PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 31 सूचकांक Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 31 सूचकांक

PSEB 12th Class Economics सूचकांक Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
सूचकांक किसे कहते हैं? उत्तर-सूचकांक वह अंक है जो किसी पूर्व निश्चित तिथि की चुनी हुई वस्तुओं या वस्तु समूह की कीमतों का प्रतिनिधित्व करता है।

प्रश्न 2.
सूचकांकों का एक लाभ लिखिए।
उत्तर-
सूचकांकों का सबसे महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इनके द्वारा समय-समय पर कीमत-स्तर में होने वाले परिवर्तन या मुद्रा के मूल्य की क्रय-शक्ति में होने वाले परिवर्तन को मापा जा सकता है।

प्रश्न 3.
सूचकांकों की एक सीमा लिखिए। .
उत्तर-
सूचकांक पूर्णतया सत्य नहीं होते। उदाहरण के लिए, कीमत सूचकांकों की सहायता से मुद्रा के मूल्य में होने वाले परिवर्तन का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।

प्रश्न 4.
सूचकांकों का व्यापारियों के लिए क्या लाभ है?
उत्तर-
उत्पादक तथा व्यापारी वर्ग सूचकांकों की सहायता से कीमत-स्तर में परिवर्तन तथा सामान्य आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाता है।

प्रश्न 5.
सूचकांकों का सरकार के लिए क्या लाभ है?
उत्तर-
सरकार सूचकांकों की सहायता से ही अपनी मौद्रिक अथवा कर-नीति का निर्धारण करती है और देश के आर्थिक विकास के लिए ठोस कदम उठाती है।

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प्रश्न 6.
वह माप जिस द्वारा समय, मात्रा, स्थान अथवा किसी अन्य आधार पर चरों में होने वाले परिवर्तन ………………….. कहते हैं।
उत्तर-
सूचकांक।

प्रश्न 7.
सूचकांक का निर्माण करने की लास्पीयर तथा पाश्चे की विधियों में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
लास्पीयर मदों के भार के रूप में आधार वर्ष की मात्राओं का प्रयोग करते हैं जबकि पाश्चे चालू वर्ष की मात्राओं का प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 8.
सूचकांक का यह सूत्र किस द्वारा दिया गया है ?
Po1 = \(\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{0}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} q_{0}} \times 100\)
(a) लास्पीयर
(b) पाश्चे
(c) फिशर
(d) मार्शल।
उत्तर-
(a) लास्पीयर।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित सूत्र किसने दिया है ?
P01 = \(\sqrt{\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} \mathrm{q}_{0}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} \mathrm{q}_{0}} \times \frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} \mathrm{q}_{1}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} \mathrm{q}_{1}}} \times 100\)
(a) लास्पीयर
(b) पाश्चे
(c) फिशर
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) फिशर।

प्रश्न 10.
जिस सूचकांक द्वारा थोक बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तुओं की थोक कीमतों में होने वाले सापेक्ष परिवर्तनों को मापते हैं उसको …………… कहते हैं।
उत्तर-
थोक कीमत सूचकांक।

प्रश्न 11.
वह सूचकांक जो औद्योगिक उत्पादन की मात्रा में होने वाले परिवर्तन को मापते हैं उनको ………….. कहते हैं।
उत्तर-
औद्योगिक सूचकांक।

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प्रश्न 12.
मुद्रा स्फीति को थोक कीमत सूचकांक में परिवर्तन के रूप में मापते हैं जो कि थोक कीमतों के ……………… समय पर आधारित होते हैं।
उत्तर-
साप्ताहिक।

प्रश्न 13.
फिशर का सूचकांक समय उल्टाऊ परीक्षण तथा तत्त्व (Factor) उल्टाऊ परीक्षण पर ठीक उत्तर देता है इसलिए फिशर के सूचकांक को आदर्श सूत्र माना जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 14.
सबसे अच्छा सूचकांक किस सांख्यिकी शास्त्री का माना जाता है ?
उत्तर-
फिशर का।

प्रश्न 15.
सरल सूचकांक की रचना चार प्रकार की होती है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 16.
भारित सूचकांक के परिणाम अधिक उपयुक्त होते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 17.
समूहीकरण व्यय विधि अनुसार उपभोक्ता कीमत सूचकांक का सूत्र लिखें।
उत्तर-
उपभोक्ता कीमत सूचकांक = \(\frac{\Sigma p_{1} q_{0}}{\Sigma p_{0} q_{0}} \times 100\)

प्रश्न 18.
परिवारिक बजट विधि अनुसार उपभोक्ता सूचकांक बनाने का सूत्र लिखो।
उत्तर-
उपभोक्ता कीमत सूचकांक = \(\frac{\Sigma \mathrm{RW}}{\Sigma \mathrm{W}}\)

प्रश्न 19.
उपभोक्ता कीमत सूचकांक को जीवन निर्वाह लागत सूचकांक भी कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 20.
मुद्रा स्फीति की दर के माप का सूत्र लिखो।
उत्तर-
मुद्रा स्फीति की दर = \(\frac{\mathrm{A}_{2}-\mathrm{A}_{1}}{\mathrm{~A}_{1}} \times 100\)

प्रश्न 21.
औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक के माप का सूत्र लिखो।
उत्तर-
औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक = \(\frac{\Sigma\left(\frac{p_{1}}{q_{0}}\right) W}{\Sigma W} \times 100\)

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न । (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कीमत सूचकांक से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कीमत सूचकांक से अभिप्राय किसी देश में कीमत में हुए परिवर्तन को प्रकट करना होता है। जब किसी देश में कीमत सूचकांक में वृद्धि होती है तो इसका अर्थ देश की कीमत स्तर में वृद्धि हो रही है तथा मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न हो रही है। जब कीमत सूचकांक में कमी होती है तो इससे अभिप्राय है कि देश में मुद्रा अस्फीति की स्थिति है। मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति के अर्थव्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ते हैं।

प्रश्न 2.
सूचकांक बनाने की विधि की कोई दो समस्याएँ बताएं।
उत्तर-
1. सूचकांक का उद्देश्य (Purpose of Index Numbers)-सूचकांक तैयार करने के लिए आंकड़े एकत्रित करने से पहले सूचकांक का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। यदि बिना उद्देश्य से आंकड़ें एकत्रित किए जाते हैं तो इससे आर्थिक स्थिति का पूरा ज्ञान प्राप्त नहीं होता।

2. वस्तुओं का चयन (Selection of Commodities)-सूचकांक का निर्माण करते समय वस्तुओं का चयन भी महत्त्वपूर्ण होता है। सभी वस्तुओं को शामिल करके सूचकांकों का निर्माण नहीं किया जाता, बल्कि यह फैसला करना पड़ता है कि –

  • कितनी वस्तुओं को लेकर सूचकांकों का निर्माण किया जाए ?
  • कौन-सी वस्तुओं का चयन किया जाए ?
  • वस्तुओं की कौन-सी किस्म को शामिल किया जाए ? वस्तुओं का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि सूचकांक में शामिल की वस्तुएं साधारण लोगों के उपभोग अनुसार होनी चाहिए तथा चुनी हुई वस्तुएं उच्च गुण वाली होनी चाहिए।

प्रश्न 3.
सूचकांक तथा मुद्रा स्फीति के सम्बन्ध को स्पष्ट करें।
उत्तर-
हमारी रोज़ाना की ज़िन्दगी में वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों की वृद्धि का अनुभव किया जाता है। जब वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों के स्तर में वृद्धि तीव्रता से तथा निरन्तर होती है तो इस स्थिति को मुद्रा-स्फीति कहा जाता है। मुद्रा-स्फीति के परिणामस्वरूप मुद्रा की खरीद शक्ति कम हो जाती है। मुद्रा-स्फीति का सम्बन्ध थोक की कीमतों (Wholesale Prices) से है। भारत में थोक की कीमतें प्रत्येक सप्ताह मापी जाती है। इस उद्देश्य के लिए सूचकांकों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
भारित सूचकांक से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
भारित सूचकांक (Weighted Index Numbers)-सूचकांक की भारित सूचकांक विधि अधिक प्रचलित है तथा विधि का साधारण तौर पर प्रयोग किया जाता है। इस विधि में भिन्न-भिन्न वस्तुओं के भार दिए होते हैं। जब वस्तुओं के भार अथवा महत्त्व को ध्यान में रखकर सूचकांक तैयार किया जाता है तो इसको भारित सूचक कहते

प्रश्न 5.
फिशर की सूचकांक माप विधि का सूत्र बताएँ।
उत्तर-
फिशर की विधि (Fisher’s Method)-प्रो० इरविंग फिशर के फार्मले में आधार वर्ष तथा वर्तमान वर्ष की मात्राओं को आधार माना जाता है। प्रो० फिशर ने सूचकांक की गणना करने के लिए लास्पेयर तथा पास्चे के सूचकांकों की रेखागणितीय औसत का प्रयोग किया है। इस सूत्र को सूचकांक की रचना का आदर्श सूत्र कहा जाता है-
P01(F) = \(\sqrt{\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{0}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} q_{0}} \times \frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{1}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} q_{1}}} \times 100\)

प्रश्न 6.
उपभोक्ता सूचकांक से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोक्ता सूचकांक वह सूचकांक है जो उपभोक्ता द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन का माप करने के लिए प्रयोग किया जाता है। भिन्न-भिन्न वर्ग के लोग भिन्न-भिन्न वस्तुओं का प्रयोग करते हैं। पिछले वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष में इन वस्तुओं तथा सेवाओं की लागत में आए परिवर्तन का माप किया जाता है। इसीलिए उपभोक्ता सूचकांक को जीवन निर्वाह लागत (Cost of Living Index Number) भी कहा जाता है। यह सूचकांक परचून कीमतों (Retail Price) के आधार पर बनाया जाता है।

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प्रश्न 7.
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का अर्थ बताएँ।
उत्तर-
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक वह सूचकांक होता है जो हमें आधार वर्ष की तुलना में किसी देश में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि अथवा कमी को प्रकट करता है। इस सूचकांक की सहायता से किसी देश में औद्योगिक विकास का ज्ञान प्राप्त होता है। भारत में 1993-94 को आधार वर्ष मान कर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की गणना की जाती है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कीमत सूचकांक से क्या अभिप्राय है ? इसका क्या उद्देश्य होता है ?
उत्तर-
कीमत सूचकांक से अभिप्राय किसी देश में कीमत में हुए परिवर्तन को प्रकट करना होता है। जब किसी देश में कीमत सूचकांक में वृद्धि होती है तो इसका अर्थ देश की कीमत स्तर में वृद्धि हो रही है तथा मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न हो रही है। जब कीमत सूचकांक में कमी होती है तो इससे अभिप्राय है कि देश में मुद्रा अस्फीति की स्थिति है। मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति के अर्थव्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ते हैं।

कीमत सूचकांक के उद्देश्य-

  1. देश में कीमत स्तर का ज्ञान प्राप्त करना।
  2. आर्थिक प्रगति का सूचक।
  3. आर्थिक प्रगति में कीमत स्तर पर तथा वास्तविक वृद्धि का ज्ञान।

प्रश्न 2.
मात्रा सूचकांक से क्या अभिप्राय है? मात्रा सूचकांक का क्या उद्देश्य होता है ?
उत्तर-
मात्रा सूचकांक वस्तुओं की मात्रा में हुई तबदीली का सूचक होता है। मात्रा सूचकांक इस बात का प्रकटावा करता है कि विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में प्रतिशत परिवर्तन कितना हुआ है। इस द्वारा अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में हुई पैदावार का ज्ञान होता है। जब मात्रा सूचकांक बढ़ता है तो इससे अभिप्राय है कि अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रिया बढ़ रही है-मात्रा सूचकांक घटता है तो देश में आर्थिक क्रिया में घाटे का प्रतीक है।

प्रश्न 3.
आधार वर्ष से क्या अभिप्राय है ? आधार वर्ष की विशेषताएँ बताओ।
उत्तर-
आधार वर्ष वह वर्ष होता है, जिसको आधार मान कर तुलना की जाती है। आधार वर्ष को 100 मानकर वर्तमान वर्ष से तुलना करते है। इसकी विशेषताएँ यह हैं-

  1. यह वर्ष परिवर्तनों रहित साधारण होना चाहिए।
  2. इस वर्ष सम्बन्धी विश्वसनीय तथा उचित आंकड़े उपलब्ध होने चाहिए।
  3. आधार वर्ष तुलना के वर्ष से बहुत दूर नहीं होना चाहिए।
  4. आधार वर्ष की अवधि उचित होनी चाहिए।

कम-से-कम एक माह तथा अधिक-से-अधिक एक वर्ष।

प्रश्न 4.
सूचकांकों की विशेषताएँ लिखो।
उत्तर-
सूचकांकों की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं –

  1. परिवर्तनों का सापेक्ष माप-सूचकांकों द्वारा विशेष चर अथवा चरों में सापेक्ष अथवा प्रतिशत परिवर्तनों का माप किया जाता है। जैसे कि कीमत सूचकांक आधार वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष में कीमत में प्रतिशत वृद्धि अथवा घाटे को स्पष्ट करते हैं।
  2. संख्यात्मक व्याख्या- सूचकांक संख्याओं के रूप में परिवर्तनों को स्पष्ट करते हैं, जैसे कि 2000 की तुलना में 2006 में सूचकांक 115 हो गया है तो इससे अभिप्राय है कीमतों में 15% वृद्धि हो गई है।
  3. औसतों का माप-सूचकांक औसतों का माप करते हैं। इनको विभिन्न इकाइयों टन, क्विटल, मीटर में व्यक्त नहीं किया जाता, बल्कि इकाई के रूप में माप किया जाता है।

प्रश्न 5.
सूचकांकों का साधारण लोगों को क्या लाभ है ?
उत्तर-
सूचकांकों द्वारा साधारण लोगों को कई प्रकार की सूचना प्राप्त होती है।

  1. देश में कीमत स्तर में हुई वृद्धि का ज्ञान प्राप्त होता है।
  2. बैंक अधिकारी मुद्रा की मांग तथा पूर्ति अनुसार ब्याज की दर निश्चित करते हैं।
  3. रेल का किराया निश्चित करने में सहायक होते हैं।
  4. श्रम संघ मज़दूरों की मजदूरी में वृद्धि कीमत स्तर की वृद्धि अनुसार बढ़ाने का यत्न करते हैं।
  5. समाज सुधारकों, राजनीतिज्ञों तथा सट्टेबाजों को निर्णय लेने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 6.
सूचकांकों की सीमाएं बताओ।
उत्तर-
सूचकांकों की सीमाएं इस प्रकार हैं-

  • सूचकांक पूर्ण सच्चाई प्रकट नहीं करते। यह अनुमानित परिवर्तन का ज्ञान देते हैं।
  • सूचकांक विशेष उद्देश्यों अनुसार तैयार किए जाते हैं। इन को दूसरे उद्देश्यों पर लागू नहीं किया जा सकता।
  • सूचकांक थोक कीमतों (Wholesale Price) अनुसार बनाए जाते हैं। इनको परचून कीमतों पर लागू नहीं किया जा सकता।
  • सूचकांक को वज़न (Weight) देने की कोई विधि नहीं है।
  • सूचकांकों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय तुलना नहीं की जा सकती।

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प्रश्न 7.
सूचकांक निर्माण करने की सरल सामूहिक विधि क्या है ?
उत्तर-
सरल सामूहिक विधि द्वारा सूचकांक का निर्माण करने के लिए वर्तमान वर्ष के मूल्यों के जोड़ को आधार वर्ष के मूल्यों से जोड़ने तथा विभाजित करने से 100 गुणा किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
P01 = \(\frac{\Sigma P_{1}}{\Sigma P_{0}} \times 100\)
इसमें P01= कीमत सूचकांक,
ΣP = वर्तमान वर्ष में वस्तुओं की कीमतों का जोड़,
ΣP = आधार वर्ष में वस्तुओं की कीमतों का जोड़।

प्रश्न 8.
सूचकांक निर्माण करने के लिए सरल कीमत अनुपात विधि को स्पष्ट करो।
उत्तर-
सूचकांक निर्माण में सभी वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है बल्कि सैंपल के आधार पर वस्तुओं को शामिल किया जाता है। प्रत्येक वस्तु का अलग-अलग कीमत अनुपात मापा जाता है।
कीमत अनुपात P01 = \(\left(\frac{P_{1}}{P_{0}} \times 100\right)\)
विभिन्न वस्तुओं की कीमत अनुपात का माप करने के उपरान्त उनको जोड़ कर वस्तुओं की संख्या पर विभाजित किया जाता है, जिससे सरल कीमत अनुपात सूचकांक प्राप्त हो जाता है।
P01 = \(\frac{\sum\left(\frac{P_{1}}{P_{0}} \times 100\right)}{N}\)
ΣN इसमें P01 = कीमत सूचकांक, P1 = वर्तमान वर्ष में कीमत, P0 = आधार वर्ष की कीमत,
N = वस्तुओं की संख्या।

प्रश्न 9.
थोक कीमत सूचकांकों से क्या अभिप्राय है ? थोक कीमत सूचकांक में परिवर्तन किस बात का सूचक है ?
उत्तर-
थोक कीमत सूचकांक से अभिप्राय उस सूचकांक से है, जिसके निर्माण में थोक कीमतों का प्रयोग किया जाता है। थोक कीमत सूचकांक को साप्ताहिक आधार पर प्रकाशित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य देश में कीमतों में परिवर्तन का माप करना होता है।

प्रश्न 10.
उपभोक्ता कीमत सूचकांक से क्या अभिप्राय है ? इसका माप कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
उपभोक्ता कीमत सूचकांक (C.P.I.) को निर्वाह लागत सूचकांक (Cost of living Index Number) भी कहा जाता है। यह सूचकांक विभिन्न वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए तैयार किया जाता है। इसमें एक वर्ग के लोगों द्वारा वर्तमान वर्ष में आधार वर्ष की तुलना परचून कीमतों (Retail Prices) के आधार पर की जाती है। इसकी दो माप विधियां हैं-

  1. सामूहिक व्यय विधि-इस उद्देश्य के लिए लास्पेयर्स के सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
    उपभोक्ता कीमत सूचकांक अथवा निर्वाह लागत सूचकांक = \(\frac{\Sigma p_{1} q_{0}}{\Sigma p_{0} q_{0}} \times 100\)
  2. पारिवारिक बजट विधि- इसमें आनुपातिक कीमत विधि का प्रयोग किया जाता है उपभोक्ता कीमत सूचकांक अथवा निर्वाह लागत सूचकांक = \(\frac{\Sigma \mathrm{RW}}{\Sigma \mathrm{W}}\)
    यहां R = \(\left(\frac{P_{1}}{P_{0}} \times 100\right)\) तथा W = P0q0
    सामूहिक व्यय विधि तथा पारिवारिक बजट विधि का परिणाम समान होता है।

प्रश्न 11.
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक से क्या अभिप्राय है ? इसका माप क्या स्पष्ट करता है ?
उत्तर-
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक वह सूचकांक होता है जो कि आधार वर्ष की तुलना में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि अथवा घाटे को व्यक्त करता है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का माप इस सूत्र द्वारा किया जाता है-
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक = \(\frac{\Sigma\left(\frac{q_{1}}{q_{0}}\right) w}{\Sigma w} \times 100\)
इस सूत्र में q1 = वर्तमान वर्ष का औद्योगिक उत्पादन, q0 = आधार वर्ष का औद्योगिक उत्पादन, w = वज़न अथवा भार।

प्रश्न 12.
सूचकांक मुद्रा स्फीति का सूचक कैसे होते हैं ?
अथवा
मुद्रा-स्फीति तथा सूचकांकों के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
हमारी रोज़ाना की ज़िन्दगी में वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों की वृद्धि का अनुभव किया जाता है। जब वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों के स्तर में वृद्धि तीव्रता से तथा निरन्तर होती है तो इस स्थिति को मुद्रा-स्फीति कहा जाता है। मुद्रा-स्फीति के परिणामस्वरूप मुद्रा की खरीद शक्ति कम हो जाती है। मुद्रा-स्फीति का सम्बन्ध थोक की कीमतों (Wholesale Prices) से है। भारत में थोक की कीमतें प्रत्येक सप्ताह मापी जाती है। इस उद्देश्य के लिए सूचकांकों का प्रयोग किया जाता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सूचकांक से क्या अभिप्राय है ? सूचकांक की विशेषताएं बताओ। (What is the meaning of Index Numbers ? Explain its characteristics.)
उत्तर-
सूचकांक का अर्थ (Meaning of Index Numbers)-सूचकांक एक विशेष प्रकार की औसत होती है जोकि समय, मात्रा अथवा स्थान इत्यादि के आधार पर कीमत, उपभोग, उत्पादन, राष्ट्रीय आय इत्यादि में परिवर्तन को प्रतिशत के रूप में प्रकट करती है। सूचकांक का प्रयोग सबसे पहले जी० आर० चारली ने किया है। वह इटली के रहने वाले थे। सन् 1500 से लेकर 1750 तक कीमत स्तर में हुए परिवर्तन का अध्ययन करना उनका मुख्य उद्देश्य था।

इस प्रकार सूचकांक का प्रयोग केवल कीमत स्तर में परिवर्तनों को मापने के लिए की जाने लगी। सांख्यिकी के विकास से सूचकांक का क्षेत्र भी विशाल हो गया। सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक क्षेत्र के प्रत्येक पहल में परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए सूचकांकों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए सूचकांक एक ऐसा यन्त्र है जिस द्वारा एक चर अथवा चरों के समूहों में भिन्न-भिन्न समय में होने वाले परिवर्तनों का माप किया जाता है।

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परिभाषाएं-

  1. प्रो० क्राक्सटन तथा काउडन के अनुसार, “सूचकांक वह यन्त्र है जिनके द्वारा सम्बन्धित तथ्यों के मूल्यों के आकार में होने वाले परिवर्तनों का माप किया जाता है।” (“Index Numbers are devices for measuring difference in the magnitude of a group of related variables.” -Croxton and Cowden)
  2. प्रो० एस० आर० सपीगल के शब्दों में, “सूचकांक एक सांख्यिकी माप है, जिस द्वारा एक चर अथवा चरों के समूह में समय, स्थान अथवा अन्य विशेषताओं के आधार पर होने वाले परिवर्तनों को दर्शित करना है।” (“As Index number is a statistical measure designed to show changes in variables or a group of related variabels with respect to time, geographical location or other characteristics.” -M.R. Spiegal)
    इन परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सूचकांक विशेष प्रकार की औसत होती है, जिस द्वारा समय अथवा स्थान अनुसार होने वाले परिवर्तनों का माप किया जाता है।

सूचकांक की विशेषताएं (Features of Index Number)- सूचकांक की विशेषताएं निम्नलिखित अनुसार-
1. विशेष प्रकार की औसत (Special Average)-सूचकांक विशेष प्रकार के औसत होते हैं। केन्द्रीय प्रवृत्तियों के माप में भिन्न-भिन्न मदों की इकाइयां एक जैसी होती हैं, जहां भिन्न-भिन्न मदों की इकाइयां एक समान न हों, उस स्थिति में सूचकांक का प्रयोग किया जा सकता है। जब यह कहा जाता है कि सूचकांक में वृद्धि 10% हो गई है। इसका अर्थ यह नहीं कि सभी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है। कुछ वस्तुओं की कीमत कम भी हो सकती है अथवा समान रहती है। परन्तु औसत वृद्धि को व्यक्त सूचकांक द्वारा किया जाता है।

2. परिवर्तन का माप (Measurement of Change)- सूचकांक द्वारा समय, स्थान अथवा दूसरे किसी आधार पर तथ्यों में होने वाले परिवर्तन का माप किया जाता है। यह माप कीमत, उत्पादन, उपभोग इत्यादि में परिवर्तन का हो सकता है।

3. तुलना में प्रयोग (Used for Comparison).- सूचकांक की एक विशेषता यह है कि इसका प्रयोग तुलना के लिए किया जाता है। समय, स्थान अथवा किसी अन्य आधार पर एक चर अथवा एक से अधिक चरों में तुलना की जा सकती है। यदि 1980 से 1990 तक कीमत स्तर में तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है तो 1980 को आधार वर्ष कहते हैं।

4. प्रतिशत में प्रदर्शन (Presented in Percentages)-सूचकांक को प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। आधार वर्ष के मूल्य को 100 के समान मानकर वर्तमान वर्ष के मूल्य का अध्ययन किया जाता है। यदि सूचकांक 112 हो गया है तो कीमत स्तर में वृद्धि 12% हुई है। यदि कीमत सूचकांक 96 है तो कीमत स्तर में कमी 4% हो गई है। इस प्रकार सूचकांक को प्रतिशत रूप में व्यक्त किया जाता है।

5. सर्व-व्यापक प्रयोग (Universal Application)-सूचकांक का प्रयोग प्रत्येक क्षेत्र तथा प्रत्येक देश में किया जाता है। प्रत्येक देश में कीमत स्तर, उत्पादन, उपभोग, बचत, राष्ट्रीय आय में परिवर्तन का माप करने के लिए सूचकांक एक सर्व-व्यापक विधि है।

प्रश्न 2.
सूचकांक बनाने की विधि तथा इसकी समस्याओं का वर्णन करो। (Explain the method for the construction and problems of Index Numbers.)
अथवा
सूचकांक बनाते समय कौन-सी मुश्किलें आती हैं ? (What are the difficulties in the construction of Index Numbers ?)
अथवा
सूचकांक बनाने सम्बन्धी समस्याओं, फ़ैसलों अथवा निर्देशों की व्याख्या करो। (Explain the problems in the construction of Index Numbers, Decisions and Directions.)
उत्तर-
सूचकांक बनाते समय बहुत-सी समस्याएं आती हैं। अब हम उन समस्याओं से सम्बन्धित फ़ैसलों तथा निर्देशों का अध्ययन करते हैं-

  1. सूचकांक का उद्देश्य (Purpose of Index Numbers)-सूचकांक तैयार करने के लिए आंकड़े एकत्रित करने से पहले सूचकांक का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। यदि बिना उद्देश्य से आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं तो इससे आर्थिक स्थिति का पूरा ज्ञान प्राप्त नहीं होता।
  2. वस्तुओं का चयन (Selection of Commodities)-सूचकांक का निर्माण करते समय वस्तुओं का चयन भी महत्त्वपूर्ण होता है।

सभी वस्तुओं को शामिल करके सूचकांकों का निर्माण नहीं किया जाता, बल्कि यह फैसला करना पड़ता है कि-

  • कितनी वस्तुओं को लेकर सूचकाकों का निर्माण किया जाए ?
  • कौन-सी वस्तुओं का चयन किया जाए ?
  • वस्तुओं की कौन-सी किस्म को शामिल किया जाए ?

वस्तुओं का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि सूचकांक में शामिल की वस्तुएं साधारण लोगों के उपभोग अनुसार होनी चाहिए तथा चुनी हुई वस्तुएं उच्च गुण वाली होनी चाहिए।

3. कीमतों का चयन (Selection of Prices)-वस्तुओं का चयन करने के पश्चात् वस्तुओं की कीमतें एकत्रित करने की समस्याओं का सामना करना पड़ता है अर्थात् थोक की कीमतें ली जाएं अथवा परचून कीमतें लेकर सूचकांक तैयार किया जाए। इसलिए वस्तुओं की कीमतें थोक बाज़ार में से प्राप्त की जाएं अथवा परचून बाज़ार में से प्राप्त की जाएं। कीमतों में करों को शामिल किया जाए अथवा न किया जाए। यह फ़ैसले करते समय सूचकांक के उद्देश्य को ध्यान में रखना चाहिए । यदि सूचकांक का उद्देश्य लोगों के जीवन निर्वाह व्यय में परिवर्तन सम्बन्धी अध्ययन करना है तो सूचकांक का निर्माण करते समय परचून कीमतों का प्रयोग करना चाहिए।

4. आधार वर्ष का चयन (Selection of Base Year)-सूचकांक का निर्माण करते समय आधार वर्ष चुनना पड़ता है। जिस वर्ष से चालू वर्ष की कीमतों की तुलना की जाती है, उसको आधार वर्ष कहा जाता है। इस वर्ष के सूचकांक को 100 अंक लिया जाता है। आधार वर्ष का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि –

  • यह वर्ष साधारण हो अर्थात् इस वर्ष कोई असाधारण घटना न घटी हो जैसे कि युद्ध, जंग अथवा बाढ़ इत्यादि न आए हों।
  • यह वर्ष बहुत पुराना नहीं होना चाहिए। इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। भारत में 1980-81 का वर्ष सूचकांक का आधार वर्ष माना जाता है।

5. औसत चयन (Selection of Average)-सूचकांक बनाते समय यह निर्णय भी करना पड़ता है कि कौन-सी औसत समान्तर औसत अथवा रेखा गणिती औसत का प्रयोग किया जाए। चाहे रेखा गणिती औसत से अधिक विश्वसनीय परिणाम प्राप्त होते हैं परन्तु व्यावहारिक तौर पर समान्तर औसत का प्रयोग किया जाता है।

6. सूचकांक की गणना (Calculation of Index Numbers)-सूचकांक की गणना करते समय आधार वर्ष की कीमतों (P1) को 100 मान लिया जाता है इसके पश्चात् वर्तमान वर्ष की कीमतों (P0) में परिवर्तन की प्रतिशत का माप किया जाता है। इस प्रकार सूचकांक (P01) अर्थात् आधार वर्ष की कीमतों की तुलना में वर्तमान वर्ष (1) की कीमतों में कितने प्रतिशत परिवर्तन हुआ है, उसको सूचकांक कहते हैं।
उदाहरणस्वरूप आधार वर्ष में दूध की कीमत 5 रु० प्रति लिटर थी। वर्तमान वर्ष की दूध की कीमत 15 रु० प्रति लिटर है तो सूचकांक |
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 1
होगा अर्थात् आधार वर्ष के सूचकांक 100 से वर्तमान वर्ष का सूचकांक 300 है तो दूध की कीमत में तीन गुणा अथवा 300% वृद्धि हो गई है। इस प्रकार सूचकांक की गणना की जाती है।

7. भार का निर्धारण (Determination of Weights)-सूचकांक में शामिल की वस्तुओं को एक समान महत्त्व नहीं दिया जाता। जैसे कि गेहूँ, दूध, सब्जियां, अधिक महत्त्वपूर्ण हैं तथा स्कूटर, कार कम महत्त्वपूर्ण वस्तुएं हैं। इसलिए गेहूं, दूध, सब्जियों को अधिक भार देना चाहिए। स्कूटर का महत्त्व गांवों से अधिक शहरों में है। इसलिए भार का निर्धारण करते समय समस्या का सामना करना पड़ता है। किसी स्थान पर लोगों की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक इत्यादि स्थिति को ध्यान में रखकर वस्तुओं को भार देने चाहिए।

8. सूत्र का चयन (Selection of Formula)-सूचकांक बनाने के बहुत से सूत्र हैं। इनमें से किस सूत्र का प्रयोग किया जाए। इस सम्बन्धी फ़ैसला करने के लिए आंकड़ों की प्रकृति तथा सूचकांक के उद्देश्य को ध्यान में रखना चाहिए। सूचकांक बनाने की मुख्य दो विधियां हैं –

A. साधारण सूचकांक (Simple Index Numbers)-साधारण सूचकांक निर्माण के दो ढंग हैं-

  • सरल समूहीकरण विधि
  • सरल कीमत अनुपात औसत विधि।

B. भारित सूचकांक (Weighted Index Numbers)
(i) भारित समूहीकरण विधि –
(a) लास्पेयर्स की विधि
(b) पास्चे की विधि
(c) डारब्शि तथा बाऊले की विधि
(d) फिशर की विधि।

(ii) भारित कीमत अनुपात औसत विधि-इन विधियों में से चयन की समस्या होती है। इसका निर्णय सूचकांक के उद्देश्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

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प्रश्न 3.
सूचकांक बनाने की मुख्य विधियां बताओ। (Explain the methods of Constructing Index Numbers.)
अथवा
सूचकांक की मुख्य किस्में लिखो। (Explain the main types of Index Numbers.)
उत्तर-
सूचकांक बनाने की मुख्य विधियां (Main methods of Constructing Index Numbers)सूचकांक बनाने की विधियों को सूचकांक की किस्में भी कहा जा सकता है। सूचकांक की मुख्य विधियां निम्नलिखित अनुसार हैं –
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 2
पीछे दिए चार्ट अनुसार सूचकांक मुख्य तौर पर दो प्रकार के होते हैं –
A. साधारण सूचकांक
B. भारित सूचकांक।

A. साधारण सूचकांक (Simple Index Numbers)-साधारण सूचकांक निर्माण की दो विधियां हैं-
1. सरल समूहीकरण विधि (Simple Index Numbers)-सूचकांक बनाने की सरल समूहीकरण विधि में वर्तमान वर्ष में भिन्न-भिन्न वस्तुओं की दी हुई कीमतों का जोड़ (ΣP1 ) किया जाता है। आधार वर्ष में भिन्न-भिन्न वस्तुओं की कीमतों का जोड़ (ΣP0) किया जाता है। वर्तमान वर्ष की कीमतों के जोड़ को आधार वर्ष की कीमतों के जोड़ से विभाजित करके 100 गुणा कर दिया जाता है। इससे सूचकांक प्राप्त हो जाता है।

इस विधि द्वारा सूचकांक की गणना का सूत्र निम्नलिखित अनुसार है-
कीमत सूचकांक (P01) = \(\frac{\Sigma P_{1}}{\Sigma P_{0}} \times 100\)
इस सूत्र में P01 = कीमत सूचकांक, 0 = आधार वर्ष, 1 = वर्तमान वर्ष ।
ΣP1 = वर्तमान वर्ष में भिन्न-भिन्न वस्तुओं की कीमतों का जोड़।
ΣP0 = आधार वर्ष में भिन्न-भिन्न वस्तुओं की कीमतों का जोड़।

2. सरल कीमत अनुपात औसत विधि (Simple Average of Price Relative Method) – सरल कीमत अनुपात औसत विधि में पहले प्रत्येक वस्तु की कीमत अनुपात पता किया जाता है। किसी वस्तु की कीमत अनुपात वर्तमान वर्ष की कीमत (P1) तथा आधार वर्ष की कीमत (P0) का प्रतिशत अनुपात होता है। यदि दो वस्तुओं की कीमत अनुपात का प्रतिशत निकालकर वस्तुओं की संख्या से विभाजित किया जाए तो हमारे पास कीमत अनुपात सूचकांक प्राप्त हो जाता है।

कीमत अनुपात सूचकांक (P01) = \(\frac{\Sigma\left(\frac{P_{1}}{P_{0}} \times 100\right)}{\mathrm{N}}=\frac{\Sigma \mathrm{R}}{\mathrm{N}}\)

B. भारित सूचकांक (Weighted Index Numbers)-सूचकांक की भारित सूचकांक विधि अधिक प्रचलित है तथा विधि का साधारण तौर पर प्रयोग किया जाता है। इस विधि में भिन्न-भिन्न वस्तुओं के भार दिए होते हैं। जब वस्तुओं के भार अथवा महत्त्व को ध्यान में रखकर सूचकांक तैयार किया जाता है तो इसको भारित सूचक कहते हैं।

भारित सूचकांक निर्माण की दो विधियां हैं –
1. भारित औसत कीमत अनुपात विधि (Weighted Average of Price Relative Method)-इस विधि में भिन्न-भिन्न वस्तुओं की कीमत अनुपातों को वस्तुओं के भार से गुणा करके गुणनफल का पता किया जाता है। जो गुणनफल प्राप्त होता है, उसको भार के जोड़ से विभाजित किया जाता है। इस प्रकार भारित औसत कीमत अनुपात विधि का सूत्र निम्नलिखित अनुसार होता है-
P01 = \(\frac{\Sigma R W}{\Sigma W}\)
P01 = कीमत सूचकांक
R = कीमत अनुपात \(\left(\frac{\mathrm{P}_{1}}{\mathrm{P}_{0}} \times 100\right)\)
w = भार (Weight)

2. भारित समूहीकरण विधि (Weighted Aggregative Method)-इस विधि में विभिन्न वस्तुओं की कीमतों को उन वस्तुओं की खरीदी गई मात्रा अनुसार भार दिया जाता है। इस विधि का निर्माण बहुत से सांख्यिकी शास्त्रियों द्वारा किया गया है। इन सांख्यिकी शास्त्रियों द्वारा दी गई विधियों में मुख्य अन्तर भार देने की विधि में है। कुछ विद्वान् आधारवर्ष की मात्रा को आधार बना कर भार देते हैं जबकि कुछ वर्तमान वर्ष की वस्तुओं की खरीदी गई मात्रा को आधार बनाकर भार देते हैं। कुछ अन्य दोनों समयों को मात्राओं का आधार बनाकर भार देते हैं।

भारित समूहीकरण की भिन्न-भिन्न विधियाँ निम्नलिखित अनुसार हैं –

  • लास्पेयर की विधि (Laspeyer’s Method)-इस विधि में प्रो० लास्पेयर ने आधार वर्ष की मात्रा (q0) को आधार बनाकर वस्तुओं को भार दिए हैं। लास्पेयर ने सूचकांक की गणना का सूत्र निम्नलिखित अनुसार दिया
    P01 (La) = \(\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} \mathrm{q}_{0}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} \mathrm{q}_{0}} \times 100\)
  • पास्चे की विधि (Pasche’s Method)-प्रो० पास्चे ने वर्तमान वर्ष की मात्रा (q1) को आधार बनाकर वस्तुओं को भार दिए हैं। पास्चे ने सूचकांक की रचना का सूत्र इस प्रकार दिया P01 (Pa) = \(\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{1}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} q_{1}} \times 100\)
  • फिशर की विधि (Fisher’s Method)-प्रो० इरविंग फिशर के फार्मले में आधार वर्ष तथा वर्तमान वर्ष की मात्राओं को आधार माना जाता है। प्रो० फिशर ने सूचकांक की गणना करने के लिए लास्पेयर तथा पास्चे के सूचकांकों की रेखा गणिती औसत का प्रयोग किया है।

इस सूत्र को सूचकांक की रचना का आदर्श सूत्र कहा जाता है-
P01 (F) = \(\sqrt{\frac{\Sigma P_{1} q_{0}}{\Sigma P_{0} q_{0}} \times \frac{\Sigma P_{1} q_{1}}{\Sigma P_{0} q_{1}}} \times 100\)

इस सूत्र को निम्नलिखित कारणों से आदर्श सूत्र कहा जाता है –

  • यह सूत्र पक्षपात से मुक्त है।
  • इस सूत्र में रेखा गणिती औसत द्वारा गणना की जाती है। इसलिए विश्वसनीय परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • इस सूत्र में आधार वर्ष तथा वर्तमान वर्ष की मात्राओं दोनों को ही भार माना जाता है।
  • यह सूत्र परख की कसौटी पर ठीक उतरता है। फिशर ने परख की कसौटियों दो दी हैं।

1. समय उत्क्रामता (Time Reversal Test)-जब हम आधार वर्ष शून्य (0) जगह पर 1 तथा 1 की जगह पर शून्य (0) लिख देते हैं तथा फार्मूले को इस परिवर्तन अनुसार गुणा करते हैं तो जवाब 1 के समान होता
\(\frac{\mathrm{P}_{01} \times \mathrm{P}_{10}}{100}=\sqrt{\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{0}}{\Sigma P_{0} q_{0}} \times \frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{1}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} \mathrm{q}_{1}} \times \frac{\Sigma P_{0} q_{1}}{\Sigma P_{1} q_{1}} \times \frac{\Sigma P_{0} q_{0}}{\Sigma P_{1} q_{0}}}=1\)

2. साधन उत्क्रामता (Factor Reversal Test)-जब फार्मूले में P की जगह पर q तथा की जगह पर के समान P लिखते हैं तो जवाबः\(\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{1}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} q_{0}}\) के समान होता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 3
यह परख केवल फिशर के फार्मूले में ठीक लागू होती है। लास्पेयर तथा पास्चे की विधि पर ठीक लागू नहीं होती। इसलिए फिशर के सूत्र को आदर्श सूत्र कहा जाता है।

साधारण कीमत सूचकांक की रचना (Construction of Simple Index Numbers)
साधारण कीमत सूचकांक की रचना दो विधियों द्वारा की जाती है –
(i) सरल समूहीकरण विधि (Simple Aggregative Method) माप विधि (Measurement Method)-

  1. इस विधि द्वारा सूचकांक ज्ञात करने के लिए भिन्न-भिन्न वस्तुओं के आधार वर्ष की कीमतों का जोड़ (ΣP0) पता करो।
  2. भिन्न-भिन्न वस्तुओं के वर्तमान वर्ष की कीमतों का जोड़ (ΣP) किया जाता है।
  3. वर्तमान वर्ष की कीमतों के जोड़ को आधार वर्ष की कीमतों के जोड़ से विभाजित करो तथा 100 से गुणा करो।
    अर्थात् निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करें-
    P01 = \(\frac{\Sigma P_{1}}{\Sigma P_{0}} \times 100\)

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों से सरल समूहीकरण विधि द्वारा 1981 को आधार वर्ष मान कर कीमत सूचकांक का पता करो।

वस्तुएं A B C D E
1999 की कीमतें (रु०) प्रति किलोग्राम 20 15 35 26 5
2006 की कीमतें (रु०) प्रति किलोग्राम 30 18 34 30 12

हल (Solution) :
साधारण कीमत सूचकांक की रचना (सरल समूहीकरण विधि)-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 4

कीमत सूचकांक (P01)= \(\frac{\Sigma P_{1}}{\Sigma P_{0}} \times 100\) = \(\frac{124}{101} \times100 \)
= 122.77
P01 = 122.77 उत्तर

आधार वर्ष के सूचकांक 100 की तुलना में 2006 की वर्तमान कीमतों का सूचकांक 122.77 हो गया है। इन वस्तुओं की कीमतों में औसतन 122.77 % वृद्धि हो गई है। इस विधि में सभी वस्तुओं का मूल्य एक माप किलोग्राम, मीटर इत्यादि में दिया होता है।

(ii) सरल कीमत अनुपात औसत विधि (Simple Average of Price Relative Method)-
माप विधि

  • इस विधि में प्रत्येक वस्तु के कीमत अनुपात P01= \(\left(\frac{P_{1}}{P_{0}} \times 100\right)\) का पता किया जाता है।
  • कीमत अनुपातों का जोड़ \(\Sigma\left(\frac{P_{1}}{P_{0}} \times 100\right)\) का पता किया जाता है।
  • वस्तुओं की संख्या (N) से कीमत अनुपातों के जोड़ को विभाजित करो। इससे सूचकांक प्राप्त हो जाता है। इसका सूत्र निम्नलिखित अनुसार है
    P01 = \(\frac{\Sigma\left(\frac{P_{1}}{P_{0}} \times 100\right)}{\mathrm{N}} \text { or } \frac{\Sigma \mathrm{R}}{\mathrm{N}}\)
  • इस विधि का माप उस समय किया जाता है जब भिन्न-भिन्न वस्तुओं की कीमत भिन्न-भिन्न माप (किलोग्राम, मीटर, लिटर) में दी हो।

प्रश्न 5.
कीमत अनुपात विधि द्वारा निम्नलिखित आंकड़ों का सूचकांक ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 5
हल (Solution) :
सरल कीमत अनुपात विधि द्वारा सूचकांक की गणना
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 6
सरल कीमत अनुपात सूचकांक (P01) = \(\frac{\Sigma\left(\frac{\mathrm{P}_{1}}{\mathrm{P}_{0}} \times 100\right)}{\mathrm{N}}\) = \(\frac{765}{5}\) = 153
इसका अभिप्राय यह है कि ऊपर दी वस्तुओं की कीमतों में सरल कीमत अनुपात विधि अनुसार 53 प्रतिशत वृद्धि हो गई है।

भारित सूचकांकों की रचना

भारित सूचकांक अधिक प्रचलित हैं। वस्तुओं के महत्त्व अनुसार उनको भार दिया जाता है, जैसे कि गेहूँ तथा चावल का महत्त्व फलों से अधिक है। इसलिए गेहूँ तथा चावल को अधिक महत्त्व अथवा भार दिया जाएगा तथा फलों को कम भार दिया जाएगा। भार अनुसार सूचकांक की रचना को भारित सूचकांक कहा जाता है। इसकी गणना की दो विधियां हैं –

(iii) भारित औसत कीमत अनुपात विधि माप विधि-

  1. भारित सूचकांक का माप करने के लिए भिन्न-भिन्न वस्तुओं के कीमत अनुपात R = \(\left(\frac{\mathrm{P}_{1}}{\mathrm{P}_{0}} \times 100\right)\) पत्ता|
  2. कीमत अनुपात (R) को भार (W) से गुणा करके गुणनफल (RW) निकालो।
  3. कीमत अनुपात तथा भाग के गुणनफलों का जोड़ = (ΣRW) करो।
  4. गुणनफल के जोड़ को भागों के जोड़ (ΣW) से विभाजित करो। भारित सूचकांक ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करो-
    Po1 = \(\frac{\Sigma R W}{\Sigma W}\)
  5. सभी वस्तुओं को सूचकांक बनाने में शामिल नहीं किया जाता बल्कि वस्तुओं का सैंपल के तौर पर चयन करके सूचकांक का निर्माण किया जाता है, जोकि सभी वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तनों को समझने के लिए सहायक होता है।

प्रश्न 6.
कीमत अनुपात विधि द्वारा निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से 1991 को आधार वर्ष मानकर 2005 का भारित सूचकांक ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 7
हल (Solution) :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 8
भारित सूचकांक
Po1 = \(\frac{\Sigma \mathrm{RW}}{\Sigma \mathrm{W}}\)
= \(\frac{4325}{25}\) = 173 उत्तर
इससे अभिप्राय यह है कि अध्ययन अधीन वस्तुओं की औसतन भारित कीमतों में परिवर्तन 73 प्रतिशत हो गया है। इसलिए भारित सूचकांक 100 से 173 हो गया है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक

(iv) भारित समूहीकरण विधि (Weighted Aggregative Method)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(i) लास्पेयर
(ii) पास्चे
(iii) फिशर की विधि द्वारा सूचकांक पता करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 9
हल (Solution) :
भारित सूचकांक की गणना
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 10
1. लास्पेयर विधि अनुसार सूचकांक
P01 = \(\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{0}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} q_{0}} \times 100\)
P01 = \(\frac{170}{62} \times 100\) = 274.19 उत्तर

2. पास्चे विधि अनुसार सूचकांक
P01 = \(\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{1}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} q_{1}} \times 100\)
P01 = \(\frac{305}{225} \times 100\) = 135.55 उत्तर

3. फिशर विधि अनुसार सूचकांक
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 11
P01 = 192.75 उत्तर
लास्पेयर विधि अनुसार सूचकांक 274.19 है जो यह बताता है कि कीमतों में परिवर्तन लगभग पौने तीन गुणा है। पास्चे की विधि अनुसार कीमतों में परिवर्तन 33.55 प्रतिशत है परन्तु फिशर अनुसार कीमतों में परिवर्तन लगभग दो गुणा हो गया है जोकि 192.75% वृद्धि को प्रकट करता है। फिशर की विधि का परिणाम उचित है।

सूचकांकों की किस्में (Types of Index Numbers)
ऊपर हम सूचकांकों का अर्थ तथा माप विधि का अध्ययन कर चुके हैं। भारत में कई किस्म के सूचकांक तैयार किए जाते हैं। इनमें से तीन महत्त्वपूर्ण सूचकांक निम्नलिखित अनुसार हैं, जिनके बारे अध्ययन किया जाएगा।

A. थोक कीमत सूचकांक (Wholesale Price Index)
B. उपभोक्ता कीमत सूचकांक (Consumer’s Price Index)
C. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Industrial Production Index).

A. थोक कीमत सूचकांक [Wholesale Price Index (W. P. I.)]

प्रश्न 8.
थोक कीमत सूचकांक से क्या अभिप्राय है ? थोक कीमत सूचकांक की निर्माण विधि को स्पष्ट करो। इसका महत्त्व बताओ।
(What is meant by Wholesale Price Index ? Explain the method for the construction of Wholesale Price Index. Give its importance.)
उत्तर-
थोक कीमत सूचकांक का अर्थ-थोक कीमत सूचकांक वह सूचकांक है जिसके निर्माण में थोक कीमतों का प्रयोग किया जाता है। साधारण तौर पर किसी देश में कीमतों के परिवर्तन के लिए इस सूचकांक का प्रयोग किया जाता है। भारत में प्रत्येक सप्ताह के अन्त में थोक कीमत सूचकांक तैयार किया जाता है। इस समय 1993-94 की कीमतों को आधार वर्ष मान कर सूचकांक तैयार किया जाता है। इसमें वस्तुओं को तीन कॉलमों में विभाजित किया गया है |

  1. प्राथमिक वस्तुएं-इनमें चावल, दालें, कपास इत्यादि 98 वस्तुओं को शामिल किया गया है।
  2. बिजली गैस तेल-इनमें 19 वस्तुएं शामिल हैं।
  3. निर्माण वस्तुएं-इनमें कपड़ा, चीनी, मशीनें इत्यादि 318 वस्तुएं शामिल हैं। इन वस्तुओं को महत्त्वानुसार वज़न (weights) दिए जाते हैं।

थोक कीमत सूचकांकों का महत्त्व (Importance of W.P.I.) –
1. वास्तविक मूल्य का अनुमान-थोक कीमत सूचकांकों द्वारा राष्ट्रीय आय, बचत, राष्ट्रीय निवेश इत्यादि के वास्तविक मूल्यों का निर्धारण करने के लिए किया जाता है। जब हम राष्ट्रीय आय का माप करते हैं तो इसको प्रचलित कीमतों अनुसार मापते हैं। राष्ट्रीय आय में परिवर्तन को स्थिर कीमतें (Constant Prices) तथा माप के पता किया जाता है। प्रचलित कीमतों पर राष्ट्रीय आय को स्थिर कीमतों में परिवर्तन करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 12
थोक कीमत सूचकांक इस प्रकार वास्तविक मूल्य वृद्धि अथवा कमी का पता लग जाता है।

2. मांग तथा पूर्ति का अनुमान-थोक कीमत सूचकांक द्वारा किसी देश में मांग तथा पूर्ति का अनुमान लगाया जा सकता है। यदि थोक कीमत सूचकांक बढ़ रहा है तो इससे अभिप्राय है कि देश में मांग अधिक है। यदि थोक कीमत सूचकांक घट रहा है तो इसका अर्थ है कि वस्तुओं की पूर्ति अधिक है।

3. मुद्रा स्फीति दर का सूचक-थोक कीमत सूचकांक का प्रयोग मुद्रा-स्फीति दर ज्ञात करने के लिए भी किया जाता है। इससे पता चलता है कि समय के साथ कीमत में कितना परिवर्तन हुआ है। इसको उदाहरण से स्पष्ट करते हैं। मान लो प्रथम सप्ताह में थोक सूचकांक P1 है, द्वितीय सप्ताह में थोक कीमत सूचकांक P2 हो जाता है तो थोक कीमत सूचकांक का माप इस प्रकार किया जाएगा।
\(\frac{\mathrm{P}_{2}-\mathrm{P}_{1}}{\mathrm{P}_{1}} \times 100\)
उदाहरणस्वरूप प्रथम सप्ताह थोक सूचकांक 100 है। द्वितीय सप्ताह सूचकांक 105 हो जाता है तो इस समय में थोक कीमत सूचकांक में परिवर्तन का माप इस प्रकार किया जाता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 13

मुद्रा स्फीति दर = \(\frac{P_{2}-P_{1}}{P_{1}} \times 100=\frac{105-100}{100} \times 100\) = 5 %
इसी तरह वार्षिक मुद्रा स्फीति की दर का माप किया जा सकता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक

प्रश्न 9.
1993-94 की कीमतों को आधार वर्ष मानकर 2005-06 के लिए थोक कीमत सूचकांक (W.P.I.) 215 है। वर्ष 2005-06 की राष्ट्रीय आय प्रचलित कीमतों पर 47527 करोड़ रु० है। आधार वर्ष की कीमतों पर राष्ट्रीय आय का मूल्य ज्ञात करो।
हल (Solution)-
2005-06 का थोक कीमत सूचकांक = 215
2005-06 की प्रचलित कीमतों पर राष्ट्रीय आय = 47527 करोड़ रु०
प्रचलित कीमतों पर राष्ट्रीय आय 1993-94 की कीमतों अनुसार वास्तविक राष्ट्रीय आय = img
\(\frac{47527}{215} \times 100\) = 22105.58 करोड़ रु० उत्तर

B. उपभोक्ता कीमत सूचकांक [Consumer Price Index (C.P.I.)]

प्रश्न 10.
उपभोक्ता सूचकांक से क्या अभिप्राय है ? उपभोक्ता सूचकांक का निर्माण कैसे किया जाता है ? इसका महत्त्व तथा मुश्किलें बताओ।
(What is meant by Consumer Price Index ? What is the method for the construction of Consumer Price Index. Explain its importance & Problems.)
उत्तर-
उपभोक्ता सूचकांक वह सूचकांक है जो उपभोक्ता द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन का माप करने के लिए प्रयोग किया जाता है। भिन्न-भिन्न वर्ग के लोग भिन्न-भिन्न वस्तुओं का प्रयोग करते हैं। पिछले वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष में इन वस्तुओं तथा सेवाओं की लागत में आए परिवर्तन का माप किया जाता है। इसीलिए उपभोक्ता सूचकांक को जीवन निर्वाह लागत (Cost of Living Index Number) भी कहा जाता है।

यह सूचकांक परचून कीमतों (Retail price) के आधार पर बनाया जाता है। भारत में तीन प्रकार के उपभोगी समूहों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक तैयार किए जाते हैं-

  1. औद्योगिक मज़दूरों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक।
  2. कृषि मजदूरों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक।
  3. शहरी दिमागी कार्य करने वाले मजदूरों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक।

उपभोक्ता कीमत सूचकांक की निर्माण विधि-उपभोक्ता कीमत सूचकांक बनाने के लिए मज़दूर वर्ग का चयन किया जाता है। उन द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं तथा उन वस्तुओं की खरीदी जाने वाली मात्रा का पता लगाया जाता है। इन वस्तुओं पर किए जाने वाले व्यय का पता लगाकर निम्नलिखित दो सूत्रों का प्रयोग किया जाता है-
1. कुल व्यय विधि (Aggregate Expenditure Method)—यह विधि लास्पेयर की विधि है। इसमें निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है
उपभोक्ता कीमत सूचकांक (C.P.I.) = \(\frac{\Sigma \mathrm{P}_{1} q_{0}}{\Sigma \mathrm{P}_{0} q_{0}} \times 100\) इसमें P1 का अर्थ वर्तमान वर्ष की कीमतें, P0 का अर्थ आधार वर्ष की कीमतें तथा Q0 का अर्थ आधार वर्ष में खरीदी वस्तुओं की मात्रा।

2. पारिवारिक बजट विधि (Family Budget Method)-इस विधि में उपभोक्ता कीमत सूचकांक के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है
उपभोक्ता कीमत सूचकांक (C.P.I.) = [/latex]\frac{\Sigma \mathrm{RW}}{\Sigma \mathrm{W}}[/latex]
इस सूत्र में कीमत अनुपात (R) = \(\frac{\mathrm{P}_{1}}{\mathrm{P}_{0}} \times 100\)
सभी वस्तुओं पर व्यय = वज़न (W) = P0q
कुल व्यय विधि तथा पारिवारिक बजट विधि का परिणाम एक समान होता है।

महत्त्व (Importance)-

  1. इनकी सहायता से कीमत नीति का निर्माण किया जाता है।
  2. लागत में वृद्धि होने के कारण मजदूरी में वृद्धि की जाती है।
  3. रु० के वास्तविक मूल्य का पता लगता है।
  4. बाज़ार में मांग तथा पूर्ति का ज्ञान प्राप्त होता है।
  5. राष्ट्रीय आय में शुद्ध वृद्धि अथवा कमी का ज्ञान प्राप्त होता है।

मुश्किलें (Difficulties)

  • भिन्न-भिन्न उपभोगी वर्गों के लिए एक उपभोगी कीमत सूचकांक नहीं बनाया जा सकता।
  • परचून कीमतों अनुसार इसका निर्माण होता है जोकि भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होती हैं।
  • भिन्न-भिन्न वर्ग के लोग भिन्न-भिन्न मदों पर एक अनुपात में व्यय नहीं करते।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर
(i) कुल व्यय विधि
(ii) पारिवारिक बजट विधि द्वारा उपभोक्ता कीमत सूचकांक की गणना करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 14
उपभोक्ता सूचकांक (C.P.I.) = \(\frac{\sum \mathrm{P}_{1} q_{0}}{\sum \mathrm{P}_{0} q_{0}} \times 100[/ltex]
= [latex]\frac{900}{590} \times 100\)
= 152.54 वर्तमान वर्ष में आधार वर्ष 2000 की परचून कीमतों की तुलना में 52.54 % वृद्धि हुई है।

2. पारिवारिक बजट विधि–उपभोक्ता कीमत सूचकांक की गणना-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 16
उपभोक्ता कीमत सूचकांक (C.P.I.) = \(\frac{\Sigma \mathrm{RW}}{\Sigma \mathrm{W}}\)
= \(\frac{9000}{590}\) = 152.54
दोनों विधियों द्वारा एक समान परिणाम प्राप्त होता है।

प्रश्न 12.
भारत के एक मध्य वर्ग परिवार के सम्बन्ध में निम्नलिखित सूचना के आधार पर उपभोक्ता कीमत सूचकांक ज्ञात करो।
अथवा
निम्नलिखित सूचना के आधार पर 2005 को आधार वर्ष मानकर 2006 के जीवन निर्वाह लागत सूचकांक की गणना करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 17
हल (Solution) :
उपभोक्ता कीमत सूचकांक अथवा जीवन निर्वाह लागत सूचकांक की गणना वज़न (weights) दिए गए हैं। इसी लिए परिवार बजट विधि का प्रयोग किया जाएगा।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 18

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक | (Industrial Production Index Number)

प्रश्न 13.
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक से क्या अभिप्राय है? औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का निर्माण कैसे किया जाता है ? इसके महत्त्व को स्पष्ट करो।
उत्तर-
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक वह सूचकांक होता है जो हमें आधार वर्ष की तुलना में किसी देश में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि अथवा कमी को प्रकट करता है। इस सूचकांक की सहायता से किसी देश में औद्योगिक विकास का ज्ञान प्राप्त होता है। भारत में 1993-94 को आधार वर्ष मान कर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की गणना की जाती है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का निर्माण- औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का निर्माण करते समय उद्योगों का वर्गीकरण

  • खाने तथा खनन
  • निर्माण उद्योग
  • बिजली उत्पादन इत्यादि में किया जाता है।

इन क्षेत्रों सम्बन्धी प्रत्येक माह, तिमाही अथवा वार्षिक आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं। इनके महत्त्व अनुसार भिन्न-भिन्न क्षेत्रों को वज़न दिए जाते हैं। इसके पश्चात् निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक = \(\frac{\sum\left(\frac{\mathrm{P}_{1}}{q_{0}}\right) \mathrm{W}}{\sum \mathrm{W}}\)
इसमें q1 = वर्तमान वर्ष का उत्पादन स्तर, q0 = आधार वर्ष का उत्पादन स्तर, W = वज़न।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक

प्रश्न 14.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 19
हल (Solution) :
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की गणना
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 31 सूचकांक 20
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक = \(\frac{\Sigma R W}{\Sigma W}=\frac{16500}{100}\) = 165
इसका अर्थ है कि 2005 की तुलना में 2006 में औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि 65% हुई है।

प्रश्न 15.
मुद्रा स्फीति और सूचकांक में क्या सम्बन्ध है ? मुद्रा स्फीति की दर और कीमत स्तर में सम्बन्ध स्पष्ट करें।
उत्तर-
मुद्रा स्फीति का माप थोक कीमत सूचकांक में होने वाले परिवर्तन के रूप में किया जाता है। जो कि बाज़ार में थोक कीमतों की साप्ताहिक तबदीली को प्रकट करती है। मुद्रा स्फीति वह स्थिति होती है जिसमें कीमत स्तर में वृद्धि लम्बे समय के दौरान दिखाई जाती है। आजकल प्रत्येक व्यक्ति मुद्रा स्फीति की दर का ध्यान रखता है। जैसा कि हम जानते हैं कि, “सूचकांक वह यंत्र है जिसके द्वारा सम्बन्धित तथ्यों के मूल्यों के आकार में होने वाले परिवर्तनों का माप किया जाता है।” सूचकांक की गणना करते समय किसी साधारण वर्ष को आधार साल मान कर उसको 100 मान लेते हैं।

जैसा कि भारत में 2001 साल को आधार साल मान लिया गया है तथा आधार साल की तुलना में 2008 में यदि सूचकांक 200 हो गया है तो हम कह सकते हैं कि भारत में 2001 से 2008 तक मुद्रा स्फीति के कारण मुद्रा के मूल्य में गिरावट आ गई है अथवा मुद्रा की खरीद शक्ति निरन्तर कम हो रही है। परन्तु यह भी देखना चाहिए कि लोगों की आय में कोई तबदीली हुई है या नहीं। यदि लोगों की आय भी इस समय में दो गुणा बढ़ गई है तो इससे मुद्रा स्फीति का लोगों पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता । मुद्रा स्फीति के मापने के लिए प्रति सप्ताह में थोक कीमत में परिवर्तन इस प्रकार मापते हैं :
मुद्रा स्फीति की दर = \(\frac{A_{2}-A_{1}}{A_{1}} \times 100\)
इसमें
A1 = पहले सप्ताह के थोक कीमत सूचकांक
A2 = दूसरे सप्ताह के थोक कीमत सूचकांक
इस प्रकार प्रति सप्ताह सूचकांक का माप सरकार द्वारा किया जाता है। थोक कीमत सूचकांक में एक लम्बे समय के दौरान होने वाली वृद्धि स्फीति को दर्शाती है। इस प्रकार मुद्रा स्फीति को थोक कीमतों के सूचकांक के परिवर्तन द्वारा मापा जाता है जिससे हमें थोक कीमतों में परिवर्तन का ज्ञान होता है।

मुद्रा स्फीति और कीमत स्तर का सम्बन्ध (Relationship between Inflation and Price Level)
जब मुद्रा स्फीति की दर में परिवर्तन होता है तो इसका अर्थ यह नहीं कि बाजार में कीमत स्तर भी उसी अनुपात में परिवर्तित हो रहा है। बाजार में यदि मुद्रा स्फीति की दर में वृद्धि होती है तो हो सकता है कि कुछ वस्तुओं की कीमत पहले जैसी स्थिर हो जबकि थोड़ी सी वस्तुओं की कीमत में वृद्धि हो सकती है। जब देश में मुद्रा स्फीति में बढ़ोत्तरी हो जाती है तो लोग अधिक वेतन की मांग करते हैं। इससे स्पष्ट है कि मुद्रा स्फीति की दर में गिरावट कीमत स्तर में होने वाली कमी को नहीं दर्शाती।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण

PSEB 12th Class Economics कृषि उपज का मण्डीकरण Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
कृषि उत्पादन मण्डीकरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कृषि उत्पादन मण्डीकरण से अभिप्राय कृषि उत्पादन उपज की बिक्री तथा खरीददारों को एकत्रित करना होता है।

प्रश्न 2. नियमित मण्डी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नियमित मण्डी कानून अधीन आरम्भ की जाती है, जोकि एक वस्तु अथवा वस्तुओं के समुच्चय के लिए बनाई जाती है। इसका संचालन मार्किट कमेटी द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 3.
नियमित मण्डी का मुख्य उद्देश्य बताओ।
उत्तर-
नियमित मण्डी का उद्देश्य कृषि उपज की भ्रष्ट बुराइयों को दूर करके किसानों के हितों की रक्षा करना होता है। किसानों से प्राप्त किए अधिक व्ययों पर रोक लगाई जाती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण

प्रश्न 4.
भारत में नियमित मण्डियों की स्थिति का वर्णन करो।
उत्तर-
1951 में 200 नियमित मण्डियां स्थापित की गई थीं। 2020-21 में नियमित मण्डियों की संख्या 29000 हो गई है।

प्रश्न 5.
कृषि मण्डीकरण के सम्बन्ध में मॉडल एक्ट 2003 की कोई एक मुख्य विशेषता बताओ।
उत्तर-
किसानों, स्थानिक अधिकारियों तथा अन्य लोगों को नई मण्डियां स्थापित करने की आज्ञा दी गई है।

प्रश्न 6.
भारत में कृषि उत्पादन उपज के भण्डार की स्थिति पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
सन् 2019 तक भारत में 211 मिलियन मीट्रिक टन अनाज के भण्डार की सुविधाएं उपलब्ध थीं।

प्रश्न 7.
जब कृषक अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के पश्चात् उपज को बाज़ार में बिक्री के लिए तैयार हो जाता है तो उसको ……………….. कहते हैं।
उत्तर-
बिक्री योग्य आधिक्य (Marketable Surplus)।

प्रश्न 8.
भारत में …………………….. मिलियन टन अनाज भण्डारण की योग्यता है।
उत्तर-
162 मिलियन मीट्रिक टन।

प्रश्न 9.
भारत में अनाज भण्डार के गोदाम ………….. हैं।
(a) अधिक
(b) सन्तोषजनक
(c) कम
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) कम।

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प्रश्न 10.
भारत में सन् 2019 में ………………… नियमित मण्डियां गांव तथा शहरों में काम करती हैं।
उत्तर-
शहरों में 8511 और गांवों में 20808 मण्डियां हैं।

प्रश्न 11.
भारत में कृषि उपज की न्यूनतम समर्थन कीमत कृषि लागत तथा कीमत कमीशन द्वारा निर्धारण होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 12.
सन्तोषजनक कृषि उपज की बिक्री के लिए उचित शर्त ………. है।
(a) साहूकार से छुटकारा
(b) सौदेबाज़ी की अधिक शक्ति
(c) मध्यस्थों का अन्त
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 13.
भारत में कृषि उपज की बिक्री की मुख्य समस्याएँ ………… हैं।
(a) संगठन की गैर-मौजूदगी
(b) बिचौलियों की अधिक संख्या
(c) ग्रेडिंग की गैर-मौजूदगी
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 14.
सहकारी मण्डीकरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सहकारी मण्डीकरण का अर्थ आपसी लाभ प्राप्ति और मण्डीकरण की समस्याओं का हल करने के लिए आपसी सहयोग देना है।

प्रश्न 15.
भारत में कृषि उपज की बिक्री के लिए उचित कदम उठाये गए हैं ?
उत्तर
-सही।

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत में कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण की समस्याओं को स्पष्ट करो।
उत्तर –
भारत में कृषि उपज के मण्डीकरण की समस्याएं इस प्रकार हैं –

  1. अपर्याप्त माल गोदाम-किसानों के पास माल गोदाम अपर्याप्त मात्रा में हैं। इसलिए किसानों की उपज का 10% से 20% हिस्सा नष्ट हो जाता है।
  2. साख सुविधाओं की कमी-किसान को अपनी उपज बहुत कम कीमत पर बेचनी पड़ती है। किसानm ऋण में रहता है, इसलिए फसल की कटाई के तुरन्त पश्चात् वह अपनी उपज साहूकार के पास बेचने के लिए मजबूर हो जाता है।

प्रश्न 2.
भारत में नियमित मण्डियों की विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
भारत में नियमित मण्डियों का उद्देश्य किसानों के साथ होने वाले शोषण को समाप्त करना है। भारत में नियमित मण्डियों की स्थापना कृषि उपज मण्डीकरण एक्ट 1951 के अनुसार की गई। 31 मार्च, 2019 तक भारत में 8511 मण्डियां थीं और 20868 मण्डियाँ फसल के आने पर काम करती हैं। नियमित मण्डियों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-

  • नियमित मण्डियों का संचालन मार्किट कमेटियों द्वारा किया जाता है जिसमें राज्य सरकार के कर्मचारी, ज़िला बोर्ड, व्यापारी, कमीशन एजेन्ट तथा किसानों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
  • मार्किट कमेटी मण्डी में प्राप्त किए व्यय को निर्धारित करती है। यह भी निश्चित किया जाता है कि कितना व्यय खरीददार तथा कितना बेचने वाले को सहन करना पड़ेगा।

प्रश्न 3.
भारत में नियमित मण्डियों के लिए सरकार द्वारा उठाए कोई दो कदम बताएं।
उत्तर-
नियमित मण्डियों के लिए सरकार द्वारा उठाए गए पगभारत में सरकार ने नियमित मण्डियों सम्बन्धी निम्नलिखित पग उठाए हैं –
1. मण्डियों का सर्वेक्षण-देश में विभिन्न वस्तुओं की बिक्री के लिए भिन्न-भिन्न स्थानों पर मण्डियों का सर्वेक्षण किया गया है। सरकार इन मण्डियों में वस्तुओं की कीमतों को प्रकाशित करती है तथा प्रचार किया जाता है।

2. ग्रेडिंग तथा स्तरीकरण-भारत सरकार ने कृषि उत्पादन वस्तुओं की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए एगमार्क की मोहर लगाने का निर्णय किया। एगमार्क की वस्तुएं विश्वसनीय होती हैं, क्योंकि वस्तुओं की गुणवत्ता को परखकर मोहर लगाने का अधिकार दिया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत में कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण की समस्याओं को स्पष्ट करो।
उत्तर-
भारत में कृषि उपज के मण्डीकरण की समस्याएं इस प्रकार हैं –

  1. अपर्याप्त माल गोदाम-किसानों के पास माल गोदाम अपर्याप्त मात्रा में हैं। इसलिए किसानों की उपज का 10% से 20% हिस्सा नष्ट हो जाता है।
  2. साख सुविधाओं की कमी-किसान को अपनी उपज बहुत कम कीमत पर बेचनी पड़ती है। किसान ऋण में रहता है, इसलिए फसल की कटाई के तुरन्त पश्चात् वह अपनी उपज साहूकार के पास बेचने के लिए मजबूर हो जाता है।
  3. यातायात की सुविधाओं की कमी-भारत में यातायात के साधन, रेलों की कमी के कारण, किसान को गांवों में से शहर तक उपज ले जाने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। उसको अधिक लागत सहन करनी पड़ती है तथा मार्ग में ही उसकी उपज का कुछ भाग नष्ट हो जाता है।
  4. मण्डी में भ्रष्टाचार-भारत का किसान अनपढ़ तथा अज्ञानी है। मण्डी में उसका शोषण किया जाता है। किसान से अधिक कटौतियां प्राप्त की जाती हैं। नापतोल में हेरा-फेरी की जाती है।

प्रश्न 2.
कृषि मण्डियों में कौन-सी सुविधाओं की आवश्यकता है ?
उत्तर-
भारत में कृषि की उपज के मण्डीकरण में निम्नलिखित बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है

  • किसानों के पास माल गोदाम की उचित सुविधाएं होनी चाहिए।
  • किसान के पास फसल को कुछ समय अपने पास रखने की समर्था होनी चाहिए अर्थात् फसल की कटाई के पश्चात् फसल बेचने की जगह पर कुछ समय के लिए किसान अपनी उपज को संभाल कर रख सकें तथा उचित मूल्य पर ही उसकी बिक्री करें।
  • किसान को यातायात के लिए सुविधाएं प्रदान की जाएं ताकि वह अपनी उपज गांव में बेचने की जगह पर मण्डियों में उचित कीमत पर उपज बेच सकें।
  • बाज़ार सम्बन्धी किसान को पूरी जानकारी प्रदान करनी चाहिए।
  • बिचोलों की संख्या को घटाकर उनका कमीशन निर्धारण करना चाहिए।

प्रश्न 3.
भारत में नियमित मण्डियों की विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
भारत में नियमित मण्डियों का उद्देश्य किसानों के साथ होने वाले शोषण को समाप्त करना है। भारत में नियमित मण्डियों की स्थापना कृषि उपज मण्डीकरण एक्ट 1951 के अनुसार की गई। 31 मार्च, 2009 तक भारत में 7139 मण्डियां थीं और 20868 मण्डियाँ फसल के आने पर काम करती हैं। नियमित मण्डियों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –

  1. नियमित मण्डियों का संचालन मार्किट कमेटियों द्वारा किया जाता है, जिसमें राज्य सरकार के कर्मचारी, ज़िला बोर्ड, व्यापारी, कमीशन एजेन्ट तथा किसानों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
  2. मार्किट कमेटी मण्डी में प्राप्त किए व्यय को निर्धारण करती है। यह भी निश्चित किया जाता है कि कितना व्यय खरीददार तथा कितना बेचने वाले को सहन करना पड़ेगा।
  3. नियमित मण्डियों द्वारा किसानों के साथ होने वाले छल-कपट पर नियन्त्रण करना है।
  4. नियमित मण्डियों द्वारा किसानों को प्राप्त होने वाली आय तथा उपभोक्ताओं द्वारा किए गए व्यय में अन्तर को घटाना है।
  5. मॉडल एक्ट 2003 अनुसार नियमित मण्डियों में नई सोच उत्पन्न की गई है, जिस द्वारा कई तरह के सुधार किए गए हैं। फसल की बिक्री के समय 20868 मण्डियां गांव में लगाई जाती है जिसके द्वारा किसान अपनी उपज गांव में ही बेच सकता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण

प्रश्न 4.
सहकारी मार्किट कमेटियों पर नोट लिखो।
उत्तर-
भारत में सहकारी मार्किट कमेटियों की स्थापना 1954 में की गई। सहकारी मार्किट कमेटियाँ किसानों की उपज का उचित मूल्य दिलवाने में सहायता करती हैं। इसके द्वारा किसानों को ऋण की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं ताकि किसान अपनी उपज, कटाई के तुरन्त पश्चात् न बेचें तथा कुछ समय रुककर अच्छी कीमत पर फसल बेच सकें। मार्किट कमेटियों द्वारा किसान की उपज माल गोदाम में रखने की सुविधा प्रदान की जाती है।

किसान को सस्ते मूल्य पर यातायात के साधन उपलब्ध करवाए जाते हैं। किसानों को ग्रेडिंग तथा मयारीकरण की फसलें बेचने के लिए सहायता की जाती है। विचोलों की जगह पर फसल सीधी ग्राहकों के पास बेचने का प्रबन्ध किया जाता है। इस प्रकार सहकारी मार्किट कमेटियाँ किसानों के लाभ हेतू महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं। 2019-20 में 55885 करोड़ रु० की उपज की बिक्री की गई। इन कमेटियों के पास 4.4 मिलियन टन अनाज भण्डार करने के लिए गोदामों की व्यवस्था है।

प्रश्न 5.
भारत में कृषि उपज के मण्डीकरण सम्बन्धी सरकारी नीति पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
भारत में कृषि उपज के मण्डीकरण सम्बन्धी सरकार ने निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण पग उठाए हैं –

  1. मार्किट कमेटियों की स्थापना-भारत में मण्डियों को नियमित करने के लिए मार्किट कमेटियों की स्थापना की गई है।
  2. बाज़ार सम्बन्धी सूचना-भारत में बाज़ार सम्बन्धी सूचना प्रदान करने का महत्त्वपूर्ण कार्य सरकार द्वारा किया गया है। इस सम्बन्धी रोज़ाना मण्डियों के मूल्य तथा होने वाले परिवर्तन के बारे रेडियो, टी० वी० तथा अखबारों में सूचना दी जाती है।
  3. वस्तुओं की ग्रेडिंग तथा मयारीकरण-वस्तुओं की ग्रेडिंग तथा मयारीकरण के लिए भी सरकार किसानों की सहायता करती है। सरकार द्वारा वस्तुओं की परख उपरान्त एगमार्क (AGMARK) का सर्टीफिकेट दिया जाता है। इससे अच्छी किस्म की वस्तुओं की बिक्री आसानी से हो जाती है।
  4. गोदामों की सुविधा-कृषि उपज के भण्डार के लिए सरकार ने गोदामों की सुविधा में प्रशंसनीय वृद्धि की है। सन् 2012 में भारत में 751 लाख टन अनाज के भण्डार के लिए गोदाम थे।

प्रश्न 6.
भारत में अनाज की सरकारी खरीद पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
भारत में 1965 में अनाज की कमी के पश्चात् सरकार ने अनाज का बफर स्टॉक स्थापित करने का निर्णय किया। इस उद्देश्य के लिए सरकार के पास 2006-07 में 358 लाख टन गेहूँ तथा चावल की खरीद की गई। 2017-20 तक भारत में गेहूँ तथा चावल की बफर कस्वटी (Buffer Norm) 311 लाख टन थी जबकि असल भण्डार 312 लाख टन था।

प्रश्न 7.
भारत में कृषि उपज की कम-से-कम समर्थन मूल्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
भारत में कृषि उपज का कम-से-कम समर्थन मूल्य निश्चित किया जाता है, क्योंकि गेहूँ तथा चावल की फसल मण्डियों में आने से अनाज की पूर्ति बढ़ जाती है। इसलिए कीमतों के घटने का डर होता है। पिछले दस वर्षों से गेहूँ तथा चावल की कम-से-कम समर्थन कीमत में काफ़ी वृद्धि हुई है। भारत में एफ० सी० आई० (E.C.I.) द्वारा गेहूँ तथा चावल की खरीद की जाती है तथा इससे प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए बफर स्टॉक स्थापित किया जाता है। 2006-07 में गेहूँ की कम-से-कम समर्थन कीमत (Minimum support price) 360 रु० प्रति क्विटल थी जोकि 2020-21 में 1658 रु० निश्चित की गई। चावल की कम-से-कम समर्थन कीमत 1994-95 में 340 रु० थी जोकि 2020-21 में बढ़ाकर 1868 रु० की गई।

प्रश्न 8.
भारत में कृषि उपज के माल गोदामों की भण्डार समर्था का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत में अनाज की जो सरकार द्वारा खरीद की जाती है। इसको सम्भाल कर रखने के लिए माल गोदामों की समर्था इस प्रकार है-

  1. फूड कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (F.C.I.) भारत में फूड कार्पोरेशन गेहूँ तथा चावल की समर्थन कीमत पर खरीद करती है। 2018 में एफ० सी० आई० 362 लाख टन अनाज भण्डार की समर्था थी।
  2. केन्द्रीय गोदाम कार्पोरेशन (C.W.C.)-केन्द्रीय गोदाम कार्पोरेशन भी अनाज के भण्डार की सुविधाएं प्रदान करती हैं। इस संस्था के पास 99 लाख टन अनाज भण्डार की समर्था है।
  3. राज्य गोदाम कार्पोरेशन (S.W.C.)-भारत में 16 राज्यों में राज्य गोदाम कार्पोरेशन स्थापित किए गए हैं। इन गोदामों में 273 लाख टन अनाज भण्डार की समर्था है।
  4. सहकारी गोदाम (Co-operative Warehouses)-राष्ट्रीय सहकारी विकास कार्पोरेशन (NCDC) की स्थापना 1963 में की गई। यह कार्पोरेशन सहकारी समितियों द्वारा भण्डार की सुविधाएं प्रदान करती हैं। 2012 में सहकारी गोदामों में 137.2 लाख टन अनाज की समर्था थी।
  5. ग्रामीण विकास विभाग (Deptt. of Rural Development)-ग्रामीण विकास विभाग द्वारा भी गोदामों की सुविधा में वृद्धि की गई है। 2019 में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 25 लाख टन अनाज भण्डार करने की समर्था थी।
  6. नाबार्ड अधीन विभिन्न एजेन्सियाँ (Various Agencies through NABARD)-भारत में कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक (NABARD) द्वारा निजी क्षेत्र (Private Sector) में अनाज के भण्डार के लिए गोदाम स्थापित करने के लिए उत्साहित किया जाता है।

इस संस्था द्वारा विभिन्न एजेन्सियों द्वारा बनाए गए माल गोदामों की समर्था 2018 में 211 मिलियन थी। अन्य एजेन्सियों द्वारा भी 82.1 लाख टन अनाज भण्डार की सुविधा प्रदान की गई है। भारत में वर्ष 2019 में विभिन्न संगठनों द्वारा 751 लाख टन अनाज भण्डार के लिए माल गोदाम की सुविधा थी जो कि देश की ज़रूरतों से कहीं कम हैं। .

V. दीर्य उत्तरीय प्रश्न न मिलन (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण की समस्याओं का वर्णन करो। (Explain the problems of Agricultural selecting in India.)
उत्तर-
मण्डीकरण वह क्रिया है, जहां उत्पादक तथा खरीददारों को एक-दूसरे के सम्पर्क में लाया जाता है। उत्पादक, कृषि उपज पैदा करने वाले किसान होते हैं। खरीददारों में उपभोगी अथवा व्यापारी होते हैं। भारत में 70% लोग कृषि उत्पादन का कार्य करते हैं तथा गांवों में रहते हैं। कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण में बहुत दोष हैं।

कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण की समस्याएं (Problems of Agricultural Marketing)-
अथवा
कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण की असंतोषजनक स्थिति (Unsatisfactory Condition of Agricultural Marketing) भारत में कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण की स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसकी मुख्य समस्याएं इस प्रकार हैं –

  1. अपर्याप्त गोदाम सुविधाएं-भारत में कृषि उत्पादन उपज के भण्डार करने के लिए पर्याप्त गोदाम नहीं हैं। गांवों में कच्चे गोदाम हैं, जिनमें उपज का 10% से 20% भाग नष्ट हो जाता है। इसलिए किसान फसल की कटाई के पश्चात् इसको तुरन्त बेच देते हैं। किसानों को उपज का उचित मूल्य प्राप्त नहीं होता।
  2. अपर्याप्त यातायात के साधन–भारत में यातायात के साधन भी अपर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। भारत के बहुत से भागों में रेल अथवा पक्की सड़क की सुविधा नहीं है। कुछ साधनों पर कच्ची सड़कें भी नहीं हैं । इसलिए कृषि उत्पादन उपज को घर से मण्डी तक ले जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यातायात के साधनों पर अधिक व्यय करना पड़ता है तथा बहुत-सी उपज मार्ग में खराब हो जाती है।
  3. अपर्याप्त साख सुविधाएं-भारत के किसान साख सुविधाओं की कमी के कारण अपनी उपज अनुचित समय, अनुचित लोगों को अनुचित कीमतों पर बेचनी पड़ती है। किसान पर ऋण होने के कारण, उसको अपनी उपज फसल की कटाई के पश्चात् तुरन्त बेचनी पड़ती है। साख सुविधाओं की कमी के कारण वह अपनी फसल को कुछ देर तक सम्भाल कर नहीं रख सकता।
  4. ग्रेडिंग तथा मयारीकरण का अभाव-भारत में कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण की एक समस्या यह है कि वस्तुओं की उचित ग्रेडिंग नहीं की जाती। इस कारण किसानों को उपज की उचित कीमत प्राप्त नहीं होती। खरीददार भी बिना मयारीकरण की वस्तुओं की खरीद करना पसन्द नहीं करते।
  5. बाज़ार सम्बन्धी सूचना का अभाव-किसान को बाज़ार सम्बन्धी उचित सूचना भी प्राप्त नहीं होती। उनको विभिन्न स्थानों पर उपज की कीमतों, मांग, सरकारी नीति तथा अन्तर्राष्ट्रीय परिवर्तनों का ज्ञान प्राप्त नहीं होता। इसलिए जो सूचना साहूकारों से प्राप्त होती है, वह किसान के पक्ष में नहीं होती।
  6. संस्थागत मंडियों का अभाव-भारत में कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण का एक दोष यह है कि किसान अपनी उपज व्यक्तिगत तौर पर मण्डी में बेचता है। इसका मुख्य कारण यह है कि देश में सहकारी मण्डी समितियों की कमी पाई जाती है। सरकार द्वारा भी उपज खरीदने का उचित प्रबन्ध नहीं है। यदि देश में संस्थागत मण्डियाँ हों तो किसान को उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो सकता है।
  7. बिचोलों की अधिक संख्या-कृषि उपज किसान से लेकर अन्तिम उपभोगी तक पहुँचने के लिए बहुत से बिचोले होते हैं। प्रत्येक बिचोले का अपना कमीशन होता है। किसान को उपज की कम कीमत प्राप्त होती है, परन्तु जब वह उपज अन्तिम उपभोगी के पास पहुँचती है तो उसमें दलाल, परचून विक्रेता का कमीशन बढ़ने के कारण, उपज की कीमत बहुत बढ़ जाती है।
  8. खरीद तथा बिक्री में भ्रष्टाचार-कृषि उत्पादन उपज की गुप्त खरीद तथा बेच, गलत मापतोल के पैमाने, फ़िजूल कटौतियाँ इत्यादि भी कृषि उत्पादन उपज के मण्डीकरण के कुछ अन्य दोष हैं। उपज खरीदने वाले गुप्त रूप में उपज की कीमत निश्चित कर लेते हैं।

इसलिए काश्तकार को अपनी उपज का ठीक मूल्य प्राप्त नहीं होता। कई स्थानों पर बाटों की जगह पर पत्थरों को बाटों के रूप में प्रयोग किया जाता है, जिनका भार साधारण बाटों से अधिक होता है। मण्डी फीस के रूप में बहुत सी फ़िजूल कटौतियाँ भी शामिल की जाती हैं। इस प्रकार किसानों का शोषण कई प्रकार से किया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण

प्रश्न 2.
नियमित मण्डियों से क्या अभिप्राय है? भारत में नियमित मण्डियों के विकास के लिए सरकार द्वारा किए गए यत्नों को स्पष्ट करो।
(What do you mean by regulated Market ? Discuss the steps taken by the Government of India regarding Regulated Markets.)
उत्तर-
नियमित मण्डी किसी नियम को आधारित करके एक वस्तु अथवा वस्तुओं के समूह के लिए बनाई जाती है। ऐसी मण्डी का प्रबन्ध मार्किट कमेटी (Market Committee) द्वारा किया जाता है। मार्किट कमेटी में राज्य सरकार, जिला बोर्ड, व्यापारी कमीशन एजेन्ट तथा किसानों के प्रतिनिधि होते हैं। यह कमेटी सरकार द्वारा निश्चित समय के लिए नियुक्त की जाती है जोकि मण्डी का प्रबन्ध करती है। मार्किट कमेटी द्वारा कमीशन तथा कटौतियाँ निर्धारित की जाती हैं। नियमित मण्डी का मुख्य उद्देश्य बाजार में भ्रष्टाचार को दूर करके किसानों के हितों की रक्षा करना होता है। इस उद्देश्य के लिए सभी राज्यों में कानून पास किए गए हैं। 1951 में नियमित मण्डियों की संख्या 200 थी, जोकि 31 मार्च, 2012 को बढ़कर 7139 हो गई है। इनके बिना समय-समय पर गांवों में जो मण्डियां लगाई जाती हैं, उनकी संख्या 20868 है।

नियमित मण्डियों की विशेषताएँ–नियमित मण्डियों को सरकार ने स्वतन्त्रता के पश्चात् स्थापित किया है। नियमित मण्डी का मुख्य उद्देश्य किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलवाना है। उत्पादक तथा उपभोगी में कीमत के अन्तर को घटाना है। व्यापारी तथा कमीशन एजेंटों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले कमीशन को नियमित करना है। इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार ने 2003 में मॉडल एक्ट पास किया, जिसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –

  1. मॉडल एकट 2003 अनुसार किसानों तथा स्थानिक अधिकारियों को आज्ञा दी गई है कि वह किसी क्षेत्र में नई मण्डी स्थापित कर सकते हैं।
  2. किसानों के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि अपनी उपज निश्चित नियमित मण्डी में ही बेचें।
  3. ऐसे खरीद केन्द्र स्थापित किए गए हैं, जहां पर किसान तथा उपभोगी प्रत्यक्ष तौर पर मण्डी में खरीद, बेच कर सकते हैं।
  4. कृषि उत्पादन मण्डियों के विकास तथा प्रबन्ध के लिए सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र में भ्रातृभाव को उत्साहित किया गया है।
  5. नाशवान वस्तुएं जैसे कि सब्जियां, प्याज, फल तथा फूलों इत्यादि के लिए विशेष मण्डियां स्थापित की गई हैं।
  6. ठेकेदारी काश्तकार के सम्बन्ध में नए नियम बनाए गए हैं।

सहकारी मण्डियाँ (Co-operative Marketing)-भारत में 1954 में सहकारी मण्डीकरण समितियों की स्थापना की गई। सहकारी मार्किटिंग समितियों में इसके सदस्य अपनी अधिक उपज सोसाइटी को बेचते हैं। यदि वह अपनी उपज नहीं बेचना चाहते तो सोसाइटी के पास रखकर उधार प्राप्त करते हैं, जब उनको उपज का उचित मूल्य प्राप्त होता है तो उस समय उपज बेची जा सकती है। सहकारी मार्किट समितियों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हुई है। 1960-61 में इन समितियों द्वारा 169 करोड़ रु० कृषि उत्पादन उपज बेची गई, जोकि 2019-20 में 35 हज़ार करोड़ रु० हो गई। यह समितियां पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश में अधिक प्रचलित हैं। नियमित मण्डियों के लिए सरकार द्वारा उठाए गए पगभारत में सरकार ने नियमित मण्डियों सम्बन्धी निम्नलिखित पग उठाए हैं –

  1. मण्डियों का सर्वेक्षण-देश में विभिन्न वस्तुओं की बिक्री के लिए भिन्न-भिन्न स्थानों पर मण्डियों का सर्वेक्षण किया गया है। सरकार इन मण्डियों में वस्तुओं की कीमतों को प्रकाशित करती है तथा प्रचार किया जाता है।
  2. ग्रेडिंग तथा मयारीकरण-भारत सरकार ने कृषि उत्पादन वस्तुओं की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए एगमार्क की मोहर लगाने का निर्णय किया। एगमार्क की वस्तुएं विश्वसनीय होती हैं, क्योंकि वस्तुओं की गुणवत्ता को परखकर मोहर लगाने का अधिकार दिया जाता है।
  3. नियमित मण्डियों की स्थापना-भारत सरकार ने 31 मार्च, 2020 तक 55885 कृषि उत्पादन मण्डियों की स्थापना की है, जोकि नियमों की पालना करके कृषि उत्पादन वस्तुओं की खरीद बेच करती हैं। इस समय कृषि उत्पादन उपज का 80% हिस्सा नियमित मण्डियों में बेचा जाता है। 20868 मण्डियाँ फसल आने के समय काम करती हैं।
  4. गोदाम की सुविधाएं-किसानों की उपज को सम्भालने के लिए गोदाम स्थापित किए गए हैं। 1951 में केन्द्रीय वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन की स्थापना की गई, जिस द्वारा देश में 751 लाख टन अनाज रखने की व्यवस्था की गई है।
  5. सहकारी मार्किटिंग समितियों की स्थापना-भारत में सहकारी मण्डीकरण समितियां स्थापित की गई हैं, जोकि कृषि उत्पादन उपज की बिक्री के साथ-साथ उधार की सुविधाएं भी प्रदान करती हैं।
  6. कृषि उत्पादन वस्तुओं का निर्यात-सरकार ने कृषि उत्पादन वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि करने के लिए विशेष बोर्डों की स्थापना की है। 2009-10 में 31500 करोड़ रु० की वस्तुओं का विदेशों को निर्यात किया गया। नई विदेशी नीति (2012-17) में कृषि उत्पादन उपज के निर्यात में वृद्धि करने के लिए कृषि निर्यात जोन बनाए गए हैं।
  7. कृषि उत्पादन मण्डीकरण सुधार–भारत सरकार ने जोन 2002 में कृषि उत्पादन मण्डीकरण सुधार के लिए टास्क फोरस (Task Force) की स्थापना की जिसमें किसानों द्वारा उपज को प्रत्यक्ष तौर पर बेचना, भविष्य के लिए समझौते करने, गोदामों में माल रखने की सुविधा तथा आधुनिक तकनीकों की जानकारी प्रदान करना शामिल है।

प्रश्न 3.
भारत में सरकार द्वारा कृषि उत्पादन उपज की प्राप्ति तथा कीमत नीति को स्पष्ट करो। (Explain the Procurement and Price Policy of Agricultural Produce in India.)
उत्तर-
कृषि उत्पादन उपज की कीमत निर्धारण करना महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस द्वारा किसानों की आय निश्चित होती है। अनाज खरीदने वाले भी उपज की कीमत से प्रभावित होते हैं। इसलिए कृषि उत्पादन उपज की कीमतें तथा प्राप्ति महत्त्वपूर्ण समस्या है। कृषि उत्पादन उपज की कीमत नीति-भारत जैसे देश में कृषि उत्पादन उपज की कीमत को निर्धारित करना महत्त्वपूर्ण समस्या है। कृषि उत्पादन आगतों (Inputs) की कीमतें निरन्तर बढ़ रही हैं। इसलिए कृषि उत्पादन उपज की कीमतों में वृद्धि करना अनिवार्य हो जाता है, परन्तु भारत में अधिक लोग निर्धन होने के कारण अनाज खरीदने की सामर्थ्य नहीं रखते, इसलिए अनाज की अधिक कीमतें निश्चित करना सम्भव नहीं।

अनाज की कीमतों में निरन्तर परिवर्तन होते हैं। इसलिए मुख्य तौर पर कीमतों में परिवर्तनों के दो कारण होते हैं-
1. मांग पक्ष-

  • कृषि उत्पादन उपज की मांग में निरन्तर वृद्धि हो रही है, क्योंकि भारत में जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही है।
  • उद्योगों का विकास होने के कारण कृषि उत्पादन उपज की मांग कच्चे माल के तौर पर अधिक रही है।
  • कृषि उत्पादन उपज से वस्तुओं का निर्माण करके निर्यात किया जाता है। इसलिए मांग में वृद्धि हो रही है।

2. पूर्ति पक्ष-
कृषि उत्पादन के पूर्ति पक्ष में निरन्तर वृद्धि हो रही है। भारत में हरित क्रान्ति के पश्चात् वस्तुओं की उपज तथा उत्पादकता दोनों में ही वृद्धि हुई है। कुछ राज्यों पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में कृषि उत्पादन उपज में बहुत वृद्धि हुई है, जबकि बहुत से राज्यों में उत्पादकता कम है। कीमत स्थिरता की नीति-कृषि उत्पादन उपज की कीमतों को स्थिर रखा जाए अथवा दूसरी वस्तुओं की कीमतों के अनुसार बढ़ने दिया जाए, यह महत्त्वपूर्ण समस्या है।

यदि कीमतों में वृद्धि दूसरी उपभोगी वस्तुओं की कीमतों अनुसार की जाती है तो देश में लागत वृद्धि मुद्रा स्फीति उत्पन्न हो जाएगी। उपभोगी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकेंगे। यदि वस्तुओं को कम रखने का यत्न किया जाता है तो उत्पादक निरुत्साहित हो जाते हैं।

किसान अपनी लागत भी पूरी नहीं कर सकेंगे तो कृषि उत्पादन में उनकी रुचि कम हो जाती है। इसलिए उचित कीमत नीति निर्धारित करने के लिए तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  1. कीमत स्तर इस प्रकार निश्चित किया जाए ताकि किसान उत्पादन करने के लिए उत्साहित हों। तकनीक तथा आधुनिक ढंगों का प्रयोग किया जा सके।
  2. कृषि उत्पादन उपज की कीमतों का प्रभाव अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों पर देखना चाहिए । जब कृषि उत्पादन उपज को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है तो बाकी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की सम्भावना होगी, जिससे मुद्रा स्फीति उत्पन्न हो सकती है।
  3. कृषि उत्पादन क्षेत्र तथा गैर-कृषि उत्पादन क्षेत्र में कीमतों के सन्तुलन रखने की आवश्यकता है। जैसे कि रासायनिक खादों, कीड़ेमार दवाइयों, बिजली, कपड़ा इत्यादि वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से कृषि उत्पादन उपज की कीमतों में वृद्धि भी अनिवार्य होगी। इस उद्देश्य के लिए भारत सरकार ने देश में कृषि उत्पादन, लागत तथा कीमत कमीशन की स्थापना 1965 में की।

इस कमीशन को पहले कृषि उत्पादन कीमत कमीशन कहा जाता था। यह कमीशन कृषि उत्पादन में प्रयोग किए जाने वाले कच्चे माल की कीमतों को ध्यान में रखकर विभिन्न फसलों की कीमत निर्धारित करता है।

इसको न्यूनतम समर्थन कीमत (Minimum Support Price) कहा जाता है। इसको सरकारी प्राप्ति कीमत (Procurement Price) भी कहते हैं। प्राप्ति कीमत वह कीमत होती है, जिस पर देश की सरकार बाज़ार में आई उपज की खरीद करती है। इस कमीशन द्वारा डिपुओं पर दी जाने वाली चीनी, गेहूँ, चावल इत्यादि की कीमत भी निर्धारण की जाती है। कृषि उत्पादन उपज की सरकारी खरीद-भारत में कृषि मानसून हवाओं पर निर्भर है। इसलिए कृषि उत्पादन उपज अनिश्चित होने के कारण 1965-66 में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इसलिए सरकार ने अनाज भण्डार (Buffer stock) बनाने का निर्णय किया। इस नीति अधीन सरकार ने 1965 में कृषि उत्पादन लागतों तथा कीमतों कमीशन की स्थापना की, जोकि कृषि उत्पादन उपज की कम-से-कम समर्थन कीमत निश्चित करता है, जिसको प्राप्ति कीमत (Procurement Price) कहा जाता है । कम-से-कम समर्थन कीमत फसल को बीजते समय बताई जाती है ताकि किसान उस कीमत अनुसार फसल बीज सकें। देश में डिपुओं पर कम कीमत पर बेची जाने वाली वस्तुओं की कीमत भी कमीशन द्वारा निश्चित की जाती है। सरकार द्वारा कृषि उत्पादन उपज की खरीद करके अनाज का भण्डार बनाया जाता है ताकि मुश्किल समय प्रयोग किया जा सके।

भारत में फूड कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा अनाज खरीदा जाता है। कृषि उपज की कीमतों में उचित वृद्धि की गई है, चाहे किसान को उपज का उचित मूल्य प्राप्त नहीं होता, परन्तु अनाज की पैदावार बढ़ने के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। उपभोक्ताओं को भी इस नीति का लाभ प्राप्त हुआ है। उनको अनाज उचित कीमतों पर प्राप्त हो जाता है। कृषि उत्पादन उपज की कीमतों को वैज्ञानिक बनाने की आवश्यकता है, इसलिए इस समस्या को मांग तथा लागत पक्ष से देखना आवश्यक है। समर्थन कीमत पर उचित वृद्धि करके किसान की आर्थिक स्थिति में सुधार करना चाहिए, जबकि देश के निर्धन लोगों तथा मजदूरों को वितरण प्रणाली द्वारा कम कीमतों पर अनाज खरीदने की सुविधा देनी चाहिए।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण

प्रश्न 4.
भारत में कृषि उत्पादन उपज के लिए माल गोदामों की सुविधा को स्पष्ट करो। (Explain the Warehousing facilities for Agriculture Produce in India.)
उत्तर-
भारत में कृषि उत्पादन उपज के भण्डार की समस्या बहुत समय से चली आ रही है। भण्डार सुविधाओं की कमी के कारण बहुत-सा अनाज नष्ट हो जाता है। इसलिए 1954 में सर्व भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण कमेटी (All India Rural Credit Survey Committee) की सिफारिशों के अनुसार

  • केन्द्रीय स्तर
  • राज्य स्तर
  • ग्रामीण स्तर पर गोदाम की सुविधाएं प्रदान करने का कार्य आरम्भ किया गया।

इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास तथा माल गोदाम बोर्ड (1956) तथा केन्द्रीय गोदाम कार्पोरेशन (1957) में स्थापित किए गए। इसके पश्चात् सभी राज्यों में राज्य गोदाम कार्पोरेशनों की स्थापना की गई।

इस समय सार्वजनिक क्षेत्र में तीन एजेन्सियाँ हैं, जोकि बड़े पैमाने पर गोदाम स्थापित करती हैं-

  1. फूड कापैरेशन आँफ इंडिया (Food Corporation of India-F.C.I.)
  2. केन्द्रीय गोदाम कार्पोरेशन (Central Warehousing Corporation-C.W.C.)
  3. राज्य गोदाम कार्पोरेशन (State Warehousing Corporation-S.W.C.)

फूड कार्पोरेशन ऑफ़ इण्डिया (F.C.I.) के अपने गोदाम हैं तथा बाकी की सरकारी तथा निजी संस्थाओं से गोदाम किराए पर लेती हैं। इसकी कुल समर्था लगभग 32.05 मिलियन मीट्रिक टन है।

केन्द्रीय गोदाम कार्पोरेशन (C.W.C.) का मुख्य कार्य उचित स्थानों पर ज़मीन खरीद कर गोदामों का निर्माण करना है। इस कार्पोरेशन के पास 470 माल गोदाम हैं जिनकी समर्था 10.7 मिलियन मीट्रिक टन है। राज्य गोदाम कार्पोरेशन (S.W.C.) भी उचित स्थानों पर गोदाम निर्माण करके अनाज भण्डार की सुविधाएं प्रदान करती हैं। इसके पास लगभग 2000 गोदाम हैं, जिनकी भण्डार समर्था 21.29 मिलियन मीट्रिक टन है। इसके अतिरिक्त सहकारी समितियाँ ग्रामीण क्षेत्र (Rural Areas) में अनाज, खाद, बीज इत्यादि रखने की सुविधा प्रदान की जाती है। 2019-20 में सहकारी समितियों की भण्डार समर्था 154 लाख टन थी। इसके बिना देश में 3200 कोल्ड स्टोर बनाए गए हैं, जिनमें सब्जियां, फल, मीट, मछलियाँ रखने की सुविधा प्रदान की जाती हैं। कोल्ड स्टोरों की समर्था 80 लाख टन है।

केन्द्रीय क्षेत्र द्वारा ग्रामीण गोदाम निर्माण योजना-ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक ढंग से स्टोर बनाने के लिए 2001 में सरकार ने केन्द्रीय क्षेत्र योजना अधीन गांवों में गोदाम बनाने की योजना आरम्भ की है। इस योजना अधीन निजी तथा सहकारी क्षेत्र में गोदाम बनाने वालों को सहायता दी जाती है। 2019-20 में बैंकों द्वारा 4850 स्टोर बनाने के लिए 1300 करोड़ रु० के निवेश की मंजूरी दी गई। इस योजना का विस्तार 2013-14 तक किया गया है। इन गोदामों के गाँवों में स्थापित होने से किसान अपनी उपज गोदामों में रखकर बैंकों से उधार प्राप्त कर सकते हैं। इससे उनको अपनी उपज फसल की कटाई के तुरन्त पश्चात् बेचनी नहीं पड़ेगी। वह अपनी मर्जी से अच्छी कीमत पर उपज बेच सकेंगे।

भारत में माल गोदामों की वर्तमान स्थिति-भारत में ग्यारहवीं तथा बारहवीं योजना में ग्रामों में माल गोदामों के निर्माण पर अधिक जोर दिया गया। सहकारी क्षेत्र में 100 गोदाम बनाए गए। पश्चात् में ग्रामीण गोदाम योजना (Rural Godown Scheme) आरम्भ की गई, जिसमें 200 से 100 टन की समर्था के गोदाम गांवों में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया। क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय तथा राज्य गोदाम कार्पोरेशनें काम कर रही हैं। इनके बिना निजी क्षेत्र में 10 लाख टन समर्था के गोदामों का निर्माण किया गया है। कृषि उत्पादन तथा ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक (NABARD) भी विभिन्न एजेन्सियों द्वारा गोदामों के विस्तार का कार्य कर रहा है। भारत में 2019-20 में विभिन्न संस्थाओं द्वारा गोदामों में कुल समर्था 758.46 मिलियन मीट्रिक टन थी, जिसका विवरण अग्रलिखित है
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 24 कृषि उपज का मण्डीकरण 1
देश में फूड कार्पोरेशन ऑफ़ इण्डिया द्वारा नियमित गोदामों की सपथ 74 35 मिलियन पाटेक : है। केन्द्रीय गोदाम कार्पोरेशन की समर्था, राज्य गोदाम कार्पोरेशन को समर्था तथा सहकारी सामों की समय 30.68 मीट्रिक टन है। निजी क्षेत्र की समर्था 2040 मीट्रिक टन है। इस प्रकार भारत में कुल समय 58 मिलियन मोट्रिक लाख टन है, जोकि संतोषजनक नहीं है। 2 फरवरी 2020 में वित्त मन्त्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्तमान में गोगों की माप 21 मिलियन sq.ft. से बढ़ाकर 2023 तक मिलियन sq.ft. करने का लक्ष्य है। इस उद्देश्य के लिए ₹ 2.99 करोड़ की राशि गोदामों के विस्तार के लिए मंजूर की गई है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਵੱਡੇ ਉੱਚਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅਮਰੂਪਤਾ (ਭਿੰਨ ਰੂਪਤਾ) ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਅਪਰੂਪਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ । ਕੀ ਉਹ ਰਸਾਇਣਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਸਮਾਨ ਹਨ ? ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਪਰੂਪਤਾ – ਜਿਸ ਗੁਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਤੱਤ ਵਿਭਿੰਨ ਰੂਪਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ਉਸ ਨੂੰ ਅਪਰੂਪਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਵਿਭਿੰਨ ਰੂਪਾਂ ਨੂੰ ਅਪਰ ਰੂਪ (ਭਿੰਨ ਰੂਪ) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਅਪਰ ਰੂਪ (ਭਿੰਨ ਰੂਪ)-

  1. ਹੀਰਾ (ਡਾਇਮੰਡ),
  2. ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ।

ਰਸਾਇਣਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਸਮਾਨਤਾ – ਜੇਕਰ ਦੋਨਾਂ ਅਪਰੁਪਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਮਾਤਰਾ ਨੂੰ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਏ ਤਾਂ ਸਮਾਨ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਹੀ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਬਣਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਨਹੀਂ ਬਚਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਪ੍ਰਯੋਗ ਤੋਂ ਇਹ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਦੋਨੋਂ ਅਪਰਰੂਪ ਰਸਾਇਣਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਸਮਾਨ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 1

ਹੀਰੇ ਅਤੇ ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ-

ਗਣ ਹੀਰਾ ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ
ਵੇਖਣ ਵਿੱਚ ਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਕਾਲਾ ਅਤੇ ਚਮਕਦਾਰ
ਕਰੜਾਪਣ ਬਹੁਤ ਸਖ਼ਤ ਮੁਲਾਇਮ, ਛੂਹਣ ਨਾਲ ਚੀਕਣਾ
ਊਸ਼ਮਾ ਦੀ ਚਾਲਕਤਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਮੱਧਮ
ਬਿਜਲਈ ਚਾਲਕਤਾ ਕੁਚਾਲਕ ਵਧੀਆ ਚਾਲਕ
ਘਣਤਾ (Kg/m3 ਵਿੱਚ) 3.510 2.250
ਸ਼ੁੱਧਤਾ ਬਹੁਤ ਸ਼ੁੱਧ ਹੀਰੇ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਸ਼ੁੱਧ
ਪਿਘਲਾਓ ਅੰਕ 3000°C 3500°
ਉਪਯੋਗ ਗਹਿਣੇ, ਲਿੰਗ ਲਈ ਬਿੱਟ ਖ਼ੁਸ਼ਕ ਸੈੱਲ, ਬਿਜਲਈ ਆਰਕ, ਪੈਂਨਸਿਲ ਦਾ ਸਿੱਕਾ, ਲੁਬਰੀਕੈਂਟ

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
(ੳ) ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਕਿਸ ਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ? ਇਸ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਲਿਖੋ ।
(ਅ) ਆਇਨੀ ਅਤੇ ਸਹਿਸੰਯੋਜੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ – ਦੋ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੇ ਇੱਕ ਜੋੜੇ ਦੀ ਸਾਂਝ ਦੁਆਰਾ ਬਣਨ ਵਾਲੇ ਬੰਧਨ ਨੂੰ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ – ਇਸ ਦੀਆਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਹਨ-

  1. ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨਾਂ ਵਾਲੇ ਅਣੂਆਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਤਾਂ ਮਜ਼ਬੂਤ ਬੰਧਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰੰਤੂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਬਲ ਬਹੁਤ ਮੱਧਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਨੀਵਾਂ ਘੱਟ) ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਨੀਵਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਵਾਲੇ ਯੌਗਿਕ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਸੁਚਾਲਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

(ਅ) ਆਇਨੀ ਅਤੇ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਆਇਨੀ ਯੋਗਿਕ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਯੌਗਿਕ
(1) ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਲੀ ਠੋਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । (1) ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਤਰਲ ਜਾਂ ਗੈਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ।
(2) ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਸੁਚਾਲਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (2) ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਕੁਚਾਲਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(3) ਇਹ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (3) ਇਹ ਕਾਰਬਨਿਕ ਘੋਲਾਂ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(4) ਇਹ ਤੀਬਰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (4) ਇਹ ਧੀਮੀ ਗਤੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
(5) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਅਤੇ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਉੱਚਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (5) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਅਤੇ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਨੀਵਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਦੇ ਕੁੱਲ ਜੋੜ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਕੀ ਕਾਰਨ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਅਤਿਅਧਿਕ ਸੰਖਿਆ – ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਕਾਰਨ ਕਾਰਬਨ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਯੌਗਿਕ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਦੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਕਾਂ ਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਹੈ ।

(i) ਲੜੀ ਬੰਧਨ (Catenation) – ਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਹੀ ਹੋਰ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਬੰਧਨ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਵਚਿੱਤਰ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਅਣੂ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਲੜੀ ਬੰਧਨ (Catenation) ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ (a) ਕਾਰਬਨ ਦੀਆਂ ਲੰਬੀਆਂ ਲੜੀਆਂ (b) ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਵਿਭਿੰਨ ਸ਼ਾਖ਼ਿਤ ਲੜੀਆਂ ਅਤੇ (c) ਬੰਦ ਲੜੀਆਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਪਰਮਾਣੁ ਇਕਹਿਰੇ, ਦੋਹਰੇ ਅਤੇ ਤਿਹਰੇ ਬੰਧਨਾਂ ਵਿੱਚ ਜੁੜੇ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਜਿਸ ਸੀਮਾ ਤੱਕ ਲੜੀਬੰਧਨ ਦਾ ਗੁਣ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਉਹ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਤੱਤ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਕਾਰਬਨ-ਕਾਰਬਨ ਬੰਧਨ ਬਹੁਤ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਸਥਾਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(ii) ਚਹੁੰ ਸੰਯੋਜਕਤਾ (Tetravalency) – ਕਿਉਂਕਿ ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 4 ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਹੋਰ ਚਾਰ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਇੱਕ ਸੰਯੋਜਕ ਤੱਤ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਬੰਧਨ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ । ਆਕਸੀਜਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਨਾਈਟਰੋਜਨ, ਸਲਫਰ, ਕਲੋਰੀਨ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹੋਰ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਯੌਗਿਕ ਬਣਦੇ ਹਨ ਜੋ ਅਣੁ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਉਪਸਥਿਤ ਤੱਤਾਂ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਵਧੇਰੇ ਕਰਕੇ ਹੋਰ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਗਏ ਬੰਧਨ ਅਤਿ ਪ੍ਰਬਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਇਹ ਯੌਗਿਕ ਅਸਾਧਾਰਨ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਥਾਈ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਪ੍ਰਬਲ ਬੰਧਨਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਆਕਾਰ ਵੀ ਛੋਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-
(1) ਦਹਿਨ – ਕਾਰਬਨ ਆਪਣੇ ਸਾਰੇ ਅਪਰਰੂਪਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਜਲਣ ਤੇ ਊਸ਼ਮਾ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਤੇ CO2 ਉਤਪੰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ ਵਜੋਂ
C + O2 → CO2 + ਊਸ਼ਮਾ ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼
CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2O + ਊਸ਼ਮਾ ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼
CH3CH2OH + 3O2 → 2CO2 + 3H2O + ਊਸ਼ਮਾ ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ |
ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਸਵੱਛ ਲੈ ਦੇ ਨਾਲ ਬਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਅੰਤਿਪਤ ਧੁੰਏਂ ਵਾਲੀ ਪੀਲੀ ਲਾਟ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

(2) ਆਕਸੀਕਰਨ – ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਦਹਿਨ ਦੁਆਰਾ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਅਕਸੀਕਰਨ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਂਗਨੇਟ ਜਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਤਾਈਕ੍ਰੋਮੇਟ, ਅਲਕੋਹਲ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਕਰਨ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
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(3) ਜੋੜਕ ਅਭਿਕਿਰਿਆ – ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਪਲੇਡੀਅਮ ਅਤੇ ਨਿੱਕਲ ਜਿਹੇ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਜੋੜ ਕੇ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਨਿੱਕਲ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲਾਂ ਦੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨੀਕਰਨ ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲਾਂ ਵਿੱਚ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਲੰਬੀ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਕਾਰਬਨ ਲੜੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਦਕਿ ਜੰਤੂ ਚਰਬੀ ਵਿੱਚ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਕਾਰਬਨ ਲੜੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
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(4) ਤਿਸਥਾਪਨ ਅਭਿਕਿਰਿਆ – ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਵਧੇਰੇ ਕਰਕੇ ਅਭਿਕਰਮਕਾਂ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ, ਪਰੰਤੂ ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਕਲੋਰੀਨ ਦਾ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਸੰਕਲਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕਲੋਰੀਨ ਅਤਿ ਤੀਬਰ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਸਥਾਪਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉੱਚ ਸਮਜਾਤੀ ਐਲਕੇਨ ਦੇ ਨਾਲ ਕਈ ਉਪਜਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਅਲਕੋਹਲ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਬਣਾਉਟੀ ਈਥੇਨੋਲ ਕਿਸ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਈਥੇਨੋਲ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਲਕੋਹਲ – ਇਹ ਕਾਰਬਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਸਰਲ ਯੌਗਿਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਕਿਸੇ ਐਲਕੇਨ ਦੇ ਇੱਕ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰਾਕਸਿਲ -OH ਗਰੁੱਪ ਦੁਆਰਾ ਤਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਨਾਲ ਅਲਕੋਹਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਅਲਕੋਹਲ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ (CHnH2n + 1) OH ਹੈ ।
ਉਦਾਹਰਨ-
(1) ਮੀਥੇਨ (CH4) ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰਾਕਸਿੱਲ -OH ਗਰੁੱਪ ਦੁਆਰਾ ਤਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਨਾਲ ਮੀਥੇਨੋਲ (CH3OH) ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(2) ਈਥੇਨ (C2H6) ਵਿਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰਾਕਸਿੱਲ ਗਰੁੱਪ ਦੁਆਰਾ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਨਾਲ ਈਥੇਨੋਲ (C2HH5 OH) ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਬਨਾਉਟੀ ਈਥੇਨੋਲ ਦੀ ਤਿਆਰੀ – ਬਨਾਉਟੀ ਈਥੇਨੋਲ ਨੂੰ ਬਨਾਉਣ ਲਈ ਫਾਸਫੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਈਥੇਨ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 5

ਈਥੇਨਾਲ ਈਥੇਨੋਲ ਦੇ ਗੁਣ-
(a) ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ-

  1. ਇਹ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਗੰਧ ਵਾਲਾ ਰੰਗਹੀਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਸ ਦਾ ਪਿਘਲਾਓ ਅੰਕ 351 K ਅਤੇ ਉਬਾਲ ਅੰਕ 156 ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਕਿਸੇ ਵੀ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਅੰਦਰ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  4. ਇਸਦਾ ਲਿਟਮਸ ਤੇ ਕੋਈ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਉਦਾਸੀਨ ਹੈ ।

(b) ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ-

(1) ਇਹ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਨੀਲੀ ਲੌ ਨਾਲ ਚਲਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
C2H5OH + 3O2 → 2CO2 + 3H2O

(2) ਈਥੇਨੋਲ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
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(3) ਸੋਡੀਅਮ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ – ਈਥੇਨੋਲ ਸੋਡੀਅਮ ਧਾਤੂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਬਾਹਰ ਕੱਢਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਉਪਜ ਸੋਡੀਅਮ ਈਥਕਸਾਈਡ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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(4) ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ – ਈਥੇਨਾਲ ਨੂੰ ਅਧਿਕ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਗਾੜੇ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ 443K ਦੇ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਈਥੇਨੋਲ ਦਾ ਨਿਰਜਲੀਕਰਨ ਹੋ ਕੇ ਈਥੀਨ ਬਣਦੀ ਹੈ ।
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ਇਸ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (H2SO4) ਨਿਰਜਲੀਕਾਰਕ ਵਜੋਂ ਕਾਰਜ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਈਥੇਨੋਲ ਦੇ ਤਿੰਨ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਲਿਖੋ । ਇਸਦੀ ਬਾਲਣ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਵਰਤੋਂ ਕਿਉਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਈਥੇਨੋਲ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ – ਦੋਖੇ ‘ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ’ ਸਿਰਲੇਖ ਹੇਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5 ਦਾ ਉੱਤਰ ਭਾਗ (b) ਦੇਖੋ ।
ਗਾੜਾ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ

ਈਥੇਨੋਲ ਦੀ ਬਾਲਣ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਵਰਤੋਂ – ਇਹ ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਯੌਗਿਕ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿਚ ਜਲਣ ਤੇ ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਤਾਪ ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਕੁੱਝ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਪੈਟਰੋਲ ਵਿਚ ਈਥੇਨੋਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਸਵੱਛ ਬਾਲਣ ਵਜੋਂ ਇਸ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
C2H5OH + O2 → CO2 + H2O + ਤਾਪ + ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੇ ਵਪਾਰਕ ਉਤਪਾਦਨ ਦੀ ਵਿਧੀ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਉਪਯੋਗ ਵੀ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਵਪਾਰਕ ਉਤਪਾਦਨ – ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (Acetic Acid) ਨੂੰ ਖਮੀਰਨ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਵਪਾਰਕ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਈਥੇਨੋਲ ਦੀ ਐਸਿਟੋਬੈਕਟਰ ਨਾਂ ਦੇ ਜੀਵਾਣੁ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਖਮੀਰਨ ਕਿਰਿਆ ਕਰਵਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਇੱਕ ਆਕਸੀਕਰਨ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੇ ਗੁਣ-
(ੳ) ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ-

  1. ਸ਼ੁੱਧ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਪਿਘਲਾਓ ਅੰਕ 290 K ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸੇ ਲਈ ਸਰਦੀਆਂ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਇਹ ਜੰਮ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਇੱਕ ਕਮਜ਼ੋਰ ਤੇਜ਼ਾਬ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
  4. ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ

(ਅ) ਸੋਡੀਅਮ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ-
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(ii) ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤਿਕਿਰਿਆ – ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਜਿਹੇ ਖਾਰਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸੋਡੀਅਮ ਈਥੇਨੋਇਟ ਜਾਂ ਸੋਡੀਅਮ ਐਸੀਟੇਟ ਲੂਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
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(iii) ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ – ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਕਾਰਬੋਨੇਟਾਂ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਾਰਬੋਨੇਟਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਲੂਣ, ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
2 CH3 COOH + Na2 CO3 → 2 CH3 COONa + CO2 + H2O
CH3 COOH + NaHCO3 → CH3 COONa + CO2 + H2O

(iv) ਐਸਟਰੀਕਰਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ – ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਗਾੜ੍ਹੀ-ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਸ਼ੁੱਧ ਅਲਕੋਹਲ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਐਸਟਰ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਐਸਟਰ ਦੀ ਗੰਧ ਮਿੱਠੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੇ ਉਪਯੋਗ-

  1. ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਰੰਗ, ਰੇਆਨ, ਪਲਾਸਟਿਕ, ਰਬੜ ਅਤੇ ਰੇਸ਼ਮ ਉਦਯੋਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਸ ਨੂੰ ਇਤਰ ਬਣਾਉਣ ਅਤੇ ਸੁਆਦ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਸ ਨੂੰ ਸਫੈਦ ਲੈਂਡ (White lead) ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  4. ਇਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਸਿਰਕੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਜੋਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪਦਾਂ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ :-
(i) ਐਸਟਰੀਕਰਨ
(ii) ਸਾਬਣੀਕਰਨ
(ii) ਡੀਕਾਰਬੋਕਸੀਲੇਸ਼ਨ
(iv) ਬਹੁਲੀਕਰਨ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਐਸਟਰੀਕਰਨ (Esterification) – ਐਲਕੋਹਲਾਂ ਦੀ ਗਾੜੇ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨਿਕ ਐਸਿਡਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਐਸਟਰ ਨਿਰਮਾਣ ਦੀ ਵਿਧੀ ਨੂੰ ਐਸਟਰੀਕਰਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਵਿਧੀ – ਇੱਕ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਈਥਾਈਲ ਐਲਕੋਹਲ ਨੂੰ ਐਸੀਟਿਕ ਐਸਿਡ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਓ ।ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਬੂੰਦਾਂ ਗਾੜੇ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਐਸਿਡ ਦੀਆਂ ਬੂੰਦਾਂ ਪਾਓ ਅਤੇ ਪਰਖਨਲੀ ਨੂੰ ਹਲਕੇ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਦੇ ਟੱਬ ਵਿੱਚ ਰੱਖ ਦਿਓ। ਜਲਦੀ ਹੀ ਸਾਰੇ ਕਮਰੇ ਵਿੱਚ ਐਸਟਰ ਦੀ ਖੁਸ਼ਬੂ ਭਰ ਜਾਵੇਗੀ ।
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ਐਸਟਰਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਆਈਸਕ੍ਰੀਮ, ਠੰਢੇ ਪੇਅ ਪਦਾਰਥ, ਦਵਾਈਆਂ, ਮੇਕਅਪ ਦਾ ਸਾਮਾਨ ਬਣਾਉਣ ਆਦਿ ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(ii) ਸਾਬਣੀਕਰਨ (Saponification) – ਤੇਲ ਜਾਂ ਵਸਾ ਨੂੰ ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਸਾਬਣੀਕਰਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਵਸਾ ਟੁੱਟ ਕੇ ਫੈਂਟੀ ਐਸਿਡ ਦੇ ਸੋਡੀਅਮ ਲੂਣ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰੋਲ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪਾਣੀ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਅਣਖੇਪਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਇਸ ਵਿੱਚ ਲੂਣ ਦਾ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਘੋਲ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਠੰਡਾ ਹੋਣ ਤੇ ਸਾਬਣ ਜੰਮ ਕੇ ਉੱਪਰਲੀ ਸਤਹਿ ‘ਤੇ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਉੱਪਰੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚ ਮਨਚਾਹਾ ਰੰਗ ਅਤੇ ਖ਼ੁਸ਼ਬੂ ਮਿਲਾ ਕੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੇ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

(iii) ਡੀਕਾਰਬੋਕਸੀਲੇਸ਼ਨ (Decarboxylation) – ਈਥੇਨੋਇਕ ਐਸਿਡ ਦੇ ਸੋਡੀਅਮ ਜਾਂ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਲੂਣ ਨੂੰ ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਦੇ 3 : 1 ਮਿਸ਼ਰਨ ਦੇ ਨਾਲ ਗਰਮ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਮੀਥੇਨ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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ਇਹ ਮੀਥੇਨ ਗੈਸ ਨੂੰ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਉਪਯੋਗੀ ਵਿਧੀ ਹੈ । ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਵਿੱਚ CO, ਦਾ ਇੱਕ ਅਣੂ ਹੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਡੀਕਾਰਬੋਕਸੀਲੇਸ਼ਨ (Decarboxylation) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

(iv) ਬਹੁਲੀਕਰਨ (Polymerization) – ਜਦੋਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤਾਪ ਅਤੇ ਦਾਬ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਅਣੂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਜੁੜ ਕੇ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਅਣੂ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਬਹੁਲੀਕਰਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਛੋਟੇ ਅਣੂ ਨੂੰ ਮੋਨੋਮਰ ਅਤੇ ਵੱਡੇ ਅਣੂ ਨੂੰ ਪਾਲੀਮਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ – ਈਥੀਨ ਦੇ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਅਣੂ 2000 ਵਾਯੂਮੰਡਲੀ ਦਾਬ ਅਤੇ 200°C ਤਕ ਗਰਮ ਕਰਨ ਤੇ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਮਿਲ ਕੇ ਪਾਲੀਥੀਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਸਮਅੰਗਕ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਕੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਜਾਂ
ਬਿਊਟੇਨ ਦੇ ਸਮਅੰਗਕ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮੁਅੰਗਕ (Isomers) – ਅਜਿਹੇ ਯੌਗਿਕ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਮਾਨ ਅਣਵੀਂ ਸੂਤਰ ਹੋਣ ਪਰ ਵਿਭਿੰਨ ਰਚਨਾਵਾਂ ਹੋਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਣਤਰੀ ਸਮਅੰਗਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਵਰਤਾਰੇ ਨੂੰ ਸਮਅੰਗਕਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ | ਮੀਥੇਨ, ਈਥੇਨ, ਪ੍ਰੋਪੇਨ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਦੁਬਾਰਾ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕਰਨ ਨਾਲ ਸੰਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ, ਪਰੰਤੂ ਜਦੋਂ ਐਲਕੇਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਤਿੰਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇੱਕ ਤੋਂ ਅਧਿਕ ਵਿਵਸਥਾ ਸੰਭਵ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਲੰਬੀ ਲੜੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਜਦਕਿ ਹੋਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਪਿਤ ਲੜੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਬਿਊਟੇਨ ਦੀ ਸ਼ਾਖਾ ਵਾਲੀ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਤੋਂ ਘੱਟ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੁ ਤਿੰਨ ਹੋਰ ਪਰਮਾਣੁਆਂ ਨਾਲ ਬੰਧਨ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਐਲਕੇਨਾਂ ਨੂੰ ਆਇਸੋ-ਐਲਕੇਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਐਲਕੇਨ ਨੂੰ ਨਾਰਮਲ ਐਲਕੇਨ (n-ਐਲਕੇਨ) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਬਿਊਟੇਨ ਦੇ ਦੋ ਸਮਅੰਗਕ-
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ਪੈਟੰਨ ਦੇ ਤਿੰਨ ਸਮਅੰਗਕ-
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ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਾਰਬਨ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਕਿਉਂ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਇਨ੍ਹਾਂ 4 ਇਲੈੱਕਵਾਨ ਨੂੰ ਗੁਆ ਕੇ ਜਾਂ ਫਿਰ 4 ਹੋਰ ਇਲੈੱਕਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਸਥਾਈ ਇਲੈੱਕਵਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਉਰਜਾ ਸੰਬੰਧੀ ਤੱਥਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਨਾ ਇਹ 4 ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਗੁਆ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਸਥਾਈ ਸੰਰਚਨਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸਿਰਫ ਇੱਕ ਹੀ ਵਿਕਲਪ ਹੈ ਕਿ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਨਿਰਮਾਣ ਸਮੇਂ ਇਲੈੱਕਵਾਨ ਸਾਂਝੇ ਕਰੇ ਅਰਥਾਤ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਬਣਾਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
CH3Cl ਦੇ ਬੰਧਨ ਨਿਰਮਾਣ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਨਾਲ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਨੂੰ ਸਮਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
CH3Cl ਇੱਕ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ, ਤਿੰਨ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂ ਅਤੇ ਇੱਕ ਕਲੋਰੀਨ ਪਰਮਾਣੂ ਨਾਲ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਵਿੱਚ 4 ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ, ਹਰੇਕ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂ ਵਿੱਚ 1 ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਅਤੇ ਕਲੋਰੀਨ ਪਰਮਾਣੂ ਵਿੱਚ 7 ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਆਪਣੇ 4 ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਤਿੰਨ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਅਤੇ ਇੱਕ ਕਲੋਰੀਨ ਪਰਮਾਣੂ ਨਾਲ ਸਾਂਝਾ ਕਰਕੇ CH3Cl ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

CH3Cl ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ
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ਉੱਪਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ CH3Cl ਦੀ ਬਿੰਦੂ, ਸੰਰਚਨਾ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਇਹ ਪਤਾ ਲਗਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਸਾਂਝੇ ਹੋਏ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੇ ਚਾਰ ਜੋੜੇ ਹਨ । ਸਾਂਝਾ ਹੋਇਆ ਹਰੇਕ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਜੋੜਾ ਇੱਕ ਇਕਹਿਰਾ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ CH3Cl ਵਿੱਚ ਚਾਰ ਇਕਹਿਰੇ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੀਰੇ (ਡਾਇਮੰਡ) ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਸਮਝਾਓ ਅਤੇ ਦੱਸੋ ਕਿ ਹੀਰਾ ਇੰਨਾ ਕਠੋਰ ਕਿਉਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
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ਹੀਰੇ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ (ਬਨਾਵਟ) – ਹੀਰੇ ਦਾ ਹਰੇਕ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੁ ਨਿਯਮਿਤ ਚਹੁਫਲਕ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਰਥਾਤ ਹਰੇਕ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਚਾਰ ਹੋਰ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਦੁਆਰਾ ਬੱਝਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜੇ ਚਹੁੰ ਨੁੱਕਰਾਂ ਤੇ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇੱਕ ਦਰਿੜ੍ਹ ਤਿੰਨ ਆਕਾਰੀ ਰਚਨਾ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਬੰਧਨ ਦੁਆਰਾ ਬੰਨ੍ਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕੋਈ ਵੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਸੁਤੰਤਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਹੀਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਕਠੋਰ ਤੱਤ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੀ ਘਣਤਾ ਅਤਿ ਉੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹੀਰੇ ਦੇ ਉਪਯੋਗ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਹੀਰੇ ਦੇ ਉਪਯੋਗ-

  1. ਹੀਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਸਖ਼ਤ ਪਦਾਰਥ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਦੂਜੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਕੱਟਣ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਸ ਦੀ ਅਜੂਬੀ ਚਮਕ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਗਹਿਣੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਕਠੋਰ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਚੱਟਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਛੇਕ ਕਰਨ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  4. ਸਰਜਨ ਅੱਖਾਂ ਤੋਂ ਮੋਤੀਆਂ ਬਿੰਦ ਹਟਾਉਣ ਲਈ ਨੁਕੀਲੇ ਸਿਰਿਆਂ ਵਾਲੇ ਹੀਰੇ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਹੀਰੇ ਦੀ ਅਤਿ-ਅਧਿਕ ਚਮਕ ਦਾ ਕੀ ਕਾਰਨ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹੀਰੇ ਦੀ ਅਤਿ-ਅਧਿਕ ਚਮਕ-ਹੀਰਾ ਇੱਕ ਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ ਗੁਣਾਂ ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਣ ਵਾਲੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਰਨਾਂ ਦਾ ਆਪਣੇ ਪੱਥ ਤੋਂ ਵਿਚਲਣ ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਜਦੋਂ ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਛੇਦੀ ਸਤਾਵਾਂ ਨੂੰ ਪਾਲਿਸ਼ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਅਤਿ ਅਧਿਕ ਚਮਕ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੀਰੇ ਦੀ ਰਚਨਾ ਲਿਖੋ ਅਤੇ ਇਹ ਦੱਸੋ ਕਿ ਫਾਈਟ ਇੰਨਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮੁਲਾਇਮ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
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ਫਾਈਟ ਦੀ ਰਚਨਾ-ਫਾਈਟ ਵਿੱਚ ਹਰੇਕ ਕਰਾਬਨ ਪ੍ਰਮਾਣੁ ਹੋਰ ਤਿੰਨ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੁਆਂ ਨਾਲ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਦੁਆਰਾ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਛੇਕੋਣੀ ਜਾਲ ਦੀਆਂ ਪਰਤਾਂ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਹੀਰੇ ਦੀ . ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਸ਼੍ਰੋਫਾਈਟ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਦੂਰੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਉੱਪਰ ਹੇਠਾਂ ਪਰਤਾਂ ਦੀ ਇਸ ਦੂਰੀ ਕਾਰਨ ਵਿਪਰੀਤ ਪਰਤਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤੇ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਬਣਨ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਚੌਥਾ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਇਲੈੱਕਨ ਸੁਤੰਤਰ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਦੀਆਂ ਇਹ ਪਰਤਾਂ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਤੇ ਫਿਸਲ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਵਿੱਚ ਲੂਬਰੀਕੈਂਟ ਦਾ ਗੁਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਛੂਹਣ ਤੇ ਇਹ ਚੀਕਣਾ ਅਤੇ ਮੁਲਾਇਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਫਾਈਟ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਾਈਟ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ-

  1. ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਇੱਕ ਚਮਕੀਲਾ ਕਾਲਾ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ।
  2. ਫਾਈਟ ਛੂਹਣ ਤੇ ਮੁਲਾਇਮ ਅਤੇ ਚੀਕਣਾ ਜਾਪਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਵਧੀਆ ਚਾਲਕ ਹੈ ।
  4. ਇਸ ਦੀ ਘਣਤਾ 2250 Kg/m3 ਹੈ ।
  5. ਇਸ ਦਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ 3700°C ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਕੀ ਕਾਰਨ ਹੈ ਕਿ ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਸੁਚਾਲਕ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਾਈਟ ਵਿੱਚ ਹਰੇਕ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਤਿੰਨ ਹੋਰ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨਾਂ ਦੁਆਰਾ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਵਿੱਚ ਛੇ-ਕੋਣੀ ਜਾਲ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੀ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਦੂਰੀ ਹੀਰੇ ਨਾਲੋਂ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ | ਪਰਤਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦੂਰੀ ਕਾਰਨ ਵਿਪਰੀਤ ਪਰਤਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਦੇ ਬੰਧਨਾਂ ਦੇ ਬਣਨ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਚੌਥਾ ਸੰਯੋਜਕ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਸੁਤੰਤਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਫਾਈਟ ਵਿੱਚ ਸੁਤੰਤਰ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਦੇ ਬਹਾਓ ਕਾਰਨ ਫਾਈਟ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਵਧੀਆ ਚਾਲਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਦੇ ਉਪਯੋਗ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੇਫਾਈਟ ਦੇ ਉਪਯੋਗ-

  1. ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਸੂਚਾਲਕ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਖ਼ੁਸ਼ਕ ਸੈੱਲ, ਬਿਜਲੀ ਆਂਕਕ ਵਿੱਚ ਇਲੈਕਟ੍ਰੋਡ ਵਜੋਂ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਸ ਤੋਂ ਪੈਂਸਿਲ ਦਾ ਸਿੱਕਾ, ਕਾਲਾ ਰੰਗ ਅਤੇ ਪੇਂਟ ਆਦਿ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਸ ਦੇ ਲੂਬਰੀਕੇਟ ਗੁਣ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਉੱਚ ਤਾਪ ਤੇ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਨੂੰ ਚੀਕਣਾ ਰੱਖਣ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  4. ਫਾਈਟ ਦੇ ਉੱਚ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਕਾਰਨ ਧਾਤੂਆਂ ਨੂੰ ਪਿਘਲਾਉਣ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਕਰੂਸੀਬਲ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਉਨ੍ਹਾਂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ 60 ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਪਰਸਪਰ ਜੁੜ ਕੇ ਅਣੂ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਫੁਲਰੀਨ ਕਿਉਂ ਆਖਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
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ਜਿਸ ਪਦਾਰਥ ਵਿੱਚ 60 ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਅਣੂ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਉਸਨੂੰ ਫੁਲਰੀਨ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਅਮਰੀਕੀ ਆਰਕੀਟੈਕਟ ਵਾਸਤੂਕਾਰ) ਬਕਸਟਰ ਫੁਲਰ (Buckminster Fuller) ਨੇ ਤਿੰਨ ਡਾਈਮੈਂਸ਼ਨ ਜੁਮੈਂਟਰੀ ਵਾਲੇ ਜਿਯੋਡੇਸਿਕ ਵਰਗੇ ਗੁੰਬਦ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਨੂੰ ਦਿਤਾ ਲਈ ਪੰਜਕੋਣੀ ਅਤੇ ਛੇ ਕੋਈ ਵਿਵਸਥਾ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਫੁੱਟਬਾਲ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿੱਚ ਜੁੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਉਸ ਨੇ ਫੁਲਰੀਨ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮੀਥੇਨ, ਈਥੇਨ, ਈਥੀਨ ਅਤੇ ਪੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
(1) ਮੀਥੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ-
ਸੂਤਰ : CH4
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(2) ਈਥੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ-
ਸੂਤਰ : C2H6
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(3) ਈਥੀਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ-
ਸੂਤਰ : C2H4
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(4) ਪੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ-
ਸੂਤਰ : C4H10
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
(a) ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ? ਇਸ ਦੇ ਦੋ ਗੁਣ ਲਿਖੋ । ਅਲਕੇਨ ਲੜੀ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਦੋ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਅਤੇ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ (Homologous Series) – ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਲੜੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੀ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਰੱਖੇ ਗਏ ਲਾਗਲੇ ਦੋ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੇ ਆਣਵੀਂ ਸੂਤਰਾਂ ਵਿੱਚ CH2 ਦਾ ਅੰਤਰ ਹੈ । ਇਸ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਹਰੇਕ ਮੈਂਬਰ ਨੂੰ ਸਮਜਾਤੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇੱਕ ਹੀ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਗੁਣ-

  1. ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਇਕੋ ਜਿਹੀ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  2. ਕਿਸੇ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਮੈਂਬਰ ਇਕੋ ਜਿਹੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣਾਂ ਵਿਚ ਅਣੂ ਭਾਰ ਦੇ ਵਧਣ ਨਾਲ ਥੋੜ੍ਹਾ-ਥੋੜ੍ਹਾ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਐਲਕੇਨ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ : CnH2n + 2
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(b) ਮੀਥੇਨ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੇ ਬਣਤਰੀ (ਸੰਰਚਨਾ) ਸੂਤਰ
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਲੱਛਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  1. ਕਿਸੇ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਗਟਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
    ਜਿਵੇਂ ਐਲਕੇਨ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੀ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ CnH2n + 2 ਦੁਆਰਾ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  2. ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਦੋ ਲਾਗਲੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਿੱਚ -CH2 ਗਰੁੱਪ ਦਾ ਅੰਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  3. ਕਿਸੇ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਮੈਂਬਰ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
  4. ਕਿਸੇ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਨੂੰ ਇਕੋ ਜਿਹੀ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕਈ ਵਾਰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਸਟੋਵ ਅਤੇ ਐੱਲ. ਪੀ. ਜੀ. ਚੁੱਲ੍ਹੇ ਵੀ ਬਲਣ ਸਮੇਂ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਕਾਲਾ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਕਿਉਂ ? ਇਸ ਤੋਂ ਹਵਾ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਵੀ ਕੈਰੋਸੀਨ ਸਟੋਵ ਅਤੇ ਐੱਲ. ਪੀ. ਜੀ. ਚੁੱਲ੍ਹੇ ਬਲਣ ਸਮੇਂ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਕਾਲਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਸਮਝ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਹਵਾ ਲਈ ਬਣੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਛੇਕ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਬੰਦ ਹੋ ਗਏ ਹਨ । ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਅਧਿਕ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਸਵੱਛ ਨੀਲੀ ਲਾਟ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਬਾਲਣ ਨੂੰ ਜੇਕਰ ਜਲਣ ਲਈ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਸਹੀ ਮਾਤਰਾ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਬਾਲਣ ਵਿਅਰਥ ਵਿੱਚ ਖ਼ਰਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕਾਲਾ ਧੂੰਆਂ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਬਰਤਨਾਂ ਦੇ ਥੱਲੇ ਕਾਲੇ ਹੋਣ ਲਗਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹਵਾ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਲਫਰ ਅਤੇ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਲਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਹਵਾ ਦਾ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਵੱਧਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਸਜੀਵ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਤੇ ਈਥੇਨਾਲ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕਿਹੜਾ-ਕਿਹੜਾ ਭੈੜਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਈਥੇਨੋਲ ਪੀਣ ਦਾ ਸਾਡੀ ਸਿਹਤ ‘ਤੇ ਕੀ ਅਸਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਈਥੇਨੋਲ ਪੀਣ ਦਾ ਸਿਹਤ ‘ਤੇ ਅਸਰ-

  1. ਇਸ ਨੂੰ ਪੀਣ ਨਾਲ ਦਿਲ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  2. ਇਸ ਨਾਲ ਜਿਗਰ ਦਾ ਆਕਾਰ ਵੱਡਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਸ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਸੇਵਨ ਨਾਲ ਜਿਗਰ ਦੇ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋਣ ਨਾਲ ਮੌਤ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  4. ਇਸਦੇ ਵਧੇਰੇ ਸੇਵਨ ਨਾਲ ਦਿਲ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  5. ਇਸਦੇ ਵਧੇਰੇ ਸੇਵਨ ਨਾਲ ਵਿਅਕਤੀ ਸ਼ਰਾਬੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜ਼ੁਬਾਨ ਤੁਤਲਾਨ ਲਗਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਫ਼ੈਸਲਾ ਲੈਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਮੀਥੇਨੋਲ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਕੋਈ ਮਨੁੱਖ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੀਥੇਨੋਲ ਇੱਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਜ਼ਹਿਰੀਲਾ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ਜਿਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਨਾਲ ਵਿਅਕਤੀ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਮਿਹਦੇ ਦੀਆਂ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰੋਟੋਪਲਾਜ਼ਮ ਪੱਕੇ ਹੋਏ ਅੰਡੇ ਵਾਂਗ ਸੁੰਗੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਅੱਖਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਅੰਨ੍ਹਾਪਨ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਮਿਹਦੇ ਦੀ ਵਿਕਿਰਤੀ ਕਾਰਨ ਮੀਥੇਨੋਲ ਪੀਣ ਵਾਲਾ ਮਨੁੱਖ ਮਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਇੱਕ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕ ‘A’ ਦਾ ਅਣੂ ਸੂਤਰ C2H6O ਹੈ । ਗਰਮ ਉਤਪ੍ਰੇਰਕ ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਇਹ CH3COOH ਵਿੱਚ ਆਕਸਕ੍ਰਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਦੱਸੋ ਯੌਗਿਕ ‘A’ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਯੌਗਿਕ ‘A’ ਆਕਸੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਐਸੀਟਿਕ ਐਸਿਡ CH3COOH ਜਾਂ ਕਾਰਬਾਕਸਲਿਕ ਐਸਿਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਕਿਉਂਕਿ ਅਲਕੋਹਲ ਦੇ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਐਸਿਡ ਬਣਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਯੌਗਿਕ ‘A’ ਇੱਕ ਅਲਕੋਹਲ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਯੌਗਿਕ ‘A’ ਈਥੇਨੋਲ (ਈਥਾਈਲ ਅਲਕੋਹਲ) ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਈਥਾਈਲ ਅਲਕੋਹਲ ਦਾ ਸੂਤਰ CH3CH2OH ਜਾਂ C2H5OH ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਐਸੀਟੇਲਡੀਹਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ CH3CHO ਜਾਂ C2H4O ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਯੌਗਿਕ ‘A’ ਈਥਾਈਲ ਅਲਕੋਹਲ (ਈਥੇਨੋਲ ਹੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸੈੱਲ ਕਿਉਂ ਬਣਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਮਿਸੈੱਲ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਸਾਬਣ ਅਣੂਆਂ ਦੀ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਲੜੀਆਂ ਜਲ ਵਿਰੋਧੀ (ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ) ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਹੜੀਆਂ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਅਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਸਾਬਣ ਅਣੂਆਂ ਦੇ ਆਇਨੀ ਸਿਰੇ ਪਾਣੀ ਵਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਸਾਬਣ ਮਿਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਲੜੀ ਦੇ ਚਾਰਜਿਤ ਰਹਿਤ ਸਿਰੇ ਅੰਦਰ ਵੱਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਦਕਿ ਆਇਨੀ (ਚਾਰਜਿਤ) ਸਿਰੇ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਬਣਿਆ ਮਿਸੈੱਲ ਮੈਲ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੋਲਣ ਲਈ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਕਾਰਨ ਸਹਿਤ ਸਮਝਾਓ ਕਿ ਕਿਉਂ ਸਾਬਣ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਮੈਲ ਨਿਵਾਰਕ ਦਾ ਕੰਮ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਬਣ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਸਫਾਈ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਕਿਉਂਕਿ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੇ ਲੂਣ ਘੁਲੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਇਨ ਸਾਬਣ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਵਸਾ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਦੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਲੂਣ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 29

ਇਸ ਲਈ ਸਾਬਣ ਦਾ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਹਿੱਸਾ ਵਿਅਰਥ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸਾਬਣ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਦੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਨਾਲ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਲੂਣਾਂ ਦੇ ਅਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਤਲਛੱਟ ਤਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨਾਲ ਚਿਪਕ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਰੁਕਾਵਟ ਬਣਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕੱਪੜਾ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਫ਼ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਸਾਬਣ ਅਤੇ ਮੈਲ ਨਿਵਾਰਕ ਡਿਟਰਜੈਂਟ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਾਬਣ ਅਤੇ ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਸਾਬਣ ਮੈਲ ਨਿਵਾਰਕ
(1) ਸਾਬਣ ਲੰਬੀ ਲੜੀ ਵਾਲੇ ਵਸਾ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਸੋਡੀਅਮ ਲੂਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (1) ਸੰਸ਼ਲਿਸ਼ਟ ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਲੰਬੀ ਲੜੀ ਵਾਲੇ ਬੈਂਜੀਨ ਸਲਫੋਨੀਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਸੋਡੀਅਮ ਲੂਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਲੰਬੀ ਲੜੀ ਵਾਲੇ ਐਲਕਾਈਲ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਸਲਫੇਟ ਦਾ ਸੋਡੀਅਮ ਲੁਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(2) ਸਾਬਣ ਕਠੋਰ ਜਲ ਨਾਲ ਝੱਗ ਨਹੀਂ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ । (2) ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਕਠੋਰ ਜਲ ਨਾਲ ਵੀ ਝੱਗ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
(3) ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲ ਜਾਂ ਤੰਤ ਵਸਾ ਤੋਂ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । (3) ਸੰਸ਼ਲਿਸ਼ਟ ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਕੋਲੇ ਅਤੇ ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਦੇ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਤੋਂ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
(4) ਸਾਬਣ ਜਲ-ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਨਹੀਂ ਫੈਲਾਉਂਦਾ ਹੈ । (4) ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
(5) ਇਸ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸੰਰਚਨਾ
C15 H31, COONa, C17 H35 COONa ਆਦਿ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(5) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ
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(6) ਇਸ ਦਾ ਅਣੂ PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 30 COONa ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (6) ਇਸ ਦਾ ਅਣੂ PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 32 SONa ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਖਮੀਰਨ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਈਥੇਨੋਲ ਦੀ ਤਿਆਰੀ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖਮੀਰਨ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਈਥੇਨੋਲ ਦੀ ਤਿਆਰੀ-ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪ ਤੇ ਕਿਸੇ ਜੈਵ ਰਸਾਇਣਿਕ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਖਮੀਰਨ ਕਿਰਿਆ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਖੰਡ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਦਾ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਈਥੇਨੋਲ ਨੂੰ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਖੰਡ ਜਾਂ ਸਟਾਰਚ ਦੇ ਖਮੀਰਨ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕਿਸੇ ਪਾਤਰ ਵਿੱਚ ਅੰਗੂਰ ਦੇ ਰਸ ਜਾਂ ਸ਼ਕਰ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾ ਕੇ 20-30°C ਤਾਪ ਤੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਖਮੀਰਨ ਦੁਆਰਾ ਖੰਡ ਜਾਂ ਸਟਾਰਚ ਦੇ ਅਣੂ ਛੋਟੇ ਅਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਗੈਸ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਜਾਣ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਪਰ ਹਵਾ ਨੂੰ ਬਰਤਨ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਜਾਣ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ । ਇਸ ਖਮੀਰਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਈਥਾਨੋਲ ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਤਲਾ ਘੋਲ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਈਥੇਨੋਲ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕਰਕੇ ਕਸ਼ੀਦਨ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਸ਼ੁੱਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਈਥੇਨੋਲ ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਬਣੇ ਬੰਧਨ ਨੂੰ ਸਮਝਾਓ ਅਤੇ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਬੰਧਨ ਦਾ ਬਣਨਾ ਅਤੇ ਇਸਦਾ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ-ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ ਇੱਕ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ K ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੈ ਅਤੇ K ਸੈੱਲ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਹੋਰ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂ ਆਪਣੇ 1-1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਸਾਂਝੇ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦਾ ਅਣੂ (H2) ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਹਰੇਕ ਪਰਮਾਣੂ ਆਪਣੇ ਨੇੜੇ ਦੀ ਹੀਲੀਅਮ ਗੈਸ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਦੋਨਾਂ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ K ਸ਼ੈਲ ਵਿੱਚ 2-2 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਂਝੇ ਕੀਤੇ ਗਏ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਜੋੜੀ ਦੋ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਇਕਹਿਰਾ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਬਣਨ ਵਾਲੇ ਬੰਧਨ ਨੂੰ ਸਮਝਾਓ ਅਤੇ ਚਿੱਤਰ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਣ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਬਣੇ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ – ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 6 ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ LA ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 6 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸਨੂੰ ਆਪਣਾ ਅਸ਼ਟਕ (ਆਠਾ) ਪੁਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਦੋ ਹੋਰ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਹਰੇਕ ਪਰਮਾਣੂ 2 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਨਾਲ ਸਾਂਝ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਦੋ ਜੋੜੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸਾਂਝ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਦੋਹਰਾ ਬੰਧਨ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 35

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਕਿਹੋ ਜਿਹਾ ਬੰਧਨ ਬਣੇਗਾ ? ਚਿੱਤਰ ਬਣਾ ਕੇ ਸਮਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 36
ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 7 ਹੈ । ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦੇ ਇੱਕ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਹਰੇਕ ਪਰਮਾਣੂ ਤਿੰਨ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਸਾਂਝੇ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਤਿੰਨ ਸਹਿਯੋਗੀ ਜੋੜੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਂਝੇ ਕੀਤੇ ਗਏ ਤਿੰਨ ਜੋੜੇ ਇਲੈਂਕਟਰਾਨਾਂ ਕਰਕੇ ਤਿਹਰੇ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । N2 ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ-ਬਿੰਦ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਤਿਹਰੇ ਬੰਧਨ ਨੂੰ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਚਿੱਤਰ ਵਿਚ ਦਰਸਾਈ ਰਚਨਾ ਨੂੰ ਕੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਇਸ ਦੇ ਦੋ ਸਿਰੇ ਕੀ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ? ਇਹ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਬਣਦੀ ਹੈ ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 37
ਉੱਤਰ-
ਚਿੱਤਰ ਵਿਚ ਦਰਸਾਈ ਰਚਨਾ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ੈੱਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਦੋ ਸਿਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇਕ ਜਲਸਨੇਹੀ ਸਿਰਾ ਅਤੇ ਦੂਜਾ ਜਲਵਿਰੋਧੀ ਸਿਰਾ ਜਾਂ ਪੂੰਛ ਵੀ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਰਚਨਾ ਸਾਬਣ ਦੁਆਰਾ ਸਫ਼ਾਈਕਰਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਬਣਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਈ ਗਈ ਰਚਨਾ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ । PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 38 ਨੂੰ ਅੰਕਿਤ ਵੀ ਕਰੋ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 39
ਉੱਤਰ-
ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਈ ਗਈ ਰਚਨਾ ਨੂੰ ਮਿਸੈਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 40 ਜਲ ਸਨੇਹੀ (ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਸਿਰਾ)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 41 ਜਲ ਵਿਰੋਧੀ (ਹਾਈਡਰੋਫਿਲਿਕ ਸਿਰਾ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
(i) ਪ੍ਰੋਪੇਨ ਦਾ ਅਣੂ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 42
ਉੱਤਰ-
(i) ਪ੍ਰੋਪੇਨ ਦਾ ਅਣੂ ਸੂਤਰ-C3H8.
(ii) ਸ਼੍ਰੋਮੋਈਥੇਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਏ ਯੌਗਿਕ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੇ ਇਕਹਰੇ ਸਹਿਸੰਯੋਜੀ ਬੰਧ ਹਨ ? ਇਹ ਯੌਗਿਕ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਕਿਸ ਲੜੀ ਦਾ ਹੈ ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 43
ਉੱਤਰ-
ਯੌਗਿਕ ਦਾ ਨਾਂ : ਈਥੀਨ
ਈਥੀਨ ਵਿੱਚ ਚਾਰ ਇਕਹਰੇ ਸਹਿਸੰਯੋਜੀ ਬੰਧ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਦੋਹਰਾ ਬੰਧ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਕਾਰਬਨ ਲੜੀ ਦਾ ਯੌਗਿਕ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
(i) ਬਿਊਟੇਨ ਦਾ ਅਣੁ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
(ii) ਪੈਨਲ ਦੀ ਰਚਨਾ ਦਾ ਰੇਖਾ-ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 44

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Very Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੇ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਚਾਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਨੂੰ ਹੋਰ ਤੱਤਾਂ ਨਾਲ ਸੰਯੋਜਨ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਚਾਰ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਜਾਂ ਗੁਆਉਣ ਦੀ ਲੋੜ ਕਿਉਂ ਪੈਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਨੋਬਲ ਗੈਸ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ (ਬਣਤਰ) ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਸੰਯੋਜੀ ਜੋੜੇ ਤੋਂ ਕਿਹੜਾ ਬੰਧਨ ਬਣਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਕਹਿਰਾ ਸੰਯੋਜੀ ਬੰਧਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਕਿੰਨੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੱਤ (7) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਨਾਈਟ੍ਰੋਜਨ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਅਸ਼ਟਕ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦਾ ਹਰੇਕ ਪਰਮਾਣੂ ਕਿੰਨੇ ਇਲੈਂਕਨ ਸਾਂਝੇ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਤਿੰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਬਾਲਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਗੈਸ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੀਥੇਨ ਗੈਸ ਦਾ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਮੀਥੇਨ ਕਿਹੜੇ ਦੋ ਗੈਸੀ ਬਾਲਣਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਹੈ :
ਉੱਤਰ-

  1. ਬਾਇਓ ਗੈਸ
  2. ਸੀ. ਐੱਨ. ਜੀ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
C. N. ਓ. ਦਾ ਪੂਰਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੰਪੀੜਤ ਕੁਦਰਤੀ ਗੈਸ (Compressed Natural Gas) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਹੀਰੇ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਕਿਹੋ ਜਿਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਰਿੜ ਤਿੰਨ ਆਕਾਰੀ ਰਚਨਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਗੇਫਾਈਟ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਹੋ ਜਿਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਛੇ-ਕੋਣੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਸੁਚਾਲਕ ਕਿਹੜਾ ਹੈ-ਹੀਰਾ (ਡਾਇਮੰਡ) ਜਾਂ ਫਾਈਟ ?
ਉੱਤਰ-
ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਫਾਈਟ ਛੂਹਣ ਤੇ ਕਿਹੋ ਜਿਹਾ ਅਨੁਭਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੀਕਣਾ ਅਤੇ ਤਿਲਕਣਸ਼ੀਲ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਕਿਸ ਤੱਤ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਯੌਗਿਕ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਦਾ ਸਰਲਤਮ ਰੂਪ ਕਿਹੜਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੀਥੇਨ (CH4)।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਕੋਈ ਪੰਜ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿਹੜੇ ਕਾਰਬਨ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਯੌਗਿਕ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀਜਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਨਾਈਟਰੋਜਨ, ਸਲਫਰ (ਗੰਧਕ), ਕਲੋਰੀਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਈਥੇਨ ਦਾ ਅਣਵੀਂ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
C2H6

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਈਥੇਨ ਦਾ ਸੰਰਚਨਾਤਮਕ (ਬਣਤਰੀ) ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 45

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਦੇ ਅਗਲੇ ਉੱਚ ਸਮਜਾਤੀ ਲਿਖੋ ।
(i) C3H6
(ii) C3H8.
ਉੱਤਰ-
(i) C4H8
(ii) C4H10

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਈਥੇਨੋਲ ਦੀ ਰਚਨਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਪ੍ਰੋਪੇਨਾਂਨ (CH3 COCH3) ਉਪਸਥਿਤ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ (ਗਰੁੱਪ) ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 47

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਸਰਲਤਮ ਕੀਟੋਨ ਦਾ ਸੰਰਚਨਾ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਰਲਤਮ ਕੀਟੋਨ ਮੈਂਬਰ ਐਸੀਟੋਨ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸੰਰਚਨਾ ਸੂਤਰ ਹੈ :
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਚਾਰ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਐਲਡੀਹਾਈਡ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਅਤੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 49

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਈਥਾਈਲ ਅਲਕੋਹਲ (ਈਥੇਨੋਲ) (C2H5OH) ਦਾ ਸੰਰਚਨਾ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 50

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
CH3COOH ਯੌਗਿਕ ਉਪਸਥਿਤ ਕਿਰਿਆਤਮਕ (ਫੰਕਸ਼ਨਲ) ਸਮੂਹ ਦਾ
(i) ਨਾਂ
(ii) ਸੰਰਚਨਾ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
(i) CH3COOH ਯੌਗਿਕ ਵਿਚ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਦਾ ਨਾਂ : ਕਾਰਬਾਕਸਲਿਕ ਸਮੂਹ
(ii) ਸੰਰਚਨਾ ਸੂਤਰ
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 51

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜੇ ਦੋ ਇੱਕ ਹੀ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
C2H6O2, C2H6O, C2H6, CH4O
ਉੱਤਰ-
C2H6O, ਜਾਂ (C2H5OH) ਅਤੇ CH4O ਜਾਂ (CH3OH) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਇੱਕ ਐਸਟਰ ਦਾ ਸੰਰਚਨਾਤਮਕ ਸੂਤਰ ਹੈ :
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ਉਸ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਅਲਕੋਹਲ ਦਾ ਅਣਵੀਂ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ਜਿਸ ਤੋਂ ਇਹ ਐਸਟਰ ਉਤਪੰਨ ਹੋਇਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
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ਅਤੇ ਅਲਕੋਹਲ ਦਾ ਸੂਤਰ : CH3CH2OH.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਮੀਥੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨੀ-ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੀਥੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨੀ ਸੰਰਚਨਾ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ – ਦੋ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਜੋੜੇ ਦੀ ਸਾਂਝ ਤੋਂ ਬਣਿਆ ਬੰਧਨ, ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਯੌਗਿਕ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਕਮਜ਼ੋਰ ਚਾਲਕ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਆਇਨ ਜਾਂ ਮੁਕਤ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕ ਹੋਣ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸਨ 30.
ਭਿੰਨ ਰੂਪ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਿੰਨ ਰੂਪ – ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਤੱਤ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਰੂਪਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਹੋਣ, ਪਰੰਤੂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੋਣ ਤਾਂ ਤੱਤ ਦੇ ਇਹ ਰੂਪ ਉਸ ਤੱਤ ਦੇ ਭਿੰਨ-ਰੂਪ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 31.
ਈਥੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਈਥੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 32.
ਪ੍ਰੋਪੇਨ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 33.
ਈਥੀਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ ਬਣਾਓ।
ਉੱਤਰ-
ਈਥੇਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 34.
ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ (Functional Group) – ਇੱਕ ਜਾਂ ਇੱਕ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦਾ ਉਹ ਸਮੂਹ ਜਿਹੜਾ ਕਿਸੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀ ਨੂੰ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜਿਵੇਂ CH3Cl ਵਿੱਚ -Cl ਅਤੇ C2H5 OH ਵਿੱਚ -OH ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 35.
ਐਲਕੇਨ, ਐਲਕੀਨ ਅਤੇ ਐਲਕਾਈਨ ਦੇ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ (ਫਾਰਮੂਲੇ) ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਐਲਕੇਨ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ : Cn H2n + 2
ਐਲਕੀਨ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ : CnH2n
ਐਲਕਾਈਨ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ : CnH2n – 2 , ਜਿੱਥੇ n ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 36.
ਬਿਊਟੇਨ ਦੇ ਸਮਅੰਗਕਾਂ ਦਾ ਚਿਤਰਨ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਿਊਟੇਨ ਦੇ ਦੋ ਸਮਅੰਗਕ ਹਨ- (i) n- ਬਿਊਟੇਨ ਅਤੇ (ii) ਆਇਸੋ-ਬਿਊਟੇਨ
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 37.
ਅਲਕੋਹਲ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਚਾਰ ਸਮਜਾਤ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
CH3OH, C2H5OH, C3H7OH, C4H9OH.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 38.
ਉੱਤਕ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕ – ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜਿਹੜੇ ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਤਿਕਿਰਿਆ ਦੇ ਹੋਣ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਦੇ ਕਾਰਕ ਹੋਣ ਪਰੰਤੂ ਆਪ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਭਾਗ ਨਾ ਲੈਣ, ਨੂੰ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 39.
ਵਿਕ੍ਰਿਤ ਸਪਿਰਿਟ ਜਾਂ ਅਲਕੋਹਲ ਕੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਹਿਰੀਲਾ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਜਿਵੇਂ ਮੀਥੇਨੋਲ ਜਾਂ ਐਸੀਟੋਨ ਜਾਂ ਪਿਰੀਡੀਨ ਜਾਂ ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਆਦਿ ਮਿਲੇ ਹੋਏ ਈਥੇਨੋਲ ਨੂੰ ਵਿਕ੍ਰਿਤ ਸਪਿਰਿਟ ਜਾਂ ਅਲਕੋਹਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪੀਣ ਯੋਗ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 40.
ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 41.
ਸਿਰਕੇ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਕਾਰਬਨਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਨਾਂ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (CH3 COOH) ।

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਐਸੀਟਿਕ ਐਸਿਡ ਦੀ ਅਲਕੋਹਲ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ-
(a) ਡੀਕਾਰਬੋਕਸੀਲੇਸ਼ਨ
(b) ਬਹੁਲੀਕਰਨ
(c) ਸਾਬਨੀਕਰਨ
(d) ਐਸਟਰੀਕਰਨ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਐਸਟਰੀਕਰਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਐਸੀਟਿਕ ਐਸਿਡ ਵਿਚ ਕਿੰਨੇ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਮਿਲਾਇਆ ਗਿਆ ਪਾਣੀ, ਸਿਰਕਾ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ?
(a) 5% ਤੋਂ 8%
(b) 15% ਤੋਂ 20%
(c) 21% ਤੋਂ 29%
(d) 30% ਤੋਂ 40%.
ਉੱਤਰ-
(a) 5% ਤੋਂ 8%.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਾਰਬਾਕਸਲਿਕ ਐਸਿਡ ਵਿਚ ਫੰਕਸ਼ਨਲ ਸਮੂਹ ਉਪਸਥਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
(a) -CHO
(b) -CH2OH
(c) -COOH
(d) -OH.
ਉੱਤਰ-
(c)-COOH.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਈਥੇਨੋਇਕ ਐਸਿਡ ਦਾ ਸੂਤਰ ਹੈ-
(a) C2H5OH
(b) CH3COCH3
(c) CH3COOH
(d) C2H5COOH.
ਉੱਤਰ-
(d) C2H5COOH.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਐਲਕਾਈਨ ਦਾ ਸਧਾਰਨ ਸੂਤਰ ਹੈ-
(a) CnH2n – 2
(b) CnH2n + 2
(c) CnH2n
(d) Cn + 2H2n
ਉੱਤਰ-
(a) CnH2n – 2.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪ੍ਰੋਪੇਨਾਲ ਦਾ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਗਰੁੱਪ ਹੈ-
(a) – OH
(b) -CHO
(c) C = O
(d) -COOH.
ਉੱਤਰ-
(c) C = 0.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪਾਣੀ ਦੀ ਕਠੋਰਤਾ ਦੇ ਲਈ ਕਿਹੜੇ ਆਇਨ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਹਨ ?
(a) Ca2+ ਆਇਨ
(b) Mg2+ ਆਇਨ
(c) Ca2+ ਅਤੇ Mg2+ ਆਇਨ
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(c) Ca2+ ਅਤੇ Mg2+ ਆਇਨ

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ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰਨਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

(i) ਪਰਮਾਣੂ ਜਾਂ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦਾ ਸਮੂਹ ਜਿਹੜਾ ਕਿਸੇ ਐਲਕਾਈਲ ਮੂਲਕ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਉਸ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਵਿਵਹਾਰ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ……………… ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ

(ii) ਅਲਕੋਹਲ ਤੀਬਰ ਆਕਸੀਕਾਰਕਾਂ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੋਣ ਤੇ ……………….. ਬਣਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਾਕਸਿਲਿਕ ਐਸਿਡ

(iii) …………… ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਚਿਕਿਤਸਾ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਕੀਟਾਣੂਨਾਸ਼ਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਜੋਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਈਥੇਨਾਲ

(iv) ਜਲਰਹਿਤ ਸ਼ੁੱਧ ਈਥੇਨੌਇਕ ਐਸਿਡ, ……………… ਐਸਿਡ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲੈਸ਼ਿਅਲ ਐਸੀਟਿਕ

(v) ……………… ਵਿਘਟਿਤ ਨਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਾਲੀਥੀਨ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

ਵੱਡੇ ਉੱਚਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮੈਂਡਲ ਦੁਆਰਾ ਮਟਰ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੇ ਕੀਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਯੋਗਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲ ਨੇ ਮਟਰ ਦੇ ਪੌਦੇ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਵਿਕਲਪੀ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰੀ ਲੱਛਣਾਂ ਵੱਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਗੋਲ ਝੁਰੜੀਦਾਰ ਬੀਜ, ਲੰਬੇ/ਬੌਨੇ ਪੌਦੇ ਸਫੈਦਬੈਂਗਣੀ ਫੁੱਲ ਆਦਿ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਕਲਪੀ ਲੱਛਣਾਂ ਵਾਲੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪੌਦੇ ਉਗਾਏ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਲੰਬੇ ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਬੌਨੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਸੰਕਰਨ ਕਰਾ ਕੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸੰਤਾਨ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਲੰਬੇ ਅਤੇ ਬੌਨੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਗਣਨਾ ਕੀਤੀ । ਪਹਿਲੀ ਸੰਤਾਨ ਜਾਂ ਸੰਤਤੀ ਜਾਂ F1 ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਪੌਦਾ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਚਾਈ ਦਾ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਸਾਰੇ ਪੌਦੇ ਲੰਬੇ ਸਨ । ਇਸਦਾ ਅਰਥ ਸੀ ਕਿ ਪਹਿਲੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਦੋ ਲੱਛਣਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲੰਬਾ ਪੌਦਾ ਲੰਬਾ ਦਾ ਲੰਬਾ ਪੈਦਾ ਬੋਣਾ ਪੈਂਦਾ ਸਿਰਫ ਇੱਕ ਪਿੱਤਰੀ ਲੱਛਣ ਹੀ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਨਾਂ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਅਸਰ ਦਿਖਾਈ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦਾ । ਮੈਂਡਲ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਯੋਗਾਂ ਵਿਚ ਦੋਨੋਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਪਿੱਤਰੀ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ F1 ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਸਵੈ-ਪਰਾਗਣ ਦੁਆਰਾ ਉਗਾਇਆ । ਪਿਤਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੇ ਲੰਬੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸਾਰੀਆਂ ਸੰਤਾਨਾਂ ਵੀ ਲੰਬੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਸਨ । ਪਰ F1 ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੇ ਲੰਬੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਅਰਥਾਤ F2 ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਪੌਦੇ ਲੰਬੇ ਨਹੀਂ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਚੌਥਾਈ ਸੰਤਾਨ ਜਾਂ ਸੰਤਤੀ ਬੌਨੇ ਪੌਦੇ ਸੀ । ਇਸ ਨਾਲ ਸੰਕੇਤ ਮਿਲਿਆ ਕਿ F1 ਪੌਦਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਲੰਬਾਈ ਅਤੇ ਬੌਨੇਪਨ ਦੋਨਾਂ ਦੇ ਵਿਕਲਪੀ ਲੱਛਣਾਂ ਦੀ ਵੰਸ਼ਾਨੁਗਤੀ ਹੋਈ । ਕੇਵਲ ਲੰਬਾਈ ਵਾਲਾ ਵਿਕਲਪ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਵਿਅਕਤ ਕਰ ਪਾਇਆ । ਇਸ ਲਈ ਕਿਸੇ ਵੀ ਲੱਛਣ ਦੇ ਦੋ ਵਿਕਲਪ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਵੀ ਲੱਛਣ ਦੇ ਦੋ ਵਿਕਲਪ ਦੀ ਵੰਸ਼ਾਨੁਗਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ 1

‘TT’ ਅਤੇ ‘Tt’ ਦੋਵੇਂ ਹੀ ਲੰਬੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਪਰ ‘tt’ ਬੌਨੇ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ‘T’ ਇੱਕ ਇਕੱਲਾ ਵਿਕਲਪ ਹੀ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਲੰਬਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਕਿ ਬੌਨੇਪਨ ਲਈ ‘t’ ਦੇ ਦੋਨੋਂ ਵਿਕਲਪ ‘t’ ਹੀ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ । ‘T’ ਵਰਗੇ ਵਿਕਲਪ ‘ਪ੍ਰਭਾਵੀ’ ਲੱਛਣ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ਜਦੋਂ ਕਿ ਜਿਹੜੇ ਲੱਛਣ (trait) ‘t’ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਵਹਾਰ ਕਰਦੇ ਹਨ, ‘ਅਪ੍ਰਭਾਵੀ’ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਜੋ ਗੋਲ ਬੀਜ ਵਾਲੇ ਲੰਬੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਝੁਰੜੀਦਾਰ ਬੀਜਾਂ ਵਾਲੇ ਬੰਨੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਸੰਕਰਨ ਕਰਵਾਇਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ F1 ਪੀੜੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਪੌਦੇ ਲੰਬੇ ਅਤੇ ਗੋਲ ਬੀਜ ਵਾਲੇ ਹੋਣਗੇ । ਇਸ ਲਈ ਲੰਬਾਈ ਅਤੇ ਗੋਲ ਬੀਜ ‘ਪ੍ਰਭਾਵੀ’ ਲੱਛਣ ਹਨ । ਪਰੰਤੂ ਜਦੋਂ F1 ਸੰਤਤੀ ਜਾਂ ਸੰਤਾਨ ਦੇ ਸਵੈਪਰਾਗਣ ਤੋਂ F2 ਪੀੜੀ ਦੀ ਸੰਤਾਨ ਜਾਂ ਸੰਤਤੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਹਿਲਾਂ ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ F2 ਸੰਤਤੀ ਦੇ ਕੁਝ ਪੌਦੇ ਨਵੇਂ ਸੰਯੋਜਨ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਨਗੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੁੱਝ ਪੌਦੇ ਲੰਬੇ ਪਰ ਝੁਰੜੀਦਾਰ ਅਤੇ ਕੁਝ ਪੌਦੇ ਬੰਨੇ ਪਰ ਗੋਲ ਬੀਜ ਵਾਲੇ ਹੋਣਗੇ । ਇਸ ਲਈ ਲੰਬੇ/ਬੌਨੇ ਲੱਛਣ ਅਤੇ ਗੋਲ ਝੁਰੜੀਦਾਰ ਲੱਛਣ ਸੁਤੰਤਰ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵੰਬਾਨੁਗਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ 2
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ 2, 1

ਗੂਗਰ ਜਾਨ ਮੈਂਡਲ (1828-1884)- ਮੱਡਲ ਨੇ ਮੁੱਢਲੀ ਸਿੱਖਿਆ ਗਿਰਜਾਘਰ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਉਹ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਗਣਿਤ ਦੇ ਅਧਿਐਨ ਦੇ ਲਈ ਵਿਆਨਾ ਸਕੁਲ ਗਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੋਨੇਸਟਰੀ ਵਿਚ ਮਟਰ ਨੂੰ ਉਗਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਵੀ ਕਈ ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ ਨੇ ਮਟਰ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਵੰਸ਼ਾਗਤ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਮੈਂਡਲ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਗਣਿਤਿਕ ਗਿਆਨ ਨੂੰ ਸਮਿਸ਼ਰਿਤ ਕੀਤਾ । ਉਹ ਪਹਿਲੇ ਵਿਗਿਆਨੀ ਸਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਹਰ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੇ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਪੌਦੇ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਰਿਕਾਰਡ ਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਗਣਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵੰਸ਼ਾਗਤ ਨਿਯਮਾਂ ਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਮਿਲੀ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਡਾਰਵਿਨ (Darwin) ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਚਾਰਲਸ ਰਾਬਰਟ ਡਾਰਵਿਨ ( 1809-1882) ਨੇ ਲਗਾਤਾਰ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਤੱਕ ਕਈ ਥਾਂਵਾਂ ਤੇ ਐੱਚ. ਐੱਮ. ਐੱਸ. ਬੀਗਲ ਨਾਮਕ ਸਮੁੰਦਰੀ ਜਹਾਜ਼ ਵਿਚ ਘੁੰਮ-ਘੁੰਮ ਕੇ ਜੀਵ ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਆਪਣੀ ਮਸ਼ਹੂਰ ਪੁਸਤਕ The origin of species) ਵਿੱਚ ਜੀਵ-ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਦੀ ਪਤੀਪਾਦਤਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਡਾਰਵਿਨਵਾਦ ਦੇ ਨਾਮ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਡਾਰਵਿਨ ਨੇ ਆਪਣੇ ਮੱਤਾਂ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਆਧਾਰਾਂ ਤੇ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤਾ ਸੀ-
(1) ਸੰਤਾਨ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਦੀ ਅਪਾਰ ਸਮਰੱਥਾ (Enormous fertility) – ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਸੰਤਾਨ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਾਰਕ ਵਾਧੇ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵੀ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(2) ਜੀਵਨ ਸੰਘਰਸ਼ (Struggle for existence) – ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹੀ ਜੀਵਨ ਦੇ ਲਈ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਜੀਉਂਦੇ ਰਹਿਣ ਦੇ ਲਈ ਪਾਣੀ, ਹਵਾ, ਭੋਜਨ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼, ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਸਥਾਨ, ਤਾਪਮਾਨ ਆਦਿ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਵਧੇਰੇ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਪੈਦਾ ਪਾਣੀਆਂ ਵਿਚ ਹਰ ਪ੍ਰਾਣੀ ਆਪਣੀ ਲੋੜ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸੰਘਰਸ਼ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-ਅੰਦਰਜਾਤੀ, ਅੰਤਰਜਾਤੀ ਅਤੇ ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਾਰਕਾਂ ਦੇ ਵਿਚ । ਅੰਤਰ-ਜਾਤੀ ਸੰਘਰਸ਼ ਕੇਵਲ ਇੱਕ ਹੀ ਜਾਤੀ ਦੇ ਪਾਣੀਆਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਪਰ ਅੰਤਰ-ਜਾਤੀ ਸੰਘਰਸ਼ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜਾਤੀਆਂ ਅਤੇ ਪਾਣੀਆਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਉਂਦੇ ਰਹਿਣ ਲਈ ਸੰਘਰਸ਼ ਹਵਾ, ਪਾਣੀ, ਦਬਾਅ, ਤਾਪਮਾਨ ਆਦਿ ਦੇ ਵਿੱਚ ਵੀ ਚਲਦਾ ਹੈ । ਜੋ ਪਾਣੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕੂਲ ਹਾਲਤਾਂ ਵਿੱਚ ਸਾਹਮਣਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ, ਉਹ ਮਰ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਜੀਵਨ-ਸੰਘਰਸ਼ ਦੇ ਲਈ ਅਨੁਕੂਲਨ ਦੀ ਬਹੁਤ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੋ ਅਨੁਕੂਲਨ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਫ਼ਲ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦੇ ਉਹ ਕਮਜ਼ੋਰ ਅਤੇ ਅਸਮਰਥ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

(3) ਨਵੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ (Origin of new species) – ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਵਿਚ ਭਿੰਨਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੋਈ ਵੀ ਪਾਣੀ ਪੁਰਵ ਰੂਪ ਵਿਚ ਇੱਕੋ ਜਿਹਾ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁਣਾਂ, ਔਗੁਣਾਂ ਦੇ ਅੰਤਰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੀ ਪਛਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਪਯੋਗੀ ਅਤੇ ਵਧੀਆ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪਾਣੀ ਸਹਿਜਤਾ ਨਾਲ ਰਹਿ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੇ ਵਧੀਆ ਗੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਾਈ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਇੱਕ ਪੀੜ੍ਹੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਚੱਲਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਨਵੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(4) ਯੋਗਤਮ ਦੀ ਉੱਤਰ ਜੀਵਤਾ (Survival of the fittest) – ਪਾਣੀਆਂ ਦਾ ਜੀਵਨ ਸੰਘਰਸ਼ ਲਗਾਤਾਰ ਸਾਰਾ ਜੀਵਨ ਚਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਜੋ ਪਾਣੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਲਈ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਵਧੀਆ ਸਿੱਧ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਓਹੀ ਰਹਿ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਜੋ ਇਸ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਆਪਣੀ ਰਹਿਣ ਦੀ ਯੋਗਤਾ ਸਿੱਧ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ, ਉਹ ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਉਹੀ ਜੀਵਤ ਰਹਿ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜੋ ਯੋਗਤਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਨੂੰ ਹੀ ਯੋਗਤਮ ਦੀ ਉੱਤਰਜੀਵਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ | ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਪਰਿਵਰਤਨ ਵੀ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਇਹ ਪਰਿਵਰਤਨ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਕਹਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਇੱਕ ਪੀੜੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜੀ ਦੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜਦੀਆਂ ਹਨ । ਅਗਲੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੇ ਪ੍ਰਾਣੀ ਪਿਛਲੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੇ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਵਧੇਰੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਢਾਲਣ ਦੀ ਯੋਗਤਾ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਦੇ ਪਤੀ ਅਨੁਕੂਲਨ ਨਾ ਕਰਨਾ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਾ ਝੇਲ ਕੇ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਣਾ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਰਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰਾਕਿਰਤਿਕ ਵਰਣ (Natural selection) ਜੀਵਨ ਭਰ ਚਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਕਰਨ ਨਾਲ ਨਵੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਵਿਕਾਸ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

(5) ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਅਨੁਕੂਲਨ (Adaptation to the environment) – ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਨੂੰ ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਝੱਲਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਜੀਵਨ ਭਰ ਸਰਦੀ-ਗਰਮੀ, ਸੁੱਕਾ-ਹੜ੍ਹ, ਭੂਚਾਲ, ਤੁਫ਼ਾਨ ਆਦਿ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਸੰਕਟਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਜੋ ਪਾਣੀ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਉਹੀ ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਸੰਘਰਸ਼ ਵਿਚ ਸਫ਼ਲ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਜੋ ਪ੍ਰਾਣੀ ਖੁਦ ਨੂੰ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਅਨੁਕੂਲ ਨਹੀਂ ਬਣਾ ਸਕਦੇ ਉਹ ਖੁਦ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

(6) ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ (Variations and heredity – ਇੱਕ ਜਾਤੀ ਅਤੇ ਇੱਕ ਹੀ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੀਆਂ ਸੰਤਾਨਾਂ ਵਿਚ ਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਤਰ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਕੋਈ ਵੀ ਦੋ ਪਾਣੀ ਪੂਰਨ ਰੂਪ ਨਾਲ ਇਕੋ ਵਰਗੇ ਨਹੀਂ ਹਨ । ਲਾਭਕਾਰੀ ਅੰਤਰ ਇੱਕ ਪੀੜ੍ਹੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਸਥਾਨਾਂਤਰਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਅਨੁਵੰਸ਼ਕੀ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ । ਜੀਵ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਇਸ ਸ਼ਾਖਾ ਵਿਚ ਮੈਂਡਲ ਦੇ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕੀ ਜੀਵ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਉਹ ਸ਼ਾਖਾ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਅੰਤਰਗਤ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਮੈਂਡਲ ਨੇ ਜੀਵ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਇਸ ਸ਼ਾਖਾ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕੀ ਦਾ ਜਨਕ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮਟਰ ਦੇ ਦਾਣਿਆਂ ਤੇ ਸੰਕਰਨ ਦੇ ਤਰ੍ਹਾਂ-ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤੇ ਸਨ ਅਤੇ ਤਿੰਨ ਨਿਯਮਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀਪਾਦਿਤ ਕੀਤਾ ਸੀ ।

I ਪ੍ਰਭਾਵਿਤਾ ਦਾ ਨਿਯਮ (Law of dominance) – ਸੰਕਰਨ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਗੁਣ ਪ੍ਰਕਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਗੁਣ ਛਿਪ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(II) ਪ੍ਰਕਰਨ ਦਾ ਨਿਯਮ (Law of segregation) – ਯੁਗਮਕਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਦੇ ਸਮੇਂ ਜੀਨਾਂ 6 ਜਾਂ ਕਾਰਕਾਂ (genes) ਦੇ ਜੋੜੇ ਦੇ ਕਾਰਕ ਜਾਂ ਜੀਨ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸਿਰਫ਼ ਇਕ ਯੂਰਾਮਕ ਦੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ । ਦੋਨੋਂ ਕਾਰਕ ਜਾਂ ਜੀਨ ਕਦੇ ਵੀ ਇਕੋ ਵੇਲੇ ਨਾਲੋਂ ਨਾਲ ਯੁਗਮਕ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦੇ ।

(III) ਅਪਵਿਉਹਨ ਦਾ ਨਿਯਮ (Law of independent assortment) – ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਕਾਰਕ ਇੱਕ-ਦੂਸਰੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤੇ ਬਿਨਾਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਉਨਮੁਕਤ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਯੁਗਮਤਾਂ ਵਿਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਟ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਲਈ, ਦੋਹਰੇ ਸੰਕਰ ਕਰਾਸ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੀਆਂ ਸੰਤਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਕਾਰਕਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਪਹਿਲੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਗੁਣ ਹੀ ਪ੍ਰਕਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਾਰੀਆਂ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਵਿੱਚ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹੋਂਦ ਦੀ ਸਮਾਨ ਸੰਭਾਵਨਾ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਰੀਆਂ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਵਿੱਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹੋਂਦ ਦੀ ਸਮਾਨ ਸੰਭਾਵਨਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਆਧਾਰਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਲਾਭ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਗਰਮੀ ਨੂੰ ਸਹਿਣ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਦੇ ਵੱਧ ਗਰਮੀ ਨੂੰ ਸਹਿਣ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਣੁਆਂ ਦੇ ਵੱਧ ਗਰਮੀ ਵਿਚ ਬਚੇ ਰਹਿਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਵਾਤਾਵਰਨ ਉੱਤਮ ਪਰਿਵਰਤਨ (Variants) ਦਾ ਜੀਵ-ਵਿਕਾਸ ਪ੍ਰਕ੍ਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਲੱਛਣਾਂ ਦੀ ਵੰਸ਼ਾਗਤੀ ਕਿਸ ਗੱਲ ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਲੱਛਣਾਂ ਦੀ ਵੰਸ਼ਾਗਤੀ ਇਸ ਗੱਲ ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਹੈ ਕਿ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੋਨੋਂ ਆਪਣੀ ਸੰਤਾਨ ਵਿਚ ਸਮਾਨ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਸਥਾਨਾਂਤਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ | ਸੰਤਾਨ ਦਾ ਹਰ ਲੱਛਣ ਪਿਤਾ ਜਾਂ ਮਾਤਾ ਦੇ DNA ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
F1 ਪੀੜੀ ਜਾਂ ਸੰਤਾਨ ਅਤੇ F2 ਪੀੜੀ ਜਾਂ ਸੰਤਾਨ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲੀ ਸੰਤਾਨ ਜਾਂ ਸੰਤਤੀ F1 ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੇ ਦੋ ਲੱਛਣਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸਿਰਫ ਪਿੱਤਰੀ ਲੱਛਣ ਹੀ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਨਾਂ ਵਿਚ ਸਿਰਫ਼ ਇੱਕ ਪਿੱਤਰੀ ਲੱਛਣ ਹੀ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਸਵੈ-ਪਰਾਗਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ F2 ਸੰਤਾਨ ਜਾਂ ਸੰਤਤੀ ਦੋਨਾਂ ਦੇ ਵਿਕਲਪੀ ਲੱਛਣਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਟ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ 3

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜੀਨ ਲੱਛਣਾਂ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੈੱਲ ਵਿਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਲਈ ਇੱਕ ਸੂਚਨਾ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, DNA ਦੇ ਜਿਹੜੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਲਈ ਸੂਚਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਉਹ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦਾ ਜੀਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਲੱਛਣ ਇਸ ਹਾਰਮੋਨ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਹਾਰਮੋਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਉਸ ਪ੍ਰਮ ਦੀ ਦਕਸ਼ਤਾ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਇਹ ਉਤਪਾਦਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜੋ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਠੀਕ ਢੰਗ ਨਾਲ ਕਾਰਜ ਕਰੇਗੀ ਤਾਂ ਹਾਰਮੋਨ ਕਾਫ਼ੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਹੋਵੇਗਾ ਅਤੇ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦੀ ਦਕਸ਼ਤਾ ਤੇ ਕੁੱਝ ਭਿੰਨ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਘੱਟ ਦਕਸ਼ਤਾ ਦਾ ਕਾਰਨ ਹਾਰਮੋਨ ਘੱਟ ਹੋਵੇਗਾ । ਜੀਨ ਹੀ ਲੱਛਣਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਅਤੇ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਜੀਵ-ਵਿਵਿਧਤਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵ ਵਿਵਿਧਤਾ – ਜੀਵ-ਵਿਵਿਧਤਾ ਜਾਂ ਜੀਵ ਭਿੰਨਤਾ ਧਰਤੀ ਤੇ ਪਾਈਆਂ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਕੁਦਰਤੀ ਆਵਾਸ ਵਿੱਚ ਪਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪੇੜ-ਪੌਦੇ, ਸੂਖ਼ਮ-ਜੀਵ, ਪਸ਼ੂ-ਪੰਛੀ ਆਦਿ ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਜੀਵ-ਵਿਵਿਧਤਾ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੱਧਰ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵ ਵਿਵਿਧਤਾ ਦੇ ਪੱਧਰ-

  1. ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਵਿਵਿਧਤਾ (Genetic diversity)
  2. ਪ੍ਰਜਾਤੀ ਵਿਵਿਧਤਾ (Species diversity)
  3. ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਵਿਵਿਧਤਾ (Ecosystem diversity)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਵਿਵਿਧਤਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜੀਨਾਂ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੈਦਾ ਵਿਵਿਧਤਾ ਨੂੰ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਵਿਵਿਧਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਇਹ ਵਿਵਿਧਤਾ ਮੰਗੋਲ, ਨੀਗਰੋ ਆਦਿ ਵਿੱਚ ਦੇਖੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪੰਛੀਆਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਡਾਇਨੋਸੋਰ ਤੋਂ ਕਿਉਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਡਾਇਨੋਸੋਰ ਰੀਂਗਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪਥਰਾਟਾਂ ਵਿੱਚ ਹੱਡੀਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਪੰਖਾਂ ਦੀ ਛਾਪ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਰੂਪ ਨਾਲ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਸ਼ਾਇਦ ਉਹ ਸਾਰੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪੰਖਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਉੱਡ ਨਹੀਂ ਪਾਉਂਦੇ ਹੋਣਗੇ ਪਰ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਪੰਛੀਆਂ ਨੇ ਪੰਖਾਂ ਨਾਲ ਉੱਡਣਾ ਸਿੱਖ ਲਿਆ ਹੋਵੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ਪੰਛੀਆਂ ਨੂੰ ਡਾਇਨੋਸੋਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮੰਨ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ – ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਧਾਰੀਆਂ ਵਿਚ ਕੁਝ ਅਜਿਹੇ ਲੱਛਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀਆਂ ਪੀੜ੍ਹੀਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਗੁਣ ਇੱਕ ਪੀੜ੍ਹੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਕ ਜੀਵ ਤੋਂ ਦੂਸਰੇ ਜੀਵ ਵਿਚ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦਰ ਪੀੜ੍ਹੀ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਅੱਗੇ ਜਾਣਾ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਿੰਗ ਗੁਣ-ਸੂਤਰ – ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿਚ ਕੁੱਲ 23 ਜੋੜੇ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਿਮ ਤੇਈਵਾਂ (23ਵਾਂ) ਜੋੜਾ ਲਿੰਗ-ਗੁਣ ਸੂਤਰ (Sex chromosome) ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਕੋਈ ਮਾਨਵ ਨਰ ਜਾਂ ਮਾਦਾ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਜਨਮ ਲੈਂਦਾ ਹੈ । ਨਰ ਵਿਚ ‘XY’ ਲਿੰਗ ਗੁਣ-ਸੁਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ‘XX’ ਲਿੰਗ ਗੁਣ-ਸੂਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ (homologous organs) ਨੂੰ ਉਦਾਹਰਨ ਸਹਿਤ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ – ਜੀਵ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਉਹ ਅੰਗ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਤੇ ਮੂਲ ਸੰਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਸਮਾਨਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਸਮੇਂ, ਹਾਲਤ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਦੇ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਾਹਰੀ ਰਚਨਾ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ – ਪੰਛੀ ਦੇ ਪੰਖ, ਡੱਡ ਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ, ਸੀਲ ਦੇ ਫਲੀਪਰ, ਚਮਗਿੱਦੜ ਦੇ ਪੰਖ, ਘੋੜੇ ਦੀਆਂ ਅਗਲੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਬਾਜੂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਤੇ ਸੰਰਚਨਾ ਸਮਾਨ ਹੈ ਪਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਹੈ । ਇਹ ਇਸ ਗੱਲ ਨੂੰ ਪ੍ਰਮਾਣਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਕਦੇ ਸਾਡੇ ਪੂਰਵਜ ਇਕੋ ਜਿਹੇ ਸਨ | ਹਾਲਤਾਂ ਅਤੇ ਸਮੇਂ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਕੀਤੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਸਮਰੂਪ ਅੰਗ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਉਦਾਹਰਨ ਸਹਿਤ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਰੂਪ ਅੰਗ – ਸਮਰੂਪ ਅੰਗਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਜ ਦੀ ਸਮਾਨਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਤੇ ਮੂਲ ਸੰਰਚਨਾ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕੀੜੇ, ਪੰਛੀ ਅਤੇ ਚਮਗਿੱਦੜ ਸਾਰੇ ਪੰਖਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਉੱਡਣ ਲਈ ਕਰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਢੰਗ ਨਾਲ ਹੋਈ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗਾਂ ਅਤੇ ਸਮਰੂਪ ਅੰਗਾਂ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-

ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ ਸਮਰੂਪ ਅੰਗ
(1) ਇਨ੍ਹਾਂ ਅੰਗਾਂ ਦੀ ਮੂਲ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਉਤਪੱਤੀ ਇਕ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (1) ਇਨ੍ਹਾਂ ਅੰਗ ਦੀ ਮੂਲ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਉਤਪੱਤੀ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(2) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜ ਸਮਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-1. ਪੰਛੀਆਂ ਦੇ ਪੰਖ ਅਤੇ ਡੱਡੂ ਦੇ ਅਗਲੇ ਪੈਰ ।2. ਮਨੁੱਖ ਦੀਆਂ ਬਾਹਾਂ ਅਤੇ ਘੋੜੇ ਦੀਆਂ ਅਗਲੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ।
(2) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-1. ਪੰਛੀ ਅਤੇ ਚਮਗਿੱਦੜ ਦੇ ਪੰਖ ।2. ਪੰਛੀਆਂ ਅਤੇ ਕੀਟਾਂ ਦੇ ਪੰਖ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਮੈਂਡਲ ਦੇ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਦੇ ਪ੍ਰਬਲਤਾ ਦੇ ਨਿਯਮ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲ ਪ੍ਰਬਲਤਾ ਦਾ ਨਿਯਮ – ਜਦੋਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਵਿਪਰੀਤ ਲੱਛਣਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਸੰਕਰਨ ਕਰਵਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੰਪਤੀ ਜਾਂ ਸੰਤਾਨ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਲੱਛਣਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇੱਕ ਲੱਛਣ ਹੀ ‘ਪ੍ਰਭਾਵੀ’ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਵਿਪਰੀਤ ਲੱਛਣ ‘ਅਪ੍ਰਭਾਵੀਂ’ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਲੱਛਣ ਸੰਤਾਨ ਵਿੱਚ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਅਪ੍ਰਭਾਵੀ ਲੱਛਣ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹੋਏ ਵੀ ਦਿਖਾਈ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੇ ।
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ਮੈਂਡਲ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੇ ਗਏ ਮਟਰਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਪੌਦੇ ਸ਼ੁੱਧ ਲੰਬੇ ਸਨ ਪਰ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿੱਚ ਇਕ ਸ਼ੁੱਧ ਲੰਬਾ ਪੌਦਾ, ਦੋ ਸੰਕਰੇ ਲੰਬੇ ਅਤੇ ਇੱਕ ਸ਼ੁੱਧ ਬੌਨਾ ਪੈਂਦਾ ਸੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਮੈਂਡਲ ਦੇ ਮਟਰ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਨਾਲ ਕੀ ਨਤੀਜੇ ਨਿਕਲੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲ ਦੇ ਮਟਰ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੇ ਕੀਤੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਨਾਲ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪਰਿਣਾਮ ਨਿਕਲੇ-

  1. ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਲੱਛਣ ਕੁਝ ਇਕਾਈਆਂ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਾਰਕ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਹਰ ਲੱਛਣ ਦੇ ਲਈ ਯੁਗਮਕ ਵਿਚ ਇੱਕ ਕਾਰਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ; ਜਿਵੇਂ-ਲੰਬਾਈ, ਫੁੱਲ ਦਾ ਰੰਗ ।
  2. ਇੱਕ ਲੱਛਣ ਨੂੰ ਦੋ ਕਾਰਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਹੀ ਵਿਅਕਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ TT ਜਾਂ tt.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਯੁਗਮਤਾਂ ਦੀ ਸ਼ੁੱਧਤਾ ਦਾ ਨਿਯਮ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਤੇ ਜੀਨ ਹਮੇਸ਼ਾ ਜੋੜੇ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ TT ਜਾਂ tt । ਯੁਗਮ ਵਿਚ ਇਹ ਜੀਨ ਇਕ ਗੁਣ ਦੇ ਲਈ ਬਿਲਕੁਲ ਸ਼ੁੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ | ਯੁਗਮਕ ਸੰਯੋਗ ਦੇ ਬਾਅਦ ਯੁਗਮਨਜ਼ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਜੀਨ ਪਿਤਾ ਤੋਂ ਅਤੇ ਇਕ ਜੀਨ ਮਾਤਾ ਤੋਂ ਇਕ ਹੀ ਗੁਣ ਵਾਲੇ ਸਮਾਨ ਜੀਨ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਜੀਨ ਇੱਕ ਲੱਛਣ ਦੇ ਲਈ ਉੱਤਰਦਾਈ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਿਯਮ ਨੂੰ ਯੁਗਮਤਾਂ ਦੀ ਸ਼ੁੱਧਤਾ ਦਾ ਨਿਯਮ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਜੀਨ ਕਿੱਥੇ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਨ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਤੇ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਨਿਉਕਲਿਓਟਾਈਡਸ ਦਾ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਕੂਮ ਇਸਦੀ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਤਾ ਨੂੰ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਜੀਨ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਨਾਲ ਕੱਟਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਜੀਵ ਦੇ ਜੀਨ ਦੇ ਨਾਲ ਜੋੜਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਲਿੰਗੀ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਅਤੇ ਅਲਿੰਗੀ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

ਲਿੰਗੀ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਅਲਿੰਗੀ ਗੁਣ ਸੂਤਰ
(1) ਇਹ ਲਿੰਗ ਨਿਰਧਾਰਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (1) ਇਹ ਲਿੰਗ ਨਿਰਧਾਰਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
(2) ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਸਿਰਫ਼ ਦੋ ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ‘X’ ਅਤੇ ‘Y’ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (2) ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ 44 ਅਲਿੰਗੀ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(3) ਮਨੁੱਖੀ ਨਰ ਵਿਚ ‘XY’ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖੀ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ‘XX’ ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (3) ਇਨ੍ਹਾਂ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਨੂੰ 1 ਤੋਂ 22 ਤੱਕ ਗਿਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦੇ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਸਪੀਸਿਜ਼ ਦੀ ਹੋਂਦ ਕਿਵੇਂ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਾਭਕਾਰੀ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਪ੍ਰਾਣੀ ਨੂੰ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੀਆਂ ਜ਼ਰੂਰਤਾਂ ਦੇ ਅਨੁਕੂਲ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਉਸ ਨੂੰ ਇੱਕ ਪੀੜ੍ਹੀ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਅਜਿਹਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਜੀਵਨ ਦੀ ਉਸ ਸਪੀਸਿਜ਼ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Very Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਾਨਵ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਕਿੰਨੇ ਜੋੜੇ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
23 ਜੋੜੇ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਇਸਤਰੀਆਂ ਵਿਚ ਕਿਹੜਾ ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
‘XX’ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੁਰਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜਾ ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
‘XY’ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਬੱਚੇ ਦੇ ਲਿੰਗ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਕਿਸਦੇ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿਤਾ ਦੇ ‘Y’ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਤੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਡਾਰਵਿਨ ਨੇ ਕਿਸ ਸਿਧਾਂਤ ਦੀ ਪਰਿਕਲਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ ਵਰਣ ਦੁਆਰਾ ਜੀਵ-ਵਿਕਾਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪਥਰਾਟ (Fossil) ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਥਰਾਟ-ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਚੱਟਾਨ ਵਿਚ ਪਰਿਖਿਅਤ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ ਪਥਰਾਟ (Fossils) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਕਿਸਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਾਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਪੀੜ੍ਹੀ-ਦਰ-ਪੀੜ੍ਹੀ ਚੱਲਣ ਵਾਲੇ ਪੂਰਵਜਾਂ ਦੇ ਲੱਛਣ ਅਤੇ ਗੁਣਾਂ ਨੂੰ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਕਿਸਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਮਾਨ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਅਤੇ ਸਮਾਨ ਜਾਤੀ ਹੋਣ ਤੇ ਵੀ ਸੰਤਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਰੰਗ-ਰੂਪ, ਬੁੱਧੀਮਤਾ ਕੱਦ ਆਦਿ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਇਸਨੂੰ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਲਗਭਗ ਕਿੰਨੇ ਜੀਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
30000 ਤੋਂ 40000 ਤੱਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਜੀਨ ਕਿੱਥੇ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਨ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਤੇ ਨਿਸਚਿਤ ਸਥਾਨ ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
‘AIDS’ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾਣੂ HIV ਕਿਹੋ ਜਿਹਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੇਟਰੋ ਵਾਇਰਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਜੀਨ ਦਾ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ, ਨਿਯੰਤਰਨ ਅਤੇ ਵਹਿਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
DNA ਅਤੇ RNA ਦਾ ਪੂਰਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
DNA – ਡੀ-ਆਕਸੀਰਿਬੋ ਨਿਊਕਲੀਕ ਐਸਿਡ ।
RNA – ਰਿਬੋ ਨਿਊਕਲਿਕ ਐਸਿਡ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਆਟੋਮਸ ਕਿਸਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ 23 ਜੋੜੇ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਦਾ ਜੋੜਾ 23ਵਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਬਾਕੀ 22 ਜੋੜੇ ਆਟੋਸੋਮਸ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ-ਉਹ ਅੰਗ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਤੇ ਮੂਲ ਰਚਨਾ ਹੋਵੇ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜ ਭਿੰਨ ਹੋਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਸਮਰੂਪ ਅੰਗ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਅੰਗ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜਾਂ ਵਿਚ ਸਮਾਨਤਾ ਹੋਵੇ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਤੇ ਮੁਲ ਰਚਨਾ ਭਿੰਨ ਹੋਵੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ੀ ਅੰਗ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੰਨ ਪਾਲੀ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ, ਕ੍ਰਿਮੀ ਰੂਪ ਪਰਿਸ਼ੇਸ਼ਿਕਾ, ਪੂੰਛ ਕਸ਼ੇਰੁਕ, ਨਿਮੇਸ਼ਕ ਪੱਟਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਬਾਇਓਜੈਨੇਟਿਕ ਨਿਯਮ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵ-ਜੰਤੁ ਭਰੁਣ-ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਸਮੇਂ ਆਪਣੇ ਪੁਰਵਜਾਂ ਦੇ ਜਾਤੀ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਉਤਰੋਤਰ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਟ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਿਯਮ ਨੂੰ ‘ਵਿਅਕਤੀ ਵਿੱਤ ਵਿਚ ਜਾਤੀਵਿੱਤ ਦੀ ਪੁਨਰਵਿਤੀ’ (Ontogeny repeats phylogeny) ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19,
ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕੀ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੀ ਕਿਰਿਆ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
DNA ਜਾਂ ਜੀਨ ਦੇ ਇੱਕ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਕਿਸੇ ਦੂਸਰੇ ਜੀਵਧਾਰੀ ਦੇ DNA ਦੇ ਨਾਲ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਜੋੜਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਇੰਜੀਨੀਅਰੀ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
‘ਫਾਸਿਲ ਡੇਟਿੰਗ’ ਕਿਸਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪਥਰਾਟ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਤੱਤ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਸਮਸਥਾਨਿਕਾਂ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਪਥਰਾਟ ਦਾ ਸਮਾਂ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸਨੂੰ ਫਾਂਸਿਲ ਡੇਟਿੰਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਲੱਛਣ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਲੱਛਣ – ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਉਹ ਲੱਛਣ ਜੋ ਵਿਖ਼ਮ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਵਿਚ ਖ਼ੁਦ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਲੱਛਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਚਿੱਤਰ ਵਿਚ ਦਸਰਾਏ ਗਏ ਅੰਗ ਕਿਸ ਕਿਸਮ ਦੇ ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰ)

ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਜੀਵ-ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਪੱਖ ਤੋਂ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਗ ਦਰਸਾਏ ਗਏ ਹਨ ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ 5
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਸਮਰੂਪ ਅੰਗ ਹਨ । ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਅੰਗਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜ ਵਿੱਚ ਤਾਂ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ਪਰ ਉਤਪੱਤੀ ਅਤੇ ਮੂਲ ਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਹੋਏ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ
(ੳ) ਅਤੇ
(ਅ) ਦਾ ਲਿੰਗ ਦੱਸੋ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ 7
ਉੱਤਰ-
(ਉ)-ਮਾਦਾ
(ਅ)-ਨਰ ।

ਵਸਤੁਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮੈਂਡਲ ਦੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਯੋਗ ਵਿੱਚ ਲੰਬੇ ਮਟਰ ਦੇ ਪੌਦੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬੈਂਗਣੀ ਫੁੱਲ ਸਨ, ਦਾ ਸੰਕਰਣ ਬੌਣੇ ਪੌਦਿਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਫੈਦ ਫੁੱਲ ਸਨ, ਨਾਲ ਕਰਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੰਤਾਨ ਦੇ ਸਾਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਫੁੱਲ ਬੈਂਗਣੀ ਰੰਗ ਦੇ ਸਨ । ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲਗਭਗ ਅੱਧੇ ਬੌਣੇ ਸਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਲੰਬੇ ਜਨਕ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਰਚਨਾ ਨਿਮਨ ਸੀ-
(a) TTWW
(b) TTww
(c) TtWW
(4) TtWw
ਉੱਤਰ-
(c) TtWW.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਉਦਾਹਰਨ ਹੈ :
(a) ਸਾਡਾ ਹੱਥ ਅਤੇ ਕੁੱਤੇ ਦਾ ਅਗਲਾ ਪੈਰ
(b) ਸਾਡੇ ਦੰਦ ਅਤੇ ਹਾਥੀ ਦੇ ਦੰਦ
(c) ਆਲੂ ਅਤੇ ਘਾਹ ਦੀਆਂ ਤਿੜਾਂ
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਵਿਕਾਸ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ ਤੋਂ ਸਾਡੀ ਕਿਸ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ-
(a) ਚੀਨ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ
(b) ਚਿਮਪੈਂਜੀ
(c) ਮੱਕੜੀ
(d) ਬੈਕਟੀਰੀਆ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਚੀਨ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
‘AB’ ਖੂਨ ਵਰਗ ਅਤੇ ‘O’ ਖੂਨ ਵਰਗ ਵਾਲੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੀ ਸੰਤਾਨ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
(a) ‘A’ ਖੂਨ ਵਰਗ ਵਾਲੀ
(b) ‘O’ ਖੁਨ ਵਰਗ ਵਾਲੀ
(c) ‘AB’ ਖੂਨ ਵਰਗ ਵਾਲੀ
(d) ‘A’ ਜਾਂ ‘B’ ਖ਼ੂਨ ਵਰਗ ਵਾਲੀ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ‘A’ ਜਾਂ ‘B’ ਖੂਨ ਵਰਗ ਵਾਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਅਵਸ਼ੇਸ਼ੀ ਅੰਗ ਦਾ ਉਦਾਹਰਨ ਨਹੀਂ ਹੈ-
(a) ਕੀਵੀ ਦੇ ਪੱਖ
(b) ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਰਦਨਕ ਦੰਦ
(c) ਵੇਲ਼ ਦੇ ਪਾਦ
(d) ਸੱਪ ਦੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਮੇਖਲਾ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਵੇਲ਼ ਦੇ ਪਾਦ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ ਦਾ ਉਦਾਹਰਨ ਨਹੀਂ ਹੈ-
(a) ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਨਹੁੰ ਅਤੇ ਬਿੱਲੀ ਦੇ ਪੰਜੇ
(b) ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਹੱਥ ਅਤੇ ਕੁੱਤੇ ਦੇ ਅਗਲੇ ਪੈਰ
(c) ਚਿੜੀ ਅਤੇ ਚਮਗਿੱਦੜ ਦੇ ਪੰਖ
(d) ਮਨੁੱਖ ਅਤੇ ਹਾਥੀ ਦੇ ਦੰਦ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਚਿੜੀ ਅਤੇ ਚਮਗਿੱਦੜ ਦੇ ਪੰਖ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕਿਹੜਾ ਇੱਕ ਟੈਸਟ ਕਾਸ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ?
(a) TT × TT
(b) Tt × tt
(c) tt × tt
(d) Tt × Tt.
ਉੱਤਰ-
(b) Tt × tt.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਕੋਈ ਲੜਕੀ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਤੋਂ ਕਿਸ ਗੁਣਸੂਤਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ?
(a) X
(b) Y
(c) XY
(d) O.
ਉੱਤਰ-
(a) X.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕੋਈ ਲੜਕਾ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਤੋਂ ਕਿਸ ਗੁਣਸੂਤਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
(a) X
(b) Y
(c) XY
(d) O.
ਉੱਤਰ-
(b) Y.

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰਨਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ

(i) ਦੋ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਅੰਗਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਸਮਾਨ ਪਰੰਤੂ ਕੰਮ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੋਣ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ……………… ਆਖਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤ

(ii) ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੇ ਲੱਛਣਾਂ ਨੂੰ ……………… ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੀਨ

(iii) ਹਾਵੀ ਗੁਣ ਨੂੰ ……………… ਅਤੇ ਦੱਬੂ ਗੁਣ ਨੂੰ ……………… ਆਖਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਭਾਵੀ, ਅਪ੍ਰਭਾਵੀ

(iv) ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਲਿੰਗ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ……………… ਦੇ ਗੁਣਸੂਤਰ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਿਤਾ

(v) ਮੈਂਡਲ ਨੇ ਆਪਣੇ ਮੱਠ ਦੇ ਬਗੀਚੇ ਵਿੱਚ ਮਟਰ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੇ ਲਗਭਗ ……………… ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤੇ ।
ਉੱਤਰ-
10,000.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ? Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

ਵੱਡੇ ਉੱਚਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਦੋ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
(i) ਕੁਦਰਤੀ ਅਤੇ
(ii) ਬਨਾਵਟੀ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ।

(i) ਕੁਦਰਤੀ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ-ਇਹ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਕਲਿਕਾ ਹਨ-

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(ਉ) ਜੜ੍ਹਾਂ ਦੁਆਰਾ – ਕੁਝ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ, ਜਿਵੇਂ ਸ਼ਕਰਕੰਦੀ ਵਿਚ ਕਲਿਕਾਵਾਂ (ਅੱਖਾਂ) ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ! ਸ਼ਕਰਕੰਦੀ ਨੂੰ ਜ਼ਮੀਨ ਵਿਚ ਗੱਡ ਦੇਣ ਤੇ ਕਲਿਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਕੋਪਲ ਫੁਟਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਤੋਂ ਨਵਾਂ ਪੌਦਾ ਬਣਦਾ ਹੈ ।

(ਅ) ਤਣਿਆਂ ਦੁਆਰਾ – ਕੁਝ ਤਣਿਆਂ ਤੇ ਵੀ ਅੱਖਾਂ ਜਾਂ ਕਲਿਕਾਵਾਂ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ-ਆਲ, ਅਦਰਕ ਆਦਿ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵਿਚ ਬੀਜ ਦੇਣ ਤੇ ਕਲਿਕਾਵਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਪਲਾਂ ਫੁੱਟ ਪੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

(ੲ) ਪੱਤਿਆਂ ਦੁਆਰਾ – ਬਾਇਓਫਿਲਮ, ਬਿਗੋਨੀਆ ਆਦਿ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ ਦੀ ਕਿਨਾਰੀ ਉੱਤੇ ਵਿਕਸਿਤ ਕਲੀਆਂ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਡਿੱਗ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਨਵੇਂ ਪੌਦਿਆਂ ਵਜੋਂ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

(ii) ਬਨਾਵਟੀ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ – ਇਹ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
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(ਉ) ਦਾਬ ਲਗਾਉਣਾ – ਕੁੱਝ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਟਹਿਣੀਆਂ ਨੂੰ ਝੁਕਾ ਕੇ ਭੂਮੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਦਬਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਦੱਬੀ ਟਹਿਣੀ ਵਿਚੋਂ ਕੋਪਲਾਂ ਫੁੱਟ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-ਚਮੇਲੀ, ਅੰਗੁਰ ਆਦਿ ।

(ਅ) ਕਲਮ – ਗੁਲਾਬ, ਗੁੜਹਲ, ਚਮੇਲੀ ਆਦਿ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਸ਼ਾਖਾ ਕੱਟ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਭੁਮੀ ਵਿਚ ਗੱਡ ਦੇਣ ਤੇ ਇਸ ਤੋਂ ਅਪਸਥਾਨਿਕ ਜੜਾਂ ਨਿਕਲ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਕਲਿਕਾਵਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਪਲਾਂ ਫੁੱਟ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

(ੲ) ਪਿਉਂਦ ਲਾਉਣਾ – ਇਸ ਵਿਚ ਇਕ ਰੁੱਖ ਦੀ ਸ਼ਾਖਾ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਉਸ ਵਿਚ ‘T’ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦਾ ਖਾਂਚਾ ਬਣਾ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਸਟਾਕ (Stock) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਹੁਣ ਉਸ ਜਾਤੀ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਰੁੱਖ ਦੀ ਟਹਿਣੀ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਸਟਾਕ ਦੇ ਖਾਂਚੇ ਦੇ ਅਨੁਰੂਪ ਖਾਂਚਾ ਬਣਾ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਇਸਨੂੰ ਸਿਆਨ (Scion) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਸਿਆਨ ਨੂੰ ਸਟਾਕ ਵਿਚ ਫਿਟ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਖਾਂਚ ਦੇ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਮਿੱਟੀ ਲਗਾ ਕੇ ਬੰਨ੍ਹ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਕੁਝ ਦਿਨਾਂ ਬਾਅਦ
ਦੋਨੋਂ ਜੁੜ ਕੇ ਪੌਦਾ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉਦਾਹਰਨ-ਗੰਨਾ, ਅੰਬ, ਅਮਰੂਦ, ਲੀਚੀ ਆਦਿ ।

(ਸ) ਬਡੌਗ-ਇਸ ਵਿਚ ਇੱਕ ਰੁੱਖ ਦੀ ਇਕ ਟਹਿਣੀ ਦੀ ਛਾਲ ਵਿਚ ‘T’ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖਾਂਚਾ ਬਣਾ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕਿਸੇ ਦੁਸਰੇ ਚੁਣੇ ਹੋਏ ਪੌਦੇ ਦੀ ਕਲਿਕਾ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਸਟਾਕ ਦੇ ਖਾਂਚੇ ਵਿਚ । ਘਮਾ ਦਿੰਦੇ ਹਾਂ । ਇਸ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਇਸਦੇ ਉੱਪਰ ਮਿੱਟੀ ਲਪੇਟ ਦਿੰਦੇ ਹਾਂ । ਕੁਝ ਦਿਨਾਂ ਬਾਅਦ ਉਸ ਸਥਾਨ ਤੇ ਕੋਪਲਾਂ ਨਿਕਲ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-ਨਿੰਬੂ, ਨਾਰੰਗੀ ਆਦਿ ।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਫੁੱਲ ਦੇ ਭਾਗਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਜਾਂ
ਫੁੱਲ ਦੀ ਲੰਬਾਤਮਕ ਕਾਟ ਦਾ ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾ ਕੇ ਫੁੱਲ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਫੁੱਲ – ਫੁਲਦਾਰ ਪੌਦਿਆਂ (Angiosperms) ਵਿਚ ਫੁੱਲ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਬੀਜ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਫੁੱਲ ਵਿਚ ਇਕ ਆਧਾਰੀ ਭਾਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਉੱਪਰ ਫੁੱਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭਾਗ ਲੱਗੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਫੁਲ ਆਸਨ (Thalamus) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਫੁੱਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਚਾਰ ਭਾਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
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  1. ਬਾਹਰੀ ਦਲਪੁੰਜ ਜਾਂ ਹਰੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ – ਇਹ ਫੁੱਲ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰੀ ਭਾਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਹਰੇ ਪੱਤਿਆਂ । ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਾਹਰੀ ਦਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਕਲੀ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਫੁੱਲ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਦਲਪੁੰਜ ਜਾਂ ਰੰਗਦਾਰ ਪੱਤੀਆਂ – ਬਾਹਰੀ ਦਲਪੁੰਜ ਦੇ ਅੰਦਰਲੇ ਭਾਗ ਨੂੰ ਦਲਪੁੰਜ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਹਰ ਅੰਗ ਪੰਖੁੜੀ ਜਾਂ ਦਲ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸਦਾ ਰੰਗ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਫੁੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕੀਟਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਕੇ ਪਰਾਗਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨਾ ਹੈ ।
  3. ਪੁੰਕੇਸਰ – ਇਹ ਫੁੱਲ ਦਾ ਬਾਹਰੋਂ ਤੀਸਰਾ ਭਾਗ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਹਰ ਅੰਗ ਨੂੰ ਪੁੰਕੇਸਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪੁੰਕੇਸਰ ਦੇ ਮੁੱਖ ਦੋ ਭਾਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-ਪਰਾਗਕੋਸ਼ ਅਤੇ ਪਗਡੰਡੀ । ਪਰਾਗਕੋਸ਼ ਯੋਜੀ ਦੁਆਰਾ ਪਰਾਗ ਕੋਸ਼ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਰਾਗ ਕੋਸ਼ ਦੇ ਅੰਦਰ ਪਰਾਗਕਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਬੀਜ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
  4. ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ – ਇਹ ਫੁੱਲ ਦਾ ਮਾਦਾ ਭਾਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਹਰ ਅੰਗ ਨੂੰ ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਤਿੰਨ ਭਾਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-(1) ਸਟਿਗਮਾ (2) ਸਟਾਇਲ (3) ਅੰਡਕੋਸ਼ । ਅੰਡਕੋਸ਼ ਦੇ ਅੰਦਰ ਬੀਜ ਅੰਡ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪਰਾਗਣ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਕੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਬੀਜ ਬਣਾਉਣ ਤੱਕ ਸਾਰੀਆਂ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਰਾਗਕੋਸ਼ (Pollensac) ਤੋਂ ਪਰਾਗਕਣਾਂ (Pollengrains) ਦਾ ਸਟਿਗਮਾ ਤਕ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਪਰਾਗਣ (Pollination) ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਫੁੱਲ ਦੇ ਪੁੰਕੇਸਰ ਵਿਚ ਪਰਾਗਕੋਸ਼ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਪਰਾਗਕਣ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ ਦੇ ਤਿੰਨ ਭਾਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-ਅੰਡਕੋਸ਼ (Ovary), ਸਟਾਇਲ (Style) ਅਤੇ ਸਟਿਗਮਾ (Stigma) । ਪਰਾਗਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਪਰਾਗਕਣ ਤੋਂ ਇਕ ਨਲੀ ਨਿਕਲਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਪਰਾਗਨਲੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਗਨਲੀ ਵਿੱਚ ਦੋ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਨਰ ਯੁਜ ਪਰਾਗਨਲੀ ਵਿਚੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੋਇਆ ਬੀਜ ਅੰਡ ਤਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਬੀਜ ਅੰਡ ਨਾਲ ਮੇਲ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਯੁਗਮਜ਼ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਦੂਸਰਾ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਦੋ ਧਰੁਵੀ ਕੇਂਦਰਕਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਪ੍ਰਾਥਮਿਕ ਐਂਡਸਪਰਮ (ਭਰੂਣਕੋਸ਼) ਕੇਂਦਰਕ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਅੰਤ ਵਿਚ ਐਂਡੋਸਪਰਮ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉੱਚ ਵਰਗੀ (ਐਂਜੀਓਸਪਰਮੀ) ਪੌਦੇ ਦੋਹਰੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਫੁੱਲ ਦੀਆਂ ਪੰਖੜੀਆਂ, ਪੁੰਕੇਸਰ, ਸਟਾਇਲ ਅਤੇ ਸਟਿਗਮਾ ਡਿਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਬਾਹਰੀ ਦਲ ਸੁੱਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਤੇ ਲੱਗਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਅੰਡਕੋਸ਼ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਾਧਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਸੈੱਲ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੋ ਕੇ ਵਾਧਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬੀਜ ਦਾ ਬਣਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਬੀਜ ਵਿਚ ਇਕ ਭਰੁਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਭਰੂਣ ਵਿਚ ਇੱਕ ਛੋਟੀ ਜੜ੍ਹ (ਮੂਲ ਜੜ੍ਹ), ਇੱਕ ਛੋਟਾ ਪ੍ਰੋਹ (ਕੁਰ) ਅਤੇ ਬੀਜ ਪੱਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਬੀਜ ਪੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭੋਜਨ ਸੰਚਿਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।
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ਚਿੱਤਰ – (A) ਪਰਾਗਕੋਸ਼ ਦੀ ਰਚਨਾ (ਸਿਖਰ ਕੱਟਿਆ ਹੋਇਆ) (B) ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ ਦੀ ਲੰਮੇਦਾਅ ਕਾਟ | ਸਮੇਂ ਅਨੁਸਾਰ ਬੀਜ ਸਖ਼ਤ ਹੋ ਕੇ ਸੁੱਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਬੀਜ ਪ੍ਰਤਿਕੂਲ ਹਾਲਤਾਂ ਵਿਚ ਜੀਵਤ ਰਹਿ ਸਕਦਾ ਹੈ ! ਅੰਡਕੋਸ਼ ਦੀ ਦੀਵਾਰ ਵੀ ਸਖ਼ਤ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਕ ਫਲੀ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਸਾਰੇ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਨੂੰ ਫਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਬਾਹਰੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਅਤੇ ਅੰਦਰੂਨੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਦਾ ਕੀ ਅਰਥ ਹੈ ? ਪਰ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਅਤੇ ਸਵੈ-ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਵਿਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਵਧੇਰੇ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਾਹਰੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਅਤੇ ਅੰਦਰੂਨੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ – ਜਦੋਂ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਅਤੇ ਅੰਡੇ ਸਾਰੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਛੱਡ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਅਤੇ ਅੰਡੇ ਦਾ ਸੰਯੋਗ ਸਰੀਕ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਬਾਹਰੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜਿਵੇਂ-ਡੱਡੂ ਅਤੇ ਮੱਛੀਆਂ ਵਿੱਚ । ਅੰਦੂਰਨੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਵਿਚ ਨਰ ਆਪਣੇ ਸ਼ੁਕਰਾਣੁ ਮਾਦਾ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਛੱਡਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸ਼ੁਕਰਾਣੁ ਮਾਦਾ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਅੰਡੇ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਪੰਛੀਆਂ ਅਤੇ ਥਣਧਾਰੀਆਂ ਵਿੱਚ ।

ਪਰ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਅਤੇ ਸਵੈ-ਨਿਸ਼ੇਚਨ-
ਪਰ ਨਿਸ਼ੇਚਨ (Cross Fertilization) – ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਥੇ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਦੋ-ਲਿੰਗੀ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਇਹ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜੇ ਜਣਨ ਅੰਗ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸਮੇਂ ਤੇ ਪਰਿਪੱਕ ਹੋਣ । ਇਸ ਨਾਲ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਸਵੈ-ਨਿਸ਼ੇਚਨ (Self Fertilization) ਦੋ-ਲਿੰਗੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਜਿੱਥੇ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਅੰਗ ਇਕੋ ਸਮੇਂ ਤੇ ਹੀ ਪਰਿਪੱਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਸਵੈ-ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਧੀ ਵਿਚ ਪਿਤਰੀ ਗੁਣ ਪੀੜ੍ਹੀ-ਦਰ-ਪੀੜ੍ਹੀ ਕਾਇਮ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪਰਪਰਾਗਣ ਵਿਚ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਵਿਧਤਾਵਾਂ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਸਮਰੱਥਾ ਵੱਧਦੀ ਹੈ । ਜੀਵਨ ਦੇ ਨਵੇਂ ਯੁਗਮ ਬਣਨ ਵਿਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਧੀਆਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਵਿਚ ਜੀਵ ਖ਼ੁਦ ਗੁਣਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਅਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਧੀਆਂ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹਨ-
(1) ਦੋ ਖੰਡਨ (Binary fission) – ਦੋ ਖੰਡਨ ਵਿੱਚ ਜੀਵ ਦਾ ਸਰੀਰ ਲੰਬਾਈ ਦੇ ਰੁਖ ਤੋਂ ਦੋ ਬਰਾਬਰ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਹਰ ਭਾਗ ਜਣਕ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਣਨ ਦੀ ਇਹ ਵਿਧੀ ਪੋਟੋਜ਼ੋਆ (ਅਮੀਬਾ, ਪੈਰਾਮੀਸ਼ੀਅਮ ਆਦਿ) ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਇਹ ਵਿਧੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੀ ਸੈੱਲ ਵਿਭਾਜਨ ਦੀ ਵਿਧੀ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਸੰਤਾਨ ਸੈੱਲਾਂ ਦਾ ਵੱਖਰੇਵਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਬਹੁਕੋਸ਼ੀ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿਚ ਵੀ ਇਸ ਵਿਧੀ ਨੂੰ ਦੇਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਜਿਵੇਂ-ਸੀ-ਐਨੀਮੋਨ ਵਿਚ ਲੰਬਵਤ ਖੰਡਨ ਅਤੇ ਪਲੇਨੇਰੀਆ ਵਿਚ ਅਨੁਪ੍ਰਥ ਖੰਡਨ ।
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(2) ਡੰਗ (Budding) – ਬਡਿੰਗ ਜਾਂ ਮੁਕੁਲਨ ਇਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਨਵਾਂ ਜੀਵ ਜੋ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਛੋਟੇ ਪੁੰਜ ਦੇ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ, ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਜਨਕ ਜੀਵ ਵਿਚ ਬੱਡ (Bud) ਜਾਂ ਮੁਕੁਲ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਬੱਡ ਜਾਂ ਮੁਕੁਲ ਅਲੱਗ ਹੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਜਨਕ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰਨ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ , ਜਿਵੇਂ-ਬਾਹਰੀ ਮੁਕੁਲਨ ਵਿਚ ਜਾਂ ਜਨਕ ਤੋਂ ਵੱਖ ਹੋਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਆਂਤਰਿਕ ਮੁਕੁਲਨ ਵਿਚ ।

ਬਾਹਰੀ ਮੁਕੁਲਨ ਸਪੰਜ, ਸੀਲੇਂਟਰੇਟਾ (ਜਿਵੇਂ ਹਾਈਡਰਾ), ਚਪਟੇ ਕ੍ਰਿਮੀ ਅਤੇ ਟਿਉਨੀਕੇਟ ਵਿਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਪਰ ਕੁੱਝ ਸੀਲੇਟਰੇਟ ਜਿਵੇਂ ਔਬੇਲੀਆਂ ਪੋਲੀਪ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਮੈਡੂਯੁਸੀ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
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(3) ਖੰਡਨ (Fragmentation) – ਸਪਾਈਰੋਗਾਈਰਾ ਵਰਗੇ ਕੁੱਝ ਜੀਵ ਪੂਰਨ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਆਮ ਕਰਕੇ ਦੋ ਜਾਂ ਵੱਧ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਭਾਗ ਵਾਧਾ ਕਰਕੇ ਪੂਰਨ ਵਿਕਸਿਤ ਜੀਵ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਖੰਡਨ ਚਪਟੇ ਫ਼ਿਮੀ, ਰਿਬਨ ਕ੍ਰਿਮੀ ਅਤੇ ਐਨੇਲੀਡਾ ਸੰਘ ਦੇ ਪਾਣੀਆਂ ਵਿਚ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(4) ਬਹੁ-ਖੰਡਨ (Multiple fission) – ਕਦੇ-ਕਦੇ । ਪ੍ਰਤੀਕੂਲ ਹਾਲਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਸੈੱਲ ਦੇ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਇਕ ਸੁਰੱਖਿਆ ਪਰਤ ਜਾਂ ਭਿੱਤੀ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਅਜਿਹੀ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ ਪੁਟੀ (cyst) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪੁਟੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਸੈੱਲ ਕਈ ਵਾਰ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸੰਤਾਨ ਸੈੱਲ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਜਿਹੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਬਹੁਖੰਡਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪਟੀ (cyst) ਦੇ ਫਟਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
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(5) ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ (Vegetative reproduction) – ਜਦੋਂ ਪੌਦੇ ਦੇ ਕਿਸੇ ਬਨਸਪਤੀ ਅੰਗ ਜਿਵੇਂ-ਪੱਤਾ, ਤਣਾ ਅਤੇ ਜੜ੍ਹ ਤੋਂ ਨਵਾਂ ਪੌਦਾ ਉਗਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਨਰ ਜਣਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਚਿੱਤਰ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਰ ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਜੰਘਨਾਸਥੀ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਇਕ ਮਾਂਸਲ ਸੰਰਚਨਾ ਪੀਨਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਅੰਦਰ ਮੂਤਰਵਾਹਿਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ | ਪੀਨਸ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਉਸਦੀ ਜੜ੍ਹ ਵਿਚ ਇਕ ਮਾਂਸਲ ਥੈਲੀ ਜਾਂ ਪਤਾਲੂ ਥੈਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ
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ਵਿਚ ਅੰਡਾਕਾਰ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ ਪਤਾਲੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਪਤਾਲੂ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪਤਾਲੂ ਵਿਚ ਇਕ ਖ਼ਾਸ ਸੰਰਚਨਾ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਵਹਿਣੀ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਦੇ ਪੋਸ਼ਣ ਦੇ ਲਈ ਚਿਪਚਿਪਾ ਪਦਾਰਥ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਚਿਪਚਿਪੇ ਪਦਾਰਥ (ਵੀਰਜ) ਦੇ ਨਾਲ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਇੱਕ ਸੰਕਰੀ ਨਲੀ ਦੁਆਰਾ ਮੂਤਰ ਵਾਹਿਣੀ ਵਿਚ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ । ਜਿੱਥੋਂ ਪੀਨਸ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਮਾਦਾ ਦੀ ਯੋਨੀ ਵਿਚ ਛੱਡ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਪੀਨਸ ਮੁਤਰ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਯੁਕਤ ਵੀਰਜ ਦੋਨਾਂ ਨੂੰ ਹੀ ਬਾਹਰ ਕੱਢਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਭਾਗ ਹਨ-
(1) ਅੰਡਕੋਸ਼ (Ovary) – ਮਨੁੱਖੀ ਮਾਦਾ ਵਿੱਚ ਦੋ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਆਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਅੰਡਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਅੰਡੇ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਅੰਡਕੋਸ਼ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦੀ ਸਤਹਿ ਤੇ ਐਪੀਥੀਲੀਅਮ ਸੈੱਲਾਂ ਦੀ ਪਤਲੀ ਪਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਜਣਨ ਐਪੀਥੀਲੀਅਮ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਸੈੱਲ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੋ ਕੇ ਫੋਲੀਕਲ ਅਤੇ ਅੰਡਾ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਅੰਡਕੋਸ਼ ਦੀ ਗੁਹਾ ਵਿਚ ਸੰਯੋਜੀ ਟਿਸ਼ੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਟਰੋਮਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਹਰ ਫੋਕਲ ਵਿਚ ਇੱਕ ਜਣਨ ਸੈੱਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਸਟਰੋਮਾ ਦੇ ਸੈੱਲ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਅਰਧ ਸੁਤਰੀ ਵਿਭਾਜਨ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਜਣਨ ਸੈੱਲ ਅੰਡੇ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਐਸਟਰੋਜਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰੋਜੈਸਟਰੋਨ ਨਾਮਕ ਦੋ ਹਾਰਮੋਨ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਦੁਆਰਾ ਸਾਵਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਪ੍ਰਜਣਨ ਸੰਬੰਧੀ ਵਿਭਿੰਨ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦਾ ਨਿਯੰਤਰਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

(2) ਅੰਡ ਵਹਿਣੀ (Fallopian Tube) – ਇਹ ਰਚਨਾ ਨਲਿਕਾ ਜਾਂ ਟਿਊਬ ਵਰਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸਦਾ ਇਕ ਸਿਰਾ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦੂਸਰਾ ਸਿਰਾ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਦੇ ਨੇੜੇ ਖੁੱਲ੍ਹਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸਦੇ ਸਿਰੇ ਤੇ ਝਾਲਦਾਰ
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ਰਚਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਫੌਰੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਅੰਡਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਜਦੋਂ ਅੰਡਾ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਫਿਬਰੀ ਦੀ ਸੰਕੁਚਨ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅੰਡ ਵਹਿਣੀ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਥੋਂ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਵੱਲ ਵੱਧਦਾ ਹੈ । ਅੰਡ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਅੰਡ ਵਹਿਣੀ ਵਿਚ ਹੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਅੰਡੇ ਦਾ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਤਾਂ ਇਹ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਹੋ ਕੇ ਯੋਨੀ ਵਿਚ ਅਤੇ ਮਾਹਵਾਰੀ ਯੌਨੀ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(3) ਗਰਭਕੋਸ਼ ਜਾਂ ਬੱਚੇਦਾਨੀ (Uterus) – ਇਹ ਇਕ ਮਾਂਸਲ ਰਚਨਾ ਹੈ । ਫੈਲੋਪੀਅਨ ਨਲਿਕਾਵਾਂ ਇਸਦੇ ਦੋਨੋਂ ਪਾਸੇ ਉੱਪਰਲੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਖੁੱਲ੍ਹਦੀ ਹੈ । ਗਰਭਕੋਸ਼ ਦਾ ਹੇਠਲਾ ਸਿਰਾ ਘੱਟ ਚੌੜਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਯੋਨੀ ਵਿਚ ਖੁੱਲਦਾ ਹੈ । ਗਰਭਕੋਸ਼ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦੀ ਦੀਵਾਰ ਐਂਡਰੋਮੀਟਰੀਅਮ ਦੀ ਬਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਗਰਭਕੋਸ਼ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਜ ਨਿਸ਼ੇਸ਼ਿਤ ਅੰਡੇ ਨੂੰ ਵਾਧਾ ਕਾਲ ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਤੱਕ ਕਿ ਗਰਭ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਕੇ ਸ਼ਿਸ਼ੂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਜਨਮ ਨਾ ਲੈ ਲਵੇ, ਸਹਾਰਾ ਅਤੇ ਭੋਜਨ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨਾ ਹੈ ।

(4) ਯੌਨੀ (Vagina) – ਇਹ ਮਾਂਸਲ ਨਲਿਕਾ ਵਰਗੀ ਰਚਨਾ ਹੈ । ਇਸਦਾ ਪਿਛਲਾ ਭਾਗ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਦੀ ਸ੍ਰੀਵਾ ਵਿਚ ਖੁੱਲ੍ਹਦਾ ਹੈ । ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਮੂਤਰ ਨਿਸ਼ਕਾਸਨ ਲਈ ਵੱਖ ਛੇਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਯੌਨੀ ਵਿਚ ਖੁਲਦਾ ਹੈ ।

(5) ਭਗ (Vulva) – ਯੋਨੀ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਇੱਕ ਸੁਰਾਖ ਵਿਚ ਖੁਲ੍ਹਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਭਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
(ਉ) ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਨਾਲੋਂ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਿੰਨ ਹੈ ?
(ਅ) ਫੁੱਲ ਦੇ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਅੰਤਰ –

ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ (Pollination) ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ (Fertilization)
(1) ਉਹ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿਚ ਪਰਾਗਕਣ ਇਸਤਰੀ-ਕੇਸਰ ਦੇ ਸਟਿਗਮਾ ਤੱਕ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ, ਪਰਾਗਣ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ । (1) ਉਹ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿਚ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਕ ਮਿਲ ਕੇ ਯੁਗਮਜ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਚਰਨ ਹੈ । (2) ਇਹ ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਦੂਸਰਾ ਚਰਨ ਹੈ ।
(3) ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-ਸਵੈ-ਪਰਾਗਣ ਅਤੇ ਪਰ-ਪਰਾਗਣ । (3) ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਵੀ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-ਬਾਹਰੀ ਅਤੇ ਅੰਦਰੂਨੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ।
(4) ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਦੇ ਲਈ ਵਾਹਕਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (4) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਵਾਹਕਾਂ ਦੀ ਕੋਈ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(5) ਅਨੇਕ ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (5) ਇਸ ਵਿਚ ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
(6) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਖ਼ਾਸ ਲੱਛਣਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (6) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਖ਼ਾਸ ਲੱਛਣਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।

(ਅ) ਫੁੱਲ ਦਾ ਜਣਨ ਅੰਗ – ਪੁੰਕੇਸਰ ।
ਫੁੱਲ ਦਾ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਅੰਗ – ਇਸਤਰੀ-ਕੇਸਰ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ 12

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੇ ਲਾਭ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੇ ਲਾਭ-

  1. ਸਾਰੇ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਮਾਤਰੀ ਪੌਦੇ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਇੱਕ ਵਧੀਆ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਕਲਮ ਦੁਆਰਾ ਉਸਦੇ ਵਰਗੇ ਹੀ ਕਈ ਪੌਦੇ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  2. ਫਲਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਸਾਰੇ ਬੀਜ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਪਰ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪੂਰਨ ਸਮਾਨਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਹੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  4. ਉਹ ਪੌਦੇ ਜੋ ਬੀਜ ਦੁਆਰਾ ਸਰਲਤਾ ਨਾਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ, ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਕੇਲਾ, ਅੰਗੂਰ, ਸੰਤਰੇ ਆਦਿ ਦੀ ਖੇਤੀ ਇਸੇ ਪ੍ਰਕਾਰ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੁਨਰਜਣਨ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੁਨਰਜਣਨ – ਸਰੀਰ ਦੇ ਕੱਟੇ ਹੋਏ ਕਿਸੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਪੂਰਨ ਜੀਵ ਬਣਾ ਲੈਣਾ ਜਾਂ ਫਿਰ ਤੋਂ ਵਿਕਸਿਤ ਕਰ ਲੈਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ਪੁਨਰਜਣਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ | ਸਟਾਰ ਫਿਸ਼ ਕੱਟੀ ਹੋਈ ਬਾਜੂ ਨੂੰ ਫਿਰ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਸਪਾਈਰੋਗਾਈਰਾ, ਹਾਈਡਰਾ, ਪਲੈਨੇਰੀਆ ਆਦਿ ਇਸ ਵਿਧੀ ਨਾਲ ਜਣਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਟਿਸ਼ੂ ਕਲਚਰ (Tissue Culture) ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਟਿਸ਼ੂ ਕਲਚਰ (Tissue Culture) – ਇਸ ਵਿਧੀ ਵਿਚ ਪੌਦੇ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂ ਜਾਂ ਵੱਧਦੇ ਸਿਰੇ ਦੀ ਨੋਕ ਤੋਂ ਉਸ ਦੇ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕਰਕੇ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਉਗਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇੱਕ ਬੀਕਰ ਵਿੱਚ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤਾਂ ਤੋਂ ਯੁਕਤ ਮਾਧਿਅਮ ਲੈ ਕੇ ਉਸ ਵਿਚ ਅਨੁਕੂਲ ਹਾਲਤਾਂ ਵਿੱਚ ਟਿਸ਼ੂ ਦੇ ਟੁੱਕੜੇ ਨੂੰ ਰੱਖ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਬੀਕਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਉਸ ਟਿਸ਼ੂ ਦਾ ਵਾਧਾ ਇੱਕ ਅਸੰਗਤ ਪਿੰਡ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਕੈਲਸ (Callus) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੈਲਸ ਦਾ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਭਾਗ ਇਕ ਹੋਰ ਮਾਧਿਅਮ ਵਿਚ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਛੋਟੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਵਿਭੇਦਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਬਹੁਤ ਹੀ ਛੋਟੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਗਮਲੇ ਜਾਂ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਰੋਪਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਪੌਦਾ ਬਣ ਕੇ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਰਾਈਜ਼ੋਪਸ ਵਿੱਚ ਬੀਜਾਣੁਆਂ ਤੋਂ ਨਵੇਂ ਜੀਵ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਈ ਸਰਲ ਬਹੁਕੋਸ਼ੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਜਣਨ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ ਪਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਨਮੀ ਯੁਕਤ ਬੈਡ ਤੇ ਧਾਗੇ ਦੇ ਸਮਾਨ ਕੁਝ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਰਾਈਜ਼ੋਪਸ ਦੇ ਹਾਈਵੇ (Hyphae) ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਾਈਵੇ ਦੇ ਸਿਰੇ ਤੇ ਗੋਲ ਸੂਖ਼ਮ ਗੁੱਛੇ ਬਣਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਪੋਰੇਜੀਆ (Sporangia) ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਗੁੱਛੇ ਬੀਜਾਣੂਧਾਨੀ ਹਨ ਜਿਸ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੈੱਲ ਜਾਂ ਬੀਜਾਣੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਬੀਜਾਣੂ ਵਾਧਾ ਕਰਕੇ ਰਾਈਜ਼ੋਪਸ ਦੇ ਨਵੇਂ ਜੀਵ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਬੀਜਾਣੂ ਦੇ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਇੱਕ ਮੋਟੀ ਕਿੱਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਪ੍ਰਤੀਕੂਲ ਹਾਲਾਤਾਂ ਵਿਚ ਉਸਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਨਮ ਸਤਹਿ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਆਉਣ ਤੇ ਇਹ ਵਾਧਾ ਕਰਨ ਲਗਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਾਹਵਾਰੀ ਦੇ ਬੰਦ ਹੋਣ ਦਾ ਕੀ ਕਾਰਨ ਹੈ ? ਚਿੱਤਰ-ਰਾਈਜ਼ੋਪਸ ਵਿੱਚ ਬੀਜਾਣੂ ਜਣਨ
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਭਰੂਣ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਪਲੇਸੈਂਟਾ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਪਲੇਸੈਂਟਾ ਐਸਟਰੋਜਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰੋਜੇਸਟਰੋਜਨ ਹਾਰਮੋਨ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਮਾਹਵਾਰੀ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਿਸ਼ੇਚਿਤ ਅੰਡਾ ਬਾਰ-ਬਾਰ ਮਾਈਟੋਟਿਕ ਵਿਭਾਜਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸੈੱਲਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਪੁੰਜ ਜਿਹਾ ਬਣਦਾ ਹੈ ਜੋ ਅੰਡਵਾਹਨੀ ਤੋਂ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਤੱਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਥੇ ਇਹ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਦੀਆਂ ਗਰਭ ਦੀਵਾਰਾਂ ਵਿਚ ਧਸ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਕਰਨਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਮੈਨੋਪਾਜ਼ (Menopause) ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਨੋਪਾਜ਼ – ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਾਹਵਾਰੀ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਬੰਦ ਹੋਣ ਨੂੰ ਮੈਨੋਪਾਜ਼ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਮਨੁੱਖੀ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਇਹ 45-50 ਸਾਲ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਮੈਨੋਪਾਜ਼ ਦੇ ਬੰਦ ਹੋਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਇਸਤਰੀ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਇੱਕ ਲਿੰਗੀ ਅਤੇ ਦੋ ਲਿੰਗੀ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿੰਦੇ ਹੋਏ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਲਿੰਗੀ – ਉਹ ਜੀਵ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਸਪੱਸ਼ਟ ਰੂਪ ਨਾਲ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੋਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਲਿੰਗੀ ਜੀਵ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ – ਮਨੁੱਖ ।
ਦੋ-ਲਿੰਗੀ – ਜਿਹੜੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਲਿੰਗ ਇਕੋ ਵੇਲੇ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੋ-ਲਿੰਗੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ – ਗੰਡੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪੁਰਸ਼ ਅਤੇ ਇਸਤਰੀ ਦੇ ਸੈਕੰਡਰੀ ਲਿੰਗੀ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਨਰ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨ-

  1. ਆਵਾਜ਼ ਵਿਚ ਭਾਰੀਪਣ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਦਾੜੀ ਅਤੇ ਮੁੱਛਾਂ ਉੱਗ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਤੇ ਵਾਲ ਉੱਗ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।
  4. ਪੀਨਸ ਦਾ ਆਕਾਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦਿਨ ਜਾਂ ਰਾਤ ਦੇ ਸੁਪਨਿਆਂ ਵਿਚ ਉਸਦਾ ਅਕੜਾਅ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਮੋਡੇ ਚੌੜੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  6. ਉਲਟ ਲਿੰਗ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਨ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(ਅ) ਮਾਦਾ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨ-

  1. ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਤੇ ਵਾਲ ਉੱਗ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।
  2. ਛਾਤੀਆਂ ਵੱਡੀਆਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਮਹਾਮਾਰੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  4. ਕੁਲਿਆਂ ਦੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਚਰਬੀ ਇਕੱਠੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  5. ਉਲਟ ਲਿੰਗ ਪ੍ਰਤੀ ਖਿੱਚ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  6. ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਅੰਡੇ ਅਤੇ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਵਿਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

ਅੰਡੇ (Ovum) ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ (Sperm)
(1) ਇਹ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਸੈੱਲ ਹੈ । (1) ਇਹ ਨਰ ਜਣਨ ਸੈੱਲ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਆਕਾਰ ਵਿਚ ਵੱਡਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (2) ਇਹ ਅੰਡੇ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਆਕਾਰ ਵਿਚ ਛੋਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(3) ਇਸਦੀ ਪੂਛ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । (3) ਇਸਦੀ ਪੁਛ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(4) ਇਹ ਤੈਰ ਨਹੀਂ ਸਕਦੇ ।
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(4) ਇਹ ਪੂਛ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਤੈਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਲਿੰਗੀ ਅਤੇ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲਿੰਗੀ ਅਤੇ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ (Sexual Reproduction) ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ (Asexual Reproduction)
(1) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਦੋਨਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । (1) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਦੋਵਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(2) ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਜਣਨ ਉੱਚ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (2) ਇਹ ਨਿਮਨ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(3) ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਬਾਅਦ ਜੀਵ ਬਣਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਦਾ ਹੈ । (3) ਅਲਿੰਗੀ ਜੀਵ ਵਿਚ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(4) ਇਸ ਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਪੈਂਦਾ ਸੰਤਾਨ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਗੁਣ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । (4) ਇਸ ਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਸੰਤਾਨ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਗੁਣ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦੇ ।
(5) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਬੀਜਾਣੂ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । (5) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਇਕ ਸੈੱਲੀ ਬੀਜਾਣੁ (ਜਿਵੇਂ ਫਫੁਦੀ ਵਿਚ) ਪੈਦਾ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਨਰ ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਪਤਾਲੂ ਸਰੀਰ ਦੇ ਬਾਹਰ ਕਿਉਂ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਰ ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਪਤਾਲੂ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਪਤਾਲੂ-ਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਉਦਰ ਗੁਹਿਕਾ ਦੇ ਬਾਹਰ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸ਼ੁਕਰਾਣੂਆਂ ਦੇ ਜਣਨ ਦੇ ਲਈ ਨਿਮਨ ਤਾਪ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੇ ਲਈ ਅਜਿਹਾ ਸੰਭਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂਕਿ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਦੇਰ ਤੱਕ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਰਹਿ ਸਕਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਏਡਸ (AIDS) ਤੇ ਸੰਖੇਪ ਟਿੱਪਣੀ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਏਡਸ (AIDS) – ਏਡਸ (ਐਕਵਾਇਰਡ ਇਮੂਊਨੋ ਡੇਫੀਸ਼ਿਐਂਸੀ ਸਿੰਡਰੋਮ) ਨਾਮਕ ਰੋਗ ਇਕ ਅਜਿਹੇ ਵਿਸ਼ਾਣੂ (Virus) ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਸਰੀਰ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀਰੱਖਿਅਣ ਸੰਸਥਾਨ ਨੂੰ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਕਾਰਨ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਕੋਈ ਵੀ ਰੋਗ ਸਰਲਤਾ ਨਾਲ ਲੱਗ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸਦੇ ਵਾਇਰਸ ਦਾ ਨਾਮ HIV ਹੈ । ਏਡਸ ਦੇ ਰੋਗੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਸਰੀਰ ਤੇ ਹੋਏ ਹੋਰ ਹਮਲਿਆਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਮਰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਰੋਗ ਸੰਕਰਮਿਤ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਨਾਲ ਯੌਨ ਸੰਬੰਧ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਨਾਲ ਫੈਲਦਾ ਹੈ ਪਰ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਇਸਦੇ ਵਿਸ਼ਾਣੂ ਸਿੱਧੇ ਹੀ ਲਹੂ ਵਿੱਚ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਅਜਿਹਾ ਉਦੋਂ ਹੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਲਹੂ ਚੜ੍ਹਾਉਣ ਸਮੇਂ ਚੜਾਇਆ ਗਿਆ ਹੂ ਸੰਕਰਮਿਤ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਟੀਕਾ ਲਗਾਉਣ ਦੇ ਲਈ ਸੰਕਰਮਿਤ ਸੂਈ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੋਵੇ । ਇਹ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੋਗ ਨਾਲ ਸੰਕਰਮਿਤ ਮਾਤਾਵਾਂ ਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਵੀ ਇਹ ਰੋਗ ਮਾਤਾ ਦੇ ਲਹੁ ਦੁਆਰਾ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸਦੇ ਉਪਚਾਰ ਦਾ ਕੋਈ ਵੀ ਟੀਕਾ ਜਾਂ ਦਵਾਈ ਅਜੇ ਤੱਕ ਉਪਲੱਬਧ ਨਹੀਂ ਹੋਈ । ਇਸ ਰੋਗ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਅਸਰ ਅਫ਼ਰੀਕਾ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਹੈ । ਅਗਿਆਨਤਾ, ਗ਼ਰੀਬੀ ਅਤੇ ਅਨਪੜ੍ਹਤਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਾਡਾ ਦੇਸ਼ ਇਸ ਰੋਗ ਦੇ ਚੁੰਗਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਮਨੁੱਖੀ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਅੰਗ ਦਾ ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਕਿਸ਼ੋਰ ਅਵਸਥਾ ਦੌਰਾਨ ਲੜਕੀਆਂ (ਕੁੜੀਆਂ) ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ ਪਰਿਵਰਤਨ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਨਰ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨ-

  1. ਆਵਾਜ਼ ਵਿਚ ਭਾਰੀਪਣ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਦਾੜੀ ਅਤੇ ਮੁੱਛਾਂ ਉੱਗ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਤੇ ਵਾਲ ਉੱਗ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।
  4. ਪੀਨਸ ਦਾ ਆਕਾਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦਿਨ ਜਾਂ ਰਾਤ ਦੇ ਸੁਪਨਿਆਂ ਵਿਚ ਉਸਦਾ ਅਕੜਾਅ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਮੋਡੇ ਚੌੜੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  6. ਉਲਟ ਲਿੰਗ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਨ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(ਅ) ਮਾਦਾ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨ-

  1. ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਤੇ ਵਾਲ ਉੱਗ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।
  2. ਛਾਤੀਆਂ ਵੱਡੀਆਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਮਹਾਮਾਰੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  4. ਕੁਲਿਆਂ ਦੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਚਰਬੀ ਇਕੱਠੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  5. ਉਲਟ ਲਿੰਗ ਪ੍ਰਤੀ ਖਿੱਚ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  6. ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Very Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
DNA ਦਾ ਪੂਰਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਡਿਆਕਸੀਰਾਈਬੋ ਨਿਉਕਲੀ ਐਸਿਡ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕਿਹੜੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਇਕੋ ਵੇਲੇ ਕਈ ਸੰਤਾਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਭਾਜਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਲੇਰੀਆ ਪਰਜੀਵੀ, ਪਲਾਜ਼ਮੋਡੀਅਮ ਵਰਗੇ ਇੱਕ ਕੋਸ਼ੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੈਲਸ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਟਿਸ਼ੂ ਸੰਵਰਧਨ ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਸੈੱਲ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੋ ਕੇ ਅਨੇਕ ਸੈੱਲਾਂ ਦਾ ਛੋਟਾ ਸਮੂਹ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਕੈਲਸ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਫੁੱਲ ਦੇ ਜਣਨ ਭਾਗ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੁੰਕੇਸਰ ਅਤੇ ਇਸਤਰੀ-ਕੇਸਰ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇਕ ਲਿੰਗੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਪਪੀਤਾ,
  2. ਤਰਬੂਜ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦੋ ਲਿੰਗੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੁਹਲ,
  2. ਸਰੋਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕਲਮ ਅਤੇ ਦਾਬ ਲਗਾ ਕੇ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਦੇ ਦੋ ਮੁੱਖ ਲਾਭ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਸਾਰੇ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਮੁਲ ਪੌਦੇ ਜਾਂ ਮਾਤਰੀ ਪੌਦੇ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  2. ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਰਾਗਣ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਰਾਗਣ – ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦੇ ਇਸਤਰੀ-ਕੇਸਰ ਦੇ ਸਟਿਗਮਾ ਤੱਕ ਪੁੱਜਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪਰਾਗਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਬਾਅਦ ਯੁਗਮਨਜ਼ ਵਿੱਚ ਕੀ ਬਣਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਰੁਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਤਾਂ ਨੂੰ ਕੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਰ ਯੁਰਮਕ-ਸ਼ੁਕਰਾਣੁ ।
ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਕ-ਅੰਡਾਣੁ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਫੀਟਸ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਦੇ ਦੋ ਜਾਂ ਤਿੰਨ ਮਹੀਨੇ ਬਾਅਦ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਰਹੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਫੀਟਸ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਵੀਰਜ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਵੀਰਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਦਾ ਸਾਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਪਲੇਸੈਂਟਾ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭਵਤੀ ਮਾਂ ਦੇ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਦੀ ਦੀਵਾਰ ਅਤੇ ਭਰੂਣ ਦੀ ਤਿੱਲੀ ਦੇ ਸੰਯੋਜਨ ਦੀ ਇਕ ਨਾਲ ਦੀ ਰਚਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਔਲ ਦਾ ਗਰਭ ਨਾਲ ਜਾਂ ਪਲੇਸੈਂਟਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪਲੇਸੈਂਟਾ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਲਹੂ ਸੈੱਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਮਾਤਾ ਦਾ ਲਹੁ ਭਰੁਣ ਜਾਂ ਗਰਭ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਆਉਂਦਾ ਜਾਂਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਪੁਨਰਜਣਨ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਪਾਣੀ ਦਾ ਇਕ ਉਦਾਹਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਟਾਰਫਿਸ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਜਵਾਨੀ ਦੀ ਉਮਰ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੁੰਡਿਆਂ ਵਿਚ 13-14 ਸਾਲ, ਲੜਕੀਆਂ ਵਿੱਚ 10-12 ਸਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਗਰਭਕਾਲ ਕਿੰਨਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਗਭਗ 9 ਮਹੀਨੇ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
IUCD ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
IUCD (ਇੰਟਰਾਯੂਟੀਰੀਨ ਕੰਟਰਾਸੈਪਟਿਵ ਡਿਵਾਈਸ) ਨਾਰੀ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਵਿੱਚ ਲਗਾਈ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਇੱਕ ਯੁਕਤੀ ਹੈ ਜੋ ਗਰਭ ਨਿਰੋਧਕ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
STD ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
STD (Sexually Transmitted Disease) ਯੌਨ ਸੰਕਰਮਿਤ ਰੋਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਦੋ ਯੌਨ ਰੋਗਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੋਨੋਰੀਆ,
  2. ਸਿਫਲਿਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰ ਕਿਸ ਜੀਵ ਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਕਿਹੜੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ 18
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵ ਦਾ ਨਾਂ : ਅਮੀਬਾ
ਕਿਰਿਆ : ਪੋਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰ ਵਿਚ ਅਮੀਬਾ ਦੀ ਕਿਹੜੀ ਜੀਵਨ ਕਿਰਿਆ ਦਰਸਾਈ ਗਈ ਹੈ ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ 19
ਉੱਤਰ-
ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਦੀਆਂ ਦੋ-ਖੰਡਨ ਵਿਧੀ ।

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਬਡਿੰਗ ਦੁਆਰਾ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਉਹ ਹੈ :
(a) ਅਮੀਬਾ
(b) ਯੀਸਟ
(c) ਪਲਾਜਮੋਡੀਅਮ
(d) ਲੇਸ਼ਮਾਨੀਆ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਯੀਸਟ (Yeast) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਭਾਗ ਨਹੀਂ :
(a) ਅੰਡਕੋਸ਼
(b) ਗਰਭਭੋਸ਼
(c) ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਵਾਹਿਣੀ
(d) ਫੈਲੋਪੀਅਨ ਟਿਊਬ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਵਾਹਿਣੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਯੀਸਟ ਵਿੱਚ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
(a) ਬਡਿੰਗ ਦੁਆਰਾ
(b) ਵਿਖੰਡਨ ਦੁਆਰਾ
(c) ਬੀਜਾਣੂ ਦੁਆਰਾ
(d) ਰੋਪਣ ਦੁਆਰਾ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਬਡਿੰਗ ਦੁਆਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਵਿਖੰਡਨ ਦੁਆਰਾ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
(a) ਅਮੀਬਾ ਵਿੱਚ
(b) ਯੀਸਟ ਵਿੱਚ
(c) ਸਪਾਇਰੋਗਾਇਰਾ ਵਿੱਚ
(d) ਫਰਨ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਸਪਾਇਰੋਗਾਇਰਾ ਵਿੱਚ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਹਾਈਡਰਾ ਵਿੱਚ ਅਨੁਕੂਲ ਪਰਿਸਥਿਤੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
(a) ਵਿਖੰਡਨ ਦੁਆਰਾ
(b) ਬਡਿੰਗ ਦੁਆਰਾ
(c) ਬੀਜਾਣੂਆਂ ਦੁਆਰਾ
(d) ਦੋ-ਖੰਡਨ ਦੁਆਰਾ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਬਡਿੰਗ ਦੁਆਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
(a) ਦੂਬ ਘਾਹ ਵਿੱਚ
(b) ਆਲੂ ਵਿੱਚ
(c) ਬਰਾਇਓਫਿਲਮ ਵਿੱਚ
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਇਸਤਰੀਆਂ ਵਿੱਚ ਮਾਹਵਾਰੀ ਚੱਕਰ ਪੂਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
(a) 14 ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ
(b) 21 ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ
(c) 28 ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ
(d) 30 ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(b) 21 ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਕਿਹੜਾ ਹਾਰਮੋਨ ਲੜਕੀਆਂ ਵਿੱਚ ਜੋਬਨ ਅਵਸਥਾ ਦੇ ਲੱਛਣਾਂ ਨੂੰ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
(a) ਐਸਟਰੋਜਨ
(b) ਟੇਸਟੋਸਟੀਰੋਨ
(c) ਥਾਇਰਾਕਸਿਨ
(d) ਇੰਸੂਲਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਐਸਟਰੋਜਨ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰਨਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

(i) ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਮੇਲ ਨਾਲ ਬਣੀ ਰਚਨਾ ਨੂੰ ……………. ਆਖਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਯੁਗਮਨਜ

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

(ii) ਜਨਣ ਅੰਗਾਂ ਵਿੱਚ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਸੈੱਲ ਵੰਡ ਨਾਲ …………….. ਸੈੱਲ ਬਣਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਜਣਨ

(iii) ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਜੀਵਨ ……………… ਸੈੱਲ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਕ

(iv) ਜਦੋਂ ਵਾਧਾ ਇਕ ਨਿਸਚਿਤ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸਨੂੰ ……………… ਆਖਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਰਿਵਰਧਨ

(v) ਅਮੀਬਾ ਵਿੱਚ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ……………… ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੋਖੰਡਨ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਵੱਡੇ ਉੱਚਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਕੇ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਭਾਗਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 1
ਦਿਮਾਗ਼-ਮਨੁੱਖੀ ਦਿਮਾਗ਼ ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਿਕਸਿਤ ਕੋਮਲ ਅੰਗ ਹੈ ਜੋ ਖੋਪੜੀ ਦੀਆਂ ਹੱਡੀਆਂ (Skull) ਵਿਚ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸਦੇ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਤਿੰਨ ਲਿੱਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਜੋ ਇਕ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਨਾਲ ਘਿਰੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਮੁੱਖ ਤਿੰਨ ਭਾਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-
(i) ਅਗਲਾ ਦਿਮਾਗ਼ (Fore brain)
(ii) ਮੱਧ ਦਿਮਾਗ਼ (Mid brain)
(iii) ਪਿਛਲਾ ਦਿਮਾਗ਼ (hind brain)

(i) ਅਗਲਾ ਦਿਮਾਗ਼ (Fore brain) – ਪੁਰੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਦੋ ਤਿਆਹੀ ਹਿੱਸਾ ਅਗਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਮੁੱਖ ਭਾਗ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਕਈ ਲੋਕ ਇਸ ਨੂੰ ਵੱਡਾ ਦਿਮਾਗ਼ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਅਗਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਖੇਤਰ ਹਨ ਜੋ ਸੁਣਨ, ਸੁੰਘਣ, ਦੇਖਣ ਆਦਿ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ੀਕ੍ਰਿਤ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਲਈ ਵੱਖ ਖੇਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿੱਥੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੰਵੇਦੀ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਨੂੰ, ਹੋਰ ਗ੍ਰਹੀਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਇਕੱਤਰ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਨਾਲ ਇਕੱਠਾ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਭਾਵ ਕੱਢਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਸਭ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਇਕ ਫੈਸਲਾ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਤਿਕਿਰਿਆ ਕਿਵੇਂ ਹੋਵੇ ਅਤੇ ਸੂਚਨਾ ਪ੍ਰੇਰਕ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਪਹੁੰਚਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜੋ ਇੱਛੁਕ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਦੀ ਗਤੀ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਵੇਂ; ਕਿ ਸਾਡੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਦੀਆਂ ਗਤੀਆਂ | ਅਗਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਭੁੱਖ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਖੇਤਰ ਵੀ ਹੈ ।

ਅਗਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਕਾਰਜ-

  1. ਇਹ ਸਾਰੇ ਸੰਵੇਦੀ ਅੰਗਾਂ ਦੇ ਸੰਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ, ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ, ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਾਰਜ ਕਰਨ ਦਾ ਆਦੇਸ਼ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਉਦੀਨਾਂ ਅਤੇ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਸੰਤੁਲਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਇਹ ਪਿਛਲੇ ਅਨੁਭਵ ਅਤੇ ਯਾਦਾਂ ਦੇ ਅਧਾਰ ‘ਤੇ ਸਾਡੇ ਵਿਵਹਾਰ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਗਿਆਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

(ii) ਮੱਧ ਦਿਮਾਗ਼ (Mid brain) – ਇਹ ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਮੱਧ ਭਾਗ ਹੈ । ਜੋ ਅਗਲੇ ਅਤੇ ਪਿਛਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਨੂੰ ਆਪਸ ਵਿਚ ਜੋੜਦਾ ਹੈ । ਸਾਧਾਰਣ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਪੁਤਲੀ ਦੇ ਆਕਾਰ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਅਤੇ ਕੁਝ ਸੋਚ ਕੇ ਕੀਤੀ ਕਿਰਿਆ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਕੁਰਸੀ ਖਿਸਕਾਉਣਾ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਕ ਹੋਰ ਨਿਯੰਤਰਨ ਪੇਸ਼ੀ ਗਤੀਆਂ ਦਾ ਸੈੱਟ ਹੈ । ਜਿਸ ਉੱਤੇ ਸਾਡੇ ਸੋਚਣ ਦਾ ਕੋਈ ਕੰਟਰੋਲ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੁੱਝ ਮੱਧ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

(iii) ਪਿਛਲਾ ਦਿਮਾਗ਼ (Hind brain) – ਇਸ ਨੂੰ ਛੋਟਾ ਦਿਮਾਗ਼ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਾਂ । ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਮੈਡੂਲਾ ਅਤੇ ਸੈਰੀਬੈਲਮ ਹੈ ।
ਸੈਰੀਬੈਲਮ ਦੀ ਰਚਨਾ ਬਹੁਤ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਹੈ । ਇਹ ਠੋਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਅਗਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਬਿਲਕੁਲ ਹੇਠਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਗਤੀਆਂ ਦਾ ਠੀਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਾਲ ਨਿਯੰਤਰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਸਾਡਾ ਚਲਣਾ, ਦੌੜਨਾ, ਭੱਜਣਾ, ਉੱਠਣਾ, ਬੈਠਣਾ, ਨੱਚਣਾ ਆਦਿ ਇਸੇ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਦੇ ਤਿਕੋਨੇ ਭਾਗ ਨੂੰ ਮੈਡੂਲਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਨ, ਸਾਹ, ਪਾਚਨ ਆਦਿ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 2
ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ (Spinal Cord) ਮੈਂਡੂਲਾ ਆਬਲਾਂਗੇਟਾ ਖੋਪੜੀ ਦੇ ਮਹਾਰੰਧਰ ਤੋਂ ਨਿਕਲ ਕੇ ਰੀੜ੍ਹ ਦੀ ਹੱਡੀ ਦੇ ਮਣਕਿਆਂ (Vertabral) ਦੇ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲ ਕੇ ਹੇਠਾਂ ਤੱਕ ਫੈਲੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਮੇਰੂਰਜੂ ਜਾਂ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਉੱਪਰ ਡਿਉਰਾਮੀਟਰ, ਐਰੇੜਾਈਡ ਅਤੇ ਪਿਓਮੈਟ ਨਾਮਕ ਤਿੰਨ ਬਿੱਲੀਆਂ ਉਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਰੀੜ੍ਹ ਤੋਂ ਨਿਸਚਿਤ ਦੂਰੀਆਂ ‘ਤੇ 31 ਜੋੜੇ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀਆਂ ਨਿਕਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਲਗਭਗ 45 ਸੈਂ. ਮੀ. ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਮੇਰੂਰਜੂ ਜਾਂ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਦੇ ਕਾਰਜ-

  1. ਇਹ ਸਾਧਾਰਨ ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਜਿਵੇਂ ਗੋਡੇ ਦੇ ਝਟਕੇ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਉੱਤਰ, ਖੁਦ ਚਾਲਿਤ ਪ੍ਰਤੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਜਿਵੇਂ ਮੂਤਰ ਮਸਾਨੇ ਦਾ ਸੁੰਗੜਨਾ ਆਦਿ ਦੇ ਤਾਲਮੇਲ ਕੇਂਦਰ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਦਿਮਾਗ਼ ਅਤੇ ਸੁਖਮਨਾ ਦੇ ਵਿਚ ਸੰਚਾਰ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਢੁੱਕਵੀਂ ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਕੇ ਪਰਿਭਾਸ਼ਿਤ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਾਹਰੀ ਪਰਿਵਰਤਨਾਂ ਜਾਂ ਉਦੀਨਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇੱਛਤ (Voluntary) ਅਤੇ ਅਣਇੱਛਤ (Involuntary) 1 ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਪਾਣੀ ਦੀ ਚੇਤਨਾ ਜਾਂ ਇੱਛਾ ਸ਼ਕਤੀ ਦੇ ਅਧੀਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ | ਆਜ਼ਾਦ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ (Automatic & Reflex) ਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੈਹਿਕ (Somatic) ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਰਥਾਤ ਰੇਖਿਤ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਅਤੇ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਜਾਂ ਮੇਰੂਰਜੂ ਭਾਗ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਜੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਕਿਸੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਸੂਈ ਚੁਭ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਸਰੀਰ ਉਸ ਭਾਗ ਨੂੰ ਉੱਥੋਂ ਹਟਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 3

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਨੂੰ ਕਿੰਨੇ ਵਰਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ? ਹਰੇਕ ਦੇ ਕਾਰਜ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦੇ ਕੁਝ ਖ਼ਾਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਪੂਰੇ ਪੌਦੇ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਪੌਦਾ ਵਾਧਾ ਨਿਯੰਤਰਕ ਜਾਂ ਪਾਪ ਹਾਰਮੋਨਸ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚਾਰ ਵਰਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਰਗ ਹਨ-
(i) ਆਕਸਿਨ
(ii) ਜਿਬੇਰਲਿਨ
(iii) ਸਾਈਟੋਕਾਇਨਿਨ
(iv) ਐਬਸਿਸਿਕ ਹਾਰਮੋਨ ।
ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਜ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 4

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਕੁੱਝ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਦੀ ਸਾਰਣੀ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਕੁਝ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਾਰਮੋਨ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 5
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 6

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦੋ ਨਿਊਰਾਨਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਸਾਈਨੈਪਸ ਤੇ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਾਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਦੋ ਨਿਉਰਾਨ ਇੱਕ-ਦੂਸਰੇ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਲੜੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸੂਚਨਾ ਅੱਗੇ ਭੇਜਦੇ ਹਨ । ਸੂਚਨਾ ਇੱਕ ਨਿਉਰਾਨ ਦੇ ਡੈਂਡਰਾਈਟ ਦੀ ਨੋਕ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਕ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਇੱਕ ਬਿਜਲੀ ਆਵੇਗ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਆਵੇਗ ਡੈਂਡਰਾਈਟ ਤੋਂ ਸੈੱਲਾਂ ਤੱਕ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸੈੱਲ ਬਾਡੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੋਇਆ ਇਸਦੇ ਅੰਤਿਮ ਸਿਰੇ ਤੱਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੈੱਲ ਬਾਡੀ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਆਵੇਗ ਦੁਆਰਾ ਕੁੱਝ ਰਸਾਇਣਾਂ ਨੂੰ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਰਸਾਇਣ ਨਾੜੀ ਪੇਸ਼ੀ ਜੰਕਸ਼ਨ ਜਾਂ ਸਿਨੈਪਸ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਕੇ ਅਗਲੇ ਨਾੜੀ ਸੈੱਲ ਦੀ ਡੈਂਡਰਾਈਟ ਉੱਤੇ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਿਜਲੀ ਆਵੇਗ ਆਰੰਭ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਨਾੜੀ ਆਵੇਗ ਦੀ ਸਾਧਾਰਨ ਯਾਤਰਾ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਕ ਸਿਲੈਪ ਅਜਿਹੇ ਆਵੇਗਾਂ ਨੂੰ ਨਿਊਰਾਨਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੇ ਸੈੱਲਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਪੇਸ਼ੀ ਸੈੱਲ ਜਾਂ ਗੰਥੀਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 7

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 8 ਨੂੰ ਅੰਕਿਤ ਕਰੋ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 9
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 10

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹਾਰਮੋਨ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਾਰਮੋਨ-ਜੀਵ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਅੰਦਰਰਿਸਾਵੀ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰਮੋਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਤਾਲਮੇਲ ਸੰਤੁਲਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਹਨ-

  1. ਇਹ ਅੰਦਰੂਨੀ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  2. ਇਹ ਸਿੱਧੇ ਲਹੂ ਵਿਚ ਮਿਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਹ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸੰਦੇਸ਼ਵਾਹਕ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਇਹ ਸਿਰਫ ਸੰਬੰਧਿਤ ਅੰਗ ਦੇ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਹੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  5. ਰਸਾਇਣਿਕ ਰੂਪ ਵਿਚ ਇਹ ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਸਟੀਰਾਇਡ ਅਤੇ ਅਮੀਨੋ ਅਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  6. ਇਹ ਘੱਟ ਅਣੂ ਭਾਰ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲਣ ਵਾਲੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  7. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ ਜਿਹੀ ਮਾਤਰਾ ਹੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਕਰਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।
  8. ਇਹ ਸੈੱਲ ਝਿੱਲੀ ਦੇ ਆਰ-ਪਾਰ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  9. ਇਹ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਜਮ੍ਹਾਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
  10. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਲਗਾਤਾਰ ਹੁੰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਨੂੰ ਮਾਸਟਰ ਗ੍ਰੰਥੀ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਇੱਕ ਛੋਟੀ ਗੋਲ ਗ੍ਰੰਥੀ ਹੈ ਜੋ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਅਧਾਰ ਦੇ ਤਲ ਤੇ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਸਰੀਰ ਦਾ ਸ਼ਾਇਦ ਹੀ ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਅੰਗ ਹੋਵੇ ਜੋ ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਨਾ ਹੁੰਦਾ ਹੋਵੇ । ਇਸੀ ਕਾਰਨ ਇਸ ਨੂੰ ਮਾਸਟਰ ਗ੍ਰੰਥੀ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਤੋਂ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਾਰਮੋਨਸ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

  1. ADH (ਐਂਟੀ-ਡਾਈਯੂਰੇਟਿਕ ਹਾਰਮੋਨ)
  2. ACTH
  3. FSH
  4. TSH
  5. ਵਾਧਾ ਹਾਰਮੋਨਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਇੰਸੂਲਿਨ ਅਤੇ ਥਾਇਰਾਕਸੀਨ ਦੀ ਕਮੀ ਅਤੇ ਅਧਿਕਤਾ ਨਾਲ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਇਕ ਇਕ ਬਿਮਾਰੀ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇੰਸੂਲਿਨ :
ਕਮੀ ਤੋਂ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਰੋਗ – ਸ਼ੱਕਰ ਰੋਗ
ਵਾਧੇ ਤੋਂ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਰੋਗ – ਹਾਈਪੋਰਾਲਾਈਸੇਮੀਆ
ਥਾਇਰਾਕਸਿਨ ਕਮੀ ਤੋਂ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਰੋਗ – ਗਿੱਲੜ ਰੋਗ-ਅਧਿਕਤਾ ਤੋਂ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਰੋਗ- ਐਨਸੋਪਥੈਲਿਕ ਗਿੱਲੜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਤ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ । ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਵਾਧੇ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ
(1) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਪੂਰੇ ਜੀਵਨ ਕਾਲ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (1) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਇਕ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਹੁੰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।
(2) ਵਾਧਾ ਖੇਤਰ, ਜੜ੍ਹ, ਤਣਾ ਅਤੇ ਕੈਬਿਅਮ ਦੇ ਅਗਲੇ ਹਿੱਸੇ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (2) ਸਾਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਇਕੋ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਾਧਾ ਦੇ ਅਗਲੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(3) ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਸੈਕੰਡਰੀ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (3) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸੈਕੰਡਰੀ ਵਾਧਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
(4) ਵਾਧਾ ਸੀਮਾ ਰਹਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (4) ਵਾਧਾ ਸੀਮਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਛਿੱਕ ਆਉਣ ਤੇ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਰਸਤਾ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਛਿੱਕ ਆਉਣਾ ਕਿਸੇ ਬਾਹਰੀ ਅਣਚਾਹੇ ਕਣਾਂ ਦਾ ਨੱਕ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਹੋ ਜਾਣ ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਅਣਚਾਹਾ ਕਣ ਸੰਵੇਦਨ ਸਪਰਸ਼ਕ ਨੂੰ ਉਦਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਸੰਵੇਦਨਾ ਇਕ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਸੰਵੇਦਕ ਨਾੜੀ ਦੁਆਰਾ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਕੋਲ ਲਿਜਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਸੰਵੇਦਨਾ ਦਾ ਉਦੀਨ ਇਕ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮੋਟਰ ਨਾੜੀ ਦੁਆਰਾ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਕੋਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਕਾਰਜ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਨੱਕ ਦੀਆਂ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸੁੰਗੜਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਛਿੱਕ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਤੁਰੰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਦਿਮਾਗ਼ ਤੋਂ ਆਦੇਸ਼ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । ਛਿੱਕਣ ਦੇ ਕਾਰਜ ਦਾ ਮਾਰਗ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 11

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦਿਮਾਗ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਿਮਾਗ਼ ਹੱਡੀਆਂ ਦੇ ਇਕ ਬਾਕਸ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਅੰਦਰ ਤਰਲ ਭਰੇ ਗੁਬਾਰੇ ਵਰਗੀ ਸੰਰਚਨਾ ਉਸਦੀਆਂ ਸੱਟਾਂ, ਝਟਕਿਆਂ ਅਤੇ ਅਘਾਤਾਂ ਤੋਂ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਤਿੰਨ ਝੱਲੀਆਂ ਸੈਰੀਬੋਸਪਾਈਨ ਨਾਮਕ ਇਕ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਰਹਿ ਕੇ ਇਸਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਇੱਛਤ ਅਤੇ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

ਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ
(1) ਇਹ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਸਾਡੀ ਇੱਛਾ ਨਾਲ ਹੀ ਚਾਲਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (1) ਇਹ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਸਾਡੀ ਇੱਛਾ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਚਲਦੀਆਂ ਹਨ ।
(2) ਇਹ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਤੇ ਚਾਲਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ-ਉੱਠਣਾ, ਬੈਠਣਾ, ਖੜ੍ਹੇ ਹੋਣਾ, ਬੋਲਣਾ, ਲੇਟਣਾ ਆਦਿ ।

(2) ਇਹ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਚਾਲਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ।

ਉਦਾਹਰਨ-ਸਾਹ ਲੈਣਾ, ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਨ, ਭੋਜਨ ਦਾ ਪਚਨਾ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਚਿੱਤਰ ਵਿਚ ਪੌਦੇ ਦੁਆਰਾ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਅਨੁਵਰਤਨ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ? ਇਸ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਵੀ ਦਿਓ । (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰ)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 12
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦੇ ਦੁਆਰਾ ਤੋਂ-ਅਨੁਵਰਤਨ ਜਾਂ ਗੁਰੂਤਾ ਅਨੁਵਰਤਨ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਕਰੂੰਬਲਾਂ ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਪਰੇ ਜਾਂ ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਵਾਧਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ (ਰਿਣਾਤਮਕ ਅਨੁਵਰਤਨ) ਅਤੇ ਜੜਾਂ ਧਰਤੀ ਵੱਲ ਪ੍ਰਵਧਣਾਤਮਕ ਅਨੁਵਰਤਨ) ਦਰਸਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਧਰਤੀ ਦੀ ਖਿੱਚ ਜਾਂ ਗੁਰੁਤਾ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮਨੁੱਖੀ ਮਲ ਤਿਆਗ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਚਿੱਤਰ ਨੂੰ ਲੇਬਲ ਕਰੋ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 13
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੁਰਦਾ,
  2. ਮੁਤਰਨਾਲੀ,
  3. ਮੂਤਰ ਥੈਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਕੀ ਹਨ ? ਕਿਸੇ ਦੋ ਦੇ ਨਾਮ ਲਿਖੋ । (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰੇ)
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ (Plant Harmones) – ਇਹ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਹਨ ਜੋ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਵਾਧੇ ਅਤੇ ਵਿਭੇਦਨ ਸੰਬੰਧੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਤੇ ਨਿਯੰਤਰਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਆਕਸਿਨ (Auxin), ਇਥਾਈਲੀਨ (Ethylene), ਜਿੱਥੇਰੇਲਿਨ (Gibberllins), ਸਾਈਟੋਕਾਈਨਿਨ (Cytokinins), ਐਬਸਿਸਿਕ ਐਸਿਡ (Abscisic acid) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਹੋਏ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 14 ਅੰਕਿਤ ਕਰੋ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 15
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 16

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Very Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੇਂਦਰੀ ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਕੌਣ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਿਮਾਗ਼ ਅਤੇ ਮੇਰੁਰਜੂ ਜਾਂ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਚਾਰ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਤਾਲੀ ਵਜਾਉਣਾ, ਗੱਲ ਕਰਨਾ, ਲਿਖਣਾ, ਭੱਜਣਾ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਤਿੰਨ ਮੁੱਖ ਭਾਗ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਗਲਾ ਦਿਮਾਗ਼, ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਦਿਮਾਗ਼, ਪਿਛਲਾ ਦਿਮਾਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਗਲਾ ਦਿਮਾਗ ਕਿਸ ਕੰਮ ਦੇ ਲਈ ਖ਼ਾਸ ਬਣਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੁਣਨ, ਸੁੰਘਣ, ਦੇਖਣ ਆਦਿ ਲਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਭਾਗ ਸਰੀਰ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿਛਲਾ ਦਿਮਾਗ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕੌਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੀੜ੍ਹ ਦੀ ਹੱਡੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਬੇਲਾਂ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਪੌਦੇ ਕਿਸ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਬਾੜ ਤੇ ਚੜ੍ਹਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਤੰਦੜਿਆਂ (Tendrils) ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਰਸਾਇਣਾਨੁਵਰਤਨ ਦਾ ਇਕ ਉਦਾਹਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਰਾਗ ਨਲਿਕਾ ਦਾ ਬੀਜਾਂਡ ਵੱਲ ਵਾਧਾ ਕਰਨਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਤਣੇ ਦੇ ਅਗਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਕਿਹੜਾ ਹਾਰਮੋਨ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸਿਨ (Auxin)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕਿਸ ਹਾਰਮੋਨ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸਿਨ ਕਾਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸੈੱਲ ਵਿਭਾਜਨ ਨੂੰ ਕੌਣ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਈਟੋਕਾਈਨਿਨ (Cytokinin) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ ਕਿਸ ਦੇ ਅਸਰ ਨਾਲ ਮੁਰਝਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਬਸਿਸਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਆਇਓਡੀਨ ਯੁਕਤ ਨਮਕ ਕਿਸ ਰੋਗ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਾਇਟਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14
ਵਾਧਾ ਹਾਰਮੋਨ ਦਾ ਕੌਣ ਰਿਸਾਓ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਜਵਾਨੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਤੇ ਕਿਹੜੇ ਦੋ ਹਾਰਮੋਨ ਲੜਕਿਆਂ ਅਤੇ ਲੜਕੀਆਂ ਵਿਚ ਸਾਵਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਲੜਕਿਆਂ ਵਿਚ ਟੇਸਟੋਸਟੀਰਾਨ ਅਤੇ ਲੜਕੀਆਂ ਵਿਚ ਐਸਟਰੋਜਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਇੰਸੂਲਿਨ ਦਾ ਉਤਪਾਦਨ ਕਿੱਥੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੈਨਕਰੀਆਜ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਇਲਾਵਾ ਕਿਹੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨਿਯੰਤਰਨ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਾਰਮੋਨਸ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਅਤੇ ਅੰਦਰ ਰਿਸਾਓ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਰਸਾਇਣ ਨੂੰ ਕੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਪੌਦਾ ਵਾਧਾ ਨਿਯੰਤਰਨ ਜਾਂ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਪਾਈਆਂ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਅੰਦਰ-ਰਿਸਾਵੀ ਗੰਥੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਅੰਦਰ-ਰਿਸਾਵੀ ਗੰਥੀਆਂ ਪਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ-

  1. ਪਿਚੂਟਰੀ (Pituitary)
  2. ਥਾਇਆਰਾਇਡ (Thyroid)
  3. ਪੈਰਾਥਾਈਰਾਈਡ (Parathyroid)
  4. ਐਡਰੀਨੀਲ (Adrenal)
  5. ਪੈਨਕਰਿਆਜ਼ (Pancreas)
  6. ਅੰਡਕੋਸ਼ (Ovary)
  7. ਪਤਾਲੂ (Testis) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਲਹੂ ਦਾਬ ਅਤੇ ਦਿਲ ਸਪੰਦਨ ਕਿਸ ਹਾਰਮੋਨ ਦੁਆਰਾ ਵੱਧਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਡਰੀਨੀਲ ਹਾਰਮੋਨ ।

ਵਸਤੁਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਹੈ ?
(a) ਇੰਸੂਲਿਨ
(b) ਥਾਇਰਾਕਸਿਨ
(c) ਈਸਟਰੋਜਨ
(d) ਸਾਈਟੋਕਾਇਨਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਸਾਈਟੋਕਾਇਨਿਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਦੋ ਨਾੜੀ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ :
(a) ਡੈਂਡਰਾਈਟ
(b) ਸਾਈਨੈਪਸ
(c) ਐਕਸਾਨ
(d) ਆਵੇਗ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਸਾਈਨੈਪਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦਿਮਾਗ਼ ਉੱਤਰਦਾਈ ਹੈ :
(a) ਸੋਚਣ ਲਈ
(b) ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਣ ਨੂੰ ਇਕਸਾਰ ਰੱਖਣ ਲਈ
(c) ਸਰੀਰ ਦਾ ਸੰਤੁਲਨ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਲਈ
(d) ਉਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਵਾਧਾ ਹਾਰਮੋਨ ਦਾ ਰਿਸਾਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-
(a) ਥਾਇਰਾਇਡ ਵਿੱਚ
(b) ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਵਿੱਚ
(c) ਥਾਈਮਸ ਗ੍ਰੰਥੀ ਵਿੱਚ
(d) ਪੈਨਕਰਿਆਸ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸੰਕਟਕਾਲੀਨ ਹਾਰਮੋਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ-
(a) ਐਡਰੀਨੇਲਿਨ
(b) ਨਾਰਐਡਰੀਨੇਲਿਨ
(c) ਵਾਧਾ ਹਾਰਮੋਨ
(d) ਥਾਇਰਾਕਸਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਐਡਰੀਨੇਲਿਨ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹਾਰਮੋਨ ਕਿਸਨੂੰ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਦੇ ਹਨ ?
(a) ਜਲ ਵਾਧਾ
(b) ਦਿਸ਼ਾਈ ਵਾਧਾ
(c) ਜਲ ਕੰਟਰੋਲ
(d) ਉੱਪਰ ਦਿੱਤੇ ਕੋਈ ਵੀ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਦਿਸ਼ਾਈ ਵਾਧਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਾਡੇ ਆਹਾਰ ਵਿੱਚ ਆਇਓਡੀਨ ਦੀ ਘਾਟ ਨਾਲ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
(a) ਗਲਘੋਟੂ ਰੋਗ (Goitre)
(b) ਮਲੇਰੀਆ
(c) ਟਾਈਫਾਇਡ
(d) ਸ਼ੂਗਰ ਰੋਗ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਗਲਘੋਟੂ ਰੋਗ (Goitre) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
10-12 ਸਾਲ ਦੇ ਨਰ ਵਿਚ ਕਿਹੜੇ ਹਾਰਮੋਨ ਦਾ ਰਿਸਾਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
(a) ਐਸਟਰੋਜਨ
(b) ਐਡਰੀਨੇਲਿਨ
(c) ਟੇਸਟੋਸਟੀਰੋਨ
(d) ਉੱਪਰ ਦਿੱਤੇ ਸਾਰੇ ਹੀ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਟੇਸਟੋਸਟੀਰੋਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਸ਼ੂਗਰ ਦੇ ਰੋਗੀ ਨੂੰ ਕਿਹੜਾ ਇੰਜੈਕਸ਼ਨ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
(a) ਇੰਸੁਲਿਨ
(b) ਥਾਇਰਾਕਸਿਨ
(c) ਐਸਟਰੋਜਨ
(d) ਟੇਸਟੋਸਟੀਰੋਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਇੰਸੂਲਿਨ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰਨਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

(i) ਦਿਮਾਗ਼ ਸਾਨੂੰ ……………… ਦੀ ਇਜ਼ਾਜਤ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੋਚਣ

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

(ii) ……………. ਤਣੇ ਦੇ ਵਾਧੇ ਵਿੱਚ ਸਹਾਈ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਿਬਰੇਲਿਨ

(iii) ਖ਼ੂਨ ਵਿੱਚ ਸ਼ੱਕਰ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦਾ ਕੰਟਰੋਲ ……………….. ਹਾਰਮੋਨ ਰਾਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਇੰਸੂਲਿਨ

(iv) ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਟਾਂਦਰਾ ……………………. ਸੈੱਲ ਰਾਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਾੜੀ

(v) ……………… ਸੈੱਲ ਵੰਡ ਨੂੰ ਮ੍ਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਐਬਸਿਸਿਕ ਐਸਿਡ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਵੱਡੇ ਉੱਚਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ-
(i) ਧਾਤਵੀ ਲਿਸ਼ਕ (ਚਮਕ) – ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਸਤਹ ਚਮਕਦਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ | ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਧਾੜਵੀ ਚਮਕ (metallic lusture) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਸੋਨੇ ਵਿੱਚ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਚਮਕ, ਕਾਪਰ ਦੀ ਲਾਲ-ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦੀ ਚਮਕ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੀ ਚਿੱਟੇ ਰੰਗ ਦੀ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(ii) ਕਠੋਰਤਾ ਕਰੜਾਈ) – ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਕਠੋਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਵਿਭਿੰਨ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਠੋਰਤਾ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰ (ਤਾਂਬਾ, ਆਇਰਨ (ਲੋਹਾ), ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਬਹੁਤ ਕਠੋਰ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ਜਦਕਿ ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਆਦਿ ਨਰਮ ਹਨ ।

(iii) ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ – ਜਿਹੜੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟ-ਕੁੱਟ ਕੇ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੁਟੀਣਯੋਗ ਧਾਤਾਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੋਨਾ ਅਤੇ ਚਾਂਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕੁਟੀਣਯੋਗ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

(iv) ਖਿੱਚੀਣਯੋਗਤਾ – ਉਹ ਧਾਤਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਖਿੱਚ ਕੇ ਪਤਲੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਬਣਾਈਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ, ਨੂੰ ਖਿੱਚੀਣਯੋਗ ਧਾਤਾਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਖਿੱਚੀਯੋਗਤਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੋਨਾ ਅਤੇ ਚਾਂਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਖਿੱਚੀਣਯੋਗ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

(v) ਤਾਪੀ ਚਾਲਕਤਾ – ਧਾਤਾਂ ਸਾਧਾਰਨ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਤਾਪ ਦੀਆਂ ਸੁਚਾਲਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਹੋਰ ਕੁੱਝ ਧਾਤਾਂ ਤਾਪ ਦੀਆਂ ਕੁਚਾਲਕ ਹਨ-
ਉਦਾਹਰਨ-ਕਾਪਰ, ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਆਦਿ ਤਾਪ ਦੀਆਂ ਸੁਚਾਲਕ ਹਨ ।

(vi) ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕਤਾ-ਧਾਤਾਂ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਵਧੀਆ ਚਾਲਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਸਿਲਵਰ, ਕਾਪਰ ਆਦਿ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਸੁਚਾਲਕ ਹਨ ।

ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ – ਧਾਤਾਂ ਆਪਣੇ ਇਲੈੱਕਟਾਂ ਗੁਆ ਕੇ ਧਨਾਤਮਕ ਆਇਨ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਬਿਜਲਈ ਧਨਾਤਮਕ ਤੱਤ ਹਨ ।

(1) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਧਾੜਵੀ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਖਾਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਭਿੰਨਭਿੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

(i) ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ Na, K ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਕਿ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹਨ ।
4Na(s) + O(g) → 2Na2O (s)
Na2 O(s) + H2O → 2NaOH (aq)

(ii) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg) ਦੇ ਰਿਬਨ ਨੂੰ ਬਾਲ ਕੇ ਜਦੋਂ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਬਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 1

(iii) ਤਾਂਬਾ (Cu) ਅਤੇ ਲੋਹਾ (Fe) ਖ਼ੁਸ਼ਕ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਉੱਚ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 2

(2) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਧਾਤਾਂ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਮੁਕਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਵਿਭਿੰਨ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਦਰ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(i) Na, K, Zn, Mg, Fe ਆਦਿ ਘਟਦੇ ਕ੍ਰਮ ਵਿੱਚ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ-
2Na + 2HCl → 2NaCl +H2
Mg + 2HCl → MgCl2 + H2
Zn + H2SO4 → Zn SO4 + H2

(ii) ਪਤਲੇ ਨਾਈਟ੍ਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ Cu, Ag, Pb, Hg ਧਾਤਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ NO (ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਆਕਸਾਈਡ) ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
3Cu + 8HNO3 → 3Cu(NO3)2 + 2NO +4H2O
3Ag + 4HNO3 → 3AgNO3 + NO + 2H2O

(iii) Mg ਅਤੇ Mn ਨਾਲ ਪਤਲਾ ਨਾਈਟ੍ਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਮੁਕਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
Mg + 2HNO3 → Mg(NO3)2 + H2

(iv) ਸੋਨਾ ਅਤੇ ਪਲਾਟੀਨਮ ਪਤਲੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ ।

(3) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਧਾਤਾਂ, ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਬਿਜਲੀ ਸੰਯੋਜਕ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
Ca + Cl2 → CaCl2

(4) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ Na, K ਅਤੇ Ca ਆਦਿ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 3

(5) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ-
(i) ਜਦੋਂ ਪਾਣੀ ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਹੋਵੇ ਤਾਂ Na, K, Ca ਆਦਿ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਮੁਕਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 4

(ii) ਜਦੋਂ ਪਾਣੀ ਉਬਲਦਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ Mg, Zn, Fe ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ-
(i) ਭੌਤਿਕ ਅਵਸਥਾ – ਅਧਾਤਾਂ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਗੈਸ ਜਾਂ ਠੋਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਬਰੋਮੀਨ ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ਉੱਤੇ ਦਵ ਹੈ ।
(ii) ਚਾਲਕਤਾ – ਅਧਾਤਾਂ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਕੁਚਾਲਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਗਰੇਫ਼ਾਈਟ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਸੂਚਾਲਕ ਹੈ ।
(iii) ਅਧਾਤਾਂ ਨਾ ਹੀ ਕੁਟੀਣਯੋਗ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਖਿੱਚੀਣਯੋਗ ਹਨ ।
(iv) ਧਾਤਵੀ ਚਮਕ – ਅਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਚਮਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਪਰੰਤੂ ਆਇਓਡੀਨ ਵਿੱਚ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸਦਾ ਕਾਰਨ ਉਸਦੀ ਆਇਨਨ ਉਰਜਾ (lonisation Energy) ਦਾ ਘੱਟ ਹੋਣਾ ਹੈ ।
(v) ਨਰਮਈ – ਅਧਾਤਾਂ ਨਰਮ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਸਿਵਾਏ ਹੀਰੇ ਦੇ, ਜੋ ਬਹੁਤ ਸਖ਼ਤ ਹੈ ।

ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ-
ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਇਹ ਹਨ-
(i) ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਕਾਰਬਨ, ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । CO2 ਦਾ ਸੁਭਾਅ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੈ । ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਕਾਰਬੋਨਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
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(ii) ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਅਤੇ ਸਲਫ਼ਰ ਦੀ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਅਨੁਕੂਲ ਹਾਲਤਾਂ ਵਿੱਚ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਅਤੇ ਸਲਫ਼ਰ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਅਮੋਨੀਆ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਸਲਫ਼ਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
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(iii) ਸਲਫਰ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਸਲਫਰ, ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਪਾਣੀ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਦੌਰਾਨ ਵੱਡੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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(iv) ਫ਼ਾਸਫੋਰਸ ਦੀ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ-ਫ਼ਾਸਫੋਰਸ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰ ਕੇ ਫ਼ਾਸਫੋਰਸ ਡ੍ਰਾਈਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਧਾਤ ਕੂਮ ਕੀ ਹੈ ? ਇਸ ਪ੍ਰਕਰਮ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਯੁਕਤ ਚਰਨਾਂ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਜਾਂ
ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਤੋਂ ਧਾਤ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਵਿੱਚ ਵਰਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਚਰਨਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤ ਕੂਮ (Metallurgy) – ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਤੋਂ ਧਾਤ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਉਸਦੀ ਸੁਧਾਈ ਕਰਕੇ ਵਰਤੋਂ ਵਿਚ ਲਿਆਉਣ ਯੋਗ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਪ੍ਰਕਰਮ ਨੂੰ ਧਾਤ ਮ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਧਾਤ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਚਰਨ – ਧਾਤਭੂਮ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਚਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-
(i) ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਦਾ ਸੰਘਣਾਪਨ
(ii) ਲਘੂਕਰਨ
(iii) ਸੁਧਾਈ ।

(i) ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਦਾ ਸੰਘਣਾਪਨ (Enrichment of Ores) – ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਕੱਢੀ ਗਈ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਆਮ ਕਰਕੇ ਬਹੁਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮਿੱਟੀ, ਰੇਤ ਆਦਿ ਮਿਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੈਂਗ (Gangue) ਆਖਦੇ ਹਨ | ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਵਿੱਚੋਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਨੂੰ ਹਟਾਉਣਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਤੋਂ ਗੈਂਗ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਦਾ ਸੰਘਣਾਪਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜੇ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਅਤੇ ਗੈਂਗ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਜਾਂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਉੱਪਰ ਆਧਾਰਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਮੰਤਵ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ ਵਰਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

(1) ਚੁੰਬਕੀ ਵਖਰੇਵਾਂ ਵਿਧੀ (Magnetic Separation Process) – ਇਹ ਵਿਧੀ ਚੁੰਬਕੀ ਕਣਾਂ (ਲੋਹਾ, ਕੋਬਾਲਟ, ਨਿਕਲ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜਿਹੜੇ ਖਣਿਜ ਚੁੰਬਕੀ ਗੁਣ ਰੱਖਦੇ ਹਨ, ਉਹ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਦਕਿ ਗੈਂਗ ਆਦਿ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਝੋਮਾਈਟ ਅਤੇ ਪਾਇਰੋਲਿਉਸਾਈਟ ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਇਸੇ ਵਿਧੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸੰਘਣੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਧੀ ਵਿੱਚ ਪੀਸੀ ਹੋਈ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਇੱਕ ਕਨਵੇਅਰ ਬੈਲਟ ਉੱਪਰ ਰੱਖਦੇ ਹਾਂ | ਕਨਵੇਅਰ ਬੈਲਟ ਦੋ ਰੋਲਰਾਂ ਉੱਪਰੋਂ ਗੁਜ਼ਰਦੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਚੁੰਬਕੀ ਅਤੇ ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਦੋ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਢੇਰਾਂ ਵਜੋਂ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਲੋਹੇ ਦੀ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਮੈਗਨੇਟਾਈਟ ਦਾ ਸੰਘਣਾਕਰਨ ਇਸੇ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 10

(2) ਵਚਾਲਿਤ ਧੋਣਾ (Hydraulic Washing) – ਇਸ ਵਿਧੀ ਵਿੱਚ ਬਾਰੀਕ ਜਾਂ ਪੀਸੀ ਹੋਈ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਦੀ ਤੇਜ਼ ਧਾਰਾ ਵਿੱਚ ਧੋਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੇਜ਼ ਧਾਰਾ ਵਿੱਚ ਹਲਕੇ ਗੈਂਗ ਕਣ ਵਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਦਕਿ ਭਾਰੀ ਖਣਿਜੀ ਕਣ ਤਲੀ ਤੇ ਹੇਠਾਂ ਬੈਠ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਟਿੱਨ ਅਤੇ ਲੈਂਡ ਦੀਆਂ ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਇਸੇ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਸੰਘਣਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(3) ਝੱਗ ਤਰਾਉ ਵਿਧੀ (Froth Floatation Process) – ਇਸ ਵਿਧੀ ਵਿੱਚ ਮਹੀਨ ਪੀਸੀ ਹੋਈ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਜਾਂ ਕਿਸੇ ਤੇਲ ਨਾਲ ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਟੈਂਕ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਖਣਿਜ ਕਣ ਪਹਿਲੇ ਹੀ ਤੇਲ ਨਾਲ ਭਿੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਦਕਿ
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 11
ਗੈਂਗ ਦੇ ਕਣ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਿੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਮਿਸ਼ਰਨ ਵਿਚੋਂ ਹਵਾ ਗੁਜ਼ਾਰੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਖਣਿਜੀ ਕਣ ਯੁਕਤ ਤੇਲ ਦੀ ਝੱਗ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਹੜੀ ਪਾਣੀ ਦੀ ਸਤਾ ਤੇ ਤੈਰਨ ਲਗਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਬੜੀ ਸਹਿਜੇ ਪਾਣੀ ਉੱਪਰੋਂ ਕੱਢਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਤਾਂਬੇ, ਲੈਂਡ, ਜ਼ਿੰਕ ਦੇ ਸਲਫਾਈਡਾਂ ਨੂੰ ਸੰਘਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਇਸੇ ਵਿਧੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

(ii) ਰਸਾਇਣਿਕ ਵਿਧੀਆਂ (Chemical Methods) – ਰਸਾਇਣਿਕ ਵਿਧੀਆਂ ਵਿੱਚ ਖਣਿਜ ਅਤੇ ਗੈਂਗ ਵਿਚਲੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਭਿੰਨਤਾ ਨੂੰ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਵਿਧੀ ਹੈ-ਬੇਅਰ ਦੀ ਵਿਧੀ ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਬਾਕਸਾਈਟ ਤੋਂ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(1) ਬੇਅਰ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੀ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਸੰਘਣਾ ਕਰਨਾ – ਇਸ ਵਿਧੀ ਵਿੱਚ ਬਾਕਸਾਈਟ ਦਾ ਗਰਮ ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਨਾਲ ਲਘੂਕਰਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਹੜਾ ਕਿ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੈ । ਗੈਂਗ ਨੂੰ ਛਾਣ ਕੇ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦਾ ਅਵਖੇਪ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਫਿਲਟ ਦੀ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਸ਼ੁੱਧ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹਨ-
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(2) ਸੰਘਣਤ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਦਾ ਧਾਤ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਬਦਲਣਾ-
ਭੰਨਣ- ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਧਾਤ ਆਕਸਾਈਡ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਲਘੂਸ਼ਿਤ ਹੋ ਕੇ ਧਾਤ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਜ਼ਿੰਕ ਬੈਲੰਡੀ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿੰਕ ਸਲਫਾਈਡ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਸੰਘਣਤ ਜ਼ਿੰਕ ਸਲਫਾਈਡ ਨੂੰ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਆਕਸੀਕ੍ਰਿਤ ਹੋ ਕੇ ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
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ਭਸਮੀਕਰਨ – ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਅਣਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਸਿਲ ਅਤੇ ਵਾਸ਼ਪਸ਼ੀਲ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਵਿਘਟਿਤ ਹੋ ਕੇ ਧਾਤ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
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(3) ਧਾਤ ਆਕਸਾਈਡ ਤੋਂ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ – ਧਾਤ ਆਕਸਾਈਡ ਤੋਂ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਉਸਨੂੰ ਕਿਸੇ ਲਘੂਕਾਰਕ ਦੇ ਨਾਲ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜ਼ਿੰਕ, ਟਿੱਨ ਅਤੇ ਨਿੱਕਲ ਜਿਹੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦਾ ਲਘੂਕਰਨ ਕਰਕੇ ਧਾਤਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕਾਰਬਨ ਲਘੂਕਾਰਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਜੋਂ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ZnO (s) +C (s) → Zn (s) + CO (g)
ਮੱਧਮ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਵਾਲੀ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦਾ ਲਘੂਕਰਨ ਕਰਨ ਲਈ ਸੋਡੀਅਮ, ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਜਿਹੀਆਂ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ ਵੀ ਲਘੂਕਾਰਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਜੋਂ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।
3MnO2 (s) +4Al(s) → 3Mn (s) + 2A l2O3(s) + ਤਾਪ

(iii) ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ (Refining of Metals) – ਧਾਤਵੀ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੇ ਲਘੂਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਈਆਂ ਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਕਈ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤਾਂ ਲੈਣ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਨੂੰ ਕੱਢਣਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਵਿਧੀ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਅਤੇ ਧਾਤਾਂ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

(1) ਕਸ਼ੀਦਣ ਵਿਧੀ (Distillation Method) – ਨੀਵੇਂ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਵਾਲੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਵਿਧੀ ਰਾਹੀਂ ਸ਼ੁੱਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜ਼ਿੰਕ, ਕੈਡਮੀਅਮ ਅਤੇ ਮਰਕਰੀ ਆਦਿ ਧਾਤਾਂ ਬਹੁਤ ਛੇਤੀ ਵਾਸ਼ਪ ਵਿੱਚ ਬਦਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਸ਼ੀਦਣ ਵਿਧੀ ਰਾਹੀਂ ਸ਼ੁੱਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(2) ਗਲਣ ਵਿਧੀ, ਪਿਘਲਾਓ ਵਿਧੀ (Liquation) – ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਢਲਾਨ ਯੁਕਤ ਭੱਠੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਭੱਠੀ ਦਾ ਤਾਪਮਾਨ ਧਾਤ ਦੇ ਪਿਘਲਾਓ ਅੰਕ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਵੱਧ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਨੂੰ ਭੱਠੀ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਪਰਲੇ ਸਿਰੇ ਤੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਗਰਮ ਹੋਣ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਪਿਘਲ ਕੇ ਹੇਠਾਂ ਆ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਦਕਿ ਠੋਸ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਉੱਥੇ ਹੀ ਰਹਿ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਟਿੱਨ, ਲੈਂਡ ਅਤੇ ਬਿਸਮਥ ਦਾ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(3) ਬਿਜਲਈ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ (Electrolytic Refining) – ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਹੀ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂਬਾ, ਟਿਨ, ਲੈਂਡ, ਸੋਨਾ, ਜ਼ਿੰਕ, ਕੋਮੀਅਮ ਅਤੇ ਨਿਕਲ ਜਿਹੀਆਂ ਅਨੇਕਾਂ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਬਿਜਲਈ ਅਪਘਟਨ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੀ ਪੱਟੀ ਨੂੰ ਕੈਥੋਡ ਅਤੇ ਅਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੀ ਪੱਟੀ ਨੂੰ ਐਨੋਡ ਵਜੋਂ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਬਿਜਲਈ ਅਪਘਟਨ ਲਈ ਧਾਤ ਦਾ ਕੋਈ ਯੋਗਿਕ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਬਿਜਲਈ ਅਪਘਟਨ ਦੌਰਾਨ
ਐਨੋਡ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਧਾਤ ਕੈਥੋਡ ਤੇ ਜਮਾਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਐਨੋਡ ਤੇ ਸਥਿਤ ਹੋਰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਘੋਲ (ਸ਼ੁੱਧ ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਪੱਟੀ) ਧਾਤਾਂ ਅਪਘਟਨ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਚਲੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ ਜਿਵੇਂ ਸੋਨਾ ਅਤੇ ਚਾਂਦੀ ਬਿਜਲਈ ਚਿੱਤਰ-ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਅਪਘਟਨ ਸੈੱਲ ਦੀ ਤਲੀ ਤੇ ਜਾ ਡਿੱਗਦੀਆਂ ਹਨ ।
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ਜੇਕਰ ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਸੁਧਾਈ ਕਰਨੀ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਬਿਜਲਈ ਅਪਘਟਨ ਵਜੋਂ ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦਾ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਘੋਲ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ-
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਧਾਤਾਂ (Metals) ਅਧਾਤਾਂ (Non-Metals)
ਭੌਤਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ-

(1) ਧਾਤਾਂ ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ‘ਤੇ ਠੋਸ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਸਿਰਫ਼ ਪਾਰਾ ਹੀ ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ‘ਤੇ ਤਰਲ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(1) ਅਧਾਤਾਂ ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਤਿੰਨੇ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਫ਼ਾਸਫੋਰਸ ਅਤੇ ਸਲਫਰ ਠੋਸ ਰੂਪ ਵਿੱਚ, H2, O2, N2 ਗੈਸ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਬੋਮੀਨ ਤਰਲ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।
(2) ਧਾਤਾਂ ਖਿੱਚੀਣਯੋਗ ਅਤੇ ਕੁਟੀਣਯੋਗ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (2) ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਭੁਰਭੁਰੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(3) ਧਾਤਾਂ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਚਮਕਦਾਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਰਥਾਤ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਧਾਤਵੀ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (3) ਅਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤਵੀ ਚਮਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਪਰ ਹੀਰਾ, ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਅਤੇ ਆਇਓਡੀਨ ਇਸ ਦੇ ਅਪਵਾਦ ਹਨ ।
(4) ਧਾਤਾਂ ਤਾਪ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਸੂਚਾਲਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਬਿਸਮਥ ਇਸ ਦਾ ਅਪਵਾਦ ਹੈ । (4) ਗੇਫਾਈਟ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਬਾਕੀ ਸਾਰੀਆਂ ਅਧਾਤਾਂ ਕੁਚਾਲਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(5) ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਪਿਘਲਾਓ ਅਤੇ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਧ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (5) ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਪਿਘਲਾਓ ਅਤੇ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਕਾਫ਼ੀ ਘੱਟ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(6) ਧਾਤਾਂ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਠੋਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਚਾਕੂ ਨਾਲ ਕੱਟੀਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ । (6) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਠੋਰਤਾ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਹੀਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਕਠੋਰ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ।
(7) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਸਾਪੇਖ ਘਣਤਾ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ Na ਅਤੇ K ਇਸਦੇ ਅਪਵਾਦ ਹਨ । (7) ਅਧਾਤਾਂ ਦੀ ਸਾਪੇਖ ਘਣਤਾ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(8) ਧਾਤਾਂ ਅਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (8) ਗੈਸੀ ਅਧਾਤਾਂ ਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ-

(1) ਧਾਤਾਂ ਖਾਰੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਖਾਰ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

(1) ਅਧਾਤਾਂ, ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
(2) ਧਾਤਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਉਸ ਅਨੁਸਾਰ ਲੂਣ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । (2) ਅਧਾਤਾਂ, ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ।
(3) ਧਾਤਾਂ ਧਨਾਤਮਕ ਚਾਰਜ ਯੁਕਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (3) ਅਧਾਤਾਂ ਰਿਣਾਤਮਕ ਚਾਰਜ ਯੁਕਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(4) ਧਾਤਾਂ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਬਿਜਲੀ ਸੰਯੋਜਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (4) ਅਧਾਤਾਂ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(5) ਕੁੱਝ ਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਬਿਜਲੀ ਸੰਯੋਜਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (5) ਅਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਥਾਈ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(6) ਧਾਤਾਂ ਲਘੂਕਾਰਕ ਹਨ । (6) ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਹਨ ।
(7) ਧਾਤਾਂ ਜਲੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਧਨ-ਆਇਨ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । (7) ਅਧਾਤਾਂ ਜਲੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਰਿਣ-ਆਇਨ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਖੋਰਨ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਖੋਰਨ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਕਰੋਗੇ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰ)
ਉੱਤਰ-
ਖੋਰਨ (Corrosion) – ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਧਾਤ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸ਼ੁੱਧ ਅਤੇ ਸੁੰਦਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੁਦਰਤ ਇਸ ਨੂੰ ਮੁੜ ਉਸੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬਦਲਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੂੰ ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਸਤਹਿ ਉੱਤੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੀਆਂ ਗੈਸਾਂ ਆਦਿ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਕਾਰਨ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ, ਸਲਫਾਈਡ, ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਅਤੇ ਸਲਫ਼ੇਟ ਆਦਿ ਬਣਦੇ ਹਨ ਤੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਧਾਤ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਖੁਰਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ | ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਘੁਲਣ ਨੂੰ ਖੋਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਆਇਰਨ ਅਤੇ ਸਟੀਲ ਦੇ ਖੋਰਨ ਨੂੰ ਜੰਗ ਜਾਂ ਜੰਗਾਲ ਲੱਗਣਾ ਵੀ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਜੰਗ ਲੱਗਣਾ ਗੰਭੀਰ ਆਰਥਿਕ ਸਮੱਸਿਆ ਹੈ । ਜੰਗ ਲਾਲ ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦਾ ਪਾਊਡਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਜਲੀ ਆਇਰਨ ਆਕਸਾਈਡ (Fe2O3.4H2O) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਲਈ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੱਥ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੀ ਕਿਰਿਆ ਰਾਹੀਂ ਸਮਝਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
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ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਖੋਰਨ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਦੇ ਉਪਾਅ-

  1. ਧਾਤ ਨੂੰ ਸਿੱਲ੍ਹ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ਕੇ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  2. ਧਾਤ ਦੀ ਉੱਪਰਲੀ ਸਤਹਿ ‘ਤੇ ਪੇਂਟ ਕਰ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਇਸ ਦੀ ਸਤਹਿ ਦਾ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਸਿੱਲ੍ਹ ਨਾਲੋਂ ਸੰਪਰਕ ਟੁੱਟ ਜਾਵੇ ।
  3. ਧਾਤ ਦੀ ਸਤਹਿ ‘ਤੇ ਸ੍ਰੀਸ ਜਾਂ ਤੇਲ ਲਗਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  4. ਧਾਤ ਉੱਪਰ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਖੋਰਨ ਰੋਧੀ ਧਾਤ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜ੍ਹਾ ਦੇਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  5. ਧਾਤ ਨੂੰ ਪਿਘਲੇ ਹੋਏ ਜ਼ਿੰਕ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਇਸ ਉੱਪਰ ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਪਰਤ ਜੰਮ ਜਾਵੇ ਅਰਥਾਤ ਗੈਲਵਨੀਕਰਨ ਕਰ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ ਅਤੇ ਇਸ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਢੰਗ ਦੱਸੋ ।
ਜਾਂ
ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ (Rusting of Iron) ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਦੇ ਕੋਈ ਪੰਜ ਢੰਗ ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਜਾਂ
ਜੰਗ ਲੱਗਣਾ ਕੀ ਹੈ ? ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣ ਦੇ ਉਪਾਅ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣਾ (Rusting of Iron) – ਇਹ ਉਹ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ਜੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ
(ੳ) ਆਇਰਨ ਇਲੈਂਕਨ ਛੱਡ ਕੇ ਫੈਰਸ (Fe+2) ਆਇਨ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
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(ਅ) ਇਹ ਫੈਰਸ ਆਇਨ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਫੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਭੂਰੀ ਪਰਤ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਅੱਠ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਆਇਨ ਵੀ ਬਣਦੇ ਹਨ ।
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(ੲ) ਫੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡ Fe3O3 ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਜੰਗ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
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(ਸ) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਆਇਨ ਇਲੈਂਕਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਬਣਦੀ ਹੈ ।
8H+ + 8e → 4H2

ਜੰਗ ਇਕ ਚਿਪਚਿਪਾਹਟ ਰਹਿਤ ਯੌਗਿਕ ਹੈ । ਇਹ ਪਰਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਰਤ ਬਣ ਕੇ ਉੱਡਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਲੋਹੇ ਦੀ ਨਵੀਂ ਸਤਹਿ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਲਈ ਖੁੱਲਾ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ – ਕੁੱਝ ਬਚਾਓ ਕਾਰਜਾਂ ਨੂੰ ਅਪਣਾ ਕੇ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ , ਜਿਵੇਂ-
(ੳ) ਪੇਂਟ ਲਗਾ ਕੇ ਬਚਾਅ ਕਰਨਾ – ਲੋਹੇ ਦੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਪੇਂਟ ਕਰਕੇ ਜਾਂ ਗ੍ਰਸ ਲਗਾਉਣ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਲੋਹੇ ਨਾਲੋਂ ਸੰਪਰਕ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(ਅ) ਧਾਤਵੀ ਪਰਤ ਚੜ੍ਹਾਉਣਾ – ਉਹ ਧਾਤ ਜਿਹੜੀ ਲੋਹੇ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਇਲੈੱਕਨ ਛੱਡ ਸਕੇ, ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗਾਲ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਜ਼ਿੰਕ ਧਾਤ ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਇਲੈੱਕਵਾਂਨ ਛੱਡਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਇਸ ਉੱਤੇ ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਵਿਧੀ ਨੂੰ ਜਿਸਤ ਚੜ੍ਹਾਉਣਾ ਜਾਂ ਗੈਲਵੇਨੀਕਰਨ (Galvanization) ਆਖਦੇ ਹਨ ।

(ੲ) ਬਿਜਲਈ ਬਚਾਅ – ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਫੈਰਸ ਆਇਨਾਂ Fe+2 ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨਾਲ ਉਦਾਸੀਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਲੋਹੇ ਦੀ ਜਿਸ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਜੰਗ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣਾ ਹੋਵੇ, ਉਸਨੂੰ ਕੈਥੋਡ ਨਾਲ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(ਸ) ਜੰਗ-ਰੋਧੀ ਘੋਲ ਵਰਤ ਕੇ – ਇਹ ਘੋਲ ਫ਼ਾਸਫੇਟ ਅਤੇ ਕਰੋਮੇਟ ਦੇ ਐਲਕਲੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਐਲਕਲੀਪਨ ਕਾਰਨ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਆਇਨ (H+) ਬਣਦੇ ਹਨ ਤੇ ਇਹ ਆਇਨ ਵਸਤੂ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਨਹੀਂ ਹੋਣ ਦਿੰਦੇ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਰ ਵਸਤੁ ਜੰਗ ਤੋਂ ਬਚੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਘੋਲ ਕਾਰ ਰੇਡੀਏਟਰਾਂ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਇੰਜਣ ਦੇ ਪੁਰਜ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਜੰਗ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

(ਹ) ਨਿਕਲ ਅਤੇ ਕ੍ਰੋਮੀਅਮ ਨਾਲ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤ ਬਣਾ ਕੇ – ਜਦੋਂ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਨਿਕਲ ਅਤੇ ਸ਼੍ਰੋਮੀਅਮ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤ ਬਣਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ (Fe = 74%, Cr = 18%, Ni = 8%) ਸਟੇਨਲੈਸ ਸਟੀਲ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸਟੇਨਲੈਸ ਸਟੀਲ ਜੰਗਰੋਧੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਸਾਧਾਰਨ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਗੁਣ – ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਸਾਧਾਰਨ ਗੁਣ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ :
(1) ਭੌਤਿਕ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ – ਧਨਾਤਮਕ ਅਤੇ ਰਿਣਾਤਮਕ ਆਇਨਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਪ੍ਰਬਲ ਆਕਰਸ਼ਣ ਬਲ ਦੇ ਕਾਰਨ ਆਇਨੀ ਯੋਗਿਕ ਠੋਸ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਯੌਗਿਕ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਭੁਰਭੁਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਦਬਾਓ ਪਾਉਣ ਨਾਲ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

(2) ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਅਤੇ ਉਬਾਲ ਅੰਕ – ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਅਤੇ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸਦੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਅੰਤਰ ਆਇਨੀ ਆਕਰਸ਼ਣ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਲਈ ਊਰਜਾ ਦੀ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(3) ਘੁਲਣਸ਼ੀਲਤਾ – ਸੰਯੋਜਕ ਯੋਗਿਕ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਕੈਰੋਸੀਨ, ਪੈਟਰੋਲ ਆਦਿ ਜਿਹੇ ਘੋਲਕਾਂ ਵਿੱਚ ਅਣ-ਘੁਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

(4) ਬਿਜਲਈ ਚਾਲਕਤਾ – ਕਿਸੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਲਈ ਚਾਰਜਿਤ ਕਣਾਂ ਦੀ ਗਤੀਸ਼ੀਲਤਾ ਦਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਜਲੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਆਇਨ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਘੋਲ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਗੁਜ਼ਾਰੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਆਇਨ ਉਲਟੇ ਇਲੈੱਕਟੋਡ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਲਗਦੇ ਹਨ | ਠੋਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਆਇਨੀ ਯੋਗਿਕ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਚਾਲਨ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਠੋਸ ਅਵਸਥਾ ਦੀ ਦ੍ਰਿੜ ਸੰਰਚਨਾ ਕਾਰਨ ਆਇਨਾਂ ਦੀ ਗਤੀ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰੰਤੂ ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕ ਤਰਲ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਚਾਲਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਵਿਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਵਿਪਰੀਤ ਆਇਨਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਬਿਜਲਈ ਸਥਿਤਿਕ ਆਕਰਸ਼ਣ ਬਲ ਉਸ਼ਮਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਆਇਨ ਸੁਤੰਤਰ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਗਮਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਚਾਲਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਕਿਸ ਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੀ ਉਦੇਸ਼ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ (Alloy) – ਕਿਸੇ ਧਾਤ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਧਾਤ ਜਾਂ ਅਧਾਤ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਬਣਾਏ ਗਏ ਸਮ-ਅੰਗੀ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ ਵਜੋਂ ਸਟੇਨਲੈਸ ਸਟੀਲ, ਟਾਂਕਾ, ਪਿੱਤਲ, ਕਾਂਸਾ, ਬੈਂ-ਮੈਟਲ ਆਦਿ ਸਾਰੀਆਂ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ-

  1. ਕਠੋਰਤਾ ਵਧਾਉਣ ਲਈ – ਲੋਹੇ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਮਿਲਾ ਕੇ ਸਟੇਨਲੈਸ ਸਟੀਲ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਹੜਾ ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਠੋਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਸ਼ਕਤੀ ਵਧਾਉਣ ਲਈ – ਇਸਪਾਤ, ਡਿਊਰਐਲੁਮਿਨ ਆਦਿ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤਾਂ ਕਠੋਰ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਵੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਖੁਰਨ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ – ਜਿਵੇਂ ਸਟੇਨਲੈਸ ਸਟੀਲ, ਲੋਹੇ ਅਤੇ ਜ਼ਿੰਕ ਤੋਂ ਬਣੀ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤ ਨੂੰ ਜੰਗ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ
  4. ਧੁਨੀ ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਲਈ – ਤਾਂਬੇ ਅਤੇ ਟਿੱਨ ਤੋਂ ਬਣਾਈ ਗਈ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤ ਬਿੱਲ ਮੈਟਲ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਧੁਨੀ ਉਤਪੰਨ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  5. ਪਿਘਲਾਓ ਦਰਜਾ ਘੱਟ ਕਰਨ ਲਈ – ਜਿਵੇਂ ਰੋਜ਼ ਮੈਟਲ ਇਕ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤ ਹੈ । ਇਸਦਾ ਪਿਘਲਾਓ ਅੰਕ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  6. ਉੱਚਿਤ ਸਾਂਚੇ ਵਿੱਚ ਢਲਾਈ ਲਈ – ਕਾਂਸਾ ਅਤੇ ਟਾਈਪ ਮੈਟਲ ।
  7. ਰੰਗ ਬਦਲਣ ਲਈ – ਤਾਂਬੇ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਤੋਂ ਬਣੀ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਜ਼ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤ ਦਾ ਰੰਗ ਸੁਨਹਿਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  8. ਘਰੇਲੂ ਲੋੜਾਂ ਲਈ – ਘਰਾਂ, ਕਾਰਖ਼ਾਨਿਆਂ, ਦਫ਼ਤਰਾਂ ਆਦਿ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਜਗਾ ‘ਤੇ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ-ਘਰ ਵਿਚ ਅਲਮਾਰੀ, ਪੱਖੇ, ਫਰਿਜ, ਗਹਿਣੇ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਲੜੀ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਲੜੀ (Reactivity Series of Metals) – ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਘਟਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਅਨੁਸਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਤਰਤੀਬ ਨੂੰ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਲੜੀ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 21
ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੁੱਝ ਧਾਤਾਂ ਜਿਵੇਂ ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ, ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਆਦਿ ਜ਼ਿਆਦਾ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਇਹ ਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ | ਕੁਝ ਧਾਤਾਂ ਜਿਵੇਂ ਲੋਹਾ, ਜ਼ਿੰਕ ਆਦਿ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਕੁਝ ਧਾਤਾਂ ਜਿਵੇਂ ਸੋਨਾ, ਪਲਾਟੀਨਮ ਆਦਿ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੇਣ ਦੇ ਗੁਣ ’ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਜਿਹੜੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਸਥਿਤ ਹਨ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਤੋਂ ਥੱਲੇ ਵਾਲੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਤਿੰਨ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਦੋ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ-
(i) ਧਾਤਵੀ ਲਿਸ਼ਕ (ਚਮਕ) – ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਸਤਹ ਚਮਕਦਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ | ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਧਾੜਵੀ ਚਮਕ (metallic lusture) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਸੋਨੇ ਵਿੱਚ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਚਮਕ, ਕਾਪਰ ਦੀ ਲਾਲ-ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦੀ ਚਮਕ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੀ ਚਿੱਟੇ ਰੰਗ ਦੀ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(ii) ਕਠੋਰਤਾ ਕਰੜਾਈ) – ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਕਠੋਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਵਿਭਿੰਨ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਠੋਰਤਾ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰ (ਤਾਂਬਾ, ਆਇਰਨ (ਲੋਹਾ), ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਬਹੁਤ ਕਠੋਰ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ਜਦਕਿ ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਆਦਿ ਨਰਮ ਹਨ ।

(iii) ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ – ਜਿਹੜੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟ-ਕੁੱਟ ਕੇ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੁਟੀਣਯੋਗ ਧਾਤਾਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੋਨਾ ਅਤੇ ਚਾਂਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕੁਟੀਣਯੋਗ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

(iv) ਖਿੱਚੀਣਯੋਗਤਾ – ਉਹ ਧਾਤਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਖਿੱਚ ਕੇ ਪਤਲੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਬਣਾਈਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ, ਨੂੰ ਖਿੱਚੀਣਯੋਗ ਧਾਤਾਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਖਿੱਚੀਯੋਗਤਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੋਨਾ ਅਤੇ ਚਾਂਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਖਿੱਚੀਣਯੋਗ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

(v) ਤਾਪੀ ਚਾਲਕਤਾ – ਧਾਤਾਂ ਸਾਧਾਰਨ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਤਾਪ ਦੀਆਂ ਸੁਚਾਲਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਹੋਰ ਕੁੱਝ ਧਾਤਾਂ ਤਾਪ ਦੀਆਂ ਕੁਚਾਲਕ ਹਨ-
ਉਦਾਹਰਨ-ਕਾਪਰ, ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਆਦਿ ਤਾਪ ਦੀਆਂ ਸੁਚਾਲਕ ਹਨ ।

(vi) ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕਤਾ-ਧਾਤਾਂ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਵਧੀਆ ਚਾਲਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਸਿਲਵਰ, ਕਾਪਰ ਆਦਿ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਸੁਚਾਲਕ ਹਨ ।

ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ – ਧਾਤਾਂ ਆਪਣੇ ਇਲੈੱਕਟਾਂ ਗੁਆ ਕੇ ਧਨਾਤਮਕ ਆਇਨ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਬਿਜਲਈ ਧਨਾਤਮਕ ਤੱਤ ਹਨ ।

(1) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਧਾੜਵੀ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਖਾਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਭਿੰਨਭਿੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

(i) ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ Na, K ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਕਿ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹਨ ।
4Na(s) + O(g) → 2Na2O (s)
Na2 O(s) + H2O → 2NaOH (aq)

(ii) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg) ਦੇ ਰਿਬਨ ਨੂੰ ਬਾਲ ਕੇ ਜਦੋਂ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਬਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 1

(iii) ਤਾਂਬਾ (Cu) ਅਤੇ ਲੋਹਾ (Fe) ਖ਼ੁਸ਼ਕ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਉੱਚ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 2

(2) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਧਾਤਾਂ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਮੁਕਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਵਿਭਿੰਨ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਦਰ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(i) Na, K, Zn, Mg, Fe ਆਦਿ ਘਟਦੇ ਕ੍ਰਮ ਵਿੱਚ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ-
2Na + 2HCl → 2NaCl +H2
Mg + 2HCl → MgCl2 + H2
Zn + H2SO4 → Zn SO4 + H2

(ii) ਪਤਲੇ ਨਾਈਟ੍ਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ Cu, Ag, Pb, Hg ਧਾਤਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ NO (ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਆਕਸਾਈਡ) ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
3Cu + 8HNO3 → 3Cu(NO3)2 + 2NO +4H2O
3Ag + 4HNO3 → 3AgNO3 + NO + 2H2O

(iii) Mg ਅਤੇ Mn ਨਾਲ ਪਤਲਾ ਨਾਈਟ੍ਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਮੁਕਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
Mg + 2HNO3 → Mg(NO3)2 + H2

(iv) ਸੋਨਾ ਅਤੇ ਪਲਾਟੀਨਮ ਪਤਲੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ ।

(3) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਧਾਤਾਂ, ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਬਿਜਲੀ ਸੰਯੋਜਕ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
Ca + Cl2 → CaCl2

(4) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ Na, K ਅਤੇ Ca ਆਦਿ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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(5) ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ-
(i) ਜਦੋਂ ਪਾਣੀ ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਹੋਵੇ ਤਾਂ Na, K, Ca ਆਦਿ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਮੁਕਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।
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(ii) ਜਦੋਂ ਪਾਣੀ ਉਬਲਦਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ Mg, Zn, Fe ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਦੋ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਹੜੀਆਂ ਤਾਪ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਸੂਚਾਲਕ ਹੋਣ । ਤਾਪ ਦੀਆਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਅਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ ਚਾਲਕ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਪਰ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੋਨੋਂ ਧਾਤਾਂ ਤਾਪ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਸੂਚਾਲਕ ਹਨ । ਚਾਂਦੀ ਤਾਪ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਤਮ ਚਾਲਕ ਹੈ ਜਦਕਿ ਲੈਂਡ ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਤਾਪ ਦੀ ਘੱਟ ਚਾਲਕ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਖਿੱਚੀਣਸ਼ੀਲਤਾ ਗੁਣ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਸਹਿਤ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਖਿੱਚੀਣਸ਼ੀਲਤਾ-ਧਾਤ ਦੇ ਪਤਲੇ ਤਾਰ ਖਿੱਚਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ਖਿੱਚੀਣਸ਼ੀਲਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਸੋਨਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਖਿੱਚੀਣਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਹੈ । ਸਿਰਫ਼ 1 ਗ੍ਰਾਮ ਸੋਨੇ ਦੀ ਲਗਭਗ 2 km ਲੰਬੀ ਤਾਰ ਬਣਾਈ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਗੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲੱਛਣ ਵਾਲਾ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤਾਂ ਆਪਣੇ ਇਲੈਕਟ੍ਰਾਨ ਨੂੰ ਗੁਆ ਕੇ ਧਨਾਤਮਕ ਆਇਨ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਧਨਾਤਮਕ ਤੱਤ ਹਨ ! ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਇਹ ਆਇਨੀਕਰਨ ਗੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਜਿਵੇਂ Mg ਧਾਤ ਨੂੰ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਗੁਆ ਕੇ Mg2+ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
Mg → Mg2+ + 2e,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕ ਕਿਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ? ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਅਤੇ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਤੇ ਟਿੱਪਣੀ ਕਰੋ !
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤ ਤੋਂ ਅਧਾਤ ਵੱਲ ਹੋਏ ਇਲੈੱਕਟਾਂਨ ਦੇ ਸਥਾਨਾਂ ਤੋਂ ਬਣੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਨੂੰ ਆਇਨੀ ਯੋਗਿਕ ਜਾਂ ਬਿਜਲਈ ਸੰਯੋਜਕ ਯੌਗਿਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ – NaCl, CaCl2, CaO, MgCl2.

ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਉਬਾਲ ਅੰਕ ਅਤੇ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਉੱਚੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸਦੇ ਪ੍ਰਬਲ ਅੰਤਰ-ਆਇਨੀ ਆਕਰਸ਼ਣ ਬਲ ਨੂੰ ਸਮਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਉਰਜਾ ਦੀ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਖਣਿਜ ਅਤੇ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖਣਿਜ ਅਤੇ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਖਣਿਜ (Minerals) ਕੱਚੀ ਧਾਤ (Ores)
(1) ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਿਰਿਤਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਯੌਗਿਕ ਉਪਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਖਣਿਜ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । (1) ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਖਣਿਜਾਂ ਤੋਂ ਲਾਭਦਾਇਕ ਅਤੇ ਸੌਖ ਨਾਲ ਧਾਤਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
(2) ਕਈ ਖਣਿਜਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਮਾਤਰਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜਦਕਿ ਹੋਰਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਮਾਤਰਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਸਾਰੀਆਂ ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤ ਦੀ ਕਾਫ਼ੀ ਮਾਤਰਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(3) ਕੁੱਝ ਖਣਿਜਾਂ ਵਿੱਚ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਦੀ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਧਾਤ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਵਿਚ ਰੁਕਾਵਟ ਪਾਉਂਦੀ ਹੈ । (3) ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਵੀ ਰੁਕਾਵਟ ਪਾਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(4) ਸਾਰੇ ਖਣਿਜਾਂ ਨੂੰ ਧਾਤ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਲਈ ਉਪਯੋਗ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਸਾਰੇ ਖਣਿਜ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (4) ਸਾਰੀਆਂ ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਧਾਤ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਦੇ ਲਈ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਵਿਭਿੰਨ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤਾਂ, ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਧਾਤ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲ ਕੇ ਧਾਤ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਪਰੰਤੁ ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ, ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਜਿਹੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਠੰਡੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦੀ । ਕਿਰਿਆ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ ਅਤੇ ਤਾਪ-ਨਿਕਾਸੀ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਤੋਂ ਬਣੀ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਇੱਕ ਦਮ ਅੱਗ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
2K (s) + 2H2O (l) → 2KOH (aq) + H2 (g) + ਤਾਪ ਊਰਜਾ
2Na (s) + 2H2O (l) → 2NaOH (aq) + H2 (g) + ਤਾਪ ਊਰਜਾ

ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਧੀਮੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
Ca (s) + 2H2 O (l) → Ca (OH)2 (aq) + H2 (g)

ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਜ਼ਿੰਕ ਅਤੇ ਆਇਰਨ ਧਾਤਾਂ ਨਾ ਤਾਂ ਠੰਡੇ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਪਰੰਤੂ ਭਾਫ਼ ਦੇ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਧਾਤ ਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
2Al (S) + 3H2 O (g) → Al2O3 (s) + 3H2 (g).
3Fe (s) + 4H2O (g) → Fe3O4 (s) + 4H2(g)
ਲੈਂਡ, ਕਾਪਰ ਅਤੇ ਗੋਲਡ (ਸੋਨੇ) ਜਿਹੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਅਧਾਤਾਂ ਦੀ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਨਾਲ ਰਿਕਿਆ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਆਕਸੀਜਨ
(b) ਤੇਜ਼ਾਬ
(c) ਕਲੋਰੀਨ
(d) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਧਾਤਾਂ ਬਿਜਲੀ ਰਿਣਾਤਮਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਂਨਾਂ ਨੂੰ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਰਿਣਾਤਮਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਚਾਰਜ ਯੁਕਤ ਆਇਨ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

(a) ਅਧਾਤਾਂ ਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜਕ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜੋ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲ ਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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(b) ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਅਧਾਤਾਂ, ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਪੂਰਾ ਹੋਣ ਲਈ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੇ H+ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ਜੋ ਅਧਾਤਾਂ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਅਧਾਤਾਂ ਦੀ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕੋਈ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਹੀਂ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(c) ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਅਧਾਤਾਂ, ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਵਾਲੇ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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(d) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ – ਅਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
H2 + S → H2S (ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਸਲਫਾਈਡ)
H2 + Cl2 → 2HCl (ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਲੋਰਾਈਡ)
C + 2H2 → CH4 (ਮੀਥੇਨ)
ਇਹ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਇਲੈੱਕਨਾਂ ਦੀ ਸਾਂਝੇਦਾਰੀ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜਨ ਬੰਧਨ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਕੁੰਨਣ ਕਿਰਿਆ ਕੀ ਹੈ ? ਇਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਦੋਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਇਸ ਵਿੱਚ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨਾਂ ਲਈ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਨਾਂ ਲਿਖੋ !
ਉੱਤਰ-
ਭੁੰਨਣ ਕਿਰਿਆ (Roasting) – ਸੰਘਣਾਪਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਗਰਮ ਕਰਨਾ ਭੁੰਨਣ ਤੀਕਿਰਿਆ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ | ਜ਼ਿੰਕ ਅਤੇ ਲੈਂਡ ਦੇ ਕਾਰਬੋਨੇਟਾਂ ਅਤੇ ਸਲਫਾਈਡਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲਣ ਲਈ ਭੈਣਨ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਜੇਕਰ ਸਿਲਵਰ ਨਾਈਟਰੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਕਾਪਰ ਦੀ ਪੱਤੀ ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਲਈ ਡੁਬੋ ਕੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਹੋ ਰਹੀ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਪਰ, ਸਿਲਵਰ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿਆਦਾ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਕਾਪਰ ਦੀ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਲਈ ਸਿਲਵਰ ਨਾਈਟਰੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਿਲਵਰ ਜਮਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਘੋਲ ਦਾ ਰੰਗ ਨੀਲਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਨੂੰ ਲੋਹੇ ਦੇ ਬਰਤਨ ਵਿੱਚ ਪਾ ਕੇ ਰੱਖਣ ਨਾਲ ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਮਗਰੋਂ ਬਰਤਨ ਵਿੱਚ ਛੇਕ ਹੋ ਗਏ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਲਿਖੋ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ ਤੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਕ੍ਰਮ ਅਨੁਸਾਰ ਲੋਹਾ ਪਹਿਲਾਂ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ਅਰਥਾਤ ਲੋਹਾ, ਕਾਪਰ ਦੀ ਤੁਲਨਾ । ਵਿਚ ਜ਼ਿਆਦਾ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ CusO4 ਦੇ ਘੋਲ ਤੋਂ ਲੋਹਾ, ਕਾਪਰ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਤ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਲੋਹੇ ਦੇ ਬਰਤਨ ਵਿੱਚ ਛੇਕ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ-
CuSO4 + Fe → FeSO4 + Cu
Cu2+ (aq) + Fe (s) → Fe+2(aq) + Cu (s)

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਕਾਪਰ ਨੂੰ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਖੁੱਲ੍ਹਾ ਛੱਡਣ ਨਾਲ ਉਸਦਾ ਰੰਗ ਹਰਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਪਰ, ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਸਿੱਲੀ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੇ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਸ ਦੀ ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦੀ ਲਿਸ਼ਕ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਉੱਪਰ ਹਰੇ ਰੰਗ ਦੀ ਪਰਤ ਜੰਮ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਹਰਾ ਪਦਾਰਥ ਬੇਸਿਕ ਕਾਪਰ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
24 ਕੈਰਟ ਸੋਨਾ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
24 ਕੈਰਟ ਮੋਨਾ – ਸ਼ੁੱਧ ਸੋਨੇ ਨੂੰ 24 ਕੈਰਟ ਸੋਨਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਨਰਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਸਖ਼ਤ (ਕਰਤਾ) ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਇਸ ਵਿੱਚ ਚਾਂਦੀ ਜਾਂ ਕੱਪਰ ਮਿਸ਼ਰਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਗਹਿਣੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ 22 ਕੈਰਟ ਸੋਨੇ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਕਿ 22 ਭਾਗ ਸ਼ੁੱਧ ਸੋਨੇ ਵਿੱਚ 2 ਭਾਗ ਕਾਪਰ ਜਾਂ ਚਾਂਦੀ ਮਿਸ਼ਰਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਸਲਫਾਈਡ ਦੀ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਨੂੰ ਸੰਘਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ । ਸੰਘਣਿਤ ਸਲਫਾਈਡ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਬਦਲਣ ਲਈ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤੀ ਗਈ ਵਿਧੀ ਦਾ ਦੋ ਚਰਣਾਂ ਵਿੱਚ ਸੰਖੇਪ ਨਾਲ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਲਫਾਈਡ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਦੇ ਵੱਡੇ ਟੁੱਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਬਰੀਕ ਪੀਸ ਕੇ ਪਾਊਡਰ ਬਣਾ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਹੁਣ ਇਸਨੂੰ ‘ਝੱਗ ਤਰਾਓ ਵਿਧੀ’ ਦੁਆਰਾ ਸੰਘਣਾ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੰਘਣੀ ਕੀਤੀ ਹੋਈ ਸਲਫਾਈਡ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਬਦਲਣ ਲਈ ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਦੋ ਚਰਣ ਹਨ-

(1) ਭੰਨਣਾ (Roasting) – ਸੰਘਣੀ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿਚ ਬਦਲ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਧੀ ਨੂੰ ਭੰਨਣ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
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(2) ਲਘੂਕਰਨ (Reduction) – ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਤੋਂ ਬਣਾਏ ਗਏ ਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਲਘੂਕਾਰਕ ਨਾਲ ਗਰਮ ਕਰਨ ਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਮੁਕਤ ਹੋਈ ਧਾਤੂ ਬਾਕੀ ਬੱਚ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ZnO + C → Zn + CO

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕੋਈ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ (SO2) ਗੈਸ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਤੋਂ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸ਼ਾਮਿਲ ਨਿਯਮ ਨੂੰ ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਪਰ ਦੀ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਕਾਪਰ ਪਾਈਰਾਈਟ (CuS) ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਨ ‘ਤੇ SO2 ਗੈਸ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਤੋਂ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਚਰਨ ਹਨ-
(i) ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਬਾਰੀਕ ਚਰਣ ਕਰਕੇ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਪਾਇਨ ਆਇਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਇਸ ਵਿਚੋਂ ਉੱਚ ਦਾਬ ਵਾਲੀ ਹਵਾ ਲੰਘਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਇਸ ਦੀਆਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਹੋ ਜਾਣ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਸੰਘਣੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਧੀ ਨੂੰ ਝੱਗ ਤਰਾਓ ਵਿਧੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

(ii) ਹੁਣ ਸੰਘਣਿਤ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਭੰਨਣ ਦੁਆਰਾ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ Cus ਦਾ ਕੁੱਝ ਭਾਗ Cu0 ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਹਵਾ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
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ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਾਪਰ ਤਰਲ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ । ਹੁਣ ਇਸਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਸ਼ੁੱਧ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(iii) ਬਿਜਲਈ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ – ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਅਸ਼ੁੱਧ ਕਾਪਰ ਦੀ ਛੜ ਨੂੰ ਐਨੋਡ ਅਤੇ ਸ਼ੁੱਧ ਕਾਪਰ ਪਲੇਟ ਨੂੰ ਕੈਥੋਡ ਬਣਾ ਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੰਘਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਧਰਮਿਟ (Thermite) ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਥਰਮਿਟ (Thermite) – ਕੁੱਝ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਬਹੁਤ ਤਾਪ ਨਿਕਾਸੀ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਉਤਸਰਜਿਤ ਹੋਈ ਤਾਪ ਉਰਜਾ ਇੰਨੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਧਾਤਾਂ ਤਰਲ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਆਇਰਨ (III) ਆਕਸਾਈਡ (Fe203) ਦੇ ਨਾਲ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਤਾਪ ਉਤਸਰਜਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
Fe2O3(s) + 2Al (s) → 2Fe(l) + Al2O3 (s) + ਤਾਪ ਊਰਜਾ
ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਥਰਮਿਟ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਦਾ ਉਪਯੋਗ ਰੇਲ ਦੀਆਂ ਪਟੜੀਆਂ ਅਤੇ ਮਸ਼ੀਨੀ ਪੁਰਜ਼ਿਆਂ ਦੀਆਂ ਦਰਾੜਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜਨ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਪੰਜ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਉਪਯੋਗ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਉਪਯੋਗ-

  1. ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲਾਂ ਤੋਂ ਬਨਸਪਤੀ-ਘਿਓ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਕਾਰਬਨ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਅਧਾਤ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਸਾਨੂੰ ਵਿਟਾਮਿਨ, ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡੇਟ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਵਿਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਡ ਵਜੋਂ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਅਮੋਨੀਆ, ਨਾਈਟ੍ਰਿਕ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਖਾਦ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਦਹਿਨ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
  4. ਆਕਸੀਜਨ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ । ਦਹਿਨ ਕਿਰਿਆ ਇਸ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੀ ਸੰਭਵ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  5. ਸਲਫਰ (ਗੰਧਕ) ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਦਵਾਈਆਂ ਅਤੇ ਬਾਰੂਦ ਬਣਾਉਣ ਵਿਚ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਭੰਨਣ ਅਤੇ ਭਸਮੀਕਰਣ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਭੰਨਣ ਅਤੇ ਭਸਮੀਕਰਣ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਭੁੰਨਣ (Roasting) ਭਸਮੀਕਰਨ (Calcination)
(1) ਭੰਨਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਸਲਫਾਈਡ ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । (1) ਭਸਮੀਕਰਨ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਅਤੇ ਹਾਈਟਿਡ ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
(2) ਭੰਨਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿਚ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । (2) ਭਸਮੀਕਰਨ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਕੱਚੀ-ਧਾਤ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਅਣਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
(3) ਇਸ ਵਿੱਚ SO2 ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (3) ਇਸ ਵਿੱਚ CO2 ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(4) ਉਦਾਹਰਨ – ਸੰਘਣਤ ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਜ਼ਿੰਕ ਬਲੈਂਡੀ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । (4) ਉਦਾਹਰਨ – ਜ਼ਿੰਕ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਅਣਹੋਂਦ ਵਿਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕ ਸੋਡੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ, ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਕਲੋਰੀਨ ਤੋਂ ਮਿਲ ਕੇ ਕਿਵੇਂ ਬਣਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਕਲੋਰਾਈਡ ਆਇਨ ਉਲਟ (ਵਿਪਰੀਤ) ਚਾਰਜਿਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਪਰਸਪਰ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਵੱਲ ਖਿੱਚੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਸਥਿਰ ਬਿਜਲਈ ਬਲ ਨਾਲ ਬੰਨ੍ਹੇ ਜਾਣ ਕਾਰਨ ਸੋਡੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਸੋਡੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਅਣੂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ, ਪਰੰਤੂ ਵਿਪਰੀਤ ਆਇਨਾਂ ਦੇ ਸਮੂਹ ਵਜੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਬਿਜਲਈ ਵਿਘਟਨੀ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲਈ ਵਿਘਟਨੀ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ – ਕਾਪਰ, ਜ਼ਿੰਕ, ਟਿੱਨ, ਨਿੱਕਲ, ਚਾਂਦੀ ਅਤੇ ਸੋਨਾ ਆਦਿ ਅਜਿਹੀਆਂ ਕਈ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਬਿਜਲਈ ਵਿਘਟਨੀ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦਾ ਐਨੋਡ ਅਤੇ ਅਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੀ ਪਤਲੀ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਕੈਥੋਡ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਧਾਤ ਦੇ ਲੁਣ ਦਾ ਘੋਲ ਬਿਜਲਈ ਵਿਘਟਨ ਵਜੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਬਿਜਲਈ ਵਿਘਟਨ (ਇਲੈੱਕਟੋਲਾਈਟ) ਵਿਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਐਨੋਡ ਤੋਂ ਅਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਘੁਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇੰਨੀ ਹੀ ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਘੋਲ ਵਿਚੋਂ ਕੈਥੋਡ ਤੇ ਜਮਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਚਲੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਅਣ-ਘੁਲ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਐਨੋਡ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਗਾਰ ਵਜੋਂ ਇਕੱਠੀਆਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਲਘੂਕਰਨ ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਦੌਰਾਨ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ ਅਪਣਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਘੂਕਰਨ (Reduction) – ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਤੋਂ ਧਾਤਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਲਘੂਕਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ | ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਮ ਅਨੁਸਾਰ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਵਿਧੀ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ-
(1) ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਹੇਠਾਂ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਸਿਰਫ਼ ਹਵਾ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਨ ਤੇ ਹੀ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ-ਪਾਰੇ ਦੀ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਸਿਨੇਬਾਰ ਨੂੰ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਅਰਥਾਤ ਭੁੰਨਣ ਤੇ ਪਾਰਾ ਮੁਕਤ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 32

(2) ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕੋਕ ਨਾਲ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਲਘੂਕਰਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ-ਲੋਹਾ, ਜ਼ਿੰਕ, ਨਿੱਕਲ, ਟਿੱਨ, ਧਾਤਾਂ ਆਦਿ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 33

(3) ਕੁਝ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਲਘੂਕਰਨ ਜ਼ਿਆਦਾ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅਤਿ-ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ ਜਿਵੇਂ K, Na, Ca ਆਦਿ ਲਈ ਵੀ ਲਘੂਕਰਨ ਵਿਧੀ ਵਰਤੋਂ ਵਿੱਚ ਲਿਆਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ-ਮੈਂਗਨੀਜ਼ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੁਆਰਾ ਲਘੂਕਰਨ ਕਰਕੇ ਮੈਂਗਨੀਜ਼ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
3MnO2 + 4Al → 3Mn + 2Al2O3

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਦੇ ਭੰਡਾਰਨ ਲਈ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਬਰਤਨ ਕਿਉਂ ਵਰਤੇ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਦੇ ਭੰਡਾਰਨ ਲਈ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਬਰਤਨ ਇਸ ਲਈ ਉਪਯੋਗ ਨਹੀਂ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਕਿਉਂਕਿ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਲੂਣ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
2Al + 2NaOH +2H2O → 2NaAlO2 + 3H2

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਉਪਯੋਗ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਉਪਯੋਗ-

  1. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਹਲਕੀ ਧਾਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ਾਂ ਦੀ ਬਾਡੀ ਅਤੇ ਮੋਟਰ ਇੰਜਣ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਬਰਤਨ, ਫੋਟੋਫੇਮ ਅਤੇ ਘਰੇਲੂ ਵਰਤੋਂ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਵਸਤਾਂ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਸੁਚਾਲਕ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਸੰਚਾਰ ਲਈ ਵਰਤੀਆਂ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।
  4. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ, ਖਾਣ ਦਾ ਸਾਮਾਨ, ਦਵਾਈਆਂ ਅਤੇ ਦੁੱਧ ਦੀਆਂ ਬੋਤਲਾਂ ਆਦਿ ਨੂੰ ਪੈਕ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  5. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਪਾਊਡਰ ਸਿਲਵਰ ਪੇਂਟ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ।
  6. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਪਾਉਡਰ ਐਲੁਮੀਨੋ-ਥਰੈਮੀ ਵਿੱਚ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਲੋਹੇ ਦੀਆਂ ਪਟੜੀਆਂ ਅਤੇ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਦੇ ਟੁੱਟੇ ਭਾਗ ਜੋੜਨ ਦੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ-
(i) ਲੋਹੇ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਕੋਕ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
(ii) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਨੂੰ ਪਤਲੇ ਲੂਣ ਦੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
(iii) ਨੀਲੇ ਥੋਥੇ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿੰਕ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰ)
ਉੱਤਰ-
(i) ਲੋਹੇ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਕੋਕ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਜਦੋਂ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਲੋਹੇ ਦਾ ਆਕਸਾਈਡ ਲਘੁਕ੍ਰਿਤ ਹੋ ਕੇ ਲੋਹੇ ਦੀ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
C + O2 → CO2
CO2 + C → 2CO
Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2

(ii) ਜਦੋਂ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਨੂੰ ਹਲਕੇ ਲੂਣ ਦੇ ਤੇਜ਼ਾਬ (ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ) ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 34

(iii) ਜਦੋਂ ਨੀਲੇ ਥੋਥੇ (CuSO4) ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿੰਕ ਨੂੰ ਡੁਬੋਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਜ਼ਿੰਕ ਧਾਤ, ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿਚੋਂ ਕੱਪਰ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਤ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਨੀਲੇ ਥੋਥੇ (CuSO4) ਦਾ ਨੀਲਾ ਰੰਗ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 35

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਇੱਕ ਕਿਰਿਆ-ਕਲਾਪ ਰਾਹੀਂ ਇਹ ਦੱਸੋ ਕਿ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਲਈ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਪ੍ਰਯੋਗ ਰਾਹੀਂ ਸਿੱਧ ਕਰੋ ਕਿ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਲਈ ਹਵਾ/ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਨਮੀ ਦਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ? ਚਿੱਤਰ ਵੀ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 36
ਕਿਰਿਆ-ਕਲਾਪ – ਤਿੰਨ ਪਰਖਨਲੀਆਂ A, B ਅਤੇ C ਲਵੋ । A ਨਲੀ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਲੋਹੇ ਦੀਆਂ ਕਿੱਲਾਂ ਪਾਓ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਰੋ । C ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਕਿੱਲਾਂ ਪਾ ਕੇ ਉਸ ਵਿੱਚ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਪਾਓ । ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਵਾਲਾ ਪਦਾਰਥ ਹੈ । B ਨਲੀ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਕਿੱਲਾਂ ਰੱਖੋ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਇਕ-ਦੋ ਬੂੰਦਾਂ ਤੇਲ ਦੀਆਂ ਪਾਓ । ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਬਾਅਦ ਅਸੀਂ ਦੇਖਦੇ ਹਾਂ ਕਿ A ਨਲੀ ਵਿਚ ਪਈਆਂ ਕਿੱਲਾਂ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਿਲ੍ਹ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੋਵੇਂ ਮਿਲ ਗਏ । B ਨਲੀ ਵਿੱਚ ਕਿੱਲਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ C ਵਾਲੇ ਨੂੰ ਸਿਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਕੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ? ਇਹ ਕਿਉਂ ਬਣਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤਾਂ (Alloys) – ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਾਤਾਂ ਜਾਂ ਇੱਕ ਧਾਤ ਅਤੇ ਇੱਕ ਅਧਾਤ ਦੇ ਸੰਯੋਗ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸਮਅੰਗੀ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਦੇ ਗੁਣ ਮੂਲ ਧਾਤਾਂ ਤੋਂ ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕਤਾ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ – ਦੇਖੋ ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ” ਸਿਰਲੇਖ ਅਧੀਨ ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8 ਸਫ਼ਾ 72.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਮੁੱਖ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾੜਾਂ ਦੇ ਨਾਂ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਸ਼ ਅਤੇ ਉਪਯੋਗ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੁੱਖ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਸ਼ ਅਤੇ ਉਪਯੋਗ-

ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਅੰਸ਼ ਉਪਯੋਗ
(1) ਸਟੀਲ ਲੋਹਾ, ਕਾਰਬਨ ਜਹਾਜ਼ਾਂ, ਬਿਲਡਿੰਗਾਂ ਅਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ।
(2) ਸਟੇਨਲੈਸ ਸਟੀਲ ਲੋਹਾ, ਕੋਮੀਅਮ, ਨਿਕਲ, ਕਾਰਬਨ ਬਰਤਨ, ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਦੇ ਪੁਰਜ਼ੇ, ਚਾਕੂ, ਬਲੇਡ ਅਤੇ ਦੁੱਧ ਉਦਯੋਗਾਂ ਲਈ ਉਪਕਰਨ ।
(3) ਪਿੱਤਲ ਤਾਂਬਾ, ਜ਼ਿੰਕ ਬਰਤਨ, ਮੂਰਤੀਆਂ, ਜਹਾਜ਼, ਤਗਮੇ (ਮੈਂਡਲ), ਭਾਫ਼ ਵਾਲੀ ਗੱਡੀਆਂ ਦੇ ਪੁਰਜ਼ੇ ।
(4) ਟਾਂਕਾ (ਸੋਲਡਰ) ਲੈਂਡ, ਟਿੱਨ. ਜੋੜਾਂ ਵਿੱਚ ਟਾਂਕਾ ਲਗਾਉਣ ਲਈ ।
(5) ਜਰਮਨ ਸਿਲਵਰ ਤਾਂਬਾ, ਨਿੱਕਲ, ਜ਼ਿੰਕ ਬਰਤਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਉਪਕਰਨ ।
(6) ਬੈੱਲ ਮੈਟਲ ਕਾਪਰ, ਟਿੱਨ ਘੰਟੀਆਂ ਆਦਿ ਲਈ ।
(7) ਡਿਊਰਐਲੂਮਿਨ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਕਾਪਰ, ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ ਦੇ ਪੰਖ, ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ ਦੀ ਰਸੋਈ ਦੇ ਬਰਤਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਉਪਯੋਗ ਲਿਖੋ । .
(i) ਪਿੱਤਲ
(ii) ਐਲਨਿਕੋ
(iii) ਡਿਊਰਾਲਊਮਿਨ
(iv) ਜਰਮਨ ਸਿਲਵਰ
(v) ਗੰਨ-ਮੈਟਲ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਪਿੱਤਲ (Brass) – ਇਸ ਵਿੱਚ 701 ਕੱਪਰ (Cu) ਅਤੇ 30% ਜ਼ਿੰਕ (Zn) ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਿੱਤਲ ਦੇ ਬਰਤਨ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

(ii) ਐਲਨਿਕੋ (Alnico) – ਇਸ ਵਿੱਚ 63% ਆਇਰਨ (Fe), 20 ਨਿੱਕਲ (Ni), 12% ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ (Al) ਅਤੇ 5% ਕੋਬਾਲਟ (Co) ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਸਥਾਈ ਚੁੰਬਕ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(iii) ਡਿਊਰਾਲਊਮਿਨ – ਇਸ ਵਿੱਚ 4% ਤਾਂਬਾ (Cu), 95.5% ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ (Al) ਅਤੇ 5% ਮੈਂਗਨੀਜ਼ (Mn) ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ਾਂ ਦੇ ਪੁਰਜ਼ੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(iv) ਜਰਮਨ ਸਿਲਵਰ – ਇਸ ਵਿੱਚ 55-65% ਕਾਪਰ (C), 13-27% ਜ਼ਿੰਕ (Zn) ਅਤੇ 10-30% ਨਿਕਲ (Ni) ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਛੁਰੀਆਂ ਕਾਂਟੇ, ਖਾਣੇ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤੀਰੋਧੀ ਤਾਰਾਂ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(v) ਗੰਨ-ਮੈਟਲ – ਇਹ 88% ਕਾਪਰ (Cu), 10% ਟਿਨ (Sn), 2% ਜ਼ਿੰਕ (Zn) ਤੋਂ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਬੰਦੂਕਾਂ ਬਣਾਉਣ, ਗੀਅਰਾਂ ਦੇ ਬੇਅਰਿੰਗ ਆਦਿ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Very Short Answer Type Question)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਧਾਤ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ਜਿਹੜੀ ਕਮਰੇ ਦੇ ਤਾਪਮਾਨ ‘ਤੇ ਤਰਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਾਰਾ (ਮਰਕਰੀ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਇੱਕ ਅਧਾਤ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿਹੜੀ ਸਾਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਤਰਲ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਧਾਤ : ਬੋਮੀਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜੀ ਧਾਤ ਸਰੀਰ ਤੇ ਤਾਪ (37) ਤੇ ਪਿਘਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਗੋਲੀਅਮ, ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ, ਸੀਜ਼ੀਅਮ, ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੈਲੀਅਮ ਅਤੇ ਸੀਜ਼ੀਅਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਇੱਕ ਅਜਿਹੀ ਅਧਾਤ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਹੜੀ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਸੁਚਾਲਕ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਾਈਟ (ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਭਿੰਨ ਰੂਪ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇਕ ਅਧਾਤ X ਦੋ ਵਿਭਿੰਨ ਰੂਪਾਂ Y ਅਤੇ 2 ਵਿਚ ਉਪਲੱਬਧ ਹਨ ।Y ਸਭ ਤੋਂ ਕਰੜੀ (ਸਖ਼ਤ) ਹੈ ਜਦਕਿ 1 ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਸੁਚਾਲਕ ਹੈ ।Y ਅਤੇ 1 ਦੀ ਪਛਾਣ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
Y – ਹੀਰਾ (ਡਾਇਮੰਡ)
Z – ਫ਼ਾਈਟ ।
ਹੀਰਾ ਅਤੇ ਸ਼੍ਰੋਫ਼ਾਈਟ ਦੋਨੋਂ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਭਿੰਨ ਰੂਪ ਹਨ ਇਸ ਲਈ X ਕਾਰਬਨ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਇਕ ਤੱਤ X ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ X2O ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਆਕਸਾਈਡ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੈ ਅਤੇ ਨੀਲੇ ਟਮਸ ਨੂੰ ਲਾਲ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਤੱਤ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਦੱਸੋ ਅਰਥਾਤ ਇਹ ਦੱਸੋ ਕਿ ਤੱਤ, ਧਾਤ ਹੈ ਜਾਂ ਅਧਾਤ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਨੂੰ ਲਾਲ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਕਿਉਂਕਿ ਤੱਤ X ਦਾ ਆਕਸਾਈਡ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਨੂੰ ਲਾਲ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਤੱਤ X ਅਧਾਤ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਕਿਹੋ ਜਿਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਖਾਰੀ ਆਕਸਾਈਡ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਦੋ ਉੱਚ ਕੁਟੀਣਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਚਾਂਦੀ (ਸਿਲਵਰ ਅਤੇ
  2. ਸੋਨਾ (ਗੋਲਡ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਦੋ ਮੈਟਾਲਾਇਡਸ (ਉਪ-ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਸਿਲੀਕਾਂਨ,
  2. ਆਰਸਨਿਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਖੁੱਲ੍ਹਾ ਛੱਡਣ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਰੰਗ ਫਿੱਕਾ ਕਿਉਂ ਪੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਹਿ ਤੇ ਆਕਸਾਈਡ, ਕਾਰੋਬਨੇਟ ਜਾਂ ਸਲਫ਼ਾਈਡ ਦੀ ਪਰਤ ਬਣ ਜਾਣ ਕਾਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਅਜਿਹੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚਾਕੂ ਨਾਲ ਕੱਟਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਵਿਭਿੰਨ ਆਕਾਰ ਦੇਣਾ ਕਿਉਂ ਸੰਭਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਕੁਟੀਯੋਗ ਅਤੇ ਖਿੱਚੀਣਯੋਗ ਗੁਣਾਂ ਕਾਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ ਇੱਕ ਤਾਪ ਚਾਲਕ ਧਾਤ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲੈਂਡ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕਿਹੜੀ ਧਾਤ ਬਿਜਲੀ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦਾ ਵੱਧ ਤਿਰੋਧ ਕਰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਾਰਾ (ਮਰਕਰੀ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਚਾਰ ਅਜਿਹੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਖਿੱਚੀਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਪਰ, ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਆਇਰਨ, ਲੈਂਡ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਖਾਰ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਖਾਰ ਦੀ ਇਕ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਖਾਰ – ਧਾਤਵੀ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਜਿਹੜੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਖਾਰ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ – ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ (NaOH) ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਦੋ ਐਮਫੋਟੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ
  2. ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਨੂੰ ਇਸਦੇ ਜਲਣ ਤਾਪ ਤੱਕ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਚਿੱਟੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਨਾਲ ਬਲਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਉਹ ਕਿਹੜੀ ਧਾਤ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਪਤਲੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਪਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਉਨ੍ਹਾਂ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਹੜੀਆਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਜਦੋਂ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਧਾਤ ਦੇ ਕਿਸੇ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਵਾਪਰਨ ਵਾਲੀ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
Ca + 2H2O → Ca (OH)2 + H2.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਲਾਲ ਗਰਮ ਲੋਹੇ ਉੱਪਰੋਂ ਭਾਫ਼ ਗੁਜ਼ਾਰਣ ਨਾਲ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 37

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਜਦੋਂ ਕਾਪਰ ਧਾਤ ਦੀ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਜ਼ਿੰਕ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਘੱਟਣ ਵਾਲੀ ਰਸਾਇਣਕ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਦੋ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਹੜੇ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਮੁਕਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਸੋਨਾ
  2. ਪਲਾਟੀਨਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਖੋਰਨ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੋਰਨ – ਹਵਾ ਅਤੇ ਨਮੀ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਉੱਪਰਲੀ ਸਤਹਿ ਦਾ ਸਮਾਪਤ/ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋਣਾ, ਧਾਤ ਦਾ ਖੋਰਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ (Mallability) – ਇਹ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਉਹ ਗੁਣ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਕਾਰਨ ਧਾਤੂਆਂ ਨੂੰ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟ ਕੇ ਬਗੈਰ ਟੁੱਟੇ ਧਾਤੂਆਂ ਨੂੰ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਖਿੱਚੀਣਯੋਗਤਾ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਖਿੱਚੀਣਯੋਗਤਾ (Ductility) – ਇਹ ਧਾਤੂਆਂ ਦਾ ਉਹ ਗੁਣ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਖਿੱਚ ਕੇ ਪਤਲੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਅਸੀਂ ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਬਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਪੇਂਟ ਕਿਉਂ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਬਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਪੇਂਟ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਜੋ ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਬਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਖੋਰਨ ਤੋਂ ਬਚਾਇਆ ਜਾ ਸਕੇ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਅਜਿਹੀ ਅਧਾਤ ਦੀ ਉਦਾਹਰਣ ਦਿਓ ਜੋ :
(i) ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਸੁਚਾਲਕ ਹੈ
(ii) ਚਮਕੀਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਸੁਚਾਲਕ ਅਧਾਤ-ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ
(ii) ਚਮਕੀਲੀ ਅਧਾਤ-ਆਇਓਡੀਨ ।

ਵਸਤੁਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਾਧਾਰਨ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਦ੍ਰ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੀ ਅਧਾਤੂ ਹੈ-
(a) ਕਲੋਰੀਨ
(b) ਬੋਮੀਨ
(c) ਫਲੋਰੀਨ
(d) ਆਇਓਡੀਨ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਬੋਮੀਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਐਮਫੋਟੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡ ਹੈ-
(a) Na2O
(b) BaO
(c) ZnO
(d) K2O.
ਉੱਤਰ-
(c) ZnO.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਕੁੱਟ ਕੇ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰ ਵਿਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਇਹ ਗੁਣ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ-
(a) ਕੁਟੀਣਸ਼ੀਲਤਾ
(b) ਖਿੱਚੀਣਸ਼ੀਲਤਾ
(c) ਧਾਤਵੀ ਲਿਸ਼ਕ
(d) ਕਠੋਰਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਕੁਟੀਣਸ਼ੀਲਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਕਿਹੜੀ ਹੈ ?
(a) Na
(b) Mg
(c) Au
(d) K.
ਉੱਤਰ-
(d) K.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
Fe2O3 + 2Al – 2Fe + Al2O3 + ਊਸ਼ਮਾ, ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਨਾਂ ਹੈ –
(a) ਐਲੋਡੀਕਰਨ
(b) ਥਰਮਾਈਟ
(c) ਐਮਲਗਮ
(d) ਉੱਪਰਲੇ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਥਰਮਾਣ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗੈਲਵਨੀਕਰਨ ਸਮੇਂ ਕਿਸ ਧਾਤ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜ੍ਹਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
(a) ਗੋਲੀਅਮ
(b) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ
(c) ਜਿਸਤ
(d) ਚਾਂਦੀ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਜਿਸਤ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰਨਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

(i) ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ ਦੁਆਰਾ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਲੂਣ ਦੇ ਘੋਲ ਤੋਂ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ………………….. ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਵਿਸਥਾਪਨ

(ii) ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਧਾਤ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਾਤਾਂ ਜਾਂ ਧਾਤ ਅਤੇ ਅਧਾਤ ਦਾ …………………… ਮਿਸ਼ਰਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਅੰਗੀ

(iii) ਲੋਹੇ ਦੇ ਪੈਨ ਨੂੰ ਜੰਗ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ……………………. ਦੀ ਪਰਤ ਚੜ੍ਹਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਿੰਕ

(iv) ਸਲਫਾਈਡ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਉੱਚੇ ਤਾਪ ਤੇ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਇਹ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਨੂੰ …………………….. ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਭੰਨਣ

(v) ਧਾਤ ਦੇ ਪਤਲੇ ਤਾਰ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਖਿੱਚਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ………………………. ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਖਿੱਚੀਯੋਗਤਾ ।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 29 धारणीय आर्थिक विकास, आर्थिक विकास का वातावरण पर प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 29 धारणीय आर्थिक विकास, आर्थिक विकास का वातावरण पर प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 29 धारणीय आर्थिक विकास, आर्थिक विकास का वातावरण पर प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग

PSEB 12th Class Economics धारणीय आर्थिक विकास, आर्थिक विकास का वातावरण पर प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
चिरकालीन विकास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
चिरकालीन विकास वह क्रिया है, जिसमें आर्थिक विकास द्वारा न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भविष्य की पीढ़ी की लम्बे समय तक की आवश्यकताओं की अधिकतम पूर्ति की जाती है।

प्रश्न 2.
हरित शुद्ध राष्ट्रीय आय की धारणा को स्पष्ट करो।
उत्तर-
हरित शुद्ध राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय आय – राष्ट्रीय पूंजी की घिसावट।

  • शुद्ध राष्ट्रीय आय-एक देश में निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं, सेवाओं के बाजार मूल्य को शुद्ध राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
  • राष्ट्रीय पूंजी की घिसावट-प्राकृतिक साधनों में कमी + वातावरण की अधोगति।

प्रश्न 3.
साधनों की सीमित उपलब्धता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
साधनों की सीमित उपलब्धता से अभिप्राय है, प्राकृतिक साधनों भूमि, जल, खनिज, जंगल इत्य, की मात्रा का आवश्यकता से कम पाया जाना। आर्थिक विकास के लिए सीमित साधनों के उचित प्रयोग के लिए चयन की समस्या उत्पन्न होती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 29 धारणीय आर्थिक विकास, आर्थिक विकास का वातावरण पर प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग

प्रश्न 4.
भारत में वनों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सन् 2011 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 67.6 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन पाए जाते थे जोकि कुल क्षेत्रफल का 20% हिस्सा है। एक देश के वातावरण को संतुलित रखने के लिए देश में 33 प्रतिशत क्षेत्रफल पर वन होने चाहिए।

प्रश्न 5.
वातावरण की अधोगति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वातावरण की अधोगति से अभिप्राय है जल, भूमि, खनिज तथा जलवायु का दुरुपयोग होना जिससे देश की धरती बंजर हो जाती है, जिससे कृषि तथा औद्योगिक विकास रुक जाता है।

प्रश्न 6.
औद्योगिक प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
औद्योगिक विकास के परिणामस्वरूप जल, वायु, शोर, भूमि तथा मौसम की अधोगति को औद्योगिक प्रदूषण कहा जाता है।

प्रश्न 7.
एक अर्थव्यवस्था की वास्तविक आय में इस प्रकार वृद्धि होना जिससे पर्यावरण संरक्षण तथा जीवन की गुणवत्ता बनी रहे, जिससे न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भावी पीढ़ी को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके को चिरकालीन विकास कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 8.
धारणीय विकास का अर्थ है ……….
(a) प्राकृतिक साधनों का कुशल प्रयोग
(b) भावी पीढ़ी के जीवन की गुणवत्ता बनी रहे।
(c) प्रदूषण में वृद्धि न हो
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 9.
हरित शुद्ध राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय आय (-) ………….
उत्तर-
पूंजी की घिसावट।

प्रश्न 10.
विशुद्ध बचतें (Genuine Savings) = बचत की दर (-) मनुष्य निर्मित पूंजी की घिसावट (-)
उत्तर-
प्राकृतिक पूंजी की घिसावट।

प्रश्न 11.
भूमि की अधोगति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मिट्टी के कटाव तथा पानी के जमाव के कारण भूमि के उपजाऊपन की क्षति को भूमि की अधोगति कहते हैं।

प्रश्न 29.
आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आर्थिक वृद्धि से अभिप्राय है दीर्घकाल में प्रति व्यक्ति वास्तविक आय में वृद्धि होना।

प्रश्न 13.
आर्थिक विकास (Economic Development) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आर्थिक विकास से अभिप्राय है प्रति व्यक्ति वास्तविक आय और आर्थिक कल्याण में दीर्घकाल में वृद्धि होना।

प्रश्न 14.
चिरकालीन विकास (Sustainable Development) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
चिरकालीन विकास का अर्थ है प्रति व्यक्ति आय, आर्थिक कल्याण में वृद्धि के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ी के आर्थिक कल्याण को बनाए रखना।

प्रश्न 15.
जीवन की गुणवत्ता का अर्थ लोगों के स्वास्थ्य तथा शिक्षा जीवन से होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 16.
वायु प्रदूषण का अर्थ है वायु में जीवन के लिए ज़रूरी तत्त्वों में प्रदूषण।
उत्तर-
सही।

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
चिरकालीन विकास से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
धारणीय आर्थिक विकास का अर्थ-धारणीय आर्थिक विकास (Sustainable Economic Development) की धारणा बरंट्रडलैंड रिपोर्ट (Brendtland Report) में पहली बार 1987 में प्रयोग की गई। इस सम्बन्ध में विकास तथा पर्यावरण के लिए विश्व कमीशन (World Commission on environment and development) की स्थापना की गई थी। इस कमीशन के अनुसार विकास की प्रक्रिया का सम्बन्ध वर्तमान की कम समय की आवश्यकताओं से नहीं है, बल्कि इसका सम्बन्ध लम्बे समय के आर्थिक विकास से होता है। रॉबर्ट रिपीटो के शब्दों में, “धारणीय विकास एक ऐसी विकास नीति है जोकि प्राकृतिक तथा मानवीय साधनों, वित्तीय तथा भौतिक भण्डारों का प्रबन्धीकरण इस प्रकार करती है जिससे दीर्घकाल में धन तथा भलाई में वृद्धि हो।”

प्रश्न 2.
पर्यावरण की अधोगति (Environment Degradation) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर–
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में आर्थिक विकास की वृद्धि के लिए कृषि उत्पादन तथा उद्योगों का विकास किया गया ताकि बढ़ रही जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। परन्तु मशीनीकरण पर अधिक ज़ोर तथा खनिज पदार्थों के बिना सोचे-समझे अधिक प्रयोग से पर्यावरण की अधोगति में वृद्धि हुई है। पर्यावरण की अधोगति से अभिप्राय जल, भूमि, खनिज तथा जलवायु का दुरुपयोग होना जिससे एक देश की धरती बंजर हो जाती है।

प्रश्न 3.
वायु प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वायु प्रदूषण-वायु में मुख्य तौर पर 21% ऑक्सीजन, 1% कार्बन डाइऑक्साइड तथा 78.09% नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती हैं। उद्योगों के विकास से वायु में सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड गैसें शामिल हो जाती हैं। इन गैसों के शामिल होने से टी०बी०, दमा, खांसी इत्यादि बीमारियां फैल जाती हैं। इसको वायु प्रदूषण कहा जाता है।

प्रश्न 4.
जल प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जल प्रदूषण-उद्योगों के विकास से जो रासायनिक कूड़ा-कर्कट तथा गन्दा जल निकलता है, इसको नदियों, झीलों तथा नहरों में छोड़ दिया जाता है। इससे जहरीले पदार्थ तथा हानिकारक धातुओं के कण पानी में शामिल हो जाते हैं यह पानी पीने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिस कारण बीमारियां फैलती हैं। इसको जल प्रदूषण कहा जाता

प्रश्न 5.
ध्वनि प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ध्वनि प्रदूषण-उद्योगों में मशीनों के चलने के कारण शोर उत्पन्न होता है। इससे मज़दूरों की सुनने की शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मशीनों में से निकलने वाला धुआं तथा कण बहुत-सी बीमारियों को जन्म देते हैं। इससे टी०बी०, दमा, ब्लड प्रैशर तथा दिमागी तनाव इत्यादि बीमारियां उत्पन्न होती हैं।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न | (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धारणीय विकास के मुख्य लक्षण बताओ।
उत्तर-
धारणीय विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति इस ढंग से की जाती है, ताकि भविष्य की पीढ़ी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से कर सके। धारणीय आर्थिक विकास के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-

  1. लम्बे समय तक प्रति व्यक्ति आय तथा आर्थिक भलाई में वृद्धि हो।
  2. प्राकृतिक साधनों का प्रयोग वर्तमान में आवश्यकता से अधिक न किया जाए।
  3. भविष्य की पीढ़ी अपनी आवश्यकताओं को आसानी से पूरा कर सके।
  4. बिना प्रदूषण के अच्छा जीवन स्तर व्यतीत किया जा सके।

प्रश्न 2.
धारणीय आर्थिक विकास का माप कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
धारणीय आर्थिक विकास का माप दो धारणाओं से किया जाता है-

  1. हरित शुद्ध राष्ट्रीय आय (Green Net National Income)-हरित शुद्ध राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय आय (-) प्राकृतिक साधनों का प्रयोग (-) पर्यावरण अधोगति।
  2. वास्तविक बचत (Genuine Savings)-वास्तविक बचत = बचत की दर (-) मनुष्य द्वारा उत्पादित पूंजी की घिसावट (-) प्राकृतिक साधनों का प्रयोग (-) पर्यावरण अधोगति।

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प्रश्न 3.
भारत में साधनों की प्राप्ति का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत सम्बन्धी कहा जाता है कि यह एक अमीर देश है परन्तु इसमें रहने वाले लोग ग़रीब हैं। भारत में साधन अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। लोहा तथा कोयला अधिक मात्रा में हैं परन्तु खनिज, पेट्रोल तथा तेल की कमी पाई जाती है। भारत में जल साधनों की कोई कमी नहीं। भारत का क्षेत्रफल भी विशाल है। मानवीय साधन बहुत अधिक हैं, परन्तु इन साधनों का प्रयोग उचित ढंग से नहीं किया गया। वन साधनों की कमी पाई जाती है। प्रत्येक देश क्षेत्रफल का 33% भाग वनों के अधीन होना चाहिए, परन्तु भारत में केवल 20% हिस्से पर वन हैं। 54% भूमि पर कृषि नहीं की जाती। भू-क्षरण, सेम, बाढ़ इत्यादि समस्याएं हैं। उद्योगों का विकास किया गया है जिससे औद्योगिक प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसलिए साधनों की प्राप्ति तो काफ़ी है परन्तु इसका उचित तरह से प्रयोग नहीं किया गया।

प्रश्न 4.
भारत में प्राकृतिक साधनों पर नोट लिखो।
उत्तर-
भारत में प्राकृतिक साधन निम्नलिखित हैं-

  1. भूमि साधन-भारत का भौगोलिक क्षेत्र 329 मिलियन हेक्टेयर है। इस क्षेत्र में से 46 प्रतिशत भाग कृषि उत्पादन अधीन है।
  2. जल साधन-भारत में जल साधन काफ़ी मात्रा में हैं। पूरे वर्ष बहने वाली नदियां हैं, परन्तु जल साधनों के 38 प्रतिशत भाग का प्रयोग किया जाता है।
  3. वन-भारत में कुल क्षेत्र का 20 प्रतिशत भाग वनों के अधीन है।
  4. खनिज-भारत में लोहा तथा कोयला काफ़ी मात्रा में है, परन्तु तांबा, जिंक, निकल, सल्फर तथा पेट्रोल इत्यादि कम मात्रा में प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 5.
पर्यावरण की अधोगति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पर्यावरण की अधोगति से अभिप्राय यह है कि स्वतन्त्रता के पश्चात् कृषि उत्पादन तथा उद्योगों का विकास इतनी तीव्रता से किया गया, जिससे भूमि बंजर हो गई, खनिज पदार्थों का दुरुपयोग किया गया, वायु तथा जल प्रदूषित हो गए, कृषि उत्पादन के कारण क्षार तथा सेम की समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। इसको पर्यावरण की अधोगति कहा जाता है।

प्रश्न 6.
कृषि उत्पादन द्वारा भूमि की अधोगति कैसे हुई है ?
उत्तर-
भारत में स्वतन्त्रता के पश्चात् बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि की गई। वनों की कटाई करके कृषि की गई। इससे भूमि की अधोगति हुई है। जैसे कि भारत का कुल क्षेत्रफल 329 मिलियन हेक्टेयर है। इस क्षेत्रफल में से 144 मिलियन हेक्येटर भूमि, भूमि कटाव की शिकार हो गई है। 30 मिलियन हेक्टेयर भूमि, काला शोरा, सेम तथा भूमि कटाव के कारण खराब हो गई है। इस प्रकार 54% हिस्से की अधोगति हो चुकी है जिसमें सुधार करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 7.
प्रदूषण की किस्में बताएं।
उत्तर-

  1. वायु प्रदूषण-वायु में मुख्य तौर पर 21% ऑक्सीजन, 1% कार्बन डाइऑक्साइड तथा 87% नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती है। उद्योगों के विकास से वायु में सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड गैसें शामिल हो जाती हैं। इन गैसों के शामिल होने से टी० बी०, दमा, खांसी इत्यादि बीमारियां फैल जाती हैं। इसको वायु प्रदूषण कहा जाता है।
  2. जल प्रदूषण-उद्योगों के विकास से जो रासायनिक कूड़ा-कर्कट तथा गन्दा जल निकलता है, इसको नदियों, झीलों तथा नहरों में छोड़ दिया जाता है। इससे जहरीले पदार्थ तथा हानिकारक धातुओं के कण पानी में शामिल हो जाते हैं यह पानी पीने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिस कारण बीमारियां फैलती हैं। इसको जल प्रदूषण कहा जाता है।
  3. ध्वनि प्रदूषण-उद्योगों में मशीनों के चलने के कारण शोर उत्पन्न होता है। इससे मजदूरों की सुनने की शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मशीनों में से निकलने वाला धुआं तथा कण बहुत-सी बीमारियों को जन्म देते हैं। इससे टी० बी०, दमा, ब्लड प्रैशर तथा दिमागी तनाव इत्यादि बीमारियां उत्पन्न होती हैं।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धारणीय आर्थिक विकास से क्या अभिप्राय है ? इसकी मुख्य विशेषताएं बताओ। इसका माप कैसे किया जाता है ?
(What is sustainable Economic Growth? Explain the main features of sustainable Economic Growth. How is it measured ?)
उत्तर-
धारणीय आर्थिक विकास का अर्थ-धारणीय आर्थिक विकास (Sustainable Economic Development) की धारणा बरंट्रडलैंड रिपोर्ट (Brendtland Report) में पहली बार 1987 में प्रयोग की गई। इस सम्बन्ध में विकास तथा पर्यावरण के लिए विश्व कमीशन (World Commission on environment and development) की स्थापना की गई थी। इस कमिशन के अनुसार विकास की प्रक्रिया का सम्बन्ध वर्तमान की कम समय की आवश्यकताओं से नहीं है, बल्कि इसका सम्बन्ध लम्बे समय के आर्थिक विकास से होता है। वर्तमान काल के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि, जल, खनिज पदार्थों तथा वनों इत्यादि का प्रयोग लापरवाही से न किया जाए ताकि भविष्यकाल के लोगों की आवश्यकताओं की अवहेलना की जाए तथा पर्यावरण का दुरुपयोग किया जाए।

पर्यावरण में भूमि तथा मौसम को ही शामिल नहीं किया जाता बल्कि इसमें जानवर, पशु, पक्षी, पौधे, जंगल, इत्यादि भी शामिल होते हैं। इस प्रकार धारणीय विकास का अर्थ आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप वर्तमान तथा भविष्य की नस्लें अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें। रोबर्ट रिपीटो के शब्दों में, “धारणीय विकास एक ऐसी विकास नीति है जोकि प्राकृतिक तथा मानवीय साधनों, वित्तीय तथा भौतिक भण्डारों का प्रबन्धीकरण इस प्रकार करती है, जिससे दीर्घकाल में धन तथा भलाई में वृद्धि हो।” धारणीय आर्थिक विकास की विशेषताएं-धारणीय विकास की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. प्रति व्यक्ति आय तथा आर्थिक भलाई में धारणीय वृद्धि।
  2. प्राकृतिक साधनों का आवश्यकता से अधिक प्रयोग न किया जाए।
  3. वर्तमान पीढ़ी, प्राकृतिक साधनों का प्रयोग इस प्रकार करें कि भविष्य की पीढ़ी के लिए आवश्यकताएं पूरी करने के लिए साधनों की कमी न हो।
  4. प्राकृतिक साधनों का प्रयोग इस प्रकार किया जाए, जिससे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि न हो। आर्थिक विकास से प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिससे वर्तमान तथा भविष्य की नस्लों की जीवन गुणवत्ता (Quality of life) पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  5. इसमें वातावरण सुरक्षा की ओर अधिक जोर दिया गया है।
  6. इसमें संरचनात्मक, तकनीकी तथा संस्थागत परिवर्तन पर अधिक ज़ोर नहीं दिया गया।
  7. धारणीय विकास का अर्थ जीवन गुणवत्ता का विकास है। अच्छी जीवन गुणवत्ता से अभिप्राय अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी शिक्षा, शुद्ध वातावरण, शुद्ध जल, वायु तथा अच्छी सामाजिक सुरक्षा से होता है।

धारणीय विकास के सूचक तथा शर्ते-

  • प्रति व्यक्ति आय तथा जीवन गुणवत्ता का विकास।
  • प्राकृतिक साधनों पर वातावरण का सद् उपयोग।
  • ग्रामीण जीवन का सर्वपक्षीय विकास तथा आधुनिक सुविधाएं, पानी, बिजली, टी० वी०, टेलीफोन इत्यादि सुविधाओं में वृद्धि।
  • कृषि उत्पादन में कीटनाशक तथा रासायनिक खादों का कम प्रयोग।
  • उद्योगों द्वारा जल, वायु, तथा ध्वनि प्रदूषण में कमी।

धारणीय आर्थिक विकास की माप विधिधारणीय विकास का माप दो समष्टि धारणाओं द्वारा किया जा सकता है –
1. हरित शुद्ध राष्ट्रीय आय (Green Net National Income) हरित शुद्ध राष्ट्रीय आय का माप निम्नलिखित सूत्र द्वारा किया जाता है हरित शुद्ध राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय आय ( – ) प्राकृतिक पूंजी की घिसावट |

  • शुद्ध राष्ट्रीय आय-देश में अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के एक वर्ष के उत्पादन को शुद्ध राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
  • प्राकृतिक पूंजी की घिसावट-प्राकृतिक पूंजी का अर्थ है प्राकृतिक साधन तथा वातावरण का योग।

प्राकृतिक साधनों तथा वातावरण की घिसावट का अर्थ है, इन साधनों के प्रयोग द्वारा मूल्य में कमी। वास्तविक बचत (Genuine Savings)-वास्तविक बचत द्वारा भी चिरकालीन विकास का माप किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग होता है| वास्तविक बचत = बचत की दर (-) मनुष्य द्वारा बनाई पूंजी की घिसावट – प्राकृतिक पूंजी की घिसावट |

वास्तविक बचत अधिक होने का अर्थ है अधिक चिरकालीन विकास की दर।

  1. बचत की दर-आय में से उपभोग खर्च घटाकर जो राशि शेष बच जाती है।
  2. मनुष्य द्वारा बनाई पूंजी की घिसावट-मनुष्य द्वारा बनाई मशीनों तथा औज़ारों की घिसावट।
  3. प्राकृतिक पूंजी की घिसावट-प्राकृतिक पूंजी की घिसावट में प्राकृतिक साधनों तथा वातावरण के निरन्तर प्रयोग द्वारा मूल्य में हुए नुकसान को शामिल किया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 29 धारणीय आर्थिक विकास, आर्थिक विकास का वातावरण पर प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग

प्रश्न 2.
साधनों की सीमित उपलब्धता से क्या अभिप्राय है ? भारत में साधनों की प्राप्ति का वर्णन कीजिए।
(What do you mean by Limited Availability of Resources? Explain the availability of Resources in India.)
उत्तर-
प्रो० लईस के अनुसार, “किसी देश में साधनों की मात्रा, उस देश के आर्थिक विकास की मात्रा तथा सीमा का निर्धारण करती है।” अल्पविकसित देशों का विकास उस देश में प्राप्त साधनों पर निर्भर करता है। प्राकृतिक साधनों में भूमि, जल साधन, खनिज पदार्थ, वन, मौसम इत्यादि को शामिल किया जाता है। मनुष्यों को देश के कुछ साधनों का ज्ञान होता है, परन्तु कुछ साधन प्रकृति की गोद में छिपे होते हैं, जिनको ढूंढ़ने की आवश्यकता होती है। इस तरह कुछ साधन जैसे कि भूमि, जल, मछलियां, वन इत्यादि का पुनर्निर्माण होता रहता है परन्तु कुछ साधन जैसे कि खनिज, पेट्रोल इत्यादि समाप्त होने वाले होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक देश में साधनों की सीमित उपलब्धता पाई जाती है।

आर्थिक विकास के लिए इन साधनों के उचित प्रयोग की आवश्यकता होती है। साधन विकास के निर्देशक सिद्धान्त-

  1. साधनों का प्रयोग इस प्रकार किया जाए ताकि साधनों का दुरुपयोग कम-से-कम हो।
  2. पूर्ण निर्मित साधनों तथा नष्ट योग्य साधनों का प्रयोग अच्छे ढंग से किया जाए।
  3. साधनों द्वारा बहुपक्षीय उद्देश्यों की पूर्ति की जाए, जैसे कि डैमों द्वारा बिजली, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण इत्यादि उद्देश्यों की पूर्ति होती है।
  4. उद्योगों की स्थापना साधनों की प्राप्ति के स्थानों पर करके उत्पादन लागत में कमी की जाए।
  5. शक्ति की पूर्ति में वृद्धि करके दूसरे साधनों का उत्तम प्रयोग किया जाए।

भारत में प्राकृतिक साधन-
1. भूमि साधन-भारत का भौगोलिक क्षेत्रफल 329 मिलियन हेक्टेयर है। इसमें से 306 मिलियन हेक्टेयर सम्बन्धी आंकड़े उपलब्ध हैं। यदि हम बंजर, भूमि, वन अधीन क्षेत्र, चरागाहें तथा बेकार भूमि को छोड़ देते हैं तो कृषि योग्य 141 मिलियन हेक्टेयर भूमि रह जाती है, जोकि कुल भूमि का 46% हिस्सा है। सरकार को 54% भूमि जिस पर कृषि नहीं होती इसलिए उचित नीति बनाने की आवश्यकता है।

2. वन साधन-ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना अनुसार भारत में सन् 2017 में 69 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर वन पाए जाते थे, जोकि कुल क्षेत्रफल का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है, भूमि के 33 प्रतिशत क्षेत्र पर वन होने चाहिए। परन्तु वन साधन बढ़ने की जगह पर कम होते जा रहे हैं। प्रत्येक वर्ष 1.3 से 1.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन काटे जाते हैं, जिससे प्राप्त लकड़ी टीक, बोर्ड, प्लाई इत्यादि के उद्योगों में प्रयोग होती है। सरकार ने 2015 में वनों सम्बन्धी नीति का निर्माण किया है। 33% क्षेत्र पर वन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

3. जल साधन-भारत में जल साधन काफ़ी मात्रा में पाए जाते हैं। प्रो० बी० एस० नाग तथा जी० एन० कठपालिया ने अनुमान लगाया कि 1974 से 2005 तक 4000 कुइबक किलोमीटर वर्षा हुई। इसको तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं। 2150 कुइबक किलोमीटर जल नदियों में चला जाता है तथा 700 कुइब्रक किलोमीटर जल वायुमडल में भाप बनकर उड़ जाता है। 1974 में 380 कुइबक किलोमीटर मीट्रिक जल का प्रयोग किया जाता था जोकि 2017 में बढ़कर 250 कुइबक किलोमीटर होने का अनुमान है। भारत में पूरे वर्ष बहने वाली नदियाँ हैं, जिन पर डैम बनाएं गए हैं। नहरों, टैंकों तथा ट्यूबवैलों द्वारा सिंचाई की जाती है। नदियों की सफाई की ओर और अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

4. मछली पालन-भारत, विश्व में मछली पालने के क्षेत्र में तीसरा स्थान रखता है। समुद्र के किनारे पर रहने वाले एक मिलियन मछुआरे, मछलियों द्वारा जीवन पोषण करते हैं। 1951 में 0.7 मिलियन टन मछलियों का उत्पादन किया गया जोकि 2017-18 में बढ़कर 9.9% मिलियन टन हो गया। परन्तु भारत द्वारा एशिया में 9 प्रतिशत मछलियों का उत्पादन किया जाता है जबकि जापान द्वारा 43 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है।

5. खनिज साधन-भारत में कोयला तथा लोहा काफ़ी मात्रा में पाए जाते हैं परन्तु कॉपर, जिंक, निकल, सल्फर, पेट्रोल इत्यादि खनिज पदार्थों की कमी पाई जाती है। परन्तु भारत में कोयले की खानें बहुत नीचे पाई जाती हैं, जिनमें से कोयला निकालने की लागत बहुत अधिक आती है। 1994 में सरकार ने नई खनिज नीति की घोषणा की है। जिस द्वारा खनिज पदार्थों को निजी क्षेत्र तथा विदेशी निवेशकों को सौंपने की योजना है। दसवीं योजना में खनिज साधनों को निजी क्षेत्र में विकसित करने का प्रोग्राम है।
भारत में साधनों को देखकर यह कह सकते हैं कि साधन सीमित मात्रा में हैं। इनका प्रयोग करने के लिए उचित नीति की आवश्यकता है।

प्रश्न 3.
पर्यावरण की अधोगति (Environmental Degradation) से क्या अभिप्राय है ? भारत में साधनों की अधोगति पर प्रकाश डालें।
(What is meant by Environment Degradation? Discuss its effects on degradation of Resources in India.)
उत्तर-
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में आर्थिक विकास की वृद्धि के लिए कृषि उत्पादन तथा उद्योगों का विकास किया गया ताकि बढ़ रही जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। परन्तु मशीनीकरण पर अधिक ज़ोर तथा खनिज पदार्थों के बिना सोचे-समझे अधिक प्रयोग से पर्यावरण की अधोगति में वृद्धि हुई है। पर्यावरण की अधोगति से अभिप्राय जल, भूमि, खनिज तथा जलवायु का दुरुपयोग होना, जिससे एक देश की धरती बंजर हो जाती है।

भारत में साधनों की अधोगति अग्रलिखित अनुसार हुई है –
1. कृषि तथा भूमि अधोगति (Agriculture and Land Degradation)-भारत के कृषि उत्पादन मंत्रालय अनुसार भारत में भूमि अधोगति तथा भू-क्षरण (Soil Erosion) की समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है। बाढ़ों तथा आंधियां इत्यादि ऋतु उपद्रवों के कारण भूमि की ऊपरी परत के हट जाने को भू-क्षरण कहा जाता है। भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र 329 मिलियन हेक्टेयर में से 144 मिलियन हेक्टेयर भूमि, भू-अपरदन का शिकार हो चुकी है। 30 मिलियन हेक्टेयर भूमि भूमि कटाव, काला शोरा तथा सेम के कारण खराब हो गई है। इस प्रकार कुल भूमि के 534 प्रतिशत भाग की अधोगति हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त सरकार ने चरागाहों की देखरेख की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इस प्रकार 11 मिलियन हेक्टेयर चरागाह का क्षेत्र बंजर भूमि बन गया है।

2. वनों की कटाई तथा भूमि अधोगति-भारत में भूमि अधोगति के अन्य कारणों में वनों की कटाई सबसे महत्त्वपूर्ण कारण है। भारत में 1951 से 1972 तक वनों अधीन 34 लाख हेक्टेयर भूमि पर कटाई की गई। इस क्षेत्र में से 72 प्रतिशत क्षेत्र पर कृषि तथा 17 प्रतिशत क्षेत्र पर उद्योग, सड़कें, यातायात, संचार, डैम इत्यादि बनाए गए। इसकी ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों तथा वन विभाग की है, जिन्होंने वनों की देख-रेख की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

3. जल संसाधन अधोगति-भारत को विश्व का जल साधन भरपूर देश कहा जाता है। वनों की बेरहमी से कटाई के कारण, वर्षा के पानी का अधिक भाग समुद्र में चला जाता है। भारत में लगभग 250 मिलियन लोग बाढ़ वाले क्षेत्र पर निवास करते हैं। विश्व के 70 प्रतिशत लोग जो बाढ़ का शिकार होते हैं, भारत तथा बंगलादेश में रहते हैं। भारत के आर्थिक नियोजन की बड़ी गलती जल संसाधनों का उचित प्रयोग नहीं करना है। बाढ़ों के कारण वार्षिक 12000 करोड़ से 18000 करोड़ रु० की हानि होती है। पंजाब तथा हरियाणा में सेम की समस्या के कारण हज़ारों एकड़ भूमि बेकार हो गई है। शोरे की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। सरकार ने जल संसाधनों के प्रयोग की ओर उचित नीति का निर्माण नहीं किया।

4. खनन तथा पर्यावरण समस्याएं-भारत ने खानों में से खनिज पदार्थों का अधिक प्रयोग किया, परन्तु सरकार ने पर्यावरण की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इससे भूमि, जल, वन तथा वायु, अधोगति में वृद्धि हुई है, जोकि इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है –

  • खानों के मालिकों ने कृषि भूमि पर सड़कें, रेलों, नहरों तथा नगरों का निर्माण किया
  • खनिजों की धूल (Dust) द्वारा वायु प्रदूषण की समस्या के साथ कृषि उत्पादकता के कम होने की समस्या उत्पन्न हुई है।
  • कोयले की खानों में आग लगने से जान, माल के नुकसान के अतिरिक्त लाखों हेक्टेयर भूमि बेकार हो गई है।
  • वर्षा का पानी खानों में से निकलकर नदियों, टैंकों में प्रदूषण पैदा करता है।
  • इस कारण जंगलों की कटाई होती है तथा भूमि कटाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • जो लोग खानों में काम करते हैं, उनको दमा तथा अन्य बीमारियां लग जाती हैं। इसलिए भारत को अमेरिका की तरह खानों सम्बन्धी कानून बनाकर उचित नीति द्वारा खानों का सद्उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 4.
भारत में पर्यावरण अधोगति के कारण बताओ। वातावरण को कैसे बचाया जा सकता है ? (What are the causes of degradation of Environment in India ? How can Environment he saved ?)
उत्तर-
भारत में वातावरण अधोगति के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  1. जनसंख्या की वृद्धि– भारत में 1951 में जनसंख्या 36 करोड़ थी। 2011 में जनसंख्या 121 करोड़ हो गई है। जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उद्योगों तथा कृषि के विकास के कारण साधनों की अधोगति हुई है।
  2. औद्योगीकरण में वृद्धि-उद्योगों के विकास के कारण देश में जल, वायु तथा ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि हुई है। इससे बीमारियां बढ़ गई हैं।
  3. शहरीकरण की ओर झुकाव-गांवों के लोग शहरों में रहने के लिए आ गए हैं। उनको सुविधाएं प्रदान करना एक समस्या बन गई है। इस कारण साधनों की अधोगति में वृद्धि हुई है।
  4. कृषि उत्पादन में वृद्धि-लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादकता में वृद्धि की गई। नई कृषि नीति अनुसार रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयों का अधिक प्रयोग किया गया, इससे प्रदूषण में वृद्धि हुई
  5. निर्धनता–भारत के लोगों में निर्धनता के कारण जलाने के लिए लकड़ी तथा गोबर के उपलों का प्रयोग किया जाता है। इससे प्राकृतिक पूंजी की अधोगति हुई है।
  6. यातायात के साधनों का कम विकास-देश में सड़कों का विस्तार उतनी तीव्रता से न हुआ, जितनी तीव्रता से वाहनों (स्कूटर, कारों) की संख्या में वृद्धि हुई है।

पर्यावरण के बचाव के लिए उपाय-

  1. जनसंख्या पर नियंत्रण-भारत में तीव्रता से बढ़ रही जनसंख्या पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है। इससे पर्यावरण की अधोगति को रोका जा सकता है।
  2. सामाजिक चेतना-लोगों में हवा, पानी, खनिज तथा प्रदूषण सम्बन्धी चेतना उत्पन्न करने की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण में शुद्धता लाने के लिए योगदान डाल सकता है।
  3. वन लगाना-पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए वनों का विस्तार करना चाहिए।
  4. कृषि प्रदूषण-कृषि उत्पादन क्षेत्र में प्रदूषण रोकने के लिए रासायनिक खादों का कम प्रयोग किया जाए। वृक्ष लगाकर भू-अपरदन की समस्याओं को घटाना चाहिए।
  5. औद्योगिक प्रदूषण-उद्योगों द्वारा जल, वायु तथा ध्वनि प्रदूषण फैलता है। भारत सरकार ने 17 उद्योगों की सूची तैयार की है जोकि अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। नए उद्योगों को स्थापित करते समय प्रदूषण मापदंड स्थापित करने चाहिए।
  6. जल प्रबन्ध-भारत में लोगों को शुद्ध जल पीने के लिए प्रदान करने के लिए जल प्रदूषण को रोकने की आवश्यकता है। इससे सभी लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ सकता है। इस प्रकार लोगों के रहन-सहन सम्बन्धी सुधार करके पर्यावरण की अधोगति पर रोक लगाई जा सकती है। विश्व बैंक के अनुसार भारत में पर्यावरण की अधोगति को ठीक करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 5.7% भाग व्यय करना पड़ रहा है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 29 धारणीय आर्थिक विकास, आर्थिक विकास का वातावरण पर प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग

प्रश्न 5.
ग्लोबल वार्मिंग से क्या अभिप्राय है? ग्लोबल वार्मिंग के कारण तथा प्रभाव स्पष्ट करो। (What is Global Warming ? Discuss its causes and effects ?)
उत्तर-
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ (Meaning of Global Warming) ग्लोबल वार्मिंग अथवा वैश्विक तापन का अर्थ विश्व भर में वातावरण में बढ़ रही गर्मी से है। विश्व में जब से औद्योगिक क्रान्ति पैदा हुई है तब से लेकर आज तक विश्व के तापमान में वृद्धि हो रही है। 20वीं शताब्दी के मध्य से लेकर आज तक तापमान में जो वृद्धि हुई है वह पिछले 150 वर्ष में इतनी वृद्धि तापमान में नहीं देखी गई। अमरीका के वैज्ञानिकों का यह विचार है कि विश्व के तापमान में 10 Degree तक वृद्धि हो सकती है। वैश्विक तापन का मुख्य कारण मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होना है। ग्रीन आऊस गैसों में मुख्य रूप से कार्बनडाईआक्साईड (CO2), मीथेन (CH4), नाइट्रस आक्साइइ (N2O), ओजोन (O3), क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) आदि गैसें शामिल हैं। ग्लोबल वार्मिंग विश्व की कितनी बड़ी समस्या है यह साधारण आदमी समझ नहीं पाता। आम लोग समझते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से फिलहाल संसार को कोई खतरा नहीं है। परन्तु यह धारणा ठीक नहीं है।

बढ़ते हुए तापमान को न रोका गया तो इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण (Causes of Global warming)-
1. जंगलों की कटाई (Deforestation)ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण जंगलों की कटाई है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ों की कटाई गांवों को शहरीकरण में बदलाव, हर खाली जगह पर बिल्डिंग, कारखाना या अन्य कोई कमाई के लिए स्रोत खोले जा रहे हैं। लकड़ी का प्रयोग इमारतो के निर्माण, खाना बनाने आदि के लिए बड़े स्तर पर होने के कारण अमरीका तथा आस्ट्रेलिया जैसे देशों में जहां जंगल अधिक मात्रा में हैं वहां जंगलों को अपने आप आग लग जाती है जिसको बुझाने के लिए सरकार को बहुत मेहनत करनी पड़ती है।

2. उद्योगों का विकास (Growth of Industries) ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण विश्व में औद्योगिकरण को भी माना जाता है। फ्रांस में औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात विश्व में बड़े पैमाने पर उद्योगों का विकास हुआ है। इस से प्रदूषण में वृद्धि हुई है। ग्रीन हाउस गैसों कार्बन डाईआक्साइड, मीथेन, ओजोन आदि की वृद्धि के कारण विश्व के तापमान में वृद्धि तेजी से हो रही है।

3. मोटर वाहनों का विकास (Growth of Automobiles)-जैसे-जैसे विश्व ने आर्थिक विकास किया है उसके साथ लोगों की आय में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे लोगों ने मोटर वाहनों का अधिक प्रयोग करना शुरू कर दिया है। मोटर वाहनों के अधिक प्रयोग के कारण विश्व में कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा में वृद्धि हुई है। इस कारण तापमान में वृद्धि हुई है।

4. वातावरण में गैसों का विकास (Growth of Gases in Atmosphere)-कुछ वैज्ञानिकों का विचार है कि ज्वालापुखी विस्फोट के कारण भी विश्व में गैसों की वृद्धि हुई है। इस कारण भी ग्लोबल वार्मिंग हुई है। जब ज्वालामुखी में विस्फोट होता है तो अन्त कार्बन डाईआक्साईड का प्रवाह होता है। इस कारण भी ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि होती है।

5. मानव क्रियाओं का विकास (Growth of Human Activities) मानव क्रियाएं भी ग्लोबल वार्मिंग का कारण बन गई है। हम घरों में एयरकंडीशनर, फ्रिज, कोल्ड स्टोर आदि अधिक मात्रा में प्रयोग करने लगे हैं। इससे भी ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा हैता है अर्थात् जहरीली गैसें निकलती हैं जिस कारण तापमान में वृद्धि होती है जनसंख्या में वृद्धि प्रदूषण के कारण अधिक अनाज़ पैदा करने के लिए आधुनिक खादों का प्रयोग तथा कीट नाशकों के प्रयोग कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। वातावरण में प्रदूषण के फैलने से भी ग्लोबल वार्मिंग हो रही है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of Global Warming) – ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ रही है इस के दुष्प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं –
1. ग्लेशियरों का पिघलना (Melting of Glaciers)-ताप बढ़ने से ग्लेशियर पिघलने लगते हैं और उनका आकार कम होने लगता है। भारत में उत्तराखण्ड में 8 फरवरी 2021 को ग्लेशियर के पिघले से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई जिससे बहुत से लोगों की मृत्यु हुई है और बहुत से लोग लापता हैं। इस प्रकार ग्लेशियर लगातार कम हो रहे हैं जिसका कारण ग्लोबल वार्मिंग है।

2. बढ़ता समुद्री जलस्तर (Rising Sea Level)-ग्लेशियरों के पिघलने से प्राप्त जल सागरों में मिलता हो तो समुद्री जल स्तर में वृद्धि हो जाती है। समुद्री जलस्तर बढ़ने से समुद्री तटों पर जो शहर बसे हुए हैं उन में बाढ़ का खतरा बन जाता है।

3. नदियों में बाढ़ (Floods in Rivers) ग्लेशियरों से कई बार हमारी नदियां निकलती है। इन नदियों में जल का प्रवाह बढ़ने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिस कारण बहुत से शहरों तथा गांवों में बाढ़ के कारण बहुत हानि सहन करनी पढ़ती है।

4. कृषि पर प्रभाव (Effect on Agriculture)-ग्लोबल वार्मिंग के कारण कभी गर्म तेज़ हवाएं चलती हैं और कभी अधिक वर्षा होती है। इस कारण कृषि में उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मछली उद्योग को भी ग्लोबल वार्मिंग से नुकसान होता है।

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5. मानव तथा जानवरों पर बुरा प्रभाव (Bad Effect on Living Beings) ग्लोबल वार्मिंग के कारण मनुष्यों को बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। पशुओं तथा पक्षियों की बहुत सी प्रजातियां लुप्त हो रही हैं। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग की तरफ़ ध्यान देने की ज़रूरत है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਵੱਡੇ ਉੱਚਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਬਿਖਮਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਪੋਸ਼ਣ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਖਮਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਪੋਸ਼ਣ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਅੱਗੇ ਲਿਖੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ-

(1) ਮ੍ਰਿਤਉਪਜੀਵੀ – ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਮਰੇ ਅਤੇ ਗਲੇ ਸੜੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਮ੍ਰਿਤਉਪਜੀਵੀ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ-ਕਣਕ, ਖਮੀਰ, ਮਸ਼ਰੂਮ ਅਤੇ ਜੀਵਾਣੂ ਆਦਿ ।

(2) ਪਰਜੀਵੀ – ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਹੋਰ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਬਾਹਰ ਜਾਂ ਅੰਦਰੋਂ ਰਹਿ ਕੇ ਸਿੱਧੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਨੂੰ ਪਰਜੀਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ-ਖਟਮਲ, ਏਸਕੇਰਿਸ, ਮੱਛਰ, ਅਮਰਵੇਲ ਆਦਿ ।

(3) ਪਾਣੀ ਸਮਭੋਜੀ – ਅਜਿਹੇ ਜੀਵ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਚਨ ਤੰਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਲੈ ਕੇ ਪਾਚਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪਚ ਭੋਜਨ ਦਾ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਬਾਕੀ ਅਪਚਿਤ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਸਮਭੋਜੀ ਜੀਵ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਤਿੰਨ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

  • ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ – ਇਹ ਜੰਤੁ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਕੇਵਲ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ; ਜਿਵੇਂ-ਗਾਂ, ਚੂਹਾ, ਹਿਰਨ ਅਤੇ ਬੱਕਰੀ ਆਦਿ ।
  • ਮਾਸਾਹਾਰੀ – ਇਹ ਉਹ ਜੰਤੁ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਹੋਰ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਮਾਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ-ਸ਼ੇਰ, ਚੀਤਾ, ਭੇੜੀਆਂ, ਸੱਪ, ਬਜ਼ ਆਦਿ ।
  • ਸਰਬ ਆਹਾਰੀ – ਇਹ ਜੰਤੂ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਮਾਸ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ; ਜਿਵੇਂ-ਕਾਕਰੋਚ, ਮਨੁੱਖ, ਕਾਂ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਪੱਤੇ ਦੇ ਅਨੁਪ੍ਰਸਥ ਕਾਟ ਦੇ ਚਿੱਤਰ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ? ਇਸਦਾ ਮਹੱਤਵ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ – ਹਰੇ ਪੌਦੇ ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੁਆਰਾ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਨਾਮਕ ਪਦਾਰਥ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ CO ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੁਆਰਾ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ (ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ) ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਗੈਸ ਬਾਹਰ ਕੱਢਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 1
ਇਹ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਧੀ ਵਰਣਕ ਹੈ ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪੂਰਾ
ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਹਰੇ ਬਿੰਦੁ ਕੇਸ਼ਿਕਾ ਅੰਗਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਰਿਤ ਲਵਕ (Chloroplast) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪੱਤੇ ਦੇ ਉੱਪਰ ਬਾਹਰੀ
ਚਮੜੀ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਸਥਿਤ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 2

ਮਹੱਤਵ-

  1. ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਭੋਜਨ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜੀਵ ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਪੋਸ਼ਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਜੀਵਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਜੀਵ ਸਾਹ ਰਾਹੀਂ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਭੋਜਨ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੋ ਕੇ ਸਰੀਰ ਲਈ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੇ ਨਿਯਮਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਦੂਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਹੀ ਉਤਪਾਦ ਖਣਿਜ, ਤੇਲ, ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ, ਕੌਇਆ ਆਦਿ ਹਨ, ਜੋ ਕਰੋੜਾਂ ਸਾਲ ਪੌਦਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੌਦੇ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਭੋਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ? ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਵਿੱਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਦਾ ਵਿਵਰਣ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਰੇ ਪੌਦੇ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਪਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਵਿਧੀ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ CO2 ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਵਰਗੇ ਸਰਲ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਹਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸਥਿਰੀਕਰਨ ਕਰਕੇ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਕਰਨ ਲਈ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ CO2 ਪਾਣੀ, ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਅਤੇ ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਥਲੀ ਪੌਦੇ CO2 ਨੂੰ ਬਾਹਰੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਤੋਂ ਜਦੋਂ ਕਿ ਜਲੀ ਪੌਦੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲੀ CO2 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜੜਾਂ ਪਾਣੀ ਦਾ ਸੋਖਣ ਕਰਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਜਾਈਲਮ ਦੁਆਰਾ ਪੱਤਿਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਸੋਖਿਤ ਕਰਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠਾ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 3
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀਆਂ ਦੋ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਹਨ-
(A) ਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਅਭਿਕਿਰਿਆ (Light Reaction)
(B) ਅਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਅਭਿਕਿਰਿਆ (Dark Reaction) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਮੀਬਾ ਦੇ ਪੋਸ਼ਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਵਿਵਰਣ ਦਿਓ ।
ਜਾਂ
ਇੱਕ ਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਪੋਸ਼ਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਮੀਬਾ ਵਿਚ ਪੋਸ਼ਣ-ਅਮੀਬਾ ਪਾਣੀਸਮ ਵਿਧੀ ਨਾਲ ਪੋਸ਼ਣ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਇੱਕ ਸਰਬ ਆਹਾਰੀ ਜੰਤੁ ਹੈ । ਇਸਦਾ ਭੋਜਨ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਤੈਰਦੇ ਹੋਏ ਜੀਵਾਣੂ, ਸ਼ੈਵਾਲ, ਡਾਇਟਮ ਆਦਿ ਦੇ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਨਿਗਲਣ (ingestion) ਵਿਚ ਜੋ ਵਿਧੀ ਅਪਣਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਫੈਗੋਸਾਈਟਾਸਿਸ (Phagocytosis) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਤਹਿ ਤੋਂ ਅਸਥਾਈ ਵਾਪਰੇ ਜਾਂ ਕੂਟਪਾਦ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਪੋਸ਼ਣ ਵਿਧੀ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਚਰਨ ਹਨ-
ਅੰਤਰਹਿਣ, ਪਾਚਨ, ਅੰਦਰ ਸੋਖਣ, ਬਹਿਖੇਪਣ ।

ਜਦੋਂ ਇਹ ਕਿਸੇ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਫੜਨ ਲਈ ਕੂਟਪਾਦ ਬਣਾਵਟ ਉਸ ਵੱਲ ਵੱਧਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਕੁਟਪਾਦਾਂ ਜਾਂ ਅਸਥਾਈ ਵਾਧੂਰੇ (Predupodia) ਦੁਆਰਾ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਇਸ ਨੂੰ ਘੇਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਇਸ ਨਾਲ ਇਕ ਪਿਆਲੇਨੁਮਾ ਰਚਨਾ ਬਣਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਫੂਡਕੱਪ (food cup) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਅਸਥਾਈ ਵਾਪਰੇ ਜਾਂ ਕੂਟਪਾਦ ਆਪਣੇ ਸਿਰਿਆਂ ਤੇ ਪਰਸਪਰ ਸੰਗਲਿਤ ਹੋ ਕੇ ਭੋਜਨ ਰਸਧਾਨੀ (food vacoule) ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਐਂਡੋਪਲਾਜ਼ਮ ਵਿਚ ਪਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।
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ਅਮੀਬਾ ਵਿਚ ਅੰਤਰਗੋਸ਼ੀ ਪਾਚਨ (intracellular digestion) ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਭੋਜਨ ਦਾ ਪਾਚਨ ਭੋਜਨ ਸਧਾਨੀ (food vacuole) ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਭੋਜਨ ਪਚਾਣ ਲਈ ਕ੍ਰਿਪਸਿਨ, ਪੇਪਿਸਨ, ਐਮਾਈਲੇਜ਼ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਭੋਜਨ ਸਧਾਨੀ ਵਿੱਚ ਪਚਿਆ ਹੋਇਆ ਭੋਜਨ ਐਂਡੋਪਲਾਜ਼ਮ ਵਿਚ ਵਿਸਰਿਤ (Diffuse) ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਪਚਿਆ ਹੋਇਆ ਭੋਜਨ ਸਰੀਰ (Cell) ਦੇ ਅੰਦਰ ਜੀਵ ਦ (ਪ੍ਰੋਟੋਪਲਾਜ਼ਮ) ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਜੇ ਭੋਜਨ ਦੀ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ ਪਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਗਲਾਈਕੋਜਨ, ਪੈਰਾਮਾਈਲੋਨ ਅਤੇ ਲਿਪਿਡਸ ਆਦਿ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸੰਚਿਤ ਕਰ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਇਸ ਵਿਚ ਅਪਚ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ਲਈ ਖ਼ਾਸ ਗੁਦਾ (Anus) ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਅਪਚ ਭੋਜਨ ਸਰੀਰ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਥਾਨ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਬਹਿਖੇਪਣ (Egestion) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ-
(ਉ) ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਅਤੇ ਮਾਸਾਹਾਰੀ
(ਅ) ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਅਤੇ ਪਰਪੋਸ਼ੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਅਤੇ ਮਾਸਾਹਾਰੀ-

ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ (Herbivore) ਮਾਸਾਹਾਰੀ (Carnivore)
ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਸਿਰਫ਼ ਪੌਦੇ ਜਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਉਤਪਾਦਾਂ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-ਗਾਂ, ਖ਼ਰਗੋਸ਼, ਬੱਕਰੀ ਆਦਿ ।
ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਹੋਰ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਮਾਸ ਤੋਂ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-ਸ਼ੇਰ, ਚੀਤਾ, ਭੇੜੀਆ ਆਦਿ ।

(ਅ) ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਅਤੇ ਪਰਪੋਸ਼ੀ-

ਸਵਪੋਸ਼ੀ (Autotrophs) ਪਰਪੋਸ਼ੀ (Heterotrophs)
ਅਜਿਹੇ ਜੀਵ ਜੋ ਪਕਾਸ਼ ਸੰਸਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਸਰਲ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਤੋਂ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਕੇ ਆਪਣਾ ਖੁਦ ਪੋਸ਼ਣ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ (Autotrophs) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ- ਸਾਰੇ ਹਰੇ ਪੌਦੇ, ਯੁਗ਼ਲੀਨਾ ।
ਅਜਿਹੇ ਜੀਵ ਜੋ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥ ਅਤੇ ਉਰਜਾ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਰ ਜੀਵਤ ਜਾਂ ਮ੍ਰਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਜਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਤੋਂ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਪਰਪੇਸ਼ੀ ਜੀਵ (Heterotrophs) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-ਯੁਗਲੀਨਾ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਸਾਰੇ ਜੰਤੂ, ਅਮਰਬੇਲ, ਜੀਵਾਣੂ, ਕਣਕ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਚਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਵਿਵਰਣ ਦਿਓ ।
ਜਾਂ
ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਆਹਾਰਨਲੀ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ (digestion in human) – ਮਨੁੱਖ ਵੀ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਚਰਨਾਂ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਅੰਗਾਂ ਵਿਚ ਪੂਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-

(1) ਮੂੰਹਗੁਹਾ ਵਿਚ ਪਾਚਨ (Digestion in Muth Cavity ) – ਮਨੁੱਖ ਮੂੰਹ ਦੇ ਰਸਤੇ ਭੋਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਮੂੰਹ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਦੰਦ ਭੋਜਨ ਦੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਚਬਾਉਂਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਕਣਾਂ ਵਿੱਚ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ! ਲਾਰ ਰੰਥੀਆਂ (Salivary glands) ਤੋਂ ਨਿਕਲੀ ਲਾਰ ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਲਾਰ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਐਂਜਾਈਮ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਮੰਡ (ਸਟਾਰਚ ਨੂੰ ਸ਼ੱਕਰ ਗਲੁਕੋਜ਼ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਲੇਸਦਾਰ ਚਿਕਨਾ ਅਤੇ ਲੁਗਦੀਦਾਰ ਬਣਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਭੋਜਨ ਗੁਸਿਕਾ ਵਿਚੋਂ ਹੋ ਕੇ ਸੌਖਿਆ ਮਿਹਦੇ ਵਿਚ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(2) ਮਿਹਦੇ ਵਿਚ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ (Digestion in Stomach) – ਜਦੋਂ ਭੋਜਨ ਮਿਹਦੇ ਵਿਚ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉੱਥੇ ਭੋਜਨ ਦਾ ਮੰਥਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਭੋਜਨ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਕਣਾਂ ਵਿੱਚ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਲਣ ਦਾ ਤੇਜ਼ਾਬ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਜੋ ਮਾਧਿਅਮ ਨੂੰ ਅਮਲੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਸੜਨ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ । ਮਿਹਦੇ ਵਿਚ ਪਾਚਕ ਰਸ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਨੂੰ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਅਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਤੋੜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

(3) ਗ੍ਰਹਿਣੀ ਵਿਚ ਪਾਚਨ (Digestion in duodenum) – ਮਿਹਦੇ ਵਿਚ ਪਾਚਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਜਦੋਂ ਭੋਜਨ ਤ੍ਰਿਣੀ ਵਿਚ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜਿਗਰ ਤੋਂ ਆਇਆ ਪਿੱਤ ਰਸ ਭੋਜਨ ਨਾਲ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਵਸਾ ਦਾ ਪ੍ਰਅਸੀਕਰਨ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨੂੰ ਖਾਰੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਮਿਹਦੇ ਤੋਂ ਆਏ ਪਾਚਕ ਰਸ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਐਂਜਾਈਮ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਅਤੇ ਵਸਾ ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।
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(4) ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਵਿਚ ਪਾਚਨ (Digestion in Ileum) – ਗ੍ਰਹਿਣੀ ਵਿਚ ਪਾਚਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਦੋਂ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਵਿਚ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉੱਥੇ ਆਂਦਰ ਰਸ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਐਂਜਾਈਮ ਬਚੇ ਹੋਏ ਅਪਚਿਤ ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਅਤੇ ਵਸਾ ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਆਸਤਰ ਦੀ ਵਿਲਾਈ ਦੁਆਰਾ ਪਚੇ ਹੋਏ ਭੋਜਨ ਦਾ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਣ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਭੋਜਨ ਲਹੂ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(5) ਵੱਡੀ ਆਂਦਰ (ਮਲਾਸ਼ਿਆ) ਵਿਚ ਪਾਚਨ (Digestion in Rectu) – ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਾਚਨ ਅਤੇ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਜਦੋਂ ਭੋਜਨ ਵੱਡੀ ਆਂਦਰ ਵਿਚ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉੱਥੇ ਵਾਧੂ ਪਾਣੀ ਦਾ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਨ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਵੱਡੀ ਆਂਦਰ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਦਾ ਪਾਚਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਭੋਜਨ ਦਾ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਭਾਗ ਇੱਥੇ ਇਕੱਠਾ ਹੁੰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ਤੇ ਮਲ ਦੁਆਰਾ . ਸਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਟੋਮੈਟਾ ਦੇ ਖੁੱਲ੍ਹਣ ਅਤੇ ਬੰਦ ਹੋਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਚਿੱਤਰ ਸਹਿਤ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਟੋਮੈਟਾ ਦਾ ਖੁੱਲ੍ਹਣਾ ਅਤੇ ਬੰਦ ਹੋਣਾ ਗਾਰਡ ਸੈੱਲਾਂ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸਦੀ ਸੈੱਲ ਕੰਪ ਅਸਮਾਨ ਮੋਟਾਈ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇਹ ਸੈੱਲ ਫੈਲੀ ਹੋਈ ਦਸ਼ਾ ਵਿਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਛੇਦ ਖੁੱਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਢਿੱਲੇ ਹੋ ਜਾਣ ਤੇ ਇਹ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਦਵਾਰ ਗਾਰਡਸੈਂਲ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚੋਂ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਕਰ ਫੈਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਗਾਰਡ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਪਤਲੀ ਛਿੱਤੀ ਫੈਲਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਛੇਦ ਦੇ ਨੇੜੇ ਮੋਟੀ ਕਿੱਤੀ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਖਿੱਚੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਸਟੋਮੈਟਾ ਖੁੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇਸ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਤਨਾਵ ਮੁਕਤ ਭਿੱਤੀ ਮੁੜ ਆਪਣੀ ਪੁਰਾਣੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਛੇਦ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 6

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੌਰਾਨ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਪੱਧਰ ਡਿਗਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸ਼ਕਰ ਦਾ ਪੱਧਰ ਗਾਰਡ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਸਾਈਟੋਪਲਾਸਜ਼ ਵਿਚ ਵੱਧਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਪਰਾਸਰਵ ਦਾਬ ਅਤੇ ਸਫੀਤੀ ਦਾਬ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਗਾਰਡ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਕਸਾਵ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਾਹਰ ਦੀ ਵਿੱਤੀ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਖਿੱਚਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਅੰਦਰ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਵੀ ਖਿੱਚੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਟੋਮੈਟਾ ਖੁੱਲ੍ਹ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਹਨੇਰੇ ਵਿੱਚ ਸ਼ਕਰ ਸਟਾਰਚ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਅਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਗਾਰਡ ਸੈੱਲ ਦੇ ਸਾਈਟੋਪਲਾਸਪ ਵਿਚ ਸ਼ਕਰ ਦਾ ਪੱਧਰ ਡਿਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਰੱਖਿਅਕ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਢਿੱਲੀਆਂ ਪੈ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਟੋਮੈਟਾ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਮਨੁੱਖੀ ਦਿਲ ਦੀ ਅੰਦਰੂਨੀ ਰਚਨਾ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 7
ਸੰਰਚਨਾ – ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਦਿਲ ਚਾਰ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ | ਅਗਲੇ ਦੋ ਭਾਗ ਆਰੀਕਲ (auricle) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਖੱਬਾ ਆਰੀਕਲ ਅਤੇ ਇੱਕ ਸੱਜਾ ਆਰੀਕਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਿਛਲੇ ਦੋ ਭਾਗ ਵੈਂਟਰੀਕਲ (Ventricle) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਇਕ ਖੱਬਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਅਤੇ ਇਕ ਸੱਜਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਖੱਬੇ ਆਰੀਕਲ ਅਤੇ ਖੱਬੇ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਦੇਵਲਨੀ ਕਪਾਟ (Bicuspid value) ਅਤੇ ਸੱਜੇ ਆਰੀਕਲ ਅਤੇ ਸੱਜੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚਕਾਰ ਤਿੰਨਵਨੀ ਕਪਾਟ (tricuspid value) ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਵਾਲਵ ਵੈਟਰੀਕਲ ਵੱਲ ਖੁੱਲ੍ਹਦੇ ਹਨ । ਖੱਬੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਅਰਧ ਚੰਦਰਾਕਾਰ ਵਾਲਵ (Semilunar value) ਰਾਹੀਂ ਮਹਾਂਧਮਨੀ (Aorta) ਨਾਲ ਅਤੇ ਸੱਜੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਅਰਧ ਚੰਦਰਾਕਾਰ ਕਪਾਟ ਰਾਹੀਂ ਫੇਫੜਾ ਧਮਨੀ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸੱਜੇ ਆਰੀਕਲ ਨਾਲ ਮਹਾਂਸ਼ਿਰਾ (Vena cava) ਆ ਕੇ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਖੱਬੇ ਆਰੀਕਲ ਨਾਲ ਫੇਫੜਾ ਸ਼ਿਰਾ ਆ ਕੇ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।

ਦਿਲ ਦੀ ਕਿਰਿਆਵਿਧੀ – ਦਿਲ ਦੇ ਆਰੀਕਲ ਅਤੇ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚ ਸੰਕੁਚਨ (Systole) ਅਤੇ ਸ਼ਿਥਿਲਨ (Diastole) ਦੋਵੇਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਇਕ ਨਿਸਚਿਤ ਕੂਮ ਵਿਚ ਲਗਾਤਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਦਿਲ ਦੀ ਇੱਕ ਧੜਕਨ ਜਾਂ ਸਪੰਦਨ ਦੇ ਨਾਲ ਇੱਕ ਕਾਰਡੀਅਨ ਚੱਕਰ (Cardiac cycle) ਪੂਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇੱਕ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਚਾਰ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ-

  1. ਸ਼ਿਥਿਲਨ (Diastole) – ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਦੋਵੇਂ ਆਰੀਕਲ ਸ਼ਿਥਿਲਨ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਲਹੁ ਦੋਹਾਂ ਆਰੀਕਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਆਰੀਕਲ ਸੰਕੁਚਨ – ਆਰੀਕਲਾ ਦੇ ਸੰਕੁਚਿਤ ਹੋਣ ਨੂੰ ਆਰੀਕਲ ਸੰਕੁਚਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਆਰੀਕਲ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਕਪਾਟ ਖੁੱਲ੍ਹ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਆਰੀਕਲਾਂ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੱਜਾ ਆਰੀਕਲ ਸਦਾ ਹੀ ਖੱਬੇ ਆਰੀਕਲ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਪਹਿਲਾਂ ਸੰਕੁਚਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  3. ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਸੰਕੁਚਨ – ਵੈਂਟਰੀਕਲਾਂ ਦੇ ਸੰਕੁਚਨ ਨੂੰ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਸੰਕੁਚਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਸਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ, ਆਰੀਕਲ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਕਪਾਟ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਹਾਂਧਮਨੀਆਂ ਦੇ ਅਰਧ ਚੰਦਰਾਕਾਰ ਕਪਾਟ ਖੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹੁ ਮਹਾਂਧਮਨੀਆਂ ਵਿਚ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  4. ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਸ਼ਿਥਿਲਨ – ਸੰਕੁਚਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਵੈਂਟਰੀਕਲਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਿਥਲਿਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਅਰਧ ਚੰਦਰਾਕਾਰ ਕਪਾਟ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਵੈਂਟਰੀਕਲਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਲਹੂ ਦਾਬ ਘੱਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਆਰੀਕਲ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਕਪਾਟ ਖੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਲਹੂ ਕੀ ਹੈ ? ਇਸਦੇ ਸੰਘਟਨ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲਹੂ (Blood) – ਮਨੁੱਖ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਭੋਜਨ, ਆਕਸੀਜਨ, ਹਾਰਮੋਨ, ਮਲ-ਤਿਆਗ ਯੋਗ ਅਵਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥ ਆਦਿ ਲੋਹੂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨਾਲ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਕੁੱਲ ਭਾਰ ਦਾ ਲਗਭਗ ਬਾਹਰਵਾਂ ਹਿੱਸਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਇਹ ਇੱਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਤਰਲ ਸੰਯੋਜੀ ਟਿਸ਼ੂ (connective tissue) ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਘਟਕਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-

  1. ਲਾਲ ਲਹੂ ਸੈੱਲ (R.B.C.) – ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿਮੋਗਲੋਬਿਨ ਨਾਮ ਦਾ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਸਫੇਦ ਲਹੂ ਸੈੱਲ (W.B.C.) – ਇਹ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਬੈਕਟੀਰੀਆ ਅਤੇ ਮ੍ਰਿਤ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਹਜ਼ਮ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਸੰਕਰਮਣ ਅਤੇ ਆਘਾਤਾਂ ਤੋਂ ਸਰੀਰ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਪਲੇਟਲੇਟਸ (Platelets) – ਇਹ ਲਹੂ ਦਾ ਥੱਕਾ ਜੰਮਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਨਮੋਲ ਲਹੂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਹੋਣ ਤੋਂ ਰੋਕਦੀ ਹੈ ।
  4. ਪਲਾਜ਼ਮਾ (Plasma) – ਇਹ ਲਹੂ ਦਾ ਵੀ ਭਾਗ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਹਾਰਮੋਨਜ਼, ਗੁਲੂਕੋਜ਼, ਵਸੀ (ਫੈਟੀ) ਅਮਲ, ਅਮੀਨੋ ਅਮਲ, ਖਣਿਜ ਲੂਣ, ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਚਣਯੋਗ ਭਾਗ ਅਤੇ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਲਹੂ ਦੇ ਪਰਿਵਹਿਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਮਾਧਿਅਮ ਹੈ । ਇਹ ਲਹੂ ਦਾ 2/3 ਭਾਗ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਮਨੁੱਖੀ ਸੁਆਸ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਸਚਿੱਤਰ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸੁਆਸ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਕਾਰਜ ਸ਼ੁੱਧ ਹਵਾ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਭੋਜਨ ਅਤੇ ਅਸ਼ੁੱਧ ਹਵਾ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਕੱਢਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਭਾਗ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-
(i) ਨਾਸਦਵਾਰ ਜਾਂ ਨਾਸਹਾ – ਨਾਸਦਵਾਰ ਰਾਹੀਂ ਹਵਾ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਨੱਕ ਵਿੱਚ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਅਤੇ ਬਾਰੀਕ ਵਾਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਵਾ ਛਣ ਕੇ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਹਵਾ ਵਿਚਲੀ ਧੂਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਪਰਸ਼ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਉੱਥੇ ਹੀ ਰੁਕ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਮਿਊਕਸ ਦੀ ਪਰਤ ਇਸ ਕਾਰਜ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਹਵਾ ਨਮ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

(ii) ਗ੍ਰਸ਼ਨੀ – ਗ੍ਰਸ਼ਨੀ ਗਲਾਂਟਿਸ ਨਾਮ ਦੇ ਛੇਦ ਤੋਂ ਸਾਹ ਨਲੀ ਵਿੱਚ ਖੁੱਲ੍ਹਦੀ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਭੋਜਨ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਗਲਾਟਿਸ ਚਮੜੀ ਦੇ ਇੱਕ ਉਪ-ਅਸਥੀ ਯੁਕਤ ਕਪਾਟ ਐਪੀਗਲਾਟਿਸ ਨਾਲ ਢੱਕਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।
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(iii) ਸਾਹ ਨਲੀ – ਉਪਅਸਥੀ ਤੋਂ ਬਣੀ ਹੋਈ ਸੁਆਸ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨਲੀ ਗਰਦਨ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਆ ਕੇ ਸ਼ਵਸਨੀ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਵਲਯਾ ਤੋਂ ਬਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਯਕੀਨੀ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਹਵਾ ਦੇ ਰਾਹ ਵਿਚ ਰੁਕਾਵਟ ਪੈਦਾ ਨਾ ਹੋਵੇ ।

(iv) ਫੇਫੜੇ – ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਰਸਤਾ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਨਲੀਕਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੋ ਗੁਬਾਰੇ ਵਰਗੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ! ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਇੱਕ ਸਤਹਿ ਉਪਲੱਬਧ ਕਰਾਉਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਗੈਸਾਂ ਦਾ ਵਿਨਿਯ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵਹਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਜਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਕਾਰਜ – ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸੁਆਸ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ, ਸਾਡੀਆਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਡਾ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਚਪਟਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਛਾਤੀ ਦੀ ਗੁਹਾ ਵੱਡੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਹਵਾ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਸੋਖ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਸਤ੍ਰਿਤ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਨੂੰ ਢੱਕ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਲਹੁ ਬਾਕੀ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿਚ ਛੱਡਣ ਲਈ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਲਹੂ ਵਹਿਕਾ ਦਾ ਲਹੂ ਪਿਕਾ ਹਵਾ ਤੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਲੈ ਕੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ । ਮਾਹ ਚੱਕਰ ਦੇ ਸਮੇਂ ਜਦੋਂ ਹਵਾ ਅੰਦਰ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਫੇਫੜੇ ਸਦੈਵ ਹਵਾ ਦਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਆਇਤਨ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਸੋਖਣ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੇ ਮੋਚਨ ਦੇ ਲਈ ਕਾਫੀ ਸਮਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਸਚਿੱਤਰ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਦੇ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਅਨੇਕ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਪ੍ਰਣਾਲੀ (Excretory system) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਗੁਰਦਾ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਮੁੱਖ ਅੰਗ ਹੈ ਜੋ ਸਿਰਫ਼ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਉਪਯੋਗੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੋਂ ਛਾਣ ਕੇ ਅਲੱਗ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਗੁਰਦਾ (kidney) ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦਾ, ਸੇਮ ਦੇ ਬੀਜ ਦੇ ਆਕਾਰ (Bean shaped) ਦੀਆਂ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਉੱਦਰਗੁਹਾ (Abdomen) ਵਿੱਚ ਰੀੜ੍ਹ ਦੀ ਹੱਡੀ ਦੇ ਦੋਵੇਂ ਪਾਸੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਹਰ ਗੁਰਦਾ ਲਗਭਗ 10 ਸੈਂ. ਮੀ. ਲੰਬਾ, 6 ਸੈਂ. ਮੀ. ਚੌੜਾ ਅਤੇ 2.5 ਸੈਂ. ਮੀ. ਮੋਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਗਰ ਦੀ ਵਜ੍ਹਾ ਨਾਲ
ਮੂਤਰ ਮਸਾਨਾ ਸੱਜਾ ਬਾਹਰੀ ਕਿਨਾਰਾ ਉਭਰਿਆ (Convex) ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਅੰਦਰਲਾ ਕਿਨਾਰਾ ਧਸਿਆ (Concave) ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਹਾਈਲਮ (Hilum) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚੋਂ ਮੂਤਰ ਨਲਿਕਾ (Ureter) ਨਿਕਲਦੀ ਹੈ । ਮਲ ਨਕਾ ਜਾ ਕੇ ਇਕ ਪੇਸ਼ੀ ਥੈਲੇ ਵਰਗੀ ਸੰਰਚਨਾ ਵਿਚ ਖੁੱਲ੍ਹਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਮੂਤਰ ਮਸਾਨਾ (Urinary bladder) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
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ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੋਸ਼ਣ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ । ਪੋਸ਼ਣ ਦੀਆਂ ਭਿੰਨ ਵਿਧੀਆਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੋਸ਼ਣ (Nutrition) – ਉਹ ਪ੍ਰਮ ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਜੀਵਧਾਰੀ ਬਾਹਰੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਤੋਂ ਭੋਜਨ ਹਿਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਤੋਂ ਉਰਜਾ ਮੁਕਤ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਵਾਧਾ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਉਸਨੂੰ ਪੋਸ਼ਣ (Nutrition) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪੋਸ਼ਣ ਦੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ – ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਪੋਸ਼ਣ ਦੀਆਂ ਦੋ ਵਿਧੀਆਂ ਹਨ-

  1. ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ (Autotrophic nutrition)
  2. ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਜਾਂ ਵਿਖਮਪੋਸ਼ੀ (Heterotrophic nutrition) ।

ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-

  1. ਮਿਤਜੀਵੀ ਪੋਸ਼ਣ (Aaprophytic nutrition)
  2. ਪਰਜੀਵੀ ਪੋਸ਼ਣ (Parasitic nutrition)
  3. ਪ੍ਰਾਣੀ ਸਮਭੋਜੀ ਪੋਸ਼ਣ (Holozoic nutrition) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਸਿੱਧ ਕਰੋ ਕਿ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਲਈ CO2 ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਪਕਰਨ-ਗਮਲੇ ਵਿਚ ਲੱਗਾ ਪੌਦਾ, KOH ਦੇ ਘੋਲ ਨਾਲ ਭਰੀ ਬੋਤਲ, ਕਾਰਕ KI ਘੋਲ ਆਦਿ ।
ਵਿਧੀ-ਗਮਲੇ ਦੇ ਪੌਦੇ ਨੂੰ 36 ਤੋਂ 48 ਘੰਟੇ ਹਨੇਰੇ ਵਾਲੇ ਕਮਰੇ ਵਿਚ ਰੱਖੋ । ਇਕ ਹਰੀ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਚੌੜੇ ਮੁੰਹ ਵਾਲੀ ਬੋਤਲ ਵਿੱਚ ਕਾਰਕ ਦੇ ਵਿੱਚ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਲਗਾਓ ਕਿ ਪੱਤੀ ਦਾ ਅੱਧਾ ਭਾਗ KOH ਯੁਕਤ ਬੋਤਲ ਦੇ ਅੰਦਰ ਰਹੇ । ਬੋਤਲ ਦੇ ਮੂੰਹ ਤੇ ਸ ਲਗਾ ਕੇ ਹਵਾ ਟਾਈਟ ਕਰ ਦਿਓ। ਉਪਕਰਨ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਲਈ ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਕੁੱਝ ਘੰਟੇ ਬਾਅਦ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਤੋੜ ਕੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਉਬਾਲ ਕੇ ਅਲਕੋਹਲ ਨਾਲ ਧੋ ਕੇ ਉਸ ਉੱਪਰ KI ਦਾ ਘੋਲ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਨਿਰੀਖਣ – ਪੱਤੀ ਦਾ ਅਗਲਾ ਭਾਗ ਜੋ ਬੋਤਲ ਵਿਚ ਸੀ, ਪੀਲਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਬੋਤਲ ਵਿਚ ਰੱਖੇ KOH ਦੁਆਰਾ ਬੋਤਲ ਦੀ CO2 ਗੈਸ ਸੋਖ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਪੂਰੀ ਨਾ ਹੋਣ ਤੇ ਪੱਤੀ ਦੇ ਅਗਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਮੰਡ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਬਾਕੀ ਭਾਗ ਮੰਡ ਦੇ ਕਾਰਨ ਨੀਲਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਰਿਣਾਮ-ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ CO2 ਗੈਸ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਿੱਧ ਕਰੋ ਕਿ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸਦੀ ਪੁਸ਼ਟੀ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਕ ਕੋਟਨ ਪੌਦੇ ਦੇ ਗਮਲੇ ਨੂੰ 24-48 ਘੰਟੇ ਲਈ ਹਨੇਰੇ ਵਿਚ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਫਿਰ ਇਕ ਨਿਸਚਿਤ ਸਮੇਂ ਤੋਂ
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ਬਾਅਦ ਇਸ ਦੀ ਇਕ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਤੋੜ ਕੇ ਉਸਦਾ ਸਟਾਰਚ ਟੈਸਟ ਆਇਓਡੀਨ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਟੈਸਟ ਕਰਨ ਤੇ ਇਹ ਦੇਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪੱਤੀ ਦਾ ਜੋ ਸਥਾਨ ਹਰਾ ਸੀ, ਉਹ ਨੀਲਾ ਹੋ ਗਿਆ ਅਤੇ ਪੀਲੇ ਭਾਗ ਤੇ ਆਇਓਡੀਨ ਦਾ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ | ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਇਹ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਹਰੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਉੱਥੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੁਆਰਾ ਸਟਾਰਚ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੋਇਆ ਤੇ ਹੋਰ ਸਥਾਨ ਤੇ ਨਹੀਂ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਸਿੱਧ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਕ ਗਮਲੇ ਵਿੱਚ ਪੌਦੇ ਨੂੰ 36 ਘੰਟੇ ਹਨੇਰੇ ਵਿਚ (ਸਟਾਰਚ ਮੁਕਤ ਕਰਨ ਲਈ) ਰੱਖਦੇ ਹਾਂ । ਗਮਲੇ ਵਿੱਚ ਪੌਦੇ ਦੀ ਇੱਕ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਚਾਰ ਘੰਟੇ ਲਈ ਸੂਰਜ ਦੀ ਤੇਜ਼ ਰੌਸ਼ਨੀ ਵਿਚ ਰੱਖ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਉਕਤ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਤੋੜ ਕੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਉਬਾਲ ਕੇ ਐਲਕੋਹਲ ਨਾਲ ਧੋ ਕੇ ਉਸ ਉੱਤੇ KI ਦਾ ਘੋਲ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਨਿਰੀਖਣ-ਪੱਤੀ ਦਾ ਜਿਹੜਾ ਭਾਗ ਕਾਲੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਨਾਲ ਢੱਕਿਆ ਸੀ ਪੀਲਾ ਹੈ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਭਾਗ ਮੰਡ ਦੇ ਕਾਰਨ ਨੀਲਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਸਿੱਟਾ – ਇਸ ਤੋਂ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਜੀਵ-ਧਾਰੀਆਂ ਲਈ ਪੋਸ਼ਣ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵ-ਧਾਰੀਆਂ (ਜੀਵਾਂ) ਨੂੰ ਪੋਸ਼ਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-

  1. ਊਰਜਾ ਉਤਪਾਦਨ ਲਈ – ਸਰੀਰ ਦੀਆਂ ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਊਰਜਾ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਜੀਵ-ਧਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹ ਊਰਜਾ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਆਕਸੀਜਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  2. ਸਰੀਰ ਦੀ ਟੁੱਟ – ਫੁੱਟ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਲਈ-ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚ ਸਰੀਰ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੀ ਟੁੱਟ-ਫੁੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਲਈ ਪੋਸ਼ਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਵਾਧੇ ਲਈ – ਨਵੇਂ ਜੀਵ ਦ੍ਰਵ ਤੋਂ ਕਈ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਢਾਹੂ – ਉਸਾਰੂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਨ ਲਈ-ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਪਚਾਉਣ ਲਈ ਅਤੇ ਸ਼ਵਸਨ ਆਦਿ ਉਪਾਪਚੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਨਿਰਮਾਣਕਾਰੀ ਅਤੇ ਕੁਝ ਵਿਨਾਸ਼ਕਾਰੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਅਤੇ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਤੇ ਨਿਯੰਤਰਨ ਲਈ ਊਰਜਾ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕਠਿਨ ਕਸਰਤ ਦਾ ਸਾਹ ਦਰ ‘ ਤੇ ਕੀ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਮ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸਾਹ ਦਰ (Breathing rate) 15 ਤੋਂ 18 ਪ੍ਰਤੀ ਮਿੰਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਪਰ ਸਖ਼ਤ ਕਸਰਤ ਦੇ ਬਾਅਦ ਇਹ ਦਰ ਵੱਧ ਕੇ 20 ਤੋਂ 25 ਪ੍ਰਤੀ ਮਿੰਟ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਕਸਰਤ ਸਮੇਂ ਵਧੇਰੇ ਉਰਜਾ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਵਧੇਰੇ ਉਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਸਖ਼ਤ ਕਸਰਤ ਦੇ ਬਾਅਦ ਸਾਹ ਦੀ ਦਰ ਵਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਕਾਰਕ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ? ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
(1) ਪ੍ਰਕਾਸ਼ (Light) – ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਰ ਅਤੇ ਉਸਦੀ ਤੀਬਰਤਾ (Intensity) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀਆਂ ਲਾਲ ਅਤੇ ਨੀਲੀਆਂ ਕਿਰਨਾਂ ਅਤੇ 100 ਫੁੱਟ ਕੈਂਡਲ ਤੋਂ 3000 ਫੁੱਟ ਕੈਂਡਲ ਤੱਕ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਤੀਬਰਤਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦੀ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਇਸ ਨਾਲੋਂ ਉੱਚ ਤੀਬਰਤਾ ਤੇ ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਰੁਕ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

(2) ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ (CO2) – ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ CO2 ਦੀ ਮਾਤਰਾ 0.03% ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੇ ਇਕ ਸੀਮਾ CO, ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵਧਾਈ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦਰ ਵੀ ਵੱਧਦੀ ਹੈ ਪਰ ਵਧੇਰੇ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਘੱਟਣ ਲਗਦੀ ਹੈ ।

(3) ਤਾਪਮਾਨ (Temperature) – ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਲਈ 25-35°C ਦਾ ਤਾਪਮ ਸਭ ਤੋਂ ਢੁੱਕਵਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਵੱਧ ਜਾਂ ਘੱਟ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਦਰ ਘੱਟਦੀ-ਵੱਧਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

(4) ਜਲ (Water) – ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਪਾਣੀ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੌਗਿਕ ਹੈ । ਜਲ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋਣ ਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਜੀਵ ਦ੍ਰਵ ਦੀ ਸਕਿਰਿਅਤਾ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਸਟੋਮੈਟਾ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦਰ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

(5) ਆਕਸੀਜਨ (O2) – ਸਿੱਧੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਸਾਂਦਰਤਾ ਨਾਲ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਇਹ ਦੇਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਵਿਚ O2 ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵਧਣ ਨਾਲ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਦਰ ਘੱਟਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਅਤੇ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਅਤੇ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ (Photosynthesis) ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ (Respiration)
(1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਪੌਦੇ ਦੀਆਂ ਪਰਹਰਿਤ ਯੁਕਤ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸਾਰੇ ਜੀਵਤ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸੂਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਿਚ ਪੂਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਤੇ ਅੰਧਕਾਰ ਦੋਵਾਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਊਰਜਾ ਭੋਜਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸੰਗ੍ਰਹਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਵਿਚੋਂ ਊਰਜਾ ਨਿਰਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(4) ਇਸ ਵਿਚ O2 ਨਿਕਲਦੀ ਹੈ ਅਤੇ CO2 ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (4) ਇਸ ਵਿਚ O2 ਵਰਤੋਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ CO2 ਨਿਕਲਦੀ ਹੈ ।
(5) ਇਹ ਉਪਚਯ (Anabolic) ਕਿਰਿਆ ਹੈ । (5) ਇਹ ਅਪਚਯ (Catabolic) ਕਿਰਿਆ ਹੈ ।
(6) ਇਹ ਰਚਨਾਤਮਕ ਕਿਰਿਆ ਹੈ । (6) ਇਹ ਵਿਨਾਸ਼ਕਾਰੀ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪਾਚਨ ਵਿਚ ਪਿੱਤ ਰਸ ਦਾ ਮਹੱਤਵ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਿੱਤ ਰਸ (Bile juice) ਪ੍ਰਤੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿਚ ਭਾਗ ਨਹੀਂ ਲੈਂਦਾ, ਪਰ ਇਸ ਵਿਚ ਵੱਖਵੱਖ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਰਸਾਇਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਿੱਤ ਰਸ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਂਦਾ ਹੈ-

  1. ਇਹ ਮਿਹਦੇ ਤੋਂ ਆਏ ਭੋਜਨ ਦੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨੂੰ ਖਾਰੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਮਾਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਹੀ ਪੈਨਕਰਿਆਟਿਕ ਰਸ (Panereatic Juice) ਕਾਰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਵਸਾ ਵਿਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਵਿਟਾਮਿਨਾਂ (A, D, E, K) ਦੇ ਸੋਖਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਇਹ ਕੁੱਝ ਜ਼ਹਿਰਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ; ਜਿਵੇਂ-ਕੋਲੈਸਟ੍ਰਾਲ ਅਤੇ ਧਾਤੂਆਂ ਦੇ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਫ਼ੇਦ ਖੂਨ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸੈਨਿਕ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਫ਼ੇਦ ਖੂਨ ਕਣ ਸਰੀਰ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪ੍ਰਤੀਰੱਖਿਅਕਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਕਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਰੋਗ ਫੈਲਾਉਣ ਵਾਲੇ ਰੋਗਾਣੂ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਕੋਈ ਸੱਟ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਰੋਗਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਮਾਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦਾ ਸੈਨਿਕ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਧਮਨੀ ਅਤੇ ਸ਼ਿਰਾ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਉੱਤਰ-ਧਮਨੀ ਅਤੇ ਸ਼ਿਰਾ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਧਮਨੀ (Artery) ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ (Veins)
(1) ਧਮਨੀ ਦਿਲ ਤੋਂ ਲਹੁ ਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਕਰਦੀ ਹੈ । (1) ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤੋਂ ਲਹੁ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਕੇ ਉਸਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਦਿਲ ਤੱਕ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(2) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕਪਾਟ (ਵਾਲਵ) ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (2) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕਪਾਟ (ਵਾਲਵ) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(3) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ਮੋਟੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (3) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ਪਤਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(4) ਫੇਫੜਾ ਧਮਨੀ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਬਾਕੀ ਧਮਨੀਆਂ ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਸ਼ੁੱਧ ਲਹੂ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । (4) ਫੇਫੜਾ ਸ਼ਿਰਾ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਬਾਕੀ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ CO<sub>2</sub> ਯੁਕਤ ਅਸ਼ੁੱਧ ਲਹੂ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(5) ਚਮੜੀ ਹੇਠਾਂ ਗਹਿਰਾਈ ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (5) ਚਮੜੀ ਹੇਠਾਂ ਘੱਟ ਗਹਿਰਾਈ ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(6) ਲਹੂ ਦਾ ਬਹਾਵ ਤੇਜ਼ ਅਤੇ ਝਟਕੇ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (6) ਲਹੂ ਦਾ ਬਹਾਵ ਧੀਮੀ ਚਾਲ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਧਮਨੀ, ਸ਼ਿਰਾ ਅਤੇ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਧਮਨੀਆਂ – ਇਹ ਸਾਫ਼ ਲਹੂ ਨੂੰ ਦਿਲ ਤੋਂ ਸਰੀਰ ਦੇ ਹੋਰ ਅੰਗਾਂ ਕੋਲ ਲੈ ਕੇ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਚੌੜੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਚਮੜੀ ਹੇਠਾਂ ਗਹਿਰਾਈ ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  2. ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ – ਇਹ ਅਸ਼ੁੱਧ ਲਹੂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਅੰਗਾਂ ਤੋਂ ਦਿਲ ਵਲ ਲਿਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ਪਤਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਚਮੜੀ ਹੇਠਾਂ ਵਧੇਰੇ ਡੂੰਘਾਈ ਤੇ ਨਹੀਂ ਸਗੋਂ ਚਮੜੀ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ – ਇਹ ਬਹੁਤ ਪਤਲੀਆਂ ਤੇ ਬਾਰੀਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਲਹੂ ਨੂੰ ਸਾਰੇ ਅੰਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗੁਰਦੇ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਜਾਂ ਨੂੰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਦੇ ਦੇ ਕਾਰਜ-

  1. ਗੁਰਦੇ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਜ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਯੁਕਤ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਗੁਰਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਨੂੰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  3. ਗੁਰਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਖਾਰ ਦਾ ਸੰਤੁਲਨ ਬਣਾਈ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ।
  4. ਗੁਰਦੇ ਲੂਣਾਂ ਦੇ ਸੰਤੁਲਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  5. ਗੁਰਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਗ਼ੈਰ-ਜ਼ਰੂਰੀ ਰੂਪ ਨਾਲ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਜਿਵੇਂ-ਜ਼ਹਿਰ, ਦਵਾਈਆਂ ਆਦਿ ਨੂੰ ਮੂਤਰ ਨਾਲ ਬਾਹਰ ਕੱਢਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਨੈਫਰਾਂਨ ਨੂੰ ਡਾਇਆਲਸਿਸ ਬੈਲਾ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨੈਫਰਾਂਨ ਨੂੰ ਡਾਇਆਲਿਸਿਸ ਥੈਲਾ ਇਸ ਲਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਨੈਫਰਾਂਨ ਦੀ ਪਿਆਲੇਨੁਮਾ ਸੰਰਚਨਾ ਬੋਮੈਨ ਕੈਪਸਿਉਲ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਸੈੱਲ ਗੁੱਛੇ ਦੀਆਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ਤੋਂ ਲਹੂ ਛਣਦਾ ਹੈ । ਲਹੂ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵੱਡੇ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਛਣ ਨਹੀਂ ਪਾਉਂਦੇ ਅਤੇ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਅਤੇ ਲੂਣ ਦੇ ਅਣੂ ਛੋਟੇ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਛਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨੇਫਰਾਨ ਨੂੰ ਡਾਇਆਲਸਿਸ ਥੈਲੀ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਾਰਜ ਕਰਨ ਕਰਕੇ ਇਹ ਨਾਮ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਡਾਇਆਲਸਿਸ (Dialysis) ਕਿਰਿਆ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਸਮਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਡਾਇਆਲਸਿਸ (Dialysis) – ਜੇ ਕਿਸੇ ਲੂਣ ਅਤੇ ਸਟਾਰਚ ਦੇ ਘੋਲ ਨੂੰ ਸੈਲੋਫੋਨ ਦੀ ਥੈਲੀ ਵਿਚ ਭਰ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕਸ਼ੀਦਤ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਲਟਕਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਲੂਣ ਦੇ ਆਇਨ ਸੈਲੋਫੋਨ ਵਿੱਚੋਂ ਹੁੰਦੇ ਹੋਏ ਕਸ਼ੀਦਤ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸਟਾਰਚ ਥੈਲੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਡਾਇਆਲਸਿਸ (dialysis) ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਲਹੁ ਦਾਬ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਇਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਨਾਪਦੇ ਹਨ ? ਰਕਤ ਚਾਪ ਵੱਧ ਜਾਣ ‘ਤੇ ਕੀ ਹਾਨੀ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੂਨ ਦੀ ਨਾਲੀਆਂ ਦੀਆਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ਦੇ ਉਲਟ ਜੋ ਦਬਾਅ ਲਗਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਲਹੂ ਦਾਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦਾਬ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਧਮਨੀਆਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਧਮਣੀ ਦੇ ਸੁੰਗੜਨ ਸਮੇਂ ਦਾ ਦਬਾਓ ਸਿਸਟੋਲਿਕ
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 14

ਦਬਾਓ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਅਤੇ ਧਮਨੀ ਦੇ ਸਥਿਰ ਹੋਣ ਸਮੇਂ ਧਮਣੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਾ ਲਹੂ ਦਬਾਓ ਡਾਈਸਟੋਲਿਕ ਦਬਾਓ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਆਮ ਸਿਸਟੋਲਿਕ ਦਬਾਓ 120 mm (ਪਾਰਾ) ਅਤੇ ਡਾਈਸਟੋਲਿਕ ਦਬਾਓ 80 mm ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਲਹੂ ਦਬਾਓ ਸਫਈਗਮੋਮੈਨੋਮੀਟਰ ਨਾਂ ਦੇ ਯੰਤਰ ਦੁਆਰਾ ਮਿਣਿਆ ਲਹੂ ਦਬਾਓ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਮਨੁੱਖੀ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖੀ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 15

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚਕਾਰ ਤਿੰਨ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਅੰਤਰ-

ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ
(1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਗ਼ੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਕੋਸ਼ਿਕਾ ਦੇ ਜੀਵ ਵ ਅਤੇ ਮਾਈਟੋਕਾਂਡਰੀਆ ਦੋਵਾਂ ਵਿਚ ਪੂਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸਿਰਫ਼ ਜੀਵ ਦਵ ਵਿਚ ਹੀ ਪਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦਾ ਅਪੂਰਣ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਇੱਕ ਉਦਾਹਰਣ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ – ਉਹ ਪਰਕੂਮ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਜੀਵ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਆਪ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
ਉਦਾਹਰਨ-ਸਾਰੇ ਹਰੇ ਪੌਦੇ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Very Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੋਸ਼ਣ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਊਰਜਾ ਦੇ ਸਰੋਤ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸਰੀਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਲੈਣ ਦੇ ਪ੍ਰਮ ਨੂੰ ਪੋਸ਼ਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਾਹ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਰੀਰ ਦੇ ਬਾਹਰ ਤੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਗਹਿਣ ਕਰਨੀ ਅਤੇ ਕੌਸ਼ਨੀ ਲੋੜਾਂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਖਾਦ ਸਰੋਤ ਦੇ ਵਿਘਟਨ । ਵਿੱਚ ਉਸਦਾ ਉਪਯੋਗ ਸਾਹ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਲ-ਤਿਆਗ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣਾ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਭੋਜਨ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਊਰਜਾ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਜੋ ਪਦਾਰਥ ਖਾਂਦੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਉਹ ਭੋਜਨ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੋ ਜੀਵ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਸ੍ਰੋਤਾਂ ਤੋਂ CO2 ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸਰਲ ਪਦਾਰਥ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ , ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਹਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਉਤਪਾਦਕ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦੇ, CO2 H2O, ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਤੇ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਅਤੇ ਜੀਵ ਜਗਤ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਜੀਵਾਂ ਲਈ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਤਪਾਦਕ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪੌਦੇ ਹਰੇ ਕਿਉਂ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੌਦੇ ਹਰੇ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਸਫ਼ੇਦ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਹਰੇ ਰੰਗ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਨੂੰ ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਕਰਕੇ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਰੰਗਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਨੂੰ ਸੋਖ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਹਰਾ ਰੰਗ ਸਾਡੀ ਅੱਖ ਦੇ ਪਰਦੇ ਤੇ ਪੈਂਦਾ ਤੇ ਸਾਨੂੰ ਹਰੇ ਰੰਗ ਦਾ ਅਹਿਸਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹੀ ਕਾਰਨ ਹੈ ਕਿ ਪੌਦੇ ਹਰੇ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਲਿਖੋ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਲਈ ਸਮੀਕਰਣ ਵੀ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ – ਸੂਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਮੌਜ਼ਦਗੀ ਵਿਚ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਜਿਹੇ ਯੌਗਿਕਾਂਤੋਂ ਹਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਪੌਦਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਭੋਜਨ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ
ਸਮੀਕਰਣ : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 16

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਦੋ ਬਾਹਰੀ ਪਰਜੀਵੀਆਂ ਦੇ ਨਾਮ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਖਟਮਲ
  2. ਜੂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਦੋ ਅੰਦਰੂਨੀ ਪਰਜੀਵੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਫੀਤਾ ਕਿਮੀ, ਪਲਾਜ਼ਮੋਡੀਅਮ (ਮਲੇਰੀਆ ਪਰਜੀਵੀ) ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਆਹਾਰ ਨਾਲੀ ਕਿੱਥੋਂ ਤੋਂ ਕਿੱਥੋਂ ਤਕ ਫੈਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੂੰਹ ਤੋਂ ਗੁਦਾ ਤਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਲਾਰ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੂੰਹ ਵਿੱਚ ਲਾਰ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲਾ ਰਸ ਲਾਰ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਆਹਾਰ ਨਲੀ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਲੰਬਾ ਭਾਗ ਕਿਹੜਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਜਿਗਰ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਰਸ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿੱਤ ਰਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਆਹਾਰ ਨਾਲ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਕਿੰਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਆਹਾਰ ਨਾਲ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਲਗਭਗ 9 ਤੋਂ 10 ਮੀ. ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਦਾ ਨਾਮ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜਿਗਰ (liver) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਪੈਨਕਰੀਆਜ ਰਸ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਚਾਰ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਦੇ ਨਾਮ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੈਨਕਰੀਆਟਿਕ ਐਮਾਈਲੇਜ
  2. ਪੈਨਕਰੀਆਟਿਕ ਲਾਈਪੇਜ
  3. ਪਸਿਨ
  4. ਕਾਈਮੋਟਰੀਪਸੀਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਪਾਚਨ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿਚ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਸਰਲ ਅਣੂਆਂ ਵਿਚ ਅਪਘਟਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਨਾਲ ਇਹ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਹੋ ਕੇ ਸਾਡੀਆਂ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਸਕਣ, ਪਾਚਨ (digestion) ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਆਕਸੀ-ਸਾਹ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀ-ਸਾਹ (Aerobic Respirations) – ਇਹ ਉਹ ਸਾਹ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਪੂਰਣ ਰੂਪ ਵਿੱਚ CO2 ਅਤੇ H2O ਵਿੱਚ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਸਾਹ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਊਰਜਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਮੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਵਿਅਕਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 673 Kcal ਊਰਜਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਅਨਾਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਸਮੀਕਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਨਾਕਸੀ ਸਾਹ (Anerobic Respiration) – ਇਹ ਉਹ ਸਾਹ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਅਪੂਰਨ ਆਕਸੀਕਰਨ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਮੀਕਰਨ ਨਾਲ ਵਿਅਕਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।
C6 H12 O6 → 2CO2 + 2C2H5OH + 21 Kcal ਊਰਜਾ (2ATP)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ATP ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ATP ਜਾਂ ਐਡੀਨੋਸੀਨ ਵਾਈਫਾਸਫੇਟ ਇਕ ਖ਼ਾਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਯੌਗਿਕ ਹੈ ਜੋ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਊਰਜਾ ਦਾ ਵਾਹਕ ਅਤੇ ਸੰਗ੍ਰਾਹਕ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਕਿਣਵਨ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿਚ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵ ਯੀਸਟ) ਸ਼ਕਰ ਦਾ ਅਪੂਰਨ ਵਿਘਟਣ ਕਰਕੇ CO2 ਅਤੇ ਐਲਕੋਹਲ, ਐਸਟਿਕ ਅਮਲ ਆਦਿ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਕਿਣਵਨ (Fermentation) ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਉਰਜਾ ਵੀ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਆਮ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖ ਕਿੰਨੀ ਵਾਰ ਸਾਹ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਮ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਨੁੱਖ ਪ੍ਰਤੀ ਮਿੰਟ 12 ਤੋਂ 15 ਵਾਰ ਸਾਹ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ATP ਦਾ ਕਾਰਜ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ATP ਦਾ ਕਾਰਜ-

  1. ਇਹ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਊਰਜਾ ਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਅਤੇ ਸੰਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰਸਾਇਣਾਂ ਦਾ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਕੋਸ਼ਿਕਾ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਤੱਤ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਜ਼ਾਈਲਮ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਾਈਲਮ ਮੋਟੀ ਦੀਵਾਰ ਵਾਲੇ ਅਤੇ ਮ੍ਰਿਤ ਉੱਤਕ ਹਨ ਜੋ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜਾਂ ਨੂੰ ਜੜ੍ਹ ਤੋਂ ਪੌਦੇ ਦੇ ਹੋਰ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਫਲੋਇਮ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਫਲੋਇਮ ਉਹ ਜੀਵਤ ਤਕ ਹਨ ਜੋ ਪੱਤਿਆਂ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਪੌਦੇ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਲਹੂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਲਹੂ ਵਹਿਣੀਆਂ ਦੇ ਨਾਮ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਧਮਨੀਆਂ
  2. ਸਿਰਾਵਾਂ
  3. ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਹੂ ਦਾ ਤਰਲ ਮਾਧਿਅਮ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਲਾਜ਼ਮਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 30.
ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਲਹੂ ਨੂੰ ਕੌਣ ਗਤੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਿਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 31.
ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕੌਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਫ਼ੈਦ ਰਕਤ ਕਣ (W.B.C.) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 32.
ਕਿਹੜੀ ਧਮਨੀ ਅਸ਼ੁੱਧ ਲਹੂ ਨੂੰ ਫੇਫੜਿਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਫੇਫੜਾ ਧਮਨੀ (Pulmonary artery) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 33.
ECG ਦਾ ਪੂਰਾ ਨਾਮ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਲੈੱਕਟਰੋ-ਕਾਰਡੀਓ-ਗ੍ਰਾਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 34.
ਆਮ ਰਕਤ ਦਾਬ ਕਿੰਨਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਮ ਰਕਤ ਦਾਬ 120/80 ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਸਿਸਟਾਲਿਕ = 120
ਡਾਇਸਟਾਲਿਕ = 80.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 35.
ਗੁਰਦੇ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਜੰਤੂਆਂ (ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿਚ ਹੋਰ ਉਤਸਰਜੀ ਅੰਗਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਜਿਗਰ
  2. ਫੇਫੜੇ
  3. ਚਮੜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 36.
ਸਵੈ-ਪੋਸ਼ਣ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈ-ਪੋਸ਼ਣ-ਉਹ ਜੈਵਿਕ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿਚ ਪੌਦੇ (ਜੀਵ) ਪਾਣੀ, CO2 ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਦੁਆਰਾ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਆਪ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ :

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 37.
ਪਰਪੋਸ਼ਣ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਰਪੋਸ਼ਣ – ਉਹ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿਚ ਜੀਵਨ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਅਤੇ ਉਰਜਾ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਖਾਧ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਰ ਜਿਉਂਦੇ ਜਾਂ ਮਰੇ ਹੋਏ ਪੌਦਿਆਂ ਜਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਪਰਪੋਸ਼ਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 38.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 17 ਲੇਬਲ ਕਰੋ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 18
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 19

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 39.
ਦਿੱਤੇ ਹੋਏ ਰੁੱਖ ਵਿਚ ਕਿਹੜੀ ਕਿਰਿਆ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ ? ਉਸ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 20
ਉੱਤਰ-
ਵਾਸ਼ਪ ਉਤਸਰਜਨ ਕਿਰਿਆ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਗੁਰਦੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਭਾਗ ਹਨ ਜੋ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੈ :
(a) ਪੋਸ਼ਣ
(b) ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ
(c) ਮਲ-ਤਿਆਗ
(d) ਪਰਿਵਹਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਮਲ-ਤਿਆਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜ਼ਾਈਲਮ ਦਾ ਕੰਮ ਹੈ :
(a) ਪਾਣੀ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(b) ਭੋਜਨ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(c) ਅਮੀਨੋ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(d) ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਪਾਣੀ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ :
(a) ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ
(b) ਕਲੋਰੋਫਿਲ
(c) ਸੂਰਜ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪਾਇਰੂਵੇਟ ਦੇ ਵਿਖੰਡਨ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਦੇਣ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਾਪਰਦੀ ਹੈ :
(a) ਸਾਈਟੋਪਲਾਜ਼ਮ ਵਿੱਚ
(b) ਮਾਈਟੋਕਾਨਡਰੀਆ ਵਿੱਚ
(c) ਕਲੋਰੋਪਲਾਸਟ ਵਿੱਚ
(d) ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਮਾਈਟੋਕਾਨਡਰੀਆ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਹਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੋਸ਼ਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ
(a) ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ
(b) ਵਿਖਮਪੋਸ਼ੀ
(c) ਪਰਪੋਸ਼ੀ
(d) ਮ੍ਰਿਤਪੋਸ਼ੀ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-
(a) ਆਕਸੀਜਨ
(b) ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ
(c) ਜਲਵਾਸ਼ਪ
(d) ਉੱਪਰ ਦਿੱਤੇ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਅਨ-ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਲੈਕਟਿਕ ਅਮਲ ਬਣਦਾ ਹੈ-
(a) ਯੀਸਟ ਵਿੱਚ
(b) ਖੰਭ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ
(c) ਪੇਸ਼ੀ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ।
(d) ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਪੇਸ਼ੀ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰਨਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

(i) ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਇਕਾਈ ……………… ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਨੇਫਰਾਂਨ

(ii) ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਗੈਸਾਂ ਦਾ ਵਟਾਂਦਰਾ ……………… ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਟੋਮੈਟਾ (Stomata)

(iii) ……………… ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਨਾਲ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਉਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀ

(iv) ਫੇਫੜੇ ਵਿੱਚ …………………….. ਖ਼ੂਨ ਤੋਂ ਵੱਖ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
CO2

(v) ਖ਼ੂਨ ਦੀ ਨਾਲੀਆਂ ਦੀ ਵਿੱਤੀ ਦੇ ਉਲਟ ਜਿਹੜਾ ਦਾਬ ਲਗਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ……………………. ਆਖਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਖੂਨ ਦਾਬ ।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा

PSEB 12th Class Economics बुनियादी ढांचा और ऊर्जा Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
बुनियादी ढांचा शब्द किस भाषा से लिया गया है?
(a) लैटिन
(b) ग्रीक
(c) फ्रैंच
(d) संस्कृत।
उत्तर-
(c) फ्रैंच।

प्रश्न 2.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
किसी देश में आर्थिक तथा सामाजिक सेवाएं प्रदान करना बुनियादी ढांचा कहलाता है।

प्रश्न 3.
Infra शब्द का अर्थ नीचे का और Structure का अर्थ ढांचा होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 4.
देश में शिक्षा संस्थान, अस्पताल, पार्क आदि के विकास को ……. बुनियादी ढांचा कहा जाता
उत्तर-
सामाजिक अथवा नरम बुनियादी ढांचा (Soft-Infrastructure)।

प्रश्न 5.
देश में सड़कें, रेलें, पुल, बिजली, पानी सहूलतों को ……. बुनियादी ढांचा कहा जाता है।
उत्तर-
सख्त (सथूल) बुनियादी ढांचा (Hard Infrastructure)।

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प्रश्न 6.
सामाजिक बुनियादी ढांचे का विकास देश में आर्थिक उत्पादन की वृद्धि के लिए सहायक होता है। (सही/गलत)
उत्तर-
सही।

प्रश्न 7.
आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचा एक दूसरे पर निर्भर करते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 8.
बुनियादी ढांचे के विकास का आर्थिक-विकास पर प्रभाव नहीं पड़ता।
उत्तर-
गलत।

प्रश्न 9.
मानव पूँजी का विकास …………… बुनियादी ढांचे का भाग है।
उत्तर-
सामाजिक।

प्रश्न 10.
आर्थिक बुनियादी ढांचे और सामाजिक बुनियादी ढांचे में कोई अन्तर नहीं है।
उत्तर-
गलत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का अर्थ उन आधारभूत सहूलतों से हैं जिन द्वारा देशवासियों को यातायात तथा जीवन स्तर के लिए सहूलते प्रदान की जा सकें। इनका उद्देश्य देश में कृषि, उद्योग, यातायात, संचार का विकास करके चिरकालीन आर्थिक विकास करना होता है। बुनियादी ढांचे में रेलों, सड़कों, सिंचाई, बिजली, पानी, सेहत, ऊर्जा आदि सुविधा प्रदान की जाती है।

प्रश्न 2.
आर्थिक बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आर्थिक बुनियादी ढांचा (Economic Infrastructure) देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान डालता है। इसमें यातायात, संचार, सड़कों, रेलों, बिजली पानी कौशल, तकनीक के विकास द्वारा कृषि और उद्योगों के उत्पादन में वृद्धि की जाती है। इस द्वारा देश में चिरकालीन विकास होता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा

प्रश्न 3.
सामाजिक बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर–
सामाजिक बुनियादी ढांचे (Social Infrastructure) से अभिप्राय उन सहूलतों से है जो लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए सहयोगी होती हैं। इन सहूलतों में शिक्षा, सेहत, घर निर्माण, पार्क, अस्पताल, सभ्याचारक केन्द्र सथापित करना होता है।

प्रश्न 4.
ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत बताओ?
उत्तर-
ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत इस प्रकार हैं-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा 1

प्रश्न 5.
परंपरागत ऊर्जा के किसी एक स्त्रोत का वर्णन करें।
उत्तर-
कोयला (Coal) कोयला ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण परंपरागत स्रोत है। भारत में कोयले के 326 बिलियन भंडार हैं। इस का वार्षिक उत्पादन 396 मिलियन टन किया जाता है। इसके भंडार, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और बंगाल में पाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
किसी एक गैर पारम्परिक ऊर्जा के स्रोत का वर्णन करें।
उत्तर-
सूर्य ऊर्जा (Solar Energy)-यह ऊर्जा सूर्य की रोशनी द्वारा उत्पन्न होती है। फोटोवोल्टैनिक सैल, सूर्य की किरणों की ओर लगाए जाते हैं। इस द्वारा जो बिजली उत्पन्न होती है उस का प्रयोग घरेलू कामों के लिए किया जाता है। जैसे कि खाना बनाने, रोशनी और जल साफ़ करने आदि कामों के लिए किया जाता है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न | (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बुनियादी ढाचे का अर्थ बताएं, बुनियादी ढांचे का वर्गीकरण स्पष्ट करें।
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का अर्थ (Meaning of Infrastructure)-बुनियादी ढांचे का अर्थ उन आधारभूत सहूलतों से है जिन के द्वारा अर्थव्यवस्थता के संचालन को चिरकालीन विकास के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसमें उन आधारभूत सहूलतों को शामिल किया जाता है जो आर्थिक विकास का आधार बनती हैं। बुनियादी ढांचे में सड़कों, रेलों, पुल, जल आपूर्ति, बिजली संचार, इंटरनैट आदि को शामिल किया जाता है।

बुनियादी ढांचे का वर्गीकरण (Classification of Infrastructure) बुनियादी ढांचे के वर्गीकरण को दो भागों में बांटा जा सकता है।

  1. स्थूल बुनियादी ढांचा (Hard Infrastructure)-इसको आर्थिक बुनियादी ढांचा भी कहा जाता है। इसमें भौतिक वस्तुओं को शामिल किया जाता है जैसे कि सड़कें, रेलवे, फ्लाईओवर, बिजली आदि का विकास शामिल किया जाता है।
  2. नरम बुनियादी ढांचा (Soft Infrastructure)-नरम बुनियादी ढांचे को सामाजिक ढांचा भी कहा जाता है। इसमें अस्पताल, शिक्षा संस्थान, पार्क, मनोरंजन सहूलतों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 2.
आर्थिक बुनियादी ढांचे और सामाजिक बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है? ।
उत्तर-

  • आर्थिक बुनियादी ढांचा (Economic Infrastructure)-इस बुनियादी ढांचे में स्थूल वस्तुओं को शामिल किया जाता है जिसमें सड़कें, रेलवे, बिजली, कृषि विकास औद्योगिक सुविधाएं, ऊर्जा आदि शामिल होते हैं। इससे उत्पादन क्रियाओं में गति पैदा होती है और देश का आर्थिक विकास तेज़ हो जाता है। लोगों की आय और रोजगार में वृद्धि होती है।
  • सामाजिक बुनियादी ढांचा (Social Infrastructure)-सामाजिक बुनियादी ढांचे को नरम बुनियादी ढांचा भी कहा जाता है। इसमें सामाजिक सेवाएं शामिल होती हैं। जिनकी सहायता से उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है। सरकार द्वारा लोगों को शिक्षा, सेहत, तकनीकी शिक्षा, खेल के मैदान, पार्क आदि सहूलतें प्रदान की जाती हैं। इन सहूलतों के कारण लोगों की उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक विकास पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
बुनियादी ढांचे के महत्त्व को स्पष्ट करें।
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का महत्त्व (Importance of Infrastructure) –

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि-बुनियादी ढांचे द्वारा देश में आर्थिक विकास की गति तेज़ हो जाती है। आर्थिक विकास ही प्रत्येक देश का मुख्य उद्देश्य होता है इसके लिए बुनियादी ढांचा अति आवश्यक है।
  2. रोज़गार में वृद्धि-जब देश में आर्थिक ढांचे का निर्माण होता है जिस द्वारा सड़कें, नहरें, पुल आदि बनते हैं तो इसके निर्माण के समय रोज़गार में वृद्धि होती है और बनने के पश्चात् और बहुत से उद्योग स्थापित हो जाते हैं। इसलिए रोजगार में वृद्धि होने लगती है।
  3. उत्पाद शक्ति में वृद्धि-आधारभूत ढांचे के विकास से लोगों की उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है। उत्पादन शक्ति बढ़ने से न केवल देश के लोगों की आवश्यकताएं पूरी होती हैं बल्कि विदेशों में वस्तुओं का निर्यात बढ़ने से विदेशी मुद्रा के रूप में आय प्राप्त होती है।
  4. जीवन स्तर के लिए सहायक–देश में साफ सुथरा वातावरण, सेहत सहूलतों के बढ़ने से लोगों के काम करने की समर्था में वृद्धि होती है। उन की आय बढ़ जाती है और इस से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।

प्रश्न 4.
ऊर्जा के परम्परागत तथा गैर परम्परागत स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. परम्परागत स्रोत (Conventional Sources)-इनको गैर-नवीनीकरण (Non-Renewable Source) भी कहा जाता है अर्थात इनका प्रयोग एक बार ही किया जा सकता है जितनी देर तक देश में इन स्रोतों के भंडार होते हैं तब तक ही यह प्रयोग में आ सकते हैं जैसे कि कोयला (Coal), पैट्रोल तथा गैस (Patrol and Gas) और बिजली (Electricity) आदि।
  2. गैर परम्परागत स्रोत (Non-Conventional Sources)-इनको नवीनीकरण स्रोत (Renewable Sources) कहा जाता है। यह प्रकृति की मुफ्त देन होती है जिसका प्रयोग हम बार बार कर सकते हैं। इन स्रोतों द्वारा ऊर्जा पैदा करना आसान होता है। जैसे कि सूर्य ऊर्जा (Solar Energy), वायु ऊर्जा (Wind Energy), बायो गैस ऊर्जा (BioGas Energy) आदि इसके महत्त्वपूर्ण रूप हैं। ये स्रोत प्रकृति द्वारा दिये जाते हैं और इनका अन्त नहीं होता। इन स्रोतों को विकसित करने की आवश्यकता है जिससे दीर्घकाल तक विकास किया जा सकता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है? बुनियादी ढांचे की किस्में बताएं। (What is meant by Infrastructure ? Explain the types of Infrastructure.)
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का अर्थ (Meaning of Intrastructure)-बुनियादी ढांचे शब्द का प्रयोग सबसे पहले फ्रांस में 1880 में किया गया। यह फ्रेन्च भाषा के दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया। Infra जिसका अर्थ है नीचे का (Below) और Structure का अर्थ है ढांचा (Building) बुनियादी ढांचा आधार होता है जिसके ऊपर अर्थव्यवस्था का ढांचा तैयार किया जाता है। 1987 में अमरीका की राष्ट्रीय खोज कौंसिल (National Reserach Council) ने सार्वजनिक ढांचे के रूप में इसका प्रयोग किया जिससे हाईवेज़, हवाई अड्डे, टैलीकमिनीकेशन और जल आपूर्ति के लिए इसका प्रयोग किया गया।

बुनियादी ढांचे से अभिप्राय उन सहूलतों से है जिन के द्वारा अर्थव्यवस्था का संचालन किया जाता है जिससे चिरकालीन विकास हो सके। बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक अथवा निजी ढांचे को शामिल किया जाता है। इसमें सड़कें (Roads), रेलवे (Railways), पुल (Bridges) जल आपूर्ति (Water Supply), सीवरेज़ (Sewage), बिजली (Electricity), संचार (Telecommunication) और इन्टरनेट (Internet) आदि को शामिल किया जाता है। इसको परिभाषा देते हुए जैफ़री फलमर (Joffery Fulmer) ने कहा है, “बुनियादी ढांचा अन्तर सम्बन्धत प्रणाली को कहा जाता है जिस द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की सुविधा प्रदान करके चिरकालीन विकास अथवा सामाजिक जीवन स्थितियाँ पैदा करके वातावरण को ठीक रखा जाता है।” (“Infrastructure is the physical components of inter-related system providing commodities and services essential to enable sustain or enhance social living conditions to maintain the surrounding or environment.” Jaffery Fulmer).

बुनियादी ढांचे का वर्गीकरण (Classification of Infrastructure) बुनियादी ढांचे को दो भागों में बांटा जा सकता है-

  1. सख्त और स्थूल बुनियादी ढांचा (Hard Infrastructure)-सख्त बुनियादी ढांचे में भौतिक काम (Physical Network) होते हैं। जिस के द्वारा उद्योगों (Industries) का संचालन किया जाता है। इनमें सड़कें, पुल, फ्लाईओवर, रेलें आदि का विकास शामिल होता है। इस को आर्थिक बुनियादी ढांचा (Economic Infrastructure) भी कहा जाता है।
  2. नरम बुनियादी ढांचा (Soft Infrastructure)-नरम बुनियादी ढांचे में वे संस्थाएं शामिल होती हैं जिन के द्वारा आर्थिक, सेहत, सामाजिक वातावरण और अस्पताल, पार्क, मनोरंजन सहूलतें, कानून व्यवस्था आदि सेवाओं को शामिल किया जाता है। इस को सामाजिक बुनियादी ढांचा भी कहा जाता है।

बुनियादी ढांचे की किस्में (Types of Infrastructure)-बुनियादी ढांचे की मुख्य किस्में इस प्रकार हैं-
1. आर्थिक बुनियादी ढांचा (Economic Infrastructure)-आर्थिक बुनियादी ढांचे में सड़कें, यातायात के साधन, जलापूर्ति, सीवरेज, कृषि का विकास, औद्योगिक विकास ऊर्जा आदि के विकास को शामिल किया जाता है। जिस से उत्पादन में वृद्धि होती है।

2. सामाजिक बुनियादी ढांचा (Social Infrastructure)-इसमें समाजिक सुविधाओं को शामिल किया जाता है जिनमें शिक्षा संस्थान, अस्पताल, पार्क आदि के विकास पर बल दिया जाता है। इसकी व्याख्या 1965 में प्रो. हैलसेन ने की थी।

3. निजी बुनियादी ढांचा (Personal Infrastructure)-निजी बुनियादी ढांचे में मानव पूँजी (Human Capital) को शामिल किया जाता है। जब लोग शिक्षा प्राप्त करके अपने कौशल का विकास करते हैं और उनकी सेहत अच्छी होती है तो उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है। इसको निजी बुनियादी ढांचा कहा जाता है।

4. भौतिक बुनियादी ढांचा (Material Infrastructure)-भौतिक बुनियादी ढांचे में अचल पूँजी (Immoveable Capital) को शामिल किया जाता है। इस में उद्योगों का विकास, कृषि की उत्पादन शक्ति में वृद्धि करके लोगों की आवश्यकता को पूरा किया जाता है।

5. ज़रूरी बुनियादी ढांचा (Core Infrastructure)-कुछ अर्थशास्त्रियों ने बुनियादी ढांचे क्षेत्रों में जरूरी बुनियादी ढांचे को शामिल किया है इसमें निवेश द्वारा आय में वृद्धि, मुद्रा स्फीति को काबू में रखना, उद्योगों का विकास, सड़कें, नहरें, बिजली आदि को शामिल किया जाता है।

6. आधारभूत बुनियादी ढांचा (Basic Infrastructure)-इसमें सड़कें, नहरें, रेलें, बंदरगाहों का विकास, भूमि की उपज में वृद्धि आदि को शामिल किया जाता है। यदि हम देखें तो बुनियादी ढांचे को दो किस्मों आर्थिक बुनियादी ढांचा और सामाजिक बुनियादी ढांचे को अलगअलग नाम दिये गए हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा

प्रश्न 2.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है? इसके महत्त्व को स्पष्ट करें। (What is meant by Infrastructure ? Discuss the importantce of Infrastructure)
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का अर्थ (Meaning of Infrastructure)-बुनियादी ढांचे से अभिप्राय उन आधारभूत सुविधाओं से है जिन के द्वारा देश का आर्थिक विकास तेजी से किया जा सकता है। इन में कृषि पैदावार, औद्योगिक विकास, सड़कें, यातायात के साधन, रेलवे, बिजली, जलापूर्ति आदि सुविधाओं को शामिल किया जाता है।

बुनियादी ढांचे का महत्त्व (Importance of Infrastructure)-

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि (Increase in Economic Development)-प्रत्येक देश का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास प्राप्त करना होता है। इस के लिए बुनियादी ढांचे का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। देश में उत्पादन में वृद्धि होती है। मानव पूँजी का विकास होता है तो आर्थिक विकास तेजी से होता है।
  2. रोज़गार में वृद्धि (Increase in Employment)-बुनियादी ढांचे के विकास से देश में रोज़गार के नए अवसर पैदा होते हैं। जब देश में सड़कें, पुल, डैम आदि का निर्माण होता है तो रोज़गार में वृद्धि होती है। यह काम पूरा होते ही उद्योग स्थापित होते हैं, कृषि पैदावार बढ़ जाती है, होटल, बैंक, सुविधाएं अधिक हो जाती हैं तो रोज़गार में और वृद्धि होती है।
  3. उत्पादन शक्ति में वृद्धि (Increase in Productivity)-उत्पादन शक्ति में वृद्धि बुनियादी ढांचे पर निर्भर करती है। जब देश में आर्थिक तथा सामाजिक बुनियादी ढांचे का विकास होता है तो लोगों की उत्पादन शक्ति बढ़ जाती है जिस द्वारा न केवल देश के लोगों की आवश्यकताएं पूरी होती हैं बल्कि विदेशों की ज़रूरतों को पूरा किया जाता है।
  4. अर्थव्यवस्था के संचालन में सहायक (Helpful in Functioning of the Economy)-किसी देश के प्राकृतिक तथा मानव संसाधनों के उचित उपयोग के लिए भी बुनियादी ढांचा महत्त्वपूर्ण होता है। यातायात, संचार, बिजली, पानी, बैंकिंग आदि सहूलतें आर्थिक विकास के लिए अति आवश्यक होती हैं। इस से देश के साधनों का पूर्ण उपयोग संभव होता है।
  5. विदेशी काम के लिए सहायक (Helpful in Outsourcing)-जब विदेशी कंपनियां आपना काम दूसरे देशों में प्रारंभ करती हैं तो वहाँ के लोगों से सहयोग लिया जाता है। यदि लोगों को काम करने का ज्ञान है और वे आधुनिक, कम्पूयटर आदि को संचालन कर सकते हैं तो काल सैंटर (Call Center) खोल कर आय प्राप्त कर सकते हैं।
  6. जीवन स्तर के लिए सहायक (Helpful in Standard of Living)-जिस देश में बुनियादी ढांचा विकसित हो जाता है उस देश के लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। उनकी आय बढ़ जाती है।

इससे रहन-सहन पर अच्छा प्रभाव पढ़ता है। लोग अपने बच्चों को शिक्षा और उच्च शिक्षा दिलवाने के काबिल हो जाते हैं। इससे लोगों की काम करने की शक्ति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है और आर्थिक विकास होता है।

प्रश्न 3.
भारत में ऊर्जा के स्रोतों को वर्णन करो। Explain the sources of Energy in India.
उत्तर-
ऊर्जा आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसको दो भागों में बांट कर स्पष्ट किया जा सकता है|
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा 2
(A) परम्परागत स्रोत (Conventional Source)-परम्परागत स्रोत को गैर नवीनीकरण स्रोत भी कहा जाता है। जैसे जैसे हम परम्परागत स्रोतों का प्रयोग करते हैं तो धीरे-धीरे इन के भंडार समाप्त हो जाते हैं। इस कारण इन को गैर नवीनीकरण स्रोत कहा जाता है।

परम्परागत स्रोत दो प्रकार के होते हैं।

  • व्यापारिक स्रोत (Conventional Source)
  • गैर-व्यापारिक स्त्रोत (Non-conventional Source) ।

व्यापारिक स्त्रोंतो में मुख्य स्रोत

  1. कोयला
  2. पैट्रोल और प्राकृतिक गैस
  3. बिजली होते है और गैर

व्यापारिक स्रोत

  • लकड़ी
  • कृषि कूड़ा करकट
  • सूखा गोबर (उपले)।

इस अध्याय में हम व्यापारिक परम्परागत स्रोतों का अध्ययन करेंगे-
1. कोयला (Coal)-भारत में व्यापारिक परम्परागत स्रोत कुल स्रोतों का 74% हैं जिनमे कोयले का भाग 44% हैं। 2020-21 में अनुमान लगाया गया है कि कोयले के भंडार 100 साल के पश्चात समाप्त हो जाएंगे। कोयला उत्पादन में भारत का विश्व में चौथा स्थान है। भारत में कोयला थर्मल प्लांटों, फैक्ट्रियों, रेलों आदि में प्रयोग किया जाता है। कोयले के भंडार उड़ीसा, बिहार, बंगाल तथा मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं। भारत में भूरे कोयले (Liginite) के भंडार भी हैं जो कि नवेली (Neyveli) में पाए जाते हैं। इस कोयले का भंडार लगभग 3300 मिलियन टन है।

2. पैट्रोल तथा प्राकृतिक गैस (Petrol & Natural Gas)-पैट्रोल भी ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसका प्रयोग विश्व भर में किया जाता है। पैट्रोल का प्रयोग वाहनों (Automobiles) रेल गाड़ियों (Railway), हवाई जहाजों (Aeroplans) और समुद्री जहाजों (Ships) आदि के लिए किया जाता है। भारत में पैट्रोल आसाम, बाम्बे हाई और गुजरात में मिलता है। 2000-01 में अनुमान लगाया गया था कि भारत में 32 मिलियन टन पैट्रोल के भण्डार हैं यह देश की 25% आवश्यकताओं को पूरा करता है।

बाकी पैट्रोल खाड़ी देशों से आयात किया जाता है। भारत में तेल साफ करने की पहली रिफाइनरी आसाम में लगाई गई थी। इस के पश्चात भारत में 13 और रिफाइनरियाँ स्थापत की गई हैं जिन की तेल शोधक क्षमता 604 लाख टन है। यदि इस रफ्तार से पैट्रोल का प्रयोग भारत के पैट्रोल भण्डारों से किया गया तो 20-25 वर्ष में यह भंडार समाप्त हो जाएंगे। प्राकृतिक गैस भी ऊर्जा का स्रोत है। यह रासायनिक खाद और कैमीकल के उद्योगों में प्रयोग होती है। इस को खाना बनाने में भी प्रयोग किया जाता है।

3. बिजली (Electricity)-बिजली सब से अधिक प्रयोग किया जाने वाला और सब से अधिक प्रचलित ऊर्जा स्रोत है। इस का प्रयोग व्यापारिक कार्यों तथा घरेलू उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इस का प्रयोग खाना बनाने, पंखे, ऐ०सी० फ्रिज, कपड़ा धोने की मशीनों आदि के लिए किया जाता है। इस को कृषि उपकरणों को चलाने, उद्योगों के संचालन, व्यापारिक संस्थानों तथा घरेलू उपयोग के लिए किया जाता है।

भारत में कुल बिजली का 25% भाग कृषि के लिए, 36% भाग उद्योगों के लिए 24% भाग घरेलू कामों के लिए तथा अन्य 15% भाग और कामों के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत में बिजली पैदा करने के तीन स्रोत हैं।

  • थर्मल शक्ति (Thermal Power)
  • हाईड्रो इलैक्ट्रिक शक्ति (Hydro Electric Power)
  • अणु शक्ति (Neuclear Power)।

31 मार्च 2020 तक भारत में बिजली पैदा करने की क्षमता 356100 MW है। जिसमें 68% थर्मल प्लांटों द्वारा प्राप्त की जाती है जिसका हिस्सा अब कम हो रहा है।

गैर-परम्परागत स्रोत (Non-Conventional Source)-गैर-परम्परागत स्रोतों को नवीनीकरण स्रोत (Renewable Source) भी कहा जाता है। गैर-परम्परागत स्रोत निम्नलिखित अनुसार हैं-
1. सौर ऊर्जा (Solar Energy)-सौर ऊर्जा एक महत्त्वपूर्ण और ऊर्जा का मुफ्त स्रोत है। विश्व में जितनी कुल ऊर्जा की ज़रूरत है उससे 15000 गुणा अधिक सौर ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। एक वर्ग km में 20 MW प्लांट की स्थापना की जा सकती है। सौर ऊर्जा को तीन भागों में बांटा जा सकता है। कम तापमान वाले यंत्र (100°C), मध्य ताप यत्र (100°C से 300°C) और उच्च ताप यंत्र 300°C से अधिक ऊर्जा पैदा करने के लिए यंत्र। इन का प्रयोग होटलों में, डेयरी फार्मों में, कपड़ा उद्योगों में तथा घर के कामों के लिए किया जा सकता है।

2. वायु ऊर्जा (Wind Energy) वायु द्वारा भी ऊर्जा पैदा की जा सकती है। भू-मध्य रेखा पर अधिक गर्म जलवायु होती है। जैसे हम उत्तरी पोल तथा दक्षणी पोल की तरफ जाते हैं। गर्मी कम होती जाती है। जहां पर वायु 15 km/h (15 km प्रति घंटा) की रफ्तार से चलती है वहां पर वायु ऊर्जा यन्त्र लगाए जा सकते हैं। यदि वायु 25 km/ h से 30 km/h की रफ्तार से चलती है वहाँ पर ज्यादा ऊर्जा पैदा की जा सकती है। भारत में अनुमान है कि 20,000 MW ऊर्जा वायु ऊर्जा द्वारा पैदा की जा सकती है।

3. बायो-ऊर्जा (Bio-Energy)-बायो ऊर्जा भी ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। यह लकड़ी उद्योग, कृषि तथा घरों से निकलने वाले कचरे के प्रयोग से ऊर्जा के निर्माण में सहायक होता है। पशुओं के गोबर से भी गैस प्राप्त की जा सकती है जिस का प्रयोग घर में खाना बनाने के लिये किया जा सकता है। कचरे द्वारा जो ऊर्जा पैदा की जाती है इस का दोहरा लाभ होता है। एक तो कचरे से पैदा होने वाला प्रदूषण समापत हो जाता है तथा इस के प्रयोग द्वारा जो बिजली उत्पन्न होती है उस का प्रयोग भी होता है। विकसित देशों में बायो ऊर्जा द्वारा भी ऊर्जा प्राप्त की जा रही है। आधुनिक युग में अनु ऊर्जा (Atomic Energy) के प्लांट भी स्थापित किये जा रहे हैं जिस द्वारा ऊर्जा पैदा करके देश की आवश्यकताओं को पूरा करने के यत्न किये जा रहे हैं।

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प्रश्न 4.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है? आर्थिक बुनियादी ढांचे के अंश बताएं।
(What do you mean by Infrastructure? Give brief account of components of economic Infrastructure?)
उत्तर-
बुनियादी ढांचे से अभिप्राय वह सुविधायें, काम अथवा सेवाएं हैं जो कि अर्थव्यवस्था के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों का विकास करने के लिए योगदान डालते हैं। देश का पूँजी भण्डार जो अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है उस को बुनियादी ढांचा कहा जाता है। (“Infrastructure means the services and facilities which are helpful in development of Primary secondary & teritary sectors of the economy.”)
आर्थिक बुनियादी ढांचे के अंश- (Components of Economic Infrastructure) आर्थिक बुनियादी ढांचे के तीन अंश होते हैं –
1. ऊर्जा (Energy)
2. यातायात (Transportation)
3. संचार (Communication)
1. ऊर्जा (Energy)-ऊर्जा के बगैर औद्योगिक विकास संभव नहीं होता। ऊर्जा दो प्रकार की होती है। व्यावहारिक ऊर्जा (Commercial Energy) जिसमें कोयला (Coal), पैट्रोल (Petrol) प्राकृतिक गैस (Natural Gas) और बिजली (Electricity) को शामिल किया जाता है। गैर परंपरागत ऊर्जा में लकड़ी, पशुओं तथा कृषि का कचरा शामिल किया जाता है।

व्यावहारिक ऊर्जा के स्रोत इस प्रकार हैं-

  • कोयला (Coal)-कोयला ऊर्जा का पुरातन तथा महत्त्वपूर्ण स्रोत है। भारत में कोयला काफी मात्रा में पाया जाता है। इस के भण्डार 100 वर्ष तक चलने की संभावना है।
  • पैट्रोल (Petrol)-पैट्रोल भी ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। भारत में यह आसाम, बांबे हाई और गुजरात में पाया जाता है। इस के भण्डार देश की 25% आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
  • प्राकृतिक गैस (Natural Gas)-प्राकृतिक गैस भी बुनियादी ढांचे का अंश है। इस का प्रयोग घरों में खाना बनाने तथा खाद बनाने के लिए किया जाता हैं।
  • बिजली (Electricity)-बिजली भारत में थर्मल प्लांटों हाईड्रो इलैक्ट्रिक पावर और अणु शक्ति से प्राप्त की जाती है।

(A) गैर परंपरागत स्रोत (Non Conventional Sources)-

  • सूर्य ऊर्जा (Solar Energy)-भारत में यह महत्त्वपूर्ण स्रोत हो सकता है क्योंकि वर्ष के 365 दिनों में से 325 से 335 दिन तक सूर्य ऊर्जा उत्पादन की जा सकती है।
  • वायु ऊर्जा (Wind Energy)-भारत के पठारी इलाके में वायु ऊर्जा उत्पादन की जा सकती है।
  • बायो ऊर्जा (Bio-Energy)-यह पशुओं तथा कृषि के कचरे से पैदा की जा सकती है।

(B) यातायात (Transportation) यातायात भी बुनियादी ढांचे का महत्त्वपूर्ण अंश है। यातायात में रेलवे, सड़कें, जल यातायात, हवाई यातायात को शामिल किया जाता है।

  • रेल यातायात (Rail Transportation)-भारत में रेल यातायात सब से महत्त्वपूर्ण यातायात का स्रोत है। इस समय रेलों का जाल देश भर में फैला हुआ है। भारत में रेलवे ट्रैक 1,15,000 km है। यह एशिया में सब से अधिक और विश्व में दूसरे स्थान पर है। यह ट्रैक 67368 km क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • सड़क यातायात (Road Transportation)-भारत में मार्च 2019 तक 1,32,500 km राष्ट्रीय सड़क मार्ग तथा 1,76,166 km राज्य सड़क मार्ग से सड़कों द्वारा मुसाफिरों तथा माल का आवागमन होता है।
  • जल यातायात (Water Transportation)-जल यातायात भी बुनियादी ढांचे का महत्त्वपूर्ण साधन है। यह भारत में 14,500 km क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें से 5,685 km व्यापारिक वाहनों के लिये प्रयोग किया जाता है।
  • हवाई यातायात (Air Transportation)-हवाई यातायात से लोग एक स्थान से दूसरे स्थानों तक सफर करते हैं तथा माल भी दूसरे स्थानों पर भेजा जाता है। भारत में दो हवाई कंपनियां हैं। पहली Air India जिस द्वारा 28 अन्तर्राष्ट्रीय तथा 13 घरेलू उड़ानें भरी जाती हैं। दूसरी Indian Airlines जो देश में 58 स्थानों को आपस में जोड़ती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा

(C) संचार (Communication)-संचार में डाक सेवाएं (Postal Services), टैलीफोन सेवाएं (Telephone Services) तथा टैलीग्राम सेवाएं (Telegraphic Services) को शामिल किया जाता है।

  1. डाक सेवाएं (Postal Services) भारत में डाक विभाग बहुत पुरातन संचार का साधन है। भारत में इस समय लगभग 1,56,000 डाकखाने हैं। जिन में से 1,39,000 डाकखाने गाँव में स्थित है। प्रत्येक डाकखाने को पिन कोड दिया गया है। यह डाकखाने E Post, Speed Post, Express Post, Satellite Post आदि सेवाएं प्रदान करते हैं।
  2. टैलीफोन सेवाएं (Telephone Services)-भारत में टैलीफोन भी संचार का साधन है। टैलीफोन सेवाओं में भारत एशिया भर में पहले स्थान पर है। STD की सुविधा 23000 से अधिक स्थान पर दी जाती है।
  3. टैलीग्राफ सेवाएं (Telegraph Services)-भारत में लगभग 45,000 टैलीग्राफ दफ्तर हैं। इनके द्वारा देश में लिखती संदेश भेजे जाते हैं। इन आर्थिक सेवाओं द्वारा देश के आर्थिक विकास में वृद्धि होती है। प्रत्येक बजट में आर्थिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए यत्न किये जा रहे हैं। इस द्वारा देश के आर्थिक विकास में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है|