PSEB 11th Class English Solutions Chapter 1 Gender Bias

Punjab State Board PSEB 11th Class English Book Solutions Chapter 1 Gender Bias Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 English Chapter 1 Gender Bias

Short Answer Type Questions

Question 1.
What course was the author pursuing at the Indian Institute of Science, Bangalore ?
Answer:
Sudha Murthy, the author of this chapter, was very bright at studies. She was pursuing her M.Tech. course at the Indian Institute of Science in Bangalore. At that time, this institute was known as the Tata Institute. She was the only girl in her postgraduate department.

सुधा मूर्थी, इस अध्याय की लेखिका, पढ़ाई में बहुत होशियार थी। वह बेंगलौर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में अपना एम० टेक० का कोर्स कर रही थी। उस समय इस संस्थान को टाटा इंस्टिट्यूट के नाम से जाना जाता था। वह अपने पोस्टग्रैजुएट विभाग में एकमात्र लड़की थी।

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 1 Gender Bias

Question 2.
Where did the author want to complete a doctorate in computer science ?
Answer:
The author was pursuing her M.Tech. course at the Indian Institute of Science in Bangalore. She was doing there her master’s course in computer science. She also wanted to do doctorate in it. And she wanted to go abroad to complete her doctorate in computer science.

लेखिका बेंगलोर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में अपना एम० टेक० कोर्स कर रही थी। वह वहां कंप्यूटर साइंस में अपना पोस्टग्रैजुएट का कोर्स कर रही थी। वह इसमें डॉक्टरेट भी करना चाहती थी। वह कंप्यूटर साइंस में अपनी डॉक्टरेट की डिग्री पूरी करने के लिए विदेश जाना चाहती थी।

Question 3.
What advertisement did the author see on the noticeboard ?
Answer:
It was in 1974 when the author was pursuing her M. Tech. course at the Indian Institute of Science in Bangalore. She was then in the final year. One day, she saw an advertisement on the noticeboard. It was a standard job-requirement notice from the famous automobile company, Telco (now called Tata Motors).

यह वर्ष 1974 में तब हुआ जब लेखिका बेंगलोर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में अपना एम० टेक० का कोर्स कर रही थी। तब वह अंतिम वर्ष में थी। एक दिन उसने नोटिसबोर्ड पर एक विज्ञापन देखा। यह प्रसिद्ध कार-निर्माता कंपनी, टेल्को (जिसे आज टाटा मोटर्ज के नाम से जाना जाता है), द्वारा दिया गया नौकरी के विषय में एक मानक नोटिस था।

Question 4.
What was it in the advertisement that made the author very upset ?
Answer:
The advertisement was a standard job-requirement notice from the famous automobile company, Telco (now called Tata Motors). The author became very upset when she read a line in the advertisement. It said, “Lady candidates need not apply.”

वह विज्ञापन नौकरी के विषय में दिया गया मानक नोटिस था जो कि मोटर-कार बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी टेल्को (जिसे आज टाटा मोटर्ज के नाम से जाना जाता है), की तरफ से था। लेखिका ने जब विज्ञापन में एक पंक्ति पढ़ी तो वह दुःखी हो गई। इसमें कहा गया था, “स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।”

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Question 5.
Why did she write a postcard to Telco ?
Answer:
The famous automobile company, Telco, had given an advertisement about a standard job-requirement. In it, lady candidates were asked not to apply. Sudha became upset when she read it. She wrote a postcard to Telco to express her displeasure at the discrimination against women shown by Telco.

प्रसिद्ध कार-निर्माता कंपनी, टेल्को, ने नौकरी के विषय में एक मानक विज्ञापन दिया था। इसमें स्त्री उम्मीदवारों से प्रार्थना-पत्र न देने के लिए कहा गया था। सुधा विचलित हो गई जब उसने उस विज्ञापन को पढ़ा। उसने टेल्को द्वारा महिलाओं के विरुद्ध दिखाए गए भेदभाव पर अपनी अप्रसन्नता व्यक्त करने के लिए उस कंपनी को एक पोस्टकार्ड लिखा।

Question 6.
What telegram did the author receive from Telco ?
Answer:
The author had written a postcard to the automobile company, Telco, to express her displeasure at the discrimination against women shown by them. In its reply, she got a telegram from Telco. She was called to appear for an interview at Telco’s Pune office at the company’s expense.

लेखिका ने कार-निर्माता कम्पनी, टेल्को, द्वारा स्त्रियों के प्रति दिखाए गए भेदभाव के विरुद्ध अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए कंपनी को एक पोस्टकार्ड लिखा था। उसके जवाब में उसे टेल्को की ओर से एक डाक-तार प्राप्त हुई। उसे टेल्को के पुणे-स्थित कार्यालय में कम्पनी के खर्चे पर इंटरव्यू के लिए उपस्थित होने के लिए बुलाया गया था।

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Question 7.
Why did author’s hostelmates want her to go to Pune for the interview ?
Answer:
The author had received a telegram from the famous automobile company, Telco. She was called to appear for an interview at Telco’s Pune office at the company’s expense. So her hostelmates wanted her to use the opportunity to go to Pune free of cost and buy them the famous Pune sarees for cheap.

लेखिका को प्रसिद्ध कार-निर्माता कंपनी, टेल्को, की तरफ से एक डाक-तार प्राप्त हुई थी। उसे कंपनी के खर्च पर ही टेल्को के पुणे-स्थित कार्यालय में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। इसलिए छात्रावास में रहने वाली उसकी साथिनें चाहती थीं कि वह इस मौके का इस्तेमाल मुफ्त में पुणे जाने के लिए करे और उनके लिए पुणे की प्रसिद्ध साड़ियां सस्ते दामों पर खरीद लाए।

Question 8.
How many people were there on the interview panel ? What did the author realize ?
Answer:
There were six people on the interview panel. Then the author realized that it was a serious business. So before the interview, Sudha told the panel that she hoped that it was only a technical interview. The interview panel asked the author technical questions only.

इंटरव्यू में विशेषज्ञों के समूह में छः लोग थे। तब जाकर लेखिका को एहसास हुआ कि यह एक गंभीर मामला था। इसलिए इंटरव्यू से पहले ही सुधा ने विशेषज्ञों के समूह से कह दिया कि उसे आशा थी कि यह केवल एक तकनीकी (नाममात्र का) इंटरव्यू था। इंटरव्यू में विशेषज्ञों के समूह ने लेखिका से केवल तकनीकी प्रश्न ही पूछे।

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Question 9.
What did Sudha tell the panel before the interview ?
Answer:
When Sudha went for the interview at Telco’s Pune office, she saw there were six people on the panel. Then the author realized that it was a serious business. So before the interview, Sudha told the panel that she hoped it was only a technical interview.

जब सुधा इंटरव्यू के लिए टेल्को के पुणे-स्थित कार्यालय गई तो उसने देखा कि वहां विशेषज्ञों के समूह में छ: लोग थे। तब लेखिका को एहसास हुआ कि यह एक गंभीर मामला था। इसलिए इंटरव्यू से पहले ही सुधा ने विशेषज्ञों के समूह से कह दिया कि उसे उम्मीद थी कि यह सिर्फ एक तकनीकी इंटरव्यू था।

Question 10.
What type of questions was the author asked by the interview panel ?
Answer:
The panel asked Sudha technical questions only. One of the six people on the interview panel was an elderly gentleman. He talked to Sudha very affectionately. He told her why they had said ‘Lady candidates need not apply’. He told her that they had never employed any ladies on the shop floor of the company. “This is not a co-ed college; this is a factory,” he said.

विशेषज्ञों के समूह ने सुधा से सिर्फ तकनीकी प्रश्न ही पूछे। विशेषज्ञों के उस छ:-सदस्यीय समूह में एक वृद्ध भद्रपुरुष था। उसने सुधा से बड़े प्यार से बात की। उसने उसे बताया कि उन्होंने क्यों कहा था कि ‘स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है’। उसने उसे बताया कि उन्होंने कभी स्त्रियों को कंपनी के कारखाने में नौकरी नहीं दी थी। “यह एक सह-शिक्षा महाविद्यालय नहीं है; यह एक कारख़ाना है,” उसने कहा।

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Question 11.
When did Sudha first see Mr JRD Tata ?
Answer:
After joining Telco, Sudha did not get a chance to meet him till she was transferred to Mumbai. One day, she went to the chairman’s office. Suddenly Mr JRD too came there. It was the first time that she met Mr JRD Tata.

टेल्को कंपनी में शामिल होने के बाद सुधा को उससे मिलने का अवसर तब तक न मिल पाया जब तक कि उसका तबादला मुम्बई न हो गया। एक दिन वह चेयरमैन के कार्यालय में गई। अचानक मिस्टर जे० आर० डी० भी वहां आ गया। यह पहली बार था कि वह मिस्टर जे० आर० डी० टाटा से मिली थी।

Question 12.
What did Sumant Moolgaokar tell Mr JRD about Sudha ?
Answer:
One day, Sudha had to show some reports to the chairman, Mr Moolgaokar. She went to his office. Suddenly Mr JRD too came there. It was the first time that she met Mr JRD Tata. Mr Moolgaokar introduced her to Mr JRD saying, “She is the first woman to work on the Telco’s shop floor.”

एक दिन सुधा ने मिस्टर मूलगांवकर को कुछ रिपोर्ट दिखानी थीं। वह उसके कार्यालय में गई। अचानक मिस्टर जे० आर० डी० भी वहां आ गया। यह पहली बार था जब सुधा मिस्टर जे० आर० डी० से मिली थी। मिस्टर मूलगॉवकर ने यह कहते हुए उसे मिस्टर जे० आर० डी० टाटा से मिलवाया, “यह टेल्को के कारखाने में काम करने वाली पहली स्त्री है।”

Question 13.
How many girls are now studying in engineering colleges ?
Answer:
In 1974 when Sudha Murthy was pursuing her M.Tech. course at the Indian Institute of science, in Banglore, very few girls took engineering as their career. It was so because girls were not given jobs of engineers in the companies. But today, nearly 50 per cent of the students in engineering colleges are girls.

वर्ष 1974 में जब सुधा मूर्थी बेंगलोर में टाटा इंस्टिट्यूट में अपना एम० टेक० कोर्स कर रही थी, बहुत कम लड़कियां इंजीनियरिंग को अपना व्यवसाय बनाती थीं। ऐसा इसलिए था क्योंकि लड़कियों को कंपनियों में इंजीनियरों की नौकरियां नहीं दी जाती थीं। लेकिन आज इंजीनियरिंग कालजों में लगभग पचास प्रतिशत विद्यार्थी लड़कियां हैं।

Question 14.
What would the author want from life, if time stops ?
Answer:
Sudha Murthy was greatly impressed by Mr JRD Tata, the owner of the very famous automobile company, Telco (now Tata Motors). Sudha says that if time stops and asks her what she wants from life, she would say she wishes Mr Tata was alive today. He would have been very happy to see his company having made so much progress.

सुधा मूर्थी एक अत्यंत प्रसिद्ध कार-निर्माता कंपनी, टेल्को (जिसे अब टाटा मोटर्स कहा जाता है), के मालिक, मिस्टर जे० आर० डी० टाटा, से अत्यंत प्रभावित हुई। सुधा का कहना है कि यदि समय रुक जाए और उससे पूछे कि वह जीवन से क्या चाहती है, तो वह कहेगी कि उसकी कामना है कि काश, मिस्टर. टाटा आज जीवित होते। वह यह देख कर अत्यंत प्रसन्न होते कि उनकी कंपनी ने कितनी उन्नति कर ली है।

Question 15.
Describe Sudha’s life as a student at the Indian Institute of Science, Bangalore.
Answer:
Sudha was doing her master’s course in computer science at the Indian Institute of Science in Bangalore. She was a bright student. She was the only girl in her postgraduate department. She was very bold and idealistic. Her life was full of fun and joy.

सुधा बेंगलोर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में कम्प्यूटर साइंस में अपना मास्टर्ज़ कोर्स कर रही थी। वह एक होशियार विद्यार्थी थी। वह अपने पोस्टग्रैजुएट विभाग में अकेली लड़की थी। वह बहुत ही साहसी और आदर्शवादी थी। उसकी जिंदगी मौज-मस्ती से भरपूर थी।

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Question 16.
Why did Sudha want to go abroad ?
Answer:
Sudha was a bright student. She had been offered scholarship from universities in the U.S. and she didn’t want to take up any job in India. So after completing her master’s course in computer science, she was looking forward to going abroad. There she wanted to complete her doctorate in computer science.

सुधा एक होशियार विद्यार्थी थी। उसे अमरीका के विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रवृत्ति का प्रस्ताव दिया गया था और वह भारत में कोई नौकरी नहीं करना चाहती थी। इसलिए कम्प्यूटर साइंस में अपना मास्टर्स कोर्स पूरा करने के पश्चात् वह विदेश जाने के लिए उत्सुकता से इंतज़ार कर रही थी। वहां वह कम्प्यूटर साइंस में अपनी डॉक्टरेट पूरी करना चाहती थी।

Question 17.
Why did Sudha write a postcard to Telco ? And what did she receive in reply from the company ?
Answer:
Sudha wrote a postcard to Telco because she wanted to express her displeasure at the discrimination against women shown by the famous automobile company. In reply to that letter, Sudha received a telegram from Telco. She was called to appear for an inteview at Telco’s Pune office at the company’s expense.

सुधा ने टेल्को कम्पनी को एक पत्र लिखा क्योंकि वह मोटर-कार बनाने वाली उस प्रसिद्ध कम्पनी के द्वारा स्त्रियों के प्रति दिखाए गए भेदभाव के विरुद्ध अपनी नाराजगी व्यक्त करना चाहती थी। उस पत्र के जवाब में सुधा को टेल्को कम्पनी की ओर से एक डाक-तार प्राप्त हुई। उसे टेल्को के पुणे-स्थित कार्यालय में कम्पनी के खर्चे पर इंटरव्यू के लिए उपस्थित होने के लिए बुलाया गया था।

Question 18.
What was the reason given by the elderly man for not employing women in Telco ?
Answer:
The elderly gentleman talked to Sudha very affectionately. He told her why they had said ‘Lady candidates need not apply’. He told her that they had never employed any ladies on the shop floor of the company. “This is not a co-ed college; this is a factory,” he said.

उस वृद्ध भद्रपुरुष ने सुधा से बड़े प्यार से बात की। उसने उसे बताया कि उन्होंने क्यों कहा था कि ‘स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है। उसने उसे बताया कि उन्होंने कभी स्त्रियों को कंपनी के कारख़ाने में नौकरी नहीं दी थी। “यह एक सह-शिक्षा महाविद्यालय नहीं है; यह एक कारख़ाना है,” उसने कहा।

Question 19.
What did the writer see as a challenge ? What did she decide to do and why?
Answer:
To apply for the job which was not considered applicable for women by the Telco company was a challenge for the writer. She decided to write to the topmost person in Telco’s management. She wanted to inform him about the injustice being perpetrated by the company.

उस नौकरी के लिए आवेदन करना जिसे टेल्को कंपनी द्वारा स्त्रियों के लिए उपयुक्त नहीं समझा जाता था, लेखिका के लिए एक चुनौती थी। उसने टेल्को के प्रबंधन वर्ग के सर्वोच्च व्यक्ति को एक पत्र लिखने का निश्चय किया। वह उसे उस अन्याय के बारे में सूचित करना चाहती थी, जो कंपनी के द्वारा किया जा रहा था।

Question 20.
What did she write in the letter to Telco company ?
Answer:
In the postcard, she wrote that the great Tatas not only started the basic infrastructure industries in India, but also established the Indian Institute of Science. But she was surprised to find Telco discriminating on the basis of gender.

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पोस्टकार्ड में उसने लिखा कि महान् टाटा परिवार के लोगों ने न सिर्फ भारत में बुनियादी ढांचागत उद्योगों की शुरुआत की, बल्कि इंडियन इंस्टियूट ऑफ साइंस की स्थापना भी की। उसे यह देख कर बड़ी हैरानी हुई थी कि टेल्को लिंग के आधार पर भेदभाव कर रही थी।

Long Answer Type Questions

Question 1.
Describe Sudha’s life as a student at the Indian Institute of Science, Bangalore.
Answer:
Sudha was doing her master’s course in computer science at the Indian Institute of Science in Bangalore. At that time, this institute was known as the Tata Institute. It was a co-ed college. Sudha stayed at the ladies hostel in Bangalore. Sudha was a bright student.

She was the only girl in her postgraduate department. Other girls in the institute were pursuing research in different departments of science . Sudha was very bold and idealistic. Her life was full of fun and joy.

She did not know what helplessness or injustice meant till she came to know about the gender bias prevalent in the society. Her one move against this bias brought a great change in the policy of the famous automobile company named Telco (Tata Motors). Telco company started giving work to women also on its shop floor.

सुधा बेंगलोर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में कम्प्यूटर साइंस में अपना मास्टर्ज कोर्स कर रही थी। उस समय यह संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट के नाम से जाना जाता था। यह एक सह-शिक्षा कालेज था। सुधा बेंगलोर में लड़कियों के छात्रावास में रहती थी। सुधा एक होशियार विद्यार्थी थी। वह अपने पोस्टग्रैजुएट विभाग में अकेली लड़की थी। उस संस्थान में अन्य लड़कियां विज्ञान के विभिन्न विभागों में खोज-कार्य में पढ़ाई कर रही थीं।

सुधा बहुत ही साहसी और आदर्शवादी थी। उसकी जिंदगी मौज-मस्ती से भरपूर थी। वह तब तक नहीं जानती थी कि लाचारी तथा अन्याय का क्या अर्थ था जब तक कि उसे समाज में फैले लिंग भेदभाव के बारे में पता न चला। इस भेदभाव के विरुद्ध उसकी एक चेष्टा ने टेल्को (टाटा मोटर्स) नाम की एक सुप्रसिद्ध कार-निर्माता कम्पनी की नीति में एक बड़ा बदलाव ला दिया। टेल्को कम्पनी ने अपने कारखाने में औरतों को भी काम पर रखना शुरू कर दिया।

Question 2.
What were Sudha’s plans after completing her master’s course in computer science ?
Answer:
Sudha was an intelligent student. She was pursuing her M.Tech. course at the Indian Institute of Science in Bangalore. She was in the final year of her M.Tech. course. She was the only girl in her postgraduate department. She was very bright at studies.

She had always been excellent in academics and in M.Tech. she had done better than most of her male classmates. She had been offered scholarship from universities in the U.S. and she didn’t want to take up any job in India.

So after completing her master’s course in computer science, she was looking forward to going abroad. She wanted to go abroad to study for her doctorate in computer science. But there was something different in store for her. An incident changed her decision of going abroad for further studies and also starting her career there. She got a job in the famous automobile company, Telco, in Pune.

सुधा एक होशियार विद्यार्थी थी। वह बेंगलोर में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में अपने एम० टेक० कोर्स की पढ़ाई कर रही थी। वह एम० टेक० कोर्स के अंतिम वर्ष में थी। अपने पोस्टग्रैजुएट विभाग में वह अकेली लड़की थी। वह पढ़ाई में बहुत होशियार थी। वह पढ़ाई में सदा ही अति उत्तम रही थी और एम० टेक० में उसने अपने अधिकतर पुरुष सहपाठियों के मुकाबले बेहतर किया था।

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उसे अमरीका के विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रवृत्ति का प्रस्ताव दिया गया था और वह भारत में नौकरी नहीं करना चाहती थी। इसलिए कम्प्यूटर साइंस में अपना मास्टर्ज़ कोर्स पूरा करने के पश्चात् वह विदेश जाने के लिए उत्सुकता से इंतज़ार कर रही थी। वह कम्प्यूटर साइंस में अपनी डॉक्टरेट पूरी करने के लिए विदेश जाना चाहती थी। परन्तु उसके भाग्य में कुछ और ही लिखा था। एक घटना ने उसके आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने और वहीं अपना काम करने के निश्चय को बदल दिया। उसे पुणे में सुप्रसिद्ध कम्पनी टैल्को में एक नौकरी मिल गई।

Question 3.
Why did Sudha become angry after reading the job advertisement from the automobile company, Telco ?
Answer:
There was a small line at the bottom of the job advertisement from the famous company, Telco. It said, “Lady candidates need not apply.” Sudha was shocked to read this. She was surprised how a company such as Telco was discriminating on the basis of gender.

She grew so angry that she decided to write to the topmost person in Telco’s management. She wanted to inform him about the injustice being perpetrated by the company. And she wrote a letter to Mr JRD Tata, expressing her displeasure at the discrimination against women. She took it as a challenge to apply for the job which was not considered applicable for women by the Telco company.

मोटर-कार बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी, टेल्को, के द्वारा दिए गए नौकरी के विज्ञापन में सबसे नीचे एक लाइन थी। इसमें कहा गया था : “स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।” सुधा को इसे पढ़कर झटका लगा। उसे हैरानी हुई कि टेल्को जैसी एक कंपनी किस तरह लिंग के आधार पर भेदभाव कर रही थी। वह इतनी क्रोधित हो उठी कि उसने टेल्को के प्रबंधन-वर्ग के शिखर पर बैठे व्यक्ति को पत्र लिखने का निश्चय किया।

वह उसे उस अन्याय के बारे में सचित करना चाहती थी जो कम्पनी कर रही थी। और उसने स्त्रियों के प्रति भेदभाव पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मिस्टर जे० आर० डी० टाटा को एक पत्र लिख दिया। उसने उस नौकरी के लिए आवेदन भेजने को जिसे टेल्को कंपनी द्वारा स्त्रियों के लिए उपयुक्त नहीं समझा जाता था, एक चुनौती के रूप में लिया।

Question 4.
What was the reason given by the elderly man for not employing women in Telco ?
Answer:
When Sudha went for the interview at Telco’s Pune office, there were six people on the panel. One of them was an elderly gentleman. He talked to Sudha very affectionately. He told her why they had said ‘Lady candidates need not apply’.

He told her that they had never employed any ladies on the shop floor of the company. “This is not a co-ed college; this is a factory,” he said to Sudha. He appreciated Sudha for being first ranker throughout her academics. That elderly gentleman said to Sudha that bright people like her should work in research laboratories.

जब सुधा इंटरव्यू के लिए टेल्को के पुणे-स्थित कार्यालय गई तो वहां विशेषज्ञों के समूह में छः लोग थे। उनमें से एक वृद्ध भद्रपुरुष था। उसने सुधा से बड़े प्यार से बात की। उसने उसे बताया कि उन्होंने क्यों कहा था कि ‘स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है’।

उसने उसे बताया कि उन्होंने कभी किसी स्त्री को कंपनी के कारखाने में नौकरी नहीं दी थी। “यह एक सह-शिक्षा महाविद्यालय नहीं है; यह एक कारख़ाना है,” उसने सुधा से कहा।उसने शिक्षा में पूरे समय के दौरान सदैव प्रथम आने के लिए सुधा की प्रशंसा की। इस वृद्ध भले आदमी ने सुधा से कहा कि उसके जैसे बुद्धिमान लोगों को खोज-कार्य करने वाली प्रयोगशालाओं में काम करना चाहिए।

Question 5.
When did Sudha come to know who Mr JRD Tata was ? When did she happen to meet him ?
Answer:
It was only after joining Telco that Sudha came to know who Mr JRD Tata was. He was the uncrowned king of Indian industry. However, she did not get to meet him till she was transferred to Bombay. One day, she went to the chairman’s office to show some reports.

Mr Moolgaokar was the chairman of the company. When Sudha was showing Mr Moolgaokar the reports, suddenly, Mr JRD too came there. It was the first time that she met Mr JRD Tata. On seeing Mr JRD Tata all of a sudden before her, Sudha became very nervous, remembering her postcard episode.

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But Mr Moolgaokar introduced her very nicely to Mr JRD Tata. He said, “Jeh, this young woman is an engineer and that too a postgraduate. She is the first woman to work on the Telco shop floor.

यह टेल्को कंपनी में शामिल होने के बाद ही था कि सुधा को पता चला कि मिस्टर जे० आर० डी० टाटा कौन था। वह भारतीय उद्योग का बेताज बादशाह था। लेकिन उसको उसे मिलने का अवसर तब तक न मिल पाया जब तक कि उसका तबादला बंबई न हो गया। एक दिन वह चेयरमैन के कार्यालय में कुछ रिपोर्ट दिखाने के लिए गई थी।

मिस्टर मूलगावकर कम्पनी का चेयरमैन था। जब सुधा मिस्टर मूलगावकर को रिपोर्ट दिखा रही थी, अचानक मि० जे० आर० डी० भी वहां आ गया। यह पहली बार था कि वह मिस्टर जे० आर० डी० टाटा से मिली थी। मिस्टर जे० आर० डी० टाटा को अचानक अपने सामने आया देख कर सुधा को घबराहट होने लगी, अपनी उस पोस्टकार्ड वाली घटना को याद करके। परन्तु मिस्टर मूलगावकर ने मिस्टर जे० आर० डी० टाटा से उसका परिचय बहुत अच्छे ढंग से करवाया।

उसने कहा, “जेह, यह नौजवान स्त्री एक इंजीनियर है और वह भी एक पोस्टग्रैजुएट। यह टैल्को के कारखाने में काम करने वाली पहली स्त्री है।” ..

Question 6.
What was written in the job advertisement from a famous automobile company that the writer got shocked ? What did she do and what was the result ?
Answer:
There was a small line at the bottom of the job advertisement from the famous company, Telco. It said, “Lady candidates need not apply.” Sudha was shocked to read this. She was surprised how a company such as Telco was discriminating on the basis of gender.

She grew so angry that she wrote a letter to Mr JRD Tata, expressing her displeasure at the discrimination against women. In response to her letter, Sudha received a telegram from the Telco. She was called to appear for an interview at Telco’s Pune office at the company’s expense.

मोटर-कार बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी, टेल्को, के द्वारा दिए गए नौकरी के विज्ञापन में सबसे नीचे एक लाइन थी। इसमें कहा गया था : “स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।”सुधा को इसे पढ़कर झटका लगा। उसे हैरानी हुई कि टेल्को जैसी कोई कंपनी किस तरह लिंग के आधार पर भेदभाव कर रही थी।

वह इतनी क्रोधित हो गई कि उसने स्त्रियों के प्रति भेदभाव पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मिस्टर जे० आर० डी० टाटा को एक पत्र लिख दिया। उस पत्र के उत्तर में सुधा को टेल्को कंपनी की ओर से एक डाक-तार प्राप्त हुआ। उसे टेल्को के पुणे-स्थित कार्यालय के ही खर्चे पर इंटरव्यू के लिए हाज़िर होने के लिए बुलाया गया था।

Question 7.
What happened when Sudha went for the interview at Telco’s Pune office ? How many people were there on the interview panel ? What did the author realize ?
Answer:
When Sudha went for the interview at Telco’s Pune office, she saw there were six people on the panel. Then the author realized that it was a serious business. So before the interview, Sudha told the panel that she hoped it was only a technical interview.

And the panel asked Sudha technical questions only. One of the six people on the interview panel was an elderly gentleman. He talked to Sudha very affectionately. He told her why they had said ‘Lady candidates need not apply’. He told her that they had never employed any ladies on the shop floor of the company. “This is not a co-ed college; this is a factory,” he said.

जब सुधा इंटरव्यू के लिए टेल्को के पुणे-स्थित कार्यालय गई, तो उसने देखा कि वहां विशेषज्ञों के समूह में छ: लोग थे। तभी लेखिका को अहसास हुआ कि यह एक गंभीर मामला था। इसलिए इंटरव्यू से पहले ही सुधा ने विशेषज्ञों के समूह से कह दिया कि उसे उम्मीद थी कि यह सिर्फ एक तकनीकी इंटरव्यू था।

और विशेषज्ञों के समूह ने भी सुधा से सिर्फ तकनीकी प्रश्न ही पूछे। विशेषज्ञों के समूह में एक वृद्ध भद्रपुरुष था। उसने सुधा से बड़े प्यार से बात की। उसने उसे बताया कि उन्होंने क्यों कहा था कि ‘स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है’। उसने उसे बताया कि उन्होंने कभी स्त्रियों को कंपनी के कारखाने में नौकरी नहीं दी थी। “यह एक सहशिक्षा महाविद्यालय नहीं है; यह एक कारख़ाना है,” उसने कहा।

Objective Type Questions

Question 1.
Name the writer of the chapter, ‘Gender Bias’.
Answer:
Sudha Murthy.

Question 2.
What was the writer doing at the Indian Institute of Science in Bangalore ?
Answer:
She was doing her master’s course in computer science.

Question 3.
Where did the writer want to do a doctorate in computer science ?
Answer:
In a foreign country.

Question 4.
What did the writer see as a challenge ?
Answer:
To apply for the job which was not considered suitable for women by the Telco Company.

Question 5.
Who was Mr Sumant Moolgaokar ?
Answer:
The chairman of Telco Company.

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Question 6.
Who did the writer address her postcard to ?
Answer:
To Mr JRD Tata, the owner of Tata Industries.

Question 7.
Who started the basic infrastructure industries in India ?
Answer:
The great Tatas.

Question 8.
What did the writer receive from Telco ?
Answer:
A telegram to appear for an interview at Telco’s Pune office.

Question 9.
How many people were there on the interview panel ?
Answer:
Six.

Question 10.
What type of questions was the writer asked by the interview panel ?
Answer:
Technical questions.

Question 11.
In which company did the writer get a job in Pune ?
Answer:
In the famous automobile company, Telco.

Question 12.
Where did the writer see Mr JRD Tata for the first time?
Answer:
In Mr Moolgaokar’s office.

Vocabulary And Grammar

1. Match the words under column A with their meanings under column B :

A — B
1. opportunity — educational
2. bias — loving
3. pursue — Part
4. academic — luckily
5. fortunately — anxious
6. affectionate — afraid
7. scared — continue with
8. nervous — prejudice
9. segment — rude
10. impolite — chance
Answer:
1. opportunity = chance;
2. bias = prejudice;
3. pursue = continue with;
4. academic = educational;
5. fortunately = luckily;
6. affectionate = loving;
7. scared = afraid;
8. nervous = anxious;
9. segment = part;
10. impolite = rude.

2. Form nouns from the following words :

Word — Noun
1. long — length
2. know — knowledge
3. apply — application
4. decide — decision
5. collect — collection
6. advertise — advertisement
7. receive — receipt
8. affectionate — affection
9. marry — marriage
10. young — youth

3. Fill in each blank with a suitable preposition :

1. Life was full …………. fun and joy.
2. I was looking forward …………… going abroad.
3. She saw an advertisement …………… the notice board.
4. Sudha fell …………. love with the beautiful city.
5. She had done better than most …………. her male peers.
Answer:
1. of
2. to
3. on
4. in
5. of.

4. Fill in the blanks with the correct form of the verbs given in the brackets :

1. The workers ………… (go) on strike. (Present Perfect Tense)
2. Children ………. (play) in the park. (Present Continuous Tense)
3. Hard work ………. (bring) success. (Simple Present)
4. He ……….. (reach) the ground before the match started. (Past Perfect Tense)
5. She ………. (stay) here till Sunday. (Future Continuous Tense)
Answer:
1. have gone
2. are playing
3. brings
4. had reached
5. will be staying.

5. Use each of the following words as a noun and a verb :

book, challenge, interview, iron, change.
Answer:
1. Book (noun) – I have read this book.
(verb) — Have you booked your passage to London ?

2. Challenge (noun) — The role of Milkha Singh was the-biggest challenge for his acting career.
(verb) – Mohan challenged me to a game of chess.

3. Interview (noun) — He has an interview next week for the manager’s job.
(verb) – Which post are you being interviewed for ?

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4. Iron (noun) — Iron is a useful metal.
(verb) – Iron your clothes.

5. Change (noun) — Change is the law of nature.
(verb) — He has changed his programme.

Gender Bias Summary & Translation in English

Gender Bias Summary in English

In this essay, the writer Sudha Murthy describes how she got a job which had been advertised only for men. It was in 1974. Sudha Murthy was in the final year of her M.Tech. course at the Indian Institute of Science in Bangalore.

At that time, this institute was known as the Tata Institute. It was a co-ed college. Sudha stayed at the ladies’ hostel in Bangalore. She was very bright at studies. She was the only girl in her postgraduate department.

Sudha wanted to go abroad to study for her doctorate in computer science. In fact, she was offered scholarship from universities in the U.S. Moreover, she had not thought of taking up any job in India. But there was something different in store for her.

One day, she saw an advertisement on the noticeboard of her college. It was about a job requirement from the famous automobile company named Telco, which is now known as Tata Motors. The company required young and hard-working engineers with an excellent academic background.

But Sudha became very upset when she read a line at the bottom of the advertisement. It said : “Lady candidates need not apply.” She was quite surprised to find such a big company discriminating on the basis of gender.

Though Sudha was not at all interested in getting that job, she took it as a challenge. She had always been par excellence in academics and in M.Tech. She had done better than most of her male classmates. So she decided to apply for the job and also inform the highest official in Telco’s management about the injustice that Telco company was doing. But there was a problem. Sudha didn’t know who headed Telco.

She had seen the pictures of Mr JRD Tata in newspapers and magazines. So she thought Mr JRD Tata was the head of the Tata Group. But, in fact, Sumant Moolgaokar was the chairman of the company at that time. However, Sudha wrote a letter to Mr JRD Tata, saying, “The great Tatas have always been pioneers.

They started the basic infrastructure industries in India. They cared for higher education in India and so they established the Indian Institute of Science in Bangalore.” She further wrote, “Fortunately, I study in this institute. But I am shocked to find such a huge company Telco discriminating on the basis of gender.”

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About ten days after posting the letter, Sudha received a telegram from Telco. She was asked to appear for an interview at Telco’s Pune office. She was called there at the company’s expense. It was a big surprise for Sudha. She was not at all prepared for this. But her hostel mates asked her to make use of the opportunity of going to Pune free of cost.

They also asked her to buy them famous Pune sarees for cheap. And each girl who wanted a Pune sari paid its price to Sudha in advance. When Sudha reached Pune, she went to Telco’s Pimpri office as directed. There she was to appear for the interview. On the interview panel, there were six people. As Sudha entered the room, she heard a whisper, “This is the girl who wrote to Mr JRD.” It made Sudha sure

that she would not get this job. This realization abolished all fears from her mind and she became rather cool during the interview. Even before the interview started, she had the opinion that the panel was still biased on the basis of gender. So she said to the panel, “I hope this is only a technical interview.” They were taken aback at her rudeness. However, they asked her technical questions. And Sudha gave right answers to all the questions.

Then an elderly gentleman of the panel asked her very affectionately, “Do you know why we said lady candidates need not apply?” He told her that they had never before employed any ladies on the shop floor. He further said, “This is not a co-ed college; this is a factory.”

At this Sudha said, “But you must start somewhere, otherwise no woman will ever be able to work in your factories.” Finally, Sudha remained successful in the interview and got a job in Pune.

After joining Telco, now Sudha realized who Mr JRD was : the uncrowned king of Indian industry. However, she couldn’t meet Mr JRD till she was transferred to Mumbai. One day, Sudha had to show some reports to the chairman, Mr Moolgaokar.

She went to his office. Suddenly Mr JRD too came there. It was the first time that she met Mr JRD Tata. Mr Moolgaokar introduced her to Mr JRD saying, “She is the first woman to work on the Telco’s shop floor.”

Gender Bias Translation in English

Sudha Murthy (b. 1950,) is a well-known social worker and author. She is renowned for her noble mission of providing computer and library facilities in all government schools of Karnataka. Her stories deal with the lives of common people and social issues.

After a degree in electrical engineering from Hubli, Sudha Murthy went on to do an M. Tech. in computer Science from Indian Institute of Science, Bangalore. In 2006, she was a warded the Padma Shri. She is the chairperson

of Infosys Foundation and has successfully implemented various projects relating to poverty alleviationfi, education and health. This essay is an extract from the collection of Stories, ‘How I Taught My Grandmother to Read’.

The book is a collection of twenty-five heart-warming stories from the life of the author, Sudha Murthy. In this particular essay, the writer describes how she applied for and got a job that had been advertised solely for men. When she was in the final year of the M. Tech course at the Indian Institute of Science in Bangalore, Sudha Murthy came across an advertisement for a job at Telco in Pune. What caught her attention with regard to the advertisement was the line‘Lady candidates need not apply.

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She not only applied for the job, taking it as a challenge, but also wrote a postcard to Mr JRD Tata conveying her displeasure at the discrimination against women.Sudha Murthy was surprised to be called for the interview. She was sure she would not be selected and hence was cool.

At the interview, she was told that women were not selected as they would find it difficult to work on the shop floor. However, this did not deter Sudha Murthy and she said that a beginning had to be made sometimes and somewhere.

Sudha Murthy was offered the job. Later, she met Mr JRD Tata, who said that he was happy that women were becoming engineers. Thanks to the perseverance of Sudha Murthy, women engineers have become very common in todays world and are employed in factories. It was long time ago. I was young and bright, bold and idealistic. I was in the

final year of my master’s course in computer science at the Indian Institute of Science [IISc] in Bangalore, then known as the Tata Institute. Life was full of fun and joy. I did not know what helplessness or injustice meant. It was probably the April of 1974.

Bangalore was getting warm and gulmohars were blooming at the IISc campus. I was the only girl in my postgraduate department and was staying at the ladies’ hostel. Other girls were pursuing research in different departments of science. I was looking forward to going abroad to complete a doctorate in computer science.

I had been offered scholarship from universities in the U.S. I had not thought of taking up a job in India. One day, while on the way to my hostel from our lecture-hall complex, I saw an advertisement on the notice board. It was a standard job-requirement notice from the famous automobile company Telco (now Tata Motors).

It stated that the company required young, bright engineers, hard working and with an excellent academic background, etc. At the bottom was a small line : “Lady candidates need not apply.” I read it and was very upset. For the first time in life I was up against gender discrimination.

Though I was not keen on taking up the job, I saw it as a challenge. I had done extremely well in academics, better than most of my male peers . Little did I know then that in real life

started to write, but there was a problem : I did not know who headed Telco ! I thought it must be one of the Tatas, I knew Mr JRD Tata was the head of the Tata Group; I had seen his pictures in newspapers. (Actually, Sumant Moolgaokar was the company’s chairman then.)

I took the card, addressed it to Mr JRD and started writing. To this day I remember clearly what I wrote. “The great Tatas have always been pioneers.

They are the people who started the basic infrastructure industries in India, such as iron and steel, chemicals, textiles and locomotives’. They have cared for higher education in India since 1900 and they were responsible for the establishment of the Indian Institute of Science.

Fortunately, I study there. But I am surprised how a company such as Telco is discriminating on the basis of gender.” I posted the letter and forgot about it. Less than 10 days later, I received a telegram stating that I had to appear for an interview at Telco’s Pune office at the company’s expense. I was taken aback by the telegram.

My hostelmates told me I should use the opportunity to go to Pune free of cost and buy them the famous Pune saris for cheap. I collected Rs. 30 each from everyone who wanted a sari. When I look back, I feel like laughing at the reasons for my going, but back then they seemed good enough to make the trip. It was my first visit to Pune and I immediately fell in love with the city.

To this day it remains dear to me. I feel as much at home in Pune as I do in Hubli, my hometown. The place changed my life in so many ways. As directed, I went to Telco’s Pimpri office for the interview. There were six people

the panel and I realized then that this was a serious business.“This is the girl who wrote to Mr JRD,” I heard somebody whisper as soon as I entered the room. By then I knew for sure that I would not get the job. The realization abolished all fear from my mind, so I was rather cool while the interview was being conducted. Even before the interview started, I reckoned the panel was biased, so I told them, rather impolitely, “I hope this is only a technical interview.”

They were taken aback by my rudeness, and even today I am ashamed about my attitude6. The panel asked me technical questions and I answered all of them. Then an elderly gentleman with an affectionate voice told me, “Do you know why we said lady candidates need not apply ? The reason is that we have never employed any ladies on the shop floor.

This is not a co-ed college; this is a factory. When it comes to academics, you are a first ranker throughout. We appreciate that, but people like you should work in research laboratories.”

I was a young girl from a small town, Hubli. My world had been a limited place. I did not know the ways of large corporate houses and their difficulties, so I answered, “But you must start somewhere, otherwise no woman will ever be able to work in your factories.” Finally, after a long interview, I was told I had been successful. So this was what the

future had in store for me. Never had I thought I would take up a job in Pune. I met a shy young man from Karnataka there, we became good friends and we got married. It was only after joining Telco that I realized who Mr JRD was : the uncrowned king of Indian industry. Now I was scared’, but I did not get to meet him till I was transferred to Bombay. One day I had to show some reports to Mr Moolgaokar, our chairman, who we all knew as SM.

I was in his office on the first floor of Bombay House when, suddenly Mr JRD walked in . That was the first time I saw “appro JRD”. ‘Appro’ means “our” in Gujarati. This was the affectionate term by which people at Bombay House called him. I was feeling very nervous, remembering my postcard episode.

SM introduced me nicely, “Jeh (that’s what his close associates called him), this young woman is an engineer and that too a postgraduate. She is the first woman to work on the Telco shop floor.” Mr JRD looked at me. I was praying he would not ask me any question about my interview (or the postcard that preceded9 it).

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Close to 50 percent of the students in todays engineering colleges are girls. And there are women on the shop floor in many industry segments. I see these changes and I think of Mr JRD. If at all time stops and asks me what I want from life, I would say I wish Mr JRD were alive today to see how the company he started has grown. He would have enjoyed it wholeheartedly.

Gender Bias Summary & Translation in Hindi

Gender Bias Summary in Hindi

पाठ का विस्तृत सार इस लेख में लेखिका, सुधा मूर्ती, वर्णन करती है कि किस तरह उसने एक ऐसी नौकरी प्राप्त की जिसका विज्ञापन केवल पुरुषों के लिए ही दिया गया था। यह 1974 का समय था। वह बेंगलोर में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में अपने एम० टेक० कोर्स के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी।

उस समय यह संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट के नाम से जाना जाता था। यह एक सह-शिक्षा महाविद्यालय था। सुधा बेंगलोर में लड़कियों के हॉस्टल में रहती थी। वह पढ़ाई में बहुत होशियार थी। अपने पोस्टग्रैजुएट विभाग में वह एकमात्र लड़की थी। सुधा कम्प्यूटर साइंस में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाना चाहती थी।

वास्तव में उसे अमरीका के विश्वविद्यालयों की तरफ से छात्रवृत्ति का प्रस्ताव दिया गया था। इसके अलावा उसने कभी भी भारत में नौकरी करने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन भाग्य में तो उसके लिए कुछ और ही लिखा था। एक दिन उसने अपने महाविद्यालय के नोटिस बोर्ड पर एक विज्ञापन देखा। यह नौकरी के लिए आवश्यकता के बारे में था जो कि मोटर-कार बनाने वाली टेल्को नाम की एक प्रसिद्ध कंपनी, जिसे आजकल टाटा मोटर्ज के नाम से जाना जाता है, की तरफ से था।

कंपनी को उत्तम शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले नौजवान तथा परिश्रमी इंजीनियरों की जरूरत थी। लेकिन जब सुधा ने सबसे नीचे लिखी एक पंक्ति पढ़ी तो वह दुःखी हो गई। इसमें कहा गया था : “स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।” इस प्रकार की बड़ी कंपनी को लिंग के आधार पर पक्षपात करते हुए देखकर उसे अचंभा हुआ। यद्यपि सुधा को उस नौकरी में बिल्कुल भी रुचि न थी, फिर भी उसने इसे एक चुनौती की भांति लिया।

वह पढ़ाई-लिखाई में हमेशा ही सर्वश्रेष्ठ रही थी और एम० टेक० में उसने अपने अधिकतर पुरुष सहपाठियों की अपेक्षा बेहतर किया था। इसलिए उसने नौकरी के लिए आवेदन करने तथा टेल्को के प्रशासन में सर्वोच्च अधिकारी को उस अन्याय के बारे में सूचित करने का भी फैसला किया जो कि टेल्को कंपनी कर रही थी। किंतु एक समस्या थी।

सुधा नहीं जानती थी कि टेल्को का मुखिया कौन था। उसने मिस्टर जे० आर० डी० टाटा की तस्वीरें समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में देखी थीं। इसलिए उसने सोचा कि मिस्टर जे० आर० डी० टाटा ही टाटा समूह का मुखिया था। लेकिन वास्तव में उस समय सुमंत मूलगांवकर कंपनी का चेयरमैन था। फिर भी सुधा ने यह कहते हुए मिस्टर जे० आर० डी० टाटा को एक पत्र लिखा, “महान टाटा परिवार के लोग हमेशा ही मार्ग प्रशस्त करने वाले रहे हैं।

उन्होंने भारत में बुनियादी ढांचागत उद्योगों की शुरुआत की। उन्होंने भारत में उच्च शिक्षा के बारे में चिंता की और इसलिए उन्होंने बेंगलोर में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना की।” उसने आगे लिखा, “सौभाग्यवश, मैं इसी संस्थान में पढ़ती हूं। परंतु मुझे यह देखकर झटका लगा है कि टेल्को जैसी कंपनी लिंग के आधार पर भेदभाव कर रही है।”

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पत्र भेजने के करीब दस दिन बाद सुधा को टेल्को की तरफ से एक डाकतार प्राप्त हुई। उसे टेल्को के पुणे वाले कार्यालय में इंटरव्यू के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया था। उसे वहां कंपनी के खर्चे पर बुलाया गया था। यह सुधा के लिए बड़े अचंभे की बात थी। वह इसके लिए कतई तैयार नहीं थी। लेकिन उसके हॉस्टल के साथियों ने उसे कहा कि उसे मुफ्त में पुणे घूमने जाने के अवसर का फायदा उठाना चाहिए। उन्होंने उसे उन्हें प्रसिद्ध पुणे साड़ियां भी सस्ते दाम पर खरीद कर ला देने को कहा। तथा प्रत्येक लड़की, जो कि पुणे साड़ी लेना चाहती थी, ने इसके पैसे सुधा को पेशागी दे दिए।

सुधा जब पुणे पहुँची तो वह टेल्को के पिंपरी कार्यालय गई जैसा कि उसे कहा गया था। वहां उसे इंटरव्यू देना था। इंटरव्यू के लिए विशेषज्ञों के समूह में छः लोग थे। जैसे ही सुधा ने कमरे में प्रवेश किया, उसने एक फुसफुसाहट सुनी, “यह वही लड़की है जिसने मिस्टर जे० आर० डी० को पत्र लिखा था।” इससे सुधा को यह यकीन हो गया कि उसे यह नौकरी नहीं मिलेगी।

इस एहसास ने उसके दिमाग से सारे डर को खत्म कर दिया और इंटरव्यू के दौरान वह बल्कि और भी शांत हो गई। इंटरव्यू शुरू होने के पहले तक भी उसकी सोच यही थी कि विशेषज्ञों का समूह अभी भी लिंग के आधार पर पक्षपाती था। इसलिए उसने विशेषज्ञों के समूह से कह दिया, “मैं आशा करती हूँ कि यह सिर्फ एक तकनीकी इंटरव्यू है।” वे उसकी अभद्रता देखकर चकित रह गए। फिर भी उन्होंने उससे तकनीकी प्रश्न पूछे। और सुधा ने सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिए।

फिर उन सदस्यों में से एक वृद्ध भद्रपुरुष ने उससे बड़े प्यार से पूछा, “क्या तुम्हें मालूम है कि हमने क्यों कहा था कि स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है ?” उसने उसे बताया कि उन्होंने इससे पहले कभी भी कारखाने में किसी स्त्री को नौकरी पर नहीं रखा था।

उसने आगे कहा, “यह कोई सह-शिक्षा महाविद्यालय नहीं है, यह एक कारखाना है।” इस पर सुधा ने कहा, “लेकिन आपको कहीं से तो शुरुआत करनी ही चाहिए, वर्ना कोई भी स्त्री कभी भी आपके कारखानों में काम करने के योग्य नहीं हो पाएगी।” सुधा इंटरव्यू में सफल रही और उसे पुणे में नौकरी मिल गई।

टेल्को कंपनी में शमिल होने के पश्चात् उसे एहसास हुआ कि मिस्टर जे० आर० डी० कौन था : भारतीय उद्योग का बेताज बादशाह। लेकिन वह तब तक मिस्टर जे० आर० डी० से नहीं मिल पाई जब तक उसका तबादला मुम्बई न हो गया। एक दिन सुधा ने मिस्टर मूलगाँवकर को कुछ रिपोर्ट दिखानी थीं। वह उसके कार्यालय गई।

अचानक मिस्टर जे० आर० डी० भी वहां आ गया। यह पहली बार था जब सुधा मिस्टर जे० आर० डी० से मिली थी। मिस्टर मूलगॉवकर ने यह कहते हुए उसे मिस्टर जे० आर० डी० टाटा से मिलवाया, “यह टेल्को के कारखाने में काम करने वाली पहली स्त्री है।”

Gender Bias Translation in Hindi

सुधा मूर्ती (जन्म 1950) एक जानी-पहचानी सामाजिक कार्यकर्ता तथा लेखिका है। वह कर्नाटक के सभी सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर तथा लाइब्रेरी की सुविधाएं प्रदान करने के अपने महान् मिशन के लिए प्रसिद्ध है। उसकी कहानियां साधारण लोगों की जिंदगियों तथा सामाजिक मुद्दों से संबंध रखती हैं।

हुबली से इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् उसने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सांइस, बेंगलोर, से कम्प्यूटर विज्ञान में एम०टेक० किया। में उसे पद्म श्री प्रदान किया गया। वह इनफोसिस

फाऊडेशन की अध्यक्ष है और उसने ग़रीबी निवारण, शिक्षा तथा स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है। यह लेख कहानी-संग्रह ‘How I Taught My Grand Mother to Read’ से लिया गया एक अंश है। यह पुस्तक लेखिका, सुधा मूर्ती, के जीवन से ली गई पच्चीस आनंददायक कहानियों का संग्रह है। इस लेख-विशेष में लेखिका वर्णन करती है कि किस तरह उसने एक नौकरी के लिए आवेदन किया और उसे प्राप्त किया जिसका विज्ञापन केवल पुरुषों के लिए ही दिया गया था।

जब वह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलोर, में एम० टेक० कोर्स के अंतिम वर्ष में पढ़ रही थी तो सुधा मूर्ती की नज़र अचानक एक विज्ञापन पर पड़ी जो कि पुणे की टेल्को कंपनी में एक नौकरी के लिए था। विज्ञापन के संबंध में जिस बात ने उसका ध्यान आकर्षित किया वह थी एक लाइन : ‘स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है’।

इसे एक चुनौती की तरह लेते हुए, उसने न सिर्फ आवेदन किया, बल्कि मिस्टर जे० आर० डी० टाटा को एक पत्र भी लिखा औरतों के प्रति भेदभाव के विरुद्ध अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए इंटरव्यू के लिए बुलाए जाने पर सुधा मूर्ती को हैरानीहुई। उसे विश्वास था कि उसे नौकरी के लिए रखा नहीं जाएगा और इसलिए वह शांत थी। इंटरव्यू में उसे बताया गया कि औरतों को इसलिए नहीं रखा जाता था क्योंकि कारखानों में काम करना उन्हें मुश्किल लगेगा था।

परंतु fइससे सुधा मूर्ती डरी नहीं और उसने कहा कि कभी और कहीं तो शुरुआत करनी ही पड़ेगी। सुधा मूर्ती को नौकरी की पेशकश की गई। बाद में, वह मिस्टर जे० आर० डी० टाटा से मिली जिसने उसे बताया कि उसे इस बात की खुशी थी कि औरतें इंजीनियर बन रही थीं। सुधा मूर्ती की दृढ़ता के कारण ही आज की थी। मैं बेंगलोर के

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस )जिसे उस समय टाटा इंस्टिट्यूट के नाम से जाना जाता था, में कम्प्यूटर साइंस के मास्टर्ज कोर्स के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी। जिंदगी मौज-मस्ती से भरपूर थी। मुझे नहीं मालूम था कि लाचारी और अन्याय का अर्थ क्या था। यह शायद 1974 के अप्रैल का समय था। बेंगलोर में गर्मी बढ़ रही थी और आई० आई० एस० सी० के अहाते में गुलमोहर के पेड़ों पर फूल आ रहे थे।

पोस्टग्रैजुएट विभाग में मैं अकेली ही लड़की थी और मैं लड़कियों के हॉस्टल में रह रही थी। अन्य लड़कियां विज्ञान के विभिन्न विभागों में शोधकार्य कर रही थीं। मैं कम्प्यूटर विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि के लिए पढ़ाई पूरी करने के लिए विदेश जाने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रही थी। मुझे अमरीका के विश्वविद्यालयों के द्वारा छात्रावृत्ति की पेशकश की गई थी। मैंने भारत में नौकरी करने के बारे में नहीं सोचा था। एक दिन, लेक्चर

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हॉल भवन से अपने हॉस्टल को जाते समय, मैंने नोटिस बोर्ड पर एक विज्ञापन देखा। यह एक विशिष्ट नौकरी सम्बन्धी विज्ञापन था जोकि वाहन बनाने वाली मशहूर कंपनी, टेल्को (अब टाटा मोटर्ज), की तरफ से था। इसमें कहा गया था कि कंपनी को नौजवान, होशियार इंजीनियरों, जो परिश्रमी हों तथा जिनकी उत्तम शैक्षणिक पृष्ठभूमि, इत्यादि हो की ज़रूरत थी। सबसे नीचे एक छोटी सी लाइन में लिखा था : “स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।” मैंने इसे पढ़ा और बहुत दु:खी हुई। जिंदगी में पहली बार मैं लिंग भेदभाव का सामना कर रही थी।

यद्यपि मैं नौकरी (शुरू) करने के लिए उत्सुक नहीं थी, मैंने इसे एक चुनौती के रूप में देखा। मैंने पढ़ाई में बहुत अच्छा किया था, अपने ज़्यादातर पुरुष साथियों से बेहतर। तब मुझे बहुत ही कम पता था कि वास्तविक जीवन में सफल होने के लिए पढ़ाई-लिखाई में श्रेष्ठता ही काफ़ी नहीं है। नोटिस पढ़ने के बाद मैं आग-बबूला हुई अपने कमरे में चली गई। मैंने टेल्को के प्रबन्धक वर्ग के चोटी पर बैठे व्यक्ति को उस अन्याय के बारे में सूचित करने का फैसला कर लिया जो कि कंपनी कर रही थी। मैंने एक पोस्टकार्ड लिया और लिखना शुरू किया,

लेकिन एक समस्या थी : मैं नहीं जानती थी कि टेल्को का मुखिया कौन था! मैंने सोचा कि वह टाटा परिवार में से ही कोई एक होगा। मैं जानती थी कि मिस्टर जे० आर० डी० टाटा, टाटा समूह का मुखिया था; मैंने उसकी तस्वीरें समाचारपत्रों में देखी थीं। (वास्तव में सुमन्त मूलगॉवकर उस समय कंपनी का चेयरमैन था।)

मैंने पोस्टकार्ड लिया, इसे मिस्टर जे० आर० डी० को संबोधित किया और लिखना शुरू कर दिया। आज भी मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि मैंने क्या लिखा था। “महान् टाटा परिवार के लोग हमेशा ही मार्ग प्रशस्त करने वाले रहे हैं। वे वही लोग हैं जिन्होंने भारत में बुनियादी ढांचागत उद्योगों, जैसे कि लोहा और इस्पात, रसायनद्रव्य, वस्त्र तथा (रेलगाड़ियों के) इंजनों की शुरुआत की।

वर्ष 1900 से उन्होंने भारत में उच्च शिक्षा के बारे में चिंता की है और वे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना के लिए जिम्मेदार थे। सौभाग्यवश, मैं वहीं पढ़ती हूँ। लेकिन मुझे हैरानी है कि टेल्को जैसी एक कंपनी किसतरह लिंग के आधार पर भेदभाव कर रही है।”

मैंने पत्र भेज दिया और इसके बारे में भूल गई। दस दिन से भी कम समय बाद मुझे एक डाकतार प्राप्त हुई जिसमें लिखा था कि मुझे टेल्को के पुणे वाले कार्यालय में इंटरव्यू के लिए कंपनी के ही खर्च पर हाज़िर होना था। डाकतार पा कर मैं हक्की-बक्की रह गई। मेरे हॉस्टल के साथियों ने मुझसे कहा कि मुझे मुफ्त में पुणे जाने तथा उनके लिए पुणे की मशहूर साड़ियां सस्ते दाम में खरीद कर लाने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

मैंने हर किसी से, जो भी साड़ी चाहता था, 30-30 रुपए इकट्ठे कर लिये। (आज) जब मैं मुड़कर देखती हूँ तो मेरा अपने (पुणे) जाने के कारणों पर हँसने का दिल करता है, लेकिन उस समय वे मुझे वहां जाने के लिए अच्छे-खासे कारण प्रतीत हुए थे। पुणे की यह मेरी पहली यात्रा थी और मुझे पहली ही नज़र में इस शहर से प्यार हो गया।

आज तक यह मेरा प्रिय शहर बना हुआ है। पुणे में मुझे उतना ही घर के जैसा महसूस होता है जितना कि मेरे गृहनगर, हुबली, में होता है। इस जगह ने मेरे जीवन को कई तरह से बदल दिया। जैसा कि मुझे निर्देश दिया गया था, मैं टेल्को के पिंपरी कार्यालय में इंटरव्यू के लिए गई। विशेषज्ञों के

समूह में छः लोग थे और तब मुझे एहसास हुआ कि यह एक गम्भीर मामला था। “यह वही लड़की है जिसने मिस्टर जे० आर० डी० को पत्र लिखा था,” मैंने किसी व्यक्ति को फुसफुसाते सुना, जैसे ही मैंने कमरे में प्रवेश किया। तब तक मुझे निश्चित तौर पर पता लग गया था कि यह नौकरी मुझे नहीं मिलेगी। इस एहसास ने मेरे दिमाग़ में से सारे डर को खत्म कर दिया, इसलिए जब इन्टरव्यू लिया जा रहा था, मैं बल्कि और भी शांत हो गई। इन्टरव्यू शुरू होने से पहले ही मुझे लगा कि विशेषज्ञों का समूह पक्षपाती था, इसलिए मैंने उन्हें बता दिया, बल्कि थोड़े रूखे ढंग से, “मुझे उम्मीद है कि यह सिर्फ ”

एक तकनीकी (नाम-मात्र का) इन्टरव्यू है।” मेरी अभद्रता को देखकर वे हक्के-बक्के रह गए और आज भी मैं अपने उस रवैए के लिए शर्मिन्दा हूं। विशेषज्ञों ने मुझ से तकनीकी प्रश्न पूछे और मैंने उन सब के उत्तर दिए। फिर एक वृद्ध भद्रपुरुष बहुत स्नेहपूर्वक आवाज़ में मुझसे बोला, “क्या तुम्हें मालूम है कि हमने यह क्यों कहा था कि स्त्री उम्मीदवारों को आवेदन भेजने की आवश्यकता नहीं है ?

इसका कारण यह है कि हमने कंपनी के कारखाने में इससे पहले कभी किसी स्त्री को नौकरी पर नहीं रखा है। यह एक सह-शिक्षा महाविद्यालय नहीं है; यह एक कारखाना है। जब शिक्षा की बात आती है, तुम अपनी शिक्षा के पूरे समय के दौरान प्रथम स्थान

पर रही हो। हम इस बात की प्रशंसा करते हैं, परन्तु तुम जैसे लोगों को शोधकार्यों के लिए बनी प्रयोगशालाओं में काम करना चाहिए।” मैं एक छोटे से शहर, हुबली, से आई एक युवा लड़की थी। एक सीमित जगह ही मेरी दुनिया रही थी। मुझे बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों के तौर-तरीकों और उनकी मुश्किलों के बारे में कुछ पता नहीं था, इसलिए मैंने उत्तर देते हुए कहा, “लेकिन आपको कहीं से तो शुरुआत अवश्य करनी चाहिए, नहीं तो कोई भी स्त्री ” कभी भी आपके कारखानों में काम करने में समर्थ नहीं हो पाएगी।” अन्ततः एक लम्बे इन्टरव्यू के बाद मुझे बताया गया कि मैं (इन्टरव्यू में) सफल रही थी। इस प्रकार यह था

जो मेरे भाग्य में लिखा था। मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मैं पुणे में नौकरी करूँगी। वहां मेरी मुलाकात कर्नाटक से आए एक शर्मीले-से नौजवान से हुई, हम अच्छे दोस्त बन गए और फिर हमने शादी कर ली। ऐसा टेल्को कंपनी में आने के बाद ही हुआ कि मुझे एहसास हुआ कि मिस्टर जे० आर० डी० कौन था : भारतीय उद्योग का बेताज बादशाह। अब मैं बहुत डर गई थी, परन्तु मुझे उससे मिलने का अवसर तब तक नहीं मिल पाया जब तक कि मेरी बदली बम्बई नहीं हो गई।

एक दिन मुझे हमारे चेयरमैन मिस्टर मूलगॉवकर, जिसे हम के नाम से जानते थे, को कुछ रिपोर्ट दिखानी थीं। मैं बॉम्बे हाउस की पहली मंजिल पर स्थित उसके कार्यालय में थी जब अचानक मिस्टर जे० आर० डी० अन्दर आया। यह पहली बार था जब मैंने ‘अपरो जे० आर० डी०’ को देखा। गुजराती में ‘अपरो’ का अर्थ होता है ‘हमारा।’ बॉम्बे हाउस के लोग उसे इसी

PSEB 11th Class English Solutions Chapter 1 Gender Bias

प्यार-भरे शब्द से पुकारते थे। अपनी पोस्टकार्ड वाली घटना को याद करके मुझे बहुत घबराहट हो रही थी। SM ने बहुत अच्छी तरह से मेरा परिचय देते हुए कहा, “जेह (यह वह नाम था जिससे उसके बहुत नज़दीकी लोग उसे बुलाया करते थे), यह नवयुवती एक इंजीनियर है और वह भी पोस्टग्रेजुएट।

टेल्को के कारखाने में काम करने वाली यह पहली स्त्री है।” मिस्टर जे० आर० डी० ने मेरे ओर देखा। मैं (मन ही मन) प्रार्थना कर रही थी कि वह मेरी इन्टरव्यू के बारे में (या इस से पहले आने वाले पोस्ट कार्ड के बारे में) मुझसे कोई सवाल न पूछ ले। आज के इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में लगभग 50% लड़कियां है। और उद्योगों के कई हिस्सों के कारखानों में स्त्रियां काम करती हैं।

मैं इन परिवर्तनों को देखती हूँ और फिर मिस्टर जे० आर० डी० के बारे में सोचती हूँ। यदि समय रुक जाए और मुझसे पूछे कि मैं जिंदगी से क्या चाहती हूँ, तो मैं कहूँगी कि काश, मिस्टर जे० आर० डी० आज यह देखने के लिए जिंदा होते कि जिस कम्पनी को उन्होंने शुरू किया था, वह आज कितनी आगे बढ़ गई है। उन्होंने | इसका पूरे दिल से आनन्द उठाना था।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 4 The Gold Frame

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Supplementary Chapter 4 The Gold Frame Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Supplementary Chapter 4 The Gold Frame

Short Answer Type Questions

Question 1.
How does the author describe the shop owned by Datta ? (V.Imp.)
लेखक ने Datta की दुकान का कैसे वर्णन किया है ?
Answer:
The name of Datta’s shop was The Modern Frame Works. But there was no modernity about the structure of the shop. It was actually a very large wooden box fixed on shaky legs. It was tucked in a gap between a medical store and a radio repair shop.

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The walls of the shop were covered by pictures of gods, saints, hockey players, children, national leaders and wedding couples. There were cheap prints of the Mona Lisa, Urdu handwriting sheets and the Japanese volcano Fujiyama. The shop was actually a centre of Datta’s activities.

Datta की दुकान का नाम था ‘The Modern Frame Works’. लेकिन दुकान की बनावट के बारे कोई आधुनिकता नहीं थी। यह वास्तव में एक लकड़ी का बड़ा बक्सा था। (लकड़ी का Kiosk या खोखा था) यह एक दवाईयों की दुकान और एक रेडियो मुरम्मत की दुकान के बीच खाली जगह में खड़ी कर दी दुकान की दीवारों पर देवताओं, सन्तों, हॉकी के खिलाड़ियों, बच्चों, राष्ट्रीय नेताओं और विवाहित जोड़ों की तस्वीरें लगी हुई थी। वहां Mona Lisa, Urdu के सुलेख और जापानी ज्वालामुखी Fujiyama के सस्ते चित्र थे। यह दुकान वास्तव में Datta की गतिविधियों का केन्द्र थी।

Question 2.
What had Datta learnt by his experience ? How was his new customer different from the old ones?
Datta ने अपने अनुभव से क्या सीखा था ? उसका नया ग्राहक उसके अन्य ग्राहकों से कैसे भिन्न था ?
Answer:
Datta had a long experience with his customers. They used to come to him for getting the frames of photos to be made. From his experience Datta knew that his customers never came punctually to carry the frame. Some came days in advance and returned disappointed or they came months later.

Some of the customers never turned up at all. The new customer was eager to have the frame made by Datta. He came to enquire : if it was ready four days before the due date. He wanted to know if it would be attachment to the photograph. He knew that there would be trouble if he did not deliver the frame on the promised date.

Datta का अपने ग्राहकों के साथ लम्बा अनुभव था। वे उसके पास अपने फोटोग्राफों पर फ्रेम लगाने के लिए दे जाया करते थे। अपने अनुभव से दत्ता जानता था कि उसके ग्राहक समय पर अपने फ्रेम लेने नहीं लेट आया करते थे। कई ग्राहक तो कभी भी नहीं आते थे। नया ग्राहक दत्ता द्वारा अपना फ्रेम बनवाने के लिए काफी उत्सुक था।

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वह यह पूछने देय तारीख से चार दिन पहले आ टपका कि क्या उसका फ्रेम तैयार था। वह जानना चाहता था क्या यह मंगलवार तक तैयार होगा। दत्ता समझता था कि नये ग्राहक को फोटो से बड़ी जबरदस्त आसक्ति थी। वह जानता था कि यदि उसने फ्रेम वायदा की गई तारीख को न दिया तो लफड़ा होगा।

Long Answer Type Questions

Question 1.
What impression do you form about Datta, the frame-maker ?
चौखटा बनाने वाले दत्ता के बारे तुम्हारी क्या राये है ?
Answer:
Datta was a frame-maker by profession. He was the owner of The Modern Frame Works. It was a modest shop. It was like a large wooden-box. It was between a medical store and a radio repair shop. Datta did not give the impression of being healthy or stout.

He had a curved figure. He used to sit in his shop. There was hardly any space for the customer to sit there. He sat working on frames for the whole day. He was a silent, hard-working man. He gave brief answers to the questions his customers asked.

He did not allow casual fuends to disturb him in his work. He was always seen sitting and doing his work. He had many things lying around him related with his profession. He had to stand up from time to time to look for a lost piece of wood, a pencil or a glass cutter. The walls of his shop were covered with pictures of actors, sportsmen, gods, national leaders, wedding couples. He used to get several orders from customers for frame-making.

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So he understood the psychology of his customers. He knew how to satisfy them. Some customers were eager to have their order to be carried out in time. Others did not bother. They never came back even once to see if their order for frame-making had been carried out.

Datta was a very diligent and honest worker. He did not deceive anyone. He did not give inferior things to his customers. When he lost the photograph of the customer’s grandfather in the story, he was much worried. He tried to satisfy him by giving him a square mount instead of an oval cut mount ordered by the customer.

व्यवसाय से दत्ता चौखटा बनाने वाला था। वह The Modern Frame Works का मालिक था। यह एक साधारण सी दुकान थी। दुकान एक लकड़ी के बड़े बक्से की तरह थी। यह दुकान एक मेडीकल स्टोर और रेडियो मरम्मत करने वाली दुकान के बीच थी। Datta स्वस्थ और हृष्ट पुष्ट नहीं दिखता था। उसका शरीर अन्दर की ओर मुढ़ा हुआ था।

वह अपनी दुकान में बैठा करता था। ग्राहक के लिए वहां बैठने की कोई जगह नहीं थी। वह सारा दिन फ्रेमों पर काम करता रहता था। वह खामोश रहने वाला परिश्रमी व्यक्ति था। अपने ग्राहकों द्वारा प्रश्नों का वह संक्षिप्त से उत्तर देता था। वह अपने अनियमित मित्रों को अपने काम को अस्त-व्यस्त करने की आज्ञा नहीं देता था। वह सदा अपनी दुकान में बैठा हुआ काम करता दिखाई देता था।

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उसकी दुकान में उसके पेशे से सम्बन्धित कई चीजें पड़ी दिखाई देती थीं। उसे कभी-कभी काम छोड़ कर किसी खोई हुई चीज़ जैसे लकड़ी का टुकड़ा, पैंसिल या शीशा काटने वाला यंत्र ढूंढ़ने के लिए खड़े होना पड़ता था। उसकी दुकान की दीवारें अभिनेताओं, खिलाड़ियों, देवताओं, राष्ट्रीय नेताओं, विवाहित जोड़ों के चित्रों से भरी हुई थीं। उसको फ्रेम बनाने के ग्राहकों द्वारा कई आर्डर दिए जाते थे। इसलिए वह अपने ग्राहकों के मनोविज्ञान को जानता था। वह उनको सन्तुष्ट करना जानता था। कुछ ग्राहक अपने आर्डर को समय पर पूरा करवाने को उत्सुक होते थे।

अन्य परवाह नहीं करते थे। वे एक बार भी पूछने नहीं आते थे कि क्या उनका फ्रेम बनवाने का आर्डर पूरा हो गया था। दत्ता बहुत मेहनती और ईमानदारी कारीगर था। वह किसी को धोखा नहीं देता था। वह अपने ग्राहकों को घटिया चीजें नहीं देता था। जब उसने अपने ग्राहक के दादा की फोटो को गम कर दिया, तो वह बहुत चिन्तित हो गया। उसके ग्राहक ने उसको अंडाकार फ्रेम चढ़ाने का आर्डर दिया था लेकिन उसने उसको वर्गाकार फ्रेम चढ़ाकर सन्तुष्ट करने की कोशिश की।

Question 2.
Datta found a solution to his problem. Did it really work for him ? Justify your answer.
‘Datta ने अपनी समस्या का हल ढूंढ लिया। क्या वह इसमें सचमुच सफल हुआ ? अपने उत्तर को ठीक सिद्ध करें।
Answer:
Datta had to deliver the frame to the new customer. Unluckily he ruined the photograph by dropping paint on it and later on rubbing it hard with cloth. He decided to find a similar photograph and frame it. He feared that the customer

might discover that it was a fake photograph. So he got a photograph from the box which looked like the old man’s double. He looked resplendent in his gold frame. He forgot that he was taking one of the greatest risks any frame-maker took.

He became bold enough to challenge the customer. If his faking was discovered, he was ready to reject the issue of faking if the new customer said so. The customer came and asked Datta if the frame was ready.

At this very time the customer uttered some flattering words to Datta for his promptness. He spread his arms widely with enthusiasm. Datta however took some time in removing the wrapper from the frame. He finally revealed the glittering frame and held it towards the customer. The customer seemed very much impressed by its beauty.

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Datta wondered if the customer would discover the trick he had played on him. He told Datta angrily that he had asked for a cut mount with an oval shape but he had given him a square one. Datta had already prepared himself for such a situation.

The situation was open-ended. The customer would have discovered even the person in the photo was a fake one. The needle of suspicion on Datta’s integrity would be there. So his justification was still far away.

Datta ने नए ग्राहक को फ्रेम देना था। दुर्भाग्यवश उसने फोटो पर पेंट डाल कर और बाद में उसने इस को कपड़े से रगड़ कर खराब कर दिया। उसने निर्णय किया कि वह एक वैसा ही फोटो ढूंढकर उस पर फ्रेम चढ़ा देगा। उसको डर था कि कहीं ग्राहक को पता न लग जाये कि यह नकली फोटो है। इसलिए उसने अपनी दुकान में पड़े एक बक्से में से एक फोटो निकाला जो ग्राहक के दादा की शक्ल से मिलताजुलता था।

वह gold frame में बहुत समुजवल लगता था। वह यह भूल गया कि वह एक ऐसा जोखिम ले रहा था जो आज तक किसी चौखटा बनाने वाले ने लिया हो। वह ग्राहक का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से साहसी बन गया। यदि उसकी जालसाजी पकड़ी गई तो वह नए ग्राहक द्वारा कही गई जालसाजी की बात को रद्द कर देगा।

ग्राहक आया और उसने पूछा क्या फ्रेम तैयार था। ग्राहक ने इसी समय चापलूसी के कुछ शब्द दत्ता को उसकी तत्परता के लिए कहे। उसने उत्साह में अपनी बाहें फैला दीं। लेकिन दत्ता ने चौखटे पर से आवरण हटाने में कुछ समय लिया। Datta ने अन्त में चमकते हुए फ्रेम को दिखला दिया और इसे उसके सामने कर दिया। ग्राहक इस की सुन्दरता से बहुत प्रभावित हो गया।

परन्तु फिर उसने दत्ता को क्रोध भरे शब्दों में कहा कि उसने अण्डाकार फोटो फ्रेम चढ़ाने के लिए कहा था लेकिन उसने उसे वर्गाकार करके चढ़ा दिया है। दत्ता ने पहले ही स्वयम् को इस स्थिति के लिए तैयार कर रखा था। यह एक खुली स्थिति थी। ग्राहक को इस बात का भी पता चल सकता था कि फोटो भी और किसी की थी। Datta की ईमानदारी के ऊपर शक की सुई ज़रूर संकेत करती है। इसलिए दत्ता का अपने आप को ठीक सिद्ध कर लेना दूर की बात है।

Objective Type Questions

This question will consist of 3 objective type questions carrying one mark each. These objective questions will include questions to be answered in one word to one sentence or fill in the blank or true/false or multiple choice type questions.

Question 1.
Where was the shop ‘The Modern Frame Works’ situated ?
Answer:
It was situated in an empty space between a medical store and a radio repair shop.

Question 2.
Who was the owner of ‘The Modern Frame Works’ ?
Answer:
Datta was its owner

Question 3.
What were the walls of this shop covered with ?
Answer:
They were covered with pictures of gods, saints, hockey players, children, cheap prints of the Mona Lisa, National Leaders, wedding couples, Urdu handwriting sheets, the snow-clad volcano, Fujiyama etc.

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Question 4.
What did the customer want ?
Answer:
The customer wanted a photograph of his grandfather to be framed.

Question 5.
What types of frames did Datta show to the customer ?
Answer:
Datta showed the customer a number of samples : plain, decorative, floral, geometrical, thin, hefty and so forth.

Question 6.
What did Datta do to help the customer to make his choice ?
Answer:
Datta recommended one frame with a number of gold leaves and winding creepers, imported from Germany.

Question 7.
What price did Datta quote for the frame selected by his customer ?
Answer:
The price quoted was rupees seventeen.

Question 8.
What was Datta’s experience about his customers ?
Answer:
His experience was that his customers never came punctually to collect their photoframes.

Question 9.
For whom did Datta make frames ?
Answer:
Datta made frames for those who wanted to show or pay their homage to the person in the picture.

Question 10.
How did the photograph get damaged ? (V.V. Imp.)
Answer:
First a tin of paint emptied on the photograph and later efforts to clean the paint damaged the photograph.

Question 11.
How did Datta try to rescue the picture ?
Answer:
Datta rubbed the fallen paint on the picture very hard and made a mess of it.

Question 12.
What solution did Datta finally come up with?
Answer:
He thought of putting the old man’s double in a golden frame to pass it on to his customer.

Question 13.
Why were the days that followed were filled with suspense and anxiety?
Answer:
They were filled with suspense and anxiety because Datta feared that the customer would catch him at an odd moment.

Question 14.
What effect did the picture have on the customer?
Answer:
The customer was struck by the beauty of the frame and became mum.

Question 15.
What was the customer’s complaint regarding the frame ?
Answer:
He complained that the frame-maker had given him a square frame instead of the oval shape ordered by him.

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Question 16.
The Modern Frame Works was one of these : (Choose the correct name) a shop, a workshop, a factory.
Answer:
a shop.

Question 17.
The name of the shop was :
(i) The Ancient Frame Works
(ii) The Lovely Frame Works
(iii) The Modern Frame Works.
Answer:
(iii) The Modern Frame Works.

Question 18.
A large wooden packing case was placed on ………….. legs to make it look like a shop. Fill up the blank with the correct option : (strong, weak, shaky)
Answer:
shaky.

Question 19.
How did the frame-maker sit in his shop ?
Answer:
He sat hunched up.

Question 20.
Datta, the frame-maker did not have a ……….. body. (weak/strong)
Answer:
strong.

Question 21.
The frame-maker wore one of these glasses :
(i) Spectacles
(ii) Silver-rimmed glasses
(iii) Goggles.
Answer:
(ii) Silver-rimmed glasses.

Question 22.
List three things by which the frame-maker used to be surrounded.
Answer:
Card-board pieces, sheets, boxes of wood.

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Question 23.
What happened to Datta’s shop when he shook his dhoti to get some of the lost things?
Answer:
His whole shop shook.

The Gold Frame Summary in English

The Gold Frame Introduction:

This story has been written by R.K.Laxman who was India’s greatest cartoonist. He was well-known for his creation The Common Man’. The story is about a picture frame maker Datta. He was a silent and hard-working man. One day a customer came to his shop.

He wanted a frame for a photograph he had brought with him. It was a photograph of his late grandfather. The customer wanted the best frame for the photograph. Datta promised to keep it ready in two weeks. But by mistake the picture got damaged.

He found some other picture of a similar looking man. The customer failed to know that it was not the picture of his grandfather. His only complaint was that the picture was not framed according to his order.

The Gold Frame Summary in English:

The Modern Frame Works was the name of a shop. It was not a shop made of bricks and cement and wood. It was a very large wooden packing case. It was placed on shaky legs. It was fixed in an empty space between a medical store and a radio repair shop.

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Datta was its owner. He did not have a strong body. He wore silver-rimmed glasses. He had the complexion of seasoned timber. Datta was a silent, hard-working man. He gave very brief answers to his customers. He did not encourage casual friends to come to his shop. He was always seen sitting hunched

up. He was surrounded by cardboard pieces, bits of wood, glass sheets, boxes of nails, glue bottles, paint-tins and other things needed for putting a picture in a frame. In this mixture of things a glass cutter or a pencil, a tub was often lost. Then he looked for his missing things impatiently.

Many times he had to stand up and shake his dhoti to get the lost thing. This operation shook his whole shop. The pictures on the walls gently went on swinging.

Every inch of space in the shop was covered by a picture. Several odd things were lying in his shop. One day a customer standing outside the shop told Datta that he wanted a picture framed. Datta just ignored him and went on driving screws into the sides of a frame.

He wanted a good job to be done without bothering about its cost. The customer placed before Datta a photograph of an old man. It was a good bright photograph.

Datta remained bent over his work. He asked the customer what kind of frame he would want for the photograph. The customer wanted the best kind of frame. Datta then saw the photograph. He was an elderly person of those days. It was the standard portrait of a grandfather.

At least half a dozen people came to him every month bringing similar portraits. They wanted to show their respect to the person in the picture in the shape of a glittering frame.

The customer began to describe the qualities of the man in the picture. He said that he was kind, noble, charitable. If there had been a few more persons like him, it would have been a different place. Of course, there are some wicked people who are out to disagree with him. The customer says that his grandfather is God in his home. Datta then asked the customer what kind of frame he wanted. The customer said that he wanted the best.

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He said that he did not have inferior stuff in his shop. He was shown a number of samples. The customer was puzzled by seeing so many varieties of frames. He did not want a cheap frame for his grandfather’s portrait. Datta recommended a frame with a number of gold leaves and winding creepers. He also told the customer that this frame was imported from Germany.

The customer felt impressed. Datta asked the customer if he wanted a plain mount or a cut mount. The customer felt puzzled. He had no answer. Datta told him that a cut mount would look better. He said that the total expense would be seventeen rupees.

The customer tried to bargain. Datta did not reply to the customer and returned to his corner. The customer then asked Datta when it would be ready. He said that it would be ready within two weeks from the day.

Datta knew from his experience that his customers did not come punctually. They came days in advance and went away disappointed or they came months later and some never turned up at all. So he made frames for those who came to him and visited him at least twice before he actually executed their orders.

Ten days later the customer came and enquired if the picture had been framed. Datta merely nodded his head. He wanted to know if the frame would be ready by Tuesday. Datta decided to get the frame ready. Next morning he made that his first job. Then he looked for the pencil to mark the measurements. As usual the picture was missing. He felt angry. Then he stood up to shake up the folds of his dhoti. But still he could not get the picture.

He upset the tin containing enamel paint and it landed right on the sacred photograph of the old man emptying its contents on it. Datta felt very much upset. Then the glasses of his spectacles clouded with perspiration and screened his vision.

He wanted to save the picture but he made a worse mess of it. He rubbed the picture so hard with a cloth. The old man’s face was nearly gone. He was feeling absolutely hopeless. He could not make out what answer he would give to his customer when he came to ask for the frame.

He had no way to tackle the problem: The gods in pictures on the walls seemed to tell him that he should pray. He stared at the gods. Datta looked at a photograph on the wall of his shop. He looked at so many photographs lying in the wooden box. He worked very hard at finding the old man’s substitute. After a couple of hours work, he proudly surveyed the old man’s double.

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He thought of taking a similar photograph. He feared that his customer might challenge him to say that it was a fake photograph of his grandfather. In that case, he thought of telling the customer that he had brought that picture for framing. He could take it or leave it. The days that followed were filled with anxiety and suspense.

The customer turned up after a few days later and asked Datta if his picture frame was ready. Datta gave the framed photograph to the customer. The customer was very much impressed by the beauty of the frame. The frame-maker was afraid and nervous.

He feared that the customer would come to know that somebody else’s photo had been framed. The customer told the frame-maker that he had asked for a cut mount with an oval shape. But he had given him the frame with a square look. Obviously it had not been according to his order.

The Gold Frame Summary in Hindi

The Gold Frame Introduction:

यह कहानी R.K.Laxman ने लिखी है जो कि भारत का सबसे बड़ा Cartoonist (व्यंग्य चित्रकार) था। वह अपनी रचना ‘The Common Man’ के नाम से बहुत जाना जाता था। यह कहानी एक फोटो के चौखटा बनाने वाले के बारे है जिसका नाम दत्ता था। वह एक खामोश और परिश्रमी व्यक्ति था।

एक दिन एक ग्राहक उसकी दुकान पर आया। वह अपने साथ एक फोटोग्राफ लाया और उसके लिए उसे एक चौखटा चाहिये था। यह फोटो उसके स्वर्गीय दादा जी की थी। ग्राहक को उस फोटो के लिए बेहतरीन चौखटा (frame) चाहिये था। दत्ता ने वादा किया वह इस फ्रेम (चौखटा) को दो हफ्तों में तैयार कर देगा।

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लेकिन गल्ती से चित्र क्षतिग्रस्त हो गया। उसको इस फोटोग्राफ से मिलता-जुलता एक और फोटोग्राफ मिल गया। ग्राहक को यह पता न लग सका कि यह उसके दादा जी का फोटोग्राफ नहीं था। उसको केवल यही शिकायत थी कि चौखटा उसके आर्डर के अनुकूल नहीं बनाया गया था।

The Gold Frame Summary in Hindi:

The Modern Frame Works एक दुकान का नाम था। यह दुकान ईटों और सीमेन्ट और लकड़ी की नहीं बनी हुई थी। यह एक बहुत बड़ी लकड़ी की पेटी या बक्सा था। यह अस्थिर या हिलने-जुलने वाले पायों पर खड़ी थी। इसको एक खाली स्थान में एक Medical store और एक रेडियो मुरम्मत करने वाली दुकान के मध्य में जमा दिया गया था या अचल कर दिया था। Datta इसका मालिक था। उसका शरीर कोई मज़बूत नहीं था।

वह चाँदी के फ्रेम वाला चश्मा पहनता था। उसका रंग पूर्णरूप से तैयार सिझायी की गई लकड़ी की तरह था। . Datta एक खामोश और परिश्रमी व्यक्ति था। वह अपने ग्राहकों को बड़े संक्षिप्त उत्तर दिया करता था।

वह आकस्मिक मित्रों को अपनी दुकान पर नहीं आने दिया करता था। वह सदा झुके हुए बैठा देखा जा सकता था। उसके इर्द-गिर्द गत्ते के टुकड़े, लकड़ी के टुकड़े, शीशे की शीटें (चादरें), कीलों के डिब्बे, चिपकाने वाली गोंद की बोतलें, पेंट के डिब्बे और अन्य छोटी-2 चीजें पड़ी रहती थीं। ये सब चीजें picture को frame (चौखटा) में लगाने के लिए आवश्यक थीं। इन चीजों के मिले-जुले होने के कारण glass काटने वाला यन्त्र या एक पैंसिल

का टुकड़ा प्रायः खो जाया करता था। फिर वह अपनी गुमशुदा चीज़ों को बड़ी बेसब्री से ढूंढता था। कई बार उसको खड़े हो कर अपनी धोती को हिलाना पड़ता था ताकि उसको खोई चीज़ मिल सके। इस प्रक्रिया से उसकी सारी दुकान हिल जाया करती थी। दीवार पर टंगी हुई या लगी हुई तस्वीरें बड़ी नर्मी से झूलती थीं।

दुकान का हर इंच स्थान तस्वीर से ढका रहता था। कई अजीब चीजें उसकी दुकान में पड़ी होती थीं। एक दिन दुकान के बाहर खड़े एक ग्राहक ने Datta को बताया कि उसको एक फोटोग्राफ़ पर एक चौखटा चढ़वाना था। Datta ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया और वह एक चौखटा की side में पेंच लगाता रहा।

ग्राहक चाहता था कि वह कीमत की परवाह न करते हुए चौखटे पर अच्छा काम करे। उसने दत्ता के सामने एक बूढ़े व्यक्ति का फोटो रख दिया। यह फोटोग्राफ़ अच्छा और चमकीला था। दत्ता अपने काम पर झुका रहा। उसने ग्राहक को पूछा कि उसको किस प्रकार का फोटो फ्रेम चाहिये। ग्राहक ने कहा कि उसे सबसे बढ़िया फोटो फ्रेम चाहिये।

Datta ने फिर फोटोग्राफ़ देखा। फोटोग्राफ़ का व्यक्ति उन दिनों का बुजुर्ग व्यक्ति था। यह एक दादा का आदर्श फोटोग्राफ़ था। कम से कम आधा दर्जन लोग उसके पास हर रोज़ आते थे और अपने साथ ऐसे ही फोटोग्राफ़ लाते थे। वे चित्र में व्यक्ति के लिए अपना आदर दिखाना चाहते थे और उसके फोटो को एक चमकदार फ्रेम में रखना चाहते थे।

ग्राहक ने फोटोग्राफ़ वाले व्यक्ति के गुणों का बखान करना. आरम्भ कर दिया। उसने कहा कि वह दयालु, भला और उदार था। यदि उस जैसे और व्यक्ति होते, तो संसार भी और तरह का होता। निस्संदेह कुछ बुरे आदमी भी हैं जो उसके साथ सहमत न होंगे। ग्राहक तो यह भी कहता है कि उसके दादा उसके घर में परमात्मा के समान हैं। दत्ता फिर ग्राहक को पूछता है कि उसको किस प्रकार का फ्रेम चाहिए। ग्राहक ने कहा कि उसको सर्वोत्तम फ्रेम चाहिये।

फ्रेम मेकर (Datta) ने कहा कि उसकी दुकान में घटिया माल नहीं है। उसने उसको कई नमूने दिखाये। ग्राहक अपने दादा के लिए कोई सस्ता फ्रेम नहीं चाहता था। Datta ने एक ऐसे फ्रेम की सिफ़ारिश की जिस पर काफी संख्या में सोने के पत्ते थे और ऊपर को जाती हुई बेले थीं। Datta ने ग्राहक को बताया कि यह फ्रेम Germany से मंगवाया गया था।

ग्राहक प्रभावित हो गया। Datta ने ग्राहक से पूछा कि उसे साधारण बनावट या सजावटी बनावट वाला चाहिए। ग्राहक उलझन में था। उसके पास उत्तर नहीं था। Datta ने उसे बताया कि सजावटी बनावट वाला अधिक बढ़िया लगेगा। उसके कहा कि कुल खर्च 14 रुपये होगा। ग्राहक ने सौदेबाजी करने की कोशिश की।

Datta ने ग्राहक को जवाब नहीं दिया और अपने कोने में वापिस लौट गया। तब ग्राहक ने Datta से पूछा कि यह कब तक तैयार होगा। उसने कहा कि यह उस दिन से लेकर दो सप्ताह में तैयार हो जायेगा। Datta अपने अनुभव से जानता था कि उसके ग्राहक फोटो फ्रेम के लिए समय पर नहीं आया करते थे। वे कई दिन पहले आ जाते थे और निराश हो कर चले जाते थे या कई महीनों देर से आया करते थे और कई ग्राहक कभी भी नहीं आते थे।

इसलिए वह फ्रेम उसके लिए बनाता था जो उसके पास कम से कम दो बार उनके order को अमल में लाने से पहले आ जाते थे। दस दिन के बाद ग्राहक आया और उसने Datta से पूछा क्या चित्र को फ्रेम में लगा दिया गया था।

Datta ने केवल अपना सिर हिलाया। वह जानना चाहता था कि फ्रेम मंगलवार तक मिल जायेगा। Datta ने फ्रेम तैयार करने का निर्णय किया। अगली प्रातः उसने उस काम को करना चाहा। फिर उसने पैंसिल को ढूंढना शुरु किया ताकि वह माप ले सके। Pencil गुम थी। उसे क्रोध आ गया।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 4 The Gold Frame

फिर वह खड़ा हो गया और उसने अपनी धोती की तहों को हिलाया। लेकिन फिर भी उसको फोटो नहीं मिली। उसने enamel पेंट से भरे हुए डिब्बे को उलट दिया और यह पेंट उस बूढ़े के पवित्र फोटोग्राफ पर जा गिरा। तब Datta घबराकर अशान्त हो गया। फिर उसके चश्मे के शीशे पसीने के कारण मद्धम हो गये और उसकी नज़र पर बादल की तरह दिखने लगे।

Word Meanings:

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 4 The Gold Frame 1
PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 4 The Gold Frame 2

 

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Supplementary Chapter 3 Bholi

Short Answer Type Questions

Question 1.
Ramlal was not worried about his children except Bholi. Why? (Feb. 2017)
रामलाल को भोली के सिवा किसी और बच्चे की चिन्ता नहीं थी। क्यों ?
Answer:
Ramlal had seven children. They were three sons and four daughters. Bholi was the youngest of the four. Ramlal was a prosperous farmer. All the children except Bholi were healthy and strong. The sons had been sent to the city to study in schools and later in colleges.

The eldest daughter Radha had already been married. The second daughter Mangla’s marriage had also been settled. After Mangla’s marriage, he would think of the third Champa. They were good-looking and healthy girls. It was not difficult to find bridegrooms for them. But Ramlal was worried about Bholi. She was neither good-looking nor intelligent. He felt that it would be very difficult to find a bridegroom for Bholi.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

रामलाल के सात बच्चे थे। वे थे तीन बेटे और चार बेटियां। भोली चारों बेटियों में से सबसे छोटी थी। रामलाल एक समृद्ध किसान था। भोली के सिवा सब बच्चे स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट थे। लड़कों को शहर भेज दिया गया ताकि पहले वे स्कूल में पढ़ें और फिर कॉलिज में। सबसे बड़ी लड़की राधा की पहले ही शादी हो चुकी थी।

दूसरी लड़की मंगला की शादी भी तय हो चुकी थी। मंगला की शादी के बाद, वह तीसरी बेटी चम्पा के बारे विचार करेगा। वे सुन्दर और स्वस्थ लड़कियाँ थीं। उनके लिए दूल्हे ढूंढ लेना कोई मुश्किल नहीं था। परन्तु रामलाल को भोली के बारे बहुत चिन्ता थी। उसने महसूस किया कि भोली के लिए दूल्हा ढूंढ़ लेना बहुत कठिन होगा।

Question 2.
Write in brief a character-sketch of Bholi’s teacher. (V. Imp.) (Feb. 2017)
संक्षेप में भोली की अध्यापिका का चरित्र-चित्रण करें।
Answer:
Bholi’s teacher was a kind lady. She asked Bholi her name. Being a stammerer Bholi said BHO…BHO…BHO. She could not go further than Bho. The school bell rang. Her teacher again called her in a very soothing voice. The kind teacher asked Bholi her name again. For the sake of this kind teacher she decided to make an effort. Bholi knew that she would not laugh at her.

She began to stammer. The teacher encouraged her. She asked Bholi to tell her. full name. At last with the teacher’s sympathetic encouragement, she was able to say her name. She was an ideal teacher.

भोली की टीचर एक दयालु महिला थी। उसने Bholi को उसका नाम पूछा। एक हकलाने वाली होने के नाते Bholi ने Bho…Bho…Bho रुककर कहा। वह Bho कहने के बाद आगे न जा सकी। स्कूल की घंटी बजी। टीचर ने फिर भोली को बुलाया। उसने सन्तोष देने वाली आवाज़ में उसको बुलाया। दयालु टीचर ने भोली को फिर उसका नाम पूछा।

दयालु टीचर की खातिर भोली ने प्रयत्न करने की कोशिश की। भोली जानती थी कि वह उस पर नहीं हंसेगी। टीचर उसको हिम्मत देती थी। टीचर भोली की हिम्मत बढ़ाती थी। यह वह टीचर थी जिसने भोली को आत्मनिर्भर, विश्वस्त और दलेर बनने के लिए तैयार किया जोकि पहले एक गूंगी गाय थी।

वह अपना नाम साफ-2 बोलने में सक्षम हो गई। उसने एक लालची, कमीने, कायर और घृणा योग्य पति के साथ शादी करने से इन्कार कर दिया। उसने उसी स्कूल में टीचर बन कर पढ़ाने का मन बना लिया। उसने इस टीचर से बहुत कुछ सीखा था। वह भी लड़कियों में जागृति पैदा करेगी।

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Question 3.
Write in brief a character-sketch of Bishamber.
संक्षेप में बिशम्बर का चरित्र-चित्रण करें।
Answer:
Bishamber was a greedy man. His greed came to be known to Bholi on their wedding day. He had to garland Bholi in the marriage mandap. He sair pockmarks on her face. He asked his friend if he had seen pock-marks on her face.

His friend told him that he was not young either. But he said that Bholi’s father must give him five thousand rupees. Ramlal had to give him the demanded amount. Bishamber felt victorious. Bholi refused to marry such a greedy man. Bishamber had to go back with his marriage party.

बिशम्बर लालची आदमी था। भोली को बिशम्बर के लालच का ज्ञान उनकी शादी के दिन ही पता चल गया। उसको शादी के मंडप में भोली को हार पहनाना था। उसने उसके चेहरे पर चेचक के धब्बे देख लिये। उसने अपने मित्र को पूछा क्या उसने भोली के चेहरे पर चेचक के धब्बे देखे थे।

उसके मित्र ने उसको उत्तर दिया कि वह भी तो नौजवान नहीं था। लेकिन उसने कहा कि भोली के पिता को उसे 5 हज़ार रुपये अवश्य देने चाहिए। रामलाल को उसे मांगी गई धन-राशि देनी पड़ी। बिशम्बर ने अपने आपको विजयी समझा। भोली ने ऐसे लालची आदमी से शादी करने से इन्कार कर दिया। बिशम्बर को अपनी बारात के साथ वापस लौटना पड़ा।

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Long Answer Type Questions

Question 1.
Describe, in brief, the early childhood of Bholi.
संक्षेप में Bholi के बचपन के प्रारम्भिक दिनों का वर्णन करे।
Answer:
Her real name was Sulekha. But since her childhood everyone had been calling her Bholi, the simpleton. She was the fourth daughter of Numberdar Ramlal. When she was ten months old, she had fallen off the cot on her head. This had damaged some part of her brain. She became a mentally retarded child. So she was called Bholi, the simpleton.

At birth, she was very pretty and fair. At the age of two, she had an attack of smallpox. Her eyes were safe but her entire body got permanently disfigured by deep black pock marks. She could not speak till she was five. Then she used to stammer. The other children often made fun of her. So she talked very little. She was one of the seven siblings.

She had three sisters and three brothers. Her brothers had gone to the city to study in schools and later in colleges. Her sisters were healthy and good-looking. Bholi was neither good-looking nor intelligent.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

उसका असली नाम सुलेखा था। लेकिन उसके बचपन से ही सब उसको भोली कह कर बुलाते थे, भोली बुद्ध। वह नम्बरदार रामलाल की चौथी बेटी थी। जब वह दस महीने की हुई तो वह अपनी चारपाई से अपने सिर के बल गिर गई। इसने उसके दिमाग के किसी भाग में क्षति पहुँचाई थी। वह दिमागी तौर पर एक पिछड़ा हुआ बच्चा बन गई।

इस लिए उसको बुद्ध Bholi कहकर पुकारा जाने लगा। अपने जन्म के समय वह बहुत गोरी-चिट्टी थी। दो साल की आयु में उसे चेचक का आक्रमण हो गया। उसकी आँखें तो सुरक्षित रहीं लेकिन सारा शरीर काले चेचक के धब्बों से स्थाई तौर पर बदशक्ल हो गया। पाँच वर्ष की आयु से पहले वह बोल भी नहीं सकती थी।

फिर वह हकलाती थी। दूसरे बच्चे प्रायः उसका मजाक उड़ाते थे। इसलिए वह बहुत कम बातें करती थी। वह सात भाई-बहनों में एक थी। उसके तीन भाई और तीन बहनें थीं। उसके भाई शहर में पहले स्कूल और फिर कॉलिज में पढ़ने के लिए चले गये थे। उसकी बहनें स्वस्थ और देखने में सुन्दर थीं। Bholi न देखने में सुन्दर थी न बुद्धि वाी थी।

Objective Type Questions

This question will consist of 3 objective type questions carrying one mark each. These objective questions will include questions to be answered in one word to one sentence or fill in the blank or true/false or multiple choice type questions.

Question 1.
How many siblings did Bholi have ?
Answer:
Bholi had six siblings-three brothers and three sisters.

Question 2.
Why was Sulekha called Bholi ?
Answer:
Because of damage to her brain, she became a backward child and so was called Bholi, the simpleton.

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Question 3.
What was the effect of small-pox on Bholi ?
Answer:
Her body was permanently disfigured.

Question 4.
Why did children make fun of Bholi ?
Answer:
They made fun of her because of her stammering.

Question 5.
Why was Ramlal worried about Bholi ?
Answer:
He was worried about Bholi because she had neither good looks nor intelligence for getting married.

Question 6.
Why did the Tehsildar come to the village ?
Answer:
He came to the village to perform the opening ceremony of the primary school.

Question 7.
Why did the Tehsildar want Ramlal to send his daughters to the school ?
Answer:
He wanted Ramlal to do this as he must set an example to the villagers being an agent of the government in the village.

Question 8.
Why did Ramlal’s wife agree to send Bholi, but not other daughters to school ? (V.V. Imp.)
Answer:
She agreed to send Bholi to school because she had no chance of getting married with her ugly face and lack of sense ; other beautiful daughters had no chance of getting married, if they went to school.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

Question 9.
Why was Bholi glad to see so many girls of her own age at school ?
Answer:
She was glad because she hoped that one of these girls would become her friend.

Question 10.
What happened when the teacher asked Bholi her name?
Answer:
Sweat broke out over her whole body but then she stammered her name Bho-Bho Bho.

Question 11.
Why did Bholi’s parents agree to Bishamber’s proposal for Bholi ?
Answer:
They agreed to the proposal fearing if they did not accept it, she may remain unmarried all her life.

Question 12.
How did Bishamber come to wed Bholi ?
Answer:
Bishamber came to wed Bholi with a big party of friends and relatives on a decorated horse and led by a band.

Question 13.
Why did Bishamber demand five thousand rupees as dowry?
Answer:
He wanted five thousand rupees as dowry as his would-be wife Bholi had pock marks on her face.

Question 14.
Why did Bholi refuse to marry Bishamber?
Answer:
She did not want to marry a mean, greedy and hateful coward as Bishamber.

Question 15.
Bishamber was a heartless man. (True/False)
Answer:
True.

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Question 16.
An old woman said that Bholi was a ………… girl. (Fill up the blank with a suitable word) (shameless/proud)
Answer:
shameless.

Question 17.
Bishamber demanded a dowry of 5000 rupees from Bholi’s father. (True/False)
Answer:
True.

Question 18.
Bholi’s school teacher felt the satisfaction of …… (Choose the correct option)
(i) a singer
(ii) a dancer
(iii) an artist.
Answer:
(iii) an artist.

Question 19.
Write how Bholi used three pauses in telling her name.
Answer:
Bho-Bho-Bho-Bholi.

Question 20.
Bholi had neither beauty nor intelligence. (True/False)
Answer:
True.

Question 21.
Bishamber was a …………… by profession. (labourer/dancer/grocer)
Answer:
grocer.

Question 22.
Pick up the correct word for Bholi’s trouble in speaking. (stuttering, lisping,stammering).
Answer:
Stammering.

Bholi Summary in English

Bholi Introduction:

This story tells us about a girl named Sulekha who was called Bholi because she was a simpleton. She was a neglected child. She used to stammer. She was disliked and neglected by everyone. So she had an inferiority complex. She was guided by her primary school teacher properly.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

Her education gave her the courage and capability to fight against her weakness. She refused to marry an elderly man Bishamber Nath who was a greedy person. Her education helped her to be independent. Her right decision made her respectable in her society.

Bholi Summary in English:

She was called Bholi, the simpleton although her name was Sulekha. She was fourth daughter of Numberdar Ramlal. When she was ten months old, she fell off her cot and received an injury on some part of her brain. She remained a backward child.

She came to be known as Bholi, the simpleton. At her birth, she was very fair and pretty. At the age of two she had an attack of small-pox. Only her eyes were saved. Her entire body was permanently disfigured by deep black pock-marks.

She could not speak till she was five. When she learnt to speak, she stammered. The other children often made fun of her and mimicked her. As a result, she talked very little. She had three brothers and three sisters. She was the youngest of them all.

Her father was a wealthy farmer. All the children except Bholi were healthy. The brothers had been sent to the city to study in schools and later in colleges. Radha, the eldest girl, was already married.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

The second daughter Mangla’s marriage had also been settled. The third daughter Champa was waiting to be married. They were good looking girls. They would easily get bridegrooms. Ramlal was worried about Bholi. She had neither good looks nor intelligence.

Mangla was married when Bholi was seven. The same year a primary school was opened in their village. The Tehsildar performed the opening ceremony of the school. He told Ramlal, the Numberdar, to send his daughters to school. His wife did not like this idea.

She was of the view if girls went to school, nobody would marry them. But Ramlal did not have the courage to disobey the Tehsildar. Ramlal and his wife sent Bholi to school as she had no chance to get married. He told his wife to dress Bholi in good clothes and send her to school. Previously she used to wear old clothes worn by her sisters.

Ramlal and. Bholi went to school. She was handed over to the headmistress. Bholi was glad to find so many girls of her own age present there. Bholi saw some pictures in the classroom. She felt fascinated by the colours. The teacher stood by her side.

She was smiling. The teacher asked her name. Since Bholi was a stammerer, she could not go further than Bh-Bh-Bho. She began to cry and tears began to flow from her eyes. She kept her head down. She saw the girls were laughing at her.

The school bell rang. All the girls ran out of their classes. The teacher called her in a very soft voice. She asked her to tell her name. She again said Bho-Bho-Bho-Bho. At last she was able to say Bholi. The teacher patted her affectionately and told her that she had done well.

She told Bholi to put the fear out of her heart and then she would be able to speak like everyone else. Bholi said that she would come to school every day. The teacher then told her to take the book.

The book was full of nice pictures and the pictures were in colour—dog, cat, goat, horse, parrot, tiger and a cow. She assured Bholi that she will be given a bigger book. After finishing she will get a still bigger one. In time she will be learned. Then nobody will laugh at her. She told her to come to school every day.

Bholi feit happy. She thought that she was having a new life. Thus the years passed. The village became a small town. Ramlal and his wife settled the marriage of Bholi with one Bishamber Nath who was an old man. He was a well-to do grocer.

His marriage party came in village. Bishamber told his friend in the marriage mandap that his would-be wife had pock marks on her face. His friend told him that it should not matter as he himself was quite old.

But Bishamber told Bholi’s father if he was to marry Bholi, her father must give him five thousand rupees. Ramlal begged Bishamber Nath not to humiliate him. He offered him two thousand rupees. He told him to be merciful. Bishamber told him to give him five thousand rupees.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

Bholi threw a garland of her neck into the fire. She told her father that she was not going to marry this greedy old man who was lame. The guests began to say that she was shameless. Ramlal shouted at Bholi not to disgrace her family. Bholi said that for the sake of her father’s izzat she was willing to marry this lame old man. But now she will not marry such a mean, greedy and hateful coward.

An old woman said that she is a shameless girl. They all thought that she was a dumb cow. She said that the auntie was all right. That is why they had decided to hand her over to that heartless creature. Bishamber. Nath, the grocer, started to go back with his party. Ramlal stood rooted to the ground. His head was bowed low. The flames of the sacred fire slowly died down. Ramlal told Bholi that nobody would marry her.

She told her father not to worry. She said that she will serve her father in her old age. She will teach in the same school. Her teacher was present there. In her smiling eyes there was the light of a deep satisfaction that an artist feels when he sees the completion of his work.

Bholi Summary in Hindi

Bholi Introduction:

यह कहानी हमें एक लड़की के बारे में बताती है जिसका नाम सुलेखा था। उसको Bholi कह कर पुकारते थे क्योंकि वह बुद्ध थी। वह हकलाती थी। वह उपेक्षित बच्ची थी। उसको कोई पसन्द नहीं करता था। इसलिए उसमें हीन भावना थी। उसके प्राईमरी स्कूल की अध्यापिका ने उसको ठीक ढंग से मार्गदर्शन किया।

इसलिए उसकी शिक्षा ने उसको उत्साह और योग्यता प्रदान की ताकि वह अपनी कमज़ोरी के विरुद्ध लड़ सके। उसने एक वृद्ध व्यक्ति बिशम्बर नाथ से विवाह करने से इन्कार कर दिया। वह बहुत लालची आदमी था। उसकी शिक्षा ने उसको अपने पाँव पर खड़ा होने में सहायता की। उसके ठीक निर्णय ने उसको अपनी सोसाईटी में सम्मानित बना दिया।

Bholi Summary in Hindi:

उसको भोली कहते थे, वह बुद्ध थी यद्यपि उसका नाम सुलेखा था। वह नम्बरदार रामलाल की चौथी बंटी थी। जब वह दस मास की थी, वह अपनी चारपाई से गिर गई और उसके दिमाग के किसी भाग में चोट लग गई। वह एक पिछड़ी हुई बच्ची बन गई। उसको भोली, बुद्ध कह कर पुकारा जाने लगा। अपने जन्म के समय वह गोरी चिट्टी थी।

दो साल की आयु में उस पर चेचक का आक्रमण हो गया। केवल उसकी आंखें बची और उसका बाकी शरीर स्थाई तौर पर चेचक के काले निशानों के कारण बदशक्ल हो गया। पाँच साल की आयु तक तो वह बोल भी न सकी। जब वह बोलने लगी तो वह हकलाती थी। दूसरे बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते थे और उसकी नकल भी करते थे।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

इसका नतीजा यह हुआ कि वह बहुत कम बातें करती थी। उसके तीन भाई और तीन बहनें थीं। वह आयु में सबसे छोटी थी। उसका बाप एक धनी ज़मींदार था। भोली को छोड़कर उसके सब बच्चे स्वस्थ थे। उसके भाइयों को स्कूल में पढ़ने के लिए शहर में भेजा गया और स्कूल के बाद college में।

सबसे बड़ी लड़की राधा की पहले ही शादी हो चुकी थी। दूसरी बेटी मंगला की शादी भी तय हो चुकी थी। तीसरी बेटी चम्पा शादी होने की प्रतीक्षा कर रही थी। वे सुन्दर दिखने वाली लड़कियाँ थीं। उनको आसानी से दूल्हे मिल जाने थे। रामलाल को भोली के बारे में बड़ी चिन्ता थी। न तो उसकी रूपरेखा अच्छी थी और न ही वह बुद्धिमान थी। जब भोली 7 वर्ष की थी तो मंगला की शादी हो गई। उसी वर्ष उनके गांव में एक प्राईमरी स्कूल खुल गया।

स्कूल का उदघाटन समारोह तहसीलदार ने किया। तहसीलदार ने रामलाल नम्बरदार को कहा कि वह अपनी बेटियों को स्कूल भेजे। उसकी पत्नी को यह राय अच्छी नहीं लगी। उसका विचार था कि यदि लड़कियाँ स्कूल पढ़ने जायेंगी तो उनसे कोई विवाह नहीं करेगा। लेकिन रामलाल में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह तहसीलदार का कहना न माने। रामलाल और उसकी पत्नी ने भोली को स्कूल भेज दिया क्योंकि उसके शादी होने का अवसर नहीं था। उसने अपनी पत्नी को कहा कि भोली को अच्छे कपड़े पहनाकर स्कूल भेजे। इससे पहले वह अपनी बहनों के पहने हुए पुराने कपड़े पहना करती थी।

रामलाल और भोली स्कूल गये। उसे headmistress के हवाले कर दिया गया। भोली अपनी आयु की बहुतसी लड़कियां वहां देखकर बहुत खुश हुई। उसने class-room में बहुत से चित्र देखे। वह रंगों को देखकर मन्त्रमुग्ध हो गई। उसकी teacher भी उसके पास खड़ी थी। वह मुस्करा रही थी। Teacher ने उसका नाम पूछा।

चूँकि वह हकलाती थी इसलिए वह अपने नाम को साफ ढंग से बोल नहीं सकी। वह Bho- के आगे न जा सकी। फिर उसने रोना आरम्भ कर दिया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उसने अपना सिर नीचे झुका लिया। उसने देखा कि दूसरी लड़कियाँ उस पर हंस रही थीं। इतने में स्कूल की घंटी बजी। सब लड़कियां अपनी classes से बाहर आ गई। भोली की teacher ने उसको बड़ी कोमल आवाज़ में बुलाया। उसने उसको अपना नाम बताने को कहा।

Bho-Bho-Bholi अन्त में वह Bholi कहने में सफल हो गई। टीचर ने बड़े प्यार से उसको थपकी दी और उसको उत्साहित भी किया। टीचर ने भोली को कहा कि वह अपने हृदय से भय को निकाल दे। तब वह सब की तरह साफ-साफ बोल सकेगी। भोली ने यह भी कहा कि वह प्रतिदिन स्कूल आयेगी। Teacher ने उसको कहा कि वह किताब को ले ले।

किताब में अच्छी-अच्छी तस्वीरें थीं और वे सब चित्र रंगीन थे-कुत्ता, बिल्ली, बकरी, घोड़ा, बाघ और गाय। उसने भोली को कहा कि इस किताब को समाप्त करने के बाद उसे इससे बड़ी पुस्तक मिलेगी। उसको समाप्त करने पर उससे भी बड़ी किताब मिलेगी। समय बीतने पर वह काफ़ी कुछ सीख जायेगी। तब कोई भी उसकी हंसी नहीं उड़ायेगा। उसने भोली को कहा कि उसे प्रतिदिन स्कूल आना चाहिए।

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi

भोली प्रसन्न हो गई। उसने सोचा कि उसका नया जीवन आरम्भ हो रहा है। इस प्रकार वर्ष बीतते गये। गांव एक छोटा नगर बन गया। Ramlal ने भोली की शादी वहां के किरयाने के दुकानदार बिश्म्बरनाथ से कर देने का निर्णय कर लिया। शादी के दिन मंडप में बैठे हुए बिश्म्बरनाथ ने देखा कि उसकी होने वाली पत्नी के चेहरे पर चेचक के दाग हैं। बिश्म्बरनाथ के एक मित्र ने उसको बताया कि भोली के चेहरे पर चेचक के दाग थे।

Word Meanings:
PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 3 Bholi 1

 

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

Short Answer Type Questions

Question 1.
Give a brief account of Mr. Lucas’s visit to Miss Beam’s school.
Mr: Lucas के Miss Beam के स्कूल में दौरे का संक्षिप्त वर्णन करो।
Answer:
Once the author visited Miss Beam’s school. It taught normal school subjects and also made the students sympathetic, thoughtful and kind. The author saw many handicapped children. Actually they were all healthy. They were playing at being crippled. Each child was made to have one blind day, one lame day, one dumb day and one maimed day in a term.

This made the students understand the misfortunes of the handicapped. The blind day was very troublesome. At the end of the visit, the author thought that Miss Beam’s school did a very useful service in making the students sympathetic and kind.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

एक बार लेखक मिस बीम के स्कूल गया। इसमें आम विषय पढ़ाए जाते थे और यह विद्यार्थियों को सहानुभूतिपूर्ण, विचारशील और दयालु बनाता था। लेखक ने बहुत से अपंग बच्चे देखे। वास्तव में वे सभी स्वस्थ थे। वे अपंग होने का अभिनय कर रहे थे।

एक अवधि में हर बच्चे के लिए एक अन्धा होने का दिन, एक लंगड़ा होने का दिन, एक बहरा और गूंगा होने का दिन और एक अपाहिज होने का दिन आवश्यक था। इससे विद्यार्थियों को अपंग मानवों के दुर्भाग्य की जानकारी होती थी। अन्धा होने का दिन बहुत कष्टदायक था। दौरे के अन्त में लेखक ने सोचा कि मिस बीम का स्कूल विद्यार्थियों को सहानुभूतिपूर्ण तथा दयालु बनने में बहुत लाभदायक काम करता था।

Question 2.
“In the course of the term every child has one blind day, one lame day, one deaf day, one maimed day, one dumb day.” What were the children expected to do on these days ? ”
(पढ़ाई की) अवधि के दौरान प्रत्येक बच्चे को एक दिन अन्धा, एक दिन लंगड़ा, एक दिन बहरा, एक दिन अपंग, एक दिन गूंगा होना पड़ता है।” इन दिनों बच्चों से क्या आशा की जाती थी ?
Answer:
On the blind day, the eyes of children were bandaged. Such children needed help in everything. On the lame day, a leg of the child was tied up and he was to hop about on a crutch. On the deaf day, the ears of children were clogged. On the maimed day, an arm was tied up and the children had to get their food cut for them.

On the dumb day, they were to remain silent. As their mouths were not bandaged, they had to depend upon their will power. They were made to take part in these misfortunes in order to make them appreciate and understand the misfortune of others. The basic idea was to make the children sympathetic towards such helpless children.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

अन्धा होने के दिन, बच्चों की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती थी। ऐसे बच्चों को प्रत्येक काम में सहायता की आवश्यकता थी। लंगड़ा होने के दिन बच्चे की एक टांग बांध दी जाती थी और उसे बैसाखी पर फुदकना पड़ता था। बहरा होने के दिन, बच्चों के कान अवरुद्ध कर दिये जाते थे।

अपंग होने के दिन बच्चे की एक भुजा बांध दी जाती थी और बच्चों को उनका भोजन काटना होता था। गूंगा होने के दिन उन्हें चुप रहना होता था। क्योंकि उनके मुंह पर पट्टी नहीं बांधी जाती थी उन्हें अपनी इच्छा-शक्ति पर निर्भर रहना पड़ता था। उन्हें इन दुर्भाग्यों में भाग लेने के लिये शिक्षित किया जाता था ताकि वे दूसरों के दुर्भाग्य को समझ सकें। मुख्य विचार बच्चों को ऐसे असहाय बच्चों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण बनाना था।

Long Answer Type Questions

Question 1.
What did the author see in Miss Beam’s school at first sight? How did he feel about it?
पहली नज़र में लेखक ने Miss Beam के स्कूल में क्या देखा ? इस के बारे में उसे कैसा लगा ?
Answer:
The author visited Miss Beam’s school. He looked out of the window. He told Miss Beam that he had seen some very beautiful grounds and a lot of jolly children. But it was an unpleasant and painful experience. He pointed out that all the children were not as healthy and active as they should be.

On entering the school, he saw a girl being led about by another child. It could be understood that the girl had some trouble with her eyes. After that, the writer could see two more girls in the same condition. He also saw a girl with a crutch watching the other children at play. He came to the conclusion that the girl must be a helpless cripple.

लेखक मिस बीम के स्कूल गया। उसने खिड़की से बाहर देखा। उसने मिस बीम को बताया कि उसने बहुत सुन्दर स्थल और बहुत से प्रसन्न बच्चे देखे हैं। लेकिन यह असुहावना और दुखद अनुभव था। उसने कहा कि सब बच्चे इतने स्वस्थ और चुस्त नहीं थे जितने होने चाहिये। स्कूल में प्रवेश करने पर उसने एक लड़की को दूसरे बच्चे द्वारा ले जाते हुए देखा।

यह समझा जा सकता था कि लड़की की आंखों मे कोई तकलीफ थी। इसके पश्चात् लेखक दो और लड़कियों को उसी हालत में देख सकता था। उसने एक लड़की को बैसाखी के साथ दूसरे बच्चों को खेलते हुए देखा। वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि लड़की असहाय विकलांग थी।

Question 2.
Give a character-sketch of Miss Beam.
Answer:
Miss Beam was kind-hearted, middle-aged, authoritative and full of understanding. She started a new school known as the School for Sympathy. Important school subjects were taught in this school. But this school was different in one aspect. Here the students were given training in good qualities. The real aim of the school was to give training in thoughtfulness, humanity and good citizenship.

Every child in her school had one blind day, one lame day, one deaf day and one dumb day etc. The children thus had a taste of misfortune. As a result, they learnt to be sympathetic towards handicapped people. Miss Beam was an asset to society. She wanted to promote noble ideas in society.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

मिस बीम एक दयालु-हृदय वाली, अधेड़ अवस्था की, रौबदार और समझदार स्त्री थी। उसने School for Sympathy के नाम से एक नया स्कूल चालू किया। स्कूल के महत्त्वपूर्ण विषय इस स्कूल में पढ़ाये जाते थे। लेकिन एक बात में यह स्कूल भिन्न था। यहां विद्यार्थियों को अच्छे गुणों की शिक्षा दी जाती थी। स्कूल का मुख्य उद्देश्य विचारशीलता, मानवता और नागरिकता में प्रशिक्षण देना था।

इसके स्कूल के प्रत्येक बच्चे का एक अन्धा होने का दिन, एक लंगड़ा होने का दिन, एक बहरा होने का दिन और एक गूंगा होने का दिन होता था। इस तरह बच्चे दुर्भाग्य का अनुमान लगा सकते थे। परिणामस्वरूप, उन्होंने अपंग लोगों के प्रति सहानुभूतिशील होना सीख लिया। मिस बीम समाज के लिए एक पूंजी थी। वह समाज में अच्छे विचारों का विकास करना चाहती थी।

Question 3.
Give in your own words the theme of the lesson ‘The School For Sympathy’.
Answer:
Traditional or conventional education given in schools is not ideal. It gives information of facts. It enables a person to earn his living. In addition to the normal subjects, the students of Miss Beam’s ideal school were also given lessons on humanity and citizenship.

Here students got a real understanding of misfortune. During training every child had one blind day, one deaf day and one dumb day. During the blind day their eyes were bandaged. The bandage was also put during the night. By being blind for a day the child realised what a misfortune it was to be blind. In the same way children learnt the difficulties of the deaf and the dumb people.

स्कलों में दी जाने वाली परम्परागत शिक्षा आदर्श नहीं है। यह तथ्यों की सूचना देती है। यह मनुष्य को अपनी आजीविका कमाने योग्य बनाती है। आम विषयों के अतिरिक्त मिस बीम के आदर्श स्कूल में विद्यार्थियों को मानवता और नागरिकता के पाठ पढ़ाए जाते थे। यहां विद्यार्थियों को दुर्भाग्य की वास्तविक जानकारी दी जाती थी।

प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक बच्चे का एक अन्धा होने का दिन, एक बहरा होने का दिन और एक गूंगा होने का दिन होता था। अन्धे होने के दिन के दौरान उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती थी। पट्टी रात को बांध दी जाती थी। एक दिन अन्धे बने रहने पर बच्चे को महसूस होता था कि अन्धे होना कितना दुर्भाग्यपूर्ण था। इसी तरह बच्चों को बहरे और गूंगे लोगों की कठिनाइयों का पता चलता था।

Objective Type Questions

This question will consist of 3 objective type questions carrying one mark each. These objective questions will include questions to be answered in one word to one sentence or fill in the blank or true/false or multiple choice type questions.

Question 1.
What does the author tell us about Miss Beam ?
Answer:
He tells us that Miss Beam was a middle-aged, kindly, understanding and impressive lady.

Question 2.
What was the real aim of Miss Beam’s school ?
Answer:
Its real aim was to make the students thoughtful, helpful and sympathetic citizens.

Question 3.
Why did the author feel sorry for some of the children ?
Answer:
He felt sorry for some children because they seemed to be handicapped.

Question 4.
Were the children playing in the ground really physically handicapped ?
Answer:
They were not really handicapped.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

Question 5.
Why were the children acting to be blind, deaf or lame ?
Answer:
The children were acting to be blind, lame and deaf to have experience of misfortune.

Question 6.
What is the educative value of a blind, deaf or lame day?
Answer:
Students get an idea of the discomfort of handicapped persons and then they have sympathy for the handicapped.

Question 7.
Which day is the most difficult for children ?
Answer:
The blind day is the most difficult for children.

Question 8.
Who did Miss Beam lead the author to ?
Answer:
Miss Beam led the author to the girl whose eyes were bandaged.

Question 9.
How did the girl with bandaged eyes feel on her blind day?
Answer:
All the time she feared that she was going to be hit by something.

Question 10.
What does the girl with the bandaged eyes tell the author about her guides ?
Answer:
She tells the author that the guides were very good.

Question 11.
What, according to the girl with the bandaged eyes, is almost a fun ?
Answer:
According to her, hopping about with a crutch is almost a fun.

Question 12.
Why does the girl with the bandaged eyes say that her head aches all the time on her blind day?
Answer:
She says that her head aches all the time just from dodging things that are not there.

Question 13.
What does the girl, with the bandaged eyes, tell the author about the head girl ?
Answer:
She says that she is very decent.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

Question 14.
What does the girl with the bandaged eyes say about the gardener ?
Answer:
She says that he is hundreds of years old.

Question 15.
What made Miss Beam think that there was something in her system?
Answer:
Miss Beam was right to think so because her school had taught the author to share the sorrows of others.

Question 16.
Choose the correct option:
(i) Miss Beam was a cruel lady.
(ii) Miss Beam was a young lady, teaching in a school.
(iii) Miss Beam was a middle aged, kindly and impressive lady.
Answer:
(iii) Miss Beam was a middle aged, kindly and impressive lady.

Question 17.
Choose the correct option :
(i) The aim of Miss Beam’s school was to make the students thoughtful, helpful and sympathetic citizens.
(ii) The object of Miss Beam’s school was to make the students bookworms.
(iii) Miss Beam’s school made the students into good sportspersons.
Answer:
(i) The aim of Miss Beam’s school was to make the students thoughtful, helpful and sympathetic citizens.

Question 18.
Choose the correct option :
The author was sorry for some children of Miss Beam’s school because they were :
(i) poor.
(ii) handicapped.
(iii) sick.
Answer:
(ii) handicapped.

Question 19.
Write True or False as appropriate :
(i) The children in Miss Beam’s school were handicapped.
(ii) They were acting to be handicapped.
(iii) They were being treated for being handicapped.
Answer:
(i) False
(ii) True
(iii) False.

Question 20.
Write True or False as appropriate :
The most difficult day for the students in Miss Beam’s school was the lame day.
Answer:
False.

Question 21.
Write True or False as appropriate :
The most difficult day for the students in Miss Beam’s school was the deaf day.
Answer:
False.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

Question 22.
Write True or False as appropriate :
The most difficult day for the students in Miss Beam’s school was the blind day.
Answer:
True.

Question 23.
The writer had heard of the ……….. of the system of Miss Beam’s school. (Fill up the blank)
Answer:
originality

Question 24.
The bandaged girl tells the writer that the gardener was …………. of years old. (Fill in the blank)
Answer:
hundreds

Question 25.
What was the name of the bandaged girl ?
Answer:
Millie.

The School for Sympathy Summary in English

The School for Sympathy Introduction:

In this essay the writer tells us about a new type of school. As the name indicates, its purpose is to create sympathy among its students for the lame, the blind and the handicapped. It teaches all the subjects taught by other schools. But it differs from other schools in one important aspect. It makes its students good citizens.

The School for Sympathy Summary in English:

The writer had heard a lot about Miss Beam’s School for Sympathy. One day he got the chance to visit it. He saw a twelve-year old girl. Her eyes were covered with a bandage. An eight-year old boy was leading her carefully between the flower-beds.

After that the author met Miss Beam. She was a middle-aged, kindly and understanding lady. He asked her questions about her way of teaching. She told him that the teaching methods in her school were very simple. The students were taught spelling, arithmetic and writing.

The author told Miss Beam that he had heard a lot about the originality of her teaching method. Miss Beam told him that the real aim of her school was to make the students thoughtful. She wanted to make them helpful and sympathetic citizens. She added that parents sent their children to her school gladly. She then asked the writer to look out of the window.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

The author looked out of the window. He saw a large garden and playground. Many children were playing there. He told Miss Beam that he felt sorry for the physically handicapped. Miss Beam laughed at it. She explained to him that they were not really handicapped. It was the blind day for a few while for some it was the deaf day. There were still others for whom it was the lame day. Then she explained the system.

To make the students understand misfortune, they were made to have experience of misfortunes. In the course of the term every child had one blind day, one lame day, one deaf day, one maimed day and one dumb day. On the blind day, their eyes were bandaged. They did everything with the help of other children. It was educative to both the blind and the helpers.

Miss Beam told the author that the blind day was very difficult for the children. But some of the children feared the dumb day. On the dumb day, the child had to exercise willpower because the mouth was not bandaged. Miss Beam introduced the author to a girl whose eyes were bandaged. The author asked her if she ever peeped. She told him that it would be cheating. She also told the author that she had no idea of the difficulties of the blind.

All the time she feared that she was going to be hit by something. The author asked her if her guides were good to her. She replied that they were very good. She also informed the author that those who had been blind already were the best guides. The author walked with the girl leading her to the playground. She told him that the blind day was the worst day.

She didn’t feel so bad on the maimed day, lame day and deaf day. The girl asked the author where they were at the moment. He told her that they were going towards the house. He also told her that Miss Beam was walking up and down the terrace with a tall girl. The blind girl asked what that tall girl was wearing.

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

When the author told her about the tall girls dress, she at once made out that she was Millie. The author described the surroundings to her. He felt that as a guide to the blind, one had to be thoughtful. He was full of praise for Miss Beam’s system of education which made the student sympathetic and kind. The writer himself had become ten times more thoughtful.

The School for Sympathy Summary in Hindi

The School for Sympathy Introduction:

इस लेख में लेखक एक नये प्रकार के स्कूल के बारे बतलाता है। जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है, इसका उद्देश्य उसके छात्रों में लंगड़ों, अन्धों और अपंगों के लिए सहानुभूति पैदा करना है। इस स्कूल में वे तमाम विषय पढ़ाये जाते हैं जो कि अन्य स्कूलों में पढ़ाये जाते हैं। लेकिन यह स्कूल दूसरे स्कूलों से एक महत्त्वपूर्ण पक्ष में भिन्न है। यह अपने छात्रों को अच्छे नागरिक बनाता है।

The School for Sympathy Summary in Hindi:

लेखक ने Miss Beam के सहानुभूति के लिए स्कूल के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। एक दिन उसे यह देखने का अवसर मिला। उसने एक 12 वर्ष की लड़की देखी। उसकी आंखें पट्टी से ढकी हुई थीं। एक आठ वर्ष का लड़का बड़ी सावधानी के साथ फूलों की क्यारियों में से उसका मार्ग-दर्शन कर रहा था।

उसके बाद लेखक मिस बीम को मिला। वह अधेड़ उम्र की दयालु समझदार स्त्री थी। उसने उससे पढ़ाने के ढंग के बारे में पूछा। उसने उसे बताया कि उसके स्कूल में पढ़ाने का ढंग बहुत सादा था। विद्यार्थियों को हिज्जे करना, गणित और लिखना सिखाया जाता था।

लेखक ने मिस बीम को बताया कि वह उसके पढ़ाने के ढंग की मौलिकता के विषय में बहुत कुछ सुन चुका था। मिस बीम ने उसे बताया कि उसके स्कूल का वास्तविक ध्येय विद्यार्थियों को विचारशील बनाना था। वह अपने विद्यार्थियों को सहायक और सहानुभूतिशील नागरिक बनाना चाहती थी। उसने फिर कहा कि माता-पिता बच्चों को उसके स्कूल में खुशी से भेजते थे। उसने तब लेखक को खिड़की से बाहर देखने को कहा। .

लेखक ने खिड़की से बाहर देखा। उसने एक बड़ा बाग़ और खेल का मैदान देखा। बहुत से बच्चे वहीं खेल रहे थे। लेखक ने मिस बीम को बताया कि उसे इन अपंग बच्चों से हमदर्दी है। मिस बीम हंस पड़ी। उसने बताया कि वे अपंग बच्चे नहीं थे। कुछ बच्चों के लिए यह ‘अन्धा रहने का दिन था’ और कुछ के लिए बहरा रहने का दिन था। कुछ बच्चों के लिए यह लंगड़ा रहने का दिन था। फिर मिस बीम ने शिक्षा प्रणाली समझाई।

विपत्ति से पीड़ित मनुष्य की भावनाओं का अनुभव कराने के लिए बच्चों को विपत्ति में भागीदार बनाया जाता था। शिक्षा के दौरान हर बच्चे को एक दिन अन्धा, एक दिन बहरा, एक दिन लंगड़ा और एक दिन गूंगा रहना पड़ता था। अन्धे रहने वाले दिन उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती थी। वे हर काम दूसरे बच्चों की सहायता से करते थे।

यह अन्धे लड़के और उसके सहायक दोनों के लिए शिक्षाप्रद होता था। मिस बीम ने लेखक को कहा कि अन्धा रहने वाला दिन बच्चों के लिए कठिन होता था। किन्तु कुछ बच्चे गूंगे रहने वाले दिन से डरते थे। गूंगे रहने वाले बच्चे को इच्छा शक्ति प्रयोग करनी पड़ती थी क्योंकि मुंह पर

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy

पट्टी नहीं बांधी जाती थी। मिस बीम ने लेखक को एक अन्धी लड़की से मिलवाया। उसकी आंखों पर पट्टी बन्धी थी। लड़की और लेखक अकेले रह गए। लेखक ने पूछा क्या वह कभी पट्टी में से झांकती है। लड़की ने बताया यह धोखा होगा। उसने यह भी बताया कि अन्धे मनुष्य की कठिनाइयों का उसे कोई भी अनुमान नहीं था।

उसे हर समय यही डर लगा रहता था वह किसी चीज़ से टकराने वाली थी। लेखक ने पूछा क्या उसके सहायक उसके प्रति अच्छे थे। उसने उत्तर दिया कि वे काफ़ी अच्छे थे। उसने लेखक को यह भी बताया कि जो सहायक पहले अन्धे रह चुके थे वे सबसे बढ़िया थे।

लेखक लड़की को खेल के मैदान तक ले आया। उस अन्धी लड़की ने बताया कि ‘अन्धा दिन’ सबसे बुरा था। उसने ‘लंगड़े दिन’, ‘बहरे दिन’ ऐसा बुरा महसूस नहीं किया था। अन्धी लड़की ने पूछा कि वे इस समय कहां थे। लेखक ने बताया कि वे मकान की ओर जा रहे थे। उसने यह भी बताया कि मिस बीम एक लम्बी लड़की के साथ बरामदे में टहल रही थी। अन्धी लड़की ने पूछा कि उस लम्बी लड़की ने क्या पहना है।

जब लेखक ने लड़की को उसकी वेश-भूषा के विषय में बताया तो अन्धी लड़की एकदम भांप गई कि यह मिल्ली है। लेखक ने लड़की के आस-पड़ोस का वर्णन किया। उसने अनुभव किया कि अन्धे मनुष्य का पथ-प्रदर्शक बनने के लिए विचारवान् बनना पड़ता है। लेखक ने मिस बीम की शिक्षा प्रणाली की बहुत सराहना की। इस शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थी हमदर्द और दूसरों के प्रति दयालु बनता था। लेखक स्वयं दस गुना अधिक विचारशील बन गया था।

Word Meanings:

PSEB 12th Class English Solutions Supplementary Chapter 1 The School for Sympathy 1

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

Short Answer Type Question

Question 1.
Discuss the various physical problems that the Indian freedom fighters had to face in the Cellular Jail.
उन शरीर सम्बन्धी समस्याओं का वर्णन करो जिनका भारतीय स्वतन्त्रता सेनानियों को सामना करना पड़ा।
Answer:
Indian freedom fighters had to face many physical problems. The weather there was very bad. The place was full of mosquitoes and leeches. Food given to the political prisoners was of poor quality. Many were frequently sick with dysentery, fever, tuberculosis and other ailments. Work taken from them was very hard.

They had to extract coconut oil from the kohlu. If they failed to extract the required quantity, jail officials behaved like butchers. Political prisoners and revolutionaries put up stiff resistance against the arrogant conduct of the jail officials. About ten of them died. As a result of their resistance, the jail authorities were forced to discontinue some of the practices of their bad treatment.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

भारतीय स्वतन्त्रता सेनानियों को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। वहाँ (Port Blair) का मौसम बहुत खराब था। वह स्थान मच्छरों और जोंकों से भरा पड़ा था। राजनीतिक कैदियों को दिया जाने वाला भोजन घटिया दर्जे का था। उनमें से बहुत से बार-2 पेचिश, ज्वर, तपेदिक और दूसरी बीमारियों से पीड़ित होते थे।

उनसे लिया जाने वाला काम बहुत कठिन होता था। उन्हें कोल्हू से नारियल का तेल निकालना पड़ता था। यदि वे आवश्यक मात्रा निकालने में असफल रहते, तो जेल के अधिकारी बूचड़ों की तरह व्यवहार करते। राजनीतिक कैदी और क्रांतिकारी जेल अधिकारियों के दुर्व्यवहारपूर्ण आचरण का कड़ा विरोध करते। उनमें से लगभग 10 कैदी मर गये। उनके विरोध का परिणाम यह हुआ कि जेल के अधिकारियों को अपने बुरे व्यवहार को त्याग देना पड़ा।

Question 2.
What was David Barry’s address to the new group of political prisoners ?
राजनीतिक कैदियों के नये ग्रुप को David Barry का भाषण क्या होता था ?
Answer:
David Barry, the Superintendent of Jail, addressed every new group of political prisoners asking them to strictly follow the rules and orders. If they disobeyed him, only God would help them. At least he would not help them. He also told the prisoners to remember that God does not come within three miles of Port Blair (where the Cellular jail was situated). They must also obey the warders and the petty officers.

David Barry जो जेल का Superintendent था राजनीतिक कैदियों के हर नये ग्रुप को भाषण देता। वह उन्हें कहता कि उन्हें नियमों और आदेशों का सख्ती से पालन करना होगा। यदि वे उसका आदेश नहीं मानेंगे, तो केवल परमात्मा ही उनकी सहायता करेगा। कम से कम वह स्वयं तो उनकी सहायता नहीं कर सकेगा। उसने कैदियों को यह याद रखने के लिए भी कहा कि परमात्मा भी तीन मील की परिधि में Port Blair के अन्दर नहीं आता। उन्हें warders और छोटे अधिकारियों का भी अवश्य कहना मानना चाहिए।

Long Answer Type Question

Question 1.
Write, in brief, what you know about the Ghadar Party.
जो तुम Gadhar Party के बारे जानते हो उस के बारे में संक्षेप में लिखें।
Answer:
The Ghadar Party was an organisation founded by Punjabi Indians in the United States of America and Canada with the object of freeing India from the British rule. The important members were Lala Har Dayal, V.G. Pingley, Sant Baba Wasakha Singh, Sohan Singh Bhakna and Rashbehari Bose. At the outbreak of World War I, Ghadar Party members returned to Punjab to agitate for rebellion alongside Babbar Akalis.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

They conducted revolutionary activities in central Punjab. Their attempts were crushed by the British government. The Cellular Jail was set up in Port Blair. This jail was known as Kala Pani. The Ghadar Party was later sent to Kala Pani for torturing. There were other political prisoners. Some of the Ghadar Party prisoners were very old.

They were made to work on the kohlu to extract coconut oil. They had to live in narrow cells. Jail officials were very cruel. They put up a brave resistance. Eight Ghadarites died in the jail. There were strikes led by Sohan Singh Bhakna, Prithvi Singh, Udham Singh Kasel and Kartar Singh Sarabha. They were ready to die for Matribhumi. They were martyrs.

Ghadar Party एक ऐसा संगठन था जिसको अमेरिका और Canada में रहने वाले पंजाबी भारतीयों ने स्थापित किया और इस का उद्देश्य था भारत को अंग्रेजों के राज से आजाद कराना। इसके मुख्य सदस्य थे लाला हरदयाल, V.G.Pingley, संत बाबा बसाखा सिंह, सोहन सिंह भकना और रासबिहारी बोस।

प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ जाने के बाद Ghadar Party के सदस्य पंजाब वापस आ गये ताकि वे Babbar Akalis के साथ मिलकर विद्रोह कर सकें। अंग्रेजी सरकार ने उनके प्रयासों को कुचल दिया। Port Blair में Cellular Jail जेल को स्थापित किया गया। इस जेल को काला पानी के नाम से जाना जाता था।

Ghadar Party को बाद में काला पानी भेजा गया ताकि उन पर अत्याचार किया जाए। वहाँ और भी राजनीतिक कैदी थे। गदर पार्टी के कुछ कैदी बहुत बूढ़े थे। उनसे कोलहू चला कर तेल निकालने का काम लिया जाता था। उन्हें तंग कोठरियों में रहना पड़ता था। जेल अधिकारी बड़े निर्दयी थे। उन्होंने कड़ा विरोध किया। आठ गदर पार्टी वाले जेल में मर गए। कुछ हड़तालों का नेतृत्व Sohan Singh Bhakna, Prithvi Singh, Udham Singh Kasel और Kartar Singh Sarabha ने किया। वे सब मातृभूमि के लिए मरने को तैयार थे। वे शहीद थे।

Question 2.
How were the Indians treated in the Cellular Jail of Andamans by the British officials ?
Cellular Jail में अंग्रेज़ अधिकारियों द्वारा भारतीय लोगों से कैसे व्यवहार किया जाता था ?
Answer:
The Cellular Jail known as Kala Pani was set up by the British government to teach the freedom fighters a lesson of their lives. Their treatment of the Indians was inhuman and cruel. The penal colony was created to isolate and torture the members of the Gadhar Party.

There were revolutionaries from Bengal and Maharashtra. They were given hard work to do and offered poor quality of food. Some suffered from fever, dysentery and other ailments.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

They were forced to extract coconut oil. They had to produce coconut thread by pounding. Old criminals tortured the revolutionaries and political prisoners. All the jail officials such as David Barry were very cruel. They offered resistance. Parma Nand Jhansi hit back the Jailor Barry, so he was beaten mercilessly. The brave revolutionaries were ready to die for the motherland. Eight Gadharites died. Indians opposed brute force of the English government with their soul force.

Cellular जेल जिसको काला पानी कहते हैं अग्रेजों की सरकार ने स्थापित की थी ताकि स्वतन्त्रता सेनानियों को जीवन भर के लिए सबक सिखलाया जाये। भारतीयों के प्रति उनका व्यवहार अमानवीय और क्रूर था। दण्डितों की बस्ती इसलिए बनाई गई थी कि Ghadar Party के सदस्यों को अलगथलग रखा जाये और उन पर अत्याचार किया जाये। वहाँ बंगाल और महाराष्ट्र से क्रान्तिकारी आये हुए थे। उनको करने के लिए कठिन काम दिया जाता था और खाने के लिए घटिया भोजन दिया जाता था। उनमें से कुछ ज्वर, पेचिश और दूसरी बीमारियों से पीड़ित होते थे। उनको कोल्हू से तेल निकालने के लिए विवश किया जाता था। कूट कर उन्हें नारियल के रेशे से धागा (रस्सी) भी बनाना पड़ता था।

पुराने कैदी क्रान्तिकारियों और राजनीतिक कैदियों पर अत्याचार करते थे। जेल के सब अधिकारी जैसे कि Barry बड़े क्रूर थे। क्रांतिकारी विरोध करते थे। Parma Nand Jhansi को बड़ी निर्दयता से पीटा गया था क्योंकि उसने Barry को चोट लगाई थी। बहादुर क्रांतिकारी मातृभूमि के लिए जान देने को तैयार थे। गदर पार्टी के आठ सदस्य मर गये। अंग्रेजी राज की पाश्विक शक्ति का विरोध भारतीय क्रांतिकारी अपनी आत्मा की शक्ति से करते थे।

Objective Type Questions.

This question will consist of 3 objective type questions carrying one mark each. These objective questions will include questions to be answered in one word to one sentence or fill in the blank or true/false or multiple choice type questions.

Question 1.
List a few key members of the Ghadar Party.
Answer:
Key members were Lala Har Dayal, V.G. Pingley, Sant Baba Wasakha Singh Dadehar, Sohan Singh Bhakna, Kartar Singh Sarabha and Rashbehari Bose.

Question 2.
What were the modes of torturing brave fighters ?
Answer:
They were tortured through living in dirty cells, working hard to produce 30 pounds of coconut oil from the ‘Kohlu’ and coir thread and lashing in public.

Question 3.
Write the two names of the Cellular Jail.
Answer:
Its popular name was ‘Kala Pani’ and the other name was the Devil’s Island

Question 4.
What were the physical conditions of the Cellular jail ?
Answer:
Besides bad weather, the jail had mosquitoes and leeches; prisoners were given bad food and they suffered from illness.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

Question 5.
Who were the chief governing officials in the Cellular jail ?
Answer:
Jailor David Barry, Superintendent Murray and the Chief Commissioner were the chief governing officials.

Question 6.
How were the convicts punished when they failed to work properly ?
Answer:
They were abused and given 30 whip lashes in public.

Question 7.
Who were addressed as demi-gods and why? (V. Imp.)
Answer:
Old criminals were called demi-gods as they believed that they had the divine right to ill-treat all prisoners and make their life miserable.

Question 8.
What did the Ghadarites do in the beginning of their conviction period ?
Answer:
They decided not to suffer disrespect without hitting back.

Question 9.
Why was Jyotish Chandra Pal moved to a mental hospital ?
Answer:
He passed blood in stool after a long hunger strike and went mad and so he was moved to a mental hospital.

Question 10.
Why did jail authorities discontinue some of their practices of bad treatment ?
Answer:
Very stiff resistance through long hunger strikes forced the jail authorities to discontinue some of their practices of bad treatment.

Question 11.
Choose the correct option :
The Ghadar Party was founded :
(i) by Punjabi Indians in U.S.A. and Canada
(ii) by. Britishers
(iii) by Pakistanis. Answer:by Punjabi Indians in U.S.A. and Canada.

Question 12.
The object of the Ghadar Party was :
(i) to free India from the yoke of the British rule.
(ii) to remove poverty from India.
Answer:
to free India from the yoke of the British rule.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

Question 13.
What is the other name of Kala Pani ?
Answer:
The Devil’s Island.

Question 14.
Where was the Cellular Jail set up ?
Answer:
In Port Blair.

Question 15.
The setting up of the Cellular Jail took place in :
(i) 1926
(ii) 1906
(iii) 1923
(iv) 1947
Answer:
(ii) 1906.

Question 16.
The first batch of revolutionaries brought here were a group of :
(i) Bengalis
(ii) Maharashtrians
(iii) Punjabis.
Answer:
(i) Bengalis.

Question 17.
Give at least four names of the rebel prisoners in the Kala Pani Jail.
Answer:
(i) Kartar Singh Sarabha
(ii) Lala Har Dayal
(iii) Rash Behari Bose
(iv) Baba Wasakha Singh

Question 18.
Name at least two founders of the Ghadhar Party.
Answer:
(i) Punjabi Indians in U.S.A.
(ii) Punjabi Indians in Canada.

Ghadari Babas in Kalapani Jail Summary in English

Ghadari Babas in Kalapani Jail Introduction:

This extract has been taken from Dr. Harish K. Puri’s book Ghadar Movement. Dr. Harish K. Puri is former professor of Guru Nanak Dev University. He has written extensively on political movements, religion and terrorism. In this extract he gives a harrowing account of the Cellular Jail (called Kala Pani) situated in Port Blair (Andaman and Nicobar Islands). This Cellular Jail (Kala Pani) was set up by the Britishers in far away Andaman Island. The main purpose of the Britishers was to isolate, punish and torture the freedom fighters of India during the early decades of the 20th century.

Ghadari Babas in Kalapani Jail Summary in English:

Ghadar Party was an organisation founded by Punjabi Indians in the United States of America and Canada. Its object was to free India from the British rule. Its important members were Lala Hardayal, V.G. Pingley, Sant Baba Wasakha Singh Dadehar, Sohan Singh Bhakna, Kartar Singh Sarabha, and Rashbehari Bose. The World War I broke out in 1914.

The Ghadar Party members returned to Punjab to agitate for rebellion alongside the Babbar Akali Movement. In 1915, they started revolutionary activities in Central Punjab. They tried to stage revolts, but their attempts were crushed by the British government. The British government in India set up a special jail to teach these brave fighters for the freedom a lesson.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

The Cellular Jail was set up in Port Blair. It is popularly known as Kala Pani. It is situated far away from the Indian mainland. It is also described as the British version of Devil’s Island’. In the beginning, the penal colony was created to isolate and torture for life the members of the Ghadar Party. The newly made jail was opened in 1906. Bengali revolutionaries convicted in conspiracy cases were the first group of 27 political prisoners brought there.

They were followed by others of the Nasik Conspiracy Case, such as V. D. Savarkar and his brother Ganesh Savarkar. The Ghadarites were the largest single group of political prisoners sentenced to transportation for life. Forty of these were brought there in December 1915.

More than 30 from the Lahore Supplementary and Mandlay Conspiracy cases followed later. Other groups of revolutionaries were young. Many among the Ghadar prisoners were quite old. Nidhan Singh was 60 years old; Kehar Singh 62; Kala Singh 55; Gurdit Singh 50 and a large number of them 40 years and above.

There were many difficulties for the prisoners. The weather was bad. The area had many mosquitoes. There were blood-sucking leeches. Many were frequently sick. They suffered from high fever, tuberculosis. They had to work on the oil-mill and extract a minimum of 30 pounds of coconut oil. They had to pound coconut husk to produce coir threads.

If the quantity produced was less, the prisoners were abused and whipped with lashes. Prisoners cried loudly as blood flowed out of their skins. Communication between the prisoners was not possible as each one of them was kept in a small cell.

The recorded accounts of victims and eye-witnesses of over a dozen prominent revolutionaries provided heart-rending details of torture of political prisoners. All accounts refer to the Jailor David Barry, the Superintendent Murray and the Chief Commissioner as butchers and children of Satan. Some old criminals had been appointed as jamadars, petty officers and warders who got pleasure out of torturing political prisoners.

Barin Ghosh, brother of Aurobindo Ghosh, called them smaller gods who would abuse, humiliate and ill-treat the political prisoners and made their life most miserable. Some stories were smuggled out of the jail by Savarkar. They related to young Nani Gopal’s sharp and shrill cries because of whip lashes, his hunger strike that continued for 72 days and the long strike against tortures. The suicide committed by Indu Bhushan raised a storm in the country.

On arrival there, the Ghadarites learnt about the sufferings, the hard struggle of resistance of Bengali and Marathi prisoners. In the beginning, they decided not to suffer any indignity with a determined resistance. Parma Nand Jhansi was abused and threatened by the Jailor Barry for not producing the required quantity of oil. Parma Nand hit the jailor Barry.

As the jailor fell down, Parma Nand Jhansi was mercilessly beaten by the warders. The fall of Barry and the horrible torture of Jhansi created a stir in the jail. In another case of cruelty, Chattar Singh who slapped the Superintendent of Jail, Murray hard, was put in a cage.

Bhan Singh was beaten so hard that he died in the hospital. Resistance and most cruel punishment took the life of Ram Rakha within two months of his arrival in the jail. Eight Ghadarites lost their life in jail. They continued their repeated strikes from work and hunger strikes led by Bhakna. They were joined by 25 others for their rights as political prisoners.

The number of those who joined the strike rose to 100. Jyotish Chandra Pal passed blood in stool and went mad after a month. He was removed to a mental hospital. Prithvi Singh continued his hunger strike for four months. In the history of Andaman such a long strike had never been organised.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail

The impact of the strike was very powerful. The jail authorities were forced to discontinue some of the practices of bad treatment of political prisoners. The revolutionaries sang patriotic songs and Vande Matram, recited Gurbani and did not care for the harshest physical punishment.

They were fighting against brutal forces with soul-force. They were either released in 1921 or transferred to jails in the mainland. Bhakna explained that the crux of the songs which the revolutionaries sang in the jails was : ‘Hey Matribhoomi, this is true that we could not liberate you, but so long as even one of our comrades is alive, he will sacrifice everything to remove your chains.

Ghadari Babas in Kalapani Jail Summary in Hindi

Ghadari Babas in Kalapani Jail Introduction:

यह उद्धरण Dr. Harish K. Puri की पुस्तक Ghadar Movement से लिया गया है। Dr. Harish K. Puri, Guru Nanak Dev University के भूतपूर्व professor हैं। उन्होंने राजनीतिक आन्दोलनों, धर्म और आतंकवाद पर विस्तृत तौर पर पुस्तकें लिखी हैं। इस उद्धरण में उन्होंने cellular jail (काला पानी) का डराने वाला (भयावह) वृत्तान्त दिया है। Cellular शब्द cell से बना है। Cell का अर्थ है छोटी कोठरी। यह cellular जेल Port Blair में स्थित है और इसको अंग्रेज़ों ने स्थापित किया था। Port Blair, Andaman और Nicobar का बड़ा नगर है। अंग्रेज़ों का मुख्य उद्देश्य था भारतीय स्वतन्त्रता संग्रामियों को 20वीं शताब्दी के शुरू के दशकों में अलग रखना, सज़ा देना और अत्याचार करना।

Ghadari Babas in Kalapani Jail Summary in Hindi:

गदर पार्टी U.S.A. और Canada में रहने वाले भारतीय पंजाबियों द्वारा स्थापित किया गया एक संगठन था। इसका लक्ष्य भारत को अंग्रेजों के राज से आजाद करवाना था। इसके महत्त्वपूर्ण या मुख्य सदस्य थे – लाला हरदयाल, V.G. Pingley, सन्त बाबा वसाखा सिंह डाडेहर, सोहन सिंह भकना, करतार सिंह सराभा और रासबिहारी बोस। 1914 में पहला विश्व युद्ध छिड़ गया। ग़दर पार्टी के सदस्य पंजाब वापस आ गये ताकि वे Babbar Akali Movement के साथ मिल कर विद्रोह कर सकें।

1915 में उन्होंने Central Punjab में क्रान्तिकारी गतिविधियां आरम्भ कर दी, लेकिन अंग्रेज़ों की सरकार ने उनके प्रयासों को कुचल डाला। भारत में अंग्रेजों की सरकार ने एक विशेष जेल स्थापित कर डाली ताकि इन बहादुर योद्धाओं को एक सबक सिखाया जाये। Port Blair में Cellular जेल स्थापित कर दी गई। इसको काला पानी कहते हैं। यह भारत की मुख्य भूमि से दूर थी। इसका अंग्रेजी तर्जुमा होता है ‘शैतान का टापू’ ।

यहां मुख्य भूमि भारत से आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता था। आरम्भ में यह दण्ड-विषयक बस्ती इस लिए स्थापित की गई थी ताकि Ghadar Party के सदस्यों को अलग रखा जाये और उन पर सारी उमर अत्याचार किया जाये।
इस नई जेल को 1906 में खोला गया। बंगाली क्रान्तिकारियों जिन्हें षड्यन्त्र का दोषी ठहराया गया था, उनका 27 राजनीतिक कैदियों का पहला समूह यहाँ लाया गया था।

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उनके बाद Nasik षड्यन्त्र Case के दूसरे दोषी जैसे V. D. Savarkar और उसका भाई Ganesh Savarkar आये। Ghadar Party वालों के राजनीतिक कैदियों का सबसे बड़ा एक जत्था था जिन्हें जीवन भर के लिए काला पानी भेजा गया। उनमें से 40 को December 1915 में लाया गया।

30 से अधिक Lahore Supplementary और Mandlay षड्यन्त्र केसों से बाद में आये। क्रान्तिकारियों के दूसरे ग्रुप नवयुवक थे। Ghadar Party के कैदियों में से काफ़ी बूढ़े थे। निधान सिंह 60 वर्ष का था, Kehar Singh 62 साल का था, Kala Singh 55 वर्ष का था, Gurdit Singh 50 का और उनमें से बहुत से 40 साल के और उससे भी अधिक वर्षों के थे।

कैदियों के लिए कई कठिनाईयां थीं। वहां मौसम खराब था। उस क्षेत्र में मच्छर भी बहुत थे। वहाँ खून चूस लेने वाली जोंकें भी थीं। उन कैदियों में से बहुत से तो प्रायः बीमार रहते थे। वे तपेदिक (T.B.) से भी पीड़ित हो जाते थे। उन्हें कोल्हू चलाना पड़ता था और कम से कम 30 पौंड प्रतिदिन नारियल का तेल निकालना पड़ता था।

उन्हें नारियल के छिलके को कूटना पड़ता था ताकि नारियल की जटा निकाली जा सके। अगर निकाली गई मात्रा कम होती, तो कैदियों को गालियाँ दी जाती और चाबुक लगाए जाते। कैदी ऊँची-ऊँची चीखें मारते जब उनकी त्वचाओं से रक्त निकलता। कैदियों के बीच वार्तालाप नहीं हो सकती थी क्योंकि उनमें से प्रत्येक को एक छोटी-सी कोठरी में रखा जाता था।

पीड़ितों के दर्ज किए वृत्तान्त और एक दर्जन से अधिक महत्त्वपूर्ण चश्मदीद गवाहों ने राजनीतिक कैदियों के अत्याचारों का हृदय-विदारक विस्तृत विवरण दिया है। सारे वृत्तान्त Jailor David Barry, Superintendent Murray और Chief Commissioner का हवाला देते हुए कहते हैं कि वे बूचड़ और शैतान के बच्चे थे। कई

पुराने अपराधियों को जमादार, छोटे अफ़सर और Warder नियुक्त किया गया था जिनको राजनीतिक कैदियों पर अत्याचार करके प्रसन्नता होती थी। Barin Ghosh जो Aurobindo Ghosh का भाई था, इनको छोटे देवता कहता था जो गालियाँ देते थे, अपमानित करते थे और राजनीतिक कैदियों और उनके जीवन को दयनीय बना देते थे। कुछ कहानियां Savarkar द्वारा जेल के बाहर भेज दी जाती थीं।

वे नवयुवक Nani Gopal को चाबुक द्वारा पीटे जाने के बाद उसकी तेज़ चीखों के बारे थी, यह उसकी भूख हड़ताल के बारे थी जो 72 दिन रही और उसकी लम्बी हड़ताल के बारे थी जो अत्याचारों के विरुद्ध थी। एक कहानी इन्दू भूषण की आत्महत्या के बारे थी जिसने सारे देश में तूफ़ान खड़ा कर दिया।

वहाँ पहुँचकर Ghadar Party के सदस्यों ने बंगाली और मराठी कैदियों के कष्टों और विरोध के कठोर संघर्ष के बारे जानकारी प्राप्त की। आरम्भ में उन्होंने निर्णय किया कि वे किसी अपमान को सहन नहीं करेंगे या उसका कड़ा विरोध करेंगे। Jailor Barry ने Parma Nand Jhansi को गालियाँ और धमकियां दी क्योंकि उसने (कोहलू से) तेल की आवश्यक मात्रा नहीं निकाली थी। Parma Nand ने जेलर Barry को चोट लगा दी और Barry नीचे गिर गया। ज्योंही जेलर नीचे गिरा, जेल के warders ने उसको बड़ी बेरहमी से पीट डाला।

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Barry के नीचे गिरने और Parma Nand Jhansi पर हुए विकराल अत्याचार ने जेल में हलचल पैदा कर दी। अत्याचार के एक और मामले में चतर सिंह ने जेल के Superintendent Murray को एक जबरदस्त चपत जड़ दी। उसको सलाखों वाले पिजरे में डाल दिया गया। भान सिंह की इतनी सख्त पिटाई की गई कि वह हस्पताल में ही मर गया। विरोध और बड़ी सख्त सज़ा ने राम रक्खा की उसके जेल में आने के दो महीनों के भीतर उसकी जान ले ली। Ghadar Party के आठ सदस्यों की जान जेल में ही चली गई। उन्होंने काम से बार-बार हड़ताल करना जारी रखी और Bhakna के नेतृत्व में भूख हड़ताल होती रही।

उनके साथ 25 सदस्य और आकर मिल गये। Jyotish Chandra Pal के stool में खून आता था और वह एक महीने के बाद पागल हो गया। उसे पागलखाने में दाखिल करा दिया गया। 4 महीने Prithvi Singh ने अपनी भूख-हड़ताल जारी रखी। अंडेमान के इतिहास में इतनी लम्बी हड़ताल कभी नहीं रखी गई थी। हड़ताल का प्रभाव बड़ा प्रबल था। जेल के अधिकारियों को विवश होकर राजनीतिक कैदियों के प्रति दुर्व्यवहार में सुधार लाना पड़ा। क्रांतिकारी देशभक्ति के गीत और वन्दे मातरम, Gurbani का पाठ करते और वे कठोर से कठोर सज़ा की परवाह नहीं करते थे।

वे अपनी आत्मा की शक्ति से पाश्विक शक्तियों से लड़ते थे। उनको या तो 1921 में जेल से रिहा कर दिया गया या उन्हें मुख्य भूमि भारत की जेलों में भेज दिया गया। भकना ने वर्णन किया कि क्रान्तिकारी जो गाने जेल में गाते थे उनका निचोड़ यह था : ‘हे मातृभूमि यह सच है कि हम तुम को आजाद नहीं करा सके लेकिन जितनी देर तक हमारा एक भी साथी ज़िन्दा है, वह तुम्हारी जंजीरों को काटने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देगा।’

Word Meanings:

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 10 Ghadari Babas in Kalapani Jail 1
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PSEB 12th Class English Solutions Poem 8 On His Blindness

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Poem 8 On His Blindness Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Poem 8 On His Blindness

1. When I consider how my light is spent
Ere half my days ; in this dark world and wide,
And that one talent which is death to hide
Lodged with me useless, though my soul more bent
To serve therewith my Maker, and present
My true account, lest He, returning chide.

PSEB 12th Class English Solutions Poem 8 On His Blindness

Word-Notes:
Consider-think. How…………. spent-how I have lost my eye-sight. Ere-before. Half my days-half of my life is spent. Dark world-for he has lost his eyesight. Wide-big. Talent-poetic gift. Milton refers to the story of the talents in the Bible. “A master on the eve of going out to some place gives talents (a sum of money) to his three servants who are expected to make proper use of them.

On his return he desires to know what they have done with their talents. The first two servants have increased their talents. The master is well pleased with them. But the master is angry when he learns that the third servant, who had received only one talent, had kept it hidden beneath the earth and had not increased it.

The master then condemns and punishes the third servant.” Here the master stands for God, the servants for men, and the talents for natural gifts. Milton compares himself to the third servant who receives only one talent and keeps it hidden. He thinks that he has not made the proper use of his gift of poetry. He fears lest he should be punished by God.

Word-Notes :
Which is death to hide–not making use of his poetic gift is like death … to the poet. Lodged-kept. Lodged useless—the poet cannot utilize his poetic gift due to his blindness. Bent-determined. Therewith—with the help of his poetic gift. MakerGod. Present-show. True account-full use of poetic gift. Lest ………….chide–that God may take the poet to task for not using His gift to serve Him.

Explanation. In these lines Milton expresses his sorrow on the loss of his eye-sight. The world becomes totally dark to him. He felt very helpless and restless. God had given him the gift of writing poetry. He felt sad because he was unable to make use of this gift. He wanted to write religious poetry in the service of God. He wanted to present a good account, of his activities lest God should scold him for remaining idle.

PSEB 12th Class English Solutions Poem 8 On His Blindness

Milton is perhaps thinking of the parable of talents (coins). Once a master went on a long voyage. Before leaving, he gave a few talents, to his servants. When he came back he found that the third servant had not made any use of his talent. So the master rebuked him. Milton also fears that God, his master, would rebuke him for not using his talent of writing poetry. But it is not his fault. He is blind. So he is not able to make use of his talent.

इन पंक्तियों में Milton अपने अफसोस को व्यक्त करता है क्योंकि उसकी देखने की शक्ति खो गई है। दुनिया उसके लिए बिल्कुल अंधकारमयी हो गई है। वह बहुत बेबस और बेचैन हो गया। परमात्मा ने उसे कविता लिखने की प्रतिभा दी थी। वह उदास हो गया क्योंकि वह कविता लिखने के योग्य नहीं रह गया। वह परमात्मा की सेवा में धार्मिक कविता लिखना चाहता था।

वह अपनी सरगरमियों का अच्छा लेखा-जोखा देना चाहता था ताकि परमात्मा उसको बेकार रहने के लिए न कोसे। Milton शायद तोड़ों या सिक्कों की नीति कथा का जिकर कर रहा है। एक बार एक स्वामी लम्बी समुद्री यात्रा पर गया। जाने से पहले उसने अपने नौकरों को कुछ सिक्के दिये। जब वह वापस आया तो उसने देखा कि तीसरे नौकर ने सिक्के का प्रयोग नहीं किया था।

इसलिए स्वामी ने उसको कौसा| Milton को डर है कि कहीं परमात्मा उसे अपनी प्रतिभा (talent) को प्रयोग न करने के लिए न कोस लेकिन उसका कोई दोष नहीं है। वह अन्धा है। इस लिए वह अपनी प्रतिभा का प्रयोग नहीं कर सकता।

2. “Doth God exact day-labour, light denied
I fondly ask ; but Patience, to prevent
That murmur, soon replies : ‘God doth not need
Either man’s work or His own gifts ; who best
Bear His mild yoke, they serve Him best.

Word-Notes:
Exact-desire, demand, expect. Day-labour-work that can be done during day. Light denied – when light has not been given. Fondly – foolishly. Patience inner voice. To prevent that murmur-to stop all those doubts. Yoke-burden.

Explanation:
In these lines, Milton foolishly questions God how He can expect him to work when He has denied him his eye-sight. He murmurs against the ways of God to man. He feels that God has no right to demand work from him because He has made him blind. The poet’s inner voice or conscience comes to his help. It tells him that God does not want any return for His gifts. Those who accept His will willingly are His best servants.

इन पंक्तियों में Milton परमात्मा से प्रश्न पूछता है कि जब उसने उसके देखने की शक्ति छीन ली है तो उससे काम करने की आशा नहीं की जा सकती। वह आदमी के प्रति परमात्मा के तौर-तरीकों के विरुद्ध बुड़बुड़ करता है। वह महसूस करता है कि परमात्मा को कोई अधिकार नहीं है कि वह कोई किया हुआ काम माँगे क्योंकि उसने उसे अन्धा बना दिया है। कवि की भीतर की आवाज़ या अन्तरात्मा उसे कहती है कि परमात्मा को अपने दिए हुए उपहारों का कोई मुआवजा नहीं चाहिये। जो लोग परमात्मा की मर्जी के अनुसार काम करते हैं वे ही उसके बेहतरीन नौकर होते हैं।

PSEB 12th Class English Solutions Poem 8 On His Blindness

3. His state is kingly ; thousands at His bidding speed,
And post o’er land and ocean without rest ;
They also serve who only stand and wait. (V.V. Important)

Word-Notes: State-kingdom. Kingly-like that of a king. Thousands–thousands of angels. At His bidding-when ordered by Him. Speed-travel. Post – do their duty.

Explanation:
In these lines the poet says that God has thousands of angels at His command. They are willing to carry out the orders of God. Some of the angels go to far off places. Other angels stand near God and wait for His orders. Those who stand near God are as faithful servants of God as those angels who do active duty.

The poet means to say that those men who cannot do active work need not grumble. They must have the humility to work for God. In that case they are as good as active workers. One should learn to submit oneself to the will of God without questioning His authority.

इन पंक्तियों में कवि कहता है कि परमात्मा के पास अपने आदेश के अनुसार काम करने वाले हज़ारों फरिश्ते हैं। वे परमात्मा के आदेशों को मानने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। उनमें से कुछ फरिश्ते दूर के स्थानों पर नियुक्त किये गये होते हैं। जो परमात्मा के पास खड़े रहते हैं वे भी उतने ही वफ़ादार होते हैं जितने सक्रिय सेवा करने वाले होते हैं।

कवि के कहने का मतलब है कि जो व्यक्ति सक्रिय काम नहीं कर सकते उन्हें बुड़बुड़ करने की आवश्यकता नहीं। उन्हें परमात्मा के लिए नम्रता से काम करना चाहिए। उस हालत में वे सक्रिय काम करने वालों जितने अच्छे होते हैं। परमात्मा के आदेश को चुनौती दिए बिना उन्हें परमात्मा के प्रभुत्व को मानना चाहिए।

Comprehension Of Stanzas

1. When I consider how my light is spent,
Ere half my days, in this dark world and wide,
And that one talent which is death to hide
Lodged with me useless …..

Questions :
(a) In the first line ‘light’ is a ………. for vision. (alliteration/metaphor) .
(b) The word ‘spent’ means …….. (used up, alienated)
(c) Name the poet of this poem.
(d) What is the meaning of the word ‘talent in the line “…….. and that one talent ……. ” ?
Answers :
(a) metaphor
(b) used up.
(c) John Milton.
(d) Poetic gift or poetic ability.

2. But Patience to prevent
That murmur soon replies,
‘God doth not need
Either man’s work or His own gifts.
Who best Bear
His mild yoke, they serve Him best.’ (V.V. Imp.)

Questions :
(a) Identify the figure of speech in the line ……. But Patience to prevent That murmur, soon replies ……..
(b) The speaker’s murmur is about the question whether God would be so cruel as to make impossible demand of work. But then who steps in to stop him.
(c) What does Patience say about God ?
(d) Which line in the poem says, “Those who accept God’s control over their own existence are the best servants of God.”?
Answers :
(a) The figure of speech is personification.
(b) Patience (voice of conscience) steps in to stop him.
(c) Patience says that God does not need man’s work nor any compensation for the gifts that God has given to man.
(d) Who best bear His mild yoke, they serve Him best.

PSEB 12th Class English Solutions Poem 8 On His Blindness

On His Blindness Summary in English

On His Blindness Introduction:

This poem deals with the loss of Milton’s eye-sight. He has become blind. He has hardly lived half of his life. The gift of writing poetry is lying unused with him. He is very anxious to serve God with it. He fears lest God should punish him for not making use of his gift. He becomes impatient. He asks himself if God expects work from him even after his blindness. But soon he realises that they also serve who only stand and wait. He submits himself to the will of God.

On His Blindness Summary in English:

Milton lost his eye-sight at the age of forty three. He felt grief-stricken at this loss. The world appeared dark and desolate to him. God had given him the gift of writing poetry. He felt helpless. He could not make use of this gift. He was a religious-minded man. He wanted to use the gift of writing poetry in the service of God. He felt that his gift was useless.

He feared that God would scold him for wasting His gift. He thought of the servant who did not use a talent given to him by his master. On his return the master scolded the servant for not using the talent. In the same way, Milton feared that God would scold him for not making use of the talent of writing poetry.

So Milton starts grumbling. He foolishly asks himself the question if God wants him to work after taking away his eye-sight. His inner voice however comes to his help. It tells him not to grumble about the ways of God to man.

It assures him that God’s ways to man are absolutely just. God does not want any compensation for the talents that He gives to human beings. He does not want man to work to please Him. Those who accept God’s will happily are His best servants. God has given a light responsibility to each one of us. We must accept that responsibility without grumbling.

On His Blindness Summary in Hindi

On His Blindness Introduction:

यह कविता कवि Milton की आँखों की रोशनी चले जाने से सम्बन्धित है। वह अन्धा हो गया है। उसने अभी तक अपने जीवन की आधी अवधि व्यतीत की है। कविता लिखने की प्रतिभा उसके पास बेकार पड़ी है। वह इस प्रतिभा को परमात्मा की सेवा में प्रयोग करना चाहता है। उसे डर लगाता कि कहीं इस योग्यता या प्रतिभा को प्रयोग न करने से परमात्मा उसे दंड न दे दे।

वह अधीर हो उठता है। वह अपने आप को पूछता है क्या परमात्मा उससे यह आशा करता है कि उसकी दृष्टि शक्ति चले जाने के बाद भी वह कुछ काम करे। लेकिन शीघ्र ही Milton महसूस करता है कि वे मनुष्य भी परमात्मा की सेवा करते हैं जो उसके पास खड़े रहें और उसके आदेशों की प्रतीक्षा करें। अत: Milton परमात्मा की इच्छा के आगे अपना सिर झुका देता है।

PSEB 12th Class English Solutions Poem 8 On His Blindness

On His Blindness Summary in Hindi:

“On His Blindness’ John Milton द्वारा लिखी चौदह पंक्तियों की एक प्रसिद्ध कविता है। कवि को दुःख है कि वह आधा जीवन व्यतीत करने से पहले ही अन्धा हो गया है और अन्धा होने के पश्चात् यह संसार उसके लिए अन्धेरा तथा विशाल बन गया है। मिल्टन का कहना है कि परमात्मा ने उसको कविता लिखने की कला दी है। वह इस कला का प्रयोग करने का बहुत इच्छुक है। उसकी प्रबल इच्छा है कि वह परमात्मा की पूजा करने के लिए एक महान् धार्मिक कविता लिखे। इस कला को छिपाना उसके लिए मृत्यु के समान है। परन्तु वह अपने अन्धेपन के कारण विवश हो जाता है।

मिल्टन अपनी इस विवशता के कारण चिन्तित है। उसको भय है कि परमात्मा उसको इस कला के प्रयोग न करने के कारण डांटेगा। उसको बाइबिल की एक कहानी याद आती है जिसमें एक स्वामी ने उस नौकर को बहुत डांटा था जिसने उस गुण का प्रयोग नहीं किया था जो दिया गया था। कुछ क्षण के लिये कवि बहुत परेशानी महसूस करता है। परमात्मा के प्रति उसके विश्वास में थोड़ी हलचल हो जाती है और वह पूछता है कि जब उसे आंखों की रोशनी से वंचित कर दिया गया है तो वह अपनी प्रवीणता (कविता लिखने की योग्यता) को कैसे प्रयोग कर सकता है।

परन्तु शीघ्र ही उसकी अन्तरात्मा उसकी बेचैनी को दूर कर देती है। ईश्वर के प्रति उसका विश्वास दृढ हो जाता है। उसे समझ आ जाती है कि परमात्मा को मनुष्य की किसी सेवा की आवश्यकता नहीं। परमात्मा को उन उपहारों के प्रतिदान की आवश्यकता भी नहीं जो उसने मनुष्य को दिये होते हैं। परमात्मा केवल यह चाहता है कि मनुष्य अपने को उसकी इच्छा के सामने समर्पित कर दे।

परमात्मा की आज्ञा पूरी करने के लिये उसके पास हज़ारों फरिश्ते हैं। ये फरिश्ते परमात्मा के आदेशों का पालन करने के लिए जल-थल पर शीघ्रता से पहुंच जाते हैं। परन्तु केवल वही फरिश्ते परमात्मा के सेवक नहीं जो उसका आदेश पूरा करने के लिए घूमते हैं। वे फरिश्ते जो खड़े होकर उसके आदेश की प्रतीक्षा करते हैं वे उसके सच्चे सेवक हैं। मिल्टन अपने आपको इन फरिश्तों के समान समझता है जो खड़े रहकर ईश्वर के आदेश की प्रतीक्षा करते हैं।

On His Blindness Central Idea

This poem is based on the idea that the ways of God to man are just. Man must cheerfully adjust himself to the circumstances in which God has placed him. The real service of God lies in feeling happy and contented with our lot. God does not want any return for the gifts that He has given to human beings. God does not want man to work to please Him. Those who accept God’s will cheerfully are His best servants.

PSEB 12th Class English Solutions Poem 8 On His Blindness

On His Blindness Central Idea In Hindi

यह कविता इस विचार पर आधारित है कि आदमी के प्रति परमात्मा के तरीके न्यायसंगत होते हैं। जिन परिस्थितियों में परमात्मा ने आदमी को रखा है उनके अनुसार आदमी को अपने आपको सहर्ष ढाल लेना चाहिये। परमात्मा की वास्तविक सेवा यह होती है कि हम अपने भाग्य या तकदीर से प्रसन्न और सन्तुष्ट रहें। जो उपहार परमात्मा ने आदमी को दिए हैं उनके लिए परमात्मा को कोई मुआवज़ा नहीं चाहिए। परमात्मा यह नहीं चाहता कि आदमी उसको प्रसन्न करने के लिए काम करे। जो व्यक्ति परमात्मा की मर्जी को प्रसन्नता से स्वीकार कर लेते हैं वे ही उसके बेहतरीन सेवक होते हैं।

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Chapter 9 In Celebration of Being Alive

Short Answer Type Questions

Question 1.
Write in brief about Dr. Barnard’s brother’s suffering.
(Dr. Barnard के भाई की पीड़ा के बारे में विस्तार से लिखें।)
Answer:
Dr. Barnard was introduced to suffering of children when he was a little boy. One day, his father showed him a half eaten mouldy biscuit. It had two tiny touth marks in it. His father told Barnard the suffering of his brother. He had been born with an abnormal heart. If he had been born today, probably someone could have corrected that heart problem. But in those days such a surgery was not available.

Dr. Barnard जब एक छोटा लड़का था तो उसे बच्चों के दुःख भोग से परिचित कराया गया। एक दिन उसके बाप ने उसे आधा खाया हुआ खराब सा बिसकिट दिखाया। उस पर दो छोटे दाँतों के निशान थे। उसके बाप ने उसे उसके भाई के कष्ट के बारे बताया। वह जब पैदा हुआ तो उसका दिल असाधारण था। यदि वह आज पैदा होता तो सम्भवतः उसके दिल की समस्या को कोई ठीक कर देता। लेकिन उन दिनों ऐसा इलाज उपलब्ध नहीं था।

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive

Question 2.
What was an eye-opener for Dr. Barnard at Cape Town’s Red Cross Children’s Hospital ? Explain. (Imp.)
(Cape Town के Red Cross Children हस्पताल में Dr. Barnard के लिए आँखें खोलने वाली कौन सी बात थी? व्याख्या कीजिए।)
Answer:
It opened his eyes to the fact that he was missing something in all his thinking about suffering. He was missing something basic that was full of consolation for him. That morning a breakfast trolley was taken away by two brave boys a driver and a mechanic. The mechanic ran along behind the trolley with his head down.

The driver seated on the lower deck of the trolley, held on with one hand and steered by scraping his foot on the floor. The mechanic was totally blind and the driver had only one arm. They put an a very good show.

इस तथ्य को देखकर उसकी आँखें खुलीं कि दुःख भोग के बारे अपनी पूरी सोच में वह किसी चीज़ से वंचित हो रहा था। वह कुछ बुनियादी चीज़ों से वंचित हो रहा था जो उसे पूर्णतया सांत्वना दे सकती थी। उस प्रातः एक नाशते वाली trolley को दो बहादुर लड़के ले गये। उनमें से एक ने mechanic का काम किया और दूसरे ने driver का।

Mechanic अपने सिर को नीचे करके Trolley के पीछे तेज़ी से भांगता गया। Trolley के निचले floor पर बैठा हुआ driver अपने एक हाथ से ट्रॉली को पकड़े हए अपने पैर से फर्श को कुरेदते हुए मार्गदर्शन करता रहा। Mechanic पूरी तरह से अन्धा था और driver की एक भुजा थी। उन दोनों ने बड़ा अच्छा प्रदर्शन किया।

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Question 3.
How did the driver and the mechanic put up an entertaining show with an unattended trolley ? (Imp.)
(Driver और mechanic ने एक ट्राली के साथ जिसकी कोई देखभाल नहीं कर रहा था, कैसे रुचिकर प्रदर्शन किया?)
Answer:
One morning a nurse had left a breakfast trolley unattended. Very soon this trolley was taken away by two brave boys–a driver and a mechanic. The mechanic was totally blind. The driver had only one arm. The mechanic provided running power to the trolley by running fast along behind the trolley with his head down. The driver got seated on the lower deck of the trolley. He held on with one hand and steered by scraping his foot on the floor.

The two put on quite a show that day. The rest of the patients laughed and shouted. It was a better entertainment than a car race. There was also a show of scattered plates and silverware. Then the nurse and ward sister caught up with them. The driver and the mechanic were scolded and put back to bed.

एक प्रातः एक नर्स ने एक नाशते की Trolley को छोड़ रखा था और उसकी कोई देखभाल नहीं कर रहा था। बड़ी जल्दी इस Trolley को दो बहादुर लड़के ले गये–एक लड़का mechanic था और दूसरा ड्राईवर। Mechanic पूर्णतया अन्धा था। Driver की केवल एक भुजा थी। Mechanic ने Trolley को दौड़ने की शक्ति उपलब्ध करवाई और वह अपना सिर नीचा करके पीछे तेज़-तेज़ दौड़ता गया।

Driver Trolley के निचले deck पर बैठकर एक हाथ से मार्गदर्शन करता रहा और फर्श पर अपने पैर से कुरेदता रहा। दोनों ने एक अच्छा शो प्रस्तुत किया। बाकी के मरीज़ हंसते रहे और साथ ही चिल्लाते रहे। यह कारों की दौड़ से भी बेहतर मनोरंजन था। वहाँ पर बिखरी हुई प्लेटों और बर्तनों का भी शो था। फिर नर्स और वार्ड की सिस्टर ने उन दोनों को पकड़ लिया। Driver और Mechanic को डांटा गया और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया गया।

Question 4.
What made the mechanic lose his eyes ? (Imp.)
(Mechanic की आँखें कैसे चली गईं ?)
Answer:
The mechanic was seven years old when his mother and father were drunk. His mother threw a lantern at his father. The lantern missed his father. It broke over the child’s head and shoulders. He suffered very bad burns on the upper part of his body. He lost both his eyes. At the time of the Grand Prix (car race) he was a walking horror. Despite his disability he loved to laugh.

Mechanic सात वर्ष का था जब उसके माता-पिता ने शराब पी हुई थी। उसकी माँ ने उसके बाप पर लालटेन फैंकी। यह लालटेन उसके बाप को तो नहीं लगी। यह बच्चे के सिर पर और कन्धों को लग कर टूट गई। उसके शरीर के ऊपरी भाग पर जलने से कई घाव हो गये। उसकी दोनों आँखें चली गईं। Grand Prix car race के समय यह लड़का (mechanic) बड़ा डरावना लगता था। अपनी अशक्तता या असमर्थता के बावजूद वह हंसना पसंद करता था।

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive

Question 5.
Write a note on the theme of the chapter ‘In Celebration of Being Alive’. (V.V. Imp.) (V.V. Imp.)
(इस Chapter के विषय पर एक नोट लिखो।)
Answer:
This lesson is based on the idea that one must not feel troubled by thoughts of suffering and pain. Pleasure and pain are parts of human life. One must try to forget suffering and try to find joy in the present state of freedom from pain and suffering. We can learn this lesson for living from the young people who like to lead cheerful lives.

Dr. Barnard was most often thinking of suffering and pain. But one must get on with the business of living. Business of living is joy in the real sense of the word without sorrow and suffering. The business of living is the celebration of living.

यह पाठ इस विचार पर आधारित है कि दुःख और व्यथा के बारे सोचकर मनुष्य को पीड़ित नहीं होना चाहिए। खुशी और दुःख आदमी के जीवन का आवश्यक अंग हैं। आदमी को दुःख को भूल जाना चाहिए और वर्तमान दु:खों से मुक्त समय में मज़ा लेना चाहिए। यह सबक हम उन किशोरों से सीख सकते हैं जो प्रसन्नतापूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं। Dr. Barnard हमेशा दुःखों और पीड़ा के बारे सोचता रहता था। लेकिन वास्तव में आदमी को जीते रहने में ही मज़ा लेना चाहिए। दुःखों और पीड़ा से रहित होकर जीवन व्यतीत करने में ही मज़ा होता है। आदमी को जी लेने को जश्न की तरह मनाना चाहिए।

Question 6.
How did Dr. Barnard correct his notions about suffering? (V.V. Imp.).
(Dr. Barnard ने अपने दुःख भोगने के विचारों को कैसे ठीक किया?)
Answer:
Dr. Barnard had been looking at suffering from the wrong end. He had realised that one did not become a better person because one had been suffering. One becomes a better person because he has experienced suffering. We can’t appreciate light if we have not known darkness. Nor can we appreciate warmth if we have never suffered cold.

The two children, the mechanic and the driver showed to him that it was not what one has lost that is important. What is important is what you have been left with. The two children gave him a profound lesson that the business of living is the celebration of being alive.

डाक्टर Barnard दुःखों को गलत ढंग से देखता था। उसने महसूस किया था कि आदमी दुःख भोगने से ही बेहतर व्यक्ति नहीं बन जाता। कोई मनुष्य बेहतर तब बन जाता है जब उसने दुःखों को अनुभव किया हो। हम रोशनी की तब तक कदर नहीं कर सकते जब तक हमने अन्धेरे को अनुभव नहीं किया हो। हम तपन के मूल्य को नहीं जान सकते जब तक हमने सर्दी का अनुभव न किया हो।

Mechanic और driver दो बच्चों ने Dr. Barnard को दिखला दिया कि जो किसी ने खो दिया है, वह इतना महत्त्वपूर्ण नहीं होता। महत्त्वपूर्ण तो वह होता है जो हमारे पास शेष रह जाता है। दोनों बच्चों ने उसको महत्त्वपूर्ण सबक सिखाया कि जिन्दा रहने के तथ्य को जश्न की तरह मनाया जाना चाहिये। किसी ने ठीक ही कहा है : जिन्दगी जिंदादिली का नाम है मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं।

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive

Long Answer Type Question

Question 1.
What was the lesson Dr. Barnard learnt from two brave youngsters ? (V. Imp.)
(Dr. Barnard ने दो युवा बहादुर लड़कों से क्या सबक सीखा ?)
Answer:
The two brave youngsters were a blind mechanic and a driver with only one hand. They once took away a breakfast trolley and provided a lot of entertainment to the people by driving the trolley. The mechanic once got serious injuries by a burning lamp.

The driver had a hole in his heart. Both were very happy despite their unhealthy weak bodies. These two children gave to Dr. Barnard a lesson in getting on with the business of living. The business of living is joy in the real sense of the word. It is the celebration of being alive. Dr. Barnard had been looking at suffering from the wrong end.

One does not become a better person by suffering. One becomes a better person because one has experienced suffering. We can’t appreciate light if we have not known darkness. Nor can we appreciate warmth if we have never suffered cold. These children showed to Dr. Barnard that it is not what we have lost that’s important. What is more important is what we have been left with.

दो युवा बहादुर लड़कों में एक Mechanic था जो बिल्कुल अन्धा था और दूसरा Driver था जिसका केवल एक हाथ था। उन दोनों ने एक नाश्ते वाली Trolley को लिया और इसको चलाकर लोगों को बड़ा मनोरंजन उपलब्ध करवाया। Mechanic को एक बार जलते हुए लैम्प से गंभीर चोटें आईं थीं।

Driver के हृदय में छेद था। अपने अस्वस्थ कमज़ोर शरीरों के बावजूद दोनों प्रसन्न थे। इन दोनों बच्चों ने Dr. Barnard को जिन्दा रहने के धन्धे के बारे एक गंभीर सबक सिखाया। जिन्दा रहने का धन्धा तो एक मज़े वाला काम है। यह तो जिंदगी को जश्न समझना होता है। Dr. Barnard कष्ट भोगने को गलत सिरे से देख रहा था। आदमी कष्ट भोगने से बेहतर व्यक्ति नहीं बन जाता। आदमी इसलिए बेहतर बन जाता है क्योंकि उसने कष्टों का अनुभव किया होता है।

हम रोशनी की कदर नहीं करते जब तक हमने अन्धेरा न देखा हो। न ही हम तपने का मूल्य समझ सकते हैं जब तक हम सर्दी से पीड़ित नहीं होते। इन बच्चों ने Dr. Barnard को दिखाया कि जो हम ने खो दिया है, वह इतना महत्त्वपूर्ण नहीं होता। वह जो हमारे पास रह जाता है, अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।

Question 2.
In the hospital, Dr. Barnard experienced not only agony and fear but also anger.Why?
(हस्पताल में Dr. Barnard को न केवल घोर व्यथा और डर का अनुभव हुआ बल्कि उसको क्रोध भी आया। क्यों?)
Answer:
Dr. Barnard and his wife met with an accident while crossing a road. They were admitted in the hospital. There he experienced not only agony and fear but also anger. He could not understand why he and his wife had to suffer. He had eleven broken ribs and a perforated lung. His wife had a badly fractured shoulder. Again and again he asked himself, why this should happen to them. He had work to do. He had patients waiting for him to operate on them. His wife had to take care of the baby.

Dr. Barnard और उसकी पत्नी सड़क पार करते समय एक दुर्घटना में ग्रस्त हो गये। उन्हें हस्पताल में दाखिल करना पड़ा। हस्पताल में उसने न केवल घोर व्यथा और भय का अनुभव किया बल्कि उसे क्रोध भी आया। उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि उसे और उसकी पत्नी को क्यों पीड़ा झेलनी पड़ी। उसकी 11 पसलियाँ टूट गईं और उसके फेफड़े में छोटे-छोटे छेद हो गये। उसकी पत्नी का कन्धा बुरी तरह टूट गया। वह अपने आपको बार-बार पूछता कि ऐसी दुर्घटना उनके साथ क्यों हुई। उसे काम करना था। उसके मरीज़ उससे आप्रेशन करवाने के लिए उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। उसकी पत्नी ने बच्चे की देखभाल करनी थी।

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive

Objective Type Questions

This question will consist of 3 objective type questions carrying one mark each. These objective questions will include questions to be answered in one word to one sentence or fill in the blank or true/false or multiple choice type questions.

Question 1.
According to Dr. Barnard what is the business of living ?
Answer:
The business of living is joy in the real sense of the word; it is the celebration of being alive.

Question 2.
What do the people with brave and positive attitude teach us ?
Answer:
They teach us to move forward in life and not to cry and weep.

Question 3.
In which incident were Barnard’s gloomy thoughts rooted ?
Answer:
His gloomy thoughts were rooted in an incident in which he and his wife got involved and then hospitalised.

Question 4.
What was Dr. Barnard’s father’s attitude towards life?
Answer:
Barnard’s father believed that God’s will be done and God tests man through suffering and suffering ennobles man.

Question 5.
What introduced Dr. Barnard to the sufferings of the children ?
Answer:
He came to know the sufferings of children by his brother’s birth with an abnormal heart.

Question 6.
Why couldn’t Barnard’s brother survive ?
Answer:
He could not survive because proper surgical treatment was not available to him.

Question 7.
Why does Dr. Barnard consider the sufferings of the children heart-breaking ?
Answer:
He considers them heart-breaking because they have total faith in the ability of doctors to cure them.

Question 8.
What made the driver and the mechanic choose their roles ?
Answer:
They chose their roles because the mechanic was totally blind and the driver had only one arm. Both were quite suitable for their roles. Spectators enjoyed the fun. They laughed loudly and appreciated the performance of the driver and the mechanic.

Question 9.
Choose the correct option :
(i) Dr. Barnard made history in the field of Cancer.
(ii) Dr. Barnard made history on research in AIDS.
(iii) Dr. Barnard made history in the field of medicine.
Answer:
(iii) Dr. Barnard made history in the field of medicine.

Question 10.
“I see nothing noble in suffering.” (Dr. Barnard) (True/False) (In Celebration of Being Alive)
Answer:
True.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive

Question 11.
Say if the following statement by Dr. Christiaan Barnard is True or False :
I do not see any nobility in the crying of a child, in a ward at night. (Dr. Barnard)
Answer:
True.

Question 12.
The mechanic in the story was ……… blind. (Fill up the blank with a suitable word)
Answer:
totally

Question 13.
The driver in the story had one disability. What was it ?
Answer:
He had only one hand.

Question 14.
Fill up the blank in the following sentence from the lesson :
The doctor had closed a …………. in the heart of the trolley’s driver.
Answer:
hole.

Question 15.
The mechanic had a tumour ……. the bone. (Fill up the blank)
Answer:
of.

Question 16.
Say if this statement is true or false :
The business of living is joy in the real sense of living.
Answer:
True.

Question 17.
Say if the business of living is the celebration of being alive. (True/False)
Answer:
True.

Question 18.
Say what was Dr. Barnard’s attitude towards life-positive or negative ?
Answer:
It was positive.

Question 19.
Name the writer of this story.
Answer:
Dr. Christiaan Barnard.

Question 20.
Dr. Barnard made history in the field of :
(a) Cancer
(b) Heart transplant
(c) Tuberculosis
(d) Plague.
Answer:
(b) Heart transplant.

Question 21.
A breakfast trolley had been left unattended by one of these:
(a) The nurse
(b) The driver
(c) The doctor
(d) The merchant.
Answer:
(a) The nurse.

Note : Our reader should note that the paper-setter combined Objective Type Questions number 8 as a short answer question. We have added two more sentences for their convenience.

In Celebration of Being Alive Summary in English

In Celebration of Being Alive Introduction:

Dr. Christiaan Barnard made history in the field of medicine. He made attempts to transplant the human heart. This lesson has actually been taken from a speech by him. Dr. Barnard talks about the lesson he took from two youngsters about the business of living. Those who have a brave and positive attitude in life move forward in spite of physical suffering. They do not cry or weep. Such people ignore all pain. They become an example for others. They teach us the real art of living. We should celebrate being alive.

In Celebration of Being Alive Summary in English:

Dr. Christiaan Barnard is about to reach the end of his career as a heart surgeon. He thinks why people suffer so much. There is a lot of suffering in the world. In the year of this lecture, 125 million children were born. 12 million might not reach the age of one and another six million would die before the age of five. Out of the rest many would end up as mental or physical cripples.

He had these thoughts from an accident which he had a few years ago. His wife and he were one day crossing a street. The next moment a car had hit him and knocked him into his wife. She was thrown into the other lane and hit by a car coming from the opposite side. During the next few days in the hospital, he exprienced pain and fear and also anger.

He could not understand why he and his wife had to suffer. His eleven ribs were broken. His lung was holed. His wife had a badly fractured shoulder. He asked himself why all this should happen to them. He had a young baby and his wife was required to take care of him.

If his father had been alive, he would have told him that it was God’s will that he was suffering. God tests human beings through making them suffer. Suffering ennobles a man. As a doctor Barnard sees nothing noble in suffering. Nor does he see any nobility in the crying of a lonely child, in a ward at night. He had his first knowledge of the suffering of children when he was a boy.

PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive

His father told him about his brother who had died several years earlier. He had been born with an abnormal heart. If he had been born in the present age, probably his heart problem would have been corrected. But in those days good heart surgery was not available.

As a doctor, Barnard had always found the suffering of children very heart breaking. Children believe that the doctors are going to help them. If doctors cannot help them, they accept their fate. They go through painful surgery and afterwards, they don’t complain.

One morning, several years ago, he saw what he calls the Grand Prix of Cape Town’s Red Cross Children’s Hospital. It opened his eyes. He felt that he was missing something in all his thinking about suffering.

That morning a nurse had left a breakfast trolley. It was not attended by anyone. Two persons took the trolley away by force. They were a driver and a mechanic. The mechanic was totally blind and the driver had only one arm. Both of them drove the trolley away. The mechanic galloped along behind the trolley with his head down and the driver was seated on the lower deck. He held on with one hand and steered by scraping on his foot on the floor.

People saw them going. They put on a good show. The people laughed encouraged by other patients. The entertainment provided by the blind mechanic and one-handed driver was much better than fun provided by a car race. It was full of solace for Dr. Barnard. The nurse and ward sister caught up with them, scolded them and put them back into bed. The mechanic was seven years old. One night, when his mother and father were drunk, his mother threw a lantern at his father.

The latern broke over the child’s head and shoulders. He suffered some very bad injuries in burns on the upper part of his body and lost both his eyes. He looked horrible. His face was disfigured. When his wound got well, this boy could open his mouth by raising his head. The doctor stopped by to see him after the race. He was shouting that he had won and he was laughing.

The doctor had closed a hole in the heart of the trolley’s driver. He had come back to the hospital because he had a malignant tumour of the bone. A few days before the race, his shoulder and arm were amputated. There was no hope of recovering. After the Grand Prix (the car race) he proudly informed the doctor that the race was a success. The only problem was that the trolley’s wheels were not properly oiled. But he was a good driver and he had full confidence in the mechanic.

The doctor suddenly realised that the two children had given him a useful lesson about getting on the business of living. Business of living is joy in the real sense of living. The business of living is the celebration of being alive. These two children showed to Dr. Barnard that it is not what you have lost that’s important. What is important is what you have been left with.

In Celebration of Being Alive Summary in Hindi

In Celebration of Being Alive Introduction:

यह उद्धरण Dr. Harish K. Puri की पुस्तक Ghadar Movement से लिया गया है। Dr. Harish K. Puri, Guru Nanak Dev University के भूतपूर्व professor हैं। उन्होंने राजनीतिक आन्दोलनों, धर्म और आतंकवाद पर विस्तृत तौर पर पुस्तकें लिखी हैं। इस उद्धरण में उन्होंने cellular jail (काला पानी) का डराने वाला (भयावह) वृत्तान्त दिया है। Cellular शब्द cell से बना है। Cell का अर्थ है छोटी कोठरी। यह cellular जेल Port Blair में स्थित है और इसको अंग्रेजों ने स्थापित किया था। Port Blair, Andaman और Nicobar का बड़ा नगर है। अंग्रेज़ों का मुख्य उद्देश्य था भारतीय स्वतन्त्रता संग्रामियों को 20वीं शताब्दी के शुरू के दशकों में अलग रखना, सज़ा देना और अत्याचार करना।

In Celebration of Being Alive Summary in Hindi:

Dr. Christiaan Barnard अपने (पेशे) heart surgeon के तौर पर अन्तिम पड़ाव में पहुंचने वाला था। वह सोचता है कि लोग इतना दुःख क्यों पाते हैं। संसार में काफ़ी कष्ट होते हैं। इस lecture के वर्ष में 12.5 करोड़ बच्चे पैदा हुए। 120 लाख एक साल की आयु तक भी न पहुंच पायेंगे और 60 लाख 5 साल की उमर तक पहुंचने से पहले ही मर जाएंगे।

बाकी में से बहुत से मानसिक और शारीरिक तौर पर अपंग होंगे। उसको यह विचार एक दुर्घटना से आए जो कुछ साल पहले उसके साथ घटित हुई। उसकी पत्नी और डॉक्टर एक गली को पार कर रहे थे। अगले पल एक कार उसके साथ जा टकराई और वह अपनी पत्नी के साथ जा टकराया। वह दूसरी lane (गली) में जा गिरी और विपरीत दिशा से आती हुई कार ने उसे टक्कर मार दी।

अगले कुछ दिन वे हस्पताल में रहे। उसने वहां कष्ट भोगा, उसको डर भी था और क्रोध भी। वह यह नहीं समझ सका कि उसको और उसकी पत्नी को कष्ट क्यों भोगना पड़ा। उसकी 11 पसलियाँ टूट गईं। उसके एक फेफड़े में छेद हो गया। उसकी पत्नी का एक कंधा टूट गया। वह अपने आप से पूछता कि यह सब कुछ उनके साथ क्यों हुआ। उसका एक छोटा बच्चा था और उसकी पत्नी ने उस बच्चे की देखभाल भी करनी थी।

यदि उसका बाप जिन्दा होता तो वह कहता कि यह परमात्मा की इच्छा थी कि वह कष्ट भोग रहा था। मानवों को दुःख देकर परमात्मा उनको परखता है। दुःख से आदमी महानुभाव हो जाता है। बतौर डॉक्टर Barnard को कष्ट भोगने में कोई श्रेष्ठता दिखाई नहीं देती। न ही उसे हस्पताल के किसी बच्चे के रोने में कोई श्रेष्ठता दिखाई देती है।

जब Barnard एक लड़का था तो उसे बच्चों के कष्टों का तब पता चला। उसके पिता ने उसको उसके (Barnard) के भाई के बारे में बताया जो कई वर्ष पहले मर चुका था। जब उसका भाई एक छोटा बच्चा था, तो उसका भाई एक असाधारण हृदय के साथ पैदा हुआ था। यदि वह वर्तमान काल में पैदा होता तो सम्भवतः उसके दिल की समस्या ठीक कर ली गई होती। परन्तु उन दिनों अच्छी दिल की सर्जरी (शल्य चिकित्सा)उपलब्ध नहीं थी।

डॉक्टर के तौर पर Barnard को बच्चों का कष्ट भोगना बहुत दुःखद होता है। बच्चे डॉक्टरों में विश्वास करते हैं। वे विश्वास करते हैं कि डॉक्टर उनकी सहायता कर रहे हैं। यदि डॉक्टर उनकी सहायता नहीं कर सकते, तो वे अपने भाग्य को स्वीकार कर लेते हैं। वे पीड़ा देने वाली Surgery करवा लेते हैं और बाद में वे शिकायत नहीं करते।

एक प्रातः कई वर्ष पहले उसने cars की दौड़ देखी। इस दौड़ को कहते हैं The Grand Prix of Cape Town’s Red Cross Children’s Hospital । इसने उसकी आँखें खोल दीं। उसने महसूस किया कि उनके दुःख के बारे सोचने के कारण वह सब चीज़ों से वंचित हो रहा था। उस प्रातः एक नर्स नाश्ते की ट्राली को छोड़ गई थी। कोई इसकी देखभाल नहीं कर रहा था।

दो व्यक्ति यह ट्राली वहां से अपने बल के ज़ोर से ले गये। दोनों में एक driver था और एक mechanic | Mechanic तो बिल्कुल अन्धा था। Driver का केवल एक बाजू था। दोनों ट्राली को चला कर ले गये। एक Mechanic ट्राली के पीछे तेज़ दौड़ता गया और उसने सिर नीचे किया हुआ था। Driver निचले deck पर बैठा हुआ था। वह एक हाथ से ही डटा रहा और फर्श पर अपने पांव को कुरेदता हुआ trolley का परिचालन करता गया।

लोगों ने mechanic और driver को जाते हुए देखा। दोनों ने अच्छा show (प्रदर्शन) किया। लोग भी इस .. show पर हंसते थे क्योंकि हस्पताल के मरीजों से वे उत्साहित हो रहे थे। अन्धे mechanic और एक हाथ वाले driver ने अच्छा मनोरंजन जुटाया। कारों की दौड़ द्वारा जुटाये गये मनोरंजन से trolley द्वारा उपलब्ध किया गया मनोरंजन बहुत बेहतर था। Dr. Barnard के लिए यह सांत्वना का साधन था। Nurse और ward sister ने उनको पकड़ लिया, उनको डांटा और उनको फिर बिस्तर में लिटा दिया।

Mechanic सात साल का था। एक रात जब उसकी माता और पिता ने शराब पी रखी थी, उसकी मां ने उसके पिता पर लालटेन फैंक दी। लालटेन बच्चे के सिर और कंधे के ऊपर टकराकर टूट गई। बच्चे को बहुत चोटें आई। उसके शरीर का ऊपरी भाग झुलस गया और उसकी दोनों आँखें चली गईं। वह भयंकर लगता था। उसका चेहरा बिगड़ गया। जब उसका घाव ठीक हुआ तो यह लड़का अपना मुंह अपना सिर उठाने के बाद ही खोल सकता था। डॉक्टर उसको इसके बाद देखने के लिए वहां खड़ा हो गया। वह चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा था कि वह जीत गया है और वह हंस भी रहा था।

डॉक्टर ने trolley के driver के दिल में एक छेद भरा था। वह हस्पताल वापस आया था क्योंकि उसको हड्डी का अर्बुद (रसौली) है। इससे कुछ दिन पहले उसका कंधा और बाजू काटे गये थे। उसके स्वस्थ होने की कोई आशा नहीं थी। Grand Prix (कार रेस) के बाद उसने गर्व से डॉक्टर को सूचित किया था कि रेस सफल थी। केवल समस्या यह थी कि trolley के पहियों को ठीक तरह से तेल नहीं दिया गया था।

लेकिन वह एक अच्छा driver था और उसको mechanic पर पूरा विश्वास था। – डॉक्टर ने अचानक महसूस किया कि दोनों बच्चों ने उसको जिन्दगी जीने के धन्धे के बारे एक लाभदायक पाठ सिखाया था। जीने का धन्धा या काम जीने का असली अर्थ में मज़ा लेना है। जिन्दा रहने का मतलब है जीने का जश्न मनाना। इन दो बच्चों ने डॉक्टर Barnard को सिखला दिया कि यह बात कोई महत्त्व नहीं रखती कि तुमने क्या खो दिया है। केवल वह बात महत्त्व रखती है जो तुम्हारे पास है। क्या खूब कहा गया है|

Word Meanings:
PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive 1
PSEB 12th Class English Solutions Chapter 9 In Celebration of Being Alive 2

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅੱਖਾਣ

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Grammar Akhan ਅੱਖਾਣ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Punjabi Grammar ਅੱਖਾਣ

1. ਉਹ ਕਿਹੜੀ ਗਲੀ ਜਿੱਥੇ ਭਾਗੋ ਨਹੀਂ ਖਲੀ (ਹਰ ਥਾਂ ਖੜਪੈਂਚ ਬਣਿਆ ਰਹਿਣ ਵਾਲਾ ਆਦਮੀ) :
“ਉਹ ਕਿਹੜੀ ਗਲੀ ਜਿੱਥੇ ਭਾਗੋ ਨਹੀਂ ਖਲੀ’ ਦੇ ਕਹਿਣ ਅਨੁਸਾਰ ਰਾਮ ਸਿੰਘ ਪਿੰਡ ਦੇ ਹਰ ਮਸਲੇਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-ਭਾਵੇਂ ਕੋਈ ਧਾਰਮਿਕ ਦੀਵਾਨ ਹੋਵੇ, ਭਾਵੇਂ ਕੋਈ ਪੰਚਾਇਤ ਦਾ ਮਸਲਾ, ਭਾਵੇਂ ਕਿਸੇ ਦਾ ਘਰੇਲੂ ਝਗੜਾ ਹੋਵੇ, ਭਾਵੇਂ ਵੋਟਾਂ ਮੰਗਣ ਵਾਲਿਆਂ ਨਾਲ ਘੁੰਮਣਾ ਹੋਵੇ, ਤੁਸੀਂ ਉਸ ਨੂੰ ਹਰ ਥਾਂ ਚੌਧਰੀ ਬਣਿਆ ਦੇਖ ਸਕਦੇ ਹੋ ।

2. ਉਹ ਦਿਨ ਡੁੱਬਾ, ਜਦ ਘੋੜੀ ਚੜਿਆ ਕੁੱਬਾ (ਜਿਹੜਾ ਬੰਦਾ ਆਪਣੇ ਜੋਗਾ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਉਸ ਨੇ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀ ਸੰਵਾਰਨਾ) :
ਜਦੋਂ ਕੁਲਜੀਤ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਰਪੰਚ ਨੇ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਐਂਡ ਸਿੰਧ ਬੈਂਕ ਵਿਚ ਨੌਕਰੀ ‘ਤੇ ਲੁਆ ਦੇਵੇਗਾ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਹੱਸ ਕੇ ਕਿਹਾ, “ਉਹ ਦਿਨ ਡੁੱਬਾ, ਜਦ ਘੋੜੀ ਚੜਿਆ ਕੁੱਬਾ । ਜੇਕਰ ਉਸ ਦੀ ਇੰਨੀ ਚਲਦੀ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਆਪਣਾ ਪੁੱਤਰ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਕੇ ਕਿਉਂ ਵਿਹਲਾ ਫਿਰੇ ? ਉਹ ਬੱਸ ਗੱਲਾਂ ਕਰਨ ਜੋਗਾ ਹੀ ਹੈ, ਕਰਨ ਜੋਗਾ ਕੁੱਝ ਨਹੀਂ ।

3. ਉਲਟੀ ਵਾੜ ਖੇਤ ਨੂੰ ਖਾਏ (ਰਖਵਾਲੇ ਹੀ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਪੁਚਾਉਣਾ) :
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਰਾਜੇ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅਹਿਲਕਾਰ ਪਰਜਾ ਨੂੰ ਲੁੱਟ ਰਹੇ ਸਨ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਜ਼ੁਲਮ ਢਾਹ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਹ ਗੱਲ ਤਾਂ ‘ਉਲਟੀ ਵਾੜ ਖੇਤ ਨੂੰ ਖਾਏਂ ਵਾਲੀ ਸੀ ।

4. ਅਕਲ ਦਾ ਅੰਨ੍ਹਾ ਤੇ ਗੰਢ ਦਾ ਪੂਰਾ (ਜਿਹੜਾ ਬੰਦਾ ਹੋਵੇ ਮੂਰਖ ਪਰ ਉਸ ਕੋਲ ਧਨ ਬਹੁਤਾ ਹੋਵੇ) :
ਦੇਸ਼ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਅਜਿਹੇ ਮੁੰਡੇ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਹੋਵੇ, ਜੋ ‘ਅਕਲ ਦਾ ਅੰਨਾ ਤੇ ਗੰਢ ਦਾ ਪੁਰਾ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਜੋ ਉਹ ਉਸ ਦੇ ਪੈਸੇ ਉੱਤੇ ਐਸ਼ ਕਰੇ ਪਰ ਉਸ ਦੀ ਰੋਕ-ਟੋਕ ਕੋਈ ਨਾ ਹੋਵੇ ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅੱਖਾਣ

5. ਇਕ-ਇਕ ਤੇ ਦੋ ਗਿਆਰਾਂ (ਏਕਤਾ ਨਾਲ ਤਾਕਤ ਵਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ) :
ਪਹਿਲਾਂ ਮੈਂ ਜਦੋਂ ਇਕੱਲਾ ਸਾਂ, ਤਾਂ ਇਸ ਓਪਰੀ ਥਾਂ ਵਿਚ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਡਰਦਾ ਹੀ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਤੋਂ ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਆ ਕੇ ਰਹਿਣ ਲੱਗਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਬੇਖੌਫ਼ ਹੋ ਗਿਆ ਹਾਂ । ਸੱਚ ਕਿਹਾ ਹੈ, “ਇਕਇਕ ਤੇ ਦੋ ਗਿਆਰਾਂ ।

6. ਇਕ ਅਨਾਰ ਸੌ ਬਿਮਾਰ (ਚੀਜ਼ ਥੋੜੀ ਹੋਣੀ, ਪਰ ਲੋੜਵੰਦ ਬਹੁਤੇ ਹੋਣ) :
ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਇਕ ਕੋਟ ਫ਼ਾਲਤੂ ਸੀ । ਮੇਰਾ ਛੋਟਾ ਭਰਾ ਕਹਿ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ ਤੇ ਵੱਡਾ ਕਹਿ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ । ਇਕ ਦਿਨ ਮੇਰੇ ਨੌਕਰ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਇਹ ਕੋਟ ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ। ਮੈਂ ਠੰਢ ਨਾਲ ਮਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ । ਮੈਂ ਕਿਹਾ, “ਇਹ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ਅਖੇ ‘ਇਕ ਅਨਾਰ ਸੌ ਬਿਮਾਰ ’’

7. ਈਦ ਪਿੱਛੋਂ ਤੰਬਾ ਫੁਕਣਾ (ਲੋੜ ਦਾ ਸਮਾਂ ਲੰਘ ਜਾਣ ਮਗਰੋਂ ਮਿਲੀ ਚੀਜ਼ ਦਾ ਕੋਈ ਫ਼ਾਇਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ) :
ਜਦੋਂ ਆਪਣੀ ਧੀ ਦੇ ਵਿਆਹ ਉੱਤੇ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਤੋਂ 50,000 ਰੁਪਏ ਉਧਾਰ ਮੰਗੇ, ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਇਕ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਦੇਵੇਗਾ । ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਵਿਆਹ ਤਾਂ ਦਸਾਂ ਦਿਨਾਂ ਨੂੰ ਹੈ । ਮੈਂ ‘ਈਦ ਪਿੱਛੋਂ ਤੰਬਾ ਫੁਕਣਾ ?” ਜੇਕਰ ਤੂੰ ਦੇ ਸਕਦਾ ਹੈਂ, ਤਾਂ ਹੁਣੇ ਦੇਹ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦੇਹ ।”

8. ਸੱਦੀ ਨਾ ਬੁਲਾਈ, ਮੈਂ ਲਾੜੇ ਦੀ ਤਾਈ (ਬਦੋਬਦੀ ਕਿਸੇ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਦਖ਼ਲ ਦੇਣਾਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਖਾਹ) :
ਮਖ਼ਾਹ ਆਪਣੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਦਖ਼ਲ ਦਿੰਦਿਆਂ ਦੇਖਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ ਕਿਹਾ, “ਭਾਈ ਤੂੰ ਇੱਥੋਂ ਜਾਹ, ਤੂੰ ਐਵੇਂ ਸਾਡੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਰੁਕਾਵਟ ਪਾ ਰਿਹਾ ਹੈਂ ? ਅਖੇ ‘ਸੱਦੀ ਨਾ ਬੁਲਾਈ, ਮੈਂ ਲਾੜੇ ਦੀ ਤਾਈ ।’’

9. ਗ਼ਰੀਬਾਂ ਰੱਖੇ ਰੋਜ਼ੇ ਦਿਨ ਵੱਡੇ ਆਏ (ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਗ਼ਰੀਬ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਵਾਰ) :
ਵਾਰ ਵਿਘਨ ਪਵੇ, ਤਾਂ ਇਹ ਅਖਾਣ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ-ਜਦੋਂ ਬੰਤਾ ਇਧਰੋਂ-ਉਧਰੋਂ ਪੈਸੇ ਇਕੱਠੇ ਕਰ ਕੇ ਮਕਾਨ ਬਣਾਉਣ ਲੱਗਾ, ਤਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇੱਟਾਂ ਮਹਿੰਗੀਆਂ ਹੋ ਗਈਆਂ ਤੇ ਫਿਰ ਸੀਮਿੰਟ, ਫਿਰ ਸਰੀਏ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗ ਗਈ । ਵਿਚਾਰਾ ਔਖਾ ਸੌਖਾ ਇਹ ਖ਼ਰਚ ਪੂਰੇ ਕਰ ਹੀ ਰਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਉਸਦੀ ਪਤਨੀ ਬਿਮਾਰ ਹੋ ਕੇ ਹਸਪਤਾਲ ਜਾ ਪਹੁੰਚੀ । ਖ਼ਰਚੇ ਤੋਂ ਦੁਖੀ ਹੋਇਆ ਬੰਤਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਗਰੀਬਾਂ ਰੱਖੇ ਰੋਜ਼ੇ, ਦਿਨ ਵੱਡੇ ਆਏ ।”

10. ਗਾਂ ਨਾ ਵੱਛੀ ਤੇ ਨੀਂਦਰ ਆਵੇ ਅੱਛੀ (ਜਿਸ ਦੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਉਹ ਸੁਖੀ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ) :
ਯਾਰ, ਜੁਗਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਵਲ ਦੇਖ । ਵਿਚਾਰਾ 5 ਧੀਆਂ ਦੇ ਵਿਆਹ ਕਰਦਾਕਰਦਾ ਅੰਤਾਂ ਦਾ ਕਰਜ਼ਾਈ ਹੋ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵੀ ਵਿਕ ਗਈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਲਹਿਣੇਦਾਰ ਉਸ ਨੂੰ ਤੋੜ-ਤੋੜ ਖਾਣ ਲੱਗੇ । ਅੱਜ ਉਹ ਬੇਹੱਦ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਤੇ ਦੁਖੀ ਹੈ, ਪਰ ਆਪਾਂ ਵਲ ਦੇਖ । ਅਸੀਂ ਵਿਆਹ ਹੀ ਨਹੀਂ ਕਰਾਇਆ, ਨਾ ਘਰ, ਨਾ ਪਤਨੀ ਤੇ ਨਾ ਬੱਚੇ । ਆਪਾਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਫ਼ਿਕਰ ਨਹੀਂ । ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਗਾਂ ਨਾ ਵੱਛੀ ਤੇ ਨੀਂਦਰ ਆਵੇ ਅੱਛੀ !” ਸਿਰਾਣੇ ਬਾਂਹ ਦੇ ਕੇ ਬੇਫ਼ਿਕਰ ਹੋ ਕੇ ਸੌਂਵੀਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅੱਖਾਣ

11. ਡਿਗੀ ਖੋਤੇ ਤੋਂ ਗੁੱਸਾ ਘੁਮਿਆਰ ‘ਤੇ (ਕਿਸੇ ਦਾ ਗੁੱਸਾ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ’ਤੇ ਕੱਢਣਾ) :
ਜਦੋਂ ਉਹ ਅਫ਼ਸਰ ਤੋਂ ਗਾਲਾਂ ਖਾ ਕੇ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਅਕਾਰਨ ਹੀ ਲੜਨ ਲੱਗ ਪਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ‘‘ਚੁੱਪ ਕਰ ਉਏ, ਡਿਗੀ ਖੋਤੇ ਤੋਂ ਗੁੱਸਾ ਘੁਮਿਆਰ ’ਤੇ, ਜੇ ਬਹੁਤਾ ਬੋਲਿਆ, ਤਾਂ ਮੇਰੇ ਕੋਲੋਂ ਵੀ ਖਾ ਲਵੇਂਗਾ ।”

12. ਦਾਲ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਕਾਲਾ ਹੋਣਾ (ਮਾਮਲੇ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਹੇਰਾ-ਫੇਰੀ ਹੋਣ ਦਾ ਸ਼ੱਕ ਹੋਣਾ) :
ਜਦੋਂ ਸੰਤਾ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਘਰ ਚੋਰੀ ਹੋਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਦੇਣ ਥਾਣੇ ਗਿਆ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸ ਵਿਚ ਗੁਆਂਢੀ ਦਾ ਹੱਥ ਹੋਣ ਬਾਰੇ ਦੱਸਣ ਲੱਗਾ, ਤਾਂ ਉਸਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਤੋਂ ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਦਾਲ ਵਿਚ ਕਾਲਾ ਹੋਣ ਦਾ ਸ਼ੱਕ ਪਿਆ । ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਹੀ ਥਾਣੇ ਬਿਠਾ ਕੇ ਜ਼ਰਾ ਸਖ਼ਤੀ ਨਾਲ ਪੁੱਛਗਿੱਛ ਕੀਤੀ, ਤਾਂ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਹ ਗੁਆਂਢੀ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਲਾਗਤਬਾਜ਼ੀ ਕਾਰਨ ਚੋਰੀ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਝੂਠਾ ਫ਼ਸਾਉਣ ਲਈ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖਾਉਣ ਗਿਆ ਸੀ ।

13. ਘਰ ਦਾ ਭੇਤੀ ਲੰਕਾ ਢਾਵੇ (ਭੇਤੀ ਆਦਮੀ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ) :
ਆਪਣੇ ਭਾਈਵਾਲ ਨਾਲ ਝਗੜਾ ਹੋਣ ਮਗਰੋਂ ਜਦੋਂ ਸਮਗਲਰ ਰਾਮੇ ਦੇ ਪਾਸੋਂ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਮਾਲ ਫੜਿਆ ਗਿਆ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਘਰ ਦਾ ਭੇਤੀ ਲੰਕਾ ਢਾਵੇ । ਇਹ ਸਾਰਾ ਕਾਰਾ ਮੇਰੇ ਭਾਈਵਾਲ ਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਇਸ ਦਾ ਭੇਤ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ।

14, ਘਰ ਦੀ ਮੁਰਗੀ ਦਾਲ ਬਰਾਬਰ (ਘਰ ਦੀ ਬਣਾਈ ਮਹਿੰਗੀ ਚੀਜ਼ ਵੀ ਸਸਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ) :
ਮਹਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਆਪਣੀ ਕੁੜੀ ਦੇ ਵਿਆਹ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਮਹਿੰਗੇ ਭਾਅ ਦਾ ਸੋਨਾ ਖ਼ਰੀਦਣ ਲਈ ਬਜ਼ਾਰ ਜਾਣ ਦੀ ਕੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨਾਲ ਹੀ ਕੰਮ ਸਾਰ ਲੈ । ਅਖੇ, “ਘਰ ਦੀ ਮੁਰਗੀ ਦਾਲ ਬਰਾਬਰ ।

15. ਉੱਦਮ ਅੱਗੇ ਲੱਛਮੀ ਪੱਖੇ ਅੱਗੇ ਪੌਣ (ਜਦੋਂ ਇਹ ਦੱਸਣਾ ਹੋਵੇ ਕਿ ਉੱਦਮ ਤੇ ਮਿਹਨਤ ਕੀਤਿਆਂ ਧਨ ਤੇ ਸਫਲਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਦੋਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ) :
ਭਾਈ ਜੇਕਰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਸਫਲ ਹੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ ਤੇ ਧਨ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ, ਤਾਂ ਰਾਤ-ਦਿਨ ਮਿਹਨਤ ਕਰੋ । ਸਿਆਣੇ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਉੱਦਮ ਅੱਗੇ ਲੱਛਮੀ ਪੱਖੇ ਅੱਗੇ ਪੌਣ ।

16. ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਡਿਗੀ ਖਜੂਰ ‘ਤੇ ਅਟਕੀ (ਇਕ ਮੁਸੀਬਤ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਂਦਾ ਹੋਇਆ ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਿਅਕਤੀ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿਚ ਫਸ ਜਾਏ, ਉਦੋਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ) :
ਅਮਰੀਕ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਬੀ. ਏ. ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨੂੰ ਛੱਡ ਬੈਠਾ । ਫਿਰ ਉਹ ਏਜੰਟਾਂ ਦੇ ਚੱਕਰ ਵਿਚ ਫਸ ਕੇ ਬਾਹਰ ਜਾਣ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਕਰਨ ਲੱਗਾ । ਦੋ-ਤਿੰਨ ਵਾਰੀ ਉਹ ਏਜੰਟਾਂ ਨਾਲ ਮੁੰਬਈ ਤਕ ਜਾ ਕੇ ਮੁੜ ਆਇਆ ਹੈ ਪਰ ਵਿਦੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਿਆ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਹ ਅਜੇ ਤਕ ਕਿਸੇ ਸਿਰੇ ਨਹੀਂ ਲੱਗਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦੀ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਡਿਗੀ ਖ਼ਜੂਰ ’ਤੇ ਅਟਕੀ ” ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ, ਤਾਂ ਉਹ ਅੱਜ ਤਕ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਜਾਂਦਾ ।

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17. ਗਿੱਦੜ ਦਾਖ ਨਾ ਅੱਪੜੇ ਆਖੇ ਬੂਹ ਕੌੜੀ (ਕੰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਆਪਣੇ ਵਿਚ ਨਾ ਹੋਣੀ, ਪਰ ਦੋਸ਼ ਦੂਜਿਆਂ ਸਿਰ ਦੇਣਾ) :
ਗੁਰਮੀਤ ਨੂੰ ਘਰੋਂ ਖ਼ਰਚਣ ਲਈ ਇਕ ਪੈਸਾ ਵੀ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ, ਪਰੰਤੂ ਉਹ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਦੇਖਣ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਉਸ ਕੋਲ ਪੈਸੇ ਹੋਣ, ਤਾਂ ਉਹ ਟਿਕਟ ਖ਼ਰੀਦੇ ਅਤੇ ਫ਼ਿਲਮ ਦੇਖੇ । ਉਸ ਦੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, “ਅਖੇ, ਗਿੱਦੜ ਦਾਖੁ ਨਾ ਅੱਪੜੇ, ਆਖੇ ਥੁਹ ਕੌੜੀ ।

18. ਕੁੱਛੜ ਕੁੜੀ, ਸ਼ਹਿਰ ਢੰਡੋਰਾ (ਕਿਸੇ ਬੌਦਲੇ ਹੋਏ ਦਾ ਆਪਣੇ ਕੋਲ ਜਾਂ ਘਰ ਵਿਚ ਪਈ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਏਧਰ-ਓਧਰ ਲੱਭਣਾ) :
ਉਹ ਇਕ ਘੰਟੇ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਪੈਂਨ ਲੱਭ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਸਦੀ ਭਾਲ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆ ਕੇ ਉਸ ਵੱਲ ਧਿਆਨ ਮਾਰਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਨੂੰ ਪੈਂਨ ਉਸ ਦੀ ਜੇਬ ਨਾਲ ਹੀ ਦਿਸ ਪਿਆ । ਮੈਂ ਕਿਹਾ, “ਤੇਰੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ਅਖੇ, ‘ਕੁੱਛੜ ਕੁੜੀ, ਸ਼ਹਿਰ ਢੰਡੋਰਾ।’

19. ਦੇਸੀ ਟੱਟੂ, ਖ਼ੁਰਾਸਾਨੀ ਦੁਲੱਤੇ (ਵਿਦੇਸ਼ੀਆਂ ਦੀ ਨਕਲ ਕਰਨਾ, ਜੋ ਅਢੁੱਕਵੀਂ ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੋਵੇ) :
ਜਦੋਂ ਬੁੱਢੇ ਬਾਬੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪੋਤੇ ਨੂੰ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਬੋਲਦਾ ਸੁਣਿਆ, ਤਾਂ ਬਾਬੇ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਦੀ ਕੋਈ ਸਮਝ ਨਾ ਪਈ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਖਿੱਝ ਕੇ ਕਿਹਾ, ““ਓਏ ਤੈਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀ ? ਗਿੱਝਿਆ ’ਗਰੇਜ਼ੀ ਦਾ । ਅਖੇ, ‘ਦੇਸੀ ਟੱਟੂ, ਖ਼ੁਰਾਸਾਨੀ ਦੁਲੱਤੇ ।

20. ਪੇਟ ਨਾ ਪਈਆਂ ਰੋਟੀਆਂ, ਸੱਭੇ ਗੱਲਾਂ ਖੋਟੀਆਂ (ਭੁੱਖੇ ਰਹਿ ਕੇ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ) :
ਜਦੋਂ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਕੰਮ ਕਰਦਿਆਂ ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਮੈਨੂੰ ਭੁੱਖ ਨੇ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੰਗ ਕੀਤਾ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਸਾਥੀ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਬਾਕੀ ਕੰਮ ਕੱਲ ਕਰ ਲਵਾਂਗੇ : । ਹੁਣ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਭੁੱਖ ਲੱਗੀ ਹੈ, ਸਵੇਰ ਦੀ ਇਕ ਰੋਟੀ ਖਾਧੀ ਹੋਈ ਹੈ । ਅਖੇ, ਪੇਟ ਨਾ ਪਈਆਂ ਰੋਟੀਆਂ ਸੱਭੇ ਗੱਲਾਂ ਖੋਟੀਆਂ ।”

21. ਭਰੇ ਪੇਟ ਤੇ ਸ਼ੱਕਰ ਕੌੜੀ (ਜੇ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਚੀਜ਼ ਵੀ ਸੁਆਦ ਨਹੀਂ ਲੱਗਦੀ ਜਦੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਮਠਿਆਈ ਖਾ) :
ਖਾ ਕੇ ਰੱਜੀ ਕੁਲਜੀਤ ਨੇ ਮਿੱਠਿਆਂ ਕੇਲਿਆਂ ਨੂੰ ਬੇਸੁਆਦ ਕਹਿ ਕੇ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ਕੇਲੇ ਤਾਂ ਬੜੇ ਮਿੱਠੇ ਹਨ, ਪਰ ਤੇਰੀ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ‘ਭਰੇ ਪੇਟ ਤੇ ਸ਼ੱਕਰ ਕੌੜੀ ।

22. ਭੁੱਖੇ ਦੀ ਧੀ ਰੱਜੀ, ਖੇਹ ਉਡਾਉਣ ਲੱਗੀ (ਕਿਸੇ ਗ਼ਰੀਬ ਕੋਲ ਪੈਸੇ ਆ ਜਾਣ ਤੇ ਅਤਿ ਚੁੱਕ ਲੈਣਾ) :
ਜਦੋਂ ਇੱਥੋਂ ਮੰਜੀਆਂ-ਪੀੜੀਆਂ ਠੋਕਣ ਵਾਲਾ ਬਿੱਲਾ ਡੁਬਈ ਜਾ ਕੇ ਤਿੰਨ ਚਾਰ ਸਾਲਾਂ ਵਿਚ ਲੱਖ ਕੁ ਰੁਪਏ ਲੈ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਤੇ ਜੂਆ ਖੇਡਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਮੈਂ ਉਸ ਦੀਆਂ ਇਹ ਆਦਤਾਂ ਦੇਖ ਕੇ ਕਿਹਾ, “ਭੁੱਖੇ ਦੀ ਧੀ ਰੱਜੀ ਤੇ ਖੇਹ ਉਡਾਉਣ ਲੱਗੀ ।

23. ਮੂੰਹ ਤੋਂ ਲਾਹੀ ਲੋਈ, ਤਾਂ ਕੀ ਕਰੇਗਾ ਕੋਈ (ਸ਼ਰਮ ਲਾਹ ਦੇਣੀ) :
ਬਲਵਿੰਦਰ ਦੇ ਆਚਰਨ ਬਾਰੇ ਸਾਰੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਗੱਲਾਂ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਉਹ ਮੁੰਡਿਆਂ ਨਾਲ ਘੁੰਮਣੋਂ ਨਹੀਂ ਹਟਦੀ । ਉਸ ਦੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, “ਮੁੰਹ ਤੋਂ ਲਾਹੀ ਲੋਈ, ਤਾਂ ਕੀ ਕਰੇਗਾ ਕੋਈ ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅੱਖਾਣ

24. ਨਾ ਰਹੇਗਾ ਬਾਂਸ, ਨਾ ਵੱਜੇਗੀ ਬੰਸਰੀ (ਕਿਸੇ ਤੰਗ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਚੀਜ਼ ਦਾ ਮੂਲ ਹੀ ਖ਼ਤਮ ਕਰ ਦੇਣਾ) :
ਜੇਕਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਗ਼ਲਤ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਦੇਣ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਤੁਹਾਡਾ ਮਹਿਕਮਾ ਤੰਗ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਨੌਕਰੀ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ, ਤਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਲਈ ਇੱਕੋ ਇੱਕ ਰਸਤਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਲਰਕਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ-ਮਿਲਾ ਕੇ ਉਹ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਰੀਕਾਰਡ ਵਿਚੋਂ ਗੁੰਮ ਕਰਾ ਦਿਓ, ਫਿਰ ‘ਨਾ ਰਹੇਗਾ ਬਾਂਸ, ਨਾ ਵੱਜੇਗੀ ਬੰਸਰੀ ।

25. ਵੇਲੇ ਦੀ ਨਮਾਜ਼ ਕੁਵੇਲੇ ਦੀਆਂ ਟੱਕਰਾਂ (ਯੋਗ ਸਮਾਂ ਬੀਤਣ ਮਗਰੋਂ ਕੰਮ ਠੀਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ) :
ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣਾ ਕੰਮ ਵੇਲੇ ਸਿਰ ਕਰ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਮਗਰੋਂ ਉਸ ਵਿਚ ਕਈ ਰੁਕਾਵਟਾਂ ਪੈ ਜਾਦੀਆਂ ਹਨ । ਤੁਹਾਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ, “ਵੇਲੇ ਦੀ ਨਮਾਜ਼ ਕੁਵੇਲੇ ਦੀਆਂ ਟੱਕਰਾਂ’ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

26. ਵਾਦੜੀਆਂ ਸਜਾਦੜੀਆਂ ਨਿਭਣ ਸਿਰਾਂ ਦੇ ਨਾਲ (ਪੱਕੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਆਦਤਾਂ ਛੇਤੀ ਨਹੀਂ ਬਦਲਦੀਆਂ) :
ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਵਲ ਪੂਰਾ-ਪੂਰਾ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਬੁਰੀ ਆਦਤ ਪੈ ਗਈ ਤਾਂ ਉਸ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋਵੇਗਾ । ਸਿਆਣਿਆਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਹੈ, ‘ਵਾਦੜੀਆਂ ਸਜਾਦੜੀਆਂ ਨਿਭਣ ਸਿਰਾਂ ਦੇ ਨਾਲ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਬੁਰੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾ ਕੇ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

PSEB 12th Class English Solutions Poem 7 The Road Not Taken

Punjab State Board PSEB 12th Class English Book Solutions Poem 7 The Road Not Taken Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 English Poem 7 The Road Not Taken

1. Two roads diverged in a yellow wood,
And sorry I could not travel both
And be one traveller, long I stood
And looked down as far as I could
To where it bent in the undergrowth.

Word-Notes :
Diverged – branched away. Wood – jungle. Undergrowth – bushes.

PSEB 12th Class English Solutions Poem 7 The Road Not Taken

Explanation:
The poet came to a junction of two roads in the forest. The roads were branching away from each other. The poet was a single traveller. He was sorry to realize that he could not go along both the roads at one and the same time. He stood at the junction of two roads for a long time. He looked along one of the roads as far as he could to the spot where the road became hidden in the growth of trees and bushes.

कवि जंगल में दो सड़कों के जंकशन पर आया। सड़कें एक दूसरे से अलग हो रही थीं। कवि अकेला यात्री था। उसे यह सोच कर खेद हुआ कि वह एक ही समय पर दोनों सड़कों पर नहीं चल सकता था। वह दोनों सड़कों के जंकशन पर काफी समय के लिए खड़ा रहा। जहाँ तक वह देख सकता था, वह एक सड़क को उस बिन्दु तक देखता रहा जहां यह वृक्षों और झाड़ियों के नीचे जा कर छिपती थी।

2. Then took the other, as just as fair,
And having perhaps the better claim,
Because it was grassy and wanted wear;
Though as far that the passing there
Had worn them really about the same.

Word-Notes : Fair-beautiful. Grassy-covered with grass. Wanted wear-it was not much travelled or used.

Explanation:
The poet came to a junction of two roads in a forest. The roads were branching away from each other. The poet was a single traveller. He stood at the junction of the roads for a long time. He looked along one of the roads as far as he could. The poet then turned to the other road.

This one was just as good and comfortable a road for journeying along as the other one. In a way it was entitled to a preferential treatment. It was grass-covered and therefore provided the traveller with an additional attraction. So far as the use of the either road by travellers up to that point was concerned, both had been frequently used by them and were worn out and broken to the same extent.

फिर कवि ने दूसरी सड़क का रुख किया। यह सड़क भी पहली सड़क की तरह यात्रा करने के लिए अच्छी और आरामदायक थी। यह घास से ढकी हुई थी और इसलिए यह यात्री के लिए अधिक आकर्षण का कारण थी। जहाँ तक उस बिन्दु तक यात्रियों द्वारा दोनों सड़कों के प्रयोग का प्रश्न था तो यात्रियों ने दोनों का प्रयोग किया हुआ था और दोनों उसी सीमा तक घिसी-पिटी हुई थीं।

PSEB 12th Class English Solutions Poem 7 The Road Not Taken

3. And both that morning equally lay
In leaves no step had trodden black.
Oh, I kept the first for another day :
Yet knowing how way leads on to way,
I doubted if I should ever come back.

Word-Notes. Trodden black-had black sign because of travelling.

Explanation. In these lines the poet says that the two roads lay in front of him equally covered with leaves. No human being had yet used either of the roads. The poet decided to reserve the first road for use on a future occasion. He knew it, however, very clearly that from one road or path branches off another. He doubted if he would ever come back to that junction of the roads and fulfil his promise of following the first road.

इन पंक्तियों में कवि कहता है कि दोनों सड़कें पत्तों से बराबर-बराबर ढकी हुई उसके सामने थीं। दोनों सड़कों को अभी तक किसी ने भी प्रयोग नहीं किया था। कवि ने निर्णय कर लिया कि वह पहली सड़क को भविष्य में प्रयोग करने के लिए सुरक्षित रखे। लेकिन वह यह बड़ी अच्छी तरह जानता था कि एक सड़क या रास्ते में से दूसरा रास्ता निकल आता है। उसे संदेह था कि वह फिर कभी सड़कों के उस जंकशन पर वापस आयेगा और पहली सड़क पर चलने के अपने वायदे को पूरा कर पायेगा।

4. I shall be telling this with a sigh
Somewhere ages and ages hence :
Two roads diverged in a wood, and I
took the one less travelled by,
And that has made all the difference.

Word-Notes : With a sigh-with a sense of regret. Hence-afterwards.

Explanation. In these lines, the traveller says that many years later when he has time to think back, he will tell somebody about how he had made his choice. He will tell him that he had stood for a long time in a jungle at the cross-roads, thinking which road to take. He will cell him how he had chosen the road which was less travelled. This choice had made all the difference for him. It affected not only the future course of his life on this earth but also his spiritual course after death.

इन पंक्तियों में यात्री कहता है कि कई वर्ष बाद जब वह इस बात पर विचार करेगा, तो वह किसी को बतायेगा कि उसने अपना चुनाव किस तरह किया। वह कहेगा कि वह जंगल में चौराहे पर काफी देर खड़ा रहा यह सोचते हुए कि उसको किस सड़क का चुनाव करना चाहिये। वह उसे बतायेगा कि उसने किस प्रकार उस सड़क का चुनाव किया था जिस पर कम लोग ही चले थे। इस चुनाव ने उसके लिए सारा अन्तर बना दिया। इस ने न केवल धरती पर उसके जीवन के भविष्य वाले मार्ग पर प्रभाव डाला बल्कि उसकी मौत के बाद उसके आध्यात्मिक रास्ते पर भी प्रभाव डाला।

Comprehension Of Stanza

1. Read the lines given below and answer the questions that follow :

Two roads diverged in a yellow wood
And sorry I could not travel both
And be one traveller, long I stood
And looked down one as far as I could
To where it bent in the undergrowth (Imp.)

PSEB 12th Class English Solutions Poem 7 The Road Not Taken

Questions :
(a) Name the poet and the poem.
(b) What did the poet see in front of him ?
(c) What is the poet sorry about ?
(d) What is the symbolic meaning of two different paths in the woods ?
Answers
(a) The name of the poet is Robert Frost and the name of the poem is “The Road Not Taken’.
(b) He saw that two roads diverged in front of him.
(c) He is sorry that he could not travel on both the roads.
(d) The one path is for the ordinary people. The other less travelled path is for the extraordinary people.

2. Then took the other, as just as fair,
And having perhaps the better claim,
Because it was grassy and wanted wear;
Though as far that the passing there
Had worn them really about the same.

Questions :
(a) Name the poet and the poem.
(b) Where was the poet when he took the other road ?
(c) Why did the poet take the other road ?
(d) Why was the other road entitled to a better treatment ?
Answers :
(a) Robert Frost is the poet. The name of the poem is “The Road Not Taken”.
(b) He had come to a junction of two roads in a forest.
(c) He took the other road because it was just as good and comfortable a road for travelling as the other one.
(d) It was entitled to a preferential treatment because it was grass covered and provided some attraction to the traveller.

3. And both that morning equally lay
In leaves no step had trodden black.
Oh, I kept the first for another day.
Yet knowing how way leads on to way,
I doubted if I should ever come back.

Questions :
(a) Who are ‘both’ referred to in the first line of the passage/ stanza ?
(b) What did the poet decide about the first road ?
(c) What did the poet know about the roads ?
(d) What was the doubt in the poet’s mind ?
Answers :
(a) They are the two roads.
(b) The poet decided to reserve the first road for use on a future occasion.
(c) The poet knew that from one road or path branches off another.
(d) The poet doubted if he would ever come back to the junction of the two roads.

PSEB 12th Class English Solutions Poem 7 The Road Not Taken

4. I shall be telling this with a sigh
Somewhere ages and ages hence
Two roads diverged in a wood, and I
I took the one less travelled by
And that has made all the difference.

Questions :
(a) Which path did the poet choose to travel ?
(b) What does the poet mean by the word difference in the last line ?
(c) Is the poet doubtful about his decision ?
(d) Justify the title of the poem ‘The Road Not Taken’.
Answers :
(a) He chose the less travelled path.
(b) The poet hints at the difference between the ordinary and the extraordinary.
(c) The poet is not at all doubtful.
(d) Actually “The Road Taken’ should have been the title because the poet took the less travelled road.
Or
The title “The Road Not Taken’ is also correct because the poet gives his reason why he took one road and rejected the other.

The Road Not Taken Summary in English

The Road Not Taken Introduction:

This poem is based on a very common experience. A traveller was going through a forest. He reached a point where the road diverged in two directions. Both the roads looked equally attractive to the traveller. But he decided to take the one that did not show much sign of having been used. It is true that if he had chosen the beaten path (much used road) he could be sure of reaching somewhere.

He would not have faced many difficulties in life. But he took the one less travelled by’ and that has made all the difference. The poet suggests that the choices which one makes in life are for good. One cannot turn back and make a second choice regarding one’s goal in life. Therefore, one should be very careful in making the choice. He also suggests that by choosing the ordinary course in life, one cannot hope to become extraordinary.

The Road Not Taken Summary in English:

In this poem the poet brings out the importance of choice-making in one’s life. He says that choices cannot be changed. They have a very far-reaching influence. They influence the whole course of man’s life. Another idea brought out in this poem is that one can’t achieve extraordinary things by taking an ordinary course. Only very ordinary men follow the beaten paths. Great souls always prefer to tread new paths. The poet illustrates this idea with the help of a very common experience.

Once the poet was travelling through a forest. He came to a place from where the road branched off in two directions. It was not possible for the poet to travel by both the roads at the same time. He had to choose one of the two. The poet stood there and thought for a long time.

PSEB 12th Class English Solutions Poem 7 The Road Not Taken

One of the roads was visible to some distance. It meant that the road had frequently been used. The other road was overgrown with grass. It meant that this road had not been used much. The poet decided to go by the second road. He kept the first one for another day.

The poet imagines a time many ages hence. He will then be in some other world. He will then recall how he had decided to travel by the less-frequented road. This choice had made all the difference for him. It affected not only the future course of his life on this earth but also his spiritual course after death. Thus with the help of symbols the poet brings out the idea that man has to choose between the roads of materialism and spiritualism in his life. The choice once made is for good. It cannot be changed later.

The Road Not Taken Summary in Hindi

The Road Not Taken Introduction:

यह कविता एक साधारण अनुभव पर आधारित है। एक यात्री जंगल में से जा रहा था। वह एक ऐसे स्थान पर पहुंचा जहां से सड़क दो भिन्न-भिन्न दिशाओं में जाती थी। यात्री को दोनों सड़कें एक जैसी आकर्षक प्रतीत होती थीं। लेकिन उसने उस सड़क पर चलने का निर्णय लिया जिस पर बहुत अधिक लोग नहीं चले थे। यह बात सच है कि यदि वह उस सड़क पर जाने का निर्णय करता जिस पर अधिक लोग चले थे तो वह अवश्य ही किसी स्थान पर पहुंच जाता। उसने बहुत कठिनाईयों या समस्याओं का सामना न किया होता।

लेकिन उसने उस सड़क को चुना जिस पर बहुत कम लोग चले थे और इसी चीज़ ने इतना अन्तर डाल दिया। कवि के कहने का मतलब है कि आदमी अपने जीवन में जिस चीज़ का चुनाव करता है वह सदा के लिए होता है। आदमी वापस मुड़ कर अपने लक्ष्य के बारे में दूसरा चुनाव नहीं कर सकता। इसलिए मनुष्य को किसी लक्ष्य का चुनाव पूरे ध्यान से करना चाहिए। कवि यह भी कहता है कि जीवन में साधारण मार्ग चुनकर आदमी असाधारण नहीं बन सकता।

The Road Not Taken Summary in Hindi:

‘The Road Not Taken’ कवि Robert Frost की सबसे महान् कविताओं में से एक है । यह कविता बताती है कि जीवन के पतझड़ी जंगलों में आदमी ने दो मार्गों में से किस एक को चुनना होता है। कवि इस स्थिति के द्वारा जीवन में चुनाव के महत्त्व पर टिप्पणी करता है। मनुष्य के अन्दर कोई ऐसी भावना होती है जो उसे अपना लक्ष्य चुनने में सहायता करती है। व्यक्ति दोनों में से किसी एक मार्ग को इसलिए चुन लेता है कि यह अधिक उचित दिखाई पड़ता है।

कवि कहता है कि पीले पड़े जंगलों में वह एक ऐसे स्थान पर जा पहुंचा जहां पर दो मार्ग अलग-अलग दिशाओं में जाते थे। पर वह दोनों मार्गों पर नहीं जा सकता था। उसे दोनों मार्गों में से एक का चुनाव करना था। पहले उसने एक मार्ग पर इतनी दूर देखा जितनी दूर वह देख सकता था। यह मार्ग उसे झाड़ियों के नीचे मुड़ता हुआ दिखाई दिया।

फिर कवि ने दूसरा मार्ग ले लिया। उसने सोचा कि यह अधिक उचित था। यह एक घास उगा मार्ग था। कवि को ऐसा दिखाई दिया कि उससे पहले उस मार्ग पर बहुत कम लोग चले थे। जहां तक दूसरे का सम्बन्ध था उस पर बहुत से लोग चल चुके थे। दूसरे शब्दों में यह घिसा-पिटा मार्ग था।

PSEB 12th Class English Solutions Poem 7 The Road Not Taken

उस प्रातः जब कवि पतझड़ी पीले जंगल में खड़ा था तो उसने देखा कि दोनों मार्ग पत्तों से ढके थे। दोनों मार्गों पर कोई भी चला दिखाई नहीं देता था। कवि ने सोचा कि वह पहले मार्ग पर बाद में किसी ओर समय पर आएगा। अतः उसने दूसरे मार्ग पर चलना आरम्भ कर दिया परन्तु उसे यह ज्ञात हो गया कि यदि एक बार कोई चुनाव कर लेता है तो वापस लौट कर दूसरे मार्ग पर जाना नहीं हो सकता।

कवि दूर भविष्य के बारे में सोचता है जब वह अपने चुने हुए मार्ग पर चल चुका होगा। फिर शायद वह ठण्डी सांस लेकर पीछे की ओर देखेगा और सोचेगा कि शायद दूसरा मार्ग अधिक लाभदायक होता। परन्तु उस समय इतनी देर हो चुकी होगी कि वापिस आना कठिन होगा।

फिर वह महसूस करेगा कि कम लोगों द्वारा अपनाए गए मार्ग को चुनने के कारण ही उसके जीवन में सारा अन्तर पड़ा। कवि यह सुझाव देता है कि मनुष्य को जीवन में अपने चुनावों के परिणामों को भुगतना पड़ता है। वह स्थिति को ठीक नहीं कर सकता यदि उसने जीवन में गलत चुनाव किया है। वह केवल पछता ही सकता है।

The Road Not Taken Central Idea

This poem is based on the idea of choice-making in life. Choice of one’s aim is very difficult. It has a great influence. It influences the whole course of a man’s life. Another idea in the poem is that one cannot achieve extraordinary things by taking an ordinary course. Only ordinary people follow the beaten path. Great souls always prefer to take new paths. By doing so they break fresh ground.

PSEB 12th Class English Solutions Poem 7 The Road Not Taken

The Road Not Taken Central Idea In Hindi

यह कविता जीवन में.लक्ष्य का चुनाव करने पर आधारित है। अपने लक्ष्य का चुनाव करना बड़ा कठिन होता है। चुनाव करने का बहुत महत्त्व होता है। यह आदमी के पूरे जीवन को प्रभावित करता है। कविता में एक विचार यह भी है कि साधारण मार्ग पर चलकर कोई व्यक्ति आसाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त नहीं कर सकता। केवल साधारण व्यक्ति घिसे-पिटे रास्ते पर चलते हैं। महान् आत्माएं सदा नये रास्तों पर चलना पसन्द करती हैं। ऐसा करने से वे नई राहें खोज लेते हैं।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Punjabi Rachana ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

1. ਤਿਹਾਇਆ ਕਾਂ
ਜਾਂ
ਜਿੱਥੇ ਚਾਹ ਉੱਥੇ ਰਾਹ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਕਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹ ਲੱਗੀ । ਉਹ ਪਾਣੀ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਉੱਡਿਆ । ਅੰਤ ਉਹ ਇਕ ਬਗੀਚੇ ਵਿਚ ਪੁੱਜਾ । ਉਸ ਨੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਇਕ ਘੜਾ ਦੇਖਿਆ ।ਉਹ ਘੜੇ ਦੇ ਮੂੰਹ ਉੱਤੇ ਜਾ ਬੈਠਾ ।ਉਸ ਨੇ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਘੜੇ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਥੋੜਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੀ ਚੁੰਝ ਪਾਣੀ ਤਕ ਨਹੀਂ ਸੀ ਪਹੁੰਚਦੀ । ਉਸ ਨੇ ਘੜੇ ਨੂੰ ਉਲਟਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਉਹ ਅਸਫਲ ਰਿਹਾ ।

ਉਹ ਕਾਂ ਬਹੁਤ ਸਿਆਣਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਘੜੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਕੁੱਝ ਰੋੜੇ ਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਦੇਖੀਆਂ । ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਢੰਗ ਸੁੱਝਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਤੇ ਰੋੜੇ ਚੁੱਕ ਕੇ ਘੜੇ ਵਿਚ ਪਾਉਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੇ । ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਘੜਾ ਰੋੜਿਆਂ ਅਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰਨ ਲੱਗਾ ਤੇ ਉਸ ਵਿਚਲਾ ਪਾਣੀ ਉੱਪਰ ਆ ਗਿਆ । ਕਾਂ ਨੇ ਰੱਜ ਕੇ ਪਾਣੀ ਪੀਤਾ ਅਤੇ ਉੱਡ ਗਿਆ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਜਿੱਥੇ ਚਾਹ ਉੱਥੇ ਰਾਹ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

2. ਕਾਂ ਅਤੇ ਲੂੰਬੜੀ
ਜਾਂ
ਚਲਾਕ ਲੂੰਬੜੀ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਲੂੰਬੜੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਭੁੱਖ ਲੱਗੀ । ਉਹ ਕੋਈ ਖਾਣ ਵਾਲੀ ਚੀਜ਼ ਲੱਭਣ ਲਈ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਘੁੰਮੀ, ਪਰ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਨਾ ਮਿਲਿਆ । ਅੰਤ ਉਹ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੇ ਇਕ ਝੰਡ ਹੇਠ ਪਹੁੰਚੀ । ਉਹ ਬਹੁਤ ਥੱਕੀ ਹੋਈ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਹੇਠਾਂ ਲੰਮੀ ਪੈ ਗਈ ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਲੰਬੜੀ ਨੇ ਉੱਪਰ ਵਲ ਧਿਆਨ ਮਾਰਿਆ । ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਇਕ ਟਹਿਣੀ ਉੱਤੇ ਉਸ ਨੇ ਇਕ ਕਾਂ ਦੇਖਿਆ, ਜਿਸ ਦੀ ਚੁੰਝ ਵਿਚ ਪਨੀਰ ਦਾ ਇਕ ਟੁਕੜਾ ਸੀ । ਇਹ ਦੇਖ ਕੇ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਕਾਂ ਕੋਲੋਂ ਪਨੀਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਖੋਹਣ ਦਾ ਇਕ ਢੰਗ ਕੱਢ ਲਿਆ ।

ਉਸ ਨੇ ਬੜੀ ਚਾਲਾਕੀ ਤੇ ਪਿਆਰ ਭਰੀ ਅਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਨਮੋਹਣਾ ਪੰਛੀ ਹੈਂ ।ਤੇਰੀ ਅਵਾਜ਼ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਰੀਲੀ ਹੈ । ਮੇਰਾ ਜੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰਾ ਇਕ ਮਿੱਠਾ ਗੀਤ ਸੁਣਾਂ । ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਗਾ ਕੇ ਸੁਣਾ ।” ਕਾਂ ਲੂੰਬੜੀ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ਾਮਦ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਫੁੱਲ ਗਿਆ । ਜਿਉਂ ਹੀ ਉਸ ਨੇ ਗਾਉਣ ਲਈ ਮੂੰਹ ਖੋਲ੍ਹਿਆ, ਤਾਂ ਪਨੀਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚੋਂ ਹੇਠਾਂ ਡਿਗ ਪਿਆ । ਲੂੰਬੜੀ ਪਨੀਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਝੱਟ-ਪੱਟ ਖਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਰਾਹ ਤੁਰਦੀ ਬਣੀ ਤੇ ਕਾਂ ਉਸ ਵਲ ਦੇਖਦਾ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਖ਼ੁਸ਼ਾਮਦ ਤੋਂ ਬਚੋ ।

3. ਦਰਜ਼ੀ ਅਤੇ ਹਾਥੀ

ਇਕ ਰਾਜੇ ਕੋਲ ਇਕ ਹਾਥੀ ਸੀ । ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਨਦੀ ਵਿਚ ਨਹਾਉਣ ਲਈ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਦਰਿਆ ਦੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਇਕ ਬਜ਼ਾਰ ਆਉਂਦਾ ਸੀ । ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਇਕ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਸੀ । ਦਰਿਆ ਨੂੰ ਜਾਂਦਾ ਹੋਇਆ ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਕੋਲ ਰੁਕ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਦਰਜ਼ੀ ਇਕ ਨਰਮ ਦਿਲ ਆਦਮੀ ਸੀ । ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਚੀਜ਼ ਖਾਣ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਅਤੇ ਦਰਜ਼ੀ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿੱਤਰ ਬਣ ਗਏ ।

ਇਕ ਦਿਨ ਦਰਜ਼ੀ ਘਰੋਂ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨਾਲ ਲੜ ਕੇ ਆਇਆ ਸੀ । ਉਸ ਦਾ ਮਨ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਇਸੇ ਵੇਲੇ ਹਾਥੀ ਵੀ ਉੱਥੇ ਆ ਗਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਦੁਕਾਨ ਦੇ ਅੰਦਰ ਕੀਤੀ । ਦਰਜ਼ੀ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਵੀ ਖਾਣ ਲਈ ਨਾ ਦਿੱਤਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਸੂਈ ਚੋਭ ਦਿੱਤੀ ।

ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਇਸ ਕਰਤੂਤ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ । ਉਹ ਦਰਿਆ ‘ਤੇ ਪੁੱਜਾ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਚਿੱਕੜ ਵਾਲਾ ਪਾਣੀ ਭਰ ਲਿਆ । ਵਾਪਸੀ ‘ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਸਾਰਾ ਚਿੱਕੜ ਲਿਆ ਕੇ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ । ਦਰਜ਼ੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕੱਪੜੇ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਗਏ । ਉਹ ਡਰਦਾ ਮਾਰਾਂ ਦੁਕਾਨ ਛੱਡ ਕੇ ਦੌੜ ਗਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਨੇ ਆਪਣਾ ਬਦਲਾ ਲੈ ਲਿਆ ।

ਸਿੱਟਾ : ਜਿਹਾ ਕਰੋਗੇ ਤਿਹਾ ਭਰੋਗੇ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

4. ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਬਲ ਹੈ
ਜਾਂ
ਕਿਸਾਨ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਥਾਂ ਇਕ ਬੁੱਢਾ ਕਿਸਾਨ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਚਾਰ ਪੁੱਤਰ ਸਨ । ਉਹ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਆਪਸ ਵਿਚ ਲੜਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵਾਰੀ ਸਮਝਾਇਆ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਪਿਆਰ ਅਤੇ ਏਕਤਾ ਨਾਲ ਰਿਹਾ ਕਰਨ, ਪਰ ਉਹਨਾਂ ਉੱਪਰ ਪਿਤਾ ਦੀਆਂ ਨਸੀਹਤਾਂ ਦਾ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਸੀ ਹੁੰਦਾ ।

ਇਕ ਵਾਰੀ ਉਹ ਬੁੱਢਾ ਕਿਸਾਨ ਬਿਮਾਰ ਹੋ ਗਿਆ । ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਲੜਾਈ-ਝਗੜੇ ਦਾ ਬਹੁਤ ਫ਼ਿਕਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਣ ਲਈ ਆਪਣੀ ਸਮਝ ਨਾਲ ਇਕ ਢੰਗ ਕੱਢਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਪਤਲੀਆਂ-ਪਤਲੀਆਂ ਲੱਕੜਾਂ ਦਾ ਇਕ ਬੰਡਲ ਮੰਗਾਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਬੰਡਲ ਵਿਚੋਂ ਇਕ-ਇਕ ਸੋਟੀ ਕੱਢ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਦਿੱਤੀ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਲਈ ਕਿਹਾ । ਚੌਹਾਂ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੇ ਇਕ-ਇਕ ਲੱਕੜੀ ਬੜੀ ਸੌਖ ਨਾਲ ਤੋੜ ਦਿੱਤੀ । ਫ਼ਿਰ ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਸਾਰਾ ਬੰਡਲ ਘੁੱਟ ਕੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਕੱਲਾ-ਇਕੱਲਾ ਇਸ ਸਾਰੇ ਬੰਡਲ ਨੂੰ ਤੋੜੇ । ਕੋਈ ਵੀ ਪੁੱਤਰ ਉਸ ਬੰਨ੍ਹੇ ਹੋਏ

ਬੰਡਲ ਨੂੰ ਨਾ ਤੋੜ ਸਕਿਆ । ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਉਹ ਇਹਨਾਂ ਪਤਲੀਆਂ-ਪਤਲੀਆਂ ਲੱਕੜੀਆਂ ਤੋਂ ਸਿੱਖਿਆ ਲੈਣ । ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਲੜਾਈ-ਝਗੜਾ ਕਰ ਕੇ ਇਕੱਲੇ-ਇਕੱਲੇ ਰਹਿਣ ਦੀ ਥਾਂ ਮਿਲ ਕੇ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਤਾਕਤ ਬਹੁਤ ਹੋਵੇਗੀ । ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੇ ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਰਲ-ਮਿਲ ਕੇ ਰਹਿਣ ਦਾ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਬਲ ਹੈ ।

5. ਲੇਲਾ ਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਬਘਿਆੜ ਇਕ ਨਦੀ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਪਾਣੀ ਪੀ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਨਿਵਾਣ ਵਲ ਉਸਨੇ ਇਕ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਪੀਂਦਿਆਂ ਦੇਖਿਆ । ਉਸਦਾ ਦਿਲ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਖਾ ਲਵੇ ।ਉਹ ਮਨ ਵਿਚ ਉਸਨੂੰ ਖਾਣ ਦੇ ਬਹਾਨੇ ਸੋਚਣ ਲੱਗਾ । ਉਸਨੇ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਉਸਦੇ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਿਉਂ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਲੇਲੇ ਨੇ ਡਰ ਕੇ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜ ਪਾਣੀ ਤਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਵੱਲੋਂ ਮੇਰੀ ਵੱਲ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੇ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹਾਂ ।

ਬਘਿਆੜ ਨਿੱਠ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ ਪਰ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਹੱਥੋਂ ਨਹੀਂ ਸੀ ਜਾਣ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ । ਉਸਨੇ ਉਸਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਗਾਲਾਂ ਕਿਉਂ ਕੱਢੀਆਂ ਸਨ ?” ਲੇਲੇ ਨੇ ਫਿਰ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜ, ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਤਾਂ ਮੈਂ ਜੰਮਿਆਂ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ ।” ਹੁਣ ਬਘਿਆੜ ਕੋਲ ਚਾਰਾ ਨਾ ਰਿਹਾ ਤੇ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, ‘ਜੇਕਰ ਉਦੋਂ ਤੂੰ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਤਾਂ ਤੇਰਾ ਪਿਓ-ਦਾਦਾ ਹੋਵੇਗਾ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੂੰ ਕਸੂਰਵਾਰ ਹੈਂ ।” ਇਹ ਕਹਿ ਕੇ ਉਸਨੇ ਝਪੱਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸਨੂੰ ਪਾੜ ਕੇ ਖਾ ਗਿਆ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਡਾਢੇ ਦਾ ਸੱਤੀਂ ਵੀਹੀਂ ਸੌ ।
ਜਾਂ
ਜ਼ੁਲਮ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਬਹਾਨਾ ਲੱਭ ਹੀ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

6. ਆਜੜੀ ਅਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰਨ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਕ ਦਿਨ ਉਸ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮਖੌਲ ਉਡਾਉਣਾ ਚਾਹਿਆ ।ਉਹ ਇਕ ਉੱਚੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉੱਚੀ-ਉੱਚੀ ਰੌਲਾ ਪਾਉਣ ਲੱਗਾ, “ਬਆੜ ਬਘਿਆੜ ! ਮੈਨੂੰ ਬਚਾਓ ” ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਕੰਮ-ਕਾਰ ਛੱਡ ਕੇ . ਤੇ ਡਾਂਗਾਂ ਚੁੱਕ ਕੇ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਦੌੜੇ ਆਏ । ਜਦੋਂ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਤਾਂ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਅੱਗੋਂ ਹੱਸਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਪੁੱਛਿਆ, “ਬਆੜ ਕਿੱਥੇ ਹੈ ? ‘ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਸਿਰਫ਼ ਉਹਨਾਂ ਨਾਲ ਮਖੌਲ ਹੀ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਬਘਿਆੜ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਆਇਆ । ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀ ਇਸ ਗੱਲ ‘ਤੇ ਬੜਾ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ । ਉਹ ਭਰੇ-ਪੀਤੇ ਵਾਪਸ ਮੁੜ ਗਏ ।

ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਜਦੋਂ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਬਘਿਆੜ ਸੱਚ-ਮੁੱਚ ਹੀ ਆ ਗਿਆ । ਉਹ ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੇਡਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰ-ਮਾਰ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗਾ । ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਬਹੁਤ ਰੌਲਾ ਪਾਇਆ । ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ, ਪਰ ਕੋਈ ਵੀ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਨਾ ਆਇਆ । ਬਘਿਆੜ ਨੇ ਮੁੰਡੇ ਉੱਤੇ ਝਪਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਵੀ ਮਾਰ ਕੇ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਕ ਵਾਰ ਝੂਠ ਬੋਲਣ ਕਰਕੇ ਉਸ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਗੁਆ ਲਈ । ਸੱਚ ਹੈ, ਝੂਠੇ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਇਤਬਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਝੂਠੇ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਇਤਬਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

7. ਬਾਂਦਰ ਤੇ ਮਗਰਮੱਛ

ਇਕ ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਇਕ ਭਾਰਾ ਜਾਮਣ ਦਾ ਦਰੱਖ਼ਤ ਸੀ । ਉਸਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਾਲੀਆਂ ਸ਼ਾਹ ਜਾਮਣਾਂ ਲੱਗੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ । ਉਸ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਇਕ ਬਾਂਦਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ, ਜੋ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਰੱਜ-ਰੱਜ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਕ ਦਿਨ ਇਕ ਮਗਰਮੱਛ ਦਰਿਆ ਹੇਠ ਤੁਰਦਾ-ਤੁਰਦਾ ਜਾਮਣ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਆ ਗਿਆ ਤੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਕੇ ਧੁੱਪ ਸੇਕਣ ਲੱਗਾ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਉਸਦੀ ਨਜ਼ਰ ਬਾਂਦਰ ਉੱਤੇ ਪਈ, ਜੋ ਕਿ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਤੇ ਟਪੂਸੀਆਂ ਮਾਰਦਾ ਸੀ । ਮਗਰਮੱਛ ਵੀ ਲਲਚਾਈਆਂ ਅੱਖਾਂ ਨਾਲ ਉਸ ਵਲ ਵੇਖਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਬਾਂਦਰ ਨੇ ਉਸ ਵਲ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਸੱਟ ਦਿੱਤੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਾ ਕੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋਇਆ । ਉਸਨੇ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਆਪਣੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਲਈ ਵੀ ਰੱਖ ਲਈਆਂ ।

ਬਾਂਦਰ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰ ਕੇ ਉਹ ਜਾਮਣਾਂ ਲੈ ਕੇ ਘਰ ਵਲ ਚਲ ਪਿਆ । ਘਰ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਉਸਨੇ ਮਗਰਮੱਛਣੀ ਨੂੰ ਜਾਮਣਾਂ ਖੁਆਈਆਂ ਤੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਈ । ਹੁਣ ਮਗਰਮੱਛ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਜਾਮਣ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਆ ਜਾਂਦਾ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਉਸਦੇ ਖਾਣ ਲਈ ਜਾਮਣਾਂ ਸੁੱਟਦਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਖੂਬ ਦੋਸਤੀ ਪੈ ਗਈ ।

ਮਗਰਮੱਛ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਲਿਜਾ ਕੇ ਆਪਣੀ ਘਰਵਾਲੀ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਖਾ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਉਸਨੂੰ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਇਆ ਕਿ ਜਿਹੜਾ ਬਾਂਦਰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇੰਨੀਆਂ ਸੁਆਦੀ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਹੈ, ਉਸਦਾ ਕਲੇਜਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰ ਬਹੁਤ ਸੁਆਦ ਹੋਵੇਗਾ । ਉਹ ਮਗਰਮੱਛ ਦੇ ਖਹਿੜੇ ਪਈ ਰਹਿੰਦੀ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨੂੰ ਘਰ ਲਿਆਵੇ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਉਸਦਾ ਕਲੇਜਾ ਖਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਮਗਰਮੱਛ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨਾਲ ਧੋਖਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਪਰ ਘਰਵਾਲੀ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਿੱਦ ਪਈ ਹੋਈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨੂੰ ਘਰ ਲੈ ਕੇ ਆਵੇ ।

ਹਾਰ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਬਾਂਦਰ ਨੂੰ ਘਰ ਲਿਆਉਣ ਦਾ ਇਰਾਦਾ ਕਰ ਲਿਆ ।ਉਹ ਜਾਮਣ ਹੇਠ ਪੁੱਜਾ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਦੀਆਂ ਸੁੱਟੀਆਂ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਣ ਮਗਰੋਂ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, ਦੋਸਤਾਂ ਤੂੰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਮੈਨੂੰ ਮਿੱਠੀਆਂ ਜਾਮਣਾਂ ਖੁਆਉਂਦਾ ਹੈਂ ਤੇ ਮੇਰੀ ਘਰਵਾਲੀ ਵੀ ਖਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਘਰ ਚਲੇ, ਤਾਂ ਜੋ ਤੇਰਾ ਸ਼ੁਕਰੀਆ ਅਦਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ ।”

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਬਾਂਦਰ ਝੱਟ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਿਆ , ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪਿੱਠ ਤੇ ਬਿਠਾ ਲਿਆ ਤੇ ਦਰਿਆ ਵਿਚ ਤਰਦਾ ਹੋਇਆ ਆਪਣੇ ਘਰ ਵਲ ਚਲ ਪਿਆ । ਅੱਧ ਕੁ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਬਾਂਦਰ ਨੂੰ ਅਸਲ ਗੱਲ ਦੱਸੀ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸਦੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਉਸਦਾ ਦਿਲ ਖਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਉਸਨੂੰ ਆਪਣੇ ਘਰ ਲਿਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

ਬਾਂਦਰ ਬੜਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਸੀ । ਉਹ ਮਗਰਮੱਛ ਦੀ ਗੱਲ ਸੁਣ ਕੇ ਹੱਸਿਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਦੱਸਿਆ । ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੀ ਗੱਲ ਸੁਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਈ ਹੈ ਪਰ ਮੈਂ ਆਪਣਾ ਦਿਲ ਤਾਂ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਹੀ ਛੱਡ ਆਇਆ ਹਾਂ । ਦਿਲ ਲੈਣ ਲਈ ਤਾਂ ਸਾਨੂੰ ਵਾਪਸ ਜਾਣਾ ਪਵੇਗਾ ।” ਜੇਕਰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਦਿਲ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਭਾਬੀ ਖਾਵੇਗੀ ਕੀ ? । ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਮੁੜ ਉਸਨੂੰ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੋਲ ਲੈ ਆਇਆ । ਬਾਂਦਰ ਟਪੂਸੀ ਮਾਰ ਕੇ ਜਾਮਣ ਉੱਤੇ ਜਾ ਚੜ੍ਹਿਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਚੰਗਾ ਦੋਸਤ ਹੈਂ । ਜੋ ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਲੈਣੀ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈਂ । ਤੇਰੇ ਵਰਗੇ ਦੋਸਤ ਤੋਂ ਤਾਂ ਰੱਬ ਬਚਾਵੇ ।”

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਦੀ ਗੱਲ ਮੰਨ ਕੇ ਪਛਤਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਸੁਆਰਥੀ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਬਚੋ ।

8. ਸ਼ੇਰ ਅਤੇ ਹੀ

ਇਕ ਦਿਨ ਬਹੁਤ ਗਰਮੀ ਸੀ । ਇਕ ਸ਼ੇਰ ਇਕ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਛਾਂ ਹੇਠ ਸੁੱਤਾ ਪਿਆ ਸੀ । ਨੇੜੇ ਹੀ ਇਕ ਖੁੱਡ ਵਿਚ ਇਕ ਚੂਹੀ ਰਹਿੰਦੀ ਸੀ । ਚੂਹੀ ਆਪਣੀ ਖੁੱਡ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲੀ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਦੇ ਉੱਪਰ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਟੱਪਣ ਲੱਗੀ । ਸ਼ੇਰ ਨੂੰ ਜਾਗ ਆ ਗਈ । ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਚੂਹੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੰਜੇ ਵਿਚ ਫੜ ਲਿਆ । ਉਹ ਚੂਹੀ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਹੀ ਲੱਗਾ ਸੀ ਕਿ ਚੂਹੀ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੇਰੇ ਤੇ ਰਹਿਮ ਕਰੋ, ਮੈਥੋਂ ਭੁੱਲ ਹੋ ਗਈ ਹੈ । ਕਦੇ ਸਮਾਂ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੀ ਮਿਹਰਬਾਨੀ ਦਾ ਬਦਲਾ ਚੁਕਾਵਾਂਗੀ ।” ਸ਼ੇਰ ਨੇ ਉਸ ਉੱਤੇ ਤਰਸ ਖਾਧਾ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ।

ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਮਗਰੋਂ ਇਕ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਨੇ ਸ਼ੇਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਜਾਲ ਵਿਚ ਫਸਾ ਲਿਆ । ਸ਼ੇਰ ਨੇ ਜਾਲ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੱਥ-ਪੈਰ ਮਾਰੇ, ਪਰ ਵਿਅਰਥ ।ਉਹ ਦੁੱਖ ਨਾਲ ਗਰਜਣ ਲੱਗਾ । ਉਸ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਚੂਹੀ ਦੇ ਕੰਨੀ ਪਈ । ਚੂਹੀ ਆਪਣੀ ਖੁੱਡ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲੀ । ਉਸ ਨੇ ਜਾਲ ਦੀਆਂ ਰੱਸੀਆਂ ਨੂੰ ਟੁੱਕਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਜਲਦੀ ਹੀ ਸ਼ੇਰ ਜਾਲ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਚੂਹੀ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ ।

ਸਿੱਟਾ : ਅੰਤ ਭਲੇ ਦਾ ਭਲਾ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

9. ਮਿੱਤਰ, ਉਹ ਜੋ ਔਖੇ ਵੇਲੇ ਕੰਮ ਆਵੇ

ਸੁਰਿੰਦਰ ਅਤੇ ਮਹਿੰਦਰ ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਬੜੇ ਪੱਕੇ ਮਿੱਤਰ ਸਨ । ਇਕ ਵਾਰ ਉਹ ਕਿਸੇ ਨੌਕਰੀ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਘਰੋਂ ਤੁਰ ਪਏ । ਦੋਹਾਂ ਨੇ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਵਿਚ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰਨ ਦਾ ਇਕਰਾਰ ਕੀਤਾ ।

ਤੁਰਦੇ-ਤੁਰਦੇ ਉਹ ਇਕ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਜਾ ਪੁੱਜੇ । ਉਹਨਾ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਲ ਇਕ ਜੰਗਲੀ ਰਿੱਛ ਆਉਂਦਾ ਦੇਖਿਆ । ਸੁਰਿੰਦਰ ਨੂੰ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਨਾ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਇਕ ਦਮ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਸਨੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਬਚਾ ਲਈ ।

ਮਹਿੰਦਰ ਬੜਾ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਹੋਇਆ ਕਿ ਉਹ ਕੀ ਕਰੇ ? ਉਸ ਦਾ ਜੀਵਨ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਸੀ । ਉਸ ਨੂੰ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਆਉਂਦਾ । ਉਸ ਨੇ ਸਮਝ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲਿਆ । ਉਹ ਸਾਹ ਘਸੀਟ ਕੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਲੰਮਾ ਪੈ ਗਿਆ । ਰਿੱਛ ਉਸ ਦੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜਾ । ਉਸ ਨੇ ਮਹਿੰਦਰ ਨੂੰ ਸੁੰਘਿਆ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨ ਨੂੰ ਮੂੰਹ ਲਾ ਕੇ ਦੇਖਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਸਮਝਿਆ ਕਿ ਮਹਿੰਦਰ ਮੁਰਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਚਲਾ ਗਿਆ ।

ਸੁਰਿੰਦਰ ਦਰੱਖ਼ਤ ਤੋਂ ਉੱਤਰਿਆ । ਇਹ ਮਹਿੰਦਰ ਨੂੰ ਪੁੱਛਣ ਲੱਗਾ, “ਰਿੱਛ ਨੇ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨ ਵਿਚ ਕੀ ਕਿਹਾ ਸੀ ?” ਮਹਿੰਦਰ ਨੇ ਇਕ ਦਮ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ, “ਰਿੱਛ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਨਸੀਹਤ ਦਿੰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਮਤਲਬੀ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।” ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਸੁਰਿੰਦਰ ਬਹੁਤ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਹੋਇਆ । ਮਹਿੰਦਰ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਮਿੱਤਰਤਾ ਦਾ ਸਦਾ ਲਈ ਤਿਆਗ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਨੂੰ ਸਮਝ ਲੱਗ ਗਈ, “ਮਿੱਤਰ, ਉਹ ਜੋ ਔਖੇ ਵੇਲੇ ਕੰਮ ਆਵੇ ।

10. ਹੰਕਾਰੀ ਬਾਰਾਂਸਿਝਾ

ਇਕ ਵਾਰ ਇਕ ਬਾਰਾਂਸਿਕਾਂ ਇਕ ਤਲਾ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਾਣੀ ਪੀ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਪਾਣੀ ਬਹੁਤ ਸਾਫ਼ ਸੀ । ਬਾਰਾਂਸਿਵੇਂ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਪਰਛਾਵਾਂ ਦਿਸਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਖੂਬਸੂਰਤ ਸਿੰਝ ਦੇਖੇ ਤੇ ਬੜਾ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਿੰਘਾਂ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ’ਤੇ ਬੜਾ ਮਾਣ ਹੋਇਆ । ਫਿਰ ਉਸ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਆਪਣੀਆਂ ਪਤਲੀਆਂ ਤੇ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ‘ਤੇ ਪਈ । ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਦਸੂਰਤੀ ਦੇਖ ਕੇ ਉਦਾਸ ਹੋ ਗਿਆ । ਉਹ ਰੱਬ ਨੂੰ ਬੁਰਾ-ਭਲਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਬਹੁਤ ਭੱਦੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਹਨ ।

ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਹੀ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨੀ ਕੁੱਝ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤਿਆਂ ਦੀ ਆਵਾਜ ਪਈ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਪੈਰ ਰੱਖ ਕੇ ਦੌੜਿਆ । ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਦੂਰ ਲੈ ਗਈਆਂ । ਉਹ ਇਨ੍ਹਾਂ ਲੱਤਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤਿਆਂ ਦੇ ਕਦੇ ਵੀ ਕਾਬੂ ਨਹੀਂ ਸੀ ਆ ਸਕਦਾ । ਪਰ ਬਦਕਿਸਮਤੀ ਨਾਲ ਉਸ ਦੇ ਸਿੰਙ ਇਕ ਝਾੜੀ ਵਿਚ ਫ਼ਸ ਗਏ ।ਉਸ ਨੇ ਝਾੜੀ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਦੀ ਬਹੁਤ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਵਿਅਰਥ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤੇ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚ ਗਏ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਫੜ ਕੇ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਨ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਮੱਦਦ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਸੁੰਦਰ ਸਿੰ . ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਨ ਲੈ ਲਈ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਹਰ ਇਕ ਚਮਕਦੀ ਚੀਜ਼ ਸੋਨਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

11. ਸਿਆਣਾ ਕਾਂ

ਇਕ ਰਾਜੇ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸੋਹਣਾ ਬਾਗ਼ ਸੀ, ਜਿਸਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਕ ਵੱਡਾ ਤਲਾਬ ਸੀ । ਰਾਜੇ . ਦਾ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਬਾਗ਼ ਵਿਚ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਕੁੱਝ ਸਮਾਂ ਸੈਰ-ਸਪਾਟਾ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਉਹ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਸਰੋਵਰ ਵਿਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਦਾ ਸੀ ।

ਉਸ ਤਲਾਬ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦੂਰ ਇਕ ਪੁਰਾਣਾ ਬੋਹੜੇ ਦਾ ਦਰੱਖ਼ਤ ਸੀ । ਉਸ ਉੱਤੇ ਇਕ ਕਾਂ ਅਤੇ ਕਾਉਣੀ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਬੋਹੜ ਦੀ ਇਕ ਖੋੜ੍ਹ ਵਿਚ ਇਕ ਵੱਡਾ ਸੱਪ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਵੀ ਕਾਉਣੀ ਆਂਡੇ ਦਿੰਦੀ, ਤਾਂ ਸੱਪ ਅੱਖ ਬਚਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੀ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਕਾਂ ਅਤੇ ਕਾਉਣੀ ਇਸ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਸਨ, ਪਰੰਤੂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੋਈ ਰਾਹ ਨਹੀਂ ਸੀ ਲੱਭਦਾ ।

ਇਕ ਦਿਨ ਕਾਂ ਨੇ ਇਕ ਤਰੀਕਾ ਸੋਚਿਆ । ਜਦੋਂ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਬਾਗ਼ ਦੀ ਸੈਰ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਤਲਾਬ ਵਿਚ ਨੁਹਾਉਣ ਲਈ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਆਪਣੇ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਤਲਾਬ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਰੱਖੇ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਆਪਣੇ ਗਲੋਂ ਲਾਹ ਕੇ ਸੋਨੇ ਦਾ ਹਾਰ ਵੀ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ।

ਜਦੋਂ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਨਹਾ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਕਾਂ ਨੇ ਹਾਰ ਆਪਣੀ ਚੁੰਝ ਵਿਚ ਚੁੱਕ ਲਿਆ ਤੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਉੱਡਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਹਾਰ ਚੁੱਕਦਿਆਂ ਦੇਖ ਲਿਆ ਤੇ ਆਪਣੇ ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਮਗਰ ਲਾ ਦਿੱਤਾ । ਕਾਂ ਨੇ ਬੋਹੜ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੋਲ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਹਾਰ ਉਸਦੀ ਖੋੜ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ । ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਡਾਂਗ ਨਾਲ ਖੋੜ ਵਿਚੋਂ ਹਾਰ ਕੱਢਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ । ਪਰੰਤੁ ਆਪਣੇ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਦੇਖ ਕੇ ਸੱਪ ਬਾਹਰ ਆ ਗਿਆ । ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਸੱਪ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਹਾਰ ਖੋੜ੍ਹ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਲਿਆ । ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਹਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ । ਕਾਂ ਤੇ ਕਾਉਣੀ ਇਹ ਸਭ ਕੁੱਝ ਦੇਖ ਰਹੇ ਸਨ । ਉਹ ਸੱਪ ਨੂੰ ਮਰਿਆ ਦੇਖ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਏ । ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਂਡਿਆਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਖ਼ਤਰਾ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਕਾਂ ਨੇ ਸਿਆਣਪ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਮੁਕਾ ਲਿਆ ਤੇ ਦੋਵੇਂ ਸੁਖੀ-ਸੁਖੀ ਰਹਿਣ ਲੱਗੇ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਮੁਸੀਬਤ ਸਮੇਂ ਸਿਆਣਪ ਹੀ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।
ਜਾਂ
ਸਾਨੂੰ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿਚ ਘਬਰਾਉਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ, ਸਗੋਂ ਸਿਆਣਪ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

12. ਦੋ ਆਲਸੀ ਮਿੱਤਰ

ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਦੋ ਨੌਜਵਾਨ ਮਿੱਤਰ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਦੋਵੇਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸਸਤ ਤੇ ਆਲਸੀ ਸਨ । ਉਹ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਸਨ ਕਰਦੇ । ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਤੁਰ ਪਏ । ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਧੁੱਪ ਬਹੁਤ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਵਾਲੀ ਬੇਰੀ ਹੇਠ ਲੰਮੇ ਪੈ ਗਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਲੰਮੇ ਪਿਆ ਦੇਖਿਆ ਕੇ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਲਾਲ-ਲਾਲ ਬੇਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ ।

ਲੰਮਾ ਪਿਆ-ਪਿਆ ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਤੇ ਦੂਜਾ ਪਹਿਲੇ ਨੂੰ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਹ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਬੇਰ ਲਾਹਵੇ । ਆਲਸੀ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਦੋਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਨਾ ਉੱਠਿਆ ਤੇ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਏ ਰਹੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਮੂੰਹ ਅੱਡੇ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗੇ, “ਲਾਲ-ਲਾਲ ਬੇਰੋ, ਸਾਨੂੰ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨਾ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ, ਤੁਸੀਂ ਆਪ ਹੀ ਸਾਡੇ ਮੂੰਹਾਂ ਵਿਚ ਡਿਗ ਪਵੋ ।’’ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਮੂੰਹ ਅੱਡ ਕੇ ਪਏ ਰਹੇ । , ਸ਼ਾਮ ਤਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਬੇਰ ਤਾਂ ਕੋਈ ਨਾ ਡਿੱਗਿਆ, ਪਰ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਵਿੱਠਾਂ ਜ਼ਰੂਰ ਡਿਗਦੀਆਂ ਰਹੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਬਹੁਤ ਗੰਦੇ ਹੋ ਗਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹਾਂ ਉੱਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਬੈਠਣ ਲੱਗੀਆਂ, ਪਰੰਤੂ ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਡਾਉਣ ਦੀ ਹਿੰਮਤ ਨਹੀਂ ਸਨ ਕਰ ਰਹੇ ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਇਕ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਉੱਧਰੋਂ ਲੰਘਿਆ । ਉਹ ਘੋੜੇ ਤੋਂ ਉੱਤਰਿਆ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਉਹ ਮੁੰਹ ਅੱਡ ਕੇ ਕਿਉਂ ਪਏ ਹਨ । ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਨਾਲ ਦਾ ਉਸਦਾ ਮਿੱਤਰ ਬਹੁਤ ਸੁਸਤ ਹੈ ।ਉਹ ਉਸ ਲਈ ਬੇਰੀ ਤੋਂ ਬੇਰ ਲਾਹ ਕੇ ਨਹੀਂ ਲਿਆਉਂਦਾ । ਦੂਜਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਦਾ ਦੋਸਤ ਉਸ ਤੋਂ ਵੀ ਵਧੇਰੇ ਸੁਸਤ ਹੈ । ਉਹ ਉਸਦੇ ਮੂੰਹ ਤੋਂ ਮੱਖੀਆਂ ਨਹੀਂ ਉਡਾਉਂਦਾ ।

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਨੂੰ ਸਾਰੀ ਗੱਲ ਸਮਝ ਆ ਗਈ । ਉਹ ਸਮਝ ਗਿਆ ਕਿ ਦੋਵੇਂ ਮਿੱਤਰ ਆਲਸੀ ਤੇ ਸੁਸਤ ਹਨ । ਉਸਨੇ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਖੂਬ ਕੁਟਾਪਾ ਚਾੜ੍ਹਿਆ ਤੇ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨ ਲਈ ਕਿਹਾ । ਕੁੱਟ ਤੋਂ ਡਰਦੇ ਦੋਵੇਂ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ ਕੇ ਤੇ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਬੇਰ ਤੋੜ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਢਿੱਡ ਭਰ ਕੇ ਮਿੱਠੇ ਬੇਰ ਖਾਧੇ ਤੇ ਜਦੋਂ ਉਹ ਹੇਠਾਂ ਉੱਤਰੇ ਤਾਂ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਜਾ ਚੁੱਕਾ ਸੀ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਆਲਸ ਜਾਂ ਸੁਸਤੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਬਿਮਾਰੀ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

13. ਇਮਾਨਦਾਰ ਲੱਕੜਹਾਰਾ
ਜਾਂ
ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਦਾ ਫਲ ਮਿੱਠਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ

ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਇਕ ਗ਼ਰੀਬ ਲੱਕੜਹਾਰਾ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਬਹੁਤ ਇਮਾਨਦਾਰ ਸੀ । ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਲੱਕੜਾਂ ਕੱਟਣ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਨਦੀ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਪੁੱਜਾ ਅਤੇ ਇਕ ਦਰੱਖ਼ਤ ਨੂੰ ਕੱਟਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਅਜੇ ਉਸ ਨੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੇ ਮੁੱਢ ਵਿਚ ਪੰਜ-ਸੱਤ ਕੁਹਾੜੇ ਹੀ ਮਾਰੇ ਸਨ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਹੱਥੋਂ ਛੁੱਟ ਕੇ ਨਦੀ ਵਿਚ ਡਿਗ ਪਿਆ ।

ਨਦੀ ਦਾ ਪਾਣੀ ਬਹੁਤ ਡੂੰਘਾ ਸੀ । ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਨਾ ਤਰਨਾ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਨਾ ਚੁੱਭੀ ਲਾਉਣੀ । ਉਹ ਬਹੁਤ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਹੋਇਆ, ਪਰ ਕਰ ਕੁੱਝ ਨਹੀਂ ਸੀ ਸਕਦਾ ।ਉਹ ਬੈਠ ਕੇ ਰੋਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਦਾ ਦੇਵਤਾ ਉਸ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਪ੍ਰਗਟ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਰੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪੁੱਛਿਆ । ਵਿਚਾਰੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਸਾਰੀ ਦੁੱਖ ਭਰੀ ਕਹਾਣੀ ਸੁਣਾਈ । ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਅਤੇ ਸੋਨੇ ਦਾ ਇਕ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ । ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਨਹੀਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਇਹ ਨਹੀਂ ਲਵੇਗਾ । ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਫਿਰ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਤੇ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਇਕ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ ।ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਵੀ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਨਹੀਂ; ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਲੋਹੇ ਦਾ ਹੈ; ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਕੁੜਾਹਾ ਨਹੀਂ ਲਵੇਗਾ । ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਤੀਜੀ ਵਾਰੀ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਅਤੇ ਲੋਹੇ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ । ਲੱਕੜਹਾਰਾ ਆਪਣਾ ਕੁਹਾੜਾ ਦੇਖ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਇਹ ਹੀ ਮੇਰਾ ਕੁਹਾੜਾ ਹੈ । ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਦੇ ਦੇਵੋ।” ਲੱਕੜ੍ਹਾਰੇ ਦੀ ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਦੇਵਤਾ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਬਾਕੀ ਦੋਨੋਂ ਕੁਹਾੜੇ ਵੀ ਇਨਾਮ ਵਜੋਂ ਦੇ ਦਿੱਤੇ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਦਾ ਫਲ ਮਿੱਠਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।