PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 भोजन के तत्व

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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 भोजन के तत्व

→ पोषक तत्व वे पदार्थ हैं जो शरीर के समुचित विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक हैं।

→ कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज और विटामिन हमारे भोजन के मुख्य पोषक तत्व हैं। इनके अलावा हमारे शरीर को पानी और रूक्षांश की जरूरत होती है।

→ कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बने होते हैं। ये ऊर्जा के तत्कालीन स्रोत हैं तथा ऊर्जा देने वाले भोजन कहलाते हैं।

→ बाजरा, ज्वार, चावल, गेहूँ, गुड़, आम, केला और आलू कार्बोहाइड्रेट के मुख्य स्रोत हैं।

→ हमारे पास दो प्रकार के कार्बोहाइड्रेट हैं। ये सरल कार्बोहाइड्रेट और जटिल कार्बोहाइड्रेट हैं।

→ ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज, लैक्टोज आदि सरल कार्बोहाइड्रेटों के उदाहरण हैं। स्टार्च, सेल्युलोज, ग्लाइकोजन जटिल कार्बोहाइड्रेटों के उदाहरण आदि हैं।

→ स्वाद में मीठे कार्बोहाइड्रेटों को शर्करा कहते हैं।

→ सुक्रोज को टेबल शुगर के रूप में जाना जाता है। फ्रक्टोज को फल शुगर कहा जाता है। लैक्टोज को मिल्क शुगर कहा जाता है।

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 भोजन के तत्व

→ स्टार्च बेस्वाद और पानी में अघुलनशील है। यह ग्लूकोज की कई इकाइयों से बना होता है।

→ आलू, गेहूँ, चावल, मक्का आदि स्टार्च के मुख्य स्रोत हैं।

→ पाचन के दौरान स्टार्च पहले ग्लूकोज में और अंत में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में परिवर्तित होता है। इसलिए, स्टार्च ऊर्जा का तत्कालिक स्रोत नहीं है।

→ स्टार्च का पता आयोडीन परीक्षण द्वारा लगाया जा सकता है। यह आयोडीन के साथ नीला-काला रंग देता है।

→ प्रोटीन कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से बने होते हैं। इन्हें बॉडी बिल्डिंग फूड कहा जाता है। शरीर की कोशिकाओं की वृद्धि और मुरम्मत प्रोटीन का मुख्य कार्य है। ये हमें कई बीमारियों से भी बचाती हैं।

→ पौधे और जंतु दोनों ही प्रोटीन के स्रोत हैं। पौधों से मिलने वाले प्रोटीन को पादप प्रोटीन कहा जाता है और जंतुओं से प्राप्त प्रोटीन को पशु प्रोटीन अथवा जैव प्रोटीन कहा जाता है।

→ सोयाबीन, मटर जैसी फलियाँ और चना, राजमाह और मूंग जैसी दालें पादप प्रोटीन के स्रोत हैं। पालक, मशरूम, ब्रोकली आदि से भी प्रोटीन मिलता है।

→ मांस, मछली, मुर्गी, दूध और दुग्ध उत्पाद प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं।

→ कुछ प्रोटीन हमारे शरीर में होने वाली विभिन्न प्रतिक्रियाओं को तेज करते हैं। इन्हें एंजाइम के रूप में जाना जाता है।

→ एंजाइम वे प्रोटीन होते हैं जो एक जीवित जीव के शरीर के अंदर विभिन्न प्रतिक्रियाओं को तेज करते हैं।

→ कॉपर सल्फेट और कास्टिक सोडा के घोल में प्रोटीन मिलाने पर नीला रंग मिलता है। इस प्रतिक्रिया का उपयोग प्रोटीन का पता लगाने के लिए किया जाता है।

→ वसा से भी हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। ये कार्बोहाइड्रेट की तुलना में अधिक मात्रा में ऊर्जा देती है। इनके द्वारा ऊर्जा छोड़ने की प्रतिक्रिया धीमी होती है।

→ वसा ऊर्जा के सबसे समृद्ध स्रोत के रूप में जाने जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा के तत्कालिक स्रोत के रूप में जाना जाता है।

→ सरसों का तेल, नारियल का तेल और सूरजमुखी के तेल जैसे वनस्पति तेल, वसा के महत्त्वपूर्ण वनस्पति अथवा पादप स्रोत हैं। वनस्पति अथवा पादप वसा के अन्य स्रोत काजू, बादाम, मूंगफली और तिल हैं।

→ मांस, अंडे, मछली, दूध और दूध उत्पाद जैसे मक्खन, घी आदि पशु वसा के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।

→ वसा से हमें ऊर्जा मिलती है तथा ये शरीर से गर्मी के नुकसान को रोकते हैं।

→ कागज पर तैलीय पैच की उपस्थिति किसी भी खाद्य पदार्थ में वसा की उपस्थिति की पुष्टि करती है।

→ हमारे शरीर को खनिजों की भी आवश्यकता होती है। कैल्शियम, लोहा, आयोडीन और फास्फोरस महत्त्वपूर्ण खनिज हैं। ये हमें ऊर्जा नहीं देते हैं।

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 भोजन के तत्व

→ हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए आयरन की और हड्डियों के निर्माण के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। फास्फोरस हड्डियों और दांतों को मजबूती प्रदान करता है। थायरॉयड ग्रंथि के सामान्य कामकाज के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है।

→ हमारे शरीर के ठीक ढंग से कार्य के लिए हमें विटामिनों की आवश्यकता होती है। हमारे पास A, B, C, D, E और K जैसे विभिन्न विटामिन हैं।

→ अंडे, मांस, दूध, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गाजर, पपीता आदि विटामिन C के स्रोत हैं। यह स्वस्थ आंखों और त्वचा के लिए आवश्यक है।

→ दूध, हरी सब्जियाँ, मटर, अंडे, अनाज, मशरूम आदि विटामिन B के स्रोत हैं। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और पाचन तंत्र के सामान्य विकास और उचित कामकाज के लिए आवश्यक है।

→ खट्टे फल (नींबू, संतरा, आदि), आँवला, टमाटर, ब्रोकली आदि विटामिन सी के स्रोत हैं। यह रोगों से लड़ने के लिए आवश्यक है।

→ डेयरी उत्पाद, मछली के जिगर का तेल, सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आना आदि विटामिन D के स्रोत हैं। यह स्वस्थ हड्डियों और दाँतों के लिए आवश्यक है।

→ बादाम, मूंगफली, सूरजमुखी का तेल, सोयाबीन का तेल, पत्तेदार सब्जियाँ विटामिन E के स्रोत हैं। कोशिकाओं को क्षति से बचाने के लिए और हमारे शरीर की विभिन्न समस्याओं को कम करने में मदद करने के लिए इसकी आवश्यकता होती है।

→ हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मछली का मांस, अंडे, अनाज आदि विटामिन K के स्रोत हैं। यह रक्त के जमने के लिए आवश्यक है।

→ पोषक तत्व-वे पदार्थ हैं जो शरीर के समुचित विकास और उचित कामकाज के लिए आवश्यक हैं।

→ संतुलित आहार-जिस आहार में शरीर के समुचित विकास और उचित कामकाज के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों, रौगे और पानी की पर्याप्त मात्रा होती है, उसे संतुलित आहार कहा जाता है।

→ कमी रोग-लंबे समय तक हमारे आहार में पोषक तत्वों की कमी के कारण जो रोग होता है उसे कमी रोग कहा जाता है।

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 भोजन के तत्व

→ घेघा-आयोडीन की कमी से होने वाला एक रोग है और इसका मुख्य लक्षण गर्दन में मौजूद थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना है।

→ स्कर्वी- यह विटामिन C की कमी से होना वाला रोग है और इसके मुख्य लक्षणों में मसूड़ों से खून आना शामिल है।

→ बेरी-बेरी-यह विटामिन B की कमी से होने वाला रोग है।

→ रिकेट्स- यह विटामिन D की कमी से होने वाला रोग है और इसके मुख्य लक्षणों में हड्डियों का नरम होना और मुड़ना शामिल है।

→ खून की कमी अथवा एनीमिया-यह आयरन की कमी से होने वाली बीमारी है और इसके मुख्य लक्षणों में कमजोरी, थकान और पीली त्वचा शामिल हैं।

→ रूक्षांश- भोजन में मौजूद रेशेदार अपचनीय पदार्थ को रूक्षांश कहा जाता है।

PSEB 6th Class Computer Solutions Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

Punjab State Board PSEB 6th Class Computer Book Solutions Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Computer Science Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

Computer Guide for Class 6 PSEB कम्प्यूटर से जान-पहचान Textbook Questions and Answers

1. रिक्त स्थान भरें।

(i) कम्प्यू टर एक ………….. है।
(क) इलेक्ट्रॉनिक मशीन
(ख) मैकेनिकल मशीन
(ग) चुंबकीय मशीन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) इलेक्ट्रॉनिक मशीन

(ii) कम्प्यूटर …………. कर सकता है।
(क) गणनाएं
(ख) डाटा तथा निर्देश प्राप्त
(ग) स्टोर
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

(iii) कम्प्यूटर अपने सभी कार्य बहुत ………. के साथ करता है।
(क) रफ्तार
(ख) शुद्धता
(ग) गुणवत्ता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

(iv) बैंकों में कम्प्यूटर का प्रयोग किस कार्य के लिए किया जाता है ?
(क) बैंक को सुरक्षित रखने के लिए
(ख) खातों का रिकॉर्ड रखने के लिए
(ग) बैंकों को साफ़ रखने के लिए
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) खातों का रिकॉर्ड रखने के लिए

PSEB 6th Class Computer Solutions Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

(v) कम्प्यूटर द्वारा किसी भी कार्य को करने के लिए लगाए गए समय को किस इकाई में मापा जाता है ?
(क) मिनट
(ख) घंटे
(ग) मिली सेकंड
(घ) दिन।
उत्तर-
(ग) मिली सेकंड

(vi) शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रयोग किस कार्य के लिए किया जाता है ?
(क) नोट्स बनाने के लिए
(ख) नतीजे तैयार करने के लिए
(ग) रिपोर्ट तैयार करने के लिए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

(vii) इन में से कौन-सी कम्प्यूटर की एक कमी है ?
(क) रफ्तार
(ख) शुद्धता
(ग) कोई समझ न होना
(घ) बगैर थके कार्य करना।
उत्तर-
(ग) कोई समझ न होना होना।

2. बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर को परिभाषित करो।
उत्तर-
कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है जो यूज़र से डाटा प्राप्त करता है तथा उस को दिए गए निर्देशों के अनुसार प्रशस्त करता है। प्रोसेस करने के बाद उसके नतीजे को यूज़र को दिखाता है।

प्रश्न 2.
शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर के प्रयोग की व्याख्या करो।
उत्तर-
शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर अध्यापकों तथा विद्यार्थियों दोनों द्वारा प्रयोग किया जाता है। अध्यापक कम्प्यूटर का प्रयोग में तथा क्लास रूम के बाहर पढ़ाने कर सकते हैं। अध्यापक विद्यार्थियों का रिकार्ड रख सकते हैं। विद्यार्थी कम्प्यूटर का प्रयोग नोट्स तैयार करने ड्राइंग करने प्रोजैक्ट बनाने तथा अन्य अध्यापक से संपर्क में कर सकते हैं। आजकल ऑनलाइन शिक्षा भी कम्प्यूटर के माध्यम से दी जा रही है।

प्रश्न 3.
किन्हीं तीन पोर्टेबल कम्प्यूटर यंत्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
तीन प्रकार के पोर्टेबल कम्प्यूटर यंत्रों के नाम इस प्रकार हैं-मोबाइल फोन, टैबलेट कम्प्यूटर, लैपटॉप कम्प्यूटर ।

3. बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर की विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर-
कम्प्यूटर की विशेषताएं निम्नानुसार हैं –
1. गति (Speed) कम्प्यूटर अपना कार्य तीव्र गति से कर सकता है जो कार्य को करने में मनुष्य को कई दिनों का समय लगता है। कम्प्यूटर उसी कार्य को कुछ सेकेंड में पूरा कर सकता है। कम्प्यूटर की गति मिली सेकेंड में मापी जाती है।

2. शुद्धता (Accuracy)-शुद्धता कम्प्यूटर कोई भी कार्य करता है। वह पूर्ण रूप से शुद्ध होता है। उसमें किसी भी प्रकार की गलती नहीं होती अगर कोई गलती मिलती है तो वह मनुष्य के कारण होती है ना कि कम्प्यूटर के कारण।

3. विश्वसनीयता (Diligence) कम्प्यूटर द्वारा कोई भी किया गया कार्य पूर्ण रूप से विश्वसनीय होता है। इसको दोबारा जांचने की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार की गलती नहीं होती।

4. अनथक (Versatility)-कम्प्यूटर इंसान की तरह कभी थकता नहीं है। उसको कोई भी कार्य जितनी बार मर्जी दिया जाए वह उसको करता रहेगा यदि कम्प्यूटर को लगातार बहुत दिनों तक भी चलाया जाए तो भी वह थकेगा नहीं और अपने सभी कार्य पूर्ण रूप से सही करेगा।

5. ऑटोमेशन (Automation)-ऑटोमेशन का अर्थ है कार्य को अपने आप करते रहना कम्प्यूटर को जो भी कार्य करने के निर्देश दिए जाते हैं। वह उनका निर्देशों का अपना आप पालन करता रहता है। उसे बार-बार निर्देश देने की ज़रूरत नहीं होती। एक बार किसी कार्य के पूर्ण संदेश मिल जाने के बाद वह कार्य को खत्म कर ही रुकता है।

6. भण्डारण (Storage)-कम्प्यूटर की भण्डारण क्षमता असीमित है। कम्प्यूटर में विभिन्न प्रकार के यंत्र लगाए जा सकते हैं जिससे उसकी क्षमता को ज़रूरत अनुसार बढ़ाया जा सकता है। हम किसी भी प्रकार का डाटा कम्प्यूटर पर स्टोर कर सकते हैं और इस डाटा को लंबे समय तक के लिए दूर करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
कम्प्यूटर के कोई पाँच प्रयोग क्षेत्रों की व्याख्या करो।
उत्तर-
आजकल कम्प्यूटर विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है जिनका वर्णन आगे किया गया है-
1. शिक्षा के क्षेत्र में (In Education) शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रयोग हाजरी लगाने, मार्कशीट बनाने, पेपर बनाने आदि में किया जाता है। लाइब्रेरी में भी कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। इसकी सहायता से रिज़ल्टस बनाए जाते हैं। कम्प्यूटर का प्रयोग कक्षा में पढ़ाने के लिए भी किया जाता है। प्रयोगशालाओं में भी कम्प्यूटर का प्रयोग होता है।

PSEB 6th Class Computer Solutions Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

2. सेहत तथा दवाइयों के क्षेत्र में (In Health and Medicine field) आजकल कम्प्यूटर का प्रयोग अस्पतालों में किया जाता है जहां डॉक्टर इसका प्रयोग मरीज की जांच करने के लिए करते हैं। इनकी सहायता से मरीज को दवाई दी जाती है तथा उनके आपरेशन भी किए जाते हैं।

3. दुकानों में (In Shops) कम्प्यूटर का प्रयोग एक दुकानदार दुकानों में अपने सामान का उपलब्ध रिकार्ड रखने में करता है। वह दुकान में हुई खरीद-बिक्री तथा टैक्स का रिकार्ड कम्प्यूटर में रख सकता है। आजकल कम्प्यूटर पर बिक्री के बिल भी तैयार किए जाते हैं।

4. व्यापार में (Trade Use)-कम्प्यूटर का प्रयोग व्यापार में हिसाब-किताब रखने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से खरीददारी भी की जाती है। हम घर बैठे कम्प्यूटर की सहायता से दुनिया में कहीं से भी खरीददारी कर सकते हैं। इनके प्रयोग से बिलों का भुगतान किया जा सकता है। आजकल बड़े-बड़े माल तथा शोपिंग सैंटरों में इसी का प्रयोग होता है।

5. बैंकों में (In Banks)-आजकल सभी बैंक कम्प्यूटर की सहायता से चलते हैं। ATM मशीन अपने आप में एक कम्प्यूटर है जिससे हम कभी भी पैसे निकाल सकते हैं। हम इंटरनेट की सहायता से कहीं से भी अपना पैसा कहीं भी भेज सकते हैं।

प्रश्न 3.
कम्प्यूटर की सीमाएं कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
कम्प्यूटर की निम्नलिखित सीमाएं हैं –

  1. यह सिर्फ मानवीय निर्देशों पर कार्य करता है।
  2. इसमें अपनी सोचने-समझने की कोई शक्ति नहीं है।
  3. यह अपना ध्यान नहीं रख सकता।.
  4. कम्प्यूटर की मैमरी मनुष्य की तुलना में सीमित कार्य कर सकती है।
  5. कम्प्यूटर में कोई भावना नहीं होती है।
  6. कम्प्यूटर में दूरदर्शिता की कमी होती है।
  7. यह सिर्फ तर्क आधारित कार्य ही कर सकते हैं।
  8. कम्प्यूटर हार्डवेयर में एक स्वरूपता की कमी है। विभिन्न कम्पनियों के अलग-अलग हार्डवेयर यंत्र होते हैं।
  9. कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए खास वातावरण की ज़रूरत होती है। ये तापमान, नमी आदि से काफी प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 4.
पोर्टेबल कम्प्यूटिंग यंत्रों से क्या भाव है ? किन्हीं तीन यंत्रों की व्याख्या करो।
उत्तर-
पोर्टेबल कम्प्यूटिंग यंत्रों से हमारा अभिप्राय उन यंत्रों से है जिनको प्रयोग करने के लिए हम आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं। यह यंत्र आकार में छोटे होते हैं और इनका भार भी कम होता है। आजकल हम कई प्रकार के पोर्टेबल कम्प्यूटिंग यंत्रों का प्रयोग कर रहे हैं। तीन प्रकार के कम्प्यूटिंग यंत्रों की व्याख्या आगे की गई है –
1. मोबाइल फोन स्मार्टफोन (Mobile/Smart Phone) मोबाइल फोन या स्मार्टफोन आजकल प्रयोग में आने वाला सबसे आम पोर्टेबल कम्प्यूटिंग यंत्र है। यहां लगभग सभी लोगों के पास पाया जाता है। इसमें हम अपने सभी कार्य कर सकते हैं, जिसको करने के लिए हमें एक नॉर्मल कम्प्यूटर की ज़रूरत पड़ती है। आजकल के मोबाइल फोन में हम गाने सुन सकते हैं। फिल्में देख सकते हैं डॉक्यूमैंट तैयार कर सकते हैं तथा सोशल नेटवर्किंग के जरिए अपने दोस्तों तथा मित्रों से भी संपर्क बना सकते हैं। आजकल के मोबाइल फोन काफ़ी तीव्र गति से काम करते हैं तथा भंडारण के लिए भी काफी ज्यादा स्थान प्रदान करते हैं। इन मोबाइल फोनों में इंटरनेट का प्रयोग भी किया जाता है। मोबाइल फोन का प्रयोग शिक्षा व्यापार वाणिज्य मनोरंजन तथा गेम खेलने के लिए किया जा सकता है।

2. टैबलेट (Tablet) टैबलेट कम्प्यूटर एक पतला तथा पोर्टेबल कम्प्यूटर होता है जो कि एक बैटरी की सहायता से चलता है। इस कम्प्यूटर पर टचस्क्रीन लगी होती है। इसको चलाने के लिए हमें अलग कीबोर्ड या माउस की ज़रूरत नहीं होती। स्क्रीन को अपनी उंगली से ही चलाया जा सकता है। इस कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों के लिए किया जा सकता है। मुख्य रूप से इसका प्रयोग उन कार्यों में होता है जहां टाइपिंग की ज्यादा ज़रूरत नहीं होती। टैबलेट कम्प्यूटर का अधिकतर प्रयोग शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट तथा शिक्षा में विद्यार्थियों द्वारा देखा जाता है।

3. पामटोप (Palmtop) -यह एक छोटे प्रकार का कम्प्यूटर होता है जिसमें एक छोटी स्क्रीन लगी होती है तथा इसके साथ इसमें एक छोटा सा कीबोर्ड भी होता है। यह कम्प्यूटर में एक मोबाइल फोन की तरह लगता है। आजकल इस कम्प्यूटर का प्रयोग ज्यादा नहीं किया जाता क्योंकि इसका प्रयोग कुछ सीमित कार्यों को करने के लिए ही किया जाता है।

प्रश्न 5.
कम्प्यूटर के प्रयोग की व्याख्या करो।
उत्तर-
हम कम्प्यूटर पर निम्न कार्य कर सकते हैं –

  1. गणितिक गणनाएं।
  2. टैक्सट के स्पैल चैक
  3. गेम खेलना
  4. तस्वीर बनाना।
  5. फिल्म देखना तथा गाने सुनना।
  6. किताबें तथा अखबारें छापना
  7. टिकट बुक करना।
  8. रेलगाड़ी, बसों तथा जहाजों के आने-जाने का पता करना।
  9. मौसम की जानकारी प्राप्त करना।
  10. स्कूल रिपोर्ट, नतीजा तथा समय सारणी तैयार करना।
  11. रेलवे, बस तथा हवाई जहाज़ में सफर करने के लिए टिकट बुक कराना।
  12. किसी जगह पहुँचने के लिए रास्ता पता करना।

PSEB 6th Class Computer Guide कम्प्यूटर से जान-पहचान Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें-

(i) ……… इलैक्ट्रॉनिक मशीन है। :
(क) टी० वी०
(ख) टाइप राइटर
(ग) कम्प्यूटर
(घ) उपरोक्त सारे।
उत्तर-
(ग) कम्प्यूटर

(ii) कम्प्यू टर की रफ़्तार ……….. होती है।
(क) तेज़
(ख) धीमी
(ग) मध्यम
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) तेज़

(iii) कम्प्यूटर की विशाल ……… होती है।
(क) रफ्तार
(ख) मैमरी
(ग) डिस्प्ले
(घ) की-बोर्ड।
उत्तर-
(ख) मैमरी

(iv) व्यापार पर कम्प्यूटर्ज़ का प्रयोग …….. तैयार करने के लिए किया जाता है।
(क) कैश
(ख) टिकटें
(ग) बही खाता
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) बही खाता

(v) कम्प्यूटर का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में ……….. तथा …….. द्वारा किया जाता है।
(क) अध्यापकों तथा विद्यार्थियों
(ख) व्यापारियों तथा बैंकरों
(ग) माता-पिता तथा बच्चे
(घ) उपरोक्त सारे।
उत्तर-
(क) अध्यापकों तथा विद्यार्थियों

PSEB 6th Class Computer Solutions Chapter 1 कम्प्यूटर से जान-पहचान

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर क्या है ?
उत्तर-
कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन है जो इनपुट लेता है, प्रोसैस करता तथा आऊटपुट प्रदान करता है। यह यूजर से डाटा तथा निर्देश प्राप्त करता है।

प्रश्न 2.
कम्प्यूटर की परिभाषा दें।
उत्तर-
कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन है जो इनपुट के तौर पर यूजर से डाटा प्राप्त करता है तथा इस डाटे को निर्देश के अनुसार प्रोसैस करता है तथा नतीजा देता है।

प्रश्न 3.
हम कम्प्यूटर पर क्या कर सकते हैं ? कोई चार कार्य लिखें।
उत्तर-
हम कम्प्यूटर पर निम्न कार्य कर सकते हैं

  1. गणितिक गणनाएं
  2. टैक्सट के स्पैल चैक
  3. गेम खेलना
  4. तस्वीर बनाना।

प्रश्न 4.
सेहत तथा दवाइयों के क्षेत्र में एक कम्प्यूटर किस प्रकार मददगार है ?
उत्तर-
सेहत तथा दवाइयों के क्षेत्र में कम्प्यूटर मरीजों की हिस्टरी तथा अन्य रिकार्ड तैयार करता है। इसकी मदद से मरीजों की देख-रेख की जाती है तथा बीमारियों की जांच की जाती है। अस्पतालों की लैबोरेटरी में विभिन्न प्रकार के मैडीकल टैस्ट करने के लिए भी कम्प्यूटर का प्रयोग होता है।

प्रश्न 5.
बैंकों में कम्प्यूटर किस प्रकार मददगार है ?
उत्तर-
बैंकों में कम्प्यूटर की मदद से ग्राहकों के रिकार्ड तथा खाते तैयार किये जाते हैं। बैंकों की ए०टी०एम० मशीन भी कम्प्यूटर की सहायता से चलती है। कम्प्यूटर की मदद से ग्राहक अपने पैसे निकलवा सकते हैं। अपने खाते चैक तथा पैसे निकलवा भी सकते हैं।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 9 सजीव और उनका परिवेश

Punjab State Board PSEB 6th Class Science Book Solutions Chapter 9 सजीव और उनका परिवेश Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Science Chapter 9 सजीव और उनका परिवेश

PSEB 6th Class Science Guide सजीव और उनका परिवेश Textbook Questions, and Answers

1. खाली स्थान भरें

(i) एक मछली का श्वसन अंग ………………….. है ।
उत्तर-
गलफड़े

(ii) पर्यावरण के ……………….. और ……………….. भाग हैं ।
उत्तर-
सजीव, निर्जीव

(iii) सूर्य का प्रकाश आवास का ………………… भाग है।
उत्तर-
निर्जीव या भौतिक

(iv) पृथ्वी पर रहने वाले जीवों को ………………… कहा जाता है।
उत्तर-
स्थलीय जीव

(v) सभी ………………….. वृद्धि दिखाते और प्रजनन करते हैं।
उत्तर-
सजीव ।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 9 सजीव और उनका परिवेश

2. सही या ग़लत बताओ

(i) कैक्टस तनों का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण क्रिया करता है।
उत्तर-
सही

(ii) ऊँट का कूब भोजन और पानी एकत्र करता है।
उत्तर-
ग़लत

(iii) सभी हरे पौधे उत्पादक हैं।
उत्तर-
ग़लत

(iv) जैविक भाग जल, वायु और मिट्टी हैं।
उत्तर-
ग़लत

3. कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान करें

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्रोत (i) पौधे या जानवर
(ii) वृक्षवासी (ii) शूल (कांटे)
(iii) कैक्टस (iii) बंदर
(iv) जैविक भाग (iv) सूर्य।

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्रोत (iv) सूर्य
(ii) वृक्षवासी (iii) बंदर
(iii) कैक्टस (ii) शूल (कांटे)
(iv) जैविक भाग (i) पौधे या जानवर।

4. सही विकल्प चुनें

प्रश्न (i)
अजैविक भाग में शामिल हैं-
(क) हवा, पानी, पौधे
(ख) पौधे और जानवर
(ग) हवा, पानी, मिट्टी
(घ) मिट्टी, पौधे, पानी।
उत्तर-
(ग) हवा, पानी, मिट्टी।

प्रश्न (ii)
कैक्टस एक-
(क) मरुस्थलीय पौधा
(ख) जलीय पौधा
(ग) विभाजक
(घ) जड़ी बूटी।
उत्तर-
(क) मरुस्थलीय पौधा।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 9 सजीव और उनका परिवेश

प्रश्न (iii)
………………………… का धारा रेखीय शरीर होता है।
(क) केंचुए ।
(ख) मछलियाँ
(ग) तेंदुए
(घ) पहाड़ी भालू।
उत्तर-
(ख) मछलियाँ।

प्रश्न (iv)
पानी में रहने वाले जीवों को …………………. जीव कहा जाता है।
(क) जलीय
(ख) स्थलीय पौधे
(ग) स्थलीय
(घ) हवाई।
उत्तर-
(क) जलीय।

5. अति लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न (i)
आवास को परिभाषित करें।
उत्तर-
जिस स्थान पर कोई प्राणी रहता है उसे उसका निवास स्थान कहा जाता है। अपने आवास में प्राणी भोजन, पानी, वायु, सहारा, सुविधा, और सुरक्षा प्राप्त करता है और प्रजनन करता है।

प्रश्न (ii)
स्थलीय और जलीय जीवन के दो उदाहरण दें।
उत्तर-
स्थलीय जीव – शेर, तेंदुआ
जलीय जीव – मेंढक, शार्क।

प्रश्न (iii)
अनुकूलता को परिभाषित करें।
उत्तर-
जीवों की अपने परिवेश के साथ सह-अस्तित्व की क्षमता को अनुकूलन अथवा अनुकूलता कहा जाता है।

प्रश्न (iv)
निर्माता क्या हैं?
उत्तर-
वे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं उत्पादक कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, हरे पौधे। इन्हें उत्पादक कहा जाता है क्योंकि ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के माध्यम से अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।

प्रश्न (v)
जैविक भाग क्या हैं?
उत्तर-
एक आवास में रहने वाली चीजें जैसे पौधे, जानवर, मनुष्य और सूक्ष्मजीव पर्यावरण के जैविक अंश कहलाते हैं।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 9 सजीव और उनका परिवेश

6. लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न (i)
मृताहारी और विभाजक को परिभाषित करें।
उत्तर-

  1. मृताहारी – कुछ जानवर मरे हुए जानवरों को भोजन के रूप में खाते हैं और हमारे पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए गिद्ध, कुत्ता, चील, कौआ।
  2. विभाजक-सूक्ष्मजीव, जो मृत पौधों और जानवरों को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं और उन्हें सरल पदार्थों में तोड़ते हैं, विभाजक कहलाते हैं। उदाहरण के लिए बैक्टीरिया और कवक।

प्रश्न (ii)
मछली की दो अनुकूलन संबंधी विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर-
मछली की दो अनुकूलन संबंधी विशेषताएँ हैं

  1. इसका शरीर रैखिक होता है।
  2. पानी से घुलित ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए उनमें गलफड़े होते हैं।

प्रश्न (iii)
रेगिस्तान का जहाज़ किस जानवर को कहते हैं ? कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
ऊँट को रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है। ऊँट की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं जिनके कारण वह रेगिस्तान में आसानी से जीवित रह सकता है-

  1. ऊँट में पसीने की ग्रंथियां नहीं होती हैं और पानी की कमी को कम करने के लिए बहुत कम पेशाब करता है।
  2. ऊँट की पीठ पर एक या दो कूबड़ होते हैं। ऊँट इन कूबड़ों में वसा को भोजन के रूप में संचित करता है।
  3. इसकी त्वचा इतनी मोटी है कि यह रेगिस्तान की गर्मी को सहन कर सकता है ।
  4. इसके पैर चौड़े और गद्दीदार हैं जो इसे रेगिस्तान की गर्म रेत पर चलने के लिए उपयुक्त बनाता है।

प्रश्न (iv)
जलमग्न और तैरते हुए पौधों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जलमग्न पौधे पूरी तरह से जल के भीतर होते हैं और तैरते हुए पौधे पानी की सतह पर तैरते रहते हैं।

7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न (i)
टिप्पणी लिखें-
(1) उत्पादक
(2) उपभोक्ता
(3) विभाजक।
उत्तर-
(1) उत्पादक – वे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं उत्पादक कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, हरे पौधे । इन्हें उत्पादक कहा जाता है क्योंकि ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के माध्यम से अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।

(2) उपभोक्ता- उपभोक्ता वे प्राणी हैं जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते लेकिन हरे पौधों और अन्य जीवों से भोजन प्राप्त करते हैं। उपभोक्ता तीन प्रकार के होते हैं-
(a) प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता या शाकाहारी – वे जंतु जो अपना भोजन पौधों से सीधे प्राप्त करते हैं, प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता या शाकाहारी कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, हाथी, हिरण, गाय और बकरी।
(b) द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता या मांसाहारी-ये प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं को भोजन के रूप में खाते हैं। उदाहरण के लिए – साँप, मेंढक, छिपकली।
(c) तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता-ये द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं के खाते हैं। उदाहरण के लिए-शेर, तेंदुआ।

(3) विभाजक – सूक्ष्मजीव जो मृत पौधों और जानवरों को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं और उन्हें सरल पदार्थों में तोड़ते हैं, विभाजक कहलाते हैं। उदाहरण के लिए बैक्टीरिया और कवक।

प्रश्न (ii)
विभिन्न प्रकार के आवासों के बारे में संक्षेप में चर्चा करें।
उत्तर-
आवास के तीन मुख्य प्रकार हैं-
(1) स्थलीय आवास
(2) जलीय आवास
(3) हवाई आवास

(1) स्थलीय आवास – पृथ्वी पर रहने वाले जीव स्थलीय या स्थलीय जीव कहलाते हैं और उनके निवास स्थान को स्थलीय आवास कहा जाता है।
उदाहरण के लिए-रेगिस्तान, घास के मैदान, पहाड़ और जंगल।

(2) जलीय आवास – वे जीव जो जल के विभिन्न स्रोतों जैसे झीलों, तालाबों, तालाबों और महासागरों में रहते हैं जलीय जीव कहलाते हैं और उनके आवास को जलीय आवास कहा जाता है। उदाहरण के लिए – खारे पानी का आवास, महासागर, समुद्र और कुछ झीलें।

(3) हवाई आवास – यह उन जीवों का निवास स्थान है जो अपना अधिकांश जीवन हवा में जीते हैं। इन्हें वृक्षवासी भी कहा जाता है। अधिकाँश पक्षी और पँख वाले जानवर निवास स्थान में रहते हैं। ये जीव हवा में रहने के लिए अनुकूलित हैं क्योंकि कोई भी प्राणी हवा में पैदा नहीं होता है।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 9 सजीव और उनका परिवेश

प्रश्न (iii)
आवास के जैविक एवं अजैविक भागों के आपसी तालमेल पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
आवास के जैविक और अजैविक घटकों की परस्पर क्रियाएँ हमारी पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए बहुत ही आवश्यक हैं । किसी भी सजीव के लिए जीवित रहना तभी संभव है जब वह अपने परिवेश में होने वाले परिवर्तनों के प्रति इस प्रकार की क्रिआएँ करता है जिनके कारण वह बदले हुए हालातों में स्वयँ को जीवित रख सकता है। इस प्रकार की क्षमता को अनुकूलन कहते है। इसके हमारे पास कई उदाहरण हैं-
गर्म स्थानों पर रहने वाले जीवों की चमड़ी मोटी होती है। इससे वे अधिक गर्मी में भी पानी की कमी से झूझ लेते है।
सर्द स्थानों पर रहने वाले जीवों की फर होती है । फर से हमारा मतलब है बालों की मोटी परत । यह उन्हें बहुत अधिक सर्दी से बचाती है।

जलीय आवासों में रहने वाले जीवों का शरीर धारा रेखीय होता है। इसके कारण वे पानी में आसानी से तैर लेते है।
जिन क्षेत्रों में अधिक गर्मी पड़ती है उनमें पौधों के पत्ते कांटों में बदल जाते है तथा प्रकाश-संश्लेषण का कार्य तने द्वारा किया जाता है।

इस प्रकार आवास के जैविक और अजैविक घटकों की परस्पर क्रियाओं के कारण सजीव स्वयँ को कठिन परिस्थितियों में भी बचा लेते हैं।

प्रश्न (iv)
सजीव और निर्जीव वस्तुओं के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
सजीव और निर्जीव वस्तुओं में अंतर-

सजीव वस्तुएं निर्जीव वस्तुएँ
(1) सजीव वस्तुएँ अपने शरीर के अंगों या भागों में हिलाजुला सकती हैं। (1) निर्जीव वस्तुएँ गति नहीं कर सकतीं।
(2) सजीवों में वृद्धि होती है। (2) निर्जीव वस्तुओं में कोई वृद्धि नहीं होती है।
(3) सजीव वस्तुएँ अपने समान अन्य सजीव वस्तुएँ उत्पन्न करती हैं। (3) निर्जीव प्राणी अपने समान जीव उत्पन्न नहीं करते।
(4) सजीव वस्तुएँ अपने आस-पास होने वाले परिवर्तनों को समझ सकते हैं। (4) निर्जीव महसूस नहीं कर सकता।
(5) सजीव वस्तुएँ साँस लेती हैं। (5) निर्जीव वस्तुएँ साँस नहीं लेती हैं।
(6) सजीव वस्तुएँ शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालती हैं। (6) निर्जीव कचरे को बाहर नहीं निकालाता है।
(7) सजीव वस्तुएँ को भोजन की आवश्यकता होती है। (7) निर्जीव वस्तुओं को भोजन की आवश्यकता नहीं होती।

PSEB Solutions for Class 6 Science सजीव और उनका परिवेश Important Questions and Answers

1. बहुविकल्पीय प्रश्न प्रल

प्रश्न (i)
निम्न में से कौन-सा मरुस्थलीय पौधा है ?
(क) मक्का
(ख) गेहँ
(ग) कैक्टस
(घ) धान।
उत्तर-
(ग) कैक्टस।

प्रश्न (ii)
गाय का श्वसन अंग है-
(क) गलफड़ा
(ख) त्वचा
(ग) ट्रेकिया
(घ) फेफड़ा।
उत्तर-
(घ) फेफड़ा।

प्रश्न (iii)
हाइड्रिला पौधा है-
(क) मरुस्थलीय
(ख) स्थलीय
(ग) जलीय
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) जलीय।

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प्रश्न (iv)
कौन-सा जीव रात्रिचर है?
(क) गाय
(ख) चमगादड़
(ग) मेंढक
(घ) घोड़ा।
उत्तर-
(ख) चमगादड़।

प्रश्न (v)
निम्न में से सजीव है-
(क) हल
(ख) मशरूम
(ग) जल
(घ) ऊन।
उत्तर-
(ख) मशरूम।

प्रश्न (vi)
वह प्रक्रिया जिससे अपशिष्ट पदार्थ शरीर से बाहर फेंके जाते हैं-
(क) पाचन
(ख) उत्सर्जन
(ग) जनन
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) उत्सर्जन।

प्रश्न (vii)
गलफड़े किस जीव के श्वसन अंग हैं ?
(क) मछली
(ख) मेंढक
(ग) मच्छर
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) मछली।

प्रश्न (viii)
कुत्ते के पिल्ले वयस्क बन जाते हैं। सजीवों की यह विशेषता है-
(क) जनन
(ख) वृद्धि
(ग) श्वसन
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) वृद्धि।

प्रश्न (ix)
पर्वतीय प्रदेशों के पौधों के पत्ते होते हैं-
(क) चौड़े फलक वाले
(ख) सुई के आकार के
(ग) काँटेदार
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) सुई के आकार के।

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प्रश्न (x)
बीजों के अंकुरण के लिए आवश्यक कारक हैं-
(क) वायु
(ख) जल
(ग) प्रकाश
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

2. खाली स्थान भरें

(i) …………………. वस्तुएँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकती हैं।
उत्तर-
सजीव

(ii) पक्षियों का आवास ………………….. हैं ।
उत्तर-
पेड़

(iii) ………………… विभाजक के रूप में कार्य करते हैं।
उत्तर-
सूक्ष्मजीव

(iv) …………………. कूबड़ में भोजन जमा करता है।
उत्तर-
ऊँट

(v) पक्षी का शरीर ……………………….. होता है ।
उत्तर-
धारा रेखीय।

3. सही या ग़लत चुनें

(i) गेहूँ एक मरुस्थलीय पौधा है।
उत्तर-
ग़लत

(ii) मछलियों और पक्षियों के शरीर धारा रेखीय होते हैं।
उत्तर-
सही

(iii) सूर्य का प्रकाश आवास का जैविक घटक है।
उत्तर-
ग़लत

(iv) कैक्टस में पत्तों द्वारा प्रकाश संश्लेषण होता है।
उत्तर-
ग़लत

(v) मनुष्य में अनुकूलन करने की शक्ति नहीं है।
उत्तर-
ग़लत

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4. कॉलम ‘क’ और कॉलम ‘ख’ का उचित मिलान करें

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) जीवित (a) हाइड्रैला
(ii) निर्जीव (b) अजैविक तत्व
(iii) जलीय आवास (c) प्रजनन
(iv) मरूस्थलीय आवास (d) भोजन की आवश्यकता नहीं है
(v) मिट्टी, हवा, पानी आदि (e) कैक्टस

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) जीवित (c) प्रजनन
(ii) निर्जीव (d) भोजन की आवश्यकता नहीं है
(iii) जलीय आवास (a) हाइड्रैला
(iv) मरूस्थलीय आवास (e) कैक्टस
(v) मिट्टी, हवा, पानी आदि (b) अजैविक तत्व

5. अति लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
परिवेश किसे कहते हैं ?
उत्तर-
परिवेश – किसी जीव के इर्द-गिर्द का स्थान जहाँ वह रहता है, उसे परिवेश कहते हैं।

प्रश्न 2.
दो प्रकार के परिवेश की उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
मरुस्थलीय परिवेश और समुद्री परिवेश।

प्रश्न 3.
मरुस्थल में रहने वाले जंतुओं और पौधों का एक अभिलक्षण बताएँ।
उत्तर-
मरुस्थल में रहने वाले जंतु और पौधे पानी का अल्पमात्रा में प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 4.
ऊँट मरुस्थलीय परिस्थितियों में रहने के अनुकूल है। इसका एक अभिलक्षण बताएँ।
उत्तर-
ऊँट में मूत्रोत्सर्जन की मात्रा बहुत कम होती है तथा मल शुष्क होता है।

प्रश्न 5.
मछली जल में रहने के अनुकूलन है। इसका अभिलक्षण बताएँ।
उत्तर-
मछली का शरीर धारारेखीय होता है जिससे यह आसानी से पानी में तैर सकती है।

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प्रश्न 6.
अनुकूलन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अनुकूलन – जिन विशिष्ट संरचनाओं अथवा स्वभाव की उपस्थिति किसी पौधे अथवा जंतु को उसके परिवेश में रहने के योग्य बनाती है उसे अनुकूलन कहते हैं।

प्रश्न 7.
आवास किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आवास – किसी सजीव का वह परिवेश जिसमें वह रहता है, उसका आवास कहलाता है।

प्रश्न 8.
स्थलीय-आवास किसे कहते हैं ?
उत्तर-
स्थलीय-आवास – स्थल अथवा ज़मीन पर पाए जाने वाले पौधों एवं जंतुओं के आवास को स्थलीय आवास कहते हैं।

प्रश्न 9.
स्थलीय-आवासों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
वन, घास के मैदान, मरुस्थल, तटीय एवं पर्वतीय क्षेत्र स्थलीय आवास के उदाहरण हैं।

प्रश्न 10.
जलीय-आवास किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जलीय-आवास – जल में रहने वाले जंतुओं और पौधों के आवास को जलीय आवास कहते हैं।

प्रश्न 11.
जलीय-आवास के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जलाशय, दलदल, झील, नदियाँ एवं समुद्र जलीय आवास हैं।

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प्रश्न 12.
जैव घटक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जैव घटक – किसी आवास में पाए जाने वाले सभी जैव जैसे कि पौधे एवं जंतु उसके जैव घटक कहलाते हैं।

प्रश्न 13.
अजैव घटक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अजैव घटक – चट्टान, मिट्टी, वायु एवं जल और तापमान, प्रकाश किसी परिवेश के अजैव घटक कहलाते हैं।

प्रश्न 14.
कुछ मरुस्थलीय जंतु बिलों में क्यों रहते हैं ?
उत्तर-
चूहे एवं साँप जैसे जंतु तेज़ गर्मी से बचने के लिए भूमि के अंदर गहरे बिलों में रहते हैं। रात्रि के समय जब तापमान में कमी आती है तो यह बाहर निकलते हैं।

प्रश्न 15.
मरुस्थलीय पौधों की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर-
मरुस्थलीय पौधों में पत्तियाँ या तो अनुपस्थित होती हैं अथवा बहुत छोटी शूल जैसी होती हैं।

प्रश्न 16.
नागफनी के पौधों की हरी संरचना किसका तना है अथवा पत्ती ?
उत्तर-
नागफनी में पत्ती जैसी जिस संरचना जो हम देखते हैं, वह वास्तव में इसका तना है।

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प्रश्न 17.
नागफनी के पौधे में प्रकाश-संश्लेषण किस भाग में होता है ?
उत्तर-
नागफनी में प्रकाश-संश्लेषण हरी संरचना जिसे तना कहते हैं उसमें होता है।

प्रश्न 18.
नागफनी का तना एक मोटी मोमी परत से क्यों ढका होता है ?
उत्तर-
मोटी मोमी परत पौधे को जल संरक्षण में सहायता करती है।

प्रश्न 19.
मरुस्थलीय पौंधों में जड़ें बहुत गहरी क्यों होती हैं ?
उत्तर-
मरुस्थलीय पौधों में जड़ जल अवशोषण के लिए मिट्टी में बहुत गहराई तक चली जाती है।

प्रश्न 20.
पर्वतीय क्षेत्रों के वृक्ष सामान्यतः कैसे होते हैं ?
उत्तर-
पर्वतीय क्षेत्रों के वृक्ष सामान्यत: शंक्वाकार होते हैं तथा इनकी शाखाएँ तिरछी होती हैं। इनमें से कुछ वृक्षों की पत्तियाँ सूई के आकार की होती हैं।

प्रश्न 21.
पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले जंतुओं में क्या अनुकूलित होता है ?
उत्तर-
पर्वतीय क्षेत्र में पाए जाने वाले जंतुओं की मोटी त्वचा या फर ठंड से इनका बचाव करती है। .

प्रश्न 22.
यॉक ठंड वाले क्षेत्रों में रहने के लिए कैसे अनुकूल है ?
उत्तर-
यॉक के शरीर पर लंबे बाल होते हैं जो उसे गर्म रखते हैं और ठंड से बचाते हैं।

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प्रश्न 23.
पहाड़ी बकरी ढालदार चट्टानों पर दौड़ने के लिए कैसे अनुकूलित है ?
उत्तर-
पहाड़ी बकरी के मज़बूत खुर उसे ढालदार चट्टानों पर दौड़ने के लिए अनुकूलित बनाते हैं।

प्रश्न 24.
पहाड़ी तेंदुए ठंडे पर्वतीय क्षेत्र में रहने के लिए कैसे अनुकूलित हैं ?
उत्तर-
पहाड़ी तेंदुओं के शरीर पर फर होते हैं। यह बर्फ पर चलते समय उसके पैरों को ठंड से बचाते हैं।

प्रश्न 25.
हिरण घास स्थल में रहने के लिए कैसे अनुकूलित है ?
उत्तर-
पौधों के कठोर तनों को चबाने के लिए इसके मज़बूत दाँत होते हैं।

प्रश्न 26.
हिरण में कौन-सी अनुकुलन है इसे शिकारी के खतरे को महसूस कराती है ?
उत्तर-
हिरण के लंबे कान उसे शिकारी की गतिविधि की जानकारी देते हैं। दूसरे इसके सिर के पार्श्व के दोनों ओर स्थित आँखें प्रत्येक दिशा में देखकर खतरा महसूस कराती हैं।

प्रश्न 27.
मछली जल में सुगमता से क्यों तैर सकती है ?
उत्तर-
मछली का शरीर धारारेखीय होता है, जिससे वह जल में सुगमता से तैर सकती है।

प्रश्न 28.
मछली साँस कैसे लेती है ?
उत्तर-
मछली गिल (क्लोम) की सहायता से साँस लेती है। क्योंकि मछली में फेफड़े नहीं होते।

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प्रश्न 29.
डॉलफिन एवं हवेल कैसे साँस लेती हैं ?
उत्तर-
डॉलफिन तथा वेल में गिल नहीं होते। यह सिर पर स्थित नासा द्वार अथवा वात छिद्रों द्वारा श्वास लेते हैं।

प्रश्न 30.
मेंढक जल में कैसे तैरता है ?
उत्तर-
मेंढक के पश्चपाद में जालयुक्त पादांगुलियां होती हैं जो उसे तैरने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 31.
केंचुआ कैसे साँस लेता है ?
उत्तर-
केंचुआ नम त्वचा द्वारा साँस लेता है।

प्रश्न 32.
मछली साँस लेने के लिए ऑक्सीजन कहाँ से लेती है ?
उत्तर-
मछली जल में विलेय वायु से ऑक्सीजन अवशोषित करती है।

प्रश्न 33.
उद्दीपन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उददीपन-वातावरण में होने वाले परिवर्तनों को उद्दीपन कहते हैं।

प्रश्न 34.
उत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उत्सर्जन-सजीवों द्वारा अवशिष्ट पदार्थों के निष्कासन के प्रक्रम को उत्सर्जन कहते हैं।

प्रश्न 35.
प्रजनन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
प्रजनन-जंतु द्वारा अपने सदृश संतान उत्पन्न करने को प्रजनन कहते हैं।

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प्रश्न 36.
कायिक प्रजनन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कायिक प्रजनन-पौधों में बीजों के अतिरिक्त पौधों के दूसरे भागों (तना, जड़, पत्ते) से प्रजनन करने को कायिक प्रजनन कहते हैं।

6. लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
समुद्र में पाये जाने वाले पौधों और जंतुओं की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-

  1. समुद्र में पौधे तथा जंतु लवणीय जल (खारे पानी) में रहते हैं।
  2. श्वसन के लिए यह जल में विलेय वायु का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 2.
मरुस्थल परिवेश की क्या विशेषता है?
उत्तर-

  1. मरुस्थल में जल अल्प मात्रा में उपलब्ध होता है।
  2. मरुस्थल दिन में बहुत गर्म और रात में ठंडा होता है।

प्रश्न 3.
मरुस्थल में जंतु बिल बनाकर क्यों रहते हैं ?
उत्तर-
क्योंकि मरुस्थल में दिन के समय तापमान बहुत अधिक होता है। इसलिए जंतु गर्मी से बचने के लिए बिल बनाकर रहते हैं।

प्रश्न 4.
मछली में कौन-सी विशेषताएं होती हैं जो उसे जल के अंदर विचरने में सहायता करती हैं ?
उत्तर-

  1. मछली का शरीर धारारेखीय होता है।
  2. मछलियों का शरीर चिकनी शल्कों से ढका होता है।
  3. ये शल्क मछली को सुरक्षा प्रदान करते हैं और उसे जल में सुगमता से गति करने में भी सहायता करते हैं।

प्रश्न 5.
मछली के पंख एवं पूँछ क्या कार्य करते हैं ?
उत्तर-
मछली के पंख एवं पूँछ चपटी होती है, जो उसे जल के अंदर दिशा परिवर्तन एवं संतुलन बनाए रखने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 6.
अनुकूलन किसे कहते हैं?
उत्तर-
अनुकूलन – सभी सजीवों में कुछ विशिष्ट संरचनाएं होती हैं, जिनके कारण अथवा स्वभाव की उपस्थिति के कारण पौधे अथवा जंतु को उसके परिवेश में रहने के योग्य बनाती है। उसे अनुकूलन कहते हैं। विभिन्न जंतु भिन्न प्रकार के परिवेश के प्रति अलग-अलग रूप से अनुकूलित हो सकते हैं।

प्रश्न 7.
आवास किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आवास – किसी सजीव का वह परिवेश जिसमें वह रहता है, उसका आवास कहलाता है। अपने भोजन, वायु, शरण-स्थल एवं अन्य आवश्यकताओं के लिए जीव अपने आवास पर निर्भर रहता है।

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प्रश्न 8.
स्थलीय आवास किसे कहते हैं ? स्थलीय आवास के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
स्थलीय आवास – स्थल अथवा ज़मीन पर पाए जाने वाले पौधों एवं जंतुओं के आवास को स्थलीय आवास कहते हैं। वन, घास के मैदान, मरुस्थल, तटीय एवं पर्वतीय क्षेत्र स्थलीय आवास हैं।

प्रश्न 9.
जलीय आवास किसे कहते हैं? जलीय आवास की उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
जलीय आवास – जहाँ पौधे एवं जंतु जल में रहते हैं उन्हें जलीय आवास कहते हैं। जलाशय, दलदल, झील, नदियां एवं समुद्र जलीय आवास के उदाहरण हैं।

प्रश्न 10.
आवास के जैव घटक और अजैव घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
जैव घटक – किसी आवास में पाए जाने वाले सभी जीव जैसे कि पौधे एवं जंतु उसके जैव घटक हैं।

अजैव घटक – चट्टान, मिट्टी, वायु एवं जल जैसी अनेक निर्जीव वस्तुएँ आवास के अजैव घटक हैं। सूर्य का प्रकाश एवं ऊष्मा भी परिवेश के अजैव घटक हैं।

प्रश्न 11.
सजीव बहुत ठंडे और बहुत ऊष्ण परिवेश में कैसे पाए जाते हैं ?
उत्तर-
बहुत से सजीव बहुत ठंडे और बहुत ऊष्ण परिवेश जैसे विषम परिवेश में जीवित रहने के लिए विशेष व्यवस्था को अपनाते हैं जिसे अनुकूलन कहते हैं। अनुकूलन अल्पकाल में नहीं होता। हजारों वर्षों की अवधि में किसी क्षेत्र के अजैव घटकों में परिवर्तन आते हैं। वे जंतु जो इन परिवर्तनों के प्रति अपने आप को नहीं ढाल पाते मर जाते हैं। केवल वे जीव ही जीवित रहते हैं जो अपने आपको बदलते परिवेश के अनुसार अनुकूलित कर लेते हैं।

प्रश्न 12.
जंतुओं के आवासों में विविधता क्यों है ?
उत्तर-
जंतु विभिन्न अजैव कारकों के लिए विभिन्न विधियों से अपने आपको अनुकूलित कर लेते हैं। इसका परिणाम भिन्न आवासों में जीवों की विविधता का होना है।

प्रश्न 13.
मरुस्थलीय पौधे अपने आपको मरुस्थलीय जलवायु के अनुसार कैसे अनुकूलित कर लेते हैं ?
उत्तर-
मरुस्थलीय पौधे वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल की बहुत कम मात्रा निष्कासित करते हैं। मरुस्थलीय पौधों में पत्तियाँ या तो अनुपस्थित होती हैं अथवा बहुत छोटी होती हैं। कुछ पौधों में पत्तियाँ काँटों (शूल ) का रूप ले लेती हैं। इससे पत्तियों से होने वाले वाष्पोत्सर्जन में होने वाले जल ह्रास में कमी आती है। नागफनी में पत्ती जैसी जिस संरचना को आप देखते हैं, वह वास्तव में इसका तना है। इन पौधों में प्रकाश-संश्लेषण सामान्यतः तने में होता है। तना एक मोटी मोमी परत से ढका होता है, जिससे पौधों को जल-संरक्षण में सहायता मिलती है। अधिकतर मरुस्थलीय पौधों की जड़ें जल अवशोषण के लिए मिट्टी में बहुत गहराई तक चली जाती हैं।
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प्रश्न 14.
मरुस्थल में रहने वाले जंतु अपने आपको गर्मी से कैसे बचाते हैं?
उत्तर-
मरुस्थल में रहने वाले चूहे एवं साँप ऊँट की भांति लंबी टाँगें नहीं होती। दिन की तेज़ गर्मी से बचने के लिए वे भूमि के अंदर गहरे बिलों में रहते हैं। रात्रि के समय जब तापमान में कमी आती है, तो ये जंतु बाहर निकलते हैं।
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प्रश्न 15.
पर्वतीय क्षेत्र में पाए जाने वृक्षों में क्या विशेषताएँ होती हैं ?
उत्तर-
पर्वतीय क्षेत्र में पाए जाने वाले वृक्ष सामान्यतः शंक्वाकार होते हैं तथा इनकी शाखाएँ तिरछी होती हैं। इनमें से कुछ वृक्षों की पत्तियाँ सुई के आकार की होती हैं। इससे वर्षा का जल एवं हिम सरलता से नीचे की ओर. खिसक जाता है। पर्वतों पर इन वृक्षों से अधिक भिन्न आकृति एवं आकार वाले वृक्ष भी मिल सकते हैं। पर्वत पर जीवित रहने के लिए इनमें कुछ अन्य प्रकार का अनुकूलन हो सकता है।
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प्रश्न 16.
पर्वतीय क्षेत्र में पाए जाने वाले जंतु वहाँ की परिस्थितियों के प्रति कैसे अनुकूलित होते हैं ?
उत्तर-
पवीय क्षेत्र में पाए जाने वाले जंतु भी वहाँ की परिस्थितियों के प्रति अनुकूलित होते हैं। उनकी मोटी त्वचा या फर ठंड से उनका बचाव करती है। उदाहरणतः, शरीर को गर्म रखने के लिए याक का शरीर लंबे वालों से ढका होता है। पहाड़ी तेंदुए के शरीर पर फर होते हैं। यह बर्फ पर चलते समय उसके पैरों को ठंड से बचाता है। पहाड़ी बकरी के मजबूत खुर उसे ढलानदार चट्टानों पर दौड़ने के लिए अनुकूलित बनाते हैं।
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प्रश्न 17.
शेर वन में अथवा घास स्थल में रहने में कैसे अनुकूल है?
उत्तर-
शेर वनों अथवा घास स्थल में रहता है जो हिरण जैसे जंतुओं का शिकार करता है। यह मटमैले रंग का होता है। शेर के अगले पैर के नखर लंबे होते हैं जिन्हें वह पदांगुलियों के अंदर खींचकर छिपा सकता है। शेर की यह संरचनाएँ उसके जीवन-यापन में सहायता करती हैं। उसका हल्का भूरा (मटमैला) रंग शिकार के दौरान उसे घास के सूखे मैदानों में छिपाए रखता है और शिकार को पता भी नहीं चलता। चेहरे के सामने की आँखें उसे वन में दूर तक शिकार खोजने में सहायक होती हैं।
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प्रश्न 18.
हिरण घास स्थल में रहने के लिए कैसे अनुकूल है?
उत्तर-
हिरण वन या घास स्थल में रहता है। पौधों के कठोर तनों को चबाने के लिए इसके मजबूत दाँत होते हैं। हिरण को अपने शिकारी (शेर जैसे जंतु जो उसे अपना शिकार बनाते हैं) की उपस्थिति की जानकारी आवश्यक है, ताकि वह उसका शिकार न बन सके और वहाँ से भाग जाए। इसके लंबे कान उसे शिकारी की गतिविधि की जानकारी कराते हैं। इसके सिर के पार्श्व में दोनों ओर स्थित आँखें प्रत्येक दिशा में देखकर खतरा महसूस करा सकती हैं। हिरण की तेज़ गति उसे शिकारी से दूर भागने में सहायक होती है।
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प्रश्न 19.
समुद्री जीव अपने आपको समुद्र में रहने के अनुकूल कैसे बनाते हैं?
उत्तर-
समुद्र में रहने वाले जीव अपने आपको समुद्र में रहने के लिए अनुकूलित कर लेते हैं जैसे मछली का शरीर धारा-रेखीय होता है जिससे वह जल में सुगमता से चल सकती है। स्क्विड एवं ऑक्टोपस जैसे कुछ समुद्री जंतुओं का शरीर आमतौर पर धारा-रेखीय नहीं होता। वह समुद्र की गहराई में, तलहटी में रहते हैं तथा अपनी ओर आने वाले शिकार को पकड़ते हैं। जब वह जल में चलते हैं तो अपने शरीर को धारारेखीय बना लेते हैं। जल में श्वास लेने के लिए इनमें गिल (क्लोम) होते हैं।

प्रश्न 20.
आंशिक रूप से जल मग्न पौधे की जड़ें और तने कैसे होते हैं ?
उत्तर-
आं शिक रूप से जल-मग्न पौधों की जड़ें जलाशय की तलहटी की मिट्टी में स्थिर रहती हैं। जलीय पौधों में जडें आकार में बहुत छोटी होती हैं एवं इनका मुख्य कार्य पौधे को तलहटी में जमाए रखना होता है।

इन पौधों का तना लंबा, खोखला एवं हल्का होता है। तना जल की सतह तक वृद्धि करता है, जबकि पत्तियाँ एवं फूल जल की सतह पर प्लवन करते रहते हैं।
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PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 9 सजीव और उनका परिवेश

प्रश्न 21.
पूर्णतः जलमग्न पौधों की क्या विशेषताएँ होती हैं ?
उत्तर-
पूर्णतः जलमग्न पौधों के सभी भाग जल में वृद्धि करते हैं। इनमें से कुछ पौधों की पत्तियाँ संकरी एवं पतले रिबन की तरह होती हैं। यह बहते जल में सरलता से मुड़ जाती हैं। कुछ अन्य जलमग्न पौधों में पत्तियाँ बहुत अधिक विभाजित होती हैं जिससे जल इनके बीच से बहता रहता है और पत्ती को कोई क्षति भी नहीं होती।

प्रश्न 22.
मेंढ़क में जल और स्थल पर रहने के लिए क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर-
मेंढ़क आमतौर पर तालाब में पाया जाने वाला एक जंतु है। यह तालाब के जल में एवं स्थल दोनों पर रह सकता है। इसे पश्चपाद लंबे एवं मजबूत होते हैं जो उसे छलांग लगाने एवं शिकार पकड़ने में सहायता करते हैं। इनके पश्चपाद में जालयुक्त पादांगुलियाँ होती हैं जो उसे तैरने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 23.
वन में पाए जाने वाली वस्तुओं की सूची बनाओ।
उत्तर-
वृक्ष, आरोही-लता, विसी लता, छोटे-बड़े जंतु, पक्षी, साँप, कीट, चट्टान, पत्थर, मिट्टी, जलवायु, सूखी पत्तियाँ, मृत जंतु, छत्रक एवं काई (मॉस) वन में पाई जाने वाली विभिन्न वस्तुएँ हैं।

प्रश्न 24.
क्या सभी जीवों को भोजन की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
हां, सभी जीवों को भोजन की आवश्यकता होती है। पौधे प्रकाश संश्लेषण के द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। जंतु भोजन के लिए पौधों तथा अन्य जंतुओं पर निर्भर करते हैं।

भोजन सजीवों को उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। सजीवों को उनके अंदर होने वाले अन्य जैव प्रक्रमों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 25.
वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वृद्धि – किसी भी सजीव के आकार में अपरिवर्तनशील हुए परिवर्तन को वृद्धि कहते हैं। यह वृद्धि उसके भोजन के फलस्वरूप होती है।

प्रश्न 26.
श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
श्वसन – सजीवों द्वारा वायु अंदर लेने और बाहर निकालने को श्वसन कहते हैं। श्वसन के समय जो वायु हम अंदर लेकर जाते हैं उसमें ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा होती है और जो वायु हम बाहर निकालते हैं उसमें कार्बन डाइऑक्साइड की प्रर्याप्त मात्रा होती है। इस प्रकार हम श्वसन के समय ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। यह ऑक्सीजन हमारे भोजन के साथ मिल कर हमें ऊर्जा प्रदान करती है।

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प्रश्न 27.
पौधे कैसे श्वसन करते हैं ?
उत्तर-
पौधों में श्वसन – पौधे भी श्वसन करते हैं। पौधों की श्वसन क्रिया में गैसों का विनिमय मुख्यतः उनकी पत्तियों द्वारा होता है। पत्तियाँ सूक्ष्म रंध्रों द्वारा वायु को अंदर लेती हैं तथा ऑक्सीजन का उपयोग करती हैं। वे कार्बन डाइऑक्साइड वायु में निष्कासित कर देती हैं।

प्रश्न 28.
श्वसन क्रिया और प्रकाश-संश्लेषण में क्या अंतर है ?
उत्तर-
श्वसन तथा प्रकाश – संश्लेषण में अंतर-हम जानते हैं कि प्रकाश की उपस्थिति में पौधे वायु की कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग भोजन बनाने के लिए करते हैं तथा ऑक्सीजन छोड़ते हैं। पौधे केवल दिन के समय ही भोजन बनाते हैं, जबकि श्वसन क्रिया दिन और रात दोनों में ही निरंतर चलती रहती है। श्वसन में पौधे ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।

प्रश्न 29.
उद्दीपन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उद्दीपन – बाह्य वातावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति अनुक्रिया को उद्दीपन कहते हैं।
उदाहरण-जब रात्रि में हम रसोई घर में बल्ब प्रदीप्त कर देते हैं तो कॉकरोच अचानक अपने छिपने के स्थान में भाग जाते हैं।

प्रश्न 30.
क्या पौधे भी उद्दीपन के प्रति अनक्रिया दर्शाते हैं?
उत्तर-
पौधे भी उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया दर्शाते हैं। कुछ पौधों के पुष्प केवल रात्रि के समय ही खिलते हैं। कुछ पौधों के पुष्प सूर्यास्त के बाद बंद हो जाते हैं। छुई-मुई (गुलमेंहदी) के पौधे की पत्तियाँ छूने पर अचानक मुरझा (सिकुड़) जाती हैं। यह पौधों में उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया के कुछ उदाहरण हैं।

प्रश्न 31.
एक क्रिया किलाप द्वारा दर्शाओ कि पौधे सूर्य के प्रकाश के प्रति अनुक्रिया करते हैं ?
उत्तर-
क्रियाकलाप – एक कमरे की खिड़की जिससे दिन के समय धूप (सूर्य का प्रकाश) आती हो, के पास एक पौधे का गमला रखिए। कुछ दिनों तक पौधे को नियमित जल देते रहें। कुछ दिनों बाद आप पाएंगे कि पौधा की वृद्धि प्रकाश की दिशा में हुई है न कि सीधी। इससे ज्ञात होता है कि पौधे सूर्य के प्रकाश के प्रति अनुक्रिया करते हैं।
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प्रश्न 32.
उत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उत्सर्जन – विभिन्न जैव-प्रक्रमों के फलस्वरूप जीव के शरीर में कुछ अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं, जो उसके लिए हानिकारक होते हैं। इन अपशिष्ट पदार्थों के निष्कासन के प्रक्रम को उत्सर्जन कहते हैं।

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प्रश्न 33.
क्या पौधों में भी उत्सर्जन होता है ?
उत्तर-
हाँ, पौधों में भी उत्सर्जन होता है। पौधे भी उत्सर्जन करते हैं। परंतु उनमें इस प्रक्रम का ढंग कुछ अलग है। पौधों में कुछ हानिकारक अथवा विषैले पदार्थ उत्पन्न होते हैं। कुछ पौधों में यह अपशिष्ट पदार्थ पौधे के कुछ विशेष भागों में संग्रहित किए जाते हैं, जिससे पौधे को कोई हानि नहीं पहुँचती। कुछ पौधों में अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन स्राव के रूप में होता है।

प्रश्न 34.
प्रजनन किसे कहते हैं ? उत्तर-प्रजनन-जीव द्वारा अपने सदृश संतान उत्पन्न करने की क्रिया को प्रजनन कहते हैं।
भिन्न – भिन्न जंतुओं में प्रजनन के ढंग अलग-अलग हैं। कुछ जंतु अंडे देते हैं जिससे शिशु निकलते हैं। कुछ जंतु शिशु को जन्म देते हैं।
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प्रश्न 35.
पौधे कैसे प्रजनन करते हैं ?
उत्तर-
पौधों में प्रजनन – पौधे भी प्रजनन करते हैं। जंतुओं की तरह पौधों में भी प्रजनन के तरीके भिन्न-भिन्न हैं। बहुत-से पौधे बीजों द्वारा प्रजनन करते हैं। पौधे बीज उत्पादित करते हैं। हम उन्हें अंकुरित करके नए पौधे उगा सकते हैं।
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कुछ पौधे बीज के अतिरिक्त अपने कायिक भागों द्वारा भी नए पौधे उत्पन्न करते हैं। उदाहरणतः, आलू के कलिका वाले भाग से नया पौधा बनता है। पौधे कलम द्वारा भी उगाए जाते हैं।

प्रश्न 36.
पौधों में भ. गति होती है। पौधों में कैसी गति होती है ?
उत्तर-
पौधों में गति-पौधे सामान्यतः भूमि में जकड़े रहते हैं। अतः वे एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकते हैं। परंतु विभिन्न पदार्थ जैसे कि जल, खनिज एवं संश्लेषित खाद्य पदार्थ पौधे के एक भाग से दूसरे में संवहित होते हैं। पौधों में अन्य प्रकार की गति भी देखी जा सकती है जैसे पुष्पों का खिलना एवं बंद होना। पौधे विभिन्न उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया भी करते हैं।

प्रश्न 37.
सजीवों के सामान्य लक्षण बताएं।
उत्तर-
सजीवों के सामान्य लक्षण-

  1. सजीव भोजन ग्रहण करते हैं अथवा स्वयं बनाते हैं जैसे पौधे।
  2. सजीव वृद्धि करते हैं।
  3. सजीव श्वसन करते हैं।
  4. सजीव प्रजनन करते हैं।
  5. सजीवों में उत्सर्जन क्रिया होती है।
  6. सजीव उद्दीपन के प्रति उत्तेजना प्रदर्शित करते हैं।

7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सजीव तथा निर्जीव वस्तुओं में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सजीव तथा निर्जीव वस्तुओं में अंतर-

सजीव वस्तुएँ निर्जीव वस्तुएँ
(i) सजीवों को भोजन, जल तथा वायु की आवश्यकता होती है। (i) निर्जीवों को भोजन, जल तथा वायु की आवश्यकता नहीं होती।
(ii) सजीव वृद्धि करते हैं। (ii) निर्जीवों में वृद्धि नहीं होती।
(iii) सजीव एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्वयं गति करते हैं। (iii) निर्जीव स्वय गति नहीं करते।
(iv) सजीवों में जनन का गुण होता है। (iv) निर्जीवों में जनन का गुण नहीं होता।
(v) सजीव श्वसन करते हैं। (v) निर्जीव श्वसन नहीं करते।
(vi) सजीव उत्सर्जन द्वारा अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालते हैं। (vi) निर्जीव उत्सर्जन नहीं करते।
(vii) सजीव कोशिकाओं के बने होते हैं। (vii) निर्जीव अणुओं के बने होते हैं।

प्रश्न 2.
सजीवों के उन प्रमुख अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए जिसके द्वारा उन्हें निर्जीवों से पृथक् किया जाता है।
उत्तर-
सजीव वस्तुओं के महत्त्वपूर्ण अभिलक्षण-

  1. सजीव वस्तुएं वृद्धि करती हैं।
  2. वे गति दर्शाती हैं।
  3. इन्हें अपनी जैव प्रक्रियाओं के लिए भोजन की आवश्यकता होती है।
  4. ये बाहरी उद्दीपन के प्रति संवेदनशील होती हैं।
  5. ये श्वसन क्रिया करती हैं।
  6. ये अपने शरीर से फालतू उत्पादों को उत्सर्जित करती हैं।
  7. ये अपने जैसे अन्य जीव उत्पन्न करती हैं।
  8. इनका एक निश्चित जीवनकाल होता है।
  9. इनके शरीर की रचना कोशिकीय होती है।

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प्रश्न 3.
पौधों तथा जंतुओं में परस्पर क्या समानताएं तथा असमानताएं हैं ?
उत्तर-
समानताएं-

  1. दोनों को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है।
  2. दोनों वृद्धि करते हैं।
  3. दोनों श्वसन द्वारा भोजन का अपघटन करके ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
  4. दोनों शरीर में बने फालतू उत्पादों को उत्सर्जित करते हैं।
  5. दोनों की संरचना कोशिकीय (Cellular) होती है।
  6. दोनों बाहरी उद्दीपन के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  7. दोनों अपनी किस्म के अन्य जीव पैदा करते हैं।

असमानताएं –

पौधे जंतु
(i) पौधों में एक हरे रंग का वर्णक होता है जिसे क्लोरोफिल कहते हैं। (i) जंतुओं में कोई क्लोरोफिल नहीं होता।
(ii) पौधे स्वय पोषी हैं अर्थात् ये अपना भोजन आप बना सकते हैं। इसलिए ये अपने भोजन के लिए अपने आप पर निर्भर होते हैं। (ii) ये परपोषी हैं अर्थात् ये अपना भोजन आप तैयार नहीं कर सकते। इसलिए इनको अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करना पड़ता है।
(iii) इनमें गतिशीलता लगभग नहीं होती। (iii) इनमें गतिशीलता होती है।
(iv) पौधों में वृद्धि कुछ निश्चित क्षेत्रों जिन्हें वृद्धि क्षेत्र कहते हैं, पर स्थित होती है। (iv) जंतुओं में वृद्धि एक जगह पर नहीं होती। बल्कि ये सारे शरीर में होती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

PSEB 11th Class Economics 1966 से पंजाब में कृषि का विकास Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब की किसी एक व्यापारिक फसल का वर्णन करें।
उत्तर-
गन्ना (Sugarcane)-पंजाब में गन्ना फरवरी-अप्रैल में बोआ जाता है। गन्ने की फसल जनवरी-अप्रैल में काटी जाती है। पंजाब में गन्ना सभी जिलों में पैदा किया जाता है।

प्रश्न 2.
पंजाब में हरित क्रान्ति का कोई एक कारण बताएं।
उत्तर-
पंजाब में हरित क्रान्ति के कारण इस प्रकार हैं-
नई कृषि नीति-पंजाब में नई कृषि नीति में उन्नत बीज, रासायनिक उर्वरक, आधुनिक मशीनों तथा सिंचाई की सहूलतों में वृद्धि की गई है।

प्रश्न 3.
पंजाब को भारत का अनाज भण्डार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
2018-19 में पंजाब द्वारा केन्द्रीय भण्डार में गेहूं का योगदान 35% तथा चावले का योगदान 25% रहा।

प्रश्न 4.
पंजाब कृषि में पिछड़ा प्रान्त है।
उत्तर-
ग़लत।

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प्रश्न 5.
पंजाब में 2019-20 में कुल उपज 315 लाख मीट्रिक टन हुई।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 6.
पंजाब में कृषि विकास का कारण …………….. है।
(a) सिंचाई के साधन
(b) मेहनती लोग
(c) हरित क्रान्ति
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
हरित क्रान्ति का कोई दोष नहीं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 8.
पंजाब को भारत के अनाज का ……………….. कहा जाता है।
उत्तर-
अन्न भण्डार।

प्रश्न 9.
पंजाब की दो खाद्य फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
(i) गेहूँ,
(ii) चावल।

प्रश्न 10.
पंजाब की दो व्यापारिक फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. कपास,
  2. गन्ना।

प्रश्न 11.
पंजाब में अधिक कृषि उत्पादन के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर-

  • सिंचाई का विस्तार,
  • आधुनिक खाद्य तथा बीजों का प्रयोग।

प्रश्न 12.
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हरित क्रान्ति का अर्थ है कृषि पैदावार में होने वाली भारी वृद्धि जो कि नई कृषि नीति के अपनाने से प्राप्त हुई है।

प्रश्न 13.
पंजाब में हरित क्रान्ति का कोई एक कारण बताएं।
उत्तर-
पंजाब में नई कृषि नीति के कारण उचित बीजों और रासायनिक खादों का प्रयोग करने के कारण हरित क्रान्ति प्राप्त होती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

प्रश्न 14.
पंजाब में सिंचाई के मुख्य तीन साधन बताएं।
उत्तर-

  1. नहरें,
  2. ट्यूबवैल,
  3. कुएँ।

प्रश्न 15.
हरित क्रान्ति के मुख्य दोष बताएँ।
उत्तर-
हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप हवा और पानी के प्रदूषण के कारण, कैंसर का रोग फैल गया है।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में सिंचाई की स्थिति तथा महत्त्व स्पष्ट करें।
उत्तर-
कृषि के विकास के लिए सिंचाई का महत्त्व बहुत अधिक है। पंजाब में वर्ष 1966 के पश्चात् सिंचाई सुविधाओं में काफ़ी वृद्धि हुई है। 1965-66 में 26.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सहूलतें प्राप्त थी जो कि कुल क्षेत्र का 56% भाग था। वर्ष 2015-16 में सिंचाई के अधीन क्षेत्र बढ़कर 41.37 लाख हेक्टेयर हो गया है जोकि कुल कृषि के अधीन क्षेत्र का 97.4% भाग है। पंजाब में लुधियाना, जालन्धर, पटियाला, भटिंडा, अमृतसर, फिरोज़पुर तथा फरीदकोट जिलों में सिंचाई की अधिक सुविधाएं हैं। किन्तु रोपड़ तथा नवांशहर में सिंचाई की सुविधाओं की कमी है। बारहवीं योजना में सिंचाई सुविधाओं पर 1052 करोड़ रुपये व्यय किए गए।

प्रश्न 2.
पंजाब में कृषि विकास की चर्चा करें।
उत्तर-
पंजाब में कृषि विकास की प्रकृति निम्नलिखित तत्त्वों द्वारा स्पष्ट हो जाती है-
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि-पंजाब में कृषि उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि हुई है। कुल अनाज का उत्पादन 1965-66 में 33 लाख टन था। 2019-20 में अनाज का उत्पादन बढ़कर 315 लाख मीट्रिक टन हो गया है। अनाज के उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि को हरित क्रान्ति (Green Revolution) कहा जाता है।

2. उन्नत कृषि-पंजाब की कृषि बहुत उन्नत तथा अधिक प्रगतिशील है। पंजाब को प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भारत की औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादकता से अधिक है। पंजाब में वर्ष 1965-66 में गेहूँ की उत्पादकता 1236 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा चावल की उत्पादकता 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। 2019-20 में गेहूँ की उत्पादकता बढ़कर 5188 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा चावल की 4132 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है।

प्रश्न 3.
पंजाब में हरित क्रान्ति के मुख्य दोष बताएं।
अथवा
पंजाब में हरित क्रान्ति के दष्प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब में हरित क्रान्ति के केवल अच्छे प्रभाव ही नहीं पड़े बल्कि इसके कुछ दुष्प्रभाव भी पड़े हैं जोकि इस प्रकार हैं –
1. असंतुलित विकास की समस्या–हरित क्रान्ति का मुख्य दोष यह है कि समूचे राज्य में एक समान संतुलित विकास नहीं हुआ। कुछ ज़िले उत्पादन क्षेत्र में आगे बढ़ गए हैं जबकि कुछ जिलों में कृषि का विकास कम हुआ है। जैसे कि फरीदकोट, भटिंडा, फिरोज़पुर में कृषि विकास अधिक हुआ है।

2. बेरोज़गारी की समस्या हरित क्रान्ति से बेरोज़गारी की समस्या उत्पन्न हुई है। गांवों में भूमिहीन श्रमिकों में बेरोज़गारी बढ़ गई है इसलिए रोज़गार की तलाश में प्रतिदिन शहरों में आते हैं।

प्रश्न 4.
पंजाब में हरित क्रान्ति का अर्थ बताएं।
उत्तर-
हरित क्रान्ति का अर्थ (Meaning of Green Revolution)-प्रो० एफ० आर० फ्रैक्ल के अनुसार, “हरित क्रान्ति एक सुन्दर नारा है जिसके द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि विज्ञान तथा तकनीकी विकास द्वारा कृषि के क्षेत्र में शान्तिपूर्वक रूपान्तर किया जा सकता है अथवा क्रान्ति लाई जा सकती है।” हरित क्रान्ति से अभिप्राय कृषि उत्पादन में होने वाली वृद्धि से है जो कृषि में नई नीति के अपनाने के कारण हुआ है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कृषि के क्षेत्र में जो थोड़े समय में असाधारण विकास तथा वृद्धि हुई है, उसको हरित क्रान्ति कहा जाता है। पंजाब में 1965-66 में 33 लाख टन कृषि उत्पादन किया गया जो कि 2019-20 में बढ़कर 315 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में सिंचाई के भिन्न-भिन्न साधन कौन-से हैं ? पंजाब में सिंचाई क्षेत्र के विस्तार के कारण बताएं।
उत्तर-
कृषि के विकास के लिए सिंचाई का महत्त्व बहुत अधिक है। पंजाब में वर्ष 1966 के पश्चात् सिंचाई सुविधाओं में काफ़ी वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में सिंचाई के अधीन क्षेत्र बढ़कर 29% हो गया है जोकि कुल कृषि के अधीन क्षेत्र का 97.96% भाग है। पंजाब में लुधियाना, जालन्धर, पटियाला, भटिंडा, अमृतसर, फिरोजपुर तथा फरीदकोट जिलों में सिंचाई की अधिक सुविधाएं हैं। किन्तु रोपड़ तथा नवांशहर में सिंचाई की सुविधाओं की कमी है।

बारहवीं योजना में सिंचाई सुविधाओं पर ₹ 493564 करोड़ व्यय किए गए। सिंचाई के साधन (Means of Irrigation)-पंजाब में सिंचाई के साधन निम्नलिखित हैं-
1. नहरें (Canals)-पंजाब में कुल सिंचाई क्षेत्र के 43% भाग में नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। यह सिंचाई का मुख्य साधन है। पंजाब की मुख्य नहरें

  • भाखड़ा-नंगल नहर
  • अपर बारी दोआब नहर
  • सरहिन्द नहर
  • बिस्त दोआब नहर
  • बीकानेर नहर
  • शाह नहर इत्यादि हैं।

इन नहरों के अतिरिक्त पंजाब में सतलुज यमुना लिंक, थीन डैम, कंडी नहर, शाह नहर, फीडर, मेलवाहा डैम तथा राष्ट्रीय परियोजना पर कार्य चल रहा है।

2. ट्यूबवैल (Tubewell)-पंजाब में 50% क्षेत्र पर ट्यूबवैलों द्वारा सिंचाई की जाती है। इस समय 2019-20 में लगभग 14.76 लाख ट्यूबवैल हैं जिनमें से 13.36 लाख ट्यूबवैल विद्युत् से तथा शेष डीज़ल से चलते हैं।

3. कुएँ (Wells)-पंजाब में पहले कुओं का महत्त्व अधिक था। परन्तु अब कुओं का स्थान ट्यूबवैलों ने ले लिया है किन्तु कुछ क्षेत्रों में आज भी कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है। इसके अतिरिक्त तालाब इत्यादि साधनों द्वारा भी सिंचाई की जाती है। फरीदकोट जिले में सिंचाई का मुख्य साधन नहरें हैं। इसके अतिरिक्त फिरोज़पुर, अमृतसर तथा लुधियाना जिलों में भी नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। ट्यूबवैल लगभग सभी जिलों में सिंचाई के साधन हैं किन्तु संगरूर ज़िले में ट्यूबवैल सबसे अधिक हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

प्रश्न 2.
पंजाब में कृषि विकास की चर्चा करें।
उत्तर-
पंजाब में कृषि विकास की प्रकृति निम्नलिखित तत्त्वों द्वारा स्पष्ट हो जाती है –
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि-पंजाब में कृषि उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि हुई है। कुल अनाज का उत्पादन 1965-66 में 33 लाख टन था। 2019-20 में अनाज का उत्पादन बढ़कर 315 लाख मीट्रिक टन हो गया है। अनाज के उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि को हरित क्रान्ति (Green Revolution) कहा जाता है।

2. उन्नत कृषि-पंजाब की कृषि बहुत उन्नत तथा अधिक प्रगतिशील है। पंजाब को प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भारत की औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादकता से अधिक है। पंजाब में वर्ष 1965-66 में गेहूँ की उत्पादकता 1236 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा चावल की उत्पादकता 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। 2019-20 में गेहूँ की उत्पादकता बढ़कर 5188 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा चावल की 4132 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है।

3. कृषि की उन्नत विधि-पंजाब में कृषि करने की उन्नत विधियों का प्रयोग किया गया है। पंजाब में 2019-20 में गेहूँ तथा चावल के अधीन 100% क्षेत्रफल नए बीजों के प्रयोग से बोआ गया है। मक्की अधीन 90% तथा बाजरे अधीन 60% क्षेत्रफल नए बीजों के प्रयोग द्वारा बोआ गया था।

4. व्यापारिक कृषि-पंजाब में कृषि जीवन निर्वाह के लिए नहीं की जाती बल्कि उत्पादन को मण्डियों में बेचकर अधिक लाभ प्राप्त करने का यत्न किया जाता है। इसलिए कृषि विकास के परिणामस्वरूप व्यापारिक कृषि का प्रचलन हो गया है।

प्रश्न 3.
पंजाब में हरित क्रान्ति के मुख्य दोष बताएं।
अथवा
पंजाब में हरित क्रान्ति के दुष्प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब में हरित क्रान्ति के केवल अच्छे प्रभाव ही नहीं पड़े बल्कि इसके कुछ दुष्प्रभाव भी पड़े हैं जोकि इस प्रकार हैं-

  1. असंतुलित विकास की समस्या–हरित क्रान्ति का मुख्य दोष यह है कि समूचे राज्य में एक समान संतुलित विकास नहीं हुआ। कुछ ज़िले उत्पादन क्षेत्र में आगे बढ़ गए हैं जबकि कुछ जिलों में कृषि का विकास कम हुआ है। जैसे कि फरीदकोट, भटिंडा, फिरोज़पुर में कृषि विकास अधिक हुआ है।
  2. बेरोज़गारी की समस्या-हरित क्रान्ति से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हुई है। गांवों में भूमिहीन श्रमिकों में बेरोज़गारी बढ़ गई है इसलिए रोज़गार की तलाश में प्रतिदिन शहरों में आते हैं।
  3. अधिक व्यय की समस्या–हरित क्रान्ति के कारण कृषि में प्रयोग होने वाले साधनों की लागत बहुत अधिक हो गई है। छोटे किसान आधुनिक मशीनों, उर्वरकों तथा नए उन्नत बीजों का प्रयोग नहीं कर सकते।
  4. अमीर किसानों को लाभ-हरित क्रान्ति का लाभ बड़े अमीर किसानों को हुआ है। इससे अमीर किसान और अमीर हो गए हैं। निर्धन किसानों की हालत और बिगड़ गई है। इस प्रकार अमीर तथा गरीब किसानों में असमानता बढ़ गई है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वर्ष 1966 से पंजाब की कृषि के विकास की प्रकृति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
(Explain the main features of the nature of Agricultural development in Punjab Since 1966.)
उत्तर-
पंजाब में कृषि विकास की प्रकृति (Nature of Agricultural Development in Punjab)पंजाब का पुनर्गठन 1 नवम्बर, 1966 को भाषा के आधार पर किया गया। इसके पश्चात् पंजाब की कृषि में तकनीकी क्रान्ति का आरम्भ हुआ, जिसको हरित क्रान्ति कहा जाता है। डॉ० आर० एस० जौहर तथा परमिन्द्र के अनुसार, “पंजाब में विशेषतया छठे दशक के मध्य से नई कृषि तकनीक के कारण तीव्रता से रूपांतर हुआ है।” (“The Punjab Agriculture underwent a rapid transformation particularly after the mid sixties in the wake of new farm Technology.” -Dr. R.S. Johar & Parminder Singh)

पंजाब में खनिज पदार्थ प्राप्त नहीं होते। कृषि ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। पंजाब की कृषि विकास की प्रकृति का अनुमान निम्नलिखित तत्त्वों से लगाया जा सकता है-
1. उन्नत कृषि (Progressive Agriculture)-पंजाब की कृषि देश के अन्य राज्यों की तुलना में उन्नत तथा प्रगतिशील है। पंजाब में पैदा होने वाली मुख्य फसलों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन भारत की उत्पादन शक्ति से बहुत अधिक है। वर्ष 2019-20 में पंजाब में गेहूँ तथा चावल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्रमानुसार 5188 किलोग्राम तथा 4132 किलोग्राम था।

2. आर्थिक विकास का आधार (Basis of Economic Development)-पंजाब में कृषि आर्थिक विकास का मुख्य आधार बन गई है। वर्ष 1980-81 में पंजाबी कुल आय 5,025 करोड़ में कृषि का योगदान ₹ 2,422 करोड़ था। 2019-20 में पंजाब की आय ₹ 644321 करोड़ हो गई है जिसमें कृषि का योगदान 68% है। इस प्रकार पंजाब के आर्थिक विकास में कृषि आर्थिक विकास का मुख्य साधन है।

3. कृषि का मशीनीकरण (Mechanised Agriculture)-पंजाब की कृषि में मशीनों का योगदान दिन प्रतिदिन बढ़ा है। पंजाब में ट्रैक्टर, हारवैस्टर, ट्यूबवैल आम नज़र आते हैं। राज्य में 85% बोए गए शुद्ध क्षेत्रफल पर एक से अधिक बार फसलें उगाई जाती हैं परिणामस्वरूप कृषि की उत्पादन शक्ति में वृद्धि हुई है।

4. कृषि साधनों का उत्तम प्रयोग (Proper Utilisation of Agricultural Resources)-पंजाब में कृषि के साधनों का उत्तम प्रयोग किया जाता है। कृषि के लिए उचित मिट्टी तथा जलवायु की आवश्यकता होती है। पंजाब में धरती समतल है। इसमें दोमट मिट्टी प्राप्त होती है जो कि फसलों की बोआई के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। पंजाब में जल के लिए तीन नदियां सतलुज, ब्यास तथा रावी बहती हैं। इसलिए गहन कृषि की जाती है। वर्ष में एक-से-अधिक फसलें प्राप्त की जाती हैं।

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5. कृषि का अधिक उत्पादन (More Agricultural Production)-पंजाब में कृषि का उत्पादन बहुत अधिक होता है। यह उत्पादन न केवल पंजाब राज्य की आवश्यकताएं पूर्ण करता है बल्कि देश के लिए अन्न भण्डार का साधन है। 1966 के पश्चात् हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप पंजाब में उत्पादन शक्ति में बहुत वृद्धि हुई है। 1965-66 में चावल का उत्पादन 292 हज़ार टन किया गया जो 2019-20 में बढ़ कर 315 लाख टन हो गया है।

6. मुख्य फसलें (Main Crops)-पंजाब की कृषि मुख्यतः दो फसलों गेहूँ तथा चावल पर निर्भर है। पंजाब में बोए गए कुल क्षेत्र का 70% गेहूँ तथा चावल के लिए प्रयोग किया जाता है जबकि अन्य फसलों में वृद्धि सन्तोषजनक नहीं है।

7. व्यापारिक कृषि (Commercial Agriculture)-पंजाब की कृषि अब केवल जीवन निर्वाह कृषि नहीं है बल्कि कृषि उत्पादन आवश्यकता से अधिक प्राप्त किया जाता है जिसको बाज़ार में बेच कर अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए यत्न किए जाते हैं अर्थात् पंजाब की कृषि व्यापारिक कृषि हो गई है।

8. रोज़गार का साधन (Source of Employment)-पंजाब की कृषि में प्रत्यक्ष तौर पर 65.5% जनसंख्या निर्भर करती है जिसमें कुल कार्यशील जनसंख्या का 56% भाग कृषि में कार्य करता है। इस प्रकार कृषि तथा इससे सम्बन्धित उद्योग राज्य के लोगों को रोजगार की सुविधाएं प्रदान करते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब में हरित क्रान्ति के क्या कारण हैं ? इसकी सफलताओं अथवा प्रभावों की व्याख्या करें।
(What are the causes of Green Revolution in Punjab ? Discuss the achievements and effects of Green Revolution.)
अथवा
नए कृषि ढांचे से क्या अभिप्राय है ? इसके कारण तथा प्राप्तियों को स्पष्ट करें। (What is new Agricultural Strategy ? Explain its causes and achievements.)
उत्तर-
पंजाब का 1 नवम्बर, 1966 को पुनर्गठन किया गया है। इस समय में नए कृषि ढांचे (New Agicultural Strategy) को अपनाया गया है। इसके परिणामस्वरूप पंजाब में कृषि का उत्पादन बहुत बढ़ गया तथा हरित क्रान्ति उत्पन्न हुई।

हरित क्रान्ति का अर्थ (Meaning of Green Revolution)—प्रो० एफ० आर० फ्रैक्ल के अनुसार, “हरित क्रान्ति एक सुन्दर नारा है जिसके द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि विज्ञान तथा तकनीकी विकास द्वारा कृषि के क्षेत्र में शान्तिपूर्वक रूपान्तर किया जा सकता है अथवा क्रान्ति लाई जा सकती है।” हरित क्रान्ति से अभिप्राय कृषि उत्पादन में होने वाली वृद्धि से है जो कृषि में नई नीति के अपनाने के कारण हुआ है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कृषि के क्षेत्र में जो थोड़े समय में असाधारण विकास तथा वृद्धि हुई है, उसको हरित क्रान्ति कहा जाता है। पंजाब में 1965-66 में 33 लाख टन कृषि उत्पादन किया गया जो कि 2019-20 में बढ़ कर 315.35 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

हरित क्रान्ति के कारण (Causes of Green Revolution)-पंजाब में हरित क्रान्ति के मुख्य कारण इस प्रकार-
1. भूमि सुधार (Land Reform)-पंजाब में कृषि क्षेत्र में कई प्रकार के सुधार किए गए हैं। जैसे कि भूमि की चकबन्दी की गई है। छोटे-छोटे टुकड़ों को एक स्थान पर एकत्रित किया गया है। सिंचाई साधनों का विस्तार तथा मशीनों के प्रयोग के कारण हरित क्रान्ति के लिए भूमिका तैयार की गई है।

2. कृषि अधीन क्षेत्रों का विस्तार (Extent in area Under Cultivation)-पंजाब में कृषि अधीन क्षेत्र में काफ़ी वृद्धि हुई है। 1965-66 में 38 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि अधीन थी जोकि 2019-20 में बढ़ कर 80 लाख हेक्टेयर की गई है।

3. कृषि का मशीनीकरण (Mechanisation of Agriculture)-कृषि में आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है जैसे कि ट्रैक्टर, कंबाइन, हारवैस्टर, डीज़ल इंजन इत्यादि यन्त्रों का प्रयोग होने के कारण उत्पादन शक्ति में बहुत वृद्धि हुई है 1966-67 में पंजाब में 10,000 ट्रैक्टर थे जिनकी संख्या 2019-20 में बढ़कर 5.15 लाख हो गई है।

4. उन्नत बीज (High yielding varieties of seeds)-पंजाब में हरित क्रान्ति का एक और कारण उन्नत बीजों का अधिक प्रयोग किया जाना है। गेहूँ, चावल, बाजरा, मक्की तथा ज्वार की फसलों के लिए बीजों की उन्नत किस्में बनाई गई हैं। गेहूं तथा चावल के लिए 100%, मक्की के लिए 90% तथा बाजरे के लिए 60% अधिक पैदावार देने वाले बीजों का प्रयोग 1999-2000 में किया गया।

5. रासायनिक उर्वरक (Fertilizers)-पंजाब में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण अनाज के उत्पादन में काफ़ी वृद्धि हुई है। हरित क्रान्ति आने का एक कारण उर्वरकों का अधिक प्रयोग करना है। 1966-67 में 51 हजार टन रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया गया था। 2019-20 में 1750 हजार टन रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया गया है।

6. सिंचाई (Irrigation)-पंजाब में सिंचाई की अधिक सहूलतों के कारण हरित क्रान्ति पर बहुत प्रभाव पड़ा है। पंजाब में सारा वर्ष .चलने वाले तीन दरिया सतलुज, ब्यास तथा रावी हैं जिनसे विद्युत् पैदा की जाती है तथा सिंचाई के लिए नहरें निकाली गई है। ट्यूबवैल, कुएं तथा तालाब की सिंचाई के साधन हैं। 1965-66 में 59% क्षेत्र पर सिंचाई की जाती थी। 2019-20 में 78.3 लाख हैक्टर क्षेत्र पर सिंचाई की जाती है।

7. साख सहूलतें (Credit Facilities) हरित क्रान्ति के लिए साख सहूलतों का योगदान बहुत अधिक है। 1967-68 में सहकारी समितियों द्वारा ₹75 करोड़ की साख सहूलतें प्रदान की गई थीं जो कि 2019-20 में बढ़ कर ₹ 6515 करोड़ हो गई हैं।

8. खोज (Research)-पंजाब में कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना में खोज का कार्य किया जाता है। कृषि यूनिवर्सिटी में नए बीज, भूमि की परख, उर्वरकों का प्रयोग, कीट नाशक दवाइयों के प्रयोग सम्बन्धी अल्प अवधि के कोर्स आरम्भ किए जाते हैं। इससे किसानों को फसलों की देख रेख करने सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होती है। परिणामस्वरूप कृषि के उत्पादन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

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हरित क्रान्ति की प्राप्तियां (Achievements of Green Revolution)
अथवा
हरित क्रान्ति के प्रभाव (Effects of Green Revolution) –
हरित क्रान्ति की मुख्य प्राप्तियां इस प्रकार हैं-
1. उत्पादन में वृद्धि (Increase in Production)-हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप कृषि के उत्पादन में काफ़ी वृद्धि हुई है। 1965-66 में 33 लाख टन अनाज पैदा किया गया था। हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप वर्ष 2019-20 में कृषि का उत्पादन 315.33 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

2. रोज़गार में वृद्धि (Increase in Employment) हरित क्रान्ति के कारण मशीनों का प्रयोग बढ़ गया है। परन्तु फिर भी वर्ष में कई फसलें पैदा होने लगी हैं इसलिए रोजगार में वृद्धि हुई है।

3. उद्योगों में वृद्धि (Increase in Industries) हरित क्रान्ति का प्रभाव उद्योगों के विकास पर अच्छा पड़ा है। पंजाब में कृषि यन्त्र हारवैस्टर, थ्रेशर इत्यादि की मांग बढ़ने के कारण बहुत से उद्योग स्थापित किए गए हैं।

4. उत्पादकता में वृद्धि (Increase in Productivity) हरित क्रान्ति के पश्चात् गेहूँ तथा चावल की उत्पादन शक्ति बहुत बढ़ गई है। यद्यपि गेहूँ, मक्की, ज्वार, कपास की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में काफ़ी वृद्धि हुई है जिसका मुख्य कारण अच्छे बीजों, रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग है।

5. ग्रामीण विकास (Rural Development)-हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप ग्रामीण लोगों की आय में वृद्धि हो गई है इसलिए ग्रामीण लोगों में उच्च जीवन स्तर व्यतीत करने की इच्छा पैदा हो गई है।

प्रश्न 3.
पंजाब की प्रमुख फसलों का वर्णन करें। पंजाब में पुनर्गठन के पश्चात् फसलों के ढांचे में कौन-से परिवर्तन हुए हैं ? .
उत्तर-
पंजाब में कई प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जाता है। इन फसलों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
A. खाद्य फसलें (Food Crops)-ये वह फसलें हैं जोकि भोजन के रूप में खाने के लिए प्रयोग की जाती हैं जैसे कि गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्की, दालें तथा चने इत्यादि।
B. व्यापारिक फसलें (Commercial Crops)-व्यापारिक फसलें वे हैं जिनका प्रयोग उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। जैसे कि गन्ना, कपास, तिलहन इत्यादि।

A. खाद्य फसलें (Food Crops)-पंजाब की खाद्य फसलों की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है –
1. गेहूँ (Wheat)-पंजाब में गेहूँ भोजन के लिए मुख्य फसल है। गेहूँ की बिजाई नवम्बर-दिसम्बर के महीने में की जाती है जोकि अप्रैल-मई के महीने में काटी जाती है। पंजाब के सब ज़िलों में गेहूँ की बिजाई की जाती है परन्तु संगरूर, फिरोज़पुर तथा लुधियाना जिले में अन्य जिलों से गेहूँ अधिक होती है। 2019-20 में गेहूँ की उत्पादन शक्ति पंजाब में 5188 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। जबकि भारत में गेहूँ की औसत उत्पादकता 3600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। स्पष्ट है कि पंजाब में गेहूँ का उत्पादन 17613 हज़ार मीट्रिक टन है जो अन्य राज्यों से अधिक है।

2. चावल (Rice)-पंजाब में चावल की खाद्य फसलों में से प्रमुख फसल है। इसकी बिजाई मई-जून में की जाती है तथा यह अक्तूबर-नवम्बर तक तैयार हो जाती है। चावल का उत्पादन पंजाब के सब जिलों में होता है परन्तु सबसे अधिक उत्पादन अमृतसर, पटियाला, लुधियाना तथा संगरूर जिलों में होता है। 2019-20 में पंजाब में चावल की प्रति हेक्टेयर उपज 4132 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी जबकि समूचे भारत में औसत उत्पादकता 2708 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। पंजाब में चावल का उत्पादन 13311 हज़ार मीट्रिक टन था।

3. जौ (Barley)-पंजाब में जौ रबी की फसल है। इसको पंजाब में सितम्बर-अक्तूबर के महीने में बोआ जाता है तथा यह अप्रैल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन भटिंडा, होशियारपुर इत्यादि जिलों में होता है। 1965-66 में जौ की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 1030 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर था। 2019-20 में इसकी उत्पादन शक्ति बढ़कर 3017 किलोग्राम हो गई है। जौ का उत्पादन 117 हज़ार मीट्रिक टन हुआ था।

4. मक्की (Maize)-पंजाब में मक्की खरीफ की फसल है। मक्की जून-जुलाई के महीने में बोई जाती है तथा मक्की की फसल सितम्बर, अक्तूबर तक तैयार हो जाती है। पंजाब में अधिकतर मक्की लुधियाना, जालन्धर, होशियारपुर ज़िलों में पैदा होती है। 1970-71 में प्रति हेक्टेयर उत्पादन शक्ति 1555 किलोग्राम थी। 2019-20 में इसकी उत्पादन शक्ति बढ़कर 3515 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। मक्की का उत्पादन 396 लाख मीट्रिक टन हुआ था।

5. ज्वार तथा बाजरा (Jowar and Bazra)-ज्वार तथा बाजरा खरीफ की फसलें हैं। ज्वार मुख्यतः रूपनगर तथा मुक्तसर जिलों में पैदा की जाती है। बाजरे की फसल, गुरदासपुर, फिरोजपुर, फरीदकोट तथा संगरूर में होती है। बाजरे की उत्पादन शक्ति 1965-66 में 548 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी जोकि 2019-20 में बढ़कर 987 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। ज्वार का उत्पादन 800 मीट्रिक टन तथा बाजरे का उत्पादन 800 मीट्रिक टन हुआ था।

6. चने (Gram)-यह रबी की फसल है जोकि अक्तूबर-नवम्बर में बोई जाती है। यह फसल अप्रैल-मई तक तैयार हो जाती है। यह फसल भटिंडा तथा मुक्तसर जिलों में होती है क्योंकि रेतीली भूमि इसके लिए अधिक उपयुक्त होती है। इसकी उत्पादकता 1245 kg प्रति हैक्टेयर और उत्पादन 3 हज़ार मीट्रिक टन था।

7. दालें (Pulses)-पंजाब में लोगों के भोजन का मुख्य अंग दालें हैं। पंजाब में मांह, मोठ, मूंगी, मसर इत्यादि दालों का प्रयोग किया जाता है। दालों की उत्पादकता में भी वृद्धि हुई है। 2019-20 में दालों की पैदावार 25 हज़ार मीट्रिक टन थी।

B. व्यापारिक फसलें अथवा नकदी फसलें (Commercial Crops or Cash Crops)-पंजाब में व्यापारिक फसलें मुख्यतः निम्नलिखित हैं
1. गन्ना (Sugarcane)-पंजाब में गन्ना व्यापारिक खाद्य फसल है। इसका प्रयोग गुड़, शक्कर तथा चीनी तैयार करने के लिए किया जाता है। इसका बिजाई मार्च-अप्रैल तथा कटाई दिसम्बर-मार्च में की जाती है। गन्ना मुख्यतः जालन्धर, गुरदासपुर तथा रूपनगर जिलों में बोआ जाता है। पंजाब में चीनी बनाने के उद्योग के लिए कच्चा माल पंजाब में ही तैयार किया जाता है। 2019-20 में गन्ने का उत्पादन 7744 लाख मीट्रिक टन हुआ था।

2. कपास (Cotton)-कपास खरीफ की फसल है। यह अप्रैल से जून तक बोई जाती है जोकि सितम्बर से दिसम्बर तक तैयार हो जाती है। पंजाब में भटिंडा, फरीदकोट, फिरोज़पुर में कपास की अमेरिकन किस्म बोई जाती है जबकि अन्य जिलों में देशी कपास बोई जाती है। 2019-20 में कपास का उत्पादन 1283 हज़ार गांठें हुआ।

3. तेलों के बीज (Oil Seeds)-पंजाब में तेलों के बीज मुख्य नकदी फसल है। इसमें सरसों, तारामीरा, अलसी, तिल इत्यादि का उत्पादन होता है। इनमें से कुछ फसलें रबी की हैं तथा कुछ खरीफ की हैं। भटिंडा, फिरोज़पुर तथा पटियाला में सरसों तथा तारामीरा, संगरूर में मुख्यतः तारामीरा, लुधियाना में मूंगफली का उत्पादन किया जाता है। 2019-20 में 59.6 हज़ार मीट्रिक टन तेलों के बीज का उत्पादन हुआ।

प्रश्न 4.
पंजाब में कृषि उपज बिक्री के दोष बताएं और इन दोषों को दूर करने के लिये सुझाव दें। (Discuss the defects of Agricultural Marketing on Punjab. Suggest measures to remove the defects.)
उत्तर-
पंजाब में कृषि उपज बिक्री के मुख्य दोष इस प्रकार हैं-
1. ग्रेडिंग का अभाव (Lack of Grading)-पंजाब में किसान अपनी फसल की ग्रेडिंग नहीं करते। जो फसल बाज़ार में बिक्री के लिए भेजी जाती है उसमें मिलावट होने के कारण उपज का ठीक मूल्य प्राप्त नहीं होता।

2. उपज के भण्डार का अभाव (Lack of Storage Facilities)- किसान को अपनी उपज कटाई के बाद शीघ्र बेचनी पड़ती है क्योंकि फसलों के संग्रह करने के लिये उचित भण्डार साधन नहीं होते। इसलिए घर पर फसल रखने से उसके नष्ट होने का डर रहता है।

3. संगठन का अभाव (Lack of Organisation)-पंजाब में किसानों का कोई संगठन नहीं है जो कि उपज का उचित मूल्य दिला सके। किसान अपनी-अपनी फसल मण्डियों में बेचते हैं जिस कारण उनको उपज की कम कीमत प्राप्त होती है।

4. मण्डियों में अधिक मध्यस्थ (Many Intermediaries in Mandies)-मण्डी में मध्यस्थों की अधिकता के कारण भी किसान को उपज का ठीक मूल्य प्राप्त नहीं होता। किसान और उपभोक्ता के बीच कच्चा आढ़तिया, पक्का आढ़तिया, दलाल आदि बहुत-से मध्यस्थ होते हैं। मध्यस्थों के कारण किसान को उपज की पूरी कीमत प्राप्त नहीं होती।

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5. मण्डियों में अनुचित ढंग (Malpractices in Mandies) मण्डियों में किसान को कम कीमत देने के लिये कई प्रकार के अनुचित ढंगों का प्रयोग किया जाता है। किसान की उपज को तुरन्त खरीदा नहीं जाता और किसान को कई दिन उपज की सम्भाल करनी पड़ती है। उसको उपज की उचित कीमत का ज्ञान भी नहीं दिया जाता।

6. मण्डियों के बारे में सूचना (Knowledge about Mandies) किसानों को बाज़ार की विभिन्न मण्डियों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती। इसलिये किसान अपनी उपज गांव के पास ही मण्डियों में कम कीमत पर बेच देता है।

7. वित्त का अभाव (Lack of Finance)-किसानों को फसल बीजने से लेकर, इस की कटाई होने तक बहुतसे वित्त की ज़रूरत होती है। पंजाब में बहुत-से किसान वित्त के लिये महाजनों तथा आढ़तियों पर निर्भर होते हैं। इसलिए किसान को अपनी उपज महाजनों तथा आढ़तियों को ही बेचनी पढ़ती है। इसलिए उपज की ठीक कीमत प्राप्त नहीं होती।

8. यातायात सुविधाओं का अभाव (Lack of Transport Facilities)—पंजाब में गांव में यातायात की असुविधाएं होने के कारण किसान को अपनी उपज गांव में या नज़दीक मण्डियों में ही बेचनी पड़ती है। इसलिये किसान को अपने उत्पादन को बहुत ही प्रतिकूल समय, प्रतिकूल दरों पर, प्रतिकूल बाज़ार में बेचना पड़ता है।

9. स्वेच्छा बिक्री का अभाव (Lack of Freedom of Sale)-पंजाब में किसान अपनी उपज स्वेच्छा से बिक्री नहीं कर सकता। उसको बैंक का कर्ज, साहूकार और आढ़तियों का कर्ज देना होता है। इसलिए फसल काटने के तुरन्त बाद उसको अपनी उपज बेचनी पड़ती है।

कृषि उपज की बिक्री के दोषों को दूर करने के लिए सुझाव (Suggestions to Remove the Defects of Agricultural Marketing) कृषि उपज की बिक्री में बहुत से दोष हैं। इन दोषों को दूर करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये जाते हैं-
1. वित्त की सुविधा (Facilities of Finance)-पंजाब के किसानों को वित्त की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। भारत सरकार ने इस वित्त की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किसानों पर से 2019-20 में ₹ 2000 करोड़ का कर्ज़ माफ़ कर दिया है और बैंकों में किसानों को अधिक साख देने के लिये कहा है।

2. यातायात की सुविधा (Facilities of Transport)-पंजाब में किसान की उपज को बेचने के लिये सस्ती, कुशल तथा पर्याप्त सुविधाएं होनी चाहिएं। इस प्रकार किसान अपनी उपज को उचित बाजार, उचित समय तथा उचित कीमत पर बेच सकता है।

3. संग्रह की सुविधा (Facilities of Storage) संग्रह की सुविधा भी कृषि उपज की बिक्री के लिए बहुत ज़रूरी है। किसान के पास गांव में फसलों को संग्रह करने के लिये गड्ढ़े या कोठियां मिट्टी के बने होते हैं। इस कारण बहुत-सी फसल नष्ट हो जाती है। इसलिए संग्रह की सुविधा सरकार द्वारा प्रदान करनी चाहिए।

4. मध्यस्थों पर नियन्त्रण (Control over Middleman) कृषि उपज की उचित बिक्री के लिये मध्यस्थों पर नियन्त्रण आवश्यक है। मध्यस्थों पर नियन्त्रण करके किसान को उसकी उपज की ठीक कीमत दिलाई जा सकती है।

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5. उचित कीमत (Suitable Price)-किसान द्वारा उपज की कीमत दूसरे खरीदार लगाते हैं जबकि उत्पादक अपनी वस्तु की कीमत स्वेच्छा से निर्धारित करते हैं। इसलिए किसान को अपनी उपज की कीमत स्वेच्छा से निर्धारित करने का अधिकार होना चाहिए।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 17 ਚਾਲੂਕਿਆ ਅਤੇ ਪੱਲਵ

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 17 ਚਾਲੂਕਿਆ ਅਤੇ ਪੱਲਵ Textbook Exercise Questions and Answers.

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SST Guide for Class 6 PSEB ਚਾਲੂਕਿਆ ਅਤੇ ਪੱਲਵ Textbook Questions and Answers

ਅਭਿਆਸ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ
I. ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਿਖੋ :

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਚਾਲੂਕਿਆਂ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? .
ਉੱਤਰ-
ਸਾਤਵਾਹਨ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਦੇ ਪਤਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਰਾਜ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆ ਗਏ । ਵਾਕਾਟਕਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਮਜ਼ਬੂਤ ਰਾਜ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕੀਤਾ ਪਰ ਉਹ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਮਾਂ ਟਿਕ ਨਾ ਸਕਿਆ । ਉਸੇ ਸਮੇਂ 6ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਕਤੀ ਚਾਲੂਕਿਆ ਵੰਸ਼ ਦੇ ਹੱਥ ਵਿੱਚ ਆ ਗਈ । ਇਹਨਾਂ ਨੇ ਬੀਜਾਪੁਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚ ਵਾਤਾਪੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਬਣਾਇਆ । ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਪਹਿਲਾ, ਕੀਰਤੀਵਰਮਨ ਅਤੇ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜਾ ਆਦਿ ਇਸ ਵੰਸ਼ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸ਼ਾਸਕ ਸਨ | ਪਰ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜਾ ਇਸ ਵੰਸ਼ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸ਼ਾਸਕ ਸੀ । ਉਸਨੇ ਨਰਮਦਾ ਨਦੀ ਦੇ ਤੱਟ ‘ਤੇ ਹਰਸ਼ਵਰਧਨ ਨੂੰ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਰਾਇਆ ਸੀ । ਉਸਨੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਜਿੱਤਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਦੇ ਪੱਲਵਾਂ ਨੂੰ ਹਰਾਇਆ ਸੀ । ਪਰ ਉਹ ਪੱਲਵ ਸ਼ਾਸਕ ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਤੋਂ ਹਾਰ ਗਿਆ ਅਤੇ 642 ਈ: ਵਿੱਚ ਉਸ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ । ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਅਯੋਗ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ 8ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਮੱਧ ਵਿੱਚ ਰਾਸ਼ਟਰਕੂਟਾਂ ਨੇ ਚਾਲੂਕਿਆਂ ਨੂੰ ਹਰਾ ਕੇ ਚਾਲੁਕਿਆ ਵੰਸ਼ ਦਾ ਅੰਤ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਚਾਲੂਕਿਆ ਮੰਦਰਾਂ ਬਾਰੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚਾਲੂਕਿਆਂ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੂੰ ਮੰਦਰ-ਨਿਰਮਾਣ ਨਾਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਏਹੋਲ, ਵਾਤਾਪੀ ਅਤੇ ਪਟੱਕਲ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਮੰਦਰਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ
ਕਰਵਾਇਆ । ਵੀਰੂਪਾਕੱਸ਼ ਅਤੇ ਪੰਪਨਾਥ ਦੇ ਮੰਦਰ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ । ਚਾਲੂਕਿਆਂ ਨੇ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ਤੇ ਬ੍ਰਹਮਾ, ਵਿਸ਼ਨੂੰ ਅਤੇ ਸ਼ਿਵ ਦੀ ਪੂਜਾ ਲਈ ਮੰਦਰ ਬਣਵਾਏ । ਇਹਨਾਂ ਮੰਦਰਾਂ ਦੀਆਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ‘ਤੇ ਰਮਾਇਣ ਦੇ ਦਿਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸੁੰਦਰ ਢੰਗ ਨਾਲ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਚਾਲੁਕਿਆਂ ਨੇ ਵਾਤਾਪੀ ਵਿੱਚ ਗੁਫ਼ਾ-ਮੰਦਰਾਂ ਦਾ ਵੀ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਵਾਇਆ, ਜੋ ਆਪਣੀਆਂ ਕਲਾਤਮਕ ਮੁਰਤੀਆਂ ਲਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੱਲਵਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੱਲਵ ਸ਼ਾਸਕ ਤਮਿਲਨਾਡੂ ਅਤੇ ਆਂਧਰਾ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੇ ਕਈ ਭਾਗਾਂ ‘ਤੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਪਹਿਲਾਂ ਉਹ ਸਾਤਵਾਹਨਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ ਸਨ । ਪਰੰਤੂ ਸਾਤਵਾਹਨਾਂ ਦੇ ਪਤਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁਤੰਤਰ ਸੱਤਾ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਲਈ ।

6ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਨੇ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਪੱਲਵ ਵੰਸ਼ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਮਹਿੰਦਰ ਵਰਮਨ ਪਹਿਲਾ, ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਪਹਿਲਾ ਅਤੇ ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਦੂਜਾ ਇਸ ਵੰਸ਼ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਾਸਕ ਸਨ । ਮਹਿੰਦਰ ਵਰਮਨ ਚਾਲੁਕਿਆ ਸ਼ਾਸਕ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਲੜਦਾ ਰਿਹਾ। ਉਹ ਚਿੱਤਰਕਲਾ ਅਤੇ ਨਾਚ-ਗਾਣੇ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸ਼ੁਕੀਨ ਸੀ । ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਪਹਿਲੇ ਨੇ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਹਰਾਇਆ ਸੀ । ਉਸਨੇ ਸ੍ਰੀਲੰਕਾ ‘ਤੇ ਵੀ ਦੋ ਵਾਰ ਸਫਲ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ ਸਨ । 9ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਪੱਲਵ ਚੋਲ ਰਾਜਿਆਂ ਤੋਂ ਹਾਰ ਗਏ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਰਾਜ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪੱਲਵਾਂ ਦੀ ਕਲਾ ਅਤੇ ਭਵਨ-ਨਿਰਮਾਣ ਕਲਾ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੱਲਵ ਸ਼ਾਸਕ ਕਲਾ ਅਤੇ ਭਵਨ-ਨਿਰਮਾਣ ਦੇ ਮਹਾਨ ਪ੍ਰੇਮੀ ਅਤੇ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਸਨ । ਇਹਨਾਂ ਨੇ ਅਨੇਕਾਂ ਮੰਦਰਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਵਾਇਆ । ਇਹਨਾਂ ਨੇ ਮਹਾਂਬਲੀਪਰਮ ਵਿੱਚ ਸਮੁੰਦਰ ਦੇ ਤੱਟ ‘ਤੇ ਕਈ ਗੁਫ਼ਾ-ਮੰਦਰ ਬਣਵਾਏ । ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੁਝ ਮੰਦਰਾਂ ਨੂੰ ਰੱਥ-ਮੰਦਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਦੇ ਪਾਂਡਵਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖੇ ਗਏ ਹਨ | ਪੱਲਵਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਕਾਂਚੀਪੁਰਮ ਵਿੱਚ ਕੈਲਾਸ਼ਨਾਥ ਨਾਮਕ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਮੰਦਰ ਬਣਵਾਇਆ ਸੀ । ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਮੰਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਦੇਵੀ-ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਮੂਰਤੀਆਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੱਲਵ ਰਾਜੇ-ਰਾਣੀਆਂ ਦੀਆਂ ਮੂਰਤੀਆਂ ਵੀ ਸਥਾਪਤ ਸਨ ।

II. ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਵਿਚ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

(1) ਚਾਲੁਕਿਆ ਵੰਸ਼ ਦੇ ………………………. ਅਤੇ ……………….. ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਰਾਜੇ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਪਹਿਲਾ, ਕੀਰਤੀਵਰਮਨ

(2) ਚਾਲੁਕਿਆ ਰਾਜੇ ………………………… ਦੇ ਮਹਾਨ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਲਾ

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(3) ………………………… ਨੇ ਪੱਲਵ ਵੰਸ਼ ਦੀ ਨੀਂਹ ਰੱਖੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਂਚੀਪੁਰਮ

(4) ਪੱਲਵਾਂ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਵਿਚ ਚੇਨੱਈ ਦੇ ਕੋਲ ……………………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੂਰਤੀ ਕਲਾ

(5) ਪੱਲਵ ……………………….. ਅਤੇ ………………………… ਕਲਾ ਦੇ ਪ੍ਰੇਮੀ ਅਤੇ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੂਰਤੀਕਲਾ, ਭਵਨ ਨਿਰਮਾਣ ਕਲਾ

(6) ਪੱਲਵ ਰਾਜੇ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ………………………… ਅਤੇ ………………………… ਧਰਮ ਨੂੰ ਮੰਨਦੇ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੈਨ, ਸ਼ੈਵ

III. ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਦੇ ਸਹੀ ਜੋੜੇ ਬਣਾਓ :

(1) ਈਰਾਨੀ ਰਾਜਦੂਤ (ਉ) ਚਾਲੂਕਿਆ ਮੰਦਰ
(2) ਵੀਰੂਪਾਕੱਸ਼ (ਅ) ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜਾ
(3) ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ (ੲ) ਪੱਲਵ ਰਾਜਾ
(4) ਮਹਿੰਦਰ ਵਰਮਨ (ਸ) ਰੱਥ ਮੰਦਰ

ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ ਜੋੜੇ-

(1) ਈਰਾਨੀ ਰਾਜਦੂਤ (ਅ) ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜਾ
(2) ਵੀਰੂਪਾਕੰਸ਼ (ਉ) ਚਾਲੁਕਿਆ ਮੰਦਰ
(3) ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ (ਸ) ਰੱਥ ਮੰਦਰ
(4) ਮਹਿੰਦਰ ਵਰਮਨ (ੲ) ਪੱਲਵ ਰਾਜਾ

IV. ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਸਹੀ (√) ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ (×) ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ :

(1) ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਦਾ ਹਰਸ਼ਵਰਧਨ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਹੋਇਆ ।
(2) ਏਹੋਲ ਅਤੇ ਪਟੰਦਲ ਸਮੁੰਦਰ ਤੱਟ ਲਈ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹਨ ।
(3) ਕਾਂਚੀਪੁਰਮ ਚਾਲੂਕਿਆਂ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਸੀ ।
(4) ਕੈਲਾਸ਼ਨਾਥ ਮੰਦਰ ਪੱਲਵਾਂ ਨੇ ਬਣਵਾਇਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(1) (√)
(2) (×)
(3) (×)
(4) (√)

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PSEB 6th Class Social Science Guide ਚਾਲੂਕਿਆ ਅਤੇ ਪੱਲਵ Important Questions and Answers

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ
ਘੱਟ ਤੋਂ ਘੱਟ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਚਾਲੂਕਿਆਂ ਦੱਖਣੀ ਦੱਕਨ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਰਾਜਾ (ਛੇਵੀਂ ਸ਼ਤਾਬਦੀ ਈ: ਸਨ) ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਵਾਤਾਪੀ (ਬਾਦਾਮੀ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਚਾਲੂਕਿਆ ਦੁਆਰਾ ਬਣਵਾਏ ਗਏ ਦੋ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਮੰਦਿਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਵੀਰੂਪਾਕੱਸ਼ ਅਤੇ ਪੰਪਨਾਥ ਮੰਦਿਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਾਂਚੀ ਦਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ‘ਕੈਲਾਸ਼ਨਾਥ ਮੰਦਿਰ’ ਕਿਹੜੇ ਰਾਜਵੰਸ਼ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਬਣਵਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੱਲਵ ।

ਬਹੁ-ਵਿਕਲਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਚਾਲੂਕਿਆ ਨੇ ਕਿਹੜੇ ਧਰਮ ਨੂੰ ਸੰਰੱਖਿਅਣ ਦਿੱਤਾ ?
(ਉ) ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ
(ਅ) ਜੈਨ ਧਰਮ
(ੲ) ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅ) ਜੈਨ ਧਰਮ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਮੰਦਿਰ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਿਹੜੇ ਵੰਸ਼ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਕਰਵਾਇਆ ?
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 17 ਚਾਲੂਕਿਆ ਅਤੇ ਪੱਲਵ 1
(ਉ) ਪੱਲਵ
(ਅ) ਚਾਲੂਕਿਆ
(ੲ) ਗੁਪਤ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਪੱਲਵ

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 17 ਚਾਲੂਕਿਆ ਅਤੇ ਪੱਲਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਕਈ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਯਾਤਰੀ ਭਾਰਤ ਆਏ ।ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੁਝ ਚੀਨੀ ਯਾਤਰੀ ਵੀ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਯਾਤਰੀ 641 ਈ: ਵਿਚ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿਚ ਆਇਆ ਸੀ ?
(ਉ) ਫਾਹਯਾਨ
(ਅ) ਹਿਊਨਸਾਂਗ
(ੲ) ਇਤਿਸੰਗ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅ) ਹਿਊਨਸਾਂਗ

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜਾ ਯਾਤਰੀ ਭਾਰਤ ਆਇਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਚੀਨੀ ਯਾਤਰੀ ਹਿਊਨਸਾਂਗ ਭਾਰਤ ਆਇਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਚਾਲੂਕਿਆ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਨਗਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਮੰਦਰ ਬਣਵਾਏ ?
ਉੱਤਰ-
ਚਾਲੂਕਿਆ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ ਏਹੋਲ, ਵਾਤਾਪੀ ਅਤੇ ਪਟੱਕਲ ਵਿੱਚ ਕਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਮੰਦਰ ਬਣਵਾਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੱਲਵ ਵੰਸ਼ ਦਾ ਰਾਜ-ਵਿਸਤਾਰ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੱਲਵ ਵੰਸ਼ ਦਾ ਰਾਜ-ਵਿਸਤਾਰ ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਅਤੇ ਆਂਧਰਾ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੇ ਕਈ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਪਤ ਸਮਰਾਟ ਸਮੁਦਰ ਗੁਪਤ ਨੇ ਕਿਹੜੇ ਪੱਲਵ ਸ਼ਾਸਕ ਨੂੰ ਹਰਾਇਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਪਤ ਸਮਰਾਟ ਸਮੁਦਰ ਗੁਪਤ ਨੇ ਪੱਲਵ ਸ਼ਾਸਕ ਗੋਪਵਰਮਨ ਨੂੰ ਹਰਾਇਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ ਦੇ ਰੱਥ ਮੰਦਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖੇ ਗਏ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ ਦੇ ਰੱਥ ਮੰਦਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਦੇ ਪਾਂਡਵਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖੇ ਗਏ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕਾਂਚੀਪੁਰਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਮੰਦਰ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ । ਇਹ ਕਿਸਨੇ ਬਣਵਾਇਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਂਚੀਪੁਰਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਮੰਦਰ ‘ਕੈਲਾਸ਼ਨਾਥ’ ਹੈ । ਇਹ ਮੰਦਰ ਪੱਲਵ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਬਣਵਾਇਆ ਸੀ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਚਾਲੁਕਿਆ ਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਉੱਤਰੀ ਮਹਾਂਰਾਸ਼ਟਰ ਅਤੇ ਬਰਾਰ (ਵਿਦਰਭਾ) ਵਿੱਚ ਸਾਤਵਾਹਨਾਂ ਦੇ ਪਤਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵਾਕਾਟਕਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਰਾਜ ਦੀ ਨੀਂਹ ਰੱਖਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕੀਤਾ ਪਰ ਉਹ ਆਪਣੇ ਯਤਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਨਾ ਹੋ ਸਕੇ । ਫਿਰ ਚਾਲੁਕਿਆ ਵੰਸ਼ ਨੇ ਛੇਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਆਰੰਭ ਵਿੱਚ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਰਾਜ ਸਥਾਪਤ ਕਰ ਲਿਆ । ਇਸ ਵੰਸ਼ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਵਾਤਾਪੀ ਸੀ । ਇਸ ਵੰਸ਼ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦਾ ਸਿਹਰਾ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਪਹਿਲੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੀਰਤੀਵਰਮਨ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੀਰਤੀਵਰਮਨ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਪਹਿਲੇ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ ਜੋ ਉਸਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਚਾਲੁਕਿਆ ਵੰਸ਼ ਦਾ ਰਾਜਾ ਬਣਿਆ । ਕੀਰਤੀਵਰਮਨ ਕਾਫ਼ੀ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਰਾਜਾ ਸੀ ।ਉਸਨੇ ਉੱਤਰੀ ਕੋਂਕਣ ਅਤੇ ਕੰਨੜ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਜਿੱਤ ਕੇ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾ ਲਿਆ । ਉਸਨੂੰ ਭਵਨ-ਨਿਰਮਾਣ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸ਼ੌਕ ਸੀ । ਉਸਨੇ ਵਾਤਾਪੀ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਸੁੰਦਰ ਅਤੇ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਇਮਾਰਤਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਵਾਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੱਲਵ ਰਾਜਾ ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਪੱਲਵ ਰਾਜਾ ਸੀ । ਪੱਲਵਾਂ ਦਾ ਚਾਲੁਕਿਆ ਵੰਸ਼ ਨਾਲ ਸੰਘਰਸ਼ ਚੱਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਚਾਲੁਕਿਆ ਰਾਜਾ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਨੇ ਮਹਿੰਦਰ ਵਰਮਨ ਨੂੰ ਹਰਾਇਆ ਸੀ । ਪਰ ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਨੇ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਉਸਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਨੇ ਹੋਰ ਵੀ ਕਈ ਜਿੱਤਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀਆਂ ਤੇ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਦਾ ਵਿਸਤਾਰ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਨੇ ਪਾਂਡਯ, ਚੇਰ ਅਤੇ ਚੋਲ ਰਾਜਿਆਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਕੀਤੇ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜਾ ਚਾਲੂਕਿਆ ਵੰਸ਼ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਰਾਜਾ ਸੀ । ਉਸਨੇ ਆਪਣੇ 33 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਯੁੱਧ ਕਰਕੇ ਆਪਣੀ ਸੈਨਿਕ ਯੋਗਤਾ ਨੂੰ ਸਿੱਧ ਕੀਤਾ । ਉਸਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਆਪਣੇ ਚਾਚੇ ਨੂੰ ਹਰਾ ਕੇ ਉਸ ਕੋਲੋਂ ਆਪਣਾ ਰਾਜ ਵਾਪਸ ਲਿਆ । ਉਸਨੇ ਰਾਸ਼ਟਰਕੂਟਾਂ ਦੇ ਹਮਲੇ ਦਾ ਸਫਲਤਾਪੂਰਵਕ ਸਾਹਮਣਾ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਕਾਦੰਬਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਬਨਵਾਸੀ ਨੂੰ ਲੁੱਟਿਆ । ਉਸਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਗੰਗਵਾਦੀ ਦੇ ਰੰਗਾਂ ਅਤੇ ਮਾਲਾਬਾਰ ਦੇ ਅਲੂਪਾਂ ਨੇ ਉਸਦੀ ਅਧੀਨਤਾ ਮੰਨ ਲਈ । ਉਸਨੇ ਉੱਤਰੀ ਕੌਂਕਣ ਦੇ ਮੌਰੀਆ ਰਾਜੇ ਨੂੰ ਵੀ ਹਰਾਇਆ 1 ਦੱਖਣੀ ਗੁਜਰਾਤ ਦੇ ਲਾਟਾਂ, ਮਾਲਵਿਆਂ ਅਤੇ ਗੁੱਜਰਾਂ ਨੇ ਵੀ ਉਸਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਦੀਆਂ ਸੈਨਿਕ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਤੋਂ ਡਰ ਕੇ ਚੋਲ, ਚੇਰ ਅਤੇ ਪਾਂਡਯ ਦੇ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ ਵੀ ਉਸ ਦੀ ਅਧੀਨਤਾ ਮੰਨ ਲਈ ਸੀ । ਇੱਥੋਂ ਤੱਕ ਕਿ ਉਸਨੇ ਹਰਸ਼ ਵਰਧਨ ਨੂੰ ਵੀ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਹਰਾ ਕੇ ਪਿੱਛੇ ਹਟਣ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।

ਪੁਲਕੇਨ ਦੂਜਾ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਜੇਤੂ ਹੀ ਨਹੀਂ ਸਗੋਂ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦਾ ਸਿਆਸਤਦਾਨ ਵੀ ਸੀ । ਉਸਨੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਰਾਜਿਆਂ ਨਾਲ ਕੂਟਨੀਤਿਕ ਸੰਬੰਧ ਕਾਇਮ ਕੀਤੇ । ਉਸਨੇ ਫਾਰਸ ਦੇ ਰਾਜੇ ਖੁਸਰੂ ਦੂਜੇ ਕੋਲ ਆਪਣਾ ਰਾਜਦੂਤ ਵੀ ਭੇਜਿਆ ।

ਪਰ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਦੇ ਆਖ਼ਰੀ ਦਿਨ ਬੜੇ ਕਸ਼ਟਮਈ ਸਨ । ਪੱਲਵਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸ਼ਾਸਕ ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਿੱਚ ਚਾਲੁਕਿਆ ਰਾਜ ‘ਤੇ ਕਈ ਵਾਰ ਸਫਲ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਵਾਤਾਪੀ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । 642 ਈ: ਵਿੱਚ ਪੁਲਕੇਸ਼ਿਨ ਦੂਜੇ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 17 ਚਾਲੂਕਿਆ ਅਤੇ ਪੱਲਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ ਦੇ ਮੰਦਰਾਂ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ ਦੇ ਮੰਦਰ ਚੇਨੱਈ ਤੋਂ 69 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਦੂਰ ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਇਹ ਮੰਦਰ ਪੱਲਵ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ ਤੇ ਮਹਿੰਦਰ ਵਰਮਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਪੁੱਤਰ ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਦੁਆਰਾ ਸੱਤਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਬਣਵਾਏ ਗਏ ਸਨ । ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੁਝ ਮੰਦਰਾਂ ਨੂੰ ਰੱਥ ਮੰਦਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੂਰ ਤੋਂ ਦੇਖਣ ਤੋਂ ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਆਕਾਰ ਰੱਬ ਵਰਗਾ ਹੀ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਰੱਥ ਮੰਦਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਪਾਂਡਵਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਪਦੀ ਰੱਥ, ਧਰਮਰਾਜ ਰੱਥ, ਭੀਮ ਰੱਥ, ਅਰਜੁਨ ਰੱਥ ਆਦਿ ਰੱਖੇ ਗਏ ਹਨ । ਇਹ ਮੰਦਰ ਇੱਕ ਹੀ ਚੱਟਾਨ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਬਣਾਏ ਗਏ ਹਨ ਤੇ ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਤੇ ਵੀ ਜੋੜ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਮੰਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਜਿਹੜੀਆਂ ਮੂਰਤੀਆਂ ਰੱਖੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ, ਉਹ ਵੀ ਇੱਕ ਚੱਟਾਨ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਮੂਰਤੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸੁੰਦਰ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਹਨ । ਇਹ ਸਾਰੇ ਮੰਦਰ ਸ਼ੈਵ ਮੰਦਰ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਮੰਦਰਾਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਜਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਮੰਦਰਾਂ ਦੀਆਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ‘ਤੇ ਦੇਵੀ-ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਮੂਰਤੀਆਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੱਲਵ ਰਾਜੇ-ਰਾਣੀਆਂ ਦੀਆਂ ਮੂਰਤੀਆਂ ਵੀ ਹਨ । ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ ਵਿੱਚ ਹੀ ਪੱਲਵ ਸ਼ਾਸਕ ਨਰਸਿੰਘ ਵਰਮਨ ਦੁਆਰਾ ਸਮੁੰਦਰ ਤੱਟ ‘ਤੇ ਬਣਵਾਏ ਕਈ ਗੁਫ਼ਾ-ਮੰਦਰ ਹਨ, ਜਿਹਨਾਂ ਨੂੰ, ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਮੂਰਤੀਆਂ ਨਾਲ ਸਜਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।