PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi संप्रेषण कौशल पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद

(क) पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद

1. विधा वठवे प्टिम हुँ तथउ मशिना नाहे ।
कृपया इसे गोपनीय समझिए।

2. उवमा लप्टी येत चै ।
आदेश के लिए प्रस्तुत है।

3. ‘उठ मिलर टी मरठा उन ठिी ताप्टी चै।
पत्र मिलने की सूचना भेज दी गई है।

4. ਵਿਚਾਰਾਧੀਨ ਪੱਤਰ ਮਿਲਣ ਦੀ ਸੂਚਨਾ ਨਹੀਂ ਭੇਜੀ ਗਈ ਹੈ ।
विचाराधीन पत्र की प्राप्ति की सूचना नहीं भेजी गई है।

5. उठ रा भमरा भठत्नुठी लप्टी येन चै ।
उत्तर का मसौदा अनुमोदन के लिए प्रस्तुत है।

6. सतुती वाढहाप्टी वत रिंडी ताप्टी चै ।
ज़रूरी कार्यवाही कर दी गई है।

7. लेडीरे वातास पॅउठ ठेठां उँधे उठ ।
अपेक्षित कागज़-पत्र नीचे रखे हैं।

8. साली मृतठा टी हिडीव वठे ।
अगली सूचना की प्रतीक्षा करें।

9. ਮਸੌਦਾ ਸੋਧੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਨਜ਼ੂਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
मसौदा संशोधित रूप में अनुमोदित किया जाता है।

10. विठया वठवे पवे उपाधत वीडे ताठ |
कृपया पूरे हस्ताक्षर किए जाएँ।

11. मत्ती ठामठत व ठिी नाहे ।
आवेदन अस्वीकार कर दिया जाए।

12. सती पट व लिभा साहे ।
ज़रूरी संशोधन कर लिया जाए।

13. यमाह मापले-भाध रिस मसट चै ।
प्रस्ताव अपने-आप में स्पष्ट है।

14. Yध भिमप्ल रे हायम माहट सी हडीव वीठी साहे ।
मुख्य मिसल के वापस आने की प्रतीक्षा की जाए।

15. रेव वे पंठहार मउिउ हाधित वीउ सांरा चै ।
देखकर सधन्यवाद वापस किया जाता है।

16. माठ वेष्टी टिपटी ठगीं वठठी ।
हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी है।

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17. हेठी MAHIGव उतिभा साहे ।
तुरन्त अनुस्मारक भेजिए।

18. भाप्ली वैठव हित हिसाठ वठ लिभा साठा |
आगामी बैठक में विचार कर लिया जाएगा।

19. पित रे मुशाहां रे भायात उ भर्मेरा उिभात वीउ साहे ।
ऊपर के सुझावों के आधार पर उत्तर का मसौदा तैयार कीजिए।

20. माते मयिउ प्लेव टिम लु विभाठ ठाल ठेट व लैट ।
सभी सम्बन्धित लोग इसे ध्यान से नोट कर लें।

21. वितधा वठवे पिहला मढ़ा रेवे ।
कृपया पिछला पृष्ठ देखें।

22. भलीभां भंगीनां नाल ।
प्रार्थना पत्र माँगे जाएँ।

23. यमामठिव भठसठी उपमिल वीठी नाहे ।
प्रशासनिक मान्यता प्राप्त की जाए।

24. ਵਿਭਾਗ ਵਲੋਂ ਕਾਰਵਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ।
विभागीय कार्यवाही की जा रही है।

25. सहाव भगिना माहे |
जवाब तलब किया जाए।

26. भाभले डे ठहें मिते 3 हिसाठ वठठा चै ।
मामले पर नए सिरे से विचार करना है।

27. सांस वीडी डे मी पाटिमा |
जाँच की और सही पाया।

28. पिहले वातास ठाप्ल प्लाठि ।
पिछले कागज़ साथ लगाएं।

29. हिलाता हूँ टिम रे ममात मुनिउ वत ठिा साहेठाा |
विभाग को तदनुसार सूचित कर दिया जाएगा।

30. उनाडा पॅउठ टिम सहउठ हिर पुग्धउ ठगीं सायरा |
आपका पत्र इस कार्यालय में प्राप्त हुआ नहीं जान पड़ता।

31. ਦੱਸੋ ਕਿ ਤੁਹਾਡੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨਾਤਮਿਕ ਕਾਰਵਾਈ ਕਿਉਂ ਨਾ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ ?
बताएं कि आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न की जाए?

32. डोटी ठियेतट टी हडीव ।
आगे की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।

33. ਜੇਕਰ ਤੁਸੀ ਸਹਿਮਤ ਹੋ ਤਾਂ ਕਾਗਜ਼ ਫਾਇਲ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ ।
यदि आप सहमत हों तो कागज़ फाईल कर दिए जाएँ।

34. भैलु टिम भाभले हि वेप्टी ग्रािष्टिउ ठगीं मिली चै ।
मुझे इस मामले में कोई हिदायत नहीं मिली है।

35. मठापठाउभिव गहाप्टी वीठी सा पवटी चै ।
अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।

36. मधेप टिपटी चेठां येस वै ।।
संक्षिप्त टिप्पणी नीचे प्रस्तुत है।

37. सि वि धूमउगह वीउ निभा चै, प्टिहें वाराहाटी वीठी माहे ।
यथा प्रस्तावित कार्यवाही की जाए।

38. वैठव रा टेनडा घेत चै ।
बैठक की कार्य सूची प्रस्तुत है।

39. मेपिसा ऐष्टिमा उठाइट रेवट हामडे येत चै ।
संशोधित प्रारूप अवलोकनार्थ प्रस्तुत है।

40. भांसी पालठा वीडी माहे ।
आदेशों का पालन किया जाए।

41. वाधी लॅपी चै ।
प्रतिलिपि संलग्न है।

42. भाभले हरा भने डैमप्ला ठा वीउ साहे ।
मामले को अभी निर्णय न किया जाए।

43. ਮੈਂ ਇਸ ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਸਹਿਮਤੀ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ।
मैं इस प्रस्ताव से अपनी सहमति प्रकट करता हूँ।

44. माटवाठी रे लप्टी घेत वै ।
सूचना के लिए प्रस्तुत है।

45. विठया वठवे मामले टी मधेधिवा उिभात वीठी नाहे ।
कृपया मामले की संक्षेपिका तैयार कीजिए।

46. Yध मिसल डे मला वेट उँव व सॅधी ताहे ।
मुख्य मिसल पर निर्णय होने तक इसे रोके रखिए।

47. भाभले 3 घेत वठठे हि चेप्टी रेत लप्टी धेर नै ।
मामले को प्रस्तुत करने में हुई देरी के लिए खेद है।

48. भंगी ताप्टी मसठउ हुँटी रे रिडी साहे ।
माँगी गई आकस्मिक छुट्टी दे दी जाए।

49. नांच पुठी वीठी साहे बडे ठिठट हेठी घेत वीठी माहे ।
जाँच पूरी की जाए और रिपोर्ट जल्दी प्रस्तुत की जाए।

50. उठाइट Tठ साठी वठ ठिा साहे ।
प्रारूप अब जारी कर दिया जाए।

51. सवल से महिला टी ठा रेमठी ठगी चै ठा सुप्मभटी ।
अक्ल के अंधों की न दोस्ती अच्छी न ही दुश्मनी।

52. उठ उठ ठ विडे ही ठीं टिंव मवरे ।
आलसी नौकर कहीं भी नहीं टिक सकते।

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53. ਸ਼ਾਇਦ ਔਰਤਾਂ ਨੂੰ ਚਿੜਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗੁੱਤ ਪਿੱਛੇ ਮੱਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
शायद औरतों को चिढ़ाने के लिए कहा जाता है कि उनकी चोटी के पीछे अक्ल होती है।

54. ਜੁਬਾਨੀ ਜਮਾ ਖਰਚ ਕਰਨ ਦੀ ਥਾਂ ਅਮਲੀ ਕੰਮ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
जबानी जमा खर्च करने के स्थान पर अमली कार्य करना चाहिए।

55. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਵੰਡ ਛਕਣ ਅਤੇ ਦਸਾਂ ਨੌਹਾਂ ਦੀ ਕਮਾਈ ਕਰਨ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ।
गुरु नानक देव जी ने बाँट कर खाने और दसों नाखूनों द्वारा कर्म करने की शिक्षा दी।

56. मॉन-वल्ल रे लीडठ ढमली घटेठे उठ ।
आज कल के लीडर फसली बटेरे हैं।

57. विमे Hठीढ भाटभी उल वे ही हुँताप्ल ठगीं वठठी नागीटी ।
किसी सज्जन पुरुष पर भूलकर भी उँगली नहीं उठानी चाहिए।

58. ਇਕ ਮੁੱਠ ਹੋ ਕੇ ਹੀ ਵੈਰੀ ਨੂੰ ਹਰਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
एक होकर ही शत्रु को पराजित किया जा सकता है।

59. पी रे हिभाउ रे घन हमें हमरा उँप उता ने निभा |
बेटी की शादी के खर्च के कारण उसका हाथ तंग हो गया।

60. ਉਸਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਕਾਲੀਆਂ ਕਰਤੂਤਾਂ ਕਾਰਨ ਆਪਣੇ ਖਾਨਦਾਨ ਦੇ ਸਿਰ ਖੇਹ ਪੁਆਈ ਹੈ ।
उसने अपनी काली करतूतों के द्वारा अपने खानदान की बदनामी करवाई है।

61. मैं प्टिंधे माहिट लप्टी विप्लवल आप्त ठगी गं ।
मैं यहाँ आने के लिए कदापि खुश नहीं हूँ।

62. हमरा पॅउठ पडाप्टी हॅप्ल पिभाठ ठगी रिंग चै ।
उसका बेटा पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं देता।

63. ਜਦੋਂ ਉਸਨੇ ਸੋਹਣ ਕੋਲੋਂ ਕਿਤਾਬ ਉਧਾਰੀ ਮੰਗੀ, ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਟਕੇ ਵਰਗਾ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦਿੱਤਾ।
जब उसने सोहन से पुस्तक उधार माँगी तो उसने टका सा जवाब दे दिया।

64. ਬੰਦਾ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਵਜ਼ੀਰ ਖਾਂ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੇ ਘਾਟ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ ।
बन्दा बहादुर ने वज़ीर खाँ को मौत के घाट उतार दिया।

65. ਮੈਂ ਹੱਥਲਾ ਕੰਮ ਮੁਕਾ ਕੇ ਹੀ ਦਸ ਸਕਾਗਾ ।
मैं हाथ का काम समाप्त करके ही बता पाऊँगा।

66. विमे सी तातीधी सी प्ल3 3 मार्ट सॅव ठगी उहिला नग्गी
किसी की ग़रीबी की हालत पर हमें नाक नहीं चिढ़ाना चाहिए।

67. ऑन मैं पजु-पड वे ऑव ठिाना |
आज मैं पढ़-पढ़ कर उकता गया।

68. वी धेडरे हमरे पैठ डे मॅट लॅगी ।
हॉकी खेलते समय उसके पैर पर चोट लगी।

69. भेठी ठॉल मठ वे म उन पप्टे ।
मेरी बात सुनकर सब हंस पड़े।

70. वॅचा भाटभी टिउवात जैता ठगी गुटा ।
कच्चा व्यक्ति विश्वास के योग्य नहीं होता।

71. भेठी पड़ी ठीव हवउ रिटी नै ।
मेरी घड़ी ठीक समय देती है।

72. पसउव रा हाधा हपीना उठा साठीरा चै ।
प्रत्येक पुस्तक की छपाई बढ़िया होनी चाहिए।

73. ३ वाठठ पॅच ठगी ठिवप्ली ।।
बदली छाई होने के कारण धूप नहीं निकली।

74. रत-रत टॅवठां भाठ रा वी प्ला ?
जगह-जगह ठोकरें खाने का क्या लाभ?

75. विधा वठवे पिढप्लीमा टिपटीमा रेध लहि ।
कृपया पिछली टिप्पणियाँ देख लें।

76. प्टिम भाभप्ले हुँडे भने वैप्टी डैमप्ला ठगी गेप्टिमा ।
इस मामले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।

77. विधा वतवे माविमा हुँ रिवा वे हटिल वत रिँडा माहे ।
कृपया सभी को दिखा कर फाइल कर दीजिए।

78. प्टिस बिड हित माडा प म उ स वै ।
इस गांव में हमारा घर सबसे ऊंचा है।

79. वेठे उ €उत वे ठॉल वते ।
छत से उतर कर बात करो।

80. मॉन मैं पड-पज वे व ठिामा ।
आज मैं पढ़-लिख कर ऊब गया।

81. ਪਿਸ਼ਨ ਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਹਾਰ ਪਾਏ ।
पैंशन पर जा रहे अध्यापक को विद्यार्थियों ने हार पहनाए।

82. भेठा रिष्ठ वॅचा चे ठिा चै ।
मेरा दिल कच्चा हो रहा है।

83. ममी भविभाठां टी वध धाउठ वीडी ।
हमने मेहमानों की खूब आवभगत की।

84. रख-रत टॅवतां माठ रा वी ला ?
दर-दर ठोकरें खाने का क्या लाभ? ।

85. ਇਸ ਸੂਟ ਨਾਲ ਦਾ ਸਵੈਟਰ ਕਿੱਥੇ ਹੈ ?
इस सूट के साथ का स्वैटर कहां है?

86. Jउठ टा &उठ रेह टी विधा वठठी ।
पत्र का उत्तर देने की कृपा करें।

87. हा मुल्य चै ।
वह ऊँचा सुनता है।

88. उप रा प्टिव तोप्ला ही घडी उपाठी वत रिट चै ।
तोप का एक गोला भी बड़ी तबाही कर देता है।

89. उनी पड़ी-पझी भै? उठा ठा वते ।
आप घड़ी-घड़ी मुझे तंग न करें।

90. भेठी ठॉल मुह वे म उन पप्टे ।
मेरी बात सुनकर सब हँस पड़े।

91. प्टिम डेल हिस से भट माटा पै सवरा चै ।
इस डोल में दो मन आटा पड़ सकता है।

92. ताल भेता पॅवा मिउठ चै ।।
राज मेरा पक्का मित्र है।

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93. ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਮੇਰੀ ਬਣਦੀ ਨਹੀਂ ।
उससे मेरी बनती नहीं।

94. THठ रमही पेटी हिरिभातवी चै ।
रमन दसवीं श्रेणी का विद्यार्थी है।

95. मैं वल्ल प्लिी ताहांठा ।
मैं कल दिल्ली जाऊंगा।

96. मप्लीम भापटी पाउर पइसा चै ।
सलीम अपनी पुस्तक पढ़ता है।

97. तातपीउ उभेमा पग्लेि ठप्पत उ माठिटी चै ।
गुरप्रीत हमेशा पहले नम्बर पर आती है।

98. मग्राम सभा उठाहां हि मतमाताठ म उ पनिय वै ।
सूरदास की रचनाओं में सूरसागर सबसे प्रसिद्ध है।

99. उनी विपशीलां-विग्मीमा धेडां वेडरे ने ।
आप कौन-कौन से खेल खेलते हो।

100. संडीला हित हॅडीमा-हॅडीमा टिभाठ ठ ।
चण्डीगढ़ में बड़ी-बड़ी इमारतें हैं।

101. भेठा हॅहा उठा हवील चै ।
मेरा बड़ा भाई वकील है।

102. तेरिउ मेघ वांरा चै ।
रोहित सेब खाता है।

103. वल्लु माडे मप्ठ हिउ धेडां उष्टीला मठ ।
कल हमारे स्कूल में खेलें हुई थीं।

104. ਐਤਵਾਰ ਨੂੰ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦਾ ਸਾਲਾਨਾ ਇਨਾਮ ਵੰਡ ਸਮਾਰੋਹ ਹੋਵੇਗਾ ।
रविवार को हमारे स्कूल का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह होगा।

105. मायले रेस टी धिभा लप्टी वष्टी मैतिव मीर प्टेि ।
अपने देश की रक्षा के लिए अनेक सैनिक शहीद हुए।

106. ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਨੂੰ ਚੇਲਿਆਂ ਨੂੰ ਅਸਤਰ-ਸ਼ਸਤਰ ਚਲਾਉਣ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ।
गुरु जी ने अपने शिष्यों को अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा दी।

107. साथटे मारा-पिता सी मागिभा रा पालठ वठे ।
अपने माता-पिता की आज्ञा का पालना करो।

108. प्टीतहत है उभेला जार उँधे ।
ईश्वर को सदा याद रखो।

109. प्टेवा हि वल चै ।
एकता में बल है।

110. मन BOHP रा पध मठेउ चै ।
सूर्य ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।

111. माडे पत मउिभाठ भाप्टे चेप्टे उठ ।
हमारे घर मेहमान आए हुए हैं।

112. धूिपही मुतन रे भाप्ले-सभाले नटी चै ।
पृथ्वी सूर्य के इर्द-गिर्द घूमती है।

113. मी ताठ ठोधिर मिप नी ते 1699 प्टीः हि धालमा धंघ ती मिठसठा वीठी मी ।
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 1699 ई० में खालसा पंथ का सृजन किया था।

114. तान रेह ती निधा रे नहें ताठ मत |
गुरु अर्जन देव जी सिक्खों के पाँचवें गुरु थे।

115. ਸਾਡੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਗ਼ਰੀਬ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਮੁਫ਼ਤ ਪੜਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
हमारे मुख्य अध्यापक ग़रीब बच्चों को मुफ्त पढ़ाते हैं।

116. सेठ ठगल रा ।
शेर जंगल का राजा है।

117, ਅੱਜ ਦੇ ਵਿਗਿਆਨਕ ਸਭਿਅਤਾ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖੀ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਦਾ ਲੋਪ ਹੁੰਦਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
आज की वैज्ञानिक सभ्यता में मानवीय मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है।

118. पठभाउभा डे हिप्सहात , हर मउ रा महाभी चै ।
ईश्वर पर विश्वास रखो वह सबका स्वामी है।

119. विठी रे टेचे ताठात हिल माठात लप्टी पमिय उठ ।
बिहारी के दोहे गागर में सागर के लिए प्रसिद्ध हैं।

120. भिउठठी हिवठी उमेमां महल ने सांरा चै ।
परिश्रमी व्यक्ति हमेशा सफ़ल हो जाता है।

121. ठो ठाल भेठे भठ ? मांडी ठगीं टी, मों पिढें मानांठी उगंध हांना भेटी चै ।
नशे से मेरे मन को शान्ति नहीं होती, बल्कि बाद में अशांति की तरह मचती है।

122. ਕੁਝ ਚਿਰ ਲਈ ਸੋਚ ਸ਼ਕਤੀ ਜਾਂਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖ ਸਮਝਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮਨ ਟਿਕ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
कुछ समय पश्चात् सोच शक्ति जाती रहती है और मनुष्य समझता है कि मन टिक रहा है।

123. निम्मत रा भी मीठा टी वहिउा रा मध हिमा चै ।
कृष्ण का प्रेम ही मीरा की कविता का मुख्य विषय है।

124. मुतराम सीमा तसताहां हिन मुमाठाठ म उ पनिय चै ।
सूरदास की रचनाओं में सूरसागर सबसे प्रसिद्ध है।

125. भेता उता रिंली ना विग चै ।
मेरा भाई दिल्ली जा रहा है।

126. भाठा-पिठा हुँ माघटे पॅसिमां सा पिसाठ वटा सागीरा चै ।
माता-पिता को अपने बच्चों का ध्यान रखना चाहिए।

127. भिउठउ वठे, विडे टिम उता ठा हे उमी हेल ने ताहे ।
परिश्रम करो, कहीं ऐसा न हो कि आप फेल हो जाओ।

128. मॅसे घटतां टी ठीर सप्लटी ठगी धप्लटी ।
सच्चे वीरों की नींद आसानी से नहीं खुलती।

129. ठ ठोविट मिध्य ती ठे ‘वालमा यंच’ सी मिलनठा वीठी मी ।
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ का निर्माण किया था।

130. माडे मभान हिट उर पडे अउर रेटें उठ ।
हमारे समाज में भेद और अभेद दोनों हैं।

131. ‘] गूप माउिघ’ दिस रप्टी तुलां टी घाटी मुविभाउ चै ।
‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ में कई गुरुओं की वाणी सुरक्षित है।

132. ਉਹੀ ਵਿਅਕਤੀ ਸਭ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਵਾਰਥ ਤੋਂ ਰਹਿਤ ਹੋਵੇ ।
वही व्यक्ति सबकी सेवा कर सकता है जो पूर्णतः निःस्वार्थी हो।

133. ५ दिन हिमाम उँधे ।
प्रभु में विश्वास रखो।

134. बैंमत प्टिव उिभाठव ठेठा चै ।
कैंसर एक भयानक रोग है।

135. डीठाइ उिठ तासां सी तालयाठी वै ।
चण्डीगढ़ तीन राज्यों की राजधानी है।

136. Hधरेट वत्सयत 3 ठी दि३ मा रे मठ |
सुखदेव बचपन से ही दृढ़ स्वभाव के थे।

137. दितिाभाधत वाला उनी ठाल हुँठठी व ती चै ।
विज्ञापन कला तेज़ी से उन्नति कर रही है।

138. पिठां वर वीडे मनवाट विमे रे पिढे ठगी पैटी ।
बिना कुछ किए सरकार किसी के पीछे नहीं पड़ती।

139. वडी भां €जी महाल हित लेठी ठाा ती पी ।
बूढ़ी मां ऊंचे स्वर में लोरी गा रही थी।

140, ਪੰਜਾਬੀ ਸਭਿਆਚਾਰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਖੇਤਰ ਦੀ ਪੈਦਾਵਾਰ ਹੈ ।
पंजाबी सभ्यता पंजाब के भौगोलिक क्षेत्र की उत्पत्ति है।

141. ताव ी गोलिव उरटी लगाउात वरप्लटी सांटी नै ।
पंजाब की भौगोलिक सीमा निरन्तर बदलती जा रही है।

142. ਪੰਜਾਬੀ ਭਾਸ਼ਾ ਪੱਖੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਇਲਾਕੇ ਅਜੋਕੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਹੀ ਬਾਹਰ ਹਨ ।
पंजाबी भाषा के बहुत से क्षेत्र आज के पंजाब से ही बाहर हैं।

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143. ताव ममल हित हिडिंठ ठसप्लां, साठां पठन सी ममेल भी चै ।
पंजाब वास्तव में विभिन्न नस्लों, जातियों, धर्मों की मिली-जुली भूमि है।

144. ਉਪਜਾਊ ਭੂਮੀ ਕਾਰਨ ਭੁੱਖੇ ਮਰਨਾ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ।
उपजाऊ भूमि के कारण भूखे मरना पंजाबियों के हिस्से नहीं आया।

145. ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਬੜੇ ਖੋਫਨਾਕ ਸਬਕ ਸਿਖਾਏ ਹਨ ।
जिन्दगी ने पंजाबियों को बड़े खौफनाक सबक सिखाए हैं।

146. ताप्पीभां रे ठाप्टिव उठ-लेगी, जेया रे मातर |
पंजाबियों के नायक हैं-जोगी, योद्धा और आशिक।

147. ਪੰਜਾਬੀ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਵਿੱਚ ਪਿਛਲੀ ਇੱਕ ਸਦੀ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪਰਿਵਰਤਨ ਵਾਪਰੇ ਹਨ ।
पंजाबी सभ्यता में पिछली एक सदी से बहुत तेजी से परिवर्तन हुए हैं।

148, ਰਹਿਣ-ਸਹਿਣ ਸ਼ਾਂਤ ਪਾਣੀ ਵਾਂਗ ਠਹਿਰਿਆਂ ਹੋਇਆ ਸੰਕਲਪ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਇਕ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਨਿਰੰਤਰ ਬਦਲਦਾ मवलप चै ।
रहन-सहन शान्त पानी की तरह ठहरा हुआ संकल्प नहीं अपितु एक गतिशील निरन्तर बदलता संकल्प है।

149. विठ-मग्टि रे पाठी मामउठ हांठा ममें टी Hउठत ‘डे चाप्लां सॅलरा चै ।
रहन-सहन दो धारी हथियार की तरह समय की शतरंज पर चाल चलता है।

150. मडिभासाठ लेव मभुत शुभाता मिनी हिमेत तीठ सांस रा ठां चै ।
सभ्यता लोगों के समूह द्वारा बनाई विशेष जीवन जांच का नाम है।

151. ਤੀਜੇ ਉਹ ਅਣਖੀ ਲੋਕ ਸਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਹਨਾਂ ਹਮਲਿਆਂ ਸਾਹਮਣੇ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਸੀਨਾ ਤਾਣ ਕੇ ਜੀਣਾ ਸਿੱਖਿਆ ।
तीसरे वे आने वाले लोग थे जिन्होंने इन आक्रमणों के सामने सदा सीना तानकर जीना सीखा।

152. तग्लि-मचिट ठितउत गाठीतील वै. प्टिव ठिउठ घरप्ल विना नै ।
रहन-सहन निरन्तर गतिशील है, यह निरन्तर बदल रहा है।

153. घातीठात घातीनां पा वे लवां रा भनठ वठरे उठ ।
बाज़ीगर बाजियां डालकर लोगों का मनोरंजन करते हैं।

154. विडे भान उठ ‘डे धीही रख पीड़ी उलटे चिरे उठ ।
काम साधारणतः पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं।

155. ਇਹ ਗੱਲ ਠੀਕ ਹੈ ਕਿ ਦੁਨੀਆਂ ਦੀ ਹਰ ਵਸਤੁ ਧਰਤੀ ਦੀ ਹੀ ਪੈਦਾਵਾਰ ਹੈ ।
यह बात ठीक है कि दुनिया की प्रत्येक वस्तु धरती की ही उत्पत्ति है।

156. लॅवड़ी रे वभ ठाल घउ माते विडे तुझे चेप्टे उठ ।
लकड़ी के काम के साथ बहुत सारे काम जुड़े हुए हैं।

157. ਕਲਾ, ਆਦਿਕਾਲ ਤੋਂ ਹੀ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਮਾਨਸਿਕ ਤ੍ਰਿਪਤੀ ਦਾ ਇੱਕ ਅਹਿਮ ਸਾਧਨ ਰਹੀ ਹੈ ।
कला, आदिकाल से ही मनुष्य की मानसिक सन्तुष्टि का एक अहम् साधन रही है।

158. ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਲੋਕ-ਚਿੱਤਰਕਲਾ ਮਾਨਵੀ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਮੂਲ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰੀ ਹੋਈ ਹੈ ।
पंजाब की लोक-चित्रकला मानवीय जीवन की मूल प्रवृत्तियों के साथ जुड़ी हुई है।

159. ਮੂਰਤੀ ਵਿੱਚ ਦੇਵੀ ਦਾ ਰੰਗ ਸੁਨਹਿਰੀ ਅਤੇ ਵਸਤਰਾਂ ਦਾ ਰੰਗ ਲਾਲ ਕੀਤਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
मूर्ति में देवी का रंग सुनहरी तथा वस्त्रों का रंग लाल किया जाता है।

160. नाव हित ‘ठां वट’ हामडे वेष्टी धाम ठाम ममराठ ठगी मठाप्टिमा नसा ।
पंजाब में ‘नामकरण’ के लिए कोई विशेष नाम संस्कार नहीं मनाया जाता।

161. मुंडे ही रे महाठ गेट ‘डे हिमान टीनां तमना सी प्लझी मनु सांटी चै ।
लड़के-लड़की के जवान होने पर विवाह की रस्मों की परम्परा शुरू हो जाती है।

162. ਵਿਆਹ ਵਿੱਚ ਫੇਰਿਆਂ ਦੀ ਰਸਮ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਵਿਆਹ ਸੰਪੂਰਨ ਨਹੀਂ मशिभा सांग।
विवाह में फेरों की रस्म बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसके बिना विवाह सम्पूर्ण नहीं समझा जाता।

163. ਜੀਵਨ ਨਾਟਕ ਦੇ ਆਰੰਭ ਤੋਂ ਅੰਤ ਤੱਕ ਵਿਭਿੰਨ ਰਸਮ ਰਿਵਾਜ਼ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
जीवन नाटक के आरम्भ से अन्त तक विभिन्न रस्म-रिवाज़ किए जाते हैं।

164. ਕਿਸੇ ਜਾਤੀ ਦੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਕ ਨੁਹਾਰ ਮੇਲਿਆਂ ਤੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਪੂਰੇ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
किसी जाति की सांस्कृतिक झलक मेलों और त्योहारों में पूरे रंग में प्रतिबिम्बित होती है।

165. घेडा सा भठंधी सीहत ठाल हुँया मधय चै ।
खेलों का मानवीय जीवन के साथ गहरा सम्बन्ध है।

166. निघे ही नात धनाची टिवठे रे उठ, हर परिप्लां ]तर भाता मघाघउ वत लैरे उठ ।
जहां भी चार पंजाबी इकट्ठे होते हैं, वहां पहले गुरुद्वारा स्थापित कर लेते हैं।

167. Vताव रे घउ भेप्ले भेममा, लॅां अडे उिहितां ठाल मपिउ उठ ।
पंजाब के बहुत से मेले मौसम, ऋतुओं तथा त्योहारों से सम्बन्धित हैं।

168. पंताव रे भेले, यासीठवाल 3 सप्लीमा ठगी मय-पता टी रेठ उठ ।
पंजाब के कुछ मेले प्राचीन काल से चली आ रही सर्प-पूजा की देन हैं।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस : शृंगार, हास्य, करुण, शांत, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत

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PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस : शृंगार, हास्य, करुण, शांत, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत

(ग) रस

प्रश्न 1.
रस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
आचार्य विश्वनाथ ने रस को काव्य की आत्मा माना है। ‘वाक्यं रसात्मकं काव्यं’ अर्थात् रसात्मक वाक्य ही काव्य है।

प्रश्न 2.
रस के विभिन्न अंग कौन-से हैं ?
उत्तर:
रस स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से बनता है या अभिव्यक्त होता है। इन चारों को ही रस के अंग माना जाता है।

प्रश्न 3.
स्थायी भाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो भाव सहृदयजन के चित्त में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं उन्हें स्थायी भाव कहा जाता है। ये भाव अनुकूल परिस्थिति आने पर प्रकट होते हैं।

प्रश्न 4.
स्थायी भावों के नाम उनके रसों के नाम सहित लिखें।
उत्तर:

  1. शृंगार-रति
  2. वीर-उत्साह
  3. शांत-निर्वेद
  4. करुण-शोक
  5. रौद्र-क्रोध
  6. भयानक-भय
  7. वीभत्स-घृणा
  8. अद्भुत-विस्मय
  9. हास्य-हास।

प्रश्न 5.
विभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विभाव से अभिप्राय उन वस्तुओं और विषयों के वर्णन से है जिनके प्रति किसी प्रकार की संवेदना होती है अर्थात् भाव के जो कारण होते हैं उन्हें विभाव कहते हैं।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस

प्रश्न 6.
विभाव कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
विभाव के दो प्रकार होते हैं-आलम्बन और उद्दीपन।

प्रश्न 7.
अनुभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अनुभाव सदा आश्रय से सम्बन्धित होते हैं अर्थात् जहाँ विषय की बाहरी चेष्टाओं को उद्दीपन कहा जाता है वहाँ आश्रय के शरीर विकारों को अनुभाव कहते हैं।

प्रश्न 8.
संचारी भाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मन के चंचल विकारों को संचारी भाव कहते हैं। ये सदा आश्रय के मन में उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 9.
रस के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
साहित्य में रस नौ प्रकार के माने गए हैं
श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, शांत और अद्भुत। कुछ लोग वात्सल्य और भक्ति को भी रस की संज्ञा देते हैं।

प्रश्न 10.
विभिन्न रसों के स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर:

  1. श्रृंगार-रति
  2. हास्य-हास
  3. वीर-उत्साह
  4. करुण-शोक
  5. रौद्र-क्रोध
  6. भयानक-भय।
  7. वीभत्स-घृणा (जुगुप्सा)
  8. अद्भुत-विस्मय
  9. शांत-शान्त हो जाना, निर्वेद
  10. वात्सल्य–सन्तान स्नेह।

प्रश्न 11.
रस की निष्पत्ति कैसे होती है ?
उत्तर:
जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव का संयोग स्थायी भाव से होता है तब रस की निष्पत्ति होती है।

प्रश्न 12.
श्रृंगार रस और वात्सल्य रस में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
शृंगार रस में रति स्थायी भाव अपने प्रिय (पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका) के प्रति होता है। जबकि वात्सल्य रस में अपनी सन्तान या छोटे बच्चों या भाई बहन के प्रति स्नेह के कारण होता है।

1. शृंगार रस

प्रश्न 13.
श्रृंगार रस किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
सहृदय जनों में रति स्थायी भाव अनुकूल वातावरण पाकर परिपक्व अवस्था में पहुँचता है तो उसे शृंगार रस कहा जाता है।

प्रश्न 14.
श्रृंगार रस के कितने भेद हैं ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
शृंगार रस के दो भेद हैं

  1. संयोग शृंगार
  2. वियोग शृंगार।

संयोग में नायक नायिका के मिलन, वार्तालाप, दर्शन, स्पर्श आदि का वर्णन होता है।
उदाहरण-

एक पल मेरे प्रिया के दृग पलक,
थे उठे ऊपर, सहज नीचे गिरे।
चपलता के इस विकंपित पुलक से,
दृढ़ किया मानो प्रणय सम्बन्ध था।
वियोग की अवस्था में जब नायक नायिका के प्रेम का वर्णन हो तो उसे वियोग श्रृंगार कहा जाता है।
उदाहरण-
निसिदिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पै जब तै स्याम सिधारे ।। दृग अंजन लागत नहिं कबहू उर कपोल भये कारे ।।

2. हास्य रस

प्रश्न 15.
हास्य रस का लक्षण उदाहरण सहित दें।
उत्तर:
लक्षण-हास्य रस का विषय हास (हँसी) होता है। किसी विचित्र आकार, वेश या चेष्टा वाले लोगों को देखकर एवं उनकी विचित्र चेष्टाएं, कथन आदि को देख-सुनकर जब हँसी आए तो हास्य रस उत्पन्न होता है। उदाहरण-वेणी कवि को किसी ने श्राद्ध के दिन बासी पेड़े दे दिए, तब वेणी कवि ने कहा

माटिह में कुछ स्वाद मिले, इन्हें खाय तो ढूँढत हर्रे बहेड़ो,
चौंकि परयो पितुलोक में बाप, धरे जब पूत सराध के पेड़े।

अथवा

एक कबूतर देख हाथ में पूछा कहाँ अपर है ?
उसने कहा अपर कैसा ? वह उड़ गया समर है।
उत्तेजित हो पूछा उसने, उड़ा अरे वह कैसे ?
‘फड़’ से उड़ा दूसरा बोली, उड़ा देखिए ऐसे।

3. करुण रस

प्रश्न 16.
करुण रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-करुण रस का विषय शोक होता है। किसी प्रिय व्यक्ति के मर जाने पर या किसी प्रिय वस्तु के नष्ट होने पर जो शोक जागृत होता है उसे करुण रस कहते हैं।

उदाहरण-

हा पुत्र ! कहकर शीघ्र ही वे मही पर गिर पड़े,
क्या वज्र गिरने पर बड़े भी वृक्ष रह सकते खड़े।
अथवा
देखि सुदामा की दीन दसा करुना करि कै करुना निधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैननि के जल सों पग धोये॥

4. शांत रस

प्रश्न 17.
शांत रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
संसार की असारता, नश्वरता को देखकर ईश्वर का रूप जानकर हृदय को जो शान्ति मिलती है उसे ही शान्त रस कहते हैं।
उदाहरण-
समता लहि सीतल भया, मिटी मोह की ताप।
निसि-वासर सुख निधि लह्या, अंतर प्रगट्या आप॥
अथवा
तू ही है सर्वत्र व्याप्त हरि तुझ में यह सारा संसार।
इसी भावना से अंतर भर मिलूँ सभी से तुझे निहार ।।
अथवा
पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुवा, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ।।

5. वीर रूस

प्रश्न 18.
वीर रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-वीर रस का विषय उत्साह या जोश होता है। जैसे किसी व्यक्ति को देखकर लड़ने का उत्साह, किसी दीन-हीन को देखकर उसकी सहायता करने का उत्साह आदि।
उदाहरण-
जय के दृढ़ विश्वास-युक्त थे दीप्तिमान जिनके मुख-मंडल।
पर्वत को भी खण्ड-खण्ड कर रजकण कर देने को चंचल॥
अथवा
हे सारथे ! द्रोण क्या ? आवें स्वयं देवेन्द्र भी।
वे भी न जीतेंगे समर में आज क्या मुझ से कभी॥

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस

6. रौद्र रस

प्रश्न 19.
रौद्र रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-रौद्र रस का विषय क्रोध है। अपने अपकार करने वाले या शत्रु को सामने देखकर जो भाव मन में पैदा होते हैं उन्हें रौद्र रस कहा जाता है।

उदाहरण-
मातु पितहि जानि सोच बस, करसि महीप किशोर।
गर्भन के अर्भक दलन, परशु मोर अति घोर ॥

अथवा
श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर करतल-युगल मलने लगे।
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।
करते हुए यह घोषणा वे हो गये उठकर खड़े॥
अथवा
उस काल मारे क्रोध के तनु उनका कांपने लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।

7. भयानक रूस

प्रश्न 20.
भयानक रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
किसी भयानक वस्तु को देखने से या किसी बलवान् शत्रु आदि को देखकर या उसकी डरावनी बातें सुनने से जो भाव जागृत होते हैं उसे भयानक रस कहा जाता है।
उदाहरण-
समस्त सॉं संग श्याम ज्यों कढ़े
कालिंद की नंदिनी के सु-अंक से।
खड़े किनारे जितने मनुष्य थे,
सभी महा शंकित भीत हो उठे॥
अथवा
नभ ते झपटत बाज़ लखि, भूल्यो सकल प्रपंच।
कंपित तन व्याकुल नयन, लावक हिल्यों न रंप ॥

8. वीभत्स रस

प्रश्न 21.
वीभत्स रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
रक्त, मांस-मज्जा, दुर्गन्ध आदि वस्तुओं को देखकर हृदय में जो ग्लानि या जुगुप्सा के भाव जागृत होते हैं उन्हें वीभत्स कहा जाता है।
उदाहरण-
बहुँस्थान इक अस्थिखंड लै चरि चिचोरत,
कहु कारो महि काक चोंच सो ठोरि टटोरत।
अथवा
रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
महाघो दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।

9. अद्भुत रस

प्रश्न 22.
अद्भुत रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-किसी अलौकिक या अदृष्टपूर्व वस्तु को देखकर जब हृदय में विस्मय का भाव जागृत होता है तो उसे अद्भुत रस कहा जाता है।

उदाहरण-
अखिल भुवन चर-अचर जग हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई, गद्गद् वचन, विकसित दृग, पुलकातु॥
अथवा
जहँ चितवइ तहँ प्रभु आसीना। सेवहि सिद्ध मुनीस प्रवीना॥
सोई रघुबर, सोई लक्ष्मण सीता। देखि सती अति भयी सभीता॥

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

1. रस को काव्य की आत्मा माना है ?
(क) आचार्य विश्वनाथ ने
(ख) आचार्य शुक्ल ने
(ग) अज्ञेय ने
(घ) भवभूति ने
उत्तर:
(क) आचार्य विश्वनाथ

2. श्रृंगार रस का स्थायी भाव है ?
(क) रति
(ख) उत्साह
(ग) निर्वेद
(घ) शोक
उत्तर:
(क) रति

3. करुण रस का स्थायी भाव है
(क) रति
(ख) शोक
(ग) निर्वेद
(घ) उत्साह
उत्तर:
(ख) शोक

4. निर्वेद स्थायी भाव का रस है
(क) शांत
(ख) करुण
(ग) वीर
(घ) शृंगार
उत्तर:
(क) शांत

5. वीर रस का स्थायी भाव है।
(क) करुण
(ख) उत्साह
(ग) शांत
(घ) वीभत्स
उत्तर:
(ख) उत्साह

6. “कहत-नटत, रीझत, खिझत, मिलत खिलत लजियात भरे मौन में करत है नैनहूं ही सब बात” में निहित रस है।
(क) करुण
(ख) शृंगार
(ग) वीर
(घ) भयानक
उत्तर:
(ख) शृंगार

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण वाक्य विचार वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi व्याकरण वाक्य विचार विश्लेषण/संश्लेषण Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण वाक्य विचार विश्लेषण/संश्लेषण

वाक्य विचार : वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

वाक्य व्यवस्था

प्रश्न 1.
वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सार्थक शब्दों के समूह को वाक्य कहते हैं, जैसे-मैं जम्मू जाऊँगा।

प्रश्न 2.
वाक्य के कितने खंड होते हैं ?
उत्तर:
वाक्य के दो खंड होते हैं
1. उद्देश्य-जिसके विषय में कुछ विधान किया जाता है, उस शब्द को उद्देश्य कहते हैं। जैसे-रमा अपने पिता के साथ गई।
2. विधेय-उद्देश्य के सम्बन्ध में कुछ बताने या विधान करने वाले शब्द को विधेय कहते हैं। जैसे-ऊपर के वाक्य में ‘पिता के साथ गई’ विधेय है।

  • राम (उद्देश्य) वन को गये (विधेय)।
  • गंगा (उद्देश्य) हिमालय से निकलती है (विधेय)।

प्रश्न 3.
अर्थ के आधार पर वाक्य के कितने भेद हैं ? सोदाहरण बताइए।
उत्तर:
अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं
1. विधानवाचक:
जिस वाक्य में किसी कार्य के होने का बोध हो, उसे विधानवाचक वाक्य कहते हैं; जैसेदिनेश पढ़ता है। सूर्य प्रातः काल निकलता है।
2. प्रश्नवाचक:
जिस वाक्य में प्रश्न पूछे जाने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं: जैसेआप क्या कर रहे हैं ? उस मकान में कौन रहता है ?
3. निषेधवाचक:
जिस वाक्य से किसी कार्य के न होने का बोध हो, उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-वह बाज़ार नहीं गया है? वह आज स्कूल नहीं जाएगा।
4. आज्ञावाचक:
जिस वाक्य से किसी प्रकार की आज्ञा का बोध हो, उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं; जैसेमोहन, बैंच पर खड़े हो जाओ। तुम उसके साथ जाओ।
5. संदेहवाचक:
जिस वाक्य से कार्य के होने में संदेह प्रकट हो, उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं; जैसेउसका पास होना मुश्किल है। वह शायद ही स्कूल आए।
6. इच्छावाचक:
जिस वाक्य से इच्छा, आशीर्वाद, शुभकामना का भाव व्यक्त हो, उसे इच्छावाचक कहते हैं; जैसेईश्वर करे, आप परीक्षा में सफल हों। भगवान् तुम्हें दीर्घायु बनाए।
7. संकेतवाचक:
जिस वाक्य में एक बात के होने को दूसरी बात के होने पर निर्भर किया गया है। उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे
यदि गाड़ी समय पर आई, तो मैं उसे घर ले जाऊँगा।
यदि तुम कल दुकान पर जाते, तो पुस्तक मिल जाती।
8. विस्मयादिवाचक:
जिस वाक्य से घृणा, शोक, हर्ष, विस्मय आदि का बोध हो, उसे विस्मयादिवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे
वाह ! बहुत अच्छे अंकों से पास हुए। छिः ! छिः ! कितनी गंदगी है।

प्रश्न 4.
रचना के आधार पर वाक्य के कितने भेद होते हैं ? सोदाहरण बताओ।
उत्तर:
रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं

1. सरल वाक्य-जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य तथा एक ही विधेय हो, उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं; जैसे-अशोक पुस्तक पढ़ता है।
2. संयुक्त वाक्य-जिस वाक्य में दो या दो अधिक उपवाक्य स्वतन्त्र रूप से समुच्चय बोधक अथवा योजक द्वारा मिले हुए हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं-
जैसे-

  • अशोक स्कूल जाता है और मन लगाकर पढ़ता है।
  • वह चला तो था, परन्तु रास्ते से लौट गया। ऊपर के दोनों वाक्य संयुक्त वाक्य हैं। पहला वाक्य ‘और’ तथा दूसरा ‘परन्तु’ समुच्चय बोधक अव्यय द्वारा संयुक्त किया गया है।

3. मिश्र वाक्य-जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहा जाता है;
जैसे-(i) खाने-पीने का मतलब है कि मनुष्य स्वस्थ बने। खाने-पीने का मतलब है = स्वतन्त्र या प्रधान उपवाक्य। कि = समुच्चय बोधक या योजक। मनुष्य स्वस्थ बने = आश्रित उपवाक्य।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण वाक्य विचार

प्रश्न 5.
‘वाक्य विश्लेषण या ‘वाक्य विग्रह’ से क्या अभिप्राय है। इसमें मुख्यतया किन बातों का विश्लेषण किया जाता है।
उत्तर:
किसी वाक्य के अंगों को अलग-अलग करके उनके पारस्परिक सम्बन्ध का विश्लेषण ‘वाक्य विश्लेषण’ या ‘वाक्य विग्रह’ कहलाता है। ‘वाक्य विग्रह’ में निम्नलिखित बातों का विश्लेषण किया जाता है–

(क) वाक्य-भेद-अर्थात् सरल, मिश्रित तथा संयुक्त कौन-सा वाक्य है? यदि ‘मिश्रित’ और ‘संयुक्त’ वाक्य हैं तो उसमें ‘प्रधान वाक्य’ अथवा ‘आश्रित वाक्य’ कौन-कौन से हैं? ‘आश्रित वाक्य’ में भी ‘संज्ञा उपवाक्य’, ‘विश्लेषण उपवाक्य’ तथा ‘क्रिया-विश्लेषण’ में कौन-सा वाक्य है?
(ख) उद्देश्य-संज्ञा या संज्ञा के समान प्रयुक्त सर्वनाम का पृथक् निर्देश करना चाहिए।
(ग) उद्देश्य का विस्तार-वे शब्द या वाक्यांश, जिनका सम्बन्ध ‘उद्देश्य’ अथवा कर्ता के साथ होता है और जो ‘उद्देश्य’ की विशेषता बताते हैं। उद्देश्य का विस्तार-निम्नलिखित चार प्रकार के शब्दों से होता है

(1) विशेषण से
(2) सम्बन्ध कारक से
(3) समानाधिकरण से
(4) वाक्यांश से।

(घ) विधेय (क्रिया) का उल्लेख।
(ङ) विधेय का विस्तार-वे शब्द जिनका सम्बन्ध ‘विधेय’ अथवा ‘क्रिया’ के साथ होता है और जो क्रिया की विशेषता बताते हैं।
विधेय का विस्तार कर्म, पूरक, क्रियाविशेषण, पूर्वकालिक क्रिया, कारक और क्रियाद्योतक कृदंत से होता है। ‘विधेय-विस्तार’ के अन्तर्गत ‘कर्म’ का भी उल्लेख है। कर्ता (उद्देश्य) के समान ‘कर्म’ में भी संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, वाक्यांश आदि कुछ विशेषता सूचक शब्द होते हैं। इसे ‘कर्म का विस्तार’ कहते हैं। जैसे- उदाहरण”मैंने अपने मित्र राम को प्यार से समझाया।” इस वाक्य में ‘मैंने’ उद्देश्य है और ‘समझाया’ विधेय है। ‘राम को’ कर्म तथा ‘अपने मित्र’ कर्म का विस्तार (विशेषण) है। ‘बड़े प्यार से’ क्रिया का विस्तार है।

प्रश्न 6.
सरल संयुक्त और मिश्र वाक्यों का विग्रह सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरल वाक्य का विग्रह
कर्ता और उससे सम्बन्धित शब्दों (अर्थात् कर्ता के विस्तार) के अतिरिक्त सरल वाक्य के शेष सभी शब्द ‘विधेय’ कहलाते हैं। कर्त्त और विस्तार के सभी शब्द उद्देश्य कहलाते हैं; जैसे

कर्ता
राम
दशरथ का पुत्र राम
दशरथ का पुत्र सीतापति राम

विधेय
आया
आया
वन से लौट आया

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वाक्य संश्लेषण

संश्लेषण शब्द विश्लेषण का एकदम उलट है। वाक्य विश्लेषण में वाक्यों को एक-दूसरे से अलग-अलग किया जाता है जबकि वाक्य संश्लेषण में अलग-अलग वाक्यों को एक किया जाता है। किसी घटना के दृश्य को देखते समय मन में विचार या भाव छोटे-छोटे वाक्यों में आते हैं। अभिव्यक्ति के समय ये सब वाक्य/विचार एक हो जाते हैं।

प्रश्न 1.
वाक्य संश्लेषण से क्या तात्पर्य है ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक से अधिक वाक्यों का एक वाक्य बनाना ‘वाक्य संश्लेषण’ कहलाता है। साधारण (सरल) वाक्यों का संश्लेषण करने का तरीका
1. सभी वाक्यों में महत्त्वपूर्ण क्रिया चुनकर उसे मुख्य क्रिया बना लिया जाता है।
2. अन्य वाक्यों की क्रियाओं को पूर्वकालिक क्रिया, विशेषण या संज्ञा पदबन्ध में बदल लिया जाता है।
3. आवश्यकतानुसार उपसर्ग अथवा प्रत्यय लगाकर शब्दों की रचना की जाती है और उन्हें मुख्य क्रिया के साथ सम्बद्ध कर वाक्य बनाया जाता है।

1. अनेक सरल वाक्यों का एक सरल वाक्य में संश्लेषण
उदाहरण-1.

  • विद्यार्थी ने पुस्तकें बैग में डालीं।
  • विद्यार्थी ने बैग उठाया।
  • विद्यार्थी पढ़ने चला गया।

इन तीनों वाक्यों का एक वाक्य में संश्लेषण इस प्रकार होगा- पुस्तकें बैग में डालकर और उसे उठाकर विद्यार्थी पढ़ने चला गया।
2. वहां एक गाँव था। वह गाँव छोटा-सा था। उसके चारों ओर जंगल था। उस गाँव में आदिवासियों के दस परिवार रहते थे।
इन चारों का एक सरल वाक्य में संश्लेषण इस प्रकार होगावहां चारों ओर जंगल से घिरे एक छोटे से गांव में आदिवासियों के दस परिवार रहते थे।

2. अनेक सरल वाक्यों का मिश्र अथवा संयुक्त वाक्य में संश्लेषण
जिस प्रकार अनेक सरल वाक्यों को एक सरल वाक्य में संश्लिष्ट किया जाता है उसी प्रकार उन्हें मिश्र वाक्य में ही प्रस्तुत किया जाता है।
जैसे:
(1) पुस्तक में एक कठिन प्रश्न था।
(2) कक्षा में उस प्रश्न को कोई भी हल नहीं कर सका।
(3) मैंने उस प्रश्न को हल कर लिया।
मिश्र वाक्य में संश्लेषण-पुस्तक के जिस कठिन प्रश्न को कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका, मैंने उसे हल कर लिया है।
संयुक्त वाक्य में संश्लेषण-पुस्तक में आए उस कठिन प्रश्न को सारी कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका, पर मैंने उसे हल कर दिया।

प्रश्न 2.
वाक्य परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ? यह कितने प्रकार से होता है ? सभी को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में बदलने की प्रक्रिया को ‘वाक्य-परिवर्तन’ कहते हैं। वाक्य परिवर्तन तीन प्रकार से होता है
1. वाच्य की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन-हिंदी में ‘वाच्य’ तीन हैं-

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य।

2. रचना की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन-रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के सरल वाक्य, मिश्रित वाक्य और संयुक्त वाक्य हैं। इनका एक-दूसरे में परिवर्तन होना ही रचना की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन कहलाता है। जैसे
सरल वाक्य से मिश्र और संयुक्त वाक्य

1. सरल- वह फल खरीदने के लिए बाजार गया।
मिश्र-उसे फल खरीदने थे इसलिए वह बाजार गया।
संयुक्त-वह बाज़ार गया और वहाँ उसने फल खरीदे।

2. सरल-मैंने उसे पढ़ाकर नौकरी दिलवाई।
संयुक्त-मैंने उसे पढ़ाया और नौकरी दिलवाई।
मिश्र-मैंने पहले उसे पढ़ाया तब नौकरी दिलवाई।

संयुक्त एवं मिश्र वाक्य से सरल वाक्य

1. संयुक्त-बिल्ली झाड़ियों में छिप कर बैठ गई और कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।
सरल-झाड़ियों में छिप कर बैठी बिल्ली कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।

2. संयुक्त-मज़दूर मेहनत करता है लेकिन उसका लाभ उसे नहीं मिलता।
सरल-मजदूर को अपनी मेहनत का लाभ नहीं मिलता।

3. मिश्र-अध्यापक ने छात्रों से कहा कि तुम लोग परिश्रमपूर्वक पढ़ो और परीक्षा में अच्छी श्रेणी लाओ।
सरल-अध्यापक ने छात्रों को परिश्रमपूर्वक पढ़कर परीक्षा में अच्छी श्रेणी लाने के लिए कहा।

3. अर्थ की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन-अर्थ की दृष्टि से वाक्य आठ प्रकार के होते हैं। उनका परस्पर रूपांतर ही वाक्य परिवर्तन कहलाता है।

विधानवाचक-राम स्कूल जाएगा।
निषेधवाचक-राम स्कूल नहीं जाएगा।
प्रश्नवाचक-क्या राम स्कूल जाएगा ?
आज्ञावाचक-राम, स्कूल जाओ।
विस्मयवाचक-अरे ! राम स्कूल जाएगा।
इच्छावाचक-राम स्कूल जाए।
संदेहवाचक-राम स्कूल गया होगा।
संकेतवाचक-राम स्कूल जाए तो।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण वाक्य विचार

प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्य का विश्लेषण कीजिएपवन पुत्र हनुमान ने देखते-ही-देखते सोने की लंका जला दी।
उत्तर:
उद्देश्य-पवन पुत्र (कर्ता विस्तार) हनुमान ने (कर्ता)। विधेय-देखते-ही-देखते (क्रिया विशेषण), सोने की (कर्म विस्तार), लंका (कर्म) जला दी (क्रिया पद)।

प्रश्न 4.
साधारण तथा मिश्र वाक्य का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
साधारण वाक्य-बच्चे आँगन में खेल रहे हैं। मिश्र वाक्य-देव ने कहा कि वह बनारस जा रहा है। प्रश्न-नीचे लिखे सरल वाक्यों को मिश्र वाक्यों में बदलो
(1) अच्छे छात्र बड़ों की आज्ञा का पालन करते हैं।
(2) ग़रीब होने पर भी वह ईमानदार है।
उत्तर:
(1) जो छात्र अच्छे हैं, वे बड़ों की आज्ञा का पालन करते हैं।
(2) यद्यपि वह ग़रीब है, तथापि ईमानदार है।

प्रश्न 5.
‘वह फल खरीदने के लिए बाज़ार गया’- इस सरल वाक्य को संयुक्त वाक्य में लिखिए।
उत्तर:
वह बाज़ार गया और वहां उसने फल खरीदे।

प्रश्न:
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए-
(1) झाड़ियों में छिप कर बैठी बिल्ली कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी। (संयुक्त वाक्य में)
(2) सुबह पहली बस पकड़ो और शाम तक लौट आओ। (साधारण वाक्य में)
(3) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (साधारण वाक्य में)
(4) उसने नौकरी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखा। (मिश्र वाक्य में)
(5) दिन-रात मेहनत करने वालों को सोच-समझ कर खर्च करना चाहिए। (मिश्र वाक्य में)
(6) लता ने मधुर गीत गा कर सब को मुग्ध कर दिया। (संयुक्त वाक्य में)
(7) कल फूलपुर में मेला है और हम वहां जाएँगे। (साधारण वाक्य में)
(8) मेहनत करने पर भी ग़रीबों को भर पेट रोटी नहीं मिलती। (संयुक्त वाक्य में)
(9) जो लोग परिश्रम करते हैं, उन्हें अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता। (साधारण वाक्य में)
(10) जो समय पर काम करते हैं, उन्हें पछताना नहीं पड़ता। (साधारण वाक्य में)
उत्तर:
(1) बिल्ली झाड़ियों में छिप कर बैठ गई और कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।
(2) सुबह पहली बस पकड़ कर शाम तक लौट आओ।
(3) मैंने पीड़ा से कराहते हुए व्यक्ति को देखा।
(4) उसने जो प्रार्थना-पत्र लिखा था, वह नौकरी के लिए था।
(5) जो दिन-रात मेहनत करते हैं, उन्हें सोच-समझ कर खर्च करना चाहिए।
(6) लता ने एक मधुर गीत गाया और उससे उसने सबको मुग्ध कर दिया।
(7) कल हम फूलपुर के मेले में जाएँगे।
(8) ग़रीब मेहनत करते हैं, फिर भी उन्हें भर पेट रोटी नहीं मिलती।
(9) परिश्रम करने वालों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता।
(10) समय पर काम करने वालों को पछताना नहीं पड़ता।

प्रश्न:
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए
(1) सोहन परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया। (प्रश्नवाचक में)
(2) अच्छी वर्षा से अच्छी फसल होती है। (संकेतवाचक में)
(3) उसके पिता जी चल बसे। (विस्मयादिवाचक में)
(4) ग़रीब मेहनत करते हैं तब उन्हें भर पेट रोटी मिलती है। (निषेधवाचक में)
(5) मेरा पत्र आया है। (प्रश्नवाचक में)
(6) आप यहाँ से नहीं जाएँगे। (प्रश्नवाचक में)
(7) वर्षा होगी। (संदेहवाचक में)

उत्तर:
(1) क्या सोहन परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया ?
(2) यदि वर्षा अच्छी होती है तो फसल भी अच्छी होती है।
(3) ओह ! उसके पिता जी चल बसे।
(4) ग़रीब मेहनत करते हैं पर उन्हें भर पेट रोटी के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलता।
(5) क्या मेरा पत्र आया ?
(6) क्या आप यहाँ से नहीं जाएँगे ?
(7) शायद वर्षा हो।

बहुविकल्पी प्रश्नोतरा

1. शब्दों का सार्थक समूह कहलाता है ?
(क) शब्द
(ख) वाक्य
(ग) सार्थक
(घ) पद।
उत्तर:
(ख) वाक्य

2. वाक्यों के कितने खंड होते हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(ख) दो

3. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद होते हैं
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ
उत्तर:
(घ) आठ

4. रचना के आधार पर वाक्य के भेद हैं,
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(ग) तीन

5. ‘मीरा गा कर नाच रही है’ रचना की दृष्टि से वाक्य भेद हैं
(क) सरल
(ख) संयुक्त
(ग) मिश्र
(घ) कोई नही
उत्तर:
(क) सरल

6. स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि चरित्र-निर्माण मानव का आधार है। रचना की दृष्टि से वाक्य भेद है।
(क) सरल
(ख) संयुक्त
(ग) मिश्र
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ग) मिश्र

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(क) सन्धि और सन्धि-विच्छेद (प्रकार, नियम और उदाहरण)

प्रश्न 1.
सन्धि किसे कहते हैं और ये कितने प्रकार की हैं?
उत्तर:
दो वर्गों के विकार या परिवर्तन सहित मेल को सन्धि कहते हैं। सन्धि तीन प्रकार की होती है
1. स्वर-सन्धि
2. व्यंजन-सन्धि
3. विसर्ग-सन्धि

1. स्वर-सन्धि-स्वर से परे स्वर आने पर जो विकार होता है, उसे स्वर-सन्धि कहते हैं।
जैसे-विद्या + आलय = विद्यालय।। (अ + ई = ए)
परम + ईश्वर = परमेश्वर (आ + आ = आ)

2. व्यंजन-सन्धि-व्यंजन से परे स्वर या व्यंजन आने से जो व्यंजन में विकार होता है, उसे व्यंजन-सन्धि कहते
जैसे-जगत् + ईश = जगदीश। सम् + कल्प = संकल्प।

3. विसर्ग-सन्धि-विसर्ग से परे स्वर या व्यंजन आने से विसर्ग में जो विकार होता है, उसे विसर्ग-सन्धि कहते
जैसे-निः + पाप = निष्पाप। दुः + गति = दुर्गति।

(क) स्वस्सन्धि

स्वर-सन्धि के पांच भेद हैं।
(क) दीर्घ-सन्धि (ख) गुण-सन्धि (ग) वृद्धि-सन्धि (घ) यण-सन्धि (ङ) अयादि-सन्धि।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(क) दीर्घ-सन्धि:
हस्व और दीर्घ अ, इ, उ, ऋ से परे क्रम से यदि वही ह्रस्व और दीर्घ अ, इ, उ, ऋ हो तो दोनों के स्थान में वही दीर्घ स्वर हो जाता है, इसे दीर्घ-सन्धि कहते हैं।

अ-आ

अ + अ = आ-वेद + अंत = वेदांत, धर्मार्थ, ग्रामांतर, परमार्थ।
अ + आ = आ-हिम + आलय = हिमालय, गृहागत, धर्माधार।
आ + अ = आ-विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, महानुभाव, दयार्णव।
आ + आ = आ-विद्या + आलय = विद्यालय, लताश्रय, महाकार।

इ-ई

इ + इ = ई-कवि + इन्द्र = कवीन्द्र, हरीच्छा, मुनीन्द्र।
इ + ई = ई-कवि + ईश = कवीश, मुनीश्वर, मुनीश।
ई + इ = ई-मही + इन्द्र = महीन्द्र, नदीन्द्र।
ई + ई = ई-मही + ईश = महीश, नदीश, रजनीश।

उ-ऊ

उ + ऊ = ऊ-भानु + उदय = भानूदय, विधूदय, प्रभूक्ति, गुरूपदेश।
ऊ + उ = ऊ-वधू + उत्सव = वधूत्सव, श्वश्रूपदेश।
(‘उ’ तथा ‘ऊ’ या ‘ऊ’-‘ऊ’ की सन्धि वाले शब्द हिन्दी में इने-गिने ही आते हैं और ऋ तथा ऋ की सन्धि के शब्द तो हिन्दी में प्रयुक्त ही नहीं होते।

(ख) गुण-सन्धि-अ या आ से परे यदि ह्रस्व और दीर्घ इ, उ और ऋ हो तो दोनों के स्थान पर क्रम से ए, ओ तथा अर् हो जाता है। इसे गुण सन्धि कहते हैं।

अ और आ से परे इ और ई।

अ + इ = ए-देव + इन्द्र = देवेन्द्र, नरेन्द्र, राजेन्द्र।
अ + ई = ए-नर + ईश = नरेश, गणेश, राजेश ।
आ + इ = ए-महा + इन्द्र = महेन्द्र, रमेश, यथेष्ट।
आ + ई = ए-रमा + ईश = रमेश, महेश
अ + इ = ए-स्व + इच्छा = स्वेच्छा।

अ और आ से परे उ और ऊ

अ + उ = ओ-वीर + उचित = वीरोचित, उत्तरोत्तर, सूर्योदय, अरुणोदय।
आ + उ = ओ-महा + उत्सव = महोत्सव, महोदय।
अ + ऋ = अर्-देव + ऋषि = देवर्षि, सप्तर्षि ।
आ + ऋ = अर्-महा + ऋषि = महर्षि, ब्रह्मर्षि।

3. वृद्धि-सन्धि-अ और आ से परे यदि ए और ऐ, ओ और औ हो तो दोनों के स्थान में क्रम से ऐ, औ हो जाते हैं। इसे वृद्धि-सन्धि कहते हैं।

अ और आ से परे ए और ऐ

अ + ए = ऐ-एक + एक = एकैक।
आ + ए = ऐ-सदा + एव = सदैव।
अ + ऐ = ऐ-परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य, मतैक्य।
आ + ऐ = ए-महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य।

अ और आ से परे ओ और औ

अ + ओ = औ-वन + औषिधि = बनौषधि, जलौदधि।
आ + ओ = औ-महा + ओज = महौज।
अ + औ = औ-परम + औषध = परमौषध।
अ + औ = औ-महा + औषध = महौषध।

4. यण-सन्धि-ह्रस्व और दीर्घ इ, उ, ऋ से परे यदि कोई असमान स्वर हो तो इ और ई को य, उ और ऊ को व् और ऋ को र् हो जाता है। इसे यण्-सन्धि कहते हैं।

इ को य-यदि + अपि = यद्यपि, अत्याचाले, भूम्याधार।
ई को य्-देवी + अर्पण = देव्यर्पण, देव्याज्ञा, नद्यवतरण।
उ को व्-सु + आगत = स्वागत, अन्वेषण।
ऊ को व्-स्वयंभू + आज्ञा = स्वयंभ्वाज्ञा।
ऋ को र्-मातृ + आनन्द = मात्रानन्द, पित्राज्ञा।

5. अयादि-सन्धि-ए, ओ, ऐ, औ से परे यदि स्वर हो तो ए को अय, ओ को अव, ऐ को आय और औ को आव् हो जाता है। इसे अयादि-सन्धि कहते हैं।

ए को अय्-ने + अन = नयन।
ओ को अव्-भो + अन = भवन, लवण।
ऐ को आय्-गै + अक = गायक।
औ को आव्-भौ + उक = भावुक।

(क) स्वस्सन्धि

(i) दीर्घ-सन्धि

सन्धि:
स्व + अधीन = स्वाधीन
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
विद्या + आलय = विद्यालय
रत्न + आकर = रत्नाकर
देव + आलय = देवालय
हिम + आलय = हिमालय
परम + अर्थ = परमार्थ
राम + अयन = रामायण
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
सचिव + आलय = सचिवालय
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
अवनि + इन्द्र = अवनीन्द्र
मही + इन्द्र = महीन्द्र
नारी + इच्छा = नारीच्छा
परि + ईक्षा = परीक्षा
लक्ष्मी + ईश = लक्ष्मीश
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
मधु + उर्मि = मधूर्मि
अनु + उदित = अनूदित
मातृ + ऋण = मातृण

सन्धि-विच्छेद:
कृपालु = कृपा + आलु
दयानन्द = दया + आनन्द
कार्यालय = कार्य + आलय
पुस्तकालय = पुस्तक + आलय
परमानन्द = परम + आनन्द
कुसुमाकर = कुसुम + आकर
चरणामृत = चरण + अमृत
सुधीन्द्र = सुधि + इन्द्र
सतीश = सती + ईश
मुनीश = मुनी + ईश
गिरीश = गिरी + ईश
भानुदय = भानु + उदय
वधूरु = वधू + ऊरु
वधूत्सव = वधू + उत्सव
पितृण = पितृ + ऋण

(ii) गुण सन्धि

सन्धि:
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
भारत + इन्दु = भारतेन्दु
रमा + ईश = रमेश
राज + ईश = राजेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उदधि = महोदधि
गंगा + उदक = गंगोदक
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
मद + उन्मत्त = मदोन्मत्त
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
भाग्य + उदय = भाग्योदय
महा + उदय = महोदय
जल + ऊर्मि = जलौर्मि
यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
महा + ऋषि = महर्षि
देव + ऋषि = देवर्षि

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

सन्धि-विच्छेद:
सुरेश = सुर + ईश
उपेन्द्र = उप + इन्द्र
नरेन्द्र = नर + इन्द्र
यथेष्ट = यथा + इष्ट
हितोपदेश = हित + उपदेश
नरोत्तम = नर + उत्तम
नरोत्तम = नर + उत्तम
पुरुषोत्तम = पुरुष + उत्तम
परोपकार = पर + उपकार
प्रश्नोत्तर = प्रश्न + उत्तर
पत्रोत्तर = पत्र + उत्तर
अछूतोद्धार = अछूत + उद्धार
ब्रह्मर्षि = ब्रह्म + ऋषि
राजर्षि = राज + ऋषि
वसन्तर्तु = वसन्त + ऋतु

(iii) वृद्धि सन्धि

सन्धि:
तथा + एव = तथैव
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
धृत + औदन = धृतोदन
सदा + एव = सदैव
परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
महा + औषध = महौषध
परम + औदार्य = परमौदार्य

सन्धि-विच्छेद:
मतैक्य = मत + ऐक्य
जनश्वर्य = जन + ऐश्वर्य
अमृतौषध = अमृत + औषध
लोकैषणा = लोक + एषणा
वनौषधि = वन + औषधि
महौज = महा + ओज

(iv) यण सन्धि

सन्धि
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
सु + आगत = स्वागत
पितृ + उपदेश = पितृोपदेश
अति + अल्प = अत्यल्प
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
नि + ऊन = न्यून
अभि + आगत = अभ्यागत
अति + उपकार = अत्युपकार
देवी + अर्पण = देव्यर्पण
देवी + आगम = देव्यागम
सखि + आगम = सख्यागम
सखि + उचित = सख्युचित
गुरु + आज्ञा = गुर्वाज्ञा
सु + अल्प = स्वल्प

सन्धि-विच्छेद:
अन्वेषण = अनु + एषण
मात्रानुमति = मातृ + अनुमति
पिताज्ञा = पितृ + आज्ञा
अभ्यागत = अभि + आगत
अत्यावश्यक = अति + आवश्यक
अत्याचार = अति + आचार
इत्यादि = इति + आदि
वध्वागम = वधू + आगम
मध्वालय = मधु + आलय
प्रत्याशा = प्रति + आशा
प्रत्येक = प्रति + एक
अन्वय = अनु + अय
अन्वर्थ = अनु + अर्थ
अन्विति = अनु + इति

(v) अयादि सन्धि

सन्धि
चे + अन = चयन
ने + अन = नयन
दै + अक = दायक
नै + अक = नायक
गै + अक = गायक
पो + अन = पवन
गै + अन = गायन
नौ + इक = नाविक
भो + अन = भवन
हो + अन = हवन

सन्धि-विच्छेद:
शयन = शे + अन
सायक = सै + अक
गवेषणा = गौ + एषणा
पावन = पौ + अन
पावक = पो + अक
भावुक = भौ + उक
भाव = भो + अ

(ख) व्यंजन-सन्धि

(i) किसी वर्ण के पहले वर्ण से परे यदि कोई स्वर या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा वर्ण अथवा य, र, ल, ह में से कोई वर्ण हो तो पहले वर्ण को उसी वर्ग का तीसरा वर्ण हो जाता है। जैसे

दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन (क् को ग्) ।
अच् + अंत = अजंत (च् को ज्)।
षट् + दर्शन = षड्दर्शन (ट् को ड्)।
जगत् + ईश = जगदीश (त् को द्)।
अप् + ज = अब्ज (प् को ब्)।

(ii) किसी वर्ग के पहले या तीसरे वर्ण से परे यदि किसी वर्ग का पाँचवां वर्ण हो तो पहले और तीसरे वर्ण को अपने वर्ग का पाँचवां वर्ण हो जाता है। जैसे

वाक् + मय = वाड्मय (क् को ङ्)।
पट् + मास = पण्मास (ट् को ण्)।
जगत् + नाथ = जगन्नाथ (त् को न्)।
अप् + मय = अम्मय (प् को म्)।

(iii) त् और द् को च और छ परे होने पर च, ज और झ परे होने पर ज, ट और ठ परे होने पर ट्, ड और ढ परे होने पर इ और ल परे होने पर ल हो जाता है। जैसे

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Img 1

(iv) त् और द् से परे श् हो तो त् और द् को च् और श् को छ् हो जाता है। जैसे

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Img 2

उद् + शिष्ट = उच्छिष्ट (द् को च्, श् को छ)।

त् और द् से परे यदि ह् हो तो त् को द् और ह् को ध् हो जाता है।
जैसे-उत् + हार = उद्धार (ह् को ध्)
उत् + हरण = उद्धरण।

(v) म् के बाद यदि क् से म् तक में से कोई वर्ण हो तो म् को अनुस्वार अथवा बाद के वर्ण के वर्ग का पाँचवां वर्ण हो जाता है। जैसे
सम् + कल्प = संकल्प, संकल्प (म् को अनुस्वार और ङ)।
सम् + चार = संचार, सञ्चार, किंचित-किञ्चित् (म् को अनुस्वार और ज्)।
सम् + तोप = संतोष, सन्तोष (म् को अनुस्वार और न्)।
सम् + पूर्ण = संपूर्ण, सम्पूर्ण (म् को अनुस्वार और म्)।
सम् + बन्ध = संबंध, सम्बन्ध (म् को अनुस्वार और म्)।

(vi) क् से म् तक वर्णों को छोड़कर यदि और कोई व्यंजन म् से परे हो तो म् को अनुस्वार हो जाता है। जैसे-
सम् + हार = संहार, सम् + यत = संयत, सम् + रक्षण = संरक्षण, सम् + लग्न = संलग्न, सम् + वत् = संवत् (म् को अनुस्वार), सम् + वेदना = संवेदना, सम् + शय = संशय, सम् + सार = संसार ।

(vii) स्वर से परे यदि छ आये तो छ के पूर्व च लग जाता है। (इसे आगम कहते हैं)।
आ + छादन = आच्छादन। वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया (च् का आगम)।
स्व + छंद = स्वच्छंद। प्र + छन्न = प्रच्छन्न।

(viii) ऋ, र, ष से परे न् को ण हो जाता है।
स्वर, कवर्ग, पवर्ग, अनुस्वार और य, व, ह में से किन्हीं वर्गों के बीच आ जाने पर भी ऋ, ऋ, र् और प् से परे न् को ण् हो जाता है। जैसे
भर् + अन = भरण, भूष + अन = भूषण।

(ix) स् से पूर्व अ या आ से भिन्न कोई स्वर हो तो स् को ष् हो जाता है।
जैसे-अभि + सेक = अभिषेक (स् को ष्), सु + समा = सुषमा।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Img 3

(ग) विसर्ग संधि

(i) विसर्ग से पहले और बाद में दोनों ओर ‘अ’ होने पर विसर्ग ‘ओ’ में बदल जाते हैं। जैसे-मनः + अनुकूल = मनोऽनुकूल, यश: + अभिलाषा = यशोऽभिलाषा।
(ii) विसर्ग से पहले ‘अ’ तथा बाद में किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग को ‘ओ’ हो जाता है। जैसे
(iii) विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण होने पर विसर्ग को ओ
सरः + ज = सरोज
मनः + ज = मनोज।
पयः + द = पयोद
पयः + धर = पयोधर।
तपः + बल = तपोबल।

(iv) विसर्ग के बाद य, र, ल, व, ह होने पर विसर्ग को ओ

मनः + रंजन = मनोरंजन
मनः + हर + मनोहर।
मनः + योग = मनोयोग
मनः + रथ = मनोरथ।
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
मनः + बल = मनोबल।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(v) विसर्ग से पहले अ, आ के अतिरिक्त कोई स्वर तथा बाद में कोई स्वर किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई भी वर्ण हो तो विसर्ग को ‘र’ हो जाता है। जैसे

(vi) विसर्ग के बाद कोई स्वर होने पर विसर्ग को र

दुः + उपयोग = दुरुपयोग
दुः = आशा = दुराशा।
निः + आकार = निराकार
निः + आश्रित = निराश्रित।

(vii) विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण होने पर

निः + झर = निर्झर
पुनः + जन्म = पुनर्जन्म।
पुनः + निर्माण = पुनर्निर्माण
निः + जन = निर्जन।
दुः + गुण = दुर्गुण
निः + नय = निर्णय।
बहिः + मुख = बहिर्मुख
दु: + बल = दुर्बल।

(viii) विसर्ग के बाद य, र, व, ह होने पर विसर्ग को

र्निः + विकार = निर्विकार
दुः + व्यवहार = दुर्व्यवहार
अन्तः + यामी = अंतर्यामी
दु: + लभ = दुर्लभ

(ix) विसर्ग के बाद च, छ हो तो विसर्ग को ‘श्’, ट्, ठ हो तो ‘ष’ तथा त, थ. हो तो ‘स्’ में परिवर्तित हो जाता है। जैसे

दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
हरिः + चंद्र = हरिश्चंद्र।
निः + चय = निश्चय
निः + छल = निश्छल।
‘धनु: + टंकार = धनुष्टंकार
इतः + ततः = इतस्ततः
नमः + ते = नमस्ते
दुः + तर = दुस्तर
मनः = ताप = मनस्ताप।

(x) निः तथा दुः के बाद क-ख या प-फ हो तो इनके विसर्ग को ‘ष’ हो जाता है। जैसे-

निः + कपट = निष्कपट
निः + काम = निष्काम।
दुः + कर = दुष्कर
दुः + काल = दुष्काल।
निः + पाप = निष्पाप
निः + फल = निष्फल।
दु: + प्राप्य = दुष्प्राप्य
दुः + प्रभाव = दुष्प्रभाव।

(xi) विसर्ग के बाद यदि श, स हो तो विकल्प के विसर्ग को भी क्रमशः श् तथा स् ही हो जाता है। जैसे-

दु: + शासन = दुश्शासन या दुःशासन दुः + शील = दुश्शील या दुःशील।
निः + सन्देह = निस्सन्देह या निःसन्देह नि: + सार = निस्सार या नि:सार।
दुः + साहस = दुस्साहस।

(xii) यदि विसर्ग से पहले ‘अ’ तथा बाद में ‘अ-आ’ के अतिरिक्त कोई स्वर हो तो विसर्ग लोप हो जाता है .और फिर उन अक्षरों में संधि नहीं होती। जैसे-

अतः + एव = अतएव
ततः + एव = तथैव।

हिंदी में अलग से विसर्ग संधि तो नहीं है, किंतु उसने संस्कृत के दो विसर्ग संधि शब्दों को संस्कृत से भिन्न रूप से ही अपनाया है
संस्कृत रूप हिंदी रूप अंतः + राष्ट्रीय अंताराष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुनः + रचना पुनारचना
पुनर्रचना

प्रश्न 1.
व्यंजन संधि और विसर्ग संधि में क्या अंतर है ? उसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
व्यंजन संधि वहाँ होती है जब पहले शब्द के अंत में व्यंजन हो और दूसरे शब्द के आदि में व्यंजन या स्वर हो तब दोनों के मिलने से जो परिवर्तन होता है। जैसे-सत् + जन = सज्जन, जगत् + ईश = जगदीश। विसर्ग संधि वहाँ होती है जब विसर्ग का किसी स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने पर परिवर्तन होता है। जैसे-नम: + ते = नमस्ते, दु: + उपयोग = दुरुपयोग।

प्रश्न 2.
संधि-विच्छेद से आप क्या समझते हैं ? दो उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब संधि युक्त शब्दों को अलग-अलग करके लिखा जाता है तब उसे संधि-विच्छेद कहते हैं। जैसेमहोत्सव = महा + उत्सव, उज्ज्वल = उत् + ज्वल, निर्धन = निः + धन।

अभ्याम

सन्धि:
दिक् + गज = दिग्गज
दिवग् + गत = दिवंगत
पट् + मास = पण्मास
उत् + मूलन = उन्मूलन
उत् + चारण = उच्चारण
तत् + चित्र = तच्चित्र
उत् + श्वास = उच्छ्वास
भगवत् + शास्त्र = भगवच्छास्त्र
तत् + हित = तद्धित
उत् + हरण = उद्धरण
सत् + गति = सद्गति
सत् + आनन्द = सदानन्द
उद् + वेग = उद्वेग
सत् + धर्म = सद्धर्म
अहम् + कार = अहंकार
सम् + चय = संचय
दम् + डित = दण्डित
सम् + जय = संजय
सम् + गति = संगति
सम् + योग = संयोग
सम् + लग्न = संलग्न
सम् + शय = संशय
किम् + चित् = किंचित
सम + कल्प = संकल्प
स्व + छन्द = स्वच्छन्द
सन्धि + छेद = सन्धिच्छेद/सन्धिछेद
निर + नय = निर्णय
विष् + नु = विष्णु
भाश + अन = भाषण
पोष + अन = पोषण
अर्प + न = अर्पण
दर्प + न = दर्पण
निर् + रोग = नीरोग
निर् + रस = नीरस
उत् + डयन = उड्डयन
उत् + लंघन = उल्लंघन
उत् + लास = उल्लास
सम् + राट् = सम्राट
वि + सम = विषम
अभि + सेक = अभिषेक
निस् + गुण = निर्गुण
दुस् + बोध = दुर्बोध
पुरुस् + कार = पुरस्कार
भास + कर = भास्कर
राम + अयन = रामायण
जब + ही = जभी
अब + ही = अभी

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

सन्धि-विच्छेद:
षडानन = षट् + आनन
बागीश = वाक् + ईश
अम्मय = अप् + मय
तन्मय = तत् + मय
बृहच्छवि = बृहत् + छवि
सच्चित् = सत् + चित
भगवच्छोभा = भगवत् + शोभा
उद्धत = उत् + हत
उद्योग = उत् + योग
उद्गार = उत् + गार
उद्भव = उत् + भव
तद्रूप = तत् + रूप
उद्धृत = उत् + धृत
संतप्त = सम् + तप्त
संतान = सम् + तान
संधान = सम् + धान
संभव = सम् + भव
संपूर्ण = सम् + पूर्ण
संवरण = सम् + वरण
संसार = सम् + सार
संहार = सम् + हार
शंकर = शम् + कर
परिच्छेद = परि + छेद
विच्छेद = वि + छेद
तृष्णा = तृप + ना
जिष्णु = जिष् + नु
परिणाम = परि + नाम
प्रमाण = प्रमा + न
ऋण = ऋ+ न
भूषण = भूष् + अन्
नीरव = निर् + रव
नीरज = निर् + रज
उल्लेख = उत् + लेख
तल्लीन = तत् + लीन
विद्युल्लता = विद्युत् + लता
सामराज्य = साम् + राज्य
निषेध = नि + सेध
निषिद्ध = नि + सिद्ध
निर्वाध = निर + वाध
दुर्गुण = दुर + गुण
नमस्कार = नमस + कार
तिरस्कार = तिरस् + कार
मरण = मर् + अन
तभी = तब + ही
कभी = कब + ही

विसर्ग सन्धि:

सन्धि:
अधः + गति = अधोगति
मनः + ज = मनोज
मनः + बल = मनोबल
पयः + द = पयोद
यशः + दा = यशोदा
पयः + धर = पयोधर
तपः + बल = तपोबल
मनः + रंजन = मनोरंजन
मनः + हर = मनोहर
मनः + रथ = मनोरथ
मनः + विज्ञान = मनोविज्ञान
मनः + योग = मनोयोग
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
दुः + उपयोग = दुरुपयोग
निः + चल = निश्चिल
निः + चय = निश्चय
हरिः + चन्द्र = हरिश्चन्द्र
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
निः + ठुर = निष्ठुर
निः + छल = निश्चल
मनः + ताप = मनस्ताप
निः + तेज = निस्तेज
दुः + शासन = दुशासन
निः + सन्देह = निस्सन्देह
निः + संतान = निस्संतान
निः + कपट = निष्कपट
दुः + प्रकृति = दुष्प्रकृति
दुस्तर = दुः + तर
दुष्प्राप्य = दुः + प्राप्य
निष्फल = निः + फल
निष्काम = निः + काम
दुष्प्रभाव = दुः + प्रभाव
दुस्साहस = दु: + साहस

सन्धि-विच्छेद:
निः + आशा = निराशा
निः + गुण = निर्गुण
दुः + नीति = दुर्नीति
निः + आकार = निराकार
निः + आहार = निराहार
निः + आधार = निराधार
दु: + गति = दुर्गति
दु: + भावना = दुर्भावना
निर् + रोग = नीरोग
निर् + रस = नीरस
मनः + अभीष्ट = मनोऽभीष्ट
अतः + एव = अतएव
निः + झर = निर्झर
दुः + आशा = दुराशा
निः + आशा = निराशा
निः + मल = निर्मल
निराश्रित = निः + आश्रित
पुनर्निर्माण = पुनः + निर्माण
निर्जन = निः + जन
दुर्गुण = दुः + गुण
बहिर्मुख = बहिः + मुख
दुर्बल = दु: + बल
निर्णय = निः + नय
निर्विकार = निः + विकार
दुर्लभ = दुः + लभ
दुश्चरित्र = दु: + चरित्र
हरिश्चंद्र = हरिः + चंद्र
नमस्ते = नमः + ते
मनस्ताप = मनः + ताप
तथैव = ततः + एव
निस्सार = निः + सार
दुश्शील = दु: + शील
दुः + कर = दुष्कर
दुः + फल = दुष्फल

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

1. स्वर संधि के कितने भेद हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(घ) पाँच

2. संधि के कितने भेद हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(ग) तीन

3. ‘ने + अन’ में कौन-सी संधि है ?
(क) यण
(ख) वृद्धि
(ग) गुण
(घ) अयादि
उत्तर:
(घ) अयादि

4. ‘विद्या + अर्थी’ में सधि है ?
(क) दीर्घ
(ख) गुण
(ग) यण
(घ) अयादि।
उत्तर:
(क) दीर्घ

5. ‘उत् + ज्वल की संधि है ?
(क) उज्ज्वल
(ख) उत्जवल
(ग) उज्जवल
(घ) उज्जला।
उत्तर:
(क) उज्ज्वल

6. ‘भो + अन किसका विच्छेद है ?
(क) भोउन
(ख) भवन
(ग) भोवन
(घ) भुवन
उत्तर:
(ख) भवन

7. मनोरंजन का संधिविच्छेद है
(क) मनः + रंजन
(ख) मनो + रंजन
(ग) मनः + रंजन
(घ) मनोः + रंजन
उत्तर:
(क) मनः + रंजन

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

Hindi Guide for Class 11 PSEB एक मिलियन डालर दृश्य Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
‘एक मिलियन डालर दृश्य’ में पर्वतीय सौन्दर्य का अनूठा वर्णन है, लेख के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
प्रस्तुत लेख में लेखक ने पर्वतीय सौन्दर्य का अनूठा वर्णन किया है। चण्डीगढ़ से शिमला की यात्रा करते हुए लेखक सोलन रुकता है। वहाँ नगर के बीचों बीच शिमला जाने वाली सड़क है। लेखक ने कालका से शिमला जाने वाली रेल यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह सारा रास्ता दिलकश नज़ारों से भरा है। छोटी पट्टी की रेल की गुफ़ाओं से गुजरकर जाती। छोटे-बड़े पुलों पर से निकलती है। लेखक की गाड़ी भी इस रेल के साथ-साथ चलती है। पर्वतीय दृश्य बड़ें मनोहर हैं। ढलाने पेड़ों और हरी घास से ढकी हैं। चीड़ और देवदार के पेड़ दिखाई देने लगते हैं।

तारादेवी के मोड़ से लेखक ज्यों ही आगे बढ़ता है शिमला नगर की बत्तियाँ सामने नज़र आती हैं। ऐसे लगता था कि,आसमान के सारे सितारे धरती पर उतर आए हों। यही लेखक को एक मिलियन डालर दृश्य जान पड़ा।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

प्रश्न 2.
‘एक मिलियन डॉलर दृश्य’ निबन्ध का सार लिखें।
उत्तर:
‘एक मिलियन डालर दृश्य’ इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने चण्डीगढ़ से शिमला की यात्रा का वर्णन किया है। इसके साथ ही लेखक ने सोलन नगर के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए वहाँ के जन जीवन की समस्याओं की ओर संकेत किया है। लेखक अपने मित्र के साथ पहाड़ की यात्रा के लिए जा रहा है। दोनों लोग चण्डीगड़ से हिमाचल में किन्नौर की यात्रा के लिए निकले। किन्तु कालका शिमला सड़क पर स्थित धर्मपुर पहुँच कर उनकी गाड़ी खराब हो गई। शाम तक गाड़ी ठीक हुई और वे आगे बढ़ गए। मार्ग में सोलन में चाय पीने के लिए रुके। सोलन में कृषि विश्वविद्यालय और जिला बनने से वहाँ की आबादी बढ़ गई है।

परिवार एक-एक कमरे में रहते हैं जिससे गन्दगी दिखाई देती है। लेखक यहाँ कालका से शिमला जाने वाली छोटी लाइन की रेलगाड़ी का वर्णन करता है जिससे यात्रा करना अत्यन्त सुखद लगता है। गाड़ी बिगड़ जाने के कारण रात उन्हें शिमला में ही बिताने का निर्णय लेना पड़ा। पहाड़ी रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा होने के कारण वे आपस में बातचीत भी नहीं कर रहे थे। तारादेवी पहुँच कर उन्होंने सुख की साँस ली। वहाँ शिमला की बत्तियाँ ऐसे दिखाई देती थीं जैसे आकाशलोक में कोई समारोह हो रहा हो, ऐसा लग रहा था शिमला तारादेवी से झिलमिलाता हुआ मिलन करने जा रहा हो। लेखक को लगा शिमला में हर रोज़ इसी तरह जगमगाहट होती है जैसे दीपावली हो। लेखक को वह दृश्य एक मिलियन डालर दृश्य लगता है जिसे देखने के लिए कोई भी विदेशी पर्यटक मुँह माँगे दाम दे सकता है। लेखक ने कुछ पूर्व भी शिमला की ऐसी ही अनोखी छवि देखी थी।

एक मोड़ आने पर वह दृश्य लुप्त हो गया। लेखक अपने मित्रों सहित शिमला पहुँच गया। कुछ दिनों बाद शिमला से चण्डीगढ़ लौटते हुए ढल्ली गाँव के पास पहुँच कर कालका के जगमगाते रूप को देखकर उसे शिमला की याद हो जाती है। कालका से चण्डीगढ़ की रोशनियाँ भी दिखाई देती हैं जैसे मखमली चादर पर सितारे जड़े गए हों।

प्रश्न 3.
चण्डीगढ़ से शिमला तक की यात्रा का वर्णन प्रस्तुत निबन्ध के आधार पर करें।
उत्तर:
लेखक अपने मित्रों सहित चण्डीगढ़ से किन्नौर की यात्रा के लिए निकला। धर्मपुर पहुंच कर उनकी गाड़ी खराब हो गई जो शाम तक ठीक हुई। वहाँ से चलने के बाद वे सोलन में चाय पीने के लिए रुकते हैं। शिमला जाते समय तारा देवी के मोड़ पर पहुँच कर उन्हें शिमला की रोशनियां दिखाई पड़ती हैं। तारा देवी से दिखाई देने वाला शिमला का दृश्य लेखक को एक मिलियन डालर का दृश्य लगता है। शिमला वे देर रात पहुँचे। माल रोड़ खाली हो चुकी थी। अतः वे सीधे अपने होटल में चले गए।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
लेखक ने एक मिलियन डॉलर दृश्य किसे कहा है ?
उत्तर:
लेखक ने तारा देवी के मोड़ से आगे बढ़कर दूर से शिमला नगर की बिजली की बत्तियों को देखा तो लेखक को लगा नीचे खड्ड से लेकर ऊपर पहाड़ तक हज़ारों बत्तियाँ एक साथ जगमगा उठी हों। अब बत्तियों को देखकर ऐसा लगा कि आसमान के सारे तारे धरती पर उतर आए हों चारों ओर जगमगाहट देखकर ऐसा लग रहा था कि आकाश लोक में कोई विशेष समारोह है। इसी कारण धरती से आकाश तक पर्वत की ढलाने जगमगा उठी हैं। इसी दृश्य को लेखक ने ‘एक मिलियन डॉलर दृश्य’ कहा है।

प्रश्न 2.
कालका से शिमला जाने का रेल यात्रा का अनुभव क्या है?
उत्तर:
कालका से शिमला छोटी लाइन की रेल से यात्रा करना एक अलग तरह का अनुभव है। सारा रास्ता अद्भुत दृश्यों से भरा पड़ा है। रेल कई गुफाओं से गुज़र कर जाती है। घुमावदार लम्बे मोड़ काटती हुई सीटी बजाती है जैसे डिज्नीलैंड का कोई खेल हो। पर्वतीय दृश्य अत्यन्त मनोहर हैं। ढलाने पेड़ों और हरी घास से ढकी हैं। चीड़ के वृक्षों की लम्बी कतारें देखने को मिलती हैं।

प्रश्न 3.
तारा देवी के मोड़ से निकलने पर शिमला नगर की बिजली की बत्तियों के सौन्दर्य का वर्णन लेखक ने किस प्रकार किया है ?
उत्तर:
तारा देवी के मोड़ से निकलते ही लेखक ने देखा कि नीचे एक खड्ड से लेकर पर्वत की ढलान के साथसाथ ऊपर तक बने हुए घरों में हज़ारों बत्तियां जगमगा उठी हों। इस दृश्य को देखकर लेखक मन्त्र विमुग्ध सा हो उठा। उसे लगा जैसे आकाश के सारे तारे धरती पर उतर आए हों और रंग-बिरंगे मोतियों की तरह झिलमिला रहे हों।

प्रश्न 4.
शिमला से वापस आते हुए चण्डीगढ़ की बत्तियों के दृश्य का वर्णन करें।
उत्तर:
शिमला से वापस आते हुए कालका से चण्डीगढ़ की रोशनियाँ भी दिखाई पड़ती हैं। रात में चण्डीगढ़ एक काली मखमली चादर पर जड़ित सितारों-सा दिखाई देता है। पूर्व से पश्चिम की ओर और उत्तर से दक्षिण की ओर जाती रोशनियों की बीसियों सीधी कतारें नज़र आती हैं। लगता है देवताओं ने रात्रि को सुखना झील के किनारे एक विशाल जगमगाता चौपड़ बिछाया हो या आज की रात आकाश शिवालिक की गोदी में अपना सिर रखकर धरती पर सो रहा हो।

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PSEB 11th Class Hindi Guide एक मिलियन डालर दृश्य Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शिमला की बत्तियाँ कैसी दिखाई देती हैं ?
उत्तर:
जैसे आकाश लोक में कोई समारोह हो।

प्रश्न 2.
शिमला का दृश्य लेखक को कैसा लगा ?
उत्तर:
लेखक को वह दृश्य एक मिलियन डालर दृश्य लगा।

प्रश्न 3.
लेखक इन्द्र नाथ चावला किसके साथ शिमला गया था ?
उत्तर:
अपने मित्रों के साथ।

प्रश्न 4.
एक मिलियन डालर दृश्य’ में लेखक ने किस स्थान का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
चण्डीगढ़ से शिमला की यात्रा का वर्णन किया है।

प्रश्न 5.
लेखक ने किस नगर के सौंदर्य का वर्णन किया है ?
उत्तर:
सोलन।

प्रश्न 6.
लेखक अपने मित्र के साथ कहाँ जा रहा था ?
उत्तर:
पहाड़ की यात्रा पर।

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प्रश्न 7.
‘एक मिलियन डालर दृश्य’ किस प्रकार की विधा है ?
उत्तर:
यात्रा वर्णन।

प्रश्न 8.
पहाड़ी रास्ता कैसा था ?
उत्तर:
टेढ़ा-मेढ़ा।

प्रश्न 9.
चमकते हुए सितारे कैसे झिलमिला रहे थे ? ।
उत्तर:
मोतियों के समान।

प्रश्न 10.
पहाड़ों की ढलानें किससे ढकी थी ?
उत्तर:
पेडों और हरी घास से।

प्रश्न 11.
लेखक ने सोलन में बढ़ रही ……….. का वर्णन किया है।
उत्तर:
आबादी।

प्रश्न 12.
लेखक ने पाठ में किस रेलमार्ग का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
कालका-शिमला रेल मार्ग।

प्रश्न 13.
लेखक ने किस प्रकार के दृश्यों का वर्णन किया है ?
उत्तर:
पर्वतों के मनोहारी रूप का वर्णन किया है।

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प्रश्न 14.
रात में चण्डीगढ़ कैसा दिखाई देता था ?
उत्तर:
काली मखमली चादर पर जड़ित सितारों-सा।

प्रश्न 15.
किस झील के बारे में उल्लेख हुआ है ?
उत्तर:
सुखना झील।

प्रश्न 16.
नीला आकाश किसकी गोदी में सिर रखकर सो रहा था ?
उत्तर:
शिवालिक पर्वत की गोदी में।

प्रश्न 17.
बिजली की बत्तियों ने पर्वत की ढलानों को किससे जोड़ दिया था ?
उत्तर:
आकाश लोक से।

प्रश्न 18.
अंधेरे में कौन-सी चीजें अंधकार को और अधिक बढ़ा देती हैं ?
उत्तर:
चमकदार चीजें।

प्रश्न 19.
रात की देवी ने बालों में क्या गूंथ रखा था ?
उत्तर:
रत्न जड़ित मालाएँ।

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प्रश्न 20.
………….. के मोड़ से निकलने पर लेखक ने शिमला नगर की बत्तियों का सौंदर्य देखा।
उत्तर:
तारा देवी।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘एक मिलियन डालर दृश्य’ में किस माया का वर्णन है ?
(क) चंडीगढ़ से वैष्णो देवी
(ख) चंडीगढ़ से शिमला
(ग) चंडीगढ़ से मनाली
(घ) चंडीगढ़ से जम्मू।
उत्तर:
(ख) चंडीगढ़ से शिमला

प्रश्न 2.
प्रस्तुत निबंध में लेखक ने किसके सौंदर्य का चित्रण किया है ?
(क) पर्वतीय
(ख) समुद्रीय
(ग) जंलीय
(घ) वाष्पीय।
उत्तर:
(क) पर्वतीय

प्रश्न 3.
लेखक को कहां का एक दृश्य एक मिलियन डालर जैसा प्रतीत हुआ ?
(क) शिमला का
(ख) चंडीगढ़ का
(ग) जम्मू का
(घ) सोलन का।
उत्तर:
(क) शिमला का।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

विख्यात = प्रसिद्ध। अवसर = मौका। हरीतिमा = हरियाली। कटाव = मोड़। अद्भुत = अनोखा। चिरस्मरणीय = देर तक याद रहने वाला।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) एक जगह तो पर्वत से पत्थर और चट्टानें गिरने से एक नदी का जल मार्ग ही रुक गया था और एक छोटी-सी झील बन गई थी। फिर पानी के तेज़ प्रवाह से यह प्राकृतिक बाँध स्वयं ही टूट गया और जलाशय खाली हो गया।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित यात्रावृत्त ‘एक मिलियन डालर दृश्य’ में से लिया गया है। इस यात्रावृत्त में लेखक ने अपनी चण्डीगढ़ से शिमला यात्रा के दौरान तारा देवी के मोड़ से शिमला शहर को देखे अद्भुत दृश्य का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखक ने किन्नौर की सड़कों का भूकम्प के बाद होने वाली हालत का वर्णन किया है। लेखक कहता है कि किन्नौर की सड़क पर एक स्थान पर पर्वत से पत्थर और चट्टानें गिरने से एक नदी का जल मार्ग ही रुक गया था इसलिए वहाँ एक छोटी-सी झील बन गई थी। उस झील के कारण जो वहाँ एक बाँध सा बन गया था वह नदी के तेज बहाव के कारण अपने आप ही टूट गया और इस तरह वह झील खाली हो गई। अब वहाँ पानी इकट्ठा नहीं रहा था।

विशेष :

  1. लेखक ने प्राकृतिक दृश्य का सुन्दर वर्णन किया है।
  2. भाषा सरल, सहज एवं रोचक है।
  3. तत्सम शब्दावली है।
  4. चित्रात्मक शैली का प्रयोग है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

(2) सोलन नगर के बीचों बीच शिमला जाने वाली सड़क है। घर, बाजार, कॉलेज, दफ्तर, सिनेमा और होटल सब इसी सड़क के किनारे स्थित हैं। बाजार के बीच में ही बस अड्डा भी है। इसलिए हर समय बाजार में भीड़ रहती है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित यात्रावृत ‘एक मिलियन डालर दृश्य’ से लिया गया है। इसमें लेखक ने सोलन में बढ़ रही भीड़ के कारण का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखक ने चण्डीगढ़ शिमला मार्ग पर स्थित सोलन नगर का चित्र अंकित किया है। लेखक कहता है कि सोलन नगर के बीचों बीच शिमला जाने वाली सड़क है। इसलिए इसी सड़क के किनारे घर, बाजार, कॉलेज, दफ्तर, सिनेमा और होटल आदि बने हुए हैं। बाजार के बीच में ही बस अड्डा भी है इसलिए यहाँ हर समय भीड़ रहती है। सोलन में बढ़ती भीड़ का कारण सोलन में से शिमला तक विशेष जाने वाली सड़क है। लेखक सोलन में बढ़ रही आबादी का वर्णन करता है जिसके कारण वहाँ गन्दगी बढ़ रही है।

विशेष :

  1. इसमें लेखक ने सोलन नगर का दृश्य प्रस्तुत किया है।
  2. भाषा सरल एवं सहज है।।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. वर्णनात्मक शैली है।

(3) पर्वतीय दृश्य बहुत मनोहर है। ढलाने पेड़ों और हरी घास से ढकी हैं और धीरे-धीरे ऊँचाई बढ़ने से वनस्पति और ढलानों की हरीतिमा की चादर के रंगों में भी परिवर्तन आता जाता है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित यात्रा वृतान्त ‘एक मिलियन डालर दृश्य’ में से लिया गया है। इसमें लेखक ने प्रकृति सौंदर्य का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखक ने कालका-शिमला रेल मार्ग के साथ-साथ जाते हुए प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन किया है। लेखक कहता है कि कालका-शिमला मार्ग पर पहाड़ के दृश्य मन को लुभाने वाले हैं। पहाड़ों की ढलाने पेड़ों और हरी घास से ढकी हैं और ज्यों-ज्यों ऊँचाई बढ़ती जाती है तो ऐसा लगता है कि पेड़-पौधो और ढलानों की हरियाली की चादर ने ढक रखा है और उनके रंगों में भी बदलाव आता जाता है। पहाड़ों के दृश्य वनस्पति के कारण हर समय एक नए रंग में दिखाई देते हैं।

विशेष :

  1. पर्वतों के मनोहारी दृश्यों का वर्णन है जिसमें प्रकृति अपने विभिन्न रंग रूप दिखाती है।
  2. भाषा सरल एवं सहज है।।
  3. तद्भव एवं तत्सम शब्दावली है।
  4. चित्रात्मक शैली है।

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(4) ऐसा लगता था कि आज की रात आकाश के सारे सितारे धरती पर उतर आए हों। हमारे इतने समीप। केवल एक खड्ड भर की दूरी थी।अन्धेरे में खड्ड भी तो दिखाई नहीं देती। सारी दूरी मिट जाती थी। वे सब और समीप आ गए थे हमारे। जैसे हम उन्हें हाथों से छू सकते थे। दीप्तमान सहस्रों सितारे रंग-बिरंगे मोतियों की तरह झिलमिला रहे थे।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्र नाथ चावला द्वारा लिखित ‘एक मिलियन डालर का दृश्य’ से लिया गया है। लेखक ने रात के समय पर्वतीय क्षेत्र की सुंदरता का सहज वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक तारा देवी के मोड़ से देखे गए शिमला शहर के बिजली की बत्तियों से जगमगाते दृश्य का वर्णन कर रहे हैं। लेखक कहता है कि शिमला शहर में बत्तियों की रोशनी ऐसे प्रतीत हो रही थी जैसे रात में आकाश के सारे सितारे धरती पर उतर आए हों और वे दूर आकाश में न होकर हमारे बहुत निकट हों। हमारे और सितारों के बीच में एक खड्ड वे दूरी थी और अन्धेरे में वह खड्ड भी दिखाई नहीं देती थी। अत: सारी दूरी मिट गई थी। वे सितारे जैसे हमारे इतने निकट आ गए थे कि हम उन्हें अपने हाथों से छू सकते थे। चमकते हुए हज़ारों सितारे रंग-बिरंगे मोतियों की तरह झिलमिला रहे थे। रात के समय पहाड़ों पर बिजली की बत्तियों का दृश्य बहुत मनोहर था।

विशेष :

  1. लेखक को शिमला शहर में जलती हुई बत्तियाँ आकाश के चमकते हुए सितारों के समान लग रही थीं।
  2. भाषा सरल, सहज एवं रोचक है।
  3. तद्भव और तत्सम शब्दावली है।
  4. चित्रात्मक शैली है।

(5) क्या आज आकाशलोक में कोई विशेष समारोह है जो ये सब धरती से आकाश तक पर्वत की ढलाने सहस्रों जगमगाते हीरे-मोतियों, मणियों और मूंगों से जड़ी हैं। अथवा रात्रि देवी के लम्बे काले केशों में यह कोई रत्नजड़ित मालाएँ हैं जिनके हीरे मोती जगमगा कर अन्धकार को और भी गहरा कर देते हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित मिलियन डालर का दृश्य से लिया गया है। लेखक ने शिमला की रात्रिकालीन सुंदरता का वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक शिमला शहर में बिजली की बत्तियों को देखकर कल्पना करता हुआ कहता है कि आज आकाश में कोई विशेष समारोह है इसलिए धरती और आकाश के बीच बनी पर्वत की ढलाने हज़ारों जगमगाते होरेमोतियों, मणियों और मूंगों से सजी हुई हैं जिनके हीरे मोती जगमगा कर अन्धेरे को और भी गहरा कर देते हैं। अर्थात् बिजली की बत्तियों ने पर्वत की ढलानों को आकाश लोक तक जोड़ दिया है। उनकी जगमगाहट किसी विशेष समारोह की याद दिलाती थी या फिर ऐसा लग रहा था जैसे रात की देवी ने अपने बालो में रत्न जड़ित मालएं गूंथ रखी हैं जिससे हीरे मोतियों की चमक ने रात के अंधकार को और भी बढ़ा दिया था। अन्धेरे में चमकदार चीजें अन्धकार को ओर बढ़ा देती हैं।

विशेष :

  1. लेखक ने दूर शिमला में जल रही बत्तियों की जगमगाट से धरती और आकाश भुला दिया है।
  2. बत्तियों की जगमगाहट से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे आकाशलोक में समारोह हो रहा है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

(6) कहीं ऐसा तो नहीं कि आज देवताओं ने रात्रि को सुखना झील के किनारे एक विशाल जगमगाता चौपड़ बिछाया हो या आज की रात नीला आकाश शिवालिक की गोदी में अपना सिर रख धरती पर सो रहा हो।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित यात्रा वृतान्त ‘एक मिलियन डॉलर का दृश्य’ से लिया गया है। लेखक ने चंडीगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता का सहज वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने कालका से जगमगाते चण्डीगढ़ को देखकर अपनी कल्पना को अभिव्यक्त किया है। लेखक को लगता है कि आज देवताओं ने रात में सुखना झील के किनारे एक बहुत बड़ा जगमगाता चौपड़ बिछाया हो अथवा आज की रात नीला आकाश शिवालिक पर्वत की गोदी में अपना सिर रख धरती पर सो रहा हो।

विशेष :

  1. रात के समय चण्डीगढ़ के जगमगाते रूप का वर्णन किया गया है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तद्भव एवं तत्सम शब्दावली है।
  4. चित्रात्मक शैली है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

एक मिलियन डालर दृश्य Summary

एक मिलियन डालर दृश्य निबन्ध का सार

‘एक मिलियन डालर दृश्य’ इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने चण्डीगढ़ से शिमला की यात्रा का वर्णन किया है। इसके साथ ही लेखक ने सोलन नगर के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए वहाँ के जन जीवन की समस्याओं की ओर संकेत किया है। लेखक अपने मित्र के साथ पहाड़ की यात्रा के लिए जा रहा है। दोनों लोग चण्डीगड़ से हिमाचल में किन्नौर की यात्रा के लिए निकले। किन्तु कालका शिमला सड़क पर स्थित धर्मपुर पहुँच कर उनकी गाड़ी खराब हो गई। शाम तक गाड़ी ठीक हुई और वे आगे बढ़ गए। मार्ग में सोलन में चाय पीने के लिए रुके। सोलन में कृषि विश्वविद्यालय और जिला बनने से वहाँ की आबादी बढ़ गई है।

परिवार एक-एक कमरे में रहते हैं जिससे गन्दगी दिखाई देती है। लेखक यहाँ कालका से शिमला जाने वाली छोटी लाइन की रेलगाड़ी का वर्णन करता है जिससे यात्रा करना अत्यन्त सुखद लगता है। गाड़ी बिगड़ जाने के कारण रात उन्हें शिमला में ही बिताने का निर्णय लेना पड़ा। पहाड़ी रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा होने के कारण वे आपस में बातचीत भी नहीं कर रहे थे। तारादेवी पहुँच कर उन्होंने सुख की साँस ली। वहाँ शिमला की बत्तियाँ ऐसे दिखाई देती थीं जैसे आकाशलोक में कोई समारोह हो रहा हो, ऐसा लग रहा था शिमला तारादेवी से झिलमिलाता हुआ मिलन करने जा रहा हो। लेखक को लगा शिमला में हर रोज़ इसी तरह जगमगाहट होती है जैसे दीपावली हो। लेखक को वह दृश्य एक मिलियन डालर दृश्य लगता है जिसे देखने के लिए कोई भी विदेशी पर्यटक मुँह माँगे दाम दे सकता है। लेखक ने कुछ पूर्व भी शिमला की ऐसी ही अनोखी छवि देखी थी।

एक मोड़ आने पर वह दृश्य लुप्त हो गया। लेखक अपने मित्रों सहित शिमला पहुँच गया। कुछ दिनों बाद शिमला से चण्डीगढ़ लौटते हुए ढल्ली गाँव के पास पहुँच कर कालका के जगमगाते रूप को देखकर उसे शिमला की याद हो जाती है। कालका से चण्डीगढ़ की रोशनियाँ भी दिखाई देती हैं जैसे मखमली चादर पर सितारे जड़े गए हों।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

Hindi Guide for Class 11 PSEB रसायन और हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-

प्रश्न 1.
रसायन हमारी आवश्यकता है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से उदाहरण देते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर:
हम रसायनों के युग में रह रहे हैं और आज रसायन हमारी आवश्यकता बन गया है। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ और हम सब, रासायनिक यौगिकों के बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, खाना, वनस्पति और जीव-जन्तु ये सब अजूबे जीवन की रासायनिक सच्चाई ने पैदा किये हैं। प्रकृति में सैंकड़ों-हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं। रसायन न होते तो धरती पर जीवन भी नहीं होता। पानी तो जीवन का आधार है, यह पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना एक रासायनिक यौगिक है। मधुर मीठी चीनी कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बनी है। कोयला और तेल, बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली औषधियाँ-एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलिन, अनाज, सब्ज़ियाँ, फल और मेवे भी तो रसायन हैं। इस प्रकार यह हमारे पर्यावरण में सदा से विद्यमान रहे हैं इसीलिए इनकी महत्ता के विषय में जानकारी होनी आवश्यक है, क्योंकि ये हमारे जीवन की आवश्यकता है।

प्रश्न 2.
‘रसायनों का ज़रूरत से अधिक और गलत प्रयोग हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।’ पाठ से उदाहरण देकर इस तथ्य को सिद्ध करें।
उत्तर:
रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि के लिए किया जाता है किन्तु इसका अधिक प्रयोग भूमि प्रदूषण एवं जलाने का कारण तो बनता ही है, स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। फलों और सब्जियों पर किया जाने वाला कीटनाशक दवाइयों का अधिक प्रयोग खाने वालों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अनेक रसायन ऐसे हैं जिनका अधिक एवं गलत प्रयोग गम्भीर एवं भयंकर रोग पैदा करने वाला होता है।

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प्रश्न 3.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ निबन्ध का सार लिखें।
उत्तर:

‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित है। लेखक ने इस निबन्ध में आधुनिक जीवन में रसायनों के दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है। नि:संदेह रसायनों का प्रयोग आज अनिवार्य है। परन्तु हमें उनके प्रयोग में सावधानी बरतते हुए विनाशकारी और हानिकारक प्रभाव से जीवन को अधिक-से-अधिक सुरक्षित रखना चाहिए। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक के बढ़ते प्रयोग द्वारा पर्यावरण के प्रदूषित होने की बात कही है। लेखक का कहना है कि रसायनों का प्रयोग आज के युग की आवश्यकता बन गया है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र रसायनों के प्रभाव से ही जुड़ा हुआ हैं। रसायन न हो तो धरती पर जीवन ही सम्भव न हो पाता। चीनी, कोयला, तेल तथा बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलन जैसी औषधियाँ, सब्ज़ियाँ, फल, मेवे इत्यादि सभी रसायन होते हैं। आज रसायन विज्ञान काफ़ी उन्नत अवस्था में हैं। किन्तु चिंता का विषय रसायनों के बढ़ते एवं गलत प्रयोग से है। रसायनों का अधिक मात्रा में प्रयोग पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। आज रसायनों के ऐसे प्रयोग विनाशकारी होने के कारण चिंता का कारण हैं। हालांकि रसायन उद्योग में रसायनों के संपर्क में रहने वाले कर्मचारियों के लिए कदम उठाए गए हैं।

खेतों में रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि में उपयोगी तो है किन्तु इसका अंधा-धुंध प्रयोग हानिकारक भी है। ये रसायन कैंसर जैसी भयंकर बीमारियाँ भी फैलाते हैं। रसायन तो शुरू से ही हमारे पर्यावरण का हिस्सा रहे हैं। हमें कम रसायनों के बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है। हमें किसी भी रसायन का हानिकारक रूप ढूँढना होगा, तब तक उसका प्रयोग जारी रहना चाहिए किन्तु उसके गलत प्रयोग पर हाथ पीछे खींचना चाहिए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
रसायनों के तात्कालिक खतरे कौन-से हैं ?
उत्तर:
खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए किसी हद तक खतरनाक हैं। नमक का अधिक और लम्बे समय तक रक्तचाप बढ़ने का कारण बन सकता है। समुद्र के पानी में अनेक रसायन मिले होने के कारण सेहत के लिए उसे पीना भी खतरनाक है। रसायनों का सबसे बड़ा खतरा कैंसर जैसे रोग के फैलने का है।

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प्रश्न 2.
रसायनों के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हैं ? उदाहरण देकर उत्तर दें।
उत्तर:
रसायनों के दीर्घकालिक खतरे अभी हाल ही में उजागर हुए हैं। कुछ रसायन आगामी पीड़ियों को प्रभावित करते हैं। जैसे थैलीडोमाईड तथा ऐस्वेस्टॉस जो कैंसर पैदा करता है। इसी तरह पौलीकलोरीनेटिड बाइफेनिल जो बाद में जीवों, मछलियों और यहां तक कि मनुष्य के लिए भी खतरा उत्पन्न कर देते हैं।

प्रश्न 3.
रसायनों के प्रयोग में नियन्त्रण व निर्णय में सरकार की क्या भूमिका हो सकती है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
रसायनों के गलत एवं अधिक प्रयोग से होने वाली हानियों से सरकार जनता को अवगत करवा सकती है। पर्यावरण को रसायन किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचा सकें इसके लिए उचित कानून बना सकती है। सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा सम्बन्धी एक अलग से विभाग भी बनाया है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के अनेक उपाय भी किए हैं। किन्तु हमारा मानना है कि सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी इसमें सहयोग देना चाहिए।

प्रश्न 4.
पर्यावरण को रसायनों से होने वाली हानि से कैसे बचाया जा सकता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पर्यावरण को रसायनों से होने वाली हानि से बचने के लिए हमें उनका नियन्त्रित प्रयोग करना चाहिए। कुछ रसायन अपने आप में सुरक्षित हैं किन्तु वे उस समय हानि पहुँचाते हैं जब उनका मेल अन्य पदार्थों का होता है। हमें इससे बचना चाहिए। इस तरह हम कैंसर जैसे भयानक रोग एवं पेट की बीमारियों से बच सकते हैं। रसायनों के प्रयोग सम्बन्धी सरकारी कानून और नियमों का पालन करना चाहिए। रसायनों का प्रयोग उनसे जुड़े अनुसंधान या सूचनाओं के आधार पर ही करना चाहिए। रसायनों के प्रयोग से होने वाली हानि एवं लाभ को ध्यान में रखना चाहिए। रसायनों का प्रयोग सुरक्षित ढंग से सुरक्षित मात्रा में करना चाहिए। रासायनिक सुरक्षा को प्रतिदिन का कार्य मान लिया जाना चाहिए। इस तरह हम रासायनों से होने वाली हानि से बच सकते हैं।

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PSEB 11th Class Hindi Guide रसायन और हमारा पर्यावरण Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हमें किसी भी रसायन का कौन-सा रूप ढूँढ़ना होगा ?
उत्तर:
हानिकारक रूप।

प्रश्न 2.
आज रसायनों का प्रयोग चिंता का कारण क्यों बना है ?
उत्तर:
रसायनों के अंधा-धुंध प्रयोग के कारण।

प्रश्न 3.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
रसायनों के प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है।

प्रश्न 4.
पर्यावरण प्रदूषित क्यों हुआ है ?
उत्तर:
रसायनों के अधिक प्रयोग के कारण।

प्रश्न 5.
जीवन का प्रत्येक क्षेत्र किससे जुड़ा हुआ है ?
उत्तर:
रसायनों से।

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प्रश्न 6.
रसायनों के विनाशकारी प्रभाव से जीवन को ………. रखना होगा।
उत्तर:
सुरक्षित।

प्रश्न 7.
रसायन कौन-सी बीमारियाँ फैलाते हैं ?
उत्तर:
कैंसर जैसी।

प्रश्न 8.
प्रारम्भ से हमारे पर्यावरण का कौन हिस्सा रहे हैं ?
उत्तर:
रसायन।

प्रश्न 9.
आज का युग किसका युग कहा जा सकता है ?
उत्तर:
रसायनों का।

प्रश्न 10.
पानी कैसे बना है ?
उत्तर:
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के योग से।

प्रश्न 11.
चीनी कैसे बनी है ?
उत्तर:
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन।

प्रश्न 12.
प्रकृति में …………. रासायनिक पदार्थ हैं।
उत्तर:
सैकड़ों-हज़ारों।

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प्रश्न 13.
रसायनों का प्रयोग किस लिए किया जाता है ?
उत्तर:
उत्पाद की वृद्धि के लिए।

प्रश्न 14.
कुछ रसायन …………… को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
आगामी पीढ़ियों को।

प्रश्न 15.
हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ किसके योग से बनी हैं ?
उत्तर:
रसायनों के योग से।

प्रश्न 16.
कीटनाशक के प्रयोग से पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषित होता है।

प्रश्न 17.
हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कौन करता है ?
उत्तर:
रसायन।

प्रश्न 18.
कुशल व्यक्ति की देखरेख में किया गया रासायनिक छिड़काव कैसा रहता है ?
उत्तर:
उत्पादन वृद्धि में सहायक।

प्रश्न 19.
हमें किसके बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है ?
उत्तर:
रसायनों के।

प्रश्न 20.
किससे संबंधित आँकड़े विश्वास करने योग्य हैं ?
उत्तर:
कैंसर।

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बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) निबन्ध
(ग) कहानी
(घ) उपन्यास।
उत्तर:
(ख) निबंध

प्रश्न 2.
इस निबन्ध में लेखक ने मानव को किसके प्रयोग के प्रति सतर्क किया है ?
(क) रसायनों के
(ख) विज्ञान के
(ग) जल के
(घ) प्रदूषण के।
उत्तर:
(क) रसायनों के

प्रश्न 3.
रसायन के बिना धरती पर क्या संभव नहीं था ?
(क) वायु
(ख) जल
(ग) जीवन
(घ) मरण।
उत्तर:
(ग) जीवन

प्रश्न 4.
रसायनों का अधिक प्रयोग कैसा है ?
(क) हानिकारक
(ख) लाभदायक
(ग) शिथिल
(घ) शीत।
उत्तर:
(क) हानिकारक।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

अपरिहार्य = जिसे त्यागा न जा सके। अभिक्रिया = रासायनिक प्रतिक्रिया। मारकशक्ति = मारने की शक्ति । आनुवंशिक = वंश परम्परा के अनुसार, पुश्तैनी। क्षयकारी = विनाशकारी। अप्रत्याशित = जिसकी आशा न हो। तात्कालिक = उस समय का । प्रतिबन्ध = रोक।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) हम रसायनों के युग में रह रहे हैं। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ और हम सब, रासायनिक यौगिक के बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, खाना, वनस्पति और जीव-जन्तु ये सब अजूबे जीवन की रासायनिक सच्चाई ने पैदा किए हैं। प्रकृति में सैंकड़ों, हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं । रासायन न होते तो धरती पर जीवन भी नहीं होता।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ में से लिया गया है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने प्रकृति में आदिकाल से ही रसायनों के विद्यमान होने की बात कहते हुए इनके अत्यधिक एवं गलत प्रयोग के लिए मनुष्य को सतर्क किया है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि आज का युग रसायनों का युग है अर्थात् हम लोग इनके बिना जीवन जीने की कल्पना नहीं कर सकते। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ तथा हम सब रसायनों के मेल से ही बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, भोजन, पेड़-पौधे और जीव-जन्तु ये सब रसायनों से ही बने हैं। यह सच है कि हमारी उत्पत्ति भी एक रसायन क्रिया है इससे हम इन्कार नहीं कर सकते हैं। प्रकृति में सैंकड़ों हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं। यदि रसायन न होते तो धरती पर जीवन ही न होता। रसायन प्रकृति का अंग हैं और हमारा जीवन भी इन्हीं के मेल से बना है।

विशेष :

  1. भाषा सरल, स्वाभाविक एवं प्रभावशाली है।
  2. तत्सम तथा उर्दू शब्दावली है।
  3. शैली विचारात्मक है।

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(2) मनुष्य और रसायन-उद्योग ने रसायन के तात्कालिक उग्र खतरे को पहचानने की दिशा में अच्छा काम किया है और जनता तथा उन कर्मचारियों को, जो काम के दौरान रसायनों के सम्पर्क में रहते हैं, रसायनों के कुप्रभाव से बचने के लिए आवश्यक एतिहायाती कदम उठाए गए हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पयांवरण’ में से लिया गया है। इसमें लेखक ने रसायनों के खतरों को पहचान कर किए काम की ओर संकेत किया है।

व्याख्या :
लेखक ने रसायन उद्योग द्वारा अपनाए गए बचाव कदमों का उल्लेख करते हुए कहा है कि मनुष्य और रासायनिक उद्योग ने रसायन के उसी समय होने वाले तेज़ खतरे को पहचानने की दिशा में अच्छा काम किया है। जं लोग इस काम में लगे हैं वे इन कामों से होने वाले खतरों के प्रति सतर्क हैं। उसने जनता तथा उन कर्मचारियों को जो काम के समय रसायनों के सम्पर्क में रहते हैं, रसायनों के बुरे प्रभाव से बचाने के लिए आवश्यक सावधानी वाले य बचाव वाले कदम उठाए हैं। रसायनों के प्रयोग से उत्पन्न खतरों की जागरूकता ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया है।

विशेष :

  1. मनुष्य का स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना ही रसायन के ग़लत प्रयोग को रोक सकता है।
  2. भाषा प्रभावशाली है।
  3. तत्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली विचारात्मक है।

(3) खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए किसी हद तक ज़हरीले हैं, इन्हें पर्यावरण में जानबूझ कर छिड़का जाता है, किन्तु इसके लिए इन्हें भली-भान्ति परखा जाता है और इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है। कारण इससे फसल की वृद्धि के रूप में अधिक लाभ प्राप्त होता है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध रसायन और हमारा पर्यावरण से लिया गया है। इसमें लेखक ने कीटनाशक के होने वाले प्रयोग से लाभ और हानि का वर्णन किया है

व्याख्या :
लेखक ने बताया है कि रसायनों के उचित छिड़काव से फसल के उत्पाद में वृद्धि हो सकती है। लेखक कहते हैं कि खेतों में प्रयोग होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए कुछ सीमा तक विषैले हैं। फसलों पर छिड़का गया कीटनाशक खाने के साथ मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है तथा उसे अस्वस्थ बना देता है। इन्हें पर्यावरण में जान-बूझ कर छिडका जाता है। कीटनाशक के प्रयोग से पर्यावरण दूषित होता है किन्तु यदि इन्हें भली प्रकार से जाँच-परखकर प्रयोग की सलाह दी जाए तो फसल के उत्पाद में वृद्धि हो सकती है। कुशल व्यक्ति की देख-रेख में छिड़का गया कीटनाशक फसलों की पैदावार बढ़ाने में सहायाक है।

विशेष :

  1. कीटनाशक फसलों के उत्पादन को बढ़ाते हैं।
  2. भाषा सरल है।
  3. त्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली वर्णनात्मक है।

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(4) रसायन हमारी आवश्यकता हैं। ये हमारे पर्यावरण में हमेशा मौजूद हैं जो सूक्ष्म अथवा लेशमात्र भी अर्थपूर्ण हो सकते हैं। इन लेश रसायनों के बारे में हमें अधिक जानने की ज़रूरत है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा रचित वैज्ञानिक निबन्ध रसायन और पर्यावरण से लिया गया है जिसमें रसायनों के महत्त्व को प्रकट किया गया है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि रसायन हमारी आवश्यकता है। ये हमारे पर्यावरण में सदा से विद्यमान हैं। रसायन का प्रयोग आधुनिक जीवन की देन नहीं है। यह आदिकाल से ही प्रकृति में विद्यमान हैं। ये रसायन सूक्ष्म हों चाहे थोड़ी मात्रा में, अर्थपूर्ण हो सकते हैं। इन थोड़ी मात्रा में विद्यमान रसायनों के बारे में जानने की हमें अधिक ज़रूरत है। रसायनों के लाभ-हानि सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है। क्योंकि आज रसायन प्राकृतिक नहीं हैं यह यौगिक क्रियाओं की देन हैं इसलिए इनका उचित ज्ञान होना आवश्यक है।

विशेष :

  1. रसायन हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  2. शब्दावली तत्सम एवं उर्दू है।
  3. शैली वर्णनात्मक है।
  4. भाषा संस्कृत एवं उर्दू है।

(5) कैंसर बहुत भयानक रोग है। कहा जाता है कि कैंसर अधिकतर पर्यावरणीय रसायनों के प्रति उद्भासन के कारण होता है। यह तथ्य है या यूं ही उड़ाई गई बात ? कैंसर से सम्बन्धित आंकड़े आज विश्वसनीय हैं। ऐसी रिपोर्ट भी मौजूद है जो संकेत देती है कि कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। किन्तु अन्य रिपोर्ट के अनुसार कैंसर के मामले कम होते जा रहे हैं। पिछले 25 वर्षों से पेट के कैंसर के मामले में कमी आई है किन्तु फेफड़ों का कैंसर बड़ा है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक कैंसर जैसे भयानक रोग के बारे में बता रहे हैं।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि कैंसर सबसे भयानक रोग है जो अधिकतर पर्यावरणीय रसायनों के प्रति उद्भासन के कारण होता है। कैंसर जैसा भयानक रोग पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण है और यह प्रदूषण खतरनाक रसायनों का कारण है। रसायनों का प्रयोग करने वाले कैंसर का सम्बन्ध उससे मानने से इनकार करते हैं। अब कैंसर के विषय में यह बात तथ्य है या अफवाह इसका कहना मुश्किल है। कैंसर से सम्बन्धित आंकड़े विश्वास करने योग्य हैं। कुछ रिपोर्टों में इसके बढ़ने तथा कुछ में कम होने की बात कही गयी है। पिछले 25 वर्षों में पेट के कैंसर के मामलों में कमी आई है पर फेफड़ों के कैंसर बढ़े हैं अर्थात् रसायनों ने मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। इसीलिए मनुष्य को एक से एक लाईलाज बीमारियों ने घेर रखा है।

विशेष :

  1. रसायनों ने कैंसर की बीमारी से मनुष्य को ही नहीं हमारे समाज में भौतिकवादिता की बीमारी को भी बढ़ावा दिया है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली वर्णनात्मक है।

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रसायन और हमारा पर्यावरण Summary

रसायन और हमारा पर्यावरण निबन्ध का सार

‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित है। लेखक ने इस निबन्ध में आधुनिक जीवन में रसायनों के दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है। नि:संदेह रसायनों का प्रयोग आज अनिवार्य है। परन्तु हमें उनके प्रयोग में सावधानी बरतते हुए विनाशकारी और हानिकारक प्रभाव से जीवन को अधिक-से-अधिक सुरक्षित रखना चाहिए। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक के बढ़ते प्रयोग द्वारा पर्यावरण के प्रदूषित होने की बात कही है। लेखक का कहना है कि रसायनों का प्रयोग आज के युग की आवश्यकता बन गया है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र रसायनों के प्रभाव से ही जुड़ा हुआ हैं। रसायन न हो तो धरती पर जीवन ही सम्भव न हो पाता। चीनी, कोयला, तेल तथा बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलन जैसी औषधियाँ, सब्ज़ियाँ, फल, मेवे इत्यादि सभी रसायन होते हैं। आज रसायन विज्ञान काफ़ी उन्नत अवस्था में हैं। किन्तु चिंता का विषय रसायनों के बढ़ते एवं गलत प्रयोग से है। रसायनों का अधिक मात्रा में प्रयोग पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। आज रसायनों के ऐसे प्रयोग विनाशकारी होने के कारण चिंता का कारण हैं। हालांकि रसायन उद्योग में रसायनों के संपर्क में रहने वाले कर्मचारियों के लिए कदम उठाए गए हैं।

खेतों में रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि में उपयोगी तो है किन्तु इसका अंधा-धुंध प्रयोग हानिकारक भी है। ये रसायन कैंसर जैसी भयंकर बीमारियाँ भी फैलाते हैं। रसायन तो शुरू से ही हमारे पर्यावरण का हिस्सा रहे हैं। हमें कम रसायनों के बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है। हमें किसी भी रसायन का हानिकारक रूप ढूँढना होगा, तब तक उसका प्रयोग जारी रहना चाहिए किन्तु उसके गलत प्रयोग पर हाथ पीछे खींचना चाहिए।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

Hindi Guide for Class 11 PSEB भीड़ में खोया आदमी Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
‘भीड़ में खोया आदमी’ निबन्ध में लेखक ने आम आदमी की समस्याओं को उठाया है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को उठाया है। सबसे पहले लेखक ने रेलयात्रा में बढ़ती भीड़ का उल्लेख किया है। रेलयात्रा आजकल बड़ी कठिन हो गई है। आरक्षण के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है और बिना आरक्षण के यात्रा करना अधिक भीड़ के कारण कठिन हो गया है। लोग अपने प्राणों को संकट में डालकर छत पर सफर करने को विवश हैं।

दूसरी समस्या बेरोज़गारी की है। देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण नौकरियाँ कम हैं और नौकरी पाने वाले अधिक शिक्षा पूरी कर वर्षों तक युवों को नौकरी नहीं मिलती ! तीसरी समस्या है आवास की कमी। जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उतनी तेजी से मकान नहीं बन रहे हैं फिर मकान बनाने के लिए भूमि भी तो चाहिए। जनसंख्या में वृद्धि के कारण हमारी स्वास्थ्य सेवाएँ भी प्रभावित हो रही हैं। अस्पतालों में रोगियों की भीड़ रही है और डॉक्टरों की संख्या उस अनुपात में बहुत कम है। परिणामस्वरूप लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।

लेखक सुझाव देते हैं कि यदि सीमित परिवार होंगे तो स्वच्छ जलवायु मिलने से लोग स्वस्थ रहेंगे। रेल, बस यात्रा में भीड़ कम होगी, सड़क पर दुर्घटनाएँ कम होंगी। भीड़ में खोया आदमी इतना तो समझ ही जाता है कि यह सब बढ़ती जनसंख्या का परिणाम है। इसलिए लेखक ने प्रस्तुत निबन्ध के माध्यम से आम आदमी की रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार जैसी समस्याओं को उठाया है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

प्रश्न 2.
इस निबन्ध में लेखक ने सभी समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या की वृद्धि बताया है। क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने विचारों की पुष्टि के लिए उदाहरण दें।
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने देश में उत्पन्न सभी समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या की वृद्धि को बताया है लेखक के इस विचार से हम शतप्रतिशत सहमत हैं। जनसंख्या में वृद्धि के परिणामस्वरूप रेल और बस यात्रा दुष्कर हो गई है। लोगों को अपने प्राण संकट में डालकर रेल या बस की छत पर सफर करना पड़ता है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश में बेरोजगारी अधिक फैल रही है पढ़े-लिखे युवक वर्षों तक कोई नौकरी पाने में सफल नहीं होते। जनसंख्या में वृद्धि के कारण मकान और खाद्यान्न की कमी हो रही है। जितनी तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, उतनी तेजी से मकान नहीं बन रहे।

भले ही विज्ञान की सहायता से खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि हुई है किन्तु बढ़ती जनसंख्या ने इस वृद्धि को भी निमूर्ल सिद्ध कर दिया है। भूख और गरीबी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण और खाद्यान्न की कमी के कारण लोग कुपोषण का शिकार होकर रोगग्रस्त हो रहे हैं। अस्पतालों में रोगियों की भीड़ बढ़ रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण दुकानदार जो पहले ग्राहक का स्वागत करते थे उन्हें भगवान् मानते थे अब ग्राहकों को अपना काम करवाने के लिए उनकी चिरौरी करनी पड़ती है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश के अनुशासन पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ अधिक बढ़ गई है। सड़क दुर्घटनाएँ भी बढ़ती जनसंख्या के कारण बढ़ रही हैं। लोगों को अपना काम करवाने के लिए अपने समय, शक्ति और धन को बर्बाद करने पड़ता है। जनसंख्या यदि काबू में रहे तो ये समस्याएँ उत्पन्न ही न हों।।

प्रश्न 3.
निबन्ध के नामकरण की सार्थकता को स्पष्ट करें।
उत्तर:
निबन्ध का शीर्षक ‘भीड़ में खोया आदमी अत्यन्त सटीक और सार्थक बन पड़ा है। देश की जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण रेल यात्रा में भीड़, अस्पतालों में भीड़, राशन की दुकान पर भीड़, रोजगार कार्यालय में भीड़, सड़कों पर, दफ्तरों में, बाजारों में भीड़ देखकर आम आदमी भीड़ में खाकर रह जाता है। भले ही वह जानता है कि यह सब बढ़ती जनसंख्या का परिणाम है। अतः कहना न होगा कि ‘भीड़ में खोया आदमी’ नामकरण अत्यन्त सार्थक बन पड़ा है।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
रेल में यात्रा करते समय लेखक को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
लेखक ने बिना आरक्षण के ही रेल यात्रा की। जब गाड़ी प्लेटफार्म पर आई तो उसमें तिल धरने की भी जगह नहीं थी। लेखक को कुली ने किसी तरह अन्दर धकेला। गाड़ी से उतरने में भी लेखक को असुविधा हुई। बाहर कूद कर आने पर उसने लोगों को रेल की छत पर सफर करते देखा।

प्रश्न 2.
दीनानाथ को नौकरी न मिलने का क्या कारण था ?
उत्तर:
दीनानाथ को पढ़ाई पूरा किये दो वर्ष हो गए थे। किन्तु देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार मिलना मुश्किल हो रहा था। रोज़गार कार्यालय में भी उसकी योग्यता वाले हज़ारों व्यक्ति उससे पहले अपना नाम दर्ज करवा चुके थे जब उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली तो दीनानाथ को कहाँ से मिलती।

प्रश्न 3.
श्यामलाकांत ने शहर में मकान न मिलने का मुख्य कारण क्या बताया ?
उत्तर:
श्यामलाकांत ने शहर में मकान न मिलने का मुख्य कारण देश की बढ़ती जनसंख्या को बताया। जिस कारण शहर के कई गुणा फैल जाने के बावजूद और नई-नई कालोनियाँ बन जाने पर भी मकान कम पड़ रहे हैं और उन में रहने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 4.
श्यामलाकांत का परिवार अस्वस्थ क्यों रहता था ?
उत्तर:
श्यामलाकांत के परिवार के अस्वस्थ रहने का कारण तंग गलियों में रहना है। वहाँ का वातावरण स्वच्छ नहीं है। बड़ा परिवार होने के कारण सभी के स्वास्थ्य की ओर ठीक ढंग से ध्यान नहीं दिया जाता। उनके खाने-पीने की ओर उचित ध्यान नहीं मिलता है। यही कारण है श्यामलाकांत का परिवार बीमार रहता है।

प्रश्न 5.
लेखक ने अपने निबन्ध में बढ़ती हुई भीड़ का समाधान क्या बताया है ?
उत्तर:
लेखक ने सुझाव दिया है कि यदि सीमित परिवार हो, स्वच्छ जलवायु हो और खाने के लिए भरपूर भोजन सामग्री हो तो बीमारी से बचा जा सकता है। यदि बढ़ती जनसंख्या को न रोका गया तो सड़क दुर्घटनाएँ बढ़ेंगी रेलबस में यात्रा करना कठिन हो जाएगा तथा लोगों को अपना काम करवाने के लिए समय-शक्ति और धन का व्यय करना पड़ेगा।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

PSEB 11th Class Hindi Guide भीड़ में खोया आदमी Important Questions and Answers

अति लघूतरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्टेशन पर लीलाधर शर्मा के मित्र का कौन-सा बेटा उन्हें लेने आया था ?
उत्तर:
बड़ा बेटा।

प्रश्न 2.
लेखक के मित्र का घर कितना बड़ा था ?
उत्तर:
दो कमरों का घर था।

प्रश्न 3.
‘भीड़ में खोया आदमी’ किस प्रकार की विधा है ?
उत्तर:
निबंध।

प्रश्न 4.
‘भीड़ में खोया आदमी’ में किस समस्या को उठाया गया है ?
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं को।

प्रश्न 5.
सबसे पहले लेखक ने किस समस्या का उल्लेख किया ?
उत्तर:
रेलयात्रा में बढ़ती भीड़ का।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

प्रश्न 6.
आरक्षण के लिए घंटों ……………. में खड़ा रहना पड़ता है।
उत्तर:
कतार।

प्रश्न 7.
बढ़ती जनसंख्या से उपजी समस्याएँ कौन-सी हैं ?
उत्तर:
बेरोजगारी, भुखमरी आदि।

प्रश्न 8.
तीसरी सबसे बड़ी समस्या कौन-सी है ?
उत्तर:
आवास की समस्या।

प्रश्न 9.
लेखक ने रेल यात्रा कैसे की थी ?
उत्तर:
बिना आरक्षण के।

प्रश्न 10.
क्या मिलने से लोग स्वस्थ रहेंगे ?
उत्तर:
स्वच्छ जलवायु।

प्रश्न 11.
किसी सहायता से खाद्यान्न में वृद्धि हुई है ?
उत्तर:
विज्ञान।

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प्रश्न 12.
…………… दुर्घटनाएँ बढ़ती जनसंख्या का कारण बन रही हैं।
उत्तर:
सड़क।

प्रश्न 13.
लोगों को अपना काम करवाने के लिए क्या करना पड़ता है ?
उत्तर:
अपना समय, शक्ति तथा धन बर्बाद करना पड़ता है।

प्रश्न 14.
दीनानाथ को पढ़ाई पूरी किए कितने वर्ष हो गए थे ?
उत्तर:
दो वर्ष।

प्रश्न 15.
श्यामलाकांत को शहर में मकान क्यों नहीं मिल पाया था ?
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या के कारण।

प्रश्न 16.
श्यामलाकांत के घर की गलियों की क्या दशा थी ?
उत्तर:
तंग थी।

प्रश्न 17.
श्यामलाकांत के परिवार का अस्वस्थ रहने का क्या कारण था ?
उत्तर:
तंग गलियों में रहना।

प्रश्न 18.
जब आबादी कम थी तब दुकानदार …………….. का स्वागत करता था।
उत्तर:
ग्राहक का।

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प्रश्न 19.
सड़क दुर्घटनाएँ किस कारण बढी हैं ?
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या के कारण।

प्रश्न 20.
आजकल सार्वजनिक स्थलों पर ………….. बढ़ गई हैं।
उत्तर:
भीड़।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘भीड़ में खोया आदमी’ रचना किस विधा में है ?
(क) निबंध
(ख) कहानी
(ग) उपन्यास
(घ) नाटक।
उत्तर:
(क) निबंध

प्रश्न 2.
बढ़ती जनसंख्या से कौन-सी समस्या आती है ?
(क) बेरोज़गारी
(ख) भूखमरी
(ग) आवास की कमी
(घ) सभी।
उत्तर:
(घ) सभी

प्रश्न 3.
लोगों के स्वास्थ्य का मूलाधार क्या है ?
(क) स्वच्छ जलवायु
(ख) जल
(ग) वायु
(घ) स्वच्छ जल।
उत्तर:
(क) स्वच्छ जलवायु।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

दुष्परिणाम = बुरे फल। स्तब्ध = हैरान। चिरौरी = चापलूसी। सुहाती है = अच्छी लगती है। स्वेच्छा = अपनी इच्छा से। संकीर्ण = तंग। चेता = जागा।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) किसी तरह खिड़की से बाहर कूदा तो क्या देखता हूँ, पूरी ट्रेन की छत यात्रियों से भरी पड़ी है। सोचता हूँ, अपने प्राणों को भीषण संकट में डाल कर ट्रेन की छत पर यात्रा करने के लिए लोग क्यों मज़बूर हुए ? इन लोगों को रेल के नियम, व्यवस्था और अनुशासन का ध्यान क्यों नहीं है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री लीलाधर शर्मा पर्वतीय जी द्वारा लिखित निबन्ध ‘भीड में खोया आदमी’ में से ली गई हैं। इसमें लेखक ने जनसंख्या वृद्धि के कारण रेल यात्रा में लोगों को रेल की छत पर सफर करने के लिए विवश होने की बात कही है।

व्याख्या :
लेखक हरिद्वार जाने वाली ट्रेन में यात्रा कर रहा था। लक्सर स्टेशन पर उसे गाड़ी बदलनी थी। भीड़ भरे डिब्बे से कूद कर बाहर आकर लेखक ने देखा कि ट्रेन की छत भी यात्रियों से भरी हुई है। लेखक सोचने लगा कि ये लोग रेल-यात्रा के लिए अपने प्राण संकट में डालने के लिए क्यों विवश हुए ? यह सब बढ़ती जनसंख्या के कारण हैं जिससे व्यक्ति को रेलगाड़ी के अंदर बैठने की जगह नहीं मिलती। क्या इन लोगों को रेल के नियम, व्यवस्था और व्यवस्था का बिल्कुल ही ध्यान नहीं है? ऐसा नहीं है परन्तु सबको अपनी मंजिल पर पहुँचने की जल्दी है।

विशेष :

  1. रेल यात्रा में बढ़ रही भीड़ को जनसंख्या में वृद्धि होना बताया गया है, जिस कारण लोगों को रेल की छत पर सफर करने पर विवश होना पड़ता है।
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
  3. शैली विचारात्मक है।

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(2) भाई साहब, इतने बड़े परिवार में हर रोज़ कोई न कोई बीमार रहता ही है। डॉक्टर को दिखाने अस्पताल गई थी। मगर अस्पतालों में आजकल रोगी और उनके संबंधी मधु-मक्खी के छत्ते की तरह डॉक्टर को घेरे रहते हैं। वह भी अच्छी तरह किस किस को देखे।

प्रसंग :
यह अवतरण श्री लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा लिखित ‘भीड़ में खोया आदमी’ नामक निबंध से अवतरित है। इसमें लेखक के मित्र की पत्नी बच्चों के अस्वस्थ होने पर और डॉक्टर की दुकान पर लगने वाली भीड़ पर प्रकाश डाल रही है।

व्याख्या :
लेखक के यह पूछने पर कि बच्चों को डॉक्टर को दिखाकर इन का इलाज क्यों नहीं करवाती क्या ? तो लेखक के मित्र की पत्नी ने बताया कि इतने बड़े परिवार में हर रोज़ कोई न कोई बीमार रहता हो है। इतने बड़े परिवार में प्रतिदिन किसी न किसी के बीमार रहने पर अच्छे डॉक्टर को दिखाने के लिए धन कहाँ है। मैं इन्हें डॉक्टर को दिखाने अस्पताल गई थी। पर आजकल अस्पतालों में रोगियों की इतनी भीड़ बढ़ गई है कि रोगी और उन के रिश्तेदार डॉक्टर को मधुमक्खी के छत्ते की तरह घेरे रहते हैं कि डॉक्टर किसी भी रोगी को अच्छी तरह देख ही नहीं पाता। अस्पतालों में भी बढ़ती जनसंख्या ने डॉक्टरों के इलाज को प्रभावित किया है।

विशेष :

  1. जनसंख्या में वृद्धि के कारण अस्पतालों में रोगियों की भीड़ के बढ़ने और डाक्टरों द्वारा रोगियों को ठीक तरह से न देख पाने की बात कही गई है।
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
  3. शैली विचारात्मक है।

(3) पहले ग्राहक का स्वागत होता था, उसे भी चिरौरी-सी करनी पड़ती है फिर भी समय पर काम नहीं होता। दुकानें पहले से कहीं अधिक खुल गई हैं लेकिन ग्राहकों की बढ़ती हुई भीड़ के लिए वे अब भी कम पड़ रही है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पक्तियाँ श्री लीलाधर शर्मा पर्वतीय जी द्वारा लिखित निबन्ध ‘भीड़ में खोया हुआ आदमी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक के मित्र की पत्नी जनसंख्या में वृद्धि के कारण दुकानदारों की मनोवृत्ति पर प्रकाश डाल रही है।

व्याख्या :
लेखक के मित्र की पत्नी कहती है कि जब आबादी कम थी तो दुकानदार ग्राहक का स्वागत करता था किन्तु अब उसकी मिन्नत-समाजत करनी पड़ती है फिर भी काम समय पर नहीं होता। भले ही अब दुकानें पहले से कहीं अधिक खुल गई हैं लेकिन ग्राहकों की बढ़ती हुई भीड़ के लिए वे अब भी कम पड़ रही हैं। बढ़ती जनसंख्या ने उत्पादक और उत्पादन दोनों पर प्रभाव डाला है।

विशेष :

  1. आबादी बढ़ने के परिणामस्वरूप दुकानों पर भीड़ बढ़ने और दुकानदारों द्वारा नखरे किये जाने की ओर संकेत किया गया है।
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
  3. शैली विचारात्मक है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

(4) घर बच्चों की भीड़ है। यह भीड़ भले ही हमें अच्छी लगती हो लेकिन जब तक बच्चों के पालन-पोषण की रहन सहन की, शिक्षा-दीक्षा की पूरी सुव्यवस्था न हो, यह भीड़ दुःखदायी बन जाती है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री लोलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा लिखित निबन्ध ‘भीड़ में खोया आदमी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने बच्चे अधिक होने की बात उस समय सोचनी चाहिए जब उनके पालन-पोषण और शिक्षादीक्षा की पूरी व्यवस्था हो जाए।

व्याख्या :
लेखक कहता है घर में बच्चों को भोड़ अर्थात् अधिक बच्चे किसे अच्छे नहीं लगते किन्तु जब तक उन बच्चों के पालन-पोषण की, रहन-सहन को, शिक्षा-दीक्षा आदि को अच्छी व्यवस्था न हो जाए अधिक बच्चों की भीड़ घर में लगाना दुःख का कारण बन जातो है। अधिक बच्चों के कारण गलन-पोषण तथा उनके भविष्य के प्रति मातापिता ध्यान नहीं दे पाते।

विशेष :

  1. अधिक बच्चों का होना माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए दुःख का विषय बन जाता है !
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
  3. शैली विचारात्मक है।

(5) ऐसा लगता है कि यदि समय रहते हमारा देश अब भी नहीं चेता और श्यामला बाबू की तरह परिवार बढ़ता गया तो वह दिन दूर नहीं जब वह स्वर्ग इस भीड़ में और इससे पैदा होने वाली समस्याओं में पूरी तरह खो जाएगा।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ भी लोलाधर गमा पर्वतीय जी द्वारा लिखित निबन्ध भीड़ में खोया आदमी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने चेतावनी दी है यदि देश में बढ़ती जनसंख्या पर काबू न पाया गया तो देश नष्ट हो जाएगा?

व्याख्या :
लेखक ने जनसंख्या में वृद्धि को न रोक पाने पर चेतावनी देते हुए कहा है यदि हमारा देश समय रहते सावधान नहीं हुआ तो हमें बढ़ती जनसंख्या के कारण बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। श्यामला बाबू की तरह परिवार बढ़ता ही रहा अर्थात् देश की जनसंख्या बढ़ती हो रही तो वह दिन दूर नहीं जब स्वर्ग के समान सुन्दर यह हमारा देश जनसंख्या में वृद्धि से उत्पन्न होने वाली समस्याओं में पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।

विशेष :

  1. लेखक ने देश को बढ़ रही जनसंख्या को रोकने को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इस वृद्धि को न रोका गया तो देश एक दिन नष्ट हो जाएगा।
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है। इसीलिए निबंध सरल एवं हृदयस्पर्शी है।
  3. शैली विचारात्मक है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

भीड़ में खोया आदमी Summary

भीड़ में खोया आदमी निबन्ध का सार

भीड़ में खोया आदमी’ लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा लिखित निबंध है। इस निबंध में लेखक ने देश की बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न होने वाली विकट समस्याओं का वर्णन किया है। बढ़ती जनसंख्या से बेरोज़गारी, घटते हुए मकान और खाद्यान्न, अस्पतालों में बढ़ते मरीज, रेलों और बसों की भीड़ आदि सभी समस्याएं होती हैं।

लेखक के एक अभिन्न मित्र हैं-बाबू श्यामलाकान्त। वैसे तो वे परिश्रमी हैं, इमानदार हैं किन्तु निजी ज़िन्दगी के प्रति बड़े लापरवाह हैं। उमर में लेखक से छोटे होने पर भी अपने घर में बच्चों की फ़ौज खड़ी कर ली है। पिछले दिनों लेखक को उनकी लड़की के विवाह में शामिल होने के लिए हरिद्वार जाना था। पन्द्रह दिन पूर्व आरक्षण के लिए रेलवे स्टेशन पर गया। घंटों लाइन में लगने के बाद पता लगा कि किसी भी गाड़ी में स्थान खाली नहीं। विवश होकर लेखक को बिना आरक्षण के ही सफर करना पड़ा। लेखक ने पाया की गाड़ी में बहुत अधिक भीड़ थी और लोग ट्रेन की छत पर बैठ कर सफर कर रहे थे। । स्टेशन पर लेखक के मित्र का बड़ा लड़का उसे लेने आया था। उस लड़के को दो वर्ष हो चुके थे पढ़ाई पूरी किये। किन्तु अभी तक बेकार था। लेखक सोचने लगा कि इस छोटे से शहर का यह हाल है तो बड़े शहरों में बेकारों की कितनी भीड़ रही होगी।

लेखक ने अपने मित्र के घर आकर देखा कि उसका दो कमरों का मकान उसे बहुत छोटा पड़ रहा था लेखक के मित्र ने बताया कि बहुत ढूँढ़ने पर भी उसे यही मकान मिला। जनसंख्या बढ़ने के कारण मकान और खाद्यान्न घट रहे हैं। लेखक के सामने जब उसके मित्र के बच्चे आए तो उसे लगा कि वे सभी अस्वस्थ हैं। मित्र की पत्नी ने बताया कि अस्पतालों में इतनी भीड़ है कि डॉक्टर लोग ठीक से मरीजों को देख नहीं पाते।

मित्र की पत्नी ने यह भी बताया कि दुकानदार आजकल ग्राहक का स्वागत नहीं करते उल्टे ग्राहकों को अपना काम करवाने के लिए उनकी मिन्नत-समाजत या चापलूसी करनी पड़ती है। लेखक को इन सभी समस्याओं का एक ही कारण लगा देश की बढ़ती जनसंख्या। यदि समय रहते इस समस्या पर काबू न पाया गया तो ये समस्याएँ देश को खा जाएँगी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 20 मैराथन की दौड़

Hindi Guide for Class 6 मैराथन की दौड़ Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिए जा चुके हैं।

रुचि = इच्छा, शौक
आक्रमण = हमला
चढ़ाई = आक्रमण
दायित्व = जिम्मेदारी
परपंत्र = गुलाम
आशवसन = तसल्ली, विशवास
सबल = शक्तिशाली
स्वतंत्र = आजाद, स्वाधीन
प्रतियोगिता = होड, मुकाबला
अमर = कभी न मिटने वाला
शीघ्र = जल्दी

2. खाली स्थानों पर रेखांकित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए

1. दारा यूनानियों से नाराज़ (………….) हो गया।
2. उसने यूनान पर चढ़ाई (………..) की तैयारी की।
3. एथेंस का जीतना ज़रूरी (…………) था।
4. स्पार्टा जैसे योद्धा (………….) संसार (…………) में नहीं थे।
5. यह सन्देश (………….) लेकर इतनी दूर जाएगा कौन ?
6. उसका शरीर (…………..) थककर चूर-चूर हो गया।
उत्तर:
1. रुष्ट,
2. आक्रमण,
3. आवश्यक,
4. वीर, जगत्
5. समाचार (संवाद),
6. तन (देह)

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

3. समानार्थक लिखिए

1. शक्तिशाली = …………………..
2. स्वतन्त्रता = …………………….
3. वीरता = ……………….
4. कठिन = ……………….
5. सबल = …………………..
6. हार = ………………………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. शक्तिशाली = बलशाली
2. स्वतन्त्रता = स्वाधीनता
3. वीरता = बहादुरी
4. कठिन = मुश्किल
5. सबल = बलवान
6. हार = पराजय

4. वाक्यों में से विशेषण और विशेष्य छाँटकर लिखिए

1. यूनान पहाड़ी राज्यों में बँटा है।
2. ईरान का शक्तिशाली राजा यूनानियों से नाराज़ हो गया।
3. उनके सामने एक विकट समस्या थी।
4. पहाड़ी ज़मीन थी।
उत्तर:
विशेषण विशेष्य
पहाड़ी – राज्यों
शक्तिशाली – राजा
विकट – समस्या
पहाड़ी – ज़मीन

5. मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करो

थक कर चूर होना, मुँह सूखना, पांव लड़खड़ाना।
उत्तर:
थक कर चूर होना-अथक परिश्रम करने से मोहन थक कर चूर हो गया।
मुँह सूखना-भीषण गर्मी में लगातार चलते रहने से रमेश का मुँह सूखने लगा।
पाँव लड़खड़ाना-देखना, युवावस्था में कुसंगति में पड़कर कहीं तुम्हारे पाँव लडखड़ा न जाएँ।

6. अपनी कल्पना से पाँच युग्म शब्द लिखो।

जैसे-पहँचते-पहँचते।
उत्तर:
चलते-चलते,
करते-करते,
पढ़ते-पढ़ते,
सोते-सोते,
जागते-जागते

7. शुद्ध रूप लिखिए

अन्तरराष्ट्रीय = …………………..
परतियोगिता = …………………..
ओल्मपक = ………………………
आशवासन = ………………………..
उत्साहत = ………………………..
आकरमण = ……………………..
प्रतंत्र, योधा = ………………….
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
अन्तरराष्ट्रीय = अन्तर्राष्ट्रीय
परतियोगिता = प्रतियोगिता
ओलम्पक = ओलम्पिक
आशवासन = आश्वासन
उत्साहत = उत्साहित
आकरमण = आक्रमण
प्रतन्त्र = परतन्त्र
योधा = योद्धा

8. सही शब्द बनाओ

1. सथेए = ………………..
2. दालिबन = ………………….
3. टकफा = ………………….
4. रामैथन = ………………….
5. टरमीलोकी = ……………….
6. रगन = ……………………
7. ढ़ाईच = …………………
8. पिजडीफिडी = ……………………
उत्तर:
1. सथेंए = एथेंस
2. दालिबन = बलिदान
टकफा = फाटक
रामैथन = मैराथन
5. टरमीलोकी = किलोमीटर
6. रगन = गनर
7. ढाईच = चढ़ाई
8. पिजडीफिडी = फिडीपिडीज

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

विचार-बोध

प्रश्न 1.
ओलम्पिक क्या है ? खेल-कूदों का ओलम्पिक नाम कैसे पड़ा?
उत्तर:
ओलम्पिक एक विश्व प्रसिद्ध खेल प्रतियोगिता है। इस का आरम्भ ओलम्पिस । नामक स्थान से हुआ था। इस कारण इसका यह नाम पड़ा।

प्रश्न 2.
दारा कौन था ? उसने किस पर चढ़ाई की और क्यों ?
उत्तर:
दारा ईरान का राजा था। उसने यूनान पर चढ़ाई कर दी क्योंकि दारा यूनानियों से नाराज था।

प्रश्न 3.
चिंता में कौन पड़ गए और क्यों ?
उत्तर:
दारा के एथेंस पहुँचने पर, वहाँ के निवासी चिन्ता में पड़ गए क्योंकि दारा की सेना बहुत बड़ी थी।

प्रश्न 4.
वे किससे सहायता मांगना चाहते थे और क्यों ?
उत्तर:
एथेंस के लोग स्पार्टा से सहायता मांगना चाहते थे। क्योंकि स्पार्टा के योद्धा दुनिया भर में प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 5.
उनके सामने कौन-सी समस्या थी ?
उत्तर:
स्पार्टा एथेंस से बहुत दूर था। वहाँ सन्देश देकर किसे भेजा जाए, यही एथेंस के लोगों की चिन्ता थी।

प्रश्न 6.
फिडीपिडीज कौन था और उसे कौन-सा काम सौंपा गया था ?
उत्तर:
फिडीपिडीज एक बहादुर युवक था जो ओलम्पिक की दौड़ों में यूनान में प्रथम आया था।

प्रश्न 7.
वह कितने घण्टों में स्पार्टा पहुँचा ?
उत्तर:
फिडीपिडीज 48 घण्टों में स्पार्टा पहुँचा।

प्रश्न 8.
उसे मार्ग में किन-किन कष्टों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर:
ऊँचा-नीचा कठिन मार्ग होने के कारण फिडीपिडीज को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 9.
उसने हाँफते हुए क्या सन्देश दिया ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने हांफते हुए यह सन्देश दिया-ईरान ने यूनान पर आक्रमण कर दिया है। एथेंस वालों ने सहायता मांगी है।

प्रश्न 10.
मैराथन के मैदान में किन-किन के बीच युद्ध हुआ ? जीत किसकी हुई ?
उत्तर:
मैराथन के मैदान में दारा और स्पार्टा के सैनिकों के बीच युद्ध हुआ। इसमें एथेंस की जीत हुई।

प्रश्न 11.
फिडीपिडीज ने अन्तिम दौड़ कहाँ से कहाँ तक लगाई ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने अन्तिम दौड़ मैराथन से एथेंस तक लगाई।

प्रश्न 12.
उसने नगर-निवासियों को क्या सन्देश दिया ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने नगर निवासियों को यह सन्देश दिया-एथेंस की जीत हुई है। खुशियां मनाओ।

प्रश्न 13.
मैराथन की दौड़ कितने किलोमीटर की होती है ?
उत्तर:
मैराथन की दौड़ 41 किलोमीटर से कुछ अधिक की होती है।

आत्म-बोध (प्रश्न)

1. साहस और देश के लिए त्याग की कहानियाँ पढ़ो।
2. देश-सेवा के लिए तैयार रहो।
3. खेलों में भाग लेते हुए प्रसन्न रहो।
4. अपने अध्यापक से ओलम्पिक, राष्ट्रमंडल व एशियाड खेलों की जानकारी हासिल करो।
(विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
दारा कहाँ का राजा था ?
(क) यूनान का
(ख) ईरान का
(ग) सियान का
(घ) चियान का
उत्तर:
(क) यूनान का

प्रश्न 2.
ओलंपिक का आरंभ किस स्थान से हुआ ?
(क) ओलम्पिया
(ख) ओलम्पिस
(ग) इथोपिया
(घ) इसोपिया
उत्तर:
(ख) ओलम्पिस

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

प्रश्न 3.
ओलम्पिक की दौड़ों में प्रथम आने वाला बहादुर कौन था ?
(क) फिंडिज
(ख) इंडीज
(ग) फिडीपिडीज
(घ) यूनानी
उत्तर:
(ग) फिडीपिडीज

प्रश्न 4.
मैराथन की दौड़ कितने किलोमीटर की होती है ?
(क) 41
(ख) 42
(ग) 43
(घ) 44
उत्तर:
(क) 41

प्रश्न 5.
ओलम्पिक की सबसे लम्बी दौड़ को क्या कहते हैं ?
(क) मैराथन
(ख) वीराथन
(ग) ईराथन
(घ) सियारन
उत्तर:
(क) मैराथन

मैराथन की दौड़ Summary

मैराथन की दौड़ पाठ का सार

ईरान का राजा दारा यूनानियों से नाराज़ हो गया। वह सेना लेकर एथेंस पहुँच गया। यूनानियों ने स्पार्टा से सहायता लेने का विचार किया। इतनी दूर संदेश ले जाने के लिए फिडीपिडीज नामक एक युवक को यह काम सौंपा गया। वह दौड़ता हुआ 48 घण्टों में स्पार्टा पहुँच गया। फिडीपिडीज ने हांफते हुए कहा, “ईरान ने यूनान पर आक्रमण कर दिया है। उनकी सेना समुद्र के किनारे मैराथन के पास उतर रही है। एथेंस वालों ने सहायता मांगी है। यदि सहायता न मिली तो सारा यूनान दास बन जाएगा। शीघ्रता करो ।” स्पार्टा वालों ने बहुत शीघ्र पहुँचने का आश्वासन दिया। थोड़ा-सा विश्राम करके वह वीर साहसी इस सन्देश को लेकर लौट पड़ा। एथेंस निवासी इस सन्देश को सुनकर बहुत उत्साहित हो गए। एथेंस की सेना दारा को रोकने के लिए मैराथन की ओर चल पड़ी। थका-मारा फिडीपिडीज भी अपना भाला और भारी ढाल लेकर युद्ध में शामिल हुआ। घमासान युद्ध के बाद, स्पार्टा की सेना के आने से पूर्व ही, एथेंस की सेना ने दारा को पराजित कर दिया।

फिडीपिडीज को फिर एक महान् दायित्व सौंपा गया कि वह शीघ्रता से जाकर यह खुशी का समाचार एथेंस निवासियों को पहुँचा दे। मैराथन और एथेंस नगर के बीच पैंतीस किलोमीटर की दूरी थी। थका होने पर भी वह दौड़ा। एथेंस तक पहुँचते-पहुँचते उसके पाँव लड़खड़ा गए। नगर के फाटक बंद थे। उसने ऊँची आवाज़ में कहा, “एथेंस की विजय हुई है। फाटक खोलो। खुशियाँ मनाओ।” उसकी आवाज़ पहचानकर नगरनिवासियों ने फाटक खोल दिया। फिडीपिडीज के पाँव कांप रहे थे। उसका मुँह सूख गया था। बहुत धीमी आवाज़ में उसने कहा, “हम जीत गए हैं। ईरानी हार गए हैं। यूनानी स्वतन्त्र रहेंगे।” इतना कहने पर वह वीर गिरा और फिर कभी न उठा। इस महान् बलिदान के कारण फिडीपिडीज का नाम अमर है। आज भी ओलम्पिक की सबसे लम्बी दौड़ को मैराथन की दौड़ कहते हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ:

रुचि = शौक। प्रतियोगिता = मुकाबला। आक्रमण = हमला। परतंत्र = गुलाम। प्रतिवर्ष = प्रत्येक वर्ष । चढ़ाई = आक्रमण। अमर = कभी न मरने वाला। स्वतन्त्र = आजाद, स्वाधीन। आश्वासन = तसल्ली, विश्वास। दायित्व = ज़िम्मेदारी। शीघ्र = जल्दी। सबल = शक्तिशाली। बलिदान = कुर्बानी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Textbook Exercise Questions and Answers.

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Hindi Guide for Class 6 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध हमा

1. शब्दार्थ
उत्तर:
शब्दार्थ पाठ के आरम्भ में दिए गए हैं।

ओझल = दिखाई न देना
आविष्कार = खोज
परीक्षण = प्रयोग

2. निम्नलिखित मुहावरों/लोकोक्तियों के वाक्य बनाओ

1. जान से हाथ धोना ______________ ________________________
2. मन में ठान लेना _______________ __________________________
3. धक्का लगना _________________ ___________________________
4. जहाँ चाह वहाँ राह ______________ _________________________
5. आवश्यकता आविष्कार की जननी है _____________ ______________________
उत्तर:
1. जान से हाथ धोना = मारे जाना – देश की रक्षा करते हुए कई सैनिकों को जान से हाथ धोना पड़ा।
2. मन में ठान लेना = प्रण कर लेना – इस बार कक्षा में प्रथम आने की मैंने मन में ठान ली है।
3. धक्का लगना = दुःख सहना – आपके साथ इतनी बड़ी दुर्घटना घट गई यह सुन कर मुझे बहुत धक्का लगा।
4. जहाँ चाह वहाँ राह = इरादा पक्का हो तो रास्ता मिल ही जाता है – तुम परीक्षा की तैयारी करो सफलता तुम्हें अवश्य ही मिलेगी क्योंकि तुमने सुना ही है जहाँ चाह वहाँ राह।
5. आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है = ज़रूरत हो तो साधन बन ही जाते हैं – जब मनुष्य ने घूमना-फिरना आरम्भ किया तो पहिए का आविष्कार हो गया। सच ही है-आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है।

3. निम्नलिखित के विपरीत शब्द लिखो

नज़दीक ………… नियंत्रित ……….. खुश ………………………
ऊँचा ………… सफलता ………………… मृत्यु ……………………
मशहूर ………………….. शुरू …………… थोड़ा …………………..
उत्तर-
1. नज़दीक = दूर।
2. नियंत्रित = अनियंत्रित
3. खुश = नाराज़
4. ऊँचा = नीचा
5. सफलता = असफलता
6. मृत्यु = जीवन
7. मशहूर = बदनाम
8. शुरू = खत्म
9. थोड़ा = ज्यादा

4. इन वाक्यों में बताएं कि क्रिया अकर्मक है अथवा सकर्मक ?

1. सभी जहाज़ में बैठने की कल्पना ज़रूर करते हैं। ……………………….
2. कई आविष्कारकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ……………………
3. हम इक्कीसवीं सदी में रह रहे हैं। …………………………………..
4. वे बार-बार वैसा खिलौना बनाते। ……………………………………….
5. इनके पिता इनके लिए एक खिलौना लाए। ………………………………….
उत्तर:
(1) सकर्मक
(2) अकर्मक
(3) अकर्मक
(4) सकर्मक
(5) सकर्मक

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

5. निम्नलिखित शब्दों को सही अक्षर लगाकर पूरा करें

देख-र, क-पना, अ-रीका, -लौना,
सा-कि-, -काश, प्र-ग,
गला-ड-,-रीक्षण
उत्तर:
देख-र = देखकर, क-पना = कल्पना,
अ-रीका = अमरीका, -लौना = खिलौना,
सा-कि- = साइकिल, -काश = आकाश,
प्र-ग = प्रयोग, गला-ड-र में गलाइडर,
-रीक्षण = परीक्षण।

विचार-बोध का

(क)
प्रश्न 1.
वायुयान के आविष्कार से पहले लोग उड़ने के बारे में क्या कल्पनाएँ करते थे ?
उत्तर:
वायुयान के आविष्कार से पहले लोग पक्षियों के समान आकाश में उड़ने के बारे में कल्पनाएँ करते थे।

प्रश्न 2.
जब राइट ब्रदर्स के पिता उनके लिए उड़ने वाला खिलौना लाए तो उनके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर:
उड़ने वाला खिलौना पाकर उनके मन में विचार आया कि जब यह इतना छोटा-सा खिलौना छत तक उड़ सकता है तो कोई बड़ी चीज़ ज़रूर आकाश में उड़ सकती है।

प्रश्न 3.
बचपन में राइट ब्रदर्स को किस तरह का शौक था ?
उत्तर:
बचपन में राइट ब्रदर्स को तरह-तरह की मशीनों से जूझने का शौक था।

प्रश्न 4.
वायुयान को बनाने व उड़ाने के अलावा राइट ब्रदर्स ने और क्या-क्या काम किए ?
उत्तर:
वायुयान बनाने, पतंग उड़ाने के अतिरिक्त राइट ब्रदर्स ने अखबार छापने, साइकिल बनाने का भी काम किया।

प्रश्न 5.
राइट ब्रदर्स ने सबसे पहली उड़ान कब भरी ? इस उड़ान को कितने लोगों ने देखा ?
उत्तर:
राइट ब्रदर्स ने पहली उड़ान 17 दिसम्बर, सन् 1903 में भरी। इस उड़ान को केवल पाँच लोगों ने देखा।

प्रश्न 6.
विल्बर की मृत्यु के बाद ओरविल ने एरोनोटिकल लेबोरटरी क्यों खोली ?
उत्तर:
विल्बर की मृत्यु के पश्चात् उसके भाई ने वायुयान बनाने का कार्य जारी रखा और हवाई जहाज़ के तकनीकी विकास के लिए एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली।

(ख)
प्रश्न 1.
राइट ब्रदर्स के लिए असफलताएँ केवल सफलता तक पहुँचने की सीढ़ियाँ थीं, कैसे ?
उत्तर:
राइट ब्रदर्स के लिए असफलताएँ निराशा का कारण नहीं थीं बल्कि सफलता तक पहुँचने की सीढ़ियाँ थीं क्योंकि इसी प्रयास में उन्होंने एक इंजन वाला यान तैयार किया था।

प्रश्न 2.
वायुयान के आविष्कार में राइट ब्रदर्स की अनुपम देन है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
वायुयान के आविष्कार में राइट ब्रदर्स की देन अनुपम है। यह उन्हीं के प्रयासों का फल है कि हम आज आकाश में भी उड़ सकते हैं और मीलों की दूरियाँ घण्टों में तय कर सकते हैं।

आत्म- बोध

1. आप सपने देखिए और उन सपनों को पूरा करने में निरन्तर लगे रहो।
2. क्या आप का कोई सपना है ? आप उस सपने को कैसे साकार करेंगे ?
3. असफलताएँ भी आपको ढेर सारी सीख देकर जाती हैं। असफल होने पर निराश मत होइए।
4. राइट ब्रदर्स के जीवन से प्रेरणा लेते हुए आप भी जीवन में कुछ रचनात्मक कार्य करने की कोशिश करें। (विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायुयान का आविष्कार किसने किया ?
(क) राइट ब्रदर्स ने
(ख) डेविड ब्रदर्स ने
(ग) पेन ब्रदर्स ने
(घ) किम ब्रदर्स ने
उत्तर:
(क) राइट ब्रदर्स ने

प्रश्न 2.
राइट ब्रदर्स ने सबसे पहली उड़ान कब भरी ?
(क) 1901 में
(ख) 1902 में
(ग) 1903 में
(घ) 1904 में
उत्तर:
(ग) 1903 में

प्रश्न 3.
बचपन में राइट ब्रदर्स को किस तरह का शौक था ?
(क) कुश्ती का
(ख) मशीनों से जूझने का
(ग) वायुयान बनाने का
(घ) पढ़ने का
उत्तर:
(ख) मशीनों से जूझने का

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

प्रश्न 4.
सबसे पहली उड़ान को कितने लोगों ने देखा ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(घ) पाँच

प्रश्न 5.
राइट ब्रदर्स ने अन्य क्या कार्य किए ?
(क) अखबार छापना
(ख) साइकिल बनाना
(ग) साइकिल बेचना
(घ) ये तीनों
उत्तर:
(घ) ये तीनों

वायुयान के जन्मदाता : विल्बर 191 राइट और ओरविल राइट Summary

वायुयान के जन्मदाता : विल्बर 191 राइट और ओरविल राइट पाठ का सार

आज हवाई जहाज़ के द्वारा देश-विदेश की यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है। परन्तु जब हवाई जहाज़ का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग पक्षियों की तरह आकाश में उड़ने की कल्पना करते थे। अपनी इस कल्पना को साकार करने की दिशा में मनुष्य ने गुब्बारों से उड़ने की कोशिश की। इसके बाद ग्लाइडर के द्वारा उड़ने का प्रयास किया गया। उड़ने के इन प्रयोगों में कई आविष्कारकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मनुष्य का आकाश में उड़ने का सपना साकार हो सका अमेरिका के दो भाइयों, विल्बर राइट और ओरविल राइट की लगन और अथक प्रयासों के कारण। इनके पिता का नाम मिल्टन था जो एक पादरी थे। दोनों ही भाई प्रखर बुद्धि के थे उन्हें तरह-तरह की मशीनों से जूझने का शौक था। एक दिन इनके पिता दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए जो छत की ऊंचाई तक उड़ सकता था। इस खिलौने को देखकर इनके मन में विचार आया कि यदि यह छोटा-सा खिलौना छत तक उड़ सकता है तो कोई बड़ी चीज़ आकाश में ज़रूर उड़ सकती है। इसी से प्रेरणा लेकर दोनों भाइयों ने एक बड़ा खिलौना बनाया परन्तु बड़ा होने के कारण वह बहुत कम उंचाई तक उड़ पाता था।

इसके बाद इन्होंने पतंगें बनानी शुरू की। थोड़ा और बड़ा होने पर दोनों भाइयों ने एक प्रैस खोली और अखबार छापने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद प्रेस का काम छोड़कर साइकिल बनाने और बेचने का काम शुरू किया। इन्हीं दिनों जर्मनी के एक आविष्कारक की ग्लाइडर उड़ाते हुए मृत्यु हो गई। राइट ब्रदर्स के मन में अभी भी आकाश में उड़ने की इच्छा थी इसलिए उन्होंने अपने सपने को साकार करने की ठान ली और जहाज़ बनाने के फिर से काम करना शुरू कर दिया। उन्हें कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा परन्तु फिर भी उन्होंने हिम्मत न हारी। उन्होंने एक इंजन वाला यान तैयार किया और 17 दिसम्बर, सन् 1903 को पहली उड़ान भरी। दोनों भाइयों ने इस दिशा में सफल परीक्षण किए। सन् 1912 में टाइफाइड के कारण विल्बर की मृत्यु हो गई। इससे इनके भाई ओरविल को बहुत धक्का लगा लेकिन इन्होंने अपने भाई द्वारा किए गए परीक्षणों को जारी रखा। इन्होंने सन् 1916 में राइट एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली जिसमें उसके द्वारा हवाई जहाज़ों से सम्बन्धित अनेक तकनीकी विकास किए गए। इस तरह अनेक प्रयोग करते हुए 30 जनवरी, सन् 1948 को ओरविल की भी मृत्यु हो गई। वायुयान के विकास में इन दोनों भाइयों की अनुपम देन को भुला कौन सकता है। उनके द्वारा पहली उड़ान के समय में प्रयोग में लाया गया यान आज भी वाशिंगटन में नेशनल एयर एण्ड स्पेस म्यूज़ियम में रखा हुआ है।

कठिन शब्दों के अर्थ:

सदी = शताब्दी। नज़दीक = पास। ओझल = गायब। आविष्कार = खोज। जननी = माँ। इन्सान = मनुष्य। नियंत्रित = वश में। अथक = न थकने वाला, निरन्तर। जान से हाथ धोना = मारा जाना। प्रयास = कोशिश। प्रखर = तेज़। परीक्षण = प्रयोग। सतत् = लगातार।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 18 तीन प्रश्न

Hindi Guide for Class 6 तीन प्रश्न Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिये जा चुके हैं।

विख्यात = मशहूर
आशंका = शंका होना
ढिंढोरा पीटना = सभी को जानकारी देना
सम्मति = सहमति
रुधिर = रक्त, खून
अस्फुट शब्द = टूटे- फूटे शब्द
अपहृत = छीन ली, ले ली
कंदरा = गुफा
कुदाली = फावड़ा
स्त्राव = प्रवाह
रक्षक = रक्षा करने वाला

2. कोष्ठक में दिए गए शब्दों में सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(क) साधु ने राजा को देखकर उसका …………… किया। (स्वागत, अपमान)
(ख) राजा ने घायल आदमी को ………….. पानी पिलाया। (ताज़ा, गंदा)
(ग) जब राजा साधु की कुटी के सामने पहुंचा तब वह ………………… रहा था। (नहा, धरती गोड़)
उत्तर:
(क) स्वागत
(ख) ताज़ा
(ग) धरती गोड़

3. लिंग बदलें

1. साधु = ………………..
2. पंडित = ………………..
3. आदमी = ………………….
4. राजा = …………………….
उत्तर:
1. साधु – साध्वी
2. पंडित – पंडिताइन
3. आदमी – औरत
4. राजा – रानी

4. समानार्थक लिखिए

1. कर्तव्य = ……………….
2. शुश्रूषा = ……………..
3. स्राव = ………………..
4. पंडित = …………………
5. व्यतीत = ………………….
6. निश्चित = ………………….
7. भविष्य = …………………
8. निर्णय = ……………………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. कर्तव्य = फर्ज
2. शुश्रुषा = सेवा
3. स्राव = प्रवाह/बहाव
4. पंडित = विद्वान्
5. व्यतीत = बिताना
6. निश्चित = सही समय
7. भविष्य = आने वाला समय
8. निर्णय = फैसला

5. शुद्ध रूप लिखें

1. अपहिरत = ……………….
2. कारयक्रम = ………………
3. नीरधारित = …………………
4. वयतीत = ………………..
5. सूर्यासत = ………………..
6. मूरछित = ………………..
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
1. अपहिरत = अपहृत
2. कारयक्रम = कार्यक्रम
3. नीरधारित = निर्धारित
4. वयतित = व्यतीत
5. सूर्यासत = सूर्यास्त
6. मूरछित = मूछित

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

6. साधु ने कहा-“देखो, कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है। आओ, उसे देखें।”
-इस वाक्य में निर्देशक चिहन हैं जो वक्ता की उक्ति के आरम्भ में कहा, बोला, पूछा आदि शब्दों के आगे लगता है।
-“” उद्धरण चिह्न हैं जो बोलने वाले की उक्ति को ज्यों का त्यों लिखने पर लगाए जाते हैं।
‘,’ चिह्न अल्प विराम का है। अल्प’ का अर्थ है थोड़ा। वाक्य में जहाँ थोड़े समय के लिए रुकना पड़े वहाँ अल्प विराम चिह्न लगता है। इसके अतिरिक्त एक ही प्रकार के शब्दों, क्रियाओं, वाक्यांशों के मध्य, किसी के परिचय से पहले, दो वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों से पहले, वाक्यों में संबोधन से पहले, तारीख और सन् के मध्य इस चिह्न का प्रयोग होता है।
-(!) चिह्न का परिचय पहले दिया जा चुका है। इसका नाम आप स्वयं बताएं। अब नीचे लिखे वाक्यों में उचित विराम चिहन लगाएँ

1. राजा ने कहा आप थक गए हैं लाइए मुझे कुदाली दीजिए
2. राजा ने कहा मैं तुम्हें जानता भी नहीं फिर तुमने कोई अपराध भी नहीं किया जिसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करूँ
3. साधु ने कहा देखो कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है आओ उसे देखें
4. तुम मुझे नहीं जानते लेकिन मैं तुम्हें जानता हूँ
उत्तर:
1. राजा ने कहा, “आप थक गए हैं, लाइए मुझे कुदाली दीजिए।”
2. राजा ने कहा, “मैं तुम्हें जानता भी नहीं; फिर तुमने कोई अपराध भी नहीं किया, जिसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करूँ।”
3. साधु ने कहा, “देखो, कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है। आओ, उसे देखें।”
4. तुम मुझे नहीं जानते, लेकिन मैं तुम्हें जानता हूँ।

7.
(1) साधु क्यारियों में बीज बो रहा था।
(2) राजा ने शहर में ढिंढोरा पिटवाया।
(3) सूर्य वृक्षों के पीछे डूबने लगा।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘बो रहा था’ से काम का करना, ‘पिटवाया‘ से करवाना तथा ‘डूबने लगा‘ से होना प्रकट हो रहा है। अतः ये क्रिया पद हैं। अतएव वाक्य में जिस पद से किसी काम का ‘करना‘, ‘करवाना’ अथवा ‘होना‘ प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं।

8. निम्नलिखित में से क्रिया-पद छाँटिए

1. उसके पेट में एक बड़ा घाव था।
2. साधु ने राजा की बातें सुनीं।।
3. वहाँ उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
4. उस मनुष्य ने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
उत्तर:
(1) था
(2) सुनी
(3) लिटा दिया
(4) बन्द कर ली।

9.
1. उसने पीने के लिए कुछ पानी माँगा।
2. साधु अपनी कुटी के सामने धरती गोड़ रहा था।
3. राजा सो गया। 4. वह बैठ गया।
पहले वाक्य में ‘माँगने’ का फल ‘पानी‘ पर दूसरे वाक्य में ‘गोड़ने‘ का फल ‘धरती‘ पर पड़ रहा है। अतः ‘पानी‘ और ‘धरती‘ कर्म हैं। इन पर क्रिया का फल पड़ने से माँगना और गोड़ना-ये सकर्मक क्रियाएँ हैं। तीसरे वाक्य में ‘सोने‘ और चौथे वाक्य मैं ‘बैठने’ का फल सीधा क्रमशः ‘राजा‘ और ‘वह‘ पर पड़ रहा है। इन क्रियाओं में कर्म नहीं है, अतएव ये अकर्मक क्रियाएँ हैं।

विशेष:
वाक्य में ‘क्या’, ‘किसको’ अथवा ‘किसे’ प्रश्न लगाकर यदि उत्तर हाँ में मिलता है तो क्रिया सकमर्क होगी अन्यथा अकर्मक होगी। उदाहरण : साधु अपनी कुटी के सामने धरती गोड़ रहा था। इस वाक्य में यदि प्रश्न स्वरूप क्या लगा दें तो प्रश्न होगा-साधु अपनी कुटी के सामने क्या गोड़ रहा था? उत्तर होगा-धरती। अतः धरती कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ जिसको गोड़ रहा था क्रिया की अपेक्षा है।

इसके विपरीत तीसरे वाक्य में प्रश्नस्वरूप’ क्या, किसको किसे ‘प्रश्न करें’ जैसे-राजा क्या/किसको सो गया? तो उत्तर नहीं मिलता है। अतः वाक्य में कर्म न होने के कारण यह अकर्मक क्रिया है।

10. निम्नलिखित में से सकर्मक तथा अकर्मक क्रियाएँ छाँटिए

1. राजा और साधु ने मिलकर उसके कपड़े खोले। ( )
2. उसे बिस्तर पर लिटा दिया। ( )
3. वह अपने घोड़े से उतर गया। ( )
4. राजा ने घाव पर पट्टी बाँधी। ( )
5. उसने अपने हाथ से पसीना पोंछा। ( )
उत्तर:
(1) सकर्मक
(2) अकर्मक
(3) अकर्मक
(4) सकर्मक
(5) सकर्मक

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

विचार-बोध म

(क)
1. राजा के मन में क्या विचार उठा ?
2. राजा ने अपने राज्य में क्या ढिंढोरा पिटवाया ?
3. राजा अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए किस के पास गया ?
4. प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय कौन-सा है ?
(ख) 5. पहले प्रश्न के उत्तर में लोगों ने राजा को क्या-क्या बताया ?
6. साधु ने राजा के प्रश्नों का क्या उत्तर दिया ?
7. क्या राजा साधु के उत्तर से सन्तुष्ट हुआ ?
8. किसने राजा को अपना शत्रु बताया और क्यों ?
9. राजा ने शत्रु को क्यों क्षमा किया ?
10. संसार में मनुष्य क्यों जन्म लेता है ? साधु ने क्या बताया है ?
उत्तर:
(क)
1. राजा के मन में विचार उठा कि यदि मैं यह जान जाऊँ कि प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय कौन-सा है, तो फिर किसी कार्य में असफल होने की आशंका न रह जाए।
2. राजा ने अपने राज्य में यह ढिंढोरा पिटवाया कि जो मुझे तीन बालों की शिक्षा देगा उसे मैं बहुत बड़ा पुरस्कार दूंगा।
3. राजा अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए एक साधु के पास गया।
4. प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय वर्तमान होता है।

(ख) 5. पहले प्रश्न के उत्तर में लोगों ने राजा को निम्नांकित बातें कहीं

  • दिन, मास और वर्षों का कार्यक्रम निर्धारित कर लेना चाहिए।
  • उचित समय के निर्धारण के लिए पण्डितों की एक समिति बनानी चाहिए।
  • निर्णय तुरन्त कर लेना चाहिए, परन्तु भविष्य का ज्ञान भी हो।

6. साधु ने राजा के प्रश्नों के निम्नलिखित उत्तर दिए

  • किसी कार्य को आरम्भ करने का ठीक समय वह समय है जिसमें आप जी रहे हैं अर्थात् वर्तमान काल सबसे ज़रूरी है।
  • सबसे महत्त्वपूर्ण लोग वे हैं जो उस बड़ी हमारे साथ हैं।
  • मानवता की सेवा करना सबसे उत्तम कार्य है।

7. राजा साधु के उत्तर से सन्तुष्ट हो गया।
8. एक दाढ़ी वाला व्यक्ति राजा का पुराना शत्रु था। उसके भाई को राजा ने फाँसी लगवा दी थी।
9. राजा ने शत्रु को इसलिए क्षमा कर दिया क्योंकि उसकी देखभाल करने से राजा के प्राण बच गए थे। राजा को घायल की देखभाल में बहुत समय बीत गया था। इसलिए वह अपनी नगरी को न लौटा।
10. संसार में मनुष्य दूसरों का उपकार करने के लिए ही जन्म लेता है। इसलिए उपकार करना ही परमावश्यक कर्त्तव्य है।

आत्म- बोध

1. अपने कर्त्तव्य को पहचानो और करो।
2. अपना कर्त्तव्य पूरा करके महान् बनने वालों की जीवनियां पढ़िए और उनसे प्रेरणा लें।
3. जैसे राजा ने शत्रु की पट्टी की ऐसे ही गुरु गोबिन्द सिंह जी के युद्ध की घटना का पता करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रत्येक कार्य को करने के लिए सबसे उचित समय कौन-सा होता है ?
(क) वर्तमान
(ख) भविष्य
(ग) भूतकाल
(घ) निर्वतमान
उत्तर:
(क) वर्तमान

प्रश्न 2.
किसकी सेवा सबसे उत्तम कार्य है ?
(क) मानवता
(ख) दानवता
(ग) धर्म
(घ) भ्रम
उत्तर:
(क) मानवता

प्रश्न 3.
राजा अपने प्रश्नों के उत्तर के लिए किसके पास गया ?
(क) मंत्री के
(ख) दूसरे राजा
(ग) वजीर
(घ) साधु
उत्तर:
(घ) साधु

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से क्रिया शब्द चुनें :
(क) माँगना
(ख) फल
(ग) समाज
(घ) रवि
उत्तर:
(क) माँगना

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण नहीं है ?
(क) गोड़ना
(ख) बैठना
(ग) सोना
(घ) कहाँ
उत्तर:
(घ) कहाँ

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण है ?
(क) राजा
(ख) साधु
(ग) वर्तमान
(घ) उठा
उत्तर:
(घ) उठा

तीन प्रश्न Summary

तीन प्रश्न पाठ का सार

‘तीन प्रश्न’ पाठ में एक राजा के मन में आये तीन प्रश्नों के बारे में कहा गया है। उसके तीन प्रश्न थे

(1) किसी कार्य को आरम्भ करने का सबसे ठीक समय कौन-सा है ?
(2) सबसे महत्त्वपूर्ण लोग कौन हैं ?
(3) सबसे ज़रूरी काम कौन-सा है ?

राजा ने घोषणा करवाई कि जो व्यक्ति इन प्रश्नों का उत्तर देगा उसे बहुत बड़ा पुरस्कार दिया जाएगा। बड़े-बड़े विद्वान् दूर-दूर से राजा के पास आए। सब ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार उत्तर दिए। पहले प्रश्न के उत्तर में बहुत-से लोगों का उत्तर अलग-अलग रहा। ऐसे ही दूसरे प्रश्न के उत्तर भी अलग-अलग थे। तीसरे प्रश्न के भी जितने विद्वानों ने उत्तर दिए उन सब के अपने-अपने विचार थे। राजा को किसी भी उत्तर पर सन्तुष्टि नहीं हुई। अतः वह किसी भी विद्वान् को इनाम देने के पक्ष में नहीं था। राजा उदास रहने लगा। एक दिन राजा को पता चला कि समीप के जंगल में एक महात्मा रहते हैं, जो उच्चकोटि के ज्ञानी हैं। परन्तु वह महात्मा सीधे-सादे लोगों से ही मिलते हैं। अगली सुबह राजा सादी वेश-भूषा में महात्मा से मिलने निकल पड़ा। वहाँ पहुँच कर राजा ने महात्मा को कुटिया के बाहर क्यारियों की खुदाई फावड़े से करते देखा। राजा ने उन्हें नमस्कार किया। महात्मा का शरीर दुर्बल था। धरती में फावड़ा मारते ही उनकी साँस ज़ोर-ज़ोर से चलने लगती थी। राजा ने महात्मा से अपने तीन प्रश्नों के उत्तर देने का विनम्र निवेदन किया। महात्मा चुप रहे और फावड़ा मारते रहे। राजा ने तीनों प्रश्न कह दिए।

महात्मा ने राजा के प्रश्न सुने किन्तु उनका उत्तर नहीं दिया और स्वयं पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे। राजा ने फावड़ा महात्मा से पकड़ कर क्यारियाँ खोदनी शुरू कर दी। दो क्यारियाँ खोदने के बाद राजा महात्मा के पास आया और उनसे प्रश्न पूछे। महात्मा ने उत्तर न देते हुए राजा से फावड़ा पकड़ाने और राजा को आराम करने को कहा। राजा ने फावड़ा नहीं दिया और फिर खोदने लगा। एक घण्टा बीता फिर दूसरा बीता और सूर्य पेड़ों के नीचे छिपने लगा। राजा को घर लौटने की चिन्ता हुई। उसने फिर महात्मा से प्रश्नों के उत्तर देने को कहा और घर जाने की आज्ञा मांगी। तभी सामने की ओर से एक आदमी भागते हुए आया। राजा ने मुड़ कर देखा तो एक दाढ़ी वाला आदमी था। राजा के समीप पहुँचते ही वह चीख कर गिर पड़ा। गिरते ही वह बेहोश हो गया। राजा और महात्मा ने उनका पेट खोल कर घाव भर दिया और उसे कुटिया के अन्दर चारपाई पर डाल दिया।

रात बहुत हो चुकी थी। राजा भी थक कर चूर-चूर हो गया था। वह चौखट का सहारा लेकर लेट गया और देखते-ही-देखते उसे गहरी नींद आ गई। अगले दिन जब राजा की आँखें खुली तो राजा ने उस व्यक्ति की ओर टकटकी लगा कर देखा तभी वह व्यक्ति धीरे से बोला मुझे क्षमा कर दो। राजा ने कहा मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं तो माफ़ी किस बात की दूँ। घायल व्यक्ति ने कहा कि मैं आपको जानता हूँ पर आप मुझे नहीं जानते। मैं आपका वही पुराना शत्रु हूँ जिसके भाई को आपने फाँसी दे दी थी। मैं आपकी हत्या करने आया था। मुझे मालूम था कि आप महात्मा से मिलने आ रहे हैं। मैंने लौटते समय आपकी हत्या की योजना बनाई थी, परन्तु दिन पूरा हो गया तो आप नहीं लौटे। मैं अपने छिपने के स्थान से बाहर निकला तो आपके सैनिकों ने मुझे पहचान लिया और मुझे घायल कर दिया। मैं अवश्य मर जाता अगर आप मेरी देखभाल न करते। मैं आपका जीवन-भर दास बना रहूँगा। मेरे बच्चे भी आपके दास होंगे। मुझे क्षमा कर दें।

घायल व्यक्ति से विदा लेकर राजा घर जाने से पूर्व महात्मा से अन्तिम बार विदा लेने लगा। उसने तीनों प्रश्नों के उत्तर पूछे तब महात्मा ने कहा तुम्हें उत्तर तो मिल गए हैं। राजा ने कहा मैं समझा नहीं। महात्मा बोले कल जब तुम मेरी दुर्बलता पर दया करके मेरी मदद न करते तो तुम मारे जाते। तुमने मेरी मदद करने के लिए क्यारियाँ खोदी वही तुम्हारा सब से ठीक समय था। उसके बाद वह आदमी भागा-भागा तुम्हारे पास आ कर गिर पड़ा। तुमने उसका इलाज किया। वही आदमी सबसे महत्त्वपूर्ण था जिसकी तुमने जान बचाई। उसकी जान बचाना सबसे आवश्यक कार्य था। अतः तुम्हें अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर मिल गए।

कठिन शब्दों के अर्थ:

अनुकूल = पक्ष में रहने वाला। स्थिति = हालत। विख्यात = मशहूर। कुटिया = झोंपड़ी। पुरोहितों = कुल गुरुओं। ज्योतिषियों = ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता। महत्त्वपूर्ण = महत्ता से युक्त, विशेष। चिकित्सा = इलाज। अंगरक्षक = रक्षा करने वाला। सेवादार = सेवा करने वाला। पश्चात्ताप = पछतावा। सन्तुष्टि = तसल्ली। महात्मा = महान् आत्मा वाला। दुर्बल = कमज़ोर।