PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Home Science Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

PSEB 6th Class Home Science Guide सूती कपड़ों की धुलाई Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
धोने से पहले वस्त्रों की छंटाई का क्या कारण है ?
उत्तर-
इससे रंगदार कपड़ों का रंग सफेद कपड़ों में न लग जाए तथा अधिक गन्दे तथा कम गन्दे कपड़े भी अलग कर लिए जाते हैं।

प्रश्न 2.
गन्दे वस्त्र पहनने से क्या हानि होती है ?
उत्तर-
गन्दे वस्त्रों में रोगों के जीवाणु वास करते हैं। गन्दे वस्त्र पहनने से रोगों का संक्रमण हमारे शरीर पर हो सकता है।

प्रश्न 3.
वस्त्र धोने से पहले दाग-धब्बे क्यों छुड़ा लेने चाहिएं ?
उत्तर-
दाग-धब्बे का वस्त्र की धुलाई की विधि में और अधिक पक्का होने का भय रहता है।

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प्रश्न 4.
वस्त्रों की धुलाई के लिए पानी कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
मृदु।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़े को भिगोना क्यों चाहिए ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों को यदि रात को भिगो कर रख दिया जाए तो मेहनत, समय तथा साबुन की बचत होती है। भिगोने से ऊपर की मैल भी नरम हो जाती है, जिससे उसे साफ़ करना सरल हो जाता है। कई तरह के दाग तथा माया भी साफ़ हो जाती है। कपड़ों को साफ़ प्लास्टिक के टब या बाल्टी में भिगोना चाहिए। लोहे की बाल्टी में जंग लगने का डर रहता है। बाल्टी या टब इतना बड़ा होना चाहिए कि इसमें सारे कपड़े तथा पानी अच्छी तरह समा जाने चाहिए। रसोई के कपड़े तथा दूसरे झाड़न तथा मोटरग्रीज़ वाले एप्रिनों को पानी में सोडा मिलाकर भिगोना चाहिए। इन्हें दूसरे कपड़ों से अलग ही भिगोना चाहिए। बिस्तरों तथा पहनने वाले कपड़ों को भी अलग-अलग भिगोना चाहिए। ज़्यादा गन्दे कपड़ों को काफ़ी नीचे तथा साफ़ कपड़ों को ऊपर रखना चाहिए। ज्यादा गन्दे भागों को साबुन लगाकर भिगोना चाहिए। कपड़ों को 24 घण्टे से अधिक समय तक एक ही पानी में नहीं भिगोना चाहिए, क्योंकि कपड़ों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो कपड़ों को हानि पहुँचाते हैं।

प्रश्न 2.
सफ़ेद कपड़े पीले या स्लेटी रंग के क्यों हो जाते हैं ? इस दोष को कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर-
कई बार जब सफ़ेद कपड़े पुराने हो जाते हैं या धोने वाले साबुन में ज़्यादा क्षार होती है तो कपड़े पीले दिखाई देने लगते हैं। कपड़ों को धोने के बाद यदि उनसे अच्छी तरह साबुन न निकाला जाए या ज्यादा नील लग जाए तो कपड़े स्लेटी रंग के हो जाते हैं। इस दोष को दूर करने के लिए कपड़ों को 20 मिनटों के लिए पानी में उबालते हैं। उबालने के बाद हल्के गर्म पानी में कई बार खंगालते हैं, इसके बाद नील लगाकर धूप में सुखाते है।

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प्रश्न 3.
कपड़ों को नील कैसे तथा क्यों लगाई जाती है ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों की नील लगाने के लिए इसका घोल बनाया जाता है। कपड़े को निचोड़ने के बाद इसे घोल में डालते हैं तथा हाथों से दबाते हैं। इसके बाद निचोड़कर धूप में सुखाते हैं। नील से कपड़ों में चमक आ जाती है जिससे व्यक्ति स्मार्ट लगने लगता है और उसके व्यक्तित्व में निखार आ जाता है।

प्रश्न 4.
कपड़ों को कलफ कैसे तथा क्यों लगाई जाती है ?
उत्तर-
माया का घोल बना लिया जाता है। कपड़े को निचोड़कर इसे घोल में डालते हैं तथा दोनों हाथों से दबाया जाता है। इसके बाद धूप में सुखाते हैं। इससे कपड़े में चमक आ जाती है तथा रेशा मज़बूत हो जाता है तथा सिलवटें भी नहीं पड़ती हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़ों को धोने से पहले उनकी क्या तैयारी करोगे ?
उत्तर-
कपड़ों को धोने से पहले तैयारी –

  1. सभी कपड़ों की अच्छी तरह जाँच करनी चाहिए।
  2. कोई भी कपड़ा कहीं से फटा या उधड़ा हों तो उसे ठीक कर लेना चाहिए।
  3. कपड़ों के बटन या हुक टूटे हुए हों तो उन्हें धोने के बाद तथा प्रेस करने से पहले ठीक कर लेना चाहिए।
  4. कपड़े धोने से पहले जेबों को देख लेना चाहिए। उनमें कोई कागज़, पैसे या कुछ और चीजें हों तो उसे निकाल लेना चाहिएं।
  5. कपड़े पर कोई ऐसे बटन या बक्कल आदि हों जिनका पानी से खराब होने का डर हो तो उन्हें उतार कर रख लेना चाहिए।
  6. कपड़ों पर कोई ऐसे दाग हों जो कि पानी तथा साबुन से न उतर सकते हों तो उन्हें पहले ही उसके विशेष प्रतिकारक से साफ़ कर लेना चाहिए।

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प्रश्न 2.
सफ़ेद कपड़ों को नील तथा माया कैसे लगाओगे ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों को नील तथा माया एक साथ ही लगाए जाते हैं। माया का घोल बनाकर उसमें ही नील भी अच्छी तरह मिलाना चाहिए। कपड़े को निचोड़ने के बाद इसे घोल में डाल देना चाहिए तथा हाथों से दबाना चाहिए। इसके बाद निचोड़कर धूप में सुखा देना चाहिए।
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प्रश्न 3.
प्रैस करने के क्या नियम हैं ?
उत्तर–
प्रेस करने के निम्नलिखित नियम हैं –
1. प्रेस करने के लिए ऐसी मेज़ लेनी चाहिए जो न बहुत ऊँची, न बहुत नीची हो और हिलती भी न हो। उस पर कोई पुराना कम्बल या खेस बिछाना चाहिए तथा उसके ऊपर साफ़ चादर बिछा देनी चाहिए। चादर को मेज़ के पायों से बाँध देना चाहिए ताकि वह हिले नहीं।

2. पानी का प्याला तथा मलमल का कपड़ा बाईं ओर ऊपर से रखना चाहिए तथा प्रैस रखने के लिए पत्थर दाईं ओर नीचे की तरफ़ रखना चाहिए। पानी के छींटे मारने के लिए छिद्रों वाले ढक्कन वाला डिब्बा या बोतल भी इस्तेमाल की जा सकती है।

3. कपड़े ठीक तरह नमी युक्त होने चाहिएं। यदि कपड़े कम नमी वाले रह जाएंगे तो कपड़ों पर सिलवटें रह जाएंगी और अधिक ज़्यादा गीले हो जाने पर समय तथा ईंधन अधिक लगेगा।

4. प्रैस को गर्म कर लेना चाहिए। प्रैस सफ़ेद कपड़ों के लिए अधिक गर्म तथा रंगदार के लिए कम गर्म होनी चाहिए।

5. सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़ों को सीधी ओर तथा गाढ़े रंग के कपड़ों को उल्टी ओर प्रैस करना चाहिए। सिलाइयों को पहले उल्टी ओर से प्रैस करना चाहिए।

6. कपड़े इकहरे प्रेस करना चाहिए तथा प्रैस को सदा सीधी रेखा में नीचे से ऊपर की ओर या दाईं ओर से बाईं ओर फेरना चाहिए।
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7. कढ़ाई वाले कपड़े को फलालेन के कपड़े पर उल्टा रखकर प्रेस करना चाहिए।

8. कपड़ों को प्रेस करने के बाद कुछ देर हवा में रखना चाहिए ताकि वे पूरी तरह सूख जाएँ।

9. इलास्टिक वाले भागों पर प्रैस नहीं करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
किन-किन बातों का ध्यान रखकर कपड़ों को छांटना चाहिए ?
उत्तर-
कपड़ों को छाँटते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –

  1. सबसे पहले रंगदार कपड़े तथा सफ़ेद कपड़ों को अलग-अलग छाँटना चाहिए। इसमें से जिन कपड़ों के रंग कच्चे हों, उनको सबसे पहले या सबसे बाद में दूसरे कपड़ों से अलग करके धोना चाहिए ताकि दूसरे कपड़ों को रंग न लगे।
  2. मुलायम कपड़े जैसे-चंदेरी, आरकण्डी, रूबिया, मलमल आदि।
  3. बाहर पहनने वाले कपड़े-सलवार, कमीज़, पैंट, फ्रॉक आदि।
  4. अन्दर पहनने वाले कपड़े-कच्छे, बनियान आदि।
  5. बिस्तरों और घर के अन्य कपड़े-चादरें, सिरहाने के गिलाफ, तौलिए, मेज़पोश, टेबल, मैटस, झाड़न नैपकिन्स आदि।
  6. छोटे बच्चों के लंगोट।
  7. रूमाल-खासकर जुकाम के लिए इस्तेमाल किए गए रूमालों को अलग धोना चाहिए।
  8. एप्रिन, रसोई के और अन्य झाड़न।

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे वस्त्र गन्दे क्यों हो जाते हैं ?
उत्तर-
धूल व अन्य बाहरी अशुद्धियाँ तथा पसीने के सम्पर्क से।

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प्रश्न 2.
धोने से पूर्व वस्त्रों की छंटाई का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
वस्त्रों को उनकी प्रकृति एवं अवस्था के अनुसार छाँट कर अलग-अलग धोना, जैसे सफ़ेद व रंगीन वस्त्रों को अलग-अलग धोना।

प्रश्न 3.
वस्त्रों को धोने से पूर्व उनकी मरम्मत क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
फटे हुए, सिलाई हुई, उधड़े हुए या छेद हुए वस्त्रों को धोने से पूर्व उनकी मरम्मत इसलिए आवश्यक है कि वे और अधिक न फटे या न उधड़े या छेद और बड़ा न हो।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्रों में कलफ लगाने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
वस्त्रों में कलफ लगाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं –

  1. वस्त्रों में कलफ लगाने से चमक और नवीनता आ जाती है।
  2. कपड़े में कलफ रहने से कपड़े में कड़ापन आ जाता है।
  3. कल्फ लगे वस्त्रों पर धूल नहीं जमती क्योंकि यह धागों के बीच के रिक्त स्थानों की पूर्ति करती है।
  4. वस्त्रों पर सिलवटें नहीं पड़ती हैं। वस्त्रों का आकार ठीक लगता है।
  5. कलफ लगे वस्त्र पहनने पर व्यक्ति स्मार्ट लगता है, उसके व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। कलफ सूती वस्त्र, लिनन के वस्त्र व रेशमी वस्त्र पर किया जाता है।

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प्रश्न 2.
सूती वस्त्रों की धुलाई हम कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर-
सूती वस्त्रों की धुलाई के लिए दो विधियाँ काम में लाई जाती हैं –
(अ) रगड़, (ब) हल्का दबाव।
रगड़कर वस्त्र धोने की विधि में साबुन, गर्म पानी, रगड़ने वाला तख्ता तथा ब्रुश की आवश्यकता होती है। इस विधि से वे वस्त्र धोए जाते हैं जो मज़बूत और टिकाऊ धागों से बने होते हैं। पानी में भिगोकर, साबुन लगाकर, रगड़ने वाले तख्ते पर ब्रश से वस्त्र को तब तक रगड़ा जाता है जब तक कि मैल पूरी तरह से दूर न हो जाए।

रंगीन तथा कोमल वस्त्रों को हल्के दबाव की विधि से धोया जाता है। टब में गुनगुना पानी लेकर उसमें साबुन का चूरा या डिटरजेन्ट पाउडर आदि घोलकर उसमें वस्त्र डाल दिए जाते हैं। बाद में हाथों द्वारा हल्के दबाव में मसलकर वस्त्रों को साफ़ किया जाता है।

वस्त्रों की धुलाई में अच्छे साबुन का प्रयोग करना चाहिए। धोते समय वस्त्रों को अधिक पीटने से उनके तन्तु कमज़ोर हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
सूती वस्त्रों की विशेषताएं बताइए।
उत्तर-

  1. ये अत्यधिक शक्तिशाली तथा मजबूत होते हैं।
  2. इन्हें रगड़ने तथा पीटने से कोई भी हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं।
  3. ये ग्रीष्म ऋतु के लिए अति उत्तम होते हैं।
  4. इनमें सिलवटें शीघ्र पड़ जाती हैं।
  5. सूती वस्त्र नमी को जल्दी सोखते हैं।
  6. इन्हें धोने में किसी प्रकार की विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं होती।
  7. इनमें ताप-सहन क्षमता सबसे अधिक होती है।
  8. इन पर अम्ल का बुरा प्रभाव पड़ता है और क्षार का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।

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प्रश्न 4.
सूती वस्त्रों पर इस्तरी करने से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
सूती वस्त्रों पर इस्तरी करने से निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. वस्त्रों पर चमक आ जाती है।
  2. वस्त्रों में सुन्दरता तथा निखार आ जाता है।
  3. सिलवटें समाप्त हो जाती हैं।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भारत में सबसे अधिक कौन-से कपड़े का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
सूती कपड़े का।

प्रश्न 2.
रंगदार कपड़ों को कहां सुखाना चाहिए?
उत्तर-
छाया में।

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प्रश्न 3.
कपड़े के कौन-से भाग में प्रेस नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
इलास्टिक वाले भाग में।

प्रश्न 4.
कढ़ाई वाले कपड़े को …………………. के कपड़े पर उल्टा रख कर प्रैस करें।
उत्तर-
फ्लालेन।

प्रश्न 5.
अधिक नील लगने से कपड़े का रंग कैसा हो जाता है ?
उत्तर-
स्लेटी।

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प्रश्न 6.
कौन से पानी में साबुन की झाग नहीं बनती ?
उत्तर-
भारे पानी में।

सूती कपड़ों की धुलाई PSEB 6th Class Home Science Notes

  • भारत में सबसे अधिक सूती कपड़ों को ही प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि ये सस्ते तथा अधिक समय तक चलने वाले होते हैं।
  • सूती कपड़े धोते समय नीचे लिखी बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है –
    1. कपड़े की बनावट
    2. कपड़े का रंग (कच्चा या पक्का)
    3. कपड़े की परिसज्जा।
  • कपड़ों को छाँटते समय सबसे पहले रंगदार कपड़े तथा सफ़ेद कपड़ों को अलग-अलग कर लेना चाहिए।
  • सफ़ेद सूती कपड़ों को यदि रातभर भिगोकर रख दिया जाए तो मेहनत, समय तथा साबुन की बचत होती है।
  • रसोई के झाड़न तथा मोटर ग्रीज़ वाले एप्रिनों को पानी में सोडा मिलाकर भिगोना चाहिए।
  • बिस्तरों तथा पहनने वाले कपड़ों को भी अलग-अलग भिगोना चाहिए।
  • कपड़ों को 24 घण्टे से अधिक समय तक एक ही पानी में नहीं भिगोना चाहिए क्योंकि कपड़ों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो कपड़ों को हानि पहुँचाते है।
  • सभी सफ़ेद कपड़ों को धोने के बाद खंगालना चाहिए।
  • सफ़ेद कपड़ों को धूप में सुखाना चाहिए। इससे कपड़ों में सफ़ेदी तथा ताज़गी आती है।
  • रंगदार कपड़ों को छाँव में सुखाना चाहिए ताकि उनका रंग खराब न हो।
  • सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़ों को सीधी ओर तथा गाढ़े रंग के कपड़ों को उल्टी ओर प्रैस करना चाहिए।
  • कपड़ों को प्रेस करने के बाद कुछ देर हवा में रखना चाहिए ताकि वे पूरी तरह सूख जाएँ।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 12 भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 12 भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 12 भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक

SST Guide for Class 6 PSEB भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दें

प्रश्न 1.
महाजनपद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
600 ई० पू० के लगभग भारत में अनेक गणतंत्र तथा राजतंत्र राज्यों की स्थापना हुई। इसमें से जो राज्य अधिक शक्तिशाली थे, उन्हें महाजनपद कहा जाता था। बौद्ध तथा जैन साहित्य के अनुसार इनकी संख्या 16 थी।

प्रश्न 2.
किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण जनपदों के बारे में लिखें।
उत्तर-
मगध, कोशल, वत्स तथा अवन्ति चार महत्त्वपूर्ण जनपद थे।
1. मगध-मगध सबसे अधिक शक्तिशाली जनपद था। इसमें बिहार प्रान्त के गया तथा पटना के प्रदेश शामिल थे। इसकी राजधानी राजगृह थी।

2. कोशल-कोशल की राजधानी अयोध्या (साकेत) थी। इसमें आधुनिक उत्तर प्रदेश का अवध प्रदेश शामिल था।

3. वत्स-वत्स की राजधानी कौशांबी थी। यह जनपद काशी के पश्चिम भाग में प्रयाग के आस-पास के क्षेत्र में फैला हुआ था। इस जनपद का अवन्ति जनपद के साथ संघर्ष चलता रहता था।

4. अवन्ति-अवन्ति जनपद की राजधानी उज्जैन थी। इसमें मालवा तथा मध्य प्रदेश का कुछ भाग शामिल था।

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प्रश्न 3.
हर्यक वंश के अधीन मगध के उत्थान का वर्णन करें।
उत्तर-
मगध राज्य में आरम्भ में केवल बिहार प्रान्त के गया तथा पटना के प्रदेश ही शामिल थे, लेकिन बाद में हर्यक वंश के राजाओं बिम्बिसार तथा अजातशत्रु के अधीन इसका बहुत उत्थान हुआ।

1. बिम्बिसार-बिम्बिसार मगध का सबसे अधिक शक्तिशाली शासक था। उसने 543 ई०पू० से 492 ई०पू० तक शासन किया। उसने गंगा नदी पर अधिकार कर लिया। उसने दक्षिण-पूर्व के अंग राज्य को जीता तथा गंगा तट की मुख्य बन्दरगाह चम्पा पर अधिकार जमाया। उसकी राजधानी नालन्दा के समीप राजगृह थी।

2. अजातशत्रु-अजातशत्रु बिम्बिसार का पुत्र था। उसने 492 ई० पू० से 460 ई० पू० तक राज्य किया। उसने पड़ोसी राज्यों पर हमला करके अपने राज्य का विस्तार किया। उसने काशी, कोशल तथा वैशाली पर विजय प्राप्त करके मगध को उत्तरी भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य बना दिया। उसने पाटलिपुत्र (पटना) को अपनी नई राजधानी बनाया।

प्रश्न 4.
इस काल (600 ई० पू० से 400 ई० पू० तक) में जाति-प्रथा एवं चार आश्रमों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
600 ई० पूर्व से 400 ई० पूर्व तक के भारत में जाति प्रथा समाज की महत्त्वपूर्ण विशेषता थी। जाति प्रथा कठोर थी। समाज मुख्य तौर पर चार जातियों में बंटा हुआ था। ये जातियां ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र थीं। समाज में ब्राह्मणों को बहुत सम्मान दिया जाता था, जबकि शूद्रों की स्थिति बहुत ख़राब थी तथा उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। जाति प्रथा जन्म पर आधारित थी।

उपरोक्त चार जातियों के अलावा समाज में व्यवसाय पर आधारित अनेक उपजातियां भी थीं। इन उपजातियों में बढ़ई, लोहार, सुनार, रथकार, कुम्हार तथा तेली आदि शामिल थे।

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प्रश्न 5.
आहत-सिक्कों के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
600 ई० पूर्व से 400 ई० पूर्व तक के भारत में वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिए तांबे तथा चांदी के बने सिक्कों का प्रयोग किया जाता था। इन सिक्कों का भार तो निश्चित होता था, लेकिन इनका कोई आकार नहीं होता था। इन पर कई प्रकार की आकृतियों के ठप्पे लगाए जाते थे। इन्हें आहत-सिक्के कहा जाता था।

प्रश्न 6.
जैन धर्म के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
जैन धर्म 600 ई० पूर्व में अस्तित्व में आया था। इस धर्म के 24 गुरु हुए हैं, जिन्हें तीर्थंकर कहते हैं। आदिनाथ (ऋषभ नाथ) पहले तीर्थंकर तथा वर्धमान महावीर 24वें तीर्थंकर थे।
शिक्षाएं-जैन धर्म की शिक्षाएं निम्नलिखित हैं –

  1. अहिंसा-अहिंसा जैन धर्म का मुख्य सिद्धान्त है। इसका अर्थ यह है कि मनुष्य को मन, वचन तथा कर्म से किसी को कष्ट नहीं देना चाहिए।
  2. अस्तय-मनुष्य को सत्य बोलना चाहिए और कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
  3. चोरी न करना-चोरी करना पाप है। बिना आज्ञा से किसी की वस्तु लेना अथवा धन लेना चोरी है। इससे दूसरों को कष्ट होता है।
  4. अपरिग्रह-आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना। सम्पत्ति इकट्ठी करना उचित नहीं है। इससे जीवन में लगाव पैदा होता है तथा मनुष्य सांसारिक बन्धनों में बंध जाता है।
  5. ब्रह्मचर्य-मनुष्य को संयमपूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहिए।
  6. कठोर तपस्या-कठोर तपस्या करने से मनुष्य को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
  7. त्रिरत्न-त्रिरत्न मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग है। ये त्रिरत्न शुद्ध ज्ञान, शुद्ध दर्शन तथा शुद्ध चरित्र हैं।

जैन धर्म के सम्प्रदाय-श्वेताम्बर तथा दिगम्बर, जैन धर्म के दो सम्प्रदाय हैं।

  1. श्वेताम्बर-जैन धर्म के इस सम्प्रदाय के मुनि सफ़ेद कपड़े पहनते हैं।
  2. दिगम्बर-जैन धर्म के इस सम्प्रदाय के मुनि कोई कपड़ा नहीं पहनते।

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प्रश्न 7.
बौद्ध धर्म की प्रमुख शिक्षाएं कौन-सी हैं?
उत्तर-
बौद्ध धर्म की प्रमुख शिक्षाएं निम्नलिखित हैं –
1. चार महान् सत्य-बौद्ध धर्म के चार महान् सत्य ये हैं –
(i) संसार दुःखों का घर है।
(ii) दुःखों का कारण इच्छाएं (तृष्णा) हैं।
(iii) इच्छाओं (तृष्णा) को नियन्त्रण में करने से दुःखों से छुटकारा मिल सकता है।
(iv) इच्छाओं (तृष्णा) का दमन अष्टमार्ग द्वारा हो सकता है।

2. अष्टांग मार्ग-महात्मा बुद्ध ने दुःखों से छुटकारा पाने तथा निर्वाण प्राप्त करने के लिए अष्टांग मार्ग बताया है। इस मार्ग के आठ सिद्धान्त ये हैं –
(i) सच्ची (सम्यक्) दृष्टि,
(ii) सच्चा संकल्प,
(iii) सत्य वचन,
(iv) सच्चा कर्म,
(v) सच्ची आजीविका,
(vi) सच्चा यत्न,
(vii) सच्ची स्मृति,
(viii) सच्ची समाधि।

3. मध्य मार्ग- महात्मा बुद्ध ने मध्य मार्ग अपनाने की भी शिक्षा दी। उनके अनुसार, मनुष्य को न तो कठोर तपस्या के द्वारा अपने शरीर को अधिक कष्ट देना चाहिए तथा न ही अपने जीवन को व्यर्थ भोग-विलास में डुबोकर रखना चाहिए।

4. नैतिक शिक्षा-बुद्ध धर्म की नैतिक शिक्षाओं में अहिंसा, सत्य बोलना, नशीली वस्तुओं का सेवन न करना, धन से दूर रहना, समय पर भोजन करना तथा किसी की सम्पत्ति पर नज़र न रखना आदि शामिल हैं।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. बिम्बिसार ने …………… से ……………. ई० पू० तक राज्य किया।
  2. मंत्रियों को …………… भी कहा जाता था।
  3. कृषि एवं पशुपालन …………… मुख्य व्यवसाय थे।
  4. जैन धर्म के कुल ……………… तीर्थंकर हुए हैं।
  5. गौतम बुद्ध का वास्तविक नाम ………. था।
  6. भगवान महावीर ने लगभग …………. वर्षों तक गृहस्थ जीवन व्यतीत किया।

उत्तर-

  1. 543, 492
  2. अमात्य
  3. लोगों का
  4. 24.
  5. सिद्धार्थ
  6. 30.

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III. सही जोड़े बनायें –

(1) मगध – (क) गणतन्त्र
(2) अजातशत्रु – (ख) महाजनपद
(3) वज्जि – (ग) निगम (शिल्प संस्था)
(4) श्रेणी – (घ) राजा
(5) पार्श्वनाथ – (ङ) तीर्थंकर।
उत्तर-
सही जोड़े –
(1) मगध – महाजनपद
(2) अजातशत्रु – राजा
(3) वज्जि – गणतन्त्र
(4) श्रेणी – निगम (शिल्प संस्था)
(5) पार्श्वनाथ – तीर्थंकर

IV. निम्नलिखित में से सही (✓) अथवा (✗) ग़लत बतायें –

  1. शोडष जनपदों का उल्लेख बौद्ध साहित्य में है।
  2. बिम्बिसार ने 543 से 492 ई० तक राज्य किया।
  3. मन्त्रियों को चेर के नाम से जाना जाता था।
  4. कृषि-कर प्रायः उपज का 1/4 भाग होता था।
  5. सार्थवाह व्यापारियों का नेता था।
  6. जैनियों का विश्वास है कि 24 तीर्थंकर थे।
  7. गौतम बुद्ध सिद्धार्थ का पुत्र था।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)
  7. (✗)

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PSEB 6th Class Social Science Guide भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जैनियों के 24 तीर्थंकर थे? क्या आप 23वें तीर्थंकर का नाम बता सकते
उत्तर-
भगवान पार्श्वनाथ।

प्रश्न 2.
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। क्या आप ‘बुद्ध’ शब्द का अर्थ बता सकते हैं?
उत्तर-
ज्ञानवान् पुरुष।

प्रश्न 3.
महात्मा बुद्ध के अनुसार दुःखों का कारण क्या है? ।
उत्तर-
तृष्णा।

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बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महात्मा बुद्ध की माता का नाम क्या था?
(क) यशोधरा
(ख) महामाया
(ग) विश्ववारा।
उत्तर-
(ख) महामाया

प्रश्न 2.
महावीर स्वामी को कठोर तप के पश्चात् कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। निम्न में से इसका क्या अर्थ है?
(क) स्वर्ग नरक का ज्ञान
(ख) मानव जाति का सम्पूर्ण ज्ञान
(ग) ब्राह्माण्ड का सम्पूर्ण ज्ञान।
उत्तर-
(ग) ब्राह्माण्ड का सम्पूर्ण ज्ञान

प्रश्न 3.
‘त्रिपिटक’ एक महान पुरुष की शिक्षाओं का संग्रह है। उस महान पुरुष का नाम निम्न में से क्या था?
(क) महावीर स्वामी
(ख) भक्त कबीर
(ग) भगवान बुद्ध।
उत्तर-
(ग) भगवान बुद्ध

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मगध राज्य सबसे पहले किस शासक के समय में अत्यधिक शक्तिशाली बना?
उत्तर-
बिंबिसार के समय में।

प्रश्न 2.
बिंबिसार के समय मगध की राजधानी कौन-सी थी?
उत्तर-
बिंबिसार के समय मगध की राजधानी राजगृह थी।

प्रश्न 3.
बिंबिसार ने कौन-से राज्यों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए?
उत्तर-
बिंबिसार ने कोशल, वैशाली तथा मादरा राज्यों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए।

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प्रश्न 4.
नन्द वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
नन्द वंश का संस्थापक महापदमनन्द था।

प्रश्न 5.
महावीर स्वामी का आरम्भिक नाम क्या था?
उत्तर-
महावीर स्वामी का आरम्भिक नाम वर्धमान था।

प्रश्न 6.
महावीर स्वामी के माता-पिता का नाम बताएं।
उत्तर-
महावीर स्वामी की माता का नाम त्रिशला तथा पिता का नाम सिद्धार्थ था।

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प्रश्न 7.
महावीर स्वामी को किस आयु में ज्ञान की प्राप्ति हुई?
उत्तर-
महावीर स्वामी को 42 वर्ष की आयु में ज्ञान की प्राप्ति हुई।

प्रश्न 8.
जैन धर्म के त्रिरत्नों के बारे में लिखें।
उत्तर-
जैन धर्म के त्रिरत्न सत्य विश्वास, सत्य ज्ञान तथा सत्य कर्म हैं। महावीर स्वामी के अनुसार मनुष्य इनका पालन करके मुक्ति प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 9.
महात्मा बुद्ध का जन्म कब तथा कहां हुआ?
उत्तर-
महात्मा बुद्ध का जन्म 567 ई० पू० में कपिलवस्तु में हुआ।

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प्रश्न 10.
महात्मा बुद्ध के माता-पिता का नाम बताएँ।
उत्तर-
महात्मा बुद्ध की माता का नाम महामाया तथा पिता का नाम शुद्धोधन था।

प्रश्न 11.
महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहां दिया? इसे क्या कहते हैं?
उत्तर-
महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ के हिरण पार्क में दिया। इसे “धर्म चक्र परिवर्तन” कहते हैं।

प्रश्न 12.
अष्टमार्ग के आठ सिद्धान्त लिखें।
उत्तर-
सच्ची दृष्टि, सच्चा संकल्प, सच्चा वचन, सच्चा कर्म, सच्चा रहन-सहन, सच्चा यत्न, सच्ची स्मृति, सच्चा ध्यान।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गणराज्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
600 ई० पूर्व के महाजनपदों में से कई गणराज्य थे। गणराज्य की राजनीतिक स्थिति राजतन्त्र से अलग थी। इनकी सरकार में कोई राजा नहीं होता था। इनकी सरकार लोगों द्वारा चुने हुए किसी मुखिया के हाथ में होती थी। इनका पद भी पैतृक नहीं होता था। सरकार का सारा काम चुने हुए व्यक्ति आपस में सलाह से करते थे।

प्रश्न 2.
राजतन्त्र की सरकार के बारे में लिखें।
उत्तर-
राजतन्त्र में राजा की सरकार थी। राजा का पद पैतृक था। राजा अपने मन्त्रियों की सहायता से शासन करता था। कानून बनाने, कानून को लागू करने तथा न्याय करने की सभी शक्तियां उसी के हाथों में थीं। वह जनता की समृद्धि, सुख-शान्ति तथा राज्य की उन्नति करने के लिए प्रयत्न करना अपना कर्त्तव्य समझता था। राज्य की आय का मुख्य स्रोत कर थे।

प्रश्न 3.
नन्द वंश का संस्थापक कौन था? उसके बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
नन्द वंश का संस्थापक महापदमनन्द था। उसके पास एक शक्तिशाली स्थायी सेना थी। उसकी शक्ति का बहुत अधिक दबदबा था। यहां तक कि यूनानी शासक सिकन्दर भी उससे डर कर ब्यास नदी को पार करने की हिम्मत न कर सका।

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प्रश्न 4.
नंद वंश के शासक धनानन्द पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
महापदमनन्द का पुत्र धनानन्द नंद वंश का अन्तिम शासक था। उसके पास एक बहुत बड़ी सेना थी। लेकिन वह आलसी, क्रोधी, विलासी तथा निर्दयी राजा था। वह प्रजा में बदनाम था। उसे चन्द्रगुप्त मौर्य ने हराकर नन्द वंश का अन्त कर दिया।

प्रश्न 5.
वर्धमान महावीर के बचपन तथा विवाह के बारे में लिखें।
उत्तर-
वर्धमान महावीर जैन धर्म के 24वें तथा अन्तिम तीर्थंकर थे। इनका जन्म 599 ई० पूर्व में वर्तमान बिहार के वैशाली के समीप कुण्डग्राम में हुआ। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला था। इनके पिता लिच्छवी कबीले के सरदार थे। राज परिवार से सम्बन्ध होते हुए भी महावीर जी ने बहुत सादा जीवन व्यतीत किया। उनका विवाह यशोदा नाम की राजकुमारी के साथ हुआ तथा इनके घर एक पुत्री का भी जन्म हुआ।

प्रश्न 6.
600 ई० पू० से 400 ई० पू० तक आश्रम व्यवस्था की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
इस काल में मनुष्य के जीवन को चार भागों में बांटा गया था। इन भागों को आश्रम कहते थे। ये आश्रम इस प्रकार थे-

  1. ब्रह्मचर्य आश्रम,
  2. गृहस्थ आश्रम,
  3. वानप्रस्थ आश्रम,
  4. संन्यास आश्रम।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बौद्ध धर्म का विकास क्यों हुआ?
उत्तर–
बौद्ध धर्म के विकास के मुख्य कारण निम्नलिखित थे –
(1) बौद्ध धर्म एक सरल धर्म था। इसकी शिक्षाएं बहुत सरल थीं।
(2) महात्मा बुद्ध ने अपने धर्म का प्रचार साधारण लोगों की भाषा में किया।
(3) लोग यज्ञों आदि से तंग आ चुके थे। बौद्ध धर्म ने उन्हें यज्ञों से छुटकारा दिलाया।
(4) बौद्ध धर्म में जाति-पाति का कोई भेदभाव नहीं था। इसलिए शूद्र जाति के लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए।
(5) महात्मा बुद्ध ने मठों की स्थापना की। इन मठों में बौद्ध भिक्षु रहते थे। उनके शुद्ध जीवन से प्रभावित होकर अनेक लोगों ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।
(6) बौद्ध धर्म को कई राजाओं ने भी अपनाया। अशोक तथा कनिष्क जैसे राजाओं ने बौद्ध धर्म का प्रचार न केवल अपने राज्य में किया, बल्कि उन्होंने इसका प्रचार विदेशों में भी करवाया।
(7) लोग महात्मा बुद्ध के.ऊंचे चरित्र से भी प्रभावित हुए।
इन सभी कारणों से बौद्ध धर्म भारत, चीन, कोरिया, तिब्बत, जापान, श्रीलंका आदि अनेक देशों में फैल गया।

प्रश्न 2.
बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म में क्या अन्तर था?
उत्तर-
बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म, दोनों 600 ई० पू० के धार्मिक आन्दोलन थे। दोनों धर्मों की उत्पत्ति उस समय हुई जब भारतीय समाज में बहुत-सी बुराइयां आ गई थीं। दोनों धर्म जाति-पाति के विरुद्ध तथा अहिंसा के पक्ष में थे। लेकिन इनमें कई भिन्नताएं भी थीं –

1. दोनों धर्म अहिंसा में विश्वास रखते थे, लेकिन जैन धर्म अहिंसा.पर बौद्ध धर्म से भी अधिक ज़ोर देता था। इसलिए जैन धर्म के अनुयायी पानी छानकर पीते हैं तथा नंगे . पांव चलते हैं।

2. बौद्ध धर्म में मुक्ति का मार्ग अष्टमार्ग है जबकि जैन धर्म में मुक्ति का मार्ग कठोर तपस्या तथा अपने शरीर को घोर कष्ट देने का रास्ता है।

3. बौद्ध धर्म ईश्वर के अस्तित्व के बारे में मौन है। जबकि जैन धर्म तो ईश्वर के अस्तित्व में बिल्कुल विश्वास नहीं रखता।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

जान-पहचान (Introduction)
कम्प्यूटर को डाटा देने के लिए कुछ यन्त्र उपयोग किये जाते हैं जैसे माऊस, की-बोर्ड, इनको इनपुट यन्त्र कहा जाता है। कम्प्यूटर के बीच का डाटा देखने के लिए जो यन्त्र उपयोग किये जाते हैं उन्हें आऊटपुट कहा जाता है।

आऊटपुट यन्त्र (Output Devices)
आऊटपुट यन्त्र हमें इन्फॉरमेशन प्रोसैसिंग सिस्टम से पैदा हुए नतीजे दिखाते हैं। यह सूचना को मनुष्य द्वारा पढ़ने योग्य रूप में बदलते हैं। इनको कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। यह सूचना टैक्सट, आवाज़ तथा इमेज के रूप में हो सकता है। ये यन्त्र कम्प्यूटर से नतीजा प्राप्त करते हैं। आऊटपुट यन्त्र का प्रयोग-आऊटपुट यन्त्र कम्प्यूटर से सूचना प्राप्त करते हैं। यह सूचना किसी भी रूप में हो सकती है। हम कम्प्यूटर पर किये काम को आऊटपुट यन्त्रों द्वारा देख सकते हैं।

आऊटपुट यन्त्रों की किस्में (Types of Output Devices)
कम्प्यूटर के बीच वाला डाटा देखने के लिए हमें आऊटपुट यन्त्र की ज़रूरत पड़ती है। यह कई प्रकार के हो सकते हैं।

  • मानीटर
  • प्रिंटर
  • स्पीकर
  • हैडफोन
  • प्रोजैक्टर

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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

मॉनीटर (Monitor)
मॉनीटर एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण यन्त्र है। यह टेलीविज़न की तरह नज़र आता है। अब बाज़ार में कई तरह के मॉनीटर आ रहे हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 2
मॉनीटर दो प्रकार के होते हैं –
1. कैथोड रे ट्यूब
2. फ्लैट पैनल डिस्प्ले।

(i) कैथोड रे ट्यूब मॉनीटर-ये मॉनीटर कैथोड रे ट्यूब से चलते हैं। इनका आकार ट्यूब की लंबाई रूप में मापा जाता है। यह मॉनीटर 15, 17, 19, तथा 20 इंच में उपलब्ध होते हैं। पहले ये ब्लैक एंड ह्वाइट होते थे अब ये रंगीन भी होते हैं। इनकी कुछ कमियां होती हैं।

  • ये आकार में बड़े होते हैं,
  • इनमें बिजली खपत ज्यादा होती है,
  • ये ज्यादा गर्मी पैदा करते हैं।

(ii) फ्लैट पैनल डिस्प्ले मॉनीटर-इनमें कैथोड रे ट्यूब के मुकाबले कम आकार, बिजली तथा भार होता है। इनको दीवार पर भी लगाया जा सकता है। ये मॉनीटर कैल्कुलेटर, विडियो गेम, मॉनीटर, लैपटॉप आदि में प्रयोग होते हैं।
इसकी कुछ उदाहरण हैं-

  • LCD
  • LED
  • प्लाज्मा।

CRT तथा LCD मॉनीटर में अंतर-CRT मॉनीटर आकार में बड़े होते है तथा LCD/TFT मॉनीटर आकार में छोटे होते हैं। इनमें निम्न अन्तर होते हैं –
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स्पीकर (Speaker)
आडियो डाटे की आऊटपुट प्राप्त करने के लिए हमें स्पीकर का इस्तेमाल करना पड़ता है। ये साऊंड कार्ड से इनपुट प्राप्त करके उनको साऊंड तरंगों में बदल कर आऊटपुट पैदा करते हैं। हम कम्प्यूटर पर इनकी मदद से गाने भी सुन सकते हैं। स्पीकर कई आकार तथा शक्ल में उपलब्ध होते हैं। आमतौर पर एक कम्प्यूटर में दो स्पीकर लगाए जाते हैं।
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हैडफोन (Headphone)
हैडफोन भी स्पीकर की तरह काम करते हैं पर इन्हें कानों में लगाया जाता है। इनको Earphone भी कहा जाता है। यह हार्डवेयर यन्त्र है। इनको कानों में लगाया जाता है। इनकी मदद से हम किसी को तंग किये बगैर गाने सुन सकते हैं।
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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

प्रिंटर (Printer)
प्रिंटर कागज पर आऊटपुट प्राप्त करने का एक यंत्र होता है। ये कई प्रकार के होते हैं। प्रिंटर आऊटपुट को कागज़ पर छापते हैं। यह आऊटपुट यन्त्र होते हैं। इसकी आऊटपुट स्थाई होती है। इसको लम्बे समय तक सम्भाल कर रखा जा सकता है। बाज़ार में विभिन्न आकार तथा रफ्तार के प्रिंटर उपलब्ध हैं। यह ब्लैक एंड ह्वाइट या रंगीन दोनों प्रकार के होते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 7
आमतौर पर प्रिंटर तीन प्रकार के होते हैं
1. डाटमैट्रिक्स
2. इंकजैट
3. लेज़र।
(i) डाटमैट्रिक्स प्रिंटर-इसमें आगे पीछे तथा ऊपर नीचे घूमने वाला प्रिंट हैड होता है। प्रिंट हैड तेज़ गति से कागज़ पर छपाई करता है। यह बिंदुओं के मेल से छापते हैं। यह सस्ते होते हैं। यह धीरे चलते हैं। यह काम करते वक्त आवाज़ पैदा करते हैं। इनमें छपाई अच्छी नहीं होती।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 8

(ii) इंकजेट प्रिंटर-यह कागज पर स्याही की बूंदें गिरा कर छपाई करते हैं। यह रंगीन भी होते हैं। ये प्रिंटर सस्ते होते हैं। ये काम करते समय आवाज़ नहीं करते। ये डाट मैट्रिक्स से तेज होते हैं। इनकी क्वालिटी डाटमैट्रिक्स से बढ़िया होती है। इनकी मदद से हम तस्वीरें भी छाप सकते हैं।
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(iii) लेज़र प्रिंटर-ये इलैक्ट्रोस्टैटिक डिजीटल प्रिंटर होते हैं। ये लेज़र वीम की मदद से छपाई करते हैं। ये ब्लैक एंड ह्वाइट तथा रंगीन दोनों प्रकार के होते हैं। इनकी कीमत ज्यादा होती है तथा छपाई की गति काफी तेज़ होती है।
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प्लॉटर (Plotter) –
प्लॉटर काफ़ी बड़े आकार के आऊटपुट को छापते हैं। ये प्रिंटर की तरह ही काम करते हैं परन्तु बहुत बड़े आकार में। इनका प्रयोग CAD (Computer Aided Design) में किया जाता है। ये प्रिंटर से महंगे होते हैं। इनका प्रयोग इंजीनियरिंग तथा एड प्रिंटिंग में होता है। प्लॉटर आमतौर पर आर्किटेक्ट तथा डिजाइनरों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। इनका मुख्य उपयोग नक्शों को बड़े आकार में प्रिंट करने के लिए किया जाता है। आजकल प्लॉटर का उपयोग बड़ी प्लास्टिक शीट पर प्रिंटिंग करने के लिए भी किया जाता है जिसमें अक्सर किसी उत्पाद के बारे में जानकारी दी जाती है। प्लॉटर निम्न प्रकार के होते हैं।
1. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)
2. फ्लैट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter)
3. इन जेट प्लॉटर (Inkjet Plotter)

1. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)-ड्रम प्लॉटर ड्रम होता है। जिसकी सहायता से प्रिंटिंग की जाती है। इस ड्रम को पेज पर आगे पीछे घुमा कर वर्टिकल मोशन बनाया जाता है। इसके साथ ही इस प्लॉटर में एक या एक से ज्यादा पेन लगे होते हैं यह पैन उस ड्रम पर चलकर होरिजोंटल लाइनें बनाते हैं। इन लाइनों के मेल से आवश्यकतानुसार डिजाइन तथा ग्राफ बनाए जा सकते हैं। ड्रम तथा पेन की मूवमेंट को कम्प्यूटर द्वारा कंट्रोल किया जाता है। हर एक पेन अपने आप में स्वतन्त्र रूप से चलने लायक होता है। ये अलग-अलग फोल्डर में लगे होते हैं तथा इनसे रंगीन डिजाइन भी तैयार किए जा सकते हैं।

2. फ्लैट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter)-फ्लैट बैड प्लॉटर में एक फ्लैट बैड टेबल होता है जिसके ऊपर प्रिंट होने वाली सीट बिछाई जाती है। इस प्लाट में कागज़ घूमता नहीं है। इसमें पेन होल्डिंग यंत्र की आवश्यकता अनुसार घुमाया जाता है। इसके लिए पेन होल्डिंग तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसमें विभिन्न रंगों वाले पेन लगे होते हैं जो कि एक रंगीन डिजाइन तैयार करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इस प्लॉटर में प्रिंट होने वाली सीट का आकार A4 कागज से लेकर 50 फुट जहां उससे भी ज्यादा हो सकता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

3. इंकजेट प्लॉटर (Inkjet Plotter)-इंकजेट प्लॉटर इंकजेट प्रिंटर की तरह ही इंकजेट टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं। यह प्लॉटर रंगीन होते हैं तथा स्याही के छिड़काव से डिजाइन तथा तस्वीरें तैयार करते हैं। यह प्लॉटर बाकी किस्म के प्लॉटर से ज्यादा तेज़ गति से कार्य करते हैं।
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प्रोजैक्ट (Projector)
प्रोजैक्ट स्क्रीन पर दिखाई देने वाली जानकारी को बड़ा कर दीवार या परदे पर दर्शाते हैं। प्रोजैक्टर का प्रयोग मीटिंग या क्लासरूम में प्रेजेन्टेशन देने में होता है। इससे हम सूचना को ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इन सबके अलावा कुछ यन्त्र ऐसे भी होते हैं जो इनपुट तथा आऊटपुट दोनों के लिए प्रयोग होते हैं।
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  • डिजिटल कैमरा
  • पैन ड्राइव
  • CD/DVD
  • मॉडम
  • फैक्स आदि।

इनपुट तथा आऊटपुट यंत्रों में अंतर (Difference between Input and output Devices)
इनपुट तथा आऊटपुट यंत्रों में निम्न अंतर होते हैं।

इनपुट आऊटपुट
(i) इन यंत्रों का उपयोग में डाटा इनपुट करने प्राप्त करने के लिए किया जाता है। (i) इन यंत्रों का उपयोग कम्प्यूटर से नतीजा के लिए किया जाता है।
(ii) इनपुट करने के बाद डाटा प्रोसेसिंग होती है। (ii) डाटा प्रोसेसिंग के बाद आऊटपुट प्राप्त होता है।
(iii) ये यंत्र काफी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। (iii) यह यंत्र ज्यादा मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र

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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र

जान-पहचान (Introduction)
कम्प्यूटर में संचार वस्तु ज़रूरी है। इनपुट यन्त्र संचार के लिए प्रयोग होते हैं। ये कम्प्यूटर तक सूचना लेकर जाते हैं। ये कम्प्यूटर सिस्टम तथा मैमरी से जुड़े होते हैं। CPU अकेला कार्य नहीं कर सकता। इसके साथ कुछ सहायक यन्त्र लगे होते हैं। ये यन्त्र सी०पी०यू० को कार्य करने में मदद करते हैं। कुछ यन्त्र इनपुट तथा कुछ आऊटपुट होते हैं। कम्प्यूटर को डाटा देने के लिए कुछ यन्त्र उपयोग किए जाते हैं जैसे माऊस, की-बोर्ड, इनको इनपुट यन्त्र कहा जाता है। कम्प्यूटर के बीच का डाटा देखने के लिए जो यन्त्र उपयोग किये जाते हैं उन्हें आऊटपुट कहा जाता है।

इनपुट यन्त्र (Input Devices) – इनपुट यन्त्र कम्प्यूटर को डाटा भेजते हैं तथा यूज़र तालमेल तथा कन्ट्रोल की आज्ञा देता है। जो यंत्र कम्प्यूटर को डाटा तथा निर्देश देते हैं उन्हें इनपुट यन्त्र कहा जाता है।

इनपुट यन्त्रों का प्रयोग (Uses of Input Devices)-
अगर सी०पी०यू० कम्प्यूटर का दिमाग है तो इनपुट यन्त्र इसके कान तथा आँख हैं जो कम्प्यूटर को सूचना देते हैं। कुछ आम प्रयोग के इनपुट यन्त्र निम्न हैं-

  • की-बोर्ड
  • माऊस
  • माइक्रोफोन
  • स्कै नर
  • वैब कैमरा
  • टच पैड
  • बार कोड रीडर
  • लाइट पैन
  • जॉयस्टिक
  • टचस्क्रीन
  • ट्रैक बाल
  • मैगनैटिक इंक कार्ड रीडर
  • डिजीटाइजर
  • बायोमैट्रिक
  • इलैक्ट्रानिक सिगनेचर पैड।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र

की-बोर्ड (Key Board)
की-बोर्ड का प्रयोग टैक्सट डाटा एंट्री करने के लिए किया जाता है। की-बोर्ड सबसे आम प्रयोग में आने वाला इनपुट यंत्र है। इसके द्वारा डाटा सीधा कम्प्यूटर में डाला जा सकता है। की-बोर्ड एक प्लास्टिक का बना हुआ फ्लैट यंत्र होता है जिस पर काफ़ी सारे बटन लगे होते हैं। जिनको कीज़ कहा जाता है। जब किसी खास बटन को दबाया जाता है तो की-बोर्ड में लगी एक चिप एक्टिवेट हो जाती है । यह चैक कम्प्यूटर को एक स्कैन कोड भेजती है। यह स्कैन-कोड फिर कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर तक पहुंचाया जाता है तथा वह सॉफ्टवेयर पहचान लेता है कि कौन-सी की दबाई गई है। इस प्रकार लगातार विभिन्न कीज़ दबाकर हम कम्प्यूटर को आवश्यकतानुसार डाटा प्रदान कर सकते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र 1
आधुनिक की-बोर्ड का डिज़ाइन एक QWERTY टाइपराइटर की तरह होता है। इसमें भी टाइपराइटर की तरह कीज़ लगी होती हैं। एक की-बोर्ड में बहुत प्रकार की कीज़ होती हैं।

की-बोर्ड की किस्में-की-बोर्ड की कीज़ पांच तरह की किसमें होती हैं, वह हैं-
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र 2

  • अल्फाबैट कीज़
  • नुमैरिक कीज़/सिम्वल/एडिटिंग/मल्टीमीडिया कीज़
  • फंक्शन कीज़
  • स्पैशल कीज़।
  • ऐरो कीज़

की-बोर्ड की कीज़ के बारे में जानकारी निम्न अनुसार है –
1. अक्षर बटन (Alphabet Keys)-ये अक्षर A से Z तक होते हैं। इनसे बड़े अक्षरों (A-Z) तथा छोटे अक्षरों (a-z) के रूप में डाटा एंटर किया जा सकता है।

2. अंक बटन/चिन्ह/ऐडिटिंग/मल्टीमीडिया बटन (Numeric/Symbol/Editing/Multi media)- ये बटन अंक एंटर करने के लिए प्रयोग होते हैं। ये 0-9 तक होते हैं। ये बटन दो जगह होते हैं। एक तो अक्षर बटन के ऊपर, दूसरा की-बोर्ड के दाएं हिस्से में। की-बोर्ड पर कई प्रकार के चिन्ह भी होते हैं जैसे ~, $, #, @., +, -, *, % आदि। ये बटन इन चिन्हों को एंटर करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इस वर्ग में Insert, Delete, Pgup, Pgdn, Home, End बटन आते हैं। ये बटन अक्सर ऐडिटिंग के लिए प्रयोग होते हैं। आजकल कुछ की-बोर्ड आ रहे हैं। जिन में मल्टीमीडिया बटन होते हैं। ये बटन मल्टीमीडिया कार्यों अर्थात् फ़िल्म देखना, गाने सुनना आदि से सम्बन्धित होते हैं।

3. फंक्शन बटन (Function Keys)-ये F1 से F12 तक होते हैं। इन का प्रयोग विभिन्न साफ्टवेयरों में अलग-अलग होता है। इनका प्रयोग किसी खास कार्य के लिए किया जाता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र 3
4. स्पैशल कीज़ (Special Keys)-की-बोर्ड में कुछ स्पैशल कीज़ भी लगी होती हैं जो कुछ विशेष प्रकार के कार्य करती हैं इन कीज़ का वर्णन इस प्रकार है-
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र 4

5. ऐरो कीज़ (Arrow Keys)-
ये चार बटन होते हैं। ये करसर को दाएं, बाएं, ऊपर या नीचे ले जाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र

माऊस (Mouse)
माऊस एक छोटा सा यन्त्र है। आमतौर पर इसके तीन बटन होते हैं। माऊस के नीचे एक गेंद लगी होती है। माऊस के निम्नलिखित तीन बटन होते हैं-

  • बायां बटन
  • दायां बटन
  • स्क्रोल बटन।

इसे प्वाईंटिंग डिवाइस भी कहते हैं। इसके आकार के कारण इसको माऊस कहते हैं। इसको समतल तल पर घुमाया जाता है। जैसे इसे घुमाया जाता है स्क्रीन पर एक तीर उसी प्रकार घूमता है। माऊस बगैर तार वाले भी होते हैं। जिस पैड पर माऊस को घुमाया जाता है उसे माऊस पैड कहते हैं ।
1. बायां बटन-माऊस में बायें बटन का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। अगर इस बटन. को एक बार दबाया जाता है तो उसे क्लिक या सिंगल क्लिक कहा जाता है तथा अगर इस बटन को दो बार दबाया जाता है तो इसे डबल क्लिक कहा जाता है।

2. दायां बटन-जब माऊस के दाएं बटन को दबाया जाता है तो उसे राइट क्लिक कहा जाता है। इस बटन का प्रयोग शॉर्टकट मीनू खोलने के लिए किया जाता है।

3. स्क्रोल बटन-माऊस में यह बटन एक पहिए के आकार का होता है। यह बटन दाएं तथा बायें बटन के मध्य में लगा होता है। अगर इस बटन को घुमाया जाए तो उस प्रक्रिया को स्क्रोल करना कहा जाता है। इस बटन का प्रयोग स्क्रीन को ऊपर नीचे स्क्रोल करने के लिए किया जाता है। इस बटन का उपयोग कंट्रोल की के साथ भी किया जा सकता है।

माइक्रोफोन (Microphone)
माइक्रोफोन एक इनपुट यंत्र है। इस यंत्र को माइक भी कहा जाता है। इस यंत्र का उपयोग आवाज इनपुट या रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। इस यंत्र के साथ कम्प्यूटर को निर्देश भी दिए जा सकते हैं। इस यंत्र के साथ रिकॉर्ड की गई आवाजों को दोबारा सुना भी जा सकता है। माइक का प्रयोग करके हम कम्प्यूटर में कुछ टाइप भी कर सकते हैं। इस यंत्र का प्रयोग करके इंटरनैट पर अपने दोस्तों के साथ बातचीत भी की जा सकती है।

स्कैनर (Scanner)
स्कैनर भी एक प्रकार का इनपुट यंत्र है जो निशान तथा अक्षरों को पहचान सकता है। इसका उपयोग कम्प्यूटर में सीधे तौर पर डाटा भेजने के लिए किया जाता है। स्कैनर की सहायता से किसी भी तस्वीर को हिस्सों में बांट कर कम्प्यूटर मैमोरी में स्टोर किया जा सकता है। स्कैनर उस तस्वीर को छोटे-छोटे डॉट में विभाजित करता है तथा फिर उन डॉट को सॉफ्टवेयर की सहायता से कम्प्यूटर में इकट्ठा करके सेव करता है। स्कैनर कागज़ से ली गई जानकारी को कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखाता है। स्कैनर दो भागों में मिलकर बना होता है।

पहला भाग किसी भी वस्तु का प्रतिबिंब बनाता है तथा दूसरा भाग उस प्रतिबिंब को डिजिटल फॉर्मेट में बदल देता है। इस डिजिटल फॉर्मेट को कम्प्यूटर में सेव किया जाता है। यह सेव किया गया प्रतिबिंब सीधे ही कम्प्यूटर द्वारा प्रोसैस किया जाता है। स्कैनर को किसी खास सॉफ्टवेयर के साथ प्रयोग करके हम स्कैन किए गए टैक्स्ट को कम्प्यूटर में एडिट भी कर सकते हैं। क्योंकि चैनल सीधे तौर पर स्रोत से इनपुट प्राप्त करता है इसलिए इसके द्वारा दिए गए इनपुट की क्वालिटी बहुत ही बढ़िया होती हैं।

वैब कैमरा (Web Camera)
वैब कैमरा एक इलेक्ट्रॉनिक कैमरे की तरह कार्य करता है। इसका मुख्य काम वीडियो इनपुट देना होता है। यह कैमरा इलेक्ट्रॉनिक तरीके से प्रतिबिंब लेकर उसको डिजिटल फॉर्मेट में बदल देता है। इस कैमरे के साथ तस्वीरें तथा वीडियो दोनों बनाई जा सकती हैं। इस वीडियो को हम कम्प्यूटर की मैमोरी में भी स्टोर कर सकते हैं तथा भविष्य में प्रयोग कर सकते हैं। यह कैमरे इंटरनैट पर भी प्रयोग किए जाते हैं तथा इनको वैबकैम कहा जाता है। इन कैमरों की सहायता से इंटरनैट पर हम अपने दोस्तों से बातचीत भी कर सकते हैं।

इस प्रक्रिया को टेली कॉन्फ्रेंसिंग कहा जाता है। इसमें कैमरे एक तरफ से इनपुट लेकर दूसरे कम्प्यूटर की स्क्रीन पर आऊटपुट दिखाते हैं। इन कैमरों को कम्प्यूटर के साथ तार द्वारा जोड़ा जाता है। कुछ कैमरों को ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी की सहायता से भी प्रयोग किया जा सकता है।

टचपैड (Touch Pad)
टचपैड भी एक प्रकार का इनपुट यंत्र है। इसका प्रयोग लैपटॉप कम्प्यूटर में किया जाता है। यह एक Touchpad छोटा सा पैनल होता है जो अक्सर लैपटॉप के बाहरी मध्य भाग में लगा होता है। इसका उपयोग लैपटॉप में उसके स्थान पर किया जाता है इसके साथ ही माऊस की तरह दो दाएं तथा बायें बटन लगे होते हैं। यह दोनों बटन माऊस के बटनों की तरह ही कार्य करते हैं। टचपैड के सर पर हम अपनी उंगली से माऊस करसर स्क्रीन पर कंट्रोल कर सकते हैं। बटनों की सहायता से हम क्लिक भी कर सकते हैं। इस प्रकार टचपैड का उपयोग माऊस के स्थान पर किया जा सकता है और इसके लिए हमें फ्लैट सर्फेस की आवश्यकता भी नहीं होती।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र 6

बारकोड रीडर (Bar Code Reader)
बारकोड रीडर भी एक इनपुट यंत्र होता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की मोटाई की लाइनों को रीड करने के लिए किया जाता है। इन विभिन्न मोटाई की लाइनों से जो आकृति बनती है उसे बारकोड कहते हैं। इसीलिए इन लाइनों को पढ़ने वाले यंत्र को बारकोड रीडर कहा जाता है। यह एक छोटे स्कैनर की तरह कार्य करता है जो ऑप्टिकल रूप से इन लाइनों की मोटाई तथा उनके बीच की दूरी को पढ़ता है तथा उस में स्टोर किए गए निर्देश को समझ सकता है। सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला बारकोड यूनिवर्सल प्रोडक्ट कोड (UPC) है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र

बारकोड रीडर लाइनों को पढ़ी जा सकने वाले शब्दावली में बदल देते हैं। इस यंत्र में कोड रीडर एक लाइट को बारकोड पर रखता है तथा उसके द्वारा रिफ्लेक्ट की गई लाइट को पढ़ता है। जब यह कोड पढ़ा जाता है तब लाइनों के पैटर्न को एक नंबर में बदल दिया जाता है। यह नंबर बारकोड द्वारा कम्प्यूटर में सेव किया जाता है तथा फिर इसका प्रयोग दूसरे पैटर्न से मिलान के लिए किया जाता है। इस यंत्र का उपयोग खरीदारी करने वाले मॉल तथा दुकानों में काफी होता है।

लाइट पेन (Light Pen) :
लाइट पेन एक पॉइंट करने वाला इनपुट यंत्र है जो एक साधारण पेन की तरह दिखाई देता है। यह कम्प्यूटर के साथ किसी तार के द्वारा जोड़ा गया होता है। यह पेन स्क्रीन पर विभिन्न गतिविधियाँ करने में प्रयोग किया जाता है। इस पेन में एक Light Sensitive Receptor लगा होता है। जब पेन स्क्रीन पर दबाकर चलाया जाता है तो यह पेन एक लाइट कम्प्यूटर स्क्रीन पर बैठाता है। इस पेन का सैंसर उस लाइट को पकड़ लेता है तथा उसको स्क्रीन पर दिखा देता है। यह पेन किसी अन्य प्रकार की लाइट नहीं ढूंढ सकता।

इस पेन में एक फोटो सैल होता है जो कि एक ट्यूब में होता है। जब इसको स्क्रीन पर चलाया जाता है तो यह किसी स्थान से आ रही लाइट को पकड़ लेता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के दिख या कृतियों को स्क्रीन पर ड्रॉ करने के लिए किया जाता है। इसकी कार्यप्रणाली एक खास प्रकार के सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित की जाती है। इस पेन का सबसे ज्यादा उपयोग क्रिकेट के मैचों में किया जाता है। जब कमेंटेटर स्क्रीन पर फील्ड में खड़े किसी खिलाड़ी की स्थिति को दिखाना चाहते हैं।

जॉय स्टिक (Joy Stick)
जॉय स्टिक भी एक प्रकार का पॉइंट इन इनपुट यंत्र होता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की वीडियो गेम में किया जाता है। जॉय स्टिक में अक्सर एक आधार होता है तथा उसके ऊपर एक खड़ा लीवर लगा होता है। इस के कारण ही इस को लीवर कहा जाता है। यह यंत्र एक तार के द्वारा कम्प्यूटर से जुड़ा होता है। जब इस लीवर को इधर-उधर घुमाया जाता है तो यह अपने निर्देश के अनुसार कम्प्यूटर में कार्य करता है। इस लीवर की सहायता से स्क्रीन पर माऊस प्वाइंटर को भी कंट्रोल किया जा सकता है तथा वीडियो गेम में पूरी स्क्रीन या उसके खिलाड़ी को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
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इनपुट यन्त्र आजकल जॉय स्टिक की-बोर्ड के साथ जुड़े ही आते हैं। यह बहुत ही छोटे प्रकार की जॉय स्टिक होती है। इस स्टिक को केंद्रीय भाग द्वारा किसी भी दिशा में घुमाया जा सकता है। स्टिक का उपयोग अक्सर लैपटॉप में करसर को घुमाने के लिए किया जाता है। जब इस स्टिक को जिस दिशा में घुमाया जाता है तो उस दिशा वाला स्विच एक्टिवेट हो जाता है जो करसर को उस दिशा में जाने का निर्देश देता है। जॉय स्टिक को अक्सर यूएसबी तार द्वारा कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है।

टच स्क्रीन (Touch Screen):
कम्प्यूटर को विभिन्न प्रकार का इनपुट देने के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्रों तथा बटनों का उपयोग किया जाता है। परन्तु टच स्क्रीन एक ऐसा यंत्र है जिसमें व्यक्ति अपने हाथ की उंगलियों की सहायता से कम्प्यूटर को निर्देश दे सकता है। इसमें यूज़र सिर्फ अपने हाथ की उंगली से स्क्रीन को टच करके उसको आवश्यकतानुसार निर्देश दे सकता है। टच स्क्रीन में स्क्रीन के कॉर्नर से होरिजेंटल तथा वर्टिकल दिशा में प्रकाशित किरणें निकलती हैं। इन किरणों से एक अदृश्य ग्राफ सा बन जाता है। जब कोई यूज़र स्क्रीन को हाथ लगाता है तो इन रेखाओं के बीच में एक रुकावट पैदा होती है। जहाँ पर यह रुकावट पैदा हो रही होती है कम्प्यूटर स्क्रीन उस स्थान को चिन्हित कर लेती है तथा उस स्थान पर किए जाने वाले निर्देशों का पालन करती है।

टच स्क्रीन बहुत ही लाभदायक यंत्र है। इसके प्रयोग से हमें माऊस ट्रैकबॉल अथवा लाइट पेन जैसे यंत्रों की आवश्यकता नहीं पड़ती। यह स्क्रीन उन लोगों के लिए भी बहुत लाभदायक होती है जिनको किसी विशेष प्रकार का यंत्र चलाना नहीं आता। आजकल काफ़ी सार्वजनिक स्थानों पर इस प्रकार की स्क्रीनों का प्रयोग किया जाता है। सबसे आम प्रयोग में आने वाली बैंक की एटीएम मशीन होती है जिसकी स्क्रीन को हम टच करके अपने पैसे निकाल सकते हैं।

बायोमेट्रिक (Biometric)
बायोमेट्रिक मशीन की मदद से हम किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके शरीर के अंगों को स्कैन करके कर सकते हैं। इस मशीन की सहायता से व्यक्तियों की उंगलियों के निशान 12:20 आंखों का पैटर्न, चेहरे आदि स्कैन किए जा सकते हैं। मशीन कई प्रकार की होती हैं। सबसे साधारण प्रकार की मशीन स्कूलों अस्पतालों आदि में हाजरी लगाने के कार्य में आती है। इसमें व्यक्ति निर्धारित स्थान पर अपनी एक उंगली रखता है तथा यह मशीन उस उंगली के निशानों का पैटर्न पहचान कर उस व्यक्ति की हाज़री लगा देती है।
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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 7 इनपुट यन्त्र

इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर पैड (Electronic Signature Pad):
इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर पैड एक मशीन होती है। जिसकी सहायता से किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर को डिजिटल रूप में बदला जाता है। इस मशीन में एक स्क्रीन होती हैं तथा एक पेन के आकार का स्टाइल होता है। इस पेन की सहायता से उस स्क्रीन पर लिखा जाता है तथा यह मशीन उसको सेव करके उस व्यक्ति के सिग्नेचर के साथ मिलान करती है।
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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 6 हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर

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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 6 हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर

जान-पहचान (Introduction)
कम्प्यूटर वह इलैक्ट्रॉनिक मशीन है जो डाटा को स्टोर करती है, प्रोसैस करती है तथा भविष्य में दिखा सकती है। यह निर्देशों के अनुसार कार्य करता है। यह हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर का सुमेल होता है। ये दोनों एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। भाव यह कि सॉफ्टवेयर के बिना हार्डवेयर काम नहीं कर सकता तथा हार्डवेयर के बिना सॉफ्टवेयर नहीं चल सकता। कार्य करने के लिए इन दोनों की ज़रूरत पड़ती है। कम्प्यूटर को मुख्य रूप में दो भागों में बांटा जाता है। हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर।

हार्डवेयर (Hardware)
कम्प्यूटर सिस्टम का वह भाग जिस का भार होता है और जिसे हम छू सकते हैं, उसे हार्डवेयर कहते हैं। ये कम्प्यूटर के भौतिक भाग होते हैं। हार्डवेयर की विशेषताएं (Features of Hardware)

  1. हार्डवेयर को हम छू सकते हैं।
  2. इसे महसूस किया जा सकता है।
  3. ये स्थान घेरते हैं।
  4. इसमें डाटा स्टोर तथा प्रोसैस कर सकते हैं।

कम्प्यूटर केस/सिस्टम यूनिट (Computer Case/System Unit) इसको कम्प्यूटर चैसी या सिस्टम यूनिट या कैबनिट आदि नामों से भी जाना जाता है। यह प्लास्टिक या धातु का बॉक्स होता है। इसमें कम्प्यूटर के मुख्य भाग : जैसे-मदरबोर्ड, हार्ड ड्राइव आदि होते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 6 हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर 1

मदर बोर्ड (Mother Board)
मदर बोर्ड प्लास्टिक की शीट होती है जिस पर कम्प्यूटर के विभिन्न भागों को जोड़ने के सर्कट मौजूद होते हैं। मदर बोर्ड पर निम्न उपकरण जुड़े होते हैं।
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  • हार्ड ड्राईव-यह मुख्य स्टोरेज डिवाइस है जो डाटा को पक्के तौर पर स्टोर करता है।
  • वीडियो कार्ड-यह सूचना को मॉनीटर तक पहुंचाता है।
  • प्रोसैसर-यह कम्प्यूटर का मुख्य डिवाइस है। यह निर्देशों को चलाता है। यह कम्प्यूटर के मूल कार्य करता है। यह कम्प्यूटर के दिमाग की तरह कार्य करता है। इसे सी०पी०यू० भी कहा जाता है।
  • पंखा-प्रत्येक कम्प्यूटर सिस्टम के अंदर एक पंखा लगा होता है जो CPU को गर्म होने से रोकता है। यह ठंडी हवा अंदर ले जाता है तथा गरम बाहर लाता है।
  • रैम-रैम एक डाटा स्टोरेज डिवाइस है जो मदर बोर्ड पर लगी होती है। यह वोलाटाइल मैमरी होती है। कम्प्यूटर बंद होने के बाद इसकी सूचना नष्ट हो जाती है।
  • पावर सप्लाई-यह कम्प्यूटर को बिजली देता है। इसे स्विच मोड पावर सप्लाई भी कहते हैं।
  • सी०डी०/डी०वी०डी०रोम-इसका प्रयोग कम्प्यूटर पर सी०डी० या डी०वी०डी० चलाने में होता है।

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हार्डवेयर को सही रखने के लिए ध्यानपूर्वक बातें (Important points for taking care of Hardware)-
हार्डवेयर को सही रखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  1. कम्प्यूटर के भागों की तारों को मत छेड़ो।
  2. हार्डवेयर को ठीक तरीके से रखो और टूटने से बचाओ।
  3. कम्प्यूटर के भागों को साफ रखो।
  4. चलते कम्प्यूटर के भागों को साफ मत करो।
  5. साफ करने के लिए साफ कपड़ा या साफ्ट झाड़न का उपयोग करो।।
  6. कम्प्यूटर के नज़दीक कुछ न खाओ।
  7. काम करने के बाद कम्प्यूटर को ढक कर रखो।
  8. की-बोर्ड की कीज़ को ज़ोर से दबाना नहीं चाहिए।

साफ्टवेयर (Software)- हदायतों की श्रृंखला को प्रोग्राम कहा जाता है। प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहा जा सकता है। सॉफ्टवेयर एक प्रोग्राम होता है। इसको स्टोरेज़ यंत्र में भंडार भी किया जा सकता है। आप खुद भी सॉफ्टवेयर बना सकते हैं। बाजार में बने बनाए सॉफ्टवेयर भी मिलते हैं। बाज़ार से मिलने वाली गेम्ज़ की सीडीज़ बने बनाए सॉफ्टवेयर की उदाहरणें हैं। सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर को काम करवाने में मदद करता है।
हिदायतें + हिदायतें = प्रोग्राम
प्रोग्राम + प्रोग्राम = सॉफ्टवेयर
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सॉफ्टवेयर का भार नहीं होता। इसको तुम छू नहीं सकते। सॉफ्टवेयर हार्डवेयर को काम करने का आदेश देता है। पेंट, विंडोज़, एम०एस० वर्ड, गेम्ज़ आदि सॉफ्टवेयर की उदाहरणें हैं।

सॉफ्टवेयर की विशेषताएं (Features of Software) –

  1. सॉफ्टवेयर का भार नहीं होता।
  2. हम इसे छू नहीं सकते।
  3. सॉफ्टवेयर हार्डवेयर को निर्देश देता है।
  4. यह कीमती होते हैं।

सॉफ्टवेयर की किस्में (Types of Software)
सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं –
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर तथा
2. एपलीकेशन सॉफ्टवेयर।
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सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
यह कम्प्यूटर का बहुत ही ज़रूरी भाग है। इसके बिना कम्प्यूटर से काम नहीं किया जा सकता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर की उदाहरण है-ऑपरेटिंग सिस्टम।

सिस्टम सॉफ्टवेयर की विशेषताएं-

  1. यह ज्यादा कीमती होते हैं।
  2. इन्हें बनाना आसान नहीं होता।
  3. ये जटिल होते हैं।
  4. इन्हें अनुभवी व्यक्ति ही बना सकता है।
  5. इनके बिना कम्प्यूटर कार्य नहीं कर सकता।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) –
यह किसी खास काम को करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह कम्प्यूटर का गैर-ज़रूरी भाग है और इसका उपयोग करने वाले की ज़रूरत पर निर्भर करता है। उदाहरण-वह प्रोफैसर, स्प्रेडशीट। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर की विशेषताएं –

  1. इनका प्रयोग यूज़र पर निर्भर करता है।
  2. ये सस्ते होते हैं।
  3. इनसे तस्वीरें, दस्तावेज़ आदि बनाए जा सकते हैं।

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एप्लीकेशन तथा सिस्टम सॉफ्टवेयर में अंतर

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर सिस्टम सॉफ्टवेयर
1. यह कम्प्यूटर के चलने के लिए ज़रूरी नहीं होते। 1. यह कम्प्यूटर के चलने के लिए जरूरी होते है।
2. इनकी बनावट साधारण होती है। 2. इनकी बनावट कठिन होती है।
3. इन्हें बनाना आसान है। 3. इन्हें बनाना कठिन होता है।
4. इनकी कीमत कम होती है। 4. इनकी कीमत ज्यादा होती है।
5. यह हार्डवेयर के साथ सीधा संपर्क नहीं कर सकते। 5. ये हार्डवेयर के साथ सीधा संपर्क करते हैं।
6. उदाहरण-पेंट, बर्ड आदि। 6. उदाहरण-विंडोज़, यूनिक्स आदि।

हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर में सम्बन्ध (Relationship between Hardware and Software)
कम्प्यूटर के कार्य करने के लिए हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर मिलकर कार्य करते हैं। ये एक-दूसरे की मदद के बिना नहीं चल सकते। हार्डवेयर सॉफ्टवेयर द्वारा कन्ट्रोल किये जाते हैं तथा सॉफ्टवेयर हार्डवेयर में स्टोर होते हैं।

हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर में अन्तर/सम्बन्ध

सॉफ्टवेयर हार्डवेयर
1. प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहते हैं। 1. कम्प्यूटर के भौतिक भागों को हार्डवेयर कहते हैं।
2. इस को हम हाथ नहीं लगा सकते हैं। 2. हार्डवेयर को हम हाथ लगा सकते हैं।
3. इसका भार नहीं होता। 3. इसका भार होता है।
4. सॉफ्टवेयर को स्टोर होने के लिए हार्डवेयर की ज़रूरत पड़ती है। 4. हार्डवेयर को काम करने के लिए सॉफ्टवेयर की ज़रूरत पड़ती है।
5. सॉफ्टवेयर को महसूस नहीं किया जा सकता। 5. हार्डवेयर को महसूस किया जा सकता।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 5 एम एस पेंट (भाग-2)

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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 5 एम एस पेंट (भाग-2)

जान-पहचान (Introduction)
पेंट में दो प्रकार के रिबन होते हैं-
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होम टैब रिबन (Home Tab Ribbon)
हमें होम टैब रिबन में बहुत-से ऐसे टूल मिलते हैं जो हम पेंट में प्रयोग करते हैं। होम टैब रिबन पेंट विंडो में मीनू बार में नीचे मौजूद होते हैं।

क्लिप बोर्ड मीनू (Clipboard Menu)
क्लिप बोर्ड मीनू में तीन ऑप्शन होते हैं-कट, कॉपी तथा पेस्ट। जब हम किसी चीज़ को सिलैक्ट करते हैं, तब ही कट और कॉपी आइकन एक्टिव दिखाई देता है। पेस्ट हमेशा एक्टिव होता है क्योंकि हम अपने कम्प्यूटर में पेस्ट फ्राम (From) ऑप्शन प्रयोग करके भी तस्वीर पेस्ट कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए जैसे हमने एक फूल की ड्राइंग पहले ही बना कर सेव की हुई है और हम उसको एक नए ड्राइंग में शामिल करना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए हम पेस्ट ऑप्शन के नीचे बने ऐरो को क्लिक करेंगे और ऑप्शन पेस्ट फ्राम पर क्लिक करके खुले हुए ड्राइंग बाक्स में उस सेव की तस्वीर को ढूंढ़ कर ओपन ऑप्शन पर क्लिक करेंगे।

इमेज मीनू (Image Menu)
जब हम डॉटेड या बिंदु वाली आयत के नीचे बने ऐरो या इमेज शब्द के नीचे बने ऐरो के निशान पर क्लिक करेंगे तो एक मीनू खुल जाएगा जो कि हमें बहुत सारे विकल्प प्रदान करेगा। – इससे पहले कि हम इस मीनू के दाएं तरफ दिए गए बटनों का प्रयोग करें हमें पता होना चाहिए कि अपनी ड्राइंग का कुछ हिस्सा किस प्रकार सिलेक्ट किया जाता है। इस सिलेक्ट किए गए हिस्से पर ही बाकी सारी कमांड काम करेंगी।

(i) ट्रांसपेरेंट सिलेक्शन (Transparent Selection)-सिलैक्ट मीनू के निचले तरफ हम ट्रांसपेरेंट सिलेक्शन को देख सकते हैं। हमें इसकी ज़रूरत बार-बार पड़ सकती है। इसलिए हमें इसमें न्यू को क्विक एक्सेस टूलबार में शामिल कर लेना चाहिए। ऐसा करने के लिए ट्रांसपेरेंट सिलेक्शन पर राइट क्लिक करें तथा फिर Add to Quick Access Toolbar पर क्लिक करें। हमारे क्विक एक्सेस टूलबार में शब्दों में transparent selection के आगे एक चैक-बॉक्स लग जाएगा।

अगर चेक बॉक्स में सही (✓) का निशान लगा हुआ है तो इसका अर्थ है सिलेक्शन ट्रांसपेरेंट क्विक एक्सेस-टूलबार में शामिल हो चुका है। अपने सिलेक्शन को ओपेक (Opaque) बनाने के लिए चेक बॉक्स पर दोबारा क्लिक करें तथा सही (✓) के निशान को हटा दें।

(ii) रैक्टेंगलर आयताकार सिलेक्शन (Rectangular Selection)-आमतौर पर हम इसी प्रकार रैक्टेगुलर सिलेक्शन का प्रयोग करते हैं। रैक्टेगुलर सिलेक्शन को क्लिक करने के उपरांत क्रॉस शेयर करसर को उस स्थान पर रखो जहां से हम तस्वीर या ड्राइंग का कुछ हिस्सा सिलेक्ट करना चाहते हैं, पुनः अपने माऊस का बायां बटन दबाओ और ड्रैग करके या खींच कर नीचे दायीं तरफ ले जाओ। जहां तक तस्वीर को सिलेक्ट करना चाहते हो। इससे बिंदुओं वाली आयत का सिलेक्शन बॉक्स नज़र आएगा। मूव करसर की मदद से हम अपने सिलेक्शन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी ले जा सकते हैं। इसकी एक कॉपी बनाने के लिए कंट्रोल की को की-बोर्ड से दबाकर रखो और सिलेक्शन को ड्रैग करो।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 5 एम एस पेंट (भाग-2)

(iii) फ्री फॉर्म सिलेक्शन (Free Form Selection)-फ्री फार्म सिलेक्शन की हमें उस समय ज़रूरत होती है जब हम अपनी ड्राइंग के उस हिस्से के साथ काम करना चाहते हैं जो कि बहुत सी वस्तुओं या शेप द्वारा घिरा हुआ हो तथा हम इन हिस्सों को शामिल नहीं करना चाहते।

1. सिलेक्शन की कॉपी बनाना (Copying a Selection)-कॉपी करने के लिए रिबन के ऊपर कॉपी बटन मौजूद होता है परंतु हम एक सिलेक्शन की बहुत-सी कॉपियां एक अन्य तरीके से भी बना सकते हैं। रैक्टेगुलर या फ्री फॉर्म सिलेक्शन का प्रयोग करते हुए उस हिस्से को सिलेक्ट करो जिसकी कॉपी बनानी है। जब मूव करसर नज़र आए, तब कीबोर्ड से कंट्रोल की को दबाओ तथा जैसे ही हम सिलेक्शन को ड्रैग करके नए स्थान पर ले जाकर क्लिक करेंगे सिलेक्ट किए गए हिस्से की एक नई कॉपी बन जाएगी। अगर इस सिलेक्शन की एक और कॉपी बनाना चाहते हैं तो दोबारा से कंट्रोल की को दबाओ तथा ड्रैग करो। इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराने से हम आसानी से बहुत
सारी कॉपियां बना सकते हैं।

2. सिलेक्शन के साथ पेंट करना (Paint the Selection Area) तस्वीर के एक छोटे से हिस्से को सिलेक्ट करो। उदाहरण के लिए जहाँ एक से अधिक रंग प्रयोग किए गए हों। एब्सट्रैक्ट पैटर्न बनाने के लिए शिफ्ट की को दबाओ तथा सिलेक्शन को ड्रैगं करो। हम एक छोटी सी सिलेक्शन के साथ लिख भी सकते हैं।

3. सिलेक्शन ऑप्शन (Selection Option)-सिलेक्शन ऑप्शन के दाएं तरफ हमें तीन विकल्प दिखाई देते हैं क्रॉप, री-साइज तथा रोटेट क्लिप।
(i) क्रॉप (Crop)-क्रॉप का अर्थ तस्वीर के किसी हिस्से को काटने से होता है। सबसे ऊपर जो हीरे के आकार की लाइन दिखाई देती है वही क्रॉप बटन होता है। इसके मध्य में एक लाइन लगी होती है। यह हमारे तस्वीर को क्रॉप करने में मदद करती है ताकि सिर्फ चुना हुआ हिस्सा ही बच सके बाकी सारी तस्वीर डिलीट हो जाती है। अगर हम सिलेक्शन को क्रॉप करने के बाद सेव आइकन पर क्लिक कर दें तो हमारी बड़ी ड्राइंग का पेज़ कटे हुए हिस्से से बदला जाता है।

(ii) फटे हुए हिस्से को सेव करना (Save the Cut-out) –

  • जिस तस्वीर पर हम काम कर रहे हैं उसको सेव करो।
  • उस हिस्से का चुनाव करो जिसका कटऑफ की तरह सेव करना चाहते हो।
  • क्रॉप बटन पर क्लिक करो।
  • पेंट बटन पर जाओ और मीनू को खोलो।
  • सेव एस मीनू पर क्लिक करो।
  • कट ऑफ के लिए नाम टाइप करो तथा सेव पर क्लिक करो

हमारी पेंट विंडो में कटआऊट नज़र आएगा तथा टाइटल बार में कटआऊट का नाम नज़र आएगा जिस नाम से हमने अपने कटआऊट को सेव किया था।

(iii) रीसाइज तथा सिक्यू (Resize and Skew)-सिलेक्ट बटन के दाएं तरफ छोटा सा बटन रीसाइज तथा सिक्यू बटन होता है जो रिसाइज तथा सिक्यू डायलॉग बॉक्स को खोलता है।
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1. रीसाइज (Resize)-रैक्टेगुलर सिलेक्शन में चारों तरफ छोटे-छोटे हैंडल दिए गए होते हैं। इन हैंडलों की मदद से हम अपनी सिलेक्शन को रीसाइज कर सकते हैं। परंतु अगर हम अपनी तस्वीर के हिस्से का साइज बढ़ाना चाहते हैं तो हमें डायलॉग बॉक्स का प्रयोग करना पड़ेगा। अगर मेंटेन एस्पेक्ट रेशो (Maintain Aspect Ratio) ऑप्शन पर सही का निशान लगा हुआ है तो हम होरिजेंटल विकल्प में जो भी मूल्य दाखिल करेंगे उस हिसाब से वर्टिकल विकल्प का मूल्य कैलकुलेट हो जाएगा। अगर हमें अपनी सिलेक्शन को मोटा या पतला करना है तो इस विकल्प पर सही का निशान हटा सकते हैं।

2. सिक्यू (Skew)-रीसाइज तथा सिक्यू डायलॉग बॉक्स का निचला भाग हमें सिलेक्शन को सिक्यू करने में सहयोग प्रदान करता है। जब हम इस विकल्प का प्रयोग करते हैं तो यह हमारी सिलेक्शन में एक बड़ा बॉर्डर एरिया शामिल कर देता है ताकि तस्वीर का कोई हिस्सा कट न जाए। यदि इस तरह होता है तो Undo पर क्लिक करें और इस बार अपनी सिलैक्शन को बड़ा कर दोबारा कोशिश करें।

3. रोटेट या फ्लिप (Rotate or Flip)-रोटेट या फ्लिप मीन सिलेक्ट की गई तस्वीर को वर्टिकली या होरिजोंटली मिरर इमेज में बदलने में मदद करता है। इस विकल्प की मदद से हम अपनी तस्वीर को 90 डिग्री पर घुमा भी सकते हैं। अगर हम किसी वस्तु को एक वर्ग बनाने का प्रयास कर रहे हैं तो मिरर इमेज इस कार्य को आसान बना देता है। ऐसा करने के लिए उपलब्ध तस्वीर के आधे भाग को कॉपी करो तथा इस कॉपी किए हुए भाग को घुमा कर आधी तस्वीर के साथ जोड़ दो।
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4. इनवर्ट कलर (Invert Colour)-इनवर्ट कलर की सहायता से हम अपनी सिलेक्शन के कलर को उल्टा सकते हैं। जब हम सिलेक्शन पर राइट क्लिक करते हैं तो विकल्पों का एक नया समूह नज़र आता है। इस समूह में कट कॉपी पेस्ट सिलेक्ट ऑल इनवर्ट सिलेक्शन डिलीट रोटेट फ्री साइज आदि कमांड होती हैं। इनवर्ट कलर ऑप्शन एक ऐसा ऑप्शन है जो इस मीनू में उपलब्ध होता है। इनवर्ट कलर ऑप्शन एक काले रंग के मास्क में सफेद अक्षरों को बनाने में मदद करता है इससे बनाए गए टैक्सट को शानदार लुक दी जा सकती है। इनवर्ट कलर हमेशा हमारी सिलेक्शन के रंगों को उल्टा देता है। उदाहरण के लिए अगर हम काले रंग सिलेक्ट करने के बाद इनवर्ट कलर पर क्लिक करते हैं तो यह रंग सफेद हो जाएगा।

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टूल मीनू (Tool Menu)
पेंट के टूल मीनू में बहुत-से टूल्स उपलब्ध होते हैं, जिनका वर्णन नीचे किया गया है-
(i) पेंसिल टूल (Pencil Tool)-पेंसिल टूल का प्रयोग स्वतंत्र रूप से लाइनें लगाने के लिए किया जाता है। पेंसिल टूल का उपयोग जूम इन व्यू में पिक्सेल को एडिट करने के लिए भी किया जाता है। जब हम पेंसिल टूल का प्रयोग करते हैं तो माउस का बायाँ बटन दबाकर कलर एक तथा दायाँ बटन दबाकर कलर दोहरा सकते हैं, पेंट में तस्वीर में कलर आगे वाले कलर के तौर पर तथा कलर दो बैकग्राऊंड के कलर के रूप में प्रयोग होता है। हम पेंसिल की मोटाई को क्राइस्ट की मदद से एक, दो, तीन या चार पिक्सलों तक बढ़ा सकते हैं। कंट्रोल की दबाकर भी इसकी मोटाई को बढ़ाया जा घटाया जा सकता है।
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(ii) फिल विद कलर (Fill with Color)-फिल विद कलर ट्रल की सहायता से हम एक चित्र में रंग भर सकते हैं कलर एक का प्रयोग करने के लिए माऊस का बायाँ बटन दबाया जाता है तथा कलर दो का प्रयोग करने के लिए माऊस का दायां बटन प्रयोग किया जाता है।

(iii) टैक्सट टूल (Text Tool)-टैक्सट टूल का प्रयोग अपनी तस्वीर में टैक्सट लिखने के लिए किया जाता है। टैक्सट टूल का प्रयोग करने के लिए पहले टैक्सट टूल के ऊपर क्लिक करो। करसर एक बार में बदल जाएगा। करसर को तस्वीर पर खींचते हुए एक बॉक्स ड्रा करो। अब इस बॉक्स में अपनी ज़रूरत अनुसार टाइप किया जा सकता है। जब सारा टाइप हो जाए तब इस बॉक्स से बाहर कहीं भी क्लिक करके टाइपिंग बंद की जा सकती है। टाइप करते समय इस टेक्सट बॉक्स से बाहर लिखाई नहीं करना चाहिए।
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टैक्सट को फॉर्मेट करना –
टैक्सट को फॉर्मेट करने के लिए नीचे दिए स्टैप प्रयोग किए जाते हैं

  1. टाइप किए गए टैक्सट को सिलेक्ट करो।
  2. Font बॉक्स के अंत में दिखाए गए ऐरो के ऊपर क्लिक करो इससे पाठ की एक सूची दिखाई देगी।
  3. बिना माऊस बटन दबाएं अपने करसर को इस सूची में ऊपर नीचे घुमाओ अपनी पसंद अनुसार अपने फोंट का चुनाव करो तथा उस पर क्लिक करो।
  4. फोंट लिस्ट बंद हो जाएगी तथा हमारे सिलेक्ट किए हुए टैक्सट पर वह फॉर्म अप्लाई हो जाएगा।
  5. इस प्रक्रिया को हम दोबारा प्रयोग करके दूसरे टैक्सट को फॉर्मेट कर सकते हैं।
  6. हम बैकग्राऊंड को भी ट्रांसपेरेंट से उपेक यहाँ opaque ट्रांसपेरेंट बना सकते हैं।
  7. हम कलर एक तथा कलर दो भी बदल सकते हैं।

अगर हम टैक्सट के अंत में एंटर की दबाते हैं तो टैक्सट बॉक्स अगली लाइन इंसर्ट कर देता है। हम टैक्सट बॉक्स को अपनी तस्वीर के अंदर खींचकर बड़ा या छोटा भी कर सकते हैं। किसी नए टैक्सट को टैक्सट बॉक्स के अंदर नहीं रखा जा सकता। किसी स्थान पर नया टैक्स टाइप करने के लिए पहले करसर को उस स्थान पर ले जाना पड़ता है इसके लिए ऐरो कीस का प्रयोग किया जाता है। स्पेस की का प्रयोग करके सेंट्रल एलाइन भी किया जा सकता है।

हम एक ही टैक्सट बॉक्स में विभिन्न प्रकार के रंग साइज तथा फोंट का प्रयोग कर सकते हैं। अपने टैक्सट में हम जो बदलाव करते हैं वह सिर्फ सिलेक्ट किए गए टैक्सट पर ही अप्लाई होता है, जब हमारा कार्य पूरा हो जाता है तो टैक्सट बॉक्स के बाहर कहीं भी क्लिक करने से टैक्सट बॉक्स गायब हो जाता है तथा फिर इसको दोबारा एडिट नहीं किया जा सकता अब यह टैक्सट तस्वीर का एक हिस्सा बन जाता है।

(iv) इरेज़र (Eraser)-इरेज़र टूल का प्रयोग अपनी तस्वीर में से कुछ हिस्सा मिटाने के लिए किया जाता है। इधर टूल की मदद से हम माऊस का बायाँ बटन दबाकर तस्वीर को मिटा सकते हैं। हम तस्वीर के जिस भी हिस्से पर रिज़ल्ट टूल का प्रयोग करते हैं उस स्थान का रंग बैकग्राऊंड कलर में बदल जाता है। इरेज़र टूल का साइज भी घटाया या बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए कंट्रोल की का प्रयोग होता है। माऊस का दायां बटन दबाने से इरेजर टूल कलर के पिक्सेल से कलर दो पिक्सेल में बदल जाता
है तथा किसी और वस्तु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(v) कलर पिकर (Color Picker) कलर पिकर टूल का प्रयोग फोरग्राऊंड बैकग्राऊंड कलर को सेट करने तथा किसी रंग को तस्वीर के रंग से मैच करने के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से तब फायदेमंद होता है जब तस्वीर के रंग पायलट के रंगों से अलग होते हैं। पेट में ड्राइंग करते समय हम तस्वीर में रंग पिक करके इस बात की तसल्ली कर सकते हैं कि हम वही रंग प्रयोग कर रहे हैं जो तस्वीर के दूसरे हिस्सों में प्रयोग हुआ है। उदाहरण के लिए हम यू मीन करके पेंसिल ट्रल की सहायता से उस स्थान पर कार्य कर सकते हैं जहां पर बहत ज्यादा शेड जाते हैं।

(vi) मैग्नीफायर टूल (Magnifier Tool)-मैग्नीफायर टूल का प्रयोग तस्वीर के किसी हिस्से को जूम करने के लिए किया जाता है। मैग्नीफायर टूल को उस स्थान पर क्लिक किया जाता है जिस हिस्से को हम नज़दीक से देखना चाहते हैं बायां बटन क्लिक करके हम तस्वीर के नज़दीक जा सकते हैं तथा दायां बटन क्लिक करके तस्वीर को दूर से भी देख सकते हैं।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 5 एम एस पेंट (भाग-2)

ब्रश (Brushes)
ब्रश का प्रयोग तस्वीर में विभिन्न मोटाई के ब्रश तथा टेक्सचर दिखाने के लिए किया जाता है। ब्रश की मोटाई को साइज टूल की सहायता से कंट्रोल किया जा सकता है जबकि टेक्सचर को ब्रश की सहायता से कंट्रोल किया जाता है। पेंट में दिए गए ब्रश की सहायता से एक ही रंग तथा मोटाई की विभिन्न लाइनें खींची जा सकती हैं।

शेपस (Shapes)
शेपस मीनू में कई प्रकार की शेपस होती हैं। यह टूल होम टैब में स्थित होता है। इस पर क्लिक करने के बाद सारी शेपस दिखाई देती हैं। इसमें लाइन, कई ओवल, आयत, त्रिभुज, डायमंड, पेंटागन, हैक्सागन, स्टार, ऐरोज़, हार्ट आदि शेपस होती हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 5 एम एस पेंट (भाग-2) 6
जिस शेप को ड्रा करना हो उस पर क्लिक किया जाता है तथा फिर वर्क एरिया में जाकर उसको ड्रा किया जाता है।

  • सीधी लाइन-माऊस का बायां बटन दबा कर कलर की लाइन लगाई जा सकती है। दायां बटन दबा कर कलर 2 की लाइन लगाई जा सकती है। Shift बटन दबा कर रखने से सीधी लाइन लगाई जा सकती है।
  • कर्वड लाइन-कर्व को ड्रा करने के लिए कर्वड लाइन टूल पर क्लिक करो। फिर आऊट लाइन बटन पर क्लिक करो। अपना पसंदीदा रंग चुनो तथा लाइन की मोटाई चुनो।
  • एलिपस, रैक्टेंगल, सर्कल तथा वर्ग-एकदम सही आकार बनाने के लिए Shift कीअ प्रैस करके रखनी चाहिए।
  • फ्री हैंड पोलीगन-पोलीगन बटन पर क्लिक करो। माऊस बटन दबा कर रखो तथा पोलीगन की पहली लाइन ड्रा करो। फिर माऊस बटन छोड़ दो। जहां लाइन खत्म हुई वहां से क्लिक करके नई लाइन ड्रा करो। इसी प्रक्रिया को रिपीट करो जब तक सारी पोलीगन पूरी नहीं हो जाती। आखिर में डबल क्लिक करो।

साइज़ टूल (Size Tool)
यह तब एक्टिव होता है जब हम ब्रश या शेप का चुनाव करते हैं। चुनाव के बाद हमें साइज़ टूल के नीचे ऐरो दिखाई देगा। इसमें से हम लाइन की मोटाई चुन सकते हैं।

रंग (Colour)
रिबन के कलर सैक्शन के तीन भाग होते हैं।
1. बॉक्स जो एक्टिव कलर दिखाते हैं कलर 1 तथा कलर 2
2. कलर पैलेट
3. एडिट कलर बटन

1. कलर बॉक्स
कलर 1-यह फोर कलर होता है। शुरू में यह काला होता है।
कलर 2-यह बैकग्राऊंड कलर होता है। शुरू में यह सफेद होता है।

2. कलर पैलेट-जब हम तस्वीर बनाते हैं तो कलर पैलेट की दो लाइनें मौजूदा रंग को दिखाती हैं। नीचे वाली लाइन हमारे बनाए कलर दिखाती हैं। पेंट बंद करने के बाद हमारे द्वारा बनाए कलर खत्म हो जाते हैं।

3. एडिट कलर-यह हमें एडिट कलर डायलाग बाक्स में ले जाता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 5 एम एस पेंट (भाग-2) 7
इसमें हम किसी भी कलर को चुन कर Add to Custom Colours बटन पर क्लिक कर सकते हैं। इसमें हर बार सिर्फ एक ही रंग शामिल किया जा सकता है। अन्य रंग शामिल करने के लिए हमें दोबारा इस डायलाग बॉक्स में जाना पड़ेगा और प्रत्येक बार, एक रंग ही शामिल किया जा सकता है।

वियू टैब रिबन (View Tab Ribbon)
वियू टैब रिबन पेंट का एक महत्त्वपूर्ण रिबन है। इसमें निम्न ऑप्शन होती है-1. जूम, 2. शो एंड हाइड 3. डिस्प्ले।

जूम (Zoom)
जूम इन तथा आऊट को अकेले या जूम स्लाइडर के साथ प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग तस्वीर को दूर या नज़दीक से देखने के लिए किया जाता है। 100% की ऑप्शन तस्वीर को नार्मल वियू में ले जाती है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 5 एम एस पेंट (भाग-2) 8

शो एंड हाइड (Show or Hide)
शो एंड हाइड ऑप्शन स्टेटस वार की वस्तुओं को सही जगह ड्रा करने में फायदेमंद होता है। इसमें रूलर को ज़रूरत अनुसार दिखाया या हटाया जा सकता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 5 एम एस पेंट (भाग-2)

डिस्प्ले (Display)
इसका प्रयोग तस्वीर को पूरी स्क्रीन पर दिखाने के लिए किया जाता है। F11 कीअ दबा कर हम फुल स्क्रीन देख सकते हैं। नार्मल वियू में आने के लिए Esc कीअ दबाई जाती है। थंबनेल (Thumbnail)-जब हम जूम इन करते हैं तब यह एक्टिव होता है। यह तस्वीर में किये बदलाव को साधारण वियू में दिखाता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान

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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान

जान-पहचान (Introduction)
पेंट साफ्टवेयर माइक्रोसाफ्ट कंपनी का उत्पाद है। यह एक ड्राईंग टूल है जो वस्तु तथा आकृतियां बनाने के लिए प्रयोग होता है। हम रंगीन तस्वीरें बना तथा प्रिंट कर सकते हैं। इनको कापी, पेस्ट किया जा सकता है तथा डेस्कटाप पर बैकग्राऊंड की तरह लगाया जा सकता है।

एम एस पेंट क्या है ? (What is MS Paint ?)
एम एस पेंट माइक्रो साफ्ट कंपनी का साफ्टवेयर है। इसका प्रयोग तस्वीरें बनाने के लिए किया जाता है। यह विंडोज़ के साथ ही आता है। पेंट विंडो के भाग टाइटल बार, क्विक एक्सेस बार, मीनू बार, स्क्रोल बार तथा वर्क एरिया आदि विंडो के भाग हैं। टैबज-पेंट विंडो में होम तथा व्यू-टैब होते हैं। पेंट बटन-पेंट बटन एक ड्रापडाउन मीनू खोलता है, जिसमें काफ़ी कमांडज़ होती हैं। रिवन-रिवन किसी भी टैब पर कमांड को दिखाता है। यह मीनू बार के समांतर दिखाई देता है।

एम एस पेंट शुरू करना (To Start MS Paint)
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 1
या

  1. टास्क बार/सुपर बार के स्टार्ट बटन पर क्लिक करें। स्टार्ट मीनू नज़र आएगा।
  2. आल-प्रोग्रामज़ पर क्लिक करें। एक और मीनू नज़र आएगा।
  3. अकसैसरीज़ आप्शन पर क्लिक करें। एक और मीनू नज़र आएगा, इसमें पेंट की ऑप्शन मौजूद
  4. पेंट की ऑप्शन क्लिक करें।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 2

पेंट विंडो के भाग (Parts of Paint Window):-
पेंट विंडो के निम्न भाग होते हैं –
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 3
1. टाइटल बार-यह पेंट विंडो के सबसे ऊपर होती है। इसके बायीं ओर एक पेंट पैलेट होता है। इससे हमे स्टैंडर्ड विंडो मीनू मिलता है जिसमें Restore, Mone size, Minimize, Maximize तथा Close बटन होते हैं। टाइटल बार में खुले दस्तावेज़ का नाम भी दिखाई देता है।

  • क्विक एक्सैस टूल बार-इसमें चार बटन Save, Undo, Redo तथा Customize होते हैं।
  • मिनीमाइज, मैक्सीमाइज़/रिस्टोर, क्लोज़-टाइटल बार के दायीं तरफ तीन बटन होते हैं।
  1. मिनीमाइज़- यह पेंट विंडो को छोटा करने में प्रयोग होता है।
  2. मैक्सीमाइज़/रीस्टोर-यह बटन विंडो को मैक्सीमाइज़ तथा रीस्टोर करने में प्रयोग होता है।
  3. क्लोज़-यह पेंट विंडो को बन्द करने में प्रयोग होता है।

2. क्विक एक्सैस टूल बार-क्विक एक्सैस टूल बार वह टूल बार होता है जो ज्यादा प्रयोग आने वाली कमांडों को दर्शाता है ताकि इन्हें जल्दी से चलाया जा सके। आमतौर पर इनमें चार बटन होते हैं-सेव, अनडू, रीडू तथा कस्टमाइज। आम तौर पर यह टाइटल बार के बायें तरफ होते हैं। पर इनको रिबन के नीचे भी लाया जा सकता है। इसके लिए कस्टमाइज़ आइकन पर क्लिक कर Show below the Ribbon ऑप्शन पर क्लिक करना पड़ता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 4
क्विक एकसैस टूल बार में अन्य ऑप्शन भी शामिल किये जा सकते हैं। जैसे कि न्यू (New), ओपन (Open), सेव (Save), प्रिंट (Print), प्रिंट प्रीव्यू (Print preview), सेंड इन ईमेल (Send in email) आदि।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 5

कमांड का नाम कमांड का काम
New नई फाइल खोलना
Open पुरानी फाइल खोलना
Save फाइल सेव करना
Print फाइल प्रिंट करना
Print Preview प्रिंट होने के समान फाइल को स्क्रीन पर दिखाना
Send in Email फाइल को मेल से भेजना
Undo पिछले कार्य को कैंसिल करना
Repeat पिछला कार्य दोबारा करना
Show Below/Above the Ribbon
Minimize the Ribbon
क्विक एक्सैस टूल बार को रिबन के ऊपर या नीचे दिखाना रिबन हटाने तथा लगाने के लिए

रिबन की वस्तुओं को क्लिक एक्सैस टूल बार में शामिल करना : किसी वस्तु को रिबन में शामिल करने के लिए राइट क्लिक करें। एक मीनू दिखाई देगा। उस पर Add to Quick Toolbar पर क्लिक करें। वस्तु को हटाने के लिए Remove from Quick Access Toolbar पर क्लिक करो।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान

3. मीनू बार-मीनू बार पर तीन टैब होती हैं
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यह तीनों बायीं तरफ स्क्रीन पर दिखाई देती हैं तथा, Help बटन स्क्रीन के दायीं तरफ दिखाई देता है।
1. पेंट बटन-मीनू बार के बायीं तरफ पहला पेंट बटन होता है। इसमें निम्न कमांडज़ होती हैं-
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 7

कमांड का नाम कमांड का काम
Save As फाइल को दूसरे नाम, स्थान पर सेव करना
From Scanner and Camera कैमरे तथा स्कैनर से तस्वीरें इंपोर्ट करने के लिए
Set as Desktop Background तस्वीर को डेस्कटॉप की बैकग्राऊंड के तौर पर
Properties सैट करना
Exit तस्वीर की प्रार्टीज़ देखने के लिए  पेंट बंद करके बाहर आने के लिए।

2. होम टैब रिबन- सारे टूलज, शोपस, कलर पैलेट तथा अन्य बहुत सारी कमांडों को रिबन में इकट्ठा किया जाता है। होम टैब भी इसी प्रकार कई कमांड को दिखाता है। होम टैब रिबन वह होता है जिसमें टूलज, शोपस, ब्रुश तथा रंगों को चुना जाता है। इसमें रिबन को मिनीमाइज करने की ऑप्शन भी होती है। अगर हम इस का चुनाव करते हैं तो रिबन गायब हो जाता है। अगर हम Home Tab पर क्लिक करते हैं तो यह फिर वापस दिखाई देता है | होम टैब रिबन के कलर सैक्शन-होम टैब रिबन के कलर सैक्शन के तीन भाग होते हैं –

  • एक्टिव कलर बाक्स
  • कलर पैलेट
  • एडिट कलर बटन।

(i) एक्टिव कलर बाक्स-इसमें दो कलर दिखाई देते हैं।
कलर (1)-यह फोरग्राऊंड कलर होता है। शुरू में यह काला होता है।
कलर (2)-यह बैकग्राऊंड कलर होता है। शुरू में यह सफेद होता है।
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(ii) कलर पैलेट-यह अलग-अलग कलर दिखाता है। ऊपरी दो कतारों में मौजूदा रंग होते हैं। नीचे वाली कतारों में यूजर द्वारा तैयार किये रंग दिखाई देते हैं।
(iii) एडिट कलर बटन-यह एक डायलाग बाक्स खोलता है। इसमें नये कलर बनाए जा सकते हैं। इन को कलर पैलेट में शामिल किया जा सकता हैं।

3. वियू टैब रिबन-वियू टैब रिबन में जूम इन तथा जूम आऊट, शो, हाइड, डिस्प्ले ऑप्शन होते हैं। जूम इन आऊट को अकेले या Zoom टूल के साथ प्रयोग किया जाता है।

4. स्क्रोल बार-इसका प्रयोग स्क्रीन को सरकाने के लिए किया जाता है। ये दो होते हैं। होरीजेंटल स्क्रोल बार-यह स्टेटस बार के ऊपर होता है। यह स्क्रीन को दाएं-बाएं सरकाता है। वर्टीकल स्क्रोल बार-यह पेंट विंडो के दायीं तरफ होता है। यह स्क्रीन को ऊपर या नीचे सरकाता है।

5. स्टेटस बार-यह पेंट विंडो के सबसे नीचे होता है। इससे हमें पेंट में काम की जानकारी प्राप्त होती है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 9

  • करसर पोजीशन-यह करसर की जगह के बारे में बताती है। जब हम किसी तस्वीर की पोजीशन सैट करना चाहते हैं तो यह मददगार साबित होता है।
  • सिलैक्शन साइज़-यह हमारे द्वारा किये सिलैक्शन के साइज़ को बताता है या जिसे . हम ड्रा कर रहे होते हैं उस का साइज़ दर्शाता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 10

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 11

  • इमेज साइज़-यह पूरी तस्वीर का साइज़ बताता है। इसका साइज़ पिक्सलों में दर्शाया जाता है। इसके साइज़ को इंचों तथा सेंटीमीटर में भी दर्शाया जा सकता है।
  • डिस्क साइज़-जब हम एक बार तस्वीर को सेव कर लेते हैं तो यह दोबारा स्टोरेज डिस्क में तस्वीर के साइड के बारे में बताता है।
  • जूम स्लाइडर-इसका प्रयोग तस्वीर को जूम इन तथा जूम आऊट करने के लिए किया जाता है। इससे तस्वीर को बड़ा या | छोटा करके देखा जा सकता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 12

6. वर्क एरिया-खाली सफ़ेद स्थान को वर्क एरिया कहा जाता है। इसका प्रयोग तस्वीर बनाने में होता है।

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अपने कार्य को सेव करना (Saving our Drawing)
जैसे ही हम कार्य करना शुरू करते हैं, उस समय उस को सेव करना ठीक रहता है। हमें काम करते समय क्विक एकसैस टूलबार पर सेव बटन ऊपर कुछ मिनटों बाद क्लिक कर लेना चाहिए। इस तरह अचानक प्रोग्राम बंद हो जाए या बिजली चली जाए तो हमारा कार्य नष्ट नहीं होगा। जब हम पहली बार सेव (Save) बटन क्लिक करते हैं, हमें एक डायलॉग बाक्स नज़र आएगा, जिस पर तस्वीर के लिए टाइप करना पड़ेगा। नाम टाइप करने के बाद, सेव बटन ऊपर क्लिक करें।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 13
सेव एज (Save as)-सेव एज आप्शन हम तस्वीर की कॉपी को किसी दूसरे नाम से सेव कर सकते है । पेंट बटन पर जाए और मीनू को खोले। Save as PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 4 एम एस पेंट से जान-पहचान 14 ऊपर क्लिक करें। डॉयलाग बाक्स में मौजूद नाम को बदल दें और फिर Save पर क्लिक करें।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य

This PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य will help you in revision during exams.

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य

जान-पहचान (Introduction)
कम्प्यूटर के कार्य के लिए सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। जब हम कम्प्यूटर शुरू करते हैं तो उस पर कई आबजैक्ट दिखाई देते हैं। यह सारे आपरेटिंग सिस्टम के अन्तर्गत आते हैं। आपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर को चलाने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है।

आपरेटिंग सिस्टम (Operating System)
आपरेटिंग सिस्टम वह सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है जो कम्प्यूटर हार्डवेयर के साथ संपर्क करने तथा आपरेट करने के योग्य बनाता है। यह कम्प्यूटर तथा उसमें पड़े सॉफ्टवेयर को चलाता है। यह कम्प्यूटर से संबंधित महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। यह अनधिकृत पहुंच को भी रोकता है।

आपरेटिंग सिस्टम की परिभाषा (Definition of Operating System)
आपरेटिंग सिस्टम वह सॉफ्टवेयर होता है जो कम्प्यूटर हार्डवेयर को सॉफ्टवेयर के साथ संपर्क करने तथा अपडेट करने के योग्य बनाता है।

विंडोज़ (Windows)
विंडोज़ एक महत्त्वपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह GUI (ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस) किस्म का होता है। विंडोज़ की मदद से हम कम्प्यूटर का प्रोग्राम चला सकते हैं। कम्प्यूटर पर हम जब कोई प्रोग्राम खोलते हैं, तो वो एक फ्रेम में नज़र आता है। इस फ्रेम को विंडोज़ कहते हैं। विंडोज़ माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी का उत्पादन है। इसी कारण इसको माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ भी कहा जाता है। इनके कई वर्जन भी हैं, जैसे कि-

  • विंडोज़ 2000
  • विंडोज़ XP
  • विंडोज़ Me
  • विंडोज़ 7
  • विंडोज़ 8, 10 आदि।

इसमें माऊस की सहायता से आसानी से काम किया जा सकता है। इसमें हम कई प्रोग्राम चला सकते हैं। इसमें प्रत्येक प्रोग्राम एक विंडोज में खुलता है जिस कारण इसका नाम विंडोज़ पड़ा।

डॉस (DOS)
डॉस का पूरा नाम डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट कंपनी द्वारा तैयार किया गया था। यह एक करैक्टर आधारित इंटरफ़ेस प्रदान करता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम ज्यादा शक्तिशाली ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था। इसमें कार्य करना भी आसान नहीं था। इसमें कार्य करने के लिए यूज़र को विभिन्न कमांड टाइप करनी पड़ती थी तथा उसे इन कमांड को याद भी रखना पड़ता था। यह ऑपरेटिंग सिस्टम छोटी मशीनों जिनमें कम मेमोरी तथा कम स्पीड होती थी उनके लिए बनाया गया था। इस ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य कार्य डिस्क पर फाइलों को संभालना होता था। आजकल यह ऑपरेटिंग सिस्टम प्रयोग में नहीं लाया जाता।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य

एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम (Android Operating System)
एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम एक मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम गूगल कंपनी द्वारा तैयार किया गया है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्य रूप से यंत्रों के लिए तैयार किया गया है जिनमें टचस्क्रीन का प्रयोग होता है जैसे कि स्मार्टफोन तथा टेबलेट। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में अपनी उंगली का प्रयोग करके विभिन्न कमांडों तथा अन्य विकल्प का चुनाव कर सकता है। आजकल ज्यादातर मोबाइल फोन में एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का ही प्रयोग होता है। आजकल एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम आधारित टेलीविज़न, कार तथा घड़ियां भी आ रही हैं। प्रत्येक प्रकार के यंत्र में एक विभिन्न इंटरफ़ेस होता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने में काफी आसान होता है। इसमें आइकन तथा बहुत बढ़िया विकल्प भी दिए गए हैं।

कम्प्यूटर शुरू करना (Starting Computer System)
पावर बटन ऑन करना (Switch on the Power Button) कम्प्यूटर को शुरू करने के पग निम्नलिखित अनुसार हैं-
कम्प्यूटर के सी०पी०यू० तथा मॉनीटर पर लगा पावर बटन दबाएं। कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर लगी एक लाइट बलिंक करेगी और कम्प्यूटर के मॉनीटर पर कुछ टैक्सट लिखा नज़र आएगा। अब कम्प्यूटर में आपरेटिंग सिस्टम लोड होना शुरू हो जाएगा। इस प्रक्रिया (Process) को बूटिंग (Booting) कहा जाता है। जब तक बुटिंग प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक इन्तजार करें।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 1
बूटिंग प्रक्रिया पूरी होने पर हमें नीचे दिखाये अनुसार स्क्रीन नज़र आएगी।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 2
उपरोक्त स्क्रीन में दिखाए अनुसार कम्प्यूटर को लॉग ऑन करने के लिए हमें अपने कम्प्यूटर के कीबोर्ड पर लगी Ctrl (कंट्रोल) Alt (आल्ट) तथा Delete (डिलीट) कीज़ को दबाना पड़ेगा। ऐसा करने के बाद हमें चित्र में दिखाए अनुसार लॉग ऑन स्क्रीन दिखाई
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 3

कम्प्यूटर लॉग ऑन करना (Loging on Computer)
अगर हमारे स्कूल में सर्वर बेसड “एन कम्प्यूटिंग” (N-Computing) कम्प्यूटर लैब है, तो हमें सिर्फ सर्वर कम्प्यूटर की स्क्रीन पर लॉग ऑन करने के लिए अपने कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर लगी Ctrl (कंट्रोल), Alt (आल्ट) तथा Delete (डिलीट) कीज़ को दबाने की ज़रूरत पड़ेगी। ऐसा करने के बाद हमें कम्प्यूटर पर लॉग ऑन स्क्रीन दिखाई देगी। इसके बाद की-बोर्ड से एंटर की दबाएं। इसी तरह क्लाइंट कम्प्यूटर को लॉग ऑन करने के लिए हम अपनी सिटिंग पोजीशन अनुसार यूज़र नेम बाक्स में क्रमवार यूज़र 1, यूज़र 2, यूज़र 3, यूज़र 4, और यूज़र 5 टाइप करेंगे। यह याद रखा जाए कि अलग-अलग कम्प्यूटर्ज़ पर निर्धारित यूज़र खाते को लॉग ऑन किया जाए।

अगर हमारे स्कूल में सर्वर बेसड “एन-कम्प्यूटिंग” (N-computing) लैब नहीं है, तो हमें प्रत्येक कम्प्यूटर पर दिखाए अनुसार स्क्रीन दिखाई देगी। कम्प्यूटर को लॉग ऑन करने के लिए अग्रलिखित अनुसार कार्य करें-

  1. अपने कम्प्यूटर की-बोर्ड पर लगी Ctrl (कंट्रोल), Alt (आलट) तथा Delete (डिलीट) कीज़ को दबाएं, इस तरह हमें लॉग ऑन स्क्रीन दिखाई देगी।
  2. इस कम्प्यूटर पर 2 या 3 यूज़र हो सकते हैं। इसलिए हम अपनी ज़रूरत अनुसार किसी भी यूज़र को लॉग इन कर सकते हैं। किसी यूज़र को लॉग ऑन करने के लिए माऊस की मदद से यूज़र नेम बाक्स में क्लिक करें तथा निर्धारित यूज़र अकाऊंट (जैसे कि “स्कूल”, यूज़र) आदि टाइप करो तथा पासवर्ड टाइप करो।
  3. एंटर कीअ दबाएं। कम्प्यूटर को लॉग इन करने के बाद हमें निम्न चित्र अनुसार स्क्रीन दिखाई देगी जिस पर हमें कुछ छोटी-छोटी तस्वीरें तथा स्क्रीन के नीचे की ओर एक लम्बी बार (टास्क बार) नज़र आएगी। इस स्क्रीन को डैस्कटाप कहा जाता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य

डैस्कटाप तथा इसके भाग (Desktop and its Components)
बूटिंग तथा लॉग-इन के बाद जो पहली स्क्रीन नज़र आती है। उसको डैस्कटाप कहते हैं। डैस्कटाप तथा टास्कबार, आइकन तथा शार्टकट बटन होता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 4
डैस्कटॉप डैस्कटाप के निम्नलिखित तीन भाग होते हैं।

  1. आइकन्ज़ (Icons)
  2. टास्कबार (Taskbar)
  3. शार्टकट (Shortcut)
    PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 5

आइकन (Icon)
डैस्कटॉप पर नज़र आने वाली छोटी तस्वीरों को आइक, कहते हैं। ये बटन की तरह काम करते हैं। आइकन फाइल तथा फोल्डर दिखाते हैं इन पर डबल क्लिक करके सम्बन्धित प्रोग्राम चल पड़ता है।
डेस्कटॉप पर निम्न आइकन होते हैं-
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 6
1. My Computer
2. Network
3. User’s Files
4. Recycle Bin

  1. माई कम्प्यूटर (My Computer)-माई कम्प्यूटर की मदद से हम अपने कम्प्यूटर की सभी चीजें देख सकते हैं। इनमें फाइल, फोल्डर तथा ड्राइव होते हैं।
  2. नैटवर्क (Network)-इस आइकन की मदद से हम अपने कम्प्यूटर से जुड़े बाकी कम्प्यूटर को देख सकते हैं।
  3. यूज़र फाइल (User’s Files)-इस फोल्डर में यूज़र द्वारा तैयार तथा डाऊनलोड की गई फाइलें दिखाई देती हैं।
  4. रीसाईकिल बिन (Recycle Bin)-यूज़र द्वारा डिलीट की गई फाईलें री साईकिल बिन में जाती हैं। जब हम फाइलें डिलीट करते हैं तो वो पक्के तौर पर डिलीट नहीं होतीं।

पक्के तौर पर डिलीट करने के लिए इन्हें रीसाईकिल बिन से भी डिलीट करना पड़ता है। गलती से डिलीट की गई फाइलों को वापिस लाया जा सकता है। इसे रीस्टोर कहते हैं। इसके लिए रीसाईकिल बिन खोल कर उस फाइल को रीस्टोर करना पड़ता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य

शार्टकट (Shortcut)
शार्टकट एक आइकॉन होता है जो असल में किसी फाइल को न दर्शा कर उस तक पहुंचने के लिंक को दर्शाता है। इस शार्टकट पर डबल क्लिक करके उस फाइल या फोल्डर को खोला जा सकता है। अगर शार्टकट डिलीट कर दिया जाए तो असली फाइल डिलीट नहीं होती। इसकी पहचान आम आइकॉन पर शार्टकट एक तीर के साथ होती है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 7

वॉलपेपर (Wallpaper) – वॉलपेपर एक तस्वीर होती है जो कि कंप्यूटर के 10 टॉप पर दिखाई देती है। इस वॉलपेपर को डेस्कटॉप बैकग्राउंड भी कहा जाता है। यह आमतौर पर एक पिक्चर रंग या कोई पैटर्न होता है। यूज़र अपनी व्यक्तिगत इच्छा अनुसार इस का चुनाव कर सकता है। कंप्यूटर में कई प्रकार के पहले से ही वॉलपेपर दिए होते हैं। यूज़र इनमें से किसी का चुनाव कर सकता है या फिर वह कोई अपनी तैयार की हुई, खींची हुई फोटो भी लगा सकता है वॉलपेपर को बदलने के नियम निम्न अनुसार होते हैं –

  1. डेस्कटॉप पर खाली स्थान पर माऊस द्वारा राइट क्लिक करें।
  2. एक मीनू दिखाई देगा उस में से Personalise का चुनाव करें।
  3. एक विंडो सामने दिखाई देगी।
  4. विंडो में से अपनी आवश्यकतानुसार किसी टीम का चुनाव करें।

इसके अलावा हम डेस्कटॉप वॉलपेपर का चुनाव भी कर सकते हैं तथा उसमें अपनी पसंद का वॉलपेपर की फाइल चुनकर उसको भी वॉलपेपर के रूप में सेट कर सकते हैं। .

टास्कबार (Taskbar)
टास्कबार डैस्कटॉप के सबसे नीचे वाले हिस्से पर होती है। यह एक लम्बी पट्टी की तरह होती है। इसके बायें हाथ पर स्टार्ट बटन होता है और दायें हाथ पर टाइम नज़र आता है। जब कोई प्रोग्राम चलता है तो उसका एक बटन इस पर बन जाता है। इसके अलावा भी इस पर कुछ और बटन होते हैं और Quick Launch bar भी होता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 8
टास्कबार स्टार्ट बटन की मदद से हम किसी प्रोग्राम को चला सकते हैं। टास्क बार के दाएं तरफ सिस्टम ट्रेअ बटन, नोटिफिकेशन एरिया, कम्प्यूटर नैटवर्क आइकन, सिस्टम साऊंड आइकन तथा तिथि और समय दिखाई देता है। टास्क बार के एक और क्षेत्र जिसको आसानी के साथ नज़र-अंदाज़ (overlook) किया जाता है-वह है शो डैस्कटाप (show desktop) बटन। ऊपर दिखाई तस्वीर में हम टास्क बार में डेट एंड कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य टाईम के साथ दाएं साइड एक तंग आयताकार आकार की आकृति देख सकते हैं। इसको क्लिक करने पर हम सारे खुले हुए प्रोग्रामज़ को मिनीमाइज़ कर सकते हैं तथा डैस्कटाप तक पहुंच सकते है । टास्क बार में उपरोक्त सभी भागों का अपना-अपना कार्य होता है –

  1. स्टार्ट बटन (Start Button)-स्टार्ट बटन की मदद से किसी भी प्रोग्राम को चलाया जा सकता है। यह टास्क बार के ऊपर सबसे पहले स्थित होता है। इसका आइकन होता है। इसके ऊपर विंडो को लोगो बना होता है।
  2. क्विक लांच आइकॉन (Quick Launch Bar)-किसी भी प्रोग्राम को जल्दी चलाने के लिए यहां रखा जा सकता है।
  3. सिस्टम ट्रेअ (System Tray)-यह टास्क बार के दाएं तरफ होती है। इसके ऊपर एक छोटा आइकन लगा होता है जो कि हमें आसानी से कार्य करने में जैसे-फैक्स, माडम, आवाज़ आदि तक पहुंचने में मदद करता है।
  4. नोटीफिकेशन एरिया(Notification Area)-इसमें सारे नोटीफिकेशन दिखाई देते हैं।
  5. डेट एण्ड टाइम (Date and Clock)-यहां पर समय तथा तारीख दिखाई देती है।
  6. एक्टिव प्रोग्राम (Active Programs)-टास्क बार के इस भाग में सभी चल रहे प्रोग्राम नज़र आते हैं तथा हम इनमें से किसी भी प्रोग्राम तक पहुंच कर सकते हैं।

विंडो एप्लीकेशन के साथ कार्य करना (Working with Window Applications)-
माइक्रोसॉफ्ट विंडो 7 हमें बहुत ही पहले से तैयार की गई एप्लीकेशन प्रदान करता है। यह एप्लीकेशन विंडो इंस्टॉल करने के साथ ही कंप्यूटर पर इंस्टॉल हो जाती हैं। यह सभी एप्लीकेशन मूल रूप से साधारण प्रोग्राम होते हैं जिनको यूज़र अपनी आवश्यकतानुसार प्रयोग कर सकता है। प्रत्येक एप्लीकेशन विभिन्न प्रकार की होती है तथा हमारी कुछ आधारभूत ज़रूरतों को पूरा करती है।

नोटपैड (Notepad)
नोटपैड माइक्रोसॉफ्ट विंडो का एक साधारण टेक्स्ट एडिटर प्रोग्राम है। इसका मुख्य प्रयोग अक्षरों पर आधारित डाटा टाइप करने तथा ऐडिट करने के लिए किया जाता है। यह अक्षरों का डाटा दूर करने के लिए सबसे साधारण एप्लीकेशन है। इस प्रोग्राम का प्रयोग विभिन्न प्रकार की प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे कि एचटीएमएल जावा आदि की कोड पहले तैयार करने के लिए भी किया जाता है।

नोटपैड को चलाना (Running Note Pad) नोटपैड को चलाने के पग नीचे दिए गए हैं-

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करके ऑल प्रोग्राम पर क्लिक करें।
  2. ऑल प्रोग्राम में आगे Accessories कमांड पर क्लिक करें।
  3. इस ग्रुप में नोट पैड पर क्लिक करें।

अथवा

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करें।
  2. सर्च बार में नोटपैड टाइप करें।
  3. ऊपर आने वाले आइकन में से नोटपैड एप्लीकेशन आइकन पर क्लिक करें या एंटर की दबाएं।

वर्डपैड (Wordpad)
यह एक रिच टेक्स्ट फॉरमैट वाला वर्ड प्रोसेसर है। हम इसका प्रयोग किसी भी प्रकार का फॉर्मेटिंग सहित डॉक्यूमैंट तैयार करने में कर सकते हैं। इसका प्रयोग केवल टेक्स्ट आधारित डॉक्यूमैंट तैयार करने में ही किया जाता है। इस टेक्सट को अपनी आवश्यकतानुसार फॉर्मेट किया जा सकता है। वर्डपैड के किसी भी डॉक्यूमैंट में हम किसी प्रकार का ग्राफिक जैसे चार्ट, पिक्चर, क्लिप, आर्ट आदि दाखिल नहीं कर सकते।

वर्डपैड को चलाना (Running Wordpad)- वर्डपैड को चलाने के पग नीचे दिए गए हैं –

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करके ऑल प्रोग्राम पर क्लिक करें।
  2. ऑल प्रोग्राम में आगे Accessories कमांड पर क्लिक करें।
  3. इस ग्रुप में वर्डपैड पर क्लिक करें।

अथवा

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करें।
  2. सर्च बार में वर्डपैड टाइप करें।
  3. ऊपर आने वाले आइकन में से वर्डपैड एप्लीकेशन आइकन पर क्लिक करें या एंटर की दबाएं।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य

पेंट (Paint)
पेट माइक्रोसॉफ्ट विंडो द्वारा प्रदान की जाने वाली एक ग्राफिक एप्लीकेशन है। इस एप्लीकेशन का प्रयोग ड्राइंग तथा साधारण प्रकार के ग्राफिक ऑब्जेक्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसमें बहुत सारे ड्राइंग टूल तथा रंग भरने के टूल्स उपलब्ध हैं। हम इस एप्लीकेशन द्वारा पहले से बनी हुईं तस्वीरों में बदलाव भी कर सकते हैं। पेंट को चलाना (Running Paint)-पेंट को चलाने के लिए निम्न स्टैप होते हैं-

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करके ऑल प्रोग्राम पर क्लिक करें।
  2. ऑल प्रोग्राम में आगे Accessories कमांड पर क्लिक करें।
  3. इस ग्रुप में पेंट पर क्लिक करें। .

अथवा

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करें।
  2. सर्च बार में पेंट टाइप करें।
  3. ऊपर आने वाले आइकन में से पेंट एप्लीकेशन पर आइकन पर क्लिक करें या एंटर की दबाएं।

कैलकुलेटर (Calculator)-
माइक्रोसॉफ्ट विंडो की इस एप्लीकेशन का प्रयोग गणना करने के लिए किया जाता है। इस एप्लीकेशन की बनावट तथा बटनों की स्थिति वास्तविक कैलकुलेटर की तरह ही होती है। इस कैलकुलेटर में वास्तविक कैलकुलेटर के अलावा और बहुत सारे विकल्प प्रदान किए जाते हैं। हम इस एप्लीकेशन में 16 अंकों तक की गणनाएं कर सकते हैं।

कैलकुलेटर को चलाना (Running Calculator)

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करके ऑल प्रोग्राम पर क्लिक करें।
  2. ऑल प्रोग्राम में आगे Accessories कमांड पर क्लिक करें।
  3. इस ग्रुप में कैलकुलेटर पर क्लिक करें।

अथवा

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करें।
  2. सर्च बार में कैलकुलेटर टाइप करें।
  3. ऊपर आने वाले आइकन में से कैलकुलेटर एप्लीकेशन आइकन पर क्लिक करें या एंटर की दबाएं।

रन बॉक्स का प्रयोग करना (Using Run Box)
रन बॉक्स का प्रयोग किसी भी प्रोग्राम को उसके नाम की सहायता से खोलने के लिए किया जाता है। विंडो के ऑप्शन की मदद से हम किसी भी प्रोग्राम को आसानी से खोल सकते हैं। पूरा स्टार्ट मेन्यू में बारबार जाकर प्रोग्राम को चलाने के बजाय हम सीधा ही प्रोग्राम को चला सकते हैं। हमें इनबॉक्स में प्रोग्राम की फाइल का सही नाम टाइप करना पड़ता है। किसी भी एप्लीकेशन का नाम टाइप करके उसको खोला जा सकता है-
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ में रन बॉक्स का प्रयोग करना
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ में रन बॉक्स का प्रयोग करने के स्टेप नीचे दिए गए हैं :-
विंडोज़ PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य 9 बटन तथा R इकट्ठे दबाएं।
अथवा

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करें।
  2. सर्च बॉक्स में रन टाइप करें।
  3. ऊपर प्रकट हुई लिस्ट में से संबंधित आइकन पर क्लिक करें तथा एंड ट्रक की दबाएं।

स्टार्ट मेन्यू का सर्च बॉक्स (Search Box of Start Menu)
हम माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ 7 के सर्च बॉक्स की मदद से अपने कम्प्यूटर में प्रोग्राम या फाइलें ढूंढ सकते हैं। सर्च बॉक्स विंडो के स्टार्ट मेन्यू में सबसे नीचे दिया गया होता है। पूनम राम अगर बॉक्स स्टार्ट मेन्यू में न हो तो हम इसको कंट्रोल पैनल में से दोबारा ला सकते हैं।
अगर स्टार्ट मेन्यू में सर्च बॉक्स मौजूद न हो तो निम्न स्टेप का प्रयोग करके उसे दोबारा लाया जा सकता है सर्च बॉक्स को दिखाने के कदम (Steps to show “Search Box”)

  1. स्टार्ट में खोलो तथा कंट्रोल पैनल पर क्लिक करो।
  2. प्रोग्राम में से अनइनस्टॉल ए प्रोग्राम पर क्लिक करो।
  3. Turn Windows features on or off पर क्लिक करो।
  4. window search नाम की चेक बॉक्स पर क्लिक करो।
  5. Ok बटन पर क्लिक करके अपने बदलाव को सेव करो।

अपने कम्प्यूटर को दोबारा स्टार्ट करो। स्टार्ट मेन्यू में सर्च बॉक्स आ जाएगा।

कम्प्यूटर को बन्द करना (Shutting Down Computer System) –
कम्प्यूटर को बन्द करने से पहले खुले प्रोग्रामों को बन्द करें।

  1. स्टार्ट बटन पर क्लिक करो। स्टार्ट मेन्यू खुलेगा।
  2. स्टार्ट मेन्यू पर शट डाऊन पर क्लिक करो। शट डाऊन डाइलाग बॉक्स खुलेगा।
  3. अब एक और बॉक्स खुलेगा। इसमें से शट डाऊन पर क्लिक करो।
  4. OK पर क्लिक करो। कुछ ही देर के बाद कम्प्यूटर अपने आप बन्द हो जाएगा।

स्लीप (Sleep)
जब कम्प्यूटर को स्लीप मोड में डाला जाता है तब इसकी पावर सप्लाई को चालू रखा जाता है। इस मोड़ के दौरान कम्प्यूटर की पावर लाइट टिमटिमाती रहती है। यह टिमटिमाती लाइट दर्शाती है कि कम्प्यूटर स्लीप मोड में है तथा यूज़र पावर बटन दबाकर कम्प्यूटर दोबारा शुरू कर सकते हैं।

शट डाउन (Shut Down)
शट डाउन विकल्प का प्रयोग तब किया जाता है जब कम्प्यूटर के सारे भाग बंद करने होते हैं। इसमें किसी भी भाग की पावर सप्लाई नहीं चल रही होती। कम्प्यूटर को शट डाउन करने के बाद हम कम्प्यूटर की मेन पावर सप्लाई बंद कर सकते हैं। इस प्रोसेस को पूरा होने में कुछ समय लग जाता है तथा इस दौरान यूज़र को इंतज़ार करना पड़ता है।

लॉग ऑफ (Log Off)
कई बार एक कम्प्यूटर पर कई यूज़र कार्य करते हैं। हम अपना डाटा बाकी दूसरों से सुरक्षित रख सकते हैं। जब हम अपना कार्य कर लेते हैं तथा कम्प्यूटर को छोड़ना चाहते हैं पर साथ ही अन्य दूसरों के लिए उसे चालू ही रहने देना चाहते हैं तब हम अपने कम्प्यूटर को चालू कर सकते हैं। इस स्थिति में लॉग इन करने वाली क्रीज़ कम्प्यूटर पर दिखाई देने लगती है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 3 कम्प्यूटर के आधारभूत कार्य

रीस्टार्ट (Restart)
रीस्टार्ट का प्रयोग कम्प्यूटर को बंद करके दोबारा शुरू करने के लिए किया जाता है। इस विकल्प का प्रयोग तब किया जाता है जब हम अपने कंप्यूटर पर कोई प्रोग्राम इंस्टॉल करते हैं तथा वह प्रोग्राम शुरू होने के लिए कम्प्यूटर को दोबारा शुरू करने को कहता है। इसका प्रयोग तब भी किया जाता है जब सिस्टम में कोई बदलाव किया जाता है। रीस्टार्ट विकल्प पर क्लिक करने के बाद कम्प्यूटर बंद हो जाता है तथा फिर से ही शुरू हो जाता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग

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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग

कम्प्यूटर सिस्टम के मुख्य भागों की जान-पहचान (Introduction to Computer of Computer System)-
कम्प्यूटर डाटा, तस्वीरें, आवाज़ तथा ग्राफिक्स को प्रोसैस कर सकता है। यह जटिल समस्याओं को तेजी से शुद्धता के साथ प्रोसैस करता है। मुख्य तौर पर कम्प्यूटर निम्न पांच आधारभूत कार्य करता है

  1. यह इनपुट में डाटा तथा निर्देश स्वीकार करता है।
  2. यह डाटा को स्टोर करता है।
  3. यह यूज़र की आवश्यकता अनुसार डाटा प्रोसैस करता है।
  4. यह आऊटपुट के रूप में नतीजा देता है।
  5. यह कम्प्यूटर की अंदरूनी गतिविधियों को नियंत्रित करता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 1

कम्प्यूटर कैसे कार्य करता है ? (How does Computer Work ?)
कम्प्यूटर इस प्रकार के मूल कार्य करता है
1. इनपुट लेना (Input) कम्प्यूटर का पहला कार्य इनपुट लेना है। यह इनपुट डाटा तथा निर्देशों के रूप में हो सकती है। इसके सभी कार्य इनपुट पर ही निर्भर करते हैं। इस इनपुट के बगैर कम्प्यूटर कार्य नहीं कर सकता।
2. प्रोसैस करना (Processing)-प्रोसैस करने का अर्थ है दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्य करना। इस क्रिया में डाटा को जानकारी में बदला जाता है।
3. आऊटपुट देना (Output)-आऊटपुट का मतलब है जानकारी मनुष्य को देना। प्रोसैसिंग के बाद जो भी जानकारी तैयार होती है उसे मनुष्य तक पहुंचाया जाता है। यह जानकारी दिए गए निर्देशों के अनुसार ही प्रदान की जाती है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 2
स्टोरेज कम्प्यूटर अपने सभी कार्यों पर नियन्त्रण भी करता है। यह अपने साथ लगाए यंत्रों पर भी नियन्त्रण करता है।
4. भंडारण करना (Storage)-कम्प्यूटर अपने कार्य में प्रयोग होने वाली सभी वस्तुएं संभाल कर रखता है। इनका प्रयोग वह प्रोसैस करने या आऊटपट प्रदान करने में करता है। वह अपने नतीजे भविष्य के लिए भी संभाल कर रखता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग

सी०पी०यू० का ब्लाक डायाग्राम (Block Diagram of C.P.U.)
सी०पी०यू० का पूरा नाम सैंट्रल प्रोसैसिंग यूनिट है। यह कम्प्यूटर का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। जैसे कि हमने पढ़ा है कि हम कम्प्यूटर सिस्टम को सब से पहले इनपुट देते हैं, इसके बाद डाटा प्रोसैस होता है और अन्त में हम आऊटपुट प्राप्त करते हैं। ब्लाक डायाग्राम वह चित्र है जों कम्प्यूटर के काम करने के ढंग को दर्शाता है। इसमें तीन भाग दर्शाए जाते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 3

सेंट्रल प्रोसैसिंग के भाग (Parts of Central Processing)
ब्लाक डायाग्राम वह चित्र है जो कम्प्यूटर के कार्य करने के ढंग को दर्शाता है। इसमें तीन भाग दिखाये जाते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 4
1. मेमोरी यूनिट (Memory unit)- यह यूनिट डाटा तथा निर्देश स्टोर करने का कार्य करता है। यह सी०पी०यू० से नजदीकी सम्बन्ध रखता है पर यह उससे अलग होता है। सी०पी०यू० से सम्बन्धित मेमोरी को प्राइमरी मेमोरी भी कहते हैं। हम जो भी सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर में इंस्टाल करते हैं वह पहले प्राइमरी मेमोरी में स्टोर होता है। इसमें दो प्रकार की मेमोरी होती है-

  • प्राइमरी मेमोरी
  • सैकेण्डरी मेमोरी।

2. कंट्रोल यूनिट (Control Unit)-कंट्रोल यूनिट कम्प्यूटर के सारे कार्यों को कंट्रोल करता है। यह कम्प्यूटर के विभिन्न भागों को दिशा-निर्देश देता है जैसे कि इनपुट लेना, प्रोसैसिंग के लिए डाटा स्टोर करना, नतीजे पैदा करना। यह प्रोग्राम की हिदायत को एक-एक करके पढ़ता है, उसका अनुवाद करता है तथा एक क्रम में दूसरे भागों को कंट्रोल करता है। इसके कार्य निम्नलिखित अनुसार होते हैं –

  • निर्देश के लिए कोड पढ़ना
  • कोड का अनुवाद करना
  • ए०एल०यू० को ज़रूरी डाटा प्रदान करना।

3. अर्थमैटिक तथा लॉजिकल यूनिट (Arithmetic and Logic Unit) कम्प्यूटर का यह भाग गणित सम्बन्धी कार्य करता है। इसको कम्प्यूटर के सी०पी०यू० का बिल्डिंग ब्लॉक भी कहा जाता है। यह निम्न प्रकार के कार्य करता है –

  • पूर्ण अंक अर्थमैटिक फंक्शन (जैसे जोड़, घटाव, गुणा, भाग)।
  • बिटवाईज लॉजिक फंक्शन (से कम, से ज्यादा, बराबर)।

कम्प्यूटर मेमोरी की किस्में (Types of Computer Memories)
कम्प्यूटर मेमोरी मुख्य रूप से दो प्रकार में विभाजित की जाती है।
(i) प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)
(ii) सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory)|
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 5
(i) प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)-प्राइमरी मेमोरी को मुख्य मेमोरी भी कहा जाता है। यह मेमोरी माइक्रोप्रोसेसर द्वारा सीधे प्रयोग की जा सकती है। कम्प्यूटर जिस भी डाटा तथा निर्देश पर काम करता है वह पहले इसी मेमोरी में स्टोर की जाती हैं । इस मेमोरी को कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी भी कहा जाता है। यह एक वोलेटाइल प्रकार की मेमोरी होती है। बिजली के जाने के साथ ही इसमें रखा सारा डाटा तथा निर्देश खत्म हो जाते हैं। प्राइमरी मेमोरी दो प्रकार की होती है :
(a) रैंडम एक्सेस मेमोरी
(b) रीड ओनली मेमोरी।
(a) रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM)-इस मेमोरी को रैम भी कहते हैं। यह मेमोरी कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी में से एक है। यह मैमरी काफ़ी तेज़ होती है। सभी डाटा तथा निर्देश इसी में स्टोर किए जाते हैं। यह मेमोरी वोलेटाइल प्रकार की मैमरी होती है तथा बिजली के जाने के बाद या जब हम कम्प्यूटर को बंद कर देते हैं तब इसमें रखा सारा डाटा नष्ट हो जाता है। इसे डाटा संभालने के लिए नहीं बनाया गया है जो कम्प्यूटर के लिए ज़रूरी है।

(b) रीड ओनली मेमोरी (ROM)-इस मेमोरी को रखा जाता है। इस मेमोरी में रखा गया डाटा तथा निर्देशक के तौर पर ज़रूर होते हैं। इस मैमरी में रखे डाटे को कोई भी व्यक्ति बदल नहीं सकता। इस मेमोरी में रखा डाटा सिर्फ इसको बनाने वाले द्वारा ही रखा जाता है। इसके अलावा इसके डाटा को कोई भी व्यक्ति बदल नहीं सकता। यह मेमोरी नॉन्वोलेटाइल प्रकार की मेमोरी होती है । इस मेमोरी में मुख्यतः कम्प्यूटर को शुरू करने के निर्देश संभाले जाते हैं। यह मदरबोर्ड में एक चिप के रूप में लगी होती है।

(ii) सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory)-सेकेंडरी मेमोरी को auxilary मेमोरी भी कहते हैं। इसका प्रयोग डाटा तथा निर्देशों के तौर पर संभालने के लिए किया जाता है। यह मेमोरी मुख्य मेमोरी से धीमी गति पर कार्य करती है परंतु इसमें दूर करने की क्षमता मुख्य मेमोरी से काफ़ी ज्यादा होती है। कम्प्यूटर को प्रयोग करने वाला व्यक्ति इसकी क्षमता को अपनी ज़रूरत अनुसार बढ़ा भी सकता है। सेकेंडरी मेमोरी कई प्रकार की होती है इस मेमोरी का प्रयोग सीपीयू सीधे तौर पर नहीं कर सकता। इस मेमोरी में कुछ डाटा ज्ञान प्राप्त करने के लिए पहले उन्हें मुख्य मेमोरी में लाया जाता है। सेकेंडरी मेमोरी का प्रयोग विभिन्न यंत्रों के रूप में किया जाता है। हार्ड डिस्क, सीडी, डी वी डी या पेन ड्राइव इसकी उदाहरणें हैं।

प्राइमरी मेमोरी और सैकेण्डरी मेमोरी में अंतर (Difference between Primary and Secondary Memory)

प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory) सैकेण्डरी मेमोरी (Secondary Memory)
(i) यह CPU द्वारा सीधे Access की जा सकती है। (i) यह CPU द्वारा सीधे Access नहीं की जा सकती है।
(ii) इसकी स्टोरेज करने की समर्था कम है। (ii) इसकी स्टोर करने की ताकत अधिक है।
(iii) Access स्पीड बहुत तेज़ है। (iii) Access स्पीड धीमी है।
(iv) कम्प्यूटर RAM तथा ROM के अतिरिक्त काम नहीं कर सकता। (iv) कम्प्यूटर केवल एक मेमोरी के साथ काम कर सकता है। जैसे-Floppy Disk या हार्ड डिस्क आदि।
(v) आम मेमोरी से यह मेमोरी सस्ती होती है। (v) यह महंगी होती है।
(vi) आमतौर पर इसमें बाहरी यंत्र जुड़े होते हैं। (vi) कोई भी बाहरी यंत्र प्रयोग के लिए
नहीं जुड़ा होता।
(vii) यह Random Access Type की होती है। (vii) यह Random या Sequence Access दोनों तरह की होती है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग

कम्प्यूटर की किस्में (Categories of Computer)
कम्प्यूटर को उद्देश्य (Objective), कार्य प्रणाली (Functioning) तथा आकार के आधार पर विभाजित किया जाता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 6
कम्प्यूटर को माइक्रो, मिनी, मेनफ्रेम तथा सुपर कम्प्यूटर के तौर पर विभाजित किया जाता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 7

माइक्रो कम्प्यूटर (परस्नल कम्प्यूटर) [Micro Computer (Personal Computer)]
माइक्रो कम्प्यूटर सबसे छोटे तथा कम गति के कम्प्यूटर होते हैं। इनके छोटे आकार तथा प्रोसैसर के कारण इन्हें माइक्रो कम्प्यूटर कहा जाता है। इनके प्रोसैसर को माइक्रो प्रोसैसर कहते हैं। इसे CPU भी कहा जाता है जिसका कार्य कंट्रोल तथा गणना करना होता है। इसके मुख्य भाग ROM, RAM, इनपुट, आऊटपुट यन्त्र आदि मुख्य भाग होते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 8

मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
यह मल्टी-यूज़र की श्रेणी से सम्बन्धित है। इसमें आम बड़े कम्प्यूटर वाली खूबियां होती हैं। यह आकार में माइक्रो कम्प्यूटर से बड़ा होता है। इसका प्रयोग वैज्ञानिक कार्यों के लिए किया जाता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 9

मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Main-frame Computer)
यह कम्प्यूटर काफी ज्यादा मात्रा में तथा तेज़ी से प्रोसैस करने लायक होते हैं। यह मिनी कम्प्यूटर से बड़े तथा सुपर कम्प्यूटर से छोटे होते हैं। इनका प्रयोग सरकारी बैंकों तथा बड़ी कंपनियों में होता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 10

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग

सुपर कम्प्यूटर (Super Computer)
यह सबसे शक्तिशाली कम्प्यूटर होता है। इसकी गति तथा प्रोसैसिंग बहुत तेज़ होती है। इसकी स्टोरेज क्षमता बहुत ज्यादा होती है। इसका प्रयोग बड़ी कंपनियों में बहुत अधिक कार्यों में किया जाता है। इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 2 कम्प्यूटर के भाग 11

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

कम्प्यूटर से जान-पहचान (Introduction to Computer)

आजकल कम्प्यूटर बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह किसी भी काम को आसानी तथा तेज़ी से करता है। हमारी रोज़ाना की कई क्रियाएं इसी पर आधारित हैं। कम्प्यूटर का प्रयोग स्कूल, बैंक, अस्पताल, दुकानों, रेलवे तथा हवाई सेवाओं, शिक्षा तथा मनोरंजन के लिए किया जाता है।

कम्प्यूटर (Computer)-
कम्प्यूटर शब्द लेटिन भाषा के शब्द ‘कम्प्यूटरे’ से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘गणना करना’। बिना निर्देश कम्प्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर सकता। कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक यन्त्र है जो इनपुट के तौर पर डाटा प्राप्त करता है, उसे प्रोसैस करता है तथा नतीजा दिखाता है। यह यूजर से डाटा तथा निर्देश प्राप्त करता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान 1

  • कम्प्यूटर को निर्देश तथा डाटा देने की प्रक्रिया को इनपुट कहा जाता है।
  • कम्प्यूटर इनपुट को प्रोसैस करता है।
  • प्रोसैसिंग के बाद हमें जो नतीजा प्राप्त होता है उसे आऊटपुट कहा जाता है।

कम्प्यूटर की परिभाषा (Definition of Computer)
“कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन है जो इनपुट के तौर पर यूजर से डाटा प्राप्त करती है तथा इस इनपुट किये डाटा को निर्देश अनुसार प्रोसैस करता है तथा नतीजा (आऊटपुट) प्रदान करता है। कम्प्यूटर इस आऊटपुट को भविष्य के लिए संभाल कर भी रखता है। यह नुमैरीकल (Numerical) और नान-नुमैरीकल (Non-Numerical) गणनाओं को प्रोसेस कर सकता है।”

कम्यूटर का प्रयोग (Use of Computer) हम कम्प्यूटर पर गणित की गणनाएँ, स्पैल चैक, गेम, तस्वीर बनाना, गाने सुनना, छपाई करना, टिकटें बुक करना, मौसम की जानकारी प्राप्त करना तथा नतीजे प्राप्त करना आदि कार्य कर सकते हैं।

हम कम्प्यूटर पर निम्न कार्य कर सकते हैं-

  1. गणितिक गणनाएं।
  2. टैक्सट के स्पैल चैक
  3. गेम खेलना
  4. तस्वीर बनाना।
  5. फिल्म देखना तथा गाने सुनना।
  6. किताबें तथा अखबारें छापना
  7. टिकट बुक करना।
  8. रेलगाड़ी, बसों तथा जहाज़ों के आने-जाने का पता करना।
  9. मौसम की जानकारी प्राप्त करना।
  10. स्कूल रिपोर्ट, नतीजा तथा समय सारणी तैयार करना।
  11. रेलवे, बस तथा हवाई जहाज़ में सफर करने के लिए टिकट बुक कराना।
  12. किसी जगह पहुँचने के लिए रास्ता पता करना।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

कम्प्यू टर के उपयोग (Application of Computer)
कम्प्यूटर का प्रयोग, शिक्षा, सेहत, दुकानों, व्यापार, बैंकों, मनोरंजन, सरकारी सैक्टर, खेलों आदि क्षेत्रों में किया जाता है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान 2

आजकल कम्प्यूटर विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है जिनका वर्णन नीचे किया गया है-
1. शिक्षा के क्षेत्र में (In Education Field)-शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रयोग हाज़री लगाने, मार्कशीट बनाने, पेपर बनाने आदि में किया जाता है। लाइब्रेरी में भी कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। इसकी सहायता से रिज़ल्टस बनाए जाते हैं। कम्प्यूटर का प्रयोग कक्षा में पढ़ाने के लिए भी किया जाता है। प्रयोगशालाओं में भी कम्प्यूटर का प्रयोग होता है।

2. सेहत तथा दवाइयों के क्षेत्र में (In Health and Medicine field)-आजकल कम्प्यूटर का प्रयोग अस्पतालों में किया जाता है जहां डॉक्टर इसका प्रयोग मरीज की जांच करने के लिए करते हैं। इनकी सहायता से मरीज को दवाई दी जाती है तथा उनके आपरेशन भी किए जाते हैं।

3. दुकानों में (In Shops) कम्प्यूटर का प्रयोग एक दुकानदार दुकानों में अपने सामान का उपलब्ध रिकार्ड रखने में करता है। वह दुकान में हुई खरीद-बिक्री तथा टैक्स का रिकार्ड कम्प्यूटर में रख सकता है। आजकल कम्प्यूटर पर बिक्री के बिल भी तैयार किए जाते हैं।

4. व्यापार में (Trade Use)-कम्प्यूटर का प्रयोग व्यापार में हिसाब-किताब रखने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से खरीददारी भी की जाती है। हम घर बैठे कम्प्यूटर की सहायता से दुनिया में कहीं से भी खरीददारी कर सकते हैं। इनके प्रयोग से बिलों का भुगतान किया जा सकता है। आजकल बड़े-बड़े माल तथा शोपिंग सैंटरों में इसी का प्रयोग होता है।

5. बैंकों में (In Banks)-आजकल सभी बैंक कम्प्यूटर की सहायता से चलते हैं। ATM मशीन अपने आप में एक कम्प्यूटर है जिससे हम कभी भी पैसे निकाल सकते हैं। हम इंटरनैट की सहायता से कहीं से भी अपना पैसा कहीं भी भेज सकते हैं।

6. मनोरंजन के क्षेत्र में (In field of Entertainment) मनोरंजन क्षेत्र में भी कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है। कार्टून फिल्में इसी की सहायता से बनती हैं जिन्हें बच्चे बहुत पसंद करते हैं। वीडियो गेम भी कम्प्यूटर की सहायता से चलती है। आजकल तो कई प्रकार की फिल्में भी इसी के प्रयोग से बनती हैं।

7. विभिन्न सरकारी क्षेत्रों में (In different Government Fields)-सरकार के कई विभाग कम्प्यूटर का प्रयोग अपनी योजना, नियंत्रण तथा कानून को प्रभावशाली बनाने के लिए करते हैं। कम्प्यूटर का प्रयोग ट्रैफिक, सैर-सपाटा, सूचना, शिक्षा, सेना, हवाबाज़ी तथा अन्य कई क्षेत्रों में होता है।

8. खेलों में (In Sports)- कम्प्यूटर का प्रयोग खेलों में भी होता है। क्रिकेट में आजकल बहुत प्रभावशाली स्कोर बोर्ड होते हैं। इनमें जैसे ही सूचना दाखिल की जाती है यह उसी समय दर्शकों को नतीजा दिखाता है।

9. संचार (Communication)-कम्प्यूटर का प्रयोग संचार के लिए किया जाता है । इसके द्वारा हम नए माध्यम जैसे कि वीडियो कॉल आदि का प्रयोग कर संचार कर सकते हैं।

कई तरह के – नए संचार माध्यम : जैसे-ई-मेल, चैट आदि कम्प्यूटर की ही देन है। इसका प्रयोग किसी भी स्मार्ट फोन, टेबलेट, कम्प्यूटर, लैपटाप या डैस्कटाप आदि से किया जाता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

कम्प्यू टर की विशेषताएं (Characteristics of Computer)
गति, शुद्धता, एकसारता, बहुगणता, आटोमेशन तथा भण्डारण आदि कम्प्यूटर की विशेषताएं हैं।
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1. गति (Speed)-कम्प्यूटर काफी तेज काम करता है। जिन गणनाओं में हम कई घंटे लगाते हैं, उन्हें यह कुछ सैकेंड में कर सकता है। कम्प्यूटर एक सैकेंड में कई लाख गणनाएं कर सकता है। आप को यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि एक कम्प्यूटर एक सैकेण्ड में कई लाखों हिदायतों पर अमल कर सकता है।

2. शुद्धता (Accuracy)-कम्प्यूटर पर काम करने पर शुद्धता का स्तर बहुत ऊंचा होता है। कम्प्यूटर हमेशा सही कार्य करता है। अगर कोई गलती होती है तो वह इनपुट या निर्देश की होती है। जिस तरह के निर्देश या हिदायत कम्प्यूटर को दी जाती है यह वैसा ही नतीजा देता है।

3. एकसारता (Consistency)-कम्प्यूटर को कोई थकावट, ध्यान भटकना तथा काम का बोझ महसूस नहीं होता। यह बगैर ग़लती किए कई घंटों तक काम कर सकता है।

4. बहुगुणता (Versatility)-इसका अर्थ है एक समय पर विभिन्न कार्य करना। जब हम कम्प्यूटर पर गणनाएं करते हैं, ठीक उसी समय हम वस्तुओं का रिकार्ड बनाने तथा खरीद बिक्री के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते हैं तथा साथ में हम गाने भी सुन सकते हैं।

5. आटोमेशन (Automation)-यदि एक बार कम्प्यूटर को कोई निर्देश दिया जाए, तो यह मनुष्य के हस्तक्षेप के बिना उस निर्देश पर काम करता रहता है। यह निर्देश की पूर्ति होने तक काम करता है। जब इस निर्देश को समाप्त करने के लिए कोई लॉजिकल (तार्किक) निर्देश दिया जाता है तो यह उस प्रोग्राम को समाप्त कर देता है।

6. भंडारण (Storage)-कम्प्यूटर की अपनी मैमरी होती है जिसमें वह डाटा स्टोर कर सकता है। इस डाटा को आवश्यकता अनुसार स्टोरेज उपकरण जैसे कि सी०डी०, डी०वी०डी०, यू०एस०वी० तथा पैन ड्राइव का प्रयोग करके किसी अन्य कम्प्यूटर पर भी ले जाया जा सकता है।

पोर्टेबल कम्प्यूटिंग यंत्र (Portable Computing Devices)

पोर्टेबल कम्प्यूटिंग यंत्रों से हमारा अभिप्राय यंत्रों से है, जिनको प्रयोग करने के लिए हम आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं। यह यंत्र आकार में छोटा होता है। इनका भार भी कम होता है। आजकल हम कई प्रकार के पोर्टेबल कम्प्यूटिंग यंत्रों का प्रयोग कर रहे हैं। तीन प्रकार के कम्प्यूटिंग यंत्रों की व्याख्या नीचे की गई है-
1. मोबाइल फोन/स्मार्टफोन (Mobile/Smart Phone)-मोबाइल फोन या स्मार्टफोन आजकल प्रयोग में आने वाला सबसे आम पोर्टेबल कम्प्यूटिंग यंत्र है। यहां लगभग सभी लोगों के पास पाया जाता है। इसमें हम अपने सभी कार्य कर सकते हैं जिसको करने के लिए हमें एक नॉर्मल कम्प्यूटर की जरूरत पड़ती है। आजकल के मोबाइल फोन में हम गाने सुन सकते हैं। फिल्में देख सकते हैं, डॉक्यूमैंट तैयार कर सकते हैं तथा सोशल नेटवर्किंग के जरिए अपने दोस्तों तथा मित्रों से भी संपर्क बना सकते हैं। आजकल के मोबाइल फोन काफ़ी तीव्र गति से काम करते हैं तथा भंडारण के लिए भी काफी ज्यादा स्थान प्रदान करते हैं। इन मोबाइल फोनों में इंटरनेट का प्रयोग भी किया जाता है। मोबाइल फोन का प्रयोग शिक्षा व्यापार वाणिज्य मनोरंजन तथा गेम खेलने के लिए किया जा सकता है।
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2. टैबलेट (Tablet)-टैबलेट कम्प्यूटर एक पतला तथा पोर्टेबल कम्प्यूटर होता है जो कि एक बैटरी की सहायता से चलता है। इस कम्प्यूटर पर टचस्क्रीन लगी होती है। इसको चलाने के लिए हमें अलग कीबोर्ड या माऊस की ज़रूरत नहीं होती। स्क्रीन को अपनी उंगली से ही चलाया जा सकता है। इस कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न मंत्रों के लिए किया जा सकता है। मुख्य रूप से इसका प्रयोग उन कार्यों में होता है जहां टाइपिंग की ज्यादा जरूरत नहीं होती। टैबलेट कम्प्यूटर का अधिकतर प्रयोग शॉपिंग मॉल रेस्टोरेंट तथा शिक्षा में विद्यार्थियों द्वारा देखा जाता है।
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3. पामटोप (Palmtop) यह एक छोटे प्रकार का कम्प्यूटर होता है जिसमें एक छोटी स्क्रीन लगी होती है तथा इसके साथ इसमें एक छोटा सा कीबोर्ड भी होता है। यह कम्प्यूटर में एक मोबाइल फोन की तरह लगता है। आजकल इस कम्प्यूटर का प्रयोग ज्यादा नहीं किया जाता क्योंकि इसका प्रयोग कुछ सीमित कार्यों को करने के लिए ही किया जाता है।
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4. लैपटॉप (Laptop)-लैपटॉप कम्प्यूटर आजकल सभी जगह प्रयोग हो रहे हैं। यह एक छोटे आकार का तथा हल्का कम्प्यूटर होता है जिसकी बड़ी स्क्रीन होती है। इसमें एक कीबोर्ड भी लगा होता है तथा साथ में माउस चलाने के लिए एक टचपैड भी होता है। लैपटॉप कम्प्यूटर को हम अपनी गोद में रख कर आसानी से काम कर सकते हैं। अंग्रेज़ी भाषा में गोद को Lap कहते हैं। इसी कारण इस कम्प्यूटर का नाम लैपटॉप कम्प्यूटर पड़ा। यह कम्प्यूटर एक टैस्ट ऑफ कम्प्यूटर के जितना ही शक्तिशाली होता है तथा उसी प्रकार हमारे सभी कार्य कर सकता है।
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5. नोट-बुक (Note-Book)-यह एक पोर्टेबल कम्प्यूटर होता है परंतु आकार में एक लैपटॉप से भी छोटा होता है। लैपटॉप कम्प्यूटर की तरह ही यह वज़न में हल्का होता है। एक नोट-बुक की अपनी बैटरी होती है जिसे आवश्यकता पड़ने पर चार्ज भी किया जाता है। एक व्यक्ति सफर के दौरान इसको साथ लेकर जा सकता है।
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कम्प्यूटर की सीमाएं (Limitations of Computer)

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समझ न आना, स्वयं कार्य करने के योग्य न होना, भावना और तजुर्बाहीन होना आदि कम्प्यूटर की सीमाएं हैं। कम्प्यूटर की निम्नलिखित सीमाएं हैं –

  1. यह सिर्फ मानवीय निर्देशों पर कार्य करता है।
  2. इसमें अपनी सोचने-समझने की कोई शक्ति नहीं है।
  3. यह अपना ध्यान नहीं रख सकता।
  4. कम्प्यूटर की मैमरी मनुष्य की तुलना में सीमित कार्य कर सकती है।
  5. कम्प्यूटर में कोई भावना नहीं होती है।
  6. कम्प्यूटर में दूरदर्शिता की कमी होती है।
  7. यह सिर्फ तर्क आधारित कार्य ही कर सकते हैं।
  8. कम्प्यूटर हार्डवेयर में एक स्वरूपता की कमी है। विभिन्न कम्पनियों के अलग-अलग हार्डवेयर यंत्र होते हैं।
  9. कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए खास वातावरण की ज़रूरत होती है। ये तापमान, नमी आदि से काफ़ी प्रभावित होते हैं।