PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच

PSEB 11th Class Economics आय की धारणाएँ Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
पूर्ति की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
प्रो० थॉमस के अनुसार, “वस्तुओं की पूर्ति वह मात्रा है जो एक बाज़ार में किसी निश्चित समय पर विभिन्न कीमतों पर बिकने के लिए प्रस्तुत की जाती है।”

प्रश्न 2.
पूर्ति के नियम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ति के नियम अनुसार, अन्य बातें सामान रहें तो वस्तु की कीमत बढ़ने पर पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत कम होने पर पूर्ति कम हो जाती है।

प्रश्न 3.
एक ही पूर्ति वक्र पर ऊपर की ओर संचलन का क्या कारण होता है ?
उत्तर-
कीमत में वृद्धि।

प्रश्न 4.
एक ही पूर्ति वक्र पर नीचे की ओर संचलन का क्या कारण होता है ?
उत्तर-
कीमत में कमी।

प्रश्न 5.
किसी वस्तु की पूर्ति वक्र पर संचलन का क्या कारण होता है ?
उत्तर-
कीमत में परिवर्तन।

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प्रश्न 6.
पूर्ति तालिका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ति तालिका वह तालिका है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बिक्री के लिए प्रस्तुत की जाने वाली विभिन्न मात्राओं को प्रकट करती है।

प्रश्न 7.
बाज़ार पूर्ति तालिका अथवा बाज़ार पूर्ति अवसूची से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी वस्तु की पूर्ति करने वाली सभी फ़र्मों की पूर्ति के जोड़ को बाजार पूर्ति तालिका कहते हैं।

प्रश्न 8.
पूर्ति के विस्तार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
यदि अन्य बातें समान रहें, तो किसी वस्तु की कीमत के बढ़ने पर पूर्ति में वृद्धि हो जाती है तो इसको पूर्ति का विस्तार कहते हैं।

प्रश्न 9.
पूर्ति के संकुचन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
यदि अन्य बातें समान रहें तो किसी वस्तु की कीमत में कमी आने से पूर्ति घटती है तो इसको पूर्ति का संकुचन कहते हैं।

प्रश्न 10.
पूर्ति में वृद्धि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उसी कीमत पर अधिक मात्रा की पूर्ति या कम कीमत पर पहले जितनी मात्रा की पूर्ति को पूर्ति में वृद्धि कहा जाता है।

प्रश्न 11.
पूर्ति में कमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उसी कीमत पर कम मात्रा की पूर्ति या कीमत के बढ़ने पर पहले जितनी मात्रा की पूर्ति को पूर्ति की कमी कहा जाता है।

प्रश्न 12.
कीमत पूर्ति की लोच से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के कारण पूर्ति में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को कीमत पूर्ति की लोच कहते हैं।

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प्रश्न 13.
पूर्ण लोचदार पूर्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कीमत में थोड़े से परिवर्तन के कारण पूर्ति में अंततः परिवर्तन हो जाए तो इसको पूर्ण लोचदार पूर्ति कहते हैं।

प्रश्न 14.
पूर्ण बेलोचदार पूर्ति कब होती है ?
उत्तर-
जब कीमत में परिवर्तन होने से पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो पूर्ति पूर्ण बेलोचदार होती है।

प्रश्न 15.
इकाई से अधिक लोचदार पूर्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कीमत में परिवर्तन की दर से पूर्ति में अधिक दर से परिवर्तन होता है तो इसको इकाई से अधिक लोचदार पूर्ति कहते हैं।

प्रश्न 16.
इकाई से कम लोचदार पूर्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस दर से कीमत में परिवर्तन होता है यदि उससे कम दर पर पूर्ति में परिवर्तन हो तो इसको कम लोचदार पूर्ति कहते हैं।

प्रश्न 17.
कीमत पूर्ति की लोच के माप की आनुपातिक विधि का सूत्र लिखें।
उत्तर-
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प्रश्न 18.
कीमत पूर्ति की लोच के माप की ज्यामितीय विधि (Geometric Method) का सूत्र लिखें।
उत्तर-
Es = \(\frac{\Delta \mathrm{Q}}{\Delta \mathrm{S}} \times \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}} \)

प्रश्न 19.
यदि कीमत 10 रुपए प्रति इकाई है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता परन्तु पूर्ति 20 वस्तुओं से बढ़ कर 30 वस्तुएँ हो जाती हैं तो यह पूर्ति के किस प्रकार के परिवर्तन को बताता है ?
उत्तर-
पूर्ति में वृद्धि।

प्रश्न 20.
यदि वस्तु की कीमत 10 रु० प्रति वस्तु से बढ़ कर 20 रु० प्रति वस्तु हो जाती है और पर्ति 100 वस्तुओं से बढ़ कर 200 वस्तुएँ हो जाती हैं तो इस परिवर्तन को पूर्ति का विस्तार/पूर्ति की वृद्धि।
उत्तर-
पूर्ति का विस्तार।

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प्रश्न 21.
एक विक्रेता के पास निश्चित समय वस्तु की जो मात्रा बाजार में उपलब्ध होती है उसको कहा जाता है …………… ।
(a) स्टॉक
(b) माँग की मात्रा
(c) प्रवाह
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) स्टॉक।

प्रश्न 22.
अन्य बातें समान रहने पर कीमत की वृद्धि से पूर्ति में जो वृद्धि होती है इसको पूर्ति का …….. कहा जाता है।
(a) वृद्धि
(b) विस्तार
(c) संकुचन
(d) इन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) विस्तार।

प्रश्न 23.
अन्य बातें समान रहने पर कीमत की कमी से पूर्ति में जो कमी होती है इसको पूर्ति का ……….. कहते हैं।
(a) वृद्धि
(b) विस्तार
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) संकुचन।

प्रश्न 24.
कीमत समान रहती है और पूर्ति में वृद्धि होती है तो इस को पूर्ति का ………. कहते हैं।
(a) वृद्धि
(b) विस्तार
(c) संकुचन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(a) वृद्धि।

प्रश्न 25.
कीमत बढ़ने से वस्तु की पहले जितनी पूर्ति को कहा जाता है।
(a) पूर्ति की वृद्धि
(b) पूर्ति का विस्तार
(c) पूर्ति का संकुचन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) पूर्ति की वृद्धि।

प्रश्न 26.
समान कीमत पर कम मात्रा में पूर्ति अथवा कम कीमत पर पहले जितनी पूर्ति को ………… कहा जाता है।
(a) पूर्ति की वृद्धि
(b) पूर्ति का विस्तार ।
(c) पूर्ति में कमी
(d) पूर्ति का संकुचन।
उत्तर-
(c) पूर्ति में कमी।

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प्रश्न 27.
कीमत में वृद्धि के कारण, पूर्ति में हुई वृद्धि को ………. कहते हैं।
(a) पूर्ति में वृद्धि
(b) पूर्ति में कमी
(c) पूर्ति में विस्तार
(a) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) पूर्ति का विस्तार।

प्रश्न 28.
निम्नलिखित में से पूर्ति का निर्धारित कौन सा है ?
(a) माँग
(b) माँग की लोच
(c) कीमत
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) कीमत।

प्रश्न 29.
किस स्थिति में कीमत स्थिर रहेगी जब माँग तथा पूर्ति दोनों बढ़ती अथवा घटती हैं ?
उत्तर-
जब माँग तथा पूर्ति दोनों एक ही अनुपात में बढ़ती अथवा कम होती हैं तो कीमत स्थिर रही है।

प्रश्न 30.
कीमत में कमी कारण पूर्ति में कमी को पूर्ति का ……… कहते हैं।
उत्तर-
कीमत में कमी कारण पूर्ति में कमी को पूर्ति का संकुचन कहते हैं।

प्रश्न 31.
पूर्ति की कीमत लोच, कीमत और पर्ति के किस प्रकार का सम्बन्ध दर्शाती है।
उत्तर-
पूर्ति की कीमत लोच कीमत में होने वाले परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पूर्ति में होने वाले परिवर्तन के सम्बन्ध को दर्शाती हैं।

प्रश्न 32.
बाकी बातें सामान्य रहें कीमत में वृद्धि से पूर्ति में वृद्धि होती तो इस को पूर्ति का विस्तार कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 33.
Σs = …………. हैं।
उत्तर-
Σs = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)

प्रश्न 34.
कीमत सामान्य रहे और पूर्ति में वृद्धि हो जाए तो इसको पूर्ति में वृद्धि कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 35.
कीमत में परिवर्तन होने से पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो इस को पूर्ण बेलोचदार पूर्ति कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 36.
जब पूर्ति में कमी, आय, फैशन आदि कारणों से होती है तो इसको ………. कहते हैं।
(a) पूर्ति में संकुचन
(b) पूर्ति में कमी
(c) पूर्ति में विस्थापन
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) पूर्ति में कमी।

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प्रश्न 37.
जब आय, फैशन आदि करके पूर्ति में वृद्धि होती है तो ……… कहते हैं।
(a) पूर्ति में संकुचन
(b) पूर्ति में कमी
(c) पूर्ति में विस्थापन
(d) पूर्ति में विस्तार।
उत्तर-
(d) पूर्ति में विस्तार।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पूर्ति से क्या अभिप्राय है ? पूर्ति अनुसूची तथा वक्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से होता है, जो निश्चित समय निश्चित कीमत पर विक्रेता बेचने के लिए तैयार होता है।
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सूची तथा रेखाचित्र 1 में ₹ 10 कीमत पर पूर्ति 100 वस्तुओं की पूर्ति है तथा ₹ 20 पर 200 वस्तुओं की पूर्ति है। SS पूर्ति वक्र है।

प्रश्न 2.
पूर्ति के नियम से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
एक काल्पनिक पूर्ति वक्र द्वारा पूर्ति के नियम को स्पष्ट करो।
उत्तर-
पूर्ति का नियम यह बताता है कि जब शेष बातें समान रहती हैं, कीमत में वृद्धि से पूर्ति बढ़ जाती है तथा कीमत के घटने से पूर्ति कम हो जाती है, इसको पूर्ति का नियम कहते हैं। (इसको सूची पत्र तथा रेखाचित्र 1 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।)

प्रश्न 3.
पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन (Change in Quantity Supplied) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
पूर्ति के विस्तार तथा संकुचन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब कीमत में परिवर्तन से पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है तो इसको पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन कहते हैं, जैसे कि कीमत के बढ़ने से पूर्ति बढ़ जाती है तो इसको पूर्ति का विस्तार (Extension in Supply) कहते हैं, परन्तु जब कीमत के घटने से पूर्ति कम हो जाती है तो इसको पूर्ति का संकुचन (Contraction in Supply) कहा जाता है, जैसे कि रेखाचित्र 1 में दिखाया गया है।

प्रश्न 4.
पूर्ति में परिवर्तन (Change in Supply) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
पूर्ति में वृद्धि तथा कमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब कीमत के बिना अन्य कारणों करके पूर्ति में परिवर्तन होता है तो इसको पूर्ति में परिवर्तन कहते हैं, जब कीमत समान रहती है तथा पूर्ति बढ़ जाती है तो इसको पूर्ति की वृद्धि कहा जाता है, जैसे SS से S1S1 हो जाता है अथवा उसी कीमत पर कम पूर्ति SS से S2S2 हो जाती है तो इसको पूर्ति की कमी कहते हैं।
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प्रश्न 5.
पूर्ति वक्र पर परिवर्तन तथा पूर्ति वक्र में परिवर्तन का अन्तर बताओ।
उत्तर-
जब कीमत के बढ़ने तथा घटने से पूर्ति में वृद्धि अथवा कमी होती है तो इसको पूर्ति वक्र पर परिवर्तन कहा जाता है, जब कीमत के बिना अन्य तत्त्वों के कारण पूर्ति वक्र दाईं ओर अथवा बाईं ओर खिसक जाती है तो इसको पूर्ति वक्र में परिवर्तन कहते हैं।

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प्रश्न 6.
पूर्ति तथा भण्डार में अन्तर बताओ।
उत्तर-
निश्चित समय निश्चित कीमत पर वस्तु की वह मात्रा जो बेचने के लिए पेश की जाती है, उसको पूर्ति कहते स्टॉक में से जितनी वस्तुएं बेची जाती हैं, उसको पूर्ति कहते हैं।

प्रश्न 7.
पूर्ति की लोच से क्या अभिप्राय है ? इसका माप कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के कारण पूर्ति में हुए प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को पूर्ति की लोच कहा जाता
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प्रश्न 8.
यदि दो पूर्ति रेखाएं एक-दूसरे को काटती हैं तो।कौन-सी रेखा पर पूर्ति अधिक लोचशील होगी ? | Y|
उत्तर-
यदि दो पूर्ति रेखाएं एक-दूसरे को काटती हैं तो जो पूर्ति वक्र चपटी होगी, उस वक्र पर पूर्ति अधिक लोचशील होगी। रेखाचित्र 3 में S1S1 खड़वी है तथा S2S2 चपटी है। चपटी वक्र पर पूर्ति अधिक लोचशील है, क्योंकि कीमत OP से OP, होने से S2S2 पर अधिक पूर्ति की जाती है।
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत पूर्ति तथा वस्तु की बाज़ार पूर्ति को स्पष्ट करो।
उत्तर-
मान लो बाज़ार में दो उत्पादक हैं। उनके द्वारा विभिन्न कीमतों पर की पूर्ति के योग को बाजार पूर्ति कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप सूचीपत्र में जब A उत्पादक द्वारा विभिन्न कीमत पर विभिन्न पूर्ति को दिखाया गया
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है तो इसको व्यक्तिगत पूर्ति सूची तथा वक्र (Individual Supply Schedule & Curve) कहा जाता है। जब B उत्पादक की पूर्ति को A उत्पादन की पूर्ति में जोड़ दिया जाता है तो इसको बाज़ार मांग सूची तथा बाज़ार पूर्ति वक्र कहा जाता है।

प्रश्न 2.
पूर्ति में परिवर्तन लाने वाले तत्त्वों को स्पष्ट करो।
अथवा
पूर्ति वक्र दाईं ओर क्यों खिसक (Shifting of Supply Curve) जाती है ?
उत्तर-
जब कीमत समान रहती है, परन्तु पूर्ति बढ़ जाती है तो इसको पूर्ति की वृद्धि कहते हैं तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर को खिसक जाती है। जैसे कि रेखाचित्र में पूर्ति वक्र SS से दाईं ओर खिसककर S1S1 दिखाई गई है। निम्नलिखित तत्त्व पूर्ति में वृद्धि लाते हैं :

  1. साधनों की कीमतें-जब उत्पादन के साधनों की कीमतें घट जाती हैं तो उत्पादन लागत कम हो जाती है। इसलिए उत्पादक अधिक वस्तुओं की पूर्ति करते हैं। यदि साधनों की कीमतें बढ़ जाती हैं तो पूर्ति वक्र बाईं ओर खिसक जाएगी।
  2. तकनीक में परिवर्तन-यदि तकनीक का विकास हो जाता है तो उत्पादन की लागत कम हो जाती है तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाएगी।
  3. संबंधित वस्तुओं की कीमतें-यदि स्थानापन्न वस्तुओं की कीमतें कम हो जाती हैं तो एक वस्तु की पूर्ति बढ़ जाएगी तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाती है।
  4. बाज़ार में फ़र्मों की संख्या-यदि बाज़ार में फ़र्मों की संख्या बढ़ जाती है तो बाज़ार में पूर्ति बढ़ जाएगी तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर पूर्ति खिसक जाती है।

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प्रश्न 3.
पूर्ति में वृद्धि तथा पूर्ति में विस्तार में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
पूर्ति में परिवर्तन तथा पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
1. पूर्ति में विस्तार (Expansion of Supply)-जब कीमत में वृद्धि से पूर्ति में वृद्धि होती है तो इसको पूर्ति की वृद्धि कहा जाता है।
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सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 6 में जब कीमत ₹ 10 से बढ़कर ₹ 20 हो जाती है तो वस्तुओं की पूर्ति 50 वस्तुओं से बढ़कर 100 वस्तुएं हो जाती हैं। EE1 को पूर्ति का विस्तार कहा जाता है। इसको पूर्ति में परिवर्तन भी कहते हैं।

2. पूर्ति की वृद्धि (Increase in Supply)-वस्तु की कीमत समान रहती है परन्तु स्थानापन्न वस्तु की कीमत कम हो जाती है, जैसे कि चाय की कीमत कम हो जाती है तो कॉफी की पूर्ति दाईं ओर खिसक जाएंगी।
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सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 7 में कीमत ₹ 5, 5 समान हैं परन्तु मांग 50 वस्तुओं से बढ़कर 100 वस्तुओं की हो जाती है। इसको मांग की वृद्धि कहा जाता है। इसको पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
पूर्ति का संकुचन तथा पूर्ति में कमी के अन्तर को स्पष्ट करो।
उत्तर-
1. पूर्ति का संकुचन (Contraction in Supply)-वस्तु की कीमत में कमी होने से पूर्ति कम हो जाती है तो इसको पूर्ति का संकुचन कहते हैं, जैसे कि सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 8 में कीमत ₹ 5 से कम होकर ₹ 3 रह जाती है तो पूर्ति 50 वस्तुओं से कम होकर 30 वस्तुएं रह जाती हैं तो इसको पूर्ति का संकुचन कहते हैं। रेखाचित्र 8 में SS पर E से E1 तक पूर्ति का संकुचन है।
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2. पूर्ति की कमी (Decrease in Supply)-जब वस्तु की कीमत समान रहती है, परन्तु किसी अन्य कारण करके पूर्ति पहले से कम हो जाती है तो इसको पूर्ति की कमी कहते हैं। सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 9 में कीमत ₹ 5,5 प्रति 50 वस्तुओं से कम होकर 30 वस्तुएं रह जाती हैं। इसको पूर्ति की कमी कहते हैं। रेखाचित्र में पूर्ति वक्र SS की जगह पर S1S1 बन जाती है।
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प्रश्न 5.
लागत घटाने वाली तकनीकी विकास पूर्ति वक्र पर क्या प्रभाव डालती है ? दो उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
लागत घटाने वाली तकनीकी प्रगति से उत्पादन की सीमान्त लागत कम हो जाती है। जब किसी फ़र्म की लागत में कमी हो जाती है तो पूर्ति में वृद्धि होगी। लागत घटाने वाली तकनीक से पूर्ति में वृद्धि होगी। उदाहरणस्वरूप :

  1. कम्प्यूटर के प्रयोग से दफ्तरों में कम क्लर्कों से काम होने लगा है। इससे लागत घट गई है। इससे पूर्ति वक्र दाईं ओर को खिसक जाती है।
  2. बड़े पैमाने पर कोका कोला फैक्ट्रियों में स्वयं-चालक मशीनों से बोतलें भरी जाती हैं। बोतलों को धोने से लेकर दोबारा कोका कोला भरने का सभी काम मशीनों द्वारा किया जाता है, इससे लागत कम हो गई है तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाती है।

प्रश्न 6.
कीमत पूर्ति की लोच से क्या अभिप्राय है ? पूर्ति की लोच की मात्राएं अथवा किस्मों को स्पष्ट करो।
अथवा
कीमत पूर्ति की लोच के माप के लिए जमैट्रिक विधि की व्याख्या करो।
उत्तर-
वस्तु की पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन जोकि कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से उत्पन्न होती है, इनके अनुपात को कीमत पूर्ति की लोच कहा जाता है।
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कीमत में % परिवर्तन कीमत पूर्ति की लोच की मात्राएं अथवा किस्में :
1. पूर्ण लोचशील पूर्ति-जब कीमत में थोड़ा-सा परिवर्तन होने से पूर्ति में अनन्त परिवर्तन हो जाता है तो इसको पूर्ण लोचशील पूर्ति कहते हैं। पूर्ति वक्र OX के समानान्तर होती है।
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2. पूर्ण अलोचशील पूर्ति-जब कीमत में परिवर्तन होने से पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो इसको पूर्ण अलोचशील पूर्ति कहा जाता है। पूर्ति वक्र OY के समानान्तर होती है।
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3. अधिक लोचशील पूर्ति-जब कीमत में थोड़ा-सा से परिवर्तन होने से पूर्ति में अधिक अनुपात पर परिवर्तन होता है, तो इसको अधिक लोचशील पूर्ति कहा जाता है। रेखाचित्र में (MM1 > PP1) पूर्ति में परिवर्तन अधिक है। कीमत में परिवर्तन से तो इसको अधिक लोचशील पूर्ति कहा जाता है।
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4. समान लोचशील पूर्ति-जब कीमत में परिवर्तन तथा पूर्ति में परिवर्तन का अनुपात समान होता है तो इसको समान लोचशील कहा जाता है। (MM1 = PP1) पूर्ति में वृद्धि, कीमत में वृद्धि के समान है, इसको समान लोचशील पूर्ति कहते हैं।
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5. कम लोचशील पूर्ति-कीमत में वृद्धि बहुत अधिक हो, परन्तु पूर्ति में वृद्धि कम अनुपात पर होती है तो इसको कम लोचशील पूर्ति कहते हैं। जैसे कि (MM1 < PP1) पूर्ति में वृद्धि, कीमत में वृद्धि से कम है, इसको कम लोचशील पूर्ति कहते हैं।
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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पूर्ति से क्या अभिप्राय है ? पूर्ति के नियम की व्याख्या करो। इस नियम की सीमाएं बताओ।
(What is Supply ? Explain the Law of Supply. Explain the limitations/Exceptions of the Law.)
उत्तर-
पूर्ति से अभिप्राय (Meaning of Supply)-पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से होता है, जोकि निश्चित समय विशेष कीमत पर एक विक्रेता बेचने के लिए तैयार होता है। यदि एक दुकानदार के पास 100 बोरियां चीनी की भण्डार में हैं। यदि एक बोरी की कीमत ₹ 2000 है तो दुकानदार 50 बोरियां ही बेचने के लिए तैयार है तो चीनी की पूर्ति 50 बोरी होगी। यदि कीमत बढ़कर 2200 प्रति बोरी हो जाती है तथा इस कीमत पर दुकानदार 80 बोरियां बेचने के लिए तैयार है तो चीनी की 80 बोरियों की पूर्ति होगी। इसलिए प्रो० अनातोल मुराद के अनुसार, “किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से है, जिसको बेचने वाला विशेष समय उचित कीमत पर बाज़ार में बेचने के लिए तैयार है।”
(“Supply refers to the quantity of a commodity offered for sale at a given price in a given market at a given time.”
-Anatol Murad) पूर्ति का नियम (Law of Supply)-पूर्ति के नियम में किसी वस्तु की कीमत तथा पूर्ति के सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है। कीमत तथा पूर्ति का सम्बन्ध सकारात्मक (Positive) होता है, अर्थात् अन्य बातें समान रहें, वस्तु की कीमत में वृद्धि होने से वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है तथा कीमत घटने से वस्तु की पूर्ति कम हो जाती है।

प्रो० डूली के शब्दों में, “पूर्ति का नियम यह स्पष्ट करता है कि अधिक कीमत हो तो वस्तु की पूर्ति अधिक होती है अथवा कम कीमत हो तो वस्तु की पूर्ति कम होती है।” (“The Law of supply states that higher the price, the greater the quantity supplied or the lower the price the smaller the quantity supplied.” -Dooley) उदाहरणस्वरूप एक दुकानदार रूमाल बेचता है, यदि एक रूमाल की कीमत ₹ 10 निश्चित होती है तो वह दुकानदार 100 रूमाल बेचने को तैयार है। जैसे-जैसे रूमाल की कीमत बढ़ती जाती है, पूर्ति में वृद्धि होगी तथा कीमत घटने से पूर्ति घटती जाती है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं तो पूर्ति के नियम में यह अनिवार्य नहीं होता कि जिस अनुपात पर कीमत बढ़ जाती है, उसी अनुपात पर ही पूर्ति में वृद्धि होगी, बल्कि पूर्ति में वृद्धि कम अनुपात पर हो सकती है अथवा अधिक अनुपात पर भी हो सकती है। इसको एक सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
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सूचीपत्र में स्पष्ट होता है कि जैसे-जैसे वस्तु की कीमत बढ़ रही है, उसकी पूर्ति की मात्रा में वृद्धि होती है। जब रूमाल की कीमत ₹ 10 है तो उत्पादक 100 रूमाल बेचने को तैयार हैं, जब कीमत ₹ 15 हो जाती है तो पूर्ति 200 रूमाल है, ₹ 20 पर 300 रूमालों की पूर्ति तथा ₹ 25 पर 400 रूमालों की पूर्ति की जाती है। पूर्ति सूची को हम पूर्ति वक्र की सहायता से भी स्पष्ट कर सकते हैं। जैसे कि ₹ 10 पर रूमाल 100 बेचे जाते हैं तथा ₹ 25 कीमत पर 400 रूमालों की पूर्ति है तो SS पूर्ति वक्र है। जैसा रेखाचित्र 15 द्वारा स्पष्ट किया गया है।

मान्यताएं (Assumptions) –

  • बेचने वाले तथा खरीददारों की आय में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  • उत्पादन लागत में परिवर्तन नहीं होता।
  • यह नियम साधारण समय में लागू होता है।
  • स्थानापन्न वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहती हैं।
  • भविष्य में कीमतों के परिवर्तन होने की सम्भावना नहीं।

नियम की सीमाएं अथवा अपवाद –

  1. असाधारण स्थितियों तथा असाधारण वस्तुओं पर नियम लागू नहीं होता।
  2. नाशवान वस्तुओं तथा कृषि की उपज पर नियम लागू नहीं होता।
  3. कारोबार बन्द करना हो अथवा पुराना स्टॉक बेचना हो तो नियम लागू नहीं होता।

प्रश्न 2.
पूर्ति वक्र पर परिवर्तन तथा पूर्ति वक्र में परिवर्तन के अन्तर को स्पष्ट करो। (Explain the difference between movement on supply curve and shift in supply curve.)
अथवा
पूर्ति में विस्तार तथा संकुचन, वृद्धि तथा कमी में अन्तर स्पष्ट करो। (Distinguish between Extension and Contraction, increase and decrease in supply.)
उत्तर-
पूर्ति वक्र पर परिवर्तन (Movement on Supply Curve)
अथवा
पर्ति में विस्तार तथा संकुचन (Extension & Contraction in Supply)-
(i) पूर्ति में विस्तार (Extension in Supply)-पूर्ति में विस्तार उसी समय कहा जाता है, जब कीमत में वृद्धि होने से पूर्ति बढ़ जाती है :
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सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 16 में स्पष्ट किया है कि उत्पादक कुल्फी की बिक्री करता है। कुल्फी की कीमत एक रुपया प्रति कुल्फी है तो एक कुल्फी बेचने के लिए तैयार है। जब कुल्फी की कीमत बढ़कर ₹ 5 प्रति कुल्फी हो जाती है तो पांच कुल्फियों की बिक्री की जाती है। इसी तरह उत्पादन का सन्तुलन बिन्दु A से बिन्दु B तक बदल जाता है तथा । उत्पादक SS पूर्ति वक्र पर ही रहता है। इसको पूर्ति का विस्तार कहा जाता है।

(ii) पूर्ति का संकुचन (Contraction in Supply)-जब कुल्फी की कीमत कम हो जाती है तो उत्पादक कम कुल्फियां बेचने को तैयार होता है तो इसको पूर्ति का संकुचन कहा जाता है।
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सूचीपत्र अनुसार जब कुल्फी की कीमत ₹ 5 से कम होकर एक रुपया रह जाती है तो कुल्फी की पूर्ति पांच से कम होकर एक रह जाती है, जैसे कि रेखाचित्र 17 में सन्तुलन बिन्दु A से बदलकर B पर O स्थापित हो जाता है। इसको पूर्ति का संकुचन कहा जाता है।

पूर्ति की वृद्धि तथा कमी (Increase and decrease in Supply)-
अथवा
पूर्ति वक्र में परिवर्तन (Shift in the Supply Curve)- जब कीमत की पूर्ति कीमत के बिना दूसरे कारणों करके परिवर्तन होती है तो इसको पूर्ति में वृद्धि अथवा कमी कहा जाता है। अर्थात् फैशन, आदत, रीति-रिवाज, उत्पादन की लागतों, उत्पादन करने के ढंग इत्यादि करने के कारण पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है।
(i) पूर्ति में वृद्धि (Increase in Supply)-पूर्ति की वृद्धि की व्याख्या दो भागों में की जा सकती है।
I. पहले जितनी कीमत पर अधिक पूर्ति (Same Price More Supply)
II. कम कीमत पर पहले जितनी पूर्ति (Less Price Same Supply)
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सूची पत्र तथा रेखाचित्र 18 अनुसार

  • कीमत समान ₹ 5,5 है परन्तु पूर्ति 2 से 4 हो जाती है।
  • कीमत पांच रुपए से तीन रुपये हो जाती है परन्तु पूर्ति 2, 2 समान हो तो इसको पूर्ति की वृद्धि कहा जाता है तथा पूर्ति वक्र SS से बदलकर S1S1 बन जाती है।

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(ii) पूर्ति की कमी (Decrease in Supply)-पूर्ति के घटने से अभिप्राय कीमत के बिना जिस समय दूसरे कारणों करके पूर्ति कम हो जाती है, जैसे कि कच्चे माल की कीमत घटने के कारण अथवा कच्चे माल की पैदावार के घटने के कारण पूर्ति घट जाती है तो इसको पूर्ति की कमी कहा जाता है। इसकी व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है :
1. पहले वाली कीमत पर कम पूर्ति (Same Price Less Supply)
2. अधिक कीमत पर पहले जितनी पूर्ति (More Price Same Supply)
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सूची पत्र तथा रेखाचित्र 19 अनुसार-

  • कीमत समान ₹ 5,5 है, परन्तु पूर्ति 2 से कम होकर एक वस्तु ही रह जाती है।
  • कीमत ₹ 5 से बढ़कर ₹ 7 हो जाती है तो पूर्ति 2,2 वस्तुएं समान रहती हैं, जैसे कि A से B तथा A से C तक दिखाया है। पूर्ति रेखा SS से बदलकर S1S1 हो जाती है तो इसको पूर्ति की कमी कहा जाता है।
    PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 26

प्रश्न 3.
कीमत पूर्ति की लोच के माप की विधियां बताओ।
(Explain the methods of measurement of Price Elasticity of Supply.)
अथवा
पूर्ति की मात्राएं अथवा किस्मों को स्पष्ट करो। (Explain the kinds or degrees of Elasticity of Demand.)
उत्तर-
प्रो० बिलास के अनुसार, “पूर्ति की लोच से अभिप्राय वस्तु की पूर्ति में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को कीमत में होने वाले परिवर्तन से विभाजित करने से होता है।”
(“’Elasticity of supply is defined as the percentage change in quantity supplied divided by percentage change in price.” -Bilas)

कीमत पूर्ति की लोच के माप की विधियां (Methods of Measurement of Price Elasticity of Supply)-
1. आनुपातिक अथवा प्रतिशत विधि (Proportionate or Percentage Method)-इस विधि अनुसार वस्तु की मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन तथा कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को पूर्ति की लोच कहा जाता है।
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उदाहरणस्वरूप : एक उत्पादन ₹ 10 कीमत पर 100 वस्तुओं की पूर्ति करता है, यदि कीमत ₹ 20 हो जाती है तो 200 वस्तुओं की पूर्ति की जाती है। पूर्ति की लोच ज्ञात करो।
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{100}{10} \times \frac{10}{100}\)= 1
∴ Es = 1
2. जमैट्रिक विधि (Geometric Method)-
अथवा
पूर्ति की लोच की मात्राएं (Degrees of Elasticity of Supply) जमैट्रिक विधि अनुसार पूर्ति की लोच की पांच मात्राएं होती हैं
1. अधिक लोचशील पूर्ति (More Elastic Supply)यदि कीमत में थोड़ा-सा परिवर्तन होता है, परन्तु पूर्ति में परिवर्तन बहुत अधिक हो जाए तो इसको अधिक लोचशील पूर्ति कहा जाएगा। जैसे कि कीमत 10% बढ़ जाती है तथा पूर्ति में वृद्धि 50% हो जाती है, इसको अधिक लोचशील पूर्ति कहते हैं।
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इसको पढ़ा जाएगा MM1 पूर्ति में परिवर्तन PP1 कीमत में परिवर्तन से अधिक है तो पूर्ति अधिक लोचशील है। रेखाचित्र 20 में अधिक लोचशील पूर्ति को दिखाया गया है। इस स्थिति में पूर्ति रेखा OY रेखा को टकराती है।
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2. समान लोचशील पूर्ति (Equal Elastic Supply)-पूर्ति की लोच को समान लोचशील कहां जाता है, जब कीमत में परिवर्तन की अनुपात तथा पूर्ति में परिवर्तन की अनुपात समान होती है। रेखाचित्र 21 अनुसार पूर्ति की लोच इस प्रकार है :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 30
पूर्ति की लोच इकाई के समान है तथा पूर्ति रेखा मुख्य बिन्दु 0 को मिलती है।
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3. कम लोचशील पूर्ति (Less Elastic Supply)-पूर्ति की लोच कम लोचशील होती है, जब पूर्ति में परिवर्तन कम होता है, परन्तु कीमत में परिवर्तन अधिक अनुपात पर होता है।
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पूर्ति की लोच कम है, इस स्थिति में पूर्ति रेखा Ox से टकराती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 33

4. पूर्ण लोचशील पूर्ति (Perfectly Elastic Supply)पूर्ति को पूर्ण लोचशील कहा जाता है, जब वस्तु की कीमत OS समान रहती है, परन्तु इस पर वस्तु की पूर्ति शून्य अथवा OM अथवा OM1 हो जाती है। इसको पूर्ति वक्र की लोच का अनन्त (∝) होना कहा जाता है। यदि कीमत थोड़ी-सी कम हो जाए तो पूर्ति शून्य हो जाएगी।
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5. पूर्ण अलोचशील पूर्ति (Perfectly Inelastic Supply)- इसको पूर्ति की लोच का शून्य होना कहा जाता है। जब कीमत में परिवर्तन होने से पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो इस स्थिति को पूर्ण अलोचशील पूर्ति कहा जाता है। कीमत OP से OP1 बढ़ जाती है, परन्तु पूर्ति OM में कोई परिवर्तन नहीं होता। इस प्रकार पूर्ति की लोच की 5 मात्राएं होती हैं।
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PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच

प्रश्न 4.
निम्नलिखित व्यक्तिगत तथा बाज़ार अनुसूची को देखो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 36
(a) ऊपर दिए सूचीपत्र को पूरा करो, जिसमें फ़र्मों तथा बाज़ार द्वारा आलुओं की मात्रा की पूर्ति की जाती है।
(b) एक रेखाचित्र में प्रत्येक फ़र्म की पूर्ति वक्र तथा बाज़ार पूर्ति वक्र का निर्माण करो। व्यक्तिगत पूर्ति वक्र तथा बाज़ार पूर्ति वक्र में आप क्या सम्बन्ध देखते हो ? स्पष्ट करो।
(c) फ़र्म A की पूर्ति की लोच का माप करो, जब कीमत ₹ 2 से ₹ 3 हो जाती है।
उत्तर-
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फ़र्म A द्वारा पूर्ति पंक्ति I = 100 – (20 + 45) = 35
बाज़ार पूर्ति पंक्ति II = 37 + 30 + 50 = 117
फ़र्म B द्वारा पूर्ति पंक्ति III = 135 – (40 + 55) = 40 फ
फ़र्म C द्वारा पूर्ति पंक्ति IV = 154 – (44 + 50) = 60
बाज़ार पूर्ति पंक्ति V = 48 + 60 + 65 = 173

(b) रेखाचित्र द्वारा प्रत्येक फ़र्म तथा बाज़ार का पूर्ति वक्र-
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रेखाचित्र 25 में –

  • S1SA फ़र्म A की पूर्ति वक्र है।
  • S2SB फ़र्म B की पूर्ति वक्र है।
  • S3SC फ़र्म C की पूर्ति वक्र है।
  • S4SM बाज़ार की पूर्ति वक्र है।

(c) फ़र्म A की पूर्ति की लोच जब कीमत 2 रुपये से बढ़कर 3 रुपए हो जाती है तो पूर्ति 37 kg आलुओं से बढ़कर 40 kg आलू हो जाती है। _इसमें P = 2, S = 37, AP = 1, ΔS = 3
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प्रश्न 5.
वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करें। (Explain the factors Affecting Supply of a Commodity.)
उत्तर-
वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों को पूर्ति फलन (Supply Function) भी कहा जाता है। पूर्ति फलन को निम्नलिखित समीकरण के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-
S = f (Px, PQ, PF, NF G, Gp, T. Ec Ep)
(यहाँ S = पूर्ति, f (फलन), Px = वस्तु की कीमत, P0 = अन्य वस्तुओं की कीमतें, PF = उत्पादन के साधनों की कीमतें, NF = फ़र्मों की संख्या G = फ़र्मों का उद्देश्य, GP = सरकारी नीति, T = तकनीक, EC = सम्भावित प्रतियोगिता, EP = भविष्य में कीमत सम्भावना।)

1. वस्तु की कीमत (Price of Commodity)-किसी वस्तु की कीमत तथा पूर्ति में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है। कीमत बढ़ने से पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत कम होने से पूर्ति कम हो जाती है।

2. अन्य वस्तुओं की कीमत (Price of Other Commodities)-अन्य वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होने से इस वस्तु की कीमत में भी वृद्धि हो जाएगी। इस से फ़र्म को लाभ होने लगता है और वस्तु की पूर्ति में वृद्धि हो जाती

3. उत्पादन के साधनों की कीमत (Price of Factors of Productions) – उत्पादन के साधनों की कीमत भी पूर्ति को प्रभावित करती है। यदि उत्पादन के साधनों की कीमत में वृद्धि होती है तो इससे उत्पादन लागत बढ़ जाएगी और पूर्ति में कमी हो जाती है।

4. फ़र्मों की संख्या (Numbers of Firms)-वस्तु की पूर्ति फ़र्मों की संख्या पर भी निर्भर करती है। फ़र्मों की संख्या अधिक होने पर वस्तु की पूर्ति अधिक हो जाती है और फ़र्मों की संख्या कम होने से पूर्ति कम हो जाती है।

5. फ़र्म का उद्देश्य (Goal of the Firm)–यदि फ़र्म का उद्देश्य लाभ को अधिकतम करना है तो कीमत में वृद्धि होने पर पूर्ति अधिक की जाएगी। इसके विपरीत यदि फ़र्म का उद्देश्य उत्पादन तथा रोज़गार में वृद्धि करना है तो परचलित कीमत पर पूर्ति अधिक की जाएगी।

6. सरकारी नीति (Government Policy)-सरकार की नीति भी पूर्ति पर प्रभाव डालती है। यदि सरकार करों में वृद्धि करती है तो पूर्ति में कमी हो जाएगी। यदि सरकार आर्थिक सहायता देती है तो पूर्ति में वृद्धि हो जाती है।

7. तकनीक में सुधार (Improvement in Technology)-तकनीक सुधार का पूर्ति पर प्रभाव पड़ता है। यदि उत्पादन तकनीक में सुधार होता है तो लाभ में वृद्धि हो जाती है और इससे पूर्ति में वृद्धि होती है।

8. फ़र्मों में मुकाबला (Competition among Firms)-यदि बाद में मुकाबला अधिक है तो पूर्ति में वृद्धि हो जाती है मुकाबला कम होने की हालत में पूर्ति में कमी हो जाती है।

9. भविष्य में कीमत सम्भावना (Expected Price in Future)-भविष्य में कीमत सम्भावना भी पूर्ति को प्रभावित करती है। यदि भविष्य में कीमत बढ़ने की सम्भावना है तो वर्तमान में पूर्ति कम हो जाएगी।

प्रश्न 6.
कीमत पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करें। (Explain the factors affecting Price elasticity of Supply.)
उत्तर-
कीमत पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले तत्त्व इस प्रकार हैं-

  1. वस्तु की प्रकृति-नाशवान वस्तुओं की पूर्ति बेलोचदार होती है क्योंकि कीमत में वृद्धि होने पर उनकी पर्ति में वृद्धि नहीं की जा सकती। इस के विपरीत टिकाऊ वस्तुओं की पूर्ति लोचदार होती है। कीमत में परिवर्तन होने पर टिकाऊ वस्तुओं की पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है।
  2. उत्पादन लागत-यदि उत्पादन पर घटती लागत का नियम लागू होता है तो पूर्ति लोचदार होगी और यदि उत्पादन पर बढ़ती लागत का नियम लागू होता है तो पूर्ति बेलोचदार होगी।
  3. उत्पादन तकनीक-यदि तकनीक पूँजी प्रधान हो तो पूर्ति बेलोचदार होगी क्योंकि पूर्ति को सरलता से बढ़ाया नहीं जा सकता। यदि उत्पादन तकनीक सरल है तो पूर्ति अधिक लचकदार होगी।
  4. समय-अति अल्पकाल में समय बहुत कम होता है और पूर्ति में परिवर्तन नहीं किया जा सकता इसलिए पूर्ति पूर्ण बेलोचदार होगी। जितना समय लम्बा होगा पूर्ति अधिक लोचदार होगी।
  5. जोखिम-उत्पादक यदि जोखिम उठाने के लिए तैयार है तो पूर्ति लोचदार होगी। यदि वह जोखिम नहीं उठाना चाहते तो पूर्ति बेलोचदार होगी।

V. संरव्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
एक वस्तु की कीमत ₹ 10 प्रति इकाई है तथा 500 इकाइयों की पूर्ति की जाती है। यदि कीमत 10 प्रतिशत कम हो जाती है तथा पूर्ति 400 इकाइयों की हो जाती है तो पूर्ति की लोच बताओ।
उत्तर-
कीमत (P) = ₹ 10
पूर्ति (S) = 500
कीमत में कमी = 10%

नई कीमत (P1) = 10 – (10 x \(\frac{10}{100}\) ) 1 = ₹ 9 पूर्ति (S1) = 400
कीमत में परिवर्तन ΔP (P1 – P) = 9 – 10 = – 1
पूर्ति में परिवर्तन ΔS (S1 – S) = 400 – 500 = – 100
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta \mathrm{P}} \times\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{S}}=\frac{-100}{-1} \times \frac{10}{500}=2 \)
Es = 2 उत्तर

प्रश्न 2.
यदि वस्तु की कीमत ₹ 5 है तथा बेचने वाला 600 इकाइयां वस्तु बेचने को तैयार है। जब कीमत बढ़कर ₹ 6 हो जाती है तो वह 720 इकाइयां वस्तु बेचता है। कीमत पूर्ति की लोच का माप करो।
उत्तर-
कीमत (P) = 5 पूर्ति (S) = 600
नई कीमत (P1) = 6
नई पूर्ति (S1) = 720
कीमत में परिवर्तन (P1 – P) (6 – 5) = 1
पूर्ति में परिवर्तन (S1– S) (720 – 600) = 120
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{120}{1} \times \frac{5}{600}=1 \)
Es = 1
कीमत पूर्ति की लोच इकाई के समान है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच

प्रश्न 3.
जब सेबों की कीमत ₹4 प्रति किलोग्राम है तो बेचने वाला प्रतिदिन 80 क्विटल सेबों की बिक्री करता है। यदि कीमत पूर्ति की लोच 2 है तथा सेबों की कीमत ₹ 5 प्रति किलोग्राम की जाती है तो विक्रेता कितने सेबों की बिक्री करेगा ?
उत्तर-
दिया है : कीमत (P) = 4, पूर्ति (S) = 80
नई कीमत (P1) = 5 नई पूर्ति (S1) = ?
कीमत में परिवर्तन (P1 – P) (5 – 4) = 1
पूर्ति में परिवर्तन (S1 – S) (S1 – 80)
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\) = 2 = \(\frac{\left(S_{1}-80\right)}{1} \times \frac{4}{80}\)
= 40 = S1 – 80
40 + 80 = S1
अथवा
S1 = 120 क्विटल सेब उत्तर।

प्रश्न 4.
वस्तु की पूर्ति की लोच 5 है। वस्तु की कीमत ₹ 5 पर फ़र्म 500 इकाइयों की पूर्ति करती है।
यदि कीमत बढ़कर ₹ 6 हो जाए तो फ़र्म कितनी वस्तुओं की बिक्री करेगी ?
उत्तर-
कीमत (P) = 5, पूर्ति (S) = 500 नई कीमत
(P1) = 6, नई पूर्ति (S1) = ?
पूर्ति की लोच = S, ΔP = 6 – 5 = 1, ΔS = S1-500
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
5 = \(\frac{S_{1}-500}{1} \times \frac{5}{500}\)
⇒ 500 = S1 – 500
⇒ 500 + 500 = S1
अथवा
S1 = 1000 इकाइयां उत्तर।

प्रश्न 5.
एक वस्तु की कीमत ₹ 5 प्रति इकाई पर 100 इकाइयां वस्तु की पूर्ति की जाती है। जब कीमत ₹ 6 प्रति इकाई हो जाती है तो पूर्ति में 10% वृद्धि हो जाती है। पूर्ति की लोच का पता करो।
उत्तर –
कीमत (P) = 5,
पूर्ति (S) = 100 नई
कीमत (P1) = 6, नई पूर्ति (S1) = 10% वृद्धि
= \(\frac{10}{100} \times 100\) = 10+100 = 110
ΔP1 = 6 – 5 = 1
ΔS = 110-100 = 10
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{10}{1} \times \frac{5}{100}=\frac{1}{2} \) = 0.5
∴ पूर्ति की लोच (Es) < 1 उत्तर

प्रश्न 6.
एक वस्तु की कीमत 20% बढ़ जाती है तो वस्तु की पूर्ति 50 से 60 इकाइयां हो जाती है। पूर्ति की लोच ज्ञात करो।
उत्तर-
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = 20%
पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन = \(\frac{60-50}{50} \times 100\) = 20%
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 40
पूर्ति की लोच (Es) = 1 उत्तर

प्रश्न 7.
एक वस्तु का पूर्ति लोच गुणांक 3 है। एक विक्रेता ₹ 8 प्रति इकाई की कीमत पर वस्तु की 20 इकाइयों की पूर्ति करता है। यदि वस्तु की कीमत ₹ 2 प्रति इकाई बढ़ जाती है तो इस स्थिति में विक्रेता वस्तु की कितनी इकाइयों की पूर्ति करेगा।
उत्तर-
दिया है . P = ₹ 8
Es = 3
S = 20
S = ?
ΔP = ₹ 2
ΔS = S1 – 20
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
⇒ 3 = \(\frac{S_{1}-20}{2} \times \frac{8}{20}=3=\frac{S_{1}-20}{2}\)
= 3 × 5 = S1 – 20
= 15 = S1 – 20
= 15 + 20 = S1 अथवा
S1 = 35 उत्तर।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित सूचना के आधार पर पूर्ति की मात्रा ज्ञात करो।
पूर्ति की लोच (Es) = 4, कीमत (P) = 5
पूर्ति की मात्रा (Q) = 100
प्रति इकाई कीमत में परिवर्तन (P1) = 6
पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन (Q1) = ?
उत्तर-
दिया है- पूर्ति की लोच (Es) = 4, कीमत (P) = ₹ 5
पूर्ति की मात्रा (Q) = 100
प्रति इकाई कीमत में परिवर्तन (P1) = ₹ 6
पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन (Q1) = ?
Es = 4, P = 5, Q = 100, ΔP = 1, ΔQ = Q1 – 100
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\) अथवा \(\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\)
⇒ 4 = \(\frac{Q_{1}-100}{1} \times \frac{5}{100}\)
⇒ 4 = \(\frac{Q_{1}-100}{20}\)
⇒ 80 = Q1 – 100
⇒ 80 + 100 = Q1 अथवा
Q1 = 180 वस्तुएं उत्तर।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच

प्रश्न 9.
एक वस्तु की प्रति इकाई वस्तु की कीमत ₹ 8 है, जिस पर 400 इकाइयों की पूर्ति की जाती है। यदि पूर्ति की लोच 2 है, वह कीमत ज्ञात करो, जिस पर 600 इकाइयों की पूर्ति की जाएगी ?
उत्तर-
दिया है
P = 8,S = 400, Es = 2
P1 = ? S1 = 600
ΔP = P1 – P (P1 – 8),
ΔS = S1 – S (600 – 400) = 200
∴ ES = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)

⇒ 2 = \(\frac{200}{P_{1}-8} \times \frac{8}{400}\)
⇒ 2 = \(\frac{4}{P_{1}-8}\)
⇒ 2(P1 – 8) = 4
⇒ 2P1 – 16 = 4
⇒ 2P1 = 4+16
⇒ 2P1 = 20
⇒ P1 = \(\frac{20}{2}\) = 10 उत्तर।

प्रश्न 10.
एक वस्तु की कीमत ₹ 5 प्रति इकाई दी है तथा इस पर 600 वस्तुओं की इकाइयों की पूर्ति की जाती है। यदि कीमत बढ़कर ₹ 6 प्रति इकाई हो जाती है तो पूर्ति में वृद्धि 25% हो जाती है। पूर्ति की लोच का माप करो।
उत्तर-
दिया है- P = ₹ 5 P1= ₹ 6
ΔP = ₹1
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन का माप
₹5 कीमत पर परिवर्तन = 1
₹ 1 कीमत पर परिवर्तन = \(\frac{1}{5}\)
₹ 100 कीमत पर परिवर्तन = \(\frac{1}{5}\) × 100 = 20%
S = 600, ΔS = 25%
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 41
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है। उत्तर।

प्रश्न 11.
यदि एक वस्तु की कीमत ₹ 10 इकाई से कम होकर ₹ 9 प्रति इकाई रह जाती है तो वस्तु की पूर्ति में कमी 20% हो जाती है। पूर्ति की लोच का माप करो।
उत्तर-
दिया है P = ₹ 10, P1 = ₹ 9, ΔP = 9- 10 = – 1
₹ 10 कीमत पर परिवर्तन = – 1
₹ 1 कीमत पर परिवर्तन = –\(\frac{1}{10}\)
₹ 100 कीमत पर परिवर्तन = – \(\frac{1}{10}\) x 100 = – 10%
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = – 10%
पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन = – 20%
∴ कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = -10%
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 42
∴ Es = 2 उत्तर।

प्रश्न 12.
वस्तु की कीमत में 10% वृद्धि होने से, वस्तु की पूर्ति 400 इकाइयों से बढ़कर 450 इकाइयां हो जाती हैं। पूर्ति की लोच का माप करो। क्या पूर्ति लोचशील है ?
उत्तर-
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = 10%
S = 400, S1 = 450, ΔS = S1 – S (450 – 400) = 50
पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन का माप
400 इकाइयों पर वृद्धि = 50
1 इकाई पर वृद्धि = \(\frac{50}{400}\)
100 इकाइयों पर वृद्धि = \( \frac{50}{400} \times 100=\frac{25}{2} \%\)
∴ पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन = \(\frac{25}{2} \%\)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 43
⇒ \(\frac{25}{2} \times \frac{1}{10}=\frac{25}{20}\) = 1.25
पूर्ति की लोच = 1.25 Es > 1
∴ पूर्ति लोचशील है। उत्तर।।

प्रश्न 13.
एक वस्तु की कीमत 5% कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वस्तु की मात्रा 400 इकाइयों से कम होकर 370 हो जाती है, पूर्ति की लोच का माप करो। क्या पूर्ति लोचशील है ?
उत्तर-
दिया है- वस्तु की कीमत में कमी = -5%
S = 400, S1 = 370, ΔS = S1 – S (370 – 400) = – 30
400 इकाइयों पर परिवर्तन = – 30
1 इकाई पर परिवर्तन = \(\frac{-30}{400}\)
100 इकाइयों पर परिवर्तन = \(\frac{-30}{400} \times 100=\frac{-30}{4} \%\)
वस्तु की पूर्ति में कमी = \(\frac{-30}{4} \%\)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच 44
Es = 1.5
∴ पूर्ति लोचशील है। उत्तर।

प्रश्न 14.
एक वस्तु की कीमत ₹ 8 प्रति इकाई है तथा पूर्ति की मात्रा 200 इकाइयां हैं। पूर्ति की लोच 1.5 है। यदि कीमत बढ़कर ₹ 10 प्रति इकाई हो जाती है तो नई कीमत पर उस वस्तु की पूर्ति मात्रा ज्ञात करो।
उत्तर-
दिया है :
P = 8, P1 = 10, Es = 1.5
S = 200, S1 = ?
∴ ΔP = P1 – P = 10 – 8 = 2
ΔS = S1 – S = (S1 – 200)
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
⇒ 1.5 = \(\frac{S_{1}-200}{2} \times \frac{8}{200}\)
⇒ 1.5 = \(\frac{S_{1}-200}{50}\)
⇒ 75 = S1 – 200
⇒ 75 + 200 = S1
∴ S1= 275 इकाइयां उत्तर।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच

प्रश्न 15.
एक वस्तु की पूर्ति की लचक 5 है। उत्पादक ₹ 5 प्रति इकाई पर वस्तु की 500 इकाइयों की पूर्ति करता है। कीमत ₹ 6 प्रति इकाई होने पर उत्पादक इस वस्तु की कितनी मात्रा की पूर्ति करेगा।
उत्तर-
दिया है :
P = 5, P1 = 6, ΣS = 5S
S= 500 S1 = ?
ΔP= P1 – P = 6 – 5 = 1
ΔS = S1 – S = S1 – 500
ΣS = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
5 = \(\frac{S_{1}-500}{1} \times \frac{5}{100}\)
5 = \(\frac{S_{1}-500}{1} \times \frac{1}{100}\)
5 x 100 = S1 – 500
500 + 500 = S1
∴ S1 = 1000 उत्तर

प्रश्न 16.
एक वस्तु की कीमत लचक 2.5 है। ₹ 10 प्रति इकाई कीमत होने पर इसकी पूर्ति 200 इकाइयां हैं। ₹ 8 प्रति इकाई कीमत होने पर पूर्ति की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
दिया है :
P = 10, P1 = 8,ΣS = 2.5
S = 200, S1 = ?
∴ ΔP = P1 – P = 8 – 10 = – 2
ΔS = S1 – S = S1 – 200
∴ ΣS = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
2.5 = \(\frac{S_{1}-200}{-2} \times \frac{10}{200}\)
2.5 = \(\frac{S_{1}-200}{-2} \times \frac{1}{20}\)
2.5 = \(\frac{S_{1}-200}{-40}\)
– 100 = S1 – 200
– 100 + 200 = S1
S1 = 100 उत्तर

प्रश्न 17.
जब किसी वस्तु की कीमत ₹ 3 से बढ़कर ₹ 4 प्रति इकाई हो जाती है और इस वस्तु की पूर्ति 200 इकाइयों से बढ़कर 300 इकाइयां हो जाती है तो पूर्ति की लोच ज्ञात करें।
उत्तर-
कीमत (P) = ₹ 3 पूर्ति (S) = 200 इकाइयां
नई कीमत (P1) = ₹4
नई पर्ति (S1) = 300
इकाइयां कीमत में परिवर्तन (ΔP) = (P1 – P) = 4 – 3 = 1
पूर्ति में परिवर्तन (ΔS) = (S1 – S) = 300 – 200 = 100.
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{100}{1} \times \frac{3}{200}=\frac{300}{200}\) = 1.5
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है। उत्तर

प्रश्न 18.
जब किसी वस्तु की कीमत बढ़कर ₹ 4 से ₹ 5 प्रति इकाई हो जाती है इससे पूर्ति 100 इकाइयों से बढ़कर 200 इकाइयां हो जाती है। पूर्ति की लोच ज्ञात करें। उत्तरकीमत (P) = ₹4
पूर्ति (S) = 100 इकाइयां
नई कीमत (P) = ₹5
नई पूर्ति (S1) = 200 इकाइयां
कीमत में परिवर्तन (ΔP) = P1 – P = 5 – 4 = 1
पूर्ति में परिवर्तन (ΔS) = S1 – S = 200 – 100 = 100 इकाइयां
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{100}{1} \times \frac{4}{100}\) = 4
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है। उत्तर

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच

प्रश्न 19.
जब किसी वस्तु की कीमत ₹ 2 से बढ़कर ₹ 3 हो जाती है और पूर्ति 300 इकाइयों से बढ़कर 400 इकाइयां हो जाती है तो पूर्ति की लोच ज्ञात करें।
उत्तर-
कीमत (P) = ₹ 2 पूर्ति (S) = 300 इकाइयां
नई कीमत (P) = ₹ 3. नई पूर्ति (S) = 400 इकाइयां
कीमत में परिवर्तन ΔP = P1 – P = 3 – 2 = 1
पूर्ति में परिवर्तन ΔS = S1 – S = 400 – 300 = 100
Es = \(\frac{\Delta \mathrm{S}}{\Delta \mathrm{P}} \times \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{S}}=\frac{100}{1} \times \frac{2}{300}=\frac{200}{300}=\frac{2}{3}\) = 0.66
पूर्ति की लोच इकाई से कम है। उत्तर

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

→ ਸੈੱਲ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਦੇ DNA ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਵਿਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕੋਈ ਵੀ ਜੈਵ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਪੂਰਨ ਰੂਪ ਨਾਲ ਯਕੀਨੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਇਸ ਲਈ DNA ਦੀ ਕਾਪੀ ਕਰਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਕੁਝ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦੇ ਤੀਬਰ ਹੋਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ DNA ਦੀ ਨਵੀਂ ਕਾਪੀ ਆਪਣੇ ਸੈਂਲ ਸੰਗਠਨ ਦੇ ਨਾਲ ਤਾਲਮੇਲ ਨਾ ਹੋ ਪਾਉਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸੰਤਾਨ ਸੈੱਲ ਦੀ ਮੌਤ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦੀ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਜਣਨ ਵਿਚ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਜੈਵ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹਨ ।

→ ਕਾਲਾਜ਼ਾਰ ਦੇ ਰੋਗਾਣੁ ਲੇਸਮਾਨੀਆਂ ਵਿਚ ਦੋਖੰਡਨ ਇਕ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਤਲ ਤੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਮਲੇਰੀਆ ਪਰਜੀਵੀ, ਪਲਾਜ਼ਮੋਡੀਅਮ ਵਰਗੇ ਇਕ ਸੈੱਲੀ ਜੀਵ ਇਕੋ ਸਮੇਂ ਅਨੇਕ ਸੰਤਾਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨੂੰ ਬਹੁ-ਖੰਡਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਯੀਸਟ ਸੈੱਲ ਵਿਚ ਛੋਟੇ ਬਡ ਜਾਂ ਉਭਾਰ ਸੈੱਲ ਤੋਂ ਵੱਖ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸੁਤੰਤਰ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਹੁ-ਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਜਣਨ ਆਮ ਕਰਕੇ ਇੱਕ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਵਿਧੀ ਨਾਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਹਾਈਡਰਾ, ਪਲੇਨੇਰੀਆ ਆਦਿ ਸਰਲ ਜੀਵ ਟੁਕੜਿਆਂ ਵਿਚ ਕੱਟ ਕੇ ਪੂਰਨ ਜੀਵ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨੂੰ ਪੁਨਰਜਣਨ (Regeneration) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੈੱਲਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪੂਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਟਿਸ਼ੂ ਕਲਚਰ (Tissue culture) ਤਕਨੀਕ ਵਿੱਚ ਪੌਦੇ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂ ਜਾਂ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਪੌਦੇ ਦੇ ਸਿਰੇ ਦੀ ਨੋਕ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰਕੇ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਉਗਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਲਈ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਦੋਵੇਂ ਲਿੰਗਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਦੋ ਜਾਂ ਵੱਧ ਇਕੱਲੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦੇ ਸੰਯੋਜਨ ਨਾਲ ਨਵੇਂ ਸੰਯੋਜਨ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਵਿੱਚ ਦੋ ਜਾਂ ਵੱਧ ਜੀਵ ਭਾਗ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਜਣਨ ਸੈੱਲ ਨੂੰ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਅਤੇ ਜਿਸ ਜਣਨ ਸੈੱਲ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਦਾ ਭੰਡਾਰ ਜਮਾਂ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਮਾਦਾ ਯੁਮਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

→ ਜਦੋਂ ਫੁੱਲ ਵਿਚ ਪੁੰਕੇਸਰ ਜਾਂ ਇਸਤਰੀ-ਕੇਸਰ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਇੱਕ ਜਣਨ ਅੰਗ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਫੁੱਲ ਇਕ ਲਿੰਗੀ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ-ਪਪੀਤਾ, ਤਰਬੂਜ਼ ।

→ ਜਦੋਂ ਫੁੱਲ ਵਿਚ ਪੁੰਕੇਸਰ ਅਤੇ ਇਸਤਰੀ-ਕੇਸਰ ਦੋਵੇਂ ਮੌਜੂਦ ਹੋਣ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਦੋ ਲਿੰਗੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਗੁਲ, ਸਰੋਂ ।

→ ਜਣਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚ ਯੁਗਮਤਾਂ ਦੇ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਤੋਂ ਯੁਗਮਜ ਬਣਦਾ ਹੈ ।

→ ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਹਵਾ, ਪਾਣੀ ਜਾਂ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਯੁਗਮਜ (Zygote) ਵਿਚ ਕਈ ਵਿਭਾਜਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬੀਜ ਅੰਡ ਵਿਚ ਭਰੂਣ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਿਸ਼ੋਰ ਅਵਸਥਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੇ ਹੀ ਲੜਕੇ-ਲੜਕੀਆਂ ਵਿਚ ਕਈ ਸਰੀਰਕ ਬਦਲਾਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਬਦਲਾਵ ਮੰਦ ਗਤੀ ਨਾਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਰੇ ਇੱਕ ਹੀ ਦਰ ਅਤੇ ਸਮਾਨ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।

→ ਕਿਸ਼ੋਰ ਅਵਸਥਾ ਦੀ ਅਵਧੀ ਨੂੰ ਜੋਬਨ ਕਾਲ ਦਾ ਆਰੰਭ ਜਾਂ ਪਿਊਬਰਟੀ (Puberty) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜਣਨ ਸੈੱਲ ਉਤਪਾਦਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਅੰਗ ਅਤੇ ਜਣਨ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਦੇ ਸਥਾਨ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਵਾਲੇ ਅੰਗ ਸੰਯੁਕਤ ਰੂਪ ਨਾਲ ਨਰ ਜਣਨ ਅੰਗ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਪਤਾਲੂ (Tesis) ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਸ਼ਕਰਾਣੂ ਉਤਪਾਦਨ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਨ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਟੈਸਟੋਸਟੀਰੋਨ ਲੜਕਿਆਂ ਵਿਚ ਕਿਸ਼ੋਰ ਅਵਸਥਾ ਦੇ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਨਿਯੰਤਰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਸੈੱਲਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਣ ਅੰਡਕੋਸ਼ (Ovary) ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕੁਝ ਹਾਰਮੋਨ ਵੀ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਅੰਡਾ ਅਤੇ ਯੂਰਮਜ਼ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਜਾਂ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਵਿਚ ਸਥਾਪਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਨਾ ਹੋਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਮਾਹਵਾਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਦੀ ਅਵਧੀ 2 ਤੋਂ 8 ਦਿਨ ਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਗੋਨੇਰੀਆਂ (Gonorrhoea), ਸਿਫਲਿਸ (Siphilis), ਵਾਇਰਸ ਕਾਰਨ ਵਾਰਟ ਅਤੇ ਐੱਚ. ਆਈ. ਵੀ. ਏਡਜ਼, HIV-AIDS ਆਦਿ ਯੌਨ ਸੰਬੰਧੀ ਰੋਗ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

→ ਲਿੰਗੀ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਸਦਾ ਹੀ ਬਣੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਗਰਭ ਰੋਧੀ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨੂੰ ਅਪਨਾਉਣ ਨਾਲ ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਚਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਨਾ ਕਰਨ ਦੇ ਯਾਂਤਰਿਕ, ਹਾਰਮੋਨਲ, ਸਰਜਰੀ ਆਦਿ ਕਈ ਤਰੀਕੇ ਹਨ ।

→ ਭਰੂਣ ਲਿੰਗ ਨਿਰਧਾਰਨ ਇਕ ਕਾਨੂੰਨੀ ਅਪਰਾਧ ਹੈ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਮਾਦਾ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸ਼ਿਸ਼ੂ ਲਿੰਗ ਅਨੁਪਾਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਘੱਟਦਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਚਿੰਤਾ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਜਣਨ (Reproduction)-ਪ੍ਰਜਣਨ ਉਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਇੱਕ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੁਆਰਾ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ (Sexual reproduction)-ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਤਾਂ ਦੇ ਸੰਯੋਜਨ ਨਾਲ ਨਵਾਂ ਜੀਵ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਨੂੰ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ (Asexual reproduction)-ਨਰ ਮਾਦਾ ਦੇ ਯੁਗਮਤਾਂ ਦੇ ਸੰਯੋਜਨ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਹੀ ਵੰਸ਼ ਵਾਧੇ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਵਿਖੰਡਨ (Fission)-ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਕੇ ਜਨਮ ਲੈਣਾ ਵਿਖੰਡਨ ਜਣਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਡਿੰਗ (Budding)-ਜੀਵ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੇ ਉੱਭਰੀ ਸੰਰਚਨਾ ਦੇ ਵੱਖ ਹੋਣ ਤੇ ਬਣਿਆ ਨਵਾਂ ਜੀਵ ਕਲੀ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ (Vegetative propagation)-ਜਦੋਂ ਪੌਦੇ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਅੰਗ ਤੋਂ ਨਵਾਂ ਪੰਦਾ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਣਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਰੋਪਨ (Grafting)-ਦੋ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹਿੱਸਿਆਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਕ ਪੌਦੇ ਵਿਚ ਬਦਲਣਾ ਰੋਪਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਇਕ ਲਿੰਗੀ (Unisexual)-ਜਿਹੜੇ ਪਾਣੀਆਂ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਲਿੰਗੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਦੋ ਲਿੰਗੀ (Bisexual)-ਜਿਹੜੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਇਕ ਹੀ ਜੀਵ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਹੋਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੋ ਲਿੰਗੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਲਮ (Scion)-ਕਿਸੇ ਵਧੀਆ ਕਿਸਮ ਦੇ ਪੌਦੇ ਨੂੰ ਤਣੇ ਤੋਂ ਕੱਟ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਕਲਮ ਲਗਾਉਣਾ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਦਾਬ ਲਗਾਉਣਾ (Layering)-ਕਿਸੇ ਪੌਦੇ ਦੀ ਝੁਕੀ ਹੋਈ ਸ਼ਾਖਾ ਨੂੰ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਦਬਾ ਕੇ ਉਸ ਤੋਂ ਨਵਾਂ ਪੌਦਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਦਾਬ ਲਗਾਉਣਾ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪਰਾਗਣ (Pollination)-ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦੇ ਫੁੱਲ ਦੇ ਸਟਿਗਮਾ (Stigma) ਤੇ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਨੂੰ ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ (Pollination) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਿਸ਼ੇਚਨ (Fertilization)-ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਦੀ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਕ ਦੇ ਨਾਲ ਮਿਲਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਦੋਹਰਾ ਨਿਸ਼ੇਚਨ (Double fertilization)-ਜਦੋਂ ਫੁੱਲ ਵਾਲੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਦੋ ਵਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਦੋਹਰਾ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ DNA ਦੀ ਕਾਪੀ (DNA replication)-ਪੁਰਾਣੀ DNA ਲੜੀ ਤੇ ਨਵੀਂ DNA ਲੜੀ ਦੇ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਨੂੰ DNA ਦੀ ਕਾਪੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

→ ਪੁਨਰਜਣਨ (Regeneration)-ਕੁਝ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਗੁਆ ਚੁੱਕੇ ਸਰੀਰਕ ਅੰਗਾਂ ਤੋਂ ਕਾਇਕ ਵਿਧੀ ਦੁਆਰਾ ਨਵੇਂ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਨਿਰਮਿਤ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ਪੁਨਰਜਣਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਯੁਗਮਕ (Gamete)-ਸ਼ੁਕਰਾਣੁ, ਅੰਡਾਣੂ ਵਰਗੇ ਲਿੰਗੀ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਯੁਗਮਕ (Gametes) ਆਖਦੇ ਹਨ ਜੋ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਯੁਗਮਹ (Zygote)-ਯੁਗਮਕਾਂ ਦੇ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਬਣਨ ਵਾਲੀ ਇਕ ਸੈੱਲੀ ਸੰਰਚਨਾ ਨੂੰ ਯੁਗਮਜ (Zygote) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬੀਜਾਂਡ (Ovule)-ਇਸਤਰੀ-ਕੇਸਰ ਦੇ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਗੋਲਾਕਾਰ ਅੰਡਾਕਾਰ ਸੰਰਚਨਾ ਬੀਜਾਂਡ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਭਰੁਣ ਕੋਸ਼, ਅੰਡਾਣੂ ਅਤੇ ਕਠੋਰ ਆਵਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਅੰਡਾ ਸੈੱਲ (Ovum)-ਮਾਦਾ ਦੇ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਅੰਡ ਜਣਨ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਬਣਨ ਵਾਲੇ ਪਰਿਪੱਕ ਜਣਨ ਸੈੱਲ ਨੂੰ ਅੰਡਾ ਸੈੱਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ (Sperms)-ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਨਰ ਯੁਗਮ ਨੂੰ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੋਬਨ (Puberty)-ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਅਤੇ ਸੈਕੰਡਰੀ ਲਿੰਗੀ ਅੰਗਾਂ ਅਤੇ ਲੱਛਣਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਜੋਬਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਵਿਚ ਲਿੰਗੀ ਪਰਿਪੱਕਤਾ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਮਾਹਵਾਰੀ (Menstruation)-ਮਨੁੱਖੀ ਮਾਦਾਵਾਂ ਵਿਚ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਜਾਂ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਫਟਣ ਤੇ ਚਾਰ ਪੰਜ ਦਿਨ ਤੱਕ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਲਹੂ ਅਤੇ ਮਿਉਕਸ ਦੇ ਰਿਸਾਓ ਨੂੰ ਮਾਹਵਾਰੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਗਰਭ ਨਿਰੋਧਕ (Contraceptives)-ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਧੀਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗਰਭ ਨਿਰੋਧਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅੰਡੋਤਸਰ (Ovulation)-ਅੰਡਕੋਸ਼ ਵਿਚੋਂ ਅੰਡਾ ਛੱਡਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਅੰਡੋਤਸਰਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਰੋਪਨ (Implantation)-ਭਰੁਣ ਦੇ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਆਰੋਪਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਲੇਸੈਂਟਾ (Placenta)-ਭਰੂਣ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਦੇ ਵਿਚ ਸੰਬੰਧ ਪਲੇਸੈਂਟਾ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਵ (Parturation)-ਜਨਮ ਲੈਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪ੍ਰਸਵ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

→ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੰਤਰਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਜੋ ਨਿਯੰਤਰਨ ਜਾਂ ਕੰਟਰੋਲ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਾਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਗਿਆਨ ਨਾੜੀ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਿਰੇ ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਾਡੀਆਂ ਗਿਆਨ ਇੰਦਰੀਆਂ ਹਨ-ਅੱਖਾਂ, ਨੱਕ, ਕੰਨ, ਚਮੜੀ ਅਤੇ ਜੀਭ ।

→ ਗਿਆਨ ਇੰਦਰੀਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਪਤਾ ਇਕ ਨਾੜੀ ਸੈੱਲ ਦੇ ਡੈਂਡਰਾਈਟ ਸਿਰੇ ਦਾ ਹੈ ।

→ ਨਾੜੀ ਰਿਸ਼ ਹਾੜੀ ਜਾਂ ਨਿਉਰਾਨ ਦਾ ਸੰਗਠਿਤ ਜਾਲ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਤਿਵਤੀ ਤਿਆਵਾਂ ਉਹ ਹਾਲਾਤ ਹਨ ਜੋ ਅਸੀਂ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਾਂ ।

→ ਨਹੀਂ ਆ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਸੰਕੇਤਾ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੀਆਂ ਬਿਸਕ ।

→ ਦੀਆਂ ਨਾੜੀਆਂ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਵਿਚ ਦਿਮਾਗ਼ ਨੂੰ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਇਕ ਬੰਡਲ ਵਿਚ ਦੀਆਂ ਹਨ ‘ ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਆਰਕ ਇਸੇ ਮੇਰੂਰਜੂ ਵਿਚ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

→ ਵਧੇਰੇ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿਚ ਸੋਚਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਨਿਊਰਾਨ ਜਾਲ ਜਾਂ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਜਾਂ ਮੌਜੂਦ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

→ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ, ਨਾੜੀਆਂ ਤੋਂ ਬਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਸੋਚਣ ਲਈ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਦਿਮਾਗ ਅਤੇ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਕੇਂਦਰੀ ਨਾੜੀ-ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

→ ਦਿਮਾਗ਼ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਤੱਕ ਸੰਦੇਸ਼ ਭੇਜਦਾ ਹੈ ।

→ ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਮੁੱਖ ਸੋਚਣ ਵਾਲਾ ਭਾਗ ਅਗਲਾ ਦਿਮਾਗ਼ ਹੈ । ਇਹ ਦੇਖਣ, ਸੁਣਨ, ਸੁੰਘਣ, ਆਦਿ ਲਈ ਖ਼ਾਸ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਈ ਮੱਧ ਅਤੇ ਪਿਛਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਨਾਲ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਰੀੜ੍ਹ ਦੀ ਹੱਡੀ, ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਪਾਪ ਸੰਰਚਨਾ ਨੂੰ ਇਕ ਸੈੱਲ ਤੋਂ ਦੂਸਰੀ ਸੈੱਲ ਤੱਕ ਸੰਚਾਰਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਬਿਜਲੀ ਰਸਾਇਣ ਸਾਧਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੀ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਨੁਵਰਤਨ ਰਾਤੀਆਂ, ਉਤੇਜਕ ਵੱਲ ਜਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਉਲਟ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

→ ਆਕਸਿਨ ਹਾਰਮੋਨ, ਸੈੱਲਾਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਵਿਚ ਵਾਧੇ ਲਈ ਸਹਾਇਕ ਹੈ ।

→ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਹਾਰਮੋਨ ਜਿਬਰੇਲਿਨ ਵੀ ਤਣੇ ਦੇ ਵਾਧੇ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਇਓਡੀਨ ਦੀ ਕਮੀ ਨਾਲ ਗਿੱਲੜ (Goitre) ਰੋਗ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲੇ ਹਾਰਮੋਨ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਵਾਧਾ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਹਾਰਮੋਨ ਹੈ । ਇਹ ਦੇ ਵਾਧੇ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਨਰ ਵਿਚ ਟੈਸਟੋਸਟੀਰੋਨ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਈਸਟਰੋਜਨ ਹਾਰਮੋਨ ਦਾ ਰਿਸਾਓ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਇੰਸੂਲਿਨ ਇਕ ਹਾਰਮੋਨ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਉਤਪਾਦਨ ਪੈਨਕਰਿਆਸ ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਲਹੂ ਵਿਚ ਦੇ ਪੱਧਰ ਲੇਵਲ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਨਾੜੀ-ਸੈੱਲ ਜਾਂ ਨਿਊਰਾਨ (Neuron)-ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾਤਮਕ ਅਤੇ ਕਾਰਜਾਤਮਕ ਇਕਾਈ ਨੂੰ ਨਾੜੀ-ਸੈੱਲ ਜਾਂ ਨਿਊਰਾਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੰਵੇਦੀ ਅੰਗ (Sensory organ)-ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਉਹ ਅੰਗ ਜੋ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨਾਂ ਨਾਲ ਉਦੀਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹੋਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸੰਵੇਦੀ ਅੰਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

→ ਹਾਰਮੋਨ (Harmone)-ਸਰੀਰ ਦੀਆਂ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰਸਾਇਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰਮੋਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਗੁਰੂਤਵਾਨੁਵਰਤਨ (Geotropism)-ਗੁਰੂਤਾ ਬਲ ਕਾਰਨ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗਤੀ ਦਾ ਧਰਤੀ ਵੱਲ ਵਧਣਾ ਗੁਰੂਤਵਾਨੁਵਰਤਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਰਸਾਇਣ ਅਨੁਵਰਤਨ ਗਤੀ (Chemotropism)-ਪਾਣੀਆਂ ਵਿਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਉਦੀਪਨ ਦੇ ਕਾਰਨ ਜੋ ਗਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਰਸਾਇਣ ਅਨੁਵਰਤਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ (Reflex action)-ਕਿਸੇ ਉਮੀਪਨ ਦੇ ਕਾਰਨ ਆਪਣੇ ਆਪ ਹੀ ਜਲਦੀ ਹੋ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਤਿਵਰਤੀ ਆਰਕ (Reflex arc)-ਜਿਸ ਮਾਰਗ ਵਿਚ ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਪੂਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਆਰਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕੇਂਦਰੀ ਨਾੜੀ (Central Nervous System)-ਦਿਮਾਗ ਅਤੇ ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਮਿਲ ਕੇ ਕੇਂਦਰੀ ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਚਾਲਕ ਨਾੜੀ-ਸੈੱਲ (Motor Neurons)-ਜੋ ਉਦੀਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਕਾਂ ਨੂੰ ਸੰਬੰਧਿਤ ਅੰਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚਾਲਕ ਨਾੜੀ ਸੈੱਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੰਵੇਦੀ ਨਾੜੀ-ਸੈੱਲ (Sensory neuron)-ਜੋ ਸੰਵੇਦੀ ਅੰਗਾਂ ਨਾਲ ਉਦੀਪਨ ਨੂੰ ਦਿਮਾਗ਼ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਉਹ ਸੰਵੇਦੀ ਨਾੜੀ ਸੈੱਲ ਹਨ ।

→ ਨਾੜੀ ਆਵੇਗ (Nerve Impulse)-ਨਾੜੀ ਸੈੱਲਾਂ ਦਾ ਰਸਾਇਣਿਕ ਜਾਂ ਬਿਜਲੀ ਸੰਕੇਤ ਭੇਜਣਾ ਨਾੜੀ ਆਵੇਗ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ (Voluntary Actions)-ਜੋ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆਵਾਂ ਸਾਡੀ ਇੱਛਾ ਨਾਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੇ ਸਾਡੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਨਿਯੰਤਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ (Involuntary Actions)-ਜਿਹੜੀਆਂ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆਵਾਂ ਤੇ ਸਾਡੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਕੋਈ ਨਿਯੰਤਰਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਇੱਛਤ ਪੇਸ਼ੀਆਂ (Voluntary muscles)-ਜੋ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸਿੱਧੇ ਰੂਪ ਨਾਲ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਨ ਵਿਚ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਨੂੰ ਇੱਛਤ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਣਇੱਛਤ ਪੇਸ਼ੀਆਂ (Involuntary muscles)-ਜੋ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸਿੱਧੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਣਇੱਛਤ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

→ ਅਨੁਵਰਤਨੀ ਗਤੀਆਂ (Tropic Movements)-ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਜੋ ਗਤੀ ਉਟੀਪਨ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਉਸ ਨੂੰ ਅਨੁਵਰਤਨੀ ਦਿਸ਼ਾ ਗਤੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਰਿਧੀ ਨਾੜੀ-ਪ੍ਰਣਾਲੀ (Peripheral Nervous System)-ਸਰੀਰ ਦੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਜੋ ( ਸੁਖਮਨਾ ਜਾਂ ਦਿਮਾਗ਼ ਨਾਲ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਰਿਧੀ ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਿਨੈਪਸ (Synapes)-ਨੇੜੇ-ਨੇੜੇ ਦੇ ਦੋ ਨਿਊਰਾਨਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਖਾਲੀ ਸਥਾਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿਚੋਂ ਨਾੜੀ ਆਵੇਗ ਲੰਘ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਨੂੰ ਸਿਨੈਪਸ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਵਾਧਾ ਹਾਰਮੋਨ (Growth Harmone)-ਪਿਚੂਟਰੀ ਗ੍ਰੰਥੀ ਤੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲੇ ਉਹ ਹਾਰਮੋਨ ਜੋ ਵਾਧੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵਾਧੇ ਵਾਲੇ ਹਾਰਮੋਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

PSEB 11th Class Economics उत्पादन का अर्थ Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादन फलन क्या होता है ?
उत्तर-
उत्पादन फलन एक तकनीकी संबंध है जो कि उत्पादन (Output) तथा आदानों (Inputs) के बीच भौतिक सम्बन्ध को दर्शाता है।

प्रश्न 2.
उत्पादन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन वह प्रक्रिया है जो कि मूल्य वृद्धि को प्रकट करती है।

प्रश्न 3.
अल्पकालीन उत्पादन फलन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
साधन के प्रतिफल।

प्रश्न 4.
दीर्घकालीन उत्पादन फलन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
पैमाने के प्रतिफल।

प्रश्न 5.
सीमान्त उत्पाद से क्या अभिप्राय है ? .
अथवा
सीमान्त भौतिक उत्पाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन के साधन की परिवर्तनशील साधनों की एक और इकाई का प्रयोग करने से जो कुल भौतिक उत्पादन में परिवर्तन होता है उसको सीमान्त उत्पादन कहते हैं। (MP = TPn – TPn-1).

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 6.
उत्पादन के तीन आदानों के नाम लिखें।
उत्तर-
भूमि, श्रम, पूँजी।

प्रश्न 7.
भूमि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
भूमि का अर्थ प्रकृति की मुफ्त देन, जिसमें भूमि की ऊपरी परत, भूमि की निचली परत, वायुमण्डल, धूप, हवा इत्यादि को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 8.
श्रम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
श्रम उत्पादन का चुस्त (Active) साधन है जोकि उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान डालता है।

प्रश्न 9.
पूँजी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन के साधनों द्वारा संचित राशि जिसमें अन्य उत्पादन किया जाता है उसको पूँजी कहते हैं।

प्रश्न 10.
साधन के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
साधन के प्रतिफल से अभिप्राय एक परिवर्तनशील साधन में परिवर्तन से भौतिक उत्पादन में वृद्धि से होता है।

प्रश्न 11.
पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पैमाने के प्रतिफल से अभिप्राय उत्पादन के सभी साधनों को एक अनुपात में बढ़ाने से, प्रतिफल में होने वाली वृद्धि से होता है।

प्रश्न 12.
उद्यमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उद्यमी वह होता है जोकि वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करने के लिए साधनों को इकट्ठा करता है और लाभ तथा हानि के लिए जिम्मेदार होता है।

प्रश्न 13.
कुल उत्पादन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
एक निश्चित समय में उत्पादित की गई वस्तुओं और सेवाओं की कुल मात्रा के योग को कुल उत्पादन कहा जाता है।

प्रश्न 14.
औसत उत्पादन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुल उत्पादन को परिवर्तनशील साधन की कुल इकाइयों से भाग देने पर जो भागफल होता है, उसे औसत उत्पादन कहा जाता है।

प्रश्न 15.
कुल उत्पादन कब अधिकतम होता है ?
उत्तर-
जब सीमान्त उत्पादन शून्य (Zero) होता है तो कुल उत्पादन अधिकतम होता है।

प्रश्न 16.
जब कुल उत्पादन गिरने लगता है तो सीमान्त उत्पादन कैसा होता है ?
उत्तर-
सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 17.
यदि कुल उत्पादन स्थिर हो जाता है तो सीमान्त उत्पादन किस स्थिति में होता है ?
उत्तर-
सीमान्त उत्पादन शून्य (Zero) होता है।

प्रश्न 18.
यदि कुल उत्पादन में वृद्धि घटती दर पर होती है तो सीमान्त उत्पादन कैसा होता है ?
उत्तर-
सीमान्त उत्पादन घटता हुआ होता है।

प्रश्न 19.
क्या कुल उत्पादन तथा औसत उत्पादन शून्य या ऋणात्मक हो सकते हैं ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 20.
सीमान्त भौतिक उत्पाद तालिका से कुल भौतिक उत्पाद कैसे ज्ञात होता है ?
उत्तर-
सीमान्त भौतिक उत्पाद तालिका से कुल भौतिक उत्पाद सभी सीमान्त भौतिक उत्पादों को जोड़ने से ज्ञात होता है।

प्रश्न 21.
सीमान्त भौतिक उत्पाद वक्र का सामान्य आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
MPP वक्र का आकार सामान्यता या उल्टे U आकार का होता है।

प्रश्न 22.
यदि उत्पाद सीमान्त भौतिक उत्पाद में वृद्धि घटती अनुपात से होती है तो कुल उत्पाद कैसा होता है?
उत्तर-
कुल उत्पाद में वृद्धि बढ़ती अनुपात से होगी।

प्रश्न 23.
APP वक्र का सामान्य आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
APP वक्र का सामान्य आकार उल्टे U जैसा होता है।

प्रश्न 24.
परिवर्ती अनुपातों का नियम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
स्थिर साधनों में परिवर्तनशील साधन की इकाइयाँ जोड़ने से दोनों प्रकार के साधनों का अनुपात परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 25.
आन्तरिक बचतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जो बचतें पूर्णतया फ़र्म के आकार व उसकी कार्य-क्षमता पर निर्भर करती है वह बचतें आन्तरिक बचतें कहलाती हैं।

प्रश्न 26.
बाहरी बचतें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो बचतें उद्योग के विकास और विस्तार के कारण मिलती हैं। वे बचतें बाहरी बचतें कहलाती हैं।

प्रश्न 27.
परिवर्तनशील और स्थिर साधनों का अन्तर किस काल तक सीमित होता है ?
उत्तर-
अल्पकाल तक।

प्रश्न 28.
दीर्घकाल में उत्पादन के साधनों की प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर-
सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।

प्रश्न 29.
घटते प्रतिफल के नियम से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
घटते प्रतिफल के नियम अनुसार जब स्थिर साधन भूमि पर परिवर्तनशील साधन श्रम की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो सीमान्त प्रतिफल घटने लगता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 30.
आप सीमान्त भौतिक उत्पादन सम्बन्धी क्या कहोगे यदि एक साधन का कुल भौतिक उत्पादन घटता है ?
उत्तर-
जब कुल उत्पादन घटता है तो सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है।

प्रश्न 31.
परिवर्तनशील अनुपात का नियम …… पर लागू होता।
(a) सरकार
(b) परिवार
(c) कृषि
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) कृषि।

प्रश्न 32.
जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है औसत लागत प्रति इकाई घटती जाती है इस कथन का सम्बन्ध ……….. से है।
(a) बढ़ती लागतों का नियम
(b) घटती लागतों का नियम
(c) स्थिर लागतों का नियम
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) घटती लागतों का नियम।

प्रश्न 33.
बढ़ते प्रतिफल का नियम ……….. पर लागू होता है।
(a) कृषि
(b) उद्योग
(c) व्यापार
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) उद्योग।

प्रश्न 34.
जब औसत उत्पादन बढ़ता है तो सीमान्त उत्पादन ………. है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) स्थिर रहता
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) स्थिर रहता।

प्रश्न 35.
जब कुल उत्पादन अधिकतम होता है तो सीमान्त उत्पादन ………. होता है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) शून्य
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) शून्य।

प्रश्न 36.
जब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है तो कुल उत्पादन …………. होता है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) समान
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) घटता।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 37.
जब औसत उत्पादन बढ़ता है तो सीमान्त उत्पादन तेज़ी से ……….. है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) समान रहता
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) बढ़ता।

प्रश्न 38.
जब औसत उत्पादन घटता है तो सीमान्त उत्पादन तेज़ी से ………… है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) समान रहता
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) घटता।

प्रश्न 39.
जब औसत उत्पादन समान रहता है तो सीमान्त उत्पादन ……….. होता है।
(a) इससे अधिक
(b) इससे कम
(c) इसके समान
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) इसके समान।

प्रश्न 40.
जब कुल उत्पादन घटता है तो सीमान्त उत्पादन …………. होता है।
(a) ऋणात्मक
(b) धनात्मक
(c) शून्य
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) ऋणात्मक।

प्रश्न 41.
निम्नलिखित समीकरण को पूरा करें : MP = TPn (-) ………………
उत्तर-
MP = TPn (-) TPn-1

प्रश्न 42.
अल्पकाल उत्पादन फलन को ………. कहा जाता है।
(a) साधन का प्रतिफल
(b) पैमाने का प्रतिफल
(c) परिवर्तनशील प्रतिफल
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) साधन का प्रतिफल।

प्रश्न 43.
दीर्घकाल उत्पादन फलन को ……… कहते हैं।
(a) साधन का प्रतिफल
(b) पैमाने का प्रतिफल
(c) परिवर्तनशील प्रतिफल
(d) स्थिर प्रतिफल।
उत्तर-
(b) पैमाने का प्रतिफल।

प्रश्न 44.
घटते प्रतिफल का नियम ………. पर लागू होता है।
(a) उद्योग
(b) कृषि
(c) सरकार
(d) उपरोक्त सभी पर।
उत्तर-
(b) कृषि।

प्रश्न 45.
घटते प्रतिफल का नियम कृषि पर अधिकांश लागू होता है क्योंकि।
(a) प्रकृति प्रभावशाली
(b) पेशे की किस्म
(c) भूमि सीमित है
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 46.
क्या कुल उत्पादन कभी कम हो सकता है ?
उत्तर-
हाँ जब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाए।

प्रश्न 47.
क्या कुल उत्पादन शून्य हो सकता है ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 48.
कुल उत्पादन अधिकतम कब होता है ?
उत्तर-
जब सीमान्त उत्पादन शून्य होता है।

प्रश्न 49.
क्या परिवर्तनशील उत्पादन के नियम को स्थितगत किया जा सकता है ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 50.
परिवर्तनशील साधन के प्रति इकाई उत्पादन को ………. कहते हैं।
उत्तर-
औसत उत्पादन।

प्रश्न 51.
एक वस्तु की उपयोगिता बढ़ाने की प्रक्रिया जिससे वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाती हैं को …. कहते हैं।
उत्तर-
उत्पादन।

प्रश्न 52.
एक परिवर्तनशील साधन में परिवर्तन से भौतिक उत्पादन में साथ-साथ परिवर्तन को साधन का प्रतिफल कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 53.
जब सीमान्त उत्पादन शून्य (zero) होता है तो कुल उत्पादन भी शून्य होता है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 54.
जब स्थिर साधन भूमि पर परिवर्तनशील साधनों की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो इससे सीमान्त प्रतिफल कम होता जाता है। इस को घटते प्रतिफल का नियम कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 55.
जब औसत उत्पादन बढ़ता है तो सीमान्त उत्पादन तेजी से बढ़ता है।
उत्तर-
सही ।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 56.
जब सीमान्त उत्पादन शून्य (zero) होता है तो कुल उत्पादन अधिकतम होता है।
उत्तर-
सही ।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादन फलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
एक वस्तु के भौतिक साधनों (Inputs) तथा भौतिक उत्पादन (Output) के क्रियात्मक सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहा जाता है। प्रो० वाटसन के शब्दों में, “एक फ़र्म के भौतिक उत्पादन तथा उत्पादन के भौतिक साधनों के सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहा जाता है।”

प्रश्न 2.
एक साधन के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? एक साधन का बढ़ता प्रतिफल क्यों प्राप्त होता है? स्पष्ट करो।
उत्तर-
एक साधन के प्रतिफल से अभिप्राय एक परिवर्तनशील साधन में परिवर्तन से भौतिक उत्पादन की वृद्धि से होता है, जब स्थिर साधन में कोई परिवर्तन नहीं होता। साधन का बढ़ता प्रतिफल इसलिए प्राप्त होता है, क्योंकि परिवर्तनशील साधन में वृद्धि से सीमान्त उत्पादन में वृद्धि की दर अधिक होती है, इसका मुख्य कारण आन्तरिक तथा बाहरी बचतें होती हैं।

प्रश्न 3.
पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? .
उत्तर-
पैमाने के प्रतिफल से अभिप्राय, उत्पादन के सभी साधनों को एक ही अनुपात में बढ़ाने से, प्रतिफल में होने वाली वृद्धि से होता है। यह एक दीर्घकाल की धारणा है। जब सभी उत्पादन के साधनों में एक अनुपात में वृद्धि की जाती है तो इससे उत्पादन में जो परिवर्तन होता है, उसको पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है।

प्रश्न 4.
सीमान्त उत्पादन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
परिवर्तनशील साधन की एक इकाई में परिवर्तन करने से कुल उत्पादन में जो परिवर्तन होता है, उस परिवर्तन को सीमान्त उत्पादन कहा जाता है। जैसे कि श्रम की एक इकाई बढ़ाने अथवा घटाने से कुल उत्पादन में जो वृद्धि अथवा कमी होती है, उसको सीमान्त उत्पादन कहा जाता है।
MP = TPn – TPn-1.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 5.
एक साधन के समान प्रतिफल से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
एक साधन के समान प्रतिफल का अर्थ है कि जब स्थिर साधन पर परिवर्तनशील साधन की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो सीमान्त प्रतिफल (N.P.) समान हो जाता है। इस स्थिति को समान प्रतिफल का नियम भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल के अर्थ बताओ।
उत्तर-
जब उत्पादन के सभी साधनों में एक अनुपात में वृद्धि की जाती है तो साधनों की प्रतिशत वृद्धि से उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि अधिक होती है तो इसको पैमाने का बढ़ता प्रतिफल कहा जाता है, उदाहरणस्वरूप । श्रम इकाइयाँ | पूंजी इकाइयाँ उत्पादन इकाइयाँ । पैमाने का बढ़ता प्रतिफल उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि 20 500 साधनों में प्रतिशत वृद्धि

प्रश्न 7.
आप सीमान्त भौतिक उत्पादन सम्बन्धी क्या कहेंगे, यदि एक साधन का कुल भौतिक उत्पादन घटता है।
उत्तर-
जब कुल उत्पादन घटता है तो सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है।
श्रम इकाइयां । कुल उत्पादन सीमान्त उत्पादन

प्रश्न 8.
श्रम के विभाजन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
एक वस्तु के उत्पादन को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर प्रत्येक भाग का निर्माण विशेष मज़दूरों द्वारा किया जाता है तो इस क्रिया को श्रम का विभाजन कहा जाता है। एडम स्मिथ ने कहा कि सुई पिन्न को 18 भागों में विभाजित कर उत्पादन किया गया तो उत्पादन 24 गुणा बढ़ गया।

प्रश्न 9.
आन्तरिक बचतें क्या हैं?
उत्तर-
आन्तरिक बचतें वह बचतें हैं जोकि एक फ़र्म को उसकी चार दीवारी के अंदर निजी प्रयत्नों के कारण प्राप्त होती हैं। यह बचतें हैं

  • प्रबन्धकी बचतें
  • वित्तीय बचतें
  • जोखिम सम्बन्धी बचतें
  • तकनीकी बचतें
  • खरीद-बेच सम्बन्धी बचतें।

प्रश्न 10.
बाहरी बचतें क्या हैं ?
उत्तर-
बाहरी बचतें वह बचतें हैं जो किसी उद्योगों के समूह को उत्पादन में वृद्धि करने के परिणामस्वरूप सभी फ़र्मों को ही प्राप्त होती है उदाहरणस्वरूप-

  1. स्थानीयकरण की बचतें
  2. सूचना की बचतें
  3. श्रम की विभाजन की बचतें।

प्रश्न 11.
उत्पादन के कोई तीन साधन बताओ।
उत्तर-
उत्पादन के मुख्य साधन हैं –

  • भूमि-भूमि का अर्थ प्रकृति की मुफ़्त देन से है। भूमि में भूमि की ऊपरी परत, भूमि की निचली तथा वायुमण्डल, धूप, हवा इत्यादि शामिल किया जाता है।
  • श्रम-श्रमं एक चुस्त (active) साधन है, जोकि उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान डालता है।
  • पूंजी-उत्पादन के साधनों द्वारा संचित राशि जिससे अन्य उत्पादन किया जाता है उसको पूंजी कहते हैं।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कुल उत्पादन, सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उत्पादन की तीन महत्त्वपूर्ण धारणाएं कुल उत्पादन, सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन हैं।
1. कुल उत्पादन (Total Product)-किसी विशेष समय में जो वस्तुओं तथा सेवाओं की कुल मात्रा का उत्पादन किया जाता है, उसको कुल उत्पादन कहते हैं। एक किसान ने एक खेत में 20 टन गेहूँ का उत्पादन एक वर्ष में किया। इसको कुल उत्पादन कहा जाता है।

2. सीमान्त उत्पादन (Marginal Product)-उत्पादन बढ़ाने के लिए परिवर्तनशील साधन की एक इकाई बढ़ाने अथवा घटाने से कुल उत्पादन में जो परिवर्तन होता है, उसको सीमान्त उत्पादन कहा जाता है, जैसे कि श्रम तथा पूंजी की एक इकाई से एक खेत में 20 टन गेहूं का उत्पादन होता है। दो इकाइयों से कुल उत्पादन 50 टन हो जाता है तो सीमान्त उत्पादन 50-20 = 30 टन होगा।
MP = TPn – TPn-1

3. औसत उत्पादन (Average Product)-परिवर्तनशील साधनों की प्रति इकाई उत्पादन शक्ति को औसत उत्पादन कहा जाता है। श्रम तथा पूंजी की दो इकाइयों से एक किसान 50 टन गेहूँ का उत्पादन करता है तो \(\mathrm{AP}=\frac{\mathrm{TP}}{\text { Units of Labour and Capital }}=\frac{50}{2}\) = 25 टन.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 2.
कुल भौतिक उत्पादन TPP, औसत भौतिक उत्पादन (APP) तथा सीमान्त भौतिक उत्पादन (APP) में सम्बन्ध बताओ।
उत्तर-
परिवर्तनशील साधन की इकाइयों में वृद्धि करने से जितनी कुल उत्पादकता होती है उसको कुल भौतिक उत्पादन कहा जाता है। यदि परिवर्तनशील साधन की इकाई में वृद्धि की जाती है, तो कुल उत्पादन में वृद्धि को सीमान्त उत्पादन कहते हैं। इनके सम्बन्ध को सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 1
(A) कुल उत्पादन (Total Product) तथा सीमान्त उत्पादन (Marginal Product) में सम्बन्ध –

  • जब कुल उत्पादन 4, 10, 18 बढ़ती अनुपात पर बढ़ता है, सीमान्त उत्पादन 4, 6, 8 बढ़ता है।
  • जब कुल उत्पादन 18, 24, 28, 30 घटती अनुपात पर बढ़ता है, तो सीमान्त उत्पादन घटने लगता है।
  • जब कुल उत्पादन अधिकतम होता है तो सीमान्त उत्पादन शून्य (0) हो जाता है।
  • जब अन्त में कुल उत्पादन 30, 28 घटता है तो सीमान्त उत्पादन -2 ऋणात्मक हो जाता है।

(B) औसत उत्पादन (Average Product) तथा सीमान्त उत्पादन (M.P.) में सम्बन्ध –

  • जब एक औसत उत्पादन (AP) 4, 5, 6 बढ़ता है। सीमान्त उत्पादन (M.P.) 4, 6, 8 तीव्रता से बढ़ता है।
  • जब औसत उत्पादन (AP) 6, 6 समान रहता है तो सीमान्त उत्पादन (MP) 6 इस के समान हो जाता है।
  • जब औसत उत्पादन (AP) घटता है तो सीमान्त उत्पादन (MP) तीव्रता से घटता है।
  • औसत उत्पादन (AP) हमेशा धनात्मक होता है, परन्तु सीमान्त उत्पादन (MP) ऋणात्मक हो जाता है।

(C) औसत उत्पादन (AP), सीमान्त उत्पादन (MP) तथा कुल उत्पादन (TP) में सम्बन्ध

  • आरम्भ में औसत उत्पादन, कुल उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन में वृद्धि होती है परन्तु सीमान्त उत्पादन औसत उत्पादन से अधिक होता है। MP > AP
  • जब कुल उत्पादन अधिकतम होता है तो सीमान्त उत्पादन 0 हो जाता है।
  • जब औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन घटता है तो MP < AP होता है।
  • औसत उत्पादन तथा कुल उत्पादन हमेशा धनात्मक होते हैं, परन्तु सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो सकता है।

प्रश्न 3.
औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन का सम्बन्ध रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
रेखाचित्र 1 अनुसार औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन का सम्बन्ध इस प्रकार है :-

  • जब औसत उत्पादन (AP) बढ़ता है तो सीमान्त उत्पादन (MP) तीव्रता से बढ़ता है।
  • जबं औसत उत्पादन (AP) समान होती है तो सीमान्त = AP उत्पादन (MP) इसके समान हो जाता है, जैसे कि E बिन्दु द्वारा दिखाया है।
  • जब औसत उत्पादन (AP) घटता है तो सीमान्त उत्पादन (MP) तीव्रता से घटता है।
  • औसत उत्पादन हमेशा धनात्मक रहता है, परन्तु सीमान्त श्रम की इकाइयां उत्पादन ऋणात्मक हो सकता है, जैसे कि OY से अधिक उत्पादन करने से दिखाया गया है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 2

प्रश्न 4.
घटते सीमान्त प्रतिफल के नियम से क्या अभिप्राय है? रेखाचित्र 1
अथवा
एक साधन घटते प्रतिफल के नियम की व्याख्या करो। औसत उत्पादन/सीमान्त उत्पादन
अथवा
घटते सीमान्त प्रतिफल के नियम को स्पष्ट करो। दूसरे शब्दों में एक आगत की मात्रा में वृद्धि करने से इसका सीमान्त उत्पादन क्यों घटता है?
उत्तर-
एक साधन का घटता प्रतिफल |
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 3
सारणी तथा रेखाचित्र 2 में दिखाया है कि जब 1 हेक्टेयर भूमि पर श्रम तथा पूंजी की इकाइयाँ लगाई जाती है तो सीमान्त उत्पादन 3,2,1 कम होता जाता है जिसे रेखा चित्र में DR रेखा द्वारा दिखाया गया है। इस नियम को घटते प्रतिफल का नियम कहते हैं। सारणी तथा रेखाचित्र 3 में दिखाया है कि जैसे-जैसे श्रम तथा पूँजी की इकाइयाँ बढ़ाई जाती हैं औसत लागत ₹ 10, 12, 15 बढ़ती जाती है, जिस को रेखाचित्र में IC द्वारा दिखाया गया है। इस कारण इस नियम को बढ़ती लागत का नियम भी कहते हैं।

प्रश्न 5.
बदलवें अनुपातों के नियम से क्या अभिप्राय है?
अथवा
बदलवें अनुपातों के नियम को कुल उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन वक्रों द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
जब स्थिर साधन पर परिवर्तनशील साधन की मात्रा बढ़ाई जाती है तो आरम्भ में कुल उत्पादन बढ़ती अनुपात पर बढ़ता है। फिर कुल उत्पादन में वृद्धि घटती अनुपात पर होती है तथा अन्त में कुल उत्पादन घटने लगता है। इसको बदलवें अनुपातों का नियम कहा जाता है। इसको सूची-पत्र तथा रेखाचित्र 4 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 5

  • सूचीपत्र में तीन इकाइयों तक बढ़ते प्रतिफल का नियम रेखाचित्र 4 लागू होता है, जिसको रेखाचित्र में 4 तक दिखाया गया है।
  • तीसरी इकाई से सातवीं इकाई तक घटते प्रतिफल का नियम लागू होता है, जिसको रेखाचित्र 4 में LK. द्वारा दिखाया गया है।
  • सातवीं इकाई के पश्चात् ऋणात्मक प्रतिफल का नियम लागू होता है, जिसको रेखाचित्र 4 में OK के पश्चात् दिखाया गया है। इसको बदलवें अनुपातों का नियम कहते हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 6.
बढ़ते पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? यह नियम क्यों लागू होता है?
उत्तर-
जब उत्पादन में प्रतिशत परिवर्तन सभी साधनों में प्रतिशत परिवर्तन से अधिक होता है वो इसको घटते पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है। जब हम सभी साधनों में परिवर्तन करते हैं तो इससे उत्पादन में परिवर्तन होता है, यदि उत्पादन के साधनों में 10% वृद्धि की जाए, जिससे उत्पादन में 25% वृद्धि होती है तो इस स्थिति को बढ़ते पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है।

श्रम पूंजी उत्पादन
20 20 100
40 40 300

सूचीपत्र में बढ़ते पैमाने के प्रतिफल को स्पष्ट किया गया है। नियम लागू होने के कारण-

  1. श्रम का विभाजन-बढ़ते पैमाने के प्रतिफल लागू होने का मुख्य कारण श्रम का विभाजन होता है। इससे उत्पादन शक्ति बढ़ जाती है।
  2. मशीनों का प्रयोग-मशीनों के प्रयोग के कारण उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।
  3. तकनीकी विकास-तकनीकी विकास के कारण उत्पादन में वृद्धि का अनुपात बढ़ जाता है।
  4. बचतें-कच्चा माल खरीदने तथा तैयार माल बेचने सम्बन्धी बचतें होने के कारण उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।
  5. प्रबन्धकी बचते-प्रबन्धकी बचतों के कारण उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।

प्रश्न 7.
घटते पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? यह नियम क्यों लागू होता है?
उत्तर-
जब उत्पादन में प्रतिशत परिवर्तन साधनों में प्रतिशत परिवर्तन से कम होता है तो इसको घटते पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप उत्पादन के साधनों में 100% वृद्धि की जाए, परन्तु उत्पादन में वृद्धि 50% हो तो इस स्थिति को घटते पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है।

श्रम पूंजी उत्पादन
20 20 100
40 40 150

सूचीपत्र में श्रम तथा पूंजी की इकाइयों में वृद्धि दो गुणा दिखाई गई है अर्थात् 100% वृद्धि है, परन्तु उत्पादन में वृद्धि 100 से 150 होती है। यह वृद्धि 50% है। इसको घटते पैमाने का प्रतिफल कहते हैं।

नियम लागू होने के कारण-

  1. आन्तरिक हानियाँ-जब उत्पादन के पैमाने को बढ़ाया जाता है तो इससे आन्तरिक हानियां होती हैं। उत्पादन बढ़ाने से प्रबन्ध ठीक तरह नहीं होता। इसलिए उत्पादन बढ़ने की जगह पर घटने लगता है।
  2. बाहरी हानियाँ-जब एक स्थान पर बहुत-से उद्योग स्थापित हो जाते हैं तो वातावरण प्रदूषित हो जाता है। श्रम की उत्पादन शक्ति कम हो जाती है। उत्पादन लागत बढ़ जाती है। इसलिए घटते प्रतिफल का नियम लागू होता है।

प्रश्न 8.
साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में अन्तर बताओ।
उत्तर-
साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में मुख्य अन्तर इस प्रकार हैं-

अंतर का आधार साधन का प्रतिफल पैमाने का प्रतिफल
(1) समय साधन के प्रतिफल का अध्ययन लघुकाल में किया जाता है। पैमाने के प्रतिफल का अध्ययन दीर्घकाल में किया जाता है।
(2) साधन-अनुपात साधन प्रतिफल इस मान्यता पर आधारित है कि इसमें एक साधन में परिवर्तन होता है तथा शेष साधन स्थिर रहते हैं। पैमाने के प्रतिफल उसी समय लागू होता है, जब उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं तथा एक अनुपात में बदलते हैं।

प्रश्न 9.
सारणी तथा चित्र की सहायता से घटती लागतों के नियम की व्याख्या करें।
अथवा
सारणी तथा चित्र की सहायता से बढ़ते प्रतिफल के नियम की व्याख्या करें।
उत्तर-
बढ़ते प्रतिफल के नियम को घटती लागतों का नियम भी कहा जाता है। जब ऋण और पूँजी की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन में वृद्धि करने से सीमान्त उत्पादन बढ़ता जाता है इसलिए इस नियम को बढ़ते प्रतिफल का नियम कहते हैं। दूसरी ओर उत्पादन की औसत लागत घटती जाती है जिस कारण इस नियम को घटती लागतों का नियम भी कहते हैं। इस नियम को सारणी तथा रेखाचित्र द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 7
रेखाचित्र 5 अनुसार उत्पादन में वृद्धि से सीमान्त उत्पादन बढ़ता जाता है। इस कारण इस नियम को बढ़ते प्रतिफल का नियम कहते हैं। रेखाचित्र 6 अनुसार उत्पादन में वृद्धि से औसत लागत घटती जाती है इसलिए इस नियम को घटती लागत का नियम कहते हैं।

प्रश्न 10.
चित्र तथा सारणी की सहायता से समान प्रतिफल के नियम की व्याख्या करो।
अथवा
चित्र तथा सारणी की सहायता से समान लागत के नियम की व्याख्या करो।
उत्तर-
उत्पादन के क्षेत्र में ऋण तथा पूँजी की इकाइयाँ लगाने से सीमान्त प्रतिफल समान रहता है तो इस नियम को समान प्रतिफल का नियम कहा जाता है। इस स्थिति में औसत लागत भी समान रहती है। इस कारण इस नियम को समान लागत का नियम भी कहा जाता है। इस नियम को सारणी तथा रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 9
सारणी तथा रेखाचित्र 7 से स्पष्ट है कि ऋण तथा पूंजी लगाने से सीमान्त उत्पादन 2,2,2 बराबर है इसलिए इस नियम को समान प्रतिफल का नियम कहा जाता है। सारणी तथा रेखाचित्र 8 में स्पष्ट है कि ऋण तथा पूँजी की इकाइयाँ बढ़ाने से औसत लागत 5,5,5 समान है। इसलिए इस नियम को औसत लागत का नियम कहा जाता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
साधन के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? इस सम्बन्ध में घटते बढ़ते प्रतिफल के नियम को स्पष्ट करो। इस नियम की तीन अवस्थाओं की व्याख्या करो।
(What is returns to a factors ? Explain the law of variable Proportions in this Contest. Discuss the three stages of the Law.)
उत्तर-
उत्पादन फलन साधन आगतों तथा उत्पादन के बीच सम्बन्ध स्थापित करने वाला तकनीकी सम्बन्ध है जब उत्पादन के एक साधन की मात्रा बढ़ा दी जाए तथा शेष साधनों की मात्रा स्थिर रखी जाए तो उत्पादन के साधनों की अनुपात में परिवर्तन आ जाता है, जोकि अल्पकाल (Short Period) में सम्भव होती है। मान लो भूमि स्थिर साधन है तथा श्रम परिवर्तनशील साधन है। यदि भूमि पर श्रम की इकाइयों में परिवर्तन किया जाता है तो इसको साधन का प्रतिफल (Returns to a Factor) कहा जाता है। उत्पादन के साधनों में परिवर्तन से उत्पादन की मात्रा में विभिन्न दरों से परिवर्तन होगा।

  • उत्पादन में वृद्धि बढ़ती दर पर होगी।
  • कुछ समय पश्चात् उत्पादन में वृद्धि समान दर पर होगी।
  • अन्त में वृद्धि घटती अनुपात पर होगी।

इन तीन स्थितियों को घटते-बढ़ते प्रतिफल का नियम (Law of Variable Proportions) कहा जाता है। नियम की व्याख्या (Explanation of the Law)-घटते-बढ़ते नियम को स्पष्ट करने के लिए हम मान लेते हैं कि एक हेक्टेयर भूमि है। इस पर श्रम की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन में वृद्धि तीन दरों से होती है, जिसको सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट करते हैं :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 11
सूचीपत्र अनुसार एक हेक्टेयर भूमि पर जब श्रम की इकाइयों में वृद्धि होती है तो आरम्भ में सीमान्त उत्पादन (MP) 3, 4, 5 की दर पर बढ़ती है। इसके पश्चात् सीमान्त उत्पादन घटती दर पर बढ़ता है जैसे कि 5, 4, 3, 2, 1, 0 की दर पर बढ़ता है तथा अन्त में सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक (-1) हो जाता है, जैसे कि -1, -2 दिखाया गया है। इसको घटते-बढ़ते अनुपातों का नियम कहा जाता है। रेखाचित्र 9 अनुसार जब श्रम की इकाइयाँ OL तक बढ़ाई जाती हैं तो सीमान्त उत्पादन में वृद्धि बढ़ती अनुपात 3, 4, 5 क्विंटल होता है; कुल उत्पादन LP बढ़ता है। जब श्रम की 8 इकाइयाँ लगाते हैं जोकि OL1 दिखाई गई है तो सीमान्त उत्पादन शून्य (0) है। इस स्थिति में कुल उत्पादन L1M अधिकतम होता है। OL1 से अधिक श्रम लगाने से सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाती है तथा TP घटने लगता है|
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 12
उत्पादन की तीन अवस्थाएं (Three Stages Of Production)- घटने-बढ़ते अनुपात के नियम की सूची से स्पष्ट है कि प्रथम अवस्था के अन्त से ही द्वितीय अवस्था का आरम्भ हो जाता है तथा द्वितीय अवस्था के अन्त से ही तृतीय अवस्था का आरम्भ हो जाता है।
1. प्रथम अवस्था (First Stage)-उत्पादन की प्रथम अवस्था में जब एक साधन श्रम की मात्रा बढ़ाई जाती है तो सीमान्त आयु तीव्रता से बढ़ती है। इसको रेखाचित्र 9 में स्टेज I (Stage-I) द्वारा दिखाया गया है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

2. द्वितीय अवस्था (Second Stage)-द्वितीय अवस्था में जब श्रम की मात्रा LL1 बढ़ाई जाती है तो कुल उत्पादन में वृद्धि होती हैं, पर वृद्धि का अनुपात 5, 4, 3, 2, 10 घटता जाता है। कुल उत्पादन (TP) में वृद्धि घटते अनुपात पर होती है। जब सीमान्त उत्पादन 0 होता है तो कुल उत्पादन (TP) अधिकतम होता है।

3. तृतीय अवस्था (Third Stage)-तृतीय अवस्था में जब श्रम की मात्रा 8 मज़दूरों से बढ़ाई जाती है तो सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाता है तो कुल उत्पादन (TP) घटने लगता है। इन अवस्थाओं से यह ज्ञात होता है कि न तो उत्पादन प्रथम अवस्था में रोका जाता है तथा न ही उत्पादन तृतीय अवस्था में किया जाता है। उत्पादन हमेशा द्वितीय अवस्था में किया जाता है।

नियम की मान्यताएं (Assumptions) –

  • एक साधन स्थिर रखकर दूसरे साधन की वृद्धि से उत्पादन में वृद्धि की जाती है।
  • परिवर्तनशील साधनों की इकाइयां समरूप हैं।
  • उत्पादन की तकनीक स्थिर रहती है।
  • यह नियम अल्पकाल में लागू होता है।
  • यह नियम उत्पादन के क्षेत्र में लागू होता है।

नियम लागू होने के कारण (Causes of the operation of the Law) –
एक साधन के बढ़ते प्रतिफल के कारण (Causes of Increasing Returns to a factor)

  1. साधनों का उत्तम संयोग-जब साधनों का उत्तम संयोग प्राप्त किया जाता है तो उत्पादन में वृद्धि होती है।
  2. स्थिर साधनों का पूर्ण प्रयोग-मशीनों तथा स्थिर साधनों का अल्प प्रयोग किया जाता है। श्रम बढ़ाने से साधनों का पूर्ण प्रयोग किया जाता है। इस कारण बढ़ता प्रतिफल प्राप्त होता है।
  3. परिवर्तनशील साधनों की कुशलता-परिवर्तनशील साधनों की मात्रा बढ़ाने से उनकी कुशलता बढ़ जाती है।
  4. विशिष्टीकरण-विशिष्टीकरण द्वारा उत्पादन में वृद्धि होती है।

एक साधन के घटते प्रतिफल के कारण (Causes of diminishing Returns of a factor) –

  • उत्तम संयोग से अधिक प्रयोग कारण उत्पादन घटने लगता है।
  • उत्पादन के साधनों में पूर्ण स्थानापन्न की कमी।
  • स्थिर साधन की मात्रा प्रति इकाई परिवर्तनशील साधनों के रूप में कम हो जाती है।

प्रश्न 2.
एक साधन के घटते सीमान्त प्रतिफल के नियम की व्याख्या करो। यह नियम कृषि पर क्यों लागू होता है?
(Explain the law of Diminishing Marginal Returns to a factor. Why does this law apply to Agriculture ?)
उत्तर-
यह नियम घटते-बढ़ते प्रतिफल के नियम का एक भाग है। इस नियम अनुसार जब एक साधन को स्थिर मानकर दूसरे साधन की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो इस स्थिति में कुल उत्पादन में वृद्धि तो होती है, परन्तु यह वृद्धि घटती हुई दर पर होती है। इस स्थिति में साधन की सीमान्त उत्पादकता घटती जाती है। इस नियम को एक साधन का घटता प्रतिफल (Diminishing Returns to a factor) अथवा घटते सीमान्त प्रतिफल का नियम (Law of Diminishing returns) कहा जाता है। इस नियम को एक उदहारण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

मान लें एक एकड़ भूमि का टुकड़ा है, जिस पर श्रम की इकाइयां लगाई जाती हैं। इससे कुल पैदावार में वृद्धि तो होती है, परन्तु जिस अनुपात अथवा दर पर कुल उत्पादन बढ़ता है, वह दर घटती जाती है। यदि श्रम की इकाइयाँ निरन्तर पढ़ाई जाती हैं तो उत्पादन घटने लगता है। इसका अर्थ है कि भूमि पर श्रम की मात्रा बढ़ाने से साधन की सीमान्त रकता (MP) घटती जाती है, जोकि अन्त में जाकर ऋणात्मक हो जाती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 13
रेखाचित्र 10 सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 10 श्रम के घटते सीमान्त प्रतिफल को स्पष्ट किया गया है। भूमि स्थिर साधन है, इस पर परिवर्तनशील साधन श्रम की मात्रा बढ़ाई जाती है तो सीमान्त उत्पादन (MP) घटता जाता है। जैसे कि 3, 2, 1 दिखाया गया है। श्रम की चौथी इकाई पर सीमान्त प्रतिफल शून्य (0) तथा 5 की इकाई पर (-1) अर्थात् ऋणात्मक हो जाता है। कुल उत्पादन 3, 5, 6 बढ़ता है परन्तु वृद्धि की दर पहले 2 तथा फिर 1 है। इस कारण इस नियम को एक साधन के घटते प्रतिफल का नियम कहा जाता है। रेखाचित्र में (MP) रेखा सीमान्त प्रतिफल को प्रकट करती है। श्रम की इकाइयों में वृद्धि करने से सीमान्त उत्पादन (MP) घटता जाता है। इस कारण इस नियम को घटते सीमान्त प्रतिफल का नियम कहते हैं। परन्तु यह नियम केवल तो ही लागू होता है, यदि उत्पादन की तकनीक स्थिर रहती है।

घटते प्रतिफल का नियम कृषि पर ही क्यों अधिक लागू होता है? (Why does the Law of Diminishing Returns apply to Agriculture)
घटते प्रतिफल का नियम अधिक कृषि में लागू होता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
1. प्रकृति का हाथ (Nature Hand)-कृषि में प्रकृति अधिक प्रभावशाली योगदान डालती है, क्योंकि कृषि की ऊपज वर्षा, जलवायु इत्यादि पर निर्भर करती है। इस कारण यह नियम कृषि पर लागू होता है।

2. पेशे की किस्म (Nature of Occupation)-कृषि एक ऐसा पेशा है जिसमें कृषक को सारा वर्ष काम नहीं मिलता है जैसे कि खेत को पानी लगाने के कुछ दिन बाद इन्तजार करना पड़ता है तो ही काम किया जा सकता है। इस कारण कृषक 365 दिनों में 200 दिन काम कर सकता है। परिणामस्वरूप प्रतिफल घटने लगता है तथा औसत लागत बढ़ने लगती है।

3. देखभाल की किस्म (Nature of Supervision)-कृषि के काम में उपज की अच्छी तरह देखभाल नहीं की जा सकती। उद्योगों में हर एक वस्तु की परख की जा सकती है, परन्तु खेत दूर-दूर तक फैले होने के कारण प्रत्येक पौधे की परख नहीं की जा सकती तथा घटते प्रतिफल का नियम लागू होता है।

4. भूमि सीमित है (Land is Limited)-भूमि की मात्रा सीमित होने के कारण खेती उत्पादन के लिए श्रम तथा पूंजी की इकाइयों की सीमित मात्रा लगाई जा सकती है। इस कारण यह नियम कृषि पर लागू होता है।

5. भूमि सीमित है (Decrease in Fertility of Land)-भूमि पर लगातार कृषि करने से इसकी उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। इसलिए श्रम तथा पूंजी की इकाइयों में बढ़ोत्तरी करने से सीमान्त उत्पादन कम होने लगता.

6. भूमि की उपजाऊ शक्ति में अन्तर (Land differs in Productivity)-प्रकृति द्वारा भूमि के अलगअलग टुकड़ों में उपजाऊ शक्ति अलग-अलग प्रदान की हुई होती है जिसके कारण यह नियम कृषि पर लागू होता है।

7. श्रम का विभाजन कम (Less Division of Labour)-कृषि एक ऐसा उत्पादन का काम है जिसमें उद्योगों की तरह काम को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके नहीं किया जा सकता। इसलिए इसमें श्रम के विभाजन के लाभों को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

8. मशीनों का कम प्रयोग (Less use of Machines) कृषि में मशीनों से अधिक भूमि तथा श्रमिकों का महत्त्व अधिक होता है। इसलिए कृषि का आकार बड़ा होने पर भी मशीनों का प्रयोग करके उत्पादन की लागतों को बढ़ाया जा सकता है।

9. कम बचते (Less Economies )-कृषि के बड़े आकार में उतनी बचतें नहीं होती जितनी कि बड़े उद्योगों में होती हैं। इसके विपरीत कृषि में उत्पादन का पैमाना बड़ा करने से हानि होती है। इन कारणों से घटते प्रतिफल का नियम उत्पादन के दूसरे कामों से कृषि अधिक मात्रा में लागू होता है।

परन्तु आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार यह नियम सर्वव्यापिक है अर्थात् प्रत्येक उद्योग में लागू होता है। श्रीमती जोन रोबिनसन अनुसार, “बढ़ते प्रतिफल के नियम किसी उद्योग में चाहें लागू हो अथवा न हो, परन्तु घटते प्रतिफल का नियम प्रत्येक स्थिति में लागू होता है।”
(“The law of increasing returns may or may not appear in any industry but the law of diminishing returns will have to appear in every case. -Mrs. J. Robinson)

प्रश्न 3.
पैमाने के प्रतिफल के नियम की व्याख्या करो। (Discuss the Law of returns to scale.)
अथवा
बढ़ते, समान तथा घटते पैमाने के प्रतिफल के नियम की रेखाचित्रों द्वारा व्याख्या करो। (Explain the law of increasing. Constant and diminishing returns to scale with diagrams.)
अथवा जब सभी साधनों में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ते हैं? (Explain the effects on output when all inputs are increased in same Proportions.)
उत्तर-
पैमाने के प्रतिफल का नियम (Law of Returns to scale) पैमाने के प्रतिफल के नियम का अर्थ-जब सभी साधनों (Inputs) में समान-अनुपात में परिवर्तन किया जाता है तो कुल उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है। इनके सम्बन्ध को पैमाने के प्रतिफल का नियम कहा जाता है। यह एक दीर्घकाल (Long Period) की धारणा है। जब एक साधन की जगह पर सभी साधनों में 10% अनुपात पर वृद्धि की जाती है तो उत्पादन में वृद्धि होगी परन्तु यह वृद्धि
(a) 10 प्रतिशत से अधिक अनुपात पर हो सकता है।
(b) 10 प्रतिशत से समान अनुपात पर हो सकता है।
(c) 10 प्रतिशत से कम अनुपात पर हो सकता है।
यह पैमाने के प्रतिफल की तीन स्थितियों को प्रकट करती हैं-इन स्थितियों को एक सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट करते हैं
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 14
(A) पैमाने के बढ़ते प्रतिफल (Increasing Returns to Scale)-पैमाने के बढ़ते प्रतिफल, उत्पादन की उस स्थिति को प्रकट करते हैं, जहां उत्पादन के साधनों संयोग समान अनुपात में बढ़ते हैं, जैसे कि प्रथम संयोग में (1 एकड़ भूमि + 2 मजदूर) दूसरा संयोग (2 एकड़ भूमि + 4 मज़दूर) इत्यादि तो कुल उत्पादन में वृद्धि का अनुपात बढ़ता जाता है। प्रथम संयोग से उत्पादन में वृद्धि 10 इकाइयां तथा दूसरे में वृद्धि 12 इकाइयां हैं, क्योंकि कुल उत्पादन 22 इकाइयां हैं। तीसरे संयोग से कुल उत्पाद 36 इकाइयां हैं तो वृद्धि 14 इकाइयां किया जाता है। इस नियम को घटती लागत का नियम भी कहते हैं।

पैमाने के बढ़ते प्रतिफल के लागू होने के कारण (Causes)-पैमाने के बढ़ते प्रतिफल लागू होने के दो पैमाने के बढ़ते प्रतिफल कारण होते हैं –
(A) आन्तरिक बचतें (Internal Economies)आन्तरिक बचतें एक फ़र्म को उसकी चार दीवारी के अंदर प्राप्त होती हैं, जैसे कि
1. प्रबन्ध की बचतें-फ़र्म द्वारा कुशल प्रबन्धकों की नियुक्ति से उत्पादन में वृद्धि होती है।
2. श्रम बचतें-फ़र्म द्वारा श्रम का विभाजन किया जाता है तो उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।
3. तकनीकी बचतें-नई मशीनों तथा उत्पादन के उत्पादन के साधन (संयोग) नए ढंगों के प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 15
4. वित्तीय बचतें-फ़र्म को कम ब्याज की दर पर ऋण की सुविधा प्राप्त होती है।
5. खरीद तथा बेच सम्बन्धी बचतें-फ़र्म का आकार बडा होने से कच्चा माल खरीदने तथा तैयार माल बेचने में बचत होती है।

(B) बाहरी बचतें (External Economies)-ये बचतें एक उद्योग की सभी फ़र्मों को प्राप्त होती हैं, जब उद्योग का विस्तार होता है। मुख्य बाहरी बचतें इस प्रकार हैं

  • केन्द्रीय कर की बचतें-एक जगह पर बहुत-सी फ़र्मों की स्थापना से कच्चे माल यातायात, बिजली, पानी मज़दूरों की सिखलाई इत्यादि बचतें प्राप्त होती हैं।
  • सूचना सम्बन्धी बचतें-एक स्थान पर उद्योगों की स्थापना से प्रसार पर कम व्यय करना पड़ता है। कच्चा माल तथा मज़दूर आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।
  • यातायात की बचतें-फ़र्मों को यातायात के साधनों पर व्यय नहीं करना पड़ता। बहुत-सी फ़ौ स्थापित हो जाती हैं जोकि यातायात की सुविधाएं प्रदान करती हैं।

2. पैमाने के समान प्रतिफल (Constant Returns to Scale)-पैमाने के समान प्रतिफल की स्थिति वह स्थिति है, जिसमें उत्पादन के साधनों (Inputs) में समान दर पर वृद्धि करने से कुल उत्पादन में वृद्धि समान दर पर होती है। तीसरे संयोग से चौथे संयोग तक कुल, उत्पादन 36 से बढ़कर 48 हो जाता है तथा पांचवे संयोग तक 60 हो जाता है। इस प्रकार कुल उत्पादन में वृद्धि 12, 12 समान दर पर होती है। रेखाचित्र 12 में कुल उत्पादन की वृद्धि 12, 12 इकाइयां पैमाने के समान प्रतिफल समान दर पर हो रही हैं, जब उत्पादन के साधनों की आगतें (Inputs) में समान दर पर वृद्धि की जाती हैं। इसको पैमाने के समान प्रतिफल की स्थिति कहा जाता है। इस नियम को समान लागत का नियम भी कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

नियम के लागू होने के कारण (Causes)-पैमाने की आन्तरिक तथा बाहरी बचतें प्राप्त होनी बन्द हो जाती हैं, परन्तु आन्तरिक तथा बाहरी हानियाँ आरम्भ नहीं होती। इस बीच की स्थिति में यह नियम लागू होता है।

3. पैमाने के घटते प्रतिफल (Diminishing Returns उत्पादन के साधन (संयोग) of Scale)-यदि उत्पादन के साधनों (Inputs) में अन्य वृद्धि की जाती है, परन्तु उत्पादन में वृद्धि कम अनुपात पर होती है। सूचीपत्र में 6वीं तथा 7वीं इकाई लगाने से कुल उत्पादन 60 से बढ़कर 70 तथा 70 से बढ़कर 78 हो जाता पैमाने के घटते प्रतिफल है अर्थात् वृद्धि 10 तथा 8 इकाइयाँ होती हैं।

रेखाचित्र 13 दिखाया है कि जब उत्पादन के साधनों के संयोग 6वीं तथा 7वीं इकाई के रूप में लगाए जाते हैं तो कुल उत्पादन 60 से 70 अर्थात् 10 इकाइयां बढ़ता है तथा एक संयोग अन्य बढ़ाने से उत्पादन 70 से 78 अर्थात् 8 इकाइयां बढ़ जाता है। इस स्थिति को पैमाने के घटते प्रतिफल की स्थिति कहते हैं। इस नियम को बढ़ती लागत का नियम भी कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 16
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 17
नियम लागू होने के कारण (Causes)-इस नियम के लागू होने का मुख्य कारण पैमाने की आन्तरिक तथा बाहरी हानियाँ होती हैं –

  1. प्रबन्धकी बचतें, प्रबन्धकी हानि में परिवर्तित हो जाते हैं। फ़र्म का प्रबन्ध करना कठिन हो जाता है, जब आकार बढ़ा होता है।
  2. तकनीकी हानियां होती हैं, मशीनों का अति प्रयोग घिसावट की समस्या उत्पन्न करता है।
  3. उस क्षेत्र में प्रदूषण फैलने से कार्य कुशलता कम हो जाती है।
  4. मज़दूरों तथा कच्चे माल की लागत बढ़ जाती है।

V. संरव्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कुल भौतिक उत्पादन सूची से औसत उत्पादन सूची तथा सीमान्त भौतिक उत्पादन की गणना करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 18
उत्तर-
औसत भौतिक उत्पादन (APP) तथा सीमान्त भौतिक उत्पादन (MPP) की गणना –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 19

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सूचीपत्र में एक साधन की सीमान्त भौतिक उत्पादन दिया गया है। जब रोज़गार का स्तर 0 है तो कुल भौतिक उत्पादन शून्य है तो इस स्थिति में कुल भौतिक उत्पादन तथा औसत भौतिक उत्पादन का माप करो। |

रोज़गार का स्तर 1 2 3 4 5 6
सीमान्त भौतिक उत्पादन 20 22 18 16 14 6

उत्तर-
कुल भौतिक उत्पादन (TPP) तथा औसत भौतिक उत्पादन (APP) की गणना
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 21

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सूची पत्र में कुल उत्पादन का स्तर दिया गया है। बदलवें अनुपातों के नियम की विभिन्न अवस्थाओं को स्पष्ट करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 22
उत्तर-
बदलवें अनुपातों के नियम की अवस्थाएँ :-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 23

प्रश्न 4.
निम्नलिखित सारणी से सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन ज्ञात करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 24
सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन की गणना –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 25

प्रश्न 5.
निम्नलिखित A तथा B सूचीपत्रों में दो प्रकार की तकनीक अथवा उत्पादन फलन दिया है। दो साधन अकुशल मज़दूर तथा कुशल मज़दूर हैं। दिखाओ कि सूचीपत्र A पैमाने के बढ़ते प्रतिफल तथा सूचीपत्र B पैमाने का घटते प्रतिफल को प्रकट करता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 26
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 27
उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि > श्रमिकों में प्रतिशत वृद्धि
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को प्रकट करता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 28
उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि < श्रम घण्टों में प्रतिशत वृद्धि
∴ पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को प्रकट करता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 6.
निम्नलिखित सारणी से बदलवें अनुपातों के नियम की विभिन्न अवस्थाओं की पहचान करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 29
उत्तर-
बदलवें अनुपातों के नियम की अवस्थाएं
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 30

प्रश्न 7.
निम्नलिखित सारणी में बदलवें अनुपातों के नियम की तीन अवस्थाओं की पहचान करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 31
उत्तर-
बदलवें अनुपातों के नियम की अवस्थाएँ –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 32

प्रश्न 8.
निम्नलिखित सारणी से बदलवें अनुपातों के नियम की तीन अवस्थाओं को स्पष्ट करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 33
उत्तर-
बदलवें अनुपातों के नियम की अवस्थाएँ-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 34

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 9.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 35
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 36

प्रश्न 10.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 37
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 38

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

→ ਗਿਆਤ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਅਜਿਹੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਤਰਤੀਬ ਦੇਣਾ ਕਿ ਸਮਾਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਣ ਅਤੇ ਭਿੰਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਵੱਖਰੇ ਗੁੱਟ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਣ, ਨੂੰ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੇ ਤਿੱਕੜੀ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ ਜਦੋਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੂੰਜਾਂ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਕੁਮ ਵਿੱਚ ਤਰਤੀਬ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਸਮਾਨ ਗੁਣ ਵਾਲੇ ਤਿੰਨ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁੱਟ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਤੱਤ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਬਾਕੀ ਦੋਵੇਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਦੇ ਮੱਧਮਾਨ (ਔਸਤ) ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਨੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗਰੁੱਪ ਰਸਾਇਣਿਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਤੱਤਾਂ ਦੀਆਂ ਤਿੱਕੜੀਆਂ (Triads) ਬਾਰੇ ਦੱਸਿਆ, ਪਰ ਇਸ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਸਾਰੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਵਰਗੀਕ੍ਰਿਤ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕੇ ।

→ 1964 ਈ: ਵਿੱਚ ਨਿਊਲੈਂਡ (Newland) ਨੇ ਅਸ਼ਟਕ (Octaves) ਨਿਯਮ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ 40 ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਵਾਲੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਤੱਕ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਕੀਤਾ ।

→ ਰੂਸੀ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਮੈਂਡਲੀਵ (Mendeleef) ਦੇ ਆਵਰਤ ਨਿਯਮ (Periodic law) ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ ਜੋ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੇ ਨਿਯਮ (Mendeleef Law) ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ (Periodic Table) ਨੂੰ ਪੀਰੀਅਡਾਂ (Periods) ਅਤੇ ਗਰੁੱਪਾਂ (Groups) ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

→ ਖੜ੍ਹਵੀਆਂ ਕਤਾਰਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ (Groups) ਅਤੇ ਖਿਤਿਜੀ ਲੇਟਵੀਆਂ ਕਤਾਰਾਂ ਨੂੰ ਪੀਰੀਅਡ (Period) ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਥਾਂਵਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਲਈ ਖ਼ਾਲੀ ਛੱਡ ਦਿੱਤੀਆਂ ਸਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਉਸ ਸਮੇਂ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ਸੀ ।

→ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕਾਂ ਦੇ ਆਵਰਤੀ ਫੰਕਸ਼ਨ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

→ ਦੀਰਘ (ਲੰਬੀ) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਧਾਤਾਂ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ, ਅਧਾਤਾਂ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਅਤੇ ਉਪਧਾਤਾਂ ਸਾਰਨੀ ਦੀ ਸੀਮਾਂ ਉੱਤੇ ਸਥਿਤ ਹਨ ।

→ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕਾਂ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਤਰਤੀਬ ਦੇਣ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਵਕਫੇ ਜਾਂ ਸਮੇਂ ਪਿੱਛੋਂ ਦੁਹਰਾਏ ਜਾਣ ਨੂੰ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਆਵਰਤਤਾ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਵਰਤੀ ਧਾਰਨੀ ਦੇ ਕਿਸੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਉੱਪਰ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਜਾਂਦਿਆਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ ਵੱਧਦੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਪੀਰੀਅਡ ਵਿੱਚ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਜਾਂਦਿਆਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਅਰਧਵਿਆਸ ਘੱਟਦੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਿਸੇ ਤੱਤ ਦੇ ਨਿਵੇਕਲੇ ਗੈਸੀ ਪਰਮਾਣੂ ਜਾਂ ਆਇਨ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਨੂੰ ਹਟਾਉਣ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੀ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਆਇਨਿਨ ਊਰਜਾ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਉੱਪਰ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਜਾਂਦਿਆਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਆਇਨਿਨ ਉਰਜਾ ਘੱਟਦੀ ਹੈ ।

→ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਪੀਰੀਅਡ ਵਿੱਚ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਜਾਂਦਿਆਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀਆਂ ਆਇਨਿਨ ਊਰਜਾਵਾਂ ਵੱਧਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਉਹ ਤੱਤ ਜਿਹੜੇ ਖਿੱਚੀਣਯੋਗ, ਕੁਟੀਣਯੋਗ, ਬਿਜਲੀ ਅਤੇ ਤਾਪ ਦੇ ਸੂਚਾਲਕ ਅਤੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਸੌਖ ਨਾਲ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਗੁਆ ਕੇ ਬਿਜਲਈ ਧਨ ਚਾਰਜਿਤ ਆਇਨ (ਕੈਟਆਇਨ) ਬਣਾ ਸਕਣ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਧਾਤਾਂ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਉਹ ਤੱਤ ਜਿਹੜੇ ਕੜਕੀਲੇ, ਚਮਕ ਰਹਿਤ, ਬਿਜਲੀ ਅਤੇ ਤਾਪ ਦੇ ਕੁਚਾਲਕ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਸੌਖਿਆਂ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਕੇ ਬਿਜਲਈ ਰਿਣ ਚਾਰਜਿਤ ਆਇਨ (ਐਨਆਇਨ) ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਨੂੰ ਅਧਾਤਾਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਕੈਂਡੀਅਮ, ਗੈਲੀਅਮ, ਜਰਮੇਨੀਅਮ ਆਦਿ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੋਈ ।

→ ਸੰਨ 1913 ਵਿੱਚ ਹੈਨਰੀ ਮੋਜ਼ਲੇ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਤੱਤ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਉਸਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ ਅਧਿਕ ਆਧਾਰਭੂਤ ਗੁਣ ਹੈ ।

→ ਉਪਧਾਤ ਦੁਆਰਾ ਧਾਤ ਅਤੇ ਅਧਾਤ ਦੋਨਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਪਧਾਤ ਹਨ-ਬੋਰਾਂ, ਸਿਲੀਕਾਂਨ, ਜਰਮੇਨੀਅਮ, ਆਰਸੈਨਿਕ, ਐਂਟੀਮਨੀ, ਟੈਲੁਰੀਅਮ, ਪਲੋਨੀਅਮ ।

→ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਖਾਰੇ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਸਾਧਾਰਨ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

→ ਕਿਸੇ ਤੱਤ ਦੇ ਉਦਾਸੀਨ ਗੈਸੀ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਤੋਂ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਦੇ ਕੱਢਣ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੀ ਊਰਜਾ ਦੀ ਨਿਊਨਤਮ ਮਾਤਰਾ ਨੂੰ ਆਇਨਿਨ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਿਸੇ ਤੱਤ ਦੇ ਉਦਾਸੀਨ ਪਰਮਾਣੂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੋਰ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਦੇ ਜੁੜਨ ਤੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲੀ ਉਰਜਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਬੰਧੂਤਾ ਆਕਰਸਨ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਧਾਤਵੀ ਗੁਣ ਉੱਪਰੋਂ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਆਉਣ ਨਾਲ ਵੱਧਦਾ ਹੈ ।

→ ਵਰਗੀਕਰਨ (Classification)-ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਅਜਿਹੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਤਰਤੀਬ ਦੇਣਾ ਕਿ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਣ ਜਦੋਂ ਕਿ ਭਿੰਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਵੱਖਰੇ ਗੁੱਟ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਣ, ਨੂੰ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਿਊਲੈਂਡ ਦਾ ਅਸ਼ਟਕ ਨਿਯਮ (Newland’s Law of Octave)-ਜਦੋਂ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੂੰਜਾਂ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਤਰਤੀਬ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗੁਣ ਵਾਲੇ ਤਿੰਨ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁੱਟ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਤੱਤ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਬਾਕੀ ਦੋਵੇਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜਾਂ ਦੇ ਮੱਧਮਾਨ (ਔਸਤ) ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਤਿੱਕੜੀ ਨਿਯਮ (Triads)-ਜਦੋਂ ਤਿੱਕੜੀ (ਸਮਾਨ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਵਾਲੇ ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਨੂੰ ਵੱਧਦੇ ਹੋਏ ਪਰਮਾਣੁ ਪੁੰਜਾਂ ਦੇ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗੁਣ ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਗੁੱਟ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਤੱਤ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਬਾਕੀ ਦੋਨਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜਾਂ ਦੇ ਮੱਧਮਾਨ ਦੇ
ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਅਸ਼ਟਕ ਜਾਂ ਆਠਾ (Octave)-ਅੱਠ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਸਮੂਹ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਰੱਖਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ (Periodic Table)-ਇਹ ਇਕ ਸਾਰਨੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਵਿਧੀ ਨਾਲ ਵਰਗੀਕਰਨ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਹੈ ।

→ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ (Mandeleef’s Periodic Table)-ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਸਾਰਨੀ ਬਣਾਈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕਰਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਸੀ ।

→ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ (Modern Periodic Table)-ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਸੰਸ਼ੋਧਨ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸਾਰਨੀ ਜਿਸ ਦਾ ਆਧਾਰ ਪਰਮਾ ਅੰਕ ਸੀ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਜਾਂ ਦੀਰਘ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਨਿਯਮ (Mandeleef’s Periodic Law)-ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਦੇ ਆਵਰਤੀ ਫਲਨ (ਫੰਕਸ਼ਨ) ਹਨ ।

→ ਪੀਰੀਅਡ (Period)-ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਦੀਆਂ ਖਿਤਿਜੀ ਕਤਾਰਾਂ ਨੂੰ ਪੀਰੀਅਡ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਗਰੁੱਪ (Group)-ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਲੰਬਾਤਮਕ ਕਾਲਮਾਂ (ਖੜ੍ਹਵੀਆਂ ਕਤਾਰਾਂ) ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਨਿਯਮ (Modern Periodic Law)-ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕਾਂ ਦੇ ਆਵਰਤੀ ਫੰਕਸ਼ਨ ਹਨ । ਇਸ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ 1-7 ਪੀਰੀਅਡ, 1-18 ਗਰੁੱਪ, 4 ਬਾਲਕ ਅਤੇ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਤੱਤ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

→ ਆਵਰਤਤਾ (Periodicity)-ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕਾਂ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਰੂਮ ਵਿੱਚ ਤਰਤੀਬ ਦੇਣ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਨਿਸਚਿਤ ਵਕਫੇ ਜਾਂ ਪੀਰੀਅਡ ਪਿੱਛੋਂ ਦੁਹਰਾਏ ਜਾਣ ਨੂੰ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਆਵਰਤਤਾ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਰਮਾਣੂ ਅਰਧ ਵਿਆਸ (Atomic Radius)-ਨਿਵੇਕਲੇ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਬਿੰਦੂ ਅਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿਚਕਾਰ ਵਿੱਥ ਨੂੰ ਪਰਮਾਣੂ ਅਰਧ ਵਿਆਸ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੰਯੋਜਕ ਇਲੈੱਕਟਾਨ (Valence Electron)-ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਇਲੈੱਕਵਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਨੂੰ ਸੰਯੋਜਕ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਆਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਆਇਨੀਕਰਨ ਊਰਜਾ (lonisation Energy-ਆਇਨੀਕਰਨ ਊਰਜਾ ਉਹ ਲੋੜੀਂਦੀ ਊਰਜਾ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਕਿਸੇ ਪਰਮਾਣੂ ਦੀ ਜਾਂ ਆਇਨ ਦੇ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਨ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ਵਾਸਤੇ ਲੋੜੀਂਦੀ ਹੋਵੇ ।

→ ਇਲੈੱਕਵਾਨ ਬੰਧੂਤਾ (Electron Affinity)-ਕਿਸੇ ਉਦਾਸੀਨ ਗੈਸ ਦੇ ਬਾਹਰੀ ਸੈੱਲ ਵਿਚ ਬਾਹਰ ਤੋਂ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਦੇ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋਣ ਸਮੇਂ ਜਿੰਨੀ ਊਰਜਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਹ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਬੰਧੁਤਾ ਅਫਿਨੀਟੀ (ਖਿੱਚ) ਅਖਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਸੰਯੋਜਕਤਾ (Valency)-ਕਿਸੇ ਤੱਤ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੀ ਸੰਯੋਗ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ਉਸ ਤੱਤ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਸੰਯੋਜੀ ਇਲੈੱਕਟਾਨਾਂ ਦੁਆਰਾ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲੀ ਧਨਾਤਮਕਤਾ (Electro-positivity)-ਧਾਤਵੀ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਗੁਆਉਣ ਕਰਕੇ ਧਨ ਆਇਨ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਧਨਾਤਮਕਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਰਿਣਾਤਮਕਤਾ (Electro-negativity)-ਅਧਾਤਵੀ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਰਿਣ-ਆਇਨ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਰਿਣਾਤਮਕਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਉਪਧਾਤਾਂ ਜਾਂ ਮੈਟਾਲਾਂਇਡਸ (Metalloids)-ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤ ਅਤੇ ਅਧਾਤ ਦੋਨਾਂ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਪਧਾਤਾਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਾਕ੍ਰਿਤਕ ਤੱਤ (Naturally Occuring Elements)-ਜਿਹੜੇ ਤੱਤ ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਕ੍ਰਿਤਕ ਤੱਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਰਮਾਣੂ ਆਕਾਰ (Atomic Size)-ਕਿਸੇ ਪਰਮਾਣੁ ਦੇ ਨਿਊਕਲੀਅਸ (Nucleus) ਅਤੇ ਪਰਮਾਣੁ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿਚਲੀ ਦੂਰੀ ਨੂੰ ਪਰਮਾਣੂ ਦਾ ਆਕਾਰ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਇਹ ਅਰਧ ਵਿਆਸ (Radius) ਹੀ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧੀ ਤੱਤ (Representative Element)-ਉਪ ਵਰਗ A ਦੇ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧੀ ਤੱਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

→ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਯੋਗ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਕਾਰਬਨ ਦੀਆਂ ਯੌਗਿਕ ਹਨ ।

→ ਸਾਰੀਆਂ ਸਜੀਵ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ ਕਾਰਬਨ ‘ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਕਾਰਬਨ ਸਾਡੇ ਲਈ ਉਪਯੋਗੀ ਹੈ ।

→ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕਾਰਬਨ ਗਿਕ ਬਿਜਲਈ ਚਾਲਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 6 ਹੈ । ਇਸਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 4 ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਅਸ਼ਟਕ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਸਾਂਝਾ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਜੋੜਾ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਇਕਹਿਰਾ ਬੰਧਨ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਲੋਰੀਨ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂ ਵਾਲਾ ਅਣੂ (Cl2) ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

→ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਦੋਹਰੇ ਬੰਧਨ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਅਸ਼ਟਕ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਨਾਈਟ੍ਰੋਜਨ ਦੇ ਇੱਕ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਹਰੇਕ ਪਰਮਾਣੂ ਤਿੰਨ-ਤਿੰਨ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਦੇ ਤਿੰਨ ਸਹਿਯੋਗੀ ਜੋੜੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਮੀਥੇਨ, ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਇੱਕ ਯੌਗਿਕ ਹੈ । ਇਹ ਬਾਇਓ ਗੈਸ ਅਤੇ ਸੰਪੀੜਤ ਪ੍ਰਾਕਿਰਤਿਕ ਗੈਸ (CNG) ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਹੈ ।

→ ਹੀਰਾ ਅਤੇ ਗ੍ਰੇਫਾਈਟ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਭਿੰਨ ਰੂਪ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਫੁਲਰੀਨ ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਭਿੰਨ ਰੂਪ ਹੈ ਜਿਸਨੂੰ C-60 ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪਛਾਣਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

→ ਕਾਰਬਨ ਦੁਆਰਾ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਬਣਨ ਕਾਰਨ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਲੜੀ ਬੰਧਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਇਕਹਿਰਾ ਬੰਧਨ ਜੁੜੇ ਯੋਗਿਕ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਯੌਗਿਕ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਾਰਬਨ-ਕਾਰਬਨ ਬੰਧਨ ਬਹੁਤ ਸਥਾਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਾਰਬਨ, ਆਕਸੀਜਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਨਾਈਟ੍ਰੋਜਨ, ਸਲਫਰ, ਕਲੋਰੀਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਈ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਯੋਗਿਕ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਇਕ ਸਮਾਨ ਅਣਵੀਂ ਸੂਤਰ ਪਰੰਤੂ ਵਿਭਿੰਨ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ ਵਾਲੇ ਯੌਗਿਕ ਸੰਰਚਨਾਤਮਕ ਯੌਗਿਕ ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਿੱਧੀਆਂ ਅਤੇ ਸ਼ਾਖਿਤ ਕਾਰਬਨ ਲੜੀਆਂ ਤੋਂ ਛੁੱਟ ਛੱਲੇ-ਰੂਪੀ ਆਕਾਰ ਵਿੱਚ ਵੀ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਵਿਵਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਾਈਕਲੋਰੈਕਸੇਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

→ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਾਂ ਨੂੰ ਐਲਕੇਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ | ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਦੋਹਰਾ ਬੰਧਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਨੂੰ ਐਲਕੀਨ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇੱਕ ਜਾਂ ਵੱਧ ਤਿਹਰੇ ਬੰਧਨ ਵਾਲੇ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਾਂ ਨੂੰ ਐਲਕਾਈਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਾਰੇ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਬਲਣ ਨਾਲ ਊਸ਼ਮਾ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਬਲਣ ‘ਤੇ ਸਵੱਛ ਲਾਟ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਜਦਕਿ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਕਾਲੇ ਧੂੰਏਂ ਵਾਲੀ ਪੀਲੀ ਲਾਟ ਨਾਲ ਬਲਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਪੂਰਨ ਹਿਨ ਹੋਣ ਤੇ ਕਾਲਿਖਯੁਕਤ ਲਾਟ ਬਣਦੀ ਹੈ ।

→ ਕੋਲਾ ਅਤੇ ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਪਥਰਾਟੀ ਬਾਲਣ ਹਨ ।

→ ਪੂਰਨ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੋਣ ਨਾਲ ਅਲਕੋਹਲ, ਕਾਰਬਾਕਸਲਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ !

→ ਜਿਹੜੇ ਪਦਾਰਥ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰੱਖਦੇ ਹੋਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਪਦਾਰਥ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਉਤਪ੍ਰੇਰਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਆਪ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਭਾਗ ਨਹੀਂ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਮੀਥੇਨੋਲ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ ਮਾਤਰਾ ਦੇ ਸੇਵਨ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਅੰਨ੍ਹਾ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਮੀਥੇਨੋਲ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ ਮਾਤਰਾ ਈਥੇਨੋਲ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣ ਨਾਲ ਇਸ ਨੂੰ ਦੁਰਉਪਯੋਗ ਹੋਣ ਤੋਂ ਰੋਕਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਗੰਨੇ ਦੇ ਰਸ ਦੇ ਖ਼ਮੀਰਨ ਤੋਂ ਈਥਨੋਲ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਕੁੱਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਵਾਂ (Some Important Definitions)

→ ਕਾਰਬਨ (Carbon)-ਕਾਰਬਨ ਇੱਕ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਤੱਤ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 6, ਪੁੰਜ ਸੰਖਿਆ 12 ਅਤੇ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 4 ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ 2, 4 ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਦੇ ਦੁਆਰਾ PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 1 ਪ੍ਰਗਟਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ (Carbon compounds)-ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਯੋਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਉਪਸਥਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਹਿਯੋਜੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ (Covalent Bond)-ਇਹ ਬੰਧਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਇਲੈਂਕਾਨਾਂ ਦੀ ਸਾਂਝੇਦਾਰੀ ਤੋਂ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਬੰਧਨਾਂ ਨੂੰ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਭਿੰਨਰੂਪਤਾ (Allotropy)-ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਉਹ ਗੁਣ ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਇੱਕ ਤੱਤ ਇੱਕ ਤੋਂ ਵੱਧ ਰੂਪਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਗੁਣ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪਰੰਤੁ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਤੱਤ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਰੂਪਾਂ ਨੂੰ ਭਿੰਨ ਰੂਪ ਅਤੇ ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਭਿੰਨਰੂਪਤਾ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ (Hydrocarbon)-ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਬਣੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਐਲਕੇਨ ਜਾਂ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ (Alkane or Saturated Hydrocarban)-ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਾਂ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸੂਤਰ Cn, H2n + 2 ਹੋਵੇ, ਐਲਕੇਨ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਿੱਚ ਇਕਹਿਰਾ ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਮੁਅੰਗਕਤਾ (Isomerism)-ਅਜਿਹੇ ਯੌਗਿਕ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਅਣਵੀਂ ਸੁਰ ਸਮਾਨ ਹੈ, ਪਰੰਤੁ ਸੰਰਚਨਾਤਮਕ ਸੂਤਰ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਹੋਵੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮੁਅੰਗਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਸਮਅੰਗਕਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ (Unsaturated Hydrocarbon)-ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਾਂ ਦੇ ਦੋ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਦੋਹਰਾ ਜਾਂ ਤਿਹਰਾ ਬੰਧਨ ਹੋਵੇ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਐਲਕੀਨ (Alkenes)-ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਾਂ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ Cn H2n ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਐਲਕੀਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਐਲਕਾਈਨ (Atkyne)-ਅਜਿਹੇ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦੋ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਤਿਹਰਾ
ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਐਲਕਾਈਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ Cn H2n – 2 ਹੈ ।

→ ਲੜੀ ਬੰਧਨ (Catenation)-ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਹੋਰ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੁਆਂ ਨਾਲ ਬੰਧਨ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਬਚਿੱਤਰ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਹ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਜੁੜ ਕੇ ਲੰਬੀ ਲੜੀ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਗੁਣ ਨੂੰ ਲੜੀ ਬੰਧਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਇਲੈੱਕਟਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ (Electron Dot Structure)-ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਤੱਤ ਜਾਂ ਯੋਗਿਕ ਦੇ ਅਣੂ ਨੂੰ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੇ ਸਾਂਝੇ ਜੋੜਿਆਂ ਨੂੰ ਬਿੰਦੂ (.) ਜਾਂ ਸ (x) ਦੇ ਚਿੰਨ੍ਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਇਲੈੱਕਟਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਫੁਲਰੀਨ (Fullerene)-ਇਹ ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਭਿੰਨ ਰੂਪ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਫੁੱਟਬਾਲ ਦੀ ਆਕ੍ਰਿਤੀ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੋੜਾਤਮਕ ਪ੍ਰਤਿਕਿਰਿਆ (Addition Reaction)-ਇਹ ਉਹ ਪ੍ਰਤਿਕਿਰਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਕਿਸੇ ਉਤਪ੍ਰੇਰਕ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਜਾਂ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਤੱਤ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

→ ਪ੍ਰਤਿਸਥਾਪਨ ਅਭਿਕਿਰਿਆ (Substitution Reaction)-ਜਦੋਂ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪ੍ਰਮਾਣੁ ਦੀ ਥਾਂ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਤੱਤ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ/ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤਿਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਤਿਸਥਾਪਨ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਐਸਟਰੀਕਰਨ (Esterification)-ਕਾਰਬਾਕਸਲਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਅਲਕੋਹਲ ਦੀ ਪਰਸਪਰ ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਬਣੀ ਉਪਜ ਐਸਟਰ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਐਸਟਰੀਕਰਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ (IFunctional Group)-ਪਰਮਾਣੂ ਜਾਂ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦਾ ਸਮੂਹ ਜੋ ਕਿਸੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਖ਼ਮੀਰਨ (Fermentation)-ਜਟਿਲ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਐਲਜ਼ਾਈਮ ਜਾਂ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਸਰਲ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਅਪਘਟਿਤ ਹੋਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਖ਼ਮੀਰਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਐਲਕੋਹਲ (Alcohol)-ਐਲਕੇਨ ਦੇ ਇੱਕ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਪਰਮਾਣੂ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰਾਕਸਿਲ (-OH) ਸਮੂਹ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਤਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਯੌਗਿਕ ਨੂੰ ਅਲਕੋਹਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਾਰਬਾਕਸਲਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (Carboxylic Acid)-ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਜਾਂ ਇੱਕ ਤੋਂ ਵੱਧ-COOH ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਹੋਣ, ਕਾਰਬਾਕਸਲਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ (Homologous Series)-ਯੋਗਿਕਾਂ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਲੜੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੀ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਹੋਵੇ ਅਤੇ ਲੜੀ ਦੇ ਦੋ ਲਾਗਲੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਿੱਚ -CH2 ਦਾ ਅੰਤਰ ਹੋਵੇ, ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण: सन्तुलन कीमत Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत

PSEB 11th Class Economics पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
सन्तुलन कीमत की परिभाषा दीजिए।
अथवा
सन्तुलन कीमत का अर्थ बताओ।
उत्तर-
जहां बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति एक-दूसरे के समान होते हैं; उस कीमत को सन्तुलन कीमत कहा जाता

प्रश्न 2.
वस्तु की अधिक मांग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
बाज़ार में एक निश्चित कीमत के स्तर पर वस्तु की मांग, वस्तु की पूर्ति से अधिक होती है तो इसको अधिक मांग (Excess Demand) की स्थिति कहा जाता है।

प्रश्न 3.
वस्तु की अधिक पूर्ति का अर्थ बताओ।
उत्तर-
वस्तु की अधिक पूर्ति उस स्थिति को कहा जाता है, जब निश्चित कीमत पर वस्तु की पूर्ति, वस्तु की मांग से अधिक होती है।

प्रश्न 4.
बाज़ार सन्तुलन (Market Equilibrium) को स्पष्ट करो।
उत्तर-
बाज़ार सन्तुलन उत्पादन के उस स्तर को कहा जाता है, जहां कि वस्तु की मांग तथा वस्तु की पूर्ति एक-दूसरे के समान होती है। इस स्थिति में अधिक मांग शून्य तथा अधिक पूर्ति शून्य की स्थिति पाई जाती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत

प्रश्न 5.
सन्तुलन की धारणा को बाज़ार मांग तथा पूर्ति अनुसूची द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
सन्तुलन कीमत बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति द्वारा निर्धारित होती हैसूची पत्र अनुसार ₹ 3 सन्तुलन कीमत है, जो कि बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति द्वारा निर्धारण होती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 1

प्रश्न 6.
सन्तुलन कीमत कैसे निर्धारित होती है ?
अथवा
पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में वस्तु की कीमत कैसे निर्धारित होती है? रेखाचित्र द्वारा दिखाओ।
उत्तर-
जिस स्थान पर मांग तथा पूर्ति द्वारा सन्तुलन प्राप्त होता है। इसको बाज़ार सन्तुलन (Market Equilibrium). कहा जाता है। कीमत निश्चित होती है, इसको सन्तुलन कीमत कहा जाता है। इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में वस्तु की कीमत निर्धारित होती है।

प्रश्न 7.
केन्द्र के बजट 2002-03 में चाय पर उत्पादन कर (Excise Duty) ₹ 2 रु० प्रति किलो से घटाकर ₹ 1 प्रति किलोग्राम किया गया। शेष बातें समान रहें, इसका चाय की कीमत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
जब चाय पर उत्पादन (Excise Duty) ₹ 2 से घटाकर ₹ 1 प्रति किलो की जाती है तथा शेष बातें समान रहती हैं। इससे चाय की पूर्ति में वृद्धि होगी तथा चाय की कीमत कम हो जाएगी।

प्रश्न 8.
कीमत यन्त्र पर प्रत्यक्ष हस्तक्षेप तथा अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-

  1. प्रत्यक्ष हस्तक्षेप (Direct Intervention)-जब सरकार वस्तुओं की कम-से-कम कीमत अथवा न्यूनतम उत्साहित कीमत निर्धारित करती है तो कीमत यन्त्र पर इसको प्रत्यक्ष हस्तक्षेप कहा जाता है।
  2. अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप (Indirect Intervention)-जब सरकार वस्तु के उत्पादन पर कर (Excise Duty) लगा देती है तो इसको कीमत यन्त्र पर अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप कहा जाता है।

प्रश्न 9.
इससे आपका क्या अभिप्राय है? (a) कीमत नियन्त्रण (b) न्यूनतम उत्साहित कीमत।
उत्तर-

  • कीमत नियन्त्रण (Control Price) जब वस्तु की कीमत सन्तुलन कीमत से कम निर्धारित की जाती है ताकि निर्धन वर्ग के लोग भी अनिवार्य वस्तुएं गेहूं, चावल इत्यादि की खरीद कर सकें तो इसको कीमत नियन्त्रण कहते हैं।
  • न्यूनतम उत्साहित कीमत (Support Price)-जब वस्तु की कीमत सन्तुलन कीमत से अधिक निर्धारित की जाती है ताकि फसल आने पर गेहूं, चावल की पूर्ति बढ़ने के कारण कीमत कम न हो जाएं तो उस कीमत को न्यूनतम उत्साहित कीमत (Support Price) कहा जाता है।

प्रश्न 10.
मान लो चीनी पर कीमत नियन्त्रण समाप्त किया जाता है, शेष बातें समान रहें। इसका चीनी की कीमत तथा उपभोग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
जब चीनी पर कीमत नियन्त्रण समाप्त किया जाता है तो शेष बातें समान रहें, चीनी की कीमत में वृद्धि होगी तथा कीमत नियन्त्रण से जो पहले कीमत थी, उसके समान कीमत हो जाएगी परन्तु इससे चीनी के उपभोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

प्रश्न 11.
मांग में वृद्धि अथवा कमी से सन्तुलन कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
सन्तुलन कीमत मांग तथा पूर्ति द्वारा निर्धारित होती है। जब वस्तु की मांग में वृद्धि होती है तो सन्तुलन कीमत बढ़ जाती है। इसके विपरीत जब मांग में कमी होती है तो कीमत कम हो जाती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत

प्रश्न 12.
पूर्ति में वृद्धि अथवा कमी से कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
वस्तु की मांग तथा पूर्ति द्वारा बाज़ार सन्तुलन स्थापित होता है तो सन्तुलन कीमत निर्धारित हो जाती है। जब पूर्ति में वृद्धि होती है तो वस्तु की कीमत कम हो जाती है तथा पूर्ति में कमी होने से वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है।

प्रश्न 13.
किसी वस्तु की कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है; जब वस्तु की मांग में वृद्धि, पूर्ति में वृद्धि से अधिक होती है?
उत्तर-
वस्तु की कीमत मांग तथा पूर्ति में समानता द्वारा निर्धारित होती है। जब मांग में वृद्धि, पूर्ति में वृद्धि से अधिक होती है तो उस स्थिति में कीमत में वृद्धि होगी, परन्तु अन्य बातें समान रहनी चाहिए।

प्रश्न 14.
किसी वस्तु की कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है, जब वस्तु की मांग में वृद्धि पूर्ति में वृद्धि से कम होती है?
उत्तर-
दूसरी बातें समान रहें तो वस्तु की मांग में वृद्धि जब पूर्ति में वृद्धि से कम होती है तो पूर्ति अधिक बढ़ने के कारण वस्तु की कीमत घटने की प्रवृत्ति रखती है।

प्रश्न 15.
जब मांग तथा पूर्ति समान अनुपात में अधिक अथवा कम हो जाती है तो कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
जब मांग तथा पूर्ति समान अनुपात पर बढ़ जाती है अथवा समान अनुपात पर कम हो जाती है तो ऐसी स्थिति में वस्तु की कीमत समान रहती है।

प्रश्न 16.
सन्तुलन कीमत में समय के महत्त्व से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
प्रो० मार्शल ने सन्तुलन कीमत में मांग तथा पूर्ति में कौन-सा महत्त्वपूर्ण तत्त्व होता है, इसको स्पष्ट करने के लिए समय के महत्त्व को स्पष्ट किया है। उन्होंने समय को तीन भागों में विभाजित किया-

  • बाज़ार समय
  • अल्पकाल
  • दीर्घकाल।

प्रश्न 17.
बाज़ार समय क्या है?
उत्तर-
बाज़ार समय बहुत कम-सा समय होता है, जिसमें वस्तु की पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता, मांग बढ़ जाए तो कीमत बढ़ जाती है तथा मांग कम हो जाए तो कीमत कम हो जाती है। पूर्ति स्थिर रहती है।

प्रश्न 18.
अल्पकाल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अल्पकाल इतना कम समय होता है, जिसमें नई फ़र्ने उद्योग में शामिल नहीं हो सकतीं तथा न ही पुरानी फ़र्मे उद्योग को छोड़ सकती हैं। इसी समय में पुरानी मशीनों से अधिक समय लेकर पूर्ति में वृद्धि की जा सकती है।

प्रश्न 19.
दीर्घकाल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
दीर्घकाल इतना लम्बा समय होता है, जिसमें नई फ़मैं उद्योग में शामिल हो सकती हैं तथा वस्तु की पूर्ति को साधनों में परिवर्तन से बढ़ाया जा सकता है अथवा घटाया जा सकता है। इस प्रकार पूर्ति का योगदान अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 20.
उद्योग का आर्थिक व्यावहारिक (Viable) होने से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उद्योग के आर्थिक व्यावहारिक होने से अभिप्राय है कि वस्तु की मांग तथा पूर्ति एक दूसरे को किसी-नकिसी बिन्दु पर अवश्य काटती हैं तथा सन्तुलन की स्थिति स्थापित हो जाती है।

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प्रश्न 21.
उद्योग के आर्थिक अव्यावहारिक (Nonviable) होने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उद्योग के आर्थिक तौर पर अव्यावहारिक होने से अभिप्राय है कि पूर्ति मांग से ऊपर होती है तथा यह दोनों एक-दूसरे को काटती नहीं हैं।

प्रश्न 22.
जब स्थानापन्न वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है तो इससे उपभोग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
किसी वस्तु X के स्थानापन्न वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो इस स्थिति में X वस्तु की मांग में वृद्धि हो जाएगी तथा मांग वक्र दाईं ओर को खिसक जाएगा।

प्रश्न 23.
जब पूरक वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है तो इससे वस्तु के उपभोग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
जब पूरक वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है, जैसे कि कार की कीमत में वृद्धि होती है तो पूरक वस्तु पेट्रोल की मांग कम हो जाती है।

प्रश्न 24.
जब आगतें (Inputs) की कीमत बढ़ जाती है तो वस्तु की खरीद मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
जब आगतें (Inputs) कीमत बढ़ जाती है तो वस्तु की लागत में वृद्धि होती है। लागत के बढ़ने से कीमत बढ़ जाती है। इसलिए खरीदी गई मात्रा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा कम मात्रा खरीदी जाती है।

प्रश्न 25.
जब लागत घटाने वाली तकनीक का प्रयोग होता है, इससे बाज़ार कीमत तथा मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
जब लागत घटाने वाली तकनीक का प्रयोग होता है तो लागत घटने से कीमत कम हो जाती है तथा वस्तु की खरीदी गई मात्रा में वृद्धि होती है

प्रश्न 26.
जब उत्पादन कर में वृद्धि होती है तो बाज़ार कीमत तथा मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
जब उत्पादन कर लगता है अथवा बढ़ाया जाता है तो वस्तु की कीमत बढ़ जाती है, इससे वस्तु की खरीदी गई मात्रा कम हो जाएगी।

प्रश्न 27.
मांग में वृद्धि से कीमत में वृद्धि कब होती है, जब वस्तु की मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता?
उत्तर-
जब पूर्ति पूर्ण अलोचशील अर्थात् OY के समानांतर होती है तो मांग में वृद्धि होने से कीमत में वृद्धि होगी, परन्तु वस्तु की मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता।

प्रश्न 28.
नियन्त्रण कीमत तथा सन्तुलन कीमत में क्या संबंध होता है?
उत्तर-
सरकार द्वारा नियन्त्रण कीमत आवश्यक वस्तुओं की स्थिति में निर्धारित की जाती है जो कि सन्तुलन कीमत से कम होती है। इस कीमत पर निर्धन लोग सरलता से आवश्यक वस्तुएं खरीद सकते हैं।

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प्रश्न 29.
न्यूनतम समर्थन कीमत तथा सन्तुलन कीमत में क्या संबंध है?
उत्तर-
न्यूनतम समर्थन कीमत वह कीमत है जो कि किसानों की उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए निर्धारित की जाती है, जो कि सन्तुलन कीमत से अधिक होती है।

प्रश्न 30.
समर्थन कीमत से अधिक पूर्ति की समस्या क्यों उत्पन्न होती है?
उत्तर-
समर्थन कीमत हमेशा सन्तुलन कीमत से ऊपर निश्चित की जाती है। इस स्थिति में वस्तु की पूर्ति मांग से अधिक होती है। इसलिए अधिक पूर्ति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 31.
जब पूर्ति बढ़ती अथवा कम होती है तो किस स्थिति में कीमत स्थिर रहेगी ?
उत्तर-
जब पूर्ति और माँग एक ही अनुपात में बढ़ जाती है अथवा कम होती है तो कीमत स्थिर रहेगी।

प्रश्न 32.
किस स्थिति में कीमत स्थिर रहेगी जब माँग घटती अथवा बढ़ती है ?
उत्तर-
जब माँग बढ़ती अथवा कम होती है और पूर्ति भी उस अनुपात में बढ़ जाती है अथवा कम होती है तो कीमत स्थिर रहेगी।

प्रश्न 33.
सन्तुलन कीमत ………. द्वारा निर्धारण होती है।
(a) फ़र्म
(b) उद्योग
(c) भाईवाली फ़र्म
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) उद्योग।

प्रश्न 34.
जब माँग अधिक होती है तो कीमत में …….. आएगा।
(a) कमी
(b) उछाल
(c) स्थिरता
(d) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) उछाल।

प्रश्न 35.
यदि वस्तु की माँग घटती है तो सन्तुलन कीमत ………. है।
(a) घटती
(b) बढ़ती
(c) सामान्य रहती
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) घटती।

प्रश्न 36.
जब पूर्ति वक्र माँग वक्र के ऊपर होता है और वह एक दूसरे को नहीं काटते तो इसको ….. उद्योग कहा जाता है।
उत्तर-
अव्यावहारिक।

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प्रश्न 37.
जब पूर्ति पूर्ण लोचदार होती है माँग के बढ़ने या घटने से सन्तुलन कीमत …….. ।
(a) बढ़ जाती है
(b) घट जाती है
(c) सामान्य रहती है
(d) कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
उत्तर-
(d) कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 38.
जब वस्तु की पूर्ति पूर्ण बेलोचशील होती है माँग के बढ़ने तथा कम होने से सन्तुलन कीमत
(a) बढ़ जाती है अथवा कम होती है
(b) घट जाती है
(c) सामान्य रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) सामान्य रहती है।

प्रश्न 39.
पूर्ति सामान्य रहती है और माँग के बढ़ने अथवा घटने से कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है।
उत्तर-
कीमत बढ़ अथवा घट जाती है।

प्रश्न 40.
वस्तु की माँग सामान्य रहती है पूर्ति के बढ़ने तथा कम होने से सन्तुलन कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
पूर्ति के बढ़ने से कीमत कम हो जाएगी अथवा पूर्ति के बढ़ने से कीमत कम हो जाती है।

प्रश्न 41.
पूर्ति पूर्ण लोचदार है परन्तु माँग के बढ़ने तथा कम होने से कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है।
उत्तर-
कीमत स्थिर रहती है।

प्रश्न 42.
जब माँग पूर्ण बेलोचदार है और पूर्ति में परिवर्तन से कीमत –
(a) बढ़ जाएगी
(b) कम हो जाएगी।
(c) घट अथवा बढ़ जाएगी
(d) कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
उत्तर-
(c) घट अथवा बढ़ जाएगी।

प्रश्न 43.
जब माँग पूर्ति की तुलना में अधिक बढ़ जाती है तो सन्तुलन कीमत तथा मात्रा में ……. होती है।
(a) वृद्धि
(b) कमी
(c) सामान्य
(d) कोई प्रभाव नहीं।
उत्तर-
(a) वृद्धि।

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प्रश्न 44.
जब माँग तथा पूर्ति में वृद्धि सामान्य अनुपात में होती है तो कीमत स्थिर होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 45.
जब माँग में वृद्धि पूर्ति के वृद्धि की तुलना में अधिक होती है तो कीमत कम होती है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 46. जब पूर्ति में वृद्धि माँग की वृद्धि की तुलना अधिक होती है तो सन्तुलन कीमत घट जाती है।
उत्तर-
सही।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सन्तुलन कीमत की परिभाषा दीजिए।
अथवा
सन्तुलन कीमत का अर्थ बताओ।
उत्तर-
जहां बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति एक-दूसरे के समान होते हैं; उस कीमत को सन्तुलन कीमत कहा जाता है। पूर्ण प्रतियोगिता में यह कीमत मांग तथा पूर्ति द्वारा स्थापित होती है।

प्रश्न 2.
सन्तुलन कीमत कैसे निर्धारित होती है ?
अथवा
पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में वस्तु की कीमत कैसे निर्धारित होती है? रेखाचित्र द्वारा दिखाओ।
उत्तर-
रेखाचित्र 1 में मांग DD तथा पूर्ति SS द्वारा सन्तुलन E बिन्दु पर होता है। इसको बाज़ार सन्तुलन (Market Equilibrium) कहा जाता है। OP कीमत निश्चित होती है, इसको सन्तुलन कीमत कहा जाता है। इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में वस्तु की कीमत निर्धारित होती है।
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प्रश्न 3.
बाज़ार समय क्या है?
उत्तर-
बाज़ार समय बहुत कम-सा समय होता है, जिसमें वस्तु की पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता, मांग बढ़ जाए तो कीमत बढ़ जाती है तथा मांग कम हो जाए तो कीमत कम हो जाती है। पूर्ति स्थिर रहती है। .

प्रश्न 4.
अल्पकाल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अल्पकाल इतना कम समय होता है, जिसमें नई फ़र्मे उद्योग में शामिल नहीं हो सकतीं तथा न ही पुरानी फ़र्मे उद्योग को छोड़ सकती हैं। इसी समय में पुरानी मशीनों से अधिक समय लेकर पूर्ति में वृद्धि की जा सकती है।

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प्रश्न 5.
दीर्घकाल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
दीर्घकाल इतना लम्बा समय होता है, जिसमें नई फ़र्ने उद्योग में शामिल हो सकती हैं तथा वस्तु की पूर्ति को साधनों में परिवर्तन से बढ़ाया जा सकता है अथवा घटाया जा सकता है। इस प्रकार पूर्ति का योगदान अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 6.
उद्योग का आर्थिक व्यावहारिक (Viable) होने से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उद्योग के आर्थिक व्यावहारिक होने से अभिप्राय है कि वस्तु की मांग तथा पूर्ति एक दूसरे को किसी-नकिसी बिन्दु पर अवश्य काटती हैं तथा सन्तुलन की स्थिति स्थापित हो जाती है।

प्रश्न 7.
उद्योग के आर्थिक अव्यावहारिक (Nonviable) होने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उद्योग के आर्थिक तौर पर अव्यावहारिक होने से अभिप्राय है कि पूर्ति मांग से ऊपर होती है तथा यह दोनों एक-दूसरे को काटती नहीं हैं।
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सन्तुलन कीमत से क्या अभिप्राय है? बाज़ार सन्तुलन को मांग तथा पूर्ति सूची तथा रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो
उत्तर-
सन्तुलन कीमत वह कीमत है, जहां कि बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति एक-दूसरे के समान होते हैं। बाज़ार सन्तुलन की स्थिति को सूची पत्र तथा रेखाचित्र 3 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
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सूची पत्र में कीमत तथा मांग का विपरीत सम्बन्ध है, जबकि कीमत तथा पूर्ति का सीधा सम्बन्ध है। जहां बाज़ार मांग = बाजार पूर्ति (3 = 3) हैं, इसको बाज़ार सन्तुलन कहा जाता है, जैसे कि रेखाचित्र 3 में E बिन्दु द्वारा दिखाया गया है। इससे ₹ 3 कीमत निर्धारण हो जाती है, इसको सन्तुलन कीमत (Equilibrium Price) कहते हैं।

प्रश्न 2.
आर्थिक तौर पर व्यावहारिक (Viable) तथा अव्यावहारिक (Non-viable) उद्योगों में क्या अन्तर है? रेखाचित्रों द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
1. व्यावहारिक उद्योग (Viable Industries)व्यावहारिक उद्योग वह उद्योग होते हैं, जिनमें वस्तुओं की मांग तथा पूर्ति एक-दूसरे को किसी निश्चित बिन्दु पर काटती है, उस बिन्दु को बाज़ार सन्तुलन कहते हैं। जहां कि रेखाचित्र 4 में साधारण तौर पर बाजार में उपलब्ध वस्तुओं की कीमत मांग तथा पूर्ति द्वारा सन्तुलन से स्थापित हो जाती है। इन उद्योगों की मांग वक्र पर पूर्ति वक्र एक-दूसरे को किसी बिन्दु पर अवश्य काटती है।

2. अव्यावहारिक उद्योग (Nonviable Industries)जब किसी उद्योग की पूर्ति वक्र, मांग वक्र को नहीं काटती, बल्कि पूर्ति वक्र मांग वक्र से ऊपर होती है तो ऐसी वस्तु का उत्पादन उस अर्थव्यवस्था में नहीं किया जाता। जैसे कि निजी हवाई जहाज़ों की पूर्ति भारत जैसे देशों में ऊंची है तथा मांग कम है। इसलिए निजी | D हवाई जहाज़ों का उद्योग भारत जैसे देशों में अव्यावहारिक है। जब पूर्ति वक्र मांग वक्र से ऊंची होती है तो इस उद्योग को अव्यावहारिक उद्योग कहा जाता है। जैसा कि रेखाचित्र 5 में दिखाया गया है।

प्रश्न 3.
सन्तुलन कीमत कैसे निर्धारित होती है? एक वस्तु की मांग में परिवर्तन का इस पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
सन्तुलन कीमत वह कीमत है, जोकि बाज़ार मांग तथा बाजार पूर्ति द्वारा निर्धारित होती है। जैसे कि रेखाचित्र 6 में DD मांग तथा SS पूर्ति द्वारा सन्तुलन E बिन्दु पर E स्थापित होता है। इसलिए OP कीमत निर्धारण हो जाती है। इसको सन्तुलन कीमत कहा जाता है। यदि शेष बातें समान रहती हैं, वस्तु की मांग बढ़ने से | सन्तुलन कीमत बढ़ जाती है तथा मांग घटने से सन्तुलन कीमत कम हो जाती है, जैसे कि रेखाचित्र 6 में मांग DD से बढ़कर D1D1 हो जाती है। सन्तुलन कीमत OP से बढ़कर OP2 हो तो सन्तुलन कीमत OP2 रह जाएगी। इस प्रकार मांग की वृद्धि से कीमत बढ़ जाती है तथा मांग की कमी से कीमत कम हो जाती है।
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प्रश्न 4.
सन्तुलन कीमत तथा पूर्ति में परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है ? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
सन्तुलन कीमत वह कीमत है जो बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति द्वारा निर्धारित होती है। शेष बातें समान रहें, जब वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है तो सन्तुलन कीमत कम हो जाती है तथा जब वस्तु की पूर्ति में कमी होती है तो सन्तुलन कीमत में वृद्धि होती है। रेखाचित्र 7 में DD मांग तथा SS पूर्ति से सन्तुलन कीमत OP निर्धारित हो जाती है। जब पूर्ति SS से बढ़कर S1S1 हो जाती है तो कीमत OP से कम होकर OP1 हो जाएगी। इसके विपरीत जब पूर्ति SS से कम होकर S2S2 हो जाती है तो सन्तुलन कीमत OP से बढ़कर OP2 हो जाएगी।
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प्रश्न 5.
बाज़ार कीमत तथा विनिमय मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ेगा, जब
(a) मांग वक्र दाईं ओर खिसक जाती है।
(b) मांग वक्र पूर्ण लोचशील होती है, परन्तु पूर्ति वक्र खिसक जाता है।
(c) जब मांग तथा पूर्ति समान अनुपात में घट जाती है।
उत्तर-
(a) जब मांग वक्र दाईं ओर खिसक जाती है तो इससे वस्तु की. बाज़ार कीमत तथा मात्रा में वृद्धि होती है जैसे कि रेखाचित्र 8 में पूर्ति समान रहती है परन्तु मांग वक्र DD से बढ़कर D1D1 हो जाती है। इससे कीमत OP से बढ़कर OP1 तथा मात्रा OQ से बढ़कर OQ1 हो जाएगी।
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(b) जब मांग वक्र पूर्ण लोचशील होता है तथा पूर्ति में परिवर्तन होता है तो कीमत OP समान रहेगी, परन्तु पूर्ति SS से बढ़कर S1S1 होती है तो वस्तु की मात्रा OQ से बढ़कर OQ1 हो जाती है तथा पूर्ति S2S2 कम हो जाती है तो मात्रा OQ2 रह जाएगी। जैसा कि रेखाचित्र 9 में दिखाया गया है।
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(c) जब मांग तथा पूर्ति समान अनुपात में कम हो जाते हैं तो कीमत OP समान रहती है, परन्तु वस्तु की मात्रा OQ से कम होकर OQ1 रह जाती है। जैसा कि रेखाचित्र 10 में दिखाया गया है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 9

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत

प्रश्न 6.
सन्तुलन कीमत से क्या अभिप्राय है? यह स्पष्ट करो कि जब मांग तथा पूर्ति दोनों में वृद्धि समान अनुपात में होती है तो सन्तुलन कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता। . उत्तर-
सन्तुलन कीमत वह कीमत है जो बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति द्वारा निर्धारण होती है, जैसे कि रेखाचित्र 11 में DD मांग तथा SS पूर्ति द्वारा सन्तुलन कीमत OP निर्धारित हो जाती है। यदि मांग तथा पूर्ति में वृद्धि समान अनुपात में दिखाया गया है। मांग DD से बढ़कर D1D1 तथा पूर्ति SS से बढ़कर S1S1 हो जाती है तो सन्तुलन कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता, परन्तु मात्रा OQ से बढ़कर OQ1 हो जाएगी।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 10

प्रश्न 7.
जब मांग पूर्ण लोचशील अथवा पूर्ण अलोचशील होती है तो पूर्ति में परिवर्तन का सन्तुलन कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है ? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर
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1. रेखाचित्र 12 (i) में मांग पूर्ण लोचशील DD दिखाई गई है जो कि ox के समानान्तर है। पूर्ति SS से बढ़कर S1S1 हो जाती है अथवा कम होकर S2S2 रह जाती है तो सन्तुलन कीमत OP स्थिर रहती है, जबकि मात्रा OQ से बढ़कर OQ1 अथवा घटकर OQ2 रह जाती है।
2. रेखाचित्र 12.(ii) में मांग पूर्ण लोचशील दिखाई गई है, यदि पूर्ति SS से बढ़कर S1S1 हो जाती है तो सन्तुलन कीमत OP से बढ़कर OP1 हो जाती है तथा यदि पूर्ति SS से घटकर S2S2 हो जाती है तो सन्तुलन कीमत बढ़कर OP से OP2 हो जाएगी।

प्रश्न 8.
जब पूर्ति पूर्ण लोचशील अथवा पूर्ण अलोचशील होती है तथा मांग में परिवर्तन होता है तो इसका सन्तुलन कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
जब पूर्ति लोचशील अथवा पूर्ण अलोचशील होती है तथा मांग में परिवर्तन से सन्तुलन कीमत पर प्रभाव को रेखाचित्र 13 द्वारा स्पष्ट करते हैं-
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1. रेखाचित्र 13 (i) में पूर्ति SS पूर्ण लोचशील है। मांग DD से बढ़कर D1D1 अथवा कम होकर D2D2 रह जाती है तो सन्तुलन कीमत OP स्थिर रहती है।
2. रेखाचित्र 13 (ii) में पूर्ति SS पूर्ण अलोचशील है। मांग DD से बढ़कर D1D1 हो जाती है तो सन्तुलन कीमत OP से बढ़कर OP1 हो जाएगी। यदि मांग कम होकर D2D2 रह जाती है तो सन्तुलन कीमत OP2 रह जाती है।

प्रश्न 9.
आय में वृद्धि से वस्तु की सन्तुलन कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करें।
अथवा
जब किसी वस्तु की माँग पूर्ति से अधिक होती है तो कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
जब आय में वृद्धि होती है तो मांग में वृद्धि हो जाएगी। यदि पूर्ति समान रहती है तो सन्तुलन कीमत OP से बढ़कर OP1 हो जाएगी। ऐसा साधारण वस्तुओं की स्थिति में होता है, जैसा कि रेखाचित्र 14 में दिखाया गया है।
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प्रश्न 10.
भयानक अकाल के परिणामस्वरूप गेहूं का उत्पादन बहुत घट जाता है। इससे बाज़ार में गेहं की कीमत पर क्या प्रभाव पड़ेगा? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
जब भयानक अकाल के कारण गेहूं का उत्पादन बहुत कम हो जाता है तो इससे अभिप्राय है कि गेहूं की पूर्ति कम हो जाती है, जब कि मांग में कोई परिवर्तन नहीं होता। इससे गेंहू की कीमत में वृद्धि होगी। जैसे कि रेखाचित्र 15 में कीमत OP से बढ़कर OP1 दिखाई गई है।
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प्रश्न 11.
मान लो जीनज़ पैंटों की मांग बढ़ जाती है, परन्तु कपास की कीमत में वृद्धि होने से उसी समय जीनज़ पैंटों की पूर्ति कम हो जाती है। इसका जीनज़ की कीमत तथा बेची गई मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ेगा? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
जीनज़ पैंटों की मांग में वृद्धि होती है, परन्तु जीनज़ पैंटों की पूर्ति कम हो जाती है तो इससे जीनज़ की कीमत में बहुत वृद्धि होगी, जैसे कि मांग बढ़कर DD से D1D1 होती है, परन्तु पूर्ति SS से कम होकर S1S1 रह जाती है, इससे कीमत OP से बढ़कर OP1 हो जाए, जबकि जीनज़ की मात्रा OQ से कम होकर OQ1 रह जाती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 15

प्रश्न 12.
चीन टेलीफोन के यन्त्र बनाने वाला बड़ा निर्माता है। यह हाल ही में विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बन गया है। इससे अभिप्राय है कि यह अपनी वस्तुएं भारत जैसे देशों को बेच सकता है। मान लो यह भारत को टेलीफोन यन्त्र निर्यात करने लगता है
(a) इससे भारत में टेलीफोन कीमत तथा बेची गई मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(b) मान लो टेलीफोन वस्तुओं की मांग अधिक लोचशील है तो इससे भारत के कुल व्यय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
(a) जब चीन भारत को टेलीफोन यन्त्र (Telephone instruments) बड़ी मात्रा में निर्यात करेगा तो इसका प्रभाव यह पड़ेगा कि टेलीफोन यन्त्रों की कीमत भारत में घट जाएगी। इससे टेलीफोन यन्त्रों की बेची गई मात्रा में बहुत अधिक वृद्धि होगी।

(b) भारत में यदि टेलीफोन से सम्बन्धित वस्तुओं की मांग अधिक लोचशील है तो कीमत में कमी होने के कारण इनकी मांग में बहुत वृद्धि होगी तथा भारत का कुल व्यय टेलीफोन यन्त्रों पर बहुत बढ़ जाएगा।

प्रश्न 13.
श्रीमती रामगोपाल अनुसार अर्थशास्त्री विपरीत बातें करते हैं, जब कीमत घटती है तो मांग बढ़ती है, परन्तु जब मांग बढ़ती है तो कीमत बढ़ती है। ठीक अथवा गलत सिद्ध करो। रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
श्रीमती रामगोपाल के कथन के दो भाग हैं।
1. जब कीमत घटती है तो मांग में वृद्धि होती हैप्रथम कथन में कहा गया है कि जब कीमत कम हो जाती है तो मांग में वृद्धि होती है। इस स्थिति में एक मांग वक्र पर मांग बढ़ जाती है। जब किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है रेखाचित्र 17 में जब कीमत OP से मांग OQ है। कीमत कम होकर OP1 हो जाती है तो मांग बढ़कर OQ2 हो जाती है। इसको मांग का विस्तार (Extension in Demand) कहा जाता है।
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2. मांग में वृद्धि होती है, जब कीमत बढ़ जाती हैकथन का दूसरा भाग भी ठीक है, जब भी मांग में वृद्धि होती है तो कीमत में वृद्धि हो जाती है। जैसे कि रेखाचित्र 18 अनुसार जब कीमत OP है तो मांग OQ मात्रा की जाती है। मांग DD से बढ़कर D1D1 हो जाती है तो कीमत में वृद्धि होगी, जैसे कि मांग OQ से बढ़कर OQ1 होती है तो कीमत OP से बढ़कर OP1 हो जाती है। इसको मांग की वृद्धि (Increase in Demand) कहा जाता है।
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प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मांग वक्र पर परिवर्तन अथवा मांग वक्र में परिवर्तन के रूप में दीजिए।
(a) सन् 2001 में सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीने पर पाबन्दी लगाई थी। इसका सिगरेट की औसत कीमत तथा बेची गई मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ने की सम्भावना है?
(b) नई खोजों से पेट्रोल तथा डीजल की कीमत घटने की सम्भावना है। इसका नई कारों के बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
(c) वातावरण सम्बन्धी नए नियमों अनुसार दवाइयां बनाने के उद्योगों को वातावरण अनुकूल तकनीक का प्रयोग करने के लिए कहा जाता है। जिससे पहले से कम रसायन वातावरण में शामिल होते हैं। इससे दवाइयों की कीमत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
(a) सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीने की पाबन्दी लगाने से सिगरेट की मांग में कमी होगी। इससे सिगरेट की औसत कीमत कम हो जाएगी तथा मांग की मात्रा भी कम हो जाएगी।
(b) जब नई खोजों से पेट्रोल तथा डीजल की कीमत में कमी होती है तो इससे कारों की मांग बढ़ जाएगी, क्योंकि पेट्रोल तथा डीज़ल सस्ते हो जाते हैं।
(c) जब दवाइयों के निर्माण में महंगी तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जिससे वातावरण प्रदूषित न हो तो दवाइयों की कीमत बढ़ जाएगी, क्योंकि दवाइयों की पूर्ति कम हो जाएगी।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत

प्रश्न 15.
रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो कि कीमत नियन्त्रण प्रणाली में राशन तथा काले बाज़ार कैसे उत्पन्न हो . जाते हैं?
उत्तर-
जब सरकार कीमत नियन्त्रण प्रणाली का प्रयोग करके सन्तुलन कीमत से कीमत कम निर्धारण कर देती है तो इस स्थिति में वस्तु की मांग अधिक हो जाती है तथा पूर्ति कम होती है। जैसे कि रेखाचित्र 19 में मांग DD तथा पूर्ति SS द्वारा सन्तुलन कीमत OP है। यदि सरकार नियन्त्रित कीमत OP1 निर्धारण कर देती है तो इस कीमत पर P1S1 = OQ1 सन्तुलन कीमत पूर्ति है, परन्तु मांग P1d1 = OQ1 है। इस स्थिति में सरकार को अधिक मांग की पूर्ति के लिए राशन नीति की सहायता नियन्त्रित कीमत लेनी पड़ती है। परन्तु सन्तुलन कीमत बहुत अधिक होने के कारण वह वस्तु काले बाज़ार (Black market) में अधिक मूल्य पर बेची जाती है। इस प्रकार राशन तथा काला बाजार, नियन्त्रित कीमत के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
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प्रश्न 16.
अकाल के ‘खाद्य उपलब्धता घटने’ (Food Availability Decline) सिद्धान्त को स्पष्ट करो। रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
मांग तथा पूर्ति के सिद्धान्त को व्यावहारिक रूप देने के लिए प्रो० ए० के० सेन खाद्य उपलब्धता घटने (FAD) सिद्धान्त दिया। प्रो० सेन अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के कारण चावल का उत्पादन किसी क्षेत्र में बहुत कम हो जाता है। दूसरे क्षेत्रों में से चावल लाने से यातायात के साधनों की लागत अधिक होने के कारण, चावल की कीमत बहुत बढ़ जाती है तथा उस कीमत पर लोग चावल खरीद नहीं सकते। इसलिए अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तथा भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस सिद्धान्त को रेखाचित्र 20 द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 19

रेखाचित्र 20 में A, B तथा C तीन परिवारों की मांग को दिखाया है। तीन परिवारों A + B + C की मांग को चौथे भाग में दिखाया है। परिवार A बहुत गरीब है, B परिवार C से गरीब है तथा C परिवार अमीर है। जब कीमत OP1 है तो केवल C परिवार ही चावल खरीद सकता है। OP1 कीमत पर B तथा C परिवार अनाज खरीद सकते हैं परन्तु A परिवार नहीं खरीद सकता। यदि कीमत OP2 निश्चित होती है तो परिवार A तथा B अनाज नहीं खरीद सकते तथा भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसको खाद्य उपलब्धता घटने का सिद्धान्त कहा जाता है।

प्रश्न 17.
कीमत प्रणाली के गुण तथा दोष बताओ।
अथवा
प्रतियोगी बाज़ार में उपभोक्ता तथा उत्पादकों के निर्णयों में तालमेल कैसे होता है?
उत्तर–
प्रतियोगी बाज़ार में उपभोक्ता तथा उत्पादकों में निर्णयों के तालमेल के कारण कीमत निर्धारण होती है। कीमत प्रणाली के गुण तथा दोष निम्नलिखित हैं-
गुण (Merits)-

  1. कीमत प्रणाली द्वारा उपभोक्ताओं तथा उत्पादकताओं में तालमेल होने के उपरान्त एक सन्तुलन कीमत स्थापित होती हैं जहां दोनों ही अपने आपको सन्तुष्ट महसूस करते हैं।
  2. कीमत प्रणाली द्वारा एक अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्याएं क्या, कैसे तथा किस लिए उत्पादन किया जाए, इसका हल किया जाता है।

दोष (Demerits)-

  1. कीमत प्रणाली द्वारा सामाजिक कल्याण प्राप्त नहीं किया जा सकता, जैसे कि प्रो० ए० के० सेन ने अनाज उपलब्धता घटने के सिद्धान्त द्वारा अकाल की स्थिति का वर्णन किया है।
  2. कीमत प्रणाली में किसी देश में वातावरण के सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं देता। अधिक लागत से उत्पादन नहीं किया जाता।
  3. कीमत प्रणाली द्वारा अमीर तथा गरीब में अन्तर बढ़ जाता है।

प्रश्न 18.
पूर्ति में वृद्धि और माँग में कमी का कीमत पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
जब किसी वस्तु की पूर्ति में वृद्धि हो जाती है और उस वस्तु की माँग में कमी हो जाती है तो इससे वस्तु की कीमत बहुत कम हो जाती है। रेखा चित्र 21 में मौलिक माँग DD और पूर्ति SS द्वारा की कीमत OP निर्धारण होती है। पूर्ति बढ़ कर S1S1 और माँग कम हो कर D1D1 रह जाती है तो नया सन्तुलन E द्वारा OP1 निर्धारण हो जाती है जो कि OP से बहुत कम है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 23

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सन्तुलन कीमत क्या है ? पूर्ण प्रतियोगिता में सन्तुलन कीमत कैसे निधारित होती है? (What is Equilibrium Price ? How is Equilibrium Price determined ?)
अथवा
बाज़ार के सन्तुलन को मांग तथा पूर्ति अनुसूची तथा रेखाचित्र द्वारा दिखाओ। (Show the determination of market equilibrium with the help of demand and supply schedules & diagram.)
उत्तर–
सन्तुलन कीमत (Equilibrium Price) वह कीमत होती है, जिस पर बाज़ार में वस्तु की मांग, वस्तु की पूर्ति के समान होती है। (The Equilibrium price is the price at which the quantity demanded is equal to quantity supplied) सन्तुलन कीमत पर सभी खरीददार अपनी मांग को पूरा कर लेते हैं तथा बेचने वाले वस्तु की उतनी मात्रा बेचने में सफल हो जाते हैं, जितनी वह बेचना चाहते हैं तो इस स्थिति को बाजार सन्तुलन (Market Equilibrium) कहा जाता है।

सन्तुलन कीमत का निर्माण (Determination of Equilibrium Price)-पूर्ण प्रतियोगिता एक ऐसा बाज़ार होता है, जिसमें-

  • खरीददारों तथा बेचने वालों की बड़ी संख्या होती है।
  • समरूप वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है।
  • फ़र्मों के प्रवेश तथा छोड़ने की स्वतन्त्रता होती है।
  • उत्पादन के साधनों में पूर्ण गतिशीलता पाई जाती है।
  • सभी बाज़ार में वस्तु की एक कीमत निर्धारित होती है।

ऐसे बाज़ार में कीमत निर्धारण को स्पष्ट करते हुए प्रो० मार्शल ने कहा, “जैसे कैंची के दो ब्लेड कागज़ काटने के लिए आवश्यक होते हैं, उसी तरह मांग तथा पूर्ति दोनों सन्तुलन कीमत निर्धारण करने के लिए अनिवार्य है।”

  • बाज़ार मांग (Market Demand)-बाज़ार मांग से अभिप्राय मांग की उस मात्रा से होता है, जो कि बाज़ार में सभी खरीददारों द्वारा की जाती है। वस्तु की कीमत तथा बाज़ार मांग का परस्पर विपरीत सम्बन्ध होता है।
  • बाज़ार पूर्ति (Market Supply) किसी वस्तु की वह मात्रा जो कि बाज़ार में सभी फ़र्मे बेचने के लिए तैयार होती हैं, उसको बाजार पूर्ति कहा जाता है। वस्तु की कीमत तथा बाजार पूर्ति का परस्पर में सीधा सम्बन्ध होता है।

बाजार अनुसूची तथा रेखाचित्र द्वारा सन्तुलन कीमत की व्याख्या–पूर्ण प्रतियोगिता में बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति के सन्तुलन द्वारा सन्तुलन कीमत निर्धारित होती है। जिस बिन्दु पर बाज़ार मांग तथा बाज़ार पूर्ति एक-दूसरे के समान हो जाते हैं तो उससे सन्तुलन कीमत निर्धारण हो जाती है, इसको बाज़ार अनुसूची द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
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PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 25
बाज़ार मांग तथा पूर्ति अनुसूची में स्पष्ट किया है कि जब रसगुल्ले की कीमत ₹ 5 प्रति है तो मांग रसगुल्ले की, की जाती है, जब कीमत में कमी होती है तो रसगुल्ले की मांग बढ़ती जाती है। दूसरी ओर पूर्ति तथा कीमत का सीधा सम्बन्ध है। जब रसगुल्ले की कीमत घटती है तो पूर्ति में कमी होती है। मांग तथा पूर्ति का सन्तुलन ₹ 3 की स्थिति में होता है। इसकी कीमत पर 3, 3 रसगुल्लों की मांग तथा पूर्ति समान है। इसलिए ₹ 3 को सन्तुलन कीमत कहा जाता है। 3, 3 मांग तथा पूर्ति को बाज़ार सन्तुलन कहते हैं। रेखाचित्र 22 में DD मांग तथा SS पूर्ति वक्र दिखाए गए हैं। E बिन्दु पर रसगुल्ले की मांग तथा पूर्ति समान है। इसलिए ₹ 3 को सन्तुलन कीमत कहा जाता है।

अधिक पूर्ति (Excess Supply)-जब कीमत ₹ 4 है तो खरीददार रसगुल्लों की कम मांग करते हैं तथा बेचने वाले अधिक रसगुल्ले बेचने को तैयार हैं। इसलिए AB अधिक पूर्ति की स्थिति है। पूर्ण प्रतियोगिता के कारण बेचने वाले रसगुल्ले की कीमत घटाकर लेने के लिए तैयार हो जाते हैं तथा कीमत कम (↓) हो जाएगी।

अधिक मांग (Excess Demand) यदि कीमत ₹ 3 से कम है, जैसे कि ₹ 2 प्रति रसगुल्ला है तो मांग अधिक होगी तथा बेचने वाले कम रसगुल्ले बेचने को तैयार होंगे। इसलिए खरीददारों में मुकाबला होगा तथा खरीददार अधिक कीमत देने के लिए तैयार हो जाते हैं तथा कीमत बढ़ (↑) जाती हैं। इस प्रकार सभी बाज़ार में उद्योग द्वारा वस्तु की मांग तथा पूर्ति द्वारा कीमत निर्धारित होती है। यह कीमत एक फ़र्म द्वारा निर्धारण नहीं होती, जो कीमत उद्योग में निर्धारण होती है, उसको प्रत्येक फ़र्मे स्वीकार करती हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत

प्रश्न 2.
मांग तथा पूर्ति में खिसकाव (परिवर्तन) द्वारा सन्तुलन कीमत पर प्रभाव को रेखाचित्रों द्वारा स्पष्ट करो। (Explain the effects of shifts in demand and supply on Equilibrium Price.)
अथवा
मांग तथा पूर्ति के खिसकने से सन्तुलन कीमत तथा उत्पादन पर प्रभाव को स्पष्ट करो। (Explain the effect shifts in demand and supply on Equilibrium Price and Production.)
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता में किसी वस्तु की सन्तुलन कीमत, मांग तथा पूर्ति द्वारा निर्धारित होती है। जहां बाज़ार मांग तथा बाजार पूर्ति समान होते हैं, उससे सन्तुलन कीमत निश्चित हो जाती है। अब हम मांग तथा पूर्ति में परिवर्तन (खिसकाव) द्वारा सन्तुलन कीमत पर पड़ने वाले प्रभाव को तीन भागों में विभाजित कर स्पष्ट करते हैं-

  1. मांग का खिसकाव (Shifts in demand)
  2. पूर्ति का खिसकाव (Shifts in supply)
  3. मांग तथा पूर्ति का साथ-साथ खिसकाव (Simultaneous shifts in demand & supply)

1. मांग का खिसकाव (Shifts in demand) अथवा मांग की वृद्धि अथवा कमी (Increase or decrease in demand)-मांग का खिसकाव (Shifting) दो तरह से हो सकता है-
(i) मांग में वृद्धि (Increase in demand)-मांग का दाईं ओर खिसकाव) यदि पूर्ति SS स्थिर रहती है तथा मांग DD से सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होता है तो OP सन्तुलन कीमत है। यदि मांग DD से बढ़कर D1D1 हो जाती है तो कीमत OP1 निर्धारित हो जाएगी तथा वस्तु की मात्रा OQ1 खरीदी जाएगी। इस प्रकार मांग की वृद्धि से कीमत तथा मात्रा दोनों ही बढ़ जाते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 26

(ii) मांग में कमी (Decrease in demand)-(मांग का बाईं ओर खिसकाव) यदि मांग DD से घटकर D2D2 रह जाती है तथा पूर्ति SS समान रहती है तो सन्तुलन E से बदलकर E2 पर हो जाएगा तथा कीमत घटकर OP2 हो जाएगी। इस स्थिति में वस्तु की मांग कम होकर OQ2 रह जाती है। इस प्रकार मांग की कमी से कीमत तथा मात्रा दोनों कम हो जाते हैं।
.
2. पूर्ति का खिसकाव (Shifts in Supply) अथवा पूर्ति की वृद्धि अथवा कमी (Increase or decrease in supply)-पूर्ति का खिसकाव (Shifting) दो प्रकार का हो सकता है-
(i) पूर्ति में वृद्धि (Increase in Supply)-(पूर्ति का दाईं ओर खिसकाव) यदि मांग DD स्थिर रहती है, पूर्ति SS होने की स्थिति में सन्तुलन E बिन्दु द्वारा सन्तुलन कीमत OP निर्धारित होती है। यदि पूर्ति की वृद्धि होती है तो पूर्ति वक्र S1S1 हो जाती है, इससे वस्तु की मात्रा OQ से OQ1 बढ़ जाएगी परन्तु कीमत OP से OP1 कम हो जाती है। इस प्रकार पूर्ति तथा मात्रा का सीधा सम्बन्ध तथा पूर्ति तथा कीमत का विपरीत प्रभाव पड़ता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 27

(ii) पूर्ति में कमी (Decrease in supply) (पूर्ति का बाईं ओर खिसकाव) यदि मांग में परिवर्तन नहीं होता, परन्तु पूर्ति SS से कम होकर S1S1 हो जाती है तो पूर्ति की कमी से वस्तु की मात्रा OQ से घटकर OQ2 रह जाती है, परन्तु कीमत OP से बढ़कर OP2 हो जाएगी। इस प्रकार पूर्ति के बढ़ने से वस्तु की अधिक मात्रा बेची जाती है. परन्त पूर्ति बढ़ने से कीमत पर विपरीत प्रभाव होता है अर्थात् कीमत घट जाती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण : सन्तुलन कीमत

(iii) मांग तथा पूर्ति में साथ-साथ परिवर्तन (Simultaneous shifts in Demand & Supply)-मांग तथा पूर्ति में साथ-साथ परिवर्तन तीन तरह से हो सकता है(a) मांग तथा पूर्ति में समान अनुपात में वृद्धि (Increase in demand & supply in the same proportion)—यदि मांग तथा पूर्ति दोनों दाईं ओर एक ही अनुपात में खिसक जाती है तो इस स्थिति में कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता, परन्तु वस्तु की मात्रा में वृद्धि हो जाएगी, जैसे कि रेखाचित्र 25 में दिखाया है कि मांग DD से बढ़कर D1D1 हो जाती है तथा पूर्ति SS से बढ़कर S1S1 हो जाती है। मांग तथा पूर्ति में वृद्धि समान अनुपात पर होती है तो सन्तुलन कीमत OP स्थिर रहती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 28

(b) यदि मांग में वृद्धि अधिक अनुपात में होती है (If demand increases in a larger proportion)-
मान लो मांग तथा पूर्ति दोनों में वृद्धि होती है, परन्तु पूर्ति की तुलना मांग में वृद्धि का अनुपात अधिक है तो इस स्थिति में कीमत के बढ़ने की प्रवृत्ति होती है। रेखाचित्र 26 में मांग में वृद्धि DD से D1D1 अधिक मात्रा में होती है, पूर्ति में वृद्धि SS से S1S1 मांग की तुलना में कम है। इसलिए सन्तुलन कीमत OP से OP1 निर्धारित हो जाती
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 29
(c) यदि पूर्ति में वृद्धि अधिक अनुपात में होती है (If supply increases in a larger proportion) यदि मांग तथा पूर्ति दोनों में वृद्धि होती है, परन्तु मांग में वृद्धि से पूर्ति में वृद्धि का अनुपात अधिक है तो इस स्थिति में कीमत घटने की प्रवृत्ति होगी। रेखाचित्र 27 में मांग तथा पूर्ति द्वारा सन्तुलन कीमत OP निर्धारित होती है तथा बाज़ार सन्तुलन E बिन्दु पर दिखाया गया है। मांग DD से D1D1 कम अनुपात में बढ़ती है, परन्तु पूर्ति SS से S1S1 अधिक अनुपात पर बढ़ती है। इससे कीमत OP1 हो जाएगी अर्थात् कीमत घटने की प्रवृत्ति होगी।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 13 पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत निर्धारण सन्तुलन कीमत 30

यदि मांग तथा पूर्ति कम हो जाते हैं तथा ऊपर दी व्याख्या के विपरीत परिवर्तन होता है-

  • मांग तथा पूर्ति में समान अनुपात में कमी होने से सन्तुलन, कीमत समान रहती है।
  • मांग में कमी, पूर्ति की कमी से अधिक अनुपात पर होती है तो सन्तुलन कीमत घटने की प्रवृत्ति रखती है।
  • पूर्ति में कमी मांग की कमी से अधिक अनुपात पर होती है तो सन्तुलन कीमत बढ़ने की प्रवृत्ति रखती है।

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns

Punjab State Board PSEB 3rd Class Maths Book Solutions Chapter 7 Patterns Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 3 Maths Chapter 7 Patterns

PAGE 152:

Do you remember ?

See carefully and fill in the blanks :

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 1

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 2

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns

PAGE 154:
Let’s do:

Observe the patterns and complete them:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 3

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 4

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 5

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns

Make some beautiful patterns with your thumb:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 6

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 7

As first pattern is given below, mark the next pattern:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 8

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 9

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns

PAGE 157:
Let’s do:

Question 1.
Observe the patterns and complete the following:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 11

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 10

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns

Question 2.
Add the odd numbers and complete the following patterns:
Solution.
(a) 1 + 3 + 5 + 7 + 9 + 11 = 6 × 6

(b) 1 + 3 + 5 + 7 + 9 + 11 + 13 = 7 × 7

(c) 1 + 3 + 5 + 7 + 9 + 11 + 13 + 15 = _____
Solution.
8 × 8

(d) 1 + 3 + 5 + 7 + 9 + 11 + 13 + 15 + 17 = _____
Solution.
9 × 9

Question 3.
Add the even numbers and complete the following patterns :
(a) 2 + 4 + 6 + 8 + 10 = 5 × 6

(b) 2 + 4 + 6 + 8 + 10 + 12 = 6 × 7

(c) 2 + 4 + 6 + 8 + 10 + 12 + 14 = _____
Solution.
7 × 8

(d) 2 + 4 + 6 + 8 + 10 + 12 + 14 + 16 = _____
Solution.
8 × 9

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns

Question 4.
Observe the pattern carefully and complete it:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 12

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 13

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns

Multiple Choice Questions:

Question 1.
Complete the pattern:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 14

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 15

Question 2.
Naman has proud on his particular name. He says that if his name is read inversely it will remain the same. Find this pattern in the following names ? Harsh, Daksh, Amar, Kanak, Aman.
(a) Harsh
(b) Daksh
(c) Amar
(d) Kanak.
Solution.
(d) Kanak.

Question 3.
Complete the Pattern :

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 17

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 7 Patterns 16

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

ਵੱਡੇ ਉੱਚਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ-
(i) ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਅਤੇ ਜੀਵੋਮ ਜਾਂ ਬਾਇਓਮ
(ii) ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਅਤੇ ਭੋਜਨ-ਜਾਲ
(iii) ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਅਤੇ ਸਰਬ-ਆਹਾਰੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਅਤੇ ਜੀਵੋਮ ਜਾਂ ਬਾਇਓਮ-

ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ (Ecosystem) ਜੀਵੋਮ ਜਾਂ ਬਾਇਓਮ (Biome)
(1) ਇਹ ਜੈਵ ਜਗਤ ਦੀ ਸਵੈ-ਧਾਰੀ (Self sus-taining) ਇਕਾਈ ਹੈ । (1) ਇਹ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਸਮੂਹ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਜੈਵ ਜੀਵਾਂ ਅਤੇ ਅਜੈਵ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਬਣਿਆ ਹੈ । (2) ਇਸ ਵਿਚ ਸਮਾਨ ਜਲਵਾਯੂ ਵਾਲੇ ਇੱਕ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਭੂਗੋਲਿਕ ਖੇਤਰ ਦੇ ਕਈ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(3) ਇਹ ਜੈਵ ਜਗਤ ਵੀ ਬਾਕੀਆਂ ਨਾਲੋਂ ਛੋਟੀ ਇਕਾਈ ਹੈ । (3) ਇਹ ਜੈਵ ਜਗਤ ਦੀ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਇਕਾਈ ਹੈ ।

(ii) ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਅਤੇ ਭੋਜਨ-ਜਾਲ-

ਭੋਜਨ-ਲੜੀ (Food Chain) ਭੋਜਨ-ਜਾਲ (Food web)
(1) ਇਹ ਕਿਸੇ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ । (1) ਇਸ ਵਿਚ ਆਹਾਰ ਪੱਧਰ ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(2) ਇਹ ਭੋਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਕ੍ਰਮਵਾਰ ਆਹਾਰ ਲੜੀ ਹੈ । (2) ਇਸ ਵਿਚ ਇਕ ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਦੇ ਜੀਵ ਕਿਸੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਪੋਸ਼ਣ ਪੱਧਰ ਤੇ ਹੋਰ ਭੋਜਨ-ਲੜੀਆਂ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ ਦਾ ਜਾਲ ਜਿਹਾ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
(3) ਇਸ ਵਿਚ ਆਹਾਰੀ ਪੱਧਰ ਸੀਮਿਤ ਹੈ । (3) ਇਸ ਵਿਚ ਆਹਾਰੀ ਪੱਧਰ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
(4) ਇਹ ਸੀਮਿਤ ਅਤੇ ਛੋਟੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ 1
(4) ਇਹ ਕਈ ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ ਦਾ ਜਾਲ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ 2

(ਉ) ਜੰਗਲ ਵਿਚ (ਅ) ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚ (ੲ) ਤਾਲਾਬ ਵਿੱਚ ।

(iii) ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਅਤੇ ਸਰਬ-ਆਹਾਰੀ-

ਮਾਸਾਹਾਰੀ (Carnivore) ਸਰਬ-ਆਹਾਰੀ (Omnivore)
(1) ਇਹ ਦੂਜੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਮਾਸ ਹੀ ਖਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ- ਸ਼ੇਰ, ਚੀਤਾ ਆਦਿ । (1) ਇਹ ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਮਾਸ ਅਤੇ ਪੇੜ-ਪੌਦੇ ਦੋਵਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਮਨੁੱਖ, ਦਿਲ ਆਦਿ ।
(2) ਇਹ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਜਾਂ ਉਸਦੇ ਅਗਲੇ ਸਾਰੇ ਪੱਧਰਾਂ ਤੇ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । (2) ਇਹ ਅਕਸਰ ਦੂਸਰੇ ਆਹਾਰੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(3) ਇਹ ਅਕਸਰ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । (3) ਇਹ ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਥਾਨ ਤੇ ਰਹਿ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
(4) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੱਟਣ ਵਾਲੇ ਦੰਦ ਘੱਟ ਵਿਕਸਿਤ ਅਤੇ ਕਿੱਲ ਦੰਦ ਅਤੇ ਨਹੀ ਵਧੇਰੇ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (4) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਦੋਵੇਂ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦੰਦ ਅਤੇ ਨਹੁੰ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਛੋਟੀ ਕਿਵੇਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਊਰਜਾ ਦਾ ਪ੍ਰਵਾਹ ਇਕ ਹੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸਦਾ ਕਈ ਚਰਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਹੁੰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਉਰਜਾ ਦੇ ਹਰ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਤੇ ਉਰਜਾ ਦਾ 1% ਭਾਗ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਵਿਚ ਵੱਧ ਚਰਨ ਹੋਣ ਤਾਂ ਊਰਜਾ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਮਾਤਰਾ ਵਿਅਰਥ ਹੋ ਜਾਵੇਗੀ । ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਕੁਦਰਤ ਵਿਚ ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ ਛੋਟੀਆਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਵਿਚ ਉਰਜਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਉਤਪਾਦਕ ਪੱਧਰ ਤੇ ਵੱਧ ਉਰਜਾ ਉਪਲੱਬਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਵਿਚ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਵੱਲ ਜਾਣ ਤੇ ਉਰਜਾ ਦੀ ਉਪਲੱਬਧਤਾ ਘੱਟ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਉਦਾਹਰਨ – ਘਾਹ → ਟਿੱਡਾ → ਡੱਡੂ → ਸੱਪ → ਮੋਰ
ਜੇ ਇਸ ਲੜੀ ਵਿਚ ਡੱਡੂ ਨੂੰ ਸਮਾਪਤ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਲੜੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਜਾਵੇਗੀ । ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਬਦਲਾਓ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣਗੇ-

  1. ਟਿੱਡਿਆਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਵੱਧ ਜਾਵੇਗੀ ।
  2. ਡੱਡੂ ਨਾ ਮਿਲਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸੱਪਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਘੱਟ ਹੋ ਜਾਵੇਗੀ ।
  3. ਸੱਪਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਦਾ ਮੋਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਵੇਗਾ ।

ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਕਈ ਬੇਲੋੜੇ ਕੰਮਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਛੋਟੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਨਾਲ ਕੁਦਰਤ ਵਿਚ ਅਸੰਤੁਲਨ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੀ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਵਿਚ ਛੇ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪੱਧਰ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ? ਜੇ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਹਰ ਚਰਨ ਵਿਚ ਊਰਜਾ ਦਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਰਜਾ ਵਿਚ ਲਗਾਤਾਰ ਕਮੀ ਹੁੰਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਤਿੰਨ ਜਾਂ ਚਾਰ ਚਰਨਾਂ ਦੇ ਬਾਅਦ ਊਰਜਾ ਸਿਰਫ ਨਾਂ-ਮਾਤਰ ਹੀ ਰਹਿ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਹਰੇ ਪੌਦੇ ਸੌਰ ਊਰਜਾ ਦਾ ਸਿਰਫ 1% ਭਾਗ ਹੀ ਅੰਤਰਹਿਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿੱਚ ਹੀ ਵਿਅਰਥ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਦੂਸਰੇ ਚਰਨ ਵਿੱਚ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਸਿਰਫ਼ 10% ਹੀ ਊਰਜਾ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੇ ਅਸੀਂ ਸੌਰ ਊਰਜਾ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਸਿਰਫ਼ 1000 ਮੰਨ ਲਈਏ ਤਾਂ ਪੌਦੇ ਸਿਰਫ 10J ਊਰਜਾ ਪਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਸਿਰਫ 1J ਉਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਦੋਂ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਨੂੰ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਸਿਰਫ 0.01J ਉਰਜਾ ਹੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਵੇਗੀ । ਇਸ ਲਈ ਜਿਵੇਂ-ਜਿਵੇਂ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਦੇ ਚਰਨ ਵੱਧਦੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਉਵੇਂ-ਉਵੇਂ ਹੀ ਉਪਲੱਬਧ ਉਰਜਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵੀ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਇਹ ਨਤੀਜਾ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਵੀ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਵਿਚ ਛੇ ਜਾਂ ਵੱਧ ਚਰਨ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਤਪਾਦਕ ਪੱਧਰ ਤੇ ਉਰਜਾ ਵਧੇਰੇ ਉਪਲੱਬਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਲਗਾਤਾਰ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਆਖਿਰੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਉਰਜਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਘੱਟ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਪਰਿਭਾਸ਼ਿਤ ਕਰੋ। ਇਸਦੇ ਮੁੱਖ ਘਟਕਾਂ ਦੇ ਨਾਮ ਲਿਖੋ।
ਜਾਂ
ਵਾਤਾਵਰਨ ਪੱਧਤੀ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਇਸਦੇ ਕਿੰਨੇ ਭਾਗ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਾਤਾਵਰਨ ਉਹ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਜੈਵਿਕ ਸੰਸਾਰ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਾਂ । ਇਸਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਜੈਵ ਅਤੇ ਅਜੈਵ ਹਨ !
ਜੀਵ ਘਟਕ – ਸਾਰੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂ, ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖ ਜੀਵ ਘਟਕ ਦੇ ਵਰਗ ਵਿਚ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਅਜੀਵ ਘਟਕ – ਭੌਤਿਕ ਜਾਂ ਅਜੀਵ ਘਟਕਾਂ ਵਿੱਚ ਹਵਾ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਥਲ ਹਨ । ਹਵਾ ਤੋਂ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਪੀਂਦੇ ਹਾਂ ਅਤੇ ਥਲ ਤੇ ਸਾਡਾ ਨਿਵਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮੌਸਮ ਸੰਬੰਧੀ ਘਟਕ ਹਨ-ਸੌਰ ਊਰਜਾ, ਤਾਪ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼, ਵਰਖਾ, ਨਮੀ, ਹਨੇਰੀ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਅਤੇ ਜੈਵ ਅਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਦੱਸੋ। ਹਰੇਕ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਉਦਾਹਰਨ ਵੀ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-

ਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਜੈਵ ਅਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ
(1) ਇਹ ਉਹ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਾਨੀ ਰਹਿਤ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿਚ ਤੋੜਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਿਵੇਂ- ਗੋਬਰ, ਘਾਹ ਆਦਿ । (1) ਇਹ ਉਹ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਾਨੀ ਰਹਿਤ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਤੋੜਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ । ਜਿਵੇਂ-ਡੀ.ਡੀ.ਟੀ., ਪਲਾਸਟਿਕ ਆਦਿ ।
(2) ਇਹ ਪਦਾਰਥ ਜੀਵਾਣੂਆਂ, ਬੈਕਟੀਰੀਆ ਦੁਆਰਾ ਅਪਘਟਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਸੰਤੁਲਨ ਬਣਾਈ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । (2) ਇਹ ਪਦਾਰਥ ਬੈਕਟੀਰੀਆ ਵਰਗੇ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਦੁਆਰਾ ਅਪਘਟਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵ-ਮੰਡਲ (Biosphere) – ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ‘‘ਜੀਵ ਦਾ ਖੇਤਰ` । ਧਰਤੀ ਤੇ ਸਥਲ, ਜਲ ਅਤੇ ਹਵਾ ਮੌਜੂਦ ਹੈ ਜੋ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਜੀਵਨ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਧਰਤੀ ਤੇ ਜੀਵਨ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਵਾਲੇ ਇਹ ਖੇਤਰ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਮਿਲ ਕੇ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਧਰਤੀ ਤੇ ਸਥਲ-ਮੰਡਲ, ਜਲਮੰਡਲ ਅਤੇ ਵਾਯੂ-ਮੰਡਲ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ (Biosphere) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ (Ecosystem) ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਇਸਦਾ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਨਾਲ ਕੀ ਸੰਬੰਧ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ – ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਵਿਚ ਊਰਜਾ ਅਤੇ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ ਜੈਵ ਅਤੇ ਅਜੈਵ ਘਟਕਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਲਗਾਤਾਰ ਹੁੰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਹੀ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਤਾਲਾਬ, ਝੀਲ, ਜੰਗਲ, ਖੇਤ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਜੀਵ ਸ਼ਾਲਾ ਵਿੱਚ ਜੈਵ ਅਤੇ ਅਜੈਵ ਘਟਕ ਆਪਸ ਵਿਚ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਜੋ । ਇਕ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਜੈਵ ਸੰਖਿਆ, ਜੈਵ ਅਤੇ ਅਜੈਵ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੇ ਘਟਕ ਹਨ, ਜੋ ਇਸ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਸੰਰਚਨਾ ਅਤੇ ਗਤੀਸ਼ੀਲਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਕੋਈ ਤਾਲਾਬ, ਜੰਗਲ ਜਾਂ ਘਾਹ ਦਾ ਮੈਦਾਨ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੇ ਉਦਾਹਰਨ ਹਨ ।

ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਦਾ ਹਰ ਘਟਕ ਆਪਣਾ ਖ਼ਾਸ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੁੱਝ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਸਾਰਾ ਯੋਗ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਨੂੰ ਸਥਿਰਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿਸੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਕੇ ਬਾਇਓਮ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਰੇ ਬਾਇਓਮ ਮਿਲ ਕੇ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਹੈ ਜੋ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਨੂੰ ਗਤੀਸ਼ੀਲਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਉਤਪਾਦਕ ਅਤੇ ਖਪਤਕਾਰ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

ਉਤਪਾਦਕ (Producer) ਖਪਤਕਾਰ (Consumer)
(1) ਅਜਿਹੇ ਜੀਵ ਜੋ ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਤਪਾਦਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । (1) ਅਜਿਹੇ ਜੀਵ ਜੋ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਲਈ ਦੂਸਰੇ ਜੀਵਾਂ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਪਤਕਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
(2) ਹਰੇ ਪੌਦੇ ਉਤਪਾਦਕ ਜੀਵ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । (2) ਸਾਰੇ ਜੰਤੂ ਉਪਭੋਗਤਾ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਅਪਘਟਕ ਕੀ ਹਨ ? ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਵਿੱਚ ਅਪਘਟਕਾਂ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਮੁੜ ਚਕਰਨ ਵਿਚ ਅਪਘਟਕਾਂ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ।
ਉੱਤਰ-
ਅਪਘਟਕ – ਅਪਘਟਕ ਉਹ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵ ਹਨ ਜੋ ਮਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਅਪਘਟਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਰਲ ਯੌਗਿਕਾਂ ਅਤੇ ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸਰਲ ਯੌਗਿਕ ਅਤੇ ਤੱਤ ਧਰਤੀ ਦੇ ਪੋਸ਼ਣ ਭੰਡਾਰ ਵਿੱਚ ਵਾਪਸ ਚਲੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਵਿੱਚ ਅਪਘਟਕਾਂ ਦਾ ਮਹੱਤਵ – ਅਪਘਟਕ ਜੀਵ ਮ੍ਰਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਮ੍ਰਿਤ ਸਰੀਰਾਂ ਦੇ ਅਪਘਟਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਰੱਖਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਅਪਘਟਕ ਜੀਵ ਮ੍ਰਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਮ੍ਰਿਤ ਸਰੀਰਾਂ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਫਿਰ ਤੋਂ ਧਰਤੀ ਦੇ ਪੋਸ਼ਣ ਭੰਡਾਰ ਵਿੱਚ ਵਾਪਿਸ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਵੀ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ ਮੁੜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਣ ਤਾਂ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਉਪਜਾਊ ਸ਼ਕਤੀ ਬਣੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਮਿੱਟੀ ਬਾਰ-ਬਾਰ ਫਸਲਾਂ ਦਾ ਪੋਸ਼ਣ ਕਰਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਊਰਜਾ ਦੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਕਿਹੜਾ ਵਿਅਕਤੀ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਜਾਂ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਵਧੇਰੇ ਲਾਭ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ? ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਰਜਾ ਦੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਵਿਅਕਤੀ ਵਧੇਰੇ ਲਾਭ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਕਾਰਨ-ਪੌਦੇ ਪਹਿਲੇ ਆਹਾਰ ਪੱਧਰ ਤੇ ਹਨ । ਇੱਕ ਆਹਾਰ ਪੱਧਰ ਤੋਂ ਅਗਲੇ ਆਹਾਰ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਆਮ ਕਰਕੇ ਲਗਭਗ 10% ਘੱਟ ਊਰਜਾ ਦਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਵਿਅਕਤੀ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਸੰਤੁਲਨ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ ਜੁੜੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਕਈ ਵਾਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇੱਕ ਦੀ ਕੋਈ ਕੁੜੀ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਦੋਂ ਉਸ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਦਾ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਲੜੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਜੁੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਖਾਧ ਪਦਾਰਥਾਂ ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦਾ ਸੰਤੁਲਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਅਜਿਹੇ ਕਿਸੇ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਹਿਰਨ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਣ ਤਾਂ ਇਸਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਨ ਲਈ ਜੰਗਲ ਦਾ ਸ਼ੇਰ ਕਿਸੇ ਜੰਗਲੀ ਜਾਨਵਰ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਸੰਤੁਲਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕਿਹੜੇ ਰਸਾਇਣ ਓਜ਼ੋਨ ਛੇਦ ਦੇ ਲਈ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਬਣੇ ਹੋਏ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਓਜ਼ੋਨ ਛੇਦ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ-

  1. ਐਰੋਸੋਲ ਦਹਿਣ
  2. ਆਧੁਨਿਕ ਅੱਗ ਬੁਝਾਊ ਯੰਤਰ
  3. ਪਰਮਾਣੂ ਵਿਸਫੋਟ
  4. ਹੋਲੋਜਨ
  5. ਸਲਫੇਟ ਐਰੋਸੋਲ
  6. CFCs (ਕਲੋਰੋਫਲੋਰੋ ਕਾਰਬਨ), CBC (ਕਲੋਰੋ ਬੋਮੋਕਾਰਬਨ ਆਦਿ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰੈਫਰੀਜਰੇਟਰਾਂ ਅਤੇ ਏਅਰ ਕੰਡੀਸ਼ਨਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪਿਰਾਮਿਡ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਵਿੱਚ ਪੋਸ਼ਣ ਰੀਤੀ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਨੂੰ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪਿਰਾਮਿਡ ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੋਸ਼ੀ ਪੱਧਰਾਂ ਦਾ ਗਾਫੀਕਲ ਨਿਰੂਪਣ (graphical representation) ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪਿਰਾਮਿਡ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੋਸ਼ੀ ਪੱਧਰਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪਿਰਾਮਿਡ ਦਾ ‘ਆਧਾਰ’ ਉਤਪਾਦਕ ਜੀਵਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ 3
ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪਿਰਾਮਿਡ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪਿਰਾਮਿਡ ਦੇ ਆਧਾਰ (Base) ਤੋਂ ਜਿਵੇਂ-ਜਿਵੇਂ ਉੱਪਰ ਜਾਂਦੇ ਹਾਂ, ਪਿਰਾਮਿਡ ਆਕਾਰ ਪਤਲਾ ਹੁੰਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਪੋਸ਼ੀ ਪੱਧਰਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪਿਰਾਮਿਡ ਦੀ ਚੋਟੀ ਸਰਬ-ਉੱਚ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਵਾਯੂ-ਮੰਡਲ ਵਿੱਚ ਓਜ਼ੋਨ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਣਦੀ ਹੈ ? ਇਸਦੇ ਰਿਕਤੀਕਰਨ ਨੂੰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ।
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਤਿੰਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਤੋਂ ਓਜ਼ੋਨ (O3) ਦੇ ਅਣੂ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਆਮ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵਿੱਚ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਆਕਸੀਜਨ ਸਾਰੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਾਣੀਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਪਰ ਓਜ਼ੋਨ ਇੱਕ ਘਾਤਕ ਜ਼ਹਿਰ ਹੈ । ਵਾਯੁਮੰਡਲ ਦੇ ਓਪਰੀ ਪੱਧਰ ਵਿੱਚ ਓਜ਼ੋਨ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕਾਰਜ ਪੂਰਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਸੂਰਜ ਤੋਂ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਪਰਾਬੈਂਗਣੀ ਵਿਕਿਰਣਾਂ ਤੋਂ ਧਰਤੀ ਦੇ ਲਈ ਇੱਕ ਸੁਰੱਖਿਆ ਕਵਚ ਤਿਆਰ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਪਰਾਬੈਂਗਣੀ ਕਿਰਣ ਧਰਤੀ ਤੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹਨ । ਇਹ ਵਿਕਿਰਣਾਂ ਚਮੜੀ ਦਾ ਕੈਂਸਰ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਵਾਯੂ-ਮੰਡਲ ਦੇ ਉੱਤਰ ਪੱਧਰ ਤੇ ਪਰਾਬੈਂਗਣੀ (UV) ਵਿਕਿਰਣ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਾਲ ਆਕਸੀਜਨ (O2) ਅਣੂਆਂ ਤੋਂ ਓਜ਼ੋਨ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਉੱਚ ਊਰਜਾ ਵਾਲੇ ਪਰਾਬੈਂਗਣੀ (UV) ਵਿਕਿਰਣ ਆਕਸੀਜਨ ਅਣੂਆਂ (O2) ਨੂੰ ਵਿਘਟਿਤ ਕਰ ਆਜ਼ਾਦ ਆਕਸੀਜਨ (O) ਪਰਮਾਣੂ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ। ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਇਹ ਸੁਤੰਤਰ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਯੁਕਤ ਹੋ ਕੇ ਓਜ਼ੋਨ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਭੋਜਨ ਲੜੀ – ਉਤਪਾਦਕ, ਖਪਤਕਾਰ ਅਤੇ ਅਪਘਟਕ ਤੋਂ ਮਿਲ ਕੇ ਬਣਨ ਵਾਲੀ ਲੜੀ, ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ-ਘਾਹ → ਟਿੱਡਾ → ਡੱਡੂ → ਸੱਪ → ਮੋਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਨਿਖੇੜਕ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਪ੍ਰਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਨਿਖੇੜਕ ਦੀ ਕੀ ਭੂਮਿਕਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਿਖੇੜਕ – ਜੀਵਾਣੂ ਅਤੇ ਉੱਲੀ ਜਿਹੇ ਸੂਖਮਜੀਵ ਮਰੇ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ਾਂ ਦਾ ਵਿਘਟਨ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਜਿਹਨਾਂ ਨੂੰ ਨਿਖੇੜਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਪਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਨਿਖੇੜਕ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ – ਨਿਖੇੜਕ ਰੀਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਰਲ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਰਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਮੁੜ ਉਪਯੋਗ ਵਿੱਚ ਲਿਆਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Very Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਜੈਵਿਕ ਪ੍ਰਮਾਂ ਦੁਆਰਾ ਅਪਘਟਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੋਈ ਚਾਰ ਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਬਜ਼ੀ-ਫਲਾਂ ਦੇ ਛਿੱਲਕੇ, ਕਾਗਜ਼, ਭੂਸਾ, ਚਾਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜੈਵ ਅਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਜੈਵਿਕ ਪ੍ਰਮਾਂ ਦੁਆਰਾ ਅਪਘਟਿਤ ਨਹੀਂ ਹੋ ਪਾਉਂਦੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜੈਵ ਅਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜੈਵ ਅਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਪਲਾਸਟਿਕ
  2. ਕੱਚ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੇ ਅਜੈਵ ਕਾਰਕਾਂ ਦੇ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਤਾਪ, ਵਰਖਾ, ਹਵਾ, ਮਿੱਟੀ, ਖਣਿਜ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕੁਦਰਤੀ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੇ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੰਗਲ, ਤਾਲਾਬ, ਝੀਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਉਤਪਾਦਕ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਤਪਾਦਕ – ਜੋ ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨਾਲ ਸੂਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਤੇ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੋਂ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਤਪਾਦਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਖਪਤਕਾਰ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੋ ਜੀਵ ਭੋਜਨ ਦੇ ਲਈ ਸਿੱਧੇ ਜਾਂ ਅਸਿੱਧੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉਤਪਾਦਨਾਂ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਪਤਕਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਖਪਤਕਾਰ ਦੇ ਚਾਰ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਮਨੁੱਖ
  2. ਸ਼ੇਰ
  3. ਬਾਂਦਰ
  4. ਚਿੜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸੂਖਮਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਅਪਮਾਜਕ ਜਾਂ ਨਿਖੇੜਕ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੂਖ਼ਮਜੀਵ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਰਲ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਚਲੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮੁੜ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਦੁਆਰਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਧਰਤੀ ਤੇ ਮਿਲਨ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਕੁਦਰਤੀ ਖੇਤਰ ਅਤੇ ਉਸ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਜੰਤੂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਮਿਲ ਕੇ ਮੰਡਲ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵ ਘਟਕ ਅਤੇ ਅਜੀਵ ਘਟਕ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਸਰਬ-ਆਹਾਰੀ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਭੋਜਨ ਦੇ ਲਈ ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੋਨਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਰਬ-ਆਹਾਰੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਮਨੁੱਖ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕਿਸੇ ਜਲੀ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਦਾ ਉਦਾਹਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਈ ਜਾਂ ਸ਼ੈਵਾਲ → ਛੋਟੇ ਜੰਤੂ → ਮੱਛੀ → ਵੱਡੀ ਮੱਛੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਕਿਸ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਊਰਜਾ ਉਪਲੱਬਧ ਹੋਵੇਗੀ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਨੂੰ ਜਾਂ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਨੂੰ ?
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਨੂੰ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਊਰਜਾ ਉਪਲੱਬਧ ਹੋਵੇਗੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਜੈਵ ਯੌਗਿਕੀਕਰਨ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਅਤੇ ਸ਼ੈਵਾਲ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੇ ਗਏ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਸਥਿਰੀਕਰਨ ਨੂੰ ਜੈਵ ਯੌਗਿਕੀਕਰਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਜੈਵ-ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਫੋਕਟ ਪਦਾਰਥ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੈਵ-ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਫੋਕਟ ਪਦਾਰਥ-ਅਜਿਹਾ ਫੋਕਟ ਪਦਾਰਥ ਜਿਹੜਾ ਜੈਵਿਕ ਪ੍ਰਮਾ ਦੁਆਰਾ ਅਪਘਟਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਫੋਕਟ ਪਦਾਰਥ ਜੀਵਾਣੁਆਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜੀਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਦੀ ਮਦਦ ਨਾਲ ਸਮੇਂ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਆਪ ਅਪਘਟਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜੇ ਸਮੂਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕੇਵਲ ਜੈਵ-ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਹਨ-
(a) ਘਾਹ, ਫੁੱਲ ਅਤੇ ਚਮੜਾ
(b) ਘਾਹ, ਲੱਕੜੀ ਅਤੇ ਪਲਾਸਟਿਕ
(c) ਫਲਾਂ ਦੇ ਛਿੱਲੜ, ਕੇਕ ਅਤੇ ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਰਸ
(d) ਕੇਕ, ਲੱਕੜੀ ਅਤੇ ਘਾਹ ।
ਉੱਤਰ-
(a), (c) ਅਤੇ (d) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਦਿੱਤਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜੇ ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ-
(a) ਘਾਹ, ਕਣਕ ਅਤੇ ਅੰਬ
(b) ਘਾਹ, ਬੱਕਰੀ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖ
(c) ਬੱਕਰੀ, ਗਾਂ ਅਤੇ ਹਾਥੀ
(d) ਘਾਹ, ਮੱਛੀ ਅਤੇ ਬੱਕਰੀ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਘਾਹ, ਬੱਕਰੀ ਅਤੇ ਮੁਨੱਖ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਬਲੀ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਉਤਪਾਦਕ ਹੈ –
(a) ਘਾਹ
(b) ਟਿੱਡਾ
(c) ਡੱਡੂ
(d) ਸੱਪ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਘਾਹ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜੈਵ-ਅਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਹੈ-
(a) ਕਾਗਜ਼
(b) ਮਿਤ ਪੌਦੇ
(c) ਪਾਲੀਥੀਨ
(d) ਕੱਚੇ ਫਲ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਪਾਲੀਥੀਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਵਿਚ ਊਰਜਾ ਦਾ ਮੁੱਖ ਸੋਮਾ ਹੈ-
(a) ਹਵਾ
(b) ਸੂਰਜ
(c) ਪੌਦੇ
(d) ਪਰਮਾਣੂ ਊਰਜਾ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਸੂਰਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੈ-
(a) ਵਾਯੂਮੰਡਲ
(b) ਥਲਮੰਡਲ
(c) ਜਲਮੰਡਲ
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਵਾਯੂਮੰਡਲੀ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦਾ ਸਥਿਰੀਕਰਨ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ-
(a) ਰਾਈਜ਼ੋਬੀਅਮ
(b) ਈ. ਕੋਲਾਈ
(c) ਨਾਈਟਰੋਸੋਮੋਨਾਸ
(d) ਨੀਲੇ ਹਰੇ ਸ਼ੈਵਾਲ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਈ. ਕੋਲਾਈ ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਕਲੋਰੋ-ਫਲੋਰੋ ਕਾਰਬਨਜ਼ (CFCs) ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(a) ਰੇਫਰੀਜਰੇਟਰ ਵਿੱਚ
(b) ਏਅਰ ਕੰਡੀਸ਼ਨਰ ਵਿੱਚ
(c) ਗੱਦੇਦਾਰ ਫੋਮ ਵਿੱਚ
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰਨਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

(i) ……………… ਜੈਵ ਅਤੇ ਅਜੈਵ ਘਟਕਾਂ ਦੇ ਪੁਰਨ ਤਾਲਮੇਲ ਨਾਲ ਬਣੀ ਵਿਵਸਥਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵ ਮੰਡਲ

(ii) ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ………………….. ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਖਪਤਕਾਰ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਤਪਾਦਕ

(iii) ਕਿਸੇ ਵੀ ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਪਹਿਲਾ ਪੋਸ਼ੀ ਸਤਰ ………………. ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਰੇ ਪੌਦੇ

(iv) ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ …………………. ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ

(v) ……………… ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥ ਅਤੇ ਮ੍ਰਿਤ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਭਾਗਾਂ ਨੂੰ ਸਰਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਤੋੜ ਕੇ ਅਪਣਾ ਭੋਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਪਘਟਕ ।

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

Punjab State Board PSEB 3rd Class Maths Book Solutions Chapter 6 Shapes Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Maths Chapter 6 Shapes

PAGE 137:

Do you remember?

Question 1.
A joker is given below. Colour it according to given guidelines and count the figures:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 1

Solution.
Do yourself.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

See the picture and write:

Question 1.
Number of triangles = ____
Solution.
7

Question 2.
Number of rectangles = ____
Solution.
5

Question 3.
Number of squares = ____
Solution.
4

Question 4.
Number of circles = ____
Solution.
13

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

PAGE 138:

Question 2.
Count and write faces, vertices and edges of the figure gIven below:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 2

Solution.
Faces = 6
Vertices = 8
Edges = 12

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

Question 3.
Name the shapes of the different figures:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 3

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 4

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

Question 4.
Count the triangles:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 5

Solution.
10

PAGE 141:

Question 1.
Form shapes by joining the dots of the dot grid given below:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 6

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 7

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

Question 2.
Join the counting and make the shape:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 8

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 9

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

PAGE 143:
Let’s do:

Question 1.
Write the sides and vertices of the following 2-D shapes:

(a)
PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 10

Solution.
Sides = 4
Vertices = 4

(b)
PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 11

Solution.
Sides = 5
Vertices = 5

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

(c)
PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 12

Solution.
Sides = 7
Vertices = 7

(d)
PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 13

Solution.
Sides = 10
Vertices = 10

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

Question 2.
Draw the diagonals in the following figures:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 14

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 15

PAGE 145:
Let’s do:

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 16

Question 1.
How many triangles are there in your tangram?
Solution.
There are five triangles in my tangram.

Question 2.
Make the following shapes by using pieces of tangram.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 17

Solution.
Draw the following figures by using your tangram.

Question 3.
Try to know that which edge is equal in piece number 2 and 4.
Solution.
Left side of piece number (2) and base of piece number (4) are equal.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

PAGE 147:

Question 1.
Here, we have two tiles. There are two designs infront of them. Match the design with tile from which it was made.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 18

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 19

PAGE 148:

Question 2.
Cover the following area with shown tiles and colour them.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 20

Solution.

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 21

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes

Multiple Choice Questions:

Question 1.
Name the figure PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 22
(a) Cube
(b) Cuboid
(c) Cone
(d) Cylinder
Solution.
(b) Cuboid.

Question 2.
In the given figure DC is a _______

PSEB 3rd Class Maths Solutions Chapter 6 Shapes 23

(a) Ray
(b) Line
(c) Point
(d) Line Segment.
Solution.
(d) Line Segment.