PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

SST Guide for Class 8 PSEB जाति-प्रथा को चुनौती Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें:

प्रश्न 1.
ज्योतिबा फूले ने निम्न जाति के उद्धार के लिए कौन-से कार्य किये ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले महाराष्ट्र के एक महान् समाज-सुधारक थे। उन्होंने निम्न जातियों के लोगों के उद्धार के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये।

  • सर्वप्रथम उन्होंने अनुसूचित जाति की कन्याओं की शिक्षा के लिए पुणे में तीन स्कूल खोले। इन स्कूलों में ज्योतिबा फूले तथा उनकी पत्नी सावित्री बाई स्वयं पढ़ाते थे।
  • उन्होंने अपने भाषणों तथा अपनी दो पुस्तकों के माध्यम से ब्राह्मणों तथा पुरोहितों द्वारा अनुसूचित जातियों के लोगों के आर्थिक शोषण की निन्दा की।
  •  उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों को ब्राह्मणों तथा पुरोहितों के बिना ही विवाह की धार्मिक रीति सम्पन्न करने का परामर्श दिया।
  • ज्योतिबा फूले ने 24 सितम्बर, 1873 ई० को सत्यशोधक समाज नामक संस्था स्थापित की। इस संस्था ने अनुसूचित जातियों के लोगों की सामाजिक दासता की निन्दा की तथा उनके लिए सामाजिक न्याय की मांग की।
  • उन्होंने अनुसूचित जाति के निर्धन किसानों तथा काश्तकारों की दशा सुधारने के लिए सरकार से अपील की कि उनसे यथोचित भूमि कर लिया जाये। ज्योतिबा फूले ने अपना सारा जीवन अनुसूचित जाति की महिलाओं की दशा सुधारने के लिए व्यतीत किया। अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए किए गये अनेक कार्यों के लिए उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 2.
समाज सुधारकों ने जाति-प्रथा को ही क्यों निशाना बनाया ?
उत्तर-
जाति आधारित समाज में ब्राह्मणों का बहुत आदर-सत्कार किया जाता था, जबकि शूद्रों की दशा बहुत ही दयनीय थी। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। वे उच्च जाति के लोगों के साथ मेल-मिलाप नहीं रख सकते थे। उन्हें सार्वजनिक कुओं तथा तालाबों का प्रयोग करने की मनाही थी। न तो उन्हें मन्दिरों में जाने दिया जाता था और न ही उन्हें वेदों का पाठ करने की अनुमति थी। उन्हें अछूत समझा जाता था। यदि किसी व्यक्ति पर किसी शूद्र की परछाईं भी पड़ जाती थी, तो उसे (शुद्र को) अपनी जान से हाथ धोना पड़ता था। शूद्रों को झाड़ लगा कर सफ़ाई करने, मृत पशुओं को उठाने तथा उनकी खाल उतारने, जूते तथा चमड़ा बनाने जैसे काम करने के लिए विवश किया जाता था। इन लोगों को समाज के अत्याचारों से बचाने के लिए ही समाज-सुधारकों ने जाति-प्रथा को अपना निशाना बनाया।

प्रश्न 3.
महात्मा गांधी जी ने समाज से छुआछूत समाप्त करने के लिए क्या किया ?
उत्तर-
छुआछूत का अर्थ है–किसी व्यक्ति को छूना भी पाप समझना। समाज के एक बड़े वर्ग को, जिसमें मुख्यत: शूद्र शामिल थे. अछुत समझा जाता था। इन लोगों की दशा बहुत दयनीय थी। महात्मा गांधी ने छूतछात को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित पग उठाए

  • गांधी जी ने अछूतों को ईश्वर की संतान बताया और कहा कि उनके साथ समानता का व्यवहार किया जाये।
  • अछूतों की भलाई के लिए गांधी जी ने वर्धा से अपनी यात्रा आरम्भ की। वह जहां भी गए, उन्होंने वहां के लोगों को पिछड़े वर्गों के लिए स्कूल तथा मन्दिरों के द्वार खोल देने को कहा।
  • उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अछूतों को सड़कों, कुओं तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने से न रोका जाये।
  • उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान पिछड़े वर्गों के लोगों की भलाई के लिए फण्ड भी एकत्रित किया।

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प्रश्न 4.
वीरसलिंगम को वर्तमान आन्ध्र प्रदेश के पैगम्बर क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
कन्दूकरी वीरसलिंगम आन्ध्र प्रदेश के एक महान् समाज-सुधारक थे। समाज-सुधारक होने के साथ-साथ वह एक महान् विद्वान् भी थे। उन्होंने प्राइमरी स्कूल में पढ़ते समय ही समाज में प्रचलित खोखले रीति-रिवाजों तथा धार्मिक विश्वासों की निन्दा की थी। जब वे स्कूल में अध्यापक थे, तब उन्होंने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष आरम्भ किया था। वे अन्तर्जातीय विवाहों के पक्ष में थे। उन्होंने जाति-प्रथा की कड़ी निन्दा की तथा अस्पृश्यता (छुआछूत) समाप्त करने के लिए प्रचार किया।

वीरसलिंगम एक प्रसिद्ध लेखक भी थे। उन्होंने अपने लेखों तथा नाटकों के माध्यम से जाति-प्रथा समाप्त करने के लिए प्रचार किया। वे पिछड़े वर्गों एवं निर्धन लोगों की सदा सहायता करते थे। उन्होंने बालकों एवं बालिकाओं की अति अल्प आयु में विवाह की प्रथा के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए अनेक यत्न किये।

वीरसलिंगम जीवन भर समाज-सेवा, समाज-सुधार तथा अनुसूचित जातियों के लोगों का उद्धार करने में जुटे रहे। इसीलिए उन्हें वर्तमान आन्ध्र प्रदेश राज्य का पैगम्बर कहा जाता है।

प्रश्न 5.
श्री नारायण गुरु ने निम्न जाति की भलाई के लिए क्या योगदान दिया ?
उत्तर-
श्री नारायण गुरु केरल राज्य के एक महान् समाज सुधारक थे। उनका जन्म 1856 ई० में करल में हुआ था। वह जीवन भर अनुसूचित जातियों, विशेषतया एजहेवज़ जाति के लोगों के उद्धार के लिए संघर्ष करते रहे। अन्य जातियों के लोग इस जाति के लोगों को ‘अछूत’ (अस्पृश्य) समझते थे। श्री नारायण गुरु जी इस अन्याय को सहन न कर सके। अत: उन्होंने एजहेवज़ जाति तथा अन्य निम्न जातियों के लोगों के उद्धार के लिए लम्बे समय तक संघर्ष किया। उन्होंने समाज-सुधार के लिए 1903 ई० में ‘श्री नारायण धर्म परिपालन योगम्’ की स्थापना की। उन्होंने जाति एवं धर्म के आधार पर किये जा रहे भेद-भाव का विरोध किया तथा निम्न जाति के लोगों को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए भरसक प्रयत्न किये।

प्रश्न 6.
महात्मा गांधी जी ने निम्न जाति के लोगों के लिए किस शब्द का प्रयोग किया तथा उसका भावार्थ क्या था ?
उत्तर-
महात्मा गांधी ने निम्न जाति के लोगों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किया जिसका भावार्थ है ‘परमात्मा के बच्चे।

प्रश्न 7.
महात्मा गांधी जी द्वारा निम्न जाति के लोगों का उद्धार करने के लिए किए गये कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
(1) महात्मा गांधी अस्पृश्यता को पाप मानते थे। 1920 ई० में महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया गया। इस आन्दोलन के कार्यक्रम की रूप-रेखा में समाज में अस्पृश्यता समाप्त करना भी सम्मिलित था। 1920 ई० में नागपुर में निम्न जातियों के लोगों का सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने अस्पृश्यता की निन्दा की। उन्होंने हिन्दू लोगों में अस्पृश्यता के प्रचलन को भारत का सबसे बड़ा अपराध बताया। परन्तु महात्मा गांधी को इस बात से बहुत कष्ट हुआ कि असहयोग आन्दोलन में कांग्रेस ने समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए आवश्यक प्रयत्न नहीं किये। इसी कारण ही निम्न जातियों के लोगों ने असहयोग आन्दोलन में कांग्रेस का साथ नहीं दिया था। वे हिन्दू-स्वराज की अपेक्षा ब्रिटिश शासन को ही अच्छा समझते थे।

(2) असहयोग आन्दोलन स्थगित हो जाने के पश्चात् महात्मा गांधी ने कांग्रेसी संस्थाओं को आदेश दिया कि वे अनुसूचित जातियों के लोगों के हित के लिए उन्हें संगठित करें और उनकी सामाजिक, मानसिक तथा नैतिक दशा सुधारने के लिए प्रयत्न करें। उन्हें वे सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए जो अन्य नागरिकों को प्राप्त हैं। – (3) 1921 ई० से 1923 ई० के बीच कांग्रेस द्वारा विकास कार्यक्रम पर खर्च की गई 49.5 लाख रुपये की राशि में से अनुसूचित जाति के लोगों के हित के लिए केवल 43,381 रुपये ही खर्च किये गये थे। भले ही अनुसूचित जाति के लोगों ने महात्मा गांधी द्वारा आरम्भ किये गये असहयोग आन्दोलन में भाग नहीं लिया था, फिर भी गान्धी जी ने उन लोगों की दशा सुधारने के लिए अनेकों प्रयत्न किये थे।

गांधी जी के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य-महात्मा गांधी जी द्वारा अछूतों के उद्धार के लिए किए गए कार्यों में से निम्नलिखित कार्य बहुत ही महत्त्वपूर्ण थे-

  • गांधी जी ने अछूतों को ईश्वर की संतान बताया और कहा कि उनके साथ समानता का व्यवहार किया जाये।
  • अछूतों की भलाई के लिए गांधी जी ने वर्धा से अपनी यात्रा आरम्भ की। वह जहां भी गए, उन्होंने वहां के लोगों को पिछड़े वर्गों के लिए स्कूलों तथा मन्दिरों के द्वार खोल देने को कहा।
  • उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अछूतों को सड़कों, कुओं तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने से न रोका जाये।
  • उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान पिछड़े वर्गों के लोगों की भलाई के लिए फण्ड भी एकत्रित किया।

कई स्थानों पर कुछ सनातनी हिन्दू लोगों ने गांधी जी के भाषणों का विरोध किया। पुणे में तो उन पर बम फेंकने का यत्न किया गया। परन्तु विरोधियों को सफलता नहीं मिली।

प्रश्न 8.
भारतीय समाज सुधारकों द्वारा निम्न जाति के लोगों का उद्धार करने के लिए की गई गतिविधियों के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक भारतीय समाज में अनेक बुराइयां थीं। इनमें सती _प्रथा, कन्या वध, जाति प्रथा, दहेज प्रथा, बाल विवाह तथा विधवाओं को पुनर्विवाह न करने जैसी आदि बुराइयां मुख्य थीं। भारतीय समाज सुधारकों ने भारतीय समाज की इन सामाजिक एवं धार्मिक बुराइयों को दूर करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। वास्तव में समाज-सुधारकों के प्रयत्नों के बिना समाज में प्रचलित बुराइयों को दूर करना बहुत ही कठिन था। उनके द्वारा बुराइयों को समाप्त करने के लिए किये गये प्रयत्नों के निम्नलिखित परिणाम निकले

1. सुधार आन्दोलन-बुराइयों को समाप्त करने के लिए समाज सुधारकों ने सुधार आन्दोलन चलाए। इनमें ब्रह्म समाज, आर्य समाज, नामधारी लहर, सिंह सभा, रामकृष्ण मिशन, अलीगढ़ आन्दोलन आदि ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन आन्दोलनों के प्रयत्नों से समाज में से सती-प्रथा, बहु-विवाह प्रथा, बाल-विवाह, पर्दा-प्रथा तथा कई अन्य बुराइयां कमज़ोर पड़ गईं।

2. कानूनी प्रयास- भारतीय समाज-सुधारकों द्वारा जोर देने पर ब्रिटिश सरकार ने सामाजिक-धार्मिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए कई कानून लागू किये-

  • 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने सती प्रथा को गैर-कानूनी (अवैधानिक) घोषित किया। उसने अपने शासन काल में कन्या-वध तथा नर-बलि के विरुद्ध भी कानून पारित किये।
  • 1891 ई० में बाल-विवाह प्रथा को अवैधानिक घोषित कर दिया गया।

3. राष्ट्रवाद की भावना का उदय-भारतीय समाज-सुधारकों के प्रयत्नों के फलस्वरूप भारत के लोगों में राष्ट्रवाद – की भावना उत्पन्न हुई जिससे नये भारत का निर्माण करना सम्भव हो सका।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. समाज चार वर्गों में बंटा हुआ था-ब्राह्मण, क्षत्रिय, ………… तथा शूद्र।
2. ज्योतिबा फूले को …………. की उपाधि से सम्मानित किया गया।
3. डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने …………ई० में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ इण्डिया की स्थापना की।
4. महात्मा गांधी ने निम्न जाति के लोगों के लिए हरिजन शब्द का प्रयोग किया जिसका अर्थ था ………..
उत्तर-

  1. वैश्य
  2. महात्मा
  3. 1936
  4. परमार के बच्चे।

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III. सही जोड़े बनाएं:

1. ज्योतिबा फूले – श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम
2. पेरियार रामास्वामी – आंध्र प्रदेश राज्य के पैग़म्बर
3. वीरसलिंगम – तमिलनाडु के महान् समाज सुधारक
4. श्री नारायण गुरु – सत्य शोधक समाज नामक संस्था।
उत्तर-

  1. ज्योतिबा फूले – सत्य शोधक समाज नामक संस्था।
  2. पेरियार रामास्वामी – तमिलनाडु के महान् समाज सुधारक
  3. वीरसलिंगम – आंध्र प्रदेश राज्य के पैग़म्बर
  4. श्री नारायण गुरु – श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम।

PSEB 8th Class Social Science Guide जाति-प्रथा को चुनौती Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
सत्यशोधक समाज के संस्थापक थे –
(i) वीरसलिंगम
(ii) ज्योतिबा फुले
(iii) श्री नारायण गुरु
(iv) महात्मा गाँधी।
उत्तर-
ज्योतिबा फूले

प्रश्न 2.
बाल विवाह की प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया गया –
(i) 1891 ई० में
(ii) 1829 ई० में
(iii) 1856 ई० में
(iv) 1875 ई० में।
उत्तर-
1891 ई० में

प्रश्न 3.
1936 ई० में ‘इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ इण्डिया’ की स्थापना की –
(i) ज्योतिबा फूले
(ii) वीरसलिंगम
(iii) डॉ० भीमराव अम्बेडकर
(iv) पेरियार रामास्वामी।
उत्तर-
डॉ० भीमराव अम्बेडकर

प्रश्न 4.
अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए ‘बैंकोम’ सत्याग्रह आरम्भ किया
(i) ज्योतिवा फूले
(ii) वीरसलिंगम
(iii) डॉ० भीमराव अम्बेडकर
(iv) पैरियार रामास्वामी।
उत्तर-
पैरियार रामास्वामी

प्रश्न 5.
‘श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम’ नामक संस्था की स्थापना की –
(i) श्री नारायण गुरु
(ii) श्री नारायण स्वामी
(iii) श्री चैतन्य नारायण
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
श्री नारायण गुरु।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन पर (✗) का निशान लगाएं :

1. महात्मा गांधी जी छुआ-छत को पाप समझते थे।
2. बहिकृत हितकारिणी सभा ने उच्च जातियों के हितों की रक्षा की।
3. वीर सलिंगम अंतर्जातीय विवाह के पक्ष में थे।
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗),
  3. (✓) .

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार समाज-सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर-
(1) ज्योतिबा फुले (2) वीरसलिंगम (3) श्री नारायण गुरु (4) महात्मा गांधी।

प्रश्न 2.
सती प्रथा को कब और किसने गैर-कानूनी घोषित किया ?
उत्तर-
सती प्रथा को 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने गैर-कानूनी घोषित किया।

प्रश्न 3.
ज्योतिबा फूले कौन था तथा उसने निम्न अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए पहला महत्त्वपूर्ण कार्य क्या किया ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले महाराष्ट्र के एक महान् समाज सुधारक थे। उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों के उद्धार के लिए अनेक कार्य किए। इस उद्देश्य से सबसे पहले, उन्होंने पुणे में तीन स्कूल खोले जहां निम्न जातियों की लड़कियों को शिक्षा दी जाती थी।

प्रश्न 4.
ज्योतिबा फूले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना कब की तथा इसके प्रथम प्रधान तथा सैक्रेटरी कौन-कौन थे ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना 24 सितम्बर, 1873 ई० को की। इसके पहले प्रधान स्वयं ज्योतिबा फूले तथा सैक्रेटरी नारायण राव, गोविंद राव कडालक थे।

प्रश्न 5.
श्री नारायण गुरु का जन्म कब, कहां तथा किस जाति में हुआ ?
उत्तर-
श्री नारायण गुरु का जन्म 1856 ई० में केरल राज्य में एज़हेवज़ जाति में हुआ।

प्रश्न 6.
पेरियार रामा स्वामी ने समाज से अछूत प्रथा समाप्त करने के लिए कौन-सा सत्याग्रह आरम्भ किया तथा इसमें कौन-से राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया?
उत्तर-
पेरियार रामा स्वामी ने समाज में अछूत प्रथा समाप्त करने के लिए वैकोम सत्याग्रह आरम्भ किया। इस सत्याग्रह में महात्मा गांधी, सी० राज गोपालाचार्य, विनोबा भावे आदि राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया।

प्रश्न 7.
डॉ० अम्बेदकर ने अनुसूचित जाति के लोगों की भलाई के लिए कौन-से दो संघों की स्थापना की तथा कौन-से समाचार-पत्र निकाले ?
उत्तर-
डॉ० अम्बेदकर ने अनुसूचित जाति के लोगों की भलाई के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा तथा समाज समत संघ की स्थापना की। उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत तथा जनता आदि समाचार-पत्र निकाले।

प्रश्न 8.
बाल-विवाह की प्रथा को कब गैर-कानूनी घोषित किया गया ?
उत्तर-
1891 ई० में।

प्रश्न 9.
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना 1936 ई० में डॉ० भीमराव अम्बेदकर ने की।

प्रश्न 10.
प्राचीन भारतीय समाज कौन-से चार वर्गों में बंटा हुआ था ? इस बंटवारे का आधार क्या था ?
उत्तर-
प्राचीन भारतीय समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र नामक चार वर्गों में बंटा हुआ था। इस बंटवारे का आधार काम-धन्धे थे।

प्रश्न 11.
जाति-प्रथा किस काल में कठोर हो गई और कैसे ?
उत्तर-
जाति-प्रथा राजपूत काल में कठोर हो गई, क्योंकि इस काल में चार मुख्य जातियों के अतिरिक्त और भी कई जातियां तथा उप-जातियां पैदा हो गईं।

प्रश्न 12.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार समाज-सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. ज्योतिबा फुले
  2. वीरसलिंगम
  3. श्री नारायण गुरु
  4. महात्मा गांधी।

प्रश्न 13.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी में भारतीय समाज में प्रचलित किन्हीं चार बुराइयों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. सती प्रथा
  2. बाल विवाह
  3. कन्या वध
  4. विधवाओं को पुनर्विवाह की मनाही।

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प्रश्न 14.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलनों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. ब्रह्म समाज
  2. आर्य समाज
  3. रामकृष्ण मिशन
  4. नामधारी लहर।

प्रश्न 15.
सती प्रथा को कब और किसने गैर-कानूनी घोषित किया ?
उत्तर-
सती प्रथा को 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने गैर-कानूनी घोषित किया।

प्रश्न 16.
बाल-विवाह की प्रथा को कब गैर-कानूनी घोषित किया गया ?
उत्तर-
1891 ई० में।

प्रश्न 17.
गांधी जी के असहयोग आन्दोलन में अनुसूचित जाति के लोगों ने हिस्सा क्यों नहीं लिया ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन में अनुसूचित जाति के लोगों ने इसलिए हिस्सा नहीं लिया क्योंकि तब तक कांग्रेस ने समाज से छुआछूत को समाप्त करने के लिए कोई ठोस पग नहीं उठाया था।

प्रश्न 18.
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना 1936 ई० में डॉ० भीमराव अम्बेदकर ने की।

प्रश्न 19.
डॉ० भीमराव अम्बेदकर द्वारा गठित दो राजनीतिक दलों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. लेबर पार्टी
  2. शैड्यूल कास्ट फेडरेशन।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पेरियार रामा स्वामी कौन थे ? उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों के हितों की रक्षा के लिए क्या किया ?
उत्तर-
पेरियार रामा स्वामी तमिलनाडु के महान् समाज-सुधारक थे। उनका जन्म 17 सितम्बर, 1879 ई० को चेन्नई (मद्रास) में हुआ था। उन्होंने अनुभव किया कि समाज में अनुसूचित जाति के लोगों को अछूत समझा जाता है। इसके अतिरिक्त इन लोगों को सामाजिक रीति-रिवाजों में भाग लेने, दूसरी जातियों के साथ मेल-मिलाप करने तथा शिक्षा प्राप्त करने की मनाही है। अतः उन्होंने इन लोगों के हितों की रक्षा के लिए द्रविड़ काज़गाम नामक संस्था स्थापित की।
इस संस्था ने अनुसूचित जाति के लोगों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण दिलाने के प्रयास किये। फलस्वरूप जिन जातियों के साथ भेद-भाव किया जाता था उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भारत के संविधान में प्रथम संशोधन किया गया। पेरियार रामा स्वामी ने अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए ‘वैकोम’ सत्याग्रह आरम्भ किया। इस प्रकार पेरियार रामा स्वामी ने तमिलनाडु में अनुसूचित जाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा की।

प्रश्न 2.
भारतीय नारी की दशा सुधारने के लिए आधुनिक सुधारकों द्वारा किए गए कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर-

  1. सती प्रथा का अन्त-सती प्रथा स्त्री जाति के उत्थान में बहुत बड़ी बाधा थी। आधुनिक समाजसुधारकों के अथक प्रयत्नों से इस अमानवीय प्रथा का अन्त हो गया।
  2. विधवा विवाह की आज्ञा-समाज में विधवाओं की दशा बड़ी खराब थी। उन्हें पुनः विवाह करने की आज्ञा नहीं थी। इस कारण कई विधवाएं पथ-भ्रष्ट हो जाती थीं। आधुनिक समाज-सुधारकों के प्रयत्नों से उन्हें दोबारा विवाह करने की आज्ञा मिल गई।
  3. पर्दा-प्रथा का विरोध आधुनिक सुधारकों का विश्वास था कि पर्दे में रहकर नारी कभी उन्नति नहीं कर सकती। इसलिए उन्होंने स्त्रियों को पर्दा न करने के लिए प्रेरित किया। .
  4. स्त्री-शिक्षा पर बल-स्त्रियों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए समाज सुधारकों ने स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल दिया। स्त्रियों की शिक्षा के लिए अनेक स्कूल भी खोले गए।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
डॉ० बी० आर० अम्बेदकर द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए की गई गतिविधियों के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर-
डॉ० भीमराव अम्बेदकर को अनुसूचित जातियों का मसीहा कहा जाता है। उन्होंने समाज तथा सरकार से अनुसूचित जातियों के लोगों के साथ न्याय करने की मांग की। इन लोगों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने सत्याग्रह तथा प्रदर्शन किए। इस दिशा में उनके योगदान का वर्णन इस प्रकार है

  • 1918 ई० में अम्बेदकर जी ने साऊथबोरो रिफ़ार्ज़ कमेटी से मांग की कि अनुसूचित जातियों के लोगों के लिए सभी प्रान्तों की विधान परिषदों तथा केन्द्रीय विधान परिषद् में उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें संरक्षित की जायें। इसके अतिरिक्त उनके लिए अलग से चुनाव क्षेत्र निश्चित किये जाएं, परन्तु कमेटो ने यह मांग नहीं मानी।
  • 1931 ई० की गोलमेज़ काफ्रेंस में अम्बेदकर जी ने अनुसूचित जाति के लोगों को राजनीतिक अधिकार देने की सिफ़ारिश की। इस सिफ़ारिश को काफ़ी सीमा तक 16 अगस्त, 1932 ई० को ब्रिटिश प्रधानमन्त्री द्वारा तैयार किए गए ‘कम्युनल अवार्ड’ में शामिल कर लिया गया।
  • अनुसूचित जाति के लोगों के सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकारों के लिए नागपुर, कोल्हापुर आदि स्थानों पर सम्मेलन हुए। डॉ० साहिब ने इन सम्मेलनों में भाग लिया।
  • उन्होंने इन जातियों के लोगों के उद्धार से सम्बन्धित प्रचार करने के लिए ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ तथा ‘समाज संमत संघ’ की स्थापना की। इस उद्देश्य से उन्होंने ‘मूक नायक’, ‘बहिष्कृत भारत’, ‘जनता’ आदि समाचारपत्र प्रकाशित करने भी आरम्भ किये।
  • उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों को दूसरी जातियों के लोगों के समान सार्वजनिक कुओं से पानी भरने तथा मन्दिरों में प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह आरंभ किया।
  • बम्बई (मुम्बई) लेजिस्लेटिव असेम्बली का सदस्य होने के नाते उन्होंने 1926 ई० से लेकर 1934 ई० तक किसानों, मज़दूरों तथा अन्य निर्धन लोगों के उद्धार के लिए कई बिल प्रस्तुत किये जो रूढ़िवादी सदस्यों के विरोध के कारण पास नहीं हो सके।
  • अक्तूबर, 1936 ई० में उन्होंने इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की जिसने 1937 ई० में प्रेज़िडेंसी की लेजिस्लेटिव असेम्बली के लिए हुए चुनाव में अनुसूचित जातियों के लिए संरक्षित सीटों पर जीत प्राप्त की।
  • अम्बेदकर जी ने ‘लेबर पार्टी’ तथा ‘शेड्यूल्ड कॉस्ट फेडरेशन’ नामक राजनीतिक दलों का संगठन किया। उनके प्रबल अनुरोध के फलस्वरूप भारत के संविधान में अनुसूचित जातियों तथा कबीलों के लोगों को विशेष सुविधाएं देने की व्यवस्था की गयी।
  • उनके प्रयत्नों के कारण सरकार ने अस्पृश्यता (छूआछात) को गैर-कानूनी (अवैधानिक) घोषित कर दिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

SST Guide for Class 8 PSEB न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Textbook Questions and Answers

I. खाली स्थान भरो:

1. ………… पहली सूचना रिपोर्ट को कहते हैं।
2. भारत की सबसे बड़ी अदालत …………. है।
3. सरकार के मुख्य अंग ………… हैं।
4. सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) का जज (न्यायाधीश) …………. साल और हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) का न्यायाधीश …………. साल तक अपने पद पर बने रहते हैं।
5. पी०आई०एल० से तात्पर्य ………… है।
6. फ़ौजदारी मुकद्दमा धारा …………. अधीन दर्ज किया जाता है।
उत्तर-

  1. FIR
  2. सर्वोच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट
  3. विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका
  4. 65, 62
  5. जनहित मुकद्दमें
  6. 134.

II. निम्नलिखित वाक्यों में सही (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ :

1. न्यायपालिका को संविधान की रक्षक कहा जाता है। – (✓)
2. भारत में दोहरी न्याय प्रणाली लागू है। – (✗)
3. जिला अदालत के विरुद्ध उच्च अदालत में अपील नहीं हो सकती है। – (✗)
4. न्यायाधीश की नियुक्ति प्रधानमन्त्री द्वारा की जाती है। – (✗)
5. ज़मीन-जायदाद से सम्बन्धित झगड़े फ़ौजदारी झगड़े होते हैं। – (✗)

III. बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
सर्वोच्च अदालत को विशेष अधिकार संविधान की किस धारा के अनुसार दिए गए हैं ?
(क) धारा-134
(ख) धारा-135
(ग) धारा-136
(घ) धारा-137
उत्तर-
(ग) धारा-136

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प्रश्न 2.
उच्च अदालतों का गठन कैसे किया जाता है ?
(क) जिला स्तर
(ख) तहसील स्तर
(ग) राज्य स्तर
(घ) गांव स्तर।
उत्तर-
राज्य स्तर

प्रश्न 3.
जनहित मुकद्दमें किस प्रकार दर्ज हो सकते हैं ?
(क) निजी हितों की रक्षा हेतु
(ख) सरकारी हितों की रक्षा हेतु
(ग) जनतक हितों की रक्षा हेतु
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
जनता के हितों की रक्षा के लिए।

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IV. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
न्यायपालिका किस को कहते हैं ?
उत्तर-
न्यायपालिका सरकार का वह अंग है जो न्याय करती है। यह संविधान तथा मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है और कानून का उल्लंघन करने वालों को दण्ड देती है।

प्रश्न 2.
भारत की सबसे बड़ी अदालत कौन-सी है और यह कहां पर स्थित है ?
उत्तर-
भारत की सबसे बड़ी अदालत को सर्वोच्च न्यायालय कहते हैं। भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 3.
मुख्य मुकद्दमें कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
मुख्य मुकद्दमें दो प्रकार के होते हैं-सिविल मुकद्दमें तथा फ़ौजदारी मुकद्दमें। सिविल मुकद्दमों में मौलिक अधिकार, विवाह, तलाक, सम्पत्ति, ज़मीनी झगड़े आदि शामिल हैं। फ़ौजदारी मुकद्दमों का सम्बन्ध मारपीट, लड़ाईझगड़ों तथा गाली-गलोच आदि से है।

प्रश्न 4.
सिविल (दीवानी) मुकद्दमा क्या है ?
उत्तर-
सिविल मुकद्दमें आम लोगों से सम्बन्धित होते हैं। इन विवादों में नागरिकों के मौलिक अधिकार, विवाह, तलाक, बलात्कार, सम्पत्ति तथा भूमि सम्बन्धी झगड़े आदि आते हैं। इनका सम्बन्ध निजी जीवन से होता है। इनमें दीवानी मुकद्दमें भी शामिल हैं।

प्रश्न 5.
सरकारी वकील कौन होते हैं ?
उत्तर-
जो वकील सरकार की ओर से मुकद्दमा लड़ते हैं, उन्हें सरकारी वकील कहा जाता है।

प्रश्न 6.
जनहित मुकद्दमा (PIL) क्या है ?
उत्तर-
जन-हित-मुकद्दमा सरकार के किसी विभाग या अधिकारी या संस्था के विरुद्ध दायर किया जाता है। ऐसे मुकद्दमें का सम्बन्ध सार्वजनिक हित से होना अनिवार्य है। किसी के निजी हितों की रक्षा के लिए जन-हित-मुकद्दमेबाज़ी की शरण नहीं ली जा सकती। ऐसे केसों की पैरवी सरकारी वकीलों द्वारा ही की जाती है।

प्रश्न 7.
एफ० आई० आर० (प्रथम सूचना शिकायत) क्या है ?
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ है-किसी तरह की दुर्घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को सूचित करना। यह सूचना समीप के पुलिस केन्द्र को देनी होती है।

V. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
न्यायपालिका का महत्त्व वर्णन करें।
उत्तर-
न्यायपालिका सरकार का वह अंग है जो न्याय करता है। लोकतन्त्रीय सरकार में न्यायपालिका का विशेष महत्त्व है क्योंकि इसे ‘संविधान की रक्षक’, लोकतन्त्र की पहरेदार और अधिकारों एवं स्वतन्त्रताओं की समर्थक माना गया है। संघीय प्रणाली में न्यायपालिका की महत्ता और भी अधिक है क्योंकि संघीय प्रणाली में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मध्य होने वाले झगड़ों का निपटारा करने, संविधान की रक्षा करने तथा इसकी निरपेक्ष व्याख्या करने के लिए न्यायपालिका को विशेष भूमिका निभानी पड़ती है। किसी सरकार की श्रेष्ठता को परखने के लिए उसकी न्यायपालिका की निपुणता सबसे बड़ी कसौटी है।

प्रश्न 2.
भारत में न्यायपालिका के विशेष अधिकार लिखें।
उत्तर-
न्याययिक पुनर्निरीक्षण न्यायपालिका का विशेष अधिकार है। इसके अनुसार न्यायपालिका यह देखती है कि विधानपालिका द्वारा पारित किया गया कोई कानून या कार्यपालिका द्वारा जारी कोई अध्यादेश संविधान के विरुद्ध तो नहीं है। यदि न्यायपालिका को महसूस हो कि यह संविधान के विरुद्ध है , तो वह उसे (कानून या अध्यादेश को) रद्द कर सकती है। अपने इसी अधिकार के कारण ही न्यायापालिका संविधान की संरक्षक कहलाती है।

प्रश्न 3.
भारत की एकल न्यायिक प्रणाली के बारे में लिखो।
उत्तर-
भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। सर्वोच्च न्यायालय भारत का सबसे बड़ा न्यायालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। प्रांतों के अपने-अपने न्यायालय हैं जिन्हें हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) कहा जाता है। जिला स्तर पर सत्र न्यायालय कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त तहसील स्तर पर उपमण्डल मैजिस्ट्रेट है। स्थानीय स्तर पर न्याय का कार्य पंचायतें तथा न्यायपालिका-निगमें करती हैं। सभी न्यायालय क्रमवार सर्वोच्च न्यायालय के अधीन हैं। यदि कोई निम्न अदालत के न्याय से प्रसन्न नहीं है तो वह उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।

प्रश्न 4.
फ़ौजदारी मुकद्दमें कौन-से होते हैं ? सिविल तथा फ़ौजदारी मुकद्दमों में अन्तर लिखें।
उत्तर-
फ़ौजदारी मुकद्दमों में मारपीट, लड़ाई-झगड़े, गाली-गलोच आदि के मुकद्दमें शामिल हैं। किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि पहुंचाने के मामले फ़ौजदारी मुकद्दमों में आते हैं। उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति किसी की भूमि पर अनुचित अधिकार कर लेता है तो वह दीवानी मुकद्दमें का विषय है। परन्तु जब दोनों पक्षों में लड़ाई-झगड़ा या मारपीट होती है और एक-दूसरे की शारीरिक हानि होती है, तो यह मुकद्दमा दीवानी के साथ-साथ फ़ौजदारी भी बन जाता है। इरादा-ए-कत्ल (Intention to Murder) या हत्या करने की भावना भी फ़ौजदारी मुकद्दमें में शामिल है। जब किसी पर धारा 134 के अन्तर्गत फ़ौजदारी मुकद्दमा चलाया जाता है, तो उसे मृत्युदण्ड भी दिया जा सकता है।

इसके विपरीत सिविल मुकद्दमें प्रायः मौलिक अधिकारों, विवाह, तलाक, बलात्कार, ज़मीनी झगड़ों आदि से सम्बन्ध रखते हैं। इस प्रकार इनका सम्बन्ध व्यक्ति के निजी जीवन से होता है।

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प्रश्न 5.
एफ० आई० आर० (प्राथमिक सूचना रिपोर्ट) कहां दर्ज हो सकती है ? एफ० आई० आर० दर्ज न होने पर अदालत की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ है पुलिस को किसी दुर्घटना की प्रथम सूचना देना। यह शिकायत समीप के पुलिस केन्द्र में दर्ज कराई जा सकती है। किसी भी पुलिस केन्द्र की पुलिस यह सूचना दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकती। फिर भी यदि किसी नागरिक की एफ० आई० आर० किसी पुलिस केन्द्र में दर्ज नहीं हो पाती, तो वह किसी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का सहारा ले सकता है।

संविधान के अनुसार कोई भी अदालत पुलिस को एफ० आई० आर० दर्ज करने का निर्देश दे सकती है। इसके अतिरिक्त न्यायालय स्वयं भी एफ० आई० आर० दर्ज करके पुलिस को पैरवी करने का निर्देश दे सकता है। सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के पास ऐसे विशेष अधिकार हैं। परन्तु आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जबकि किसी पुलिस अधिकारी ने किसी घटना या दुर्घटना की एफ० आई० आर० दर्ज करने से इन्कार किया हो। यदि ऐसा हो तो देश की अदालतों को इस सम्बन्ध में भी विशेष अधिकार प्राप्त हैं।

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PSEB 8th Class Social Science Guide न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय – प्रांत का न्यायालय.
2. उच्च न्यायालय – सम्पति तथा ज़मीनी झगड़े
3. फौजदारी मुकद्दमे – दिल्ली
4. दीवानी मुकद्दमे – मारपीट, लड़ाई-झगड़े।
उत्तर-

  1. दिल्ली
  2. प्रांत का न्यायालय
  3. सम्पत्ति तथा ज़मीनी झगड़े
  4. मारपीट, लड़ाई-झगड़े।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल बताओ।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।

प्रश्न 2.
संविधान की धारा 136 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को क्या विशेष अधिकार प्राप्त है ?
उत्तर-
संविधान की धारा 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मुकद्दमें में निम्न न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।

प्रश्न 3.
‘विशेष अदालत कानून’ (Special Courts Act) क्या है ?
उत्तर-
विशेष अदालत कानून के अनुसार विशेष अदालतों के निर्णयों के विरुद्ध अपील केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही की जा सकती है। यह अपील विशेष अदालत द्वारा निर्णय दिए जाने के पश्चात् 30 दिन के अन्दर की जानी आवश्यक है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत के सभी न्यायालय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। देश का सबसे बड़ा न्यायालय ‘सर्वोच्च न्यायालय’ भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। प्रान्तों (राज्यों) के अपने-अपने ‘उच्च न्यायालय’ हैं। जिला स्तर पर सेशन (सत्र) न्यायालय हैं। इसके अतिरिक्त तहसील स्तर पर उपमण्डल अधिकारी (सिविल) हैं। स्थानीय स्तर पर लोगों को न्याय उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं तथा नगर-परिषदों आदि का गठन किया गया है। सबसे बड़े न्यायालय ‘सर्वोच्च न्यायालय’ के अधीन उच्च-न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधीन जिला न्यायालय हैं। इसी प्रकार तहसील स्तर के न्यायालय जिला न्यायालयों के अधीन हैं।
इससे स्पष्ट है कि भारत में एकल (इकहरी) न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 2.
भारत में न्यायपालिका को किस प्रकार स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं

  1. न्यायपालिका को विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है ताकि किसी मुकद्दमें का निर्णय करते समय उस पर किसी दल या सरकार का नियन्त्रण न हो।
  2. न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने का ढंग भी आसान नहीं है।
  4. न्यायाधीशों का वेतन भी अधिक है। इसे उनके कार्यकाल में कम नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
एफ० आई० आर० (F.I.R.) अथवा प्राथमिक सूचना शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई व्यक्ति क्या-क्या प्रयास कर सकता है ?
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ किसी भी दुर्घटना की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराने से है। यह रिपोर्ट समीप के पुलिस केन्द्र में दर्ज कराई जा सकती है। नियम के अनुसार किसी भी पुलिस केन्द्र की पुलिस एफ० आई० आर० दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकती। यदि किसी पुलिस केन्द्र की पुलिस यह सूचना दर्ज नहीं करती, तो उस पुलिस केन्द्र के एस० एच० ओ० (थानेदार) तक पहुंच की जा सकती है। यदि थानेदार भी उस प्रथम सूचना शिकायत को दर्ज करने से इन्कार करता है तो उप-पुलिस अधीक्षक से मिला जा सकता है। यदि वह भी प्रथम शिकायत सूचना दर्ज नहीं . करवाता, तो जिले के पुलिस अधीक्षक के पास जाया जा सकता है। यदि पुलिस अधीक्षक भी प्रथम शिकायत सूचना दर्ज करने में आनाकानी-करता है तो एफ० आई० आर० देश के किसी भी पुलिस केन्द्र में दर्ज करवाई जा सकती है।

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प्रश्न 4.
भारत में न्यायपालिका को किस प्रकार स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-

  1. न्यायपालिका को विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है ताकि किसी मुकद्दमें का निर्णय करते समय उस पर किसी दल या सरकार का नियन्त्रण न हो।
  2. न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने का ढंग भी आसान नहीं है।
  4. न्यायाधीशों का वेतन भी अधिक है। इसे उनके कार्यकाल में कम नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
सरकारी वकील की भूमिका स्पष्ट करें।
उत्तर-
सरकारी वकील वे वकील होते हैं जो सरकार के पक्ष में मुकद्दमा लड़ते हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के मुकद्दमें लड़ने के लिए भिन्न-भिन्न सरकारी वकील होते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि सरकार और सरकारी कर्मचारियों के मध्य होने वाले मुकद्दमें, सरकारी सम्पत्ति के केस, फ़ौजदारी मुकद्दमें और सिविल मुकद्दमें लड़ने के लिए अलग अलग सरकारी वकील होते हैं। इन सब मुकद्दमों में सरकारी वकीलों को सरकार के पक्ष में लड़ना होता है और हर मुकद्दमें में सरकार का बचाव करना होता है।

प्रश्न 6.
सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, सत्र न्यायालय तथा तहसील स्तर के न्यायालय कहां-कहां स्थित होते हैं ? गांव स्तर के न्यायालय के बारे में भी बताओ।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में, उच्च न्यायालय प्रान्तों में तथा सत्र न्यायालय जिलों में स्थित होते हैं। तहसील स्तर के न्यायालय सत्र न्यायालय के अधीन होते हैं। गांव स्तर पर लोगों को न्याय दिलवाने के लिए ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है। परन्तु ग्राम पंचायतों के अधिकार अधिक विस्तृत नहीं हैं। ये छोटे-मोटे झगड़ों का ही निपटारा करती हैं। इन्हें किसी अपराधी को कारावास का दण्ड देने का अधिकार नहीं है। ये अपराधी को प्रायः जुर्माना ही करती हैं।

प्रश्न 7.
मुकद्दमा निम्न न्यायालय से उच्च न्यायालय में लाने की प्रक्रिया के सम्बन्ध में अपने विचार लिखो।
उत्तर-
भारतीय संविधान में नागरिकों को न्याय दिलाने की व्यवस्था की गई है। यदि किसी केस (विवाद) में ऐसा प्रतीत हो कि न्याय ठीक नहीं हुआ है, तो कोई भी नागरिक उच्च स्तर के न्यायालय की शरण ले सकता है। जिला न्यायालयों के विरुद्ध ‘उच्च-न्यायालय’ में अपील की जा सकती है और उच्च-न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को मानने के लिए उच्च न्यायालय प्रतिबद्ध हैं। इसी प्रकार उच्च-न्यायालयों के निर्णयों को मानने के लिए जिला न्यायालय प्रतिबद्ध हैं।

प्रश्न 8.
न्यायाधीशों की नियुक्ति koun करता है।
उत्तर-न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्यत: राष्ट्रपति करता है। वह पहले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करता है, फिर वह उसकी सलाह से सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करते समय वह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ सम्बन्धित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्यपाल की सलाह लेता है।
जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। इसमें वह उच्च न्यायालय की सलाह लेता है।

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प्रश्न 9.
सर्वोच्च न्यायालय का अपीली क्षेत्र लिखो।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय का अपीलीय अधिकार क्षेत्र अपीलें सुनने से सम्बन्ध रखता है। यह उच्च न्यायालयों द्वारा किए गए निर्णय के विरुद्ध अपीलें सुनता है। ये अपीलें तीन प्रकार की हो सकती हैं-संविधान सम्बन्धी, दीवानी तथा फ़ौजदारी।

1. संविधान सम्बन्धी अपीलें-

  • यदि किसी राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा दीवानी, फ़ौजदारी या किसी अन्य मुकद्दमे के बारे में यह प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाये कि मुकद्दमे में और अधिक संवैधानिक व्याख्या की ज़रूरत है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
  • यदि उच्च न्यायालय प्रमाण-पत्र न भी जारी करे तो सर्वोच्च न्यायालय स्वयं ऐसी स्वीकृति देकर मुकद्दमे की सुनवाई कर सकता है।

2. दीवानी अपीलें-

  • यदि उच्च न्यायालय द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मुकद्दमे में साधारण महत्त्व का कोई कानूनी प्रश्न है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
  • कुछ विशेष मुकद्दमों में सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना भी उसके निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।

3. फ़ौजदारी अपीलें सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित स्थितियों में उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध फ़ौजदारी अपील में सुन सकता है

  • कोई भी ऐसा मुकद्दमा जिसमें निम्न न्यायालयों ने किसी व्यक्ति को दोषमुक्त कर दिया हो, परन्तु उच्च न्यायालय ने उसे मृत्युदण्ड दे दिया हो।
  • यदि उच्च न्यायालय ने निम्न न्यायालय में चल रहे मुकद्दमे को सीधा अपने पास मंगवा लिया हो और दोषी को मृत्यु दण्ड दे दिया हो।
  • यदि उच्च न्यायालय यह प्रमाणित करे कि मुकद्दमा अपील के योग्य है।

इसके अतिरिक्त धारा 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मुकद्दमें में निम्न न्यायालयों द्वारा दिये गए निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 4 सौर-ऊर्जा

PSEB 8th Class Agriculture Guide सौर-ऊर्जा Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सौर (सौर्य) वाटर हीटर का मुख्य लाभ क्या है ?
उत्तर-
यह 100 डिग्री सैल्सियस से कम तापमान पर पानी गर्म करने के काम आता है।

प्रश्न 2.
परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों के दो उदाहरण दें।
उत्तर-
कोयला, पेट्रोलियम पदार्थ आदि।

प्रश्न 3.
गैर-परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों के दो उदाहरण दें।
उत्तर-
सूर्य की ऊर्जा, बायोगैस।

प्रश्न 4.
सौर ड्रायर कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर-
प्रयोग के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-व्यापारिक तथा पारिवारिक।

प्रश्न 5.
सौर ड्रायर में सुखाई जाने वाली दो सब्जियों के नाम बताएं।
उत्तर-
पालक, मेथी, मिर्च, टमाटर।

प्रश्न 6.
व्यापारिक स्तर पर सौर ड्रायर में कृषि पदार्थों की कितनी मात्रा एक बार में सुखाई जा सकती है?
उत्तर-
20 से 30 किलो कृषि पदार्थ।

प्रश्न 7.
सौर-कुकर का मुख्य लाभ क्या है?
उत्तर-
यह भोजन पकाने के काम आता है।

प्रश्न 8.
सौर-कुकर के प्रयोग से कितने प्रतिशत परम्परागत ईंधन बच सकता है?
उत्तर-
20% से 50% तक परम्परागत ईंधन बच जाता है।

प्रश्न 9.
सौर लालटेन का प्रयोग कितने घण्टे तक किया जा सकता है?
उत्तर-
3-4 घण्टे तक।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 10.
सौर जल तापक (वाटर हीटर) कितनी प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
यह दो प्रकार के होते हैं-स्टोरेज़ कम कुलैक्टर सोलर वाटर हीटर तथा थर्मोसाइफिन सोलर वाटर हीटर।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत कितनी प्रकार के हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर-
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत दो प्रकार हैं—
(i) परम्परागत
(ii) गैर-परम्परागत

  1. परम्परागत ऊर्जा स्रोत के उदाहरण-बिजली, कोयला, पेट्रोलियम वस्तुएँ ये अत्यन्त मूल्यवान् एवम् प्रकृति में सीमित मात्रा में होते हैं।
  2. गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत के उदाहरण हैं-बायोगैस, सौर ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि।

ये स्रोत बेहद मात्रा में उपलब्ध है तथा मूल्य में सस्ते हैं।

प्रश्न 2.
सौर-ड्रायर से सुखाई जाने वाली वस्तुओं के नाम बताएं।
उत्तर-
पालक, टमाटर, मेथी, सरसों का साग, आलू, हल्दी, मिर्च, आलूचे, आड़, अंगूर आदि।

प्रश्न 3.
सौर-कुकर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
सौर-कुकर एक ऐसा यन्त्र है जिसके प्रयोग से सूर्य की गर्मी के उपयोग से भोजन पकाया जाता है तथा इस तरह 20% से 50% तक परम्परागत ईंधन की बचत हो जाती है।

प्रश्न 4.
सौर स्ट्रीट लाइट के विषय में संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
इस लाइट को सूर्य की ऊर्जा द्वारा बैटरी को चार्ज करके सूर्य अस्त के बाद गलियों, सड़कों पर प्रकाश करने के लिए प्रयोग किया जा ा है। यह अन्धेरा होने पर स्वतः ही जल जाती हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (1)
चित्र-सौर स्ट्रीट लाइट सिस्टम

प्रश्न 5.
सौर-कुकर द्वारा भोजन पकाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-

  1. पहले सौर-कुक्कर को सूर्य की धूप में रखकर गर्म करो।
  2. जिस भोजन को पकाना हो उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर कुक्कर में रखो।
  3. सब्जियां, अण्डे आदि में पानी नहीं डालना चाहिए, अपितु सब्जियों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पकाने के लिए सौर कुक्कर में रखने चाहिएं।
  4. भोजन पकाने वाले बर्तन को भोजन तथा पानी से आधे से अधिक नहीं भरना चाहिए।

प्रश्न 6.
सौर-होम लाइटिंग सिस्टम पर संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर-
इस सिस्टम में सूर्य के प्रकाश से इनवर्टर को चार्ज करके हम घर में बिजली न होने की सूरत में 2 ट्यूब लाइटस तथा 2 पंखे 5 से 6 घण्टे तक चला सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (2)
चित्र-सौर होम लाइटिंग सिस्टम

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 7.
सौर जल पम्प क्या होता है?
उत्तर-
ऐसे ट्यूबवैल जिनमें पानी का स्तर 35-40 फुट होता है, को सोलर वाटर पम्प की सहायता से चलाया जा सकता है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (3)
चित्र-सौर जल पम्प

प्रश्न 8.
सौर-लालटेन की कार्य प्रणाली पर टिप्पणी करें।
उत्तर-
यह एमरजैंसी लाइट है जिसको सूर्य के प्रकाश से चार्ज किया जाता है। इससे 3-4 घण्टे तक प्रकाश लिया जा सकता है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (4)
चित्र-सौर लालटेन

प्रश्न 9.
पारिवारिक स्तर पर सौर ड्रायर किस तरह काम करते हैं?
उत्तर-
यह छोटे आकार का ड्रायर होता है इसमें दो से तीन किलो ताजे पदार्थ को 2 से 3 दिन में सुखाया जा सकता है। इसमें ऐसे पदार्थ सुखाए जाते हैं जिनको हम खाना तैयार
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (5)
चित्र-पारिवारिक स्तर पर सौर ड्रायर
करने के लिए पाऊडर बना कर प्रयोग करते हैं, जैसे-लाल मिर्च, प्याज, लहसुन, आम का चूर्ण, अदरक, पालक के पत्ते आदि।

प्रश्न 10.
व्यापारिक स्तर पर सौर ड्रायर के विषय में संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
कृषि पदार्थ को हवा से कम तापमान पर सुखाना होता है ताकि इन पदार्थों के गण नष्ट न हो जाएं। इस ड्रायर में हवा का अधिक-से-अधिक तापमान जो कि किसी पदार्थ के सूखने के लिए आवश्यक है। इस तापमान से कम रखकर ही पदार्थों को इसमें सुखाया जाता है। इसमें एक ही समय में 20 से 30 किलो कृषि पदार्थ सुखाए जा सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (6)
चित्र-व्यापारिक स्तर पर सौर डायर

(इ) पांच-छ: वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
भोजन पकाने के लिए सौर कुकर का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
भोजन पकाने के लिए कुकर को सैट करके रखने के लिए निम्नलिखित विधि का प्रयोग करो

  1. पहले सोलर कुकर को सूर्य की धूप में रखकर गर्म करो।
  2. जिस भोजन को पकाना हो उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर कुकर में रखो।
    PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (7)
    चित्र-बॉक्स टाइप कुकर
    चित्र-दोहरे शीशे वाले सौर कुकर
  3. सब्जियां, अण्डे आदि में पानी नहीं डालना चाहिए, अपितु सब्जियों के छोटेछोटे टुकड़े काटकर पकाने के लिए सोलर कुकर में रखने चाहिएं।
  4. भोजन पकाने वाले बर्तन को भोजन तथा पानी से आधे से अधिक नहीं भरना चाहिए।
  5. कुकर का ऊपरी हिस्सा सूर्य की ओर करके रखें।
  6. कुकर को बार-बार न खोलें। ऐसा करने से भोजन पकाने में देरी होगी।
  7. भोजन पकाने के पश्चात् बर्तन का ढक्कन आराम से खोलें ताकि भाप आपके शरीर को न लगे।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 2.
‘स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सौर जल तापक (हीटर)’ के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
स्टोरेज-कम-कुलैक्टर हीटर में ऊर्जा सोखने वाले तथा पानी गर्म करने वाले दोनों तरह के यूनिट लगे होते हैं। इनके लिए पानी स्टोर करने के लिए कोई अलग टैंक अथवा पाइपें नहीं होती। इसलिए ऐसे वाटर हीटरों को थर्मोसाइफीन सोलर वाटर हीटर से अधिक बढ़िया माना गया है। सोलर वाटर हीटरों को पक्की तरह दक्षिण की ओर मुँह करके एक ही स्थिति में रखा जाता है। इन्हें सूर्य की धूप लगने के लिए बार-बार हिलाया-डुलाया नहीं जाता। इन्हें ज़मीन पर तथा खिड़की के पास भी रखा जा सकता है। ऐसे हीटर मकान की छत पर पक्के भी लगाये जा सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (8)
चित्र-स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सौर जल हीटर
सोलर वॉटर हीटर साधारणतः जल्दी खराब नहीं होते। परन्तु फिर भी यह आवश्यक हो जाता है कि इस पर लगे शीशे को साफ़ रखना चाहिए, क्योंकि शीशे पर धूल के कण आदि जमें हों तो इस तरह सूर्य की किरणें पानी को गर्म नहीं कर सकतीं।

प्रश्न 3.
सौर ड्रायर के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दें।
उत्तर-
इनका प्रयोग फलों तथा सब्जियों आदि को सुखाने के लिए किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं—

1. कैबिनेट ड्रायर—यह एक लकड़ी का बक्सा होता है जो अन्दर से काला होता है। इसके ऊपरी हिस्से पर शीशा लगा होता है। सुखाने वाली वस्तु को छिद्रों वाली ट्राली पर एक स्तर पर रखा जाता है। इस यन्त्र में दो तरह के छिद्र होते हैं। ऊपरी सतह में जो छिद्र होते हैं उनमें से हवा निकलती रहती है तथा निचली परत वाले छिद्रों से ताज़ा हवा अन्दर आती रहती है। इस तरह हवा का आवागमन होता रहता है।

2. परतदार डायर-यह यन्त्र लकडी तथा लोहे की शीटों अथवा फाइबर ग्लास का बना होता है। बक्से में हवा के आवागमन के लिए ऊपरी तथा निचले हिस्से में कई छिद्र किए होते हैं। बक्से के दोनों तरफ सुखाने वाली वस्तु को निकालने का प्रबन्ध होता है। ट्रेओं पर सौर किरणों को सोखने वाले चमकीले डण्डे लगे होते हैं। बक्से के ऊपर वाले हिस्से पर इकहरा शीशा फिट होता है। जिन थालियों में सुखाने के लिए चीजें रखनी होती हैं उनमें बहुत से छिद्र होते हैं। थालियों की ऊंचाई 3-4 सेंटीमीटर होती है। इनमें कटी सब्जियां तथा फल आसानी से सुखाने के लिए रखे जा सकते हैं। सूख रही वस्तुओं को छाया करने के लिए काली चमकती प्लेटें लगी होती हैं। क्योंकि यह यन्त्र सूर्य की किरणों को प्राप्त करके कार्य करते हैं इसको दिन में धूप में रखा जाता है। इन यन्त्रों का शीशा हमेशा दक्षिण दिशा की ओर रखा जाता है।

प्रश्न 4.
‘सौर जल तापक’ (Solar Water Heater) से पानी की निरंतर पूर्ति के लिए कौन-सी सावधानियां रखना चाहिए?
उत्तर-
सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से पानी गर्म करने वाले हीटरों को पक्की तरह एक स्थान पर ही रखा जाता है। इन्हें छत पर भी पक्के तौर पर फिट किया जा सकता है। इसके लिए ठण्डे पानी की पाइप लगानी पड़ती है। इसके ऊपर लगे शीशे को अच्छी तरह साफ रखना चाहिए ताकि सूर्य का प्रकाश पहुंचने में कोई रुकावट न आए। इसको पानी की सप्लाई लगातार बनाए रखनी आवश्यक है। हीटर का मुंह दक्षिण की तरफ रखा जाता है।

प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा से हम भिन्न-भिन्न ढंगों से कैसे लाभ उठा सकते हैं?
उत्तर-
सूर्य सारे विश्व को चलाने वाला अकेला ही ऊर्जा स्रोत है। इसकी ऊर्जा से पौधे भोजन बनाते हैं जिनसे हम अपना भोजन प्राप्त करते हैं। हवा-पानी का चक्कर भी सूर्य के कारण ही चलता है परन्तु यह सभी कुछ प्रकृति में अपने आप हो रहा है। हम अपनी मेहनत से सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से अन्य लाभ भी ले सकते हैं, जैसे—

  1. सूर्य के ताप के प्रयोग से हम पानी गर्म कर सकते हैं, खाना पका सकते हैं, बिजली पैदा कर सकते हैं। सब्जियों फलों को सुखा सकते हैं।
  2. सोलर सैल का प्रयोग करके सूर्य की ऊर्जा से बिजली पैदा कर सकते हैं।
  3. सूर्य की ऊर्जा का प्रयोग करके हम पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों को बचा सकते हैं।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB सौर-ऊर्जा Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों को कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर-
दो भागों में।

प्रश्न 2.
कोयले से पैदा होने वाली बिजली कैसा ऊर्जा स्रोत है?
उत्तर-
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत।

प्रश्न 3.
कौन-से ऊर्जा स्रोत सीमित हैं ?
उत्तर-
पारम्परिक।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 4.
कौन-से ऊर्जा स्रोत अधिक मात्रा में हैं ?
उत्तर-
और-पारम्परिक।

प्रश्न 5.
पारिवारिक स्तर वाले सोलर ड्रायर से कितने ताजे पदार्थ को कितने दिनों में सुखाया जा सकता है?
उत्तर-
2-3 किलो ताजे पदार्थ को 2 से 3 दिनों में।

प्रश्न 6.
क्या सोलर कुकर में रोटी बनाई जा सकती है?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 7.
सोलर बाटर हीटर का मुंह किस तरफ होता है?
उत्तर-
दक्षिण की तरफ।

प्रश्न 8.
सोलर होम लाइटिंग सिस्टम से कितने पंखे तथा लाइटें चला सकते हैं?
उत्तर-
2 ट्यूब, 2 पंखे, 5 से 6 घण्टे के लिए।

प्रश्न 9.
सौर ऊर्जा से किस हीटर द्वारा पानी गर्म होता है?
उत्तर-
थर्मोसाइफीन सोलर वाटर हीटर तथा स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सोलर वाटर हीटर दोनों से।

प्रश्न 10.
ऊर्जा के किसी एक औपचारिक स्रोत का नाम बताओ।
उत्तर-
कोयला।

प्रश्न 11.
सोलर कुकर के उपयोग से कितने प्रतिशत औपचारिक ईंधन की बचत होती है?
उत्तर-
20% से 50% तक।

प्रश्न 12.
तहदार ड्रायर में वस्तु रखने वाली थालियों का फ्रेम किस पदार्थ का बना होता है?
उत्तर-
जी० आई० शीटों का।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सौर ऊर्जा को कौन-कौन से कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है ?
उत्तर-
सौर ऊर्जा को पानी गर्म करने, फलों, सब्जियों को सुखाने, भोजन पकाने आदि के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
सीधी धूप में फल तथा सब्जियों को सुखाने का क्या नुकसान है ?
उत्तर-
इस तरह कीड़े, पंछी तथा धूल से फल तथा सब्जियां खराब होते हैं तथा इनके रंग में भी अन्तर आ जाता है।

प्रश्न 3.
सौर हीटर क्या होता है ?
उत्तर-
यह एक उपकरण है जो सौर ऊर्जा को सोखकर गर्मी ऊर्जा में बदल देता है।

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प्रश्न 4.
सोलर वाटर हीटर के कांच की सफ़ाई करना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
कांच पर धूल कण आदि जम जाते हैं जिससे सूर्य की किरणें पानी को अच्छी तरह गर्म नहीं कर सकतीं।

प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा किस प्रकार एकत्रित की जा सकती है ?
उत्तर-
इसे कई प्रकार के लैंसों द्वारा एकत्रित किया जाता है।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
सोलर कुकर के प्रयोग से कितने रिवायती ईंधन की बचत होती है ? सोलर कुकर कितनी प्रकार के हैं ? उनमें क्या कमियां हैं ?
उत्तर-
सोलर कुकर के प्रयोग से 20% से 50% तक रिवायती ईंधन बच सकता है, जो भोजन पकाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सौर ऊर्जा गर्मी की शक्ल में कई प्रकार के लैंसों द्वारा एकत्रित की जाती है, जोकि भोजन पकाने के लिए प्रयोग की जाती है।
साधारणतः यह दो तरह के होते हैं—

  1. साधारण सोलर कुकर।
  2. बॉक्सनुमा सोलर कुकर।

कमियां-सोलर कुक्कर को हमेशा सूर्य की तरफ मुख करके रखना पड़ता है तथा बार-बार सैट करना पड़ता है। इनका प्रयोग रोटी पकाने के लिए नहीं किया जा सकता ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. पानी गर्म करने के लिए सौर हीटर होता है।
  2. सौर-कुकर भोजन पकाने के काम आता है।
  3. पारम्परिक ऊर्जा स्रोत असीमित हैं।

उत्तर-

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत हैं—
(क) कोयला
(ख) वायु
(ग) पानी
(ग) सूर्य।
उत्तर-
(क) कोयला

प्रश्न 2.
गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत हैं—
(क) बायोगैस
(ख) सौर ऊर्जा
(ग) रसायनिक ऊर्जा
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 3.
सोलर ड्रायर में सुखाई जाने वाली सब्जियां हैं—
(क) पालक
(ख) मेथी
(ग) मिर्च
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

रिक्त स्थान भरें

  1. बायोगैस ……………. स्रोत है।
  2. सोलर लालटेन एक ……………. लाइट है।
  3. सोलर वाटर हीटर ……….. प्रकार के होते हैं।

उत्तर-

  1. गैर-पारम्परिक,
  2. एमरजैंसी,
  3. दो।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

सौर-ऊर्जा PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • प्राकृतिक ऊर्जा के स्रोतों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है-परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत।
  • परम्परागत स्रोत प्रकृति में सीमित हैं। यह हैं-कोयला, बिजली, पैट्रोलियम पदार्थ आदि।
  • गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत हैं-बायोगैस, सौर-ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि।
  • सूर्य की किरणों से सोलर (सौर) सैल के द्वारा बिजली पैदा की जा सकती है।
  • सोलर (सौर) ड्रायर की सहायता से सब्जियों, फलों को सुखाया जाता है।
  • सोलर (सौर) ड्रायर दो प्रकार के होते हैं—पारिवारिक प्रयोग के लिए, व्यापारिक प्रयोग के लिए।
  • सोलर (सौर) कुकर से सूर्य के प्रकाश में भोजन पकाया जा सकता है।
  • पानी गर्म करने के लिए सोलर हीटर (सौर-जल तापक) होते हैं।
  • पानी गर्म करने वाले सोलर हीटर दो प्रकार के हैं-थर्मोसाइफन सोलर वाटर हीटर, स्टोरेज़ कम-कलैक्टर सोलर वाटर हीटर।
  • सोलर (सौर) लालटैन एमरजैंसी लाइट होती है इसको सूर्य के प्रकाश में चार्ज किया जाता है तथा इसे 3-4 घंटे तक प्रयोग किया जा सकता है।
  • सूर्य प्रकाश से सोलर होम लाइटिंग सिस्टम तथा सोलर स्ट्रीट लाइट आदि भी चलते हैं।
  • सोलर वाटर पंप (सौर जल पम्प) 35-40 फुट पानी के स्तर से पानी निकालने के लिए प्रयोग होते हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 7 खेल भावना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 7 खेल भावना

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB खेल भावना InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बढ़िया खेल भावना सीखने का सही समय कौन-सा है?
उत्तर-
बढ़िया खेल भावना अमूल्य गुण है जिसे हमें अपने जीवन के आरम्भिक दिनों में सीखना चाहिए।

प्रश्न 2.
जब हम हार जाएं तो क्या हमें चिल्लाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, जब हम हार जाएं तो हमें चिल्लाना नहीं चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि विरोधी खिलाड़ी जीत जाए तो क्या हमें उसे बधाई देनी चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें विरोधी खिलाड़ी को जीत की बधाई देनी चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

प्रश्न 4.
वास्तव में विजेता कौन है?
उत्तर-
वास्तव में विजेता वह है जो जानता है कि कैसे हारना है, नहीं तो आप जीत कर भी हार जाएंगे।

प्रश्न 5.
क्या जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शान के साथ हारने और जीतने के लिए हमारे लिए खेल भावना आवश्यक है?
उत्तर-
हाँ, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में खेल भावना हमारे लिए जीतने और शान से हारने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 6.
क्या हमेशा ईमानदारी हमारे लिए बढ़िया है?
उत्तर-
हाँ, ईमानदारी हमारे लिए हमेशा बढ़िया है।

प्रश्न 7.
क्या हमें हारने वालों का मजाक उड़ाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें हारने वालों का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।

प्रश्न 8.
क्या हमें विजेता के साथ लड़ना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें विजेता को बधाई देनी चाहिए।

प्रश्न 9.
क्या निर्णय लेने से पूर्व हमें सभी सम्भावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए?
उत्तर-
हां, निर्णय लेने से पूर्व हमें सभी सम्भावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

प्रश्न 10.
क्या हमें हमारी कमजोरी और हार के लिए बहाना बनाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें हमारी कमजोरी और हार के लिए बहाना नहीं बनाना चाहिए।

प्रश्न 11.
क्या प्रत्येक विकल्प/समाधान सम्बन्धी पूर्ण जानकारी एकत्र करना बढ़िया है?
उत्तर-
हाँ, प्रत्येक विकल्प/समाधान सम्बन्धी पूर्ण जानकारी एकत्र करना बढ़िया है।

प्रश्न 12.
क्या हमें लगातार जीत पर अभिमानी बनना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, अगर हम लगातार जीत रहे हैं तो हमें अभिमानी नहीं बनना चाहिए क्योंकि भविष्य में हमें हराया भी जा सकता है।

प्रश्न 13.
यदि हम हार जाएं तो क्या हमें प्रेरणाहीन अनुभव करना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, यदि हम हार जाएं तो भी हमें प्रेरणाहीन अनुभव नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 14.
यदि हम जीतने में असफल हों तो क्या हमें खेल रोक देना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें अपनी गलतियों और असफलताओं से सीखना चाहिए और अगली बार जीतने के लिए कठिन प्रयास करना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

प्रश्न 15.
हमें जीत के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
हमें जीत के लिए सर्वोत्तम खेलना चाहिए। यदि हमारा खेल सर्वोत्तम नहीं है तो हमें अपने आप को सुधारने का यत्न करना चाहिए।

प्रश्न 16.
यदि हमें लगता है कि रैफरी या अम्पायर का निर्णय हमारे विरुद्ध है तो क्या हमारा रैफरी या अम्पायर से लड़ना उचित है?
उत्तर-
नहीं, हमारा रैफरी या अम्पायर के साथ लड़ना उचित नहीं है चाहे हमें लगता है कि उसका निर्णय हमारे विरुद्ध है।

प्रश्न 17.
क्या सभी परिस्थितियों में हमें खेल के नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें सभी परिस्थितियों में खेल के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।

प्रश्न 18.
बढ़िया खिलाड़ी की बढ़िया पहचान क्या है?
उत्तर-
शान से हार को स्वीकार करना बढ़िया खिलाड़ी की पहचान है।

प्रश्न 19.
क्या हमें सभी समाधानों के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार करना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें सभी समाधानों के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार करना चाहिए।

प्रश्न 20.
क्या हमें जीतने के लिए गलत ढंगों का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें जीतने के लिए गलत ढंगों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बढ़िया खेल भावना को संक्षेप में परिभाषित करें।
उत्तर-
बढ़िया खेल भावना एक अमूल्य गुण है जो विद्यार्थी जीवन के दौरान सीखा जाना चाहिए। यह एक पाठ है जो हम खेल के मैदान में सीखते हैं परन्तु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारा मार्गदर्शन करता है।

प्रश्न 2.
बढ़िया खेल भावना दिखाने के लिए हमें क्या चाहिए?
उत्तर-
बढ़िया खेल भावना दिखाने के लिए हमें यह करना चाहिए

  1. हमें शान के साथ हार को स्वीकार करना चाहिए।
  2. हमें हारने वाले व्यक्ति का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।
  3. हमें हमारी हार के लिए बहाने नहीं बनाने चाहिए।
  4. हमें हमारी हार की डींग हांकनी चाहिए।

प्रश्न 3.
हार के पश्चात् आपको अपनी भावनाओं को किस प्रकार प्रकट करना चाहिए?
उत्तर-
हमें जीत और हार को सिक्के के दो पहलुओं की भान्ति लेना चाहिए। जब कभी भी मैच होता है तो केवल एक ही जीत सकता है। जो व्यक्ति बढ़िया खेलता है वही जीतता है। हमें खेलते समय सोचना चाहिए कि हमने कोई गलती की है जिसके कारण हमें हार का सामना करना पड़ा। हमें अपने आप से प्रण करना चाहिए कि अगली बार हम अपने प्रयत्नों में सुधार करेंगे और गलतियों को पुनः नहीं दुहराएंगे ताकि जीत सकें।

प्रश्न 4.
हमें अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए अपने आप से क्या प्रतिज्ञा करनी चाहिए?
उत्तर-
हम अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए निम्नलिखित प्रतिज्ञा कर सकते हैं

  1. हम शान के साथ हार को स्वीकार करेंगे।
  2. हम हमेशा खेल के नियमों का पालन करेंगे।
  3. हम जीत के लिए बढ़िया प्रयत्न करेंगे।
  4. हम जीतने के लिए गलत ढंगों का उपयोग नहीं करेंगे।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

प्रश्न 5.
दो बातें लिखो जो तुम्हें तब करनी चाहिए जब आप (i) जीतते हैं और (ii) हारते हैं।
उत्तर-
जीतने पर मैं

  1. हारने वाले का मजाक नहीं उड़ाऊँगा
  2. मैं घमंडी नहीं बनूंगा और स्नेही जैसे कि सभी के लिए विनीत रहूँगा।

हारने पर मैं

  1. हार को शान से स्वीकार करूँगा
  2. मैं अपने आप में हार के लिए बहाने बनाने के स्थान पर सुधार करने का यत्न करूँगा।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों को अच्छी और बुरी खेल भावना में बांटो, ईमानदारी, मज़ाक उड़ाना, बधाई देना, लड़ना, चिल्लाना, हाथ मिलाना, खुशी मनाना, धोखा देना, शोर करना, विनम्रता, आदर, शान्ति, तर्क वितर्क, डींग हांकना, निर्देशों का पालन, आलोचना करना।
उत्तर-
अच्छी खेल भावना-ईमानदारी, बधाई देना, हाथ मिलाना, खुशी मनाना, विनम्रता, आदर, शान्ति, निर्देशों का पालन।
बुरी खेल भावना-मज़ाक उड़ाना, लड़ना, चिल्लाना, धोखा देना, शोर करना, तर्क-वितर्क, डींग हांकना, आलोचना करना।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्ति के जीवन में खेल भावना के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
खेल भावना एक गुण है जो न केवल हमें अच्छा खिलाड़ी बनाती है बल्कि हमें अच्छा व्यक्ति बनने में सहायता करती है।

  1. अच्छी खेल भावना हमें सिखाती है कि सामुदायिक कार्य हमेशा व्यक्तिगत यत्नों से बढ़िया होता है।
  2. अच्छी खेल भावना हमें नैतिकता सिखाती है।
  3. अच्छी खेल भावना हमें सबसे शान्त और विनीत रहना सिखाती है चाहे हम जीत न पाएं।
  4. अच्छी खेल भावना हमें सभी परिस्थितियों में अनुशासित रहना सिखाती है।
  5. अच्छी खेल भावना हमें सिखाती है कि हमें जीत पर दूसरों को बधाई देना और हारने वालों का कभी भी मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।
  6. अच्छी खेल भावना हमें आत्म-विश्लेषण करने और अपने आप को सुधारने के लिए यत्न करने में सहायता करती है।

प्रश्न 2.
अच्छे खिलाड़ी में कौन-कौन से गुण होते हैं?
उत्तर-
अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए इन गुणों की आवश्यकता होती है

  1. आत्म-विश्वास
  2. आत्म-अनुशासन और आत्म-नियन्त्रण
  3. लक्ष्य का होना
  4. सम्मिलित कार्य
  5. बढ़िया समय प्रबन्ध
  6. लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अच्छे यत्न करना
  7. अपनी और दूसरों की उन्नति के लिए कार्य करने की भावना
  8. हार का सामना करने का साहस और कभी साहस न छोड़ना।

प्रश्न 3.
अच्छा खिलाड़ी बनने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
अच्छा खिलाड़ी बनने के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. हम अच्छे खिलाड़ी बनकर स्वस्थ और बलवान ही नहीं बनते बल्कि हम अच्छे व्यक्ति बनते हैं।
  2. यदि हम अच्छे खिलाड़ी बनते हैं तो हम अच्छे और बुरे समय का सामना करना सीखते हैं। हम कठिन परिस्थितियों में शांत बने रहना भी सीखते हैं।
  3. हम दूसरों की सफलता में खुश होना सीखते हैं।
  4. हम घमण्डी और बेईमान बनना नहीं सीखते।
  5. हम दूसरों की खुशी के लिए त्याग करना सीखते हैं।
  6. हम सबसे प्यार और सम्मान करना शुरू कर देते हैं।
  7. हम उन्नति करने वाले बनते हैं और उन्नति करना कभी बन्द नहीं करते और प्रगतिशील रहते हैं।

प्रश्न 4.
दी गई स्थिति का विश्लेषण करो और पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें।
आप क्रिकेट के खिलाड़ी हो। अन्तर-स्कूल खेल प्रतियोगिता में, आपकी टीम का फाईनल मैच चल रहा है। यह मैच की अन्तिम गेंद है। आपके कोच को एक खिलाड़ी को मैदान में भेजना है। उसने आप पर विश्वास न करके दूसरे खिलाड़ी को भेज दिया। यदि आपका साथी खिलाड़ी चार दौड़ बनाने के योग्य है तो आप जीत जाओगे। परन्तु वह आऊट हो गया और आप मैच हार गए। अपनी भावनाओं और परिस्थितियों को दर्शाते हुए बताओ कि आप निम्न व्यक्तियों को क्या कहोगे?

  1. अपने साथी खिलाड़ी को
  2. कोच को
  3. विजेता टीम के कप्तान को
  4. अपने मित्रों को
  5. परिजनों को।

उत्तर-
ऊपर दी गई स्थिति को पढ़ने के पश्चात् प्रश्नों के मेरे उत्तर निम्नानुसार हैं

  1. अपने साथी खिलाड़ी से-मैं अपने साथी खिलाड़ी का मज़ाक नहीं उड़ाऊँगा जो जीतने में हमारी सहायता न कर सका। मैं उसका हौंसला बढ़ाऊँगा और उसे भविष्य में बढ़िया करने के लिए उत्साहित करूँगा।
  2. कोच को-मैं अपने कोच का अनादर नहीं करूंगा और कहूंगा कि यदि मैं बिना किसी स्कोर के आऊट हो जाता। अतः दूसरे व्यक्ति को भेजने का उसका निर्णय समय की मांग थी।
  3. विजेता टीम के कप्तान को-मैं विजेता टीम के कप्तान को बधाई दूंगा कि आपकी टीम ने हमारी टीम से अच्छा खेला।
  4. अपने मित्रों को-मैं अपने मित्रों और साथी खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाऊंगा कि आज का दिन हमारा नहीं था। हम अच्छा खेलें परन्तु भाग्य ने हमारा साथ नहीं दिया। हम अवश्य ही अगला मैच जीतेंगे।
  5. परिजनों को-मैं अपने परिजनों को कहूंगा कि हमारी टीम ने अच्छा खेला परन्तु हम हार गए। हम आत्मनिरीक्षण करेंगे और अपनी कमियों को सुधारेंगे ताकि अगली बार जीत सकें।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

वस्तनिष्ठ प्रश्न

बहविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
विद्यार्थी जीवन के समय कौन-सा गुण सीखना चाहिए?
(क) बहस करना
(ख) जीतना
(ग) बढ़िया खेल भावना
(घ) ये सभी।
उत्तर-
(ग) बढ़िया खेल भावना।

प्रश्न 2.
वह कौन-सी शिक्षा है जो हम खेल के मैदान में सीखते हैं परन्तु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारा नेतृत्व करती है?
(क) बढ़िया खेल भावना
(ख) जीतना
(ग) लड़ना
(घ) ये सभी।
उत्तर-
(क) बढ़िया खेल भावना।

प्रश्न 3.
बढ़िया खिलाड़ी वह है जो
(क) केवल जीतने के लिए खेलता है।
(ख) हार को खेल के भाग के अतिरिक्त स्वीकार करता है।
(ग) बदलापूर्ण सोच रखता है।
(घ) ये सभी सही हैं।
उत्तर-
(ख) हार को खेल के भाग के अतिरिक्त स्वीकार करता है।

प्रश्न 4.
वास्तविक विजेता जानता है कि किसे स्वीकार करना है?
(क) चुनौतियों को
(ख) आत्म-प्रशंसा को
(ग) दूसरों के क्रोध को
(घ) हार को।
उत्तर-
(घ) हार को।

प्रश्न 5.
हमें खेलना चाहिए और खेल को जीतने का कैसे यत्न करना चाहिए?
(क) धोखा दिए बिना
(ख) किसी भी कीमत पर
(ग) दोनों (क) तथा (ख) सही हैं
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(क) धोखा दिए बिना।

प्रश्न 6.
बढ़िया खिलाड़ी हमेशा हारी हुई टीम के यत्नों की प्रशंसा करता है।
(क) सही
(ख) ग़लत
(ग) कभी-कभी सही और कभी-कभी गलत
(घ) कभी भी सही नहीं।
उत्तर-
(क) सही।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

प्रश्न 7.
……….. से हारना और …….. से जीतना खेल भावना के मुख्य लक्ष्य हैं।
(क) नम्रता, नम्रता
(ख) नम्रता, सम्मान
(ग) सम्मान, नम्रता
(घ) सम्मान, सम्मान।
उत्तर-
(ग) सम्मान, नम्रता।

प्रश्न 8.
बढ़िया खिलाड़ी
(क) कभी भी अपनी असफलता के लिए बहाना नहीं बनाता बल्कि अपनी जीत की डींग हांकता है।
(ख) अपनी जीत की कभी डींग नहीं हांकता बल्कि अपनी हार के लिए बहाना बनाता है।
(ग) अपनी हार के लिए न तो बहाना बनाता है और न ही जीत पर डींग हांकता है।
(घ) कोई भी सही नहीं।
उत्तर-
(ग) अपनी हार के लिए न तो बहाना बनाता है और न ही जीत पर डींग हांकता है।

प्रश्न 9.
बढ़िया खिलाड़ी वह है जो
(क) अपनी और विरोधी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।
(ख) केवल अपनी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।
(ग) केवल विरोधी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।
(घ) कभी भी अपनी या विपक्षी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान नहीं रखता।
उत्तर-
(क) अपनी और विरोधी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।

प्रश्न 10.
कथन क : बढ़िया खिलाड़ी अपनी और विपक्षी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।
कथन ख : एक व्यक्ति जो अपनी हार के लिए कभी बहाना नहीं बनाता और कभी अपनी जीत की डींग नहीं हांकता। निम्न विकल्पों में से कौन-सा सही है?
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है
(ख) कथन क गलत है और कथन ख सही है
(ग) दोनों कथन सही हैं
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) दोनों कथन सही हैं।

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा बढ़िया खिलाड़ी का लक्षण नहीं है?
(क) विजेता टीम को मुबारकबाद देना
(ख) हारी हुई टीम का मज़ाक उड़ाना
(ग) किसी भी कीमत पर जीतना
(घ) खेल के नियमों की पालना न करना।
उत्तर-
(ख) हारी हुई टीम का मजाक उड़ाना।

प्रश्न 12.
खेल में हम सब को क्या करना चाहिए?
(क) खेल को बढ़िया खिलाड़ी की भांति खेलना चाहिए
(ख) बढ़िया खिलाड़ी के साथ खेलना चाहिए
(ग) खेल के नियमों का पालन करना चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

रिक्त स्थान भरो:

  1. बढ़िया खिलाड़ी हमेशा ……………. अपनी टीम के प्रत्येक सदस्य के साथ खेलता है।
  2. बढ़िया खिलाड़ी हमें संयमी बनाता है और हमारे व्यवहार को …………… नियंत्रित करता है।
  3. सम्मान से हारना और ……………… से जीतना खेल भावना का मुख्य बिन्दु है।
  4. बढ़िया खिलाड़ी कभी भी अपनी हार के लिए …………… नहीं बनाता।
  5. बढ़िया खिलाड़ी अपनी जीत की ……………… कभी नहीं हांकता।
  6. बढ़िया खिलाड़ी हमेशा अपनी और विपक्षी टीम के लिए ……………….. और सम्मान रखता है।
  7. किसी भी कीमत पर जीतना ………….. खिलाड़ी का लक्षण नहीं है।
  8. ………………… से जीतना खेल भावना के विरुद्ध है।
  9. बढ़िया खिलाड़ी नियमों की …………… द्वारा दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  10. हमें जीत और ……. को सिक्के के दो पहलुओं की भांति समझना चाहिए।

उत्तर-

  1. सहकारिता से
  2. अनुशासित
  3. नम्रता
  4. बहाना
  5. डींग
  6. स्नेह
  7. बढ़िया
  8. धोखे
  9. पालना
  10. हार।

सही/ग़लत:

  1. हमें किसी भी कीमत पर जीतने के लिए खेलना चाहिए।
  2. धोखे से जीतना और दूसरों को दु:खी करना बढ़िया समझा जाता है।
  3. हमें दूसरी टीम के खिलाड़ियों के प्रति स्नेह और सम्मान नहीं रखना चाहिए।
  4. हमें खेल के नियमों का पालन तब तक करना चाहिए जब तक हम जीत नहीं जाते।
  5. हमें विपक्षी टीम के खिलाड़ियों के प्रति नहीं परन्तु अपनी टीम के सदस्यों के प्रति भी आक्रमक होना चाहिए।
  6. बढ़िया खिलाड़ी टीम की प्राप्ति से ज्यादा व्यक्तिगत प्राप्ति को पहल देता है।
  7. बढ़िया खिलाड़ी कभी भी अपनी असफलता के लिए विभिन्न बहाने नहीं बनाता और न ही अपनी जीत की डींग हांकता है।
  8. एक व्यक्ति जो अपनी टीम के साथ सहकारिता के साथ खेलता है, ईमानदारी से पूर्ण समर्पण के साथ नियमों का पालन करता है, वास्तविक विजेता है।
  9. हमें दूसरे खिलाड़ियों के साथ लड़ना चाहिए या खेलते समय अभद्र भाषा का उपयोग करना चाहिए।
  10. जब हार निश्चित हो तब भी हमें खेल खत्म करना चाहिए।

उत्तर-

  1. ग़लत
  2. ग़लत
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. ग़लत
  6. ग़लत
  7. सही
  8. सही
  9. ग़लत
  10. सही।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

PSEB 8th Class Agriculture Guide फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
भारत में फलों एवम् सब्जियों की कुल उपज कितनी है ?
उत्तर-
भारत का फलों तथा सब्जियों की उपज के हिसाब से दुनिया में दूसरा स्थान है

प्रश्न 2.
पंजाब में सब्जियों की वार्षिक उपज कितनी है ? एवम् इसके अन्तर्गत कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
सब्जियों की उपज 40.11 लाख टन है तथा इसकी काश्त के अन्तर्गत क्षेत्रफल 203.7 हज़ार हैक्टेयर है।

प्रश्न 3.
पंजाब में फलों की वार्षिक उपज कितनी है एवम् इसके अन्तर्गत कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
फलों की पैदावार 15.41 लाख टन है तथा इनकी कृषि के अन्तर्गत क्षेत्रफल 76.5 हज़ार हैक्टेयर है।

प्रश्न 4.
नींबू के आचार में कितने प्रतिशत नमक पाया जाता है ?
उत्तर-
\(\frac{1}{5}\) भाग अर्थात् 20%.

प्रश्न 5.
टमाटरों की चटनी में कौन-सा प्रिज़रवेटिव (परिरक्षक) कितनी मात्रा में डाला जाता है ?
उत्तर-
सोडियम बैन्जोएट की 700 मि० ग्राम मात्रा को 1 किलो के हिसाब से।

प्रश्न 6.
आम के शर्बत में कौन-सा परिरक्षक कितनी मात्रा में डाला जाता है ?
उत्तर-
एक किलो आम के गुद्दे के लिए 2.8 ग्राम पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट प्रिजेरवेटिव डाला जाता है।

प्रश्न 7.
पंजाब के मुख्य फल का नाम बताएं।
उत्तर-
पंजाब में किन्नू की कृषि सभी फलों से अधिक होती है। इसके लिए मुख्य फल किन्नू है।

प्रश्न 8.
आंवले का मुरब्बा बनाने के लिए आँवलों को कितने प्रतिशत नमक के घोल में रखा जाता है ?
उत्तर-
2 प्रतिशत सादा नमक के घोल में।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

प्रश्न 9.
भारत में फलों की वार्षिक उपज कितनी है ?
उत्तर-
लगभग 320 लाख टन से अधिक।

प्रश्न 10.
भारत में सब्जियों की वार्षिक उपज कितनी है ?
उत्तर-
लगभग 700 लाख टन से अधिक।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
सब्ज़ियों एवम् फलों के कौन-कौन से पदार्थ बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों से शर्बत, जैम, अचार, चटनी आदि पदार्थ बनाए जाते हैं; जैसे-नींबू का शर्बत, आंवले का मुरब्बा, टमाटर की चटनी (कैचअप), सेब का जैम आदि।

प्रश्न 2.
फल एवम् सब्जियों के संसाधन के किसानों को क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों के संसाधन के नीचे लिखे लाभ हैं—

  1. इनकी तुड़वाई, कटाई, स्टोर करते समय दर्जाबंदी करते समय, ढुलाई आदि कार्यों में उपज की बहुत हानि होती है। इस हानि को संसाधन करके घटाया जा सकता है। यह हानि लगभग 30-35% होता है।
  2. संसाधन किए पदार्थ से अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 3.
टमाटर के रस एवम् चटनी में क्या अंतर है ?
उत्तर-
टमाटर के रस में केवल टमाटर, चीनी तथा नमक ही होते हैं तथा यह पतला होता है। टमाटरों की चटनी में टमाटर के अलावा प्याज, लहसुन, मिर्च तथा अन्य मसाले भी होते हैं तथा यह सांद्र होता है।

प्रश्न 4.
फल एवम् सब्ज़ियों को सुखाने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
फलों एवम् सब्जियों को धूप में तथा सोलर ड्रायर की सहायता से सुखाया जाता है। व्यापारिक स्तर पर मशीनी यूनिट लगाने पड़ते हैं।

प्रश्न 5.
फल एवम् सब्जियों को किस तापमान पर सुखाया जाता है और क्यों ?
उत्तर-
साधारणत: 50 से 70 डिग्री सैल्सियस तापमान पर सुखाया जाता है। शुरू में सुखाने के लिए 70 डिग्री तथा अंतिम समय पर 50 डिग्री तापमान पर सुखाया जाता है।

प्रश्न 6.
आंवले के मुरब्बे में कितनी चीनी डाली जाती है और क्यों ?
उत्तर-
एक किलो आंवले में कुल एक किलो चीनी डाली जाती है। एक तो यह मिठास पैदा करती है तथा अधिक चीनी प्रिजेरवेटिव का काम भी करती है तथा आंवले के मुरब्बे को कई माह तक संभाल कर रखने में सहायक है।

प्रश्न 7.
टमाटर का रस बनाने की विधि लिखो।
उत्तर-
एलमीनीयम या स्टील के बर्तन में डालकर पके टमाटरों को उबाल लें। उबले हुए टमाटरों का रस निकाल लें। फिर रस को 0.7 प्रतिशत नमक, 4 प्रतिशत चीनी, 0.02 प्रतिशत सोडियम बैन्जोएट तथा 0.1 प्रतिशत सिट्रिक अमल मिला कर अच्छी तरह उबाल लें। रस को साफ बोतलों में भर कर अच्छी तरह हवा बंद ढक्कन लगा दें। गर्म बन्द बोतलों को पहले उबलते पानी में 20 मिन्टों के लिए उबालें तथा फिर थोड़ा-थोड़ा ठण्डा पानी डाल कर ठण्डा करें। इस रस को ठण्डा करके पीने के लिए, सब्जी में टमाटरों के स्थान पर डालने तथा सूप आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
नींबू, आम एवम् जौं के शर्बत में कितनी-कितनी मात्रा में कौन-सा प्रिज़रवेटिव डाला जाता है ?
उत्तर-
नींबू के शर्बत में 1 किलो नींबू का रस होने पर 3.5 ग्राम पोटाशियम मैटावाइसल्फेट के घोल का प्रयोग किया जाता है।
आम के शर्बत में एक किलो आम के गुद्दे के लिए 2.8 ग्राम पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट मिलाया जाता है।
नींबू, जौ के शर्बत में भी 3 ग्राम पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट डाला जाता है।

प्रश्न 9.
भारत की फलों एवम् सब्जियों की उपज में सबसे विलक्षण विशेषता क्या है ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों को संसाधन करके कई प्रकार के पदार्थ बनाए जाते हैं ; जैसे-शर्बत, चटनी, जैम, मुरब्बा आदि। कुछ उदाहरण हैं-नींबू का शर्बत, आम का शर्बत, सत्तु का शर्बत, मालटे, संगतरे का शर्बत, टमाटरों का रस, नींबू का अचार, आम का अचार, आंवले का अचार, गाजर का अचार, नींबू, हरी मिर्च तथा अदरक का अचार, टमाटरों की चटनी, आंवले का मुरब्बा, सेब का जैम आदि।।

प्रश्न 10.
फल एवम् सब्जियों की पैकिंग के क्या ढंग हैं ?
उत्तर-
फल एवम् सब्जियों को उनके प्रकार के अनुसार लकड़ी की पेटियों, बांस की टोकरियों, बोरियों, प्लास्टिक के क्रेट, गत्ते के डिब्बे, सरिक/कलिंग फिल्मों का प्रयोग करके पैक किया जाता है।

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
पंजाब में फल एवम् सब्जियों की कृषि पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
पंजाब में फलों तथा सब्जियों की कृषि करने की बहुत संभावनाएं हैं। फलों के बाग एक बार लगाकर तथा कई-कई वर्षों तक उपज देते रहते हैं। सब्जियां कम समय में ही तैयार हो जाती हैं तथा उपज बेच कर लाभ लिया जा सकता है। पंजाब में फलों की कृषि के अधीन क्षेत्रफल 78 हज़ार हैक्टेयर है तथा इससे 14 लाख टन पैदावार हो रही है। इसी तरह सब्जियों की कृषि के अधीन क्षेत्रफल 109 हज़ार हैक्टेयर है तथा इससे 36 लाख टन पैदावार होती है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियां तथा 80 ग्राम फलों की आवश्यकता होती है। यह तथ्य भारतीय मैडीकल खोज संस्था के अनुसार है। जब कि भारत में अभी केवल 30 ग्राम फल तथा 80 ग्राम सब्जियां ही प्रति व्यक्ति हिस्से आती हैं। इस लिए सारे भारत में तथा पंजाब में भी सब्जियों तथा फलों की अधिक कृषि करने की आवश्यकता है।

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प्रश्न 2.
फल एवम् सब्जियों के संसाधन की क्या महत्ता है?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों के संसाधन के निम्नलिखित लाभ हैं—

  1. इनकी तुड़वाई, कटाई, स्टोर करते समय दर्जाबंदी करते समय, ढुलाई आदि कार्यों में उपज की बहुत हानि होती है। इस हानि को प्रोसेसिंग करके कम किया जा सकता है। यह हानि लगभग 30-35% होती है।
  2. संसाधन किए पदार्थों से अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। केवल 2% उपज को ही पदार्थ बनाने के लिए संसाधन की जाती है। बिना मौसम प्राप्ति तथा भण्डारीकरण करने के लिए फलों तथा सब्जियों के संसाधन की बहुत आवश्यकता है ताकि इस व्यवसाय को छोटे तथा बड़े स्तर पर अपना कर अधिक कमाई की जा सके। संसाधन करके बनाए गए पदार्थ हैं-शर्बत, जैम, अचार, चटनी आदि।

प्रश्न 3.
भारत में फल एवम् सब्जियों की उपज पर नोट लिखो।
उत्तर-
भारत फलों तथा सब्जियों की पैदावार के हिसाब से दुनिया में दूसरे स्थान पर है। सब्जियों की फसल थोड़े समय में तैयार हो जाती है तथा वर्ष में दो से चार फसलें मिल जाती हैं। पैदावार अधिक होती है तथा कमाई भी अधिक होती है तथा प्रतिदिन हो जाती है। फलों की कृषि करने के लिए बाग लगाए जाते हैं जो कई वर्षों तक थोड़ी संभाल, देख रेख पर ही अच्छी उपज दे देते हैं। भारत में फलों तथा सब्जियों की पैदावार काफी हो रही है, परन्तु बढ़ती जन-संख्या के कारण इनकी मांग पूरी नहीं हो सकती, इसलिए इन फलों तथा सब्जियों की पैदावार को बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है।

प्रश्न 4.
भारत में फलों एवम् सब्जियों का प्रसंस्करण कैसे किस स्तर पर किया जाता है ?
उत्तर-
भारत में फलों तथा सब्जियों का प्रसंस्करण छोटे स्तर से लेकर बड़े व्यापारिक स्तर पर किया जाता है। फलों तथा सब्जियों की पैदावार में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। परन्तु कुल उपज के केवल 2% को ही तैयार पदार्थ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसलिए भारत में फलों तथा सब्जियों के प्रसंस्करण की तरफ विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। किसान गांव स्तर पर इनका प्रसंस्करण करके अच्छा लाभ ले सकते हैं तथा कई बड़ी कम्पनियों के साथ संबंध बनाए जा सकते हैं तथा अपनी उपज को प्रसंस्करण के लिए भी दे सकते हैं।

प्रश्न 5.
फल एवम् सब्जियों की खराबी के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
सब्जियों तथा फलों की खराबी के कई कारण हैं। सब्जियां तथा फलों की तुड़वाई, कटाई, इनको भण्डार करना, इनकी दर्जाबंदी करना, इनकी डिब्बाबंदी करना तथा ढुलाई करना ऐसे कई काम हैं जो सब्जियों तथा फलों के खेत से हमारे घर तक पहुंचने के समय किए जाते हैं। इन कार्यों में फलों तथा सब्जियों की 30-35% हामि हो जाती है।
भण्डार किए फलों तथा सब्जियों को कोई बीमारी या कीड़े-मकौड़े भी खराब कर सकते हैं। कई बार सूक्ष्म जीव तथा उल्लियां भी उपज को खराब करती हैं। कई पक्षी या जानवर फलों आदि को वृक्षों पर ही कुतर देते हैं। इस तरह सब्जियों तथा फलों की खराबी के भिन्न-भिन्न कारण हैं।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आम का अचार कितने सप्ताह में तैयार हो जाता है ?
उत्तर-
2-3 हफ्तों में।

प्रश्न 2.
सब्जियों को धूप में सुखाना चाहिए या छाया में ?
उत्तर-
धूप में।

प्रश्न 3.
सेब को सुरक्षित रखने की एक विधि बताओ।
उत्तर-
सेब का मुरब्बा, जैम आदि।

प्रश्न 4.
कुल उपज के कितने प्रतिशत की प्रोसेसिंग की जा रही है ?
उत्तर-
2%.

प्रश्न 5.
पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट का क्या काम है ?
उत्तर-
यह एक प्रिज़ेरवेटिव है।

प्रश्न 6.
नींबू का अचार कितने दिनों में तैयार हो जाता है ?
उत्तर-
2-3 सप्ताह में।

प्रश्न 7.
आम के अचार में कौन-सा तेल प्रयोग होता है ?
उत्तर-
सरसों का तेल।

प्रश्न 8.
एक किलो गाजर के आचार के लिए कितने ग्राम सरसों का तेल ठीक है ?
उत्तर-
250 ग्राम।

इस छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नींबू का शर्बत बनाने का तरीका बताओ।
उत्तर-
बाज़ार से सस्ते नींबू खरीद लेने चाहिएं तथा इनका शर्बत बनाकर महंगे दाम पर बेचा जा सकता है। शर्बत बनाने के लिए नींबू निचोड़ कर इनका रस निकालकर चीनी के बर्तन में रख लो। चीनी का घोल बनाने के लिए 1 लिटर पानी में दो किलो चीनी डालकर गर्म करो तथा सारी चीनी घुल जाने के पश्चात् घोल को बारीक तथा साफ़ कपड़े से छानें। ठण्डा होने पर इसमें एक लिटर नींबू का रस तथा 4 ग्राम एसेंस तथा 3.5 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट घोल भी मिला लो। शर्बत को बोतलों में भर लें तथा बोतलों के मुँह को मोम से हवाबन्द कर लो।

प्रश्न 2.
माल्टे अथवा संगतरे का शर्बत कैसे तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
माल्टे अथवा संगतरे का शर्बत तैयार करने के लिए ताजे फल लेकर मशीन से इनका रस साफ़-सुथरे बर्तन में निकालो। 2 किलो चीनी तथा 25-30 ग्राम सिट्रिक एसिड को एक लिटर पानी में डालकर गर्म करो तथा घोल को बारीक कपड़े अथवा छननी से छानें। जब घोल ठण्डा हो जाए तो इसमें एक लीटर माल्टे का रस, 2-3 ग्राम एसेंस तथा 5 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट का घोल भी मिलाओ। शर्बत को बोतलों में भरकर बोतलों के मुँह पिघले हुए मोम में डुबो कर हवाबन्द करके सम्भाल लो।

प्रश्न 3.
आम का शर्बत कैसे तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
आम का शर्बत बनाने के लिए अच्छी तरह पके हुए रसदार फल लेकर चाकू से इसका गूदा उतार लें। कड़छी आदि से इस गूदे को अच्छी तरह पीस कर बारीक छननी अथवा कपड़े से छान लो। 1.4 किलो चीनी को 1.6 लिटर पानी में डालकर गर्म करो तथा घोल को बारीक कपड़े से छानो। ठण्डा हो जाने पर इसमें एक किलो आम का गूदा तथा 20-30 ग्राम सिट्रिक एसिड मिला दो। इसके बाद इसमें 2-3 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट भी मिला दो। शर्बत को बोतलों में भरकर बोतलों के मुँह को मोम से सील कर दो।

प्रश्न 4.
नींबू तथा जौ का शर्बत कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर-
पके हुए नींबू लेकर तथा दो-दो टुकड़ों में काटकर नींबू-निचोड़ से इनका रस निकाल के छान लें। जौ के 15 ग्राम आटे में 0.3 लिटर पानी डालकर लेटी सी बनाएं। 50-60 मिलीलिटर लेटी को एक लिटर पानी में डालकर थोड़ासा गर्म करें, फिर लेटी को छानो तथा ठण्डा होने के लिए रख दो। अतिरिक्त पानी में 1.70 किलो चीनी डालकर गर्म करो तथा फिर घोल को छानो तथा ठण्डा करने के लिए रख दो। अब आटे की लेटी, चीनी के घोल तथा नींबू के 1 लिटर रस को इकट्ठा करके अच्छी तरह मिलाओ। शर्बत में 3.5 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट भी डाल कर मिलाओ। बोतलों में गले तक शर्बत भरकर मोम से बोतलों का मुँह बंद कर दो।

प्रश्न 5.
आम का अचार बनाने का तरीका बताएं।
उत्तर-
पूरे तैयार कच्चे, खट्टे तथा सख्त आम लेकर इन्हें धो लो तथा लम्बी तरफ टुकड़े करके गुठलियां बाहर निकाल लो तथा कटे टुकड़ों को धूप में सुखा लो। फिर अचार के लिए आवश्यक सामग्री इकट्ठी करो जैसे आम के टुकड़े 1 किलो, नमक 250 ग्राम, मेथी 50 ग्राम, सौंफ 65 ग्राम, कलौंजी 30 ग्राम, लाल मिर्च 25 ग्राम तथा हल्दी 30 ग्राम लो। अब टुकड़ों तथा नमक को मिलाओ तथा एक कांच के मर्तबान में डाल दो। बाद में बाकी सामग्री भी डाल दो तथा सरसों का तेल इतनी मात्रा में डालें कि एक पतली सी परत आम. के टुकड़ों के ऊपर आ जाए। फिर मर्तबान को धूप में रख दो, 2-3 हफ्तों में अचार तैयार हो जाएगा।

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प्रश्न 6.
आंवले का अचार बनाने का तरीका बताओ।
उत्तर-
1 किलो ताज़ा तथा.साफ़ आंवले लेकर रात भर पानी में डुबो कर रखो। फिर इनको साफ़ कपड़े पर बिछा कर सुखा लो। आंवलों को 100 मिलीलिटर तेल में पाँच मिनट तक पकाओ तथा इनमें 100 ग्राम नमक तथा 50 ग्राम हल्दी डालकर और 5 मिनट के लिए पकाएं, फिर आग से उतार कर इन्हें ठण्डा होने के लिए रख दो, अचार तैयार है। फिर इन्हें साफ़ हवाबन्द बर्तनों में भरकर सम्भाल लें।

प्रश्न 7.
गाजर का अचार कैसे बनता है ?
उत्तर-
एक किलो गाजरों को खुले तथा साफ़ पानी से धोकर इनकी हल्की छील उतार लें। टुकड़े काटकर 2 घण्टे तक सुखा लो। इन कटी हुई गाजरों को कुछ मिनट के लिए 250 ग्राम सरसों के तेल में पकाओ। पकी गाजरों में 100 ग्राम नमक तथा 20 ग्राम लाल मिर्च डाल दो तथा फिर आग से उतार लें। ठण्डा होने पर पिसे हुए 100 ग्राम राई के बीज इसमें मिला दो। अचार तैयार है। इसको बर्तनों में सम्भाल लो।

प्रश्न 8.
फल तथा सब्जियों को तोड़ने के पश्चात् सम्भाल के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
फल तथा सब्जियों को उनके भरे मौसम में सम्भाल कर रख लेना चाहिए। इस तरह करने से फलों तथा सब्जियों को खराब होने से तो बचाया जा सकता है साथ ही उन्हें बे-मौसम में बेचकर मुनाफा भी लिया जा सकता है तथा इनका स्वाद लिया जा सकता है। इसीलिए फल तथा सब्जियों को शर्बत, अचार, मुरब्बा, जैम, जैली, चटनी आदि रूप में सम्भाल लिया जाता है।

प्रश्न 9.
नींबू का अचार तैयार करने की विधि का वर्णन करो।
उत्तर-
अचार डालने के लिए साफ़-सुथरे तथा पके हुए नींबुओं को धोकर साफ़ कपड़े से सुखा लो। जितने नींबू हों उनसे चौथा हिस्सा नमक ले लें। एक किलो नींबू के अचार के लिए 7 ग्राम जीरा, 2 ग्राम लौंग तथा 20 ग्राम अजवाइन लो। प्रत्येक नींबू को एक ही रखते हुए चार-चार हिस्सों में काटो तथा फिर इस मिश्रण को चार-चार हिस्से किए नींबुओं में भर दो। बाकी बची हुई सामग्री मर्तबान में अचार पर डाल दो। नींबुओं को मर्तबान में डालकर धूप में रखकर हिलाते रहें तथा इस तरह 2-3 हफ्ते में आचार तैयार हो जाएगा।

प्रश्न 10.
पोटाशियम मैटावाइस्लफाइट कई पदार्थ बनाने में प्रयोग किया जाता है, इसका महत्त्व बताओ। .
उत्तर-
पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट एक प्रिजेरवेटिव का काम करता है। यह तैयार किए पदार्थों को कई महीने तक खराब होने से बचाता है। इस प्रकार हम फलों, सब्जियों से बने पदार्थों का प्रयोग लम्बे समय तक कर सकते हैं। इस तरह तैयार पदार्थों को कई महीनों तक दुकानों पर बेचा जा सकता है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नींबू, हरी मिर्च तथा अदरक का अचार कैसे बनाते हैं ?
उत्तर-
हरी मिर्चे, नींबू तथा अदरक को खुले साफ पानी में अच्छी तरह धोकर सुखाने के पश्चात् 250 ग्राम नींबूओं को दो अथवा चार टुकड़ों में काटो, 300 ग्राम अदरक को छीलकर बराबर लम्बे टुकड़ों में काटो, 200 ग्राम हरी मिर्चों में हल्का सा कटाव लगा दें। अब इन सभी को इकट्ठा करके 250 ग्राम नमक डालकर हिलाओ। अब इस सामग्री को खुले मुँह वाले साफ़ मर्तबानों में डालो। बाकी बचे 250 ग्राम नींबूओं का रस निकाल कर नमक वाले नींबू, अदरक तथा हरी मिर्चों पर डाल दो। ध्यान रखें कि यह सारी सामग्री रस से ढकी जाए। मर्तबान को हवा बन्द ढक्कनों से बन्द करके एक सप्ताह धूप में रखें। जब मिर्गों तथा नींबूओं का रंग हल्का भूरा तथा अदरक का रंग गुलाबी हो जाए तो अचार खाने के लिए तैयार है।

प्रश्न 2.
टमाटरों की चटनी कैसे बनाई जाती है ?
उत्तर-
पके टमाटरों को धोने के पश्चात् छोटे-छोटे टुकड़ों में काटो तथा फिर आग पर गर्म कर के छान कर जूस निकाल लें। निम्नलिखित विधि अनुसार अन्य सामग्री इकट्ठी करो टमाटरों का रस (1 लिटर), कटे हुए प्याज (15 ग्राम), कटा हुआं लहसुन (2-3 टुकड़े), बिना सर के लौंग (4-5), काली मिर्च (2-3 मि.), इलायची (2), जीरा (1-2 ग्राम), बिना पिसी जलवत्री (1-2 ग्राम), दालचीनी (टूटी हुई) (3-4 ग्राम); सिरका (40 मिलीलिटर), चीनी (30 ग्राम), नमक (12-15 ग्राम), लाल मिर्च (1-2 ग्राम) अथवा आवश्यकतानुसार।

सिरका, चीनी तथा नमक को छोड़ कर अन्य सारी सामग्री को एक मलमल की पोटली में बांधो। रस में आधी चीनी डालकर इसे धीमी आग पर गर्म करो तथा इसमें मसाले की पोटली रख दो। रस को तब तक गर्म करो जब तक कि आवश्यक गाढ़ापन न आ जाए। इस तरह रस का लगभग आधा हिस्सा ही बाकी बचता है। मसाले वाली पोटली निकालकर इसमें रस निचोड़ दो। अब अतिरिक्त चीनी, नमक तथा सिरका भी इसमें डाल दो। अगर सिरके से पतलापन आ जाए तो थोड़ी देर और गर्म करें, परन्तु अब देर तक इसे आग पर न रखें। गर्म-गर्म चटनी को साफ़ की हुई बोतलों में भर लो।

प्रश्न 3.
सब्जियों को सुखाने के बारे में आप क्या जानते हैं ? किन्हीं चार सब्जियों को सुखाने का तरीका बताओ।
उत्तर-

  1. सब्जी को धोकर इसके चाकू से टुकड़े कर लेने चाहिएं।
  2. सब्जी के टुकड़ों को मलमल के कपड़े में बांध कर 2-3 मिनट तक उबलते पानी में डुबो कर रखो।
  3. उबलते पानी में से निकालने के पश्चात् सब्जी के इन टुकड़ों को 0.25% पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट के घोल (एक लिटर पानी में अढाई ग्राम दवाई) में 10 मिनट तक रखो। इस तरह सब्जी के खराब होने का कोई डर नहीं रहता। एक किलो सब्जी के लिए एक लिटर घोल का प्रयोग करो।
  4. सब्जी को घोल में से निकालकर एल्यूमीनियम की ट्रेओं को सुखाने के लिए रख देना चाहिए।
  5. बाद में सब्जी वाली ट्रेओं को सुखाने के लिए रख देना चाहिए।

सब्जियों को सुखाना—

  1. गाजर-गाजर को छील कर एक सें० मी० मोटे टुकड़े काटकर धूप में तीन दिन के लिए सुखाया जाता है।
  2. प्याज़-प्याज़ को छीलकर साफ करके अच्छी तरह बारीक काट कर धूप में सुखाओ।
  3. लहसुन-इसकी तुरियां (गांठों) को छील कर बारीक-बारीक काटकर दो दिन तक धूप में सुखाओ।
  4. भिण्डी नं0 2 तथा करेला-उन्हें छोटे आकार की होने की सूरत में इनके दोनों सिरे चाकू से उतार दें तथा बारीक काट लें।

फिर उबलते पानी में 6-7 मिनट के लिए ब्लीच तथा फिर 0.25% पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट के घोल से सुधारें तथा दो दिन के लिए धूप में सुखाएं।

प्रश्न 4.
आंवले का मुरब्बा कैसे तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
मुरब्बे के लिए बनारसी किस्म के बड़े-बड़े साफ़-सुथरे आंवले ठीक रहते हैं। एक रात के लिए इन्हें 2% सादा नमक के घोल में डुबो कर रखो। आंवलों को अगले दिन इस घोल से निकालकर फिर से 2% नमक के सादा घोल में फिर रात भर के लिए रखो। इसी तरह तीसरे दिन भी करो। चौथे दिन आंवलों को घोल से निकालकर अच्छी तरह धो लो। स्टील के कांटे से फलों में कई स्थानों पर छिद्र कर दें। इन आंवलों को साफ मलमल के कपड़े में बांधो। एक लिटर पानी में 2 ग्राम फिटकड़ी घोल कर बंधे हुए आंवलों को इस पानी में उबालो। इस तरह आंवले अच्छी तरह नर्म हो जाएंगे।
एक किलो फलों के लिए डेढ़ किलो चीनी लो तथा इसमें से आधी चीनी 750 ग्राम को एक लिटर पानी में घोलो। इसे उबालकर मलमल के कपड़े में छान लो। इस चीनी के घोल में उबले हुए आंवले डालो तथा रात भर पड़े रहने दो। अगले दिन चीनी का घोल निकाल लो तथा इसमें बाकी 750 ग्राम चीनी डालकर उबालो। मलमल के कपड़े से उसे छानें। अब इसमें फिर आंवले डाल दें। दो दिन पश्चात् फिर उबालो ताकि चीनी का घोल गाढ़ा हो जाए। फिर ठण्डा करके बर्तन में डालकर सम्भाल लो।

प्रश्न 5.
गाजर का अचार बनाने का तरीका बताएं।
उत्तर-
गाजर को छील कर, धोकर इनके छोटे-छोटे पतले टुकड़े काट लें। इन्हे धूप में सुखा लें। एक किलो गाजर को 250 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं। इनमें 100 ग्राम नमक तथा 20 ग्राम लाल मिर्च डालें। ठण्डा होने पर इसमें 100 ग्राम राई पीस कर मिलाएं। बोतल में डाल कर संभाल लें।

प्रश्न 6.
आंवले का अचार तथा मुरब्बा बनाने का ढंग बताएं।
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. पंजाब में आम की पैदावार सबसे अधिक होती है।
  2. भारत में फलों की वार्षिक पैदावार 500 लाख टन है।
  3. पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट एक प्रिज़रवेटिव है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
पंजाब में कौन-सी सब्जी की पैदावार सबसे अधिक है ?
(क) भिण्डी
(ख) आलू
(ग) पालक
(घ) प्याज़
उत्तर-
(ख) आलू

प्रश्न 2.
निंबू का अचार कितने दिनों में तैयार हो जाता है ?
(क) 2-3 सप्ताह
(ख) 6-7 सप्ताह
(ग) 10 सप्ताह
(घ) 15-16 सप्ताह।
उत्तर-
(क) 2-3 सप्ताह

प्रश्न 3.
एक किलो गाजर के अचार के लिए कितने ग्राम सरसों का तेल ठीक है?
(क) 100 ग्राम
(ख) 250 ग्राम
(ग) 500 ग्राम
(घ) 1000 ग्राम।
उत्तर-
(ख) 250 ग्राम

रिक्त स्थान भरें

  1. पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट एक ……………है।
  2. नींबू के अचार में ……………. प्रतिशत नमक डाला जाता है।
  3. पंजाब में …………… की कृषि सभी फलों से अधिक होती है।

उत्तर-

  1. प्रिज़रवेटिव,
  2. 20,
  3. किन्नू।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भारत में फल तथा सब्जियों की पैदावार बड़े स्तर पर होती है तथा भारत दुनिया में इसलिए दूसरे स्थान पर है।
  • पंजाब में फलों की पैदावार के नीचे 76.5 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल है।
  • पंजाब में फलों की पैदावार 15.41 लाख टन है।
  • पंजाब में सब्जियों की पैदावार के लिए 203.7 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल है।
  • पंजाब में सब्जियों की पैदावार 36 लाख टन है।
  • पंजाब में फलों में किन्नू की पैदावार सबसे अधिक तथा सब्जियों में आलू की पैदावार सबसे अधिक है।
  • लगभग 2% पैदावार को ही पदार्थ बनाने के लिए प्रोसेस किया जाता है।
  • फलों सब्जियों को भिन्न-भिन्न तरह के पदार्थ बनाने के लिए प्रोसेस किया जाता है।
  • भिन्न-भिन्न पदार्थ जो बनाए जा सकते हैं-नींबू का शर्बत, आम का शर्बत, माल्टे, संगतरे या किन्नू का शर्बत, सत्तु का शर्बत, टमाटरों का रस, नींबू का अचार, आम का अचार, आंवले का अचार, गाजर का अचार, नींबू, हरी मिर्च तथा अदरक, टमाटरों का कैचअप, आंवले का मुरब्बा।
  • गोभी, शलगम, गाजर, आलू, करेला, मेथी, पालक आदि को पतले-पतले टुकड़ों में काट कर सुखा कर रखा जाता है।
  • सुखाने के लिए सोलर ड्रायर का प्रयोग किया जा सकता है।
  • फलों सब्जियों की तुड़ाई या कटाई के बाद प्रोसेसिंग करने से अधिक कमाई की जा सकती है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

SST Guide for Class 8 PSEB भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
महात्मा गांधी जी किस देश से तथा कब वापिस आए ?
उत्तर-
महात्मा गांधी जी 1891 ई० में इंग्लैण्ड से तथा 1915 ई० में दक्षिणी अफ्रीका से भारत वापिस आए।

प्रश्न 2.
सत्याग्रह आन्दोलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
सत्याग्रह महात्मा गांधी का बहुत बड़ा शस्त्र था। इसके अनुसार वह अपनी बात मनवाने के लिए धरना देते थे या व्रत रखते थे। कभी-कभी वह आमरण व्रत भी रखते थे।

प्रश्न 3.
खिलाफ़त आन्दोलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को अपना खलीफ़ा तथा धार्मिक नेता मानते थे। प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् अंग्रेज़ों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। इसलिए मुसलमानों ने अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन आरम्भ कर दिया जिसे खिलाफ़त आन्दोलन कहते हैं।

प्रश्न 4.
असहयोग आन्दोलन के अन्तर्गत वकालत छोड़ने वाले तीन व्यक्तियों के नाम बताएं।
उत्तर-
मोती लाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, आर० सी० दास, सरदार पटेल, लाला लाजपत राय आदि।

प्रश्न 5.
साइमन कमीशन के विषय में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने 1919 ई० के सुधार एक्ट की जांच करने के लिए 1928 ई० में साइमन कमीशन भारत में भेजा। इस कमीशन के सात सदस्य थे, परन्तु इनमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था। अतः इस कमीशन का काली झंडियों तथा ‘साइमन वापिस जाओ’ के नारों से जोरदार विरोध किया गया। पुलिस ने इन आन्दोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया। परिणामस्वरूप लाला लाजपत राय घायल हो गए तथा बाद में उनकी मृत्यु हो गई।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
महात्मा गान्धी ने स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिए 1930 ई० से 1934 ई० तक सिविल अवज्ञा आन्दोलन चलाया। उन्होंने इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिए नमक सत्याग्रह आरम्भ किया। 12 मार्च, 1930 ई० को गान्धी जी ने अपने 78 साथियों सहित साबरमती आश्रम से डांडी की ओर पद-यात्रा आरम्भ की। 15 अप्रैल, 1930 ई० को उन्होंने अरब सागर के तट पर स्थित डांडी गांव में समुद्र के खारे पानी से नमक बना कर नमक कानून का उल्लंघन किया। उनका अनुसरण करते हुए सारे भारत में लोगों ने स्वयं नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया। जहां पर नमक नहीं बनाया जा सकता था। वहां पर अन्य कानूनों का उल्लंघन किया गया। हज़ारों छात्रों ने स्कूलों-कॉलेजों में जाना बन्द कर दिया। लोगों ने सरकारी नौकरियों का त्याग कर दिया। महिलाओं ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया। उन्होंने शराब तथा विदेशी वस्तुएं बेचने वाली दुकानों के आगे धरने दिए। सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए इण्डियन नैशनल कांग्रेस को अवैध घोषित कर दिया तथा कांग्रेस के नेताओं को बन्दी बना लिया। पुलिस ने अनेक स्थानों पर गोलियां चलाईं। परन्तु सरकार इस आन्दोलन का दमन करने में असफल रही।

प्रश्न 7.
भारत छोड़ो आन्दोलन क्या था ?
उत्तर-
द्वितीय विश्व युद्ध में इंग्लैण्ड जापान के विरुद्ध लड़ा था। अतः जापान ने भारत पर आक्रमण करने का निर्णय लिया क्योंकि भारत पर अंग्रेज़ों का शासन था। गान्धी जी का मानना था कि यदि अंग्रेज़ भारत छोड़ कर चले जाएं तो जापान भारत पर आक्रमण नहीं करेगा। अत: 8 अगस्त, 1942 ई० को गान्धी जी ने ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन आरम्भ किया। सरकार ने 9 अगस्त, 1942 को गान्धी जी तथा कांग्रेस के अन्य नेताओं को बन्दी बना लिया। क्रोध में आकर लोगों ने स्थान-स्थान पर पुलिस थानों, सरकारी भवनों, डाकखानों तथा रेलवे स्टेशनों आदि को भारी क्षति पहुंचाई। सरकार ने भी कठोरता की नीति अपनाई। परन्तु वह आन्दोलनकारियों को दबाने में सफल न हो सकी।

प्रश्न 8.
आज़ाद हिन्द फ़ौज पर नोट लिखो।
उत्तर-
आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना सुभाष चन्द्र बोस ने जापान में की। इसका उद्देश्य भारत को अंग्रेज़ी शासन से मुक्त कराना था। आज़ाद हिन्द फ़ौज में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान द्वारा बन्दी बनाए गए भारतीय सैनिक शामिल थे। सुभाष चन्द्र बोस ने ‘दिल्ली चलो’, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ तथा ‘जय हिन्द’ आदि नारे लगाए थे। परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की पराजय हो गई। अतः आज़ाद हिन्द फ़ौज भारत को आजाद कराने में असफल रही। सुभाष चन्द्र बोस की 1945 ई० में एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में मृत्यु हो गई। अंग्रेज़ों ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिकों को बन्दी बना लिया। इस कारण भारतीय लोगों ने सारे देश में हड़तालें कीं तथा जलसे किए। अन्त में अंग्रेज़ों ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के सभी सैनिकों को मुक्त कर दिया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. महात्मा गांधी जी ने रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए पूरे देश में ………… आंदोलन शुरू किया।
2. महात्मा गांधी जी ने ……….. ई० में असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया।
3. ननकाना साहिब गुरुद्वारे का महन्त ………… एक चरित्रहीन व्यक्ति था।
4. 1928 में भेजे गए साइमन कमीशन के …………. सदस्य थे।
5. 26 जनवरी, 1930 ई० को सम्पूर्ण भारत में …………. दिवस मनाया गया।
उत्तर-

  1. असहयोग
  2. 1922,
  3. नारायण दास,
  4. सात,
  5. स्वतंत्रता।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

1. असहयोग आन्दोलन के अधीन महात्मा गांधी जी ने अपनी केसर-ए-हिंद की उपाधि सरकार को … वापिस कर दी।
2. स्वराज पार्टी की स्थापना महात्मा गांधी जी ने की थी।
3. नौजवान भारत सभा की स्थापना 1926 ई० में भगत सिंह तथा उसके साथियों ने की थी।
4. 5 अप्रैल, 1930 ई० को महात्मा गांधी जी ने डांडी (दांडी) गांव में समुद्री पानी से नमक तैयार करके नमक कानून की अवज्ञा की।
उत्तर-

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IV. सही जोड़े बनाएं :

1. अहिंसा – महाराजा रिपुदमन सिंह
2. भारत छोड़ो आंदोलन – महात्मा गांधी
3. क्रांतिकारी लहर – 8 अगस्त, 1942
4. जैतों का मोर्चा – सरदार भगत सिंह
उत्तर-
1. अहिंसा – महात्मा गांधी
2. भारत छोड़ो आंदोलन – 8 अगस्त, 1942
3. क्रांतिकारी लहर -सरदार भगत सिंह
4. जैतों का मोर्चा – महाराजा रिपुदमन सिंह

PSEB 8th Class Social Science Guide भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
साइमन कमीशन भारत आया-
(i) 1918 ई०
(i) 1919 ई०
(iii) 1928 ई०
(iv) 1920 ई०।
उत्तर-
1928 ई०

प्रश्न 2.
महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया-
(i) 1930 ई० से 1934 ई०
(ii) 1942 ई० से 1945 ई०
(iii) 1919 ई० से 1922 ई०
(iv) 1945 ई० से 1947 ई०
उत्तर-
1930 ई० से 1934 ई०

प्रश्न 3.
भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ –
(i) 15 अगस्त, 1947 ई०
(ii) 8 अगस्त, 1945 ई०
(iii) 8 अगस्त, 1942 ई०
(iv) 15 अगस्त, 1930 ई०
उत्तर-
8 अगस्त,1942 ई०

प्रश्न 4.
‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नारा दिया –
(i) लाला लाजपत राय
(i) महात्मा गांधी
(iii) सरदार पटेल
(iv) सुभाष चन्द बोस।
उत्तर-
सुभाष चन्द्र बोस

प्रश्न 5.
मार्च 1946 में भारत आया –
(i) साइमन कमीशन
(ii) कैबिनेट मिशन
(iii) राम कृष्ण मिशन
(iv) जैतों मोर्चा।
उत्तर-
कैबिनेट मिशन

प्रश्न 6.
‘दिल्ली चलो’ तथा ‘जय हिन्द’ के नारे किसने दिए ?
(i) महात्मा गांधी
(ii) लाला लाजपत राय
(iii) सुभाष चन्द्र बोस
(iv) पं० नेहरू।
उत्तर-
सुभाष चन्द्र बोस

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प्रश्न 7.
चाबियों के मोर्चों का सम्बन्ध किस गुरुद्वारे से था ?
(i) श्री हरिमंदर साहिब
(ii) ननकाना साहिब
(iii) गुरु का बाग़
(iv) पंजा साहिब।
उत्तर-
श्री हरिमंदर साहिब।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रौलेट एक्ट क्या था ? लोगों ने इसका विरोध क्यों किया ?
उत्तर-
‘रौलेट एक्ट’ जनता के आन्दोलन को कुचलने के लिए बनाया गया था। इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को केवल सन्देह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता था। इसलिए लोगों ने इसका विरोध किया।

प्रश्न 2.
‘साइमन कमीशन’ भारत में कब आया और इसके विरोध में किए गए आन्दोलन में किस महान् नेता की मृत्यु हुई थी ?
उत्तर-
‘साइमन कमीशन’ भारत में 1928 ई० में आया। इसके विरोध में किए गए आन्दोलन में लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 3.
भगत सिंह के सहयोगियों के नाम बतायें। उन्हें फांसी की सज़ा कौन-से वर्ष में दी गई थी ?
उत्तर-
भगत सिंह के सहयोगी थे-सुखदेव और राजगुरु। उन्हें 23 मार्च, 1931 ई० को फांसी दी गई।

प्रश्न 4.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग कब और कहां की ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग 1929 ई० में अपने लाहौर अधिवेशन में की।

प्रश्न 5.
‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ किस वर्ष शुरू हुआ ? .
उत्तर-
भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 ई० में शुरू हुआ। सरकार ने इस आन्दोलन को पूर्ण कठोरता से दबाने का प्रयत्न किया।

प्रश्न 6.
भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम कब पास हुआ ?
उत्तर-
भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 16 जुलाई, 1947 ई० को पास हुआ। परन्तु इसे अन्तिम स्वीकृति दो दिन बाद मिली।

प्रश्न 7.
क्रिप्स कहां का मन्त्री था तथा 1942 ई० में उसके भारत में आने का क्या कारण था ?
उत्तर-
क्रिप्स ब्रिटिश सरकार का एक मन्त्री था। भारतीयों को सन्तुष्ट करने तथा उनकी सहायता करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने उसे 1942 ई० में भारत भेजा।

प्रश्न 8.
असहयोग आन्दोलन क्यों चलाया गया ?
उत्तर-
अमृतसर में जलियांवाला बाग़ में एक शान्त भीड़ पर गोलियां चलाई गईं। इस घटना के कारण गान्धी जी ने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय किया।

प्रश्न 9.
असहयोग आन्दोलन कब वापिस लिया गया तथा इसका क्या कारण था ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन 1922 ई० में वापस लिया गया। इसका कारण था-उत्तर प्रदेश में चौरी-चौरा के स्थान पर हुई हिंसात्मक घटना।

प्रश्न 10.
स्वतन्त्रता संग्राम के संघर्ष में लाला लाजपत राय का क्या योगदान था ?
उत्तर-
लाला लाजपत राय एक महान् देशभक्त थे। उन्होंने बंगाल विभाजन का कड़ा विरोध किया। उन्होंने साइमन कमीशन का विरोध करने के लिए लाहौर में एक जुलूस का नेतृत्व किया। पुलिस ने इन पर लाठियां बरसाईं, जिसके कारण वह शहीदी को प्राप्त हुए।

प्रश्न 11.
आजादी की लड़ाई में सरदार भगत सिंह ने क्या योगदान दिया ?
उत्तर-
सरदार भगत सिंह एक महान् क्रान्तिकारी थे। उन्होंने अंग्रेजों तक जनता की आवाज़ पहुंचाने के लिए असेम्बली हाल में बम फेंका। वह उन क्रान्तिकारियों में भी शामिल थे जिन्होंने सांडर्स को गोली से उड़ाया था।

प्रश्न 12.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन क्यों चलाया गया ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन की असफलता के बाद सरकार ने अब ऐसे कानून पास किए जो जनता के हित में नहीं थे। करों की दर इतनी अधिक थी कि साधारण व्यक्ति उन्हें चुका नहीं सकता था। इन्हीं कानूनों के विरोध में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया गया।

प्रश्न 13.
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी की स्थापना 1923 ई० में पं० मोती लाल नेहरू तथा सी० आर० दास ने की।

प्रश्न 14.
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी का क्या उद्देश्य था ? क्या यह अपने उद्देश्य में सफल रही ?
उत्तर-
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी का मुख्य उद्देश्य चुनावों में भाग लेना तथा स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष करना था। 1 नवम्बर, 1923 ई० को हुए केन्द्रीय असेम्बली तथा विधानसभाओं के चुनावों में स्वराज्य पार्टी को महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई।

प्रश्न 15.
पुणे (पूना) समझौता कब और किस के मध्य में हुआ ?
उत्तर-
पूना समझौता सितम्बर, 1932 ई० में महात्मा गान्धी तथा डॉ० अम्बेडकर के मध्य हुआ।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1915 ई० तक गान्धी जी के जीवन का वर्णन करो।
उत्तर-
महात्मा गान्धी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 ई० को दीवान कर्मचन्द गान्धी जी के घर काठियावाड़ (गुजरात) के नगर पोरबन्दर में हुआ था। उनकी माता का नाम पुतली बाई था। गान्धी जी दसवीं की परीक्षा पास करके उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड गये। 1891 ई० में इंग्लैण्ड से वकालत पास करने के बाद वह भारत लौट आये। 1893 ई० में गान्धी जी दक्षिण अफ्रीका में गये। वहां अंग्रेज़ लोग भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करते थे। गान्धी जी ने इसकी निन्दा की। उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए। 1915 ई० में गान्धी जी भारत लौट आये।

प्रश्न 2.
मांटेग्यू-चैम्सफोर्ड रिपोर्ट के आधार पर कब और कौन-सा एक्ट पास किया गया ? इसकी प्रस्तावना में क्या कहा गया था ?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीयों ने अंग्रेज़ों की सहायता की। अतः अंग्रेज़ों ने उन्हें ख़ुश करने के लिए मांटेग्यूचैम्सफोर्ड रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के आधार पर. 1919 ई० में एक्ट पास किया। इस एक्ट की प्रस्तावना में ये बातें कही गयी थीं

  1. भारत ब्रिटिश साम्राज्य का ही एक अंग रहेगा।
  2. भारत में धीरे-धीरे उत्तरदायी शासन स्थापित किया जाएगा।
  3. राज प्रबन्ध के प्रत्येक विभाग में भारतीय लोगों को सम्मिलित किया जाएगा।

प्रश्न 3.
1919 के एक्ट की क्या धाराएं थीं ? इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने इसका विरोध क्यों किया ?
उत्तर-
1919 ई० के एक्ट की मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं –

  1. इस एक्ट द्वारा केन्द्र तथा प्रान्तों के बीच विषयों का विभाजन कर दिया गया।
  2. प्रान्तों में दोहरी शासन प्रणाली स्थापित की गई।
  3. साम्प्रदायिक चुनाव प्रणाली का विस्तार किया गया।
  4. केन्द्र में दो सदनीय विधान परिषद् (राज्य परिषद् तथा विधानसभा) की व्यवस्था की गई।
  5. राज्य परिषद् की सदस्य संख्या 60 तथा विधानसभा के सदस्यों की संख्या 145 कर दी गई।
  6. सैक्रेटरी ऑफ़ स्टेट्स के अधिकार एवं शक्तियों को कम कर दिया गया। उसकी कौंसिल के सदस्यों की संख्या भी घटा दी गई।

1919 ई० के एक्ट के अनुसार किये गये सुधार भारतीयों को खुश नहीं कर सके। अत: इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने इस एक्ट का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 4.
रौलेट एक्ट पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
भारतीय लोगों ने 1919 ई० के एक्ट के विरोध में सत्याग्रह आन्दोलन करना आरम्भ कर दिया था। अत: अंग्रेज़ी सरकार ने स्थिति पर नियन्त्रण पाने के लिये 1919 ई० में रौलेट एक्ट पास किया। इसके अनुसार ब्रिटिश सरकार बिना वारंट जारी किये या बिना किसी सुनवाई के किसी भी व्यक्ति को बन्दी बना सकती थी। बन्दी व्यक्ति अपने बन्दीकरण के विरुद्ध न्यायालय में अपील (प्रार्थना) नहीं कर सकता था। अतः इस एक्ट का जोरदार विरोध हुआ। पण्डित मोती लाल नेहरू ने ‘न अपील, न वकील, न दलील’ कह कर रौलेट एक्ट की निन्दा की। गान्धी जी ने रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए सारे देश में सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ किया।

प्रश्न 5.
असहयोग आन्दोलन पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन गान्धी जी ने 1920 ई० में अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध चलाया। अंग्रेज़ी सरकार को कोई सहयोग न दिया जाए-यह इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य था। इस आन्दोलन की घोषणा कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में की गई। गान्धी जी ने जनता से अपील की कि वे किसी भी तरह सरकार को सहयोग न दें। एक निश्चित कार्यक्रम भी तैयार किया गया। इसके अनुसार लोगों ने सरकारी नौकरियां तथा उपाधियां त्याग दीं। महात्मा गान्धी ने अपनी केसरए-हिंद की उपाधि सरकार को लौटा दी। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों में जाना बन्द कर दिया। वकीलों ने वकालत छोड़ दी। विदेशी वस्तुओं का भी त्याग कर दिया गया और लोग स्वदेशी माल का प्रयोग करने लगे। परन्तु चौरी-चौरा नामक स्थान पर कुछ लोगों ने एक पुलिस थाने में आग लगा दी जिससे कई पुलिस वाले मारे गए। हिंसा का यह समाचार मिलते ही गान्धी जी ने इस आन्दोलन को स्थगित कर दिया।

प्रश्न 6.
गुरुद्वारों के सम्बन्ध में सिक्खों तथा अंग्रेज़ों में बढ़ रहे तनाव पर नोट लिखें।
उत्तर-
अंग्रेज़ गुरुद्वारों के महन्तों को प्रोत्साहन देते थे। ये लोग सेवादार के रूप में गुरुद्वारों में प्रविष्ट हुए थे। परन्तु अंग्रेज़ी राज्य में वे यहां के स्थायी अधिकारी बन गए। वे गुरुद्वारों की आय को व्यक्तिगत सम्पत्ति समझने लगे। महन्तों को अंग्रेज़ों का आशीर्वाद प्राप्त था। इसलिए उन्हें विश्वास था कि उनकी गद्दी सुरक्षित है। अतः वे ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने लगे थे। सिक्ख इस बात को सहन नहीं कर सकते थे। इसलिए गुरुद्वारों के सम्बन्ध में सिक्खों तथा अंग्रेज़ों के बीच तनाव बढ़ रहा था।

प्रश्न 7.
‘गुरु का बाग मोर्चा’ की घटना का वर्णन करें।
उत्तर-
गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग’ अमृतसर से लगभग 13 मील दूर अजनाला तहसील में स्थित है। यह गुरुद्वारा महन्त सुन्दरदास के पास था जो एक चरित्रहीन व्यक्ति था। शिरोमणि कमेटी ने इस गुरुद्वारे को अपने हाथों में लेने के लिए 23 अगस्त, 1921 ई० को दान सिंह के नेतृत्व में एक जत्था भेजा। अंग्रेजों ने इस जत्थे के सदस्यों को बन्दी बना लिया। इस घटना से सिक्ख और भी भड़क उठे। सिक्खों ने कई और जत्थे भेजे जिनके साथ अंग्रेजों ने बहुत बुरा व्यवहार किया। सारे देश के राजनीतिक दलों ने सरकार की इस कार्यवाही की कड़ी निन्दा की।

प्रश्न 8.
‘जैतों का मोर्चा’ की घटना पर नोट लिखें।
उत्तर-
जुलाई, 1923 ई० में अंग्रेज़ों ने नाभा के महाराजा रिपुदमन सिंह को बिना किसी दोष के गद्दी से हटा दिया। शिरोमणि अकाली कमेटी तथा अन्य सभी देश भक्त सिक्खों ने सरकार के इस कार्य की निन्दा की। 21 फरवरी, 1924 ई० को पांच सौ अकालियों का एक जत्था गुरुद्वारा गंगसर (जैतों) के लिए चल पड़ा। नाभा की रियासत में पहुंचने पर उसका सामना अंग्रेजी सेना से हुआ। इस संघर्ष में अनेक सिक्ख मारे गए तथा घायल हुए। अन्त में सिक्खों ने सरकार को अपनी मांग स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया।

प्रश्न 9.
जलियांवाला बाग की घटना कब, क्यों और किस प्रकार हुई ? एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
जलियांवाला बाग की घटना अमृतसर में 1919 ई० में वैसाखी वाले दिन हुई। इस दिन अमृतसर की जनता जलियांवाला बाग में एक सभा कर रही थी। यह सभा अमृतसर में लागू मार्शल लॉ के विरुद्ध की जा रही थी। जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के इस शान्तिपूर्ण सभा पर गोली चलाने की आज्ञा दे दी। इससे सैंकड़ों निर्दोष व्यक्तियों की जानें गईं और अनेक लोग घायल हुए। परिणामस्वरूप सारे देश में रोष की लहर दौड़ गई और स्वतन्त्रता संग्राम ने एक नया मोड़ ले लिया। अब यह सारे राष्ट्र की जनता का संग्राम बन गया।

प्रश्न 10.
जलियांवाला बाग की घटना ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम को किस प्रकार नया मोड़ दिया ?
उत्तर-
जलियांवाला बाग की घटना (13 अप्रैल, 1919 ई०) के कारण कई लोग शहीद हुए। इस घटना में हुए रक्तपात ने भारत के स्वतन्त्रता-संग्राम में एक नया मोड़ ला दिया। यह संग्राम इससे पहले गिन चुने लोगों तक ही सीमित था। अब यह जनता का संग्राम बन गया। इसमें श्रमिक, किसान, विद्यार्थी आदि भी शामिल होने लगे। दूसरे, इसके साथ स्वतन्त्रता आन्दोलन में बहुत जोश भर गया तथा संघर्ष की गति बहुत तीव्र हो गई।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

प्रश्न 11.
पूर्ण स्वराज्य (स्वराज) के प्रस्ताव पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
31 दिसम्बर, 1929 ई० को इंडियन नैशनल कांग्रेस ने अपने वार्षिक सम्मेलन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पास किया। यह सम्मेलन लाहौर में रावी नदी के किनारे पं० जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ था। इस सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि सरकार भारत को शीघ्र आज़ाद नहीं करती तो 26 जनवरी, 1930 ई० को सारे देश में स्वतन्त्रता दिवस मनाया जाये। सम्मेलन में स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ करने का भी निर्णय लिया गया। 26 जनवरी, 1930 ई० को समस्त भारत में स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया।

प्रश्न 12.
गोलमेज़ सम्मेलन (कांफ्रेंस) कहां हुए थे ? इनका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गोलमेज़ सम्मेलन लंदन में हुए।
पहले दो सम्मेलन-पहला गोलमेज़ सम्मेलन 1930 ई० में ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करने के लिए बुलाया। परन्तु यह सम्मेलन कांग्रेस द्वारा किये गये बहिष्कार के कारण असफल रहा।
5 मार्च, 1931 ई० में गान्धी जी तथा लॉर्ड इरविन के मध्य गान्धी-इरविन समझौता हुआ। इस समझौते में गान्धी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन बन्द करना तथा दूसरी गोलमेज़ कांफ्रेंस में भाग लेना स्वीकार कर लिया। दूसरी गोलमेज़ . कांफ्रेंस सितम्बर, 1931 ई० में लन्दन में हुई। इस कांफ्रेंस में गान्धी जी ने केन्द्र तथा प्रान्तों में भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने वाले शासन को समाप्त करने की मांग की। परन्तु वह अपनी मांग मनवाने में असफल रहे। फलस्वरूप उन्होंने 3 जनवरी, 1931 ई० को फिर से सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ कर दिया। अतः गान्धी जी को अन्य कांग्रेसी नेताओं सहित बन्दी बना लिया गया।
तीसरा सम्मेलन-यह सम्मेलन 1932 ई० में हुआ। गान्धी जी ने इसमें भी भाग नहीं लिया।

प्रश्न 13.
क्रिप्स मिशन को भारत में क्यों भेजा गया ? क्या वह कांग्रेस के नेताओं को सन्तुष्ट कर सका ?
उत्तर-
सितम्बर, 1939 ई० में द्वितीय विश्व युद्ध आरम्भ हुआ। भारत में अंग्रेज़ी सरकार ने कांग्रेस के नेताओं की सलाह लिए बिना ही भारत के इस युद्ध में भाग लेने की घोषणा कर दी। कांग्रेस के नेताओं ने इस घोषणा की निन्दा की तथा प्रान्तीय विधानमण्डलों से त्याग-पत्र दे दिए। समस्या के समाधान के लिये अंग्रेजी सरकार ने मार्च, 1942 ई० में सर स्टैफर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में क्रिप्स मिशन को भारत में भेजा। उसने कांग्रेस के नेताओं के समक्ष कुछ सुझाव रखे जो उन्हें सन्तुष्ट न कर सके।

प्रश्न 14.
मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
1939 ई० में कांग्रेस के नेताओं की ओर से प्रान्तीय विधानमण्डलों से त्याग-पत्र दे देने के कारण मुस्लिम लीग बहुत प्रसन्न हुई। इसलिए लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्नाह ने 22 सितम्बर, 1939 ई० को मुक्ति दिवस मनाने का निर्णय किया। 23 मार्च, 1940 ई० को मुस्लिम लीग ने लाहौर में अपने सम्मेलन में हिन्दुओं तथा मुसलमानों को दो अलग राष्ट्र बताते हुए मुसलमानों के लिए स्वतन्त्र पाकिस्तान की मांग की। अंग्रेज़ों ने भी इस सम्बन्ध में मुस्लिम लीग को सहयोग दिया क्योंकि वे राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना चाहते थे।

प्रश्न 15.
केबिनेट मिशन तथा इसके सुझावों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मार्च, 1946 ई० में अंग्रेज़ी सरकार ने तीन सदस्यों वाला केबिनेट मिशन भारत में भेजा। इसका प्रधान लॉर्ड पैथिक लारेंस था। इस मिशन ने भारत को दी जाने वाली राजनीतिक शक्ति के बारे में भारतीय नेताओं के साथ विचारविमर्श किया। इसने भारत का संविधान तैयार करने के लिए एक संविधान सभा स्थापित करने तथा देश में अन्तरिम सरकार की स्थापना करने का सुझाव दिया। सुझाव के अनुसार सितम्बर, 1946 ई० में कांग्रेस के नेताओं ने जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में अन्तरिम सरकार की स्थापना की। 15 अक्तूबर, 1946 ई० को मुस्लिम लीग भी अन्तरिम सरकार में सम्मिलित हो गई।

प्रश्न 16.
1946 के पश्चात् भारत को स्वतन्त्रता अथवा विभाजन की ओर ले जाने वाली घटनाओं की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
20 फरवरी, 1947 को इंग्लैण्ड के प्रधानमन्त्री लॉर्ड एटली ने घोषणा की कि 30 जून, 1948 ई० तक अंग्रेज़ी सरकार भारत को स्वतन्त्र कर देगी। 3 मार्च, 1947 ई० को लॉर्ड माऊंटबैटन भारत का नया वायसराय बन कर भारत आया। उसने कांग्रेस के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया। उसने घोषणा की कि भारत को आजाद कर दिया जायेगा, परन्तु इसके दो भाग–भारत तथा पाकिस्तान बना दिये जायेंगे। कांग्रेस ने इस विभाजन को स्वीकार कर लिया क्योंकि वे साम्प्रदायिक दंगे तथा रक्तपात नहीं चाहते थे।

18 जुलाई, 1947 ई० को ब्रिटिश संसद् ने भारतीय स्वतन्त्रता एक्ट पास कर दिया। परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत में अंग्रेज़ी शासन समाप्त हो गया तथा भारत स्वतन्त्र हो गया। परन्तु इसके साथ ही भारत के दो भाग बन गए। एक का नाम भारत तथा दूसरे का नाम पाकिस्तान रखा गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महात्मा गांधी ने किन सिद्धान्तों के आधार पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए प्रयत्न किए ?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अंग्रेज़ों ने भारतीयों के साथ किये अपने वचनों को पूरा नहीं किया। अत: भारतीयों ने महात्मा गान्धी के नेतृत्व में अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाने के लिए योजना बनाई। महात्मा गान्धी ने निम्नलिखित सिद्धान्तों के आधार पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए प्रयत्न किये-

  • अहिंसा-महात्मा गान्धी ने अंग्रेज़ों का मन जीतने के लिए शान्ति एवं अहिंसा की नीति अपनाई। वैसे भी गान्धी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।
  • सत्याग्रह आन्दोलन-महात्मा गान्धी सत्याग्रह आन्दोलन में विश्वास रखते थे। इसके अनुसार वह अपनी बात मनवाने के लिए धरना देते थे या कुछ दिनों तक उपवास रखते थे। कभी-कभी वह आमरणव्रत भी रखते थे। ऐसा करने से सारे संसार का ध्यान उनकी ओर जाता था।
  • हिन्दू-मुस्लिम एकता-महात्मा गान्धी ने सभी भारतीयों विशेष रूप से हिन्दुओं तथा मुसलमानों की एकता पर बल दिया। जब कभी किसी कारण से लोगों में दंगे-फसाद हो जाते थे तो गांधी जी वहां पहुंच कर शान्ति स्थापित करने का प्रयास करते थे।
  • असहयोग आन्दोलन-महात्मा गान्धी ने अंग्रेजों द्वारा भारतीय लोगों के साथ किये जा रहे अन्यायं का विरोध करने के लिए असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। इसके अनुसार गान्धी जी ने भारतीय लोगों को सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों, स्कूलों तथा कॉलेजों आदि का बहिष्कार करने को कहा।
  • खादी एवं चरखा-गान्धी जी ने ग्रामीण लोगों को खादी के वस्त्र पहनने तथा चरखे से सूत कात कर कपड़ा तैयार करने के लिए कहा। उन्होंने प्रचार किया कि विदेशी वस्तुओं का उपयोग छोड़ कर स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग किया जाए।
  • समाज सुधार-महात्मा गान्धी ने समाज में प्रचलित बुराइयों जैसे कि अस्पृश्यता को समाप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने महिलाओं के कल्याण के लिए भी प्रयत्न किये।

प्रश्न 2.
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड तथा खिलाफ़त आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड-1919 ई० के रौलेट एक्ट के विरुद्ध रोष प्रकट करने के लिए गान्धी जी के आदेश पर पंजाब में हड़तालें हुईं, जलसे किये गये तथा जुलूस निकाले गये। 10 अप्रैल, 1919 ई० को अमृतसर में प्रसिद्ध नेताओं डॉ० किचलू तथा डॉ० सत्यपाल को बन्दी बना लिया गया। भारतीयों ने इसका विरोध करने के लिए जुलूस निकाला। सरकार ने इस जुलूस पर गोली चलाने का आदेश दिया। परिणामस्वरूप कुछ व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। अतः भारतीयों ने क्रोध में आकर 5 अंग्रेज़ अधिकारियों की हत्या कर दी। अंग्रेजी सरकार ने स्थिति पर नियन्त्रण करने के लिए अमृतसर शहर को सेना के हाथों में सौंप दिया।

13 अप्रैल, 1919 ई० को वैशाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए लगभग 20,000 लोग एकत्रित हुए। जनरल डायर ने इन लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागना आरम्भ कर दिया, परन्तु इस बाग़ का मार्ग तीन ओर से बन्द था तथा चौथी ओर के मार्ग में सैनिक होने के कारण लोग वहीं पर ही घिर गये। थोड़े ही समय में सारा बाग़ खून और लाशों से भर गया। इस रक्त रंजित घटना में लगभग 1000 लोग मारे गये तथा 3,000 से अधिक लोग घायल हुए। इस हत्याकांड का समाचार सुन कर लोगों में अंग्रेजों के विरुद्ध रोष की भावना फैल गई।

ख़िलाफ़त आन्दोलन-प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ने अंग्रेजों के विरुद्ध जर्मनी की सहायता की। भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान अब्दुल हमीद द्वितीय को अपना ख़लीफ़ा एवं धार्मिक नेता मानते थे। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता इसलिए की थी कि युद्ध समाप्त होने के बाद तुर्की के ख़लीफ़ा को कोई क्षति नहीं पहुंचायी जायेगी। परन्तु युद्ध समाप्त होने पर अंग्रेजों ने तुर्की,को कई भागों में बांट दिया तथा ख़लीफ़ा को बन्दी बना लिया। अतः भारत के मुसलमानों ने अंग्रेजों के विरुद्ध एक ज़ोरदार आन्दोलन आरंभ कर दिया जिसे ख़िलाफ़त आन्दोलन कहा जाता है। इस आन्दोलन का नेतृत्व शौकत अली, मुहम्मद अली, अबुल कलाम आज़ाद तथा अजमल खां ने किया। महात्मा गांधी तथा बाल गंगाधर तिलक ने भी हिन्दुओं तथा मुसलमानों में एकता स्थापित करने के लिए इस आन्दोलन में भाग लिया।

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प्रश्न 3.
महात्मा गान्धी युग का वर्णन करो।
उत्तर-
महात्मा गान्धी 1919 ई० में भारत की राजनीतिक गतिविधियों में सम्मिलित हुए। 1919 ई० से लेकर 1947 ई० तक स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए जितने भी आन्दोलन किए गए, उनका नेतृत्व महात्मा गान्धी ने किया। अत: इतिहास में 1919 ई० से 1947 ई० के समय को ‘गान्धी युग’ कहा जाता है। गान्धी जी के जीवन तथा कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

जन्म तथा शिक्षा-महात्मा गान्धी के बचपन का नाम मोहनदास था। उनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 ई० को काठियावाड़ में पोरबन्दर के स्थान पर हुआ। इनके पिता का नाम कर्मचन्द गान्धी था जो पोरबन्दर के दीवान थे। गान्धी जी ने अपनी आरम्भिक शिक्षा भारत में ही प्राप्त की। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें इंग्लैण्ड भेजा गया। वहां उन्होंने वकालत पास की और फिर भारत लौट आए।

राजनीतिक जीवन-गान्धी जी के राजनीतिक जीवन का आरम्भ दक्षिणी अफ्रीका से हुआ। उन्होंने इंग्लैण्ड से आने के बाद कुछ समय तक भारत में वकील के रूप में कार्य किया। परन्तु फिर वह दक्षिणी अफ्रीका चले गए।

गान्धी जी दक्षिणी अफ्रीका में- गान्धी जी जिस समय दक्षिणी अफ्रीका पहुंचे। उस समय वहां भारतीयों की दशा बहुत बुरी थी। वहां की गोरी सरकार भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करती थी। गान्धी जी इस बात को सहन न कर सके। उन्होंने वहां की सरकार के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन चलाया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए।

गान्धी जी भारत में-1914 ई० में गान्धी जी दक्षिणी अफ्रीका से भारत लौटे। उस समय प्रथम विश्व-युद्ध छिड़ा हुआ था। अंग्रेज़ी सरकार इस युद्ध में उलझी हुई थी। उसे जन और धन की काफ़ी आवश्यकता थी। अतः गान्धी जी ने भारतीयों से अपील की कि वे अंग्रेज़ों को सहयोग दें। वह अंग्रेज़ी सरकार की सहायता करके उसका मन जीत लेना चाहते थे। उनका विश्वास था कि अंग्रेज़ी सरकार युद्ध जीतने के बाद भारत को स्वतन्त्र कर देगी। परन्तु अंग्रेज़ी सरकार ने युद्ध में विजय होने के बाद भारत को कुछ न दिया। उसके विपरीत उन्होंने भारत में रौलेट एक्ट लागू कर दिया। इस काले कानून के कारण गान्धी जी को बड़ी ठेस पहुंची और उन्होंने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध आन्दोलन चलाने का निश्चय कर लिया।

असहयोग आन्दोलन-1920 ई० में गान्धी जी ने असहयोग आन्दोलन आरम्भ कर दिया। जनता ने गान्धी जी का पूरा-पूरा साथ दिया। सरकार को गान्धी जी के इस आन्दोलन के सामने झुकना पड़ा। परन्तु कुछ हिंसक घटनाएं हो जाने के कारण गान्धी जी को अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन-1930 ई० में गान्धी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ कर दिया। उन्होंने डाण्डी यात्रा की और नमक कानून को भंग किया। सरकार घबरा गई। उसने भारतवासियों को नमक बनाने का अधिकार दे दिया। 1935 ई० में सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण एक्ट भी पास किया।

भारत छोड़ो आन्दोलन-गान्धी जी का सबसे बड़ा उद्देश्य भारत को स्वतन्त्र कराना था। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने 1942 ई० में भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। भारत के लाखों नर-नारी गान्धी जी के साथ हो गए। इतने विशाल जन आन्दोलन से अंग्रेज़ी सरकार घबरा गई और उसने भारत छोड़ने का निश्चय कर लिया। आखिर 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत स्वतन्त्र हुआ। इस स्वतन्त्रता का वास्तविक श्रेय गान्धी जी को ही जाता है।

अन्य कार्य-गान्धी जी ने भारतवासियों के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अनेक काम किए। भारत में गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने लोगों को खादी पहनने का सन्देश दिया। अछूतों के उद्धार के लिए गान्धी जी ने उन्हें ‘हरिजन’ का नाम दिया। देश में साम्प्रदायिक दंगों को समाप्त करने के लिए गान्धी जी ने गांव-गांव घूमकर लोगों को भाईचारे का सन्देश दिया।

देहान्त-30 जनवरी, 1948 ई० की. संध्या को गान्धी जी की निर्मम हत्या कर दी गई। भारतवासी गान्धी जी की सेवाओं को कभी भुला नहीं सकते। आज भी उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से याद किया जाता है।

प्रश्न 4.
महात्मा गान्धी के असहयोग आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
1920 ई० में महात्मा गान्धी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। इस आन्दोलन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

(1) पंजाब में लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों तथा अनुचित नीतियों की निन्दा करना। (2) तुर्की के सुल्तान (खलीफ़ा) के साथ किए जा रहे अन्याय को समाप्त करना। (3) हिन्दुओं तथा मुसलमानों में एकता स्थापित करना। (4) अंग्रेजी सरकार से स्वराज (स्वतन्त्रता) प्राप्त करना।

असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम : (1) सरकारी नौकरियों का त्याग किया जाए। (2) सरकारी उपाधियों को लौटाया जाए। (3) सरकारी उत्सवों तथा सम्मेलनों में भाग न लिया जाए। (4) विदेशी वस्तुओं का उपयोग न किया जाए। इनके स्थान पर अपने देश में बनी वस्तुओं का उपयोग किया जाए। (5) सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार किया जाए तथा अपने विवादों का निर्णय पंचायतों द्वारा करवाया जाए। (6) चरखे द्वारा बने खादी के कपड़े का उपयोग किया जाए।

असहयोग आन्दोलन की प्रगति-महात्मा गान्धी ने अपनी केसर-ए-हिन्द की उपाधि सरकार को लौटा दी ! उन्होंने भारतीय लोगों से आन्दोलन में भाग लेने की अपील की। अनेकों भारतीयों ने गान्धी जी के कहने पर अपनी नौकरियां त्याग दी तथा उपाधियां सरकार को लौटा दीं। हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने स्कूलों तथा कॉलेजों में जाना बन्द कर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा-संस्थाओं जैसे कि काशी विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ, तिलक विद्यापीठ आदि में पढ़ना आरम्भ कर दिया। देश के सैंकड़ों वकीलों ने अपनी वकालत छोड़ दी। इनमें मोतीलाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, सी० आर० दास, परदार पटेल, लाला लाजपत राय आदि शामिल थे। लोगों ने विदेशी कपड़ों का त्याग कर दिया तथा चरखे द्वारा बने खादी के कपड़े का उपयोग करना आरम्भ कर दिया।

सरकार ने इस आन्दोलन के दमन के लिए हज़ारों की संख्या में आन्दोलनकारियों को बन्दी बना लिया। 1922 ई० में उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के गांव चौरी-चौरा में कांग्रेस का अधिवेशन चल रहा था। इस अधिवेशन में लगभग 3000 किसान भाग ले रहे थे। यहां पर पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं। किसानों ने क्रोध में आकर पुलिस थाने पर आक्रमण कर दिया और उसे आग लगा दी। परिणामस्वरूप थाने में 22 सिपाहियों की मृत्यु हो गई। अतः गान्धी जी ने 12 फरवरी, 1922 ई० को बारदौली में असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया। . ___

महत्त्व-भले ही महात्मा गान्धी ने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया था, फिर भी इसका राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।

  • इस आन्दोलन में भारत के लगभग सभी वर्गों के लोगों ने भाग लिया था जिससे उनमें राष्ट्रीय भावना पैदा हुई।
  • महिलाओं ने भी इसमें भाग लिया। अतः उनमें भी आत्म-विश्वास पैदा हुआ।
  • इस आन्दोलन के कारण कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता बहुत अधिक बढ़ गई।
  • आन्दोलन वापिस लिए जाने के कारण कांग्रेस के कुछ नेता गान्धी जी से नाराज़ हो गए। इनमें पं० मोती लाल नेहरू तथा सी० आर० दास शामिल थे। उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए 1923 ई० में ‘स्वराज्य पार्टी’ की स्थापना की।

प्रश्न 5.
क्रान्तिकारी आन्दोलन (1919-1947 के दौरान) का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत को अंग्रेज़ी शासन से मुक्ति दिलाने के लिए देश में कई क्रान्तिकारी आन्दोलन भी चले। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

1. बब्बर अकाली आन्दोलन-कुछ अकाली सिक्ख नेता गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को हिंसात्मक ढंग से चलाना चाहते थे। उन्हें बब्बर अकाली कहा जाता है। उनके नेता किशन सिंह ने चक्रवर्ती जत्था स्थापित करके होशियारपुर तथा जालन्धर में अंग्रेजों के दमन के विरुद्ध आवाज़ उठाई। 26 फरवरी, 1923 को उन्हें उनके 186 साथियों सहित बन्दी बना लिया गया। इनमें से 5 को फांसी दी गई।
2. नौजवान भारत सभा-नौजवान भारत सभा की स्थापना 1926 में लाहौर में हुई। इसके संस्थापक सदस्य भगत सिंह, राजगुरु, भगवतीचरण वोहरा, सुखदेव आदि थे।

मुख्य उद्देश्य-इस सभा के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे –

  • बलिदान की भावना का विकास करना।
  • लोगों को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत करना।
  • जनसाधारण में क्रान्तिकारी विचारों का प्रचार करना।

सदस्यता-इस सभा में 18 वर्ष से 35 वर्ष के सभी नर-नारी शामिल हो सकते थे। केवल वही व्यक्ति इसके सदस्य बन सकते थे जिनको इनके कार्यक्रम में विश्वास था। पंजाब की अनेक महिलाओं तथा पुरुषों ने इस सभा को अपना सहयोग दिया। दुर्गा देवी वोहरा, सुशीला मोहन, अमर कौर, पार्वती देवी तथा लीलावती इस सभा की सदस्या थीं।

गतिविधियां-इस सभा के सदस्य साइमन कमीशन के आगमन के समय पूरी तरह सक्रिय हो गए। पंजाब में लाला लाजपतराय के नेतृत्व में लाहौर में क्रान्तिकारियों ने साइमन कमीशन के विरोध में जुलूस निकाला। अंग्रेज़ी सरकार ने जुलूस पर लाठीचार्ज किया। इसमें लाला लाजपतराय बुरी तरह से घायल हो गए। 17 नवम्बर, 1928 ई० को उनका देहान्त हो गया। इसी बीच भारत के सभी क्रान्तिकारियों ने अपनी केन्द्रीय संस्था बनाई जिसका नाम रखा गयाहिन्दोस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन । नौजवान भारत सभा के सदस्य भी इस एसोसिएशन के साथ मिलकर काम करने लगे।

असेम्बली बम केस-8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली में भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने विधानसभा में बम फेंक कर आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने दो अन्य क्रान्तिकारियों सुखदेव तथा राजगुरु को भी बन्दी बना लिया।

23 मार्च, 1931 ई० को भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या के अपराध में फांसी दे दी गई।

सच तो यह है कि नौजवान भारत सभा के क्रान्तिकारी भगत सिंह ने अपना बलिदान देकर एक ऐसा उदाहरण पेश किया जिस पर आने वाली पीढ़ियां गर्व करेंगी।

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प्रश्न 6.
गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन के बारे में लिखो।
उत्तर-
1920 ई० से 1925 ई० तक के काल में पंजाब में गुरुद्वारों को महन्तों के अधिकार से मुक्त कराने के लिए ‘गुरुद्वारा सुधार लहर’ की स्थापना की गई। इस लहर को अकाली लहर भी कहा जाता है क्योंकि अकालियों द्वारा ही गुरुद्वारों को मुक्त कराया गया था।

गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को सफल बनाने के लिए अकाली दल ने कई मोर्चे लगाए जिनमें से कुछ मुख्य मोर्चों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. ननकाना साहिब का मोर्चा-ननकाना साहिब का महन्त नारायण दास बड़ा ही चरित्रहीन व्यक्ति था। उसे गुरुद्वारे से निकालने के लिए 20 फरवरी, 1921 ई० के दिन एक शान्तिमय जत्था ननकाना साहिब पहुंचा। महन्त ने जत्थे के साथ बड़ा जुरा व्यवहार किया। उसके पाले हुए गुण्डों ने जत्थे पर आक्रमण कर दिया। जत्थे के नेता भाई लक्ष्मण सिंह तथा इसके साथियों को जीवित जला दिया गया।

2. हरमन्दर साहिब के कोष की चाबियों का मोर्चा- हरमन्दर साहिब के कोष की चाबियां अंग्रेज़ों के पास थीं। शिरोमणि कमेटी ने उनसे गुरुद्वारे की चाबियां मांगीं, परन्तु उन्होंने चाबियां देने से इन्कार कर दिया। अंग्रेज़ों के इस कार्य के विरुद्ध सिक्खों ने बहुत से प्रदर्शन किए। अंग्रेजों ने अनेक सिक्खों को बन्दी बना लिया। कांग्रेस तथा खिलाफ़त कमेटी ने भी सिक्खों का समर्थन किया। विवश होकर अंग्रेज़ों ने कोष की चाबियां शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी को सौंप दीं।

3. ‘गुरु का बाग’ का मोर्चा-गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग’ अमृतसर से लगभग 13 मील दूर अजनाला तहसील में स्थित है। यह गुरुद्वारा महन्त सुन्दरदास के पास था जो एक चरित्रहीन व्यक्ति था। शिरोमणि कमेटी ने इस गुरुद्वारे को अपने हाथों में लेने के लिए 23 अगस्त, 1921 ई० को दान सिंह के नेतृत्व में एक जत्था भेजा। अंग्रेजों ने इस जत्थे के सदस्यों को बन्दी बना लिया। इस घटना से सिक्ख और भी भड़क उठे। उन्होंने और अधिक संख्या में जत्थे भेजने आरम्भ कर दिए। इन जत्थों के साथ बुरा व्यवहार किया गया। इनके सदस्यों को लाठियों से पीटा गया।

4. पंजा साहिब की घठना-सरकार ने ‘गुरु का बाग’ के मोर्चे में बंदी बनाए गए सिक्खों को रेलगाड़ी द्वारा अटक जेल में भेजने का निर्णय किया। पंजा साहिब के सिक्खों ने सरकार से प्रार्थना की कि रेलगाड़ी को हसन अब्दाल में रोका जाए ताकि वे जत्थे के सदस्यों को भोजन दे सकें। परन्तु सरकार ने जब सिक्खों की इस प्रार्थना को स्वीकार न किया तो भाई कर्म सिंह तथा भाई प्रताप सिंह नामक दो सिक्ख रेलगाड़ी के आगे लेट गए और शहीदी को प्राप्त हुए। इन दोनों की शहीदी के अतिरिक्त दर्जनों सिक्खों के अंग कट गए।

5. जैतों का मोर्चा-जुलाई, 1923 ई० में अंग्रेज़ों ने नाभा के महाराजा रिपुदमन सिंह को बिना किसी दोष के गद्दी से हटा दिया। अकालियों ने सरकार के विरुद्ध गुरुद्वारा गंगसर (जैतों) में बड़ा भारी जलसा करने का निर्णय किया। 21 फरवरी, 1924 ई० को पांच सौ अकालियों का एक जत्था गुरुद्वारा गंगसर के लिए चल पड़ा। नाभा की रियासत में पहुंचने पर उनका सामना अंग्रेजी सेना से हुआ। सिक्ख निहत्थे थे। फलस्वरूप 100 से भी अधिक सिक्ख शहीदी को प्राप्त हुए और 200 के लगभग सिक्ख घायल हुए।

6. सिक्ख गुरुद्वारा अधिनियम-1925 ई० में पंजाब सरकार ने सिक्ख गुरुद्वारा कानून पास कर दिया। इसके अनुसार गुरुद्वारों का प्रबन्ध और उनकी देखभाल सिक्खों के हाथ में आ गई। सरकार ने धीरे-धीरे सभी बन्दी सिक्खों को मुक्त कर दिया।

इस प्रकार अकाली आन्दोलनों के अन्तर्गत सिक्खों ने महान् बलिदान दिए। एक ओर तो उन्होंने गुरुद्वारे जैसे पवित्र स्थानों से अंग्रेजों के पिट्ट महन्तों को बाहर निकाला और दूसरी ओर सरकार के विरुद्ध एक ऐसी अग्नि भड़काई जो स्वतन्त्रता प्राप्ति तक जलती रही।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

SST Guide for Class 8 PSEB कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन Textbook Questions and Answers

कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
‘आनन्दमठ’ उपन्यास की रचना किसने की थी ?
उत्तर-
बंकिमचन्द्र चटर्जी ने।

प्रश्न 2.
लघु-वार्ता के प्रसिद्ध लेखकों के नाम लिखें।
उत्तर-
लघु-वार्ता के प्रसिद्ध लेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर, प्रेमचंद, यशपाल, जेतिंदर कुमार, कृष्ण चन्द्र आदि थे।

प्रश्न 3.
भारत में सबसे पहला छापाखाना कब तथा किसने शुरू किया ?
उत्तर-
भारत में सबसे पहला छापाखाना 1557 ई० में पुर्तगालियों ने शुरू किया।

प्रश्न 4.
बाल गंगाधर तिलक ने कौन-से दो अखबारों का प्रकाशन करवाया ?
उत्तर-
मराठी भाषा में ‘केसरी’ तथा अंग्रेज़ी भाषा में ‘मराठा’ नामक अखबारों का।

प्रश्न 5.
बड़ौदा यूनिवर्सिटी के आर्ट स्कूल के प्रसिद्ध चित्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर-
जी० आर० सन्तोष, गुलाम शेख, शान्ति देव आदि।

प्रश्न 6.
मद्रास कला स्कूल के प्रसिद्ध कलाकारों के नाम लिखें।
उत्तर-
सतीश गुजराल, रामकुमार तथा के० जी० सुब्रामणियम।

प्रश्न 7.
19वीं सदी तथा 20वीं सदी के आरम्भ में साहित्य पर नोट लिखें।
उत्तर-
19वीं तथा 20वीं सदी के आरम्भ में साहित्य के हर क्षेत्र में विकास हुआ जिसका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है
1. उपन्यास कहानी आदि कथा साहित्य-

  1. बंगाली साहित्य के प्रमुख लेखक बंकिम चन्द्र चटर्जी, माइकल मधुसूदन दत्त, शरत चन्द्र चटर्जी आदि थे। बंकिम चन्द्र चटर्जी के उपन्यास ‘आनन्द मठ’ को ‘बंगाली देश-प्रेम की बाइबल’ कहा जाता है।
  2. मुंशी प्रेमचन्द ने अपने उपन्यासों ‘गोदान’ तथा ‘रंगभूमि’ में अंग्रेजी सरकार द्वारा किसानों के शोषण पर प्रकाश डाला है। उन्होंने उर्दू तथा हिन्दी में और भी कई उपन्यास लिखे।
  3. हेमचन्द्र बैनर्जी, दीनबन्धु मित्र, रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि लेखकों ने देश-प्रेम की रचनाएं लिखीं।

2. काव्य-रचना-यूरोप के साहित्य के सम्पर्क में आने के पश्चात् भारतीय काव्य-रचना में रोमांसवाद का आरम्भ हुआ। परन्तु भारतीय काव्य-रचना में राष्ट्रवाद तथा राष्ट्रीय आन्दोलन पर अधिक बल दिया गया। काव्य-रचना को समृद्ध बनाने वाले प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर (बंगला), इकबाल (उर्दू), केशव सुत (मराठी), सुब्रह्मण्यम भारती (तमिल) आदि हैं।

3. नाटक तथा सिनेमा-भारतीय नाटककारों तथा कलाकारों ने पूर्वी तथा पश्चिमी शैली को एक करने का प्रयास किया। इस काल के प्रसिद्ध नाटककार थे-गिरीश कारनंद (कन्नड़), विजय तेंदुलकर (मराठी) और मुलखराज आनन्द तथा आर० के० नारायण (अंग्रेज़ी)। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी रचनाओं में राष्ट्रीय जागृति तथा अन्तर्राष्ट्रीय मानववाद पर बल दिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

प्रश्न 8.
19वीं सदी तथा 20वीं सदी के आरम्भ में चित्रकारी पर नोट लिखो।
उत्तर-
19वीं तथा 20वीं सदी के आरम्भ में विभिन्न कला स्कूलों तथा कला ग्रुपों द्वारा चित्रकारी को नया रूप मिला जिसका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

  • राजा रवि वर्मा ने यूरोपीय प्रकृतिवाद को भारतीय पौराणिक कथाओं के साथ मिलाकर चित्रित किया।
  • बंगाल कला स्कूल के चित्रकारों रवीन्द्रनाथ टैगोर, हॉवैल कुमार स्वामी ने भारतीय पौराणिक कथाओं, महाकाव्यों तथा पुरातन साहित्य पर आधारित चित्र बनाये।।
  • अमृता शेरगिल तथा जार्ज कीट के चित्र आधुनिक यूरोपीय कला, आधुनिक जीव-आत्मा तथा हाव-भावों से अधिक प्रभावित हैं। जार्ज कीट द्वारा प्रयोग की गई रंग-योजना बहुत ही प्रभावशाली है।
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जल रंगों तथा रंगदार चाक से सुन्दर चित्र बनाये। .
  • बम्बई के प्रसिद्ध कलाकारों के फूलों तथा स्त्रियों के चित्र अपने रंगों के कारण बहुत ही सुन्दर बन पड़े हैं। इन कलाकारों में फ्रांसिस न्यूटन सुजा, के० एच० अरा, एस० के० बैनर आदि के नाम लिए जा सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त बड़ौदा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ आर्ट, मद्रास कला स्कूल तथा नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट का भी चित्रकला को लोकप्रिय बनाने में काफ़ी योगदान रहा।

प्रश्न 9.
कलाओं में परिवर्तन से क्या भाव है ?
उत्तर-
कलाओं में विशेष रूप से संगीत, नृत्य तथा नाटक आदि सम्मिलित हैं। अंग्रेजों के भारत में आने से पहले इन क्षेत्रों में भारत की धरोहर बहुत ही समृद्ध थी। हमारे देश का पुरातन संगीत, हिन्दुस्तानी तथा कर्नाटक संगीत स्कूल भारत की इस समृद्ध धरोहर के उदाहरण हैं।

  • हमारे देश के लोक संगीत तथा लोक नृत्य लोगों में उत्साह भर देते हैं। इनमें हमारा पुरातन भारतीय नृत्य, कथाकली, कुचिपुड़ी तथा कत्थक आदि के नाम लिए जा सकते हैं।
  • रंगमंचों पर मंचित हमारे नाटक तथा पुतलियों के नाच हमारी सांस्कृतिक परम्परा के महत्त्वपूर्ण अंग हैं।
  • भारत में भिन्न-भिन्न प्रकार के वाद्य यन्त्र जैसे कि सितार, ढोल, तूम्बी, सारंगी, तबला आदि प्रचलित हैं। बांसुरी, शहनाई, अलगोजे आदि हवा वाले वाद्य यन्त्र हैं।
  • भारत के महान् कलाकारों, जैसे कि कुमार गन्धर्व, रविशंकर, रुकमणी देवी, रागिनी देवी, उदय शंकर तथा पण्डित जसराज ने भारतीय संगीत तथा नृत्य के क्षेत्र में अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त की।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. ……………. में बंगाली भाषा में बहुत से साहित्य की रचना की गई।
2. ‘वन्देमातरम’ राष्ट्रीय गीत………… द्वारा रचा गया।
3. मुंशी प्रेमचन्द ने …………. तथा …………. भाषा में कई उपन्यास लिखे।
4. अमृता शेरगिल तथा …………. प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार थे।
उत्तर-

  1. 19वीं सदी
  2. बंकिम चंद्र चटर्जी
  3. उर्दू, हिन्दी
  4. जार्ज कीट।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘संही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाओ :

1. प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम को आजकल ‘छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय’ भी कहा जाता है। – (✓)
2. मैरीना समुद्री तट 10 किलोमीटर लंबा है। – (✗)
3. वार मैमोरियल विश्व के प्रथम युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया। – (✓)
4. आजकल फोर्ट सैंट जार्ज भवन में तमिलनाडु शासन की विधानसभा तथा सचिवालय के कार्यालय हैं। – (✗).

PSEB 8th Class Social Science Guide कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
‘आनन्दमठ’ उपन्यास की रचना की-
(i) इकबाल
(ii) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(iii) बंकिम चन्द्र चैटर्जी
(iv) मुंशी प्रेमचन्द।
उत्तर-
बंकिम चन्द्र चटर्जी

प्रश्न 2.
भारत में सबसे पहला छापाखाना स्थापित किया –
(i) पुर्तगालियों ने
(ii) फ्रांसीसियों ने
(iii) अंग्रेज़ों ने
(iv) डचों ने।
उत्तर-
पुर्तगालियों ने

प्रश्न 3.
बड़ौदा यूनिवर्सिटी के आर्ट स्कूल के प्रसिद्ध चित्रकार हैं-
(i) जी० आर० सन्तोष
(ii) गुलाम शेख
(iii) शान्ति देव
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

प्रश्न 4.
गोदान तथा रंग भूमि के लेखक हैं-
(i) अवीन्द्र नाथ
(ii) रवीन्द्र नाथ टैगोर
(iii) बंकिम चन्द्र चैटजी
(iv) मुंशी प्रेमचन्द।
उत्तर-
मुंशी प्रेमचन्द

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प्रश्न 5.
दो शिल्पकारों जार्ज विलटेट तथा उसके मित्र जॉन बेग ने निम्न भवन का निर्माण किया –
(i) इंडिया गेट
(ii) चर्च गेट
(iii) लाहौरी गेट
(iv) गेटवे ऑफ़ इंडिया।
उत्तर-
गेटवे ऑफ इंडिया

प्रश्न 6.
वन्दे मातरम् गीत किसने लिखा ?
(i) मुंशी प्रेमचन्द
(ii) रविन्द्र नाथ टैगोर
(iii) बंकिम चन्द्र चैटर्जी
(iv) वीरसलिंगम।
उत्तर-
बंकिम चन्द्र चैटर्जी।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. रविन्द्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन में ‘कला भवन’ की स्थापना की।
2. फोर्ट सेंट जार्ज भारत में पहला अंग्रेज़ी किला था।
3. वंदे मातरम गीत ‘आनंद विवाह’ नामक उपन्यास में शामिल है।
उत्तर-

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
‘वन्दे मातरम्’ नामक राष्ट्रीय गीत किस उपन्यास से लिया गया है ?
उत्तर-
‘आनन्दमठ’ से।

प्रश्न 2.
बंकिम चन्द्र चटर्जी के किस उपन्यास को ‘बंगाली देश-प्रेम की बाइबल’ कहा जाता है और क्यों ?
उत्तर-
बंगला उपन्यास ‘आनन्दमठ’ को, क्योंकि इसमें राष्ट्र-प्रेम के बहुत-से गीत हैं।

प्रश्न 3.
मुंशी प्रेमचन्द के किन्हीं दो प्रसिद्ध उपन्यासों के नाम बताओ।
उत्तर-
गोदान तथा रंगभूमि।।

प्रश्न 4.
राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित दो अख़बारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
संवाद कौमुदी तथा मिरत-उल-अख़बार।

प्रश्न 5.
राजा रवि वर्मा कौन था ?
उत्तर-
राजा रवि वर्मा आधुनिक भारत का एक प्रसिद्ध चित्रकार तथा मूर्तिकार था। उसके चित्र भारतीय महाकाव्यों तथा संस्कृत साहित्य से सम्बन्धित हैं।

प्रश्न 6.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कलो-भवन की स्थापना कहां की ?
उत्तर-
शान्ति निकेतन में।

प्रश्न 7.
मद्रास कला स्कूल के दो प्रसिद्ध चित्रकारों के नाम बताओ।
उत्तर-
डी० आर० चौधरी तथा के० सी० एस० पानिकर।

प्रश्न 8.
हवा वाले (वात्) तीन वाद्य यन्त्रों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(1) बांसुरी (2) शहनाई (3) अलगोज़ा।

प्रश्न 9.
‘मुम्बई के प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम’ का आधुनिक नाम क्या है ? यह किस भवन के निकट स्थित
उत्तर-
मुम्बई के प्रिंस ऑफ वेल्ज़ म्यूज़ियम का आधुनिक नाम ‘छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय’ है। यह गेटवे ऑफ़ इण्डिया के निकट स्थित है।

प्रश्न 10.
गेटवे ऑफ़ इंडिया को किन दो शिल्पकारों ने बनाया था ?
उत्तर-
जार्ज विलटेट तथा उसके मित्र जॉन बेग ने।

प्रश्न 11.
चेन्नई के दो प्रसिद्ध समुद्री तटों के नाम बताइए।
उत्तर-
मैरीना तथा वी० जी० बी० गोल्डन बीच।।

प्रश्न 12.
चेन्नई की ‘वार मैमोरियल’ नामक इमारत किसकी याद में बनाई गई थी ?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों की याद में।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक उपन्यास के क्षेत्र में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आधुनिक काल में बंकिम चन्द्र चटर्जी, माइकल मधुसूदन दत्त तथा शरत् चन्द्र चटर्जी बंगाली साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान् थे। बंकिम चन्द्र चटर्जी ने बंगला भाषा में एक प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनन्द मठ’ लिखा। इसमें कई गीत हैं। इनमें हमारा राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ भी शामिल है। इस उपन्यास को वर्तमान ‘बंगाली देश-प्रेम की बाइबल’ कहा गया है। ___मुंशी प्रेमचन्द ने उर्दू तथा हिन्दी भाषा में कई उपन्यास लिखे। उन्होंने अपने ‘गोदान’ तथा ‘रंगभूमि’ उपन्यासों में अंग्रेज़ी सरकार द्वारा किसानों के शोषण पर प्रकाश डाला है। हेमचन्द्र बैनर्जी, दीन बन्धु मित्र, रंग लाल, केशव चन्द्र सेन, रवीन्द्र नाथ टैगोर (ठाकुर) आदि विद्वानों की रचनाओं ने भी लोगों के दिलों में देश-प्रेम की भावनाएं कूट-कूट कर भर दी थीं।

प्रश्न 2.
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक काव्य-रचना के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
यूरोप के साहित्य के संपर्क में आने के पश्चात् भारतीय काव्य-रचना में रोमांसवाद का आरम्भ हुआ। परन्तु भारतीय काव्य रचना ने राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय आन्दोलन पर अधिक बल दिया। भारत के प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर (बंगाली), इक़बाल (उर्दू), कॉज़ी नज़रुल इस्लाम (बंगाली), केशव सुत (मराठी), सुब्रह्मण्यम भारती (तमिल) आदि हैं। 1936 ई० के पश्चात् की काव्य-रचना में लोगों के दैनिक जीवन तथा उनके कष्टों का वर्णन मिलता है। फैज तथा मेज़ाज़ (उर्दू), जीवन नन्द दास (बंगाली), अज्ञेय तथा मुक्ति बोध (हिन्दी) आदि कवियों ने नई काव्य-रचना प्रस्तुत की। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद नई काव्य-रचना रघुवीर सहाय, केदारनाथ सिंह (हिन्दी), शक्ति चट्टोपाध्याय (बंगाली) आदि कवियों द्वारा की गई।

प्रश्न 3.
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक नाटक तथा सिनेमा के क्षेत्र में क्या विकास हुआ ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक भारतीय कलाकारों तथा नाटककारों ने नाटक प्रस्तुति में पश्चिमी तथा पूर्वी शैलियों को मिश्रित करने का प्रयत्न किया। सिनेमा संगठन ने नाटक तथा सिनेमा में लोगों की रुचि पैदा करने के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान किया। गिरीश कारनंद (कन्नड़), विजय तेंदुलकर (मराठी) आदि इस काल के प्रसिद्ध नाटककार हैं। मुलख राज आनन्द, राजा राऊ, आर० के० नारायण ने अंग्रेज़ी भाषा में नाटक लिखे।

रवीन्द्र नाथ टैगोर भी इस काल के प्रसिद्ध नाटककार थे। उनकी रचनाओं में प्राचीन भारतीय परम्पराओं तथा यूरोप की नव-जागृति का सुन्दर मिश्रण मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा राष्ट्रीय जागृति लाने तथा अन्तर्राष्ट्रीय मानववाद को विकसित करने का प्रयास किया।

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प्रश्न 4.
फोर्ट सेंट जार्ज पर नोट लिखो।
उत्तर-
फोर्ट सेंट जार्ज चेन्नई में स्थित है। यह भारत में पहला अंग्रेज़ी किला था। इसका निर्माण 1639 ई० में हुआ था। इसका नाम सेंट जार्ज के नाम पर रखा गया था। शीघ्र ही यह किला अंग्रेज़ों की व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया। कर्नाटक क्षेत्र में अंग्रेजों का प्रभाव स्थापित करने में इसका काफ़ी योगदान रहा। आजकल इस भवन में तमिलनाडु राज्य की विधानसभा तथा सचिवालय (सेक्रेट्रिएट) के दफ़्तर स्थित हैं। इस किले की चारदीवारी पर टीपू सुल्तान के चित्र मौजूद हैं जो इसकी शोभा बढ़ाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं तथा 20वीं सदी के आरम्भ में चित्रकारी कला के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं सदी तथा 20वीं सदी के आरम्भ में कला स्कूलों तथा कला ग्रुपों द्वारा भारतीय चित्रकारी के क्षेत्र में अनेक परिवर्तन आये। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है

1. राजा रवि वर्मा-राजा रवि वर्मा चित्रकला में अति निपुण था। वह केवल चित्रकला में ही नहीं अपितु मूर्तियाँ बनाने में भी प्रवीण था। उसने यूरोपियन प्रकृतिवाद को भारतीय पौराणिक कथा तथा किस्सों (कहानियों) के साथ मिला कर चित्रित किया। उसके द्वारा बनाये गये चित्र भारत में महाकाव्यों तथा संस्कृत साहित्य से सम्बन्धित हैं। उसने भारत के अतीतकाल को चित्रों के माध्यम से प्रकट किया है।

2. बंगाल का कला स्कूल-रवीन्द्रनाथ टैगोर तथा हावैल कुमार स्वामी ने बंगाल कला स्कूल को प्रफुल्लित करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। इस स्कूल के प्रसिद्ध चित्रकारों ने भारतीय पौराणिक कथाओं, महाकाव्यों तथा पुरातन साहित्य पर आधारित चित्र बनाये। उन्होंने जल रंगों से छोटे चित्र बनाये। रवीन्द्र नाथ टैगोर ने जापानी तकनीक में जल रंगों का उपयोग किया। उन्होंने शान्ति-निकेतन में कला-भवन की स्थापना की।

3. अमृता शेरगिल तथा जॉर्ज कीट- अमृता शेरगिल तथा जॉर्ज कीट भी प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार थे। उन्हें आधुनिक यूरोपियन कला, आधुनिक जीव-आत्मा तथा हाव-भाव के बारे में अधिक जानकारी थी। अमृता शेरगिल के तैलचित्रों के शीर्षक भिन्न-भिन्न थे तथा उनके रंग विचित्र थे। परन्तु उनमें भारतीय नारियों की आकृतियां बनाई गई थीं। जॉर्ज कीट द्वारा पित्रों में प्रयुक्त रंग-शैली बहुत ही प्रभावशाली थी।

4. रवीन्द्र नाथ टैगोर-रवीन्द्र नाथ टैगोर के चित्र उनके अपने अनुभव पर आधारित थे। उन्होंने जल रंगों तथा रंगदार चाक से रेखांकित अनेक चित्र बनाए।

5. बम्बई के प्रसिद्ध कलाकार-फ्रांसिस न्यूटन सुज़ा इस स्कूल का एक प्रसिद्ध कलाकार था। उसने प्रभावशाली रंगों से विभिन्न नमूनों (मॉडलों) के चित्र बनाए। के० एच० अरा द्वारा बनाए गए फूलों तथा नारियों के चित्र अपने रंगों तथा विलक्षणता के कारण प्रसिद्ध हैं। एस० के० बेकर, एच० ए० गेड तथा एम० एफ० हुसैन आदि बम्बई के अन्य प्रसिद्ध चित्रकार हैं।

6. बड़ौदा (बड़ोदरा) यूनिवर्सिटी का आर्ट स्कूल-जी० आर० सन्तोष, गुलाम शेख, शान्ति देव आदि इस स्कूल के प्रसिद्ध चित्रकार हैं। प्रत्येक कलाकार का चित्र बनाने का अपना ही ढंग है; परन्तु प्रत्येक कलाकार के काम में आधुनिकता के दर्शन होते हैं।

7. मद्रास का कला स्कूल-यह स्कूल स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद डी० आर० चौधरी तथा के० सी० एस० पणिकर के मार्गदर्शन में प्रफुल्लित हुआ। इस स्कूल के अन्य प्रसिद्ध कलाकार सतीश गुजराल, राम कुमार, के० जी० सुब्रह्मण्यम
इन सब कला स्कूलों के अतिरिक्त नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में आधुनिक कला के नमूने देखने को मिलते हैं। ललित कला अकादमी ने वज़ीफ़े (छात्रवृत्तियां), ग्रांटें (अनुदान) आदि प्रदान करके कलाकारों को प्रोत्साहित किया है।

प्रश्न 2.
19वीं तथा 20वीं सदी के आरम्भ में प्रेस के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
अंग्रेजी राज से पूर्व भारत में कोई छापाखाना नहीं था। मुग़लों के शासन-काल में अख़बार (समाचार-पत्र) हाथ से लिखे होते थे, जिन्हें मुग़ल बादशाह तथा धनी व्यापारी अपने उपयोग के लिए तैयार करवाते थे। भारत में सर्वप्रथम छापाखाना 1557 ई० में पुर्तगालियों ने स्थापित किया। परन्तु उनका उद्देश्य केवल ईसाई साहित्य छाप कर ईसाई मत का प्रचार करना था।

1857 तक प्रेस का विकास-

(1) लॉर्ड हेस्टिंग्ज़ की प्रेस सम्बन्धी उदार नीति के कारण कलकत्ता तथा दूसरे नगरों में कई समाचार-पत्र छपने लगे। एक प्रसिद्ध पत्रकार जे० एस० ने 1818 ई० में ‘कलकत्ता जरनल’ नाम का समाचार-पत्र छापना आरम्भ किया। इसी समय ही सेरामपुर में जी० सी० मार्शमैन ने ‘दर्पण’ तथा ‘दिग्दर्शन’ नाम के समाचार-पत्र छापने आरम्भ किये।

(2) 1821 ई० में राजा राम मोहन राय ने बंगला भाषा में ‘संवाद-कौमुदी’ तथा 1822 ई० में फ़ारसी भाषा में ‘मिरत-उल-अख़बार’ नाम के दो समाचार-पत्र छापने आरम्भ किये। इसी समय फ़रदूनज़ी मुरज़बान ने गुजराती भाषा में ‘बंबे समाचार’ नाम का अख़बार छापना शुरू किया।

1857 ई० के बाद प्रेस का विकास-1857-58 ई० में भारत के भिन्न-भिन्न भागों में काफ़ी संख्या में नये समाचार-पत्र छपने लगे। तत्पश्चात् 1881-1907 ई० के काल में प्रेस का बहुत अधिक विकास हुआ। उदाहरण के लिए बाल गंगाधर तिलक ने मराठी भाषा में ‘केसरी’ तथा अंग्रेजी भाषा में ‘मराठा’ नामक अखबार छापने शुरू किये। बंगाल – में घोष भाइयों के प्रयत्नों से ‘युगान्तर’ तथा ‘वन्दे मातरम्’ नाम के समाचार-पत्र छपने आरम्भ हुए जो अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाने लगे। इस काल में कई मासिक-पत्र भी छपने लगे। इनमें 1899 ई० से ‘दि-हिन्दुस्तान-रिव्यू’, 1900 ई० से ‘दि-इण्डियन रिव्यू’ तथा 1907 ई० से ‘दि-मॉडर्न-रिव्यू’ आदि शामिल थे।

प्रश्न 3.
विषय अध्ययन-मुम्बई तथा चेन्नई का वर्णन करें।
उत्तर-
बम्बई को आजकल मुम्बई तथा मद्रास को चेन्नई कहा जाता है। ये दोनों नगर अंग्रेज़ी शासन काल में प्रमुख प्रेजीडेंसियां बन गई थीं। शीघ्र ही ये नगर राजनीतिक, व्यापारिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र भी बन गये। इन दोनों नगरों ने ललित कलाओं (संगीत तथा नृत्य आदि) में बहुत अधिक उन्नति की।

1. मुम्बई-1668 ई० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन बम्बई राजनीतिक तथा व्यापारिक गतिविधियों के स्थान पर सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया था। इस नगर को शाही संरक्षण मिलने के कारण यहां कई नये स्कूल तथा कॉलेज खोले गये। सभी ललित कलाओं-संगीत, नृत्य तथा नाटक का सर्वपक्षीय विकास हुआ। नई लेखन-कला का विकास होने से साहित्य के क्षेत्र में तीव्र गति से वृद्धि हुई। इसके अतिरिक्त साहित्य, चित्रकला तथा भवन निर्माण कला की नई शैलियों का विकास हुआ।

मुंबई के भवन-मुम्बई के भवन-निर्माण कला के विभिन्न नमूने आज भी हमें उपनिवेशवादी (अंग्रेज़ी) शासकों की याद दिलाते हैं। ये सभी भवन भारतीय-यूरोपियन शैली में बने हुए हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है

(i) प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम-प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम को आजकल ‘छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तुसंग्रहालय’ कहा जाता है। यह गेटवे ऑफ़ इण्डिया के समीप दक्षिणी मुम्बई में स्थित है। इसे 20वीं शताब्दी के आरम्भ में प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ तथा ब्रिटेन के शासक एडवर्ड सातवें की भारत यात्रा की याद में बनाया गया था। इसे बनाने का काम 1909 ई० में एक प्रसिद्ध शिल्पकार जॉर्ज विलटेट को सौंपा गया था। यह भवन 1915 ई० में बनकर तैयार हुआ। इस अजायबघर की निर्माण कला में भवन-निर्माण सम्बन्धी कई तत्त्वों का सुन्दर मिश्रण है। इस प्रमुख भवन की तीन मंज़िलें हैं तथा सबसे ऊपर गुम्बद बना हुआ है। यह गुम्बद आगरे के ताजमहल के गुम्बद से मिलता-जुलता है। इसकी बाहर निकली हुई बाल्कोनियां तथा जुड़े हुए फर्श मुग़लों के महलों (प्रासादों) से मेल खाते हैं। इस अजायबघर में सिन्धु घाटी की सभ्यता की कारीगरी के नमूने तथा प्राचीन भारत के स्मारक देखे जा सकते हैं।

(ii) गेटवे ऑफ़ इण्डिया गेटवे ऑफ़ इण्डिया, अरब सागर के तट पर प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम के समीप स्थित है। इसे जॉर्ज विलटेट तथा उसके मित्र जॉन बेग ने बनाया था। इसका निर्माण 1911 ई० में जॉर्ज पंचम तथा रानी मैरी की भारत में दिल्ली दरबार यात्रा की याद में किया गया था।

(iii) विक्टोरिया टर्मिनस-विक्टोरिया टर्मिनस 1888 ई० में बना था। अब यह छत्रपति शिवाजी के नाम से जाना जाता है। आरम्भ में इसका नाम ब्रिटेन की शासिका क्वीन विक्टोरिया के नाम पर रखा गया था। इसका नमूना प्रसिद्ध अंग्रेज़ शिल्पकार एफ० डब्ल्यू स्टारस (स्टीवन्स) द्वारा तैयार किया गया था। इसे बनाने में लगभग 10 साल का समय लगा था। मार्च 1996 ई० में इसे ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ का नाम दिया गया। 2 जुलाई, 2004 ई० को इसे ‘यूनेस्को (UNESCO) विश्व धरोहर (विरासत)’ में सम्मिलित कर लिया गया।

(iv) मुम्बई के अन्य भवन-पीछे लिखे भवनों के अतिरिक्त मुम्बई में अन्य महत्त्वपूर्ण भवन-जनरल पोस्ट ऑफिस, म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, राजाभाई टावर, बम्बई यूनिवर्सिटी, एल्फाइन स्टोन कॉलेज आदि हैं। ये सभी भवन 19वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी के आरम्भ में बनाए गए थे।

2. चेन्नई-चेन्नई (मद्रास) का निर्माण 1639 ई० में स्थानीय राजा से भूमि लेकर किया गया था। 1658 ई० में यह एक महानगर के रूप में विकसित हुआ और एक प्रेजीडेंसी बन गया। इस नगर में दक्षिण भारत की सभी प्रकार की कलाओं जैसे कि संगीत तथा नृत्य आदि का विकास हुआ। 19वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक चेन्नई में .. बहुत-से भवनों का निर्माण किया गया। यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्नलिखित हैं

(i) चेन्नई के समुद्री तट-चेन्नई के समुद्री तट बहुत प्रसिद्ध हैं। इनमें से मैरीना समुद्री तट विशेष रूप से विख्यात है। यह लगभग 6 किलोमीटर लम्बा है। इसके सामने कई प्रमुख भवन स्थित हैं। वी० जी० पी० गोल्डन बीच एक अन्य प्रसिद्ध बीच है। यहां खिलौना रेलगाड़ी होने के कारण प्रायः बच्चों की भीड़ लगी रहती है।

(ii) फ़ोर्ट सेंट जॉर्ज-फोर्ट सेंट जॉर्ज भारत में प्रथम अंग्रेज़ी किला था। इसका निर्माण 1639 ई० में किया गया था और इसका नाम सेंट जॉर्ज के नाम पर रखा गया। यह शीघ्र ही अंग्रेजों की व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया। अंग्रेज़ों का कर्नाटक क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने में इस किले का विशेष योगदान रहा। आजकल इस भवन में तमिलनाडु राज्य की विधानसभा तथा सचिवालय के दफ्तर स्थित हैं। टीपू सुल्तान के चित्र इस किले की चारदीवारी की शोभा बढ़ाते हैं।

(iii) वार मेमोरियल-वार मेमोरियल भी एक सुन्दर भवन है जिसे चेन्नई में बनाया गया था। इसका निर्माण प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में किया गया था।

(iv) हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय)-चेन्नई में हाई कोर्ट का भवन 1892 ई० में बनाया गया था। यह संसार का दूसरा प्रसिद्ध न्यायिक काम्प्लेक्स है। इसके गुंबद तथा बरामदे भारत-यूरोपियन भवन-निर्माण कला के उत्तम नमूने हैं।

(v) अन्य प्रसिद्ध भवन-चेन्नई में बने ब्रिटिश काल के अन्य प्रसिद्ध भवन जॉर्ज टावर, सन्त टॉमस (थॉमस) कैथेडरल बैसीलिका (सेंट टॉमस कैथेडरल बेसीलिका), प्रेजीडेंसी कॉलेज, रिपन बिल्डिंग, चेन्नई सेंट्रल स्टेशन, दक्षिणी रेलवे हैडक्वार्टर्ज़ आदि हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

SST Guide for Class 8 PSEB राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन कहां तथा किसकी प्रधानगी के अन्तर्गत हुआ तथा इसमें कितने प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था ?
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर, 1885 तक बोमेश चन्द्र बैनर्जी की प्रधानगी (अध्यक्षता) में हुआ। इसमें 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

प्रश्न 2.
बंगाल का विभाजन कब तथा किस गवर्नर-जनरल के समय में हुआ ?
उत्तर-
बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लार्ड कर्जन के समय में हुआ।

प्रश्न 3.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब तथा किसने की थी ?
उत्तर-
मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर, 1906 ई० को मुस्लिम नेताओं ने की थी। इसके मुख्य नेता सर सैय्यद अहमद खां, सलीम-उला खां तथा नवाब मोहसिन आदि थे।

प्रश्न 4.
गदर पार्टी की स्थापना कब, कहां तथा किसके द्वारा की गई ?
उत्तर-
गदर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में अमेरिका तथा कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने की। इसकी स्थापना सान फ्रांसिस्को में हुई।

प्रश्न 5.
स्वदेशी तथा बहिष्कार आन्दोलन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
स्वदेशी तथा बहिष्कार आन्दोलन का आरम्भ 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन करने से बंगाल में हुआ। परन्तु शीघ्र ही यह भारत के अन्य भागों में भी फैल गया। इस आन्दोलन का नेतृत्व सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी, विपिन चन्द्र पाल तथा बाल गंगाधर तिलक आदि प्रमुख नेताओं ने किया था। भारत में स्थान-स्थान पर सार्वजनिक सभाएँ की गईं। इन सभाओं में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की शपथ ली गई। दुकानदारों को विदेशी माल बेचने तथा ग्राहकों को विदेशी माल न खरीदने के लिए विवश किया गया। भारत में अनेक स्थानों पर विदेशी कपड़े की होली जलाई गई। राष्ट्रवादी समाचार-पत्रों में भी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए प्रचार किया गया। स्वदेशी एवं बहिष्कार आन्दोलन का लोगों के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने भारतीयों के मन में राष्ट्रीय भावनाओं को प्रबल बनाया।

प्रश्न 6.
क्रान्तिकारी आन्दोलन पर नोट लिखो।
उत्तर-
नरम दल के नेताओं की असफलता तथा गरम दल के नेताओं के प्रति सरकार की दमनकारी नीति के कारण भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन का उदय हुआ। क्रान्तिकारी नेताओं का मुख्य उद्देश्य भारत में से ब्रिटिश शासन का अन्त करना था। इसके लिए उन्होंने देश में कई गुप्त संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में क्रान्तिकारियों को शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। इनके मुख्य केन्द्र महाराष्ट्र, बंगाल तथा पंजाब आदि में थे।

पंजाब में क्रान्तिकारी आन्दोलन के मुख्य नेता सरदार अजीत सिंह, पिंडी दास, सूफ़ी अम्बा प्रसाद तथा लाल चन्द फ़लक थे। इनके नेतृत्व में कई नगरों में हिंसक कार्यवाहियां की गईं। भारत के अतिरिक्त विदेशों अर्थात् इंग्लैण्ड, अमेरिका तथा कैनेडा (कनाडा) आदि में भी क्रान्तिकारी आन्दोलन चलाये गए। इंग्लैण्ड में श्याम जी कृष्ण वर्मा ने इण्डियन होमरूल सोसायटी की स्थापना की। यह सोसायटी क्रान्तिकारियों की गतिविधियों का केन्द्र बनीं। अमेरिका में लाला हरदयाल ने गदर पार्टी की स्थापना की।

प्रश्न 7.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य कौन-से थे ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  1. देश के भिन्न-भिन्न भागों में देश हित का काम करने वाले लोगों से सम्पर्क एवं मित्रता स्थापित करना।
  2. भारतीयों में जातिवाद, प्रान्तवाद तथा धार्मिक भेदभाव का अन्त करके एकता की भावना पैदा करना।
  3. लोगों के कल्याण के लिए सरकार के सामने मांग-पत्र तथा प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना।
  4. देश में सामाजिक तथा आर्थिक सुधार के लिए सुझाव एकत्रित करना।।
  5. आगामी 12 मास के लिए, राष्ट्रवादियों द्वारा देश के हितों के लिए किए जाने वाले कार्यों की रूप-रेखा तैयार करना।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. इंडियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना मि० ए० ओ० ह्यूम ने ……….. ई० में बंबई में की।
2. लार्ड कर्जन ने …………. ई० में बंगाल का विभाजन किया।
3. ………. ने कहा था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं इसे प्राप्त करके ही रहूंगा।”
4. इंडियन नैशनल कांग्रेस का समागम सूरत में ……………ई० में हुआ।
उत्तर-

  1. 1885
  2. 1905
  3. बाल गंगाधर तिलक
  4. 1907.

III. सही जोड़े बनाएं:

क — ख
1. होमरूल आंदोलन – 1914 ई०
2. मुस्लिम लीग – सोहन सिंह भकना
3. मिंटो-मार्ले सुधार – सर सैयद अहमद खां
4. गदर पार्टी – लार्ड कर्जन
5. पहला विश्व युद्ध – 1916 ई०
उत्तर-
क — ख
1. होमरूल आंदोलन – 1916 ई०
2. मुस्लिम लीग – सर सैयद अहमद खां
3. मिंटो-मार्ले सुधार – लार्ड कर्जन
4. गदर पार्टी – सोहन सिंह भकना
5. पहला विश्व युद्ध – 1914 ई०

PSEB 8th Class Social Science Guide राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन (1885) की अध्यक्षता में हुआ-
(i) दादा भाई नौरोजी
(ii) जवाहर लाल नेहरू
(iii) बोमेश चन्द्र बैनर्जी
(iv) ए० ओ० ह्यूम।
उत्तर-
बोमेश चन्द्र बैनर्जी

प्रश्न 2.
1905 ई० में बंगाल का विभाजन किया
(i) लार्ड डलहौज़ी
(ii) लार्ड कर्जन
(iii) लार्ड मैकाले
(iv) लार्ड विलियम बैंटिक।
उत्तर-
लार्ड कर्जन

प्रश्न 3.
मुस्लिम लींग का मुख्य नेता है
(i) सर सैय्यद अहमद खाँ
(ii) सलीम-उला खाँ
(ii) नवाब मोहसिन
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

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प्रश्न 4.
गदर पार्टी की स्थापना (1913 ई०) में हुई-
(i) भारत
(ii) पाकिस्तान
(iii) फ्रांसिसको
(iv) भूटान।
उत्तर-
फ्रांसिसको

प्रश्न 5.
होमरूल आन्दोलन के मुख्य नेता थे-
(i) दादा भाई नौरोजी
(ii) बाल गंगाधर तिलक
(iii) लाला हरदयाल सिंह
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. 1907 के विभाजन के बाद 1916 में कांग्रेस के दोनों दलों में समझौता हो गया।
2. श्रीमती ऐनी बेसेंट तथा बाल गंगाधर तिलक कांग्रेस के उदारवादी नेता थे।
3. कांग्रेस के पहले सभापति बोमेश चन्द्र बैनर्जी थे।
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)

V. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इण्डियन नैशनल कांग्रेस) की स्थापना से पूर्व स्थापित किन्हीं चार राजनीतिक संस्थाओं के नाम बताओ। इनका क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
संस्थाएं-

  • बंगाल ब्रिटिश इण्डियन सोसायटी
  • ब्रिटिश इण्डियन एसोसिएशन
  • इण्डियन एसोसिएशन
  • बॉम्बे प्रेजीडेंसी एसोसिएशन।

उद्देश्य-इन संस्थाओं का उद्देश्य सरकार से भारतीय शासन प्रबन्ध में सुधार की मांग करना तथा भारतीय लोगों के लिए राजनीतिक अधिकार प्राप्त करना था।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय चेतना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
राष्ट्रीय चेतना से अभिप्राय लोगों के मन में यह भावना पैदा करने से है कि वे सभी एक ही राष्ट्र से सम्बन्ध रखते हैं।

प्रश्न 3.
भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने वाले किन्हीं चार समाचार-पत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
बॉम्बे समाचार, अमृत बाजार पत्रिका, द ट्रिब्यून तथा केसरी।

प्रश्न 4.
इलबर्ट बिल किसने और क्यों पेश किया ?
उत्तर-
इलबर्ट बिल लार्ड रिपन ने पेश किया क्योंकि वह भारतीय जजों को अंग्रेज़ जजों के समान दर्जा दिलाना चाहता था।

प्रश्न 5.
भारतीय सभ्यता को महान् बनाने वाले किन्हीं तीन विदेशी विद्वानों के नाम बताओ।
उत्तर-
विलियम जोन्स, मैक्समूलर तथा जैकोबी।

प्रश्न 6.
1885 ई० से 1905 ई० तक के राष्ट्रवादी आन्दोलन को उदारवादी युग क्यों कहा जाता है ? ।
उत्तर-
1885 ई० से 1905 ई० तक के राष्ट्रवादी आन्दोलन को इसलिए उदारवादी युग कहा जाता है क्योंकि इस काल के कांग्रेस के सभी नेता पूरी तरह उदारवादी थे।

प्रश्न 7.
कुछ प्रमुख उदारवादी नेताओं के नाम बताइए।
उत्तर-
फिरोजशाह मैहता, दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले तथा मदन मोहन मालवीय।

प्रश्न 8.
लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन क्यों किया गया ? उसका मनोरथ क्या था ?
उत्तर-
लॉर्ड कर्ज़न का कहना था कि यह विभाजन बंगाल की प्रशासनिक सुविधा के लिए आवश्यक है। परन्तु इसका वास्तविक उद्देश्य भारतीयों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमज़ोर बनाना था।

प्रश्न 9.
कांग्रेस का विभाजन कब किन दो भागों में हुआ ?
उत्तर-
कांग्रेस का विभाजन नरम दल तथा गरम दल में हुआ। यह विभाजन 1907 ई० में सूरत अधिवेशन में हुआ।

प्रश्न 10.
ग़दर आन्दोलन का प्रधान कौन था ? इस आन्दोलन का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
ग़दर आन्दोलन का प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना था। इस आन्दोलन का उद्देश्य क्रान्तिकारी गतिविधियों द्वारा भारत में अत्याचारी अंग्रेजी शासन का अन्त करना था।

प्रश्न 11.
गर्म दल के तीन प्रमुख नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक तथा विपिन चंद्र पाल।

प्रश्न 12.
पंजाब में क्रान्तिकारी आन्दोलन के मुख्य नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
सरदार अजीत सिंह, पिण्डी-दास, सूफ़ी अम्बा प्रसाद तथा लाल चन्द फलक।

प्रश्न 13.
मिण्टो-मार्ले सुधार कब पास हुए ? इनके पीछे सरकार का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
मिण्टो-मार्ले सुधार, 1909 में पास हुए। इनके पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य गरम दल के नेताओं को प्रसन्न करना तथा मुसलमानों को विशेष अधिकार देकर उन्हें हिन्दुओं से अलग करना था।

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प्रश्न 14.
ग़दर पार्टी के समाचार-पत्र का क्या नाम था ? लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापना कहाँ की ?
उत्तर-
ग़दर पार्टी के समाचार-पत्र का नाम ‘ग़दर’ था। लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापना अमेरिका में की।

प्रश्न 15.
होमरूल आन्दोलन के दो मुख्य नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक तथा श्रीमती ऐनी बेसेंट।

प्रश्न 16.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना किसने, कब तथा कहां की ?
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना मि० ए० ओ० ह्यूम ने 28 दिसम्बर, 1885 ई० को मुम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में की।

प्रश्न 17.
इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना किसने और कब की ?
उत्तर-
इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना 1876 ई० में सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी ने की।

प्रश्न 18.
लखनऊ समझौता कब तथा कौन-से दो राजनीतिक दलों के मध्य हुआ था ?
उत्तर-
लखनऊ समझौता 1916 ई० में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के मध्य हुआ था।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारवादियों की सफलताएँ क्या थी ?
उत्तर-

  • उदारवादी नेताओं के प्रयत्नों से प्रतिवर्ष कांग्रेस के अधिवेशन होने लगे। इन अधिवेशनों में भारतीयों की मांगें सरकार के सामने रखी जाती थीं।
  • उदारवादियों ने अपने भाषणों तथा समाचार-पत्रों में दिये अपने लेखों द्वारा भारतीयों में राष्ट्रीय भावना पैदा की।
  • दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले आदि उदारवादी नेता अपनी मांगों का प्रचार करने के लिए इंग्लैण्ड में भी गए।
  • उदारवादियों के प्रयत्नों से 1892 ई० में इंग्लैण्ड की पार्लियामैंट ने इण्डियन कौंसिल्ज़ एक्ट पास किया जिसके अनुसार कानून बनाने वाली परिषदों में भारतीयों को स्थान दिया गया।
  • इनके प्रयत्नों से अंग्रेज़ सरकार ने आई० सी० एस० की परीक्षा लेने का प्रबन्ध भारत में किया।

प्रश्न 2.
बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया ? भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन ने किया। उसका इस विभाजन का वास्तविक उद्देश्य हिन्दुओं तथा मुसलमानों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना था। बंगाल के विभाजन के विरोध में लोगों ने स्थान-स्थान पर जलसे, जलूस तथा हड़तालें कीं। बंगाल के विभाजन के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन भी आरम्भ किया गया।

प्रभाव-इस विभाजन का भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा-

  • बंगाल के विभाजन के कारण भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई।
  • बंगाल के विभाजन से कांग्रेस में गरम दल तथा नरम दल नाम के दो शक्तिशाली दल बन गए।
  • बंगाल विभाजन से राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रसार हुआ।

प्रश्न 3.
1909 ई० के मिण्टो-मार्ले सुधार एक्ट की प्रमुख धाराएँ क्या थी ?
उत्तर-
मिण्टो-मार्ले सुधार एक्ट की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं-

  • गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद् में एस० पी० सिन्हा नामक एक भारतीय सदस्य नियुक्त किया गया।
  • केन्द्रीय विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या 16 से 60 कर दी गई।
  • प्रान्तों की विधान परिषदों के सदस्यों की संख्या 30 से 50 कर दी गई।
  • विधान परिषदों के सदस्यों का चुनाव करने के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की गई। इस चुनाव-प्रणाली के अनुसार सर्वप्रथम लोगों द्वारा नगरपालिकाओं या ज़िला बोर्डों के सदस्यों का चुनाव किया जाता था। ये चुने गये सदस्य आगे प्रान्तों की विधान परिषदों के सदस्यों का चुनाव करते थे।
  • मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की गई। उनके लिए केन्द्रीय विधान परिषद् में 6 स्थान रक्षित किए गए। इन स्थानों के लिए चुनाव केवल मुसलमान मतदाताओं द्वारा ही किया जाता था।

प्रश्न 4.
नरम दल तथा गरम दल की नीतियों में क्या अन्तर था ?
उत्तर-
नरम दल तथा गरम दल की नीतियों में निम्नलिखित अन्तर थे-

  • नरम दल के नेता दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, फिरोजशाह मेहता तथा गोपाल कृष्ण गोखले ब्रिटिश शासन को भारतीयों के लिए वरदान मानते थे जबकि गरम दल के नेता विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय ब्रिटिश शासन को भारतीयों के लिए अभिशाप मानते थे।
  • नरम दल के नेता प्रशासन में सुधार लाने के लिए सरकार को सहयोग देना चाहते थे, जबकि गरम दल के नेता भारत से ब्रिटिश शासन का अन्त चाहते थे।
  • नरम दल के नेता सरकार से अपनी मांगें, प्रस्तावों तथा प्रार्थना-पत्रों द्वारा मनवाना चाहते थे परन्तु गरम दल के नेता अपनी शक्ति द्वारा मांगें मनवाने के पक्ष में थे।

प्रश्न 5.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई ? इसकी स्थापना के क्या कारण थे ?
उत्तर-
30 दिसम्बर, 1906 ई० को मुस्लिम नेताओं ने ‘मुस्लिम लीग’ नाम की अपनी एक अलग राजनीतिक संस्था स्थापित कर ली। इसके मुख्य नेता सर सैय्यद अहमद खां, सलीम-उला-खां तथा नवाब मोहसिन आदि थे।
कारण-मुस्लिम लीग की स्थापना मुख्य रूप से साम्प्रदायिक राजनीति का परिणाम थी। इस संस्था की स्थापना के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

  • मुसलमान अपने हितों की रक्षा के लिए कोई अलग संस्था बनाना चाहते थे।
  • मुस्लिम लीग की स्थापना से अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति सफल होती थी।
  • अरब देशों में वहाबी आन्दोलन आरम्भ होने के साथ भारत में साम्प्रदायिकता की भावना पैदा हो गई थी।
  • मोहम्मडन ऐंग्लो-ओरियंटल कॉलेज के प्रिंसीपल बेक ने साम्प्रदायिकता की भावना को भड़काने के लिए लेख लिखे तथा सर सैय्यद अहमद खाँ ने इस संबंध में प्रचार किया।
  • लार्ड कर्जन ने भी मुसलमानों के मन में साम्प्रदायिकता की भावना पैदा की।

प्रश्न 6.
गरमपंथियों के प्रमुख उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
गरमपंथियों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

1. पूर्ण स्वराज की प्राप्ति-गरमपंथी नेताओं का मुख्य उद्देश्य पूर्ण स्वराज प्राप्त करना था। इसकी मांग बाल गंगाधर तिलक ने की थी। उन्होंने कहा था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके ही रहूँगा।” उनका विचार था कि शासन प्रबन्ध भारतीय परम्पराओं तथा संस्कृति पर आधारित होना चाहिए।

2. भारत तथा इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्ध समाप्त करना-गरमपंथियों का दूसरा मुख्य उद्देश्य भारत तथा इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्धों को समाप्त करना था। विपिन चन्द्र पाल का कहना था, “हम अंग्रेजों के साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखना चाहते। हम भारत में अपनी सरकार चाहते हैं।”

प्रश्न 7.
मुस्लिम लीग के प्रमुख उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
मुस्लिम लीग के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य थे-

  • भारतीय मुसलमानों के हितों की रक्षा करना।
  • अंग्रेज़ी सरकार के प्रति वफ़ादार (राजभक्त) रहना, ताकि अंग्रेज़ उन्हें अधिक-से-अधिक सुविधाएं प्रदान करें।
  • भारतीय मुसलमानों को इण्डियन नैशनल कांग्रेस के प्रभाव से मुक्त करना।
  • मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन मण्डल स्थापित करना।
  • मुसलमानों के लिए अलग राज्य (पाकिस्तान) की मांग करना।

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प्रश्न 8.
अंग्रेजी भाषा का राष्ट्रीयता के विकास पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
प्रशासन की भाषा बन जाने के कारण भारत के लोगों ने अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया। अंग्रेज़ी के माध्यम से पंजाबी, मद्रासी, बंगाली, गुजराती तथा हरियाणवी एक-दूसरे से अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते थे। इस प्रकार अंग्रेजी भाषा ने देश के विभिन्न प्रान्तों के लोगों को एक-दूसरे के समीप लाने में बहुत सहायता की। अंग्रेज़ी भाषा के कारण भारत के लोग पश्चिमी साहित्य से परिचित हो गए। इस साहित्य से उन्हें स्वतन्त्रता, समानता तथा लोकतंत्र के महत्त्व का पता चला। फलस्वरूप वे राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बंध गए और वे अपने देश में स्वतन्त्रता का वातावरण उत्पन्न करने के विषय में सोचने लगे।

प्रश्न 9.
अंग्रेजों द्वारा भारतीयों से असमानता का व्यवहार करने का भारतीय भाषाओं व समाचार-पत्रों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
अंग्रेज़ भारतीयों से असमानता का व्यवहार करते थे। भारतीयों को केवल निम्न सरकारी पद ही दिए जाते थे और वे भी कम वेतन पर। उन्हें ऐसा कोई पद नहीं दिया जाता था जो उत्तरदायित्व से जुड़ा हो। उनके साथ जातीय आधार पर भी भेदभाव किया जाता था। भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचार-पत्र इस अन्याय को सहन न कर सके। अत: उन्होंने ऐसे लेख प्रकाशित करने आरम्भ कर दिए जिनमें जनता के कष्टों का वर्णन किया जाता था। इसे रोकने के लिए सरकार ने कठोर कदम उठाए। फलस्वरूप भारतीय जनता में जागृति आई और राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।

प्रश्न 10.
इण्डियन नेशनल (भारतीय राष्ट्रीय) कांग्रेस में 1907 ई० में किस प्रकार फूट पड़ी ?
उत्तर-
1907 ई० में इण्डियन नेशनल कांग्रेस का सूरत में अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में उदारवादी नेताओं ने स्वदेशी तथा बहिष्कार के प्रस्तावों की निन्दा की। इसके अतिरिक्त सम्मेलन में इण्डियन नेशनल कांग्रेस संस्था के प्रधान पद के चुनाव के प्रश्न पर नरमपंथी तथा गरमपंथी नेताओं में विवाद भी हो गया। नरमपंथी नेता रास बिहारी बोस को प्रधान बनाना चाहते थे परन्तु गरमपंथी नेताओं की पसन्द लाला लाजपतराय थे। वे नरमपंथियों की नीतियों तथा उनके संवैधानिक तरीकों के भी विरुद्ध थे।

अतः उन्होंने इण्डियन नेशनल कांग्रेस से अलग होकर अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए कार्य करना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार कांग्रेस में फूट पड़ गई।

प्रश्न 11.
ग़दर पार्टी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बहुत से भारतीय अमेरिका तथा कनाडा आदि देशों में रहना चाहते थे। परन्तु यहाँ उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता था। अतः उन्होंने यह अनुभव किया कि जब तक वे अपने देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त नहीं करा लेते, तब तक उन्हें विदेशों में सम्मान प्राप्त नहीं हो सकता। अतः उन्होंने भारत को स्वतन्त्र कराने की योजना बनाई। 1913 ई० में उन्होंने एकत्रित होकर सानफ्रांसिस्को (अमेरिका) में ग़दर पार्टी की स्थापना की। सोहन सिंह भकना को इस संस्था का प्रधान बनाया गया। लाला हरदयाल को इस संस्था का सचिव चुना गया।
ग़दर पार्टी का मुख्य उद्देश्य क्रान्तिकारी गतिविधियों द्वारा भारत को स्वतन्त्र कराना था। पार्टी ने अपने विचारों का प्रचार करने के लिए ‘ग़दर’ नाम का एक समाचार-पत्र भी निकाला। इसमें अंग्रेजों के समर्थकों की हत्या, सरकारी कोष लूटना, बम बनाना, रेलवे लाइनों को तोड़ना, टेलिफोन तारों को काटना तथा सैनिकों को विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित करना आदि के बारे में सामग्री छापी जाती थी।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस ( 1885-1905 ई०) की मांगों, कार्यक्रम तथा सरकार के कांग्रेस के प्रति व्यवहार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की प्रमुख मांगें-इण्डियन नैशनल कांग्रेस की मुख्य मांगें निम्नलिखित थीं-

  • केन्द्रीय तथा प्रान्तीय विधान सभाओं में भारतीय लोगों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया जाये।
  • भारतीयों को उनकी योग्यता के अनुसार उच्च पदों पर नियुक्त किया जाए।
  • देश में शिक्षा का प्रसार किया जाए।
  • प्रेस पर लगाए गए अनुचित प्रतिबन्धों को हटाया जाए।
  • कार्यपालिका तथा विधानपालिका को एक-दूसरे से अलग किया जाए।
  • स्थानीय संस्थाओं का विकास किया जाए और उन्हें पहले से अधिक शक्तियां दी जाएं।
  • भारत में भी इंग्लैण्ड के समान आई० सी० एस० की परीक्षा लेने का प्रबन्ध किया जाए।
  • सेना पर किये जा रहे व्यय में कमी की जाए।
  • किसानों से लिए जा रहे भूमि-कर की राशि कम की जाए।
  • सिंचाई की समुचित व्यवस्था की जाए।

इण्डियन नैशनल कांग्रेस का कार्यक्रम-1885 ई० से 1905 तक इण्डियन नैशनल कांग्रेस के सभी नेता उदारवादी सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए क्रान्तिकारी या हिंसात्मक कार्यवाहियां करना पसन्द नहीं करते थे। वे भाषणों, प्रस्तावों तथा प्रार्थना-पत्रों द्वारा अपनी मांगें सरकार के सामने रखते थे। वे कांग्रेस के प्रत्येक अधिवेशन में प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजते थे। उन्हें विश्वास था कि सरकार उनकी मांगों को अवश्य स्वीकार कर लेगी।

सरकार का इण्डियन नैशनल कांग्रेस के प्रति व्यवहार-सरकार चाहती थी कि कांग्रेस उसके अधीन रहे परन्तु ऐसा न हो पाने के कारण सरकार कांग्रेस के विरुद्ध हो गई। सरकार ने सरकारी प्रतिनिधियों के कांग्रेस के अधिवेशनों में भाग लेने पर रोक लगा दी। सरकार द्वारा मुसलमानों को कांग्रेस से अलग करने के भी प्रयास किये जाने लगे। इस प्रकार सरकार ने कांग्रेस के प्रति उपेक्षा की नीति अपनायी।

प्रश्न 2.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना का वर्णन करो।
उत्तर-
19वीं शताब्दी में भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हो गई थी। फलस्वरूप उन्होंने अंग्रेज़ी सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध करने के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में से ज़मींदार सभा (1838 ई०), बम्बई सभा (1852 ई०), पूना सार्वजनिक सभा (1870 ई०), मद्रास (चेन्नई) नेटिव एसोसिएशन (1852 ई०) आदि प्रमुख थीं। इनकी स्थापना अपने-अपने प्रान्तों के हितों की रक्षा करने के लिए की गई थी। धीरे-धीरे भारत के बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रीय स्तर के संगठन की आवश्यकता अनुभव की। अत: 1876 ई० में सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना की।

आई० सी० एस० पास सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी ने राष्ट्रीय स्तर की संस्था की स्थापना के लिए समस्त भारत में स्वराज प्राप्त करने के लिए प्रचार किया तथा अनेक संस्थाएं स्थापित की। इसी समय एक अंग्रेज़ अधिकारी ए० ओ० ह्यूम ने सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी का साथ दिया। उसने लोगों को सलाह दी कि वे अपनी समस्याएं सरकार के आगे प्रस्तुत करें।

इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना-मिस्टर ए० ओ० ह्यूम ने दिसम्बर 1885 ई० में बम्बई (मुम्बई) में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना की। वह एक सेवा मुक्त अंग्रेज़ आई० सी० एस० अधिकारी था। उसे इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पिता भी कहा जाता है। इण्डियन नैशनल कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर 1885 ई० तक मुम्बई में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में ही हुआ। इसके सभापति वोमेश चन्द्र बैनर्जी थे। इस अधिवेशन में देश के भिन्न-भिन्न प्रान्तों से आए 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रश्न 3.
गरम राष्ट्रवाद के उत्थान के बारे में संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
1905 ई० से 1919 ई० तक राष्ट्रीय आन्दोलन का नेतृत्व गरमपंथी नेताओं के हाथों में रहा। गरम दल के उत्थान के अनेक कारण थे जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार हैं-

  • उदारवादियों की असफलता-उदारवादी नेता सरकार से अपनी मांगें पूरी कराने में असफल रहे थे। अतः नवयुवकों ने ठोस राजनीतिक कार्यवाही करने की मांग की।
  • बेरोज़गारी-बहुत से भारतीयों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी परन्तु वे बेरोज़गार थे। अत: उनमें निराशा की भावनाएं पैदा होने लगी और उन्होंने सरकार का विरोध करने के लिए कठोर पग उठाने का निर्णय किया।
  • अंग्रेजों की आर्थिक नीति-अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनाई गई आर्थिक नीति भी गरम राष्ट्रवाद को उत्साहित करने में सहायक हुई।
  • अकाल तथा प्लेग-1896-97 ई० में भारत में अनेक स्थानों पर अकाल पड़ गया। 1897 ई० में पुणे (पूने) के आस पास के क्षेत्रों में प्लेग भी फैल गया। इससे लाखों लोगों की मौत हो गई। ब्रिटिश सरकार ने इस विपत्ति में भारतीयों की कोई सहायता नहीं की। अतः भारतीयों ने गरम नीति पर आधारित आन्दोलन का समर्थन किया।
  • विदेशों में भारतीयों से दुर्व्यवहार- इंग्लैण्ड तथा दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता था। अतः भारत के राष्ट्रवादियों ने भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतन्त्र कराने के लिए शक्तिशाली आन्दोलन चलाया।
  • विदेशी क्रान्तियों से प्रेरणा-फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिका का स्वतन्त्रता-संग्राम, इटली का एकीकरण आदि घटनाओं से भारतीयों को अपना देश स्वतन्त्र कराने की प्रेरणा मिली। अत: उन्होंने गरम राष्ट्रवाद की राह अपनाई।
  • जापान के हाथों रूस की पराजय-1904-05 ई० में जापान तथा रूस के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में रूस जैसा बड़ा देश जापान जैसे छोटे से देश के हाथों पराजित हो गया। जापान की इस जीत ने भारतीयों के मन में अंग्रेज़ों से स्वतन्त्र होने की भावना पैदा की। इससे गर्म राष्ट्रवाद को बल मिला।
  • गरमपंथी नेताओं के भाषण-लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक तथा विपिन चन्द्र पाल जैसे नेताओं ने गरमपंथी आन्दोलन आरम्भ किया। उन्होंने भारतीयों में राष्ट्रीय भावना पैदा करने के लिए स्थान-स्थान पर जलसे किए तथा भाषण दिए। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था, “स्वराज मेरा जन्म-सिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके रहूँगा।” इसी प्रकार के विचार लाला लाजपतराय तथा विपिन चन्द्र पाल ने भी प्रकट किए। इन विचारों के कारण गरम राष्ट्रवाद को और अधिक प्रोत्साहन मिला।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

प्रश्न 4.
लखनऊ समझौते तथा होमरूल आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
लखनऊ समझौता-1914 ई० में यूरोप में प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में अंग्रेज़ मुसलमानों के देश तुर्की के विरुद्ध लड़े। तुर्की का सुल्तान संसार के सभी मुसलमानों का धार्मिक नेता था। अतः मुस्लिम लीग के नेता अंग्रेजों से नाराज होकर इण्डियन नैशनल कांग्रेस के साथ मिल गए। 1916 ई० में दोनों पार्टियों के बीच लखनऊ में एक समझौता हुआ जिसके अनुसार इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए अलग प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया। अत: दोनों संस्थाओं ने मिल कर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेना आरम्भ कर दिया। इससे राष्ट्रीय आन्दोलन को नई शक्ति मिली।

होमरूल आन्दोलन-1916 ई० में श्रीमती ऐनी बेसेंट ने मद्रास में तथा बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में होमरूल लीग की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में होमरूल या स्वराज की स्थापना करना तथा भारतीयों के मन में स्वराज के प्रति जागरूकता पैदा करना था। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था……. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं इसे प्राप्त करके ही रहूँगा।’ परिणामस्वरूप भारत मन्त्री मि० मांटेगू ने अगस्त, 1917 ई० में घोषणा की कि अंग्रेज़ सरकार भारत में स्व-शासन की संस्थाएं स्थापित करेगी तथा धीरे-धीरे स्वशासन की स्थापना की जाएगी। इस आश्वासन के कारण होमरूल आन्दोलन धीरे-धीरे शान्त हो गया।

प्रश्न 5.
भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा होने के कारणों का वर्णन करो।
उत्तर-
19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। राष्ट्रीय चेतना से अभिप्राय किसी राष्ट्र के नागरिकों में पाई जाने वाली उस भावना से है जिससे उन्हें यह अनुभव हो कि वे सब एक ही राष्ट्र से सम्बन्ध रखते हैं। भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा होने के अनेक कारण थे जिनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

1. 1857 ई० के महान् विद्रोह का प्रभाव-भारतीय लोगों ने अंग्रेजी शासन को समाप्त करने के लिए 1857 ई० में अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध विद्रोह किया था। इस विद्रोह को अंग्रेज़ों ने कठोरता से दबा दिया था। इसके बाद वे भारतीय लोगों पर अत्याचार करने लगे। इस कारण भारतीय लोगों के मन में अपने देश को अंग्रेजी शासन से मुक्त कराने की भावना उत्पन्न हुई।

2. प्रशासनिक एकता-अंग्रेज़ी सरकार ने समस्त भारत में एक सी शासन प्रणाली एवं कानून व्यवस्था लागू की। इसके फलस्वरूप भारत के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले लोग अपने आपको एक देश के नागरिक समझने लगे जिससे उनमें राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई।

3. सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन-19वीं शताब्दी में भारत के विभिन्न प्रान्तों में अनेक सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन चले। राजा राममोहन राय (ब्रह्म समाज), स्वामी दयानन्द (आर्य समाज), श्री सद्गुरु राम सिंह जी (नामधारी लहर) आदि सभी समाज-सुधारकों ने समाज में फैली हुई बुराइयों की निन्दा की। उन्होंने भारतीय लोगों में इन बुराइयों का अन्त करने के लिए सामाजिक-धार्मिक जागृति उत्पन्न की जिसने राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया।

4. पश्चिमी शिक्षा एवं साहित्य-भारतीय लोगों ने विदेशी लेखकों जैसे कि मिल्टन, मिल तथा बर्न आदि की पुस्तकें पढ़ीं और अपने राजनीतिक अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त की। रूसो, वाल्टेयर तथा मैकाले आदि विद्वानों के विचारों ने भारतीय लोगों में स्वतन्त्रता, समानता तथा भ्रातृ-भाव की भावना एवं राष्ट्रीय-चेतना पैदा की।

5. भारतीय लोगों का आर्थिक शोषण-अंग्रेज़ व्यापारी अधिक-से-अधिक धन कमाने के लिए भारतीय लोगों से कम कीमत पर कच्चा माल खरीद कर इंग्लैंड भेजते थे तथा वहां के कारखानों में तैयार माल भारत में लाकर ऊंचे दामों पर बेचते थे। इससे भारत के लघु उद्योगों में तैयार की गई वस्तुओं की बिक्री बन्द हो गई। कच्चा माल न मिलने के कारण लघु उद्योगों का पतन होने लगा। परिणामस्वरूप भारतीय कारीगर बेरोज़गार हो गए। किसानों से भी भारी भूमि-कर लिया जाता था जिसके कारण किसानों को अपनी भूमियां बेचनी पड़ गईं। इस प्रकार वे भी बेरोज़गार हो गए।

6. भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त न करना-अंग्रेजी सरकार भारतीय लोगों को योग्यतानुसार उच्च पदों पर नियुक्त नहीं करती थी। अतः उनमें अंग्रेजों के प्रति रोष पैदा हो गया। इसके अतिरिक्त समान स्तर की नौकरी करने वाले अंग्रेज़ कर्मचारियों की अपेक्षा भारतीय कर्मचारियों को कम वेतन तथा भत्ते दिए जाते थे। अतः भारतीय कर्मचारियों का मन दुखी था। इस बात ने भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना पैदा करने में सहायता दी।

7. भारतीय समाचार-पत्र एवं साहित्य-भारत में अंग्रेज़ी तथा देशी भाषाओं में अनेक प्रकार के समाचार-पत्र, पत्रिकाएं तथा पुस्तकें छपने से लोगों की जानकारी में वृद्धि हुई। बॉम्बे समाचार, अमृत बाज़ार पत्रिका, द ट्रिब्यून, केसरी आदि के माध्यम से देश-विदेश के समाचारों की जानकारी प्राप्त होने से लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। इसके अतिरिक्त अनेक देश-भक्ति की रचनाएं जैसे कि बंकिम चन्द्र चैटर्जी का ‘आनन्द मठ’ तथा उसका गीत ‘वन्दे मातरम्’ लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय हो गए। रवीन्द्र नाथ टैगोर, हेमचन्द्र बैनर्जी तथा केशव चन्द्र सेन की कविताओं तथा लेखों द्वारा भी भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई।

8. यातायात तथा संचार के साधन-रेल, डाक एवं तार आदि यातायात तथा संचार के साधनों का विकास होने से देश के एक भाग से दूसरे भाग में जाना अति सरल हो गया था। इससे भारतीय लोगों में विचारों का आदान-प्रदान हुआ। वे अपनी कठिनाइयों का समाधान करने के लिए मिल कर प्रयत्न करने की सोचने लगे।

9. इलबर्ट बिल का विरोध-गवर्नर जनरल लार्ड रिपन प्रथम अंग्रेज़ अधिकारी था जो भारतीयों के प्रति सहानुभति रखता था। वह भारतीय जजों को अंग्रेजों के समान अधिकार दिलाना चाहता था। अतः उसने इलबर्ट बिल पास कराना चाहा। परन्तु अंग्रेजों ने इस बिल का विरोध किया। इससे भारतीय लोग अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।

10. प्राचीन साहित्य का अध्ययन-विलियम जोन्स, मैक्समूलर, जैकोबी आदि प्रसिद्ध यूरोपियन विद्वानों ने प्राचीन भारतीय साहित्य का अध्ययन किया। इन विद्वानों ने सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति महान् है। अत: भारतीय लोगों को अपने देश तथा अपनी संस्कृति पर गर्व होने लगा। इससे भारतीय लोगों में राष्ट्रीय भावना पैदा हुई।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

SST Guide for Class 8 PSEB बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
बस्तीवाद से क्या भाव है ?
उत्तर-
बस्तीवाद से भाव है- किसी देश पर किसी दूसरे देश द्वारा राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक रूप से अधिकार करना।

प्रश्न 2.
भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना होने से कौन-से नये कस्बों का उत्थान हुआ ?
उत्तर-
बम्बई कलकत्ता तथा मद्रास

प्रश्न 3.
मद्रास शहर में दर्शनीय स्थान कौन-से हैं ?
उत्तर-
गिरजाघर, भवन, स्मारक, सुन्दर मन्दिर तथा समुद्री तट।

प्रश्न 4.
बम्बई (मुम्बई) शहर के दर्शनीय स्थानों के नाम लिखो।
उत्तर-
जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, मालाबार हिल, जहांगीरी आर्ट गैलरी, अजायब घर, बम्बई यूनिवर्सिटी, महालक्ष्मी मन्दिर, विक्टोरिया बाग़, कमला नेहरू पार्क इत्यादि।

प्रश्न 5.
अंग्रेजों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी कब तथा कहां स्थापित की ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी 1695 ई० में कलकत्ता में स्थापित की।

प्रश्न 6.
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में सबसे पहले कौन-से तीन शहरों में नगरपालिकाएं स्थापित की गईं ?
उत्तर-
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में नगरपालिकाएं सबसे पहले मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता में स्थापित की गईं।

प्रश्न 7.
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण की स्थापना किस अंग्रेज़ अफ़सर ने की ?
उत्तर-
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना लार्ड डल्हौजी ने की।

प्रश्न 8.
अंग्रेज़ी राज्य के समय भारत में पुलिस की व्यवस्था किस गवर्नर-जनरल ने शुरू की ?
उत्तर-
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में पुलिस की व्यवस्था लार्ड कार्नवालिस ने शुरू की।

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प्रश्न 9.
भारत में प्रथम रेलवे लाइन किसके द्वारा, कब तथा कहां से कहां तक बनाई गई ?
उत्तर-
भारत में प्रथम रेलवे लाइन 1853 ई० में लार्ड डल्हौजी द्वारा बनाई गई। यह बम्बई से लेकर थाना शहर तक बनाई गई थी।

प्रश्न 10.
मद्रास शहर के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
मद्रास शहर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है और यह तमिलनाडु राज्य की राजधानी है। यह नगर भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा स्थापित तीन केन्द्रों-बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रासमें से एक था। यह ईस्ट इंडिया कम्पनी की प्रेजीडेंसी का भी एक केन्द्र था। कम्पनी के इस केन्द्र की स्थापना 1639 में फ्रांसिस डे ने की थी। पहले कर्नाटक युद्ध में फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों से मद्रास शहर छीन लिया था। परन्तु युद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों को यह शहर वापस मिल गया था। कर्नाटक के युद्ध में अंग्रेजों की अन्तिम जीत के कारण मद्रास एक महत्त्वपूर्ण तथा समृद्ध नगर बन गया था।

शीघ्र ही यह नगर एक बन्दरगाह नगर तथा औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित हो गया। यहां अनेक दर्शनीय स्थल (देखने योग्य स्थान) हैं। इनमें गिरजाघर, भवन, स्मारक, सुन्दर मन्दिर तथा समुद्री तट शामिल हैं।

प्रश्न 11.
अंग्रेजी शासन काल में पुलिस व्यवस्था किस प्रकार की थी ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों के शासनकाल में लार्ड कार्नवालिस ने देश में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस विभाग की स्थापना की। उसने ज़मींदारों से पुलिस के अधिकार छीन लिये। 1792 ई० में उसने बंगाल के जिलों को थानों में बांट दिया। प्रत्येक थाने का मुखिया दरोगा नामक पुलिस अधिकारी होता था। वह ज़िला मैजिस्ट्रेट के अधीन काम करता था। 1860 ई० में अंग्रेज़ी सरकार ने देश के सभी प्रान्तों में एक जैसा पुलिस प्रबन्ध स्थापित करने के लिए एक पुलिस कमीशन नियुक्त किया। उसकी सिफ़ारिशों पर सिविल पुलिस, इन्सपेक्टर जनरल पुलिस तथा प्रत्येक जिले में पुलिस सुपरिंटेंडेंट तथा सहायक पुलिस सुपरिटेंडेंट नियुक्त किये गए। उनके अधीन पुलिस इंस्पेक्टर, हैड कान्सटेबल आदि अधिकारी काम करते थे। इन पदों पर प्रायः अंग्रेज़ अधिकारी ही नियुक्त किये जाते थे। पुलिस का यह ढांचा थोड़ेबहुत परिवर्तनों के साथ आज भी जारी है।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. प्राचीनकाल में ………. तथा मोहनजोदड़ो दो प्रसिद्ध उन्नत शहर थे।
2. …………… मुग़ल बादशाह अकबर की राजधानी थी
3. ………… का वर्तमान नाम चेन्नई है।
4. लार्ड ……… ने देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग की स्थापना की।
उत्तर-

  1. हड़प्पा
  2. फतेहपुर सीकरी
  3. मद्रास
  4. कार्न-वालिस।

III. सही जोड़े बनाएं :

क – ख

1. शाहजहाँ के राज्यकाल में दिल्ली – इंद्रप्रस्थ
2. इंजीनियरिंग कॉलेज – कोलकाता
3. पश्चिम बंगाल की राजधानी – रूड़की
4. महाकाव्य काल में दिल्ली – शाहजहानाबाद
उत्तर-
1. शाहजहाँ के राज्यकाल में दिल्ली – शाहजहानाबाद
2. इंजीनियरिंग कॉलेज – रूड़की
3. पश्चिम बंगाल की राजधानी – कोलकाता
4. महाकाव्य काल में दिल्ली – इंद्रप्रस्थ

PSEB 8th Class Social Science Guide बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, जहाँगीरी आर्ट गैलरी आदि दर्शनीय स्थल हैं-.
(i) मद्रास
(ii) बम्बई
(iii) कलकत्ता
(iv) दिल्ली ।
उत्तर-
बम्बई

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प्रश्न 2.
अंग्रेजों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (1695 ई० में) स्थापित की
(i) मद्रास
(ii) बम्बई
(iii) कलकत्ता
(iv) दिल्ली ।
उत्तर-
कलकत्ता

प्रश्न 3.
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना की-
(i) लार्ड कार्नवालिस
(i) लार्ड विलियम बैंटिक
(iii) लार्ड डलहौज़ी
(iv) लार्ड मैकाले।
उत्तर-
लार्ड डलहौज़ी

प्रश्न 4.
भारत में अंग्रेज़ी राज्य के समय पुलिस व्यवस्था आरम्भ की
(i) लार्ड कार्नवालिस
(ii) लार्ड डलहौज़ी
(iii) लार्ड विलियम बैंटिक
(iv) लार्ड मैकाले।
उत्तर-
लार्ड कार्नवालिस

प्रश्न 5.
अंग्रेज़ी सरकार ने (1687-88 ई० में) सबसे पहले नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना की –
(i) बम्बई नगर
(ii) दिल्ली नगर
(iii) कलकत्ता नगर
(iv) मद्रास नगर।
उत्तर-
मद्रास नगर

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. अंग्रेजों ने 1911 में कलकत्ता को अपनी राजधानी बनाया।
2. मध्यकाल में अकबर ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया।
3. भारत में पहली रेलवे लाइन 1853 ई० में बनी।
उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)

V. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
शहरी परिवर्तन से क्या भाव है ?
उत्तर-
जब किसी देश की राजनीतिक दशा में परिवर्तन होता है, तो उस देश के कस्बों तथा शहरों की स्थिति और महत्त्व में बदलाव आ जाता है। इसे शहरी परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्राचीन काल के किन्हीं दो उन्नत शहरों के नाम बताओ जो अब पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं।
उत्तर-
हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो।

प्रश्न 3.
व्यापारिक केन्द्र के रूप में सूरत का महत्त्व क्यों कम हो गया ?
उत्तर-
व्यापारिक केन्द्र के रूप में सूरत का महत्त्व बम्बई के बंदरगाह तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी की राजनीतिक शक्ति का केन्द्र बनने से कम हुआ। अब सूरत के अधिकतर व्यापारी मुम्बई में चले गये।

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प्रश्न 4.
मद्रास नगर कहां स्थित है और इसका वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
मद्रास नगर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है।

प्रश्न 5.
बंबई नगर कहां स्थित है और इसका वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
बंबई नगर महाराष्ट्र राज्य में अरब सागर के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम मुम्बई है।

प्रश्न 6.
कलकत्ता का वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
कलकत्ता का वर्तमान नाम कोलकाता है।

प्रश्न 7.
तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा पश्चिमी बंगाल राज्यों की राजधानियों के नाम बताओ।
उत्तर-
क्रमशः चेन्नई, मुम्बई तथा कोलकाता।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने दिल्ली को अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी कब बनाया था ? इससे पहले उनकी राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने 1911 ई० में दिल्ली को अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी बनाया था। इससे पहले उनकी राजधानी कलकत्ता थी।

प्रश्न 9.
अंग्रेजी सरकार ने सबसे पहले नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना किस नगर में और कब की ?
उत्तर-
मद्रास नगर में, 1687-88 ई० में।

प्रश्न 10.
गंगा नहर में पानी कब छोड़ा गया ?
उत्तर-
8 अप्रैल, 1853 ई० को।।

प्रश्न 11.
अंग्रेजी राज में नगर-योजना के अधीन नगरों को दी गई कोई तीन सुविधाएं लिखो।
उत्तर-

  1. पाइप द्वारा पानी की सप्लाई,
  2. गलियों में रोशनी,
  3. पार्क तथा खेल के मैदान।

प्रश्न 12.
कलकत्ता से रानीगंज तक रेलवे लाइन का निर्माण कब किया गया ?
उत्तर-
1854 ई० में।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों के शासन काल में सार्वजनिक कार्य-निर्माण विभाग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
अंग्रेजों के शासन काल में भारत में सर्वप्रथम लार्ड डल्हौज़ी ने जनता की भलाई का काम करने के लिए सार्वजनिक कार्य-निर्माण विभाग की स्थापना की। इस विभाग ने सड़कें, नहरें तथा पुल आदि बनवाये।

  • इस विभाग ने कलकत्ता से पेशावर तक जी० टी० रोड तैयार करवाया।
  • 8 अप्रैल, 1853 ई० को गंगा नहर तैयार करवा कर उसमें पानी छोड़ा गया।
  • उसने रुड़की में एक इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किया।
  • इस विभाग ने प्रजा के कल्याण के लिए कई अन्य कार्य भी किये।

प्रश्न 2.
अंग्रेजों के शासनकाल में रेलवे लाइनें बिछाने के काम पर एक नोट लिखो। यह भी बताओ कि रेलवे लाइनें क्यों बिछाई गईं ?
उत्तर-
भारत में पहली रेलवे लाइन लार्ड डल्हौज़ी के समय 1853 ई० में बम्बई से थाना शहर तक बनाई गई। 1854 ई० में कलकत्ता से रानीगंज तक रेलवे लाइन का निर्माण किया गया। भारत में अंग्रेज़ शासकों द्वारा रेलवे लाइनों का निर्माण करने के कई कारण थे। इनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :

  • अंग्रेजी सरकार अपने साम्राज्य की रक्षा करने तथा सेना के आने-जाने के लिए रेलवे लाइनें बिछाना आवश्यक समझती थी।
  • इंग्लैंड की मिलों में तैयार की गई वस्तुएं रेल द्वारा भारत के भिन्न-भिन्न भागों में भेजी जा सकती थीं।
  • अंग्रेज़ी कंपनियों तथा अंग्रेज़ पूँजीपतियों को अपना अतिरिक्त धन रेलें बनाने में खर्च करके पर्याप्त लाभ हो सकता था।
  • रेलों हारा देश के भिन्न-भिन्न भागों से इंग्लैंड के कारखानों के लिए कच्चा माल इकट्ठा किया जा सकता था।

निबन्धातक प्रश्न

प्रश्न 1.
उपनिवेशवादी (बस्तीवादी) संस्थाओं तथा नीतियों के बारे में लिखो जिन्होंने नगरों के विकास में सहायता पहुंचाई ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने अपने साम्राज्य को संगठित करने के लिए कई स्थानीय संस्थाएँ स्थापित की जिनसे नगरों के विकास में सहायता मिली। इनमें नगरपालिकाएं, सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग, रेल मार्ग का जाल बिछाना आदि कार्य शामिल थे। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. नगरपालिकाएं-ब्रिटिश (अंग्रेज़ी) ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने सबसे पहले 1687-88 ई० में मद्रास में नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना की। इसके सदस्य मनोनीत किये जाते थे। कुछ समय बाद बम्बई तथा कलकत्ता में भी नगरपालिका कार्पोरेशन स्थापित की गईं। धीरे-धीरे विभिन्न प्रान्तों के नगरों तथा ग्रामों के लिए नगरपालिकाएं एवं जिला बोर्ड स्थापित किये गये। इन संस्थाओं के माध्यम से काफी संख्या में प्राइमरी, मिडल तथा हाई स्कूल खोले गये। नगरपालिकाओं द्वारा नगरों की सफ़ाई तथा रात को प्रकाश का प्रबन्ध किया जाता था। लोगों को पानी की सुविधाएं मिलने लगीं। नगरों में डिस्पेंसरियां खोली गईं, जिनमें बीमारियों की रोकथाम के लिए निःशुल्क दवाएँ देने तथा टीके लगाने की व्यवस्था थी।

2. सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग- अंग्रेज़ी शासन-काल में भारत में सर्वप्रथम लार्ड डल्हौज़ी ने जनता की भलाई के लिए सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना की। इस विभाग ने सड़कें, नहरें तथा पुल आदि बनवाए। इस विभाग ने कलकत्ता से पेशावर तक जी० टी० रोड का निर्माण करवाया। 8 अप्रैल, 1853 ई० को गंगा नहर तैयार करवा कर उसमें पानी छोड़ा गया। रुड़की में एक इंजिनियरिंग कॉलेज स्थापित किया गया। इस विभाग ने प्रजा के कल्याण के लिए कई अन्य कार्य भी किये।

3. योजना-अंग्रेजों के शासन काल में भारत के कई प्रमुख नगरों में नगर सम्बम्धी सुविधाओं में विस्तार हुआ। भारत के अधिकतर नगरों में पाइप द्वारा पानी की सप्लाई तथा सीवरेज़ की व्यवस्था की गई। इसके अतिरिक्त नगरों में आधुनिक बाज़ार, पार्क तथा खेल के मैदान बनवाए गए।

4. रेलवे लाइनें-भारत में पहली रेलवे-लाइन लार्ड डल्हौज़ी के समय 1853 ई० में बम्बई से थाना शहर तक बनाई गई। 1854 ई० में कलकत्ता से रानीगंज तक की रेलवे लाइन का निर्माण किया गया। भारत में अंग्रेज़ शासकों द्वारा रेलवे-लाइनों का निर्माण करने के कई कारण थे। इनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :

  • अंग्रेज़ी सरकार अपने साम्राज्य की रक्षा करने तथा सेना के आने-जाने के लिए रेलवे लाइनें स्थापित करना आवश्यक मानती थी।
  • इंग्लैंड की मिलों में तैयार की गई वस्तुएँ रेलों द्वारा भारत के भिन्न-भिन्न भागों में भेजी जा सकती थीं।
  • अंग्रेज़ी कम्पनियों तथा अंग्रेज़ पूंजीपतियों को अपना अतिरिक्त धन रेलें बनाने में खर्च करके पर्याप्त लाभ हो सकता था।

प्रश्न 2.
नये कस्बों के उत्थान पर नोट लिखो।
उत्तर-
नये कस्बों का उत्थान शहरी परिवर्तनों के परिणामस्वरूप होता है। दूसरे शब्दों में नये कस्बों तथा शहरों का उत्थान तब होता है जब कोई स्थान राजनीतिक शक्ति तथा आर्थिक अथवा धार्मिक गतिविधियों का केंद्र हो। राजनीतिक शक्ति में परिवर्तन होने से प्रायः राजधानियां बदलती हैं। इससे पुरानी राजधानियां अपना महत्त्व खो बैठती हैं जबकि नये राजनीतिक केन्द्रों का महत्त्व बढ़ जाता है। अत: वहां नये कस्बों का विकास होता है। उदाहरण के लिए मुग़लों तथा मराठों के केन्द्र राजनीतिक संरक्षण के अभाव में अपना महत्त्व खो बैठे। इसके विपरीत नई शक्तियों के उदय से नये कस्बे तथा केन्द्र समृद्ध हो गये। अंग्रेजी काल में मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई जैसे नए नगरों का उत्थान भी इसी प्रकार हुआ था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

प्रश्न 3.
अंग्रेजों के राज्य के समय कलकत्ता शहर के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
कलकत्ता पश्चिम बंगाल की राजधानी है। आजकल इसका नाम कोलकाता है। यह भारत में अंग्रेज़ी शासन के समय एक प्रसिद्ध व्यापारिक बस्ती थी। 1695 ई० में अंग्रेजों ने यहां अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (कारखाना) स्थापित की तथा उसके चारों ओर एक किला बनाया। 1757 ई० तक अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपना सारा समय व्यापारिक गतिविधियों में लगाया। जब बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया तो भारत में उनकी भिन्न-भिन्न बस्तियां-मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता आदि विकसित नगर बन गये। भारत के अधिकांश व्यापारी इन नगरों में रहने लगे, क्योंकि यहां उन्हें अत्यधिक व्यापार सम्बन्धी सुविधाएं प्राप्त हो सकती थीं। 1757 ई० में प्लासी तथा 1764 ई० में बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाबों की हार तथा अंग्रेजों की विजय के कारण कलकत्ता नगर की महत्ता और अधिक बढ़ गई।

आजकल यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इनमें हावड़ा पुल, विक्टोरिया मेमोरियल (स्मारक), बोटैनिकल गार्डन, भारतीय अजायब घर, अलीपुर चिड़िया घर, वैलूर मठ, राष्ट्रीय पुस्तकालय आदि शामिल हैं जो कि कलकत्ता के महत्त्व को बढ़ाते हैं।

प्रश्न 4.
दिल्ली शहर के विस्तार का वर्णन करो।
उत्तर-
दिल्ली भारत का एक प्रसिद्ध नगर है। यह भारत की राजधानी है। यह यमुना नदी के तट पर स्थित है। महाभारत काल में दिल्ली को इन्द्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। तत्पश्चात मुग़ल बादशाह शाहजहां ने इसे शाहजहानाबाद का नाम दिया। 1911 ई० में अंग्रेजों ने इसे अपनी राजधानी बनाया और इसे नई दिल्ली का नाम दिया।

दिल्ली का महत्त्व-दिल्ली आरम्भ से ही भारत की राजनीतिक, व्यापारिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र रही है। मध्यकाल में यह नगर बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया था, क्योंकि इल्तुतमिश ने इसे अपनी राजधानी बना लिया था। इसके पश्चात् दिल्ली सभी सुल्तानों की राजधानी बना रहा।

मुग़ल बादशाह अकबर महान् के काल में कुछ समय के लिए आगरा तथा फतेहपुर सीकरी मुग़लों की राजधानी रहे। अन्य सभी मुग़ल शासकों ने दिल्ली को ही अपनी राजधानी बनाये रखा। इस कारण दिल्ली नगर की महत्ता बहुत अधिक बढ़ गई थी।

प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल-दिल्ली के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल पुराना किला, चिड़िया घर, अप्पू घर, इंडिया गेट, किला राए पिथौर, फ़तेहपुरी मस्जिद, निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह, जन्तर-मन्तर. बहलोल लोधी तथा सिकंदर लोधी के मकबरे, कुतुबुद्दीन बख्तयार काकी की दरगाह, पार्लियामेंट हाऊस, राष्ट्रपति भवन, अजायब घर, राजघाट, तीन मूर्ति भवन, शक्ति स्थल, शान्ति वन, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, बिरला मन्दिर, गुरुद्वारा सीस गंज, गुरुद्वारा बंगला साहिब आदि हैं।

प्रश्न 5. शहरों के परिवर्तन द्वारा कौन-से नये शहरों की उत्पत्ति हुई ? वर्णन करें।
उत्तर-अंग्रेज़ी काल में शहरी परिवर्तन से मुख्य रूप से तीन नये शहरों की उत्पत्ति हुई। ये नगर थे-मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता। इन शहरों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. मद्रास-मद्रास नगर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है और यह तमिलनाडु राज्य की राजधानी है। मद्रास भारत में विकसित होने वाले अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के तीन प्रमुख केन्द्रों-कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में से एक था। यहां पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी की प्रेज़िडेंसी का एक केन्द्र भी था। कम्पनी के इस केन्द्र की स्थापना 1639 ई० में फ्रांसिस डे ने की थी। फ्रांसीसी सेनापति ला-बरोदानिस ने पहले कर्नाटक युद्ध (1746-1748) में मद्रास अंग्रेज़ों से छीन लिया था। परन्तु युद्ध के समाप्त होने पर 1748 ई० में मद्रास अंग्रेज़ों को लौटा दिया गया था। कर्नाटक के तीन युद्धों में अंग्रेजों की अंतिम विजय के कारण मद्रास एक महत्त्वपूर्ण एवं खुशहाल (सम्पन्न) नगर बन गया।

शीघ्र ही मद्रास एक बन्दरगाह नगर तथा प्रसिद्ध औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित हो गया। यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। यहां के गिरजाघर, भवन, स्मारक, आकर्षक मन्दिर तथा समुद्री तट इस नगर की शान में चार चांद लगा रहे हैं।

2. बम्बई-बम्बई नगर महाराष्ट्र में अरब सागर के पूर्वी तट पर स्थित है। आजकल इसका नाम मुम्बई है। यह एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र होने के साथ-साथ औद्योगिक एवं संस्कृति का केन्द्र भी है। 1661 ई० में पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन के इंग्लैंड के शासक चार्ल्स द्वितीय के साथ विवाह में यह नगर पुर्तगालियों ने दहेज़ के रूप में इंग्लैंड को दिया था। उसने यह नगर ईस्ट इण्डिया कम्पनी को किराये पर दे दिया। धीरे-धीरे बम्बई अंग्रेज़ों की प्रेज़िडेंसी बन गया। इस नगर के प्रसिद्ध स्थान जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, मालाबार हिल, जहांगीरी आर्ट-गैलरी, अजायबघर (संग्रहालय), बम्बई यूनिवर्सिटी, महालक्ष्मी मन्दिर, विक्टोरिया बाग, क्रमला नेहरू पार्क आदि हैं।

3. कलकत्ता-कलकत्ता पश्चिम बंगाल की राजधानी है। आजकल इसका नाम कोलकाता है। यह भारत में अंग्रेज़ी शासन के समय एक प्रसिद्ध व्यापारिक बस्ती थी। 1695 ई० में अंग्रेज़ों ने यहां अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (कारखाना) स्थापित की तथा उसके चारों ओर एक किला बनाया। 1757 ई० तक अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपना सारा समय व्यापारिक गतिविधियों में लगाया। जब बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया तो भारत में उनकी भिन्न-भिन्न बस्तियां-मद्रास, बंबई तथा कलकत्ता आदि विकसित नगर बन गईं। भारत के अधिकतर व्यापारी इन राज्यों में रहने लगे क्योंकि यहां उन्हें अत्यधिक व्यापार-सम्बन्धी सुविधाएं प्राप्त हो सकती थीं। 1757 ई० में प्लासी तथा 1764 ई० में बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाबों की हार तथा अंग्रेजों की विजय के कारण कलकत्ता नगर की महत्ता और अधिक बढ़ गई। . .
आजकल यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इनमें हावड़ा पुल, विक्टोरिया मेमोरियल (स्मारक), बोटेनिकल गार्डन, भारतीय अजायब घर, अलीपुर चिड़ियाघर, वैलूर मठ, राष्ट्रीय पुस्तकालय आदि शामिल हैं जो कलकत्ता के महत्त्व को बढ़ाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

PSEB 8th Class Home Science Guide गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कपड़ों को धोने से पहले उनकी मुरम्मत करना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
वरन् उसके और अधिक फटने या उधड़ने का भय रहता है।

प्रश्न 2.
धुलाई के उपरांत ऊन कई बार जुड़ जाती है क्यों ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्र को धोते समय जब उसे पानी या साबुन के घोल में हिलाया-डुलाया जाता है तो ऊन के तन्तुओं को रेशे आपस में एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं जिसके फलस्वरूप ऊन जुड़ जाती है।

प्रश्न 3.
धुलाई के लिए गर्म पानी का प्रयोग किन कपड़ों के लिए किया जाता
उत्तर-
सूती कपड़ों के लिए।

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प्रश्न 4.
सम्भालने से पहले कपड़ों की माया/मांड उतारनी क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
कई कीड़े कपड़ों से माया खाने के लिए कपड़ों में छेद कर देते हैं।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़ों को सम्भालकर रखना क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
कपड़ों को सम्भालकर रखना बहुत ज़रूरी है ताकि उनको टिड्डियों आदि से बचाया जा सके। गर्मियों के मौसम में गर्म कपड़ों को अच्छी तरह सम्भाल कर रखना चाहिए ताकि गर्म कपड़ों वाला कीड़ा न खाए।

प्रश्न 2.
आप रेशमी कपड़ों को कैसे सम्भालोगे ?
उत्तर-
रेशमी कपड़ों को सम्भालना

  1. रोज़ पहनने वाले कपड़ों को हैंगर में लटकाकर अलमारी में रखना चाहिए।
  2. सूरज की तेज़ रोशनी से रंग फीके पड़ जाते हैं, इसलिए इन्हें तेज़ रोशनी में नहीं रखना चाहिए।
  3. कपड़ों को मैली स्थिति में कई दिनों तक नहीं रखना चाहिए। हमेशा कपड़ों को साफ़ करके सम्भालना चाहिए।
  4. गर्मियों में जब रेशमी कपड़े न पहनने हों तो उन्हें किसी पुरानी चादर, सूती धोती, तौलियों या गुड्डी कागज़ में लपेट कर रखना चाहिए।
  5.  सम्भालकर रखे जाने वाले कपड़ों में माया (माँड़) लगाकर नहीं रखना चाहिए।

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प्रश्न 3.
ऊनी कपड़ों को लटकाना क्यों नहीं चाहिए ?
अथवा
ऊनी कपड़ों को लटका कर क्यों नहीं सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
ऊन बहुत पानी चूसती है और भारी हो जाती है, इसलिए अगर कपड़े को लटकाकर सुखाया जाए तो वह नीचे लटक जाता है और आकार खराब हो जाता है।

प्रश्न 4.
ऊनी कपड़ों को ज्यादा समय के लिए भिगोना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
ऊन का तन्तु बहुत नर्म और मुलायम होता है। इसके ऊपर छोटी-छोटी तहें होती हैं जो कि पानी, गर्मी और क्षार से नर्म हो जाती हैं और एक दूसरे से उलझ जाती हैं इसलिए ज्यादा देर तक नहीं भिगोना चाहिए।

प्रश्न 5.
गर्म कपड़ों को धोते समय गर्म और ठण्डे पानी में क्यों नहीं डालना चाहिए ?
उत्तर-
क्योंकि इसके तन्तु आपस में जुड़ जाते हैं।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गर्म कपड़े धोने के समय कौन-कौन सी सावधानियां अपेक्षित हैं ?
उत्तर-
गर्म कपड़े धोने के समय निम्न सावधानियां अपेक्षित हैं-

  1. ऊनी वस्त्रों को धोते समय रगड़ना तथा कूटना नहीं चाहिए। .
  2. ऊनी वस्त्रों को धोने से पूर्व अधिक देर तक भिगोकर नहीं रखना चाहिए।
  3. ऊनी कपड़ों को कभी उबालना नहीं चाहिए।
  4. ऊनी वस्त्र धोने के लिए पानी बिल्कुल गुनगुना होना चाहिए। पानी का ताप सदैव एक-सा होना चाहिए।
  5. ऊनी वस्त्र धोने के लिए मृदु जल का ही प्रयोग करना चाहिए। अधिक क्षारयुक्त पानी से ऊन सख्त हो जाती है व सूखने पर पीली पड़ जाती है।
  6. ऊनी वस्त्र धोने के लिए साबुन क्षारत होना चाहिए। तीव्र क्षार का ऊन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है।
  7. रंगीन ऊन के कपड़ों के लिए रीठों के घोल या डिटरजेन्ट्स का प्रयोग करना चाहिए।
  8. सफेद ऊनी कपड़ों को धोने के लिए घरेलू ब्लीचिंग घोलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि किसी ब्लीचिंग की आवश्यकता अनुभा की जाए तो हल्के हाइड्रोजन पर ऑक्साइड का प्रयोग करना चाहिए।
  9. वस्त्र को तब तक पानी में खंगालना चाहिए जब तक कि उसका साबुन या झाग पूर्ण रूप से निकल न जाए।
  10. वस्त्र को पानी में आखिरी बार खंगालने से पहले पानी में थोड़ा सा नील डाल देना चाहिए।
  11. ऊनी कपड़े को निचोड़ने के लिए उसे मोटे रोंएदार तौलिये में रखकर दोनों हाथों से चारों तरफ़ से दबाना चाहिए।
  12. काफी मात्रा में अपने अन्दर पानी सोख लेने के कारण गीले ऊनी कपड़े भारी हो जाते हैं। उन्हें धोने के बाद तार पर टाँग कर नहीं सुखाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कपड़ा लम्बा तथा बेडौल हो जाता है।
  13. ऊनी कपड़े को उल्टा करके सेज या चारपाई पर छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए।
  14. सुखाने पर कपड़े को उल्टा करके गीला कपड़ा रखकर इस्तरी करनी चाहिए।
  15. ऊनी कपड़ों को अधिक मैला होने से पहले ही धो लेना चाहिए।

प्रश्न 2.
गर्म कपड़े धोने से पहले क्या तैयारी करोगे ?
उत्तर-
1. गर्म कपड़ा कहीं फटा या उधड़ा हुआ हो तो ठीक कर लेना चाहिए ताकि धोने के समय छेद बड़ा न हो जाए।
2. गर्म कपड़े की बुनाई बड़ी खुली होती है जिससे उसमें मिट्टी फँस जाती है। इसलिए धोने से पहले कपड़ों को अच्छी तरह झाड़ना चाहिए।
3. धुलाई क्रिया को सफल बनाने के लिए गर्म वस्त्रों पर शोधक पदार्थों की क्या प्रतिक्रिया होती है, इसके विषय में जानकारी होनी चाहिए।
4. गर्म वस्त्र में प्रयोग किए रेशों के अनुरूप, अनुकूल शोधक पदार्थों को ही चुनना और प्रयोग करना चाहिए।
5. गर्म वस्त्रों पर दाग-धब्बे छुड़ाने वाले विभिन्न रसायनों तथा प्रतिकर्मकों आदि की क्या प्रतिक्रिया होती है, इसकी जानकारी रखनी चाहिए।
6. गर्म वस्त्रों की सफलतापूर्वक धुलाई के लिए उन्हें किस विधि से धोया जाए इसकी जानकारी आवश्यक है। वस्त्र की रचना के अनुसार ही विधि का प्रयोग करना चाहिए।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल 1
चित्र 7.1 गर्म कपड़ा धोने की तैयारी
7. सभी प्रकाकर के वस्त्रों को एक साथ मिलाकर नहीं धोना चाहिए। वस्त्रों को किस्म, रचना, रंग आदि के अनुसार छाँटकर अलग-अलग धोना चाहिए।
8. कम गन्दे वस्त्रों को अधिक गन्दे वस्त्रों के साथ नहीं धोना चाहिए।
9. वस्त्रों को धोने से पूर्व उनका निरीक्षण कर लेना चाहिए। यदि कहीं से सिलाई खुल गई हो या छेद आदि हो गया हो तो पहले उनकी मुरम्मत करनी चाहिए।
10. वस्त्र पर यदि कोई दाग या धब्बा लग गया है तो पहले उसे दूर करना चाहिए।
11. धोने से पूर्व वस्त्रों की जेबें देख लेनी चाहिएँ और यदि उनमें कुछ भी है तो उसे निकाल देना चाहिए।
12. धुलाई से पूर्व धुलाई में आवश्यक सहायक उपकरणों का पूर्व प्रबन्ध कर लेना चाहिए। इसमें समय की बचत होती है।
13. धुलाई में प्रयोग आने वाली रासायनिक प्रतिकर्मकों को बच्चों से दूर रखना चाहिए। __ (14) धुले वस्त्रों को सुखाने की उचित विधि का प्रयोग तथा उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
14. धुलाई के लिए मृदु जल का प्रयोग करना चाहिए। (16) धोकर सुखाए वस्त्रों को तुरन्त प्रेस (इस्तरी) कर देना चाहिए।

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प्रश्न 3.
एक गर्म स्वेटर को कैसे धोओगे और प्रैस करोगे?
अथवा
आप घर में ऊनी वस्त्र कैसे धोएँगे तथा प्रैस करेंगे ?
उत्तर-
गर्म स्वेटर पर प्रायः बटन लगे रहते हैं। यदि कुछ ऐसे फैन्सी बटन हों जिनको धोने से खराब होने की सम्भावना हो तो उतार लेते हैं। यदि स्वेटर कहीं से फटा हो तो सी लेते हैं। अब स्वेटर का खाका तैयार करते हैं। इसके उपरान्त गुनगुने पानी में आवश्यकतानुसार लक्स का चूरा अथवा रीठे का घोल मिलाकर हल्की दबाव विधि से धो लेते हैं। तत्पश्चात् गुनगुने साफ़ पानी में तब तक धोते हैं जब तक सारा साबुन न निकल जाए। ऊनी वस्त्रों के लिए पानी का तापमान एक-सा रखते हैं तथा ऊनी वस्त्रों को पानी में बहुत देर तक नहीं भिमोमा चाहिए वरना इनके सिकुड़ने का भय रहता है। इसके बाद एक रोएंदार (टर्किश) तौलिए में रखकर उसको हल्के हाथों से दबाकर पानी निकाल लेते हैं। फिर खाके पर रखकर किसी समतल स्थान पर छाया में सुखा लेते हैं।
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चित्र 7.2 गर्म वस्त्र का खाका बनाना
प्रैस करना-सूखने के बाद वस्त्र को उल्टा करके उसके ऊपर गीला कपड़ा रखकर इस्तरी करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
सूती और ऊनी कपड़ों को सम्भालते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
सूती कपड़ों की सम्भाल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें निम्नलिखित हैं-

  1. कपड़ों को हमेशा धोकर और अच्छी तरह सुखाकर रखना चाहिए।
  2. कपड़ों पर माया (कलफ) लगाकर अधिक दिन के लिए नहीं रखना चाहिए।
  3. प्रेस करने के बाद कपड़े की नमी को पूरी तरह समाप्त करके ही कपड़ों को सम्भालना चाहिए।
  4. नमीयुक्त कपड़ों में फफूंदी लग जाती है जिससे कपड़े कमजोर हो जाते हैं तथा उन पर दाग लग जाते हैं। अत: बरसात में कपड़ों को अलमारी या सन्दूक में अच्छी तरह बन्द करके रखना चाहिए। धूप निकलने पर उन्हें धूप लगवाते रहना चाहिए।
  5. कपड़ों को नमी वाले स्थान में भूलकर भी नहीं रखना चाहिए।

ऊनी कपड़ों की संभाल-

  1. ऊनी कपड़ों की सम्भाल करने से पूर्व उन्हें ब्रुश से अच्छी तरह झाड़ लेना चाहिए।
  2. जो कपड़े गन्दे हों उन्हें धोकर या सूखी धुलाई (ड्राइक्लीनिंग) कराकर रखना चाहिए।
  3. ऊनी कपड़ों को बक्से, अलमारी आदि में धूप व हवा लगवाते रहना चाहिए।
  4. कपड़ों को नमी की हालत में या नमी के स्थान पर नहीं रखना चाहिए।
  5. जब बक्से में कपड़े बन्द किए जाएँ तो उनमें नैफ्थलीन की गोलियाँ, कपूर या नीम के सूखे पत्ते रखकर अच्छी प्रकार बन्द करना चाहिए।
  6. प्रत्येक कपड़े को अखबार के कागज़ में लपेटकर रखा जा सकता है, छपाई की स्याही के कारण कपड़ों को कीड़ा नहीं लगता।

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Home Science Guide for Class 8 PSEB गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊन के तंतु के गुण हैं
(क) कोमल
(ग) प्राणीजन
(ख) मुलायम
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
ऊन के रेशों के दुश्मन हैं
(क) नमी
(ग) क्षार
(ख) ताप
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
रेशमी कपड़ों को किस कागज़ में लपेट कर रखा जाता है ?
(क) गुड्डी कागज़
(ख) पुस्तकों के कागज़
(ग) दोनों ठीक
(घ) दोनों ग़लत।
उत्तर-
(क) गुड्डी कागज़

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प्रश्न 4.
ठीक तथ्य है
(क) रेशम के कपड़े कमज़ोर तथा मुलायम होते हैं।
(ख) रेयॉन के कपड़े को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
(ग) सूती कपड़ों के लिए गर्म पानी का प्रयोग किया जा सकता है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

II. ठीक/गलत बताएं

  1. ऊनी कपड़ों को लटका कर नहीं सुखाना चाहिए।
  2. रेशम के संभाल कर रखे जाने वाले कपड़ों को माया लगा कर नहीं रखना चाहिए।
  3. रेयॉन के कपड़ों के लिए ड्राइक्लीन धुलाई अच्छी रहती है।
  4. ऊनी कपड़ों को अच्छी प्रकार प्रेस करना चाहिए।
  5. रेशमी कपड़ों को धूप में सुखाना चाहिए।
  6. ऊनी वस्त्र अधिक गर्म पानी, क्षार, रगड़ने तथा मरोड़ने से खराब हो जाते हैं।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. ऊनी कपड़े को ……………… में नहीं सुखाना चाहिए।
  2. ऊनी कपड़ों को बन्द करके रखते समय ……………….. की गोलियां डाल दें।
  3. ऊनी कपड़ा भिगोने से ………………. हो जाता है।
  4. नमीयुक्त कपड़ों को संभालने से ……………….. लग जाती है।

उत्तर-

  1. धूप,
  2. नैथलीन,
  3. कमज़ोर,
  4. फफूंदी।

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IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
ऊनी वस्त्र को धोने के लिए कैसा जल चाहिए ?
उत्तर-
मृदु जल।

प्रश्न 2.
ऊनी वस्त्र को संभालने के लिए नीम के पत्ते तथा अन्य कौन-से पत्ते भी रखे जाते हैं ?
उत्तर-
युक्लिप्टस।

प्रश्न 3. रेशमी कपड़ों को कैसे कागज़ में लपेट कर रखा जाता है ?
उत्तर-
गुड्डी कागज़।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूती कपड़े धोने के लिए कुछ देर तक साबुन के पानी में भिगो कर रखने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
वस्त्रों पर लगा हुआ घुलनशील मैल पानी में घुल जाता है तथा अन्य गन्दगी, धब्बे आदि छूट जाते हैं।

प्रश्न 2.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई कठिन क्यों होती है ?
उत्तर-
क्योंकि रेयॉन के वस्त्र पानी के सम्पर्क से निर्बल पड़ जाते हैं।

प्रश्न 3.
रेयॉन के वस्त्रों के लिए किस प्रकार की धुलाई अच्छी रहती है ?
उत्तर-
शुष्क धुलाई (ड्राइक्लीनिंग)

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प्रश्न 4.
रेयॉन के वस्त्रों पर अम्ल तथा क्षार का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
शक्तिशाली अम्ल तथा क्षार दोनों से ही रेयॉन के वस्त्रों को हानि होती है।

प्रश्न 5.
रेयॉन के वस्त्रों को धोते समय क्या बातें वर्जित हैं ?
उत्तर-
वस्त्रों को पानी में फुलाना, ताप, शक्तिशाली रसायनों तथा एल्कोहल का प्रयोग करना वर्जित है।

प्रश्न 6.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई के लिए कौन-सी विधि उपयुक्त होती है ?
उत्तर-
गूंधने और नपीड़न की विधि।

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प्रश्न 7.
रेयॉन के वस्त्रों पर इस्तरी किस प्रकार करनी चाहिए ?
उत्तर-
कम गर्म इस्तरी वस्त्र के उल्टी तरफ से करनी चाहिए। इस्तरी करते समय वस्त्र में हल्की सी नमी होनी चाहिए।

प्रश्न 8.
ऊन का तन्तु कैसा होता है ?
उत्तर-
काफ़ी कोमल, मुलायम और प्राणिजन्य।

प्रश्न 9.
ऊन का तन्तु आपस में किन कारणों से जुड़ जाता है ?
उत्तर-
नमी, क्षार, दबाव तथा गर्मी के कारण।

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प्रश्न 10.
ऊन के तन्तुओं की सतह कैसी होती है ?
उत्तर-
खुरदरी।

प्रश्न 11.
ऊन के रेशों की सतह खुरदरी क्यों होती है ?
उत्तर-
क्योंकि ऊन की सतह पर परस्पर व्यापी शल्क होते हैं।

प्रश्न 12.
ऊन के रेशों की सतह के शल्कों की प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर-
लसलसी, जिससे शल्क जब पानी के सम्पर्क में आते हैं तो फूलकर नरम हो जाते हैं।

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प्रश्न 13.
ऊन के रेशों के शत्रु क्या हैं ?
उत्तर-
नमी, ताप और क्षार।

प्रश्न 14.
ताप के अनिश्चित परिवर्तन से रेशों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
रेशों में जमाव व सिकुड़न हो जाती है।

प्रश्न 15.
ऊन के वस्त्रों को किस प्रकार के साबुन से धोना चाहिए ?
उत्तर-
कोमल प्रकृति के शुद्ध क्षार रहित साबुन से।

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प्रश्न 16.
अधिक क्षार मिले पानी का ऊन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
ऊन सख्त हो जाती है तथा सूखने पर पीली पड़ जाती है।

प्रश्न 17.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए किस प्रकार के जल का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
मृदु जल का।

प्रश्न 18.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई में कौन-से घोल अधिक प्रचलित है ?
उत्तर-
पोटेशियम परमैंगनेट, सोडियम पर ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन परऑक्साइड के हल्के घोल।

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प्रश्न 19.
ऊनी कपड़ों को फलाने की आवश्यकता क्यों नहीं होती ?
उत्तर-
क्योंकि पानी में डुबोने से रेशे निर्बल हो जाते हैं।

प्रश्न 20.
ऊनी वस्त्रों को धोते समय रगड़ना-कटना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
रगड़ने से रेशे नाश हो जाते हैं तथा आपस में फँसते हुए जम जाते हैं।

प्रश्न 21.
वस्त्रों को पानी में आखिरी बार खंगालने से पहले पानी में थोड़ी-सी नील क्यों डाल देनी चाहिए ?
उत्तर-
जिससे कि ऊनी वस्त्रों में सफेदी व चमक बनी रहे।

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प्रश्न 22.
ऊनी कपड़ों को धूप में क्यों नहीं सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
क्योंकि तेज़ धूप के प्रकाश के ताप से ऊन की रचना बिगड़ जाती है।

प्रश्न 23.
ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए तापमान की दृष्टि से किस प्रकार के पानी का प्रयोग किया जाना चाहिए ?
उत्तर-
ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करना चाहिए। धोते समय पानी का तापमान कपड़े को भिगोने से लेकर आखिरी बार खंगालने तक एक-सा होना चाहिए।

प्रश्न 24.
धोने के बाद ऊनी कपड़ों को किस प्रकार सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
धोने से पूर्व बनाए गए खाके पर कपड़ों को रखकर उसका आकार ठीक करके तथा छाया में उल्टा करके, समतल स्थान पर सुखाना चाहिए जहाँ चारों ओर से कपड़े पर हवा लग सके।

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प्रश्न 25.
ऊनी कपड़ों पर कीड़ों का असर न हो इसलिए कपड़ों के साथ बक्से या अलमारी में क्या रखा जा सकता है ?
उत्तर-
नैष्थलीन की गोलियां,पैराडाइक्लोरो बेंजीन का चूरा, तम्बाकू की पत्ती, कपूर, पिसी हुई लौंग, चन्दन का बुरादा, फिटकरी का चूरा या नीम की पत्तियाँ आदि।

प्रश्न 26.
रेयॉन के वस्त्रों को रगड़ना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
रेयॉन के वस्त्र कमज़ोर और मुलायम होते हैं। इसलिए गीली अथवा सूखी अवस्था में रगड़ना या मरोड़ना नहीं चाहिए।

प्रश्न 27.
ऊनी वस्त्रों को अधिक देर तक नल में भिगोने से क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
ऊन के तन्तु कमजोर हो जाते हैं।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. रेयॉन के वस्त्रों को भिगोना, उबालना या ब्लीच नहीं करना चाहिए।
  2. साबुन मृदु प्रकृति का प्रयोग करना चाहिए।
  3. गुनगुना पानी ही प्रयोग में लाना चाहिए, अधिक गर्म नहीं।
  4. साबुन का अधिक से अधिक झाग बनाना चाहिए जिससे साबुन पूरी तरह घुल जाए।
  5. गीली अवस्था में रेयॉन के कपड़े अपनी शक्ति 50% तक खो देते हैं। अतः वस्त्रों में से साबुन की झाग निकालने के लिए उन्होंने सावधानीपूर्वक निचोड़ना चाहिए।
  6. साबुन की झाग निचोड़ने के बाद वस्त्र को दो बार गुनगुने पानी में से खंगालना चाहिए
  7. वस्त्रों में से पानी को भी कोमलता से निचोड़कर निकालना चाहिए। वस्त्रों को मरोड़कर नहीं निचोड़ना चाहिए।
  8. वस्त्र को किसी भारी तौलिए में रखकर, लपेट कर हल्के-हल्के दबाकर नमी को सुखाना चाहिए।
  9. वस्त्र को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
  10. वस्त्र को लटका कर नहीं सुखाना चाहिए।
  11. वस्त्र को हल्की नमी की अवस्था में वस्त्र की उल्टी तरफ़ इस्तरी करना चाहिए।
  12. वस्त्रों को अलमारी में रखने अर्थात् तह करके रखने से पूर्व यह देख लेना चाहिए कि उनमें से नमी पूरी तरह से दूर हो चुकी है या नहीं।

प्रश्न 2.
ऊनी कपड़ों की धुलाई में प्रारम्भ से अन्त तक की विभिन्न क्रियाओं की सूची बनाइए।
उत्तर-

  1. वस्त्रों का छांटना।
  2. वस्त्रों को झाड़ना या धूल-रहित करना।
  3. वस्त्रों में यदि कोई सुराख आदि हों तो उसकी मरम्मत करना।
  4. वस्त्र का खाका तैयार करना।
  5. दाग-धब्बे छुड़ाना।
  6. साबुन तथा पानी की तैयारी।
  7. धुलाई करना।
  8. वस्त्रों को सुखाना।
  9. वस्त्रों पर इस्तरी करना।

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प्रश्न 3.
ऊनी कपड़ों में रंग व चमक बनाए रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
ऊनी कपड़ों में रंग व चमक बनाए रखने के लिए अग्रलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. ऊनी वस्त्रों को अधिक गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए।
  2. ऊनी वस्त्रों को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
  3. अधिक क्षारीय घोलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. यदि रंग कच्चा हो और धुलाई में निकलता दिखाई दे तो धुलाई के अन्तिम जल में थोड़ी-सी नींबू की खटाई या सिरका मिला देना चाहिए।
  5. कच्चे रंग के कपड़ों को रीठे के घोल से घोलना चाहिए।

प्रश्न 4.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए किस प्रकार का साबुन प्रयोग करना चाहिए और क्यों ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए मृदु साबुन का प्रयोग करना चाहिए जिसमें सोडा बहुत कम हो या बिल्कुल न हो। साबुन द्रव रूप में अथवा चिप्स के रूप में हो जो पानी में एक जैसा घोल बना ले। क्षारयुक्त साबुन से ऊन के तन्तु कड़े हो जाते हैं तथा सफेद ऊन में पीलापन आ जाता है। रंगीन वस्त्रों के लिए रीठे के घोल का प्रयोग किया जाना चाहिए क्योंकि इसके प्रयोग से कपड़े का रंग नहीं उतरता।

प्रश्न 5.
ऊन क्यों जुड़ जाती है ?
उत्तर-
ऊन का तन्तु बहुत नर्म और मुलायम होता है। इसके ऊपर छोटी-छोटी तहें होती हैं जो कि पानी, गर्मी और क्षार से नर्म हो जाती हैं और एक-दूसरे से उलझ जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि कपड़ा जुड़ जाता है। इसलिए ऊन की धुलाई में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 6.
ऊनी कपड़ों को सिकुड़ने व जुड़ने से बचाने के लिए आवश्यक चार बातें लिखो।
उत्तर-

  1. कपड़ों को रगड़ना नहीं चाहिए।
  2. पानी बहुत गर्म नहीं होना चाहिए।
  3. कपड़ों की धुलाई से क्षारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. कपड़ों को गीली अवस्था में लटकाकर नहीं सुखाना चाहिए।

प्रश्न 7.
अधिक मैले ऊनी वस्त्रों को कैसे साफ़ करोगी ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्र को रीठे का घोल या इजी वाले पानी में थोड़ी देर के लिए भिगोएँ। उसे हाथों से धीरे-धीरे रगड़ें। अधिक मैले भाग को हाथ की हथेली पर रखकर थोड़ा और साबुन
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चित्र 7.3 धीरे-धीरे मलने की विधि
लगाकर दूसरे हाथ से धीरे-धीरे रगड़ें यदि मैल साफ़ न हो तो उस भाग पर ब्रश का प्रयोग करें। जब वस्त्र साफ़ हो जाएँ तो फिर उसे समतल, छायादार स्थान पर सुखाएँ।

प्रश्न 8.
आप ऊनी वस्त्रों की देखभाल कैसे करोगे ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूती वस्त्रों की धुलाई किस प्रकार की जा सकती है ?
उत्तर-
1. वस्त्र धोने से पूर्व यह ध्यानपूर्वक देख लेना चाहिए कि कहीं वस्त्र फटा तो नहीं है। यदि फटा है तो उसकी सिलाई कर देनी चाहिए।
2. यदि वस्त्रों में किसी प्रकार का धब्बा लगा हो तो धोने से पहले छुड़ा लेना चाहिए। इसके पश्चात् समस्त वस्त्रों को उनके आकार व प्रकार के अनुसार उनके समूहों में विभाजित कर लेना चाहिए।
3. रंगीन और सफेद सूती वस्त्रों को अलग-अलग कर लेना चाहिए।
4. कपड़ों को पहले पानी में भिगो देना चाहिए। ऐसा करने से कपड़े का घुलनशील मैल पानी में घुल जाता है। वस्त्रों के अन्य गन्दगी-धब्बे आदि गल जाते हैं।

5. धोने के लिए गर्म पानी का प्रयोग अच्छा रहता है। कपड़े धोने का साबुन, रगड़ने का तख्ता या ब्रुश तथा कलफ आदि सभी चीजें तैयार रखनी चाहिएँ।

6. वस्त्र के प्रकार के अनुसार धुलाई करनी चाहिए। मज़बूत वस्त्र जैसे चादर, पतलून, सलवार आदि गर्म पानी में भिगोकर साबुन की टिक्की मिलानी चाहिए। रसोईघर के झाड़न

7. आदि गर्म पानी में साबुन डालकर भिगो देने चाहिएं, फिर हाथ से रगड़कर मलना चाहिए। कालर, कफ व कोर के नीचे के मैल को मुलायम ब्रुश से रगड़कर धोना चाहिए।

8.  रंगीन कपड़ों को हमेशा ठण्डे पानी में भिगोना व धोना चाहिए। यदि कपड़े बहुत अधिक गन्दे हों तो उन्हें गुनगुने पानी में भिगोना चाहिए।

9. कोमल वस्त्रों को अधिक नहीं रगड़ना चाहिए, उन्हें थोड़ा-सा रगड़कर और निचोड़कर धोना चाहिए।

10. कपड़ों में से साबुन निकालने के लिए उसे स्वच्छ पानी में से बार-बार निकालना चाहिए। जब कपड़ों में से साबुन का पूरा झाग निकल जाए और कपड़ा साफ़ हो जाए तो निचोड़ लेना चाहिए।

11. सफेद कपड़ों पर कलफ लगाते समय कलफ के घोल में थोड़ी सी नील डाल देनी चाहिए ताकि कपड़ों में चमक आ जाए, फिर भली-भाँति निचोड़कर कपड़े सुखाने चाहिएं।

12 पानी निचोड़कर वस्त्रों को धूप में सुखाना चाहिए। यदि कोई रंगीन वस्त्र है तो उसे छाया में सुखाना चाहिए।
13. कपड़ों को हमेशा उल्टा करके सुखाना चाहिए।
14. सूखे वस्त्र को नम करके इस्तरी कर लेनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
दाग-धब्बे छुड़ाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
दाग-धब्बे किस प्रकार छुड़ाये जाते हैं, यह जानते हुए भी दाग-धब्बे छुड़ाते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जान लेनी चाहिए जो निम्नलिखित हैं

  1. दाग-धब्बा तुरन्त छुड़ाया जाना चाहिए। इसके लिए धोबी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए क्योंकि तब तक ये दाग-धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।
  2. दाग-धब्बे छुड़ाने में रासायनिक पदार्थों का कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
  3. घोल को वस्त्र पर उतनी देर तक ही रखना चाहिए जितनी देर तक धब्बा फीका न पड़ जाए, अधिक देर तक रखने से वस्त्र कमज़ोर पड़ जाते हैं।
  4. चिकनाई को दूर करने से पूर्व उस स्थान के नीचे किसी सोखने वाले पदार्थ की मोटी तह रखनी चाहिए। धब्बे को दूर करते समय रगड़ने के लिए साफ़ और नरम पुराने रुमाल का प्रयोग किया जा सकता है।
  5. धब्बे उतारने का काम खुली हवा में करना चाहिए ताकि धब्बा उतारने के लिए प्रयोग किये जाने वाले रसायनों की वाष्प के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।
  6. दाग किस प्रकार का है, जब तक इसका ज्ञान न हो तब तक गर्म जल का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि गर्म जल में कई तरह के धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।
  7. रंगीन वस्त्रों पर ये धब्बे छुड़ाते समय कपड़े के कोने को जल में डुबोकर देखना चाहिए कि रंग कच्चा है अथवा पक्का।
  8. धब्बा छुड़ाने की विधियों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए क्योंकि विभिन्न वस्तुओं का प्रयोग अलग-अलग धब्बों को छुड़ाने हेतु किया जाता है।
  9. ऊनी वस्त्रों पर से धब्बे छुड़ाते समय न तो गर्म जल का प्रयोग करना चाहिए और न ही क्लोरीन-युक्त रासायनिक पदार्थ का।
  10. एल्कोहल, स्प्रिट, बैन्जीन, पेट्रोल आदि से दाग छुड़ाते समय आग से बचाव रखना चाहिए।

प्रश्न 3.
रेशमी और सूती वस्त्रों की संभाल कैसे करेंगे ?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।

प्रश्न 4.
रेशमी तथा ऊनी वस्त्रों को कैसे संभालोगे ?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल PSEB 8th Class Home Science Notes

  • ऊन का धागा जानवरों के बालों और पशम से बनता है।
  • ऊन के गीले कपड़ों को हैंगर में टाँगकर सुखाना नहीं चाहिए।
  • ऊन का कपड़ा भिगोने से कमज़ोर हो जाता है। इसलिए इसको सीधा साबुन वाले पानी में धोना चाहिए।
  • ऊनी कपड़े को साबुन वाले पानी में डालकर हाथों से दबाकर धोना चाहिए।
  • प्रैस करने के बाद ऊनी वस्त्रों को हैंगर में डालकर थोड़ी देर हवा में लटकाना चाहिए ताकि कपड़ा अच्छी तरह से सूख जाए।
  • ऊनी कपड़े में तह लगने के बाद प्रेस करने की ज़रूरत नहीं होती है।
  • गर्मियों के मौसम में गर्म कपड़ों को अच्छी तरह सम्भाल कर रखना चाहिए ताकि उनको गर्म कपड़ों वाला कीड़ा न खाए।
  • गन्दे कपड़ों को जो धोए जा सकते हों धोना चाहिए और दूसरे को ड्राइक्लीन करवा लेना चाहिए।
  • जब ऊनी कपड़े बक्से में बन्द किए जाएँ तो उनमें सूखे नीम, युक्लिप्टस के पत्ते या नैफ्थलीन की गोलियाँ डालनी चाहिए।
  • सूती कपड़ों को धोना और सम्भालकर रखना सबसे आसान है।
  • फफूंदी कपड़े को कमजोर कर देती है और इसके दाग भी बड़ी मुश्किल से उतरते हैं।
  • रेशमी कपड़ों का सूरज की रोशनी में रंग खराब हो जाते हैं, इसलिए कपड़े तेज़ रोशनी में नहीं रखने चाहिए।