहां पर स्थित है ?
उत्तर-
चिल्का झील 70 कि०मी० लंबी है तथा यह ओडिशा में स्थित है।

प्रश्न 28.
गंगा एक्शन प्लान कब तथा कहां पर शुरू किया गया था ?
उत्तर-
गंगा एक्शन प्लान 1986 में गंगा के प्रदूषण को रोकने के लिए शुरू किया गया था।

प्रश्न 29.
महानदी की लंबाई कितनी है ?
उत्तर-
858 किलोमीटर।

प्रश्न 30.
गोदावरी, कृष्णा, कावेरी तथा नर्मदा की लंबाई कितनी है ?
उत्तर-
गोदावरी-1465 किलोमीटर, कृष्णा- 140 किलोमीटर, कावेरी-800 किलोमीटर, नर्मदा-1312 किलोमीटर।

प्रश्न 31.
गोदावरी की सहायक नदियों के नाम लिखें।
उत्तर-
धेनगंगा, वेनगंगा, वार्धा, इन्द्रावती, मंजरा, साबरी।

प्रश्न 32.
कावेरी की सहायक नदियों के नाम बताएं।
उत्तर-
हेरावती, हीरानेगी, अमरावती, काबानी।

प्रश्न 33.
ताप्ती नदी की सहायक नदियों के नाम बताएं।
उत्तर-
गिरना, मिंडोला, पूर्णा, पंजारा, शिप्रा, अरुणावती इत्यादि।

प्रश्न 34.
लुनी नदी के बारे में बताएं।
उत्तर-
लुनी नदी पुष्कर, राजस्थान में से निकलती है। इसकी लंबाई 465 किलोमीटर है तथा यह कच्छ के रेगिस्तान में खत्म हो जाती है।

प्रश्न 35.
जम्मू-कश्मीर में प्रमुख झीलों के नाम बताएं।
उत्तर-
डल झील तथा वूलर झील।

प्रश्न 36.
राजस्थान में खारे पानी की झील कौन-सी है ?
उत्तर-
सांबर झील।

प्रश्न 37.
उद्योगों में से कौन-से जहरीले पदार्थ निकाल कर नदियों में फैंके जाते हैं ?
उत्तर-कोडमीयम, आर्सेनिक, सिक्का, तांबा, मैग्नीशियम, पारा, जिंक, निक्कल इत्यादि।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय की नदियाँ सदानीरा (बारहमासी) क्यों हैं?
उत्तर-
सदानीरा का अर्थ है सारा साल अथवा बारहमास बहने वाली। हिमालय की नदियों को शुष्क ऋतु तथा वर्षा ऋतु दोनों ही ऋतुओं में जल प्राप्त होता है। वर्षा ऋतु में ये वर्षा से जल प्राप्त करती हैं। शुष्क ऋतु में हिमालय की बर्फ पिघल कर इन्हें जल प्रदान करती है। यही कारण है कि हिमालय की नदियाँ सदानीरा अथवा बारहमासी हैं। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र हिमालय की बारहमासी नदियों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
हिमालय के तीन मुख्य नदी-तंत्रों के नाम बताओ। प्रत्येक की दो सहायक नदियों के नाम बताएं।
उत्तर-
हिमालय के तीन मुख्य नदी तंत्र तथा उनकी सहायक नदियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. सिंधु नदी तंत्र-इसकी मुख्य सहायक नदियाँ सतलुज, रावी, ब्यास, चिनाब, झेलम इत्यादि हैं।
  2. गंगा नदी तंत्र-इस नदी तंत्र की मुख्य सहायक नदियाँ यमुना, घाघरा, गोमती, गंडक, सोन, बेतवा इत्यादि हैं। 3. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र-इसकी मुख्य सहायक नदियाँ दिबांग, लोहित, केनुला इत्यादि हैं।

प्रश्न 3.
ब्रह्मपुत्र की घाटी का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र का उद्गम स्थान तिब्बत में सिंधु और सतलुज के उद्गम के निकट ही है। ब्रह्मपुत्र की लंबाई सिंधु नदी के बराबर है। परंतु इसका अधिकांश विस्तार तिब्बत में है। तिब्बत में इसका नाम सांगपो है। नामचा बरवा नामक पर्वत के पास यह तीखा मोड़ लेकर भारत में प्रवेश करती है। अरुणाचल प्रदेश में इसे दिहांग के नाम से पुकारते हैं। लोहित, दिहांग तथा दिबांग के संगम के पश्चात् इसका नाम ब्रह्मपुत्र पड़ता है। बंग्लादेश के उत्तरी भाग में इसका नाम जमुना है तथा मध्य भाग में इसे पद्मा कहते हैं । दक्षिण में पहुँच कर ब्रह्मपुत्र और गंगा आपस में मिल जाती हैं, तब इस संयुक्त धारा को मेघना कहते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 4.
गंगा नदी प्रणाली का विवरण दें।
उत्तर-
गंगा नदी प्रणाली के मुख्य पहलुओं का वर्णन इस प्रकार हैजन्म-स्थान-गंगा नदी गंगोत्री हिमानी से निकलती है।
सहायक नदियाँ-गंगा की मुख्य सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, घाघरा, बाघमती, महानंदा, गोमती, गंडक, छोटी गंडक, जलांगी, भैरव, कोसी, दामोदर, सोनत टोंस, केन, बेतवा तथा चंबल इत्यादि हैं।
लंबाई-गंगा नदी की कुल लंबाई 2525 कि० मी० है, जिसमें से यह 2415 कि० मी० की यात्रा भारत में तय करती है।
डेल्टा व अन्य विशेषताएँ-गंगा ब्रह्मपुत्र नदी के साथ मिलकर संसार का सबसे बड़ा डेल्टा बनाती है। अंततः यह पश्चिमी बंगाल के 24 परगना जिले में सुंदरवन डेल्टे के मार्ग से बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

प्रश्न 5.
भारतीय पठार की पूर्व-प्रवाहिनी नदियों की जानकारी दें।
उत्तर-
भारतीय पठार पर महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी इत्यादि महत्त्वपूर्ण नदियाँ बहती हैं। ये सभी नदियाँ पूर्व की ओर बहती हई बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं।

  1. महानदी मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ पठार की पहाड़ी श्रेणियों से निकलती है।
  2. गोदावरी भारतीय पठार की सबसे बड़ी नदी है। यह सहयाद्रि पर्वत में त्र्यंबकेश्वर के निकट से निकलती है। इस नदी में वर्ष भर पानी रहता है। गंगा नदी की तरह इस नदी ने भी अपने मुहाने पर विस्तृत डेल्टा क्षेत्र का निर्माण किया है।
  3. कृष्णा नदी सहयाद्रि के महाबलेश्वर स्थान से उदय होती है। इसमें भीमा, कोयना, पंचगंगा, तुंगभद्रा इत्यादि नदियाँ मिलती हैं।

प्रश्न 6.
प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों का विवरण दें।।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिम में बहने वाली नदियों के नाम हैं-माही, साबरमती, नर्मदा तथा ताप्ती।

  1. माही-माही नदी विंध्याचल पर्वत से निकलती है। इसकी कुल लंबाई 533 कि० मी० है। यह खंबात नगर के समीप खंबात की खाड़ी की दाईं ओर जाकर गिरती है।
  2. साबरमती-साबरमती उदयपुर के पास मेश्वा से निकलती है। यह मौसमी नदी 416 कि० मी० लंबी है। अंत में यह गांधीनगर और अहमदाबाद से होती हुई खंबात की खाड़ी में गिरती है।
  3. नर्मदा-यह नदी अमरकंटक पठार से निकलती है और 1312 कि० मी० की यात्रा तय करती हुई जबलपुर, होशंगाबाद होती हुई भडोच के समीप खंबात की खाड़ी में गिरती है।
  4. ताप्ती-दक्षिण की अन्य नदियों की भांति ताप्ती नदी भी मौसमी नदी है, जो मध्य प्रदेश के बेतूल जिले में मुलताई के पास आरंभ होती है और अंत में सूरत के समीप अरब सागर में जा गिरती है। इसकी लंबाई 724 किलोमीटर है।

प्रश्न 7.
हिमालय से निकलने वाली नदियों की प्रमुख विशेषताएँ बताओ।
उत्तर-

  1. हिमालय से निकलने वाली अधिकतर नदियाँ उत्तर भारत में बहती हैं।
  2. ये नदियाँ काफ़ी लंबी हैं तथा बारह मास बहती हैं। वर्षा के समय इन नदियों में बहुत बड़ी मात्रा में पानी बहता है। ग्रीष्म काल में हिमालय की बर्फ पिघलने से इनमें पर्याप्त जल रहता है।
  3. मैदानी भागों में ये नदियाँ कांप का संचयन करती हैं जिससे नदियों के कछार उपजाऊ बनते हैं।
  4. ये नदियाँ सिंचाई और जल विद्युत निर्माण की दृष्टि से भी उपयोगी हैं।
  5. इनका मंद गति से बहने वाला जल यातायात की सुविधा प्रदान करता है।
  6. हिमालय की अधिकतर नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इसकी एकमात्र मुख्य नदी सिंधु ही अरब सागर में गिरती है।

प्रश्न 8.
सिंधु तथा उसकी सहायक नदी सतलुज पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
सिंधु-सिंधु नदी हिमालय में मानसरोवर के उत्तर में उदय होती है। यह कश्मीर से होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है और अरब सागर में जा गिरती है। इसकी लंबाई लगभग 2900 कि० मी० है। परंतु इसका केवल 700 कि० मी० लंबाई का प्रवाह भारत में है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत जलप्रवाह 1

सतलुज-सतलुज नदी का उदय मानसरोवर के समीप ही रक्षताल से होता है । यह हिमाचल प्रदेश और पंजाब राज्य से होती हुई पाकिस्तान में जाकर सिंधु में मिल जाती है। सतलुज की सहायक नदियाँ-जेहलम, चिनाब, रावी, ब्यास आदि भी हिमालय से निकलती हैं। इन नदियों के जल का उपयोग मुख्यतः पंजाब में सिंचाई के लिए किया जाता है।

प्रश्न 9.
भारत की झीलों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
भारत में झीलों की संख्या अधिक नहीं है। डल, वूलर, सांभर, चिल्का, कोलेरू, पुलीकट, वेबनाद, लोणार आदि भारत की प्रमुख झीलें हैं।

  1. इनमें से सात झीलें कुमाऊँ हिमालय क्षेत्र के नैनीताल जिले में हैं।
  2. डल तथा वूलर झीलें उत्तरी कश्मीर में हैं। ये पर्यटकों के लिए आकर्षण स्थल हैं।
  3. राजस्थान में जयपुर के समीप सांभर और महाराष्ट्र में बुलढाणा जिले में लोणार में खारे पानी की झीलें हैं।
  4. ओडिशा की चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
  5. चेन्नई (मद्रास) के समीप पुलीकट अनूप झील है।
  6. गोदावरी और कृष्णा नदी के डेल्टा प्रदेश के बीच कोलेरू नामक मीठे पानी की झील है।
  7. केरल के किनारों के साथ-साथ लंबी-लंबी अनूप झीलें हैं। इन्हें कयाल कहते हैं। इनमें से बनाद खारे पानी का सबसे बड़ा कयाल है।

प्रश्न 10.
“पश्चिमी तटवर्ती नदियां डैल्टा नहीं बनातीं।” व्याख्या करो।
उत्तर-
पश्चिमी तट की मुख्य नदियां नर्मदा तथा ताप्ती हैं। यह नदियां काफी कम दूरी तय करती हैं तथा काफी तेज़ गति से अरब सागर में मिलती हैं। परंतु डैल्टा बनाने के लिए नदियों की गति का कम होना आवश्यक है। इस लिए नर्मदा तथा ताप्ती नदियां डैल्टा नहीं बना पातीं। इनकी लहरें तथा ज्वार अधिक प्रभावशाली होते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के अंदरूनी अर्थात् आंतरिक जल निकास प्रणाली का वर्णन करें।
उत्तर-
देश की बहुत-सी नदियाँ समुद्र तक पहुँचने से पहले ही मार्ग में शुष्क भूमि या झील में समाप्त हो जाती हैं। इस प्रकार आंतरिक स्थलवर्ती क्षेत्रों में ही विसर्जित होने वाले पानी के निकास को आंतरिक जल-निकास प्रणाली कहा जाता है। इस प्रकार की जल-निकास प्रणाली का अध्ययन नदियों के उद्गम व विलीन स्थान के आधार पर किया जाता है।
I. उद्गम स्थान के आधार पर भारत में ऐसी निकास प्रणाली हिमालय तथा अरावली पर्वतों की ढलानों में जन्म लेती है।
1. हिमालय क्षेत्र-हिमालय क्षेत्र में शिवालिक और लद्दाख की अंतर्मुखी जल-निकास प्रणाली आती है।

  1. शिवालिक पर्वत श्रेणियों में घग्घर नदी लगभग 1500 मीटर की ऊँचाई वाली मोरनी की पहाड़ियों से आरंभ होकर पंचकुला के समीप मैदान में प्रवेश करती है। यह पंजाब-हरियाणा की सीमा से राजस्थान के हनुमानगढ़ नगर तक पहुँच जाती है। परंतु मार्ग में यह सिंचाई तथा अधिक वाष्पीकरण के कारण समाप्त हो जाती है। इसकी सहायक नदियों में सुखना, टांगरी, मारकंडा व सरस्वती मुख्य हैं।
  2. घग्घर के अतिरिक्त चंडीगढ़ के आस-पास बहने वाली जैयंती राव तथा पटियाली राव छोटे नाले भी इस प्रकार की जल-निकास प्रणाली में आते हैं।
  3. तराई के क्षेत्र में भी इस तरह की नदियाँ मिलती हैं जो दक्षिण हिमालय की ढलानों से उतर कर भाबर क्षेत्रों में विलीन हो जाती हैं।
  4. लद्दाख की अंतर-पर्वतीय पठारी भाग की अकसाई चिन नदी भी इस प्रकार की प्रणाली का निर्माण करती है।

2. अरावली क्षेत्र-

  1. अरावली क्षेत्र में वर्षा की ऋतु में कई नदियाँ-नाले जन्म लेते हैं। इनकी पश्चिमी ढलानों पर विकसित होने वाली नदियाँ सांभर झील, जयपुर झील या फिर बालू के टिब्बों में समा जाती हैं।
  2. लूनी नदी सांभर झील के पास से शुरू होकर कच्छ के रण में विलीन हो जाती है।

II. विलीन स्थान के आधार पर-इस आंतरिक जल-निकास प्रणाली में बहुत-सी छोटी-छोटी नदियाँ-नाले या बरसाती जलधाराएँ (पंजाबी में चौ कहते हैं) पानी का निकास धरातल पर गहरे खड्डों यानी झीलों (Lakes) में करती हैं। ये झीलें हिमालय, थार मरुस्थल व प्रायद्वीपीय पठार जैसे तीनों ही मुख्य प्राकृतिक भूखंडों में मिलती हैं।
1. हिमालय की झीलें-हिमालय की झीलों का वर्गीकरण इस प्रकार है-

  1. कश्मीर क्षेत्र की डल, वूलर, अनंतनाग, शेषनाग, वैरीनाग जैसी झीलें विश्व-प्रसिद्ध हैं।
  2. कुमाऊँ हिमालय में भीमताल, चंद्रपालताल, नैनीताल, पुनाताल इत्यादि झीलें प्रमुख हैं।

2. थार मरुस्थल-इसमें सांभर, साल्टलेक, जीवई, छोपारबाढ़ाबंध, साईपद व जैसोमंद झीलें आती हैं।
3. प्रायद्वीपीय पठार-इसमें महाराष्ट्र की लोनार, ओडिशा की चिल्का, तमिलनाडु की पुलीकट, केरल की पेरियार आदि प्राकृतिक झीलें हैं।

प्रश्न 2.
बंगाल की खाड़ी में पहुंचने वाली जल-निकास प्रणाली का विवरण दें।
उत्तर-
भारत की अधिकांश नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। खाड़ी बंगाल में गिरने वाले नदी तंत्रों का वर्णन इस प्रकार है गंगा नदी तंत्र-गंगा उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में गंगोत्री से निकलती है। हरिद्वार के पास यह उत्तरी मैदान में प्रवेश करती है। इसके पश्चिम में यमुना नदी है, जो इलाहाबाद में इससे मिल जाती है। यमुना में दक्षिण की ओर से चंबल, सिंध, बेतवा और केन नामक नदियाँ आकर मिलती हैं। ये सभी नदियाँ मैदान में प्रवेश करने से पूर्व मालवा के पठार पर बहती हैं। दक्षिण पठार से आकर सीधे गंगा में मिलने वाली एकमात्र बड़ी नदी सोन है। आगे बढ़कर पूर्व में दामोदर नदी गंगा में आकर मिलती है। इलाहाबाद के बाद गंगा में मिलने वाली हिमालय की कुछ नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर इस प्रकार हैं-गोमती, घाघरा, गंडक और कोसी। भारत में गंगा की लंबाई 2415 किलोमीटर है।

ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र-ब्रह्मपुत्र का उद्गम स्थल भी तिब्बत में सिंधु और सतलुज के उद्गम के निकट ही है। यह नदी बड़ी भारी मात्रा में जल बहाकर ले जाती है। ब्रह्मपुत्र की लंबाई सिंधु के बराबर है, लेकिन इसका अधिकतर मार्ग तिब्बत में है। तिब्बत में यह हिमालय के समानांतर बहती है, जहाँ इसका नाम सांगपो है। नामचाबरवा नामक पर्वत के पास इसने तीखा मोड़ लिया है। यहीं इसने 5500 मीटर गहरा महाखड्ड बनाया है। भारत में इसकी लंबाई 885 किलोमीटर है। लोहित, दिहांग तथा दिबांग के संगम के बाद इसका नाम ब्रह्मपुत्र पड़ता है। इस नदी में विशाल जलराशि का प्रवाह होता है। बंगलादेश के उत्तरी भाग में इसका नाम सूरमा है तथा मध्य भाग में इसे पद्मा कहते हैं। दक्षिण में बढ़कर ब्रह्मपुत्र और गंगा आपस में मिल जाती हैं। तब इन दोनों की संयुक्त धारा को मेघना कहते हैं।

प्रायद्वीपीय भू-भाग की नदियाँ–प्रायद्वीप की प्रमुख नदियाँ महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी हैं जो खाड़ी बंगाल में जा गिरती हैं।

प्रश्न 3.
अरब सागर की जल निकास प्रणाली की व्याख्या करें।
उत्तर-
भारत की कुछ नदियां अरब सागर में जाकर मिलती हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है
सिन्धु-सिन्धु नदी की लंबाई 2880 किलोमीटर है परंतु इसका अधिकतर भाग पाकिस्तान में बहता है। यह तिब्बत में शुरू होकर कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती है। सतलुज, रावी, ब्यास तथा जेहलम इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। एक-एक करके यह नदियां अंत में सिन्धु नदी में मिल जाती हैं तथा फिर सिन्धु नदी अथवा सम्पूर्ण जल अरब सागर की गोद में मिला देती है।

प्रायद्वीपीय नदियां-प्रायद्वीपीय भारत की नर्मदा तथा ताप्ती नदियां पश्चिमी दिशा की तरफ बहते हुए अरब सागर में जा मिलती हैं । यह दोनों नदियां तंग तथा लंबी घाटियों से होते हुए बहती हैं । नर्मदा नदी के उत्तर में विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा दक्षिण में सतपुड़ा पर्वत श्रेणी है। सतपुड़ा के दक्षिण में ताप्ती नदी है। कहा जाता है कि यह नदी घाटियां काफी पुरातन हैं। यह नदियां तंग नदी मुखों के द्वारा समुद्र में मिल जाती हैं।

प्रश्न 4.
जल निकास स्वरूप तथा इसके प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
जल विकास स्वरूप- जब पृथ्वी के किसी भाग पर पानी बहता है तो यह अलग-अलग प्रकार के स्वरूप बनाता है जिसे हम जल विकास स्वरूप अथवा अप्रवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern) कहते हैं। जब भी कोई नदी अथवा दरिया अलग-अलग क्षेत्रों में से बहता है तो बहता हुआ पानी कुछ निश्चित प्रतिरूपों का निर्माण करता है। यह प्रतिरूप चार प्रकार के होते हैं-

  1. द्रमाकृतिक अथवा वृक्ष के समान अप्रवाह (Dendritic Pattern)
  2. आयताकार अथवा समांतर अप्रवाह (Parellel Pattern)
  3. जालीनुमा अप्रवाह (Trallis Pattern)
  4. अरीय अथवा चक्रीय अप्रवाह (Radial Pattern)

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत जलप्रवाह 2

जल निकास स्वरूप में पानी की धाराएँ एक निश्चित स्वरूप बनाती हैं जोकि उस क्षेत्र की भूमि की ढलान, जलवायु संबंधी अवस्थाओं तथा वहां पर मौजूद चट्टानों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

  1. द्रमाकृतिक अथवा वृक्ष के समान अप्रवाह-द्रमाकृतिक अपवाह उस समय बनता है जब धाराएं उस स्थान की भूमि की ढलान के अनुसार बहती हैं। इस अप्रवाह में मुख्य धारा तथा उसकी सहायक नदियां एक पेड़ की शाखाओं की तरह लगती हैं।
  2. आयताकार अथवा समांतर अप्रवाह-आयताकार अप्रवाह प्रतिरूप प्रबल संधित शैलीय भूभाग पर विकसित होता है।
  3. जालीनुमा अप्रवाह-जब सहायक नदियां मुख्य नदी से समकोण पर मिलती हैं तो जालीनुमा अप्रवाह का निर्माण होता है।
  4. अरीय अथवा चक्रीय अप्रवाह-अरीय अप्रवाह उस समय विकसित होता है जब केन्द्रीय शिखर या गुम्बद जैसी संरचना धाराएं विभिन्न दिशाओं में एकत्रित होती हैं। एक ही अप्रवाह श्रेणी में अलग-अलग प्रकार के अप्रवाह भी मिल जाते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 3a भारत : जलप्रवाह

प्रश्न 5.
नदी-जल-प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं ? इसे कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर-
नदी-जल-प्रदूषण से अभिप्राय है-नदियों के जल में अपशिष्ट पदार्थों तथा विषैले रसायनों का मिलना। आज हमारे देश में नदी-जल-प्रदूषण की गंभीर समस्या बनी हुई है। गंगा तथा यमुना का जल तो बहुत अधिक प्रदूषित हो चुका है। ऐसे जल के उपयोग से पीलिया, पेचिस तथा टाइफाइड जैसी बीमारियाँ फैलती हैं। इससे जल जीवों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है।
नदी-जल-प्रदूषण के कारण-नदी-जल-प्रदूषण के लिए स्वयं मनुष्य उत्तरदायी है। वह निम्नलिखित तरीकों से नदियों के जल को प्रदूषित कर रहा है-

  1. कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ तथा विषैले रसायन मिला जल नदियों में बहा दिया जाता है। उदाहरण के लिए चमड़ा साफ़ करने वाले कारखानों से निकला गंदा जल आस-पास की नदियों के जल को प्रदूषित कर रहा है।
  2. लोग अपने घरों का कूड़ा-कर्कट तथा गंदा जल नदियों में बहा देते हैं। यह जल बड़े नालों में से होता हुआ नदियों में जा मिलता है।
  3. किसान खेतों में उर्वरकों तथा कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। ये पदार्थ वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों में जा मिलते हैं।
  4. भारत की लगभग सभी मुख्य नदियों पर बाँध बनाए गए हैं। इससे नदियों का जल-स्तर बढ़ गया है तथा जल के प्रवाह की गति कम हो गई है। परिणामस्वरूप कई प्रकार का खतरनाक अवसाद जल में घुला रहता है और वहीं इकट्ठा होता रहता है।
  5. कुछ नदियों पर धोबी-घाट बने हुए हैं जहाँ मैले कपड़े धोए जाते हैं। इस प्रकार नदियों का जल गंदा तथा विषैला होता रहता है।

नदी-जल-प्रदूषण को रोकने के उपाय-नदी-जल के प्रदूषण को रोकने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जाने चाहिएं

  1. प्रदूषित जल का पुनः चक्रण-नगरों के प्रदूषित जल को नगरों के निकट ही वैज्ञानिक ढंग से संशोधित करना चाहिए। इस प्रकार यह पुनः पीने योग्य बन जाएगा और नदी-जल-प्रदूषण पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा।
  2. वनारोपण-अधिक-से-अधिक वन लगाए जाने चाहिए। वनस्पति धरातलीय प्रवाह को नियंत्रित करती है तथा कई अपशिष्ट पदार्थों को नदियों में बह जाने से रोकती है।
  3. खेतों की मेड़बंदी-खेतों में हल चलाते समय खेत के चारों ओर ऊँची मेड़ बना देनी चाहिए। यह मेड़ हल्की वर्षा या बाढ़ के समय मिट्टी तथा कीटनाशकों को खेतों से बाहर नहीं जाने देती।
  4. वैधानिक उपाय तथा जागरुकता-लोगों को जागरूक बना कर तथा वैधानिक उपायों द्वारा जल के प्रदूषण को रोकना भी अनिवार्य है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा नदियों में गंदे जल की निकासी पर कड़ा प्रतिबंध लगा देना चाहिए। नदियों पर बने धोबी घाट हटा देने चाहिए।
  5. दंडनीय अपराध बनाना-वास्तव में जल को प्रदूषित करना एक दंडनीय अपराध बना देना चाहिए।

Leave a Comment