PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 6 राष्ट्रीय ध्वज

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 6 राष्ट्रीय ध्वज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 6 राष्ट्रीय ध्वज

PSEB 6th Class Physical Education Guide राष्ट्रीय ध्वज Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय झण्डे में कौन-कौन से तीन रंग हैं ? इन तीनों रंगों के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डे के रंग-हमारे राष्ट्रीय झण्डे के तीन रंग हैं-

  1. केसरिया
  2. सफ़ेद और
  3. हरा। सब से ऊपर केसरिया रंग होता है, मध्य में सफ़ेद और सबसे नीचे हरा रंग होता है।

तीनों रंगों का महत्त्व-
1. केसरिया रंग-केसरिया रंग आग से लिया गया है जीवन देना और नाश करना आग के गुण होते हैं। इसलिए केसरिया रंग वीरता और उत्साह का प्रतीक है। हमें यह दुःखियों, कमज़ोरों और ज़रूरतमन्दों की सहायता वीरता और उत्साह से करने की प्रेरणा देता है।

2. सफ़ेद रंग-सफ़ेद रंग अच्छाई, सच्चाई और शान्ति का चिह्न है। सारे राष्ट्र में ये गुण पर्याप्त मात्रा में होना चाहिएं। इस रंग पर अशोक चक्र अंकित होता है।

3. हरा रंग-हरा रंग हमारे देश की उपजाऊ भूमि और लहलहाते खेतों का प्रतीक है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। उन्नत खेती के कारण हमारा देश अमीर और खुशहाल है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय झण्डे के आकार के बारे में नोट लिखिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डे की लम्बाई और चौड़ाई का आपसी अनुपात 3 : 2 होता है। यह नीचे लिखे पांच आकारों का होता है।

  • 6.40 मीटर x 4.27 (21 फुट x 14 फुट)
  • 3.66 मीटर x 2.44 (12 फुट x 8 फुट)
  • 1.83 मीटर x 1.22 (6 फुट x 4 फुट)
  • 90 सेंटीमीटर x 60 सेंटीमीटर (3 फुट x 22 फुट)
  • 23 सैंटीमीटर x 15 सैंटीमीटर (9″ x 6″)।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 6 राष्ट्रीय ध्वज

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय झण्डा किस समय लहराया जा सकता है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डा लहराने के अवसर-राष्ट्रीय झण्डा निम्नलिखित अवसरों पर लहराया जाता है
1. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)-प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रीय झण्डा लहराते हैं। देश के अन्य शहरों में भी इस दिन राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

2. राष्ट्रीय सप्ताह (6 अप्रैल से 13 अप्रैल)-राष्ट्रीय सप्ताह जलियांवाला बाग के शहीदों की याद में मनाया जाता है। इस सप्ताह में भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

3. स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त)-15 अगस्त, 1947 को भारत शताब्दियों की गुलामी के बाद स्वतन्त्र हुआ। इसलिए प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त का दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत के प्रधानमन्त्री दिल्ली में लाल किले पर राष्ट्रीय झण्डा लहराते हैं। देश के अन्य भागों में भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

4. गांधी जयन्ती-महात्मा गांधी के जन्म दिन 2 अक्तूबर को भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

5. राष्ट्रीय अधिवेशन-राष्ट्रीय अधिवेशन के समय भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

6. अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएं-अन्तर्राष्ट्रीय खेल मुकाबलों के समय भी अन्य देशों के झण्डों के साथ हमारा राष्ट्रीय ध्वज भी लहराया जाता है।।

7. प्रान्तीय दिवस-यदि कोई प्रान्त अपना दिवस मनाये तो उस दिन भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

8. लोक सभा, राज्य सभा, सुप्रीम कोर्ट, उप-राष्ट्रपति, गवर्नरों और लेफ्टिनेंट गवर्नरों के सरकारी निवास स्थानों पर राष्ट्रीय झण्डा प्रतिदिन लहराया जाता है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय ध्वज कैसे लहराया जाता है ?
उत्तर-

  1. राष्ट्रीय ध्वज लहराते समय केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए।
  2. सभाओं में राष्ट्रीय ध्वज वक्ता के सिर से काफ़ी ऊंचा होना चाहिए।
  3. राष्ट्रीय ध्वज शेष सभी सजावटों में ऊंचा होना चाहिए।
  4. जुलूस में राष्ट्रीय ध्वज उठाने वाले के दाएं कन्धे पर होना चाहिए। यह बिल्कुल सीधा होना चाहिए।

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प्रश्न 5.
राष्ट्रीय झण्डा लहराते समय कौन-कौन सी सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डा लहराते समय निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए –

  • केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए।
  • सभाओं में राष्ट्रीय झण्डा वक्ता के पीछे उसके सिर और बाकी सजावटों आदि से ऊपर होना चाहिए।
  • जुलूस में झण्डा दायें कन्धे पर होना चाहिए।
  • जुलूस और उत्सवों के समय झण्डा स्टेज के आगे दाईं ओर लहराना चाहिए।
  • झण्डे को तेजी से चढ़ाना और धीरे-धीरे उतारना चाहिए।
  • झण्डा सूर्य निकलने से पहले चढ़ाना और सूर्य अस्त होने पर उतारना चाहिए।
  • राष्ट्रीय झण्डे से ऊपर यू० एन० ओ० का झण्डा ही लहराया जा सकता है।
  • किसी को सलामी (सेल्यूट) देते समय राष्ट्रीय झण्डा नीचे नहीं झुकाया जा सकता है।
  • एक पोल पर केवल एक ही झण्डा लहराया जा सकता है।
  • झण्डे को न ही पानी में गिरने देना चाहिए और न ही जमीन के साथ छूने देना चाहिए।
  • किसी चादर, थैले, रूमाल आदि पर राष्ट्रीय झण्डे की कढ़ाई नहीं करनी चाहिए।
  • विज्ञापन आदि में केवल सरकार ही राष्ट्रीय झण्डा दे सकती है।
  • फीके रंग वाले या फटे हुए झण्डे को नहीं लहराना चाहिए।
  • किसी बड़े व्यक्ति की मृत्यु पर राष्ट्रीय झण्डा आधी ऊंचाई तक लहराया जाता है।

प्रश्न 6.
नीचे लिखे शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरेंराष्ट्रपति, गवर्नर, लैफ्टिनेंट गवर्नर, प्रधानमन्त्री।
(क) 15 अगस्त को लाल किले पर ………. झण्डा लहराते हैं।
(ख) 26 जनवरी को राजपथ पर ………. झण्डा लहराते हैं।
उत्तर-
(क) प्रधानमन्त्री
(ख) राष्ट्रपति।

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Physical Education Guide for Class 6 PSEB राष्ट्रीय ध्वज Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी भी देश का राष्ट्रीय झण्डा किन बातों का सूचक है ?
उत्तर-
सभ्याचार तथा सभ्यता।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय झण्डे के प्रति ज्ञान देने के बारे में सरकार ने कहां प्रबन्ध किया है ? …
उत्तर-
स्कूलों और कॉलेजों में।

प्रश्न 3.
हमारे राष्ट्रीय ध्वज में कौन-कौन से तीन रंग हैं?
उत्तर-
केसरी, सफ़ेद और हरा।

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प्रश्न 4.
हमारे संविधान द्वारा तरंगे ध्वज को कब मान्यता प्राप्त हुई ?
उत्तर-
15 अगस्त, 1947 की रात को।

प्रश्न 5.
हमारे राष्ट्रीय ध्वज का केसरी रंग किस बात का सूचक है ?
उत्तर-
वीरता और जोश को।।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय ध्वज में चक्र का निशान कहां से लिया गया ?
उत्तर-
अशोक के सारनाथ स्तम्भ से।

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प्रश्न 7.
राष्ट्रीय ध्वज कैसे कपड़े पर बनाया जाता है ?
उत्तर-
खद्दर के कपड़े का।

प्रश्न 8.
सब से छोटा ध्वज कहां लगाया जाता है ?
उत्तर-
कार पर।

प्रश्न 9.
भारत के प्रधानमन्त्री प्रतिवर्ष लाल किले पर किस दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं ?
उत्तर-
15 अगस्त को।

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प्रश्न 10.
जुलूस में राष्ट्रीय ध्वज किस कन्धे पर होना चाहिए ?
उत्तर-
दाएं कन्धे पर।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आप अपने राष्ट्रीय झण्डे के इतिहास के विषय में क्या जानते हैं ?
उत्तर-
1947 में हमारा देश शताब्दियों की पराधीनता के बाद आजाद हुआ। देश की आज़ादी के साथ इसके लिए एक नया झण्डा भी तैयार किया गया। 22 जुलाई, 1947 को हमारे तिरंगे झण्डे को संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त हुई, 14-15 अगस्त की रात को इसे लाल किले पर फहराया गया।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय झण्डे की बनावट के बारे में तीन-चार पंक्तियां लिखें।
उत्तर-
हमारा राष्ट्रीय झण्डा आयताकार है। इसमें तीन पृथक्-पृथक् रंग की बराबर पट्टियां होती हैं। इसलिए इसे तिरंगा झण्डा कहा जाता है। मध्य की पट्टी में गोल चक्कर का निशान होता है। राष्ट्रीय झण्डे में तीन रंग होते हैं-केसरी, सफ़ेद और हरा।

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प्रश्न 3.
राष्ट्रीय ध्वज से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डे से हमें निम्नलिखित प्रेरणा मिलती है –

  • वीर बहादुर बनना ।
  • तप तथा त्याग करना, सच्चाई तथा शान्ति स्थापित करना
  • प्रायः परिश्रम करते रहना
  • देश को उपजाऊ और समृद्ध बनाना।

प्रश्न 4.
हमारे राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों के महत्त्व लिखो।
उत्तर-
केसरी रंग त्याग और वीरता का प्रतीक है। सफ़ेद रंग अच्छाई, सच्चाई और शान्ति का प्रतीक है। हरा रंग हमारे देश की उपजाऊ भूमि और लहलहाते खेतों का प्रतीक है।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न-
निम्नलिखित रिक्त स्थानों को कोष्ठकों में दिए गए शब्दों में से उचित शब्द चुन कर भरो –

  1. राष्ट्रीय झण्डे को हमारे संविधान द्वारा ……….. को मान्यता प्राप्त हुई। (22 जुलाई, 1947, 15 अगस्त, 1947)
  2. राष्ट्रीय झण्डा सबसे पहले ………. की आधी रात को लहराया गया। (22 जुलाई, 1947, 14-15 अगस्त, 1947)
  3. 26 जनवरी को भारत के ……… राष्ट्रीय झण्डा लहराते हैं। (प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति)
  4. 15 अगस्त को भारत के प्रधानमन्त्री ……… पर राष्ट्रीय झण्डा लहराते हैं। (दिल्ली गेट, लाल किला)
  5. हमारे राष्ट्रीय झण्डे में सबसे ऊपर ……… रंग होता है। (हरा, केसरिया)
  6. हमारे राष्ट्रीय झण्डे के मध्य में ………. रंग होता है। (हरा, सफ़ेद)
  7. जुलूस में राष्ट्रीय झण्डा ………. कन्धे पर होना चाहिए। (बाएं, दाएं)
  8. विज्ञापन में राष्ट्रीय ध्वज ……… ही दे सकती है। (सुप्रीम कोर्ट, सरकार)
  9. किसी महान् व्यक्ति की मृत्यु पर राष्ट्रीय झण्डा ………. पर लहराया जाता है। (आधी ऊंचाई, पूरी ऊंचाई)
  10. राष्ट्रीय झण्डा तेजी से चढ़ाना और ………. उतारना चाहिए। (तेज़ी से, धीरे-धीरे)

उत्तर-

  1. 22 जुलाई, 1947
  2. 14-15 अगस्त, 1947
  3. राष्ट्रपति
  4. लाल किले
  5. केसरिया
  6. सफ़ेद
  7. दायें
  8. सरकार
  9. आधी ऊँचाई
  10. धीरेधीरे।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा

PSEB 6th Class Physical Education Guide सुरक्षा शिक्षा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सुरक्षा शिक्षा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
सुरक्षा शिक्षा (Safety Education)-सुरक्षा शिक्षा वह विज्ञान है जिससे हमें प्रतिदिन जीवन में घटने वाली दुर्घटनाओं के बारे में पता चलता है। यदि हमें सुरक्षा के नियमों का ज्ञान न हो अथवा उन नियमों का हम पालन न करें तो हम दुर्घटनाओं का शिकार हो सकते हैं। सुरक्षा शिक्षा वह शिक्षा है जो हमें दुर्घटनाओं और टकराने से बचाती है। वर्तमान मशीनी युग में दुर्घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। समाचार-पत्रों में प्रतिदिन किसीन-किसी दुर्घटना का समाचार प्रकाशित होता रहता है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा शिक्षा की बहुत ही अधिक आवश्यकता है। इस शिक्षा के ज्ञान के द्वारा हम काफ़ी समय तक दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं। यदि हम सुरक्षा सम्बन्धी नियमों का पालन करें तो कोई कारण नहीं कि हम दुर्घटनाओं का शिकार बनें। इस प्रकार सुरक्षा शिक्षा हमें सुखी और लम्बा जीवन व्यतीत करने में बहुत सहायक हो सकती है।

प्रश्न 2.
सुरक्षा शिक्षा की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
सुरक्षा शिक्षा की आवश्यकता (Need for Safety Education)-वर्तमान युग मशीनों का युग है। आजकल यातायात के साधन बहुत ही विकसित और तेज़ हैं।

सड़कों पर यातायात की भरमार होती है। इसलिए प्रतिदिन अनेक दुर्घटनाएं होती हैं। कोई ऐसा दिन नहीं जाता, जबकि समाचार-पत्रों में किसी दुर्घटना का समाचार प्रकाशित न हो। कहीं दो कारों की टक्कर होती है, कहीं कार ट्रक से टकराती है, कहीं बस किसी खड्डे में गिर जाती है और कहीं स्कूल जाता बच्चा कार अथवा ट्रक के नीचे आ जाता है। इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बहुत-सी जानों और सम्पत्ति की क्षति होती है। इन दुर्घटनाओं से बचने का एकमात्र इलाज सुरक्षा शिक्षा है। सुरक्षा शिक्षा द्वारा हमें ऐसे नियमों की जानकारी हो जाएगी, जिनका पालन करके हम दुर्घटनाओं का शिकार नहीं हो सकते। इसलिए वर्तमान युग में सुरक्षा-शिक्षा की बहुत ही अधिक आवश्यकता है।

  1. सुरक्षा शिक्षा द्वारा प्रतिदिन घटने वाली दुर्घटनाओं पर नियन्त्रण करने का अवसर मिलता है।
  2. सुरक्षा शिक्षा हमें सरलता से सड़क पार करने में सहायता करती है।
  3. सुरक्षा शिक्षा के ज्ञान द्वारा हम चौराहे पर खड़े सिपाही के इशारों को समझ कर दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।
  4. सुरक्षा के ज्ञान से ही हम हमेशा सड़क के बाएं हाथ चलते हैं। .
  5. सुरक्षा शिक्षा के नियमों का ज्ञान होते हुए हम अपने से आगे जाने वाले साइकिल, कार, स्कूटर, रिक्शा आदि को पार करते समय हम उस के दाएं तरफ से जाएंगे।

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प्रश्न 3.
घर में चोटें लगने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
यह प्राय: देखने में आता है कि हमारे घरों और स्कूलों में दुर्घटनाएं होती रहती हैं। घर अथवा स्कूल में चोट लगने के अलग-अलग कारणों का विवरण इस प्रकार है

घर में चोटें लगने के कारण (Causes of injuries at Home)-घरों में अक्सर दुर्घटनाएं रसोई घर, गुसलखाने, रिहायशी कमरों, सीढ़ियों अथवा आंगन में होती हैं। इन स्थानों पर दुर्घटनाएं होने के कारण इस प्रकार हैं –

(क) रसोई घर में दुर्घटना के कारण (Causes of injuries at Kitchen)

  1. धुएं के निकास का उचित प्रबन्ध न होना।
  2. प्रकाश का उचित प्रबन्ध न होना।
  3. रसोई घर का फ़र्श अधिक फिसलन वाला होना।
  4. रसोई घर में बिजली की तारें नंगी होना।
  5. ज्वलनशील कपड़े पहन कर रसोई में कार्य करना।
  6. रसोई घर की भली प्रकार सफ़ाई न होना।
  7. चाकू, छुरियों आदि वस्तुओं का ठिकाने पर न पड़े होना।
  8. जलती हुई लकड़ियों और कोयलों के प्रति लापरवाही बरतना।
  9. मिट्टी के तेल आदि का उचित स्थान पर न पड़े होना।
  10. रसोई में साबुन, जूठे बर्तनों आदि का बिखरे होना।

(ख) गुसलखानों में दुर्घटनाओं के कारण (Causes of injuries at Bathroom)

  1. गुसलखाने के फ़र्श पर साबुन, तेल आदि बिखरा होना।
  2. गुसलखाने में स्थान तंग होना।
  3. गुसलखाने में पानी की टूटी अथवा फव्वारे का उचित ऊंचाई पर न होना।
  4. गुसलखाने में ब्लेड, सूई, पिन, तेल की टूटी शीशी पड़े होना।
  5. गुसलखाने में खूटियों का उचित स्थान पर लगे न होना।
  6. गुसलखाने में फर्श पर काई आदि का जमना।

(ग) रिहायशी कमरे में दुर्घटना के कारण (Causes of injuries at Living Room) –

  1. फ़र्श पर बच्चों के खिलौने बिखरे होना।
  2. फ़र्श फिसलन वाला होना।
  3. फ़र्श पर बिछी दरी और गलीचे का मुड़ा होना।
  4. फ़र्नीचर ठीक स्थान पर न पड़ा होना।
  5. सिगरेट-बीड़ी आदि के जलते टुकड़ों को इधर-उधर फर्श पर फेंकना।
  6. कमरे में रोशनी का उचित प्रबन्ध न होना।
  7. सर्दियों में जलती हुई अंगीठी रखकर सो जाना।
  8. चलने-फिरने में रुकावटों का होना।
  9. बन्दूक, पिस्तौल और तलवार का ठीक ठिकाने पर न पड़े होना।
  10. बिस्तरों में कैंची, चाक आदि पड़े होना।

(घ) सीढ़ियों पर दुर्घटना के कारण (Causes of injuries on stairs)

  1. सीढ़ियों पर प्रकाश का उचित प्रबन्ध न होना।
  2. सीढ़ियों का तंग होना।
  3. सीढ़ियों पर चढ़ते अथवा उतरते समय मज़बूत सहारे का न होना।
  4. अन्तिम अथवा पहली सीढ़ी की कोई विशेष निशानी न होना।
  5. सीढ़ियों पर चारपाई या साइकिल अथवा अन्य सामान रखना।

(ङ) आंगन में दुर्घटना के कारण (Causes of injuries at Lawn)

  1. आंगन का समतल न होना।
  2. आंगन में कूड़ा-कर्कट बिखरा होना।
  3. पशुओं का खूटा आंगन में गड़ा होना।
  4. बच्चों द्वारा खेलते समय आंगन में गड्ढे खोदना।
  5. पशुओं का चारा आदि आंगन में बिखरा होना।

स्कूल में दुर्घटना के कारण (Causes of injuries at School)-दुर्घटनाएं केवल घरों में ही नहीं होतीं बल्कि स्कूलों में भी हो जाती हैं। स्कूल में दुर्घटनाओं के निम्नलिखित कारण हैं –

  1. खेलों के मैदान साफ़-सुथरे और समतल न होना।
  2. खेलों के टूटे-फूटे सामान का इधर-उधर बिखरे पड़े होना।
  3. स्कूलों के फ़र्श गंदे अथवा फिसलन वाले होना।
  4. बच्चों द्वारा केले, संगतरे आदि के छिलके इधर-उधर फेंकना।
  5. स्कूल के मूत्रालय अथवा शौचालय में फिसलन का होना।
  6. खेलों में अनाड़ी खिलाड़ियों का भाग लेना।
  7. खेलों की ट्रेनिंग अनुभवी अध्यापकों द्वारा न देना।

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प्रश्न 4.
घर में बचाव के क्या-क्या तरीके हैं ?
उत्तर-
घर में बचाव की विधियां (Methods of Safety at Home)-घर में दुर्घटनाओं से बचाव की मुख्य विधियां निम्नलिखित हैं

  1. घर में रोशनी का उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
  2. रसोई में से धुएं के निकास का उचित प्रबन्ध होना चाहिए।
  3. घर में बिजली की तारें नंगी नहीं रखनी चाहिएं।
  4. कमरों के फ़र्श की अच्छी तरह से सफ़ाई रखनी चाहिए।
  5. स्नानगृह (गुसलखाने) में काई (हरियाली) नहीं रहने देनी चाहिए।
  6. घर का सारा सामान उचित ढंग से रखना चाहिए।
  7. फ़र्श पर चाकू, कैंची आदि नहीं रखना चाहिए। इन्हें प्रयोग करने के बाद उचित स्थान पर रख देना चाहिए।
  8. रसोई में आग को भड़काने वाले कपड़े पहनकर काम नहीं करना चाहिए।
  9. सिगरेट और बीड़ियों के जलते हुए टुकड़ों को फ़र्श पर इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए।
  10. सर्दियों में जलती हुई अंगीठी कमरे में रख कर नहीं सोना चाहिए।
  11. सीढ़ियों पर चारपाइयां, साइकिल आदि सामान नहीं रखना चाहिए।
  12. सीढ़ियों पर चढ़ने और उतरने के लिए मज़बूत आश्रय (सहारे) होने चाहिएं।
  13. घर का आंगन साफ़-सुथरा और समतल होना चाहिए।
  14. पशुओं का चारा या अन्य सामान आंगन में बिखरा हुआ नहीं होना चाहिए।
  15. घर का सारा फर्नीचर यथा स्थान होना चाहिए।

प्रश्न 5.
सुरक्षा शिक्षा की ज़िम्मेवारी किस-किस की है ?
उत्तर-
सुरक्षा शिक्षा का दायित्व (Responsibility for Safety Education)सुरक्षा शिक्षा का दायित्व किसी एक व्यक्ति या संस्था का नहीं है। यह तो माता-पिता, अध्यापक, नगरपालिका, सरकार और समाज का सामूहिक उत्तरदायित्व है।

घर को प्राथमिक पाठशाला कहा जाता है। बच्चा अपना अधिक समय घर में ही व्यतीत करता है। इसलिए माता-पिता की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को सुरक्षा सम्बन्धी ज्ञान दें। इससे बच्चे दुर्घटनाओं का शिकार नहीं होंगे। घर के पश्चात् स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां बच्चा पांच-छ: घण्टे व्यतीत करता है। स्कूल में अध्यापकों का कर्त्तव्य है कि वे बच्चों को सुरक्षा की शिक्षा दें ताकि वे स्कूल आते-जाते या मैदान में खेलते समय किसी दुर्घटना का शिकार न हों। इसी प्रकार नगरपालिका और सरकार की भी जिम्मेवारी है कि वह लोगों को सुरक्षा सम्बन्धी जानकारी दे। इससे प्रतिदिन होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आयेगी। लोग लम्बी आयु व्यतीत कर सकेंगे।

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प्रश्न 6.
सुरक्षा के लिए कौन-कौन सी संस्थाएं सहायक हो सकती हैं और कैसे ?
उत्तर-
सुरक्षा के लिए सहायक संस्थाएं-सुरक्षा के लिए निम्नलिखित संस्थाएं सहायता प्रदान कर सकती हैं –
1. स्कूल और कॉलेज (School and Colleges)-स्कूलों और कॉलेजों में ही अध्यापकों को सुरक्षा के नियमों के विषय में जानकारी देनी चाहिए। .

2. नगरपालिका (Municipal Committees)-नगरपालिका को भी सिनेमा, स्लाइडों और प्रदर्शनियों द्वारा सुरक्षा-सम्बन्धी नियमों का प्रचार करना चाहिए।

3. समाज (Society)-समाज भी सुरक्षा के लिए सहायक हो सकता है। समाज द्वारा लोगों को सुरक्षा सम्बन्धी जानकारी देनी चाहिए। लोगों को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि सड़कों, गलियों में छिलके आदि न फेंकें। यदि सड़क पर कोई रुकावट हो तो उसे हटाने का प्रयत्न करना चाहिए।

4. सरकार (Government) सरकार भी लोगों की सुरक्षा सम्बन्धी बहुत सहायता कर सकती है। सरकार को पैदल चलने वालों के लिए सड़क पर फुटपाथ बनाने चाहिएं। लोगों को ट्रेनिंग के नियमों के विषयों में जानकारी देनी चाहिए। यातायात को कण्ट्रोल में रखने के लिए प्रत्येक चौराहे (चौक) पर सिपाही या ट्रैफिक लाइटों का प्रबन्ध करना चाहिए।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB सुरक्षा शिक्षा Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जो शिक्षा हमें दुर्घटनाओं से बचाने की शिक्षा देती है उसे क्या कहते हैं ?
उत्तर-
सुरक्षा शिक्षा।

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प्रश्न 2.
कौन-सी शिक्षा द्वारा हम दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं?
उत्तर-
बचाव की शिक्षा।

प्रश्न 3.
रात को गाड़ी चलाते समय किस वस्तु का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
डिपर का।

प्रश्न 4.
किस हालत में गाड़ी चलाना खतरनाक है ?
उत्तर-
शराब पी कर।

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प्रश्न 5.
सड़क पर पैदल चलने वालों के लिए किस वस्तु का प्रबन्ध किया जाता है ?
उत्तर-
फुटपाथ का।

प्रश्न 6.
चौराहे पर ट्रैफिक को नियंत्रण करने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
सिपाही अथवा ट्रैफिक लाइट्स का।

प्रश्न 7.
दुर्घटनाओं के बचाव के लिए लोगों को किस का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
ट्रैफिक के नियमों का।

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प्रश्न 8.
दुर्घटनाओं से बचने के लिए स्कूल का मैदान कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
समतल और साफ़-सुथरा।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सड़क पर दुर्घटनाओं के कोई पांच कारण बताएं।
उत्तर-

  1. शराब पीकर गाड़ी चलाना।
  2. चौराहे पर खड़े सिपाही के इशारों की परवाह न करना।
  3. सड़क पर तेज़ रफ्तार से साइकिल, स्कूटर और कार चलाना।
  4. दूसरी गाड़ी के आगे जाने की कोशिश करना।
  5. मोड़ पार करते समय ठीक इशारा न करना।

प्रश्न 2.
रसोई घर में दुर्घटनाओं के पांच कारण लिखो।
उत्तर-

  1. रसोई घर का फ़र्श अधिक फिसलन वाला होना।
  2. रसोई में धुएं के निकास का उचित प्रबन्ध न होना।
  3. ज्वलनशील कपड़े पहन कर रसोई में कार्य करना।
  4. रसोई में साबुन, जूठे बर्तन आदि का बिखरे होना।
  5. रसोई में प्रकाश का उचित प्रबन्ध न होना।

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प्रश्न 3.
गुसलखाने में दुर्घटनाओं के पांच कारण लिखें।
उत्तर-

  1. गुसलखाने के फ़र्श पर साबुन, तेल आदि बिखरे होना।
  2. गुसलखाने में पानी की टूटी अथवा फव्वारे का उचित ऊंचाई पर न होना।
  3. गुसलखाने में फ़र्श पर काई आदि का जमना।
  4. गुसलखाने में स्थान तंग होना।
  5. गुसलखाने में ब्लेड, सूई, पिन, तेल की टूटी शीशी पड़े होना।

प्रश्न 4.
रिहायशी कमरों में दुर्घटना के पांच कारण लिखें।
उत्तर-

  1. फ़र्श फिसलने वाला होना।
  2. फ़र्नीचर ठीक स्थान पर न पड़ा होना।
  3. कमरे में रोशनी का उचित प्रबन्ध न होना।
  4. सर्दियों में जलती हुई अंगीठी रख कर सोना।
  5. बिस्तरों पर कैंची, चाक आदि पड़े होना।

प्रश्न 5.
स्कूल में बचाव के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
स्कूल में बचाव के ढंग (Methods of Safety at School)-स्कूल में दुर्घटनाओं से बचाव के निम्नलिखित ढंग हैं-

  1. स्कूल का खेल का मैदान साफ़-सुथरा और समतल होना चाहिए।
  2. स्कूल के खेलों का टूटा-फूटा सामान एक बन्द कमरे में रखना चाहिए।
  3. कबड्डी, कुश्ती आदि खेलते समय बच्चों को अंगूठियां या अन्य कोई तीखी वस्तु नहीं पहनने देनी चाहिए।
  4. स्कूल के फर्श साफ़ होने चाहिएं।
  5. बच्चों को केले, संगतरे आदि के छिलके इधर-उधर नहीं फेंकने चाहिएं।
  6. खेल में अनाड़ी खिलाड़ियों को भाग नहीं लेने देना चाहिए।
  7. खेलों का अभ्यास अनुभवी कोचों द्वारा ही करवाना चाहिए।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा

प्रश्न 6.
सड़क पर दुर्घटनाओं के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
सड़क पर दुर्घटनाओं के कारण (Causes of Road Accidents)-

  1. सुरक्षा नियमों की परवाह न करना।
  2. तीव्र गति से गाड़ी चलाना।
    PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा 1
  3. शराब या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करके वाहन चलाना।
  4. गाड़ियों की बत्तियों का ठीक प्रयोग न करना।
  5. मोड़ काटते समय ठीक संकेत का प्रयोग न करना।
  6. गाड़ियों, स्कूटरों, मोटरों आदि में अचानक किसी खराबी का आ जाना।
  7. सड़कों पर केले, संगतरे आदि के छिलके फेंकना।
  8. कम समय होने पर शीघ्र पहुंचने के लिए अन्य गाड़ियों से आगे निकलना।
  9. चौराहे पर खड़े सिपाही के संकेत की अवहेलना करना।
  10. ट्रैफिक के नियमों का ज्ञान न होना।
  11. सड़क के आस-पास की मिट्टी का नर्म होना या सड़क में गड्ढे आदि होना।
  12. चालक की दृष्टि कमज़ोर होना।
  13. लम्बी यात्रा के कारण ड्राइवरों का थका-मदा होना।
  14. किसी पशु या बच्चे आदि का अचानक सड़क पर आ जाना।
  15. बच्चों का सड़क पर खेलना।

प्रश्न 7.
जनसंख्या में वृद्धि के कारण अनेक दुर्घटनाएं होती हैं क्यों ?
उत्तर-
प्रतिदिन समाचार-पत्रों में कहीं-न-कहीं किसी-न-किसी दुर्घटना का समाचार पढ़ने को मिलता है। इन दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण जनसंख्या में वृद्धि है। जनसंख्या के बढ़ने से सड़कों पर चलने वाले लोगों की भीड़ बढ़ जाती है। इसी प्रकार सड़क पर चलने वाले वाहनों (मोटरों, कारों, मोटर साइकिलों, स्कूटरों, ट्रकों) आदि की संख्या में भी वृद्धि हुई है। भीड़ युक्त सड़कों पर वाहन चालक अपने-अपने वाहनों पर ठीक नियन्त्रण नहीं रख पाते। इसलिए अनेक दुर्घटनाएं हो जाती हैं। कभी ट्रक कार से टकरा जाता है, कभी मोटर साइकिल स्कूटर से टकरा जाता है तथा कभी कोई स्कूटर या मोटर साइकिल सवार किसी पैदल चलने वाले व्यक्ति को कुचल देता है। इस प्रकार जनसंख्या में वृद्धि अनेक दुर्घटनाओं को जन्म देती है। अतः दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए जनसंख्या में वृद्धि पर रोक लगाना आवश्यक है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा

रिक्त स्थानों की पूर्ति –

प्रश्न-
निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थानों को कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से उचित शब्द चुन कर भरो

  1. जब हम दूसरी गाड़ी …………… की कोशिश करते हैं तो दुर्घटना हो जाती है। (पीछे होने, आगे निकलने)
  2. हमें सड़क पर सदा अपने…………. हाथ चलना चाहिए। (दायें, बायें)
  3. आग भड़काने वाले कपड़े पहन कर ………….. में काम नहीं करना चाहिए। (स्नानगृह, रसोई)
  4. हमारे घरों के फ़र्श ………….. होने चाहिएं। (फिसलने वाले, साफ़-सुथरे)
  5. दुर्घटनाओं से बचने के लिए घर में ………… का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। (पानी, रोशनी)
  6. हमें घर में बिजली की तारों को …………. रखना चाहिए। (ढक कर, नंगा कर)
  7. घरों में आंगन ……………. होना चाहिए। (समतल, खुरदरा)

उत्तर-

  1. आगे निकलने
  2. बायें
  3. रसोई
  4. साफ़-सुथरे
  5. रोशनी
  6. ढक कर
  7. समतल।

PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Practical सिलाई के सादा टाँके Notes.

PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सादे टाँके का प्रयोग कब किया जाता है ?
उत्तर-
सादे टाँके का प्रयोग आमतौर पर दो कपड़ों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
सादे टाँके करने का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
सादे टाँके लगाने से स्थायी अन्तिम सिलाई सरलता से और उत्तम होती है।

प्रश्न 3.
बारबर के सादे टाँके किस काम में लाए जाते हैं ?
उत्तर-
एक लाइन में कोट आदि का किनारा जमाने तथा कई लाइन में फ्रॉक, झबले आदि में स्मोकिंग का आधार बनाने के लिए।

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प्रश्न 4.
तिरछा सादा टाँका किस काम में लाया जाता है ?
उत्तर-
अस्तर आदि जोड़ने के।

प्रश्न 5.
‘बखिया’ किन कामों में प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
फटे कपड़ों की मरम्मत में, आल्ट्रेशन के समय तथा जो हिस्से मशीन के पैर के नीचे नहीं दबाए जा सकते वहाँ।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सिलाई का सादा टाँका क्या होता है ? इसे चित्र द्वारा समझायें।
उत्तर-
यह अस्थायी टाँका है। इस टाँके का उपयोग अधिकतर तह और अस्तर जमाने के लिए तथा ट्रायल के लिए सादी सिलाई के उद्देश्य से किया जाता है। सादे टाँके लगाने से स्थायी अन्तिम सिलाई सरलता से और उत्तम होती है। इसमें दूर-दूर सूई में थोड़ा कपड़ा लेकर शेष धागा छोड़ दिया जाता है। धागे को गाँठ देकर कपड़े को दाईं ओर से बाईं ओर सीया जाता है। यह टाँका 2 से० मी० से 1 से० मी० लम्बा हो सकता है।
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 1
चित्र 5.1.1. सादा टाँका (टैकिंग)

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प्रश्न 2.
टाँके कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
टाँके तो बहुत प्रकार के होते हैं, परन्तु बहुत ही आवश्यक तथा सामान्य प्रकार के टाँके निम्नलिखित हैं

  1. सादा टाँका,
  2. बखिया या बैक टाँका,
  3. तुरपन पर हैमिंग टाँका।

प्रश्न 3.
वस्त्र पर सादा टाँका न लगाने से क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर-
वस्त्र पर सादा टाँका न लगाने से सिलाई टेढ़ी-मेढ़ी होती है तथा विशेषकर रेशमी कपड़ों में ढीलापन होता है जिससे सिलाई ठीक से नहीं होती है।

बड़े उत्तर वाले प्रश्

प्रश्न 1.
सादा टाँका कितने प्रकार का होता है ? इसका प्रयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है ?
उत्तर-
सादा टाँका कई प्रकार का होता है-
1. बराबर का सादा टाँका (टाँका तथा जगह बराबर)
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 2
चित्र 5.1.2.
2. टाँका जगह से दुगना
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 3
चित्र 5.1.3.
3. जगह टाँके से दुगुनी
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 4
चित्र 5.1.4.
4. असमान सादा टाँका (छोटा बड़ा सादा)
5. छोटा सादा टाँका
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 5
चित्र 5.1.5.
चित्र 5.1.6.
6. तिरछा सादा टाँका
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 6
चित्र 5.1.7. सादा टाँका
सादे टाँकों का प्रयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है-

  1. आमतौर पर दो कपड़ों को आपस में जोड़ने के लिए।
  2. तह और अस्तर जमाने के लिए तथा ट्रायल के लिए कच्ची सिलाई के रूप में।
  3. कोट आदि का किनारा जमाने के लिए।
  4. फ्रॉक, झबले आदि में स्मोकिंग का आधार बनाने के लिए।

PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके

प्रश्न 2.
बखिया व तुरपन किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर-
बखिया (बैक स्टिच)-यह स्थायी टाँका है। यह बहुत महीन होता है, इसलिए इसमें काफ़ी समय लगता है। यह दो भागों को स्थायी रूप से जोड़ने में काम आता है, जैसे-कंधों की सिलाई, पेटीकोट या सलवार के अलग-अलग भागों को आपस में जोड़ने के लिए। यह टाँका दाहिनी ओर से आरम्भ होता है। इन टाँकों के बीच में जगह बिलकुल नहीं छोड़ी जाती। इसमें सूई पर एक बार में एक टाँका और टाँके बराबर होने चाहिएं। सूई जहाँ से निकाली गई हो वहीं से एक बार पीछे की ओर डोरा निकालकर आगे बढ़ना चाहिए। यह बखिया से ही शुरू होता है तथा बखिया से ही समाप्त होता है। यह टाँका मशीन के द्वारा भी लगाया जा सकता है।
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 7
चित्र 5.1.8. बखिया (बैक टाँका) बड़ा
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 8
चित्र 5.1.9. बखिया (बैक टाँका) छोटा
तुरपन (तुरपाई या हैमिंग स्टिच)-किसी भी वस्त्र के घेरे पर, मोहरी के निचले बॉर्डर मोड़ने के लिए तथा महिलाओं, बच्चों के वस्त्रों में पट्टियों आदि की सफ़ाई सुन्दरता के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग तब भी किया जाता है जब कपड़े के धागे निकलने वाले किनारे को बन्द करना हो। यह वस्त्र की उल्टी ओर से लगाया जाता है। इस टॉक में यह ध्यान रखना आवश्यक होता है कि दूसरी ओर अर्थात् वस्त्र की सीधी ओर भी टाँके सम दरी पर छोटे और सुन्दर हों। तुरपाई के टाँके तीन तरह से लिए जाते हैं-सीधे, कम तिरछे और अधिक तिरछे। अधिकतर सूती तथा रेशमी वस्त्रों में कम तिरछे टाँके ही चलते हैं। सीधे टाँके कोटिंग आदि में मजबूती के लिए लगाए जाते हैं। अधिक तिरछे टाँके सस्ते व्यावसायिक कामों में उपयोग किए जाते हैं। खूबसूरत तुरपाई के लिए सूई में बहुत कम कपड़ा लेना चाहिए ताकि टाँके पिछली ओर से भी बड़े दिखाई न दें।
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 9
चित्र 5.1.10. तुरपाई (हैमिंग टाँका)
तुरपाई को शुरू करने के लिए सूई को कपड़े में से इस प्रकार निकालते हैं कि थोड़ासा धागा पीछे बचा रहे। इसी धागे को मोड़कर अन्दर दबाकर दाईं ओर से बाईं ओर को तुरपाई करते हैं। मोड़े हुए हिस्से को सदा ऊपर की ओर रखते हैं। टाँके सादे की तरह सीधे न होकर आगे व पीछे दोनों ओर तिरछे, छोटे व बराबर होने चाहिएं। तुरपाई को बन्द करते समय अन्तिम टाँके को दोहराते हैं। इस प्रकार यह टाँका अंग्रेजी अक्षर V के समान बन जाता है। फिर सूई को 1 या 2 सेंटीमीटर ऊपर निकालकर धागे को कैंची से काट देते हैं।

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सिलाई के सादा टाँके PSEB 6th Class Home Science Notes

  • वस्त्रों की सिलाई के लिए या उनका सौन्दर्य बढ़ाने के लिए टाँकों का इस्तेमाल करते हैं।
  • सिलाई कपड़े के दो टुकड़ों को जोड़ने के लिए या कपड़े के किनारों से धागों को बाहर निकलने से बचाने के लिए की जाती है।
  • कई टाँके सजावट के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जैसे-चेन स्टिच, दसूती आदि।
  • सादा टाँका तुरपन, बखिया आदि सभी टाँकों से आसान होता है।
  • बखिया टाँका सादे और तुरपन वाले टाँके से अधिक मजबूत होता है।
  • तुरपाई टाँका किनारों से धागों को बाहर निकलने से रोकने के लिए किया जाता है।
  • चेन या संगली टाँका सजावट या नमूने के किनारे बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

PSEB 6th Class Physical Education Guide पंजाब की लोक खेलें Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बच्चों की कोई चार खेलों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. लुका-छिपी
  2. गुल्ली डंडा
  3. रस्सी कूदना
  4. कोटला छपाकी।

प्रश्न 2.
पुगने की कितनी विधियां होती हैं ? इनमें से किसी एक विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर–
पुगने के तीन तरीके होते हैं।
पहला तरीका-पहले तीन खिलाड़ी दायां हाथ एक दूसरे हाथ पर रखते हैं और एक समय हाथों को हवा में उछाल कर उल्टा देते हैं। तीन में से अगर दो खिलाड़ियों के हाथ उलेटे और तीसरे खिलाड़ी का हाथ सीधा हो तो वो पुग जाता है। इस तरह बारी-बारी एक को छोड़ कर सभी खिलाड़ी पुग जाते हैं।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 3.
खेलों की महत्त्व पर नोट लिखिए।
उत्तर-

  1. खेलों की महत्ता-शारीरिक बल, फुर्ती, दिमागी चुस्ती आदि खेलों में आते हैं। उदाहरण के तौर पर जब खिलाड़ी ठीकरियों पर निशाना लगाने की खेल खेलता है तो उसको ध्यान एकाग्रता का प्रशिक्षण मिलता है। कोटला छपाकी’ खेल में चौकस रहने की शिक्षा मिलती है। कई खेलें राष्ट्रीय स्तर पर ही खेली जाती हैं। जैसे कुश्ती और कबड्डी।
  2. कुश्ती और कबड्डी के साथ शारीरिक ताकत आती है।
  3. खेलों के साथ दिमागी चुस्ती भी बढ़ती है।
  4. यह खेलें बच्चों में आपसी साथ को बढ़ाती हैं।
  5. हमारे विरासत और सभ्याचार को कायम रखने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 4.
बन्दर किल्ला खेल की विधि के बारे में लिखिए।
उत्तर-
मुहल्ले के सभी बच्चे इकट्ठे होकर बन्दर किल्ला खेलने के लिए किल्ले के लिए जगह का चुनाव करते हैं। खेल शुरू करने से पहले बच्चे गाते हुए एक-दूसरे को कहते हैं –

जुत्तियां, चप्पलां दा,
कर लो वी हीला।
हुण असीं रल के,
खेलना बंदर किल्ला।

बन्दर किल्ला खेलने वाले बच्चे अपनी जूतियों और चप्पलों को उतार कर किल्ले के नज़दीक इकट्ठे कर लेते हैं। किल्ले की निचली तरफ 5-7 मी० की लम्बी रस्सी बांध लेते हैं। बांदर किल्ला खेलने वाले बच्चे बारी देने वाले बच्चे को पुगते हैं। चुनाव करने के बाद बारी देने वाला बच्चा बन्दर माना जाता है।
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें 1

बन्दर बना बच्चा किल्ले के साथ बंधी रस्सी को पकड़कर सभी जूतियों और चप्पलों की रखवाली करता है। बन्दर बना बच्चा रस्सी को बिना छोड़े किसी दूसरे बच्चे को जो आपनी चप्पलें लेने आता है उसको पकड़ता है। दूसरे बच्चे अपनी जूतियां और चप्पलें उठाने की कोशिश करते हैं। अगर चप्पलें उठाते समय बन्दर बना बच्चा किसी दूसरे बच्चे को हाथ लगाये तो बारी उसी बच्चे की आ जाती है। यदि सभी बच्चे बिना पकड़े अपनी चप्पलें और जूतियां उठाने में कामयाब हो जाते हैं तो बारी देने वाला बन्दर बच्चा रस्सी को छोड़ दौड़ेगा और खास जगह पर हाथ लगायेगा। निश्चित जगह पर पहुंचने से पहले-पहले बाकी बच्चे बन्दर बच्चे को चप्पलों से मारते हैं। बन्दर के निश्चित जगह पर पहुंचने पर जूतियां मारनी बंद कर देते हैं। इसके बाद किसी और बच्चे की बन्दर बनने की बारी आ जाती है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 5.
आपको कौन-सा लोक खेल अच्छा लगता है ? उसे कैसे खेला जाता है ?
उत्तर-
हमारी मनोभावी खेल कोटला छपाकी’ है। इस खेल को खेलने के लिए बच्चों की गिनती नहीं होती। इस खेल का दूसरा नाम ‘काजी कोटले की मार’ भी है। इस खेल को खेलने के लिए 10-15 बच्चे खेलते हैं और खेलने से पहले किसी कपड़े को वट चढ़ा कर दोहरा करके कोटला बना लेते हैं। फिर बच्चा ज़मीन पर किसी तीखी चीज़ से लाइन लगा कर गोला बनाता है। बाकी सभी बच्चे चक्कर की खींची लाइन पर मुंह अन्दर करके बैठ जाते हैं। अब बारी देने वाला बच्चा कोटले को पकड़ कर चक्कर के आस-पास दौड़ता है। दौड़ते हुए यह गीत गाता है –

कोटला छपाकी जुम्मे रात आई जे,
जिहड़ा अग्गे, पिच्छे देखे, ओहदी शामत आई जे।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें 2

गोले में बैठे बच्चे गीत गाने वाले बच्चे के पीछे गीत गाते हैं। बारी देने वाला बच्चा ‘कोटला छपाकी जुम्मे रात आई जे’ और गोले का चक्कर लगाता है। इस खेल में कोई भी बच्चा पीछे नहीं देख सकता। सभी बच्चे ज़मीन की तरफ देखते हैं। यदि कोई चक्कर में बैठा बच्चा पीछे देखता है तो बारी देने वाला बच्चा उसके 4-5 कोटले मार देता है, बारी देने वाला बच्चा चक्कर पूरा करते ही किसी बच्चे के पीछे चुप करके कोटला रख देता है और चक्कर लगा कर उस बैठे बच्चे के पास आ जाता है। यदि बैठे बच्चे को कोटले का पता नहीं चलता तो बारी देने वाला बच्चा कोटला उठाकर उस बच्चे को मारना शुरू कर देता है। मार खाने वाला बच्चा मार से बचने के लिए चक्कर के आस-पास तेज़ी से दौड़ता है, जब तक वह बच्चा अपनी जगह पर दोबारा नहीं पहुंच जाता। तब तक बच्चे को कोटले की मार सहनी पड़ती है । यदि बैठे हुए खिलाड़ी को कोटला रखने के बारे में पता चल जाता है तो वह कोटला उठा कर बारी देने वाले खिलाड़ी को तब तक मारता है जब तक वह चक्कर लगाकर बैठने वाले की खाली जगह पर आकर बैठ नहीं जाता। इस तरह खेल चलती रहती है।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB पंजाब की लोक खेलें Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लोक खेलों के कोई दो नाम लिखो।
उत्तर-

  1. कीकली
  2. कोटला छपाकी।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 2.
कोटला छपाकी का गीत लिखो।
उत्तर-
कोटला छपाकी जुम्मे रात आई जे, जिहड़ा अग्गे, पिच्छे देखे, ओहदी शामत आई जे।

प्रश्न 3.
बन्दर किल्ला की चार लाइनें लिखो।
उत्तर-
जुत्तियां, चप्पलां दा,
कर लो वी हीला।
हुण असीं रल के,
खेलना बांदर किल्ला।

प्रश्न 4.
पुगने के कितने तरीके हैं ?
उत्तर-
पुगने के तीन तरीके हैं।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 5.
किसी मनपसंद लोक खेल का नाम लिखो।
उत्तर-
बन्दर किल्ला ।

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे अच्छी खेल कौन-सी है ?
उत्तर-
रस्सी कूदना।

प्रश्न 7.
चुस्ती, फुर्ती और एकाग्रता किस खेल से आती है ?
उत्तर-
पिठू गर्म करने से।

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प्रश्न 8.
बड़ी और लोक खेलों का एक-एक नाम लिखो।
उत्तर-

  1. हॉकी
  2. कोटला छपाकी।

प्रश्न 9.
लोक खेलों की एक महत्ता लिखो।
उत्तर-
इस खेलों से शरीर स्वस्थ्य रहता है।

प्रश्न 10.
कीकली लोक खेल को कौन खेलता है ?
उत्तर-
यह लड़कियों का खेल है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेल क्या है ?
उत्तर-
खेल वह क्रिया है जिसको मन बहलाने के लिए खेला जाता है और ऐसी क्रिया करने के साथ हमें खुशी मिलती है।

प्रश्न 2.
खेल किस उम्र के लोग खेलते हैं ?
उत्तर-
खेल हर उम्र के लोग खेलते हैं, बच्चे जवान और बुजुर्ग भी खेल खेलते हैं और लड़के, लड़कियां भी खेलते हैं।

प्रश्न 3.
खेलों की बांट किस तरह की जाती है ?
उत्तर-
हमारी लोकप्रिय खेलें जैसे क्रिकेट, हॉकी, वालीबॉल, फुटबॉल आदि।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 4.
लोक खेलों में क्या नियम निश्चित होते हैं ?
उत्तर-
ऐसी खेलें खेलने के लिए कोई सामान या नियम निश्चित नहीं होते हैं।

प्रश्न 5.
बड़ी खेलों में क्या नियम होते हैं ?
उत्तर-
बड़ी खेलों में सामान, खेल का मैदान और नियम निश्चित होते हैं। ये खेलें नियम के अनुसार ही खेली जाती हैं।

प्रश्न 6.
लोक खेलें खेलने के लिए पारी पुगने की विधि लिखो।
उत्तर-
पहले तीन खिलाड़ी अपना दायां हाथ दूसरे के दायें हाथ पर रखते हैं और एक समय हाथों को हवा में घुमा कर उल्टा देते हैं। तीन में से यदि दो खिलाड़ियों के हाथ उल्टे और तीसरे खिलाड़ी का हाथ सीधा हो, तो वह पुग जाता है। इस तरह बारी-बारी एक को छोड़ कर सभी खिलाड़ी पुग जाते हैं।

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प्रश्न 7.
पुगने की दूसरी विधि का गीत लिखो।
उत्तर-
ईंगण, मींगण, तली तलींगण
काला, पीला, डकरा
गुड़ खावां, बेल बधावां,
मूली पत्तरा।
पत्ता वा, घोड़े आये,
हथ्थ कुताड़ी, पैर कुताड़ी
निक्के वालियां, तेरी वारी।

प्रश्न 8.
क्या लोक खेलों में टीमों की बांट की जाती है ?
उत्तर-
हां, कई खेलों में आपस में टीमों की बांट की जाती है जैसे- कबड्डी, गुल्ली डंडा, रस्सी कूदना।

प्रश्न 9.
लोक खेलों के कोई पाँच नाम लिखो।
उत्तर-

  1. बन्दर किल्ला
  2. कोटला छपाकी
  3. कीकली
  4. पिठू गर्म करना
  5. रस्सी कूदना।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 10.
लोक खेलों में से किसी दो की महत्ता लिखो।
उत्तर-

  1. खेलों को खेलते हुए फुर्ती, शारीरिक बल और दिमागी चुस्ती आदि के गुण आते हैं।
  2. जब खिलाड़ी ठीकरियों के साथ निशाना लगाने की खेल खेलते हैं तो उनको एकाग्रता करने की सिखलाई मिलती है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेलों की किस्में लिखो।
उत्तर-
खेलों की बांट कई तरह से की जा सकती है, जैसे कि शारीरिक खेलें, दिमागी खेलें आदि। ऐसी ही एक बांट है हमारी विरासती खेलें। क्रिकेट, हॉकी, वालीबॉल, फुटबॉल आदि ऐसी खेलें हैं जिनको खेलने के लिए विशेष सामान, निश्चित खेल मैदान और विशेष खेल नियम होते हैं। लोक खेलें इसके उल्ट कही जा सकती हैं।

प्रश्न 2.
रस्सी कूदना की महत्ता लिखो।
उत्तर-
यह खेल कसरत करने की बहुत ही बढ़िया खेल है। पुगने के बाद जो दो बच्चे पीछे रह जाते हैं वह एक-दूसरे के सामने खड़े होकर एक हाथ रस्सी. को ज़मीन के साथ छुआते हुए एक तरफ घुमाते हैं। बाकी बच्चे लाइन बनाकर एक-एक, दो-दो टप्पे लेते हैं। इस तरह यह खेल खेली जाती है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 3.
पिठू गर्म करना क्या है ?
उत्तर–
पिठू गर्म करना पंजाब के बच्चों के लिए बड़ी दिलचस्प खेल है। इस खेल में खेलने वाले बच्चे दो टोलियां बना लेते हैं और 10-15 फुट की दूरी पर गिटियां रखकर उस पर निशाना लगाते हैं। इस तरह यह खेल खेली जाती है।

प्रश्न 4.
कीकली की महत्ता लिखो।
उत्तर-
कीकली पंजाब की लड़कियों की बहुत ही प्रिय खेल है । कीकली खेल और गिद्दे का सुमेल है। इस खेल को लड़कियां चाव के साथ खेलती हैं। इस खेल में लड़कियां एक जगह पर इकट्ठी होकर आपस में जोड़े बना कर एक-दूसरे के हाथों में कंघियां डालकर घूमती हैं। उन्होंने एक-दूसरे का हाथ बायें हाथ से बायां हाथ और दाएं हाथ से दायां हाथ पकड़ा होता है। इस तरह यह खेल खेली जाती है।

प्रश्न 5.
कोटला छपाकी की महत्ता लिखो।
उत्तर-
कोटला छपाकी गांवों में खेली जाने वाली छोटी उम्र के लड़के-लड़कियों की खेल है। इस खेल को ‘काजी कोटले की मार’ के नाम से जाना जाता है।
कोटला छपाकी जुम्मे रात आई जे, जिहड़ा अग्गे, पिच्छे देखे, ओहदी शामत आई जे। गोल चक्कर में बैठे हुए बच्चे बारी देने वाले के पीछे-पीछे यह गीत गाते हैं।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 6.
पुगने की दूसरी कोई विधि लिखो।
उत्तर-
पुगने की दूसरी विधि-सभी खिलाड़ी गोल चक्कर में खड़े हो जाते हैं।
उनके बीच में से एक खिलाड़ी बारी-बारी सभी खिलाड़ियों के कन्धे पर हाथ लगा कर यह गीत गाता है-

ईंगण, मींगण, तली तलींगण
काला, पीला, डकरा
गुड़ खावां, बेल बधावां,
मूली पत्तरा।
पत्ता वा, घोड़े आये,
हाथ कुताड़ी, पैर कुताड़ी
निक्के वालियां, तेरी वारी।

जिस खिलाड़ी को आखिरी शब्द पर हाथ लगता है वह पुग जाता है। इस तरह बारबार करते हुए अंत में रह जाने वाले की बारी तय हो जाती है। कई खेलें आपस में दो टीमें बनाकर खेली जाती हैं। जैसे कबड्डी, गुल्ली डंडा, रस्सा कशी और खो-खो आदि।

प्रश्न 7.
रस्सी कूदना और पिठू खेल के बारे में लिखो।
उत्तर-
रस्सी कूदना-यह खेल कसरत की तरह बहुत ही बढ़िया खेल है। पुगने के बाद जो दो बच्चे पीछे रह जाते हैं वह एक-दूसरे के सामने खड़े होकर हाथ रस्सी को ज़मीन के साथ छूते हुए एक साईड घुमाते हैं। बाकी बच्चे लाइन बना कर एक-एक, दोदो टप्पे लेते हैं। जिस बच्चे के पैरों को रस्सी लग जाये वह आऊट हो जाता है और रस्सी घुमाने की बारी देता है। यह खेल लड़कियों की प्रिय खेल रही है पर आजकल बहुत कम हो गई है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें 3
पिठू गर्म करना-यह बच्चों की बड़ी दिलचस्प खेल है, जिसमें बच्चों की गिनती निश्चित नहीं होती। इसमें दो टोलियां होती हैं, खेलने की जगह पर सात गीटियां एक-दूसरे के ऊपर रख लेते हैं। इन चुनी गीटियों के लगभग 12 फुट की दूरी पर एक लाइन खींच दी जाती है। फिर दोनों टीमें पुगने के बाद जो टीम पुग जाती है उस टीम का एक खिलाड़ी लाइन पर खड़ा होकर रबड़ की गेंद के साथ गीटियों पर निशाना लगाता है। एक खिलाड़ी को निशाना लगाने के तीन मौके दिये जाते हैं। तीन बार निशाना लगाने के बाद यदि ठीकरियों पर निशाना नहीं लगता तो वह खिलाड़ी आऊट हो जाता है। यदि बॉल को ठप्पा डाल कर सामने वाले खिलाड़ी पकड़ लेते हैं तो भी निशाना लगाने वाला खिलाड़ी आऊट हो जाता है। यदि निशाना लगाने वाला खिलाडी ठीकरियों पर ठीक निशाना लगा देता है तो ठीकरियां ज़मीन पर बिखर जाती हैं। निशाना लगाने वाला खिलाड़ी ज़मीन पर बिखरी ठीकरियों को जल्दी-जल्दी इकट्ठी करके एक-दूसरी पर रखता है तो विरोधी टीम के खिलाड़ी उन ठीकरियों को चुनने वाले खिलाड़ी को गेंद का निशाना बनाते हैं। यदि ठीकरियां चिनने वाले खिलाड़ी को गेंद लग जाती है तो वह आऊट हो जाता है। यदि ठीकरियां चुनने वाला खिलाड़ी गेंद लगने से पहले ठीकरियां इकट्ठी कर लेता है तो उसको और बारी दी जाती है, आऊट होने पर दूसरे खिलाड़ी की बारी आ जाती है। इस तरह खेल चलती रहती है।

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PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 8.
कीकली के बारे में लिखो।
उत्तर-
कीकली-पंजाब में कीकली लड़कियों की प्रिय खेल है। किलकिला का अर्थ है खुशी और चाव की आवाज़ करना। कीकली खेल और गिद्दे का जोड़ है। कीकली में लड़कियां एक-दूसरे के हाथों में कंघियां डाल कर घूमती हैं। वह एक-दूसरे का बायां हाथ बायें हाथ के साथ और दायां हाथ दायें हाथ के साथ पकड़ती हैं। दोनों लड़कियों की बाजू की शक्ल 8 अंक जैसा बन जाती है। घूमने पर लड़कियां कीकली के गीत गाती हैं-

कीकली. कलीर दी,
पग मेरे वीर दी,
दुपट्टा भरजाई दा,
फिट्टे मुंह जवाई दा।

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इस तरह आपस में जोड़ियों का मुकाबला होने लग पड़ता है। देशी खेलों में टूर्नामेंट नहीं कराया जा सकता है। कीकली डालते समय यदि जोड़ी में किसी एक लड़की का हाथ दूसरी लड़की के हाथ से छूट जाता है या किकली डालते हुए लड़की गिर जाये तो सब कुछ हंसी में भूल जाता है। इस तरह लड़कियां इस खेल का बहुत आनन्द लेती हैं।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 3 हॉकी का जादूगर-मेजर ध्यानचंद

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 3 हॉकी का जादूगर-मेजर ध्यानचंद Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 3 हॉकी का जादूगर-मेजर ध्यानचंद

PSEB 6th Class Physical Education Guide हॉकी का जादूगर-मेजर ध्यानचंद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मेजर ध्यानचंद का जन्म कब हुआ ?
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 ई० में इलाहाबाद में पिता सोमेश्वर दत्त के घर हुआ।

प्रश्न 2.
भारतीय हॉकी टीम ने पहली बार ओलम्पिक खेलों में कब भाग लिया ? इन खेलों में भारत ने कौन-सा तमगा प्राप्त किया ?
उत्तर-
13 मई, 1926 में न्यूज़ीलैंड में पहले अंतर्राष्ट्रीय खेल में भाग लिया और जीत हासिल की। 1928 ई० में एम्बरूडर्म ओलम्पिक खेलों में भाग लिया और सोने का तमगा जीता। 1932 ई० में लॉस ऐंजलस ओलम्पिक में ध्यानचंद ने भाग लिया और सैंटर फारवर्ड के रूप में अहम् भूमिका निभाई। फाइनल मैच अमेरिका के साथ हुआ। मेजर ध्यानचंद ने निजी 8 गोल किये और मैच 24-1 गोल के साथ जीत लिया। इस ओलम्पिक में भारतीय टीम ने 262 गोल किये। जिसमें 101 गोल ध्यानचंद ने किये थे, जिसके लिए ध्यानचंद का नाम हॉकी के क्षेत्र में चोटी के खिलाड़ियों में शामिल हुआ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 3 हॉकी का जादूगर-मेजर ध्यानचंद

प्रश्न 3.
मेजर ध्यानचंद के जीवन से जुड़ी कहानियों में से किसी एक का वर्णन करें।
अथवा
मेजर ध्यानचंद की जीवनी के बारे में एक नोट लिखो।
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद भारत का हॉकी खेल का एक प्रसिद्ध खिलाड़ी था, जिसने अपनी खेल शैली के कारण भारत का नाम दुनिया में चमकाया। हॉकी में मेजर ध्यानचंद ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोने और चांदी के तमगे जीते। मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 ई० में इलाहाबाद में पिता समेश्वर दत्त के घर हुआ। पिता और बड़ा भाई रूप सिह भी हॉकी के उभरे खिलाड़ी थे। इस तरह ध्यानचंद का हॉकी की खेल विरासत में मिला। इनके पिता जी ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी करते थे। मेजर ध्यानचंद 16 साल की उम्र में फौज में भर्ती हुए और वहां पर सूबेदार मेजर तिवारी ने हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया। वहां फौज की ड्यूटी करने के बाद देर रात तक चांद की रोशनी में प्रैकटिस करते थे।

1922 से लेकर 1926 तक सेना के खेल मुकाबले में भाग लिया। इन खेल मुकाबलों में ध्यानचंद के खेल की बहुत प्रशंसा हुई। इस महान् खिलाड़ी के साथ चंद कथाएं जुड़ी हुईं हैं। एक बार हालैंड में ध्यानचंद की हॉकी तोड़ कर देखी गई कि इस खिलाड़ी ने अपनी स्टिक में कोई चुम्बक जैसी चीज़ न फिट की हो। वास्तव में ध्यानचंद का गेंद पर बहुत काबू था।

उसकी गेंद उसकी हॉकी से अलग नहीं होती थी। कई लोग मानते हैं कि उसकी हॉकी एक जादू की हॉकी है। ध्यानचंद ने अपनी कमाल की खेल के साथ जर्मनी के तानाशाह हिटलर का भी दिल जीत लिया था। हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी की तरफ से खेलने की पेशकश की थी और फौज में बड़ा पद देने का लालच भी दिया। ध्यानचंद ने भारत की तरफ से खेलना ही अपना गौरव समझा था।

ध्यानचंद जी को भारत सरकार ने 1956 ई० में पद्म भूषण के साथ सम्मानित किया। इंडियन ओलम्पिक ऐसोसिएशन की तरफ से शताब्दी का सर्वोत्तम खिलाड़ी घोषित किया । अब ध्यानचंद जी का जन्म दिन बतौर नैशनल स्पोर्टस के तौर पर भारत देश में मनाया जाता है। इस महान् खिलाड़ी की उपलब्धियों को देखते हुए यह तय है कि उनका जन्म दिन हॉकी खेलों के लिए हुआ था और खेल जीवन में 1000 से ज्यादा गोल किये, जिसमें 400 गोल अंतर्राष्ट्रीय और अलग-अलग देशों की टीमों के विरुद्ध किये गये जिसके द्वारा उनको फौज में तरक्की मिलती गई।

ध्यानचंद जी ने नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ़ पटियाला के चीफ़ कोच होने का मान प्राप्त किया। 3 दिसम्बर 1979 में मेजर ध्यानचंद का देहांत हो गया। भारतीय डाक विभाग ने उनकी याद में एक डाक टिकट भी जारी किया था और दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय खेल स्टेडियम उसके नाम से बनाया गया। सारे खिलाड़ियों को दिली ख्वाहिश है कि उनको मरने के बाद भारत रत्न’ दिया जाए।

प्रश्न 4.
मेजर ध्यानचंद ने पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच कब और कहां खेला ?
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद ने 13 मई, 1926 को न्यूजीलैंड में पहले अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला जिसमें 18 मैच भारतीय टीम ने मेजर ध्यानचंद की बेहतरीन खेल से जीते।

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प्रश्न 5.
मेजर ध्यानचंद का बुत कौन-से देश में लगाया हुआ है ?
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद का बुत ऑस्ट्रेलिया के शहर वियाना में लगा हुआ है। इस बुत के चार हाथ बनाये गये हैं और चारों हाथों में चार हाकियां पकड़ाई हुई हैं। यह बुत उसके अनोखे खेल का प्रतीक है।

प्रश्न 6.
मेजर ध्यानचंद की याद को समर्पित भारत सरकार की ओर से कौनकौन से कदम उठाये गए हैं ?
उत्तर-

  1. भारत सरकार द्वारा मेजर ध्यानचंद की अनोखी खेल प्रतिभा को देखते हुए उनको 1956 ई० में पद्म भूषण देकर सम्मानित किया गया।
  2. ध्यानचंद का जन्म दिन बतौर ‘नैशनल स्पोर्टस डे’ के तौर पर भारत में मनाया जाता है।
  3. भारतीय डाक विभाग ने उनकी याद में एक डाक टिकट भी जारी किया था।
  4. भारत सरकार ने दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय खेल स्टेडियम उनके नाम से बनाया।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB हॉकी का जादूगर-मेजर ध्यानचंद Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मेजर ध्यानचंद किस खेल के साथ जुड़े हुए थे ?
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद हॉकी’ खेल के साथ जुड़े हुए थे।

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प्रश्न 2.
ध्यानचंद ने हॉकी कहाँ खेलना शुरू किया ?
उत्तर-
फौज में।

प्रश्न 3.
हॉकी का जादूगर किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद जी को।

प्रश्न 4.
मेजर ध्यानचंद का जन्म कब हुआ ?
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद जी का जन्म 29 अगस्त, 1905 में इलाहाबाद में हुआ।

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प्रश्न 5.
मेजर ध्यानचंद के पिता का क्या नाम था ?
उत्तर-
सोमेश्वर दत्त।

प्रश्न 6.
क्या उनके बड़े भाई रूप सिंह भी हॉकी के खिलाड़ी थे ?
उत्तर-
हाँ।

प्रश्न 7.
मेजर ध्यानचंद जी के पिता कहाँ नौकरी करते थे ?
उत्तर-
उनके पिता जी ‘ब्रिटिश इंडियन आर्मी’ में नौकरी करते थे।

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प्रश्न 8.
मेजर ध्यानचंद ने किस उम्र में फौज की नौकरी की ?
उत्तर-
16 साल की उम्र में फौज की नौकरी की।

प्रश्न 9.
पहली बार मेजर ध्यानचंद ने किस अंतर्राष्ट्रीय मैच में भाग लिया ?
उत्तर-
13 मई, 1926 ई० में।

प्रश्न 10.
ध्यानचंद जी ने किस ओलम्पिक में पहली बार भाग लिया ?
उत्तर-
1928 में एमस्टरडर्म में भाग लिया।

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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मेजर ध्यानचंद जी का जन्म कब और कहाँ हुआ और उनका देहांत कब हुआ ?
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद जी का जन्म 29 अगस्त, 1905 ई० में इलाहाबाद में हुआ। 3 दिसम्बर, 1979 ई० में मेजर ध्यानचंद का देहांत हो गया।

प्रश्न 2.
हॉकी खेल जीवन में मेजर ध्यानचंद जी ने अपने विरोधियों में कितने गोल किये ?
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद जी ने अपने विरोधियों में 1000 गोल किये।

प्रश्न 3.
ध्यानचंद अंतर्राष्ट्रीय मैचों में कितने गोल किये ?
उत्तर-
ध्यानचंद अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 400 गोल किये।

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प्रश्न 4.
ध्यानचंद ने हॉकी खेलना कहां शुरू किया ?
उत्तर-
ध्यानचंद ने हॉकी खेलना फौज में शुरू किया।

प्रश्न 5.
ध्यानचंद को हिटलर ने क्या कहा था ?
उत्तर-
उसको जर्मनी की तरफ से खेलने को कहा।

प्रश्न 6.
जर्मनी की हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को जर्मनी की फौज में आने पर कौन-सा पद देने के लिए कहा ? ।
उत्तर-
बड़ा पद देने के लिए कहा।

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प्रश्न 7.
ब्रैडमैन ने ध्यानचंद को क्या पूछा था ?
उत्तर-
हॉकी के साथ वह इतने गोल कैसे कर लेते हैं।

प्रश्न 8.
पद्म भूषण के साथ सम्मानित करने के पीछे इंडियन ओलम्पिक ऐसोसिएशन ने उनको किस पद से विभूषित किया?
उत्तर-
शताब्दी का सर्वोत्तम खिलाड़ी घोषित किया।

प्रश्न 9.
ध्यानचंद जी का बुत कौन-से देश में है ?
उत्तर-
ऑस्ट्रेलिया शहर वियाना में है।

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प्रश्न 10.
ध्यानचंद की हॉकी क्यों तोड़ी गई थी ?
उत्तर-
यह देखने के लिए कि उसकी हॉकी में कोई चुम्बक तो नहीं लगा है।

बडे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मेजर ध्यानचंद के जीवन के साथ जुड़ी कहानी का वर्णन करो।
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद ने महान् क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन को भी अपना प्रशंसक बना लिया। ब्रैडमैन ने ध्यानचंद को सवाल किया कि वह इतने गोल कैसे कर लेता है। ध्यानचंद ने कहा कि कि जैसे बल्ले के साथ दौड़ें बन जाती हैं। इस तरह स्टिक के साथ गोल हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
ध्यानचंद ने अपने खेल जीवन में क्या-क्या उपलब्धियां हासिल की ?
उत्तर-
भारत सरकार ने ध्यानचंद को 1956 ई० में पद्म भूषण देकर सम्मानित किया। इंडियन ओलम्पिक ऐसोसिएशन की तरफ शताब्दी का सर्वोत्तम खिलाड़ी घोषित किया गया और उनका जन्म दिन बतौर “नैशनल स्पोर्टस डे” के तौर पर सारे भारत में मनाया जाता है। ध्यानचंद के सुपुत्र अशोक कुमार ने भारतीय हॉकी टीम को वर्ल्ड कप, ओलम्पिक और एशियन खेलों में बहुत सारे तगमे दिये थे। ध्यानचंद का सम्मान सारी दुनिया में हुआ।

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प्रश्न 3.
1932 ई० में ओलम्पिक खेलों में ध्यानचंद की उपलब्धियों का वर्णन करें।
उत्तर-
1932 ई० में लॉस ऐंजल्स ओलम्पिक में भारतीय टीम ने भाग लिया। ध्यानचंद ने सैंटर फारवर्ड के रूप में अहम भूमिका निभाई। इन ओलम्पिक खेलों में फाइनल मैच अमेरिका और भारत में हुआ, जिसमें भारत ने अमेरिका की टीम को 24-1 गोलों से हराया। इन 24 गोलों में 8 गोल अकेले ध्यानचंद ने किये। अमेरिका की इस शर्मनाक हार पर अमेरिका ने ही एक अखबार में छपवाया कि भारतीय हॉकी टीम तो पूर्व से आया तूफ़ान थी। इन ओलम्पिक खेलों के दौरान भारतीय टीम ने कुल 262 गोल किये, जिसमें 101 गोल अकेले ध्यानचंद ने दागे। इन खेलों के बाद मेजर ध्यानचंद का नाम दुनिया के चोटी के खिलाड़ियों में शामिल हो गया।

प्रश्न 4.
ध्यानचंद जी के परिवार के बारे में दो लाइनें लिखें।
उत्तर-
मेजर ध्यानचंद जी का जन्म 29 अगस्त, 1905 में इलाहाबाद में हुआ। इनके पिता का नाम सोमेश्वर दत्त था और बड़े भाई रूप सिंह थे, जो हॉकी के उभरे हुए खिलाड़ी थे। इस तरह ध्यानचंद को हॉकी की खेल विरासत में मिली। उनके पिता जी ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी करते थे। ध्यानचंद जी के सुपुत्र अशोक कुमार ने भारतीय हॉकी टीम को वर्ल्ड कप और ओलम्पिक और एशियन खेलों में भी तमगे जीत कर दिये। इस तरह ध्यानचंद जी का सारा परिवार हॉकी के साथ जुड़ा हुआ था।

PSEB 6th Class Home Science Practical अपने कपड़ों को धोना

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Practical अपने कपड़ों को धोना Notes.

PSEB 6th Class Home Science Practical अपने कपड़ों को धोना

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्रों की धुलाई में टब, बाल्टियों तथा चिलमची की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर–
पानी भरने, साबन को फेन बनाने, वस्त्रों को फुलाने, वस्त्रों को धोने, खंगालने, नील, क्लफ लगाने तथा रंगने के लिए इनकी आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 2.
वस्त्रों की धुलाई में कटोरों का क्या उपयोग होता है?
उत्तर-
स्टार्च का पेस्ट बनाने, दाग-धब्बे छुड़ाने के लिए पेस्ट बनाने, नील बनाने तथा धब्बों को डुबाकर रखने के लिए।

प्रश्न 3.
स्क्रबिंग बोर्ड क्या होता है?
उत्तर-
यह एक प्रकार का तख्ता होता है जिसकी आवश्यकता अधिक गन्दे कपड़ों को उस पर रखकर रगड़ने के लिए पड़ती है।

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प्रश्न 4.
स्क्रबिंग बोर्ड किसके बने होते हैं?
उत्तर-
लकड़ी, जिंक, स्टील या शीशे के।

प्रश्न 5.
सबसे अच्छा स्क्रबिंग बोर्ड किसका होता है ?
उत्तर-
लकड़ी का।

प्रश्न 6.
सक्शन वाशर क्या होता है?
उत्तर-
यह एक उपकरण है जिसमें एक हैंडिल तथा नीचे की ओर से एक कटोरे के समान गोलाकार छिद्रयुक्त उन्नतोदर तल होता है। इसमें धुलाई किए जा रहे वस्त्रों पर दबाव डालकर उनमें से बार-बार साबुन के पानी को निकालना और पुनः प्रवेश कराना पड़ता है।

PSEB 6th Class Home Science Practical अपने कपड़ों को धोना

प्रश्न 7.
धुलाई के साबुनों के स्वरूप बताओ।।
उत्तर-

  1. टिक्की या बार साबुन,
  2. साबुन का घोल,
  3. साबुन की चिप्पी या फ्लेक,
  4. साबुन की जैली,
  5. साबुन के चूर्ण,
  6. द्रावण चूर्ण।

प्रश्न 8.
रीठे का प्रयोग किन वस्त्रों की धुलाई के लिए उपयुक्त रहता है ?
उत्तर-
जिन वस्त्रों के रंग छूटने की सम्भावना रहती है तथा रेशमी व ऊनी वस्त्रों के लिए।

प्रश्न 9.
शिकाकाई से वस्त्रों को धोने का क्या लाभ है?
उत्तर-
वस्त्रों से सटी चिकनाई भरी अशुद्धि की सफ़ाई इसके द्वारा आसानी से हो जाती है। इससे वस्त्रों के रंगों की सुरक्षा भी होती है। यह सूती, रेशमी तथा ऊनी सभी वस्त्रों के लिए उपयोगी है।

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प्रश्न 10.
कपड़ों की धुलाई में ब्रश का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
रगड़कर गन्दे कपड़ों से मैल छुड़ाने में।

प्रश्न 11.
सक्शन वाशर की क्या उपयोगिता है?
उत्तर-
यह गन्दे कपड़े धोने के काम आता है।

प्रश्न 12.
सक्शन वाशर का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
टब में साबुन का पानी तैयार करके सक्शन वाशर को ऊपर-नीचे चलाकर कपड़ों की धुलाई की जाती है।

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प्रश्न 13.
कपड़े सुखाने की रैक किन घरों के लिए उपयोगी होती है?
उत्तर-
जिन घरों में बाहर कपड़े सुखाने के लिए उचित स्थान नहीं होता।

प्रश्न 14.
बिजली की प्रैस (इस्तरी) कोयले की प्रैस से क्यों अच्छी मानी जाती है?
उत्तर-
क्योंकि बिजली की प्रैस में सूती, ऊनी, रेशमी कपड़ों पर इस्तरी करने के लिए ताप का नियन्त्रण किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
माँड़ (कलफ) बनाने के लिए सामान्यतः किन पदार्थों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर-
चावल, मैदा, अरारोट, साबूदाना।

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प्रश्न 16.
कपड़ों में नील क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
कपड़ों पर सफेदी लाने के लिए।

प्रश्न 17.
टिनोपाल का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर-
कपड़ों पर सफेदी लाने के लिए।

प्रश्न 18.
वस्त्रों की धुलाई में धुलाई के विभिन्न उपकरणों के प्रयोग का क्या लाभ होता है?
उत्तर-
धुलाई का काम सरलता से हो जाता है और परिश्रम तथा समय की बचत होती

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प्रश्न 19.
वस्त्रों की रंगाई का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
फीके पड़े हुए वस्त्रों को फिर से सुन्दर बनाया जा सकता है तथा मैचिंग के लिए वस्त्र को रंग कर तैयार किया जा सकता है।

प्रश्न 20.
मानव-निर्मित अथवा मानकृत तन्तुओं के कुछ उदाहरण दो।
उत्तर-
नायलॉन, पॉलिएस्टर, टेरीलीन, डेक्रॉन, ऑरलॉन, एक्रीलिक आदि।

प्रश्न 21.
रेयॉन किस प्रकार का तन्तु है-प्राकृतिक या मानव-निर्मित ?
उत्तर-
रेयॉन प्राकृतिक तथा मानव-निर्मित दोनों ही प्रकार का तन्तु है।

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प्रश्न 22.
सबसे पुराना मानवकृत तन्तु कौन-सा है ?
उत्तर-
रेयॉन।

प्रश्न 23.
सेल्युलोज से कौन-सा तन्तु मानव-निर्मित है?
उत्तर-
रेयॉन।

प्रश्न 24.
जानवरों के बालों से प्राप्त होने वाला प्रमुख वस्त्रीय तन्तु कौन-सा
उत्तर-
ऊन।

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प्रश्न 25.
प्राकृतिक तन्तु वाले पदार्थों से रासायनिक विधियों से नए प्रकार का कौन-सा मुख्य तन्तु प्राप्त किया जाता है?
उत्तर-
रेयॉन।

प्रश्न 26.
नायलॉन किस प्रकार का तन्तु है ?
उत्तर-
तन्तुविहीन रसायनों से प्राप्त किया जाने वाला।

प्रश्न 27.
तन्तु स्रोत को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर-
दो भागों में-

  1. प्राकृतिक तथा
  2. मानव-निर्मित।

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प्रश्न 28.
रेशमी वस्त्रों पर कड़ापन लाने के लिए अन्तिम खगाल के पानी में क्या मिलाना चाहिए?
उत्तर-
सिरका या नींबू का रस।

प्रश्न 29.
रेशमी वस्त्रों पर कड़ापन लाने के लिए किस घोल का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
गोंद के पानी का (गम वाटर)।

प्रश्न 30.
रेशमी वस्त्रों को धूप में क्यों नहीं सुखाना चाहिए?
उत्तर-
धूप में सुखाने से रेशमी वस्त्र पीले पड़ जाते हैं तथा रंगीन वस्त्रों का रंग फीका पड़ जाता है।

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प्रश्न 31.
थोड़ी नमी की स्थिति में ही रेशमी वस्त्रों पर प्रैस क्यों करनी चाहिए?
उत्तर-
पूर्ण सूखे रेशमी वस्त्रों पर प्रेस करने से तन्तु ढीले पड़ जाते हैं।

प्रश्न 32.
ऊन का तन्तु आपस में किन कारणों से जुड़ जाता है ?
उत्तर-
नमी, क्षार, दबाव तथा गर्मी के कारण।।

प्रश्न 33.
ऊन के तन्तुओं की सतह कैसी होती है?
उत्तर-
खुरदरी।

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प्रश्न 34.
ऊन के रेशों की सतह खुरदरी क्यों होती है?
उत्तर-
क्योंकि ऊन की सतह पर परस्पर व्यापी शल्क होते हैं।

प्रश्न 35.
ऊन के रेशों की सतह के शल्कों की प्रकृति कैसी होती है?
उत्तर-
लसलसी, जिससे शल्क जब पानी के सम्पर्क में आते हैं तो फूलकर नरम हो जाते हैं।

प्रश्न 36.
ताप के अनिश्चित परिवर्तन से रेशों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
रेशों में जमाव व सिकुड़न हो जाती है।

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प्रश्न 37.
ऊनी वस्त्रों को किस प्रकार के साबुन से धोना चाहिए?
उत्तर-
कोमल प्रकृति के शुद्ध क्षाररहित साबुन से।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्टार्च या कलफ क्या होता है?
उत्तर-
स्टॉर्च या कलफ का प्रयोग धुले वस्त्रों पर, उन पर कड़ापन लाने के लिए किया जाता है। स्टॉर्च का प्रयोग विशेष रूप से सूती वस्त्रों के लिए ही किया जाता है। सूती वस्त्र धोने पर ढीले हो जाते हैं। कलफ लगाने से उनमें कड़ापन आ जाता है और इस्तरी के बाद उनमें सुन्दरता व ताज़गी दिखाई देती है।

प्रश्न 2.
धुलाई में नील का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
सूती वस्त्रों की सफेदी बढ़ाने के लिए नील लगायी जाती है। सफ़ेद वस्त्र पहनने अथवा धोने के पश्चात् पीले पड़े जाते हैं क्योंकि उनकी सफेदी जाती रहती है। इस पीले रंग को दूर करने के लिए नील का प्रयोग किया जाता है। इससे वस्त्र में सफेदी व नवीनता पुनः आ जाती है।

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प्रश्न 3.
वस्त्रों पर इस्तरी करने की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-
वस्त्रों की धुलाई के पश्चात् सभी कपड़ों पर प्रायः सिलवटें पड़ जाती हैं। कुछ वस्त्र ऐसे भी होते हैं जो मैले न होते हुए भी सिलवटों के कारण पहनने योग्य नहीं होते। ऐसे वस्त्रों को मूलरूप व आकर्षण देने के लिए इन पर इस्तरी करने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
वस्त्रों की रंगाई का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
रंगाई द्वारा फीके पड़े हुए वस्त्रों को फिर से आकर्षक व सुन्दर बनाया जा सकता है। किसी भी वस्त्र को इच्छित रंग में बदला जा सकता है।

प्रश्न 5.
रेयॉन की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
भौतिक विशेषताएँ-रेयॉन का तन्तु भारी, कड़ा तथा कम लचकदार होता है। जब रेयॉन के धागे को जलाया जाता है तो सरलता से जल जाता है। सूक्ष्मदर्शी यन्त्र से देखने पर इसके तन्तु लम्बाकार, चिकने एवं गोलाकार दिखाई देते हैं। रेयॉन में प्राकृतिक तन्यता नहीं होती है। यह वस्त्र रगड़ने से कमजोर हो जाता है तथा इसकी चमक नष्ट हो जाती है। यदि धोते समय, वस्त्र को रगड़ा जाये तो छेद होने का भय रहता है। पानी से रेयॉन की शक्ति नष्ट हो जाती है। जब रेयॉन सूख जाता है तो पुनः अपनी शक्ति को प्राप्त कर लेता है।
रेयॉन ताप का अच्छा संचालक है। यह उष्णता को शीघ्र निकलने देता है, अतः यह ठण्डा होता है।
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चित्र 4.1 सूक्ष्मदर्शी में रेयॉन की रचना
ताप के प्रभाव से रेयॉन के तन्तु पिघल जाते हैं तथा उनकी चमक नष्ट हो जाती है। धूप रेयॉन की शक्ति को नष्ट करती है।

रासायनिक विशेषताएँ-रेयॉन की रासायनिक विशेषताएँ कुछ-कुछ रूई के समान ही हैं। क्षार के प्रयोग से रेयॉन की चमक नष्ट हो जाती है। द्रव अम्ल व अम्लीय क्षार का रेयॉन पर प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि यह रेयॉन को कोई हानि नहीं पहुँचाता

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प्रश्न 6.
टेरीलीन की भौतिक तथा रासायनिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
भौतिक विशेषताएँ-टेरीलीन के तन्तु भारी एवं मज़बूत होते हैं।
सूक्ष्मदर्शी यन्त्र द्वारा देखा जाये तो ये रेयॉन एवं नायलॉन के तन्तुओं की भाँति दिखाई देते हैं। ये तन्तु सीधे, चिकने एवं चमकदार होते हैं।
टेरीलीन में नमी को शोषित करने की शक्ति नहीं होती, इसलिए पानी से इसके रूप में कोई परिवर्तन नहीं आता है।
टेरीलीन तन्तु जलाने पर धीरे-धीरे जलते हैं व धीरे-धीरे पिघलते भी हैं। यह प्रकाशअवरोधक होते हैं।
टेरीलीन के वस्त्र को धोने पर उसमें सिकुड़न नहीं आती है। रासायनिक विशेषताएँ
टेरीलीन पर अम्ल का प्रभाव हानिकारक नहीं होता परन्तु अधिक तीव्र आम्लिक क्रिया वस्त्र को नष्ट कर देती है। क्षार का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। किसी भी प्रकार के रंग में इन्हें रंगा जा सकता है।

प्रश्न 7.
ऑरलॉन तन्तुओं की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
सूक्ष्मदर्शी यन्त्र से देखने पर ये हड्डी के समान दिखाई देते हैं। ऑरलॉन में ऊन तथा रूई के कम अपघर्षण प्रतिरोधन-शक्ति होती है।
ऑरलॉन में उच्च श्रेणी की स्थाई विद्युत् शक्ति होती है। जलाने पर यह जलता है व साथ-साथ पिघलता भी है।
ऑरलॉन का तन्तु आसानी से नहीं रंगा जा सकता। रंग का पक्कापन रंगाई की विधि पर तथा वस्तु की बनावट पर निर्भर करता है। इस तन्तु को रंगने के लिए ताँबा-लोहा विधि बहुत सफल हुई है। वस्त्र का सिकुड़ना उसकी बनावट पर निर्भर करता है।
ऑरलॉन के वस्त्र को धोने के पश्चात् लोहा करने की आवश्यकता नहीं रहती है। ये शीघ्रता से सूख जाते हैं। इन वस्त्रों में टिकाऊपन अधिक होता है।

प्रश्न 8.
ऊनी बुने हुए स्वेटर की धुलाई आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर-
ऊनी स्वेटर पर प्रायः बटन लगे होते हैं। यदि कुछ ऐसे फैन्सी बटन हों जिनको धोने से खराब होने की सम्भावना हो तो उतार लेते हैं। यदि स्वेटर कहीं से फटा हो तो सी लेते हैं। अब स्वेटर का खाका तैयार करते हैं। इसके उपरान्त गुनगुने पानी में आवश्यकतानुसार लक्स का चूरा अथवा रीठे का घोल मिलाकर हल्के दबाव विधि से धो लेते हैं। तत्पश्चात् गुनगुने साफ़ पानी से तब तक धोते हैं जब तक सारा साबुन न निकल जाए। ऊनी वस्त्रों के लिए पानी का तापमान एक-सा रखते हैं तथा ऊनी वस्त्रों को पानी में बहुत देर तक नहीं भिगोना चाहिए वरना इनके सिकुड़ने का भय हो सकता है। इसके बाद एक रोंएदार (टर्किश) तौलिये में रखकर उसको हल्के हाथों से दबाकर पानी निकाल लेते हैं। फिर खाके पर रखकर किसी समतल स्थान पर छाया में सुखा लेते हैं।
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चित्र 4.2. ऊनी वस्त्र का खाका बनाना

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प्रश्न 9.
रेशमी व ऊनी वस्त्रों की धुलाई करने में क्या अन्तर है ? कारण सहित बताओ।
उत्तर-
रेशमी व ऊनी वस्त्रों की धुलाई में निम्नलिखित अन्तर हैं-

रेशमी वस्त्रों की धुलाई ऊनी वस्त्रों की धुलाई
1. पानी गुनगुना होना चाहिए। धोते समय पानी का तापमान बदलने से कोई हानि नहीं होती। अन्तिम बार इसको अवश्य ही ठण्डे पानी में से निकालना चाहिए। यदि ऐसा किया जाता है तो जो गोंद रेशम में होता है, वह ऊपर की सतह पर आ जाता है। 1. पानी तो गुनगुना ही होना चाहिए परन्तु धोते समय पानी का तापमान एकसा ही होना चाहिए। यदि ऐसा न किया जाए तो ऊन के तन्तु सिकुड़ जाते हैं।
2. धोने से पूर्व वस्त्र का खाका तैयार करने की कोई आवश्यकता नहीं होती। 2. धोने से पूर्व वस्त्र का खाका तैयार कर लेना चाहिए। इससे वस्त्र का आकार बना रहता है।
3. हल्की दबाव विधि से धोना चाहिए। 3. हल्की दबाव विधि से जल्दी से जल्दी धोना चाहिए जिससे वस्त्र सिकुड़े नहीं।
4. कलफ लगाने के लिए गोंद का घोल प्रयोग किया जता है। 4. कलफ लगाने की आवश्यकता नहीं होती।
5. हल्के दबाव से निचोड़ना चाहिए। 5. सूखे रोंएदार तौलिए में लपेटकर हल्के हाथों से दबाना चाहिए।
6. वस्त्र को उल्टा करके छाया में सुखाना चाहिए। 6. रेखांकित स्थानों पर कपड़े के सिरे रखकर छाया में उल्टा करके समतल स्थान पर सुखाना चाहिए जहाँ चारों ओर से कपड़े पर हवा लगे।
7. जब वस्त्र में थोड़ी नमी रह जाए तो उस पर हल्की गर्म इस्तरी करनी चाहिए। 7. यदि रेखांकित स्थानों पर वस्त्र को ठीक प्रकार से सुखाया जाए तो प्रेस की आवश्यकता नहीं होती।

 

बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्रों को धोने के लिए किस-किस सामान की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
वस्त्रों को धोने के लिए निम्नलिखित सामान की आवश्यकता होती है-
1. चिलमची, टब, बेसिन या बाल्टियाँ-ये वस्त्र धोने के प्रयोग में आते हैं। इनका आकार इतना बड़ा होना चाहिए कि पाँच-छः कपड़े आसानी से धुल सकें। इसका प्रयोग पानी भरने, साबुन का फेन बनाने, वस्त्रों को धोने, खंगालने, नील व माँड़ लगाने में भी किया जाता है। यह बर्तन प्लास्टिक या तामचीनी के होने चाहिएं ताकि बर्तन की धातु का वस्त्र पर कोई प्रभाव न पड़े। बाल्टी और टब प्लास्टिक के भी अच्छे होते हैं।

2. सिंक-कपड़े धोने के लिए सिंक अच्छा रहता है। धोने का काम सिंक में बड़ी सुविधा से होता है, मेहनत कम लगती है। सिंक की आकृति, आकार, ऊँचाई, समाई तथा स्थिति सभी धुलाई को सुविधाजनक और कम समय एवं श्रम में करने में योगदान देते हैं। 36 इंच ऊँचे, 20 इंच लम्बे, 20 इंच चौड़े तथा 12 इंच गहरे सिंक अच्छे होते हैं।

3. तामचीनी के कटोरे-इसका प्रयोग नील या माँड़ घोलने के लिए किया जाता है। धब्बे छुड़ाते समय भी ऐसे कटोरों की आवश्यकता होती है।

4. लकड़ी या धातु के चम्मच-नील घोलने के लिए या माँड़ बनाने के लिए प्रयोग में आते हैं।
5. ब्रुश-वस्त्र पर जहाँ अधिक गन्दगी लगी हो, ब्रुश द्वारा साफ़ की जाती है।

6. स्क्रबिंग बोर्ड या रगड़ने का तख्ता-पत्थर पर वस्त्र रगड़ने की बजाय वस्त्र को रगड़ने के लिए लकड़ी का तख्ता रखना चाहिए। इस तख्ते पर कपड़ा रगड़ने से मैल शीघ्रता से निकल जाती है। स्क्रबिंग बोर्ड लकड़ी के अलावा जिंक, शीशे तथा स्टील के भी बनते हैं, परन्तु लकड़ी के ही सबसे अच्छे रहते हैं।

7. सक्शन वाशर-इसका निचला भाग धातु का एवं हैंडिल लकड़ी का बना होता है। इससे भारी कपड़े जैसे कम्बल, दरी, सूट आदि धोने में सरलता होती है।

8. साइफन ट्रेनर-यह वाशिंग मशीन में पानी भरने के प्रयोग में आता है। इसी के द्वारा मशीन से पानी भी निकाला जाता है।

9. वस्त्र सुखाने का रैक-बहुत से ऐसे मकान जहाँ पर वस्त्र सुखाने की सुविधा नहीं होती है, लकड़ी के रैक प्रयोग में लाए जाते हैं। यह कमरे में या बरामदे में रखे जा सकते हैं। छोटे मकानों में रैक घरों की छत पर लटका दिए जाते हैं जिन्हें रस्सी द्वारा ऊपर-नीचे किया जा सकता है।

10 .सोप केस (साबुनदानी)-यह चिलमची के ऊपर एक तरफ रखी जाती है।

11. कपड़े धोने की मशीन (वाशिंग मशीन)- यह मशीन कई प्रकार की होती है। सभी एक ही सिद्धान्त पर बनी हैं। इसमें साबुन के घोल में बिजली द्वारा कम्पन पैदा करके कपड़ों की धुलाई की जाती है। मशीन के साथ निचोड़क भी लगा होता है। मशीन में पानी और साबुन का घोल तैयार कर लिया जाता है तथा इसे पाँच से दस मिनट तक चलाते हैं। जब कपड़ों की मैल निकल जाती है तो कपड़ों को निचोड़क से निकाला जाता है। इसके बाद कपड़ों को साफ़ पानी से खंगालना चाहिए। उपयोग के बाद मशीन को सुखाकर रखना चाहिए।

12. इस्तरी-बिजली या कोयले की इस्तरी प्रेस करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। बिजली की इस्तरी का प्रयोग कोयले की इस्तरी की अपेक्षा सुविधाजनक है। इसमें विभिन्न प्रकार के तन्तुओं से बने वस्त्रों को प्रैस करते समय आवश्यकता के अनुसार ताप का नियन्त्रण किया जा सकता है। बिजली की इस्तरी से गन्दगी भी नहीं फैलती।

13. इस्तरी करने की मेज़-इस मेज़ की बनावट प्रैस करने की सुविधा के अनुकूल होती है जिसमें गुदगुदा करने के लिए फलालेन व कम्बल लगा होता है। इसके ऊपर एक चादर फैला दी जाती है।

14. बाँह प्रैस करने का तख्ता-यह आगे से कम चौड़ा या पीछे से ज्यादा चौड़ा होता है। यह कोट की बाजू तथा गोल चीज़ों पर प्रेस करने के काम आता है।

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प्रश्न 2.
वस्त्रों की धुलाई में आवश्यक साबुन तथा अन्य सहायक पदार्थों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1. साबुन-धूल के कण जो चिकनाई के माध्यम से कपड़ों पर चिपके होते हैं, साबुन लगाने से ही दूर होते हैं। साबुन पाउडर, तरल और ठोस रूपों में मिलता है।
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चित्र 4.3. धुलाई के उपकरण
अच्छा साबुन नरम होता है तथा बहुत झाग देता है। अच्छा साबुन हल्के रंग का होता है और कपड़ों को भली-भाँति साफ़ कर देता है। डिटरजेन्ट साबुन कपड़ों की धुलाई के लिए अधिक प्रभावशाली होता है।

2. रीठे-रीठों का घोल बनाने के लिए रीठों को तोड़कर उनकी गुठली निकाल दी जाती है। तत्पश्चात् उन्हें पीसकर पाउडर बना लिया जाता है। इस पाउडर को पानी के साथ उबाल लिया जाता है। फिर यह घोल कपड़े धोने के प्रयोग में लाया जाता है। यह रेशमी व ऊनी कपड़ों को धोने के काम में आता है। एक पिन्ट पानी में आठ औंस रीठा लेना चाहिए।

3. शिकाकाई-यह भी रीठे के समान होता है। इसकी सहायता से सूती, ऊनी व रेशमी वस्त्रों पर जो कोई चिकनाई लगी होती है, सरलतापूर्वक हटाई जा सकती है। शिकाकाई का भी रीठे की तरह महीन पाउडर बना लिया जाता है। एक चम्मच शिकाकाई को एक पिन्ट पानी में घोलकर उबाला जाता है। इसी घोल को वस्त्रों की धुलाई के प्रयोग में लाया जाता है।

4. माँड़ (कलफ)-माँड़ बनाने के लिए साधारणतः चावल, मैदा, अरारोट एवं साबूदाने का प्रयोग किया जाता है। वस्तु के अनुपात में पानी डालकर उबालते हैं, जब पक जाता है तो छलनी में छानकर प्रयोग में लाते हैं।
माँड़ से वस्त्र में सख्ती या कड़ापन आ जाता है। यह धागों के बीच के रिक्त स्थानों की पूर्ति करता है। वस्त्र में धूल व गन्दगी नहीं लगने देता है। इसके प्रयोग से वस्त्र में चमक एवं नवीनता आ जाती है।

5. नील-बार-बार धुलाई से सफ़ेद कपड़े पीले पड़ जाते हैं। ऐसे कपड़ों में सफेदी लाने के लिए नील लगाया जाता है। नील बाज़ार में बना-बनाया मिलता है।

6. टिनोपाल-सफ़ेद कपड़ों में अधिक चमक लाने के लिए टिनोपाल का प्रयोग किया जाता है।

7. धब्बे छुड़ाने के रसायन-बैंजीन, पेट्रोल, पैराफीन, जेवली का घोल तथा अन्य बहुत से रसायन वस्त्रों पर पड़े दाग-धब्बे छुड़ाने के काम आते हैं।

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अपने कपड़ों को धोना PSEB 6th Class Home Science Notes

  • कपड़े धोना, बर्तन और मकान की सफ़ाई की तरह ही आवश्यक है।
  • कपड़े मनुष्य की सुन्दरता को बढ़ा देते हैं।
  • मैले कपड़े पहनना एक बुरी आदत है। इससे छूत की कई बीमारियाँ हो जाती हैं। ।
  • कपड़े धोने के लिए हमें पहले प्रयोग में आने वाला सामान इकट्ठा कर लेना चाहिए, जैसे-पानी के लिए टब, बाल्टी, मग, नील लगाने के लिए टब या । चिलमची, माया लगाने के लिए बर्तन, साबुन, माया, नील, रानीपाल, सर्फ या लक्स का चूरा आदि।
  • कपड़े धोने के लिए हमेशा कोमल पानी प्रयोग करना चाहिए। यदि पानी कठोर हो तो उसको उबाल लेना चाहिए।
  • सूती और भारी कपड़े ज़मीन पर रखकर ब्रुश से या रगड़ने वाले तख्ते पर रखकर हाथों से धोना चाहिए।
  • सूती और बनावटी कपड़ों के लिए सर्फ या डैट का प्रयोग करना चाहिए।
  • सफ़ेद सूती कपड़ों को धोने के बाद नील या रानीपाल लगाना चाहिए।
  • सूती कपड़ों को मैदे या अरारोट की माया बनाकर लगाई जाती है।
  • कपड़ों को मुरम्मत करने के बाद छाँट लेना चाहिए।
  • रंगदार और सफ़ेद कपड़े अलग-अलग कर लेने चाहिएं।
  • यदि कपड़ों को स्याही, हल्दी, घी, दूध या कोई और दाग लगे हों तो तुरन्त साफ़ कर लेने चाहिएं।
  • निजी कपड़े किसी भी तन्तु और रंग के हो सकते हैं।
  • कृत्रिम रेशों वाले कपड़े बहुत मज़बूत होते हैं।
  • रेशमी कपड़े भी ऊनी कपड़ों की तरह धोये जाते हैं।
  • सूती कपड़े जैसे फ्रॉक, जांघिया, सलवार और कमीज़ आदि को किसी कपड़े धोने वाले साबुन से धोया जा सकता है।
  • रंगदार कपड़ों को कभी भी गर्म पानी में नहीं जलाना चाहिए।
  • कच्चे और पक्के रंगों वाले कपड़े अलग-अलग करके धोने चाहिएं। |
  • दुपट्टे को साड़ी की तरह ही धोना चाहिए।

PSEB 6th Class Home Science Practical अण्डा उबालना

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Practical अण्डा उबालना Notes.

PSEB 6th Class Home Science Practical अण्डा उबालना

पूरा अण्डा उबालना—

सामग्री—

  1. पानी — 2 कप
  2. अण्डा —एक

विधि—पानी को साफ़ बर्तन में उबाले। जब पानी उबलने लग जाए तो पानी में अण्डा रख दें और तीन से चार मिनट तक उबालें।
उबालने के पश्चात् 15 सेकिण्ड के लिए ठण्डे पानी में रख दें। ठण्डे पानी से अण्डा निकालकर इसे छील लें। लम्बाई की तरफ़ से काटकर नमक तथा काली मिर्च लगाकर परोसें।

PSEB 6th Class Home Science Practical अण्डा उबालना

2. आधा उबला अण्डा—

उपरोक्त विधि में सिर्फ उबालने का समय एक से डेढ मिन्ट तक का रखा जाता है। उबले अण्डे को पूरा न छील कर कम छीला जाता है तथा इसमें नमक, काली मिर्च डाल कर चम्मच से खाया जाता है।
नोट-

  1.  बहुत हल्का उबालने के लिए एक मिनट उबालना ठीक रहता है।
  2. बर्तन में इतना पानी लें कि अण्डा डूब जाए।

PSEB 6th Class Home Science Practical चाय बनाना और परोसना

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Practical चाय बनाना और परोसना Notes.

PSEB 6th Class Home Science Practical चाय बनाना और परोसना

सामग्री—

  1. चाय की पत्ती — 3/4 छोटी चम्मच
  2. चीनी — 1 छोटी चम्मच
  3. दूध — 2-3 बड़े चम्मच
  4. पानी — 1 कप

विधि—पहले केतली में उबलता हुआ थोड़ा-सा पानी डालकर, केतली में चारों ओर हिलाकर, निकाल दें ताकि वह गर्म हो जाए। अब उसमें चाय की पत्ती डाल दें। ऊपर से उबलता हुआ पानी डालकर इसे पाँच मिनट ढक कर रख दें। इसे गर्म दूध और चीनी के साथ परोसें।

PSEB 6th Class Home Science Practical चाय बनाना और परोसना

नोट-

  1. जितने कप चाय बनानी हो उसी हिसाब से सामग्री की मात्रा लें।
  2. दूध, चाय और चीनी की मात्रा स्वादानुसार घटाई-बढ़ाई जा सकती है।
  3. चाय बनाकर देने के लिए प्याले में चीनी और केतली से चाय (गर्म पानी में पत्ती मिली हुई) डालें। प्याला थोड़ा खाली रखें और उसमें दूध मिलायें। चाय तैयार हो जायेगी। इसे बर्तन में डालकर गर्म-गर्म परोस दें।

कुल मात्रा—1 व्यक्ति के लिए।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

PSEB 6th Class Physical Education Guide सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सफ़ाई हमारे घर के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
सफ़ाई (Cleanliness) हमारा शरीर अनोखी मशीन की तरह है। जैसे दूसरी मशीनों की सफ़ाई न की जाए तो वे खराब हो जाती है। इसी तरह शरीर की सफ़ाई की जानी भी ज़रूरी है। जैसे मोटरकार को चलाने के लिए पैट्रोल आदि की ज़रूरत पड़ती है, उसी तरह शरीर को चलाने के लिए अच्छी खुराक, पानी और हवा की ज़रूरत है। शारीरिक सफ़ाई, चोटों व बीमारी आदि से रक्षा करना मनुष्य की आदतों से सम्बन्धित है। अगर हम शरीर पर उचित ध्यान न दें, हमारे लिए. मानसिक, शारीरिक और आत्मिक उन्नति करना सम्भव नहीं होगा। गन्दगी ही हर तरह के रोगों का मूल कारण है। इसलिए यह जरूरी है कि शरीर के सारे अंगों की सफ़ाई की जाए। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे व्यक्तिगत सफ़ाई के साथ-साथ अपने घर तथा आस-पास की सफ़ाई की बहुत आवश्यकता होती है। सफ़ाई स्वास्थ्य की निशानी है। सफ़ाई के बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना भी की नहीं जा सकती। व्यक्तिगत सफ़ाई तो स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है ही, परन्तु घर, स्कूल तथा आस-पास की सफ़ाई भी स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए बहुत आवश्यक है। यदि हम अपने घर तथा आस-पास की सफ़ाई नहीं रखते तो कई प्रकार की बीमारियां फैल जाएंगी। बहुत-से लोग इन बीमारियों के शिकार हो जाएंगे। इससे हमारा देश तथा समाज कमज़ोर हो जाएगा। इसलिए देश तथा समाज की भलाई के लिए सफ़ाई आवश्यक है।

प्रश्न 2.
घर की सफ़ाई किस तरह रखी जा सकती है ?
उत्तर-
घर की सफ़ाई के ढंग (Methods of Cleanliness of a House)हमें अपने घर की सफाई रखने के लिए। निम्नलिखित ढंग अपनाने चाहिएं –
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल 1

  • फलों, सब्जियों के छिलके और कूड़ाकर्कट ढक्कनदार ढोल में डालना चाहिए। इस ढोल को प्रतिदिन खाली करने की व्यवस्था होनी चाहिए। ढोल के कूड़े-कर्कट को किसी गड्ढे में दबा देना चाहिए। इस प्रकार यह खाद बन जाएगा।
  • घर की रसोई, स्नान घर और पाखाने के पानी के निकास का उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
  • पशुओं के गोबर एवं मल-मूत्र को बाहर दूर किसी गड्ढे में एकत्र करते रहना चाहिए। इस प्रकार कुछ दिनों के पश्चात् अच्छी खाद बन जाएगी।
  • घर के सभी सदस्यों को सफ़ाई के नियमों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

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प्रश्न 3.
घर के आस-पास की सफ़ाई में कौन-कौन सी बातें ध्यान देने योग्य हैं ?
उत्तर-
घर के आस-पास की सफ़ाई (Cleanliness of Surrounding of a House)-घर की सफाई के साथ-साथ इसके आस-पास की सफाई की भी बहुत आवश्यकता है। यदि घर साफ़-सुथरा है, परन्तु इसके इर्द-गिर्द गन्दगी के ढेर लगे हुए हैं तो इसका घर वालों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए घर के आस-पास की सफ़ाई की ओर भी विशेष ध्यान देना चाहिए
घर के आस-पास की सफ़ाई के लिए नीचे लिखी बातों की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है –

  1. घर के बाहर की नालियां और सड़कें खुली तथा साफ़-सुथरी होनी चाहिएं।
  2. घर के बाहर की नालियां गन्दी नहीं होनी चाहिए।
  3. घर के बाहर गलियों में तथा सड़कों पर पशु नहीं बांधने चाहिए।
  4. घर से बाहर गलियों तथा सड़कों पर कूड़ा-कर्कट नहीं फेंकना चाहिए। इसे या तो दबा देना चाहिए या जला देना चाहिए।
  5. घरों के आगे पानी खड़ा होने नहीं देना चाहिए। घरों के निकट गड्ढों में खड़े हुए पानी में डी० डी० टी० या मिट्टी का तेल डाल देना चाहिए।
  6. गलियों में तथा सड़कों पर चलते समय जगह-जगह नहीं थूकना चाहिए।
  7. इधर-उधर खड़े होकर पेशाब नहीं करना चाहिए। पेशाब केवल पेशाबखानों में ही करना चाहिए।

प्रश्न 4.
स्कूल की सफ़ाई रखने में विद्यार्थियों की क्या भूमिका हो सकती है ?
उत्तर-
स्कूल की सफ़ाई (Cleanliness of aSchool)-स्कूल विद्या का.मन्दिर है। व्यक्तिगत सफ़ाई के साथ-साथ स्कूल की सफ़ाई भी अवश्य रखनी चाहिए। स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां बच्चे दिन का काफ़ी समय व्यतीत करते हैं। यदि स्कूल का वातावरण साफ़ और शुद्ध नहीं होगा तो बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। वे कई प्रकार की बीमारियों का शिकार हो जाएंगे। इसलिए स्कूल की सफ़ाई रखना बहुत ही आवश्यक है।

स्कूल को साफ़-सुथरा रखने के लिए निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए –

  • स्कूल के आंगन में कागज़ आदि के टुकड़े नहीं फेंकने चाहिए। इन्हें कूड़ेदानों में फेंकना चाहिए।
  • स्कूल के सभी कमरों, डैस्कों तथा बैंचों को प्रतिदिन अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए।
  • स्कूल में घूमते हुए इधर-उधर थूकना नहीं चाहिए।
  • स्कूल के पाखानों तथा मूत्रालयों (पेशाब-घरों) की सफ़ाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। इन्हें प्रतिदिन फिनाइल के साथ धोना चाहिए।
  • स्कूल में पानी पीने वाले स्थान साफ़-सुथरे रहने चाहिएं।
  • दोपहर का खाना खाने के बाद बच्चों को बचा-खुचा खाना, कागज़ आदि स्कूल के भिन्न-भिन्न स्थानों पर पड़े कूड़ेदानों में फेंकना चाहिए।
  • स्कूल के खेल के मैदानों, घास के मैदानों तथा बगीचों को कूड़ा-कर्कट तथा कंकर फेंक कर गन्दा नहीं करना चाहिए।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

प्रश्न 5.
घर की वस्तुओं की सम्भाल किस तरह की जा सकती है ?
उत्तर-
घर की सम्भाल हमें आस-पड़ोस और स्कूल की सफाई के साथ-साथ इन स्थानों पर प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं को सम्भाल अवश्य करनी चाहिए। – घर का सारा सामान अपने निश्चित स्थान पर रखना चाहिए। ताकि ढूंढते समय कोई मुश्किल न आए। अपने निश्चित स्थान पर रखा हुआ सामान ढूंढ़ने में आसानी होती है और टूटने से बचा रहता है।

घर में मौसम अनुसार सर्दी में गर्मियों के कपड़े और गर्मी में सर्दियों के कपड़ों को सम्भाल कर रखना चाहिए।
घर में बने लकड़ी के फर्नीचर, खिड़कियां, दरवाज़े आदि को दीमक से बचाने के लिए समय पर दीमक नाशक दवाई का छिड़काव करना अच्छा होता है। लोहे को जंग लगने वाला सामान को समय-समय पेंट करवा लेना चाहिए। घर में इस्तेमाल करने वाले कांच के सामान चाकू, कैंची, पेचकस, सूई, नेलकटर, ब्लेड और कनक को बचाने और दूसरी दवाइयां फिनाइल और तेजाब की बोतल आदि सुरक्षा वाली जगह पर रखने चाहिए जिसके साथ यह चीजें छोटे बच्चों की पहुंच से दूर रहे।

प्रश्न 6.
स्कूल के सामान की सम्भाल के लिए बच्चों को कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
स्कूल और स्कूल के सामान की सम्भाल-हरेक विद्यार्थी को स्कूल और उसके सामान का ध्यान रखना चाहिए। विद्यार्थियों को स्कूल की दीवार पर पैन या पैंसिल के साथ लाइनें नहीं मारनी चाहिए। क्लास में रखे सामान जैसे-फर्नीचर आदि को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। क्लास में लगे पंखे, ट्यूब लाईट आदि को नहीं तोड़ना चाहिए। क्लास के बाहर जाने के समय बिजली के बटनों को बंद कर देना चाहिए। पानी पीने के पश्चात् विद्यार्थियों को नल को बंद कर देना चाहिए। स्कूल में लगे हुए बगीचे में से पौधे और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बल्कि उनके बचाव रखने से स्कूल की सुंदरता में बढ़ोतरी करनी चाहिए। स्कूल लाईब्रेरी की किताबें अच्छे ढंग से अपने निश्चित स्थान पर रखनी चाहिए। लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ते समय शांति बनाये रखनी चाहिए। इसके इलावा खेल का सामान एन०सी०सी० बैंड, स्कूल की अलग-अलग प्रयोगशाला के सामान आदि को भी उसके स्थान पर रखना चाहिए।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत सफ़ाई के साथ-साथ और किस वस्तु की सफ़ाई ज़रूरी है ?
उत्तर-
आस-पड़ोस की सफ़ाई।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

प्रश्न 2.
घर कैसे स्थान पर बनवाना चाहिए ?
उत्तर-
पक्के और ऊंचे स्थान पर।

प्रश्न 3.
गन्दे घर में रहने से क्या होता है ?
उत्तर-
कई तरह के रोग लग जाते हैं।

प्रश्न 4.
घर बनाते समय उस की नींव कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर-
चौड़ी, गहरी और मज़बूत।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

प्रश्न 5.
कमरों में किस वस्तु का प्रबंन्ध होना चाहिए ?
उत्तर-
रोशनी और हवा का।

प्रश्न 6.
गन्दे, बिना रोशनी और सींकरे घरों में रहने से क्या होता है ?
उत्तर-
मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता।

प्रश्न 7.
घर किन-किन से दूर होना चाहिए ?
उत्तर-
बाज़ार और रेलवे स्टेशन से।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

प्रश्न 8.
घर के कूड़ा-कर्कट को किसमें फेंकना चाहिए ?
उत्तर-
ढक्कनदार ढोल में।

प्रश्न 9.
घर में गन्दे पानी के निकास के लिए किसकी व्यवस्था होनी चाहिए ?
उत्तर-
ढकी हुई नालियों की।

प्रश्न 10.
घर में कूड़े-कर्कट को कैसे ठिकाने लगाना चाहिए ?
उत्तर-
गड्ढे में।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

प्रश्न 11.
पशुओं को किस स्थान पर नहीं बांधना चाहिए ?
उत्तर-
गलियों में।

प्रश्न 12.
पानी को शुद्ध करने के लिए इसमें क्या मिलाना चाहिए ?
उत्तर-
लाल दवाई (पोटाशियम परमैगनेट)।

प्रश्न 13.
पाखानों और मूत्रालयों को किस चीज़ से साफ करना चाहिए ?
उत्तर-
फीनाइल से।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

प्रश्न 14.
घरों के पास पानी से भरे गड्ढों में क्या डालना चाहिए ?
उत्तर-
डी० डी० टी०।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
घर के आसपास की सफ़ाई के लिए किन पांच बातों की तरफ ध्यान देना चाहिए ?
उत्तर-
घर के आसपास की सफ़ाई के लिए निम्नलिखित बातों की तरफ ध्यान देना चाहिए –

  • गलियों और सड़कों में कूड़ा-कर्कट नहीं फेंकना चाहिए।
  • घर के बाहर गलियों में पशु नहीं बांधने चाहिएं।
  • घर के सामने पानी खड़ा नहीं होने देना चाहिए।
  • घरों का कूड़ा-कर्कट गली में रखे ढक्कनदार ढोल में डालना चाहिए।
  • स्थान-स्थान पर थूकना नहीं चाहिए।

प्रश्न 2.
घरों की सफ़ाई के लिए पांच बातें लिखो।
उत्तर-
घर की सफाई के लिए विशेष बातें इस प्रकार हैं –

  • घर के कूड़े-कर्कट और गन्दे पानी के निकास का उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
  • घर के सभी कमरों को प्रतिदिन साफ़ करना चाहिए।
  • घर के कूड़े-कर्कट को ढक्कनदार ढोल में डालना चाहिए।
  • मक्खियों और मच्छरों से बचाव के लिए घर में फलीट अथवा फिनाइल का छिड़काव करना चाहिए।
  • घर की प्रत्येक वस्तु को उचित स्थान पर रखना चाहिए।

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प्रश्न 3.
स्कूल की सफ़ाई रखने के लिए कोई पांच बातें बताएं।
उत्तर-
स्कूल की सफाई रखने के लिए पांच बातें –

  • स्कूल के बैंचों और डैस्कों को साफ़ रखना चाहिए।
  • स्कूल के आंगन को कूड़ा-कर्कट फेंक कर गन्दा नहीं करना चाहिए।
  • लिखते समय स्याही फ़र्श पर नहीं गिरानी चाहिए।
  • स्कूल के कमरों की प्रतिदिन सफ़ाई करनी चाहिए।
  • पाखानों की सफ़ाई फिनाइल डाल कर करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
घर में गन्दगी होने के कारण बताएं।
उत्तर-
घर में गन्दगी होने के कारण –

  • फलों, सब्जियों के छिलके और घर का कूड़ा-कर्कट आदि के रखने के लिए उचित स्थान का न होना।
  • रसोई, पाखाने और स्नानागृह के पानी के निकास का उचित प्रबन्ध न होना।
  • पशुओं के गोबर एवं मल-मूत्र का उचित प्रबन्ध न होना।
  • घर में रहने वालों को सफ़ाई के नियमों का उचित ज्ञान न होना।
  • छोटे घर में अधिक जीवों का रहना।
  • घर में अधिक जीवों के रहने पर घर की सफाई का उचित प्रबन्ध न करना।

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प्रश्न 5.
घर में अधिक व्यक्तियों के होने से घर की सफ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वर्णन करो।
उत्तर-
घर में अधिक व्यक्तियों के होने से घर की सफ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यदि घर में अधिक व्यक्ति होंगे तो घर की सफ़ाई ठीक प्रकार से नहीं रखी जा सकती। बच्चे घर की वस्तुओं को इधर-उधर बिखेर देते हैं। वे कागज़ के टुकड़े आदि घर में इधर-उधर फेंक देते हैं। एक व्यक्ति घर में झाड़ देता रहेगा और बच्चे घर में गन्दगी फैलाते रहेंगे। इतना ही नहीं, एक घर में अधिक व्यक्तियों के आते-जाते रहने से बाहर से पांवों से मिट्टी लग कर घर में आ जाएगी। फलत: घर का फ़र्श गन्दा हो जाएगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि घर में अधिक व्यक्तियों के रहने से सफ़ाई अच्छी तरह नहीं रह सकेगी।

प्रश्न 6.
शरीर की सफाई के नियम बताओ।
उत्तर-
शरीर की सफ़ाई के मुख्य नियम निम्नलिखित हैं-

  • हमें प्रतिदिन ताज़े और साफ़ पानी से नहाना चाहिए।
  • नहाने के बाद शरीर को साफ़ तौलिये से अच्छी तरह पोंछना चाहिए।
  • बालों को अच्छी तरह सुखा करके कंघी करनी चाहिए।
  • नहाने के बाद मौसम के अनुसार साफ़-सुथरे कपड़े पहनने चाहिएं।
  • बालों की सफाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। गर्मियों में सप्ताह में कमसे-कम दो बार और सर्दियों में एक बार किसी बढ़िया साबुन, शैंपू, रीठे, आंवले, दही या नींबू से धोना चाहिए।
  • आंखों की सफाई के लिए आंखों पर ठण्डे पानी के छींटे मारने चाहिएं।
  • दांतों की सफाई के लिए प्रतिदिन सवेरे उठने के बाद और रात को सोने से पहले ब्रुश करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हर बार खाना खाने के बाद कुल्ला करना चाहिए।
  • शरीर के अन्य बाहरी अंगों (हाथ, नाक, कान, पैर आदि) की सफ़ाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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प्रश्न 7.
घर में गन्दगी फैलने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
घर में गन्दगी होने के कारण (Causes of Dirtness)

  • फलों, सब्जियों, पत्तों और घर के कूड़े-कर्कट के लिए उचित स्थान न होना।
  • रसोई, स्नान घर तथा पाखाने के गन्दे पानी के निकास की ठीक व्यवस्था न होना।
  • गोबर और मल-मूत्र आदि के लिए उचित व्यवस्था न होना।
  • घर वालों को सफ़ाई के नियमों का ज्ञान न होना।
  • छोटे घरों में अधिक सदस्यों का रहना।
  • घर में अधिक सदस्यों के कारण घर की सफ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ना।

प्रश्न 8.
एक अच्छा घर बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
अच्छा घर बनाने के लिए आवश्यक बातें-एक अच्छा घर बनाने के लिए हमें निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए
(क) घर की स्थिति (Situation of a House) –

  • घर खुश्क, सख्त तथा ऊंची भूमि पर बनाना चाहिए।
  • घर मण्डी, कारखाने, रेलवे स्टेशन तथा श्मशान घाट से दूर बनाना चाहिए।
  • घर तक पहुंचने का रास्ता साफ़, पक्का तथा खुला होना चाहिए।
  • घर में रोशनी तथा हवा काफ़ी मात्रा में आनी चाहिए। इसके लिए खिड़कियों और रोशनदानों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  • पड़ोसी अच्छे तथा मेल-मिलाप वाले होने चाहिएं। अच्छे पड़ोसी ही सुखदुःख के भागीदार होते हैं।

(ख) घर की बनावट (Construction of a House) –

  • घर की नींव गहरी, चौड़ी और दृढ़ होनी चाहिए।
  • घर भूमि या सड़क से काफ़ी ऊंचाई पर होना चाहिए ताकि वर्षा का पानी अन्दर न आ सके।
  • घर का फर्श पक्का एवं दृढ़ होना चाहिए। यह न तो अधिक खुरदरा हो और न ही अधिक फिसलने वाला हो। फ़र्श की ढलान भी उचित होनी चाहिए।
  • घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जालियां लगवानी चाहिएं ताकि मक्खीमच्छर अन्दर न आ सकें।
  • मकान पक्के बनवाने चाहिएं। कच्चे घरों में सफ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो सकती।
  • पाखाना, स्नान घर और रसोई घर एक-दूसरे कमरों से दूर बनाने चाहिएं।
  • रसोई, स्नान घर और पाखाना बनाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इनमें प्रकाश, हवा और पानी की विशेष व्यवस्था होनी चाहिए।
  • गन्दे पानी के निकास का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। रसोई में धुआं बाहर निकालने के लिए चिमनी आदि का प्रबन्ध होना चाहिए।

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निम्नलिखित वाक्यों में दिए गए खाली स्थानों को कोष्ठक में दिए गए उचित शब्द चुन कर भरो-

  1. हमें घर ……………. के निकट नहीं बनाना चाहिए। (स्कूल, रेलवे स्टेशन)
  2. घर …………… भूमि पर बनाना चाहिए।(सख्त और ऊंची, नरम और नीची)
  3. पानी को साफ़ करने के लिए ………….. का प्रयोग करना चाहिए। (नीली दवाई, लाल दवाई)
  4. पाखानों और मूत्रालय (पेशाबखानों) को प्रतिदिन …………. के साथ धोना चाहिए। (डी० डी० टी०, फिनाइल)
  5. हमें अपने पशुओं को ………….. में बांधना चाहिए। (गलियों, घरों)

उत्तर-

  1. रेलवे स्टेशन
  2. सख्त और ऊंची
  3. लाल दवाई
  4. फिनाइल
  5. घरों।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 1 स्वास्थ्य

PSEB 6th Class Physical Education Guide स्वास्थ्य Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर-
स्वास्थ्य (Health)-आमतौर पर रोगों से बचने वाले आदमी को स्वस्थ माना जाता है पर यह पूरी तरह ठीक नहीं। वर्ल्ड हैल्थ ओरगनाइस के अनुसार स्वास्थ्य मनुष्य के शरीर के साथ ही सीमित नहीं है। स्वास्थ्य का सम्बन्ध आदमी के मन, समाज और भावना के साथ जुड़ा है। स्वास्थ्य शिक्षा का वह भाग है जिसके साथ मनुष्य सारी जगह से वातावरण के साथ सुमेल कायम करके शारीरिक और मानसिक विकास कायम कर सके और उसका विकास कर सके। एक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य उतना ही ज़रूरी है जितनी कि फूल के लिए खुशबू। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार “स्वास्थ्य से भाव व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक की तरफ से स्वस्थ होना है। रोग या कमजोरी रहित होना ही स्वास्थ्य की निशानी नहीं है।”

According to W.H.O. “Health is a state of complete physical, mental and social well being, and not merely the absence of disease or infirmity.”
स्वस्थ व्यक्ति वह होता है जो अपने जीवन में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक आदि सारे पहलुओं में सन्तुलन रखता है।

स्वास्थ्य की किस्में
यह चार प्रकार की होती हैं –

  1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health)
  2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health)
  3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health)
  4. भावनात्मक स्वास्थ्य (Emotional Health)

1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health) शारीरिक स्वास्थ्य से भाव व्यक्ति के सभी अंग ठीक ढंग से काम करते हैं। शरीर फुर्तीला और तंदुरुस्त और हर रोज़ क्रियाएं करने के लिए तैयार रहना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति का शारीरिक ढांचा सुडौल, मज़बूत और सुन्दर होना चाहिए। उसकी सभी कार्य प्रणाली जैसे-सांस प्रणाली, पाचन प्रणाली, रक्त प्रणाली, अपना-अपना काम ठीक ढंग से करते हैं।

2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) इसका मतलब मनुष्य दिमागी तौर से सही और समय से फैसला लेता है और हमेशा ही अपने विश्वास को कायम रखता है। मानसिक तौर पर व्यक्ति हालात के साथ अपने-आप को ढाल लेता है।

3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health) इससे भाव व्यक्ति अपने समाज के साथ सम्बन्धित है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जिसको अपने हर रोज़ के कामों की पूर्ति के लिए परिवार और समाज के साथ चलना पड़ता है। मिलनसार व्यक्ति की समाज में इज्जत होती है।

4. भावनात्मक स्वास्थ्य (Emotional Health)-हमारे मन में अलग-अलग तरह की भावनाएँ जैसे-डर, खुशी, गुस्सा, ईर्ष्या आदि पैदा होती हैं। यह सारी भावनाओं को संतुलित करना ज़रूरी है। जिसके साथ हम अपना जीवन अच्छी तरह गुजार सकते हैं।

निजी स्वास्थ्य विज्ञान (Personal Hygiene)–शरीर की रक्षा को निजी शरीर सुरक्षा (Personal Hygiene) कहते हैं। यह दो शब्दों के मेल से बना है । Personal और Hygiene । ‘Personal’ अंग्रेजी का शब्द है जिसका अर्थ है निजी या व्यक्तिगत ‘Hygiene’ यूनानी भाषा के शब्द Hygeinous से बना है, जिसका भाव है आरोग्यता की देवी। आजकल Hygiene का अर्थ जीवन जांच से लिया जाता है। आरोग्यता कायम रखने के लिए शरीर विज्ञान प्राप्त करना ज़रूरी है।

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प्रश्न 2.
बच्चों को किस तरह का भोजन करना चाहिए ?
उत्तर-

  1. बच्चों को संतुलित एवं साफ़-सुथरा भोजन खाना चाहिए। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस, चिकनाई, खनिज लवण, विटामिन और पानी जैसे सारे तत्व होने चाहिए।
  2. खाना खाने से पहले हाथ और मुँह साबुन के साथ अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
  3. ज़रूरत से ज़्यादा गर्म या ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए।
  4. कम्प्यूटर या टी०वी० देखते हुए खाना नहीं खाना चाहिए।
  5. खाना सीधे बैठकर खाना चाहिए और लेटकर नहीं खाना चाहिए।
  6. फास्टफूड जैसे पीज़ा, बर्गर, न्यूडल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। बच्चों को ज़्यादातर घर का बना खाना ही खाना चाहिए।
  7. भोजन को मिट्टी, धूल और मक्खियों से बचाव के लिए ढक कर रखना चाहिए।
  8. फल हमेशा धोकर खाने चाहिए।

प्रश्न 3.
हमें स्वस्थ रहने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
1. डाक्टरी जांच-

  • बच्चों को अपने शरीर की जांच समय पर करवानी चाहिए और समय पर टीके भी लगवाते रहना चाहिए।
  •  किसी तरह की चोट लगने पर इलाज ज़रूर करवाना चाहिए।

2. स्वभाव-

  • बच्चों को हर समय खुश रहना चाहिए।
  • चिड़चिड़ा स्वभाव स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।
  • अच्छा स्वभाव स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।

3 आदतें-

  • समय पर उठना, खाना, पढ़ना और खेलना और आराम करना।
  • अपने शरीर और आस-पास की सफाई रखना।
  • पढ़ते समय रोशनी का उचित प्रबन्ध करना। कम रोशनी में पढ़ने से आँखें कमज़ोर हो जाती हैं।
  • बैठने और सोने के लिए ठीक तरह का फर्नीचर होना ज़रूरी है।

4. कसरत, खेलें और योगा-

  • अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कसरत या योगा करना ज़रूरी है।
  • कसरत अथवा योगा हमेशा खाली पेट करना चाहिए।
  • कसरत अथवा योगा के लिए खुला वातावरण होना ज़रूरी है।
  • बच्चों को ज्यादा से ज्यादा खेलों में भाग लेना चाहिए और पहले शरीर को गर्माना उचित होता है।

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प्रश्न 4.
भोजन खाने के समय कौन-सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-

  • भोजन खाने से पहले हाथ अच्छी तरह साबुन के साथ धोने चाहिए।
  • साफ़-सुथरा और संतुलित भोजन खाना चाहिए।
  • फास्टफूड से हमेशा बचना चाहिए और घर का बना भोजन ही खाना चाहिए।
  • बहुत गर्म या बहुत ठंडा भोजन नहीं खाना चाहिए।
  • भोजन ज़रूरत के अनुसार ही खाना चाहिए। भोजन अच्छी तरह चबा कर खाना चाहिए।
  • कम्प्यूटर या टी०वी० देखते हुए खाना नहीं खाना चाहिए।
  • खाना कभी भी लेटकर नहीं खाना चाहिए।
  • फल अच्छी तरह धोकर खाने चाहिए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर नोट लिखें
(क) चमड़ी की सफ़ाई, (ख) बालों की सफ़ाई, (ग) आंखों की सफ़ाई, (घ) कानों की सफाई, (ङ) नाक की सफ़ाई, (च) दांतों की सफ़ाई, (छ) नाखूनों की सफ़ाई।
उत्तर-
(क) चमड़ी की सफ़ाई (Cleanliness of Skin)-चमड़ी की दो परतें होती हैं। बाहरी परत (EPIDERMIS) और अन्दरूनी परत (DERMIS) बाहरी परत में न तो खून की नालियां होती हैं और न ही परतें और गिल्टियां तन्तु (Glands) होते हैं। अन्दरूनी परत जुड़वां तन्तुओं की बनी होती है। इसमें रक्त की नालियां होती हैं। यह नालियां चमड़ी को खुराक पहुंचाने का काम करती हैं।

चमड़ी शरीर के अन्दरूनी अंगों को ढक कर रखती है। जहरीले पदार्थों को बाहर निकालती है और शरीर के तापमान को ठीक रखती है। त्वचा हमारे शरीर को सुन्दरता प्रदान करती है। इसलिए हमें अपनी चमड़ी की सफ़ाई खूब अच्छी तरह करनी चाहिए। त्वचा की सफ़ाई का सबसे अच्छा ढंग नहाना है। नहाते समय हमें नीचे लिखी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए –

  • प्रतिदिन प्रातः साफ़ पानी से नहाना चाहिए।
  • नहाने से पहले पेट साफ़ और खाली होना चाहिए।
  • भोजन करने के तुरन्त बाद नहीं नहाना चाहिए।
  • व्यायाम (कसरत) करने या काम की थकावट के तुरन्त बाद भी नहीं नहाना चाहिए।
  • सर्दियों में नहाने से पहले धूप में बैठकर शरीर की अच्छी तरह मालिश करनी चाहिए।
  • साबुन के साथ नहाने की बजाए बेसन तथा संगतरे के छिलके से बने ऊबटन का प्रयोग करना चाहिए।
  • नहाने के बाद शरीर को साफ़ तथा खुरदरे तौलिए के साथ पोंछना चाहिए।
  • नहाने के बाद मौसम के अनुसार साफ़-सुथरे कपड़े पहनने चाहिएं।

चमड़ी की सफ़ाई के लाभ (Advantages of Cleanliness of Skin) चमड़ी की सफ़ाई के निम्नलिखित लाभ हैं –

  • चमड़ी हमारे शरीर को सुन्दरता प्रदान करती है।
  • यह हमारे शरीर के आन्तरिक भागों को ढांप कर रखती है तथा इनकी रक्षा करती है।
  • चमड़ी के द्वारा शरीर से पसीना तथा अन्य दुर्गन्ध वाली चीज़ों का निकास होता है।
  • यह हमारे शरीर के तापमान को ठीक रखती है।
  • इसको छूने से किसी चीज़ का गुण पता चलता है।

(ख) बालों की सफाई (Cleanliness of Hair) बाल हमारे शरीर और व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाते हैं। बालों की सुन्दरता उनके घने, मज़बूत और चमकदार होने में छुपी होती है।
बालों की सफाई और सम्भाल-बालों की सफ़ाई और सम्भाल अग्रलिखित ढंग से करनी चाहिए-

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य 1

  • बालों को साबुन, रीठे, आंवले, अण्डे की जर्दी या किसी बढ़िया शैम्पू के साथ धोना चाहिए।
  • रात्रि को सोने से पहले बालों में कंघी या ब्रुश करना चाहिए। सारा दिन बाल जिस ओर रहे हों इसकी उलट और बालों की जड़ों से लेकर अन्त तक कंघी करनी चाहिए।
  • खाली समय में सिर में सूखे हाथों से मालिश करनी चाहिए।
  • प्रात: उठकर बालों को कंघी करके संवारना चाहिए।
  • बालों को न ही अधिक खुश्क और न ही अधिक चिकना रखना चाहिए।
  • बालों में तीखी पिनें नहीं लगानी चाहिए। नहाने के बाद बालों को तौलिए के साथ रगड़ कर साफ करना चाहिए।
  • अच्छी खुराक जिसमें मक्खन, पनीर, सलाद, हरी सब्जियां तथा फलों आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  • बालों में खुशबूदार तेल नहीं लगाना चाहिए। सिर की कभी-कभी मालिश करनी चाहिए।

(ग) आंखों की सफ़ाई (Cleanliness of Eyes)—आंखें मानव शरीर का कोमल तथा महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इनसे हम देखते हैं। इनके बिना संसार अन्धेरा और जीवन बोझ बन जाता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि आंखें गईं तो जहान गया। इसलिए हमें आंखों की सफ़ाई और देखभाल की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि आंखों की सफ़ाई न रखी जाए तो आंखों के कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। जैसे आंखों का फ्लू, कुकरे, आंखों में जलन आदि।
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य 2

आंखों की सफाई और सम्भाल के लिए हमें निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

  • बहुत तेज़ या बहुत कम रोशनी में आंखों से काम नहीं लेना चाहिए, नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
  • लेट कर या बहुत नीचे झुक कर पुस्तक नहीं पढ़नी चाहिए।
  • पढ़ते समय पुस्तक को आंखों से कम-से-कम 30 सेंटीमीटर दूर रखना चाहिए।
  • आंखों को गन्दे रूमाल या कपड़े से साफ नहीं करना चाहिए।
  • किसी एक स्थान पर नज़र टिका कर नहीं रखनी चाहिए।
  • आंख में मच्छर आदि पड़ जाने पर आंख को मलना नहीं चाहिए। इसे साफ़ रूमाल से आंखों में से निकालना चाहिए या आंखों में ताजे पानी के छींटे मारने चाहिएं।
  • आंखों में पसीना नहीं गिरने देना चाहिए।
  • पढ़ते समय अपने कद के अनुसार कुर्सी और मेज़ का प्रयोग करना चाहिए।
  • खट्टी चीज़, तेल, शराब, तम्बाकू, चाय, लाल मिर्च, अफीम आदि चीज़ों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • आंखों की बीमारी होने पर किसी योग्य आंखों के चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
  • एक ही अंगुली या सलाई के साथ आंखों में दवाई या काजल नहीं डालना चाहिए।
  • चलती हुई गाड़ी या बस में या पैदल चलते हुए पुस्तक नहीं पढ़नी चाहिए।
  • सिनेमा या टेलीविज़न दूर से देखना चाहिए।
  • प्रतिदिन आंखों को साफ़ पानी के छींटे मारने चाहिए।

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(घ) कानों की सफ़ाई (Cleanliness of Ear)-कानों के द्वारा हम सुनते हैं। कान का पर्दा बहुत नाजुक होता है। यदि इसमें कोई नोकीली चीज़ लग जाए तो वह फट जाता है तथा मनुष्य की सुनने की शक्ति नष्ट हो जाती है। हमें कानों की सफ़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

यदि कानों की सफ़ाई करनी हो तो किसी मोटे तिनके पर सख्त रूई लपेटो। इसे हाइड्रोजन परॉक्साइड में भिगोकर कान में फेरो। इससे कान साफ़ हो जाएगा। ऐसा सप्ताह में एक या दो बार करो।

यदि कानों में से पीव बह रही हो तो एक ग्राम बोरिक एसिड को दो ग्राम ग्लिसरीन में घोलो। रात्रि को सोते समय इस घोल की दो बूंदें कानों में डालो। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन नहाने के बाद कान के बाहर के भाग को पानी से साफ़ करके अच्छी तरह पोंछो।

  • कानों में कोई तीखी या नोकदार वस्तु नहीं घुमानी चाहिए। इस तरह करने से कान का पर्दा फट जाता है और अच्छा भला मनुष्य बहरा हो सकता है।
  • कान में फिन्सी होने से कान में पीव बहने लगती है। इस अवस्था में कानों के डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
  • कानों की सफ़ाई कानों के डॉक्टर से ही करवानी चाहिए।
  • यदि कान बहने लग जाए तो छप्पर, तालाबों आदि में नहाना नहीं चाहिए।
  • अधिक शोर वाले स्थान पर काम नहीं करना चाहिए।
  • कान पर जोरदार चोट जैसे मुक्का आदि नहीं मारना चाहिए।
  • किसी बीमारी के कारण यदि कान भारी लगे तो डॉक्टर की सलाह अनुसार ही दवाई डालनी चाहिए।

(ङ) नाक की सफ़ाई (Cleanliness of Nose)-प्रतिदिन प्रात:काल और सायंकाल नाक को पानी से साफ़ करना चाहिए। एक नासिका में से जल अन्दर ले जाकर दूसरी नासिका द्वारा बाहर निकाल देना चाहिए।

(च) दांतों की सफ़ाई (Clean-liness of Teeth)-दांत भोजन के खाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। अच्छी तरह से चबा कर खाया भोजन शीघ्र हजम हो जाता है। जब बच्चा पैदा होता है तो कुछ महीने के बाद उसके दांत निकलने आरम्भ हो जाते हैं। ये दांत स्थायी नहीं होते। कुछ वर्षों के बाद दांत टूट जाते हैं। इनको दूध के दांत कहा जाता है। 6 से 12 वर्ष की आयु तक पक्के या स्थायी दांत निकल आते हैं। दांत भी हमारे शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। किसी ने ठीक ही कहा है, ‘दांत गए तो स्वाद गया।’ दांतों के खराब होने से दिल का रोग भी हो सकता है और मौत भी हो सकती है। इसके अतिरिक्त मुंह से दुर्गन्ध आती रहती है और स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो जाता है। यदि दांतों को साफ़ न रखा जाए तो पायोरिया नामक दांतों का रोग लग जाता है। इसलिए दांतों की सम्भाल की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

दांतों की सफाई तथा देखभाल इस प्रकार की जानी चाहिए –

  • प्रतिदिन प्रात: उठकर और रात को सोने से पहले दांतों को ब्रुश से साफ़ करना चाहिए। भोजन करने के बाद कुल्ला करना चाहिए।
  • गर्म दूध या चाय नहीं पीनी चाहिए तथा न ही बर्फ और ठण्डी चीज़ों का प्रयोग करना चाहिए।
  • दांतों में पिन आदि कोई तीखी चीज़ नहीं मारनी चाहिए।
  • दांतों के साथ न ही किसी शीशी का ढक्कन खोलना चाहिए तथा न ही बादाम या अखरोट जैसी कठोर चीज़ तोड़नी चाहिए।
  • ब्रुश मसूड़ों के एक ओर से दूसरी ओर करना चाहिए।
  • बिल्कुल खराब दांतों को निकलवा देना चाहिए।
  • भुने हुए दाने, गाजर, मूली आदि चीजें खानी चाहिएं। गन्ना चूसना भी दांतों के लिए लाभदायक है।
    PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य 4
  • दूध का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
  • दांत खराब होने पर किसी योग्य दांतों के डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए।
  • मिठाइयां, टॉफियां तथा चीनी नहीं खानी चाहिए।

(छ) नाखूनों की सफ़ाई (Cleanliness of Nails) शरीर के बाकी अंगों की सफ़ाई की तरह ही नाखून की सफ़ाई की भी बहुत आवश्यकता है। नाखूनों की सफ़ाई न रखने का अभिप्राय कई रोगों को निमन्त्रण देना है। नाखून की सफ़ाई के लिए निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए

(1) नाखून बढ़ाने नहीं चाहिए। (2) भोजन खाने के पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए। (3) नाखूनों को दांतों से नहीं काटना चाहिए। नाखूनों को नेल कटर से काटना चाहिए। (4) नाखूनों को सोडियम कार्बोनेट तथा पानी के घोल में डुबोना चाहिए। (5) हाथों के साथ-साथ पैरों के नाखून भी काटने चाहिएं।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य की दृष्टि से कोई पांच अच्छी आदतों के बारे में लिखिए।
उत्तर-

  • हमेशा साफ़ सुथरा और संतुलित भोजन करना चाहिए।
  • शरीर के अंदरूनी अंग (जैसे : दिल, फेफड़े आदि) और बाहरी अंग (हाथ, पैर, आंखें आदि) के बारे जानकारी हासिल करनी और इसकी संभाल करनी चाहिये।
  • आपनी उम्र अनुसार ही संभाल करनी चाहिये।
  • समय-समय पर शरीर की डॉक्टरी जांच करवानी चाहिये।
  • शरीर की ज़रूरत और उम्र अनुसार सैर या कसरत करनी चाहिये।
  • हमेशा नाक से सांस लेनी चाहिए।
  • खुली हवा में रहना चाहिये।
  • ऋतु और मौसम के अनुसार कपड़े पहनने चाहिये।
  • हमेशा खुश रहना चाहिये।
  • हमेशा ठीक तरीके के साथ खड़े होना, बैठना और चलना चाहिये।
  • घर के कपड़ों की सफाई रखनी चाहिये।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB स्वास्थ्य Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
विज्ञान की उस शाखा को क्या कहते हैं जो हमें स्वस्थ रहने की शिक्षा देती है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान।

प्रश्न 2.
स्वस्थ मन का किस स्थान पर निवास होता है ?
उत्तर-
स्वस्थ शरीर में।

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प्रश्न 3.
यदि चमड़ी (त्वचा) की सफ़ाई न रखी जाए तो कौन-से रोग लग सकते हैं ?
उत्तर-
अन्दरूनी व बाहरी रोग।

प्रश्न 4.
आंखों को शरीर का कैसा अंग माना जाता है ?
उत्तर-
कोमल और कीमती।

प्रश्न 5.
आंखों की सफाई के लिए दिन में कई बार क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
ताज़े पानी के छींटे मारने चाहिए।

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प्रश्न 6.
दांतों की सफाई के लिए हमें प्रतिदिन क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
दातुन अथवा मंजन।

प्रश्न 7.
पढ़ते समय हमें पुस्तक को आंखों से कितनी दूरी पर रखना चाहिए ?
उत्तर-
30 सेंटीमीटर अथवा एक फुट।

प्रश्न 8.
दांतों की सफ़ाई न करने से कौन-सा रोग लग सकता है ?
उत्तर–
पाइरिया।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य

प्रश्न 9.
बालों की सफ़ाई न रखने से सिर में क्या पड़ जाता है ?
उत्तर-
जुएं और सीकरी।

प्रश्न 10.
चमड़ी की सफ़ाई के लिए हमें हर रोज़ क्या करना चाहिए?
उत्तर-
नहाना चाहिए।

प्रश्न 11.
नहाने के पश्चात् हमें कैसे कपड़े पहनने चाहिए ?
उत्तर-
साफ़-सुथरे।

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प्रश्न 12.
क्या हमें चलती गाड़ी या बस में बैठ कर पुस्तक आदि पढ़नी चाहिए ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 13.
हमें अपने कानों को कैसी वस्तु से साफ़ करने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
पिन अथवा किसी नुकीली तीली से।

प्रश्न 14.
यदि आंख में कोई वस्तु पड़ जाए तो हमें क्या नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
आंखों को मलना नहीं चाहिए।

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प्रश्न 15.
कौन-से पोस्चर में पढ़ना हानिकारक है ?
उत्तर-
लेट कर या नीचे झुक कर।

प्रश्न 16.
कौन-से रोग होने से विशेष ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
खसरा और छोटी माता (चेचक)।

प्रश्न 17.
हमें श्वास मुख अथवा नाक द्वारा लेना चाहिए।
उत्तर-
नाकं द्वारा।

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प्रश्न 18.
दांतों के गिरने के बाद कौन-सी वस्तु चली जाती है ?
उत्तर-
स्वाद।

प्रश्न 19.
कौन-सी आयु में बच्चों के दूध के दांत गिर कर स्थायी दांत आते
उत्तर-
6 से 12 वर्ष तक।

प्रश्न 20.
यदि कानों में मैल जम जाए तो किस वस्तु का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
हाइड्रोजन परॉक्साइड।

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प्रश्न 21.
नाखूनों को कौन-सी वस्तु से नहीं काटना चाहिए ?
उत्तर-
मुख से।

प्रश्न 22.
यदि कानों में पीव बहने लगे तो कानों में कौन-से घोल की बूंदें डालनी चाहिए ?
उत्तर-
बोरिक ऐसिड और ग्लिसरीन।

प्रश्न 23.
बढ़े हुए नाखूनों को कैसे काटना चाहिए ?
उत्तर-
नेल कटर के साथ।

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प्रश्न 24.
नाक में छोटे-छोटे बाल कौन-सी वस्तु का काम धूल के लिए करते ।
उत्तर-
जाली का।

प्रश्न 25.
सुन्दर बाल मनुष्य के व्यक्तित्व को कैसा बनाते हैं ?
उत्तर-
अच्छा और प्रभावशाली।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वस्थ रहने के लिए कोई पांच नियम लिखें।
अथवा
व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान के कोई पांच नियम लिखें।
उत्तर-

  1. साफ़-सुथरा व सन्तुलित भोजन खाना चाहिए।
  2. श्वास हमेशा नाक द्वारा लेना चाहिए।
  3. आयु अनुसार नींद लेनी चाहिए।
  4. हमेशा खुश रहना चाहिए।
  5. समय-समय पर डॉक्टरी परीक्षण करवाते रहना चाहिए।

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प्रश्न 2.
हमें हमेशा नाक द्वारा श्वास क्यों लेना चाहिए ?
उत्तर-
हमें हमेशा नाक द्वारा श्वास लेना चाहिए। इसका कारण है कि नाक में छोटेछोटे बाल होते हैं। वायु में रोग कीटाणु और धूल कण इनमें अटक जाते हैं और शुद्ध वायु अन्दर जाती है। यदि हम नाक की बजाए मुंह द्वारा श्वास लेंगे तो रोग के कीटाणु हमारे शरीर में प्रवेश करके हमें रोगी बना देंगे। इसलिए हमें नाक द्वारा श्वास लेना चाहिए।

प्रश्न 3.
चमड़ी की सफ़ाई न करने से हमें क्या नुकसान हो सकते हैं ?
उत्तर-
चमड़ी हमारे शरीर के अन्दरूनी अंगों की रक्षा करती है। यदि चमड़ी की सफ़ाई न की जाए तो पसीना और इसकी बदबूदार वस्तुएं शरीर में जमा हो जाएंगी जिनके कारण अन्दरूनी और बाहरी रोग हो जाते हैं। इसलिए चमड़ी की सफ़ाई रखनी बहुत ज़रूरी है।

प्रश्न 4.
यदि आप के सिर में सीकरी पड़ जाए तो आप उसका क्या उपाय करेंगे ?
उत्तर-
सीकरी का इलाज-यदि सिर में सीकरी पड़ जाए तो 250 ग्राम पानी में एक चम्मच बोरिक पाऊडर डालकर सिर धोना चाहिए। नहाने से पहले बालों में नारियल का तेल लगाना चाहिए। ग्लिसरीन और नींबू लगाकर भी सीकरी से छुटकारा पाया जा सकता है। शिकाकाई और आंवलों को भिगोकर बने घोल के प्रयोग से भी सीकरी समाप्त हो जाती है।

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प्रश्न 5.
दांतों की सफ़ाई हमारे लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
दांत हमारे शरीर का महत्त्वपूर्ण भाग हैं। दांतों के खराब होने से हृदय रोग हो सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। इसके अलावा मुंह से बदबू आने लगती है और मनुष्य चिड़चिड़ा हो जाता है। दांतों की सफ़ाई न रखने से पाइरिया रोग नाम की बीमारी लग जाती है। इसलिए दांतों की सफ़ाई ज़रूरी है।

प्रश्न 6.
कपड़ों की सफ़ाई किस तरह की जा सकती है ? इसके क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
कपड़ों की सफ़ाई साबुन, सोडा, सर्फ़ तथा अन्य डिटर्जेंट पाऊडरों से की जा सकती है।
लाभ-कपड़ों की सफ़ाई हो तो मैल के कीटाणु हमारे शरीर से नहीं चिपकते जिससे कि हमारे शरीर के मुसाम बन्द नहीं होते। इस तरह शरीर अपने व्यर्थ पदार्थों का कुछ भाग पसीने आदि से निकालता रहता है, जिससे शरीर निरोग रहता है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान किसे कहते हैं ?
उत्तर—
Personal Hygiene शरीर की रक्षा को निजी शरीर सुरक्षा (Personal Hygiene) कहते हैं। यह दो शब्दों के मेल से बना है। Personal और Hygiene | ‘Personal’ अंग्रेज़ी का शब्द है जिसका अर्थ है निजी या व्यक्तिगत । ‘Hygiene’ यूनानी भाषा के शब्द Hygeineous से पैदा हुआ है। जिसका भाव है आरोग्यता की देवी। आजकल Hygiene का अर्थ जीवन जांच से लिया जाता है। आरोग्यता कायम रखने के लिए शरीर विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करना ज़रूरी है।

“निजी स्वास्थ्य, स्वास्थ्य शिक्षा का वह भाग है जिससे मनुष्य सारे पक्षों से वातावरण के साथ सुमेल कायम करके शारीरिक और मानसिक विकास कायम कर सके और उनका विकास कर सके।” एक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य उतना ही आवश्यक है जितनी कि पुष्प (फूल) के लिए सुगन्ध । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमें स्वस्थ रहने में व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान बहुत सहायता देता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो हमें नीरोग रहने के नियमों के बारे में जानकारी देती है। सत्य तो यह है कि इसमें व्यक्तिगत नीरोगता की वह अमृत धारा है जिसके नियमों का पालन करके मनुष्य स्वस्थ रह सकता है।

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प्रश्न 2.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए ?
उत्तर-
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए हमें निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए –

  • सदा साफ-सुथरा और सन्तुलित भोजन करना चाहिए।
  • शरीर के आन्तरिक अंगों (जैसे दिल, फेफड़े आदि) तथा बाह्य अंगों (हाथ, पैर, आंखें आदि) के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तथा इनकी संभाल करनी चाहिए।
  • अपनी आयु के अनुसार पूरी नींद लेनी चाहिए।
  • समय-समय पर शरीर की डॉक्टरी परीक्षा करवानी चाहिए।
  • शरीर की आवश्यकता तथा आयु के अनुसार सैर या व्यायाम (कसरत) करनी चाहिए।
  • सदा नाक के द्वारा ही सांस लेनी चाहिए।
  • खुली हवा में रहना चाहिए।
  • ऋतु और मौसम के अनुसार वस्त्र पहनने चाहिए।
  • सदा प्रसन्न रहना चाहिए।
  • सदा ठीक प्रकार से खड़े होना, बैठना तथा चलना चाहिए।
  • घर और कपड़ों की सफ़ाई रखनी चाहिए।

प्रश्न 3.
बालों को साफ़ न रखने से क्या हानियां होती हैं ?
उत्तर-
बालों को साफ़ न रखने से हानियां-यदि बालों को अच्छी तरह साफ़ न. रखा जाए तो कई प्रकार के बालों और त्वचा के रोग लग जाते हैं। ये रोग नीचे लिखे हैं
1. सिकरी (Dandruf)-सिकरी खुश्क त्वचा के मरे हुए अंश होते हैं। इन अंशों में साबुन और मिट्टी इकट्ठे हो जाते हैं। सिकरी से सिर की त्वचा में रोगाणु पैदा हो जाते हैं।

इलाज (Treatment)-सिर में सिकरी अधिक होने की दशा में 250 ग्राम पानी में एक चम्मच बोरिक पाऊडर डालकर सिर को धोना चाहिए। नहाने से पहले बालों में नारियल का तेल लगाना चाहिए। नींबू तथा ग्लिसरीन लगाकर भी सिकरी से छुटकारा पाया जा सकता है। शिकाकाई और ओलों को भिगोकर बने घोल के प्रयोग से भी सिकरी समाप्त हो जाती है।

2. जुएं पैदा होना (Lice) बालों की सफ़ाई न रखने पर सिर में जुएं पैदा हो जाती हैं। एक जूं एक बार कोई 300 अंडे देती है। दो सप्ताहों के बाद ये जुएं और अण्डे देने के योग्य हो जाती हैं। दैनिक सफ़ाई के अतिरिक्त नीचे लिखी बातों का ध्यान रखने से सिर में जुएं नहीं पैदा होंगी –

  • किसी दूसरे व्यक्ति की कंघी, ब्रुश, सिर की जाली, रूमाल, पगड़ी, टोपी आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • बस की सीट या सिनेमा हाल की कुर्सी की पीठ के साथ अपना सिर लगा कर नहीं बैठना चाहिए।
  • बालों को कंघी करने के बाद कंघी,को किसी ऐसी जगह रखना चाहिए जहां मिट्टी न पड़े।

3. बालों का गिरना (Felling of Hair) बालों की सफ़ाई न रखने से बाल कमज़ोर होकर गिरने लगते हैं। बालों के गिरने की रोकथाम के लिए प्रतिदिन बालों की सफ़ाई रखनी चाहिए तथा साथ ही अच्छा भोजन खाना चाहिए। इसके अतिरिक्त सख्त साबुन या सुगन्धित तेल का कम प्रयोग करना चाहिए।

4. बालों का सफ़ेद होना (Change in Colour)-जुकाम या अच्छी खुराक की कमी के कारण बाल जल्दी ही सफ़ेद हो जाते हैं। इसलिए बालों को सफ़ेद होने से रोकने के लिए सन्तुलित और पौष्टिक भोजन करना चाहिए। रोज़ शारीरिक सफ़ाई रखनी चाहिए।

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प्रश्न 4.
नाक के बालों के क्या लाभ हैं और नाक की सफ़ाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-
नाक के बालों के लाभ (Advantages of Hair in Nostril)-हम नाक द्वारा श्वास लेते हैं। नाक में छोटे-छोटे बाल होते हैं। इन बालों के अधिक लाभ होते हैं। ये बाल धूल आदि के लिए जाली का काम करते हैं। वायु में धूल कण और बीमारी के जर्म होते हैं। जब हम नाक द्वारा सांस लेते हैं तो यह धूल, कण और जर्म नाक के बालों में अटक जाते हैं और हमारे भीतर शुद्ध वायु प्रवेश करती है। यदि नाक में यह बाल न हों तो वायु में मिली धूलकण और जर्म हमारे भीतर चले जाएंगे जिस से हमें कई प्रकार के रोग लग सकते हैं। इसलिए नाक के बालों को काटना या उखाड़ना नहीं चाहिए।

नाक की सफाई (Cleanliness of Nose)-प्रतिदिन प्रातःकाल और सायंकाल नाक को पानी से साफ़ करना चाहिए। एक नासिका में से जल अन्दर ले जाकर दूसरी नासिका द्वारा बाहर निकाल देना चाहिए।

प्रश्न 5.
पैरों की सफाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-
पैरों की सफाई (Cleanliness of Feet)

  • पैरों की सफाई की तरफ़ भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे हम अपने शरीर के दूसरे अंगों की सफाई की तरफ ध्यान देते हैं। सुबह नहाते समय पैरों को और उंगलियों के बीच स्थान को अच्छी तरह साफ़ कर लेना चाहिए।
  • रात को सोने से पहले भी पैरों को धो कर अच्छी तरह साफ़ कर लेना चाहिए।
  • पैरों के लिए बूट या चप्पल लेते समय पैरों की बनावट और माप का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जूती या बूट आरामदायक और ठीक साइज़ के खुले होने चाहिए।
  • यदि पैरों में खारिश, दाद, चंबल आदि के रोग लगे हों तो नाइलोन की जुराबें नहीं पहननी चाहिए।
  • नंगे पांव कभी घूमना नहीं चाहिए।
  • पांवों के नाखून भी समय समय काटते रहना चाहिए।
  • पांवों के नीचे और ऊपर ग्लिसरीन अथवा सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 6.
हाथों की सफ़ाई कैसे रखी जा सकती है ?
उत्तर-
हाथों की सफ़ाई (Clealiness of Hands)

  • हाथों को साबुन और पानी के साथ दो बार धोकर भोजन खाना चाहिए।
  • हाथों को सदा नर्म और मुलायम रखने का यत्न करना चाहिए।
  • हाथों या उंगलियों में लाइनों या खुरदरेपन को ग्लेसरीन या किसी अच्छी किस्म की क्रीम से दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।
  • हाथों को साबुन और साफ़ पानी से धोना चाहिए जिस से छूत की बीमारियों जैसे टाइफाइड, पेचिश और हैज़ा आदि हाथों से न फैल सकें। अगर हाथ साफ़ न किए जाएं तो हाथों की मैल जिसमें कई तरह के कीटाणु होते हैं, पेट में चले जाते हैं।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति-

प्रश्न-
निम्नलिखित वाक्यों में दिए गए खाली स्थानों की कोष्ठक (ब्रैकट) में दिए शब्दों में से उचित शब्द चुन कर भरो –

(1) आंखों की सफ़ाई के लिए हमें दिन में कई बार ……. के छींटे मारने चाहिएं। . (ठण्डे पानी, कोसे पानी)
(2) पढ़ते समय पुस्तक को आंखों से कम-से-कम …….. दूर रखना चाहिए। (45 सेंटीमीटर, 30 सेंटीमीटर)
(3) हमें सदा …….. द्वारा सांस लेनी चाहिए। (मुंह, नाक)
(4) कानों में जमी हुई मैल को निकालने के लिए …….. का प्रयोग करना चाहिए। (सोडियम क्लोराइड, हाइड्रोजन परॉक्साइड)
(5) नाखूनों को ……… काटना नहीं चाहिए। (मुंह से, नेल कटर से)
(6) ……… की आयु तक के बच्चों के दूध के दांत गिर जाते हैं। (3 साल से, 5 साल से, 6 साल से, 12 साल)
(7) हमें कभी भी ………. नहीं पढ़ना चाहिए। (बैठ कर, लेट कर)
(8) नाक के बीच वाले छोटे-छोटे बाल ………. का काम करते हैं। (नाली, जाली)
(9) दांतों की सफ़ाई न रखने पर ………. नामक रोग हो जाता है। (हिस्टीरिया, पाइरिया)
(10) नहाने के बाद हमें ………. कपड़े से पहनने चाहिएं। (गन्दे, साफ़-सुथरे)
उत्तर-

  1. ठण्डे पानी
  2. 30 सेंटीमीटर
  3. नाक
  4. हाइड्रोजन परॉक्साइड
  5. मुंह से
  6. 6 साल से 12 साल
  7. लेट कर
  8. जाली
  9. पाइरिया
  10. साफ़ सुथरे