PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 15 हमारा पर्यावरण

PSEB 10th Class Science Guide हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नकरणीय पदार्थ हैं ?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर-
(a), (c) तथा (d)।

प्रश्न 2.
निम्न से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं ?
(a) घास, गेहूँ तथा आम ।
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी।
उत्तर-
(b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं ?
(a) बाज़ार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना।
(c) मां द्वारा स्कूटर विद्यालय छोड़ने की बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें ( मार डालें) ?
उत्तर-
यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें तो पारिस्थितिक संतुलन बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा। प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जब किसी एक कड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो उस आहार श्रृंखला का संबंध किसी दूसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है। यदि घास → हिरण → शेर आहार श्रृंखला से शेरों को मार दिया जाए तो घास चरने वाले हिरणों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी। उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी। उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतियों को खत्म कर देगी जिससे वह क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा। सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक परिवर्तन का उदाहरण है।

प्रश्न 5.
क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा ? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?
उत्तर-
किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों पर अलग-अलग होगा। –

  1. उत्पादकों को हटाने का प्रभाव-यदि उत्पादकों को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया तो सारा पारितंत्र ही नष्ट हो जाएगा। तब किसी प्रकार का जीवन नहीं रहेगा।
  2. शाकाहारियों को हटाने का प्रभाव-शाकाहारियों को नष्ट करने से उत्पादकों (पेड़-पौधों-वनस्पतियों) के जनन और वृद्धि पर रोक-टोक समाप्त हो जाएगी और मांसाहारी भूख से मर जाएंगे।
  3. मांसाहारियों को हटाने का प्रभाव-मांसाहारियों को हटा देने से शाकाहारियों की संख्या इतनी अधिक तेजी से बढ़ जाएगी कि क्षेत्र की सभी वनस्पतियाँ समाप्त हो जाएंगी।
  4. अपघटकों को हटाने का प्रभाव-अपघटकों को हटा देने से मृतक जीव-जंतुओं के ढेर लग जाएंगे।

उन के सड़े हुए शरीरों में तरह-तरह के जीवाणुओं के उत्पन्न हो जाने से बीमारियां फैलेंगी। मिट्टी में उत्पादकों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी। किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है। उत्पादकों को हटाने से शाकाहारी जीवित नहीं रह सकते हैं और शाकाहारियों के न रहने से मांसाहारी नहीं रह सकते। अपघटकों को हटा देने से उत्पादकों को अपनी वृद्धि के लिए पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाएंगे।

प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा ?
उत्तर-
जैविक आवर्धन-विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनका हमारे शरीर में सांद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं। इन रसायनों का हमारे शरीर में प्रवेश विभिन्न विधियों द्वारा हो सकता है।

हम फसलों को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक, पीड़कनाशक आदि रसायनों का छिड़काव करते हैं। इनका कुछ भाग मिट्टी द्वारा भूमि में रिस जाता है जिसे पौधे जड़ों द्वारा खनिजों के साथ ग्रहण कर लेते हैं। इन्हीं पौधों के उपयोग से वे रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा पौधों के लगातार सेवन से उनकी सांद्रता बढ़ती जाती है जिसके परिणामस्वरूप जैव आवर्धन का विस्तार होता है।

मनुष्य सर्वभक्षी है। वह पौधों तथा जंतुओं दोनों का उपयोग करता है तथा अनेक आहार श्रृंखलाओं में स्थान ग्रहण कर सकता है। इस कारण मानव में रसायन पदार्थों का प्रवेश तथा सांद्र शीघ्रता से होता है और जैव आवर्धन का विस्तार होता है।

उदाहरण-
उत्तरी अमेरिका में मिशीगन झील के आसपास मच्छरों को मारने के लिए बहुत अधिक डी० डी० टी० का छिड़काव किया गया जिससे पेलिकन नामक पक्षियों की संख्या बहुत कम हो गई। पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा यह पाया गया कि पानी में प्रति दस लाख कण में 0.2 कण डी० डी० टी० (1 ppm = \(\frac{1}{1000000} \)) है। डी० डी० टी० के उच्च स्तर के कारण पेलिकन पक्षियों के अंडों का आवरण पतला हो गया जिससे बच्चों के निकलने से पहले ही अंडे टूट जाते थे।

प्रश्न 7.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर-
हमारे द्वारा उत्पादित प्लास्टिक, डी० डी० टी० आदि से युक्त अजैव निम्नीकरणीय कचरे से अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं-

  1. नाले-नालियों में अवरोध।
  2. मृदा प्रदूषण।
  3. प्लास्टिक जैसे पदार्थों को निगल लेने से शाकाहारी जंतुओं की मृत्यु।
  4. मानव शरीर में जैव आवर्धन।
  5. पारिस्थितिक संतुलन में अवरोध।
  6. जल, वायु और मृदा प्रदूषण।
  7. सौंदर्य बोध की दृष्टि से हानिकारक और बुरा।

प्रश्न 8.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो, तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
उत्तर-
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो और उसका निपटान ठीक प्रकार से कर दिया जाए तो हमारे पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 9.
ओज़ोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है ? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर-
विभिन्न रासायनिक कारणों से ओज़ोन परत को क्षति बहुत तेजी से हो रही है। क्लोरोफ्लोरो कार्बनों की वृद्धि के कारण ओज़ोन परत में छिद्र उत्पन्न हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी हैं जो कैंसर, मोतिया बिंद और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं। ओजोन परत पराबैंगनी (UV) विकिरणों का अवशोषण कर लेती है।

इस क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में सर्वसम्मति यही बनी है कि क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। मांट्रियल प्रोटोकोल में 1987 में सन् 1998 तक क्लोरोफ्लोरो कार्बन के प्रयोग में 50% की कमी करने की बीत कही गई। सन् 1992 में मांट्रियल प्रोटोकॉल की मीटिंग में 1996 तथा CFCs पर धीरे-धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया। अब क्लोरोफ्लोरो कार्बन की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरंभ किया गया है जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं हैं। जनसामान्य में इसके प्रति भी सजगता लगभग नहीं है।

सजगता को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। विश्वभर की सरकारों को निम्नलिखित कार्य तत्परता से करने चाहिएं-

  1. सुपर सॉनिक विमानों का कम-से-कम प्रयोग।
  2. नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण रखना चाहिए।
  3. क्लोरोफ्लोरो कार्बन के प्रयोग को सीमित करना चाहिए।
  4. CFCs के विकल्प की तलाश करनी चाहिए।

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प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय ?
उत्तर-
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित हो जाते हैं। वे जीवाणुओं तथा अन्य प्राणियों के द्वारा उत्पन्न एंजाइमों की सहायता से समय के साथ अपने आप अपघटित हो कर पर्यावरण का हिस्सा बन जाते हैं। लेकिन अजैव निम्नीकरण पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित नहीं होते। अपनी संश्लिष्ट रचना के कारण उनके बंध दृढ़तापूर्वक आपस में जुड़े रहते हैं और एंजाइम उन पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाते।

प्रश्न 2.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-

  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थ बड़ी मात्रा में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इनसे दुर्गंध और गंदगी फैलती है।
  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थ तरह-तरह की बीमारियों को फैलाने के कारक बनते हैं। उनसे पर्यावरण में हानिकारक जीवाणु बढ़ते हैं।

प्रश्न 3.
ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-

  1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता। वे उद्योगों में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार हो कर बाद में मिट्टी में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मिल कर पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं।
  2. वे खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को तरह-तरह की हानि पहुँचाते हैं।

प्रश्न 4.
पोषी स्तर क्या है ? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बनाइए।
उत्तर-
पोषी स्तर- आहार श्रृंखला में उत्पादक और उपभोक्ता का स्थान ग्रहण करने वाले जीव जीवमंडल को कोई निश्चित संरचना प्रदान करते हैं, जिसे पोषी स्तर कहते हैं। आहार श्रृंखला में उत्पादक का पहला स्थान होता है। यदि हम पौधों का सेवन करें तो श्रृंखला में केवल उत्पादक तथा उपभोक्ता स्तर होते हैं। मांसाहारियों की आहार श्रृंखला में अधिक उपभोक्ता होते हैं।
आहार श्रृंखला का उदाहरण-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1

प्रश्न 5.
पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ? ।
उत्तर-
पारितंत्र में अपमार्जक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीवाणु मृतोपजीवी, कवक जैसे अति सूक्ष्म जीव मृत जैव अवशेषों का अपमार्जन करते हैं। ये मृत शरीरों का अपने भोजन के लिए उपयोग करते हैं। वे जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल देते हैं। फलों सब्जियों के छिलके, गले-सड़े फल, जैविक कचरा, गायभैसों का गोबर, पेड़-पौधों के गले सड़े भाग आदि अपमार्जकों के द्वारा विघटित कर दिए जाते हैं और वे आसानी से प्रकृति में पुनः मिल जाते हैं। अपमार्जक जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मिट्टी में मिलकर पौधों द्वारा पुन: उपयोग में लाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
ओज़ोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर-
ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी ओज़ोन का वायुमंडल के ऊपरी स्तर (स्ट्रैटोस्फीयर) में लगभग 16 किलोमीटर ऊपर एक आवरण है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों से पृथ्वी की सुरक्षा करता है। पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है। यह त्वचा कैंसर करती है। पृथ्वी के चारों ओर ओजोन परत समाप्त हो जाने से सूर्य के प्रकाश से आने वाली पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर बिना रोक-टोक पहुँचने लगेंगी और पारितंत्र को दुष्प्रभावित करने लगेंगी। सन् 1980 से वायुमंडल में ओज़ोन की मात्रा में तेज़ी से गिरावट आने लगी है।

ओज़ोन पारितंत्र को निम्नलिखित आधारों पर भी प्रभावित करती है –

  • तापमान में परिवर्तन के कारण धरती पर वर्षा में कमी।
  • चावल जैसी फ़सलों पर प्रभाव।
  • जलीय जीवों और पदार्थों पर प्रभाव।
  • मानवों में प्रतिरोध क्षमता की कमी तथा त्वचा कैंसर में वृद्धि ।
  • पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न होने की संभावना
  • सूक्ष्मजीवों में उत्परिवर्तन और उनकी मृत्यु का कारण।

प्रश्न 7.
आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं ? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कचरा व्यक्ति और समाज दोनों के लिए अति हानिकारक है क्योंकि इससे केवल गंदगी ही नहीं फैलती बल्कि यह अनेक प्रकार की बीमारियों का कारण भी बनता है। इसे निपटाने के लिए निम्नलिखित दो तरीकों को अपनाया जा सकता है-

  • पुन: चक्रण-कचरे में से कागज़, प्लास्टिक, धातुएँ, चीथड़े आदि चुन कर अलग करके उनका पुन: चक्रण किया जाना चाहिए। पुराने कागज़ और कपड़े के पुनः चक्रण से पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है। प्लास्टिक का बार-बार उपयोग किया जा सकता है।
  • मिट्टी में दबाना-जैव निम्नीकरण पदार्थों को मिट्टी में दबा कर कचरे का निपटान किया जा सकता है। उससे खाद प्राप्त कर खेतों में प्रयुक्त किया जा सकता है।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

PSEB 10th Class Science Guide ऊर्जा के स्रोत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर ऊर्जा जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन।
उत्तर-
(b) बादलों वाले दिन ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) कोयला।
उत्तर-
(c) नाभिकीय ऊर्जा ।

प्रश्न 3.
जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है। (a) भूतापीय ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैवमात्रा।
उत्तर-
(a) भूतापीय ऊर्जा।

प्रश्न 4.
ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर-

जीवाश्मी ईंधन सूर्
(1) यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है। (1) यह ऊर्जा का विकरणीय स्रोत है।
(2) यह बहुत अधिक प्रदूषण फैलाता है। (2) यह प्रदूषण नहीं फैलाता है।
(3) रासायनिक क्रियाओं से ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न प्रकाश उत्पन्न करता है। (3) परमाणु संलयन से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और करता है।
(4) निरंतर ऊर्जा प्रदान नहीं कर सकता है। (4) निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है।
(5) मानव मन चाहे ढंग से उस पर नियंत्रण कर भी अवस्था में नियंत्रण नहीं कर सकता। (5) मनचाहे ढंग से उसमें ऊर्जा उत्पत्ति पर मानव किसी सकता है।

प्रश्न 5.
जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत् की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए ।
उत्तर-
जैवमात्रा तथा जल विद्युत् की तुलना –

जैवमात्रा जल वैद्युत्
(1) जैव-मात्रा केवल सीमित मात्रा में ही ऊर्जा प्रदान कर सकती है। (1) जल वैद्युत् ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है।
(2) जैव-मात्रा से ऊर्जा प्राप्त करने के प्रक्रम में प्रदूषण फैलता है। (2) जल वैद्युत् ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत है।
(3) जैव-मात्रा से प्राप्त ऊर्जा को सीमित स्थान में ही प्रयोग किया जा सकता है। (3) जल वैद्युत् ऊर्जा को पारेषण लाइन की सहायता से कहीं भी ले जाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए
(a) पवनें
(b) तरंगें
(c) ज्वार-भाटा।
उत्तर-
(a) पवन ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ

  • पवन ऊर्जा निष्कर्षण के लिए पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना हेतु बहुत अधिक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है। एक MW के जनित्र के लिए 2 हेक्टेयर स्थान की आवश्यकता होती है।
  • पवन ऊर्जा तभी उत्पन्न हो सकती है जब पवन का न्यूनतम वेग 15 km/h हो।
  • हवा की तेज़ गति के कारण टूट-फूट और नुकसान की संभावनाएं अधिक होती हैं।
  • सारा वर्ष आवश्यक पवनें नहीं चलतीं।

(b) तरंगों से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ-समुद्रीय जल तरंगों के वेग के कारण उनमें ऊर्जा समाहित होती है जिसके कारण निष्कर्षण के लिए निम्न सीमाएँ हैं

  • तरंग ऊर्जा तभी प्राप्त की जा सकती है जब तरंगें बहुत प्रबल हों।
  • इसके समय और स्थिति बहुत बड़ी परिसीमाएं हैं।

(c) ज्वार भाटा ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ-ज्वारभाटा के कारण सागर की लहरों का चढ़ना और गिरना घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चंद्रमा के गुरुत्वीय आर्कषण के कारण होता है। तरंगों की ऊंचाई और बांध बनाने की स्थिति इसकी प्रमुख परिसीमाएं हैं।

प्रश्न 7.
ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे ?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय क्या
(a) तथा (b) के विकल्प समान हैं ?
उत्तर-
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय स्रोत

  • नवीकरणीय स्त्रोत-ये स्रोत ऊर्जा की उत्पत्ति तब तक करने की योग्यता रखते हैं जब तक हमारा सौर मंडल विद्यमान है। पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सागर की तरंगें, परमाणु ऊर्जा आदि नवीकरणीय स्रोत हैं।
  • अनवीकरणीय स्रोत-ऊर्जा के ये स्रोत लाखों वर्ष पहले विशिष्ट स्थितियों में बने थे। एक बार उपयोग कर लिए जाने के बाद इन्हें बहुत लंबे समय तक पुन: उपयोग में नहीं लाया जा सकता। जीवाश्मी ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसें ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।

(b) समाप्य तथा अक्षय (असमाप्य)-ऊर्जा के समाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं जबकि अक्षय (असमाप्य) स्रोत अनवीकरणीय हैं।

प्रश्न 8.
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर-

  • पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।
  • सरलता से प्रयोग करने की सुविधा से संपन्न होनी चाहिए।
  • समान दर से ऊर्जा की उत्पत्ति होनी चाहिए।
  • सरल भंडारण के योग्य होनी चाहिए।
  • परिवहन की योग्यता से युक्त होनी चाहिए।
  • यह सस्ता और सुलभ होना चाहिए।

प्रश्न 9.
सौर कुक्कर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियां हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुक्करों की सीमित उपयोगिता है ?
उत्तर-
सौर कुक्कर के लाभ-

  • ईंधन का कोई खर्च नहीं होता। ईंधन और विद्युत् की बचत है।
  • पूर्ण रूप से प्रदूषण रहित है। धीमी गति से खाना पकने के कारण भोजन के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते।
  • किसी प्रकार की गंदगी नहीं फैलती।
  • खाना पकाते समय निरंतर देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सौर कुक्कर की हानियां (सीमाएँ)

  • बहुत अधिक तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता।
  • रात के समय काम में नहीं लाया जा सकता।
  • बादलों वाले दिन काम नहीं कर सकता।
  • यह 100°C – 140°C तापमान प्राप्त करने के लिए 2-3 घंटे ले लेता है।

पृथ्वी पर कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ सौर कुक्कर का उपयोग अत्यंत सीमित है। उदाहरण के लिए, चारों ओर पर्वतों से घिरी हुई घाटी जहां सूर्य की धूप दिन में बहुत कम समय के लिए मिलती है। पहाड़ी ढलानों पर प्रति एकांक क्षेत्रफल पर आपतित सौर ऊर्जा की मात्रा भी कम होती है। इसके अतिरिक्त भूमध्य रेखा से सुदूर क्षेत्रों में सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह पर लंबवत् आपतित नहीं होती। अतः ऐसे क्षेत्रों पर सौर कुक्कर का प्रयोग करने के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा नहीं मिल पाती है।

प्रश्न 10.
ऊर्जा की बढ़ती मांग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर-
ऊर्जा की मांग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर निश्चित रूप से कुप्रभाव पड़ेगा। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती। उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएं आदि सब के लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।

ऊर्जा की बढ़ती मांग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत् ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसलिए ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन का कैलोरीमान अधिक हो, सरलता से प्राप्त हो, दाम भी बहुत अधिक न हो तथा स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए उपाय- इसके लिए निम्नलिखित उपाय उपयोग में लाए जा सकते हैं-

  1. घरों में विद्युत् उपकरणों का अनावश्यक प्रयोग में न किया जाए।
  2. पंखे, कूलर, ए० सी० आदि का प्रयोग करते समय परिवार के सभी सदस्य एक ही कमरे में रहने का प्रयास करें।
  3. बेहतर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को विकसित किया जाए तथा निजी गाड़ियों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जाए।
  4. स्ट्रीट लाइट को दिन में बंद किए जाने की समुचित व्यवस्था की जाएं।
  5. पारंपरिक उत्सवों (दीपावली, शादी समारोह आदि) पर ऊर्जा की बर्बादी पर रोक लगाई जाए।

Science Guide for Class 10 PSEB ऊर्जा के स्रोत InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह है जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  • जिसका प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
  • जिसका भंडारण और परिवहन सुगम हो।
  • सुगमता से प्राप्त हो जाता हो।
  • सस्ता हो।

प्रश्न 2.
उत्तम ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तम ईंधन-वह ईंधन जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हो, वह उत्तम ईंधन कहलाता है। उत्तम ईंधन की विशेषताएँ-

  • इसका ऊष्मीय मान (कैलोरीमान) अधिक होना चाहिए।
  • ईंधन का ज्वलन ताप उचित होना चाहिए।
  • ईंधन के दहन की दर संतुलित होनी चाहिए अर्थात् न अधिक हो और न कम।
  • ईंधन में अज्वलनशील पदार्थों की मात्रा जितनी कम हो उतना अच्छा होता है।
  • ईंधन के दहन के पश्चात् विषैले पदार्थों का उत्पादन कम-से-कम होना चाहिए।
  • ईंधन की उपलब्धता पर्याप्त तथा सुलभ होनी चाहिए।
  • ईंधन कम मूल्य पर प्राप्त हो सके।
  • ईंधन का आसानी से भंडारण तथा परिवहन सुरक्षित होना चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी ऊर्जा स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किस का उपयोग करेंगे और क्यों ?
उत्तर-
हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करना पसंद करेंगे, क्योंकि इस का ज्वलनांक अधिक नहीं है, कैलोरीमान अधिक है, दहन संतुलित दर से होता है तथा दहन के बाद विषैले पदार्थों को उत्पन्न नहीं करती।

प्रश्न 4.
जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर-
जीवाश्मी ईंधन की हानियाँ-जीवाश्मी ईंधन से होने वाली प्रमुख हानियाँ निम्नलिखित हैं –

  • पृथ्वी पर जीवाश्मी ईंधन का सीमित भंडार मौजूद है जो कुछ ही समय में समाप्त हो जाएगा।
  • जीवाश्मी ईंधन, जलाने पर विषैली गैसें मुक्त कर वायु प्रदूषण फैलाते हैं।
  • जीवाश्मी ईंधन को जलाने पर उत्सर्जित गैसें कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड आदि ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करती हैं जिसके फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला जा रहा है।
  • जीवाश्मी ईंधन के दहन से उत्सर्जित गैसें अम्लीय वर्षा का भी कारण बनती हैं।

प्रश्न 5.
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?
उत्तर-
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान देने के कारण-हम अपनी दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यों जैसे खाना पकाना, विद्युत् उत्पादन, औद्योगिक संयंत्रों तथा वाहन चलाने आदि के लिए जीवाश्मी ईंधनों (कोयला, पेट्रोलियम)पर निर्भर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिस दर से हम जीवाश्म ईंधन का उपयोग कर रहे हैं अतिशीघ्र ही जीवाश्म ईंधन का भंडार समाप्त हो जाएगा। वैकल्पिक स्रोत जल से उत्पादित विद्युत् की भी अपनी सीमाएँ हैं। अत: जल से सभी ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करना असंभव है। इसलिए शीघ्र ही भयंकर ऊर्जा संकट होने की आशंका है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दिया जा रहा है।

प्रश्न 6.
हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं ?
उत्तर-
पवनों तथा जल ऊर्जा का लंबे समय से प्रयोग मानव के द्वारा पारंपरिक रूप में किया जाता है। वर्तमान समय में इनमें कुछ सुधार किए गए हैं ताकि इनसे ऊर्जा की प्राप्ति सरलता, सहजता और सुगमता से हो।
1. पवन ऊर्जा-प्राचीन काल में पवन ऊर्जा से पवन चक्कियां चला कर कुओं से जल खींचने का काम होता था लेकिन अब पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पन्न करने में किया जाने लगा है। विद्युत् उत्पन्न करने के लिए अनेक पवन चक्कियों को समुद्रीय तट के समीप विशाल क्षेत्र में लगाया जाता है। ऐसे क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।

2. जल ऊर्जा-प्राचीन काल में जल ऊर्जा का उपयोग जल परिवहन में किया जाता है। जल को विद्युत् ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने के लिए पहाड़ों की ढलानों पर बांध बनाकर जल की स्थितिज ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। आज जल विद्युत् संयंत्रों को बांधों से संबंधित किया गया है।

जल विद्युत् उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोक कर बड़ी-बड़ी कृत्रिम झीलों में जल इकट्ठा कर लिया गया है। इस प्रक्रिया में जल की गतिज ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित कर लिया जाता है। बांध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल को बांध के आधार पर स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है जो विद्युत् ऊर्जा को उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.
सौर कुक्कर के लिए कौन-सा दर्पण-अवतल, उत्तल अथवा समतल-सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों ?
उत्तर-
सौर कुक्कर में अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह प्रकाश की सभी किरणों को वांछित स्थान की ओर परावर्तित कर केंद्रित करता है जिससे सौर कुक्कर का तापमान बढ़ जाता है।

प्रश्न 8.
महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर-
महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है परंतु सदैव ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा रूपांतरण की तीन विधियों-ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनीअपनी सीमाएं हैं।
1. ज्वारीय ऊर्जा-ज्वारीय ऊर्जा का दोहन, सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध बना कर किया जाता है। बांध पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित कर देता है। सागर के संकीर्ण क्षेत्र पर बांध निर्मित करके ऊर्जा की उचित स्थितियां सरलता से उपलब्ध नहीं होती।

2. तरंग ऊर्जा-तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल वहीं हो सकता है जहां तरंगें अति प्रबल हों। विश्वभर में ऐसे स्थान बहुत कम हैं जहां सागर के तटों पर तरंगें इतनी प्रबलता से टकराती हों कि उनकी ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सके।

3. सागरीय तापीय ऊर्जा-सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र (OTEC) तभी कार्य कर सकता है जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि० मी० तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो। इस प्रकार विद्युत् ऊर्जा प्राप्त हो सकती है परंतु यह प्रणाली बहुत महंगी है।

प्रश्न 9.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर-
भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में पिघलती हुई चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी को पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है जिसे गर्म-चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती हैं और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है। पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्युत् जनित्रों के द्वारा विद्युत् उत्पन्न की जाती है। अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 10.
नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
नाभिकीय ऊर्जा- भारी नाभिकीय परमाणु (यूरोनियम, प्लूटोनियम, थोरियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी करके हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। यूरोनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होता है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है। अतः परम्परागत ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा नाभिकीय विखंडन से अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। अतः विकसित और विकासशील देश नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत् ऊर्जा का रूपांतरण कर रहे हैं।

इससे निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

  • अधिक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए कम ईंधन की आवश्यकता पड़ती है।
  • यह ऊर्जा का विश्वसनीय स्रोत है और लंबे समय तक विद्युत् ऊर्जा प्रदान करने में सामर्थ्य है।
  • अन्य स्रोतों की अपेक्षा कम खर्च पर ऊर्जा प्रदान करता है।

प्रश्न 11.
क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर-
नहीं, कोई भी ऊर्जा स्रोत पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता। कुछ स्रोत ऊर्जा उत्पन्न करते समय प्रदूषण उत्पन्न करते हैं और कुछ ऊर्जा स्रोतों के निर्माण में प्रदूषण होता है। उदाहरण के लिए सौर-सैल को प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत कहा जाता है, परंतु इस युक्ति के निर्माण समय प्रदूषण होता है जिससे पर्यावरण की क्षति होती है।

प्रश्न 12.
राकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है। क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर-
हाइड्रोजन निश्चित रूप से CNG की अपेक्षा स्वच्छ ईंधन है क्योंकि न तो इसका अपूर्ण दहन होता है और न ही हाइड्रोजन जल कर कोई हानिकारक गैस उत्पन्न करती है, जबकि CNG के द्वारा NO2 तथा SO2 जैसी ग्रीन हाऊस गैसें मुक्त होती हैं।

प्रश्न 13.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर-
जैव-मात्रा तथा बहते हुए जल की ऊर्जा, ऊर्जा के दो नवीकरणीय स्रोत हैं चूँकि जैव-मात्रा (वनों से प्राप्त लकड़ी) को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। अतः इसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जा सकता है। बहते हुए जल की ऊर्जा भी वास्तव में सौर ऊर्जा का ही एक रूप है; अतः यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।

प्रश्न 14.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर-
कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों ऊर्जा के दो समाप्य स्रोत हैं। कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों के पृथ्वी पर उपलब्ध भंडार जल्दी ही समाप्त हो जाने वाले हैं तथा इन्हें कभी भी पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता; अतः ये दोनों ही ऊर्जा के समाप्य स्रोत हैं।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

PSEB 10th Class Science Guide विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत् धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है ?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत् होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर-
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।

प्रश्न 2.
वैद्युत् चुंबकीय प्रेरण की परिघटना –
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत् धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत् मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर-
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3.
विद्युत् धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर।
उत्तर-
(a) जनित्र।

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
(a) ac जनित्र में विद्युत् चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर-
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

प्रश्न 5.
लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत्धारा का मान
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर-
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है ? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए
(a) विद्युत् मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत् जनित्र वैद्युत् चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत् धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युत्रोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर-
(a) गलत।
(b) सही।
(c) सही।
(d) गलत।

प्रश्न 7.
चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र के स्रोत-चुंबकीय क्षेत्र के निम्नलिखित स्रोत हैं
(i) स्थायी चुंबक
(ii) विद्युत् चुंबक
(iii) पृथ्वी चुंबक
(iv) गतिमान आवेश।

प्रश्न 8.
परिनालिका चुंबक की भांति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत् धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?
उत्तर-
धारावाही परिनालिका तथा छड़ चुंबक में समानताएँ-

  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका. दोनों को स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर दोनों के अक्ष उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों समान ध्रुवों को प्रतिकर्षित और असमान ध्रुवों को आकर्षित करते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों चुंबकीय पदार्थों (जैसे लोहा, कोबाल्ट, तथा निक्कल) को आकर्षित करते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों के निकट दिक्सूचक सूई लाने पर सूई विक्षेपित हो जाती है।
  • स्वतंत्रतापूर्वक लटक रहे चुंबक या धारावाही परिनालिका को धारावाही तार के समीप लाने पर दोनों विक्षेपित हो जाते हैं।

छड़ चुंबक द्वारा धारावाही परिनालिका के ध्रुव निर्धारण करना

  1. एक स्वतंत्रतापूर्वक क्षितिज अवस्था में लटक रही धारावाही परिनालिका के एक सिरे के निकट छड़ चुंबक का उत्तरी ध्रुव लाएँ। यदि धारावाही परिनालिका आकर्षित होती है तो यह सिरा परिनालिका का दक्षिणी ध्रुव होगा तथा विपरीत सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
  2. यदि छड़ चुंबक का उत्तरी ध्रुव परिनालिका के समीप लाने पर परिनालिका विक्षेपित हो जाती है तो छड़ चुंबक के उत्तरी ध्रुव के सामने वाला परिनालिका का सिरा उत्तरी ध्रुव और विपरीत सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा।

प्रश्न 9.
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत् धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर-
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत् धारावाही चालक पर आरोपित बल तब अधिकतम होता है जब विद्युत् धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है।

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार के सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर-
फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार आरोपित बल की दिशा चुंबकीय क्षेत्र तथा विद्युत् धारा दोनों की दिशाओं के लंबवत् होती है। विद्युत् धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों की गति की दिशा के विपरीत होती है, इसलिए चुंबकीय क्षेत्र की दिशा नीचे की ओर होगी।

प्रश्न 11.
विद्युत् मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत् मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है ?
अथवा अंकित चित्र की सहायता से विद्युत् मोटर का सिद्धांत, रचना और कार्यविधि समझाओ।
अथवा
विद्युत् मोटर का सिद्धांत क्या है ? नामांकित चित्र बनाकर इसकी बनावट स्पष्ट करें। कार्यविधि का संक्षेप वर्णन करो। दैनिक जीवन में इसके दो उपयोग लिखो।
उत्तर-
विद्युत् मोटर– विद्युत् मोटर एक ऐसा यंत्र है जो विद्युत् ऊर्जा (विद्युत् धारा) को यांत्रिक ऊर्जा (गति) में परिवर्तित कर देता है। विद्युत् मोटर का दैनिक जीवन में प्रयोग बाल सुखाने वाला यंत्र (ड्रॉयर), पंखे, पानी का पंप आदि से लेकर कई प्रकार के वाहनों और उद्योगों में किया जाता है।
सिद्धांत- जब किसी धारा वाहक कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो इसकी कुंडली की भुजाओं पर वाहक बल क्रिया करता है जो कुंडली को घुमाने का प्रयत्न करता है।

बनावट-विद्युत् मोटर के निम्नलिखित भाग हैं –
1. आर्मेचर कुंडली-ABCD आर्मेचर कुंडली है। यह एक नर्म लोहे की छड़ के गिर्द लपेटी गई कुंडली है जो अपने अक्ष के गिर्द घूमने के लिए स्वतंत्र होती है।

2. दिक् परिवर्तक-दिक् परिवर्तक कुंडली, विभक्त वलयों S1 और S2 भागों में विभक्त होती है। कुंडली के सिरे इन विभक्त वलयों S1 और S2 से जुड़े होते हैं।

3. हॉर्स-शू चुंबक- कुंडली को हॉर्स-शू चुंबक के शक्तिशाली ध्रुवों के बीच रखा जाता है।

4. कार्बन ब्रुश-कार्बन ब्रुशों B1 तथा B2 का जोड़ा विभक्त वलयों को दबाकर रखता है । d.c. का एक स्रोत इन कार्बन ब्रुशों से जुड़ा होता है।
कार्य विधि-मान लो कुंडली ABCD का तल क्षैतिजीय है तथा विभक्त वलय S1 और S2 ब्रुश B1 और B,sub>2 को छू रहे हैं, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। धारा अघड़ीवत् दिशा या (घड़ी की दिशा से उल्ट) में प्रवाहित की जाती है।

फ्लेमिंग के बाएं हाथ नियम के अनुसार भुजा AB बाहर की तरफ कागज़ के तल पर लंबात्मक दिशा में एक बल F महसूस करती है। भुजा DC अंदर की तरफ कागज के तल के समानांतर बल F महसूस करती है।CB और AD भुजाएं क्योंकि चुंबकीय क्षेत्र के समानांतर हैं, इसलिए कोई बल महसूस नहीं करतीं। भुजा AB और CD पर क्रिया कर रहे बल बराबर परंतु विलोम दिशायी हैं जो विभिन्न बिंदुओं पर क्रिया करके एक बल युग्म बनाते हैं जिससे कुंडली |

दिक् परिवर्तक घड़ीवत दिशा में घूमने लगती है। जब कुंडली कागज़ के तल के लंबात्मक ऊर्ध्वाधर दिशा में आ जाती है तथा भुजा AB ऊपर और CD नीचे हो जाती है तो बल युग्म शून्य हो जाता है परंतु जड़त्व के कारण कुंडली घूमती रहती है। विभक्त वलय S1 ब्रुश B2 के | तथा विभक्त वलय S2 ब्रुश B1 के संपर्क में आ जाता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 1

विभक्त वलय अपनी स्थिति बदलते हैं न कि ब्रुश B1 और B2 फिर जब विद्युत् धारा कुंडली में दिशा ABCD में गुज़रती है तो कुंडली की भुजाओं पर क्रिया करके बल उस दिशा में बल युग्म बनाता है। इसके परिणामस्वरूप कुंडली उसी दिशा में निरंतर घूमती रहती है।
इस तरह मोटर की कुंडली के अक्ष पर यदि कोई पहिया लगा दिया जाये तो यह पहिया अनेक मशीनों को चला सकता है। विद्युत् धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं पर आरोपित बलों की दिशाएं भी उत्क्रमित हो जाती हैं। कुंडली की जो भुजा पहले नीचे धकेली गई थी वह अब ऊपर की ओर धकेली जाती है और दूसरी ऊपर जाने वाली भुजा नीचे धकेल दी जाती है। प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद यह क्रम दोहराया जाता है।

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत् मोटर उपयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर का उपयोग विद्युत् पंखों, रेफ्रिजरेटरों, विद्युत् मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कंप्यूटरों, MP 3 प्लेयरों, जल पंप, गेहूँ पीसने वाली मशीन आदि में किया जाता है।

प्रश्न 13.
कोई विद्युत्रोधी ताँबे की तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक
(i) कुंडली में धकेला जाता है ?
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है ?
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है ?
उत्तर-
(i) जैसे ही छड़ चुंबक, कुंडली के भीतर धकेला जाता है वैसे ही गैल्वनोमीटर की सूई में क्षणिक विक्षेप उत्पन्न होता है। यह कुंडली में विद्युत् धारा की उपस्थिति का संकेत देता है।
(ii) जब चुंबक को कुंडली के भीतर से बाहर की ओर खींचा जाता है तो सूई में क्षणिक विक्षेप होता है परंतु विपरीत दिशा में होता है।
(iii) यदि चुंबक को कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है तो कुंडली में कोई विद्युत् धारा उत्पन्न नहीं होती। अर्थात् विक्षेप शून्य हो जाता है।

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत् धारा में कोई परिवर्तन करें, तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत् धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए।
उत्तर-
हाँ। जब कुंडली A में से प्रवाहित विद्युत् धारा में परिवर्तन किया जाता है तो कुंडली B में विद्युत् धारा प्रेरित होगी। कुंडली A में विद्युत् धारा में परिवर्तन के कारण इसकी चुंबकीय बल रेखाएं जो कुंडली B के साथ संबंधित हैं बदल जाती हैं और यह कुंडली B में प्रेरित विद्युत् धारा को उत्पन्न कर देती हैं।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत् धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र।
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित विद्युत् धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा।
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा।
उत्तर-
(i) धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम निर्धारित करता है। दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम-यदि आप अपने दाहिने चुंबकीय हाथ में विद्युत् धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए हैं कि आपका अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी। इसे दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 2
(ii) चुंबकीय क्षेत्र में रखे गए धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा निर्धारित होती है।
फ्लेमिंग का वामहस्त (बायां हाथ ) नियम-अपने वामहस्त के अंगूठे, तर्जनी के मध्यमा अंगुली को इस प्रकार फैलाओ कि वे परस्पर लंबवत् हो। तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र को निर्दिष्ट करें तथा मध्यमा अंगुली धारा के प्रवाह की दिशा को इंगित करे तो अंगूठा चालक की दिशा को प्रवाहित करेगी।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 3

(iii) चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली की गति के चालक की गति कारण उसमें प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त (दाहिने हाथ) नियम द्वारा ज्ञात होती है।

चुंबकीय क्षेत्र फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम-अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा अंगुली तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् | चालक में प्रेरित हों। यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर | विद्युत् धारा संकेत करे तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा में हो, प्रेरित विद्युत् धारा तो मध्यम अंगुली चालक में प्रेरित विद्युत् धारा की ।
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प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत् जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?
अथवा
अंकित चित्र की सहायता से विद्युत् जनित्र का सिद्धांत, रचना एवं कार्यविधि समझाओ।
उत्तर-
प्रत्यावर्ती धारा डायनमो अथवा विद्युत् जनित्र-विद्युत् जनित्र एक ऐसा यंत्र है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलता है। इसका कार्य फैराडे के विद्युत्-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर निर्भर है।

सिद्धांत-जब किसी बंद कुंडली को किसी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुंबकीय-फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुंडली में एक विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। कुंडली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुंडली में विद्युत् ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।

फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम-अपने दायें हाथ के अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा अंगुली को इस प्रकार फैलाओ कि प्रत्येक एक-दूसरे के साथ समकोण बनाए तो तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की ओर संकेत करती है, अंगूठा चालक की गति की दिशा को प्रदर्शित करता है और मध्यमा अंगुली कुंडली में उत्पन्न विद्युत् धारा की दिशा को दिखाती है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 5
रचनाकिसी साधारण प्रत्यावर्ती जनित्र में निम्नलिखित प्रमुख भाग होते हैं
1. आर्मेचर (Armature)-इसमें नरम लोहे की क्रोड पर तांबे की अवरोधी तार की अधिक वलयों वाली आयातकार कुंडली ABCD होती है, जिसे आर्मेचर कहते हैं। इसे एक धुरी पर लगाया जाता है जो घूम सकती है।

2. क्षेत्र चुंबक (Field Magnet)-कुंडली को शक्तिशाली चुंबकों के बीच स्थापित किया जाता है। छोटे जनित्रों में स्थायी चुंबक लगाए जाते हैं, परंतु बड़े जनित्रों में विद्युत् चुंबकों का प्रयोग किया जाता है। ये क्षेत्र चुंबक चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करते हैं।

3. स्लिप रिंगज़ (Slip Rings)-धातु के दो खोखले रिंग R1 और R2 को कुंडली की धुरी पर लगाया जाता है। कुंडली की भुजाओं AB और CD को क्रमशः इनसे जोड़ दिया जाता है। आर्मेचर के घूमने के साथ R1 और R2 भी साथ-साथ घूमते हैं।

4. दो कार्बन ब्रुशों B1 और B2 से विद्युत् धारा को Load तक ले जाया जाता है। चित्र में इसे गैल्वनोमीटर से जोड़ा गया है जो विद्युत् धारा को मापता है।

कार्य विधि-जब कुंडली को चुंबक के ध्रुवों N और S के बीच घड़ी की सूई की विपरीत दिशा (anticlock wise) में घुमाया जाता है तब AB नीचे और CD ऊपर की दिशा में गति करती है। उत्तरी ध्रुव के निकट AB चुंबकीय रेखाओं को काटती है और CD ऊपर दक्षिणी ध्रुव के निकट रेखाओं को काटती है। इससे AB और DC में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है। फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियमानुसार विद्युत् धारा B से A और D से C की ओर बहती है। प्रभावी विद्युत् धारा DCBA की दिशा में प्रवाहित होती है। आधे चक्कर के बाद कुंडली के AB और DC अपनी स्थिति को बदल लेते हैं। AB दायीं तरफ और DC बायीं तरफ हो जाएंगे इससे AB ऊपर तथा DC नीचे की ओर जाएंगे। इस परिवर्तन के कारण कुंडली में धारा की दिशा आधे चक्र के बाद उलट जाएगी।
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इस व्यवस्था में एक ब्रुश सदा उस भुजा के साथ संपर्क में रहता है जो चुंबकीय क्षेत्र में ऊपर की ओर गति करती है जबकि दूसरा ब्रुश सदा नीचे की ओर गति करने वाली भुजा के संपर्क में रहता है।
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प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में लघुपथन (शॉर्ट सर्किट) कब होता है ?
उत्तर-
जब किसी घरेलू अथवा औद्योगिक परिपथ में जीवित तार (फेज तार) तथा उदासीन तार (न्यूट्रल तार) परस्पर सम्पर्कित हो जाते हैं तो परिपथ का लघुपथन हो जाता है। इस स्थिति में परिपथ का प्रतिरोध अचानक शून्य हो जाता है और धारा का मान एकाएक बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है ? धातु के आवरण वाले विद्युत् साधित्रों को भू-संपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
भूसंपर्क तार-घरेलू विद्युत् परिपथ में विद्युत्मय तथा उदासीन तारों के साथ एक तीसरा तार भी लगा होता है। इस तार का संपर्क घर के निकट जमीन के नीचे गहराई में दबी धातु की प्लेट के साथ होता है। इस तार का रोधन हरे रंग का होता है। इस तार को भूसंपर्क तार कहते हैं। यह तार विद्युत् धारा को अल्प-प्रतिरोध चालन पथ प्रस्तुत करता है।

धातु के साधित्रों (उपकरणों) जैसे–बिजली की प्रेस, फ्रिज, टोस्टर आदि को भूसंपर्क तार से जोड़ दिया जाता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि साधित्र की बॉडी में विद्युत् धारा का क्षरण होने पर बॉडी का विभव भूमि के विभव के बराबर बना रहे। इससे साधित्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति को गंभीर विद्युत् झटका लगने का खतरा समाप्त हो जाता है।

Science Guide for Class 10 PSEB विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर-
चुंबक के निकट लाने पर चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र, दिक्सूचक की सूई जोकि एक प्रकार का छोटा चुंबक है, पर बलयुग्म लगाता है। इससे चुंबकीय सूई विक्षेपित हो जाती है।

प्रश्न 2.
किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं खींचिए।
उत्तर-
छड़ चुंबक की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 8

प्रश्न 3.
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण-

  1. चुंबक के बाहर चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुंबक के अंदर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती हैं।
  2. चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा (Tangent) उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।
  3. कोई दो चुंबकीय क्षेत्र बल रेखाएं परस्पर एक-दूसरे को नहीं काटती, क्योंकि एक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएं संभव नहीं हैं।
  4. किसी स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संघनता उस स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
  5. एक समान (uniform) चुंबकीय क्षेत्र की चुंबकीय रेखाएं परस्पर समानांतर तथा बराबर दूरी पर होती हैं।

प्रश्न 4.
दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती ?
उत्तर-
यदि चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद (काटेंगी) करेंगी, तो उस बिंदु पर क्षेत्र की दो दिशाएं होंगी जो कि असंभव है। दिक्सूचक सूई को इस बिंदु पर रखने से चुंबकीय सूई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी जोकि संभव नहीं हो सकता।

प्रश्न 5.
मेज़ के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत्धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
चित्र के अनुसार मेज़ के तल पर तार का वृत्ताकार पाश जिसमें दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है, में दक्षिणहस्त अंगुष्ठ (दाहिना हाथ अंगूठा) नियमानुसार अंगुलियों के मुड़ने की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करेगी। चित्र से साफ़ है कि पाश के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की पाश के तल के लंबवत् ऊपर से नीचे की ओर होंगी।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 9

प्रश्न 6.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एक समान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर-
एक समान चुंबकीय क्षेत्र को परस्पर समानांतर बल रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसलिए इसका निरूपण निम्न चित्र अनुसार होगा-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 10

प्रश्न 7.
सही विकल्प चनिए : किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर-
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।

प्रश्न 8.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है ? ( यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग।
उत्तर-
(c) वेग तथा (d) संवेग।

प्रश्न 9.
क्रियाकलाप 13.7 में, हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा, यदि
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए और
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए ?
उत्तर-
(i) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि छड़ पर लग रहा बल प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 11
(ii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि छड़ पर लग रहा बल चुंबकीय क्षेत्र के अनुक्रमानुपाती होता है।
(iii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल छड़ की लंबाई के अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 10.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी।
उत्तर-
(d) उपरिमुखी (ऐसा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार होगा)।

प्रश्न 11.
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
अथवा
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम चित्र की सहायता से वर्णन करो।
उत्तर-
फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम (बायाँ हाथ नियम)-इस नियम के अनुसार, “अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि ये तीनों एक-दूसरे को परस्पर लंबवत् हों (जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है) यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा अंगुली चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा या चालक पर लग रहे बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।”
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 12

प्रश्न 12.
विद्युत् मोटर का क्या सिद्धांत है ?
उत्तर-
विद्युत मोटर का सिद्धांत- जब किसी कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली पर एक बल युग्म कार्य करने लगता है जो कुंडली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुंडली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतंत्र हो तो वह घूमने लगती है।

प्रश्न 13.
विद्युत् मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर में विभक्त वलय (Split rings) की भूमिका-विद्युत मोटर में विभक्त वलय का कार्य कुंडली में प्रवाहित धारा की दिशा को बदलना है अर्थात् यह दिक् परिवर्तक का कार्य करता है। जब कुंडली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का एक ओर के ब्रुशों से संपर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से संपर्क जुड़ जाता है जिसके फलस्वरूप कुंडली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुंडली एक ही दिशा में घूमती रहती है। यदि विद्युत मोटर में विभक्त वलय न हों तो मोटर आधा चक्कर लगाकर रुक जाएगी।

प्रश्न 14.
किसी कुंडली में विद्युत् धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग –

  • कुंडली को स्थिर रख कर, छड़ चुंबक को कुंडली की ओर लाने पर या फिर कुंडली से दूर ले जाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • चुंबक को स्थिर रखे हुए कुंडली को चुंबक के निकट लाकर या फिर दूर ले जाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • कुंडली को किसी चुंबकीय क्षेत्र में घुमाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • कुंडली के समीप रखी हुई किसी दूसरी कुंडली में विद्युत् धारा की मात्रा में परिवर्तन करने से पहली कुंडली में विद्युत्धारा प्रेरित की जा सकती है।

प्रश्न 15.
विद्युत् जनित्र का सिद्धांत लिखिए। .
उत्तर-
विद्युत् जनित्र का सिद्धांत- जब किसी बंद कुंडली को किसी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुंबकीय-फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुंडली में विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। कुंडली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुंडली में विद्युत् ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।

प्रश्न 16.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
दिष्ट धारा के स्रोत-

  1. विद्युत् सेल या बैटरी
  2. दिष्ट धारा जनित्र
  3. डायनमो
  4. बटन सेल।

प्रश्न 17.
प्रत्यावर्ती विद्युत् धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • जनित्र प्रत्यावर्ती विद्युत्धारा उत्पन्न करते हैं।
  • पन विद्युत् संयंत्र।

प्रश्न 18.
सही विकल्प का चयन कीजिए
तांबे की तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है ?
(a) दो
(b) एक
(c) आधे
(d) चौथाई।
उत्तर-
(c) आधे।

प्रश्न 19.
विद्युत् परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यत: उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • फ्यूज तार तथा
  • भू-संपर्क तार।

प्रश्न 20.
2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत् तंदूर किसी घरेलू विद्युत् परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत् धारा अनुमतांक 5A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
हल-घरेलू परिपथ की धारा अनुमतांक 5A है, इसका यह अर्थ हुआ कि घर की मुख्य लाइन में 5A का फ्यूज तार लगा है।
विद्युत् तंदूर की शक्ति P = 2kW = 2000 W जबकि V = 220 V माना विद्युत् तंदूर द्वारा ली जाने वाली धारा I है, तो
P = V x I से,
I= \(\frac{P}{V}\)
= \(\frac{2000 \mathrm{~W}}{220 \mathrm{~V}}\)
= 9.09 A
अर्थात् विद्युत् तंदूर मुख्य लाइन से 9.09A की धारा लेगी जो कि फ्यूज़ की क्षमता से अधिक है। अतः अतिभारण होगा जिसके फलस्वरूप फ्यूज़ की तार पिघल जाएगी और विद्युत् पथ अवरोधित हो जाएगा।

प्रश्न 21.
घरेलू विद्युत् परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
उत्तर-
अतिभारण से बचाव के लिए सावधानियां

  1. विद्युत् प्रवाह के लिए प्रयुक्त की जाने वाली तारें अच्छे प्रतिरोधन पदार्थ से ढकी होनी चाहिए।
  2. विद्युत् परिपथ विभिन्न वर्गों में बंटे होने चाहिए और प्रत्येक साधित्र का अपना फ्यूज़ होना चाहिए।
  3. उच्च शक्ति प्राप्त करने वाले एयर कंडीशनर, फ्रिज, वाटर हीटर, हीटर, प्रैस आदि को एक साथ प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. एक ही सॉकेट से बहुत-से विद्युत् साधित्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 12 विद्युत Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 12 विद्युत

PSEB 10th Class Science Guide विद्युतTextbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा गया है। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/R’ अनुपात का मान क्या है?
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25.
हल-प्रत्येक कटे हुए भाग का प्रतिरोध R/5 होगा।
∴ R1 = R2 = R3 = R4 = R5 = \(\frac{\mathrm{R}}{5}\)
∴ पाँच कटे हुए टुकड़ों को पार्यक्रम में संयोजित करने पर
img
∴ R’ = \(\frac{\mathrm{R}}{25}\)
या \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{R}^{\prime}}\) = 25
उत्तर : (d) 25

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा पद, विद्युत् परिपथ में विद्युत् शक्ति को निरूपित नहीं करता है –
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R.
हल –
विद्युत् शक्ति P =V × I
= VxI
= (IR)xI
= I2R
= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}^{2}}\) x R
= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}^{2}} \times h\)
= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
अतः केवल IR2 विद्युत् परिपथ में विद्युत् शक्ति को निरूपित नहीं करता है।
उत्तर-
(b) IR2

प्रश्न 3.
किसी विद्युत् बल्ब का अनुमतांक 220V; 110W है। जब इसे 110V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है ?
(a) 100W
(b) 75W
(c) 50W
(d) 25W.
हल-सूत्र
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
बल्ब का प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{v}^{2}}{\mathrm{P}}\)
= \(\frac{(220)^{2}}{100}\)
= \(\frac{220 \times 220}{100}\) = 484 Ω

∴ दूसरी दशा में 110V पर प्रचालित करने पर बल्ब द्वारा उपयुक्त शक्ति
P1 = \(\frac{\mathrm{V}_{1}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{110 \times 110}{484}\)
= 25W
उत्तर-
(d) 25W.

प्रश्न 4.
दो चालक तार जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत् परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्यक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1: 2
(b) 2 : 1
(c) 1:4
(d) 4 : 1.
हल–
क्योंकि सभी तार एक ही प्रकार के पदार्थ, लंबाई व व्यास के हैं, इसलिए सभी का प्रतिरोध समान होगा। मान लो यह R है। दोनों को पार्यक्रम में जोड़ने पर प्रतिरोध
Rs = R + R = 2R
दोनों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर प्रतिरोध \(\frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{\mathrm{R}}+\frac{1}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{2}{\mathrm{R}}\)
श्रेणी क्रम में उत्पन्न ऊष्मा H1 = Ps = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{s}}\)
पार्श्वक्रम में उत्पन्न ऊष्मा H2 = Pp = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{p}} \)
यदि विभवांतर V है तो ऊष्माओं का अनुपात
\(\frac{\mathrm{H}_{1}}{\mathrm{H}_{2}}=\frac{\mathrm{V}^{2} / \mathrm{R}_{s}}{\mathrm{~V}^{2} / \mathrm{R}_{p}}\)
= \(\frac{\mathrm{R}_{p}}{\mathrm{R}_{s}}=\frac{\mathrm{R} / 2}{2 \mathrm{R}}\)
= \(\frac{1}{4}\)
उत्तर-(C) 1:4

प्रश्न 5.
किसी विद्युत् परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है ?
उत्तर-
दो बिंदुओं के बीच का विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को दोनों बिंदुओं के बीच पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है।

प्रश्न 6.
किसी ताँबे की तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.8 x 10-8 2m है। 10Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा?
उत्तर-
दिया है, प्रतिरोधकता (p) = 1.6 x 10-8 Ωm,
प्रतिरोध (R) = 10Ω
व्यास (2r) = 0.5 mm = 5 x 10-4 m
∴ त्रिज्या (r) = 2.5 x 10-4 m
अब तार का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = πr²
= 3.14 x (2.5 x 10-4)2 m2
= 19.625 x 10-8 m2
∴ सूत्र R = P\(\frac{l}{\mathrm{~A}}\) से,
तार को लंबाई (l) = \(\frac{\mathrm{R} \times \mathrm{A}}{\rho}\)
= \(\frac{10 \Omega \times 19.625 \times 10^{-8} \mathrm{~m}^{2}}{1.6 \times 10^{-8} \Omega \mathrm{m}}\)
= 12.26 × 103m
= 122.6 m उत्तर
व्यास दोगुना करने पर त्रिज्या दोगुनी तथा अनुप्रस्थ क्षेत्रफल (A = πr²) चार गुना हो जाएगा।
∵ R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)
∴ क्षेत्रफल चार गुना होने पर प्रतिरोध एक-चौथाई रह जाएगा।
अर्थात् तथा प्रतिरोध R’ = \(\frac{1}{4}\) R
= \(\frac{1}{4}\) × R
= \(\frac{1}{4}\) × 10
= 2.5Ω उत्तर

प्रश्न 7.
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर V के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत् धाराओं I के संगत मान आगे दिए गए हैं
I(ऐंपियर) : 0.5 1.0 2.0 3.0 4.0
v (वोल्ट) : 1.6 3.4 6.7 10.2 13.2
V और I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल- अभीष्ट ग्राफ के लिए देखिए संलग्न चित्र-
प्रतिरोधक का प्रतिरोध = ग्राफ की ढाल
अर्थात् R= \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\Delta \mathrm{I}}\)
दिए गए आँकड़ों से,
V1 = 3.4 V, V2 = 10.2V
तथा संगत विद्युत् धाराएँ I1 = 1.0A, I2 = 3.0A .
ΔV = V2 – V1
= 10.2 – 3.4 = 6.8V
ΔI = I2 – I1
= 3.0 – 1.0
= 2.0A
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 2

∴ प्रतिरोध R= \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\Delta \mathrm{I}}\)
= \(\frac{6.8 \mathrm{~V}}{2.0 \mathrm{~A}}\)
R = 3.4Ω उत्तर

प्रश्न 8.
किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 mA विद्युत् धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
हल-
दिया है, विभवांतर V= 12V प्रवाहित धारा I = 2.5 mA = 2.5 x 10-3 A
∴ प्रतिरोधक का प्रतिरोध R= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\)
= \(\frac{12 \mathrm{~V}}{2.5 \times 10^{-3} \mathrm{~A}}\)
= 4.8 × 103 Ω
= 4.8 kΩ उत्तर

प्रश्न 9.
9V की किसी बैटरी को 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω तथा 12Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होगी?
हल-
दिया है R1 = 0. 2Ω, R2 = 0.3Ω, R3 = 0.4Ω, R4 = 0.5Ω, तथा R5 = 12Ω
श्रेणी संयोजन का कुल प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3 + R4 + R5
= 0.2 + 0.3 + 0.4 + 0.5 + 12
= 13.4Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित कुल धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{9 \mathrm{~V}}{13.4 \Omega}\)
= 0.67A
श्रेणी संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से 0.67A की धारा प्रवाहित होगी।
श्रेणी क्रम में संयोजित सभी चालकों (प्रतिरोधकों) में से समान विद्युत धारा प्रवाहित होगी, इसलिए 120 के प्रतिरोधक में से प्रवाहित धारा = 0.67A उत्तर

प्रश्न 10.
176Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करें कि 220V के विद्युत् स्रोत से संयोजन से 5A विद्युत् धारा प्रवाहित हो?
हल-
दिया है,
V= 220V,
I = 5A
∴ संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\)
= \(\frac{220 \mathrm{~V}}{5 \mathrm{~A}}\)
या R = 44Ω
R1 = R2 =……..= Rn = 176Ω
मान लो ऐसे n प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में जोड़े गए हैं, तब
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\ldots \ldots+\frac{1}{\mathrm{R}_{n}}\)
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 3
अतः 4 प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में जोड़ने होंगे। उत्तर

प्रश्न 11.
यह दर्शाइए कि आप 6Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध
(i) 9Ω,
(ii) 4Ω हो।
हल-
(i) 9Ω का प्रतिरोध पाने के लिए, पहले दो प्रतिरोधकों को समांतर क्रम में तथा तीसरे प्रतिरोध को श्रेणी क्रम में जोड़ना होगा।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 4
मान लो पार्श्व संयोजन का प्रतिरोध R है।
∴ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}\) = \(\frac{2}{6}\)
∴ R = \(\frac{6}{2}\) = 3Ω होगा।

यह 3Ω का तुल्य प्रतिरोध, 6Ω के तीसरे प्रतिरोध के साथ श्रेणी क्रम में जुड़कर प्रतिरोध 3Ω + 6Ω = 90 का होगा। उत्तर

(ii) 4Ω का प्रतिरोध पाने के लिए पहले 6Ω के दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा तत्पश्चात् तीसरा प्रतिरोधक इनके पार्श्वक्रम में जोड़ना होगा। 6Ω तथा 6Ω के दो प्रतिरोधों के श्रेणी संयोजन का तुल्य प्रतिरोध 6Ω + 6Ω = 12Ω होगा। यह 12Ω का प्रतिरोध 6Ω के साथ पार्श्वक्रम में जोड़ने से 4Ω का प्रतिरोध देगा।
∵ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{6}+\frac{1}{12}\)
= \(\frac{2+1}{12}\)
= \(\frac{3}{12}\)
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 5
∴ R = \(\frac{12}{3}\)
= 4 Ω उत्तर

प्रश्न 12.
220 V की विद्युत् लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10w है। यदि 220V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत् धारा 5A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
हल-
माना n बल्बों को पार्यक्रम में जोड़ा है। तब परिपथ में कुल शक्ति P= n x एक बल्ब की शक्ति
= n x 10 W
= 10n W
दिया है, V= 220V,
I = 5A
P = V × I से,
10Ω = 220V × 5A
n = 220V× 5A
∴ n = \(\frac{220 \mathrm{~V} \times 5 \mathrm{~A}}{10 \Omega}\)
= 110
अर्थात् 110 बल्बों को पार्श्वक्रम में जोड़ा जा सकता है।

वैकल्पिक विधि
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध (r) = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{P}}\)
= \(\frac{(220)^{2}}{10}\)
= \(\frac{220 \times 220}{10}\)
= 4840Ω

परिपथ की कुल प्रतिरोधकता (R) = \(\frac{220 \mathrm{~V}}{5 \mathrm{~V}}\) = 44 Ω
मान लो बल्बों की कुल संख्या n है।
तो प्रतिरोधकता (R) = \(\frac{r}{n}\)
⇒ n= \(\frac{r}{n}=\frac{4840}{44}\) =110 उत्तर

प्रश्न 13.
किसी विद्युत् भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियों A तथा B की बनी हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 242 है तथा इन्हें पृथक्-पृथक् श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220V विद्युत् स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत् धाराएँ क्या हैं?
हल-
दिया है, V = 220V, कुंडलियों का प्रतिरोध R1 = R2 = 24Ω
प्रथम दशा में, जब किसी एक कुंडली को में प्रयोग किया जाता है तो कुल प्रतिरोध R = R1 = 24Ω
∴ प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{220 \mathrm{~V}}{24 \Omega}\) 9.17 A

दूसरी दशा में, जब दोनों कुंडलियों को श्रेणीक्रम में प्रयोग किया जाता है, तब
कुल प्रतिरोध R= R1 + R2
= 24Ω + 24Ω
श्रेणीकृत कुंडलियों में प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{220 \mathrm{~V}}{48 \Omega}\)
= 4.58 A

तीसरी दशा में, जब कुंडलियों को पार्श्वक्रम में प्रयोग किया जाता है, तब
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\)
= \(\frac{1}{24}+\frac{1}{24}\)
= \(\frac{2}{24}\)
∴ R = \(\frac{24}{2}\)
= 12 Ω

प्रवाहित विद्युत् धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
∴ I = \(\frac{220 \mathrm{~V}}{12 \Omega}\)
I = 18.3A उत्तर

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 20 प्रतिरोधक द्वारा उपयुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए :
(i) 6V की बैटरी से संयोजित 12 तथा 22 श्रेणीक्रम संयोजन,
(ii) 4V बैटरी से संयोजित 120 तथा 22 का पार्श्वक्रम संयोजन।
हल-
(i) दिया है, V = 6V
1Ω व 2Ω के श्रेणी-संयोजन का प्रतिरोध
R = 1Ω + 2Ω = 3Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित विद्युत् धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{6 \mathrm{~V}}{3 \Omega}\)
= 2A
श्रेणीक्रम में प्रत्येक प्रतिरोध में से 2A की धारा प्रवाहित होगी।
∴ 2Ω के प्रतिरोधक द्वारा उपयुक्त शक्ति
P1 = I2R
= (2A)2 x 20
= 8w

(ii) ∵ दोनों प्रतिरोध पार्श्वक्रम में जुड़े हैं; इसलिए प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों के बीच एक ही विभवांतर, 4V होगा।
∴ 2Ω के प्रतिरोध द्वारा उपयुक्त शक्ति
P2 = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{(4 \mathrm{~V})^{2}}{2 \Omega}\)
∴ = \(\frac{16}{2}\)
∴ P2 = 8W
अतः दोनों दशाओं में 2Ω प्रतिरोधक में समान शक्ति व्यय होगी। उत्तर

प्रश्न 15.
दो विद्युत् लैंप, जिनमें से एक का अनुमतांक 100W; 220V तथा दूसरे का 60 W; 220V है, विद्युत् मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता 220V है तो मेंस से कितनी धारा ली जाती है?
हल-
प्रथम लैंप के लिए, विभवांतर V1 = 220V
लैंप की शक्ति P1 = 100W माना इसका प्रतिरोध R1 है तो
P= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) से,
प्रथम लैंप का प्रतिरोध, R1 = \(\frac{v_{1}^{2}}{P_{1}}\) = \(\frac{(220 \mathrm{~V})^{2}}{100 \mathrm{~W}}\)
= 484Ω

दूसरे लैंप के लिए, विभवांतर V2 = 220 V,
लैंप की शक्ति P2 = 60W
∴ दूसरे लैंप का प्रतिरोध R2 = \(\frac{\mathrm{V}_{2}^{2}}{\mathrm{P}_{2}}\)
= \(\frac{(220 \mathrm{~V})^{2}}{60 \mathrm{~W}}\)
= \(\frac{2420}{3}\) Ω
दोनों लैंप को पार्यक्रम में जोड़ने पर संयोजन का प्रतिरोध R हो तो
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 6
∵ लाइन वोल्टेज V = 220V
∴ लाइन से ली जाने वाली धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220 \mathrm{~V}}{302.5 \Omega}\)
= 0.73 A उत्तर

प्रश्न 16.
किसमें अधिक विद्युत् ऊर्जा उपभुक्त होती है : 250w का टी० वी० सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120W का विद्युत् हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है ?
हल-
T.V. सेट के लिए, P1 = 250w
= 250 Js-1
t1 = 1h = 60 x 60s
∴ T.V. सेट द्वारा उपभुक्त विद्युत् ऊर्जा = P1 × t1,
= 250 Js-1 x (60 x 60s)
= 900000J
= 9x 105 J …………………….(i)

विद्युत् हीटर के लिए,
P2 = 120W
= 120 Js-1 तथा
t2 = 10 min.
= 10 x 60s
∴ विद्युत् हीटर द्वारा उपभुक्त विद्युत् ऊर्जा = P2 x t2
= 120 Js-1 x (10 x 60s)
= 72000J = 7.2 x 104J ………………………(ii)
समीकरण (i) तथा (ii) से स्पष्ट है कि T.V. सेट द्वारा उपभुक्त ऊर्जा अधिक है।

प्रश्न 17.
82 प्रतिरोध का कोई विद्युत् हीटर विद्युत् मेंस से 2 घंटे तक 15A विद्युत् धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
हल-
दिया है, R = 8Ω,
I = 15A विद्युत् हीटर में ऊष्मा उत्पन्न होने की दर अर्थात् विद्युत् हीटर की शक्ति P = I2R
= (15A)2 x 8Ω
= 225×8
= 1800 W

प्रश्न 18.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए-
(a) विद्युत् लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
(b) विद्युत् तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत् इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाए जाते हैं ?
(c) घरेलू विद्युत् परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है।
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
(e) विद्युत् संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
(a) क्योंकि टंगस्टन की उच्च प्रतिरोधकता (5.2 x 10-8 ओम-मीटर) है तथा टंगस्टन का गलनांक भी अन्य धातुओं की तुलना में बहुत ऊंचा (3400°C) होता है, इसलिए विद्युत् लैंपों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन ही उपयोग किया जाता है।

(b) मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता, शुद्ध धातुओं की तुलना से अधिक होती है तथा ताप वृद्धि के साथ इनकी प्रतिरोधकता से नगण्य परिवर्तन होता है। इसके अतिरिक्त मिश्रधातुओं का ऑक्सीकरण भी कम होता है जिसके फलस्वरूप मिश्रधातुओं में बने चालकों की आयु शुद्ध धात्विक चालकों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए ब्रेड-टोस्टर, विद्युत् इस्तरी आदि के चालक मिश्रधातुओं के बनाए जाते हैं।

(c) श्रेणीक्रम संयोजन में जैसे-जैसे नये प्रतिरोधक जुड़ते जाते हैं, परिपथ का कुल प्रतिरोध बढ़ता जाता है और अलग-अलग प्रतिरोधकों के सिरों के बीच उपलब्ध विभवांतर घटता जाता है। अतः परिपथ में धारा भी कम हो जाती है। यदि घरों में प्रकाश करने के लिए श्रेणीबद्ध व्यवस्था प्रयोग की जाए तो परिपथ में जितने अधिक लैंप जुड़े होंगे, उनका प्रकाश उतना ही कम हो जाएगा। इसके अतिरिक्त श्रेणीबद्ध व्यवस्था प्रयोग करने पर स्विच ऑन करने पर सभी लैम्प एक साथ प्रदीप्त होंगे तथा स्विच ऑफ करने पर सभी लैंप एक साथ बुझ जाएँगे, जबकि पार्श्वक्रम व्यवस्था करने पर इच्छानुसार स्वतंत्र रूप से किसी भी लैंप को प्रकाशित या अप्रकाशित किया जा सकता है।

(d) तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् मोटी तार का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल अधिक होगा और उसका प्रतिरोध कम होगा। \(\left(R \propto \frac{1}{A}\right)\)

(e) विद्युत् के सर्वश्रेष्ठ चालकों में प्रथम स्थान पर चाँदी, दूसरे पर ताँबा तथा तीसरे स्थान पर एल्यूमिनियम है। चाँदी एक कीमती धातु है तथा अपेक्षाकृत कम मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए विद्युत् संचारण व्यवस्था में चाँदी के स्थान पर सस्ती तथा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध धातुएं ताँबा तथा एल्यूमिनियम प्रयोग की जाती है।

Science Guide for Class 10 PSEB विद्युत InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
विद्युत् परिपथ का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
विद्युत् परिपथ- विद्युत् स्रोत से विभिन्न घटकों में से होकर विद्युत् धारा बहने के सतत् तथा बंद पथ को विद्युत् परिपथ कहा जाता है। विद्युत्धारा के घटक-विद्युत्धारा के निम्नलिखित प्रमुख घटक हैं-

  • विद्युत् स्रोत (बैटरी अथवा सेल)
  • चालक
  • स्विच (कुंजी)
  • कोई अन्य उपकरण जो परिपथ में जोडा गया हो।

प्रश्न 2.
विद्युत्धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
अथवा
विद्युत्धारा की इकाई का नाम लिखें। इसकी परिभाषा भी लिखें।
उत्तर-
विद्युत्धारा का S.I. मात्रक ‘ऐंपियर’ है जिसे ‘A’ से व्यक्त किया जाता है।
ऐंपियर-जब किसी चालक में 1 सेकंड में 1 कूलॉम आवेश का प्रवाह होता है तो प्रयुक्त विद्युत्धारा की मात्रा को 1 ऐंपियर कहा जाता है।
∴ 1A = \(\frac{1 \mathrm{C}}{1 \mathrm{~s}}\)

प्रश्न 3.
एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रानों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर-
हम जानते हैं कि 1 इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19C
माना 1 कूलॉम की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = n
∴ n x 1.6 x 10-19C = 1C

या n = \(\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{1 \times 10^{19}}{1.6}\)
= \(\frac{10}{16} \times 10^{9}\)
= 0.625 x 1019
. = 6.25 x 1018
अतः 1 कूलॉम (c) = 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन उत्तर

प्रश्न 4.
उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर-
सेल एक ऐसी युक्ति है जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।

प्रश्न 5.
यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 17 है?
उत्तर-
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1V से तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश ले जाने में 1 जूल कार्य होता है।

प्रश्न 6.
6V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
हल : यहाँ
विभवांतर (V) = 6V
आवेश की मात्रा (Q) = 1 कूलॉम
दी गई ऊर्जा (किया गया कार्य) (W) = ?
हम जानते हैं, विभवांतर = PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 7

V= \(\frac{W}{Q}\)
∴ दी गई ऊर्जा W = V × Q
= 6V × 1C
= 6 जूल (J) उत्तर

प्रश्न 7.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
चालक के प्रतिरोध की निर्भरता-किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –
(i) चालक की लंबाई (l)-किसी चालक का प्रतिरोध चालक की लंबाई (l) के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात् R ∝ l
(ii) चालक की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A)-किसी चालक का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट (A) के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अर्थात्
R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)

(iii) चालक के पदार्थ की प्रकृति-किसी चालक का प्रतिरोध उस चालक के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
R ∝ \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
अथवा R = ρ × \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
जहाँ ρ अनुपातिकता स्थिराँक है।

प्रश्न 8.
समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत् धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत् स्रोत से संयोजित किया जाता है ? क्यों?
उत्तर-
हम जानते हैं कि चालक तार का प्रतिरोध तार के अनुप्रस्थ काट (Area of Cross-Section) के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् मोटी तार का प्रतिरोध कम और पतली तार का प्रतिरोध अधिक होगा।
अब R ∝ \(\frac{1}{A}\)
इसलिए मोटी तार का प्रतिरोध पतली तार की अपेक्षा कम होने के कारण उसमें से विद्युत्धारा का प्रवाह अधिक तथा सुगमता से होता है।

प्रश्न 9.
मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत्धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर-
मान लो पूर्व अवस्था में विद्युत् अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर V, प्रतिरोध R तथा प्रवाहित होने वाली विद्युत्धारा I है, तो ओम नियम के अनुसार, I = \( \frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) …………………………….(1)
यदि वैद्युत् अवयव के दोनों सिरों के बीच विभवांतर पूर्व अवस्था का आधा करें (अर्थात \(\frac{\mathrm{V}}{2}\) करें) जबकि प्रतिरोध नियत रहे तो विद्युत्धारा की मात्रा बदलकर I’ हो जायेगी।
∴ I’ = \(\frac{\frac{\mathrm{V}}{2}}{\mathrm{R}}\)
⇒ I’ = \(\frac{V}{2 R}\) …………………………….(2)
(2) को (1) से भाग देने पर
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 8
∴ I’ =\(\frac{1}{2}\) x I अर्थात् विद्युत्धारा पूर्व अवस्था की तुलना में आधी रह जायेगी।

प्रश्न 10.
विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के बनाए जाते हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं:

  • मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है।
  • मिश्र धातुओं का उच्चताप पर शीघ्र ही दहन (उपचयन) नहीं होता है।
  • मिश्रधातुओं का गलनाँक अधिक होता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाठ्य-पुस्तक की तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए:
(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत् चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है।
उत्तर-
(a) आयरन (Fe) मर्करी (Hg) की अपेक्षा अच्छा चालक है क्योंकि आयरन की प्रतिरोधकता मर्करी की अपेक्षा अधिक होती है।
(b) चाँदी सर्वश्रेष्ठ चालक है क्योंकि इसका प्रतिरोध (1.60 x 10-8Ωm) न्यूनतम है।

प्रश्न 12.
किसी विद्युत् परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 27 के तीन सेलों की बैटरी, एक 5Ω प्रतिरोधक, एक 8Ω प्रतिरोधक, एक 12Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
उत्तर-
विद्युत् परिपथ व्यवस्था आरेख
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 9

प्रश्न 13.
प्रश्न 1 का परिपथ चित्र दोबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत्धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्याँक होंगे?
हल-
यहाँ r1 = 5Ω
r2 = 8Ω
r3 = 12 Ω
परिपथ का कुल प्रतिरोध (R) = ?
हम जानते हैं प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम में संयोजित करने पर परिपथ का कुल प्रतिरोध R = r1 + r2+ r3
R = 5Ω + 8Ω + 120 Ω
R = 25Ω.
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 10

बैटरी के टर्मीनलों के बीच कुल विभवांतर A = 2 V
अब, ओम के नियम अनुसार I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
I = \( \frac{2 \mathrm{~V}}{25 \Omega}\)
I = 0.08A

12Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर = I x r3
= 0.08 x 12
= 0.96 वोल्ट (V)

∴ ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ्याँक क्रमश: 0.08A तथा 0.96V होंगे।

प्रश्न 14.
जब (a) 12 तथा 106
(b) 1Ω तथा 103Ω तथा 106Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निर्णय करेंगे?
हल-
(a) दिया है r1 = 1Ω
तथा r2 = 106
माना R तुल्य प्रतिरोध है, तो पार्श्वक्रम में संयोजित करने पर \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{r_{1}}=\frac{1}{r_{2}}\)
= \(\frac{1}{1}+\frac{1}{10^{6}}\)
= \(\frac{10^{6}+1}{10^{6}}\)
= \(\frac{1000000+1}{1000000}\)
= \(\frac{1000001}{1000000}\)
R = \( \frac{1000000}{1000001}\) = 0.9Ω (लगभग) उत्तर

(b) यहाँ
r1 = 1Ω
r2 = 103
r = 106
माना R तुल्य प्रतिरोध है तो पार्यक्रम में संयोजित किए जाने पर
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 11
∴ R = \(\frac{10^{6}}{10^{6}+10^{3}+1}\)
= \(\frac{1000000}{1001001} \)
= 0.9Ω (लगभग) उत्तर

प्रश्न 15.
100Ω का एक विद्युत् लैंप, 50Ω का एक विद्युत् टोस्टर तथा 5002 का एक जल फिल्टर 200V के विद्युत् स्रोत से पार्श्वक्रम में संयोजित है। उस विद्युत् इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान स्त्रोत के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत् धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत् इस्तरी से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होती है ?
हल-
100Ω का विद्युत् लैंप, 502 का विद्युत् टोस्टर तथा 500Ω का फिल्टर पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है और R इनका तुल्य प्रतिरोध है तो ओम नियमानुसार
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{100}+\frac{1}{50}+\frac{1}{500}\)
= \(\frac{5+10+1}{500}\)
= \(\frac{16}{500}\)
∴ R = \(\frac{500}{16}\) = 31.25 Ω
अतः विद्युत् इस्तरी का तुल्य प्रतिरोध = R = 31.250Ω
विभवांतर V = 220V विद्युत्धारा की मात्रा
(I) = ?
हम जानते हैं I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 12
∴ I = 7.04A उत्तर

प्रश्न 16.
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत् युक्तियों को पार्यक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
वैद्युत् युक्तियों को श्रेणीक्रम की अपेक्षा पार्श्वक्रम में संयोजित करने के लाभ-
1. किसी श्रेणी बद्ध विद्युत् परिपथ में शुरू से अंत तक विद्युत् धारा नियत रहती है जोकि व्यावहारिक नहीं है। यदि हम किसी विद्युत् परिपथ में विद्युत् बल्ब तथा विद्युत् हीटर को श्रेणीक्रम में संयोजित करें तो यह उचित प्रकार से कार्य नहीं कर पायेंगे क्योंकि इन्हें भिन्न मानों की विद्युत् धाराओं की आवश्यकता होगी। इसके विपरीत पार्श्वक्रम परिपथ में विद्युत् धारा विभिन्न वैद्युत् युक्तियों में विभाजित हो जाती है।

2. श्रेणीबद्ध परिपथ की यदि एक विद्युत् युक्ति कार्य करना बंद कर देती है तो परिपथ टूट जाता है तथा अन्य युक्तियाँ कार्य करना बंद कर देती हैं। इसके विपरीत पार्यक्रम परिपथ में विद्युत् धारा विभिन्न विद्युत् युक्तियों में विभाजित होने पर अन्य युक्तियाँ कार्य करती रहती हैं।

3. प्रतिरोधों को पार्श्वक्रम में जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत्धारा स्वतंत्रतापूर्वक प्रवाहित या रोकी जा सकती है जिससे विद्युत् यक्तियों को स्वतंत्रतापूर्वक प्रयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 17.
2Ω, 3Ω तथा 6Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध
(a) 4Ω
(b) 1Ω हो?
हल-
(a) कुल प्रतिरोध 4Ω प्राप्त करने के लिए-ऐसा करने के लिए 3Ω तथा 6Ω के प्रतिरोधकों को समानांतर क्रम करके 2Ω के प्रतिरोधक के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 13
मान लो r2 = 3Ω और r3 = 6Ω को समानांतर क्रम में संयोजित करने पर कुल प्रतिरोध । है, तो
\(\frac{1}{r}=\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}\)
= \(\frac{1}{3}+\frac{1}{6}\)
या \(\frac{1}{r}=\frac{2+1}{6}\)
\( \frac{1}{r}=\frac{3}{6}\)
\(\frac{1}{r}=\frac{1}{2}\)
∴ r = 2Ω
अब r1 = 2Ω, तथा r = 2Ω को श्रेणी क्रम में संयोजित करने पर मान लो कुल प्रतिरोध है, तो R = r1 +r
= 2Ω + 2Ω = 4Ω.

(b) कुल प्रतिरोध 1Ω प्राप्त करने के लिए संयोजन-1Ω का कुल प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए r1 = 2Ω, r2 = 3Ω तथा r3 = 6Ωको समानांतर क्रम में जोड़ना होगा।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 14
मान लो कुल प्रतिरोध R है तो समानांतर क्रम के सूत्र से,
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}\)
= \(\frac{1}{2}+\frac{1}{3}+\frac{1}{6}\)
= \(\frac{3+2+1}{6}\)
= \(\frac{6}{6}\)
R = 1Ω

प्रश्न 18.
4Ω, 8Ω, 12Ω तथा 24Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से
(a) अधिकतम
(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके ?
हल-
(a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु संयोजन-यदि इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में रखा जाए तो अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
Rs = r1+r2+r3+r4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
= 480 उत्तर

(b) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु–यदि दिए गए चारों प्रतिरोधों को पार्यक्रम में जोड़ा जाए तो न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}+\frac{1}{r_{4}}\)
= \(\frac{1}{4}+\frac{1}{8}+\frac{1}{12}+\frac{1}{24}\)
= \(\frac{6+3+2+1}{24}\)
= \(\frac{12}{24}\)
\(\frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{2}\)
∴RP = 2Ω. उत्तर

प्रश्न 19.
किसी विद्युत् हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर-
हम जानते हैं
H = I2Rt
⇒ H ∝ R
तापन अवयव का उच्च प्रतिरोध होता है जिस कारण अधिक विद्युत् ऊर्जा, ताप ऊर्जा में परिवर्तित होती है जिससे तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है। दूसरी तरफ विद्युत् हीटर की डोरी का प्रतिरोध बहुत कम होता है जिससे वह उत्तप्त नहीं होती है।

प्रश्न 20.
एक घंटे में 50V विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए?
हल-
दिया है, स्थानांतरित आवेश Q = 96000 कूलॉम, 1 = 1 घंटा समय = 60 x 60 सेकंड,
विभवांतर V = 50 वोल्ट
⇒ उत्पन्न उष्मा ऊर्जा, H = Q x V
= 96000 x 50
= 48250000
= 4.825 x 10 जूल
∴ H = 4.825 x 103 किलो जूल उत्तर

प्रश्न 21.
20Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत् इस्तरी 5A विद्युत् धारा लेती है। 30s में उत्पन्न उष्मा परिकलित कीजिए।
हल –
दिया है
प्रतिरोध (R) = 20Ω
विद्युत्धारा (I) = 5A
समय (1) = 30s
उत्पन्न उष्मा (H) = ?
हम जानते हैं, उत्पन्न हुई उष्मा ऊर्जा (H) = I2Rt
= (5)2 x 20 x 30 J
= 25 x 20 x 30 J
= 15000 J (जूल)
= 1.5 x 104J उत्तर

प्रश्न 22.
विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण विद्युत् शक्ति द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 23.
कोई विद्युत् मोटर 220V के विद्युत् स्रोत से 5.0A विद्युत् धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
हल–
दिया है, विद्युत् धारा (I) = 5.0A
विद्युत् विभवांतर (V) = 220V
समय (t) = 2 घंटे ज्ञात करना है,
मोटर की शक्ति (P) = ?
1 घंटे में उपभुक्त ऊर्जा (E) = ?
हम जानते हैं, शक्ति (P) = Vx I
= 220×5
= 1100 W (वाट) उत्तर

मोटर द्वारा 2 घंटे में उपभुक्त ऊर्जा (E) = Pxt
= 1100 वाट x 2 घंटे
= 2200 वाट-घंटे (Wh)
= 2.2 किलोवाट-घंटा (KWh) उत्तर

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

→ सभी जीवधारियों को भोजन की आवश्यकता होती है जिसमें हमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं।

→ पौधे और जंतु दोनों हमारे भोजन के मुख्य स्रोत हैं।

→ हमने हरित क्रांति से फसल उत्पादन में वृद्धि की है और श्वेत क्रांति से दूध का उत्पादन बढ़ाया है।

→ अनाजों से कार्बोहाइड्रेट, दालों से प्रोटीन, तेल वाले बीजों से वसा, फलों से खनिज लवण और अन्य पौष्टिक तत्व प्राप्त होते हैं।

→ खरीफ फसलें जून से अक्तूबर तक और रबी फसलें नवंबर से अप्रैल तक होती हैं।

→ भारत में 1960 से 2004 तक कृषि भूमि में 25% वृद्धि हुई है।

→ संकरण अंतराकिस्मीय, अंतरास्पीशीज अथवा अंतरावंशीय हो सकता है।

→ कृषि-प्रणाली तथा फसल-उत्पादन मौसम, मिट्टी की गुणवत्ता तथा पानी की उपलब्धता पर निर्भर करती है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

→ पौधों के लिए पापक आवश्यक हैं। ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन के अतिरिक्त मिट्टी से 13 पोषक प्राप्त होते हैं जिन्हें वृहत् पोषक और सूक्ष्म पोषक में बांटा जाता है।

→ खाद को जंतु के अपशिष्ट तथा पौधे के कचरे के अपघटन से तैयार किया जाता है।

→ कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट तथा हरी खाद मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं।

→ उर्वरकों के प्रयोग से जल प्रदूषण होता है और इनके सतत प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता कम होती है तथा सूक्ष्म जीवों का जीवन चक्र अवरुद्ध होता है।

→ मिश्रित फसल में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ उगाते हैं।

→ अंतरा फसलीकरण में दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाया जाता है।

→ किसी खेत में क्रमवार पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार विभिन्न फसलों के उगाने को फसल चक्र कहते हैं।

→ कीट-पीड़क पौधों पर तीन प्रकार से आक्रमण करते हैं।

→ पौधों में रोग बैक्टीरिया, कवक तथा वायरस जैसे रोग कारकों से होता है।

→ खरपतवार, कीट तथा रोगों पर नियंत्रण अनेक विधियों से होता है।

→ जैविक और अजैविक कारक कृषि उत्पाद के भंडारण को हानि पहुंचाते हैं।

→ भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी और ताप का अभाव गुणवत्ता को खराब कर देते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

→ भंडारण से पहले निरोधक तथा नियंत्रण विधियों का उपयोग करना चाहिए।

→ पशुधन के प्रबंधन को पशु पालन कहते हैं।

→ दूध देने वाली मादा दुधारू पशु तथा बोझा ढोना वाले पशु को ड्राफ्ट पशु कहते हैं।

→ पशु आहार के अंतर्गत मोटा चारा तथा सांद्र आते हैं। पशु को संतुलित आहार की आवश्यकता होती है जिसमें उचित मात्रा में सभी तत्व होने चाहिएं।

→ कुक्कुट पालन में उन्नत मुर्गी की नस्लें विकसित की जाती हैं।

→ अंडों के लिए अंडे देने वाली (लेअर) तथा मांस के लिए ब्रोला को पाला जाता है।

→ मुर्गी पालन से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अच्छी प्रबंधन प्रणाली बहुत आवश्यक है।

→ मछली प्रोटीन का अच्छा और सस्ता स्रोत है।

→ मछली उत्पादन में पंखयुक्त वास्तविक मछली तथा प्रॉन और मौलस्क आते हैं।

→ ताजे पानी के स्रोत, खारा पानी, समुद्री पानी और ताजा का मिश्रण स्थान तथा लैगून भी मछली के महत्त्वपूर्ण भंडार हैं।

→ मधुमक्खी पालन एक कृषि योग्य उद्योग बन गया है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

→ शहद के अतिरिक्त मधुमक्खी के छत्ते से मोम प्राप्त होती है।

→ मधु की गुणवत्ता मधुमक्खी को उपलब्ध फूलों पर निर्भर करती है।

→ स्थूलपोषक तत्व (Macro nutrients)-ऐसे पोषक तत्व जिनकी पौधों को अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है।

→ सूक्ष्म पोषक तत्व (Micro nutrients)-ऐसे पोषक तत्व जिनकी पौधों को कम मात्रा में आवश्यकता होती है।

→ गोबर खाद (Farm yard manure)-पशुओं के गोबर व मूत्र, उनके नीचे के बिछावन तथा उनके खाने से बचे व्यर्थ चारे आदि से बनी खाद को गोबर खाद कहते हैं।

→ कंपोस्ट खाद (Compost manure)-पशुओं का उनके अवशेष पदार्थों, कूड़ा कर्कट, पशुओं के गोबर, मनुष्य के मल-मूत्र आदि पदार्थों के जीवाणुओं तथा कवकों की क्रिया द्वारा खाद में बदलने को कंपोस्टिंग कहते हैं। इस प्रकार बनी खाद को कंपोस्ट खाद कहते हैं।

→ हरी खाद (Green manure)-फसलों को उगाकर उन्हें फूल आने से पहले ही हरी अवस्था में खेत में जोतकर सड़ा देने को हरी खाद कहते हैं।

→ फसल संरक्षण (Crop Protection)-रोगकारक जीवों तथा फसल को हानि पहुंचाने वाले कारकों से फसल को बचाने की क्रिया को फसल संरक्षण कहते हैं।

→ पीड़क (Pests)-ऐसे जीव जो मनुष्य के स्वास्थ्य, पर्यावरण तथा उसके उपयोग की वस्तुओं को हानि पहुंचाए, उन्हें पीड़क कहते हैं।

→ पीड़कनाशी (Pesticides)-पीड़कों को नष्ट करने के लिए जिन जहरीले पदार्थों का उपयोग किया जाता है, उन्हें पीड़कनाशी कहते हैं। डी० डी० टी०, बी० एच० सी० आदि मुख्य पीड़कनाशी हैं।

→ खरपतवार (Weeds)-फसलों के साथ-साथ जो अवांछनीय पौधे उग आते हैं, उन्हें खरपतवार कहते हैं।

→ खरपतवारनाशी (Weedicides)-खरपतवारों को नष्ट करने के लिए जिन रसायनों का छिड़काव किया जाता है, उन्हें खरपतवारनाशी कहते हैं।

→ ह्यूमस (Humus)-मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ जो पौधों तथा जंतुओं के अपघटन से बनते हैं, उन्हें ह्यूमस कहते हैं।

→ मिश्रित फसली (Mixed Cropping)-एक ही खेत में एक ही मौसम में दो या दो से अधिक फसलों को उगाने को मिश्रित फसली कहते हैं।

→ फसल चक्र (Crop Rotation)-एक ही खेत में प्रतिवर्ष फसल तथा फलीदार पौधों को एक के बाद एक करके अदल-बदल कर बोने की विधि को फसल चक्र कहते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

→ संकरण (Hybridization)-संकरण वह विधि है जिसके द्वारा दो अलग-अलग वांछनीय गुणों वाली एक ही फसल के पौधों का आपस में परागण कराया जाता है और एक नई फसल उत्पन्न होती है।

→ पशु-पालन (Animal husbandry)-पशुओं के भोजन का प्रबंध, देखभाल, प्रजनन तथा आर्थिक दृष्टि से महत्त्व पशु-पालन कहलाता है।

→ रुक्षांश (Roughage)-जानवरों को दिए जाने वाले रेशे युक्त दानेदार तथा कम पोषण वाले भोजन को रुक्षांश कहते हैं।

→ सांद्र पदार्थ (Concentrate)-पशुओं को आवश्यक तत्व प्रदान करने वाले पदार्थों को सांद्र पदार्थ कहते हैं। बिनोला, चना, खल, दालें, दलिया आदि मुख्य सांद्र पदार्थ हैं।

→ पोल्ट्री (Poultry)-पक्षियों को मांस तथा अंडों के लिए पालने को पोल्ट्री कहते हैं।

→ संकरण (Hybridisation)-दो विभिन्न गुणों वाली नस्लों की सहायता से नई किस्म की नस्ल तैयार करना संकरण कहलाता है। इसमें दोनों नस्लों के वांछनीय गुण होते हैं।

→ मत्स्यकी (Pisciculture)-मांस की वृद्धि के लिए मछलियों को पालना मत्स्यकी कहलाता है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

→ पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन विद्यमान है।

→ जीवन के लिए परिवेश, ताप, पानी और भोजन की आवश्यकता होती है।

→ जीवों के लिए सूर्य से ऊर्जा और पृथ्वी पर उपलब्ध संपदा आवश्यक है।

→ पृथ्वी की संपदाएं स्थल, जल और वायु हैं।

→ पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग स्थल मंडल है और 75% भाग पानी है।

→ सजीव जीव मंडल के जैविक घटक हैं तथा हवा, जल और मिट्टी अजैविक घटक हैं।

→ हमारा जीवन वायु के घटकों का परिणाम है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

→ चंद्रमा की सतह पर वायु मंडल नहीं है और उसका तापमान – 190°C से 110°C के बीच होता है।

→ गर्म होने पर वायु में संवहन धाराएं उत्पन्न होती हैं।

→ जल की अपेक्षा स्थल जल्दी गर्म होता है इसलिए स्थल के ऊपर वायु भी तेजी से गर्म होती है।

→ दिन के समय हवा की दिशा समुद्र से स्थल की ओर तथा रात के समय स्थल से समुद्र की ओर होती है।

→ हवा को पृथ्वी की घूर्णन गति तथा पर्वत श्रृंखलाएं भी प्रभावित करती हैं।

→ वर्षा का प्रकार पैटर्न पवन के पैटर्न पर निर्भर करता है।

→ भारत में वर्षा दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण आती है।

→ हवा के गुण सभी जीवों को प्रभावित करते हैं।

→ ईंधनों के जलने से दूषित गैसें उत्पन्न होती हैं जो वर्षा के पानी में मिलकर अम्लीय वर्षा करती हैं।

→ निलंबित कण अनजले कार्बन कण या पदार्थ हो सकते हैं जिसे हाइड्रो कार्बन कहते हैं।

→ दूषित वायु में सांस लेने से कैंसर, हृदय रोग या एलर्जी जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

→ पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला अधिकतर पानी समुद्रों और महासागरों में है।

→ शुद्ध पानी बर्फ के रूप में दोनों ध्रुवों और बर्फ से ढके पहाड़ों पर पाया जाता है। भूमिगत जल, नदियोंझीलों-तालाबों का पानी भी अलवणीय होता है।

→ सभी जीवित प्राणियों के जीवन के लिए मीठे पानी की आवश्यकता होती है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

→ जीवन की विविधता को मिट्टी प्रभावित करती है। मिट्टी में पाए जाने वाले खनिज जीवों को विभिन्न प्रकार से सहायता प्रदान करते हैं।

→ सूर्य, जल, हवा तथा जीव-जंतु मिट्टी की रचना में सहायक हैं।

→ मिट्टी के प्रकार का निर्णय उसमें पाए जाने वाले कणों के औसत आकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।

→ मिट्टी के गुण ह्यूमस की मात्रा तथा उसमें सूक्ष्म जीवों के आधार पर जाँचे जाते हैं।

→ विशेष पत्थरों से बनी मिट्टी उसमें विद्यमान खनिज पोषक तत्वों को प्रकट करते हैं।

→ आधुनिक पीड़कनाशकों और उर्वरकों ने मिट्टी की संरचना बिगाड़ी है।

→ नाइट्रोजन वायुमंडल का लगभग 78% भाग है। यह प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल, DNA, RNA और विटामिन के लिए आवश्यक है।

→ कार्बन का विभिन्न भौतिक और जैविक क्रियाओं के द्वारा चक्रण होता है।

→ ग्रीन हाऊस प्रभाव के कारण वायुमंडल और सारे विश्व का औसत तापमान बढ़ जाएगा।

→ ऑक्सीजन वायुमंडल में लगभग 21% है। इसका प्रयोग श्वसन, दहन और नाइट्रोजन के ऑक्साइड के रूप में होता है।

→ वायुमंडल के ऊपरी भाग में ऑक्सीजन के तीन अणु (O3) पाए जाते हैं जिसे ओज़ोन कहते हैं।

→ यह सूर्य के हानिकारक विकिरणों को सोखता है और पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करता है।

→ अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छिद्र पाया गया है जिससे पृथ्वी को बहुत क्षति होने की आशंका है।

→ क्षय प्राकृतिक संसाधन (Exhaustible Resources)-ऐसे संसाधन जो मनुष्यों की क्रियाओं द्वारा समाप्त हो रहे हैं। जैसे-वन, मिट्टी, खनिज तथा वन्य जीवन ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

→ अक्षय प्राकृतिक संसाधन (Inexhaustible Resources)-ऐसे संसाधन जो मनुष्यों की क्रियाओं द्वारा समाप्त नहीं हो सकते। जैसे—सूर्य का प्रकाश, समुद्र आदि।

→ नवीकरणीय स्रोत (Renewable Resources)-ऐसे स्रोत जिनका प्रकृति में चक्रीकरण हो सकता है, उन्हें नवीकरणीय स्रोत कहते हैं। उदाहरण-लकड़ी तथा जल।

→ अनवीकरणीय स्रोत (Non-renewable Resources)-ऐसे स्रोत जिनका चक्रीकरण नहीं हो सकता जो एक बार प्रयोग करने के बाद समाप्त हो जाते हैं, उन्हें अनवीकरणीय स्रोत कहते हैं। उदाहरण-लकड़ी, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।

→ भूमिगत जल (Underground Water)-यह जल भूमि के नीचे होता है।

→ भूपृष्ठ (Crust)-पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को पृष्ठ कहते हैं।

→ खनिज संसाधन (Mineral Resources)-ये भूमि में स्थित खनिज तथा धातुओं के भंडार हैं।

→ वायुमंडल (Atmosphere)-धरती को चारों ओर से घेरे हुए वायु का आवरण वायुमंडल कहलाता है।

→ प्रदूषण (Pollution)-धूलकण, धुआं तथा हानिकारक गैसों का अनैच्छिक रूप से वायु मिलना प्रदूषण कहलाता है।

→ अम्लीय वृष्टि (Acid Rain)-प्रदूषित वायु जिसमें अम्लीय ऑक्साइडों से उत्पादित अम्ल उपस्थित हों, अम्लीय वृष्टि कहते हैं।

→ धुआं (Smoke) यह ईंधन के अपूर्ण दहन से प्राप्त हुए कार्बन, राख तथा तेल के कणों का बना होता है।

→ कोहरा (Fog) यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें बहुत छोटे जल कण वायु में निलंबित अवस्था में उपस्थित होते हैं।

→ ऐरोसॉल (Aerosols)-वायु में उपस्थित द्रव्यों के बारीक कणों को ऐरोसॉल कहते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

→ कणकीय पदार्थ (Particulates)-वायु में उपस्थित निलंबित ठोस अथवा द्रव पदार्थ की असतत संहति को कणकीय पदार्थ कहते हैं।

→ फ्लाई ऐश (Fly Ash)-जीवाश्मी ईंधन के दहन के कारण उत्पन्न गैसों के साथ राख के निकलने वाले छोटे-छोटे कणों को फ्लाई ऐश कहते हैं।

→ ग्रीन हाऊस प्रभाव (Green House Effect)-पृथ्वी से परावर्तित अवरक्त विकिरणें कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा सोख ली जाती हैं, जिसके फलस्वरूप वायुमंडल गर्म हो जाता है और उसका ताप बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया को ग्रीन हाऊस प्रभाव कहते हैं।

→ मृदा (Soil)-पृथ्वी की ऊपरी सतह को मृदा कहते हैं जो चट्टानों के सूक्ष्म कणों, ह्यूमस, हवा और जल से मिल कर बनती है।

→ मृदा अपरदन (Soil Erosion)-मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत के अपने स्थान से हट जाने को मृदा अपरदन कहते हैं।

→ मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)-रासायनिक उर्वरकों तथा बेकार पदार्थों के मिट्टी में मिल जाने को मृदा प्रदूषण कहते हैं।

→ हाइड्रो कार्बन (Hydro Carbon)-कार्बन तथा हाइड्रोजन से बने कार्बनिक यौगिकों को हाइड्रो कार्बनिक कहते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

→ भूकंप तथा तटवर्ती भाग को प्रभावित करने वाले चक्रवात आसपास के लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

→ ‘स्वास्थ्य’ वह अवस्था है जिसके अंतर्गत शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कार्य समुचित क्षमता से उचित प्रकार किया जा सके।

→ हमारा सामाजिक पर्यावरण हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।

→ स्वास्थ्य के लिए भोजन, अच्छी आर्थिक परिस्थितियां तथा कार्य आवश्यक हैं।

→ सामुदायिक समस्याएं हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

→ जब कोई रोग होता है तब शरीर के एक या अनेक अंगों एवं तंत्रों में क्रिया या संरचना में खराबी दिखाई देने लगती है।

→ जो रोग लंबी अवधि तक रहते हैं उन्हें दीर्घकालिक रोग कहते हैं।

→ जो रोग कम अवधि तक रहते हैं उन्हें तीव्र रोग कहते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

→ दीर्घकालिक रोग तीव्र रोग की अपेक्षा स्वास्थ्य पर लंबे समय तक विपरीत प्रभाव बनाए रखता है।

→ जिन रोगों के तात्कालिक कारण सूक्ष्मजीव होते हैं उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं।

→ कैंसर रोग आनुवांशिक असामान्यता के कारण होते हैं; अधिक वज़न और व्यायाम न करने से उच्च रक्तचाप होता है-पर ये संक्रामक रोग नहीं हैं।

→ हेलीको बैक्टर पायलौरी नामक बैक्टीरिया पेप्टिक व्रण का कारण होता है।

→ खांसी-जुकाम, इंफ्लुएंजा, डेंगु बुखार, AIDS आदि रोग वायरस से होते हैं। टायफॉयड, हैज़ा, क्षय रोग, एंथ्रेक्स आदि बैक्टीरिया से होते हैं। अनेक त्वचा रोग विभिन्न प्रकार की फंजाई से होते हैं। प्रोटोज़ोआ से मलेरिया तथा कालाजार होते हैं तथा फीलपांव नामक रोग कृमि की विभिन्न स्पीशीज़ से होता है।

→ वाइरस, बैक्टीरिया तथा फंजाई का गुणन अत्यंत तेज़ी से होता है।

→ कोई औषधि किसी एक जैव क्रिया को रोकती है तो इस वर्ग के अन्य सदस्यों को भी प्रभावित करती है पर वही औषधि अन्य वर्ग से संबंधित रोगाणुओं पर प्रभाव नहीं डालती।

→ वायु से फैलने वाले रोग हैं-खांसी-जुकाम, निमोनिया तथा क्षय रोग।

→ संक्रमित जल से रोग फैलते हैं।

→ सिफलिस, AIDS आदि रोग लैंगिक संपर्क से स्थानांतरित होते हैं।

→ कुछ रोग मच्छर जैसे अन्य जंतुओं द्वारा संचारित होते हैं।

→ सूक्ष्म जीव की विभिन्न स्पीशीज शरीर के विभिन्न भागों में विकसित होती हैं। हवा से नाक में प्रवेश करने पर वे फेफड़ों में जाते हैं या मुँह के द्वारा प्रवेश करने से आहार नाल में जाते हैं।

→ HIV लैंगिक अंगों से शरीर में प्रवेश करता है पर लसीका ग्रंथियों में फैलता है। जापानी मस्तिष्क ज्वर का वायरस मच्छर के काटने से शरीर में पहुंचता है पर मस्तिष्क को संक्रमित करता है।

→ HIV-AIDS के कारण शरीर छोटे संक्रमणों का मुकाबला नहीं कर पाता, जो रोगी की मृत्यु का कारण बनते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

→ रोगों के निवारण की दो विधियां हैं-सामान्य और विशिष्ट।

→ संक्रामक रोगों से बचने के लिए स्वच्छता आवश्यक है।

→ हमारे शरीर में स्थित प्रतिरक्षा तंत्र रोगाणुओं से लड़ता है। विशिष्ट कोशिकाएं रोगाणुओं को मार देती हैं।

→ संक्रामक रोगों से बचने के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक भोजन आवश्यक है।

→ विश्व भर से चेचक का उन्मूलन किया जा चुका है। चेचक के एक बार हो जाने के बाद पुनः इससे ग्रसित होने की संभावना नहीं रहती। यह प्रतिरक्षाकरण के नियम का आधार है।

→ टेटनस, डिप्थीरिया, कूकर खांसी, चेचक, पोलियो आदि से बचने के टीके अब उपलब्ध हैं।

→ हिपेटाइटिस ‘A’ का टीका अब देश में उपलब्ध है। पांच वर्ष की आयु तक के अधिकांश बच्चों में पानी से ही इसके वायरस के प्रभाव में आ चुका होता है।

→ स्वास्थ्य (Health)-स्वास्थ्य वह अवस्था है जिसके अंतर्गत शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कार्य समुचित क्षमता से उचित प्रकार किया जा सके।

→ तीव्र रोग (Acute Disease)-जिस रोग की अवधि कम होती है उसे तीव्र रोग कहते हैं।

→ दीर्घकालिक रोग (Chronic Disease) -जो रोग लंबी अवधि तक अथवा जीवनपर्यंत रहते हैं उन्हें दीर्घकालिक रोग कहते हैं।

→ संक्रामक/संचरणीय रोग (Communicable diseases)-ये रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति, सूक्ष्म जीवों, जीवाणुओं, विषाणुओं तथा प्रोटोज़ोआ द्वारा फैलते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

→ असंक्रामक/असंचरणीय रोग (Non-Communicable diseases)-ये उपार्जित रोग हैं तथा ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलते।

→ प्रतिरक्षी (Antibodies)-जो पदार्थ शरीर में रोगों से लड़ते हैं और हमारी रोगों से रक्षा करते हैं, उन्हें प्रतिरक्षी कहते हैं।

→ हीनता-जन्य रोग (Deficiency diseases)-पर्याप्त तथा संतुलित आहार न मिलने के कारण होने वाले रोग को हीनता-जन्य रोग कहते हैं।

→ कुपोषण (Malnutrition) हीनता-जन्य रोगों से उत्पन्न स्थिति को कुपोषण कहते हैं जो कम आहार तथा असंतुलित आहार के कारण होता है।

→ एलर्जी (Allergy)-इस रोग में किसी एक व्यक्ति में किसी विशेष पदार्थ के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न हो जाती है।

→ आनुवंशिक रोग (Hereditary diseases)-ये रोग माता-पिता से संतान में स्थानांतरित होते हैं।

→ टीकाकरण (Vaccination)-रोगों की रोकथाम के लिए टीका लगवाना टीकाकरण है। यह रोकथाम का एक अच्छा उपाय है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 12 ध्वनि

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 12 ध्वनि

→ ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में सुनने का अनुभव (संवेदन) पैदा करता है।

→ ध्वनि उत्पन्न करने के लिए ऊर्जा के किसी एक रूप का उपयोग किया जाता है।

→ वस्तुओं में कंपन के कारण ध्वनि उत्पन्न होती है।

→ कंपन का अर्थ है किसी वस्तु का तीव्रता से बार-बार इधर-उधर गति करना।

→ मानव आवाज़ में ध्वनि, कण्ठ तंतुओं में कंपन होने के कारण पैदा होती है।

→ पदार्थ जिसमें से ध्वनि संचार करती है, माध्यम कहलाता है।

→ तरंग एक हल-चल है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 12 ध्वनि

→ ध्वनि संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है तथा वायु सबसे अधिक सामान्य प्रयोग किया जाने वाला माध्यम है।

→ जनि निर्वात में संचार नहीं कर सकती है।

→ ध्वनि किसी पदार्थ माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंगों (लांगी च्यूडीनल तरंगें) के रूप में संचार करती है।

→ ध्वनि भाध्यम में संपीड़न तथा विरलन के रूप में संचरण करती है।

→ संपीड़न एक उच्च दाब तथा कणों की अधिकतम घनत्व वाला क्षेत्र होता है।

→ अनुप्रस्थ तरंगों (हाँसवर्स तरंगों) में माध्यम के कण मूल स्थिति पर तरंग संचार की दिशा के लंबवत् गति करते हैं।

→ दो क्रमवार विरलन के मध्य वाली दूरी को तरंग लंबाई कहते हैं।

→ एकाँक समय में अपने पास से गुजरने वाली विरलनों की गति तरंग की आवृत्ति होती है।
अथवा
एकाँक समय में पूरे होने वाले दोलन की कुल संख्या को आवृति कहते हैं।

→ दो क्रमवार संपीड़नों अथवा विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुज़रने में लगे समय को आवर्तकाल कहते
अथवा
तरंग द्वारा माध्यम का घनत्व या दाब के एक पूरे दोलन के लगे समय को आवर्तकाल कहते हैं।

→ ध्वनि का वेग (v), आवृति (v) तथा तरंग दैर्ध्य (λ) में सम्बन्ध υ = v × 2 है।

→ ध्वनि की चाल मुख्य रूप से संचारित होने वाले माध्यम की प्रकृति तथा तापमान पर निर्भर करती है।

→ ध्वनि का परावर्तन नियम अनुसार ध्वनि के आपतित होने की दिशा तथा परावर्तित होने की दिशा परावर्तन सतह के आपतन बिंदु पर अभिलंब के साथ समान कोण बनाते हैं तथा यह तीनों एक ही धरातल में होते हैं।

→ स्पष्ट गूंज (प्रतिध्वनि) सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के मध्य कम से कम 0.1 सेकंड का समय अंतराल होना जरूरी है।

→ किसी एकाँक क्षेत्रफल में एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीउता कहते हैं।

→ मानव पराश्रव्य सीमा 20Hz से 20KHz है।

→ पराश्रव्य ध्वनि का चिकित्सा तथा औद्योगिक क्षेत्रों में बहुत उपयोग है।

→ सोनार तकनीक का उपयोग समुद्र की गहराई का पता लगाना तथा पनडुब्बियों तथा डूबे हुए जहाजों का पता लगाने के लिए किया जाता है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 12 ध्वनि

→ ध्वनि (Sound)-यह एक प्रकार की ऊर्जा है जो सुनने की संवेदना उत्पन्न करती है।

→ आयाम (Amplitude)-किसी कण का माध्यम स्थिति के दोनों ओर कंपन के अधिकतम विस्थापन को दोलन का आयाम कहते हैं।

→ आवृत्ति (Frequency)-किसी कम्पित वस्तु द्वारा एक सेकंड में पूरे किए गए कंपनों की संख्या को उसकी आवृत्ति कहते हैं।

→ आवर्तकाल (Time Period) किसी एक पूरे कंपन में लगे समय को आवर्तकाल कहते हैं। इसे ‘T’ से व्यक्त कर सेकंड में मापते हैं।

→ तरंग दैर्ध्य (Wave length)-कण के द्वारा जितने समय में एक कंपन पूरा किया जाता है उतने ही समय में तरंग द्वारा चली गई दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते हैं। इसे ” द्वारा दर्शाया जाता है।

→ तरंग का वेग (Wave Velocity)-किसी माध्यम में आवर्ती तरंग की आवृत्ति और तरंग दैर्ध्य के गुणनफल का परिणाम उसके वेग के बराबर होता है। v = vλ.

→ लोलक (Pendulum)-एक धागे से बंधा हुआ ठोस पिंड जो किसी दृढ़ आधार पर लटक कर स्वतंत्रतापूर्वक दोलन कर सके उसे लोलक कहते हैं।

→ सेकंड लोलक (Second’s Pendulum) जो लोलक एक पूरे दोलन में 2 सेकंड लगाता है, उसे सेकंड लोलक कहते हैं। .

→ दोलन या कंपन (Oscillation or Vibration)-माध्य स्थिति के इधर-उधर गति करके एक चक्र को पूरा करने को एक दोलन या एक कंपन कहते हैं।

→ आवर्ती गति (Periodic Motion)-जो गति एक निश्चित समय के बाद बार-बार दोहराई जाती है, उसे आवर्ती गति कहते हैं।

→ संपीडन (Compression)-किसी अनुदैर्ध्य तरंग के आगे बढ़ने से जिन स्थानों पर माध्यम के कण एक दूसरे के बहुत निकट आ जाते हैं उसे संपीडन कहते हैं।

→ विरलन (Rarefaction)-अनुदैर्ध्य तरंगों में जिन स्थानों पर कण दूर-दूर चले जाते हैं, उन्हें विरलन कहते हैं।

→ श्रृंग (Crest)-किसी अनुप्रस्थ तरंग गति में उठा हुआ भाग श्रृंग कहलाता है।

→ गर्त (Trough)-किसी अनुप्रस्थ तरंग गति में नीचे दबा हुआ भाग गर्त कहलाता है।

→ प्रतिध्वनि (Echo)-परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 12 ध्वनि

→ ध्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound)-किसी तल से टकरा कर ध्वनि का पुनः माध्यम में लौटने की प्रक्रिया को ध्वनि का परावर्तन कहते हैं।

→ अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse waves)-जब माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के लंबवत् कंपन करते हैं तब ऐसी तरंग को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं।

→ अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves)-जब माध्यय के कण लरंग की चलने की दिशा में गति करते हैं तो उसे अनुदैर्ध्य तरंग कहते हैं।

→ पराश्रव्य तरंगें (Ultrasonic waves)-दर यो आवृत्तियां 20,000 हज़ से अधिक होती है उन्हें पराश्रव्य तरंगें कहते हैं।

→ सोनार (SONAR-Sound Navigation and Ranging)-जो उपकरण ध्वनि तरंगों को उत्पन्न कर परावर्तित ध्वनि तरंगों का लघु समयांतर नापता है, उसे सोनार कहते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

→ सभी सजीवों को भोजन की आवश्यकता होती है।

→ जीवित रहने के लिए सजीवों को अनेक मूलभूत गतिविधियाँ करनी पड़ती हैं जिसके लिए उसे ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। यह ऊर्जा उसे भोजन से प्राप्त होती है।

→ मशीनों को भी कार्य करने के लिए पेट्रोल, डीज़ल जैसे ईंधनों से ऊर्जा प्राप्त होती है।

→ दैनिक जीवन में हम किसी भी लाभदायक शारीरिक या मानसिक परिश्रम को कार्य समझते हैं।

→ विज्ञान के दृष्टिकोण से कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है :

  1. वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए तथा
  2. वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।

→ किसी वस्तु पर लगने वाले बल द्वारा किया गया कार्य बल के परिमाण तथा बल की दिशा में चली गई दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।

→ जब बल, विस्थापन की दिशा के विपरीत दिशा में लगता है तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

→ जब बल, विस्थापन की दिशा में होता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है।

→ हमारे लिए सूर्य सबसे बड़ा प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत है। इसके अतिरिक्त हम परमाणुओं के नाभिकों से, पृथ्वी के आंतरिक भागों से तथा ज्वार-भाटा से भी ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।

→ यदि किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता हो तो कहा जाता है कि वस्तु में ऊर्जा है।

→ जो वस्तु कार्य करती है उसमें ऊर्जा की हानि होती है और जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है उसमें ऊर्जा की वृद्धि होती है।

→ ऊर्जा अनेक रूपों में विद्यमान है जैसे गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, उष्मीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, विद्युत् ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जा ।

→ किसी भी वस्तु की स्थितिज तथा गतिज ऊर्जा के योग को वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

→ किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं।

→ किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उसकी चाल के साथ बढ़ती है।

→ वस्तु को ऊँचाई पर उठाने से उसकी ऊर्जा गुरुत्वीय बल के विरुद्ध कार्य करने से गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा होती है।

→ हम ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण कर सकते हैं।

→ ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है, न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश । रूपांतरण से पहले तथा रूपांतरण के बाद कुल ऊर्जा सदैव अचर होती है।

→ कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं।

→ शक्ति का मात्रक वाट है।

→ 1 किलोवाट = 1000 वाट

→ 1 वाट उस अभिकर्ता (एजेंट) की शक्ति है जो 1 सेकेण्ड में 1 जूल कार्य करता है।

→ ऊर्जा का मात्रक जूल है परंतु यह बहुत छोटा मात्रक है। इसका बड़ा मात्रक किलोवाट घंटा (kwh) है।
1 kWh = 3.6 × 106 J

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

→ उद्योगों तथा व्यावसायिक संस्थानों में व्यय होने वाली ऊर्जा किलोवाट घंटा में व्यक्त होती है जिसे यूनिट कहते हैं।

→ ऊर्जा (Energy)-कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।

→ गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)-वस्तुओं में उनकी गति के कारण कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं, जैसे गतिशील वायु, गतिशील जल आदि।

→ स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)-किसी वस्तु की स्थिति या विकृति के कारण कार्य करने की क्षमता स्थितिज ऊर्जा कहलाती है, जैसे खींचा हुआ तीर कमान, पहाड़ों पर जमी हुई बर्फ आदि।

→ ऊर्जा संरक्षण नियम (Conservation Law of Energy)-ऊर्जा को बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है, उसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।

→ जूल (Joule)-यदि एक न्यूटन (N) बल एक किलोग्राम भारी किसी वस्तु को एक मीटर की दूरी तक विस्थापित कर दे तो एक जूल कार्य होता है।

→ शक्ति (Power)-जिस दर पर ऊर्जा उपलब्ध की जाए या खर्च की जाए, उसे शक्ति (Power) कहते हैं। शक्ति का मात्रक वा (W) है।
PSEB 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 1

→ वाट (Watt)-यदि कोई स्रोत एक सैकंड में एक जूल ऊर्जा उपलब्ध कराए या खर्च करे तो उस स्रोत की शक्ति एक वाट होती है।

→ कार्य (Work)-जब बल लगाने से कोई वस्तु अपने स्थान से विस्थापित हो जाती है तो इसको बल द्वारा किया गया कार्य कहा जाता है।
कार्य = बल × विस्थापन

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी में, रिक्त स्थानों को भरिए, जहाँ A.P. का प्रथम पद a, सार्व अंतर d और nवाँ पद an है :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 1

हल :
(i) a = 7, d = 3, n = 8
∵ an = a + (n – 1)d
∴ a8 = 7 + (8 – 1) 3
= 7 + 21 = 28

(ii) a = – 18, n = 10, an = 0
∵ an = a + (n – 1)d
∴ a10 = – 18 + (10-1)d
या 0 = – 18 + 9d
या 9d = 18
या d = \(\frac{18}{9}\) = 2

(iii) d = – 3, n = 18, an = – 5
∵ an = a + (n – 1) d
∴ a18 = a + (18 – 1) (- 3)
या – 5 = a – 51
या a = – 5 + 51 = 46

(iv) a = – 18.9, d = 2.5, an = 3.6
∵ an = a + (n – 1 )d
3.6 = – 18.9 + (n – 1) 2.5
या 3.6 + 18.9 = (n – 1) 2.5
या (n – 1) 2.5 = 22.5
या n – 1 = \(\frac{22.5}{2.5}\) = 9
या n = 9 + 1 = 10

(v) a = 3.5, d = 0, n = 105
∵ an = a + (n – 1)d
∴ an = 3.5 + (105 – 1)0
an = 3.5 + 0 = 3.5

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में सही उत्तर चुनिए और उसका औचित्य दीजिए:
(i) AP : 10, 7, 4,……,का 30वाँ पद है :
(A) 97
(B) 77
(C) – 77
(D) – 87
हल :
(i) दी गई A.P. है 10, 7, 4, ………
T1 = 10, T2 = 7, T3 = 4
T2 – T1 = 7 – 10 = – 3
T3 – T2 = 4 – 7 = – 3
∵ T2 – T1 = T3 – T2 = – 3 = d (माना)
∵ Tn = a + (n – 1) d
अब, T30 = 10 + (30 -1) (- 3)
= 10 – 87 = – 77
∴ सही उत्तर (C) है

(ii) AP: – 3, – \(\frac{1}{2}\), 2, ………….. का 11वाँ पद है :
(A) 28
(B) 22
(C)- 38
(D) – 48
हल :
दी गई A.P. है
T1 = – 3, T2 = – \(\frac{1}{2}\), T3 = 2 …………
T2 – T1 = – \(\frac{1}{2}\) + 3
= \(\frac{-1+6}{2}=\frac{5}{2}\)

T3 – T2 = 2 + \(\frac{1}{2}\)
= \(\frac{4+1}{2}=\frac{5}{2}\)
∵ T2 – T1 = T3 – T2 = \(\frac{5}{2}\) = d (माना)
∵ Tn = a + (n – 1) d
अब, T11 = – 3 + (11 – 1) \(\frac{5}{2}\)
= – 3 + 10 × – \(\frac{5}{2}\)
= – 3 + 25
= 22
∴ सही उत्तर (B) है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित समांतर श्रेढ़ियों में, रिक्त खानों (boxes) के पदों को ज्ञात कीजिए :
(i) 2, ___, 26
(ii) ___, 13, ___, 3
(i) 5, ___, ___, 9\(\frac{1}{2}\)
(iv) – 4, ___, ___, ___, 6
(v) 38, ___, ___, ___, – 22
हल :
मान लीजिए दी गई A.P. का प्रथम पद a तथा सार्व अंतर d है।
(i) यहाँ T1 = a = 2
और T3 = a + 2d = 26
2 + 2d = 26
या 2d = 26 – 2 = 24
या d = \(\frac{24}{2}\) = 12
∴ लुप्त पद = T2 = a + d
= 2 + 12 = 14

(ii) यहाँ T2 = a+d = 13
और T4 = a + 3d = 3
अब, (2)- (1) से प्राप्त होता है :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 2

d का यह मान (1), में प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैं :
a – 5 = 13
a = 13 + 5 = 18
∴ T1 = a = 18
T3 = a + 2d = 18 + 2 (- 5)
= 18 – 10 = 8

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

(iii) यहाँ T1 = a = 5
और T4 = a + 3d = 9\(\frac{1}{2}\)
a + 3d = \(\frac{19}{2}\)

5 + 3d = \(\frac{19}{2}\)

3d = \(\frac{19}{2}\) – 5

3d = \(\frac{19-10}{2}=\frac{9}{2}\)

d = \(\frac{{ }^{3} \not 9}{2} \times \frac{1}{3}=\frac{not 3}{2}\)

T2 = a + d = 5 + \(\frac{3}{2}\)

= \(\frac{10+3}{2}=\frac{13}{2}\)

T3 = a + 2d
= 5 + 2 (\(\frac{3}{2}\))
= 5 + 3 = 8

(iv) यहाँ T1 = a = – 4
T6 = a + 5d = 6
या – 4 + 5d = 6
या 5d = 6 + 4
या 5d = 10
या d = \(\frac{10}{2}\) = 2
T2 = a + d
= – 4+ 2 = – 2
T3 = a + 2d
= – 4 + 2 (2)
= – 4 + 4 = 0
T4 = a + 3d
= – 4 + 3 (2)
= – 4 + 6 = 2
T5 = a + 4d
= – 4 + 4 (2)
= – 4 + 8 = 4

(v) यहां T2 = a + d = 38 ……………(1)
और T4 = a + 5d = – 22 …………….(2)
अब, (2) – (1) से प्राप्त होता है :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 3

4d = – 60
या d = – \(\frac{60}{4}\) = – 15

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 3

d का यह मान (1), में प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैं :
a + (- 15) = 38
a = 38 + 15 = 53
∴ T1 = a = 53
T3 = a + 2d = 53 + 2 (- 15)
= 53 – 30 = 23
T4 = a + 3d
= 53 + 3 ( -15)
= 53 – 45 = 8
T5 = a +4d
= 53 +4 (-15)
= 53 – 60 = – 7

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 4.
A.P. 3, 8, 13, 18,….. का कौन-सा पद 78 है।
हल :
दी गई A.P. है: 3, 8, 13, 18, …………….
T1 = 3, T2 = 8, T3 = 13, T4 = 18
T2 – T1 = 8 – 3 = 5
T3 – T2 = 13 – 8 = 5
T2 – T1 = T3 – T2 = 5 = d (माना)
सूत्र Tn = a + (n – 1)d का प्रयोग करने पर,
या 78 = 3 + (n – 1)5
या 5 (n – 1) = 78 – 3
या n – 1 = \(\frac{75}{5}\) = 15
या n = 15 + 1 = 16
अतः, दी गई A.P. का 16वाँ पद 78 है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित समांतर श्रेढ़ियों में से प्रत्येक श्रेढ़ी में कितने पद हैं ?
(i) 7, 13, 19,…, 205
(ii) 18, 15\(\frac{1}{2}\), 13, …………, – 47
हल :
(i) दी गई A.P. है 7, 13, 19,…
T = 7, T2 = 13, T3 = 19
T2 – T1 = 13 – 7 = 6
T3 – T2 = 19 – 13 = 6
T2 – T1 = T3 – T2 = 6 = d (माना)
सूत्र T,= a + (n – 1) d का प्रयोग करने पर
205 = 7 + (n – 1) 6
या (n – 1) 6 = 205 – 7
या (n – 1) = \(\frac{196}{6}\)
या n – 1 = 33
या n = 33 + 1 = 34
अतः, A.P. का 34वाँ पद 205 है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

(ii) दी गई A.P. है 18, 152, 13…
T1 = 18, T2 = 15\(\frac{1}{2}\) = \(\frac{31}{2}\) = 2.5 T3 = 13
T2 – T1 = \(\frac{31}{2}\) – 18
= \(\frac{31-36}{2}=-\frac{5}{2}\)

T3 – T2 = 13 – \(\frac{31}{2}\)
= \(\frac{26-31}{2}=-\frac{5}{2}\)

T2 – T1 = T3 – T2 = \(-\frac{5}{2}\) = d (माना)
सूत्र Tn = a + (n – 1) d का प्रयोग करने पर
– 47 = 18 + (n – 1) (- \(\frac{5}{2}\))

या (n – 1) (- \(\frac{5}{2}\)) = – 47 – 18

या (n – 1) (- \(\frac{5}{2}\)) = – 65

या n – 1 = – 65 × – \(\frac{2}{5}\)

या n – 1 = 26

या n = 26 + 1 = 27
अतः, A.P. का 27 वाँ पद – 47 है।

प्रश्न 6.
क्या A.P. 11, 8, 5, 2 …………. का एक पद-150 है ? क्यों ?
हल :
दिया गया अनुक्रम है :
11, 8, 5, 2 ……………..
T1 = 11, T2 = 8, T3 = 5, T4 = 2
T2 – T1 = 8 – 11 = – 3
T3 – T2 = 5 – 8 = – 3
T4 – T3 = 2 – 5 = – 3
∵ T2 – T1 = T3 – T2 = T4 – T3 =-3 =d (माना).
मान लीजिए – 150 दी गई A.P. का एक पद है।
Tn = – 150
a+ (n – 1)d = – 150
या 11 + (n – 1) (- 3) = – 150
या (n – 1) (- 3) = – 150 – 11 = – 161
या n – 1 = \(\frac{161}{3}\)

या n = \(\frac{161}{3}\) + 1
= \(\frac{161+3}{3}\)

या n = \(\frac{164}{3}\) = 54 \(\frac{2}{3}\)
जो कि एक प्राकृत संख्या नहीं है।
अतः, – 150 दी गई A.P. का पद नहीं है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 7.
उस A.P. का 31वाँ पद ज्ञात कीजिए, जिसका 11वाँ पद 38 है और 16वाँ पद 73 है।
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d’ दी गई A.P. का प्रथम पद और सार्व अंतर है।
दिया है कि
T11 = 38
a + (11 – 1)d = 38
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
a + 10 d = 38
और T16 = 73
a + (16 – 1)d = 73
[∵ T = a+ (n – 1)d]
a+ 15 d = 73 ………….(2)
अब, (2) – (1) से प्राप्त होता है :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 4

d का मान (1), में प्रतिस्थापित करने पर हमें प्राप्त होता हैः |
a + 10 (7) = 38
या a + 70 = 38
या a = 38 – 70 = – 32
अब T31 = a + (31 – 1) d = – 32 + 30 (7)
= – 32 + 210 = 178.

प्रश्न 8.
एक A.P. में 50 पद हैं, जिसका तीसरा पद 12 है और अंतिम पद 106 है। इसका 29वाँ पद ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d; दी गई A.P. का प्रथम पद और सार्व अंतर हैं।
दिया है कि, T3 = 12
a+ (3 – 1)d = 12
∵ Tn = a + (n – 1)d
या a + 2d = 12
और अंतिम पद = T50 = 106
a + (50 – 1) d = 106
∵ Tn = a + (n – 1)d
या a + 49d = 106 ……………(2)
अब (2) – (1) से प्राप्त होता है :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 5

d का यह मान (1), में प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैं :
a + 2(2) = 12
a + 4 = 12
a + 12 – 4 = 8
अब T29 = a + (29 – 1)d
= 8 + 28 (2)
= 8 + 56 = 64

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 9.
यदि किसी A.P. के तीसरे और नौवें पद क्रमशः 4 और – 8 हैं, तो इसका कौन-सा पद शून्य होगा ?
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d’ क्रमशः दी गई A.P. का प्रथम पद और सार्व अंतर हैं।
दिया है कि :
T3 = 4
a + (3 – 1) d = 4
∵ Tn = a + (n – 1) d
a + 2d = 4 …………(1)
और T9 = – 8
a + (9 – 1) d = 8
∵ Tn = a + (n – 1) d
या a + 8d = – 8 ………….(2)
अब, (2) – (1) से प्राप्त होता है :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 6

d का यह मान (1), में प्रतिस्थापित करने पर
a + 2 (- 2) = 4
या a – 4 = 4
या a = 4 + 4 = 8
अब, Tn = 0 (दिया है)
a + (n – 1) d = 0
या 8 + (n – 1) (- 2) = 0
या – 2 (n – 1) = – 8
या n – 1 = 4
n = 4 + 1 = 5
अतः, A.P. का 5वाँ पद शून्य है।

प्रश्न 10.
किसी A.P. का 17वाँ पद उसके 10 वें पद से 7 | अधिक है। इसका सार्व अंतर ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d’ क्रमशः दी गई A.P. का प्रथम पद और सार्व अंतर हैं।
अब, T17 = a (17 – 1)d
= a + 16d
और T10 = a + (10 – 1)d
= a + 9d
प्रश्न के अनुसार,
T17 – T10 = 7
(a + 16d) – (a + 9d) = 7
या + 16d – a – 9d = 7
7d = 7
d = \(\frac{7}{7}\) = 1
अतः, सार्व अंतर 1 है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 11.
A.P.: 3, 15, 27, 39, …………. का कौन-सा पद उसके 54वें पद से 132 अधिक होगा ?
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d’ क्रमश: दी गई A.P. का प्रथम पद और सार्व अंतर हैं।
दी गई A.P. है 3, 15, 27, 39, …………
T1 = 3, T2 = 15,
T3 = 27, T4 = 39
T2 – T1 = 15 – 3 = 12
T3 – T2 = 27 – 15 = 12
d = T2 – T1 = T3 – T2 = 12
अब, T54 = a + (54 – 1) d
= 3 + 53 (12)
= 3 + 636 = 639
प्रश्न के अनुसार,
Tn = T54 + 132
a + (n – 1) d = 639 + 132
3 + (n – 1) (12) = 771
(n – 1) 12 = 771 – 3 = 768
या n – 1 = \(\frac{768}{12}\) = 64
या n = 64 + 1 = 65
अतः, A.P. का 65वाँ पद उसके 54वें पद से 132 अधिक होगा।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 12.
दो समांतर श्रेढ़ियों का सार्व अंतर समान है। यदि इनके 100वें पदों का अंतर 100 है, तो इनके 1000वें पदों का अंतर क्या होगा?
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d पहली A.P. का प्रथम पद और सार्व अंतर हैं।
साथ ही, ‘A’ और ‘d’ दूसरी A.P. का प्रथम पद और सार्व अंतर है।
प्रश्न के अनुसार,
[दूसरी A.P. का T100] – [पहली A.P. का T100]
= 100
या [A + (100 -1)d] – [a + (100 -1)d] = 100
या A + 99 d – a – 99 d = 100
A – a = 100 ………..(1)
अब, [दूसरी A.P. का T1000] – [पहली A.P. का T1000]
= [A + (1000 – 1) d] – (a + (1000 – 1) d]
= A + 999d – a – 999 d
= A – a
= 100 [(1) का प्रयोग करने से]

प्रश्न 13.
तीन अंकों वाली कितनी संख्याएँ 7 से विभाज्य
या
हल :
7 से विभाज्य तीन अंकों वाली संख्याएँ : 105, 112, 119, …………, 994
यहाँ a = T1 = 105, T2 = 112,
T3 = 119 और T4 = 994
T2 – T1 = 112 – 105 = 7
T3 – T2 = 119 – 112 = 7
d = T2 – T1 = T3 – T2 = 7
दिया है कि Tn = 994
a + (n – 1) d = 994
या 105 + (n – 1) 7 = 994
या (n – 1)7 = 994 – 105
या (n – 1)7 = 889
या n – 1 = \(\frac{889}{7}\) = 123
n = 123 + 1 = 124.
अतः, तीन अंकों वाली 124 संख्याएँ 7 से विभाज्य हैं।

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प्रश्न 14.
10 और 250 के बीच में 4 के कितने गुणज हैं ?
हल :
10 और 250 के बीच में 4 के गुणज हैं:
12, 16, 20, 24, ………… 248
यहाँ a = T1 = 12, T2 = 16, T3 = 20
और Tn = 248
T2 – T1 = 16- 12 = 4
T3 – T2 = 20 – 16 = 4
d = T2 – T1 = T3 – T2 = 4
दिया है कि Tn = 248
a + (n – 1) d = 248
या 12 + (n – 1) 4 = 248
या 4(n – 1) = 248 – 12 = 236
या n – 1 = \(\frac{236}{4}\) = 59.
n = 59 + 1 = 60
अतः, 10 और 250 के बीच 4 के 60 गुणज हैं।

प्रश्न 15.
n के किस मान के लिए, दोनों समांतर श्रेढ़ियों 63,65, 67…और 3, 10, 17…के nवें पद बराबर होंगे ?
हल :
दी गई A.P. है। 63, 65, 67, ………..
यहाँ a = T1 = 63,
T2 = 65,
T3 = 67
T2 – T1 = 65 -63 = 2
T3 – T2 = 67 – 65 = 2
d = T2 – T1 = T3 – T2 = 2
और दूसरी A.P. है: 3, 10, 17, …………..
यहाँ, a = T1 = 3, T2 = 10, T3 = 17
T2 – T1 = 10 – 3 = 7
T3 – T2 = 17 – 10 = 7
प्रश्न के अनुसार,
[पहली A.P का nवाँ पद] = [दसरी A.P. का nवाँ पद।।
63 + (n – 1) 2 = 3 + (n – 1)7
या 63 + 2n – 2 = 3 + 7n – 7
या 61 + 2n = 7n -4
या 2n – 7n = -4-61
या – 5n = – 65
या n = \(\frac{65}{5}\) = 13

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 16.
वह A.P. ज्ञात कीजिए जिसका तीसरा पद 16 है और 7वाँ पद 5वें पद से 12 अधिक है।
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d’ दी गई A.P. के प्रथम पद और सार्व अंतर हैं। दिया है कि
T3 = 16
a + (3 – 1) d = 16
a + 2d = 16 ………….(1)
प्रश्न के अनुसार,
T7 – T5 = 12
[a + (7 – 1) d] – [a + (5 – 1) d] = 12
a + 6d – 4d = 12
2d = 12
d = \(\frac{12}{2}\) = 6.
d का यह मान (1), में प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैं,
a + 2 (6) = 16
a = 16 – 12 = 4
अंतः दी गई A.P. हैं, 4, 10, 16, 22, 28, …………..

प्रश्न 17.
A.P.: 3, 8, 13, ………., 253 में अंतिम पद से 20वाँ पद ज्ञात कीजिए।
हल :
दी गई A.P. है 3, 8, 13, …………., 253
यहाँ, a = T1 = 3, T2 = 8, T3 = 13 और Tn = 253
T2 – T1 = 8 – 3 = 5
T3 – T2 = 13 – 8 = 5
d = T2 – T1 = T3 – T2 = 5
अब Tn = 253
3 + (n – 1) 5 = 253
(n – 1) 5 = 250
n – 1 = \(\frac{250}{5}\) = 50
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
(n – 1) 5 = 250 .
n – 1 = \(\frac{250}{5}\)= 50.
n = 50 + 1 = 51
AP के अंतिम पद से 20वाँ पद = (पदों की कुल संख्या) – 20 +1
= 51 – 20 + 1 = 32 वाँ पद
∴ AP के अंतिम पद से 20वाँ पद = आरम्भ से 32वाँ पद = 3 + (32 – 1) 5
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
= 3 + 31 × 5
= 3 + 155 = 158

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प्रश्न 18.
किसी A.P. के चौथे और 8वें पदों का योग 24 है तथा छठे और 11वें पदों का योग 44 है। इस A.P.के प्रथम तीन पद ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d’ दी गई A.P. के प्रथम पद और सार्व अंतर हैं।
प्रश्न की पहली शर्त अनुसार,
T4 + T8 = 24
a + (4 – 1) d + a + (8 – 1) d = 24
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
या 2a + 3d + 7d = 24
या 2a + 10d = 24
या a + 5d = 12 ………….(1)
प्रश्न की दूसरी शर्त अनुसार,
T6 + T10 = 44
a + (6 – 1) d + a + (10 – 1) d = 44
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
2a + 5d + 9d = 44
2a + 14d = 44
a + 7d = 22 ………….(2)
अब (2) – (1) से प्राप्त होता है :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 8

d का यह मान (1), में प्रतिस्थापित करने पर हमें प्राप्त होता है।
a + 5 (5) = 12
a + 25 = 12
a = 12 – 25 = – 13
∴ T1 = a = – 13
T2 = a + d = – 13 + 5 = – 8
T3 = a + 2d = – 13 + 2 (5)
= – 13 + 10 = – 3
अतः,दी गई A.P. है – 13, – 8, – 3, ………..

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प्रश्न 19.
सुब्बा राव ने 1995 में ₹5000 के मासिक वेतन पर कार्य आरम्भ किया और प्रत्येक वर्ष ₹ 200 की वेतन वृद्धि प्राप्त की।किस वर्ष में उसका वेतन₹ 7000 हो गया ? हल :
सुब्बा राव का आरंभिक वेतन = ₹ 5000
वार्षिक वृद्धि = ₹ 200
मान लीजिए ‘n’ वर्षों की संख्या को निरूपित करता है।
∴ प्रथम पद = a = ₹ 5000
सार्व अंतर = d=₹,200
Tn = ₹ 7000
5000 + (n – 1) 200 = ₹ 7000
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
(n – 1) 200 = 7000 – 5000
(n – 1) 200 = 2000
n – 1 = \(\frac{2000}{200}\) = 10
n = 10 + 1 = 11
अब, वर्ष की स्थिति में अनुक्रम है : 1995, 1996, 1997, 1998, …………
यहाँ a = 1995, d = 1 और n = 11
मान लीजिए T, अभीष्ट वर्षों को व्यक्त करता है
∴ Tn = 1995 + (11 – 1)1
= 1995 + 10 = 2005
अतः, 2005 में सुब्बा राव का वेतन ₹ 7000 हो जाएगा।

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प्रश्न 20.
रामकली ने किसी वर्ष के प्रथम सप्ताह में ₹5 की बचत की और फिर अपनी साप्ताहिक बचत ₹1.75 बढ़ाती गई।यदिnवें सप्ताह में उसकी साप्ताहिक बचत ₹ 20.75 हो जाती है, तोn ज्ञात कीजिए।
हल :
प्रथम सप्ताह में बचत = ₹5
प्रति सप्ताह बचत में वृद्धि = ₹ 1.75
यह स्पष्ट है कि यह एक A.P. है जिसके पद हैं :
T1 = 5, d = 1.75
∴ T= 5 + 1.75 = 6.75
T2 = 6.75 + 1.75 = 8.50
साथ ही, Tn = 20.75 (दिया है)
5 + (n – 1) 1.75 = 20.75
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
या (n – 1) 1.75 = 20.75 – 5
या (n – 1) 1.75 = 15.75
या (n – 1) = \(\frac{1575}{100} \times \frac{100}{175}\)
या n = 9 + 1 = 10
अत:, 10वें सप्ताह में राम कली की बचत ₹ 20.75 हो जाती है।