PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

SST Guide for Class 8 PSEB संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित खाली स्थान भरो :

1. लोकसभा के सदस्यों की कुल गिनती …………. है।
2. राज्य सभा के सदस्यों की कुल गिनती …………. है।
3. पंजाब से लोकसभा के लिए …………. सदस्य चुने जाते हैं।
4. भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए ………… आयु आवश्यक है।
5. संसदीय सरकार को …………. सरकार भी कहा जाता है।
6. केवल धन बिल ही ………… में पेश हो सकता है।
उत्तर-

  1. 545
  2. 250
  3. 13
  4. कम से कम 35 वर्ष
  5. उत्तरदायी
  6. लोकसभा।

II. निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या ग़लत (✗) के निशान लगाओ :

1. राज्यसभा के 1/3 सदस्य हर दो साल बाद रिटायर होते हैं। – (✓)
2. संसदीय सरकार में कार्यपालिका और विधानपालिका में गहरा सम्बन्ध होता है। – (✗)
3. संसदीय सरकार में प्रधानमन्त्री नाममात्र का मुखिया होता है। – (✗)
4. संसद् द्वारा बनाये गए कानून सर्वोच्च होते हैं। – (✓)

III. विकल्प वाले प्रश्न :

प्रश्न 1.
राष्ट्रपति राज्य सभा में कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है ?
(क) 08
(ख) 12
(ग) 02
(घ) 10.
उत्तर-
12

प्रश्न 2.
पंजाब राज्य में से राज्य सभा के लिए कितने सदस्य चुने जाते हैं ?
(क) 11
(ख)13
(ग) 07
(घ) 02.
उत्तर-
07

प्रश्न 3.
संसद् के दोनों सदनों के मतभेद कौन दूर करता है ?
(क) स्पीकर
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति –
(घ) उप-राष्ट्रपति।
उत्तर-
राष्ट्रपति

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IV. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
संसद् के शाब्दिक अर्थ लिखो।
उत्तर-
संसद् अंग्रेजी शब्द पार्लियामैंट (Parliament) का अनुवाद है। यह अंग्रेज़ी शब्द फ्रांसीसी भाषा के शब्द पार्लर (Parler) से लिया गया है जिसका अर्थ है बातचीत करना। इस प्रकार संसद् एक ऐसी संस्था है जहां बैठकर लोग राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर बातचीत करते हैं।

प्रश्न 2.
सरकार संसद् के प्रति क्यों जवाबदेह है ?
उत्तर-
सरकार अपने सभी कार्यों तथा नीतियों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। सरकार तभी तक अपने पद पर रह सकती है जब तक उसे संसद् (विधानमण्डल) का बहुमत प्राप्त रहता है।

प्रश्न 3.
संसद् में कानून कैसे बनता है ?
उत्तर-
साधारण बिल को संसद् के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। दोनों सदनों में पारित होने के पश्चात् बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने पर बिल कानून बन जाता है।

प्रश्न 4.
लोकसभा चुनाव के बाद सरकार कैसे बनती है ?
उत्तर-
लोकसभा के चुनाव के पश्चात् राष्ट्रपति के आमंत्रण पर बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल सरकार बनाता है। यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो गठबन्धन सरकार अस्तित्व में आती है।

प्रश्न 5.
संसदीय सरकार के प्रमुख विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  • नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में अन्तर
  • कार्यपालिका तथा विधान मण्डल में गहरा सम्बन्ध
  • उत्तरदायी सरकार
  • प्रधानमन्त्री की प्रधानता।
  • विरोधी दल को कानूनी मान्यता।
  • कार्यपालिका की अनिश्चित अवधि।

प्रश्न 6.
लटकती संसद् से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब संसद् में दो या दो से अधिक राजनीतिक दलों की आपस में मिलकर सरकार बनती है, तो उसे लटकती संसद् कहते हैं। इस प्रकार की सरकार अल्पमत सरकार कहलाती है।

V. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखें :

प्रश्न 1.
भारतवर्ष में संसदीय शासन प्रणाली ही क्यों लागू की गई ?
उत्तर-
भारत में निम्नलिखित कारणों से संसदीय प्रणाली लागू की गई है-

  • लोगों को संसदीय प्रणाली का ज्ञान-भारतीय लोग संसदीय प्रणाली से परिचित हैं। इसे सर्वोत्तम सरकार माना गया है। देश में 1861, 1892, 1919 तथा 1935 के कानूनों द्वारा संसदीय सरकार ही स्थापित की गई थी।
  • संविधान सभा के सदस्यों द्वारा समर्थन-भारतीय संविधान निर्माताओं ने भी संसदीय शासन का समर्थन किया था। संविधान सभा की मसौदा कमेटी के प्रधान डॉ० बी० आर० अम्बेदकर ने कहा था कि इस प्रणाली में उत्तरदायित्व तथा स्थिरता दोनों गुण पाये जाते हैं। इसलिए संसदीय सरकार ही सबसे अच्छी सरकार है।
  • उत्तरदायित्व पर आधारित-भारत शताब्दियों तक परतन्त्र रहा है। इसलिए देश को ऐसी सरकार की आवश्यकता थी जो उत्तरदायित्व की भावना पर आधारित हो। इसी कारण संसदीय प्रणाली लागू की गई।
  • परिवर्तनशील सरकार-भारत ने लम्बे समय के पश्चात् स्वतन्त्रता प्राप्त की थी। इसलिए लोग ऐसी सरकार चाहते थे जो निरंकुश न बन सके। अतः संसदीय सरकार को चुना गया जिसे किसी भी समय बदला जा सकता है।
  • लोकतन्त्र की स्थापना-लोकतन्त्र की सही अर्थों में स्थापना वास्तव में संसदीय सरकार ही करती है। इसमें संसद् सर्वोच्च होती है। वह प्रश्न पूछ कर, आलोचना करके तथा कई अन्य तरीकों से सरकार (कार्यपालिका) पर नियन्त्रण बनाये रखती है।

प्रश्न 2.
संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में दो प्रकार की कार्यपालिका होती है-नाममात्र की कार्यपालिका तथा वास्तविक कार्यपालिका। राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया है। उसे विधानिक, कार्यपालिका तथा न्यायिक शक्तियां प्राप्त हैं। परन्तु नाममात्र की कार्यपालिका होने के कारण राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से नहीं कर सकता। इन सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल करता है, क्योंकि वह वास्तविक कार्यपालिका है। प्रधानमन्त्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। वैसे तो वह लोकसभा में बहुमत दल के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है, परन्तु आज गठबन्धन सरकारें बनने के कारण इस काम में उसे काफ़ी सूझ-बूझ से काम लेना पड़ता है।

प्रश्न 3.
संसद् की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेवार कारणों को लिखो।
उत्तर-
संसद् भारत में कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। एक लम्बे समय तक यह एक मजबूत संस्था रही है पर दुःख की बात है कि आज इसकी स्थिति में लगातार गिरावट आ रही है। इसके निम्नलिखित मुख्य कारण हैं-

  • मिली-जुली सरकारें अथवा लटकती संसद् ।
  • सदन में सदस्यों की गैर हाजिरी।
  • सदन की बैठकों की कमी।
  • कमेटी प्रणाली का पतन।
  • स्पीकर की निष्पक्षता पर शक।
  • कानून को लागू करने के तरीकों में परिवर्तन।
  • संसद् की कार्यवाही में सदस्यों द्वारा बार-बार रुकावट।

प्रश्न 4.
संसद् की स्थिति को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी सुझाव दो।
उत्तर-
संसद् की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-

  • क्षेत्रीय दलों की बढ़ती हुई संख्या पर रोक लगाई जाए।
  • संसद् की कार्यवाही को सुनिश्चित बनाने के लिए कानून बनाए जाएं।
  • प्रधानमन्त्री की कमज़ोर होती स्थिति की मजबूती के लिए कदम उठाए जाएं।

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प्रश्न 5.
भारतीय संसद् की बनावट लिखें।
उत्तर-
गठन-संसद् के दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा।

  • लोकसभा-लोकसभा लोगों का सदन है। इसे निम्न सदन भी कहा जाता है। इस समय लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है। इनमें से 543 सदस्य वयस्क नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। शेष दो सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। लोकसभा में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित हैं।
  • राज्यसभा-राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के विधानमण्डलों के चुने हुए सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसके कुल 250 सदस्यों में से 238 सदस्य राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा चुने जाते हैं। शेष 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है। परन्तु हर 2 साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Guide संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. लोक सभा – विधानपालिका
2. राज्य सभा – भारत की कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था
3. संसद – लोगों का सदन
4. सरकार का एक मुख्य अंग स्थायी सदन।
उत्तर-

  1. लोगों का सदन,
  2. स्थायी सदन
  3. भारत की कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था,
  4. विधानपालिका।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली किस प्रकार की है ?
अथवा
अप्रत्यक्ष लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली की क्या विशेषता है ?
उत्तर-
भारत में अप्रत्यक्ष लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली लागू की गई है। इस प्रकार की शासन प्रणाली में लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि प्रशासन चलाते हैं। वे अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब से लोकसभा के लिए कितने सदस्य चने जाते हैं ?
उत्तर-
पंजाब से लोकसभा के लिए 13 सदस्य चुने जाते हैं।

प्रश्न 3.
आप कैसे कह सकते हैं कि राज्य सभा एक स्थायी सदन है ?
उत्तर-
राज्य सभा कभी भी पूरी तरह भंग नहीं होती। हर 2 साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है। इस प्रकार यह सदन सदा कार्यशील रहता है।

प्रश्न 4.
सरकार के कौन-कौन से तीन रूप (अंग) होते हैं ?
उत्तर-

  1. विधानमण्डल
  2. कार्यपालिका तथा
  3. न्यायपालिका।

प्रश्न 5.
राष्ट्रपति संसद् के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (समागम) कब बुलाता है ?
उत्तर-
कभी-कभी किसी बिल पर दोनों सदनों में मतभेद पैदा हो जाता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाता है, ताकि उत्पन्न मतभेदों को दूर किया जा सके।

प्रश्न 6.
कोई छः तरीके बताओ जिनके द्वारा सेंसद सरकार पर अपना नियन्त्रण बनाये रखती है।
उत्तर-

  1. मन्त्रियों से प्रश्न पूछना
  2. स्थगन प्रस्ताव
  3. निन्दा प्रस्ताव
  4. विश्वास प्रस्ताव
  5. अविश्वास प्रस्ताव
  6. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव।

प्रश्न 7.
संसद् को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर-
संसद् को सुदृढ़ बनाने की इसलिए आवश्यकता है, ताकि अच्छे कानून बनाये जा सकें। देश के प्रधानमन्त्री की स्थिति को मज़बूत बनाने के लिए भी सुदृढ़ संसद् की आवश्यकता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री की क्या स्थिति है ? वर्तमान समय में उसकी स्थिति क्यों डगमगा गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुसार देश में प्रधानमन्त्री की स्थिति सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वह मन्त्रिमण्डल, मन्त्रिपरिषद् तथा लोकसभा का नेता होता है। देश की सभी नीतियां तथा कानून उसी के परामर्श के अनुसार बनते हैं। अपने मन्त्रिमण्डल के लिए मन्त्रियों का चुनाव वही करता है। कोई भी मन्त्री उसकी इच्छा के बिना अपने पद पर नहीं रह सकता।

परन्तु वर्तमान समय में लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता। इससे त्रिशंकु संसद् अस्तित्व में आती है। इसी कारण वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री की स्थिति डगमगा गई है।

प्रश्न 2.
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद तथा पं० जवाहर लाल नेहरू कौन थे ? मज़बूत केन्द्र के बारे में उनके क्या विचार थे ?
उत्तर-
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति तथा पं० जवाहर लाल नेहरू प्रथम प्रधानमन्त्री थे। ये. दोनों ही बड़े प्रभावशाली नेता थे। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद के विचार-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति पद के लिए अधिक शक्तियां देने के पक्ष में थे। वह केन्द्र को मज़बूत बनाना चाहते थे, क्योंकि भारत को कई शताब्दियों के पश्चात् स्वतन्त्रता मिली थी।

पं० जवाहर लाल नेहरू के विचार-पं० नेहरू भी केन्द्र को सुदृढ़ बनाने के समर्थक थे। वह चाहते थे कि प्रधानमन्त्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल को अधिक शक्तियां दी जाएं।

प्रश्न 3.
“किसी समय भारतीय संसद् एक बहुत ही सुदृढ़ संस्था थी। परन्तु अब इसका पतन हो रहा है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
संसद् भारत में कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था है। पं० जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री तथा श्रीमती इन्दिरा गांधी के समय यह एक बहुत ही सुदृढ़ संस्था रही है, परन्तु अब दिन-प्रतिदिन इसका पतन हो रहा है। एक ही दिन में दस-दस कानून पारित हो जाते हैं। उन पर ठीक से बहस भी नहीं हो पाती। कानून को वास्तविक रूप प्रदान करने का ढंग भी बदल गया है। संसद् के पतन के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं

  • त्रिशंकु संसद् का बनना।
  • जिद्द की राजनीति।
  • सदन में सदस्यों की अनुपस्थिति।
  • सदन की बैठकों की संख्या में कमी।
  • कमेटी प्रणाली का कमज़ोर होना।
  • स्पीकर की निष्पक्षता के सम्बन्ध में सन्देह।

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प्रश्न 4.
संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री की क्या स्थिति है ? वर्तमान समय में उसकी स्थिति क्यों डगमगा गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुसार देश में प्रधानमन्त्री की स्थिति सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वह मन्त्रिमण्डल, मन्त्रिपरिषद् तथा लोकसभा का नेता होता है। देश की सभी नीतियां तथा कानून उसी के परामर्श के अनुसार बनते हैं। अपने मन्त्रिमण्डल के लिए मन्त्रियों का चुनाव वही करता है। कोई भी मन्त्री उसकी इच्छा के बिना अपने पद पर नहीं रह सकता।
परन्तु वर्तमान समय में लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता। इससे त्रिशंकु संसद् अस्तित्व में आती है। इसी कारण वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री की स्थिति डगमगा गई है।

प्रश्न 5.
विधानपालिका तथा कार्यपालिका के अर्थ तथा संगठन के बारे में लिखो।
उत्तर-
अर्थ-विधानपालिका तथा कार्यपालिका संसदीय सरकार के दो भाग हैं। विधानपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून बनाता है। कार्यपालिका का कार्य विधानपालिका द्वारा बनाये गए कानूनों को लागू करना है। __ संगठन-विधानपालिका के दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा। लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है। यह एक अस्थायी सदन है। इसके विपरीत राज्यसभा एक स्थाई सदन है। इसे उच्च सदन कहा जाता है। लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 250 निश्चित की गई है।

कार्यपालिका में राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल शामिल है। राष्ट्रपति नाममात्र की तथा प्रधानमन्त्री और उसका मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है।

राष्ट्रपति की सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल करता है। इनकी नियुक्ति विधानपालिका में से की जाती है। राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव किया जाता है।

प्रश्न 6.
संसदीय प्रणाली में संसद् की स्थिति कैसी होती है ?
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में संसद् सर्वोच्च होती है। कार्यपालिका (सरकार) अपने कार्यों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। संसद् कई तरीकों से सरकार पर अपना नियन्त्रण रखती है, जैसे- मन्त्रियों से प्रश्न पूछना, बहस, जीरो आवर (Zero Hour), स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निन्दा प्रस्ताव, ध्यान आकर्षण प्रस्ताव आदि।

प्रश्न 7.
भारत में संसदीय सरकार के अपनाने के कारण लिखें।
उत्तर-

  • संसदीय सरकार को सर्वोत्तम माना गया है।
  • संसदीय प्रणाली में उत्तरदायित्व और स्थिरता दोनों गुण पाये जाते ।
  • संसदीय सरकार कभी भी बदली जा सकती है। इसलिए यह निरंकुश नहीं बन पाती।
  • लोकतन्त्र को सही अर्थों में संसदीय सरकार ही स्थापित करती है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

PSEB 8th Class Home Science Guide घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मक्खी से कौन-से रोग फैलते हैं ?
उत्तर-
मक्खी से हैजा रोग फैलता है।

प्रश्न 2.
चूहे के पिस्सू से कौन-सी बीमारी फैलती है?
उत्तर-
चूहे के पिस्सू से प्लेग की बीमारी फैलती है।

प्रश्न 3.
मलेरिया किस मच्छर के काटने से होता है?
उत्तर-
मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

प्रश्न 4.
मच्छरों को कैसे नष्ट किया सकता है?
उत्तर-
मच्छरों को डी० डी० टी० से नष्ट किया जाता है।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कीड़े-मकौड़े कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
कीड़े-मकौड़े तीन प्रकार के होते हैंउत्तर-

  1. खून चूसने वाले-मच्छर, खटमल।
  2. भोजन को जहरीला बनाने वाले-मक्खी , चींटी।
  3. घर के सामान को हानि पहुंचाने वाले–काक्रोच, दीमक।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

प्रश्न 2.
मक्खी, मच्छर से बचने के लिए क्या करोगे ? इनसे क्या नुकसान हैं ?
अथवा
मक्खियों से कौन-से रोग फैलते हैं ? इनकी रोकथाम के ढंग लिखें।
उत्तर-
मक्खियों से बचने के उपाय

  1. घर के आस-पास मक्खियों के अण्डे देने और मक्खी पैदा होने के स्थान नष्ट कर देने चाहिए।
  2. गन्दगी वाले स्थान पर डी० डी० टी० के घोल का छिडकाव करना चाहिए। (3) कड़ेदान ढके होने चाहिए और उसके कूड़े का नियमित विसर्जन होना चाहिए।
  3. खाने की वस्तुओं को खुला नहीं छोड़ना चाहिए। उन्हें तार की जाली या मलमल के कपड़े से ढककर रखना चाहिए।
  4. दरवाज़े एवं खिड़कियों पर जाली लगवानी चाहिए।
  5. जब मक्खियाँ बहुतायत में हों तो मक्खीमार कागज़ तथा मक्खीमार दवा का इस्तेमाल करना चाहिए।
  6. मक्खियों के अण्डे, लारवा तथा प्यूपा को नष्ट करने के लिए क्रिसोल, तूतिया या सुहागे के घोल का छिड़काव कूड़ा-करकट वाले तथा अन्य ग़न्दे स्थानों पर करना चाहिए।
  7. नालियों में फिनायल का छिड़काव करना चाहिए।
  8. घर में स्वच्छता की ओर ध्यान देना चाहिए।

मक्खियों से नुकसान-मक्खी मनुष्य की सबसे बड़ी शत्रु है । यह अनेक रोगों, जैसे– हैंजा, पेचिस, तपेदिक, अतिसार आदि रोगों को फैलाने का कार्य करती है।

मक्खी उन गन्दे पदार्थों की ओर आकर्षित होती हैं जिनमें रोगों के रोगाणु या जीवाणु उपस्थित रहते हैं। जब यह गन्दगी पर बैठती है तो इसके रोंयेदार शरीर तथा चिपचिपे पैरों में गन्दगी व रोगों के जीवाणु लग जाते हैं। भोजन तथा कटे फलों आदि पर बैठकर यह रोगों के जीवाणुओं को वहाँ छोड़ देती है। इन रोगाणुयुक्त पदार्थों का सेवन करने से स्वस्थ व्यक्ति भी रोगों का शिकार हो जाता है।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 1
चित्र 6.1

मक्खी मच्छरों से बचने के उपाय

  1. घर के आँगन में या आस-पास पानी रुकने नहीं देना चाहिए।
  2. मच्छर शाम को काफी चुस्त होता है अतः शाम होते ही दरवाज़े व खिड़कियाँ बन्द कर देनी चाहिए।
  3. रात को सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
  4. मच्छर मारने के लिए फ्लिट का छिड़काव खासतौर पर मोटे पर्दो व अलमारियों के पीछे तथा अन्धेरे कोनों में करना चाहिए।
  5. कमरे में रात को तम्बाकू, धूप, नीम की पत्ती, अगरबत्ती व गन्धक की धूनी देनी चाहिए।
    PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 2
    चित्र 6.2 मच्छर
  6. सोने से पूर्व शरीर पर सरसों का तेल या ओडोमास क्रीम लगानी चाहिए।
  7. घर के आस-पास कूड़ा-करकट इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। घर और आसपास की जगह साफ़ रखनी चाहिए।

मच्छरों से नुकसान

  1. मलेरिया-मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से।
  2. डेंगू बुखार-एडिस एजेप्टी मच्छर के काटने से।
  3. फाइलेरिया-मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से।
  4. मस्तिष्क ज्वर-क्यूलेक्स की जाति के कारण।
  5. पीत ज्वर-एडिस मच्छर के काटने से।

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प्रश्न 3.
कॉकरोच को कैसे ख़त्म करोगे? यह क्या खराब करता है?
उत्तर-
कॉकरोच एक हानिकारक घरेलू कीट है। यह नमी वाले स्थानों पर होता है। इसलिए यह प्रायः शौचालय, रसोईघर व भण्डारगृह में अधिक मिलता है। यह भोजन और घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम अन्य सामान को खराब करता है। यह लगभग हर चीज़ को खा जाता है, जैसे-कूड़ा, पुराने कागज़, किताबें, चमड़ा, सब्जियों और फलों के छिलके और खाने की अन्य वस्तुएँ।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 3
चित्र 6.3 कॉकरोच
सेकथाम व नष्ट करने के उपाय

  1. सीलन वाले स्थानों की सफ़ाई जल्दीजल्दी करनी चाहिए।
  2. रसोई का फर्श बिल्कुल साफ़ रहना चाहिए।
  3. रसोईघर की तथा मकान की अन्य नालियों में सप्ताह में कम-से-कम एक बार मिट्टी का तेल या अन्य कीटनाशक दवा डालनी चाहिए। इसके बाद उबलता हुआ पानी नालियों में डालना चाहिए। इससे अण्डे देने के स्थान भी साफ़ हो जाते हैं।
  4. तिलचट्टों को मारने के विशेष अभियान में 10% डी०डी०टी० और 40% गैमेक्सीन या पाइरेथ्रम का छिड़काव करना चाहिए।
  5. पाइरेथ्रम पाउडर जलाने से ये बेहोश हो जाते हैं और फिर इन्हें झाड़ के साथ मारकर फेंक देना चाहिए।

प्रश्न 4.
किताबों के और कपड़ों के कीड़े से क्या नुकसान हैं ?
उत्तर–
किताबों के और कपड़ों के कीड़े से निम्नलिखित नुकसान हैं-

  1. ये पुस्तकों, तस्वीरों और गलीचे जो काफी दिनों तक बॉक्स में बंद रहते हैं उनको नुकसान पहुंचाते हैं।
  2. ये कीड़े रेशम के कपड़े और ऊनी कपड़ों को खाते हैं।
  3. ये कीड़े जो ऊनी कपड़ों में अण्डे होते हैं उनसे लारवा निकलते हैं। ये कपड़ों को खाते हैं जिनमें छेद हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
कुछ ऐसे प्रतिकारक बताओ जिनको सब कीड़ों-मकौड़ों से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
उत्तर-
कुछ मिले-जुले प्रतिकारक निम्नलिखित हैं-

  1. नींबू, तम्बाकू व तुलसी के पौधे।
  2. नीम, तम्बाकू आदि के पत्ते।
  3. चील काफूर की लकड़ी।
  4. यूक्लिप्टस की लकड़ी, पत्तियाँ व तेल।
  5. नैष्थलीन की गोलियाँ।।
  6. गन्धक, पाइरेथ्रम, बोरिक एसिड।
  7. साबुन का चूरा, फिटकरी या काली मिर्च का पाउडर।

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प्रश्न 6.
खून चूसने वाले चार कीड़ों के नाम बताओ।
उत्तर-
मच्छर, खटमल, पिस्स, सैंड-फ्लाई।

प्रश्न 7.
पुस्तकों को नुकसान पहुँचाने वाले कीड़ों का नाम बताओ।
उत्तर-
पुस्तकों को हानि पहुँचाने वाले कीड़े कॉकरोच, दीमक और झींगुर हैं।

प्रश्न 8.
भोजन वाली डोली के पाए पानी में क्यों रखने चाहिए?
उत्तर-
चींटियों से बचने के लिए भोजन वाली डोली के पाए पानी में रखने चाहिए।

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प्रश्न 9.
सैंडफ्लाई कैसा कीड़ा है और यह क्या नुकसान पहुँचाता है ?
उत्तर-
यह बहुत छोटा कीट है जो मच्छरदानी में भी पहुँच जाता है। विशेषकर रात को टखने और गुट पर काटता है। इससे बुखार भी हो जाता है।

प्रश्न 10.
खटमल कहाँ रहते हैं ? इनकी रोकथाम के ढंग लिखो।
उत्तर-
खटमल गन्दे फर्श, दरी या टूटे फर्श की दरार और खाट के सिरों में रहते हैं।
रोकथाम के ढंग-

  1. खटमल को नष्ट करने के लिए मिट्टी और तारपीन का तेल छिड़कना चाहिए।
  2. फर्श पर उबलता पानी डालना चाहिए इससे खटमल मर जाता है।
  3. खिड़की की चुगाठ को मिट्टी के तेल से साफ करना चाहिए।
  4. जहाँ खटमल हों वहाँ गंधक की धूनी करनी चाहिए।

प्रश्न 11.
मक्खीमार कागज़ कैसे तैयार किया जा सकता है?
उत्तर-
मक्खीमार कागज़ तैयार करने के लिए पाँच भाग अरंडी का तेल और आठ भाग रेजिन पाउडर लेकर गर्म करते हैं और उसे सूखने से पहले गर्म ही किसी कागज़ पर लगाते हैं। इस प्रकार मक्खी मार कागज़ तैयार हो जाता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

प्रश्न 12.
दीमक और झींगुर किस वस्तु की हानि करते हैं ?
उत्तर-
दीमक और झींगुर कागज़, लकड़ी और कपड़ों को नुकसान करते हैं।

प्रश्न 13.
घरेलू जीव-जन्तु कौन-कौन से हैं ? यह क्या नुकसान पहुंचाते हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कुछ ऐसे प्रतिकारक बताओ जिनको सब कीड़ों-मकौड़ों से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
उत्तर-
कुछ मिले-जुले प्रतिकारक अग्रलिखित हैं-

  1. नींबू, तम्बाकू व तुलसी के पौधे।
  2. नीम, तम्बाकू आदि के पत्ते।
  3. चील काफूर की लकड़ी।
  4. यूक्लिप्टस की लकड़ी, पत्तियाँ व तेल।
  5. नैथलीन की गोलियाँ।
  6. गन्धक, पाइरेथ्रम, बोरिक एसिड।
  7. साबुन का चूरा, फिटकरी या काली मिर्च का पाउडर।

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प्रश्न 2.
सैंडफ्लाई, पिस्सू, खटमल को मारने के लिए क्या प्रयोग करोगे?
उत्तर-
1. सैंडफ्लाई-
यह बहुत छोटा कीड़ा है। यह मच्छरदानी में भी दाखिल हो जाता है। यह विशेषकर रात को टखने और मुँह पर काटता है। इससे बचने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 4
चित्र 6.4 सैंड फ्लाई

  1. कुर्सियों, मेज़ और चारपाई के नीचे मच्छरमार तेल छिड़कना चाहिए।
  2. रात को मच्छरमार धूप जलानी चाहिए।
  3. बहुत बारीक मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
  4. घर के आस-पास की गीली जगहों पर फिनाइल छिड़कना चाहिए।

2. पिस्सूप्लेग बीमारी का कारण चूहे के पिस्सू होते हैं। पिस्सू छोटे और भूरे रंग के होते हैं। इनको मारने के निम्न उपाय करने चाहिए
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 5
चित्र 6.5 पिस्सू

  1. घर में पाले कुत्ते को कार्बोलिक साबुन से नहलाना चाहिए और नहलाने के पानी में कार्बोलिक अम्ल डालना चाहिए।
  2. जहाँ भी पिस्सू की सम्भावना हो, मिट्टी का तेल या तारपीन का तेल छिड़कना चाहिए।
  3. चूहों के द्वारा भी पिस्सू फैलते हैं अतः पिस्सू को नष्ट करने से पहले चूहों को नष्ट करना चाहिए।
  4. दीवार तथा फर्श की दरारों को सीमेंट से भर देना चाहिए।
  5. भूमि पर नमक अथवा चूना छिड़क देना चाहिए।
  6. सूर्य की तेज़ किरणों के प्रभाव से पिस्सुओं के लारवा मर जाते हैं।
  7. जीवाणुनाशक पाऊडर का प्रयोग करना चाहिए जिससे पिस्सुओं द्वारा प्लेग न फैले।

3. खटमल-खटमल गन्दे फर्श, दरी या टूटे फर्श की दरार और खाट के सिरों में रहते हैं। खटमल लाल भूरे रंग का कीड़ा होता है। यह 1/6 इंच से 1/7 इंच तक लम्बा होता है।
खटमल मारने के उपाय
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 6
चित्र 6.6 खटमल

  1. खटमल को नष्ट करने के लिए मिट्टी और तारपीन का तेल मिलाकर छिड़कना चाहिए।
  2. फर्श पर उबलता पानी डालना चाहिए इससे भी खटमल मर जाता है।
  3. जहाँ खटमल हो वहाँ गंधक की धूनी करनी चाहिए। इससे खटमल मर जाता है।

प्रश्न 3.
चूहे के घर में होने से क्या हानि होती है ? बचाव के उपाय बताओ।
उत्तर-
चूहे घर की खाद्य सामग्री तथा कपड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। ये भण्डार घर में अधिक पलते हैं।
चूहों पर प्लेग के कीट पिस्सू रहते हैं और चूहों के द्वारा ही वे मनुष्य तक पहुँचते हैं। ऐसे चूहे जिन व्यक्तियों को काटते हैं वे प्लेग के रोगी हो जाते हैं। इस प्रकार चूहे पिस्सुओं को आश्रय देकर बीमारियाँ फैलाते हैं। ‘
चूहों से बचाव के उपाय-

  1. चूहों के बिलों को काँच से या सीमेंट से भरकर अच्छी तरह बन्द कर देना चाहिए।
  2. चूहे मारने की दवा आटे में मिलाकर उनके बिल के पास डाल देने से चूहे उसे खाकर मर जाते हैं।
  3. भण्डारघर व रसोईघर में सभी खाद्य सामग्री को बन्द पीपों या डिब्बों में रखना चाहिए।
  4. भण्डारघर में से कुछ भी खाद्य सामग्री निकालते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कुछ भी ज़मीन पर न बिखरे।
  5. सब्जियाँ तथा फलों को तारों वाली टोकरी में ऊँची जगह पर टाँगना चाहिए।
  6. घर साफ-सुथरा रखना चाहिए। कोई भी खाने की चीज़ इधर-उधर नहीं बिखरनी चाहिए।
  7. इनको पकड़ने के लिए पिंजड़े (चूहेदानी) का प्रयोग करना चाहिए।
  8. चूहों को पकड़ने पर उन्हें अपने स्थान से बहुत दूर छोड़कर आना चाहिए।

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प्रश्न 4.
छिपकली और मकड़ी से छुटकारा पाने के ढंग बताओ।
उत्तर-
छिपकली से छुटकारा पाने के ढंग

  1. घर की दीवारों एवं छिद्रों में तथा फर्नीचरों में फ्लिट या डी० डी० टी० छिड़कते रहना चाहिए क्योंकि ऐसी जगहों पर ये अपना बिल बना लेती हैं।
  2. घर के भोज्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए।
  3. घर को साफ़ एवं कीटरहित रखना चाहिए क्योंकि कीट ही छिपकली का भोजन है। घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

मकड़ी से छुटकारा पाने के ढंग-

  1. घर को सदा साफ़ रखना चाहिए।
  2. फ्लिट तथा डी० डी० टी० पाउडर घर की दीवारों पर छिड़कना चाहिए।
  3. मकड़ी के जालों को साफ करते रहना चाहिए।

प्रश्न 5.
कीड़े और जीव-जन्तु मारने के लिए कौन-कौन सी कीटाणुनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है?
उत्तर-
कीड़े और जीव-जन्तु मारने के लिए निम्नलिखित कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है

  1. चूना-कच्चा तथा बुझा हुआ।
  2. पोटेशियम परमैंगनेट (लाल दवाई)।
  3. साबुन।
  4. डी० डी० टी०
  5. नीला तूतिया (कॉपर सल्फेट)
  6. कार्बोलिक अम्ल-कार्बोलिक साबुन तथा घोल के रूप में।
  7. डेटोल।
  8. फ़ार्मेलिन।
  9. लाईसोल।
  10. फिनाइल।
  11. क्रिसोल।
  12. क्लोरीन गैस।
  13. गन्धक का धुआँ।
  14. फार्मेल्डिहाइड गैस के रूप में।

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प्रश्न 6.
जुएँ कहाँ तथा क्यों पड़ जाती हैं ? इसकी रोकथाम के उपाय बताओ।
उत्तर-
जुएँ मनुष्य के सिर में तथा शरीर पर हो जाती हैं। सिर की जुएँ सिर के बालों में रहती हैं। यहाँ वे अण्डे देती हैं जिन्हें लीख कहते हैं। दूसरे प्रकार की जुएँ गन्दे कपड़ों व शरीर की त्वचा पर रहती हैं जुएँ बड़ी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाती हैं।
जुएँ गन्दी होती हैं। इनसे टाइफस बुखार तथा त्वचा के रोग हो जाते
जुओं की रोकथाम के ढंग-
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 7
चित्र 6.7 जूं

  1. जूं के मिलते ही उसे मार देना चाहिए।
  2. सिर में जुएँ होने पर बाज़ार में उपलब्ध जूं मार रसायन को। लगाकर कुछ घण्टों के बाद सिर धो लेना चाहिए।
  3. सिर में यदि जुएँ अधिक संख्या में हों तो बाल कटवा देने चाहिए।
  4. नारियल के तेल में मुश्क-कपूर डालकर सिर में मलने से भी जुएँ मर जाती हैं।
  5. शरीर में जुएँ होने पर बुने हुए कपड़ों को फर्श पर रखकर ऊपर खूब गर्म पानी डालना चाहिए। व्यक्ति को गर्म पानी व साबुन से मल-मलकर नहाना चाहिए।
  6. मैले कपड़ों को उबलते पानी में डालकर धोना चाहिए।
  7. बिस्तर की चादरों आदि की सफ़ाई रखनी भी आवश्यक है।

Home Science Guide for Class 8 PSEB घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
रक्त चूसने वाला कीट है
(क) मच्छर
(ख) मक्खी
(ग) काकरोच
(घ) दीमक।
उत्तर-
(क) मच्छर

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प्रश्न 2.
प्लेग की बिमारी किस से फैलती है ?
(क) मच्छर
(ख) चूहा
(ग) चींटी
(घ) सभी।
उत्तर-
(ख) चूहा

प्रश्न 3.
घर के सामान को हानि पहुँचाने वाला कीट है
(क) चींटी
(ख) खटमल
(ग) दीमक
(घ) मच्छर
उत्तर-
(ग) दीमक

प्रश्न 4.
………… कपड़ों तथा पुस्तकों को नष्ट करता है।
(क) झींगुर
(ख) मच्छर
(ग) खटमल
(घ) काकरोच।
उत्तर-
(क) झींगुर

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प्रश्न 5.
मक्खी से रोग फैलते हैं
(क) हैजा
(ख) पेचिश
(ग) तपैदिक
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 6.
मलेरिया के इलाज के लिए कौन-सी दवाई का प्रयोग होता है ?
(क) दाल चीनी
(ख) कुनीन
(ग) सौंफ
(घ) अजवाइन।
उत्तर-
(ख) कुनीन

प्रश्न 7.
ठीक तथ्य है
(क) मलेरिया एनाफलीज़ मच्छर के कारण होता है।
(ख) फाइलेरिया, मादा क्यूलैक्स की जाती के कारण होता है।
(ग) चूहे के पिस्सू से प्लेग की बिमारी फैलती है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

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II. ठीक/गलत बताएं

  1. मच्छर भोजन को ज़हरीला बना देता है।
  2. सैंड फलाई छोटा कीट है जो मच्छरदानी में भी दाखिल हो जाता है।
  3. नेवला तथा बिल्ली पालने से सांप से बचाव होता है।
  4. दीमक लाभदायक कीट है।
  5. मादा एनाफलीज़ मच्छर के काटने से मलेरिया होता है।
  6. डेंगू बुखार ऐडीज एजेपटी मच्छर के कारण होता है।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. एनाफलीज मच्छर से ………… हो जाता है। (From Board M.O.P.)
  2. कीड़े-मकौड़ों को ………….. श्रेणियों में बांटा गया है।
  3. ……………… कपड़ों तथा पुस्तकों को नष्ट करती हैं।
  4. चूहे ……………….. के पिस्सू पैदा करते हैं।
  5. खटमल से ……………. ज्वर हो जाता है।

उत्तर-

  1. मलेरिया,
  2. तीन
  3. झींगुर,
  4. प्लेग,
  5. काला।

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IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
बाल-पक्षाघात रोग किस अवस्था में होता है ?
उत्तर-
बच्चों में 5-7 वर्ष की अवस्था में।

प्रश्न 2.
मलेरिया के उपचार के लिए किस औषधि का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
कुनीन।

प्रश्न 3.
मच्छरों से कौन-सा बुखार फैलता है?
उत्तर-
मलेरिया।

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प्रश्न 4.
प्लेग की बीमारी किससे फैलती है ?
उत्तर-
चूहे के पिस्सू से ।

प्रश्न 5.
मक्खी से कौन-से रोग फैलते हैं ?
उत्तर-
हैजा रोग।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चूहे हानिकारक हैं, कैसे?
उत्तर-
क्योंकि इससे रोग के कीटाणु फैलते हैं।

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प्रश्न 2.
खटमल से कौन-से रोग फैलते हैं ?
उत्तर-
खटमल से काला ज्वर और चर्म रोग फैलते हैं।

प्रश्न 3.
कीड़ों द्वारा फैलने वाले रोगों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
मलेरिया, डेंगू, ज्वर, प्लेग, रिलेप्सिंग ज्वर

प्रश्न 4.
मलेरिया के प्रमुख लक्षण क्या हैं ?
उत्तर-
जी घबराना, सिर दर्द, ठण्ड व कंपकपी के साथ ज्वर चढ़ना।

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प्रश्न 5.
प्लेग रोग किन कीटों के काटने से होता है?
उत्तर-
पिस्सुओं के काटने से।

प्रश्न 6.
प्लेग के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
उत्तर-
105°-107°F तक ज्वर, कभी-कभी उल्टियाँ तथा दस्त लगना, बगल तथा जाँघ में गिल्टियाँ निकलना।

प्रश्न 7.
डेंगू ज्वर किस मच्छर के काटने से होता है ?
उत्तर-
एडिस ऐजेप्टी।

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प्रश्न 8.
डेंगू ज्वर के क्या लक्षण हैं ?
उत्तर-
ज्वर, पीठ तथा अन्य अंगों में पीड़ा, भूख व नींद मर जाना तथा कमज़ोरी।

प्रश्न 9.
पुनराक्रमण ज्वर (रिलेप्सिंग ज्वर) किन कीटों द्वारा होता है ?
उत्तर-
नँ और खटमल के द्वारा रक्त चूसने से।

प्रश्न 10.
पुनराक्रमण ज्वर के मुख्य लक्षण क्या हैं ?
उत्तर-
ज्वर 104° फा० तक, शरीर पर गुलाबी रंग के दाने, कभी-कभी उल्टी व चक्कर।

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प्रश्न 11.
तपेदिक या क्षय रोग के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
बाल-विवाह, अपूर्ण खुराक, कमज़ोरी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चींटियों से क्या नुकसान होता है ? इनसे बचाव के उपाय लिखो।
उत्तर-
चींटियाँ मृत जीव-जन्तु और गन्दगी की सफ़ाई करती हैं परन्तु ये काटकर नुकसान भी पहुंचाती हैं। चींटियाँ अगर खाने में पड़ जाती हैं तो खाना दूषित तथा थोड़ा विषैला हो जाता है।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 8
चित्र 6.8 चींटी
चींटियों से बचाव के उपाय-

  1. ये मीठे पदार्थों पर शीघ्र चढ़ती हैं अत: शहद व मुरब्बे आदि की शीशियों को पानी में रखना चाहिए।
  2. भोजन वाली डोली (अलमारी) के पाए पानी में रखने चाहिए।
  3. चींटियों की खुड्डों में बोरेक्स या हल्दी डाल देनी चाहिए।

प्रश्न 2.
मकड़ी से क्या हानि है ?
उत्तर-
मकड़ी गन्दे स्थानों पर पाई जाती है। यह घरेलू कीड़ेमकोड़े खाती है। यदि इसके मुँह से निकलने वाला लसलसा पदार्थ शरीर के किसी भी स्थान पर पड़ जाए तो वहाँ फफोले पड़ जाते हैं।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 9
चित्र 6.9 मकड़ी

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प्रश्न 3.
झींगुरों से बचाव के उपाय लिखो।
उत्तर-
झींगुर कागज़ व सूती कपड़े खाते हैं। आमतौर पर ये दिन में अन्धेरे कोनों में छिपे रहकर रात में बाहर आते हैं। झींगुरों से बचाव के उपाय निम्न हैं-
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चित्र 6.10 झींगुर

  1. वस्त्रों में नैप्थलीन की गोलियाँ रखनी चाहिए।
  2. इनके स्थानों पर सुहागे, पाइरेथ्रम या गन्धक का प्रयोग मददगार होता है।
  3. समय-समय पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव इस कीट को नाश करने में सहायक होता है।
  4. इनकी संख्या बढ़ जाने पर बन्द कमरे में पाइरेथ्रम पाउडर को जलाकर उसके धुएँ से इन्हें मारा जाता है।
  5. इनकी रोकथाम का सर्वोत्तम उपाय घरों की सफ़ाई करते रहना है।

प्रश्न 4.
कपड़ों के कीड़े ( पतंगों) की रोकथाम के उपाय बताओ।
उत्तर-
कपड़ों के पतंगों के लारवा गर्म कपड़ों और बुनी पोषाकों को नष्ट करते हैं। अण्डे जो ऊनी कपड़ों में दिए जाते हैं, उनसे लारवा निकलते हैं। ये कपड़ों को खाते हैं जिनसे उनमें छेद हो जाते हैं। इनकी रोकथाम के उपाय निम्न हैं—

  1. कपड़ों को जल्दी-जल्दी धूप दिखाते रहने से इनके लारवा मर जाते हैं।
  2. ऊनी कपड़ों को अख़बार में लपेटकर टिन के हवाबन्द बक्स में रखना चाहिए। अख़बारों की मुद्रण स्याही से ये पतंगें दूर भागते हैं।
  3. कपूर और नैष्थलीन की गोलियाँ भी कपड़ों में रखने से बचाव होता है।

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प्रश्न 5.
दीमक की रोकथाम और नष्ट करने के उपाय बताओ।
उत्तर-
दीमक मनुष्य के शरीर को हानि नहीं पहुँचाती, परन्तु घर में फर्नीचरों, छतों, दरवाज़ों, अन्य लकड़ी के सामान, पुस्तकों, वस्त्रों आदि को नष्ट कर देती है। लकड़ी इनका मुख्य भोजन है। इनसे बचाव के निम्नलिखित उपाय करने चाहिए
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 11
चित्र 6.11 दीमक

  1. लकड़ी के समान, पुस्तकें आदि को सीलन से बचाना चाहिए।।
  2. लकड़ी की वस्तुओं में जो दरारें हों, उन्हें या तो भर देना | चाहिए या उनमें मिट्टी के तेल का छिड़काव करना चाहिए।
  3. जिन वस्तुओं में दीमक जल्दी लग जाती है उन्हें सप्ताह में एक बार धूप में रखना चाहिए।
  4. दीमक की सम्भावना वाले सामान पर डी० डी० टी० छिड़कते रहना चाहिए।

प्रश्न 6.
सिल्वर फिश किन चीज़ों को नुकसान पहुँचाती है ? इसकी रोकथाम के उपाय बताओ।
उत्तर-
यह घरों में तस्वीरों के फ्रेम के पीछे के गत्ते, किताबों और कपड़ों को खाती है। यह कृत्रिम रेशम, माँडी लगे कपड़े, कागज़ और लुगदी पर निर्भर होती है। इसकी रोकथाम के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. अलमारियों, दराज़ों और बक्सों को अच्छी तरह साफ़ रखना चाहिए।
  2. कागज़ के टुकड़ों जैसे अनावश्यक पदार्थों को घर में इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए।
  3. किताबों की समय-समय पर देखभाल की जानी चाहिए।
  4. पाइरेथ्रम का पाउडर छिड़कना चाहिए।
  5. पाइरेथ्रम तथा गन्धक का धुआँ भी सिल्वर फिश का नाश करता है।

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प्रश्न 7.
मच्छर से बचने के उपाय बताओ।
उत्तर-
मक्खी मच्छरों से बचने के उपाय

  1. घर के आँगन में या आस-पास पानी रुकने नहीं देना चाहिए।
  2. मच्छर शाम को काफी चुस्त होता है अतः शाम होते ही दरवाज़े व खिड़कियाँ बन्द कर देनी चाहिए।
  3. रात को सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
  4. मच्छर मारने के लिए फ्लिट का छिड़काव खासतौर पर मोटे पर्दो व अलमारियों के पीछे तथा अन्धेरे कोनों में करना चाहिए।
  5. कमरे में रात को तम्बाकू, धूप, नीम की पत्ती, अगरबत्ती व गन्धक की धूनी देनी चाहिए।
    PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 2
    चित्र 6.2 मच्छर
  6. सोने से पूर्व शरीर पर सरसों का तेल या ओडोमास क्रीम लगानी चाहिए।
  7. घर के आस-पास कूड़ा-करकट इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। घर और आसपास की जगह साफ़ रखनी चाहिए।

प्रश्न 8.
कीड़े-मकौड़ों को हम कितनी श्रेणियों में बांट सकते हैं ? प्रत्येक का उदाहरण दें।
उत्तर-
कीड़े-मकौड़ों को हम तीन श्रेणियों में बांट सकते हैं-

  1. खून-चूसने वाले-मच्छर,
  2. भोजन को ज़हरीला बनाने वाले-कीड़े,
  3. घर के सामान के नुक्सान पहुंचाने वाले-दीमक।

प्रश्न 9.
पिस्सू और खटमल को मारने के लिए क्या करेंगे ?
उत्तर-
देखें प्रश्न 7 (अभ्यास का) का उत्तर।।

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प्रश्न 10.
मच्छरों से क्या हानि है ? इसकी रोक-थाम कैसे करोगे ?
उत्तर-
मच्छरों से नुकसान

  1. मलेरिया-मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से।
  2. डेंगू बुखार-एडिस एजेप्टी मच्छर के काटने से।
  3. फाइलेरिया-मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से।
  4. मस्तिष्क ज्वर-क्यूलेक्स की जाति के कारण।
  5. पीत ज्वर-एडिस मच्छर के काटने से।

प्रश्न 11.
मक्खियों के बचाव के लिए आप क्या करेंगे तथा इनका क्या नुक्सान है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 12.
(क) नीम, तम्बाकू या तुलसी का पौधा घर में क्यों लगाना चाहिए?
(ख) साँप बिच्छ्र से बचने के लिए क्या करोगे?
उत्तर-
नीम, तम्बाकू व तुलसी के पौधे घरों में दुर्गन्धनाशक, कीटनाशक व कीट प्रतिकारक होते हैं।
नीम की पत्तियों को अनाजों के बीच रखकर अनाजों को कीटों से सुरक्षित रखा जाता है। नीम की पत्तियाँ ऊनी कपड़ों को सुरक्षित रखती हैं।
तम्बाकू की पत्तियों का धुआँ कीटनाशक होता है। तम्बाकू की धूल से खमीरा बनाया जाता है जिसके धुएँ से कीट मर जाते हैं। इससे एक कीटनाशक औषधि निकोटीन सल्फेट भी बनाई जाती है।
तुलसी का पौधा साँप के काटे में विषमारक के रूप में काम आता है। साँप से बचने के उपाय

  1. घर के निकट की झाड़ियाँ काट देनी चाहिए।
  2. घर के आस-पास की ज़मीन, घर की दरारों और छेदों में फिनाइल डालनी चाहिए।
  3. तम्बाकू के पत्ते उबालकर छिड़कना चाहिए।
  4. नेवला व बिल्ली पालने से भी साँप से बचाव होता है।

बिच्छू से बचने के उपाय-

  1. कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल कर सभी कीटों को मार देना चाहिए।
  2. घर के सभी, खासकर अन्धेरे स्थानों को नियमित रूप से साफ़ करना चाहिए।

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घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम PSEB 8th Class Home Science Notes

  • कीड़े-मकौड़ों को हम तीन श्रेणियों में बाँट सकते हैं
    • खून चूसने वाले,
    • भोजन को ज़हरीला बनाने वाले,
    • घर के सामान को नुकसान पहुँचाने वाले।
  • एनोफेलीज़ जाति के मच्छर की मादाओं के काटने से मलेरिया रोग फैलता है।
  • क्यूलेक्स जाति के मच्छरों के काटने से भी यह रोग होता है।
  • मच्छर मारने के लिए फ्लिट छिड़कना चाहिए ।
  • अगर मच्छर काट ले और दर्द हो तो थोड़ा अमोनिया लगा लेना चाहिए।
  • खटमल गन्दे फर्श, दरी या टूटे फर्श की दरार और खाट के सिरों में रहते हैं।
  • खटमल लाल भूरे रंग का कीड़ा होता है।
  • चूहे के पिस्सू प्लेग की बीमारी फैलाते हैं।
  • कॉकरोच और तिलचट्टा भोजन और सामान दोनों चीज़ों को खराब करता है।
  • दीमक कागज़, लकड़ी आदि को नष्ट करती है। यह लकड़ी को अन्दर खाकर खोखला कर देती है।
  • झींगुर कपड़ों और पुस्तकों को नष्ट करती है।
  • कपड़े के कीड़े रेशम के कपड़े और ऊनी कपड़ों को खाते हैं।
  • चूहे प्लेग के पिस्सू पैदा करते हैं।
  • छिपकली छोटे-छोटे कीड़े-मकौड़े खाकर नुकसान की बजाए हमारी मदद करती है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

PSEB 8th Class Agriculture Guide पनीरियाँ तैयार करना Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सब्जियों के बीजों की शोध किस औषधि से की जाती है ?
उत्तर-
कैप्टान या थीरम।

प्रश्न 2.
टमाटर की पनीरी की बिजाई बोआई का उपयुक्त समय बताएं।
उत्तर-
नवम्बर का पहला सप्ताह, जुलाई का पहला पखवाड़ा।

प्रश्न 3.
मिर्च की पनीरी कब बोनी चाहिए ?
उत्तर-
अक्तूबर के आखिरी सप्ताह से आधे नवम्बर।

प्रश्न 4.
ग्रीष्म ऋतु के दो फूलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
सूरजमुखी, जीनिया।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 5.
शर्द ऋतु के दो फूलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
गुलेअशरफी, बरफ

प्रश्न 6.
सफैदे की नर्सरी लगाने का उपयुक्त समय कौन-सा है ?
उत्तर-
फरवरी-मार्च या सितम्बर-अक्तूबर।

प्रश्न 7.
पापलर की नर्सरी लगाने के लिए कलमों की लम्बाई कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर-
20-25 सैं०मी०

प्रश्न 8.
उस विधि का नाम बताएँ जिससे एक जैसी फलदार प्रजाति के पौधे तैयार किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
वनस्पति द्वारा; जैसे-कलमों के साथ।

प्रश्न 9.
प्याज की एक एकड़ की पनीरी तैयार करने के लिए कितना बीज बीजना चाहिए ?
उत्तर-
4-5 किलो बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 10.
दो फलों के नाम बताओ जो कि प्योंद आरोपन से तैयार किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
आम, अमरूद, सेब, नाशपाती।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कौन-कौन सी सब्जियाँ पनीरी द्वारा लगाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
शिमला मिर्च, बैंगन, प्याज, टमाटर, बंदगोभी, बरोकली, चीनी बंदगोभी, मिर्च आदि।

प्रश्न 2.
टमाटर तथा मिर्च की पनीरी की तैयारी के लिए बोआई का समय व प्रति एकड़ बीज की मात्रा के संबंध में बताएँ ।
उत्तर-

सब्जी बिजाई का समय प्रति एकड़ बीज की मात्रा
टमाटर नवम्बर का पहला सप्ताह, जुलाई का पहला पखवाड़ा (प्रथम पक्ष) 100 ग्राम
मिर्च अक्तूबर के अंतिम सप्ताह से अर्द्ध नवम्बर तक 200 ग्राम

 

प्रश्न 3.
सर्दी के कौन-कौन से दो फूल हैं और उनकी बोआई कब हो सकती है ?
उत्तर-
गेंदा, गुलअशर्फी समय सितम्बर से मार्च का है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 4.
सब्जियों की नर्सरी में पनीरी की जीवन रक्षा के लिए कौन-सी दवा डालनी चाहिए ?
उत्तर-
पनीरी को मरने से बचाने के लिए कैपटान या थीरम दवाई का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 5.
वनस्पति द्वारा कौन-कौन से फलयुक्त (फलदार) पौधे तैयार किए जाते
उत्तर-
वनस्पति द्वारा निम्नलिखित फलदार पौधे तैयार किए जाते हैं-आम, अमरूद, आलूचा, नींबू जाति, आड़, अंगूर, अनार, अंजीर, सेब, नाशपाती आदि।

प्रश्न 6.
बीज द्वारा कौन-कौन से फलयुक्त (फलदार) पौधे अच्छी तरह तैयार होते हैं ?
उत्तर-
बीज के द्वारा फलदार पौधे जैसे- पपीता, करौंदा, जामुन, फालसा आदि तैयार किए जाते हैं।

प्रश्न 7.
पापलर की पनीरी तैयार करने हेतु उपयुक्त विधि बताएँ।
उत्तर-
इसकी नर्सरी एक साल के पौधों से तैयार करनी चाहिए। कलमें 20-25 सैं०मी० लम्बाई वाली हों और 2-3 सैं०मी० मोटाई वाली हो। दीमक और बीमारियों से बचाने के लिए कलमों को क्लोरपेरीफास और एमिसान के साथ सुधाई कर लें। इन्हें अर्द्ध जनवरी से अर्द्ध मार्च तक लगाया जाना चाहिए। कलमों की एक आँख ऊपर रखकर शेष को भूमि में दबा दें तथा भूमि को गीला रखें जब तक कलम अंकुरित न हो जाए।

प्रश्न 8.
धरेक की नर्सरी तैयार करने हेतु बीज कैसे एकत्र करना चाहिए ?
उत्तर-
डेक की नर्सरी के लिए सेहतमंद अच्छे बढ़ने वाले और सीधे जाने वाले वृक्षों से ही बीज इकट्ठे करने चाहिए। गटोलियों को नवम्बर-दिसम्बर के महीने में इकट्ठा करना चाहिए।

प्रश्न 9.
फलयुक्त पौधों की नर्सरी किन विधियों से तैयार की जाती है ?
उत्तर-
फलदार पौधों की नर्सरी बीज के द्वारा और वनस्पति के द्वारा तैयार की जाती है। वनस्पति के द्वारा तैयार करने के ढंग हैं-कलमों द्वारा, दाब के साथ पौधे तैयार करना, प्योंद चढ़ाना, जड़ मूढ़ पर आँख फिट करना।

प्रश्न 10.
कलम के द्वारा पौधे तैयार करने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
कलम द्वारा पौधे कम समय में आसानी से तथा सस्ते तैयार हो जाते हैं। पौधे एकसार और एक ही नसल तथा आकार के तैयार किए जाते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

(इ) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
पनीरी तैयार करने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-

  1. बीज कीमती हैं और पनीरी तैयार करने के लिए इनकी ज़रूरत होती है।
  2. कई बीज बहुत ही छोटे आकार के होते हैं। इनको सीधा खेत में बीजना मुश्किल होता है।
  3. नर्सरी कम जगह में तैयार हो जाती है। इसलिए इसकी देखभाल अच्छी तरह से की जा सकती है।
  4. भूमि का अच्छा प्रयोग हो जाता है, पनीरी तैयार होने तक, खाली जमीन को किसी अन्य फसल के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
  5. कमज़ोर और खराब पौधों को खेत में लगाने से पहले ही निकाला जा सकता है।
  6. कम जगह होने के कारण पनीरी को गर्मी और सर्दी की मार से आसानी से बचाया जा सकता है।
  7. पनीरी को कीड़ों और बीमारियों से बचाना आसान है और खर्चा भी कम होता
  8. पनीरी आवश्यकता अनुसार अगेती तथा पछेती बोई जा सकती है तथा फसल से अधिक लाभ लिया जाता है।

प्रश्न 2.
सब्जियों की पनीरी तैयार करने के लिए भूमि की शुद्धि के विषय में बताएँ।
उत्तर-
सब्जियों की पनीरी तैयार करने के लिए भूमि का चुनाव करके आवश्यकता अनुसार उचित क्यारियाँ बनाई जाती हैं। इन क्यारियों की मिट्टी को बीज बोने से पहले शुद्ध पनीरियाँ तैयार करना किया जाता है। ताकि पनीरी को मिट्टी से कोई बीमारी न लग सके। मिट्टी को फार्मालीन दवाई 15-20% ताकत के घोल के साथ शुद्ध किया जाता है। ये घोल एक लीटर पानी में तैयार करना हो तो 15-20 मिलीलीटर दवाई का प्रयोग किया जाता है। परन्तु एक वर्ग की ज़मीन के लिए 2-3 लीटर घोल की ज़रूरत होती है। इस घोल से भूमि की 15 सैं०मी० ऊपरी सतह को अच्छी तरह से गीला (लबालब) किया जाता है। फिर इस मिट्टी को पालीथीन की शीट से ढक के शीट के किनारों को मिट्टी में दबा दिया जाता है। इसको 72 घण्टों के लिए ढक के रखा जाता है और इस तरह दवाई में से निकलने वाली गैस बाहर नहीं निकलती और इससे अच्छा असर हो जाता है। इसके बाद 3-4 दिनों तक क्यारियों की मिट्टी को पलटा दीजिए ताकि फार्मालीन का प्रभाव समाप्त हो जाए और क्यारियों में बुआई कर दो।

प्रश्न 3.
दाब से फलयुक्त (फलदार) पौधे कैसे तैयार किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
इस ढंग में माँ पौधे से नया पौधा अलग किए बगैर पहले ही उसके ऊपर जड़ें पैदा की जाती हैं। फलदार पौधे की एक शाख खींच कर इसको भूमि के पास लाकर बांध दिया जाता है। इसके निचले हिस्से में एक कट लगा कर इसको मिट्टी के साथ ढक दिया जाता है। इस तरह जड़ें जल्दी बनती हैं। इस शाख के पत्तों वाला भाग हवा में ही रखा जाता है। कुछ सप्ताह बाद जब इसकी जड़ें निकल आएं तो नए पौधे को काट कर गमले में या नर्सरी में लगा दिया जाता है।

प्रश्न 4.
सफैदे की नर्सरी तैयार करने संबंधी संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर-
सफैदे की नर्सरी तैयार करने के लिए अच्छे ढंग के साथ कृषि किए गए 4 साल की आयु से बड़े सफैदों में से सेहतमंद और ज्यादा तने वाले 2-3 पेड़ चुन के इनमें से बीज लिया जाता है। बीज लेने के लिए पौधे के ऊपर से शाख काटकर उससे लेने चाहिए न कि बीज ज़मीन से उठाने चाहिए। अच्छे पौधे से इकट्ठा किया गया बीज ही अच्छी पैदावार करता है। नर्सरी बोने का उपयुक्त समय फरवरी-मार्च से सितम्बर-अक्तूबर का है। नर्सरी गमलों में या उभरी क्यारियों में बोनी चाहिए।

प्रश्न 5.
प्योंद चढ़ाने की विधि बताएँ।
उत्तर-
इस तरीके में माँ पौधे की एक शाख जिस के ऊपर 2-3 आँखें हों, को जड़मुढ पौधे के ऊपर प्योंद किया जाता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि आँख उस पौधे से ली जाए जो अच्छा फल या फूल दे रहा हो और बीमारी से रहित हो। स्वस्थ आँख को चाकू की मदद से माँ पौधे से उतार दिया जाता है। जड़-मुढ़ पौधे के मुढ़ के ऊपर छील में इस प्रकार से कट लगाया जाता है ताकि आँख इसमें फिट हो सके। आँख को फिट करके इसके चारों तरफ से लपेट दिया जाता है तांकि कट बंद हो जाए। इस विधि का प्रयोग बसंत ऋतु में या बरसात में किया जाता है। आम, सेब, नाशपती, गुलाब आदि के लिए यह तरीका आजमाया जाता है।

प्रश्न 6.
शीशम की नर्सरी तैयार करने के लिए संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
टाहली (शीशम) की नर्सरी तैयार करने के लिए इसकी पकी हुई फलियों को दिसम्बर से जनवरी के महीने में सेहतमंद और सीधे तने वाले पेड़ों से इकट्ठी करनी चाहिए। नर्सरी गमलों, लिफाफों या क्यारियों में तैयार की जा सकती है। नर्सरी तैयार करने का सही समय जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त है। बोवाई से पहले फलियों या बीजों को 48 घण्टों के लिए ठंडे पानी में डूबो कर रखना चाहिए। बीज को 1 से 1.5 सैं० मी० गहरा बीजना चाहिए। 10-15 दिनों बाद बीज अंकुरित होने शुरू हो जाते हैं। जब पौधे 5-10 सैं०मी० ऊँचे हो जाएं तो इनको 15 × 10 सैं०मी० दूरी पर खुला रखना चाहिए। एक एकड़ में नर्सरी की क्यारियाँ तैयार करने के लिए 2-3.5 किलो फलियों की ज़रूरत होती है। इसमें से 60,000 पौधे तैयार हो सकते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 7.
फूलों की पनीरी तैयार करने की विधि बताएँ।
उत्तर-
फूलों की पनीरी तैयार करने के लिए ऊँची क्यारियाँ या गमलों का प्रयोग किया जाता है। फूलों की पनीरी तैयार करने के लिए एक घन मीटर के हिसाब के साथ एक हिस्सा मिट्टी, एक हिस्सा पत्तों की खाद और एक हिस्सा रूड़ी की खाद में 45 ग्राम मियूरेट ऑफ़ पोटाश, 75 ग्राम किसान खाद, 75 ग्राम सुपरफास्फेट का मिश्रण मिलाओ। पनीरी तैयार करने के लिए बनाई क्यारियों के ऊपर तैयार खाद के मिश्रण की 2-3 सैं०मी० परत डालो। फिर इस सतह के ऊपर बीज बिखेर दो और इसी मिश्रण के साथ इसको ढक दो। तुरन्त फव्वारे के साथ पानी दीजिए। यदि ये बीज नंगे हो जाएं तो इसे फिर मिश्रण के साथ ढक दीजिए। क्यारियों को लगातार गीला रखना चाहिए। पनीरी तैयार होने को 30-40 दिन लगते हैं।

प्रश्न 8.
क्यारियाँ तैयार करने के विषय में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
सब्जियों की पनीरी तैयार करने के लिए क्यारियाँ तैयार की जाती हैं। इसलिए खेत की अच्छी तरह से जुताई की जाती है और इसमें 1-1.25 मीटर चौड़ाई वाली क्यारियाँ तैयार की जाती हैं। यह ज़मीन से 15 सैं०मी० ऊँची बनाई जाती है। अगर खेत समतल हो तो इनको 3-4 मीटर से भी लम्बा बनाया जाता है, नहीं तो 3-4 मीटर लम्बी तो बनाई जाती हैं। क्यारियाँ तैयार करने से पहले ज़मीन में 3-4 क्विंटल गली-सड़ी गोबर की खाद प्रति मरले के हिसाब के साथ मिला देनी चाहिए। क्यारियों में बोवाई से कम-से-कम 10 दिन पहले पानी दो ताकि नदीनों को उगने का मौका मिल जाए, इस तरह बाद में नर्सरी में नदीनों की समस्या नहीं आएगी।

प्रश्न 9.
भूमि का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
पनीरी तैयार करने के लिए जमीन का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य बातें—

  1. जगह ऐसी हो जहाँ कम-से-कम 8 घंटे सूरज की रोशनी पड़ती हो।
  2. यहाँ पेड़ों की छाया नहीं होनी चाहिए।
  3. ज़मीन में पत्थर-रोड़े नहीं होने चाहिए।
  4. पानी का उचित प्रबन्ध होना।
  5. पानी निकास का उचित प्रबन्ध हो।
  6. रेतीली मैरा ज़मीन या चिकनी मैरा ज़मीन नर्सरी तैयार करने के लिए अच्छी मानी जाती है।

प्रश्न 10.
फलदार पौधों की नर्सरी किन विधियों से तैयार करनी चाहिए ?
उत्तर-
फलदार पौधों की नर्सरी को दो तरीकों के साथ तैयार किया जा सकता है(—
(1) बीज द्वारा
(2) वनस्पति द्वारा।

  1. बीज द्वारा नर्सरी तैयार करना-बीज द्वारा पौधे तैयार करना आसान और सस्ता तरीका है, पर इस तरीके के साथ तैयार किए पौधे एकसार नसल के नहीं होते और आकार
  2. वनस्पति द्वारा इस विधि द्वारा पौधे तैयार करने के तरीके हैं—
    • कलमों द्वारा
    • दाब के साथ पौधे तैयार करना
    • प्योंद चढ़ाना
    • जड़-मुढ़ पर आँख चढ़ाना।

इस तरीके के साथ पौधे एकसार नसल और आकार के होते हैं। फल भी जल्दी देते हैं। इसलिए वनस्पति द्वारा नर्सरी तैयार करने को पहल दी जाती है।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB पनीरियाँ तैयार करना Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सब्जियों की पनीरी तैयार करने का कमाई पक्ष के हिसाब से भविष्य कैसा है ?
उत्तर-
बहुत अच्छा है।

प्रश्न 2.
पनीरी वाली जगह पर सूरज की रोशनी कितने घंटे पड़नी चाहिए ?
उत्तर-
कम-से-कम 8 घण्टे।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 3.
पनीरी तैयार करने के लिए कौन-सी मिट्टी अच्छी है ?
उत्तर-
रेतीली मैरा या चिकनी मैरा।

प्रश्न 4.
सब्जी की पनीरी के लिए क्यारी की चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
1.0-1.25 मीटर चौड़ाई।

प्रश्न 5.
सब्जी की पनीरी के लिए क्यारियाँ ज़मीन से कितनी ऊँची होनी चाहिए ?
उत्तर-
15 सैं०मी०।

प्रश्न 6.
सब्जी की पनीरी के लिए क्यारी की लम्बाई बताओ।
उत्तर-
कम-से-कम 3-4 मीटर।

प्रश्न 7.
सब्जी की पनीरी के लिए तैयार क्यारियों की शोध के लिए कौन-सी दवाई है?
उत्तर-
फार्मालीन 15-20% ताकत।

प्रश्न 8.
सब्जी की पनीरी के बीज की शोध कौन-सी दवाई के साथ की जाती है ?
उत्तर-
कैप्टान या थीरम।

प्रश्न 9.
बैंगन की पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
अक्तूबर-नवम्बर, फरवरी-मार्च और जुलाई।

प्रश्न 10.
अगेती फूलगोभी की पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
मई-जून।

प्रश्न 11.
मुख्य फसल के लिए फूलगोभी की पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
जुलाई-अगस्त।

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प्रश्न 12.
पिछेती फूलगोभी के लिए पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
सितम्बर-अक्तूबर।

प्रश्न 13.
आषाढ़ी के प्याज की पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
मध्य अक्तूबर से मध्य जून तक।

प्रश्न 14.
सावनी के प्याज लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
मध्य मार्च से मध्य जन तक।

प्रश्न 15.
बैंगन, शिमला मिर्च की पनीरी लगाने के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
एक एकड़ के लिए बीज की मात्रा 400 ग्राम मात्रा और इसी तरह मिर्च के लिए 200 ग्राम है।

प्रश्न 16.
फूलगोभी के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
500 ग्राम प्रति एकड़।

प्रश्न 17.
फूलगोभी का मुख्य और पछेती फसल के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
250 ग्राम प्रति एकड़ दोनों के लिए।

प्रश्न 18.
अच्छा फायदा देने वाले फूल कौन-से हैं ?
उत्तर-
गलदाऊदी, डेलिया, मौसमी फूल।

प्रश्न 19.
फूलों की पनीरी कितने दिनों में तैयार हो जाती है ?
उत्तर-
30-40 दिनों में।

प्रश्न 20.
कलमों द्वारा तैयार किए जाने वाले फलदार पौधे कौन-से हैं ?
उत्तर-
अनार, मिट्ठा, आलूचा, अंजीर आदि।

प्रश्न 21.
कलम की लम्बाई और आँखों की गिनती बताओ।
उत्तर-
लम्बाई 6-8 ईंच और आँखों की गिनती 3-5.

प्रश्न 22.
उस पौधे को क्या कहते हैं? जिसके ऊपर प्योंद की जाती है।.
उत्तर-
जड़ मुढ़।

प्रश्न 23.
कौन-से फूल को प्योंद चढ़ा कर तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
गुलाब।

प्रश्न 24.
वन खेती वाले पौधे कौन-से हैं ?
उत्तर-
पापलर, सफेदा, डेक, टाहली।

प्रश्न 25.
पापलर की कलम की लम्बाई तथा मोटाई बताओ।
उत्तर-
20-25 सैं०मी० लम्बी और 2-3 सैं०मी० मोटी।

प्रश्न 26.
पापलर की कलमों को दीमक और बीमारियों से बचाने के लिए कौन-सी दवाई है ?
उत्तर-
क्लोरपेरीफास और एमीसान।

प्रश्न 27.
पापलर की नर्सरी के लिए अच्छा समय बताओ।
उत्तर-
मध्य जनवरी से मध्य मार्च।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 28.
पापलर के कितने साल वाले पौधे खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं ?
उत्तर-
एक साल के।

प्रश्न 29.1
सफेदे की पनीरी लगाने के लिए सही समय बताएं।
उत्तर-
फरवरी-मार्च या सितम्बर-अक्तूबर।

प्रश्न 30.
डेक की गटोलियाँ कब इकट्ठी की जाती हैं ?
उत्तर-
नवम्बर-दिसम्बर में।

प्रश्न 31.
डेक की नर्सरी बीजने का समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च।

प्रश्न 32.
डेक के बीज कितने समय में अंकुरित होने शुरू हो जाते हैं ?
उत्तर-
तीन सप्ताह के बाद।

प्रश्न 33.
पंजाब का राज्य वृक्ष कौन-सा है ?
उत्तर-
टाहली।

प्रश्न 34.
टाहली के बीजों को बोने से पहले कितने घंटे पानी में डूबो कर रखना चाहिए ?
उत्तर-
48 घंटों के लिए ठंडे पानी में।

प्रश्न 35.
एक एकड़ के लिए नर्सरी बोने के लिए टाहली की कितनी फलियां चाहिए ?
उत्तर-
2.0 से 3.5 किलो फलियां।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किस तरह की सब्जी की पनीरी तैयार की जा सकती है ?
उत्तर-
ऐसी सब्जियां जो उखाड़ कर दोबारा लगाने का झटका सह सकती हैं, उनकी पनीरी सफलतापूर्वक तैयार की जा सकती है।

प्रश्न 2.
सब्जियों की पनीरी के लिए कैसी भूमि का चुनाव करना चाहिए?
उत्तर-
जहाँ पर कम-से-कम 8 घंटे सूरज की रोशनी उपलब्ध हो और वृक्ष की छांव न हो और भूमि में पत्थर न हों।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 3.
पनीरी के लिए रेतीली मैरा या चिकनी मैरा मिट्टी बढ़िया क्यों है ?
उत्तर-
इस मिट्टी में मल्ल और चिकनी मिट्टी ठीक मात्रा में होती है इसलिए।

प्रश्न 4.
सब्जियों की पनीरी के लिए क्यारियों के आकार के बारे में बताओ।
उत्तर–
क्यारियों की चौड़ाई 1.0 से 1.25 मीटर भूमि से 15 सैंमी० ऊँचाई और 3-4 मीटर लम्बी बनाओ।

प्रश्न 5.
भूमि की शुद्धि के बाद फार्मालीन का असर कैसे खत्म किया जाता है ?
उत्तर-
3-4 दिनों के लिए एक से दो बार क्यारियों की मिट्टी पलट कर फार्मालीन का असर खत्म किया जाता है।

प्रश्न 6.
सब्जियों के बीज की गहराई तथा पंक्तियों में फासला बताओ।
उत्तर-
बीज को 1-2 सैं०मी० गहराई और पंक्तियों में फासला 5 सैं०मी० रखकर बुवाई कीजिए।

प्रश्न 7.
सब्जियों की पनीरी को उखाड़ कर खेत में लगाने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण बातें बताइए।
उत्तर-

  1. जब सब्जियों की पनीरी 4-6 सप्ताह की हो जाए तो उखाड़ने के योग्य हो जाती है।
  2. पनीरी को उखाड़ने के 3-4 दिन पहले नर्सरी को पानी नहीं देना चाहिए।
  3. पनीरी को हमेशा शाम को उखाड़ कर खेतों में लगाना चाहिए।
  4. पनीरी खेत में लगाने के बाद तुरन्त पानी लगा देना चाहिए।

प्रश्न 8.
मौसमी फूलों की पनीरी तैयार करने के लिए खादों का विवरण दें।
उत्तर-
75 ग्राम किसान खाद, 75 ग्राम सुपरफास्फेट, 45 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश का मिश्रण, एक हिस्सा मिट्टी, एक हिस्सा पत्तों की खाद और एक हिस्सा रूढ़ी खाद प्रति घन मीटर के हिसाब से मिलाया जाता है।

प्रश्न 9.
बीज द्वारा तैयार फलदार पौधों में क्या समस्या आती है ?
उत्तर-
बीज से तैयार पौधे एक जैसे नहीं होते, आकार में भी बड़े हो जाते हैं और इनकी देखभाल मुश्किल होती है।

प्रश्न 10.
वनस्पति द्वारा तैयार पौधों का क्या लाभ है ?
उत्तर-
यह एक जैसे नसल और एक आकार के होते हैं। यह फल भी जल्दी देते हैं। इनके फलों के आकार, रंग और गुण भी एक जैसे होते हैं।

प्रश्न 11.
पापलर की कलमों के बारे में बताओ।
उत्तर–
पापलर की कलमें एक साल की आयु में पौधों से तैयार करनी चाहिए न कि कांट-छांट और टहनियों से। यह 20-25 सैं०मी० लम्बी और 2-3 सैं०मी० मोटी होनी चाहिए।

प्रश्न 12.
पापलर की कलमों को दीमक और बीमारियों से बचाने का क्या तरीका है ?
उत्तर-
कलमों को 0.5 प्रतिशत क्लोरपेरीफास, 20 ताकत के घोल में 10 मिनट डुबोने के बाद 0.5% एमिसान पाऊडर के घोल में 10 मिनट के लिए डूबो कर प्रयोग किया जाता

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
विभिन्न फलों के लिए पत्ते लेने की विधि बताओ।
उत्तर-

फल पत्ते लेने की विधि
आम मार्च-अप्रैल में 5-7 महीनों के 30 पत्ते लो। जिन शाखों से पत्ते लेने हैं उन्हें फल तथा फूल न लगे हों।
आलूचा उसी वर्ष की शाखों (फोट) के बीच से मध्य मई से मध्य जुलाई तक में 3-4 महीने के 100 पत्ते लो।
आडू उसी वर्ष की शाखों (फोट) के बीच से मध्य मई से मध्य जुलाई में 3-4 महीने के 100 पत्ते लो।
अमरूद 5-7 महीने पुरानी बीच वाली शाखों से (जहां फल न लगे हों) अगस्तअक्तूबर में 50-60 पत्ते लो।
नींबू जाति फल के बिल्कुल पीछे से 4-8 महीने पुराने 100 पत्ते जुलाई-अक्तूबर तक लो।
बेर उसी वर्ष की शाखों (फोट) के बीच से 5-7 महीने के 70-80 पत्ते नवम्बर-जनवरी में लो।
नाशपाती उसी वर्ष की शाखों (फोट) के बीच से 4-6 महीने के 50-60 पत्ते जुलाई-सितम्बर में लो।

 

प्रश्न 2.
आम की प्योंद करने के बारे आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
आमों की कृषि प्योंद द्वारा की जाती है। इस उद्देश्य के लिए अच्छी तरह तैयार किए खेत में आम की गुठलियों को अगस्त महीने में बो देना चाहिए। इन्हें उगने में 2 हफ्ते लगते हैं। उगने के पश्चात् जब पत्ते हल्के रंग के ही हों तथा पत्ते का आकार साधारण से 1/4 हिस्सा हो तो यह पौधे उखाड़ लें। पौध के लिए पौधे अप्रैल तक पूरी तरह तैयार हो जाते हैं। प्योंद करने से पहले साफ-सुथरी तथा मज़बूत आंख तैयार कर लेनी चाहिए। प्योंद डाली का चुनाव करके उसके पत्ते उतार दें। 7-10 दिनों में डंडियां सूख कर गिर जाएंगी तथा आंखें थोड़ा ऊपर आ जाती हैं। इस प्योंद डाली को काट कर प्योंद कर दें। इस तरह प्योंद हुई डाली के निचले सिरे पर भी तिरछी कट लगा दें तथा उससे भी छील उतार दो। इस डाली की लम्बाई 8 सें० मी० से अधिक भी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अधिक लम्बाई से प्योंद डाली टूट सकती है। तैयार की हुई प्योंद काटे हुए छिलके के नीचे फंसा दी जाती है। बाद में कटे हुए छिलके को उसकी वास्तविक स्थिति में लाया जाता है। प्योंद किए भाग को 150200 गेज की पॉलीथीन पट्टियों से कस कर बांध दो। प्योंद करने के पश्चात् पौधे का ऊपरी सिरा वहीं रहने दिया जाता है तथा प्योंद की आंख फूट पड़ने के बाद पौधे का उससे ऊपरी हिस्सा काट दिया जाता है। इस विधि से आम की प्योंद मार्च से अक्तूबर महीने तक करनी चाहिए पर मई से अक्तूबर के महीने इसकी सफलता कम होती है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 3.
नाशपाती, आड़ तथा अलूचे की पनीरी तैयार करने के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-

  1. नाशपाती-इसकी प्योंद जंगली नाशपाती अथवा कैंथ के पौधों से की जाती है। टंग ग्राफ्टिंग जनवरी-फरवरी के महीने जबकि टी-बडिंग तरीके से पौध जून से अगस्त महीने में की जाती है। एक वर्ष से तीन वर्ष तक के पौधे सर्दियों में मध्य फरवरी तक तथा बड़ी आयु के पौधे दिसम्बर के अन्त तक लगाने चाहिएं।
  2. आलूचा-आलूचा जनवरी के मध्य तक लगाने चाहिएं। इन दिनों में पौधे सुप्तावस्था में होते हैं। आलूचे को सीधा काबल ग्रीन गेज की कलम पर ग्राफ्ट करके लगाओ। उनके निचले 5-7.5 सें० मी० हिस्से को आई० ऐ० 100 पी० पी० एम० के घोल में 24 घण्टे के लिए डुबो कर रखना चाहिए।
  3. आड़-उनकी वृद्धि पौध द्वारा अथवा आंख चढ़ा कर की जाती है। आडुओं की नस्ली वृद्धि के लिए शर्बती अथवा देसी किस्म के आड़ जैसे खुमानी के बीजों से तैयार हुई पौधों की जाती है। क्योंकि फ्लोरिडाशन किस्म के बीज कम होते हैं, इसलिए नस्लीय वृद्धि के लिए इनका प्रयोग नहीं किया जाता।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. शीशम पंजाब का राज्य वृक्ष है
  2. सब्जियों के बीज की सुधाई कैपटान से की जाती है।
  3. सूर्यमुखी सर्दी का फूल है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
सर्दी का फूल है—
(क) गेंदा
(ख) बर्फ
(ग) फलोक्स
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 2.
अगेती फूल गोभी की पनीरी लगाने का समय है—
(क) मई-जून
(ख) जनवरी
(ग) दिसंबर
(घ) कोई नहीं
उत्तर-
(क) मई-जून

प्रश्न 3.
वन्य कृषि वाला पौधा है—
(क) पापलर
(ख) पीपल
(ग) अमरूद
(घ) आम।
उत्तर-
(क) पापलर

रिक्त स्थान भरें

  1. गुलशर्फी ………. ऋतु का फूल है।
  2. शिमला मिर्च की सब्जी ………… द्वारा लगाई जाती है।
  3. फूलगोभी की मुख्य फसल के लिए बीज की मात्रा है …………… ग्राम प्रति एकड़ है।

उत्तर-

  1. सर्दी,
  2. पनीरी,
  3. 250

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

पनीरियाँ तैयार करना PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • पनीरी कम भूमि में तैयार हो जाती है और यह एक लाभदायक व्यवसाय है।
  • सब्ज़ियाँ, फूलों, फलों और वनस्पति के पौधों की पनीरी तैयार करके अच्छी आय ली जा सकती है।
  • बीज मूल्यवान होते हैं और पनीरी तैयार करके इनका समुचित प्रयोग किया जा सकता है।
  • छोटे किसान स्वयं पनीरी उगा कर सब्जी की फसल की तुलना में कई गुणा ज़्यादा फायदा ले सकते हैं।
  • उन सब्जियों की ही पनीरी सफलता से उगाई जा सकती है, जो ऊखाड़ कर फिर दोबारा लगाए जाने के झटके (आघात) को सहन कर सके।
  • पनीरी लगाई जाने वाले स्थान पर कम-से-कम 8 घंटे सूरज की रोशनी पड़नी चाहिए।
  • पनीरी वाली क्यारियाँ भूमि से 15 सैं०मी० ऊँची होनी चाहिए।
  • क्यारियों की मिट्टी को बीज बोने से पहले फारमालीन दवाई से शुद्ध कर लेना चाहिए।
  • पनीरी वाले बीज को कैप्टान या थीरम से शुद्ध करके बोना चाहिए।
  • सब्जियों की पनीरी जब 4-6 सप्ताह की हो जाए तो उन्हें उखाड़ कर मुख्य खेत में लगा दीजिए।
  • गर्मी ऋतु के फूल हैं-सूरजमुखी, जीनिया, कोचिया आदि।
  • शर्द ऋतु के फूल हैं-गेंदा, गुलशर्फी, बरफ, गार्डन पी, फलोक्स आदि।
  • मौसमी फूलों की पनीरी 30-40 दिनों में तैयार हो जाती है।
  • फलयुक्त पौधे जैसे कि पपीता, जामुन, फालसा, करौंदा को जड़ आधार पद्धति से तैयार किए जाते हैं।
  • कलमों द्वारा तैयार किए जाते पौधे हैं-बारामासी नींबू, मिठा, आलूचा, अनार और अंजीर।
  • फलों के पौधे जैसे-किन्नू, आम, अमरूद, नाशपाती, आड़, सेब आदि को प्योंद द्वारा तैयार किया जाता है।
  • वन कृषि में पापलर, सफैदा, डेक (धरक) और (टाहली) आदि लगाए जाते हैं।
  • डेक की नर्सरी बीजों द्वारा तैयार की जाती है।
  • टाहली (शीशम) पंजाब का राज्य वृक्ष है।
  • कलमों को दीमक और बीमारियों से बचाने के लिए क्लोरपेरीफास और एमिसान का प्रयोग किया जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज

SST Guide for Class 8 PSEB ग्रामीण जीवन तथा समाज Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें:

प्रश्न 1.
स्थायी बन्दोबस्त किसने, कब तथा कहां आरंभ किया ?
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त लार्ड कार्नवालिस ने 1793 ई० में बंगाल में आ म किया। बाद में यह व्यवस्था बिहार, उड़ीसा, बनारस तथा उत्तरी भारत में भी लागू की गई।

प्रश्न 2.
रैयतवाड़ी व्यवस्था किसने, कब तथा कहां-कहां शुरू की गई ? (P.B. 2009 Set-B)
उत्तर-
रैयतवाड़ी व्यवस्था 1820 ई० में अंग्रेज़ अधिकारी थॉमस मुनरो ने मद्रास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) में शुरू की।

प्रश्न 3.
महलवाड़ी व्यवस्था कौन-से तीन क्षेत्रों में लाग की गयी?
उत्तर-
महलवाड़ी व्यवस्था उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा मध्य भारत के कुछ प्रदेशों में लागू की गयी।

प्रश्न 4.
कृषि का वाणिज्यीकरण कैसे हुआ ?
उत्तर-
अंग्रेजी शासन से पूर्व कृषि गांव के लोगों की जरूरतों को ही पूरा करती थी। परन्तु अंग्रेजों द्वारा नई भूमिकर प्रणालियों के बाद किसान मण्डी में बेचने के लिए फसलें उगाने लगे ताकि अधिक-से-अधिक धन कमाया जा सके। इस प्रकार गांवों में कृषि का वाणिज्यीकरण हो गया।

प्रश्न 5.
वाणिज्यीकरण की मुख्य फ़सलें कौन-सी थीं ?
उत्तर-
वाणिज्यीकरण की मुख्य फ़सलें गेहूँ, कपास, तेल के बीज, गन्ना, पटसन आदि थीं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज

प्रश्न 6.
कृषि के वाणिज्यीकरण के दो मुख्य लाभ बतायें।
उत्तर-

  1. कृषि के वाणिज्यीकरण के कारण भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई जाने लगीं। इससे पैदावार में भी वृद्धि हुई।
  2. फ़सलों को नगर की मण्डियों तक ले जाने के लिए यातायात के साधनों का विकास हुआ।

प्रश्न 7.
कृषि के वाणिज्यीकरण के दो मुख्य दोष लिखें।
उत्तर-

  1. भारतीय किसान पुराने ढंग से कृषि करते थे। अतः मण्डियों में उनकी फ़सलें विदेशों में मशीनी कृषि द्वारा उगाई गई फ़सलों का मुकाबला नहीं कर पाती थीं। परिणामस्वरूप उन्हें अधिक लाभ नहीं होता था।
  2. मण्डी में किसान को अपनी फ़सल आढ़ती की सहायता से बेचनी पड़ती थी। आढ़ती मुनाफ़े का एक बड़ा भाग अपने पास रख लेते थे।

प्रश्न 8.
स्थायी बन्दोबस्त क्या था तथा उसके क्या आर्थिक प्रभाव पड़े ?
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त एक भूमि प्रबन्ध था। इसे 1793 ई० में लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल में लागू किया था। बाद में इसे बिहार, उड़ीसा, बनारस तथा उत्तरी भारत में लागू कर दिया गया। इसके अनुसार ज़मींदारों को सदा के लिए भूमि का स्वामी बना दिया गया। उनके द्वारा सरकार को दिया जाने वाला लगान निश्चित कर दिया गया। वे लगान की निश्चित राशि सरकारी खजाने में जमा करवाते थे। परन्तु किसानों से वे मनचाहा लगान वसूल करते थे। यदि कोई ज़मींदार लगान नहीं दे पाता था तो सरकार उसकी ज़मीन का कुछ भाग बेच कर लगान की राशि पूरी कर लेती थी।

आर्थिक प्रभाव-स्थायी बन्दोबस्त से सरकार की आय तो निश्चित हो गई, परन्तु किसानों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। ज़मींदार उनका शोषण करने लगे। ज़मींदार भूमि-सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे। फलस्वरूप किसान की पैदावार दिन-प्रतिदिन घटने लगी।

प्रश्न 9.
कृषि वाणिज्यीकरण पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना से पहले गांव आत्मनिर्भर थे। लोग कृषि करते थे जिसका उद्देश्य गांव की ज़रूरतों को पूरा करना होता था। फ़सलों को बेचा नहीं जाता था। गांव के अन्य कामगार जैसे कुम्हार, बुनकर, चर्मकार, बढ़ई, लुहार, धोबी, बारबर आदि सभी मिलकर एक-दूसरे की ज़रूरतों को पूरा करते थे। परन्तु अंग्रेज़ी शासन की स्थापना के बाद गांवों की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था समाप्त हो गई। नई भूमि-कर प्रणालियों के अनुसार किसानों को लगान की निश्चित राशि निश्चित समय पर चुकानी होती थी। पैसा पाने के लिए किसान अब मण्डी में बेचने के लिए फ़सलें उगाने लगे ताकि समय पर लगान चुकाया जा सके। इस प्रकार कृषि का उद्देश्य अब धन कमाना हो गया। इसे कृषि का वाणिज्यीकरण कहा जाता है। इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के बाद भारत में कृषि के वाणिज्यीकरण की प्रक्रिया और भी जटिल हो गई। अब किसानों को ऐसी फ़सलें उगाने के लिए विवश किया गया जिनसे इंग्लैण्ड के कारखानों को कच्चा माल मिल सके।

प्रश्न 10.
नील विद्रोह पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
नील विद्रोह नील की खेती करने वाले किसानों द्वारा नील उत्पादन पर अधिक लगान के विरोध में किये गये। 1858 ई० से 1860 ई० के बीच बंगाल तथा बिहार के एक बहुत बड़े भाग में नील विद्रोह हुआ। यहां के किसानों ने नील उगाने से इन्कार कर दिया। सरकार ने उन्हें बहुत डराया-धमकाया। परन्तु वे अपनी जिद्द पर अड़े रहे। जब सरकार ने कठोरता से काम लिया तो वे अंग्रेज़ काश्तकारों की फैक्टरियों पर हमला करके लूटमार करने लगे। उन्हें रोकने के लिए सभी सरकारी प्रयास असफल रहे।

1866-68 ई० में नील की खेती के विरुद्ध बिहार के चम्पारण जिले में विद्रोह हुआ। यह विद्रोह 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक जारी रहा। उनके समर्थन में गांधी जी आगे आए। तभी समस्या का समाधान हो सका।

प्रश्न 11.
महलवाड़ी व्यवस्था पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
महलवाड़ी व्यवस्था रैयतवाड़ी प्रबन्ध के दोषों को दूर करने के लिए की गयी। इसे उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा मध्य भारत के कुछ प्रदेशों में लागू किया गया। इस प्रबन्ध की विशेषता यह थी कि इसके द्वारा भूमि का सम्बन्ध न तो किसी बड़े ज़मींदार के साथ जोड़ा जाता था और न ही किसी कृषक के साथ। यह प्रबन्ध वास्तव में गांव के समूचे भाईचारे के साथ होता था। भूमि-कर देने के लिए गांव का समूचा भाईचारा ही उत्तरदायी होता था। भाई-चारे में यह निश्चित कर दिया गया था कि प्रत्येक किसान को क्या कुछ देना है। यदि कोई किसान अपना भाग नहीं देता था तो उसकी प्राप्ति गांव के भाई-चारे से की जाती थी। … इस प्रबन्ध को सबसे अच्छा प्रबन्ध माना जाता है क्योंकि इसमें पहले के दोनों प्रबन्धों के गुण विद्यमान थे। इस प्रबन्ध में केवल एक ही दोष था कि इसके अनुसार लोगों को बहुत अधिक भूमि-कर (लगान) देना पड़ता था।

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प्रश्न 12.
रैयतवाड़ी व्यवस्था के लाभ लिखें।
अथवा
रैयतवाड़ी प्रबन्ध पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
1820 ई० में थॉमस मुनरो मद्रास (चेन्नई) का गवर्नर नियुक्त हुआ। उसने भूमि का प्रबन्ध एक नये ढंग से किया, जिसे रैयतवाड़ी व्यवस्था के नाम से पुकारा जाता है। इसे मद्रास तथा बम्बई में लागू किया गया। इसके अनुसार सरकार ने भूमि-कर उन लोगों से लेने का निश्चय किया जो स्वयं कृषि करते थे। अतः सरकार तथा कृषकों के बीच जितने भी मध्यस्थ थे उन्हें हटा दिया गया। यह प्रबन्ध स्थायी प्रबन्ध की अपेक्षा अधिक अच्छा था। इसमें कृषकों को भूमि का स्वामी बना दिया गया। उनका लगान निश्चित कर दिया गया जो उपज का 40% से 55% तक था। इससे सरकारी आय में भी वृद्धि हुई।

इस प्रथा में कुछ दोष भी थे। इस प्रथा के कारण गांव का भाई-चारा समाप्त होने लगा और गांव की पंचायतों का महत्त्व कम हो गया। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा किसानों का शोषण होने लगा। कई ग़रीब किसानों को लगान चुकाने के लिए साहूकारों से धन उधार लेना पड़ा। इसके लिए उन्हें अपनी ज़मीनें गिरवी रखनी पड़ी।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. ठेकेदार किसानों को अधिक-से-अधिक …………… थे।
2. स्थायी बंदोबस्त के कारण …………… भूमि के मालिक बन गए।
3. ज़मींदार किसानों पर ………….. करते थे।
4. भारत में अंग्रेज़ी शासन की स्थापना से पूर्व भारतीय लोगों का प्रमुख कार्य………….करना था।
उत्तर-

  1. लूटते,
  2. ज़मींदार,
  3. बहुत जुल्म/अत्याचार,
  4. कृषि।

III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

1. भारत में अंग्रेज़ी शासन हो जाने से गांवों की आत्मनिर्भर व्यवस्था को बहुत लाभ हुआ। (✗)
2. महलवाड़ी प्रबन्ध गांव के सामूहिक भाईचारे से किया जाता था। (✓)
3. बंगाल के स्थायी बन्दोबस्त अनुसार अंग्रेज़ों ने बिक्री कानून लागू किया। (✓)

IV. सही जोड़े बनाएं:

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज 1

PSEB 8th Class Social Science Guide ग्रामीण जीवन तथा समाज Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही विकल्प चुनिए:

प्रश्न 1.
महलवाड़ी व्यवस्था कहां लागू की गई ?
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) पंजाब
(iii) मध्य भारत
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
थामस मुनरो द्वारा लागू भूमि व्यवस्था कौन-सी थी ?
(i) रैय्यतवाड़ी
(ii) महलवाड़ी
(iii) स्थायी बंदोबस्त
(iv) ठेका व्यवस्था।
उत्तर-
रैय्यतवाड़ी

प्रश्न 3.
नील विद्रोह कहाँ फैला ?
(i) पंजाब तथा उत्तर प्रदेश
(ii) बंगाल तथा बिहार
(iii) राजस्थान तथा मध्य भारत
(iv) दक्षिणी भारत।
उत्तर-
बंगाल तथा बिहार।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीतियों से भारतीय उद्योग क्यों तबाह हो गए ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने भारत में कुछ नये उद्योग स्थापित किए। इनका उद्देश्य अंग्रेजी हितों को पूरा करना था। परिणामस्वरूप भारतीय उद्योग तबाह हो गए।

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प्रश्न 2.
अंग्रेजों ने भारत में लगान (भूमि-कर) के कौन-कौन से तीन नए प्रबन्ध लागू किए ?
उत्तर-
(1) स्थायी बन्दोबस्त (2) रैयतवाड़ी प्रबन्ध तथा (3) महलवाड़ी प्रबन्ध।

प्रश्न 3.
अंग्रेज़ों की भूमि सम्बन्धी नीतियों का मुख्य उद्देश्य क्या था ? .
उत्तर-
भारत से अधिक-से-अधिक धन इकट्ठा करना।

प्रश्न 4.
अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी कब प्राप्त हुई ? वहां लगान इकट्ठा करने का काम किसे सौंपा गया ?
उत्तर-
अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी 1765 ई० में प्राप्त हुई। वहां से लगान इकट्ठा करने का काम आमिलों को सौंपा गया।

प्रश्न 5.
इज़ारेदारी किसने लागू की थी ? इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर-
इज़ारेदारी लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्ज़ ने लागू की थी। इसका अर्थ है-ठेके पर भूमि देने का प्रबन्ध।

प्रश्न 6.
रैयतवाड़ी प्रबन्ध में लगान की राशि कितने वर्षों बाद बढ़ाई जाती थी ?
उत्तर-
20 से 30 वर्षों बाद।

प्रश्न 7.
महलवाड़ी प्रबन्ध का मुख्य दोष क्या था ?
उत्तर-
इसमें किसानों को बहुत अधिक लगान देना पड़ता था।

प्रश्न 8.
कृषि का वाणिज्यीकरण कौन-कौन से पांच क्षेत्रों में सबसे अधिक हुआ ?
उत्तर-
पंजाब, बंगाल, गुजरात, खानदेश तथा बरार में।

प्रश्न 9.
बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त के अनुसार लागू किया गया बिक्री कानून क्या था ?
उत्तर-
बिक्री कानून के अनुसार जो ज़मींदार हर साल 31 मार्च तक लगान की राशि सरकारी खज़ाने में जमा नहीं करवाता था, उसकी ज़मीन किसी दूसरे ज़मींदार को बेच दी जाती थी।

प्रश्न 10.
किसान विद्रोहों का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर-
किसान विद्रोहों का मुख्य कारण अधिक लगान तथा इसे कठोरता से वसूल करना था। इससे किसानों की दशा खराब हो गई। इसलिए उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लॉर्ड वारेन हेस्टिग्ज़ द्वारा लागू इजारेदारी प्रथा पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
इज़ारेदारी का अर्थ है-ठेके पर भूमि देने का प्रबन्ध। यह प्रथा वारेन हेस्टिग्ज़ ने आरम्भ की। इसके अनुसार भूमि का पांच साला ठेका दिया जाता था। जो ज़मींदार भूमि की सबसे अधिक बोली देता था उसे उस भूमि से पांच साल तक लगान वसूल करने का अधिकार दे दिया जाता था। 1777 ई० में पांच साला ठेके के स्थान पर एक साला ठेका दिया जाने लगा। परन्तु ठेके पर भूमि देने का प्रबन्ध बहुत ही दोषपूर्ण था। ज़मींदार (ठेकेदार) किसानों को बहुत अधिक लूटते थे। इसलिए किसानों की आर्थिक दशा खराब हो गई।

प्रश्न 2.
स्थायी बन्दोबस्त से किसानों की अपेक्षा ज़मींदारों को अधिक लाभ कैसे पहुंचा ?
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त के कारण ज़मींदारों को बहुत लाभ हुआ। अब वे भूमि के स्थायी स्वामी बन गए। उनको भूमि बेचने या बदलने का अधिकार मिल गया। वे निश्चित लगान कम्पनी को देते थे परन्तु वे किसानों से अपनी इच्छानुसार लगान वसूल करते थे। यदि कोई किसान लगान न दे पाता तो उससे भूमि छीन ली जाती थी। अधिकतर जमींदार शहरों में विलासी जीवन बिताते थे जबकि किसान ग़रीबी और भूख के वातावरण में अपने दिन बिताते थे। अत: हम कह सकते थे कि स्थायी बन्दोबस्त से किसानों की अपेक्षा ज़मींदारों को अधिक लाभ पहुंचा।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों द्वारा लागू की गई नई भू-राजस्व व्यवस्थाओं के क्या प्रभाव पड़े ?
उत्तर-
अंग्रेजों द्वारा लागू की गई नई भू-राजस्व व्यवस्थाओं के बहुत बुरे प्रभाव पड़े-

  • ज़मींदार किसानों का बहुत अधिक शोषण करते थे। लगान वसूल करते समय उन पर तरह-तरह के अत्याचार भी किये जाते थे। सरकार उन्हें अत्याचार करने से नहीं रोकती थी।
  • ज़मींदार सरकार को निश्चित लगान देकर भूमि के स्वामी बन गए। वे किसानों से मनचाहा कर वसूल करते थे। इससे ज़मींदार तो धनी होते गए, जबकि किसान दिन-प्रतिदिन ग़रीब होते गए।
  • जिन स्थानों पर रैयतवाड़ी तथा महलवाड़ी प्रबन्ध लागू किए गए, वहां सरकार स्वयं किसानों का शोषण करती थी। इन क्षेत्रों में उपज का 1/3 भाग से लेकर 1/2 भाग तक भूमि-कर के रूप में वसूल किया जाता था। लगान की दर हर साल बढ़ती जाती थी।
  • भूमि के निजी सम्पत्ति बन जाने के कारण इसका परिवार के सदस्यों में बंटवारा होने लगा। इस प्रकार भूमि छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटती गई।
  • किसानों को निश्चित तिथि पर लगान चुकाना होता था। अकाल, बाढ़, सूखे आदि की दशा में भी उनका लगान माफ़ नहीं किया जाता था। इसलिए लगान चुकाने के लिए उन्हें अपनी ज़मीन साहूकार के पास गिरवी रख कर धन उधार लेना पड़ता था। इस प्रकार वे अपनी ज़मीनों से भी हाथ धो बैठे और उनका ऋण भी लगातार बढ़ता गया जिसे वे जीवन भर नहीं उतार पाये।
  • सच तो यह है कि अंग्रेज़ी सरकार की कृषि-भूमि सम्बन्धी नीतियों का मुख्य उद्देश्य अधिक-से-अधिक धन प्राप्त करना तथा अपने प्रशासनिक हितों की पूर्ति करना था। अतः इन नीतियों ने किसानों को ग़रीबी तथा ऋण की जंजीरों में जकड़ लिया।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेजों के शासन के समय लागू किये गए स्थायी बन्दोबस्त, रैयतवाड़ी प्रबन्ध ( व्यवस्था) तथा महलवाड़ी प्रबन्ध (व्यवस्था) का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त, रैयतवाड़ी तथा महलवाड़ी प्रबन्ध अंग्रेजों द्वारा लागू नई लगान प्रणालियां थीं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :
1. स्थायी बन्दोबस्त- भूमि का स्थायी बन्दोबस्त 1793 ई० में लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल में लागू किया था। बाद में इसे बिहार, उड़ीसा, बनारस तथा उत्तरी भारत में भी लागू कर दिया गया। इसके अनुसार ज़मींदारों को सदा के लिए भूमि का स्वामी मान लिया गया। उनके द्वारा सरकार को दिया जाने वाला लगान निश्चित कर दिया गया। वे लगान की निश्चित राशि सरकारी खजाने में जमा करवाते थे। परन्तु किसानों से वे मनचाहा लगान वसूल करते थे। यदि कोई ज़मींदार लगान नहीं दे पाता था तो सरकार उसकी ज़मीन का कुछ भाग बेच कर लगान की राशि पूरी कर लेती थी।
स्थायी बन्दोबस्त से सरकार की आय तो निश्चित हो गई, परन्तु किसानों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। ज़मींदार उनका शोषण करने लगे।

2. रैयतवाड़ी व्यवस्था-1820 ई० में थॉमस मुनरो मद्रास (चेन्नई) का गवर्नर नियुक्त हुआ। उसने भूमि का प्रबन्ध एक नये ढंग से किया, जिसे रैयतवाड़ी व्यवस्था के नाम से पुकारा जाता है। इसे मद्रास तथा बम्बई में लागू किया गया। सरकार ने भूमि-कर उन लोगों से लेने का निश्चय किया जो स्वयं कृषि करते थे। अतः सरकार तथा कृषकों के बीच जितने भी मध्यस्थ थे उन्हें हटा दिया गया। यह प्रबन्ध स्थायी प्रबन्ध की अपेक्षा अधिक अच्छा था। इसमें कृषकों के अधिकार बढ़ गये तथा सरकारी आय में भी वृद्धि हुई।

इस प्रथा में कुछ दोष भी थे। इस प्रथा के कारण गांव का भाई-चारा समाप्त होने लगा और गांव की पंचायतों का महत्त्व कम हो गया। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा किसानों का शोषण होने लगा। कई गरीब किसानों को लगान चुकाने के लिए साहूकारों से धन उधार लेना पड़ा। इसके लिए उन्हें अपनी ज़मीनें गिरवी रखनी पड़ी।

3. महलवाड़ी व्यवस्था (प्रबंध)-महलवाड़ी प्रबन्ध रैयतवाड़ी व्यवस्था के दोषों को दूर करने के लिए किया गया। इसे उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा मध्य भारत के कुछ प्रदेशों में लागू किया गया। इस प्रबन्ध की विशेषता यह थी कि इसके द्वारा भूमि का सम्बन्ध न तो किसी बड़े ज़मींदार के साथ जोड़ा जाता था और न ही किसी कृषक के साथ। यह प्रबन्ध वास्तव में गांव के समूचे भाई-चारे के साथ होता था। भूमि-कर देने के लिए गांव का समूचा भाई-चारा ही उत्तरदायी होता था। भाई-चारे में यह निश्चित कर दिया गया था कि प्रत्येक किसान को क्या कुछ देना है। यदि कोई किसान अपना भाग नहीं देता था तो उसकी प्राप्ति गांव के भाई-चारे से की जाती थी। इस प्रबन्ध को सबसे अच्छा प्रबन्ध माना जाता है क्योंकि इसमें पहले के दोनों प्रबन्धों के गुण विद्यमान थे। इस प्रबन्ध में केवल एक ही दोष था कि इसके अनुसार लोगों को बहुत अधिक भूमि कर (लगान) देना पड़ता था।

प्रश्न 3.
स्थायी बन्दोबस्त क्या है तथा इसके मुख्य लाभ तथा हानियां भी बताएं।
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त एक भूमि प्रबन्ध था। इसे 1793 ई० में लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल में लागू किया था। बाद में इसे बिहार, उड़ीसा, बनारस तथा उत्तरी भारत में लागू कर दिया गया। इसके अनुसार ज़मींदारों को सदा के लिए भूमि का स्वामी बना दिया गया। उनके द्वारा सरकार को दिया जाने वाला लगान निश्चित कर दिया गया। वे लगान की निश्चित राशि सरकारी खज़ाने में जमा करवाते थे, परन्तु किसानों से वे मनचाहा लगान वसूल करते थे। यदि कोई ज़मींदार लगान नहीं दे पाता था तो सरकार उसकी ज़मीन का कुछ भाग बेच कर लगान की राशि पूरी कर लेती थी। इससे किसान की पैदावार दिन-प्रतिदिन घटने लगी।

स्थायी बन्दोबस्त के लाभ-स्थायी बंदोबस्त का लाभ मुख्यतः सरकार तथा ज़मींदारों को पहुंचा –

  1. इस बन्दोबस्त द्वारा ज़मींदार भूमि के स्वामी बन गए।
  2. अंग्रेजी सरकार की आय निश्चित हो गई।
  3. ज़मींदार धनी बन गए। उन्होंने अपना धन उद्योग स्थापित करने तथा व्यापार के विकास में लगाया।
  4. भूमि का स्वामी बना दिए जाने के कारण ज़मींदार अंग्रेजों के वफ़ादार बन गए। उन्होंने भारत में अंग्रेज़ी शासन की नींव को मज़बूत बनाने में सहायता की।
  5. लगान को बार-बार निश्चित करने की समस्या न रही।
  6. ज़मींदारों के प्रयत्नों से कृषि का बहुत विकास हुआ।

हानियां अथवा दोष-स्थायी बन्दोबस्त में निम्नलिखित दोष थे-

  1. ज़मींदार किसानों पर बहुत अधिक अत्याचार करने लगे।
  2. सरकार की आय निश्चित हो गई थी, परन्तु उसका खर्चा लगातार बढ़ रहा था। इसलिए सरकार को लगातार हानि होने लगी।
  3. करों का बोझ उन लोगों पर पड़ने लगा जो खेती नहीं करते थे।
  4. सरकार का किसानों के साथ कोई सीधा सम्पर्क न रहा।
  5. इस बन्दोबस्त ने बहुत से ज़मींदारों को आलसी तथा ऐश्वर्यप्रिय बना दिया।

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प्रश्न 4.
किसान विद्रोहों का वर्णन करो।
उत्तर–
किसान विद्रोहों के निम्नलिखित कारण थे-

1. अधिक लगान-अंग्रेजों ने भारत के जीते हुए प्रदेशों में अलग-अलग लगान-प्रणालियां लागू की थीं। इनके अनुसार किसानों को बहुत अधिक लगान देना पड़ता था। इसलिए वे साहूकारों के ऋणी हो गए जिससे उनकी आर्थिक दशा खराब हो गई।

2. बिक्री कानून-बंगाल के स्थायी बन्दोबस्त के अनुसार सरकार ने बिक्री कानून लागू किया। इसके अनुसार जो जमींदार हर साल अपना लगान मार्च तक सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाता था, उस की भूमि छीन कर किसी और ज़मींदार को बेच दी जाती थी। इसके कारण ज़मींदारों तथा उनकी भूमि पर खेती करने वाले किसानों में रोष फैला हुआ था।

3. ज़मीनें जब्त करना-मुग़ल बादशाहों द्वारा राज्य के जागीरदारों को कुछ ज़मीनें ईनाम में दी गई थीं। ये ज़मीनें कर-मुक्त थीं। परन्तु अंग्रेजों ने ये ज़मीनें जब्त कर ली और इन पर फिर से कर लगा दिया। इतना ही नहीं लगान में वृद्धि भी कर दी गई। उनसे लगान वसूल करते समय कठोरता से काम लिया जाता था।

मुख्य किसान विद्रोह-

(1) अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना के पश्चात् शीघ्र ही बंगाल में एक विद्रोह हुआ। इसमें किसानों, संन्यासियों तथा फ़कीरों ने भाग लिया। उन्होंने शस्त्र धारण करके जत्थे बना लिये। इन जत्थों ने अंग्रेजी सैनिक टुकड़ियों को बहुत अधिक परेशान किया। इस विद्रोह को दबाने में अंग्रेज़ी सरकार को लगभग 30 वर्ष लग गये।

(2) 1822 ई० में रामोसी किसानों ने चित्तौड़, सतारा तथा सूरत में अधिक लगान के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। 1825 में सरकार ने सेना तथा कूटनीति के बल पर विद्रोह को दबा दिया। उनमें से कुछ विद्रोहियों को पुलिस में भर्ती कर लिया गया, जबकि अन्य विद्रोहियों को ग्रांट में ज़मीनें देकर शांत कर दिया गया।

(3) 1829 में सेंडोवे जिले के किसानों ने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उन्होंने अपने नेता के नेतृत्व में अंग्रेज़ी पुलिस पर हमले किये और बड़ी संख्या में उन्हें मार डाला।

(4) 1835 ई० में गंजम जिले के किसानों ने धनंजय के नेतृत्व में विद्रोह किया। यह विद्रोह फरवरी, 1837 ई० तक चलता रहा। विद्रोहियों ने वृक्ष गिरा कर अंग्रेज़ी सेना के रास्ते बन्द कर दिए। अन्त में सरकार ने एक बहुत बड़े सैनिक बल की सहायता से विद्रोह का दमन कर दिया।

(5) 1842 ई० में सागर में अन्य किसान विद्रोह हुआ। इसका नेतृत्व बुन्देल ज़मींदार माधुकर ने किया। इस विद्रोह में किसानों ने कई पुलिस अफसरों को मौत के घाट उतार दिया तथा अनेक कस्बों में लूटमार की।

सरकार द्वारा अधिक लगान लगाने तथा ज़मीनें जब्त करने के विरोध में देश के अन्य भागों में भी किसान विद्रोह हुए। इन विद्रोहों में पटियाला तथा रावलपिंडी (आधुनिक पाकिस्तान में) के किसान विद्रोहों का नाम लिया जा सकता है।

प्रश्न 5.
भारत में अंग्रेजों के राज्य के समय हुए कृषि के वाणिज्यीकरण के बारे में लिखो।
उत्तर-
भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना से पहले गांव आत्मनिर्भर थे। लोग कृषि करते थे जिसका उद्देश्य गांव की ज़रूरतों को पूरा करना होता था। फ़सलों को बेचा नहीं जाता था। गांव के अन्य कामगार जैसे कुम्हार, जुलाहे, चर्मकार, बढ़ई, लुहार, धोबी, बार्बर आदि सभी मिलकर एक-दूसरे की ज़रूरतों को पूरा करते थे। परन्तु अंग्रेज़ी शासन की स्थापना के बाद गांवों की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था समाप्त हो गई। नई भूमि-कर प्रणालियों के अनुसार किसानों को लगान की निश्चित राशि निश्चित समय पर चुकानी होती थी। पैसा पाने के लिए किसान अब मंडी में बेचने के लिए फ़सलें उगाने लगे ताकि समय पर लगान चुकाया जा सके। इस प्रकार कृषि का उद्देश्य अब धन कमाना हो गया। इसे कृषि का वाणिज्यीकरण कहा जाता है। इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के बाद भारत में कृषि के वाणिज्यीकरण की प्रक्रिया और भी जटिल हो गई। अब किसानों को ऐसी फ़सलें उगाने के लिए विवश किया गया जिनसे इंग्लैंड के कारखानों को कच्चा माल मिल सके।

वाणिज्यीकरण के प्रभाव –
लाभ-

  1. भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़सलें उगाने से उत्पादन बढ़ गया।
  2. फ़सलों को नगरों की मण्डियों तक ले जाने के लिए यातायात के साधनों का विकास हुआ।
  3. नगरों में जाने वाले किसान कपड़ा तथा घर के लिए अन्य ज़रूरी वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर खरीद कर ला सकते थे।
  4. शहरों के साथ सम्पर्क हो जाने से किसानों का दृष्टिकोण विशाल हुआ। परिणामस्वरूप उनमें धीरे-धीरे राष्ट्रीय जागृति उत्पन्न होने लगी।

हानियां-

  1. भारतीय किसान पुराने ढंग से कृषि करते थे। अतः मण्डियों में उनकी फ़सलें विदेशों में मशीनी कृषि द्वारा उगाई गई फ़सलों का मुकाबला नहीं कर पाती थीं। परिणामस्वरूप उन्हें अधिक लाभ नहीं मिल पाता था।
  2. मण्डी में किसान को अपनी फ़सल आढ़ती की सहायता से बेचनी पड़ती थी। आढ़ती मुनाफ़े का एक बड़ा भाग अपने पास रख लेते थे। इसके अतिरिक्त कई बिचौलिए भी थे। इस प्रकार किसान को उसकी उपज का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

SST Guide for Class 8 PSEB प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दो :

प्रश्न 1.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों का निरीक्षण करने के लिए कब तथा कौन-सा एक्ट पारित किया गया?
उत्तर-
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों का निरीक्षण करने के लिए 1773 ई० में रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित किया गया।

प्रश्न 2.
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल कब तथा किस एक्ट के अधीन बना? इसके कितने सदस्य थे ?
उत्तर-
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल 1784 में पिट्स इण्डिया एक्ट के अधीन बना। इसके 6 सदस्य थे।

प्रश्न 3.
भारत में सिविल सर्विस का संस्थापक कौन था? ।
उत्तर-
सिविल सर्विस का संस्थापक लार्ड कार्नवालिस था।

प्रश्न 4.
कब तथा कौन-सा पहला भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर सका था?
उत्तर-
सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने वाला पहला भारतीय सतिन्द्रनाथ टैगोर था। उसने 1863 ई० में यह परीक्षा पास की थी।

प्रश्न 5.
सेना में भारतीय सैनिकों को दी जाने वाली सबसे बड़ी पदवी कौन-सी थी?
उत्तर-
सेना में भारतीय सैनिकों को दी जाने वाली सबसे बड़ी पदवी सूबेदार थी।

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प्रश्न 6.
कौन-से गवर्नर-जनरल ने पुलिस विभाग में सुधार किए तथा क्यों?
उत्तर-
पुलिस विभाग में लार्ड कार्नवालिस ने सुधार किए। इसका उद्देश्य राज्य में कानून व्यवस्था तथा शान्ति स्थापित करना था।

प्रश्न 7.
इण्डियन ला-कमीशन की स्थापना कब तथा क्यों की गई?
उत्तर-
इण्डियन ला-कमीशन की स्थापना 1833 ई० में की गई। इसकी स्थापना कानूनों का संग्रह करने के लिए की गई थी।

प्रश्न 8.
रेग्यूलेटिंग एक्ट से क्या भाव है?
उत्तर-
1773 ई० में भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट कम्पनी के कार्यों की जांच करने के लिए एक एक्ट पास किया गया। इसे रेग्यूलेटिंग एक्ट कहते हैं। इस एक्ट के अनुसार

  • ब्रिटिश संसद् को भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों की जांच करने का अधिकार मिल गया।
  • बंगाल में गवर्नर-जनरल तथा चार सदस्यों की एक कौंसिल स्थापित की गई। इसे शासन-प्रबन्ध के सभी मामलों के निर्णय बहुमत से करने का अधिकार प्राप्त था।
  • गवर्नर-जनरल तथा उसकी कौंसिल को युद्ध, शान्ति तथा राजनीतिक संधियों के मामलों में बम्बई तथा मद्रास की सरकारों पर नियन्त्रण रखने का अधिकार था।

प्रश्न 9.
पिट्स इण्डिया एक्ट पर नोट लिखो।
उत्तर-
पिट्स इण्डिया एक्ट 1784 में रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए पास किया गया। इसके अनुसार

  • कम्पनी के व्यापारिक प्रबन्ध को इसके राजनीतिक प्रबन्ध से अलग कर दिया गया।
  • कम्प के कार्यों को नियन्त्रित करने के लिए इंग्लैण्ड में एक बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल की स्थापना की गई। इसके 6 सदस्य थे।
  • गवर्नर-जनरल की परिषद् में सदस्यों की संख्या चार से घटा कर तीन कर दी गई।
  • मुम्बई तथा चेन्नई में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई। वहां के गवर्नर की परिषद् में तीन सदस्य होते थे। ये गवर्नर पूरी तरह गवर्नर-जनरल के अधीन हो गए।

प्रश्न 10.
1858 ई० के बाद सेना में कौन-से परिवर्तन किए गए?
उत्तर-
1857 के महान् विद्रोह के पश्चात् सेना का नये सिर से गठन करना आवश्यक हो गया। अंग्रेज़ यह नहीं चाहते थे कि सैनिक फिर से कोई विद्रोह करें। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए

  • अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गई।
  • तोपखाने में केवल अंग्रेजों को ही नियुक्त किया जाने लगा।
  • मद्रास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) की सेना में भारतीय तथा यूरोपियनों को 2 : 1 में रखा गया।
  • भौगोलिक तथा सैनिक दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपियन टुकड़ियां रखी गईं।
  • अब एक सैनिक टुकड़ी में विभिन्न जातियों तथा धर्मों के लोग भर्ती किए जाने लगे ताकि यदि एक धर्म अथवा जाति के लोग विद्रोह करें तो दूसरी जाति के लोग उन पर गोली चलाने के लिए तैयार रहें।
  • अवध, बिहार तथा मध्य भारत के सैनिकों ने 1857 ई० के विद्रोह में भाग लिया था। अतः उन्हें सेना में बहुत कम भर्ती किया जाने लगा। सेना में अब गोरखों, सिक्खों तथा पठानों को लड़ाकू जाति मानकर अधिक संख्या में भर्ती किया जाने लगा।

प्रश्न 11.
न्याय व्यवस्था (अंग्रेज़ी शासन के अधीन) पर नोट लिखो।
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने भारत में महत्त्वपूर्ण न्याय व्यवस्था स्थापित की। लिखित कानून इसकी मुख्य विशेषता थी।

  • वारेन हेस्टिंग्ज़ ने जिलों में दीवानी तथा सदर निज़ामत अदालतें स्थापित की।
  • 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट द्वारा कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। इसके न्यायाधीशों के मार्ग दर्शन के लिए लार्ड कार्नवालिस ने कार्नवालिस कोड नामक एक पुस्तक तैयार करवाई।
  • 1832 में लार्ड विलियम बैंटिंक ने बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना की।
  • 1833 ई० के चार्टर एक्ट द्वारा कानूनों का संग्रह करने के लिए ‘इण्डियन ला कमीशन’ की स्थापना की गई। सभी कानून बनाने का अधिकार गवर्नर जनरल को दिया गया।
  • देश में कानून का शासन लागू कर दिया गया। इसके अनुसार सभी भारतीयों को बिना किसी भेदभाव के कानून की नज़र में बराबर समझा जाने लगा।

इतना होने पर भारतीयों के प्रति भेदभाव जारी रहा और उन्हें कुछ विशेष अधिकारों से वंचित रखा गया। उदाहरण के लिए भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमे सुनने का अधिकार नहीं था। 1883 ई० में लार्ड रिपन ने इल्बर्ट बिल द्वारा भारतीय जजों को यह अधिकार दिलाने का प्रयास किया, परन्तु असफल रहा।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. 1886 ई० में लार्ड …………….. ने 15 सदस्यों का पब्लिक सर्विस कमीशन नियुक्त किया।
2. भारतीय एवं यूरोपियों की संख्या में 2:1 का अनुपात………………..ई० के विद्रोह के उपरान्त किया गया।
3. 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट के अनुसार …………. में सर्वोच्च अदालत की स्थापना की गई।
उत्तर-

  1. रिपन,
  2. 1857,
  3. कलकत्ता।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

1. अंग्रेजों की भारत में नई नीतियों का उद्देश्य भारत में केवल अंग्रेजों के हितों की रक्षा करना था। (✓)
2. कार्नवालिस के समय भारत में प्रत्येक थाने पर दरोगा का नियन्त्रण होता था। (✓)
3. 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट के अनुसार कलकत्ता में सर्वोच्च अदालत (न्यायालय) की स्थापना की गई। (✓)

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
पिट्स इंडिया एक्ट कब पारित हुआ ?
(i) 1773 ई०
(ii) 1784 ई०
(iii) 1757 ई०
(iv) 1833 ई०।
उत्तर-
1784 ई०

प्रश्न 2.
इंग्लैंड में हैली बरी कॉलेज की स्थापना कब हुई ?
(i) 1833 ई०
(ii) 1853 ई०
(iii) 1806 ई०
(iv) 1818 ई०।
उत्तर-
1806 ई०

प्रश्न 3.
बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना किसने की ?
(i) लार्ड हार्डिंग
(ii) लार्ड कार्नवालिस
(iii) वारेन हेस्टिंग्ज़
(iv) लार्ड विलियम बैंटिंक।
उत्तर-
लार्ड विलियम बैंटिंक।

(ख) सही जोड़े बनाइए :

1. केन्द्रीय लोक सेवा कमीशन की स्थापना – 1935 ई०
2. संघीय लोक सेवा कमीशन की स्थापना – 1926 ई०
3. पृथक् विधानपालिका की स्थापना । – 1832 ई०
4. बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना – 1853 ई०
उत्तर-

  1. 1926 ई०
  2. 1935 ई०
  3. 1853 ई०
  4. 1832 ई०

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों की प्रशासनिक नीतियों का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
भारत में अपने हितों की रक्षा करना।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेज़ी प्रशासन के मुख्य अंग (आधार ) कौन-कौन से थे ?
उत्तर-
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस तथा न्याय व्यवस्था।

प्रश्न 3.
रेग्यूलेटिंग तथा पिट्स इंडिया एक्ट कब-कब पास हुए ?
उत्तर-
क्रमश: 1773 ई० तथा 1784 ई० में।

प्रश्न 4.
इंग्लैंड में बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल’ की स्थापना क्यों की गई ? इसके कितने सदस्य थे?
उत्तर-
इंग्लैंड में बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल की स्थापना कम्पनी के कार्यों पर नियंत्रण करने के लिए की गई। इसके 6 सदस्य थे।

प्रश्न 5.
हेलिबरी कॉलेज कब, कहां और क्यों खोला गया ?
उत्तर-
हेलिबरी कॉलेज 1806 ई० में इंग्लैंड में खोला गया। यहां भारत आने वाले सिविल सर्विस के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था।

प्रश्न 6.
ली कमीशन की स्थापना कब की गई ? इसने क्या सिफारिश की ?
उत्तर-
ली कमीशन की स्थापना 1923 ई० में की गई। इसने केंद्रीय लोक सेवा कमीशन तथा प्रांतीय लोक सेवा कमीशन स्थापित करने की सिफ़ारिश की।

प्रश्न 7.
अंग्रेजों की भारतीयों के प्रति नीति भेदभावपूर्ण थी। इसके पक्ष में कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर-

  1. सिविल सर्विस, सेना तथा पुलिस में भारतीयों को उच्च पद नहीं दिए जाते थे।
  2. भारतीयों को अंग्रेजों की तुलना में बहुत कम वेतन दिया जाता था।

प्रश्न 8.
इल्बर्ट बिल क्या था ?
उत्तर-
इल्बर्ट बिल 1883 में भारत के वायसराय लार्ड रिपन ने पेश किया था। इसके द्वारा भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमें सुनने का अधिकार दिलाया जाना था। परन्तु यह बिल पारित न हो सका।

प्रश्न 9.
कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना किस एक्ट द्वारा की गई ?
उत्तर-
कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट द्वारा की गई।

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प्रश्न 10.
बंगाल की ज्यूरी प्रथा की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
बंगाल की ज्यूरी प्रथा की स्थापना 1832 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने की।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बंगाल में 1858 ई० से पहले सिविल सेवाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
1858 ई० से पहले कम्पनी के अधिकतर कर्मचारी भ्रष्ट थे। वे निजी व्यापार करते थे और घूस, उपहारों आदि द्वारा खूब धन कमाते थे। क्लाइव तथा वारेन हेस्टिंग्ज़ ने इस भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहा, परन्तु वे अपने उद्देश्य में सफल न हुए। वारेन हेस्टिंग्ज़ के पश्चात् कार्नवालिस भारत आया। उसने व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया और घूस तथा उपहार लेने की मनाही कर दी। उसने कर्मचारियों के वेतन बढ़ा दिए ताकि वे घूस आदि के लालच में न पड़ें। 1853 ई० तक भारत आने वाले अंग्रेज़ी कर्मचारियों की नियुक्ति कम्पनी के डायरैक्टर ही करते थे, परन्तु 1853 के चार्टर एक्ट के पश्चात् कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा शुरू कर दी गई। इस समय तक सिविल सर्विस की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि भारतीयों को इससे बिल्कुल वंचित रखा गया।

प्रश्न 2.
लॉर्ड कार्नवालिस को सिविल सेवाओं का प्रवर्तक (मुखी) क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
कार्नवालिस से पहले भारत के अंग्रेज़ी प्रदेशों में शासन सम्बन्धी सारा कार्य कम्पनी के संचालक ही करते थे। वे कर्मचारियों की नियुक्ति अपनी मर्जी से करते थे, परन्तु कार्नवालिस ने प्रबन्ध कार्य के लिए सिविल कर्मचारियों की नियुक्ति की। उसने उनके वेतन बढ़ा दिए। लोगों के लिए सिविल सेवाओं का आकर्षण इतना बढ़ गया कि इंग्लैण्ड के ऊंचे घरों के लोग भी इसमें आने लगे। इसी कारण ही लॉर्ड कार्नवालिस को भारत में सिविल सेवाओं का प्रवर्तक कहा जाता है।

प्रश्न 3.
अंग्रेजी सेना में भारतीय और अंग्रेजों के बीच की जाने वाली भेदभावपूर्ण नीति पर नोट लिखें।
उत्तर-
कम्पनी की सेना में नियुक्त अंग्रेजों तथा भारतीयों के बीच भेदभावपूर्ण नीति अपनाई जाती थी। अंग्रेज़ सैनिकों की तुलना में भारतीयों को बहुत कम वेतन मिलता था। उनके आवास तथा भोजन का प्रबन्ध भी घटिया किस्म का होता था। भारतीय सैनिकों का उचित सम्मान नहीं किया जाता था। उन्हें बात-बात पर अपमानित भी किया जाता था। भारतीय अधिक-से-अधिक उन्नति करके सूबेदार के पद तक ही पहुंच सकते थे। इसके विपरीत अंग्रेज़ सीधे ही अधिकारी पद पर भर्ती होकर आते थे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में अंग्रेज़ी सरकार द्वारा किए गए संवैधानिक परिवर्तनों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने भारत में निम्नलिखित संवैधानिक परिवर्तन किए-

1. रेग्युलेटिंग एक्ट-1773 ई० में भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट कम्पनी के कार्यों की जांच करने के लिए एक एक्ट पास किया गया। इसे रेग्यूलेटिंग एक्ट कहते हैं। इस एक्ट के अनुसार

  • ब्रिटिश संसद् को भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों की जांच करने का अधिकार मिल गया।
  • बंगाल में गवर्नर-जनरल तथा चार सदस्यों की एक कौंसिल स्थापित की गई। इसे शासन-प्रबन्ध के सभी मामलों के निर्णय बहुमत से करने का अधिकार प्राप्त था।
  • गवर्नर-जनरल तथा उसकी कौंसिल को युद्ध, शान्ति तथा राजनीतिक संधियों के मामलों में बम्बई तथा मद्रास की सरकारों पर नियन्त्रण रखने का अधिकार था।

2. पिट्स इण्डिया एक्ट-पिट्स इण्डिया एक्ट 1784 में रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए पास किया गया। इसके अनुसार

  • कम्पनी के व्यापारिक प्रबन्ध को इसके राजनीतिक प्रबन्ध से अलग कर दिया गया।
  • कम्पनी के कार्यों को नियन्त्रित करने के लिए इंग्लैण्ड में एक बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल की स्थापना की गई। इसके 6 सदस्य थे।
  • गवर्नर-जनरल की परिषद् में सदस्यों की संख्या चार से घटा कर तीन कर दी गई।
  • बम्बई (मुम्बई) तथा मद्रास (चेन्नई) में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई। वहां के गवर्नर की परिषद् में तीन सदस्य होते थे। ये गवर्नर पूरी तरह गवर्नर-जनरल के अधीन हो गए।

3. चार्टर एक्ट, 1833-

  • 1833 के चार्टर एक्ट द्वारा कम्पनी को व्यापार करने से रोक दिया गया, ताकि वह अपना पूरा ध्यान शासन-प्रबन्ध की ओर लगा सके।
  • बंगाल के गवर्नर जनरल तथा उसकी कौंसिल को भारत का गवर्नर जनरल तथा कौंसिल का नाम दिया गया।
  • देश के कानून बनाने के लिए गवर्नर जनरल की कौंसिल में कानूनी सदस्य को शामिल किया गया। प्रेजीडेंसी सरकारों से कानून बनाने का अधिकार छीन लिया गया।

इस प्रकार केन्द्रीय सरकार को बहुत ही शक्तिशाली बना दिया गया।

4. चार्टर एक्ट, 1853-1853 में एक और चार्टर एक्ट पास किया गया। इसके अनुसार कार्यपालिका को विधानपालिका से अलग कर दिया गया। विधानपालिका में कुल 12 सदस्य थे। अब कम्पनी के प्रबन्ध में केन्द्रीय सरकार का हस्तक्षेप बढ़ गया। अब वह कभी भी कम्पनी से भारत का शासन अपने हाथ में ले सकती थी।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेजों के साम्राज्य के समय सिविल सर्विस व्यवस्था के बारे में संक्षिप्त वर्णन करें।।
उत्तर-
भारत में सिविल सर्विस का प्रवर्तक लार्ड कार्नवालिस को माना जाता है। उसने रिश्वतखोरी को समाप्त करने के लिए अधिकारियों के वेतन बढ़ा दिए। उन्हें निजी व्यापार करने तथा भारतीयों से भेंट (उपहार) लेने से रोक दिया गया। उसने उच्च पदों पर केवल यूरोपियनों को ही नियुक्त किया।
लार्ड कार्नवालिस के बाद 1885 तक सिविल सर्विस का विकास-

(1) 1806 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने इंग्लैण्ड में हेलिबरी कॉलेज की स्थापना की। यहां सिविल सर्विस के नव-नियुक्त अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। प्रशिक्षण के बाद ही उन्हें भारत भेजा जाता था।

(2) 1833 ई० के चार्टर एक्ट में कहा गया था कि भारतीयों को धर्म, जाति या रंग के भेदभाव के बिना सरकारी नौकरियां दी जायेंगी। परन्तु उन्हें सिविल सर्विस के उच्च पदों से वंचित रखा गया।

(3) 1853 ई० तक भारत आने वाले अंग्रेज़ कर्मचारियों की नियुक्ति कम्पनी के डायरेक्टर ही करते थे, परन्तु 1853 के चार्टर एक्ट के पश्चात् कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा शुरू कर दी गई। यह परीक्षा इंग्लैण्ड में होती थी और इसका माध्यम अंग्रेज़ी था। परीक्षा में भाग लेने के लिए अधिकतम आयु 22 वर्ष निश्चित की गई। यह आयु 1864 में 21 वर्ष तथा 1876 में 19 वर्ष कर दी गई। सतिन्द्रनाथ टैगोर सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने वाला पहला भारतीय था। उसने 1863 ई० में यह परीक्षा पास की थी।

(4) कम आयु में भारतीयों के लिए अंग्रेजी की यह परीक्षा दे पाना कठिन था और वह भी इंग्लैण्ड में जाकर। अतः भारतीयों ने परीक्षा में प्रवेश की आयु बढ़ाने की मांग की। उन्होंने यह मांग भी की कि परीक्षा इंग्लैंड के साथ-साथ भारत में भी ली जाये। लार्ड रिपन ने इस मांग का समर्थन किया। परंतु भारत सरकार ने यह मांग स्वीकार न की।

1886 के बाद सिविल सर्विस का विकास-

(1) 1886 ई० में वायसराय लार्ड रिपन ने 15 सदस्यों का पब्लिक सर्विस कमीशन नियुक्त किया। इस कमीशन ने सिविल सर्विस निम्नलिखित तीन भागों में बांटने की सिफारिश की

  • इंपीरियल अथवा इंडियन सिविल सर्विस-इसके लिए परीक्षा इंग्लैंड में हो।
  • प्रांतीय सर्विस-इसकी परीक्षा अलग-अलग प्रांतों में हो।
  • प्रोफैशनल सर्विस-इसके लिए कमीशन परीक्षा में प्रवेश की आयु 19 वर्ष से बढ़ा कर 23 वर्ष करने की सिफ़ारिश की।
    1892 ई० में भारत सरकार ने इन सिफ़ारिशों को मान लिया।

(2) 1918 में माँटेग्यू-चैम्सफोर्ड रिपोर्ट द्वारा यह सिफ़ारिश की गई कि सिविल सर्विस में 33% स्थान भारतीयों को दिए जाएं और धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ाई जाये। इस रिपोर्ट को भारत सरकार, 1919 द्वारा लागू किया गया।

(3) 1926 में केंद्रीय लोक सेवा कमीशन और 1935 में संघीय लोक सेवा कमीशन तथा कुछ प्रांतीय लोक सेवा कमीशन स्थापित किए गए।
यह सच है कि इंडियन सिविल सर्विस में भारतीयों को बड़ी संख्या में नियुक्त किया गया। फिर भी कुछ उच्च पदों पर प्रायः अंग्रेज़ों को ही नियुक्त किया जाता था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

प्रश्न 3.
भारत में अंग्रेज़ी साम्राज्य के समय सैनिक, पुलिस तथा न्याय प्रबंध के बारे में संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
अंग्रेज़ी साम्राज्य में भारत में सैनिक, पुलिस तथा न्याय प्रबंध का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :
1. सैनिक प्रबंध-सेना अंग्रेजी प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण अंग थी। इसने भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना तथा विस्तार में उल्लेखनीय योगदान दिया था। 1856 में अंग्रेज़ी सेना में 2,33,000 भारतीय तथा लगभग 45,300 यूरोपीय सैनिक शामिल थे। भारतीय सैनिकों को अंग्रेज़ सैनिकों की अपेक्षा बहुत कम वेतन तथा भत्ते दिए जाते थे। वे अधिक से अधिक सूबेदार के पद तक पहुंच सकते थे। अंग्रेज़ अधिकारी भारतीय सैनिकों से बहुत बुरा व्यवहार करते थे। इसी कारण 1857 में भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

1857 के महान् विद्रोह के पश्चात् सेना का नये सिरे से गठन करना आवश्यक हो गया। अंग्रेज़ यह नहीं चाहते थे कि सैनिक फिर से कोई विद्रोह करें। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए’

  • अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गई।
  • तोपखाने में केवल अंग्रेज़ों को ही नियुक्त किया जाने लगा।
  • उदास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) की सेना में भारतीय तथा यूरोपियनों को 2:1 में रखा गया।
  • भौगोलिक तथा सैनिक दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपियन टुकड़ियां रखी गईं।
  • अब एक सैनिक टुकड़ी में विभिन्न जातियों तथा धर्मों के लोग भर्ती किए जाने लगे ताकि यदि एक धर्म अथवा जाति के लोग विद्रोह करें तो दूसरी जाति के लोग उन पर गोली चलाने के लिए तैयार रहें।
  • अवध, बिहार तथा मध्य भारत के सैनिकों ने 1857 ई० के विद्रोह में भाग लिया था। अतः उन्हें सेना में बहुत कम भर्ती किया जाने लगा। सेना में अब गोरखों, सिक्खों तथा पठानों को लड़ाकू जाति मानकर अधिक संख्या में भर्ती किया जाने लगा।

2. पुलिस-साम्राज्य में शांति एवं कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए पुलिस व्यवस्था को लॉर्ड कार्नवालिस ने एक नया रूप दिया था। उसने प्रत्येक जिले में एक पुलिस कप्तान की नियुक्ति की। जिले को अनेक थानों में बांटा गया और प्राचीन थाना-प्रणाली को नये रूप में ढाला गया। प्रत्येक थाने का प्रबंध एक दरोगा को सौंपा गया। गांवों में पुलिस का कार्य गांव के चौकीदार ही करते थे। पुलिस विभाग में भारतीयों को उच्च पदों पर नहीं लगाया जाता था। उनके वेतन भी अंग्रेजों की अपेक्षा बहुत कम थे। अंग्रेज़ पुलिस कर्मचारी भारतीयों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे।

3. न्याय-व्यवस्था-अंग्रेजों ने भारत में यह महत्त्वपूर्ण न्याय-व्यवस्था स्थापित की। लिखित कानून इसकी मुख्य विशेषता थी।

  • वारेन हेस्टिंग्ज़ ने जिलों में दीवानी तथा सदर निज़ामत अदालतें स्थापित की।
  • 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट द्वारा कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। इसके न्यायाधीशों के मार्गदर्शन के लिए लार्ड कार्नवालिस ने ‘कार्नवालिस कोड’ नामक एक पुस्तक तैयार करवाई।
  • 1832 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना की।
  • 1833 ई० के चार्टर एक्ट द्वारा कानूनों का संग्रह करने के लिए ‘इंडियन ला कमीशन’ की स्थापना की गई। सभी कानून बनाने का अधिकार गवर्नर जनरल को दिया गया।
  • देश में कानून का शासन लागू कर दिया गया। इसके अनुसार सभी भारतीयों को बिना किसी भेदभाव के कानून की नज़र में बराबर समझा जाने लगा।

इतना होने पर भारतीयों के प्रति भेदभाव जारी रहा और उन्हें कुछ विशेष अधिकारों से वंचित रखा गया। उदाहरण के लिए भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमें सुनने का अधिकार नहीं था। 1883 ई० में लार्ड रिपन ने इल्बर्ट बिल द्वारा भारतीय जजों को यह अधिकार दिलाने का प्रयास किया परंतु असफ़ल रहा।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 10 भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 10 भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 10 भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना

SST Guide for Class 8 PSEB भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
भारत में पहुंचने वाला प्रथम पुर्तगाली कौन था ?
उत्तर-
भारत में पहुंचने वाला प्रथम पुर्तगाली वास्को-डि-गामा था।

प्रश्न 2.
भारत में पुर्तगालियों की चार बस्तियों के नाम लिखें।
उत्तर-
गोआ, दमन, सालसेट तथा बसीन।

प्रश्न 3.
डच लोगों ने भारत में कहां-कहां बस्तियों की स्थापना की?
उत्तर-
डच लोगों ने भारत में अपनी बस्तियां कोचीन, सूरत, नागापट्टम, पुलिकट तथा चिन्सुरा में स्थापित की।

प्रश्न 4.
अंग्रेजों को बंगाल में बिना चुंगी-कर के व्यापार करने का अधिकार किस मुग़ल सम्राट से तथा कब मिला ?
उत्तर-
अंग्रेजों को बंगाल में बिना चुंगी कर के व्यापार करने का अधिकार मुग़ल सम्राट् फर्रुखसियर से 1717 ई० में मिला।

प्रश्न 5.
कर्नाटक का पहला युद्ध कौन-सी यूरोपीयन कम्पनियों के मध्य हुआ तथा इस युद्ध में किस की विजय हुई ?
उत्तर-
कर्नाटक का पहला युद्ध अंग्रेज़ों और फ्रांसीसियों के बीच हुआ। इस युद्ध में फ्रांसीसियों की विजय हुई।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 10 भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना

प्रश्न 6.
प्लासी का युद्ध कब तथा किसके मध्य हुआ ?
उत्तर–
प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 ई० को अंग्रेजों तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य हुआ।

प्रश्न 7.
बक्सर का युद्ध कब तथा किसके मध्य हुआ ?.
उत्तर-
बक्सर का युद्ध 1764 ई० में अंग्रेज़ों तथा बंगाल के नवाब मीर कासिम के मध्य हुआ। इस लड़ाई में अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय ने मीर कासिम का साथ दिया।

प्रश्न 8.
कर्नाटक के तीसरे युद्ध पर नोट लिखो।
उत्तर-
कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 ई० से 1763 ई० तक लड़ा गया। दूसरे युद्ध की भान्ति इस युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए और अंग्रेज़ विजयी रहे।
कारण-1756 ई० में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध छिड़ गया। परिणाम यह हुआ कि भारत में भी फ्रांसीसियों और अंग्रेजों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया

घटनाएं-फ्रांस की सरकार ने भारत में अंग्रेज़ी शक्ति को कुचलने के लिए काउंट डि कोर्ट लाली को भेजा। परन्तु वह असफल रहा। 1760 ई० में एक अंग्रेज़ सेनापति आयरकूट ने वंदिवाश की लड़ाई में भी फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया। 1763 ई० में पेरिस की सन्धि के अनुसार यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध बन्द हो गया। परिणामस्वरूप भारत में दोनों जातियों में युद्ध समाप्त हो गया।

परिणाम-

  • फ्रांसीसियों की शक्ति लगभग नष्ट हो गई। उनके पास अब व्यापार के लिए केवल पाण्डिचेरी, माही तथा चन्द्रनगर के प्रदेश रह गये। उन्हें इन प्रदेशों की किलेबन्दी करने की अनुमति नहीं थी।
  • अंग्रेज़ भारत की सबसे बड़ी शक्ति बन गए।

प्रश्न 8A.
अंग्रेजों द्वारा बंगाल की विजय का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेजों ने बंगाल पर अधिकार करने के लिए बंगाल के नवाब से दो युद्ध लड़े–प्लासी का युद्ध तथा बक्सर का युद्ध । प्लासी का युद्ध 1757 ई० में हुआ। उस समय बंगाल का नवाब सिराजुद्दौला था। अंग्रेज़ों ने षड्यन्त्र द्वारा उसके सेनापति मीर जाफ़र को अपनी ओर मिला लिया, जिसके कारण सिराजुद्दौला की हार हुई। इसके पश्चात् अंग्रेजों ने मीर जाफ़र को बंगाल का नवाब बना दिया। कुछ समय पश्चात् अंग्रेज़ों ने मीर जाफ़र को गद्दी से उतार दिया और मीर कासिम को नवाब बनाया, परन्तु थोड़े ही समय में अंग्रेज़ उसके भी विरुद्ध हो गए। बक्सर के स्थान पर मीर कासिम और अंग्रेजों में युद्ध हुआ। इस युद्ध में मीर कासिम हार गया और बंगाल अंग्रेजों के अधिकार में आ गया।

प्रश्न 9.
प्लासी के युद्ध पर नोट लिखो।
उत्तर-
प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 ई० को अंग्रेज़ी ईस्ट :ण्डिया कम्पनी तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य लड़ा गया। नवाब कई कारणों से अंग्रेज़ों से नाराज़ था। उसने कासिम बाज़ार पर हमला करके अंग्रेज़ों को बड़ी हानि पहुंचाई। इसका बदला लेने के लिए क्लाइव ने षड्यन्त्र द्वारा बंगाल के सेनापति मीर जाफ़र को अपनी ओर मिला लिया। जब लड़ाई आरम्भ हुई तो मीर जाफ़र युद्ध के मैदान में एक ओर खड़ा रहा। इस विश्वासघात के कारण सिराजुद्दौला का साहस टूट गया और वह युद्ध भूमि से भाग गया। मीर जाफ़र के पुत्र मीरेन ने उसका पीछा किया और उसका वध कर दिया। ऐतिहासिक दृष्टि से यह युद्ध अंग्रेजों के लिए बड़ा महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ। अंग्रेज़ बंगाल के वास्तविक शासक बन गए और उनके लिए भारत विजय के द्वार खुल गए।
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प्रश्न 10.
बंगाल में दोहरी शासन प्रणाली पर नोट लिखो।
उत्तर-
क्लाइव ने बंगाल में शासन की एक नयी प्रणाली आरम्भ की। इसके अनुसार बंगाल का शासन दो भागों में बांट दिया गया। कर इकट्ठा करने का काम अंग्रेजों के हाथ में रहा, परन्तु शासन चलाने का कार्य नवाब को दे दिया गया। शासन चलाने के लिए उसे एक निश्चित धनराशि दी जाती थी। इस तरह बंगाल में दो प्रकार का शासन चलने लगा। इसी कारण यह प्रणाली दोहरी (द्वैध) शासन प्रणाली के नाम से प्रसिद्ध है। इस प्रणाली द्वारा बंगाल की वास्तविक शक्ति तो अंग्रेजों के हाथ में आ गई। परंतु उनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी। दूसरी ओर नवाब के पास न तो कोई वास्तविक शक्ति थी और न ही आय का कोई साधन । परन्तु शासन की सारी ज़िम्मेदारी उसी की थी। इसलिए बंगाल के लोगों के लिए यह शासन प्रणाली मसीबत बन गई।

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प्रश्न 11.
सहायक सन्धि से क्या भाव है ?
उत्तर-
सहायक सन्धि 1798 ई० में लॉर्ड वैलजली ने चलाई थी। वह भारत में कम्पनी राज्य का विस्तार करके कम्पनी को भारत की सबसे बड़ी शक्ति बनाना चाहता था। यह काम तभी हो सकता था, जब सभी देशी राजा तथा नवाब शक्तिहीन होते। उन्हें शक्तिहीन करने के लिए ही उसने सहायक सन्धि का सहारा लिया।

सन्धि की शर्ते-सहायक सन्धि कम्पनी और देशी राजा के बीच होती थी। कम्पनी सन्धि स्वीकार करने वाले राजा को आन्तरिक तथा बाहरी खतरे के समय सैनिक सहायता देने का वचन देती थी। इसके बदले में देशी राजा को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना पड़ता था

  • उसे कम्पनी को अपना स्वामी मानना पड़ता था। वह कम्पनी की आज्ञा के बिना कोई युद्ध अथवा सन्धि नहीं कर सकता था।
  • उसे अपनी सहायता के लिए अपने राज्य में एक अंग्रेज़ सैनिक टुकड़ी रखनी पड़ती थी, जिसका व्यय उसे स्वयं देना पड़ता था।
  • उसे अपने दरबार में एक अंग्रेज़ रेजीडेण्ट रखना पड़ता था।

प्रश्न 12.
लैप्स की नीति पर नोट लिखो।
उत्तर-
लैप्स की नीति लॉर्ड डलहौज़ी ने अपनायी। इसके अनुसार यदि कोई देशी राजा निःसन्तान मर जाता था, तो उसका राज्य अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया जाता था। वह अंग्रेज़ों की आज्ञा के बिना पुत्र गोद लेकर उसे अपना उत्तराधिकारी नहीं बना सकता था। डलहौज़ी के शासनकाल में पुत्र गोद लेने की स्वीकृति नहीं दी जाती थी। इस प्रकार बहुत-से देशी राज्य अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिए गए।

लैप्स के सिद्धान्त का सतारा, सम्भलपुर, जैतपुर, उदयपुर, झांसी, नागपुर आदि राज्यों पर प्रभाव पड़ा। इन सभी राज्यों के शासक निःसन्तान मर गए और उनके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. अंग्रेज़ों, शुजाऊद्दौला एवं मुग़ल बादशाह आलम के मध्य………के युद्ध के पश्चात् 1765 ई० में इलाहाबाद की संधि हुई।
2. 1772 ई० में बंगाल में ………….. प्रणाली समाप्त कर दी गई।
3. लॉर्ड वैलज़ली ने अंग्रेज़ी साम्राज्य का विस्तार करने के लिए ……….. प्रणाली शुरू की।
उत्तर-

  1. बक्सर
  2. दोहरी शासन
  3. सहायक संधि।

III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

  1. पुर्तगाली कप्तान वास्को-डि-गामा 27 मई, 1498 ई० को भारत में कालीकट नामक स्थान पर पहुंचा। – (✓)
  2. अंग्रेज़ों तथा फ्रांसीसियों के मध्य कर्नाटक के दो युद्ध लड़े गए। – (✗)
  3. अंग्रेजों के साथ प्लासी के युद्ध के समय बंगाल का नवाब मीर जाफ़र था। – (✓)

PSEB 8th Class Social Science Guide भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
लैप्स की नीति (लार्ड डल्हौज़ी) द्वारा अंग्रेज़ी राज्य में मिलाई गई रियासत थी
(i) झांसी
(ii) उदयपुर
(iii) सतारा
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
अवध को अंग्रेज़ी राज्य में कब मिलाया गया ?
(i) 1828 ई०
(ii) 1843 ई०
(iii) 1846 ई०
(iv) 1849 ई०।
उत्तर-
1843 ई०

प्रश्न 3.
पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में किसने मिलाया ?
(i) लार्ड हेस्टिग्ज़
(ii) लार्ड हार्डिंग
(iii) लार्ड डल्हौज़ी
(iv) लार्ड विलियम बैंटिंक।
उत्तर-
लार्ड डल्हौज़ी।

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(ख) सही जोड़े बनाइए :

1. प्लासी का युद्ध – लार्ड हेस्टिंग्ज़
2. बक्सर का युद्ध – सिराजुद्दौला
3. अराकाट पर हमला – मीर कासिम
4. अंग्रेज़ गोरखा युद्ध – राबर्ट क्लाइव।
उत्तर-

  1. सिराजुद्दौला
  2. मीर कासिम
  3. राबर्ट क्लाइव
  4. लार्ड हेस्टिंग्ज़।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरोप से भारत पहुंचने के नये समुद्री मार्ग की खोज किसने की ?
उत्तर-
यूरोप से भारत पहुंचने के नये समुद्री मार्ग की खोज पुर्तगाली नाविक (कप्तान) वास्को-डि-गामा ने की।

प्रश्न 2.
वास्को-डि-गामा भारत में कब और किस बन्दरगाह पर पहुंचा ?
उत्तर-
27 मई, 1498 ई० को कालीकट की बन्दरगाह पर।

प्रश्न 3.
अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
31 दिसम्बर, 1600 ई० को।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
1664 ई० में।

प्रश्न 5.
भारत में दो फ्रांसीसी गवर्नरों के नाम बताओ जिनके अधीन फ्रांसीसी शक्ति का विस्तार हुआ।
उत्तर-
डूमा तथा डुप्ले।

प्रश्न 6.
अंग्रेज़ों ने व्यापार में रियायतें लेने के लिए मुग़ल बादशाह जहांगीर के दरबार में कौन-से दो प्रतिनिधि भेजे थे ?
उत्तर-
विलियम हाकिन्स तथा सर टामस रो।

प्रश्न 7.
चेन्नई (मद्रास) और कोलकाता (कलकत्ता) के नज़दीक फ्रांसीसी बस्तियों के नाम बतायें।
उत्तर-
चेन्नई के निकट पाण्डिचेरी तथा कोलकाता के नज़दीक चन्द्रनगर फ्रांसीसी बस्तियां थीं।

प्रश्न 8.
कर्नाटक का तीसरा युद्ध कौन-सी यूरोपियन कम्पनियों के मध्य हुआ ?
उत्तर-
यह युद्ध फ्रांस की ईस्ट इण्डिया कम्पनी तथा इंग्लैण्ड की ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मध्य हुआ।.

प्रश्न 9.
कर्नाटक के प्रथम युद्ध (1746-48) का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
यूरोप में ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार के प्रश्न पर इंग्लैण्ड और फ्रांस के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया। इसके परिणामस्वरूप भारत में भी अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया।

प्रश्न 10.
कर्नाटक का प्रथम युद्ध कब समाप्त हुआ ? इसका एक परिणाम लिखो।
उत्तर-
कर्नाटक का प्रथम युद्ध 1748 ई० में समाप्त हुआ। शान्ति सन्धि के अनुसार अंग्रेज़ों को मद्रास (वर्तमान चेन्नई) का प्रदेश वापस मिल गया।

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प्रश्न 11.
कर्नाटक के दूसरे युद्ध का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने हैदराबाद तथा कर्नाटक में अपने प्रभाव के उत्तराधिकारियों अर्थात् हैदराबाद में नासिर जंग को और कर्नाटक में चन्दा साहब को वहां का शासन सौंप दिया। अंग्रेज़ इसे सहन नहीं कर सके। उन्होंने विरोधी उत्तराधिकारियों को मान्यता देकर युद्ध आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 12.
कर्नाटक के दूसरे युद्ध का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर-
कर्नाटक के दूसरे युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए। इससे भारत में अंग्रेज़ी शक्ति की धाक जम गई।

प्रश्न 13.
कर्नाटक के दूसरे युद्ध में कौन-सी भारतीय शक्तियां लपेट में आईं ?
उत्तर-
कर्नाटक के दूसरे युद्ध में अग्रलिखित शक्तियां लपेट में आईं

  • कर्नाटक राज्य के उत्तराधिकारी।
  • हैदराबाद राज्य के उत्तराधिकारी।

प्रश्न 14.
कर्नाटक के तीसरे युद्ध (1756-1763) का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
1756 ई० में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच सपावर्षीय युद्ध छिड़ गया। परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया। यह कर्नाटक का दूसरा युद्ध था।

प्रश्न 15.
कर्नाटक का तीसरा युद्ध कब हुआ ? इसमें कौन पराजित हुआ ?
उत्तर-
कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 ई० में आरम्भ हुआ। इसमें फ्रांसीसी पराजित हुए।

प्रश्न 16.
कर्नाटक के तीसरे युद्ध का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर-
कर्नाटक के तीसरे युद्ध के परिणामस्वरूप भारत में फ्रांसीसी शक्ति का सूर्यास्त हो गया। अंग्रेज़ भारत की सबसे बड़ी शक्ति बन गए।

प्रश्न 17.
डुप्ले कौन था ? उसकी योजना क्या थी ?
उत्तर-
डुप्ले भारत में एक फ्रांसीसी गवर्नर था। उसने सारे दक्षिणी भारत पर फ्रांसीसी प्रभाव बढ़ाने की योजना बनाई।

प्रश्न 18.
डुप्ले को वापस क्यों बुलाया गया ?
उत्तर-
डुप्ले को इसलिए वापस बुलाया गया क्योंकि कर्नाटक के दूसरे युद्ध में फ्रांसीसियों की पराजय हुई थी।

प्रश्न 19.
राबर्ट क्लाइव कौन था ? उसने कर्नाटक के दूसरे युद्ध में क्या भूमिका निभाई ?
उत्तर-
राबर्ट क्लाइव बड़ा ही योग्य अंग्रेज़ सेनापति था। उसने कर्नाटक के दूसरे युद्ध में चन्दा साहब की राजधानी अर्काट पर अधिकार करके चन्दा साहिब को त्रिचनापल्ली छोड़ने के लिए विवश कर दिया। इसी के परिणामस्वरूप इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई।

प्रश्न 20.
पारस की सन्धि कब और किस-किस के बीच हुई ? भारत पर इस सन्धि का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
पेरिस की सन्धि 1763 ई० में फ्रांस और इंग्लैण्ड के बीच हुई। इस सन्धि के परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेज़ों तथा फ्रांसीसियों के बीच कर्नाटक का तीसरा युद्ध समाप्त हो गया।

प्रश्न 21.
कर्नाटक के युद्ध में फ्रांसीसियों के विरुद्ध अंग्रेज़ों की सफलता का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
अंग्रेज़ों के पास एक शक्तिशाली समुद्री बेड़ा था। वे इस बेड़े की सहायता से अपनी सेना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुंचा सकते थे।

प्रश्न 22.
प्लासी का युद्ध किस-किस के मध्य में हुआ ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य। ।

प्रश्न 23.
प्लासी के युद्ध का कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
अंग्रेज़ अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कलकत्ता (कोलकाता) की किलेबन्दी कर रहे थे। कलकत्ता (कोलकाता) नवाब के राज्य का एक भाग था। इसलिए अंग्रेजों और नवाब के बीच शत्रुता उत्पन्न हो गई।

प्रश्न 24.
प्लासी के युद्ध का कोई एक परिणाम लिखो।
उत्तर-
इस युद्ध में नवाब सिराजुद्दौला पराजित हुआ और मीर जाफर बंगाल का नया नवाब बना। मीर जाफ़र ने अंग्रेजों को बहुत-सा धन और 24 परगने का प्रदेश दिया।

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प्रश्न 25.
प्लासी के युद्ध का अंग्रेजों के लिए क्या महत्त्व था ?
उत्तर-
इस युद्ध में अंग्रेजों की शक्ति और प्रतिष्ठा में बड़ी वृद्धि हुई। वे अब भारत के सबसे बड़े और धनी प्रान्त बंगाल के स्वामी बन गए। परिणामस्वरूप भारत विजय की कुंजी अंग्रेजों के हाथ में आ गई।

प्रश्न 26.
बक्सर के युद्ध का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
अंग्रेजी कम्पनी को बंगाल में कर मुक्त व्यापार करने का अनुमति-पत्र मिला हुआ था। परन्तु कम्पनी के कर्मचारी इसकी आड़ में निजी व्यापार कर रहे थे। इससे बंगाल के नवाब को आर्थिक क्षति पहुंच रही थी।

प्रश्न 27.
“क्लाइव को भारत में अंग्रेज़ी राज्य का संस्थापक माना जाता है।” इसके पक्ष में एक तर्क दो।
उत्तर-
क्लाइव ने भारत में अंग्रेजों के लिए कर्नाटक का दूसरा युद्ध जीता और प्लासी की लड़ाई जीती। ये दोनों विजयें अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना के लिए आधारशिला सिद्ध हुईं।

प्रश्न 28.
मीर जाफ़र कौन था ? वह कब-से-कब तक बंगाल का नवाब रहा ?
उत्तर-
मीर जाफ़र बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला का विश्वासघाती सेनापति था। वह 1757 ई० से 1760 ई० तक बंगाल का नवाब रहा।

प्रश्न 29.
इलाहाबाद की सन्धि कब और किस-किस के बीच में हुई ?
उत्तर-
इलाहाबाद की सन्धि 3 मई, 1765 ई० को हुई। यह सन्धि क्लाइव (अंग्रेज़ों) और अवध के नवाब तथा मुग़ल सम्राट् शाह आलम के बीच में हुई।

प्रश्न 30.
इलाहाबाद की सन्धि की कोई एक शर्त लिखो।
उत्तर-
अंग्रेज़ी कम्पनी को मुग़ल सम्राट शाह आलम से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई। इस तरह अंग्रेज़ बंगाल के वास्तविक शासक बन गए।

प्रश्न 31.
“बक्सर ने प्लासी के काम को पूरा किया।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
बक्सर की लड़ाई के पश्चात् अंग्रेज़ बंगाल के वास्तविक शासक बन गए। अवध का नवाब शुजाउद्दौला और मुग़ल सम्राट शाह आलम भी पूरी तरह अंग्रेजों के अधीन हो गए। इसलिए यह कहा जाता है कि बक्सर ने प्लासी के काम को पूरा किया।

प्रश्न 32.
लॉर्ड वैलज़ली ने अपनी विस्तारवादी नीति के लिए किस सन्धि को लागू किया ?
उत्तर-
लॉर्ड वैलज़ली ने अपनी विस्तारवादी नीति के लिए सहायक सन्धि को लागू किया।

प्रश्न 33.
लैप्स सिद्धान्त के अधीन प्रभावित दो राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
लैप्स सिद्धान्त से झांसी तथा नागपुर के राज्य प्रभावित हुए। इन्हें अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।

प्रश्न 34.
अंग्रेजों ने अवध पर अधिकार कब किया ?
उत्तर-
अंग्रेजों ने अवध पर 1856 ई० में अधिकार किया।

प्रश्न 35.
सहायक सन्धि की एक शर्त लिखिए।
उत्तर-
सहायक सन्धि के अनुसार देशी राजा कम्पनी की अनुमति के बिना किसी बाहरी शक्ति अथवा अन्य देशी राजा से किसी प्रकार का राजनीतिक सम्बन्ध नहीं रख सकता था।

प्रश्न 36.
सहायक व्यवस्था के अन्तर्गत अंग्रेजी कम्पनी देशी राजाओं को क्या वचन देती थी ?
उत्तर-
सहायक व्यवस्था के अन्तर्गत अंग्रेजी कम्पनी देशी राजा को सुरक्षा प्रदान करने का वचन देती थी। उसने राज्य में आन्तरिक विद्रोह अथवा बाहरी आक्रमण के समय देशी राजा की रक्षा की जिम्मेदारी का वचन दिया।

प्रश्न 37.
सहायक-व्यवस्था से अंग्रेज़ी कम्पनी को क्या लाभ पहुंचा ? कोई एक लाभ लिखो।
उत्तर-
सहायक व्यवस्था के परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेजी कम्पनी की राजनीतिक स्थिति काफ़ी मज़बूत हो गई।

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प्रश्न 38.
सहायक व्यवस्था का देशी राज्यों पर क्या प्रभाव पड़ा ? कोई एक प्रभाव लिखो।
उत्तर-
देशी राजा आन्तरिक और बाहरी खतरों से निश्चिन्त होकर भोग-f:लास का जीवन व्यतीत करने लगे। उन्हें अपनी निर्धन जनता की कोई चिन्ता न रही।

प्रश्न 39.
बंगाल में दोहरी शासन प्रणाली कब समाप्त हुई ?
उत्तर-
1772 ई० में।

प्रश्न 40.
उन तीन गवर्नर-जनरलों के नाम बताओ जिनके अधीन अंग्रेज़ी साम्राज्य का सबसे अधिक विस्तार हुआ।
उत्तर-
लॉर्ड वैलज़ली, लॉर्ड हेस्टिंग्ज़ तथा लॉर्ड डलहौज़ी।

प्रश्न 41.
स्वतन्त्र मैसूर राज्य की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
स्वतन्त्र मैसूर राज्य की स्थापना 1761 ई० में हैदरअली ने की।

प्रश्न 42.
पहला मैसूर युद्ध कब हुआ ? इसमें किसकी विजय हुई ?
उत्तर-
पहला मैसूर युद्ध 1767-1769 ई० में हुआ। इसमें हैदरअली की विजय हुई।

प्रश्न 43.
हैदरअली की मृत्यु कब हुई ? उसके बाद मैसूर का सुल्तान कौन बना ?
उत्तर-
हैदरअली की मृत्यु 1782 में हुई। उसके बाद उसका पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर का सुल्तान बना।

प्रश्न 44.
टीपू सुल्तान की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई ?
उत्तर-
टीपू सुल्तान की मृत्यु 1799 ई० में हुई। वह मैसूर के चौथे युद्ध में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ता हुआ मारा गया।

प्रश्न 45.
बसीन तथा देवगांव की सन्धियां कब-कब हुई ?
उत्तर-
क्रमशः 1802 ई० तथा 1803 ई० में।।

प्रश्न 46.
देवगांव की सन्धि किस-किस के बीच हुई ? इस सन्धि से अंग्रेजों को कौन-कौन से दो प्रदेश प्राप्त हुए ?
उत्तर-
देवगांव की सन्धि मराठा सरदार भौंसले तथा अंग्रेजों के बीच हुई। इस सन्धि से अंग्रेजों को कटक तथा बलासौर के प्रदेश प्राप्त हुए।

प्रश्न 47.
लॉर्ड हेस्टिंग्ज के समय राजस्थान की कितनी रियासतों ने अंग्रेज़ों की अधीनता स्वीकार की ? इनमें से चार मुख्य रियासतों के नाम बताओ।
उत्तर-
लॉर्ड हेस्टिंग्ज के समय राजस्थान की 19 रियासतों ने अंग्रेज़ों की अधीनता स्वीकार की। इनमें से चार मुख्य रियासतें जयपुर, जोधपुर, उदयपुर तथा बीकानेर थीं।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में यूरोप की व्यापारिक कम्पनियों के बीच टकराव क्यों हुआ और इसका क्या परिणाम निकला ?
उत्तर-
टकराव के कारण-भारत में कई यूरोपियन कम्पनियां व्यापार करने के लिए आई थीं। इन कम्पनियों के व्यापारी बड़े लालची, स्वार्थी और महत्त्वाकांक्षी थे। सभी कम्पनियां भारत के व्यापार पर पूरी तरह अपना अधिकार स्थापित करना चाहती थीं। अतः उनके हित आपस में टकराते थे, जिसके कारण उनमें भयंकर टकराव होने लगा।

टकराव और उनके परिणामः-सबसे पहले पुर्तगालियों को डचों ने हरा कर सारा व्यापार अपने हाथों में ले लिया। इसी बीच अंग्रेजों ने अपनी गतिविधियां तेज़ की। उन्होंने डचों को पराजित किया और व्यापार पर अपना अधिकार कर लिया। डेन्स स्वयं भारत छोड़ कर चले गए। इस तरह भारत में केवल अंग्रेज़ और फ्रांसीसी ही रह गए। इन दोनों जातियों के बीच एक लम्बा संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में अंग्रेज़ विजयी रहे और भारत के व्यापार पर उनका एकाधिकार स्थामित हो गया। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपनी राजनीतिक सत्ता भी स्थापित कर ली।

प्रश्न 2.
कर्नाटक के पहले युद्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
यूरोप में 1740-48 के बीच में ऑस्ट्रिया क सिंहासन के लिए युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में इंग्लैण्ड और फ्रांस एक-दूसरे के विरुद्ध लड़े। परिणामस्वरूप 1746 ई० में भारत में भी इन दोनों जातियों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया। फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों के व्यापारिक केन्द्र फोर्ट सेंट जॉर्ज (चेन्नई) को लूटा। कर्नाटक के नवाब ने जब उनके विरुद्ध अपनी सेना भेजी, तो उसे भी फ्रांसीसियों के हाथों पराजित होना पड़ा। उन दिनों डुप्ले फ्रांसीसियों का गवर्नर था। भारत में फ्रांसीसियों की प्रतिष्ठा को चार चांद लग गए। 1748 में यूरोप में फ्रांस और इंग्लैण्ड के बीच युद्ध बन्द हो गया। इसी वर्ष भारत में भी दोनों पक्षों में सन्धि हो गई। इस सन्धि के अनुसार फ्रांसीसियों ने मद्रास (चेन्नई) अंग्रेज़ों को लौटा दिया।

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प्रश्न 3.
द्वितीय कर्नाटक युद्ध के क्या परिणाम निकले ?
उत्तर-

  • चन्दा साहब मारा गया और अर्काट पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया।
  • अंग्रेजों ने महम्मद अली को कर्नाटक का शासक घोषित किया।
  • हैदराबाद में फ्रांसीसी प्रभाव बना रहा। वहां उन्हें राजस्व वसूल करने का अधिकार मिल गया और उन्होंने वहां अपनी सेना की टुकड़ी रख दी।
  • इस युद्ध के परिणामस्वरूप क्लाइव नामक एक अंग्रेज़ उभर कर सामने आया। यही बाद में अंग्रेजी राज्य का संस्थापक बना।

प्रश्न 4.
कर्नाटक के तीसरे युद्ध के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर-
कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 ई० में आरम्भ हुआ और 1763 ई० में समाप्त हुआ। इसके निम्नलिखित परिणाम निकले

  • फ्रांसीसियों के हाथों से हैदराबाद निकल गया और वहां अंग्रेज़ों का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
  • अंग्रेज़ों को उत्तरी सरकार का प्रदेश मिला।
  • भारत में फ्रांसीसी शक्ति का अन्त हो गया और अब अंग्रेजों के लिए भारत को विजय करना सरल हो गया।

प्रश्न 5.
18वीं शताब्दी में अंग्रेज़ों और फ्रांसीसियों के मध्य शत्रुता के क्या कारण थे ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी में दोनों जातियों के मध्य शत्रुता के तीन मुख्य कारण थे-

  • इंग्लैण्ड और फ्रांस काफ़ी समय से एक-दूसरे के शत्रु बने हुए थे।
  • भारत में दोनों जातियों के मध्य व्यापारिक प्रतियोगिता चल रही थी।
  • दोनों जातियां भारत में राजनीतिक सत्ता स्थापित करना चाहती थीं।
    वास्तव में जब कभी इंग्लैण्ड और फ्रांस का यूरोप में युद्ध आरम्भ होता था, तो भारत में भी दोनों जातियों का संघर्ष आरम्भ हो जाता था।

प्रश्न 6.
इलाहाबाद की संन्धि की क्या शर्ते थीं ?
उत्तर-
इलाहाबाद की सन्धि (1765 ई०) की शर्ते निम्नलिखित थीं-

  • अंग्रेज़ों और अवध के नवाब ने युद्ध के समय एक-दूसरे की सहायता करने का वचन दिया।
  • युद्ध की क्षति-पूर्ति के लिए बंगाल के नवाब ने अंग्रेजों को 50 लाख रुपये देने का वचन दिया।
  • मुग़ल सम्राट् शाह आलम ने अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी सौंप दी। बदले में अंग्रेजों ने शाह आलम को 26 लाख रुपये वार्षिक पेन्शन देना स्वीकार कर लिया।.
  • अवध के नवाब ने यह वचन दिया कि वह मीर कासिम को अपने राज्य में आश्रय नहीं देगा।

प्रश्न 7.
कर्नाटक के तीन युद्धों में सबसे महत्त्वपूर्ण युद्ध क्रौन-सा था और क्यों ?
उत्तर-
कर्नाटक के तीन युद्धों में दूसरा युद्ध सबसे महत्त्वपूर्ण था। यह युद्ध अंग्रेजों की कूटनीतिक विजय का प्रतीक
काफ़ी मज़बूत हो गई थी। कर्नाटक के दूसरे युद्ध में भी अंग्रेज़ पराजय की कगार पर थे। परन्तु रॉबर्ट क्लाइव ने अपनी चतुराई से युद्ध की स्थिति ही बदल दी। उसने फ्रांसीसियों की युद्ध योजना को पूरी तरह विफल बना दिया। इस युद्ध के बाद फ्रांसीसी शक्ति कभी भी पूरी तरह न उभर सकी। परिणामस्वरूप अंग्रेज़ों ने कर्नाटक के तीसरे युद्ध में फ्रांसीसियों को आसानी से हरा दिया। यदि अंग्रेज़ कर्नाटक के दूसरे युद्ध में हार जाते तो उन्हें न केवल भारतीय व्यापार से ही हाथ – धोना पड़ता, बल्कि पुर्तगालियों तथा डचों की भान्ति भारत छोड़कर भी भागना पड़ता।

प्रश्न 8.
प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला क्यों हारा ?
उत्तर-
प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार के निम्नलिखित कारण थे-

  • क्लाइव का षड्यन्त्र-क्लाइव ने अपने षड्यन्त्र से सिराजुद्दौला की कमर तोड़ दी। उसने सेनापति मीर जाफ़र को अपने साथ मिलाकर सिराजुद्दौला को आसानी से हरा दिया।
  • सिराजुद्दौला में दूरदर्शिता का अभाव-सिराजुद्दौला दूरदर्शी शासक नहीं था। यदि वह दूरदर्शी होता तो अंग्रेज़ों की गतिविधियों तथा विरोधियों पर पूरी नज़र रखता और षड्यन्त्र का पहले से ही पता लगा लेता। अत: उसकी अदूरदर्शिता भी उसकी पराजय का कारण बनी।
  • सैनिक त्रुटियां-सिराजुद्दौला का सैनिक संगठन त्रुटिपूर्ण था। उसके सैनिक न तो अंग्रेज़ी सैनिकों जैसे प्रशिक्षित थे और न ही उनके पास अंग्रेज़ों जैसे आधुनिक शस्त्र थे। युद्ध में नवाब के सैनिक एक भीड़ की भान्ति लड़े। उनमें अनुशासन बिल्कुल भी नहीं था।

प्रश्न 9.
भारत में अंग्रेज़ों एवं फ्रांसीसियों के टकराव में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे ?
उत्तर-
भारत में फ्रांसीसियों के विरुद्ध अंग्रेजों की सफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे

  • अंग्रेजों की शक्तिशाली नौ सेना-अंग्रेज़ी नौ सेना फ्रांसीसी नौ सेना से अधिक शक्तिशाली थी। अंग्रेज़ों के पास एक शक्तिशाली समुद्री बेड़ा था। इसकी सहायता से वे आवश्यकता के समय इंग्लैण्ड से सैनिक और युद्ध का सामान मंगवा सकते थे।
  • अच्छी आर्थिक दशा-अंग्रेजों की आर्थिक दशा काफ़ी अच्छी थी। वे युद्ध के समय भी अपना व्यापार जारी रखते थे। परन्तु फ्रांसीसी राजनीति में अधिक उलझे रहते थे जिसके कारण उनके पास धन का अभाव रहता था।
  • अंग्रेजों की बंगाल विजय-बंगाल विजय के कारण भारत का एक धनी प्रान्त अंग्रेजों के हाथ आ गया। युद्ध जीतने के लिए धन की बड़ी आवश्यकता होती है। युद्ध के दिनों में अंग्रेज़ों का बंगाल में व्यापार चलता रहा। यहां से प्राप्त धन के कारण उन्हें दक्षिण के युद्धों में विजय मिली।
  • अच्छी स्थल सेना और योग्य सेनानायक-अंग्रेजों की स्थल सेना फ्रांसीसी स्थल सेना से काफ़ी अच्छी थी। अंग्रेज़ों में क्लाइव, सर आयरकूट और मेजर लारेंस आदि अधिकारी बड़े योग्य थे। इसके विपरीत फ्रांसीसी सेनानायक डुप्ले, लाली और बुसे इतने योग्य नहीं थे। यह बात भी अंग्रेजों की विजय का कारण बनी।

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प्रश्न 10.
सिराजुद्दौला की अंग्रेज़ों से (प्लासी की) लड़ाई के क्या कारण थे ?
उतर-
सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच टकराव (लड़ाई) के निम्नलिखित कारण थे-

  • अंग्रेज़ों ने सिराजुद्दौला को बंगाल का नवाब बनने पर कोई भेंट नहीं दी थी। इस कारण वह अंग्रेजों से नाराज़ था।
  • अंग्रेज़ों ने नवाब के एक विद्रोही अधिकारी को अपने यहां शरण दी। नवाब ने अंग्रेजों से मांग की कि वे इस देशद्रोही को वापस लौटा दें। परन्तु अंग्रेज़ों ने उसकी एक न सुनी।।
  • अंग्रेजों ने कलकत्ते (कोलकाता) में किलेबन्दी आरम्भ कर दी। नवाब के मना करने पर भी वे किलेबन्दी करते रहे। इसलिए नवाब उनसे नाराज़ हो गया।
  • नवाब के ढाका के खजाने से गबन हुआ था। नवाब का विचार था कि गबन की राशि अंग्रेजों के पास है। उसने अंग्रेजों से यह राशि वापस मांगी, परन्तु उन्होंने इसे लौटाने से इन्कार कर दिया।

प्रश्न 11.
भारतीय इतिहास में बक्सर की लड़ाई का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
बक्सर की लड़ाई का भारत के इतिहास में प्लासी की लड़ाई से भी अधिक महत्त्व है। इस लड़ाई के कारण बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में अंग्रेजों की स्थिति मजबूत हो गई। यहां तक कि उनका प्रभाव दिल्ली तक पहुंच गया। अवध का नवाब शुजाउद्दौला और मुग़ल सम्राट् शाह आलम भी पूरी तरह अंग्रेजों के अधीन हो गये। इस प्रकार अंग्रेजों के लिए समस्त भारत पर अधिकार करने का रास्ता साफ हो गया।

प्रश्न 12.
बक्सर की लड़ाई के क्या कारण थे ?
उत्तर-
बक्सर के युद्ध के कारण निम्नलिखित हैं-

  • अंग्रेजी कम्पनी के कर्मचारी अपनी व्यापारिक सुविधाओं का दुरुपयोग कर रहे थे, जिसके कारण बंगाल के नवाब की आय में कमी हो रही थी।
  • मीर कासिम ने अपनी सेना को मज़बूत बनाया, शस्त्रों का कारखाना स्थापित किया और खज़ाना कलकत्ता (कोलकाता) से मुंगेर ले गया। अंग्रेजों को ये बातें पसन्द नहीं थीं।
  • मीर कासिम ने अंग्रेज़ों के साथ-साथ भारतीय व्यापारियों को भी बिना कर दिए व्यापार करने की आज्ञा दे दी। परिणामस्वरूप अंग्रेज़ों तथा नवाब के बीच शत्रुता बढ़ गई।

प्रश्न 13.
टीपू सुल्तान कौन था ? उसके अंग्रेजों के साथ संघर्ष का वर्णन करो।
उत्तर-
टीपू सुल्तान मैसूर के शासक हैदर अली का पुत्र था। वह 1782 में हैदर अली की मृत्यु के बाद मैसूर का सुल्तान बना। उस समय मैसूर का दूसरा युद्ध चल रहा था। टीपू ने युद्ध को जारी रखा। आरम्भ में तो उसे कुछ सफलता मिली, परन्तु मैसूर के तीसरे युद्ध (1790-92 ई०) में वह पराजित हुआ। उसे अपने राज्य का काफ़ी सारा प्रदेश अंग्रेज़ों को देना पड़ा। इस पराजय का बदला लेने के लिए उसने अंग्रेज़ों से एक बार फिर यद किया। इस युद्ध (1799 ई०) में टीपू सुल्तान मारा गया और राज्य का बहुत-सा भाग अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया। राज्य का शेष भाग मैसूर के पुराने राजवंश के राजकुमार कृष्णराव को दे दिया गया!

प्रश्न 14.
अंग्रेज़-गोरखा युद्ध (1814-1816 ई०) पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
नेपाल के गोरखों ने सीमावर्ती क्षेत्र में अंग्रेजों के कुछ प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था। अतः लॉर्ड हेस्टिग्ज़ ने गोरखों की शक्ति को कुचलने के लिए एक विशाल सेना भेजी। इसका नेतृत्व अरन्तरलोनी ने किया। इस युद्ध में गोरखों की हार हुई। अतः उन्हें बहुत-से प्रदेश अंग्रेज़ों को देने पड़े। इसके अतिरिक्त नेपाली सरकार ने अपनी राजधानी काठमाण्डू में एक ब्रिटिश रेजीडेंट रखना स्वीकार कर लिया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यापारवाद तथा व्यापार युद्धों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
भारत तथा यूरोप के बीच प्राचीनकाल से ही व्यापारिक सम्बन्ध थे। इस व्यापार के तीन मुख्य मार्ग थे-

  1. पहला उत्तरी मार्ग था। यह मार्ग अफगानिस्तान, कैस्पियन सागर तथा काला सागर से होकर जाता था।
  2. दूसरा मध्य मार्ग था जो ईरान, इराक तथा सीरिया से होकर जाता था।
  3. तीसरा दक्षिणी मार्ग था। यह मार्ग हिन्द महासागर, अरब सागर, लाल सागर तथा मित्र से होकर जाता था।

15वीं शताब्दी में पश्चिमी एशिया तथा दक्षिण-पूर्वी यूरोप के प्रदेशों पर तुर्कों का अधिकार हो गया। इससे भारत तथा यूरोप के बीच व्यापार के पुराने मार्ग बन्द हो गये। इसलिए यूरोपीय देशों ने भारत पहुंचने के लिए नए समुद्री मार्ग ढूंढ़ने आरम्भ कर दिए। सर्वप्रथम पुर्तगाली नाविक वास्को-डि-गामा 27 मई, 1498 को भारत की कालीकट बन्दरगाह पर पहुंचा। अत: पुर्तगालियों ने भारत के साथ व्यापार करना आरम्भ कर दिया। इस प्रतिमा को व्यापारवाद कहा जाता है जिसका उद्देश्य धन कमाना था।

व्यापार युद्ध-पुर्तगालियों को धन कमाते देख डचों, अंग्रेज़ों तथा फ्रांसीसियों ने भी भारत के साथ व्यापार सम्बन्ध स्थापित कर लिए। भारतीय व्यापार पर अपना अधिकार करने के लिए उनके बीच युद्ध आरम्भ हो गये। इन युद्धों को व्यापार युद्ध कहा जाता है। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपनी बस्तियां स्थापित कर ली।

  • भारत में पुर्तगालियों की प्रमुख बस्तियां गोआ, दमन, सालसेट, बसीन, बम्बई, सैंट-टोम तथा हुगली थीं।
  • डचों की मुख्य बस्तियां कोचीन, सूरत, नागापट्टम, पुलिकट तथा चिनसुरा थीं।
  • अंग्रेजों की मुख्य बस्तियां सूरत, अहमदाबाद, बलोच (भड़ौच), आगरा, बम्बई तथा कलकत्ता थीं।
  • फ्रांसीसियों की मुख्य बस्तियां थीं-पांडिचेरी, चन्द्रनगर तथा कारीकल।

समय बीतने के साथ-साथ इन चारों यूरोपीय शक्तियों के बीच एक-दूसरे की बस्तियों पर अधिकार करने के लिए संघर्ष छिड़ गया। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 17वीं शताब्दी तक भारत में पुर्तगालियों तथा डचों का प्रभाव कम हो गया। अब भारत में केवल अंग्रेज़ और फ्रांसीसी ही रह गये। इनके बीच भी काफ़ी समय तक भारतीय व्यापार पर एकाधिकार के लिए संघर्ष होता रहा। इस संघर्ष में अंग्रेज़ों को अन्तिम विजय प्राप्त हुई।

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प्रश्न 2.
अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना का वर्णन करो।
उत्तर-
कम्पनी की स्थापना-पुर्तगालियों और डचों के लाभदायक व्यापार को देखकर अंग्रेजों ने भी भारत के साथ व्यापार करने का निश्चय किया। 31 दिसम्बर, 1600 ई० को इंग्लैण्ड के व्यापारियों के मर्चेट एडवेंचर्स नामक एक समूह ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। इस कम्पनी को इंग्लैण्ड की महारानी ऐलिज़ाबेथ ने भारत के साथ 15 वर्षों तक व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान किया। कम्पनी ने पहले पूर्वी द्वीप समूह के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित
ला।

करने चाहे। परन्तु पूर्वी द्वीप समूहों पर डचों का अधिकार था। डचों ने ब्रिटिश व्यापारियों का विरोध किया। इसलिए वे वहां अपने उद्देश्य में सफल न हो सके।मुग़ल सम्राट् से सुविधाएं-1607 ई० में अंग्रेज़ी कप्तान विलियम हाकिन्स ने मुग़ल सम्राट जहांगीर से व्यापारिक सुविधाएं प्राप्त करने का प्रयास किया, परन्तु वह असफल रहा। 1615 ई० में सर टामस रो इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर जहांगीर के दरबार में आया। उसने जहांगीर से सूरत में कोठियां बनाने की अनुमति लेने के साथसाथ और भी कई प्रकार की सुविधाएं प्राप्त कर लीं। इस प्रकार सूरत अंग्रेजों का व्यापारिक केन्द्र बन गया। अंग्रेज़ों ने अहमदाबाद, भड़ौच तथा आगरा में भी अपनी बस्तियां स्थापित की।

कम्पनी की शक्ति का विकास-

  • 1640 ई० में अंग्रेज़ों ने मद्रास (चेन्नई) के निकट कुछ भूमि मोल लेकर मद्रास (चेन्नई) नगर की स्थापना की और एक फैक्टरी का निर्माण किया।
  • 1674 में सूरत के स्थान पर बम्बई (मुम्बई)को कम्पनी का मुख्य केन्द्र बना लिया गया।
  • 1690 ई० में अंग्रेजों ने कलकत्ता (कोलकाता) में अपनी बस्ती स्थापित की और वहां फोर्ट विलियम नामक किले का निर्माण करवाया।
  • 1717 ई० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी को मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर से 3000 रुपए वार्षिक के बदले बिहार, बंगाल तथा उड़ीसा में बिना चुंगी दिए व्यापार करने का अधिकार मिल गया।

अंग्रेज़ भारत में कलई, पारा, सिक्का तथा कपड़ा भेजते थे। बदले में वे भारत से सूती तथा रेशमी कपड़ा, गर्म मसाले, नील तथा अफ़ीम मंगवाते थे। धीरे-धीरे उन्होंने भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना आरम्भ कर दिया। इस तरह उन्होंने भारत में बहुत अधिक शक्ति पकड़ ली।

प्रश्न 3.
ऐंग्लो-फ्रांसीसी संघर्ष का वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के बीच संघर्ष दक्षिण भारत में हुआ। यह संघर्ष कर्नाटक के युद्धों के नाम से विख्यात है। इस संघर्ष में अग्रलिखित पड़ाव आए कर्नाटक का पहला युद्ध-कर्नाटक का पहला युद्ध 1746 ई० से 1748 ई० तक हुआ। इस युद्ध का वर्णन इस प्रकार है
कारण-

  • अंग्रेज़ और फ्रांसीसी भारत के सारे व्यापार पर अपना-अपना अधिकार करना चाहते थे। इसलिए उनमें शत्रुता बनी हुई थी।
  • इसी बीच यूरोप में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच युद्ध छिड़ गया। इसके परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों में लड़ाई शुरू हो गई।

घटनाएं-1746 ई० में फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों पर आक्रमण करके मद्रास (वर्तमान चेन्नई) पर अधिकार कर लिया। क्योंकि मद्रास (चेन्नई) कर्नाटक राज्य में स्थित था, इसलिए अंग्रेजों ने कर्नाटक के नवाब से रक्षा की प्रार्थना की। नवाब ने दोनों पक्षों के युद्ध को रोकने के लिए 10 हजार सैनिक भेज दिए। इस सेना का सामना फ्रांसीसियों की एक छोटीसी सैनिक टुकड़ी से हुआ। फ्रांसीसी सेना ने नवाब की सेनाओं को बुरी तरह पराजित कर दिया। 1748 ई० में यूरोप में युद्ध बन्द हो गया। परिणामस्वरूप भारत में दोनों जातियों के बीच युद्ध समाप्त हो गया।

परिणाम-

  • इस युद्ध में फ्रांसीसी विजयी रहे और भारत में उनकी शक्ति की धाक जम गई।
  • शान्ति सन्धि के अनुसार चेन्नई (मद्रास) अंग्रेजों को वापस मिल गया।

कर्नाटक का दूसरा युद्ध-कर्नाटक का दूसरा युद्ध 1748 ई० से 1755 ई० तक हुआ।
कारण-कर्नाटक का दूसरा युद्ध हैदराबाद तथा कर्नाटक राज्यों की स्थिति के कारण हुआ। इन दोनों राज्यों में राजगद्दी के लिए दो-दो प्रतिद्वन्द्वी खड़े हो गये। हैदराबाद में नासिर जंग तथा मुजफ्फर जंग और कर्नाटक में अनवरुद्दीन तथा चन्दा माहिब । फ्रांसीसी सेना नायक डुप्ले ने मुजफ्फर जंग और चन्दा साहिब का साथ दिया और उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया। अीज़ भी शान्त न रहे। उन्होंने हैदराबाद में नासिर जंग तथा कर्नाटक में अनवरुद्दीन के पुत्र मुहम्मद अली का साथ दिया और युद्ध में उतर आए।

घटनाएं-युद्ध के आरम्भ में फ्रांसीसियों को सफलता मिली। चन्दा साहिब ने फ्रांसीसियों की सहायता से त्रिचनापल्ली में अपने शत्रुओं को घेर लिया। परन्तु अंग्रेज़ सेनापति रॉबर्ट क्लाइव ने युद्ध की स्थिति बदल दी। उसने चन्दा साहिब की राजधानी अर्काट पर घेरा डाल दिया। चन्दा साहिब अपनी राजधानी की रक्षा के लिए त्रिचनापल्ली से भाग गया। परन्तु न तो वह अपनी राजधानी को बचा पाया और न ही अपने आपको। इस प्रकार कर्नाटक पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया।

परिणाम-

  • 1755 ई० में दोनों पक्षों में सन्धि हो गई। दोनों ने यह निर्णय किया कि वे देशी राजाओं के झगड़ों में भाग नहीं लेंगे।
  • इस युद्ध से अंग्रेजों की साख बढ़ गई। कर्नाटक का तीसरा युद्ध-कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 से 1763 ई० तक हुआ।

कारण-1756 ई० में यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में फ्रांस और इंग्लैण्ड एक-दूसरे के विरुद्ध लड़ रहे थे। अत: भारत में भी इन दोनों शक्तियों में युद्ध आरम्भ हो गया।

घटनाएं-फ्रांसीसी सरकार ने 1758 में काऊण्ट लाली को भारत में फ्रांसीसियों का गवर्नर-जनरल तथा सेनापति बना कर भेजा। फ्रांसीसी सरकार ने उसे आदेश दिया कि वह भारत के तटीय प्रदेशों को ही विजय करने का प्रयास करे। परन्तु वह असफल रहा। 1760 ई० में अंग्रेज सेनापति आयरकूट ने बंदिवाश के स्थान पर फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया। बुस्से को बन्दी बना लिया गया। 1761 ई० में अंग्रेजों ने पाण्डिचेरी पर भी अपना अधिकार कर लिया। 1763 ई० में पेरिस की सन्धि के अनुसार यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध बन्द हो गया। इसके साथ ही भारत में भी दोनों शक्तियों में युद्ध समाप्त हो गया।

परिणाम-हैदराबाद में फ्रांसीसियों के प्रभाव का अन्त हो गया। अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को चन्द्रनगर, माही, पाण्डिचेरी और कुछ अन्य प्रदेश लौटा दिये। वे अब इन प्रदेशों में केवल व्यापार ही कर सकते थे। इस प्रकार भारत में राज्य स्थापित करने की उनकी सभी आशाओं पर पानी फिर गया।

प्रश्न 4.
लॉर्ड वैलज़ली के शासनकाल के समय अंग्रेजों के साम्राज्य विस्तार का वर्णन करें।
उत्तर-
लॉर्ड वैलज़ली 1798 ई० में गवर्नर-जनरल बनकर भारत आया। वह भारत में अंग्रेज़ी राज्य का विस्तार करना चाहता था। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने भिन्न-भिन्न साधन अपनाये और अनेक प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया। संक्षेप में, उसने निम्नलिखित ढंग से भारत में अंग्रेजी राज्य का विस्तार किया-

1. युद्धों द्वारा-1799 ई० में वैलज़ली ने टीपू सुल्तान को मैसूर के चौथे युद्ध में हरा कर काफ़ी सारा क्षेत्र अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया। 1802 ई० में उसने मराठों को भी पराजित किया और दिल्ली, आगरा, कटक, बलासोर, भड़ौच, बुन्देलखण्ड आदि को अंग्रेजी राज्य में सम्मिलित कर लिया। वेलज़ली ने मराठा सरदार जसवंत राव होल्कर की राजधानी इंदौर पर भी अधिकार कर लिया।

2. सहायक सन्धि द्वारा-वैलज़ली ने अंग्रेजी राज्य का विस्तार करने के लिए अधीन मित्र राज्य अथवा सहायक सन्धि की नीति अपनाई। इस सन्धि को स्वीकार करने वाले राजा या नवाब के लिए यह आवश्यक था कि वह अपने आपको कम्पनी के अधीन समझे। वह अपने राज्य में अंग्रेजों की एक सैनिक टुकड़ी रखे और अंग्रेज़ों की आज्ञा के बिना किसी से युद्ध या सन्धि न करे। ये शर्ते मानने वाले देशी शासक की आन्तरिक तथा बाहरी खतरे से रक्षा की ज़िम्मेदारी
अंग्रेज़ों पर होती थी।

इस सन्धि को सबसे पहले 1798 ई० में निज़ाम हैदराबाद ने स्वीकार किया। उसने अपने कुछ प्रदेश भी अंग्रेजों को दे दिए। निज़ाम के बाद अवध के नवाब ने इस सन्धि को स्वीकार किया। सेना का खर्च चलाने के लिए उसने रुहेलखण्ड तथा गंगा-यमुना के दोआब का क्षेत्र कम्पनी को दे दिया।

3. पेंशनों द्वारा-1800 ई० में वैलज़ली ने सूरत के राजा को पेन्शन देकर सूरत को अंग्रेज़ी राज्य में सम्मिलित कर लिया। 1801 ई० में कर्नाटक के नवाब की मृत्यु हो गई। अंग्रेज़ों ने उसके पुत्र की भी पेन्शन निश्चित कर दी और उसके राज्य को अपने राज्य में मिला लिया।
इस प्रकार लॉर्ड वैलज़ली ने भारत में अंग्रेजी राज्य का खूब विस्तार किया।

प्रश्न 5.
लॉर्ड डलहौज़ी के शासनकाल के समय अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार का वर्णन करो।
उत्तर-
लॉर्ड डलहौजी ने भारत में निम्नलिखित चार तरीकों से अंग्रेज़ी साम्राज्य का विस्तार किया – 1. विजयों द्वारा 2. लैप्स की नीति द्वारा 3. कुशासन के आधार पर 4. पदवियां तथा पेन्शनें समाप्त करके

1. युद्धों अथवा विजयों द्वारा-

  • 1848 में उसने पंजाब में मूलराज तथा चतर सिंह के विरोध का लाभ उठाकर लाहौर दरबार के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। इसे दूसरा अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध (1848-49 ई०) कहा जाता है। इसमें अंग्रेज़ों की विजय हुई। परिणामस्वरूप 29 मार्च, 1849 को पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।
  • 1850 ई० में लॉर्ड डलहौजी ने सिक्किम पर आक्रमण करके वहां के शासक को पराजित किया। इस प्रकार सिक्किम को भी अंग्रेजी राज्य में शामिल कर लिया गया।
  • सिक्किम के बाद बर्मा की बारी आई। 1852 ई० में दूसरे अंग्रेज़ बर्मा युद्ध में अंग्रेज़ विजयी रहे। अत: डलहौज़ी ने बर्मा के परोम तथा पेगू प्रदेश अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिये।

2. लैप्स की नीति-लॉर्ड डलहौज़ी ने भारतीय रियासतों को अंग्रेज़ी साम्राज्य में मिलाने के लिए लैप्स की नीति अपनाई। इसके अनुसार जिन भारतीय शासकों की कोई संतान नहीं थी, उन्हें पुत्र गोद लेने की अनुमति नहीं दी जाती थी। ऐसे शासकों की मृत्यु के बाद उनके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया जाता था। इस नीति द्वारा लॉर्ड डलहौज़ी ने सतारा, सम्भलपुर, बघाट, उदयपुर, झांसी आदि कई रियासतों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया।

3. कुशासन के आधार पर-1856 में लॉर्ड डलहौज़ी ने अवध के ना कशासन (ख़राब शासन) का आरोप लगाया और उसके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल कर लिया। डलहौज़ा का यह कार्ग बिल्कुल अनुचित था।

4. पदवियां तथा पेंशनें समाप्त करके-लॉर्ड डलहौज़ी ने कर्नाटक, पूना, तंजौर तथा सूरत रियासतों के शासकों की पदवियां छीन ली और उनकी पेंशनें बन्द कर दीं। इन रियासतों को भी अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया गया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 10 भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना

प्रश्न 6.
1823 से 1848 ई० तक भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार का वर्णन करो।
उत्तर-
1823 से 1848 ई० तक अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार लॉर्ड एमहर्ट, लॉर्ड विलियम बैंटिंक, लॉर्ड ऑकलैण्ड, लॉर्ड एलनबरो तथा लॉर्ड हार्डिंग ने किया जिसका वर्णन इस प्रकार है-

  • लॉर्ड एमहर्ट ने पहले अंग्रेज़-बर्मा युद्ध (1824-26 ई०) में विजय प्राप्त की और अराकान तथा असम के प्रदेश अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिये।
  • इसके पश्चात् लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने कच्छ, मैसूर तथा कुर्ग पर अधिकार कर लिया। 1832 में उसने सिन्ध के अमीरों के साथ एक व्यापारिक सन्धि की। इससे महाराजा रणजीत सिंह का इस दिशा में विस्तार रुक गया।
  • लॉर्ड ऑकलैण्ड ने 1839 ई० में सिन्ध के अमीरों के साथ सहायक सन्धि करके अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार किया।
  • लॉर्ड एलनबरो के समय में चार्ल्स नेपियर ने 1843 ई० में सिन्ध पर अधिकार कर लिया और इसे अंग्रेज़ी साम्राज्य में मिला लिया।
  • लॉर्ड हार्डिंग ने पहले अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध में सिखों को हराया। परिणामस्वरूप जालन्धर, कांगड़ा तथा कश्मीर के प्रदेशों पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया।

प्रश्न 7.
मराठों के इलाकों को अंग्रेज़ों ने कैसे जीत लिया ?
उत्तर-
1772 ई० तक मराठों का मुखिया पेशवा शक्तिशाली रहा। उसके बाद मराठा सरदार नाना फड़नवीस ने मराठों की शक्ति को किसी-न-किसी प्रकार बनाए रखा। उस समय के बड़े-बड़े मराठा सरदार सिन्धिया, भौंसले, होल्कर तथा गायकवाड़ थे। अंग्रेजों ने बारी-बारी पेशवा तथा इन सरदारों की शक्ति को समाप्त किया।

1. पेशवा का पतन-1772 ई० में चौथे पेशवा माधव राव की मृत्यु पर उसका पुत्र नारायण राव पेशवा बना। परन्तु उसके चाचा राघोबा ने उसका वध करवा दिया। इस संकट की घड़ी में नाना फड़नवीस ने मराठों का नेतृत्व किया। उसने नारायण राव के शिशु पुत्र को पेशवा घोषित कर दिया और स्वयं उसका संरक्षक बन गया। उसने अंग्रेजों के साथ बड़े लम्बे समय तक युद्ध लड़ा, परन्तु सहायक सन्धि स्वीकार न की। उसकी मृत्यु के पश्चात् मराठा सरदारों में आपसी फूट पड़ गई। पेशवा, मराठा सरदार होल्कर से भयभीत था। इसलिए उसने 1802 ई० में अंग्रेजों की शरण ली और बसीन की सन्धि के अनुसार सहायक सन्धि स्वीकार कर ली।

2. सिन्धिया और भौंसले की शक्ति का अन्त-पेशवा द्वारा सहायक सन्धि स्वीकार करना सिन्धिया तथा भौंसले को अच्छा न लगा। उन्होंने इसे मराठा जाति का अपमान समझा। बदला लेने के लिए उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। गायकवाड़ ने अंग्रेज़ों का साथ दिया। लॉर्ड लेक ने सिन्धिया को पराजित करके दिल्ली, आगरा और अलीगढ़ पर अधिकार कर लिया। इधर कटक तथा बालासोर के क्षेत्र भी अंग्रेजों के अधीन हो गए। सिंधिया तथा भौंसले ने सहायक सन्धि स्वीकार कर ली।

3. अन्य मराठा सरदारों की शक्ति का अन्त-पेशवा ने एक बार फिर मराठों में एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया। 1817 ई० में लॉर्ड हेस्टिंग्ज़ ने पेशवा, भौंसले तथा होल्कर की सेनाओं को पराजित किया। पेशवा को पेंशन देकर उसका पद समाप्त कर दिया गया। उसका सारा क्षेत्र अंग्रेज़ी राज्य में शामिल कर लिया गया। इसके बाद मराठा सरदारों ने भी अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर ली। इस प्रकार अंग्रेजों ने मराठों के सभी इलाकों को जीत लिया।

प्रश्न 8.
अंग्रेज़-मैसूर युद्धों,का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मैसूर राज्य काफ़ी शक्तिशाली था। हैदर अली के अधीन यह राज्य काफ़ी समृद्ध बना और राज्य की सैनिक शक्ति बढ़ी। अंग्रेजों ने इस राज्य की शक्ति को कुचलने के लिए हैदर अली के शत्रुओं-मराठों तथा हैदराबाद के निजाम के साथ गठजोड़ कर लिया। हैदर अली इसे सहन न कर सका। इसलिए उसका अंग्रेजों के साथ युद्ध छिड़ गया।

1. मैसूर का पहला युद्ध–यह युद्ध हैदर अली तथा अंग्रेजों के बीच 1767 ई० से 1769 ई० तक हुआ। इस युद्ध में हैदर अली बढ़ता हुआ मद्रास (चेन्नई) तक जा पहुंचा। 1769 ई० में दोनों पक्षों में एक रक्षात्मक सन्धि हो गई। इसके अनुसार दोनों ने एक-दूसरे के जीते हुए प्रदेश वापिस कर दिए।

2. मैसूर का दूसरा युद्ध-मैसूर के दूसरे युद्ध (1780-84) में भी हैदर अली ने बड़ी वीरता दिखाई। परन्तु फ्रांसीसियों से अपेक्षित सहायता न मिलने के कारण वह पोर्टोनोवा के स्थान पर पराजित हुआ। 1782 ई० में हैदर अली की मृत्यु हो गई और टीपू सुल्तान ने युद्ध को जारी रखा। आखिर 1784 ई० में मंगलौर की सन्धि के अनुसार दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के जीते हुए प्रदेश लौटा दिए।

3. मैसूर का तीसरा युद्ध-मैसूर के तीसरे युद्ध (1790-92 ई०) में टीपू सुल्तान ने अंग्रेज़ी सेना पर करारे प्रहार किए। परन्तु अन्त में वह लॉर्ड कार्नवालिस के हाथों पराजित हुआ। श्रीरंगापट्टनम की सन्धि के अनुसार टीपू सुल्तान को अपना आधा राज्य और 3 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में अंग्रेजों को देने पड़े।

4. मैसूर का चौथा युद्ध-मैसूर के चौथे युद्ध (1799 ई०) में टीपू सुल्तान अपनी राजधानी की रक्षा करते हुए मारा गया। उसकी मृत्यु के पश्चात् अंग्रेजों ने मैसूर राज्य का कुछ क्षेत्र वहां के पुराने राजवंश को तथा कुछ भाग हैदराबाद के निज़ाम को देकर शेष भाग अपने नियन्त्रण में ले लिया।
इस प्रकार अंग्रेज़ों ने हैदर अली और टीपू सुल्तान की शक्ति को पूरी तरह समाप्त कर दिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 9 कहाँ, कब तथा कैसे

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 9 कहाँ, कब तथा कैसे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 9 कहाँ, कब तथा कैसे

SST Guide for Class 8 PSEB कहाँ, कब तथा कैसे Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दो :

प्रश्न 1.
इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को कौन-से तीन कालों में विभाजित किया है ? उनके नाम लिखो।
उत्तर-
(1) प्राचीन काल (2) मध्यकाल तथा (3) आधुनिक काल।

प्रश्न 2.
भारत में आधुनिक काल का आरम्भ कब हुआ ?
उत्तर-
भारत में आधुनिक काल का आरम्भ 18वीं शताब्दी में औरंगजेब की मृत्यु के बाद से माना जाता है।

प्रश्न 3.
हैदराबाद के स्वतन्त्र राज्य की नींव कब तथा किसने रखी ?
उत्तर-
हैदराबाद के स्वतन्त्र राज्य की नींव 1724 ई० में निज़ाम-उल-मुल्क ने रखी।

प्रश्न 4.
आधुनिक काल के समय में भारत में आई यूरोपीयन शक्तियों के नाम लिखो।
उत्तर-
पुर्तगाली, डच, फ्रांसीसी तथा अंग्रेज़।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 9 कहाँ, कब तथा कैसे

प्रश्न 5.
कब तथा किसने अवध राज्य को स्वतन्त्र राज्य घोषित किया ?
उत्तर-
अवध को 1739 ई० में सआदत खां ने स्वतन्त्र राज्य घोषित किया।

प्रश्न 6.
पुस्तकें ऐतिहासिक स्रोत के रूप में हमारी किस तरह से सहायता करती हैं ?
उत्तर-
आधुनिक काल में छापेखाने के आविष्कार के कारण भारतीय तथा अंग्रेज़ी भाषा में अनेक पुस्तकें छापी गईं।
इन पुस्तकों से हमें मनुष्य द्वारा साहित्य, कला, इतिहास, विज्ञान तथा संगीत आदि क्षेत्रों में की गई उन्नति का पता चलता है। इन पुस्तकों से हम और अधिक उन्नति करने की प्रेरणा ले सकते हैं।

प्रश्न 7.
ऐतिहासिक भवनों के बारे में संक्षेप जानकारी लिखें।
उत्तर-
आधुनिक काल में बने ऐतिहासिक भवन इतिहास के जीते-जागते उदाहरण हैं। इन इमारतों (भवनों) में इण्डिया गेट, संसद् भवन, राष्ट्रपति भवन, बिरला हाऊस तथा कई अन्य इमारतें शामिल हैं। ये भवन हमें भारत की भवन निर्माण कला के भिन्न-भिन्न पक्षों की जानकारी देते हैं।

प्रश्न 8.
समाचार-पत्र, पत्रिकाएं तथा सूचना पत्रिकाएं इतिहास लिखने के लिये कैसे सहायक होते हैं ?
उत्तर-
आधुनिक काल में भारत में भिन्न-भिन्न भाषाओं में बहुत-से समाचार-पत्र, रिसाले तथा पत्रिकाएं छापी गईं। इनमें से द ट्रिब्यून, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया आदि समाचार-पत्र आज भी छपते हैं। ये समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं हमें आधुनिक काल की कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी देती हैं।

प्रश्न 9.
सरकारी दस्तावेज़ों पर नोट लिखो।
उत्तर-
सरकारी दस्तावेज़ आधुनिक भारतीय इतिहास के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इन दस्तावेज़ों से हमें भारत में विदेशी शक्तियों की गतिविधियों, अंग्रेजों द्वारा भारत-विजय तथा भारत में अंग्रेज़ी प्रशासन की जानकारी मिलती है। हमें यह भी पता चलता है कि अंग्रेजों ने किस प्रकार भारत का आर्थिक शोषण किया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. यूरोप में आधुनिक काल का आरम्भ …………. सदी में हुआ माना जाता है।
2. भारत में 16वीं सदी में …………. काल था।
3. 18वीं सदी में भारत में……………तथा पठान एवं राजपूत आदि नई शक्तियां अस्तित्व में आईं।
उत्तर-

  1. 16वीं,
  2. मध्य,
  3. मराठे, सिक्ख, रोहिल्ले।

III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही'(✓)या ‘गलत’ (x) का चिन्ह लगाएं :

1. 18वीं सदी में भारतीय समाज में अनेक सामाजिक बुराइयां प्रचलित थीं। – (✓)
2. पश्चिमी शिक्षा एवं साहित्य के साथ-साथ पश्चिमी विचारों ने भी भारतीयों को जागृत किया। – (✓)
3. 18वीं सदी में भारत में मुग़ल साम्राज्य अधिक शक्तिशाली था। – (✗)

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
दिल्ली में स्थित ऐतिहासिक भवन नहीं है-
(i) संसद् भवन
(ii) इण्डिया गेट
(iii) लाल किला
(iv) गेटवे ऑफ इंडिया।
उत्तर-
गेटवे ऑफ इंडिया

प्रश्न 2.
यूरोप में आधुनिक युग का आरम्भ कब हुआ ?
(i) 16वीं सदी
(ii) 15वीं सदी
(iii) 18वीं सदी
(iv) 17वीं सदी।
उत्तर-
16वीं सदी

प्रश्न 3.
मध्य युग में भारत में किन शासकों का राज था ?
(i) गुप्त
(ii) मुगल
(iii) अंग्रेज़
(iv) पुर्तगाली।
उत्तर-
मुग़ल।

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(ख) सही जोड़े बनाइए :

1. सुआदत खान – यूरोपीय
2. निजाम-उल-मुल्क – अवध
3. बाबर – हैदराबाद
4. डच – मुग़ल।
उत्तर-

  1. अवध
  2. हैदराबाद,
  3. मुग़ल,
  4. यूरोपीय।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संसार के इतिहास को कौन-कौन से तीन भागों में बांटा गया है ?
उत्तर-
प्राचीन काल, मध्य काल तथा आधुनिक काल।

प्रश्न 2.
यूरोप में आधुनिक काल का आरम्भ किस शताब्दी से माना जाता है ?
उत्तर-
16वीं शताब्दी से।

प्रश्न 3.
भारत में 18वीं शताब्दी में उदय होने वाली किन्हीं चार नई शक्तियों के नाम बताओ।
उत्तर-
मराठे, सिक्ख, रुहेले तथा पठान।

प्रश्न 4.
भारत किस वर्ष स्वतन्त्र हुआ ?
उत्तर-
1947 में।

प्रश्न 5.
यूरोप में आधुनिक काल का आरम्भ भारत से पहले क्यों हुआ ?
उत्तर-
संसार के जिन देशों ने तेजी से उन्नति की थी, वहां आधुनिक काल का आरम्भ अन्य देशों की तुलना में पहले हुआ। यूरोप के देशों ने भी तेज़ी से उन्नति की थी।

प्रश्न 6.
आधुनिक काल में भारतीय शासकों ने देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए क्या किया ?
उत्तर-
उन्होंने खेती, व्यापार तथा उद्योगों को बढ़ावा दिया।

प्रश्न 7.
कर्नाटक के युद्ध कब और किस-किसके बीच हुए ? इनमें किसकी विजयी हुई ?
उत्तर-
कर्नाटक के युद्ध 1746 से 1763 ई० तक अंग्रेज़ों तथा फ्रांसीसियों के बीच हुए। इनमें अंग्रेजों की विजय हुई।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक भारत में पश्चिमी शिक्षा तथा साहित्य ने भारत की स्वतन्त्रता का मार्ग कैसे प्रशस्त किया ?
उत्तर-
आधुनिक काल में भारत में बहुत-से स्कूल तथा कॉलेज स्थापित किए गए जहां पूर्वी (भारतीय) भाषाओं के साथ-साथ विदेशी भाषाओं की शिक्षा भी दी जाती थी। पश्चिमी शिक्षा तथा साहित्य के माध्यम से देश में पश्चिमी विचारों का प्रसार हुआ।

पश्चिमी सभ्यता, इतिहास तथा दर्शनशास्त्र की शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीयों में स्वतन्त्रता, समानता तथा भाईचारे की भावना का विकास हुआ। वे भारत में अंग्रेज़ी शासन तथा भारत के आर्थिक शोषण को सहन न कर सके। इसलिए उन्होंने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध राष्ट्रीय आन्दोलन आरम्भ कर दिया। उन्होंने बहुत-से कष्ट सहने तथा बलिदान देने के पश्चात् 1947 में देश को स्वतन्त्रता दिलाई।

प्रश्न 2.
आधुनिक काल में भारत में स्वतन्त्र राज्यों के उदय पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
भारत के भिन्न-भिन्न भागों में बहुत-सी रियासतों ने मुग़ल साम्राज्य की कमज़ोरी का लाभ उठा कर स्वयं को स्वतन्त्र घोषित कर दिया। सबसे पहले 1724 ई० में निज़ाम-उल-मुल्क ने हैदराबाद राज्य की नींव रखी। इसके बाद मुर्शिद कुली खां तथा अलीवर्दी खां ने बंगाल को स्वतन्त्र राज्य बना दिया। 1739 ई० में सआदत खां ने अवध में स्वतन्त्र राज्य की नींव डाली। इसी प्रकार दक्षिण में हैदर अली के नेतृत्व में मैसूर राज्य की नींव पड़ी। हैदर अली तथा उसके पुत्र टीपू सुल्तान के अधीन मैसूर राज्य का बहुत अधिक विकास हुआ। मराठों ने भी स्थिति का लाभ उठाया। उन्होंने पेशवाओं के नेतृत्व में मुग़ल प्रदेशों पर आक्रमण करने आरम्भ कर दिए।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक भारतीय इतिहास के महत्त्वपूर्ण स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
इतिहास तथ्यों पर आधारित होता है। इसलिए इतिहास की रचना के लिए इतिहासकारों को अलग-अलग स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। आधुनिक भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त करने के भी अनेक स्रोत हैं। इनमें से मुख्य स्रोतों का वर्णन इस प्रकार है –

1. पुस्तकें-आधुनिक काल में छापेखाने के आविष्कार के कारण भारतीय तथा अंग्रेज़ी भाषा में अनेक पुस्तकें छापी गईं। इन पुस्तकों से हमें मनुष्य द्वारा साहित्य, कला, इतिहास, विज्ञान तथा संगीत आदि क्षेत्रों में की गई उन्नति का पता चलता है। इन पुस्तकों से हम और अधिक उन्नति करने की प्रेरणा ले सकते हैं।

2. सरकारी दस्तावेज़-सरकारी दस्तावेज़ आधुनिक काल के इतिहास के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इनके अध्ययन से हमें भारत में विदेशी शक्तियों की गतिविधियों, अंग्रेजों द्वारा भारत-विजय तथा भारत में अंग्रेज़ी प्रशासन की जानकारी मिलती है। हमें यह भी पता चलता है कि अंग्रेजों ने किस प्रकार भारत का आर्थिक शोषण किया।

3. समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं-आधुनिक काल में भारत में भिन्न-भिन्न भाषाओं में बहुत से समाचार-पत्र, उपन्यास तथा पत्रिकाएं छापी गईं। इनमें से द ट्रिब्यून, द टाइम्ज़ ऑफ़ इण्डिया आदि समाचार-पत्र आज भी छपते हैं। ये समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं हमें आधुनिक काल की कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी देती हैं।

4. ऐतिहासिक भवन-आधुनिक काल में बने ऐतिहासिक भवन इतिहास के जीते-जागते उदाहरण हैं। इन इमारतों (भवनों) में इण्डिया गेट, संसद् भवन, राष्ट्रपति भवन, बिरला हाऊस तथा कई अन्य इमारतें शामिल हैं। ये भवन हमें भारत की भवन निर्माण कला के भिन्न-भिन्न पक्षों की जानकारी देते हैं।

5. चित्रकारी तथा मूर्तिकला-बहुत से चित्र तथा मूर्तियां भी आधुनिक इतिहास के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। ये स्रोत हमें राष्ट्रीय नेताओं तथा महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक व्यक्तियों की सफलताओं की जानकारी देते हैं।

6. विविध स्रोत-ऊपर दिए गए स्रोतों के अतिरिक्त आधुनिक भारतीय इतिहास के अन्य भी कई महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण फिल्में हैं जो समकालीन व्यक्तियों तथा उनकी जीवन शैली पर प्रकाश डालती हैं। इसके अतिरिक्त गांधी जी तथा पं० नेहरू आदि के पत्रों से हमें उनके व्यक्तित्व तथा उनकी सोच के बारे में पता चलता है।

प्रश्न 2.
भारतीय इतिहास के आधुनिक काल की मुख्य विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
भारत में आधुनिक काल का आरम्भ 18वीं शताब्दी में औरंगज़ेब की मृत्यु (1707) के बाद हुआ। इस काल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं-

1. नई शक्तियों का उदय-इस काल में बहुत-सी पुरानी शक्तियां कमज़ोर हो गईं और उनका स्थान नई शक्तियों ने ले लिया। इन शक्तियों में मराठे, सिक्ख, रुहेले, पठान तथा राजपूत आदि शामिल थे।

2. विदेशी शक्तियों का आगमन-इन शक्तियों के आपसी झगड़ों ने अनेक विदेशी शक्तियों को भारत में अपनी सर्वोच्चता तथा सत्ता स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। इनमें पुर्तगाली, अंग्रेज़, डच तथा फ्रांसीसी शामिल थे। भारत में इन्हीं यरोपीय शक्तियों के आगमन के साथ ही आधुनिक काल का आरम्भ हुआ।

3. सामाजिक तथा आर्थिक सुधार-उस समय विदेशी समाजों की तुलना में भारतीय समाज में बहुत अधिक बुराइयां पाई जाती थीं। इन्हें जड़ से उखाड़ने के लिए भारतीय समाज सुधारकों ने बहुत अधिक प्रयास किये। उस समय आर्थिक क्षेत्र में भी बहुत-सी त्रुटियां पाई जाती थीं। इसलिए भारतीय शासकों ने खेती, व्यापार तथा उद्योगों की ओर विशेष ध्यान दिया और अर्थव्यवस्था की त्रुटियों को दूर करने के प्रयास किये।

4. शिक्षा का प्रसार-आधुनिक काल में भारत में अनेक स्कूल तथा कॉलेज स्थापित किए गए जहां पूर्वी (भारतीय) भाषाओं के साथ-साथ विदेशी भाषाओं की शिक्षा भी दी जाती थी। पश्चिमी शिक्षा तथा साहित्य के माध्यम से देश में पश्चिमी विचारों का प्रसार हुआ। फलस्वरूप देश में जागृति आई जो आधुनिक युग का प्रतीक थी।

5. राष्ट्रीय आन्दोलन का आरम्भ तथा भारत की स्वतन्त्रता-पश्चिमी सभ्यता, इतिहास तथा दर्शनशास्त्र का अध्ययन करने वाले भारतीयों में स्वतन्त्रता, समानता तथा भाईचारे की भावना का विकास हुआ। वे भारत में अंग्रेजी शासन तथा भारत के आर्थिक शोषण को सहन न कर सके। इसलिए उन्होंने अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध राष्ट्रीय आन्दोलन आरम्भ कर दिया। बहुत-से कष्ट सहने तथा बलिदान देने के पश्चात् उन्होंने 1947 में देश को स्वतन्त्रता दिलाई।

6. अर्थव्यवस्था का पुनर्गठन-स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश तथा देश की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन का कार्य आरम्भ हुआ। परिणामस्वरूप पिछले छः दशकों में भारत ने विश्व के महान् देशों में अपना स्थान बना लिया है।
इस प्रकार भारत का आधुनिक युग बहुत-से उतारों-चढ़ावों, तनावों तथा चुनौतियों से भरपूर है। फिर भी भारत आज प्रगति तथा समृद्धि की ओर बढ़ रहा है।

प्रश्न 3.
भारतीय इतिहास के आधुनिक काल में हुई प्रमुख प्रगति का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के इतिहास में आधुनिक काल के आरम्भ अथवा 18वीं शताब्दी के काल को अंधकार युग माना जाता है। इसका कारण यह है कि इस युग में मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद देश कमज़ोर हो गया। स्थानीय शक्तियों में आपसी संघर्ष के साथ-साथ उनका विदेशी शक्तियों के साथ भी संघर्ष आरम्भ हो गया। । स्वतन्त्र राज्यों का उदय-भारत के भिन्न-भिन्न भागों में बहुत-सी रियासतों ने मुग़ल साम्राज्य की कमज़ोरी का लाभ उठाकर स्वयं को स्वतन्त्र घोषित कर दिया।

  • सबसे पहले 1724 ई० में निज़ाम-उल-मुल्क ने हैदराबाद राज्य की नींव रखी।
  • इसके बाद मुर्शिद कुली खां तथा अलीवर्दी खां ने बंगाल को स्वतन्त्र राज्य बना दिया।
  • 1739 ई० में सआदत खां ने अवध में स्वतन्त्र राज्य की नींव डाली।
  • इसी प्रकार दक्षिण में हैदर अली के नेतृत्व में मैसूर राज्य की नींव पड़ी।
  • हैदर अली तथा उसके पुत्र टीपू सुल्तान के अधीन मैसूर राज्य का बहुत अधिक विकास हुआ।
  • मराठों ने भी स्थिति का लाभ उठाया। उन्होंने पेशवाओं के नेतृत्व में मुग़ल प्रदेशों पर आक्रमण करने आरम्भ कर दिए।

विदेशी शक्तियों में संघर्ष-पुर्तगालियों, डचों, फ्रांसीसियों, अंग्रेज़ों आदि यूरोपीय शक्तियों ने भी मुग़ल राज्य की कमज़ोरी का लाभ उठाते हुए भारत में अपनी सत्ता स्थापित करने के प्रयास आरम्भ कर दिये। अत: 1746 ई० से 1763 ई० तक अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के बीच कर्नाटक में तीन युद्ध हुए। इनमें अंग्रेज़ विजयी रहे और भारत में अंग्रेज़ी सत्ता की स्थापना का मार्ग खुल गया।

भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेज़ों का अधिकार-मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद देश में फैली अशांति के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा। भारतीय व्यापार पर अंग्रेजों ने अपना अधिकार कर लिया। इसलिए भारत के हस्तशिल्प तथा दस्तकार बर्बाद हो गए। इससे पहले भारत अपने हस्तशिल्पों के लिए संसारभर में प्रसिद्ध था।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

PSEB 8th Class Home Science Guide कार्यात्मक फर्नीचर Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कार्यात्मक फर्नीचर से क्या भाव है ?
उत्तर-
जो फर्नीचर किसी खास काम के लिए इस्तेमाल किया जाता हो।

प्रश्न 2.
सोने वाले कमरे में आरामदायक फर्नीचर होना चाहिए। बताओ क्यों ?
उत्तर-
सोने वाले कमरे में आरामदायक फर्नीचर होना चाहिए क्योंकि उठने-बैठने तथा सोने में कष्टदायक न हो।

प्रश्न 3.
कार्यात्मक फर्नीचर कितनी प्रकार का होता है ?
उत्तर-
दो प्रकार का-

  1. कार्यात्मक,
  2. केवल सजावटी।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

प्रश्न 4.
मेज़ के ऊपर सनमाइका लगाने का क्या लाभ है ?
उत्तर-
मेज़ के ऊपरी भाग पर सनमाइका लगाने से मेज़ साफ़ करना आसान रहता है।

प्रश्न 5.
किस प्रकार की लकड़ी फर्नीचर के लिए सबसे अच्छी रहती है ?
उत्तर-
टीक, महोगनी, गुलाब और अखरोट की लकड़ी फर्नीचर के लिए सबसे अच्छी रहती है।

प्रश्न 6.
पलंग का आम माप क्या होता है और बच्चों के लिए कैसा पलंग हो सकता
उत्तर-
पलंग का साधारण माप \(2 \frac{1}{2}\) से \(3 \frac{1}{2}\) तक चौड़ा और \(6 \frac{1}{2}\) फुट तक लम्बा होता है।
बच्चों के लिए छोटी चारपाई हो सकती है। इसका माप 4′ × 2′ होता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

प्रश्न 7.
पढ़ाई वाले मेज़ का आम माप क्या होता है ?
उत्तर-
पढ़ाई वाले मेज़ का साधारण माप \(2 \frac{1}{2}\) फुट × 4 फुट और ऊँचाई \(2 \frac{1}{2}\) फुट हो सकती है।

प्रश्न 8.
पढ़ाई वाले मेज़ पर कार्य करते समय किस प्रकार की कुर्सी का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
पढ़ाई वाले मेज़ पर काम करते समय कुर्सी सीधी पीठ वाली और बाजू वाली प्रयोग करनी चाहिए।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय मौसम के अनुसार किस तरह का फर्नीचर होना चाहिए ?
उत्तर-
भारतीय मौसम के अनुसार निम्नलिखित तरह का फर्नीचर होना चाहिए

  1. फर्नीचर नए डिज़ाइन का हो।
  2. फर्नीचर कमरे के आकार का हो।
  3. फर्नीचर आर्थिक दृष्टि से मितव्ययी हो।
  4. फर्नीचर स्थान की दृष्टि से मितव्ययी हो।
  5. फर्नीचर कमरे के लिए उपयोगी हो।
  6. फर्नीचर मज़बूत व टिकाऊ हो।
  7. फर्नीचर उपयोगी और सुन्दर होने के साथ-साथ आरामदायक हो।
  8. फर्नीचर उठाने-धरने में सुविधाजनक हो।
  9. फर्नीचर सदैव अच्छे कारीगर द्वारा बना हो।

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प्रश्न 2.
बैठने वाले और खाने वाले कमरों में कौन-कौन सा फर्नीचर होना ज़रूरी है ?
उत्तर-
बैठने वाले कमरों में फर्नीचर-सोफासेट, गद्देदार, कुर्सियाँ, मेज़, कॉफी टेबल,सेन्टर टेबल और आराम कुर्सियाँ। खाने वाले कमरों में फर्नीचर- भोजन की मेज़, कुर्सियाँ, परोसने की मेज़, साइड बोर्ड ट्राली (पहिए वाली मेज़)।

प्रश्न 3.
पढ़ाई वाले कमरे की आवश्यकता क्यों समझी जाती है ? इसमें किस तरह का फर्नीचर होना चाहिए ?
उत्तर-
शिक्षा के प्रसार से हमारे देश में भी पश्चिमी देशों की तरह पढ़ाई वाले कमरे की आवश्यकता है जिसमें बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से हो सके। पढ़ाई वाले कमरे का फर्नीचर-पढ़ने वाला मेज़, कुर्सी, पुस्तकों की अलमारी आदि होनी चाहिएँ। मेज़ का आम माप 21/2 फुट × 4 फुट और ऊँचाई 272 फुट होती है। लेकिन मेज़ इससे लम्बा और चौड़ा भी हो सकता है। मेज़ इतना बड़ा होना चाहिए कि उस पर लैम्प, पुस्तकें, शब्दकोष, पेन, पेंसिलें आदि आसानी से आ सकें। अगर टाइपराइटर रखने की जगह हो सके तो और भी अच्छा है। कुर्सी सीधी पीठ वाली और बाजू वाली होनी चाहिए। इसकी सीट बेंत की या गद्देदार होनी चाहिए। यदि टाइपराइटर का प्रबन्ध हो तो कुर्सी पहियों वाली होनी चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसको टाइपराइटर की तरफ़ या मेज़ की तरफ़ घुमाया जा सके। पुस्तकों के लिए शैल्फ़ वाली अलमारी इस कमरे में होनी चाहिए। हमारे देश के मौसम के अनुसार शीशे वाली अलमारी होनी चाहिए क्योंकि मिट्टी, धूल से पुस्तकों को सुरक्षित रखा जा सके।

प्रश्न 4.
लकड़ी के फर्नीचर की किस तरह देखभाल करोगे ? ।
उत्तर-
लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. फर्नीचर की सफ़ाई प्रतिदिन की जानी चाहिए।
  2. फर्नीचर को बहुत सावधानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना चाहिए।
  3. फर्नीचर को खींचना या घसीटना नहीं चाहिए। फर्नीचर को रगड़ लगने से भी बचाना चाहिए।
  4. फर्नीचर पर किसी प्रकार की खाने की वस्तु न गिरे, यदि गिर भी जाए तो उसे तत्काल साफ़ कर देना चाहिए नहीं तो दाग-धब्बे पड़ने का डर रहता है।

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प्रश्न 5.
गद्देदार और चमड़े के फर्नीचर को किस तरह साफ़ करोगे ?
उत्तर-
गद्देदार और चमड़े के फर्नीचर को साफ़ करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. प्रतिदिन साफ़ कपड़े से झाड़ना चाहिए।
  2. कभी-कभी पानी में नर्म साबुन का घोल बनाकर कपड़े के साथ घोल लगाकर चमड़े और रेक्सीन को साफ़ करना चाहिए।
  3. साफ़ करने के बाद पॉलिश करना चाहिए ताकि चमड़ा नरम हो जाए और कटे नहीं।

प्रश्न 6.
बैंत के फर्नीचर का क्या लाभ और हानियाँ हैं ?
उत्तर-
बैंत के फर्नीचर से निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. बैंत का फर्नीचर लकड़ी से हल्का होता है।
  2. यह लकड़ी के फर्नीचर की अपेक्षा आसानी से बाहर निकाला जा सकता है।
  3. यह लकड़ी के फर्नीचर से सस्ता होता है।

बैंत के फर्नीचर की सफ़ाई-

  1. बैंत वाले फर्नीचर को रोज़ कपड़े या ब्रुश से साफ़ करना चाहिए।
  2. बैंत वाले फर्नीचर को नमक के पानी से साफ़ करना चाहिए।

हानियाँ-

  1. इस फर्नीचर को कुत्तों, बिल्लियों से बचाना पड़ता है।
  2. यह लम्बे समय तक चलने योग्य नहीं होता।

प्रश्न 7.
मीनाकारी वाले फर्नीचर के क्या लाभ और हानियाँ हैं ?
उत्तर-
लाभ-

  1. मीनाकारी फर्नीचर देखने में सुन्दर होता है।
  2. इससे कमरा आकर्षक लगता है।

हानियाँ-

  1. हमारे यहाँ तेज़ हवा चलती है जिस कारण मीनाकारी फर्नीचर पर धूलमिट्टी की परतें जम जाती हैं।
  2. इस फर्नीचर की आसानी से सही सफ़ाई नहीं होती।
  3. सफ़ाई न होने से यह अनाकर्षक दिखायी देने लगता है।

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प्रश्न 8.
फर्नीचर पर घी, तेल, पेंट और लुक आदि के दाग कैसे दूर किये जा सकते
उत्तर-
फर्नीचर पर लगे घी, तेल, पेंट तथा तारकोल आदि के धब्बे निम्नलिखित ढंग से दूर किये जा सकते हैं

  1. तरल पदार्थों को किसी साफ़ कपड़े से पोंछ देना चाहिए।
  2. चिकने और चिपकने वाले दागों के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। आवश्यकता हो तो किसी नरम साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए। लकड़ी को अधिक गीला नहीं करना चाहिए।
  3. यदि लकड़ी पर कोई गर्म बर्तन रखा जाए तो भी उस पर दाग पड़ जाते हैं। इस तरह के दाग पर कुछ दिन थोड़ा सा युक्लिप्टस का तेल या पीतल का पॉलिश लगाकर अच्छी तरह रगड़ना चाहिए। 8-10 दस दिनों के बाद दाग उतर जाएगा।
  4. पेन्ट या रोगन के दाग के लिए मैथिलेटिड स्पिरिट इस्तेमाल में लानी चाहिए और फर्नीचर पर पॉलिश करनी चाहिए।
  5. स्याही के दाग के लिए ऑग्जैलिक तेज़ाब का हल्का घोल इस्तेमाल करना चाहिए।
  6. रगड़ के निशानों को दूर करने के लिए उबालकर ठंडा किया अलसी का तेल इस्तेमाल करना चाहिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर का चुनाव करते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
फर्नीचर के चुनाव में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है
(1) उपयोगिता,
(2) सुन्दरता,
(3) डिज़ाइन,
(4) आरामदेही,
(5) मूल्य,
(6) मज़बूती,
(7) आकार।
1. उपयोगिता-केवल उपयोगी फर्नीचर का ही चुनाव करना चाहिए। अनुपयोगी फर्नीचर कितना ही सुन्दर क्यों न हो, वह हमारे लिए कोई महत्त्व नहीं रखता।

2. सुन्दरता-फर्नीचर आकर्षक व सन्तोषजनक होना चाहिए। सामान्य नियमों का पालन करते हुए सुन्दरता पर ध्यान देना चाहिए।

3. बनावट (डिज़ाइन)-मकान की बनावट के अनुसार फर्नीचर आधुनिक, सादा या पुराने डिज़ाइन का हो सकता है। आधुनिक मकान में पुराने डिज़ाइन का फर्नीचर शोभा नहीं देता। आधुनिक मकान का सभी फर्नीचर आधुनिक ही होना चाहिए।

4. आरामदेही-फर्नीचर की विशेषता उसका आरामदेह होना है। उठने-बैठने तथा सोने में कष्ट देने वाले फर्नीचर कितने ही सुन्दर क्यों न हों, बेकार होते हैं।

5. मूल्य-घर की आर्थिक स्थिति तथा फर्नीचर के मूल्य में तालमेल होना चाहिए। अपनी आर्थिक स्थिति से बाहर निकलकर खर्च करना बुद्धिमानी नहीं है। बहुत सस्ता फर्नीचर भी नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि वह टिकाऊ नहीं हो सकता।

6. मज़बूती-फर्नीचर सुन्दर होने के साथ-साथ मज़बूत भी होना चाहिए। चीड की लकड़ी का फर्नीचर शीघ्र टूट जाता है। सागवान व शीशम की लकड़ी का फर्नीचर मज़बूत होता है। स्टील या लोहे के फर्नीचर में चादर की मज़बूती का ध्यान रखना चाहिए।

7. आकार- फर्नीचर का चुनाव कमरे के आकार के आधार पर ही करना चाहिए। छोटे कमरों में छोटे आकार का फर्नीचर और बड़े कमरों में बड़े आकार का फर्नीचर ही उपयुक्त रहता है।

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प्रश्न 2.
लकड़ी के फर्नीचर पर रगड़ के निशानों को कैसे दूर कर सकते हैं ?
उत्तर-
लकड़ी के फर्नीचर पर रगड़ के निशानों को दूर करने के लिए अलसी का तेल उबालकर ठंडा करके प्रयोग किया जाता है।

Home Science Guide for Class 8 PSEB कार्यात्मक फर्नीचर Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
ग़लत तथ्य हैं
(क) बैंत का फर्नीचर लकड़ी से हल्का होता है।
(ख) पढ़ाई वाली मेज़ 4 फुट ऊंची होती है।
(ग) सजावटी फर्नीचर केवल सजावट के लिए होता है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(ख) पढ़ाई वाली मेज़ 4 फुट ऊंची होती है।

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य है
(क) फर्नीचर दो प्रकार का होता है।
(ख) सब से अच्छा फर्नीचर लकड़ी का होता है।
(ग) फर्नीचर आराम दायक होना चाहिए।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

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प्रश्न 3.
ठीक तथ्य है
(क) बैंत वाले फर्नीचर को नमक वाले पानी से साफ करना चाहिए।
(ख) मीनाकारी वाले फर्नीचर से कमरा आकर्षक लगता है।
(ग) बैंत का फर्नीचर लकड़ी के फर्नीचर से सस्ता होता है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

II. ठीक/गलत बताएं

  1. पुराने फर्नीचर भारी तथा नक्काशीदार होते हैं।
  2. फर्नीचर का चयन कमरे के रंग, आकार अनुसार करें।
  3. देवदार, अखरोट की लकड़ी हल्की होती है।
  4. बहु-उद्देशीय फर्नीचर कम स्थान लेता है।

उत्तर-

  1.  ✓

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III. रिक्त स्थान भरें

  1. फर्नीचर का चयन कमरे के ……………….. के अनुसार करें।
  2. पढ़ाई वाले कमरे में कुर्सी ………………. तथा बाजू वाली होनी चाहिए।
  3. मेज़ के ऊपर ……………….. लगा होना चाहिए।
  4. लकड़ी के फर्नीचर पर रगड़ दूर करने के लिए …… का तेल प्रयोग करें।
  5. स्याही के दाग़ दूर करने के लिए ……………….. प्रयोग करें।

उत्तर-

  1. रंग, आकार,
  2. सीधी पीठ वाली,
  3. सनमाईका,
  4. अलसी,
  5. आग्जैलिक तेज़ाब।

IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सबसे अच्छा फर्नीचर किसका होता है ?
उत्तर-
लकड़ी का।

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प्रश्न 2.
जो फर्नीचर बार-बार हटाये या खिसकाये जाएं, वे किस प्रकार की लकड़ी के बने होते हैं ?
उत्तर-
हल्की लकड़ी (देवदार, अखरोट) आदि के।

प्रश्न 3.
बच्चों के फर्नीचर किसके बने होने चाहिएँ ?
उत्तर-
बेंत के।

प्रश्न 4.
पुराने फर्नीचर किस प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
भारी और नक्काशीदार।

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प्रश्न 5.
आधुनिक फर्नीचर कैसे होते हैं तथा इनके डिज़ाइन क्या हैं ? .
उत्तर-
हल्के तथा तरल डिज़ाइन वाले।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर के अन्तर्गत कौन-कौन सी वस्तुएँ आती हैं ?
उत्तर-
मेज़, कुर्सी, पलंग, चौकी, तिपाई, सोफा, मूढा, बुक-रैक, अलमारी आदि।

प्रश्न 2.
फर्नीचर कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर-

  1. लकड़ी का,
  2. बेंत का,
  3. गद्देदार का,
  4. लोहे का,
  5. कामचलाऊ,
  6. अलंकृत, तथा
  7. स्थान बचाऊ या फोल्डिंग।

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प्रश्न 3.
फर्नीचर किस किस्म की लकड़ी का हो सकता है ?
उत्तर-
फर्नीचर लकड़ी मज़बूत और अच्छी तरह पकी हुई लकड़ी का हो सकता है।

प्रश्न 4.
कार्यात्मक फर्नीचर से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
जो फर्नीचर किसी खास काम के लिए प्रयोग किया जाता हो।

प्रश्न 5.
फर्नीचर के दो आवश्यक गुण बताओ।
उत्तर-

  1. आरामदायकता,
  2. मज़बूती।

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प्रश्न 6.
बैठक में क्या-क्या फर्नीचर होता है ?
उत्तर-
सोफासेट, गद्देदार, कुर्सियाँ, मेज़, कॉफी टेबत, केन्टर टेबल और आराम कुर्सियाँ ।

प्रश्न 7.
भोजन कक्ष में इस्तेमाल होने वाला फीस कौन-सा होता है ?
उत्तर-
भोजन की मेज़, कुर्सियाँ, परोसने की मेज़, साइड छोर्ड ट्राली (पहिये वाली मेज़)।

प्रश्न 8.
सोने के कमरे का फर्नीचर बताओ।
उत्तर-
सिंगल या डबल बैड, साइड मेज़, ड्रेसर खानों सहित, ड्रेसिंग टेबल, लोहे या लकड़ी की अलमारी, आराम कुर्सी।।

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प्रश्न 9.
फर्नीचर खरीदते समय कौन-सी आवश्यक बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ ?
उत्तर-

  1. उपयोगिता,
  2. सुन्दरता,
  3. डिज़ाइन,
  4. मूल्य,
  5. आरामदायकता,
  6. मज़बूती,
  7. आकार, तथा
  8. परिवार के सदस्यों की रुचि।

प्रश्न 10.
फर्नीचर के मुख्य लाभ क्या हैं ?
उत्तर-

  1. घर में उठने-बैठने के लिए,
  2. शरीर को आराम पहुँचाने के लिए,
  3. काम करने में सुविधा प्रदान करना,
  4. घर की सजावट,
  5. सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का परिचय तथा
  6. वस्तुओं की सुरक्षा।

प्रश्न 11.
फर्नीचर बनाने में प्रायः कौन-कौन सी लकड़ी का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
देवदार, आबनूस, शीशम, आम, सागवान, अखरोट, चीड़ आदि।

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प्रश्न 12.
बेंत से कौन-से फर्नीचर बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
मोटी बेंत से कुर्सी,सोफा, मेज़ और मूढ़े बनाये जाते हैं।

प्रश्न 13.
बेंत के फर्नीचर किस स्थान के लिए अधिक उपयोगी होते हैं ?
उत्तर-
बगीचे, बरामदे और आँगन के लिए। बच्चों के कमरों में भी ऐसे फर्नीचर उचित रहते हैं।

प्रश्न 14.
अच्छे फर्नीचर की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर-
अच्छा फर्नीचर उपयोगी, मज़बूत, नये डिज़ाइन का, कम कीमत का तथा आरामदेह होता है।

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प्रश्न 15.
फर्नीचर का चुनाव करते समय कमरे के आकार का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
फर्नीचर कमरे के आकार के अनुसार ही होना चाहिए। जैसे छोटे कमरे में अधिक या बड़े आकार के फर्नीचर से कमरा भरा लगेगा तथा चलने फिरने की जगह भी नहीं रहेगी।

प्रश्न 16.
सजावटी फर्नीचर से क्या भाव है ?
उत्तर-
ऐसा फर्नीचर घर की सजावट के लिए प्रयोग होता है। इस फर्नीचर पर नक्काशीदार खुदाई की होती है।

लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
फर्नीचर’ शब्द से अभिप्राय ऐसे सामान से है जो प्रतिदिन उठने-बैठने, आराम करने, विभिन्न वस्तुओं को सुरक्षित रखने आदि के काम आता है। इसके अन्तर्गत कुर्सी, मेज़, सोफा, मूढा, तिपाई, पलंग, तख्त, चारपाई, डोली, बेंच, बुक-रैक तथा अलमारी आदि भी फर्नीचर में आते हैं।

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प्रश्न 2.
घर में फर्नीचर का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
घर में फर्नीचर का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार है-

  1. फर्नीचर घर की आन्तरिक सजावट के लिए आवश्यक है।
  2. फर्नीचर से व्यक्ति की मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा को बढ़ावा मिलता है।
  3. घर में सुसज्जित फर्नीचर से परिवार के व्यक्तित्व की झलक दिखाई देती है।
  4. वस्तुओं को सुरक्षित रखने एवं कार्यों को सुविधापूर्वक करने के लिए भी फर्नीचर अत्यन्त आवश्यक है।

प्रश्न 3.
फर्नीचर कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर-
फर्नीचर का विभाजन तीन प्रकार से किया जा सकता है-
(1) फर्नीचर किस वस्तु का बना है ?
(2) कीमत के आधार पर।
(3) उपयोगिता के आधार पर।

  1. फर्नीचर किस वस्तु का बना है ?
    • लकड़ी का फर्नीचर।
    • बेंत का फर्नीचर।
    • बाँस का फर्नीचर।
    • गद्देदार फर्नीचर।
    • लोहे का फर्नीचर।
    • एल्यूमिनियम का फर्नीचर।
  2.  कीमत के आधार पर-
    • कम लागत का फर्नीचर।
    • मध्यम लागत का फीचर।
    • उच्च लागत का फर्नीचर।
  3. उपयोगिता के आधार पर-
    • बैठने के लिए फर्नीचर।
    • मध्यम लागत का फर्नीचर।
    • कार्य सम्पादन के लिए फर्नीचर।
    • सामान को सुरक्षित रखने के लिए फर्नीचर।

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प्रश्न 4.
लकड़ी के फर्नीचर पर पॉलिश के सामान्य नियम क्या हैं ?
उत्तर-

  1. पॉलिश या वार्निश लगाने से पूर्व फर्नीचर पर पड़े धूल कण तथा गन्दगी को मुलायम झाड़न से पोंछकर साफ़ कर देना चाहिए।
  2. फर्नीचर को गुनगुने पानी से या सोडे से धोने पर ऊपरी मैल तथा धब्बे छूट जाते हैं।
  3. पूरा फर्नीचर एक साथ गीला नहीं करना चाहिए। थोड़ा-थोड़ा भाग गीला करके साफ़ करते जाना चाहिए।
  4. पॉलिश लगाने अथवा चमकाने के पूर्व लकड़ी को पूर्णतः सूख जाना चाहिए।
  5. फर्नीचर पर चमक लाने के लिए साफ़ और मुलायम कपड़े से अधिक ज़ोर देकर जल्दी-जल्दी रगड़ना चाहिए।

प्रश्न 5.
फर्नीचर खरीदते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखोगी ?
उत्तर-

  1. फर्नीचर नए डिज़ाइन का हो।
  2. फर्नीचर कमरे के आकार के अनुरूप हो।
  3. फर्नीचर आर्थिक दृष्टि से मितव्ययी हो।
  4. फर्नीचर स्थान की दृष्टि से मितव्ययी हो।
  5. फर्नीचर कमरे के लिए उपयोगी हो।
  6. फर्नीचर मज़बूत व टिकाऊ हो।
  7. फर्नीचर उपयोगी और सुन्दर होने के साथ-साथ आरामदायक हो।
  8. फर्नीचर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सुविधाजनक हो।
  9. फर्नीचर सदैव अच्छे कारीगर द्वारा बना हो।

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प्रश्न 6.
फर्नीचर की देखभाल के नियम बताइए।
उत्तर-
फर्नीचर की देखभाल के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए-

  1. फर्नीचर पर गद्दियों तथा कवर आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  2. फर्नीचर की टूट-फूट होने पर उसकी मरम्मत तुरन्त करवानी चाहिए।
  3. फर्नीचर को रोज़ सूखे कपड़े से पोंछकर साफ़ रखना चाहिए।
  4. नक्काशीदार फर्नीचर को ब्रुश के प्रयोग से साफ़ रखना चाहिए।
  5. फर्नीचर को नमी या धूप के स्थान पर नहीं रखना चाहिए।
  6. आवश्यकता अनुभव होने पर फर्नीचर की पॉलिश करवानी चाहिए।
  7. फर्नीचर उठाते या सरकाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

प्रश्न 7.
बहुउद्देशीय स्थान-बचाऊ की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर-
बहुउद्देशीय स्थान-बचाऊ फर्नीचर फोल्डिंग (मुड़ने वाला) फर्नीचर होता है, जैसे सोफा-कम-बैड, फोल्डिंग कुर्सियाँ, मशीन कवर-कम-टेबल आदि। छोटे घरों में इसकी बहुत उपयोगिता होती है-

  1. यह स्थान कम घेरता है।
  2. फोल्डिंग सोफे को रात्रि में खोलकर पलंग का काम लिया जा सकता है।
  3. रात्रि में फोल्डिंग कुर्सियों व मेज़ आदि को फोल्ड करके रख देने से छोटे घर में स्थान की समस्या हल हो जाती है।
  4. तबादले के समय सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सुविधा रहती है।

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प्रश्न 8.
मुख्य प्रकार के फर्नीचर तथा उनके उदाहरण बताओ।
उत्तर-

  1. लकड़ी का फर्नीचर-कुर्सी, मेज़, पलंग, चौकी,तख्त, अलमारी आदि।
  2. बेंत का फर्नीचर-कुर्सी, मेज़, सोफा, मूढ़े आदि।
  3. गद्देदार फर्नीचर-सोफा, गद्देदार, कुर्सियाँ आदि।
  4. लोहे का फर्नीचर-फोल्डिंग टेबल, कुर्सियाँ, अलमारियाँ, रैकं आदि।
  5. अलंकृत फर्नीचर- नक्काशीदार फर्नीचर।
  6. काम चलाऊ फर्नीचर-बॉक्स पर गद्दी, बिछाकर बेंच के रूप में, लकड़ी की पेटियों की बुक-रैक, क्रॉकरी तथा बर्तन रखने की अलमारी आदि।

प्रश्न 9.
घर में कौन-कौन से फर्नीचर प्रयोग में लाये जाते हैं ?
उत्तर-
घर में निम्नलिखित फर्नीचर प्रयोग में लाए जाते हैं-

  1. सोफासेट-लकड़ी का, स्प्रिंग वाला गद्देदार, फोम रबड़ का, बेंत का या फोल्डिंग।
  2. कुर्सियाँ-साधारण, ड्राइंग रूम के लिए, भोजन कक्ष के लिए, अध्ययन कक्ष के लिए फोल्डिंग कुर्सी तथा आराम कुर्सियाँ।
  3. मेज़-बैठक के लिए केन्द्रीय मेज़, बगल वाली मेज़, कोने वाली मेज़ व कॉफी मेज़, खाने की मेज़ (डाइनिंग टेबल), श्रृंगार मेज़, पढ़ने की मेज़।
  4.  चारपाई तथा पलंग।
  5. तख्त और दीवान।
  6. अलमारियाँ-दीवार में बनी, लकड़ी की, स्टील की तथा रैक।
  7. शो केस।
  8. वॉल केबिनेट।

प्रश्न 10.
‘महँगा रोए एक बार सस्ता रोए बार-बार’ पर टिप्पणी दो।
उत्तर-
घर के उपयोग की कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें जीवन में प्रायः एक-दो बार ही खरीदा जाता है, जैसे-मकान, टी० वी०, फ्रिज़, फर्नीचर आदि। ऐसी वस्तुएँ जब खरीदी जाती हैं तब उनके मूल्य की ओर इतना ध्यान न देकर उनकी मज़बूती, आरामदेहता तथा बनावट की ओर अधिक ध्यान दिया जाता है। कुछ लोग नासमझी में सस्ती वस्तुएँ खरीद तो लेते हैं, परन्तु उनके खराब होने या टूट जाने पर उन्हें दूसरी बार या कई बार खरीदना पड़ता है। तात्पर्य यह है कि एक ही बार सोच-समझकर अधिक पैसे खर्च कर अच्छी चीज़ खरीदना या कम पैसे खर्च कर सस्ती चीज़ कई बार खरीदना, इन दोनों बातों के आधार पर ही यह कथन है कि ‘महँगा रोए एक बार’ ‘सस्ता रोए बार-बार’।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के फर्नीचर का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
फर्नीचर विभिन्न प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं-
1. लकड़ी का फर्नीचर-लकड़ी का फर्नीचर हल्का होता है। यह धूप तथा पानी से खराब हो जाता है। घरों में काम आने वाला अधिकतर फर्नीचर, जैसे-मेज़, कुर्सी, पलंग, अलमारी, चौकी आदि प्रायः लकड़ी का ही बना होता है। इस प्रकार के फर्नीचर देवदार, शीशम, आम, सागवान, अखरोट, चीड़, आबनूस आदि लकड़ी के बनते हैं। फर्नीचर की कीमत लकड़ी पर निर्भर करती है। सागवान तथा शीशम का फर्नीचर सुदृढ़, आकर्षक, भारी एवं मज़बूत होता है। आजकल पर्ती लकड़ी (प्लाइवुड) का फर्नीचर भी बनाया जाता है।

2. बेंत का फर्नीचर-बेंत का फर्नीचर विभिन्न रंगों का तथा हल्का होता है। बेंत का फर्नीचर मज़बूत नहीं होता। यह देखी में सुन्दर लगता है। बच्चों के कमरों में इस प्रकार का फर्नीचर उपयोगी होता है। बेंत का फर्नीचर बगीचे, बरामदे तथा आँगन के लिए भी उपयोगी होता है। लकड़ी की कुर्सी में भी बेंत का जाल बुना जा सकता है। मोटी बेंत द्वारा कुर्सी, मेज़, सोफा, मूढ़े आदि बनाये जाते हैं।

3. गद्देदार फर्नीचर-गद्देदार फर्नीचर, जैसे-सोफासेट, गद्देदार कुर्सियाँ, तिपाई आदि लकड़ी या धातु के ढाँचे में जूट, नारियल के रेशे, रूई तथा भूसा आदि भरकर तथा स्प्रिंग डालकर बनाए जाते हैं। इन्हें ऊपर से चमड़े, रेक्सीन या प्लास्टिक से ढका जाता है। गद्दों में फोम, रबर, डनलप का प्रयोग भी किया जाता है। ये टिकाऊ तथा आरामदायक होता है।

4. स्टील या लोहे का फर्नीचर-स्टील या लोहे का फर्नीचर प्रायः लोहे की चादरों तथा खोखले पाइप से बनाया जाता है। लोहे का फर्नीचर हल्का तथा मज़बूत होता है। इस पर आसानी से रंग चढ़ाया जा सकता है। इसमें सीलन तथा कीड़े-मकोड़े नहीं घुस सकते। इससे बनी कुर्सियों में गद्दों का तथा गद्दों पर रेक्सीन व चमड़े का कवर लगाया जाता है। इसके अन्तर्गत मुड़ने वाला (फोल्डिंग) फर्नीचर भी आता है। सुरक्षा की दृष्टि से मूल्यवान वस्तुओं को रखने के लिए स्टील की पेटियाँ तथा अलमारियाँ काम में लाई जाती हैं।

5. बाँस का फर्नीचर-बाँस से सोफासेट, गोल एवं चौकोर कुर्सियाँ, मेज़, मूढ़े आदि बनाए जाते हैं। ये अधिक सस्ते होते हैं तथा इन पर पॉलिश की जा सकती है। ये अधिक हल्के होते हैं।

6. एल्यूमीनियम का फर्नीचर-आजकल एल्यूमीनियम की बनी नलियों के फ्रेम वाले फर्नीचर प्रचलित हो गए हैं। कुर्सियों, स्टूलों, मेज़ों और पलंगों के फ्रेम एल्यूमीनियम के बनने लगे हैं। ये सस्ते और हल्के होते हैं। इन पर नायलॉन की तारों और निवाड़ की बुनाई होती है।

7. कामचलाऊ फर्नीचर-धन की कमी के कारण उपलब्ध सामग्री को फर्नीचर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, जैसे सामान की पेटी पर गद्दी तथा चादर बिछाकर बेंच का काम लिया जा सकता है। कम दामों में लकड़ी की पेटियाँ खरीदकर उनसे बुक-रैक, क्रॉकरी तथा बर्तन रखने की अलमारी बनायी जा सकती है।

8. अलंकृत फर्नीचर-कुछ फर्नीचर नक्काशीदार खुदाई किए हुए भी बनाया जाता है। इस प्रकार के फर्नीचर पर धूल-मिट्टी की पर्ते जम जाती है। इस फर्नीचर की आसानी से सही सफ़ाई नहीं हो पाती। सफ़ाई न होने से यह अनाकर्षक दिखायी देने लगता है।

9. आधुनिक स्थानबचाऊ बहुउद्देशीय फर्नीचर-आज बड़े-बड़े शहरों जैसे मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली आदि में स्थान की कमी के कारण आधुनिक स्थानबचाऊ फर्नीचर का उपयोग किया जाता है। स्थानबचाऊ बहुउद्देशीय फर्नीचर फोल्डिंग होता है, जैसे सोफाकम-बैड जिसे दिन में सोफे के रूप में तथा रात्रि में उसे खोलकर बिस्तर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। सिलाई मशीनें भी इस तरह की होती हैं जिसमें आवश्यकतानुसार पहिया लगाकर चौकोर मेज़ के रूप में प्रयोग किया जाता है। आजकल विभिन्न प्रकार के फोल्डिंग, मेज़, कुर्सी, पलंग बनाये जाते हैं जो बन्द करके रखे जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
आप घर में अलग-अलग प्रकार के फर्नीचर की देखभाल कैसे करेंगे ?
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

कार्यात्मक फर्नीचर PSEB 8th Class Home Science Notes

  • फर्नीचर दो प्रकार के होते हैं-कार्यात्मक और सजावट वाले।
  • कार्यात्मक फर्नीचर वह होता है जिसका अलग-अलग काम हो।
  • सजावटी फर्नीचर केवल सजावट के लिए होता है।
  • फर्नीचर खरीदते समय डिज़ाइन का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
  • सबसे अच्छा फर्नीचर लकड़ी का होता है।
  • फर्नीचर के जोड़ मज़बूत होने चाहिएँ।
  • फर्नीचर आरामदेह होना चाहिए।
  • लकड़ी के फर्नीचर को प्रतिदिन बड़े ध्यान से साफ़ करना चाहिए।
  • लकड़ी के फर्नीचर पर कोई चीज़ गिर जाए तो उसको वहीं सूखने नहीं देना चाहिए। उसको उसी समय साफ़ कर देना चाहिए।
  • चिकने और चिपकने वाले दागों के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पेंट या रोगन के दाग के लिए मैथिलेटिड स्पिरिट इस्तेमाल में लानी चाहिए और फर्नीचर पर पॉलिश करनी चाहिए।
  • साल में एक दो बार फर्नीचर को अच्छी तरह साफ़ करके पॉलिश करना चाहिए।
  • चाय, कॉफी, कलों के रस के दागों के लिए पानी में थोड़ा-सा नरम साबुन घोलकर कपड़े के साथ साफ़ करना चाहिए।
  • गद्देदार फर्नीचर को आवश्यकतानुसार ड्राइक्लीन करवाना चाहिए।
  •  बेंत वाले फर्नीचर को नमक वाले पानी से साफ़ करना चाहिए।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

PSEB 8th Class Agriculture Guide भूमि एवम् भूमि सुधार Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
कृषि की दृष्टि से भूमि का pH कितना होना चाहिए?
उत्तर-
6.5 से
8.7 तक pH होना चाहिए।

प्रश्न 2.
भूमि के दो मुख्य भौतिक गुण बताएँ।
उत्तर-
कणों का आकार, भूमि घनत्व, कणों के मध्य खाली जगह, पानी रोकने की ताकत और पानी विलय करने की ताकत आदि।

प्रश्न 3.
किस भूमि में पानी लगाने के फौरन बाद ही विलय हो जाता है?
उत्तर-
रेतली भूमि।

प्रश्न 4.
चिकनी मिट्टी में चिकने कणों की मात्रा बताएँ।
उत्तर-
कम-से-कम 40% चिकने कण होते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 5.
क्षारीय एवं अम्लीय को मापने का पैमाना बतलाएँ।
उत्तर-
क्षारीय और तेज़ाबीपन (अम्लीयता) को मापने का पैमाना pH है।

प्रश्न 6.
लवणी भूमि में किन लवणों की प्रचुरता (अधिकता) होती है ?
उत्तर-
इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों की अधिकता होती है।

प्रश्न 7.
जिस भूमि में सोडियम के कार्बोनेट व बाइकार्बोनेट अत्यधिक मात्रा में हो, उस भूमि को किस श्रेणी में रखा जाता है ?
उत्तर-
क्षारीय भूमि।

प्रश्न 8.
हरी खाद के लिए दो फसलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
सन अथवा लैंचा, जंतर।

प्रश्न 9.
चिकनी धरती किस फसल के लिए श्रेष्ठ है?
उत्तर-
धान की बुवाई के लिए।

प्रश्न 10.
क्षारीय धरती के सुधार के लिए कौन-सा पदार्थ प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
जिप्सम।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भू-विज्ञान के अनुसार मिट्टी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार भूमि प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव के अधीन प्राकृतिक मादे से पैदा हुई एक प्राकृतिक वस्तु है।

प्रश्न 2.
भूमि के प्रमुख भौतिक गुण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
कणों के आकार, भूमि घनत्व, कणों के मध्य खाली स्थान, पानी संजोए रखने की ताकत और पानी विलय करने की ताकत आदि।

प्रश्न 3.
चिकनी व रेतली मिट्टी की तुलना करें।
उत्तर-

रेतीली मिट्टी चिकनी मिट्टी
(1) उंगलियों में मिट्टी को रगड़ने से कणों का आकार खटकता है। (1) कण बहुत बारीक होते हैं।
(2) पानी बहुत जल्दी अवशोषित हो जाता है। (2) पानी बहुत देर तक खड़ा रहता है।
(3) दो कणों के मध्य खाली स्थान होता है। (3) दो कणों के मध्य खाली स्थान कम ज़्यादा होता है।

 

प्रश्न 4.
अम्लीय भूमि होने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
जिन भूमियों में तेज़ाबी (अम्लीय) मादा ज़्यादा होता है उनको अम्लीय भूमि कहते हैं। इन भूमियों में ज्यादा बारिश होने के कारण क्षारीय लवण बह जाते हैं और पौधों आदि के पत्तों के गलने-सड़ने से तेज़ाबी मादा पैदा होता है।

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प्रश्न 5.
कल्लर वाली भूमि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जिस भूमि में लवण की मात्रा बढ़ जाती है उनको कल्लर वाली भूमि कहते हैं। यह तीन तरह की होती है–लवणीय, क्षारीय और लवणीय-क्षारीय।

प्रश्न 6.
सेम वाली भूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उन भूमियों को जिन भूमियों के नीचे पानी का स्तर शून्य से लेकर 1.5 मीटर नीचे ही मिल जाए, उसको सेम वाली भूमि कहते हैं।

प्रश्न 7.
लवणीय भूमि का सुधार कैसे किया जा सकता है?
उत्तर-

  1. जिंदरा या ट्रैक्टर वाले कराहे के साथ भूमि की ऊपर वाली सतह खुरच कर किसी अन्य स्थान पर गहरे गड्ढे में दबा देनी चाहिए।
  2. भूमि को पानी के साथ भर कर इसमें हल चला दिया जाता है और फिर पानी बाहर निकाल दिया जाता है। इसके साथ लवण पानी में घुल कर बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 8.
कल्लर भूमि को सुधारने के लिए अभीष्ट जानकारी दें।
उत्तर–
कल्लर भूमि को सुधारने के लिए कुछ जानकारी प्राप्त करनी ज़रूरी है, जैसे—

  1. भूमि के नीचे पानी की सतह।
  2. पानी की सिंचाई के लिए योग्यता किस तरह की है।
  3. नहर का पानी उपलब्ध है या नहीं।
  4. धरती में कंकर या अन्य सख्त परतें हैं या नहीं।
  5. ज्यादा पानी निकालने के लिए खालों का योग्य प्रबंध है कि नहीं।
  6. कल्लर की कौन-सी किस्म है।

प्रश्न 9.
मैरा भूमि के प्रमुख गुण बताएँ।
उत्तर-
मैरा भूमि के गुण रेतीले और चिकनी भूमियों के बीच में होते हैं। हाथों में डालने पर इसके कण पाउडर की तरह फिसलते हैं।

प्रश्न 10.
लवणीय क्षारीय भूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इन भूमियों में क्षारत्व और लवणों की मात्रा ज्यादा होती है। इनमें चिकने कणों के साथ जुड़ा सोडियम ज्यादा मात्रा में होता है और भूमि में अच्छे लवण भी बहुत ज़्यादा मात्रा में होते हैं।

(इ) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
रेतीली भूमि (धरती) के सुधार के लिए समुचित प्रबंध का वर्णन करें।
उत्तर-
रेतीली भूमियों के सुधार के लिए योग्य प्रबंध निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरी खाद को फूल पड़ने से पहले या दो महीने की फ़सल को ज़मीन में दबा दें। हरी खाद के लिए सन या ढेंचे की बुवाई की जा सकती है।
  2. अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी को प्रयोग कर खेत में जुताई के द्वारा खेत में मिला देना चाहिए।
  3. मुर्गियों की खाद, सूअर की खाद, कंपोस्ट खाद आदि के प्रयोग से भी सुधारा जा सकता है।
  4. मई-जून के महीने में खेतों को खाली नहीं रखना चाहिए। कोई न कोई फसल बोकर रखें ताकि इनके जीवांश मादे को बचाया जा सके।
  5. फ़ली वाली फसलों की कृषि करनी चाहिए।
  6. सिंचाई के लिए छोटी क्यारियां बनाओ।
  7. ऊपर वाली रेतीली सतह को कराहे के साथ एक तरफ कर दो और नीचे की अच्छी मैरा मिट्टी की सतह का इस्तेमाल करें।
  8. तालाबों की चिकनी मिट्टी भी खेतों में डालकर लाभ मिलता है।

प्रश्न 2.
कणों के आकार के अनुपात भूमि के तीन प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
कणों के आकार के अनुपात अनुसार भूमि की तीन श्रेणियां हैं—
1. रेतीली भूमि
2. चिकनी भूमि
3. मैरा (दोमट) भूमि।।

  1. रेतीली भूमि-गीली मिट्टी का लड्डू बनाते तुरन्त ही टूट जाता है। इसके कण उंगलियों में रख कर महसूस किए जा सकते हैं। सिंचाई का पानी लगाते ही सोख लिया जाता है। इसके कणों में मध्य खाली स्थान अधिक होता है। इस मिट्टी की जुताई आसान है तथा इसको हल्की भूमि कहा जाता है। इसमें हवा तथा पानी का आवागमन सरल है।
  2. चिकनी भूमि-गीली मिट्टी का लड्डू सरलता से बन जाता है तथा टूटता नहीं है। इसके कणों का आकार रेत के कणों की तुलना में बहुत कम होता है। इसमें कम-सेकम 40% चिकने कण होते हैं। इसमें कई दिनों तक पानी रुका रहता है। जब नमी कम हो जाती है तो जुताई के समय मिट्टी ढीम बनके निकलती है। सूख जाने पर इसमें दरारें पड़ जाती हैं। भूमि जैसे फट जाती है। इनमें पानी रखने की शक्ति रेतीली भूमि से कहीं अधिक होती है।
  3. मैरा (दोमट) भूमि-यह भूमि रेतीली से चिकनी भूमि के बीच होती है। इसके कणों का आकार भी चिकनी तथा रेतीली भूमियों के कणों के मध्य होता है। इनमें रोगों की संरचना हवा तथा पानी का संचालन, पानी सम्भाल समर्था आहारीय तत्त्व की मात्रा आदि गुण अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए उपयुक्त तथा उपजाऊ हैं। इस भूमि को कृषि के लिए उत्तम माना गया है। इसके कण हाथों में पाऊडर जैसे फिसलते हैं।

प्रश्न 3.
एक आँकड़ा आकृति के द्वारा भूमि के मुख्य भाग दर्शाएं।
उत्तर-
भूमि एक मिश्रण है जिसमें खनिज पदार्थ, जैविक पदार्थ, पानी तथा हवा होती है। इनकी मात्रा को नीचे दिए गए चित्र के अनुसार दर्शाया गया है। हवा तथा पानी की मात्रा आपस में कम अधिक हो सकती है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार 1
चित्र-भूमि के मुख्य भाग

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 4.
रेतीली धरती के सुधार का उपाय विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
उत्तर-
रेतीली भूमियों के सुधार के लिए योग्य प्रबंध निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरी खाद को फूल पड़ने से पहले या दो महीने की फ़सल को ज़मीन में दबा दें। हरी खाद के लिए सन या ढेंचे की बुवाई की जा सकती है।
  2. अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी को प्रयोग कर खेत में जुताई के द्वारा खेत में मिला देना चाहिए।
  3. मुर्गियों की खाद, सूअर की खाद, कंपोस्ट खाद आदि के प्रयोग से भी सुधारा जा सकता है।
  4. मई-जून के महीने में खेतों को खाली नहीं रखना चाहिए। कोई न कोई फसल बोकर रखें ताकि इनके जीवांश मादे को बचाया जा सके।
  5. फ़ली वाली फसलों की कृषि करनी चाहिए।
  6. सिंचाई के लिए छोटी क्यारियां बनाओ।
  7. ऊपर वाली रेतीली सतह को कराहे के साथ एक तरफ कर दो और नीचे अच्छी मैरा मिट्टी की सतह का इस्तेमाल करें।
  8. तालाबों की चिकनी मिट्टी भी खेतों में डालकर लाभ मिलता है।

प्रश्न 5.
सेम वाली धरती में फसलों की प्रमुख समस्याएँ एवम् सेम की धरती को सधारने की विधि बतलाएँ।
उत्तर-
ऐसी भूमियाँ जिनमें भूमि के नीचे पानी की सतह ज़ीरो से 1.5 मीटर तक की गहराई पर हो तो उनको सेम वाली भूमियाँ कहा जाता है। यह पानी इतनी नज़दीक आ जाता है कि पौधों की जड़ों वाली स्थान पर भूमि के सुराख पानी के साथ भरे रहते हैं और भूमि एवम् भूमि सुधार भूमि हमेशा ही गीली रहती है। पौधे की जड़ों को हवा नहीं मिलती और हवा का आवागमन भी कम हो जाता है। भूमि में ऑक्सीजन कम हो जाती है और कार्बनडाइऑक्साइड ज़्यादा हो जाती है।
सेम की समस्या सुलझाने के लिए कई उपाय किए जाते हैं, जैसे-रुके हुए पानी का सेम नालियों द्वारा निकास, बहुत ट्यूबवैल लगा कर पानी का ज़्यादा प्रयोग, धान और गन्ने जैसी फसलों की कृषि करनी चाहिए, जंगलों के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाना चाहिए।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB भूमि एवम् भूमि सुधार Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमि-विज्ञान के अनुसार धरती को निर्जीव वस्तु या जानदार वस्तु माना गया?
उत्तर-
जानदार वस्तु।

प्रश्न 2.
भूमि में कितने प्रतिशत खनिज तथा जैविक पदार्थ होता है?
उत्तर-
खनिज 45% और जैविक पदार्थ 0-5% है।

प्रश्न 3.
हल्की भूमि किसको कहा जाता है?
उत्तर-
रेतीली भूमि को।

प्रश्न 4.
पानी सम्भालने की शक्ति सबसे ज्यादा किस भूमि में है?
उत्तर-
चिकनी मिट्टी में।

प्रश्न 5.
खेती के लिए कौन-सी भूमि उत्तम मानी गई है?
उत्तर-
मैरा भूमि।

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों की समस्या किस इलाके में ज्यादा है ?
उत्तर-
बारिश वाले इलाकों में।

प्रश्न 7.
कितने पी० एच० वाली भूमियाँ तेज़ाबी होती हैं ?
उत्तर-
पी० एच० 7 से कम वाली।

प्रश्न 8.
कितनी पी० एच० वाली भूमि खेती के लिए ठीक मानी जाती है?
उत्तर-
6.5 से 8.7 तक पी० एच० वाली।

प्रश्न 9.
लवणी भूमियों की पी० एच० कितनी होती है?
उत्तर-
8.7 से कम।

प्रश्न 10.
रेह, थूर या शोरे वाली भूमियाँ कौन-सी हैं ?
उत्तर-
लवणी भूमियाँ।

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प्रश्न 11.
क्षारीय भूमियों में पानी समाने की क्षमता कितनी है?
उत्तर-
बहुत कम।

प्रश्न 12.
हरी खाद की फ़सल बताओ।
उत्तर-
सन जंतर।

प्रश्न 13.
रेतीली भूमियों में सिंचाई के लिए कैसा क्यारा बनाया जाता है ?
उत्तर-
छोटे आकार का।

प्रश्न 14.
तेज़ाबी भूमि में चूना डालने का सही समय बताओ।
उत्तर-
फसल बोने से 3-6 महीने पहले।

प्रश्न 15.
पंजाब में तेज़ाबी भूमियों की कितनी गम्भीर समस्या है ?
उत्तर-
पंजाब में तेज़ाबी भूमियों की समस्या नहीं है।

प्रश्न 16.
लवणीय भूमियों में कौन-से लवण अधिक होते हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा पोटाशियम के क्लोराइड।

प्रश्न 17.
सेम वाली भूमि में धरती के नीचे पानी का स्तर क्या है ?
उत्तर-
धरती के नीचे पानी का स्तर शून्य से डेढ़ मीटर तक होता है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रेतीली भूमि की पहचान के लिए दो तरीके बताएँ।
उत्तर-
रेतीली भूमि में पानी सिंचाई करने के साथ ही पानी समा जाता है। उँगलियों में इसके कण महसूस किए जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
चिकनी मिट्टी में पानी सोखने और सम्भालने की शक्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर-
प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना, जुताई करना और गोडी करने के साथ चिकनी मिट्टी की पानी सोख और सम्भालने की शक्ति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
भूमि में तेज़ाबीपन बढ़ने का कारण बताएँ।
उत्तर-
बहुत बारिश कारण ज़्यादा हरियाली रहती है। पौधों आदि के पत्ते भूमि पर गिर कर गलते-सड़ते रहते हैं और वर्षा के पानी के बहाव से क्षारीय लवण बह जाते हैं, जिसके कारण भूमि में तेज़ाबीपन बढ़ जाता है।

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प्रश्न 4.
लवणी भूमियों के दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों की मात्रा बढ़ जाती है।
  2. इनमें पानी समाने की समर्था काफ़ी होती है और जुताई के लिए नर्म होती हैं।

प्रश्न 5.
क्षारीय भूमियों के दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. इन भूमियों में सोडियम के कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट वाले लवण बहुत मात्रा में होते हैं।
  2. waq पानी समाने की समर्था कम होती है। जुताई बहुत कठिन होती है।

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों के सुधार के लिए दो तरीके बताएँ।
उत्तर-
चूने का प्रयोग करके और गन्ना मिल की मैल और लकड़ी की राख का प्रयोग किया जा सकता है। चूने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग होता है।

प्रश्न 7.
तेज़ाबी भूमि में चूना डालने के तरीके के बारे में बताएँ।
उत्तर-
चूना डालने का सही समय बुवाई से 3-6 महीने डाल कर जुताई कर देनी चाहिए।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मलहड़ किसे कहते हैं? यह कैसे बनता है ?
उत्तर-
जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति के अवशेष, मल-मूत्र तथा उनके गले सड़े अंग जो कि मिट्टी में समय-समय पर मिलते रहते हैं, को मलहड़ अथवा ह्यमस कहते हैं। घास-फूस, फसलें, वृक्ष, सुंडियां केंचुए, जीवाणु, कीटाणु ढेरों की रूढ़ि तथा घर का कूड़ा-कर्कट भी मलहड़ के हिस्से हो सकते हैं। इन पदार्थों के ज़मीन में मिलने से भूमि के गुणों में बहुत सुधार होता है। इससे प्राप्त होने वाली उपज पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

जब भी जैविक पदार्थ अथवा कार्बनिक चीजें मिट्टी में मिलाई जाती हैं, सूक्ष्म जीवाणुओं तथा बैक्टीरिया की क्रियाओं से इन पदार्थों का विघटन आरम्भ हो जाता है तथा यह पदार्थ गलना-सड़ना आरम्भ कर देते हैं। इनमें से कई प्रकार की गैसें पैदा होती हैं जो हवा में मिल जाती हैं। इसलिए गल-सड़ रही चीज़ों से हमें कई बार दुर्गन्ध भी आने लग जाती है। कार्बनिक पदार्थ टूट कर अकार्बनिक तत्त्वों जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस तथा गन्धक में बदल जाते हैं। पानी, भू-ताप तथा भू-जीवों की क्रिया से यह तत्त्व पौधों के लिए प्राप्त योग्य रूप में परिवर्तित हो जाते हैं तथा यह दुबारा पौधों से शरीरों के अंग बनकर कार्बनिक पदार्थों में बदल जाते हैं तथा इस तरह यह बनने तथा टूटने का चक्र चलता रहता है इस तरह यह कहा जा सकता है कि मलहड़ जैविक पदार्थों की पौधों के लिए प्राप्ति योग्य अवस्था है।

प्रश्न 2.
भूमि-बनावट की कौन-सी किस्म कृषि के लिए सबसे अच्छी है तथा क्यों ? उदाहरण सहित बताओ।
उत्तर-
फसलें जड़ों द्वारा भूमि में से अपना भोजन प्राप्त करती हैं। फसलें आसानी से यह भोजन तभी प्राप्त कर सकती हैं यदि भूमि के टुकड़ों के आकार छोटे हों तथा यह बहुत कम शक्ति से टूट जाएं। ऐसी बनावट उसी हालत में सम्भव है अगर भूमि में मलहड़ अथवा जैविक पदार्थ की मात्रा काफ़ी अधिक हो। भूमि की ऐसी उचित तथा आवश्यक बनावट को भुरभुरी बनावट कहा जाता है। भुरभुरी बनावट वाली भूमि में ढेले नर्म तथा बहुत छोटे आकार के होते हैं। इन ढेलों को हाथों में मलकर आसानी से तोड़ा जा सकता है। ढेलों के कणों में आपस में जुड़कर रहने की शक्ति बहुत कम होती है। इसलिए वह टूट कर छोटे-छोटे कणों के रूप में भूमि का अंग बन जाती हैं। कणों के बीच जुड़ने की शक्ति का कम होना पानी तथा हवा के लिए काफ़ी स्थान उपलब्ध होने के कारण बनता है। जुड़ने की शक्ति कम होने से जीवाणुओं के लिए विघटन का कार्य करना काफ़ी आसान रहता है तथा उन्हें सांस लेने के लिए आवश्यक हवा भी मिल जाती है। भूमि नर्म होने से जड़ों को फैलने में कोई कठिनाई नहीं आती तथा वह अच्छी तरह फैलकर आवश्यक पौष्टिक तत्त्व प्राप्त कर सकती हैं।

प्रश्न 3.
भूमि के भौतिक गुणों की सूची बनाओ। इनमें से किसी एक गुण के बारे में तीन-चार लाइनें लिखो।
उत्तर-
विभिन्न भूमियों के भौतिक गुण भी अलग-अलग होते हैं। इसका कारण भूमियों में कणों के आकार, क्रम, जैविक पदार्थों की मात्रा तथा मुसामों में अन्तर होना है। भूमि में पानी का संचार तथा बहाव कैसे होता है, पौधों को खुराक देने की शक्ति तथा हवा की गति, यह बातें भूमि के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
भूमि के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं—

  1. कण-आकार
  2. प्रवेशता
  3. गहराई
  4. रंग
  5. घनत्व
  6. नमी सम्भालने की योग्यता
  7. तापमान।

कण-आकार- भूमि विभिन्न मोटाई के खनिज कणों की बनी होती है। भूमि का कण आकार इसमें मौजूद अलग-अलग मोटाई के कणों के आपसी अनुपात पर निर्भर करता है। भूमि की उर्वरा शक्ति कण-आकार पर निर्भर करती है। कण-आकार का प्रभाव भूमि की जल ग्रहण शक्ति तथा हवा के यातायात की मात्रा तथा गति पर भी पड़ता है।

प्रश्न 4.
पी० एच० अंक से क्या अभिप्राय है ? भूमि के पी० एच० अंक का उसकी तासीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
पी० एच० अंक-भूमि अम्लीय है, क्षारीय अथवा उदासीन है बताने के लिए एक अंक प्रणाली उपयोग की जाती है जिसे भूमि की पी० एच० मूल्य अथवा मात्रा कहा जाता है। वास्तव में पी० एच० मात्रा किसी घोल में हाइड्रोजन (H+) तथा हाइड्राक्सल (OH) आयनों के आपसी अनुपात को बताती है।

भूमि की पी० एच० मात्रा गुण
8.7 से अधिक क्षारीय भूमि
8.7 – 7 हल्का खारापन
7 उदासीन
7.5 – 5 तक हल्की अम्लीय
6.5 से कम अम्लीय भूमि

 

अधिकतर फसलें 6.5 से 7.5 पी० एच० तक वाली भूमियों में अच्छी तरह फलफूल सकती हैं। खाद्य तत्त्वों का पौधों को उचित रूप में प्राप्त होना भूमि को पी० एच० मात्रा पर निर्भर करता है। 6.5 से 7.5 पी० एच० मात्रा वाली भूमियों में से पौधे बहुत सारे खाद्य तत्त्वों को आसानी से उचित रूप में प्राप्त कर लेते हैं। कुछ सूक्ष्म तत्त्व जैसे मैंगनीज़, लोहा, तांबा, जिस्त आदि अधिक अम्लीय भूमियों में से अधिक मात्रा में पौधों को प्राप्त हो जाते हैं पर कई बार इनकी अधिक मात्रा पौधों के लिए जहर का कार्य भी करती है।

प्रश्न 5.
भूमि में नमी कैसे आ जाती है ? नमी का फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है तथा कैसे ?
उत्तर-
नमी का कारण स्थाई रूप से बहने वाली नहरों का पानी भूमि छिद्रों द्वारा आस-पास की भूमि में रिस-रिस कर पहुंच जाता है। पन्द्रह-बीस साल में धरती के खुले पानी का तट धरती की सतह के निकट आ जाता है, भूमि नमी की मार तले आ जाती है। इसके अतिरिक्त बाढ़ों का पानी, अच्छे जल निकास प्रबन्ध की कमी आदि भी नमी का कारण बन सकते हैं।

नमी का प्रभाव-पौधों के बढ़ने पर नमी के कई प्रभाव पड़ते हैं। बहुत सारे काश्त किये जाने वाले पौधों की जड़ें जल-तल के ऊपर वाली भूमि-तह में ही रह जाती हैं। पौधे अधिक समय पानी में खड़े रहकर मर जाते हैं। भूमि वायु की कमी हो जाती है। पानी की उच्च ताप योग्यता के कारण भूमि में तापमान परिवर्तन भी घट जाता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों में चूना डालने के लाभ बताओ।
उत्तर-
तेज़ाबी भूमियों में चूना डालने के लाभ—

  1. इससे भूमि का तेज़ाबीपन समाप्त हो जाता है।
  2. फॉस्फोरस पौधों को उचित रूप में प्राप्त होने वाले रूप में बदल जाती है।
  3. चूने में खाद्य तत्त्व मैग्नीशियम तथा कैल्शियम होते हैं।
  4. जैविक पदार्थों के गलने-सड़ने की क्रिया तेज़ हो जाती है तथा पौधों के लिए नाइट्रोजन योग्य रूप की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो जाती है।
  5. सूक्ष्म जीव क्रियाएं तेज़ी से होने लगती हैं।

प्रश्न 7.
भू-आकार बांट पर विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
मिट्टी के कणों का आकार एक-सा नहीं होता। कुछ बहुत मोटे तथा कुछ बहुत सूक्ष्म अथवा बारीक होते हैं। आकार के आधार पर मिट्टी के कणों की बांट को आकार बांट कहा जाता है। मिट्टी में साधारणतः तीन तरह के कण होते हैं—
रेत के कण, चिकनी मिट्टी के कण तथा भाल के कण।
इन कणों की मात्रा अनुसार भूमि के आकार की बांट की जाती है जिसे भू-आकार बांट कहा जाता है। भू-आकार बांट निम्नानुसार की गई है—

मात्रा बांट
40 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि भारी चिकनी
40-31 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि चिकनी
31-21 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि मैरा चिकनी
20-11 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि मैरा
10-06 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि रेतीली मैरा
05-00 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि रेतीली

 

अन्तर्राष्ट्रीय सोसाइटी अनुसार भूमि के कणों की आकार-बांट निम्नानुसार—

कण-आकार कण-आकार मिली मीटरों में देखना
चिकनी मिट्टी 0.002 से कम माइक्रोस्कोप से
भाल 0.002 तथा 0.02 के बीच माइक्रोस्कोप से
बारीक रेत 0.02 तथा 0.20 के बीच नंगी आंख से
मोटी रेत 0.20 तथा 2.00 के बीच नंगी आंख से
पत्थर, रोड़े अथवा कंकड़ 2.00 से अधिक नंगी आंख से

 

प्रश्न 8.
भूमि के मुख्य भौतिक गुणों के नाम लिखो तथा कोई दो की व्याख्या भी करो।
उत्तर-
विभिन्न भूमियों के भौतिक गुण भी अलग-अलग होते हैं। इसका कारण भमियों में कणों के आकार, क्रम, जैविक पदार्थों की मात्रा तथा मुसामों में अन्तर का होना है। भूमि में जल का संचार तथा बहाव कैसे होता है, पौधों को खुराक देने की शक्ति तथा हवा की गति यह बातें भूमि के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
भूमि के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं—

  1. कण-आकार
  2. प्रवेशता
  3. गहराई
  4. रंग
  5. घनत्व
  6. नमी सम्भालने की योग्यता
  7. तापमान

उपरोक्त गुणों की व्याख्या निम्नलिखित अनुसार है—

1. कण-आकार-भूमि विभिन्न मोटाई के खनिज कणों की बनी होती हैं। भूमि का कण-आकार इसमें मौजूद विभिन्न मूल कणों के आपसी अनुपात पर निर्भर करता है।
महत्त्व-भूमि की उर्वरा शक्ति कण के आकार पर निर्भर करती है। कण-आकार का प्रभाव भूमि की जल ग्रहण शक्ति तथा हवा के आवागमन की मात्रा तथा गति पर भी पड़ता है। अन्तर्राष्ट्रीय सोसाइटी अनुसार भूमि-कणों को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है—

  1. पत्थर, रोड़े अथवा कंकड़
  2. मोटी रेत
  3. बारीक रेत
  4. भाल
  5. चिकनी मिट्टी।

कणों के आकार अनुसार भूमि को 12 श्रेणियों में बांटा जा सकता है। पर तीन मुख्य श्रेणियां हैं-रेतीली भूमियां, मैरा भूमियां तथा चिकनी भूमियां।
2. प्रवेशता-प्रवेशता से अभिप्राय है भूमि में पानी तथा हवा का संचार अथवा प्रवेश करना कितना आसान है। भूमि की जल अवशोषण की शक्ति, पानी सम्भालने की शक्ति तथा जड़ों की गहराई भूमि के इस गुण पर निर्भर है। प्रवेशता का गुण भूमि में मुसामों की मात्रा पर निर्भर करता है। बहुत ही बारीक छिद्रों को मुसाम कहा जाता है। मुसाम शरीर की त्वचा (चमड़ी) में भी होते हैं जिनके द्वारा हमें पसीना आता है। जिस भूमि में प्रवेशता गुण अधिक हो, वह भूमि फसलों के फलने-फूलने के लिए अच्छी रहती है। क्योंकि इस तरह की भूमि में जल तथा सम्भालने की शक्ति अधिक होती है तथा फसल की जड़ें भूमि में अधिक गहराई तक जाकर अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्त्व तथा भोजन प्राप्त करने के समर्थ हो जाती हैं। कई बार तो भूमि के नीचे कठोर परत बन जाती है जिस कारण जड़ें नीचे नहीं जा सकतीं।

प्रश्न 9.
भूमि के कोई दो रासायनिक गुणों के नाम बारे विस्तार से लिखें।
उत्तर-
भूमि के रासायनिक गुणों का महत्त्व-भूमि के रासायनिक गुणों का पौधों के फलने-फूलने पर सीधा प्रभाव पड़ता है। खाद्य तत्त्व को पौधे प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त नहीं कर सकते।
1. पी० एच०-भूमि तेजाबी है, क्षारीय अथवा उदासीन है बताने के लिए एक अंक प्रणाली उपयोग की जाती है जिसे भूमि की पी० एच० मूल्य अथवा मात्रा कहा जाता है। वास्तव में पी० एच० मात्रा किसी घोल में हाइड्रोजन (H+) अथवा हाइड्राक्सल (OH) आयनों के आपसी अनुपात को बताती है।

भूमि की पी० एच० मात्रा गुण
8.7 से अधिक क्षारीय भूमि
8.7-7 हल्का क्षारीयपन
7 उदासीन
7-65 तक हल्की तेज़ाबी
6.5 से कम तेजाबी भूमि

 

अधिकतर फसलें 6.5 से 7.5 पी० एच० तक वाली भूमियों में ठीक तरह फल-फूल सकती है। खाद्य तत्त्वों का पौधों को उचित रूप में प्राप्त होना भी पी० एच० पर निर्भर करता है। 6.5 से 7.5 पी० एच० मात्रा वाली भूमियों में पौधे बहुत सारे खाद्य तत्त्वों को आसानी से उचित रूप में प्राप्त कर लेते हैं। कुछ सूक्ष्म तत्त्व जैसे मैगनीज़, लोहा, तांबा, जिस्त आदि अधिक तेज़ाबी भूमियों में से अधिक मात्रा में उचित रूप में पौधों को प्राप्त हो जाते हैं पर कई बार इनकी अधिक मात्रा पौधों के लिए ज़हर का कार्य भी करती है।

2. जैविक पदार्थ-ज़मीन में जैविक पदार्थ पौधों की जड़ों, पत्तों तथा घास-फूस के गलने-सड़ने से बनता है। भूमि में पाए जाते किसी भी जैविक पदार्थ पर बहत सारे सूक्ष्म जीव अपना असर करते हैं तथा जैविक पदार्थ विघटन करके उसको अच्छी तरह गला-सड़ा देते हैं। ऐसे पदार्थ को मलहड़ (ह्यूमस) का नाम दिया गया है। ह्यूमस खाद्य तत्त्वों फॉस्फोरस, गन्धक तथा नाइट्रोजन का विशेष स्रोत है। इसमें थोड़ी मात्रा में अन्य खाद्य तत्त्व भी हो सकते हैं। भूमि की जल ग्रहण योग्यता, हवा की गति तथा बनावट को ठीक रखने के लिए जैविक पदार्थ बहुत लाभदायक हैं। इससे भूमि की खाद्य तत्त्व सम्भालने की शक्ति भी बढ़ती है। पंजाब की जमीनों में जैविक पदार्थ की मात्रा साधारणत: 0.005 से 0.90 प्रतिशत है। जैविक तथा कम्पोस्ट डालने से भूमि में जैविक पदार्थों की मात्रा में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

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प्रश्न 10.
मलहड़ की कृषि में महत्ता पर रोशनी डालो।
उत्तर-
मलहड़ की कृषि में महत्ता—

  1. शीघ्र गलने वाला मलहड़ डालने से मिट्टी के कण आपस में इस तरह जुड़ जाते हैं कि उनके छोटे तथा नर्म (भुरभुरी) ढेले बन जाते हैं। इस तरह का मलहड़ रेतीली तथा चिकनी किस्मों की भूमियों के लिए बढ़िया रहता है। मलहड़ रेतीली मिट्टी तथा खुरदरे कणों को आपस में जोड़ने में सहायता करता है तथा चिकनी मिट्टी को नर्म कर देता है जिससे इसका आयतन बढ़ जाता है। हवा का आवागमन आसान तथा तेज़ हो जाता है। इस तरह मलहड़ रेतीली तथा चिकनी दोनों प्रकार की भूमियों को अधिक भुरभुरी तथा उपजाऊ बना देता है।
  2. मलहड़ भूमि को नर्म कर देता है जिससे भूमि की पानी सोखने की शक्ति में बढ़ौत्तरी होती है तथा भूमि पानी को अधिक देर तक लम्बे समय तक अपने अन्दर सम्भाल कर रख सकती है।
  3. भूमि में मौजूद लाभदायक तथा उपयोगी जीवाणु मलहड़ से अपना भोजन भी प्राप्त करते हैं। मलहड़ के विघटन से जो कार्बन पैदा होती है वह इन जीवाणुओं के लिए भोजन का कार्य करती है। इससे यह अधिक शक्तिशाली रूप में क्रिया करने के योग्य हो जाते हैं।
  4. पौधों की जड़ें ज़मीन में छिद्र करके धरती को नर्म कर देती हैं। जड़ों के गलनेसड़ने के पश्चात् छिद्रों द्वारा पानी धरती के नीचे चला जाता है तथा ऑक्सीजन गैस के अन्दर जाने तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बाहर निकलने के लिए भी यह छिद्र मदद अथवा सहायता करते हैं।
  5. मलहड़ तथा कई पौष्टिक तत्त्व जैसे नाइट्रोजन, गन्धक, फॉस्फोरस आदि प्राप्त होते हैं। यह तत्त्व भूमि के कणों के साथ चिपके रहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर पौधा इन तत्त्वों को प्रयोग कर सकता है।
  6. कई भूमियों की तासीर ऐसी होती है कि पौधे भूमि में मौजूद आवश्यक तत्त्व प्राप्त नहीं कर सकते। पर मलहड़ की मौजूदगी में तत्त्व पौधों के उपयोग लायक बन जाते हैं। उदाहरणतः अम्लीय ज़मीनों में फॉस्फोरस।
  7. मलहड़ के गलने-सड़ने से कई तरह के तेज़ाब पैदा होते हैं जो कि क्षारीय भूमियों का खारापन कम करते हैं। यह तेज़ाब तथा कार्बन गैसों (जो खुद भी अम्लीय गुण रखती हैं) पोटाशियम आदि से मिलकर भूमि के खारेपन को घटा कर उसके पौधों को बढ़ने तथा फलने-फूलने के अनुकूल तथा उचित बनाते हैं।
  8. मलहड़ भू-ताप को स्थिर रखने में मदद करता है। बाह्य तापमान में कमी या बढ़ौतरी मलहड़ वाली भूमि के तापमान पर बहुत प्रभाव नहीं डालता।
  9. कई तत्त्व पौधों को बहुत थोड़ी मात्रा में चाहिएं। ये तत्त्व रासायनिक खादों को प्राप्त नहीं होते। इनकी कमी से फसलों की पैदावार बहुत घट सकती है तथा किसान को काफी नुकसान हो सकता है। इनमें से काफ़ी तत्त्व मलहड़ से मिल जाते हैं।

प्रश्न 11.
मलहड़ कैसे समाप्त हो जाता है तथा भूमि में इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
प्रत्येक फसल के साथ जड़ों, पत्तों, जीवाणुओं, कूड़ा-कर्कट, गोबर तथा हरी खाद द्वारा नया मलहड़ खेतों में मिलता रहता है। परन्तु साथ ही यह समाप्त भी होता
रहता है। पौधे तथा जीवाणु इसे प्रयोग कर लेते हैं। इसके कई तत्त्व गैसों के रूप में बदल जाते हैं तथा वायुमण्डल में मिल जाते हैं। कई स्थानों पर बहुत सख्त गर्मी पड़ती है जिससे मलहड़ के लाभदायक अंशों का नाश हो जाता है। इस तरह मलहड़ का फसल को कोई भी लाभ नहीं पहुंचता। जैसे कि पता ही है कि मलहड़ फसलों के लिए बहुत ‘लाभदायक होता है। इसलिए इसकी मात्रा भूमि में कम नहीं होने देनी चाहिए। इसलिए खेत में ऐसी फसल बो देनी चाहिए जिससे मलहड़ की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो। इस मन्तव्य के लिए चने तथा अन्य फलीदार फसलें जिनकी जड़ों में नाइट्रोजन बांधने वाले बैक्टीरिया होते हैं, बो लेनी चाहिएं। इन फसलों की हरी खाद बनाकर जो उत्तम किस्म की मलहड़ होती है भूमि को अधिक उपजाऊ बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ढेर की रूड़ी तथा कूड़ा मलहड़ की मात्रा बढ़ाने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
भूमि की उर्वरा शक्ति की सम्भाल तथा प्रतिपूर्ति के लिए कौन-सी मुख्य बातों की ओर ध्यान देना आवश्यक है ?
उत्तर-
इसके लिए निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान देना आवश्यक है—

1. धरती की भौतिक हालत-धरती की उचित भौतिक स्थिति अच्छी बुआई पर निर्भर करती है। अच्छी बुआई से अभिप्राय है इस तरह की बुआई जिससे धरती के कणों की बनावट ठीक तरह कायम रह सके अर्थात् ज़मीन में मिट्टी के ढेले भुरभुरे तथा नर्म हों। गीली बोई भूमि में वतर से पहले भूमि-कण अधिक अच्छी तरह जुड़ कर सख्त ढेलों का रूप धारण कर लेते हैं तथा यदि वतर में देरी हो जाए तो भी ज़मीन सूख जाती है तथा सख्त हो जाती है। ज़मीन के बीच वाला पानी बहुत सारी केशका नालियों द्वारा बाहर निकल जाता है तथा भूमि में नमी की कमी हो जाती है। फसल की अच्छी पैदावार के लिए हवा तथा पानी का धरती-छिद्रों में चलते रहना बहुत आवश्यक होता है। इसलिए बुआई समय पर करनी चाहिए। क्योंकि न तो इससे ढेले बनते हैं तथा न ही धरती की नमी बाहर निकलती है। अच्छी बुआई से भूमि की पानी जज़ब (अवशोषण) करने की शक्ति भी बढ़ जाती है तथा भूमि क्षरण से भी बची रहती है। भूमि की बनावट को ठीक रखने के लिए मलहड़ का अच्छा तथा उचित प्रयोग सहायक होता है। इसके अतिरिक्त अच्छे तथा उचित फसल-चक्र, जिसमें समय-समय पर गुच्छेदार जड़ों वाली तथा फलीदार फसलें आती रहें, साथ ही धरती की भौतिक हालत को ठीक रखने में सहायता मिलती है।

2. खेतों के नदीनों को साफ़ रखना-भूमि की उर्वरा शक्ति को कायम रखने के लिए खेत नदीनों से मुक्त हों, यह भी बहुत आवश्यक है। नदीन, खेत में बोई फसल के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों को खुद ही खा जाते हैं। कम पौष्टिकता मिलने के कारण फसल कमज़ोर हो जाती है तथा अच्छी तरह फल-फूल नहीं सकती। इससे पैदावार कम हो जाती है। कई बार यदि नदीन अधिक मात्रा में हों तो वह छोटी फसल भूमि एवम् भूमि सुधार को पूरी तरह दबा लेते हैं तथा सारी फसल को नष्ट कर देते हैं। यदि नदीन फसल को फूल, फल लगने से पहले, न नष्ट किए जाएं तो पक जाने पर उनके बीज भूमि में मिल जाते हैं तथा अगली फसल के समय वह फसल से पहले ही उग कर अथवा उसके साथ बढ़कर उसे छोटी आयु में ही दबा लेते हैं तथा उसकी वृद्धि रोक देते हैं। इसलिए खेत को नदीनों से साफ़ रखने के लिए गुड़ाई तथा कई बार बुआई भी करनी पड़ती है। पंजाबी की प्रसिद्ध कहावत है-‘उठता वैरी, रोग दबाइये, बढ़ जाए तां फेर पछताइये’। नदीन भी किसान, फसल तथा धरती की उर्वरा शक्ति के रोग तथा वैरी हैं। इसलिए इन्हें भी पैदा होते ही नष्ट कर देना चाहिए। नदीनों को मारने के लिए वैज्ञानिकों ने नदीननाशी दवाइयों की खोज भी की है। पर इन रासायनिक दवाइयों का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। इन दवाइयों को बच्चों की पहुँच से बहुत दूर रखना चाहिए, क्योंकि यह ज़हरीली होती हैं। इन दवाइयों के अधिक प्रयोग से वातावरण में प्रदूषण फैलता है। इसलिए इनका प्रयोग इस पक्ष से भी सावधानी से करना चाहिए।

3. कीड़ों तथा रोगों की रोकथाम-फंगस, निमाटोड तथा अन्य हानिकारक कीड़ेमकौड़े की कटाई के बाद भी ज़मीन पर ही पलते हैं। इस समय उन्हें समाप्त कर देना आसान रहता है। उनके खात्मे से ही धरती की उर्वरा शक्ति को सम्भाल कर रखना सम्भव होता है। इसलिए फसल की कटाई के पश्चात् समय पर ज़मीन की जुआई, बदल-बदल कर फसलों की बिजाई, एक से दूसरी फसल के बीच में समय का अन्तर, पराली को जलाना तथा जमीन में कीट तथा फंगस नाशक दवाइयों का उपयोग कुछ ऐसे साधन हैं, जिनसे रोगों तथा हानिकारक फंगस तथा कीटों को नष्ट करके काबू किया जा सकता है। इन्हें काबू करके ही ज़मीन की उर्वरा शक्ति को कायम रखा जा सकता है।

4. उचित तथा योग्य फसल-चक्र-विभिन्न फसलों के लिए अलग-अलग भोजन तत्त्वों की ज़रूरत होती है। कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं जो प्रत्येक फसल द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। परन्तु इनकी खपत की गई मात्रा तथा दर का अन्तर तो फिर भी होता है। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि एक खेत में एक फसल के पश्चात् दूसरी फसल वह बोई जाए जिसको पहली फसल से अलग प्रकार के तत्त्वों की ज़रूरत हो अथवा यह पहली फसल द्वारा हुए उर्वरा शक्ति के घाटे को कुछ हद तक पूरा करती हो। इस तरह भूमि की उपजाऊ शक्ति लम्बे समय तक कायम रखी जा सकती है।

प्रश्न 13.
सेम वाली भूमि पर नोट लिखें।
उत्तर-
स्वयं करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

प्रश्न 1.

  1. भूमि में 45% खणिज पदार्थ हैं।
  2. लवणी भूमियों का पी.एच.मान 8.7 से कम होता है।
  3. तेज़ाबी भूमियों में चूना डाला जाता है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
तेज़ाबी भूमि का पी.एच. मान है—
(क) 7 के बराबर
(ख) 7 से कम
(ग) 7 से अधिक
(घ) 12.
उत्तर-
(ख) 7 से कम

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 2.
कौन-सी भूमि में पानी देर तक खड़ा रहता है ?
(क) चिकनी
(ख) मैरा
(ग) रेतीली
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(क) चिकनी

रिक्त स्थान भरो

  1. ……….. भूमि की समस्या अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में होती है।
  2. कृषि के लिए ……………… पी०एच०वाली भूमि ठीक मानी जाती है ।
  3. …………. भूमि के लिए जिपस्म का प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

  1. तेज़ाबी,
  2. 6.5 से 8.7,
  3. क्षारीय।

भूमि एवम् भूमि सुधार PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भूमि धरती की ऊपर वाली मिट्टी की परत है, जिसमें फ़सल की जड़ें होती हैं और इसमें से फ़सल पानी और आहारीय तत्त्व प्राप्त करती है।
  • भूमि पौधे को खड़ा रखने में मदद करती है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव से प्राकृतिक मादे से पैदा हुई एक प्राकृतिक वस्तु है।
  • भू वैज्ञानिकों की दृष्टि से भूमि एक सजीव वस्तु है क्योंकि इसमें बहुत सारे असंख्य सूक्ष्मजीवों, कीटाणुओं, जीवाणुओं और छोटे-बड़े पौधों के पालन-पोषण की शक्ति है।
  • भूमि में 45% खनिज, 25% हवा, 25% पानी, 0 से 5% जैविक पदार्थों का मिश्रण . है जिसमें हवा पानी कम ज्यादा हो सकते हैं।
  • भूमि के मुख्य तौर पर दो तरह के गुण हैं-रासायनिक और भौतिक गुण।
  • भूमि के मुख्य भौतिक गुण हैं-कणों का आकार, भूमि घनत्व कम होना, कणों के मध्य में खाली जगह, पानी संजोए रखने की ताकत और पानी विलय करने की , ताकत आदि।
  • रेतीली भूमि के कण हाथों में रगड़ने पर खटकते हैं।
  • चिकनी मिट्टी में 40% चीकने कण होते हैं।
  • मैरा (दोमट) भूमि के लक्षण रेतीली और चिकनी भूमियों के बीच में होते हैं।
  • बहुत बारिश होने वाले खेतों में तेज़ाबी भूमि देखने को मिलती है।
  • pH का मूल्य 7 से कम होता है तो भूमि अम्लीय या तेज़ाबी होती है।
  • लवणों की किस्म के आधार पर कल्लर वाली भूमियां तीन तरह की होती हैं।
  • कल्लरी भूमियां हैं-लवणीय, क्षारीय और लवणीय-क्षारीय भूमि।
  • अम्लीय (तेज़ाबी) भूमियों का सुधार चूना डाल कर किया जा सकता है।
  • क्षारीय भूमियों में मिट्टी जांच के आधार पर जिप्सम का प्रयोग किया जा सकता है।
  • रेतली भूमि के सुधार के लिए हरी खाद, गली-सड़ी रूडी, फलीदार फसलों आदि की सहायता ली जाती है।
  • लवण वाली भूमि को पानी के साथ धोकर या फिर मिट्टी की ऊपर वाली परत को कराहे आदि के साथ खुरच कर साफ़ कर देते हैं।
  • चिकनी भूमियों में धान की बुवाई करनी लाभदायक रहती है।
  • सेम वाली भूमियों में भूमि के नीचे वाले पानी (भूमिगत जल) का स्तर बहुत ऊपर पौधों की जड़ों तक आ जाता है।
  • आमतौर पर जब भूमि के नीचे वाला पानी शून्य से डेढ़ मीटर होता है तो उस भूमि को सेम वाली भूमि कहते हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 9 लिंग समानता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 9 लिंग समानता

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB लिंग समानता InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या लड़के और लड़की में भेदभाव करना सही है?
उत्तर-
नहीं, लड़के और लड़की में भेदभाव करना सही नहीं है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी पर पुरुष और स्त्री का अनुपात क्या है?
उत्तर-
अधिकतर समान या 50 : 50.

प्रश्न 3.
अपनी कक्षा में कितने लड़के और लड़कियां हैं?
उत्तर-
हमारी कक्षा में 30 लड़कियां और 20 लड़के हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 4.
उन कार्यों के नाम लिखो जिसे समाज सोचता है कि ये कार्य केवल लड़के कर सकते हैं?
उत्तर-
वे कार्य जो प्रकृति से यान्त्रिक होते हैं और उनके लिए अधिक शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है। इस के साथ ही समाज यह भी सोचता है कि लड़कों को बाहरी कार्य करने चाहिए।

प्रश्न 5.
उन कार्यों के नाम लिखो जिसे समाज सोचता है कि ये कार्य केवल लड़कियों को करना चाहिए।
उत्तर-
अधिकतर घरेलू कार्य और जिनमें कम शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
क्या समाज में लिंग असमानता अच्छी है या बुरी।
उत्तर-
समाज में लिंग समानता अच्छी है।

प्रश्न 7.
जो परिजन लड़की के जन्म पर खुशी व्यक्त नहीं करते वे अच्छे हैं। इस कथन के विषय में आपका क्या विचार है?
उत्तर-
नहीं, वे अच्छे परिजन नहीं हैं।

प्रश्न 8.
उन कुछेक कार्यों का नाम लिखो जो परम्परागत रूप में लड़कियों के लिए नहीं हैं परन्तु आजकल भी लड़कियां उनको कर रही हैं।
उत्तर-
लड़कियों ने गाड़ी चलाना, अभियन्ता और कुलियों आदि का कार्य शुरू कर दिया है।

प्रश्न 9.
लिंग समानता का क्या अर्थ है?
उत्तर-
साधारण शब्दों में इसका अर्थ है लड़कों और लड़कियों को उनके लिंग के आधार पर समान अवसर प्रदान करना।

प्रश्न 10.
क्या हमें कृषि करती लड़की का मजाक उड़ाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं हमें कृषि करती लड़की का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।

प्रश्न 11.
क्या हमें अपने विद्यालय की देखभाल नहीं करनी चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें अपने विद्यालय की देखभाल करनी चाहिए जैसे कि ये विद्या के मन्दिर हैं।

प्रश्न 12.
आजकल समाज में असमानता के तीन उदाहरण कौन-से हैं?
उत्तर-
असमान भत्ते, पुरुषों के लिए कुछेक कार्य आरक्षित रखना, स्त्रियों को गृह कार्य करने के लिए बाध्य करना आदि।

प्रश्न 13.
क्या हमें लिंग असमानता या लिंग समानता का समर्थन करना चाहिए?
उत्तर-
हमें लिंग समानता को समर्थन करना चाहिए और लिंग असमानता के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए।

प्रश्न 14.
क्यों स्त्रियों को रेलगाड़ी चलाने और विमान उड़ाने की आज्ञा दी जानी चाहिए?
उत्तर-
हां. स्त्रियों को रेलगाड़ी चलाने और विमान उड़ाने की आज्ञा दी जानी चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 15.
क्या हमें बहुत योग्य स्त्री को अपने नेता के रूप में चुनना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें बहुत योग्य स्त्री को अपने नेता के रूप में चुनना चाहिए।

प्रश्न 16.
क्या भाई होने के नाते आप अपनी बहन का समर्थन करेंगे यदि वह तैराक या पहलवान बनना चाहती है?
उत्तर-
हां, मैं उसका समर्थन करूंगा।

प्रश्न 17.
क्या स्त्रियों को देर रात तक कार्य करने की आज्ञा होनी चाहिए?
उत्तर-
हां, स्त्रियों को देर रात तक कार्य करने की आज्ञा होनी चाहिए।

प्रश्न 18.
उन तीन स्त्रियों के नाम बताओ जिनकी आप उनकी प्राप्तियों के लिए प्रशंसा करते हैं?
उत्तर-
हिमा दास, कल्पना चावला और मैरी कॉम।

प्रश्न 19.
दो प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों के नाम लिखो।
उत्तर-
मैरी क्यूरी (भौतिकी और रसायन वैज्ञानिक) एवं जानकी अम्मल (वनस्पति वैज्ञानिक)।

प्रश्न 20.
उस स्त्री का नाम लिखो जो भारत की प्रधानमन्त्री थी।
उत्तर-
इन्दिरा गाँधी।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लिंग समानता के विषय में संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
लिंग समानता शब्द का अर्थ है कि लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो। स्त्रियों और पुरुषों को सब प्रकार से समान समझा जाना चाहिए। स्त्रियां पुरुषों के समान अवसर प्राप्त करें और उन्हें किसी कार्य के लिए पुरुषों के समान भत्ते दिए जाने चाहिए।

प्रश्न 2.
क्या अतीत में लिंग समानता थी?
उत्तर-
नहीं, अतीत में लिंग समानता नहीं थी। आज भी विश्व के कई भागों में लिंग समानता नहीं है। स्त्रियों को पुरुषों से कम समझा जाता है। उन्हें घर के अन्दर रहने और गृह कार्य करने के लिए विवश किया जाता है।

प्रश्न 3.
लिंग असमानता की क्या हानियां हैं?
उत्तर-
निम्नलिखित कुछेक लिंग असमानता की हानियां हैं

  1. यह उचित शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है।
  2. जीवन वातावरण सामंजस्यपूर्ण नहीं होगा।
  3. सभी राष्ट्र और समाज की उन्नति में योगदान देने के योग्य नहीं होंगे।
  4. राष्ट्र की G.D.P. (सकल घरेलू उत्पाद) निम्न रहेगी।
  5. सभी ज़िन्दगी का पूर्ण आनन्द नहीं ले सकते।

प्रश्न 4.
लिंग समानता के मुख्य लक्षण कौन-से हैं?
उत्तर-
लिंग समानता के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. लड़कों और लड़कियों को समान समझना।
  2. जो भी कार्य करने के योग्य है, उसे कार्य करना चाहिए।
  3. भत्ते निश्चित होने चाहिए यह विचार किए बिना कि कार्य कौन कर रहा है।
  4. स्त्रियां वे सभी कार्य करने के योग्य हैं जो केवल पुरुष कर सकते हैं।

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प्रश्न 5.
लिंग समानता का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
यदि समाज में लिंग समानता है तो हमारे पास निम्नलिखित होगा

  1. स्त्रियों और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा नहीं।
  2. समाज में आर्थिक समृद्धि।
  3. उच्च सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
  4. बहुत सुखद पारिवारिक और सामाजिक वातावरण।

प्रश्न 6.
लिंग असमानता का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-
लिंग असमानता के लिए उत्तरदायी बहुत-से तत्त्व हैं। उनमें से कुछेक हैं:

  1. समाज की छोटी सोच।
  2. स्त्रियों की योग्यता के बारे में तुच्छ सोच।
  3. पुरुषों को स्त्रियों का रखवाला समझना।
  4. पुरुषों में झूठी श्रेष्ठता समझने की भावना।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न माग

प्रश्न 1.
उन कुछेक स्त्रियों के नाम लिखो जिन पर भारत को मान है।
उत्तर-
हमारे यहाँ ऐसी बहुत-सी स्त्रियां हैं जिन्होंने भारत के लिये ख्याति अर्जित की है। उनमें से कुछेक हैं

  1. इन्दिरा गांधी-वह पहली स्त्री थी जो भारत की प्रधानमन्त्री बनी। उन्होंने जनवरी, 1966 से मार्च, 1977 तक तथा पुनः जनवरी 1980 से उनकी हत्या किए जाने तक अक्तूबर, 1984 तक प्रधानमन्त्री के रूप में सेवा की। वह आयरन लेडी के नाम से प्रसिद्ध है।
  2. मैरी कॉम-वह भारत की मुक्केबाजी की स्टार है। उन्होंने छ: बार विश्व अव्यवसायी मुक्केबाजी प्रतियोगिता जीती। भारत को उन पर मान है।
  3. हिमा दास-वह भारत की सेवानिवृत्त ऐथलीट है। उन्होंने 2019 में पांच स्वर्ण पदक जीते।
  4. कल्पना चावला-वह अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, अभियंता और अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली स्त्री थी।
  5. मदर टेरेसा-उन्होंने अपना जीवन गरीबों और बेसहारा लोगों की सहायता करने को समर्पित किया और 1979 ई० में नोबल शान्ति पुरस्कार जीतने वाली पहली स्त्री थी।
  6. आनन्दी गोपाल जोशी-वह पहली स्त्री थी जो भारत में डॉक्टर बनी।

प्रश्न 2.
हमारा समाज बदल रहा है। इस कथन को लिंग समानता के आधार पर समायोजित करें।
उत्तर-
हमारा समाज बदल रहा है विशेषतया जब हम लड़कियों के प्रति मनोदृष्टि की बात करते हैं। कुछेक बिन्दु जो इस परिवर्तन को दर्शाते हैं, वे निम्नानुसार हैं:

  1. परिजन लड़कियों के जन्म-दिन और उनकी प्राप्तियों पर खुशी मनाते हैं।
  2. परिजन लड़कियों को वे कार्य करने से भी नहीं रोकते जो कभी केवल लड़कों के करने योग्य समझे जाते थे।
  3. लड़कियां समाज में बहुत उच्च पदों पर आसीन हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वे दिखाई देती हैं।
  4. लोग अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सहायक हैं।
  5. समाज के सभी क्षेत्रों में लड़कों और लड़कियों के लिए समान अवसर हैं।
  6. लड़कियां पुलिस अफ्सर, पायलट, प्रशासन अधिकारी आदि बन रही हैं।
  7. स्त्रियां राष्ट्र की उन्नति में भी अद्भुत कार्य करके अपना योगदान दे रही हैं।
  8. बहुत-सी स्त्रियां न केवल खेलों में भाग ले रही हैं बल्कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत रही हैं। इन सभी बिन्दुओं से कोई भी सरलता से जान सकता है कि हमारा समाज बदल रहा है और लिंग समानता की अवधारणा का समर्थन कर रहा है।

प्रश्न 3.
पुरुष और स्त्री में भेदभाव करना क्या सही है? अपने उत्तर के सन्दर्भ में विचार दें।
उत्तर-
पुरुष और स्त्री में भेदभाव करना सही नहीं है। निम्न बिन्दु इस उत्तर का समर्थन करते हैं।

  1. स्त्रियां पुरुषों की भान्ति ही महत्त्वपूर्ण हैं । वे समाज के दो स्तंभ हैं।
  2. यदि हम बेटियों को शिक्षा नहीं देंगे तो हमारे पोत्तों-नवासों को कौन शिक्षा देगा।
  3. यदि हम उन्हें चिकित्सा व्यवसाय में जाने की अनुमति नहीं देंगे तो हमारी माताओं, बहनों और बेटियों का उपचार कौन करेगा।
  4. यदि हम उन्हें खेलों में जाने की अनुमति नहीं देंगे तो हम अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक तालिका में ऊपर तक कैसे जा सकते हैं।
  5. यदि हम अपनी बेटियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार नहीं करेंगे तो दूसरे कैसे उनके साथ सम्मान से पेश आएंगे। उपरोक्त बातों से कोई भी सरलता से लिंग समानता के समर्थन की महत्ता को समझ सकता है।

प्रश्न 4.
लड़कियों को समान अवसर और समान भत्ते देकर हम अप्रत्यक्ष रूप से केवल उनकी सहायता कर रहे हैं। क्या आप इस कथन से सहमत या असहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में बताएं।
उत्तर-
मैं उक्त कथन से सहमत हूँ कि लड़कियों को समान अवसर और समान भत्ते देकर हम अप्रत्यक्ष रूप से केवल उनकी सहायता कर रहे हैं। मेरे उत्तर के पक्ष में निम्नलिखित बिन्दु हैं,

  1. यदि मेरी माता एक कार्यरत महिला हैं और उनको कम भत्ता दिया जाता है तो यह हमारे लिए कम पैसे लाएँगी।
  2. हमें अपनी बहनों, बेटियों और माताओं के उपचार के लिए महिला डॉक्टरों की आवश्यकता है। हम उन्हें तभी पा सकते हैं यदि स्त्रियां डॉक्टरी शिक्षा ग्रहण करेंगी।
  3. हमें महिला नौं की आवश्यकता है क्योंकि केवल वे ही हैं जो हमारी स्त्रियों की देखभाल कर सकती हैं।
  4. हमें महिला अध्यापिकाओं की आवश्यकता अपनी बहनों और बेटियों की शिक्षा के लिए है।
  5. हमें महिला खिलाड़ियों की आवश्यकता है नहीं तो हम अंतर्राष्ट्रीय खेलों के दौरान तालिका में उच्च स्थान प्राप्त नहीं कर सकते।
  6. हमें और बहुत-से वैज्ञानिकों, कम्प्यूटर विशेषज्ञों और तकनीशियनों की आवश्यकता है। यह तभी सम्भव है जब हम लड़कियों को समान अवसर प्रदान करते हैं।
  7. यदि पुरुष और स्त्री दोनों मिल कर कार्य करेंगे तो हमारा देश सुपर शक्ति बन सकता है। अतः हम विकसित राष्ट्र बनने की कल्पना नहीं कर सकते यदि हम लड़कियों को समान अवसर प्रदान नहीं करेंगे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
लिंग समानता सुनिश्चित करती है
(क) स्त्रियों के प्रति हिंसा
(ख) पुरुष प्रधान समाज
(ग) सभी लोगों के लिए समान अवसर
(घ) लड़कों के लिए अधिक रोज़गार।
उत्तर-
(ग) सभी लोगों के लिए समान अवसर।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा कथन लिंग समानता के लिए उपयुक्त है?
(क) लड़कों और लड़कियों के लिए रोजगार के अधिक अवसर
(ख) गृह कार्यों में पुरुषों की भागीदारी नहीं
(ग) स्त्रियों का खेलों में भाग न लेना
(घ) यह सभी।
उत्तर-
(क) लड़कों और लड़कियों के लिए रोजगार के अधिक अवसर।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 3.
नारीवादी आन्दोलनों का लक्ष्य है
(क) स्वतन्त्रता
(ख) समानता
(ग) सहभागिता
(घ) शक्ति।
उत्तर-
(ख) समानता।

प्रश्न 4.
भारत में स्त्रियों से ……. में भेदभाव किया जाता है।
(क) राजनीतिक जीवन
(ख) सामाजिक जीवन
(ग) आर्थिक जीवन
(घ) सभी ग़लत हैं।
उत्तर-
(घ) सभी ग़लत हैं।

प्रश्न 5.
लिंग आधारित मजदूरी का विभाजन दर्शाता है कि
(क) कार्य पुरुषों और स्त्रियों के बीच में विभाजन तय करता है
(ख) जाति पुरुषों और स्त्रियों के बीच विभाजन का आधार है
(ग) शिक्षा के आधार पर काम का विभाजन
(घ) सभी ग़लत हैं।
उत्तर-
(क) कार्य पुरुषों और स्त्रियों के बीच में विभाजन तय करता है।

प्रश्न 6.
समान मज़दूरी अधिनियम व्यक्त करता है
(क) घरेलू और परिवार सम्बन्धी मामलों को कैसे नियन्त्रित करना है।
(ख) कि स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान कार्य के लिए समान भत्ता दिया जाना चाहिए।
(ग) कि सभी कार्य स्त्रियों और पुरुषों द्वारा सीमा में रहते हुए किये जाते हैं।
(घ) कि लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
उत्तर-
(ख) कि स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान कार्य के लिए समान भत्ता दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
लिंग विभाजन आमतौर पर ………… का उल्लेख करता है।
(क) पुरुषों और स्त्रियों के बीच जैविक अन्तर।
(ख) असमान साक्षरता दर ।
(ग) समाज द्वारा पुरुषों और स्त्रियों को असमान भूमिकाएं सौंपी गई हैं ,
(घ) स्त्रियों को मताधिकार न देना।
उत्तर-
(ग) समाज द्वारा पुरुषों और स्त्रियों को असमान भूमिकाएं सौंपी गई हैं।

प्रश्न 8.
स्त्रियों का उत्तरदायित्व ………… है।
(क) केवल बच्चों की देखभाल करना
(ख) केवल घरेलू कार्य करना
(ग) निर्णय लेने और अन्य गतिविधियों में भाग लेना
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(ग) निर्णय लेने और अन्य गतिविधियों में भाग लेना।

प्रश्न 9.
पुरुषों को ……………….. नहीं करना चाहिए।
(क) गृह कार्यों में योगदान
(ख) बच्चों की देखभाल
(ग) स्त्रियों का शोषण
(घ) स्त्रियों का सम्मान।
उत्तर-
(ग) स्त्रियों का शोषण।

प्रश्न 10.
कथन (क): लिंग समानता हम सब के लिए अच्छी है।
कथन (ख): स्त्रियां पुरुषों से कम हैं। निम्न में से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है। कथन ख गलत है।
(ख) कथन क गलत है। कथन ख सही है।
(ग) दोनों कथन सही हैं।
(घ) इन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) कथन क सही है। कथन ख गलत है।

प्रश्न 11.
लड़कियों को …………… में अवश्य भाग लेना चाहिए।
(क) खेल गतिविधियों
(ख) कृषि और बागबानी कार्यों
(ग) यांत्रिक कार्यों
(घ) इन सभी में।
उत्तर-
(घ) इन सभी में।

प्रश्न 12.
पक्षपातीय लिंग ……….. का परिणाम है।
(क) समाज की संकीर्ण सोच
(ख) कार्यवाही की कमी
(ग) समाज की पुरुष प्रधान प्रकृति
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

रिक्त स्थान भरोः

  1. ……….. लिंग असमानता का कारण है जो सोचता है कि लड़कियां कमज़ोर हैं।
  2. समाज की ………… के लिए लिंग समानता बहुत ज्यादा आवश्यक है।
  3. स्त्रियां और पुरुष दोनों समाज का ………………. अंग हैं।
  4. लिंग समानता स्त्रियों के विरुद्ध ……………. को रोकता है।
  5. लिंग समानता घर पर या कार्य स्थल पर स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान ………… को निश्चित करती है।
  6. …………. लिंग सम्बन्धी रूढ़ प्रारूप को तोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  7. लिंग समानता एक मानवीय ……….. है।
  8. लड़कों को ………….. गतिविधियों में शामिल होना चाहिए।
  9. स्त्रियों को शिक्षित करना उसके ………….. को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
  10. भेदभाव साधारणतः ………….. बनाया जाता है।

उत्तर-

  1. संकीर्ण विचारधारा
  2. उन्नति
  3. अपरिहार्य
  4. हिंसा
  5. अवसर
  6. शिक्षा
  7. अधिकार
  8. घरेलू
  9. आत्म-सम्मान
  10. सामाजिक रूप से।

सही/गलत:

  1. हमें लड़कों और लड़कियों में भेदभाव करना चाहिए।
  2. लड़कियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के अवसर मिलने चाहिए।
  3. यान्त्रिक और चालक कार्य लड़कियों की पहुँच से दूर हैं।
  4. लड़कियों को कृषि और बागबानी कार्य में भाग लेना चाहिए।
  5. लिंग समानता करना उचित व्यवहार नहीं है।
  6. लड़कों और लड़कियों को आगे बढ़ने के समान अवसर दिए जाने चाहिए।
  7. लड़कियों को उनके द्वारा सामना किए गए दुर्व्यवहार के बारे में किसी को नहीं बताना चाहिए।
  8. लड़कों और लड़कियों दोनों को पौष्टिक भोजन दिया जाना चाहिए।
  9. लिंग असमानता उनके लिंग पर आधारित व्यक्तिगत असमान बर्ताव को प्रस्तुत करती है।
  10. लिंग समानता का मुख्य उद्देश्य समाज की रचना करना है जिसमें पुरुष और स्त्रियां समान अधिकारों का आनन्द मानें।

उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. ग़लत
  6. सही
  7. ग़लत
  8. सही
  9. सही
  10. ग़लत।