PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अंकित चित्र की सहायता से मानव मस्तिष्क के भिन्न-भिन्न भागों का वर्णन करें।
उत्तर-
मस्तिष्क-मानव मस्तिष्क अत्यंत विकसित कोमल अंग है जो खोपड़ी की हड्डियों (Skull) में सुरक्षित रहता है। इसके चारों ओर तीन झिल्लियां होती हैं जो एक तरल पदार्थ से घिरी रहती हैं। मस्तिष्क के प्रमुख तीन भाग होते हैं –

  • अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)
  • मध्यमस्तिष्क (Mid Brain)
  • पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)

(i) अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)-पूरे मस्तिष्क का दो-तिहाई भाग अग्रमस्तिष्क ही होता है। यह मस्तिष्क का प्रमुख भाग मध्य मस्तिष्क अग्र मस्तिष्क है। इसलिए कई लोग इसे बड़ा मस्तिष्क भी कहते हैं। इसके दो हिस्से हैं-प्रमस्तिष्क तथा डाइएन सिफेलॉन।

अग्रमस्तिष्क के अलग-अलग क्षेत्र हैं जो सुनने, सूंघने तथा देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत हैं। इसमें सहचर्य के क्षेत्र पृथक् होते हैं जहां इन संवेदी सूचनाओं, अन्य ग्राही से प्राप्त सूचना एवं पहले से मस्तिष्क में एकत्र सूचनाओं का अर्थ लगाया जाता है। इस सब पर आधारित एक निर्णय लिया जाता है कि अनुक्रिया तथा अन्य सूचनाएं प्रेरिक क्षेत्र तक कैसे पहुंचाई जाएं जो ऐच्छिक पेशी की गति को नियंत्रित करती हैं जैसे कि हमारी टाँगों की पेशियों की गतियाँ अग्रमस्तिष्क में मुख से संबंधित केंद्रित भी हैं।

अग्रमस्तिष्क के कार्य-

  • यह सभी संवेदी अंगों के संदेशों को प्राप्त करता है।
  • यह सभी पेशियों, ग्रंथियों, अंगों को उचित कार्यवाही का आदेश देता है।
  • यह उद्दीपनों और क्रियाओं के बीच संतुलन करता है।
  • यह पिछले अनुभव और स्मृतियों के आधार पर हमारे व्यवहार में परिवर्तन लाता है।
  • यह सभी सूचनाओं और ज्ञान को प्राप्त करता है और उनका संग्रह कर लेता है।

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(ii) मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)-यह मस्तिष्क का मध्य भाग है जो अग्रमस्तिष्क तथा पश्चमस्तिष्क को परस्पर जोड़ता है। साधारण प्रतिवर्ती क्रिया जैसे कि पुतली के आकार में परिवर्तन तथा कोई सोची क्रिया जैसे कुर्सी खिसकाना के मध्य एक और पेशी गति का सेट है जिस पर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं है। इन अनैच्छिक क्रियाओं में से कुछ मध्य-मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती हैं।

(iii) पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)-इसे अनुमस्तिष्क भी कहते हैं। इसकी रचना करने वाले मेडूला ऑब्लाँगेटा तथा सेरीबेलम हैं। सेरीबेलम की रचना बहुत जटिल है। यह ठोस होता है। यह प्रमस्तिष्क के बिल्कुल नीचे होता है। यह गतियों का ठीक प्रकार से नियंत्रण करता है। हमारा चलना, दौड़ना, भागना, उठना, बैठना, नाचना आदि इसी के द्वारा नियंत्रित होता है। मस्तिष्क के पीछे के त्रिभुजाकार भाग को मेडूला ऑब्लाँगेटा कहते हैं। यह हृदय की धड़कन, श्वसन, पाचन आदि अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।

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प्रश्न 2.
मेरुरज्जु का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मेरुरज्जु (Spinal Cord)-मेडूला ऑब्लाँगेटा खोपड़ी के महारंध्र से निकल कर रीढ़ की हड्डी की कशेरूकाओं के बीच में से निकल कर नीचे तक फैली रहती है। इसी को मेरुरज्जु या रीढ़ रज्जु कहते हैं। इसके ऊपर ड्यूरामेटर, ऐरेक्रॉइड और पिओमेट नामक तीन झिल्लियां उसी प्रकार होती हैं जैसी मस्तिष्क में ऊपर होती हैं। आब्लांगेटा मेरुरज्जु से निश्चित दूरियों पर 31 जोड़े मेरू तंत्रिकाएँ निकलती हैं। इसकी लंबाई लगभग 45 सेमी होती है।

मेरुरज्जु मेरुरज्जु के कार्य-

  • यह साधारण प्रतिवर्ती क्रियाओं जैसे घुटने के झटके का प्रत्युत्तर, स्वयं चालित प्रतिक्रियाएं जैसे मूत्राशय का सिकुड़न आदि के समन्वय केंद्र का कार्य करती है।
  • यह मस्तिष्क और सुषुम्ना के मध्य संचार का कार्य करती है।

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प्रश्न 3.
प्रतिवर्ती क्रिया को उपयुक्त उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए।
उत्तर-बाह्य परिवर्तनों अर्थात् उद्दीपनों के प्रति प्राणियों की प्रक्रियाएं दो प्रकार की होती हैं-ऐच्छिक (Voluntary) एवं अनैच्छिक (Involuntary) । अनैच्छिक क्रियाएं प्राणी की चेतना या इच्छा शक्ति के अधीन नहीं होती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं-स्वायत्त या स्वतंत्र तथा प्रतिवर्ती (Automatic & Reflex) |
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प्रतिवर्ती क्रियाएं दैहिक (Somatic) होती हैं अर्थात् रेखिक पेशियों एवं ग्रंथियों से संबंधित होती हैं। इस क्रिया में मेरुरज्जु भाग लेती हैं। यदि शरीर के किसी भाग में सुई चुभ जाए तो शरीर उस भाग को वहाँ से हटा लेता है।

प्रश्न 4.
पादप हॉर्मोन को कितने वर्गों में बाँटा गया है ? प्रत्येक के कार्य लिखिए।
उत्तर-
पौधे कुछ विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ उत्पन्न करते हैं जो पूरे पौधे के विभिन्न जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये रासायनिक पदार्थ पादप वृद्धि नियंत्रक या पादप हार्मोंस कहलाते हैं। इनको चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

  • ऑक्सिन्ज
  • जिबरलिन
  • साइटोकाइनिन्स
  • वृद्धि रोधक ।

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प्रश्न 5.
मनुष्य के शरीर के कुछ आवश्यक हॉर्मोनों की सारणी बनाइए।
उत्तर-
मनुष्य के कुछ आवश्यक हॉर्मोन-
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प्रश्न 6.
दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन ) के मध्य अन्तग्रथन (सिनैप्स ) में क्या होता है ?
उत्तर-
प्राणियों के दो न्यूरॉन एक-दूसरे के साथ जुड़कर श्रृंखला बनाते हैं और सूचना आगे भेजते हैं। सूचना एक न्यूरॉन के डैडराइट की नोक द्वारा प्राप्त की जाती है तथा एक रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग पैदा करती है। यह आवेग ईंडराइट से कोशिकाओं तक पहुँचता है तथा कोशिकाओं में| से होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। कोशिकाओं के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायन पैदा करता है।

यह रसायन द्रुमिका अंतग्रथन या सिनैप्स को पार करके अगली तंत्रिका कोशिका की | डैडराइट पर उत्तेजना का विद्युत आवेग आरंभ करती हैं। यह शरीर तंत्रिका का में तंत्रिका आवेग की साधारण यात्रा का प्रबंध है। इसी प्रकार का एक सिनैप्स ऐसे आवेगों को न्यूरॉनों से अन्य कोशिकाओं जैसे | कोशिका काय पेशीय कोशिका या ग्रन्थियों (Glands) तक पहुँचाता है।
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प्रश्न 7.
नीचे दिए गये चित्र में 1 तथा 2 को अंकित करो।
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उत्तर-
1. वृषण (Testis),
2. थायराइड ग्रंथि (Throid Gland)।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हॉर्मोन किसे कहते हैं ? इनकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
हॉर्मोन-जीव-जंतुओं के शरीर में अंतःस्रावी ग्रंथियों के द्वारा उत्पन्न होने वाले उन विशेष रासायनिक पदार्थों को हॉर्मोन कहते हैं जो प्राणियों के शरीर में रासायनिक समन्वयन करते हैं। बेलिस और स्टारलिंग ने हॉर्मोन शब्द का प्रयोग किया था।

हॉर्मोनों की विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं-

  • ये अंत:स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं।
  • ये सीधे रक्त में स्रावित होते हैं।
  • ये विशिष्ट रासायनिक संदेशवाहक का काम करते हैं।
  • ये केवल लक्ष्य अंग की कोशिकाओं की कार्य प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
  • रासायनिक रूप से ये प्रोटीन, स्टीरॉएड और अमीनो अम्ल होते हैं।
  • ये कम अणुभार वाले जल में विलेय प्रकृति के होते हैं।
  • इनकी थोड़ी-सी मात्रा ही क्रिया को करा देती हैं।
  • ये कोशिका झिल्ली के आर-पार जा सकते हैं।
  • ये शरीर में संचित नहीं होते।
  • इनका संश्लेषण शरीर में लगातार होता रहता है।

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प्रश्न 2.
पीयूष ग्रंथी को मास्टर ग्रंथी क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
पीयूष ग्रंथी एक छोटी गोल ग्रंथी है जो मस्तिष्क के आधार पर तल पर ऑप्टिक काइज्मा के पीछे सेलाटर्सिका की गुहा में बन्द रहती है। शरीर का शायद ही कोई ऐसा अंग हो जो पीयूष ग्रंथी से प्रभावित न होता हो। इसी कारण से इसे मास्टर ग्रंथी भी कहते हैं। पीयूष ग्रंथी से निम्नलिखित हॉर्मोंस स्रावित होते हैं-

  1. ADH (एंटीडाइ यूरेटिक हॉर्मोन)
  2. ACTH
  3. FSH
  4. TSH
  5. वृद्धि हॉर्मोस।

प्रश्न 3.
इंसुलिन एवं थॉयराक्सिन की कमी तथा अधिकता से होने वाली एक-एक बीमारी का नाम लिखिए।
उत्तर-
इंसुलिन- कमी से होने वाला रोग
मधुमेह अधिकता से होने वाले रोग
हाइपोग्लाइसेमिया। थायरॉक्सिन- कमी से होने वाला रोग
सामान्य घेघा रोग। अधिकता से होने वाला रोग
एक्सोप्थैल्पिक गॉइटर।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिएपौधों में वृद्धि और जंतुओं में वृद्धि
उत्तर-
पौधों में वृद्धि और जंतुओं में वृद्धि –

पौधों में वृद्धि जंतुओं में वृद्धि
(1) इनमें वृद्धि पूरे जीवन काल होती रहती है। (1) इनमें में वृद्धि एक निश्चित समय तक होती है।
(2) वृद्धि क्षेत्र जड़, तने और कैंबियम के अगले भाग होते हैं। (2) समान रूप से पूरे शरीर में वृद्धि होती है।
(3) पौधों में द्वितीयक वृद्धि होती है। (3) इनमें द्वितीयक वृद्धि नहीं होती है।
(4) यह विभज्योतक ऊतकों के कारण होती है। (4) इनमें विभज्योतक नहीं होते हैं।
(5) वृद्धि सीमा रहित होती है। (5) वृद्धि सीमित होती है।

प्रश्न 5.
छींक आने में होने वाली घटनाओं का मार्ग बताइए।
उत्तर-
छींक आना किसी बाहरी अवांछनीय कणों के नाक में जाने से होता है। अवांछनीय कण संवेदक स्पर्शक को उद्दीप्त करते हैं। संवेदना एक प्रेरणा में बदल जाती है। यह प्रेरणा संवेदक तंत्रिका द्वारा मेरुरज्जु को ले जाई जाती है। संवेदना का उद्दीपन एक प्रेरणा के रूप में मोटर तंत्रिका द्वारा माँसपेशी को जाता है जहाँ कार्य होता है। नाक की माँसपेशियां सिकुड़ती हैं जिससे छींक आती है। इस क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं, जो तुरंत होती है और उसे मस्तिष्क से आदेश की आवश्यकता नहीं होती। छींकने के कार्य का मार्ग इस प्रकार हैउद्दीपन → ग्राही अंग → संवेदी तंत्रिका → मेरुरज्जु → प्रेरक तंत्रिका → पेशीय क्रिया → छींकना।

प्रश्न 6.
मस्तिष्क किस प्रकार रक्षित होता है ?
उत्तर-
मस्तिष्क हड्डियों के एक बॉक्स में स्थित होता है जिस के भीतर तरल पूरित गुब्बारे जैसी संरचना उसकी प्रघातों, झटकों और चोटों से रक्षा करती है। मस्तिष्क के चारों ओर तीन झिल्लियाँ सैरीब्रोस्पाइन नामक एक तरल पदार्थ से घिरी रहकर इसकी रक्षा करती है।

प्रश्न 7.
ऐच्छिक क्रियाओं और अनौच्छिक क्रियाओं में अंतर लिखिए।
उत्तर –

ऐच्छिक क्रियाएँ अनौच्छिक क्रियाएँ
(1) ये क्रियाएँ हमारी इच्छा से ही चालित होती है। (1) ये क्रियाएँ हमारी इच्छा से चालित नहीं होती।
(2) ये मस्तिष्क के आदेश से चालित होती हैं।
उदाहरण-उठना, बैठना, चलना, खड़ा होना, बोलना, लेटना आदि।
(2) ये मस्तिष्क के आदेश से चालित नहीं होती।
उदाहरण-सांस लेना, हृदय का धड़कना भोजन का पाचन आदि।

प्रश्न 8.
चित्र में पौधे द्वारा किस प्रकार का अनुवर्तन दर्शाया जा रहा है ? इसकी परिभाषा भी दो।
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उत्तर-
पौधे द्वारा गुरुत्वानुवर्तन दर्शाया जा रहा है। प्ररोह उपरिगामी वृद्धि करता है। (ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्ती) तथा जड़ें धरती ओर (धनात्मक गुरुत्वानुवर्ती) हैं। यह धरती के गुरुत्व या खिंचाव की अनुक्रिया है।

प्रश्न 9.
मानव उत्सर्जन प्रणाली के चित्र को लेबल करो।
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उत्तर-

  1. वृक्क
  2. मूत्र वाहिनी
  3. मूत्राश्य।

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प्रश्न 10.
पादप हार्मोन क्या हैं ? किन्हीं दो के नाम लिखो।
उत्तर-
पादप हॉर्मोन-वे विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो पौधों में वृद्धि और विभेदन संबंधी क्रियाओं पर नियंत्रण करते हैं उन्हें पादप हॉर्मोन कहते हैं। पादप हॉर्मोन अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-ऑक्सिन (Auxins), इथाइलीन (Ethylene), जिब्बेरेलिन (Gibberllins), साइटोकाइनिन (Cytokinins), एबसिसिक अम्ल (Abscisic Acid)।

प्रश्न 11.
नीचे दिए गए चित्र में 1 और 2 के नाम लिखें।
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उत्तर-
1. पीयूष ग्रंथि
2. अण्डाशय ग्रंथि।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कौन बनाते हैं ?
उत्तर-
मस्तिष्क और मेरुरज्जु।

प्रश्न 2.
ऐच्छिक क्रियाओं के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
ताली बजाना, बात करना, लिखना, भागना।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क के तीन प्रमुख भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
अग्रमस्तिष्क, मध्यमस्तिष्क, पश्चमस्तिष्क।

प्रश्न 4.
अग्रमस्तिष्क किस काम के लिए विशिष्टीकृत है ?
उत्तर-
सुनने, सूंघने, देखने आदि के लिए।

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प्रश्न 5.
मानव मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर के संतुलन एवं स्थिति को बनाए रखता है ?
उत्तर-
अनुमस्तिष्क।

प्रश्न 6.
मेरुरज्जु की रक्षा कौन करता है ?
उत्तर-
कशेरुक दंड।

प्रश्न 7.
बेलें तथा कुछ पौधे किसकी सहायता से बाड़ पर चढ़ते हैं ?
उत्तर-
प्रतान की सहायता से।

प्रश्न 8.
रसायनानुवर्तन का एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना।

प्रश्न 9.
प्ररोह के अग्रभाग में कौन-सा हॉर्मोन संश्लेषित होता है ?
उत्तर-
ऑक्सिन।

प्रश्न 10.
पादप की लंबाई में वृद्धि का कारण कौन-सा हॉर्मोन है ?
उत्तर-
ऑक्सिन।

प्रश्न 11.
कोशिका विभाजन को कौन प्रेरित करता है ?
उत्तर-
साइटोकाइनिन।

प्रश्न 12.
पादपों की पत्तियां किसके प्रभाव से मुरझाती हैं ?
उत्तर-
एब्सिसिक अम्ल।

प्रश्न 13.
आयोडीन युक्त नमक किस रोग को रोकने में सहायक होता है ?
उत्तर-
गायटर।

प्रश्न 14.
वृद्धि हॉर्मोन कौन स्रावित करती है ?
उत्तर-
पीयूष ग्रंथि।

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प्रश्न 15.
यौवन आरंभ होने पर कौन-से दो हॉर्मोन लड़कों और लड़कियों में स्रावित होते हैं ?
उत्तर-
लड़कों में टेस्टोस्टेरोन तथा लड़कियों में ऐस्ट्रोजन।

प्रश्न 16.
इंसुलिन का उत्पादन कहाँ होता है ?
उत्तर-
अग्न्याशय में।

प्रश्न 17.
तंत्रिका तंत्र के अतिरिक्त कौन-सा तंत्र नियंत्रण और समन्वय का काम करता है ?
उत्तर-
हॉर्मोंस तंत्र तथा अंतःस्रावी तंत्र।

प्रश्न 18.
पौधों में जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले रसायन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
पौधों मे जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले रासायनिक पदार्थ को पादप वृद्धि नियंत्रक (Plant Growth regulators) या पादप हॉर्मोंस (Plant Harmones) कहते हैं।

प्रश्न 19.
मनुष्य में पाई जाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मनुष्य में निम्नलिखित अंत:स्रावी ग्रंथियाँ पाई जाती हैं

  1. पीयूष (Pituitary),
  2. थायरॉइड (Thyroid),
  3. पैराथाइरॉयड (Parathyroid),
  4. एड्रिनल (Adrenal),
  5. अग्नाशय (Pancreas),
  6. अंडाशय (Ovary),
  7. वृषण (Testes)।

प्रश्न 20.
रुधिर दाब तथा हृदय स्पंदन किस हॉर्मोन द्वारा बढ़ता है ?
उत्तर-
एड्रीनेलिन हॉर्मोन।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है ?
(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन।
उत्तर-
(d) साइटोकाइनिन।

प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स
(c) एक्जान
(d) आवेग।
उत्तर-
(b) सिनेप्स।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क उत्तरदायी है –
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(c) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न 4.
वृद्धि हॉर्मोन स्रावित होता है –
(a) थाइरॉइड ग्रंथि से
(b) पीयूष ग्रंथि से
(c) थाइमस ग्रंथि से
(d) अग्न्याशय से।
उत्तर-
(b) पीयूष ग्रंथि से।

प्रश्न 5.
संकटकालीन हॉर्मोन कहलाता है
(a) एड्रीनलीन
(b) नॉरएड्रीनलीन
(c) वृद्धि हॉर्मोन
(d) थायरॉक्सिन।
उत्तर-
(a) एड्रीनलीन।

प्रश्न 6.
पादपों में हॉर्मोन किसे नियंत्रित करते हैं ?
(a) जल वृद्धि
(b) दिशिक वृद्धि
(c) जल नियंत्रण
(d) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(b) दिशिक वृद्धि।

प्रश्न 7.
हमारे आहार में आयोडीन की कमी से क्या होता है ?
(a) गॉयटर
(b) मलेरिया
(c) टाइफॉइड
(d) मधुमेह।
उत्तर-
(a) गॉयटर।

प्रश्न 8.
10-12 वर्ष की उम्र में नर में कौन-से हॉर्मोन का स्रावण होता है ?
(a) एस्ट्रोजन
(b) एड्रीनलीन
(c) टेस्टोस्टेरोन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) टेस्टोस्टेरोन।

प्रश्न 9.
मधुमेह के रोगी किसका इंजेक्शन लेते हैं ?
(a) इन्सुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) टेस्टोस्टेरॉन।
उत्तर-
(a) इन्सुलिन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) मस्तिष्क हमें …………………… की अनुमति देता है।
उत्तर-
सोचने

(ii) ………………………. तने की वृद्धि में सहायक होते हैं।
उत्तर-
जिबरेलिन

(iii) रक्त में शर्करा की मात्रा का नियंत्रण ………………………………. हार्मोन द्वारा होता है।
उत्तर-
इंसुलिन

(iv) सूचनाओं का आदान-प्रदान ………………………. कोशिका द्वारा होता है।.
उत्तर-
तंत्रिका

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(v) …………….. कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
उत्तर-
एब्सिसिक एसिड।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विषमपोषी जीवों को पोषण के आधार पर किन-किन भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर-
विषमपोषी जीवों को पोषण के आधार पर निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है

  1. मृतोपजीवी-वे जीव जो अपना भोजन मृत एवं सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं, मृतोपजीवी कहलाते हैं। उदाहरण-फफूंद (कवक), खमीर, मशरूम एवं जीवाणु आदि।
  2. परजीवी-वे जीव जो अपना भोजन अन्य जीवों के शरीर के बाहर अथवा भीतर रहकर प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करते हैं परजीवी कहलाते हैं। उदाहरण-खटमल, एस्करिस, मच्छर, अमरबेल आदि।
  3. प्राणीसमभोजी-वे जीव जिनमें पाचन तंत्र पाया जाता है तथा जो भोज्य पदार्थ को अंतर्ग्रहित करके पाचन करते हैं तथा पचे भोजन का अवशोषण करके शेष अपचित भोजन को उत्सर्जित करते हैं।

प्राणी समभोजी जीव कहलाते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं-

  • शाकाहारी-ये जंतु अपना भोजन केवल पौधों से प्राप्त करते हैं। जैसे-गाय, चूहा, हिरन और बकरी आदि।
  • माँसाहारी-ये वे जंतु होते हैं जो अन्य जंतुओं के माँस को भोजन के रूप रूप में ग्रहण करते हैं। जैसेशेर, चीता, भेड़िया, सर्प, बाज आदि।
  • सर्वाहारी-ये जंतु केवल पौधों और जंतुओं के माँस दोनों को भोजन के रूप में लेते हैं। जैसे-कॉकरोच, मनुष्य, कौआ आदि।

प्रश्न 2.
प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं ? पत्ती की अनुप्रस्थ काट के आरेख की सहायता से उन कोशिकाओं को प्रदर्शित करें जिनमें क्लोरोफिल पाया जाता है। इसका महत्त्व लिखिए।
उत्तर–
प्रकाश-संश्लेषण हरे पौधे सूर्य के प्रकाश द्वारा क्लोरोफिल नामक वर्णक की उपस्थिति में CO2 और जल के द्वारा कार्बोहाइड्रेट (भोज्य पदार्थ) का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1
यह पत्तियों में पाये जाने वाला हरित लवक एक प्रकाशग्राही वर्णक है तथा प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को पूरा करता है। यह हरे बिंदु कोशिकांगों में पाया जाता है जिन्हें हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट कहते हैं। ये पत्ती की ऊपरी बाह्य त्वचा के नीचे | द्वार कोशिकायें स्थित कोशिकाओं में पाये जाते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2

महत्त्व-

  • इस प्रक्रिया के द्वारा भोजन का निर्माण होता है जिससे मनुष्य तथा अन्य जीव-जंतुओं का पोषण होता है।
  • इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन का निर्माण होता है, जो कि जीवन के लिए अत्यावश्यक है। जीव श्वसन द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं जिससे भोजन का ऑक्सीकरण होकर शरीर के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • इस क्रिया में CO2 ली जाती है तथा O2 निकाली जाती है जिससे पर्यावरण O2 एवं CO2 की मात्रा संतुलित रहती है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड के नियमन से प्रदूषण दूर होता है।
  • प्रकाश-संश्लेषण के ही उत्पाद खनिज, तेल, पेट्रोलियम कोयला आदि हैं, जो करोड़ों वर्ष पूर्व पौधों द्वारा संग्रहित किये गये थे।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 3.
पादप किस प्रकार खाद्य प्राप्त करते हैं ? ‘प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोफिल की भूमिका का विवरण दीजिए।
उत्तर-
हरे पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण विधि से प्राप्त करते हैं। सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में CO2 और जल जैसे सरल यौगिकों का हरे पौधों द्वारा स्थिरीकरण कर जटिल कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट के निर्माण की प्रक्रिया को ही प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण क्रिया हेतु पौधों को CO2 जल क्लोरोफिल और सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। स्थलीय पौधे CO2 को बाह्य वातावरण से जबकि जलीय पौधे जल में घुली CO2 को ग्रहण करते हैं। पौधों की जड़ें पानी का अवशोषण करके उसे जाइलम द्वारा पत्तियों तक पहुँचाती हैं । क्लोरोफिल पत्तियों में पाया जाता है, जो प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित कर इसे कार्बनिक यौगिकों के बंधों के रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित कर देता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को निम्नलिखित रासायनिक समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3

प्रकाश संश्लेषण की दो प्रावस्थाएँ होती हैं जो निम्नलिखित हैं-
(A) प्रकाशिक अभिक्रिया (Light Reaction)
(B) अप्रकाशिक अभिक्रिया (Dark Reaction)।

प्रश्न 4.
अमीबा के पोषण की प्रक्रिया का विवरण दीजिए।
अथवा
एक कोशकीय जीवों में पोषण प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर-
अमीबा में पोषण-अमीबा प्राणीसम भोजी विधि से पोषण करता है। यह एक सर्वाहारी जंतु है। इसका भोजन जल में तैरते हुए जीवाणु, शैवाल, डायटम आदि के सूक्ष्म जीवों के रूप में होता है। इन सूक्ष्म जीवों के निगलने (Ingestion) में जो विधि अपनाई जाती है, उसे फैगोसाइटॉसिस (Phagocytosis) कहते हैं। यह अपने भोजन को शरीर के किसी भी सतह से कूटपाद या अस्थाई प्रवर्ध द्वारा ग्रहण करता है।

पोषण विधि के निम्नलिखित चरण हैं –
अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण वहिक्षेपण। जब यह किसी भोज्य पदार्थ के संपर्क में आता है तो उसे पकड़ने के लिए कूटपाद बनावन् उसकी ओर बढ़ता है तो यह कूटपादों (Pseudopodia) द्वारा चारों ओर से घेर लेता है जिससे एक प्यालेनुमा रचना बनती है, जिसे फूड कप (Food cup) कहते हैं। बाद में कूटपाद अपने सिरों पर परस्पर संगलित होकर खाद्य रिक्तिका (Food vacoule) का निर्माण करके इसे एंडोप्लाज्म में डाल देते हैं। अमीबा में अंतः कोशिकीय पाचन (Intracellular Digestion) होता है। भोजन का पाचन खाद्य रिक्तिका (Food Vacuole) में होता है। भोजन पचाने के लिए ट्रिप्सिन, पेटिसन, एमाइलेज एंजाइम पाये जाते हैं।

खाद्य रिक्तिका में पचा हुआ भोजन एंडोप्लाज्म में विसरित (Diffuse) हो जाता है। बाद में पचा हुआ भोजन शरीर (Cell) के अंदर जीव द्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) में बदल जाता है। शरीर में यदि भोजन की अधिक मात्रा पाई जाती है तो यह ग्लाइकोजन, पैरामाइलोन तथा लिपिड्स आदि के रूप में संचित कर ली जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 4
इसमें अपच पदार्थ को बाहर निकालने के लिए विशेष एनस नहीं पाया जाता है। अपच भोजन (भोजन अविशेष) शरीर के किसी भी स्थान से बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया को वहिक्षेपण (Egestion) कहते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में अंतर लिखिए
(क) शाकाहारी एवं मांसाहारी
(ख) स्वपोषी एवं परपोषी।
उत्तर-
(क) शाकाहारी एवं मांसाहारी –

शाकाहारी (Herbivore) मांसाहारी (Carnivore)
वे जीव जो केवल पौधे या पौधे से प्राप्त उत्पादों को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं, शाकाहारी कहलाते हैं। उदाहरण-गाय, खरगोश, बकरी आदि। वे जीव जो अपना भोजन अन्य जीवों के मांस से ग्रहण करते हैं, मांसाहारी कहलाते हैं। उदाहरण-शेर, चीता, भेड़िया आदि।

(ख) स्वपोषी एवं विषमपोषी परपोषी

स्वपोषी (Autotrophs) परपोषी (Heterotrophs)
वे जीव जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा सरल अकार्बनिक से जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करके अपना स्वयं पोषण करते हैं स्वपोषी जीव (Autotrophs) कहलाते हैं। उदाहरण-सभी हरे पौधे, युग्लीना। वे जीव जो कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों या जंतुओं से ग्रहण करते हैं, परपोषी जीव (Heterotrophs) कहलाते हैं। उदाहरण-युग्लीना को छोड़कर सभी जंतु। अमरबेल, जीवाणु, कवक आदि।

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प्रश्न 6.
मनुष्यों में पाचन की प्रक्रिया का विवरण दीजिए।
अथवा
अंकित चित्र की सहायता से मानव आहार नली का वर्णन करें।
उत्तर-
मनुष्य में पाचन प्रक्रिया (Digestion in Human)-मनुष्य की पाचन क्रिया निम्नलिखित चरणों में विभिन्न अंगों में पूर्ण होती है –
(i) मुखगुहा में पाचन (Digestion in Mouth Cavity)-मनुष्य मुख के द्वारा भोजन ग्रहण करता है। मुख में स्थित दाँत भोजन के कणों को चबाते हैं जिससे भोज्य पदार्थ छोटे-छोटे कणों में विभक्त हो जाता है। लार-ग्रंथियों (Salivary Glands) से निकली लार भोजन में अच्छी तरह से मिल जाती है। लार में उपस्थित एंजाइम भोज्य पदार्थ में उपस्थित मंड (स्टार्च) को शर्करा (ग्लूकोज) में बदल देता है। लार भोजन को लसदार चिकना और लुग्दीदार बना देती है, जिससे भोजन ग्रसिका में से होकर आसानी से आमाशय में पहुंच जाता है।

(ii) आमाशय में पाचन क्रिया (Digestion in Stomach)-जब भोजन आमाशय में पहुँचता है तो वहाँ भोजन का मंथन होता है जिससे भोजन और छोटे-छोटे कणों में टूट जाता है। भोजन में नमक का अम्ल मिलता है जो माध्यम को अम्लीय बनाता है तथा भोजन को सड़ने से रोकता है। आमाशयी पाचक रस में उपस्थित एंजाइम प्रोटीन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं।

(iii) ग्रहणी में पाचन (Digestion in Duodenum)-आमाशय में पाचन के बाद जब भोजन ग्रहणी में पहुँचता है तो यकृत से आया पित्त रस भोजन से अभिक्रिया करके वसा का पायसीकरण कर देता है तथा जिह्वा माध्यम को क्षारीय बनाता है जिससे अग्नाशय से आये पाचक रस में उपस्थित एंजाइम क्रियाशील हो जाते हैं और भोजन में उपस्थित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का पाचन कर देते हैं।

(iv) क्षुद्रांत्र में पाचन (Digestion in Ileum)
पित्त नली ग्रहणी में पाचन के बाद जब भोजन क्षुद्रांत्र में पहुँचता है यकृत तो वहाँ आँत्र रस में उपस्थित एंजाइम बचे हुए अपचित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का पाचन कर देते हैं। आस्त्र की विलाई द्वारा पचे हुए भोजन का अवशोषण कर लिया जाता है तथा अवशोषित भोजन रक्त में परिशेषिका पहुँचा दिया जाता है।
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(v) बड़ी आंत्र (मलाशय) में पाचन (Digestion in Rectum)- क्षुद्रांत्र में भोजन के पाचन एवं अवशोषण के बाद जब भोजन बड़ी आंत्र में पहुँचता है तो वहाँ पर अतिरिक्त जल का अवशोषण कर लिया जाता है, बड़ी आंत्र में भोजन का पाचन नहीं होता। भोजन का अपशिष्ट (अतिरिक्त) भाग यहाँ पर एकत्रित होता रहता है तथा समयसमय पर मल द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 7.
स्टोमेटा के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रुधिरों का खुलना एवं बंद होना रक्षक कोशिकाओं की सक्रियता पर निर्भर करता है। इसकी कोशिका भित्ति असमान मोटाई की होती है। जब यह कोशिका स्फीत दशा में होती है तो छिद्र खुलता है व इसके ढीली हो जाने पर यह बंद हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि द्वार कोशिकाएं आस-पास की कोशिकाओं से पानी को अवशोषित कर स्फीत की जाती हैं। इस अवस्था में कोशिकाओं में पतली भित्तियां फैलती हैं, जिसके कारण छिद्र के पास मोटी भित्ति बाहर की ओर खिंचती है, फलतः रंध्र खुल जाता है। जब इसमें पानी की कमी हो जाती है तो तनाव मुक्त पतली भित्ति पुनः अपनी पुरानी अवस्था में आ जाती है, फलस्वरूप छिद्र बंद हो जाता है।

प्रकाश-संश्लेषण के दौरान पत्तियों में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर गिरता जाता है और शर्करा का स्तर रक्षक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में बढ़ता जाता है। फलस्वरूप परासरण दाब और स्फीति दाब में परिवर्तन हो जाता है। इससे रक्षक कोशिकाओं में एक कसाव आता है जिससे बाहर की भित्ति बाहर की ओर खिंचती है। इससे अंदर की भित्ति भी खिंच जाती है। इस प्रकार स्टोमेटा चौड़ा हो जाता है अर्थात् खुल जाता है।

अंधकार में शर्करा स्टार्च में बदल जाती है। जो अविलेय होती है। रक्षक कोशिकाओं को कोशिका द्रव्य में शर्करा का स्तर गिर जाता है। इससे रक्षक कोशिकाएं ढीली पड़ जाती हैं। इससे स्टोमेटा बंद हो जाता है।
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प्रश्न 8.
मानव हृदय का अंकित चित्र बनाकर भीतरी संरचना दिखाओ।
उत्तर –
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संरचना-मनुष्य का हृदय चार भागों में कोष्ठों में बँटा रहता है अग्र दो भाग आलिंद (Auricle) कहलाते हैं। इनसे एक बायाँ आलिंद तथा दूसरा दायाँ आलिंद होता है। पश्य दो भाग निलय (Ventricle) कहलाता हैं। जिनमें एक बायाँ निलय तथा दूसरा दायाँ निलय होता है। बाँयें आलिंद एवं बाँयें निलय के बीच दिवलनी कपाट (Bicuspid Valve) तथा दाएँ आलिंद एवं दाएँ निलय के बीच त्रिवलीन कपाट (Tricuspid Valve) होते हैं। ये वाल्व निलय की ओर खुलते हैं। बाएँ निलय का संबंध अर्धचंद्राकार (Semilunar Valve) द्वारा महाधमनी (Aorta) से तथा दाएँ निलय का संबंध अर्धचंद्राकार कपाट द्वारा फुफ्फुसीय धमनी से होता है। दाएँ आलिंद से महाशिरा (Vena Cava) आकर मिलती है तथा बाएँ आलिंद से फुफ्फुस शिरा आकर मिलती है।

हृदय की क्रियाविधि-हृदय के आलिंद व निलय में संकुचन (Systole) व शिथिलन (diastole) दोनों क्रियाएं होती हैं। ये क्रियाएं एक निश्चित क्रम में निरंतर होती हैं। हृदय की एक धड़कन या स्पंदन के साथ एक कार्डियक चक्र (Cardiac Cycle) पूर्ण होता है।

एक चक्र में निम्नलिखित चार अवस्थाएं होती हैं-

  • शिथिलन (Diastole)-इस अवस्था में दोनों आलिंद शिथिलन अवस्था में रहते हैं और रुधिर दोनों आलिंदों में एकत्रित होता है।
  • आलिंद संकुचन-आलिंदों के संकुचित होने को आलिंद संकुचन कहते हैं। इस अवस्था में आलिंद निलय कपाट खुल जाते हैं और आलिंदों से रुधिर निलयों में जाता है। दायाँ आलिंद सदैव बाँयें आलिंद से कुछ पहले संकुचित होता है।
  • निलय संकुचन-निलयों के संकुचन को निलय संकुचन कहते हैं, जिसके फलस्वरूप आलिंद निलय कपाट बंद हो जाते हैं एवं महाधमनियों के अर्धचंद्राकार कपाट खुल जाते हैं और रुधिर महाधमनियों में चला जाता है।
  • निलय शिथिलन-संकचन के पश्चात् निलयों में शिथिलन होता है और अदर्धचंद्राकार कपाट बंद हो जाते हैं। निलयों के भीतर रुधिर दाब कम हो जाता है जिससे आलिंद निलय कपाट खुल जाते हैं।

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प्रश्न 9.
रुधिर क्या है ? इसके संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रुधिर (Blood)-मानव शरीर में भोजन, ऑक्सीजन, हार्मोन, उत्सर्जन योग्य अवशिष्ट पदार्थ आदि रक्त के माध्यम से गति करते रहते हैं। शरीर में यह कुल भार का लगभग बारहवां हिस्सा होता है।
यह एक प्रकार का तरल संयोजी ऊतक (Connective Tissue) है जो कि निम्नलिखित घटकों से मिलकर बना होता है-

  • लाल रक्त कणिकाएँ (R.B.C.)-इनमें हीमोग्लोबिन नाम का प्रोटीन होता है जो श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन करता है।
  • श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.C.)-ये हानिकारक बैक्टीरिया एवं मृत कोशिकाओं का भक्षण करके उन्हें नष्ट कर देती हैं और संक्रमण तथा आघातों से शरीर की रक्षा करती हैं।
  • प्लेटलेट्स (Platelets)-ये रक्त का थक्का जमने में सहायक होती हैं। इस प्रकार अमूल्य रक्त को नष्ट करने से रोकती हैं।
  • प्लाज़मा (Plasma)-यह रक्त का द्रवीय भाग है जिसमें प्रोटीन, हॉर्मोन्स, ग्लूकोज़, वसीय अम्ल, ऐमीनो अम्ल, खनिज लवण, भोजन के पचित भाग एवं उत्सर्जी पदार्थ होते हैं। यह रक्त के परिवहन का मुख्य माध्यम है। यह रुधिर का 2/3 भाग बनाता है।

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प्रश्न 10.
मानव श्वसन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव के श्वसन तंत्र का कार्य शुद्ध वायु को शरीर के भीतर भोजन तथा अशुद्ध वायु को बाहर निकलना है। इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं
(i) नासाद्वार एवं नासागुहा-नासाद्वार से वायु शरीर के भीतर प्रवेश करती है। नाक में छोटे-छोटे और बारीक बाल होते हैं जिनसे वायु छन जाती है। उसकी धूल उनसे स्पर्श कर वहीं रुक जाती है इस मार्ग में श्लेष्मा की परत इस कार्य में सहायता करती है। वायु नम हो जाती है|

(ii) ग्रसनी-ग्रसनी ग्लॉटिस नामक छिद्र से श्वासनली में खुलती है। जब हम भोजन करते हैं तो ग्लॉटिस त्वचा के एक उपास्थियुक्त कपाट एपिग्लाटिस से ढंका रहता है।
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(iii) श्वास नली-उपास्थि से बनी हुई श्वासनली गर्दन से नीचे आकर श्वसनी बनाती है। यह वलयों से बनी होती है जो सुनिश्चित करते हैं कि वायु मार्ग में रुकावट उत्पन्न न हो।

(iv) फुफ्फुस-फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जो गुब्बारे जैसी रचना में बदल जाता है। इसे कूपिका कहते हैं। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है।

कार्य-जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और हमारा डायाफ्राम चपटा हो जाता है। इससे वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चूस ली जाती है। वह विस्तृत कूपिकाओं को ढक लेती है। रुधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है, फुफ्फुस सदैव वायु का विशेष आयतन रखते हैं जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण तथा कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

प्रश्न 11.
मनुष्य के उत्सर्जी तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वृक्क एवं इसके अनेक सहायक अंग मनुष्य के उत्सर्जी तंत्र (Excretory System) कहते हैं। वृक्क उत्सर्जन तंत्र का प्रमुख अंग है जो केवल उत्सर्जी पदार्थों को उपयोगी पदार्थों से छानकर अलग कर देता है। वृक्क (Kidney) भूरे रंग का, सेम के बीज के आकार (Bean shaped) की संरचनाएं हैं, जो कि उदरगुहा (Abdomen) में कशेरूक दंड के दोनों तरफ होती है। प्रत्येक वृक्क लगभग 10 सेमी० लंबा, 6 सेमी० चौडा और 2.5 सेमी० मोटा होता है। यकृत की वजह से दायाँ वृक्क का बाहरी किनारा उभरा (Convex) हुआ होता है जबकि भीतरी किनारा धंसा (Concave) होता है जिसे हाइलम (Hilum) कहते हैं और इसमें से मूत्र नलिका (Ureter) निकलती है। मूल नलिका जाकर एक पेशीय थैले जैसी संरचना में खुलती है जिसे मूत्राशय (Urinary Bladder) कहते हैं।
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पोषण की परिभाषा दीजिए। पोषण की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
पोषण (Nutrition)-वह समस्त प्रक्रम जिसके द्वारा जीवधारी बाह्य वातावरण से भोजन ग्रहण करते हैं तथा भोज्य पदार्थ से ऊर्जा मुक्त करके शरीर की वृद्धि करते हैं, उसको पोषण (Nutrition) कहते हैं।

पोषण की विधियाँ-जीवों में पोषण की दो विधियाँ हैं-

  • स्वपोषी या स्वयंपोषी पोषण (Autotrophic nutrition) परपोषी पोषण या विषमपोषी पोषण (Heterotrophic nutrition)। परपोषी पोषण निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है
  • मृतोपजीवी पोषण या मृतजीवी पोषण (Saprophytic nutrition)
  • परजीवी पोषण (Parasitic nutrition)
  • प्राणी समभोजी पोषण (Holozoic nutrition)।

प्रश्न 2.
प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 आवश्यक है।
उत्तर-
उपकरण-गमले में लगा पौधा, KOH के घोल से भरी बोतल, कॉर्क KI घोल आदि। विधि-गमले के पौधे को 36 से 48 घंटे अंधेरे में रखते हैं। एक हरी पत्ती को चौड़े मुँह की बोतल में कॉर्क के बीच इस प्रकार लगाते मंड परीक्षण हैं कि पत्ती का आधा भाग KOH युक्त बोतल के अंदर रहे। बोतल नीला भाग के मुँह पर ग्रीस लगाकर वायुरुद्ध कर देते हैं। उपकरण को कुछ समय के लिए धूप में रखते हैं। कुछ घंटे बाद पत्ती को तोड़कर, पानी में रंगहीन भाग उबालकर एल्कोहल से धोकर उस पर KI का घोल डालते हैं।

निरीक्षण–पत्ती का अग्र भाग जो बोतल में था पीला हो जाता है, क्योंकि बोतल में रखे KOH के द्वारा बोतल की CO2 गैस सोख ली जाती है जिससे प्रकाश संश्लेषण क्रिया पूरी न होने | से पत्ती के अग्र भाग में मंड का निर्माण नहीं हो पाता है। शेष भाग मंड के कारण नीला हो जाता है। परिणाम-प्रयोग से सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 गैस आवश्यक है।
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प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि प्रकाश-संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।
उत्तर-
प्रकाश-संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक होता है, इसकी पुष्टि के लिए निम्नलिखित प्रयोग किया जाता है-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 12
एक क्रोटन पौधे के गमले को 24-48 घंटे के लिए अंधकार में रख दिया जाता है। फिर एक निश्चित अवधि (समय) के पश्चात् इसकी एक पत्ती को तोड़कर उसका स्टार्च परीक्षण आयोडीन से किया जाता है। निरीक्षण करने पर यह देखा जाता है कि पत्ती का वह स्थान जो हरा था, वह नीला हो गया और पीले भाग पर आयोडीन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। प्रयोग द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि हरे भाग में क्लोरोफिल उपस्थित होता है जिससे वहाँ प्रकाश संश्लेषण द्वारा स्टार्च का निर्माण हुआ अन्य स्थानों पर नहीं। अतः इससे सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।

प्रश्न 4.
प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश आवश्यक है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर–
प्रयोग विधि-एक गमले में पौधे को 36 घंटे अंधेरे में (स्टार्च मुक्त करने के लिए) रखते हैं। गमले के पौधे की एक मंड परीक्षण पत्ती के दोनों ओर काला कागज़ क्लिप से लगा देते हैं। इसके पश्चात् पौधे को तीन-चार घंटे के लिए सूर्य के तीव्र प्रकाश में रख देते हैं। उक्त पत्ती को तोड़कर पानी में उबालकर एल्कोहल से धोकर उस पर KI का घोल डालते हैं। निरीक्षण–पत्ती का जो भाग काले कागज़ से ढका था पीला रंगहीन भाग है, शेष भाग मंड के कारण नीला हो जाता है।
निष्कर्ष- इससे सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।
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प्रश्न 5.
जीवधारियों के लिए पोषण क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर-
जीवधारियों (जीवों) को पोषण की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है –

  • ऊर्जा उत्पादन के लिए-शरीर की जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और जीवधारियों को यह ऊर्जा भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है।
  • शरीर की टूट-फूट की मुरम्मत के लिए विभिन्न जैविक क्रियाओं में शरीर के ऊतकों की टूट-फूट होती है, इनकी मुरम्मत के लिए पोषण की आवश्यकता होती है।
  • वृद्धि के लिए-नये जीवद्रव्य से नई कोशिकाएँ बनती हैं। इनसे जीवों की वृद्धि होती है।
  • उपापचयी क्रियाओं के नियंत्रण के लिए भोजन को पचाने तथा श्वसन आदि उपापचयी क्रियाओं में कुछ निर्माणकारी और कुछ विनाशकारी क्रियाएँ होती रहती हैं। इन क्रियाओं के संपन्न होने में तथा इन क्रियाओं पर नियंत्रण के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
कठिन व्यायाम का श्वसन दर पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों ?
उत्तर-
सामान्य अवस्था में मनुष्य की श्वास दर (Breathing rate) 15 से 18 प्रति मिनट होती है, लेकिन कठोर व्यायाम के बाद यह दर बढ़कर 20 से 25 प्रति मिनट हो जाती है, क्योंकि व्यायाम के समय अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अधिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है जिसके फलस्वरूप कठोर व्यायाम के बाद श्वास की दर बढ़ जाती है।

प्रश्न 7.
प्रकाश संश्लेषण क्रिया को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • प्रकाश (Light)-प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया सूर्य-प्रकाश में होती है, इसलिए प्रकाश का प्रकार तथा उसकी तीव्रता (intensity) इस क्रिया को प्रभावित करती है। प्रकाश की लाल एवं नीली किरणों तथा 100 फुट कैंडल से 3000 फुट कैंडल तक प्रकाश तीव्रता प्रकाश-संश्लेषण की दर को बढ़ाती है जबकि इससे उच्च तीव्रता पर यह क्रिया रुक जाती है।
  • कार्बन-डाइऑक्साइड CO2 – वातावरण में CO2 की मात्रा 0.03% होती है। यदि एक सीमा तक CO2 की मात्रा बढ़ाई जाए तो प्रकाश-संश्लेषण दर भी बढ़ती है लेकिन अधिक होने से घटने लगती है।
  • तापमान (Temperature)-प्रकाश-संश्लेषण के लिए 25-35°C का तापक्रम सबसे उपयुक्त होता है। इससे अधिक या कम होने पर दर घटती-बढ़ती रहती है।
  • जल (Water)-इस क्रिया के लिए जल एक महत्त्वपूर्ण यौगिक है। जल की कमी होने से प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है क्योंकि जीवद्रव्य की सक्रियता घट जाती है, स्टोमेटा बंद हो जाते हैं और प्रकाश-संश्लेषण दर घट जाती है।
  • ऑक्सीजन (O)-प्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन की सांद्रता से प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया प्रभावित नहीं होती है लेकिन यह पाया गया है कि वायुमंडल में 0, की मात्रा बढ़ने से प्रकाश-संश्लेषण की दर घटती है।

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प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण और श्वसन में अंतर बताइए।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण और श्वसन में अंतर –

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) श्वसन (Respiration)
(1) यह क्रिया पौधे की पर्णहरित युक्त कोशिकाओं में होती है। (1) यह क्रिया सभी जीवित कोशिकाओं में होती है।
(2) यह क्रिया सूर्य के प्रकाश में संपन्न होती है। (2) यह क्रिया प्रकाश एवं अंधकार दोनों में होती है।
(3) इस क्रिया में ऊर्जा भोजन के रूप में संग्रहित होती है। (3) इस क्रिया में भोजन में से ऊर्जा निर्मुक्त होती है।
(4) इसमें O2, निकलती है एवं CO2, अवशोषित होती है। (4) इसमें O2, प्रयुक्त होती है एवं CO2, निकलती है।
(5) यह उपचय (Anabolic) क्रिया है। (5) यह अपचय (Catabolic) क्रिया है।
(6) यह रचनात्मक क्रिया है। (6) यह विनात्मक (विनाशकारी) क्रिया है।

प्रश्न 9.
पाचन में पित्त रस का महत्त्व लिखिए।
उत्तर-
पित्त रस (Bile Juice) प्रत्यक्ष रूप से भोजन के पाचन में भाग नहीं लेता है, लेकिन इसमें विभिन्न प्रकार के रसायन होते हैं जो पाचन क्रिया में सहायता करते हैं।

इस तरह पित्त रस निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है-

  • यह अमाशय से आए भोजन के अम्लीय प्रभाव को क्षारीय बनाता है।
  • यह जीवाणुओं को मारता है तथा इसकी उपस्थिति में ही अग्नाशयी रस (Pancreatic Juice) कार्य करता है।
  • यह आंत की दीवार को क्रमाकुचन के लिए उत्तेजित करता है।
  • यह वसा में घुलनशील विटामिनों (A,D,E,K) के अवशोषण में सहायक होता है।
  • यह कुछ विषैले पदार्थों जैसे-कोलेस्ट्रॉल और धातुओं के उत्सर्जन में सहायक होता है।

प्रश्न 10.
श्वेत रक्त कणिकाओं को शरीर का सैनिक क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
श्वेत रक्त कणिकाएँ शरीर की रक्षक हैं। ये प्रतिरक्षियों का निर्माण करती हैं। जब कभी शरीर में रोग फैलाने वाले रोगाणु प्रविष्ट हो जाते हैं या कोई चोट लग जाती है तो ये रोगाणुओं का भक्षण कर लेती हैं। इसीलिए इन्हें शरीर का सैनिक कहा जाता है।

प्रश्न 11.
धमनी एवं शिरा में दो अंतर कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
धमनी तथा शिरा में अंतर-

धमनी (Artery) शिराए (Vein)
(1) धमनी हृदय से रक्त का संवहन शरीर के विभिन्न  भागों में करती है। (1) शिराएं शरीर के विभिन्न भागों से रक्त को एकत्रित करके उसका संवहन हृदय तक करती है।
(2) इनमें कपाट (वाल्व) नहीं होते हैं। (2) इनमें कपाट (वाल्व) होते हैं।
(3) इनकी दीवारें मोटी होती हैं। (3) इनकी दीवारें पतली होती हैं।
(4) फुफ्फुस धमनी को छोड़कर शेष धमनियां ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त का परिवहन करती हैं। (4) फुफ्फुस शिरा को छोड़कर शेष शिराएं CO, युक्त अशुद्ध रक्त का परिवहन करती हैं।
(5) माँस के अंदर अधिक गहराई में स्थित होती हैं। (5) माँस के अंदर कम गहराई में स्थित होती हैं।
(6) रक्त का बहाव तेज़ और झटके से होता है। (6) रक्त का बहाव धीमी चाल से होता है।

प्रश्न 12.
धमनी, शिरा तथा केशिका में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • धमनियाँ-ये साफ़ रक्त को हृदय से शरीर के अन्य अंगों के पास ले जाती हैं। ये चौड़ी होती हैं और माँस के अंदर गहराई में विद्यमान होती हैं।
  • शिराएँ- ये अशुद्ध रक्त को शरीर के अंगों से हृदय की ओर लाती हैं। इनकी दीवारें पतली होती हैं। माँस में बहुत गहराई में नहीं बल्कि ऊपरी त्वचा के पास होती हैं।
  • केशिकाएँ- ये बहुत पतली और बारीक होती हैं। यही रक्त को सभी अंगों के पास पहुँचाती हैं।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिएवाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ
उत्तर-
वाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ में अन्तर –

वाहिकाएँ वाहिनिकाएँ
(1) ये अधिक लंबी होती हैं। (1) ये अपेक्षाकृत कम लंबी होती हैं।
(2) ये अधिक व्यास की होती हैं। (2) ये कम व्यास की होती हैं।
(3) इनमें गर्मों की संख्या अधिक पाई जाती है। (3) इनमें गर्मों की संख्या कम पाई जाती है।

प्रश्न 14.
वृक्क के मुख्य कार्यों को लिखिए।
उत्तर-

  • वृक्क का मुख्य कार्य नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का होता है।
  • वृक्क जल की मात्रा को संतुलित बनाये रखने का कार्य करता है।
  • वृक्क शरीर में अम्ल क्षार का संतुलन बनाये रखते हैं।
  • वृक्क लवण संतुलन में सहायक होते हैं।
  • वृक्क शरीर में अनावश्यक रूप से उत्सर्जी पदार्थों जैसे विष, दवाइयों इत्यादि को मूत्र के साथ बाहर निकालते हैं।

प्रश्न 15.
नेफ्रान को डायलिसियस थैला क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
नेफ्रान को डायलिसियस थैला इसलिए कहा जाता है क्योंकि नेफ्रान की प्यालेनुमा संरचना बाऊमैन संपुट में स्थिर कोशिका गुच्छ की दीवारों से रक्त छनता है। रक्त में उपस्थिति प्रोटीन के अणु बड़े होने के कारण छन नहीं पाते तथा ग्लूकोज़ और लवण के अणु छोटे होने से छन जाते हैं। इस प्रकार नेफ्रान डायलिसियस थैली के समान कार्य करती है।

प्रश्न 16.
रक्त दाब किसे कहते हैं ? इसे कैसे मापते हैं ? रक्तदान अधिक बढ़ जाने से क्या क्षति हो सकती है?
उत्तर-
रक्त वाहिकाओं की दीवारों के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं। यह दाब शिराओं की अपेक्षा धमनियों में बहुत अधिक होता है। धमनी के अंदर रक्त का दाब निलय प्रकुंचन के दौरान प्रकुंचन दाब तथा निलय अनुशिथिलन के दौरान धमनी के अंदर का दाब अनुशिथिलन दाब कहलाता है। सामान्य प्रकुंचन दाब लगभग 120 मिमी (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80 मिमी (पारा) होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 14
स्फाईग्मोमैनोमीटर नाम यंत्र से रक्तदाब मापा जाता है। उच्च रक्तदाब को अति तनाव भी कहते हैं और इसका कारण धमनिकाओं का सिकुड़ना है। इससे रक्त प्रवाह में प्रतिरोध बढ़ जाता है। इससे आँख, मस्तिष्क आदि अंगों की धमनी फट सकती है। इससे आंतरिक रक्तस्त्रावण हो सकता है।

प्रश्न 17.
मानव उत्सर्जन तन्त्र का अंकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 15

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 18.
वायवीय श्वसन एवं अवायवीय श्वसन में दो अन्तर लिखो।
उत्तर –

वायवीय श्वसन अवायवीय श्वसन
(1) वायवीय क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है। (1) अवायवीय क्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है।
(2) यह क्रिया कोशिका के जीव द्रव्य एवं माइटोकाँड्रिया दोनों में पूर्ण होती है। (2) यह क्रिया केवल जीव द्रव्य में ही पूर्ण होती है।
(3) इस क्रिया में ग्लूकोज़ का पूर्ण ऑक्सीकरण होती है। (3) इस क्रिया में ग्लूकोज़ का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है।

प्रश्न 19.
स्वपोषी पोषण क्या होता है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
स्वपोषी पोषण-वह प्रक्रम जिसमें जीव अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं, स्वपोषी पोषण कहलाता है। उदाहरण-सभी हरे पौधे।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पोषण क्या है?
उत्तर-
ऊर्जा के स्रोत को भोजन के रूप में शरीर के अंदर लेने के प्रक्रम को पोषण कहते हैं।

प्रश्न 2.
श्वसन क्या है?
उत्तर-
शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है।

प्रश्न 3.
उत्सर्जन क्या है?
उत्तर-
शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालना उत्सर्जन है।

प्रश्न 4.
भोजन क्या है?
उत्तर-
ऊर्जा की प्राप्ति के लिए जो पदार्थ खाए जाते हैं वे भोजन हैं।

प्रश्न 5.
स्वपोषी जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो जीव अकार्बनिक स्रोतों से CO2 तथा जल के रूप में सरल पदार्थ प्राप्त करते हैं उन्हें स्वपोषी कहते हैं।

प्रश्न 6.
स्वपोषी किस प्रक्रिया से अपना भोजन बनाते हैं ?
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से।

प्रश्न 7.
हरे पौधों को उत्पादक क्यों कहते हैं?
उत्तर-
पौधे CO2, H2O, सूर्य प्रकाश तथा हरित लवक की सहायता से अपने तथा जीव-जगत् के दूसरे जीवों के लिए भोज्य पदार्थों का निर्माण करते हैं, इसलिए इन्हें उत्पादक कहा जाता है।

प्रश्न 8.
पौधे हरे क्यों दिखाई देते हैं ?
उत्तर-
क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण पौधे हरे दिखाई देते हैं, जो श्वेत प्रकाश में उपस्थित हरे रंग के प्रकाश को परावर्तित तथा शेष रंगों के प्रकाश को अवशोषित कर लेता है। हरा प्रकाश हमारे आँखों के दृष्टि पटल पर पड़ता है, तो हमें हरे रंग का अहसास होता है। यही कारण है कि पौधे हरे दिखाई देते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 9.
प्रकाश-संश्लेषण की परिभाषा लिखें और इसके लिए समीकरण भी लिखें।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण-सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड और जल जैसे सरल यौगिक से हरे पौधों द्वारा क्लोरोफिल की सहायता से पौधों द्वारा भोज्य पदार्थों की निर्माण प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण की रासायनिक क्रिया
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 16

प्रश्न 10.
दो बाह्य परजीवियों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. खटमल
  2. जूं।

प्रश्न 11.
दो अंतः परजीवियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
फीताकृमि, प्लाजमोडियम (मलेरिया परजीवी)।

प्रश्न 12.
मनुष्य में आहार नाल कहाँ से कहाँ तक फैली होती है?
उत्तर-
मुँह से गुदा तक।

प्रश्न 13.
लार क्या है?
उत्तर-
मुँह में लाल ग्रंथियों से निकलने वाला रस लार कहलाता है।

प्रश्न 14.
आहार नली का सबसे लंबा भाग कौन-सा है ?
उत्तर-
क्षुद्रांत्र।

प्रश्न 15.
यकृत से कौन-सा रस निकलता है ?
उत्तर-
पित्त रस।

प्रश्न 16.
मनुष्य के आहार नाल की लंबाई कितनी होती है ?
उत्तर-
मनुष्य के आहार नाल की लंबाई लगभग 9 से 10 मीटर होती है।

प्रश्न 17.
मनुष्य के शरीर में सबसे बड़ी ग्रंथि का नाम बताइए।
उत्तर-
यकृत (Liver)।

प्रश्न 18.
अग्न्याशयी रस में उपस्थित चार प्रकीनों (एंजाइमों) के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. अग्न्याशयी एमाइलेज
  2. अग्न्याशयी लाइपेज
  3. ट्रिप्सिन
  4. काइमोट्रिप्सिन।

प्रश्न 19.
पाचन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वह क्रिया जिसमें एंजाइमों की सहायता से जटिल भोज्य पदार्थों को सरल अणुओं में अपघटित किया जाता है, जिससे ये अवशोषित होकर हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर सकें, पाचन (Digestion) कहलाती है।

प्रश्न 20.
ऑक्सी श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)-यह वह श्वसन है, जिसमें भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्णरूपेण CO, तथा H,O में हो जाता है। इस श्वसन में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसे निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त करते हैं
C6H112O6 + 6O2, → 6CO2, + 6H2O + 673 K cal ऊर्जा

प्रश्न 21.
अनॉक्सी श्वसन किसे कहते हैं ? समीकरण दीजिए।
उत्तर-
अनॉक्सी श्वसन (Anerobic Respiration)-वह श्वसन है, जिसमें भोज्य पदार्थों का अपूर्ण ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इसमें अपेक्षाकृत कम ऊर्जा मुक्त होती है। इसे निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त करते हैं-
C6H112O6 → 2CO2 + 2C2H5OH + 21 K Cal ऊर्जा (2ATP)

प्रश्न 22.
ATP क्या है ?
उत्तर-
ATP या एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट एक विशिष्ट यौगिक है, जो सभी जीवों की कोशिका में ऊर्जा का वाहक एवं संग्राहक है।

प्रश्न 23.
किण्वन क्या है ?
उत्तर-
वह रासायनिक क्रिया जिसमें सूक्ष्म जीव (यीस्ट) शर्करा का अपूर्ण विघटन करके CO2, तथा एल्कोहल, ऐसीटिक अम्ल इत्यादि का निर्माण होता है, किण्वन (Fermentation) कहलाती है। इसमें कुछ ऊर्जा भी मुक्त होती है।

प्रश्न 24.
सामान्य अवस्था में मनुष्य कितनी बार साँस लेता है ?
उत्तर-
सामान्य अवस्था में मनुष्य प्रति मिनट 12 से 15 बार साँस लेता है।

प्रश्न 25.
ATP का कार्य बताइए।
उत्तर-
ATP का कार्य-

  • यह कोशिकाओं के अंदर ऊर्जा का संवहन एवं संचयन करता है।
  • विभिन्न रसायनों का संश्लेषण इन्हीं की सहायता से होता है।
  • यह कोशिका का प्रमुख अवयव है।

प्रश्न 26.
जाइलम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जाइलम मोटी दीवार वाले वे मृत ऊतक हैं जो पानी और खनिजों को जड़ से पौधों के अन्य भागों तक पहुँचाते हैं।

प्रश्न 27.
फ्लोएम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
फ्लोएम वे जीवित ऊतक हैं जो पत्तों से भोजन को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाते हैं।

प्रश्न 28.
रक्त से संबंधित रक्त वाहिनियों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • धमनियाँ,
  • शिराएँ,
  • कोशिकाएँ।

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प्रश्न 29.
रुधिर का तरल माध्यम क्या है ?
उत्तर-
प्लाज्मा।

प्रश्न 30.
शरीर में रक्त को कौन गति प्रदान करता है ?
उत्तर-
हृदय।

प्रश्न 31.
शरीर में हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कौन करता है ?
उत्तर-
श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.C.)।

प्रश्न 32.
कौन-सी धमनी अशुद्ध रक्त को फेफड़ों तक पहुँचाती है ?
उत्तर-
फुफ्फुस धमनी (Pulmonary Artery)।

प्रश्न 33.
ECG का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
इलैक्ट्रो कार्डियो ग्राम।

प्रश्न 34.
सामान्य रक्त दाब कितना होता है ?
उत्तर-
सामान्य रक्त दाब 120/80 होता है। सिस्टॉलिक = 120 डायस्टॉलिक = 80

प्रश्न 35.
वृक्क के अतिरिक्त जंतुओं ( मनुष्यों) में अन्य उत्सर्जी अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • यकृत,
  • फेंफड़े,
  • त्वचा।

प्रश्न 36.
स्वयंपोषण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
स्वयंपोषण-वह जैविक प्रक्रिया जिसमें पौधे (जीव) जल CO, तथा प्रकाश की उपस्थिति में पर्णरहित द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।

प्रश्न 37.
विषम पोषी पोषण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
विषम पोषी पोषण-वह प्रक्रिया जिसमें जीव कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों अथवा जंतुओं से ग्रहण करते हैं, विषम पोषी पोषण कहलाती है।

प्रश्न 38.
निम्न चित्र (a) तथा (b) पौधे के कौन-से भाग हैं तथा यह क्या कार्य करते हैं ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 17
उत्तर-
(a) स्टोमैटा छिद्र
(b) द्वार कोशिकाएं कार्य-प्रकाश संश्लेषण के लिए गैसों का आदान-प्रदान इन के द्वारा होता है।

प्रश्न 39.
वृक्ष के दिए गए चित्र में कौन-सी क्रिया हो रही है ? उस क्रिया का नाम लिखो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 18
उत्तर-
वाष्पोत्सर्जन क्रिया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है –
(a) पोषण
(b) श्वसन
(c) उत्सर्जन
(d) परिवहन।
उत्तर-
(c) उत्सर्जन।

प्रश्न 2.
पादप में जाइलम उत्तरदायी है –
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन।
उत्तर-
(a) जल का वहन।

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प्रश्न 3.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है –
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) माइटोकाँड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केंद्रक।
उत्तर-
(b) माइटोकाँड्रिया।

प्रश्न 5.
हरे पौधों में पोषण होता है –
(a) स्वपोषी
(b) विषमपोषी
(c) परपोषी
(d) मृतपोषी।
उत्तर-
(a) स्वपोषी।

प्रश्न 6.
श्वसन क्रिया में पौधों से मुक्त होती है-
(a) ऑक्सीजन
(b) कार्बनडाइऑक्साइड
(c) जलवाष्प
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(b) कार्बनडाइऑक्साइड।

प्रश्न 7.
अवायवीय श्वसन के फलस्वरूप लैक्टिक अम्ल बनता है –
(a) यीस्ट में
(b) खम्भ कोशिकाओं में
(c) पेशीकोशिकाओं में
(d) फेफड़ों में।
उत्तर-
(c) पेशीकोशिकाओं में।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) वृक्क की इकाई ……………………. है।
उत्तर-
नेफ्रॉन

(ii) पौधों में गैसों का आदान-प्रदान ………………………… द्वारा होता है।
उत्तर-
स्टोमैटा (Stomata)

(iii) …………………….. श्वसन से जीवों को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
उत्तर-
वायवीय

(iv) फुफ्फुस में ……………………. रुधिर से अलग हो जाती है।
उत्तर-
CO2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

(v) रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे …………………….. कहते हैं।
उत्तर-
रक्तदाब।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4

प्रश्न 1. मान लीजिए ∆ABC ~ ∆DEF है और इनके क्षेत्रफल क्रमशः 64 cm2 और 121 cm2 हैं। यदि EF = 15.4 cm हो, तो BC ज्ञात कीजिए। हल : ∆ABC ~ ∆DEF, AABC का क्षेत्रफल = 64 cm2 और ∆DEF का क्षेत्रफल = 121 cm2 और EF = 15.4 cm है। . PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 1 ∆ABC ~ ∆DEF ∴ \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{ABC})}{\ {ar}(\triangle \mathrm{DEF})}=\frac{\mathrm{AB}^{2}}{\mathrm{DE}^{2}}=\frac{\mathrm{AC}^{2}}{\mathrm{DF}^{2}}=\frac{\mathrm{BC}^{2}}{\mathrm{EF}^{2}}\) (यदि दो त्रिभुजें समरूप हों तो उनके क्षेत्रफलों का अनुपात संगत भुजाओं के अनुपात के वर्ग के बराबर होता है।) \(\frac{64}{121}=\frac{\mathrm{BC}^{2}}{\mathrm{EF}^{2}}\) \(\left(\frac{8}{11}\right)^{2}=\left(\frac{B C}{15.4}\right)^{2}\) \(\frac{8}{11}=\frac{B C}{15.4}\) BC = \(\frac{8 \times 15.4}{11}\) BC = 8 × 1.4 BC = 11.2 cm. PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 प्रश्न 2. एक समलंब ABCD जिसमें AB || DC है, के विकर्ण परस्पर बिंदु 0 पर प्रतिच्छेद करते हैं। यदि AB = 2 CD हो, तो त्रिभुजों AOB और COD के क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए। हल : ABCD एक समलंब है जिसमें AB || DC है, के विकर्ण AC और BD परस्पर बिंदु 0 पर प्रतिच्छेद करते हैं। AB = 2 CD है। PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 2 ∆AOB और ∆COD में, ∠1 = ∠2 (एकांतर कोण) ∠3 = ∠4 (एकांतर कोण) ∠5 = ∠6 (शीर्षाभिमुख कोण)। ∴ ∆AOB ~ ∆COD \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{AOB})}{\ {ar}(\Delta \mathrm{COD})}=\frac{\mathrm{AB}^{2}}{\mathrm{CD}^{2}}\) {यदि दो त्रिभुजें समरूप हों, तो उनके क्षेत्रफलों का अनुपात उनकी संगत भुजाओं के अनुपात का वर्ग होता है।} = \(\frac{(2 \mathrm{CD})^{2}}{\mathrm{CD}^{2}}\) \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{AOB})}{\ {ar}(\triangle \mathrm{COD})}=\frac{4 \mathrm{CD}^{2}}{\mathrm{CD}^{2}}=\frac{4}{1}\) ∴ वांछित ar ∆AOB और ar ∆COD का अनुपात = 4 : 1 PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 प्रश्न 3. आकृति में एक ही आधार BC पर दो त्रिभुज ABC और DBC बने हुए हैं। यदि AD, BC को 0 पर प्रतिच्छेद करे, तो दर्शाइए कि \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{AOB})}{\ {ar}(\Delta \mathrm{COD})}=\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{DO}}\) है| PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 3 हल: दिया है : AABC और ADBC एक ही आधार BC पर बने हुए हैं। AD, BC को 0 पर प्रतिच्छेद करती है। PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 4 सिद्ध कीजिए : \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{ABC})}{\ {ar}(\triangle \mathrm{DBC})}=\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{DO}}\) रचना : AL ⊥ BC, DM ⊥ BC खींचिरा उपपत्ति : ∆ALO और ∆DMO में, ∠1 = ∠2 (शीर्षाभिमुख कोण) ∠L = ∠M (प्रत्येक 90°) ∴ ∆ALO ~ ∆DMO [AA समरूपता कसौटी] ∴ \(\frac{\mathrm{AL}}{\mathrm{DM}}=\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{DO}}\) …………….(1) [यदि दो त्रिभुजें समरूप हों, तो संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।] PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 11 PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 प्रश्न 4. यदि दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफल बराबर हों तो सिद्ध कीजिए कि वे त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। हल : दिया है : दो त्रिभुजें ABC और DEF समरूप हैं और क्षेत्रफल में बराबर हैं। सिद्ध करना है : ∆ABC ≅ ∆DEF PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 6 उपपत्ति : चूँकि ∆ABC ~ ∆DEF, ∴ \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{ABC})}{\ {ar}(\triangle \mathrm{DEF})}=\frac{\mathrm{BC}^{2}}{\mathrm{EF}^{2}}\) \(\frac{\mathrm{BC}^{2}}{\mathrm{EF}^{2}}\) = 1 ⇒ BC2 = EF2 ⇒ BC = EF. साथ ही, चूँकि ∆ABC ~ ∆DEF, इसलिए वे समकोणिक हैं और ∠B = ∠E और ∠C =∠F. अब त्रिभुजों ABC और DEF में, ∠B = ∠E, ∠C = ∠F और BC = EF ∴ ∆ABC = ∆DEF (ASA सर्वांगसमता प्रमेय) PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 प्रश्न 5. एक त्रिभुज ABC की भुजाओं AB, BC और CA के मध्य-बिंदु क्रमशः D, E और F हैं। ∆DEF और ∆ABC के क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए। हल: दिया है : एक ∆ABC की भुजाओं AB, BC और CA के मध्य-बिंदु क्रमश: D, E और F हैं। अभीष्ट : ar (∆DEF) : ar (∆ABC) ज्ञात करना। उपपत्ति : ∆ABC में, F, AB का मध्य-बिंदु है। …(दिया है) E, AC का मध्य-बिंदु है। …(दिया है) इसलिए मध्य-बिंदु प्रमेय से, FE || BC और FE = \(\frac{1}{2}\) BC ⇒ FE || BD . और FE = BD [∵ BD = \(\frac{1}{2}\) BC] ∴ BDEF एक समांतर चतुर्भुज है (∵ सम्मुख भुजाएँ समांतर और समान हैं।) त्रिभुजों FBD और DEF में, FB = DE …(|| gm BDEF की सम्मुख भुजाएँ) FD = FD …(उभयनिष्ठ) ….|(| gm BDEF की सम्मुख भुजाएँ) BD = FE ∴ ∆FBD = ∆DEF ….. (SSS सर्वांगसमता प्रयोग) इसी प्रकार, हम सिद्ध कर सकते हैं कि ∆AFE = ∆DEF और ∆EDC = ∆DEF यदि त्रिभुजें सर्वांगसम हों, तो वे क्षेत्रफल में बराबर होती हैं। ∴ ar (∆FBD) = ar (∆DEF) …………(1) ar (∆AFE) = ar (∆DEF) ………..(2) ar (∆EDC) = ar (∆DEF) ……………..(3) अब ar ∆(ABC) = ar (∆FBD) + ar (∆DEF) + ar (∆AFE) + ar (AEDC) = ar (ADEF) + ar (ADEF) + ar (ADEF) + ar (ADEF) [(1), (2) और (3) का प्रयोग करने पर] = 4 ar (∆DEF) = ar (∆DEF) = \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) ⇒ \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{DEF})}{\ {ar}(\triangle \mathrm{ABC})}=\frac{1}{4}\) ∴ ar (∆DEF) : ar (∆ABC) = 1 : 4. PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 प्रश्न 6. सिद्ध कीजिए कि दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात इनकी संगत माध्यिकाओं के अनुपात का वर्ग होता है। दिया है : ∆ABC ~ ∆DEF. AX और DY क्रमशः भुजाओं BC और EF की माध्यिकाएँ हैं। PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 7 PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 8 PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 प्रश्न 7. सिद्ध कीजिए कि एक वर्ग की किसी भुजा पर बनाए गए समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल उसी वर्ग के एक विकर्ण पर बनाए गए समबाहु त्रिभुज के क्षेत्रफल का आधा होता है। हल : दिया है : ABCD एक वर्ग है। समबाहु ∆ABC वर्ग की भुजा AB पर स्थित है और समबाहु ∆ACF विकर्ण AC पर बनी हैं। PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 9 सिद्ध कीजिए : \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{ABC})}{\ {ar}(\triangle \mathrm{ACF})}=\frac{1}{2}\) उपपत्ति : समकोण ∆ABC में, AB2 + BC2 = AC2 [पाइथागोरस प्रमेय द्वारा] = AB2 + AB2 = AC2 [∵ AB = BC, एक ही वर्ग की भुजाएँ] ∴ 2AB2 = AC2 ………………(1) अब, प्रत्येक ∆ABE और ∆ACF समबाहु और इसलिए समकोणिक हैं और इसलिए समरूप हैं। अर्थात् ∆ABE ~ ∆ACF. यहाँ पहली ∆ की कोई भुजा दूसरी त्रिभुज की किसी भुजा से समांतर हैं। ∴ \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{ABE})}{\ {ar}(\triangle \mathrm{ACF})}=\frac{\mathrm{AB}^{2}}{\mathrm{AC}^{2}}\) [:: दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात उनकी संगत भुजाओं के अनुपात के वर्ग के बराबर होता है।] = \(\frac{\mathrm{AB}^{2}}{2 \mathrm{AB}^{2}}=\frac{1}{2}\). [(1) का प्रयोग करने पर] PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 सही उत्तर चुनिए और अपने उत्तर का औचित्य दीजिए: प्रश्न 8. ABC और BDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि D भुजा BC का मध्य-बिंदु है। त्रिभुजों ABC और BDE के क्षेत्रफलों का अनुपात है : (A) 2 : 1 (B) 1 : 2 (C) 4 : 1 (D) 1 : 4. हल :- ∆ABC और ∆BDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार है कि D भुजा BC का मध्य-बिन्दु है। ∴ BD = DC = \(\frac{1}{2}\) BC, मान लीजिए समबाहु त्रिभुज की भुजा 2a है। ∴ ∆ABC ~ ∆BDE ∴ \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{ABC})}{\ {ar}(\triangle \mathrm{BDE})}=\frac{\mathrm{AB}^{2}}{\mathrm{BD}^{2}}\) = \(\frac{(2 a)^{2}}{(a)^{2}}=\frac{4 a^{2}}{a^{2}}\) = \(\frac{4}{1}\) ∴ (C) सही विकल्प है PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 प्रश्न 9. दो समरूप त्रिभुजों की भुजाएँ 4:9 के अनुपात में हैं। इन त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात है : (A) 2 : 3 (B) 4 : 9 (C) 81 : 16 (D) 16 : 81. हल: PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 10 (दिया है) ∆ABC ~ ∆DEF \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{DE}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{DF}}=\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{EF}}=\frac{4}{9}\) ∴ \(\frac{\ {ar}(\Delta \mathrm{ABC})}{\ {ar}(\Delta \mathrm{DEF})}=\frac{\mathrm{AB}^{2}}{\mathrm{DE}^{2}}\) [दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात उनकी संगत भुजाओं के अनुपात के वर्ग के बराबर होता है] ∴ \(\frac{\ {ar}(\triangle \mathrm{ABC})}{\ {ar}(\Delta \mathrm{DEF})}=\left(\frac{4}{9}\right)^{2}=\frac{16}{81}\) ∴ (D) सही विकल्प है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 1.
बताइए कि आकृति में दिए त्रिभुजों के युग्मों में से कौन-कौन से युग्म समरूप हैं ? उस समरूपता कसौटी को लिखिए जिसका प्रयोग आपने उत्तर देने में किया है तथा साथ ही समरूप त्रिभुजों को सांकेतिक रूप में व्यक्त कीजिए।

(i) PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 1

(ii) PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 2

(iii) PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 3

(iv) PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 4

(v) PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 5

(vi) PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 6

हल :
(i) ∆ABC तथा ∆PQR में,
∠A = ∠P (प्रत्येक 60°)
∠B = ∠Q (प्रत्येक 80°)
∠C = ∠R (प्रत्येक 40°)
∴ ∆ABC ~ ∆PQR [AAA समरूपता कसौटी)

(ii) ∆ABC तथा ∆PQR में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{RQ}}=\frac{2}{4}=\frac{1}{2}\) ………….(1)

\(\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{PQ}}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\) ………….(2)

\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{RQ}}=\frac{2.5}{5}=\frac{1}{2}\) ………….(3)
(1), (2) और (3) से,
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{PR}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{PR}}=\frac{1}{2}\)
∴ ∆ABC ~ ∆QRP [SSS समरूपता कसौटी से)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

(iii) ∆LMP तथा ∆DEF में,

\(\frac{\mathrm{MP}}{\mathrm{DE}}=\frac{2}{4}=\frac{1}{2}\) \(\frac{\mathrm{PL}}{\mathrm{DF}}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\) \(\frac{\mathrm{LM}}{\mathrm{EF}}=\frac{2.7}{5}=\frac{27}{50}\)

यहाँ \(\frac{\mathrm{MP}}{\mathrm{DE}}=\frac{\mathrm{PL}}{\mathrm{DF}} \neq \frac{\mathrm{LM}}{\mathrm{EF}}\)
∴ दो त्रिभुजें समरूप नहीं हैं।

(iv) ∆MNL तथा ∆PQR में,
\(\frac{\mathrm{MP}}{\mathrm{QR}}=\frac{5}{10}=\frac{1}{2}\)

∠M = ∠Q (प्रत्येक 70°)

\(\frac{\mathrm{MN}}{\mathrm{PQ}}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

∴ ∆MNL ~ ∆QPR [SAS समरूपता कसौटी से]

(v) ∆ABC और ∆DEF में,

\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{DF}}=\frac{2.5}{5}=\frac{1}{2}\) \(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{EF}}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

∠B ≠ ∠F
∴ ∆ABC तथा ∆DEF समरूप नहीं हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

(vi) ∆DEF में,
∠D = 70°, ∠E = 80°
∠D + ∠E + ∠F = 180°
70° + 80° + ∠F = 180°
∠F = 180° – 70° – 80°
∠F = 30°
∆PQR में,
∠Q = 80°, ∠R = 30°
∠P + ∠Q + ∠R = 180°
(त्रिभुज के कोणों का योगफल)
∠P + 80° + 30° = 180°
∠P = 180° – 80° – 30°
∠P = 70°
∆DEF तथा ∆PQR में,
∠D = ∠P (70° प्रत्येक)
∠E = ∠Q (80° प्रत्येक)
∠F = ∠R (30° प्रत्येक)
∴ ∆DEF ~ ∆PQR (AAA समरूपता कसौटी)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 2.
आकृति में, ∆ODC ~ ∆OBA, ∠BOC = 125° और ∠CDO = 70° है। ∠DOC, ∠DCO और ∠OAB ज्ञात कीजिए।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 7

हल :
∠BOC = 125°
∠CDO = 70°
DOC एक सरल रेखा है।
∴ ∠DOC + ∠COB = 180°
∠DOC + 125 = 180°
∠DOC = 180° – 125°
∠DOC = 55°
∠DOC = ∠AOB = 55° [शीर्षाभिमुख कोण]
∆ODC ~ ∆OBA
∠D = ∠B = 70°
∆DOC में,
∠D + ∠O + ∠C = 180°
70° + 55° + ∠C = 180°
∠C = 180° – 70° – 550
∠C = 55°
∠C = ∠A = 55°
∠DOC = 55°
∠DCO = 55°
∠OAB = 55°

प्रश्न 3.
समलंब ABCD, में AB || DC है, के विकर्ण AC और BD परस्पर O परिच्छेद करते हैं। दो त्रिभुजों की समरूपता कसौटी का प्रयोग करते हुए, दर्शाइए कि \(\frac{\mathrm{OA}}{\mathrm{OC}}=\frac{\mathrm{OB}}{\mathrm{OD}}\) है।
हल :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 19

दिया है : समलंब ABCD जिसमें AB || CD है और विकर्ण AC तथा BD परस्पर O पर प्रतिच्छेद करते हैं।
सिद्ध करना है. \(\frac{\mathrm{OA}}{\mathrm{OC}}=\frac{\mathrm{OB}}{\mathrm{OD}}\)
AB || CD
उपपत्ति : AB || DC
∆DOC और ∆BOA में,
∠1 = ∠2 (एकांतर कोण)
∠5 = ∠6 (शीर्षाभिमुख कोण)
∠3 = ∠4 (एकांतर कोण) ..
∴ ∆DOC ~ ∆BOA [AAA समरूपता कसौटी]

\(\frac{\mathrm{DO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{OC}}{\mathrm{OA}}\) [यदि दो त्रिभुजें समरूप हों, तो संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।} |

⇒ \(\frac{\mathrm{OA}}{\mathrm{OC}}=\frac{\mathrm{BO}}{\mathrm{DO}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 4.
आकृति में, \(\frac{\mathrm{QR}}{\mathrm{QS}}=\frac{\mathrm{QT}}{\mathrm{PR}}\) तथा ∠1 = ∠2 है। दर्शाइए कि ∆PQS ~ ∆TQR है।
हल :
दिया है ∆TQR में
\(\frac{\mathrm{QR}}{\mathrm{QS}}=\frac{\mathrm{QT}}{\mathrm{PR}}\) तथा
∠1 = ∠2
सिद्ध करना है : ∆PQS ~ ∆TQR
उपपत्ति : ∆PQR में,
∠1 = ∠2 (दिया है)
∴ PR = PQ
[बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 21

∠1 = ∠1 (उभयनिष्ठ)
∴ ∆PQS ~ ∆TQR [SAS समरूपता कसौटी]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 5.
∆PQR की भुजाओं PR और QR पर क्रमशः बिंदु S और T इस प्रकार स्थित हैं कि ∠P = ∠RTS है। दर्शाइए कि ∆RPQ ~ ∆RTS है।
हल :
दिया है :- ∆PQR की भुजाओं PR और QR पर क्रमश: बिंदु S और T इस प्रकार स्थित हैं कि ∠P = ∠RTS है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 22

सिद्ध करना है : ∆RPQ ~ ∆RTS
उपपत्ति : ∆RPQ और ∆RTS में,
∠RPQ = ∠RTS (दिया है)
∠R = ∠R (उपनिष्ठ)
∆PQS ~ ∆TQR [AA समरूपता कसौटी]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 6.
आकृति में, यदि ∆ABE ≅ ∆ACD है, तो दर्शाइए कि ∆ADE ~ ∆ABC है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 8

हल:
दिया है : ∆ABC और ∆ABE ≅ ∆ACD है।
सिद्ध करना है : ∆ADE ~ ∆ABC
उपपत्ति : ∆ABE = ∆ACD (दिया है)
AB = AC (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग)
और AE = AD (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग)
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{AC}}\) = 1 ……………….(1)

\(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{AE}}\) = 1 ………………(2)

(1) और (2) से, \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{AC}}=\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{AE}}\)

∆ADE और ∆ABC में, \(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{AE}}=\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{AC}}\)
∠A = ∠A (उभयनिष्ठ)
∴ ∆ADE ~ ∆ABC [SAS समरूपता कसौटी से]

प्रश्न 7.
आकृति में, ∆ABC के शीर्षलंब AD और CE परस्पर बिंदु P पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि :
(i) ∆AEP ~ ∆CDP
(ii) ∆ABD ~ ∆CBE
(iii) ∆AEP ~ ∆ADB
(iv) ∆PDC ~ ∆BEC.
हल:
दिया है : ∆ABC, AD | BC

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 9

सिद्ध करना है:
(i) ∆AEP ~ ∆CDP
(ii) ∆ABD ~ ∆CBE
(iii) ∆AEP ~ ∆ADB
(iv) ∆PDC ~ ∆BEC.

उपपत्ति : (i) ∆AEP और ∆CDP में,
∠E = ∠D (प्रत्येक 90°)
∠APE = ∠CPD (शीर्षाभिमुख कोण)
∴ ∆AEP ~ ∆CDP [AA समरूपता कसौटी]

(ii) ∆ABD और ∆CBE में,
∠D = ∠E (प्रत्येक 90°)
∠B = ∠B (उभयनिष्ठ)
∴ ∆ABD ~ ∆CBE [AA समरूपता कसौटी]

(iii) ∆AEP और ∆ADB में,
∠E = ∠D (प्रत्येक 90°)
∠A = ∠A (उभयनिष्ठ)
∴ ∆AEP ~ ∆ADB [AA समरूपता कसौटी]

(vi) ∆PDC और ∆BEC में,
∠C = ∠C (उभयनिष्ठ)
∠D = ∠E (प्रत्येक 90°)
∴ ∆PDC ~ ∆BEC [AA समरूपता कसौटी]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 8.
समांतर चतुर्भुज ABCD की बढ़ाई गई भुजा AD पर स्थित E एक बिंदु है तथा BE भुजा CD को F पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि AABE ~ACFB

त्रिभुज
हल :
दिया है :- समांतर चतुर्भुज ABCD की बढ़ाई गई भुजा AD पर स्थित E एक बिंदु है तथा BE भुजा CD को F पर प्रतिच्छेद करती है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 10

सिद्ध करना है : ∆ABE ~ ∆CFB
उपपत्ति : ∆ABE और ∆CFB में,
∠A = ∠C (II gm की सम्मुख भुजाएँ)
∠ABE = ∠CFB (एकांतर कोण)
∴ ∆ABE ~ ∆CFB (AA समरूपता कसौटी)

प्रश्न 9.
आकृति में, ABC और AMP दो समकोण त्रिभुज हैं, जिनके कोण B और M समकोण हैं। सिद्ध कीजिए कि
(i) ∆ABC ~ ∆AMP
(ii) \(\frac{\mathbf{C A}}{\mathbf{P A}}=\frac{\mathbf{B C}}{\mathbf{M P}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 11

हल :
दिया है : ∆ABC और ∆AMP दो समकोण त्रिभुज हैं, जिनके कोण B और M समकोण हैं।
सिद्ध करना है : (i) ∆ABC ~ ∆AMP में
(ii) \(\frac{\mathbf{C A}}{\mathbf{P A}}=\frac{\mathbf{B C}}{\mathbf{M P}}\)
उपपत्ति : ∆ABC और ∆AMP में,
∠A = ∠A (उभयनिष्ठ)
∠B = ∠M (प्रत्येक 90°)
∴ ∆ABC – ∆AMP (AA समरूपता)
∴ \(\frac{A C}{A P}=\frac{B C}{M P}\) [यदि दो त्रिभुज समरूप हों, तो संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।

\(\frac{\mathrm{CA}}{\mathrm{PA}}=\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{MP}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 10.
CD और GH क्रमश: ∠ACB और ∠EGF के ऐसे समद्विभाजक हैं कि बिंदु D और H क्रमशः ∆ABC और ∆FEG की भुजाओं AB और FE पर स्थित हैं। यदि ∆ABC ~ ∆FEG हैं, तो दर्शाइए कि :
(i) \(\)
(ii) ∆DCB ~ ∆HGE
(ii) ∆DCA ~ ∆HGF
हल:

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 12

दिया है : ∆ABC और ∆FEG में, CD और GH
क्रमश: ∠ACB और ∠EGF के समद्विभाजक हैं अर्थात ∠1 = ∠2 और ∠3 = ∠4 है।
∆ABC – ∆FEG
सिद्ध करना है : (i) \(\)
(ii) ∆DCB ~ ∆HGE
(iii) ∆DCA ~ ∆HGE
उपपत्ति : (i) ∆ABC ~ ∆FEG (दिया है)
∠C = ∠G [यदि दो त्रिभुज समरूप हों, तो संगत कोण बराबर होते हैं।
\(\frac{1}{2}\) ∠C = \(\frac{1}{2}\) ∠G
∠1 = ∠3 या ∠2 = ∠4

अब, ∆ACD और ∆FGH में,
∠A = ∠F [प्रमाणित ऊपर]
∠2 = ∠4 [प्रमाणित ऊपर]
∴ ∆ACD ~ ∆FGH
[∵ AA प्रमाणित समरूपता कसौटी से] |
CD AG Also, GH FG
[∵ समरूप त्रिभुजों की संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।

(ii) अब, ∆DCB और ∆HGE में,
∠B = ∠E [प्रमाणित ऊपर]
∠1 = ∠3 [प्रमाणित ऊपर]
∆DCB ~ ∆HGE
[∵ AA समरूपता कसौटी से]

(iii) अब, ∆DCA और ∆HGF में,
∠A = ∠F [प्रमाणित ऊपर)
∴ ∠2 = ∠4 [प्रमाणित ऊपर]
∆DCA ~ ∆HGF [∵ AA समरूपता कसौटी से]

प्रश्न 11.
आकृति में, AB = AC वाले, एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC की बढ़ाई गई भुजा CB पर स्थित E एक बिंदु है। यदि AD ⊥ BC और EF ⊥ AC है, तो सिद्ध कीजिए कि ∆ABD ~ ∆ECF है।
हल :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 23

दिया है : AB = AC वाले एक समद्विबाहु ∆ABC की बढ़ाई गई भुजा CB पर स्थित E एक बिंदु है। AD ⊥ BC और EF ⊥ AC हैं।
सिद्ध करना है : ∆ABD ~ ∆ECF
उपपत्ति : ∆ABC समद्विबाहु त्रिभुज है (दिया है)
AB = AC (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर | होते है)
∴ ∠B = ∠C (बराबर कोण)
∆ABD और ∆ECF में,
∠ABD = ∠ECF (ऊपर प्रमाणित)
∠ADB = ∠EFC (प्रत्येक 90°)
∴ ∆ABD ~ ∆ECF [AA समरूपता]

प्रश्न 12.
एक त्रिभुज ABC की भुजाएँ AB और BC तथा माध्यिका AD एक अन्य त्रिभुज PQR की क्रमश : भुजाओंPQ औरQR तथा माध्यिका PM के समानुपाती हैं (देखिए आकृति) दर्शाइए कि ∆ABC ~ ∆PQR है।
हल :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 24

दिया है : ∆ABC और ∆PQR, ∆ABC की भुजाएँ AB, BC और माध्यिका AD एक अन्य त्रिभुज PQR की क्रमशः भुजाओं PQ और QR तथा माध्यिका PM के समानुपाती हैं
अर्थात् : \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{PR}}=\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{PM}}\)
सिद्ध करना है : ∆ABC ~ ∆PQR

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 25

रचना : AD को E तक बढ़ाइए ताकि AD = DE और PM को N तक बढ़ाइए ताकि PM = MN हो।
BE, CE, QN और RN को मिलाइए।
उपपत्ति: \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{PR}}=\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{PM}}\) (दिया है) …………….(1)
BD = DC (दिया है)
AD = DE
रचना: चतुर्भुज ABEC के विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करता | है।
∴ चतुर्भुज ABEC एक समांतर चतुर्भुज है। इसी प्रकार, PONR एक समांतर चतुर्भुज है।
∴ BE = AC {समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ) और QN = PR
\(\frac{\mathrm{BE}}{\mathrm{AC}}\) = 1 …………….(i)

\(\frac{\mathrm{QN}}{\mathrm{PR}}\) = 1 ……………..(ii)
(i) और (ii) से,

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 13

∴ ∆ABE ~ ∆PQN [भुजाएँ समानुपाती हैं]
∴ ∠1 = ∠2 ………..(4) [समरूप त्रिभुजों के संगत कोण] इसी प्रकार,
∆ACE ~ ∆PRN
∠3 = ∠4 ………..(5) [समरूप त्रिभुजों के संगत कोण]
(4) और (5) को जोड़ने पर,
∠1 + ∠3 = ∠2 + ∠4
∠A = ∠P
अब ∆ABC और ∆PQR में,
∠A = ∠P (प्रमाणित)
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{PR}}\) (दिया है)
∴ ∆ABC ~ ∆PQR
[ SAS समरूपता कसौटी के प्रयोग से]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 13.
एक त्रिभुज ABC की भुजा BC पर एक बिंदु D इस प्रकार स्थित है कि ∠ADC = ∠BAC है। दर्शाइए कि CA2 = CB . CD है।
हल :
दिया है : ∆ABC की भुजा BC पर एक बिंदु D 57 Yar foretage foto ∠ADC = ∠BAC
सिद्ध करना है : CA2 = BC × CD
उपपत्ति : ∆ABC और ∆ADC में,

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 14

∠C = ∠C (उभयनिष्ठ)
∠BAC = ∠ADC (दिया है)
∴ ∆ABC ~ ∆DAC [AA समरूपता कसौटी से]
∴ \(\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{DC}}=\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}\) [दो त्रिभुजः समरूप हों ता संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।]
AC2 = BC . DC

प्रश्न 14.
एक त्रिभुज ABC की भुजाएँ AB और AC तथा माध्यिका AD एक अन्य त्रिभुज की भुजाओं PQ और PR तथा माध्यिका PM के क्रमशः समानुपाती हैं। दर्शाइए कि ∆ABC ~ ∆PQR है।
हल :
दिया है : दो त्रिभुज ABC और PQR में D, BC का मध्य-बिंदु है और M, QR का मध्य-बिंदु है।

और \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{PR}}=\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{PM}}\) ………………(1)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 15

सिद्ध करना है : ∆ABC ~ ∆PQR
रचना : AD को E तक बढ़ाइए ताकि AD = DE हों।
BE और CE को मिलाइए।
PM को N तक बढ़ाइए ताकि PM = MN हो।
QN और NR को मिलाइए।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABEC के विकर्ण AE और BC परस्पर D पर समद्विभाजित करते हैं।
∴ चतुर्भुज ABEC एक समांतर चतुर्भुज है।
इसी प्रकार यह दर्शाया जा सकता है कि चतुर्भुज PQNR एक समांतर चतुर्भुज है।
चूँकि ABEC एक समांतर चतुर्भुज है।
∴ BE = AC …………..(2)
इसी प्रकार चूँकि PQNR एक || gm है।
∴ QN = PR …………….(3)
(2) को (3) से विभाजित करने पर हमें प्राप्त होता है

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 16

इसी प्रकार, यह सिद्ध किया जाता है कि
∆AEC ~ ∆PNR
∴ ∠EAC = ∠NPR ……….(7)
(6) और (7) को जोड़ने पर हमें प्राप्त होता है।
∠BAE + ∠EAC = ∠QPN + ∠NPR
अर्थात् ∠BAC = ∠QPR
अब ∆ABC और ∆PQR में
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{PR}}\)
∠A = ∠P
∴ ∆ABC ~ ∆QPR (SAS समरूपता कसौटी से)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 15.
लंबाई 6 m वाले एक उर्ध्वाधर स्तंभ की भूमि पर छाया की लंबाई 4 m है, जबकि उसी समय एक मीनार की छाया की लंबाई 28 m है।मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल:

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 17

उर्ध्वाधर स्तंभ की लंबाई = 6 m
स्तंभ की छाया की लंबाई = 4 m
मान लीजिए मीनार की ऊँचाई = Hm
मीनार की छाया की लंबाई = 28 m
∆ABC और ∆PMN में,
∠C = ∠N (मीनार की छाया की लंबाई)
∠B = ∠M (प्रत्येक 90°)
∴ ∆ABC ~ ∆PMN [AA समरूपता कसौटी]
∴ \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PM}}=\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{MN}}\) [यदि दो त्रिभुजें समरूप हों, तो उनकी संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।

∴ \(\frac{6}{H}=\frac{4}{28}\)
H = 6 × 7
H = 42 m
∴ मीनार की ऊँचाई = 42 m.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 width=

प्रश्न 16.
AD और PM त्रिभुजों ABC और PQR की क्रमशः माध्यिकाएँ हैं, जबकि ∆ABC ~ ∆PQR है। सिद्ध कीजिए कि P-Bहै।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 18

हल : दिया है : ∆ABC और ∆PQR की AD और PM माध्यिकाएँ हैं तथा ∆ABC ~ ∆PQR है।
सिद्ध करना है : \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{PM}}\)
उपपत्ति : ∆ABC ~ ∆PQR (दिया है)
∴ \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{QR}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{PR}}\) {यदि दो त्रिभुजें समरूप हैं तो उनकी संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।
∠A = ∠P {यदि दो त्रिभुजें समरूप हैं, तो उनके संगत कोण बराबर होते हैं।}
∠B = ∠Q
∠C = ∠R
D, BC का मध्य-बिंदु है।
∴ BD = DC = \(\frac{1}{2}\) BC
M, OR का मध्य-बिंदु है।
∴ QM = MR = \(\frac{1}{2}\) OR

\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{QR}}\) ………………..(3)

\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{2 \mathrm{BD}}{2 \mathrm{QM}}\) ((2) और (3) से)

\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{BD}}{\mathrm{QM}}\)

∠ABD = ∠PQM
(दिया है) ∆ABC ~ ∆PQM (SAS समरूपता कसौटी से)
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{PQ}}=\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{PM}}\) [यदि दो त्रिभुजें समरूप हैं तो उनकी संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
न्यूलैंड का अष्टक नियम क्या है ? उदाहरण देकर समझाओ। यह भी बताओ कि इस नियम का क्या योगदान है ?
उत्तर-
(क) न्यूलैंड का अष्टक नियम (Newland’s Law of Octave)-जॉन न्यूलैंड ने तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम अनुसार व्यवस्थित किया। उसने देखा कि प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान हैं। समान गुणों वाले तत्वों के पुनः दोहराने की विधि उसी प्रकार है जिस प्रकार संगीत स्केल के सुर प्रत्येक आठवें सुर के पीछे दोहराए जाते हैं। संगीत स्केल के आधार पर न्यूलैंड ने अष्टक नियम को प्रतिपादित किया। न्यूलैंड्स द्वारा तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से तत्वों के गुणों का दोहराया जाना अष्टक का नियम कहलाता है। न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार व्यवस्थित किए आठ तत्वों के संग्रह को न्यूलैंड का अष्टक कहते हैं।

सारणी-न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार कुछ तत्वों की व्यवस्था-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 1
सोडियम जो आठवें स्थान पर स्थित है उसके गुण पहले स्थान पर स्थित लिथियम से मिलते-जुलते हैं। इसी प्रकार की पोटैशियम जो सोडियम से आठवां तत्व है, उसके गुण सोडियम से मिलते हैं।
(ख) न्यूलैंड के अष्टक नियम का योगदान-न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार तत्वों को सारणी में व्यवस्थित करने से स्पष्ट हो गया कि तत्वों के गुणों में आवर्तता स्पष्ट करने के लिए आवश्यक है कि तत्वों को क्षितिज तथा लम्बात्मक पंक्तियों में व्यवस्थित किया जाए।

प्रश्न 2.
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी क्या है ? इसके प्रमुख लक्षण बताइए।
उत्तर-
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी- एक रूसी वैज्ञानिक प्रोफेसर डिमिट्री इवानोविच मेंडलीफ ने तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों तथा उनके भौतिक व रासायनिक गुणधर्मों के मध्य एक संबंध का भली-भाँति अध्ययन किया। उस समय कुल 63 तत्व ज्ञात थे। मेंडलीफ ने उन तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के आधार पर व्यवस्थित किया। इस प्रकार मेंडलीफ ने तत्वों को उनके द्वारा बनाए यौगिकों; जैसे-ऑक्साइड, हाइड्राइड आदि के सूत्रों में समानताओं के आधार पर व्यवस्थित किया। उन्होंने यह प्रेक्षित किया कि अधिकतर तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में रखने पर आवर्ती पुनरावृत्ति अथवा आवर्तिता प्रदर्शित होती है अर्थात् प्रत्येक आठवें तत्व के गुणधर्म प्रथम तत्व के गुणधर्म के समान होते हैं।

इस आधार पर मेंडलीफ ने यह आवर्त नियम प्रस्तावित किया “तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु भारों (परमाणु-द्रव्यमानों) के आवर्ती फलन होते हैं।” मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर स्तंभ (समूह) तथा क्षैतिज कतारें (आवर्त) थीं। इस सारणी में यद्यपि सभी तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में व्यवस्थित किया गया। कुछ तत्वों के युग्मों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के व्युत्क्रम में रखा गया। उदाहरणार्थ-कोबाल्ट (परमाणु द्रव्यमान 53.93) तथा निकिल (58.7), टेल्यूरियम (127.6) और आयोडीन (126.90)।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 2
आवर्त सारणी में यह व्युत्क्रमण तत्व के रासायनिक गुणधर्मों की उस समूह के तत्वों के साथ समानताओं के कारण किया गया जिसमें उस तत्व को रखा गया था। उदाहरणार्थ-टेल्यूरियम (Te) को आयोडीन से पहले रखा गया, जबकि Te का परमाणु द्रव्यमान अधिक है। ऐसा इसलिए किया गया; क्योंकि आयोडीन के गुणधर्म ब्रोमीन के गुमधर्म के समान हैं, न कि सेलेनियम (Se) के गुणधर्म के समान हैं। इस सारणी में छोड़े गए रिक्त स्थानों को भरने के लिए भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के गुणधर्मों की भविष्यवाणी उसने तत्वों की आवर्त सारणी में स्थिति के आधार पर की।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण-मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं

  • प्रत्येक आवर्त में तत्व अपने बढ़ते परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित हैं।
  • एक ही समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म समान होते हैं।
  • प्रत्येक आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्वों की ऋण विद्युत् संयोजकता कम होती जाती है, जबकि धन विद्युत् संयोजकता बढ़ती जाती है।
  • तत्व का परमाणु भार उसका मौलिक गुण है।
  • कम परमाणु भार वाले तत्व, जैसे-H, C, O, N अपेक्षाकृत प्रकृति में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
  • सारणी में रिक्त स्थानों के तत्वों के गुणधर्मों को पहले ही बताया जा सकता है।
  • आवर्त सारणी में कुछ तत्व ऐसे स्थानों पर रखे गए थे जिसके अनुसार उनके गुण नहीं थे। इन तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों में संशोधन हुआ तथा तब इन्हें सारणी में तर्कसंगत स्थान प्राप्त हुआ।
  • सारणी में किसी भी तत्व के स्थान के अनुसार उसके गुणों को बताया जा सकता है।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के दोष-मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
(i) हाइड्रोजन का स्थान-इस सारणी में हाइड्रोजन को प्रथम समूह में क्षार-धातुओं के साथ उनके समान धनविद्युती गुण के कारण तथा सप्तम समूह में हैलोजेन के साथ उनके समान ऋण-विद्युती गुण के कारण दो स्थानों पर रखा गया है, परंतु हाइड्रोजन को दोनों समूहों (प्रथम तथा सप्तम) में रखा जाना दोषपूर्ण है।

(ii) असमान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में रखना-इस सारणी में तत्वों को गुणों की समानता के आधार पर एक साथ रखा गया है, फिर भी कुछ तत्व ऐसे हैं जिनके गुणों में असमानताएं हैं। दूसरे शब्दों में, कुछ तत्व भिन्न-भिन्न गुणों वाले होते हुए भी एक समूह में रखे गए हैं; जैसे-I-A के तत्वों (क्षार धातुएँ) तथा I-B के तत्वों (सिक्का धातुएँ) को एक ही समूह में रखा गया है, जबकि इनके गुणों में भिन्नता है।

(iii) समान गुणों वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न समूहों में रखना-मेंडलीफ की आवर्त सारणी में समान गुण वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न स्थानों पर रखा गया है; जैसे-Pt (195.09) तथा Au (196.97) के गुणों में समानताएँ हैं, फिर भी उन्हें आठवें तथा पहले समूह में भिन्न-भिन्न रखा गया है। इसके अतिरिक्त कॉपर व पारा; बेरियम व लेड इत्यादि के गुण समान होते हुए भी उन्हें भिन्न-भिन्न समूहों में रखा गया है।

(iv) भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखना-मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखा गया। जैसे

  • कोबाल्ट (परमाणु भार = 58.93), निकिल (परमाणु भार = 58.71) से पहले रखा गया है।
  • टेल्यूरियम (परमाणु भार = 127.6), आयोडीन (परमाणु भार = 126.9) से पहले रखा गया है।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में इस प्रकार के परिवर्तन मेंडलीफ के मूल आवर्त नियम के विपरीत हैं।

(v) दुर्लभ मृदा तत्वों का स्थान-दुर्लभ मृदा तत्वों के रासायनिक गुणों में समानताएँ हैं, परंतु इनके परमाणु भार भिन्न हैं। फिर भी इन 84.14 तत्वों की तीसरे उपसमूह B (छठे आवर्त) में एक साथ रखा गया है, जो उचित नहीं है।

(vi) समस्थानिकों का स्थान-समस्थानिकों तथा समभारिकों की खोज से यह स्पष्ट हो गया कि तत्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नही होता। समस्थानिकों के परमाणु भार भिन्न होते हैं, परंतु उनके गुण समान होते हैं। समभारिकों के परमाणु एक समान होते हैं, परंतु उनके गुण भिन्न होते हैं। अतः मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में समस्थानिकों का स्थान निश्चित नहीं है।

(vii) आठवें समूह के तत्वों को तीन ऊर्ध्वाधर स्तंभों में रखा जाना तर्कसंगत नहीं है।

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प्रश्न 3.
आधुनिक आवर्त सारणी क्या है ? यह दीर्घ सारणी मेंडलीफ की आवर्त सारणी से किस प्रकार भिन्न है ? आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की विसंगतियों का निराकरण किस प्रकार किया गया ?
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी-मेंडलीफ ने तत्वों को न केवल उनके गुणों के आधार पर ही वर्गीकृत करने का प्रयास किया, बल्कि किसी ऐसे आधार की खोज करने की कोशिश की जो किसी निश्चित तत्व के बहुत-से गुणों की भविष्यवाणी कर सके। परमाणु भार ही एक ऐसा गुण था जिसने उन्हें पूर्ण रूप से सहायता की।

चित्र में आवर्त सारणी का आधुनिक रूप दिखाया गया है जिसमें 105 तत्वों को उचित स्थान दिया गया है। मेंडलीफ द्वारा दी गई आवर्त सारणी दोषपूर्ण थी। बहुत-से तत्वों के आइसोटोप मिलते थे जिनके परमाणु पुंज भिन्न-भिन्न थे। अतः सारणी में हरेक के लिए अलग-अलग स्थान होना चाहिए, परंतु ऐसा नहीं किया जा सकता था। इसी दौरान मेंडलीफ को अपनी त्रुटि का आभास हो गया। इस सारणी की मेंडलीफ की आवर्त सारणी से तुलना करने पर आप पायेंगे कि वे तत्व जिनको उसने वर्गीकृत किया, अब भी अपने उसी स्थान पर हैं। सारणी को देखने पर पता चलता है कि परमाणु क्रमांक एक तत्व से दूसरे तत्व तक बढ़ता जाता है। परमाणु भार में जो अनियमितताएं थीं, इस दीर्घ सारणी में हल हो गईं।

मेंडलीफ ने संशोधित आवर्त नियम प्रस्तुत किया, जिसे आधुनिक आवर्त नियम कहा गया है। इस नियम के अनुसार तत्वों के गुण अपने परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन (Periodic Functions) हैं।
तत्वों का वर्गीकरण परमाणु क्रमांक के आधार पर
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आधुनिक आवर्त सारणी में समूह (Groups) तथा आवर्त (Periods)-सारणी के किसी ग्रुप में ऊपर से नीचे की ओर आते समय तत्वों के परमाणों में शैलों की संख्या बढ़ती है, पर वैलेंस शैल में उपस्थित इलैक्ट्रॉनों की संख्या समान ही रहती है। इन इलैक्ट्रॉनों की समान संख्या के कारण उनके ग्रुप भी समान होते हैं। आवर्त सारणी में कुल 18 ग्रुप हैं। s, p, d तथा f उपशैल के आधार पर सारणी को 4 ब्लॉकों में वर्गीकृत किया गया है।

  • ग्रुप 1-2 s-ब्लॉक
  • ग्रुप 13-15 p-ब्लॉक
  • ग्रुप 3-12 d-ब्लॉक
  • परमाणु संख्या 58-71 तथा 90-103 के तत्व f-ब्लॉक में रखे गए हैं।

मेंडलीफ की आवर्ती सारणी का विवरण-सारणी से स्पष्ट है कि इसमें क्षैतिज पंक्तियां और उर्ध्वाधर कालम हैं। क्षैतिज पंक्तियों को समूह और ऊर्ध्वाधर कालमों में पीरियड कहते हैं। इस सारणी में 6 पीरियड और 18 समूह हैं। पहले 7 समूहों में साधारण तत्व और 8 समूह में प्रतिनिधि तत्व हैं जिन्हें समूह A और समूह B में वर्गीकृत किया गया है। परंतु इस आवर्ती सारणी में अक्रियाशील गैसें और प्रतिनिधि तत्व नहीं थे क्योंकि उस समय इनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित किसी आवर्त और किसी समूह में कैसे परिवर्तन करते हैं ?
(i) आयनन ऊर्जा
(ii) परमाण्विक अर्ध-व्यास
(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता
(iv) तत्वों के धात्विक और अधात्विक अभिलक्षण।
उत्तर-
(i) आयनन ऊर्जा- किसी तत्व के विलगित परमाणु से अथवा आयन से एक इलैक्ट्रान को पूर्ण रूप से उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं।
(क) समूह में ऊर्जा का परिवर्तन-आवर्त सारणी के समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे जाते समय तत्वों की आयनन ऊर्जा कम होती है। इस कथन की पुष्टि नीचे दी गई समूह 1 की सारणी में तत्वों से संबंधित आययन ऊर्जा से होती है। किसी समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाते समय तत्वों की आयनन ऊर्जाओं में कमी उनके परमाणुओं के आकार में वृदधि के कारण होती है। किसी समूह में नीचे की ओर जाते समय परमाणुओं में बाहयतम शैल (कोष) के इलैक्ट्रॉन न्यूक्लियसों से दूर होते जाते हैं जिसके फलस्वरूप इलैक्ट्रॉनों के प्रति न्यूक्लियस का आकर्षण कम हो जाता है। ऐसा होने से इलैक्ट्रॉन कम ऊर्जा द्वारा ही सुगमता से हटाए जा सकते हैं।

समूह 1 के तत्वों की प्रथम आयनन ऊर्जाएंतत्व
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(ख) आवर्त (पीरियड) में आयनन ऊर्जा का परिवर्तन)-आवर्त सारणी के आवर्त (पीरियड) में बाएं से दाएं तरफ जाते समय आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि होती है। उदाहरणतः दूसरे आवर्त के तत्वों की सारणी से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि प्रथम आयनन ऊर्जा में बाएं से दाएं ओर जाते समय आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि होती है। दूसरे आवर्त ( पीरियड) के तत्वों की प्रथम आयनन ऊर्जाएं
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तत्वों की आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं की ओर जाते हुए तत्वों की आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि इस कारण होती है कि परमाणु संख्या में वृद्धि होने के कारण धन आवेश में वृद्धि होती है तथा परमाणु अर्धव्यास कम हो जाता है। परमाणु के अर्धव्यास कम होकर परमाणु के इलैक्ट्रॉन अधिक बल के साथ आकर्षित होते हैं जिसके परिणामस्वरूप इलैक्ट्रॉन का विलय की ओर आकर्षण बढ़ जाता है अर्थात् आयनन ऊर्जा में वृद्धि होती है।

(ii) परमाण्विक अर्ध-व्यास-पृथक् परमाणु ने न्यूक्लियस के केंद्र बिंदु तथा बाह्यत्म शैल के बीच की दूरी को परमाणु अर्ध-व्यास कहते हैं।
(क) समूह में परमाण्विक अर्धव्यस का परिवर्तन- एक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के परमाणुओं का परमाणु अर्ध-व्यास धीरे-धीरे बढ़ता है। जैसे
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(ख) एक आवर्त में परमाणु अर्ध-व्यास में परिवर्तन-किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों के परमाणुओं का परमाणु अर्ध-व्यास घटता जाता है। जैसे
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(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता-जब किसी तत्व का उदासीन परमाणु एक इलैक्ट्रॉन को सुगमता से ग्रहण करके ऋणायन में परिवर्तित हो जाता है तो इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जिसे इलैक्ट्रॉन बंधुता कहते हैं।

(क) ग्रुप में इलैक्ट्रॉन बंधुता का परिवर्तन-आवर्त सारणी के किसी समूह में ऊपर से नीचे जाते समय तत्वों की इलैक्ट्रॉन बंधुता कम हो जाती है। यह कभी परमाणुओं के आकार में वृद्धि के कारण होती है। परमाणु के आकार में वृद्धि के फलस्वरूप इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण बल कम हो जाता है। पहले समूह के तत्वों से स्पष्ट हो जाता है कि लिथियम के इलैक्ट्रॉन आकर्षण हाइड्रोजन के इलैक्ट्रान आकर्षण से कम है। इसलिए कुछ अपवाद भी हैं जैसे कि क्लोरीन का आकार छोटा है।

(ख) आवर्त में इलैक्ट्रॉन बंधुता का परिवर्तन-तत्वों की आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं जाते समय तत्वों के इलैक्ट्रॉन बंधुता का मूल्य बढ़ता है। इलैक्ट्रॉन बंधुता की यह वृद्धि परमाणु संख्या के बढ़ने के कारण परमाणु आकार में कमी होने के कारण होता है।

(iv) धात्विक और अधात्विक अभिलक्षण में परिवर्तन
(क) ग्रुप में तत्वों के धात्विक तथा अधात्विक गुणों का बढ़ना-दीर्घ आवर्त सारणी के समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाते हुए तत्वों के धात्विक गुणों में वृद्धि होती है, परंतु अधात्विक गुणों में कमी आती है। इसका कारण यह है कि समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे की ओर जाते हुए धात्विक तत्वों का परमाणु आकार बढ़ता है और इलैक्ट्रॉनों का आकर्षण बल कम होता है। इसलिए वेलैंस शैल के इलैक्ट्रॉन को सुगमता से हटा कर विद्युतीय धन आवेशित आयन बन जाते हैं अर्थात् धात्विक गुणों में वृद्धि होती जाती है।

समूह 17 के अधात्विक तत्वों को देग्नने से पता चलता है कि फ्लोरीन से आयोडीन तक अधात्विक तथा ऋण विद्युत आवेश में कमी होती है। इसकारण यह है कि समूह में ऊपर से नीचे जाते हुए परमाणुओं के आकार में वृद्धि के कारण विद्युतीय ऋण आवेशित आयन बनाने वाले इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण बल कम हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप तत्वों के अधात्विक लक्षण में कमी हो जाती है।

(ख) आवर्त (पीरियड) में तत्वों धात्विक तथा अधात्विक गणों का बदलना-दीर्घ आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं ओर जाते हुए तत्वों के अधात्विक लक्षण में कमी होती है तथा धात्विक गुणों में वृद्धि होती है। इस तथ्य को स्पष्ट करने के लिए आओ तीसरे आवर्त के तत्वों पर विचार करें।
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों हुई ?
उत्तर-
तत्वों की अत्यधिक संख्या होने के कारण उनके गुणों तथा उपयोगों का पृथक-पृथक अध्ययन करना सम्भव नहीं है। अतः तत्वों को विशेष रूप में व्यवस्थित करके प्रत्येक तत्व के विषय में अध्ययन करने के लिए इनका वर्गीकरण करना आवश्यक हुआ।

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प्रश्न 2.
डॉबेराइनर द्ववारा दिए गए वर्गीकरण क्या आधार था ?
उत्तर-
सन् 1817 ई०में डॉबेराइन ने लगभग समान गुणधर्म वाले अनेक तत्वों को तीन-तीन के समूहों में उनके परमाणु द्रव्यमान में वृद्धि के क्रमानुसार रखा तथा स्पष्ट किया कि प्रत्येक समूह के बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान प्रथम एवं तृतीय तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों के योग का लगभग मध्यमान होता है। यह डॉबेराइनर का त्रिक नियम कहलाता है और इस प्रकार के समूह त्रिक (traid) कहलाते है, जैसे(i) तत्व :
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यह वर्गीकरण सर्वमान्य न हो सका क्योंकि उस समय तक ज्ञात सभी तत्वों को ऐसे त्रिक समूहों में विभाजित नहीं किया जा सका।

प्रश्न 3.
मेंडलीफ के मूल वर्गीकरण को उस समय प्रचलित अन्य वर्गीकरणों से अधिक उपयुक्त क्यों माना गया ?
उत्तर–
मेंडलीफ के मूल वर्गीकरण को उस समय प्रचलित अन्य वर्गीकरणों से अधिक उपयुक्त माना गया, क्योंकि-

  • मेंडलीफ का आवर्त नियम समान गुण वाले तत्वों के एक समान रखने पर बल देता है न कि केवल उनके परमाणु द्रव्यमानों के आधार पर।
  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों को पूर्वानुमान के आधार पर रिक्त स्थान उपलब्ध था। इनके गुण समीपवर्ती तत्वों के गुणों के अनुसार बताए गए थे।
  • मेंडलीफ ने समान. गुण वाले तत्वों को एक साथ रखने हेतु उनके परमाणु द्रव्यमानों में भी सुधार किया। उपर्युक्त विशिष्टताओं के कारण ही मेंडलीफ का वर्गीकरण सर्वोच्च म ना गया।

प्रश्न 4.
मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ स्थान छोड़ दिए थे। उनका उल्लेख कीजिए तथा इसका कारण बताइए।
अथवा
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की अद्वितीय उपयोगिता क्या है ?
उत्तर-
मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ स्थान रिक्त रखे थे। मेंडलीफ का विश्वास था कि उन स्थानों पर उस समूह में पहले उपस्थित तत्व के समान गुणधर्म वाले तत्व अस्तित्व में हैं, परंतु तब तक उनकी खोज न हो सकी। मेंडलीफ ने इन तत्वों के नाम पहले वाले तत्व के नाम से संस्कृत उपसर्ग ‘एका’ लगाकर किया, जैसेएकाबोरेन, एका-ऐल्युमिनियम तथा एका–सिलिकॉन। उनके अनुमान के अनुसार क्रमशः स्कैंडियम, गैलियम एवं जर्मेनियम की बाद में खोज हुई। यह मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की अद्वितीय उपयोगिता थी।

प्रश्न 5.
किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उसके परमाणु भार से अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
किसी तत्व के परमाणु क्रमांक के आधार पर उसमें प्रोटॉनों, इलैक्ट्रॉनों की संख्या ज्ञात की जा सकती है। तत्व की संयोजकता एवं तत्व के वर्ग की जानकारी हमें परमाणु क्रमांक से ही प्राप्त होती है तथा परमाणु क्रमांक के आधार पर इलैक्ट्रॉनिक विन्यास भी लिखे जा सकते हैं। स्पष्ट है कि परमाणु क्रमांक द्वारा ही तत्वों के गुणधर्मों का निर्धारण करने में सरलता होती है इसलिए ये अधिक महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।

प्रश्न 6.
आवर्त सारणी के समूह-15 में नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) स्थित हैं। इन दो तत्वों के इलैक्ट्रॉनिक विन्यासों को K, L, M, N कोशों के आधार पर दीजिए। इन तत्वों के धात्विक एवं अधात्विक प्रकृति के बारे में भी प्रागुक्ति कीजिए।
उत्तर-
नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के इलैक्ट्रॉनिक विन्यास-
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नाइट्रोजन व फॉस्फोरस के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से पता चलता है कि इनके बाह्यतम कोश में 5 इलैक्ट्रॉन हैं जो अधातु का लक्षण है, क्योंकि अधातु तत्वों के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में सामान्यतया 4-8 इलैक्ट्रॉन विद्यमान होते हैं। अतः नाइट्रोजन व फॉस्फोरस तत्व अधातु हैं।

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प्रश्न 7.
(क) उन तत्वों के नाम बताइए जो आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं और उनका धातु व अधातु में वर्गीकरण कीजिए।
(ख) आवर्त सारणी के किस ओर आप धातुओं को पाते हैं ?
(ग) आवर्त सारणी के किस ओर आप अधातुओं को पाते हैं ?
उत्तर-
(क) आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में निम्नलिखित तत्व होते हैं-
तीसरा आवर्त-सोडियम (Na), मैग्नीशियम (Mg), ऐल्यूमिनियम (AI), सिलिकॉन (Si), फॉस्फोरस (P), सल्फर (S), तथा क्लोरीन (Cl)।
उपर्युक्त तत्वों का धातुओं तथा अधातुओं में वर्गीकरण निम्नवत् किया जा सकता हैधातु-सोडियम (Na), मैग्नीनियम (Mg), ऐल्यूमिनियम (Al) अधातु-सिलिकॉन (Si), फॉस्फोरस (P), सल्फर (S), तथा क्लोरीन (Cl)।
(ख) आवर्त सारणी में बाईं ओर हम धातुओं को पाते हैं। (ग) आवर्त सारणी में दाईं ओर हम अधातुओं को पाते हैं।

प्रश्न 8.
आधुनिक आवर्त सारणी में निम्नलिखित को बताइए
(क) हैलोजेन परिवार में सबसे अधिक क्रियाशील अधातु का नाम व सूत्र।
(ख) क्षारीय समूह में सबसे अधिक क्रियाशील अधातु का नाम व सूत्र।
(ग) वह अधातु जो द्रव अवस्था में रहती है।
उत्तर-
(क) हैलोजेन परिवार में फ्लुओरीन (F), छोटे परमाणु तथा कम बंधन ऊर्जा के कारण सबसे अधिक क्रियाशील अधातु है।
(ख) क्षारीय समूह में सबसे अधिक क्रियाशील धातु पोटैशियम (K) है।
(ग) ब्रोमीन सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में रहती है।

प्रश्न 9.
दो तत्व ‘X’ तथा ‘Y’ जिनके परमाणु क्रमशः 11 व 17 हैं –
(क) ये तत्व आवर्त सारणी के किस वर्ग में हैं ?
(ख) इन तत्वों में से कौन-सी धातु तथा कौन-सी अधातु है ? (ग) ये तत्व आवर्त सारणी के किस आवर्त में हैं ?
उत्तर-
(क) तत्व ‘X’ प्रथम वर्ग या वर्ग संख्या 1 में तथा तत्व ‘Y’ सप्तम वर्ग या वर्ग संख्या 17 में है।
(ख) तत्व ‘X’ धातु तथा तत्व ‘Y’ अधातु है।
(ग) ये दोनों तत्व आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं।

प्रश्न 10.
आवर्त सारणी के समूह-14 के एक तत्व की परमाणु संख्या 14 है। कारण सहित समझाइए कि तत्व में धात्विक गुणधर्म विद्यमान होगा अथवा नहीं।
उत्तर-
आवर्त सारणी के समूह-14 के एक तत्व X की परमाणु संख्या 14 है। इसका इलेक्ट्रॉन विन्यास निम्न प्रकार से होगा
X (14) = 2, 8, 4
इस इलैक्ट्रॉनिक विन्यास से स्पष्ट है कि तत्व के अंतिम कक्ष में इलैक्ट्रॉन की संख्या 4 है जो सारणी के दाईं ओर स्थित है। अतः यह धातु और अधातु के बीच के गुण से युक्त तत्व है जिसे उपधातु कहते हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि दिया हुआ तत्व धातु नहीं है तथा प्रकृति की दृष्टि से तत्व अधातु होता है। .

प्रश्न 11.
आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार में क्या परिवर्तन होता है ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर-
परमाणु आकार से तात्पर्य परमाणु की त्रिज्या से है। अत: आवर्त के अनुदिश बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार अथवा परमाणु त्रिज्या घटती है। इसका कारण यह है कि तत्वों के परमाणुओं का नाभिकीय आवेश बढ़ जाता है जिसे नाभिक इलैक्ट्रॉन को अधिक बल से खींचता है तथा फलस्वरूप इलैक्ट्रॉनों का नाभिक के समीप हो जाने के कारण परमाणु आकार कम हो जाता है।

प्रश्न 12.
स्पष्ट कीजिए कि आर्गन परमाणु का आकार क्लोरीन परमाणु से बड़ा क्यों होता है ?
उत्तर-
आर्गन (Ar) परमाणु एक सक्रिय गैस परमाणु है जो संरचनात्मक रूप से स्थायी होता है चूंकि इसके बाह्यतम कोश में इलैक्ट्रॉनों का अष्टक (आठ इलैक्ट्रॉन) होता है। इसका आकार क्लोरीन से बड़ा होता है, क्लोरीन (हैलोजेन) परमाणु के बाह्यतम कोश में केवल 7 इलैक्ट्रॉन होते हैं जो इसके नाभिक पर अत्यधिक धनावेश का कारण है। इसके परिणामस्वरूप इसके इलैक्ट्रॉन नाभिक की ओर खिंचते हैं तथा नाभिक के समीप आ जाते हैं जिससे इसका आकार कम हो जाता है।

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प्रश्न 13.
बेरियम ( परमाणु क्रमांक = 56) की आवर्त सारणी में स्थिति की विवेचना कीजिए तथा निम्नलिखित के उत्तर दीजिए।
(i) यह धातु है या अधातु ?
(ii) यह सीजियम से बड़ा है या छोटा ?
(iii) इसकी संयोजकता क्या है ?
(iv) बेरियम क्लोराइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
Ba (परमाणु क्रमांक = 56) 2, 8, 18, 18, 8, 2 यह छठे आवर्त तथा II-A, वर्ग में स्थित है। (चूंकि कोशों की संख्या 6 है तथा संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या 2 है)।
(i) बेरियम एक धातु है क्योंकि यह आवर्त सारणी में बाईं ओर तथा वर्ग में नीचे की ओर स्थित है।
(ii) बेरियम परमाणु का आकार सीजियम (Cs) से छोटा है क्योंकि आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार घटता है। बेरियम (Ba) तथा सीजियम (Cs) एक ही आवर्त में स्थित है तथा बेरियम (Ba), सीज़ियम (Cs) के दाईं ओर स्थित है।
(iii) इसकी संयोजकता 2 है क्योंकि इसमें 2 संयोजी इलैक्ट्रॉन हैं। यह दो इलैक्ट्रॉन त्याग कर के द्विसंयोजक धनात्मक बन जाता है।
(iv) बेरियम क्लोरड का सूत्र है : BaCl

प्रश्न 14.
निम्नलिखित दिए गए प्रथम वर्ग के तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं में परिवर्तन का अध्ययन कीजिए
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 11
(i) उन तत्वों के नाम बताइए जिनके परमाणु सबसे बड़े तथा सबसे छोटे हैं ?
(ii) वर्ग में परमाणु त्रिज्या किस प्रकार परिवर्तित होती है ?
उत्तर-
(i) सोडियम (Na) के परमाणु सबसे छोटे हैं। सीजियम (Cs) के परमाणु सबसे बड़े हैं।
(ii) वर्ग में नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है।

प्रश्न 15.
किसी तत्व के धन आयन का आकार उसी तत्व के परमाणु से बड़ा होता है या छोटा ? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
किसी तत्व के धन आयन का आकार उस तत्व के परमाणु से छोटा होता है। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं

  • जब धन आयन बनता है तो उस तत्व का परमाणु कुछ इलैक्ट्रॉन का त्याग करता है जबकि नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या पूर्ववत् रहती है जिससे नाभिक तथा इलैक्ट्रॉनों के बीच आकर्षण बढ़ जाता है। आकर्षण बल की अधिकता से इलैक्ट्रॉन नाभिक के समीप आ जाते हैं और फलस्वरूप परमाणु का आकार छोटा हो जाता है।
  • कभी कभी इलैक्ट्रॉन निकल जाने से धनायन बनाने पर कोशों की संख्या में भी कमी आ जाती है, उक्त दोनों कारणों के कारण धनायन का आकार तत्व के परमाणु से छोटा होता है। उदाहरणार्थ, धनायन (Na+) का आकार परमाणु (Na) से छोटा होता है।

प्रश्न 16.
किसी तत्व की परमाणु संख्या 33 है। उसकी आवर्त सारणी में स्थिति ज्ञात कीजिए। ..
उत्तर-
तत्व की परमाणु संख्या 33 है अर्थात् इसका इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 18, 5 है। चूंकि इस तत्व में कुल चार इलैक्ट्रॉन कोश हैं, इसलिए यह आवर्त सारणी के चौथे आवर्त में स्थित है | इस तत्व में संयोजकता इलैक्ट्रॉनों (बाह्य कोश में इलैक्ट्रॉनों) की संख्या 5 है, इसलिए यह V-A वर्ग में स्थित है। इस प्रकार परमाणु संख्या 33 वाला तत्व चौथे आवर्त तथा V-A वर्ग में स्थित है।

प्रश्न 17.
न्यूलैंड के अष्टक नियम का वर्णन करो।
उत्तर-
सन् 1864 में न्यूलैंड ने तत्वों के वर्गीकरण का अष्टक नियम स्थापित किया। इसके अनुसार जब तत्वों को बढ़ते परमाणु द्रव्यमान के अनुसार दर्शाया जाता है तो संगीत के सुरों की भांति प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं। ये गिनती किसी भी तत्व से शुरू की जा सकती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 12
इस वर्गीकरण के अनुसार सोडियम का क्रम 8 है। उसके गुण पहले क्रम में उपस्थित तत्व लिथियम (Li) के गुणों से मिलते-जुलते होंगे। इस प्रकार बोरॉन (B) से आठवां तत्व एल्यूमीनियम (Al) है तथा इन दोनों तत्वों के गुण एकदूसरे से परस्पर मिलते-जुलते होंगे।

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प्रश्न 18.
निम्न लिखित कथन का क्या भाव है ? “तत्वों के गुण उनके परमाणु अंकों के आवर्ती फलन (Periodic Functions) हैं।”
उत्तर-
कथन-“तत्वों के गुण उनके परमाणुओं के आवर्ती फलन (Functions) हैं।” आधुनिक आवर्त नियम कहलाता है।
आवर्तता या आवर्त फलन (Periodic function)-आवर्त फलन का अर्थ है कि जब तत्वों को एक विशेष समूह ऊर्ध्वाधर पंक्ति में उनके परमाणुओं के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो उनके गुणों की पुनरावृत्ति होती है। ऊर्ध्वाधर पंक्ति में रखे गए तत्वों के गुणों की 2, 8, 8, 18, 18, 32 परमाणु अंकों के लगातार अंतर से पुनरावृत्ति होती है। इन अंकों को जादुई अंक (Magic Numbers) कहते हैं।

तत्वों के गुण उनके परमाणु के विभिन्न ऊर्जा स्तरों में इलैक्ट्रॉनों के विभाजन मुख्यतः संयोजक ऊर्जा स्तर में इलैक्ट्रॉनों के विभाजन पर निर्भर करते हैं। उन परमाणुओं को, जिनके संयोजक ऊर्जा स्तर में इलैक्ट्रॉन विन्यास एक जैसा होता है, एक जैसे गुण प्रदर्शित करते हैं। जब तत्वों को आवर्त सारणी में उनके परमाणु अंकों के बढ़ते क्रम के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है तो तत्वों के संयोजकता ऊर्जा स्तर में समान इलैक्ट्रॉन विन्यास की मैजिक अंक 2, 8, 8, 18, 18 और 32 के बाद क्रमशः एक विशेष लंबात्मक पंक्ति (समूह) में पुनरावृत्ति होती है।

प्रश्न 19.
आवर्त सारणी के कोई दो लाभ बताएं।
उत्तर-

  1. आवर्त सारणी ने रसायन विज्ञान को सुगम तथा सरल बना दिया है क्योंकि एक जैसे गुणों वाले तत्व एक वर्ग में रखे गए हैं।
  2. आवर्त सारणी ने कुछ तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों में सुधार किया है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित तत्वों के जोड़ों में से किस तत्व का आकार छोटा है? अपने उत्तर के पक्ष में प्रमाण दें।
(i) सोडियम या पौटेशियम
(ii) मैग्नीशियम या क्लोरीन।
उत्तर-
(i) सोडियम तथा पौटेशियम दोनों एक ही वर्ग/समूह (Group) I के तत्व हैं। समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर पहले सोडियम और फिर तत्व | त्रिज्या (pm) पौटेशियम स्थित है। सोडियम तथा पौटेशियम का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास क्रमश: (2, 8, 1) तथा (2, 8, 8, 1) है। इलैक्ट्रॉनिक विन्यास देखने से स्पष्ट हो जाता है कि सोडियम में तीन इलैक्ट्रॉनिक शैल (कोश) तथा पौटेशियम में चार इलैक्ट्रॉनिक शैल हैं। हम देखते हैं कि समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के कोशों में वृद्धि के कारण नाभिक और बाहरी कोश की दूरी, जिसे परमाणु की त्रिज्या कहते हैं, बढ़ जाती है अर्थात् परमाणु का आकार बढ़ जाता है। इससे स्पष्ट है कि सोडियम परमाणु का आकार पौटेशियम परमाणु के आकार की अपेक्षा छोटा है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 13

(ii) मैग्नीशियम तथा क्लोरीन दोनों आवर्त (Period) तीन के तत्व हैं। आवर्त में बाईं ओर से दाईं ओर जाने पर पहले मैग्नीशियम और फिर अंत में क्लोरीन स्थित है। हम जानते हैं कि आवर्त (Period) में बाईं ओर से दाईं ओर जाने पर परमाणु का अर्धव्यास/त्रिज्या घटती है। इसका कारण है कि नाभिक में आवेश बढ़ने से नाभिक इलैक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करता है जिससे परमाणु का आकार छोटा हो जाता है। अत: मैग्नीशियम की अपेक्षा क्लोरीन का आकार छोटा है।
सारणी-तीसरे आवर्त के तत्वों की परमाणु त्रिज्या तीसरे आवर्त के तत्व
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 14

प्रश्न 21.
निम्नलिखित की परिभाषा दें :
(i) परमाण्विक अर्ध-व्यास
(ii) आयनन ऊर्जा।
(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता
(iv) वेलैंस इलैक्ट्रॉन।
उत्तर-
(i) परमाण्विक अर्ध-व्यास-किसी एक परमाणु के न्यूक्लियस के परमाणु बिंदु तथा बाह्यतम शैल की मध्य की दूरी का माप होता है। इसे साधारणतः पीकोमीटर (10-12m) में मापा जाता है।

(ii) आयनन ऊर्जा- किसी तत्व के एक गैसीय परमाणु आयन से कमजोर रूप से बंधित इलैक्ट्रॉन पूरी तरह हटाने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं। इसे संक्षेप में I.E. लिखा जाता है। आयनन ऊर्जा को किलो जूल प्रति मोल में मापा जाता है।

(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता- जब किसी तत्व के एक उदासीन गैसीय परमाणु द्ववारा इलैक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो ऊर्जा की मात्रा में हुए परिवर्तन को इलैक्ट्रॉन कहते हैं। इसे संक्षेप में E.A. लिखा जाता है। इसे किलो जूल प्रति मोल में मापा जाता है।

(iv) वेलैंस इलैक्ट्रॉन-किसी तत्व के परमाणु के बाह्यतम कोश में जितने इलैक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं, उन्हें संयोजक इलैक्ट्रॉन अथवा वेलैंस इलैक्ट्रॉन कहा जाता है।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित से क्या अभिप्राय है :
(i) आवर्तता
(ii) आवर्ती सारणी
(iii) तत्वों का वर्गीकरण
(iv) न्यूलैंड के अष्टक
(v) आवर्त सारणी का समूह
(vi) आवर्त सारणी का आवर्त
(vii) क्षारीय गुणों वाले धातु
(viii) क्षार धातु
(ix) प्राकृतिक तत्व
(x) धातु
(xi) अपधातु
(xii) धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास।
उत्तर-
(i) आवर्तता-तत्वों को उनके परमाणु अंकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से उनके गुणों का निश्चित गैप (अवधि) के पश्चात् दोहराए जाने को तत्वों के गुणों की आवर्तता कहते हैं। तत्वों के गुणों में आवर्तता का कारण उनके परमाणुओं के वेलैंस शैलों के निश्चित अवधि के बाद एक जैसी इलैक्ट्रॉनिक विन्यास का दोहराया जाना है।

(ii) आवर्ती सारणी-तत्वों की आवर्त सारणी तत्वों का सारणीय रूपी चार्ट है जिसको इस प्रकार से रचा गया है कि एक जैसे गुणों वाले तत्व कुछ गैप (अवधि) के पश्चात् ऊर्ध्वाधर कॉलम में उपस्थित होते हैं क्योंकि एक जैसे गुणों वाले चार्ट में निश्चित अवधि के पश्चात् उपस्थित होते हैं और तत्वों को सारणी के रूप में व्यवस्थित किया गया था। इसलिए इसे आवर्त सारणी (Periodic Table) का नाम दिया गया है।

(iii) तत्वों का वर्गीकरण-ज्ञात तत्वों को ऐसे ढंग से व्यवस्थित करना कि समान गुणों वाले तत्व एक साथ हो जाएं जबकि भिन्न गुणों वाले तत्व अलग समूह में एकत्रित हो जाएं तो उसे तत्वों का वर्गीकरण कहते हैं।

(iv) न्यूलैंड के अष्टक- तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से आठ तत्वों के संग्रह को न्यूलैंड के अष्टक कहते हैं।

(v) आवर्त सारणी का समूह- तत्वों की आवर्त सारणी में तत्वों के ऊर्ध्वाधर (लंबात्मक पंक्ति) कॉलम को समूह (Group) कहते हैं। –

(vi) आवर्त सारणी का आवर्त- तत्वों की आवर्त सारणी में तत्वों की क्षितिज पंक्तियों को आवर्त (Period) कहते हैं।

(vii) क्षारीय गुणों वाले धातु-ये आवर्त सारणी के s-ब्लॉक के दूसरे ग्रुप के तत्व हैं जिनका सामान्य सूत्र ns2 है। ये तत्व बैरीलियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडॉन हैं।

(vii) क्षार धातु-ये आवर्त सारणी के s-ब्लॉक के पहले ग्रुप के तत्व हैं जिनका सामान्य सूत्र ns1 है। इनमें लिथियम, सोडियम, पोटैशियम आदि धातुएं हैं। ये धातुएं बहुत नरम होती हैं और इनकी आयनन ऊर्जा बहुत कम होती है।

(ix) प्राकृतिक तत्व-वे तत्व जो प्रकृति में मिलते हैं, उन्हें प्राकृतिक तत्व कहा जाता है।

(x) धातु- वे तत्व जो साधारणत: कठोर, अघातवर्ध्य तथा तन्यशील, चमकदार, विद्युत् तथा ताप के सुचालक हैं और जो सुगमता से इलैक्ट्रॉन को त्याग कर विद्युतीय धन-आवेशित आयन (कैटायन) बना सकते हों, उन्हें धातु कहते हैं।

(xi) अपधातु-तत्वों की दीर्घ आवर्त सारणी में धातुओं और अधातुओं को पृथक् करने वाली सीमा के ऊपर दोनों धातुओं और अधातुओं के गुण रखने वाले तत्वों को अप-धातु कहते हैं।

(xii) धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास-तत्व के धात्विक क्रिस्टल में दो परमाणु एक-दूसरे के संपर्क में धात्विक आयनों (परमाणुओं) के न्यूक्लियसों की दूरी के आधे के बराबर मानी गई दूरी को धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 23.
मेंडलीफ की आवर्त सारणी की कोई दो विशेषताएं और दो विषमताएं बताएं।
उत्तर-
मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएं-

  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी ने तत्वों के रसायन विज्ञान को सरल बना दिया है क्योंकि एक समान गुण वाले सभी तत्वों को एक समूह में एकत्रित कर दिया जाता है ताकि समूह के एक सदस्य के गुणों से दूसरे सदस्यों के गुणों का अनुमान लगाया जा सके।
  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ तत्वों के परमाणु द्रव्यमान ठीक करने के लिए योगदान डाला है। उदाहरणत: बैरीलियम का द्रव्यमान 13.5 से ठीक करके 9 कर दिया है।

मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विषमताएं –

  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों के विभिन्न समस्थानिकों के लिए उचित स्थान नहीं है।
  • कुछ तत्वों के युग्मों को उनके परमाणु द्रव्यमान (Atomic) के बढ़ते क्रम में नहीं रखा गया है, परंतु उनके गुणों को ध्यान में रख कर स्थान निश्चित किया गया है।
  • यद्यपि हाइड्रोजन अधातु है, परंतु इसके बावजूद इसको लिथियम, सोडियम, पोटैशियम आदि धातुओं के . साथ रखा गया है।
  • उत्कृष्ट गैसों की खोज के बाद इनके लिए इस सारणी में कोई स्थान नहीं है।

प्रश्न 24.
इलैक्ट्रॉन आकर्षण किसे कहते हैं ? इलैक्ट्रॉन आकर्षण किस बात पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
इलैक्ट्रॉन आकर्षण- जब किसी तत्व के उदासीन गैसीय परमाणु द्वारा इलैक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो ऊर्जा की मात्रा में हुए परिवर्तन को इलैक्ट्रॉन आकर्षण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, इलैक्ट्रॉन आकर्षण किसी तत्व के परमाणु की इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण है। इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न हुए ऋण आवेशित हुए आयन को ऐनायन कहते हैं। इलैक्ट्रॉन आकर्षण (Electron Affinity) को संक्षेप में E.A के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इसे किलो जूल प्रति मोल (Kilo Joule per mole या KJ mol-1) से मापा जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 15

इलैक्ट्रॉन आकर्षण की निर्भरता- इलैक्ट्रॉन आकर्षण अधिकांश न्यूक्लीय आवेश, इलैक्ट्रॉन विन्यास तथा परमाणु आकार पर निर्भर करता है।

  • न्यूक्लीय आवेश बढ़ने के साथ इलैक्ट्रॉन आकर्षण बढ़ता है।
  • परमाणु आकार के कम होने से इलैक्ट्रॉन आकर्षण बढ़ता है।
  • जब इलैक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले तत्व के परमाणु की इलैक्ट्रॉनिक विन्यास पहले से ही स्थायी हो तो इलैक्ट्रॉनिक आकर्षण का मूल्य शून्य (0) होता है।

प्रश्न 25.
आधुनिक आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाते समय (i) परमाणु आकार और (ii) धात्विक गुण कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त के अनुदिश बाएं से दाएं जाते समय परमाणु आकार अथवा परमाणु त्रिज्या घटती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्त्वों की धात्विक प्रकृति घटती है या कम होती है।

प्रश्न 26.
आधुनिक आवर्त सारणी के किसी ग्रुप में ऊपर से नीचे जाते समय
(i) परमाणु आकार और
(ii) धात्विक गुण कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त सारणी के किसी समूह में ऊपर से नीचे जाते समय परमाणु के आकार में वृद्धि होती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर तत्त्वों का धात्विक स्वभाव अधिक होता जाता (बढ़ता) है।

प्रश्न 27.
तत्त्वों की आधुनिक आवर्त सारणी में किसी पीरियड में
(i) धात्विक स्वभाव और
(ii) संयोजकता बायें से दायें जाने पर कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त सारणी के आवर्त (पीरियड) में बायें से दायें जाने पर तत्त्वों के धात्विक गुणों में वृद्धि होती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी पीरियड में बायें से दायें जाने पर संयोजकता पहले 1 से 4 तक बढ़ती है और फिर 4 से कम होती होती शून्य हो जाती है।

प्रश्न 28.
एक परमाणु का इलैक्ट्रॉनी विन्यास 2, 8, 7 है।
(1) इस तत्व की परमाणु संख्या क्या है ? तत्व का नाम भी बताओ।
(2) निम्न में से किस तत्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी ?
N(7), F (9), P(15), Ar(18).
उत्तर-
(1) तत्व की परमाणु संख्या = 2 + 8 + 7 = 17 तत्व का नाम-क्लोरीन।
(2) इस तत्व की समानता N (7) तथा F (9) के साथ है।

प्रश्न 29.
तत्वों के वर्गीकरण के लिए न्यूलैंड का अष्टक का नियम लिखें।
उत्तर-
न्यूलैंड का अष्टक का नियम-इस नियम के अनुसार जब तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम अनुसार व्यवस्थित किया जाता है तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं। समान गुणों वाले तत्वों के पुनः दोहराने की विधि उसी प्रकार है जिस प्रकार संगीत स्केल के सुर पीछे आठवें सुर से दोहराए जाते हैं।

प्रश्न 30.
सोडियम [Na] तथा गंधक/सल्फर [S] दोनों आधुनिक आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं। इनमें से कौन-सा अधिक धात्विक है और क्यों ?
उत्तर-
तत्व सोडियम [Na] अधिक धात्विक होगा। किसी आवर्त में बायें से दायें जाते समय तत्वों के धात्विक लक्षण में कमी होती है। ऐसा इस लिए होता है कि तत्वों की इलैक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 31.
तत्वों के वर्गीकरण का मेंडलीफ आवर्त नियम लिखो।
उत्तर-
तत्वों के वर्गीकरण का मेंडलीफ आवर्त नियम-मेंडलीफ ने सभी तत्वों को आवर्त सारणी में उनके परमाणु पुंज के चढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जिससे एक समान भौतिक तथा रासायनिक गुणों वाले भिन्न-भिन्न तथा एक निश्चित पीरियड के बाद दोबारा आ जाते हैं। इस आधार को मुख्य रख कर मेंडलीफ ने आवर्त सारणी बनाई जिसका नियम है : “तत्वों के गुण उनके परमाणु पुंज के आवर्त फंक्शन (फलन ) होते हैं।”

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बृहत् आवर्त सारणी का आधार क्या है ?
उत्तर-
परमाणु संख्या और इलैक्ट्रॉन का वितरण।

प्रश्न 2.
हैलोजन परिवार के तत्वों में कितने संयोजकता इलैक्ट्रॉन होते हैं ?
उत्तर-
इसमें सात संयोजकता इलैक्ट्रॉन होते हैं।

प्रश्न 3.
चौथे आवर्त में कितने तत्व विद्यमान होते हैं ?
उत्तर-
चौथे आवर्त में कुल 18 तत्व हैं।

प्रश्न 4.
Mg2+ आयन में कितने इलैक्ट्रॉन विद्यमान हैं ?
उत्तर-
इसमें दस इलैक्ट्रॉन विद्यमान हैं।

प्रश्न 5.
Na और Mg में से किसका आकार बड़ा है ?
उत्तर-
सोडियम (Na) का आकार मैग्नीशियम (Mg) से बड़ा होता है।

प्रश्न 6.
नाइट्रोजन की संयोजकता क्या है ?
उत्तर-
इसकी संयोजकता तीन (3) है।

प्रश्न 7.
Li और Na में से कौन अधिक सक्रिय है ?
उत्तर-
Na अधिक सक्रिय है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 8.
उन तत्वों का उल्लेख कीजिए जिनकी खोज मेंडलीफ की आवर्त सारणी बनाने के बाद हुई।
उत्तर-
स्कैडियम (Sc), गैलियम (Ga) तथा जर्मेनियम (Ge) आदि ऐसे उदाहरण है जिन्हें आवर्त सारणी बनाने के बाद खोजा गया था।

प्रश्न 9.
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में वर्गों तथा आवर्तों की संख्या लिखिए।
उत्तर-
नौ वर्ग (समूह) तथा सात आवर्त हैं।

प्रश्न 10.
आवर्त सारणी के एक-ही आवर्त के तत्वों के परमाणु के आकार किस प्रकार परिवर्तित होते हैं ?
उत्तर-
आवर्त सारणी के एक-ही आवर्त के तत्वों के परमाणु के आकार बाईं से दाईं ओर क्रमिक रूप से घटते हैं।

प्रश्न 11.
किसी तत्व का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 3 है। इसे आवर्त सारणी के किस समूह में रखना उचित होगा?
उत्तर-
इसे आवर्त सारणी के तृतीय समूह में रखना उचित होगा।

प्रश्न 12.
तीन तत्वों X, Y, Z में से X और Z के परमाणु भार 35.5 और 127 हैं। डॉबेरेनर के त्रिक के आधार पर Y का परमाणु भार ज्ञात करो।
उत्तर-
Y का परमाणु भार = \(\frac{35.5+127}{2}\) = 81.25

प्रश्न 13.
आवर्त सारणी में फॉस्फोरस को किस आवर्त और किस समूह में रखा गया है ?
उत्तर-
आवर्त सारणी में फॉस्फोरस को तृतीय आवर्त तथा V-A समूह में रखा गया है।

प्रश्न 14.
किसी तत्व के इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 2 हैं। इसे आवर्त सारणी के किस वर्ग एवं आवर्त में रखना उचित है ?
उत्तर-
इस तत्व की वर्ग संख्या II-A तथा आवर्त संख्या चार है।

प्रश्न 15.
एक तत्व M आवर्त सारणी के तीसरे समूह में हैं, इसे ऑक्साइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
M2O3.

प्रश्न 16.
तत्वों की आधुनिक आवर्त सारणी को कितने समूहों एवं आवों में विभक्त करते हैं ?
उत्तर-
तत्वों की आधुनिक आवर्त सारणी को 7 आवर्तों और 18 वर्गों में विभाजित किया गया है। आवर्त को क्षैतिज स्तंभ तथा वर्गों की ऊर्ध्वाधर स्तंभ भी कहते हैं।

प्रश्न 17.
मेंडलीफ का आवर्त नियम लिखिए।
उत्तर-
तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 18.
मेंडलीफ ने अपनी सारणी किसे ध्यान में रखकर बनाई थी ?
उत्तर-
तत्वों के परमाणु द्रव्यमान की वृद्धि क्रम को ध्यान में रख कर।

प्रश्न 19.
मेंडलीफ आवर्त सारणी में कुल कितने वर्ग हैं ?
उत्तर-
मेंडलीफ आवर्त सारणी में I से VIII तक तथा इसके बाद शून्य (0) समूह को मिलाकर कुल नौ वर्ग हैं।

प्रश्न 20.
आवर्त में फॉस्फोरस के बाद आने वाले तत्व का नाम बताइए।
उत्तर-
इस तत्व का नाम सल्फर (S) है।

प्रश्न 21.
नाइट्रोजन और फॉस्फोरस किस वर्ग से संबंधित हैं ?
उत्तर-
ये दोनों वर्ग VA से संबंधित हैं।

प्रश्न 22.
Mg और AI में कौन-सा अधिक धात्वीय है ?
उत्तर-
मैग्नीशियम (Mg) अधिक धात्वीय है।

प्रश्न 23.
निष्क्रिय तत्व आवर्त सारणी के किस वर्ग में हैं ?
उत्तर-
सभी निष्क्रिय तत्व आवर्त सारणी के शून्य वर्ग में हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अष्टक नियम का प्रतिपादन किया –
(a) न्यूलैंड ने
(b) डॉबेराइनर ने
(c) मेंडलीफ ने
(d) लोथर मेयर ने
उत्तर-
(a) न्यूलैंड ने।

प्रश्न 2.
आवर्त नियम के जनक थे.
(a) न्यूलैंड
(b) डॉबेराइनर
(c) मेंडलीफ
(d) लोथर मेयर।
उत्तर-
(c) मेंडलीफ।

प्रश्न 3.
एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है, तत्व उपस्थित है.
(a) समूह 2 में
(b) समूह 18 में
(c) समूह 8 में
(d) समूह 10 में।
उत्तर-
(b) समूह 18 में।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा विन्यास धात्विक गुण प्रदर्शित करता है?
(a) 2,8,2
(b) 2,8,4
(c) 2,8,8
(d) 2,7.
उत्तर-
(a) 2,8,2.

प्रश्न 5.
मेंडलीफ आवर्त नियम के अनुसार, आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था है
(a) परमाणु संख्या के बढ़ते क्रम में
(b) परमाणु संख्या के घटते क्रम में
(c) परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में
(d) परमाणु द्रव्यमान के घटते क्रम में।
उत्तर-
(c) परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में।

प्रश्न 6.
मेंडलीफ आवर्त सारणी में, बाद में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए स्थान छोड़े गए थे। आवर्त सारणी में निम्नलिखित तत्वों में से किसने बाद में स्थान प्राप्त किया? ।
(a) जर्मेनियम
(b) क्लोरीन
(c) ऑक्सीजन
(d) सिलिकॉन।
उत्तर-
(a) जर्मेनियम।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा आवर्त-2 के तत्वों के लिए बाह्यतम कोश है ?
(a) K – कोश
(b) L- कोश
(c) M – कोश
(d) N – कोश
उत्तर-
(b) L – कोश।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित तत्वों में से किसकी परमाणु त्रिज्या सबसे बड़ी होगी ?
(a) Mg
(b) Na
(c) K
(d) Ca.
उत्तर-
(c) K.

प्रश्न 9.
आवर्त सारणी में किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु साइज –
(a) बढ़ता है
(b) घटता है
(c) पर्याप्त नहीं बदलता है
(d) पहले बढ़ता है और फिर घटता है।
उत्तर-
(b) घटता है।

प्रश्न 10.
मेंडलीफ ने बेरॉन तथा ऐलुमीनियम के बीच में नए तत्व के लिए खाली स्थान छोड़ा था जो बाद में खोजा गया था यह तत्व है
(a) Na
(b) Ca
(c) Ga
(d) Ba.
उत्तर-
(c) Ga.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) …………………. का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है।
उत्तर-
मैग्नीशियम

(ii) डाबेराइनर ने तीन-तीन तत्व वाले कुछ समूहों को चुना एवम् इन समूहों को …………………………. कहा।
उत्तर-
त्रिक्

(iii) आधुनिक आवर्त सारणी में …………………………. क्षैतिज पंक्तियाँ हैं।
उत्तर-
7

(iv) आधुनिक आवर्त सारणी में टेढ़ी-मेढ़ी रेखा धातुओं को ………………………… से अलग करती है।
उत्तर-
अधातुओं

(v) सन् 1866 में अंग्रेज़ वैज्ञानिक जॉन न्यूलैंड्स ने ज्ञात तत्वों को ……………………………….. के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया।
उत्तर-
परमाणु द्रव्यमान।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपररूपता किसे कहते हैं ? कार्बन के अपररूपों के नाम लिखो। क्या वे रासायनिक दृष्टि से समान हैं ? उनके भौतिक गुणों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
अपररूपता- जिस गुण के कारण तत्व विभिन्न रूपों में पाए जाते हैं, उसे अपररूपता कहते हैं तथा विभिन्न रूपों को तत्व के अपररूप कहते हैं।

कार्बन के अपररूप

  • हीरा
  • ग्रेफाइट।

रासायनिक दृष्टि से समानता-यदि दोनों अपररूपों की समान मात्रा को वायु में गर्म किया जाए तो दोनों समान मात्रा में ही कार्बन डाइऑक्साइड बनाते हैं और शेष कुछ नहीं बचता। अतः इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि दोनों अपररूप रासायनिक दृष्टि से समान हैं :
C + O2 → CO2, (हीरा या ग्रेफाइट)
हीरे तथा ग्रेफाइट के भौतिक गुणों की तुलना
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 1

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 2.
(क) सहसंयोजी आबंध किसे कहते हैं ? इनकी विशेषताएँ लिखिए।
(ख) आयनिक और सहसंयोजी यौगिकों में अंतर लिखिए।
उत्तर-
(क) सहसंयोजी आबंध-दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के एक जोडे की साझेदारी से बनने वाले आबंध को सहसंयोजी आबंध कहते हैं। इनमें निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं

  • इन अणुओं में भीतर प्रबल आबंध होता है लेकिन इनका अंतराअणुक बल कम होता है।
  • इनका क्वथनांक कम होता है।
  • इनका गलनांक कम होता है।
  • इनके यौगिक विद्युत् के कुचालक होते हैं।

(ख) आयनिक तथा सहसंयोजी यौगिकों में अंतर-

आयनिक यौगिक सहसंयोजी यौगिक
1. ये प्रायः क्रिस्टलीय ठोस अवस्था में पाए जाते हैं। 1. ये प्रायः द्रवीय या गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं परंतु कुछ ठोस अवस्था में भी पाए जाते हैं।
2. ये विद्युत् के सुचालक होते हैं। 2. ये विद्युत् के कुचालक होते हैं।
3. ये जल में घुलनशील होते हैं। 3. ये कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होते हैं।
4. ये तीव्र अभिक्रियाशील होते हैं। 4. ये धीमे अभिक्रियाशील होते हैं।
5. इनका गलनांक और क्वथनांक उच्च होता है। 5. इनका गलनांक और क्वथनांक निम्न होता है।

प्रश्न 3.
कार्बन यौगिकों की गणना अन्य सभी तत्त्वों की गणना के कुल योग से भी अधिक है। इसका क्या कारण है ?
उत्तर-
कार्बन यौगिकों की अत्याधिक संख्या-सहसंयोजी बंध की प्रकृति के कारण कार्बन में बड़ी संख्या में यौगिक बनाने की क्षमता होती है। ऐसा कार्बन के दो निम्नलिखित कारकों/गुणों के फलस्वरूप होता है-
(i) श्रंखलन (Catenation) कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे बड़ी संख्या में अणु बनते हैं। इस गुण को शृंखलन कहते हैं।

इन यौगिकों में-
(a) कार्बन की लंबी श्रृंखला,
(b) कार्बन की विभिन्न शाखाओं वाली श्रृंखला अथवा
(c) वलय में व्यवस्थित कार्बन भी पाये जाते हैं।

साथी ही कार्बन के परमाणु एक, द्वि अथवा त्रि आबंध से जुड़े हो सकते हैं। जिस सीमा तक श्रृंखलन का गुण कार्बन यौगिकों में पाया जाता है वह किसी और तत्त्व में नहीं मिलता। कार्बन-कार्बन आबंध अत्याधिक प्रबल होता है। अत: यह स्थायी होता है।

(ii) चतुः संयोजकता (Tetra-valency)-चूंकि कार्बन की संयोजकता चार होती है, इसलिए इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं या कुछ अन्य एक संयोजक तत्त्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन सल्फर, क्लोरीन तथा अन्य तत्त्वों के साथ कार्बन के यौगिक बनते हैं। अन्य तत्त्वों के साथ कार्बन द्वारा बनाए गए आबंध प्रबल होते हैं जिससे यौगिक बहुत स्थायी होते हैं। प्रबल आबंधों के कारण इसका आकार भी छोटा होता है।

प्रश्न 4.
कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म लिखिए।
उत्तर-
कार्बन यौगिकों के प्रमुख रासायनिक गुणधर्म कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म निम्नलिखित हैं
(i) दहन-कार्बन अपने सभी अपरूपों में ऑक्सीजन की उपस्थिति में दहन करता है और ऊष्मा, प्रकाश के साथ-साथ CO2, उत्पन्न करता है। उदाहरण
C + O2 → CO2 + ऊष्मा तथा प्रकाश
CH4 + 2O2, → CO2 + 2H2O + ऊष्मा तथा प्रकाश
CH3CH2OH + 3O2 → 2CO2 + 3H2O + ऊष्मा तथा प्रकाश
संतृप्त हाइड्रोकार्बन स्वच्छ ज्वाला के साथ जलते हैं और असंतृप्त कार्बन काले धुएँ वाली पीली ज्वाला उत्पन्न करते हैं।

(ii) ऑक्सीकरण-कार्बन यौगिकों को दहन के द्वारा सरलता से ऑक्सीकृत किया जा सकता है। क्षारीय पोटाशियम परमैंगनेट या अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट ऐल्कोहॉलों को अम्लों में ऑक्सीकृत कर देते हैं।
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(iii) संकलन अभिक्रिया-असंतृप्त हाइड्रोकार्बन पैलेडियम और निक्कल जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में अपने साथ हाइड्रोजन संकलित (जोड़) कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाते हैं। निक्कल उत्प्रेरक का उपयोग प्रायः वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण में किया जाता है। वनस्पति तेलों में प्रायः लंबी असंतृप्त कार्बन श्रृंखलाएँ होती हैं जबकि जंतु वसा में संतृप्त कार्बन श्रृंखलाएं होती हैं।
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(iv) प्रतिस्थापन अभिक्रिया-संतृप्त हाइड्रोकार्बन अधिकतर अभिकर्मकों की उपस्थिति में क्रिया नहीं करते पर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन का हाइड्रोकार्बन में संकलन होता है। क्लोरीन अति तीव्र अभिक्रिया में एकएक करके हाइड्रोजन के परमाणुओं का प्रतिस्थापन करती है जिस कारण उच्च समजातीय एल्केन के साथ अनेक उत्पादों का निर्माण होता है।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉल किसे कहते हैं ? कृत्रिम ऐथनॉल को किस विधि द्वारा बनाया जाता है ? एथेनॉल के भौतिक तथा रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर-
ये कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के सरल यौगिक होते हैं। किसी एल्केन के एक हाइड्रोजन परमाणु को हाइड्रोक्सिल (-OH) ग्रुप द्वारा प्रतिस्थापित करने पर ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं।
ऐल्कोहॉल का सामान्य सूत्र (CnH2n +2) OH होता है।
उदाहरण-

  • मिथेन (CH4) में हाइड्रोजन परमाणु को हाइड्रोक्सिल (–OH) ग्रुप द्वारा प्रतिस्थापित करने में मिथनॉल (CH3OH) प्राप्त होता है।
  • एथेन द्वारा एथेनॉल (C2H5OH) प्राप्त होता है।

कृत्रिम एथेनॉल की तैयारी –
कृत्रिम एथेनॉल को बनाने के लिए फॉस्फोरिक अम्ल की उपस्थिति में एथीन की जल के साथ क्रिया की जाती है।
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एथीन फॉस्फोरिक अम्ल
एथेनॉल एथेनॉल के भौतिक गुण

  • यह एक विशिष्ट गंध वाला रंगहीन द्रव है।
  • इसका क्वथनांक 351K तथा गलनांक 156K है।
  • यह सभी अनुपातों में जल में विलेय है।
  • इसका लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं होता क्योंकि यह उदासीन है।

ऐथनॉल के रासायनिक गुण-
(i) यह वायु में नीली लौ के साथ जलती है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी बनता है।
C2H5OH + 3O2, → 2CO2, + 3H2O
(ii) ऑक्सीजन या पोटेशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7) के साथ क्रिया करके ऐथनॉल, ऐथानॉइक अम्ल उत्पन्न करता है।
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O

(iii) सोडियम के साथ अभिक्रिया
एल्कोहल सोडियम धातु से क्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है। इस अभिक्रिया में दूसरा उत्पाद सोडियम ऐथॉक्साइड बनता है।
2C2H5OH + 2Na→ 2C2H5ONa + H2 (सोडियम ऐथॉक्साइड)

(iv) यह सांद्र H2CO4, की उपस्थिति में ग्लैशल ऐसिटिक अम्ल के साथ क्रिया करती है। जब इस मिश्रण को जल तापन पात्र पर गर्म करके हिमशीत सोडियम कार्बोनेट के विलयन पर डालते हैं तो मधुर गंध वाला ऐस्टर उत्पन्न होता है।
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(v) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने की अभिक्रिया-ऐथनॉल को अधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443K तापमान पर गर्म करने से एथनॉल का निर्जलीकरण हो जाता है और एथीन बनता है।
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इस अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है।

प्रश्न 6.
एथेनॉल के तीन रासायनिक गुण लिखो। इसका प्रयोग ईंधन के तौर पर क्यों किया जाता है ?
उत्तर-

ऐथनॉल के रासायनिक गुण-
(i) यह वायु में नीली लौ के साथ जलती है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी बनता है।
C2H5OH + 3O2, → 2CO2, + 3H2O
(ii) ऑक्सीजन या पोटेशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7) के साथ क्रिया करके ऐथनॉल, ऐथानॉइक अम्ल उत्पन्न करता है।
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O

(iii) सोडियम के साथ अभिक्रिया
एल्कोहल सोडियम धातु से क्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है। इस अभिक्रिया में दूसरा उत्पाद सोडियम ऐथॉक्साइड बनता है।
2C2H5OH + 2Na→ 2C2H5ONa + H2 (सोडियम ऐथॉक्साइड)

(iv) यह सांद्र H2CO4, की उपस्थिति में ग्लैशल ऐसिटिक अम्ल के साथ क्रिया करती है। जब इस मिश्रण को जल तापन पात्र पर गर्म करके हिमशीत सोडियम कार्बोनेट के विलयन पर डालते हैं तो मधुर गंध वाला ऐस्टर उत्पन्न होता है।
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(v) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने की अभिक्रिया-ऐथनॉल को अधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443K तापमान पर गर्म करने से एथनॉल का निर्जलीकरण हो जाता है और एथीन बनता है।
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इस अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है।

एथेनॉल का प्रयोग ईंधन के रूप में- यह कार्बन का यौगिक ऑक्सीजन में जलने पर अत्यधिक मात्रा में उष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न करता है। कुछ देशों में पैट्रोल में एथेनॉल मिलाकर स्वच्छ इंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
C2H5OH + O2 → CO2 + H2O + ऊष्मा + प्रकाश

प्रश्न 7.
ऐथनॉइक अम्ल के वाणिज्यकीय उत्पादन की विधि का वर्णन करें। ऐथनॉइक अम्ल के गुण तथा उपयोग भी लिखिए।
उत्तर-
ऐथनॉइक अम्ल का वाणिज्यकीय उत्पादन
ऐथनॉइक अम्ल (Acetic Acid) को किण्वन क्रिया से व्यापारिक स्तर पर तैयार किया जाता है। ऐथनॉल की एसिटोबैक्टर नामक जीवाणुओं की उपस्थिति में किण्वन क्रिया करवाई जाती है। यह एक ऑक्सीकरण क्रिया है जिससे ऐथनॉइक अम्ल प्राप्त कर लिया जाता है।
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ऐथनॉइक अम्ल के गुण
(क) भौतिक गुण-

  • शुद्ध ऐथनॉइक अम्ल का गलनांक 290K होता है और इसीलिए शीत के दिनों में जम जाता है।
  • यह एक दुर्बल अम्ल है।
  • यह पानी में विलेय है।

(ख) रासायनिक गुण

  • सोडियम से क्रिया 2CH3COOH + 2Na → 2CH3COONa + H2 सोडियम ऐथनोएट
  • सोडियम हाइड्रोक्साइड और पोटेशियम हाइड्रोक्साइड से क्रिया –

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(iii) कार्बोनेट एवं हाइड्रोजन कार्बोनेट से क्रिया-कार्बोनेट और हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ क्रिया करके यह लवण जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं।
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(iv) ऐस्टरीकरण प्रतिक्रिया-एथेनाइक अम्ल किसी अम्लीय उत्प्रेरक की उपस्थिति में शुद्ध ऐथनॉल (अल्कोहल) से प्रतिक्रिया करके ऐस्टर बनाता है। ऐस्टर की गंध मीठी होती है।
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ऐथनोइक अम्ल के उपयोग –

  • ऐथनॉइक अम्ल रंग, रेयॉन, प्लास्टिक, रबड़ और रेशम उद्योगों में प्रयुक्त किया जाता है।
  • इसे सिरका तथा अचार के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
  • इसे सफेद सीसा (white lead 2PbCO3.Pb(OH)2) बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।

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प्रश्न 8.
निम्न पदों की व्याख्या कीजिए :
(i) एस्टरीकरण
(ii) साबुनीकरण
(iii) डिकार्बोक्सीलेशन एवं
(iv) बहुलीकरण।
उत्तर-
(i) एस्टरीकरण (Esterification)
ऐल्कोहॉलों के सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में कार्बनिक अम्लों की क्रिया से एस्टर के निर्माण की विधि को एस्टरीकरण कहते हैं।
विधि-एक परखनली में इथाइल ऐल्कोहॉल को एसिटिक अम्ल में मिलाओ। इसमें कुछ बूंदें सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की डालो और परखनली को हल्के गर्म पानी के टब में रख दो। शीघ्र ही सारे कमरे में एस्टर की सुगंधी भर जाएगी।
CH3COOH + C2H5OH → CH3COOC2H5
यह क्रिया एस्टरीकरण का उदाहरण है। एस्टरों का उपयोग आइसक्रीम, ठंडे पेय, दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधन आदि में किया जाता है।

(ii) साबुनीकरण (Saponification) वसा को विघटित करने की प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं। साबुनीकरण का कार्य वनस्पति या जंतु वसा में कास्टिक सोडा का 40% विलयन डाल कर गर्म करने से हो जाता है। वसा तथा क्षार अभिक्रिया करके साबुन तथा ग्लिसरॉल बनाते हैं।
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जलीय विलयन से साबुन को अवक्षेपित करने के लिए इसमें नमक का संतृप्त घोल डाला जाता है। ठंडा होने पर साबुन जम कर ऊपरी सतह पर आ जाता है। इसे ऊपर से निकाल लिया जाता है और इसमें मनचाहा रंग और सुगंध मिला कर विभिन्न प्रकार के आकार दे दिए जाते हैं।

(iii) डीकार्बोक्सीलेशन (Decarboxylation)
ऐथेनॉइक अम्ल के सोडियम या पोटाशियम लवण को सोडियम हाइड्रोक्साइड और कैल्सियम ऑक्साइड के 3 : 1 मिश्रण के साथ गर्म करने से मिथेन उत्पन्न होती है।
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यह मीथेन गैस को बनाने की उपयोगी विधि है। चूंकि इस में CO, का एक अणु हट जाता है, इसलिए इस क्रिया को डीकार्बोक्सीलेशन (Decarboxylation) कहते हैं।

(iv) बहुलीकरण (Polymerization)-
जब विशेष ताप और दाब की उपस्थिति में छोटे-छोटे अणु आपस में जुड़कर एक बड़ा अणु बनाते हैं तो इस क्रिया को बहुलीकरण कहते हैं। छोटे अणु को ‘एकलक’ और बड़े अणु को ‘बहुलक’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
समावयव से क्या अभिप्राय होता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ब्यूटेन के समावयव लिखिए।
उत्तर-
समावयव (Isomers)- ऐसे यौगिक जिनका आण्विक सूत्र तो समान हो परंतु अणुओं की संरचनात्मक व्यवस्था भिन्न-भिन्न हो, उन्हें समावयव कहते हैं तथा इस घटना को समावयवता कहते हैं। मिथेन, एथेन, प्रोपेन में कार्बन तथा हाइड्रोजन के परमाणुओं को पुनः व्यवस्थित करने पर भी संरचना में कोई परिवर्तन नहीं आता परंतु जब अल्केन के अणु में कार्बन की संख्या तीन से अधिक हो जाती है तो एक से अधिक व्यवस्थाएं संभव हो जाती हैं।

इनमें से एक में कार्बन परमाणु लंबी श्रृंखला बनाते हैं जबकि दूसरे में शाखाएं होती हैं। ब्यूटेन में शाखा युक्त श्रृंखला में कम-से-कम कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से बंधित है। इस प्रकार अल्केनों को आइसो-अल्केन कहते हैं। शाखा रहित श्रृंखला में कोई भी कार्बन परमाणु दो से अधिक कार्बन परमाणुओं से बंधित नहीं होता है। इस प्रकार के एल्केनों को सामान्य (नार्मल) n-एल्केन कहते हैं।
ब्यूटेन के दो समावयव
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कार्बन मुख्यतया सहसंयोजी आबंधों द्वारा यौगिक क्यों बनाता है ?
उत्तर-
कार्बन परमाणु में चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह इन चार इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर अथवा चार अन्य इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करके स्थायी विन्यास प्राप्त कर सकते हैं। ऊर्जा संबंधी तथ्यों के अनुसार कार्बन चार इलेक्ट्रॉनों को न तो ग्रहण कर सकता है और न ही इनका त्याग कर सकता है। इस प्रकार, कार्बन के लिए स्थायी विन्यास प्राप्त करने हेतु केवल एक ही विकल्प है कि यह यौगिक निर्माण में इलेक्ट्रॉनों को सांझा करे अर्थात् सहसंयोजक आबंध बनाए।

प्रश्न 2.
CH3CI के आबंध के निर्माण की उदाहरण से सहसंयोजक आबंध की प्रकृति को समझाइए।
उत्तर-
CH3CI एक कार्बन परमाणु, तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक क्लोरीन परमाणु का बना होता है। कार्बन परमाणु में 4 (संयोजकता इलेक्ट्रॉन), प्रत्येक हाइड्रोजन में 1 संयोजकता इलेक्ट्रॉन और क्लोरीन परमाणु में 7 संयोजकता इलेक्ट्रॉन होते हैं। कार्बन परमाणु अपने 4 संयोजकता इलेक्ट्रॉन होते हैं। कार्बन परमाणु अपने 4 संयोजकता इलेक्ट्रॉनों को तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक क्लोरीन परमाणु से सांझा करके CH,CI बनाता है।
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CH3Cl की उपर्युक्त इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना से हम पता लगा सकते हैं कि कार्बन और दूसरे परमाणुओं के बीच में साझे इलेक्ट्रॉनों के चार जोड़े हैं। साझे इलेक्ट्रॉनों का प्रत्येक जोड़ा एक एकल सहसंयोजक आबंध बनाता है। इसलिए, CH3Cl में चार एकल सहसंयोजक आबंध हैं।

प्रश्न 3.
हीरे की संरचना समझाइए और बताइए कि हीरा इतना कठोर क्यों है ?
उत्तर-
हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु नियमित चतुष्फलक के केंद्र में स्थित रहता है तथा यह सहसंयोजक बंध द्वारा उन चार कार्बन परमाणुओं से बंधित रहता है जो चतुष्फलक के चारों कोनों पर स्थित होते हैं। इस प्रकार कार्बन परमाणु के समस्त बंध योग्य इलेक्ट्रॉन बंधित रहते हैं तथा कोई भी इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र नहीं होता। इस प्रकार के प्रबल बंधित चतुष्फलक अवस्था के कारण एक तीन आयामी सुदृढ़ संरचना बन जाती है। हीरा सबसे कठोर तत्व है तथा इसका घनत्व अति उच्च है। चित्र-हीरे की संरचना में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था
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प्रश्न 4.
हीरे के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
हीरे के उपयोग–

  • हीरा सबसे कठोर पदार्थ है इसलिए इसका उपयोग दूसरे पदार्थों को काटने के लिए किया जाता है।
  • इसकी अद्वितीय चमक के कारण इसका उपयोग आभूषणों को बनाने में किया जाता है।
  • इसका उपयोग पृथ्वी की चट्टानों में छिद्र करने हेतु पेषण के रूप में किया जाता है।
  • नुकीले किनारे वाले हीरे शल्य चिकित्सकों को आँखों से मोतिया बिंद हटाने के लिए उत्तम औजार प्रदान करते हैं।

प्रश्न 5.
हीरे के अत्यधिक चमकने के कारण बताइए।
उत्तर-
हीरा एक पारदर्शक पदार्थ है जिसका अपवर्तन गुणांक बहुत अधिक होता है। इसमें से गुजरने वाली प्रकाश किरणों का मार्ग से विचलन बहुत अधिक होता है। इसके अनेक प्रतिच्छेदी तलों के अनुरूप उच्चकोटि का विचलन होता है। जब इन प्रतिच्छेदी तलों को पॉलिश कर दिया जाए तो यह हीरे को एक विशेष प्रकार की चमक प्रदान करते हैं जिससे हीरा अत्याधिक चमकता है।

प्रश्न 6.
ग्रेफाइट की संरचना लिखिए तथा यह बताइये कि ग्रेफाइट इतना मुलायम क्यों है ?
उत्तर-
ग्रेफाइट की संरचना-ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु केवल तीन पड़ोसी कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा होता है तथा षट्कोणीय जाल की परतें बनाता है। हीरे की तुलना में ग्रेफाइट में कार्बन परमाणुओं के बीच की दूरी अधिक होती है। ऊपर नीचे की परतों की इस दूरी के कारण विपरीत परतों में स्थित कार्बन परमाणुओं के मध्य सहसंयोजक बंध बनने की संभावना समाप्त हो जाती है जिससे चौथा इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रह जाता है। दूसरे के ऊपर आसानी से फिसल सकती हैं, जिस कारण ग्रेफाइट में स्नेहक गुण होते हैं तथा यह स्पर्श करने में चित्र-ग्रेफाइट की संरचना में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था मुलायम तथा चिकना अनुभव होता है।
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प्रश्न 7.
ग्रेफाइट के भौतिक गुण लिखिए।
उत्तर-
ग्रेफाइट के भौतिक गुण-

  • ग्रेफाइट एक चमकदार काला पदार्थ है।
  • ग्रेफाइट स्पर्श करने पर मुलायम तथा चिकना प्रतीत होता है।
  • यह विद्युत् का सुचालक है।
  • इसका घनत्व 2250 kg/m है।
  • इसका गलनांक 3700°C है।

प्रश्न 8.
क्या कारण है कि ग्रेफाइट विद्युत् का सुचालक है ?
उत्तर-
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु केवल तीन कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा रहता है तथा जिस कारण इसमें षट्कोणीय जाल की परतें बनाती हैं। इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच दूरी अधिक होती है। परतों के मध्य इस दूरी के कारण विपरीत परतों में स्थित कार्बन परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बंधों के बनने की संभावना समाप्त हो जाती है और चौथा संयोजक इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र छूट जाता है। इसीलिए ग्रेफाइट में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह आसानी से हो सकता है और ग्रेफाइट विद्युत् का सुचालक होता है।

प्रश्न 9.
ग्रेफाइट के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
ग्रेफाइट के उपयोग-

  • यह विद्युत् का सुचालक है, इसलिए इसका उपयोग शुष्क सैल, विद्युत् आर्क में इलेक्ट्रोड के रूप में होता है।
  • इससे पेंसिल, काला रंग, काला पेंट इत्यादि बनाए जाते हैं।
  • इसके स्नेहक गुण के कारण इसका उपयोग उच्च ताप पर मशीनों को चिकना रखने में होता है।
  • इसके उच्च गलनांक के कारण ग्रेफाइट की बनी क्रूसीबल कुछ धातुओं को पिघलाने हेतु उपयोग होती है।

प्रश्न 10.
उन पदार्थों को जिनमें 60 कार्बन परमाणु एक-दूसरे से जुड़कर अणु बनाते हैं, फुलरीन क्यों कहते हैं?
उत्तर-
जिन पदार्थों में 60 कार्बन परमाणु एक-दूसरे से जुड़कर अणु बनाते हैं, उन्हें फुलरीन कहते हैं। अमेरिकी वास्तुकार बकमिंसटर फुलर ने त्रिविमीय ज्यामिति वाले गुंबदों की रचना की जिन्हें दृढ़ता प्रदान करने के लिए पंचकोणीय और षट्कोणीय व्यवस्था का उपयोग किया गया था। फुलरीन अणुओं की संरचना इन गुंबदों से मिलती-जुलती प्रतीत होती है। इसलिए उनके नाम पर इन्हें फुलरीन कहते हैं।
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प्रश्न 11.
मिथेन, एथेन, एथीन और प्रोपेन की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
(1) मिथेनसूत्र : CH4
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(2) एथेनसूत्र : C2H6
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(3) एथीनसूत्र : C2H4
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(4) प्रोपेनसूत्र : C2H10
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प्रश्न 12.
(a) समजातीय श्रृंखला क्या होती है ? इसके दो गुण लिखो। एल्केन श्रृंखला के पहले दो सदस्यों के नाम एवं सूत्र लिखो।
(b) मिथेन श्रृंखला के प्रथम तीन समजातीय सदस्यों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखो।
उत्तर-
(a) समजातीय श्रेणी-कार्बनिक यौगिकों को एक ही क्रियात्मक समूह वाले, रासायनिक दृष्टि से समान तथा एक ही सामान्य सूत्र से प्रकट किए जा सकने वाले यौगिकों के समूहों में बांटा जा सकता है। ऐसे प्रत्येक समूह को सजातीय श्रेणी कहते हैं। इस श्रेणी में रखे गए निकटतम दो सदस्यों के आण्विक सूत्रों में (-CH2) ग्रुप का अंतर होता है। एक समजातीय श्रेणी के प्रत्येक सदस्यों को समजात कहते हैं। एक ही समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को समान विधियों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

समजातीय श्रृंखला के गुण-
(1) किसी भी समजातीय श्रृंखला के सदस्यों को एक सी विधि द्वारा तैयार किया जा सकता है।
(2) समजातीय श्रृंखला के सभी सदस्यों के रासायनिक गुण एक समान होते हैं तथा भौतिक गुणों में अणुभार बढ़ने के साथ-साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।

उदाहरण-एल्केन की समजातीय श्रेणी अग्र है-
सामान्य सूत्र : CnH2n+2
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(b) मिथेन के प्रथम तीन सजातीय सदस्य
(i) एथेन (C2H6)
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(ii) प्रोपेन (C3H8)
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(iii) ब्यूटेन (C4H20)
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प्रश्न 13.
समजातीय श्रेणी के लक्षण लिखो।
उत्तर-
समजातीय श्रेणी के लक्षण-

  • किसी भी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक सामान्य सूत्र के द्वारा प्रकट किया जा सकता है। जैसे एल्केन समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक ही सामान्य सूत्र CnH2n+2. द्वारा प्रकट किया जाता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के दो साथ-साथ वाले सदस्यों में (-CH2) ग्रुप का अंतर होता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सभी सदस्य एक जैसे रासायनिक गुण प्रकट करते हैं।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सदस्यों के भौतिक गुणों में अणु भार बढ़ने के साथ-साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सदस्यों को एक सी विधियों द्वारा तैयार किया जा सकता है।

प्रश्न 14.
कभी-कभी केरोसीन स्टोव और एल० पी० जी० चूल्हे भी जलते समय बर्तनों को काला करते हैं ? क्यों? इससे वायु प्रदूषण किस प्रकार होता है?
उत्तर-
जब कभी केरोसीन स्टोव और एल० पी० जी० चूल्हे जलते समय बर्तनों को काला करें तब समझ जाना चाहिए कि वायु के लिए बने स्टोव छिद्र किसी कारण अवरुद्ध हो गए हैं। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की उपस्थिति में स्वच्छ नीली ज्वाला उत्पन्न होती है लेकिन जब ईंधन को जलने के लिए वायु की आवश्यक मात्रा नहीं मिलती तब ईंधन व्यर्थ खर्च होने लगता है ; काला धुआँ उत्पन्न होता है जिस से बर्तनों के तले काले होने लगते हैं और वायु प्रदूषित होती है।

प्रश्न 15.
सजीव प्राणियों पर एथेनॉल का सेवन सीधे रूप से क्या-क्या प्रभाव डालता है ?
उत्तर-

  • एथेनॉल के सेवन से उपापचयी प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है।
  • समन्वय की कमी हो जाने के कारण मानसिक दुविधा, उनींदापन और अंतर्बोध में कमी उत्पन्न हो जाती है।
  • सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है।
  • माँसपेशियाँ प्रभावित हो जाती हैं।

प्रश्न 16.
मेथेनॉल के प्रयोग से कोई भी व्यक्ति किस प्रकार प्रभावित होता है ?
अथवा
एथानोल पीने से हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
इथानोल का स्वास्थ्य पर प्रभाव –

  • इसके पीने से दिल की पेशियाँ खराब हो जाती हैं।
  • इससे जिगर का आकार बढ़ जाता है।
  • इसके अधिक सेवन से जिगर के फेल होने से मृत्यु भी हो सकती है।
  • इसके अधिक सेवन से दिल पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • इसके अधिक सेवन से व्यक्ति शराबी हो जाता है, जुबान तुतलाने लगती है तथा निर्णय लेने की क्षमता में भी अधिक समय लगता है।

प्रश्न 17.
एक कार्बनिक यौगिक ‘A’ का अणुसूत्र C2H6O है। गर्म उत्प्रेरक ताँबे की उपस्थिति में वायु में उपचयन द्वारा यह CH3COOH में उपचयित हो जाता है। यौगिक ‘A’ क्या है ?
उत्तर-
यौगिक ‘A’ उपचयन द्वारा ऐसीटिक एसिड, CH3COOH बनाता है चूँकि एसिड, ऐल्कोहॉल या एक एल्डिहाइड के उपचयन से बनता है। अतः यौगिक ‘A’ एक ऐल्कोहॉल (एथिल ऐल्कोहॉल) या एस्टिएल्डिहाइड होना चाहिए क्योंकि इसके अणु में दो कार्बन परमाणु होते हैं। एथिल ऐल्कोहॉल CH3CH2OH या C2H5OH होता है तथा एस्टिएल्डिहाइड CH3CHO या C2H4O होता है। इसलिए यौगिक ‘A’ केवल एथिल ऐल्कोहॉल ही है।

प्रश्न 18.
मिसेल निर्माण क्यों होता है जब साबुन को जल में मिलाया जाता है ?
उत्तर-
जब साबन को जल में मिलाया जाता है, मिसेल निर्माण होता है क्योंकि साबन अणुओं को हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाएँ जल-विरोधी (जल-विकर्षक) होती हैं जो जल में अविलेय हैं परंतु साबुन अणुओं के आयनिक सिरे जलरागी (जल-आकर्षक) होते हैं और इस कारण जल में विलेय होते हैं। साबुन मिसेल में, हाइड्रोकार्बन, श्रृंखला के अनावेशित सिरे अंदर की ओर होते हैं जबकि आवेशित आयनिक सिरे बाहर की ओर होते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 19.
कारण सहित समझाइए कि क्यों साबुन कठोर जल में शोधन अभिकर्मक का कार्य प्रभावी रूप से संपन्न नहीं करता है ?
उत्तर-
साबुन कठोर पानी में सफ़ाई करने में प्रभावी नहीं होते क्योंकि कठोर पानी में कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण घुले होते हैं। जब साबुन को कठोर पानी में डाला जाता है तब कठोर पानी में कैल्सियम और मैग्नीशियम आयन साबुन से क्रिया करते हैं और वसीय अम्लों के कैल्सियम और मैग्नीशियम लवणों को बनाते हैं –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 29
यदि कठोर पानी का प्रयोग किया जाए तो साबुन का बहुत बड़ा भाग व्यर्थ हो जाता है।
स्पष्ट ही कठोर पानी के प्रयोग से साबुन, कैल्सियम और मैग्नीशियम लवणों के अघुलनशील तलछट तैयार करते हैं जो कपड़ों से चिपके रहते हैं। ये कपड़े की सफ़ाई करने में बाधा बनते हैं और कपड़े पूरी तरह से साफ़ नहीं हो पाते।

प्रश्न 20.
साबुन और अपमार्जकों मे अंतर लिखिए।
उत्तर-
साबुन और अपमार्जक में अंतर

साबुन (Soap) अपमार्जकों  (Detergent)
(1) साबुन लंबी शृंखला वाले वसा अम्लों का सोडियम लवण होता है। (1) संश्लिष्ट अपमार्जक, लंबी श्रृंखला वाले ‘बेंजीन,  सल्फोनिक अम्ल का सोडियम लवण’ या लंबी श्रेणी वाले ‘एल्काइल हाइड्रोजन सल्फेट का सोडियम लवण’ होता है।
(2) साबन कठोर जल के साथ झाग उत्पन्न नहीं करता। (2) अपमार्जक कठोर जल के साथ भी झागं उत्पन्न करता है।
(3) साबुन को वनस्पति तेल या जंतु वसा से बनाया जाता है। (3) संश्लिष्ट अपमार्जक कोयले तथा पेट्रोलियम के  हाइड्रोकार्बन से बनते हैं।
(4) साबुन जल प्रदूषण नहीं फैलाता। (4) अपमार्जक जल प्रदूषण फैलाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 30 PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 31

प्रश्न 21.
किण्वन प्रक्रम द्वारा एथॉनॉल के विरचन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
साधारण ताप पर किसी जैव-रासायनिक उत्प्रेरक की उपस्थिति में किण्वन क्रिया की जाती है जिसमें शर्करा अणुओं का ऐल्कोहॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तन होता है। ये उत्प्रेरक ‘एंजाइम’ कहलाते हैं, जिनका शाब्दिक अर्थ ‘यीस्ट’ या ‘खमीर के अंदर’ होता है। ऐथनॉल को एंजाइमों की उपस्थिति में शक्कर या स्टार्च के किण्वन द्वारा बनाया जाता है। किसी पात्र में अंगूर के रस या शर्करा के विलयन में खमीर डाल कर इसे 20°-30°C ताप पर रखा जाता है। किण्वन द्वारा शक्कर या स्टार्च के अणु छोटे अणुओं में टूट जाते हैं जिससे कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है। इस कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकलने दिया जाता है परंतु वायु को पात्र में नहीं जाने दिया जाता। इस किण्वन प्रक्रिया के दौरान एथेनॉल का जल में तनु घोल बन जाता है। ऐथेनॉल को पृथक् करके आसवन विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।
रासायनिक अभिक्रिया
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 32

प्रश्न 22.
हाइड्रोजन अणु में बने आबंध को प्रदर्शन करें।
उत्तर-
हाइड्रोजन अणु में बने आबंध का प्रदर्शन-हाइड्रोजन परमाणु का परमाणु क्रमांक एक है। इसलिए इसके K कक्ष में एक इलैक्ट्रॉन है तथा इस K कक्ष को पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त इलैक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। हाइड्रोजन के दो परमाणु परस्पर 1-1 इलैक्ट्रॉन सांझा करके हाइड्रोजन अणु (H2) बनाते हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु निकटतम हीलियम गैस का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेते हैं जिससे दोनों परमाणुओं के K कक्ष में 2-2 इलैक्ट्रॉन हो जाते हैं। इस प्रकार इन सांझा किये गए इलैक्ट्रॉन युग्म से दो परमाणुओं के मध्य एकल सहसंयोजक आबंध बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 33

प्रश्न 23.
ऑक्सीजन के अणु में बनने वाले सहसंयोजक आबंध को समझाओ तथा चित्र द्वारा इसका प्रदर्शन करो।
उत्तर-
ऑक्सीजन के अणु में बने सहसंयोजक आबंध की जानकारी तथा प्रदर्शन-ऑक्सीजन का परमाणु अंक 6 है। इसके परमाणु के L कक्ष में 6 इलैक्ट्रॉन होते हैं तथा इसे अपना अष्टक पूरा करने के लिए दो अन्य इलैक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। इसलिए ऑक्सीजन के प्रत्येक परमाणु 2 इलैक्ट्रॉन दूसरे परमाणु के साथ 2 इलैक्ट्रॉनों की साझेदारी करता है। इस प्रकार ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के मध्य 2 युग्म इलैक्ट्रॉनों की साझेदारी से दोहरा सहसंयोजक आबंध बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 34

प्रश्न 24.
नाइट्रोजन के अणु में किस प्रकार का आबंध बनता है ? चित्र बनाकर समझाइए।
उत्तर-
नाइट्रोजन के अणु में सहसंयोजक आबंध का बनना-नाइट्रोजन के अणु में दो नाइट्रोजन परमाणु होते हैं। नाइट्रोजन परमाणु का परमाणु क्रमांक 7 है तथा इसके अंतिम कक्ष L में 5 इलैक्ट्रॉन होते हैं। नाइट्रोजन के अणु के प्रत्येक परमाणु को अष्टक पूरा करने के लिए 3 इलैक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। प्रत्येक परमाणु 3-3 इलैक्ट्रॉन सांझा करता है। इस प्रकार सांझा किये गए तीन युग्म इलैक्ट्रॉनों से सहसंयोजक त्रि-आबंध का निर्माण होता है। N, की इलैक्ट्रॉन बिंदु संरचना तथा सहसंयोजक त्रि-आबंध का प्रदर्शन चित्र में किया गया है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 35

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 25.
चित्र में दर्शाई रचना को क्या कहा जाता है ? इसके दो सिरे क्या दर्शाते हैं ? यह रचना किस क्रिया में बनती है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 36
उत्तर-
चित्र में दर्शाई गई संरचना को मिसेल कहते हैं। इसके दो सिरे होते हैं, एक जलरागी तथा दूसरा सिरा जलविरागी अथवा पूँछ कहलाता है। यह संरचना, साबुन द्वारा सफाईकरण क्रिया में बनती है।

प्रश्न 26.
नीचे दिए गए चित्र में दर्शाई गई रचना का नाम लिखें 1 और 2 को अंकित करें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 37
उत्तर-
चित्र में दशाई गई रचना मिसैल कहलाती है।
1 जलस्नेही सिरा (हाइड्रोफिलिक सिरा)
2 जल-विरोधी सिरा (हाइड्रोफोबिक सिरा)

प्रश्न 27.
(i) प्रोपेन का आणविक सूत्र लिखें ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 38
उत्तर-
(i) प्रोपेन का आणविक सूत्र : C3H8
(ii) ब्रोमो-एथेन।

प्रश्न 28.
नीचे दिए गए चित्र में दर्शाए गए यौगिक का नाम लिखो। इस यौगिक में कितने इकहरे (Single) सहसंयोजी बन्ध हैं ? यह यौगिक किस कार्बनिक श्रृंखला का है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 39
उत्तर-
यौगिक नाम : ईथीन ईथीन में चार इकहरे सहसंयोजी आबंध होते हैं। इसके कार्बन परमाणुओं के मध्य दोहरा आबंध होने के कारण यह असंतृप्त कार्बन श्रृंखला का यौगिक है।

प्रश्न 29.
(i) ब्यूटेन का आणविक सूत्र लिखो।
(ii) प्रोपेनल की संरचना का रेखा चित्र बनाओ।
उत्तर-
(i) ब्यूटेन का आणविक सूत्र- C4H10
(ii) प्रोपेनल की संरचना का रेखा चित्र
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 40

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कार्बन के सबसे बाहरी कक्ष में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं ?
उत्तर-
चार।

प्रश्न 2.
कार्बन को चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने या कम करने की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
नोबल गैस की संरचना को प्राप्त करने के लिए।

प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉन के सहभाजी युगल हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के बीच कौन-सा बंध बनाते हैं ?
उत्तर-
एकल बंध।

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन की परमाणु संख्या कितनी होती है ?
उत्तर-
सात।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 5.
अष्टक बनाने के लिए नाइट्रोजन का प्रत्येक परमाणु कितने इलेक्ट्रॉन देता है ?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 6.
ईंधन के रूप में किस गैस का सबसे अधिक उपयोग होता है ?
उत्तर-
मिथेन गैस का।

प्रश्न 7.
मिथेन किन दो गैसीय ईंधन का प्रमुख घटक है ?
उत्तर-

  1. बायोगैस
  2. सी० एन० जी० ।

प्रश्न 8.
CNG का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) ।

प्रश्न 9.
हीरे की संरचना कैसी होती है ?
उत्तर-
प्रबल त्रिविमीय संरचना।

प्रश्न 10.
ग्रेफाइट की संरचना कैसी होती है ?
उत्तर-
षट्कोणीय।

प्रश्न 11.
विद्युत् का सुचालक कौन है-हीरा या ग्रेफाइट ?
उत्तर-
ग्रेफाइट।

प्रश्न 12.
ग्रेफाइट छूने में कैसा प्रतीत होता है ?
उत्तर-
चिकना तथा सर्पशशील।

प्रश्न 13.
किस तत्व में बड़ी मात्रा में यौगिक तैयार करने का गुण विद्यमान है ?
उत्तर-
कार्बन।

प्रश्न 14.
हाइड्रोकार्बन का सरलतम रूप कौन-सा है ?
उत्तर-
मिथेन (CH4 )।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 15.
किन्हीं पांच तत्वों के नाम लिखिए जो कार्बन के साथ मिलकर यौगिक बनाते हैं।
उत्तर-
ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन।

प्रश्न 16.
एथेन का आण्विक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
C2H6.

प्रश्न 17.
एथेन का संरचनात्मक सूत्र लिखिए।
उत्तर
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 41

प्रश्न 18.
निम्नलिखित के अगले उच्च समाजात लिखिए :
(i) C3H6
(ii) C6 H8
उत्तर-
(i) C4 H8
(ii) C7 H10 .

प्रश्न 19.
ऐथनॉल की संरचना लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 42

प्रश्न 20.
प्रोपेनॉन (CH3COCH3) में उपस्थिति क्रियात्मक संग्रह का नाम लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 43

प्रश्न 21.
सरलतम कीटोन की संरचना बनाइए।
उत्तर-
रलतम कीटोन ऐसीटोन है। इसकी संरचना है :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 44

प्रश्न 22.
चार कार्बन परमाणुओं वाले ऐल्डिहाइड की संरचना और नाम लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 45

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 23.
एथाइल ऐल्कोहॉल (C2H5OH) की संरचना लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 46

प्रश्न 24.
CH3COOH यौगिक में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह का
(i) नाम तथा
(ii) संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर-
(i) कार्बोक्सिलिक समूह
(ii) संरचना सूत्र :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 47

प्रश्न 25.
निम्न में से कौन-से दो यौगिक एक सजातीय श्रेणी से संबंध रखते हैं ? C2H6O2, C2H6O2, C2H6CH4O.
उत्तर-
C2H6O (C2H5OH) और CH4O(CH2OH).

प्रश्न 26.
एक एस्टर का संरचनात्मक सूत्र लिखो।। उस अम्ल और एल्कोहॉल का आणविक सूत्र लिखो जिससे यह उत्पन्न हुआ है।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 48
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 49

प्रश्न 27.
मिथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 50

प्रश्न 28.
सहसंयोजी आबंध क्या होते हैं ?
उत्तर-
सहसंयोजी आबंध-दो परमाणुओं के मध्य एक इलैक्ट्रॉन युग्म की सांझेदारी से बने आबंध को सहसंयोजी आबंध कहते हैं।

प्रश्न 29.
सहसंयोजक यौगिक विद्युत् के दुर्बल चालक क्यों होते हैं ?
उत्तर–
क्योंकि इनमें आयन या मुक्त इलैक्ट्रॉन नहीं होते हैं जो विद्युत् चालन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 30.
अपररूप क्या होते हैं ?
उत्तर-
अपररूप- जब एक तत्त्व दो या अधिक रूपों में पाया जाता है जिसके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हों परंतु रासायनिक गुण एक समान हों तब तत्त्व के ये रूप उस तत्त्व के अपररूप होते हैं।

प्रश्न 31.
एथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
एथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 51

प्रश्न 32.
प्रोपेन की संरचना बनाइए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 52

प्रश्न 33.
एथीन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
एथीन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 53

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 34.
क्रियात्मक समूह किसे कहते हैं ?
उत्तर-
क्रियात्मक समूह (Functional Group)-एक या एक से अधिक परमाणुओं का वह समूह जो किसी कार्बनिक यौगिक की रासायनिक प्रवृत्ति को निर्धारित करता है, क्रियात्मक समूह कहलाता है। जैसे CH3Cl में -Cl तथा C2H5 OH में –OH क्रियात्मक समूह है।

प्रश्न 35.
एलकेन, एलकीन तथा एलकाइन के सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर-
एलकेन का सामान्य सूत्र : Cn H2n+2
एलकीन का सामान्य सूत्र : CnH2n
एलकाइन का सामान्य सूत्र : CnH2n-2
जहाँ n यौगिक में कार्बन के परमाणुओं की संख्या है।

प्रश्न 36.
ब्यूटेन के समावयवों का चित्रण करें।
उत्तर-
ब्यूटेन के दो समावयव हैं :
(i) n – ब्यूटेन तथा
(ii) आइसो-ब्यूटेन

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 54
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 55

प्रश्न 37.
एल्कोहॉल समजातीय श्रेणी के प्रथम चार समजात लिखिए।
उत्तर-
CH3OH, C2H5OH, C3HOH, C4H9OH

प्रश्न 38.
उत्प्रेरक क्या है ?
उत्तर-
उत्प्रेरक-वे पदार्थ जो किसी अभिक्रिया के होने की दर बढ़ाने के लिए कारक होता है परंतु इनकी स्वयं की उपस्थिति से स्वयं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 39.
विकृतित स्पिरिट या ऐल्कोहॉल क्या है ?
उत्तर-
विषाक्त रसायन जैसे मैथेनॉल या ऐसीटोन या पिरीडीन या कॉपर सल्फेट मिले हुए एथेनॉल को विकृतित स्पिरिट अथवा ऐल्कोहॉल कहते हैं। यह पीने योग्य नहीं होता है।

प्रश्न 40.
हाइड्रोजन का परमाणु क्रमांक क्या है ?
उत्तर-
एक।

प्रश्न 41.
सिरके में उपस्थित कार्बनिक अम्ल का नाम व रासायनिक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
एथेनॉइक अम्ल (CH3COOH)।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एसिटिक अम्ल की एल्कोहल के साथ क्रिया को कहते हैं
(a) विकार्बोक्सिलकरण
(b) बहुलीकरण
(c) साबुनीकरण
(d) एस्टरीकरण।
उत्तर-
(d) एस्टरीकरण।

प्रश्न 2.
एसिटिक एसिड में कितने प्रतिशत जल सिरका कहलाता है ?
(a) 5% – 8%
(b) 15% – 20%
(c) 21% – 29%
(d) 30% – 40%.
उत्तर-
(a) 5% – 8%.

प्रश्न 3.
कार्बोक्सिलिक अम्लों में क्रियात्मक समूह होता है –
(a) –CHO
(b) – CH2OH
(c) –COOH
(d) –OH.
उत्तर-
(c) – COOH.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 4.
एथेनॉइक अम्ल का सूत्र है –
(a) C2H5OH
(b) CH3COCH3
(c) CH3COOH
(d) C2H5COOH.
उत्तर-
(d) C2H5COOH.

प्रश्न 5. ऐल्काइन का सामान्य सूत्र है –
(a) CnH2n – 2
(b) CnH2n + 2
(c) CnH2n
(d) Cn + 22n.
उत्तर-
(a) CnH2n – 2

प्रश्न 6.
प्रोपेनोन में क्रियात्मक समूह है –
(a) –OH
(6) CHO
(c) C = O
(d) -COOH.
उत्तर-
(c) C = O.

प्रश्न 7.
जल की कठोरता के लिए कौन-से आयन उत्तरदायी होते हैं ?
(a) Ca2+ आयन
(b) Mg2+ आयन
(c) Ca2+ और Mg2+ आयन
(d) Ca + 2 और Mg2+ आयन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) Ca2+ और Mg2+ आयन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) परमाणु या परमाणुओं का समूह जो किसी ऐल्किल मूलक के साथ जुड़कर उस पदार्थ के विशिष्ट व्यवहार को दर्शाता है, उसे ………………………. कहते हैं।
उत्तर-
क्रियात्मक समूह

(ii) एल्कोहल प्रबल आक्सीकारकों की उपस्थिति में ऑक्सीकरण होने पर …………………….. बनता है।
उत्तर-
कार्बोक्सिलिक अम्ल

(iii) ……………………. का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है।
उत्तर-
एथेनॉल

(iv) जलरहित शुद्ध एथेनॉइक अम्ल ………………………….. अम्ल कहलाता है।
उत्तर-
ग्लैशल ऐसीटिक

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

(v) …………………… विघटित न होने के कारण मानव जीवन तथा पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।
उत्तर-
पॉलीथीन।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

प्रश्न 1.
आकृति (i) और (ii) में DE || BC है।
(i) में, EC और
(ii) में AD ज्ञात कीजिए :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 1

हल :
(i) ∆ABC में, DE || BC …………..(दिया है)

∴ \(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{BD}}=\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}\)

[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय का प्रयोग करने पर]

\(\frac{1.5}{3}=\frac{1}{\mathrm{EC}}\)

EC = \(\frac{3}{1.5}\)

EC = \(\frac{3 \times 10}{15}\) = 2 cm
∴ EC = 2 cm.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

(ii) ∆ABC में,
DE || BC ……………(दिया है)

∴ \(\frac{A D}{B D}=\frac{A E}{E C}\)

[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय का प्रयोग करने पर]

\(\frac{\mathrm{AD}}{7.2}=\frac{1.8}{5.4}\)

AD = \(\frac{1.8 \times 7.2}{5.4}\)

= \(\frac{1.8}{10} \times \frac{72}{10} \times \frac{10}{54}\)

= \(\frac{24}{10}\)

AD = 2.4

∴ AD = 2.4 cm.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 2.
किसी APQR की भुजाओं PQ और PR पर क्रमशः बिंदु E और F स्थित हैं। निम्नलिखित में से प्रत्येक स्थिति के लिए, बताइए कि क्या EF || QR है:
(i) PE = 3.9 cm, EQ = 3 cm, PF = 3.6 cm और FR = 2.4 cm

(ii) PE = 4 cm, QE = 4.5 cm, PF = 8 cm और RF = 9 cm.

(iii) PQ = 1.28 cm, PR=3D 2.56 cm, PE = 0.18 cm और PF = 0.36 cm.

हल :
∆PQR में दो बिंदु क्रमशः E और F भुजाओं PQ और PR पर स्थित हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 2

(i) PE = 3.9 cm, EQ = 3 cm, PF = 3.6 cm, FR = 2.4 cm

\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{3.9}{3}=\frac{39}{30}=\frac{13}{10}\) = 1.3

\(\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}=\frac{3.6}{2.4}=\frac{36}{24}=\frac{3}{2}\) = 1.5

\(\frac{P E}{E Q} \neq \frac{P F}{F R}\)

∴ EF, QR के समांतर नहीं है। .

(ii) PE = 4 cm, QE = 4.5 cm, PF = 8 cm, RF = 9 cm.

\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{QE}}=\frac{4}{4.5}=\frac{40}{45}=\frac{8}{9}\) ……………(1)

\(\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{RF}}=\frac{8}{9}\) ……………(2)

(1) और (2) से,

\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{QE}}=\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{RF}}\)

∴ आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम से EF || QR.

(iii) PQ = 1.28 cm, PR = 2.56 cm, PE = 0.18 cm, PF = 0.36 cm.
EQ = PQ – PE = 1.28 – 0.18 = 1.10 cm
ER = PR – PF = 2.56-0.36 = 2.20 cm

यहा \(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{0.18}{1.10}=\frac{18}{110}=\frac{9}{55}\) …………….(1)

और \(\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}=\frac{0.36}{2.20}=\frac{36}{220}=\frac{9}{55}\) …………..(2)

(1) और (2) से

\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}\)

∴ आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम से EF || QR.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 3.
आकृति में यदि LM || CB और LN || CD हो, तो सिद्ध कीजिए कि है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 3

हल:
∆ABC में, LM || CB (दिया है)

∴ \(\frac{\mathrm{AM}}{\mathrm{MB}}=\frac{\mathrm{AL}}{\mathrm{LC}}\) ………….(1)

(आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से)
पुन: ∆ACD में,
LN || CD (दिया है)

∴ \(\frac{A N}{N D}=\frac{A L}{L C}\) ……………..(2) (आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से)

(1) और (2) से,

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 4

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 4.
आकृति में DE || AC और DF || AE है। सिद्ध कीजिए कि \(\frac{\mathbf{B F}}{\mathbf{F E}}=\frac{\mathbf{B E}}{\mathbf{E C}}\) है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 5

हल :
∆ABE में,
DE || AC (दिया है)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 6

∴ \(\frac{\mathrm{BD}}{\mathrm{DA}}=\frac{\mathrm{BE}}{\mathrm{EC}}\) …………….(1)

[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से]

∆ABE में, DF || AE

\(\frac{\mathrm{BD}}{\mathrm{DA}}=\frac{\mathrm{BF}}{\mathrm{EF}}\) …………..(2)

[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से]
(1) और (2) से,

\(\frac{\mathrm{BE}}{\mathrm{EC}}=\frac{\mathrm{BF}}{\mathrm{FE}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 5.
आकृति में DE || 0Q और DF || OR है। दर्शाइए कि EF || QR है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 7

हल :
दिया है : ∆PQR में, DE || OQ, DF || QR.
सिद्ध करना है : EF || QR.
उपपत्ति : APQO में, ED || QO (दिया है)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 8

∴ \(\frac{\mathrm{PD}}{\mathrm{DO}}=\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{EQ}}\) …………..(1)
[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से]

पुन: ∆POR में, DF || OR (दिया है)

∴ \(\frac{\mathrm{PD}}{\mathrm{DO}}=\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{FR}}\) ……………..(2)
[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से]
(1) और (2) में,

\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}\)

∆PQR में, आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम से,
EF || QR.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 6.
आकृति में क्रमशः OP, OQ और OR पर स्थित बिंदु A, B और C इस प्रकार हैं कि AB || PQ और AC || PR है। दर्शाइए कि BC || QR है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 9

हल :
दिया है : ∆PQR में बिंदु A, B और C क्रमशः OP, OQ और OR पर इस प्रकार स्थित हैं कि AB || PQ, AC || PR

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 10

सिद्ध करना है : BC || QR.
उपपत्ति : ∆OPQ में, AB || PQ (दिया है)

∴ \(\frac{\mathrm{OA}}{\mathrm{AP}}=\frac{\mathrm{OB}}{\mathrm{BQ}}\) …………..(1)

[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से
पुनः ∆OPR में, AC || PR (दिया है)

∴ \(\frac{\mathrm{OA}}{\mathrm{AP}}=\frac{\mathrm{OC}}{\mathrm{CR}}\) ……………(2)

[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से]
(1) और (2) से,

\(\frac{\mathrm{OB}}{\mathrm{BQ}}=\frac{\mathrm{OC}}{\mathrm{CR}}\)

∴ आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम से. ∆OQR में BC || QR है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 7.
प्रमेय 6.1 का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि एक त्रिभुज की एक भुजा के मध्य-बिंदु से होकर दूसरी भुजा के समांतर खींची गई रेखा तीसरी भुजा को समद्विभाजित करती है।(याद कीजिए कि आप इसे IX में सिद्ध कर चुके हैं।)
हल :
दिया है : ∆ABC में, D, AB का मध्य बिंदु है अर्थात् AD = DB है।
BC के समांतर रेखा AC को E पर प्रतिच्छेद करती है जैसा कि आकृति में दिखाया गया है अर्थात् DE || BC है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 11

सिद्ध करना है : E, AC का मध्य-बिन्दु है।
उपपत्ति : D, AB का मध्य-बिन्दु है।
अर्थात् AD = DB (दिया है)

\(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{BD}}\) ……………..(1)

पुन: ∆ABC में, DE || BC
∴ \(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{DB}}=\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}\)
[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से]

1 = \(\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}\) [(1) से]

∴ AE = EC
∴ E, AC का मध्य-बिंदु है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 8.
प्रमेय 6.2 का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि एक त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं के मध्य-बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा तीसरी भुजा के समांतर होती है (याद कीजिए कि आप कक्षा IX में ऐसा कर चुके हैं)।
हल :
दिया है : ∆ABC में, D और E क्रमश: AB और AC के मध्य-बिंदु हैं जिससे कि AD = BD और AE = EC हैं। D और E को मिलाया गया है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 12

सिद्ध करना है : DE || BC
उपपत्ति: D, AB का मध्य बिंदु है।
अर्थात् AD = BD

\(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{BD}}\) = 1 …………..(1)

E, AC का मध्य बिंदु है। (दिया है)

∴ AE = EC

\(\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}\) = 1 ………….(2)

(1) और (2) से

\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BD}}=\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}\)

आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम के प्रयोग से, DE || BC।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 9.
ABCD एक समलंब है जिसमें AB || DC है तथा इसके विकर्ण परस्पर बिंदु O पर प्रतिच्छेद करते है। दर्शनीय कि \(\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{DO}}\) है।

हल :
दिया है : ABCD एक समलंब है जिसमें AB || DC है। विकर्ण AC तथा BD परस्पर बिंदु पर प्रतिच्छेद करते हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 13

सिद्ध करना है: \(\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{DO}}\)

रचना : O में से FO || DC || AB खींचिए।
उपपत्ति : ∆DAB में,
FO || AB (रचना)

∴ \(\frac{D F}{F A}=\frac{D O}{B O}\) ……………(1)

[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के प्रयोग से]

पुन: ∆DCA में, FO || DC (रचना)

\(\frac{\mathrm{DF}}{\mathrm{FA}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{AO}}\) …………..(2)
[आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के प्रयोग से]

(1) और (2) से

\(\frac{\mathrm{DO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{AO}}\)

⇒ \(\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{DO}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 width=

प्रश्न 10.
एक चतुर्भुज ABCD के विकर्ण परस्पर बिंदु O पर प्रतिच्छेद करते हैं कि \(\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{DO}}\) है। दर्शाइए कि ABCD एक समलंब है।
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD में विकर्ण AC और BD परस्पर बिंदु 0 पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि \(\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{DO}}\)

सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक समलंब है।
रचना : ‘O’ में से रेखा EO || AB खींचिए, जो AD को E पर मिलती है।

उपपत्ति : ∆DAB में,
EO || AB
∴ \(\frac{\mathrm{DE}}{\mathrm{EA}}=\frac{\mathrm{DO}}{\mathrm{OB}}\) ………..(1)

[आधारभूत समानुपातता प्रमेय के प्रयोग से]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 14

(1) और (2) से,

\(\frac{\mathrm{DE}}{\mathrm{EA}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{AO}}\)

∴ आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के प्रयोग से EO || DC
EO || AB
साथ ही, AB || DC
∴ चतुर्भुज ABCD एक समलंब है जिसमें AB || CD.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धातुओं के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्मों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
धातुओं के भौतिक गुणधर्म-

  • धात्विक चमक-शुद्ध धातुओं की सतहें चमकीली होती है। इस गुणधर्म को धात्विक चमक (metallic lustre) कहते हैं ; जैसे-सोने में पीले रंग की, ताँबे में लाल-भूरे रंग की, एल्यूमीनियम में सफेद रंग की चमक होती है।
  • कठोरता-धातुएँ सामान्यतः कठोर होती हैं। विभिन्न धातुओं की कठोरता भिन्न-भिन्न होती है। कॉपर (ताँबा), आयरन (लोहा), एल्यूमिनियम अत्यंत कठोर धातुएँ हैं, जबकि सोडियम, पोटैशियम मृदु धातुएँ हैं।
  • आघातवर्ध्यता- जो धातुएँ हथौड़े द्वारा पीट-पीट कर पतली चादरों में परिवर्तित हो जाती हैं आघातवर्धनीय कहलाती हैं। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता (malleability) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक आघातवर्धनीय धातुएँ हैं।
  • तन्यता- वे धातुएँ जिनसे अत्यंत पतले तार खींचे जा सकते हैं, तन्य कहलाती हैं तथा इस गुणधर्म को तन्यता (ductility) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक तन्य धातुएँ हैं।
  • उष्मीय चालकता-धातुएँ सामान्यतः ऊष्मा की सुचालक होती हैं। चाँदी ऊष्मा की सर्वश्रेष्ठ सुचालक है। अन्य धातुएँ जो ऊष्मा की सुचालक हैं के उदाहरण कॉपर, एल्यूमीनियम आदि हैं।
  • वैद्युत् चालकता-धातुएँ विद्युत् की सुचालक होती हैं। सिल्वर, कॉपर आदि विद्युत् की सुचालक हैं।

धातुओं के रासायनिक गुणधर्म
1. धातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-सभी धातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके धात्विक ऑक्साइड बनाती हैं। क्योंकि सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न है। इसलिए वे अलग-अलग ताप पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
(i) सामान्य ताप पर Na तथा K ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड बनाते हैं जो पानी में घुलने पर हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।
4Na (s) + O2 (g) → 2Na2O (s)
Na2O (s) + H2O → 2NaOH (aq)

(ii) मैग्नीशियम रिबन वायु में जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 1

(iii) तांबा तथा लोहा शुष्क वायु में उच्च तापक्रम पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 2
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 3

2. धातुओं की तनु अम्लों से अभिक्रिया-धातुएं तनु अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। विभिन्न धातुओं अम्लों के साथ अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है।

(i) Na, K, Zn, Mg, Fe आदि अवरोही क्रम में अभिक्रियाशील हैं।
2Na + 2HCl → 2NaCl + H2
Mg + 2HCl → MgCl2+ H2
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2

(ii) तनु नाइट्रिक अम्ल Cu, Ag, Pb, Hg धातुओं के साथ क्रिया करके NO (नाइट्रोजन ऑक्साइड) बनाता
3Cu + 8HNO3 → 3Cu (NO3)2 + 2NO + 4H2O
3Ag + 4HNO3 → 3AgNO3 + NO + 2H2O

(iii) Mg तथा Mn के साथ तनु नाइट्रिक अम्ल हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
Mg + 2HNO3 → Mg(NO3)2 + H2

(iv) सोना तथा प्लाटीनम तनु अम्ल से अभिक्रिया नहीं करते।

3. धातुओं की क्लोरीन से अभिक्रिया-धातुएं, क्लोरीन से संयोग करके अपने क्लोराइड बनाती हैं।
Ca + Cl2 → CaCl2

4. धातुओं की हाइड्रोजन से अभिक्रिया-क्रियाशील धातुएं Na, K, Ca आदि हाइड्रोजन से संयोग करके अपने हाइड्राइड बनाती हैं।
2Na + H2 → 2NaH (सोडियम हाइड्राइड)
Ca + H2 → CaH2 (कैल्शियम हाइड्राइड)

5. धातुओं की पानी से अभिक्रिया –
(i) जब पानी सामान्य ताप पर हो तो Na, K, Ca आदि क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 4
(ii) जब पानी उबलता हो तो Mg, Zn, Fe अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं।
Mg + H2O → MgO + H2
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 2.
अधातुओं के भौतिक तथा रासायनिक गुण लिखो।
उत्तर-
अधातुओं के भौतिक गुण-
(i) भौतिक अवस्था-अधातुएं सामान्य तापमान पर प्राय: गैसीय अवस्था में या फिर ऐसे द्रव या ठोस रूप में होती हैं, जो निम्न तापमान पर ही वाष्पों में परिवर्तित हो जाते हैं।
(ii) धात्वीय चमक-अधातुओं की कोई चमक नहीं होती, किंतु आयोडीन थोड़ी सी धात्वीय चमक रखता है।
(ii) अधातुएं न ही आघातवीय हैं, न ही तन्य।
(iv) चालकता-धातुएं बिजली एवं ताप की कुचालक होती हैं। ग्रेफाइट ही एक ऐसी अधातु है, जो बिजली एवं ताप की सुचालक है।
(v) कठोरता-अधातुएं प्राय: नर्म होती हैं, किंतु हीरा अधातु होते हुए भी कठोरतम पदार्थ है।

अधातुओं के रासायनिक गुण –
(i) कार्बन की ऑक्सीजन से क्रिया-अधातुएं ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 5
कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड का स्वभाव अम्लीय है। कार्बन डाइऑक्साइड पानी के साथ क्रिया करके कार्बोनिक अम्ल बनाती है।
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(ii) नाइट्रोजन और सल्फर की हाइड्रोजन के साथ क्रिया-हाइड्रोजन अनुकूल परिस्थितियों में नाइट्रोजन के साथ क्रिया करके अमोनिया बनाती है, जबकि सल्फर के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन सल्फाइड बनाती है।
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(iii) सल्फर और हाइड्रोजन की ऑक्सीजन के साथ क्रिया-सल्फर ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलकर क्रिया करके सल्फर डाइऑक्साइड बनाता है। हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके पानी बनाता है।
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(iv) फॉस्फोरस के साथ क्लोरीन की क्रिया-फॉस्फोरस क्लोरीन के साथ क्रिया करके फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड बनाती है।
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प्रश्न 3.
धात्विकी क्या है ? इस प्रक्रम में प्रयुक्त पदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
अथवा
अयस्क से धातु-निष्कर्षण में प्रयुक्त चरणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
धात्विकी- अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण और बाद में उनको परिष्कृत करके उपयोग में लाए जाने योग्य बनाने के प्रक्रम को धात्विकी (metallurgy) कहते हैं।
धात्विकी प्रक्रम में प्रयुक्त पद-धात्विकी प्रक्रम में मुख्यतः तीन पद होते हैं-
(I) अयस्क की समृद्धि,
(II) अपचयन तथा
(III) धातुओं का शुद्धिकरण।

I. अयस्क की समृद्धि
भू-खनन से प्राप्त अयस्कों में मिट्टी, बालू, चट्टानी पदार्थ आदि अशुद्धियाँ होती हैं जिन्हें गैंग कहते हैं। अयस्क से धातु के निष्कर्षण से पहले इन अशुद्धियों को हटाना आवश्यक होता है। अयस्क से गैंग हटाने की प्रक्रिया सांद्रण कहलाती है जो उनके भौतिक रासायनिक गुणधर्मों से भिन्नता पर आधारित होती है।

इसके लिए कई विधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं जो निम्नलिखित हैं-
1. चंबकीय विधि-यह विधि चुंबकीय कणों (आयरन, कोबाल्ट, निक्कल) की अशुदधियों को अलग करने के लिए अपनाई जाती है। जो खनिज चुंबकीय प्रकृति के होते हैं वे चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं जबकि गैंग आदि आकर्षित नहीं होते। क्रोमाइट तथा पाइरोल्युसाइट अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किए जाते हैं। इस विधि में पीसे हुए अयस्क को एक कन्वेयर बैल्ट के ऊपर रखते हैं। कन्वेयर बैल्ट दो रोलरों के ऊपर से गुज़रती है जिनमें से एक चुंबकीय होता है। जब अयस्क चुंबकीय किनारे पर से नीचे आता है तो चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थ दो अलग अलग ढेरों में एकत्रित हो जाते हैं। लोहे के अयस्क मैग्नेटाइट का सांद्रण इसी विधि द्वारा किया जाता है।
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2. द्रवचालित धुलाई-इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को पानी की तेज़ धारा में धोया जाता है। इस तेज़ धारा में गैंग हल्के कण बह जाते हैं जबकि भारी खनिज कण तली में बैठ जाते हैं। टिन और लैड के अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किये जाते हैं।

(iii) फैन प्लवन विधि-इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को जल एवं किसी उपयुक्त तेल के साथ एक बड़े टैंक में मिलाया जाता है। खनिज कण पहले से तेल से भीग जाते हैं जबकि गैंग के कण पानी से भीग जाते हैं। अब इस मिश्रण में से दबाव अधीन वायु प्रवाहित की जाती है जिससे खनिज कण युक्त तेल के झाग या फैन बन जाते हैं जो जल की सतह पर तैरने लगते हैं जिन्हें बड़ी सरलता से जल के ऊपर से निकाला जा सकता है। तांबा, सीसा तथा जिंक के सल्फाइडों के सांद्रण के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

II. अपचयन
1. रासायनिक पृथक्करण (Chemical Separation)रासायनिक पृथक्करण में खनिज तथा गैंग के मध्य रासायनिक गुणों के अंतर का उपयोग किया जाता है। इसकी एक मुख्य विधि है-बेयर की विधि जिस द्वारा बॉक्साइट से एल्यूमीनियम ऑक्साइड प्राप्त किया जाता है। बेयर विधि द्वारा एल्यूमीनियम अयस्क का सांद्रण-इस विधि में बॉक्साइट को गर्म सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अपचयित किया जाता है जो जल में घुलनशील है। गैंग को छान कर अलग कर दिया जाता है। एल्यूमीनियम का अवक्षेपण एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड के रूप में प्राप्त होता है जिसके बाद एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड को गर्म करके शुद्ध एल्यूमीनियम ऑक्साइड प्राप्त लिया जाता है। विभिन्न अभिक्रिया निम्नलिखित प्रकार से है-
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2. सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में बदलना भर्जन- इस क्रिया में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म करके धातु ऑक्साइड प्राप्त करते हैं, जो आसानी से अपचयित होकर धातु को अलग कर देता है। जिंक ब्लेंडी में जिंक सल्फाइड होता है। जब सांद्रित जिंक ब्लैंड अयस्क (जिंक सल्फाइड) को वायु में भर्जित किया जाता है तो वह ऑक्सीकृत होकर जिंक ऑक्साइड बना देता है।
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निस्तापन- इस क्रिया में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करके नमी तथा वाष्पशील अशुद्धियों को . अलग कर देते हैं। जब किसी कार्बोनेट अयस्क को गर्म किया जाता है, तो वह विघटित होकर धातु ऑक्साइड बना देता है।
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3. धातु ऑक्साइड से धातु प्राप्त करना-धातु ऑक्साइडों से धातु प्राप्त करने के लिए उन्हें किसी अपचायक के साथ गर्म करते हैं। ज़िंक, लोहा, टिन तथा निकल जैसी धातुओं के ऑक्साइडों का अपचयन करके धातुएँ प्राप्त करने के लिए कार्बन का अपचायक के रूप में उपयोग किया जाता है।
ZnO(s) + C(s) → Zn(s) + CO(g)
मध्यम अभिक्रियाशीलता वाली धातुओं के ऑक्साइडों का अपचयन करने के लिए सोडियम, कैल्शियम तथा एल्यूमीनियम जैसी अभिक्रियाशील धातुएँ भी अपचायक के रूप में उपयोग की जा सकती हैं।
3MnO2(s) + 4Al(s) → 3Mn (1) + 2Al2O3(s) + ऊष्मा

III. धातुओं का शुद्धिकरण धात्वीय ऑक्साइडों के अपचयन के बाद प्राप्त हुई धातुओं में कई प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं। इसलिए शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए इन अशुद्धियों को अलग करना बहुत ज़रूरी होता है। शुद्धिकरण के लिए अपनाई जाने वाली विधि अशुद्धियों और धातु के गुणों पर निर्भर करती है।

कुछ विधियों का विवरण नीचे दिया गया है –
1. आसवन विधि-कम उबाल दर्जे वाली धातुओं को इस विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है। जिंक, कैल्शियम और मरकरी जैसी धातुएं शीघ्र वाष्प के रूप में बन जाती हैं इसलिए उन्हें आसवन विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।

2. गलनिक पृथक्करण-इस प्रक्रिया में ढलान युक्त भट्ठी का उपयोग किया जाता है। भट्ठी का ताप धातु के गलनांक से कुछ अधिक रखा जाता है। अशुद्ध धातु को भट्ठी के सबसे ऊपरी सिरे पर रखा जाता है। गर्म करने पर धातु तो पिघल कर नीचे की ओर बह जाती है जबकि ठोस अशुद्धियां वहीं रह जाती हैं। इस विधि द्वारा टिन, सीसा तथा बिस्मथ का परिष्करण किया जाता है।’

3. विद्युतीय शुद्धिकरण-धातुओं का परिष्करण धातुओं का शुद्धिकरण कहलाता है। तांबा, टिन, सीसा, सोना, जिंक, क्रोमियम तथा निक्कल जैसी शुद्ध धातु एनोड कैथोड की पट्टी को कैथोड तथा अशुद्ध धातु की पट्टी को एनोड के रूप में लिया जाता है। वैद्युत् अपघटय के अशुद्ध तांबे रूप में धातु का कोई लवण लिया जाता है।

‘जब  की छड़ विदयुत् अपघटन सेल में से धारा प्रवाहित करते हैं तो धातु कैथोड पर जमा हो जाता है तथा एनोड पर स्थित अन्य अभिक्रियाशील धातुएं अपघट्य के घोल में पहुंच शुद्ध तांबे की छड़ कॉपर सल्फेट जाती हैं। कम अभिक्रियाशील धातुएं जैसे सोना तथा चांदी विद्युत् अपघटनी सेल की तली में गिर जाती हैं, चित्र-धातुओं के शदधिकरण के लिए विदयुत अपघटन जिन्हें प्राप्त कर लिया जाता है।
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यदि तांबे को परिष्कृत करना हो तो विद्युत्-अपघटय के रूप में कॉपर सल्फेट का अम्लीकृत घोल किया जाता है तथा सैल में होने वाली अभिक्रियाएं निम्नलिखित होती हैं।
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प्रश्न 4.
धातुओं एवं अधातुओं के बीच कैसे विभेद करेंगे ?
उत्तर-
धातुओं और अधातुओं के गुणों में विभेद
भौतिक गुणों में विभेद

धातुएं (Metals) अधातुएं (Non-Metals)
(1) धातुएं सामान्य ताप पर ठोस होती हैं परंतु केवल पारा सामान्य ताप पर तरल अवस्था में होता है। (1) अधातुएं सामान्य ताप पर तीनों अवस्थाओं में पाई जाती हैं। फॉस्फोरस और सल्फर ठोस रूप में, H2, O2, N2
गैसीय रूप में तथा ब्रोमीन तरल रूप में होती हैं।
(2) धातुएं तन्य तथा आघातवर्ध्य तथा लगिष्णु होती हैं। (2) वे प्रायः भंगुर होती हैं।
(3) धातुएं प्राय: चमकदार होती हैं अर्थात् उनमें धात्विक चमक होती है। (3) अधातुओं में धात्विक चमक नहीं होती परंतु हीरा, ग्रेफाइट तथा आयोडीन इसके अपवाद हैं।
(4) धातुएं ऊष्मा तथा विद्युत् की सुचालक होती हैं परंतु बिस्मथ इसका अपवाद है। (4) ग्रेफाइट और गैस कार्बन को छोड़कर सभी अधातुएं कुचालक हैं।
(5) धातुओं के गलनांक तर्थो क्वथनांक अत्यधिक होते (5) अधातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं।
(6)  धातुएं अधिकांशतः कठोर होती हैं परंतु सोडियम तथा पोटाशियम चाकू से काटी जा सकती हैं। (6) इनकी कठोरता भिन्न-भिन्न होती हैं। हीरा सब पदार्थों से कठोरतम है।
(7) धातुओं का आपेक्षिक घनत्व अधिक होता है परंतु Na, K इसके अपवाद हैं। (7) अधातुओं का आपेक्षिक ताप प्रायः कम होता है।
(8) धातुएं अपारदर्शक होती हैं। (8) गैसीय अधातुएं पारदर्शक हैं।

रासायनिक गुणों में विभेद

धातुएं (Metals) अधातुएं (Non-Metals)
(1) धातुएं क्षारीय ऑक्साइड बनाती हैं जिसमें से हैं। (1) अधातुएं अम्लीय तथा उदासीन ऑक्साइड बनाती कुछ क्षार बनाती हैं।
(2) धातुएं अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस पुनः स्थापित करती हैं तथा अनुरूप लवण बनाती हैं। (2) अधातुएं अम्लों में से हाइड्रोजन गैस को पुनः स्थापित नहीं करती हैं।
(3) धातुएं धनात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं। (3) अधातुएं ऋणात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं।
(4) धातुएं क्लोरीन से संयोग करके क्लोराइड बनाती हैं जो वैद्युत् संयोजक होते हैं। (4) अधातुएं क्लोरीन से संयोग कर क्लोराइड बनाती हैं परंतु वे सहसंयोजक होते हैं।
(5) कुछ धातुएं हाइड्रोजन से संयोग करके हाइड्रोक्साइड बनाती हैं जो विद्युत् संयोजक होते हैं। (5) अधातुएं हाइड्रोजन के साथ अनेक स्थाई हाइड्राइड बनाती हैं जो सहसंयोजक होते हैं।
(6) धातुएं अपचायक हैं। (6) अधातुएं ऑक्सीकारक हैं।
(7) धातुएं जलीय विलयन में धनायन बनाती हैं। (7) अधातुएं जलीय विलयन में ऋणायन बनाती हैं।

प्रश्न 5.
संक्षरण से क्या भाव है ? धातुओं के संक्षारण से बचाने के लिए आप क्या करोगे ? (मॉडल पेपर)
उत्तर-
संक्षरण-अयस्क से प्राप्त धातु काफ़ी शुद्ध होती है तथा देखने में सुंदर दिखती है। प्रकृति इसे पुनः उसी रूप में परिवर्तित करने का यत्न करती है। जिस रूप में उसे प्राप्त किया जाता है।

धात्वीय सतह पर वातावरण की गैसें आदि की क्रिया से धात्वीय ऑक्साइड, सल्फाइड, कार्बोनेट और सल्फेट बनते हैं। इस तरह धातु धीरे-धीरे क्षरित होती रहती है। धातुओं के इस प्राकृतिक क्षरण को संक्षरण कहते हैं। आयरन के संक्षरण को जंग लगना भी कहते हैं। जंग लगना एक गंभीर आर्थिक समस्या है। जंग लाल भूरे रंग का एक पाऊडर होता है जो जलीय आयरन ऑक्साइड (Fe2O. xH2O) के रूप में होता है। लोहे को जंग लगने के लिए जल और ऑक्सीजन की उपस्थिति आवश्यकता होती है।
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संक्षरण की रोकथाम के उपाय

  • धातुओं को नमी (आर्द्रता) से बचा कर रखना चाहिए।
  • धातुओं की ऊपरी सतह पर पेंट कर देना चाहिए ताकि इसकी सतह का ऑक्सीजन तथा नमी से संपर्क टूट जाए।
  • धातु की सतह पर ग्रीस या तेल लगाना चाहिए।
  • धातु पर किसी अन्य संक्षारण-रोधी धातु की परत चढ़ा देनी चाहिए।
  • धातु को पिघले हुए ज़िंक में डुबो कर बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे इस पर जिंक की परत जम जाए अर्थात् गैल्वनीकरण कर देना चाहिए।

प्रश्न 6.
लोहे का जंग लगने की क्रिया का विवरण दो और इससे बचाव के कोई दो ढंग बताओ।
अथवा
लोहे को जंग से बचाने (rusting of iron) के लिए किन्हीं पांच ढंगों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
अथवा
जंग लगना क्या है ? लोहे को जंग लगने से रोकने के लिए दो उपाय बताओ।
उत्तर-
लोहे का जंग लगना (Rusting of Iron)- यह क्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है –
(i) आयरन इलैक्ट्रॉन खो देने पर फैरस आयन बनाता है।
Fe + 2e → Fe2+
(ii) ये फैरस आयन ऑक्सीजन और जल के साथ क्रिया करके फैरिक ऑक्साइड की परत बनाते हैं तथा 8 हाइड्रोजन आयन मुक्त होते हैं।
4Fe2+ + O2 + 4H2O → 2Fe2O3 + 8H+ फैरिक ऑक्साइड

(iii) फैरिक ऑक्साइड जलयोजित (hydrate) होकर जंग बनाता है।
Fe2O3 + x H2O → Fe2O3. x H2Oजलयोजित फैरिक ऑक्साइड

(iv) हाइड्रोजन के आयन इलैक्ट्रॉन प्राप्त करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
8H+ + 8e → 4H2

जंग न चिपकने वाला एक यौगिक है। यह परत के बाद दूसरी परत बनकर उड़ता रहता है। इस तरह जंग की एक परत उड़ने के बाद लोहे की मुक्त हुई परत पर फिर जंग लगने लगता है। इस तरह पूरा लोहा जंग से प्रभावित होकर नष्ट हो जाता है। जंग लगने की रोकथाम-संक्षरण एक आर्थिक समस्या है। मानवीय जीवन के लिए जंग लगना बहुत हानिकारक है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित विधियाँ हैं-

  • पेंट करना-लोहे की वस्तुओं को पेंट करके या ग्रीस लगाकर जंग लगने से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से लोहे की सतह का वातावरण की ऑक्सीजन से संपर्क टूट जाता है।
  • धात्वीय परत चढ़ाना-लोहे की अपेक्षा अधिक सरलता से इलेक्ट्रॉन प्रदान करने वाली धातु की परत चढ़ाकर जंग लगने से रोका जा सकता है। उदाहरणस्वरूप जिंक धातु लोहे की अपेक्षा सरलता से इलेक्ट्रॉन मुक्त करती है। अतः लोहे की वस्तुओं पर जिंक की परत का लेप करके उन्हें जंग लगने से बचाया जा सकता है। इस क्रिया को जिस्तीकरण या गैल्वनीकरण (Galvanisation) कहते हैं।
  • विदयतीय धारा दवारा बचाव-जंग लगते समय बनने वाले फैरस आयनों (Fe2+) को विदयुतीय धारा की सहायता से उदासीन किया जाता है। ऐसा करने के लिए जिस वस्तु को जंग से बचाना हो, उसे कैथोड से जोड़ कर विद्युतीय धारा गुज़ारी जाती है।
  • जंगरोधी घोलों का उपयोग करके-फॉस्फेट और क्रोमेट के क्षारकीय विलयन जंग रोधी होते हैं। क्षारक की उपस्थिति के कारण आयन बनते हैं और ये आयन वस्तु का ऑक्सीकरण नहीं होने देते और इस तरह वस्तु ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आती। यह विलयन रेडीएटरों तथा इंजन के पुों को जंग लगने से बचाने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
  • निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिश्रण बनाकर-जब लोहे को निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिलाकर मिश्रित धातु तैयार की जाती है तो (Fe = 73%, Cr= 18%, Ni = 8%) स्टेनलेस स्टील बन जाता है। स्टेनलेस स्टील जंगरोधी होता है। इस प्रकार लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 7.
आयनिक यौगिकों के सामान्य गुणधर्मों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आयनिक यौगिकों के सामान्य गुणधर्म ये निम्नलिखित हैं-

  • भौतिक प्रकृति-धनात्मक एवं ऋणात्मक आयनों के बीच दृढ़ आकर्षण बल के कारण आयनिक यौगिक ठोस होते हैं। ये यौगिक प्रायः भंगुर होते हैं तथा दबाव देने पर टूट जाते हैं।
  • द्रवनांक और क्वथनांक-आयनिक यौगिकों का द्रवनांक और क्वथनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि इसके मज़बूत अंतर आयनिक आकर्षण को तोड़ने के लिए ऊर्जा की बहुत बड़ी मात्रा की ज़रूरत होती है।
  • विलयशीलता-संयोजक यौगिक प्रायः जल में विलयशील तथा केरोसीन, पेट्रोल आदि जैसे विलायक में अविलयशील होते हैं।
  • विद्युत् चालकता-किसी विलयन से विद्युत् के चालन के लिए आवेशित कणों की गतिशीलता ज़रूरी होती है। आयनिक यौगिकों के जलीय विलयन में आयन विद्यमान होते हैं।

जब विलयन में से विद्युत् गुज़ारी जाती है तो ये आयन विपरीत इलेक्ट्रोड की ओर गति करने लगते हैं। ठोस अवस्था में आयनिक यौगिक विद्युत् का चालन नहीं करते हैं क्योंकि ठोस अवस्था के दृढ़ संरचना के कारण आयनों की गति संभव नहीं होती है परंतु आयनिक यौगिक द्रवित अवस्था में विद्युत् का चालन करते हैं क्योंकि द्रवित अवस्था में विपरीत आवेश वाले आयनों के मध्य विद्युत् स्थैतिक आकर्षण बल, ऊष्मा के कारण काफ़ी शिथिल हो जाता है। इसलिए आयन स्वतंत्र रूप से गमन करते हैं एवं विद्युत् का संवहन करते हैं।

प्रश्न 8.
मिश्र धातु किसे कहते हैं ? इनके बनाने के उद्देश्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
मिश्र धातु (Alloys)- किसी धातु का किसी अन्य धातु या अधातु के साथ मिलाकर बनाया गया समांगी मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है। जैसे टांका में कलई तथा सीसा (लैड) सामान मात्रा में मिलाया जाता है। उदाहरण के लिए स्टेनलेस स्टील, टांका, पीतल, कांसा, बैलमैटल आदि सभी मिश्र धातु हैं।

मिश्र धातुओं के उपयोग-

  • कठोरता बढ़ाने के लिए-लोहे में कार्बन की मात्रा मिला कर स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में तांबा तथा चांदी में सीसा मिलाने से उसकी कठोरता अधिक हो जाती है। ड्यूरेलियम, एल्यूमीनियम से बना एक मिश्र धातु है जो अत्याधिक कठोर होता है।
  • शक्ति बढ़ाने के लिए-इस्पात, ड्यूरेलियम आदि मिश्रधातु कठोर होने के कारण शक्तिशाली भी होते हैं।
  • संक्षारण रोकने के लिए-जैसे स्टनलैस स्टील, लोहे तथा जिंक से बनी मिश्र धातु पर जंग नहीं लगता।
  • ध्वनि उत्पन्न करने के लिए-तांबे तथा कलई से बनाई गई मिश्र धातु बैलमैटल होती है जिससे अधिक ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
  • गलनांक कम करने के लिए-जैसे रोज-मैटल मिश्र धातु है। इसका गलनांक कम होता है। यह बिस्मथ, कलई और सीसे से बनती है।
  • उचित सांचे में ढालने के लिए-कांसा तथा टाइप मैटल।
  • रंग परिवर्तन के लिए-तांबे तथा एल्यूमीनियम से बनी एल्यूमीनियम ब्रांज मिश्रधातु का रंग सुनहरी होता है।
  • घरेलू उपयोग–घरों, कारखानों, दफ्तरों में सभी जगह मिश्रधातुओं का उपयोग होता है जैसे घर के बर्तन, अलमारी, पंखे, फ्रिज, आभूषण आदि में मिश्रधातुओं का उपयोग होता है।

प्रश्न 9.
धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम-सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है। कुछ धातुएं जैसे सोडियम, पोटाशियम तथा कैल्शियम आदि अत्यधिक क्रियाशील हैं। ये धातुएं ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन से अभिक्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं। कुछ धातुएं अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील होती हैं जैसे-लोहा, जिंक आदि परंतु कुछ धातुएं बिलकुल कम क्रियाशील होती हैं जैसे सोना, चांदी। धातुओं की अभिक्रियाशीलता उनके इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। धातुओं को अभिक्रियाशीलता के आधार पर उनकी क्रियाशीलता के घटते क्रम के अनुसार लिखा जाता है जिसे धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम कहते हैं।

अभिक्रियाशीलता क्रम में धातुएं-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 18

प्रश्न 10.
धातुओं के तीन भौतिक तथा दो रासायनिक गुण लिखो। उत्तर-

धातुओं के भौतिक गुणधर्म-

  • धात्विक चमक-शुद्ध धातुओं की सतहें चमकीली होती है। इस गुणधर्म को धात्विक चमक (metallic lustre) कहते हैं ; जैसे-सोने में पीले रंग की, ताँबे में लाल-भूरे रंग की, एल्यूमीनियम में सफेद रंग की चमक होती है।
  • कठोरता-धातुएँ सामान्यतः कठोर होती हैं। विभिन्न धातुओं की कठोरता भिन्न-भिन्न होती है। कॉपर (ताँबा), आयरन (लोहा), एल्यूमिनियम अत्यंत कठोर धातुएँ हैं, जबकि सोडियम, पोटैशियम मृदु धातुएँ हैं।
  • आघातवर्ध्यता- जो धातुएँ हथौड़े द्वारा पीट-पीट कर पतली चादरों में परिवर्तित हो जाती हैं आघातवर्धनीय कहलाती हैं। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता (malleability) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक आघातवर्धनीय धातुएँ हैं।
  • तन्यता- वे धातुएँ जिनसे अत्यंत पतले तार खींचे जा सकते हैं, तन्य कहलाती हैं तथा इस गुणधर्म को तन्यता (ductility) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक तन्य धातुएँ हैं।
  • उष्मीय चालकता-धातुएँ सामान्यतः ऊष्मा की सुचालक होती हैं। चाँदी ऊष्मा की सर्वश्रेष्ठ सुचालक है। अन्य धातुएँ जो ऊष्मा की सुचालक हैं के उदाहरण कॉपर, एल्यूमीनियम आदि हैं।
  • वैद्युत् चालकता-धातुएँ विद्युत् की सुचालक होती हैं। सिल्वर, कॉपर आदि विद्युत् की सुचालक हैं।

धातुओं के रासायनिक गुणधर्म
1. धातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-सभी धातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके धात्विक ऑक्साइड बनाती हैं। क्योंकि सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न है। इसलिए वे अलग-अलग ताप पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
(i) सामान्य ताप पर Na तथा K ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड बनाते हैं जो पानी में घुलने पर हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।
4Na (s) + O2 (g) → 2Na2O (s)
Na2O (s) + H2O → 2NaOH (aq)

(ii) मैग्नीशियम रिबन वायु में जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 1

(iii) तांबा तथा लोहा शुष्क वायु में उच्च तापक्रम पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 2
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 3

2. धातुओं की तनु अम्लों से अभिक्रिया-धातुएं तनु अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। विभिन्न धातुओं अम्लों के साथ अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है।

(i) Na, K, Zn, Mg, Fe आदि अवरोही क्रम में अभिक्रियाशील हैं।
2Na + 2HCl → 2NaCl + H2
Mg + 2HCl → MgCl2+ H2
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2

(ii) तनु नाइट्रिक अम्ल Cu, Ag, Pb, Hg धातुओं के साथ क्रिया करके NO (नाइट्रोजन ऑक्साइड) बनाता
3Cu + 8HNO3 → 3Cu (NO3)2 + 2NO + 4H2O
3Ag + 4HNO3 → 3AgNO3 + NO + 2H2O

(iii) Mg तथा Mn के साथ तनु नाइट्रिक अम्ल हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
Mg + 2HNO3 → Mg(NO3)2 + H2

(iv) सोना तथा प्लाटीनम तनु अम्ल से अभिक्रिया नहीं करते।

3. धातुओं की क्लोरीन से अभिक्रिया-धातुएं, क्लोरीन से संयोग करके अपने क्लोराइड बनाती हैं।
Ca + Cl2 → CaCl2

4. धातुओं की हाइड्रोजन से अभिक्रिया-क्रियाशील धातुएं Na, K, Ca आदि हाइड्रोजन से संयोग करके अपने हाइड्राइड बनाती हैं।
2Na + H2 → 2NaH (सोडियम हाइड्राइड)
Ca + H2 → CaH2 (कैल्शियम हाइड्राइड)

5. धातुओं की पानी से अभिक्रिया –
(i) जब पानी सामान्य ताप पर हो तो Na, K, Ca आदि क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 4
(ii) जब पानी उबलता हो तो Mg, Zn, Fe अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं।
Mg + H2O → MgO + H2
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दो धातुओं के नाम बताओ जो ऊष्मा तथा विद्युत् की सुचालक हों। ऊष्मा की सबसे अधिक तथा सबसे कम चालक धातुओं के नाम लिखो।
उत्तर-
कॉपर और एल्यूमीनियम दोनों धातुएं ऊष्मा और विद्युत् की सुचालक हैं। चांदी ऊष्मा की सर्वोत्तम चालक है जबकि सीसा धातुओं में सबसे कम चालक है।

प्रश्न 2.
धातुओं की तन्यता गुण को उदाहरण सहित परिभाषित करें।
उत्तर-
तन्यता- धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को तन्यता कहा जाता है। सोना सबसे अधिक तन्य धातु है।

प्रश्न 3.
धातुओं का कौन-सा गुण उनको लाक्षणिक रासायनिक गुण प्रदान करता है ?
उत्तर-
धातुएं अपने इलेक्ट्रॉन को खोकर धनात्मक आयन बनाती हैं, इसलिए ये विद्युत् धनात्मक तत्व हैं। धातुओं का यह आयनीकरण गुण उनको रासायनिक गुण प्रदान करता है। जैसे-Mg धातु को इलेक्ट्रॉन खोकर Mg का धनात्मक आयन बनाता है।
Mg →Mg2+ + 2e

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प्रश्न 4.
आयनिक यौगिक किस अवस्था में पाए जाते हैं ? आयनिक यौगिकों के क्वथनांक एवं द्रवनांक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
धातु से अधातु में इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण द्वारा बने यौगिकों को आयनिक यौगिक या वैद्युत् संयोजक यौगिक कहते हैं। उदाहरण-NaCl, CaCl2, CaO, MgCl2, | आयनिक यौगिकों का क्वथनांक एवं द्रवनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि इसके मज़बूत अंतर आयनिक आकर्षण को तोड़ने के लिए ऊर्जा की अत्याधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
खनिज और अयस्क में अंतर लिखिए।
उत्तर-
खनिज और अयस्क में अंतर –

खनिज (Minerals) अयस्क (Ores)
(1) जिन प्राकृतिक पदार्थों में धातुओं के यौगिक पाए जाते हैं वह खनिज कहलाते हैं। (1) जिन खनिजों से लाभदायक तथा सुविधापूर्वक ढंग से धातुएँ प्राप्त की जा सकती हैं उन खनिजों को अयस्क कहते हैं।
(2) अनेक खनिजों में धातु की प्रतिशत मात्रा काफ़ी बड़ी मात्रा होती है जबकि अन्य में धातु की प्रतिशत मात्रा बहुत कम होती है। (2) धातुओं की प्रतिशत मात्रा सभी अयस्कों में पर्याप्त होती है।
(3) कुछ खनिजों में बहुत अधिक अशुद्धियाँ होती हैं जो धातु के निष्कर्षण में रुकावट डालती हैं। (3) अयस्कों में कोई भी आपत्तिजनक अशुद्धियाँ नहीं होती।
(4) सभी खनिजों को धातु निष्कर्षण के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। सभी खनिज अयस्क नहीं होते। (4) सभी अयस्कों को धातु निष्कर्षण के लिए उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
विभिन्न धातुओं की जल के साथ अभिक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर-
धातुओं की जल के साथ अभिक्रिया-जल के साथ अभिक्रिया करके धातु, हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड बनाते हैं। ये जल में घुलकर धातु हाइड्रोक्साइड बनाते हैं परंतु सभी धातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं। पोटैशियम एवं सोडियम जैसे धातु ठंडे जल के साथ तेज़ अभिक्रिया करते हैं। सोडियम तथा पोटैशियम की अभिक्रिया इतनी तेज़ तथा ऊष्माक्षेपी होती है कि इससे उत्सर्जित हाइड्रोजन तत्काल आग पकड़ लेती है।
2K (s) + 2H2O (l) → 2KOH (aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा
2Na (s) + 2H2O (l) → 2NaOH (aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा
जल के साथ कैल्सियम की अभिक्रिया थोड़ी मंद होती है। इसमें उत्सर्जित ऊष्मा हाइड्रोजन के प्रज्वलित होने के लिए पर्याप्त नहीं होती है। .
Ca (s) + 2H2O (l) → Ca (OH)2(aq) + H2 (g)
एल्यूमीनियम, लोहा तथा जिंक जैसे धातु न तो ठंडे जल के साथ और न ही गर्म जल के साथ अभिक्रिया करते हैं। लेकिन भाप के साथ अभिक्रिया करके यह धातु ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन प्रदान करते हैं।
2Al (s) + 3H2O (g) → Al2O3 (s) + 3H2(g)
3Fe (s) + 4H2 O (g)→ Fe3O4 (s) + 4H2 (g)
सीसा, कॉपर, चांदी तथा सोना आदि जैसे धातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं।

प्रश्न 7.
अधातुओं की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएं लिखिए(a) ऑक्सीजन (b) अम्ल (c) क्लोरीन (d) हाइड्रोजन।
उत्तर-
अधातुएं वैद्युत् ऋणात्मक होती हैं। वे इलेक्ट्रॉनों को आसानी से ग्रहण कर लेती हैं तथा ऋणात्मक रूप से आवेशयुक्त आयन बनाती हैं।
(a) अधातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-अधातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके सहसंयोजक ऑक्साइड बनाती हैं, जो पानी में घुलने पर अम्ल बनाती है।
C+ O2 → CO2
CO2 + H2O → H2CO3 (कार्बोनिक अम्ल)

(ii) S+ O2 → SO2
SO2 + H2O → H2SO (सल्फ्यू रस अम्ल)

(iii)
2H2 + O2 → 2H2O (उदासीन ऑक्साइड)
2C + O2 → 2CO  (उदासीन ऑक्साइड)

(b) अम्लों से अभिक्रिया-अधातुएं अम्लों में हाइड्रोजन को पुनः स्थापित नहीं करती हैं। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए अम्ल H+ आयन के लिए इलेक्ट्रॉन उपलब्ध होने चाहिएं परंतु अधातु स्वयं इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करती हैं। अतः वे H+ आयन को इलेक्ट्रॉन उपलब्ध नहीं करा सकती हैं। इसलिए अधातुओं की तनु अम्ल के साथ कोई अभिक्रिया नहीं होती है।

(c) क्लोरीन के साथ अभिक्रिया-क्लोरीन के साथ अधातुएं सहसंयोजक आबंध वाले क्लोराइड बनाती हैं।
2P2 + 6Cl2 → 4PCl3 (फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 19
C + 2Cl2 → CCl4 (कार्बन टेट्राक्लोराइड)

(d) हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया-अधातुएं, हाइड्रोजन के साथ क्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं।
H2 + S → HS (हाइड्रोजन सल्फाइड)
H+ Cl2 → 2HCl (हाइड्रोजन क्लोराइड)
C + 2H2 → CH4 (मीथेन)
ये हाइड्राइड इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी (सहसंयोजन आबंध) से बनते हैं।

प्रश्न 8.
भर्जन क्रिया क्या है ? इसका उपयोग कब किया जाता है ? इसमें होने वाले परिवर्तनों के लिए रासायनिक क्रियाएं लिखो।
उत्तर-
भर्जन प्रक्रिया (Roasting)-सांद्रण के पश्चात् अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म करना भर्जन प्रक्रिया कहलाता है। जिंक तथा सीसा के सल्फाइडों को उनके ऑक्साइड में बदलने के लिए भर्जन प्रक्रिया प्रयुक्त की जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 20

प्रश्न 9.
यदि सिल्वर नाइट्रेट के घोल में कॉपर की पत्ती को कुछ देर के लिए डुबो कर रखा जाए तो क्या होता है ? हो रही क्रिया का आयनी समीकरण भी लिखो।
उत्तर-
कॉपर, सिल्वर से अधिक क्रियाशील है। जब कॉपर की पत्ती को कुछ देर के लिए सिल्वर नाइट्रेट के घोल में डुबो कर रखा जाता है तो सिल्वर निम्नलिखित क्रिया द्वारा जमा (deposit) हो जाती है और घोल का रंग नीला हो जाता है।
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प्रश्न 10.
कॉपर सल्फेट के घोल को लोहे के बर्तन में रखने से कुछ दिनों पश्चात् बर्तन में कुछ छिद्र हो गए। इस अभिक्रिया को लिखिए। इस अभिक्रिया को अभिक्रियाशीलता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अभिक्रियाशीलता के क्रम में लोहा पहले आता है अर्थात् लोहा, कॉपर की अपेक्षा अधिक क्रियाशील है। इसलिए CuSO, के घोल में से लोहा, कॉपर को विस्थापित कर देता है, जिसके कारण लोहे के बर्तन में छिद्र हो जाते हैं। रासायनिक अभिक्रिया
CuSO4 + Fe → FeSO4 + Cu
Cu2+ (aq) + Fe (s) →Fe+2(aq) + Cu (s)

प्रश्न 11.
कॉपर को वायु में खुला छोड़ने पर वह हरे रंग का हो जाता है। क्यों ?
उत्तर-
कॉपर, वायु में उपस्थित आर्द्र कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है, जिससे इसकी सतह से भूरे रंग की चमक धीरे-धीरे खत्म हो जाती है तथा इस पर हरे रंग की परत चढ़ जाती है। यह हरा पदार्थ कॉपर कार्बोनेट होता है।
Cu + CO2 + H2O + O2 → CuCO3.Cu(OH)2

प्रश्न 12.
24 कैरेट सोना क्या है ?
उत्तर-
24 कैरेट सोना-शुद्ध सोने को 24 कैरेट कहते हैं तथा ये काफ़ी नर्म होता है। इसलिए आभूषण बनाने के लिए ये उपयुक्त नहीं होता है। इसे कठोर बनाने के लिए चाँदी या कॉपर के साथ मिलाया जाता है। हमारे देश में प्रायः आभूषण बनाने के लिए 22 कैरेट सोने का उपयोग होता है। इसका मतलब है कि 22 भाग शुद्ध सोने में 2 भाग कॉपर या चाँदी मिश्रित की जाती है।

प्रश्न 13.
सल्फाइड अयस्क को सांद्रण करने में उपयोग होने वाले प्रक्रम का नाम बताइए। सांद्रित सल्फाइड अयस्क को धातु में बदलने में उपयोग होने वाले दो चरणों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
सल्फाइड अयस्क के बड़े टुकड़ों को बारीक पीसकर, चूर्ण बना लिया जाता है। अब इसको ‘झाग प्लावन विधि’ द्वारा सांद्रित कर लिया जाता है। सांद्रित सल्फाइड अयस्क को धातु में बदलने के लिए निम्नलिखित दो चरण इस प्रकार हैं-
1. भर्जन- सांद्रित अयस्कों को वायु की उपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइडों में परिवर्तित कर लिया जाता है। इस विधि को भर्जन कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 22
2. अपचयन-सांद्रित अयस्क के ऑक्साइड को अपचायक के साथ गर्म करने से धातु ऑक्सीजन से मुक्त हो जाती है।
ZnO + C → Zn + CO

प्रश्न 14.
कोई अयस्क गर्म करने पर सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैस देता है। ऐसे अयस्क से धातु निकालने में सम्मिलित नियम को संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
कॉपर धातु के अयस्क कॉपर पाइराइट को गर्म करने पर SO2 गैस बनती है। इस अयस्क से धातु प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जाते हैं
(i) अयस्क को बारीक चूर्ण करके इसमें पानी तथा पाइन आयल मिला दिया जाता है। अब इसमें से वायु को उच्च दाब अधीन प्रवाहित किया जाता है ताकि अशुद्धियां अलग हो जाएं। इस प्रकार अयस्क सांद्रित हो जाती है। यह विधि झाग प्लावन विधि कहलाती है।
(ii) अब सांद्रित अयस्क को भर्जित किया जाता है जबकि CuS का कुछ भाग CuO में बदल जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 23
कुछ समय पश्चात् वायु की आपूर्ति रोक दी जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 24
इस प्रकार प्राप्त तांबा तरल अवस्था में है और इसे वैद्युत् परिष्करण विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।
(iii) वैद्युत् परिष्करण-इस प्रक्रिया में अशुद्ध कॉपर की छड़ एनोड पर तथा शुद्ध कॉपर की प्लेट कैथोड बनाकर अम्ल की उपस्थिति में कॉपर सल्फेट में से विद्युत् गुजारी जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 25

प्रश्न 15.
थर्मिट अभिक्रिया से क्या तात्पर्य है ? लिखिए।
उत्तर-
कुछ विस्थापन अभिक्रियाएं बहुत अधिक ऊष्माक्षेपी होती हैं। इन अभिक्रियाओं में उत्सर्जित ऊष्मा की मात्रा इतनी अधिक होती है कि धातुएँ गलित अवस्था में प्राप्त होती हैं। जब आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2O3) के साथ एल्यूमीनियम की अभिक्रिया की जाती है तो अत्याधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है।
Fe2O3(s) + 2Al (s) → 2Fe(I) + Al2O3 (s) + ऊष्मा
इसे थर्मिट अभिक्रिया कहते हैं। इसके उपयोग से रेलवे पटरियों और मशीनी दरारों को जोड़ा जाता है।

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प्रश्न 16.
अधातुओं के पाँच प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर-
अधातुओं के उपयोग-

  • हाइड्रोजन को वनस्पति तेलों से वनस्पति घी बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
  • कार्बन प्रमुख अधातु है जो हमें विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, एंजाइम आदि प्रदान करती है। ग्रेफाइट विभिन्न प्रकार के सैलों में इलेक्ट्रोड के रूप में प्रयुक्त होता है।
  • नाइट्रोजन का उपयोग अमोनिया, नाइट्रिक अम्ल और उर्वरक बनाने में होता है। वायु में नाइट्रोजन की उपस्थिति दहन की दर को नियंत्रित करती है।
  • ऑक्सीजन की उपस्थिति हमारे जीवन का आधार है। दहन क्रिया भी इसी की उपस्थिति के कारण संभव होती है।
  • गंधक अनेक प्रकार की दवाइयां तथा बारूद बनाने में काम आती है।

प्रश्न 17.
भर्जन और निस्तापन में अंतर लिखिए।
उत्तर-
भर्जन और निस्तापन में अंतर –

भर्जन (Roasting) निस्तापन  (Calcination)
(1) भर्जन का प्रयोग सल्फाइड अयस्कों के लिए अयस्कों के लिए किया जाता है। (1) निस्तापन का प्रयोग कार्बोनेट और हाइड्रेटिड किया जाता है।
(2) भर्जन में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है। (2) निस्तापन में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है।
(3) इसमें SO2 गैस उत्पन्न होती है। (3) इसमें CO2 गैस उत्पन्न होती है।
(4) उदाहरण सांद्रित जिंक के अयस्क को वाय की उपस्थिति में गर्म करके जिंक ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है। (4) उदाहरण-जिंक कार्बोनेट अयस्क को वाय की अनुपस्थिति में गर्म करके जिंक ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।

प्रश्न 18.
आयनिक यौगिक सोडियम क्लोराइड, सोडियम और क्लोरीन से कैसे बनता है ?
उत्तर-
सोडियम आयन और क्लोराइड आयन विपरीत आवेशित होने के कारण एक-दूसरे की ओर आकृष्ट होते हैं और मज़बूत. स्थिर वैद्युत् बल से बंध कर सोडियम क्लोराइड (NaCl) के रूप में उपस्थित रहते हैं। सोडियम क्लोराइड अणु के रूप में नहीं पाया जाता बल्कि यह विपरीत आयनों का समुच्चय होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 26

प्रश्न 19.
विद्युत् अपघटनी शोधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् अपघटनी शोधन-कॉपर, जिंक, टिन, निक्कल, चाँदी, सोना आदि जैसी अनेक धातुओं का शोधन विद्युत् अपघटन द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में अशुद्ध धातु को ऐनोड तथा शुद्ध धातु की पतली परत को कैथोड बनाया जाता है। धातु के लवण विलयन का उपयोग विद्युत्-अपघट्य के रूप में होता है। विद्युत्अपघट्य में से जब विद्युत् धारा प्रवाहित होती है तब एनोड पर स्थित शुद्ध धातु विद्युत् अपघट्य में घुल जाती है तथा इतनी ही मात्रा में शुद्ध धातु विद्युत्-अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है। विलयशील अशुद्धियाँ विलयन में चली जाती हैं तथा अविलयशील अशुद्धियाँ ऐनोड के नीचे निक्षेपित हो जाती हैं जिसे ऐनोड अवपंक कहते हैं।

प्रश्न 20.
अपचयन प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है ? धातुओं के निष्कर्षण में इस प्रक्रिया की कौन-कौन सी विधियां अपनाई जाती हैं ?
उत्तर-
अपचयन (Reduction)-धातुओं के यौगिकों से धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया अपचयन कहलाती है। धातुओं की अभिक्रियाशीलता श्रेणी के अनुसार ही विभिन्न धातुओं के लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं-
(1) अभिक्रियाशीलता क्रम में नीचे आने वाली धातुओं को केवल वायु में गर्म करने पर ही धातु प्राप्त हो जाती है। जैसे–पारे का अयस्क सिनाबार वायु में गर्म करने पर भर्जित होकर पारा मुक्त कर देता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 27
(2) अभिक्रियाशीलता के मध्य में आने वाली धातुओं के यौगिकों को मुख्यतः कोक से गर्म करके अपचयित किया जाता है। जैसे-लोहा, जिंक, निकिल, टिन धातुएं आदि।।
2ZnO2 + C → 2Zn + CO2

(3) कुछ धातुओं का अपचयन अधिक क्रियाशील धातु द्वारा किया जाता है। जैसे-मैंगनीज़ ऑक्साइड को एल्यूमीनियम द्वारा अपचयित करके मैंगनीज़ प्राप्त किया जाता है।
3MnO2 + 4Al → 3Mn + 2Al2O3

प्रश्न 21.
सोडियम हाइड्रोक्साइड के भंडारण के लिए एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग क्यों नहीं किया जाता ?
उत्तर-
सोडियम हाइड्रोक्साइड के भंडारण के लिए एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि एल्यूमीनियम सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ क्रिया करके घुलनशील लवण बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 28

प्रश्न 22.
एल्यूमीनियम के उपयोग बताओ।
उत्तर-
एल्यूमीनियम के उपयोग –

  • एल्यूमीनियम हल्की धातु होने के कारण, हवाई जहाज़ों की बॉडी और मोटर इंजन बनाने के काम आती है।
  • एल्यूमीनियम बर्तन, फोटोफ्रेम तथा घरेलू उपयोग की अनेक वस्तुएं बनाने के काम आती हैं।
  • एल्यूमीनियम बिजली का सुचालक है इसलिए आजकल बिजली के संचारण के लिए प्रयुक्त बिजली की तारें बनाने के काम आता है।
  • एल्यूमीनियम की पत्तियां खाने का सामान, दवाइयां, दूध की बोतलें आदि पैक करने में प्रयुक्त की जाती हैं।
  • एल्यूमीनियम पाउडर सिल्वर पेंट बनाने के काम आता है।
  • एल्यूमीनियम पाउडर एलुमिनो-थरैमी में प्रयुक्त होता है। यह प्रक्रम लोहे की पटरियों तथा मशीनों के टूटे भागों को जोड़ने के काम आता है।

प्रश्न 23.
क्या होता है, जब :
(i) लोहे के ऑक्साइड को कोक से मिलाकर गर्म किया जाता है।
(ii) मैग्नीशियम को तनु लवण के अम्ल से मिलाया जाता है ?
(iii) नीले थोथे के घोल में ज़िंक मिलाया जाता है ?
उत्तर-
(i) लोहे के ऑक्साइड को कोक से मिलाकर जब गर्म किया जाता है तो लोहे का ऑक्साइड अपचयित होकर लोहे में परिवर्तित हो जाता है।
C+O2 → CO2
CO2 + C → 2CO
Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2

(ii) जब मैग्नीशियम को तनु लवण अम्ल से मिलाया जाता है तब हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 29
(iii) जब नीले थोथे के विलयन में ज़िंक मिलाया जाता है तब विलयन का नीला रंग समाप्त हो जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 30

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 24.
एक क्रिया-कलाप द्वारा दर्शाओ कि लोहे को जंग लगने के लिए पानी और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है ?
अथवा
प्रयोग द्वारा सिद्ध करो कि लोहे को जंग लगने के लिए हवा/ऑक्सीजन तथा नमी का होना आवश्यक है। चित्र भी बनाएं।
उत्तर-
क्रिया-कलाप–तीन परखनलियां ‘A’, ‘B’ और ‘C’ लें। ‘क’ परखनली में लोहे की कुछ कीलें डालें। ‘क’ में पानी डालें। ‘C’ परखनली में कुछ कीलें डालो तथा उसमें कैल्शियम क्लोराइड डालो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 31
हवा कैल्शियम क्लोराइड एक जल अवशोषक पदार्थ है। जंग ‘B’ परखनली में कुछ कीलें डालकर, इसमें पानी लगी कीलें डालो। साथ में कुछ तेल भी डालो। कुछ दिन बाद पानी आप देखोगे कि परखनली ‘A’ में पड़ी कीलों को जंग लगना शुरू हो गया। परंतु ‘B’ तथा ‘C’ में रखी कीलों
आसावित पर जंग नहीं लगता क्योंकि ‘B’ में रखी कीलों को क्लोराइड आक्सीजन तथा ‘C’ में पड़ी कीलों को नमी प्राप्त नहीं होती। ‘A’ परखनली में पड़ी कीलों को ऑक्सीजन चित्र-लोहे को जंग लगने की क्रिया तथा पानी (नमी) दोनों प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 25.
मिश्रधातु क्या होती है ? यह क्यों बनाई जाती हैं ?
उत्तर-

मिश्र धातु (Alloys)- किसी धातु का किसी अन्य धातु या अधातु के साथ मिलाकर बनाया गया समांगी मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है। जैसे टांका में कलई तथा सीसा (लैड) सामान मात्रा में मिलाया जाता है। उदाहरण के लिए स्टेनलेस स्टील, टांका, पीतल, कांसा, बैलमैटल आदि सभी मिश्र धातु हैं।

मिश्र धातुओं के उपयोग-

  • कठोरता बढ़ाने के लिए-लोहे में कार्बन की मात्रा मिला कर स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में तांबा तथा चांदी में सीसा मिलाने से उसकी कठोरता अधिक हो जाती है। ड्यूरेलियम, एल्यूमीनियम से बना एक मिश्र धातु है जो अत्याधिक कठोर होता है।
  • शक्ति बढ़ाने के लिए-इस्पात, ड्यूरेलियम आदि मिश्रधातु कठोर होने के कारण शक्तिशाली भी होते हैं।
  • संक्षारण रोकने के लिए-जैसे स्टनलैस स्टील, लोहे तथा जिंक से बनी मिश्र धातु पर जंग नहीं लगता।
  • ध्वनि उत्पन्न करने के लिए-तांबे तथा कलई से बनाई गई मिश्र धातु बैलमैटल होती है जिससे अधिक ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
  • गलनांक कम करने के लिए-जैसे रोज-मैटल मिश्र धातु है। इसका गलनांक कम होता है। यह बिस्मथ, कलई और सीसे से बनती है।
  • उचित सांचे में ढालने के लिए-कांसा तथा टाइप मैटल।
  • रंग परिवर्तन के लिए-तांबे तथा एल्यूमीनियम से बनी एल्यूमीनियम ब्रांज मिश्रधातु का रंग सुनहरी होता है।
  • घरेलू उपयोग–घरों, कारखानों, दफ्तरों में सभी जगह मिश्रधातुओं का उपयोग होता है जैसे घर के बर्तन, अलमारी, पंखे, फ्रिज, आभूषण आदि में मिश्रधातुओं का उपयोग होता है।

प्रश्न 26.
प्रमुख मिश्र धातुओं के नाम, उनके घटक तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर–
प्रमुख मिश्रधातु –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 32

प्रश्न 27.
निम्नलिखित मिश्र धातुओं की रचना तथा गुण लिखो
(i) पीतल
(ii) एलनिको
(iii) ड्यूरेलुमिन।
उत्तर-
मिश्र धातु की संरचना और गुण नीचे दिए गए हैं।
(i) पीतल (Brass)-इसमें 70% कॉपर (Cu) तथा 30% जिंक (Zn) होता है। यह बर्तन बनाने के काम आता है।

(ii) एलनिको (Alnico)-इसमें 63% आयरन (Fe), 20% निकल (Ni), 12% एल्यूमीनियम (AI) और 5% कोबाल्ट (Co) होता है। यह स्थायी चुंबक बनाने के काम आता है।

(iii) ड्यूरेलुमिन- इसमें ताँबा (Cu) 4%, एल्यूमीनियम (Al) 95.5% और मैंगनीज़ (Mn) 5% होता है। इसे हवाई जहाज़ों के पुर्जे बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 28.
लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए तीन ढंग लिखो।
उत्तर-

लोहे का जंग लगना (Rusting of Iron)- यह क्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है –
(i) आयरन इलैक्ट्रॉन खो देने पर फैरस आयन बनाता है।
Fe + 2e → Fe2+
(ii) ये फैरस आयन ऑक्सीजन और जल के साथ क्रिया करके फैरिक ऑक्साइड की परत बनाते हैं तथा 8 हाइड्रोजन आयन मुक्त होते हैं।
4Fe2+ + O2 + 4H2O → 2Fe2O3 + 8H+ फैरिक ऑक्साइड

(iii) फैरिक ऑक्साइड जलयोजित (hydrate) होकर जंग बनाता है।
Fe2O3 + x H2O → Fe2O3. x H2Oजलयोजित फैरिक ऑक्साइड

(iv) हाइड्रोजन के आयन इलैक्ट्रॉन प्राप्त करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
8H+ + 8e → 4H2

जंग न चिपकने वाला एक यौगिक है। यह परत के बाद दूसरी परत बनकर उड़ता रहता है। इस तरह जंग की एक परत उड़ने के बाद लोहे की मुक्त हुई परत पर फिर जंग लगने लगता है। इस तरह पूरा लोहा जंग से प्रभावित होकर नष्ट हो जाता है। जंग लगने की रोकथाम-संक्षरण एक आर्थिक समस्या है। मानवीय जीवन के लिए जंग लगना बहुत हानिकारक है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित विधियाँ हैं-

  • पेंट करना-लोहे की वस्तुओं को पेंट करके या ग्रीस लगाकर जंग लगने से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से लोहे की सतह का वातावरण की ऑक्सीजन से संपर्क टूट जाता है।
  • धात्वीय परत चढ़ाना-लोहे की अपेक्षा अधिक सरलता से इलेक्ट्रॉन प्रदान करने वाली धातु की परत चढ़ाकर जंग लगने से रोका जा सकता है। उदाहरणस्वरूप जिंक धातु लोहे की अपेक्षा सरलता से इलेक्ट्रॉन मुक्त करती है। अतः लोहे की वस्तुओं पर जिंक की परत का लेप करके उन्हें जंग लगने से बचाया जा सकता है। इस क्रिया को जिस्तीकरण या गैल्वनीकरण (Galvanisation) कहते हैं।
  • विदयतीय धारा दवारा बचाव-जंग लगते समय बनने वाले फैरस आयनों (Fe2+) को विदयुतीय धारा की सहायता से उदासीन किया जाता है। ऐसा करने के लिए जिस वस्तु को जंग से बचाना हो, उसे कैथोड से जोड़ कर विद्युतीय धारा गुज़ारी जाती है।
  • जंगरोधी घोलों का उपयोग करके-फॉस्फेट और क्रोमेट के क्षारकीय विलयन जंग रोधी होते हैं। क्षारक की उपस्थिति के कारण आयन बनते हैं और ये आयन वस्तु का ऑक्सीकरण नहीं होने देते और इस तरह वस्तु ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आती। यह विलयन रेडीएटरों तथा इंजन के पुों को जंग लगने से बचाने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
  • निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिश्रण बनाकर-जब लोहे को निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिलाकर मिश्रित धातु तैयार की जाती है तो (Fe = 73%, Cr= 18%, Ni = 8%) स्टेनलेस स्टील बन जाता है। स्टेनलेस स्टील जंगरोधी होता है। इस प्रकार लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी धातु का उदाहरण दीजिए जो कमरे के तापमान पर द्रव होती है ?
उत्तर-
मरकरी (पारा)।

प्रश्न 2.
एक धातु और एक अधातु का नाम लिखिए जो सामान्य तापमान पर द्रव अवस्था में पायी जाती है ?
उत्तर-
धातु : मरकरी (पारा)
अधातु : ब्रोमीन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सी धातुएं शरीर के ताप (37°C)पर पिघल जाती है ? गैलियम, मैग्नीशियम, सीज़ियम, एल्यूमीनियम।
उत्तर-
गैलियम तथा सीज़ियम।

प्रश्न 4.
एक ऐसी अधातु का नाम बताइए जो विद्युत् की सुचालक है।
उत्तर-
ग्रेफाइट (कार्बन का अपरूप)।

प्रश्न 5.
एक अधातु X दो विभिन्न रूपों Y तथा Z में उपलब्ध है। Y कठोरतम पदार्थ है जबकिZ विद्युत् का सुचालक है। Y और Z की पहचान बतायें।
उत्तर-
Y-हीरा (डॉयमंड)
Z-ग्रेफाइट
हीरा और ग्रेफाइट, कार्बन के अपरूप हैं
∴ X कार्बन है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 6.
एक तत्व X ऑक्सीजन से क्रिया करके X2O बनाता है। यह ऑक्साइड जल में विलेय है तथा नीले लिटमस को लाल कर देता है। तत्त्व की प्रकृति बताइए अर्थात् क्या यह तत्व धातु है या अधातु ? ।
उत्तर-
क्योंकि तत्व X का ऑक्साइड नीले लिटमस को लाल बना देता है। इसकी प्रकृति अम्लीय है। अतः तत्व X अधातु है।

प्रश्न 7.
धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर-
धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय होती है।

प्रश्न 8.
दो उच्च आघातवर्ध्य धातुओं के नाम बताइए।
उत्तर-
चांदी (सिल्वर) तथा सोना (गोल्ड)।

प्रश्न 9.
दो मेटालॉयड्स (उपधातुओं) का नाम बताओ।
उत्तर-

  • सिलिकॉन,
  • आर्सेनिक।

प्रश्न 10.
धातुओं को वायु में खुला छोड़ने पर उनका रंग फीका क्यों पड़ जाता है ?
उत्तर-
उनकी सतह पर ऑक्साइड, कार्बोनेट तथा सल्फाइड की परत के निर्माण के कारण होता है।

प्रश्न 11.
ऐसी धातुओं के नाम बताओ जिन्हें चाकू से आसानी से काटा जा सकता है ?
उत्तर-
सोडियम, पोटाशियम तथा मैग्नीशियम।

प्रश्न 12.
धातुओं को विभिन्न आकार देना क्यों संभव है ?
उत्तर-
धातुओं के आघातवर्ध्यता तथा तन्यता गुणों के कारण।

प्रश्न 13.
सबसे कम एक ऊष्मा चालक धातु का नाम बताओ।
उत्तर-
सीसा (लैड)।

प्रश्न 14.
कौन-सी धातु विद्युत् प्रवाह का अधिक प्रतिरोध करती है ?
उत्तर-
पारा (मरकरी)।

प्रश्न 15.
किन्हीं चार धातुओं के नाम बताओ, जिनकी तारें खींची जा सकती हैं ?
उत्तर-
कॉपर, एल्यूमीनियम, एल्यूमीनियम, आयरन।

प्रश्न 16.
क्षार क्या है ? क्षार की एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-क्षार-
धात्विक हाइड्रोक्साइड जो जल में विलयशील हैं, क्षार कहलाते हैं। उदाहरण-सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)।

प्रश्न 17.
दो उभयधर्मी (Amphoteric Oxides) ऑक्साइडों के नाम बताओ।
उत्तर-

  • एल्यूमिनियम ऑक्साइड
  • ज़िंक ऑक्साइड।

प्रश्न 18.
क्या होता है जब मैग्नीशियम को इसके ज्वलन ताप तक गर्म किया जाता है ?
उत्तर-
मैग्नीशियम सफ़ेद प्रकाश के साथ जलने लगता है और मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।

प्रश्न 19.
कौन-सी धातु तनु अम्ल के साथ अभिक्रिया नहीं करती है ?
उत्तर-
कॉपर।

प्रश्न 20.
उन धातुओं के नाम बताओ जो हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करती हैं ?
उत्तर-
सोडियम, पोटाशियम और कैल्शियम।

प्रश्न 21.
जब कैल्सियम धातु के किसी टुकड़े को पानी में डाला जाता है तो संपन्न होने वाली अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर-
Ca + 2H2O → Ca (OH)2 + 4H2

प्रश्न 22.
लाल गर्म लोहे के ऊपर से भाप गुजारने से होने वाली रासायनिक अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर-
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + H2

प्रश्न 23.
जब कॉपर धातु की पत्ती के जिंक का सल्फेट के विलयन में डाला जाता है तो घटित होने वाली रासायनिक अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
उत्तर-
Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu.

प्रश्न 24.
दो धातुओं के नाम बताइए जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में मिलती हैं ?
उत्तर-

  1. सोना
  2. प्लैटिनम।

प्रश्न 25.
धातुओं के संक्षारण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
संक्षारण- वायु तथा नमी (आर्द्रता) का उपस्थिति में धातुओं की ऊपरी परत का क्षीण होना धातु का संक्षारण कहलाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 26.
आघातवर्ध्यता की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
आघातवर्ध्यता (Mallbeability)-यह धातुओं का वह गुण है जिसके कारण धातुओं को हथौड़े से पीटकर बिना इसके टूटे धातुओं को पतली चादर के रूप में बदला जाता है।

प्रश्न 27.
तन्यता की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
तन्यता (Ductility)-यह धातुओं का वह गुण है जिसके कारण धातुओं को पतली तारों के रूप में बदला जा सकता है।

प्रश्न 28.
हम लोहे से बनी वस्तुओं पर पेंट क्यों करते हैं ?
उत्तर-
लोहे से बनी वस्तुओं पर पेंट किया जाता है ताकि लोहे से बनी वस्तुओं को संक्षारण से बचाया जा सके।

प्रश्न 29.
ऐसी अधातु का उदाहरण दो जो :
(i) विद्युत की सुचालक हो
(ii) चमकीली हो।
उत्तर-
विद्युत की सुचालक अधातु-ग्रेफाइट। चमकीली अधातु-आयोडीन।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामान्य अवस्था में द्रव अवस्था में पाई जाने वाली अधातु है
(a) क्लोरीन
(b) ब्रोमीन
(c) फ्लू ओरीन
(d) आयोडीन।
उत्तर-
(b) ब्रोमीन।

प्रश्न 2.
उभयधर्मी ऑक्साइड है
(a) Na2O
(b) BaO
(c) ZnO
(d) K2O.
उत्तर-
(c) ZnO.

प्रश्न 3.
धातुओं को पीट कर पतली चादर बनाया जा सकता है ? इस गुणधर्म को क्या कहते हैं ?
(a) आघातवर्ध्यता
(b) तन्यता
(c) धात्विक चमक
(d) कठोरता।
उत्तर-
(a) आघातवर्ध्यता।

प्रश्न 4.
सक्रियता श्रेणी में सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन-सी है ?
(a) Na
(b) Mg
(c) Au
(d) K.
उत्तर-
(d) K.

प्रश्न 5.
Fe2O3 + 2Al → 2Fe + Al2O3+ ऊष्मा, इस अभिक्रिया का नाम है
(a) एनोडीकरण
(b) थर्माइट
(c) यशदलेपन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) थर्माइट।

प्रश्न 6.
यशदलेपन में किस धातु की परत चढ़ाई जाती है ?
(a) गेलियम
(b) ऐलुमिनियम
(c) जिस्त
(d) चाँदी।
उत्तर-
(c) जिस्त।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) अधिक सक्रिय धातु द्वारा कम सक्रिय धातु को उसके लवण के विलयन से विस्थापित करने की क्रिया …………………………. कहलाती है।
उत्तर-
विस्थापन

(ii) मिश्रधातु दो या दो से अधिक धातु अथवा धातु एवं अधातु का ……………. मिश्रण होता है।
उत्तर-
समाँगी

(iii) लोहे के पैन को जंग से बचाने के लिए ……………………. की परत चढ़ाई जाती है।
उत्तर-
जिंक

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

(iv) सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रक्रिया को …………… कहते हैं।
उत्तर-
भर्जन

(v) धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को …………………… कहते हैं।
उत्तर-
तन्यता।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

प्रश्न 1.
कोष्ठकों में दिए शब्दों में से सही शब्दों का प्रयोग करते हुए, रिक्त स्थानों को भरिए:
(i) सभी वृत्त ……… होते हैं।( सर्वांगसम, समरूप)
हल:
सभी वृत्त समरूप होते हैं।

(ii) सभी वर्ग ……….. होते हैं।(समरूप, सर्वांगसम)
हल:
सभी वर्ग समरूप होते हैं।

(iii) सभी ………. त्रिभुज समरूप होते हैं। (समद्विबाहु समबाहु)
हल:
सभी समबाहु त्रिभुज समरूप होते हैं।

(iv) भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज क समरूप होते हैं, यदि
हल:
(iv) भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि

(i) उनके संगत कोण ………. हों तथा
हल:
उनके संगत कोण बराबर हों तथा

(ii) ……… स | उनकी संगत भुजाएँ …………हों (बराबर, समानुपाती)
हल:
उनकी संगत भुजाएँ समानुपाती हों।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित युग्मों के दो भिन्न-भिन्न उदाहरण दीजिए:
(i) समरूप आकृतियाँ
हल:

  1. समबाहु त्रिभुजों का युग्म समरूप आकृतियाँ हैं।
  2. वर्गों का युग्म समरूप आकृतियाँ हैं।

(ii) ऐसी आकृतियाँ जो समरूप नहीं हैं।
हल:

  1. एक त्रिभुज और एक चतुर्भुज ऐसी आकृतियों का युग्म बनाती है जो समरूप नहीं हैं।
  2. एक वर्ग और सम चतुर्भुज ऐसी आकृतियों का युग्म | है जो समरूप नहीं है। 165

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 width=

प्रश्न 3.
बताइए कि निम्नलिखित चतुर्भुज समरूप हैं या नहीं:

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 1

हल:
दोनों चतुर्भुज समरूप नहीं हैं क्योंकि उनके संगत कोण बराबर नहीं हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 1.
A.P. : 121, 117, 113, … का कौन-सा पद सबसे पहला ऋणात्मक पद होगा ?
हल :
दी गई A.P. है :
121, 117, 113, …………..
यहाँ a = T1 = 121 ; T2 = 117; T3 = 113
d = T2 – T1 = 117 – 121 = – 4
सूत्र Tn = a + (n – 1) d का प्रयोग करने पर,
Tn = 121 + (n – 1) (- 4)
= 121 – 4n + 4
= 125 – 4n.
प्रश्न के अनुसार,
Tn < 0
या 125 – 4n < 0 या 4n > 125
या 125 > 4n
या n > 125
या n > 31
परंतु पहले ऋणात्मक पद के लिए n एक पूर्णांक होगा।
n = 32.
∴ अतः, दी गई A.P. का 32वाँ पद पहला ऋणात्मक पद होगा।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 2.
किसी A.P. के तीसरे और सातवें पदों का योग 6 है और उनका गुणनफल 8 है। इस A.P.के प्रथम 16 पदों का योग ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए ‘a’ और ‘d’ दी गई A.P. का प्रथम पद और सार्व अंतर है।
पहली शर्त के अनुसार,
T3 + T7 = 6
[a + (3 – 1) d] + [a + (7 – 1) d] = 6
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
या a + 2d + a + 6d = 6
या 2a + 8d = 6
या a + 4d = 3 ………..(1)
दूसरी शर्त के अनुसार,
T3 (T7) = 8
[a + (3 – 1) d] [a + (7 – 1) d] = 8
[∵ Tn = a + (n – 1) d]
या (a + 2d) (a + 6d) = 8
या [3 – 4d + 2d] [3 – 4d + 6d] = 8
[1) से, a = 3 -4d]
(3 – 2d) (3 + 2d) = 8
या 9 – 4d2 =8
या 4d2 = 9 – 8.
या d2 = \(\frac{1}{4}\)
या d = ± \(\frac{1}{2}\)

स्थिति 1.
जब = \(\frac{1}{2}\)

d = \(\frac{1}{2}\) का मान (1), में प्रतिस्थापित करने पर, हम प्राप्त करते हैं
या a + 4 (\(\frac{1}{2}\)) = 3
या a + 2 = 3
या a = 3 – 2 = 1
सूत्र का प्रयोग करने पर,
\(\frac{n}{2}\) = [2a + (n – 1) d]
Sn = \(\frac{16}{2}\left[2(1)+(16-1) \frac{1}{2}\right]\)

= \(8\left[2+\frac{15}{2}\right]\)

= \(8\left[\frac{4+15}{2}=\frac{19}{2}\right]\)
S16 = 76.

स्थिति II.
जब d = – \(\frac{1}{2}\).
d = – \(\frac{1}{2}\) को (1), में प्रतिस्थापित करने पर, हम प्राप्त करते हैं
a + 4 (- \(\frac{1}{2}\)) = 3
या a – 2 = 3
a = 3 + 2 = 5
सूत्र Sn = \(\frac{n}{2}\) [2a + (n – 1) d] का प्रयोग करने पर,

S16 = \(\frac{16}{2}\) [26) + (16 – 1) (- \(\frac{1}{2}\))]

= \(8\left[10-\frac{15}{2}\right]\)

= \(8\left[\frac{20-15}{2}=\frac{5}{2}\right]\)
S16 = 20.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 3.
एक सीढ़ी के क्रमागत डंडे परस्पर 25 cm की दूरी पर हैं ( देखिए आकृति 5.7 )। डंडों की लंबाई एक समान रूप से घटती जाती हैं तथा सबसे निचले डंडे की लंबाई 45 cm है और सबसे ऊपर वाले डंडे की लंबाई 25 cm है। यदि ऊपरी और निचले डंडे के बीच की दूरी 2\(\frac{1}{2}\) m है, तो डंडों को बनाने के लिए लकड़ी की कितनी mलंबाई की आवश्यकता होगी ?

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 1

[संकेत : डंडों की संख्या = \(\frac{250}{25}\) है।]
हल :
डंडों की कुल लंबाई = 2 \(\frac{1}{2}\) m = \(\frac{5}{2}\) m
= (\(\frac{5}{2}\) × 100) सेमी
= 250 सेमी
प्रत्येक डंडे की लंबाई = 25 सेमी

∴ डंडों की संख्या = डंडों की कुल लम्बाई / प्रत्येक डंडे की कुल लम्बाई
= \(\frac{250}{25}\) = 10

पहले डंडे की लंबाई = 45 सेमी
यहाँ a = 45 ; l = 25 ; n = 10
डंडों के लिए लकड़ी की लंबाई = S10
= \(\frac{n}{2}\) [a + l]
= 10[45 + 25]
= 5 (70)
= 350.
अतः डंडों के लिए लकड़ी की लंबाई 350 सेमी है।

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प्रश्न 4.
एक पंक्ति के मकानों को क्रमागत रूप से संख्या 1 से 49 तक अंकित किया गया है। दर्शाइए कि x का एक ऐसा मान है कि x से अंकित मकान से पहले के मकानों की संख्याओं का योग उसके बाद वाले मकानों की संख्याओं के योग के बराबर है। x का मान ज्ञात कीजिए। [संकेत : Sx – 1 = S49 – Sx है।]
हल :
मान लीजिए ‘x’ किसी मकान की संख्या को व्यक्त करता है
यहाँ a = T, = 1 ; d = 1
प्रश्न के अनुसार,
Sx – 1= S49 – Sx

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 2

या \(\frac{x}{2}\) [x – 1 + x + 1] = 1225
\(\frac{x}{2}\) × 2x = 1225
x2 = 1225
x = 35.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 5.
एक फुटबाल के मैदान में एक छोटा चबूतरा है जिसमें 15 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों में से प्रत्येक की लंबाई 50 m है और वह ठोस कंक्रीट (concrete)
की बनी हैं। प्रत्येक सीढ़ी में \(\frac{1}{4}\) m की चढ़ाई है और \(\frac{1}{2}\) m का फैलाव (चौड़ाई) है। (देखिए आकृति 58)। इस चबूतरे को बनाने में लगी कंक्रीट का कुल आयतन परिकलित कीजिए।
[संकेत : पहली सीढ़ी को बनाने में लगी कंकरीट का आयतन = \(\frac{1}{4}\) × \(\frac{1}{2}\) × 50 m3 है।]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 3

हल :
पहली सीढ़ी बनाने में लगी कंक्रीट का आयतन = \(\frac{1}{4}\) × \(\frac{1}{2}\) × 50 m3
= (\(\frac{25}{4}\)) ml

दूसरी सीढ़ी बनाने में लगी कंक्रीट का आयतन = (\(\frac{2}{4}\) × \(\frac{1}{2}\) × 50) m2
= (\(\frac{25}{4}\)) m2

तीसरी सीढ़ी बनाने में लगी कंक्रीट का आयतन = (\(\frac{3}{4}\) × \(\frac{1}{2}\) × 50) m2
= (\(\frac{75}{4}\)) m2
इसी प्रकार आगे 15 सीढ़ियों तक।
यहाँ a = T1 = \(\frac{25}{4}\)

T2 = \(\frac{25}{2}\)

T3 = \(\frac{75}{4}\) और n = 15.
d = T2 – T2
= \(\frac{25}{2}-\frac{25}{4}\)

= \(\frac{50-25}{4}=\frac{25}{4}\)

चबूतरा बनाने में लगी कंक्रीट का कुल आयतन = S15

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 4

अतः, चबूतरे को बनाने में लगी कुल कंक्रीट का कुल आयतन 750 m3 है।