PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 12 शून्य…. नहीं अनन्त

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 शून्य…. नहीं अनन्त Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 12 शून्य…. नहीं अनन्त

Hindi Guide for Class 6 शून्य…. नहीं अनन्त Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थ-कठिन शब्दों के अर्थ पाठ के आरम्भ में दिए गए हैं।

वन- मानुष = एक तरह का बंदर
पिंजरानुमा = पिंजरे के आकार का
प्रजाति = पशु पक्षियों आदि का वह समूह, जिसमे सभी सदस्यों के नाक, कान, कपाल, केश आदि के आकार- प्रकार, रूपरंग आदि में समानता हो।
आश्रय- स्थल = शरण/ ठिकाने का स्थान
आदमखोर = नर मांस भक्षी
सुरक्षा कर्मी = सुरक्षा करने वाली कर्मचारी
खूंखार = जालिम, खूनी, डरावना

2. अर्थ लिखकर वाक्य बनाओ

अंक-अंग, हंस-हँस, मास-मांस, शून्य-सुन्न, बालू-भालू।
उत्तर:
1. अंक : गोद माँ ने अपने बेटे को अपने अंक में छुपा लिया।
अंग : हिस्सा हाथ हमारे शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग है।
2. हंस : एक पक्षी नदी में हंस तैर रहे हैं।
हँस : हँसना लड़के भिखारी पर हँस रहे थे।
3. मास : महीना जनवरी मास में ठंड बहुत पड़ती है।
मांस : मांस बाघ का प्रिय खाद्य मांस है।
4. शून्य : जीरो, खाली महान गणितज्ञ ब्रह्म गुप्त ने शून्य का उपयोग
करते हुए नियम बना दिया। सुन्न : – संज्ञाहीन मेरा पैर सुन्न हो गया।
5. बालू : रेत मोहन बालू में खेल रहा था।
भालू : एक जानवर/ रीछ । भालू नाच रहा है।

3. रिक्त स्थान भरो

1. बेबीलोन निवासियों की गणना का आधार अंक…………जिसका चिह्न………..था।
2. भारत में ज्ञान की खोज में………………विदेशी यात्री आए।
3. ब्रह्मगुप्त…………..भारतीय………..थे, जिन्होंने अनेक गणित के नियम बनाए।
4. …………….की खोज आर्यभट्ट ने की, उनका प्रसिद्ध…………था।
5. कम्प्यू टर के आधार अंक………..और…………हैं।
उत्तर:
(1) 60, वाई
(2) अनेक
(3) पहले, गणितज्ञ
(4) शून्य, ग्रंथ आर्यभट्टीय
(5) शून्य, जीरो।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 12 शून्य.... नहीं अनन्त

विचार-बोध

प्रश्न 1.
प्राचीन काल में मनुष्य कैसे गणना करता था?
उत्तर:
प्राचीन काल में मनुष्य तिनकों, कौड़ियों और कंकड़ आदि से गणना करता था।

प्रश्न 2.
अशोक के शिलालेखों के अंक चिह्न का संबंध किस सभ्यता से है?
उत्तर:
अशोक के शिलालेखों के अंक चिहन का सम्बन्ध सिन्धु सभ्यता से है।

प्रश्न 3.
मिस्त्र में दस, बीस चालीस अंक चिह्न लिखो।
उत्तर:
मिस्र में दस के लिए ‘o’ चिह्न, बीस के लिए ‘oo’ और चालीस के लिए ‘0000’ अंक चिह्न थे।

प्रश्न 4.
बेबीलोन निवासियों का गणना अंक कितना था?
उत्तर:
बेबीलोन निवासियों का गणना अंक 60 था।

प्रश्न 5.
भारत में बिन्दु चिह्न कब से मिलता है?
उत्तर:
भारत में बिन्दु-चिह्न वैदिक काल से मिलता है।

प्रश्न 6.
आर्यभट्ट कौन थे, उनके प्रसिद्ध ग्रन्थ का नाम लिखो।
उत्तर:
आर्यभट्ट एक महान् गणितज्ञ थे। उनके प्रसिद्ध ग्रंथ का नाम हैं-‘आर्यभट्टीय’

प्रश्न 7.
आर्यभट्ट ने कौन-सी महत्वपूर्ण खोज की ?
उत्तर:
आर्यभट्ट ने ‘शून्य’ की महत्त्वपूर्ण खोज की।

प्रश्न 8.
ब्रह्मगुप्त कौन थे?
उत्तर:
ब्रह्मगुप्त एक महान गणितज्ञ थे।

प्रश्न 9.
आचार्य महावीर के ग्रंथ का नाम लिखो।
उत्तर:
आचार्य महावीर के प्रसिद्ध ग्रंथ का नाम है-‘गणित सार संग्रह।

प्रश्न 10.
कम्प्यूटर के आधार अंक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
कम्प्यूटर के आधार अंक शून्य 0 जीरो है।

आत्म-बोध

माम ला कल्पना करो कि आपके पास एक रुपया है यदि उसके साथ एक-एक करके शून्य लगाते जाएँ तो यही रुपया करोड़ों, अरबों रुपयों में बदल जाएगा। इसलिए शून्य का भी बहुत महत्त्व है। इसी तरह जीवन में हरेक इन्सान महत्त्वपूर्ण है अतः कभी भी अपने आपको कम मत आँकों। अपनी शक्तियों को पहचानो और जीवन में आगे बढ़ते जाओ।

रचना-बोध

1. अपनी कापी पर एक

(1) लिखो। उसके आगे शून्य (0) लगाओ। अब इस संख्या को शब्दों में लिखो जैसे 10-दस। इसी प्रकार शून्य लगाकर बनी संख्या शब्दों में लिखते जाओ।

2. पुराने सिक्कों का संग्रह करो।
(विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
इस पाठ में लेखक ने किसकी महत्ता का वर्णन किया है ?
(क) शून्य की खोज
(ख) धन की
(ग) बल की
(घ) तन की
उत्तर:
(क) शून्य की खोज

प्रश्न 2.
वैदिक काल में जीरो का प्रचलन किस रूप में था ?
(क) जीरो
(ख) शून्य
(ग) बिन्दु
(घ) हिंदु
उत्तर:
(ग) बिन्दु

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 12 शून्य.... नहीं अनन्त

प्रश्न 3.
शून्य की खोज किसने की ?
(क) आर्यभट्ट ने
(ख) महाभट्ट ने
(ग) कालिदास ने
(घ) तुलसीदास ने
उत्तर:
(क) आर्यभट्ट ने

प्रश्न 4.
ब्रह्मगुप्त कौन थे ?
(क) ऋषि
(ख) देव
(ग) गणितज्ञ
(घ) दानव
उत्तर:
(ग) गणितज्ञ

प्रश्न 5.
कंप्यूटर का आधार अंक कौन सा है ?
(क) शून्य
(ख) एक
(ग) दस
(घ) बीस
उत्तर:
(क) शून्य

प्रश्न 6.
‘आर्यभट्टीय’ ग्रंथ के लेखक का नाम क्या है ?
(क) महावीर
(ख) आर्यभट्ट
(ग) आचार्यवीर
(घ) वीरवट
उत्तर:
(ख) आर्यभट्ट

प्रश्न 7.
गणित सार संग्रह के लेखक कौन हैं ?
(क) आचार्य महावीर
(ख) आचार्य परमवीर
(ग) आचार्य नरेन्द्रनाथ
(घ) आचार्य स्वामी
उत्तर:
(क) आचार्य महावीर

शून्य……., नहीं अनन्त Summary

शून्य…. नहीं अनन्त पाठ का सार

पाठ शून्य……..नहीं अनन्त! में लेखक शिवशंकर ने शून्य, जीरो की खोज और महत्ता के बारे में बताया है। ‘जीरो’ के आविष्कार से पहले वस्तुओं और अंकों की गणना (गिनती) करने में बड़ी समस्या आती थी। वैदिक काल में जीरो का प्रचलन बिन्दु (.) के रूप में हुआ। आरम्भ में इसके ( • १ आदि रूप मिलते हैं। तीसरी शताब्दी में बेबीलोन निवासियों ने गणना के लिए ‘Y’ को 60 का आधार चिह्न मान कर गिनती की। ‘जीरो’ का जन्म हुआ चौथी शताब्दी में। भारत के महान् गणितज्ञ आर्यभट्ट इसके जन्मदाता हैं। इनका जन्म 476 ई० पू० बिहार के पाटलीपुत्र (पटना) के कुसुमपुर नामक स्थान में हुआ। आर्यभट्ट गणित, खगोल शास्त्र और ज्योतिष में प्रकांड पंडित थे। इन्होंने अपनी पुस्तक ‘आर्यभट्टीय’ में गणित, ज्योतिष और खगोल विज्ञान के अनेक नियम देकर अनेक अन्धविश्वासों को दूर करने का कार्य किया।

उन्होंने ही जीरो को ‘0’ का रूप दिया जिसे सारी दुनिया ने स्वीकार किया। आर्यभट्ट ने पृथ्वी, ग्रह, नक्षत्रों पर अनेक खोजें की जैसे धरती का अपने अक्ष पर घूमना, जिस कारण दिन और रात का बनना, सूर्य और चन्द्र ग्रहण सूर्य की परिक्रमा के दौरान एक रेखा होने से लगना आदि। भारत में जीरो की खोज होने के पश्चात् विश्व के अन्य देशों चीन और अरब ने भी इसको स्वीकार किया। आज संपूर्ण विश्व जीरो के आधार पर ही बड़ी-बड़ी गणनाएं (गिनती) करता है।
सचमुच जीरो (0) का आविष्कार करके न केवल आर्यभट्ट स्वयं अमर हो गए बल्कि सम्पूर्ण विश्व को गणना का एक आधार भी प्रदान कर गए। अतः जीरो (0) शून्य नहीं, यह तो है अनन्त अनमोल।

कठिन शब्दों के अर्थ:

आविष्कार = खोज । तपस्या = साधना। गणना = गिनती। प्रारम्भ = शुरू। समस्या = मुश्किल, मुसीबत। प्राचीन = पुराना। शिलालेख = पत्थर पर लिखे हुए लेख। नदारद = गायब। जटिल = मुश्किल, कठिन। मनीषियों = चिन्तकों। विश्व = संसार। नतमस्तक = माथा झुकाना। वैदिक काल = वेदों के समय का युग। प्रचलन = चलन। समाहित = समाया हुआ। प्रारम्भ = शुरू। शताब्दी = सदी। प्रकाण्ड = बहुत बड़ा। अन्ध-विश्वास = बिना किसी तर्क के किया गया विश्वास । अक्ष = धुरी। परिक्रमा = चक्कर। निसार = न्यौछावर । अध्ययन = पढ़ाई। सिर आँखों पर बिठाना = सम्मान देना। सबका प्यारा = दुलारा। इतराना = घमंड करना। गणना = गिनती। मान बढ़ाना = इज्जत देना, सम्मान दिलाना।। रहस्य = भेद। उमंग = खुशी। अनन्त = अन्त से परे, असीम।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 7 वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 7 वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार

Hindi Guide for Class 11 PSEB वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कविता के आधार पर पत्थर तोड़ने वाली युवती का चित्रांकन करो।
उत्तर:
पत्थर तोड़ने वाली साँवले रंग की युवती पूर्ण रूप से जवान थी किन्तु निर्धनता के कारण उसके कपड़े तारतार हो रहे थे। इलाहाबाद के एक रास्ते पर आँखें नीची किए पत्थर तोड़ रही थी। वहाँ कोई छायादार वृक्ष भी नहीं था। धूप तेज़ हो रही थी। लू चल रही थी किन्तु वह काम में मस्त थी। उसने कवि की ओर ऐसी नज़रों से देखा जैसे कोई मार खाकर रोया न हो।

प्रश्न 2.
‘तोड़ती पत्थर’ कविता में कवि ने ग्रीष्म ऋतु का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उत्तर:
जिन दिनों वह युवती पत्थर तोड़ रही थी वे गर्मियों के दिन थे। धूप बढ़ रही थी और शरीर को झुलसाने वाली लू चल रही थी। उस लू में धरती रुई की भांति जल रही थी। उस समय धूल रूपी चिनगारियाँ चारों ओर छायी हुई थीं। वह दोपहर का समय था और दहकती हुई लू सब कुछ जला देने के लिए चारों तरफ फैल रही थी।

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प्रश्न 3.
कर्म में लीन होते हुए पत्थर तोड़ने वाली युवती के मन में क्या-क्या विचार आये ?
उत्तर:
कर्म में लीन होते हुए पत्थर तोड़ने वाली युवती के मन में यही विचार आया कि वह एक पत्थर तोड़ने वाली है। इससे पूर्व उसने कवि की ओर देखने से पहले उस भवन की ओर भी डरते हुए देखा था कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा। वह अपने मन में अपनी गरीबी, पीड़ा और असहायता के कारण दुखी थी। उसने सोचा होगा कि ईश्वर ने उसे गरीबी क्यों दी।

प्रश्न 4.
‘सवा सवा लाख पर एक को चढ़ाऊँगा’ यह पंक्ति किसने कही और कवि इसके माध्यम से क्या कहना चाहता है ?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति गुरु गोबिन्द सिंह जी ने कही है। कवि इसके माध्यम से भारतीय वीरों को जागृत करना चाहता है। वह भारतवासियों को गुरु गोबिन्द सिंह जी की वीरता के माध्यम से यह याद दिलाना चाहता है कि हम भारतीय दुश्मनों के लिए लाख के बराबर हैं। हमें अपनी शक्ति पहचानकर उसे सबल बनाना चाहिए।

प्रश्न 5.
‘सिंहनी’ और ‘मेषमाता’ के उदाहरण के द्वारा कवि ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
सिंहनी और मेष माता के उदाहरण के द्वारा कवि हमें यह संदेश देना चाहता है कि जब कोई बाहरी शक्ति हम पर आक्रमण करती है तो उसका मुकाबला करना चाहिए। हमें किसी भेड़ के समान चुपचाप नहीं खड़े रहना चाहिए। शक्तिशाली मनुष्य के सामने कोई आँख नहीं उठा सकता है। कमज़ोर और कायर ही सदा अत्याचारियों के शिकार बनते हैं। उनका सामना अवश्य किया जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
‘जागो फिर एक बार’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखें।
उत्तर:
‘जागो फिर एक बार’ कविता में सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी ने गुरु गोबिन्द सिंह जी की वीरता का उदाहरण देकर भारतवासियों की शक्ति को जागृत करने का प्रयास किया है। मनुष्य की बौद्धिक शक्ति को जागृत करके सरल बनाने को कहा है। किसी बाहरी दुश्मन का डटकर सामने करने का विश्वास जगाया है। हमें इतना शक्तिशाली बनना है कि निडर होकर विचरण करना था।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 7 वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार

PSEB 11th Class Hindi Guide वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म कब और कहाँ हआ था ?
उत्तर:
निराला जी का जन्म सन् 1896 ई० में बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल नामक स्थान पर हुआ था।

प्रश्न 2.
निराला जी के पिता का नाम और व्यवसाय क्या था ?
उत्तर:
इनके पिता का नाम पंडित राम सहाय त्रिपाठी था, जो उन्नाव के गड़कोला गांव के निवासी थे तथा महिषादल रियासत में कोषाध्यक्ष की नौकरी करते थे।

प्रश्न 3.
निराला जी की पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर:
मनोहरा देवी।

प्रश्न 4.
निराला जी की संतानें कितनी थीं और उनके नाम क्या थे ?
उत्तर:
दो, एक पुत्र राम कृष्ण तथा पुत्री सरोज।

प्रश्न 5.
निराला जी की पुत्री का निधन कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 1935 ई० में।

प्रश्न 6.
‘सरोज-स्मृति’ कैसा गीत है ?
उत्तर:
शोक-गीत।

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प्रश्न 7.
निराला जी का निधन कब हुआ ?
उत्तर:
15 अक्तूबर, सन् 1961 ई० ।

प्रश्न 8.
निराला जी की प्रमुख काव्य-रचनाएँ कौन-सी हैं ?
उत्तर:
अनामिका, परिमल, गीतिका, कुकुरमुत्ता, अणिमा, अपरा, अर्चना, सरोजस्मृति, राम की शक्ति पूजा, नए पत्ते, आराधना, तुलसीदास आदि।

प्रश्न 9.
कवि निराला ने इलाहाबाद के रास्ते पर किसे देखा था ?
उत्तर:
एक पत्थर तोड़ती हुई साँवली जवान युवती को।

प्रश्न 10.
कवि निराला ने भारतवासियों को किसकी याद दिलाई है ?
उत्तर:
गुरु गोबिंद सिंह जी की।

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प्रश्न 11.
‘जागो फिर एक बार’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर:
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’।

प्रश्न 12.
मज़दूर महिला भीषण गर्मी में सड़क किनारे क्या कर रही थी ?
उत्तर:
पत्थर तोड़ रही थी।

प्रश्न 13.
मज़दूर महिला पत्थर क्यों तोड़ रही थी ?
उत्तर:
अपना पेट भरने के लिए।

प्रश्न 14.
मज़दूर महिला के हाथ में क्या था ?
उत्तर:
एक भारी हथौड़ा।

प्रश्न 15.
कवि निराला के हृदय को किसने छू लिया था ?
उत्तर:
मज़दूर महिला की दुःखभरी नज़र ने।

प्रश्न 16.
‘जागो फिर एक बार’ किसकी रचना है ?
उत्तर:
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।

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प्रश्न 17.
गुरु गोबिंद सिंह जी अपने शत्रुओं के लिए कितनों के बराबर थे ?
उत्तर:
सवा लाख।

प्रश्न 18.
आजकल के युवकों में …………. का समावेश होना आवश्यक है ।
उत्तर:
संयम।

प्रश्न 19.
निराला भारतवासियों को किसके पराक्रम की याद दिलाते हैं ?
उत्तर:
गुरु गोबिंद सिंह।

प्रश्न 20.
अतीत में हमारे देश में …………….. हुए थे ।
उत्तर:
गौरवशाली वीर।

प्रश्न 21.
‘जागो फिर एक बार’ कविता में किस नदी के नाम का उल्लेख हुआ है ?
उत्तर:
सिन्धु नदी।

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प्रश्न 22.
वीरों के लिए मुक्ति क्या है ?
उत्तर:
देश की रक्षा के लिए वीरगति।

प्रश्न 23.
युद्ध क्षेत्र में उतरते हुए गुरु गोबिंद सिंह के मस्तक से क्या निकलती है ?
उत्तर:
धू-धू करती अग्नि।।

प्रश्न 24.
उस अग्नि में मृत्यु …………. हो गई थी ।
उत्तर:
जलकर भस्म।

प्रश्न 25.
मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला देवता कौन है ?
उत्तर:
भगवान् शंकर।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निराला किस छन्द के प्रवर्तक माने जाते हैं ?
(क) मुक्त छद
(ख) दोहा
(ग) चौपाई
(घ) सवैया।
उत्तर:
(क) मुक्त छन्द

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प्रश्न 2.
‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता किस भाव से ओत-प्रोत है ?
(क) प्रगतिवादी
(ख) प्रयोगवादी
(ग) छायावादी
(घ) हालावादी।
उत्तर:
(क) प्रगतिवादी

प्रश्न 3.
निराला किस अन्य नाम से प्रसिद्ध थे ?
(क) अज्ञेय
(ख) महाप्राण
(ग) देवप्राण
(घ) सुरप्राण।
उत्तर:
(ख) महाप्राण

प्रश्न 4.
कवि ने महिला की किस दशा का चित्रण किया है ?
(क) विरह
(ख) प्रेम
(ग) ग़रीबी
(घ) मिलन।
उत्तर:
(ग) ग़रीबी।

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वह तोड़ती पत्थर सप्रसंग व्याख्या

1. वह तोड़ती पत्थर
देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर
वह तोड़ती पत्थर
कोई न छायादार
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार,
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
नत नयन, प्रिय कर्मरत मन।
गुरु हथौड़ा हाथ,
करती बार-बार प्रहार
सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार।

कठिन शब्दों के अर्थ :
तले = नीचे। स्वीकार = मर्जी से। श्याम तन = साँवला शरीर। भर-बंधा यौवन = भरपूर जवान । नत = झुके हुए। प्रिय-कर्म-रत-मन = अपने प्रिय काम में लगा हुआ मन । गुरु = भारी, बड़ा। प्रहार = चोट। तरु-मालिका = वृक्षों का समूह। अट्टालिका = कोठी । प्राकार = चार दीवारी।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी द्वारा लिखित कविता ‘वह तोड़ती पत्थर’ में से लिया गया है। यह कविता प्रगतिवादी रचना है। इसमें कवि ने एक पत्थर तोड़ने वाली स्त्री का करुणा-पूर्ण चित्र अंकित किया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि इलाहाबाद के रास्ते पर मैंने एक पत्थर तोड़ती हुई स्त्री देखी। जहाँ वह पत्थर तोड़ रही थी वहाँ कोई छायादार वृक्ष नहीं था जिसके नीचे बैठी विवश होकर अपनी मर्जी से वह अपना काम कर रही थी। साँवले रंग की वह स्त्री पूरी जवान थी। वह आँखें झुका कर अपने प्रिय काम-पत्थर तोड़ने में मग्न थी। उसके हाथ में एक भारी हथौड़ा था जिससे वह पत्थरों पर बार-बार चोट करती थी। उसके सामने ही वृक्षों की पंक्ति और कोठी की चारदीवारी थी।

विशेष :

  1. मज़दूर वर्ग के लोग अपनी जीविका चलाने के लिए भीषण गर्मी में काम करने के लिए मजबूर हैं।
  2. भाषा तत्सम प्रधान है।
  3. पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
  4. मुक्तक छंद की प्रस्तुति अत्यन्त मनोहारी है।

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2. चढ़ रही थी धूप
गर्मियों के दिन
दिवा का तमतमाता रूप।
उठी झुलसाती हुई लू
रुई ज्यों जलती हुई भू
गर्द चिनगी छा गई
प्रायः हुई दोपहर
वह तोड़ती पत्थर।

कठिन शब्दों के अर्थ :
दिवा = दिन, सूर्य। भू = पृथ्वी। गर्द = धूलि। चिनगी = चिंगारियों के समान, गर्म।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी द्वारा लिखित कविता ‘वह तोड़ती पत्थर’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मज़दूर महिला का चित्रण किया है। वह भीषण गर्मी में भी अपने पेट के लिए सड़क पर काम कर रही है।

व्याख्या :
कवि इलाहाबाद के रास्ते पर एक पत्थर तोड़ती हुई साँवली जवान युवती को देखते हैं तो उस समय धूप चढ़ रही थी। गर्मियों के दिन थे। सूर्य अपनी पूरी गर्मी के साथ चमक रहा था और झुलसाने वाली लू चल रही थी और धरती रुई की भांति जल रही थी और गर्म धूलि चारों ओर फैल रही थी। प्रायः उस समय दोपहर हो गई थी और वह युवती पत्थर तोड़ती ही जा रही थी।

विशेष ;

  1. मज़दूर महिला भीषण गर्मी में सड़क पर अपने परिवार का पेट भरने के लिए पत्थर तोड़ रही है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान है।
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार है।
  4. मुक्तक छंद की रचना है।

3. देखते देखा मुझे तो एक बार
उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार।
देख कर कोई नहीं, देखा मुझे उस दृष्टि से
जो मार खा रोयी नहीं।

कठिन शब्दों के अर्थ :
छिन्नतार = फटे हुए कपड़े, तार-तार हुए कपड़े पहने।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी द्वारा लिखित कविता ‘वह तोड़ती पत्थर’ से लिया गया है। इसमें कवि ने आर्थिक विषमता का वर्णन किया है। मज़दूर महिला भीषण गर्मी में अमीरों के महल के लिए पत्थर तोड़ रही है

व्याख्या :
कवि ने इलाहाबाद के रास्ते पर घोर गर्मी में पत्थर तोड़ती हुई युवती को देखा तो कवि को अपनी ओर देखते हुए उस युवती ने पहले कवि को फिर उस कोठी की ओर देखा, जिसके लिए वह पत्थर तोड़ रही थी। फिर उसकी नज़र अपने तार-तार हुए कपड़ों पर गई। जब उसने यह देखा कि उस समय कोई दूसरा वहाँ नहीं है। कोई उसे नहीं देख रहा है तो उसने कवि की ओर ऐसे देखा जैसे कोई मार खाकर रोया न हो। उसने अपनी सारी व्यथा अपनी नज़रों द्वारा ही व्यक्त कर दी।

विशेष :

  1. मज़दूर महिला ने जब कवि को अपनी ओर देखते हुए देखा तो उसे अपने फटे कपड़ों का ध्यान आया। उसकी आँखें उसकी पीड़ा व्यक्त कर रही थीं।
  2. भाषा तत्सम प्रधान है।
  3. अनुप्रास तथा उत्प्रेक्षा अलंकार है।
  4. मुक्तक छंद की रचना है।

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4. सजा सहज सितार
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार।
एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर
ढुलक माथे से गिरे सीकर,
लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा
‘मैं तोड़ती पत्थर’

कठिन शब्दों के अर्थ :
सहज = स्वाभाविक रूप से। सुघर = सुन्दर । सीकर = पसीने की बूंदें। लीन होते = मग्न होते हुए।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी द्वारा लिखित कविता ‘वह तोड़ती पत्थर’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मज़दूर महिला की भावना व्यक्त की है, उसका कर्म पत्थर तोड़ना है। इसलिए वह पत्थर तोड़ रही है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि उस पत्थर तोड़ने वाली मज़दूर महिला ने मुझे जिस नज़र से देखा उसमें उसने अपनी सारी दुःख भरी कहानी कह दी जैसे कोई सितार पर स्वाभाविक रूप से उंगलियाँ चलाकर एक अद्भुत झंकार-सी उत्पन्न कर देता हो। वह सयानी सुन्दर युवती एक क्षण के बाद काँप उठी। उसके माथे पर पसीने की बूंदें झलक आईं उसने फिर से अपने काम में मग्न होते हुए मानो यह कहा कि हाँ मैं पत्थर तोड़ती हूँ।

विशेष :

  1. मज़दूर महिला की दुःखभरी नज़र ने कवि के हृदय को छू लिया। वह महिला क्षण भर रुकी, फिर अपने काम में लग गई।
  2. मुक्तक छन्द की रचना है।
  3. अनुप्रास तथा उत्प्रेक्षा अलंकार है।
  4. भाषा तत्सम प्रधान है।

जागो फिर एक बार सप्रसंग व्याख्या

1. जागो फिर एक बार
समर में अमर कर प्राण,
गान गाये महासिन्धु-से
सिन्धु-नद-तीरवासी !
सैन्धव तुरंगों पर
चतुरङ्ग चमू सङ्ग;
“सवा-सवा लाख पर
एक को चढ़ाऊंगा,”
गोबिन्द सिंह निज
नाम जब कहाऊंगा।” ।

कठिन शब्दों के अर्थ :
समर = युद्ध। अमर = जो कभी न मरे। महा सिन्धु = महासागर। सिन्धु-नद-तीरवासी = सिंध नदी के किनारे रहने वाले। सैन्धव = सिन्ध देश का। तुरंग = घोड़ा। चतुरङ्ग = हाथी, घोड़ा, रथ, पैदलसेना के चार अंग। चम् = सेना।।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्यांश छायावाद एवं प्रगतिवाद के प्रमुख कवि श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा लिखित काव्य ग्रन्थ ‘परिमल’ में संकलित कविता ‘जागो फिर एक बार’ से लिया गया है। यह कविता निराला जी की आरम्भिक कविताओं में से एक है। इसमें कवि की राष्ट्रीय भावना का भरपूर परिचय मिलता है। स्वभावतः इसमें युवाओं के हृदय में भरे आवेश और क्रान्ति का प्रखर स्वर सुनाई पड़ता है। इस कविता द्वारा निराला जी ने सम्पूर्ण भारतीय समाज को नई प्रेरणा और नई दिशा देने का प्रयास किया है।

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को गुरु गोबिन्द सिंह जी के पराक्रम की याद दिलाता हुआ कहता है कि भारतवासियो तुम एक बार फिर जागो जैसे अतीत में हमारे देश में गौरवशाली वीर हुए थे जो युद्ध भूमि में वीरगति पाकर अमर हो गए और जिन्होंने महासागर के समान महान् वीरता के गीत गाए थे।

हे सिन्धु नदी के किनारे रहने वालो ! सिन्ध देश के घोड़ों पर सवार होकर चारों प्रकार की सेना (हाथी, घोड़े, रथ और पैदल) से युद्ध करते हुए तुमने यह ललकार किसकी सुनी थी कि सवा-सवा लाख पर एक सिंह को चढ़ाऊंगा तब मैं अपने को गोबिन्द सिंह नाम से कहलाऊंगा। सवा लाख से एक भारतीय योद्धा को लड़वा कर ही मैं अपना नाम सार्थक करूंगा।

विशेष :

  1. प्रस्तुत काव्यांश में कवि का भाव है कि भारत के वीर पुरुषों में देश भक्ति की भावना जागृत करता है। इसके लिए वह गुरु गोबिन्द सिंह जी का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  2. भाषा सरल एवं सरस है।
  3. पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
  4. छन्द मुक्त की रचना है।
  5. वीर रस विद्यमान है। देश-प्रेम की भावना व्यक्त की गई।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 7 वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार

2. किसने सुनाया यह
वीर-जन-मोहन अति
दुर्जन संग्राम-राग,
फाग का खेला रण
बारहों महीनों में ?
शेरों की मांद में
आया है आज स्यार-
जागो फिर एक बार !

कठिन शब्दों के अर्थ :
वीर-जन-मोहित = वीर पुरुषों को मोह लेने वाला। अति दुर्जय = जो शीघ्रता से जीता जा सके। संग्राम-राग = युद्ध गीत। फाग = होली। रण = युद्ध (यहां रंग)। मांद = गुफा, खोह, रहने का स्थान। स्यार = गीदड़।

प्रसंग :
यह काव्यांश छायावाद तथा प्रगतिवाद के प्रमुख कवि श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा लिखित काव्य ग्रन्थ ‘परिमल’ में संकलित कविता ‘जागो फिर एक बार’ से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतीय नौजवानों में देशभक्ति की भावना का संचार करने के लिए गुरु गोबिन्द सिंह जी की वीरता का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को फिर से जगाने के लिए गुरु गोबिन्द सिंह जी की उस उक्ति की याद दिलाता है, जिसमें इन्होंने कहा था कि ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं तभी गोबिन्द सिंह नाम कहाऊं’। कवि इसी उक्ति की याद दिलाता हुआ कहता है कि वीर लोगों को मोहित कर लेने वाला यह अति दुर्जय, जो शीघ्रता से न जीता जा सके युद्ध गीत किसने सुनाया था ? तनिक उसकी तो याद करो। उन गुरु गोबिन्द सिंह जी ने बारह महीने युद्ध भूमि में शत्रुओं के खून से होली खेली थी।

हे भारतवासियो ! तुम सिंह हो, आज तुम्हारी मांद में, तुम्हारे घर में एक गीदड़ आ गया है क्या उसको मार भगाने के लिए तुम जागोगे नहीं, ऐसे ही सोये रहोगे। जरा गुरु गोबिन्द सिंह जी जैसे शूरवीरों को याद तो करो।।

विशेष :

  1. प्रस्तुत काव्यांश से कवि का भाव है कि भारतवासियो तुम्हें अपने देश में घुस आए दुश्मनों का सामना वीरता से करना चाहिए। इसलिए वह उन्हें गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा लड़े गए युद्धों में वीरता का वर्णन करता है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान है। छंद मुक्त की रचना है।
  3. वीर रस विद्यमान है। इसमें देश-प्रेम की भावना व्यक्त की गई है।

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3. सत् श्री अकाल,
भाल-अनल धक-धक कर जला,
भस्म हो गया था काल-
तीनों गुण-ताप त्रय,
अभय हो गये थे तुम
मृत्युञ्जय व्योमकेश के समान,
अमृत सन्तान ! तीव्र
भेदकर सप्तावरण-मरण-लोक,
शोकहारी ! पहुंचे थे वहां
जहां आसन है सहस्रार-
जागो फिर एक बार !

कठिन शब्दों के अर्थ :
भाल-अनल = आग का मस्तक। तीनों गुण = सतोगुण, रजोगुण तथा तमोगुण। तापत्रय = दैहिक, दैविक, भौतिक ताप। अभय = निर्भय, भय रहित। मृत्युञ्जय = मृत्यु को जीतने वाला। व्योमकेश = शिव। अमृत संतान = वह संतान जिसने अमृत छका है। सप्तावरण = सात पर्दे। सहस्रार = हठयोग के अनुसार छ: चक्रों में से एक जो मस्तिष्क में होता है।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ छायावाद तथा प्रगतिवाद के प्रमुख कवि श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा लिखित काव्य ग्रन्थ ‘परिमल’ में संकलित कविता ‘जागो फिर एक बार’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि भारतीय नौजवानों को वीरता का पाठ पढ़ाना चाहता है। वीरों के लिए देश की रक्षा के लिए वीरगति प्राप्त करना संसार से मुक्ति है।

व्याख्या :
कवि पुन: गुरु गोबिन्द सिंह जी के पराक्रम का वर्णन करके सोये हुए भारतवासियों को जागृत कर रहा है। हे भारतवासियो ! जब गुरु गोबिन्द सिंह ‘सत् श्री अकाल’ का जयकारा बुलाते हुए युद्ध के क्षेत्र में उतरते थे तो उनके मस्तक से धू-धू करती हुई अग्नि प्रकट होती थी। (यहां कवि का संकेत गुरु गोबिन्द सिंह जी के तेजोमय मस्तक की ओर है) उस अग्नि में मृत्यु भी जल कर भस्म हो गयी थी। उस अग्नि से संसार के तीनों गुण (सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण) तथा तीनों ताप (दैहिक, दैविक भौतिक, दुःख-कष्ट) नष्ट हो गए थे। गुरु गोबिन्द सिंह के संरक्षण के कारण तुम (भारतवासी) भय रहित हो गए थे।

हे भारतवासियो ! उस समय तुम (गुरु गोबिन्द सिंह जी से प्रेरणा पाकर) मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले भगवान् शंकर की अमृत संतान जैसे बन गए थे। भाव यह कि गुरु गोबिन्द सिंह के रहते मृत्यु तुम पर विजय नहीं पा सकती थी अथवा तुम्हें मृत्यु का भय नहीं रहा था। हे भारतवासियो! तुम अपने भौतिक संसार (मृत्यु लोक) के सातों पर्दे (योगसाधना में सात प्रकार के आवरण माने जाते हैं) भेद कर (पार कर) हे शोक को दूर करने वाले ! तुम वहां पहुँच गए थे जहां हज़ार पंखुड़ियों वाला कमल खिला हुआ था (सहस्रार तक पहुंचने के पश्चात् मनुष्य पूर्णतः मुक्त हो जाता है।) इसलिए हे भारतवासियो ! तुम एक बार वैसे ही जाग पड़ो, सचेत हो जाओ।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश से निराला जी के योग साधना सम्बन्धी ज्ञान का परिचय मिलता है। भारतवासियों को योग-साधना से परिचित होना चाहिए। योग साधना से मनुष्य अपने पर संयम रखकर सामने वाले को पराजित कर सकता है।
  2. पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार है।
  3. भाषा तत्सम प्रधान है। छंद मुक्त की रचना है।
  4. देश प्रेम की भावना व्यक्त की गई है।

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4. सिंहनी की गोद से
छीनता रे शिशु कौन ?
मौन भी क्या रहती वह
रहते प्राण ? रे अजान !
एक मेषमाता ही
रहती है निर्निमेष-
दुर्बल वह-
छिनती सन्तान जब
जन्म पर अपने अभिशप्त
तप्त आंसू बहाती है-
किन्तु क्या,
योग्य जन जीता है,
पश्चिम की उक्ति नहीं
गीता है, गीता है-
स्मरण करो बार बार-
जागो फिर एक बार !

कठिन शब्दों के अर्थ :
मेषमाता = भेड़ की माँ। निर्निमेष = अपलक। अभिशप्त = शापित। तप्त = गर्म। उक्ति = कथन।

प्रसंग :
यह काव्यांश छायावाद तथा प्रगतिवाद के प्रमुख कवि श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ द्वारा लिखित काव्य ग्रन्थ ‘परिमल’ में संकलित कविता ‘जागो फिर एक बार’ से लिया गया है। इसमें कवि भारतीयों में शेरनी जैसी हिम्मत देखना चाहता है। अपने तथा उसकी संतान पर जब संकट आता है तब वह अपना सर्वस्व दुश्मन से मुकाबला करने के लिए लगा देती है।

व्याख्या :
कवि भारतवासियों में चेतना लाने के लिए उन्हें उनके पूर्व गौरव की याद दिलाता हुआ कहता है कि तुम तो शूरवीरों की संतान हो, शूरवीर कभी डरा नहीं करते। उदाहरण देते हुए कवि कहता है कि क्या कोई शेरनी की गोद से भी उसका बच्चा छीनता है, कोई नहीं छीनता अथवा छीनने की हिम्मत नहीं करता और यदि कहीं कोई उसके बच्चे को छीनने का प्रयास भी करता है तो क्या वह अपने प्राण रहते चुप रहती है, नहीं।

किन्तु जब कोई किसी भेड़ से उसका बच्चा छीनता है तो भेड़ की माता विवश होकर अपलक देखती रह जाती है। वह अपने शापित जन्म पर, जो अपनी सन्तान के छीने जाने पर उसकी रक्षा नहीं कर सकती, गर्म-गर्म आंसू बहाती है अथवा दुःख भरे आँसू बहाती है किन्तु क्या योग्य व्यक्ति, वीर व्यक्ति उस भेड़ की तरह जी सकता है ? यह कथन पश्चिमी देशों का नहीं हमारी गीता का ज्ञान है जिसे तुम बार-बार स्मरण करो और शत्रु का नाश करने के लिए एक बार फिर से जाग जाओ, सचेत हो जाओ।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवि का यह भाव है कि भारतवासियो तुम्हें अपने देश के मान-सम्मान की रक्षा के लिए एक शेर की तरह तैयार हो जाना चाहिए।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, प्रवाहमयी है।
  3. पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार है।
  4. छन्द मुक्त की रचना है।
  5. वीर रस विद्यमान है।

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5. पशु नहीं, वीर तुम,
समर-शूर, क्रूर नहीं,
काल-चक्र में हो दबे
आज तुम राजकुंवर ! समर-सरताज !
पर, क्या है,
सब माया है-माया है,
मुक्त हो सदा ही तुम,
बाधा विहीन बन्ध छन्द ज्यों,
डूबे आनन्द में सच्चिदानन्द रूप।

कठिन शब्दों के अर्थ :
समर सूर = युद्ध में शूरवीरता दिखाने वाले। क्रूर = निर्दय । काल-चक्र = समय के चक्र। समर-सरताज = युद्ध भूमि के अगुआ, नेता। माया = भ्रम, छल। बाधा विहीन = रुकावटों से रहित । बन्ध छन्द = बन्धनहीन छन्द। सच्चिदानन्द रूप = ब्रह्म रूप।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्यांश छायावाद तथा प्रगतिवाद के प्रमुख कवि श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा लिखित काव्य ग्रन्थ ‘परिमल’ में संकलित कविता ‘जागो फिर एक बार’ से अवतरित है। इसमें कवि ने भारतवासियों को उनके पूर्वजों के शौर्य की याद दिलाता है तथा उनसे कहता है कि तुम्हारी शक्ति दबी हुई है। उसे जागृत करने का समय आ गया है।

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को उनके पूर्व अद्भुत शौर्य और पराक्रम की याद दिलाता हुआ कहता है कि हे भारतवासियो ! तुम अपने आपको पशु समान क्यों समझते हो, तुम तो महावीर और पराक्रमी हो। युद्ध भूमि में सदा तुम ने अपनी शूरवीरता का परिचय दिया है। तुम निर्दय नहीं हो ; निष्ठुर नहीं हो।

यह भिन्न बात है कि इस समय तुम समय के चक्र में दब गए हो किन्तु तुम्हारी अपार शक्ति किसी से छिपी नहीं है। आज भी तुम राजकुंवर हो, युद्ध क्षेत्र में सब के अगुआ हो, नेता हो, तुम आज भी युद्ध करने में कुशल हो, किंतु इस सबसे क्या होता है ? यह तो केवल भ्रम है, माया है कि तुम परतंत्र हो। वास्तविकता तो यह है कि तुम सदा-सदा से उसी तरह से मुक्त रहे हो जैसे कि बंधन-हीन छंद होते हैं। तुम तो सदैव सच्चिदानंद ब्रह्म में लीन रहे हो।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवि का भाव यह है कि वह भारतीयों में देशभक्ति की भावना जागृत करना चाहता है। इसलिए उन्हें शूरवीर पूर्वजों के पराक्रम की याद दिलाता है।
  2. अनुप्रास तथा उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग है।
  3. भाषा तत्सम प्रधान है। छंद मुक्त रचना है।
  4. वीर रस विद्यमान है। देशभक्ति की भावना जागृत की गई है।

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6. महामन्त्र ऋषियों का
अणुओं-परमाणुओं में फूंका हुआ-
तुम हो महान्, तुम सदा हो महान्,
है नश्वर यह दीन भाव,
कायरता, कामपरता
ब्रह्म हो तुम,
पद-रज-भर भी है नहीं पूरा यह विश्व-भार-
जागो फिर एक बार।

कठिन शब्दों के अर्थ :
कामपरता = इच्छाओं के अधीन। पद-रज-भर = पैरों की धूलि के बराबर।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियां छायावाद तथा प्रगतिवाद के प्रमुख कवि श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा लिखित काव्यग्रन्थ ‘परिमल’ में संकलित कविता ‘जागो फिर एक बार’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि भारतवासियों को प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा उत्पन्न शक्ति की याद दिलाता है। उस शक्ति से पूरा संसार प्रभावित था। उस शक्ति को जागृत करने का समय आ गया है।

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को उनके पूर्व अद्भुत शौर्य और पराक्रम की याद दिलाता हुआ कहता है कि हे भारतवासियो ! हमारे ऋषियों का यह महामन्त्र जिसे उन्होंने देश के अणुओं परमाणुओं में फूंक दिया है, देश के कोने-कोने में वह स्वर गूंज रहा है कि हे भारतवासियो ! तुम महान् हो, तुम सदा महान् रहोगे, इस दीनता के भाव को नष्ट कर दो क्योंकि ये भाव कायरता और इच्छाओं के अधीन होने के चिह्न हैं। तुम तो स्वयं ब्रह्म रूप हो और तुम्हारे समक्ष यह समूचे संसार का भार पैरों की धूलि के भार बराबर भी नहीं है। इसलिए हे भारतवासियो ! एक बार फिर जाग जाओ और संसार को अपनी वीरता और पराक्रम का परिचय दो।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश में निराला जी वेदान्त से प्रभावित प्रतीत होते हैं। कवि ने भारतवासियों को उनके अंदर छिपी राष्ट्र भक्ति की याद दिलाई है। भारतवासी अपने सभी दुश्मनों का सामना करने में सक्षम हैं।
  2. भाषा तत्सम प्रधान है।
  3. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है। छंद मुक्त की रचना है।
  4. वीर रस विद्यमान है। देश भक्ति की भावना जागृत की गई है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 7 वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार

वह तोड़ती पत्थर Summary

जीवन परिचय

आधुनिक हिन्दी काव्य-विकास की चर्चा में ‘निराला’ को महाप्राण, काव्य-पुरुष, महाकवि इत्यादि विशेषणों से सम्बोधित किया जाता है। इनका जन्म सन् 1896 में बंगाल प्रान्त के मेदिनीपुर जिले में महिषादल नामक स्थान पर हुआ था। इसी स्थान पर इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने अनेक भाषाओं का अध्ययन भी किया। वे स्वामी रामकृष्ण परमहंस एवं विवेकानन्द की विचारधारा से विशेष प्रभावित थे। उन्मुक्तता अक्खड़ता के साथ निर्बल, असहाय एवं दीन दुःखियों की सहायता इनके व्यक्तित्व की विलक्षणता है। सन् 1961 में इनका निधन हो गया था।
निराला जी की काव्य-चेतना को अनेक रूपों में देखा जा सकता है। इनकी रचनाओं को काव्य-विकास की दृष्टि से क्रमशः तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम चरण 1921-36, द्वितीय चरण 1937-46, तृतीय चरण 1950-61। परिमल, अनामिका, गीतिका, अपरा, नए पत्ते, तुलसीदास इत्यादि इनकी उल्लेखनीय काव्य रचनाएँ हैं। निराला ही एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने कठोर एवं कोमल भावों को आत्मसात् कर काव्य में रुपायित किया है। इनकी कविताओं में छायावादी कोमलता, सुन्दरता एवं कल्पना की बहुलता है। रहस्यवादी दार्शनिकता के साथ प्रगतिवादी आक्रोश तथा अवसाद भी है।

वह तोड़ती पत्थर का सार

‘तोड़ती पत्थर’ कविता के कवि ‘सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला जी’ हैं’। इस कविता के माध्यम से कवि ने मजदूर वर्ग को आर्थिक विषमता का वर्णन किया है। एक मज़दूर महिला भीष्ण गर्मी में सड़क किनारे पत्थर तोड़ रही है। उसके कपड़े भी फटे हुए हैं, जिस सड़क पर बैठी वह पत्थर तोड़ रही है, वहाँ उसके सामने बहुत बड़ा महल है, यह कैसी विडंबना है ? बड़े-बड़े महल खड़े करने वाले हाथ अपनी आजीविका के लिए भीषण गर्मी में पत्थर तोड़ रहे हैं। यह आर्थिक विषमता के कारण है। शोषित वर्ग को जीवन के न्यूनतम साधन जुटाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ रहा है।’

जागो फिर एक बार Summary

जागो फिर एक बार कविता का सार

‘जागो फिर एक बार’ कविता के कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी हैं। कवि ने कविता में गुरु गोबिन्द सिंह की वीरता का उदाहरण देकर मनुष्य की सोई हुई पौरुष शक्ति को जागृत करने का प्रयास किया है। गुरु गोबिन्द सिंह जी अपने शत्रुओं के लिए अकेले ही सवा लाख के बराबर थे। कवि ऐसी ही शक्ति आज के युवक में जागृत करना चाहता है जिससे वह आततायियों से लड़ सके। अपने देश की रक्षा कर सके। युवकों को गुरु गोबिन्द सिंह की तरह सभी प्रकार क्रियाओं में निपुण होना चाहिए। उनमें संयम का समावेश होना चाहिए। हममें शेरनी की तरह हिम्मत होनी चाहिए। जब हमारे देश की प्रभुसत्ता पर खतरा हो तो हम उसकी रक्षा के लिए डटकर सामना करना चाहिए। हमारे पूर्वजों का यश चारों दिशाओं में फैला हुआ है। हमें सदैव याद रखना है कि हम किन लोगों की सन्तान हैं और पूरे संसार को अपनी शक्ति का परिचय देना है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 11 कराहती दहाड़

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 कराहती दहाड़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 11 कराहती दहाड़

Hindi Guide for Class 6 कराहती दहाड़ Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थ नोट : पाठ के आरम्भ में शब्दार्थ दिए गए हैं।

वन- मानुष = एक तरह का बंदर
पिंजरानुमा = पिंजरे के आकर का
प्रजाति = पशु पक्षियों आदि का वह समूह, जिसमें सभी सदस्यों के नाक, कान, कपाल, केश आदि के आकार- प्रकार, रूपरंग आदि में समानता हो।
आश्रय- स्थल = शरण/ ठिकाने का स्थान
आदमखोर = नर मांस भक्षी
सुरक्षा कमी = सुरक्षा करने वाली कर्मचारी
खूंखार = जालिम, खुनी, डरावना

2. मुहावरों के अर्थ दे दिए हैं। अर्थ समझते हुए वाक्य बनाओ।

1. जख्म कुरेदना = बीते हुए कष्ट की याद दिलाना = …………………………..
2. नामोनिशान मिटाना = कुछ भी निशान शेष न रहना = ……………………………..
3. चल बसना = मर जाना = ……………………………
4. प्राणों के लाले पड़ना = जान खतरे में पड़ना = …………………………….
5. मगरमच्छ के आंसू बहाना = झूठा रोना = …………………………
उत्तर:
1. जख्म कुरेदना = बीते हुए कष्ट की याद दिलाना – तुम पुरानी बातों को छेड़कर हमारे जख्म मत कुरेदो।
2.  नामोनिशान मिटाना = कुछ भी निशान शेष न रहना – कुछ वन्य जीवों का तो नामोनिशान तक मिट गया है।
3. चल बसना = मर जाना – लम्बी बीमारी के पश्चात् कल रामू के पिता जी चल बसे।
4. प्राणों के लाले पड़ना = जान खतरे में पड़ना-शेर ने कहा कि हमें तो अपने प्राणों के लाले पड़े हुए हैं। मनुष्यों के डर से हम खुलकर घूम – फिर भी नहीं सकते।
5. मगरमच्छ के आंसू बहाना = झूठा रोना – सेठ की हत्या कर नौकर पुलिस से बचने के लिए मगरमच्छ के आँसू बहाने लगा।

3. लिंग परिवर्तित करो

1. बिल्ली = …………,.
2. देवी = …………..
3. युवक = …………….
4. ब्राह्मण = ……………….
5. बाघ = ………………….
6. माली = ……………
उत्तर:
1. बिल्ली = बिलाव
2.  ब्राह्मण = ब्राह्मणी
3. देवी – देव
4. बाघ = बाघिन
5. युवक = युवती
6. माली = मालिन

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 11 कराहती दहाड़

4. वचन बदलो

1. बिल्ली = ………………….
2. कहानी = ………………
3. हड्डी = ……………….
4. देवी = …………………
5. धारी = ………………..
6. नदी = ………………….
उत्तर:
एकवचन बहुवचन
1. बिल्ली = बिल्लियाँ
2. कहानी = कहानियाँ
3. हड्डी = हड्डियाँ
4. देवी = देवियाँ
5. धारी = धारियाँ
6. नदी = नदियाँ

5. पर्यायवाची शब्द लिखो

1. नदी = ………………….
2. धरा = ………………….
3. वन = ………………….
4. प्राणी = …………………..
5. मानव = ……………………
उत्तर:
1. नदी = सरिता, तटिनी
2. प्राणी = जीव, चेतन
3. वन = कानन, विपिन
4. पुष्प = फूल, कुसुम
5. धरा = धरती, भूमि
6. मानव = मनुष्य, आदमी

6. कोष्ठक में दिए शब्द का सही रूप प्रयोग कर वाक्य बनाओ

1. आज मानव कितना ………………. बन गया है। (स्वार्थ)
2. मानव …………….. सम्पदा के विनाश पर तुला है। (प्रकृति)
3. बाघ हमारा ……………….. प्राणी है। (राष्ट्र)
4. साँप ……………….. होता है (विष)
5. जादूगर का खेल देखकर बच्चे ……… हो रहे थे। (आनन्द)
उत्तर:
1. स्वार्थी
2. प्राकृतिक
3. राष्ट्रीय
4. विषैला
5. आनन्दित

विचार-बोध

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1.
बाघ किस प्रजाति का प्राणी है ?
उत्तर:
बाघ बिल्ली प्रजाति का प्राणी है।

प्रश्न 2.
पेड़ों पर कौन-से जानवर उछलते-कूदते हैं ?
उत्तर:
पेड़ों पर बन्दर उछलते-कूदते हैं।

प्रश्न 3.
भारत का राष्ट्रीय प्राणी कौन-सा है ?
उत्तर:
भारत का राष्ट्रीण प्राणी बाघ है।

प्रश्न 4.
वन्य जीवों का वास्तविक आवास कहाँ हैं?
उत्तर:
वन्य जीवों का वास्तविक आवास वन हैं।

प्रश्न 5.
बाघ का प्रिय आहार क्या है ?
उत्तर:
बाघ का प्रिय आहार मांस है।

प्रश्न 6.
बाघ कितने वर्ष में युवा हो जाता है ?
उत्तर:
बाघ 4 वर्ष की आयु में युवा हो जाता है।

प्रश्न 7.
एशिया में लगभग कितने बाघ पाए जाते हैं ? और कहाँ-कहाँ ?
उत्तर:
एशिया में लगभग 2100 बाघ पाए जाते हैं। ये बाघ भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में पाए जाते हैं।

प्रश्न 8.
बाघ आदमखोर कब बन जाता है ?
उत्तर:
अपनी रक्षा करते हुए, बीमारी के कारण या बुढ़ापे में आकर बाघ आदमखोर बन जाता है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 11 कराहती दहाड़

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
बाघ की प्रमुख विशेषताएं लिखो।
उत्तर:
बाघ की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं

  1. बाघ बिल्ली की प्रजाति का एक जीव है।
  2. इसकी चमड़ी पीली और संतरी रंग की होती है जिस पर काली धारियाँ पड़ी होती हैं।
  3. यह बहुत फुर्तीला होता है।
  4. यह जंगल का राजा कहलाता है।
  5. इसका शरीर 11 फुट तक लम्बा होता है और भार 300 किलो तक का होता है।
  6. यह अकेले रहना पसन्द करता है।
  7. मांस इसका प्रिय खाद्य है।

प्रश्न 2.
बचपन से युवा होने तक बाघ किसके संरक्षण में रहता है और क्या करता है ?
उत्तर:
बचपन से युवा होने तक बाघ अपनी मां के संरक्षण में रहता है और शिकार के दांव-पेच सीखता है।

प्रश्न 3.
बाघ हमारे गौरव का प्रतीक है, कैसे ?
उत्तर:
बाघ हमारे गौरव का प्रतीक है। इसे हमारे देश का राष्ट्रीय पशु होने का गौरव प्राप्त है।

प्रश्न 4.
बाघ को बचाने के लिए भारत सरकार ने क्या कदम उठाए हैं ?
उत्तर:
भारत क्या संपूर्ण विश्व में बाघों का अस्तित्व खतरे में है। इनकी संख्या दिनप्रतिदिन कम होती जा रही है। शिकारी अपने स्वार्थ के लिए इनका शिकार कर रहे हैं। भारत सरकार ने इसके अस्तित्व को बचाने के लिए अनेक उपाय आरम्भ किये हैं। बाघों का शिकार निषेध है। इनके लिए अभ्यारण्य बनाए गए हैं तथा टाइगर परियोजना भी चल रही है। इस प्रकार से बाघों को बचाया जा रहा है।

प्रश्न 5.
मानव बाघों का शिकार क्यों करता है ?
उत्तर:
मानव अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए बाघों का शिकार करता है। वह शेर का । शिकार करके उसकी खाल, हड्डियों और नाखून आदि को अधिक दामों में बेचकर पैसा . कमाता है। इसीलिए वह उनका शिकार करता है।

आत्म-बोध

1. चिड़ियाघर की सैर पर जाओ और अपने प्रिय जानवर के बारे में जानकारी एकत्र करो।
2. वन्य-जीवों के चित्रों का संग्रह करो।
3. लुप्त हो रहे प्राणियों की सूची बनाओ। उत्तर-विद्यार्थी इनके लिए स्वयं प्रयास करें।

रचनात्मक-अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आपने चिड़ियाघर की सैर की है वहाँ आपने जो-जो देखा, अपना अनुभव दस पंक्तियों में लिखो।
उत्तर:
पिछले वर्ष गर्मियों की छुट्टियों में हमने जयपुर के चिड़ियाघर की सैर की। हमने वहाँ पर कई प्रकार के जीवों को देखा। जंगल का राजा बाघ को पिंजरे में आराम करते देखा। सफ़ेद मोर हमारे लिए विशेष उत्साह का कारण था। वह पंख फैलाकर नाच रहा था। राष्ट्रीय पंक्षी मोर भी एक अन्य पिंजरे में मस्त घूम रहा था। एक पिंजरे में गोरिल्ला को देखा। पानी के किनारे मगरमच्छ को आराम से सुस्ताते हुए देखा। पिंजरे में भालू भी गुर्राता हुआ मिला। सफ़ेद भालू भी आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। रंगबिरंगा तोता देखकर हम मोहित हो उठे।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चे क्या देखने गए थे ?
(क) चिड़िया
(ख) चिड़ियाघर
(ग) पिंजरे
(घ) शेर
उत्तर:
(ख) चिड़ियाघर

प्रश्न 2.
बाघ किस प्रजाति का प्राणी है ?
(क) बिल्ली
(ख) कुत्ता
(ग) शेर
(घ) बाघ
उत्तर:
(क) बिल्ली

प्रश्न 3.
भारत का राष्ट्रीय पशु कौन-सा है ?
(क) शेर
(ख) बाघ
(ग) चीता
(घ) हाथी
उत्तर:
(ख) बाघ

प्रश्न 4.
बड़ा होने पर बाघ का वज़न लगभग कितने किलो हो जाता है ?
(क) 350
(ख) 375
(ग) 300
(घ) 450
उत्तर:
(ग) 300

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 11 कराहती दहाड़

प्रश्न 5.
बाघ कितने वर्ष में युवा हो जाता है ?
(क) 4
(ख) 5
(ग) 6
(घ) 7
उत्तर:
(क) 4

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से ‘प्राणी’ का पर्याय है :
(क) जीव
(ख) जगत
(ग) भगत
(घ) जानवर
उत्तर:
(क) जीव

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से ‘मानव’ का पर्याय है :
(क) सुर
(ख) देव
(ग) दानव
(घ) मनुष्य
उत्तर:
(घ) मनुष्य

कराहती दहाड़ Summary

कराहती दहाड़ पाठ का सार

बच्चे चिड़ियाघर देखने गए थे। वे पेड़ों पर उछलते-कूदते प्राणियों को देख कर खुश थे। अचानक बाघ की दहाड़ सुन कर वे सहम गए। एक पिंजरे जैसे आवास में बहुत बड़ा बाघ बंद था। कुछ साहसी बच्चे उसके निकट चले गए। बाघ ने उनसे कहा कि डरो मत। धरती का सब भयानक जानवर वह नहीं था। धरती का सबसे भयानक जानवर तो मनुष्य है, वह तो जंगल में अपनी माँ के साथ रहता था। वह बहुत ही छोटा था। उसका वजन केवल एक किलो था और आँखें बंद। पर अब तो वह पिंजरे में बंद है। बड़ा होने पर बाघ का शरीर 11 फुट तक लंबा और वजन लगभग 300 किलो हो जाता है। चार वर्ष के वे युवा हो जाते हैं। जन्म के बाद छः से आठ सप्ताह तक वे अपनी माँ का दूध पीते हैं और बाद में मांस खाने लगते हैं। बाघ प्रायः अकेले रहना पसंद करते हैं। एक विशेष गंध से वे अपनी सीमा निश्चित कर लेते हैं। जंगल में वे तरह-तरह के पशुओं का शिकार करते हैं पर चिड़ियाघर में तो उन्हें जीने के लिए जैसा भी हो वैसा मांस खाना ही पड़ता है। वे मनुष्य को आत्मरक्षा, बीमारी, कमज़ोरी की अवस्था में ही मारते है। मनुष्य तो अपने स्वार्थ के कारण उन्हें मारता है। एशिया में तो अब केवल 2100 बाघ शेष बचे हैं जिन में से भारत में इनकी संख्या 1400 है। अब इनकी सुरक्षा के लिए टाइगर-परियोजना चलाई गई है।

कठिन शब्दों के अर्थ:

वन मानुष = जंगलों में रहने वाला मनुष्य प्रजाति का बन्दर। चिड़ियाघर = वह स्थान जहां अनेक प्रकार के वन्य पशु-पक्षी रहते हैं। करतब = काम। आनन्दित = खुश। दहाड़ = गर्जना। सहम = डर। विशाल = बड़ा। पिंजरानुमा = पिंजरे । के आकार का। आवास = घर। ओर = तरफ। खूखार = भयानक, डरावना। कुरेदना = खोदना, छेड़ना। आश्रय-स्थल = रहने का स्थान। आदमखोर = आदमियों (मनुष्यों) को खाने वाले।आत्मरक्षा = अपनी रक्षा, बचाव। बर्ताव = व्यवहार। शावक = किसी भी पशु का छोटा बच्चा। सृष्टि = संसार। आश्चर्यचकित = हैरान।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 10 राष्ट्रीयता का तीर्थ-खटकड़ कलाँ

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 राष्ट्रीयता का तीर्थ-खटकड़ कलाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 राष्ट्रीयता का तीर्थ-खटकड़ कलाँ

Hindi Guide for Class 6 राष्ट्रीयता का तीर्थ-खटकड़ कलाँ Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिए जा चुके हैं।

प्रण =प्रतिज्ञा
प्रसिद्ध = मशहूर
स्मारक = याद में
धूलि = धूल
सम्मान = आदर
उम्र = आयु
प्रतिमा = मूर्ति
पट्टिका = पटिया, तख्ती
पैतृक = पिता का
सहयात्री = साथ यात्रा करने वाली
धरोहर = अमानत
बुलन्द = ऊँचा
कांस्य = ताँबे और टिन से बनी एक धातु

2. समानार्थक लिखिए

1. आजाद = ………………..
2. शहीद = ……………….
3. प्रसिद्ध = …………………
4. क्रान्तिकारी = ………………
5. स्वागत = ……………….
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. आज़ाद = स्वतन्त्र
2. शहीद = बलिदानी
3. प्रसिद्ध = मशहूर
4. क्रान्तिकारी = आन्दोलनकारी, इन्कलाबी
5. स्वागत = अभिनन्दन, शुभागमन

3.शुद्ध रूप लिखें

1. समिती = ………………….
2. परसिद्ध = …………………
3. पैतरिक = ………………….
4. सवतंत्रता = ………………..
5. जलियावाला = ………………..
6. समारक = ………………….
7. सनंवेदनशील = ………………….
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
1. समिती = समिति
2. पैतरिक = पैतृक
3. परसिद्ध – प्रसिद्ध
4. सवतंत्रता = स्वतंत्रता
5. जलियावाला = जलियाँवाला
6. समारक = स्मारक
7. सनवेदनशील = संवेदनशील

4.’शील’, ‘शाली’, ‘कारी’, ‘ता’ शब्दांशों को जोड़कर दो-दो नए शब्द लिखिए।
उत्तर:
शील-दानशील, प्रगतिशील।
शाली-बलशाली, प्रभावशाली।
कारी-क्रान्तिकारी, चित्रकारी।
ता-समता, भावुकता।

5. वैसे तो खटकड़ कलां ज़िला नवाँशहर का छोटा-सा गाँव है पर यह किसी तीर्थस्थल से कम नहीं। क्या आप ने खटकड़ कलां का नाम सुना है ?
ऊपर लिखे वाक्यों में “वैसे तो” ‘पर’ रेखांकित शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं, अतः सम्बन्धवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं।
‘क्या’ शब्द प्रश्न का बोध कराता है, अत: यह प्रश्नवाचक सर्वनाम का उदाहरण हैं।

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6. भूत और भविष्य काल लिखें

एक छोटा-सा गाँव है – वर्तमानकाल
…………………………… = भूतकाल
…………………………. = भविष्यकाल
उत्तर:
एक छोटा-सा गाँव है = वर्तमानकाल
यहाँ एक द्वीप था = भूतकाल।
मैं कल अमृतसर जाऊँगा = भविष्यकाल।

विचार-बोध (प्रश्न)

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
भगत सिंह के पैतृक गांव का क्या नाम है ?
उत्तर:
भगत सिंह के पैतृक गांव का नाम खटकड़ कलां है। वह नवांशहर बंगा सड़क पर स्थित है।

प्रश्न 2.
भगत सिंह का नारा क्या था ?
उत्तर:
भगत सिंह का नारा था-‘इन्कलाब ज़िन्दाबाद’।

प्रश्न 3.
भगत सिंह कैसा साहित्य पढ़ते थे ?
उत्तर:
भगत सिंह क्रान्तिकारियों का साहित्य पढ़ते थे।

प्रश्न 4.
भगत सिंह के माता-पिता का क्या नाम था ?
उत्तर:
भगत सिंह की माता का नाम श्रीमती विद्यावती और पिता का नाम सरदार किशन सिंह था।

प्रश्न 5.
भगत सिंह को किन साथियों के साथ फांसी की सज़ा मिली ?
उत्तर:
सरदार भगत सिंह को उनके साथियों सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी की सज़ा मिली।

प्रश्न 6.
लाला जी की मौत का बदला भगत सिंह ने कैसे लिया ?
उत्तर:
लाला लाजपतराय ने साइमन कमीशन के विरोध में लाहौर में जुलूस निकाला। पुलिस अफसर सांडर्स के आदेश पर लाठीचार्ज किया गया। लाठीचार्ज में लाला जी घायल हो गए। कुछ दिन बाद उनका निधन हो गया। क्रान्तिकारियों ने सांडर्स की हत्या करके लाला जी की मौत का बदला ले लिया।

प्रश्न 7.
अजीत सिंह का निधन कब हुआ ? उत्तर-अजीत सिंह का निधन 15 अगस्त, सन् 1947 को हुआ। 8. पंजाब माता का सम्मान किसे दिया गया ?
उत्तर:
‘पंजाब माता’ का सम्मान भगत सिंह की माता विद्यावती को दिया गया।

(ख)
प्रश्न 1.
जलियांवाला बाग की घटना अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
13 अप्रैल, सन् 1919 को अमृतसर के जलियावाला बाग में जनसभा थी। कांग्रेस के अनेक नेता इसमें सम्मिलित हुए थे। अंग्रेज़ सरकार ने अचानक जनसभा को गैर-कानूनी घोषित कर फायरिंग शुरू करवा दी। निकलने का एक ही मार्ग था। जनता में भगदड़ मच गई। हज़ारों निहत्थे लोग अंग्रेज़ पुलिस की गोलियों का शिकार हो गए।

प्रश्न 2.
भगत सिंह को अमृतसर की मिट्टी ने किस प्रकार भावुक बना दिया ? जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड के आधार पर स्पष्ट करो।
उत्तर:
भगत सिंह को अमृतसर में हुए 13 अप्रैल, सन् 1919 को मुंशस हत्याकाण्ड ने इतना भावुक और दुःखी बना दिया था कि वे उस बाग से रक्त से भीगी मिट्टी लेकर लौटे थे।

प्रश्न 3.
आप कैसे कह सकते हैं कि यदि भगत सिंह क्रान्तिकारी न होते तो बहुत बड़े लेखक होते ?
उत्तर:
शहीद भगत सिंह को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का तथा अभिनय करने की बहुत रुचि थी। क्रान्तिकारी साहित्य में वे खूब रुचि लेकर पढ़ते थे। इसी कारण वे क्रान्ति
और जोश से भरी रचनाएं भी रची थीं उन्होंने बलवंत के नाम से अनेक लेख भी लिखे थे। उन्हें उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा पर भी एक समान अधिकार प्राप्त था। इसी कारण कहा जा सकता है कि यदि वे क्रान्तिकारी न होते तो एक लेखक के रूप में ज़रूर प्रसिद्ध होते।

प्रश्न 4.
भगत सिंह जैसे शहीदों की शहादत से देश आज़ाद हुआ। अपने देश की रक्षा के लिए आप क्या कर सकते हैं ?
उत्तर:
भगत सिंह जैसे शहीदों की शहादत से देश आजाद हुआ। इस आजादी को सम्भाल कर रखने की ज़िम्मेदारी अब हमारी है। हमें अपने देश को विकास की ओर लेकर चलना है। हमें अपने देश की आज़ादी की रक्षा अपने प्राणों से भी बढ़कर करनी है।

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प्रश्न 5.
भगत सिंह के कौन-कौन से गुण आप अपनाना चाहेंगे ?
उत्तर:
हम भगत सिंह के देश-प्रेम की भावना जैसे गुण अपनाना चाहेंगे ताकि देश रक्षा करते हुए यदि जान भी देनी पड़े तो हम पीछे न हटें।

आत्म-बोध (प्रश्न)

1. शहीद भगत सिंह का चित्र कक्षा में लगाएं।
2. पंजाब के स्वतन्त्रता सेनानियों की सूची तैयार करें।
3. जब कभी उधर जाओ, तो खटकड़ कलां में भगत सिंह का स्मारक अवश्य देखकर आओ।
4. किसी महान् पुरुष की जीवनी को पढ़ें और उनके गुणों को जीवन में उतारने का प्रयत्न करें।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
भगत सिंह ने कौन-सा नारा दिया ?
(क) इन्कलाब जिन्दाबाद
(ख) जय हो
(ग) भारत छोड़ो
(घ) जय जवान
उत्तर:
(क) इन्कलाब जिन्दाबाद

प्रश्न 2.
भगत सिंह के पैतृक गाँव (जहाँ उनका जन्म हुआ) का क्या नाम है ?
(क) खटकड़
(ख) कलां
(ग) खटकड़ कलां
(घ) अमृतसर
उत्तर:
(ग) खटकड़ कलां

प्रश्न 3.
भगत सिंह कैसा साहित्य पढ़ते थे ?
(क) क्रांतिकारियों का
(ख) अंग्रेजों का
(ग) हिंदुस्तानियों का
(घ) भारत माता का
उत्तर:
(क) क्रांतिकारियों का

प्रश्न 4.
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना कब घटित हुई ?
(क) 13 अप्रैल, 1919
(ख) 13 अप्रैल, 1920
(ग) 13 अप्रैल, 1921
(घ) 13 अप्रैल, 1922
उत्तर:
(क) 13 अप्रैल, 1919

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से संबंधवाचक सर्वनाम का उदाहरण है
(क) पर
(ख) कहां
(ग) किसने
(घ) वे
उत्तर:
(क) पर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से प्रश्नवाचक सर्वनाम का उदाहरण कौन-सा है ?
(क) कोई
(ख) कुछ
(ग) क्या
(घ) उन्होंने
उत्तर:
(ग) क्या

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राष्ट्रीयता का तीर्थ खटकड़ कला Summary

राष्ट्रीयता का तीर्थ खटकड़ कला पाठ का सार

अमर शहीद भगत सिंह का जन्म लायलपुर (पाकिस्तान) में बंगा चक में हुआ था, खटकड़ कलाँ में नहीं। अब जन्म स्थल पाकिस्तान में छूट जाने के कारण उनके पैतृक गांव खटकड़ कलाँ (बंगा के निकट) को ही जन्म स्थान के बराबर आदर-सत्कार दिया जा रहा है। इसीलिए इसे तीर्थ स्थल के समान भी माना जाता है। खटकड़ कलाँ गांव नवांशहर-बंगा रोड पर स्थित है। वहां सड़क के किनारे शहीद भगत सिंह की कांसे की मूर्ति स्थापित है। सन् 1919 को वैशाखी के दिन यानी 13 अप्रैल को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक जनसभा का आयोजन हुआ था। उस जनसभा में एकत्रित हुए लोगों पर अंग्रेज़ पुलिस अधिकारी जनरल डायर के आदेश पर अन्धा-धुन्ध गोलियां चलाई गई थीं। उस समय भगत सिंह बहत छोटे थे पर वे अपनी बहन अमरजीत कौर को बताए बिना अमृतसर गए थे और उस बाग के रक्त से भीगी मिट्टी लेकर लौटे थे। भगत सिंह आजादी पाने की उधेड़-बुन में लीन रहते थे। वे घर छोड़ कर कानपुर पहुंच गए। वहां वह गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ के समाचार-पत्र में काम करने लगे। भगत सिंह ‘बलवन्त’ के नाम से लेख लिखते थे।

शहीद भगत सिंह की स्मृति में 23 मार्च को प्रति वर्ष खटकड़ कलाँ और फिरोज़पुर के निकट सतलुज के किनारे हुसैनीवाला में मेले लगते हैं। वे अपने साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ 23 मार्च, सन् 1931 को हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर झूल गए थे। सुखदेव पंजाब के लुधियाना नगर में ही जन्मे थे तो राजगुरु महाराष्ट्र, प्रदेश के वासी थे परन्तु भारत माता की गुलामी की बेड़ियां काटने के लिए विभिन्न राज्यों के क्रान्तिकारी एक साथ चले थे और फांसी के फंदे चूमे थे। भगत सिंह के आदर्श शहीद करतार सिंह सराभा थे और वे उनका चित्र हर समय अपनी जेब में रखते थे। सराभा का चित्र भी स्मारक में लगा हुआ है। शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह का चित्र भी देखने को मिलेगा। वे उनसे भी प्रभावित थे। अजीत सिंह का निधन 15 अगस्त, सन् 1947 को हुआ था। जैसे ही उन्होंने डल्हौज़ी में भारत के स्वतन्त्र होने का समाचार सुना तब उन्होंने कहा कि हमारा प्रण पूरा हुआ और प्राण त्याग दिए। __ शहीद भगत सिंह की माता विद्यावती ने स्वतन्त्रता के बाद खटकड़ कला में अपना जीवन बिताया। उन्हें ‘पंजाब माता’ का सम्मान दिया गया था। इसलिए खटकड़ कलाँ एक स्मारक ही नहीं, एक तीर्थ स्थल भी है।

कठिन शब्दों के अर्थ:

पैतृक = बाप-दादाओं का, पूर्वजों का। तीर्थस्थल = पवित्र स्थान। आदर-सत्कार = सम्मान, इज्जत। कांस्य प्रतिमा = कांसे की मूर्ति। स्मारक = यादगार स्थल। रचनात्मक कार्य = रचना सम्बन्धी काम। दुःखान्त = दुःखदायी घटना। जनसभा = लोगों की सभा, जलसा। एकत्रित = इकट्ठी। आदेश = हुक्म। रक्त = खून। भावुक = भावनाशील। संकल्प – कोई कार्य करने का पक्का विचार। स्मृतियों = यादों। सहयात्री = साथ सफर करने वाला। निधन = मृत्यु। प्रण = प्रतिज्ञा। धूलि = धूल। धरोहर = अमानत। बुलन्द = ऊँचा।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 6 पवनदूत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 6 पवनदूत

Hindi Guide for Class 11 PSEB पवनदूत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण के वियोग में राधा की व्यथा का चित्रण करें।
उत्तर:
श्रीकृष्ण के वियोग में राधा दिन-रात रोती रहती थी। उसकी आँखों में सदा आँसू भरे रहते थे और वह अत्यंत उदास दिखाई देती थी। राधा भी चातक की तरह वियोग की पीड़ा की अधिकता के कारण दिन-रात पिउ-पिउ रटती रहती थी। उसके मन में श्रीकृष्ण से मिलन की लालसा दिन-रात बढ़ती जा रही थी। उसे सुखद वस्तुएँ और क्रियाएँ भी दुखदायी प्रतीत होती थीं।

प्रश्न 2.
पवन ने आकर राधा के दुःख को किस प्रकार कम किया ?
उत्तर:
प्रात:कालीन सुगन्धित पवन ने राधा के घर में प्रवेश कर राधा के घर को सुगन्धि से भर दिया। उसने अपनी सुगंध से राधा के व्यथित मन की पीड़ा को कम करने का प्रयास किया। इसी उद्देश्य से पवन ने राधा के आँसुओं को बड़ी शालीनता से पृथ्वी पर गिरा दिया। उसने तरह-तरह की क्रियाओं से उसकी विरह-वियोग से उत्पन्न पीड़ा को कम करना चाहिए।

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प्रश्न 3.
राधा ने पवन को दूत बना कर क्यों भेजा ?
उत्तर:
राधा ने पवन को दूत बनाकर इसलिए भेजा कि जब से श्रीकृष्ण मथुरा गए थे तो उन्होंने वहाँ से उन्हें कोई सन्देश नहीं भेजा था। राधा चाहती थी कि पवन मथुरा में श्रीकृष्ण के पास जाए और उसकी सारी विरह-गाथा उन को कह सुनाये।

प्रश्न 4.
राधा ने पवन को श्रीकृष्ण का परिचय किस प्रकार दिया ?
उत्तर:
राधा ने पवन को श्रीकृष्ण का परिचय देते हुए कहा कि श्रीकृष्ण के शरीर का रंग जल से भरे नए बादलों के समान साँवला, उनके नेत्र कमल के फूल के समान बड़े-बड़े हैं। उनकी मुख-मुद्रा सौम्यता की मूर्ति तथा उनके वचन अमृत रस में भीगे हुए हैं।

प्रश्न 5.
मुरझाये फूल, फूले कमलदल और मलिन लतिका जैसे उपमानों के द्वारा राधा ने अपनी व्यथा किस प्रकार व्यक्त की ?
उत्तर:
प्रस्तुत उपमानों के द्वारा राधा ने अपनी विरह-व्यथा व्यक्त करते हुए कहा है कि वह श्रीकृष्ण के वियोग में मुरझाए फूल के समान हो गयी है। खिले हुए कमल की पत्तियों को श्रीकृष्ण के सामने दुखित भाव से जल-पुंज में डुबा कर अपने आँसुओं को जताना चाहती है तथा सूखी लता को श्रीकृष्ण के कदमों में डालकर अपनी विरह वेदना से उन्हें परिचित करवाना है।

प्रश्न 6.
‘पवन दूत’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखें।
उत्तर:
‘पवन दूत’ कविता में कवि ने राधा की विरह-व्यथा का मार्मिक चित्रण किया है। कवि ने राधा द्वारा पवन को दूती बना कर अपनी विरह-वेदना श्रीकृष्ण तक पहुँचाने का प्रयास किया है। राधा ने पवन से श्रीकृष्ण की चरण धूलि को लेकर आने को कहा है। उस चरण-धूलि को अपने शरीर पर लगाकर अपना जीवन सफल बनाना चाहती है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

PSEB 11th Class Hindi Guide पवनदूत Important Questions and Answers

अति लघसरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘प्रिय प्रवास’ का कौन-सा प्रसंग वायु को दूत बना कर भेजने से सम्बन्धित है ?
उत्तर:
‘पवनदूत प्रसंग’।

प्रश्न 2.
कृष्ण के वियोग में राधा अपना समय कैसे बिताया करती थी ?
उत्तर:
रो-रो कर चिंता सहित।

प्रश्न 3.
राधा के आँस किसे भिगो रहे थे ?
उत्तर:
धरती को।

प्रश्न 4.
सुगंधित वायु ने राधा के घर में कहाँ से प्रवेश किया था ?
उत्तर:
वातायनों से।

प्रश्न 5.
पवन ने राधा के आँस कहाँ से कहाँ गिराये थे ?
उत्तर:
राधा की पलकों से धरती पर।

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प्रश्न 6.
पवन की प्यार वाली क्रियाएँ राधा को कैसी लगी थीं ?
उत्तर:
वैरिणी जैसी।

प्रश्न 7.
राधा ने पवन को कौन-सी गाली दी थी ?
उत्तर:
पापिष्ठे (पापी)।

प्रश्न 8.
श्रीकृष्ण का रंग कैसा था ?
उत्तर:
नव जलद-सा (नए-नए बादलों जैसा)।

प्रश्न 9.
श्रीकृष्ण से बिछुड़ कर राधा को किस पर भरोसा था ?
उत्तर:
वायु पर।

प्रश्न 10.
राधा ने वायु से कौन-सा संबंध जोड़ा था ?
उत्तर:
बहन का (भगिनी)।

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प्रश्न 11.
मथुरा नगरी किस नदी के किनारे बसी हुई थी ?
उत्तर:
यमुना नदी।

प्रश्न 12.
राधा ने किसके कष्टों को कम करने का पवन से आग्रह किया था ?
उत्तर:
मेहनत करने वाले श्रमिकों और किसानों का।

प्रश्न 13.
राधा ने पवन को किस के साथ खेलने के लिए कहा था ?
उत्तर:
कमल के फूलों, पेड़-पौधों और बेलों का।

प्रश्न 14.
मथुरा के मंदिर किस के समान ऊँचे वर्णित किए गए हैं ?
उत्तर:
सुमेरु पर्वत जैसे।

प्रश्न 15.
श्रीकृष्ण की आँखों को क्या कहा गया है ?
उत्तर:
ज्योति उत्कीर्णकारी।

प्रश्न 16.
श्रीकृष्ण के वस्त्र किस रंग के थे ?
उत्तर:
पीले रंग के।

प्रश्न 17.
श्रीकृष्ण की काली-काली लटें कहाँ की शोभा बढ़ा रही थीं ?
उत्तर:
गालों और कनपटियों की (गंडशोभी)।

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प्रश्न 18.
श्रीकृष्ण की भुजाएँ किस के समान शक्तिशाली और लंबी थीं ?
उत्तर:
हाथी की सूंड जैसी।।

प्रश्न 19.
अंभोजनेत्रा’ शब्द के द्वारा किस की ओर संकेत किया गया है ?
उत्तर:
राधा।

प्रश्न 20.
कवि ने किस छंद का प्रयोग किया है ?
उत्तर:
वार्णिक छंद।

प्रश्न 21.
कवि ने किस बोली का प्रमुखता से प्रयोग किया है ?
उत्तर:
खड़ी बोली।

प्रश्न 22.
किस शैली का प्रयोग प्रमुख रूप से किया गया है ?
उत्तर:
अतुकांत।

प्रश्न 23.
कवि ने किस काव्य गुण का प्रमुखता से प्रयोग किया है ?
उत्तर:
प्रसाद गुण।

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प्रश्न 24.
कवि की शब्द-योजना मुख्य रूप से कैसी है ?
उत्तर:
तत्सम-तद्भव शब्दावली का समन्वित प्रयोग।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का सुप्रसिद्ध महाकाव्य कौन सा है ?
(क) प्रिय प्रवास
(ख) प्रिय प्यार
(ग) प्रिय पाजेब
(घ) प्रिय-प्रिया।
उत्तर:
(क) प्रिय प्रवास

प्रश्न 2.
‘प्रिय प्रवास’ महाकाव्य किस भाषा में रचित है ?
(क) ब्रज
(ख) अवधी
(ग) खड़ी बोली
(घ) बुंदेली।
उत्तर:
(ग) खड़ी बोली

प्रश्न 3.
श्री कृष्ण ब्रज छोड़कर कहां चले गये थे ?
(क) मथुरा
(ख) काशी
(ग) वाराणसी
(घ) अयोध्या।
उत्तर:
(क) मथुरा

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

प्रश्न 4.
मथुरा नगरी किस नदी के तट पर विराजमान है ?
(क) गंगा
(ख) यमुना
(ग) सरस्वती
(घ) कावेरी।
उत्तर:
(ख) यमुना।

पवनदूत सप्रसंग व्याख्या

(1) नाना चिन्ता सहित दिनों को राधिका थी बिताती।
आँखों को थी सजल रखती उन्मना थी बिताती।
शोभा वाले जलद-वपु की हो री चातकी थी।
उत्कण्ठा थी परम प्रबल वेदना वर्द्धिता थी॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
सजल = आँसुओं भरे। उन्मना = उदास । जलद-वपु = मेघ जैसे शरीर वाले श्री कृष्ण। उत्कण्ठा = लालसा, बेचैनी । परम प्रबल = तीव्र । वेदना = पीड़ा, कष्ट, दुःख। वर्द्धिता = बढ़ रही।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी द्वारा लिखित महाकाव्य ‘प्रिय-प्रवास’ के ‘पवन दूत’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि राधा जी की वियोग दशा का वर्णन कर रहे हैं।

व्याख्या :
कवि कहता है कि श्रीकृष्ण के वियोग में व्यतीत होने वाले प्रत्येक दिन को राधा रोते हुए और नाना प्रकार की दुश्चिंताओं में ग्रस्त होकर व्यतीत करती थी। उसकी आँखों में सदैव आँसू भरे रहते थे और वे अत्यन्त उदास दिखाई देती थी। वह मेघों जैसे कांति के शरीर वाले श्रीकृष्ण की वह चातकी बनी हुई थी, जैसे स्वाति नक्षत्र के बादलों के लिए व्याकुल होकर चातकी पिउ-पिउ रटती रहती थी, उसी प्रकार राधा जी भी श्रीकृष्ण के नाम की रट लगाए रहती थी। उनके मन में श्रीकृष्ण से मिलन की लालसा अधिक बढ़ती जा रही थी और श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति के कारण उनकी पीड़ा बढ़ती ही जा रही थी।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि राधा श्रीकृष्ण जी के वियोग में व्याकुल थी। वह चातकी की तरह अपने प्रिय के मिलन के लिए तड़प रही थी।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास तथा रूपक अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(2) बैठी खिन्ना एक दिवस वे गेह में थी अकेली।
आके आँसू युगल दृग में थे धरा को भिगोते।
आई धीरे इस सदन में पुष्प-सद्गंध को ले।
प्रातः वाली सुपवन इसी काल-वातायनों से॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
एग दिवस = एक दिन । खिन्ना = उदास। दृग-युगल = दोनों आँखें। धरा = पृथ्वी। सदन = घर। सद्गंध = सुन्दर सुगंध। वातायनों = झरोखों।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी’ द्वारा लिखित महाकाव्य ‘प्रिय-प्रवास’ के पवन दूत प्रसंग से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि श्री कृष्ण जी के मथुरा चले जाने पर राधा जी की विरह दशा का वर्णन करता है।

व्याख्या :
कवि राधा जी की विरह दशा का वर्णन करते हुए कहता है कि एक दिन वे बड़ी उदास, अपने घर में अकेली बैठी थीं। उनकी आँखों में बहते आँसू पृथ्वी को भिगो रहे थे कि तभी उस घर में, फूलों की सुगन्धि से युक्त प्रातः वेला की पवन ने झरोखों के मार्ग से प्रवेश किया।

विशेष :

  1. राधा श्रीकृष्ण जी के वियोग में निरन्तर रोए जा रही थी।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. वियोग श्रृंगार रस विद्यमान है।

(3) आके पूरा सदन उसने सौरभीला बनाया।
चाहा सारा कलुष तन का राधिका के मिटाना।
जो बूंदें थीं सजल दृग के पक्ष में विद्यमाना।
धीरे-धीरे क्षिति पर उन्हें सौम्यता से गिराया॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
सौरभीला = सुगन्धित। सदन = घर। कलुष = क्लेश, व्यथा। सजल दृग = आँसू भरे नेत्र। पक्ष = बरौनियों, भवें। क्षिति = पृथ्वी। सौम्यता = मधुरता।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध’ जी द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय-प्रवास’ के ‘पवन-दूत’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने सुगन्धित पवन का वर्णन किया है। यह पवन राधा के मन की पीड़ा दूर करने की चेष्टा कर रही थी।

व्याख्या :
कवि कहता है कि मन्द गति से प्रवाहित प्रात:कालीन सुगन्धित वायु ने राधा जी के घर को सुगन्धि से भर दिया और वह वायु राधा जी के मन की व्यथा को मिटाने की चेष्टा करने लगी। इसी उद्देश्य से उसने राधा जी के आंसू भरे नेत्रों की बरौनियों में विद्यमान अश्रुकणों को बड़ी ही मधुरतापूर्वक अर्थात् शालीनता से पृथ्वी पर गिरा दिया।

विशेष :

  1. प्रकृति भी राधा जी के वियोग दूर करने के लिए उसके आस-पास सुगन्धित हवा बहा रही थी।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास तथा उपमा अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(4) श्री राधा को यह पवन की प्यार वाली क्रियाएँ।
थोड़ी-सी न सुखद हुई हो गई वैरिणी-सी।
भीनी-भीनी महक सिगरी शान्ति उन्मूलती थी।
पीड़ा देती व्यथित चित को वायु की स्निग्धता थी।

कठिन शब्दों के अर्थ :
भीनी-भीनी = हल्की-हल्की। महक = खुशबू। सिगरी = सारी। उन्मूलती = नष्ट कर रही थी। व्यथित = दुःखी। स्निग्धता = सरसता।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय-प्रवास’ के ‘पवनदूत’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने सुगन्धित पवन से राधा जी को होने वाली पीड़ा का वर्णन किया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि वायु की यह प्रेम से भरी शालीन क्रिया भी राधा जी को सुख देने वाली न लग कर दुःखमयी और शत्रुतापूर्ण लग रही थी। वायु से जो हल्की-हल्की खुशबू आ रही थी, उससे उनके मन की शांति नष्ट हो रही थी और वायु की यह सरसता उनके दुखी चित को पीड़ा दे रही थी।

कवि का अभिप्राय यह है कि श्रीकृष्ण के वियोग में राधा जी के मन की व्यथा सुगन्धित वायु के संस्पर्श से और भी अधिक बह गई थी, क्योंकि वायु की इस क्रिया से राधा जी को संयोगकाल में श्रीकृष्ण से संस्पर्श करने की याद ताज़ा हो उठी थी।

विशेष :

  1. सुगन्धित हवा ने राधाजी की व्याकुलता को और बढ़ा दिया। उन्हें उस समय श्री कृष्ण जी के मिलन की याद आने लगी थी।
  2. भाषा प्रवाहमयी संस्कृत तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास तथा उपमा अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

(5) संतापों को विपुल बढ़ता देख के दुःखिता हो।
धीरे बोली सदुख उससे श्रीमती राधिका यो।
“प्यारी प्रातः पवन इतना क्यों मुझे है सताती।
क्या तू भी है कलुषित हुई काल की क्रूरता से॥”

कठिन शब्दों के अर्थ :
संतापों = दुःखों। विपुल = अत्यधिक। कलुषित = दूषित। क्रूरता = कठोरता।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय- प्रवास’ के ‘पवन-दूत’ प्रसंग से ली गई हैं। इसमें कवि ने श्री कृष्ण के वियोग में संतप्त राधा की दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रात:कालीन सुगंधित वायु के प्रभाव स्वरूप जब राधा जी ने अपने मन की व्यथा को बहते देखा तो बड़े ही दुःखपूर्वक मन्द स्वर में उससे कहने लगी कि अरी ! प्रभातकालीन प्रिय वायु ! तू मुझे इस प्रकार क्यों दुखी कर रही है ? क्या तुम भी मेरी तरह समय की कठोरता से दूषित हो गई हो। क्या तुझ पर भी मेरी विरह की छाया पड़ गई है जिससे तू दूषित होकर क्रूर, कठोर या निर्दय हो गई हो ?

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि राधाजी सुगन्धित हवा चलने से और अधिक दुःखी हो जाती है। वह प्रभात बेला से उसे और दुःखी नहीं करने के लिए कहती है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास अंलकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(6) मेरे प्यारे नव-जलद-से, कंज-से नेत्रवाले,
जाके आये न मधुवन से औ न भेजा सँदेसा।
मैं रो-रो के प्रिय-विरह से बावरी हो रही हूँ,
जाके मेरी सब कथा स्याम को तू सुना दे॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
नव = नये। जलद = बादल। कंज = कमल। मधुवन = मथुरा। बावरी = पगली। स्याम = श्रीकृष्ण।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय’ हरिऔध द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय-प्रवास’ के पवन-दूत’ प्रसंग से अवतरित है। इसमें कवि ने राधा जी द्वारा पवन को दूत बनाकर श्री कृष्ण जी के पास मथुरा भेजने का वर्णन किया है। वह अपनी पीड़ा श्री कृष्ण जी के पास पहुँचाना चाहती है।

व्याख्या :
राधा प्रातः कालीन वायु की पहले तो तीव्र भर्त्सना करती है फिर उससे सखीपना स्थापित करते हुए कहती है कि हे प्रात:कालीन पवन ! मेरे प्रिय श्रीकृष्ण नए बादल के समान है, उनके शरीर का वर्ण बादलों जैसा सांवला है। वे कमल के समान नेत्रों वाले हैं, जो मथुरा जाकर फिर नहीं लौटे हैं और न ही वहां जाकर कोई सन्देश भेजा है। मैं श्रीकृष्ण के वियोग में रो-रोकर पागल हो रही हूँ। हे पवन ! तू श्रीकृष्ण के पास जाकर मेरी सारी कथा सुना देना।

विशेष :

  1. राधा जिस हवा के बहने के कारण दुखी थी, बाद में उसे ही अपनी दूत बना कर श्री कृष्ण के पास संदेश भेजती है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास तथा रूपक अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

(7) कालिन्दी के तट पर घने रम्य उद्यान वाला।
ऊंचे-ऊंचे धवल-गृह की पंक्तियों से प्रशोभी।
जो है न्यारा नगर मथुरा प्राण प्यारा वहीं है।
मेरा सूना सदन तज के तू वहां शीघ्र ही जा।

कठिन शब्दों के अर्थ :
कालिन्दी = यमुना। रम्य = सुन्दर। उद्यान = बाग-बगीचे। धवल-गृह = सफेद घर। प्रशोभी = शोभायमान न्यारा । न्यारा = अलग। सदन = घर । तज के = छोड़ कर।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय’ हरिऔध द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय-प्रवास’ के ‘पवन दूत’ प्रसंग से अवतरित है। इसमें कवि ने राधा जी द्वारा पवन दूत को मथुरा का मार्ग बताने के विषय का वर्णन किया है।

व्याख्या :
राधा जी वायु को मथुरा जाने का रास्ता बताती हुई कहती है कि मथुरा नगर यमुना के तट पर बना है और वह नगर घने और सुन्दर बाग-बगीचों वाला है। वहां ऊंचे-ऊंचे सफेद घरों की पंक्तियाँ शोभायमान हो रही हैं। जो मथुरा नगर दूसरे नगरों से अलग है वहीं मेरे प्राण प्यारे श्रीकृष्ण रहते हैं। अतः मेरा यह सूना घर छोड़ कर तुम शीघ्र वहां जाओ और श्रीकृष्ण तक पहुँच जाओ।

विशेष :

  1. राधा जी हवा को श्री कृष्ण का पता बता कर शीघ्र वहाँ जाने के लिए कहती है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(8) जाते-जाते अगर पथ में क्लान्त कोई दिखावे।
तो जा के सन्निकट उसकी क्लान्तियों को मिटाना।
धीरे-धीरे परस करके गात उत्ताप खोना।
सद्गंधों से श्रमित जन को हर्षित-सा बनाना॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
क्लान्त = थका हुआ। सन्निकट = पास जाकर। क्लान्तियों = थकावट। परस करके = स्पर्श करके। गात = शरीर के। उत्ताप = दुःख, व्याकुलता। खोना = दूर करना। सद्गंधों से = अपनी सुगन्धि से। श्रमित = थके हुए। दूषित-सा = प्रफुल्लित।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय’ हरिऔध द्वारा रचित महाकाव्य प्रिय-प्रवास के ‘पवन दूत’ प्रसंग से अवतरित है। इसमें कवि ने राधा जी द्वारा पवन दूत को यह समझाने का प्रयास किया है कि मार्ग में यदि कोई थका मुसाफ़िर मिले तो उसे ठण्डक पहुंचाने का प्रयास करने का वर्णन है।

व्याख्या :
राधा जी मथुरा का मार्ग बताती हुई वायु से कहती है कि मथुरा जाते समय यदि तुम्हें रास्ते में थका हुआ व्यथित मुसाफिर दिखाई दे तू उसके समीप जाकर उसकी थकान और कष्टों को दूर करने की कृपा करना। उसके शरीर को धीरे-धीरे मधुर रीति से स्पर्श करते हुए उसकी थकान और कष्टों को दूर करना। अपनी सुगन्धि से उस थके हुए मुसाफ़िर को प्रफुल्लित कर देना।

विशेष :

  1. राधा जी हवा से दूसरे मुसाफ़िरों की सहायता करने के लिए कहती है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(9) तेरे जैसी मृदु पवन से सर्वथा शान्ति-कामी,
कोई रोगी पथिक पथ में जो कहीं भी पड़ा हो।
तो तू मेरे सकल दुख को भूल के, धीर होके,
खोना सारा कलुष उसका शान्ति सर्वांग होना॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
मृदु = कोमल । सर्वथा = भली प्रकार, पूरी तरह । शान्ति-कामी = शान्ति चाहने वाला। कलुष = रुग्णता। सर्वांग = सभी अंगों की।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य प्रिय प्रवास के ‘पवन दूत’ प्रसंग से ली गई हैं। इनमें कवि ने श्री कृष्ण के वियोग में संतप्त राधा की दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या :
राधा पवन को दूत बना कर श्रीकृष्ण के पास भेजती हुई कहती है कि हे सखी! तेरे जैसी कोमल पवन से जब कोई शान्ति की कामना करता हुआ रोगी मुसाफ़िर रास्ते में पड़ा हो, तो तू मेरे सारे दुःखों को भूलकर, थोड़ा धीरे होकर उसका सारा रोग और कष्ट हर लेना और उसके शरीर के सब अंगों को शान्ति प्रदान करना।

विशेष :

  1. राधा जी हवा से दूसरे मुसाफ़िरों की सहायता करने के लिए कहती है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

(10) जाते-जाते पहुँच मथुरा-धाम में उत्सुका हो,
न्यारी शोभा वन नगर की देखना मुग्ध होना।
तू होवेगी चकित लख के मेरु-से मन्दिरों को,
आभावाले कलश जिनके दूसरे अर्क-से हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ :
मथुरा-धाम = मथुरा नगरी। न्यारी = अनोखी। लखके = देखकर। मेरु-से = सुमेरु पर्वत से। (कहते हैं कि सुमेरु पर्वत सोने का था।) कलश = मन्दिरों के कलश (छत्र) अर्क-से = सूर्य के समान ।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय-प्रवास’ के ‘पवन दूत’ प्रसंग से अवतरित है। इसमें कवि ने राधा जी द्वारा मथुरा नगरी की सुन्दरता का वर्णन किया है।

व्याख्या :
राधा पवन को दूत बनाकर श्रीकृष्ण के पास भेजती हुई कहती है कि तू बड़ी उत्सुकता से आगे बढती जाना और मथुरा नगरी पहुँच कर वहां की अनोखी शोभा को देखती हुई मोहित हो उठना। तू वहां के ऊंचे और सुमेरु पर्वत के समान सुनहरी मन्दिरों को देखेगी तो आश्चर्य से चकित रह जाएगी। उन मन्दिरों के चमकते हुए कलश शोभा में दूसरे सूर्य जैसे हैं।

विशेष :

  1. मथुरा नगरी की सुंदरता का वर्णन किया गया है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. उपमा तथा अनुप्रास अलंकार है।
  4. वियोग श्रृंगार रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(11) तू देखेगी जलद-तन को जा वहीं तद्गता हो,
होंगे लोने नयन उनके ज्योति-उत्कीर्णकारी।
मुद्रा होगी वह बदन की मूर्ति-सी सौम्यता की,
सीधे-साधे वचन उनके सिक्त पीयूष होंगे।

कठिन शब्दों के अर्थ :
जलद-तन = मेघ की सी कान्ति के शरीर वाले श्रीकृष्ण। तद्गता हो = तन्मय होकर। लोने = सुन्दर । ज्योति उत्कीर्णकारी = जिनमें से ज्योति (प्रकाश) निकल रहा हो। मुद्रा = भाव भंगिमा। बदन = मुख । सौम्यता = शालीनता। सिक्त = भीगे हुए। पीयूष = अमृत।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय’ हरिऔध द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय-प्रवास’ के ‘पवन दूत’ प्रसंग से अवतरित है। इसमें कवि ने श्री कृष्ण जी की सुन्दरता का वर्णन किया है।

व्याख्या :
राधा पवन से कहती है कि जब तू मथुरा जाएगी तो तुझे मेघों जैसी श्याम कान्ति वाले मेरे प्रिय श्रीकृष्ण इन राजमहलों में ही दिखाई देंगे, जिनकी शारीरिक कान्ति और शोभा इतनी अधिक मनोहर है कि तू उन्हें देखते हुए तन्मय हो उठेगी, अपनी सुध-बुध खो बैठेगी। श्रीकृष्ण के नेत्र बहुत हो सुन्दर दिखाई देंगे, उनमें ज्योति की किरणें फूटती रही होंगी। उनके मुख की भाव भंगिमा तुझे ऐसी दिखाई देगी मानो वह शालीनता की प्रतिमूर्ति है जबकि उनके मुख से निकलने वाली वाणी अमृत रस में डूबी हुई प्रतीत होगी।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि राधा जी हवा को श्री कृष्ण जी के रूप-रंग के विषय में बताती है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. उपमा, रूपक अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

(12) नीले कुंजों सदृश उनके गात की श्यामता है,
पीला प्यारा वसन कोटि में पहनते हैं फबीला।
छूटी काली अलक मुख की कान्ति को है बढ़ाती,
सदवस्त्रों में नवल तन की फटती-सी प्रभा है।

कठिन शब्दों के अर्थ :
कुंजों = फूलों का समूह । गात = शरीर। श्यामता = सांवलापन। वसन = वस्त्र। कटि = कमर। फबीला = सजने वाला। अलक = लूट। सद्वस्त्रों = सुन्दर वस्त्रों। नवल-तन = नया शरीर अर्थात् युवावस्था को प्राप्त करता शरीर। प्रभा = प्रकाश, कांति।।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियां अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के ‘पवनदूत’ प्रसंग से ली गई हैं। इनमें कृष्ण वियोग में संतप्त राधा पवन को अपना दूत बना कर श्री कृष्ण के पास भेजती है।

व्याख्या :
राधा पवन को श्रीकृष्ण की रूपाकृति से परिचित करवाती हुई आगे कहती है कि श्रीकृष्ण के शरीर का सांवलापन खिले हुए नील कमलों की पंखुड़ियों के समान है। वे कमर में पीला वस्त्र पहनते हैं जो उनके सांवले शरीर पर अत्यधिक शोभा पाता है। उनके मुख पर धुंघराले बालों की लट उनके मुख से सौन्दर्य और कान्ति को और अधिक बढ़ा रही है। उनके सुन्दर वस्त्रों से युवावस्था में प्रवेश करते हुए शरीर की कांति फूट रही है। उनकी दिव्य शारीरिक कांति उनके वस्त्रों में भी नहीं छिप रही है।

विशेष :

  1. राधा जी हवा को श्री कृष्ण जी के रूप-रंग से परिचित करवा रही है। उन्हें डर है कि हवा उनका संदेश श्री कृष्ण के स्थान पर किसी अन्य को न दे दे।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुप्रास तथा अलंकार है।
  4. शृंगार रस का वर्णन है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(13) जाते ही छू कमल-दल से पाँव को पूत होना,
काली काली अलक मृदुता से कपोलों को हिलाना॥
क्रीड़ायें भी कलित करना ले दुकूलादिकों को,
धीरे-धीरे परस तन को, प्यार की बेलि बोना॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
कमल-दल-से = कमल के पत्तों के समान कोमल। पूत होना = पवित्र होना। अलक = लटें। मृदुता = कोमलता। कपोलों = गालों। क्रीड़ायें = खेल। कलित = सुन्दर। दुकूलदिकों की = दुपट्टे आदि की। परस = स्पर्श करके।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय’ हरिऔध रचित महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के ‘पवन-दूत’ प्रसंग से अवतरित है। इसमें राधा ने पवन दूत को श्री कृष्ण का स्पर्श करने के लिए कहा है।

व्याख्या :
राधा पवन को दूत बना कर श्रीकृष्ण के पास भेजते हुए कह रही है कि तू जैसे ही मेरे प्रिय श्रीकृष्ण के भवन में प्रवेश करे उनके कमल की पंखुड़ियों के समान कोमल चरणों का स्पर्श करके तू अपने को पवित्र कर लेना। उस के बाद तू उनकी काली-काली सुन्दर लटाओं को बड़ी कोमलता से उनके गालों पर लहराना, हिलाना और उनके दुपट्टे आदि के साथ भी सुन्दर खेल खेलना, उन लटाओं को लहरा भी देना। फिर उनके कोमल शरीर का स्पर्श करके प्यार की बेल बोना, उनके हृदय में प्रेमलता अंकुरित कर देना।

विशेष :

  1. राधा जी हवा से श्रीकृष्ण जी को छूने के लिए कहती है। इससे श्रीकृष्ण जी को उनके प्यार का एहसास होगा।
  2. अनुप्रास तथा उपमा अलंकार है।
  3. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  4. श्रृंगार इस का वर्णन है।

(14) कोई प्यारा कुसुम कुम्हला भौन में जो पड़ा हो,
तो प्यारे के चरण पर ला डाल देना उसे तू।
यों देना ए पवन ! बतला फूल-सी एक बाला,
म्लाना हो हो कमल-पग को चूमना चाहती है।

कठिन शब्दों के अर्थ :
कुसुम = फूल। मौन = भवन। बाला = लड़की। म्लाना = दुखी।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के ‘पवन-दूत’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने विभिन्न साधनों द्वारा राधा जी की विरह पीड़ा श्रीकृष्ण तक पहुँचाने का वर्णन किया है।

व्याख्या :
राधा पवन से कहती है जो तुझे कोई प्यारा-सा मुरझाया फूल भवन में पड़ा हुआ मिले तो उस मुरझाये फूल को मेरे प्रिय के चरणों में लाकर डाल देना। इस तरह हे पवन ! तू श्रीकृष्ण को यह बतला देना कि एक फूलसी कोमल लड़की दुखी होकर उनके चरण कमलों को चूमना चाहती है।

विशेष :

  1. राधा जी हवा के द्वारा श्रीकृष्ण के चरणों में मुरझाए फूल अर्पित करके अपना दुःख प्रकट करना चाहती है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता।
  3. उपमा तथा अनुप्रास अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(15) लाके फूले कमल-दल को श्याम के सामने ही
थोड़ा-थोड़ा विपुल जल में व्यग्र हो हो डुबाना।
यों देना तू भगिनी जतला एक अंभोजनेत्रा,
आँखों को हो विरह-बिधुरा वारि में बोरती है।

कठिन शब्दों के अर्थ :
फूले = खिले हुए। विपुल = अथाह । बहुत अधिक व्यग्र हो हो = व्याकुल हो-हो कर। भगिनी = बहन। अंभोजनेत्रा = कमल जैसी आंखों वाली। विरह-बिधुरा = विरह में पागल या दुखी। वारि में बोरती है = आंसुओं में डुबोती है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के ‘पवन दूत’ प्रसंग से ली गई हैं। इनमें कवि ने कृष्ण वियोग में संतप्त राधा के पवन को दूत बना कर श्री कृष्ण के पास भेजने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या :
पवन से राधा कहती है कि हे बहन ! तू किसी खिले हुए कमल के फूल की पंखुड़ियों को उड़ाकर श्रीकृष्ण के सामने दुखित भाव से धीरे-धीरे जलपुंज में डुबोना और इस प्रकार श्रीकृष्ण को अहसास करा देना कि कमल जैसी आँखों वाली एक बाला राधा विरह-व्यथा के कारण अपनी आँखों को आँसुओं के जल में इसी प्रकार डुबो रही है तथा विरह कातर होकर वह सदा रोती रहती है।

विशेष :

  1. राधा जी हवा से कहती है कि वह अपने आचरण से श्रीकृष्ण जी को यह अनुभव कराए की राधा जी उनसे बिछुड़ कर बहुत दुखी है।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. रूपक तथा अनुप्रास अलंकार है।
  4. वियोग श्रृंगार रस है।

(16) सूखी जाती मलिन लतिका जो धरा में पड़ी हो,
तो तू पांवों के निकट उसको श्याम के ला गिराना।
यों सीधे से प्रकट करना प्रीति से वंचिता हो,
मेरा होना अति मलिन और सूखते नित्य जाना॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
मलिन = दुखी, मुरझाई हुई। लतिका = बेल। धरा = धरती, पृथ्वी। वंचित = रहित।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के पवन दूत’ प्रसंग से ली गई हैं। इनमें कवि ने कृष्ण वियोग में संतप्त राधा के पवन को दूत बना कर श्री कृष्ण के पास भेजने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या :
राधा पवन को सम्बोधित करती हुई कहती है कि यदि कोई सूखी हुई मैली-कुचैली, गंदी-सी लता को धरती पर पड़े हुए देखो तो हे बहन ! उस लता को उठा कर श्रीकृष्ण के चरणों के निकट ला गिराना और उस सरल सीधी रीति से यह भाव व्यक्त कर देना कि उनके प्रेम से रहित होकर राधा दिन-रात सूखती जा रही है, क्षीण होती जा रही है।

विशेष :

  1. राधा जी हवा को उनका दुःख व्यक्त करने के साधन बताती है। वह अपने भावों से श्री कृष्ण जी को उनका दुःख बताए।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. उपमा अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(17) यों प्यारे को विदित करके सर्व मेरी व्यथायें,
धीरे-धीरे वहन करके पाँव की धूलि लाना।
थोड़ी-सी भी चरण-रज जो ला न देगी हमें तू,
हा! कैसे तो व्यथित चित को बोध मैं दे सकंगी।

कठिन शब्दों के अर्थ :
विदित करके = जता कर। वहन करके = उठाकर। बोध = आश्वासन, ज्ञान, समझ।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के ‘पवन-दूत’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने पवन दूत से श्री कृष्ण के चरणों की धूल लाने का वर्णन किया है।

व्याख्या :
पवन को संबोधित करते हुए राधा कहती है कि इस प्रकार प्रिय श्रीकृष्ण को मेरी सारी पीड़ाएँ बता देना और धीरे से उनके चरणों की धूलि को धीरे-से उठा कर ले आना। यदि तू मुझे श्रीकृष्ण की थोड़ी-सी भी चरण धूलि ला देगी तो मैं किसी प्रकार अपने विरह से दुखी चित्त को आश्वासन दे सकूँगी।

विशेष :

  1. राधा जी हवा से उनका दुःख श्री कृष्ण को व्यक्त करने के लिए कहती है तथा श्रीकृष्ण जी के चरणों की धूल अपने साथ लाने के लिए कहती है। इससे उनका विरह दुःख कम हो जाएगा।
  2. भाषा प्रवाहमयी है।
  3. उपमा अलंकार है।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

(18) जो ला देगी चरण-रज तू तो बड़ा पुण्य लेगी,
पूता हूँगी परम उसको अंग में मैं लगाके।
पोतुंगी जो हृदय-दल में वेदना दूर होगी,
डालूंगी मैं शिर पर उसे आँख में ले मलूंगी।

कठिन शब्दों के अर्थ :
पूता हूँगी = पवित्र हो जाऊंगी। अंग में = शरीर में। पोतूंगी = लिपटाऊँगी, लगाउँगी। ‘वेदना = पीड़ा।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के ‘पवन-दृत’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने पवन दूत से श्री कृष्ण के चरणों की धूल लाने का वर्णन किया है।

व्याख्या :
राधा पवन से प्रार्थना करती हुई कहती है कि यदि तू मुझे श्रीकृष्ण के चरणों की धूलि ला देगी तो तेरा बड़ा पुण्य होगा। मैं उसे अपने शरीर के अंगों पर लगाकर पवित्र हो जाऊँगी, जब मैं उस चरण धूलि को अपने शरीर पर लगाऊँगी तो मेरी विरह व्यथा दूर हो जाएगी। मैं उस पवित्र चरण धूलि को सिर पर डालूँगी और उसे अपनी आँखों में भी डालूँगी।

विशेष :

  1. राधा जी श्रीकृष्ण जी के चरणों की धूलि को अपने शरीर पर लगाकर, उनके होने का अनुभव करना चाहती थी।
  2. भाषा प्रवाहमयी है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है।
  3. अनुभव करना चाहती थी।
  4. वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

(19) पूरी होवें न यदि तुझसे अन्य बातें हमारी,
तो तू मेरी विनय इतनी मान ले औ चली जा।
छूके प्यारे कमल पग को प्यार के साथ आ जा,
जी जाऊँगी हृदय तल में मैं तुझी को लगाके॥”

कठिन शब्दों के अर्थ : विनय = प्रार्थना।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश में कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के ‘पवन दूत’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने पवनदूत द्वारा चरणों की धूलि नहीं लाने पर, उसे केवल चरणों के स्पर्श को ही अपने साथ लाने का वर्णन किया है।

व्याख्या :
राधा पवन से प्रार्थना करते हुए कहती है कि यदि तुम से दूसरी बातें पूरी न हो सकें तो तू मेरी इतनी प्रार्थना को मान मथुरा नगरी में श्रीकृष्ण के पास चली जाओ और वहाँ श्रीकृष्ण के प्यारे चरणों को बड़े प्यार के साथ छूकर लौट आना तब मैं तुझे अपने दुखी हृदय से लगा कर सुख पाऊँगी।

विशेष :
श्री राधा जी हवा से कहती है कि यदि वह कुछ भी करने में असमर्थ है तो वह श्रीकृष्ण जी को छूकर ही आ जाए। वह उसके द्वारा उनकी छुवन को महसूस कर लेंगी।
भाषा प्रवाहमयी है।
वियोग शृंगार रस विद्यमान है।

पवनदूत Summary

पवनदूत जीवन परिचय

‘अयोध्या सिंह उपाध्याय’ का जन्म निजामबाद जिला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश में सन् 1865 ई० को हुआ था। उन्होंने अपने नाम-क्रम ‘सिंह’ (हरि) तथा अयोध्या (औध) को बदलकर ‘हरिऔध’ उपनाम से काव्य रचना की। ‘हरिऔध’ जी का गद्य और पद्य दोनों पर पूर्ण अधिकार था। किन्तु इन्हें काव्य जगत में विशेष प्रसिद्धि मिली। इनके रचनाकाल के समय खड़ी बोली अपने शैशवकाल में थी। इनकी मृत्यु सन् 1941 ई० में हो गई थी।

इनका प्रिय प्रवास महाकाव्य अत्यंत लोकप्रिय हुआ। इसमें भगवान श्री कृष्ण के ब्रज से मथुरा चले जाने पर गोपियों की विरह का मार्मिक चित्रण हुआ है। खड़ी बोली में इस प्रसंग को लेकर पहला काव्य रचा गया है। कवि ने अपने सभी ग्रन्थों में बड़े उपयुक्त छंदों, रसों और अलंकारों का वर्णन किया है। इन ग्रन्थों में प्राकृतिक छटा के बड़े सुन्दर उदाहरण हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 6 पवनदूत

पवनदूत का सार

कविता का सार ‘पवन दूत’ कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित प्रबन्ध काव्य ‘प्रिय-प्रवास’ से ली गई है। इसमें कवि ने राधा जी के विरह का वर्णन किया है। श्री कृष्ण जी के मथुरा जाने के बाद उनके वियोग में उनकी प्रेयसी राधा की हालत दयनीय हो जाती है। एक दिन वह श्री कृष्ण जी के वियोग में घर में बैठी आँसू बहा रही थी, उसी समय प्रातः कालीन सुगंधित पवन आकर सम्पूर्ण वातावरण को सुहावना बना देती है। परन्तु पवन का झोंका राधा जी की विरह वेदना को और बढ़ा देता है। उस समय राधा जी पवन को अपना दूत बनाकर श्री कृष्ण जी के पास अपनी विरह वेदना का संदेश भेजती है। वे पवन को मथुरा और श्री कृष्ण का परिचय देती है। वे पवन को श्री कृष्ण जी के चरणों की धूल लाने के लिए कहती है। क्योंकि राधा जी श्री कृष्ण जी के चरणों की धूलि को अपने तन पर लगाकर अपना जीवन सार्थक बनाना चाहती हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 4 दोहे

Hindi Guide for Class 11 PSEB दोहे Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मानव शरीर की नश्वरता का प्रतिपादन करते हुए रहीम ने क्या कहा है ?
उत्तर:
रहीम जी मानव शरीर की नश्वरता के विषय में कहते हैं कि जब तक मनुष्य का शरीर चलता है तब तक उसके परिजन, मित्र आदि उसे अच्छी तरह पूछते हैं परन्तु जब वह बूढ़ा हो जाता है तब उसे कोई नहीं पूछता है। शरीर का मोल तब तक है जब तक काम आता है इसीलिए इसे नाशवान कहा गया है जिसका मोह नहीं करना चाहिए। इस नाशवान शरीर को तो मिटना ही है पर ईश्वर ही इसकी सदा सहायता करते हैं इसलिए उसे प्रभु को कभी नहीं भुलाना चाहिए।

प्रश्न 2.
रहीम जी ने कुपुत्र को सदैव कुल के लिए अपमान का कारण क्यों कहा है ?
उत्तर:
रहीम जी ने कुपुत्र को कुल के लिए अपमान का कारण इसलिए कहा है क्योंकि उसके बड़ा होने पर कुल में अँधेरा छा जाता है। कुल के दुःख बढ़ जाते हैं और उसके बुरे कर्म कुल के लिए अपमानजनक बनते हैं। जैसे-जैसे वह बढ़ता है वैसे-वैसे उसके द्वारा किए गए कुकर्म भी बढ़ते जाते हैं जिस कारण माता-पिता और परिवार की प्रतिष्ठा मिटती चली जाती है। कुपुत्र अपने पूरे वंश की ख्याति को मिट्टी में मिलाने का कार्य करता है।

प्रश्न 3.
रहीम जी ने मनुष्य को सोच समझ कर बोलने की शिक्षा देते हुए क्या कहा है ?
उत्तर:
रहीम जी कहते हैं कि मनुष्य को सोच समझकर बोलना चाहिए क्योंकि जीभ तो बुरा-भला बोल कर मुँह के अन्दर जाकर छिप जाती है और जूते सिर को खाने पड़ते हैं। बुरा बोलकर मनुष्य अपने रिश्ते-नाते खराब कर लेता है। जिह्वा से निकले हुए ग़लत बोल कभी भी दूसरे भुला नहीं पाते। किसी भी व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति से लड़ाई का मूल कारण सदा बातचीत ही होती है। कड़वा और झगड़ालू व्यवहार बोलने से ही आरंभ होता है इसलिए सोच-समझ कर ही बोलना चाहिए।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

प्रश्न 4.
प्रेमपूर्वक खिलाये जाने वाले भोजन को रहीम जी ने उत्तम क्यों माना है ?
उत्तर:
रहीम जी के अनुसार प्रेमपूर्वक खिलाया गया भोजन उत्तम है क्योंकि उसके सादे भोजन में भी मिठास होती है और तन और मन दोनों को तृप्त कर देता है अपितु मैले मन से खिलाए गए पकवान पेट और मन दोनों खराब कर देते हैं। प्रेमपूर्वक किया गया व्यवहार और बातचीत सदा संबंधों को बढ़ाती है और पारस्परिकता को समृद्ध करती है।

प्रश्न 5.
प्रभु के प्रति विनय-भावना व्यक्त करते हुए रहीम ने क्या कहा ?
उत्तर:
रहीम जी ने प्रभु के प्रति विनय-भावना व्यक्त करते हुए कहा है प्रभु की मन से भक्ति करनी चाहिए और आदर भाव से उन्हें देखना चाहिए तभी वे वश में होते हैं। ईश्वर सदा भक्त की भक्ति ही चाहते हैं। ईश्वर तो दया की खान है। वह तो भक्त की पुकार पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाता है और उसकी क्षमा याचना से पहले ही क्षमा कर देता है।

प्रश्न 6.
रहीम जी के अनुसार प्रभु को किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
रहीम जी के अनुसार प्रभु को प्राप्त करने के लिए मन से स्मरण करना चाहिए, आँखों में आदर लेकर पूर्ण रूप से उनके प्रति समर्पित होना ज़रूरी है। प्रभु की प्राप्ति उसे पुकारने से अवश्य हो जाती है। उसके प्रति मन में सच्चे भाव होने चाहिए। छल-फरेब और लालच से रहित मानव उसे सच्चे मन से चाहने पर अवश्य प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न 7.
रहीम के अनुसार जीवन में सत्संगति का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
रहीम जी के अनुसार सत्संगति का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्त्व है। मनुष्य जिस संगति में बैठता है उसमें वैसे ही गुण आ जाते हैं। सत्संगति में बैठने से मनुष्य सज्जन पुरुष बन जाता है तथा चारों ओर प्रशंसा का पात्र बनता है। सत्संगति से मनुष्य अपने सहायक स्वयं प्राप्त कर लेता है जो सुख-दुःख में उसके सहायक बनते हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

PSEB 11th Class Hindi Guide दोहे Important Questions and Answer

अति लघूतरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि रहीम का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 1553 में।

प्रश्न 2.
रहीम का पूरा नाम क्या था ?
उत्तर:
अब्दुर्ररहीम खान खाना।

प्रश्न 3.
कवि रहीम के अनुसार प्रेम में किसका स्थान नहीं है ?
उत्तर:
कवि रहीम के अनुसार प्रेम में दिखावे का स्थान नहीं है।

प्रश्न 4.
किसे इधर-उधर खोजना व्यर्थ है ?
उत्तर:
परमात्मा को इधर-उधर खोजना व्यर्थ है।

प्रश्न 5.
हाथी किस धूल को ढूँढ़ रहा था ?
उत्तर:
हाथी उस धूल को ढूँढ़ रहा था जिससे गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार हुआ था।

प्रश्न 6.
कौन पहले ही अपनी स्थिति के कारण मरा हुआ होता है ?
उत्तर:
माँगने वाला व्यक्ति।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

प्रश्न 7.
मनुष्य पर किसका प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
मनुष्य पर अच्छी बुरी संगति का प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 8.
पेट भरने के लिए बलशाली को भी क्या करना पड़ता है ?
उत्तर:
पेट भरने के लिए बलशाली को भी दूसरों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है।

प्रश्न 9.
ईश्वर स्वयं किनकी चिंता करते हैं ?
उत्तर:
ईश्वर स्वयं उपयोगी तथा अनुपयोगी वस्तुओं की चिंता करते हैं।

प्रश्न 10.
कवि रहीम के अनुसार किसकी जीभ बड़ी पगली है ?
उत्तर:
मनुष्य की जीभ बड़ी पगली है।

प्रश्न 11.
कौन-सा शासक अच्छा होता है ?
उत्तर:
जो शासक चंद्रमा के समान सुख देता है वह अच्छा होता है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

प्रश्न 12.
अधिकतर व्यक्ति किसके साथी होते हैं ?
उत्तर:
अधिकतर व्यक्ति दुःखों के साथी न होकर सुखों के साथी होते हैं।

प्रश्न 13.
कौन-से लोग मृत समान होते हैं ?
उत्तर:
जो लोग होने के बाद भी दान नहीं देते।

प्रश्न 14.
रहीम जी ने अपने दोहों में ……………… दिया है ।
उत्तर:
गहन संकेत।

प्रश्न 15.
माँगने वाला चाहे कितना ही हो वह ……………….. रहता है ।
उत्तर:
छोटा।

प्रश्न 16.
ईश्वर का वास ……….. में होता है ।
उत्तर:
मन।

प्रश्न 17.
प्रेम में किसका स्थान नहीं होता है ?
उत्तर:
दिखावे का।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

प्रश्न 18.
रहीम जी किस स्थान पर रहना चाहते हैं ?
उत्तर:
जिस स्थान पर लोग चरित्रवान हों।

प्रश्न 19.
सच्ची सेवा, आवभगत और उपकार किससे संभव है ?
उत्तर:
प्रेमभाव से।

प्रश्न 20.
गौतम ऋषि की पत्नी का क्या नाम था ?
उत्तर:
अहिल्या।

प्रश्न 21.
मनुष्य को अपनी …………. की रक्षा करनी चाहिए ।
उत्तर:
मान-मर्यादा।

प्रश्न 22.
तालाब में पानी के साथ और क्या होता है ?
उत्तर:
कीचड़।

प्रश्न 23.
मनुष्य को अपनी जुबान पर क्या रखना चाहिए ?
उत्तर:
संयम।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

प्रश्न 24.
ताड़ और खजूर के पेड़ कैसे होते हैं ?
उत्तर:
बहुत बड़े।

प्रश्न 25.
कौन-से लोग पशु समान होते हैं ?
उत्तर:
जो दूसरों के गुणों पर रीझकर भी उसे कुछ नहीं देते।

प्रश्न 26.
परिवार में अंधेरा कब छा जाता है ?
उत्तर:
जब पुत्र कपूत निकल जाता है।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रहीम किसके नवरत्नों में से एक थे ?
(क) अकबर
(ख) शाहजहाँ
(ग) बीरबल
(घ) नूरजहां।
उत्तर:
(क) अकबर

प्रश्न 2.
रहीम किसके भक्त माने जाते हैं ?
(क) श्री राम के
(ख) श्री कृष्ण के
(ग) रहीम के
(घ) करीम के।
उत्तर:
(ख) श्री कृष्ण के

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

प्रश्न 3.
रहीम के कौन से दोहे सुप्रसिद्ध हैं ?
(क) गीति के
(ख) रीति के
(ग) नीति के
(घ) प्रीति के।
उत्तर:
(ग) नीति के

प्रश्न 4.
रहीम के अनुसार ईश्वर का वास कहां होता है ?
(क) तन में
(ख) मन में
(ग) ब्रहम में
(घ) जगत में।
उत्तर:
(ख) मन में।

दोहों सप्रसंग व्याख्या

1. अमर बेलि बिनु मूल की, प्रति पालत जो ताहि ॥
रहिमन ऐसे प्रभुहि तजि, खोजत फिरिये काहि॥1॥

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य को उपदेश दिया है कि उसे ईश्वर की खोज में व्यर्थ नहीं भटकना चाहिए। वह तो स्वयं सहायक बनकर उसके साथ ही मन में रहता

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि हे मनुष्य ! जो, ईश्वर बिना जड़ की अमर बेल का पालन-पोषण करते हैं तथा जिन पौधों की कोई रखवाली नहीं करता, उन्हें भी ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। तू ऐसे ईश्वर को छोड़कर व्यर्थ में उसकी खोज में इधर-उधर भटकता रहता है। वे तो स्वयं ही तेरा ध्यान रखते हैं।

विशेष :

  1. ईश्वर सब पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। उन्हें इधर-उधर खोजना व्यर्थ है। इसलिए सच्चे मन से उनकी आराधना करनी चाहिए।
  2. भाषा सरल तथा सामान्य बोलचाल की है।
  3. प्रसाद गुण है।
  4. शांत रस है।
  5. गेयता का गुण है।
  6. अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

काम न काहू आवई, मोल रहीम न लेई।
बाजू टूटे बाज को, साहब चारा देइ ॥2॥

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ से लिया गया है। इसमें में कवि ने कहा है कि जो वस्तु काम में आने वाली न हो उसे कभी भी खरीदना नहीं चाहिए।

व्याख्या :
कवि कहते हैं कि जो वस्तु हमारे काम में आने वाली नहीं होती उसे खरीदना नहीं चाहिए। बेकार की वस्तुओं की चिन्ता ईश्वर स्वयं करते हैं। जैसे टूटे पंख वाले बाज के पेट को भरने की चिन्ता ईश्वर करते हैं। वही उसे खाना प्रदान कराते हैं। उसके लिए किसी को चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है।

विशेष :

  1. ईश्वर उपयोगी तथा अनुपयोगी वस्तुओं की चिन्ता स्वयं करते हैं।
  2. भाषा सरल, सहज तथा आम बोलचाल की है।
  3. प्रसाद गुण है।
  4. शान्त रस है।
  5. गेयता का गुण है।
  6. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

धूरि धरत नित सीस पै, कह रहीम केहि काज।
जेहि रज मुनि-पतनी तर, सो ढूंढत गजराज॥3॥

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ से लिया गया है। इसमें कवि ने उस हाथी का वर्णन किया है जो सती अनसूया के चरणों की रज को ढूंढ़ रहा है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि हाथी प्रति दिन अपने सिर पर संड से धरती की धूल धारण करता है। वह ऐसा क्यों कर रहा है क्योंकि हाथी का अपने मस्तक पर धूल लगाने के पीछे भी कुछ कारण होगा। रहीम जी अपने प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं कि हाथी उस धूल को ढूंढ रहा है जिस धूल के स्पर्श से गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार हो गया। हाथी श्रीराम जी के चरणों की धूल ढूंढ रहा है जिससे उसका उद्धार हो सके।

विशेष :

  1. मानव तो मानव पशु भी श्रीराम के चरणों की धूल प्राप्त करके अपना जीवन सफल बनाना चाहते हैं।
  2. भाषा सरल, सहज तथा आम बोलचाल की है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

बडे पेट के भरन में है रहीम दख बाढ़ि॥
यातें हाथि हहरि कै, दिये दाँत द्वै काढ़ि ॥4॥

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने खाने और दिखाने के दांत का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि बड़े पेट को भरने के लिए बहुत कष्ट उठाने पड़ते हैं। इसी बड़े पेट को भरने के लिए हाथी जैसे विशाल शरीर वाले जानवर को भी भूख से घबराकर अपने लम्बे दाँत दिखाने पड़ते हैं। दूसरों के सामने सहायता के लिए सभी को प्रार्थना करनी पड़ती है; गिड़गिड़ाना पड़ता है।

विशेष :

  1. पेट भरने के लिए शक्तिशालियों को भी दूसरों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है; सहायता पाने की इच्छा करनी पड़ती है।
  2. भाषा सरल, सहज तथा आम बोलचाल की है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।
  7. ‘दाँत निकलना’ मुहावरे का प्रयोग सार्थक है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

रहिमन अपने पेट सों, बहुत कहयो समुझाइ।
जो तू अनखाये रहै, तोसों तो अनखाई॥5॥

शब्दार्थ : कहयो = कहना। अन खाना (अन्न + खाना) = पेट भरा हो। अनखाना = क्रुद्ध होकर बुरा मानना।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने अपने पेट को समझाने की बात कही है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि उन्होंने अपने पेट को बहुत समझाया है कि यदि तेरे साथ अन्य सभी का भी पेट भरा रहेगा तो किसी को किसी से मांगना नहीं पड़ेगा। भाव है कि जब कोई किसी से मांगने जाता है तो उसे बुरा मालूम होता है पर यदि पेट भरा हुआ हो न कोई मांगेगा और न किसी को बुरा लगेगा।

विशेष :

  1. कवि ने पेट की आग को ही सम्बन्धों के अच्छे या बुरे होने का आधार माना है।
  2. भाषा सरल, सहज तथा आम बोलचाल की है।
  3. प्रसाद गुण है।
  4. शांत रस है।
  5. गेयता का गुण विद्यमान है।

रहिमन रहिला की भली, जो परसै चित लाइ।
परसत मन मैला करै, सो मैदा जरि जाई॥6॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
रहिला = चना। मैदा = आटे की एक बारीक प्रकार, जिगर। जरि जाइ = जल जाता है। परसत = स्पर्श से।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ पाठ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने हृदय के प्रेम की निर्मलता की ओर संकेत किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि यदि कोई प्रेमपूर्वक सच्चे हृदय से चने की रोटी खिलाता है तो वह भी अच्छी लगती है। परन्तु यदि कोई बुरे मन से मैदे से बने अनेक व्यंजन खिलाता है तो उससे कोई लाभ नहीं होता अपितु मनुष्य का मैदा खाने से उसका जिगर जल जाता है। सच्ची सेवा, आवभगत और उपकार तो प्रेमभाव से ही संभव होती
मभाव से ही संभव हो

विशेष :

  1. प्रेम में दिखावे का स्थान नहीं है।
  2. भाषा सहल, सहज है। अनुप्रास तथा श्लेष अलंकार है।
  3. प्रसाद गुण है।
  4. शांत रस है।
  5. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं।
उनतै पहिल वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं 7 ॥

प्रसंग :
यह दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि कहते हैं कि माँगना बुरा है परन्तु द्वार पर मांगने आए व्यक्ति को इनकार करना उससे भी अधिक बुरा है।।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि वे मनुष्य मरे हुए के समान हैं जो किसी से कुछ भी मांगने जाते हैं। मांगने वाला व्यक्ति अपना स्वाभिमान त्याग कर दूसरों से सहायता रूप में कुछ मांगने जाता है। परन्तु मांगने वाले से पहले वे व्यक्ति मर गए होते हैं जिनके पास सब कुछ होते हुए भी मांगने वाले को कुछ भी देने से इनकार कर देते हैं।

विशेष :

  1. माँगने वाला तो पहले ही अपनी स्थिति के कारण मरा हुआ होता है परन्तु जिसके पास सब कुछ है और वह देने से इनकार कर दे तो वह मांगने वाले से पहले मर चुका है।
  2. भाषा आम बोलचाल की है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

रहिमन-रहिबो वाँ भलो, जो लौं सील समच।
सील-ढील जब देखिये, तुरत कीजिए कूच।।8॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
रहिबो = रहना। सील = शील, चरित्र। समूच = पूर्ण रूप से। तुरत = तुरन्त, उसी समय, फौरन। कूच करना = चल पड़ना।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें रहीम जी कहते हैं कि जिसका चरित्र, स्वभाव और व्यवहार ठीक नहीं। उनका वहां से चले जाना ही ठीक रहता है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि उस स्थान पर रहना अच्छा होता है जहां पर लोग पूर्ण रूप से चरित्रवान हों। अच्छे चरित्र वाले लोगों की संगति अच्छी रहती है। परन्तु जब ऐसा अनुभव हो कि लोगों के चरित्र में गिरावट आ गई है तो वहां से चले जाना ही अच्छा है। बुरे लोगों की संगति मनुष्य को बुरा बना देती है।

विशेष :

  1. मनुष्य पर अच्छी-बुरी संगति का प्रभाव पड़ता है। इसलिए बुरी संगति वाले लोगों से दूरी अच्छी होती है।
  2. भाषा सरल, सहज तथा आम बोलचाल की है।
  3. अनुप्रास तथा श्लेष अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून॥
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुस चून॥9॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
पानी = इज्जत, मान-मर्यादा जल, चमक । राखिये = रक्षा करनी चाहिए। पानी = जल, चमक, इज्जत । सून = सूना होना। चून = आटा, सफेदी।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित रहीम सतसई, के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि कहता हैं कि मनुष्य को अपनी मान-मर्यादा की रक्षा करनी चाहिए।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि मनुष्य को पानी, अपनी इज्जत अथवा मान मर्यादा की रक्षा करनी चाहिए। पानी के बिना सब सूना है; व्यर्थ है। चमक (पानी) के चले जाने से मोती का, मनुष्य का और जल (पानी) न रहने से आटा किसी काम का नहीं रहता।

विशेष :

  1. पानी अर्थात् इज्जत मनुष्य के लिए, पानी अर्थात् चमक मोती के लिए और पानी अर्थात् जल आटे को गूंथने के लिए जरूरी है। मान-मर्यादा और सम्मान के बिना मनुष्य, चमक के बिना मोती तथा जल के बिना सूखा आटा सब बेकार है।
  2. भाषा आम बोलचाल की है।
  3. अनुप्रास तथा श्लेष अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण तथा शांत रस हैं।
  5. संगीतात्मकता विद्यमान है।

रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग-पतार।
आप तो कहि भीतर भयी, जूती खात कपार॥10॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
जिह्वा = जीभ। बावरी = पगली। सरग = स्वर्ग। पतार = पाताल। कपार = सिर।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने जीभ की महिमा का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि मनुष्य की जीभ बड़ी पगली है। वह स्वर्ग से लेकर पाताल तक की सभी बातें कह जाती हैं। मनुष्य का अपनी जीभ पर नियन्त्रण नहीं होता है। जीभ अच्छी बुरी बात कहकर स्वयं तो मुंह के अन्दर चली जाती है और जिनके विषय में बुरा-भला कहा होता है उनकी मार सिर को खानी पड़ती है।

विशेष :

  1. मनुष्य को अपनी जुबान पर संयम रखना चाहिए।
  2. भाषा आम बोलचाल की है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण तथा शांतरस है।
  5. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

होइ न जाकी छाँह ढिग, फल रहीम अति दूर।
बाढ़ेउ सो बिनु काज ही, जैसे तार-खजूर॥11॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
छाँह = छाया। ढिग = पास में। अति = बहुत । तार = ताड़ का वृक्ष।

प्रसंग :
यह दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि का बड़े होने से अभिप्राय यह है कि पहुंच से दूर किसी अच्छी वस्तु का भी कोई लाभ नहीं होता।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि जिस पेड़ की छाया पास नहीं होती और उस पर फल भी बहुत ऊंचे लगते हों तो उस पेड़ का फलदार होना व्यर्थ है। जिसकी छाया या फल लोगों की पहुंच से दूर होते हैं उनका बड़ा होना व्यर्थ है। जो किसी भी काम नहीं आते जैसे ताड़ और खजूर के पेड़ हैं। ताड़ और खजूर के पेड़ ऊँचाई में बहुत बड़े होते हैं परन्तु न तो उसकी छाया काम आती है और उसका फल लोगों की पहुंच से दूर होता है।

विशेष:

  1. उन लोगों का बड़ा होना व्यर्थ है जो किसी के भी काम नहीं आते।
  2. भाषा आम बोलचाल की है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत-समेत।
ते रहीम पसु ते अधिक, रीझेहु कछू न देत॥12॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
नाद = शब्द, संगीत। मृग = हिरण। हेत = हित। पसु = पशु। रीझेहु = प्रसन्न होकर।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि न उन लोगों का वर्णन किया है जो दूसरों के गुणों पर प्रसन्न होने के बाद भी पुरस्कार स्वरूप भी कुछ नहीं देते।।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि वीणा की मधुर ध्वनि पर प्रसन्न होकर हिरण जैसा पशु भी अपना शरीर त्यागने को तैयार हो जाता है, मनुष्य प्रसन्न होकर दूसरे के भले के लिए अपना सारा धन दे देता है। रहीम जी के अनुसार वे लोग पशु के समान हैं जो दूसरों के गुणों पर रीझने और प्रसन्न होने पर भी पुरस्कार स्वरूप किसी को कुछ नहीं देते।

विशेष :

  1. जो लोग प्रसन्न होकर दूसरों को कुछ देते हैं उन लोगों का जीना अच्छा रहता है लेकिन जो लोग प्रसन्न होने पर भी किसी को कुछ नहीं देते, वे लोग पशु के समान हैं।
  2. कवि की ब्रज भाषा आम बोलचाल की है।
  3. प्रसाद गुण है।
  4. शांत रस है।
  5. गेयता का गुण विद्यमान है।

रहिमन अँसुआ नयन ढरि, जिय दःख प्रकट करेड़।
जाहि निकारो गेह ते, कस न भेद कहि देइ ॥13॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
ढरि = ढलकना। नयन = आँखों से। जिय = मन, हृदय। जाहि = जिसे। निकारो = निकालो। गेह ते = घर से। कस = क्यों।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने उन लोगों का वर्णन किया है जो घर से निकाले जाने पर घर का भेद दूसरों पर प्रकट कर देते हैं।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि आंखों से निकले आँसू मनुष्य के दिल की हर बात कह देते हैं। मनुष्य के आंसू उसके सुख या दुःख को छिपा नहीं पाते। जैसे घर से निकाला गया मनुष्य, घर के सारे भेद कैसे एक-एक करके प्रकट कर देता है। आंख के आंसू तथा घर से निकाला गया मनुष्य दोनों ही अन्दर के भेद बाहर प्रकट कर ही देते हैं।

विशेष :

  1. यदि कोई बात दूसरों पर प्रकट करनी हो तो आंख के आंसू और घर से निकाला गया मनुष्य इस काम को अच्छी तरह से पूरा कर देते हैं।
  2. ब्रज भाषा सरल, सहज एवं आम बोलचाल की है।
  3. प्रसाद गुण है।
  4. शांत रस है।
  5. गेयता का गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पियत अघाइ॥
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पियासो जाई॥14॥

कठिन शब्दों के अर्थ-पंक = कीचड़। लघु = छोटा। जिय = हृदय में। आघाई = तृप्त होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने छोटे होने की भी महत्ता का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि तालाब में कीचड़ युक्त पानी भी धन्य है जो छोटे होने पर भी लोगों की प्यास बुझाता है परन्तु समुद्र आकार में बड़ा है। उसका पानी खारा होने के कारण वह लोगों की प्यास बुझाने में असमर्थ है और लोग वहां से प्यासे लौटते हैं। बड़ा होने पर भी खारे पानी की उपस्थिति के कारण सारा संसार उसे पीकर अपनी प्यास नहीं बुझा सकता और प्यासा ही रह जाता है। ऐसे बड़प्पन का भी क्या लाभ जो दूसरों के सुख का कारण नहीं बनता।

विशेष :

  1. कभी-कभी बड़ा होना महत्त्वपूर्ण नहीं है। क्योंकि जो काम करने में वह असमर्थ है वह छोटी-सी वस्तु कर देती है।
  2. भाषा सरल, सहज एवं प्रवाहमय है।
  3. तत्सम और तद्भव शब्दावली है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

रहिमन राज सराहिये, ससि सम सुखद जो होइ।
कहा बापुरो भानु है तपै तरैयनि खोइ ॥15॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
राज = शासन। सराहिये = प्रशंसा करो। ससि सम = चन्द्रमा के समान। भानु = सूर्य। बापुरो = बेचारा। तरैयनि = नदियां।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने शांत रहने की महत्ता का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि शासक वह अच्छा है जो चन्द्रमा के समान सुख प्रदान करता है। जिस प्रकार चन्द्रमा की शीतलता मनुष्य को शांति प्रदान करती है उसी प्रकार अच्छे शासक की प्रजा भी सुख से रहती है और एक बेचारा सूरज है जो अपनी गर्मी से नदियों के जल को सुखा देता है। क्रोधी स्वभाव वाले शासक की प्रजा सदा दुःखी रहती है।

विशेष :

  1. चन्द्रमा और सूरज के द्वारा मनुष्य को समझाया गया है कि चन्द्रमा के समान शांत रहने से ही वह प्रशंसा का पात्र बन सकता है।
  2. भाषा सरल, सहज एवं प्रवाहमयी है।
  3. तत्सम और तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

ज्यों रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोइ।
बारे उजियारो करै, बढ़े अँधेरो होइ॥16॥

कठिन शब्दों के अर्थ : कपूत = बुरा पुत्र। बारे = जलने पर। उजियारो = उजाला।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने कपूत की तुलना उस दीपक से की है जिसके बुझने से उसके नीचे ही अँधेरा छा जाता है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि वंश में पैदा हुआ कपूत उस दीपक की तरह है जो जलने पर उजाला तो देता है । पुत्र के पैदा होने पर घर में खुशियों का उजियारा फैल जाता है परन्तु जब दीपक की ज्योति बढ़ जाती है अर्थात् बुझ जाती है तो चारों ओर अँधेरा छा जाता है। उसी प्रकार पुत्र के बड़े होने पर कपूत निकलने पर कुल में परिवार में अंधेरा छा जाता है।

विशेष :

  1. एक पुत्र ही घर का नाश कर देता है या फिर उसे दीपक की रोशनी की तरह संसार में चमका देता है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास, श्लेष अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण है।

माँगे घटत रहीम पद, कितौ करौ बड़काम।
तीन पैंड बसुधा करी, तऊ बावनै नाम17॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
पद = पदवी। कितौ = कितना ही। पैंड = कदम। बसुधा = धरती। बावनै = छोटा कद।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने मांगने वाले को छोटा बताया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि मनुष्य के द्वारा किसी से भी कुछ मांगने पर उसकी पदवी कम हो जाती है। वह मनुष्य चाहे कितना बड़ा ही काम क्यों न करे, बड़े से बड़ा मनुष्य जब मांगने पर आता है तो उसे भी नीचा होना पड़ता है जैसे भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पैर धरती मांगी थी और उन्होंने तीन पैर में पूरा ब्रह्मांड नाप लिया था उनके जैसा महान कार्य और दूसरा नहीं कर सकता था परन्तु फिर भी उन्हें वामन नाम से जाना जाता रहा है।

विशेष :

  1. मांगने वाला मनुष्य कितना ही बड़ा काम क्यों न कर ले, वह मांगने के कारण छोटा ही रहेगा।
  2. भाषा सरल, सहज एवं सरस है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

रहिमन मनहि लगाई कै,देख लेहु किन कोय।
नर को बस करबिो कहा, नारायण बस होय॥18॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
किन कोय = चाहे कोई। नारायण = प्रभु, ईश्वर। प्रस्तुत-प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ में से लिया गया है। इसमें में कवि ने मन को एकाग्र करके प्रभु को प्राप्त करने के लिए कहा है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि कोई भी इसे देख ले; परख ले कि यदि कोई व्यक्ति मन लगाकर काम करता है तो वह मनुष्य को नहीं अपितु प्रभु को भी अपने वश में कर सकता है, प्राप्त कर सकता है।

विशेष :

  1. एकाग्रचित और प्रेमपूर्वक व्यवहार करने वाले मनुष्य के सभी कार्य सफल होते हैं।
  2. भाषा सरल, सहज एवं प्रवाहमयी है।
  3. तत्सम और तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय।
सुन अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लेहैं कोई ॥19॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
व्यथा = दु:ख। गोय = गुप्त, छिपाकर। अठिलैहैं = हँसी-मजाक करना।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने अपने दुःखों को दूसरों के सामने प्रकट करने से मना किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि अपने मन के दुःखों को मन ही मन में छिपाकर रखना अच्छा होता है। यदि लोगों के सामने अपने दुःखों को सुनाओगे तो वे उन्हें सुनकर दुःख बांटने की अपेक्षा उनका मजाक उड़ाएंगे, अपना दुःख सदा छिपाकर रखना चाहिए। कोई भी किसी के दुःख को बांटने को तैयार नहीं होता।

विशेष :

  1. अधिकतर व्यक्ति दुःखों के नहीं अपितु सुखों के साथी होते हैं इसलिए हमें अपना दुःख दूसरों से छिपाकर रखना चाहिए।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
जैसे संगति बैठिये, तैसोई फल दीन ॥20॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
कदली = केले का वृक्ष। सीप = मोती। भुजंग = साँप। स्वाति = नक्षत्र।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ से लिया गया है। इसमें कवि ने संगति के परिणाम का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि केले का पेड़, सीप और साँप का मुख-ये तीनों एक-दूसरे से अलग अलग हैं। स्वाति नक्षत्र में बरसी हुई वर्षा की एक बूंद यदि केले के पत्ते पर पड़ती है तो वह कर्पूर बन जाती है; सीप के खुले मुख में जाती है मोती बन जाती है और यदि सांप के मुख में जाती है तो विष बन जाती है। इस प्रकार स्वाति नक्षत्र में बरसी किसी एक बूंद के गुण तीन हैं परन्तु वह जैसी संगति में जाती है वैसा ही रूप धारण कर लेती है।

विशेष :

  1. मनुष्य जैसी संगति में बैठता है वह वैसे ही अच्छे बुरे. गुण धारण कर लेता है।
  2. भाषा सरल एवं सहज है।
  3. तत्सम तद्भव शब्दावली है।
  4. श्लेष अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।
  8. काव्य रूढ़ि का प्रयोग किया गया है।

कमला थिर न, रहीम कहि, यह जानत सब कोई।
पुरुष पुरातन की वधू, क्यों न चंचला होई॥21॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
कमला = लक्ष्मी, धन की देवी। थिर न = एक जगह टिक कर नहीं रहती। पुरुष पुरातन = बूढ़ा व्यक्ति, भगवान विष्णु। वधू = पत्नी। चंचला = धन की देवी लक्ष्मी।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने धन को देवी लक्ष्मी को चंचला कहा है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि सब जानते हैं कि लक्ष्मी जी धन की देवी है जो एक जगह टिक कर कभी भी नहीं रहती है। जैसे किसी बूढे पुरुष की जवान पत्नी चंचल होती है और वह एक जगह स्थिर नहीं रहती है। भगवान विष्णु की पत्नी होने के कारण लक्ष्मी को चंचला कहा गया है।

विशेष :

  1. चंचल प्रकृति वाले मनुष्य या वस्तु को आप अधिक देर तक एक स्थान पर नहीं रोक सकते।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

जो रहीम ओछो बढै, तो अति ही इतराइ।
प्यादा सों फरजी भयो, टेढ़ी-टेढ़ी जाइ॥22॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
ओछौ = नीच व्यक्ति। इतिराइ = इतराना, घमण्ड करना। प्यादा = शतरंज के खेल की गोट। फर्जी = शतरंज के खेल की गोट-घोड़ा।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने निम्न व्यक्ति को सम्मान देने पर उसकी चाल बदलने का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि जब किसी छोटे व्यक्ति को सम्मान मिलता है तो उसमें घमंड आ जाता है। दूसरों को अपने से छोटा समझने लगता है। जैसे शतरंज के खेल में छोटा-सा प्यादा जब फरजी बन जाता है तो वह घोड़े के समान टेढ़ा-मेढ़ा चलने लगता है।

विशेष :

  1. छोटे व्यक्ति को सम्मान मिलने पर उसे घमण्ड नहीं करना चाहिए।
  2. भाषा सरल है। आम बोलचाल की भाषा है।
  3. पुनरुक्ति प्रकाश, उदाहरण अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

रहिमन सूधी चाल सो, प्यादो होत वजीर।
फरजी मीर न लै सके, गति टेढ़ी तासीर ॥23।।

कठिन शब्दों के अर्थ :
सूधी चाल = सीधी चाल। तासीर = गुण, असर।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य को अपनी चाल सीधी रखने के लिए कहा है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि शतरंज के खेल में प्यादा सीधी चाल चलने के कारण वजीर बन जाता है और जब प्यादा घोड़ा बन जाता है तो उसकी चाल टेढ़ी हो जाती है जिसके कारण वह वजीर नहीं बन पाता है। मनुष्य को जितना मिले उतने में ही शांति रखनी चाहिए नहीं तो मिला हुआ भी समाप्त हो जाता है।

विशेष :

  1. छोटा व्यक्ति अपने गुणों से बड़ा बन जाता है। परन्तु उस समय उसे अपना स्वभाव नहीं बदलना चाहिए। नहीं तो मिला हुआ सम्मान चला जाता है।
  2. भाषा सरल एवं स्वाभाविक है। आम बोलचाल की भाषा है।
  3. प्रसाद गुण है।
  4. शांत रस है।
  5. गेयता का गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

काज परे कछु और है, काज सरे कछु और।
रहिमन भाँवरि के परे, नदी सिरावत मौर॥24॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
काज = काम। सरे = पूरा होने पर। सिरावत = प्रवाहित करना।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने संसार के चाल चलन का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि संसार में काम पड़ने पर व्यक्ति का स्वभाव भिन्न प्रकार का हो जाता है और काम पूरा हो जाने पर वह किसी और प्रकार का हो जाता है। जब मनुष्य को किसी से काम पड़ता है तो वह उसकी मिन्नतें करता है और जब काम पूरा हो जाता है तो वह परवाह भी नहीं करता और अपना मुंह भी नहीं दिखाता है। रहीम जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि विवाह के समय दूल्हे के सिर पर सजा मोर मुकुट भांवर (फेरे और सप्तपदी) तक बहुत सहेज-सम्भाल कर रखा जाता है पर विवाह होने के शीघ्र बाद ही उसे नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।

विशेष :

  1. संसार का नियम है कि जब किसी को ज़रूरत पड़ती है तो वह आगे-पीछे चक्कर काटता है परन्तु जब उसका काम निकल जाता है तो वह दिखाई भी नहीं पड़ता।
  2. भाषा स्वाभाविक है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास, उदाहरण अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण, शांत रस एवं गेयता का गुण विद्यमान है।

आवत काज, रहीम कहि, गाढ़े बन्धु सनेह।
जीरन होत न पेड़ ज्यों, थामै बरहि बरेह ॥25॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
काज = काम। आवत = आना। गाढ़े = मुसीबत, संकट। बन्धु = साथी। जीरन = कमज़ोर, पुराना। बरेह-वट वृक्ष की डालों से भूमि तक आने वाली जटाएँ जो पुराने हो जाने पर वट वृक्ष को सहारा देती हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ से लिया गया है। इसमें कवि कहता है कठिनाई में अपने ही साथ देते हैं।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि जीवन में विपत्ति आ जाने पर अपने सगे-सम्बन्धी और मित्र ही काम आते हैं। वही कष्टों-विपत्तियों से मुक्ति पाने में सहायक सिद्ध होते हैं। बरगद (वट) वृक्ष भी भूमि तक लटककर नीचे आने वाली हवाई जटाएं ही उसके मूल तने के कमजोर हो जाने पर आंधियों तूफ़ानों से उसकी रक्षा करती हैं और उसे गिरने से बचा लेती हैं।

विशेष :

  1. कष्ट के समय अपने ही साथ देते हैं और मुसीबत से बचा लेते हैं।
  2. भाषा सरल एवं स्वाभाविक है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

दादुर मोर किसान मन, लग्यो रहै घन माहिं।
रहिमन चातक-रटनि कै, सरवरि को कोउ नाहि ॥26॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
दादुर = मेंढक। घन = बादल। रटनि = पुकारा। सरवरि = तालाब।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने सभी लोग अपने-अपने स्वार्थ को देखते हैं,का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि मेंढक, मोर और किसान का मन बादलों में लगा रहता है। तीनों पानी से भरे बादलों की प्रतीक्षा अपने-अपने स्वार्थ के लिए करते हैं। किन्तु चातक की पुकार से सरोवर को कोई लेना देना नहीं

विशेष :

  1. मनुष्य अपने स्वार्थ की पूर्ति करके प्रसन्न होता है। उसे दूसरों के सुख-दुःख से कोई लेना-देना नहीं है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

मन सो कहाँ रहीम प्रभु, दुग सो कहाँ दिवान।
देखि दृगन जो आदरै, मन तेहि हाथ बिकान ॥27॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
दुगन = आंखों। हाथ बिकान = बिक जाना, वश में होना।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने प्रभु को वश में करने का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि मानव के मन में कैसा भाव-विचार होगा-यह उस पर प्रायः निर्भर नहीं करता। वह ईश्वर की ओर लगता है या नहीं, यह उस के मन पर निर्भर नहीं करता अपितु आँखों पर निर्भर करता है। कवि ने मन को राजा और आँख को दीवान की उपमा देकर कहा है कि जिस प्रकार मन्त्री के परामर्श से राजा काम करता है उसी प्रकार आँख के प्रिय को मन भी अपनाता है; उसी को स्वीकार कर लेता है। भाव है कि मनुष्य अधिकतर आँखों देखी बात पर शीघ्रता से विश्वास कर लेता है।

विशेष :

  1. मनुष्य अपनी आँखों देखी बातों को मन में अधिक जल्दी बिठा लेता है और उन्हीं पर विश्वास करने लगता है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है शांत रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

जो रहीम करिबौ हतौ, ब्रज को इहै हवाल।
तो काहे कर पर धरयौ, गोवर्धन गोपाल ॥28॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
इहै = यह। हवाल = वर्तमान अवस्था। कर = हाथ। गोवर्धन = एक पर्वत जिसे ब्रजवासियों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने एक उंगली पर धारण किया था।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ के दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने काम करने की महिमा का वर्णन किया है।

व्याख्या:
रहीम जी श्रीकृष्ण के वियोग से पीड़ित ब्रजवासियों से कहते हैं कि यदि श्रीकृष्ण ने ब्रज-क्षेत्र की हालत को वास्तव में ही दुखदायी बनाना था तो वे गाँवों के रक्षक श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ पर उठाकर उसकी इन्द्र के प्रकोप से रक्षा ही न करते। श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की इन्द्र के क्रोध से रक्षा की थी। उन्होंने ब्रज क्षेत्र के वासियों को सुख दिया था न कि दुःख।

विशेष :

  1. भाषा सरल एवं सरस है।
  2. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. प्रसाद गुण एवं शांत रस है।
  5. गेयता का गुण है।

हरि रहीम ऐसी करी, ज्यों कमान सर पूरि।
बैंचि आपनी ओर को, डारि दियो पुनि दूरि॥29॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
हरि = ईश्वर। सर = तीर।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने ईश्वर की व्यवस्था का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि ईश्वर ने ऐसी व्यवस्था की है जैसे तीर और कमान के साथ है। कमान अथवा धनुष की डोरी को जितना ही हम अपनी ओर खींचते हैं तीर उतनी ही दूर जाकर गिरता है अर्थात् जितना हम मोह माया में खींचते जाते हैं उतने ही ईश्वर से दूर हो जाते हैं।

विशेष :

  1. ईश्वर ने मनुष्य के स्वभाव के अनुसार व्यवस्था कर रखी है।
  2. मनुष्य जितनी मोह माया में उलझता है उतना ही ईश्वर से दूर हो जाता है।
  3. ब्रज भाषा का प्रयोग है।
  4. तद्भव शब्दावली का अधिकता से प्रयोग किया गया है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

सर सूखे पंछी उहै, और सरन्ह समाहिं।
दीन मीन बिन पच्छ के, कह रहीम कहँ जाँहि ॥30॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
सर = तालाब। मीन = मछली। पच्छ = पंख।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा लिखित ‘रहीम सतसई’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने असमर्थ प्राणियों का वर्णन किया है।

व्याख्या :
रहीम जी कहते हैं कि सरोवर के सूख जाने पर पक्षी किसी दूसरे सरोवर पर चले जाते हैं परन्तु सूखे सरोवर की मछलियां बहुत लाचार हैं; दीन हैं। वे तो उड़कर कहीं जा भी नहीं सकतीं। इसका कारण यह है कि उनके पंख नहीं हैं। उन्हें तो मृत्यु प्राप्ति तक वहीं तड़पना है।

विशेष :

  1. असमर्थ प्राणी अपनी असमर्थता के कारण स्वयं को लाचार अनुभव करता है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण है।

दोहे Summary

दोहे जीवन परिचय

रहीम जी का जन्म सन् 1553 में हुआ था। उनका पूरा नाम अब्दुर्ररहीम खानखाना था। वे मुग़ल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उनके पिता बैरमखां अकबर के अभिभावक थे। रहीम जी अकबर के दरबारी कवि ही नहीं थे अपितु सेनापति और मंत्री भी रहे थे। अकबर की मृत्यु के बाद जहांगीर ने भी इन्हें अपना सेनानायक और जागीरदार बनाया था। परन्तु राजनैतिक कुचक्रों ने भी उन्हें बड़ा परेशान किया था। उन्हें जहाँगीर को लड़ाई में धोखा देने का झूठा आरोप भी सहना पड़ा था और कुछ समय तक कारावास का दंड भुगतना पड़ा था। उनके जीवन का अन्त अत्यन्त गरीबी में हुआ। इनकी मृत्यु सन् 1627 में हुई।

रहीम जी की रचनाओं में रहीम सतसई, बरवै नायिका भेद, शृंगार सोरठ, मदनाष्टक, रासपंचाध्यायी, नगर शोभा, फुटकल बरवै, फुटकल सवैये प्रसिद्ध हैं। वे जन्म से मुसलमान थे परन्तु उन्होंने भगवान् कृष्ण के संबंध में पूर्ण भक्ति-भाव से युक्त रचनाएं प्रस्तुत की थीं। उनके नीति सम्बन्धी दोहे भी अद्वितीय हैं। उनके दोहे केवल उपदेशप्रद ही नहीं, काव्य गुणों से भी सम्पन्न हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 4 दोहे

दोहों का सार

रहीम जी ने अपने द्वारा रचित दोहों में जीवन से संबंधित तरह-तरह के गहन संकेत दिए हैं। उन्होंने जीवन के सूक्ष्म से सूक्ष्म अनुभव को बहुत कम शब्दों में व्यक्त है। उनके अनुसार मनुष्य ईश्वर की खोज में इधर-उधर भटकता रहता है जबकि ईश्वर तो स्वयं अपनी बनाई सृष्टि की सभी रचनाओं की देखभाल करते हैं। मनुष्य तो मनुष्य पशु भी ईश्वर की प्राप्ति के लिए उनके भक्तों के चरणों की धूल अपने मस्तक पर लगाने को तत्पर हैं। प्रेमपूर्वक खिलाई गई चने की रोटी भी अच्छे से अच्छे पकवान से उत्तम है। रहीम जी मानते हैं कि मांगने वाले से पहले वे लोग मृत के समान हैं जो होते हुए भी मांगने वाले को देने से इनकार कर देते हैं।

मनुष्य को सदा अच्छे लोगों की संगति करनी चाहिए। मनुष्य को अपनी जिह्वा को नियन्त्रित करना आना चाहिए नहीं तो बेकाबू जिह्वा के कारण भरे बाज़ार में अपनी इज्जत गंवानी पड़ती है। बड़े के आगे छोटे की महत्ता से इनकार नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार छोटी-सी वस्तु के आगे बड़ेबड़े हार मान जाते हैं। सूरज की गर्मी से जहां सभी लोग परेशान होते हैं वही चन्द्रमा की शीतलता सभी को शांति प्रदान करती है । कपूत कुल के नाश का कारण बनता है। मांगने वाला कितना ही बड़ा क्यों न हो वह छोटा ही रहता है। काम के प्रति लगन भी असम्भव काम को सम्भव कर देती है। रहीम जी मानते हैं कि अपने गुणों के कारण छोटा-सा प्यादा भी वजीर बन जाता है। संसार के नियम बड़े अनोखे हैं जब किसी को कोई काम पड़ता है तो वह गिड़गिड़ाने लगता है परन्तु काम निकल जाने पर पूछता भी नहीं है। सच्ची भक्ति से प्रभु को भी वश में किया जा सकता है। समय पड़ने पर असमर्थ प्राणी के विषय में कोई नहीं सोचता।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी

Hindi Guide for Class 6 दोहा अंत्याक्षरी Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थशब्दों के अर्थ दोहों के साथ में दिए गये हैं।

रक्षा-बंधन = राखी का त्योहार
प्रवेश = अन्दर आना
अवगत = परिचित होना
अंत्याक्षरी = अन्तिम अक्षर से शुरू होने वाला खेल
उत्साहित = उत्साह से भरपूर
जड़मति = मूर्ख
रसरी = रस्सी
कुम्हार = घड़े बनाने वाला
मुक्ताहार = मोतियों की माला
कुम्भ = घड़ा
पर्व = उत्सव
मनोभाव = मन के भाव
युक्ति = उपाय
शुभारम्भ = अच्छे ढंग से शुरू करना
सुजान = सज्जन
सिल = पत्थर
शिष = शिष्य
खोट = दोष

2. वचन बदलो

1. लड़के = ……………….
2. बच्चों = ……………….
3. कवियों = ……………
4. सदस्यों = ……………….
5. मित्रों = …………………
6. लड़कियाँ = ………………..
7. दोहे = ………………..
8. आवाज़ों = ………………
उत्तर:
बहुवचन = एकवचन
1. लड़के = लड़का
2. बच्चों = बच्चा
3. कवियों = कवि
4. सदस्यों = सदस्य
5. मित्रों = मित्र
6. लड़कियाँ = लड़की
7. दोहे = दोहा
8. आवाज़ों = आवाज़

3. लिंग बदलो

1. कवि = ………………..
2. सदस्य = ………………..
3. गुरु = ………………
4. कुम्हार = …………………..
5. शिष्य = …………………
उत्तर:
पुल्लिग = स्त्रीलिंग
1. कवि = कवयित्री
2. सदस्य = सदस्या
3. गुरु = गुरुआनी
4. कुम्हार = कुम्हारिन
5. शिष्य = शिष्या

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी

4. विपरीत शब्द लिखो

1. अवकाश = ………………..
2. उपस्थित = ……………….
3. रुचि = …………………..
4. उत्साहित = ……………….
5. प्रेम = ………………..
6. समाप्त = ………………..
7. सुख = …………………..
8. जड़मति = ………………
9. लघु = …………………
उत्तर:
1. अवकाश = अनावकाश
2. उपस्थित = अनुपस्थित
3. रुचि = अरुचि
4. उत्साहित = अनुत्साहित
5. प्रेम = घृणा
6. समाप्त = आरम्भ
7. सुख = दुःख
8. जड़मति = कुशाग्र बुद्धि, सुजान
9. लघु = गुरु

5. पर्यायवाची लिखो

1. मीन = …………………
2. तलवार = …………….
3. हाथ = ………………..
4. धागा = ………………
5. गुरु = ……………….
6. बास = ……………….
7. कुम्भ = ………………
8. उपकार = ……………….
उत्तर:
1. मीन = मछली, मत्स्य
2. तलवार = असि, चंद्रहास
3. हाथ = कर, पाणि
4. धागा = सूत, सूत्र
5. गुरु = अध्यापक, विद्यादाता
6. बास = बदबू, दुर्गन्ध
7. कुम्भ = घड़ा, मटका
8. उपकार = भला, कल्याण

6. पढ़ो और समझो

रसरी = रस्सी
निसान = निशान
आवत = आना
धोय = धोना
बाँटन = बाँटना
गढ़ि-गढ़ि = गढ़ना
काढ़े = निकालना
मनाइए = मनाना
पौइए = पिरोना
बड़ेन = बड़ों
डार = डालना
तोरो= तोड़ना
जुरै = जुड़ना
गाँठि = गाँठ।
उत्तर:
ऊपर तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखे गए हैं। विद्यार्थी इन्हें भली प्रकार से जानें।

7. वाक्य बनाओ।

1. पर्व = …………….
2. रुचि = ……………
3. अंत्याक्षरी = …………………
4. अभ्यास = ……………..
5. खुसर-पुसर = ………………
6. अवकाश = ……………..
उत्तर:
1. पर्व = त्योहार = दीपावली मेरा प्रिय पर्व है।
2. रुचि = दिलचस्पी = खेलों में मेरी बहुत रुचि है।
3. अंत्याक्षरी= अन्तिम अक्षर से आरम्भ नया अक्षर = अध्यापिका ने कक्षा में आते ही कहा, “आओ बच्चों, अंत्याक्षरी खेलें।”
4. अभ्यास = बार-बार का प्रयास = मैंने खूब अभ्यास करके गेंदबाजी में निपुणता प्राप्त की है।
5. खुसर-पुसर = बहुत धीमे स्वर में आपस में बातें करना = कक्षा में बच्चे अध्यापक को देखकर खुसर-पुसर करने लगे।
6. अवकाश = छुट्टी = आज विद्यालय में अवकाश है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी

 विचार-बोध

(क)
प्रश्न 1.
कक्षा में बहुत से विद्यार्थी अवकाश पर क्यों थे ?
उत्तर:
रक्षाबन्धन के पर्व के कारण कक्षा में बहुत से विद्यार्थी उस दिन अवकाश पर थे।

प्रश्न 2.
विद्यार्थी किस अंत्याक्षरी की खुसर-पुसर करने लगे ?
उत्तर:
विद्यार्थी फिल्मों की अंत्याक्षरी के लिए खुसर-पुसर करने लगे।

प्रश्न 3.
मूर्ख सुजान कैसे बन सकता है ? दोहे के आधार पर लिखें।
उत्तर:
अभ्यास के बल पर मूर्ख भी सुजान बन सकता है।

प्रश्न 4.
उपकारी का स्वभाव कैसा होता है ?
उत्तर:
उपकारी का स्वभाव दूसरों का भला करने वाला होता है।

प्रश्न 5.
गुरु और कुम्हार के काम में क्या समानता होती है ?
उत्तर:
गुरु और कुम्हार दोनों ही अपने-अपने कार्य को (विद्यार्थी और मिट्टी को) तब तक गढ़ते रहते हैं जब तक वह पूरी तरह घड़ा नहीं जाता।

प्रश्न 6.
सज्जनों की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर:
सज्जनों की तुलना मुक्ता मोतियों से की गई है।

प्रश्न 7.
‘हर वस्तु का अपने-अपने स्थान पर महत्त्व होता है।’ पाठ से चुनकर वह दोहा लिखें।
उत्तर:
रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजै डार। – जहां काम आवे सुई, का करे तलवार ॥

प्रश्न 8.
‘रहिमन धागा ………. गांठि परि जाए।’ इस दोहे का अर्थ लिखें।
उत्तर:
रहीम जी कहते हैं कि आपसी प्रेम के सम्बन्धों को जरा-जरा सी बात पर तोड़ नहीं देना चाहिए क्योंकि एक बार जो सम्बन्ध टूट जाते हैं वे दोबारा नहीं बनते और यदि बन भी जाएं तो फिर भी उसमें एक गांठ पड़ जाती है।

(ख)
प्रश्न 1.
अंत्याक्षरी में गाए जाने वाले दोहों से आपने क्या सीखा, अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
अंत्याक्षरी में गाए गए दोहे हमें सिखाते हैं कि प्रत्येक कार्य में अभ्यास के बल पर निपुणता पाई जा सकती है। मन सदा पवित्र रहना चाहिए। अच्छे व्यक्तियों के साथ सदा अच्छाई मिलती है। अच्छे व्यक्तियों से सम्बन्ध नहीं तोड़ना चाहिए।

प्रश्न 2.
दोहा अंत्याक्षरी के अतिरिक्त ओर कौन-कौन सी अंत्याक्षरी खेली जा सकती
उत्तर:
दोहा अंत्याक्षरी के अतिरिक्त सिनेमा, व्यक्तियों, स्टेशनों आदि के नामों की अंत्याक्षरी, फ़िल्मी गानों की अंत्याक्षरी, शब्दों की अंत्याक्षरी आदमियों के नामों की अंत्याक्षरी भी खेली जा सकती है।

आत्म-बोध

1. पाठ के सभी दोहों के अर्थ समझाते हुए कंठस्थ करें।
2. संत कबीर, रहीम और बिहारी के दोहों का संकलन करें।
3. वर्तमान युग के सन्दर्भ में नए दोहों की रचना करें।
उत्तर:
विद्यार्थी इनके लिए स्वयं प्रयास करें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
मूर्ख मनुष्य भी किसके द्वारा ज्ञानी बन जाता है ?
(क) अभ्यास
(ख) व्यास
(ग) निराशा
(घ) आशा।
उत्तर:
(क) अभ्यास

प्रश्न 2.
गुरु किसके समान अपने शिष्यों के दोष दूर करते हैं ?
(क) लुहार के
(ख) कुम्हार के
(ग) ईश्वर के
(घ) प्रभु के
उत्तर:
(ख) कुम्हार के

प्रश्न 3.
रहीम जी किसका धागा न तोड़ने की सलाह देते हैं ?
(क) प्रेम का
(ख) ईर्ष्या का
(ग) शैतानी का
(घ) पुण्य का
उत्तर:
(क) प्रेम का

प्रश्न 4.
शिष्य किसके समान है ?
(क) बच्चे के
(ख) कुम्भ के
(ग) भविष्य के
(घ) पौरूष के
उत्तर:
(ख) कुम्भ के

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से ‘मीन’ का पर्याय है:
(क) मछली
(ख) सजली
(ग) उजली
(घ) कुजली
उत्तर:
(क) मछली

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कल्याण का पर्याय शब्द है :
(क) कल्याणकारी
(ख) उपकार
(ग) सत्कार
(घ) गीतकार
उत्तर:
(ख) उपकार

दोहों के सरलार्थ

1. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात के सिल पर परत निसान।

शब्दार्थ:
करत-करत = करते करते । जड़मति = मूर्ख। सुजान = ज्ञानवान्। रसरी = रस्सी। आवत = आना। जात = जाना। सिल = पत्थर। परत = पड़ जाते हैं।

सरलार्थ:
कविवर रहीम जी कहते हैं कि अभ्यास करते रहने से, निरन्तर परिश्रम करते रहने से धीरे-धीरे मूर्ख मनुष्य भी ज्ञान प्राप्त कर लेता है। जैसे कुएँ की सिल पर निरन्तर रस्सी के आने-जाने से पत्थर पर भी निशान पड़ जाते हैं। ऐसे ही निरन्तर अभ्यास से मूर्ख आदमी विद्वान् बन जाता है।

भावार्थ:
निरन्तर अभ्यास करने से कठिन काम भी किया जा सकता है।

2. ‘नहाये धोये क्या भया, जो मन का मैल न जाय।
मीन सदा जल में रहे, धोय बास न जाय॥’

शब्दार्थ:
नहाये = नहाना। धोये = धोना। भया = होना। मीन = मछली। धोय = धोना। बास = दुर्गन्ध।

सरलार्थ:
कविवर रहीम जी कहते हैं कि हे मनुष्य ! नहा धोकर बाहरी शरीर को साफ कर लेने से भी क्या लाभ यदि तेरे मन का मैल मिटा ही नहीं। मछली चाहे हमेशा जल में ही रहती है लेकिन फिर भी दिन रात पानी में धुलते रहने पर भी उसके शरीर से बदबू तो नहीं जाती। कवि का अभिप्राय है कि मन में स्वच्छता-पवित्रता होनी चाहिए। मन निर्मल होना चाहिए।

भावार्थ:
मानव मन में सदा पवित्रता और स्वच्छता के भाव रहने चाहिए।

3. ‘यो रहीम सुख होत है, उपकारी के संग।
बॉटन बारे को लगे, ज्यों मेंहदी के रंग ।।’

कठिन शब्दों के अर्थ:
सुख = लाभ, भला। उपकारी = उपकार (भला) करने वाला। बाँटन बारे = बाँटने वाले।

सरलार्थ:
रहीम जी कहते हैं कि उपकारी, दूसरों का भला करने वाले आदमियों की संगति करने से बड़ा सुख, लाभ मिलता है ठीक वैसे ही जैसे मेंहदी पीसने वाले के हाथों में भी मेंहदी का रंग स्वतः ही चढ जाता है।

भावार्थ:
परोपकारी व्यक्ति को अपने आप ही लाभ प्राप्त हो जाता है।

4. ‘गुरु कुम्हार सिस कुम्भ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़े खोट।
अंतर हाथ सहार दे, बाहर मारै चोट ।’

कठिन शब्दों के अर्थ:
गढ़ि = बनाना। का? = निकालना । खोट = कमी। अंतर = भीतर। सहार = सहारा। कुंम्हार = घड़ा बनाने वाला। कुम्भ = घड़ा।

सरलार्थ:
कवि रहीम गुरु के कोमल और कल्याणकारी व्यवहार का वर्णन करते हुए कहते हैं कि गुरु का व्यवहार उस कुम्हार के समान है जो अपने घड़े को ठीक प्रकार से बनाने के लिए उसे बार-बार गढ़ता है। उसे ठीक से बनाने के लिए भीतर हाथ से सहारा देकर बाहर से चोट मार-मार कर उसे ठीक बनाता है। इसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्यों को कुशल बनाने के लिए प्यार और डांट कर उसे कुशल विद्यार्थी बनाता है।

भावार्थ:
गुरु अपने शिष्यों का सदा भला ही चाहता है चाहे उसके व्यवहार में कभी कठोरता भी अनुभव होती है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी

5. ‘टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार।
रहिमन फिरि-फिरि पौइए, टूटे मुक्ताहार।’

कठिन शब्दों के अर्थ:
सुजन = सज्जन, अच्छे व्यक्ति । रहिमन = रहीम जी। फिरिफिरि = बार-बार । पौइए = पिरोइए। मुक्ताहार = मोतियों की माला।।

सरलार्थ:
रहीम जी कहते हैं कि जिस प्रकार मोतियों की कीमती माला यदि टूट जाती है तो उसे फिर से पिरो लिया जाता है कि ठीक वैसे ही यदि सज्जन, प्रिय व्यक्ति रुठ जाए तो उसे मना लेना चाहिए। चाहे वह कितनी ही बार रूठे उसे तुरन्त मना लेना चाहिए।

भावार्थ:
अच्छे सगे-सम्बन्धियों और मित्रों को नाराज़गी की स्थिति में सदा मना लेना चाहिए। जीवन में वे बार-बार नहीं मिलते।

6. ‘रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजे डार।
जहाँ काम आवै सुई, का करे तलवार।।’

कठिन शब्दों के अर्थ:
बड़ेन = बड़ा। डार = छोड़ना। लघु = छोटी चीज़। तरवारि = तलवार।

सरलार्थ:
रहीम जी कहते हैं कि बड़ी चीज़ को देखकर छोटी चीज़ को छोड़ना नहीं चाहिए। उनका अनादर नहीं करना चाहिए। जैसे, जहाँ छोटी-सी सूई (सीने के लिए) काम आती है, वहां भला बड़ी तलवार किस काम की ? सूई का काम तलवार और तलवार का काम सूई नहीं कर सकती। दोनों का अपना-अपना अलग-अलग महत्त्व है।

भावार्थ:
हर छोटी-बड़ी चीज़ के उचित मूल्यांकन और महत्त्व को समझना चाहिए।

7. ‘रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरौ चटकाय।
टूटे ते फिरि न जुरै, जुरै गाठि परि जाय॥’

कठिन शब्दों के अर्थ:
तोरौ = तोड़ो। चटकाय = झटके से। जुरै = जुड़ना। फिरि = दोबारा।

सरलार्थ-रहीम जी कहते हैं कि परस्पर प्रेम के सम्बन्धों को नहीं तोड़ देना चाहिए क्योंकि सम्बन्ध यदि एक बार टूट जाए तो फिर से नहीं जुड़ते और यदि जुड़ भी जाए तो एक गांठ अवश्य पड़ जाती है।

भावार्थ:
प्रेम-सम्बन्धों को कभी नहीं तोड़ना चाहिए। वे बहुत मूल्यवान् होते हैं।

दोहा अंत्याक्षरी Summary

दोहा अंत्याक्षरी पाठ का सार

रक्षा बंधन का दिन था। कक्षा में बहुत कम विद्यार्थी आए थे। जो बच्चे आए भी थे उसका भी पढ़ने का मन नहीं था। अध्यापिका ने कक्षा में आकर विद्यार्थियों के मन के भाव समझ लिए और उन्हें अंत्याक्षरी खेलाने की बात सोची। विद्यार्थी प्रसन्न थे कि फ़िल्मी गाने की अंत्याक्षरी होगी पर अध्यापिका ने उन्हें दोहों की अंत्याक्षरी सिखाई जिसमें रहीम के दोहों को ही आधार बनाया गया।

कठिन शब्दों के अर्थ:

रक्षाबंधन = राखी। पर्व = त्योहार। अवकाश = छुट्टी। उपस्थित = हाजिर, प्रस्तुत। रुचि = इच्छा, दिलचस्पी। प्रवेश = आगमन, आना। मनोभावों = मन के भावों या विचारों। अवगत = जानना, परिचित होगा। युक्ति = उपाय, तरीका। खुसर-फुसर = कानों-कान बातें करना, फुसफुसाना। स्मरण = याद। संख्या = गिनती।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 8 पेड़ की कहानी

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 8 पेड़ की कहानी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 8 पेड़ की कहानी

Hindi Guide for Class 6 पेड़ की कहानी Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिए जा चुके हैं।

मिथ्या-कथन = झूठ बोलना,
हलाहल = एक प्रकार का विष,
निवारण = दूर करना,
निरंतर = लगातार
द्वेष = वैर भाव
बखान = कहना
ज्योति = रोशनी, प्रकाश
तृप्त करना = संतुष्ट करना,
अनुकरण = अनुसार कार्य करना,
पतझड़ = जिस ऋतु में पत्ते झड़ जाते हैं।
औषधि = दवाई
सर्वत्र = सब जगह
आत्मकथा = अपनी कहानी

2. वाक्यों में प्रयोग करो

प्रकृति = …………………..
प्राणवायु = ……………….
झुण्ड = ………………..
पंक्तियों = ……………….
प्रहार = …………………..
उत्तर:
प्रकृति = प्रकृति परिवर्तनशील है।
प्राणवायु = वृक्ष हमें प्राणवायु प्रदान करते हैं।
झुण्ड = पशुओं का झुण्ड सारी फसल नष्ट कर गया।
पंक्तियों = सभी छात्र पंक्तियों में खड़े थे।
प्रहार = निःशस्त्र पर प्रहार करना उचित नहीं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 8 पेड़ की कहानी

3. मुहावरों तथा लोकोक्तियों का वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग करें कि अर्थ स्पष्ट हो जाए

आँखों का तारा = ………………………..
चोली-दामन का साथ = …………………..
डींग हाँकना = ……………………..
अपने मुँह मियाँ मिट्ट बनना = …………………..
उत्तर:
आँखों का तारा = मोहन अपने माता-पिता की आँखों का तारा है।
चोली-दामन का साथ = प्रीतम और सुरेन्द्र का चोली-दामन का साथ है।
डींग हाँकना = डींग हाँकने वाला व्यक्ति अपमानित होता है।
अपने मुँह मियाँ मिट्ट बनना = मूर्ख व्यक्ति ही अपने मुँह मियाँ मिट्ट बनते हैं, सज्जन कभी स्वयं अपनी प्रशंसा नहीं करते।

4. शुद्ध रूप लिखो

1. तिपत = ………………….
2. दवेष = ……………………
3. जयोति = …………………
4. नीवारण = …………………….
5. आकसीजन = ……………….
6. आशरय = ………………….
7. प्राणीयों = ……………….
8. सवादिष्ट = …………………..
9. जामून = ………………….
10. खीड़कियाँ = ……………………
उत्तर:
अशुद्ध रूप – शुद्ध रूप
1. तिपत = तृप्त
2. दवेष = द्वेष
3. जयोति = ज्योति
4. नीवारण = निवारण
5. आकसीजन = ऑक्सीजन
6. आशरय = आश्रय
7. प्राणीयों = प्राणियों
8. सवादिष्ट = स्वादिष्ट
9. जामून = जामुन
10. खीडकियाँ = खिड़कियाँ

5. समानार्थक लिखिए

1. ज्योति = …………………..
2. हलाहल = ………………..
3. निवारण = ………………….
4. मज़बूती = ………………….
5. परिचित = …………………..
6. विशाल = …………………..
7. नीरस = ……………….
8. असंख्य = ……………………
9. उपजाऊ = ………………….
10. मूछित = …………………….
उत्तर:
1. ज्योति – प्रकाश
2. हलाहल – विष
3. निवारण – हटाना
4. मज़बूती – दृढ़ता
5. परिचित – जाना-पहचाना
6. विशाल – बड़ा
7. नीरस – रसहीन
8. असंख्य – अनगिनतं
9. उपजाऊ- उर्वर
10. मूछित – बेहोश

6. निम्न वाक्यों में संज्ञा शब्द छाँटकर लिखो और बताओ कि यह किस प्रकार की संज्ञा है ?

प्रश्न 1.
मैं नन्हें से बीज के रूप में धरती के गर्भ में छिपा रहता हूँ।
उत्तर:
बीज-(जातिवाचक संज्ञा), धरती-(व्यक्तिवाचक संज्ञा)

प्रश्न 2.
मैं विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लेता हूँ।
उत्तर:
वृक्ष-(जातिवाचक संज्ञा)

प्रश्न 3.
नगर के बाज़ार में आप फल देखते हैं।
उत्तर:
नगर-(जातिवाचक संज्ञा), बाज़ार (जातिवाचक संज्ञा), फल (जातिवाचक संज्ञा)

प्रश्न 4.
पीपल, नीम, वट, चीड़ आदि मेरे असंख्य भाई हैं।
उत्तर:
पीपल, नीम, वट, चीड़ (व्यक्तिवाचक संज्ञा), भाई (जातिवाचक संज्ञा)

प्रश्न 5.
वेद, पुराण मेरी महिमा गाते हैं।
उत्तर:
वेद, पुराण-(जातिवाचक संज्ञा)।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 8 पेड़ की कहानी

7. विपरीत शब्द लिखो

1. जीव = ………………….
2. रस = ………………….
3. निर्माण = ………………….
4. नगर = ………………….
5. विशाल = ………………….
6. भूमि = ………………….
7. हलाहल = ………………….
8. पतझड़ = ………………….
उत्तर:
1. जीव = अजीव
2. रस = नीरस
3. निर्माण = ध्वंस
4. नगर = ग्राम
5. विशाल = लघु
6. भूमि = आकाश
7. हलाहल = अमृत
8. पतझड़ = वसन्त

8. वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखो

अपना स्वयं लिखा हुआ जीवन चरित्र, फल खाने वाला, जीवन देने वाला, सब में रहने वाला।
उत्तर:
1. अपना स्वयं लिखा हुआ जीवन चरित्र ………….. आत्मकथा।
2. फल खाने वाला ………….. फलाहारी।
3. जीवन देने वाला ………….. जीवनदाता।
4. सब में रहने वाला ………….. सर्वव्यापी।

9. भाववाचक संज्ञा व सर्वनाम छाँटो

(1) ‘वृक्ष’ सचमुच मेरा नाम आपको सुहावना लगता है।
(2) लक्ष्मण के मूच्छित होने पर मैंने ही उनके प्राण बचाये थे।
(3) बुराई का बदला भलाई से देना मेरे जीवन का लक्ष्य है।
(4) हरियाली मेरी आँखों को ज्योति देती हैं और मन को प्रसन्नता।
उत्तर:
(1) मेरा, आपको (सर्वनाम) सुहावना (भाववाचक संज्ञा)
(2) मैंने, उनके (सर्वनाम) मूछित (भाववाचक संज्ञा)
(3) मेरे (सर्वनाम) बुराई, भलाई (भाववाचक संज्ञा)
(4) मेरी, (सर्वनाम) हरियाली, प्रसन्नता (भाववाचक संज्ञा)

विचार-बोध (प्रश्न)

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पेड़ किस रूप में धरती में छिपा रहता है ?
उत्तर:
पेड़ नन्हें से बीज के रूप में धरती में छिपा रहता है।

प्रश्न 2.
पेड़ कैसे पनपता है ?
उत्तर:
पेड़, जल, लवण, रसायन आदि का भोजन पाकर पनपता है।

प्रश्न 3.
पेड़ किसके जीवन का आधार बनते हैं ?
उत्तर:
पेड़ सभी प्राणियों के जीवन का आधार बनते हैं।

प्रश्न 4.
पेड़ का स्वभाव प्राणी जगत् से किस प्रकार मिलता-जुलता है ?
उत्तर:
पेड़ का जीवन भी प्राणी जगत् की तरह सजीव है। वह भी साँस लेता है। खिलता-मुरझाता है। उस पर भी प्रकृति का प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 5.
पेड़ के अंग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
जड़, पत्ते, तना, फल, फूल, लकड़ी ये सब पेड़ के अंग हैं।

प्रश्न 6.
प्राणी जगत् का जीवनदाता कौन है ?
उत्तर:
प्राणी जगत् का जीवनदाता पेड़ है।

प्रश्न 7.
वायुमण्डल में कौन-कौन सी गैसें मिली होती हैं ?
उत्तर:
वायुमण्डल में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड गैसें मिली होती हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 8 पेड़ की कहानी

प्रश्न 8.
पेड़ के पत्ते हवा में क्या छोड़ते हैं ?
उत्तर:
पेड़ के पत्ते हवा में प्राण वायु (ऑक्सीजन) छोड़ते हैं।

प्रश्न 9.
वर्षा का जल किस प्रकार उपयोगी होता है ?
उत्तर:
पेड़ों के पत्ते हवा में वाष्प-कण छोड़ते हैं, जो हवा को ठण्डा करते हैं। हवा वर्षा लाने में सहायक होती है। वर्षा के जल से प्राणियों को जीवन मिलता है।

प्रश्न 10.
लक्ष्मण को प्राण दान कैसे मिला था ?
उत्तर:
लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा प्राण-दान मिला था।

प्रश्न 11.
कुनीन किस प्रकार प्राप्त होती है ?
उत्तर:
कुनीन सिनकोना नामक एक वृक्ष से प्राप्त होती है। यह भयंकर रोगों से जीवन की रक्षा करती है।

(ख)
प्रश्न 1.
पेड़ किस प्रकार शिव का अनुसरण करते हैं ?
उत्तर:
जिस प्रकार भगवान शिव ने विश्व के कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकले भयंकर हलाहल को स्वयं पी लिया था इसी प्रकार पेड़ भी विश्व के कल्याण के लिए भयंकर दूषित वायु को स्वयं ग्रहण कर हमें स्वच्छ जीवनदायी वायु प्रदान करके हमारा भला करते हैं।

प्रश्न 2.
पेड़ हमें परोपकार का पाठ कैसे पढ़ाते हैं ?
उत्तर:
पेड़ सदा परोपकार ही करते हैं। अगर कोई लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी से उन्हें काटता है तो भी यह उसे लकड़ियाँ प्रदान कर उसके परिवार का पालन-पोषण करते हैं। इसी प्रकार बच्चे उन्हें पत्थर मारते हैं तो उन पर भी उपकार करते हैं और बदले में यह उन्हें मीठे-मीठे फल प्रदान करते हैं। पेड़ अपने फूलों की सुगन्ध से सारा वातावरण महकाते हैं। यह हर कदम पर हमें परोपकार का पाठ पढ़ाते हैं।

आत्म-बोध

(1) अपने घर आँगन को पेड़-पौधों से सजाओ।
(2) एक गमले में तुलसी का पौधा लगाओ और उसकी देखभाल करो।
(3) पेड़ों के समान परोपकारी बनो।
(4) पेड़ों के समान गुणकारी बनो।
उत्तर:
विद्यार्थी उपर्युक्त कार्यों के लिए स्वयं प्रयास करें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
पेड़ की कहानी किस विधा की रचना है ?
(क) आत्मकथा
(ख) आत्म कहानी
(ग) आत्म रचना
(घ) जीवनी
उत्तर:
(क) आत्मकथा

प्रश्न 2.
वृक्ष प्राणी मात्र को क्या देते हैं ?
(क) फल
(ख) छाया
(ग) जीवन
(घ) पानी
उत्तर:
(ग) जीवन

प्रश्न 3.
वृक्ष प्राणियों के जीवन हेतु कौन-सी गैस छोड़ते हैं ?
(क) आक्सीजन
(ख) कार्बनडाईआक्साइड
(ग) बोनासाइड
(घ) क्लोरो-फ्लोरो
उत्तर:
(क) आक्सीजन

प्रश्न 4.
पेड़ किस रूप में धरती में छिपा रहता है ?
(क) नन्हें
(ख) मुन्ने
(ग) बीज
(घ) जड़
उत्तर:
(ग) बीज

प्रश्न 5.
लक्ष्मण को प्राण दान किससे मिला?
(क) संजीवनी बूटी से
(ख) वूटी से
(ग) घूटी से
(घ) घुट्टी से
उत्तर:
(क) संजीवनी बूटी से

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में कौन-सा शब्द जातिवाचक संज्ञा नहीं है ?
(क) नगर
(ख) बाजार
(ग) फल
(घ) पीपल
उत्तर:
(घ) पीपल

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा का उदाहरण है ?
(क) भाई
(ख) वृक्ष
(ग) नीम
(घ) बीज
उत्तर:
(ग) नीम

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में कौन-सा शब्द भाववाचक संज्ञा का उदाहरण नहीं है ?
(क) सुहावना
(ख) हरियाली
(ग) बुराई
(घ) धरती
उत्तर:
(घ) धरती

पेड़ की कहानी Summary

पेड़ की कहानी पाठ का सार

‘पेड़ की कहानी’ पाठ में पेड़ अपनी आत्मा-कथा के रूप में अपने महत्त्व तथा गुणों का वर्णन करता है। यह बीज के रूप में धरती के गर्भ में छिपा होता है। समय आने पर बीज से अंकुर निकलता है और फिर बढ़ते-बढ़ते विशाल वृक्ष का रूप धारण करता है। वृक्ष हमें छाया तथा ताज़गी देते हैं। प्राणी मात्र को जीवन देते हैं। बसन्त में ये फलफूलों से लद जाते हैं तथा पतझड़ में पत्तों से खाली हो जाते हैं।

इसकी लकड़ी रसोई में ईंधन तथा कुर्सियाँ, मेज़, खिडकियाँ, दरवाज़े आदि बनाने के काम आती है। वृक्षों से अन्न, फल-फूल आदि प्राप्त होते हैं। यह हमें साँस लेने के लिए ऑक्सीजन देता है। यह विषैली वायु कार्बन डाइऑक्साइड को शुद्ध करके ऑक्सीजन तथा कार्बन में बदल देते हैं। वृक्ष भूमि तल की उपजाऊ मिट्टी को वर्षा के जल से बहने से रोकते हैं। इन से प्राप्त होने वाले कच्चे माल से बड़े-बड़े कारखाने चलते हैं। अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ तथा कीमती औषधियाँ हमें वृक्षों से ही प्राप्त होती हैं जो हम सब प्राणियों के रोगों का शमन करती हैं। पीपल, नीम, वट, चीड़, ताड़, नारियल, शीशम, देवदार सभी हमारे लिए पूर्ण उपयोगी हैं। अतः हमें वृक्षों की रक्षा करनी चाहिए।

कठिन शब्दों के अर्थ:

अपने मुँह मियाँ मिट्ट बनना = अपनी प्रशंसा आप करना। विश्वास = यकीन। मिथ्या कथन = झूठ कहना। स्वभाव = आदत। बखान = वर्णन। चिर-परिचित = चिरकाल से परिचित। वाटिका = बागीचा। शोभा = सुन्दरता। आँख का तारा = बहुत प्यारा। पुष्ट = मज़बूत। अंकुर = कोंपल। चोली-दामन का साथ = हमेशा का साथ। नीरस = बिना रस के। सर्व-व्यापक = सब जगह विद्यमान। जीवनदाता = जीवन देने वाला। विद्यमान = मौजूद, पाई जाने वाली। सत्व = सार। समुद्र मंथन = सागर को मथने से। कल्याण = भला। अनुकरण = पीछे चलना। गौरव = बड़प्पन। पंक्तियों = लाइनों। आश्रय = सहारा। अमूल्य = कीमती। बसेरा = रहने की जगह। हलाहल = बहुत तीव्र विष। औषधियों = दवाइयों। निवारण = रोकने । स्वास्थ्य = सेहत। सर्वत्र = सब जगह । व्याप्त = फैली हुई। ज्योति = रोशनी। कुटुम्ब = परिवार। द्वेष = शत्रुता, वैर। प्रहार = चोट। सृष्टि = संसार। डींग हांकना = शेखी बघारना। निरन्तर = लगातार। बखान = कहना, वर्णन करना।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 7 देश-प्रेम

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 देश-प्रेम Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 7 देश-प्रेम

Hindi Guide for Class 6 देश-प्रेम Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थ

मानचित्र = नक्शा
संस्कृति = सभ्यता का वह स्वरूप जो आध्यात्मिक एवं मानसिक विशिष्टता का द्योतक होता है
राष्ट्रवंदना = राष्ट्र अथवा देश का गुणगान
स्वाभाविक = प्राकृतिक
परतन्त्र = गुलाम
धर्मनिरपेक्ष = सभी धर्मों को समान मानना
शिष्टता = सभ्य व्यवहार
स्वाभिमान = आत्म-सम्मान
वात्सल्य = संतान के प्रति माता-पिता का स्नेह
संवद्धन = बढ़ाना
वशीभूत = वश में होना, अधीन
उल्लेखनीय = उल्लेख करने योग्य, बताने योग्य
लोकतांत्रिक = लोकतंत्र संबंधी
संरक्षण = रक्षा करना
पर्यावरण = चारों ओर का वातावरण
प्राकृतिक = कुदरती
आपदाओं = विपत्तियाँ
टिप्पणी = संक्षेप में प्रकट की गई राय
भद्दी = बुरी, गंदी

2. लिंग बदलो

1. अध्यापिका = ……………
2. लाला = …………
3. सिंह = ……………….
4. दास = …………….
उत्तर:
1. अध्यापिका – अध्यापक
2. सिंह – सिंहनी
3. लाला – ललाइन
4. दास – दासी

3. वचन बदलो

1. तिरंगा = ……………
2. चेहरा = ………….
3. बेड़ी = ……………
4. रेल = ………….
5. सीमा = ………….
6. चित्र = …………..
7. झील = …………..
8. कक्षा = ……………
उत्तर:
1. तिरंगा = तिरंगे
2. चेहरा = चेहरे
3. बेड़ी = ‘बेड़ियाँ
4. रेल = रेलें
5. सीमा = सीमाएँ
6. चित्र = चित्रो
7. झील = झीलें
8. कक्षा = कक्षाओं

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 7 देश-प्रेम

4. विपरीतार्थक शब्द लिखो

1. पवित्र = ……………..
2. परतन्त्र = ……………..
3. शान्ति = ……………..
4. सहयोग = ………………
5. साकार = ………………
6. उच्च = ………………
7. निर्माण = …………………
8. अव्यवस्था = ……………..
उत्तर:
1. पवित्र = अपवित्र
2. परतन्त्र = स्वतन्त्र
3. शान्ति = अशान्ति
4. सहयोग= असहयोग
5. साकार = निराकार
6. उच्च = नीच
7. निर्माण = विध्वंस
8. अव्यवस्था = व्यवस्था

5. पर्यायवाची शब्द लिखो

1. भूमि = ……………..
2. माँ = ………………
3. सम्पत्ति = ………….
4. जंगल = ……………..
5. नदी = ………………
6. ध्वज = …………………..
7. प्रगति = ……………..
8. मनुष्य = ……………..
उत्तर:
1. भूमि = धरती, भू
2. माँ = माता, मातृ
3. सम्पत्ति = धन, दौलत
4. जंगल = वन, कानन
5. नदी = सरिता, तटिनी
6. ध्वज = झण्डा, पताका
7. प्रगति = तरक्की, उन्नति
8. मनुष्य = मानव, मनुज

6. वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखो

1. विद्या ग्रहण करने का स्थान = ……………………
2. जिसकी आत्मा महान् हो = ……………….
3. तीन रंगों वाला = …………………
4. जो विद्या ग्रहण करे = ………………..
5. अपना राज्य = ……………….
6. शिष्टतापूर्ण आचरण और व्यवहार = ………………………
7. इतिहास से सम्बन्ध रखने वाला = ……………..
8. शहीद होने को तैयार = …………………….
उत्तर:
1. विद्या ग्रहण करने का स्थान – विद्यालय।
2. जिसकी आत्मा महान् हो। – महात्मा।
3. तीन रंगों वाला – तिरंगा।
4. जो विद्या ग्रहण करे – विद्यार्थी।
5. अपना राज्य – स्वराज्य।
6. शिष्टतापूर्ण आचरण और व्यवहार -शिष्टाचार।
7. इतिहास से सम्बन्ध रखने वाला – ऐतिहासिक।
8. शहीद होने को तैयार – शहादतोन्मुख।

7. विशेषण बनाओ

1. भारत = …………….
2. राष्ट्र = ………………
3. देश = ………………
4. शिक्षा = …………….
5. विज्ञान = ………….
6. संस्कृति = …………….
उत्तर:
1. भारत = भारतीय
2. राष्ट्र = राष्ट्रीय
3. देश = देशीय
4. शिक्षा = शिक्षित
5. विज्ञान = वैज्ञानिक
6. संस्कृति = सांस्कृतिक

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 7 देश-प्रेम

7. शुद्ध करो

1. भूकमप = ………………
2. संसकृति = …………..
3. प्रकृतिक = …………..
4. महातमा = ………………
5. शान्ति = ………………
6. शिस्टाचार = ………….
7. सम्पत्ती = ………………
उत्तर:
शुद्ध शब्द
1. भूकमप = भूकम्प
2. संसकृति = प्राकृतिक
3. प्रकृतिक = संस्कृति
4. महातमा = महात्मा
5. शान्ति = शान्ति
6. शिस्टाचार = शिष्टाचार
7. सम्पत्ती = सम्पत्ति

9. वाक्यों में प्रयोग करो

ध्वज = …………….
संकल्प =  …………..
अर्पित = …………..
मातृभूमि = ……………..
विस्फोट ………….
संग्राम = …………………
आकार = ………………….
पर्यावरण = ………….
निमग्न = ……….
उत्तर:
1. ध्वज – लाल किले पर तिरंगा ध्वज लहरा रहा है।
2. संकल्प – मैंने दहेज न लेने का संकल्प किया है।
3. अर्पित – मैं अपनी सेवाएं देश के प्रति अर्पित करता हूँ।
4. मातृभूमि – भारत हमारी मातृभूमि है।
5. विस्फोट – मन्दिर के बाहर भयंकर विस्फोट हुआ।
6. संग्राम – स्वतन्त्रता संग्राम में कई वीर शहीद हुए।
7. आकार – इस बल्ले का आकार ठीक नहीं है।
8. पर्यावरण – हमें अपने आस – पास के पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना चाहिए।
9. निमग्न – महात्मा जी प्रभु भक्ति में निमग्न हो गए।

10.(1) ये सब वे देश प्रेमी हैं।
इन दोनों का स्थान उच्च है।
ऊपर लिखे वाक्यों में ‘ये’, ‘इन’ किसी निश्चित व्यक्ति का बोध कराते हैं, अतः निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं।
जिस सर्वनाम से दूरवर्ती अथवा समीपवर्ती व्यक्ति, प्राणी, वस्तु और घटना का निश्चित बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं, जैसे-यह, ये, वह, वे।

(2) कुछ तिरंगा चित्रित कर रहे थे।
आपके पड़ोस में कोई अशिक्षित है।
काव्या कुछ पूछने के लिए खड़ी हो गई।

पीछे दिए वाक्यों में ‘कुछ’, ‘कोई’ किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध नहीं कराते, अतः अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं।
जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति, प्राणी या वस्तु का बोध नहीं होता उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं, जैसे-कोई, कुछ।

विचार-बोध

(क)
प्रश्न 1.
बच्चे चित्र प्रतियोगिता में क्या-क्या बना रहे थे ?
उत्तर:
चित्र प्रतियोगिता में बच्चे भारत का मानचित्र तथा तिरंगा तथा कुछ महात्मा गांधी, भगत सिंह आदि के चित्र बना रहे थे।

प्रश्न 2.
देश-प्रेम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
देश प्रेम से अभिप्राय है अपने देश के प्रति प्रेम भाव रखते हुए देश की उन्नति और विकास में योगदान देना और देश के गौरव की रक्षा अपने प्राणों से भी बढ़ कर करना।

प्रश्न 3.
प्रेम के सम्बन्ध में माँ और मातृभूमि का उच्च स्थान कैसे है ?
उत्तर:
जिस प्रकार माँ अपनी ममता, करूणा और स्नेह तथा प्यार से अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। उसी मातृभूमि भी अपनी वायु, अन्न, जल तथा पोषक पदार्थों से सबका पालन करती है। इसीलिए प्रेम के सम्बन्ध में इन दोनों का स्थान उच्च है।

प्रश्न 4.
स्वाधीनता संग्राम के कुछ देशप्रेमियों के योगदान का वर्णन करो।
उत्तर:
लाला लाजपत राय, भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरु तथा लाल बहादुर शास्त्री जैसे अनेक देशप्रेमियों ने देश को स्वतन्त्र करवाने के लिए अनेकों कष्ट सहे। लाला लाजपतराय को अंग्रेज़ों की लाठियाँ खानी पड़ी, भगत सिंह ने फाँसी का फंदा हँसते-हँसते चूमा तो सुभाष चन्द्र बोस ने अपनी फौज बना कर देश को स्वतन्त्र करवाना चाहा। र देश को स्वतन्त्र करवाना चाहा।.

प्रश्न 5.
स्वतन्त्रता के बाद किस प्रकार के नए भारत का निर्माण हुआ ?
उत्तर:
स्वतन्त्रता के बाद नए भारत का निर्माण सबसे बड़े लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में हुआ। भारत का विकास शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और संचार के साथ-साथ विज्ञान के क्षेत्र में हुआ।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 7 देश-प्रेम

प्रश्न 6.
स्वतंत्रता के बाद देश-प्रेम की परिभाषा कैसे बदली है ?
उत्तर:
स्वतंत्रता, के बाद देश-प्रेम की परिभाषा भी बदली है। आज केवल पन्द्रह अगस्त, छब्बीस जनवरी तथा कुछ राष्ट्रीय पर्वो तक ही देश-प्रेम की भावना सीमित होकर रह गई है। अपने अधिकारों की बात तो हर कोई करता है लेकिन देश के प्रति अपने कर्तव्यों की बात कोई नहीं करता।

(ख)
प्रश्न 1.
देश, राष्ट्र और देश-प्रेम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
देश-भूमि के टुकड़े का वह इलाका जहाँ कई लोग वास करते हैं।
राष्ट्र-राष्ट्र, भूमि, के उस इलाके के रहने वाले लोगों को और उनकी संस्कृति को . कहते हैं।
देश-प्रेम-देश-प्रेम के अभिप्राय है कि मनुष्य अथवा मनुष्यों के वे कार्य जिनसे उनके देश का हित, विकास और कल्याण होता हो, देश-प्रेम कहलाता है।

प्रश्न 2.
नागरिकों के देश के प्रति क्या कर्त्तव्य हैं जिनका पालन कर के देश-प्रेम का परिचय दे सकते हैं ?
उत्तर:
प्रत्येक नागरिक चाहे वह अध्यापक हैं, डॉक्टर है या इंजीनियर हैं अपना कार्य अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ करते हुए देश के विकास में अपना सहयोग दें, राष्ट्र,-गान, राष्ट्रीय झंडे और राष्ट्रीय सम्पति का सम्मान करें तथा इसे हानि होने से बचाकर वह अपने देश-प्रेम का परिचय दे सकता है।

प्रश्न 3.
बच्चे देश-सेवा कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर:
बच्चे, किसी अशिक्षित को शिक्षा प्रदान करके, बाढ़, भूकम्प और सूखा पीड़ितों की रक्षा और सहायता करके देश सेवा कर सकते हैं।

आत्म-बोध

1. घर, समाज और स्कूल-सभी जगह हमारे व्यवहार में देश-प्रेम झलकना चाहिए।
2. स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियाँ पढ़े और प्रतिदिन प्रार्थना में इस विषय पर चर्चा करें। (विद्यार्थी स्वयं करें)।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत कब आज़ाद हुआ ?
(क) 15 अगस्त, 1947 को
(ख) 16 अगस्त, 1945 को
(ग) 15 अगस्त, 1942 को
(घ) 15 अगस्त, 1949 को
उत्तर:
(क) 15 अगस्त, 1947 को

प्रश्न 2.
युवा पीढ़ी को किसके विकास में सहयोग करना चाहिए ?
(क) अपने
(ख) दूसरों के
(ग) देश के
(घ) विदेश के
उत्तर:
(ग) देश के

प्रश्न 3.
आजाद हिंद फौज की स्थापना किसने की ?
(क) सुभाष चन्द्र बोस ने
(ख) लाला लाजपतराय ने
(ग) शहीद भगत सिंह ने
(घ) चंद्रशेखर आजाद ने
उत्तर:
(क) सुभाष चन्द्र बोस ने

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से मनुष्य का पर्याय है :
(क) मानव
(ख) दानव
(ग) रावण
(घ) रावन
उत्तर:
(क) मानव

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द ‘ध्वज’ का पर्याय नहीं है ?
(क) झंडा
(ख) फंडा
(ग) पताका
(घ) तिरंगा
उत्तर:
(ख) फंडा

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से ‘भारत’ का विशेषण छांटिए :
(क) भारतीमाता
(ख) भारतमाता
(ग) भारतीय
(घ) विभारतीय
उत्तर:
(ग) भारतीय

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से विशेषण शब्द चुनें :
(क) राष्ट्रीय
(ख) राष्ट्र
(ग) भारत
(घ) देव
उत्तर:
(क) राष्ट्रीय

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से निश्चयवाचक सर्वनाम का उदाहरण कौन-सा शब्द है ?
(क) ये
(ख) कोई
(ग) कुछ
(घ) कहाँ
उत्तर:
(क) ये

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 7 देश-प्रेम

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से अनिश्चयवाचक सर्वनाम का उदाहरण है।
(क) ये
(ख) वे
(ग) कोई
(घ) कहां
उत्तर:
(ग) कोई

देश-प्रेम Summary

पाठ का सार

‘देश-प्रेम’ विषय पर ‘चित्र बनाओ’ प्रतियोगिता में बच्चों ने भारत के मानचित्र, तिरंगे झंडे, राष्ट्रीय प्रतीकों और नेताओं के चित्र बनाए थे। अध्यापिका ने देश-प्रेम के विषय में बताया कि देश की रक्षा और इसकी उन्नति और विकास में सहयोग देने के देश-प्रेम कहते हैं। माँ हमें जन्म देती है और मातृभूमि हमारे पालन-पोषण में सहायक सिद्ध होती है। देशप्रेम की डोर से सारे देशवासी मोतियों की माता की तरह गुंथे रहते हैं। इसी भावना के कारण देशवासी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एकजुट हो गए थे। महात्मा गांधी, तिलक, लाला लाजपत राय, सुभाषचंद्र बोस आदि सब देश-प्रेमी थे। इनके प्रयत्नों से देश 15 अगस्त, सन् 1947 को स्वतंत्र हुआ था। स्वतंत्रता के बाद देश ने बहुत तेजी से विकास किया है। यह देश हमारा है और हमें इसकी संपत्ति की सदा रक्षा करनी चाहिए। अपनी बातों को मनवाने के लिए कभी भी देश की संपत्ति की तोड़-फोड़ नहीं करनी चाहिए। विद्यार्थियों को एन०सी०सी० और एन०एस०एस० से जुड़ कर देश-सेवा करनी चाहिए। हमें पर्यावरण की रक्षा, प्राकृतिक आपदाओं और विभिन्न दुर्घटनाओं की स्थिति में दूसरों की सहायता में हाथ बंटाना चाहिए। देश के विकास के हर व्यक्ति को अपने-अपने क्षेत्र में परिश्रम और निष्ठा से काम करना चाहिए। युवा पीढ़ी का कर्तव्य है कि वह देश का विकास करने में सहयोग करे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
मानचित्र = नक्शा। प्रतीक = चिह्न। उकेर = बनाना, अंकित करना। महज = सिर्फ। उन्नति = तरक्की, विकास, प्रगति। योगदान = सहयोग। गौरव = बड़प्पन। जिज्ञासापूर्वक = उत्सुकता से भरकर। वात्सल्य = माता-पिता का । बालक के प्रति स्नेह। शिष्टता = सभ्य आचरण। संवर्द्धन = बढ़ाना। स्वाभाविक = सहज, प्राकृतिक। निमग्न = लीन। आघात = चोट, हानि। वशीभूत = वश में, अधीन। अर्पित = न्योछावर, वारना। स्वाधीनता संग्राम = आजादी की लड़ाई। उल्लेखनीय = वर्णन के योग्य। अहिंसा = हिंसा न करना। स्वराज = अपना राज्य। परतन्त्रता = गुलामी। लाचार = बेबस, मजबूर। भर्राए = भरे। सार्वजनिक सम्पत्ति = सब लोगों से सम्बन्धित सम्पत्ति। संरक्षण = बचाव। भददी = बुरी, असभ्य। आपदाओं = मुसीबतों, मुश्किलों। जज्बा = भावना। जुनून = उत्साह, जोश। सतत् = लगातार। कोसना = भला-बुरा कहना। संकल्प = प्रण, प्रतिज्ञा।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 6 दृढ़ निश्चयी सुशीला

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 6 दृढ़ निश्चयी सुशीला Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 6 दृढ़ निश्चयी सुशीला

Hindi Guide for Class 6 मैंदृढ़ निश्चयी सुशीला Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थ

दुर्भाग्य = बुरी किस्मत
उम्र = आयु
कतई = बिल्कुल
दृढ़ = मजबूत
मुक्त = स्वतंत्र
दलील = तर्क
ननिहाल = नाना-नानी का घर
सजगता = सावधानी

2. मुहावरों को वाक्यों में प्रयोग करो

मुहावरा अर्थ वाक्य
हाथ पीले करना शादी करना ………………………
पैरों तले की ज़मीन खिसक जाना होश उड़ जाना,बहुत घबरा जाना ………………………
टस से मस न होना दृढ़ रहना, अनुनय-विनय का कुछ प्रभाव न होना ……………………
दबाव बनाना मजबूर करना ………………….

उत्तर:

मुहावरा अर्थ वाक्य
हाथ पीले करना शादी करना सुशीला की माता छोटी उम्र में ही उसके हाथ पीले कर देना चाहती थी।
पैरों तले की ज़मीन खिसक जाना होश उड़ जाना, बहुत घबरा जाना शादी की ख़बर सुनकर सुशीला के पैरों तले की ज़मीन ही खिसक गई।
टस से मस न होना दृढ़ रहना, अनुनय-विनय का कुछ प्रभाव न होना दृढ़ रहना-इतने अत्याचारों को सह कर भी सुशीला अपने इरादे से टस से मस न हुई।
दबाव बनाना मजबूर करना शादी के लिए सुशीला पर दबाव बनाया गया।

 

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 6 दृढ़ निश्चयी सुशीला

3. इन शब्दों में अक्षरों के क्रम को ठीक करते हुए शब्द लिखो

1. निलहान = ननिहाल
2. खलरिक = ………………..
3. साखिक = …………………
4. कयला = …………………..
5. सुलरास = ………………….
6. रीदबिरा = ………………….
7. अकक्षधी = ………………
8. प्रनसशा = ………………….
9. ददम = ………………..
10. वदबा = …………………
11. धअराप = …………….
12. रोसहमा = …………………
13. नमहमोन = ……………….
14. तावीर = ……………..
15. यरिपच = ………………
उत्तर:
1. खलरिक = लिखकर
2. साखिक = खिसक
3. कयला = लायक
4. सुलरास = ससुराल
5. रीदबिरा = बिरादरी
6. अकक्षधी = अधीक्षक
7. प्रनसशा = प्रशंसा
8. ददम = मदद
9. वदबा = दबाव
10. धअराप = अपराध
11. रोसहमा = समारोह
12. नमहमोन = मनमोहन
13. तावीर = वीरता
14. यरिपच = परिचय

4. विपरीत शब्द लिखो

1. मुक्त = ……………..
2. जल्दी = ……………
3. लायक = …………..
4. राजी = ……………
5. विश्वास = ……………
6. विचलित = ……………
7. ऊपर = ……………….
8. अन्याय = …………….
9. निर्भीक = ……………
उत्तर:
1. मुक्त = आबद्ध
2. जल्दी = देरी
3. लायक = नालायक
4. राजी = नाराजी
5. विश्वास = अविश्वास
6. विचलित = अविचलित
7. ऊपर = नीचे
8. अन्याय = न्याय
9. निर्भीक = कायर

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 6 दृढ़ निश्चयी सुशीला

5. इन शब्दों को उनके सही स्थान पर लिखो।

कक्षा, निर्भीकता, सुशीला, माँ, हनुमनपुरा, प्रधानमन्त्री, सजगता, नाना, नई दिल्ली, वीरता, मनमोहन सिंह, बहादुरी।
उत्तर:

व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा भाववाचक संज्ञा
सुशीला कक्षा निर्भीकता
हनुमनपुरा माँ सजगता
नई दिल्ली प्रधानमन्त्री वीरता
मनमोहन सिंह नाना बहादुरी

उपयुक्त सर्वनाम लगाकर वाक्य पूरे करो

(क) ……………… पिता का देहान्त हो चुका था।
(ख) ……………….. अपनी माँ से इसका विरोध किया।
(ग) ……………….. ताया ने हिम्मत दिलायी।
(घ) ……………….. खूब मन लगाकर पढ़ती थी।
(ङ) …………….. स्वयं भी अधिकारियों से बात की।
उत्तर:
(क) उसके
(ख) उसने
(ग) उसके
(घ) वह
(ङ) उसने

विचार-बोध

प्रश्न 1.
सुशीला कहाँ की रहने वाली थी ?
उत्तर:
सुशीला राजस्थान के टाँक जिले के हनुमनपुरा गाँव की रहने वाली थी।

प्रश्न 2.
सुशीला ननिहाल क्यों रहती थी ?
उत्तर:
सुशीला के पिता का देहान्त हो गया था। अतः वह अपनी माता के साथ ननिहाल में रहती थी।

प्रश्न 3.
उसकी मां और नाना सुशीला की शादी क्यों जल्दी कर देना चाहते थे ?
उत्तर:
वे सुशीला की शादी जल्दी से करके लड़की की ज़िम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे।

प्रश्न 4.
सुशीला ने अपनी शादी का विरोध क्यों किया ?
उत्तर:
सुशीला अभी नाबालिग थी। वह इतनी छोटी आयु में विवाह नहीं करना चाहती थी। इसीलिए उसने अपनी शादी का विरोध किया।

प्रश्न 5.
बाल-विवाह का विरोध करने पर सुशीला को क्या-क्या अत्याचार सहने पड़े?
उत्तर:
बाल-विवाह का विरोध करने पर सुशीला को बहुत अत्याचार सहने पड़े। उसे भूखा-प्यासा रखा गया और उसे मारा-पीटा भी गया।

प्रश्न 6.
सुशीला घर से भाग कर किसके घर गयी और उसने उसकी क्या सहायता की ?
उत्तर:
सुशीला घर से भाग कर अपने ताया जी के घर गयी और उन्होंने सुशीला की बात सुनकर उसे पुलिस अधीक्षक तथा राजस्थान के मुख्यमन्त्री को पत्र लिखकर इस शादी को रुकवाने के लिए कहा। उन्होंने स्वयं भी प्रशासन के उच्च अधिकारियों से इस मामले में बात की।

प्रश्न 7.
सुशीला का विवाह किस प्रकार रुका ?
उत्तर:
पुलिस के हस्तक्षेप के कारण सुशीला का विवाह रुका।

प्रश्न 8.
सुशीला को किस-किस ने सम्मानित किया और क्यों ?
उत्तर:
अन्याय का बहादुरी से सामना करने तथा अपने पक्के इरादे पर डटे रहने के कारण सुशीला को उसके स्कूल तथा जिले में सम्मानित किया गया।

प्रश्न 9.
सुशीला के चरित्र से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? लिखें।
उत्तर:
सुशीला के चरित्र से हमें शिक्षा मिलती है कि अन्याय के आगे झुकना नहीं चाहिए, बहादुरी से उसका सामना करना चाहिए।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 6 दृढ़ निश्चयी सुशीला

आत्म-बोध

1. अन्याय करना और सहना दोनों ही पाप हैं। इस बात को जीवन में धारण करें।
2. सामाजिक बुराइयों के प्रति सदैव जागरूक रहें तथा उनको जड़ से उखाड़ने में जी-जान से जुट जायें।

रचना-बोध

प्रश्न 1.
यदि आप सुशीला की जगह होते तो इस समस्या का कैसे सामना करते ? लिखें।
उत्तर:
यदि सुशीला की जगह, हम होते तो हम पहले तो अपनी माँ और नाना जी को समझाते कि बाल-विवाह कानूनी अपराध है। अभी हमें पढ़ाई करनी है। पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़े होना है। अच्छी नौकरी करनी है उसके बाद ही शादी की बात सोची जा सकती है। यदि वे इस आग्रह को न मानते और अपनी जिद्द पर अड़े रहते तो हम कानून का सहारा लेते लेकिन किसी भी अवस्था में बाल-विवाह नहीं करते।

प्रश्न 2.
इस कहानी के छोटे-छोटे संवाद लिखकर बाल-विवाह की सजगता पर लघु नाटिका का स्कूल में मंचन करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुशीला कहाँ रहती थी ?
(क) ननिहाल
(ख) ससुराल
(ग) नौनिहाल
(घ) बेसुराल
उत्तर:
(क) ननिहाल

प्रश्न 2.
सुशीला ने शादी रुकवाने के लिए किसको पत्र लिखा ?
(क) मुख्यमंत्री को
(ख) प्रधानमंत्री को
(ग) रक्षामंत्री को
(घ) गृहमंत्री को
उत्तर:
(क) मुख्यमंत्री को

प्रश्न 3.
सुशीला को कौन-सा पुरस्कार मिला ?
(क) राष्ट्रीय
(ख) वीरता
(ग) राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
(घ) पद्मभूषण पुरस्कार
उत्तर:
(ग) राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से संज्ञा शब्द चुनें :
(क) कक्षा
(ख) वह
(ग) वे
(घ) उनका
उत्तर:
(क) कक्षा

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में कौन सा शब्द जातिवाचक संज्ञा का उदाहरण है ?
(क) वीरता
(ख) बहादुरी
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) मनमोहन सिंह
उत्तर:
(ग) प्रधानमंत्री

प्रश्न 6.
निम्न में से कौन-सा शब्द भाववाचक का उदाहरण है ?
(क) वीरता
(ख) सुशीला
(ग) नई दिल्ली
(घ) वे
उत्तर:
(क) वीरता

दृढ़ निश्चयी सुशीला Summary

दृढ़ निश्चयी सुशीला पाठ का सार

कुमारी सुशीला अपनी माँ के साथ अपने ननिहाल राजस्थान में टोंक जिले के हनुमनपुरा में रहती थी। उसके पिता का देहान्त हो चुका था। वह खूब मन लगाकर पढ़ती थी। उसकी माँ और नाना को उसकी शादी की चिन्ता थी। वे उसके लिए वर ढूँढ़ने में लग गए। आठवीं कक्षा में पढ़ रही सुशीला को एक दिन जब उसकी माँ ने बताया कि उसके लिए योग्य वर ढूँढ लिया है और जल्दी ही शादी कर देंगे, सुनकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। तेरह वर्ष की सुशीला ने ऐसा कभी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी उसकी शादी कर दी जाए। उसने माँ से इसका विरोध किया। सुशीला पर बिरादरी के लोगों के द्वारा भी दबाव बनाया गया। उसे भूखा-प्यासा भी रखा गया और यहाँ तक कि उसे मारा-पीटा भी गया। लेकिन सुशीला अपने इरादे पर डटी रही।।

एक दिन मौका पाकर सुशीला अपने ननिहाल से भाग कर अपने ताया जी के घर पहुँच गई। उसे विश्वास था कि वे उसकी सहायता अवश्य करेंगे। उसके ताया ने उसे राजस्थान के मुख्यमन्त्री और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखने को कहा। पुलिस ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए इसमें हस्तक्षेप किया और सुशीला की माँ और नाना को समझाया कि बाल-विवाह एक कानूनी अपराध है। सुशीला के घर वालों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्हें सुशीला के पक्के इरादों के आगे झुकना ही पड़ा। सुशीला की इस बहादुरी के लिए उसे स्कूल तथा जिले में सम्मानित किया गया। अपनी इसी बहादुरी और पक्के इरादे के कारण उसे नई दिल्ली में 24 जनवरी, सन् 2007 को प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह से राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

कठिन शब्दों के अर्थ:

ननिहाल = नाना-नानी का घर। देहान्त = मृत्यु। दुर्भाग्य = बुरा भाग्य। पैरों तले जमीन खिसकना = घबरा जाना, हैरान रह जाना। लायक = योग्य। विचलित = डगमगाना, घबराना। टस से मस न होना = स्थिर रहना, डटे रहना। दलील = तर्क। मुक्त = स्वतन्त्र। हस्तक्षेप करना = बीच में पड़ना। बाध्य = मजबूर। दृढ़-निश्चय = पक्का इरादा। निर्भीकता = निडरता। नवाजा = सम्मान