PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.3

Punjab State Board PSEB 6th Class Maths Book Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Maths Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.3

1. The cost of 1 kg apples is ₹ 45. What is the cost of 7 kg apples?
Solution:
Cost of 1 kg apples = ₹ 45
Cost of 7 kg apples = ₹ 45 × 7
= ₹ 315

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2. A car travels 224 km in 7 litres of petrol. How much distance will it cover in 1 litre?
Solution:
Distance covered in 7 litres = 224 km
Distance covered in 1 litres = \(\frac {224}{7}\)
= 32 km

3. A pipe can fill 10 water tanks in 12 hours. How much time will it take to fill 15 such water tanks?
Solution:
Time taken to fill 10 water tanks = 12 hours
Time taken to fill 1 water tank = \(\frac {12}{10}\) hours
Time taken to fill 15 water tanks = \(\frac {12}{10}\) × 15 hours
= 18 hours

4. The cost of 18 m cloth is ₹ 810. What is the cost of 25 m cloth?
Solution:
Cost of 18 m cloth = ₹ 810
Cost of 1 m cloth = ₹ \(\frac {810}{18}\)
Cost of 25 m cloth = ₹ \(\frac {810}{18}\) × 25
= ₹ 1125

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5. The weight of 24 books is 6 kg. What is the weight of 36 such books?
Solution:
Weight of 24 books = 6 kg
Weight of 1 book = \(\frac {6}{24}\) kg
Weight of 36 books = \(\frac {6}{24}\) × 36 kg
= 9 kg

Aliter:
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.3 1

By cross product, we have
24 × x = 6 × 36
x = \(\frac{6 \times 36}{24}\)
⇒ x = 9
Hence, weight of 36 books is 9 kg

6. ‘A’ runs 28 km in 5 hours. How many kilometres does it run in 9 hours?
Solution:
A runs in 5 hours = 28 km
A runs in 1 hour = \(\frac {28}{5}\) km
A runs in 9 hours= \(\frac {28}{5}\) × 9 km
= \(\frac {252}{5}\) km
50.4 km

7. A 12 m high pole casts a shadow of 30 m. Find the height of the pole that casts a shadow of 45 m.
Solution:
If shadow cast is 30 m, then height of Pole = 12 m
If shadow cast is 1 m, then height of Pole = \(\frac {12}{30}\) m
If shadow cast is 45 m, then height of Pole
= \(\frac {12}{30}\) × 45 m
= 18 m

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8. A man earns ₹ 11200 in 7 months.

Question (i)
How much will he earn in 18 months?
Solution:
A man earns in 7 months = ₹ 11200
A man earns in 1 month = ₹ \(\frac {11200}{7}\)
A man earns in 18 months = ₹ \(\frac {11200}{7}\) × 18
= ₹ 28800

Question (ii)
In how many months will he earn ₹ 40,000?
Solution:
A man earns ₹ 1600 = 1 month
A man earns ₹ 40000 = \(\frac {1}{1600}\) × 40000
= 25 months

9. If the cost of a dozen soaps is ₹ 153.60. What will be the cost of 16 such soaps?
Solution:
Cost of 12 soaps = ₹ 153.60
(1 dozen =12 pieces)
Cost of 1 soap = ₹ \(\frac {153.60}{12}\)
Cost of 16 soap = ₹ \(\frac {153.60}{12}\) × 16
= ₹ 204.80

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10. Cost of 105 envelops is ₹ 35. How many envelops can be purchased for ₹ 10?
Solution:
Number of envelops purchased for ₹ 35 = 105
Number of envelops purchased for ₹ 1 = \(\frac {105}{35}\)
Number of envelops purchased for ₹ 10 = \(\frac {105}{35}\) × 10
= 30

11. A bus travels 90 km in 2\(\frac {1}{2}\) hours.

Question (i)
How much time is required to cover 54 km with the same speed?
Solution:
Time required to cover 90 km
= 2\(\frac {1}{2}\) hours
= \(\frac {5}{2}\) hours
Time required to cover 1 km
= \(\frac{5}{2} \times \frac{1}{90}\) hours
Time required to cover 54 km
= \frac{5}{2} \times \frac{1}{90} × 54 hours
= \(\frac {3}{2}\) hours
= 1\(\frac {1}{2}\) hours

Question (ii)
Find the distance covered in 4 hours with the same speed?
Solution:
Distance covered in \(\frac {5}{2}\) hours
= 90 km
Distance covered 1 hour
= 90 × \(\frac {2}{5}\) km
Distance covered 4 hours
= 4 × 90 × \(\frac {2}{5}\) km
= 144 km

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12. Anshul made 57 runs in 6 overs. In how many overs he made 95 runs with same strike rate?
Solution:
Number of overs to make 57 runs = 6 overs
Number of overs to make 1 run = \(\frac {6}{57}\) over
Number of overs to make 95 runs = \(\frac {6}{57}\) × 95 overs
= 10 overs

13. Cost of 5 kg rice is ₹ 32.50.

Question (i)
What will be the cost of 14 kg such rice?
Solution:
Cost of 5 kg rice = ₹ 32.50
Cost of 1 kg rice = ₹ \(\frac {32.50}{5}\)
Cost of 14 kg rice = ₹ \(\frac {32.50}{5}\) × 14
= ₹ 91

Question (ii)
What quantity of rice can be purchased in ₹ 162.50?
Solution:
Qunatity of rice for ₹ 32.50 = 5 kg
Qunatity of rice for ₹ 1 = \(\frac {5}{32.50}\) kg
Qunatity of rice for ₹ 162.50 = \(\frac {5}{32.50}\) × 162.50
= 25 kg

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14. If a cow grazes 21 sq. m of a field in 6 days. How much area will it graze in 27 days?
Solution:
Field grazed in 6 days = 21 sq. m
Field grazed in 1 day = \(\frac {21}{6}\) sq. m
Field grazed in 27 days = \(\frac {21}{6}\) × 27 sq. m
= 94.5 sq. m

PSEB 6th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Niband Lekhan निबंध-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 6th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

1. अमृतसर का हरिमन्दिर साहिब

सिक्खों के चौथे धर्म गुरु रामदास जी द्वारा अमृतसर की स्थापना हुई। अमृतसर का अर्थ है-अमृतसर अर्थात् अमृत का तालाब। गुरु रामदास जी के बाद उनके सपुत्र अर्जन देव जी ने इस मन्दिर का विकास किया। सिक्ख धर्म के पवित्र ग्रन्थ ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ को मन्दिर में प्रतिष्ठित करने का श्रेय भी गुरु अर्जन देव जी को ही है। सिक्खों ने जब राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति की तो इस मन्दिर को भव्य रूप दिया जाने लगा। महाराजा रणजीत सिंह के राज्य में इस मन्दिर ने प्रगति की। इसे ‘दरबार साहिब’ तथा ‘हरिमन्दिर साहिब’ का नाम दिया गया है।

हरिमन्दिर साहिब की शोभा भी अद्वितीय है। मन्दिर के बाहर का दृश्य भी बड़ा सुन्दर है। यहां अनेक दुकानें हैं। मन्दिर के भीतर का दृश्य मुग्धकारी है। मन्दिर विशाल सरोवर से घिरा हुआ है। मन्दिर का सारा क्षेत्र संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है। आंगन पार करने पर ऊंचा ध्वज स्तम्भ है जिस पर केसरिया ध्वज हवा में बातें करता है। एक बड़ा नगाड़ा भी है जिसके द्वारा सायंकाल तथा प्रात:काल की प्रार्थनाओं की घोषणा की जाती है। दिनभर यहां भजन, कीर्तन की गूंज रहती है। मन्दिर की तीन मंज़िलें हैं। नीचे की मंजिल में एक स्वर्ण जड़ित सिंहासन पर ‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी’ सुशोभित होते हैं। मन्दिर का भीतरी भाग अत्यन्त सुन्दर है। यह सोने, चांदी और पच्चीकारी से मढ़ा हुआ है। मन्दिर के कुछ अपने नियम हैं जिनका श्रद्धालुओं को पालन करना पड़ता है। विशेष अवसरों पर मन्दिर को विशेष ढंग से सजाया जाता है। इसको फूलों की तोरण तथा बिजली की रोशनी से सजा कर अलौकिक रूप दिया जाता है।

अमृतसर का हरिमन्दिर साहिब भारतीय संस्कृति, कला तथा धर्म का प्रत्यक्ष रूप है। यह सिक्खों की धर्म के प्रति आस्था को प्रकट करता है। इसके साथ ही यह एक युग के’ इतिहास की याद भी दिलाता है। इसके माध्यम से ही सिक्ख गुरुओं तथा अनेक शिष्यों का योगदान प्रशंसनीय रहा है। ऐसे धार्मिक स्थान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। ये स्थान हमारे मन में आस्तिकता की भावना और अपनी संस्कृति की रक्षा के भाव जगाते हैं। ऐसे स्थानों का सम्मान और उनकी रक्षा करना प्रत्येक भारतवासी का परम कर्तव्य है।

अमृतसर का हरिमन्दिर साहिब एक पावन तीर्थ स्थल है। वहां जाकर हृदय को अपूर्व शान्ति मिलती है। श्रद्धालु वहां जाकर जो कुछ मांगते हैं, उनकी आशाएं पूर्ण होती हैं। भला भगवान् के दरबार से कोई खाली लौट सकता है? इस सरोवर का अमृत जल जो पीता है उसका मन स्वच्छता के निकट पहुंचने लगता है।

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2. महात्मा गाँधी
अथवा
मेरा प्रिय नेता

महात्मा गाँधी भारत के महान् नेताओं में से थे। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के बल से अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। दुनिया के इतिहास में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा। इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को पोरबन्दर (गुजरात) में हुआ। आप मोहनदास कर्मचन्द गाँधी के नाम से प्रख्यात हुए। आपके पिता राजकोट राजा के दीवान थे। माता पुतली बाई बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की एवं सती-साध्वी स्त्री थीं जिनका प्रभाव गाँधी जी पर आजीवन रहा।

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा आपने स्थानीय स्कूलों से ही प्राप्त की। तेरह वर्ष की आयु में कस्तूरबा के साथ आपका विवाह हुआ। आप कानून पढ़ने विलायत गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। मुम्बई में आकर वकालत का कार्य आरम्भ किया। किसी विशेष मुकद्दमे की पैरवी करने के लिए वे दक्षिणी अफ्रीका गए। वहाँ भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों का दुर्व्यवहार देखकर उनमें राष्ट्रीय भावना जागृत हुई।

जब सन् 1915 में भारत वापस लौट आए तो अंग्रेजों का दमन-चक्र ज़ोरों पर था। रौलेट एक्ट जैसे काले कानून लागू थे। सन् 1919 की जलियाँवाला बाग के नर-संहार से देश बेचैन था। गांधी जी ने देश वासियों को अंग्रेज़ों की गुलामी से आजाद करवाने का प्रण लिया और इसके लिए अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन चलाया। इसके बाद सन् 1928 में जब ‘साइमन कमीशन’ भारत आया तो गाँधी जी ने उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया। सन् 1930 में नमक आन्दोलन तथा डाण्डी यात्रा की। सन् 1942 के अन्त में द्वितीय महायुद्ध के साथ ‘अंग्रेज़ो! भारत छोड़ो’ आन्दोलन का बिगुल बजाया और कहा, “यह मेरी अन्तिम लड़ाई है।” वे अपने अनुयायियों के साथ गिरफ्तार हुए। इस प्रकार अन्त में 15 अगस्त, सन् 1947 को अंग्रेजों ने भारत देश को स्वतंत्र घोषित किया और देश छोड़ कर चले गए।

स्वतन्त्रता का पुजारी बापू गाँधी 30 जनवरी, सन् 1948 को एक मनचले नौजवान नाथूराम गोडसे की गोली का शिकार हुआ। गाँधी जी मरकर भी अमर हैं। युग-युगान्तरों तक उनका नाम अमन के पुजारियों के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।

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3. नदी की आत्मकथा

मैं नदी हूँ। दो तटों में बंधी होने के कारण मैं तटिनी भी कहलाती हूँ। मेरा विशाल रूप कभी किसी को लुभाता है तो कभी किसी को डराता है लेकिन वास्तव में मैं सब का हित ही चाहती हूँ और सभी के भरण-पोषण का कारण बनती हूँ। इसीलिए मानव-सभ्यता के आरंभ के साथ ही जन-जातियां मेरे किनारों पर ही बसना चाहती रही हैं। संसार की सारी जातियों, सभ्यताओं और संस्कृतियों का विकास मेरे किनारों पर ही हुआ है। यह भिन्न बात है कि अलग-अलग स्थानों-देशों में उनका विकास मेरी अलग-अलग बहिनों-सहेलियों के

किनारों पर ही हुआ था। गंगा, यमुना, महानदी, गोदावरी, वोल्गा, नील, ह्वांग आदि नाम अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन उन का जन्म, शक्ल-सूरत, रूप-रंग, बहाव आदि सब एक समान ही है और सब का अंत एक ही है-सागर के साथ एकाकार हो जाना और अपना अस्तित्व सदा के लिए खो देना, सागर की गहराइयों में मिल जाने के बाद हमारा नाम धाम अस्तित्व सब मिट जाता है।

4. यदि मैं अध्यापक होता !

यदि मैं अध्यापक होता तो कक्षा में मेरी स्थिति वही होती जो मस्तिष्क की शरीर में, इंजन की रेलगाड़ी में तथा पंखे की वायुयान में होती है। मुझे अध्यापन कार्य तथा छात्रों का दिशा बोध करना पड़ता। निस्संदेह मेरा काम काफ़ी जटिल होता और कठिनाइयाँ तथा चुनौतियाँ पग-पग पर मेरे रास्ते में रुकावटें डालती हुई दिखाई देतीं। लेकिन मैं अपने कदम आगे की ओर ही बढ़ाता जाता।

यदि मैं अध्यापक होता तो सबसे पहले अनुशासन स्थापित करता क्योंकि अनुशासन राष्ट्र की नींव होती है। मैं विद्यालय में अनुशासन स्थापित करने की योजना बनाता। मैं यह भली प्रकार से जानता हूँ कि विद्यार्थी अनुशासन को तभी भंग करते हैं जब उनकी इच्छाएँ अधूरी रह जाती हैं। मैं विद्यालय के अनेक कार्यों में विद्यालयों का सहयोग प्राप्त करता। मैं उन्हें सहकारी समिति बनाने के लिए कहता। वे अपने चुनाव करते और देर से आने वाले विद्यार्थियों के लिए स्वयं ही दंड विधान करते। इस प्रकार वे स्वयं को विद्यालय का अंग मानने लगते तथा ऐसा करके मैं अनुशासन स्थापित करने में सफल हो जाता।
यदि मैं अध्यापक होता तो मैं छात्रों की कठिनाइयों का पता लगाता। मैं सहयोगी अध्यापकों से पूछता कि वे किस प्रकार आदर्श शिक्षा देना चाहते हैं ? इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मैं अपनी नीति का ऐसा स्वरूप निश्चित करता जिसमें विद्यार्थी प्रसन्न रहते। इससे उनमें आत्म-विश्वास तथा संतोष की भावना दृढ़ होती है।

मैं जानता हूँ कि आज के बालक कल के नेता होते हैं। अतः राष्ट्र तभी उन्नति कर सकता है जब विद्यालय के बालकों को अच्छी शिक्षा दी जाए। उन्हें राष्ट्र के नेता बनाने के लिए उनके बाल्य जीवन से ही नेतृत्व के गुणों का विकास करना अति आवश्यक है। मैं उनको आदर्श नागरिक बनने की शिक्षा देता ताकि राष्ट्र उनके नेतृत्व से लाभ उठा सकता।

मैं उपदेश देने की बजाय अपना आदर्श प्रस्तुत करने पर बल देता। मैं दूसरों को कुछ नहीं कहता और उनको स्वयं कुछ करके दिखाता। अन्य अध्यापक भी मुझ से प्रेरित होकर कर्मशील हो जाते। चूंकि बालकों में अनुकरण की प्रवृत्ति होती है अतः वे मुझे और अध्यापकों को कार्य में लगे देखकर प्रेरित होते।

मैं छात्रों के साथ मित्रता का व्यवहार करता। किसी पर भी अनुचित दबाव न डालता। काश ! मैं अध्यापक होता और अपने स्वप्नों को साकार रूप देता।

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5. लाला लाजपत राय

भारत के इतिहास में ऐसे वीर पुरुषों की कमी नहीं है, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। ऐसे वीर शहीदों में पंजाब केसरी लाला लाजपत राय का नाम याद किया जाएगा। लाला जी का जन्म जिला लुधियाना के दुढिके गाँव में सन् 1865.ई० में हुआ। इनके पिता लाला राधाकृष्ण वहाँ अध्यापक थे। लाला लाजपत राय ने मैट्रिक की परीक्षा में छात्रवृत्ति ली। फिर गवर्नमैंट कॉलेज में दाखिल हुए। वहाँ एफ० ए० की परीक्षा पास की, फिर मुख्यारी और इसके बाद वकालत पास की।

वकालत पास करके पहले वे जगराओं में रहे। फिर हिसार आकर काम करने लगे। वहाँ ये तीन वर्ष तक म्यूनिसिपल कमेटी के सेक्रेटरी रहे। इसके बाद लाला जी लाहौर चले गए। वहाँ उनको आर्य समाज की सेवा करने का मौका मिला। लाला जी ने डी० ए० वी० संस्थाओं की बड़ी सेवा की। गुरुदत्त और महात्मा हंसराज इनके साथ थे। पहले इनका कार्यक्षेत्र आर्य समाज था। बाद में ये राष्ट्रीय कार्यों में भाग लेने लगे। रावलपिंडी केस में लाला जी ने वहाँ के लोगों की पैरवी की। इस प्रकार नहरी पानी के टैक्स पर किसानों में जब उत्तेजना फैली तो इन्होंने उनका नेतृत्व किया।

लाला जी सरकार की आँखों में खटकने लगे। परिणामस्वरूप सरकार उन्हें पकड़ने का बहाना सोचने लगी। उन्हीं दिनों लोकमान्य बालगंगाधर तिलक से प्रभावित क्रान्तिकारी लोग उत्तेजना फैला रहे थे। बंग-भंग के आन्दोलन के समय पंजाब में भी लोगों में असन्तोष फैलने लगा। बस, सरकार को अच्छा मौका मिल गया। उसने लाला जी को पकड़ कर मांडले जेल भेज दिया। वहाँ से छूटकर लाला जी ने यूरोप और अमेरिका की यात्रा की। सन् 1928 ई० में साइमन कमीशन लाहौर आने वाला था। लाला जी उसके विरुद्ध बॉयकाट के प्रदर्शन के लीडर थे। गोरी सरकार ने बौखलाकर जलूस पर लाठियां बरसानी आरम्भ कर दीं। कम्बख्त असिस्टैंट पुलिस सुपरिण्टैंटेंट ने लाला जी पर लाठियाँ बरसाईं। इन घावों के कारण लाला जी 17 नवम्बर, सन् 1928 को प्रात: काल समूचे भारत को बिलखता छोड़कर इस संसार से चल बसे।

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले। वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।

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6. गुरु नानक देव जी

गुरु नानक देव जी का जन्म शेखूपुरा के तलवंडी नामक गाँव में सन् 1469 ई० में हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालू राम और माता का नाम तृप्ता देवी था। जब गुरु नानक देव जी 7 वर्ष के हुए तो इनके पिता जी ने इन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। लेकिन इनका मन ईश्वर भक्ति में अधिक लगता था। वह सदा ईश्वर-भक्ति में लीन रहते थे। पिता जी ने सोचा कि पुत्र यदि ईश्वर-भक्ति में रहा और कुछ कमाना न सीखा तो आगे चलकर क्या करेगा। उन्होंने नानक को व्यापार में डाला। पिता ने एक बार इन्हें कुछ रुपए देकर सच्चा सौदा करने को कहा। मार्ग में इन्हें कुछ भूखे साधु मिले। इन्होंने पैसों से उन्हें भोजन करवा दिया।

20 वर्ष की आयु में गुरु नानक देव जी ने सुल्तानपुर के नवाब के मोदीखाने में नौकरी कर ली। यहाँ भी वे अपना वेतन ग़रीबों और साधुओं में बाँट देते थे।
गुरु नानक देव जी का विवाह बटाला निवासी मूलचन्द की सपुत्री सुलक्खणी देवी से हुआ। इनके दो पुत्र हुए-श्रीचन्द और लख्मी दास। इन्होंने देश तथा विदेश की यात्राएँ भी की। इनकी यात्राओं को उदासियों का नाम दिया गया। इन्होंने लोगों को ईश्वर सम्बन्धी अपने अनुभव बताए। उन्होंने ईश्वर को निराकार बताया और कहा कि धर्म के नाम पर झगड़ना अच्छा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छे कामों से ही ईश्वर मिलता है, बुरे कामों से नहीं। हिन्द्र तथा मुसलमान सभी उनका आदर करते थे। सन् 1539 ई० में आप करतारपुर में ज्योति-ज्योत समा गए। वहाँ विशाल गुरुद्वारा बना हुआ है।

7. सन्त सिपाही गुरु गोबिन्द सिंह जी

श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी सिक्खों के दसवें गुरु हैं। वे एक महान् शूरवीर और तेजस्वी नेता थे। उन्होंने मुग़लों के अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी और ‘सत श्री अकाल’ का नारा दिया था। उन्होंने कायरों को वीर और वीरों को सिंह बना दिया था। काल का अवतार बनकर उन्होंने शत्रुओं के छक्के छुड़ा दिए थे। इस तरह उन्होंने धर्म, जाति और राष्ट्र को नया जीवन दिया था।

गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर, सन् 1666 ई० को पटना में हुआ। इनका बचपन का नाम गोबिन्द राय रखा गया। इनके पिता नौवें गुरु श्री तेग़ बहादुर जी कुछ समय बाद पंजाब लौट आए थे। परन्तु यह अपनी माता गुजरी जी के साथ आठ साल तक पटना में ही रहे। · गोबिन्द राय बचपन से ही स्वाभिमानी और शूरवीर थे। घुड़सवारी करना, हथियार चलाना, साथियों की दो टोलियाँ बनाकर युद्ध करना तथा शत्रु को, जीतने के खेल खेलते थे। वे खेल में अपने साथियों का नेतृत्व करते थे। उनकी बुद्धि बहुत तेज़ थी। उन्होंने आसानी से हिन्दी, संस्कृत और फ़ारसी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

उन दिनों औरंगजेब के अत्याचार ज़ोरों पर थे। वह तलवार के ज़ोर से हिन्दुओं को मुसलमान बना रहा था। कश्मीर में भी हिन्दुओं को ज़बरदस्ती मुसलमान बनाया जा रहा था। भयभीत कश्मीरी ब्राह्मण गुरु तेग़ बहादुर जी के पास आए। उन्होंने गुरु जी से हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए प्रार्थना की। गुरु तेग़ बहादुर जी ने कहा कि इस समय किसी महापुरुष के बलिदान की आवश्यकता है। पास बैठे बालक गोबिन्द राय ने कहा-“पिता जी, आप से बढ़कर महापुरुष और कौन हो सकता है?” तब गुरु तेग़ बहादुर जी ने बलिदान देने का निश्चय कर लिया। वे हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए दिल्ली पहुंच गए और वहाँ धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया।

पिता जी की शहीदी के बाद गोबिन्द राय 11 नवम्बर, सन् 1675 ई० को गुरु गद्दी पर बैठे। उन्होंने औरंगज़ेब के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई और हिन्दू धर्म की रक्षा का बीड़ा उठाया। उन्होंने गुरु परम्परा को बदल दिया। वे अपने शिष्यों को सैनिक-शिक्षा देते थे।

सन् 1699 में वैशाखी के दिन गुरु गोबिन्द राय जी ने आनन्दपुर साहब में दरबार सजाया। भरी सभा में उन्होंने बलिदान के लिए पाँच सिरों की मांग की। गुरु जी की यह माँग सुनकर सारी सभा में सन्नाटा छा गया। फिर एक-एक करके पाँच व्यक्ति अपना बलिदान देने के लिए आगे आए। गुरु जी एक-एक करके उन्हें तम्बू में ले जाते रहे। इस प्रकार उन्होंने पाँच प्यारों का चुनाव किया। फिर उन्हें अमृत छकाया और स्वयं भी उनसे अमृत छका। इस तरह उन्होंने अन्याय और अत्याचार का विरोध करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने अपना नाम गोबिन्द राय से गोबिन्द सिंह रख लिया।

गुरु जी की बढ़ती हुई सैनिक शक्ति को देखकर कई पहाड़ी राजे उनके शत्रु बन गए। पाऊंटा दुर्ग के पास भंगानी के स्थान पर फतेह शाह ने गुरु जी पर आक्रमण कर दिया। सिक्ख बड़ी वीरता से लड़े। अन्त में गुरु जी विजयी रहे।

औरंगज़ेब ने गुरु जी की शक्ति समाप्त करने का निश्चय किया। उसने लाहौर और सरहिन्द के सूबेदारों को गुरु जी पर आक्रमण करने का हुक्म दिया। पहाड़ी राजा मुग़लों के साथ मिल गए। उन सबने कई महीनों तक आनन्दपुर को घेरे रखा। गुरु जी को काफ़ी हानि उठानी पड़ी। मुग़ल सेना से लड़ते-लड़ते गुरु जी चमकौर जा पहुँचे। चमकौर के युद्ध में गुरु जी के दोनों बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह शत्रुओं से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उनके दोनों छोटे साहिबजादों ज़ोरावर सिंह और फ़तेह सिंह को सरहिन्द के सूबेदार ने पकड़ कर जीवित ही दीवार में चिनवा दिया।

नंदेड़ में मूल खाँ नाम का एक पठान रहता था। उसकी गुरु जी से पुरानी शत्रुता थी। एक दिन उसने छुरे से गुरु जी पर हमला कर दिया। गुरु जी ने कृपाण के एक वार से उसे सदा की नींद सुला दिया। गुरु जी का घाव काफ़ी गहरा था। इसी घाव के कारण गुरु गोबिन्द सिंह जी 7 अक्तूबर, सन् 1708 ई० को ज्योति-जोत समा गए।

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8. महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के एक महान् और वीर सपूत थे। इतिहास में उनका नाम शेरे पंजाब के नाम से मशहूर है। महाराजा रणजीत सिंह ने एक मज़बूत सिक्ख राज्य की . स्थापना की थी। उन्होंने अफ़गानों की मांद में पहुँचकर उन्हें ललकारा था। इसके साथ ही रणजीत सिंह ने अंग्रेज़ों और मराठों पर भी अपनी बहादुरी की धाक जमाई थी।

महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 2 नवम्बर, सन् 1780 को गुजरांवाला में हुआ। आपके पिता सरदार महासिंह सुकरचकिया मिसल के मुखिया थे। आपकी माता राज कौर जींद की फुलकिया मिसल के सरदार की बेटी थी। आपका बचपन का नाम बुध सिंह था। सरदार महासिंह ने जम्मू को जीतने की खुशी में बुध सिंह की जगह अपने बेटे का नाम रणजीत सिंह रख दिया। महाराजा रणजीत सिंह को वीरता विरासत में मिली थी। उन्होंने दस साल की उम्र में गुजरात के सरदार साहिब को लड़ाई में कड़ी हार दी थी। उस समय रणजीत सिंह के पिता महासिंह अचानक बीमार हो गए थे। इस कारण सेना की बागडोर रणजीत सिंह ने सम्भाली थी।

महाराजा रणजीत सिंह के पिता की मौत इनकी छोटी उम्र में ही हो गई थी। इस कारण ग्यारह साल की उम्र में उन्हें राजगद्दी सम्भालनी पड़ी। पन्द्रह साल की उम्र में महाराजा रणजीत सिंह का विवाह कन्हैया मिसल के सरदार गुरबख्श सिंह की बेटी महताब कौर से हुआ। इन्होंने दूसरा विवाह नकई मिसल के सरदार की बहन से किया।

महाराजा रणजीत सिंह ने बड़ी चतुराई से सभी मिसलों को इकट्ठा किया और हुकूमत अपने हाथ में ले ली। 19 साल की उम्र में आपने लाहौर पर अधिकार कर लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया। धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर, अमृतसर, मुल्तान, पेशावर आदि सब इलाके अपने अधीन करके एक विशाल राज्य की स्थापना की। आपने सतलुज की सीमा तक सिक्ख राज्य की जड़ें पक्की कर दी।

पठानों पर हमला करने के लिए महाराजा रणजीत सिंह आगे बढ़े। रास्ते में अटक नदी बड़ी तेज़ी से बह रही थी। सरदारों ने कहा-महाराज ! इस नदी को पार करना बहुत कठिन है, परन्तु महाराजा रणजीत ने कहा-जिसके मन में अटक है, उसे ही अटक नदी रोक सकती है। उन्होंने अपने घोड़े को एड़ी लगाई। घोड़ा नदी में कूद पड़ा। महाराजा देखते-ही-देखते नदी के पार पहुंच गए। उनके साथी सैनिक भी साहस पाकर नदी के पार आ गए।

महाराजा अनेक गुणों के मालिक थे। वे जितने बड़े बहादुर थे, उतने ही बड़े दानी और दयालु भी थे। छोटे बच्चों से उन्हें बहुत प्यार था। उनका स्वभाव बड़ा नम्र था। चेचक के कारण उनकी एक आँख खराब हो गई थी। इस पर भी उनके चेहरे पर तेज था। वे प्रजापालक थे। महाराजा रणजीत सिंह की अच्छाइयाँ आज भी हमारे दिलों में उत्साह भर रही हैं। उनमें एक आदर्श प्रशासक के गुण थे, जो आज के प्रशासकों को रोशनी दिखा सकते हैं।

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9. गुरु रविदास जी

आचार्य पृथ्वी सिंह आज़ाद के अनुसार भक्तिकाल के महान् संत कवि रविदास (रैदास) जी का जन्म विक्रमी संवत् 1433 में माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन बनारस के निकट मंडरगढ़ नामक गाँव में हुआ। इस गाँव का पुराना नाम ‘मेंडुआ डीह’ था।

गुरु जी बचपन से ही संत स्वभाव के थे। उनका अधिकांश समय साधु संगति और ईश्वर भक्ति में व्यतीत होता था। गुरु जी जाति-पाति या ऊँच-नीच में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने अहंकार के त्याग, दूसरों के प्रति दया भाव रखना तथा नम्रता का व्यवहार करने का उपदेश दिया। उन्होंने लोभ, मोह को त्याग कर सच्चे हृदय से ईश्वर भक्ति करने की सलाह दी।

गुरु जी की वाणी में ऐसी शक्ति थी कि लोग उनके उपदेश सुनकर सहज ही उनके अनुयायी बन जाते थे। उनके अनुयायियों में महारानी झाला बाई और कृष्ण भक्त कवयित्री मीरा बाई का नाम उल्लेखनीय है। गुरु जी की वाणी के 40 शबद और एक श्लोक आदि ग्रन्थ श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में संकलित हैं जो समाज कल्याण के लिए आज भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रहती दुनिया तक गुरु जी की अमृतवाणी लोगों का मार्गदर्शन करती रहेगी।

10. हमारा देश

हमारे देश का नाम भारत है। दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर इसका यह नाम पड़ा। मुस्लिम शासकों ने इसे ‘हिन्दू, हिन्दुस्तान या हिन्दोस्तान’ का नाम दिया। अंग्रेजों ने इसे ‘इण्डिया’ के नाम से प्रसिद्ध किया। स्वतन्त्रता के बाद संविधान द्वारा यह देश ‘भारत’ नाम से दुनिया के मानचित्र पर चमकने लगा। यह हमारी मातृभूमि है।

हमारा देश भारत एक विशाल देश है। जनसंख्या की दृष्टि से यह संसार भर में दूसरे स्थान पर है। यह 28 राज्यों और 9 केन्द्र शासित प्रदेशों पर आधारित है। इनकी जनसंख्या 125 करोड़ से अधिक है। विभिन्न जातियों के लोग यहाँ बड़े प्यार से रहते हैं।

भारत के उत्तर में जम्मू-कश्मीर और पंजाब है। पूर्व में असम और बंगाल है। पश्चिम में गुजरात और राजस्थान है तो दक्षिण में केरल और तमिलनाडू प्रदेश है। उत्तर में हिमालय पर्वत इसका सजग प्रहरी है जो बाहरी आक्रांताओं से देश की रक्षा करता है। दक्षिण और पश्चिम में क्रमश: हिन्द महासागर और अरब सागर हमारे देश के पहरेदार हैं। इस भूखण्ड में अनेक पर्वत, नदियाँ, मैदान और मरुस्थल हैं। इस देश में गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियाँ बहती हैं। कृष्णा, कावेरी और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ यहाँ बहती हैं जिनसे कृषि सिंचाई होती है।

भारत देश में अनेक तीर्थ स्थल हैं जो इसे एक पुण्य और पवित्र देश बनाते हैं। हरिद्वार, काशी, बनारस, मथुरा, अमृतसर, द्वारिका, अजमेर, पुष्कर, तिरुपति, जगन्नाथ पुरी जैसे कई धार्मिक तीर्थ स्थल हैं यहाँ लोग अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने जाते हैं। ये सभी तीर्थ स्थल श्रद्धालुओं के श्रद्धा केन्द्र हैं। ताजमहल, लाल किला, कुतुबमीनार, सीकरी, सारनाथ जैसे कई भव्य भवन हैं जो भारतीय कला कृति के अनुपम नमूना हैं। शिमला, मंसूरी, श्रीनगर, दार्जिलिंग, डलहौजी जैसे कई दर्शनीय स्थल हैं।

भारत एक कृषि-प्रधान देश है। यहाँ की अधिकतर जनसंख्या अभी भी गाँवों में वास करती है। इनका प्रमुख व्यवसाय कृषि है। यहाँ के कृषक मेहनती हैं जो अपने खेतों में गेहूँ, चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार, चना, गन्ना आदि की कृषि करते हैं।

यह देश महापुरुषों की कर्म-स्थली है। राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, गुरु नानक देव जी आदि महापुरुष इसी देश में हुए हैं। प्रताप, शिवाजी और श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी इसी देश की शोभा थे। दयानन्द, विवेकानन्द, रामतीर्थ, तिलक, गाँधी, सुभाष चन्द्र, भगत सिंह इसी धरती के श्रृंगार थे।

सदियों की गुलामी के बाद अब भारत एक स्वतन्त्र देश बन गया है। अब वह दिन दूर नहीं जब दुनिया में भारत का नाम उजागर होगा। इसका नाम सारी दुनिया में चमकने लगेगा। हम सब भारतीयों का कर्तव्य है कि सच्चे दिल से तन, मन और धन से इसकी उन्नति में जुट जाएं।

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11. मेरा पंजाब

पौराणिक ग्रन्थों में पंजाब का पुराना नाम ‘पंचनद’ मिलता है। मुस्लिम शासन के आगमन पर इसका नाम पंजाब अर्थात् पाँच पानियों (नदियों) की धरती पड़ गया। किन्तु देश के विभाजन के पश्चात् अब रावी, व्यास और सतलुज तीन ही नदियाँ पंजाब में रह गई हैं। 15 अगस्त, सन् 1947 को इसे पूर्वी पंजाब की संज्ञा दी गई। 1 नवम्बर, सन् 1966 को इसमें से हिमाचल प्रदेश और हरियाणा प्रदेश अलग कर दिए गए किन्तु फिर से इस प्रदेश को पंजाब पुकारा जाने लगा। आज के पंजाब का क्षेत्रफल 50, 362 वर्ग किलोमीटर तथा सन् 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 2.42 करोड़ है।

पंजाब के लोग बड़े मेहनती हैं। यही कारण है कि कृषि के क्षेत्र में यह प्रदेश सबसे आगे है। औद्योगिक क्षेत्र में भी यह प्रदेश किसी से पीछे नहीं है। पंजाब का प्रत्येक गाँव पक्की सड़कों से जुड़ा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी पंजाब देश में दूसरे नंबर पर है। यहाँ छः विश्वविद्यालय हैं।

पंजाब की इस प्रगति के परिणामस्वरूप यहाँ के नागरिक प्रसन्न और खुशहाल हैं। लुधियाना का उद्योग क्षेत्र में विशेष नाम है। पंजाब के उपजाऊ खेत सारे देश की कुल गेहूँ की 21%, चावल की 10% और कपास की 12% पैदावार देते हैं। इसे ‘देश की खाद्य टोकरी’ और ‘भारत का अनाज भंडार’ कहते हैं। गुरुओं, पीरों, वीरों की यह धरती उन्नति के नए शिखरों को छू रही है।

12. विद्यार्थी जीवन
अथवा
आदर्श विद्यार्थी

महात्मा गाँधी जी कहा करते थे, “शिक्षा ही जीवन है।” इसके सामने सभी धन फीके हैं। विद्या के बिना मनुष्य कंगाल बन जाता है, क्योंकि विद्या का ही प्रकाश जीवन को आलोकित (रोशन) करता है। पढ़ने का समय बाल्यकाल से आरम्भ होकर युवावस्था तक रहता है।

भारतीय धर्मशास्त्रों ने मानव जीवन को चार आश्रमों में बाँटा है-ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। मनुष्य की उन्नति के लिए विद्यार्थी जीवन एक महत्त्वपूर्ण अवस्था है। इस काल में वे जो कुछ सीख पाते हैं, वह जीवन पर्यन्त उनकी सहायता करता है। यह वह अवस्था है जिसमें अच्छे नागरिकों का निर्माण होता है।

यह वह जीवन है जिसमें मनुष्य के मस्तिष्क और आत्मा के विकास का सूत्रपात होता है। यह वह अमूल्य समय है जो मानव जीवन में सभ्यता और संस्कृति का बीजारोपण करता है। इस जीवन की समता मानव जीवन का कोई अन्य भाग नहीं कर सकता।

शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी की शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों का समुचित विकास है। शिक्षा से विद्यार्थियों के भीतर सामाजिकता के सुन्दर भाव उत्पन्न हो जाते हैं। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा निवास करती है। अतएव आवश्यक है कि विद्यार्थी अपने अंगों का समुचित विकास करें। खेल-कूद, दौड़, व्यायाम आदि के द्वारा शरीर भी बलिष्ठ होता है और मनोरंजन के द्वारा मानसिक श्रम का बोझ भी उतर जाता है। खेल के नियम में स्वभाव और मानसिक प्रवृत्तियाँ भी सध जाती हैं।

महान् बनने के लिए महत्त्वाकांक्षा भी आवश्यक है। विद्यार्थी अपने लक्ष्य में तभी सफल हो सकता है, जबकि उसके हृदय में महत्त्वाकांक्षा की भावना हो। ऊपर दृष्टि रखने पर मनुष्य ऊपर ही उठता जाता है। मनोरथ सिद्ध करने के लिए जो उद्योग किया जाता है, वही आनन्द प्राप्ति का कारण बनता है। यही उद्योग वास्तव में जीवन का चिह्न है।

आज भारत के विद्यार्थी का स्तर गिर चुका है। उसके पास न सदाचार है न आत्मबल। इसका कारण विदेशियों द्वारा प्रचारित अनुपयोगी शिक्षा प्रणाली है। अभी तक उसी की अन्धाधुन्ध नकल चल रही है। जब तक यह सड़ा-गला विदेशी शिक्षा पद्धति का ढांचा उखाड़ नहीं फेंका जाता, तब तक न तो विद्यार्थी का जीवन ही आदर्श बन सकता है और न ही शिक्षा सर्वांगपूर्ण हो सकती है। इसलिए देश के भाग्य-विधाताओं को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

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13. विज्ञान वरदान या अभिशाप ?
अथवा
विज्ञान के चमत्कार

गत दो सौ वर्षों में विज्ञान निरन्तर उन्नति ही करता गया है। यद्यपि इससे बहुत पूर्व रामायण और महाभारत काल में भी अनेक वैज्ञानिक आविष्कारों का उल्लेख मिलता है, परन्तु उनका कोई चिह्न आज उपलब्ध नहीं हो रहा है। इसलिए 19वीं और 20वीं शताब्दी से विज्ञान का एक नया रूप देखने को मिलता है। . पहले मनुष्य का समय अन्न और वस्त्र इकट्ठे करते-करते बीत जाता था। दिन-भर कठोर श्रम करने के बाद भी उसकी आवश्यकताएँ पूर्ण नहीं हो पाती थीं, परन्तु अब मशीनों की सहायता से वह अपनी इन आवश्यकताओं को बहुत थोड़े समय काम करके पूर्ण कर सकता है। विज्ञान एक अद्भुत वरदान के रूप में मनुष्य को प्राप्त हुआ है।

आधुनिक विज्ञान में असीम शक्ति है। इसने मानव में क्रान्तिकारी परिवर्तन कर दिया है।’ भाप, बिजली और अणु-शक्ति को वश में करके मनुष्य ने मानव-समाज को वैभव की चरम सीमा पर पहुंचा दिया है। तेज़ चलने वाले वाहन, समुद्र की छाती को रौंदने वाले जहाज़ और असीम आकाश में वायु वेग से उड़ने वाले विमान, नक्षत्र लोक पर पहुँचने वाले रॉकेट प्रकृति पर मानव की विजय के उज्ज्वल उदाहरण हैं।

तार, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा और ग्रामोफोन आदि ने हमारे जीवन में ऐसी सुविधाएँ प्रस्तुत कर दी हैं जिनकी कल्पना भी पुराने लोगों के लिए कठिन होती है। प्रत्येक वैज्ञानिक आविष्कार का उपयोग मानव-हित के लिए उतना नहीं किया गया जितना मानव-जाति के अहित के लिए। वैज्ञानिक उन्नति से पूर्व भी मनुष्य लड़ा करते थे, परन्तु उस समय के युद्ध आजकल के युद्धों की तुलना में बच्चों के खिलौनों जैसे प्रतीत होते हैं। प्रत्येक नए वैज्ञानिक आविष्कार के साथ युद्धों की भयंकरता बढ़ती गई और उसकी भयानकता हिरोशिमा और नागासाकी में प्रकट हुई। जहाँ एक अणु बम्ब के विस्फोट के कारण लाखों व्यक्ति मारे गए।

प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध में जन और धन का जितना विनाश हुआ उतना शायद विज्ञान हमें सौ वर्षों में भी न दे सकेगा और यह विनाश केवल विज्ञान के कारण ही हुआ है।

यह तो निश्चित है कि विज्ञान का उपयोग मनुष्य को करना है। विज्ञान वरदान सिद्ध होगा या अभिशाप, यह पूर्ण रूप से मानव-समाज की मनोवृत्ति पर निर्भर है। विज्ञान तो मनुष्य का दास बन गया है। मनुष्य उसका स्वामी है। वह जैसा भी आदेश देगा विज्ञान उसका पालन करेगा। यदि मानव मानव रहा तो विज्ञान वरदान सिद्ध होगा। यदि मानव दानव बन गया तो विज्ञान भी अभिशाप ही बनकर रहेगा।

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14. समाचार-पत्र
अथवा
समाचार-पत्र के लाभ-हानियाँ

आज समाचार-पत्र जीवन का एक आवश्यक अंग बन गया है। समाचार-पत्रों की शक्ति असीम है। आज की वैज्ञानिक शक्तियाँ इसके बहुत पीछे रह गई हैं। प्रजातन्त्र शासन में तो इसका और भी अधिक महत्त्व है। देश की उन्नति और अवनति समाचार-पत्रों पर ही निर्भर करती है। भारत के स्वतन्त्रता-संघर्ष में समाचार-पत्रों एवं उनके सम्पादकों का विशेष योगदान रहा है। इसको किसी ने ‘जनता की सदा चलती. रहने वाली पार्लियामैंट’ कहा है।

आजकल समाचार-पत्र जनता के विचारों के प्रसार का सबसे बड़ा साधन है। वह धनियों की वस्तु न होकर जनता की वाणी है। वह शोषित और दलितों की पुकार है। आज वह जनता का माता-पिता, स्कूल-कॉलेज, शिक्षक, थियेटर, आदर्श परामर्शदाता और साथी सब कुछ है। वह सच्चे अर्थों में जनता के विचारों का प्रतिनिधित्व करता है।

डेढ़-दो रुपये के समाचार-पत्र में क्या नहीं होता। कार्टून, देश-भर के महत्त्वपूर्ण और मनोरंजक समाचार, सम्पादकीय लेख, विद्वानों के लेख, नेताओं के भाषणों की रिपोर्ट, व्यापार और मेलों की सूचनाएँ और विशेष संस्करणों में स्त्रियों और बच्चों की सामग्री, पुस्तकों की आलोचना, नाटक, कहानी, धारावाहिक उपन्यास, हास्य-व्यंग्यात्मक लेख आदि विशेष सामग्री रहती है।

समाचार-पत्र सामाजिक कुरीतियाँ दूर करने में बड़े सहायक हैं। समाचार-पत्रों की खबरें बड़े-बड़ों के मिजाज़ ठीक कर देती हैं। सरकारी नीति के प्रकाश और उसके खण्डन का समाचार-पत्र सुन्दर साधन हैं। इनके द्वारा शासन में सुधार भी किया जा सकता है।

समाचार-पत्र व्यापार का सर्व सुलभ साधन है। विक्रय करने वाले और क्रय करने वाले दोनों ही समाचार-पत्रों को अपनी सूचना का माध्यम बनाते हैं। इससे जितना ही लाभ साधारण जनता को होता है, उतना ही व्यापारियों को। बाज़ार का उतार-चढ़ाव इन्हीं समाचार-पत्रों की सूचनाओं पर चलता है। व्यापारी बड़ी उत्कण्ठा से समाचार-पत्रों को पढ़ते हैं।

विज्ञापन भी आज के युग में बड़े महत्त्वपूर्ण हो रहे हैं। प्रायः लोग विज्ञापनों वाले पृष्ठ को अवश्य पढ़ते हैं, क्योंकि इसी के सहारे वे जीवन यात्रा का प्रबन्ध करते हैं। इन विज्ञापनों में नौकरी की मांगें, वैवाहिक विज्ञापन, व्यक्तिगत सूचनाएँ और व्यापारिक विज्ञापन आदि होते हैं। चित्रपट जगत् के विज्ञापनों के लिए तो विशेष पृष्ठ होते हैं।

समाचार-पत्र से कोई हानि भी न होती हो, ऐसी बात भी नहीं है। समाचार सीमित विचारधाराओं में बँधे होते हैं। प्रायः पूंजीपति समाचार-पत्रों के मालिक होते हैं और ये अपना ही प्रचार करते हैं। कुछ पत्र सरकारी नीति की भी पक्षपातपूर्ण प्रशंसा करते हैं। कुछ ऐसे पत्र हैं जिनका एकमात्र उद्देश्य सरकार का विरोध करना है। ये दोनों बातें उचित नहीं हैं।

अन्त में यह कहना आवश्यक है कि समाचार-पत्र का बड़ा महत्त्व है, पर उसका उत्तरदायित्व भी है कि उसके समाचार निष्पक्ष हों, किसी विशेष पार्टी या पूंजीपति के स्वार्थ का साधन न बनें। आजकल के भारतीय समाचार-पत्रों में यह बड़ी कमी है। जनता की वाणी का ऐसा दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। पत्र सम्पादकों को अपना दायित्व भली प्रकार समझना चाहिए।

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15. देशभक्ति (देश-प्रेम)

देशभक्ति का अर्थ है अपने देश से प्यार अथवा अपने देश के प्रति श्रद्धा। जो मनुष्य जिस देश में पैदा होता है, उसका अन्न-जल खा-पीकर बड़ा होता है, उसकी मिट्टी में खेल कर हृष्ट-पुष्ट होता है, वहीं पढ़-लिखकर विद्वान् बनता है, वही उसकी जन्म-भूमि है।

प्रत्येक मनुष्य, प्रत्येक प्राणी अपने देश से प्यार करता है। वह कहीं भी चला जाए, संसार भर की खुशियों तथा महलों के बीच में क्यों न विचरण कर रहा हो उसे अपना देश, अपना स्थान ही प्रिय लगता है, जैसे कि पंजाबी में कहा गया है
“जो सुख छज्जू दे चबारे,
न बलख न बुखारे।”
देश-भक्त सदा ही अपने देश की उन्नति के बारे में सोचता है। हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब देश पर विपत्ति के बादल मंडराए, जब-जब हमारी आज़ादी को खतरा रहा, तब-तब हमारे देश-भक्तों ने अपनी भक्ति-भावना दिखाई। सच्चे देश-भक्त अपने सिर पर लाठियाँ खाते हैं, जेलों में जाते हैं, बार-बार अपमानित किए जाते हैं तथा हंसते-हंसते फाँसी के फंदे चूम जाते हैं। जंगलों में स्वयं तो भूख से भटकते हैं साथ ही अपने बच्चों को भी बिलखते देखते हैं।

महाराणा प्रताप का नाम कौन भूल सकता है जो अपने देश की आज़ादी के लिए दर-दर भटकते रहे, परन्तु शत्रु के आगे सिर नहीं झुकाया। महात्मा गाँधी, जवाहर लाल, सुभाष, पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, तिलक, भगत सिंह, चन्द्रशेखर, लाला लाजपत राय, मालवीय जी आदि अनेक देश-भक्तों ने आज़ादी प्राप्त करने के लिए अपना सच्चा-देश प्रेम दिखलाया। वे देश के लिए मर मिटे, पर शत्रु के आगे झुके नहीं। उन्होंने यह निश्चय किया था कि
‘सर कटा देंगे मगर
सर झुकाएंगे नहीं।”
आज जो कुछ हमने प्राप्त किया है तथा जो कुछ हम बन पाए हैं उन सब के लिए हम देश-भक्त वीरों के ही ऋणी हैं। इन्हीं के त्याग के परिणामस्वरूप हम स्वतन्त्रता में सांस ले रहे हैं। इसीलिए इन वीरों से प्रेरणा लेकर हमें भी नि:स्वार्थ भाव से अपने देश की सेवा करने का प्रण करना चाहिए तथा अपने देश की सभ्यता, संस्कृति, रीति-रिवाज, भाषा, धर्म तथा मान-मर्यादा की रक्षा करनी चाहिए।

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16. व्यायाम के लाभ

अच्छा स्वास्थ्य श्रेष्ठ धन है। इसके बिना जीवन नीरस है। शास्त्रों में कहा गया है, ‘शरीर ही धर्म का प्रधान साधन है।’ अतएव शरीर को स्वस्थ रखना व्यक्ति का प्रथम कर्तव्य है। स्वस्थ व्यक्ति ही सभी प्रकार की उन्नति कर सकता है। शरीर को स्वस्थ रखने का साधन व्यायाम है।

शरीर को एक विशेष ढंग से हिलाना-डुलाना व्यायाम कहलाता है। यह कई प्रकार से किया जा सकता है। व्यायाम करने से शरीर में पसीना आता है जिससे अन्दर का मल दूर हो जाता है। इससे शरीर निरोग एवं फुर्तीला बनता है। आयु बढ़ती है। व्यायाम करने वाला व्यक्ति बड़े-से-बड़ा काम करने से भी नहीं घबराता।

व्यायाम के अनेक प्रकार हैं । कुश्ती करना, दंड पेलना, बैठकें निकालना, दौड़ना, तैरना, घुड़सवारी, नौका चलाना, खो-खो खेलना, कबड्डी खेलना आदि पुराने ढंग के व्यायाम हैं। पहाड़ पर चढ़ना भी एक व्यायाम है। इनके अतिरिक्त आज अंग्रेज़ी के व्यायामों का भी प्रचार बढ़ रहा है। फुटबाल, वालीबाल, क्रिकेट, हॉकी, बेडमिंटन, टैनिस आदि आज के नये ढंग के व्यायाम हैं। इनके द्वारा खेल-खेल में ही व्यायाम हो जाता है।

अब उत्तरोत्तर दुनिया भर में व्यायाम का महत्त्व बढ़ रहा है। भारत में भी इस ओर . विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्कूलों में प्रत्येक विद्यार्थी को व्यायाम में भाग लेना ज़रूरी हो गया है। खेलों को अनिवार्य विषय बना दिया गया है। शारीरिक शिक्षा भी पुस्तकों की पढ़ाई का एक आवश्यक अंग बन गई है।

भारत में प्राचीन काल से योगासन चले आ रहे हैं। गुरुकुलों व ऋषि कुलों में इनकी शिक्षा दी जाती थी। स्कूलों-कॉलेजों में भी इनका प्रचलन हो रहा है। योगासन और प्राणायाम करने से आयु बढ़ती है। मुख पर तेज आता है। आलस्य दूर भागता है। प्रत्येक महापुरुष व्यायाम या श्रम को अपनाता रहा है। पं० जवाहर लाल नेहरू प्रतिदिन शीर्षासन किया करते थे। महात्मा गाँधी नियमित रूप से प्रातः भ्रमण करते थे। वे जीवन भर क्रियाशील रहे।

17. लोहड़ी

लोहड़ी का त्योहार विक्रमी संवत् के पौष मास के अन्तिम दिन अर्थात् मकर संक्रान्ति से एक दिन पहले मनाया जाता है। अंग्रेज़ी महीने के अनुसार यह दिन प्राय: 13 जनवरी को पड़ता है। इस दिन सामूहिक तौर पर या व्यक्तिगत रूप में घरों में आग जलाई जाती है और उसमें मूंगफली, रेवड़ी और फूल-मखाने की आहुतियाँ डाली जाती हैं। लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़ और मूंगफली बांटते हैं।

पता नहीं कब और कैसे इस त्योहार को लड़के के जन्म के साथ जोड़ दिया गया। प्रायः उन घरों में लोहड़ी विशेष रूप से मनाई जाती है जिस घर में लड़का हुआ हो। किन्तु पिछले वर्ष से कुछ जागरूक और सूझवान लोगों ने लड़की होने पर भी लोहड़ी मनाना शुरू कर दिया है।

लोहड़ी, अन्य त्योहारों की तरह ही पंजाबी संस्कृति के सांझेपन का, प्रेम और भाईचारे का त्योहार है। खेद का विषय है कि आज हमारे घरों में दे माई लोहड़ी-तेरी जीवे जोड़ी’ या सुन्दर मुन्दरियों हो तेरा कौन बेचारा’ जैसे गीत कम ही सुनने को मिलते हैं। लोग लोहड़ी का त्योहार भी होटलों में मनाने लगे हैं जिससे इस त्योहार की सारी गरिमा ही समाप्त होकर रह गई है।

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18. दशहरा

हमारे त्योहारों का किसी-न-किसी ऋतु के साथ सम्बन्ध रहता है। दशहरा शरद ऋतु के प्रधान त्योहारों में से एक है। यह आश्विन मास की शुक्ला दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रीराम ने लंकापति रावण पर विजय पाई थी। इसलिए इसको विजय दशमी कहते हैं।

भगवान् राम के वनवास के दिनों में रावण छल से सीता को हर कर ले गया था। राम ने हनुमान और सुग्रीव आदि मित्रों की सहायता से लंका पर आक्रमण किया तथा रावण को मार कर लंका पर विजय पाई। तभी से यह दिन मनाया जाता है।

विजय दशमी का त्योहार पाप पर पुण्य की, अधर्म पर धर्म की, असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। भगवान् राम ने अत्याचारी और दुराचारी रावण का नाश कर भारतीय संस्कृति और उसकी महान् परम्पराओं की पुनः प्रतिष्ठा की थी।

दशहरा राम लीला का अन्तिम दिन होता है। भिन्न-भिन्न स्थानों पर अलग-अलग प्रकार से यह दिन मनाया जाता है। बड़े-बड़े नगरों में रामायण के पात्रों की झांकियाँ निकाली जाती हैं। दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के कागज़ के पुतले बनाए जाते हैं। सायंकाल के समय राम और रावण के दलों में बनावटी लड़ाई होती है। राम रावण को मार देते हैं। रावण आदि के पुतले जलाए जाते हैं। पटाखे आदि छोड़े जाते हैं। लोग मिठाइयाँ तथा खिलौने लेकर अपने घरों को लौटते हैं। कुल्लू का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है। वहाँ देवताओं की शोभायात्रा निकाली जाती है।

इस दिन कुछ असभ्य लोग शराब पीते हैं और लड़ते हैं, यह ठीक नहीं है। यदि ठीक ढंग से इस त्योहार को मनाया जाए तो बहुत लाभ हो सकता है। स्थान-स्थान पर भाषणों का प्रबन्ध होना चाहिए जहाँ विद्वान् लोग राम के जीवन पर प्रकाश डालें।

19. दीवाली

भारतीय त्योहारों में दीपमाला का विशेष स्थान है। दीपमाला शब्द का अर्थ है-दीपों की पंक्ति या माला। इस पर्व के दिन लोग रात को अपनी प्रसन्नता को प्रकट करने के लिए दीपों की पंक्तियाँ जलाते हैं और प्रकाश करते हैं। नगर और गाँव दीप-पंक्तियों से जगमगाने लगते हैं। इसी कारण इसका नाम दीपावली पड़ा। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

भगवान् राम लंकापति रावण को मार कर तथा वनवास के चौदह वर्ष समाप्त कर अयोध्या लौटे तो अयोध्या-वासियों ने उनके आगमन पर हर्षोल्लास प्रकट किया उनके स्वागत में रात को दीपक जलाए। उसी दिन की पावन स्मृति में यह दिन बड़े समारोह से मनाया जाता है।

इसी दिन जैनियों के तीर्थंकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। स्वामी दयानन्द तथा स्वामी रामतीर्थ भी इसी दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे। सिक्ख भाई भी दीवाली को बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसी प्रकार यह दिन धार्मिक दृष्टि से बड़ा पवित्र है।

दीवाली से कई दिन पूर्व तैयारी आरम्भ हो जाती है। लोग शरद् ऋतु के आरम्भ में घरों की सफाई और लिपाई-पुताई करवाते हैं और कमरों को चित्रों से सजाते हैं। इससे मक्खी , मच्छर दूर हो जाते हैं। इससे कुछ दिन पूर्व अहोई माता का पूजन किया जाता है। धन त्रयोदशी के दिन पुराने बर्तनों को लोग बेचते हैं और नए खरीदते हैं। चतुर्दशी को घरों का कूड़ा-करकट निकालते हैं। अमावस को दीपमाला की जाती है।

इस दिन लोग अपने इष्ट-बन्धुओं तथा मित्रों को बधाई देते हैं और नव वर्ष में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। बालक-बालिकाएँ नये वस्त्र धारण कर मिठाई बाँटते हैं। रात को आतिशबाज़ी चलाते हैं। लोग रात को लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। कहीं-कहीं दुर्गा सप्तशति का पाठ किया जाता है।

दीवाली हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे यथोचित रीति से मनाना चाहिए। इस दिन विद्वान् लोग व्याख्यान देकर जन-साधारण को शुभ मार्ग पर चला सकते हैं। जुआ और शराब का सेवन बहुत बुरा है। इससे बचना चाहिए। आतिशबाज़ी पर अधिक खर्च नहीं करना चाहिए।

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20. होली

मुसलमानों के लिए ईद का, ईसाइयों के लिए क्रिसमस (बड़े दिन) का जो स्थान है, वही स्थान हिन्दू त्योहारों में होली का है। यह बसन्त का उल्लासमय पर्व है। इसे ‘बसन्त का यौवन’ कहा जाता है। प्रकृति सरसों के फूलों की पीली साड़ी पहन कर किसी की बाट जोहती हुई प्रतीत होती है। हमारे पूर्वजों ने होली के उत्सव को आपसी प्रेम का प्रतीक माना है।

होली मनुष्य मात्र के हृदय में आशा और विश्वास को जन्म देती है। नस-नस में नया रक्त प्रवाहित हो उठता है। बाल, वृद्ध सबमें नई उमंगें भर जाती हैं। निराशा दूर हो जाती है। धनी-निर्धन सभी एक साथ मिलकर होली खेलते हैं।

होली प्रकृति की सहचरी है। बसन्त में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है तो होली का त्योहार उसका श्रृंगार करने आता है। होली ऋतु-सम्बन्धी त्योहार है। शीत की समाप्ति पर किसान आनन्द विभोर हो जाते हैं। खेती पक कर तैयार होने लगती है। इसी कारण सभी मिल कर हर्षोल्लास में खो जाते हैं।

कहते हैं कि भक्त प्रह्लाद भगवान् का नाम लेता था। उसका पिता हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मानता था। वह प्रह्लाद को ईश्वर का नाम लेने से रोकता था। प्रह्लाद इसे किसी भी रूप में स्वीकार करने को तैयार न था। प्रह्लाद को अनेक दण्ड दिए गए, परन्तु भगवान् की कृपा से उसका कुछ भी न बिगड़ा। हिरण्यकश्यप की बहिन का नाम होलिका था। उसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। वह अपने भाई के आदेश पर प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर चिता में बैठ गई। भगवान् की महिमा से होलिका उस चिता में जलकर राख हो गई। प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। इसी कारण है कि आज होलिका जलाई जाती है।

इसी त्योहार के साथ कृष्ण-गोपियों की कथा भी जुड़ी हुई है। होली के अवसर पर कृष्ण और गोपियाँ खूब होली खेलते थे। सारा ब्रज रास-रंग में मस्त हो जाता था। आज कुछ लोगों ने होली का रूप बिगाड़ कर रख दिया है। सुन्दर एवं कच्चे रंगों के स्थान पर कुछ लोग काली स्याही और तवे की कालिमा प्रयोग करते हैं। कुछ मूढ़ व्यक्ति एक-दूसरे पर गन्दगी फेंकते हैं। प्रेम और आनन्द के त्योहार को घृणा और दुश्मनी का त्योहार बना दिया जाता है। इन बुराइयों को समाप्त करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।

होली के पवित्र अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर भगाना चाहिए। समता और भाईचारे का प्रचार करना चाहिए। छोटे-बड़ों को गले मिलकर एकता का उदाहरण पेश करना चाहिए।

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21. बसंत ऋतु

बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। यह ऋतु विक्रमी संवत् के महीने के । चैत्र और वैशाख महीने में आती है। इस ऋतु के आगमन की सूचना हमें कोयल की कूह-कूह की आवाज़ से मिल जाती है। वृक्षों पर, लताओं पर नई कोंपलें आनी शुरू हो जाती हैं। प्रकृति भी सरसों के फूलें खेतों में पीली चुनरियाँ ओढ़े प्रतीत होती है। इसी ऋतु में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है जो पूर्णमासी तक कौमदी महोत्सव तक मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग पीले वस्त्र पहनते हैं। घरों में पीला हलवा या पीले चावल बनाया जाता है। कुछ लोग बसंत पंचमी वाले दिन व्रत भी रखते हैं। इस दिन बटाला में वीर हकीकत राय की समाधि पर बड़ा भारी मेला लगता है।

पुराने जमाने में पटियाला और कपूरथला की रियासतों पर यह दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था। पतंगबाज के मुकाबले होते थे। कुश्तियों और शास्त्रीय संगीत का

आयोजन किया जाता था। पुराना मुहावरा था कि ‘आई बसंत तो पाला उड़त’ किन्तु पर्यावरण दूषित होने के कारण अब तो पाला बसंत के बाद ही पड़ता है। पंजाबियों को ही नहीं समूचे भारतवासियों को अमर शहीद सरदार भगत सिंह का ‘मेरा रंग दे वसंती चोला’ इस दिन की सदा याद दिलाता रहेगा।

22. वैशाखी
अथवा
कोई मेला

मेले हमारी संस्कृति का अंग हैं। इनसे विकास की प्रेरणा मिलती है। ये सद्गुणों को उजागर करते हैं । सहयोग और सहचर्य की भावना को जन्म देते हैं। वैशाखी का उत्सव हर वर्ष एक नवीन उत्साह और उमंग लेकर आता है।

वैशाखी का पर्व सारे भारत में मनाया जाता है। ईस्वी वर्ष के 13 अप्रैल के दिन यह मेला मनाया जाता है। इस दिन लोगों में नई चेतना, एक नई स्फूर्ति और नया हर्ष दिखाई देता है। हिन्दू, सिक्ख, मुसलमान, ईसाई सभी धर्मों के लोग यह मेला खुशी से मनाते हैं।

सूर्य के गिर्द वर्ष भर का चक्कर काट कर पृथ्वी जब दूसरा चक्कर शुरू करती है तो इसी दिन वैशाखी होती है। इसलिए यह सौर वर्ष का पहला दिन माना जाता है। इस दिन लोग नदी पर नहाने के लिए जाते हैं और आते समय गेहूँ के पके हुए सिट्टे लेकर आते हैं। वैशाखी पर किसानों में तो एक खुशी भर जाती है। उनकी वर्ष-भर की मेहनत रंग लाती है। खेतों में गेहूँ की स्वर्णिम डालियाँ लहलहाती देख कर उनका सीना तन जाता है। उनके पाँव में एक विचित्र-सी हलचल होने लगती है, जो भंगड़े के रूप में ताल देने लगती है।

वैशाखी के दिन लोग घरों में अन्न दान करते हैं। इष्ट-मित्रों में मिठाई बाँटते हैं। प्रत्येक को नए वर्ष की बधाई देते हैं। यह कामना करते हैं कि यह हमारे लिए शुभ हो। । कई स्थानों पर इस मेले की विशेष चहल-पहल होती है। प्रात: काल ही मन्दिरों और गुरुद्वारों में लोग इकट्ठे हो जाते हैं। ईश्वर के दरबार में लोग नतमस्तक हो जाते हैं। झूलों पर बच्चों का जमघट देखते ही बनता है। हलवाइयों की दुकानों, रेहड़ी-छाबड़ी वालों के पास भीड़ जमी रहती हैं। अमृतसर का वैशाखी मेला देखने योग्य होता है।

प्रत्येक व्यक्ति वैशाखी हर्ष-उल्लास से मनाता है। इस दिन नए काम आरम्भ किए जाते हैं। पुराने कामों का लेखा-जोखा किया जाता है। स्कूलों का सत्र वैशाखी से आरम्भ होता है। सभी चाहते हैं कि त्यौहार उनके लिए हर्ष का सन्देश लाए। समृद्धि का बोलबाला हो।

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23. गणतन्त्र दिवस

भारत में धार्मिक तथा सांस्कृतिक पर्यों के अतिरिक्त कछ ऐसे उत्सव भी मनाए जाने लगे हैं जिनका अपना राष्ट्रीय महत्त्व है। ऐसे उत्सव जिनका सम्बन्ध सारे राष्ट्र तथा उनमें निवास करने वाले जन-जीवन से होता है, राष्ट्रीय उत्सवों के नाम से प्रसिद्ध हैं। 26 जनवरी इन्हीं में से एक है। यह हमारा गणतन्त्र दिवस है।

छब्बीस जनवरी राष्ट्रीय उत्सवों में विशेष स्थान रखता है क्योंकि भारतीय गणतन्त्रात्मक लोक राज्य का अपना बनाया संविधान इसी पुण्य तिथि को लागू हुआ था। इसी दिन से भारत में गवर्नर-जनरल के पद की समाप्ति हो गई और शासन का मुखिया राष्ट्रपति हो गया।

सन् 1929 में जब लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ तो उसमें कांग्रेस के अध्यक्ष श्री जवाहर लाल नेहरू बने थे। उन्होंने यह आदेश निकाला था कि 26 जनवरी के दिन प्रत्येक भारतवासी राष्ट्रीय झण्डे के नीचे खड़ा होकर प्रतिज्ञा करे कि हम भारत के लिए स्वाधीनता की मांग करेंगे और इसके लिए अन्तिम दम तक संघर्ष करेंगे। तब से प्रति वर्ष 26 जनवरी का पर्व मनाने की परम्परा चल पड़ी। आजादी के बाद 26 जनवरी, सन् 1950 को प्रथम एवम् अन्तिम गवर्नर-जनरल श्री राजगोपालाचार्य ने नव निर्वाचित राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को कार्य-भार सौंपा था।

यद्यपि यह पर्व देश के कोने-कोने में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है तथापि भारत की राजधानी दिल्ली में इसकी शोभा देखते ही बनती है। मुख्य समारोह सलामी, पुरस्कार वितरण आदि तो इण्डिया गेट पर ही होता है पर शोभा यात्रा नई दिल्ली की प्राय: सभी सड़कों पर घूमती है। विभिन्न प्रान्तीय दल लोक नृत्य तथा शिल्प आदि का प्रदर्शन करते हैं। कई ऐतिहासिक महत्त्व की वस्तुएँ भी उपस्थित की जाती हैं। छात्र-छात्राएँ भी इसमें भाग लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।

26 जनवरी के उत्सव को साधारण जन समाज का पर्व बनाने के लिए इसमें प्रत्येक भारतवासी को अवश्य भाग लेना चाहिए। इस दिन राष्ट्रवासियों को आत्म-निरीक्षण भी करना चाहिए और सोचना चाहिए कि हमने क्या खोया तथा क्या पाया है। अपनी निश्चित की गई योजनाओं मे हमें कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई है। देश को ऊँचा उठाने का पक्का इरादा करना चाहिए।

24. स्वतन्त्रता दिवस

15 अगस्त, सन् 1947 भारतीय इतिहास में एक चिरस्मरणीय दिवस रहेगा। इस दिन सदियों से भारत माता की गुलामी के बन्धन टूक-टूक हुए थे। सबने शान्ति एवं सुख का । साँस लिया था। स्वतन्त्रता दिवस हमारा सबसे महत्त्वपूर्ण तथा प्रसन्नता का त्योहार है।

इस दिन के साथ गुंथी हुई बलिदानियों की अनेक गाथाएँ हमारे हृदय में स्फूर्ति और उत्साह भर देती हैं। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष ‘स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ हमारे हृदय में गुदगुदी उत्पन्न कर देता है। पंजाब केसरी लाला लाजपत राय ने अपने रक्त से स्वतन्त्रता की देवी को तिलक किया था। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा लगाने वाले नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की याद इसी स्वतन्त्रता दिवस पर सजीव हो उठती है।

महात्मा गाँधी जी के बलिदान का तो एक अलग ही अध्याय है। उन्होंने विदेशियों के साथ अहिंसा के शस्त्र से मुकाबला किया और देश में बिना रक्तपात के क्रान्ति उत्पन्न कर दी। महात्मा गाँधी के अहिंसा, सत्य एवं त्याग के सामने अत्याचारी अंग्रेजों को पराजय खानी पड़ी। 15 अगस्त, सन् 1947 के दिन उन्हें भारत से बोरिया-बिस्तर गोल करना पड़ा। नेहरू परिवार ने इस स्वतन्त्रता यज्ञ में जो आहुति डाली वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई मिलती है। पं० जवाहर लाल नेहरू ने सन् 1929 को लाहौर में रावी के किनारे भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान करने की प्रथम ऐतिहासिक घोषणा की थी। ये 18 वर्ष तक स्वतन्त्रता-संघर्ष में लगे रहे तब कहीं 15 अगस्त का यह शुभ दिन आया।

स्वतन्त्रता दिवस भारत के प्रत्येक नगर-नगर, ग्राम-ग्राम में बड़े उत्साह तथा प्रसन्नता से मनाया जाता है। इसे भिन्न-भिन्न संस्थाएँ अपनी ओर से मनाती हैं। सरकारी स्तर पर भी यह समारोह मनाया जाता है। अब तो विदेशों में रहने वाले भारतीय भी इस राष्ट्रीय पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा झण्डा लहराया जाता है। . 15 अगस्त के दिन देश के भाग्य-विधाता निरीक्षण करें और देश की जनता को अटूट देशभक्ति की प्रेरणा दें, तभी 15 अगस्त का त्यौहार लक्ष्य पूर्ति में सहायक सिद्ध हो सकता है।

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25. फुटबाल मैच
अथवा
आँखों देखा कोई मैच

पिछले महीने की बात है कि डी० ए० वी० हाई स्कूल और सनातक धर्म हाई स्कूल की फुटबाल टीमों का मैच डी० ए० वी० हाई स्कूल के मैदान में निश्चित हुआ। दोनों टीमें ऊँचे स्तर की थीं। इर्द-गिर्द के इलाके के लोग इस मैच को देखने के लिए इकट्ठे हुए थे। दोनों टीमों की प्रशंसा सबके मुख पर थी।

अलग-अलग रंगों की वर्दी पहन कर दोनों टीमें मैदान में उतरीं। सब दर्शकों ने तालियाँ बजाईं। रेफ्री ने सीटी बजाई और खेल आरम्भ हो गया। पहली चोट सनातन धर्म स्कूल के खिलाड़ी ने की। इसके साथियों ने झट फुटबाल को सम्भाल लिया और दूसरे दल के खिलाड़ियों से बचाते हुए उनके गोल की ओर ले गए। गोल के समीप देर तक फुटबाल मंडराता रहा। सबका अनुमान था कि डी० ए० वी० हाई स्कूल की ओर गोल होकर रहेगा. परन्तु यह अनुमान गलत सिद्ध हुआ।

दोनों स्कूलों के पक्षपाती अपने-अपने स्कूल का नाम लेकर जिन्दाबाद के नारे लगा रहे थे। चारों ओर तालियों से सारा क्रीड़ा-क्षेत्र गूंज रहा था। इतने में सनातन धर्म स्कूल के खिलाड़ियों को भी जोश आ गया। बिजली की तरह दौड़ते हुए सनातन धर्म स्कूल के बैक और गोलकीपर आगे बढ़े, दोनों बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। उन दोनों ने गोल को बचाकर रखा। उन्होंने अनेक हमलों को नाकाम बना दिया। गेंद आगे चली गई। निर्णय होना सम्भव प्रतीत न होता था। दोनों टीमों के खिलाडी विवश हो गए। इतने में रेफ्री ने हाफ टाइम सूचित करने के लिए लम्बी सीटी दी। खेल कुछ मिनट के लिए रुक गया।

थोड़ी देर विश्राम करने के पश्चात् खेल फिर आरम्भ हुआ। दर्शकों का मैच देखने का कौतूहल बड़ा बढ़ गया था। खेल का मैदान चारों ओर दर्शकों से भरा हुआ था। प्रतिष्ठित सज्जन बालकों का उत्साह बढ़ा रहे थे। अच्छा खेलने वालों को बिना किसी भेदभाव के शाबाशी दी जा रही थी। इस बार भी हार-जीत का निर्णय न हो सका। समय समाप्त हो गया। रेफ्री ने समय समाप्त होने की सूचना लम्बी सीटी बजा कर दी।

दोनों पक्षों के लोगों ने अपने खिलाड़ियों को कन्धों पर उठा लिया। उन्हें अच्छा खेलने के लिए शाबाशी दी। इस प्रकार यह मैच हार-जीत का निर्णय हुए बिना ही अगले दिन तक के लिए समाप्त हो गया। नोट-‘हॉकी मैच’ का निबन्ध भी इसी तरह लिखा जा सकता है। निबन्ध में जहाँ कहीं ‘फुटबाल’ शब्द आया है वहाँ गेंद कर दें।

26. मेरा प्रिय मित्र

‘मित्र’ इस शब्द का नाम सुनते ही दिल खिल उठता है। संसार में जिसे अच्छा मित्र मिल जाए, समझो वह एक महान् भाग्यशाली व्यक्ति है। ईश्वर की कृपा से मुझे भी एक ऐसा मित्र मिला है, जो प्रत्येक दृष्टि से एक आदर्श है।

सुरेश मेरा प्रिय मित्र है। वह बड़ा शान्त स्वभाव वाला तथा हँसमुख है। वह गुणों का भण्डार है। वह मेरे बचपन का साथी है। शुरू से ही मेरे साथ पढ़ता रहा है। हम एक-दूसरे के गुणों और अवगुणों से अच्छी तरह परिचित हैं। सुरेश कभी झूठ नहीं बोलता और न ही कभी किसी को धोखा देता हैं। अगर कभी मेरा पाँव बुराई के मार्ग पर पड़ जाता है तब वह एक सच्चे मित्र की भाँति समझाकर मुझे सावधान कर देता है।

सुरेश एक धनी माँ-बाप का बेटा है। उसके पिता एक सुप्रसिद्ध डॉक्टर हैं जिन पर लक्ष्मी की अपार कृपा है। सुरेश अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा है। लेकिन उनका लाड़प्यार तथा धन उसे बिगाड़ नहीं पाया। सुरेश में कुछ ऐसे संस्कार विद्यमान हैं कि उसका प्रत्येक कदम सदा भलाई की ओर ही बढ़ता है। डॉक्टर साहब को अपने बेटे पर पूरा विश्वास है और वह उससे बड़ा प्यार करते हैं। मेरी मित्रता के कारण इस प्यार का कुछ अंश मुझे भी प्राप्त हो गया है। सुरेश के घर जब भी मुझे जाना होता है, उसके माता-पिता मुझे भी उतना ही प्यार और सत्कार देते हैं।

मेरा मित्र अपनी कक्षा का भी सबसे योग्य और मेधावी छात्र है। वह कक्षा में सदा प्रथम आता है। अध्यापक सदा उसका सम्मान करते हैं तथा प्रत्येक विषय में उसकी पूरी सहायता करते हैं। सुरेश पढ़ाई के अतिरिक्त विद्यालय के अनेक समारोहों में भी भाग लेता है। वह एक योग्य भाषणकर्ता भी है। उसने अनेक भाषण प्रतियोगिताओं में भी भाग लेकर पुरस्कार जीते हैं और विद्यालय का नाम पैदा किया है। वह हमारे विद्यालय की क्रिकेट और फुटबाल टीम का कप्तान है। इस वर्ष टूर्नामैंट के मैचों में हमारी टीम ज़िला-भर में प्रथम आई है। इसका अधिकतर श्रेय मेरे मित्र को ही है।

मेरा मित्र एक योग्य लेखक भी है। हमारे स्कूल की पत्रिका में प्रायः उसके लेख निकलते रहते हैं। ये लख समाज व देश का दर्द लिए होते हैं। मुझे पूर्ण आशा है कि मेरा मित्र एक दिन समाज और राष्ट्र की महान् सेवा करेगा। ऐसे मित्र पर मुझे गर्व है। ईश्वर उसकी आयु लम्बी करे।

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27. खेलों का महत्त्व

विद्यार्थी जीवन में खेलों का बड़ा महत्त्व है। पुस्तकों में उलझकर थका-मांदा विद्यार्थी जब खेल के मैदान में आता है तो उसकी थकावट तुरन्त गायब हो जाती है। विद्यार्थी अपने-आप में चुस्ती और ताज़गी अनुभव करता है। मानव-जीवन में सफलता के लिए मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शक्तियों के विकास से जीवन सम्पूर्ण बनता है।

स्वस्थ, प्रसन्न, चुस्त और फुर्तीला रहने के लिए शारीरिक शक्ति का विकास ज़रूरी है। इस पर ही मानसिक तथा आत्मिक विकास सम्भव है। शरीर का विकास खेल-कूद पर निर्भर करता है। सारा दिन काम करने और खेल के मैदान का दर्शन न करने से होशियार विद्यार्थी भी मूर्ख बन जाते हैं। यदि हम सारा दिन कार्य करते रहें तो शरीर में घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती छा जाती है। ज़रा खेल के मैदान में जाइये, फिर देखिए घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती कैसे दूर भागते हैं। शरीर हल्का और साहसी बन जाता है। मन में और अधिक कार्य करने की लगन पैदा होती है। – खेल दो प्रकार के होते हैं। एक वे जो घर में बैठकर खेले जा सकते हैं। इनमें व्यायाम कम तथा मनोरंजन ज्यादा होता है, जैसे शतरंज, ताश, कैरमबोर्ड आदि। दूसरे प्रकार के खेल मैदान में खेले जाते हैं, जैसे क्रिकेट, फुटबाल, वॉलीबाल, बॉस्केट बाल, कबड्डी आदि। इन खेलों से व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है।

खेलों में भाग लेने से विद्यार्थी खेल के मैदान में से अनेक शिक्षाएँ ग्रहण करता है। खेल संघर्ष द्वारा विजय प्राप्त करने की भावना पैदा करती हैं। खेलें हँसते-हँसते अनेक कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करना सिखा देती हैं। खेल के मैदान में से विद्यार्थी के अन्दर अनुशासन में रहने की भावना पैदा होती है। सहयोग करने तथा भ्रातृभाव की आदत बनती है। खेलकूद से विद्यार्थी में तन्मयता से कार्य करने की प्रवृत्ति पैदा होती है।

आजकल विद्यालयों में खेल-कूद को प्राथमिकता नहीं दी जाती। केवल वही विद्यार्थी खेल के मैदान में छाए रहते हैं जो कि टीमों के सदस्य होते हैं। शेष विद्यार्थी किसी भी खेल में भाग नहीं लेते। प्रत्येक विद्यालय में ऐसे खेलों का प्रबन्ध होना चाहिए. जिनमें प्रत्येक विद्यार्थी भाग लेकर अपना शारीरिक तथा मानसिक विकास कर सके।

28. प्रातःकाल का भ्रमण
अथवा
प्रातःकाल की सैर

मनुष्य का शरीर स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है। स्वस्थ मनुष्य ही हर काम भलीभान्ति कर सकता है। शरीर को स्वस्थ रखने का साधन व्यायाम है। व्यायामों में भ्रमण सबसे सरल और लाभदायक व्यायाम है। भ्रमण का सर्वश्रेष्ठ समय प्रात:काल माना गया है।

प्रात:काल को हमारे शास्त्रों में ब्रह्ममुहूर्त का नाम दिया गया है। यह शुभ समय माना गया है। इस समय हर काम आसानी से किया जा सकता है। प्रात:काल का पढ़ा शीघ्र याद हो जाता है। व्यायाम के लिए भी प्रातः काल का समय उत्तम है। प्रात:काल भ्रमण मनुष्य को दीर्घायु बनाता है।

प्रात:काल भ्रमण के अनेक लाभ हैं। सर्वप्रथम हमारा स्वास्थ्य उत्तम होगा। हमारे पुढे दृढ़ होंगे। आंखों को ठण्डक मिलने से ज्योति बढ़ेगी। शरीर में रक्त-संचार तथा स्फूर्ति आएगी। प्रातःकाल की वायु अत्यन्त शुद्ध तथा स्वास्थ्य के निर्माण के लिए उपयुक्त होती है। यह शुद्ध वायु हमारे फेफड़ों के अन्दर जाकर रक्त शुद्ध करती है। प्रात:काल की वायु धूलरहित तथा सुगन्धित होती है, जिससे मानसिक तथा शारीरिक बल बढ़ता है। प्रात:काल के समय प्रकृति अत्यन्त शांत होती है और अपने सुन्दर स्वरूप से मन को मुग्ध करती है।

यदि प्रात:काल किसी उपवन में निकल जाएं तो वहाँ के पक्षियों तथा फूलों, वृक्षों, लताओं को देखकर आप आनन्द विभोर हो उठेंगे। प्रातः काल भ्रमण करते समय तेजी से चलना चाहिए। साँस नाक के द्वारा लम्बे-लम्बे खींचना चाहिए। प्रात:काल घास के क्षेत्रों में ओस पर भ्रमण करने से विशेष आनन्द मिलता है। प्रातः काल का भ्रमण यदि नियमपूर्वक किया जाए तो छोटे-मोटे रोग पास भी नहीं फटकते।

बड़े-बड़े नगरों के कार्य-व्यस्त मनुष्य जब रुग्ण हो जाते हैं अथवा मंदाग्नि के शिकार हो जाते हैं, तो उनको डॉक्टर प्रातः भ्रमण की सलाह देते हैं। प्रातः काल का भ्रमण 4-5 किलोमीटर से कम नहीं होना चाहिए। भ्रमण करते समय छाती सीधी रखनी चाहिए और भुजाएँ भी खूब हिलाते रहना चाहिएं। कई लोगों के मत में प्रातः भ्रमण का आने तथा जाने का मार्ग भिन्न-भिन्न होना चाहिए।

आजकल प्रातःकाल के भ्रमण की प्रथा बहुत कम है, जिससे भान्ति-भान्ति की व्याधियों से पीड़ित मनुष्य स्वास्थ्य खो बैठे हैं। पुरुषों की अपेक्षा अस्सी प्रतिशत स्त्रियों के रुग्ण होने का मुख्य कारण तो यही है। वे घर की गन्दी वायु से बाहर नहीं निकलतीं। प्रात:काल के भ्रमण में धन व्यय नहीं होता। अतएव हर व्यक्ति को प्रातः भ्रमण की आदत डालनी चाहिए।

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29. वन महोत्सव
अथवा
वृक्षारोपण और वृक्ष रक्षा
अथवा
पेड़ों का हमारे जीवन में महत्त्व

प्राचीन समय में मनुष्य की भोजन, वस्त्र, आवास आदि आवश्यकताएं वृक्षों से पूरी होती थीं। फल उसका भोजन था, वृक्षों की छाल और पत्तियाँ उसके वस्त्र थे और लकड़ी तथा पत्तियों से बनी झोंपड़ियाँ उसका आवास थीं। फिर आग जलाने की जानकारी होने पर ऊष्मा और प्रकाश भी वृक्षों से प्राप्त किया जाने लगा। आज भी वृक्ष मानव जीवन के आधार हैं। विविध प्रकार के फल वृक्षों से ही सम्भव हैं। प्रकृति की नयनाभिराम छवि वृक्ष ही प्रदान कर सकते हैं। अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ भी वनों से मिलती हैं।

वन मानव जीवन के लिए एक निधि हैं, परन्तु जनसंख्या के बढ़ने पर पेड़ कटते और ज़मीन खेती करने और रहने के योग्य बनती गई। भारत में बहुत-से घने वन थे, परन्तु धीरेधीरे वनों का नाश भयंकर रूप धारण करने लगा। नए पेड़ों को लगाने का काम सम्भव न हो सका। स्वतन्त्रता के बाद इसकी ओर ध्यान गया और देश में वन महोत्सव को राष्ट्रीय दिवस के रूप में ही मनाया जाने लगा। यह उत्सव सारे देश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। हर जगह एक बड़ा आदमी पौधा लगाता है और फिर उसके बाद सारे लोग उसका अनुसरण करते हैं।

वन महोत्सव हमारे मन में प्रकृति की पूजा का भाव जगाता है। इस दृष्टि से छोटे वनस्पति या पौधों का महत्त्व बड़े पौधों से कम नहीं है। वे ही बड़े होकर इन पेड़ों का स्थान लेकर हमारे जीवन का आधार बनते हैं। स्वास्थ्य पर भी इनका विशेष प्रभाव पड़ता है और साथ ही घर आंगन की शोभा में भी ये चार चाँद लगाते हैं। ये पेड़ हमारी खाद्य समस्या को भी हल करते हैं। पेड़ हमें सस्ता ईंधन, रेल की पटरियाँ, हल, जहाज़, कारख़ाने, फल और घर बनाने की लकड़ी और गर्मी में सुख छाया देते हैं।

वृक्ष धरती का सौन्दर्य है। सारी धरती हरियाली से ही रंग-बिरंगी तथा सुन्दर दिखाई . देती है। मखमली घास वाले पहाड़ी प्रदेश, प्रत्येक मौसम में खिलने वाले रंग-बिरंगे फूल निश्चय ही मन मोह लेंगे। घने जंगलों की श्यामल हरियाली से हृदय खिल उठता है। मन शान्त तथा सुखी अनुभव करता है। वृक्ष वर्षा बरसाने में भी सहायक हैं। पृथ्वी पर नमी के कम होने की अवस्था में अगर वृक्ष न हो तो सम्पूर्ण पृथ्वी रेगिस्तान बन जाएगी। यही नहीं हम आज भी भोजन, औषधि, वस्त्र तथा सुख-सुविधा आदि वस्तुओं के लिए वृक्षों तथा वनस्पतियों पर निर्भर हैं। पशु-पक्षी भी इन्हीं वनस्पतियों को खा कर दूध, अण्डे, मांस आदि देते हैं। कारखानों के लिए कच्चा माल जंगलों से ही प्राप्त होता है।

समस्त प्राणी जगत् इन्हीं वृक्षों और वनस्पतियों पर निर्भर है। अनेक वैज्ञानिक खोजों के बाद यह जानकारी प्राप्त हुई है कि वृक्ष तथा वनस्पतियाँ हवा को शुद्ध करते हैं, वर्षा करते हैं तथा वातावरण को सुरक्षित रखते हैं। साँस लेने के लिए तथा जीवित रहने के लिए पशुपक्षी और मानव जगत् को जिस गैस की आवश्यकता होती है वह ऑक्सीजन गैस वृक्षों से ही प्राप्त होती है। आग जलाने में भी यही हवा सहायक होती है। वृक्ष और वनस्पतियाँ वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते तथा ऑक्सीजन छोड़ते हैं। यही ऑक्सीजन मनुष्य तथा पशु-पक्षी साँस द्वारा ग्रहण करते हैं।

आज भविष्य की चिन्ता किए बिना हमने अपनी आवश्यकताओं और सुख-सुविधाओं का अन्धाधुन्ध सफाया शुरू कर दिया है। वनों से आच्छादित भूमि पर से वनों को काटकर नगर तथा शहर बसाए जा रहे हैं। उद्योग-धन्धों की स्थापना की जा रही है। ईंधन की आवश्यकता पूर्ति के लिए घरेलू और कृषि उपकरणों के निर्माण आदि के लिए वनों को बेतहाशा काटा जा रहा है। देश के हरे-भरे आंचल को निवर्ग तथा बंजर बनाया जा रहा है, अन्य देशों की अपेक्षा भारत में वनों के प्रति उपेक्षा का व्यवहार है। जनसंख्या बढ़ती जा रही है, परन्तु वन घटते जा रहे हैं। हम उनका विकास किए बिना उनसे अधिक-सेअधिक सामग्री कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

वृक्षों के महत्त्व से कौन इन्कार कर सकता है। अतएव प्रत्येक गाँव में वृक्ष लगाए जा रहे हैं। पंजाब की जनता भी इस सन्दर्भ में कर्त्तव्य के प्रति जागरूक हो रही है। वह वृक्षों के विकास के लिए प्रयत्नशील है। हर वर्ष वन-महोत्सव मनाया जाता है। वृक्षारोपण का कार्य किया. जाता है।

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30. टेलीविज़न के लाभ-हानियाँ

टेलीविज़न का आविष्कार सन् 1926 ई० में स्काटलैण्ड के इंजीनियर जॉन एल० बेयर्ड ने किया। भारत में इसका प्रवेश सन् 1964 में हुआ। दिल्ली में एशियाई खेलों के अवसर टेलीविज़न रंगदार हो गया। टेलीविज़न को आधुनिक युग का मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन माना जाता है। केवल नेटवर्क के आने पर इसमें क्रान्तिकारी परिवर्तन हो गया है। आज देश भर में दूरदर्शन के अतिरिक्त 125 चैनलों द्वारा कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। इनमें कुछ चैनल तो केवल समाचार, संगीत या नाटक ही प्रसारित करते हैं।

टेलीविजन के आने पर हम दुनिया के किसी भी कोने में होने वाले मैच का सीधा प्रसारण देख सकते हैं। आज व्यापारी वर्ग अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए टेलीविज़न पर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों का सहारा ले रहे हैं। ये विज्ञापन टेलीविज़न चैनलों की आय का स्रोत भी हैं। शिक्षा के प्रचार-प्रसार में टेलीविज़न का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

टेलीविज़न की कई हानियाँ भी हैं। सबसे बड़ी हानि छात्र वर्ग को हुई है। टेलीविज़न उन्हें खेल के मैदान में तो दूर ले जाता ही है अतिरिक्त पढ़ाई में भी रुचि कम कर रहा है। टेलीविज़न अधिक देखना छात्रों की नेत्र ज्योति को भी प्रभावित कर रहा है। हमें चाहिए कि टेलीविज़न के गुणों को ही ध्यान में रखें इसे बीमारी न बनने दें।

31. हमारा विद्यालय
अथवा
हमारा विद्या मन्दिर

भूमिका – हमारा विद्यालय सच्चे अर्थों में विद्या का घर है। इसमें विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की ओर ध्यान दिया जाता है।

नाम – शहर से दूर सुन्दर-स्वच्छ स्थान पर स्थित है। इसका पूरा नाम ……………. है।

भवन – बड़ा द्वार। सुन्दर भवन। साफ़-सुथरे हवादार 20 कमरे। रोशनी का समुचित प्रबन्ध । दीवारों पर महापुरुषों के चित्र। शिक्षा-प्रद सूक्तियाँ व मोटो। बीचों-बीच विशाल हाल कमरा। सजा हुआ ड्राइंग रूम। प्रयोगशाला। पुस्तकालय।

वाटिका – हरी-भरी मखमली घास का मैदान। फूलों से सजी क्यारियाँ। विद्यार्थियों का घास पर बैठना और पढ़ना।

क्रीड़ा क्षेत्र – विशाल क्रीड़ा क्षेत्र। हॉकी और फुटबाल के लिए गोलों के खम्भे। वॉलीबाल, बास्केटबाल और क्रिकेट का अलग मैदान, अनेक मैच व खेलों के मुकाबले।

शिक्षक – 25 प्रशिक्षित और अनुभवी अध्यापक। मुख्याध्यापक उच्चकोटि के शिक्षा विशेषज्ञ। सब का छात्रों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार। पढ़ाई का वैज्ञानिक ढंग।

परीक्षा परिणाम – बढ़िया परीक्षा परिणाम। इस कारण सारे क्षेत्र में ख्याति।

उपसंहार – इस प्रकार का आदर्श विद्यालय भगवान् सब को उपलब्ध करे। शिक्षा की उन्नति में ऐसे विद्यालय ही सहायक हो सकते हैं। देश के विकास में इनका विशेष योगदान है।

PSEB 6th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

32. रक्षा बन्धन
अथवा
राखी

भूमिका – त्योहार भारतीय संस्कृति के परिचायक हैं। रक्षा बन्धन उनमें प्रमुख है। भाई-बहन के पावन स्नेह का प्रतीक है।

रंग-बिरंगी राखियाँ – यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को आता है। बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर रंग-बिरंगी राखियाँ बाँधती हैं। उनका मुँह मीठा कराती हैं।

प्राचीन काल में – ऋषि लोग यज्ञ करते थे। उनमें राजा उपस्थित होते थे। यज्ञ की दीक्षा के रूप में उन्हें लाल सूत्र बांधा जाता था। यह रक्षा के लिए बन्धन होता था। बाद में इसका रूप बदल गया। आज इसका विकृत ढंग बदला जाना चाहिए।

मध्यकाल में – इस काल में राखी बाँधकर भाई बनाया जाता था। यवन शासकों को राजपूत स्त्रियाँ राखी भेजती थीं ताकि अत्याचारी से रक्षा पाई जा सके।

ऐतिहासिक उदाहरण – महाराणा सांगा की रानी कर्मवती ने अत्याचारी बहादुरशाह से रक्षा के लिए हुमायूँ को राखी भेजी थी। राखी बन्ध भाई हुमायूँ ने कर्मवती की रक्षा की थी।

उपसंहार – यह परम पावन त्योहार है। भाई-बहन का सम्बन्ध दृढ़ होता है। पुरानी परम्परा का परिचय मिलता है। इसका हमारे धर्म तथा संस्कृति से गहरा सम्बन्ध है।

PSEB 6th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

33. मेरी माता

मेरी माता जी का नाम श्रीमती विद्या देवी है। वे एक आदर्श अध्यापिका हैं। उनकी आयु तीस वर्ष है। उनका कद 5 फुट 10 इंच है। उनका रंग साफ है। वे अत्यंत स्वस्थ एवं चुस्त हैं। वे अपना काम समय पर करती हैं। वे अपने समय का सदुयपयोग करती हैं। समय पर उठती हैं। समय पर सोती हैं। समय पर स्कूल जाती हैं। शाम को घर आकर हमें भी पढ़ाती हैं। पढ़ाने के बाद हमारे साथ खेलती भी हैं। उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता। वे हमारी सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। वे पूरे परिवार का ध्यान रखती हैं। वे मेरे दादा एवं दादी जी की भी खूब सेवा करती हैं। मैं अपनी माता को बहुत प्यार करता हूँ। प्रभु ! उन्हें सदा स्वस्थ रखें।

34. स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत एक अभियान है। जिसे भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाया गया। उनका सपना है कि हमारा भारतवर्ष पूरी तरह से साफ, स्वच्छ एवं सुंदर बने। हमारा भारत जितना स्वच्छ एवं सुंदर होगा यहां जीवन उतना ही स्वस्थ बनेगा। यहां प्रत्येक भारतवासी को भारत के स्वस्थ बनाने का संकल्प लेना चाहिए। इसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना चाहिए। वृक्षों की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए। वनों-जंगलों की कटाई पर भी रोक लगा देनी चाहिए। नदी-तालाबों को साफ सुथरा रखना चाहिए। नदी-नालों की नियमित सफाई होनी चाहिए। कारखानों, फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी को नदीनालों में गिरने से रोक लगानी चाहिए। जब देश का प्रत्येक आदमी यह संकल्प लेगा कि हमें अपने देश को स्वच्छ बनाना है तभी स्वच्छ भारत का सपना पूरा होगा। स्वच्छ भारत के ऊपर ही स्वस्थ भारत की कल्पना की जा सकती है।

35. समय का सदुपयोग

समय सबसे मूल्यवान है। खोया धन फिर से प्राप्त किया जा सकता है किन्तु खोया समय फिर लौट कर नहीं आता। इसीलिए कहा गया है कि समय बीत जाने पर पछतावे के अलावा कुछ नहीं मिलता। कहा भी गया है कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। अतः मनुष्य को समय रहते सचेत हो जाना चाहिए।

विद्यार्थी जीवन में तो समय का बहुत महत्त्व है। यूं कहें कि विद्यार्थी का जीवन समय के सदुपयोग-दुरुपयोग पर ही आधारित होता है। जो विद्यार्थी समय का सदुपयोग करता है। उसका जीवन सफल हो जाता है। जो समय का दुरुपयोग करता है उसका जीवन नष्ट हो जाता है। अतः विद्यार्थी के लिए समय का सदुपयोग ज़रूरी है। समय का सदुपयोग करने वाले विद्यार्थी ही भविष्य में सफल होते हैं। संसार में जो लोग समय के महत्त्व को समझते हैं वे ही तरक्की करते हैं । अतः हमें आज का काम कल पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए। “कल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में परलय होएगी, बहरी करेगा कब” अर्थात हमें अपना काम कल के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि आज-कल करते-करते जीवन यूं ही व्यर्थ में बीत जाता है। अतः हमें वर्तमान समय में ही अपना कार्य पूरा करना चाहिए।

PSEB 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Patr Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

1. नई कक्षा तथा विद्यालय के प्रथम दिन के अनुभव का वर्णन करते हुए अपने पिता को पत्र लिखिए।

रेलवे कालोनी
होशियारपुर।
30 अप्रैल, 20…
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।

मैं आपके आशीर्वाद से छठी कक्षा में हो गया हूँ। मैंने कल छठी-अ में दाखिला ले लिया था। कल मेरा स्कूल में प्रथम दिन था। मेरे स्कूल का वातावरण बहुत अच्छा एवं सुंदर है। प्रांगण में अनेक वृक्ष खड़े हैं। मेरी कक्षा का कमरा स्कूल के मध्य में स्थित है। हमारे कक्षा अध्यापक का नाम श्री हरीश भारती है। वे हमें हिंदी विषय पढ़ाएंगे। वे बहुत अच्छे हैं। मैं अपनी कक्षा का मॉनीटर बन गया हूँ।

हमारे स्कूल के कमरे स्वच्छ एवं विशाल हैं। कल प्रात: 8 बजे विद्यालय की प्रातः सभा हुई। इसमें अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए गए। प्रथम दिन अनेक बच्चों ने अपने अनुभव

साझा किए। कुल मिलाकर मेरा प्रथम दिन बहुत अच्छा रहा। मुझे विश्वास है कि मैं इस बार भी मन लगाकर पढूँगा और कक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त करूंगा।

आपका सुपुत्र
चारमनजीत।

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2. अपने चाचा जी को जन्मदिन पर भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए पत्र लिखें।

परीक्षा भवन,
…… शहर।
12 अगस्त, 20….
पूज्य चाचा जी,
सादर प्रणाम।

मेरे जन्म-दिन पर आपका भेजा हुआ पार्सल प्राप्त हुआ। जब मैंने इस पार्सल को खोल कर देखा तो उसमें एक सुन्दर घड़ी देखकर मन अतीव प्रसन्न हुआ। कई वर्षों से इसका अभाव मुझे खटक रहा था।

कई बार विद्यालय जाने में भी विलम्ब हो जाता था। निस्सन्देह अब मैं अपने आपको नियमित बनाने का प्रयत्न करूँगा। इसको पाकर मुझे असीम प्रसन्नता हुई। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

पूज्य चाची जी को चरण वंदना। भाई को नमस्ते। बहन को प्यार।

आपका प्रिय भतीजा
विश्वजीत सिंह।

3. मित्र को परीक्षा में प्रथम आने पर बधाई पत्र लिखें।

208, प्रेम नगर,
लुधियाना।
11 अप्रैल, 20…
प्रिय मित्र सुरेश,
नमस्ते।

कल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़ कर बहुत खुशी हुई कि तुम सातवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हो। मेरी ओर से अपनी इस शानदार सफलता पर हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं कामना करता हूँ कि तुम अगली परीक्षा में भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त करोगे। मैं एक बार फिर बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र,
अशोक।

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4. अपने बड़े भाई को स्कूल के वार्षिकोत्सव का वर्णन करते हुए पत्र लिखें।

परीक्षा भवन,
…….. नगर।
16 फरवरी, 20…
पूज्य भाई जी,
सादर प्रणाम।

तीन-चार दिन हुए मुझे आपका पत्र मिला। पत्र का उत्तर देने में मुझे इसलिए देरी हो गई क्योंकि मैं अपने स्कूल के वार्षिक उत्सव की तैयारी में व्यस्त रहा। अब मैं इस उत्सव की संक्षिप्त-सी झलक पत्र द्वारा प्रस्तुत कर रहा हूँ।

इस वर्ष यह उत्सव 14 फरवरी को विद्यालय में वार्षिक उत्सव बड़ी धूमधाम से सम्पन्न हुआ। इसके लिए कई दिनों से तैयारियां की जा रही थीं। उत्सव के दिन सारा स्कूल नववधू की तरह सजा हुआ था। राज्य के शिक्षामन्त्री जी इस उत्सव के प्रधान थे।ज्यों ही उनकी कार स्कूल के मुख्य द्वार के सामने आकर रुकी, स्कूल के बैण्ड ने उनके स्वागत में सुरीली धुन बजाई। फिर मुख्याध्यापक जी तथा अन्य अध्यापकगण ने उनका स्वागत किया और उन्हें फूल मालाएँ पहनाई गईं। शिक्षामन्त्री के मंच पर विराजते ही सारा पण्डाल तालियों की ध्वनि से गूंज उठा। तत्पश्चात् विद्यार्थियों ने गीत, कविताएँ, नाटक इत्यादि मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। अन्त में मुख्याध्यापक जी ने स्कूल की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ कर सुनाई। इसके बाद शिक्षामन्त्री ने पुरस्कार बाँटे और एक छोटा-सा भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण में कहा किआप सब विद्यार्थी देश की दौलत हैं। सदा अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए देश के सच्चे नागरिक बनो। तभी हमारे देश का उद्धार होगा।

यदि आप इस अवसर पर होते तो बहुत प्रसन्न होते । माता जी को मेरा सादर प्रणाम ।

आपका छोटा भाई
राकेश कुमार।

5. अपनी कक्षा के सभी छात्रों की ओर से पिकनिक आयोजन हेतु प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य जी
शहीद भगत सिंह स्कूल
अमृतसर।
महोदय

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में छठी कक्षा का छात्र हूँ। मेरी कक्षा के सभी छात्र पहाड़ी क्षेत्र में पिकनिक पर जाना चाहते हैं। हमने पिकनिक पर जाने के लिए पैसे भी इकट्ठे कर लिए हैं। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम पिकनिक पर जाकर भी अनुशासन का पूर्ण ध्यान रखेंगे। कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिससे हमारे स्कूल का नाम खराब हो।

मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप हमारे साथ दो-तीन अध्यापक भेजने का कष्ट करें। हमें पिकनिक पर जाने की अनुमति प्रदान करने की कृपा करें । मैं आपका सदा आभारी रहूंगा। सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
रणजीत सिंह
कक्षा-छठी।
दिनांक : 3 मार्च, 20….

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6. बड़ी बहन के विवाह हेतु दो दिन का अवकाश मांगते हुए प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए

सेवा में,
प्रधानाचार्य जी
विश्व भारती विद्यालय
होशियारपुर।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि मेरी बड़ी बहन का विवाह 13 मार्च को होना निश्चित हुआ है। मेरा उसमें सम्मिलित होना ज़रूरी है। इसलिए मैं दो दिन विद्यालय में नहीं आ सकता। गा मुझे 13 से 14 मार्च का दो दिन का अवकाश दें। आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
हरमन कक्षा छठी
दिनांक 12 मार्च, 20…

7. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए जिसमें किसी दूसरे विद्यालय से मैच खेलने की अनुमति मांगी गई हो।

सेवा में,
प्रधानाचार्य जी
भारती पब्लिक स्कूल
अमृतसर।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में छठी कक्षा का छात्र हूँ। मैं विद्यालय का अच्छा फुटबाल खिलाड़ी हूँ। मैंने पिछले वर्ष भी अच्छा प्रदर्शन किया है। हमारे स्कूल की टीम ने भी पिछले साल ट्राफी जीती थी। हम इस बार भी दूसरे विद्यालय के साथ फुटबाल मैच खेलना चाहते हैं। मैं अपनी टीम का कप्तान हूँ। मेरी टीम में सभी अच्छे खिलाड़ी हैं। मुझे विश्वास है कि इस बार भी हम अवश्य जीतेंगे।

अतः आप हमें फुटबाल मैच खेलने की अनुमति देने की कृपा करें। आपकी अति कृपा होगी।

सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
अमरजीत
कक्षा-छठी
रोल नं. 13
दिनांक-9 नवंबर, 20…

PSEB 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

8. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण पत्र प्रदान करने हेतु पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य जी
संस्कृति मॉडल स्कूल
चंडीगढ़।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा हूँ। मैं पढ़ने में भी बहुत मेधावी हूँ। मैंने इस स्कूल में पांचवीं कक्षा में प्रथम स्थान पाया था। इसके साथ-सा मैं अन्य सभी गतिविधियों में भी निरंतर भाग लेती हूँ। मुझे किसी कार्य के लिए चरित्र प्रमाण पत्र की ज़रूरत है।

अतः आप मेरा चरित्र प्रमाण पत्र प्रदान करने की कृपा करें। मैं सदा आपकी आभारी रहूँगी। धन्यवाद।

आप की आज्ञाकारी शिष्या
हरमनप्रीत कौर
कक्षा-छठी।
दिनांक : 15 मार्च, 20…..

9. अपने मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण अवकाश लेने के लिए एक पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
एस० डी० उच्च विद्यालय,
जालन्धर।
मान्यवर,

सविनय निवेदन यह है कि मुझे कल शाम से बुखार है जिस कारण मैं कक्षा में उपस्थित नहीं हो सकता। इसलिए मुझे एक दिन का अवकाश देने की कृपा करें। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
धीरज कुमार।
कक्षा छठी ‘ए’
तिथि 12 अगस्त, 20….

PSEB 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

10. किसी आवश्यक कार्य के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
श्री पार्वती जैन उच्च विद्यालय,
लुधियाना।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि आज मुझे घर पर बहुत ही आवश्यक कार्य पड़ गया है जिस कारण मैं विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया मुझे एक दिन का अवकाश दें। मैं आपका आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रवि शर्मा।
कक्षा छठी ‘क’
तिथि 5 दिसम्बर, 20… .

11. स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र लेने के लिए प्रार्थना-पत्र।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
आर्य उच्च विद्यालय,
नवांशहर।
मान्यवर,

सविनय निवेदन यह है कि मेरे पिता जी का स्थानान्तरण फिरोज़पुर हो गया है। इसलिए हम सब यहाँ से जा रहे हैं। मेरा अकेला यहाँ रहना बड़ा मुश्किल है। अतः मुझे विद्यालय छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें। जिससे मुझे फिरोजपुर में अपनी पढ़ाई जारी रखने में असुविधा न हो। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
ललित मोहन।
छठी ‘बी’
तिथि 15 सितम्बर, 20….

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12. फीस मुआफी के लिए प्रार्थना-पत्र।

सेवा में
मुख्याध्यापिका,
शिव देवी कन्या उच्च विद्यालय,
फिरोज़पुर।
महोदया,

विनम्र निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में छठी कक्षा की छात्रा हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे-से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आय बहुत ही कम है जिससे घर का निर्वाह होना बहुत मुश्किल है। अतः मेरे पिता जी मेरी फीस देने में असमर्थ हैं लेकिन मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। मैं अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आती हूँ, खेलने में भी मेरी काफ़ी रुचि है। अत: आप मेरी फीस माफ कर मुझे कृतार्थ करें। आपकी अति कृपा होगी।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
अनुराधा कुमारी।
कक्षा छठी ‘ए’
तिथि 16 जुलाई, 20….

13. जुर्माना माफ करवाने के लिए प्रार्थना-पत्र।

सेवा में
प्रधानाचार्य
आदर्श शिक्षा केन्द्र,
नकोदर।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि पिछले सोमवार हमारे गणित के अध्यापक को टैस्ट लेना था। मेरे माता जी उस दिन बहत बीमार थे। घर में मेरे अतिरिक्त उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। इसलिए मैं टैस्ट देने के लिए उपस्थित न हो सका। मेरे अध्यापक ने मुझे बीस रुपए विशेष जुर्माना किया है। मेरे पिता जी एक ग़रीब आदमी हैं। वे जुर्माना नहीं दे सकते। मैं गणित में सदैव अच्छे अंक लेता रहा हूँ। अतः आप मेरा जुर्माना माफ कर दें।

धन्यवाद सहित।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राकेश कुमार शर्मा।
कक्षा छठी ‘ए’
तिथि 19 नवम्बर; 20…

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14. मुहल्ले की सफ़ाई के लिए स्वास्थ्याधिकारी (हैल्थ आफिसर) को प्रार्थनापत्र लिखो।

सेवा में
स्वास्थ्य अधिकारी,
नगर निगम,
जालन्धर।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि हमारे किला मुहल्ला में नगर निगम की ओर से सफ़ाई के लिए राम प्रकाश नामक जो कर्मचारी नियुक्त किया हुआ है वह अपना काम ठीक ढंग से नहीं करता। न तो वह गली की सफ़ाई ही अच्छी तरह से करता है और न ही नालियों को साफ़ करता है। गन्दे पानी से मुहल्ले की सभी नालियाँ भरी पड़ी हैं। जगह-जगह गन्दगी के ढेर लगे रहते हैं। हमने उसे कई बार ठीक तरह से काम करने के लिए कहा है परन्तु उस पर कहने का ज़रा भी असर नहीं होता। यदि सफ़ाई की कुछ दिन यही दशा रही तो कोई-न-कोई भयानक रोग अवश्य फूट पड़ेगा। इसलिए आप से यह प्रार्थना है कि आप या तो उसे बदल दीजिए या ठीक प्रकार से काम करने के लिए सावधान कर दीजिए।

धन्यवाद।
भवदीय,
शामलाल शर्मा।
तिथि 14 जून, 20….

15. पोस्ट मास्टर को डाकिये की लापरवाही के विरुद्ध शिकायती-पत्र लिखो।

109, रेलवे कॉलोनी,
बटिण्डा,
30 जुलाई, 20….

सेवा में
पोस्ट मास्टर,
बटिण्डा।
महोदय,

निवेदन है कि हमारे मुहल्ले का डाकिया सुन्दर सिंह बहुत आलसी और लापरवाह है। वह ठीक समय पर पत्र नहीं पहुँचाता। कभी-कभी तो हमें पत्रों का उत्तर देने से भी वंचित रहना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वह बच्चों के हाथ पत्र देकर चला जाता है। उसे वे इधरउधर फेंक देते हैं। कल ही रामनाथ का पत्र नाली में गिरा हुआ पाया गया। हमने उसे कई बार सावधान किया है पर वह आदत से मजबूर है।

अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि या तो इसे आगे के लिए समझा दें या कोई और डाकिया नियुक्त कर दें ताकि हमें और हानि न उठानी पड़े।

धन्यवाद।
भवदीय,
चाँद सिंह, जगन्नाथ,
दरबारा सिंह, दया राम।
निवासी रेलवे कॉलोनी।

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16. पुस्तकें मंगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को प्रार्थना-पत्र।

सेवा में
प्रबन्धक,
ऐम० बी० डी० हाउस,
रेलवे रोड,
जालन्धर।
महोदय,

निवेदन है कि आप निम्नलिखित पुस्तकें वी० पी० पी० द्वारा शीघ्र ही नीचे लिखे पते पर भेज दें। पुस्तकें भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि कोई पुस्तक मैली और फंटी हुई न हो। सभी पुस्तकें छठी श्रेणी के लिए तथा नए संस्करण की हों। आपकी अति कृपा होगी।

1. ऐम० बी० डी० हिन्दी गाइड (प्रथम भाषा) 10 प्रतियां
2. ऐम० बी० डी० इंग्लिश गाइड 10 प्रतियां
3. ऐम० बी० डी० पंजाबी गाइड 8 प्रतियां

भवदीय मनोहर लाल (मुख्याध्यापक)
आर्य हाई स्कूल,
नवां शहर।
तिथि 15 मई, 20…

17. मान लो आपका नाम सुरिन्द्र है और आप एस० डी० हायर सैकेंडरी स्कूल जालन्धर में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को पत्र लिखो जिसमें किसी स्कूल फण्ड से पुस्तकें लेकर देने की प्रार्थना की गई हो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
एस० डी० हायर सैकण्डरी स्कूल,
जालन्धर।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल में कक्षा आठवीं ‘ए’ में पढ़ता हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आय केवल पच्चीस सौ रुपये है। हम घर के 6 सदस्य हैं। आजकल इस महंगाई के समय में निर्वाह होना बहुत मुश्किल है। ऐसी दशा में मेरे पिता जी मुझे पुस्तकें खरीद कर देने में असमर्थ हैं।

मुझे पढ़ाई का बहुत शौक है। मैं हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम रहता आया हूँ। मेरे सभी अध्यापक मुझ से पूरी तरह सन्तुष्ट हैं। अतः आपसे मेरी नम्र प्रार्थना है कि आप मुझे स्कूल के ‘विद्यार्थी सहायता कोष’ (फण्ड) से सभी विषयों की पुस्तकें लेकर देने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई आगे जारी रख सकूँ।

मैं आपका आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुरिन्द्र कुमार कक्षा
आठवीं ‘ए’
रोल नं० 10
8 मई, 20…..

PSEB 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

18. मान लो आपका नाम प्रेम पाल है और आप 27 सी० 208, चंडीगढ़ में रहते हैं। अपने मित्र हरजीत को एक पत्र लिखो जिसमें पर्वतीय यात्रा का वर्णन किया गया हो।।

27 सी० 208
चंडीगढ़।
16 जून 20….
प्रिय हरजीत,

अब की बार तुम्हें लिखने में देरी हो गई है क्योंकि में एक मास के लिए शिमला गया हुआ था। वहाँ मेरे चाचा जी रहते हैं और उन्होंने हमें छुट्टियाँ बिताने के लिए बुलाया था। यह यात्रा अत्यन्त आनन्ददायक रही, इसलिए उसका कुछ अनुभव तुम्हें लिख रहा हूँ।

अवकाश होते ही हम 15 मई की रात्रि की रेल द्वारा कालका जा पहुँचे। कालका से शिमला तक छोटी पहाड़ी रेल जाती है। टैक्सियाँ भी जाती हैं। हमने शिमला के लिए टैक्सी ली। कालका से शिमला तक सड़क पहाड़ काट कर बनाई गई है। स्थान-स्थान पर ऊँचाई

निचाई तथा असंख्य मोड़ हैं। केवल 15 या 20 फुट की सड़क है। उसके दोनों ओर खाइयाँ तथा गड्ढे हैं जिन्हें देखने से डर लगता है। ड्राइवर की ज़रा-सी आँख चूक जाए तो मोटर पाँच-छ: सौ फुट नीचे गड्ढे में गिर सकती है। इसलिए बड़ी चौकसी रखनी पड़ती है। हम कालका से सोलन और वहाँ से शिमला पहँचे। पर्वतीय स्थलों में पैदल चलने और स्केटिंग करने में आनन्द आता है। वहाँ की मनोहारी छटा देखकर हमारी सारी थकान दूर हो गई। शिमला के लोअर बाज़ार और माल रोड की सैर हम हर रोज़ करते थे।

वापसी यात्रा हमने रेल से की। रेलयात्रा का दृश्य तो और भी मनोरम था। रेल की पटरी के दोनों ओर 200-300 फुट तक गड्ढे ही गड्डे। रेल की पटरी चक्कराकार थी। गाड़ी में बैठे नीचे की पटरियाँ बड़ी दिखाई देती थीं। सुरंगों में घुसने पर तो अन्धेरा ही अन्धेरा होता था।

इस प्रकार कुदरत की खूबसूरती के दर्शन करते हुए हम परसों ही वापस आए हैं। अपनी माता जी को मेरा सादर प्रणाम कहिए।

आपका मित्र
प्रेम पाल।

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

Punjab State Board PSEB 6th Class Maths Book Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Maths Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

1. Determine if the following are in proportion:

Question (i)
20, 40, 25, 50
Solution:
Yes,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 1
Product of Extremes = 20 × 50 = 1000
Product of Means = 40 × 25 = 1000
∴ Product of Extremes = Product of Means
Hence, 20, 40, 25, 50 are in proportion.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

Question (ii)
35, 49, 55, 78
Solution:
No,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 2
Product of Extremes = 35 × 78 = 2730
Product of Means = 49 × 55 = 2695
∴ Product of Extremes ≠ Product of Means
Hence, 35, 49, 55, 78 are not in proportion

Question (iii)
24, 30, 36, 45
Solution:
Yes,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 3
Product of Extremes = 24 × 45 = 1080
Product of Means = 30 × 36 = 1080
Since Product of Extremes = Product of Means
Hence, 24, 30,36,45 are in proportion

Question (iv)
10, 22, 45, 99
Solution:
Yes,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 4
Product of Extremes = 10 × 99 = 990
Product of Means = 22 × 45 = 990
∴ Product of Extremes = Product of Means
Hence, 10,22,45,99 are in proportion

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

Question (v)
32, 48, 70, 210.
Solution:
No,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 5
Product of Extremes = 32 × 210 = 6720
Product of Means = 48 × 70 = 3360
Since Product of Extremes ≠ Product of Means
Hence, 32, 48, 70, 210 are not in proportion.

2. Do the following ratios forms a proportion:

Question (i)
5:9 and 20 : 36
Solution:
Yes,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 6
Product of Extremes = 5 × 36 = 180
Product of Means = 9 × 20 = 180
Since Product of Extremes = Product of Means
Hence, 5 : 9 and 20 : 36 are in proportion

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

Question (ii)
24 : 36 and 32 : 48
Solution:
Yes,
First ratio = 24 : 36 (Dividing both terms by 12) = 2 : 3
Second ratio = 32 : 48 (Dividing both terms by 16) = 2 : 3
∴ Both ratios are equal.
Hence, 24 : 36 and 32 : 48 are in proportion

Question (iii)
32 : 40 and 36 : 42
Solution:
No,
First ratio = 32 : 40 (Dividing both terms by 8) = 4 : 5
Second ratio = 36 : 42 (Dividing both terms by 6) = 6 : 7
∴ Both ratios are not equal.
Hence, 32 : 40 and 36 : 42 are not in proportion

Question (iv)
27 : 18 and 3:2
Solution:
Yes,
First ratio = 27 : 18 (Dividing both terms by 9) = 3 : 2
Second ratio = 3 : 2
∴ Both ratios are equal.
Hence, 27 : 18 and 3 : 2 are in proportion

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

Question (v)
35 : 28 and 77 : 44.
Solution:
No,
First ratio = 35 : 28 (Dividing both terms by 7) = 5 : 4
Second ratio = 77 : 44 (Dividing both terms by 11) = 7 : 4
∴ Both ratios are not equal.
Hence, 35 : 28 and 77 : 44 are not in proportion.

3. State true or false of the following:

Question (i)
4 : 3 : : 36 : 37
Solution:
False,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 7
Product of Extremes = 4 × 37 = 148
Product of Means = 3 × 36 = 108
∴ Product of Extremes ≠ Product of Means
Hence, it is false.

Question (ii)
16 : 4 : : 20 : 5
Solution:
True,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 8
Product of Extremes = 16 × 5 = 80
Product of Means = 4 × 20 = 80
∴ Product of Extremes = Product of Means
Hence, it is true

Question (iii)
19 : 43 : : 8 : 21.
Solution:
False,
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2 9
Product of Extremes = 19 × 21 = 399
Product of Means = 43 × 8 = 344
∴ Product of Extremes ≠ Product of Means
Hence, it is false.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

4. Determine if the following ratios form a proportion:

Question (i)
40 cm : 1 m and ₹ 12 : ₹ 30
Solution:
Yes,
First ratio = 40 cm : 1 m
= 40 : 100
(Dividing both terms by 20) = 2:5
Second ratio = ₹ 12 : ₹ 30
= 12 : 30
(Dividing both terms by 6) = 2:5
∴ Both ratios are equal.
Hence, 40 cm : 1 m and ₹ 12 : ₹ 30 are in proportion.

Question (ii)
25 min : 1 hour and 40 km : 96 km
Solution:
Yes,
First ratio = 25 min : 1 hour
= 20 min : 60 min
= 25 : 60
(Dividing both terms by 5) = 5 : 12
Second ratio = 40 km : 96 km
= 40 : 96
(Dividing both terms by 8) = 5 : 12
∴ First ratio = Second ratio
Hence, 25 min : 1 hour and 40 km : 96 km are in proportion.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

Question (iii)
₹ 4 : 35 paise and 8 kg : 9 kg.
Solution:
No,
First ratio = ₹ 4 : 35 paise
= 400 paise : 35 paise
= 400 : 35
(Dividing both terms by 5)
= 80 : 7
Second ratio = 8 kg : 9 kg
= 8 : 9
∴ First ratio ≠ Second ratio
Hence, ₹ 4 : 35 paise and 8 kg : 9 kg are not in proportion.

5. Find the value of ‘x’ in each case:

Question (i)
25 : x :: 15 : 6
Solution:
Since, given terms are in proportion
∴ Product of Extremes = Product of Means
⇒ 25 × 6 = x × 15
⇒ \(\frac{25 \times 6}{15}\) = x
⇒ x = 10

Question (ii)
28 : 49 :: x : 56
Solution:
28 : 49 : : x : 56
Since, given terms are in proportion
∴ Product of Extremes = Product of Means
⇒ 28 × 56 = 49 × x
⇒ \(\frac{28 \times 56}{49}\) = x
⇒ x = 32

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

Question (iii)
8 : 20 :: 10 : x.
Solution:
8 : 20 : : 10 : x
Since, given terms are in proportion
∴ Product of Extremes = Product of Means
⇒ 8 × x = 20 × 10
⇒ x = \(\frac{20 \times 10}{8}\)
⇒ x = 25

6. Check if the following terms are in continued proportion:

Question (i)
1, 4, 16
Solution:
For continued proportion, 1, 4, 16 can be written as 1, 4, 4, 16
∴ Product of Extremes = 1 × 16 = 16
Product of Means = 4 × 4 = 16
∴ Product of Extremes = Product of Means
Hence, 1, 4, 16 are in continued proportion

Question (ii)
3, 9, 27
Solution:
For continued proportion, 3, 9, 27 can be written as 3, 9, 9, 27
∴ Product of Extremes = 3 × 27 = 81
∴ Product of Means =9 × 9 = 81
∴ Product of Extremes = Product of Means
Hence, 3, 9, 27 are in continued proportion.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 11 Ratio and Proportion Ex 11.2

Question (iii)
5, 10, 20.
Solution:
For continued proportion, 5, 10, 20 can be written as 5, 10, 10, 20
∴ Product of Extremes = 5 × 20 = 100
∴ Product of Means = 10 × 10 = 100
∴ Product of Extremes = Product of Means
Hence, 5, 10, 20 are in continued proportion.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4

Punjab State Board PSEB 6th Class Maths Book Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Maths Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4

1. Draw a circle of the following radius:

Question (i)
3.5 cm
Solution:
Steps of construction.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 1
1. Mark a point O on the page of your note book, where a circle is to be drawn.
2. Take compasses fixed with sharp pencil and measure OA = 3.5 cm using a scale.
3. Without changing the opening of the compasses, keep the needle at point O and draw a complete arc by holding the compasses from its knob, we get the required circle.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4

Question (ii)
4 cm
Solution:
Steps of construction.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 2
1. Mark a point O on the page of your note book, where a circle is to be drawn.
2. Take compasses fixed with sharp pencil and measure OA = 4 cm using a scale.
3. Without changing the opening of the compasses, keep the needle at point O and draw a complete arc by holding the compasses from its knob.

Question (iii)
2.8 cm
Solution:
Steps of construction
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 3
1. Mark a point O on the page of your note book, where a circle is to be drawn.
2. Take compasses fixed with sharp pencil and measures OA = 2.8 cm using a scale.
3. Without changing the opening of the compasses, keep the needle at point O and draw a complete arc by holding the compasses from its knob, we get the required circle.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4

Question (iv)
4.7 cm
Solution:
Steps of construction
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 4
1. Mark a point O on the page of your note book.
2. Take compasses fixed with sharp pencil and measures OA = 4.7 cm using a scale.
3. Without changing the opening of the compasses, keep the needle at point O and draw a complete arc by holding the compasses from its knob, we get the required circle.

Question (v)
5.2 cm.
Solution:
Steps of construction
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 5
1. Mark a point O on the page of your note book.
2. Take compasses fixed with sharp pencil and measures OA = 5.2 cm using a scale.
3. Without changing the opening of the compasses, keep the needle at point O and draw a complete arc by holding the compasses from its knob, we get the required circle.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4

2. Draw a circle of diameter 6 cm.
Solution:
Steps of construction
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 6
1. Draw a line segment PQ = 6 cm.
2. Draw the perpendicular bisector of PQ intersecting PQ at O.
3. With O as centre and radius = OQ = 3 cm (= OP), draw a circle.
The circle thus drawn is the required circle.

3. With the same centre O, draw two concentric circles of radii 3.2 cm and 4.5 cm.
Solution:
Steps of Construction
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 7
1. Mark a point O on the page of your note book, where a circle is drawn.
2. Take compasses fixed with sharp pencil measuring OA = 4.5 cm using scale.
3. Without changing the opening of the compasses, keep the needle at point O and draw complete arc by holding the compasses from its knob.
After completing one round, we get circle I.
4. Again with the same centre O and new radius = 3.2 cm draw another circle II following the same step 3.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4

4. Draw a circle of radius 4.2 cm with centre at O. Mark three points A, B and C such that point A is on the circle, B is in the interior and C is in the exterior of the circle.
Solution:
Steps of Construction
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 8
1. Mark a point O on the page of your note book, where a circle is to be drawn
2. Take compasses fixed with sharp pencil and measure OA = 4.2 cm using scale (∴ A is on the circle).
3. Without changing the opening of the compasses, keep the needle at point O and draw complete arc by rotating the compasses from the knob. After completing one round, we get required circle.
4. Mark point B in the interior of the circle and point C in the exterior of the circle.

5. Draw a circle of radius 3 cm and draw any chord. Draw the perpendicular bisector of the chord. Does the perpendicular bisector passes through the centre?
Solution:
Steps of Construction.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.4 9
1. Draw a circle with C as centre and radius 3 cm.
2. Draw AB the chord of the circle.
3. Draw PQ the perpendicular bisector of chord AB.
4. We see that the perpendicular bisector of chord AB passes through the centre C of the circle.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

Punjab State Board PSEB 6th Class Maths Book Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Maths Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

1. Draw a line r and mark a point P on it. Construct a line perpendicular to r at point P.

Question (i)
Using a ruler and compasses.
Solution:
Using ruler and compasses

Steps of Construction.

1. Draw a line r and mark a point P on it.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 1
2. Draw an arc from P to the line r of any suitable radius which intersects line r at A and B.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 2
3. Draw arcs of any radius which is more than half of arc made in step (2) from A and B which intersect at Q.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 3
4. Join PQ.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 4
Thus PQ is perpendicular to AB or line l or PQ ⊥ A.
Here P is called foot of perpendicular.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

Question (ii)
Using a ruler and a set square.
Solution:
Using a ruler and a set square

Steps of Construction

1. Draw a line r and a point P on it.
2. Place one of the edges of a ruler along the line l and hold if firmly.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 5
3. Place the set square in such a way that one of its edges contaning the right angle coincides with the ruler.
4. Holding the ruler, slide the set square along the line l till the vertical side reaches the point P.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 6
5. Firmly hold the set square in this position. Draw PQ along its vertical edge. Now PQ is the required perpendicular to l ie. PQ ⊥ r.

2. Draw a line p and mark a point z above it. Construct a line perpendicular to p, from the point z.

Question (i)
Using a ruler and compasses.
Solution:
1. Draw a line p and mark a point z not lying on it.
2. From point z draw an arc which intersects line p at two points P and Q.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 7
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 8
3. Using any radius and taking P and Q as centre, draw two arcs that intersect at point say B. On the other side (a shown in figure).
4. Join AB to obtain altitude to the line p.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 9
Thus xz is altitude to line p.
i.e. xz ⊥ p.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

Question (ii)
Using a ruler and set square
Solution:
Steps of constructions:
1. Draw a line p and mark a point z which is not lying on it.
2. Place one of the edge of a ruler along the line p and hold it firmly.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 10
3. Place the set square in such a way that one of its edges containing the right angle coincides with the ruler.
4. Holding the ruler firmly, slide the set square along the line p till its vertical side reaches the point z.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 11
5. Firmly hold the set square in this position, Draw xz along its vertical edge. Now xz is the required altitude to p i.e. xz ⊥ p.

3. Draw a line AB and mark two points P and Q on either side of line AB, Construct two lines perpendicular to AB, from P and Q using a ruler and compasses.
Solution:
1. Draw a line AB and Mark two points P and Q on either side of AB.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 12
2. From point P draw an arc which intersect line AB at two points C and D.
3. Using any radius and taking C and D as centre draw two arcs that intersects at point say E on the other side as shown in figures.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 13
4. Join PE to obtain perpendicular to AB.
5. From point Q draw an arc which intersects AB at two points X and Y.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 14
6. Using any radius and taking X and Y as centre draw two arcs that intersects at point say R on the other side of line AB as shown in figures.
7. Join QR to obtain perpendicular to AB.
Thus, PE ⊥ AB and QR ⊥ AB

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

4. Draw a line segment of 7 cm and draw perpendicular bisector of this line segment.
Solution:
Steps of Construction:
1. Draw a line segment AB = 7 cm.
2. With A as centre and radius more than half of AB, draw an arc on both sides of AB.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 15
3. With B as centre and the same radius as in step 2, draw an arc intersecting the first arc at C and D.
4. Join CD intersecting AB at O. Then CD is the perpendicular bisector of AB.

5. Draw a line segment PQ = 6.8 cm and draw its perpendicular bisector XY which bisect PQ at M. Find the length of PM and QM. Is PM = QM ?
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a line segment PQ = 6.8 cm
2. With P as centre and radius more than half of PQ draw arcs on both sides of PQ.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 16
3. Now with Q as centre and the same radius as in step 2 draw arcs intersecting the previous drawn arcs at A and B respectively.
4. Join AB intersecting PQ at M. Then M bisects the line segment.
5. Measure the length of PM and QM
PM = 3.4 cm and QM = 3.4 cm
∴ PM = QM.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 17

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

6. Draw perpendicular bisector of line segment AB = 5.4 cm. Mark point X anywhere on perpendicular bisector Join X with A and B. Is AX = BX ?
Solution:
Steps of construction.
1. Draw a line segment AB = 5.4 cm.
2. With A as centre and radius more than half of AB, draw an arc in both sides of AB.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 18
3. With B as centre and the same radius as in step 2, draw an arc intersecting the first arc at C and D.
4. Join CD intersecting AB at O.
Then CD is the perpendicular bisector of AB.
Mark any point X on the perpendicular bisector CD. Drawn. Then join AX and BX.
On examination, we find that AX = BX.

7. Draw perpendicular bisectors of line segment of the following lengths.

Question (i)
8.2 cm
Solution:
Steps of Construction.
1. Draw a line regment AB = 8.2 cm
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 19
2. With A as centre and radius more than half of AB, draw arcs on both sides of AB.
3. With B as centre and the same radius as in step 2, draw an arcs intersecting the previous arc at C and D.
4. Join CD intersecting AB at O. Then CD is the perpendicular bisector of AB.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

Question (ii)
7.8 cm
Solution:
Steps of Construction.

1. Draw a line segment AB = 7.8 cm
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 20
2. With A as centre and radius more than half of AB draw arcs on both sides of AB.
3. With B as centre and the same radius as in step 2, draw arcs intersecting the previous arcs at C and D.
4. Join CD intersecting AB at O. Then CD is the perpendicular bisector of AB.

Question (iii)
6.5 cm.
Solution:
Steps of Construction.
1. Draw a line segment AB = 6.5 cm
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 21
2. With A as centre and radius more than half of AB draw arcs on both sides of AB.
3. With B as centre and the same radius as in step 2 draw arcs intersecting the previous arcs at C and D.
4. Join CD intersecting AB at O. Then CD is the perpendicular bisector of AB.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

8. Draw a line segment of length 8 cm and divide it into four equal parts Using compasses. Measure each part.
Solution:
Steps of construction.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 22
1. Draw a line segment AB of length 8 cm
2. With A as centre and radius more than half of AB, draw arcs on both sides of AB.
3. With B as centre and the same radius as in step 2, draw arcs intersecting the previous arcs at P and Q.
4. Join PQ intersecting AB at C then PQ is the perpendicular bisector of AB intersecting AB at C.
5. Similarly draw the perpendicular bisector of AC intersecting AC at D.
6. Draw the perpendicular bisector of CB intersecting CB at E.
By actual measurement, it can be verified that
AD = DC = CE = EB

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6

Punjab State Board PSEB 6th Class Maths Book Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Maths Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6

1. Draw a line XY and point P not lying on XY. Draw a line parallel to XY passing through P with the help of ruler and compasses.
Solution:
Steps of Construction:
1. Draw a line XY and point P not lying on it.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 1
2. Take any point Q, anywhere on line XY.
3. Join PQ.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 2
4. Now take Q as centre, draw arc AB of any radius on XY. Similarly, draw an arc CD of same radius on line segment PQ from point P.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 3
5. Measure arc AB with compasses.
6. Draw an arc equal to radius AB from point C witch intersect CD on E.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 4
7. Join PE and produce it. So, the line l is the required line parallel to XY.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6

2. Draw a line p parallel to line m passing through a point A which is not lying on line m with the help of set squares.
Solution:
Steps of Construction:
1. Given a line m with point A not lying on it.
2. Place one of the edge of a ruler along the line m and hold it firmly.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 5
3. Place the set square in such a way that one of its edges containing the right angle coincides with the ruler.
4. Hold the ruler firmly, slide the set square along the line m till its vertical side reaches the point A.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 6
5. Firmly hold the set square in this position, take another set square and place it in such a way that one of its edges containing right angle concides with previous set square as shown.
6. Now draw a line p along side of second set square passing through A.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 7
Thus p \(\text { ॥ } \) m passing through A.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6

3. Given a line AB and the point X is not lying on it. Draw a line parallel to AB passing through X.

Question (i)
By a ruler and compasses
Solution:
By a ruler and compasses:
Let us consider a line AB and point X not lying on it.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 8

Steps of Construction:
1. Take any point, say Y anywhere on line AB.
2. Join XY.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 9
3. Now take Y as centre, draw an arc PQ of any radius on AB. Similarly draw an arc RS of same radius on line segment XY from point X.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 10
4. Measure arc PQ with compasses.
5. Draw an arc equal to radius PQ from point R which intersect RS on T.
6. Join XT and produce it.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 10
So the line m is the required line parallel to AB.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6

Question (ii)
By set squares.
Solution:
By set squares.

Steps of Construction:
1. Given a line AB with point X not lying on it.
2. Place one of the edge of a ruler along the line AB and hold it firmly.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 12
3. Place the set square in such a way that one of its edges containing the right angle coincides with the ruler.
4. Hold the ruler firmly, slide the set square along the line AB till its vertical side reaches the point X.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 13
5. Firmly hold the set square in this position, take another set square and place it in such a way that one of its edges containing right angle concides with previous set square as shown.
6. Now draw a line l along side of second set square passing through X.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.6 14
7. Thus l \(\text { ॥ } \) AB passing through X.

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Kahani Lekhan कहानी-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

1. प्यासा कौआ

एक बार गर्मी का मौसम था। जेठ की दोपहर थी। आकाश से आग बरस रही थी। सभी प्राणी गर्मी से घबरा कर अपने आवासों में आराम कर रहे थे। पक्षी अपने घोंसलों में दोपहरी काट रहे थे। ऐसे समय में एक कौआ प्यास से छटपटा रहा था। वह पानी की तलाश में इधरउधर उड़ रहा था, परन्तु उसे कहीं पानी न मिला। अन्त में वह एक उद्यान में पहुंचा। वहाँ पानी का एक घड़ा पड़ा था। कौआ घड़े को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ। वह उड़ कर घड़े के पास गया। उसने पानी पीने के लिए घड़े में अपनी चोंच डाली, परन्तु घड़े में पानी बहुत कम था। उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी।उसके सब प्रयत्न व्यर्थ गए। तब भी उसने आशा न छोड़ी ।

उसी समय उसको एक युक्ति सूझी। वहाँ बहुत-से कंकर पड़े थे। उसने एक-एक घड़े में डालना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में पानी ऊपर आ गया। कौआ बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने जी भर कर पानी पीया और ईश्वर का धन्यवाद किया। शिक्षा-
(क) जहाँ चाह वहाँ राह।
(ख) आवश्यकता आविष्कार की जननी है और
(ग) यत्न करने पर कोई-न-कोई उपाय निकल आता है।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

‘2. फूट का दुष्परिणाम
अथवा
मूर्ख बिल्लियाँ और बन्दर

किसी गाँव में दो बिल्लियाँ रहती थीं। एक दिन दोनों बिल्लियाँ भूख के मारे बेचैन होकर इधर-उधर घूम रही थीं। अचानक उन्हें एक घर से रोटी का टुकड़ा मिला। दोनों बिल्लियाँ रोटी का टुकड़ा लेकर जंगल की ओर चल पड़ी। वे रोटी के टुकड़े को समान भागों में बाँटना चाहती थीं, परन्तु वे आपस में झगड़ने लगीं।

इतने में उधर से एक चालाक बन्दर आ निकला। उन दोनों को झगड़ते हुए देखकर बन्दर ने पूछा- “बहनों झगड़ती क्यों हो ? लाओ मैं इसे बाँटता हूँ।” वह तराजू लाया और रोटी के दो टुकड़े करके पलड़ों पर डाल दिए। एक पलड़ा नीचा था और दूसरा ऊँचा रहा। जिस ओर का पलड़ा नीचे था, उधर से बन्दर ने थोड़ा-सा तोड़ कर खा लिया। अब दूसरा पलड़ा नीचे हो गया, उससे भी कुछ तोड़ कर खा गया। इस प्रकार तराजू का जो भी पलड़ा नीचे हो जाता, बन्दर वहाँ से रोटी का टुकड़ा तोड़ कर खा लेता। अन्त में एक छोटा-सा टुकड़ा बच गया। बिल्लियाँ यह देखकर कहने लगीं- “हमें हमारी रोटी दे दो।” बन्दर कहने लगा, “यह मेरी तोलने की मजदूरी है।” यह कह कर वह बाकी बची रोटी भी खा गया। बिल्लियाँ मुँह देखती रह गईं। शिक्षा-
(1) परस्पर झगड़ने में सदा हानि होती है।
(2) आपसी झगड़े से दूसरे लाभ उठाते हैं।

3. जैसी संगत वैसी रंगत
अथवा
कुसंग का दुष्परिणाम

किसी नगर में एक धनी पुरुष रहता था। उसका एक पुत्र था । माता-पिता अपने पुत्र को लाड़-प्यार करते थे। वह अपनी श्रेणी में हमेशा प्रथम रहता था। उसके अध्यापक भी उसे बहुत प्यार करते और उसकी प्रशंसा करते थे।

दुर्भाग्य से वह बुरे लड़कों की संगति में रहने लगा। उसका ध्यान अब बुरी बातों में लग गया। वह समय पर विद्यालय न जाता और न ही अपना पाठ याद करता। कोई भी अध्यापक अब उसे प्यार नहीं करता था। उसकी शिकायत उसके पिता से की गई। पिता को बड़ी चिन्ता हुई। उन्होंने अपने पुत्र को समझाने के लिए एक उपाय सोचा। वे बाज़ार से एक सुन्दर आमों की टोकरी ले आए। बाद में अपने पुत्र को बुला कर उसे एक सड़ागला आम देकर कहा कि इसे भी टोकरी में रख दो। पुत्र ने वैसा ही किया।

प्रातःकाल पिता ने पुत्र को वही आमों की टोकरी उठा लाने के लिए कहा। जब टोकरी खोली गई तो सारे आम सड़े पड़े थे। पुत्र ने आश्चर्य से पूछा-“पिता जी! ये सारे आम कैसे सड़ गए ?”
पिता ने समझाया, “बेटा, जैसे एक सड़े-गले आम से सारे अच्छे आम खराब हो गए हैं, उसी तरह बुरे लड़कों की संगति से सब अच्छे बालक बुरी बातों को अपना लेते हैं। इसलिए अच्छे बालकों से संगति करो।” पुत्र पर इस बात का बहुत असर पड़ा। उसने बुरे लड़कों की संगति को छोड़ दिया और दिल लगाकर पढ़ने लगा। शिक्षा-
(1) बुरी संगति से बचकर रहो।
(2) बुरी संगति से अकेला भेला।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

4. दो मित्र और रीछ

एक बार दो मित्र इकटे व्यापार करने घर से चले। दोनों ने एक-दूसरे को क्चन दिया कि वे मुसीबत के समय एक-दूसरे की सहायता करेंगे। चलते-चलते दोनों एक भयंकर जंगल में जा पहुँचे। जंगल बहुत विशाल तथा घना था। दोनों मित्र सावधानी से जंगल में से गुजर रहे थे। एकाएक उन्हें सामने से एक रीछ आता हुआ दिखाई दिया। दोनों मित्र भयभीत हो गए। उस रीछ को पास आता देखकर एक मित्र जल्दी से वृक्ष पर चढ़कर पत्तों में छिप कर बैठ गया। दूसरे मित्र को वृक्ष पर चढ़ना नहीं आता था। वह घबरा गया, परन्तु उसने सुना था कि रीछ मरे हुए आदमी को नहीं खाता। वह झट से अपनी साँस रोक कर भूमि पर लेट गया।

रीछ ने पास आकर उसे सूंघा और मरा हुआ समझा कर वहाँ से चला गया। कुछ देर बाद पहला मित्र वृक्ष से नीचे उतरा। उसने दूसरे मित्र से कहा-“उठो, रीछ चला गया । यह तो बताओ कि उसने तुम्हारे कान में क्या कहा ?” भूमि पर लेटने वाले मित्र ने कहा कि रीछ केवल यही कह रहा था कि स्वार्थी मित्र पर विश्वास मत करो।
शिक्षा-
(1) मित्र वह है जो विपत्ति में काम आए।
(2) स्वार्थी मित्र से हमेशा दूर रहो।

5. लोभी ब्राह्मण

किसी वन में एक बूढ़ा शेर रहता था। वह शिकार करने में असमर्थ हो गया। एक दिन : उसे सोने का एक कड़ा जंगल में पड़ा मिला। कड़ा पाकर शेर मन-ही-मन प्रसन्न हुआ। वह एक तालाब के किनारे पर रहने लगा। एक बार एक ब्राह्मण वहाँ से गुजर रहा था। उसे देखकर शेर ने ऊँचे स्वर में कहा, “हे पथिक! यह सोने का कड़ा दान में ले लो।” ब्राह्मण ने शेर से कहा, “तू हिंसक है, तुझ पर कौन विश्वास करेगा ?”

शेर ने उत्तर दिया, “तुम्हारी बात ठीक है, मैंने जवानी में बहुत-से लोगों को मार कर खाया है, किन्तु अब मेरे दाँत और नाखून गल गए हैं। पापों का प्रायश्चित्त करने के लिए तालाब के किनारे पर रहता हूँ। अब इस बुढ़ापे में मैं अपने हाथ का कड़ा भी दान करना चाहता हूँ। इसलिए, आओ तालाब में नहा कर कड़ा ग्रहण करो।

लोभी ब्राह्मण शेर की बातों में आ गया। उसने स्नान किया और वह कीचड़ में फँस गया। शेर ने उसे वहीं पकड़ लिया और मार कर खा गया। इसलिए कहा गया अत्यन्त लोभ नहीं करना चाहिए। शिक्षा-लालच बुरी बला है।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

6. एकता में बल है

किसी गाँव में एक किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे। वे सदा आपस में झगड़ते रहते थे। पिता ने उन्हें कई बार समझाया, परन्तु उन पर कोई असर नहीं हुआ। एक दिन किसान सख्त बीमार हो गया, उसके बचने की कोई आशा न थी। उसे एक उपाय सूझा। उसने अपने पुत्रों को बुलाया और एक लकड़ियों का गट्ठा लाने को कहा। जब लकड़ियों का गट्ठा आ गया तो उसने प्रत्येक को उसे तोड़ने के लिए कहा, परन्तु कोई भी गढे को तोड़ने में सफल न हो सका।

फिर बूढ़े किसान ने गट्ठा खोल कर एक-एक लकड़ी तोड़ने के लिए कहा। सब आसानी से लकड़ी तोड़ने में सफल हो गए। तब उसने पुत्रों को समझाया कि एकता में बल है। यदि तुम मिल-जुल कर रहोगे तो तुम्हें कोई हानि नहीं पहुँचा सकेगा। यदि तुम अलगअलग रहोगे तो इन लकड़ियों के समान टूट जाओगे। लड़कों ने लड़ना बन्द कर दिया और मिल-जुलकर रहने लगे। शिक्षा-संगठन में शक्ति है।

7. खरगोश और शेर

किसी वन में भासुरक नामक एक शेर रहता था। वह प्रतिदिन वन के बहुत-से पशुओं को मार देता था। एक दिन वन के पशुओं ने एकत्रित होकर सलाह की कि शेर के पास चल कर उसे समझाएँ कि प्रतिदिन इस प्रकार पशुओं का वध होता रहा तो वन पशुओं से रहित हो जाएगा। यदि एक पशु प्रतिदिन शेर के पास भोजन के लिए चला जाया करे तो पशुओं का इतना नाश न होगा। शेर इस बात पर सहमत हो गया।

एक दिन खरगोश की बारी आई। मार्ग में चलते हुए उसे एक कुआँ दिखाई दिया। झाँक कर देखा तो उसमें उसे अपनी परछाईं दिखाई दी। उसे शेर को मारने का उपाय सूझ गया। वह शेर के पास विलम्ब से पहुँचा। शेर बड़ा भूखा था। उसने क्रुद्ध होकर देर से आने का कारण पूछा। खरगोश ने अनुनय-विनय करते हुए कहा कि मुझे मार्ग में दूसरे शेर ने रोक लिया था। उसके पूछने पर मैंने कहा कि मैं वन के राजा भासुरक के पास भोजन के लिए जा रहा हूँ। उसने कहा कि वन का राजा तो मैं हूँ, भासुरक नहीं। चार खरगोश यहाँ छोड़कर तुम भासुरक को बुला कर लाओ। हम में से जो बलवान् होगा वही खरगोशों को खाएगा। चालाक खरगोश ने कुएँ के पास ले जाकर भासुरक को उसकी परछाईं दिखा दी । दूसरा सिंह समझ कर भासुरक ने कुएँ में छलांग लगा दी और वह मर गया। वन के पशुओं ने सुख की साँस ली। शिक्षा-बुद्धि सबसे बड़ा बल है।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

8. हाथी और दर्जी

किसी राजा के पास एक हाथी था। हाथी प्रतिदिन स्नान करने के लिए नदी पर जाया करता था। रास्ते में एक दर्जी की दुकान पड़ती थी। दर्जी बहुत दयालु तथा उदार था। उसकी हाथी से मित्रता हो गई वह हाथी को प्रतिदिन कुछ खाने के लिए देता था।

एक दिन दर्जी क्रोध में बैठा हुआ था। हाथी आया और कुछ प्राप्त करने के लिए अपनी लँड आगे की। दर्जी ने उसे कुछ,खाने के लिए नहीं दिया, अपितु उसकी सूंड में सूई चुभो दी। हाथी को क्रोध आ गया। वह नदी पर गया। उसने स्नान किया और लौटते समय अपनी सँड में गन्दा पानी भर लिया। दर्जी की दुकान पर उसने सारा गन्दा पानी उसके कपड़ों पर फेंक दिया। दर्जी के सारे कपड़े खराब हो गए। इस तरह हाथी ने दर्जी से बदला लिया।
शिक्षा-जैसे को तैसा।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Muhavare मुहावरे Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 6th Class Hindi Grammar मुहावरे

मुहावरे (अर्थ एवं वाक्य सहित प्रयोग)

अंग अंग ढीला होना (थक जाना) – आज सुबह से मैंने इतना काम किया है कि मेरा अंग-अंग ढीला हो गया है।
अंगूठा दिखाना (विश्वास दिलाकर मौके पर इन्कार कर देना) – नेता लोग चुनाव के दिनों में बीसियों वायदे करते हैं, परन्तु बाद में अंगूठा दिखा देते हैं।
अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना) – जब मैंने मोहन से दस रुपए उधार मांगे तो वह अगर-मगर करने लगा।
अंगुली उठाना (दोष लगाना, निन्दा करना) – कर्त्तव्यपरायण व्यक्ति पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता।
अन्धे की लकड़ी (एक मात्र सहारा) – श्रवण अपने माता-पिता की अन्धे की लकड़ी था।
अन्धेरे घर का उजाला (इकलौता बेटा) – रमन अन्धेरे घर का उजाला है, इसका ध्यान रखो।
अपनी खिचड़ी अलग पकांना (सबसे अलग रहना) – सबके साथ मिलकर रहना चाहिए, अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं होता।
अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ निकालना) – आजकल हर कोई अपना उल्लू सीधा करना चाहता है।
आँख उठाना (बुरी नज़र से देखना) – मेरे जीते जी तुम्हारी तरफ कोई आँख उठाकर नहीं देख सकता।
आँखें दिखाना (क्रोध से घूरना) – मैं इनसे नहीं डरता, ये आँखें किसी अन्य को दिखाओ।
आँख का तारा (बहुत प्यारा) – श्री रामचन्द्र जी राजा दशरथ की आँखों के तारे थे।
आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) – चोर सिपाहियों की आँखों में धूल झोंक कर भाग गया।
आँख फेर लेना (बदल जाना) – अक्सर लोग काम निकल जाने पर आँखें फेर लेते हैं।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

आँख मारना (इशारा करना) – सुरेश ने जब राजेश से पुस्तक मांगी तो रमेश ने राजेश को पुस्तक न देने के लिए आँख मार दी।
आकाश से बातें करना (बहुत ऊँचे होना) – कुतुबमीनार आकाश से बातें करता है।
आकाश-पाताल एक करना (बहुत प्रयत्न करना) – उसने परीक्षा में सफल होने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया परन्तु सफल न हो सका।
आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) – अध्यापक के कक्षा छोड़ने पर लड़कों ने आसमान सिर पर उठा लिया।
इधर-उधर की हांकना (व्यर्थ गप्पें हांकना) – राम सदैव इधर-उधर की हांकता रहता
ईंट से ईंट बजाना (बिल्कुल नष्ट कर देना) – नादिरशाह ने दिल्ली की ईंट से ईंट बजा दी थी।
ईद का चाँद होना (बहुत दिनों के बाद दिखाई पड़ना) – अरे सुरेश, आजकल कहाँ रहते हो, तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।
उंगली उठाना (निन्दा करना) – विरोधी भी गाँधी जी पर उंगली उठाने की हिम्मत नहीं करते थे।
उल्लू बनाना (मूर्ख सिद्ध करना) – सोहन के दोस्तों ने उसे ऐसा उल्लू बनाया कि उसका सारा धन उससे छीनकर ले गए।
उल्टी गंगा बहाना (उल्टी बातें करना) – गलती न होने पर भी बाप ने बेटे से क्षमा मांग कर उल्टी गंगा बहा दी।
एक आँख से देखना (बराबर का बर्ताव) – माता-पिता अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखते हैं।
एड़ी चोटी का जोर लगाना (पूरा जोर लगाना) – सुदेश ने परीक्षा में पास होने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया परन्तु फिर भी वह असफल रही।
कमर कसना (तैयार होना) – ग़रीबी को दूर करने के लिए सबको कमर कसनी चाहिए।
कमर टूटना (निराश हो जाना) – नौजवान बेटे की मृत्यु ने बूढ़े बाप की कमर तोड़ दी।
काम आना (युद्ध में मारे जाना) – भारत-पाक युद्ध में अनेकों भारतीय सैनिक काम आए।
कफ़न सिर पर बांधना (मरने के लिए तैयार रहना) – भारत की रक्षा के लिए कई वीर सदैव सिर पर कफ़न बांधे फिरते हैं।
काला अक्षर भैंस बराबर (अनपढ़ व्यक्ति) – ग्रामों में बहुत व्यक्ति ऐसे हैं, जिनके लिए काला अक्षर भैंस बराबर है।
कुत्ते की मौत मरना (बुरी हालत में मरना) – शराबी व्यक्ति सदैव कुत्ते की मौत मरते हैं।
कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना) – मोहन की सफलता पर उसके पड़ोसी के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
कोल्हू का बैल (दिन रात कार्य करने वाला) – आजकल कोल्हू का बैल बनने पर भी बड़ी कठिनता से निर्वाह होता है।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

कोरा जवाब देना (साफ़ इन्कार करना) – जब उसने सुरेन्द्र से पुस्तक मांगी तो उसने कोरा जवाब दे दिया।
खाला जी का घर (आसान काम) – मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करना खाला जी का घर नहीं है।
खून का प्यासा (कट्टर शत्रु) – आजकल तो भाई-भाई के खून का प्यासा बन गया है।
खून का चूंट पीना (क्रोध को दिल में दबाए रखना) – हरगोपाल की पुत्रवधू उसकी गालियाँ सुनकर खून का चूंट पीये रहती है।
खरी-खरी सुनाना (सच्ची बात कहना) – अंगद ने जब रावण को खरी-खरी सुनाई तो वह अंगारे उगलने लगा।
गुदड़ी का लाल (छुपा रुस्तम) – मुन्शी प्रेमचन्द गुदड़ी के लाल थे। गप्पें हांकना (व्यर्थ की बातें करना) – मुकेश सदैव गप्पें हांकता रहता है। पढ़ाई की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देता।
गुड़ गोबर करना (बनी बनाई बात बिगाड़ देना) – काम तो बन गया था परन्तु तुमने बीच में बोलकर गुड़ गोबर कर दिया।
घर में गंगा (सहज प्राप्ति) – अरे सुरेश, तुम्हें पढ़ाई की क्या चिन्ता ? तुम्हारा भाई अध्यापक है, तुम्हारे तो घर में गंगा बहती है।
घर सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) – छुट्टी के दिन बच्चे घर सिर पर उठा लेते हैं।
घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुखाना) – बेचारी उमा विवाह होते ही विधवा हो गई, अब उसकी सास हरदम बुरा-भला कहकर उसके घाव पर नमक छिड़कती
घी के दिये जलाना (प्रसन्न होना) – जब श्री रामचन्द्र जी अयोध्या वापिस लौटे तो लोगों ने घी के दिये जलाए।
चकमा देना (धोखा देना) – चोर पुलिस को चकमा देकर भाग गया।
चल बसना (मर जाना) – श्याम के पिता दो वर्ष की लम्बी बीमारी के बाद कल चल बसे।
छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना) – 1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
छोटा मुँह बड़ी बात (बात बढ़ा-चढ़ा कर कहना) – कई लोगों को छोटा मुँह बड़ी बात कहने की आदत होती है।
जूतियाँ चाटना (खुशामद करना) – स्वार्थी आदमी अपने काम के लिए अफसरों की जूतियाँ चाटते फिरते हैं।
जान पर खेलना (प्राणों की परवाह न करना) – लाला लाजपतराय जैसे देशभक्त भारत की स्वतन्त्रता के लिए अपनी जान पर खेल गए।
ज़मीन आसमान एक करना (बहुत प्रयत्न करना) – रमेश ने नौकरी पाने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दिया लेकिन असफल रहा।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

टका-सा जवाब देना (कोरा जवाब देना) – जब मैंने सुरेश से पुस्तक मांगी तो उसने मुझे टका-सा जवाब दे दिया।
टांग अड़ाना (व्यर्थ दखल देना, रुकावट डालना) – मोहन, तुम क्यों दूसरों के कार्य में टांग अडाते हो।
टेढ़ी खीर (कठिन कार्य) – मुख्याध्यापक से टक्कर लेना टेढ़ी खीर है।
ठोकरें खाना (धक्के खाना) – आजकल तो एम० ए० पास भी नौकरी के लिए ठोकरें खाते फिरते हैं।
डींग मारना (शेखी मारना) – राकेश डींगें तो मारता है लेकिन वैसे पाई-पाई के लिए मरता है।
डंका बजना (प्रभाव होना, अधिकार होना, विजय पाना) – आज विश्व भर में अमेरिका की शक्ति का डंका बज रहा है।
डूबते को तिनके का सहारा (संकट में थोड़ी-सी सहायता मिलना) – इस विपत्ति में तुम्हारे पाँच रुपए भी मेरे लिए डूबते को तिनके का सहारा सिद्ध होंगे।
तूती बोलना (प्रभाव होना, बात का माना जाना) – आजकल हर जगह धनी लोगों की ही तूती बोलती है।
तलवे चाटना (चापलूसी करना) – मुनीश दूसरों के तलवे चाट कर काम निकालने में बहुत निपुण है।
ताक में रहना (अवसर देखते रहना) – चोर सदैव चोरी करने की ताक में रहते हैं।
दाँतों तले उंगली दबाना (आश्चर्य प्रकट करना) – महान् तपस्वी भी रावण की कठिन तपस्या देखकर दाँतों तले उंगली दबाते थे।
दाहिना हाथ (बहुत सहायक) – जवान पुत्र अपने पिता के लिए दाहिना हाथ सिद्ध होता है।
दिन में तारे नज़र आना (कोई अनहोनी घटना होने से घबरा जाना) – जंगल में शेर को अपनी ओर लपकते देखकर प्रमोद को दिन में तारे नज़र आ गए।
दाँत खट्टे करना (हराना) – महाराणा प्रताप ने युद्ध में कई बार मुगलों के दाँत खट्टे किए।
दिन दुगुनी रात चौगुनी (अत्यधिक उन्नति) – भारत आजकल दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।
धज्जियाँ उड़ाना (पूरी तरह खण्डन करना) – महात्मा गाँधी ने अंग्रेज़ों के अत्याचारों की धज्जियाँ उड़ा दीं।
नाकों चने चबाना (खूब तंग करना) – भारतीय सैनिकों ने शत्रु को नाकों चने चबा दिए।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

नाक में दम करना (बहुत तंग करना) – तुमने तो मेरे नाक में दम कर रखा है।
पानी-पानी होना (बहुत लज्जित होना) – चोरी पकड़े जाने पर सुरेश पानी-पानी हो गया।
पीठ दिखाना (युद्ध से भाग जाना) – युद्ध में पीठ दिखाना कायरों का काम है, वीरों का नहीं।
पगड़ी उछालना (अपमान करना) – बड़ों की पगड़ी उछालना सज्जन पुरुष को शोभा नहीं देता।
पत्थर की लकीर (अटल बात) – श्री जय प्रकाश नारायण का कथन पत्थर की लकीर सिद्ध हुआ।
पापड़ बेलना (कई तरह के काम करना) – महेश ने नौकरी प्राप्त करने के लिए कई पापड़ बेले, फिर भी असफल रहा।
पसीना-पसीना होना (घबरा जाना) – कठिन पर्चा देखकर गीता पसीना-पसीना हो गई।
फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना) – परीक्षा में प्रथम आने का समाचार सुनकर आशा फूली न समाई।
फूट-फूट कर रोना (बहुत अधिक रोना) – पिता के मरने का समाचार सुनकर रमा फूट-फूट कर रोने लगी।
बगुला भक्त (कपटी) – मोहन को अपनी कोई बात न बताना, वह बगुला भक्त है।
बायें हाथ का खेल (आसान काम) – दसवीं की परीक्षा पास करना बायें हाथ का खेल नहीं है।
बाल बांका न करना (हानि न पहुँचाना) – मेरे होते हुए कोई तुम्हारा बाल बांका नहीं कर सकता।
बाल-बाल बच जाना (साफ-साफ बच जाना) – आज ट्रक और बस की दुर्घटना में यात्री बाल-बाल बच गए।
मुँह की खाना (बुरी तरह हारना) – 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को मुँह । की खानी पड़ी थी।
रफू-चक्कर होना (भाग जाना) – जेब काट कर जेबकतरा रफू-चक्कर हो गया।
रंग में भंग पड़ना (मज़ा किरकिरा होना) – जलसा शुरू ही हुआ था कि रंग में भंग पड़ गया।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

लाल-पीला होना (क्रुद्ध होना) – पहले बात तो सुन लो, व्यर्थ में क्यों लाल-पीले हो रहे हो।
लोहा मानना (शक्ति मानना) – सारा यूरोप नेपोलियन का लोहा मानता था।
लेने के देने पड़ जाना (लाभ के बदले हानि होना) – भारत पर आक्रमण करके पाकिस्तान को लेने के देने पड़ गए।
लोहे के चने चबाना (अति कठिन काम) – भारत पर आक्रमण करके चीन को लोहे के चने चबाने पड़े।
लहू पसीना एक करना (बहुत परिश्रम करना) – आजकल लहू पसीना एक करने पर भी अच्छी तरह से जीवन निर्वाह नहीं हो पाता।
सिर पर भूत सवार होना (अत्यधिक क्रोध में आना) – अरे सुरेश, राम के सिर पर तो भूत सवार हो गया है, वह तुम्हारी एक न मानेगा।
सिर नीचा होना (इज्ज़त बिगड़ना) – नकल करते हुए पकड़े जाने पर प्रभा का अपना सिर नीचा हो गया।
हवा से बातें करना (तेज़ भागना) – शीघ्र ही हमारी गाड़ी हवा से बातें करने लगी।
हक्का -बक्का रह जाना (हैरान रह जाना) – वरिष्ठ नेता जगजीवन राम के कांग्रेस छोड़ने पर श्रीमती इन्दिरा गाँधी हक्की-बक्की रह गईं थीं!
हाथ धो बैठना (खो देना, छिन जाना) – पाकिस्तान युद्ध में कई युद्ध पोतों तथा पनडुब्बियों से हाथ धो बैठा।
हाथ-पैर मारना (प्रयत्न करना) – डूबते बच्चे को बचाने के लिए लोगों ने खूब हाथ-पैर मारे परन्तु सफल न हो सके।
हथियार डाल देना (हार मान लेना) – बंगला देश में पाकिस्तानी सेना ने साधारण से युद्ध के बाद हथियार डाल दिए।

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Punjab State Board PSEB 6th Class Maths Book Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Maths Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

1. Draw the following angles in both directions (Left and right) by protractor:

Question (i)
75°
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 1
2. Place the protractor on ray OA such that its centre lies on the initial point O and 0-180° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 2
3. Mark a point B on the paper against the mark of 75° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 3
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle \(\angle AOB\) = 75°.

If ray OA lies to the left of the centre (midpoint) of the baseline, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 75°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 75°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 4

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (ii)
110°
Solution:
Steps of Construction:
1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 5
2. Place the protractor on OA such that its centre lies on the initial point O and 0-180° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 6
3. Mark a point B on the paper against the mark of 110° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 7
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle \(\angle AOB\) = 110°.

If the ray OA lies to the left of the centre (mid point) of the base line, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 110°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 110°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 8
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 9

Question (iii)
62°
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 10
2. Place the protractor on OA such that its centre lies on the initial point O and 0-62° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 11
3. Mark a point B on the paper against the mark of 62° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 12
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle \(\angle AOB\) = 62°.

If the ray OA lies to the left of the centre (midpoint) of the baseline, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 62°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 62°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 13

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (iv)
165°
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 13.1
2. Place the protractor on OA such that its centre lies on the initial point O and 0-180° baseline along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 14
3. Mark a point B on the paper against the mark of 165° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 15
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle
\(\angle AOB\) = 165°

If the ray OA lies to the left of the centre (mid point) of the base line, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 165°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 165°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 16

Question (v)
170°
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 17
2. Place the protractor on ray OA such that its centre lies on the initial point O and 0-480° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 18
3. Mark a point B on the paper against the mark of 170° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 19
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle \(\angle AOB\) = 170°.

If the ray OA lies to the left of the centre (mid point) of the base line, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 170°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 170°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 20

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (vi)
32°
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 21
2. Place the protractor on OA such that its centre lies on the initial point O and 0-180° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 22
3. Mark a point B on the paper against the mark of 32° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 23
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle \(\angle AOB\) = 32°.
If the ray OA lies to the left of the centre (mid point) of the base line, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 32°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 32°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 24

Question (vii)
128°
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 25
Place the protractor on OA such that its centre lies on the initial point O and 0-180° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 26
3. Mark a point B on the paper against the mark of 128° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 27
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle
\(\angle AOB\) = 128°.

If the ray OA lies to the left to the centre (mid point) of the bar line, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 128°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 128°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 28

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (viii)
25°
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 28.1
2. Place the protractor on OA such that its centre lies on the initial point O and 0-180° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 29
3. Mark a point B on the paper against the mark of 25° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 30
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle \(\angle AOB\) = 25°.

If the ray OA lies to the left of the centre (mid point) of the base line, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 25°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 25°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 31

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (ix)
80°
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 32
2. Place the protractor on OA such that its centre lies on the initial point O and 0-180° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 33
3. Mark a point B on the paper against the mark of 80° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 34
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle \(\angle AOB\) = 80°.

If the ray OA lies to the left to the centre (mid point) of the bar line, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 80°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 80°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 35

Question (x)
135°.
Solution:
Steps of Construction:

1. Draw a ray OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 36
2. Place the protractor on OA such that its centre lies on the initial point O and 0-180° base line along OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 37
3. Mark a point B on the paper against the mark of 135° (inner scale) on the protractor.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 38
4. Remove the protractor and join OB.
Thus, required angle \(\angle AOB\) = 135°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 40

If the ray OA lies to the left to the centre (mid point) of the bar line, start reading the angle on the outer scale from 0° and mark 135°. Join OB, then \(\angle AOB\) = 135°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 41

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

2. Bisect the following angles by compasses:

Question (i)
48°
Solution:
Steps of Construction:
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 42
1. Draw a ray OA.
2. Place the centre of the protractor at O.
3. Starting with 0° mark point B at 48°.
4. Join OB. Then \(\angle AOB\) = 48°.
5. With O as centre and using compasses, draw an arc that cuts both rays of \(\angle AOB\) at C and D respectively.
6. With C as centre and radius more than half of CD. Draw an arc.
7. With D as centre and same radius as in step 6 draw another arc which cuts the first arc at point
E.
8. Join OE, then OE is the bisector of angle \(\angle AOB\) = 48°.
Measure \(\angle AOB\) and \(\angle AOB\)
\(\angle AOB\) = \(\angle AOB\) = 24°.

Question (ii)
140°
Solution:
Steps of Construction:
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 43
1. Draw a ray OA.
2. Place the centre of the protractor at O.
3. Starting with 0° mark point B at 140°.
4. Join OB. Then \(\angle AOB\) = 140°.
5. With O as centre and using compasses, draw an arc that cuts both rays of \(\angle AOB\) at C and D respectively.
6. With C as centre and radius more than half of CD. Draw an arc.
7. With D as centre and same radius as in step 6 draw another arc which cuts the first arc at point E.
8. Join OE, then OE is the bisector of angle \(\angle AOB\) = 140°.
On measurement \(\angle AOE\) = \(\angle BOE\) = 70°.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (iii)
75°
Solution:
Steps of Construction:
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 44
1. Draw a ray OA.
2. Place the centre of the protractor at O.
3. Starting with 0° mark point B at 75°.
4. Join OB. Then \(\angle AOB\) = 75°.
5. With O as centre and using compasses, draw an arc that cuts both rays of \(\angle AOB\) at C and D respectively.
6. With C as centre and radius more than half of CD. Draw an arc.
7. With D as centre and same radius as in step 6 draw another arc which cuts the first arc at point E.
8. Join OE, then OE is the bisector of angle \(\angle AOB\) = 75°.
On measurement
\(\angle AOE\) = \(\angle BOE\) = 37.5°.

Question (iv)
64°
Solution:
Steps of Construction:
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 45
1. Draw a ray OA.
2. Place the centre of the protractor at O.
3. Starting with 0° mark point B at 64°.
4. Join OB. Then \(\angle AOB\) = 64°.
5. With O as centre and using compasses, draw an arc that cuts both rays of \(\angle AOB\) at C and D respectively.
6. With C as centre and radius more than half of CD. Draw an arc.
7. With D as centre and same radius as in step 6 draw another arc which cuts the first arc at point E.
8. Join OE, then OE is the bisector of angle \(\angle AOB\) = 64°.
On measurement
\(\angle AOE\) = \(\angle BOE\) = 32°.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (v)
124°.
Solution:
Steps of Construction:
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 46
1. Draw a ray OA.
2. Place the centre of the protractor at O.
3. Starting with 0° mark point B at 124°.
4. Join OB. Then \(\angle AOB\) = 124°.
5. With O as centre and using compasses, draw an arc that cuts both rays of \(\angle AOB\) at C and D respectively.
6. With C as centre and radius more than half of CD. Draw an arc.
7. With D as centre and same radius as in step 6 draw another arc which cuts the first arc at point E.
8. Join OE, then OE is the bisector of angle \(\angle AOB\) = 124°.
On measurement \(\angle AOE\) = \(\angle BOE\) = 62°.

3. Draw an angle of 80° and bisect it in to four equal parts by compasses.
Solution:
1. Draw a line OY of any length.
2. Place the centre of the protractor at O.
3. Starting with 0 mark a point X at 80°.
4. Join OX. Then \(\angle XOY\) = 80°.
5. With O as centre and using compass, draw an arc that cuts both rays of \(\angle XOY\). Name the point of intersection as X’ and Y’.
6. With Y’ as centre, draw an arc whose radius is more than half the length X’Y’.
7. With the same radius and with X’ as a centre, draw another arc which cut the first arc at point C.
8. With O as centre and using compass, draw an arc that cuts both rays of \(\angle COY\). Name the points of intersection as B and A.
9. With A as centre, draw an arc whose radius is more than half the length AB.
10. With the same radius and with B as centre, draw another arc which cuts the first arc at point S.
11. With O as centre and using compass, draw an arc that cuts both rays of \(\angle XOC\) . Name the points of intersection as D and E.
12. With E as centre, draw an arc whose radius is more than half the length DE.
13. With the same radius and with E as centre, draw another arc which bisects the first arc at T. Then OT is the bisector of \(\angle XOC\).
Thus \(\overline{\mathrm{OS}}, \overline{\mathrm{OC}} \text { and } \overline{\mathrm{OT}}\) divide, \(\angle AOB\) = 80° into four equal parts.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 47

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

4. Draw a right angle and bisect it.
Solution:
1. Draw a ray OB.
2. Place the centre of the protractor at O.
3. Starting with 0° mark point A at 90°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 48
4. Join OA. Then \(\angle AOB\) = 90°
5. With O as centre and using compasses, draw an arc that cuts both rays of \(\angle AOB\). Name the points of intersection as A’ and B’.
6. With B’ as centre, draw an arc whose radius is more than half of the length B’A’.
7. With the same radius and with A’ as a centre, draw another arc which cuts the first arc at point C. Join OC bisects \(\angle AOB\).

5. Draw the following angles by ruler and compasses:

Question (i)
30°
Solution:
To Construct angle of 30°

Steps of Construction:
1. Draw a line segment OA.
2. With O as centre and any suitable radius draw an arc cutting OA at point C.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 49
3. With C as centre and same radius as before draw another arc cutting the previous arc at E.
4. Join OE and produce it to B. \(\angle AOB\) = 60°.
5. Bisect \(\angle AOB\).
Thus \(\angle AOM\) = \(\angle MOB\) = 30°.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (ii)
45°
Solution:
To Construct Angle of 45°:

Steps of Construction:
1. Draw a line segment OA.
2. With O as centre and any suitable radius draw an arc cutting OA at point C.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 50
3. With C as centre and same radius cut off the arc at P and then with P as centre and the same radius cut off the arc again at Q.
4. With P and Q as centres and any suitable radius (more than half of PQ) or even the same radius draw arc cutting each other at R.
5. Join OR and produce it to B. Then \(\angle AOB\) = 90°.
6. Bisect \(\angle AOB\).
7. OD is the bisector of \(\angle AOB\).
\(\angle BOD\) = \(\angle DOA\) = 45°.

Question (iii)
135°
Solution:
To Construct Angle of 135°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 51

Steps of Construction:
1. Draw a line segment OA.
2. With O as centre and any suitable radius draw an arc cutting OA at point C.
3. With C as centre and the same radius cut off the arc at P and then with P as centre and the same radius cut off the arc again at Q and then with Q as centre the same radius cut off the arc again at R.
4. With Q and R as centres and radius more than half of RQ draw arcs cutting each other at L.
5. Join OL and produce it to B. Then \(\angle AOB\) = 150°.
6. Take a point M on the arc where OL intersects the arc.
7. With M and Q as centres and radius more than half of MQ draw arcs cutting each other at N.
8. Join ON and produce it to E. \(\angle AOE\) = 135°.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (iv)
180°
Solution:
To Construct Angle of 180°.

Steps of Construction:
1. Draw a line AB and mark a point C on it.
2. Taking C as centre and with any suitable radius, draw an are PQ cutting AB at P and Q.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 52

3. Here \(\angle ACB\) = 180° (It is a straight line).

Question (v)
120°
Solution:
To Construct Angle of 120°:

Steps of Construction:
1. Draw a line segment OA.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 53
2. With O as centre and any suitable radius draw an arc cutting OA at point M.
3. With M as centre and same radius draw an arc which cuts the arc at N and then with N as centre and the same radius cut off the arc again at Q.
4. Join OQ and produce it to B.
Then \(\angle AOB\) = 120°.

PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question (vi)
75°.
Solution:
To Construct Angle of 75°.
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 54

Steps of Construction:
1. Draw a line segment OA.
2. With O as centre and any suitable radius draw an arc cutting OA at C.
3. With C as centre and same radius cut off the arc at P and then with P as centre and the same radius cut off the arc again at Q.
4. With P and Q as centres and radius more than half of PQ draw arcs cutting each other at R.
5. Join OR and produce it to B. \(\angle AOB\) = 90°.
6. Bisect \(\angle AOB\).
7. OD is the bisector of \(\angle AOB\).
\(\angle BOD\) = \(\angle DOA\) = 45°.
8. Again draw OE bisector of \(\angle DOB\).
Thus angle \(\angle EOA\) = 75°.

6. Draw an angle of 30° by protractor and bisect it by a ruler and compasses.
Solution:
Steps of Construction:
PSEB 6th Class Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 55
1. Draw a ray OA.
2. Place the centre of the protractor at O.
3. Starting with 0° mark point B at 30°.
4. Join OB. Then \(\angle AOB\) = 30°.
5. With O as centre and using compasses draw an arc that cuts both rays of \(\angle AOB\), with the point intersection as C and D.
6. With C as centre, draw an arc whose radius is more than half of the length of CD.
7. With D as centre and same radius as in step 6 draw another arc which cuts the first arc at point E.
8. Join OE, it bisect \(\angle AOE\).