PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 10 ऐ वीरो, भारतवर्ष के

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 ऐ वीरो, भारतवर्ष के Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 10 ऐ वीरो, भारतवर्ष के

Hindi Guide for Class 11 PSEB ऐ वीरो, भारतवर्ष के Textbook Questions and Answers

 

प्रश्न 1.
कवि ने किन भेड़ियों को मज़ा चखाने की बात कही है ?
उत्तर:
कवि ने उन आक्रमणकारियों को भेड़िया कहा है जिनके आक्रमण से देश की स्वतंत्रता को खतरा पैदा हो गया है। कवि ने उन्हें मुँह तोड़ जवाब देने की बात कही है जिस कारण वे फिर भारत की ओर आँख उठाकर भी नहीं देख पाएं। हमारे देश के कुछ शत्रु देश बार-बार हम पर हमला करते हैं, आँखें दिखाते हैं, गुर्राते हैं। हम भारतवासियों को निर्भयतापूर्वक उनका सामना ही नहीं करना बल्कि उन्हें युद्ध जैसा दुस्साहस करने के लिए मज़ा चखा देना है। उनमें इतना भय उत्पन्न कर देना है कि वे फिर हम पर हमला न कर सकें।

प्रश्न 2.
बन्दा बैरागी और गुरु गोबिन्द सिंह जी की वीरता से क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
बन्दा बैरागी और गुरु गोबिन्द सिंह जी की वीरता से भारतवासियों को यह प्रेरणा मिलती है कि शत्रु के सामने पहाड़ की तरह डट जाओ और आक्रमणकारियों का विनाश करो। उन्होंने साहसपूर्वक मुगलों का डटकर सामना ही नहीं किया बल्कि उन्हें बार-बार युद्ध में परास्त किया था। उनके हौसले पस्त कर दिए थे। अपने इन महान् सेनानियों की वीरता से आत्मिक बल ही प्राप्त नहीं होता बल्कि अपने उन पूर्वजों पर अभिमान भी होता है।

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प्रश्न 3.
‘हम प्यार बुद्ध से करते हैं, पर नहीं युद्ध से डरते हैं’ का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्ति का भाव यह है कि भले ही भारतवासी अहिंसा में विश्वास रखते हैं किन्तु यदि युद्ध उन पर थोप दिया जाए और देश की स्वतंत्रता पर कोई खतरा आए तो युद्ध से भी नहीं घबराते। देश की सुरक्षा के लिए हम तन-मन-धन न्योछावर करने को तैयार हैं।

प्रश्न 4.
आजाद, भगत, वल्लभ और सुभाष कौन थे और उन्होंने भारतवर्ष के लिए क्या सपना देखा था ?
उत्तर:
चन्द्रशेखर आज़ाद और सरदार भगत सिंह महान् क्रान्तिकारी हुए हैं तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल और नेता जी सुभाष चन्द्र बोस स्वतंत्रता सेनानी और महान् नेता हुए हैं। इन सबका भारत को स्वतंत्र देखने का सपना था। इन्होंने अपने बाहुबल और मानसिक शक्ति से अंग्रेजों के छक्के छुड़वा दिए थे।

प्रश्न 5.
प्रस्तुत कविता का केन्द्रीय भाव लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में देश पर आक्रमण होने पर देश की स्वतंत्रता के लिए कोई खतरा पैदा होने पर हमें एक जुट होकर आक्रमणकारी का डट कर मुकाबला करना चाहिए और शत्रु को नष्ट करके अपनी स्वतंत्रता और देश की सुरक्षा के उपाय करने चाहिए। हमें अपनी ताकत और एकता से दुश्मन को यह दिखा देना है कि वह अपने बुरे इरादों से देश की अखण्डता को तोड़ नहीं सकता।

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PSEB 11th Class Hindi Guide ऐ वीरो, भारतवर्ष के Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘उदयभानु हँस’ का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 1930 ई० में।

प्रश्न 2.
उदयभानु हँस’ को किस राज्य के राज्य कवि का श्रेय प्राप्त है ?
उत्तर:
हरियाणा राज्य के।

प्रश्न 3.
उत्तर प्रदेश सरकार ने कवि उदयभानु ‘हंस’ को कौन-सा पुरस्कार दिया था ?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें ‘संत-सिपाही’ पर निराला पुरस्कार से सम्मान दिया।

प्रश्न 4.
‘हे वीरो, भारत वर्ष के’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर:
उदयभानु ‘हँस’।

प्रश्न 5.
कवि उदयभानु ने भारतवासियों का किस लिए आह्वान किया है ?
उत्तर:
आक्रमणकारियों को मिलकर मज़ा चखाने के लिए।

प्रश्न 6.
कवि ने भारतवासियों को किसकी तरह बनने को कहा है ?
उत्तर:
बंदा बैरागी की तरह बनने को कहा है।

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प्रश्न 7.
कवि ने भारतवासियों को किसकी संतान कहा है ?
उत्तर:
महात्मा बुद्ध की।

प्रश्न 8.
कवि वीर पुरुष का सपना क्या कहा है ?
उत्तर:
अपने देश को हिंसा मुक्त बनाना।

प्रश्न 9.
कवि शत्रुदल के ………. से युद्ध की देवी का श्रृंगार करना चाहता है।
उत्तर:
गर्म लहू।

प्रश्न 10.
कवि किस सेना के पाँव उखाड़ने की बातें कर रहा है ?
उत्तर:
नीच शत्रु सेना के।

प्रश्न 11.
शत्रु सेना के लिए अडिग दीवार कौन था ?
उत्तर:
बंदा वैरागी।

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प्रश्न 12.
कवि ने किसकी तलवार को धारण करने के लिए कहा है ?
उत्तर:
गुरु गोबिंद सिंह जी की।

प्रश्न 13.
भारतवासियों को बुद्ध से क्या मिला था ?
उत्तर:
अहिंसा का संदेश।

प्रश्न 14.
हमें अपने आपसी भेदभाव भुलाकर क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
दुश्मन का मुकाबला।

प्रश्न 15.
कवि के अनुसार शत्रुओं की कब्र खोदकर ………. चाहिए।
उत्तर:
सबको एक साथ गाड़ देना।

प्रश्न 16.
युद्ध क्षेत्र में ……….. के रक्त से धरती ………… हो गई।
उत्तर:
शत्रुओं, लाल।

प्रश्न 17.
कवि शत्रु के आक्रमण के समाने किस प्रकार खड़े होने की बात करता है ?
उत्तर:
पहाड़ बनकर।

प्रश्न 18.
अंग्रेज़ों ने कूटनीति के कारण क्या बना दिया था ?
उत्तर:
पाकिस्तान।

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प्रश्न 19.
कौन-सी नदी को भारत से अलग कर दिया गया था ?
उत्तर:
सिंध नदी।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उद्यभानु हँस किसके लिए प्रसिद्ध हैं ?
(क) दोहों के
(ग) रुबाइयों के
(ख) चौपाई के
(घ) सवैयों के।
उत्तर:
(ग) रुबाइयों के

प्रश्न 2.
उदयभानु हँस को हरियाणा के कौन से कवि का श्रेय प्राप्त है ?
(क) राज्यकवि
(ख) वीर रस कवि
(ग) दोहा कवि
(घ) प्रथम कवि।
उत्तर:
(क) राज्यकवि

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार दुश्मनों के खून से हमें किसका श्रृंगार करना है ?
(क) माता का
(ख) मातृभूमि का
(ग) देश का
(घ) वीर का।
उत्तर:
(ख) मातृभूमि का

प्रश्न 4.
दुश्मनों के सामने किसके समान अडिग रहना चाहिए ?
(क) गुरु गोबिंद सिंह जी के
(ख) गुरु तेग बहादुर जी के
(ग) वीरों के
(घ) सभी के।
उत्तर:
(क) गुरु गोबिंद सिह जी के।

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ऐ वीरो, भारतवर्ष के सप्रसंग व्याख्या

1. ऐ वीरो, भारतवर्ष के,
फिर दिन आए संघर्ष के !
पशु-बल की आज चुनौती को, तुम दृढ़ता से स्वीकार करो,
फलों की गलियाँ छोड़, जरा अब काँटों से भी प्यार करो।
इन दुष्ट भेड़ियों को, हमले का मज़ा चखाना है,
वे जीवन भर जो भूल न पाएँ, ऐसा पाठ पढ़ाना है।
अब सदा के लिए रोज़-रोज़ का झगड़ा ही निपटाना है,
यह अमर तिरंगा अब दुश्मन की छाती पर लहराना है!

कठिन शब्दों के अर्थ :
दृढ़ता से = मज़बूती से। दुष्ट भेड़िए = आक्रमणकारी, शत्रु।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री उदयभानु हंस जी द्वारा लिखित कविता ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने आक्रमणकारियों को मिलकर मज़ा चखाने के लिए भारतवासियों से आह्वान किया है।

व्याख्या :
कवि भारतवर्ष के वीरों को संबोधित करतु हुए कहते हैं कि फिर से संघर्ष करने के दिन आ गए हैं। पहले स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष किया था। और अब तुम पशु के समान शत्रु की शक्ति की चुनौती को मजबूती से स्वीकार करो। फूलों की गलियाँ छोड़कर, अपने सुखों का त्याग करके, अब काँटों से प्यार करो, कष्ट झेलने के लिए तैयार हो जाओ। इन दुष्ट भेड़ियों को, आक्रमणकारियों को भारत पर आक्रमण करने का मज़ा चखाना है और ऐसा मज़ा चखाना है कि वे जीवन भर इसे भूल न पाएं। उन्हें ऐसा पाठ पढ़ाना है। अब सदा के लिए रोज़-रोज़ के झगड़े को मिटा देना है तथा यह अमर तिरंगा (हमारा राष्ट्रध्वज) शत्रु की छाती पर लहराना है। वीरता के साथ शत्रुओं का सामना करना है।

विशेष :

  1. कवि ने भारतवासियों को शत्रु का मुकाबला डट कर करने का आह्वान किया है।
  2. भाषा सरल एवं प्रवाहमयी है।
  3. शब्द चयन विषय वस्तु के अनुकूल है।
  4. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति अलंकार है।
  5. वीर रस है।
  6. संगीतात्मकता का गुण है।

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2. अब समय नहीं है रुकने का
अब प्रश्न नहीं है झकने का,
अवसर आया है, मातृभूमि का संकट से उद्धार करो,
रिपुदल के गर्म लहू से ही रणचंडी का श्रृंगार करो!
तुम युद्ध-क्षेत्र में नीच शत्रु-सेना के पाँव उखाड़ दो,
दुनिया के इतिहास-ग्रंथ से इनका पन्ना फाड़ दो,
जो दुश्मन घर में घुस आए, तुम उनको पकड़ पछाड़ दो,
फिर कब्र खोद कर, एक साथ ही सबको ज़िन्दा गाड़ दो!

कठिन शब्दों में अर्थ :
रिपुदल = शत्रुदल। पन्ना = पृष्ठ।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री उदयभानु हंस जी द्वारा लिखित कविता ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों को आक्रमणकारियों के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया है।

व्याख्या :
कवि ने भारत के वीरों का शत्रु के आक्रमण के समय आह्वान करते हुए कहा है कि अब रुकने और झुकने का समय नहीं है। अब तो ऐसा मौका आया है कि मातृभूमि पर आए संकट से उसका तुम्हें उद्धार करना है। शत्रुदल के गर्म लहू से ही युद्ध की देवी का तुम्हें शृंगार करना है। अतः हे भारतीय वीरो ! तुम युद्धभूमि में नीच शत्रुसेना के पाँव उखाड़ दो। दुनिया के इतिहास ग्रंथ से इनका नामोनिशान मिटा दो। यदि शत्रु घर में घुस आया है तुम उसको पकड़ कर पछाड़ दो फिर उन शत्रुओं की कब्र खोद कर एक साथ ही सबको जिन्दा गाड़ दो। हमें देश के सम्मान और रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। युद्ध क्षेत्र में शत्रुओं के रक्त से धरती को लाल कर देना है जिससे वे फिर कभी इधर मुड़कर भी नहीं देखे।

विशेष :

  1. वह समय आ गया है जब हमें अपने दुश्मनों को उसके बार-बार उठने को समाप्त करना है जिससे हम भारतमाता के सम्मान की रक्षा कर पाएं।
  2. भाषा सरल एवं प्रवाहमय है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. मुहावरे का उचित प्रयोग है।
  5. तत्सम प्रधान शब्दावली है।
  6. वीर रस है।
  7. ओज गुण है।
  8. संगीतात्मकता का गुण है। शैली भावपूर्ण है।

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3. तुम पर्वत जैसे तन जाओ,
बंदा बैरागी बन जाओ,
ऐ सिंहो, गुरु गोविंद सिंह की, फिर धारण तलवार करो,
प्राचीन सप्त-सिन्धु प्रदेश पर, फिर अपना अधिकार करो।
अब माँ की बलिवेदी पर, सिर धरने का अवसर आया है,
फिर काली का खाली खप्पर, भरने का अवसर आया है,
कल तक जो कहते थे, वह करने का अवसर आया है,
जीते थे अब तक जहाँ, वहीं मरने का अवसर आया है !
कह दो जग से, हम मुश्किल को, आसान बना कर छोड़ेंगे,
है युद्ध अगर अभिशाप, उसे वरदान बना कर छोड़ेंगे,
हमला करने वालों को, लहू-लुहान बना कर छोड़ेंगे,
हम तो दुश्मन की धरती को, शमशान बना कर छोड़ेंगे।

कठिन शब्दों के अर्थ :
सप्तसिन्धु प्रदेश = भारत-सिंध, रावी, सतलुज, झेलम, गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के कारण ही भारत को सप्तसिंधु वाला देश कहा जाता था।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री उदयभानु हंस जी द्वारा लिखित कविता ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों को बंदा वैरागी जैसे बनने का संकेत दिया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि हे भारतवासियो ! तुम शत्रु के आक्रमण के सामने पहाड़ बन कर खड़े हो जाओ और बन्दा बैरागी बन जाओ। जिस प्रकार बंदा वैरागी दुश्मन की सेनाओं के लिए अडिग दीवार था हमें भी उनके जैसा बनना है। हे भारतवासी सिंहो, तुम फिर से गुरु गोबिन्द सिंह की तलवार धारण करो, जिस तलवार से उन्होंने आतताइयों का विनाश किया था। प्राचीन समय में सप्तसिन्धु कहे जाने वाले देश पर फिर से अपना अधिकार करो।

क्योंकि अंग्रेजों की कूटनीति के कारण सिंध नदी को भारत से अलग कर पाकिस्तान बना दिया गया है। अतः भारत माता के लिए बलिदान देने का अवसर आया है और फिर से काली देवी के खप्पर को अपने लहू से भरने का अवसर आया है। कल तो जो हम कहते थे कि देश की, भारत माँ की रक्षा करेंगे अब इस कथन को पूरा करने का अवसर आया है। जिस देश में हम जी रहे थे उस देश के लिए मरने का अब अवसर आया है अर्थात् आज वह समय आ गया है जब हम यह दिखा सकते हैं कि हम गुरु गोबिन्द सिंह जी की तलवार को धारण करने वाले हैं आज कथनी का नहीं करनी का अवसर आया है इसे हमें खोना नहीं है अपितु कुछ कर दिखाना है।

हे भारतवासियो! आज संसार से कह दो कि हम मुश्किल को आसान बनाकर छोड़ेंगे। युद्ध यदि अभिशाप है तो हम इसे वरदान बनाकर छोड़ेंगे। आक्रमण करने वाले सैनिकों को हम लहूलुहान कर देंगे। हम तो शत्रु की धरती को श्मशान बनाकर छोड़ेंगे। युद्ध को अभिशाप माना जाता है परन्तु अपनी रक्षा और सम्मान के लिए कभी-कभी युद्ध वरदान बन जाते हैं। आक्रमणकारियों को उसका जवाब रणक्षेत्र में देने का समय आ गया और उन्हें समाप्त करके इस धरती को उनके लहू से साफ करना है।

विशेष :

  1. भारतवासियों को बंदा बैरागी के समान बहादुर बनकर दुश्मनों के समक्ष पर्वत की तरह मजबूती से खड़ा रहना है।
  2. भाषा सरल एवं प्रभावशाली है।
  3. तत्सम शब्दावली की अधिकता है।
  4. उदाहरण एवं अनुप्रास अलंकार है।
  5. ओज गुण है एवं वीर गुण है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।
  7. भावपूर्ण शैली है।

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4. हम प्यार बुद्ध से करते हैं,
पर नहीं युद्ध से डरते हैं !
है नीति यही, जो मित्र बने, तुम उसे हृदय से प्यार करो,
निर्लज्ज शत्रु जब चढ़ आए, उसका समूल संहार करो।
अब सावधान, फिर शत्रु आक्रमण कभी न दुहराने पाए,
केसर की हँसती फुलवारी पर आग न बरसाने पाए।
भारत की आज़ादी पर, कोई आँच नहीं आने पाए,
सीमाओं पर जो लहू बहा, वह व्यर्थ नहीं जाने पाए।

कठिन शब्दों के अर्थ :
निर्लज्ज =बेशर्म, ढीठ। समूल = जड़ सहित, पूरा। संहार = विनाश।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश ‘श्री उदयभानु हंस’ द्वारा लिखित कविता ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों को बुद्ध की सन्तान कहा है जो अहिंसा से प्यार करते हैं परन्तु समय आने पर युद्ध के लिए भी तैयार हैं।

व्याख्या :
कवि भारत की नीति की चर्चा करते हुए कहते हैं कि हम भगवान् बुद्ध से प्यार करने वाले हैं अर्थात् हम अहिंसावादी हैं परन्तु यदि युद्ध हम पर थोपा जाए तो हम युद्ध से भी नहीं डरते हैं। हमारी तो यह नीति रही है कि जो हमारा मित्र है उससे हम हृदय से प्यार करते हैं किंतु यदि बेशर्म शत्रु हमारे देश पर चढ़ाई कर दे, आक्रमण कर दे तो हे भारतवासियो! उस शत्रु का पूरी तरह से विनाश कर दे। अब तुम्हें इस बात के लिए भी सावधान हो जाना है कि शत्रु दोबारा आक्रमण करने का साहस न कर सके। हमारी केसर की क्यारी जैसे सुंदर देश पर आग न बरसाने पाये। केसर की क्यारी से कवि का संकेत कश्मीर से है क्योंकि कश्मीर में ही केसर की खेती होती है।

हे भारतवासियो! तुम्हें कुछ ऐसा करना है कि भारत की आजादी पर आँच न आने पाये। सीमाओं पर हमारे सैनिकों ने जो लहू बहाया है वह व्यर्थ न जाने पाए। हमें दुश्मन को अपनी ताकत दिखानी है सभी आपसी भेदभाव भुलाकर एकता के साथ दुश्मन का सामना करना है, उसे उसकी सीमाएं दिखानी हैं।

विशेष :

  1. भारतवासियों को बुद्ध से अहिंसा का संदेश मिला है परन्तु जब कोई बाहरी व्यक्ति देश की अखण्डता को नष्ट करने का प्रयास करता है तो उसे सबक सिखाने के लिए युद्ध के लिए भी तैयार रहना है।
  2. भाषा प्रभावशाली है।
  3. तत्सम शब्दावली की अधिकता है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. ओजगुण है एवं वीर रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है, शैली प्रभावशाली है।

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5. करना है पूर्ण प्रबंध तुम्हें,
भारत, माँ की सौगंध तुम्हें,
हिंसा की ज्वाला में जलती पृथ्वी का हलका भार करो,
आज़ाद, भगत, वल्लभ, सुभाष का चिर सपना साकार करो।

कठिन शब्दों के अर्थ :
आज़ाद = चन्द्रशेखर आज़ाद। वल्लभ = सरदार वल्लभ भाई पटेल।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश ‘श्री उदयभानु हंस’ द्वारा लिखित ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने उन क्रान्तिकारियों के सपने साकार करने को कहा जिन्होंने देश की आजादी में अपने प्राण दे दिए।

व्याख्या :
कवि कहता है कि हमें भारत माँ की सौगन्ध है। हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सारे प्रबन्ध करने होंगे हमें हिंसा की आग में जलती हुई इस धरती के भार को हलका करना होगा। हमें चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के चिरकाल से देखे सपने को साकार करना होगा और अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करनी होगी। हमें प्रत्येक उस वीर का सपना पूरा करना है जिन्होंने इस देश को आजाद करवाने के लिए अपनी जान दे दी।

विशेष :

  1. अपने देश को हिंसा मुक्त बनाकर हर वीर पुरुष का सपना पूरा करना है।
  2. भाषा सरल एवं स्वाभाविक है।
  3. तत्सम शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. वीर रस है।
  6. ओजगुण है।
  7. शैली प्रभावशाली है।

ऐ वीरो, भारतवर्ष के Summary

ऐ वीरो, भारतवर्ष के जीवन-परिचय

हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवियों में श्री हंस रुबाइयों के सफल प्रयोग के लिए प्रसिद्ध हैं। उदयभानु ‘हंस’ का जन्म सन् 1930 ई० में हुआ था। हिन्दी रुबाइयाँ, धड़कन, सरगम, संत-सिपाही नामक काव्य संग्रह के प्रणेता हंस जी को हरियाणा के राज्य कवि का श्रेय प्राप्त है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें ‘संत-सिपाही’ पर निराला पुरस्कार से सम्मान दिया है। श्री हंस ने बिहारी की काव्य कला, निबन्ध रत्नाकार, हिन्दी के प्रमुख कलाकार, साहित्य-परिचय प्रभूतिगद्य जैसी रचनाओं द्वारा हिन्दी साहित्य की सेवा की है।

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ऐ वीरो, भारतवर्ष के कविता का सार

‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ कविता के रचयिता श्री उदयभानु हँस हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने भारतवासियों से आह्वान किया है कि अब समय आ गया है कि हमें अपने देश पर आक्रमण करने वालों को मुँह तोड़ जवाब देना चाहिए। हमें दुश्मन के खून से अपनी मातृभूमि का श्रृंगार करना है। उनके सामने हमें गुरु गोबिन्द सिंह जी और बंदा बैरागी की तरह अडिग बनकर खड़ा होना चाहिए। हम यह जानते हैं कि युद्ध करना अच्छी बात नहीं है परन्तु जब सामने वाला प्यार की बात नहीं समझता तो उसे ताकत की भाषा से ऐसा जवाब देना चाहिए कि वह आगे से आंख उठाकर हमारे देश की ओर नहीं देख सकेगा। हमें अपने उन वीर सपूतों की कुर्बानियाँ तथा उनके सपनों को याद रखना चाहिए जिन्होंने देश को आजाद करवाने में अपनी जान दे दी। हमें दुश्मनों को समाप्त करके उनके सपने पूरे करने हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 9 मानव

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 मानव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 9 मानव

Hindi Guide for Class 11 PSEB मानव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मानव कविता में दिनकर जी ने ईश्वर से क्या प्रार्थना की है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में दिनकर जी ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि मनुष्य में अधर्म और शत्रुता की भावना का अन्त हो जाए और धर्म और दया का दीपक जल उठे। वह इस ब्रह्माण्ड में परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ कृति है पर उसमें अनेक प्रकार के अवगुण मिल चुके हैं। वह अपने श्रेष्ठ गुणों को भूल चुका है। वह संहारक भावों की अधिकता के कारण संसार को नाश की ओर धकेल रहा है। वह पाखंड और वासना का गुलाम बन चुका है। उसके हृदय में सद्भाव उत्पन्न हों जिससे यह संसार फिर सुख प्राप्त कर सके।

प्रश्न 2.
कवि के अनुसार आज मानव उन्नति के किस शिखर पर पहुँच चुका है ?
उत्तर:
विज्ञान की सहायता से आज मनुष्य ने धरती और आकाश के बीच जो कुछ है उस पर विजय पा ली है। आज मानव उन्नति यहाँ तक पहुँच चुकी है कि उसने प्रकृति के सब रहस्यों पर भी विजय पा ली है। मानव अपने गुणों के कारण ज्ञान-विज्ञान के आलोक शिखर का स्पर्श कर चुका है। इसी अभिमान के कारण वह वासना का गुलाम बन गया है। मानव, मानव का शत्रु बन कर एक -दूसरे का संहार कर देना चाहता है। मानव की उन्नति प्रेम सौहार्द के आधार पर टिकी हुई नहीं है। इसलिए यह भयावह और हानिकारक दिशा की ओर बढ़ रही है।

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प्रश्न 3.
कवि ने मानव को मानवता का घोर अपमान क्यों कहा है ?
उत्तर:
कवि के अनुसार आज का मानव भाग्य का दास बन कर रह गया है। वह मानवता का अपमान इसलिए बन गया है कि आज के मानव में से आपसी प्रेम-प्यार और भाई-चारे की भावना समाप्त हो चुकी है। आज का मानव अपने वैज्ञानिक विकास के कारण प्रकृति के रहस्यों को तो जान गया है पर मानव मन में छिपे प्रेम और कोमलता के भावों को भुला बैठा है। मानव, मानव का दुश्मन बन चुका है। इसलिए कवि ने आज मानव को मानवता का घोर अपमान कहा है।

प्रश्न 4.
कवि के अनुसार मानव का श्रेय किस में निहित है ?
उत्तर:
कवि के अनुसार मानव का श्रेय मानवीय संवेदना, आपसी प्रेम-प्यार, मैत्री और अहिंसा में है। मानव ही मानव का सहायक बनकर प्राणी मात्र के समुचित विकास में सहयोगी बन सकता है। कलह, क्लेश, घृणा, द्वेष, लड़ाईझगड़े तो केवल मानव के लिए अहितकर ही सिद्ध होंगे। इससे केवल मानव और मानवता का हो, अहित नहीं होता अपितु, विश्व के प्रत्येक जीव का अहित होता है। मानव का श्रेय इसी में है कि वह मिलजुल कर कार्य करें और एकदूसरे के हितकर बनकर मानवतावाद की स्थापना करें।

प्रश्न 5.
‘मानव’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने विश्व में सुख-शांति लाने के लिए मानवीय संवेदना, आपसी प्रेम-प्यार और भाईचारे को बढ़ावा देने की बात कही है। मानव ने चाहे विज्ञान के क्षेत्र में अपार उन्नति कर ली है, प्रकृति के रहस्यों को समझ लिया है, धरती आकाश-पाताल को जान गया है। मानव स्वयं इस संसार का दुश्मन बन बैठा है। वह संहार, वासना, पाखंड, धोखा, भ्रष्टाचार, छल और कपट का पर्यायवाची बन गया है। मानव का वास्तविक विकास तो तभी होगा जब वह प्रेमभाव से सभी मानवों को अपनाएगा। उसे अधर्म और शत्रुता का अन्त करना चाहिए।

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PSEB 11th Class Hindi Guide मानव Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘दिनकर’ का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

प्रश्न 2.
दिनकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर:
दिनकर का जन्म 30 सितंबर, सन् 1908 ई० में बिहार राज्य के सिमरिया नामक गाँव में हुआ था।

प्रश्न 3.
दिनकर ने किन माता-पिता के घर जन्म लिया था ?
उत्तर:
दिनकर ने कृषक पिता श्री रवि सिंह और माता मनरूप देवी के घर जन्म लिया था।

प्रश्न 4.
दिनकर तब कितने वर्ष के थे जब इनके पिता का देहांत हो गया था ?
उत्तर:
केवल एक वर्ष के।

प्रश्न 5.
दिनकर की पढ़ाई-लिखाई में किस ने सहायता की थी ?
उत्तर:
दिनकर का विवाह किशोरावस्था में हो गया था और उनकी पत्नी ने इन्हें पढ़ने लिखने में सहायता दी थी।

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प्रश्न 6.
दिनकर की प्राथमिक शिक्षा कहाँ हुई थी ?
उत्तर:
गाँव में।

प्रश्न 7.
किस कारण दिनकर को गाँव से तीन-चार मील दूर शिक्षा प्राप्ति के लिए जाना पड़ा था ?
उत्तर:
असहयोग आंदोलन छिड़ जाने के बाद इन्हें बारो नामक गाँव में राष्ट्रीय पाठशाला में शिक्षा प्राप्ति के लिए जाना पड़ा था।

प्रश्न 8.
जिस स्कूल से उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की उस का खर्च किस से चलता था ?
उत्तर:
उस पाठशाला का व्यय भिक्षाटन से चलता था।

प्रश्न 9.
दिनकर ने मैट्रिक की परीक्षा कब और कहाँ से पूरी की थी ?
उत्तर:
दिनकर ने मोकामाघाट के स्कूल में सन् 1928 ई० में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी।

प्रश्न 10.
दिनकर की प्रारंभिक कविताएं किस पत्रिका में किस नाम से छपने लगी थी ?
उत्तर:
रामवृक्ष वेनीपुरी की पत्रिका ‘युवक’ में इनकी कविताएँ ‘अमिताम’ नाम से छपने लगी थी।

प्रश्न 11.
दिनकर ने किस कॉलेज में हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था ?
उत्तर:
मुज़फ्फरपुर के पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में।

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प्रश्न 12.
दिनकर ने किस विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर कार्य किया था ?
उत्तर:
भागलपुर विश्वविद्यालय ।

प्रश्न 13.
साहित्य अकादमी पुरस्कार की प्राप्ति इन्होंने किस रचना पर प्राप्त किया था ?
उत्तर:
संस्कृति के चार अध्याय।

प्रश्न 14.
दिनकर ने मानव को संसार का किस प्रकार का प्राणी बताया है ?
उत्तर:
सर्वश्रेष्ठ प्राणी।

प्रश्न 15.
दिनकर के अनुसार कौन-सा जीव संसार में ज्ञान का खजाना है ?
उत्तर:
मानव।

प्रश्न 16.
कवि ने किन दीपकों के जलने की बात कही है ?
उत्तर:
धर्म और दया रूपी दीपक।

प्रश्न 17.
धरती से युद्ध के भय तथा …………… का अंत होगा ।
उत्तर:
निराशा।

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प्रश्न 18.
कवि ने किसके माध्यम से बुद्धिवादी मानव के कुकृत्यों पर प्रकाश डाला है ?
उत्तर:
युधिष्ठिर।

प्रश्न 19.
सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी कौन है ?
उत्तर:
मानव।

प्रश्न 20.
‘मानव’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर:
रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

प्रश्न 21.
कवि ने समाज में ……… व्यवस्था का समर्थन किया है ।
उत्तर:
समान।

प्रश्न 22.
सच्चा मानव कौन है ?
उत्तर:
जो अपने दुर्गुणों पर विजय प्राप्त करता है।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रामधारी सिंह दिनकर किस चेतना के कवि थे ?
(क) राष्ट्रीय
(ख) अंतराष्ट्रीय
(ग) भारतीय
(घ) प्रयोगवादी।
उत्तर:
(क) राष्ट्रीय

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प्रश्न 2.
रामधारी सिंह दिनकर को भारत सरकार ने किससे अलंकृत किया ?
(क) पद्मभूषण
(ख) पद्मविभूषण
(ग) पद्म श्री
(घ) पद्मानय।
उत्तर:
(क) पद्मभूषण

प्रश्न 3.
‘मानव’ कविता कवि के किस खंड काव्य से संकलित है ?
(क) रेणुका
(ख) हुंकार
(ग) कुरुक्षेत्र
(घ) उर्वशी।
उत्तर:
(ग) कुरुक्षेत्र

प्रश्न 4.
सच्चा मानव किस पर विजय प्राप्त करता है ? ।
(क) गुणों पर
(ख) दुर्गुणों पर
(ग) सगुणों पर
(घ) निर्गुण पर।
उत्तर:
(ख) दुर्गुणों पर।

मानव सप्रसंग व्याख्या

1. धर्म का दीपक दया का दीप
कब जलेगा, कब जलेगा, विश्व में भगवान् ?
कब सुकोमल ज्योति से अभिषिक्त-
हो, सरस होंगे जली-सूखी रसा के प्राण ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
अभिषिक्त = परिपूर्ण। सरस = हरे भरे। रसा = धरती, पृथ्वी।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी के खंडकाव्य ‘कुरुक्षेत्र’ के छठे सर्ग में संकलित शीर्षक मानव से लिया गया है। इसमें कवि ने विश्व में सुख शांति लाने के लिए मानवता का संदेश दिया है।

व्याख्या :
कवि ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ कहता है कि हे भगवान् ! इस विश्व में कब धर्म और दया के दीपक जल-जलकर प्रकाश करेंगे। संसार में कब धर्म और दया का प्रसार होगा ? और कब अत्यन्त कोमल आशा के प्रकाश से परिपूर्ण होकर निराशा और संघर्ष से जली और सूखी धरती सुखी होगी। कब इस धरती से युद्ध के भय और निराशा का अन्त होगा?

विशेष :

  1. कवि ईश्वर से विश्वशान्ति स्थापित करने की प्रार्थना कर रहा है।
  2. शुद्ध खड़ी बोली का प्रयोग है।
  3. तत्सम शब्दों का प्रयोग है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. ओजगुण है।

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2. यह मनुज ब्रह्माण्ड का सब से सुरम्य प्रकाश,
कुछ छिपा सकते न जिससे भूमि या आकाश।
यह मनुष्य जिसकी शिखा उद्दाम।
कर रहे जिसको चराचर भक्तियुक्त प्रणाम।
यह मनुज जो सृष्टि का श्रृंगार।
ज्ञान का, विज्ञान का, आलोक का आगार।

कठिन शब्दों के अर्थ :
मनुज = मनुष्य। ब्रह्माण्ड = सृष्टि। सुरम्य = सुन्दर। शिखा = ज्योति, लौ। उदाम = प्रबल। आलोक = प्रकाश। आगार = भंडार, खज़ाना।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० रामधारी सिंह दिनकर जी के खंडकाव्य ‘कुरुक्षेत्र’ के छठे सर्ग में संकलित काव्यांश से लिया गया है। इसमें कवि ने मानव को सृष्टि की श्रेष्ठ रचना बताया है

व्याख्या :
कवि कहता है कि मनुष्य जो इस सृष्टि का सब से सुन्दर प्रकाश एवं प्राणी है। उससे पृथ्वी और आकाश अपना कोई भी रहस्य नहीं छिपा सकते। यहीं वह मनुष्य जिसके तेज़ का प्रकाश बड़ा प्रबल है, जिसे सारी जड़-चेतन प्रकृति भक्तिपूर्वक प्रणाम करती है। सारे जड़-चेतन मनुष्य की सत्ता को स्वीकार करते हैं। यह मनुष्य सृष्टि का श्रृंगार है। सृष्टि की सुन्दरतम रचना है, इससे सृष्टि की शोभा बढ़ती है। यह मनुष्य ज्ञान, विज्ञान तथा प्रकाश का भंडार है । मनुष्य अपने कर्मों से सृष्टि की शोभा को बढ़ाता है।

विशेष :

  1. कवि कहना चाहता है कि मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। उसे ज्ञान भण्डार की कमी नहीं है फिर भी वह बुरे कर्मों की ओर आकर्षित है।
  2. भाषा सशक्त, प्रभावशाली तथा प्रवाहमय है।
  3. शुद्ध खड़ी बोली का प्रयोग है।
  4. तत्सम शब्दावली है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. ओजगुण है।

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3. वह मनुज, जो ज्ञान का आगार।
यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार।
नाम सुन भूलो नहीं, सोचो-विचारो कृत्य।
यह मनुज, संहार सेवी, वासना का भृत्य।
छद्म इसकी कल्पना, पाखण्ड इस का ज्ञान।
यह मनुष्य, मनुष्यता का घोरतम अपमान।

कठिन शब्दों के अर्थ :
आगार = भण्डार। कृत्य = कार्य। संहार सेवी = विध्वंस को प्यार करने वाला, हिंसावादी। भृत्य = नौकर, दास। छद्म = छल-कपट।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के द्वारा रचित खंडकाव्य ‘कुरुक्षेत्र’ के छठे सर्ग से अवतरित किया गया है। कवि ने इस धरती पर विज्ञान के विकास और अनेक प्रकार के लाभों को प्राप्त करने के बाद भी मानव के स्वार्थी-भावों के समाप्त न होने पर दुःख व्यक्त किया है और शोषण की समाप्ति की कामना की है।

व्याख्या :
यह मनुष्य जो ज्ञान का आगार है, खज़ाना है, जो संसार का भूषण है, उसका नाम सुनकर ही भूल में न पड़ जाना। तुम्हें उसके कार्यों पर अच्छी तरह विचार कर लेना चाहिए। यह तो विनाश की उपासना करता है। यह विषय-वासनाओं का दास है। इस की कल्पनाएँ, आशाएं और ज्ञान सब धोखा है, दिखावा मात्र है। यह मनुष्य से मनुष्यता का सब से बड़ा अपमान है। यह मानवता का कलंक है।

विशेष :

  1. कवि ने युधिष्ठिर के माध्यम से बुद्धिवादी मानव के कुकृत्यों पर प्रकाश डाला है।
  2. कवि ने द्वापर युग का मानवीकरण किया है।
  3. ओज गुण की प्रधानता है।
  4. तत्सम और तद्भव शब्दावली का मिला-जुला प्रयोग किया गया है।

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4. व्योम से पाताल तक सब कुछ इसे है ज्ञेय,
पर, न यह परिचय मनुज का, यह न उसका श्रेय।
श्रेय उसका, बुद्धि पर चैतन्य उर की जीत,
श्रेय मानव की असीमित मानवों से प्रीत,
एक नर से दूसरे के बीच का व्यवधान,
तोड़ दे जो, बस, वही ज्ञानी, वही विद्वान,
और मानव भी वही।

कठिन शब्दों के अर्थ :
व्योम = आकाश। ज्ञेय = जान लेना, मालूम कर लेना, जिसे जान लिया गया है। श्रेय = महत्ता। चैतन्य = सजग, चेतना से युक्त। उर = हृदय। असीमित = असंख्य। प्रीत = प्रेम। व्यवधान = दूरी।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश रामधारी सिंह दिनकर जी के खंडकाव्य ‘कुरुक्षेत्र’ के छठे सर्ग में संकलित ‘मानव’ शीर्षक से लिया गया है।

व्याख्या :
कवि सच्चा मानव कौन हो सकता है ? इस प्रश्न का उत्तर देता हुआ कहता है कि यह सच है कि आकाश से लेकर पाताल तक मनुष्य ने अपनी बुद्धि-शक्ति से सब कुछ जान लिया है, परन्तु यह न तो मनुष्य का वास्तविक परिचय है और न इसमें उसकी महत्ता है। मनुष्य की महत्ता इसी में है कि वह अपनी बुद्धि की दासता से मुक्त हो और उसके सजग हृदय का उसकी बुद्धि पर आधिपत्य हो। वह बुद्धिवादी न होकर मनःवादी होकर असंख्य मनुष्यों के प्रति अपने प्रेम का सच्चा प्रदर्शन करे। वही मनुष्य ज्ञानी है, विद्वान् है और सच्चे अर्थों में मानव है जो एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य के बीच बनी दूरी को मिटा दे तथा पारस्परिक भेदभाव वैर भाव को नष्टकर उन्हें एकता और भाईचारे के सूत्र में बांध दें।

विशेष :

  1. सच्चा मानव वह है जो अपने दुर्गुणों पर विजय प्राप्त करके भाईचारे तथा सत्संगति का प्रचार करें।
  2. भाषा प्रभावशाली है।
  3. तत्सम शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. शैली भावात्मक है।

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5. साम्य की वह रश्मि, स्निग्ध, उदार
कब खिलेगी, कब खिलेगी, विश्व में भगवान् ?
कब सुकोमल ज्योति से अभिषिक्त
हो सरस होंगे जली-सूखी रसा के प्राण ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
साम्य = समानता। रश्मि = किरण। स्निग्ध = स्नेहभरा। अभिषिक्त = परिपूर्ण। रसा = धरती।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री रामधारी सिंह दिनकर जी के खंडकाव्य ‘कुरुक्षेत्र’ के छठे सर्ग में संकलित ‘मानव’ शीर्षक काव्यांश से लिया गया है। कवि ईश्वर से जानना चाहता है कि इस धरती पर सुख-समृद्धि और शान्ति का युग कब आएगा।

व्याख्या :
कवि ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ कहता है कि समानता से धरती पर वास्तव में सुख और समृद्धि की वर्षा कब होगी ? हे भगवान् ! वह समानता की प्रेम भरी और उदार किरण विश्व में कब उतरेगी और कब उसके कोमल प्रकाश से भीगकर जली-सूखी धरती के प्राण हरे होंगे? दुःखों से सताई हुई धरती के निवासी कब वास्तविक और अपार आनंद में मग्न होंगे?

विशेष :

  1. कवि ने समाज में समान व्यवस्था का समर्थन किया है।
  2. भाषा प्रभावशाली है।
  3. तत्सम शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. शैली भावपूर्ण है।

मानव Summary

मानव जीवन-परिचय

राष्ट्रीय चेतना के क्रान्तिकारी कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म सन् 1908 ई० में मुंगेर जिले के सिमरिया में हुआ। इनके पिता एक साधारण किसान थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा के विकास के लिए निरन्तर संघर्ष किया। अपने परिश्रम तथा अध्यवसाय द्वारा उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पदों पर काम किया। बाद में उन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद को सुशोभित किया। सन् 1952 में उन्हें राज्य-सभा का सदस्य मनोनीत किया गया। भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया। ___ इनकी काव्य-रचनाओं में ‘रेणुका’, ‘रसवंती’, ‘द्वन्द्वगीत’, ‘हुंकार’, ‘धूपछांव’, ‘सामधेनी’, ‘इतिहास के आंस’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘रश्मि-रथ’, ‘उर्वशी’ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। ‘उर्वशी’ के लिए इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया।

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मानव कविता का सार

‘मानव’ शीर्षक कविता ‘दिनकर’ जी के प्रसिद्ध खंड काव्य ‘कुरुक्षेत्र’ के छठे सर्ग से ली गई है। कवि ने मनुष्य को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना कहा है। मनुष्य को धरती, पाताल और आकाश की सब सूचना है। उसने ज्ञान और विज्ञान में अपार सफलता प्राप्त की है। इसीलिए मानव को सृष्टि का श्रृंगार कहा गया है परन्तु मानव का दूसरा पक्ष यह भी है कि वह संहार, वासना, पाखंड और छल-कपट की मूर्ति भी है। उसने धरती और आकाश की दूरी को माप कर दोनों को पास लाकर खड़ा कर दिया है परन्तु एक मनुष्य की दूसरे मनुष्य से दूरी अब भी बनी हुई है। मानव इस दूरी को दूर करने में सफल नहीं हो पाया है। कवि का कहना है कि केवल ज्ञान-विज्ञान के आधार पर ही मानव को ज्ञानी नहीं मानता। मानव तभी ज्ञानी हो सकता है जब वह दूसरे मानव से प्यार करना और भाइचारे से रहना सीख जाएगा। कवि ईश्वर से पूछता है कि मानव अधर्म और शत्रुता की भावना से कब बाहर आएगा और दया-धर्म का दीपक जलाएगा।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 8 वीरों का कैसा हो वसन्त?, ठुकरा दो या प्यार करो

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 8 वीरों का कैसा हो वसन्त?, ठुकरा दो या प्यार करो Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 8 वीरों का कैसा हो वसन्त?, ठुकरा दो या प्यार करो

Hindi Guide for Class 11 PSEB वीरों का कैसा हो वसन्त?, ठुकरा दो या प्यार करो Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कवयित्री ने हिमाचल की किस पुकार और ‘उद्धि’ की गर्जन से किस ओर संकेत किया है ?
उत्तर:
युद्ध के साथ वसन्त का भी आगमन हो चुका है। इसलिए वीर युवक दुविधा में है कि उसे क्या करना चाहिए। हिमाचल पुकार-पुकार कर और सागर गरज-गरज कर यही पूछ रहा है कि वीरों का वसन्त कैसा होना चाहिए? उसे युद्ध के मैदान में वसन्त मनाना चाहिए।

प्रश्न 2.
वीरांगना अपने मन में चिन्तित क्यों हो रही है ?
उत्तर:
वीरांगना अपने मन में इसलिए चिन्तित हो रही है इधर बसन्त ऋतु का आगमन हुआ है और उधर पति युद्ध में जाने की तैयारी किये बैठा है। उसके हृदय में अनकहा भय का भाव विद्यमान है पर साथ ही साथ देश के प्रति निष्ठा और उसकी रक्षा के प्रति ज़िम्मेदारी का भाव भी उपस्थित है। वह भविष्य के विषय में कुछ कर नहीं सकती। जहाँ कोई उपाय न हो वहाँ चिंता तो होती ही है।

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प्रश्न 3.
कवयित्री अतीत से क्या पूछना चाहती है ? 40 शब्दों में वर्णन करें।
उत्तर:
कवयित्री अतीत (बीते हुए समय) को अपनी चुप्पी तोड़कर यह बताने के लिए कहती है कि लंका दहन क्यों हुआ था? कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत का युद्ध क्यों हुआ था? इन दोनों ही घटनाओं के सम्बन्ध में उसे अपने असीम अनुभव बताने चाहिए।

प्रश्न 4.
हल्दीघाटी और सिंहगढ़ का दुर्ग किन महावीरों की स्मृतियाँ जगाना चाहता है ?
उत्तर:
हल्दीघाटी (मेवाड़ में एक स्थान) में महाराणा प्रताप और अकबर की सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ था। अतः हल्दीघाटी महाराणा प्रताप की स्मृति को जगाना चाहती है। सिंहगढ़ के दुर्ग में छत्रपति शिवाजी के दाहिने हाथ ताना जी ने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया था। अत: यह दुर्ग ताना जी की वीरता की स्मृति जगाना चाहता है।

प्रश्न 5.
कवि भूषण’ एवं ‘चन्दवरदाई’ में क्या समानता थी ?
उत्तर:
दोनों कवि वीर रस की कविता लिखने के लिए विख्यात हैं। उनकी कविता नवयुवकों में उत्साह भर देती है। उन्हें युद्ध में लड़ने की प्रेरणा देती थी। वे केवल कवि ही नहीं थे बल्कि स्वयं भी योद्धा थे और युद्धभूमि में शत्रु के सामने डट कर खड़े हो जाते थे। वे दोनों अपने देश के लिए मर-मिटना जानते थे।

प्रश्न 6.
कवियों की कलम पर अंकुश क्यों लगा हुआ था ?
उत्तर:
कवयित्री ने प्रस्तुत पंक्ति में देश के परतन्त्र होने के समय लेखकों, साहित्यकारों एवं कवियों की भी कलम बंधी होने का संकेत दिया है। अंग्रेज़ी शासन में किसी को भी अपनी बात कहने या लिखने का अधिकार नहीं था। भारत उस समय अंग्रेजों का गुलाम जो था। देश में उस समय भूषण और चन्दवरदाई जैसे कवि नहीं थे जो अपनी कविता द्वारा सोयी हुई जनता में स्वतन्त्रता की आग फिर से भड़का दे।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 8 वीरों का कैसा हो वसन्त?, ठुकरा दो या प्यार करो

प्रश्न 7.
धनी लोग परमात्मा की उपासना किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर:
धनी लोग परमात्मा की सेवा में कई तरह की बहुमूल्य वस्तुएँ भेंट कर उसकी उपासना करते हैं। वे धूमधाम से, साजबाज़ से मन्दिर में आते हैं और मोती, माणिक जैसी बहुमूल्य वस्तुएँ लाकर चढ़ाते हैं। उनकी भक्ति में भावना के साथ-साथ दिखावे का भाव भी जुड़ा रहता है।

प्रश्न 8.
‘धूप, दीप, नैवेद्य नहीं, झाँकी का श्रृंगार नहीं’ में कवयित्री का वास्तव में किस ओर संकेत है ?
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्ति में कवयित्री का वास्तव में पूजा की सामग्री की ओर संकेत है जो उस ग़रीबनी के पास नहीं है, उसके पास तो प्रेम भरा हृदय ही है। उसके पास केवल श्रद्धापूर्ण भक्ति का भाव ही है।

प्रश्न 9.
समर्पण की निष्कपट भावना का चित्रण ‘ठुकरा दो या प्यार करो’ कविता में हुआ है-स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने समर्पण की निष्कपट भावना का सुन्दर चित्रण किया है। वह ग़रीबनी है। उसके पास पूजा की सामग्री भी नहीं है। झाँकी सजाने का सामान भी नहीं है। दान दक्षिणा के लिए भी कुछ नहीं है फिर भी वह सबसे बड़ी पुजारिन सिद्ध होती है क्योंकि उसके पास प्रेम भरा हृदय जो है और साथ ही अर्पण की ऊँची भावना भी भरी हुई है।

प्रश्न 10.
‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ या ‘ठुकरा दो या प्यार करो’ कविता का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
(क) ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ कविता की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने राष्ट्र प्रेम का वर्णन किया है। वसन्त आगमन तथा युद्ध में वीर का जाना एक साथ आ गया है। वीर युवक दुविधा में है कि उसे क्या करना चाहिए परन्तु वीरों के लिए वसन्त युद्ध का मैदान है। इसलिए कवयित्री तरह-तरह के उदाहरण देकर वीरों को युद्ध के लिए प्रेरित करती है। कवयित्री इस बात का दुःख है कि परतन्त्र देश में लेखकों की कलम भी प्रतिबंधित है इसलिए वीरों में शक्ति भरने का काम कवयित्री कर रही है उन्हें उनके कर्त्तव्य को पूरा करने के लिए प्रेरित कर रही है।

(ख) ‘ठुकरा दो या प्यार करो’ कविता में कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने एक अनजान, दिखावे से दूर ईश्वर प्रेम की प्यासी दासी का वर्णन किया है। वह ईश्वर भक्ति के लिए अपने साथ माया रूपी वस्तुएँ जैसा वस्त्र, सोनाचांदी, प्रसाद आदि साथ लेकर नहीं जाती, उसके पास केवल प्रेम से भरा हृदय है जिसे वह ईश्वर चरणों में समर्पित करती है। अपने आत्मसमपर्ण को वह ईश्वर पर छोड़ देती है कि यह उनकी इच्छा है चाहे उसकी भेंट को अपना ले या ठुकरा दें।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 8 वीरों का कैसा हो वसन्त?, ठुकरा दो या प्यार करो

PSEB 11th Class Hindi Guide वीरों का कैसा हो वसन्त?, ठुकरा दो या प्यार करो Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 1904 में नाग पंचमी को।

प्रश्न 2.
सुभद्रा कुमारी चौहान के पिता का क्या नाम था ?
उत्तर:
ठाकुर राम नाथ सिंह।

प्रश्न 3.
सुभद्रा कुमारी चौहान के पति का क्या नाम था ?
उत्तर:
ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान।

प्रश्न 4.
‘वीरों का कैसा हो वसंत’ नामक कविता के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान।

प्रश्न 5.
वसंत की मादकता किसे अपनी ओर खींच रही है ?
उत्तर:
वसंत की मादकता वीर पुरुषों को अपनी ओर खींच रही है।

प्रश्न 6.
समुद्र गर्जना करता हुआ किससे प्रश्न पूछता है ?
उत्तर:
समुद्र गर्जना करते हुए वीर पुरुषों से प्रश्न पूछता है।

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प्रश्न 7.
वीर पुरुषों के लिए वसंत क्या होता है ?
उत्तर:
वीर पुरुषों के लिए वसंत युद्ध का मैदान होता है।

प्रश्न 8.
कवयित्री सुभद्रा किसे अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए कहती है ?
उत्तर:
अतीत को।

प्रश्न 9.
कवयित्री अतीत को किसे और क्या बताने को कहती है ?
उत्तर:
देश के वीरों को आग लगने की बात।

प्रश्न 10.
कवयित्री ने लंका और ……. की याद दिलाई है ।
उत्तर:
कुरुक्षेत्र।

प्रश्न 11.
भारतवासियों को रांग रंग छोड़कर …………… में कूदना चाहिए ।
उत्तर:
युद्ध क्षेत्र में।

प्रश्न 12.
राणा प्रताप के साथ कवयित्री ने किस अन्य वीर पुरुष के नाम का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
तानाजी मूलसरे।

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प्रश्न 13.
राणा प्रताप की सेना ने हल्दी घाटी के मैदान में किसकी सेना के छक्के छुड़ाए थे ?
उत्तर:
अकबर।

प्रश्न 14.
कवयित्री वीरों को उन युद्धों के माध्यम से किसकी याद दिलाती है ?
उत्तर:
उनके कर्तव्यों की।

प्रश्न 15.
वीरों की वीरता देखने के लिए कवयित्री किसके प्रार्थना करती है ?
उत्तर:
हल्दी घाटी और सिंहगढ़।

प्रश्न 16.
ताना जी ने किस पर विजय प्राप्त की थी ?
उत्तर:
सिंहगढ़ पर।

प्रश्न 17.
भूषण और चन्दवरदाई किस प्रकार के कवि थे ?
उत्तर:
वीर रस के कवि थे।

प्रश्न 18.
आजकल किस प्रकार के कवियों का अभाव है ?
उत्तर:
वीर रस के कवियों का।।

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प्रश्न 19.
कवयित्री मंदिर में ………….. करने जाती है ।
उत्तर:
प्रभु की पूजा।

प्रश्न 20.
कवयित्री के पास देवता की पूजा करने के लिए क्या नहीं था ?
उत्तर:
धूप और दीपक।

प्रश्न 21.
कवयित्री किस प्रकार मंदिर में गई थी ?
उत्तर:
खाली हाथ।

प्रश्न 22.
कवयित्री क्या चढ़ाने के लिए मंदिर आई थी ?
उत्तर:
अपने हृदय को।

प्रश्न 23.
कौन पूजा करने का तरीका नहीं जानता था ?
उत्तर:
कवयित्री।

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प्रश्न 24.
‘ठुकरा दो या प्यार करो’ किसकी रचना है ?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान।

प्रश्न 25.
कलम कब परतंत्र हो जाती है ?
उत्तर:
परतंत्र देश में।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सुभद्रा कुमारी चौहान किस काव्यधारा की कवयित्री थीं ?
(क) राष्ट्रीय काव्य धारा
(ख) भाव काव्य
(ग) प्रेम काव्य
(घ) गीति काव्य।
उत्तर:
(क) राष्ट्रीय काव्य धारा

प्रश्न 2.
‘वीरों का कैसा हो वसंत’ कविता में कवयित्री ने किनका गुणगान किया है ?
(क) राजाओं का
(ख) देशभक्त वीरों का
(ग) गद्दारों का
(घ) नेताओं का।
उत्तर:
(ख) देशभक्त वीरों का

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प्रश्न 3.
कवयित्री मंदिर में क्या चढ़ाना चाहती थी ?
(क) हृदय
(ख) पुण्य
(ग) पुण्यावली
(घ) अंतरांजलि।
उत्तर:
(क) हृदय

प्रश्न 4.
कलम किस देश में परतंत्र हो जाती है ?
(क) स्वतंत्र
(ख) परतंत्र
(ग) गणतंत्र
(घ) स्वतंत्रता।
उत्तर:
(ख) परतंत्र।

वीरों का कैसा हो वसन्त सप्रसंग व्याख्या

1. वीरों का कैसा हो वसंत ?
आ रही हिमाचल से पुकार,
है उदधि गरजता बार-बार
प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगन्त,
वीरों का कैसा हो वसंत ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
हिमाचल = हिमालय। उदधि = समुद्र । प्राची = पूर्व दिशा। अपार = असीम। दिग्दिगन्त = दिशाएँ।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति ‘मुकुल’ में संकलित ‘वीरों का कैसा हो वसन्त ?’ शीर्षक कविता में से लिया गया है। वसन्त ऋतु मादकता का प्रतीक है। श्रृंगार रस के लिए भी यह ऋतु अति उपयुक्त मानी गयी है क्योंकि इस ऋतु में काम विशेष रूप से उद्दीप्त होता है। कवयित्री प्रस्तुत कविता में प्रश्न कर रही है कि वीर पुरुषों को वसन्त कैसे मनानी चाहिए। रतिक्रीड़ा में लीन रहना चाहिए या फिर युद्ध भूमि में जाकर अपनी वीरता और शौर्य का प्रदर्शन करना चाहिए।

व्याख्या :
कवयित्री प्रश्न करती है कि वीरों को वसन्त ऋतु कैसे मनानी चाहिए ? हिमालय से भी यही पुकार आ रही है। यही प्रश्न पूछा जा रहा है। समुद्र भी गर्जना करता हुआ यही पूछ रहा है। पूर्व दिशा, पश्चिम दिशा, पृथ्वी और असीम आकाश एवं सभी दिशाएँ भी यही प्रश्न पूछ रही हैं कि वीरों का वसन्त कैसा हो ? उन्हें वसन्त कैसे मनानी चाहिए।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री का भाव यह है कि वसन्त ऋतु के आगमन पर वीर पुरुष को युद्ध के लिए उसकी मातृभूमि पुकार वही है। उसे ऐसे समय में क्या करना चाहिए अर्थात् वीरों का वसन्त घर में हो या युद्ध भूमि में इसका निर्णय वीर पुरुष को करना चाहिए।
  2. भाषा शैली सहज तथा सरल है।
  3. मानवीकरण तथा अनुप्रास अलंकार है।
  4. ओज गुण है। वीर रस है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 8 वीरों का कैसा हो वसन्त?, ठुकरा दो या प्यार करो

2. भर रहीं कोकिला इधर तान,
मारू बाजे पर उधर गान,
है रंग और रण का विधान,
मिलने आए हैं आदि-अन्त,
वीरों का कैसा हो वसन्त ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
कोकिला = कोयल। तान भर रही = मीठा राग गा रही। मारू बाजा = युद्ध भूमि में बजने वाला बाजा। रंग = राग रंग, भोग-विलास। रण = युद्ध। विधान = संरचना, तैयारी। आदि = आरम्भ।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ से ली गई हैं, जिसमें कवयित्री ने वीरों से पूछा है कि उन्हें वसन्त कैसे मनाना चाहिए ?

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि वसन्तागमन पर कोयल ने मीठे गीत गाने शुरू कर दिये हैं; वह वातावरण में मादकता भर रही है और उधर युद्ध आरम्भ होने के बाजे बजने लगे हैं जो सूचना दे रहे हैं कि अब युद्ध शुरू होने वाला है। कवयित्री कहती है कि वसन्त आगमन पर रंग, यौवन का आनन्द मनाने का समय और युद्ध दोनों की एक साथ तैयारी हुई है।

कवयित्री के कहने का तात्पर्य यह है कि वीर पुरुष को एक ओर तो वसन्त की मादकता उसे काम-चेष्टाओं की ओर आकर्षित करती है तो दूसरी ओर स्वतन्त्रता संग्राम भी छिड़ गया है। युद्ध भूमि और कर्त्तव्य उसे अपनी ओर बुला रहे हैं। प्रेम और कर्त्तव्य दोनों एक साथ आ खड़े हुए हैं। दोनों विरोधी बातें हैं। इनका एक साथ आना ऐसा लगता है जैसे आदि और अन्त मिलने आए हों। इसलिए कवयित्री प्रश्न करती है कि ऐसे समय में वीर पुरुष अपनी वसन्त कैसे मनाएं ?

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री का भाव यह है कि वसन्त की मादकता वीर पुरुष को अपनी ओर खींच रही है। परन्तु उसका कर्त्तव्य उसे पुकार रहा है। उसके मन में दोनों को लेकर उथल-पुथल मची हुई है।
  2. भाषा शैली सरल और सहज है।
  3. विरोधाभास और अनुप्रास अलंकार है।
  4. ओजगुण है। वीर रस है।

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3. फूली सरसों ने दिया रंग,
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग,
वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग
है वीर वेश में किन्तु कन्त ?
वीरों का कैसा हो बसन्त ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
मधु = शहद, मिठास। अनंग = काम देव। वसुधा = धरती। कन्त = स्वामी, पति, प्रिय।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति ‘मुकुल’ में संग्रहीत ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’, शीर्षक कविता से ली गई हैं। इनमें कवयित्री ने वीरों की मनोस्थिति का वर्णन किया है। वसन्त और युद्ध दोनों एक समय में आ गया है। वीर पुरुष की पत्नी वसन्त देखकर प्रसन्न है परन्तु जब पति को युद्ध में जाने के लिए तैयार देखती है तो दुविधा में पड़ जाती है।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि वसन्त में सरसों फूल कर रंग बिखेर रही है, चारों ओर पीली-पीली सरसों बिखरी हुई है। भँवरे भी फूलों से पराग लेकर गुन-गुन करते हुए प्रसन्नचित घूम रहे हैं। ऐसे पृथ्वी रूपी दुल्हन भी प्रसन्नता से झूम रही है। पृथ्वी प्रकृति के कारण तथा वीरांगना वसन्त के कारण खुशी से नाच रही है। परन्तु उसका पति तो वसन्त की मादकता को छोड़कर युद्धभूमि में जाने के लिए तैयार खड़ा है। वीर पुरुषों का वसन्त कैसा होना चाहिए ? उसे देश के लिए मर-मिटना चाहिए या प्रेम-भाव में डूबे रहना चाहिए ?

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री का भाव यह है कि वीर पुरुषों के जीवन में वसन्त का अर्थ युद्ध भूमि में अपने प्राणों की आहुति देने से होता है। वीर पुरुष को कोई बसन्त नहीं रोक सकता है।
  2. भाषा शैली सरल और सहज है।
  3. पुनरुक्ति, अनुप्रास तथा रूपक अलंकार है।
  4. ओजगुण है। वीर रस है।

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4. गलबाहें हों, या हो कृपाण
चल चितवन हो या धनुष-बाण,
हो रस-विलास या दलित-त्राण,
अब यही समस्या है दुरन्त,
वीरों का कैसा हो वसन्त ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
गलबाहें = प्रिया की बाँहें गले में, भाव आलिंगन से है। चल चितवन = चंचल दृष्टि, कटाक्ष । रस-विलास = शृंगार रस और आनन्द मनाना भाव प्रणय क्रीड़ा या काम क्रीड़ा से। दलित-त्राण = दीन लोगों की रक्षा करना, उन्हें भयमुक्त करना। दुरन्त = कठिन, प्रचण्ड, अति गम्भीर।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति ‘मुकुल’ में संग्रहीत ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। वसन्त और युद्ध एक ही समय पर आ जाने पर पुरुष के मन में दुविधा चल रही है कि उसे क्या करना चाहिए ? इन पंक्तियों में कवयित्री ने एक वीर पुरुष की दुविधा पूर्ण मनः स्थिति का वर्णन किया है।

व्याख्या :
कवयित्री वसन्त ऋतु के आगमन पर वीरों के सामने प्रणय क्रीड़ा और युद्ध भूमि में जाना दोनों विकल्प एक साथ आ जाने पर प्रश्न करती है कि क्या वीर पुरुष अपनी प्रेमिका की बाँहों का हार अपने गले में धारण करे या फिर युद्ध भूमि में जाकर तलवार धारण करें। क्या वीर पुरुष अपनी प्रेमिका के चंचल नयनों के इशारों की ओर आकर्षित हो या फिर युद्ध भूमि में जाकर धनुष-बाण धारण करें। क्या वीर पुरुष रस-विलास, प्रणय क्रीड़ा में लीन हों या कि दलित लोगों की रक्षा करे अथवा उन्हें भय मुक्त करें। अब यही समस्या अति गम्भीर बनी हुई है कि वीर पुरुष अपनी वसन्त कैसे मनाएँ।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री का भाव है कि वीर पुरुष के सामने समस्या है कि उसे प्रिय की बाहें या तलवार में से किसे चुनना चाहिए। वीर पुरुषों के लिए वसन्त कैसा होना चाहिए ? इसका निर्णय उसे स्वयं करना चाहिए।
  2. भाषा शैली सरल तथा सहज है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. ओज गुण है। वीर रस है।

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5. कह दे अतीत अब मौन-त्याग,
लंके ! तुझ में क्यों लगी आग ?
ऐ कुरुक्षेत्र ! अब जाग, जाग,
बतला अपने अनुभव अनन्त
वीरों का कैसा हो वसन्त ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
अतीत = बीता हुआ समय। मौन = चुप्पी। अनन्त = जिसका कोई अन्त न हो, अनगिनत, बेशुमार।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति ‘मुकुल’ में संकलित ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। इसमें कवयित्री वीर पुरुष से अपना मौन त्यागने के लिए कहती है और उसे उन महापुरुषों की याद दिलाती है जिन्होंने बड़े-बड़े युद्ध लड़े थे।

व्याख्या :
कवयित्री अपने प्रश्न-कि वीरों का वसन्त कैसा हो-का उत्तर बीते हुए समय से याद दिलाने के लिए कहती है। वह कहती है कि हे अतीत (बीते हुए युग) अब तू अपनी चुप्पी तोड़ दे। ऐ लंका ! मेरे देश के इन वीरों को बता कि तुझ में आग क्यों लगी थी? ऐ कुरुक्षेत्र ! अब तुम एक बार फिर जाग उठो और अपने अनगिनत अनुभव बताओ कि वीरों का वसन्त कैसा होना चाहिए ?

लंका और कुरुक्षेत्र की याद दिलाने से कवयित्री का तात्पर्य यह है कि लंका को आग हनुमान जी ने वीरता धारण करते हुए लगाई थी और कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन आदि वीरों ने अपना अद्भुत पराक्रम दिखलाया था। उसी प्रकार वीरता को धारण कर आज के भारतवासियों को राग-रंग छोड़ कर स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु युद्ध में कूद पड़ना चाहिए।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री का भाव यह है कि वीर पुरुष अब तुझे चुप नहीं रहना चाहिए। तुझे यह निर्णय कर लेना चाहिए कि वीरों के लिए किस वसंत का अधिक महत्त्व है।
  2. भाषा शैली सरल और सहज है।
  3. मानवीकरण, अनुप्रास तथा पुनरुक्ति अलंकार है।

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6. हल्दी घाटी के शिला-खण्ड,
ऐ दुर्ग ! सिंह-गढ़ के प्रचण्ड,
राना ताना का कर घमण्ड,
दो जगा आज स्मृतियाँ ज्वलन्त
वीरों का कैसा हो वसन्त ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
हल्दी घाटी = मेवाड़ में एक स्थान-जहाँ राणा प्रताप और अकबर की सेनाओं में भीषण युद्ध हुआ था। शिला-खण्ड = पहाड़ियों के टुकड़े-पत्थर, चट्टानें। सिंह गढ़ = दक्षिण में स्थित एक मज़बूत और ऊँचा किला जिसे जीतने के लिए छत्रपति शिवाजी के दाहिने हाथ ताना जी ने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया था तथा अपना बलिदान दे दिया था। प्रचण्ड = जबरदस्त, पक्का तथा ऊँचा। राना = राणा प्रताप। ताना = तानाजी मूलसरे। स्मृतियाँ = यादें। ज्वलन्त = उज्ज्वल।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यकृति ‘मुकुल’ में संग्रहीत ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ से लिया गया है। इसमें कवयित्री वीरों को उन युद्धों के माध्यम से उनके कर्तव्य की याद दिलाना चाहती है, जिनके कारण छत्रपति शिवाजी और महाराणा प्रताप अमर हो गए हैं।

व्याख्या :
कवयित्री वीरों को वसन्त कैसे मनाना चाहिए ? प्रश्न का उत्तर देने के लिये राणा प्रताप और तानाजी मूलसरे की वीरता देखने वाले स्थलों हल्दी घाटी और सिंहगढ़ से प्रार्थना करती है कि वे मेरे देश के नवयुवक वीरों को बताएँ कि वीरों ने वसन्त कैसे मनाया था।

कवयित्री कहती है कि हे हल्दी घाटी की पर्वत शिलाओं, हे प्रचण्ड (बहुत दृढ़ एवं ऊँचे) सिंहगढ़ दुर्ग, आप राणा प्रताप और तानाजी के गौरव एवं शौर्य की उज्ज्वल यादों को मेरे देश के नवयुवक वीरों को बताओ कि किस प्रकार राणा प्रताप ने हल्दी घाटी के मैदान में अकबर की सेना के छक्के छुड़ाए थे और किस प्रकार ताना जी ने सिंहगढ़ पर विजय प्राप्त करने के लिए वीरतापूर्वक लड़ते हुए अपना बलिदान किया था। आप बताओ कि वीरों को वसन्त कैसे मनाना चाहिए?

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री का भाव यह है कि वीरो पुरुषों के लिए वसन्त युद्ध का मैदान होता है। वहाँ पर उसे अपने कर्तव्य की बलि-बेदी पर चढ़कर वसन्त मनाना है।
  2. भाषा शैली सरल तथा सहज है।
  3. मानवीकरण तथा अनुप्रास अलंकार है।
  4. वीर रस है।

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7. भूषण अथवा कवि चन्द नहीं
बिजली भर दे वह छन्द नहीं
है कलम बंधी, स्वच्छन्द नहीं,
फिर हमें बतावे कौन ? हन्त !
वीरों का कैसा हो वसन्त ?

कठिन शब्दों के अर्थ :
भूषण = रीतिकालीन का एक कवि जिन्होंने छत्रपति शिवाजी और छत्रसाल की वीरता की प्रशंसा में वीर रस की कविताएँ लिखीं। चन्द = कवि चन्दरवरदाई-जो पृथ्वीराज चौहान के मित्र एवं दरबारी कवि थे। उन्होंने वीर रस की कविता रची। छन्द = कविता के छन्द । कलम बंधी परतन्त्रता के कारण लेखक स्वतन्त्रतापूर्वक लिख नहीं सकते उनकी कलम बंधी हुई है। स्वच्छन्द = स्वतन्त्र । हन्त = खेद है, दुःख है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति ‘मुकुल’ में संग्रहीत ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ से लिया गया है। इसमें कवयित्री चन्दरवरदाई और भूषण कवियों को याद कर रही है। इन कवियों की लेखनी कायर से कायर पुरुष में भी वीरता का संचार कर देती थी।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि आज भारत परतन्त्र है। नवयुवकों में वीरता जगाने की आवश्यकता है किन्तु हाय, आज भूषण और चन्दवरदाई जैसे वीर रस की कविता लिखने वाले कवि नहीं हैं जो अपनी कविता द्वारा नवयुवकों में वीर रस जगाया करते थे। आज कोई भी ऐसी कविता लिखने वाला नहीं है जो देशवासियों की नसों में बिजली भर दे अथवा वीरता का संचार करे। इसका कारण यह है कि कवियों की, लेखकों की कलम भी, परतन्त्र होने के कारण, बंधी हुई है वे अपना मनचाहा लिखने के लिए स्वतन्त्र नहीं हैं। ऐसे में फिर हमें और कौन बताएगा कि वीरों का वसन्त कैसा होना चाहिए ? बस इसी बात का हमें खेद है, दःख है।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री का भाव है कि अब पहले जैसे कवि नहीं रहे हैं जो लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगा सके। परतन्त्र देश में कलम भी परतन्त्र हो जाती है इसलिए वीरों को उनके कर्त्तव्य याद दिलाने में सभी असमर्थ हैं।
  2. भाषा शैली सरल तथा सहज है।
  3. विरोधाभास तथा अनुप्रास अलंकार है।

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तुकरा दो या प्यार करो सपसंग व्याख्या

1. देव ! तुम्हारे कई उपासक
कई ढंग से आते हैं
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे
कई रंग की लाते हैं
धूमधाम से, साजबाज से
वे मन्दिर में आते हैं।
मुक्ता-मणि बहुमूल्य वस्तुएँ
लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ :
उपासक = पूजा करने वाले। कई ढंग से = कई तरह से। कई रंग की = कई तरह की। धूमधाम से= समारोह मनाते हुए। साजबाज = सजधज कर। मुक्ता = मोती। मणि = बहुमूल्य पत्थर, हीरे।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यकृति ‘मुकुल’ में संकलित कविता ‘ठुकरा दो या प्यार करो’ में से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने अपने नि:श्छल आत्मनिवेदन का वर्णन किया है।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि हे प्रभु ! तुम्हारी पूजा करने वाले कई भक्त कई तरह से तुम्हारी पूजा करने के लिए आते हैं। वे तुम्हारी सेवा में भेंट करने के लिए अपने साथ कई तरह की बहुमूल्य वस्तुएँ लाते हैं। हे प्रभु ! ऐसे तुम्हारे भक्त बड़ी धूमधाम से सजधज कर मन्दिर में आते हैं और हीरे-मोती जैसी कीमती वस्तुएँ लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री का भाव यह है कि ईश्वर की पूजा के लिए लोग मन्दिर में कुछ-न-कुछ लेकर आते हैं। सभी अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।
  2. भाषा शैली सरल और सहज है।
  3. भक्ति रस है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।

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2. मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी
जो कुछ साथ नहीं लायी
फिर भी साहस कर मन्दिर में
पूजा करने को आयी।

कठिन शब्दों के अर्थ : गरीबिनी = निर्धन।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यकृति में संग्रहीत ‘ठुकरा दो या प्यार करो’ शीर्षक कविता से अवतरित हैं। इनमें कवयित्री स्वयं को गरीब पुजारिन बताती है जिसके पास भगवान को अर्पित करने के लिए कुछ भी नहीं है।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि मैं ही ऐसी निर्धन हूँ जो पूजा में मन्दिर में देवता को चढ़ाने के लिए कोई भी वस्तु साथ नहीं लायी हूँ फिर भी हिम्मत करके मन्दिर में मैं पूजा करने चली आयी हूँ।

विशेष :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री का भाव यह है कि वह एक गरीब पुजारिन है जो खाली हाथ भक्ति भाव में मन्दिर में आई है।
भाषा शैली सरल और सहज है।
भक्ति रस है। माधुर्य गुण है।

3. धूप-दीप-नैवेद्य नहीं हैं
झांकी का श्रृंगार नहीं।
हाय ! गले में पहनाने को
फूलों का भी हार नहीं

                     कैसे करूँ कीर्तन,
                    मेरे स्वर में माधुर्य नहीं।
                    मन का भाव प्रकट करने को
                    वाणी में चातुर्य नहीं॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
नैवेद्य = देवता के लिए भोग की मिठाई या मीठी वस्तु। झाँकी = देवता की मूर्ति । शृंगार = सजावट। माधुर्य = मिठास। चातुर्य = चतुराई, निपुणता।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यकृति में संग्रहीत ‘ठुकरा दो या प्यार करो’ शीर्षक कविता से अवतरित हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री के यह भाव व्यक्त करती है कि उसके पास कुछ नहीं जिससे वह अपना भक्ति भाव प्रकट करे।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि मेरे पास तो देवता की पूजा करने के लिए धूप और दीपक भी नहीं है और न ही भोग लगाने के लिये कोई मीठी वस्तु ही है। मेरे पास तो देवता की मूर्ति को सजाने के लिए कोई सामान भी नहीं है यहाँ तक कि देवता के गले में पहनाने के लिए फूलों का हार भी नहीं है। मैं खाली हाथ मंदिर में ईश्वर की पूजा करने के लिए आई हूँ। मैं कीर्तन भी नहीं कर सकती क्योंकि न तो मेरे गले में मिठास है और न ही अपने मन के भावों को प्रकट करने वाली वाणी की चतुराई है। मैं हर तरह से खाली हूँ।।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री का भाव यह है कि उसके पास भगवान को चढ़ाने के लिए लौकिक वस्तु नहीं है। पूजा सामग्री, भोग लगाने के लिए प्रसाद आदि भी नहीं है।
  2. भाषा शैली सरल और सहज है।
  3. भक्ति रस है। माधुर्य गुण है।

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4. नहीं दान है नहीं दक्षिणा
खाली हाथ चली आयी
पूजा की विधि नहीं जानती
फिर भी नाथ ! चली आयी

               पूजा और पुजापा प्रभुवर
               इसी पुजारिन को समझो
               दान दक्षिणा और निछावर
               इसी भिखारिन को समझो

कठिन शब्दों के अर्थ :
विधि = तरीका। नाथ = हे प्रभु। पुजापा = पूजा की सामग्री। निछावर = भेंट।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान काव्यकृति ‘मुकुल’ में संग्रहीत ‘ठुकरा दो या प्यार करो’ कविता से अवतरित है। इसमें कवयित्री स्वयं को प्रभु भक्ति की प्रक्रिया से अन्जान बताती है। इसलिए वह स्वयं को प्रभु चरणों में अर्पित करनी आयी है।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि हे प्रभु ! मेरे पास न तो दान देने के लिए कुछ है न ही दक्षिणा देने के लिए। मैं तो खाली हाथ मन्दिर में आपके दर्शनों के लिए चली आई हूँ। मैं तो पूजा करने का तरीका भी नहीं जानती। फिर भी चली आई हूँ। हे प्रभु ! पूजा और पूजा की सामग्री आप इसी पुजारिन को समझो। इसी भिखारिन को, गरीबिनी को दान, दक्षिणा और भेंट के रूप में समझ लो। मैं खाली हाथ प्रभु भक्ति के लिए आई हूँ। मेरा भक्ति भाव से आना ही दान सामग्री सब कुछ है इसे स्वीकार करें।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री का भाव यह है कि वह प्रभु भक्ति के विषय में कुछ नहीं जानती है इसलिए वह अपने साथ कुछ नहीं लाई है।
  2. भाषा शैली सरल और सहज है।
  3. अनुप्रास अलंकार है। भक्ति रस है।

5. मैं उन्मत्त प्रेम की लोभी,
हृदय दिखाने आयी हूँ।
जो कुछ है, वह यही पास है,
इसे चढ़ाने आयी हूँ।

            चरणों पर अर्पित है, इसको
           चाहो तो स्वीकार करो।
           यह तो वस्तु तुम्हारी ही है।
           ठुकरा दो या प्यार करो॥

कठिन शब्दों के अर्थ : उन्मत्त = मतवाला। अर्पित है = भेंट है।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यकृति ‘मुकुल’ में संग्रहित ‘ठुकरा दो या प्यार करो’ कविता से अवतरित हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री कहती है कि प्रभु चरणों में चढ़ाने के लिए उनके पास केवल उनका प्यार भरा हृदय है जिसे वह स्वीकार कर लें।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि हे प्रभु ! मैं तो आपको अपना मतवाले प्रेम का लोभी अपना हृदय दिखाने के लिए आयी हूँ। मेरे पास तो यही हृदय जिसे मैं मन्दिर में चढ़ाने के लिए आयी हूँ। यही इसे ही मैं तुम्हें भेंट करती हूँ। यह तो आप ही की वस्तु है चाहे इसे स्वीकार करो या इसे ठुकरा दो, चाहे तो इसे त्याग दो, चाहे इसे प्यार करके अपना लो। मेरे पास प्रेम से भरा हृदय है जिसे आप पर अर्पित करने के लिए लाई हूँ।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री का भाव यह है कि वह प्रभु चरणों में अर्पित करने के लिए दिखावे की वस्तुएँ नहीं लाई हैं। उसके पास प्रेम से भरा हृदय जिसे वह प्रभु चरणों में अर्पित करना चाहती है।
  2. भाषा शैली सरल और सहज है।
  3. भक्ति रस है।

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वीरों का कैसा हो वसन्त Summary

जीवन परिचय

हिन्दी कवयित्रियों में सुभद्रा कुमारी चौहान का प्रमुख स्थान है। काव्य के क्षेत्र में इन्होंने राष्ट्रीय और नारी हृदय की अनुभूतियों से अपनी कल्पनाओं का श्रृंगार किया है। इनका जन्म सन् 1904 की नाग पंचमी को प्रयाग के निहालपुर मोहल्ले में हुआ था। इनके पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह था। वे शिक्षा प्रेमी और उच्च विचार के व्यक्ति थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा प्रयाग में ही सम्पन्न हुई। इनका विवाह छात्रावस्था में ही खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ था। सन् 1948 ई० में इनका निधन हो गया था।

इनके हृदय की भांति इनकी कविताएं भी सरल और निर्मल भावों से युक्त हैं। इनकी कविताओं के दो संग्रह विशेष रूप से उल्लेखनीय है-‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’। इन्होंने अनेक राष्ट्रीय नेताओं के विषय में भी कविताएं लिखी हैं। इनकी कुछ कविताएं विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं-झांसी की रानी, वीरों का कैसा हो बसन्त, राखी की चुनौती, जलियां वाला बाग में बसन्त आदि। इन्हें ‘मुकुल’ और ‘बिखरेमोती’ पर भी पुरस्कार मिले थे।

वीरों का कैसा हो वसन्त कविता का सार

‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ कविता की कवयित्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। इस कविता के माध्यम से कवयित्री वीर पुरुषों में वीर-भावनाओं का संचार करने का प्रयास करती हैं। कवयित्री यह प्रश्न पूछती है कि वीर पुरुषों का बसन्त कैसा होना चाहिए। वसन्त ऋतु तथा युद्ध में जाने का समय दोनों एक साथ आ गए हैं। वीर पुरुषों को युद्ध भूमि अपने कर्त्तव्य को पूरा करने के लिए पुकार रही है परन्तु वसन्त ऋतु की मादकता, उसकी पत्नी का साथ उसे वहां जाने से रोक रही है। वह दुविधा में है कि उसे क्या करना चाहिए। कवयित्री उसे उसके कर्त्तव्य की याद दिलाते हुए कह रही है कि वह अपने पूर्वजों द्वारा युद्ध भूमि में लड़े गए युद्धों को याद करके अपने कर्त्तव्य को पूरा करे। अब चन्दवरदाई तथा भूषण जैसे कवियों का भी अभाव है क्योंकि उन कवियों की लेखनी कायर से कायर पुरुष में शक्ति भरने का काम करती थी। आज परतन्त्र देश की लेखनी भी परतन्त्र है। वह अपना कर्त्तव्य पूरा करने में असमर्थ है। इसलिए वीर पुरुष तुम्हें ही निर्णय लेना है कि तुम्हारा वसन्त कैसा होना चाहिए।

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तुकरा दो या प्यार करो Summary

तुकरा दो या प्यार करो कविता का सार

‘ठुकरा दो या प्यार करो’ कविता की कवयित्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। इस कविता में सहज, सरल और निःश्छल प्रेम की अभिव्यक्ति है। कवयित्री मन्दिर में प्रभु पूजा करने जाती है। वहाँ वह लोगों को विभिन्न वस्तुएं चढ़ाते हुए देखती है। उसे मन्दिर में खाली हाथ आना अच्छा नहीं लगता परन्तु वह प्रभु भक्ति की प्रक्रिया से अंजान है। वह अपने साथ मन्दिर में कुछ भी लेकर नहीं जाती है। वह प्रभु से निवेदन करती है कि उसके पास प्रेम से भरा हृदय है जो वह उनके चरणों में अर्पित करना चाहती है। अब प्रभु की इच्छा पर निर्भर है कि वे उसकी इस तुच्छ भेंट को प्यार से स्वीकार कर लें या फिर ठुकरा दें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 13 नर हो, न निराश करो मन को

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 नर हो, न निराश करो मन को Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 13 नर हो, न निराश करो मन को

Hindi Guide for Class 6 नर हो, न निराश करो मन को Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दों के अर्थ व्याख्या के साथ दिए जा चुके हैं।

मास = महीना
खगोल शास्त्र = सौर-मण्डल सम्बन्धी अध्ययन
सून = खाली, रिक्त
गणितज्ञ = गणित को जानने वाला
आविष्कार = खोज
गणना = गिनना, गिनती
कौड़ी = घोंघे, शंख आदि
परिक्रमा = फेरी, प्रदक्षिणा
शिलालेख = किसी सम्राट द्वारा पत्थर पर खुदवाया आदेश
अक्ष = धरनी की धूरी
शताब्दी = सौ वर्ष का समय
अनमोल = अमूल्य
वैदिक काल = वेदों की रचना का युग
दरमिक प्रणाली = दस गुना तथा अपने से ठीक ऊंचे मान का दसवाँ भाग ।

2. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो-

सुयोग = ………………………
अवलम्बन = ………………………
दान = …………………….
धन = ……………………
सुख = ……………………..
उत्तर:
सुयोग (अच्छा अवसर) – मनुष्य को जीवन में सुयोग कभी-कभी ही मिलता है।
अवलम्बन (सहारा) – ईश्वर के अवलम्बन से ही कल्याण सम्भव है।
दान (उपकार के लिए कोई वस्तु देना) – दान देने से मनुष्य का कल्याण होता है।
धन (दौलत, पैसा) – अधिक धन का लालच नहीं करना चाहिए।
सुख (आराम) – दुःख उठाकर ही सुख प्राप्त होता है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 13 नर हो, न निराश करो मन को

3. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थक शब्द लिखो

नर = ………………….
जग = ……………….
तन = …………………
पथ = ………………….
प्रभु = ………………..
कर = ………………..
धन = ………………..
उत्तर:
नर = मनुष्य
जग = जगत्, संसार
तन = शरीर
पथ = मार्ग
प्रभु = परमात्मा
कर = हाथ
धन = वित्त, दौलत।

4. ‘सुयोग’ शब्द सु + योग से बना है। इसी प्रकार ‘अलभ्य’ शब्द अ + लभ्य से बना है। ‘सु’ और ‘अ’ का प्रयोग करते हुए पाँच-पाँच नए शब्द बनाओ।
उत्तर:
सु-सुविचार, सुनिश्चित, सुकृत, सुशोभित, सुकोमल।
अ-अप्राप्य, अलख, असाधारण, असंख्य, असाध्य।

5. काव्य-पंक्तियाँ पूरी करो

निज गौरव का………… ।
हम भी कुछ हैं यह ……….।
प्रभु ने तुमको………. ।
सब वांछित ………..।
उत्तर:
निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी हैं कुछ है यह ध्यान रहे
प्रभु ने तुमको कर दान किए
सब वांछित बस्तु विधान दिये

विचार-बोध(प्रश्न)

(क)
प्रश्न 1.
कवि ने क्या करने की प्रेरणा दी है ?
उत्तर:
कवि ने समय व्यर्थ न गँवाने और काम करते रहने की प्रेरणा दी है। मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 2.
मनुष्य को किस प्रकार कर्म करने को कहा है ?
उत्तर:
कविने मनुष्य को हमेशा आलस्य छोड़ कर निरन्तर कार्य करने को कहा है। समय बीत जाने पर व्यक्ति को पछताना पड़ता है। काम न करने से जीवन व्यर्थ चला जाएगा।

प्रश्न 3.
प्रभु ने मनुष्य को क्या दिया है ?
उत्तर:
प्रभु ने मनुष्य को हाथ दिये हैं। इसके अतिरिक्त काम करने के अन्य साधन भी उपलब्ध किए गए हैं।

प्रश्न 4.
कवि ने मनुष्य को किस प्रकार प्रोत्साहित किया है?
उत्तर:
कवि ने मनुष्य को कर्म करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

(ख) सप्रसंग व्याख्या लिखो

निज गौरव……………मन को।
नोट-सरलार्थ के लिए विद्यार्थी व्याख्या भाग देखें।

आत्म-बोध (प्रश्न)

1. इस कविता को कंठस्थ करो। नित्य प्रति इसका गुणगान करते हुए इससे प्रेरणा लो।
2. मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के राष्ट्रकवि थे। अपने अध्यापक से पता करो कि अन्य कौन-कौन से राष्ट्रकवि हुए हैं। गुप्त जी की रचनाओं के बारे में पढ़ो।
3. कविता में निरन्तर कर्म करने की प्रेरणा दी है। ‘श्रीमद्भगवत गीता’ से उन पंक्तियों को ढूँढ़ो जिनमें कर्मरत रहने को कहा गया है।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
इस कविता में कवि ने क्या बनने की प्रेरणा दी है ?
(क) आशावादी
(ख) निराशावादी
(ग) भाववादी
(घ) सिपाही
उत्तर:
(क) आशावादी

प्रश्न 2.
इस कविता में कवि ने मनुष्य को क्या करने की प्रेरणा दी है ?
(क) खेलने की
(ख) जागने की
(ग) कर्म करने की
(घ) चलने की
उत्तर:
(ग) कर्म करने की

प्रश्न 3.
प्रभु ने मनुष्य को क्या दिया ?
(क) धन
(ख) हाथ
(ग) तन
(घ) मन
उत्तर:
(ख) हाथ

प्रश्न 4.
कवि ने मन को क्या न होने की प्रेरणा दी है ?
(क) निराश
(ख) उदास
(ग) हताश
(घ) विश्वास
उत्तर:
(क) निराश

प्रश्न 5.
कवि के अनुसार मनुष्य का क्या रहना चाहिए ?
(क) धन
(ख) तन
(ग) मन
(घ) मान
उत्तर:
(घ) मान

पद्यांशों के सरलार्थ

1. नर हो, न निराश करो मन को,
कुछ काम करो, कुछ काम करो।
जग में रहकर कुछ नाम करो,
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो।
समझो, जिसमें यह व्यर्थ न हो।
कुछ तो उपयुक्त करो तन को,
नर हो, न निराश करो मन को।।

शब्दार्थ:
नर = मनुष्य। जग = संसार। व्यर्थ = फ़िजूल।

प्रसंग:
यह पद्यांश श्री मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘नर हो, न निराश करो मन को’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य को निराशा को छोड़कर परिश्रमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया है।

सरलार्थ:
कवि कहता है-तुम मनुष्य हो, अपने मन को निराश मत करो। कुछ-नकुछ काम अवश्य करो। संसार में रहकर अपना कुछ नाम पैदा करो। प्रसिद्धि प्राप्त करो। यह तुम्हारा जन्म किस लिए हुआ है। तुम समझो या सम्भल जाओ, जिससे तुम्हारा यह मनुष्य जन्म बेकार न चला जाए। तुम अपने शरीर को कुछ तो काम करने के योग्य बनाओ। तुम मनुष्य हो, अतः अपने मन को निराश न होने दो।

भावार्थ:
कवि ने मनुष्य को जीवन में काम करने की प्रेरणा दी है।

2. समझो, कि सुयोग न जाए चला,
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला।
समझो, जग को न निरा सपना,
पथ आप करो प्रशस्त अपना।
अखिलेश्वर है अवलम्बन को,
नर हो, न निराश करो मन को।

शब्दार्थ:
सुयोग = अच्छा अवसर। सदुपाय = अच्छा उपाय। प्रशस्त = पक्का करना, बनाना। अखिलेश्वर = ईश्वर। अवलम्बन = सहारा ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘नर हो, न निराश करो मन को’ कविता में से लिया गया है। इसके रचयिता श्री मैथिलीशरण गुप्त हैं। इसमें कवि ने मनुष्य को निराशा को छोड़कर परिश्रमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया है।

सरलार्थ:
कवि मनुष्य को प्रोत्साहित करते हुए कहता है-तुम संभल जाओ ताकि तुम्हारे हाथ से अच्छा अवसर न निकल जाए। तुम यह बताओ कि अच्छी तरह से किया हुआ उपाय भला कब व्यर्थ जाता है ? संसार को तुम निरा स्वप्न ही मत समझो बल्कि अपने जीवन के मार्ग को स्वयं बनाओ! क्योंकि तुम्हारा सहारा ईश्वर है। तुम मनुष्य हो, इसलिए मन को निराश मत होने दो।

भावार्थ:
कवि ने ईश्वर पर विश्वास रखते हुए किसी भी प्रकार की निराशा से बचने का पाठ पढ़ाया है।

3. निज गौरव का नित ज्ञान रहे,
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे।
सब जाये अभी, पर मान रहे,
मरने पर गुंजित गान रहे।
कुछ हो, न तजो निज साधन को,
नर हो, न निराश करो मन को।

शब्दार्थ:
निज = अपना। गौरव = बड़प्पन, स्वाभिमान। तजो = छोड़ो। प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘नर हो, न निराश करो मन को’ कविता में से लिया गया है। इसके रचयिता श्री मैथिलीशरण गुप्त हैं। इसमें कवि ने मनुष्य को निराशा को छोड़कर परिश्रमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया है।

सरलार्थ:
कवि काम करते समय मनुषण को सावधान रहने की शिक्षा देते हुए कहता है-तुम्हें अपने स्वाभिमान का हमेशा ज्ञान होना चाहिए। संसार में हम भी कुछ हैं, इस बात का अवश्य ध्यान होना चाहिए। संसार की सब योग्य वस्तुएँ अथवा सुख साधन सभी नष्ट हो जाएँ किन्तु सम्मान बना रहे, जिससे यश के गीत, मरने के बाद भी संसार में गूंजते रहें। कुछ भी हो, तुम अपने साधन को मत छोड़ो। तुम मनुष्य हो, इसलिए अपने मन को निराश मत होने दो।

भावार्थ:
कवि ने निराशा के भावों को मन में कभी न आने की प्रेरणा दी है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 13 नर हो, न निराश करो मन को

4. प्रभु ने तुम को कर दान किए,
सब वांछित वस्तु-विधान किए।
तुम प्राप्त करो उनको न अहो,
फिर है किसका यह दोष कहो।
समझो न अलभ्य किसी धन को,
नर हो, न निराश करो मन को।।

शब्दार्थ:
कर = हाथ। वांछित = मनचाही। अलभ्य = अप्रयाप्य, न मिलने योग्य।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘नर हो, न निराश करो मन को’ कविता में से लिया गया है। इसके रचयिता श्री मैथिलीशरण गुप्त हैं। इसमें कवि ने मनुष्य को निराशा को छोड़कर परिश्रमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया है।

सरलार्थ:
कवि मनुष्य को प्रेरणा देते हुए कहता है-परमात्मा ने तुम्हें दो हाथ प्रदान किए हैं और सब मन चाही वस्तुएँ भी प्रदान की हैं। फिर यदि तुम उनको प्राप्त न करो तो बताओ फिर यह उसका दोष है? किसी भी पदार्थ को तुम यह मत समझो कि यह प्राप्त नहीं हो सकता, सब कुछ सम्भव है बस अपने मन को निराश मत होने दो। तुम मनुष्य हो इसलिए अपने मन को निराश मत करो।

भावार्थ:
मनुष्य अपने तन-मन से किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति कर सकने के योग्य है।

5. किस गौरव के तुम योग्य नहीं,
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं।
जन हो तुम भी जगदीश्वर के,
सब हैं जिसके अपने घर के॥
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को?
नर हो, न निराश करो मन को।

शब्दार्थ:
भोग्य = भोगने योग्य। जगदीश्वर = परमात्मा। दुर्लभ = जो कठिनाई से प्राप्त हो।

प्रसंग:
यह पद्यांश श्री मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘नर हो, न निराश करो मन को’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य को निराशा को छोड़कर परिश्रमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया है।

सरलार्थ:
कवि कहता है-कौन-सा ऐसा मान है जिसके लिए तुम योग्य नहीं हो अर्थात् तुम सब प्रकार का सम्मान प्राप्त करने की योग्यता रखते हो। ऐसा कौन-सा सुख है जिसको भोगने के तुम योग्य नहीं हो। तुम उस ईश्वर की सन्तान हो जिन्हें वो अपने घर का सदस्य मानते हैं। सभी प्राणी ईश्वर को समान रूप से प्यारे हैं। भला फिर उस ईश्वर के व्यक्ति के लिए कौन-सी वस्तु ऐसी है कि जिसे प्राप्त नहीं किया जा सकता। तुम मनुष्य हो, इसलिए अपने मन को निराश न करो।

भावार्थ:
मनुष्य को ईश्वर ने हर कार्य करने और उसमें सफलता प्राप्त करने के गुण प्रदान किए हैं।

नर हो, न निराश करो मन को Summary

नर हो, न निराश करो मन को कविता का सार

कवि मनुष्य को शिक्षा देते हुए कहता है कि तुम अपने में निराशा के भाव कभी मत लाओ। तुम नर हो और तुम्हारा कार्य परिश्रम करना है। व्यर्थ में अपना जीवन मत गंवाओ। यह संसार सपना नहीं। तुम ईश्वर का नाम लेकर इसमें अपना रास्ता स्वयं चुनो। अपने लक्ष्य को निश्चित कर तुम अपनी मंजिल की ओर बढ़ो। ईश्वर ने तुम्हें दो हाथ दिए हैं। उनसे परिश्रम करो और किसी भी धन को अप्राप्य न समझो। तुम ईश्वर के गुणों को प्राप्त कर धरती पर उत्पन्न हुए हो। इसलिए तुम्हारे लिए कोई भी कार्य करना कठिन नहीं है। तुम तन-मन से परिश्रम करो।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

Hindi Guide for Class 11 PSEB वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
वारिसनामा किसे कहते हैं ? युवा पीढ़ी की विरासत क्या है ?
उत्तर:
‘वारिसनामा’ एक कार्यालयी शब्द है। जब कोई बुजुर्ग अपनी सम्पत्ति का उत्तराधिकारी बनाने की बात सोचता है तो कचहरी में जाकर तहसीलदार के सामने जो कागज़ प्रस्तुत करता है उसे ‘वारिसनामा’ कहा जाता है। दूसरे शब्दों में इसे वसीयत करना भी कहते हैं। कविता में वारिसनामा से तात्पर्य आने वाली पीढ़ी के लिए शहीदों का संदेश है कि वे स्वराज की रक्षा के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर कर दें।
युवा पीढ़ी की विरासत शहीदों की समाधियां हैं।

प्रश्न 2.
स्वराज के लिए बहे लहू का स्वरूप क्या है ?
उत्तर:
स्वराज के लिए बहे लहू में पंच तत्व शामिल होते हैं और वह हर सुख-सुविधा देने वाला होता है। छोटाबड़ा, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित, पुरुष-स्त्री, बच्चा-बूढ़ा हर व्यक्ति देश की रक्षा के लिए जागरूक हो। वह विदेशियों की चालों को समझे और एकजुट होकर देश के विरुद्ध चली जाने वाली चालों को समझे और उन चालों को असफल बनाने के लिए प्रयास करे। कोई भी व्यक्ति चाहे कोई भी काम करता है वह उसी को ईमानदारी से करता रहे। “स्वराज के लिए लहू बहाने’ से तात्पर्य मर जाना नहीं है बल्कि अपना-अपना कार्य पूरी क्षमता से करना है।

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प्रश्न 3.
स्पष्ट कीजिए कि यह कविता भारत छाप विश्व मानव की छवि है ?
उत्तर:
कवि जो भारत छाप विश्व मानव के रूप में जो लड़ाई लड़ते आए हैं, उसकी एक ज्योति है कालजयी स्वराज चेतना। यह चेतना अपने आप उजागर होने और उजाला फैलाने की भावना है।

प्रश्न 4.
हुसैनी वाला के समीप भारत-पाक सीमा पर खड़ा स्मारक आज की पीढ़ी को क्या कहता है ?
उत्तर:
यह स्मारक आज की पीढ़ी को शहीदों की कुर्बानी को याद दिलाते हुए उसे यह कहता है कि उठो और देश के नव-निर्माण में जुट जाओ क्योंकि तुम्हीं उस शहीदों के वारिस हो। जिस आज़ादी को लाखों वीरों ने अपना जीवन दे कर प्राप्त किया उसकी रक्षा करने में जुट जाओ। देश के भीतर और बाहर के खतरों को समझो और देश के दुश्मनों को मिटा दो। देश का दुश्मन कोई बहुत अपना भी दुश्मन के समान ही है।

प्रश्न 5.
निराला की ‘जागो फिर एक बार’ कविता से वारिसनामा कविता की तुलना करें।
उत्तर:
निराला जी की कविता में भारतवासियों को उनके अतीत के गौरव की याद दिलाते हुए स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने के लिए जाने के लिए कहा गया है जबकि वात्स्यायन जी की कविता में भारतवासियों को शहीदों की याद दिला कर देश के नव-निर्माण में योग देने के लिए कहा है। दोनों कविताओं में कोई समता नहीं है। एक स्वतन्त्रता पूर्व लिखी गई थी दूसरी स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

PSEB 11th Class Hindi Guide वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि सुरेश चन्द्र वात्स्यायन का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
7 फरवरी, सन् 1934 को।

प्रश्न 2.
‘वारिसनामा’ किस प्रकार का शब्द है ?
उत्तर:
‘वारिसनामा’ एक कचहरी तथा कानूनी शब्द है।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार हम सभी में किसका अंश है ?
उत्तर:
हम सभी में त्रिशक्ति का अंश है।

प्रश्न 4.
कविता में कवि ने किन्हें याद करने को कहा है ?
उत्तर:
शहीदों को।

प्रश्न 5.
हमें अपने अंदर क्या पहचानना चाहिए ?
उत्तर:
नेतृत्व की भावना को।

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प्रश्न 6.
समाधियाँ किसे प्रेरित करेंगी ?
उत्तर:
नई पीढ़ी को नव निर्माण के लिए।

प्रश्न 7.
वीरों के इतिहास हमारे लिए क्या हैं ?
उत्तर:
वसीयत।

प्रश्न 8.
चाणक्य ने किसका निर्माण किया है ?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त।

प्रश्न 9.
हमें अपने अंदर छिपे ………. को बाहर निकालना होगा।
उत्तर:
चन्द्रगुप्त।

प्रश्न 10.
हम लोगों में किसका अंश है ?
उत्तर:
त्रिशक्ति।

प्रश्न 11.
हमें किसकी रक्षा करनी है ?
उत्तर:
भारत माता की।

प्रश्न 12.
इतिहास से परिचय कराने वाले …………. नहीं हैं।
उत्तर:
वीर पुरुष।

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प्रश्न 13.
कवि ने भारतवासियों को किसका उत्तराधिकारी माना है ?
उत्तर:
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव।

प्रश्न 14.
देश भक्तों की समाधि किस नदी के किनारे बनी है ?
उत्तर:
सतलुज नदी।

प्रश्न 15.
हमें स्वतंत्रता सेनानियों के ……… को नहीं भूलना चाहिए।
उत्तर:
बलिदान।

प्रश्न 16.
भारतवासी किस की संतान हैं ?
उत्तर:
आर्य की।

प्रश्न 17.
चाणक्य ने किसके अंदर की छिपी प्रतिभा को देखकर उसे सत्ता दिलाई थी ?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त।

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प्रश्न 18.
कवि ने मानव को स्वयं ………… की पहचान बनने को कहा है।
उत्तर:
नेतृत्व।

प्रश्न 19.
हमें ………… नहीं बनना चाहिए।
उत्तर:
कल्पनाशील।

प्रश्न 20.
देश हित के लिए हमें अपनी आत्मा को ………… करना होगा।
उत्तर:
जगाना।

बहुविकल्पी प्रस्नोत्तर

प्रश्न 1.
सुरेश चन्द्र वात्स्यायन किस चिंतन के प्रवर्तक कवि माने जाते हैं ?
(क) प्रगतिशील भारतीय
(ख) प्रगतिवादी भारतीय
(ग) प्रयोगवादी
(घ) नीतिवादी।
उत्तर:
(क) प्रगतिशील भारतीय

प्रश्न 2.
सुरेश चन्द्र वात्स्यायन को 1922 ई० में किस साहित्यकार के रूप में अलंकृत किया ?
(क) प्रगतिशील
(ख) प्रतिनिधि
(ग) शिरोमणि
(घ) शिरोधार्य।
उत्तर:
(ग) शिरोमणि

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प्रश्न 3.
हमें किसकी रक्षा करनी चाहिए ?
(क) भारतमाता की
(ख) देश की
(ग) वीरों की
(घ) अपनी।
उत्तर:
(क) भारतमाता की

प्रश्न 4.
कवि के अनुसार हम लोगों में किसका अंश है ?
(क) देव का
(ख) त्रिशक्ति का
(ग) भगवान का
(घ) गुरु जी का।
उत्तर:
(ख) त्रिशक्ति का।

वारिसनामा स्वराज के लिए बड़े लहू सपसंग व्याख्या

1. भगतसिंह-राजगुरु-सुखदेव के वारिसो,
फांसी के जिस फंदे ने,
गले घोंट दिए उनके,
क्यों भूल गए आज तुम उसको,
याद दिलाती आज भी इक समाधि को जुहारती
सतलुज के फिरोजपुरी पुल की हुसैनी हवा,
स्वराज के संकल्प पर
प्रशासन के विदेशी उस प्रहार को !

कठिन शब्दों के अर्थ :
वारिसनामा = उत्तराधिकार संबंधी प्रपत्र । स्वराज = अपना राज्य। वारिसो = उत्तराधिकारियों। जुहारती = निहारती, देखती। प्रहार = चोट।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सुरेश चंद्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता वारिसनामा-‘स्वराज के लिए बहे लहू’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों को उनके पूर्वजों के संकल्प स्वतंत्रता की रक्षा करने की याद दिलाते हुए नवनिर्माण करने का संदेश दिया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि हे भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के उत्तराधिकारियो ! तुम फांसी के उस फंदे को क्यों भूल गए हो जिस फंदे ने इन देशभक्तों के गले घोंट दिए थे। इन देशभक्तों की समाधि आज भी तुम्हारी ओर देख रही है जो सतलुज के किनारे हुसैनी वाला नामक स्थान पर बनी हुई है तथा यह समाधि हमें याद दिलाती है देशभक्तों की और स्वराज्य के दृढ़ निश्चय या प्रतिज्ञा की तथा विदेशी शासन की उस चोट को जो हमारे देश भक्तों पर ही नहीं देश पर भी पड़ी थी। उनकी समाधि हमें उनके दशक के लिए किए गए बलिदान की याद दिलाती है, और हमें उनका बलिदान भूलना नहीं है।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि हमें स्वतन्त्रता सेनानियों के बलिदान को भूलना नहीं चाहिए।
  2. शहीदों की समाधियाँ हमें यह याद दिलाती है कि हमने देश को आजाद करवाने में बहुत संघर्ष किया है। भाषा सरल है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. वीर रस विद्यमान है।
  5. ओज गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

2. नेशन के विरुद्ध
राष्ट्र के युद्ध की पहचान के बिना,
पुरखों की आर्य संतान तुम कैसे बनोगे,
जिंदगी की किताब में
विदेशियों की लिपि में दरज
आर्य-द्रविड़-रंग-जाति-क्षेत्रगत भेदभाव के
पश्चिमी पाखंड को
जड़ से उखाड़ फेंकने वाले शोध बोध की ज्योति
इतिहास का यथार्थ ज्ञान तुम कैसे बनोगे,
राम-राज्य के जिस आदर्श के लिए
वे हो गए बलिदान
धारण किए बिना धड़कनों में उसको
कुश के वंशज सतगुरु नानक के सबद
लव के वंशज दशमेश पिता के विचित्र नाटक का देश पावन
मानस की जात का सच्चा सुच्चा हिंदुस्तान तुम कैसे बनोगे?

कठिन शब्दों के अर्थ :
नेशन = कौम-अंग्रेज़ी कौम। राष्ट्र = भारत। पुरखों = पूर्वजों। बोध = ज्ञान। यथार्थ = वास्तविकता। दशमेश = दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी। विचित्र नाटक = गुरु गोबिंद सिंह जी की एक रचना।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ सुरेश चन्द्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से ली गई हैं। इसमें कवि ने देश के लिए शहीद हुए वीरों का वर्णन करके हमें सच्चा हिन्दुस्तानी बनने की प्रेरणा दी है

व्याख्या :
कवि कहता है कि अंग्रेजी कौम के विरुद्ध भारत राष्ट्र के युद्ध की पहचान के बिना तुम पूर्वजों की आर्य संतान कैसे कहलाओगे। जीवन की पुस्तक में विदेशियों द्वारा अपनी भाषा में लिखे आर्य-द्रविड़ के भेद, रंग-जाति के भेद को, जो पश्चिम का एक पाखंड है, जड़ से उखाड़ फेंकने वाले शोध के ज्ञान की ज्योति और इतिहास की वास्तविकता का ज्ञान तम्हें कब होगा।।

हमारे पूर्वज, हमारे स्वतंत्रता सेनानी, हमारे देशभक्त जो राम राज्य के आदर्श को लेकर अपने जीवन को अर्पित कर गए उनकी धड़कनों को धारण किए बिना तुम सच्चा हिन्दुस्तान किस प्रकार बनोगे। इसके लिए श्रीराम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सतगुरु नानक के सबद और श्रीराम के बड़े बेटे लव के वंशज दशम गुरु-गुरु गोबिंद सिंह जी के विचित्र नाटक में लिखित संदेश ‘मानुष की जात एक’ संदेश को याद करना होगा तभी तुम सच्चे हिन्दुस्तान का रूप बन सकोगे। सच्चा हिन्दुस्तानी बनने के लिए देश की रक्षा के लिए की गई कुरबानियों को याद रखना होगा।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि पश्चिमी विद्वानों ने भारतीय इतिहास का शोध अपने ढंग से किया जिससे हिन्दुस्तान को इतिहास की जानकारी नहीं मिल पाई है।
  2. कवि ने भारतीयों को सच्चा हिन्दुस्तानी बनने के लिए शहीदों की कुरबानियों को याद रखने के लिए कहा है अर्थात् उनके बताए मार्ग
  3. पर चलने के लिए कहा है।
  4. भाषा सरल है
  5. देशी, विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
  6. अनुप्रास अलंकार है।
  7. वीर रस है।
  8. ओज गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

3. दुर्भाग्य है तुम्हारा
कि तुममें छिपा खोया जो चंद्रगुप्त
कोई चाणक्य उसके लिए प्रकाश में कहीं नहीं,
ऐसे में नेताओं की ओर देखो मत
नेतृत्व की पहचान खुद बनो!
जागो
नींद ने तुमको ले जाना है कहीं नहीं,
समझो नींद में जो आते हैं
सपने वे राह भूली अकल की भटकन हैं,
नशे की गोलियों जैसे वे
भूल भुलैयों में भरमाते हैं!!

कठिन शब्दों के अर्थ :
अकल = बुद्धि। भरमाते हैं = भ्रम में डालते हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सुरेश चन्द्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने हिन्दुस्तानियों को अपने अन्दर छिपी नेतृत्व की शक्ति को पहचानने के लिए कहता है

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को संबोधित करते हुए कहता है कि यह तुम्हारा दुर्भाग्य है कि आज चाणक्य जैसे नेता नहीं है जो तुम्हारे में छिपे चन्द्रगुप्त की खोज कर सके। तुम्हें आज के नेता की ओर नहीं देखना चाहिए। वे अपनी राह भटक गए हैं तुम्हे क्या राह दिखाएंगे। चाणक्य ने चंद्रगुप्त में छिपी प्रतिभा देख कर उसे राज्य सत्ता का अधिकारी बनाया था। लेकिन अब कोई ऐसा दिखाई नहीं देता जो स्वार्थी भावों से रहित होकर देश के लिए स्वयं को अर्पित करना चाहता है और देश का शासन किसी चन्द्रगुप्त जैसे वीर को सौंपने का साहस कर सकता है।

इसलिए तुम स्वयं नेतृत्व की पहचान बनो क्योंकि तुम्हीं कल के नेता हो इसलिए जागो यह नींद तुम्हें कहीं नहीं ले जाएगी। अपनी आत्मा को जगाओ। इतनी बात समझ लो कि नींद में जो सपने आते हैं वे बुद्धि की भटकन होते हैं। नशे की गोलियों की तरह वे भूल भुलैयों के भ्रम में डालते हैं। कल्पनाशील मत बनो जीवन की सच्चाई का सामना करो।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि हमें अपने अन्दर नेतृत्व की प्रतिभा को पहचानना चाहिए और देश को नई राह पर ले जाना चाहिए।
  2. अपने को भटकने से बचाना चाहिए।
  3. भाषा सरल है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. ओज गुण एवं वीर रस है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

4. हर सुबह सांझ की लाली के संग
करो प्रणाम उन माताओं को
भगतसिंह राजगुरु हरसुखदेव की नसों नाड़ियों में
गति कर रही बन कर लहू जो,
लहू यह माटी पानी आग हवा आकाश है जिनकी
जो हर सुख-सुविधा की दाता है
वह और कोई नहीं
बेटी धरती की अपनी भारत माता है।

कठिन शब्दों के अर्थ :
गति कर रही = बह रही है। दाता = देने वाली।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियां सुरेश चन्द्र वात्स्यायन द्वारा लिखित ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने शहीदों की माँ को धरती की बेटी भारत माता कहा है

व्याख्या :
कवि कहता है कि हे भारतवासियो ! तुम हर सुबह शाम उन माताओं को प्रणाम करो जिन्होंने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे महान् शहीदों को, देशभक्तों को जन्म दिया और जिनका लहू उन शहीदों की नसों में बह रहा है। यह लहू पंच तत्वों-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है जो प्रत्येक सुख-सुविधा को देने वाला है। यह लह और किसी का नहीं धरती की बेटी भारत माता का लहू है अर्थात् शहीदों की माताएं भारत माता होती हैं। उन्हें प्रणाम करना चाहिए।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि शहीदों की माताएं पूजनीय होती हैं।
  2. शहीदों की नसों में बहने वाला खून पांच तत्व मिट्टी, पानी, आग, हवा और आकाश से मिलकर बना है। यह पांच तत्व हमें हर प्रकार की
  3. सुविधा देते हैं अर्थात् वीरों के बलिदान हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  4. भाषा सरल है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. वीर रस है।
  7. ओज गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

5. संकट है घर में
संकट है बाहिर,
पहचानो
घर में लगी घर की ही आग को,
पहचानो
घर की आग को भड़का रही
बाहिर की धूर्त पाजी सफ़ेदपोश हवा को,
यदि प्रबुद्ध तुम तपः पूत संकल्प के प्रकल्प
तब क्या है किसी अजनबी आग हवा की बिसात
कि अपनी लपेट में तुम्हें लपक वह ले ।

कठिन शब्दों के अर्थ :
धूर्त = मक्कार। पाजी = पाखंडी। प्रबुद्ध = जागृत, ज्ञानी। तपः पूत = तप से पवित्र हुए। संकल्प = दृढ़ निश्चित, प्रतिज्ञा। प्रकल्प = निश्चित । अजनबी = अपरिचित। लपक ले = पकड़ ले।।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियां सुरेश चन्द्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने भारतवासियों को देश के अन्दर और बाहर दोनों ओर से आ रहे संकट के प्रति सचेत किया है।

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हमें घर और बाहर संकट को पहचानना चाहिए। घर में घर की ही आग लगी हुई है इसे पहचानो अर्थात् देश के अंदर साम्प्रदायिकता, भेदभाव, जातिवाद, आतंकवाद आदि की आग को समझो। बाहर की आग को जो मक्कार, पाखंडी, सफ़ेदपोश, सभ्य कहलाने वाले लोग हवा दे रहे हैं उसे भी पहचानो। यदि तुम जागृत हो, ज्ञानवान हो और तप से पवित्र हुए संकल्प के प्रति स्थिर हो, निश्चित हो तो क्या मजाल है कि कोई अपरिचित आग को हवा दे सके और वह आग तुम्हें अपनी लपेट में ले ले या पकड़ सके, हमें अपने कर्तव्यों तथा देश की रक्षा के प्रति जागरुक रहना चाहिए।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि सभ्य कहलाने वाले लोग दिखावे की मित्रता करके देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह आतंकी स्थिति उत्पन्न कर रहा है। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।
  2. हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान कर एक जुट हो कर बाहरी दुश्मन का सामना करना चाहिए।
  3. भाषा सरल है।
  4. तत्सम और देशी-विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. वीर रस है।
  7. औज गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

6. तुम इंद्र, व्रजपाणि, मृत्युंजय, प्रलयंकर जन्मजात,
भूलो मत बैसाखियों के भरम में
अचूक दुर्दम दम है तुममें
अपने पैरों चल सकते तुम अपनी चाल हो
अंधेरा हो घना
तो उसको चीर जो सकती
तुम वह मशाल हो,
सुनो शहीदों की हर समाधि को जुहारती
हर फ़िरोजपुरी पुल पार की हुसैनी हर हवा में गूंजती
वैदिक ऋषि के अभय सक्त जैसी
स्वराज के संकल्प की बँगार को गुहार को,
लो थामो, उतारो अपनी धड़कनों में
स्वराज का वारिसनामा यह
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव के वारिसो!!!

कठिन शब्दों के अर्थ :
इंद्र = देवताओं के स्वामी, स्वर्ग के राजा। वज्रपाणि = भगवान् विष्णु। मृत्युंजय = मृत्यु पर विजय पा ली है जिन्होंने-भगवान् शिव। प्रलयंकर = सर्वनाशकारी-भगवान् शंकर। बैसाखियों = सहारा। दुर्दम = जिसे दबाना कठिन हो। जुहारती = निहारती। अभय = निडर, भयमुक्त। सूक्त = वेद मंत्र। अभयसूक्त = कुछ वेद मंत्र हर डर में निडर रहने वाले ऋषियों की प्रार्थना है। इन मंत्रों के एक समूह को ‘अभय सूक्त’ कहा जाता है। बगार = ललकार।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सुरेश चंद्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों में देश भक्ति का संचार करने के लिए उन्हें उनके अंदर विद्यमान गुणों को पहचानने के लिए कहता है

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को सम्बोधित करते हुए कहता है कि तुम्हारे अन्दर जन्म से ही देवराज इंद्र, भगवान विष्णु और भगवान शिव के गुण विद्यमान हैं क्योंकि तुम उनकी सन्तान हो। तुम्हें सभी गुण विरासत में मिले हैं। तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि तुम्हें किसी भी वैशाखी के सहारे की आवश्यकता नहीं है क्योंकि तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जिसे दबाया नहीं जा सकता। इसलिए तुम अपने पैरों पर चल सकते हो। तुम्हें किसी भी संकट का सामना करने के लिए किसी सहारे की ज़रूरत नहीं है, तुम अपनी शक्ति के बल पर आगे बढ़ सकते हो। तुम वह मशाल हो जो अन्धेरे को दूर कर सकती है अर्थात् तुम्हारे अंदर नेतृत्व की वह रोशनी है जो लोगों के अंदर छाए अंधेरे को दूर कर सकती है।

कवि भारतवासियों को संबोधित करते हुए कह रहा है कि शहीदों की प्रत्येक समाधि तुम्हारी ओर बड़े विश्वास के साथ देख रही है। फिरोज़पुर में हुसैनी वाला नामक स्थान पर बहने वाली हवा में वैदिक ऋषियों के मन्त्र गूंज रहे हैं। यह मन्त्र मनुष्य के प्रत्येक डर को दूर करके उसे निडर बनाते हैं तथा वह हवा यह कहती है कि तुम स्वराज के दृढ़ निश्चय की पुकार को तथा चुनौती को थाम लो और अपनी धड़कनों में शहीदों के स्वराज के वारिसनामें को उतार लो। अपनी रग-रग में देशभक्ति की उस भावना का संचार करो जो हमारे शहीदों में बहा करती थी। तुम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के उत्तराधिकारी हो इसलिए स्वराज के वारिसनामा के तुम्ही हकदार हो।

विशेष :

  1. कविता का भाव यह है कि भारतवासियों में त्रि-शक्ति का समावेश है इसलिए उन्हें किसी अन्य सहारे की आवश्यकता नहीं है।
  2. भारत के स्वराज के लिए शहीद हुए वीर आने वाली पीढ़ी के लिए वसीयत में स्वराज की रक्षा के लिए मर-मिटने का संदेश छोड़ गए हैं।
  3. भाषा प्रभावशाली है।
  4. तत्सम, देशी-विदेशी शब्दावली है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. वीर रस एवं ओज गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

वारिसनामा स्वराज के लिए बड़े लहू Summary

वारिसनामा स्वराज के लिए बड़े लहू जीवन-परिचय

सुरेश चन्द्र वात्स्यायन का जन्म 7 फरवरी, सन् 1934 को पसरूर (पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता पं० अमरनाथ शास्त्री अविभाजित पंजाब के सुप्रसिद्ध संस्कृत, हिन्दी सेवी शिक्षा विद शास्त्री थे। इनका पैतृक धाम हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में सुंकाली नामक गांव में है। इन्होंने लुधियाना से शिक्षा प्राप्त की। इन्हें हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, जर्मन के अतिरिक्त वेद उपनिषद-पुराण-गुरुवाणी के साथ-साथ पंजाबी, उर्दू-बंगाली, तमिल भाषाओं का निजी अध्ययन किया।

सुरेश जी की काव्य प्रतिभा का परिचय छात्र-जीवन से ही मिलने लगा था।’अंकुर’, ‘प्रवाल’, और ‘मुकुल शैलानी’ इनके तीन काव्य संग्रह हैं। ये पंजाब और भारत सरकार द्वारा अपने लेखन कार्य के लिए कई बार पुरस्कृत हुए हैं। लोक धुन, नवगीत, अंग्रेज़ी सॉनेट के सामान्तर चतुर्दशी, उर्दू रुबाई के समानान्तर षटपदी और यति क्रम पर आधारित अतुकांत लेकिन लयपूर्ण कविताओं में सुरेश की सृजनशीलता अंकुरित और प्रवाहमयी है। सुरेश का कवि रूप बहु आयामी है। कवि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की सही पहचान इनकी एक रूपता में है। इन्हें प्रगतिशील भारतीय चिन्तन के प्रतिनिधि मंत्र कविता के प्रवर्तक कवि रूप में मिल चुकी है। इन्हें अखिल भारतीय स्तर पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। भाषा विभाग, पंजाब ने इन्हें सन् 1992 में शिरोमणि साहित्यकार के रूप में अलंकृत किया है।

वारिसनामा स्वराज के लिए बड़े लहू कविता का सार

‘वारिसनामा’-स्वराज के लिए बहेलह के कवि सुरेश चन्द्र वात्स्यायन हैं। ‘वारिसनामा’ एक कचहरी तथा कानुनी शब्द है जिसका अर्थ घर के बुजुर्ग अपने जमीन जायदाद आदि का वारिस नामांकित करते हैं। इस कविता में कवि ने भगत सिंह, सुखदेव, तथा राजगुरु आदि शहीदों की समाधियों को आज की पीढ़ी के लिए धरोहर बताया है। ये समाधियाँ ही इस नई पीढ़ी को नवनिर्माण के लिए प्रेरित करेंगी। आज वे वीर पुरुष नहीं हैं जो हमें हमारे इतिहास से परिचित करा सकें परन्तु उनके संदेश ही हमारे लिए वसीयत है कि हमें उनके बताए मार्ग पर चलना है तथा आगे बढ़ना है। आज कोई चाणक्य जैसा राजनीतिज्ञ नहीं जो चन्द्रगुप्त का निर्माण कर सके। इसीलिए हमें अपने अन्दर छिपे चन्द्रगुप्त को बाहर निकालना है। हमें अपने समाज में छिपे उन लोगों को पहचान कर बाहर फेंकना है जो सभ्य पुरुष का मुखौटा पहने बैठे है। हम लोगों में त्रिशक्ति का अंश है इसलिए किसी सहारे की उम्मीद छोड़कर उठ खड़े होना है और हमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की तरह बनकर भारत माता के सम्मान की रक्षा करनी है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 11 कहाँ तो तय था

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 कहाँ तो तय था Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 11 कहाँ तो तय था

Hindi Guide for Class 11 PSEB कहाँ तो तय था Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
हिन्दी ग़ज़ल को नई अभिव्यक्ति देना दुष्यन्त कुमार के काव्य की विशेषता है । ‘कहाँ तो तय था’ ग़ज़ल के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर:
दुष्यन्त कुमार को सर्वाधिक ख्याति अपनी ग़ज़लों के कारण ही मिली। गज़लों के माध्यम से उन्होंने काव्य रूप की क्षमता का विकास किया और आज की खुरदरी और जटिल ज़िन्दगी की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए गजल सम्पूर्ण माध्यम नहीं हो सकती। किन्तु दुष्यन्त कुमार ने उसे नया मोड़ दिया और उसकी रोमानी सीमाओं के बावजूद आधुनिक मनुष्य की जटिल से जटिल संवेदनाओं की अभिव्यक्ति के योग्य बनाया।

प्रश्न 2.
‘कहाँ तो तय था’ गज़ल में कवि ने मानवीय पीड़ा को यथार्थ धरातल पर प्रस्तुत किया है, स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि ने यह लिखकर कि कहीं तो यह निश्चित था कि प्रत्येक घर को एक दीपक अवश्य मिलेगा जबकि आज हालत यह है कि पूरे शहर भर के लिए भी एक दीपक उपलब्ध नहीं है। मनुष्य भूखे पेट, वस्त्र विहीन, पाँव मोड़ कर सो रहा है। यह सब मानवीय पीड़ा को यथार्थ धरातल पर प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 3.
‘कहाँ तो तय था, कविता का सार 150 शब्दों में लिखें।
उत्तर:
कहाँ तो तय था’ कविता का सार देखें ।

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प्रश्न 4.
‘कहाँ तो तय था’ गज़ल में कहीं निराशा दिखाई देती है तो कहीं आशा की किरण, स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता की इन पंक्तियों में कि कहाँ तो यह निश्चित था कि प्रत्येक घर को एक दीपक उपलब्ध होगा और कहां हालत यह है कि पूरे शहर भर के लिए भी एक दीपक उपलब्ध नहीं है, कवि की निराशा झलकती है किन्तु कविता की अन्तिम पंक्तियों में-जियें तो अपने बगीचों में गुलमोहर के तले-कवि को आशा की एक किरण दिखाई पड़ती है। गुलमोहर मानवीय प्रेम का प्रतीक है, जिसके लिए कवि सर्वस्व समर्पण करना चाहता है।

प्रश्न 5.
‘कहाँ तो तय था’ गज़ल से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
प्रस्तुत गज़ल से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आस-पास अत्याचार, अभाव, ग़रीबी आदि को देख कर छटपटाहट तो अवश्य होती है, किन्तु हमें आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। मानवीय प्रेम के लिए, मानवता के लिए हमें अपना सर्वस्व अर्पित कर देना चाहिए।

प्रश्न 6.
‘तेरा निज़ाम’ में किसे सम्बोधित किया गया है ?
उत्तर:
‘तेरा निज़ाम’ शब्द कवि ने सत्ता पक्ष के लिए प्रयोग किया है। कुछ विद्वान् इसे ईश्वर को सम्बोधित किया जाना मानते हैं जो उचित प्रतीत नहीं होता क्योंकि ईश्वर कभी किसी की आवाज़ को दबाने का प्रयत्न नहीं करता। सत्ता पक्ष अपने विरोध में उठने वाली आवाजों को कुचलने का प्रयास करते हैं।

इसलिए ‘तेरा निज़ाम’ शब्द सत्ता पक्ष के लिए उपयुक्त है क्योंकि सत्ता सम्भालने वाले ही अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए अपने विरुद्ध आवाज़ उठाने वालों को कुचल डालने का प्रयास करते हैं। उनके पास शक्ति और दुस्साहस दोनों होते हैं इसलिए वे ही अपने निज़ाम के लिए सामान्य आदमी की विरोधी जुबान बन्द करने की चेष्टा करते हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 11 कहाँ तो तय था

PSEB 11th Class Hindi Guide कहाँ तो तय था Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि दुष्यंत कुमार का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
01 सितम्बर, सन् 1933 में।

प्रश्न 2.
कवि दुष्यंत कुमार दिल्ली रेडियो में क्या काम करते थे ?
उत्तर:
स्क्रिप्ट लेखक का काम करते थे।

प्रश्न 3.
कवि दुष्यंत कुमार का निधन कितने वर्ष की आयु में हुआ था ?
उत्तर:
42 वर्ष।

प्रश्न 4.
‘कहाँ तो तय था’ रचना के रचनाकार कौन है ?
उत्तर:
दुष्यंत कुमार।

प्रश्न 5.
‘कहाँ तो तय था’ किस प्रकार की विधा है ?
उत्तर:
गज़ल।

प्रश्न 6.
‘कहाँ तो तय था’ कविता में किस चीज़ की अभिव्यक्ति हुई है ?
उत्तर:
मानवीय पीड़ा की।

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प्रश्न 7.
आज़ादी के बाद आम जनता किस प्रकार का जीवन जी रही है ?
उत्तर:
बदहाली का।

प्रश्न 8.
कवि ने कविता में किस विचारधारा का वर्णन किया है ?
उत्तर:
निराशा और आशावादी विचारधारा का।

प्रश्न 9.
जीवन की तीन मूल आवश्यकताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
रोटी, कपड़ा और मकान।

प्रश्न 10.
शासकवर्ग ने कौन-से नारे दिए हैं ?
उत्तर:
गरीब हटाओ जैसे।

प्रश्न 11.
कवि के अनुसार कहाँ से सदा के लिए चले जाना चाहिए ?
उत्तर:
जहाँ वृक्षों की छाया में धूप लगती हो।

प्रश्न 12.
कवि ने किस पर व्यंग्य किया है ?
उत्तर:
सत्ता पक्ष के नेताओं पर।

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प्रश्न 13.
अपने देश के लोगों पर कब विश्वास नहीं करना चाहिए ?
उत्तर:
जब रक्षक ही भक्षक बन जाएँ।

प्रश्न 14.
……………. के लिए हमें अपना सर्वस्व अर्पित कर देना चाहिए।
उत्तर:
मानवता।

प्रश्न 15.
‘तेरा निज़ाम’ शब्द कवि ने किसके लिए प्रयोग किया है ?
उत्तर:
सत्ता पक्ष के लोगों के लिए।

प्रश्न 16.
ईश्वर कभी किसी की ………… को दबाने का प्रयत्न नहीं करता।
उत्तर:
आवाज़।

प्रश्न 17.
कवि दुष्यंत कुमार को ख्याति कहाँ से मिली है ?
उत्तर:
अपनी गजलों से।

प्रश्न 18.
आम जनता क्या सोचकर संतुष्ट है ?
उत्तर:
‘पत्थर पिघलेगा नहीं’ यह सोचकर।।

प्रश्न 19.
कवि किसके प्रति आशावान है ?
उत्तर:
क्रांति के आने के प्रति।

प्रश्न 20.
कवि ने मानवीय प्रेम का प्रतीक किसे माना है ?
उत्तर:
गुलमोहर को।

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बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दुष्यन्त कुमार को किसमें प्रसिद्धि प्राप्त हुई ?
(क) गज़ल में
(ख) कविता में
(ग) रुबाई में
(घ) दोहों में।
उत्तर:
(क) गज़ल में

प्रश्न 2.
‘कहाँ तो तय था’ गज़ल में किस विचारधारा का वर्णन है ?
(क) निराशावादी
(ख) आशावादी
(ग) आशा
(घ) आशावादी एवं निराशावादी।
उत्तर:
(घ) आशावादी एवं निराशावादी

प्रश्न 3.
प्रस्तुत गज़ल में कवि ने किन पर व्यंग्य किया है ?
(क) सत्ताधारी नेताओं पर
(ख) नेताओं पर
(ग) चोरों पर
(घ) सिरमोरों पर।
उत्तर:
(क) सत्ताधारी नेताओं पर

प्रश्न 4.
जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं क्या हैं ?
(क) रोटी
(ख) कपड़ा
(ग) मकान
(घ) तीनों।
उत्तर:
(घ) तीनों।

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कहाँ तो तय था सप्रसंग व्याख्या

1. कहाँ तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए
कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है,
चलो जहाँ से चलें और उम्र भर के लिए।

कठिन शब्दों के अर्थ :
तय था = निश्चित था। चिरागां = रौशनी, दीपक जलाना, दीवाली होना। चिराग = दीपक। मयस्सर = प्राप्त। साये में = छाया में। उम्र भर के लिए = सदा के लिए।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री दुष्यन्त कुमार द्वारा लिखित गज़ल-‘कहाँ तो तय था’ में से लिया गया है। प्रस्तुत गज़ल में कवि ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भी देश के लोगों में गरीबी और बेरोज़गारी पूर्ववत ही बनी रहने की बात की है हालाँकि शासकवर्ग ने ‘ग़रीबी हटाओ’ जैसे अनेक नारे दिए और अनेक वादे किए।

व्याख्या :
कवि सत्ता पक्ष के नेताओं पर व्यंग्य करता हुए कहता है कि आपने तो जनता से यह वादा किया था कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् निश्चित रूप से हर घर में रोशनी होगी, दीपक जलेगा किन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के इतने वर्षों बाद भी एक भी दीपक पूरे शहर के लिए प्राप्त नहीं है। आज भी लोग बदहाली का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

कवि कहता है कि जहाँ वृक्षों की छाया में भी धूप लगती हो वहाँ से सदा के लिए चले जाना चाहिए। जब अपने देश की रक्षा करने वाले ही लोगों के दुःख का कारण बन जाएं तो उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए और उनका साथ छोड़ देना चाहिए। राजनेताओं का कार्य जनता को सुख देना है पर वे तो केवल अपना घर भरते हैं। अपने लिए सुख बटोरते हैं और जनता की कोई परवाह नहीं करते।

विशेष :

  1. यदि देश से ग़रीबी, भुखमरी और बेरोज़गारी नहीं मिट सकती तो यहाँ जी कर क्या करना है।
  2. भाषा सरल है।
  3. उर्दू शब्दावली का प्रयोग है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 11 कहाँ तो तय था

2. न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढक लेंगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए।
खुदा नहीं न सही आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए।

कठिन शब्दों के अर्थ :
मुनासिब = उपयुक्त। सफर = यात्रा। खुदा = ईश्वर । ख्वाब = सपना। हसीन = सुन्दर। नज़ारा = दृश्य। नज़र = दृष्टि।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियां श्री दुष्यंत कुमार द्वारा लिखित गज़ल ‘कहाँ तो तय था’ में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने देश में फैली बदहाली का वर्णन किया है।

व्याख्या :
कवि स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् ज्यों-की-त्यों बनी ग़रीबी और बेरोज़गारी का उल्लेख करते हुए कहता है कि देश की जनता की आम हालत में कोई अन्तर नहीं पड़ा है। उनकी स्थिति वैसी की वैसी बनी हुई है लोगों के पास पहनने को कपड़ा नहीं है वे पाँवों से ही पेट ढक कर भूखे सोते हैं। भूख के कारण उन्हें अपना शरीर सिकोड़ कर सोना पड़ता है। इस प्रकार उनका नंगा तन भी ढका हुआ लगता है। ऐसे लोग इस जीवन यात्रा के लिए कितने उपयुक्त हैं। उनके लिए जीवन जीना कोई अर्थ नहीं रखता।

कवि कहता है ऐसे लोगों की प्रार्थना यदि ईश्वर भी नहीं सुनता है तो न सुने उनके अपने पास सुन्दर सपने देखने की दृष्टि तो है अर्थात् उन्हें हिम्मत नहीं छोड़नी चाहिए। अपने सपने स्वयं ही पूरे करने होंगे।

विशेष :

  1. वर्तमान युग की निराशामय परिस्थितियों पर काबू पाकर, अपने दुःखों को पीकर सुखों को बाँटा तो जा सकता है जिससे दुःख कुछ कम हो जाएं।
  2. भाषा सरल है।
  3. उर्दू शब्दावली का प्रयोग है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 11 कहाँ तो तय था

3. वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बेकरार हूँ आवाज़ में असर के लिए।
तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की,
ऐ एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।
जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,
मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए।

कठिन शब्दों के अर्थ :
मुतमइन = सन्तुष्ट । बेकरार = बेचैन । असर = प्रभाव। निजाम = प्रबन्ध। शायर = कवि। एहतियात = सावधानी । गुलमोहर = ग्रीष्म ऋतु में फूलों से लदा विशेष वृक्ष, मानवीय प्रेम का प्रतीक।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री दुष्यंत कुमार द्वारा रचित ग़ज़ल ‘कहाँ तो तय था’ से लिया गया है। इन पंक्तियों में-कवि वर्तमान स्थिति-भूख, ग़रीबी और बेरोज़गारी को बदल न सकने पर आशा व्यक्त करते हुए कहता है कि कभी न कभी तो यह हालत सुधरेगी।

व्याख्या :
कवि कहता है कि आम जनता यही सोच कर सन्तुष्ट है कि यह पत्थर कभी पिघलेगा नहीं अर्थात् हमारा भाग्य कभी बदलेगा नहीं किन्तु कवि आशावान है कि भले ही सत्ता पक्ष ने ऐसा प्रबन्ध कर रखा है कि कवि की वाणी बंधी रहे, उसकी आवाज़ सिली रहे, मनुष्य के लिए यह सावधानी रखनी ज़रूरी है। जनता में क्रान्ति की आवाज़ को भले ही आज दबाया गया है किन्तु एक दिन ऐसा अवश्य आएगा जब वह आवाज़ सब के बीच अवश्य उभरेगी।

कवि कहता है कि मनुष्य को अपने देश रूपी बगीचे में जीना चाहिए। यदि मरना भी पड़े तो हमें परोपकार करते हुए जीवन त्याग देना चाहिए।

विशेष :

  1. मनुष्य को आशावादी होना चाहिए। कभी तो उसके जीवन में भी सुख का सूरज चमकेगा तथा सभी मिलजुल कर प्रेम से रहेंगे।
  2. भाषा सरल है।
  3. उर्दू शब्दावली का अधिकता से प्रयोग है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रतीकात्मकता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 11 कहाँ तो तय था

कहाँ तो तय था Summary

कहाँ तो तय था जीवन-परिचय

दुष्यन्त कुमार त्यागी का जन्म 1 सितम्बर, सन् 1933 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के राजपुर-नवादा में एक अच्छे खाते-पीते घराने में हुआ। इनकी शिक्षा मुजफ्फरनगर, नहरौर तथा इलाहाबाद से हुई। छात्र जीवन से ही लिखना आरम्भ कर दिया था परन्तु इलाहाबाद इनकी वास्तविक साहित्यिक जन्मभूमि इनके पिता जी इन्हें वकील बनाने या पुलिस की नौकरी करने के लिए कहते रहे परन्तु ये रचनाधर्मी थे तो इन्होंने अपना आजीविका साधन साहित्य को बना लिया। इन्होंने कई जगह नौकरियां की परन्तु रेडियो की नौकरी पसंद आई थी। दिल्ली रेडियो में स्क्रिप्ट लेखक का काम करते रहे। सन् 1966 में पदोन्नति प्राप्त कर भोपाल चले गए। वे प्रायः कहते थे कि वे किसी की नौकरी नहीं करते, वे तो कलम की नौकरी करते हैं। वे भोपाल के साहित्यिक-जंगल के शेर कहलाते थे। इसी शहर में रहते हुए इन्हें उनकी गज़ल के कारण विशेष पहचान मिली। 30 दिसम्बर, सन् 1975 को मात्र बयालीस वर्ष की अल्पायु में इनका देहांत हो गया। दुष्यन्त कुमार बारह वर्ष की अवस्था में लिखने लगे थे। सूर्य का स्वागत’ (1957) काव्य संग्रह से उन्हें पहचान मिली। फिर सन् 1975 तक उनके तीन संग्रह प्रकाश में आए ‘आवाजों के घेरे,’ ‘जलते हुए बन का बसन्त’ तथा ‘साये में धूप’ नाटक के क्षेत्र में उनका योग अविस्मरणीय है। ‘एक कण्ठ विषदायी बहुचर्चित नाट्य काव्य है। इनकी प्रतिभा एकाधिक विधाओं में प्रस्फुटित हुई है और सभी में इन्होंने ज़मीन तोड़ी है। इनकी रचनाओं में आम आदमी की पीड़ा उसकी विवशता है। गजल लेखन में इन्हें विशेष ख्याति मिली है।

कहाँ तो तय था का सार

‘कहाँ तो तय था’ गज़ल के कवि दुष्यन्त कुमार हैं। इसमें कवि ने मानवीय पीड़ा को अभिव्यक्ति दी है। कवि ने निराशा और आशावादी दोनों विचारधारा का वर्णन किया है। आजादी के बाद भी आम जनता बदहाली का जीवन व्यतीत कर रही है। जीवन की मूल आवश्यकताः रोटी, कपड़ा और मकान तीनों आम आदमी को ठीक ढंग से नहीं मिल रहे हैं। आज भी आदमी भूखे पेट, नंगे तन सो रहा है परन्तु कवि को आशा है कि एक दिन अवश्य ही आम आदमी में जागरूकता आएगी और वह अपनी आवश्यकताओं के लिए आवाज उठाएगा। मानव, मानव से प्रेम करना सीख जाएगा। इसके लिए उसे इकट्ठे होकर प्रयत्नशील रहना चाहिए।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 एक बूँद

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 एक बूँद Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 17 एक बूँद

Hindi Guide for Class 6 एक बूँद Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थ
उत्तर:
शब्दों के अर्थ पद्यांशों के साथ-साथ दिए गए हैं।

धूल = मिट्टी
कढ़ी = निकलना
अनमनी = बिना मन के
अंगारे = आग के शोले

इन मुहावरों का अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करो

1. भाग्य में बदा =…………… ……………………………….
2. धूल में मिलना = …………… ………………………………..
3. हवा बहना = ……………… ………………………………………
उत्तर:
1. भाग्य में बदा = भाग्य में लिखा – जो मेरे भाग्य में बदा है वह तो मुझे मिल कर ही रहेगा।
2. धूल में मिलना = नष्ट होना – तुमने मेरी सारी इज्जत धूल में मिला दी।
3. हवा बहना = परिस्थितियाँ परिश्रमी व्यक्ति अपनी क्षमता अनुकूल होना से हवा को भी अपनी ओर बहा लेते हैं।

इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखो

1. बादल = ……………….., …………………..
2. घर = ………………… , ……………………
3. कमल = ……………… , …………………
4. फूल = ……………… , ………………..
5. हवा = ………………….. , ……………………
6. समुद्र = ……………………. , ………………………
उत्तर:
1. बादल = मेघ , जलधर
2. घर = गेह , सदन
3. कमल = जलज , पंकज
4. फूल = सुमन , कुसुम
5. हवा = समीर , वायु
6. समुद्र = उदधि , रत्नाकर

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 एक बूँद

अन्तर समझो

1. कढ़ी = बेसन और लस्सी से बनी खाने की वस्तु = ……………..
कड़ी = पैर में पहनी जाने वाली लोहे से बनी गोल वस्तु = ……………..
2. बढ़ी = बढ़ना = ………………………
बड़ी = लम्बी = …………………..
3. काल = समय = ………………………
काल = मृत्यु = ……………………..
4. कर = करना = …………………
कर = हाथ = …………………………..
उत्तर:
1. कढ़ी = बेसन और लस्सी से बनी खाने की वस्तु – मेरी माता जी कढ़ी बहुत स्वादिष्ट बनाती है।
कड़ी = पैर में पहनी जाने वाली लोहे से बनी गोल वस्तु – कैदी को कड़ियों से जकड़ा गया था।
2. बढ़ी = बढ़ना – हमारी फौज सीमा पर आगे बढ़ी।
बड़ी = लम्बी – मेरी पैंसिल तुम्हारी पैंसिल से बड़ी है।
3. काल =समय = – वर्तमान काल मशीनी युग है।
काल = मृत्यु – कई लोग काल का ग्रास बन गए।
4. कर = करना – मैंने अपना काम कर लिया है।
कर = हाथ – मेरे कर से कलम गिर गई।

इन शब्दों के मूल क्रिया-शब्द लिखो

बढ़ी, निकल, सोच, लगी, बदा, बह, आई, खुला, , मिलूँगी, जलूँगी, गिरूँगी, पड़ेंगी, बनी, छोड़, देता।
उत्तर:
बढ़ी = बढ़ना बनूंगी
निकल = निकलना
सोच = सोचना
लगी = लगना
बह = बहना
आई = आना
खुला = खुलना
बचूँगी = बचना
मिलूँगी = मिलना
जलँगी = जलना
गिरूँगी गिरना बदना
पड़ेंगी = पड़ना
बनी = बनना
छोड़ = छोड़ना
देता = देना

कविता की उन पंक्तियों को लिखो जिनमें विस्मयादि बोधक चिह्न लगा है।
उत्तर:
(i) आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी।
(ii) देव! मेरे भाग्य में है क्या बदा।

विचार-बोधाय

प्रश्न 1.
बादलों से निकलने पर बूंद क्या सोचने लगी ?
उत्तर:
बादलों से निकल कर बूंद अपने भविष्य के बारे में सोचने लगी।

प्रश्न 2.
बूंद मोती कैसे बनी ?
उत्तर:
बूँद बादलों से निकल कर एक सीप के मुँह में जा पड़ी और मोती बन गई।

प्रश्न 3.
मनुष्य घर छोड़ते समय क्या सोचता है ?
उत्तर:
मनुष्य घर छोड़ते समय प्रायः शंका में रहता है। उसके मन में यह भाव होता है कि पता नहीं दूसरे स्थान पर परिस्थितियाँ उसके अनुकूल होंगी या नहीं।

प्रश्न 4.
‘एक बूंद’ कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
इस कविता से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि घर छोड़ते समय घबराना नहीं चाहिए। निर्भयता एवं साहस के साथ नये स्थान पर कार्यरत हो जाना चाहिए।

5. घर से बाहर निकलने पर व्यक्ति को लाभ और हानि दोनों होते हैं। लाभ नीचे दिए गए हैं आप हानियाँ लिखें।

लाभ हानियाँ
1. व्यक्ति आत्म-निर्भर बनता है। ……………………………..
2. कठिनाइयों से लड़ना सीखता है। …………………………..
3. घर से प्रेम-भाव बढ़ता है। ……………………………
4. व्यक्तित्व में निखार आता है। ………………………..
5. आगे बढ़ने के नए-नए रास्ते ढूँढ़ता है। ……………………………

उत्तर:

लाभ हानियाँ
1. व्यक्ति आत्म-निर्भर बनता है। व्यक्ति बुरे रास्तों की ओर जा सकता है।
2. कठिनाइयों से लड़ना सीखता है। कठिनाइयों से डर कर घबरा जाता है।
3. घर से प्रेम-भाव बढ़ता है। बाहर रह कर घर के प्रति प्रेम-भाव कम हो जाता है।
4. व्यक्तित्व में निखार आता है। व्यक्ति अक्खड़ बन जाता है।
5. आगे बढ़ने के नए-नए रास्ते ढूँढ़ता है। व्यक्ति स्वार्थी बन जाता है।

इन काव्य पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें

6. देव! मेरे भाग्य में है क्या बदा,
मैं बनूंगी या मिलूँगी धूल में।
या जलँगी गिर अंगारे पर किसी
चू पडूंगी या कमल के फूल में
उत्तर:
इसके लिए कविता का व्याख्या भाग देखें।

आत्म-बोधल्या

(1) घर छोड़ने पर ‘लाभ था हानि’ विषय पर कक्षा में चर्चा करें।
(2) घर त्यागकर जिन्होंने संसार में उन्नति की है, ऐसे व्यक्तियों का जीवन पढ़ें और इनके गुणों को जीवन में उतारने का प्रयास करें।
(3) स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, शंकराचार्य, महात्मा गाँधी, भगत सिंह, लक्ष्मीबाई की जीवनी पढ़ें। (विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
बादलों से निकलने वाली बूंद किसके विषय में सोच रही थी ?
(क) भविष्य के
(ख) धर्म के
(ग) कर्म के
(घ) मरण के
उत्तर:
(क) भविष्य के

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 एक बूँद

प्रश्न 2.
बूंद किसके मुंह में गिरकर मोती बनी ?
(क) समुद्र के
(ख) सीप के
(ग) नदी के
(घ) कछुए के
उत्तर:
(ख) सीप के

प्रश्न 3.
इस कविता से क्या शिक्षा मिलती है ?
(क) साहस एवं निडरता से आगे बढ़ने की
(ख) पीछे हटने की
(ग) रोने की
(घ) सोने की
उत्तर:
(क) साहस एवं निडरता से आगे बढ़ने की

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से ‘बादल’ का पर्याय है :
(क) मेघ
(ख) मीन
(ग) जलचर
(घ) जलधि
उत्तर:
(क) मेघ

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से ‘कमल’ का पर्याय है :
(क) सदन
(ख) पंकज
(ग) धीरज
(घ) धैर्य
उत्तर:
(ख) पंकज

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से क्रिया चुनें :
(क) देना
(ख) धान
(ग) दाद
(घ) सुन्दर
उत्तर:
(क) देना

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण नहीं है ?
(क) बहना
(ख) गिरना
(ग) बहन
(घ) आना
उत्तर:
(ग) बहन

पद्यांशों के सरलार्थ

1. ज्यों निकल कर बादलों की गोद से,
थी अभी इक बूंद कुछ आगे बढ़ी।
सोचने फिर फिर यही जी में लगी,
आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी॥

शब्दार्थ:
इक = एक। जी = हृदय। कढ़ी = निकल चली।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित श्री अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित ‘एक बूंद’ कविता में से लिया गया है। इसमें कवि ने एक बूंद के माध्यम से मनुष्य को सन्देश दिया है कि जब तक मनुष्य घर से बाहर नहीं निकलता तब तक वह उन्नति नहीं कर सकता।।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जैसे ही एक बूंद बरसने के लिए बादलों की गोद से बाहर निकलकर अभी कुछ आगे ही बढ़ी थी, तभी वह अपने मन में सोचने लगी कि वह इस प्रकार अपना घर छोड़कर क्यों निकल पड़ी थी। भावार्थ-एक बूंद अपना घर (बादल) छोड़ते हुए मन में अनेक आशंकाएँ करती हैं।

2. देव! मेरे भाग्य में है क्या बदा,
मैं बनूंगी या मिलूँगी धूल में,
या जागी गिर अंगारे पर किसी,
चू पडेंगी य कमल के फूल में।

शब्दार्थ:
भाग्य में बदा है = किस्मत में लिखा है।

प्रसंग:
यह पद्यांश श्री अयोध्यासिंह उपाध्याय द्वारा रचित ‘एक बूंद’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने बूंद के रूप में मानव के मन में उत्पन्न भय को प्रकट किया है।

व्याख्या:
बादल की गोद से निकली हुई एक बूंद सोचती है कि हे देव! मेरे भाग्य में क्या बदा है अर्थात् क्या लिखा है ? मैं बनूंगी या धूल में मिल कर नष्ट हो जाऊँगी या किसी अंगारे पर गिर कर भस्म हो जाऊँगी या किसी कमल के फूल में टपक पड़ेंगी।

भावार्थ:
भाव यह है कि एक बूंद के मन में अपना घर (बादल) छोड़ते हुए बहुतसी आशंकाएँ होती हैं, वैसे ही प्रत्येक मनुष्य के मन में आशंकाएँ उठती हैं।

3. बह गई उस काल एक ऐसी हवा,
वह समुन्दर ओर आई अनमनी,
एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला,
वह उसी में जा पड़ी, मोती बनी।

शब्दार्थ:
काल = समय। अनमनी = बे-मन से। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘एक बूंद’ नामक कविता से ली गई हैं जिसके रचयिता श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हैं। बादलों की गोद से निकली एक बूंद अपने भविष्य के बारे चिंता करती हुई धरती पर गिरती है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि बूंद अभी अपने भाग्य पर विचार कर रही थी कि उसी समय एक ऐसी हवा चली जिसके कारण वह बे-मन-सी समुद्र की ओर आ गई। उस समय एक सुन्दर सीपी का मुँह खुला हुआ था। वह बूंद उसी में जा गिरी और कीमती मोती बन गई। भावार्थ-घर छोड़ कर मनुष्य भी कुछ का कुछ बन जाता है।

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4. लोग यों ही हैं झिझकते, सोचते,
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर,
किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें
बूंद लौं कुछ और ही देता है कर।

शब्दार्थ:
लौं = की भाँति। अक्सर = प्रायः।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा रचित ‘एक बूंद’ नामक कविता से ली गई हैं। इसमें कवि ने बताया है कि हिम्मत कर के घर से बाहर निकलने वाले प्रायः जीवन में सफलता प्राप्त कर ही जाते हैं।

व्याख्या:
कवि कहता है कि लोग अपना घर छोड़ते समय व्यर्थ में ही परेशान होते हैं।. वे अपने मन में अनेक प्रकार की चिन्ताएँ करते हैं, परन्तु अक्सर उन्हें घर छोड़ना बूँद के समान ही बड़ा लाभकारी सिद्ध होता है। उनके जीवन को बूँद की भाँति मूल्यवान् बना देता है। भावार्थ-घर छोड़ना मनुष्य के लिए वरदान भी बन जाता है।

एक बूंद Summary

एक बूँद कविता का सार

बादलों की गोद से निकलकर एक बूंद धरती की ओर चली तो वह मन ही मन घबरा रही थी कि पता नहीं उसके साथ अब अच्छा होगा या बुरा। वह धूल में गिर कर नष्ट हो जाएगी या किसी दहकते अंगारे पर गिर कर समाप्त हो जाएगी। क्या पता कि वह किसी कमल के फूल पर ही गिर पड़े। उसी समय हवा का एक झोंका आया और उसे समुद्र की ओर से ले उड़ा। समुद्र में एक सीपी का मुंह खुला था। बूंद उसमें गिरी और मोती बन गई। लोग घर से निकलते हुए भयभीत होते हैं पर घर छोड़ना उनके लिए प्राय: लाभकारी सिद्ध होता है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 मदर टेरेसा

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 मदर टेरेसा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 16 मदर टेरेसा

Hindi Guide for Class 6 मदर टेरेसा Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थ
उत्तर:
कठिन शब्दों के अर्थ पाठ के आरम्भ में दिए गए हैं।

विभूति = अलौकिक शक्ति
निस्वार्थ = बिना किसी स्वार्थ के
दरिद्रता = निर्धनता
स्वीकृति = स्वीकार हुआ
औषधियाँ = दवाइयाँ
नियुक्त = लगाया हुआ
विभूषित = अलंकृत, सजाया हुआ
चिकित्सीय प्रशिक्षण = चिकित्सा के क्षेत्र विशेष योग्यता
आभास = अनुभव होना
उपेक्षित = जिसकी उपेक्षा की गई हो
हठ धर्मिता = सत्य बात पर अड़े रहना
साक्षात्कार = आँखों के सामने
सक्रिय = क्रियाशील
अल्पायु = छोटी आयु
मरणासन = मृत्यु के निकट

2. लिंग बदलो

1. माता = …………
2. अध्यापिका = ………………..
3. स्त्री = …………………..
4. नारी = …………………..
5. वृद्ध = ………………….
उत्तर:
1. माता = पिता
2. अध्यापिका = अध्यापक
3. स्त्री = पुरुष
4. नारी = नर
5. वृद्ध = वृद्धा

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 मदर टेरेसा

3. वचन बदलो

1. बच्चा = …………………..
2. साड़ी = …………………
3. महिला = ……………….
4. झील = …………………
5. बस्ती = …………………
6. औषधि = ………………..
7. चींटी = ………………….
8. शाखा = …………………
9. दीवार = …………………..
उत्तर:
1. बच्चा = बच्चे
2. साड़ी = साड़ियाँ
3. महिला = महिलाएँ
4. झील = झीलें
5. बस्ती = बस्तियाँ
6. औषधि = औषधियाँ
7. चींटी = चींटियाँ
8. शाखा = शाखाएँ
9. दीवार = दीवारें

4. विपरीतार्थक शब्द लिखो

1. अंतिम = …………………..
2. उपयुक्त = ………………….
3. विदेशी = ……………………
4. जीवन = …………………..
5. इच्छा = ……………………
6. सुखी = …………………..
7. उपलब्ध = …………………
8. स्वीकृत = ………………..
9. रोगी = …………………..
उत्तर:
1. अंतिम = प्रथम
2. उपयुक्त = अनुपयुक्त
3. विदेशी = स्वदेशी
4. जीवन = मृत्यु
5. इच्छा = अनिच्छा
6. सुखी = दुखी
7. उपलब्ध = अनुपलब्ध
8. स्वीकृत = अस्वीकृत
9. रोगी = निरोगी

5. पर्यायवाची शब्द लिखो

1. शिक्षा = ………………..
2. बचपन = …………………
3. पेड़ = ………………….
4. दशा = ……………..
5. सफ़ेद = ………………..
6. शरीर = ………………….
7. नमस्कार = …………..
उत्तर:
1. शिक्षा = विद्या
2. बचपन = शैशव
3. पेड़ = वृक्ष
4. दशा = अवस्था
5. सफ़ेद = श्वेत
6. शरीर = तन
7. नमस्कार = प्रणाम

6. वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखो

1. जिसका कोई घर न हो ……………………………………
2. जिसका कोई सहारा न हो ………………………………….
3. जिसके माँ-बाप न हो ………………………………………..
4. जिसकी थाह न पाई जा सके (सीमा रहित) ………………………………………
5. धर्म अथवा परमार्थ हेतु बनवाया गया भवन …………………………………………..
6. सबसे ऊँचा ……………………………………………
7. बिना किसी स्वार्थ के ………………………………………
उत्तर:
1. जिसका कोई घर न हो =  बेघर।
2. जिसका कोई सहारा न हो = बेसहारा।
3. जिसके माँ-बाप न हो = अनाथ।
4. जिसकी थाह न पाई जा सके (सीमा रहित) = अथाह/असीम।
5. धर्म अथवा परमार्थ हेतु बनवाया गया भवन = धर्मशाला/परमार्थाश्रम।
6. सबसे ऊँचा = सर्वोच्च।
7. बिना किसी स्वार्थ के = निःस्वार्थ।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 मदर टेरेसा

7. विशेषण बनाओ

1. वर्ष = …………………..
2. नियम = ……………….
3. परिश्रम = …………………
4. कर्म = …………………
5. धर्म = …………………
6. सेवा = ………………..
7. केन्द्र = ………………..
8. अर्पण = …………………
उत्तर:
1. वर्ष = वार्षिक
2. नियम = नियमित
3. परिश्रम = पारिश्रमिक
4. कर्म = कर्मशील
5. धर्म = धार्मिक
6. सेवा = सेवक
7. केन्द्र = केन्द्रीय
8. अर्पण = अर्पित

8. भाववाचक संज्ञा बनाओ

1. निर्मल = ………………….
2. स्वतन्त्र = …………………
3. स्वीकार = …………………
4. मानव = …………………
5. शिशु = ………………….
उत्तर:
1. निर्मल = निर्मलता
2. स्वतन्त्र = स्वतन्त्रता
3. स्वीकार = स्वीकार्य
4. मानव = मानवता
5. शिशु = शैशव

9. शुद्ध करो

1. चिकितसा = ………………………
2. प्रारथना = …………………
3. पुरसकार = …………………..
4. उपाधी = ………………….
5. गृहण = ……………………
6. परीश्रम = ………………..
7. अर्पन = …………………….
8. सथापना = ……………………
उत्तर:
1. चिकितसा= चिकित्सा
2. प्रारथना = प्रार्थना
3. पुरसकार = पुरस्कार
4. उपाधी = उपाधि
5. गृहण = ग्रहण
6. परीश्रम = परिश्रम
7. अर्पन = अर्पण
8. सथापना = स्थापना

10. वाक्यों में प्रयोग करो

1. पाबंदी = ………………………………………..
2. घोषित = ………………………………………..
3. समारोह = ……………………………………….
4. भंडार = ……………………………………………
5. करुणा = ………………………………………….
6. निराश्रित = ………………………………………….
7. दयनीय = …………………………………………….
8. विभूति = …………………………………………….
9. नियुक्ति = …………………………………………….
उत्तर:
1. पाबंदी – लोरेटो के नियमानुसार मदर टेरेसा को अस्पतालों में जाने पर पाबंदी थी।
2. घोषित – मेरा परीक्षा-परिणाम कल घोषित होगा।
3. समारोह – मुझे कल एक समारोह में जाना पड़ा। भंडार – धरती के नीचे कोयले का असीम भंडार है।
4. करुणा – मदर टेरेसा दीन-दुखियों के लिए करुणा की भंडार थी।
5. निराश्रित – हमें निराश्रितों की सहायता करनी चाहिए।
6. दयनीय – भिखारी की दशा बड़ी दयनीय थी।
7. विभूति – इस महान् विभूति मदर टेरेसा का देहावसान 5 सितम्बर, सन् 1997 को हुआ।
8. नियुक्ति – मेरी नियुक्ति बैंक अधिकारी के रूप में हुई है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 मदर टेरेसा

विचार-बोध

(क)
प्रश्न 1.
मदर टेरेसा का जन्म कब और कहाँ हुआ था ? इनके बचपन का वर्णन करें।
उत्तर:
मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त, सन् 1910 को यूगोस्लाविया के स्कापये शहर में हुआ। इनका बचपन का नाम एग्नेस गौंझा बोजाक्यु था। साल वर्ष की आयु में इनके पिता का निधन हो गया था।

प्रश्न 2.
मदर टेरेसा के मन में किस प्रकार का सेवाभाव था ? किसी घटना द्वारा बताएँ।
उत्तर:
मदर टेरेसा के मन में बेबस, असहाय और पीड़ित लोगों के लिए बहुत सहानुभूति थी। एक बार मदर टेरेसा को बहुत ही कष्टदायक और बीमार स्थिति में एक स्त्री मिली। उसका शरीर फोड़े-फुसियों से भरा हुआ था। उसके शरीर पर मक्खियाँ भिनभिना रही थीं। उसे इस अवस्था में देखकर टेरेसा का हृदय पिघल गया। वह उसे उठाकर अस्पताल ले गई। अस्पताल में उसे कोई भी दाखिल नहीं कर रहा था लेकिन टेरेसा ने जिद्द करके उसे अस्पताल में भर्ती करवाया।

प्रश्न 3.
रेलगाड़ी से दार्जिलिंग जाते समय मदर टेरेसा को क्या आभास हुआ ?
उत्तर:
रेलगाड़ी से दर्जिलिंग जाते समय मदर टेरेसा को आभास हुआ जैसे ईसा मसीह उन्हें आदेश दे रहे हों कि अपना जीवन दीन-दुखियों की सेवा में अर्पण कर दो।

प्रश्न 4.
मदर टेरेसा ने प्रधानाध्यापिका के पद से त्यागपत्र देने के बाद क्या किया ?
उत्तर:
मदर टेरेसा ने प्रधानाध्यापिका के पद से त्यागपत्र देने के बाद पटना से चिकित्सक प्रशिक्षण लिया और कोलकाता में अपना प्रारम्भिक कार्यक्षेत्र बनाया।

प्रश्न 5.
मदर टेरेसा ने पहला आश्रम कहाँ और किनके लिए खोला ? |
उत्तर:
मदर टेरेसा ने पहला आश्रम कोलकाता के कालीघाट के पास धर्मशाला में बेसहारा और मरणासन्न रोगियों के लिए खोला।

प्रश्न 6.
चिकित्सा अधिकारी द्वारा मदर से चिकित्सा के साधन पूछने पर मदर ने क्या कहा ?
उत्तर:
चिकित्सा अधिकारी द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए मदर टेरेसा ने कहा कि चिकित्सा के लिए सेवा और प्रेम की आवश्यकता होती है। ये दोनों ही औषधियाँ मेरे पास अथाह मात्रा में हैं।

प्रश्न 7.
मदर टेरेसा विश्व तथा भारत सरकार की किन-किन उपाधियों से विभूषित हुई ?
उत्तर:
भारत सरकार ने मदर टेरेसा को सन् 1962 में ‘पद्मश्री’ सम्मान, 1980 में ‘भारत-रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित किया। सन् 1979 में उन्हें नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार वाक्यों में लिखें

प्रश्न 1.
मदर टेरेसा के जीवन के प्रमुख उद्देश्यों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
मदर टेरेसा के जीवन का प्रमुख उद्देश्य दुखी, पीड़ित, असहाय, लाचार, बेबस और निराश्रितों की सेवा करना था। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने कोलकाता के स्कूल की प्रधानाध्यापिका के पद से त्यागपत्र देकर असहाय लोगों की सेवा का कार्य आरम्भ किया। वह जीवन पर्यन्त इसी उद्देश्य की पूर्ति में लगी रहीं।

प्रश्न 2.
मदर टेरेसा द्वारा खोले गए आश्रमों का वर्णन करें।
उत्तर:
मदर टेरेसा पीड़ितों तथा निराश्रितों की सेवा-सहायता के लिए मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। इस चैरिटी के अन्तर्गत उन्होंने विभिन्न आश्रम खोले। पहला आश्रम कोलकाता में कालीघाट के पास ‘निर्मल हृदय’ आश्रम खोला। इसके कुछ समय बाद चैरिटी का दूसरा आश्रम खोला-‘निर्मल शिशु भवन’। यहाँ पर अनाथ, बेसहारा तथा अपंग बच्चों का पालन-पोषण होने लगा।

प्रश्न 3.
मदर टेरेसा की संस्था कौन-कौन से कार्य कर रही है ?
उत्तर:
मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी आज विभिन्न सेवा कार्य कर रही है। इस समय इनकी संस्था 70 विद्यालय, 250 अस्पताल, 28 कुष्ठ निवारण केन्द्र, 20 घर अनाथ बच्चों के लिए, 25 वृद्धाश्रम चला रही है। आज 131 देशों में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के 700 से ज्यादा केन्द्र हैं। जहाँ 4500 से ज़्यादा सिस्टर्स सेवा कार्यों में लगी हुई हैं।

आत्म-बोध था

1. दीन-दुखियों, बेसहारों की सेवा ही सच्ची सेवा है।
2. मदर टेरेसा के जीवन से प्रेरणा लेकर आप क्या करेंगे ?
उत्तर:
1. विद्यार्थी इस कथन का पालन करें।
2. मदर टेरेसा के जीवन से प्रेरणा लेकर हम भी दीन-दुखियों की सेवा तथा सहायता करेंगे।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
मदर टेरेसा का जन्म कब हुआ ?
(क) 1910
(ख) 1912
(ग) 1914
(घ) 1916
उत्तर:
(क) 1910

प्रश्न 2.
मदर टेरेसा ने पहला आश्रम कहां खोला ?
(क) मुंबई में
(ख) दिल्ली में
(ग) कोलकाता में
(घ) मद्रास में
उत्तर:
(ग) कोलकाता में

प्रश्न 3.
मदर टेरेसा ने किनकी सेवा की ?
(क) बुजुर्गों की
(ख) बच्चों की
(ग) दीन दुखियों की
(घ) लोगों की
उत्तर:
(ग) दीन दुखियों की

प्रश्न 4.
मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार कब मिला ?
(क) 1969 में
(ख) 1979 में
(ग) 1989 में
(घ) 1999 में
उत्तर:
(ख) 1979 में

प्रश्न 5.
मदर टेरेसा ने किस संस्था की स्थापना की ?
(क) मिशनरीज़ आफ चैरिटी
(ख) चैरिटी
(ग) दीन दुखी
(घ) अनाथशाला
उत्तर:
(क) मिशनरीज़ आफ चैरिटी

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 मदर टेरेसा

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से ‘बचपन’ शब्द का पर्याय है :
(क) शैशव
(ख) शिशु
(ग) विशु
(घ) बच्चा
उत्तर:
(क) शैशव

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में ‘धर्म’ का विशेषण है :
(क) धर्मा
(ख) धर्मशील
(ग) धार्मिक
(घ) धर्म
उत्तर:
(ग) धार्मिक

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से भाववाचक संज्ञा का उदाहरण नहीं है :
(क) निर्मलता
(ख) मान्यता
(ग) सुंदर
(घ) स्वतंत्रता
उत्तर:
(ग) सुंदर

मदर टेरेसा Summary

मदर टेरेसा पाठ का सार

मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त, सन् 1910 को यूगोस्लाविया में हुआ। इनके बचपन का नाम एग्नेस गौंझा बोजाक्यु था। सात वर्ष की आयु में इनके पिता का देहान्त हो गया। 12 वर्ष की आयु में ही इन्होंने ‘नन’ बनने की इच्छा प्रकट की। तत्पश्चात् सन् 1928 में यह कोलकाता के इटाली स्थित लोरेटो कान्वेंट की शाखा सेंट मेरी स्कूल में भूगोल की अध्यापिका नियुक्त हुई। मदर टेरेसा अनाथों की नाथ, दीन-दुखियों के लिए करुणा का भण्डार थी। उसके मन में बेबस और लाचार तथा पीड़ित लोगों के लिए नि:स्वार्थ सेवा भावना विद्यमान थी। एक दिन उसने एक पीड़ित तथा दयनीय अवस्था में पड़ी महिला को उठाकर अस्पताल में भर्ती करवाया।

मदर टेरेसा गरीबों के बीच जाकर उनकी देखभाल करना और उनको शिक्षित करना चाहती थी लेकिन इसके लिए लोरेटो के सख्त नियम आड़े आ रहे थे अतः उन्होंने प्रधानाध्यापक के पद से त्यागपत्र दे दिया और पटना से चिकित्सक प्रशिक्षण लेकर समाज सेवा कार्यों में लग गई। उन्होंने सन् 1950 में एक संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी का शुभारम्भ किया। इस संस्था के अन्तर्गत उन्होंने ‘निर्मल हृदय’ तथा ‘निर्मल शिशु भवन’ आश्रम खोले जहाँ पर निराश्रितों, बेसहारा का पालन-पोषण होता था। सन् 1950 में जिस चैरिटी की स्थापना मदर टेरेसा ने अकेले की थी वह उनके अथक परिश्रम से काफ़ी विस्तृत हो गया था।

इस समय इनकी संस्था 70 विद्यालय, 250 अस्पताल, 28 कुष्ठ निवारण केन्द्र, 25 घर वृद्धों और निराश व्यक्तियों के लिए चला रही है। आज इस मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के 700 से ज़्यादा केन्द्र है और 4500 से ज्यादा सिस्टर्स सेवा-कार्यों में लगी हैं। समाज सेवी मदर टेरेसा को उनकी सेवाओं के लिए अनेकों पुरस्कार और सम्मानं मिले। सन् 1962 में भारत सरकार द्वारा ‘पदमश्री’ सम्मान, सन् 1979 में नोबेल पुरस्कार तथा सन् 1980 में ‘भारत रत्न’ पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया। 5 सितम्बर, सन् 1997 को गरीबों की इस मसीहा का देहावसान हुआ।

कठिन शब्दों के अर्थ:

बेसहारों = जिसका कोई सहारा न हो। करुणा = दया। असहाय = बेसहारा । निस्वार्थ = बिना स्वार्थ भाव के। कष्टदायक = कष्ट देने वाली। हठधर्मिता = जिद्द। नियुक्त = चुना जाना। दरिद्रता = ग़रीबी। साक्षात्कार = आमने-सामने। कड़ा = सख्त। इजाजत = आज्ञा। पाबन्दी = मनाही। स्वीकृत = मंजूरी। उपयुक्त = उचित। उपलब्ध = प्राप्त। औषधियाँ = दवाइयाँ। आवश्यकता = ज़रूरत। अपंग = जिनका कोई अंग न हो, अंगहीन। मरणासन्न = मृत्यु के पास। अथक = बिना थके, निरन्तर। कुष्ठ निवारण = कुष्ठ रोग दूर करने वाले। विभूषित = अलंकृत। गौरव = बड़प्पन।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 पाँच प्यारे

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 पाँच प्यारे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 15 पाँच प्यारे

Hindi Guide for Class 6 पाँच प्यारे Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दों के अर्थ पाठ के आरम्भ में दिए जा चुके हैं।

सहस्त्रों = हजारों
नेत्र = आँखें
चुप्पी = मौन, शान्त
दृश्य = नजारा
रक्त = खून
समक्ष = सामने
जय- घोष = विजय की गर्जना
तमतमाना = धूप या क्रोध से चेहरा लाल होना
अलौकिक = दूसरे लोक का
स्तनधता = एकदम शांति, चुप्पी
आहुति = बलिदान

2. मुहावरों के अर्थ लिख कर वाक्य बनाइए

चुप्पी छा जाना ______________________ __________________________________
चेहरा तमतमाना ___________________ ____________________________________
दिल दहलना _____________________ _____________________________________
तितर-बितर होना __________________ ____________________________________
खून से रंगी तलवार ___________________ _________________________________
पत्थर की मूर्ति बन बैठना _____________________ __________________________
प्राणों की आहुति देना ________________ __________________________________
बलि चढ़ाना ____________________ _______________________________________
उत्तर:
चुप्पी छा जाना = खामोशी छाना-नेता जी के आते ही सभा में चुप्पी छा गई।
चेहरा तमतमाना = क्रोध आना-मुग़ल सैनिकों को देखते ही मराठा सरदार का चेहरा तमतमाने लगा।
दिल दहलना = डर जाना – शेर की गर्जना सुनकर शिकारी का दिल दहल गया। तितर बितर होना = इधर-उधर हो जाना – पुलिस को देखकर भीड़ तितर-बितर हो गयी।
खून से रंगी तलवार = गुरु जी के हाथ में खून से रंगी तलवार थी। पत्थर की मूर्ति बन बैठना – स्थिर हो जाना-पुत्र की मृत्यु पर वृद्ध माँ पत्थर की मूर्ति बनकर बैठ गई।
प्राणों की आहुति देना = बलिदान होना – देशभक्त हमेशा प्राणों की आहुति देने को तैयार रहते हैं।
बलि चढ़ाना = बलिदान देना – तांत्रिक ने बच्चे की बलि चढ़ा दी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 पाँच प्यारे

3. समानार्थक लिखिए

1. विश्वास = …………………..
2. शूरवीर = …………………….
3. सूर्य = …………………..
4. किरण = ………………..
5. तलवार = …………………
6. सिंह = …………………..
7. उद्देश्य = ……………………
8. बलिदान = …………………..
9. घोषणा = ………………….
10. पश्चात्शा = …………………..
11. श्रद्धालु = ……………………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. विश्वास = यकीन, भरोसा
2. शूरवीर = बहादुर
3. सूर्य = दिनकर
4. किरण = अंशु
5. तलवार = खड्ग
6. उद्देश्य = लक्ष्य
7. बलिदान = त्याग
8. घोषणा = ऐलान
9. पश्चात् = बाद
10. शामियाना = तम्बू
11. श्रद्धालु = श्रद्धावान्

4. निम्नलिखित शब्दों को अपने वाक्यों में प्रयुक्त करें

1. एकत्र = ………………………………………..
2. कीर्तन = ……………………………………….
3. चुप्पी = …………………………………………..
4. शामियाना = …………………………………..
5. बलिदान = ……………………………………..
6. स्तब्धता = ……………………………………..
7. अलौकिक = …………………………………….
8. दृश्य = ……………………………………………..
9. प्रार्थना = ……………………………………..
उत्तर:
1. एकत्र – जनसभा में हज़ारों की भीड़ एकत्र थी।
2. कीर्तन – देवी माँ का कीर्तन करो।
3. चुप्पी – अध्यापक के आते ही कक्षा में चुप्पी छा गई।
4. शामियाना – गुरु जी शामियाने के पीछे गए।
5. बलिदान – हम देश के लिए हर प्रकार का बलिदान देने को तैयार है।
6. स्तब्धता – भूकम्प के बाद सार क्षेत्र में स्तब्धता छा गई।
7. अलौकिक – गुरु गोबिन्द सिंह जी अलौकिक व्यक्तित्व के स्वामी थे।
8. दृश्य – प्रकृति का अद्भुत दृश्य देखकर मन खिल उठा।
9. प्रार्थना – नित्य प्रातः उठकर ईश्वर की प्रार्थना करो।

5. इन शब्दांशों में से विशेषण और विशेष्य अलग कर लिखो :

बड़ा शामियाना, सहस्र लोग, लाल नेत्र, तमतमाता चेहरा, सिंह की तरह गर्जना, शक्ति की देवी, बड़ा बलिदान, लाहौर का क्षत्रिय, अलौकिक दृश्य, रक्त से भरी तलवार, दिल्ली का जाट, भयभीत जनता, नीची गर्दन किए बैठे लोग, पत्थर की मूर्ति बने लोग, चार वीर, नए वस्त्र, पाँच प्यारे।

शब्दांश विशेषण विशेष्य
बड़ा शामियाना बड़ा शामियाना
सहस्र लोग सहस्त्र लोग
लाल नेत्र लाल नेत्र
तमतमाता चेहरा तमतमाता चेहरा
सिंह की तरह गर्जना सिंह की तरह गर्जना
शक्ति की देवी शक्ति की देवी
बड़ा बलिदान बड़ा बलिदान
लाहौर का क्षत्रिय लाहौर का क्षत्रिय
अलौकिक दृश्य अलौकिक दृश्य
रक्त से भरी तलवार रक्त से भरी तलवार
दिल्ली का जाट दिल्ली का जाट
भयभीत जनता भयभीत जनता
नीची गर्दन किए बैठे लोग नीचे गर्दन लोग
चार वीर चार वीर
नए वस्त्र नए वस्त्र
पाँच प्यारे पाँच प्यारे

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 पाँच प्यारे

6. वर्ण विच्छेद करो

1. सहस्र = _____ + ______ +_____ +_____ +_____ +_____ +_____ +_____
2. कीर्तन = _____ +_____ +_____ +_____ +_____ +_____ +_____
3. शक्ति = _____ +_____ +_____ +_____ +_____ +_____
4. अलौकिक = _____ +_____ +_____ +_____ +_____ +_____ +_____
5. प्यारे = _____ +_____ +_____ +_____ +_____
उत्तर:
1. सहस्त्र = स् + अ + ह् + अ + स् + त् + र् + अ।
2. कीर्तन = क् + ई + र् + त् + अ + न् + अ।
3. शक्ति = श् + अ + क् + इ + त् + अ।
4. अलौकिक = अ + ल् + औ + क् + इ + क् + अ।
5. प्यारे = प् + य् + आ + र् + ए।

विचार-बोध (प्रश्न)

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें

प्रश्न 1.
म्यान से तलवार निकालते हुए गुरु जी ने क्या कहा ?
उत्तर:
म्यान से तलवार निकालते हुए गुरु जी ने कहा-आज शक्ति देवी एक बहादुर के शीश की मांग कर रही है।

प्रश्न 2.
सबसे पहले किसने अपनी बलि देने की इच्छा प्रकट की ?
उत्तर:
सबसे पहले लाहौर के क्षत्रिय दयाराम ने अपनी बलि देने की इच्छा प्रकट की।

प्रश्न 3.
पंडाल में से लोग क्यों खिसकने लगे ?
उत्तर:
पंडाल में से लोग इसलिए खिसकने लगे क्योंकि सभी भयभीत हो गए थे। गुरु जी द्वारा एक के बाद एक सीस मांगे जाने से भय और निराशा बढ़ गई थी।

प्रश्न 4.
बलि देने वाले पाँचों वीरों के क्या-क्या नाम थे ?
उत्तर:
बलि देने वाले पाँच वीरों के नाम थे:

  • दयाराम
  • भाई धर्मदास
  • मोहकम चन्द
  • साहब चन्द
  • भाई हिम्मत राय

(ख) पाँच प्यारे कौन-कौन थे ? उनके बारे में जो कुछ जानते हो अपनी कॉपी में लिखो।
उत्तर:
दयाराम, भाई धर्मदास, भाई मोहकम चन्द, साहब चन्द और भाई हिम्मत राय से गुरु जी के पाँच प्यारे थे। इन्हें वीरों के पहरावे में गुरु जी ने जनता के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने हाथों में तलवारें पकड़ रखी थी। उन्होंने धर्म की रक्षा करने का प्रण लिया था।

(ग) अपने अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें

प्रश्न 1.
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने पाँच प्यारे क्यों चने ?
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने पाँच प्यारे इसलिए चुने, ताकि धर्म की रक्षा की जा सके। सोई हुए जाति में नए रक्त का संचार किया जा सके। लोगों में बलिदान की भावना पैदा की जा सके।

प्रश्न 2.
गुरु जी ने उन पाँच प्यारों का वेश क्यों बदल दिया ?
उत्तर:
गुरु जी ने पाँच प्यारों का वेश इसलिए बदल दिया, ताकि उन्हें वीरता की भावना से ओत-प्रोत किया जा सके। जन-सामान्य में एक नई जागृति पैदा की जा सके।

(घ) कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से उचित शब्दों को लेकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. गुरु जी बोले, “आज शक्ति की देवी एक…………के शीश की माँग कर रही है।” (नवयुवक, वीर, खत्री)
2. गुरु जी खून से भरी तलवार सहित……….से बाहर आए। (कमरे, पण्डाल, तम्बू)
3. लोगों ने……….से प्रार्थना की। (गुरु, गुरु-माता, अकाल पुरुष)
4. गुरु जी का चेहरा…………..से तमतमा रहा था। (क्रोध, जोश, रक्त)
उत्तर:
1. वीर
2. तम्बू
3. अकाल पुरुष
4. जोश

आत्म-बोध (प्रश्न)

1. धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोबिन्द सिंह जी के त्याग की सभी घटनाओं को पढ़ो अथवा उनका पता करो और उनसे प्रेरणा लो।
नोट-गुरु गोबिन्द सिंह जी का जीवन चरित्र पढ़ें और उनके आदेशों को अपने जीवन में उतारें।

रचना-बोधा

गरु गोबिन्द सिंह पर लेख लिखो।
उत्तर:
उत्तर के लिए विद्यार्थी निबन्ध भाग में देखें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
सबसे पहले किसने अपनी बलि देने की इच्छा प्रकट की ?
(क) दयावान ने
(ख) दयाराम ने
(ग) धनवान ने
(घ) सीताराम ने
उत्तर:
(ख) दयाराम ने

प्रश्न 2.
पाँच प्यारे में कौन-कौन थे ?
(क) दयाराम और भाई धर्मदास
(ख) भाई मोहकमचन्द एवं साहब चन्द
(ग) भाई हिम्मत राय
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

प्रश्न 3.
किस गुरु जी ने पांच प्यारे चुने ?
(क) गुरु गोबिन्द सिंह जी ने
(ख) गुरु नानक देव जी ने
(ग) गुरु हरगोबिन्द जी ने
(घ) गुरु वशिष्ट जी ने
उत्तर:
(क) गुरु गोबिन्द सिंह जी ने

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 पाँच प्यारे

प्रश्न 4.
गुरु जी ने किसकी रक्षा के लिए पांच प्यारे चुने ?
(क) धर्म
(ख) कर्म
(ग) देश
(घ) समाज
उत्तर:
(क) धर्म

पाँच प्यारे Summary

पाँच प्यारे पाठ का सार

सन् 1699 का वर्ष, बैसाखी का दिन था। भारी संख्या में बच्चे, बूढ़े तथा जवान आनन्दपुर साहब में इकट्ठे हुए। पंडाल में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे। भगवान् का कीर्तन हो रहा था। गुरु गोबिन्द सिंह जी भी उस पंडाल में सुशोभित थे। कुछ समय के बाद गुरु जी खड़े हो गए। उनका चेहरा तमतमा रहा था। उन्होंने अपनी म्यान से तलवार निकाली और शेर की तरह गर्जना करते हुए बोले, “आज शक्ति-देवी एक बहादुर के शीश की मांग कर रही है। क्या यहाँ कोई ऐसा वीर है जो अपने जीवन का बलिदान कर सकता है ?” इन शब्दों को सुनते ही सभा में सन्नाटा छा गया। लोगों के हृदय कांपने लगे। कोई भी व्यक्ति बलिदान के लिए तैयार न था। गुरु जी ने अन्त में फिर कहा कि हज़ारों की इस गणना में क्या कोई भी ऐसा वीर नहीं जिसे मुझ पर विश्वास हो। इस पर पाँच वीर सामने आए। गुरु जी ने उन्हें खालसा सजाया। गुरु जी ने उन्हें पाँच प्यारों की संज्ञा दी और घोषणा की कि ये पाँच प्यारे अपने प्राणों का बलिदान देकर अपने धर्म की रक्षा करेंगे। यह सुनकर सबने सत्-श्री अकाल का जय-घोष किया।

कठिन शब्दों के अर्थ:

संख्या = गिनती। एकत्र = इकट्ठे। सहस्रों = सैंकड़ों, हज़ार। सुशोभित = शोभा देना, सजा हुआ। पश्चात् = बाद। शीश = सिर। नेत्र = आँखें। बलिदान = कुर्बानी। दहल उठना = डर जाना, भयभीत होना। बलि = कुर्बानी। शूरवीर = बहादुर। अंत = आखिर। आश्चर्य = हैरानी। अलौकिक = अद्भुत। रक्त = खून। भयभीत = डरी हुई। तितर-बितर होना = भाग जाना, चले जाना। स्तब्धता = एक दाम शांति, चुप्पी। अकारण = बिना किसी कारण के। भय = डर। समक्ष = सामने। खिसकना = धीरे से निकल जाना। तमतमाना = धूप या गुस्से से चेहरे का लाल होना। जयघोष = विजय की गर्जना। क्षमा = मुआफी। पश्चात् = बाद। अकाल पुरुष = परमात्मा। पर्याप्त = काफ़ी। असमंजस = ठीक-ठीक न पता होना। वस्त्र = कपड़े। संज्ञा = नाम। आहुति = बलिदान। रक्षा = रखवाली।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 14 तीज

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 ज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14 ज

Hindi Guide for Class 6 ज Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ पाठ के आरम्भ में दिए जा चुके हैं।

सावन = श्रावण ( एक महीने का नाम)
शगुन = शुभ
प्रतीक = बताने वाला चिह्न
थिरकर = नाचना
सौगात = उपहार, भेंट
बौछार = झोंका
तपिश = गर्मी
सिमटना = सीमित रह जाना
वर्जित = मनाही
पखवाड़ा = पंद्रह दिन का समय

2. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताते हुए वाक्यों में प्रयुक्त करें

1. आँख मिचौली खेलना,
2. मन-मयूर नाच उठना।
उत्तर:
आँख मिचौली खेलना = लुका-छिपी-बादलों के कारण आज सूर्य आँख मिचौली खेल रहा है।
मन-मयूर नाच उठना = बहुत प्रसन्न होना-सालों के बाद भाई के विदेश से आने पर सुनीति का मन-मयूर नाच उठा।

3. विपरीतार्थक लिखें

1. आरम्भ = ………………….
2. सूखा = …………………..
3. शुक्ल पक्ष = ………………….
4. उदय = ………………..
5. गर्मी = …………………
6. विवाहित = ………………….
7. मिलाप = ………………..
उत्तर:
1. आरम्भ = अन्त
2. सूखा = गीला
3. शुक्ल पक्ष = कृष्ण पक्ष
4. उदय = अस्त
5. गर्मी = सर्दी
6. विवाहित = अविवाहित
7. मिलाप = विछोह

4. लिंग बदलें

1. मोर = …………………
2. नौजवान = …………………..
3. पुत्रवधू = …………………..
4. बुड्डा = ………………….
5. गुड़िया = ………………….
6. बुआ = ……………….
7. स्त्री = …………………
उत्तर:
1. मोर – मोरनी
2. नौजवान – नवयुवती
3. पुत्रवधू – पुत्र
4. बुड्डा – बुढ़िया
5. गुड़िया – गुड्डा
6. बुआ – फूफा।
7. सत्री = पुरुष।

5. वचन बदलो

1. कपड़ा = …………………
2. खिलौना = ………………….
3. बुढ्ढा = …………………
4. मिठाई = …………………..
5. चोटी = …………………..
6. भतीजी = ………………….
7. डिब्बी = …………………
8. सखी = …………………
9. कहानी = ………………..
10. लड़की = …………………
उत्तर:
1. कपड़ा = कपड़े
2. खिलौना = खिलौने
3. बुढ्ढा = बुढ्ढे
4. मिठाई = मिठाइयाँ
5. चोटी = चोटियाँ
6. भतीजी = भतीजियाँ
7. डिब्बी = डिब्बियाँ
8. सखी = सखियाँ
9. कहानी = कहानियाँ
10. लड़की = लड़कियाँ

6. शुद्ध करें

अभुषण = ……………………..
त्याहार = …………………..
ढकन = ………………………
विवाहत = ……………………..
वयकति = …………………..
वरजित = …………………..
उतसव = ………………………
षिषटाचार = ………………………
सहेलीयाँ = …………………….
विचीतर = …………………
पंदरह = ………………………
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
अभुषण = आभूषण
त्याहार – त्योहार
ढकन – ढक्कन
विवाहत – विवाहित
वयकति – व्यक्ति
वरजित – वर्जित
उतसव – उत्सव
षिषटाचार – शिष्टाचार
सहेलीयाँ – सहेलियाँ
विचीतर – विचित्र
पंदरह – पंद्रह।

7. मूल शब्द अलग करो

1. हरियाली = हरा।
2. आनन्दित = …………………..
3. विवाहित = ……………………
उत्तर:
1. हरियाली = हरा
2. आनन्दित = आनन्द
3. विवाहित = विवाह

7. निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाएँ

सिमटना = ………………………….
प्रतीक = ……………………………
बौछार = …………………………..
वर्जित = ……………………..
निश्चित = ……………………..
पुत्रवधू = ………………………..
उत्तर:
सिमटना (सिकुड़ना) – गाड़ी में भीड़ अधिक है, इसलिए आप सब सिमट कर बैठें।
प्रतीक (चिह्न) – रक्षा बन्धन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।
बौझार (हल्की बरसात की – सी पानी की बूंदें)-धीमी-धीमी बौछार मन को मोह लेती है।
वर्जित (निषिद्ध) – क! लगा है, बाहर निकलना वर्जित है। निश्चित (पक्का)-रमेश का आना आज निश्चित है।
पुत्रवधू (पुत्र की बहू) – रमा महेश जी की पुत्रवधू है।

अंतिम दिन, पाँचवां महीना, सफेद दाढ़ी, विचित्र कहानी आदि शब्द-युग्मों में अंतिम, पाँचवाँ, सफेद, विचित्र शब्द क्रमशः दिन, महीना, दाढ़ी, कहानी शब्दों की विशेषता बतलाते हैं। स्पष्ट है कि किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। जिस शब्द की विशेषता बताई जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं। अंतिम दिन’ में ‘अंतिम’ विशेषण है, जबकि ‘दिन’ विशेष्य है। अब नीचे लिखे शब्दों में से विशेषण और विशेष्य शब्द अलग-अलग लिखिए पांचवाँ महीना, पंजाबी भाषा, तेज़ बौछार, सुहावना वातावरण, सजी-धजी महिलाएँ, मनचले नौजवान, सफेद दाढ़ी, विचित्र कहानी, दो पक्ष, पन्द्रह दिन।
उत्तर:

विशेषण विशेष्य विशेषण विशेष्य
पांचवाँ महीना पंजाबी भाषा
तेज़ बौछार सुहावना वातावरण
सजी-धजी महिलाएँ मनचले नौजवान
सफ़ेद दाढ़ी विचित्र कहानी
दो पक्ष पन्द्रह दिन

ऊपर लिखे शब्दों में अंतिम, पंजाबी, तेज़, सुहावना, सजी-धजी, मनचले, सफ़ेद, विचित्र शब्द संज्ञा शब्दों के गुण, दशा, रंग, आकार आदि का बोध कराते हैं, अतः गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। पांचवाँ, दो, पन्द्रह आदि शब्द महीना, पक्ष, दिन की संख्या का बोध कराते हैं, अतः संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

विचार-बोध (प्रश्न)

(क)
प्रश्न 1. “सावन’ हिन्दुस्तानी साल का कौन-सा महीना है ?
उत्तर:
‘सावन’ हिन्दुस्तानी साल (विक्रमी संवत्) के पाँचवें महीने में आता है।

प्रश्न 2.
‘तीज’ का त्योहार कब आरम्भ होता है ? यह कितने दिनों तक मनाया जाता
उत्तर:
तीज का त्योहार सावन शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन शुरू होता है और यह तेरह दिनों तक मनाया जाता है।

प्रश्न 3.
‘तीज’ शब्द कैसे बना ?
उत्तर:
तीज शब्द संस्कृत के ‘तृतीया’ शब्द से बना क्योंकि यह सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से शुरू होता है।

प्रश्न 4.
पंजाब में तीज के त्योहार को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
पंजाब में तीज के त्योहार के ‘तीआं’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 5.
बड़े शहरों में तीज का मेला किस रूप में सिमटता जा रहा है?
उत्तर:
बड़े शहरों में तीज का मेला दो दिन के झूला उत्सव के रूप में सिमटता जा रहा है।

प्रश्न 6.
तीज पर पुत्रवधु को जो सौगात भेजी जाती है, उसे क्या कहते हैं ? उस सौगात में क्या-क्या भेजा जाता है?
उत्तर:
तीज पर पुत्रक्धु को जो संगीत भेजी जाती है उसे संधारा कहते हैं। इस सौगात में ससुराल वाले बहूरानी को नए कपड़े गहने, मिठाइयाँ और श्रृंगार की, वस्तुएं भेजते हैं।

प्रश्न 7.
‘तीज’ का आखिरी दिन कब होता है ? बहनें इस दिन को कैसे मनाती हैं ?
उत्तर:
तीज का. आखिरी दिन रक्षा बन्धन (पूर्णिमा) की शाम को होता है। इस दिन को बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बाँधती हैं।

प्रश्न 8.
सहेलियों से मिलते समय स्त्रियाँ कौन-सी तक दोहराती हैं ?
उत्तर:
सहेलियों से मिलते समय स्त्रियाँ सौण वीर इक्ट्ठीयाँ करे। भादों चंदेरी विछोड़ पावे।। तुक दोहराती हैं।

(ख)
प्रश्न 1.
सावन के महीने में मौसम कैसा होता है ?
उत्तर:
सावन के महीने में मौसम बड़ा सुहावना होता है। वर्षा की बौछारें हृदय को आनन्दित करती हैं।

प्रश्न 2.
तीज का त्योहार स्त्रियाँ कैसे मनाती हैं ?
उत्तर:
तीज का त्योहार स्त्रियों का प्रमुख त्योहार है। विवाहित स्त्रियाँ झूला-झूलती है। नए कपड़े पहनती हैं। सजती संवरती है तथा अपनी सखियों से मन की बातें करती है।

प्रश्न 3.
आप रक्षा बन्धन कैसे मनाते हो ? अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
रक्षा बन्धन का त्योहार भाई बहनों का पवित्र त्योहार है। इस त्योहार का मुझे बहुत इंतजार रहता है। इस दिन मेरी बहिन मुझे राखी बाँधती है। माथे पर तिलक लगा कर मेरी लम्बी आयु की कामना करती है और मुझे आशीर्वाद देती है। मुझे मिठाई खिलाकर मेरा मुँह मीठा कराती है। मैं भी उसे चरण स्पर्श करता हूँ और उसको मिठाई खिलाता हूँ।

आत्म-बोध

1. ‘तीज’ के त्योहार पर गाए जाने वाले गीत को मिलकर गाएँ।
2. छात्र परस्पर भाईचारे की भावना रखें।
3. अन्य त्योहारों का महत्त्व भी जानें और उसे समझ कर प्रसन्नचित रहें।
उत्तर:
छात्र स्वयं प्रयास करें।

रचना-बोध

प्रश्न 1.
अपनी सहेली को पत्र द्वारा सूचित करें कि आपके परिवेश में तीज का त्योहार कैसे मनाया गया।
प्रश्न 2.
हमारे त्योहार या रक्षा बन्धन पर निबन्ध लिखें।
उत्तर:
प्रश्न 1 और 2 के उत्तर के लिए व्याकरण भाग में पत्र रचना तथा निबन्ध रचना भाग देखें।

प्रश्न 3.
देसी महीनों के नाम पता कर के लिखें।
उत्तर:
चैत्र, वैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भादों, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीष, पौष, माघ, फाल्गुन।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
तीज का त्योहार किस मास में मनाया जाता है ?
(क) सावन
(ख) भादो
(ग) कार्तिक
(घ) अश्विन
उत्तर:
(क) सावन

प्रश्न 2.
तीज का त्योहार किसको सम्मान देने का प्रतीक है ?
(क) मानव
(ख) माता
(ग) पिता
(घ) पुत्रवधू
उत्तर:
(घ) पुत्रवधू

प्रश्न 3.
तीज के आखिरी दिन क्या होता है ?
(क) रक्षा
(ख) बन्धन
(ग) रक्षाबन्धन
(घ) तीज।
उत्तर:
(ग) रक्षाबन्धन

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से गुणवाचक विशेषण का उदाहरण कौन-सा है ?
(क) सुहावना
(ख) पन्द्रह
(ग) दसवां
(घ) पहला
उत्तर:
(क) सुहावना

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है :
(क) अच्छा
(ख) बुरा
(ग) पाँचवां
(घ) सुंदर
उत्तर:
(ग) पाँचवां

प्रश्न 6.
निम्न में से गुणवाचक विशेषण का उदाहरण नहीं है :
(क) सफेद
(ख) तेज़
(ग) पंजाबी
(घ) दो
उत्तर:
(घ) दो

तीज Summary

तीज पाठ का सार

सावन मास के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन से तीज का त्योहार शुरू होता है। यह तेरह दिन तक चलता है। शिष्टाचार के नाते इसमें पुरुषों का प्रवेश निषिद्ध होता है। कुछ मनचले नौजवान लुक-छिप कर यह त्योहार देखने चले जाते हैं। आजकल तीज का मेला बड़े शहरों में एक-दो दिन के ‘झूला उत्सव’ तक सिमट कर रह गया है। तीज का त्योहार पुत्र वधू (बहू) को सम्मान देने का प्रतीक है। इस अवसर पर ससुराल की ओर से नये कपड़े, गहने और मिठाइयाँ भेजी जाती हैं। इसमें कुछ सजने-सँवरने का सामान भी होता है। झूलने के लिए एक बड़ी रस्सी तथा भतीजे-भतीजियों के लिए खिलौने भी भेजे जाते हैं। खिलौनों में एक गुड्डा और एक गुड़िया होती है। इस सारी सौगात को ‘संधारा’ कहा जाता है।

तीज का आखिरी दिन रक्षा बन्धन की शाम होती है। बहन भाई के राखी बाँधकर ‘सलूनों’ का शगुन मनाती है। राखी के अगले दिन भादों का महीना आरम्भ हो जाता है। विवाहित स्त्रियाँ ससुराल लौटती हैं। यह ‘तीआँ’ का त्योहार बनकर हर साल दिल को छू लेता है।

कठिन शब्दों के अर्थ:

प्रत्येक = हर एक। पक्ष = पखवाड़ा। उदय = निकलना। लोक पर्व = लोगों का त्योहार। सावन = श्रावण महीना। शिष्टाचार = अच्छा आचरण। वर्जित = निषिद्ध । प्रभाव = असर। पुत्र वधू = बहू। सम्मान = आदर। प्रतीक = चिह्न। अवसर = मौका। आभूषण = गहने। सौगात = उपहार, भेंट। बौछार = झोंका। शगुन = शुभ। तपस = गर्मी। मधुर = मीठे। विचित्र = अनोखी। विछोह = वियोग।