PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

SST Guide for Class 8 PSEB राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन कहां तथा किसकी प्रधानगी के अन्तर्गत हुआ तथा इसमें कितने प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था ?
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर, 1885 तक बोमेश चन्द्र बैनर्जी की प्रधानगी (अध्यक्षता) में हुआ। इसमें 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

प्रश्न 2.
बंगाल का विभाजन कब तथा किस गवर्नर-जनरल के समय में हुआ ?
उत्तर-
बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लार्ड कर्जन के समय में हुआ।

प्रश्न 3.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब तथा किसने की थी ?
उत्तर-
मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर, 1906 ई० को मुस्लिम नेताओं ने की थी। इसके मुख्य नेता सर सैय्यद अहमद खां, सलीम-उला खां तथा नवाब मोहसिन आदि थे।

प्रश्न 4.
गदर पार्टी की स्थापना कब, कहां तथा किसके द्वारा की गई ?
उत्तर-
गदर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में अमेरिका तथा कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने की। इसकी स्थापना सान फ्रांसिस्को में हुई।

प्रश्न 5.
स्वदेशी तथा बहिष्कार आन्दोलन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
स्वदेशी तथा बहिष्कार आन्दोलन का आरम्भ 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन करने से बंगाल में हुआ। परन्तु शीघ्र ही यह भारत के अन्य भागों में भी फैल गया। इस आन्दोलन का नेतृत्व सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी, विपिन चन्द्र पाल तथा बाल गंगाधर तिलक आदि प्रमुख नेताओं ने किया था। भारत में स्थान-स्थान पर सार्वजनिक सभाएँ की गईं। इन सभाओं में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की शपथ ली गई। दुकानदारों को विदेशी माल बेचने तथा ग्राहकों को विदेशी माल न खरीदने के लिए विवश किया गया। भारत में अनेक स्थानों पर विदेशी कपड़े की होली जलाई गई। राष्ट्रवादी समाचार-पत्रों में भी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए प्रचार किया गया। स्वदेशी एवं बहिष्कार आन्दोलन का लोगों के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने भारतीयों के मन में राष्ट्रीय भावनाओं को प्रबल बनाया।

प्रश्न 6.
क्रान्तिकारी आन्दोलन पर नोट लिखो।
उत्तर-
नरम दल के नेताओं की असफलता तथा गरम दल के नेताओं के प्रति सरकार की दमनकारी नीति के कारण भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन का उदय हुआ। क्रान्तिकारी नेताओं का मुख्य उद्देश्य भारत में से ब्रिटिश शासन का अन्त करना था। इसके लिए उन्होंने देश में कई गुप्त संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में क्रान्तिकारियों को शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। इनके मुख्य केन्द्र महाराष्ट्र, बंगाल तथा पंजाब आदि में थे।

पंजाब में क्रान्तिकारी आन्दोलन के मुख्य नेता सरदार अजीत सिंह, पिंडी दास, सूफ़ी अम्बा प्रसाद तथा लाल चन्द फ़लक थे। इनके नेतृत्व में कई नगरों में हिंसक कार्यवाहियां की गईं। भारत के अतिरिक्त विदेशों अर्थात् इंग्लैण्ड, अमेरिका तथा कैनेडा (कनाडा) आदि में भी क्रान्तिकारी आन्दोलन चलाये गए। इंग्लैण्ड में श्याम जी कृष्ण वर्मा ने इण्डियन होमरूल सोसायटी की स्थापना की। यह सोसायटी क्रान्तिकारियों की गतिविधियों का केन्द्र बनीं। अमेरिका में लाला हरदयाल ने गदर पार्टी की स्थापना की।

प्रश्न 7.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य कौन-से थे ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  1. देश के भिन्न-भिन्न भागों में देश हित का काम करने वाले लोगों से सम्पर्क एवं मित्रता स्थापित करना।
  2. भारतीयों में जातिवाद, प्रान्तवाद तथा धार्मिक भेदभाव का अन्त करके एकता की भावना पैदा करना।
  3. लोगों के कल्याण के लिए सरकार के सामने मांग-पत्र तथा प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना।
  4. देश में सामाजिक तथा आर्थिक सुधार के लिए सुझाव एकत्रित करना।।
  5. आगामी 12 मास के लिए, राष्ट्रवादियों द्वारा देश के हितों के लिए किए जाने वाले कार्यों की रूप-रेखा तैयार करना।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. इंडियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना मि० ए० ओ० ह्यूम ने ……….. ई० में बंबई में की।
2. लार्ड कर्जन ने …………. ई० में बंगाल का विभाजन किया।
3. ………. ने कहा था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं इसे प्राप्त करके ही रहूंगा।”
4. इंडियन नैशनल कांग्रेस का समागम सूरत में ……………ई० में हुआ।
उत्तर-

  1. 1885
  2. 1905
  3. बाल गंगाधर तिलक
  4. 1907.

III. सही जोड़े बनाएं:

क — ख
1. होमरूल आंदोलन – 1914 ई०
2. मुस्लिम लीग – सोहन सिंह भकना
3. मिंटो-मार्ले सुधार – सर सैयद अहमद खां
4. गदर पार्टी – लार्ड कर्जन
5. पहला विश्व युद्ध – 1916 ई०
उत्तर-
क — ख
1. होमरूल आंदोलन – 1916 ई०
2. मुस्लिम लीग – सर सैयद अहमद खां
3. मिंटो-मार्ले सुधार – लार्ड कर्जन
4. गदर पार्टी – सोहन सिंह भकना
5. पहला विश्व युद्ध – 1914 ई०

PSEB 8th Class Social Science Guide राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन (1885) की अध्यक्षता में हुआ-
(i) दादा भाई नौरोजी
(ii) जवाहर लाल नेहरू
(iii) बोमेश चन्द्र बैनर्जी
(iv) ए० ओ० ह्यूम।
उत्तर-
बोमेश चन्द्र बैनर्जी

प्रश्न 2.
1905 ई० में बंगाल का विभाजन किया
(i) लार्ड डलहौज़ी
(ii) लार्ड कर्जन
(iii) लार्ड मैकाले
(iv) लार्ड विलियम बैंटिक।
उत्तर-
लार्ड कर्जन

प्रश्न 3.
मुस्लिम लींग का मुख्य नेता है
(i) सर सैय्यद अहमद खाँ
(ii) सलीम-उला खाँ
(ii) नवाब मोहसिन
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

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प्रश्न 4.
गदर पार्टी की स्थापना (1913 ई०) में हुई-
(i) भारत
(ii) पाकिस्तान
(iii) फ्रांसिसको
(iv) भूटान।
उत्तर-
फ्रांसिसको

प्रश्न 5.
होमरूल आन्दोलन के मुख्य नेता थे-
(i) दादा भाई नौरोजी
(ii) बाल गंगाधर तिलक
(iii) लाला हरदयाल सिंह
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. 1907 के विभाजन के बाद 1916 में कांग्रेस के दोनों दलों में समझौता हो गया।
2. श्रीमती ऐनी बेसेंट तथा बाल गंगाधर तिलक कांग्रेस के उदारवादी नेता थे।
3. कांग्रेस के पहले सभापति बोमेश चन्द्र बैनर्जी थे।
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)

V. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इण्डियन नैशनल कांग्रेस) की स्थापना से पूर्व स्थापित किन्हीं चार राजनीतिक संस्थाओं के नाम बताओ। इनका क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
संस्थाएं-

  • बंगाल ब्रिटिश इण्डियन सोसायटी
  • ब्रिटिश इण्डियन एसोसिएशन
  • इण्डियन एसोसिएशन
  • बॉम्बे प्रेजीडेंसी एसोसिएशन।

उद्देश्य-इन संस्थाओं का उद्देश्य सरकार से भारतीय शासन प्रबन्ध में सुधार की मांग करना तथा भारतीय लोगों के लिए राजनीतिक अधिकार प्राप्त करना था।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय चेतना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
राष्ट्रीय चेतना से अभिप्राय लोगों के मन में यह भावना पैदा करने से है कि वे सभी एक ही राष्ट्र से सम्बन्ध रखते हैं।

प्रश्न 3.
भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने वाले किन्हीं चार समाचार-पत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
बॉम्बे समाचार, अमृत बाजार पत्रिका, द ट्रिब्यून तथा केसरी।

प्रश्न 4.
इलबर्ट बिल किसने और क्यों पेश किया ?
उत्तर-
इलबर्ट बिल लार्ड रिपन ने पेश किया क्योंकि वह भारतीय जजों को अंग्रेज़ जजों के समान दर्जा दिलाना चाहता था।

प्रश्न 5.
भारतीय सभ्यता को महान् बनाने वाले किन्हीं तीन विदेशी विद्वानों के नाम बताओ।
उत्तर-
विलियम जोन्स, मैक्समूलर तथा जैकोबी।

प्रश्न 6.
1885 ई० से 1905 ई० तक के राष्ट्रवादी आन्दोलन को उदारवादी युग क्यों कहा जाता है ? ।
उत्तर-
1885 ई० से 1905 ई० तक के राष्ट्रवादी आन्दोलन को इसलिए उदारवादी युग कहा जाता है क्योंकि इस काल के कांग्रेस के सभी नेता पूरी तरह उदारवादी थे।

प्रश्न 7.
कुछ प्रमुख उदारवादी नेताओं के नाम बताइए।
उत्तर-
फिरोजशाह मैहता, दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले तथा मदन मोहन मालवीय।

प्रश्न 8.
लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन क्यों किया गया ? उसका मनोरथ क्या था ?
उत्तर-
लॉर्ड कर्ज़न का कहना था कि यह विभाजन बंगाल की प्रशासनिक सुविधा के लिए आवश्यक है। परन्तु इसका वास्तविक उद्देश्य भारतीयों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमज़ोर बनाना था।

प्रश्न 9.
कांग्रेस का विभाजन कब किन दो भागों में हुआ ?
उत्तर-
कांग्रेस का विभाजन नरम दल तथा गरम दल में हुआ। यह विभाजन 1907 ई० में सूरत अधिवेशन में हुआ।

प्रश्न 10.
ग़दर आन्दोलन का प्रधान कौन था ? इस आन्दोलन का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
ग़दर आन्दोलन का प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना था। इस आन्दोलन का उद्देश्य क्रान्तिकारी गतिविधियों द्वारा भारत में अत्याचारी अंग्रेजी शासन का अन्त करना था।

प्रश्न 11.
गर्म दल के तीन प्रमुख नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक तथा विपिन चंद्र पाल।

प्रश्न 12.
पंजाब में क्रान्तिकारी आन्दोलन के मुख्य नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
सरदार अजीत सिंह, पिण्डी-दास, सूफ़ी अम्बा प्रसाद तथा लाल चन्द फलक।

प्रश्न 13.
मिण्टो-मार्ले सुधार कब पास हुए ? इनके पीछे सरकार का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
मिण्टो-मार्ले सुधार, 1909 में पास हुए। इनके पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य गरम दल के नेताओं को प्रसन्न करना तथा मुसलमानों को विशेष अधिकार देकर उन्हें हिन्दुओं से अलग करना था।

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प्रश्न 14.
ग़दर पार्टी के समाचार-पत्र का क्या नाम था ? लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापना कहाँ की ?
उत्तर-
ग़दर पार्टी के समाचार-पत्र का नाम ‘ग़दर’ था। लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापना अमेरिका में की।

प्रश्न 15.
होमरूल आन्दोलन के दो मुख्य नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक तथा श्रीमती ऐनी बेसेंट।

प्रश्न 16.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना किसने, कब तथा कहां की ?
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना मि० ए० ओ० ह्यूम ने 28 दिसम्बर, 1885 ई० को मुम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में की।

प्रश्न 17.
इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना किसने और कब की ?
उत्तर-
इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना 1876 ई० में सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी ने की।

प्रश्न 18.
लखनऊ समझौता कब तथा कौन-से दो राजनीतिक दलों के मध्य हुआ था ?
उत्तर-
लखनऊ समझौता 1916 ई० में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के मध्य हुआ था।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारवादियों की सफलताएँ क्या थी ?
उत्तर-

  • उदारवादी नेताओं के प्रयत्नों से प्रतिवर्ष कांग्रेस के अधिवेशन होने लगे। इन अधिवेशनों में भारतीयों की मांगें सरकार के सामने रखी जाती थीं।
  • उदारवादियों ने अपने भाषणों तथा समाचार-पत्रों में दिये अपने लेखों द्वारा भारतीयों में राष्ट्रीय भावना पैदा की।
  • दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले आदि उदारवादी नेता अपनी मांगों का प्रचार करने के लिए इंग्लैण्ड में भी गए।
  • उदारवादियों के प्रयत्नों से 1892 ई० में इंग्लैण्ड की पार्लियामैंट ने इण्डियन कौंसिल्ज़ एक्ट पास किया जिसके अनुसार कानून बनाने वाली परिषदों में भारतीयों को स्थान दिया गया।
  • इनके प्रयत्नों से अंग्रेज़ सरकार ने आई० सी० एस० की परीक्षा लेने का प्रबन्ध भारत में किया।

प्रश्न 2.
बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया ? भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन ने किया। उसका इस विभाजन का वास्तविक उद्देश्य हिन्दुओं तथा मुसलमानों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना था। बंगाल के विभाजन के विरोध में लोगों ने स्थान-स्थान पर जलसे, जलूस तथा हड़तालें कीं। बंगाल के विभाजन के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन भी आरम्भ किया गया।

प्रभाव-इस विभाजन का भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा-

  • बंगाल के विभाजन के कारण भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई।
  • बंगाल के विभाजन से कांग्रेस में गरम दल तथा नरम दल नाम के दो शक्तिशाली दल बन गए।
  • बंगाल विभाजन से राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रसार हुआ।

प्रश्न 3.
1909 ई० के मिण्टो-मार्ले सुधार एक्ट की प्रमुख धाराएँ क्या थी ?
उत्तर-
मिण्टो-मार्ले सुधार एक्ट की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं-

  • गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद् में एस० पी० सिन्हा नामक एक भारतीय सदस्य नियुक्त किया गया।
  • केन्द्रीय विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या 16 से 60 कर दी गई।
  • प्रान्तों की विधान परिषदों के सदस्यों की संख्या 30 से 50 कर दी गई।
  • विधान परिषदों के सदस्यों का चुनाव करने के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की गई। इस चुनाव-प्रणाली के अनुसार सर्वप्रथम लोगों द्वारा नगरपालिकाओं या ज़िला बोर्डों के सदस्यों का चुनाव किया जाता था। ये चुने गये सदस्य आगे प्रान्तों की विधान परिषदों के सदस्यों का चुनाव करते थे।
  • मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की गई। उनके लिए केन्द्रीय विधान परिषद् में 6 स्थान रक्षित किए गए। इन स्थानों के लिए चुनाव केवल मुसलमान मतदाताओं द्वारा ही किया जाता था।

प्रश्न 4.
नरम दल तथा गरम दल की नीतियों में क्या अन्तर था ?
उत्तर-
नरम दल तथा गरम दल की नीतियों में निम्नलिखित अन्तर थे-

  • नरम दल के नेता दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, फिरोजशाह मेहता तथा गोपाल कृष्ण गोखले ब्रिटिश शासन को भारतीयों के लिए वरदान मानते थे जबकि गरम दल के नेता विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय ब्रिटिश शासन को भारतीयों के लिए अभिशाप मानते थे।
  • नरम दल के नेता प्रशासन में सुधार लाने के लिए सरकार को सहयोग देना चाहते थे, जबकि गरम दल के नेता भारत से ब्रिटिश शासन का अन्त चाहते थे।
  • नरम दल के नेता सरकार से अपनी मांगें, प्रस्तावों तथा प्रार्थना-पत्रों द्वारा मनवाना चाहते थे परन्तु गरम दल के नेता अपनी शक्ति द्वारा मांगें मनवाने के पक्ष में थे।

प्रश्न 5.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई ? इसकी स्थापना के क्या कारण थे ?
उत्तर-
30 दिसम्बर, 1906 ई० को मुस्लिम नेताओं ने ‘मुस्लिम लीग’ नाम की अपनी एक अलग राजनीतिक संस्था स्थापित कर ली। इसके मुख्य नेता सर सैय्यद अहमद खां, सलीम-उला-खां तथा नवाब मोहसिन आदि थे।
कारण-मुस्लिम लीग की स्थापना मुख्य रूप से साम्प्रदायिक राजनीति का परिणाम थी। इस संस्था की स्थापना के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

  • मुसलमान अपने हितों की रक्षा के लिए कोई अलग संस्था बनाना चाहते थे।
  • मुस्लिम लीग की स्थापना से अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति सफल होती थी।
  • अरब देशों में वहाबी आन्दोलन आरम्भ होने के साथ भारत में साम्प्रदायिकता की भावना पैदा हो गई थी।
  • मोहम्मडन ऐंग्लो-ओरियंटल कॉलेज के प्रिंसीपल बेक ने साम्प्रदायिकता की भावना को भड़काने के लिए लेख लिखे तथा सर सैय्यद अहमद खाँ ने इस संबंध में प्रचार किया।
  • लार्ड कर्जन ने भी मुसलमानों के मन में साम्प्रदायिकता की भावना पैदा की।

प्रश्न 6.
गरमपंथियों के प्रमुख उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
गरमपंथियों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

1. पूर्ण स्वराज की प्राप्ति-गरमपंथी नेताओं का मुख्य उद्देश्य पूर्ण स्वराज प्राप्त करना था। इसकी मांग बाल गंगाधर तिलक ने की थी। उन्होंने कहा था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके ही रहूँगा।” उनका विचार था कि शासन प्रबन्ध भारतीय परम्पराओं तथा संस्कृति पर आधारित होना चाहिए।

2. भारत तथा इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्ध समाप्त करना-गरमपंथियों का दूसरा मुख्य उद्देश्य भारत तथा इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्धों को समाप्त करना था। विपिन चन्द्र पाल का कहना था, “हम अंग्रेजों के साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखना चाहते। हम भारत में अपनी सरकार चाहते हैं।”

प्रश्न 7.
मुस्लिम लीग के प्रमुख उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
मुस्लिम लीग के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य थे-

  • भारतीय मुसलमानों के हितों की रक्षा करना।
  • अंग्रेज़ी सरकार के प्रति वफ़ादार (राजभक्त) रहना, ताकि अंग्रेज़ उन्हें अधिक-से-अधिक सुविधाएं प्रदान करें।
  • भारतीय मुसलमानों को इण्डियन नैशनल कांग्रेस के प्रभाव से मुक्त करना।
  • मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन मण्डल स्थापित करना।
  • मुसलमानों के लिए अलग राज्य (पाकिस्तान) की मांग करना।

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प्रश्न 8.
अंग्रेजी भाषा का राष्ट्रीयता के विकास पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
प्रशासन की भाषा बन जाने के कारण भारत के लोगों ने अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया। अंग्रेज़ी के माध्यम से पंजाबी, मद्रासी, बंगाली, गुजराती तथा हरियाणवी एक-दूसरे से अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते थे। इस प्रकार अंग्रेजी भाषा ने देश के विभिन्न प्रान्तों के लोगों को एक-दूसरे के समीप लाने में बहुत सहायता की। अंग्रेज़ी भाषा के कारण भारत के लोग पश्चिमी साहित्य से परिचित हो गए। इस साहित्य से उन्हें स्वतन्त्रता, समानता तथा लोकतंत्र के महत्त्व का पता चला। फलस्वरूप वे राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बंध गए और वे अपने देश में स्वतन्त्रता का वातावरण उत्पन्न करने के विषय में सोचने लगे।

प्रश्न 9.
अंग्रेजों द्वारा भारतीयों से असमानता का व्यवहार करने का भारतीय भाषाओं व समाचार-पत्रों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
अंग्रेज़ भारतीयों से असमानता का व्यवहार करते थे। भारतीयों को केवल निम्न सरकारी पद ही दिए जाते थे और वे भी कम वेतन पर। उन्हें ऐसा कोई पद नहीं दिया जाता था जो उत्तरदायित्व से जुड़ा हो। उनके साथ जातीय आधार पर भी भेदभाव किया जाता था। भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचार-पत्र इस अन्याय को सहन न कर सके। अत: उन्होंने ऐसे लेख प्रकाशित करने आरम्भ कर दिए जिनमें जनता के कष्टों का वर्णन किया जाता था। इसे रोकने के लिए सरकार ने कठोर कदम उठाए। फलस्वरूप भारतीय जनता में जागृति आई और राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।

प्रश्न 10.
इण्डियन नेशनल (भारतीय राष्ट्रीय) कांग्रेस में 1907 ई० में किस प्रकार फूट पड़ी ?
उत्तर-
1907 ई० में इण्डियन नेशनल कांग्रेस का सूरत में अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में उदारवादी नेताओं ने स्वदेशी तथा बहिष्कार के प्रस्तावों की निन्दा की। इसके अतिरिक्त सम्मेलन में इण्डियन नेशनल कांग्रेस संस्था के प्रधान पद के चुनाव के प्रश्न पर नरमपंथी तथा गरमपंथी नेताओं में विवाद भी हो गया। नरमपंथी नेता रास बिहारी बोस को प्रधान बनाना चाहते थे परन्तु गरमपंथी नेताओं की पसन्द लाला लाजपतराय थे। वे नरमपंथियों की नीतियों तथा उनके संवैधानिक तरीकों के भी विरुद्ध थे।

अतः उन्होंने इण्डियन नेशनल कांग्रेस से अलग होकर अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए कार्य करना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार कांग्रेस में फूट पड़ गई।

प्रश्न 11.
ग़दर पार्टी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बहुत से भारतीय अमेरिका तथा कनाडा आदि देशों में रहना चाहते थे। परन्तु यहाँ उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता था। अतः उन्होंने यह अनुभव किया कि जब तक वे अपने देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त नहीं करा लेते, तब तक उन्हें विदेशों में सम्मान प्राप्त नहीं हो सकता। अतः उन्होंने भारत को स्वतन्त्र कराने की योजना बनाई। 1913 ई० में उन्होंने एकत्रित होकर सानफ्रांसिस्को (अमेरिका) में ग़दर पार्टी की स्थापना की। सोहन सिंह भकना को इस संस्था का प्रधान बनाया गया। लाला हरदयाल को इस संस्था का सचिव चुना गया।
ग़दर पार्टी का मुख्य उद्देश्य क्रान्तिकारी गतिविधियों द्वारा भारत को स्वतन्त्र कराना था। पार्टी ने अपने विचारों का प्रचार करने के लिए ‘ग़दर’ नाम का एक समाचार-पत्र भी निकाला। इसमें अंग्रेजों के समर्थकों की हत्या, सरकारी कोष लूटना, बम बनाना, रेलवे लाइनों को तोड़ना, टेलिफोन तारों को काटना तथा सैनिकों को विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित करना आदि के बारे में सामग्री छापी जाती थी।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस ( 1885-1905 ई०) की मांगों, कार्यक्रम तथा सरकार के कांग्रेस के प्रति व्यवहार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की प्रमुख मांगें-इण्डियन नैशनल कांग्रेस की मुख्य मांगें निम्नलिखित थीं-

  • केन्द्रीय तथा प्रान्तीय विधान सभाओं में भारतीय लोगों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया जाये।
  • भारतीयों को उनकी योग्यता के अनुसार उच्च पदों पर नियुक्त किया जाए।
  • देश में शिक्षा का प्रसार किया जाए।
  • प्रेस पर लगाए गए अनुचित प्रतिबन्धों को हटाया जाए।
  • कार्यपालिका तथा विधानपालिका को एक-दूसरे से अलग किया जाए।
  • स्थानीय संस्थाओं का विकास किया जाए और उन्हें पहले से अधिक शक्तियां दी जाएं।
  • भारत में भी इंग्लैण्ड के समान आई० सी० एस० की परीक्षा लेने का प्रबन्ध किया जाए।
  • सेना पर किये जा रहे व्यय में कमी की जाए।
  • किसानों से लिए जा रहे भूमि-कर की राशि कम की जाए।
  • सिंचाई की समुचित व्यवस्था की जाए।

इण्डियन नैशनल कांग्रेस का कार्यक्रम-1885 ई० से 1905 तक इण्डियन नैशनल कांग्रेस के सभी नेता उदारवादी सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए क्रान्तिकारी या हिंसात्मक कार्यवाहियां करना पसन्द नहीं करते थे। वे भाषणों, प्रस्तावों तथा प्रार्थना-पत्रों द्वारा अपनी मांगें सरकार के सामने रखते थे। वे कांग्रेस के प्रत्येक अधिवेशन में प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजते थे। उन्हें विश्वास था कि सरकार उनकी मांगों को अवश्य स्वीकार कर लेगी।

सरकार का इण्डियन नैशनल कांग्रेस के प्रति व्यवहार-सरकार चाहती थी कि कांग्रेस उसके अधीन रहे परन्तु ऐसा न हो पाने के कारण सरकार कांग्रेस के विरुद्ध हो गई। सरकार ने सरकारी प्रतिनिधियों के कांग्रेस के अधिवेशनों में भाग लेने पर रोक लगा दी। सरकार द्वारा मुसलमानों को कांग्रेस से अलग करने के भी प्रयास किये जाने लगे। इस प्रकार सरकार ने कांग्रेस के प्रति उपेक्षा की नीति अपनायी।

प्रश्न 2.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना का वर्णन करो।
उत्तर-
19वीं शताब्दी में भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हो गई थी। फलस्वरूप उन्होंने अंग्रेज़ी सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध करने के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में से ज़मींदार सभा (1838 ई०), बम्बई सभा (1852 ई०), पूना सार्वजनिक सभा (1870 ई०), मद्रास (चेन्नई) नेटिव एसोसिएशन (1852 ई०) आदि प्रमुख थीं। इनकी स्थापना अपने-अपने प्रान्तों के हितों की रक्षा करने के लिए की गई थी। धीरे-धीरे भारत के बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रीय स्तर के संगठन की आवश्यकता अनुभव की। अत: 1876 ई० में सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना की।

आई० सी० एस० पास सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी ने राष्ट्रीय स्तर की संस्था की स्थापना के लिए समस्त भारत में स्वराज प्राप्त करने के लिए प्रचार किया तथा अनेक संस्थाएं स्थापित की। इसी समय एक अंग्रेज़ अधिकारी ए० ओ० ह्यूम ने सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी का साथ दिया। उसने लोगों को सलाह दी कि वे अपनी समस्याएं सरकार के आगे प्रस्तुत करें।

इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना-मिस्टर ए० ओ० ह्यूम ने दिसम्बर 1885 ई० में बम्बई (मुम्बई) में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना की। वह एक सेवा मुक्त अंग्रेज़ आई० सी० एस० अधिकारी था। उसे इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पिता भी कहा जाता है। इण्डियन नैशनल कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर 1885 ई० तक मुम्बई में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में ही हुआ। इसके सभापति वोमेश चन्द्र बैनर्जी थे। इस अधिवेशन में देश के भिन्न-भिन्न प्रान्तों से आए 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रश्न 3.
गरम राष्ट्रवाद के उत्थान के बारे में संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
1905 ई० से 1919 ई० तक राष्ट्रीय आन्दोलन का नेतृत्व गरमपंथी नेताओं के हाथों में रहा। गरम दल के उत्थान के अनेक कारण थे जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार हैं-

  • उदारवादियों की असफलता-उदारवादी नेता सरकार से अपनी मांगें पूरी कराने में असफल रहे थे। अतः नवयुवकों ने ठोस राजनीतिक कार्यवाही करने की मांग की।
  • बेरोज़गारी-बहुत से भारतीयों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी परन्तु वे बेरोज़गार थे। अत: उनमें निराशा की भावनाएं पैदा होने लगी और उन्होंने सरकार का विरोध करने के लिए कठोर पग उठाने का निर्णय किया।
  • अंग्रेजों की आर्थिक नीति-अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनाई गई आर्थिक नीति भी गरम राष्ट्रवाद को उत्साहित करने में सहायक हुई।
  • अकाल तथा प्लेग-1896-97 ई० में भारत में अनेक स्थानों पर अकाल पड़ गया। 1897 ई० में पुणे (पूने) के आस पास के क्षेत्रों में प्लेग भी फैल गया। इससे लाखों लोगों की मौत हो गई। ब्रिटिश सरकार ने इस विपत्ति में भारतीयों की कोई सहायता नहीं की। अतः भारतीयों ने गरम नीति पर आधारित आन्दोलन का समर्थन किया।
  • विदेशों में भारतीयों से दुर्व्यवहार- इंग्लैण्ड तथा दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता था। अतः भारत के राष्ट्रवादियों ने भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतन्त्र कराने के लिए शक्तिशाली आन्दोलन चलाया।
  • विदेशी क्रान्तियों से प्रेरणा-फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिका का स्वतन्त्रता-संग्राम, इटली का एकीकरण आदि घटनाओं से भारतीयों को अपना देश स्वतन्त्र कराने की प्रेरणा मिली। अत: उन्होंने गरम राष्ट्रवाद की राह अपनाई।
  • जापान के हाथों रूस की पराजय-1904-05 ई० में जापान तथा रूस के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में रूस जैसा बड़ा देश जापान जैसे छोटे से देश के हाथों पराजित हो गया। जापान की इस जीत ने भारतीयों के मन में अंग्रेज़ों से स्वतन्त्र होने की भावना पैदा की। इससे गर्म राष्ट्रवाद को बल मिला।
  • गरमपंथी नेताओं के भाषण-लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक तथा विपिन चन्द्र पाल जैसे नेताओं ने गरमपंथी आन्दोलन आरम्भ किया। उन्होंने भारतीयों में राष्ट्रीय भावना पैदा करने के लिए स्थान-स्थान पर जलसे किए तथा भाषण दिए। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था, “स्वराज मेरा जन्म-सिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके रहूँगा।” इसी प्रकार के विचार लाला लाजपतराय तथा विपिन चन्द्र पाल ने भी प्रकट किए। इन विचारों के कारण गरम राष्ट्रवाद को और अधिक प्रोत्साहन मिला।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

प्रश्न 4.
लखनऊ समझौते तथा होमरूल आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
लखनऊ समझौता-1914 ई० में यूरोप में प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में अंग्रेज़ मुसलमानों के देश तुर्की के विरुद्ध लड़े। तुर्की का सुल्तान संसार के सभी मुसलमानों का धार्मिक नेता था। अतः मुस्लिम लीग के नेता अंग्रेजों से नाराज होकर इण्डियन नैशनल कांग्रेस के साथ मिल गए। 1916 ई० में दोनों पार्टियों के बीच लखनऊ में एक समझौता हुआ जिसके अनुसार इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए अलग प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया। अत: दोनों संस्थाओं ने मिल कर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेना आरम्भ कर दिया। इससे राष्ट्रीय आन्दोलन को नई शक्ति मिली।

होमरूल आन्दोलन-1916 ई० में श्रीमती ऐनी बेसेंट ने मद्रास में तथा बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में होमरूल लीग की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में होमरूल या स्वराज की स्थापना करना तथा भारतीयों के मन में स्वराज के प्रति जागरूकता पैदा करना था। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था……. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं इसे प्राप्त करके ही रहूँगा।’ परिणामस्वरूप भारत मन्त्री मि० मांटेगू ने अगस्त, 1917 ई० में घोषणा की कि अंग्रेज़ सरकार भारत में स्व-शासन की संस्थाएं स्थापित करेगी तथा धीरे-धीरे स्वशासन की स्थापना की जाएगी। इस आश्वासन के कारण होमरूल आन्दोलन धीरे-धीरे शान्त हो गया।

प्रश्न 5.
भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा होने के कारणों का वर्णन करो।
उत्तर-
19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। राष्ट्रीय चेतना से अभिप्राय किसी राष्ट्र के नागरिकों में पाई जाने वाली उस भावना से है जिससे उन्हें यह अनुभव हो कि वे सब एक ही राष्ट्र से सम्बन्ध रखते हैं। भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा होने के अनेक कारण थे जिनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

1. 1857 ई० के महान् विद्रोह का प्रभाव-भारतीय लोगों ने अंग्रेजी शासन को समाप्त करने के लिए 1857 ई० में अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध विद्रोह किया था। इस विद्रोह को अंग्रेज़ों ने कठोरता से दबा दिया था। इसके बाद वे भारतीय लोगों पर अत्याचार करने लगे। इस कारण भारतीय लोगों के मन में अपने देश को अंग्रेजी शासन से मुक्त कराने की भावना उत्पन्न हुई।

2. प्रशासनिक एकता-अंग्रेज़ी सरकार ने समस्त भारत में एक सी शासन प्रणाली एवं कानून व्यवस्था लागू की। इसके फलस्वरूप भारत के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले लोग अपने आपको एक देश के नागरिक समझने लगे जिससे उनमें राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई।

3. सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन-19वीं शताब्दी में भारत के विभिन्न प्रान्तों में अनेक सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन चले। राजा राममोहन राय (ब्रह्म समाज), स्वामी दयानन्द (आर्य समाज), श्री सद्गुरु राम सिंह जी (नामधारी लहर) आदि सभी समाज-सुधारकों ने समाज में फैली हुई बुराइयों की निन्दा की। उन्होंने भारतीय लोगों में इन बुराइयों का अन्त करने के लिए सामाजिक-धार्मिक जागृति उत्पन्न की जिसने राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया।

4. पश्चिमी शिक्षा एवं साहित्य-भारतीय लोगों ने विदेशी लेखकों जैसे कि मिल्टन, मिल तथा बर्न आदि की पुस्तकें पढ़ीं और अपने राजनीतिक अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त की। रूसो, वाल्टेयर तथा मैकाले आदि विद्वानों के विचारों ने भारतीय लोगों में स्वतन्त्रता, समानता तथा भ्रातृ-भाव की भावना एवं राष्ट्रीय-चेतना पैदा की।

5. भारतीय लोगों का आर्थिक शोषण-अंग्रेज़ व्यापारी अधिक-से-अधिक धन कमाने के लिए भारतीय लोगों से कम कीमत पर कच्चा माल खरीद कर इंग्लैंड भेजते थे तथा वहां के कारखानों में तैयार माल भारत में लाकर ऊंचे दामों पर बेचते थे। इससे भारत के लघु उद्योगों में तैयार की गई वस्तुओं की बिक्री बन्द हो गई। कच्चा माल न मिलने के कारण लघु उद्योगों का पतन होने लगा। परिणामस्वरूप भारतीय कारीगर बेरोज़गार हो गए। किसानों से भी भारी भूमि-कर लिया जाता था जिसके कारण किसानों को अपनी भूमियां बेचनी पड़ गईं। इस प्रकार वे भी बेरोज़गार हो गए।

6. भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त न करना-अंग्रेजी सरकार भारतीय लोगों को योग्यतानुसार उच्च पदों पर नियुक्त नहीं करती थी। अतः उनमें अंग्रेजों के प्रति रोष पैदा हो गया। इसके अतिरिक्त समान स्तर की नौकरी करने वाले अंग्रेज़ कर्मचारियों की अपेक्षा भारतीय कर्मचारियों को कम वेतन तथा भत्ते दिए जाते थे। अतः भारतीय कर्मचारियों का मन दुखी था। इस बात ने भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना पैदा करने में सहायता दी।

7. भारतीय समाचार-पत्र एवं साहित्य-भारत में अंग्रेज़ी तथा देशी भाषाओं में अनेक प्रकार के समाचार-पत्र, पत्रिकाएं तथा पुस्तकें छपने से लोगों की जानकारी में वृद्धि हुई। बॉम्बे समाचार, अमृत बाज़ार पत्रिका, द ट्रिब्यून, केसरी आदि के माध्यम से देश-विदेश के समाचारों की जानकारी प्राप्त होने से लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। इसके अतिरिक्त अनेक देश-भक्ति की रचनाएं जैसे कि बंकिम चन्द्र चैटर्जी का ‘आनन्द मठ’ तथा उसका गीत ‘वन्दे मातरम्’ लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय हो गए। रवीन्द्र नाथ टैगोर, हेमचन्द्र बैनर्जी तथा केशव चन्द्र सेन की कविताओं तथा लेखों द्वारा भी भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई।

8. यातायात तथा संचार के साधन-रेल, डाक एवं तार आदि यातायात तथा संचार के साधनों का विकास होने से देश के एक भाग से दूसरे भाग में जाना अति सरल हो गया था। इससे भारतीय लोगों में विचारों का आदान-प्रदान हुआ। वे अपनी कठिनाइयों का समाधान करने के लिए मिल कर प्रयत्न करने की सोचने लगे।

9. इलबर्ट बिल का विरोध-गवर्नर जनरल लार्ड रिपन प्रथम अंग्रेज़ अधिकारी था जो भारतीयों के प्रति सहानुभति रखता था। वह भारतीय जजों को अंग्रेजों के समान अधिकार दिलाना चाहता था। अतः उसने इलबर्ट बिल पास कराना चाहा। परन्तु अंग्रेजों ने इस बिल का विरोध किया। इससे भारतीय लोग अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।

10. प्राचीन साहित्य का अध्ययन-विलियम जोन्स, मैक्समूलर, जैकोबी आदि प्रसिद्ध यूरोपियन विद्वानों ने प्राचीन भारतीय साहित्य का अध्ययन किया। इन विद्वानों ने सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति महान् है। अत: भारतीय लोगों को अपने देश तथा अपनी संस्कृति पर गर्व होने लगा। इससे भारतीय लोगों में राष्ट्रीय भावना पैदा हुई।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

SST Guide for Class 8 PSEB बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
बस्तीवाद से क्या भाव है ?
उत्तर-
बस्तीवाद से भाव है- किसी देश पर किसी दूसरे देश द्वारा राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक रूप से अधिकार करना।

प्रश्न 2.
भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना होने से कौन-से नये कस्बों का उत्थान हुआ ?
उत्तर-
बम्बई कलकत्ता तथा मद्रास

प्रश्न 3.
मद्रास शहर में दर्शनीय स्थान कौन-से हैं ?
उत्तर-
गिरजाघर, भवन, स्मारक, सुन्दर मन्दिर तथा समुद्री तट।

प्रश्न 4.
बम्बई (मुम्बई) शहर के दर्शनीय स्थानों के नाम लिखो।
उत्तर-
जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, मालाबार हिल, जहांगीरी आर्ट गैलरी, अजायब घर, बम्बई यूनिवर्सिटी, महालक्ष्मी मन्दिर, विक्टोरिया बाग़, कमला नेहरू पार्क इत्यादि।

प्रश्न 5.
अंग्रेजों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी कब तथा कहां स्थापित की ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी 1695 ई० में कलकत्ता में स्थापित की।

प्रश्न 6.
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में सबसे पहले कौन-से तीन शहरों में नगरपालिकाएं स्थापित की गईं ?
उत्तर-
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में नगरपालिकाएं सबसे पहले मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता में स्थापित की गईं।

प्रश्न 7.
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण की स्थापना किस अंग्रेज़ अफ़सर ने की ?
उत्तर-
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना लार्ड डल्हौजी ने की।

प्रश्न 8.
अंग्रेज़ी राज्य के समय भारत में पुलिस की व्यवस्था किस गवर्नर-जनरल ने शुरू की ?
उत्तर-
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में पुलिस की व्यवस्था लार्ड कार्नवालिस ने शुरू की।

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प्रश्न 9.
भारत में प्रथम रेलवे लाइन किसके द्वारा, कब तथा कहां से कहां तक बनाई गई ?
उत्तर-
भारत में प्रथम रेलवे लाइन 1853 ई० में लार्ड डल्हौजी द्वारा बनाई गई। यह बम्बई से लेकर थाना शहर तक बनाई गई थी।

प्रश्न 10.
मद्रास शहर के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
मद्रास शहर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है और यह तमिलनाडु राज्य की राजधानी है। यह नगर भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा स्थापित तीन केन्द्रों-बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रासमें से एक था। यह ईस्ट इंडिया कम्पनी की प्रेजीडेंसी का भी एक केन्द्र था। कम्पनी के इस केन्द्र की स्थापना 1639 में फ्रांसिस डे ने की थी। पहले कर्नाटक युद्ध में फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों से मद्रास शहर छीन लिया था। परन्तु युद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों को यह शहर वापस मिल गया था। कर्नाटक के युद्ध में अंग्रेजों की अन्तिम जीत के कारण मद्रास एक महत्त्वपूर्ण तथा समृद्ध नगर बन गया था।

शीघ्र ही यह नगर एक बन्दरगाह नगर तथा औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित हो गया। यहां अनेक दर्शनीय स्थल (देखने योग्य स्थान) हैं। इनमें गिरजाघर, भवन, स्मारक, सुन्दर मन्दिर तथा समुद्री तट शामिल हैं।

प्रश्न 11.
अंग्रेजी शासन काल में पुलिस व्यवस्था किस प्रकार की थी ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों के शासनकाल में लार्ड कार्नवालिस ने देश में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस विभाग की स्थापना की। उसने ज़मींदारों से पुलिस के अधिकार छीन लिये। 1792 ई० में उसने बंगाल के जिलों को थानों में बांट दिया। प्रत्येक थाने का मुखिया दरोगा नामक पुलिस अधिकारी होता था। वह ज़िला मैजिस्ट्रेट के अधीन काम करता था। 1860 ई० में अंग्रेज़ी सरकार ने देश के सभी प्रान्तों में एक जैसा पुलिस प्रबन्ध स्थापित करने के लिए एक पुलिस कमीशन नियुक्त किया। उसकी सिफ़ारिशों पर सिविल पुलिस, इन्सपेक्टर जनरल पुलिस तथा प्रत्येक जिले में पुलिस सुपरिंटेंडेंट तथा सहायक पुलिस सुपरिटेंडेंट नियुक्त किये गए। उनके अधीन पुलिस इंस्पेक्टर, हैड कान्सटेबल आदि अधिकारी काम करते थे। इन पदों पर प्रायः अंग्रेज़ अधिकारी ही नियुक्त किये जाते थे। पुलिस का यह ढांचा थोड़ेबहुत परिवर्तनों के साथ आज भी जारी है।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. प्राचीनकाल में ………. तथा मोहनजोदड़ो दो प्रसिद्ध उन्नत शहर थे।
2. …………… मुग़ल बादशाह अकबर की राजधानी थी
3. ………… का वर्तमान नाम चेन्नई है।
4. लार्ड ……… ने देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग की स्थापना की।
उत्तर-

  1. हड़प्पा
  2. फतेहपुर सीकरी
  3. मद्रास
  4. कार्न-वालिस।

III. सही जोड़े बनाएं :

क – ख

1. शाहजहाँ के राज्यकाल में दिल्ली – इंद्रप्रस्थ
2. इंजीनियरिंग कॉलेज – कोलकाता
3. पश्चिम बंगाल की राजधानी – रूड़की
4. महाकाव्य काल में दिल्ली – शाहजहानाबाद
उत्तर-
1. शाहजहाँ के राज्यकाल में दिल्ली – शाहजहानाबाद
2. इंजीनियरिंग कॉलेज – रूड़की
3. पश्चिम बंगाल की राजधानी – कोलकाता
4. महाकाव्य काल में दिल्ली – इंद्रप्रस्थ

PSEB 8th Class Social Science Guide बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, जहाँगीरी आर्ट गैलरी आदि दर्शनीय स्थल हैं-.
(i) मद्रास
(ii) बम्बई
(iii) कलकत्ता
(iv) दिल्ली ।
उत्तर-
बम्बई

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प्रश्न 2.
अंग्रेजों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (1695 ई० में) स्थापित की
(i) मद्रास
(ii) बम्बई
(iii) कलकत्ता
(iv) दिल्ली ।
उत्तर-
कलकत्ता

प्रश्न 3.
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना की-
(i) लार्ड कार्नवालिस
(i) लार्ड विलियम बैंटिक
(iii) लार्ड डलहौज़ी
(iv) लार्ड मैकाले।
उत्तर-
लार्ड डलहौज़ी

प्रश्न 4.
भारत में अंग्रेज़ी राज्य के समय पुलिस व्यवस्था आरम्भ की
(i) लार्ड कार्नवालिस
(ii) लार्ड डलहौज़ी
(iii) लार्ड विलियम बैंटिक
(iv) लार्ड मैकाले।
उत्तर-
लार्ड कार्नवालिस

प्रश्न 5.
अंग्रेज़ी सरकार ने (1687-88 ई० में) सबसे पहले नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना की –
(i) बम्बई नगर
(ii) दिल्ली नगर
(iii) कलकत्ता नगर
(iv) मद्रास नगर।
उत्तर-
मद्रास नगर

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. अंग्रेजों ने 1911 में कलकत्ता को अपनी राजधानी बनाया।
2. मध्यकाल में अकबर ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया।
3. भारत में पहली रेलवे लाइन 1853 ई० में बनी।
उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)

V. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
शहरी परिवर्तन से क्या भाव है ?
उत्तर-
जब किसी देश की राजनीतिक दशा में परिवर्तन होता है, तो उस देश के कस्बों तथा शहरों की स्थिति और महत्त्व में बदलाव आ जाता है। इसे शहरी परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्राचीन काल के किन्हीं दो उन्नत शहरों के नाम बताओ जो अब पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं।
उत्तर-
हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो।

प्रश्न 3.
व्यापारिक केन्द्र के रूप में सूरत का महत्त्व क्यों कम हो गया ?
उत्तर-
व्यापारिक केन्द्र के रूप में सूरत का महत्त्व बम्बई के बंदरगाह तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी की राजनीतिक शक्ति का केन्द्र बनने से कम हुआ। अब सूरत के अधिकतर व्यापारी मुम्बई में चले गये।

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प्रश्न 4.
मद्रास नगर कहां स्थित है और इसका वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
मद्रास नगर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है।

प्रश्न 5.
बंबई नगर कहां स्थित है और इसका वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
बंबई नगर महाराष्ट्र राज्य में अरब सागर के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम मुम्बई है।

प्रश्न 6.
कलकत्ता का वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
कलकत्ता का वर्तमान नाम कोलकाता है।

प्रश्न 7.
तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा पश्चिमी बंगाल राज्यों की राजधानियों के नाम बताओ।
उत्तर-
क्रमशः चेन्नई, मुम्बई तथा कोलकाता।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने दिल्ली को अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी कब बनाया था ? इससे पहले उनकी राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने 1911 ई० में दिल्ली को अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी बनाया था। इससे पहले उनकी राजधानी कलकत्ता थी।

प्रश्न 9.
अंग्रेजी सरकार ने सबसे पहले नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना किस नगर में और कब की ?
उत्तर-
मद्रास नगर में, 1687-88 ई० में।

प्रश्न 10.
गंगा नहर में पानी कब छोड़ा गया ?
उत्तर-
8 अप्रैल, 1853 ई० को।।

प्रश्न 11.
अंग्रेजी राज में नगर-योजना के अधीन नगरों को दी गई कोई तीन सुविधाएं लिखो।
उत्तर-

  1. पाइप द्वारा पानी की सप्लाई,
  2. गलियों में रोशनी,
  3. पार्क तथा खेल के मैदान।

प्रश्न 12.
कलकत्ता से रानीगंज तक रेलवे लाइन का निर्माण कब किया गया ?
उत्तर-
1854 ई० में।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों के शासन काल में सार्वजनिक कार्य-निर्माण विभाग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
अंग्रेजों के शासन काल में भारत में सर्वप्रथम लार्ड डल्हौज़ी ने जनता की भलाई का काम करने के लिए सार्वजनिक कार्य-निर्माण विभाग की स्थापना की। इस विभाग ने सड़कें, नहरें तथा पुल आदि बनवाये।

  • इस विभाग ने कलकत्ता से पेशावर तक जी० टी० रोड तैयार करवाया।
  • 8 अप्रैल, 1853 ई० को गंगा नहर तैयार करवा कर उसमें पानी छोड़ा गया।
  • उसने रुड़की में एक इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किया।
  • इस विभाग ने प्रजा के कल्याण के लिए कई अन्य कार्य भी किये।

प्रश्न 2.
अंग्रेजों के शासनकाल में रेलवे लाइनें बिछाने के काम पर एक नोट लिखो। यह भी बताओ कि रेलवे लाइनें क्यों बिछाई गईं ?
उत्तर-
भारत में पहली रेलवे लाइन लार्ड डल्हौज़ी के समय 1853 ई० में बम्बई से थाना शहर तक बनाई गई। 1854 ई० में कलकत्ता से रानीगंज तक रेलवे लाइन का निर्माण किया गया। भारत में अंग्रेज़ शासकों द्वारा रेलवे लाइनों का निर्माण करने के कई कारण थे। इनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :

  • अंग्रेजी सरकार अपने साम्राज्य की रक्षा करने तथा सेना के आने-जाने के लिए रेलवे लाइनें बिछाना आवश्यक समझती थी।
  • इंग्लैंड की मिलों में तैयार की गई वस्तुएं रेल द्वारा भारत के भिन्न-भिन्न भागों में भेजी जा सकती थीं।
  • अंग्रेज़ी कंपनियों तथा अंग्रेज़ पूँजीपतियों को अपना अतिरिक्त धन रेलें बनाने में खर्च करके पर्याप्त लाभ हो सकता था।
  • रेलों हारा देश के भिन्न-भिन्न भागों से इंग्लैंड के कारखानों के लिए कच्चा माल इकट्ठा किया जा सकता था।

निबन्धातक प्रश्न

प्रश्न 1.
उपनिवेशवादी (बस्तीवादी) संस्थाओं तथा नीतियों के बारे में लिखो जिन्होंने नगरों के विकास में सहायता पहुंचाई ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने अपने साम्राज्य को संगठित करने के लिए कई स्थानीय संस्थाएँ स्थापित की जिनसे नगरों के विकास में सहायता मिली। इनमें नगरपालिकाएं, सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग, रेल मार्ग का जाल बिछाना आदि कार्य शामिल थे। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. नगरपालिकाएं-ब्रिटिश (अंग्रेज़ी) ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने सबसे पहले 1687-88 ई० में मद्रास में नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना की। इसके सदस्य मनोनीत किये जाते थे। कुछ समय बाद बम्बई तथा कलकत्ता में भी नगरपालिका कार्पोरेशन स्थापित की गईं। धीरे-धीरे विभिन्न प्रान्तों के नगरों तथा ग्रामों के लिए नगरपालिकाएं एवं जिला बोर्ड स्थापित किये गये। इन संस्थाओं के माध्यम से काफी संख्या में प्राइमरी, मिडल तथा हाई स्कूल खोले गये। नगरपालिकाओं द्वारा नगरों की सफ़ाई तथा रात को प्रकाश का प्रबन्ध किया जाता था। लोगों को पानी की सुविधाएं मिलने लगीं। नगरों में डिस्पेंसरियां खोली गईं, जिनमें बीमारियों की रोकथाम के लिए निःशुल्क दवाएँ देने तथा टीके लगाने की व्यवस्था थी।

2. सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग- अंग्रेज़ी शासन-काल में भारत में सर्वप्रथम लार्ड डल्हौज़ी ने जनता की भलाई के लिए सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना की। इस विभाग ने सड़कें, नहरें तथा पुल आदि बनवाए। इस विभाग ने कलकत्ता से पेशावर तक जी० टी० रोड का निर्माण करवाया। 8 अप्रैल, 1853 ई० को गंगा नहर तैयार करवा कर उसमें पानी छोड़ा गया। रुड़की में एक इंजिनियरिंग कॉलेज स्थापित किया गया। इस विभाग ने प्रजा के कल्याण के लिए कई अन्य कार्य भी किये।

3. योजना-अंग्रेजों के शासन काल में भारत के कई प्रमुख नगरों में नगर सम्बम्धी सुविधाओं में विस्तार हुआ। भारत के अधिकतर नगरों में पाइप द्वारा पानी की सप्लाई तथा सीवरेज़ की व्यवस्था की गई। इसके अतिरिक्त नगरों में आधुनिक बाज़ार, पार्क तथा खेल के मैदान बनवाए गए।

4. रेलवे लाइनें-भारत में पहली रेलवे-लाइन लार्ड डल्हौज़ी के समय 1853 ई० में बम्बई से थाना शहर तक बनाई गई। 1854 ई० में कलकत्ता से रानीगंज तक की रेलवे लाइन का निर्माण किया गया। भारत में अंग्रेज़ शासकों द्वारा रेलवे-लाइनों का निर्माण करने के कई कारण थे। इनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :

  • अंग्रेज़ी सरकार अपने साम्राज्य की रक्षा करने तथा सेना के आने-जाने के लिए रेलवे लाइनें स्थापित करना आवश्यक मानती थी।
  • इंग्लैंड की मिलों में तैयार की गई वस्तुएँ रेलों द्वारा भारत के भिन्न-भिन्न भागों में भेजी जा सकती थीं।
  • अंग्रेज़ी कम्पनियों तथा अंग्रेज़ पूंजीपतियों को अपना अतिरिक्त धन रेलें बनाने में खर्च करके पर्याप्त लाभ हो सकता था।

प्रश्न 2.
नये कस्बों के उत्थान पर नोट लिखो।
उत्तर-
नये कस्बों का उत्थान शहरी परिवर्तनों के परिणामस्वरूप होता है। दूसरे शब्दों में नये कस्बों तथा शहरों का उत्थान तब होता है जब कोई स्थान राजनीतिक शक्ति तथा आर्थिक अथवा धार्मिक गतिविधियों का केंद्र हो। राजनीतिक शक्ति में परिवर्तन होने से प्रायः राजधानियां बदलती हैं। इससे पुरानी राजधानियां अपना महत्त्व खो बैठती हैं जबकि नये राजनीतिक केन्द्रों का महत्त्व बढ़ जाता है। अत: वहां नये कस्बों का विकास होता है। उदाहरण के लिए मुग़लों तथा मराठों के केन्द्र राजनीतिक संरक्षण के अभाव में अपना महत्त्व खो बैठे। इसके विपरीत नई शक्तियों के उदय से नये कस्बे तथा केन्द्र समृद्ध हो गये। अंग्रेजी काल में मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई जैसे नए नगरों का उत्थान भी इसी प्रकार हुआ था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

प्रश्न 3.
अंग्रेजों के राज्य के समय कलकत्ता शहर के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
कलकत्ता पश्चिम बंगाल की राजधानी है। आजकल इसका नाम कोलकाता है। यह भारत में अंग्रेज़ी शासन के समय एक प्रसिद्ध व्यापारिक बस्ती थी। 1695 ई० में अंग्रेजों ने यहां अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (कारखाना) स्थापित की तथा उसके चारों ओर एक किला बनाया। 1757 ई० तक अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपना सारा समय व्यापारिक गतिविधियों में लगाया। जब बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया तो भारत में उनकी भिन्न-भिन्न बस्तियां-मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता आदि विकसित नगर बन गये। भारत के अधिकांश व्यापारी इन नगरों में रहने लगे, क्योंकि यहां उन्हें अत्यधिक व्यापार सम्बन्धी सुविधाएं प्राप्त हो सकती थीं। 1757 ई० में प्लासी तथा 1764 ई० में बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाबों की हार तथा अंग्रेजों की विजय के कारण कलकत्ता नगर की महत्ता और अधिक बढ़ गई।

आजकल यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इनमें हावड़ा पुल, विक्टोरिया मेमोरियल (स्मारक), बोटैनिकल गार्डन, भारतीय अजायब घर, अलीपुर चिड़िया घर, वैलूर मठ, राष्ट्रीय पुस्तकालय आदि शामिल हैं जो कि कलकत्ता के महत्त्व को बढ़ाते हैं।

प्रश्न 4.
दिल्ली शहर के विस्तार का वर्णन करो।
उत्तर-
दिल्ली भारत का एक प्रसिद्ध नगर है। यह भारत की राजधानी है। यह यमुना नदी के तट पर स्थित है। महाभारत काल में दिल्ली को इन्द्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। तत्पश्चात मुग़ल बादशाह शाहजहां ने इसे शाहजहानाबाद का नाम दिया। 1911 ई० में अंग्रेजों ने इसे अपनी राजधानी बनाया और इसे नई दिल्ली का नाम दिया।

दिल्ली का महत्त्व-दिल्ली आरम्भ से ही भारत की राजनीतिक, व्यापारिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र रही है। मध्यकाल में यह नगर बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया था, क्योंकि इल्तुतमिश ने इसे अपनी राजधानी बना लिया था। इसके पश्चात् दिल्ली सभी सुल्तानों की राजधानी बना रहा।

मुग़ल बादशाह अकबर महान् के काल में कुछ समय के लिए आगरा तथा फतेहपुर सीकरी मुग़लों की राजधानी रहे। अन्य सभी मुग़ल शासकों ने दिल्ली को ही अपनी राजधानी बनाये रखा। इस कारण दिल्ली नगर की महत्ता बहुत अधिक बढ़ गई थी।

प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल-दिल्ली के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल पुराना किला, चिड़िया घर, अप्पू घर, इंडिया गेट, किला राए पिथौर, फ़तेहपुरी मस्जिद, निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह, जन्तर-मन्तर. बहलोल लोधी तथा सिकंदर लोधी के मकबरे, कुतुबुद्दीन बख्तयार काकी की दरगाह, पार्लियामेंट हाऊस, राष्ट्रपति भवन, अजायब घर, राजघाट, तीन मूर्ति भवन, शक्ति स्थल, शान्ति वन, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, बिरला मन्दिर, गुरुद्वारा सीस गंज, गुरुद्वारा बंगला साहिब आदि हैं।

प्रश्न 5. शहरों के परिवर्तन द्वारा कौन-से नये शहरों की उत्पत्ति हुई ? वर्णन करें।
उत्तर-अंग्रेज़ी काल में शहरी परिवर्तन से मुख्य रूप से तीन नये शहरों की उत्पत्ति हुई। ये नगर थे-मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता। इन शहरों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. मद्रास-मद्रास नगर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है और यह तमिलनाडु राज्य की राजधानी है। मद्रास भारत में विकसित होने वाले अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के तीन प्रमुख केन्द्रों-कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में से एक था। यहां पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी की प्रेज़िडेंसी का एक केन्द्र भी था। कम्पनी के इस केन्द्र की स्थापना 1639 ई० में फ्रांसिस डे ने की थी। फ्रांसीसी सेनापति ला-बरोदानिस ने पहले कर्नाटक युद्ध (1746-1748) में मद्रास अंग्रेज़ों से छीन लिया था। परन्तु युद्ध के समाप्त होने पर 1748 ई० में मद्रास अंग्रेज़ों को लौटा दिया गया था। कर्नाटक के तीन युद्धों में अंग्रेजों की अंतिम विजय के कारण मद्रास एक महत्त्वपूर्ण एवं खुशहाल (सम्पन्न) नगर बन गया।

शीघ्र ही मद्रास एक बन्दरगाह नगर तथा प्रसिद्ध औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित हो गया। यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। यहां के गिरजाघर, भवन, स्मारक, आकर्षक मन्दिर तथा समुद्री तट इस नगर की शान में चार चांद लगा रहे हैं।

2. बम्बई-बम्बई नगर महाराष्ट्र में अरब सागर के पूर्वी तट पर स्थित है। आजकल इसका नाम मुम्बई है। यह एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र होने के साथ-साथ औद्योगिक एवं संस्कृति का केन्द्र भी है। 1661 ई० में पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन के इंग्लैंड के शासक चार्ल्स द्वितीय के साथ विवाह में यह नगर पुर्तगालियों ने दहेज़ के रूप में इंग्लैंड को दिया था। उसने यह नगर ईस्ट इण्डिया कम्पनी को किराये पर दे दिया। धीरे-धीरे बम्बई अंग्रेज़ों की प्रेज़िडेंसी बन गया। इस नगर के प्रसिद्ध स्थान जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, मालाबार हिल, जहांगीरी आर्ट-गैलरी, अजायबघर (संग्रहालय), बम्बई यूनिवर्सिटी, महालक्ष्मी मन्दिर, विक्टोरिया बाग, क्रमला नेहरू पार्क आदि हैं।

3. कलकत्ता-कलकत्ता पश्चिम बंगाल की राजधानी है। आजकल इसका नाम कोलकाता है। यह भारत में अंग्रेज़ी शासन के समय एक प्रसिद्ध व्यापारिक बस्ती थी। 1695 ई० में अंग्रेज़ों ने यहां अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (कारखाना) स्थापित की तथा उसके चारों ओर एक किला बनाया। 1757 ई० तक अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपना सारा समय व्यापारिक गतिविधियों में लगाया। जब बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया तो भारत में उनकी भिन्न-भिन्न बस्तियां-मद्रास, बंबई तथा कलकत्ता आदि विकसित नगर बन गईं। भारत के अधिकतर व्यापारी इन राज्यों में रहने लगे क्योंकि यहां उन्हें अत्यधिक व्यापार-सम्बन्धी सुविधाएं प्राप्त हो सकती थीं। 1757 ई० में प्लासी तथा 1764 ई० में बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाबों की हार तथा अंग्रेजों की विजय के कारण कलकत्ता नगर की महत्ता और अधिक बढ़ गई। . .
आजकल यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इनमें हावड़ा पुल, विक्टोरिया मेमोरियल (स्मारक), बोटेनिकल गार्डन, भारतीय अजायब घर, अलीपुर चिड़ियाघर, वैलूर मठ, राष्ट्रीय पुस्तकालय आदि शामिल हैं जो कलकत्ता के महत्त्व को बढ़ाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

PSEB 8th Class Home Science Guide गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कपड़ों को धोने से पहले उनकी मुरम्मत करना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
वरन् उसके और अधिक फटने या उधड़ने का भय रहता है।

प्रश्न 2.
धुलाई के उपरांत ऊन कई बार जुड़ जाती है क्यों ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्र को धोते समय जब उसे पानी या साबुन के घोल में हिलाया-डुलाया जाता है तो ऊन के तन्तुओं को रेशे आपस में एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं जिसके फलस्वरूप ऊन जुड़ जाती है।

प्रश्न 3.
धुलाई के लिए गर्म पानी का प्रयोग किन कपड़ों के लिए किया जाता
उत्तर-
सूती कपड़ों के लिए।

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प्रश्न 4.
सम्भालने से पहले कपड़ों की माया/मांड उतारनी क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
कई कीड़े कपड़ों से माया खाने के लिए कपड़ों में छेद कर देते हैं।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़ों को सम्भालकर रखना क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
कपड़ों को सम्भालकर रखना बहुत ज़रूरी है ताकि उनको टिड्डियों आदि से बचाया जा सके। गर्मियों के मौसम में गर्म कपड़ों को अच्छी तरह सम्भाल कर रखना चाहिए ताकि गर्म कपड़ों वाला कीड़ा न खाए।

प्रश्न 2.
आप रेशमी कपड़ों को कैसे सम्भालोगे ?
उत्तर-
रेशमी कपड़ों को सम्भालना

  1. रोज़ पहनने वाले कपड़ों को हैंगर में लटकाकर अलमारी में रखना चाहिए।
  2. सूरज की तेज़ रोशनी से रंग फीके पड़ जाते हैं, इसलिए इन्हें तेज़ रोशनी में नहीं रखना चाहिए।
  3. कपड़ों को मैली स्थिति में कई दिनों तक नहीं रखना चाहिए। हमेशा कपड़ों को साफ़ करके सम्भालना चाहिए।
  4. गर्मियों में जब रेशमी कपड़े न पहनने हों तो उन्हें किसी पुरानी चादर, सूती धोती, तौलियों या गुड्डी कागज़ में लपेट कर रखना चाहिए।
  5.  सम्भालकर रखे जाने वाले कपड़ों में माया (माँड़) लगाकर नहीं रखना चाहिए।

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प्रश्न 3.
ऊनी कपड़ों को लटकाना क्यों नहीं चाहिए ?
अथवा
ऊनी कपड़ों को लटका कर क्यों नहीं सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
ऊन बहुत पानी चूसती है और भारी हो जाती है, इसलिए अगर कपड़े को लटकाकर सुखाया जाए तो वह नीचे लटक जाता है और आकार खराब हो जाता है।

प्रश्न 4.
ऊनी कपड़ों को ज्यादा समय के लिए भिगोना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
ऊन का तन्तु बहुत नर्म और मुलायम होता है। इसके ऊपर छोटी-छोटी तहें होती हैं जो कि पानी, गर्मी और क्षार से नर्म हो जाती हैं और एक दूसरे से उलझ जाती हैं इसलिए ज्यादा देर तक नहीं भिगोना चाहिए।

प्रश्न 5.
गर्म कपड़ों को धोते समय गर्म और ठण्डे पानी में क्यों नहीं डालना चाहिए ?
उत्तर-
क्योंकि इसके तन्तु आपस में जुड़ जाते हैं।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गर्म कपड़े धोने के समय कौन-कौन सी सावधानियां अपेक्षित हैं ?
उत्तर-
गर्म कपड़े धोने के समय निम्न सावधानियां अपेक्षित हैं-

  1. ऊनी वस्त्रों को धोते समय रगड़ना तथा कूटना नहीं चाहिए। .
  2. ऊनी वस्त्रों को धोने से पूर्व अधिक देर तक भिगोकर नहीं रखना चाहिए।
  3. ऊनी कपड़ों को कभी उबालना नहीं चाहिए।
  4. ऊनी वस्त्र धोने के लिए पानी बिल्कुल गुनगुना होना चाहिए। पानी का ताप सदैव एक-सा होना चाहिए।
  5. ऊनी वस्त्र धोने के लिए मृदु जल का ही प्रयोग करना चाहिए। अधिक क्षारयुक्त पानी से ऊन सख्त हो जाती है व सूखने पर पीली पड़ जाती है।
  6. ऊनी वस्त्र धोने के लिए साबुन क्षारत होना चाहिए। तीव्र क्षार का ऊन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है।
  7. रंगीन ऊन के कपड़ों के लिए रीठों के घोल या डिटरजेन्ट्स का प्रयोग करना चाहिए।
  8. सफेद ऊनी कपड़ों को धोने के लिए घरेलू ब्लीचिंग घोलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि किसी ब्लीचिंग की आवश्यकता अनुभा की जाए तो हल्के हाइड्रोजन पर ऑक्साइड का प्रयोग करना चाहिए।
  9. वस्त्र को तब तक पानी में खंगालना चाहिए जब तक कि उसका साबुन या झाग पूर्ण रूप से निकल न जाए।
  10. वस्त्र को पानी में आखिरी बार खंगालने से पहले पानी में थोड़ा सा नील डाल देना चाहिए।
  11. ऊनी कपड़े को निचोड़ने के लिए उसे मोटे रोंएदार तौलिये में रखकर दोनों हाथों से चारों तरफ़ से दबाना चाहिए।
  12. काफी मात्रा में अपने अन्दर पानी सोख लेने के कारण गीले ऊनी कपड़े भारी हो जाते हैं। उन्हें धोने के बाद तार पर टाँग कर नहीं सुखाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कपड़ा लम्बा तथा बेडौल हो जाता है।
  13. ऊनी कपड़े को उल्टा करके सेज या चारपाई पर छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए।
  14. सुखाने पर कपड़े को उल्टा करके गीला कपड़ा रखकर इस्तरी करनी चाहिए।
  15. ऊनी कपड़ों को अधिक मैला होने से पहले ही धो लेना चाहिए।

प्रश्न 2.
गर्म कपड़े धोने से पहले क्या तैयारी करोगे ?
उत्तर-
1. गर्म कपड़ा कहीं फटा या उधड़ा हुआ हो तो ठीक कर लेना चाहिए ताकि धोने के समय छेद बड़ा न हो जाए।
2. गर्म कपड़े की बुनाई बड़ी खुली होती है जिससे उसमें मिट्टी फँस जाती है। इसलिए धोने से पहले कपड़ों को अच्छी तरह झाड़ना चाहिए।
3. धुलाई क्रिया को सफल बनाने के लिए गर्म वस्त्रों पर शोधक पदार्थों की क्या प्रतिक्रिया होती है, इसके विषय में जानकारी होनी चाहिए।
4. गर्म वस्त्र में प्रयोग किए रेशों के अनुरूप, अनुकूल शोधक पदार्थों को ही चुनना और प्रयोग करना चाहिए।
5. गर्म वस्त्रों पर दाग-धब्बे छुड़ाने वाले विभिन्न रसायनों तथा प्रतिकर्मकों आदि की क्या प्रतिक्रिया होती है, इसकी जानकारी रखनी चाहिए।
6. गर्म वस्त्रों की सफलतापूर्वक धुलाई के लिए उन्हें किस विधि से धोया जाए इसकी जानकारी आवश्यक है। वस्त्र की रचना के अनुसार ही विधि का प्रयोग करना चाहिए।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल 1
चित्र 7.1 गर्म कपड़ा धोने की तैयारी
7. सभी प्रकाकर के वस्त्रों को एक साथ मिलाकर नहीं धोना चाहिए। वस्त्रों को किस्म, रचना, रंग आदि के अनुसार छाँटकर अलग-अलग धोना चाहिए।
8. कम गन्दे वस्त्रों को अधिक गन्दे वस्त्रों के साथ नहीं धोना चाहिए।
9. वस्त्रों को धोने से पूर्व उनका निरीक्षण कर लेना चाहिए। यदि कहीं से सिलाई खुल गई हो या छेद आदि हो गया हो तो पहले उनकी मुरम्मत करनी चाहिए।
10. वस्त्र पर यदि कोई दाग या धब्बा लग गया है तो पहले उसे दूर करना चाहिए।
11. धोने से पूर्व वस्त्रों की जेबें देख लेनी चाहिएँ और यदि उनमें कुछ भी है तो उसे निकाल देना चाहिए।
12. धुलाई से पूर्व धुलाई में आवश्यक सहायक उपकरणों का पूर्व प्रबन्ध कर लेना चाहिए। इसमें समय की बचत होती है।
13. धुलाई में प्रयोग आने वाली रासायनिक प्रतिकर्मकों को बच्चों से दूर रखना चाहिए। __ (14) धुले वस्त्रों को सुखाने की उचित विधि का प्रयोग तथा उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
14. धुलाई के लिए मृदु जल का प्रयोग करना चाहिए। (16) धोकर सुखाए वस्त्रों को तुरन्त प्रेस (इस्तरी) कर देना चाहिए।

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प्रश्न 3.
एक गर्म स्वेटर को कैसे धोओगे और प्रैस करोगे?
अथवा
आप घर में ऊनी वस्त्र कैसे धोएँगे तथा प्रैस करेंगे ?
उत्तर-
गर्म स्वेटर पर प्रायः बटन लगे रहते हैं। यदि कुछ ऐसे फैन्सी बटन हों जिनको धोने से खराब होने की सम्भावना हो तो उतार लेते हैं। यदि स्वेटर कहीं से फटा हो तो सी लेते हैं। अब स्वेटर का खाका तैयार करते हैं। इसके उपरान्त गुनगुने पानी में आवश्यकतानुसार लक्स का चूरा अथवा रीठे का घोल मिलाकर हल्की दबाव विधि से धो लेते हैं। तत्पश्चात् गुनगुने साफ़ पानी में तब तक धोते हैं जब तक सारा साबुन न निकल जाए। ऊनी वस्त्रों के लिए पानी का तापमान एक-सा रखते हैं तथा ऊनी वस्त्रों को पानी में बहुत देर तक नहीं भिमोमा चाहिए वरना इनके सिकुड़ने का भय रहता है। इसके बाद एक रोएंदार (टर्किश) तौलिए में रखकर उसको हल्के हाथों से दबाकर पानी निकाल लेते हैं। फिर खाके पर रखकर किसी समतल स्थान पर छाया में सुखा लेते हैं।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल 2
चित्र 7.2 गर्म वस्त्र का खाका बनाना
प्रैस करना-सूखने के बाद वस्त्र को उल्टा करके उसके ऊपर गीला कपड़ा रखकर इस्तरी करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
सूती और ऊनी कपड़ों को सम्भालते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
सूती कपड़ों की सम्भाल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें निम्नलिखित हैं-

  1. कपड़ों को हमेशा धोकर और अच्छी तरह सुखाकर रखना चाहिए।
  2. कपड़ों पर माया (कलफ) लगाकर अधिक दिन के लिए नहीं रखना चाहिए।
  3. प्रेस करने के बाद कपड़े की नमी को पूरी तरह समाप्त करके ही कपड़ों को सम्भालना चाहिए।
  4. नमीयुक्त कपड़ों में फफूंदी लग जाती है जिससे कपड़े कमजोर हो जाते हैं तथा उन पर दाग लग जाते हैं। अत: बरसात में कपड़ों को अलमारी या सन्दूक में अच्छी तरह बन्द करके रखना चाहिए। धूप निकलने पर उन्हें धूप लगवाते रहना चाहिए।
  5. कपड़ों को नमी वाले स्थान में भूलकर भी नहीं रखना चाहिए।

ऊनी कपड़ों की संभाल-

  1. ऊनी कपड़ों की सम्भाल करने से पूर्व उन्हें ब्रुश से अच्छी तरह झाड़ लेना चाहिए।
  2. जो कपड़े गन्दे हों उन्हें धोकर या सूखी धुलाई (ड्राइक्लीनिंग) कराकर रखना चाहिए।
  3. ऊनी कपड़ों को बक्से, अलमारी आदि में धूप व हवा लगवाते रहना चाहिए।
  4. कपड़ों को नमी की हालत में या नमी के स्थान पर नहीं रखना चाहिए।
  5. जब बक्से में कपड़े बन्द किए जाएँ तो उनमें नैफ्थलीन की गोलियाँ, कपूर या नीम के सूखे पत्ते रखकर अच्छी प्रकार बन्द करना चाहिए।
  6. प्रत्येक कपड़े को अखबार के कागज़ में लपेटकर रखा जा सकता है, छपाई की स्याही के कारण कपड़ों को कीड़ा नहीं लगता।

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Home Science Guide for Class 8 PSEB गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊन के तंतु के गुण हैं
(क) कोमल
(ग) प्राणीजन
(ख) मुलायम
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
ऊन के रेशों के दुश्मन हैं
(क) नमी
(ग) क्षार
(ख) ताप
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
रेशमी कपड़ों को किस कागज़ में लपेट कर रखा जाता है ?
(क) गुड्डी कागज़
(ख) पुस्तकों के कागज़
(ग) दोनों ठीक
(घ) दोनों ग़लत।
उत्तर-
(क) गुड्डी कागज़

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प्रश्न 4.
ठीक तथ्य है
(क) रेशम के कपड़े कमज़ोर तथा मुलायम होते हैं।
(ख) रेयॉन के कपड़े को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
(ग) सूती कपड़ों के लिए गर्म पानी का प्रयोग किया जा सकता है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

II. ठीक/गलत बताएं

  1. ऊनी कपड़ों को लटका कर नहीं सुखाना चाहिए।
  2. रेशम के संभाल कर रखे जाने वाले कपड़ों को माया लगा कर नहीं रखना चाहिए।
  3. रेयॉन के कपड़ों के लिए ड्राइक्लीन धुलाई अच्छी रहती है।
  4. ऊनी कपड़ों को अच्छी प्रकार प्रेस करना चाहिए।
  5. रेशमी कपड़ों को धूप में सुखाना चाहिए।
  6. ऊनी वस्त्र अधिक गर्म पानी, क्षार, रगड़ने तथा मरोड़ने से खराब हो जाते हैं।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. ऊनी कपड़े को ……………… में नहीं सुखाना चाहिए।
  2. ऊनी कपड़ों को बन्द करके रखते समय ……………….. की गोलियां डाल दें।
  3. ऊनी कपड़ा भिगोने से ………………. हो जाता है।
  4. नमीयुक्त कपड़ों को संभालने से ……………….. लग जाती है।

उत्तर-

  1. धूप,
  2. नैथलीन,
  3. कमज़ोर,
  4. फफूंदी।

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IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
ऊनी वस्त्र को धोने के लिए कैसा जल चाहिए ?
उत्तर-
मृदु जल।

प्रश्न 2.
ऊनी वस्त्र को संभालने के लिए नीम के पत्ते तथा अन्य कौन-से पत्ते भी रखे जाते हैं ?
उत्तर-
युक्लिप्टस।

प्रश्न 3. रेशमी कपड़ों को कैसे कागज़ में लपेट कर रखा जाता है ?
उत्तर-
गुड्डी कागज़।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूती कपड़े धोने के लिए कुछ देर तक साबुन के पानी में भिगो कर रखने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
वस्त्रों पर लगा हुआ घुलनशील मैल पानी में घुल जाता है तथा अन्य गन्दगी, धब्बे आदि छूट जाते हैं।

प्रश्न 2.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई कठिन क्यों होती है ?
उत्तर-
क्योंकि रेयॉन के वस्त्र पानी के सम्पर्क से निर्बल पड़ जाते हैं।

प्रश्न 3.
रेयॉन के वस्त्रों के लिए किस प्रकार की धुलाई अच्छी रहती है ?
उत्तर-
शुष्क धुलाई (ड्राइक्लीनिंग)

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प्रश्न 4.
रेयॉन के वस्त्रों पर अम्ल तथा क्षार का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
शक्तिशाली अम्ल तथा क्षार दोनों से ही रेयॉन के वस्त्रों को हानि होती है।

प्रश्न 5.
रेयॉन के वस्त्रों को धोते समय क्या बातें वर्जित हैं ?
उत्तर-
वस्त्रों को पानी में फुलाना, ताप, शक्तिशाली रसायनों तथा एल्कोहल का प्रयोग करना वर्जित है।

प्रश्न 6.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई के लिए कौन-सी विधि उपयुक्त होती है ?
उत्तर-
गूंधने और नपीड़न की विधि।

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प्रश्न 7.
रेयॉन के वस्त्रों पर इस्तरी किस प्रकार करनी चाहिए ?
उत्तर-
कम गर्म इस्तरी वस्त्र के उल्टी तरफ से करनी चाहिए। इस्तरी करते समय वस्त्र में हल्की सी नमी होनी चाहिए।

प्रश्न 8.
ऊन का तन्तु कैसा होता है ?
उत्तर-
काफ़ी कोमल, मुलायम और प्राणिजन्य।

प्रश्न 9.
ऊन का तन्तु आपस में किन कारणों से जुड़ जाता है ?
उत्तर-
नमी, क्षार, दबाव तथा गर्मी के कारण।

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प्रश्न 10.
ऊन के तन्तुओं की सतह कैसी होती है ?
उत्तर-
खुरदरी।

प्रश्न 11.
ऊन के रेशों की सतह खुरदरी क्यों होती है ?
उत्तर-
क्योंकि ऊन की सतह पर परस्पर व्यापी शल्क होते हैं।

प्रश्न 12.
ऊन के रेशों की सतह के शल्कों की प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर-
लसलसी, जिससे शल्क जब पानी के सम्पर्क में आते हैं तो फूलकर नरम हो जाते हैं।

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प्रश्न 13.
ऊन के रेशों के शत्रु क्या हैं ?
उत्तर-
नमी, ताप और क्षार।

प्रश्न 14.
ताप के अनिश्चित परिवर्तन से रेशों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
रेशों में जमाव व सिकुड़न हो जाती है।

प्रश्न 15.
ऊन के वस्त्रों को किस प्रकार के साबुन से धोना चाहिए ?
उत्तर-
कोमल प्रकृति के शुद्ध क्षार रहित साबुन से।

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प्रश्न 16.
अधिक क्षार मिले पानी का ऊन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
ऊन सख्त हो जाती है तथा सूखने पर पीली पड़ जाती है।

प्रश्न 17.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए किस प्रकार के जल का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
मृदु जल का।

प्रश्न 18.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई में कौन-से घोल अधिक प्रचलित है ?
उत्तर-
पोटेशियम परमैंगनेट, सोडियम पर ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन परऑक्साइड के हल्के घोल।

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प्रश्न 19.
ऊनी कपड़ों को फलाने की आवश्यकता क्यों नहीं होती ?
उत्तर-
क्योंकि पानी में डुबोने से रेशे निर्बल हो जाते हैं।

प्रश्न 20.
ऊनी वस्त्रों को धोते समय रगड़ना-कटना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
रगड़ने से रेशे नाश हो जाते हैं तथा आपस में फँसते हुए जम जाते हैं।

प्रश्न 21.
वस्त्रों को पानी में आखिरी बार खंगालने से पहले पानी में थोड़ी-सी नील क्यों डाल देनी चाहिए ?
उत्तर-
जिससे कि ऊनी वस्त्रों में सफेदी व चमक बनी रहे।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 22.
ऊनी कपड़ों को धूप में क्यों नहीं सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
क्योंकि तेज़ धूप के प्रकाश के ताप से ऊन की रचना बिगड़ जाती है।

प्रश्न 23.
ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए तापमान की दृष्टि से किस प्रकार के पानी का प्रयोग किया जाना चाहिए ?
उत्तर-
ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करना चाहिए। धोते समय पानी का तापमान कपड़े को भिगोने से लेकर आखिरी बार खंगालने तक एक-सा होना चाहिए।

प्रश्न 24.
धोने के बाद ऊनी कपड़ों को किस प्रकार सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
धोने से पूर्व बनाए गए खाके पर कपड़ों को रखकर उसका आकार ठीक करके तथा छाया में उल्टा करके, समतल स्थान पर सुखाना चाहिए जहाँ चारों ओर से कपड़े पर हवा लग सके।

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प्रश्न 25.
ऊनी कपड़ों पर कीड़ों का असर न हो इसलिए कपड़ों के साथ बक्से या अलमारी में क्या रखा जा सकता है ?
उत्तर-
नैष्थलीन की गोलियां,पैराडाइक्लोरो बेंजीन का चूरा, तम्बाकू की पत्ती, कपूर, पिसी हुई लौंग, चन्दन का बुरादा, फिटकरी का चूरा या नीम की पत्तियाँ आदि।

प्रश्न 26.
रेयॉन के वस्त्रों को रगड़ना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
रेयॉन के वस्त्र कमज़ोर और मुलायम होते हैं। इसलिए गीली अथवा सूखी अवस्था में रगड़ना या मरोड़ना नहीं चाहिए।

प्रश्न 27.
ऊनी वस्त्रों को अधिक देर तक नल में भिगोने से क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
ऊन के तन्तु कमजोर हो जाते हैं।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. रेयॉन के वस्त्रों को भिगोना, उबालना या ब्लीच नहीं करना चाहिए।
  2. साबुन मृदु प्रकृति का प्रयोग करना चाहिए।
  3. गुनगुना पानी ही प्रयोग में लाना चाहिए, अधिक गर्म नहीं।
  4. साबुन का अधिक से अधिक झाग बनाना चाहिए जिससे साबुन पूरी तरह घुल जाए।
  5. गीली अवस्था में रेयॉन के कपड़े अपनी शक्ति 50% तक खो देते हैं। अतः वस्त्रों में से साबुन की झाग निकालने के लिए उन्होंने सावधानीपूर्वक निचोड़ना चाहिए।
  6. साबुन की झाग निचोड़ने के बाद वस्त्र को दो बार गुनगुने पानी में से खंगालना चाहिए
  7. वस्त्रों में से पानी को भी कोमलता से निचोड़कर निकालना चाहिए। वस्त्रों को मरोड़कर नहीं निचोड़ना चाहिए।
  8. वस्त्र को किसी भारी तौलिए में रखकर, लपेट कर हल्के-हल्के दबाकर नमी को सुखाना चाहिए।
  9. वस्त्र को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
  10. वस्त्र को लटका कर नहीं सुखाना चाहिए।
  11. वस्त्र को हल्की नमी की अवस्था में वस्त्र की उल्टी तरफ़ इस्तरी करना चाहिए।
  12. वस्त्रों को अलमारी में रखने अर्थात् तह करके रखने से पूर्व यह देख लेना चाहिए कि उनमें से नमी पूरी तरह से दूर हो चुकी है या नहीं।

प्रश्न 2.
ऊनी कपड़ों की धुलाई में प्रारम्भ से अन्त तक की विभिन्न क्रियाओं की सूची बनाइए।
उत्तर-

  1. वस्त्रों का छांटना।
  2. वस्त्रों को झाड़ना या धूल-रहित करना।
  3. वस्त्रों में यदि कोई सुराख आदि हों तो उसकी मरम्मत करना।
  4. वस्त्र का खाका तैयार करना।
  5. दाग-धब्बे छुड़ाना।
  6. साबुन तथा पानी की तैयारी।
  7. धुलाई करना।
  8. वस्त्रों को सुखाना।
  9. वस्त्रों पर इस्तरी करना।

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प्रश्न 3.
ऊनी कपड़ों में रंग व चमक बनाए रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
ऊनी कपड़ों में रंग व चमक बनाए रखने के लिए अग्रलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. ऊनी वस्त्रों को अधिक गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए।
  2. ऊनी वस्त्रों को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
  3. अधिक क्षारीय घोलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. यदि रंग कच्चा हो और धुलाई में निकलता दिखाई दे तो धुलाई के अन्तिम जल में थोड़ी-सी नींबू की खटाई या सिरका मिला देना चाहिए।
  5. कच्चे रंग के कपड़ों को रीठे के घोल से घोलना चाहिए।

प्रश्न 4.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए किस प्रकार का साबुन प्रयोग करना चाहिए और क्यों ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए मृदु साबुन का प्रयोग करना चाहिए जिसमें सोडा बहुत कम हो या बिल्कुल न हो। साबुन द्रव रूप में अथवा चिप्स के रूप में हो जो पानी में एक जैसा घोल बना ले। क्षारयुक्त साबुन से ऊन के तन्तु कड़े हो जाते हैं तथा सफेद ऊन में पीलापन आ जाता है। रंगीन वस्त्रों के लिए रीठे के घोल का प्रयोग किया जाना चाहिए क्योंकि इसके प्रयोग से कपड़े का रंग नहीं उतरता।

प्रश्न 5.
ऊन क्यों जुड़ जाती है ?
उत्तर-
ऊन का तन्तु बहुत नर्म और मुलायम होता है। इसके ऊपर छोटी-छोटी तहें होती हैं जो कि पानी, गर्मी और क्षार से नर्म हो जाती हैं और एक-दूसरे से उलझ जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि कपड़ा जुड़ जाता है। इसलिए ऊन की धुलाई में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 6.
ऊनी कपड़ों को सिकुड़ने व जुड़ने से बचाने के लिए आवश्यक चार बातें लिखो।
उत्तर-

  1. कपड़ों को रगड़ना नहीं चाहिए।
  2. पानी बहुत गर्म नहीं होना चाहिए।
  3. कपड़ों की धुलाई से क्षारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. कपड़ों को गीली अवस्था में लटकाकर नहीं सुखाना चाहिए।

प्रश्न 7.
अधिक मैले ऊनी वस्त्रों को कैसे साफ़ करोगी ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्र को रीठे का घोल या इजी वाले पानी में थोड़ी देर के लिए भिगोएँ। उसे हाथों से धीरे-धीरे रगड़ें। अधिक मैले भाग को हाथ की हथेली पर रखकर थोड़ा और साबुन
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल 3
चित्र 7.3 धीरे-धीरे मलने की विधि
लगाकर दूसरे हाथ से धीरे-धीरे रगड़ें यदि मैल साफ़ न हो तो उस भाग पर ब्रश का प्रयोग करें। जब वस्त्र साफ़ हो जाएँ तो फिर उसे समतल, छायादार स्थान पर सुखाएँ।

प्रश्न 8.
आप ऊनी वस्त्रों की देखभाल कैसे करोगे ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूती वस्त्रों की धुलाई किस प्रकार की जा सकती है ?
उत्तर-
1. वस्त्र धोने से पूर्व यह ध्यानपूर्वक देख लेना चाहिए कि कहीं वस्त्र फटा तो नहीं है। यदि फटा है तो उसकी सिलाई कर देनी चाहिए।
2. यदि वस्त्रों में किसी प्रकार का धब्बा लगा हो तो धोने से पहले छुड़ा लेना चाहिए। इसके पश्चात् समस्त वस्त्रों को उनके आकार व प्रकार के अनुसार उनके समूहों में विभाजित कर लेना चाहिए।
3. रंगीन और सफेद सूती वस्त्रों को अलग-अलग कर लेना चाहिए।
4. कपड़ों को पहले पानी में भिगो देना चाहिए। ऐसा करने से कपड़े का घुलनशील मैल पानी में घुल जाता है। वस्त्रों के अन्य गन्दगी-धब्बे आदि गल जाते हैं।

5. धोने के लिए गर्म पानी का प्रयोग अच्छा रहता है। कपड़े धोने का साबुन, रगड़ने का तख्ता या ब्रुश तथा कलफ आदि सभी चीजें तैयार रखनी चाहिएँ।

6. वस्त्र के प्रकार के अनुसार धुलाई करनी चाहिए। मज़बूत वस्त्र जैसे चादर, पतलून, सलवार आदि गर्म पानी में भिगोकर साबुन की टिक्की मिलानी चाहिए। रसोईघर के झाड़न

7. आदि गर्म पानी में साबुन डालकर भिगो देने चाहिएं, फिर हाथ से रगड़कर मलना चाहिए। कालर, कफ व कोर के नीचे के मैल को मुलायम ब्रुश से रगड़कर धोना चाहिए।

8.  रंगीन कपड़ों को हमेशा ठण्डे पानी में भिगोना व धोना चाहिए। यदि कपड़े बहुत अधिक गन्दे हों तो उन्हें गुनगुने पानी में भिगोना चाहिए।

9. कोमल वस्त्रों को अधिक नहीं रगड़ना चाहिए, उन्हें थोड़ा-सा रगड़कर और निचोड़कर धोना चाहिए।

10. कपड़ों में से साबुन निकालने के लिए उसे स्वच्छ पानी में से बार-बार निकालना चाहिए। जब कपड़ों में से साबुन का पूरा झाग निकल जाए और कपड़ा साफ़ हो जाए तो निचोड़ लेना चाहिए।

11. सफेद कपड़ों पर कलफ लगाते समय कलफ के घोल में थोड़ी सी नील डाल देनी चाहिए ताकि कपड़ों में चमक आ जाए, फिर भली-भाँति निचोड़कर कपड़े सुखाने चाहिएं।

12 पानी निचोड़कर वस्त्रों को धूप में सुखाना चाहिए। यदि कोई रंगीन वस्त्र है तो उसे छाया में सुखाना चाहिए।
13. कपड़ों को हमेशा उल्टा करके सुखाना चाहिए।
14. सूखे वस्त्र को नम करके इस्तरी कर लेनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
दाग-धब्बे छुड़ाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
दाग-धब्बे किस प्रकार छुड़ाये जाते हैं, यह जानते हुए भी दाग-धब्बे छुड़ाते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जान लेनी चाहिए जो निम्नलिखित हैं

  1. दाग-धब्बा तुरन्त छुड़ाया जाना चाहिए। इसके लिए धोबी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए क्योंकि तब तक ये दाग-धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।
  2. दाग-धब्बे छुड़ाने में रासायनिक पदार्थों का कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
  3. घोल को वस्त्र पर उतनी देर तक ही रखना चाहिए जितनी देर तक धब्बा फीका न पड़ जाए, अधिक देर तक रखने से वस्त्र कमज़ोर पड़ जाते हैं।
  4. चिकनाई को दूर करने से पूर्व उस स्थान के नीचे किसी सोखने वाले पदार्थ की मोटी तह रखनी चाहिए। धब्बे को दूर करते समय रगड़ने के लिए साफ़ और नरम पुराने रुमाल का प्रयोग किया जा सकता है।
  5. धब्बे उतारने का काम खुली हवा में करना चाहिए ताकि धब्बा उतारने के लिए प्रयोग किये जाने वाले रसायनों की वाष्प के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।
  6. दाग किस प्रकार का है, जब तक इसका ज्ञान न हो तब तक गर्म जल का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि गर्म जल में कई तरह के धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।
  7. रंगीन वस्त्रों पर ये धब्बे छुड़ाते समय कपड़े के कोने को जल में डुबोकर देखना चाहिए कि रंग कच्चा है अथवा पक्का।
  8. धब्बा छुड़ाने की विधियों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए क्योंकि विभिन्न वस्तुओं का प्रयोग अलग-अलग धब्बों को छुड़ाने हेतु किया जाता है।
  9. ऊनी वस्त्रों पर से धब्बे छुड़ाते समय न तो गर्म जल का प्रयोग करना चाहिए और न ही क्लोरीन-युक्त रासायनिक पदार्थ का।
  10. एल्कोहल, स्प्रिट, बैन्जीन, पेट्रोल आदि से दाग छुड़ाते समय आग से बचाव रखना चाहिए।

प्रश्न 3.
रेशमी और सूती वस्त्रों की संभाल कैसे करेंगे ?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।

प्रश्न 4.
रेशमी तथा ऊनी वस्त्रों को कैसे संभालोगे ?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।

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गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल PSEB 8th Class Home Science Notes

  • ऊन का धागा जानवरों के बालों और पशम से बनता है।
  • ऊन के गीले कपड़ों को हैंगर में टाँगकर सुखाना नहीं चाहिए।
  • ऊन का कपड़ा भिगोने से कमज़ोर हो जाता है। इसलिए इसको सीधा साबुन वाले पानी में धोना चाहिए।
  • ऊनी कपड़े को साबुन वाले पानी में डालकर हाथों से दबाकर धोना चाहिए।
  • प्रैस करने के बाद ऊनी वस्त्रों को हैंगर में डालकर थोड़ी देर हवा में लटकाना चाहिए ताकि कपड़ा अच्छी तरह से सूख जाए।
  • ऊनी कपड़े में तह लगने के बाद प्रेस करने की ज़रूरत नहीं होती है।
  • गर्मियों के मौसम में गर्म कपड़ों को अच्छी तरह सम्भाल कर रखना चाहिए ताकि उनको गर्म कपड़ों वाला कीड़ा न खाए।
  • गन्दे कपड़ों को जो धोए जा सकते हों धोना चाहिए और दूसरे को ड्राइक्लीन करवा लेना चाहिए।
  • जब ऊनी कपड़े बक्से में बन्द किए जाएँ तो उनमें सूखे नीम, युक्लिप्टस के पत्ते या नैफ्थलीन की गोलियाँ डालनी चाहिए।
  • सूती कपड़ों को धोना और सम्भालकर रखना सबसे आसान है।
  • फफूंदी कपड़े को कमजोर कर देती है और इसके दाग भी बड़ी मुश्किल से उतरते हैं।
  • रेशमी कपड़ों का सूरज की रोशनी में रंग खराब हो जाते हैं, इसलिए कपड़े तेज़ रोशनी में नहीं रखने चाहिए।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

PSEB 8th Class Agriculture Guide भूमि का माप एवम् रिकार्ड Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
प्राचीन समय में भू-माप (भूमि का माप) किस से किया जाता था?
उत्तर-
रस्सी के साथ।

प्रश्न 2.
भू-सुधारों का जनक किस सम्राट को कहा जाता है?
उत्तर-
मुगल बादशाह अकबर

प्रश्न 3.
एक हैक्टेयर में कितने एकड़ होते हैं ?
उत्तर-
2.5 एकड़।

प्रश्न 4.
एक कनाल में कितने मरले होते हैं ?
उत्तर-
20 मरले।

प्रश्न 5.
भारत के किन-किन प्रांतों में मुरब्बाबंदी सुनिश्चित ढंग से हुई है ?
उत्तर-
पंजाब तथा हरियाणा।

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प्रश्न 6.
मुरब्बाबंदी किस दशक (दहाके) में आरम्भ हुई थी ?
उत्तर-
1950 के दशक में।

प्रश्न 7.
जमाबंदी फर्द देखने के लिए कौन-सी साइट ढूंढ़नी होगी ?
उत्तर-
www.plrs.org.in.

प्रश्न 8.
मुरब्बाबंदी अधिनियम के अनुसार भूमि को कितने एकड़ के भागों में बांटा गया ?
उत्तर-
25-25 एकड़ के टुकड़ों में।

प्रश्न 9.
रब्बी की गिर्दावरी किस समय होती है ?
उत्तर-
1 मार्च से 31 मार्च।

प्रश्न 10.
नई जमाबंदी कितने वर्षों के बाद तैयार होती है ?
उत्तर-
पहले 4 साल बाद होती थी पर अब 5 साल बाद होती है।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
झगड़े वाली भूमि की गिर्दावरी सशुद्धि कौन करता है ?
उत्तर-
झगड़े वाली भूमि की गिर्दावरी तहसीलदार की कचहरी में जाकर सशुद्धि करवा सकते हैं।

प्रश्न 2.
जमाबंदी क्या होती है ?
उत्तर-
जमाबंदी फर्द पंजाब लैंड रैवन्यु एक्ट में भूमि की मालकी का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है। इसमें खेवट नंबर, खतौनी, गाँव की पत्ती का नाम, मालिक का नाम हिस्से के अनुसार, काबज़ काश्तकार और सिंचाई के साधन आदि का विवरण दर्ज होता है।

प्रश्न 3.
इन्तकाल क्या होता है ?
उत्तर-
भूमि के एक मालिक से दूसरे मालिक के नाम मालिकाना अधिकार परिवर्तित करने को इन्तकाल कहा जाता है।

प्रश्न 4.
निशानदेही करने के लिए कौन-कौन सी वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती
उत्तर-
लडे के ऊपर बना नक्शा और ज़रीब की सहायता से पटवारी तथा कानूनगो खसरा नंबर की लंबाई-चौड़ाई को माप कर निशान लगा देते हैं।

प्रश्न 5.
गोशवारा क्या होता है ?
उत्तर-
सभी फसलों के सारणीबद्ध कुल जोड़ को गोशवारा कहा जाता है।

प्रश्न 6.
रहन अथवा गहना क्या होता है ?
उत्तर-
रहन या गहना से भाव है जब कोई भी भूमि का मालिक अपनी भूमि के एक टुकड़े को एक निश्चित की हुई कीमत पर आरजी तौर पर किसी अन्य व्यक्ति को दे दें। असली मालिक पैसे वापिस करके भूमि वापिस प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 7.
फसलों का खराबा (क्षति) क्या होता है ? इसे किस प्रकार मापा जा सकता है ?
उत्तर-
खेतों में बोई फसलों का बाढ़ या टिड्डी दल के हमले आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण बड़े स्तर पर खराब होने को खराबा कहा जाता है। इलाके में फसल की पैदावार को 100 प्रतिशत मान कर खराबा की औसत निकाल सकते हैं।

प्रश्न 8.
शिज़रा क्या होता है एवम् इसके अन्य क्या नाम हैं?
उत्तर-
एक लट्ठे के कपड़े पर गाँव का नक्शा बना होता है जिस पर गाँव की भूमि के सारे खसरा नंबर उकरे होते हैं। इसको शिज़रा कहा जाता है। इसको विस्तवार, पारचा, लट्ठा भी कहा जाता है।

प्रश्न 9.
मुरब्बाबंदी क्या होती है एवम् इसका क्या लाभ है ?
उत्तर-
किसी ज़मींदार की भूमि को भिन्न-भिन्न स्थानों पर भूमि के टुकड़ों को एक स्थान पर इकट्ठा करने को मुरब्बाबंदी या चकबंदी कहा जाता है। मुरब्बाबंदी करने से भूमि से संबंधित सभी कार्य आसान हो जाते हैं।

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प्रश्न 10.
ज़रीब क्या होती है ?
उत्तर-
यह लोहे की कड़ियों की बनी हुई चैन होती है जिसको भूमि की पैमाइश के लिए प्रयोग किया जाता है। यह 55 फुट लम्बी होती है।

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
गिर्दावरी क्या होती है और कब की जाती है ?
उत्तर-
यह फसलों का सर्वेक्षण होता है। इसको गिर्दावरी या गरदौरी कहा जाता है। यह मौके पर किया गया सर्वेक्षण है जो कि की गई कृषि को दर्शाता है। गिर्दावरी वर्ष में दो बार की जाती है।
आषाढ़ी में एक मार्च से 31 मार्च तक तथा सावनी में एक अक्तूबर से 31 अक्तूबर तक। जायद की फसलों के लिए (आषाढी तथा सावनी तथा सावनी से आषाढ़ी के बीच वाली फसलों) भी दो बार गिरदावरी की जाती है। 1 मई से 15 मई तथा 1 दिसम्बर से 15 दिसम्बर तक।

प्रश्न 2.
विभाजन (तकसीम) क्यों और कैसे किया जाता है?
उत्तर-
जब किसी भूमि के भागीदार मालिक (अंशधारी स्वामी) दो या अधिक हो जाएं तो भागीदारों की सहमति से उस भूमि को हिस्सों में बांटने को तकसीम करना कहते हैं। बांटने के बाद प्रत्येक भागीदार अपनी भूमि का स्वयंभू मालिक होता है। वह अपनी इच्छा से भूमि को गहने या बैअ या बैंक से ऋण ले सकता है।

प्रश्न 3.
भू-रिकार्ड का कम्प्यूटरीकरण क्या है ?
उत्तर-
सरकार द्वारा आजकल सारी भूमि के रिकार्ड का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। तसदीकशुदा साक्ष्यांकित जमाबंदी या इन्तकाल का रिकार्ड लेने के लिए नज़दीक की उपतहसील में आवश्यक फीस भर कर तुरन्त भूमि का रिकार्ड मिल जाता है। इस रिकार्ड को www.plrs.org.in वैबसाइट पर देखा जा सकता है।

प्रश्न 4.
जमाबन्दी फर्द देखने के लिए कौन-सी साइट देखनी पड़ेगी?
उत्तर-
जमाबन्दी फर्द देखने के लिए www.plrs.org.in साइट को देखना पड़ता है। इससे हम घर बैठे ही भूमि का रिकार्ड देख सकते हैं।

प्रश्न 5.
ठेका अथवा चकोता क्या होता है ?
उत्तर-
भूमि का मालिक अपनी भूमि को किसी अन्य व्यक्ति को निश्चित समय के लिए, जैसे-एक वर्ष या पाँच वर्ष के लिए कृषि करने के लिए आपस में दोनों पक्षों द्वारा निश्चित धन राशि पर दे देता है तो इसको ठेका या चकोता कहा जाता है।

प्रश्न 6.
भूमि के पंजीकरण (रजिस्ट्री) पर संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
भूमि, मकान, दुकान आदि को जब एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को निश्चित कीमत पर बेच दिया जाता है या गहने किया जाता है तो दोनों पार्टियां तहसीलदार के कार्यालय में जाकर संबंधित पक्षों की सहमति से फोटो सहित रजिस्टर में दर्ज करवाया जाता है इसको रजिस्ट्री या रजिस्टर्ड वाकिया कहा जाता है। रजिस्ट्री की भिन्न-भिन्न किस्में हैं-रजिस्ट्री बैअ, गहना, हिस्सा (विभाजन), तबदील मलकीयत (हस्तांतरित) आदि।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB भूमि का माप एवम् रिकार्ड Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मुग़ल सम्राट अकबर के शासनकाल में भूमि के माप में किसका मुख्य योगदान रहा ?
उत्तर-
टोडर मल।

प्रश्न 2.
वर्ष 1580 से पहले भूमि का टैक्स (कर अथवा मामला) सरकार को किस रूप में दिया जाता था ?
उत्तर-
फसल के रूप में।

प्रश्न 3.
वर्ष 1580 के बाद भूमि का मामला (कर) किस रूप में दिया जाने लगा ?
उत्तर-
नकद अदायगी।

प्रश्न 4.
ज़रीब की लम्बाई बताओ।
उत्तर-
10 करम या 55 फुट।

प्रश्न 5.
मुसतील क्या है ?
उत्तर-
मुरब्बाबंदी में बड़े टुकड़े को मुरब्बा या मुसतील कहा जाता है।

प्रश्न 6.
इन्तकाल के कितने खाने होते हैं ?
उत्तर-
15 कालम होते हैं।

प्रश्न 7.
जमाबंदी फर्द के कितने खाने होते हैं ?
उत्तर-
1-12 तक।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

प्रश्न 8.
सावनी की गिर्दावरी कब होती है ?
उत्तर-
1 अक्तूबर से 31 अक्तूबर तक।

प्रश्न 9.
जैद फसलों की गिर्दावरी कब की जाती है ?
उत्तर-
1 मई से 15 मई, 1 दिसम्बर से 15 दिसम्बर।

प्रश्न 10.
खराबे की औसत कैसे पता की जाती है ?
उत्तर-
क्षेत्र में फसल की उपज को 100 प्रतिशत मान कर।

प्रश्न 11.
1 फुट = ………..
उत्तर-
12 इंच।

प्रश्न 12.
1 गज़ = ………
उत्तर-
3 फुट।

प्रश्न 13.
1 फर्लाग = ……….
उत्तर-
220 गज़।

प्रश्न 14.
1 मील = ……………….. गज़ = ……….. फलांग।
उत्तर-
1760 गज़ = 8 फल्ग।

प्रश्न 15.
1 करम = ……………………. इंच = ……………..
उत्तर-
66 इंच = 5.5 फुट।

प्रश्न 16.
1 वर्ग करम = …………….. सरसाही।
उत्तर-
1 सरसाही।

प्रश्न 17.
1 मरला = …………….. सरसाहियां।
उत्तर-
9.

प्रश्न 18.
1 मरला = …………….. वर्ग फुट।
उत्तर-
272.

प्रश्न 19.
1 मरला = …………….. वर्ग गज़।
उत्तर-
30.

प्रश्न 20.
1 कनाल = …………….. मरले।
उत्तर-
20.

प्रश्न 21.
1 कनाल = ……………. बिस्वा।
उत्तर-
2.

प्रश्न 22.
1 किला = ……………. एकड़
उत्तर-
1.

प्रश्न 23.
1 किला = …………….. कनाल।
उत्तर-
8.

प्रश्न 24.
1 किला = …………….. मरले = ……………. वर्ग फुट।
उत्तर-
160 मरले = 220 × 198 वर्ग फुट।

प्रश्न 25.
1 किला = …………….. वर्ग मीटर।
उत्तर-
4000.

प्रश्न 26.
1 बिस्वा खाम = …………….. वर्ग गज़।
उत्तर-
50.

प्रश्न 27.
1 मुरब्बा या मस्तील = …………….. एकड़।
उत्तर-
25.

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

प्रश्न 28.
1 हेक्टेयर = …………….. एकड़।
उत्तर-
2.5.

प्रश्न 29.
1 हेक्टेयर = ………….. वर्ग मीटर।
उत्तर-
10000.

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अकबर के समय भूमि का मामला (कर) किस रूप में दिया जाता था ?
उत्तर-
पहले यह मामला (कर) फसल के रूप में दिया जाता था तथा वर्ष 1580 के बाद मामला नकद रूप में दिया जाने लगा।

प्रश्न 2.
इन्तकाल की भिन्न-भिन्न किस्में बताओ।
उत्तर-
इन्तकाल की किस्में हैं-बै, रहन, आधिकारिक स्थानांतरण, तकसीम (विभाजन), विरासत आदि।

प्रश्न 3.
इन्तकाल दर्ज करने की कारवाई बताएं।
उत्तर–
पटवारी इन्तकाल दर्ज करता है, फील्ड कानूगो इसको रिकार्ड के अनुसार चैक करता है, फिर नायब या तहसीलदार मौके पर जाकर दोनों पक्षों (दलों) को बुला कर, नंबरदार को साक्ष्यांकित करने पर इन्तकाल स्वीकार करता है।

प्रश्न 4.
भूमि की मालकी में किस तरह के परिवर्तन जमाबंदी में दर्ज होती है ?
उत्तर-
भूमि को गहने करना, वै करना, बारानी (ऊसर) से नहरी (उर्वरा) होना, आय अथवा विभाजन में परिवर्तन, भू-स्वामी का बदलना, स्थानांतरण करना आदि।

प्रश्न 5.
खराबा होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
खराबा होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-वर्षा का पानी रुकना, प्राकृतिक आपदा, जैसे-टिड्डी दल का हमला आदि।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गिरदावरी, भूमि की रजिस्ट्री पर नोट लिखें।
उत्तर-
देखे उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 2.
ठेका, तकसीम पर नोट लिखें।
उत्तर-
देखे उपरोक्त प्रश्नों में।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. ज़रीब की लम्बाई 10 करम होती है।
  2. जमाबंदी फर्द में 1-12 खाने होते हैं।
  3. 1 कनाल = 40 मरले।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
एक कनाल में कितने मरले हैं—
(क) 20
(ख) 50
(ग) 10
(घ) 60.
उत्तर-
(क) 20

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

प्रश्न 2.
जमाबंदी फर्द ढूंढने के लिए साइट है—
(क) www.Jamabandi.dk
(ख) www.plrs.org.in
(ग) www.plrs.ac.
(घ) www.org.plrs.in
उत्तर-
(ख) www.plrs.org.in

प्रश्न 3.
शिज़रा किसे कहते हैं—
(क) नक्शा
(ख) घर
(ग) सड़क
(घ) स्कूल।
उत्तर-
(क) नक्शा

रिक्त स्थान भरें

  1. ………… में बड़े टुकड़े को मुसतील कहा जाता है ।
  2. …………… की लम्बाई 55 फुट होती है।
  3. लट्ठे के ऊपर बने नक्शे को ………….. कहा जाता है।

उत्तर-

  1. मुरब्बाबंदी,
  2. ज़रीब,
  3. शिज़रा

भूमि का माप एवम् रिकार्ड PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भारत में भूमि के माप का काम मुग़ल बादशाह अकबर के शासनकाल में शुरू हुआ था और टोडर मल का इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
  • लगभग वर्ष 1580 में सम्राट अकबर ने कर की अदायगी नकद शुरू की थी।
  • आज़ादी के बाद भूमि के माप में और भी सुधार हुए और 1950-60 के दौरान भूमि का मुरब्बाबंदी एक्ट एक महत्त्वपूर्ण कड़ी था।
  • भूमि को मापने वाली लोहे की कड़ियों की चेन (शृंखला) को ज़रीब कहा जाता
  • पंजाब में भूमि का माप एकड़, कनाल या मरलों में किया जाता है।
  • ज़रीब की लंबाई 10 करम या 55 फुट होती है।
  • शिज़रा, लठे के कपड़े पर बनाया हुआ गाँव का नक्शा होता है और इस पर गाँव की भूमि के सारे नंबर खसरे उकरे होते हैं।
  • पंजाब मुरब्बाबंदी एक्ट के अनुसार भूमि को 25-25 एकड़ के बड़े टुकड़ों में बांटा गया है।
  • सारी फसलों के सारणीबद्ध कुल जोड़ को गोशवारा कहते हैं।
  • भूमि के एक मालिक (स्वामी) से दूसरे मालिक के नाम मलिकाना अधिकार परिवर्तित करने को इंतकाल कहते हैं।
  • जमाबंदी फर्द पंजाब लैंड रैवन्यु एक्ट में भूमि की मालकी (स्वामित्व) का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
  • जमाबंदी पहले चार साल बाद तैयार की जाती थी पर अब पाँच साल बाद तैयार की जाती है।
  • जमाबंदी फर्द में 1-12 खाने होते हैं। 14. गिर्दावरी या गरदौरी भूमि अथवा फसलों का सर्वेक्षण है जो मौके पर खेत में की कृषि को दिखाता है।
  • घर पर बैठे भूमि का रिकार्ड देखने के लिए www.plrs.org.in. वैबसाइट देखी जा सकती है।
  • 1 फुट = 12 ईंच, 1 गज़ = 3 फुट
  • 1 मरला = 9 सरसाहियाँ = 272 वर्ग फुट
  • 1 कनाल = 20 मरले
  • 1 किला (एकड़) = 8 कनाल
  • 1 हैक्टेयर = 2.5 एकड़ = 20 कनाल।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 4 हमारी कृषि Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 4 हमारी कृषि

SST Guide for Class 8 PSEB हमारी कृषि Textbook Questions and Answers

I. नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
कृषि से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कृषि से अभिप्राय फ़सलें पैदा करने, पशु पालने तथा अन्य कृषि सम्बन्धी व्यवसायों से है। डेयरी फार्मिंग, मुर्गी पालन, शहद की मक्खियाँ पालना, मछली पालन, फूलों की खेती करना, गुड़ बनाना, आटा चक्की लगाना आदि सभी व्यवसाय कृषि में शामिल हैं।

प्रश्न 2.
कृषि को कौन-कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
कृषि को मुख्य रूप से निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं — (1) जलवायु (2) धरातल (3) मिट्टी के प्रकार (4) सिंचाई की व्यवस्था (5) कृषि करने का ढंग (6) मण्डियों की सुविधा (7) यातायात के साधन (8) बैंकों की सुविधा।

प्रश्न 3.
बागाती कृषि का उत्तर संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
बागाती कृषि में फलों, सब्जियों तथा फूलों के बीजों की कृषि की जाती है। इसमें कृषि की आधुनिक विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं। यह कृषि किसानों के लिए बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध हो रही है।

प्रश्न 4.
अनाज उपजों के नाम लिखो।
उत्तर-
मुख्य अनाज उपजें चावल, गेहूं, मक्की, ज्वार, बाजरा, दालें तथा तेल निकालने के बीज हैं।

प्रश्न 5.
“क” करना किसे कहते हैं ?
उत्तर-
चावल पैदा करने के लिए पहले पौध अथवा पनीरी तैयार की जाती है। फिर जिस खेत में पौध लगानी हो, उसे समतल करके उसमें पानी भर दिया जाता है। इसे खेत को ‘कद्दू’ करना कहते हैं।

प्रश्न 6.
मक्की से क्या-क्या तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
मक्की से ग्लूकोज़, कल्फ स्टार्च तथा अल्कोहल तैयार किया जाता है। इससे वनस्पति तेल भी तैयार किया जाता है।

प्रश्न 7.
‘रेशे की लम्बाई’ के आधार पर कपास की किस्में बताइए।
उत्तर-
रेशे की लम्बाई के आधार पर कपास तीन किस्म की होती है–(1) लम्बे रेशे वाली कपास (2) मध्यम दर्जे के रेशे वाली कपास तथा (3) छोटे रेशे वाली कपास।

प्रश्न 8.
पटसन से कौन-कौन सी वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
पटसन से बोरियां, रस्सियां, सूतली आदि बनाये जाते हैं। इससे शो-पीस भी बनते हैं।

प्रश्न 9.
चाय का पौधा किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-
चाय का पौधा एक झाड़ी जैसा होता है। इसकी पत्तियों से चायपत्ती प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 10.
कॉफी की तीन किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
कॉफी की तीन किस्में हैं(1) अरेबिका, (2) रोबसटा तथा (3) लाइबैरिका।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

प्रश्न 11.
यू० एस० ए० और पंजाब में कितने-कितने प्रतिशत लोग कृषि व्यवसाय करते हैं ?
उत्तर-
यू० एस० ए० में 30% जबकि पंजाब में लगभग 58% लोग कृषि व्यवसाय करते हैं।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
कृषि कितने प्रकार की है ? सघन और विशाल कृषि में अन्तर लिखो।
उत्तर-
कृषि के प्रकार-कृषि अग्रलिखित कई प्रकार की होती है –

  • स्थाई कृषि (Permanent agriculture)
  • स्थानान्तरी कृषि (Shifting agriculture)
  • शुष्क कृषि (Dry farming)
  • नमी वाली कृषि (Wet farming)
  • सघन कृषि (Intensive farming)
  • विशाल कृषि (Extensive farming)
  • मिश्रित कृषि (Mixed farming)
  • बागबानी कृषि (Horticulture)
  • निजी कृषि (Private or individual agriculture)
  • सहकारी कृषि (Cooperative farming)
  • सांझी कृषि (Collective farming)
  • बागाती कृषि (Plantation agriculture)
  • आत्मनिर्भर अथवा निर्भरता कृषि (Subsistence agriculture)
  • व्यापारिक कृषि (Commercial farming)

सघन तथा विशाल कृषि में अन्तर-

  • सघन कृषि कम भूमि में की जाती है, जबकि विशाल कृषि में खेतों का आकार बहुत बड़ा होता है।
  • सघन कृषि में सिंचाई साधनों तथा उर्वरकों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ाया जाता है। इसके विपरीत विशाल कृषि में मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
  • सघन कृषि भारत के पंजाब राज्य में की जाती है, जबकि विशाल कृषि संयुक्त राज्य अमेरिका के बड़े-बड़े . खेतों में की जाती है।

प्रश्न 2.
निर्वाह और व्यापारिक कृषि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
निर्वाह कृषि-निर्वाह कृषि छोटे पैमाने पर की जाती है। इसमें किसान अपनी आवश्यकतानुसार अपने गुज़ारे के लिए फ़सलें उगाता है। वह इन्हें बेच नहीं पाता क्योंकि उसके पास फ़ालतू फ़सल बचती ही नहीं है। यदि वह थोड़ी बहुत फसल बेच भी लेता है तो वह उन पैसों से अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए घर का सामान खरीद लेता है।

व्यापारिक कृषि-इस प्रकार की कृषि बड़े पैमाने पर की जाती है। इसमें किसान मशीनों तथा अन्य साधनों का भरपूर प्रयोग करते हैं। उपजों को बाज़ार में बेचने के लिए उगाया जाता है ताकि नकद धन कमाया जा सके। संसार के अधिक क्षेत्रफल वाले देशों में, जहां किसानों के पास बड़ी-बड़ी ज़मीनें हैं, प्रायः इसी प्रकार की कृषि की जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा अपनी व्यापारिक कृषि के लिए जाने जाते हैं। अब भारत में भी व्यापारिक कृषि का प्रचलन बढ़ रहा है।

प्रश्न 3.
चावल पैदा करने वाले मुख्य क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
चावल मुख्य रूप से गर्म तथा तर (नम) जलवायु वाले प्रदेशों में पैदा किया जाता है। संसार में चीन, भारत, बंगलादेश, जापान तथा दक्षिण पूर्वी देश चावल के उत्पादन के लिए विख्यात हैं। इनमें से चीन का संसार में पहला स्थान है। वह संसार के कुल चावल का 36% पैदा करता है। वहाँ की यंगसी क्यिांग की नहरी घाटियां चावल के उत्पादन के लिए जानी जाती हैं। बंगलादेश में चावल उत्पन्न करने वाला मुख्य क्षेत्र गंगा डैल्टा है। जापान अधिक उत्पादन के लिए चावल की जैपोनिका किस्म की बीजाई करता है। __ चावल के उत्पादन में भारत का संसार में दूसरा स्थान है। संसार का 20% चावल भारत में ही पैदा किया जाता है। भारत के चावल उत्पन्न करने वाले मुख्य राज्य पश्चिमी बंगाल, बिहार, उड़ीसा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश तथा हरियाणा हैं। पंजाब में चावल की प्रति हेक्टेयर उपज सबसे अधिक है। इस राज्य में चावल मुख्यतः अमृतसर, गुरदासपुर, फिरोजपुर, जालन्धर, पटियाला तथा लुधियाना जिलों में उगाया जाता है।

प्रश्न 4.
कपास और पटसन पैदा करने के लिए भौगोलिक अवस्थाओं का वर्णन करो।
उत्तर-
कपास पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थाएं

तापमान – 20° सेल्सियस से 30° सेल्सियस तक और कम-से-कम 20 कोहरा रहित दिन।
वर्षा – 50 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर तक
धरातल – समतल या हल्की ढलान वाली भूमि
मृदा – काली, जलौढ़ मिट्टी और उर्वरक की आवश्यकता होती है।
श्रमिक – कपास चुनने के लिए सस्ते और प्रशिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

पटसन पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थायें :
तापमान – 24° सेल्सियस से 35° सेल्सियस तक।
वर्षा – 120 सेंटीमीटर से 150 सेंटीमीटर तक; 80 से 90% सापेक्ष नमी आवश्यक है।
धरातल – समतल धरातल।
मृदा – जलौढ़, चिकनी और दोमट मिट्टी
श्रमिक – सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
पंजाब में कपास उत्पादन पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
पंजाब हरियाणा के साथ मिलकर देश की लगभग 25% कपास पैदा करता है। राज्य के कपास उत्पन्न करने वाले मुख्य जिले बठिंडा, फिरोजपुर तथा संगरूर हैं। पंजाब में बी०टी० काटन बीज के बहुत अच्छे परिणाम रहे हैं। राज्य के मालवा क्षेत्र में कपास को सफ़ेद सोना अथवा श्वेत सोना भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
चाय तथा कॉफ़ी के पौधों की सम्भाल कैसे की जाती है ? .
उत्तर-
चाय-चाय के पौधों को साफ़ की हुई ढलानों पर लगाया जाता है। पौधों के विकास के लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि पानी पौधों की जड़ों में न ठहरे। पौधों के ठीक ढंग से विकास के लिए इनकी कांट-छांट भी की जाती है।
कॉफ़ी-कॉफ़ी के पौधों को उचित सिंचाई तथा कांट-छांट की आवश्यकता होती है। खेतों में समय-समय पर उर्वरकों का प्रयोग भी करना चाहिए।

प्रश्न 7.
यू० एस० ए० में कृषि के लिए मशीनों के प्रयोग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
यू० एस० ए० में भारत की तुलना में किसानों के पास बहुत अधिक कृषि भूमि है। इसलिए खेतों का आकार बड़ा है। यहां के एक फार्म का औसत आकार 700 एकड़ है। खेतों का आकार बड़ा होने के कारण यहां विस्तृत (Extensive) प्रकार की खेती की जाती है। इनमें मशीनों का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है। वास्तव में यू० एस० ए० के फार्मों में मशीनों के बिना कृषि करना सम्भव नहीं है। फ़सलों की बीजाई से लेकर फ़सलों को स्टोरों तथा मण्डियों तक ले जाने का सारा काम मशीनों द्वारा ही किया जाता है। कृषि के लिए हैलीकाप्टरों और वायुयानों का प्रयोग भी होता है। यहां का किसान मिट्टी की प्रकार, जलवायु और सिंचाई साधनों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् ही फ़सल का चुनाव करता है। कीटनाशक दवाइयों का भी काफ़ी प्रयोग किया जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
गेहूं की फ़सल के लिए आवश्यक अवस्थाएं बताकर गेहूं पैदा करने वाले क्षेत्रों का वर्णन करो।
उत्तर-
गोहूं एक महत्त्वपूर्ण अन्न उपज है। संसार के धनी देशों के लोग चावल की तुलना में गेहूं खाना अधिक पसन्द करते हैं। गेहूं को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिनों से परिपूर्ण अन्न माना जाता है।
गेहूं उत्पादन के लिए आवश्यक अवस्थाएं :

तापमान – 10° सेल्सियस से 20° सेल्सियस तक
वर्षा – 50 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर तक
धरातल – समतल अथवा थोड़ा ढलान वाला
मृदा (मिट्टी) – दोमट, चिकनी, काली तथा लाल मिट्टी
बीज और उर्वरा – बढ़िया बीज और उर्वरक (रासायनिक खादें) उत्पादन बढ़ाने के लिए अति आवश्यक हैं।
श्रमिक – फ़सल की बीजाई तथा कटाई के समय श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

गेहूं की बीजाई नवम्बर-दिसम्बर में की जाती है। गेहूं बीजते समय तापमान कम और काटते समय अधिक होना चाहिए। फ़सल के पकते समय मौसम गर्म और शुष्क होना चाहिए। समय-समय पर इसे वर्षा या सिंचाई की आवश्यकता भी होती है।

गेहूं पैदा करने वाले क्षेत्र-संसार तथा भारत में गेहूं उत्पन्न करने वाले मुख्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं –

संसार-संसार में चीन, यू० एस० ए०, रूस, फ्रांस, कनाडा तथा जर्मनी गेहूं पैदा करने वाले मुख्य देश हैं। इन देशों में भूमि की अधिकता तथा मशीनों के प्रयोग के कारण गेहूं का उत्पादन बहुत अधिक होता है। यू० एस० ए० के कंसास, डकोटा, मोनटाना, मिनीसोटा, टैक्सास तथा महान् झील के आस-पास के क्षेत्र गेहं पैदा करने के लिए विख्यात हैं। कनाडा के मुख्य गेहूं उत्पादक क्षेत्र ओंटारियो तथा ब्रिटिश कोलम्बिया हैं।

भारत-गेहूं पैदा करने में भारत का संसार में दूसरा स्थान है। देश की कुल गेहूं का 72% से भी अधिक भाग उत्तरी भारत के तीन राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा पैदा करते हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा बिहार राज्य भी गेहूं उगाते हैं। पंजाब के लगभग सभी जिलों में गेहूं पैदा होता है। पंजाब में आई ‘हरी क्रान्ति’ (Green Revolution) ने गेहूँ के उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि की है। उत्तम बीजों, उर्वरकों तथा सिंचाई साधनों के प्रयोग से पंजाब में गेहूँ का उत्पादन कई गुणा बढ़ गया है। केन्द्रीय अनाज में पंजाब के गेहूं का योगदान अन्य सभी राज्यों से अधिक है।

प्रश्न 2.
चाय और कॉफी पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थाएं कौन-कौन सी हैं ? भारत में चाय और कॉफी के मुख्य क्षेत्र बताइए।
उत्तर-
चाय और कॉफी पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थाएं अग्रलिखित हैं – चाय पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थाएं :

तापमान – 200 सेल्सियस से 30° सेल्सियस तक
वर्षा – 150 सेंटीमीटर से 300 सेंटीमीटर तक, सारा साल रुक-रुक कर।
धरातल – ढलानदार
मृदा – दोमट मिट्टी, जंगली मिट्टी (जिसमें लौह तथा जैविक तत्त्वों की अधिकता हो।)
श्रमिक अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
मण्डी – चाय का मांग क्षेत्र, जहां चाय बेची जा सके।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि 1

कॉफी उत्पादन के लिए आवश्यक अवस्थाएं :

तापमान – 150 सेल्सियस से 280 सेल्सियस तक
वर्षा – 100 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर तक
धरातल – पर्वतीय एवं ढलानदार
मृदा – दोमट या जैविक तत्वों वाली मिट्टी
श्रमिक – कॉफी के. भिन्न-भिन्न प्रकार के बीजों को अलग करने के लिए प्रशिक्षित श्रमिक।

भारत में चाय के मुख्य क्षेत्र-चाय के उत्पादन में भारत का संसार में पहला स्थान है। देश के चाय पैदा करने वाले मुख्य राज्य असम, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, केरल, त्रिपुरा तथा कर्नाटक हैं।

  • भारत की कुल चाय का 51% भाग केवल असम राज्य उत्पन्न करता है। इस राज्य की ब्रह्मपुत्र तथा सुरमा घाटियां चाय के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। असम के डिबरूगढ़, लखीमपुर, सिबसागर, दुर्ग, गोलपाड़ा आदि ज़िले चाय उत्पन्न करने वाले मुख्य क्षेत्र हैं।
  • पश्चिमी बंगाल में चाय मुख्यतः दार्जिलिंग, जलपाइगुड़ी तथा कूच-बिहार के जिलों में उगाई जाती है।
  • तमिलनाडु में चाय नीलगिरी तथा अन्नामलाई की पहाड़ियों पर पैदा की जाती है।
  • देश के अन्य चाय उत्पादक क्षेत्र कर्नाटक के हसन तथा चिकमंगलूर और केरल के कोटायाम, कोलाम तथा थिरूवान्थापुरम (तिरुवन्तापुरम्) ज़िले हैं।

भारत में कॉफी के मुख्य क्षेत्र-भारत संसार की केवल 2.2 प्रतिशत कॉफी पैदा करता है। देश में इसका उत्पादन करने वाले मुख्य राज्य कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु हैं। भारत की कॉफी का 70% भाग अकेले कर्नाटक राज्य उत्पन्न करता है। केरल के कोडंगू, चिकमंगलूर, शिमोगा तथा कोलम ज़िले और तमिलनाडु के नीलगिरी, मदुरै, सेलम तथा कोयम्बटूर ज़िले कॉफी के मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं।

प्रश्न 3.
पटसन की कृषि कैसे की जाती है ? पटसन के प्रयोग और संसार में इसके वितरण का विस्तारपूर्वक उत्तर लिखिए।
उत्तर-
पटसन रीड (reed) जैसा पतला तथा लम्बा पौधा होता है। इसका रेशा बहुत ही उपयोगी होता है। इससे बोरियां, रस्सियां, सूतली आदि वस्तुएँ बनाई जाती हैं जो काफ़ी मजबूत होती हैं। परन्तु प्लास्टिक तथा कृत्रिम रेशों के बढ़ते प्रयोग से पटसन से बनी वस्तुओं पर बुरा प्रभाव पड़ा है क्योंकि ये महँगी पड़ती हैं।

पटसन की कृषि–पटसन को प्रायः फरवरी-मार्च में बोया जाता है और अक्तूबर के महीने में काट लिया जाता है। आजकल पटसन की कई किस्में जल्दी भी तैयार हो जाती हैं। पटसन की फसल को काटने के पश्चात् उसकी गाँठें बना ली जाती हैं जिन्हें दो-तीन सप्ताह के लिए खड़े जल के नीचे रखा जाता है। इससे पौधों का रेशा नर्म होकर उतरने लगता है। तब इन्हें पानी से निकाल कर सुखा लिया जाता है और रेशे को अलग कर लिया जाता है। इसे साफ़ करके भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है।

पटसन का वितरण-पटसन गर्म तथा सीले जलवायु वाले क्षेत्रों में पैदा होता है। इसका उत्पादन करने वाले संसार समय देश चीन, भारत, बंगलादेश, थाईलैंड और ब्राज़ील हैं। भारत तथा बंगलादेश पटसन उत्पन्न करने वाले देशों
में सबसे आगे हैं।

भारत में पटसन की खेती गंगा-ब्रह्मपत्र नदियों के डेल्टाई भागों में बड़े पैमाने पर की जाती है। भारत की लगभग 99% पटसन देश के चार राज्य पश्चिमी बंगाल, बिहार, असम तथा उड़ीसा पैदा करते हैं। पटसन की खेती की अनुकूल अवस्थाओं के कारण अकेले पश्चिमी बंगाल देश की 80% पटसन पैदा करता है। कुछ पटसन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा केरल में भी पैदा होती है। पश्चिमी बंगाल में नादिया, मुर्शिदाबाद, 24 परगना, जलपाइगुड़ी तथा हुगली, बिहार में पुरनियां तथा दरभंगा और असम में गोलपाड़ा, दुर्ग तथा सिंबसागर ज़िले पटसन के मुख्य उत्पादक हैं।

प्रश्न 4.
पंजाब तथा यू०एस०ए० की खेती में क्या समानताएं तथा भिन्नताएं मिलती हैं ?
उत्तर-
पंजाब की खेती-

  • पंजाब के लगभग 58% लोग कृषि में लगे हुए हैं। राज्य की कुल आय में कृषि का योगदान 35% है।
  • यहां की मिट्टी उपजाऊ है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए किसान खादों का प्रयोग करते हैं।
  • पंजाब का किसान अपने खेतों में अलग-अलग प्रकार की फ़सल उगाता है। अधिक उत्पादन के लिए वह विकसित बीजों का प्रयोग करता है। खेत के अनुरूप ट्रेक्टर और हारवैस्टर का भी प्रयोग किया जाता है।
  • पंजाब में समस्त कृषि योग्य भूमि सिंचाई पर निर्भर करती है।
  • कृषि में उपज को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है।
  • पंजाब का कृषक चाहे मशीनों का प्रयोग करता है, फिर भी उसे श्रमिकों की सहायता लेनी पड़ती है।

यू० एस० ए० में खेती-

  • खेती अथवा कृषि की दृष्टि से यू० एस० ए० एक विकसित देश माना जाता है। इस देश के केवल 30% लोग कृषि व्यवसाय में लगे हुए हैं। इसका मुख्य कारणं यह है कि यहां कृषि का सारा काम मनुष्य के स्थान पर मशीनों द्वारा किया जाता है।
  • कृषि देश की कुल भूमि के लगभग 20% भाग पर की जाती है। देश के उत्तरी-पश्चिमी, उत्तर-पूर्वी. तटीय क्षेत्र तथा भीतरी मैदान कृषि के लिए जाने जाते हैं। देश के भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न-भिन्न प्रकार की उपजें उगाई जाती
  • यू० एस० ए० में भारत की तुलना में कृषकों के पास अधिक भूमि है। इसलिए खेतों का आकार बड़ा है। यहां के एक फार्म का औसत आकार 700 एकड़ है।
  • खेतों का आकार बड़ा होने के कारण यहां विस्तृत (Extensive) कृषि की जाती है। कृषि में मशीनों का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है। वास्तव में यू० एस० ए० के फार्मों में मशीनों के बिना कृषि करना लगभग असम्भव है। एक फार्म में एक ही प्रकार (Single Crop) की फ़सल उगाई जाती है। फ़सलों को बोने से लेकर फ़सलों को स्टोरों तथा मण्डियों तक ले जाने का सारा काम मशीनों द्वारा ही किया जाता है।
  • कृषि के लिए हैलीकाप्टरों तथा वायुयानों का प्रयोग भी किया जाता है।
  • यहां का कृषक मिट्टी की किस्म, जलवायु तथा सिंचाई साधनों की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् ही फ़सल का चुनाव करता है।
  • यहाँ फ़सलों को दोषों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। सच तो यह है कि यू० एस० ए० का किसान एक किसान की तरह नहीं बल्कि एक व्यापारी की तरह कृषि करता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

PSEB 8th Class Social Science Guide हमारी कृषि Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. ……….. कृषि को झूमिंग कृषि भी कहते हैं।
2. शुष्क कृषि अधिकतर ………….. भागों (प्रदेशों) में की जाती है।
3. चावल के उत्पादन में ………….. संसार में पहले स्थान पर है।
उत्तर-

  1. स्थानांतरी,
  2. मरुस्थली,
  3. चीन।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. मक्की के पौधे की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमरीका में हुई।
2. पंजाब राज्य के केवल सीमावर्ती जिलों में गेहूं पैदा की जाती है।
3. चाय पहाड़ी ढलानों पर उगाई जाती है।
उत्तर-

(ग) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
संसार में सबसे अधिक चाय कौन-सा देश पैदा करता है ?
(i) चीन
(ii) भारत
(iii) श्रीलंका
(iv) जापान।
उत्तर-
(ii) भारत

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन-सी फ़सल रेशेदार है ?
(i) चाय
(ii) पटसन
(iii) मक्की
(iv) बाजरा।
उत्तर-
(ii) पटसन

प्रश्न 3.
बागाती कृषि में प्रायः किस फसल के बाग लगाए जाते हैं ?
(i) चाय
(ii) रबड़
(iii) काफी
(iv) ये सभी।
उत्तर-
(iv) ये सभी।

(घ) सही जोड़े बनाइए :

1. विशाल कृषि – उपजें तथा पशु-पालन
2. मिश्रित कृषि – बार-बार उपज प्राप्त करना
3. सघन कृषि – कृषि मशीनों का प्रयोग
4. स्थाई कृषि – पंजाब राज्य।
उत्तर-

  1. कृषि मशीनों का प्रयोग,
  2. उपजें तथा पशु-पालन,
  3. पंजाब राज्य,
  4. बार-बार उपज प्राप्त करना।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थाई कृषि क्या होती है ?
उत्तर-
जब किसान एक ही स्थान पर रह कर कृषि करते हैं, तो उसे स्थाई कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में उसी भूमि में बार-बार फ़सलें पैदा की जाती हैं। भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए प्राकृतिक (जैविक) तथा रासायनिक खादों (उर्वरकों) का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
मिश्रित कृषि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मिश्रित कृषि में अनाज, फल, सब्ज़ियां आदि उगाने के साथ-साथ किसान पशु भी पालता है। इसमें उत्तर
तथा मधुमक्खियाँ भी पाली जाती हैं। इस प्रकार किसान की आय काफ़ी बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
बागानी कृषि की क्या विशेषता है ?
उत्तर-
बागानी कृषि में फ़सलों को बाग़ के रूप में लगाया जाता है और बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है। चाय, कॉफी, नारियल तथा रबड़ के बाग़ बागानी कृषि के उदाहरण हैं। इन बागों से लगातार कई वर्षों तक फल प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 4.
रेशेदार तथा पीने योग्य फ़सलों की सूची बनाओ।
उत्तर-
रेशेदार फ़सलें – पीने योग्य फ़सलें
(Fibre Crops) – (Beverage Crops)
कपास – चाय
पटसन – कॉफी
सन – कोको

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

प्रश्न 4.
A. कपास की कौन-सी किस्म सबसे अच्छी मानी जाती है और भारत में कपास पैदा करने वाले किसी एक राज्य का नाम बताओ।
उत्तर-
लम्बे रेशे वाली कपास सबसे अच्छी किस्म की कपास मानी जाती है। भारत में महाराष्ट्र तथा गुजरात दो मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

प्रश्न 5.
संसार के धनी देशों के लोग चावल की अपेक्षा गेहूं खाना अधिक पसन्द क्यों करते हैं ?
उत्तर-
गेहूं को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिनों से परिपूर्ण अन्न माना जाता है। इसी कारण संसार के धनी देशों के लोग चावल की बजाय गेहूं खाना अधिक पसन्द करते हैं।

प्रश्न 6.
मक्की की उपज के लिए आवश्यक तापमान तथा वर्षा की मात्रा लिखें। इसके लिए कैसा धरातल होना चाहिए ?
उत्तर –
तापमान -18° से० से 27° से० तक, मौसम कोहरा रहित होना चाहिए।
वर्षा – 50 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर तक।
धरातल – समतल या हल्की ढलान वाला

प्रश्न 7.
तेल वाले बीज क्या होते हैं ? तेल का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ? .
उत्तर-
वे बीज जिनसे तेल प्राप्त किया जाता है, तेल वाले बीज कहलाते हैं। इनमें सरसों, तिल, सूर्यमुखी के बीज शामिल हैं। तेल हमारे भोजन तथा अन्य आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

प्रश्न 8.
रेशा हमें कौन-कौन से संसाधनों से प्राप्त होता है ? भेड़ से मिलने वाला रेशा किस काम आता है ?
उत्तर-
रेशा हमें जानवरों तथा पौधों से प्राप्त होता है। भेड से मिलने वाला रेशा (ऊन) गर्म कपड़े बनाने के काम आता है।

प्रश्न 9.
कपास के रेशे का क्या उपयोग है ?
उत्तर-
कपास का रेशा सूती कपड़ा उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। इससे बना कपड़ा भार में हल्का तथा पहनने में उत्तम होता है।
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प्रश्न 10.
भारत में कपास पैदा करने वाले मुख्य राज्यों के नाम बताओ। इन राज्यों में कपास अधिक पैदा होने का क्या कारण है ?
उत्तर-
भारत में कपास पैदा करने वाले मुख्य राज्य महाराष्ट्र, गुजरात तथा तेलंगाना हैं। ये राज्य देश की 60% से भी अधिक कपास पैदा करते हैं। इन राज्यों में अधिक कपास पैदा होने का मुख्य कारण यहां मिलने वाली काली मिट्टी है।

प्रश्न 11.
चाय की खेती पहाड़ी ढलानों पर क्यों की जाती है ?
उत्तर-
चाय के पौधे को सारा साल एक समान वर्षा की ज़रूरत होती है। परन्तु वर्षा का पानी पौधे की जड़ों में खड़ा नहीं होना चाहिए। पहाड़ी ढलानें इन बातों के अनुकूल होती हैं।

प्रश्न 12.
कॉफी पाऊडर कैसे तैयार किया जाता है ? इसका कौन-सा तत्त्व हमारे शरीर में उत्तेजना पैदा करता है ?
उत्तर-
कॉफी पाऊडर कॉफी के बीजों को सुखाकर, भून कर तथा पीस कर तैयार किया जाता है। कॉफी का ‘कैफीन’ नामक तत्त्व हमारे शरीर में उत्तेजना पैदा करता है।

प्रश्न 13.
कॉफी का पौधा कैसे उगाया जाता है ?
उत्तर-
कॉफी के पौधे पहले नर्सरी में उगाए जाते हैं। छ: या आठ महीने बाद इन्हें तैयार खेतों में लगा दिया जाता है। जब पौधे तीन-चार वर्ष के हो जाते हैं, तो ये फल देने लगते हैं।

प्रश्न 14.
संसार के भिन्न-भिन्न भागों में कृषि के विकास में काफ़ी भिन्नताएं देखने को मिलती हैं। इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
अफ्रीका महाद्वीप के बहुत-से भागों में कृषि अभी भी पिछड़ी अवस्था में है। दूसरी ओर उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में कृषि एक बहुत ही लाभदायक व्यवसाय माना जाता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थानान्तरी कृषि की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
स्थानान्तरी कृषि प्रायः पर्वतीय क्षेत्रों तथा खुले जंगलों में रहने वाले लोग करते हैं। वे जंगल के एक टुकड़े के पेड़-पौधों को साफ़ करके वहां कुछ समय के लिए कृषि करते हैं। जब उस स्थान की उपजाऊ शक्ति समाप्त हो जाती है तो ये लोग उस स्थान को छोड़कर किसी और स्थान पर जाकर कृषि करने लगते हैं। इस प्रकार की कृषि लोग प्रायः अपना गुजारा करने के लिए करते हैं। स्थानान्तरी कृषि को झूमिंग कृषि (Zhuming cultivation) भी कहते हैं। अभी भी संसार के कई देशों में इस प्रकार की कृषि की जाती है।

प्रश्न 2.
शुष्क कृषि तथा नमी वाली कृषि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
शुष्क कृषि-

  1. इस प्रकार की कृषि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है। इन क्षेत्रों में वर्षा 50 सें० मी० से भी कम होती है।
  2. यह कृषि संसार के मरुस्थली भागों, जिनमें राजस्थान भी शामिल है, में की जाती है।
  3. शुष्क कृषि में दालें, जौ, मक्की आदि फ़सलें उगाई जाती हैं।

नमी वाली कृषि-

  1. इस प्रकार की कृषि अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है। इन क्षेत्रों में वर्षा 200 सें० मी० या इससे अधिक होती है।
  2. यह कृषि एशिया के अधिक वर्षा वाले दक्षिणी पूर्वी भागों में की जाती है। भारत में इस प्रकार की कृषि पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा तथा दक्षिणी भारत के अधिक वर्षा वाले भागों में होती है।
  3. नमी वाली कृषि की मुख्य फ़सल चावल है।

प्रश्न 3.
निजी कृषि और संयुक्त कृषि में अन्तर बताओ।
उत्तर-
निजी कृषि-निजी कृषि में किसान स्वयं भूमि का स्वामी होता है। कृषि में प्रयोग आने वाले सभी यन्त्र, खाद और वस्तुओं का नियन्त्रण कृषक के अपने हाथ में होता है। भूमि से होने वाली पूरी आय कृषक की अपनी निजी आय होती है।

संयुक्त कृषि-इस प्रकार की कृषि में भूमि पर सरकार का अधिकार होता है। कृषि से प्राप्त आय का कुछ भाग सरकार को कर के रूप में चला जाता है। शेष लाभ भूमि पर काम करने वाले किसानों में बांट दिया जाता है। इस प्रकार की कृषि पूर्व सोवियत संघ (USSR) के देशों में अधिक प्रचलित थी।

प्रश्न 4.
सहकारी कृषि के बारे में लिखें।
उत्तर-
सहकारी कृषि में किसान आपस में मिलकर एक सहकारी संस्था बना लेते हैं। इस संस्था के सभी सदस्य किसान अपनी-अपनी भूमि पर कृषि करते हैं। फ़सल आदि का सारा हिसाब-किताब सहकारी संस्था के हाथों में होता है। संस्था द्वारा वही फैसला लिया जाता है जो सभी सदस्यों के हित में होता है। कृषि से प्राप्त लाभ को सभी सदस्यों के बीच उनकी भूमि के अनुपात में बांटा जाता है। जिन कृषकों के पास ज़मीन कम होती है, उनके लिए तो सहकारी कृषि वरदान सिद्ध हुई है। इसलिए भारत सरकार इस प्रकार की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।

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प्रश्न 5.
चावल की कृषि के लिए अनुकूल अवस्थाओं की सूची बनाइए।
उत्तर-
तापमान – 20° सेल्सियस से 30° सेल्सियस तक
वर्षा – 100 से 200 सेंटीमीटर तक। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए।
मिट्टी – जलौढ़, चिकनी, दोमट, डैल्टाई या काली मिट्टी।
धरातल – भूमि समतल होनी चाहिए ताकि वर्षा या सिंचाई द्वारा प्राप्त पानी खेतों में खड़ा रह सके।
श्रमिक – चावल की कृषि के लिए विशेषकर जब चावल की पौध लगाने और फ़सल काटने के समय
अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है। श्रमिक प्रशिक्षित तथा कुशल होने चाहिएं।

प्रश्न 6.
संसार तथा भारत में मक्की पैदा करने वाले क्षेत्रों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
संसार-संसार में मक्की पैदा करने वाले मुख्य देश यू० एस० ए०, चीन तथा ब्राज़ील हैं। संसार की लगभग आधी मक्की अकेले यू० एस० ए० उत्पन्न करता है। यू० एस० ए० की मक्का पेटी (Corm Belt) संसार भर में प्रसिद्ध है। यहां सूअर, घोड़े तथा अन्य पशु मक्की पर पाले जाते हैं। ब्राज़ील तथा अर्जनटाइना में भी मक्की का बहुत अधिक उत्पादन होता है।

भारत – भारत की आधी से भी अधिक मक्की का उत्पादन मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान राज्य करते हैं। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात तथा पंजाब मक्की पैदा करने वाले अन्य राज्य हैं। पंजाब के रूपनगर, अमृतसर, होशियारपुर तथा जालन्धर ज़िले मक्की की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 7.
पंजाब में कृषि के विकास पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
पंजाब कृषि में भारत के अन्य राज्यों से आगे है। यहां की कृषि के विकास की झलक निम्नलिखित बातों में देखी जा सकती है

  • पंजाब के लगभग 58% लोग कृषि में लगे हुए हैं। राज्य की कुल आय में कृषि का योगदान 35% प्रतिशत है।
  • यहां की मिट्टी उपजाऊ है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाये रखने के लिए किसान खादों का प्रयोग करते हैं।
  • पंजाब का किसान अपने खेतों में अलग-अलग प्रकार की फ़सल उगाता है। अधिक उत्पादन के लिए वह विकसित बीजों का प्रयोग करता है। खेत के अनुरूप ट्रेक्टर और हारवैस्टर का भी प्रयोग किया जाता है।
  • पंजाब में समस्त कृषि योग्य भूमि सिंचाई पर निर्भर करती है।
  • कृषि में उपज को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग बड़े पैमाने पर 4-5
  • पंजाब का कृषक बेशक मशीनों का प्रयोग करता है फिर भी उसे श्रमिकों की सहायता लेनी पड़

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-कपास कैसी फ़सल है ? इसकी खेती कैसे की जाती है ? कपास पैदा करने वाले क्षेत्रों के बारे में लिखें।
उत्तर-कपास एक रेशेदार फ़सल है। इसे सूती कपड़ा उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। इससे बनने वाला कपड़ा भार में हल्का और पहनने में उत्तम क्वालिटी का माना जाता है। कपास को रेशों के आधार पर तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है-लम्बे रेशों वाली कपास, मध्यम दर्जे के रेशों वाली कपास और छोटे रेशों वाली कपास। लम्बे रेशों वाली कपास सबसे बढिया और भाव में महँगी होती है।

कपास की कृषि-कपास मैदानी भागों में अप्रैल-मई के महीने में बोई जाती है और कोहरा शुरू होने से पहले दिसम्बर तक चुन ली जाती है। भारत के दक्षिण भागों में कपास की उपज अक्तूबर से अप्रैल-मई तक होती है, क्योंकि वहाँ ठंड या कोहरे की कोई सम्भावना नहीं होती। कपास को बीमारियों और कीड़ों से बचाने के लिए अच्छे बीजों तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। कपास के फूल या डोडे चुनने के लिए सस्ते तथा कुशल श्रमिकों की ज़रूरत होती है।

कपास पैदा करने वाले क्षेत्र-
संसार-कपास उत्पन्न करने में यू० एस० ए० संसार में प्रथम स्थान पर तथा चीन दूसरे स्थान पर है। भारत को कपास पैदा करने में तीसरा स्थान प्राप्त है। कपास के अन्य मुख्य उत्पादक पूर्व सोवियत संघ के देश, मैक्सिको, मिस्र, सूडान तथा पाकिस्तान हैं। मिस्र अपने लम्बे रेशे वाली कपास के लिए संसार भर में विख्यात है। यू० एस० ए० में कपास का उत्पादन धीरे-धीरे कम हो रहा है।

भारत-भारत में काली मिट्टी वाले राज्य कपास पैदा करने में अन्य राज्यों से आगे हैं। भारत में भी बढ़िया प्रकार के बीज और रासायनिक खादों की सहायता से लम्बे रेशे वाली कपास पैदा की जाती है। देश में कपास पैदा करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना, सीमांध्र मुख्य हैं। ये राज्य देश की 60% से भी अधिक कपास पैदा करते हैं। इन प्रदेशों में मुख्य रूप से काली मिट्टी पाई जाती है जो कपास पैदा करने के लिए उत्तम मानी जाती है। पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य मिलकर देश का लगभग 25% कपास पैदा करते हैं। देश में अमरावती, नंदेड़, वर्धा तथा जलगाव (महाराष्ट्र), सुरेन्द्रनगर तथा वड़ोदरा (गुजरात), गंटूर तथा प्रकासम (पूर्व आन्ध्र प्रदेश) और बटिंडा, फिरोजपुर तथा संगरूर (पंजाब) आदि ज़िले कपास पैदा करने के लिए विख्यात हैं। पंजाब में बी० टी० काटन बीज के अच्छे परिणाम निकले हैं। पंजाब के मालवा क्षेत्र में इसे सफ़ेद सोना या श्वेत सोना भी कहा जाता है। भारत में मुम्बई, अहमदाबाद, कानपुर, नागपुर, शोलापुर, चेन्नई, दिल्ली तथा कोलकाता कपास (सूती कपड़ा) उद्योग के लिए प्रसिद्ध हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

SST Guide for Class 8 PSEB संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित खाली स्थान भरो :

1. लोकसभा के सदस्यों की कुल गिनती …………. है।
2. राज्य सभा के सदस्यों की कुल गिनती …………. है।
3. पंजाब से लोकसभा के लिए …………. सदस्य चुने जाते हैं।
4. भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए ………… आयु आवश्यक है।
5. संसदीय सरकार को …………. सरकार भी कहा जाता है।
6. केवल धन बिल ही ………… में पेश हो सकता है।
उत्तर-

  1. 545
  2. 250
  3. 13
  4. कम से कम 35 वर्ष
  5. उत्तरदायी
  6. लोकसभा।

II. निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या ग़लत (✗) के निशान लगाओ :

1. राज्यसभा के 1/3 सदस्य हर दो साल बाद रिटायर होते हैं। – (✓)
2. संसदीय सरकार में कार्यपालिका और विधानपालिका में गहरा सम्बन्ध होता है। – (✗)
3. संसदीय सरकार में प्रधानमन्त्री नाममात्र का मुखिया होता है। – (✗)
4. संसद् द्वारा बनाये गए कानून सर्वोच्च होते हैं। – (✓)

III. विकल्प वाले प्रश्न :

प्रश्न 1.
राष्ट्रपति राज्य सभा में कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है ?
(क) 08
(ख) 12
(ग) 02
(घ) 10.
उत्तर-
12

प्रश्न 2.
पंजाब राज्य में से राज्य सभा के लिए कितने सदस्य चुने जाते हैं ?
(क) 11
(ख)13
(ग) 07
(घ) 02.
उत्तर-
07

प्रश्न 3.
संसद् के दोनों सदनों के मतभेद कौन दूर करता है ?
(क) स्पीकर
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति –
(घ) उप-राष्ट्रपति।
उत्तर-
राष्ट्रपति

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IV. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
संसद् के शाब्दिक अर्थ लिखो।
उत्तर-
संसद् अंग्रेजी शब्द पार्लियामैंट (Parliament) का अनुवाद है। यह अंग्रेज़ी शब्द फ्रांसीसी भाषा के शब्द पार्लर (Parler) से लिया गया है जिसका अर्थ है बातचीत करना। इस प्रकार संसद् एक ऐसी संस्था है जहां बैठकर लोग राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर बातचीत करते हैं।

प्रश्न 2.
सरकार संसद् के प्रति क्यों जवाबदेह है ?
उत्तर-
सरकार अपने सभी कार्यों तथा नीतियों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। सरकार तभी तक अपने पद पर रह सकती है जब तक उसे संसद् (विधानमण्डल) का बहुमत प्राप्त रहता है।

प्रश्न 3.
संसद् में कानून कैसे बनता है ?
उत्तर-
साधारण बिल को संसद् के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। दोनों सदनों में पारित होने के पश्चात् बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने पर बिल कानून बन जाता है।

प्रश्न 4.
लोकसभा चुनाव के बाद सरकार कैसे बनती है ?
उत्तर-
लोकसभा के चुनाव के पश्चात् राष्ट्रपति के आमंत्रण पर बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल सरकार बनाता है। यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो गठबन्धन सरकार अस्तित्व में आती है।

प्रश्न 5.
संसदीय सरकार के प्रमुख विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  • नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में अन्तर
  • कार्यपालिका तथा विधान मण्डल में गहरा सम्बन्ध
  • उत्तरदायी सरकार
  • प्रधानमन्त्री की प्रधानता।
  • विरोधी दल को कानूनी मान्यता।
  • कार्यपालिका की अनिश्चित अवधि।

प्रश्न 6.
लटकती संसद् से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब संसद् में दो या दो से अधिक राजनीतिक दलों की आपस में मिलकर सरकार बनती है, तो उसे लटकती संसद् कहते हैं। इस प्रकार की सरकार अल्पमत सरकार कहलाती है।

V. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखें :

प्रश्न 1.
भारतवर्ष में संसदीय शासन प्रणाली ही क्यों लागू की गई ?
उत्तर-
भारत में निम्नलिखित कारणों से संसदीय प्रणाली लागू की गई है-

  • लोगों को संसदीय प्रणाली का ज्ञान-भारतीय लोग संसदीय प्रणाली से परिचित हैं। इसे सर्वोत्तम सरकार माना गया है। देश में 1861, 1892, 1919 तथा 1935 के कानूनों द्वारा संसदीय सरकार ही स्थापित की गई थी।
  • संविधान सभा के सदस्यों द्वारा समर्थन-भारतीय संविधान निर्माताओं ने भी संसदीय शासन का समर्थन किया था। संविधान सभा की मसौदा कमेटी के प्रधान डॉ० बी० आर० अम्बेदकर ने कहा था कि इस प्रणाली में उत्तरदायित्व तथा स्थिरता दोनों गुण पाये जाते हैं। इसलिए संसदीय सरकार ही सबसे अच्छी सरकार है।
  • उत्तरदायित्व पर आधारित-भारत शताब्दियों तक परतन्त्र रहा है। इसलिए देश को ऐसी सरकार की आवश्यकता थी जो उत्तरदायित्व की भावना पर आधारित हो। इसी कारण संसदीय प्रणाली लागू की गई।
  • परिवर्तनशील सरकार-भारत ने लम्बे समय के पश्चात् स्वतन्त्रता प्राप्त की थी। इसलिए लोग ऐसी सरकार चाहते थे जो निरंकुश न बन सके। अतः संसदीय सरकार को चुना गया जिसे किसी भी समय बदला जा सकता है।
  • लोकतन्त्र की स्थापना-लोकतन्त्र की सही अर्थों में स्थापना वास्तव में संसदीय सरकार ही करती है। इसमें संसद् सर्वोच्च होती है। वह प्रश्न पूछ कर, आलोचना करके तथा कई अन्य तरीकों से सरकार (कार्यपालिका) पर नियन्त्रण बनाये रखती है।

प्रश्न 2.
संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में दो प्रकार की कार्यपालिका होती है-नाममात्र की कार्यपालिका तथा वास्तविक कार्यपालिका। राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया है। उसे विधानिक, कार्यपालिका तथा न्यायिक शक्तियां प्राप्त हैं। परन्तु नाममात्र की कार्यपालिका होने के कारण राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से नहीं कर सकता। इन सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल करता है, क्योंकि वह वास्तविक कार्यपालिका है। प्रधानमन्त्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। वैसे तो वह लोकसभा में बहुमत दल के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है, परन्तु आज गठबन्धन सरकारें बनने के कारण इस काम में उसे काफ़ी सूझ-बूझ से काम लेना पड़ता है।

प्रश्न 3.
संसद् की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेवार कारणों को लिखो।
उत्तर-
संसद् भारत में कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। एक लम्बे समय तक यह एक मजबूत संस्था रही है पर दुःख की बात है कि आज इसकी स्थिति में लगातार गिरावट आ रही है। इसके निम्नलिखित मुख्य कारण हैं-

  • मिली-जुली सरकारें अथवा लटकती संसद् ।
  • सदन में सदस्यों की गैर हाजिरी।
  • सदन की बैठकों की कमी।
  • कमेटी प्रणाली का पतन।
  • स्पीकर की निष्पक्षता पर शक।
  • कानून को लागू करने के तरीकों में परिवर्तन।
  • संसद् की कार्यवाही में सदस्यों द्वारा बार-बार रुकावट।

प्रश्न 4.
संसद् की स्थिति को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी सुझाव दो।
उत्तर-
संसद् की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-

  • क्षेत्रीय दलों की बढ़ती हुई संख्या पर रोक लगाई जाए।
  • संसद् की कार्यवाही को सुनिश्चित बनाने के लिए कानून बनाए जाएं।
  • प्रधानमन्त्री की कमज़ोर होती स्थिति की मजबूती के लिए कदम उठाए जाएं।

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प्रश्न 5.
भारतीय संसद् की बनावट लिखें।
उत्तर-
गठन-संसद् के दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा।

  • लोकसभा-लोकसभा लोगों का सदन है। इसे निम्न सदन भी कहा जाता है। इस समय लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है। इनमें से 543 सदस्य वयस्क नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। शेष दो सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। लोकसभा में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित हैं।
  • राज्यसभा-राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के विधानमण्डलों के चुने हुए सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसके कुल 250 सदस्यों में से 238 सदस्य राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा चुने जाते हैं। शेष 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है। परन्तु हर 2 साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Guide संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. लोक सभा – विधानपालिका
2. राज्य सभा – भारत की कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था
3. संसद – लोगों का सदन
4. सरकार का एक मुख्य अंग स्थायी सदन।
उत्तर-

  1. लोगों का सदन,
  2. स्थायी सदन
  3. भारत की कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था,
  4. विधानपालिका।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली किस प्रकार की है ?
अथवा
अप्रत्यक्ष लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली की क्या विशेषता है ?
उत्तर-
भारत में अप्रत्यक्ष लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली लागू की गई है। इस प्रकार की शासन प्रणाली में लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि प्रशासन चलाते हैं। वे अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब से लोकसभा के लिए कितने सदस्य चने जाते हैं ?
उत्तर-
पंजाब से लोकसभा के लिए 13 सदस्य चुने जाते हैं।

प्रश्न 3.
आप कैसे कह सकते हैं कि राज्य सभा एक स्थायी सदन है ?
उत्तर-
राज्य सभा कभी भी पूरी तरह भंग नहीं होती। हर 2 साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है। इस प्रकार यह सदन सदा कार्यशील रहता है।

प्रश्न 4.
सरकार के कौन-कौन से तीन रूप (अंग) होते हैं ?
उत्तर-

  1. विधानमण्डल
  2. कार्यपालिका तथा
  3. न्यायपालिका।

प्रश्न 5.
राष्ट्रपति संसद् के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (समागम) कब बुलाता है ?
उत्तर-
कभी-कभी किसी बिल पर दोनों सदनों में मतभेद पैदा हो जाता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाता है, ताकि उत्पन्न मतभेदों को दूर किया जा सके।

प्रश्न 6.
कोई छः तरीके बताओ जिनके द्वारा सेंसद सरकार पर अपना नियन्त्रण बनाये रखती है।
उत्तर-

  1. मन्त्रियों से प्रश्न पूछना
  2. स्थगन प्रस्ताव
  3. निन्दा प्रस्ताव
  4. विश्वास प्रस्ताव
  5. अविश्वास प्रस्ताव
  6. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव।

प्रश्न 7.
संसद् को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर-
संसद् को सुदृढ़ बनाने की इसलिए आवश्यकता है, ताकि अच्छे कानून बनाये जा सकें। देश के प्रधानमन्त्री की स्थिति को मज़बूत बनाने के लिए भी सुदृढ़ संसद् की आवश्यकता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री की क्या स्थिति है ? वर्तमान समय में उसकी स्थिति क्यों डगमगा गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुसार देश में प्रधानमन्त्री की स्थिति सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वह मन्त्रिमण्डल, मन्त्रिपरिषद् तथा लोकसभा का नेता होता है। देश की सभी नीतियां तथा कानून उसी के परामर्श के अनुसार बनते हैं। अपने मन्त्रिमण्डल के लिए मन्त्रियों का चुनाव वही करता है। कोई भी मन्त्री उसकी इच्छा के बिना अपने पद पर नहीं रह सकता।

परन्तु वर्तमान समय में लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता। इससे त्रिशंकु संसद् अस्तित्व में आती है। इसी कारण वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री की स्थिति डगमगा गई है।

प्रश्न 2.
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद तथा पं० जवाहर लाल नेहरू कौन थे ? मज़बूत केन्द्र के बारे में उनके क्या विचार थे ?
उत्तर-
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति तथा पं० जवाहर लाल नेहरू प्रथम प्रधानमन्त्री थे। ये. दोनों ही बड़े प्रभावशाली नेता थे। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद के विचार-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति पद के लिए अधिक शक्तियां देने के पक्ष में थे। वह केन्द्र को मज़बूत बनाना चाहते थे, क्योंकि भारत को कई शताब्दियों के पश्चात् स्वतन्त्रता मिली थी।

पं० जवाहर लाल नेहरू के विचार-पं० नेहरू भी केन्द्र को सुदृढ़ बनाने के समर्थक थे। वह चाहते थे कि प्रधानमन्त्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल को अधिक शक्तियां दी जाएं।

प्रश्न 3.
“किसी समय भारतीय संसद् एक बहुत ही सुदृढ़ संस्था थी। परन्तु अब इसका पतन हो रहा है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
संसद् भारत में कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था है। पं० जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री तथा श्रीमती इन्दिरा गांधी के समय यह एक बहुत ही सुदृढ़ संस्था रही है, परन्तु अब दिन-प्रतिदिन इसका पतन हो रहा है। एक ही दिन में दस-दस कानून पारित हो जाते हैं। उन पर ठीक से बहस भी नहीं हो पाती। कानून को वास्तविक रूप प्रदान करने का ढंग भी बदल गया है। संसद् के पतन के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं

  • त्रिशंकु संसद् का बनना।
  • जिद्द की राजनीति।
  • सदन में सदस्यों की अनुपस्थिति।
  • सदन की बैठकों की संख्या में कमी।
  • कमेटी प्रणाली का कमज़ोर होना।
  • स्पीकर की निष्पक्षता के सम्बन्ध में सन्देह।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

प्रश्न 4.
संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री की क्या स्थिति है ? वर्तमान समय में उसकी स्थिति क्यों डगमगा गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुसार देश में प्रधानमन्त्री की स्थिति सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वह मन्त्रिमण्डल, मन्त्रिपरिषद् तथा लोकसभा का नेता होता है। देश की सभी नीतियां तथा कानून उसी के परामर्श के अनुसार बनते हैं। अपने मन्त्रिमण्डल के लिए मन्त्रियों का चुनाव वही करता है। कोई भी मन्त्री उसकी इच्छा के बिना अपने पद पर नहीं रह सकता।
परन्तु वर्तमान समय में लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता। इससे त्रिशंकु संसद् अस्तित्व में आती है। इसी कारण वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री की स्थिति डगमगा गई है।

प्रश्न 5.
विधानपालिका तथा कार्यपालिका के अर्थ तथा संगठन के बारे में लिखो।
उत्तर-
अर्थ-विधानपालिका तथा कार्यपालिका संसदीय सरकार के दो भाग हैं। विधानपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून बनाता है। कार्यपालिका का कार्य विधानपालिका द्वारा बनाये गए कानूनों को लागू करना है। __ संगठन-विधानपालिका के दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा। लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है। यह एक अस्थायी सदन है। इसके विपरीत राज्यसभा एक स्थाई सदन है। इसे उच्च सदन कहा जाता है। लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 250 निश्चित की गई है।

कार्यपालिका में राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल शामिल है। राष्ट्रपति नाममात्र की तथा प्रधानमन्त्री और उसका मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है।

राष्ट्रपति की सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल करता है। इनकी नियुक्ति विधानपालिका में से की जाती है। राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव किया जाता है।

प्रश्न 6.
संसदीय प्रणाली में संसद् की स्थिति कैसी होती है ?
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में संसद् सर्वोच्च होती है। कार्यपालिका (सरकार) अपने कार्यों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। संसद् कई तरीकों से सरकार पर अपना नियन्त्रण रखती है, जैसे- मन्त्रियों से प्रश्न पूछना, बहस, जीरो आवर (Zero Hour), स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निन्दा प्रस्ताव, ध्यान आकर्षण प्रस्ताव आदि।

प्रश्न 7.
भारत में संसदीय सरकार के अपनाने के कारण लिखें।
उत्तर-

  • संसदीय सरकार को सर्वोत्तम माना गया है।
  • संसदीय प्रणाली में उत्तरदायित्व और स्थिरता दोनों गुण पाये जाते ।
  • संसदीय सरकार कभी भी बदली जा सकती है। इसलिए यह निरंकुश नहीं बन पाती।
  • लोकतन्त्र को सही अर्थों में संसदीय सरकार ही स्थापित करती है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

PSEB 8th Class Home Science Guide घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मक्खी से कौन-से रोग फैलते हैं ?
उत्तर-
मक्खी से हैजा रोग फैलता है।

प्रश्न 2.
चूहे के पिस्सू से कौन-सी बीमारी फैलती है?
उत्तर-
चूहे के पिस्सू से प्लेग की बीमारी फैलती है।

प्रश्न 3.
मलेरिया किस मच्छर के काटने से होता है?
उत्तर-
मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

प्रश्न 4.
मच्छरों को कैसे नष्ट किया सकता है?
उत्तर-
मच्छरों को डी० डी० टी० से नष्ट किया जाता है।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कीड़े-मकौड़े कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
कीड़े-मकौड़े तीन प्रकार के होते हैंउत्तर-

  1. खून चूसने वाले-मच्छर, खटमल।
  2. भोजन को जहरीला बनाने वाले-मक्खी , चींटी।
  3. घर के सामान को हानि पहुंचाने वाले–काक्रोच, दीमक।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

प्रश्न 2.
मक्खी, मच्छर से बचने के लिए क्या करोगे ? इनसे क्या नुकसान हैं ?
अथवा
मक्खियों से कौन-से रोग फैलते हैं ? इनकी रोकथाम के ढंग लिखें।
उत्तर-
मक्खियों से बचने के उपाय

  1. घर के आस-पास मक्खियों के अण्डे देने और मक्खी पैदा होने के स्थान नष्ट कर देने चाहिए।
  2. गन्दगी वाले स्थान पर डी० डी० टी० के घोल का छिडकाव करना चाहिए। (3) कड़ेदान ढके होने चाहिए और उसके कूड़े का नियमित विसर्जन होना चाहिए।
  3. खाने की वस्तुओं को खुला नहीं छोड़ना चाहिए। उन्हें तार की जाली या मलमल के कपड़े से ढककर रखना चाहिए।
  4. दरवाज़े एवं खिड़कियों पर जाली लगवानी चाहिए।
  5. जब मक्खियाँ बहुतायत में हों तो मक्खीमार कागज़ तथा मक्खीमार दवा का इस्तेमाल करना चाहिए।
  6. मक्खियों के अण्डे, लारवा तथा प्यूपा को नष्ट करने के लिए क्रिसोल, तूतिया या सुहागे के घोल का छिड़काव कूड़ा-करकट वाले तथा अन्य ग़न्दे स्थानों पर करना चाहिए।
  7. नालियों में फिनायल का छिड़काव करना चाहिए।
  8. घर में स्वच्छता की ओर ध्यान देना चाहिए।

मक्खियों से नुकसान-मक्खी मनुष्य की सबसे बड़ी शत्रु है । यह अनेक रोगों, जैसे– हैंजा, पेचिस, तपेदिक, अतिसार आदि रोगों को फैलाने का कार्य करती है।

मक्खी उन गन्दे पदार्थों की ओर आकर्षित होती हैं जिनमें रोगों के रोगाणु या जीवाणु उपस्थित रहते हैं। जब यह गन्दगी पर बैठती है तो इसके रोंयेदार शरीर तथा चिपचिपे पैरों में गन्दगी व रोगों के जीवाणु लग जाते हैं। भोजन तथा कटे फलों आदि पर बैठकर यह रोगों के जीवाणुओं को वहाँ छोड़ देती है। इन रोगाणुयुक्त पदार्थों का सेवन करने से स्वस्थ व्यक्ति भी रोगों का शिकार हो जाता है।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 1
चित्र 6.1

मक्खी मच्छरों से बचने के उपाय

  1. घर के आँगन में या आस-पास पानी रुकने नहीं देना चाहिए।
  2. मच्छर शाम को काफी चुस्त होता है अतः शाम होते ही दरवाज़े व खिड़कियाँ बन्द कर देनी चाहिए।
  3. रात को सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
  4. मच्छर मारने के लिए फ्लिट का छिड़काव खासतौर पर मोटे पर्दो व अलमारियों के पीछे तथा अन्धेरे कोनों में करना चाहिए।
  5. कमरे में रात को तम्बाकू, धूप, नीम की पत्ती, अगरबत्ती व गन्धक की धूनी देनी चाहिए।
    PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 2
    चित्र 6.2 मच्छर
  6. सोने से पूर्व शरीर पर सरसों का तेल या ओडोमास क्रीम लगानी चाहिए।
  7. घर के आस-पास कूड़ा-करकट इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। घर और आसपास की जगह साफ़ रखनी चाहिए।

मच्छरों से नुकसान

  1. मलेरिया-मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से।
  2. डेंगू बुखार-एडिस एजेप्टी मच्छर के काटने से।
  3. फाइलेरिया-मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से।
  4. मस्तिष्क ज्वर-क्यूलेक्स की जाति के कारण।
  5. पीत ज्वर-एडिस मच्छर के काटने से।

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प्रश्न 3.
कॉकरोच को कैसे ख़त्म करोगे? यह क्या खराब करता है?
उत्तर-
कॉकरोच एक हानिकारक घरेलू कीट है। यह नमी वाले स्थानों पर होता है। इसलिए यह प्रायः शौचालय, रसोईघर व भण्डारगृह में अधिक मिलता है। यह भोजन और घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम अन्य सामान को खराब करता है। यह लगभग हर चीज़ को खा जाता है, जैसे-कूड़ा, पुराने कागज़, किताबें, चमड़ा, सब्जियों और फलों के छिलके और खाने की अन्य वस्तुएँ।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 3
चित्र 6.3 कॉकरोच
सेकथाम व नष्ट करने के उपाय

  1. सीलन वाले स्थानों की सफ़ाई जल्दीजल्दी करनी चाहिए।
  2. रसोई का फर्श बिल्कुल साफ़ रहना चाहिए।
  3. रसोईघर की तथा मकान की अन्य नालियों में सप्ताह में कम-से-कम एक बार मिट्टी का तेल या अन्य कीटनाशक दवा डालनी चाहिए। इसके बाद उबलता हुआ पानी नालियों में डालना चाहिए। इससे अण्डे देने के स्थान भी साफ़ हो जाते हैं।
  4. तिलचट्टों को मारने के विशेष अभियान में 10% डी०डी०टी० और 40% गैमेक्सीन या पाइरेथ्रम का छिड़काव करना चाहिए।
  5. पाइरेथ्रम पाउडर जलाने से ये बेहोश हो जाते हैं और फिर इन्हें झाड़ के साथ मारकर फेंक देना चाहिए।

प्रश्न 4.
किताबों के और कपड़ों के कीड़े से क्या नुकसान हैं ?
उत्तर–
किताबों के और कपड़ों के कीड़े से निम्नलिखित नुकसान हैं-

  1. ये पुस्तकों, तस्वीरों और गलीचे जो काफी दिनों तक बॉक्स में बंद रहते हैं उनको नुकसान पहुंचाते हैं।
  2. ये कीड़े रेशम के कपड़े और ऊनी कपड़ों को खाते हैं।
  3. ये कीड़े जो ऊनी कपड़ों में अण्डे होते हैं उनसे लारवा निकलते हैं। ये कपड़ों को खाते हैं जिनमें छेद हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
कुछ ऐसे प्रतिकारक बताओ जिनको सब कीड़ों-मकौड़ों से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
उत्तर-
कुछ मिले-जुले प्रतिकारक निम्नलिखित हैं-

  1. नींबू, तम्बाकू व तुलसी के पौधे।
  2. नीम, तम्बाकू आदि के पत्ते।
  3. चील काफूर की लकड़ी।
  4. यूक्लिप्टस की लकड़ी, पत्तियाँ व तेल।
  5. नैष्थलीन की गोलियाँ।।
  6. गन्धक, पाइरेथ्रम, बोरिक एसिड।
  7. साबुन का चूरा, फिटकरी या काली मिर्च का पाउडर।

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प्रश्न 6.
खून चूसने वाले चार कीड़ों के नाम बताओ।
उत्तर-
मच्छर, खटमल, पिस्स, सैंड-फ्लाई।

प्रश्न 7.
पुस्तकों को नुकसान पहुँचाने वाले कीड़ों का नाम बताओ।
उत्तर-
पुस्तकों को हानि पहुँचाने वाले कीड़े कॉकरोच, दीमक और झींगुर हैं।

प्रश्न 8.
भोजन वाली डोली के पाए पानी में क्यों रखने चाहिए?
उत्तर-
चींटियों से बचने के लिए भोजन वाली डोली के पाए पानी में रखने चाहिए।

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प्रश्न 9.
सैंडफ्लाई कैसा कीड़ा है और यह क्या नुकसान पहुँचाता है ?
उत्तर-
यह बहुत छोटा कीट है जो मच्छरदानी में भी पहुँच जाता है। विशेषकर रात को टखने और गुट पर काटता है। इससे बुखार भी हो जाता है।

प्रश्न 10.
खटमल कहाँ रहते हैं ? इनकी रोकथाम के ढंग लिखो।
उत्तर-
खटमल गन्दे फर्श, दरी या टूटे फर्श की दरार और खाट के सिरों में रहते हैं।
रोकथाम के ढंग-

  1. खटमल को नष्ट करने के लिए मिट्टी और तारपीन का तेल छिड़कना चाहिए।
  2. फर्श पर उबलता पानी डालना चाहिए इससे खटमल मर जाता है।
  3. खिड़की की चुगाठ को मिट्टी के तेल से साफ करना चाहिए।
  4. जहाँ खटमल हों वहाँ गंधक की धूनी करनी चाहिए।

प्रश्न 11.
मक्खीमार कागज़ कैसे तैयार किया जा सकता है?
उत्तर-
मक्खीमार कागज़ तैयार करने के लिए पाँच भाग अरंडी का तेल और आठ भाग रेजिन पाउडर लेकर गर्म करते हैं और उसे सूखने से पहले गर्म ही किसी कागज़ पर लगाते हैं। इस प्रकार मक्खी मार कागज़ तैयार हो जाता है।

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प्रश्न 12.
दीमक और झींगुर किस वस्तु की हानि करते हैं ?
उत्तर-
दीमक और झींगुर कागज़, लकड़ी और कपड़ों को नुकसान करते हैं।

प्रश्न 13.
घरेलू जीव-जन्तु कौन-कौन से हैं ? यह क्या नुकसान पहुंचाते हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कुछ ऐसे प्रतिकारक बताओ जिनको सब कीड़ों-मकौड़ों से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
उत्तर-
कुछ मिले-जुले प्रतिकारक अग्रलिखित हैं-

  1. नींबू, तम्बाकू व तुलसी के पौधे।
  2. नीम, तम्बाकू आदि के पत्ते।
  3. चील काफूर की लकड़ी।
  4. यूक्लिप्टस की लकड़ी, पत्तियाँ व तेल।
  5. नैथलीन की गोलियाँ।
  6. गन्धक, पाइरेथ्रम, बोरिक एसिड।
  7. साबुन का चूरा, फिटकरी या काली मिर्च का पाउडर।

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प्रश्न 2.
सैंडफ्लाई, पिस्सू, खटमल को मारने के लिए क्या प्रयोग करोगे?
उत्तर-
1. सैंडफ्लाई-
यह बहुत छोटा कीड़ा है। यह मच्छरदानी में भी दाखिल हो जाता है। यह विशेषकर रात को टखने और मुँह पर काटता है। इससे बचने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 4
चित्र 6.4 सैंड फ्लाई

  1. कुर्सियों, मेज़ और चारपाई के नीचे मच्छरमार तेल छिड़कना चाहिए।
  2. रात को मच्छरमार धूप जलानी चाहिए।
  3. बहुत बारीक मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
  4. घर के आस-पास की गीली जगहों पर फिनाइल छिड़कना चाहिए।

2. पिस्सूप्लेग बीमारी का कारण चूहे के पिस्सू होते हैं। पिस्सू छोटे और भूरे रंग के होते हैं। इनको मारने के निम्न उपाय करने चाहिए
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 5
चित्र 6.5 पिस्सू

  1. घर में पाले कुत्ते को कार्बोलिक साबुन से नहलाना चाहिए और नहलाने के पानी में कार्बोलिक अम्ल डालना चाहिए।
  2. जहाँ भी पिस्सू की सम्भावना हो, मिट्टी का तेल या तारपीन का तेल छिड़कना चाहिए।
  3. चूहों के द्वारा भी पिस्सू फैलते हैं अतः पिस्सू को नष्ट करने से पहले चूहों को नष्ट करना चाहिए।
  4. दीवार तथा फर्श की दरारों को सीमेंट से भर देना चाहिए।
  5. भूमि पर नमक अथवा चूना छिड़क देना चाहिए।
  6. सूर्य की तेज़ किरणों के प्रभाव से पिस्सुओं के लारवा मर जाते हैं।
  7. जीवाणुनाशक पाऊडर का प्रयोग करना चाहिए जिससे पिस्सुओं द्वारा प्लेग न फैले।

3. खटमल-खटमल गन्दे फर्श, दरी या टूटे फर्श की दरार और खाट के सिरों में रहते हैं। खटमल लाल भूरे रंग का कीड़ा होता है। यह 1/6 इंच से 1/7 इंच तक लम्बा होता है।
खटमल मारने के उपाय
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 6
चित्र 6.6 खटमल

  1. खटमल को नष्ट करने के लिए मिट्टी और तारपीन का तेल मिलाकर छिड़कना चाहिए।
  2. फर्श पर उबलता पानी डालना चाहिए इससे भी खटमल मर जाता है।
  3. जहाँ खटमल हो वहाँ गंधक की धूनी करनी चाहिए। इससे खटमल मर जाता है।

प्रश्न 3.
चूहे के घर में होने से क्या हानि होती है ? बचाव के उपाय बताओ।
उत्तर-
चूहे घर की खाद्य सामग्री तथा कपड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। ये भण्डार घर में अधिक पलते हैं।
चूहों पर प्लेग के कीट पिस्सू रहते हैं और चूहों के द्वारा ही वे मनुष्य तक पहुँचते हैं। ऐसे चूहे जिन व्यक्तियों को काटते हैं वे प्लेग के रोगी हो जाते हैं। इस प्रकार चूहे पिस्सुओं को आश्रय देकर बीमारियाँ फैलाते हैं। ‘
चूहों से बचाव के उपाय-

  1. चूहों के बिलों को काँच से या सीमेंट से भरकर अच्छी तरह बन्द कर देना चाहिए।
  2. चूहे मारने की दवा आटे में मिलाकर उनके बिल के पास डाल देने से चूहे उसे खाकर मर जाते हैं।
  3. भण्डारघर व रसोईघर में सभी खाद्य सामग्री को बन्द पीपों या डिब्बों में रखना चाहिए।
  4. भण्डारघर में से कुछ भी खाद्य सामग्री निकालते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कुछ भी ज़मीन पर न बिखरे।
  5. सब्जियाँ तथा फलों को तारों वाली टोकरी में ऊँची जगह पर टाँगना चाहिए।
  6. घर साफ-सुथरा रखना चाहिए। कोई भी खाने की चीज़ इधर-उधर नहीं बिखरनी चाहिए।
  7. इनको पकड़ने के लिए पिंजड़े (चूहेदानी) का प्रयोग करना चाहिए।
  8. चूहों को पकड़ने पर उन्हें अपने स्थान से बहुत दूर छोड़कर आना चाहिए।

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प्रश्न 4.
छिपकली और मकड़ी से छुटकारा पाने के ढंग बताओ।
उत्तर-
छिपकली से छुटकारा पाने के ढंग

  1. घर की दीवारों एवं छिद्रों में तथा फर्नीचरों में फ्लिट या डी० डी० टी० छिड़कते रहना चाहिए क्योंकि ऐसी जगहों पर ये अपना बिल बना लेती हैं।
  2. घर के भोज्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए।
  3. घर को साफ़ एवं कीटरहित रखना चाहिए क्योंकि कीट ही छिपकली का भोजन है। घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

मकड़ी से छुटकारा पाने के ढंग-

  1. घर को सदा साफ़ रखना चाहिए।
  2. फ्लिट तथा डी० डी० टी० पाउडर घर की दीवारों पर छिड़कना चाहिए।
  3. मकड़ी के जालों को साफ करते रहना चाहिए।

प्रश्न 5.
कीड़े और जीव-जन्तु मारने के लिए कौन-कौन सी कीटाणुनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है?
उत्तर-
कीड़े और जीव-जन्तु मारने के लिए निम्नलिखित कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है

  1. चूना-कच्चा तथा बुझा हुआ।
  2. पोटेशियम परमैंगनेट (लाल दवाई)।
  3. साबुन।
  4. डी० डी० टी०
  5. नीला तूतिया (कॉपर सल्फेट)
  6. कार्बोलिक अम्ल-कार्बोलिक साबुन तथा घोल के रूप में।
  7. डेटोल।
  8. फ़ार्मेलिन।
  9. लाईसोल।
  10. फिनाइल।
  11. क्रिसोल।
  12. क्लोरीन गैस।
  13. गन्धक का धुआँ।
  14. फार्मेल्डिहाइड गैस के रूप में।

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प्रश्न 6.
जुएँ कहाँ तथा क्यों पड़ जाती हैं ? इसकी रोकथाम के उपाय बताओ।
उत्तर-
जुएँ मनुष्य के सिर में तथा शरीर पर हो जाती हैं। सिर की जुएँ सिर के बालों में रहती हैं। यहाँ वे अण्डे देती हैं जिन्हें लीख कहते हैं। दूसरे प्रकार की जुएँ गन्दे कपड़ों व शरीर की त्वचा पर रहती हैं जुएँ बड़ी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाती हैं।
जुएँ गन्दी होती हैं। इनसे टाइफस बुखार तथा त्वचा के रोग हो जाते
जुओं की रोकथाम के ढंग-
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चित्र 6.7 जूं

  1. जूं के मिलते ही उसे मार देना चाहिए।
  2. सिर में जुएँ होने पर बाज़ार में उपलब्ध जूं मार रसायन को। लगाकर कुछ घण्टों के बाद सिर धो लेना चाहिए।
  3. सिर में यदि जुएँ अधिक संख्या में हों तो बाल कटवा देने चाहिए।
  4. नारियल के तेल में मुश्क-कपूर डालकर सिर में मलने से भी जुएँ मर जाती हैं।
  5. शरीर में जुएँ होने पर बुने हुए कपड़ों को फर्श पर रखकर ऊपर खूब गर्म पानी डालना चाहिए। व्यक्ति को गर्म पानी व साबुन से मल-मलकर नहाना चाहिए।
  6. मैले कपड़ों को उबलते पानी में डालकर धोना चाहिए।
  7. बिस्तर की चादरों आदि की सफ़ाई रखनी भी आवश्यक है।

Home Science Guide for Class 8 PSEB घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
रक्त चूसने वाला कीट है
(क) मच्छर
(ख) मक्खी
(ग) काकरोच
(घ) दीमक।
उत्तर-
(क) मच्छर

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प्रश्न 2.
प्लेग की बिमारी किस से फैलती है ?
(क) मच्छर
(ख) चूहा
(ग) चींटी
(घ) सभी।
उत्तर-
(ख) चूहा

प्रश्न 3.
घर के सामान को हानि पहुँचाने वाला कीट है
(क) चींटी
(ख) खटमल
(ग) दीमक
(घ) मच्छर
उत्तर-
(ग) दीमक

प्रश्न 4.
………… कपड़ों तथा पुस्तकों को नष्ट करता है।
(क) झींगुर
(ख) मच्छर
(ग) खटमल
(घ) काकरोच।
उत्तर-
(क) झींगुर

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प्रश्न 5.
मक्खी से रोग फैलते हैं
(क) हैजा
(ख) पेचिश
(ग) तपैदिक
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 6.
मलेरिया के इलाज के लिए कौन-सी दवाई का प्रयोग होता है ?
(क) दाल चीनी
(ख) कुनीन
(ग) सौंफ
(घ) अजवाइन।
उत्तर-
(ख) कुनीन

प्रश्न 7.
ठीक तथ्य है
(क) मलेरिया एनाफलीज़ मच्छर के कारण होता है।
(ख) फाइलेरिया, मादा क्यूलैक्स की जाती के कारण होता है।
(ग) चूहे के पिस्सू से प्लेग की बिमारी फैलती है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

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II. ठीक/गलत बताएं

  1. मच्छर भोजन को ज़हरीला बना देता है।
  2. सैंड फलाई छोटा कीट है जो मच्छरदानी में भी दाखिल हो जाता है।
  3. नेवला तथा बिल्ली पालने से सांप से बचाव होता है।
  4. दीमक लाभदायक कीट है।
  5. मादा एनाफलीज़ मच्छर के काटने से मलेरिया होता है।
  6. डेंगू बुखार ऐडीज एजेपटी मच्छर के कारण होता है।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. एनाफलीज मच्छर से ………… हो जाता है। (From Board M.O.P.)
  2. कीड़े-मकौड़ों को ………….. श्रेणियों में बांटा गया है।
  3. ……………… कपड़ों तथा पुस्तकों को नष्ट करती हैं।
  4. चूहे ……………….. के पिस्सू पैदा करते हैं।
  5. खटमल से ……………. ज्वर हो जाता है।

उत्तर-

  1. मलेरिया,
  2. तीन
  3. झींगुर,
  4. प्लेग,
  5. काला।

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IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
बाल-पक्षाघात रोग किस अवस्था में होता है ?
उत्तर-
बच्चों में 5-7 वर्ष की अवस्था में।

प्रश्न 2.
मलेरिया के उपचार के लिए किस औषधि का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
कुनीन।

प्रश्न 3.
मच्छरों से कौन-सा बुखार फैलता है?
उत्तर-
मलेरिया।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

प्रश्न 4.
प्लेग की बीमारी किससे फैलती है ?
उत्तर-
चूहे के पिस्सू से ।

प्रश्न 5.
मक्खी से कौन-से रोग फैलते हैं ?
उत्तर-
हैजा रोग।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चूहे हानिकारक हैं, कैसे?
उत्तर-
क्योंकि इससे रोग के कीटाणु फैलते हैं।

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प्रश्न 2.
खटमल से कौन-से रोग फैलते हैं ?
उत्तर-
खटमल से काला ज्वर और चर्म रोग फैलते हैं।

प्रश्न 3.
कीड़ों द्वारा फैलने वाले रोगों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
मलेरिया, डेंगू, ज्वर, प्लेग, रिलेप्सिंग ज्वर

प्रश्न 4.
मलेरिया के प्रमुख लक्षण क्या हैं ?
उत्तर-
जी घबराना, सिर दर्द, ठण्ड व कंपकपी के साथ ज्वर चढ़ना।

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प्रश्न 5.
प्लेग रोग किन कीटों के काटने से होता है?
उत्तर-
पिस्सुओं के काटने से।

प्रश्न 6.
प्लेग के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
उत्तर-
105°-107°F तक ज्वर, कभी-कभी उल्टियाँ तथा दस्त लगना, बगल तथा जाँघ में गिल्टियाँ निकलना।

प्रश्न 7.
डेंगू ज्वर किस मच्छर के काटने से होता है ?
उत्तर-
एडिस ऐजेप्टी।

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प्रश्न 8.
डेंगू ज्वर के क्या लक्षण हैं ?
उत्तर-
ज्वर, पीठ तथा अन्य अंगों में पीड़ा, भूख व नींद मर जाना तथा कमज़ोरी।

प्रश्न 9.
पुनराक्रमण ज्वर (रिलेप्सिंग ज्वर) किन कीटों द्वारा होता है ?
उत्तर-
नँ और खटमल के द्वारा रक्त चूसने से।

प्रश्न 10.
पुनराक्रमण ज्वर के मुख्य लक्षण क्या हैं ?
उत्तर-
ज्वर 104° फा० तक, शरीर पर गुलाबी रंग के दाने, कभी-कभी उल्टी व चक्कर।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम

प्रश्न 11.
तपेदिक या क्षय रोग के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
बाल-विवाह, अपूर्ण खुराक, कमज़ोरी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चींटियों से क्या नुकसान होता है ? इनसे बचाव के उपाय लिखो।
उत्तर-
चींटियाँ मृत जीव-जन्तु और गन्दगी की सफ़ाई करती हैं परन्तु ये काटकर नुकसान भी पहुंचाती हैं। चींटियाँ अगर खाने में पड़ जाती हैं तो खाना दूषित तथा थोड़ा विषैला हो जाता है।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 8
चित्र 6.8 चींटी
चींटियों से बचाव के उपाय-

  1. ये मीठे पदार्थों पर शीघ्र चढ़ती हैं अत: शहद व मुरब्बे आदि की शीशियों को पानी में रखना चाहिए।
  2. भोजन वाली डोली (अलमारी) के पाए पानी में रखने चाहिए।
  3. चींटियों की खुड्डों में बोरेक्स या हल्दी डाल देनी चाहिए।

प्रश्न 2.
मकड़ी से क्या हानि है ?
उत्तर-
मकड़ी गन्दे स्थानों पर पाई जाती है। यह घरेलू कीड़ेमकोड़े खाती है। यदि इसके मुँह से निकलने वाला लसलसा पदार्थ शरीर के किसी भी स्थान पर पड़ जाए तो वहाँ फफोले पड़ जाते हैं।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 9
चित्र 6.9 मकड़ी

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प्रश्न 3.
झींगुरों से बचाव के उपाय लिखो।
उत्तर-
झींगुर कागज़ व सूती कपड़े खाते हैं। आमतौर पर ये दिन में अन्धेरे कोनों में छिपे रहकर रात में बाहर आते हैं। झींगुरों से बचाव के उपाय निम्न हैं-
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 10
चित्र 6.10 झींगुर

  1. वस्त्रों में नैप्थलीन की गोलियाँ रखनी चाहिए।
  2. इनके स्थानों पर सुहागे, पाइरेथ्रम या गन्धक का प्रयोग मददगार होता है।
  3. समय-समय पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव इस कीट को नाश करने में सहायक होता है।
  4. इनकी संख्या बढ़ जाने पर बन्द कमरे में पाइरेथ्रम पाउडर को जलाकर उसके धुएँ से इन्हें मारा जाता है।
  5. इनकी रोकथाम का सर्वोत्तम उपाय घरों की सफ़ाई करते रहना है।

प्रश्न 4.
कपड़ों के कीड़े ( पतंगों) की रोकथाम के उपाय बताओ।
उत्तर-
कपड़ों के पतंगों के लारवा गर्म कपड़ों और बुनी पोषाकों को नष्ट करते हैं। अण्डे जो ऊनी कपड़ों में दिए जाते हैं, उनसे लारवा निकलते हैं। ये कपड़ों को खाते हैं जिनसे उनमें छेद हो जाते हैं। इनकी रोकथाम के उपाय निम्न हैं—

  1. कपड़ों को जल्दी-जल्दी धूप दिखाते रहने से इनके लारवा मर जाते हैं।
  2. ऊनी कपड़ों को अख़बार में लपेटकर टिन के हवाबन्द बक्स में रखना चाहिए। अख़बारों की मुद्रण स्याही से ये पतंगें दूर भागते हैं।
  3. कपूर और नैष्थलीन की गोलियाँ भी कपड़ों में रखने से बचाव होता है।

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प्रश्न 5.
दीमक की रोकथाम और नष्ट करने के उपाय बताओ।
उत्तर-
दीमक मनुष्य के शरीर को हानि नहीं पहुँचाती, परन्तु घर में फर्नीचरों, छतों, दरवाज़ों, अन्य लकड़ी के सामान, पुस्तकों, वस्त्रों आदि को नष्ट कर देती है। लकड़ी इनका मुख्य भोजन है। इनसे बचाव के निम्नलिखित उपाय करने चाहिए
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 11
चित्र 6.11 दीमक

  1. लकड़ी के समान, पुस्तकें आदि को सीलन से बचाना चाहिए।।
  2. लकड़ी की वस्तुओं में जो दरारें हों, उन्हें या तो भर देना | चाहिए या उनमें मिट्टी के तेल का छिड़काव करना चाहिए।
  3. जिन वस्तुओं में दीमक जल्दी लग जाती है उन्हें सप्ताह में एक बार धूप में रखना चाहिए।
  4. दीमक की सम्भावना वाले सामान पर डी० डी० टी० छिड़कते रहना चाहिए।

प्रश्न 6.
सिल्वर फिश किन चीज़ों को नुकसान पहुँचाती है ? इसकी रोकथाम के उपाय बताओ।
उत्तर-
यह घरों में तस्वीरों के फ्रेम के पीछे के गत्ते, किताबों और कपड़ों को खाती है। यह कृत्रिम रेशम, माँडी लगे कपड़े, कागज़ और लुगदी पर निर्भर होती है। इसकी रोकथाम के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. अलमारियों, दराज़ों और बक्सों को अच्छी तरह साफ़ रखना चाहिए।
  2. कागज़ के टुकड़ों जैसे अनावश्यक पदार्थों को घर में इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए।
  3. किताबों की समय-समय पर देखभाल की जानी चाहिए।
  4. पाइरेथ्रम का पाउडर छिड़कना चाहिए।
  5. पाइरेथ्रम तथा गन्धक का धुआँ भी सिल्वर फिश का नाश करता है।

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प्रश्न 7.
मच्छर से बचने के उपाय बताओ।
उत्तर-
मक्खी मच्छरों से बचने के उपाय

  1. घर के आँगन में या आस-पास पानी रुकने नहीं देना चाहिए।
  2. मच्छर शाम को काफी चुस्त होता है अतः शाम होते ही दरवाज़े व खिड़कियाँ बन्द कर देनी चाहिए।
  3. रात को सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
  4. मच्छर मारने के लिए फ्लिट का छिड़काव खासतौर पर मोटे पर्दो व अलमारियों के पीछे तथा अन्धेरे कोनों में करना चाहिए।
  5. कमरे में रात को तम्बाकू, धूप, नीम की पत्ती, अगरबत्ती व गन्धक की धूनी देनी चाहिए।
    PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 6 घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम 2
    चित्र 6.2 मच्छर
  6. सोने से पूर्व शरीर पर सरसों का तेल या ओडोमास क्रीम लगानी चाहिए।
  7. घर के आस-पास कूड़ा-करकट इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। घर और आसपास की जगह साफ़ रखनी चाहिए।

प्रश्न 8.
कीड़े-मकौड़ों को हम कितनी श्रेणियों में बांट सकते हैं ? प्रत्येक का उदाहरण दें।
उत्तर-
कीड़े-मकौड़ों को हम तीन श्रेणियों में बांट सकते हैं-

  1. खून-चूसने वाले-मच्छर,
  2. भोजन को ज़हरीला बनाने वाले-कीड़े,
  3. घर के सामान के नुक्सान पहुंचाने वाले-दीमक।

प्रश्न 9.
पिस्सू और खटमल को मारने के लिए क्या करेंगे ?
उत्तर-
देखें प्रश्न 7 (अभ्यास का) का उत्तर।।

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प्रश्न 10.
मच्छरों से क्या हानि है ? इसकी रोक-थाम कैसे करोगे ?
उत्तर-
मच्छरों से नुकसान

  1. मलेरिया-मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से।
  2. डेंगू बुखार-एडिस एजेप्टी मच्छर के काटने से।
  3. फाइलेरिया-मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से।
  4. मस्तिष्क ज्वर-क्यूलेक्स की जाति के कारण।
  5. पीत ज्वर-एडिस मच्छर के काटने से।

प्रश्न 11.
मक्खियों के बचाव के लिए आप क्या करेंगे तथा इनका क्या नुक्सान है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 12.
(क) नीम, तम्बाकू या तुलसी का पौधा घर में क्यों लगाना चाहिए?
(ख) साँप बिच्छ्र से बचने के लिए क्या करोगे?
उत्तर-
नीम, तम्बाकू व तुलसी के पौधे घरों में दुर्गन्धनाशक, कीटनाशक व कीट प्रतिकारक होते हैं।
नीम की पत्तियों को अनाजों के बीच रखकर अनाजों को कीटों से सुरक्षित रखा जाता है। नीम की पत्तियाँ ऊनी कपड़ों को सुरक्षित रखती हैं।
तम्बाकू की पत्तियों का धुआँ कीटनाशक होता है। तम्बाकू की धूल से खमीरा बनाया जाता है जिसके धुएँ से कीट मर जाते हैं। इससे एक कीटनाशक औषधि निकोटीन सल्फेट भी बनाई जाती है।
तुलसी का पौधा साँप के काटे में विषमारक के रूप में काम आता है। साँप से बचने के उपाय

  1. घर के निकट की झाड़ियाँ काट देनी चाहिए।
  2. घर के आस-पास की ज़मीन, घर की दरारों और छेदों में फिनाइल डालनी चाहिए।
  3. तम्बाकू के पत्ते उबालकर छिड़कना चाहिए।
  4. नेवला व बिल्ली पालने से भी साँप से बचाव होता है।

बिच्छू से बचने के उपाय-

  1. कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल कर सभी कीटों को मार देना चाहिए।
  2. घर के सभी, खासकर अन्धेरे स्थानों को नियमित रूप से साफ़ करना चाहिए।

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घरेलू कीड़ों और जीव-जन्तुओं की रोकथाम PSEB 8th Class Home Science Notes

  • कीड़े-मकौड़ों को हम तीन श्रेणियों में बाँट सकते हैं
    • खून चूसने वाले,
    • भोजन को ज़हरीला बनाने वाले,
    • घर के सामान को नुकसान पहुँचाने वाले।
  • एनोफेलीज़ जाति के मच्छर की मादाओं के काटने से मलेरिया रोग फैलता है।
  • क्यूलेक्स जाति के मच्छरों के काटने से भी यह रोग होता है।
  • मच्छर मारने के लिए फ्लिट छिड़कना चाहिए ।
  • अगर मच्छर काट ले और दर्द हो तो थोड़ा अमोनिया लगा लेना चाहिए।
  • खटमल गन्दे फर्श, दरी या टूटे फर्श की दरार और खाट के सिरों में रहते हैं।
  • खटमल लाल भूरे रंग का कीड़ा होता है।
  • चूहे के पिस्सू प्लेग की बीमारी फैलाते हैं।
  • कॉकरोच और तिलचट्टा भोजन और सामान दोनों चीज़ों को खराब करता है।
  • दीमक कागज़, लकड़ी आदि को नष्ट करती है। यह लकड़ी को अन्दर खाकर खोखला कर देती है।
  • झींगुर कपड़ों और पुस्तकों को नष्ट करती है।
  • कपड़े के कीड़े रेशम के कपड़े और ऊनी कपड़ों को खाते हैं।
  • चूहे प्लेग के पिस्सू पैदा करते हैं।
  • छिपकली छोटे-छोटे कीड़े-मकौड़े खाकर नुकसान की बजाए हमारी मदद करती है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

PSEB 8th Class Agriculture Guide पनीरियाँ तैयार करना Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सब्जियों के बीजों की शोध किस औषधि से की जाती है ?
उत्तर-
कैप्टान या थीरम।

प्रश्न 2.
टमाटर की पनीरी की बिजाई बोआई का उपयुक्त समय बताएं।
उत्तर-
नवम्बर का पहला सप्ताह, जुलाई का पहला पखवाड़ा।

प्रश्न 3.
मिर्च की पनीरी कब बोनी चाहिए ?
उत्तर-
अक्तूबर के आखिरी सप्ताह से आधे नवम्बर।

प्रश्न 4.
ग्रीष्म ऋतु के दो फूलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
सूरजमुखी, जीनिया।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 5.
शर्द ऋतु के दो फूलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
गुलेअशरफी, बरफ

प्रश्न 6.
सफैदे की नर्सरी लगाने का उपयुक्त समय कौन-सा है ?
उत्तर-
फरवरी-मार्च या सितम्बर-अक्तूबर।

प्रश्न 7.
पापलर की नर्सरी लगाने के लिए कलमों की लम्बाई कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर-
20-25 सैं०मी०

प्रश्न 8.
उस विधि का नाम बताएँ जिससे एक जैसी फलदार प्रजाति के पौधे तैयार किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
वनस्पति द्वारा; जैसे-कलमों के साथ।

प्रश्न 9.
प्याज की एक एकड़ की पनीरी तैयार करने के लिए कितना बीज बीजना चाहिए ?
उत्तर-
4-5 किलो बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 10.
दो फलों के नाम बताओ जो कि प्योंद आरोपन से तैयार किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
आम, अमरूद, सेब, नाशपाती।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कौन-कौन सी सब्जियाँ पनीरी द्वारा लगाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
शिमला मिर्च, बैंगन, प्याज, टमाटर, बंदगोभी, बरोकली, चीनी बंदगोभी, मिर्च आदि।

प्रश्न 2.
टमाटर तथा मिर्च की पनीरी की तैयारी के लिए बोआई का समय व प्रति एकड़ बीज की मात्रा के संबंध में बताएँ ।
उत्तर-

सब्जी बिजाई का समय प्रति एकड़ बीज की मात्रा
टमाटर नवम्बर का पहला सप्ताह, जुलाई का पहला पखवाड़ा (प्रथम पक्ष) 100 ग्राम
मिर्च अक्तूबर के अंतिम सप्ताह से अर्द्ध नवम्बर तक 200 ग्राम

 

प्रश्न 3.
सर्दी के कौन-कौन से दो फूल हैं और उनकी बोआई कब हो सकती है ?
उत्तर-
गेंदा, गुलअशर्फी समय सितम्बर से मार्च का है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 4.
सब्जियों की नर्सरी में पनीरी की जीवन रक्षा के लिए कौन-सी दवा डालनी चाहिए ?
उत्तर-
पनीरी को मरने से बचाने के लिए कैपटान या थीरम दवाई का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 5.
वनस्पति द्वारा कौन-कौन से फलयुक्त (फलदार) पौधे तैयार किए जाते
उत्तर-
वनस्पति द्वारा निम्नलिखित फलदार पौधे तैयार किए जाते हैं-आम, अमरूद, आलूचा, नींबू जाति, आड़, अंगूर, अनार, अंजीर, सेब, नाशपाती आदि।

प्रश्न 6.
बीज द्वारा कौन-कौन से फलयुक्त (फलदार) पौधे अच्छी तरह तैयार होते हैं ?
उत्तर-
बीज के द्वारा फलदार पौधे जैसे- पपीता, करौंदा, जामुन, फालसा आदि तैयार किए जाते हैं।

प्रश्न 7.
पापलर की पनीरी तैयार करने हेतु उपयुक्त विधि बताएँ।
उत्तर-
इसकी नर्सरी एक साल के पौधों से तैयार करनी चाहिए। कलमें 20-25 सैं०मी० लम्बाई वाली हों और 2-3 सैं०मी० मोटाई वाली हो। दीमक और बीमारियों से बचाने के लिए कलमों को क्लोरपेरीफास और एमिसान के साथ सुधाई कर लें। इन्हें अर्द्ध जनवरी से अर्द्ध मार्च तक लगाया जाना चाहिए। कलमों की एक आँख ऊपर रखकर शेष को भूमि में दबा दें तथा भूमि को गीला रखें जब तक कलम अंकुरित न हो जाए।

प्रश्न 8.
धरेक की नर्सरी तैयार करने हेतु बीज कैसे एकत्र करना चाहिए ?
उत्तर-
डेक की नर्सरी के लिए सेहतमंद अच्छे बढ़ने वाले और सीधे जाने वाले वृक्षों से ही बीज इकट्ठे करने चाहिए। गटोलियों को नवम्बर-दिसम्बर के महीने में इकट्ठा करना चाहिए।

प्रश्न 9.
फलयुक्त पौधों की नर्सरी किन विधियों से तैयार की जाती है ?
उत्तर-
फलदार पौधों की नर्सरी बीज के द्वारा और वनस्पति के द्वारा तैयार की जाती है। वनस्पति के द्वारा तैयार करने के ढंग हैं-कलमों द्वारा, दाब के साथ पौधे तैयार करना, प्योंद चढ़ाना, जड़ मूढ़ पर आँख फिट करना।

प्रश्न 10.
कलम के द्वारा पौधे तैयार करने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
कलम द्वारा पौधे कम समय में आसानी से तथा सस्ते तैयार हो जाते हैं। पौधे एकसार और एक ही नसल तथा आकार के तैयार किए जाते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

(इ) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
पनीरी तैयार करने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-

  1. बीज कीमती हैं और पनीरी तैयार करने के लिए इनकी ज़रूरत होती है।
  2. कई बीज बहुत ही छोटे आकार के होते हैं। इनको सीधा खेत में बीजना मुश्किल होता है।
  3. नर्सरी कम जगह में तैयार हो जाती है। इसलिए इसकी देखभाल अच्छी तरह से की जा सकती है।
  4. भूमि का अच्छा प्रयोग हो जाता है, पनीरी तैयार होने तक, खाली जमीन को किसी अन्य फसल के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
  5. कमज़ोर और खराब पौधों को खेत में लगाने से पहले ही निकाला जा सकता है।
  6. कम जगह होने के कारण पनीरी को गर्मी और सर्दी की मार से आसानी से बचाया जा सकता है।
  7. पनीरी को कीड़ों और बीमारियों से बचाना आसान है और खर्चा भी कम होता
  8. पनीरी आवश्यकता अनुसार अगेती तथा पछेती बोई जा सकती है तथा फसल से अधिक लाभ लिया जाता है।

प्रश्न 2.
सब्जियों की पनीरी तैयार करने के लिए भूमि की शुद्धि के विषय में बताएँ।
उत्तर-
सब्जियों की पनीरी तैयार करने के लिए भूमि का चुनाव करके आवश्यकता अनुसार उचित क्यारियाँ बनाई जाती हैं। इन क्यारियों की मिट्टी को बीज बोने से पहले शुद्ध पनीरियाँ तैयार करना किया जाता है। ताकि पनीरी को मिट्टी से कोई बीमारी न लग सके। मिट्टी को फार्मालीन दवाई 15-20% ताकत के घोल के साथ शुद्ध किया जाता है। ये घोल एक लीटर पानी में तैयार करना हो तो 15-20 मिलीलीटर दवाई का प्रयोग किया जाता है। परन्तु एक वर्ग की ज़मीन के लिए 2-3 लीटर घोल की ज़रूरत होती है। इस घोल से भूमि की 15 सैं०मी० ऊपरी सतह को अच्छी तरह से गीला (लबालब) किया जाता है। फिर इस मिट्टी को पालीथीन की शीट से ढक के शीट के किनारों को मिट्टी में दबा दिया जाता है। इसको 72 घण्टों के लिए ढक के रखा जाता है और इस तरह दवाई में से निकलने वाली गैस बाहर नहीं निकलती और इससे अच्छा असर हो जाता है। इसके बाद 3-4 दिनों तक क्यारियों की मिट्टी को पलटा दीजिए ताकि फार्मालीन का प्रभाव समाप्त हो जाए और क्यारियों में बुआई कर दो।

प्रश्न 3.
दाब से फलयुक्त (फलदार) पौधे कैसे तैयार किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
इस ढंग में माँ पौधे से नया पौधा अलग किए बगैर पहले ही उसके ऊपर जड़ें पैदा की जाती हैं। फलदार पौधे की एक शाख खींच कर इसको भूमि के पास लाकर बांध दिया जाता है। इसके निचले हिस्से में एक कट लगा कर इसको मिट्टी के साथ ढक दिया जाता है। इस तरह जड़ें जल्दी बनती हैं। इस शाख के पत्तों वाला भाग हवा में ही रखा जाता है। कुछ सप्ताह बाद जब इसकी जड़ें निकल आएं तो नए पौधे को काट कर गमले में या नर्सरी में लगा दिया जाता है।

प्रश्न 4.
सफैदे की नर्सरी तैयार करने संबंधी संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर-
सफैदे की नर्सरी तैयार करने के लिए अच्छे ढंग के साथ कृषि किए गए 4 साल की आयु से बड़े सफैदों में से सेहतमंद और ज्यादा तने वाले 2-3 पेड़ चुन के इनमें से बीज लिया जाता है। बीज लेने के लिए पौधे के ऊपर से शाख काटकर उससे लेने चाहिए न कि बीज ज़मीन से उठाने चाहिए। अच्छे पौधे से इकट्ठा किया गया बीज ही अच्छी पैदावार करता है। नर्सरी बोने का उपयुक्त समय फरवरी-मार्च से सितम्बर-अक्तूबर का है। नर्सरी गमलों में या उभरी क्यारियों में बोनी चाहिए।

प्रश्न 5.
प्योंद चढ़ाने की विधि बताएँ।
उत्तर-
इस तरीके में माँ पौधे की एक शाख जिस के ऊपर 2-3 आँखें हों, को जड़मुढ पौधे के ऊपर प्योंद किया जाता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि आँख उस पौधे से ली जाए जो अच्छा फल या फूल दे रहा हो और बीमारी से रहित हो। स्वस्थ आँख को चाकू की मदद से माँ पौधे से उतार दिया जाता है। जड़-मुढ़ पौधे के मुढ़ के ऊपर छील में इस प्रकार से कट लगाया जाता है ताकि आँख इसमें फिट हो सके। आँख को फिट करके इसके चारों तरफ से लपेट दिया जाता है तांकि कट बंद हो जाए। इस विधि का प्रयोग बसंत ऋतु में या बरसात में किया जाता है। आम, सेब, नाशपती, गुलाब आदि के लिए यह तरीका आजमाया जाता है।

प्रश्न 6.
शीशम की नर्सरी तैयार करने के लिए संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
टाहली (शीशम) की नर्सरी तैयार करने के लिए इसकी पकी हुई फलियों को दिसम्बर से जनवरी के महीने में सेहतमंद और सीधे तने वाले पेड़ों से इकट्ठी करनी चाहिए। नर्सरी गमलों, लिफाफों या क्यारियों में तैयार की जा सकती है। नर्सरी तैयार करने का सही समय जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त है। बोवाई से पहले फलियों या बीजों को 48 घण्टों के लिए ठंडे पानी में डूबो कर रखना चाहिए। बीज को 1 से 1.5 सैं० मी० गहरा बीजना चाहिए। 10-15 दिनों बाद बीज अंकुरित होने शुरू हो जाते हैं। जब पौधे 5-10 सैं०मी० ऊँचे हो जाएं तो इनको 15 × 10 सैं०मी० दूरी पर खुला रखना चाहिए। एक एकड़ में नर्सरी की क्यारियाँ तैयार करने के लिए 2-3.5 किलो फलियों की ज़रूरत होती है। इसमें से 60,000 पौधे तैयार हो सकते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 7.
फूलों की पनीरी तैयार करने की विधि बताएँ।
उत्तर-
फूलों की पनीरी तैयार करने के लिए ऊँची क्यारियाँ या गमलों का प्रयोग किया जाता है। फूलों की पनीरी तैयार करने के लिए एक घन मीटर के हिसाब के साथ एक हिस्सा मिट्टी, एक हिस्सा पत्तों की खाद और एक हिस्सा रूड़ी की खाद में 45 ग्राम मियूरेट ऑफ़ पोटाश, 75 ग्राम किसान खाद, 75 ग्राम सुपरफास्फेट का मिश्रण मिलाओ। पनीरी तैयार करने के लिए बनाई क्यारियों के ऊपर तैयार खाद के मिश्रण की 2-3 सैं०मी० परत डालो। फिर इस सतह के ऊपर बीज बिखेर दो और इसी मिश्रण के साथ इसको ढक दो। तुरन्त फव्वारे के साथ पानी दीजिए। यदि ये बीज नंगे हो जाएं तो इसे फिर मिश्रण के साथ ढक दीजिए। क्यारियों को लगातार गीला रखना चाहिए। पनीरी तैयार होने को 30-40 दिन लगते हैं।

प्रश्न 8.
क्यारियाँ तैयार करने के विषय में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
सब्जियों की पनीरी तैयार करने के लिए क्यारियाँ तैयार की जाती हैं। इसलिए खेत की अच्छी तरह से जुताई की जाती है और इसमें 1-1.25 मीटर चौड़ाई वाली क्यारियाँ तैयार की जाती हैं। यह ज़मीन से 15 सैं०मी० ऊँची बनाई जाती है। अगर खेत समतल हो तो इनको 3-4 मीटर से भी लम्बा बनाया जाता है, नहीं तो 3-4 मीटर लम्बी तो बनाई जाती हैं। क्यारियाँ तैयार करने से पहले ज़मीन में 3-4 क्विंटल गली-सड़ी गोबर की खाद प्रति मरले के हिसाब के साथ मिला देनी चाहिए। क्यारियों में बोवाई से कम-से-कम 10 दिन पहले पानी दो ताकि नदीनों को उगने का मौका मिल जाए, इस तरह बाद में नर्सरी में नदीनों की समस्या नहीं आएगी।

प्रश्न 9.
भूमि का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
पनीरी तैयार करने के लिए जमीन का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य बातें—

  1. जगह ऐसी हो जहाँ कम-से-कम 8 घंटे सूरज की रोशनी पड़ती हो।
  2. यहाँ पेड़ों की छाया नहीं होनी चाहिए।
  3. ज़मीन में पत्थर-रोड़े नहीं होने चाहिए।
  4. पानी का उचित प्रबन्ध होना।
  5. पानी निकास का उचित प्रबन्ध हो।
  6. रेतीली मैरा ज़मीन या चिकनी मैरा ज़मीन नर्सरी तैयार करने के लिए अच्छी मानी जाती है।

प्रश्न 10.
फलदार पौधों की नर्सरी किन विधियों से तैयार करनी चाहिए ?
उत्तर-
फलदार पौधों की नर्सरी को दो तरीकों के साथ तैयार किया जा सकता है(—
(1) बीज द्वारा
(2) वनस्पति द्वारा।

  1. बीज द्वारा नर्सरी तैयार करना-बीज द्वारा पौधे तैयार करना आसान और सस्ता तरीका है, पर इस तरीके के साथ तैयार किए पौधे एकसार नसल के नहीं होते और आकार
  2. वनस्पति द्वारा इस विधि द्वारा पौधे तैयार करने के तरीके हैं—
    • कलमों द्वारा
    • दाब के साथ पौधे तैयार करना
    • प्योंद चढ़ाना
    • जड़-मुढ़ पर आँख चढ़ाना।

इस तरीके के साथ पौधे एकसार नसल और आकार के होते हैं। फल भी जल्दी देते हैं। इसलिए वनस्पति द्वारा नर्सरी तैयार करने को पहल दी जाती है।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB पनीरियाँ तैयार करना Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सब्जियों की पनीरी तैयार करने का कमाई पक्ष के हिसाब से भविष्य कैसा है ?
उत्तर-
बहुत अच्छा है।

प्रश्न 2.
पनीरी वाली जगह पर सूरज की रोशनी कितने घंटे पड़नी चाहिए ?
उत्तर-
कम-से-कम 8 घण्टे।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 3.
पनीरी तैयार करने के लिए कौन-सी मिट्टी अच्छी है ?
उत्तर-
रेतीली मैरा या चिकनी मैरा।

प्रश्न 4.
सब्जी की पनीरी के लिए क्यारी की चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
1.0-1.25 मीटर चौड़ाई।

प्रश्न 5.
सब्जी की पनीरी के लिए क्यारियाँ ज़मीन से कितनी ऊँची होनी चाहिए ?
उत्तर-
15 सैं०मी०।

प्रश्न 6.
सब्जी की पनीरी के लिए क्यारी की लम्बाई बताओ।
उत्तर-
कम-से-कम 3-4 मीटर।

प्रश्न 7.
सब्जी की पनीरी के लिए तैयार क्यारियों की शोध के लिए कौन-सी दवाई है?
उत्तर-
फार्मालीन 15-20% ताकत।

प्रश्न 8.
सब्जी की पनीरी के बीज की शोध कौन-सी दवाई के साथ की जाती है ?
उत्तर-
कैप्टान या थीरम।

प्रश्न 9.
बैंगन की पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
अक्तूबर-नवम्बर, फरवरी-मार्च और जुलाई।

प्रश्न 10.
अगेती फूलगोभी की पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
मई-जून।

प्रश्न 11.
मुख्य फसल के लिए फूलगोभी की पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
जुलाई-अगस्त।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 12.
पिछेती फूलगोभी के लिए पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
सितम्बर-अक्तूबर।

प्रश्न 13.
आषाढ़ी के प्याज की पनीरी लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
मध्य अक्तूबर से मध्य जून तक।

प्रश्न 14.
सावनी के प्याज लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
मध्य मार्च से मध्य जन तक।

प्रश्न 15.
बैंगन, शिमला मिर्च की पनीरी लगाने के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
एक एकड़ के लिए बीज की मात्रा 400 ग्राम मात्रा और इसी तरह मिर्च के लिए 200 ग्राम है।

प्रश्न 16.
फूलगोभी के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
500 ग्राम प्रति एकड़।

प्रश्न 17.
फूलगोभी का मुख्य और पछेती फसल के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
250 ग्राम प्रति एकड़ दोनों के लिए।

प्रश्न 18.
अच्छा फायदा देने वाले फूल कौन-से हैं ?
उत्तर-
गलदाऊदी, डेलिया, मौसमी फूल।

प्रश्न 19.
फूलों की पनीरी कितने दिनों में तैयार हो जाती है ?
उत्तर-
30-40 दिनों में।

प्रश्न 20.
कलमों द्वारा तैयार किए जाने वाले फलदार पौधे कौन-से हैं ?
उत्तर-
अनार, मिट्ठा, आलूचा, अंजीर आदि।

प्रश्न 21.
कलम की लम्बाई और आँखों की गिनती बताओ।
उत्तर-
लम्बाई 6-8 ईंच और आँखों की गिनती 3-5.

प्रश्न 22.
उस पौधे को क्या कहते हैं? जिसके ऊपर प्योंद की जाती है।.
उत्तर-
जड़ मुढ़।

प्रश्न 23.
कौन-से फूल को प्योंद चढ़ा कर तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
गुलाब।

प्रश्न 24.
वन खेती वाले पौधे कौन-से हैं ?
उत्तर-
पापलर, सफेदा, डेक, टाहली।

प्रश्न 25.
पापलर की कलम की लम्बाई तथा मोटाई बताओ।
उत्तर-
20-25 सैं०मी० लम्बी और 2-3 सैं०मी० मोटी।

प्रश्न 26.
पापलर की कलमों को दीमक और बीमारियों से बचाने के लिए कौन-सी दवाई है ?
उत्तर-
क्लोरपेरीफास और एमीसान।

प्रश्न 27.
पापलर की नर्सरी के लिए अच्छा समय बताओ।
उत्तर-
मध्य जनवरी से मध्य मार्च।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 28.
पापलर के कितने साल वाले पौधे खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं ?
उत्तर-
एक साल के।

प्रश्न 29.1
सफेदे की पनीरी लगाने के लिए सही समय बताएं।
उत्तर-
फरवरी-मार्च या सितम्बर-अक्तूबर।

प्रश्न 30.
डेक की गटोलियाँ कब इकट्ठी की जाती हैं ?
उत्तर-
नवम्बर-दिसम्बर में।

प्रश्न 31.
डेक की नर्सरी बीजने का समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च।

प्रश्न 32.
डेक के बीज कितने समय में अंकुरित होने शुरू हो जाते हैं ?
उत्तर-
तीन सप्ताह के बाद।

प्रश्न 33.
पंजाब का राज्य वृक्ष कौन-सा है ?
उत्तर-
टाहली।

प्रश्न 34.
टाहली के बीजों को बोने से पहले कितने घंटे पानी में डूबो कर रखना चाहिए ?
उत्तर-
48 घंटों के लिए ठंडे पानी में।

प्रश्न 35.
एक एकड़ के लिए नर्सरी बोने के लिए टाहली की कितनी फलियां चाहिए ?
उत्तर-
2.0 से 3.5 किलो फलियां।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किस तरह की सब्जी की पनीरी तैयार की जा सकती है ?
उत्तर-
ऐसी सब्जियां जो उखाड़ कर दोबारा लगाने का झटका सह सकती हैं, उनकी पनीरी सफलतापूर्वक तैयार की जा सकती है।

प्रश्न 2.
सब्जियों की पनीरी के लिए कैसी भूमि का चुनाव करना चाहिए?
उत्तर-
जहाँ पर कम-से-कम 8 घंटे सूरज की रोशनी उपलब्ध हो और वृक्ष की छांव न हो और भूमि में पत्थर न हों।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 3.
पनीरी के लिए रेतीली मैरा या चिकनी मैरा मिट्टी बढ़िया क्यों है ?
उत्तर-
इस मिट्टी में मल्ल और चिकनी मिट्टी ठीक मात्रा में होती है इसलिए।

प्रश्न 4.
सब्जियों की पनीरी के लिए क्यारियों के आकार के बारे में बताओ।
उत्तर–
क्यारियों की चौड़ाई 1.0 से 1.25 मीटर भूमि से 15 सैंमी० ऊँचाई और 3-4 मीटर लम्बी बनाओ।

प्रश्न 5.
भूमि की शुद्धि के बाद फार्मालीन का असर कैसे खत्म किया जाता है ?
उत्तर-
3-4 दिनों के लिए एक से दो बार क्यारियों की मिट्टी पलट कर फार्मालीन का असर खत्म किया जाता है।

प्रश्न 6.
सब्जियों के बीज की गहराई तथा पंक्तियों में फासला बताओ।
उत्तर-
बीज को 1-2 सैं०मी० गहराई और पंक्तियों में फासला 5 सैं०मी० रखकर बुवाई कीजिए।

प्रश्न 7.
सब्जियों की पनीरी को उखाड़ कर खेत में लगाने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण बातें बताइए।
उत्तर-

  1. जब सब्जियों की पनीरी 4-6 सप्ताह की हो जाए तो उखाड़ने के योग्य हो जाती है।
  2. पनीरी को उखाड़ने के 3-4 दिन पहले नर्सरी को पानी नहीं देना चाहिए।
  3. पनीरी को हमेशा शाम को उखाड़ कर खेतों में लगाना चाहिए।
  4. पनीरी खेत में लगाने के बाद तुरन्त पानी लगा देना चाहिए।

प्रश्न 8.
मौसमी फूलों की पनीरी तैयार करने के लिए खादों का विवरण दें।
उत्तर-
75 ग्राम किसान खाद, 75 ग्राम सुपरफास्फेट, 45 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश का मिश्रण, एक हिस्सा मिट्टी, एक हिस्सा पत्तों की खाद और एक हिस्सा रूढ़ी खाद प्रति घन मीटर के हिसाब से मिलाया जाता है।

प्रश्न 9.
बीज द्वारा तैयार फलदार पौधों में क्या समस्या आती है ?
उत्तर-
बीज से तैयार पौधे एक जैसे नहीं होते, आकार में भी बड़े हो जाते हैं और इनकी देखभाल मुश्किल होती है।

प्रश्न 10.
वनस्पति द्वारा तैयार पौधों का क्या लाभ है ?
उत्तर-
यह एक जैसे नसल और एक आकार के होते हैं। यह फल भी जल्दी देते हैं। इनके फलों के आकार, रंग और गुण भी एक जैसे होते हैं।

प्रश्न 11.
पापलर की कलमों के बारे में बताओ।
उत्तर–
पापलर की कलमें एक साल की आयु में पौधों से तैयार करनी चाहिए न कि कांट-छांट और टहनियों से। यह 20-25 सैं०मी० लम्बी और 2-3 सैं०मी० मोटी होनी चाहिए।

प्रश्न 12.
पापलर की कलमों को दीमक और बीमारियों से बचाने का क्या तरीका है ?
उत्तर-
कलमों को 0.5 प्रतिशत क्लोरपेरीफास, 20 ताकत के घोल में 10 मिनट डुबोने के बाद 0.5% एमिसान पाऊडर के घोल में 10 मिनट के लिए डूबो कर प्रयोग किया जाता

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
विभिन्न फलों के लिए पत्ते लेने की विधि बताओ।
उत्तर-

फल पत्ते लेने की विधि
आम मार्च-अप्रैल में 5-7 महीनों के 30 पत्ते लो। जिन शाखों से पत्ते लेने हैं उन्हें फल तथा फूल न लगे हों।
आलूचा उसी वर्ष की शाखों (फोट) के बीच से मध्य मई से मध्य जुलाई तक में 3-4 महीने के 100 पत्ते लो।
आडू उसी वर्ष की शाखों (फोट) के बीच से मध्य मई से मध्य जुलाई में 3-4 महीने के 100 पत्ते लो।
अमरूद 5-7 महीने पुरानी बीच वाली शाखों से (जहां फल न लगे हों) अगस्तअक्तूबर में 50-60 पत्ते लो।
नींबू जाति फल के बिल्कुल पीछे से 4-8 महीने पुराने 100 पत्ते जुलाई-अक्तूबर तक लो।
बेर उसी वर्ष की शाखों (फोट) के बीच से 5-7 महीने के 70-80 पत्ते नवम्बर-जनवरी में लो।
नाशपाती उसी वर्ष की शाखों (फोट) के बीच से 4-6 महीने के 50-60 पत्ते जुलाई-सितम्बर में लो।

 

प्रश्न 2.
आम की प्योंद करने के बारे आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
आमों की कृषि प्योंद द्वारा की जाती है। इस उद्देश्य के लिए अच्छी तरह तैयार किए खेत में आम की गुठलियों को अगस्त महीने में बो देना चाहिए। इन्हें उगने में 2 हफ्ते लगते हैं। उगने के पश्चात् जब पत्ते हल्के रंग के ही हों तथा पत्ते का आकार साधारण से 1/4 हिस्सा हो तो यह पौधे उखाड़ लें। पौध के लिए पौधे अप्रैल तक पूरी तरह तैयार हो जाते हैं। प्योंद करने से पहले साफ-सुथरी तथा मज़बूत आंख तैयार कर लेनी चाहिए। प्योंद डाली का चुनाव करके उसके पत्ते उतार दें। 7-10 दिनों में डंडियां सूख कर गिर जाएंगी तथा आंखें थोड़ा ऊपर आ जाती हैं। इस प्योंद डाली को काट कर प्योंद कर दें। इस तरह प्योंद हुई डाली के निचले सिरे पर भी तिरछी कट लगा दें तथा उससे भी छील उतार दो। इस डाली की लम्बाई 8 सें० मी० से अधिक भी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अधिक लम्बाई से प्योंद डाली टूट सकती है। तैयार की हुई प्योंद काटे हुए छिलके के नीचे फंसा दी जाती है। बाद में कटे हुए छिलके को उसकी वास्तविक स्थिति में लाया जाता है। प्योंद किए भाग को 150200 गेज की पॉलीथीन पट्टियों से कस कर बांध दो। प्योंद करने के पश्चात् पौधे का ऊपरी सिरा वहीं रहने दिया जाता है तथा प्योंद की आंख फूट पड़ने के बाद पौधे का उससे ऊपरी हिस्सा काट दिया जाता है। इस विधि से आम की प्योंद मार्च से अक्तूबर महीने तक करनी चाहिए पर मई से अक्तूबर के महीने इसकी सफलता कम होती है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

प्रश्न 3.
नाशपाती, आड़ तथा अलूचे की पनीरी तैयार करने के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-

  1. नाशपाती-इसकी प्योंद जंगली नाशपाती अथवा कैंथ के पौधों से की जाती है। टंग ग्राफ्टिंग जनवरी-फरवरी के महीने जबकि टी-बडिंग तरीके से पौध जून से अगस्त महीने में की जाती है। एक वर्ष से तीन वर्ष तक के पौधे सर्दियों में मध्य फरवरी तक तथा बड़ी आयु के पौधे दिसम्बर के अन्त तक लगाने चाहिएं।
  2. आलूचा-आलूचा जनवरी के मध्य तक लगाने चाहिएं। इन दिनों में पौधे सुप्तावस्था में होते हैं। आलूचे को सीधा काबल ग्रीन गेज की कलम पर ग्राफ्ट करके लगाओ। उनके निचले 5-7.5 सें० मी० हिस्से को आई० ऐ० 100 पी० पी० एम० के घोल में 24 घण्टे के लिए डुबो कर रखना चाहिए।
  3. आड़-उनकी वृद्धि पौध द्वारा अथवा आंख चढ़ा कर की जाती है। आडुओं की नस्ली वृद्धि के लिए शर्बती अथवा देसी किस्म के आड़ जैसे खुमानी के बीजों से तैयार हुई पौधों की जाती है। क्योंकि फ्लोरिडाशन किस्म के बीज कम होते हैं, इसलिए नस्लीय वृद्धि के लिए इनका प्रयोग नहीं किया जाता।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. शीशम पंजाब का राज्य वृक्ष है
  2. सब्जियों के बीज की सुधाई कैपटान से की जाती है।
  3. सूर्यमुखी सर्दी का फूल है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
सर्दी का फूल है—
(क) गेंदा
(ख) बर्फ
(ग) फलोक्स
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 2.
अगेती फूल गोभी की पनीरी लगाने का समय है—
(क) मई-जून
(ख) जनवरी
(ग) दिसंबर
(घ) कोई नहीं
उत्तर-
(क) मई-जून

प्रश्न 3.
वन्य कृषि वाला पौधा है—
(क) पापलर
(ख) पीपल
(ग) अमरूद
(घ) आम।
उत्तर-
(क) पापलर

रिक्त स्थान भरें

  1. गुलशर्फी ………. ऋतु का फूल है।
  2. शिमला मिर्च की सब्जी ………… द्वारा लगाई जाती है।
  3. फूलगोभी की मुख्य फसल के लिए बीज की मात्रा है …………… ग्राम प्रति एकड़ है।

उत्तर-

  1. सर्दी,
  2. पनीरी,
  3. 250

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 2 पनीरियाँ तैयार करना

पनीरियाँ तैयार करना PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • पनीरी कम भूमि में तैयार हो जाती है और यह एक लाभदायक व्यवसाय है।
  • सब्ज़ियाँ, फूलों, फलों और वनस्पति के पौधों की पनीरी तैयार करके अच्छी आय ली जा सकती है।
  • बीज मूल्यवान होते हैं और पनीरी तैयार करके इनका समुचित प्रयोग किया जा सकता है।
  • छोटे किसान स्वयं पनीरी उगा कर सब्जी की फसल की तुलना में कई गुणा ज़्यादा फायदा ले सकते हैं।
  • उन सब्जियों की ही पनीरी सफलता से उगाई जा सकती है, जो ऊखाड़ कर फिर दोबारा लगाए जाने के झटके (आघात) को सहन कर सके।
  • पनीरी लगाई जाने वाले स्थान पर कम-से-कम 8 घंटे सूरज की रोशनी पड़नी चाहिए।
  • पनीरी वाली क्यारियाँ भूमि से 15 सैं०मी० ऊँची होनी चाहिए।
  • क्यारियों की मिट्टी को बीज बोने से पहले फारमालीन दवाई से शुद्ध कर लेना चाहिए।
  • पनीरी वाले बीज को कैप्टान या थीरम से शुद्ध करके बोना चाहिए।
  • सब्जियों की पनीरी जब 4-6 सप्ताह की हो जाए तो उन्हें उखाड़ कर मुख्य खेत में लगा दीजिए।
  • गर्मी ऋतु के फूल हैं-सूरजमुखी, जीनिया, कोचिया आदि।
  • शर्द ऋतु के फूल हैं-गेंदा, गुलशर्फी, बरफ, गार्डन पी, फलोक्स आदि।
  • मौसमी फूलों की पनीरी 30-40 दिनों में तैयार हो जाती है।
  • फलयुक्त पौधे जैसे कि पपीता, जामुन, फालसा, करौंदा को जड़ आधार पद्धति से तैयार किए जाते हैं।
  • कलमों द्वारा तैयार किए जाते पौधे हैं-बारामासी नींबू, मिठा, आलूचा, अनार और अंजीर।
  • फलों के पौधे जैसे-किन्नू, आम, अमरूद, नाशपाती, आड़, सेब आदि को प्योंद द्वारा तैयार किया जाता है।
  • वन कृषि में पापलर, सफैदा, डेक (धरक) और (टाहली) आदि लगाए जाते हैं।
  • डेक की नर्सरी बीजों द्वारा तैयार की जाती है।
  • टाहली (शीशम) पंजाब का राज्य वृक्ष है।
  • कलमों को दीमक और बीमारियों से बचाने के लिए क्लोरपेरीफास और एमिसान का प्रयोग किया जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज

SST Guide for Class 8 PSEB ग्रामीण जीवन तथा समाज Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें:

प्रश्न 1.
स्थायी बन्दोबस्त किसने, कब तथा कहां आरंभ किया ?
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त लार्ड कार्नवालिस ने 1793 ई० में बंगाल में आ म किया। बाद में यह व्यवस्था बिहार, उड़ीसा, बनारस तथा उत्तरी भारत में भी लागू की गई।

प्रश्न 2.
रैयतवाड़ी व्यवस्था किसने, कब तथा कहां-कहां शुरू की गई ? (P.B. 2009 Set-B)
उत्तर-
रैयतवाड़ी व्यवस्था 1820 ई० में अंग्रेज़ अधिकारी थॉमस मुनरो ने मद्रास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) में शुरू की।

प्रश्न 3.
महलवाड़ी व्यवस्था कौन-से तीन क्षेत्रों में लाग की गयी?
उत्तर-
महलवाड़ी व्यवस्था उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा मध्य भारत के कुछ प्रदेशों में लागू की गयी।

प्रश्न 4.
कृषि का वाणिज्यीकरण कैसे हुआ ?
उत्तर-
अंग्रेजी शासन से पूर्व कृषि गांव के लोगों की जरूरतों को ही पूरा करती थी। परन्तु अंग्रेजों द्वारा नई भूमिकर प्रणालियों के बाद किसान मण्डी में बेचने के लिए फसलें उगाने लगे ताकि अधिक-से-अधिक धन कमाया जा सके। इस प्रकार गांवों में कृषि का वाणिज्यीकरण हो गया।

प्रश्न 5.
वाणिज्यीकरण की मुख्य फ़सलें कौन-सी थीं ?
उत्तर-
वाणिज्यीकरण की मुख्य फ़सलें गेहूँ, कपास, तेल के बीज, गन्ना, पटसन आदि थीं।

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प्रश्न 6.
कृषि के वाणिज्यीकरण के दो मुख्य लाभ बतायें।
उत्तर-

  1. कृषि के वाणिज्यीकरण के कारण भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई जाने लगीं। इससे पैदावार में भी वृद्धि हुई।
  2. फ़सलों को नगर की मण्डियों तक ले जाने के लिए यातायात के साधनों का विकास हुआ।

प्रश्न 7.
कृषि के वाणिज्यीकरण के दो मुख्य दोष लिखें।
उत्तर-

  1. भारतीय किसान पुराने ढंग से कृषि करते थे। अतः मण्डियों में उनकी फ़सलें विदेशों में मशीनी कृषि द्वारा उगाई गई फ़सलों का मुकाबला नहीं कर पाती थीं। परिणामस्वरूप उन्हें अधिक लाभ नहीं होता था।
  2. मण्डी में किसान को अपनी फ़सल आढ़ती की सहायता से बेचनी पड़ती थी। आढ़ती मुनाफ़े का एक बड़ा भाग अपने पास रख लेते थे।

प्रश्न 8.
स्थायी बन्दोबस्त क्या था तथा उसके क्या आर्थिक प्रभाव पड़े ?
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त एक भूमि प्रबन्ध था। इसे 1793 ई० में लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल में लागू किया था। बाद में इसे बिहार, उड़ीसा, बनारस तथा उत्तरी भारत में लागू कर दिया गया। इसके अनुसार ज़मींदारों को सदा के लिए भूमि का स्वामी बना दिया गया। उनके द्वारा सरकार को दिया जाने वाला लगान निश्चित कर दिया गया। वे लगान की निश्चित राशि सरकारी खजाने में जमा करवाते थे। परन्तु किसानों से वे मनचाहा लगान वसूल करते थे। यदि कोई ज़मींदार लगान नहीं दे पाता था तो सरकार उसकी ज़मीन का कुछ भाग बेच कर लगान की राशि पूरी कर लेती थी।

आर्थिक प्रभाव-स्थायी बन्दोबस्त से सरकार की आय तो निश्चित हो गई, परन्तु किसानों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। ज़मींदार उनका शोषण करने लगे। ज़मींदार भूमि-सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे। फलस्वरूप किसान की पैदावार दिन-प्रतिदिन घटने लगी।

प्रश्न 9.
कृषि वाणिज्यीकरण पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना से पहले गांव आत्मनिर्भर थे। लोग कृषि करते थे जिसका उद्देश्य गांव की ज़रूरतों को पूरा करना होता था। फ़सलों को बेचा नहीं जाता था। गांव के अन्य कामगार जैसे कुम्हार, बुनकर, चर्मकार, बढ़ई, लुहार, धोबी, बारबर आदि सभी मिलकर एक-दूसरे की ज़रूरतों को पूरा करते थे। परन्तु अंग्रेज़ी शासन की स्थापना के बाद गांवों की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था समाप्त हो गई। नई भूमि-कर प्रणालियों के अनुसार किसानों को लगान की निश्चित राशि निश्चित समय पर चुकानी होती थी। पैसा पाने के लिए किसान अब मण्डी में बेचने के लिए फ़सलें उगाने लगे ताकि समय पर लगान चुकाया जा सके। इस प्रकार कृषि का उद्देश्य अब धन कमाना हो गया। इसे कृषि का वाणिज्यीकरण कहा जाता है। इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के बाद भारत में कृषि के वाणिज्यीकरण की प्रक्रिया और भी जटिल हो गई। अब किसानों को ऐसी फ़सलें उगाने के लिए विवश किया गया जिनसे इंग्लैण्ड के कारखानों को कच्चा माल मिल सके।

प्रश्न 10.
नील विद्रोह पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
नील विद्रोह नील की खेती करने वाले किसानों द्वारा नील उत्पादन पर अधिक लगान के विरोध में किये गये। 1858 ई० से 1860 ई० के बीच बंगाल तथा बिहार के एक बहुत बड़े भाग में नील विद्रोह हुआ। यहां के किसानों ने नील उगाने से इन्कार कर दिया। सरकार ने उन्हें बहुत डराया-धमकाया। परन्तु वे अपनी जिद्द पर अड़े रहे। जब सरकार ने कठोरता से काम लिया तो वे अंग्रेज़ काश्तकारों की फैक्टरियों पर हमला करके लूटमार करने लगे। उन्हें रोकने के लिए सभी सरकारी प्रयास असफल रहे।

1866-68 ई० में नील की खेती के विरुद्ध बिहार के चम्पारण जिले में विद्रोह हुआ। यह विद्रोह 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक जारी रहा। उनके समर्थन में गांधी जी आगे आए। तभी समस्या का समाधान हो सका।

प्रश्न 11.
महलवाड़ी व्यवस्था पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
महलवाड़ी व्यवस्था रैयतवाड़ी प्रबन्ध के दोषों को दूर करने के लिए की गयी। इसे उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा मध्य भारत के कुछ प्रदेशों में लागू किया गया। इस प्रबन्ध की विशेषता यह थी कि इसके द्वारा भूमि का सम्बन्ध न तो किसी बड़े ज़मींदार के साथ जोड़ा जाता था और न ही किसी कृषक के साथ। यह प्रबन्ध वास्तव में गांव के समूचे भाईचारे के साथ होता था। भूमि-कर देने के लिए गांव का समूचा भाईचारा ही उत्तरदायी होता था। भाई-चारे में यह निश्चित कर दिया गया था कि प्रत्येक किसान को क्या कुछ देना है। यदि कोई किसान अपना भाग नहीं देता था तो उसकी प्राप्ति गांव के भाई-चारे से की जाती थी। … इस प्रबन्ध को सबसे अच्छा प्रबन्ध माना जाता है क्योंकि इसमें पहले के दोनों प्रबन्धों के गुण विद्यमान थे। इस प्रबन्ध में केवल एक ही दोष था कि इसके अनुसार लोगों को बहुत अधिक भूमि-कर (लगान) देना पड़ता था।

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प्रश्न 12.
रैयतवाड़ी व्यवस्था के लाभ लिखें।
अथवा
रैयतवाड़ी प्रबन्ध पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
1820 ई० में थॉमस मुनरो मद्रास (चेन्नई) का गवर्नर नियुक्त हुआ। उसने भूमि का प्रबन्ध एक नये ढंग से किया, जिसे रैयतवाड़ी व्यवस्था के नाम से पुकारा जाता है। इसे मद्रास तथा बम्बई में लागू किया गया। इसके अनुसार सरकार ने भूमि-कर उन लोगों से लेने का निश्चय किया जो स्वयं कृषि करते थे। अतः सरकार तथा कृषकों के बीच जितने भी मध्यस्थ थे उन्हें हटा दिया गया। यह प्रबन्ध स्थायी प्रबन्ध की अपेक्षा अधिक अच्छा था। इसमें कृषकों को भूमि का स्वामी बना दिया गया। उनका लगान निश्चित कर दिया गया जो उपज का 40% से 55% तक था। इससे सरकारी आय में भी वृद्धि हुई।

इस प्रथा में कुछ दोष भी थे। इस प्रथा के कारण गांव का भाई-चारा समाप्त होने लगा और गांव की पंचायतों का महत्त्व कम हो गया। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा किसानों का शोषण होने लगा। कई ग़रीब किसानों को लगान चुकाने के लिए साहूकारों से धन उधार लेना पड़ा। इसके लिए उन्हें अपनी ज़मीनें गिरवी रखनी पड़ी।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. ठेकेदार किसानों को अधिक-से-अधिक …………… थे।
2. स्थायी बंदोबस्त के कारण …………… भूमि के मालिक बन गए।
3. ज़मींदार किसानों पर ………….. करते थे।
4. भारत में अंग्रेज़ी शासन की स्थापना से पूर्व भारतीय लोगों का प्रमुख कार्य………….करना था।
उत्तर-

  1. लूटते,
  2. ज़मींदार,
  3. बहुत जुल्म/अत्याचार,
  4. कृषि।

III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

1. भारत में अंग्रेज़ी शासन हो जाने से गांवों की आत्मनिर्भर व्यवस्था को बहुत लाभ हुआ। (✗)
2. महलवाड़ी प्रबन्ध गांव के सामूहिक भाईचारे से किया जाता था। (✓)
3. बंगाल के स्थायी बन्दोबस्त अनुसार अंग्रेज़ों ने बिक्री कानून लागू किया। (✓)

IV. सही जोड़े बनाएं:

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज 1

PSEB 8th Class Social Science Guide ग्रामीण जीवन तथा समाज Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही विकल्प चुनिए:

प्रश्न 1.
महलवाड़ी व्यवस्था कहां लागू की गई ?
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) पंजाब
(iii) मध्य भारत
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
थामस मुनरो द्वारा लागू भूमि व्यवस्था कौन-सी थी ?
(i) रैय्यतवाड़ी
(ii) महलवाड़ी
(iii) स्थायी बंदोबस्त
(iv) ठेका व्यवस्था।
उत्तर-
रैय्यतवाड़ी

प्रश्न 3.
नील विद्रोह कहाँ फैला ?
(i) पंजाब तथा उत्तर प्रदेश
(ii) बंगाल तथा बिहार
(iii) राजस्थान तथा मध्य भारत
(iv) दक्षिणी भारत।
उत्तर-
बंगाल तथा बिहार।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीतियों से भारतीय उद्योग क्यों तबाह हो गए ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने भारत में कुछ नये उद्योग स्थापित किए। इनका उद्देश्य अंग्रेजी हितों को पूरा करना था। परिणामस्वरूप भारतीय उद्योग तबाह हो गए।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज

प्रश्न 2.
अंग्रेजों ने भारत में लगान (भूमि-कर) के कौन-कौन से तीन नए प्रबन्ध लागू किए ?
उत्तर-
(1) स्थायी बन्दोबस्त (2) रैयतवाड़ी प्रबन्ध तथा (3) महलवाड़ी प्रबन्ध।

प्रश्न 3.
अंग्रेज़ों की भूमि सम्बन्धी नीतियों का मुख्य उद्देश्य क्या था ? .
उत्तर-
भारत से अधिक-से-अधिक धन इकट्ठा करना।

प्रश्न 4.
अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी कब प्राप्त हुई ? वहां लगान इकट्ठा करने का काम किसे सौंपा गया ?
उत्तर-
अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी 1765 ई० में प्राप्त हुई। वहां से लगान इकट्ठा करने का काम आमिलों को सौंपा गया।

प्रश्न 5.
इज़ारेदारी किसने लागू की थी ? इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर-
इज़ारेदारी लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्ज़ ने लागू की थी। इसका अर्थ है-ठेके पर भूमि देने का प्रबन्ध।

प्रश्न 6.
रैयतवाड़ी प्रबन्ध में लगान की राशि कितने वर्षों बाद बढ़ाई जाती थी ?
उत्तर-
20 से 30 वर्षों बाद।

प्रश्न 7.
महलवाड़ी प्रबन्ध का मुख्य दोष क्या था ?
उत्तर-
इसमें किसानों को बहुत अधिक लगान देना पड़ता था।

प्रश्न 8.
कृषि का वाणिज्यीकरण कौन-कौन से पांच क्षेत्रों में सबसे अधिक हुआ ?
उत्तर-
पंजाब, बंगाल, गुजरात, खानदेश तथा बरार में।

प्रश्न 9.
बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त के अनुसार लागू किया गया बिक्री कानून क्या था ?
उत्तर-
बिक्री कानून के अनुसार जो ज़मींदार हर साल 31 मार्च तक लगान की राशि सरकारी खज़ाने में जमा नहीं करवाता था, उसकी ज़मीन किसी दूसरे ज़मींदार को बेच दी जाती थी।

प्रश्न 10.
किसान विद्रोहों का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर-
किसान विद्रोहों का मुख्य कारण अधिक लगान तथा इसे कठोरता से वसूल करना था। इससे किसानों की दशा खराब हो गई। इसलिए उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लॉर्ड वारेन हेस्टिग्ज़ द्वारा लागू इजारेदारी प्रथा पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
इज़ारेदारी का अर्थ है-ठेके पर भूमि देने का प्रबन्ध। यह प्रथा वारेन हेस्टिग्ज़ ने आरम्भ की। इसके अनुसार भूमि का पांच साला ठेका दिया जाता था। जो ज़मींदार भूमि की सबसे अधिक बोली देता था उसे उस भूमि से पांच साल तक लगान वसूल करने का अधिकार दे दिया जाता था। 1777 ई० में पांच साला ठेके के स्थान पर एक साला ठेका दिया जाने लगा। परन्तु ठेके पर भूमि देने का प्रबन्ध बहुत ही दोषपूर्ण था। ज़मींदार (ठेकेदार) किसानों को बहुत अधिक लूटते थे। इसलिए किसानों की आर्थिक दशा खराब हो गई।

प्रश्न 2.
स्थायी बन्दोबस्त से किसानों की अपेक्षा ज़मींदारों को अधिक लाभ कैसे पहुंचा ?
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त के कारण ज़मींदारों को बहुत लाभ हुआ। अब वे भूमि के स्थायी स्वामी बन गए। उनको भूमि बेचने या बदलने का अधिकार मिल गया। वे निश्चित लगान कम्पनी को देते थे परन्तु वे किसानों से अपनी इच्छानुसार लगान वसूल करते थे। यदि कोई किसान लगान न दे पाता तो उससे भूमि छीन ली जाती थी। अधिकतर जमींदार शहरों में विलासी जीवन बिताते थे जबकि किसान ग़रीबी और भूख के वातावरण में अपने दिन बिताते थे। अत: हम कह सकते थे कि स्थायी बन्दोबस्त से किसानों की अपेक्षा ज़मींदारों को अधिक लाभ पहुंचा।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 12 ग्रामीण जीवन तथा समाज

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों द्वारा लागू की गई नई भू-राजस्व व्यवस्थाओं के क्या प्रभाव पड़े ?
उत्तर-
अंग्रेजों द्वारा लागू की गई नई भू-राजस्व व्यवस्थाओं के बहुत बुरे प्रभाव पड़े-

  • ज़मींदार किसानों का बहुत अधिक शोषण करते थे। लगान वसूल करते समय उन पर तरह-तरह के अत्याचार भी किये जाते थे। सरकार उन्हें अत्याचार करने से नहीं रोकती थी।
  • ज़मींदार सरकार को निश्चित लगान देकर भूमि के स्वामी बन गए। वे किसानों से मनचाहा कर वसूल करते थे। इससे ज़मींदार तो धनी होते गए, जबकि किसान दिन-प्रतिदिन ग़रीब होते गए।
  • जिन स्थानों पर रैयतवाड़ी तथा महलवाड़ी प्रबन्ध लागू किए गए, वहां सरकार स्वयं किसानों का शोषण करती थी। इन क्षेत्रों में उपज का 1/3 भाग से लेकर 1/2 भाग तक भूमि-कर के रूप में वसूल किया जाता था। लगान की दर हर साल बढ़ती जाती थी।
  • भूमि के निजी सम्पत्ति बन जाने के कारण इसका परिवार के सदस्यों में बंटवारा होने लगा। इस प्रकार भूमि छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटती गई।
  • किसानों को निश्चित तिथि पर लगान चुकाना होता था। अकाल, बाढ़, सूखे आदि की दशा में भी उनका लगान माफ़ नहीं किया जाता था। इसलिए लगान चुकाने के लिए उन्हें अपनी ज़मीन साहूकार के पास गिरवी रख कर धन उधार लेना पड़ता था। इस प्रकार वे अपनी ज़मीनों से भी हाथ धो बैठे और उनका ऋण भी लगातार बढ़ता गया जिसे वे जीवन भर नहीं उतार पाये।
  • सच तो यह है कि अंग्रेज़ी सरकार की कृषि-भूमि सम्बन्धी नीतियों का मुख्य उद्देश्य अधिक-से-अधिक धन प्राप्त करना तथा अपने प्रशासनिक हितों की पूर्ति करना था। अतः इन नीतियों ने किसानों को ग़रीबी तथा ऋण की जंजीरों में जकड़ लिया।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेजों के शासन के समय लागू किये गए स्थायी बन्दोबस्त, रैयतवाड़ी प्रबन्ध ( व्यवस्था) तथा महलवाड़ी प्रबन्ध (व्यवस्था) का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त, रैयतवाड़ी तथा महलवाड़ी प्रबन्ध अंग्रेजों द्वारा लागू नई लगान प्रणालियां थीं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :
1. स्थायी बन्दोबस्त- भूमि का स्थायी बन्दोबस्त 1793 ई० में लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल में लागू किया था। बाद में इसे बिहार, उड़ीसा, बनारस तथा उत्तरी भारत में भी लागू कर दिया गया। इसके अनुसार ज़मींदारों को सदा के लिए भूमि का स्वामी मान लिया गया। उनके द्वारा सरकार को दिया जाने वाला लगान निश्चित कर दिया गया। वे लगान की निश्चित राशि सरकारी खजाने में जमा करवाते थे। परन्तु किसानों से वे मनचाहा लगान वसूल करते थे। यदि कोई ज़मींदार लगान नहीं दे पाता था तो सरकार उसकी ज़मीन का कुछ भाग बेच कर लगान की राशि पूरी कर लेती थी।
स्थायी बन्दोबस्त से सरकार की आय तो निश्चित हो गई, परन्तु किसानों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। ज़मींदार उनका शोषण करने लगे।

2. रैयतवाड़ी व्यवस्था-1820 ई० में थॉमस मुनरो मद्रास (चेन्नई) का गवर्नर नियुक्त हुआ। उसने भूमि का प्रबन्ध एक नये ढंग से किया, जिसे रैयतवाड़ी व्यवस्था के नाम से पुकारा जाता है। इसे मद्रास तथा बम्बई में लागू किया गया। सरकार ने भूमि-कर उन लोगों से लेने का निश्चय किया जो स्वयं कृषि करते थे। अतः सरकार तथा कृषकों के बीच जितने भी मध्यस्थ थे उन्हें हटा दिया गया। यह प्रबन्ध स्थायी प्रबन्ध की अपेक्षा अधिक अच्छा था। इसमें कृषकों के अधिकार बढ़ गये तथा सरकारी आय में भी वृद्धि हुई।

इस प्रथा में कुछ दोष भी थे। इस प्रथा के कारण गांव का भाई-चारा समाप्त होने लगा और गांव की पंचायतों का महत्त्व कम हो गया। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा किसानों का शोषण होने लगा। कई गरीब किसानों को लगान चुकाने के लिए साहूकारों से धन उधार लेना पड़ा। इसके लिए उन्हें अपनी ज़मीनें गिरवी रखनी पड़ी।

3. महलवाड़ी व्यवस्था (प्रबंध)-महलवाड़ी प्रबन्ध रैयतवाड़ी व्यवस्था के दोषों को दूर करने के लिए किया गया। इसे उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा मध्य भारत के कुछ प्रदेशों में लागू किया गया। इस प्रबन्ध की विशेषता यह थी कि इसके द्वारा भूमि का सम्बन्ध न तो किसी बड़े ज़मींदार के साथ जोड़ा जाता था और न ही किसी कृषक के साथ। यह प्रबन्ध वास्तव में गांव के समूचे भाई-चारे के साथ होता था। भूमि-कर देने के लिए गांव का समूचा भाई-चारा ही उत्तरदायी होता था। भाई-चारे में यह निश्चित कर दिया गया था कि प्रत्येक किसान को क्या कुछ देना है। यदि कोई किसान अपना भाग नहीं देता था तो उसकी प्राप्ति गांव के भाई-चारे से की जाती थी। इस प्रबन्ध को सबसे अच्छा प्रबन्ध माना जाता है क्योंकि इसमें पहले के दोनों प्रबन्धों के गुण विद्यमान थे। इस प्रबन्ध में केवल एक ही दोष था कि इसके अनुसार लोगों को बहुत अधिक भूमि कर (लगान) देना पड़ता था।

प्रश्न 3.
स्थायी बन्दोबस्त क्या है तथा इसके मुख्य लाभ तथा हानियां भी बताएं।
उत्तर-
स्थायी बन्दोबस्त एक भूमि प्रबन्ध था। इसे 1793 ई० में लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल में लागू किया था। बाद में इसे बिहार, उड़ीसा, बनारस तथा उत्तरी भारत में लागू कर दिया गया। इसके अनुसार ज़मींदारों को सदा के लिए भूमि का स्वामी बना दिया गया। उनके द्वारा सरकार को दिया जाने वाला लगान निश्चित कर दिया गया। वे लगान की निश्चित राशि सरकारी खज़ाने में जमा करवाते थे, परन्तु किसानों से वे मनचाहा लगान वसूल करते थे। यदि कोई ज़मींदार लगान नहीं दे पाता था तो सरकार उसकी ज़मीन का कुछ भाग बेच कर लगान की राशि पूरी कर लेती थी। इससे किसान की पैदावार दिन-प्रतिदिन घटने लगी।

स्थायी बन्दोबस्त के लाभ-स्थायी बंदोबस्त का लाभ मुख्यतः सरकार तथा ज़मींदारों को पहुंचा –

  1. इस बन्दोबस्त द्वारा ज़मींदार भूमि के स्वामी बन गए।
  2. अंग्रेजी सरकार की आय निश्चित हो गई।
  3. ज़मींदार धनी बन गए। उन्होंने अपना धन उद्योग स्थापित करने तथा व्यापार के विकास में लगाया।
  4. भूमि का स्वामी बना दिए जाने के कारण ज़मींदार अंग्रेजों के वफ़ादार बन गए। उन्होंने भारत में अंग्रेज़ी शासन की नींव को मज़बूत बनाने में सहायता की।
  5. लगान को बार-बार निश्चित करने की समस्या न रही।
  6. ज़मींदारों के प्रयत्नों से कृषि का बहुत विकास हुआ।

हानियां अथवा दोष-स्थायी बन्दोबस्त में निम्नलिखित दोष थे-

  1. ज़मींदार किसानों पर बहुत अधिक अत्याचार करने लगे।
  2. सरकार की आय निश्चित हो गई थी, परन्तु उसका खर्चा लगातार बढ़ रहा था। इसलिए सरकार को लगातार हानि होने लगी।
  3. करों का बोझ उन लोगों पर पड़ने लगा जो खेती नहीं करते थे।
  4. सरकार का किसानों के साथ कोई सीधा सम्पर्क न रहा।
  5. इस बन्दोबस्त ने बहुत से ज़मींदारों को आलसी तथा ऐश्वर्यप्रिय बना दिया।

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प्रश्न 4.
किसान विद्रोहों का वर्णन करो।
उत्तर–
किसान विद्रोहों के निम्नलिखित कारण थे-

1. अधिक लगान-अंग्रेजों ने भारत के जीते हुए प्रदेशों में अलग-अलग लगान-प्रणालियां लागू की थीं। इनके अनुसार किसानों को बहुत अधिक लगान देना पड़ता था। इसलिए वे साहूकारों के ऋणी हो गए जिससे उनकी आर्थिक दशा खराब हो गई।

2. बिक्री कानून-बंगाल के स्थायी बन्दोबस्त के अनुसार सरकार ने बिक्री कानून लागू किया। इसके अनुसार जो जमींदार हर साल अपना लगान मार्च तक सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाता था, उस की भूमि छीन कर किसी और ज़मींदार को बेच दी जाती थी। इसके कारण ज़मींदारों तथा उनकी भूमि पर खेती करने वाले किसानों में रोष फैला हुआ था।

3. ज़मीनें जब्त करना-मुग़ल बादशाहों द्वारा राज्य के जागीरदारों को कुछ ज़मीनें ईनाम में दी गई थीं। ये ज़मीनें कर-मुक्त थीं। परन्तु अंग्रेजों ने ये ज़मीनें जब्त कर ली और इन पर फिर से कर लगा दिया। इतना ही नहीं लगान में वृद्धि भी कर दी गई। उनसे लगान वसूल करते समय कठोरता से काम लिया जाता था।

मुख्य किसान विद्रोह-

(1) अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना के पश्चात् शीघ्र ही बंगाल में एक विद्रोह हुआ। इसमें किसानों, संन्यासियों तथा फ़कीरों ने भाग लिया। उन्होंने शस्त्र धारण करके जत्थे बना लिये। इन जत्थों ने अंग्रेजी सैनिक टुकड़ियों को बहुत अधिक परेशान किया। इस विद्रोह को दबाने में अंग्रेज़ी सरकार को लगभग 30 वर्ष लग गये।

(2) 1822 ई० में रामोसी किसानों ने चित्तौड़, सतारा तथा सूरत में अधिक लगान के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। 1825 में सरकार ने सेना तथा कूटनीति के बल पर विद्रोह को दबा दिया। उनमें से कुछ विद्रोहियों को पुलिस में भर्ती कर लिया गया, जबकि अन्य विद्रोहियों को ग्रांट में ज़मीनें देकर शांत कर दिया गया।

(3) 1829 में सेंडोवे जिले के किसानों ने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उन्होंने अपने नेता के नेतृत्व में अंग्रेज़ी पुलिस पर हमले किये और बड़ी संख्या में उन्हें मार डाला।

(4) 1835 ई० में गंजम जिले के किसानों ने धनंजय के नेतृत्व में विद्रोह किया। यह विद्रोह फरवरी, 1837 ई० तक चलता रहा। विद्रोहियों ने वृक्ष गिरा कर अंग्रेज़ी सेना के रास्ते बन्द कर दिए। अन्त में सरकार ने एक बहुत बड़े सैनिक बल की सहायता से विद्रोह का दमन कर दिया।

(5) 1842 ई० में सागर में अन्य किसान विद्रोह हुआ। इसका नेतृत्व बुन्देल ज़मींदार माधुकर ने किया। इस विद्रोह में किसानों ने कई पुलिस अफसरों को मौत के घाट उतार दिया तथा अनेक कस्बों में लूटमार की।

सरकार द्वारा अधिक लगान लगाने तथा ज़मीनें जब्त करने के विरोध में देश के अन्य भागों में भी किसान विद्रोह हुए। इन विद्रोहों में पटियाला तथा रावलपिंडी (आधुनिक पाकिस्तान में) के किसान विद्रोहों का नाम लिया जा सकता है।

प्रश्न 5.
भारत में अंग्रेजों के राज्य के समय हुए कृषि के वाणिज्यीकरण के बारे में लिखो।
उत्तर-
भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना से पहले गांव आत्मनिर्भर थे। लोग कृषि करते थे जिसका उद्देश्य गांव की ज़रूरतों को पूरा करना होता था। फ़सलों को बेचा नहीं जाता था। गांव के अन्य कामगार जैसे कुम्हार, जुलाहे, चर्मकार, बढ़ई, लुहार, धोबी, बार्बर आदि सभी मिलकर एक-दूसरे की ज़रूरतों को पूरा करते थे। परन्तु अंग्रेज़ी शासन की स्थापना के बाद गांवों की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था समाप्त हो गई। नई भूमि-कर प्रणालियों के अनुसार किसानों को लगान की निश्चित राशि निश्चित समय पर चुकानी होती थी। पैसा पाने के लिए किसान अब मंडी में बेचने के लिए फ़सलें उगाने लगे ताकि समय पर लगान चुकाया जा सके। इस प्रकार कृषि का उद्देश्य अब धन कमाना हो गया। इसे कृषि का वाणिज्यीकरण कहा जाता है। इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के बाद भारत में कृषि के वाणिज्यीकरण की प्रक्रिया और भी जटिल हो गई। अब किसानों को ऐसी फ़सलें उगाने के लिए विवश किया गया जिनसे इंग्लैंड के कारखानों को कच्चा माल मिल सके।

वाणिज्यीकरण के प्रभाव –
लाभ-

  1. भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़सलें उगाने से उत्पादन बढ़ गया।
  2. फ़सलों को नगरों की मण्डियों तक ले जाने के लिए यातायात के साधनों का विकास हुआ।
  3. नगरों में जाने वाले किसान कपड़ा तथा घर के लिए अन्य ज़रूरी वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर खरीद कर ला सकते थे।
  4. शहरों के साथ सम्पर्क हो जाने से किसानों का दृष्टिकोण विशाल हुआ। परिणामस्वरूप उनमें धीरे-धीरे राष्ट्रीय जागृति उत्पन्न होने लगी।

हानियां-

  1. भारतीय किसान पुराने ढंग से कृषि करते थे। अतः मण्डियों में उनकी फ़सलें विदेशों में मशीनी कृषि द्वारा उगाई गई फ़सलों का मुकाबला नहीं कर पाती थीं। परिणामस्वरूप उन्हें अधिक लाभ नहीं मिल पाता था।
  2. मण्डी में किसान को अपनी फ़सल आढ़ती की सहायता से बेचनी पड़ती थी। आढ़ती मुनाफ़े का एक बड़ा भाग अपने पास रख लेते थे। इसके अतिरिक्त कई बिचौलिए भी थे। इस प्रकार किसान को उसकी उपज का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

SST Guide for Class 8 PSEB प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दो :

प्रश्न 1.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों का निरीक्षण करने के लिए कब तथा कौन-सा एक्ट पारित किया गया?
उत्तर-
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों का निरीक्षण करने के लिए 1773 ई० में रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित किया गया।

प्रश्न 2.
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल कब तथा किस एक्ट के अधीन बना? इसके कितने सदस्य थे ?
उत्तर-
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल 1784 में पिट्स इण्डिया एक्ट के अधीन बना। इसके 6 सदस्य थे।

प्रश्न 3.
भारत में सिविल सर्विस का संस्थापक कौन था? ।
उत्तर-
सिविल सर्विस का संस्थापक लार्ड कार्नवालिस था।

प्रश्न 4.
कब तथा कौन-सा पहला भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर सका था?
उत्तर-
सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने वाला पहला भारतीय सतिन्द्रनाथ टैगोर था। उसने 1863 ई० में यह परीक्षा पास की थी।

प्रश्न 5.
सेना में भारतीय सैनिकों को दी जाने वाली सबसे बड़ी पदवी कौन-सी थी?
उत्तर-
सेना में भारतीय सैनिकों को दी जाने वाली सबसे बड़ी पदवी सूबेदार थी।

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प्रश्न 6.
कौन-से गवर्नर-जनरल ने पुलिस विभाग में सुधार किए तथा क्यों?
उत्तर-
पुलिस विभाग में लार्ड कार्नवालिस ने सुधार किए। इसका उद्देश्य राज्य में कानून व्यवस्था तथा शान्ति स्थापित करना था।

प्रश्न 7.
इण्डियन ला-कमीशन की स्थापना कब तथा क्यों की गई?
उत्तर-
इण्डियन ला-कमीशन की स्थापना 1833 ई० में की गई। इसकी स्थापना कानूनों का संग्रह करने के लिए की गई थी।

प्रश्न 8.
रेग्यूलेटिंग एक्ट से क्या भाव है?
उत्तर-
1773 ई० में भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट कम्पनी के कार्यों की जांच करने के लिए एक एक्ट पास किया गया। इसे रेग्यूलेटिंग एक्ट कहते हैं। इस एक्ट के अनुसार

  • ब्रिटिश संसद् को भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों की जांच करने का अधिकार मिल गया।
  • बंगाल में गवर्नर-जनरल तथा चार सदस्यों की एक कौंसिल स्थापित की गई। इसे शासन-प्रबन्ध के सभी मामलों के निर्णय बहुमत से करने का अधिकार प्राप्त था।
  • गवर्नर-जनरल तथा उसकी कौंसिल को युद्ध, शान्ति तथा राजनीतिक संधियों के मामलों में बम्बई तथा मद्रास की सरकारों पर नियन्त्रण रखने का अधिकार था।

प्रश्न 9.
पिट्स इण्डिया एक्ट पर नोट लिखो।
उत्तर-
पिट्स इण्डिया एक्ट 1784 में रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए पास किया गया। इसके अनुसार

  • कम्पनी के व्यापारिक प्रबन्ध को इसके राजनीतिक प्रबन्ध से अलग कर दिया गया।
  • कम्प के कार्यों को नियन्त्रित करने के लिए इंग्लैण्ड में एक बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल की स्थापना की गई। इसके 6 सदस्य थे।
  • गवर्नर-जनरल की परिषद् में सदस्यों की संख्या चार से घटा कर तीन कर दी गई।
  • मुम्बई तथा चेन्नई में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई। वहां के गवर्नर की परिषद् में तीन सदस्य होते थे। ये गवर्नर पूरी तरह गवर्नर-जनरल के अधीन हो गए।

प्रश्न 10.
1858 ई० के बाद सेना में कौन-से परिवर्तन किए गए?
उत्तर-
1857 के महान् विद्रोह के पश्चात् सेना का नये सिर से गठन करना आवश्यक हो गया। अंग्रेज़ यह नहीं चाहते थे कि सैनिक फिर से कोई विद्रोह करें। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए

  • अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गई।
  • तोपखाने में केवल अंग्रेजों को ही नियुक्त किया जाने लगा।
  • मद्रास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) की सेना में भारतीय तथा यूरोपियनों को 2 : 1 में रखा गया।
  • भौगोलिक तथा सैनिक दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपियन टुकड़ियां रखी गईं।
  • अब एक सैनिक टुकड़ी में विभिन्न जातियों तथा धर्मों के लोग भर्ती किए जाने लगे ताकि यदि एक धर्म अथवा जाति के लोग विद्रोह करें तो दूसरी जाति के लोग उन पर गोली चलाने के लिए तैयार रहें।
  • अवध, बिहार तथा मध्य भारत के सैनिकों ने 1857 ई० के विद्रोह में भाग लिया था। अतः उन्हें सेना में बहुत कम भर्ती किया जाने लगा। सेना में अब गोरखों, सिक्खों तथा पठानों को लड़ाकू जाति मानकर अधिक संख्या में भर्ती किया जाने लगा।

प्रश्न 11.
न्याय व्यवस्था (अंग्रेज़ी शासन के अधीन) पर नोट लिखो।
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने भारत में महत्त्वपूर्ण न्याय व्यवस्था स्थापित की। लिखित कानून इसकी मुख्य विशेषता थी।

  • वारेन हेस्टिंग्ज़ ने जिलों में दीवानी तथा सदर निज़ामत अदालतें स्थापित की।
  • 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट द्वारा कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। इसके न्यायाधीशों के मार्ग दर्शन के लिए लार्ड कार्नवालिस ने कार्नवालिस कोड नामक एक पुस्तक तैयार करवाई।
  • 1832 में लार्ड विलियम बैंटिंक ने बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना की।
  • 1833 ई० के चार्टर एक्ट द्वारा कानूनों का संग्रह करने के लिए ‘इण्डियन ला कमीशन’ की स्थापना की गई। सभी कानून बनाने का अधिकार गवर्नर जनरल को दिया गया।
  • देश में कानून का शासन लागू कर दिया गया। इसके अनुसार सभी भारतीयों को बिना किसी भेदभाव के कानून की नज़र में बराबर समझा जाने लगा।

इतना होने पर भारतीयों के प्रति भेदभाव जारी रहा और उन्हें कुछ विशेष अधिकारों से वंचित रखा गया। उदाहरण के लिए भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमे सुनने का अधिकार नहीं था। 1883 ई० में लार्ड रिपन ने इल्बर्ट बिल द्वारा भारतीय जजों को यह अधिकार दिलाने का प्रयास किया, परन्तु असफल रहा।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. 1886 ई० में लार्ड …………….. ने 15 सदस्यों का पब्लिक सर्विस कमीशन नियुक्त किया।
2. भारतीय एवं यूरोपियों की संख्या में 2:1 का अनुपात………………..ई० के विद्रोह के उपरान्त किया गया।
3. 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट के अनुसार …………. में सर्वोच्च अदालत की स्थापना की गई।
उत्तर-

  1. रिपन,
  2. 1857,
  3. कलकत्ता।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

1. अंग्रेजों की भारत में नई नीतियों का उद्देश्य भारत में केवल अंग्रेजों के हितों की रक्षा करना था। (✓)
2. कार्नवालिस के समय भारत में प्रत्येक थाने पर दरोगा का नियन्त्रण होता था। (✓)
3. 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट के अनुसार कलकत्ता में सर्वोच्च अदालत (न्यायालय) की स्थापना की गई। (✓)

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
पिट्स इंडिया एक्ट कब पारित हुआ ?
(i) 1773 ई०
(ii) 1784 ई०
(iii) 1757 ई०
(iv) 1833 ई०।
उत्तर-
1784 ई०

प्रश्न 2.
इंग्लैंड में हैली बरी कॉलेज की स्थापना कब हुई ?
(i) 1833 ई०
(ii) 1853 ई०
(iii) 1806 ई०
(iv) 1818 ई०।
उत्तर-
1806 ई०

प्रश्न 3.
बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना किसने की ?
(i) लार्ड हार्डिंग
(ii) लार्ड कार्नवालिस
(iii) वारेन हेस्टिंग्ज़
(iv) लार्ड विलियम बैंटिंक।
उत्तर-
लार्ड विलियम बैंटिंक।

(ख) सही जोड़े बनाइए :

1. केन्द्रीय लोक सेवा कमीशन की स्थापना – 1935 ई०
2. संघीय लोक सेवा कमीशन की स्थापना – 1926 ई०
3. पृथक् विधानपालिका की स्थापना । – 1832 ई०
4. बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना – 1853 ई०
उत्तर-

  1. 1926 ई०
  2. 1935 ई०
  3. 1853 ई०
  4. 1832 ई०

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों की प्रशासनिक नीतियों का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
भारत में अपने हितों की रक्षा करना।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेज़ी प्रशासन के मुख्य अंग (आधार ) कौन-कौन से थे ?
उत्तर-
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस तथा न्याय व्यवस्था।

प्रश्न 3.
रेग्यूलेटिंग तथा पिट्स इंडिया एक्ट कब-कब पास हुए ?
उत्तर-
क्रमश: 1773 ई० तथा 1784 ई० में।

प्रश्न 4.
इंग्लैंड में बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल’ की स्थापना क्यों की गई ? इसके कितने सदस्य थे?
उत्तर-
इंग्लैंड में बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल की स्थापना कम्पनी के कार्यों पर नियंत्रण करने के लिए की गई। इसके 6 सदस्य थे।

प्रश्न 5.
हेलिबरी कॉलेज कब, कहां और क्यों खोला गया ?
उत्तर-
हेलिबरी कॉलेज 1806 ई० में इंग्लैंड में खोला गया। यहां भारत आने वाले सिविल सर्विस के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था।

प्रश्न 6.
ली कमीशन की स्थापना कब की गई ? इसने क्या सिफारिश की ?
उत्तर-
ली कमीशन की स्थापना 1923 ई० में की गई। इसने केंद्रीय लोक सेवा कमीशन तथा प्रांतीय लोक सेवा कमीशन स्थापित करने की सिफ़ारिश की।

प्रश्न 7.
अंग्रेजों की भारतीयों के प्रति नीति भेदभावपूर्ण थी। इसके पक्ष में कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर-

  1. सिविल सर्विस, सेना तथा पुलिस में भारतीयों को उच्च पद नहीं दिए जाते थे।
  2. भारतीयों को अंग्रेजों की तुलना में बहुत कम वेतन दिया जाता था।

प्रश्न 8.
इल्बर्ट बिल क्या था ?
उत्तर-
इल्बर्ट बिल 1883 में भारत के वायसराय लार्ड रिपन ने पेश किया था। इसके द्वारा भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमें सुनने का अधिकार दिलाया जाना था। परन्तु यह बिल पारित न हो सका।

प्रश्न 9.
कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना किस एक्ट द्वारा की गई ?
उत्तर-
कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट द्वारा की गई।

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प्रश्न 10.
बंगाल की ज्यूरी प्रथा की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
बंगाल की ज्यूरी प्रथा की स्थापना 1832 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने की।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बंगाल में 1858 ई० से पहले सिविल सेवाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
1858 ई० से पहले कम्पनी के अधिकतर कर्मचारी भ्रष्ट थे। वे निजी व्यापार करते थे और घूस, उपहारों आदि द्वारा खूब धन कमाते थे। क्लाइव तथा वारेन हेस्टिंग्ज़ ने इस भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहा, परन्तु वे अपने उद्देश्य में सफल न हुए। वारेन हेस्टिंग्ज़ के पश्चात् कार्नवालिस भारत आया। उसने व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया और घूस तथा उपहार लेने की मनाही कर दी। उसने कर्मचारियों के वेतन बढ़ा दिए ताकि वे घूस आदि के लालच में न पड़ें। 1853 ई० तक भारत आने वाले अंग्रेज़ी कर्मचारियों की नियुक्ति कम्पनी के डायरैक्टर ही करते थे, परन्तु 1853 के चार्टर एक्ट के पश्चात् कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा शुरू कर दी गई। इस समय तक सिविल सर्विस की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि भारतीयों को इससे बिल्कुल वंचित रखा गया।

प्रश्न 2.
लॉर्ड कार्नवालिस को सिविल सेवाओं का प्रवर्तक (मुखी) क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
कार्नवालिस से पहले भारत के अंग्रेज़ी प्रदेशों में शासन सम्बन्धी सारा कार्य कम्पनी के संचालक ही करते थे। वे कर्मचारियों की नियुक्ति अपनी मर्जी से करते थे, परन्तु कार्नवालिस ने प्रबन्ध कार्य के लिए सिविल कर्मचारियों की नियुक्ति की। उसने उनके वेतन बढ़ा दिए। लोगों के लिए सिविल सेवाओं का आकर्षण इतना बढ़ गया कि इंग्लैण्ड के ऊंचे घरों के लोग भी इसमें आने लगे। इसी कारण ही लॉर्ड कार्नवालिस को भारत में सिविल सेवाओं का प्रवर्तक कहा जाता है।

प्रश्न 3.
अंग्रेजी सेना में भारतीय और अंग्रेजों के बीच की जाने वाली भेदभावपूर्ण नीति पर नोट लिखें।
उत्तर-
कम्पनी की सेना में नियुक्त अंग्रेजों तथा भारतीयों के बीच भेदभावपूर्ण नीति अपनाई जाती थी। अंग्रेज़ सैनिकों की तुलना में भारतीयों को बहुत कम वेतन मिलता था। उनके आवास तथा भोजन का प्रबन्ध भी घटिया किस्म का होता था। भारतीय सैनिकों का उचित सम्मान नहीं किया जाता था। उन्हें बात-बात पर अपमानित भी किया जाता था। भारतीय अधिक-से-अधिक उन्नति करके सूबेदार के पद तक ही पहुंच सकते थे। इसके विपरीत अंग्रेज़ सीधे ही अधिकारी पद पर भर्ती होकर आते थे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में अंग्रेज़ी सरकार द्वारा किए गए संवैधानिक परिवर्तनों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने भारत में निम्नलिखित संवैधानिक परिवर्तन किए-

1. रेग्युलेटिंग एक्ट-1773 ई० में भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट कम्पनी के कार्यों की जांच करने के लिए एक एक्ट पास किया गया। इसे रेग्यूलेटिंग एक्ट कहते हैं। इस एक्ट के अनुसार

  • ब्रिटिश संसद् को भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों की जांच करने का अधिकार मिल गया।
  • बंगाल में गवर्नर-जनरल तथा चार सदस्यों की एक कौंसिल स्थापित की गई। इसे शासन-प्रबन्ध के सभी मामलों के निर्णय बहुमत से करने का अधिकार प्राप्त था।
  • गवर्नर-जनरल तथा उसकी कौंसिल को युद्ध, शान्ति तथा राजनीतिक संधियों के मामलों में बम्बई तथा मद्रास की सरकारों पर नियन्त्रण रखने का अधिकार था।

2. पिट्स इण्डिया एक्ट-पिट्स इण्डिया एक्ट 1784 में रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए पास किया गया। इसके अनुसार

  • कम्पनी के व्यापारिक प्रबन्ध को इसके राजनीतिक प्रबन्ध से अलग कर दिया गया।
  • कम्पनी के कार्यों को नियन्त्रित करने के लिए इंग्लैण्ड में एक बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल की स्थापना की गई। इसके 6 सदस्य थे।
  • गवर्नर-जनरल की परिषद् में सदस्यों की संख्या चार से घटा कर तीन कर दी गई।
  • बम्बई (मुम्बई) तथा मद्रास (चेन्नई) में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई। वहां के गवर्नर की परिषद् में तीन सदस्य होते थे। ये गवर्नर पूरी तरह गवर्नर-जनरल के अधीन हो गए।

3. चार्टर एक्ट, 1833-

  • 1833 के चार्टर एक्ट द्वारा कम्पनी को व्यापार करने से रोक दिया गया, ताकि वह अपना पूरा ध्यान शासन-प्रबन्ध की ओर लगा सके।
  • बंगाल के गवर्नर जनरल तथा उसकी कौंसिल को भारत का गवर्नर जनरल तथा कौंसिल का नाम दिया गया।
  • देश के कानून बनाने के लिए गवर्नर जनरल की कौंसिल में कानूनी सदस्य को शामिल किया गया। प्रेजीडेंसी सरकारों से कानून बनाने का अधिकार छीन लिया गया।

इस प्रकार केन्द्रीय सरकार को बहुत ही शक्तिशाली बना दिया गया।

4. चार्टर एक्ट, 1853-1853 में एक और चार्टर एक्ट पास किया गया। इसके अनुसार कार्यपालिका को विधानपालिका से अलग कर दिया गया। विधानपालिका में कुल 12 सदस्य थे। अब कम्पनी के प्रबन्ध में केन्द्रीय सरकार का हस्तक्षेप बढ़ गया। अब वह कभी भी कम्पनी से भारत का शासन अपने हाथ में ले सकती थी।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेजों के साम्राज्य के समय सिविल सर्विस व्यवस्था के बारे में संक्षिप्त वर्णन करें।।
उत्तर-
भारत में सिविल सर्विस का प्रवर्तक लार्ड कार्नवालिस को माना जाता है। उसने रिश्वतखोरी को समाप्त करने के लिए अधिकारियों के वेतन बढ़ा दिए। उन्हें निजी व्यापार करने तथा भारतीयों से भेंट (उपहार) लेने से रोक दिया गया। उसने उच्च पदों पर केवल यूरोपियनों को ही नियुक्त किया।
लार्ड कार्नवालिस के बाद 1885 तक सिविल सर्विस का विकास-

(1) 1806 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने इंग्लैण्ड में हेलिबरी कॉलेज की स्थापना की। यहां सिविल सर्विस के नव-नियुक्त अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। प्रशिक्षण के बाद ही उन्हें भारत भेजा जाता था।

(2) 1833 ई० के चार्टर एक्ट में कहा गया था कि भारतीयों को धर्म, जाति या रंग के भेदभाव के बिना सरकारी नौकरियां दी जायेंगी। परन्तु उन्हें सिविल सर्विस के उच्च पदों से वंचित रखा गया।

(3) 1853 ई० तक भारत आने वाले अंग्रेज़ कर्मचारियों की नियुक्ति कम्पनी के डायरेक्टर ही करते थे, परन्तु 1853 के चार्टर एक्ट के पश्चात् कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा शुरू कर दी गई। यह परीक्षा इंग्लैण्ड में होती थी और इसका माध्यम अंग्रेज़ी था। परीक्षा में भाग लेने के लिए अधिकतम आयु 22 वर्ष निश्चित की गई। यह आयु 1864 में 21 वर्ष तथा 1876 में 19 वर्ष कर दी गई। सतिन्द्रनाथ टैगोर सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने वाला पहला भारतीय था। उसने 1863 ई० में यह परीक्षा पास की थी।

(4) कम आयु में भारतीयों के लिए अंग्रेजी की यह परीक्षा दे पाना कठिन था और वह भी इंग्लैण्ड में जाकर। अतः भारतीयों ने परीक्षा में प्रवेश की आयु बढ़ाने की मांग की। उन्होंने यह मांग भी की कि परीक्षा इंग्लैंड के साथ-साथ भारत में भी ली जाये। लार्ड रिपन ने इस मांग का समर्थन किया। परंतु भारत सरकार ने यह मांग स्वीकार न की।

1886 के बाद सिविल सर्विस का विकास-

(1) 1886 ई० में वायसराय लार्ड रिपन ने 15 सदस्यों का पब्लिक सर्विस कमीशन नियुक्त किया। इस कमीशन ने सिविल सर्विस निम्नलिखित तीन भागों में बांटने की सिफारिश की

  • इंपीरियल अथवा इंडियन सिविल सर्विस-इसके लिए परीक्षा इंग्लैंड में हो।
  • प्रांतीय सर्विस-इसकी परीक्षा अलग-अलग प्रांतों में हो।
  • प्रोफैशनल सर्विस-इसके लिए कमीशन परीक्षा में प्रवेश की आयु 19 वर्ष से बढ़ा कर 23 वर्ष करने की सिफ़ारिश की।
    1892 ई० में भारत सरकार ने इन सिफ़ारिशों को मान लिया।

(2) 1918 में माँटेग्यू-चैम्सफोर्ड रिपोर्ट द्वारा यह सिफ़ारिश की गई कि सिविल सर्विस में 33% स्थान भारतीयों को दिए जाएं और धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ाई जाये। इस रिपोर्ट को भारत सरकार, 1919 द्वारा लागू किया गया।

(3) 1926 में केंद्रीय लोक सेवा कमीशन और 1935 में संघीय लोक सेवा कमीशन तथा कुछ प्रांतीय लोक सेवा कमीशन स्थापित किए गए।
यह सच है कि इंडियन सिविल सर्विस में भारतीयों को बड़ी संख्या में नियुक्त किया गया। फिर भी कुछ उच्च पदों पर प्रायः अंग्रेज़ों को ही नियुक्त किया जाता था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

प्रश्न 3.
भारत में अंग्रेज़ी साम्राज्य के समय सैनिक, पुलिस तथा न्याय प्रबंध के बारे में संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
अंग्रेज़ी साम्राज्य में भारत में सैनिक, पुलिस तथा न्याय प्रबंध का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :
1. सैनिक प्रबंध-सेना अंग्रेजी प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण अंग थी। इसने भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना तथा विस्तार में उल्लेखनीय योगदान दिया था। 1856 में अंग्रेज़ी सेना में 2,33,000 भारतीय तथा लगभग 45,300 यूरोपीय सैनिक शामिल थे। भारतीय सैनिकों को अंग्रेज़ सैनिकों की अपेक्षा बहुत कम वेतन तथा भत्ते दिए जाते थे। वे अधिक से अधिक सूबेदार के पद तक पहुंच सकते थे। अंग्रेज़ अधिकारी भारतीय सैनिकों से बहुत बुरा व्यवहार करते थे। इसी कारण 1857 में भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

1857 के महान् विद्रोह के पश्चात् सेना का नये सिरे से गठन करना आवश्यक हो गया। अंग्रेज़ यह नहीं चाहते थे कि सैनिक फिर से कोई विद्रोह करें। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए’

  • अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गई।
  • तोपखाने में केवल अंग्रेज़ों को ही नियुक्त किया जाने लगा।
  • उदास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) की सेना में भारतीय तथा यूरोपियनों को 2:1 में रखा गया।
  • भौगोलिक तथा सैनिक दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपियन टुकड़ियां रखी गईं।
  • अब एक सैनिक टुकड़ी में विभिन्न जातियों तथा धर्मों के लोग भर्ती किए जाने लगे ताकि यदि एक धर्म अथवा जाति के लोग विद्रोह करें तो दूसरी जाति के लोग उन पर गोली चलाने के लिए तैयार रहें।
  • अवध, बिहार तथा मध्य भारत के सैनिकों ने 1857 ई० के विद्रोह में भाग लिया था। अतः उन्हें सेना में बहुत कम भर्ती किया जाने लगा। सेना में अब गोरखों, सिक्खों तथा पठानों को लड़ाकू जाति मानकर अधिक संख्या में भर्ती किया जाने लगा।

2. पुलिस-साम्राज्य में शांति एवं कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए पुलिस व्यवस्था को लॉर्ड कार्नवालिस ने एक नया रूप दिया था। उसने प्रत्येक जिले में एक पुलिस कप्तान की नियुक्ति की। जिले को अनेक थानों में बांटा गया और प्राचीन थाना-प्रणाली को नये रूप में ढाला गया। प्रत्येक थाने का प्रबंध एक दरोगा को सौंपा गया। गांवों में पुलिस का कार्य गांव के चौकीदार ही करते थे। पुलिस विभाग में भारतीयों को उच्च पदों पर नहीं लगाया जाता था। उनके वेतन भी अंग्रेजों की अपेक्षा बहुत कम थे। अंग्रेज़ पुलिस कर्मचारी भारतीयों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे।

3. न्याय-व्यवस्था-अंग्रेजों ने भारत में यह महत्त्वपूर्ण न्याय-व्यवस्था स्थापित की। लिखित कानून इसकी मुख्य विशेषता थी।

  • वारेन हेस्टिंग्ज़ ने जिलों में दीवानी तथा सदर निज़ामत अदालतें स्थापित की।
  • 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट द्वारा कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। इसके न्यायाधीशों के मार्गदर्शन के लिए लार्ड कार्नवालिस ने ‘कार्नवालिस कोड’ नामक एक पुस्तक तैयार करवाई।
  • 1832 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना की।
  • 1833 ई० के चार्टर एक्ट द्वारा कानूनों का संग्रह करने के लिए ‘इंडियन ला कमीशन’ की स्थापना की गई। सभी कानून बनाने का अधिकार गवर्नर जनरल को दिया गया।
  • देश में कानून का शासन लागू कर दिया गया। इसके अनुसार सभी भारतीयों को बिना किसी भेदभाव के कानून की नज़र में बराबर समझा जाने लगा।

इतना होने पर भारतीयों के प्रति भेदभाव जारी रहा और उन्हें कुछ विशेष अधिकारों से वंचित रखा गया। उदाहरण के लिए भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमें सुनने का अधिकार नहीं था। 1883 ई० में लार्ड रिपन ने इल्बर्ट बिल द्वारा भारतीय जजों को यह अधिकार दिलाने का प्रयास किया परंतु असफ़ल रहा।