PSEB 8th Class Computer Notes Chapter 8 मैमरी यूनिट्स

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PSEB 8th Class Computer Notes Chapter 8 मैमरी यूनिट्स

मैमरी क्या है?
कम्प्यूटर भी मनुष्य के दिमाग की तरह कार्य करता है। इसे भी काफ़ी डाटा सम्भाल कर रखना पड़ता है। इसके लिए यह मैमरी डिवासिज का प्रयोग करता है। जो बहुत ही सुनियोजित ढंग से कार्य करते है। कम्प्यूटर की विभिन्न जनरेशनज़ में विभिन्न प्रकार की मैमरी प्रयोग में लाई जाती है। स्टोरेज डिवाइस वह यन्त्र होता है जिस का प्रयोग जानकारी संभालने के लिए किया जाता है। हमारे पास बहुत से ऐसे यन्त्र उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग हम अपनी आवश्यकता अनुसार डाटा स्टोर करने के लिए कर सकते हैं।

मैमरी यूनिट्स-
मैमरी के मुख्य यूनिट बिट तथा बाइट हैं । कम्प्यूटर में किसी भी चीज़ को 0 से 1 में लिखा जाता है। मैमरी के यूनिट निम्न हैं

  1. बिट (Bit)-एक बिट या वाइनरी डिजिट को लाजिकल 0 या 1 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
  2. निबल (Nibble)-चार बिटस के समूह को निबल कहते हैं।
  3. बाइट (Byte)-आठ बिटस के समूह को बाइट कहते हैं। बाईट वह सबसे छोटी इकाई है जिस द्वारा किसी डाटा आइटम या अक्षर को पेश किया जाता है।
  4. वर्ड (Word)-वर्ड कुछ निर्धारित बिटस का समूह होता है जिसे एक इकाई के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। वर्ड की लम्बाई को वर्ड साइज या वर्ड लैंथ कहते हैं। यह 8 बिटस जितना छोटा या 96 बिटस जितना बड़ा हो सकता है। कम्प्यूटर सूचना को कम्प्यूटर वर्ड के रूप में सेव करता है।

कम्प्यूटर मैमरी को मापने की इकाई

  1. बिट
  2. 1 निवल = 4 बिटस
  3. बाइट = 8 बिटस (Bytes)
  4. 1 किलोबाइट = 1024 बाइट (Bytes)
  5. 1 मैगाबाइट = 1024 किलोबाइट (KB)
  6. 1 गीगाबाइंट = 1024 मैगाबाइट। (MB)
  7. 1 टेराबाइट = 1024 गीगा बाइट। (GB)
  8. 1 पैंटाबाइट = 1024 टैराबाइट (TB)

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मैमरी की किस्में
कम्प्यूटर का वह स्थान जहां पर डाटा स्टोर किया जाता है उसको मैमरी कहते हैं। मैमरी एक प्रकार की इलैक्ट्रॉनिक चिप होती है। इसकी भण्डारण क्षमता अलग-अलग होती है। मैमरी दो प्रकार की होती है।
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मैमरी की किस्में
I. प्राइमरी मैमरी/इंटरनल
II. सैकेण्डरी मैमरी/एक्सटरनल इंटरनल

इंटरनल मैमरी इंटरनल मैमरी CPU की अंदरूनी मैमरी होती है। इसको आगे भागों में बांटा जा सकता है
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1. सी पी यू रजिस्टर-सीपीयू रजिस्टर एक अस्थाई तथा सबसे तेज़ रफ्तार वाली कंप्यूटर मैमरी होती है। यह मैमरी सीपीयू के अंदर मौजूद होती है। इसका प्रयोग सीपीयू द्वारा तुरंत प्रयोग होने वाले डाटा तथा निर्देश को स्टोर करने के लिए किया जाता है। सीपीयू द्वारा प्रयोग होने वाले रजिस्टर को अक्सर प्रोसेसर रजिस्टर भी कहा जाता है। प्रोसेसर रजिस्टर में निर्देश मैमरी एड्रेस या कोई डाटा स्टोर किया जाता है। सीपीयू रजिस्टर की उदाहरणे हैं-इंस्ट्रक्शन रजिस्टर, मैमरी बफर रजिस्टर, मैमरी डाटा रजिस्टर तथा मैमरी एड्रेस रजिस्टर।

2. कैश मैमरी-यह बहुत तेज़ सैमी कंडक्टर मैमरी होती है, जो CPU को रफ्तार देती है। यह CPU तथा मुख्य मैमरी के बीच वफर का काम करती है। यह प्रोग्राम तथा डाटा के उन भागों को रखती है, जो ज्यादा प्रयोग में आते हैं।
कैश मैमरी के लाभ-
कैश मैमरी के निम्न लाभ हैं –

  1. यह मुख्य मैमरी से तेज़ होती है।
  2. इसका एक्सैस टाइम कम होता है।
  3. यह उस प्रोग्राम को स्टोर करती है जो कम समय में लागू होना होता है।
  4. यह डाटा को अस्थायी तौर पर सेव करती है।

कैश मैमरी की हानियाँ-कैश मैमरी की निम्न हानियां होती हैं-

  • इसकी भंडारण क्षमता बहुत कम होती है।
  • इसकी कीमत काफ़ी ज्यादा होती है।

3. प्राइमरी मैमरी-प्राइमरी मैमरी कम्प्यूटर की मुख्य मैमरी होती है। यह प्रोसैसर के साथ सीधे तौर पर जुड़ी होती है। इसको अन्दरूनी मैमरी भी कहते हैं। प्रोसैसर इस मैमरी से सीधे ही पढ़ तथा लिख सकता है। इस मैमरी में रखी गई सूचना कम्प्यूटर के बन्द होने के बाद खत्म हो जाती है। यह मैमरी इलैक्ट्रॉनिक चिप के रूप में होती है।

प्राइमरी मैमरी की किस्में –
प्राइमरी मैमरी दो प्रकार की होती है –
1. RAM
2. ROM.

1. RAM-RAM का पूरा नाम Random Access Memory है। यह कम्प्यूटर के मदर बोर्ड में लगी होती है। इसमें डाटा रीड तथा राइट किया जा सकता है। यह मैमरी बिजली की सहायता से चलती है। यह मैमरी में डाटा पक्के तौर पर स्टोर नहीं करती। कम्प्यूटर के बन्द होने के बाद इस मैमरी में रखा डाटा भी नष्ट हो जाता है।
यह मैमरी दो प्रकार की होती है –

  • स्टैटिक रैम
  • डायनिक रैम।

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रैम अस्थायी मैमरी होती है। इसका अर्थ है, कम्प्यूटर के बंद होने या बिजली जाने की स्थिति में रैम के कंटेंट नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कम्प्यूटर में UPS का प्रयोग किया जाता है। रैम में डाटे को कहीं से भी प्रयोग किया जा सकता है। यह बहुत महंगी होती है। रैम का आकार तथा भंडारण क्षमता कम होती है। रैम दो प्रकार की होती है।

  • स्टैटिक रैम
  • डायनमिक रैम

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स्टैटिक रैम-स्टैटिक का अर्थ है इसमें तब तक डाटा रहता है जब तक इसे बिजली मिलती रहती है। इसमें छः ट्रांजिस्टर का प्रयोग होता है पर किसी कपैस्टर का प्रयोग नहीं होता। ट्रांजिस्टर की लीकेज रोकने के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए इसे बार-बार रिफरैश करने की आवश्यकता नहीं होती।

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स्टैटिक रैम की विशेषताएं तथा गुण –

  1. यह ज्यादा समय तक चलती है।
  2. इसे रिफरैश करने की ज़रूरत नहीं होती।
  3. यह तेज़ होती है।
  4. इसका प्रयोग कैश मैमरी की तरह होता है।
  5. यह बड़े आकार की होती है।
  6. यह महंगी होती है।
  7. यह ज्यादा बिजली का प्रयोग करती है।

(2) डायनमिक रैम-डायनमिक रैम को डाटा संभालने के लिए रिफरैश करने की आवश्यकता होती है। इसलिए इसे रिफरैश सरकट पर चलाया जाता है। इसे ज्यादातर सिस्टम मैमरी के रूप में प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह छोटी तथा सस्ती होती है। यह रैम सैल से बनी होती है, जिसमें एक कपैस्टर तथा एक ट्रांजिस्टर लगा होता है।

डायनमिक रैम की विशेषताएं तथा गुण –

  • यह कम समय तक चलती है।
  • इसे लगातार रिफरैश करना पड़ता है।
  • इसकी रफ्तार कम होती है।
  • इसे रैम की तरह प्रयोग किया जाता है।
  • इसका आकार छोटा होता है।
  • यह सस्ती होती है।
  • यह बिजली की कम खपत करती है।

2. ROM-ROM का पूरा नाम Read Only Memory है। इस मैमरी को सिर्फ पढ़ा जा सकता है। इसमें डाटा राइट नहीं किया जा सकता। इस पर सूचना पक्के तौर पर ही स्टोर होती है। कम्प्यूटर बन्द होने के बाद इसमें रखा डाटा नष्ट नहीं होता।
रोम को निम्न भागों में बांटा जा सकता है –

  • MROM
  • PROM
  • EPROM
  • EEPROM.

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एक रोम में कम्प्यूटर को शुरू करने के निर्देश स्टोर होते हैं। रोम चिपस कम्प्यूटर के अलावा इलैक्ट्रानिक मशीन में प्रयोग की जाती है। रोम अग्र प्रकार की होती है

  1. मास्कड रोम (Masked ROM) (MROM)-पहले समय में रोम तारों से बने यंत्र होते थे जिनमें डाटा तथा निर्देश भरे होते थे। इन को मास्कड रोम कहते हैं। यह सस्ती होती है।
  2. प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमरी (PROM)-PROM वह रोम होती है जिसे सिर्फ एक बार बदला जा सकता है। हम खाली PROM खरीद सकते हैं तथा इसमें अपनी ज़रूरत अनुसार निर्देश भर सकते हैं। फिर इसमें से डाटा डिलीप नहीं किया जा सकता।
  3. इरेजेवल प्रोग्रामेवल रीड ओनली मैमरी (EPROM) EPROM से 40 मिनट तथा अलट्रावायलेट किरण डाल कर डाटा डिलीट किया जा सकता है। इसे प्रोग्राम करने के लिए इलैक्ट्रिक चार्ज का प्रयोग होता है। यह चार्ज दस साल से ज्यादा समय तक रह सकता है। इसे मिटाने के लिए अल्ट्रावायलेट लाइट का प्रयोग होता है।
  4. इलैक्ट्रिकली इरेजेबल तथा प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमरी : EEPROM को बिजली द्वारा प्रोग्राम तथा मिटाया जा सकता है। इसे लगभग 10,000 बार मिटाया तथा प्रोग्राम किया जा सकता है। इसमें 4 से 10 मिली सैकिंड का समय लगता है। इसमें से खास हिस्से को भी मिटाया जा सकता है। इसमें से एक बाइट को भी मिटाया जा सकता है। इससे समय की बचत होती है।

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रोम के लाभ-रोम के लाभ अग्रलिखित अनुसार हैं

  • यह स्थायी मैमरी होती है।
  • इसके डाटा को बदला नहीं जा सकता।
  • यह रैम से सस्ती होती है।
  • यह रैम से ज्यादा भरोसेमंद होती है।
  • यह स्टैटिक होती है। इसे रिफरैश करने की ज़रूरत नहीं होती।

RAM तथा ROM में अन्तर
RAM तथा ROM में निम्न अन्तर हैं –

RAM ROM
(1) इसका नाम Random Access Memory है। (1) इसका पूरा नाम Read Only Memory है।
(2) यह टैम्परेरी मैमरी है। (2) यह पक्की तौर की मैमरी है।
(3) इस पर पढ़ तथा लिख सकते हैं। (3) इसको सिर्फ पढ़ सकते हैं।
(4) कम्प्यूटर बंद होने पर इसमें डाटा नष्ट हो जाता| (4) इसमें रखा डाटा नष्ट नहीं होता।

सैकेण्डरी मैमरी
वह मैमरी जो कम्प्यूटर के साथ सीधे तौर पर नहीं जुड़ी होती उसे सैकेण्डरी मैमरी कहते हैं। इसका प्रयोग पक्के तौर पर डाटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसमें रखा डाटा कम्प्यूटर बन्द होने के बाद भी नष्ट नहीं होता। यह गति में प्राइमरी मैमरी से धीमी होती है पर आकार में प्राइमरी मैमरी से बड़ी होती है। इस मैमरी में कम्प्यूटर के सारे प्रोग्राम तथा डाटा पड़ा रहता है। कम्प्यूटर चलने के बाद इसी से ही डाटा तथा प्रोग्राम प्राप्त करता है।

सैकेण्डरी मैमरी की किस्में
I. सिक्वेनशल एक्सैस डिवाइस
1. मैगनैटिक टेप
II. डायरैक्ट एक्सैस डिवाइस
1. मैगनैटिक डिस्क

  • फ्लापी डिस्क
  • हार्ड डिस्क

2. ऑप्टीकल डिस्क _

  • सी०डी०
  • डी०वी०डी०

3. मैमरी स्टोरेज डिवाइसज

  • फ्लैश ड्राइव
  • मैमरी कार्ड

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सैकेण्डरी मैमरी की विशेषताओं –
सैकेण्डरी मैमरी की निम्न विशेषताएं हैं –

  1. यह मैगनैटिक तथा ऑप्टीकल होती है।
  2. इस पर डाटा पक्के तौर पर रहता है।
  3. बिजली बंद होने पर डाटा स्टोर रहता है।
  4. यह मैमरी भरोसेमंद होती है।
  5. ये प्रयोग में आसान होती है।
  6. इन की भण्डारण क्षमता बहुत अधिक होती है।
  7. इनकी कीमत प्राइमरी मैमरी से काफ़ी कम होती है।
  8. कम्प्यूटर इस मैमरी के बगैर चल सकता है।
  9. इनकी रफ्तार प्राइमरी मैमरी से कम होती है।

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मुख्य मैमरी तथा सैकेण्डरी मैमरी में अन्तर
मुख्य मैमरी तथा सैकेण्डरी मैमरी में निम्न अंतर होते हैं।

मुख्य मैमरी सैकेण्डरी मैमरी
(1) यह प्रोसैसर से सीधी जुड़ी होती है। (1) यह प्रोसैसर से मुख्य मैमरी द्वारा जुड़ी होती है।
(2) यह महंगी होती है। (2) यह सस्ती होती है।
(3) यह आकार में कम होती है। (3) यह आकार में बड़ी होती है।
(4) यह प्रोसैसर से सीधी जुड़ी होती है। (4) यह प्रोसैसर से सीधे तौर पर जुड़ी नहीं होती।
(5) यह एक अस्थाई मैमरी है। (5) यह स्थाई मैमरी है।
(6) इसमें कम डाटा स्टोर होता है। (6) इसमें ज़्यादा डाटा स्टोर किया जा सकता है।
(7) यह दो प्रकार की होती है। (7) यह कई प्रकार की होती है।
(8) यह मैमरी चिप रूप में मिलती है। (8) यह मैमरी कई अन्य रूपों में मिलती है।

I. सिक्वेनशल एक्सैस डिवाइस
इन डिवाइस में डाटा एक के बाद एक क्रम में प्रयोग होता है। आगे का डाटा एक्सैस करने के लिए पहले को रीड करना पड़ता है। इसकी सबसे बढ़िया उदाहरण मैगनैटिक टेप है। इस में डाटा की समस्या बाइटस प्रति इंच में मापी जाती है।
टेप की समस्या = डाटा की घनता x टेप की लम्बाई

II. डायरैक्ट एक्सैस डिवाइस
इन डिवाइस में डाटा कहीं से भी एक्सैस किया जा सकता है। इससे समय की काफी बचत होती है। इनमें कम स्थान पर ज्यादा डाटा स्टोर किया जा सकता है। इन डिवाइस की कुछ उदाहरण हैं : मैगनैटिक डिस्क, आपटीकल डिस्क तथा मैगनेटो-आप्टीकल डिस्क। सैकेण्डरी मैमरी कई प्रकार की होती है।

मैगनेटिक डिस्क का भौतिक स्ट्रक्चर
मैग्नेटिक डिस्क एक सेकेण्डरी स्टोरेज डिवाइस है। जिसका प्रयोग डाटा को पक्के तौर पर स्टोर करने के लिए किया जाता है। हम मैग्नेटिक डिस्क में डाटा को क्रमवार तथा रेंडम तौर से भी प्राप्त कर सकते हैं। इस चुंबकीय डिस्क को ट्रैक तथा सेक्टर में बांटा जाता है।

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1. टरैक
किसी भी डिस्क का तल पारदर्शी साझे केंद्र बिन्दु वाले चक्रों में बांटा गया होता है। इनको ट्रैक्स कहा जाता है। इनको अंदर वाले से शुरू कर O से नंबर दिये जाते हैं। इनकी गिनती डिस्क की भंडारण क्षमता अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। इनको आगे सैक्टर में बांटा जाता है।
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2. सैक्टर किसी डिस्क के प्रत्येक सैक्टर को छोटे हिस्सों में बांटा जाता है। इनको सैक्टर कहते हैं। प्रत्येक ट्रैक में 8 या ज्यादा सैक्टर होते हैं। एक सैक्टर में 512 बाइट्स स्टोर करने की क्षमता होती है। किसी डिस्क की स्टोरेज क्षमता को निम्न फार्मूले के साथ पता किया जा सकता है।
भंडारण क्षमता = तलों की गिनती x ट्रैक्स प्रतिशत x सैक्टर प्रति ट्रैक x कुल बाईट प्रति सैक्टर
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