PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 19 देश के दुश्मन

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 देश के दुश्मन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 19 देश के दुश्मन

Hindi Guide for Class 10 PSEB देश के दुश्मन Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सुमित्रा के पुत्र का नाम बताइए।
उत्तर:
सुमित्रा के पुत्र का नाम जयदेव है।

प्रश्न 2.
वाघा बॉर्डर पर सरकारी अफसरों के मारे जाने की ख़बर सुमित्रा कहाँ सुनती है?
उत्तर:
वाघा बॉर्डर पर सरकारी अफसरों के मारे जाने की खबर सुमित्रा माधोराम के घर रेडियो पर सुनती है।

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प्रश्न 3.
जयदेव वाघा बॉर्डर पर किस पद पर नियुक्त था?
उत्तर:
जयदेव वाघा बॉर्डर पर डी०एस०पी० के पद पर नियुक्त था।

प्रश्न 4.
जयदेव की पत्नी कौन थी?
उत्तर:
जयदेव की पत्नी नीलम थी।

प्रश्न 5.
वाघा बॉर्डर पर मारे जाने वाले दो सरकारी अफसर कौन थे?
उत्तर:
एक हैड कांस्टेबल तथा दूसरा सब इंस्पेक्टर था।

प्रश्न 6.
जयदेव ने तस्करों को मार कर उनसे कितने लाख का सोना छीना?
उत्तर:
जयदेव ने तस्करों को मारकर उनसे पाँच लाख रुपए का सोना छीना।

प्रश्न 7.
जयदेव को स्वागत-सभा में कितने रुपए इनाम में देने के लिए सोचा गया?
उत्तर:
जयदेव को स्वागत-सभा में दस हज़ार रुपए देने के लिए सोचा गया।

प्रश्न 8.
मीना कौन थी?
उत्तर:
मीना जयदेव की बहन थी।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सुमित्रा क्यों कहती है कि अब उसका हृदय इतना दुर्बल हो चुका है कि ज़रा-सी आशंका से काँप उठता है?
उत्तर:
सुमित्रा ऐसा इसलिए कहती है क्योंकि उसने पति के बलिदान पर हृदय पर पत्थर रखकर सहन कर लिया था। अब उसकी हिम्मत टूट चुकी है। देह जर्जर हो चुकी है और जयदेव ही उसका इकलौता सहारा है।

प्रश्न 2.
नीलम जयदेव से मान-भरी मुद्रा में क्या कहती है?
उत्तर:
नीलम जयदेव से मान भरी मुद्रा से कहती है कि उसने इतने दिन कहाँ लगाए। उसकी तो राह देखते-देखते आंखें पथरा गई हैं पर जनाब को उसकी परवाह तक नहीं कि किसी के दिल पर क्या बीत रही है?

प्रश्न 3.
जयदेव को गुप्तचरों से क्या समाचार मिला ?
अथवा
‘देश के दुश्मन’ एकांकी में जयदेव को गुप्तचरों से क्या समाचार मिला?
उत्तर:
जयदेव को गुप्तचरों से यह समाचार मिला कि रात की अंधेरी में पुलिस पीकेट से एक डेढ़ मील दक्षिण की तरफ से कुछ लोग बार्डर पार करने वाले हैं। ऐसा शक है कि वे सोना स्मगल करके ला रहे हैं।

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प्रश्न 4.
जयदेव ने अपनी छुट्टी कैन्सल क्यों करा दी थी?
उत्तर:
जयदेव ने अपनी छुट्टी कैन्सल इसलिए करा दी थी क्योंकि उसे उधर आने से दो तीन घंटे पहले गुप्तचरों ने समाचार दिया कि रात की अंधेरी में पुलिस पीकेट से एक डेढ़ मील दक्षिण की तरफ से कुछ लोग सोना स्मगल कर बार्डर पार करने वाले हैं। यह एक मौका था जिसे वह हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।

प्रश्न 5.
नीलम क्यों चाहती थी कि डी०सी० दोपहर के बाद जयदेव को मिलने आएँ?
उत्तर:
नीलम इसलिए चाहती थी कि डी०सी० दोपहर के बाद जयदेव को मिलने आए क्योंकि जयदेव अभी थका हारा आया था। वह बहुत थका हुआ था।

प्रश्न 6.
एकांकी में डी०सी० के किस संवाद से पता चलता है कि डी०सी० और जयदेव में घनिष्ठता थी ?
उत्तर:
डी०सी० के इस संवाद से पता चलता है कि इनमें और जयदेव में घनिष्ठता थी-“सर बैठा होगा आफिस की कुर्सी में। खबरदार जो यहाँ सर वर कहा। मैं वही तुम्हारा बचपन का दोस्त और क्लास मेट हूँ, जिससे बिना हाथापाई किये रोटी हज़म नहीं होती थी।”

प्रश्न 7.
डी०सी० आकर सुमित्रा को क्या खुशखबरी देते हैं?
उत्तर:
डी०सी० आकर सुमित्रा को यह खुशखबरी देता है कि जयदेव की वीरता और साहस के सम्मान में उसे सम्मानित किया जाएगा। गवर्नर साहब की तरफ से दस हज़ार की इनाम राशि भी दी जाएगी।

प्रश्न 8.
जयदेव इनाम से मिलने वाली राशि के विषय में क्या घोषणा करवाना चाहता है?
उत्तर:
जयदेव इनाम से मिलने वाली राशि के विषय में यह घोषणा करवाना चाहता है। वह चाहता था कि उसकी इनाम राशि शहीद हुए अफसरों की विधवाओं को आधी-आधी बांट दी जाए।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
चाचा अपने बेटे बलुआ के विषय में क्या बताते हैं?
उत्तर:
चाचा अपने बेटे बलुआ के विषय में बताते हैं कि वह भी बहुत लापरवाह है। वह भी दो-दो महीनों में चारपाँच चिट्ठी जाने के बाद ही एक आध पत्र लिखता है और उल्टे हमें ही शिक्षा देता है। वह बहुत व्यस्त रहता है। उसे समय नहीं मिलता। उसकी ड्यूटी बहुत कड़ी है। उसे बिल्कुल भी फुरसत नहीं मिलती।

प्रश्न 2.
चाचा सुमित्रा को अखबार में आई कौन-सी खबर सुनाते हैं?
उत्तर:
चाचा सुमित्रा को अखबार में आई यह खबर सुनाते हैं कि अखबार में जयदेव की वीरता और सूझ-बूझ की खूब प्रशंसा हुई है। उसने तस्करों से बड़ी बहादुरी से मोर्चा लिया। उसने उनको मार भगाया था। उसने किस तरह चार लोगों को अपनी गोलियों का निशाना बनाया। उसने उनसे पांच लाख रुपए का सोना उनसे छीन लिया था।

प्रश्न 3.
जयदेव ने तस्करों को कैसे पकड़ा?
उत्तर:
जयदेव ने तस्करों को पकड़ने का पक्का इरादा किया। जब वे आधी रात को चौकी से दो मील दूर एक खतरनाक घने ढाक के ऊबड़-खाबड़ रास्ते से बार्डर पार कर रहे थे तभी उसने उनको चैलेंज किया। उन्होंने बदले में गोलियां चलाईं। उनको चुनौती दी गई। तस्कर जीप लेकर भागने लगे किन्तु दो-तीन जीपों ने उनका पीछा किया। जयदेव ने अपने अचूक निशाने से उनकी जीप का पहिया उड़ा दिया। जीप लुढ़क कर एक खड्डे में जा गिरी। तब उन्हें घेरकर पकड़ लिया।

प्रश्न 4.
नीलम अपने पति से उलाहना भरे स्वर में क्या कहती है?
उत्तर:
नीलम अपने पति से उलाहना भरे स्वर में कहती है कि मर्दो का दिल तो पत्थर होता है और विशेषकर रातदिन चोर-डाकुओं तथा मौत से खेलने वालों तथा गोलियों की बौछार करने वालों का। नारी का हृदय तो सदैव प्रेम से भरा रहता है। उसके मन में अपने पति की प्रतिमा स्थापित रहती है।

प्रश्न 5.
डी०सी० को अपने मित्र जयदेव और उसके परिवार पर गर्व क्यों होता है?
उत्तर:
डी० सी० को अपने मित्र जयदेव और उसके परिवार पर गर्व इसलिए होता है क्योंकि जयदेव ने बड़ी वीरता और साहस से तस्करों का मुकाबला कर उनसे पाँच लाख का सोना पकड़ा जिससे उसे गवर्नर की तरफ से दस हज़ार का इनाम दिया गया। इस राशि को जयदेव ने शहीद पुलिस अफसरों की विधवाओं को बराबर देने की बात की। जयदेव की यह त्याग भावना अन्य अफसरों के लिए अनुकरणीय थी।

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प्रश्न 6.
पुलिस और सेना के अफ़सरों या सैनिकों के घरवालों को किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
पुलिस और सेना के अफ़सरों या सैनिकों के घरवालों को निम्नलिखित मुसीबतों का सामना करना पड़ता है-

  1. उन्हें दिन-प्रतिदिन अपने बच्चों की जान की चिंता लगी रहती है।
  2. उन्हें प्रतिक्षण अपने बच्चों की कुशलता की खबर का इंतज़ार लगा रहता है।
  3. माताएं अपने बच्चों के लिए प्रतिक्षण चिंतित रहती हैं कि वे लौटकर कब आएंगे।
  4. परिवार वालों को अपने बच्चों की चिट्ठी का इंतज़ार लगा रहता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता, माँ जी! ऐसे दिव्य बलिदान पर तो देवता भी अर्घ्य चढ़ाते हैं। वे भी स्वर्ग में जयजयकार करते हए देश पर निछावर होने वाले का स्वागत करते हैं।
(ख) बेटा, यह ठीक है कि दस हज़ार की रकम कम नहीं होती। लेकिन उन विधवाओं और मृत अफ़सरों के परिवारों के बारे में भी तो सोचो, उनकी क्या हालत होगी?
(ग) पुलिस और सेना में भी थकना ! यह एक डिस्क्वालिफिकेशन है।
उत्तर:
(क) नीलम अपने पति के साहस शौर्य एवं वीरता का ओजस्वी स्वर में वर्णन करते हुए अपनी सासु माँ से कहती है कि जीवन का बलिदान कभी भी बेकार नहीं जाता। विशेषकर देश के लिए दिया गया बलिदान तो श्रेष्ठ होता है। ऐसे अनूठे बलिदान पर तो देवता भी पूजा सामग्री चढ़ाते हैं वे भी स्वर्ग में जय-जयकार करते हुए देश पर मर मिटने वाले वीरों का स्वागत करते हैं?

(ख) इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने जयदेव तथा उनके परिवार की त्याग-भावना, नि:स्वार्थ भावना एवं राष्ट्रभावना का उल्लेख किया है। सुमित्रा माँ डी०सी० को कहती है कि यह ठीक है कि दस हज़ार की राशि कम नहीं होती लेकिन उन विधवाओं और मृत अफ़सरों के परिवारों की सहायता अवश्य हो जाएगी क्योंकि इस राशि की हमसे ज़्यादा उन्हें ज़रूरत है।

(ग) इसमें सैनिक की वीरता, साहस, सफलता, हौंसले और राष्ट्रभक्ति की ओर संकेत है। पत्नी द्वारा थकान की बात सुनकर जयदेव कहने लगा कि पुलिस और सेना में थकान की कोई गुंजाइश नहीं होती। एक सैनिक के लिए थकान एक असफलता होती है। इसलिए सेना में स्फूर्ति, साहस और शौर्य का महत्व है।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए

निराशा सभ्य सूर्य गौरव हित
उत्तर:
निराशा = हताशा, आशाहीनता
सभ्य = सुसंस्कृत, शालीन
सूर्य = दिनकर, दिनेश
गौरव = अभिमान, सम्मान
हित = भलाई, परोपकार।

II. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए

स्वार्थ रात दण्ड टूटना
अनर्थ
हित
आशीर्वाद
आसान
निश्चय
जल्दी
सभ्य
दुर्बल
उत्तर:
स्वार्थ = निःस्वार्थ
रात = दिन
दण्ड = सम्मान
टूटना = जुड़ना
अनर्थ = अर्थ
हित = अहित
आशीर्वाद = तिरस्कार
आसान = मुश्किल
निश्चय = अनिश्चय
जल्दी = देरी
सभ्य = असभ्य
दुर्बल = सबल

III. निम्नलिखित अनेकार्थक शब्दों के दो-दो अर्थ बताइए

सोना …………
मुद्रा ………..
माँग …………..
उत्तर:
सोना = एक धातु, निद्रा (नींद)
मुद्रा = धन, हाव-भाव
माँग = वस्तु की माँग, नारी की माँग।

IV. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए

मुहावरा = अर्थ = वाक्य
(i) वज्रपात होना = अचानक बहुत बड़ा दुःख आ पड़ना = ……………..
(ii) छाती फटना = असहनीय दुःख होना = ……………..
(iii) बाल बाँका न होना = ज़रा-सा भी नुकसान न होना = ……………..
(iv) दिल धक-धक करना = भयभीत होना = ………………
(v) हृदय पर पत्थर रखना = चुपचाप सहन करना = ……………
(vi) हिम्मत टूटना = हताश या निराश होना = ………………
(vii) आँखें पथरा जाना = बहुत इंतज़ार कर थक जाना = ……………….
उत्तर:
(i) वज्रपात होना = अचानक बहुत बड़ा दुःख आ पड़ना
वाक्य-सैनिक के शहीद होने पर उसके परिवार पर वज्रपात हो गया।
(ii) छाती फटना = असहनीय दुःख होना
वाक्य-बेटे की शहादत सुनकर माँ की छाती फट गई।
(iii) बाल बाँका न होना = ज़रा-सा भी नुकसान न होना
वाक्य-वीरता और साहस से जयदेव का बाल बाँका नहीं हुआ।
(iv) दिल धक-धक करना = भयभीत होना
वाक्य-बेटे की खबर सुनकर माँ का दिल धक-धक करने लगा।
(v) हृदय पर पत्थर रखना = चुपचाप सहन करना
वाक्य-नारी आजीवन मुसीबतों को हृदय पर पत्थर रखकर झेलती है।
(vi) हिम्मत टूटना = हताश या निराश होना
वाक्य-सैनिक को सामने देखकर तस्करों की हिम्मत टूट गई।
(vii) आँखें पथरा जाना = बहुत इंतज़ार कर थक जाना
वाक्य-अपने बेटे की प्रतीक्षा करते-करते माँ की आँखें पथरा गईं।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
जयदेव की जगह यदि आप होते तो इनाम में मिलने वाली राशि का आप क्या करते ?
उत्तर:
जयदेव की जगह यदि मैं होता तो इनाम में मिलने वाली राशि का ठीक वही करता जो जयदेव ने किया। जयदेव ने जो त्याग-भावना, राष्ट्रप्रेम और परोपकार की भावना से कार्य किया वह सराहनीय है। हम सब राष्ट्र के नागरिक हैं। इसलिए मानवता और राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि है। अतः राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को सदैव राष्ट्रहित में कार्य करने चाहिए। मैं भी सदा जयदेव के समान कार्य करूंगा।

प्रश्न 2.
मातृप्रेम और देशप्रेम में से कौन सा प्रेम आपको अपनी तरफ आकर्षित करता है और क्यों?
उत्तर:
मातृप्रेम और देशप्रेम में से देशप्रेम हमें अपनी तरफ आकर्षित करता है क्योंकि देशप्रेम सर्वोपरि है। हालांकि मातृप्रेम भी श्रेष्ठ है किन्तु मातृप्रेम की भावना तो देशप्रेम की भावना में ही छिपी होती है। जिस मनुष्य के हृदय में देशप्रेम होता है वह मातृप्रेम से कदापि मुख नहीं मोड़ सकता। अतः हमें देशप्रेम को अपने-अपने अंतर्मन में बसाकर देश की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता के लिए कार्य करने चाहिए। सदा राष्ट्र उन्नति की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।

प्रश्न 3.
एकांकी पढ़ने के बाद क्या आपके मन में भी जयदेव जैसा सरकारी अफसर बनकर देश की सेवा करने का विचार आया? यदि हाँ तो क्यों? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर:
हाँ मेरे मन में भी जयदेव जैसा सरकारी अफसर बनकर देश की सेवा करने का विचार आया क्योंकि राष्ट्र की सेवा ही सर्वोपरि है। राष्ट्र है तो हम हैं, राष्ट्र नहीं तो कुछ भी नहीं। मतलब राष्ट्र से हमारी पहचान है और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। यह प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि प्रतिक्षण राष्ट्र सेवा के लिए तैयार रहे। देश के गद्दारों को मार भगाने में सदा सहयोग करें।

प्रश्न 4.
यदि आपको वाघा बॉर्डर पर जाने का मौका मिला हो तो अपने रोमांचक अनुभव से अपने सहपाठियों को परिचित कराइए।
उत्तर:
मुझे एक बार वाघा बॉर्डर पर जाने का मौका मिला। वाघा बॉर्डर भारत-पाकिस्तान की सीमा का बॉर्डर है। इसके एक तरफ भारत तो दूसरी तरफ पाकिस्तान है। यहां प्रतिदिन सेनाओं की परेड होती है, जिसका विहंगम दृश्य अनूठा होता है। सेना के अफसर अपनी पूरी वर्दी में सजे होते हैं। वे पंक्तिबध होकर परेड करते हैं। तिरंगे को सलामी देते हैं।

(घ) पाठ्येत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
देश के लिए शहीद होने वाले कुछ शहीदों के विषय में पुस्तकालय या इंटरनेट से जानकारी एकत्र करें।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से शहीदों के विषय में पुस्तकालय या इंटरनेट से जानकारी एकत्र करें। कुछ शहीदों के नाम इस प्रकार हैं-

  1. नेता जी सुभाषचंद्र बोस
  2. शहीद भगत सिंह
  3. चंद्रशेखर आज़ाद
  4. रामप्रसाद बिस्मिल
  5. लाला लाजपत राय
  6. विपिन चंद्र पाल
  7. बाल गंगाधर तिलक।

प्रश्न 2.
इन शहीदों के चित्र एकत्र करें और उन्हें एक चार्ट पर चिपका कर अपनी कक्षा में लगाएं।
उत्तर:
छात्र शिक्षक की सहायता से करें।

प्रश्न 3.
अपने स्कूल के वार्षिक उत्सव में इस एकांकी का मंचन करें।
उत्तर:
छात्र शिक्षक की सहायता से एकांकी का मंचन करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. अमृतसर-यह पंजाब राज्य का अति महत्त्वपूर्ण नगर है। सिक्ख धर्म का सबसे बड़ा गुरुद्वारा ‘हरमंदिर साहिब’ इसी नगर में है। विश्व भर के लोग इस पवित्र स्थल पर अपने भक्ति भावों और श्रद्धा को प्रकट करने आते हैं।

2. स्वर्ण मंदिर-स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब भी कहते हैं जो एक सरोवर के बीचों-बीच बना हुआ है। इसके गुम्बद पर सोना मढ़ा हुआ है और इसी लिए इसे स्वर्ण मंदिर कहते हैं। प्रतिदिन सभी धर्मों के लोग और हज़ारों पर्यटक यहां आते हैं और अपनी श्रद्धा को प्रकट करते हैं। यह सभी धर्मों को मानने वालों के लिए भी श्रद्धा और विश्वास का परम पवित्र स्थान है।

3. वाघा बॉर्डर-वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान की सीमाओं पर बनी एक सैनिक चौकी है। यह भारत के अमृतसर और पाकिस्तान के लाहौर के बीच जी०टी० रोड पर निर्मित है। यह लाहौर से 22 किलोमीटर दूर है और भारत के अमृतसर से सड़क के रास्ते 32 किलोमीटर की दूरी पर है। शाम के समय दोनों देशों की सेना की तरफ से गेट बंद करने के समय भव्य परेड यहां की जाती है। इसे देखने वाले दोनों तरफ से बहुत बड़ी संख्या और जोश में यहाँ एकत्रित होते हैं।

4. जलियाँवाला बाग-जलियांवाला बाग अमृतसर में स्थित है जहाँ देश भर से लोग अपनी श्रद्धा को देशभक्तों के प्रति प्रकट करने के लिए आते हैं। जब हमारा देश अंग्रेज़ों का गुलाम था तब बैशाखी के दिन 13 अप्रैल, सन् 1919 में बैशाखी का पर्व मनाने के लिए आए तीर्थयात्रियों तथा अंग्रेजों के द्वारा कुछ निरपराधों की गिरफ्तारियों का शांतिपूर्ण विरोध करने वालों पर अंधाधुंध गोलियों की बरसात कर दी गई थी। जनरल डायर ने अपने क्रूरता भरे व्यवहार से सैंकड़ों निरीह लोगों की हत्या कर दी थी और हज़ारों लोग घायल हो गए थे। तब से जलियाँवाला बाग को अंग्रेज़ सरकार की क्रूरता और अमानवीयता की साक्षी माना जाता है। यह बाग अब ऐतिहासिकता और देश भक्तों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।

PSEB 10th Class Hindi Guide देश के दुश्मन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
देश के दुश्मन कैसी एकांकी है?
उत्तर:
देश के दुश्मन राष्ट्र भावना से ओत-प्रोत एकांकी है।

प्रश्न 2.
इस एकांकी में जयदेव की किस भावना का चित्रण हुआ है।
उत्तर:
इस एकांकी में जयदेव की कर्तव्यपरायणता, वीरता, नि:स्वार्थ भावना, त्याग-भावना एवं राष्ट्र-भावना का चित्रण हुआ है।

प्रश्न 3.
मीना के विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के भाषण का विषय क्या था?
उत्तर:
तस्करी, चोर बाज़ारी और आर्थिक व्यवस्था।

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प्रश्न 4.
बलिदान का बदला कौन देता है और किस रूप में?
उत्तर:
बलिदान का बदला भगवान् देता है। वह वरदान के रूप में देता है।

प्रश्न 5.
एकांकी के अनुसार किनका दिल पत्थर होता है?
उत्तर:
एकांकी के अनुसार मर्दो का दिल पत्थर होता है।

प्रश्न 6.
नारी के हृदय में सदा क्या भरा रहता है?
उत्तर:
नारी के हृदय में सदा प्रेम भरा रहता है।

प्रश्न 7.
देश के दुश्मन एकांकी का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
देश के दुश्मन जयनाथ नलिन द्वारा लिखित एक राष्ट्र भावना से ओत-प्रोत एकांकी है। इसमें लेखक ने भारतीय रक्षा सेनाओं की कर्त्तव्यपरायणता, वीरता, त्याग भावना, नि:स्वार्थभावना, बलिदान आदि का चित्रण किया है। इन वीरों के साथ-साथ इनके परिवारजन भी इन्हीं उदात्त भावनाओं से भरे होते हैं। इन्हीं महान लोगों के कारण भारतवर्ष अपने दुश्मनों को धराशायी कर आज गर्व से झूम रहा है। लेखक ने ऐसे ही तेजस्वी, साहसी और निडर देशभक्तों और वीरों का अभिनंदन किया है।

प्रश्न 8.
सुमित्रा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
सुमित्रा मीना और जयदेव की माँ है। उनकी आयु लगभग 50 वर्ष है। उनके बाल काले तथा सफेद हैं। उनका रंग गेहुआं सांवला है। उनके मुख पर दुःख और निराशा की झलक स्पष्ट झलकती है। उनका शरीर पतला और लंबा है। उनमें त्याग-भावना, राष्ट्र-भावना एवं निःस्वार्थ-भावना के दर्शन होते हैं।

प्रश्न 9.
इस एकांकी में आपको कौन-सा पात्र सबसे अच्छा लगा और क्यों?
अथवा
जयदेव के चरित्र की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:
इस एकांकी में हमें जयदेव पात्र सबसे अच्छा लगा क्योंकि यह पात्र सभी पात्रों में श्रेष्ठ एवं प्रधान है। संपूर्ण एकांकी इस पात्र पर आधारित है। यह एकांकी का केंद्र बिंदु है। यह बागाह बॉर्डर पर डी०एस०पी० के पद पर नियुक्त है। यह बहुत निडर, साहसी एवं वीर है। यह एक कर्तव्यपरायण सैनिक है। इसमें त्याग भावना, राष्ट्र भक्ति एवं नि:स्वार्थ भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। इसमें परोपकार की भावना का संचार है।

प्रश्न 10.
मीना का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
मीना जयदेव की बहन एवं सुमित्रा की बेटी है। यह अर्थशास्त्र की एम०ए० (भाग-2) की छात्रा है। इसका रंग गोरा और आंखों में प्रतिभा की ज्योति विराजमान है। यह सदा मुस्कराती रहती है। इसके बाल लंबे एवं काले हैं। इसमें वीरता, साहस, निडरता एवं त्याग भावना है। इसमें बलिदान एवं राष्ट्र भावना का संचार है। शायद इसीलिए वह अपने भाई के बलिदान की बात सुनकर गौरवपूर्ण भाव से कहती हैं.

“यह तो हमारे कुल के लिए गौरव की बात है कि हमारे पिता मातृभूमि की रक्षा करते हुए स्वर्गवास हुए। इस बलिदान का बदला भगवान हमें दंड के रूप में नहीं, वरदान के रूप में देगा।”

प्रश्न 11.
नीलम के चरित्र की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:
नीलम जयदेव की पत्नी तथा मीना की भाभी है। इनकी आयु 23-24 वर्ष है। यह बहुत सुंदर हंसमुख और मधुरभाषी है। इनके मुख पर गुलाबी आभा विराजमान रहती है। इनके नेत्र विशाल हैं। इनमें त्याग एवं निःस्वार्थभावना कूट-कूट कर भरी है। यह साहस एवं निडरता की प्रतिमूर्ति है। राष्ट्रभक्ति इनकी आत्मा में विराजमान है। अपने पति के शहीद होने की बात सुनकर यह तनिक भी घबरायी नहीं बल्कि निडरता एवं साहस के साथ अपनी माँ का धैर्य बंधाने लगी। “बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता, माँ जी ! ऐसे दिव्य बलिदान पर तो देवता भी अर्घ्य चढ़ाते हैं। वे भी स्वर्ग में जय-जयकार करते हुए देश पर निछावर होने वालों का स्वागत करते हैं।”

प्रश्न 12.
‘देश के दुश्मन’ एकांकी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
‘देश के दुश्मन’ एकांकी एक प्रेरणाप्रद एवं शिक्षाप्रद एकांकी है। इस एकांकी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि प्रत्येक मनुष्य को अपने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। जरूरत पड़ने पर हमें अपना बलिदान राष्ट्र सेवा के लिए खुशी-खुशी दे देना चाहिए। जान देकर अपने वतन की आन-बान-शान को बचाना चाहिए। हमें सदा त्याग, निःस्वार्थ भावना, कर्त्तव्यपरायणता से अपना कर्म करना चाहिए। राष्ट्र भक्ति एवं राष्ट्र प्रेम को अपने अन्तर्मन में वसाकर रखना चाहिए।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मीना की यूनिवर्सिटी में किस विषय पर भाषण होना था?
उत्तर:
मीना की यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर का ‘तस्करी, चोर बाज़ारी और आर्थिक व्यवस्था’ पर भाषण होना था।

प्रश्न 2.
मीना के पिता जी ने कहां बलिदान दिया था?
उत्तर:
मीना के पिता जी ने चीनियों से भारत की सीमा की रक्षा करते हुए बलिदान दिया था।

प्रश्न 3.
जयदेव ने कितने दिनों की छुट्टी पर आना था?
उत्तर:
जयदेव ने पन्द्रह दिनों की छुट्टी पर आना था।

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प्रश्न 4.
जयदेव का बचपन का दोस्त और क्लासमेट कौन है?
उत्तर:
डी० सी० जयदेव का बचपन का दोस्त तथा क्लासमेट है।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
जयदेव को कितने हज़ार रुपए का पुरस्कार घोषित किया गया?
(क) पाँच
(ख) दस
(ग) पंद्रह
(घ) बीस।
उत्तर:
(ख) दस

प्रश्न 2.
मुठभेड़ में कितने तस्कर मारे गए थे?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
(ग) तीन

प्रश्न 3.
जयदेव बाघा बार्डर पर किस पद पर नियुक्त था?
(क) एस०पी०
(ख) डी०एस०पी०
(ग) एस०एस०पी०
(घ) एस०ओ०।
उत्तर:
(ख) डी०एस०पी०

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न

प्रश्न 1.
जयदेव ने किनसे मोर्चा लिया था? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
तस्करों से

प्रश्न 2.
नीलम सुमित्रा की बेटी है। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 3.
बाघा बार्डर पर दो सरकारी अफसर मारे गए। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 4.
वाह री मेरी वीरांगना बहन ! (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 5.
कैसे भयंकर निडर राक्षस हैं। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
सही

प्रश्न 6.
पीरियड न लेना तो ……… के ……….. की शान है।
उत्तर:
यूनिवर्सिटी, प्रोफेसरो

प्रश्न 7.
ऐसी क्या …….. आ गई कि ………. तक नहीं।
उत्तर:
आफ़त, नाश्ता

प्रश्न 8.
उसने …………. से किस ……….. और चतुराई से मोर्चा लिया।
उत्तर:
तस्करों, बहादुरी।

देश के दुश्मन कठिन शब्दों के अर्थ

सम्भ्रांत = रईस, धनी, उच्च। प्रोफेसर = आचार्य। शिथिलता = कमज़ोरी। रुआसे = रोने के। चंपई = चंपा के फूल जैसे रंग का, पीला। अनर्थ = बुरा। मुद्रा = हावभाव। वज्रपात = मुसीबत। आतुरता = व्याकुलता। अशुभ = जो शुभ न हो, बहुत बुरा। दिव्य = अलौकिक, अनूठा। व्यर्थ = बेकार। आनन = चेहरा। अर्घ्य = पूजा सामग्री। दुर्बल = कमज़ोर। स्मगलर = तस्कर। सौगंध = कसम। अंधियारी = अंधेरा। आलिंगन = बाहों में भरना, गले मिलना। लबालब = भरा हुआ। पुलिस पिकिट = पुलिस का घेरा। चैलेंज = चेतावनी। कोशिश = प्रयास। डिस्क्वालिफिकेशन = अयोग्यता। आनन = मुख। कुंकुम = सिंदूर। नेत्र = आखें। मस्तक = माथा। पतलून = पैंट। गौरव = सम्मान। हित = भलाई। सतर्क = चौकन्ना। वीरांगना = वीर स्त्री। कुशल क्षेम = राजी खुशी। आलिंगन = गले लगाना।

देश के दुश्मन Summary

देश के दुश्मन लेखक-परिचय

जयनाथ नलिन पंजाब के यशस्वी रचनाकारों में से एक हैं। इनकी साहित्य-साधना से पंजाब का नाम अखिल भारतीय स्तर पर अंकित हुआ है। ये एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार हैं। इन्होंने कविता, कहानी, निबंध, एकांकी, समीक्षा आदि अनेक विधाओं पर सफल लेखनी चलाई है। एकांकीकार के रूप में तो ये प्रतिभावान लेखक माने जाते हैं। इनके दर्जनों एकांकी आकाशवाणी से प्रसारित हो चुके हैं। दिल्ली रेडियो स्टेशन से प्रसारित नवाबी सनक एकांकी को तो वर्ष का सर्वोत्कृष्ट ब्रॉडकास्ट माना गया था। इनके प्रमुख एकांकी संग्रह हैं- अवसान, धराशायी, नवाबी सनक, शिखर, हाथी के दाँत। इनके द्वारा रचित चर्चित एकांकी हैं-सोने की हथकड़ी, फटा तिमिर उगी किरण, साईं बाबा का कमाल आदि।

देश के दुश्मन पाठ का सार

‘देश के दुश्मन’ जयनाथ नलिन द्वारा लिखित एक राष्ट्रभक्ति की भावना से ओत-प्रोत एकांकी है। इसमें लेखक ने भारतीय रक्षा-सेनाओं की कर्त्तव्यपरायणता, वीरता, त्याग-भावना, निःस्वार्थभावना बलिदान आदि का चित्रांकन किया है। इन वीरों के साथ-साथ इनके परिवार जन भी इन्हीं उदात्त भावनाओं से भरे होते हैं। इन्हीं महान् लोगों के कारण भारतवर्ष अपने दुश्मनों को धराशायी कर आज गर्व से झूम रहा है? इसके माध्यम से लेखक ने ऐसे ही तेजस्वी वीरों, देशभक्तों एवं नौजवानों का अभिनंदन किया है। यह एकांकी बसंत ऋतु के अंत में सुबह साढ़े आठ बजे प्रारंभ होती है जहां मीना कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी। एकांकी में सुमित्रा, मीना, नीलम, चाचा, जयदेव और उपायुक्त पात्र हैं। जयदेव वाघा बार्डर पर सेना में जवान होने के कारण देश की रक्षा के लिए तैनात है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 19 देश के दुश्मन

एक दिन अचानक माँ सुमित्रा माधोराम के घर रेडियो से यह खबर सुनकर चिंतित हो उठी कि वाघा बार्डर पर तस्करों से मुकाबला करते हुए दो सरकारी अफसर मारे गए। इस खबर से माँ का कलेजा भर आया किंतु एक सैनिक एवं राष्ट्रभक्त परिवार होने के नाते मीना इसे गौरव की बात कही और इसे मातृभूमि के प्रति बलिदान बताकर सांत्वना प्रदान की। जयदेव की पत्नी नीलम ने भी कहा कि बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता। ऐसे दिव्य बलिदान पर तो देवता भी अर्घ्य चढ़ाते हैं कहकर माता जी को धैर्य दिया। माता सुमित्रा भी इसे गर्व एवं गौरव की बात तो मानी किन्तु उसके पति के बलिदान के बाद वह टूट चुकी थी। बस इसी से डर रही थी। इसी कारण अपने बेटे के लिए चिंतित थी। नीलम और मीना अपनी माता जी का ढांढस बंधाने लगी। तभी घर में उनके चाचा जी का प्रवेश हुआ और उन्होंने जयदेव के छुट्टियों पर आने के बारे में पूछा। सुमित्रा अपने बेटे की चिट्ठी के प्रति चिंतित होकर निराश हो रही थी किंतु चाचा जी ने कहा कि वह अभी-अभी खबर सुनकर आया है कि जयदेव का बाल भी बांका नहीं हुआ। दो सरकारी अफसर मारे गए। इतना ही नहीं अखबार में भी जयदेव की बहादुरी की प्रशंसा छपी है। उसने तस्करों से डटकर मुकाला किया।

चार लोगों को मार गिराया तथा उनसे पाँच लाख रुपये का सोना छीन लिया। यह सुनकर सुमित्रा माँ प्रसन्न हो उठी। तभी मीना अपने भैया के साहस एवं शौर्य की कहानी सुनाने लगी कुछ समय उपरांत जयदेव भी घर पहुंच गया। जयदेव को देखकर मीना, नीलम तथा सुमित्रा प्रसन्नचित हो उठीं। सब अपने-अपने तरीके से उसका अभिवादन करने लगे। जयदेव की बहादुरी एवं शौर्य की खबरें चारों तरफ फैल चुकी थीं। उपायुक्त महोदय भी जयदेव के घर उससे मिलने आए। उन्होंने उसे बताया कि उसके सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें गवर्नर साहब जयदेव का दस हज़ार का इनाम घोषित करेंगे। इसे सुनकर जयदेव ने उपायुक्त महोदय को कहा कि वे इस राशि को मृत पुलिस अफसरों की विधवाओं को आधा-आधा बांट दिया जाए। जयदेव के इस त्याग और राष्ट्रप्रेम पर उपायुक्त साहब भी गर्व कर चले गए।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 18 सूखी डाली

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 सूखी डाली Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 18 सूखी डाली

Hindi Guide for Class 10 PSEB सूखी डाली Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
दादा मूलराज के बड़े पुत्र की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर:
दादा मूलराज के बड़े पुत्र की मृत्यु सन् 1914 के महायुद्ध में सरकार की तरफ से लड़ते हुए हुई।

प्रश्न 2.
‘सूखी डाली’ एकांकी में घर में काम करने वाली नौकरानी का क्या नाम था?
उत्तर:
घर में काम करने वाली नौकरानी का नाम पारो था।

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प्रश्न 3.
बेला का मायका किस शहर में था?
उत्तर:
लाहौर शहर में।

प्रश्न 4.
दादा जी की पोती इंदु ने कहां तक शिक्षा प्राप्त की थी?
उत्तर:
प्राईमरी तक।

प्रश्न 5.
‘सूखी डाली’ एकांकी में दादा जी ने अपने कुटुंब की तुलना किससे की है?
उत्तर:
दादा जी अपने कुटुंब की तुलना बरगद के वृक्ष से की है।

प्रश्न 6.
बेला ने अपने कमरे का फर्नीचर बाहर क्यों निकाल दिया?
उत्तर:
बेला के कमरे का सारा फर्नीचर टूटा-फूटा और पुराना था इसलिए उसने उसे बाहर निकाल दिया था।

प्रश्न 7.
दादा जी पुराने नौकरों के हक में क्यों थे?
उत्तर:
दादा जी पुराने नौकरों को दयानतदार, कर्त्तव्यनिष्ठ, ईमानदार और विश्वसनीय मानते थे इसलिए वे उनके हक में थे।

प्रश्न 8.
बेला ने मिश्रानी को काम से क्यों हटा दिया?
उत्तर:
बेला ने मिश्रानी को काम से इसलिए हटा दिया क्योंकि उसे काम करना नहीं आता था।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
एकांकी के पहले दृश्य में इंदु बिफरी हुई क्यों दिखाई देती है?
उत्तर:
एकांकी के पहले दृश्य में इंदु बिफरी हुई इसलिए दिखाई देती है क्योंकि वह अकेली. ही घर में सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी है। दूसरा उसके दादा जी उससे बहुत प्यार करते हैं। वह सबकी लाडली बनी हुई है।

प्रश्न 2.
दादा जी कर्मचंद की किस बात से चिंतित हो उठते हैं?
उत्तर:
दादा जी ने कर्मचंद से छोटी बहु के अभिमान और घृणा के कारण परिवार में ईर्ष्या, द्वेष और परस्पर कलह होने की बात सुनी और यह जाना कि छोटी बहु को लेकर छोटी-छोटी बात पर झगड़ा होने लगा था। घर की सुखशांति मिटने लगी थी। छोटी बहु अपनी अलग गृहस्थी बसाना चाहती थी जिससे संयुक्त परिवार टूटने के कगार पर पहुँच चुका था। दादा जी इस बात से चिंतित हो उठते हैं।

प्रश्न 3.
कर्मचंद ने दादा जी को छोटी बहु बेला के विषय में क्या बताया?
उत्तर:
कर्मचंद ने दादा जी को छोटी बहु बेला के विषय में बताया कि उसके मन में बहुत अभिमान है। वह मायके के घराने को ससुराल से ज्यादा ऊँचा समझती है और इस घर को घृणा की दृष्टि से देखती है। शायद इसलिए उसने मलमल के थान और रजाई के अबरे नहीं रखें।

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प्रश्न 4.
परेश ने दादा जी के पास जाकर अपनी पत्नी बेला के संबंध में क्या बताया?
अथवा
‘सुखी डाली’ एकांकी में परेश ने दादा जी के पास जाकर अपनी पत्नी बेला के सम्बन्ध में क्या बताया?
उत्तर:
परेश ने दादा जी के पास जाकर बताया कि उसकी पत्नी बेला का मन इस घर में नहीं लगता था। उसे कोई भी पसंद नहीं करता था। सब उसकी निंदा करते थे और सब उसकी शिकायत करते थे, ताने देते थे। वह ऐसा समझती थी जैसे वह परायों में आ गई थी। वह आज़ादी चाहती है और दूसरों का हस्तक्षेप पसंद नहीं करती। वह अपनी अलग गृहस्थी बसाना चाहती थी जहाँ उस पर कोई रोक-टोक नहीं।

प्रश्न 5.
जब परेश ने दादा जी से कहा कि बेला अपनी गृहस्थी अलग बसाना चाहती है तो दादा जी ने परेश को क्या समझाया?
उत्तर:
दादा जी ने परेश को समझाया कि वे अपने जीते जी पूरे परिवार को एक वट वृक्ष की तरह देखना चाहते थे। वह अपने परिवार को टूटते हुए नहीं देखना चाहते थे। वे परिवार के सभी सदस्यों को समझा देंगे। किसी को बेला का तिरस्कार करने का साहस नहीं रहेगा। वे अवश्य ही ऐसा कोई उपाय ढूँढ़ लेंगे कि वह स्वयं को परायों में घिरा हुआ महसूस नहीं करेगी।

प्रश्न 6.
एकांकी के अंत में बेला रूंधे कंठ से क्या कहती है?
उत्तर:
एकांकी के अंत में बेला रूंधे कंठ से कहती है कि अब दादा जी पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसन्द नहीं करते तो वे ये भी नहीं चाहेंगे कि वह डाल पेड़ से लगी-लगी सूख कर मुरझा जाए अर्थात् परिवार का एक सदस्य परिवार से अलग होकर कभी खुश नहीं रह सकता।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
इंदु को बेला की कौन सी बात सबसे अधिक परेशान करती है? क्यों?
उत्तर;
बेला अपने घमंड के कारण मायके को ही सबसे ऊपर देखती है। उसके लिए मायके से ऊपर कुछ भी नहीं है। यही उसके लिए सर्वोपरि है। अपने मायके के सामने वह किसी को कुछ भी नहीं समझती। उसके लिए मूर्ख, गंवार और असभ्य हैं। बेला की यह बात इंदु को सबसे अधिक परेशान करती है क्योंकि यह बात उसके मन में घर कर गई है।

प्रश्न 2.
दादा जी छोटी बहु के अलावा घर के सभी सदस्यों को बुलाकर क्या समझाते हैं?
उत्तर:
दादा जी छोटी बहु के अलावा घर के सभी सदस्यों को बुलाकर समझाते हैं कि मुझे बड़ा दुःख है कि छोटी बहु का मन यहां नहीं लगा। इसमें दोष हमारा है। वह एक बड़े घर की बेटी है और अत्यधिक पढ़ी-लिखी है। वह अपने घर की लाडली है किन्तु यहां वह केवल एक छोटी बहु है उसे सबका आदर करना पड़ता है। हर एक से दबना पड़ता है। यहां उसका व्यक्तित्व दबकर रह गया। कोई भी इंसान योग्यता और बुद्धि से बड़ा होता है उम्र से नहीं। छोटी बहु निश्चय से ही अक्ल में सबसे बड़ी है इसलिए हम सबको उसकी योग्यता का लाभ उठाना चाहिए। उसे सबको आदर देना चाहिए। सब उसका कहना मानें। उससे परामर्श लें। हमें उसे आगे पढ़ने-लिखने का अवसर देना चाहिए। यह कुटुंब एक महान् वृक्ष है। हम सब उसकी डालियां हैं। डालियों से ही पेड़ है और डालियां छोटी हो चाहे बड़ी सब उसकी छाया को बढ़ाती हैं। मैं नहीं चाहता कि कोई डाली इससे टूटकर पृथक् हो जाए।

प्रश्न 3.
एकांकी के अंतिम भाग में घर के सदस्यों के बदले हुए व्यवहार से बेला परेशान क्यों हो जाती है?
उत्तर:
घर के सदस्यों के बदले हुए व्यवहार से भी बेला इसलिए परेशान हो जाती है क्योंकि उसे उनका बदला हुआ व्यवहार कुछ ज़्यादा ही औपचारिक प्रतीत होता है। उसे लगता है कि शायद वे उसके प्रति जान-बूझकर ऐसा करते हैं। जब वह जाती है तो सब खड़ी हो जाती हैं। बड़ी भाभी, मँझली भाभी और माँ जी कोई भी उसके सामने नहीं हँसता और न ही कोई अधिक समय तक बात करता है। उसके जाते ही सब डर से जाते हैं। उसे इतना आदर, सत्कार और आराम अच्छा नहीं लगता।

प्रश्न 4.
मँझली बहू के चरित्र की कौन सी विशेषता इस एकांकी में सबसे अधिक दृष्टिगोचर होती है?
उत्तर:
मँझली बहु के चरित्र की विनोदी स्वभाव की विशेषता इस एकांकी द्वारा सबसे अधिक दृष्टिगोचर होती है। मँझली बहू का स्वभाव विनोदी एवं हास्यभाव से परिपूर्ण है। वह छोटी-छोटी बात पर हंसती-मुस्कराती रहती है। किसी के विचित्र व्यवहार पर हँसना और ठहाके लगाना उसके लिए सामान्य सी बात है। परेश और बेला में किसी बहस पर वह इतना हँसती है कि बेकाबू हो जाती है। उसकी हँसी बेला को और भी खिझा देती है।

प्रश्न 5.
‘सूखी डाली’ एकांकी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
सूखी डाली’ एकांकी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें परिवार के सभी सदस्यों का समान भाव से आदर-सम्मान करते हुए प्रेम एवं श्रद्धापूर्वक मिलजुल कर रहना चाहिए। हमें अपने बुजुर्गों, माता-पिता का आदर करना चाहिए। उनके प्रति श्रद्धाभाव रखना चाहिए तथा उनके द्वारा बताए गए सुझावों को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। अपने को सुशिक्षित एवं सुसंस्कृत मानकर घमंड में चूर नहीं रहना चाहिए अन्यथा घमंड में रहकर आदमी परिवार के साथ रहकर भी पेड़ पर लगी सूखी डाली के समान जड़ बनकर रह जाता है। छोटा-बड़ा कोई उम्र से नहीं बल्कि ज्ञान और बुद्धि से होता है। महानता मनवाने से नहीं बल्कि व्यवहार से होती है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) यह कुटुंब एक महान वृक्ष है। हम सब इसकी डालियाँ हैं। डालियों से ही पेड़-पेड़ है और डालियाँ छोटी हों चाहे बड़ी, सब उसकी छाया को बढ़ाती हैं। मैं नहीं चाहता, कोई डाली इससे टूटकर पृथक् हो जाए।
(ख) दादा जी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करते, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूख कर मुरझा जाए……।
उत्तर:
(क) दादा जी इंदु को समझाते हुए कहते हैं कि संयुक्त परिवार एक महान् वृक्ष के समान है। हम सब परिवार के सदस्य इसकी शाखाएं हैं और इन शाखाओं से ही वृक्ष की शोभा होती है। वृक्ष की प्रत्येक शाखा का अपना महत्त्व होता है। शाखा छोटी हो या बड़ी सबका परस्पर संयोग उसकी छाया को बढ़ाता है। उसको सौंदर्य प्रदान करता है।

भाव यह है कि परिवार में सब मनुष्य समान होते हैं। प्रत्येक मनुष्य परिवार के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। हर सदस्य परिवार की शोभा होता है। सबको मिलजुल कर रहने से ही परिवार की सुख-समृद्धि संभव है। छोटा हो या बड़ा सबकी अपनी-अपनी भागीदारी होती है। इसलिए दादा जी इंदु को समझाते हैं वह नहीं चाहता कि परिवार का कोई सदस्य परिवार से अलग रहे।

(ख) इस गद्यांश का भाव है कि परिवार जनों के व्यवहार ने छोटी बहू का अंतर्मन झकझोर दिया। उसे दादा जी तथा परिवार के महत्त्व का बोध हो गया इसलिए वह सबके प्रति सहयोगी बनकर रहना चाहती है। वह दुःखी होकर दादा जी से आग्रह करती है कि आप परिवार से किसी का अलग होकर रहना पसंद नहीं करते किन्तु क्या आप चाहेंगे कि परिवार के साथ रहकर ही कोई सदस्य जड़ बन जाए।

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(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए

प्रतिष्ठा – ————-
आकाश – —————-
वृक्ष – —————-
प्रसन्न – —————
परामर्श – —————
अवसर – —————
आदेश – ————–
आलोचना – —————-
उत्तर:
प्रतिष्ठा = शान, आन, सम्मान
आकाश = नभ, असीम, शून्य
वृक्ष = विटप, पेड़, तरु
प्रसन्न = खुश, सुखी, संतुष्ट
परामर्श = राय, विचार, सलाह
अवसर = समय, मौका, सुयोग
आदेश = आज्ञा, हुक्म, हिदायत
आलोचना = निंदा, देखना, परखना।

II. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए

आकाश = ————
आज़ादी = ————–
पसन्द = ————–
शान्ति = ————–
आदर = ————-
प्रसन्न = ————-
झूठ = ————-
निश्चय = ————-
मूर्ख = ————-
इच्छा = ————-
घृणा = ————
विश्वसनीय
उत्तर:
आकाश = पाताल
आज़ादी = गुलामी
पसंद = नापसंद
शांति = अशांति
आदर = अनादर
प्रसन्न = अप्रसन्न
झूठ = सच
निश्चय = अनिश्चय
मूर्ख = समझदार
इच्छा = अनिच्छा
घृणा = प्रेम
विश्वसनीय = अविश्वसनीय।

III. निम्नलिखित समरूपी भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ बताते हुए वाक्य बनाइए

सूखी, सुखी सास, साँस कुल, कूल और, ओर
उत्तर:
सूखी = सूखी हुई, मुरझायी हुई-वर्षा न होने के कारण फ़सल सूखी पड़ी है।
सुखी = प्रसन्न, खुश-हर व्यक्ति अपने घर सुखी रहे।
सास = पति या पत्नी की माँ-महेश की सास तेज़ स्वभाव की प्रतीत होती है।
साँस = साँसें-दौड़ते-दौड़ते मेरी साँस ही फूल गई थी।
कुल = जोड़-इन सभी संख्याओं का कुल योग क्या है?
कूल = किनारा-हम सब यमुना के कूल पर देर तक बैठे रहे।
और = तथा-मोहन और राकेश आये थे।
ओर = की तरफ-गेंद मेरी ओर फैंक दो।

IV. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए

मुहावरा – अर्थ
1. काम आना = मारा जाना
2. नाक-भौं चढ़ाना = घृणा या असंतोष प्रकट करना
3. पारा चढ़ना = क्रोधित होना
4. भीगी-बिल्ली बनना = सहम जाना
5. मरहम लगाना = सांत्वना देना
6. ठहाका मारना = ज़ोर से हँसना
7. खलल पड़ना = किसी काम में बाधा आना
8. कमर कसना = किसी काम के लिए निश्चयपूर्वक तैयार होना
उत्तर:
1. काम आना (मारा जाना) वाक्य-हमारे देश के अनेक सैनिक सन् 1962 के चीन के आक्रमण में काम आए थे।
2. नाक-भौं चढ़ाना (घृणा या असंतोष प्रकट करना) वाक्य-सुरेश तो रमेश की बातें सुनकर नाक-भौं चढ़ाने लगा था।
3. पारा चढ़ना (क्रोधित होना) वाक्य-रावण को देखकर हनुमान जी का पारा चढ़ने लगा था।
4. भीगी-बिल्ली बनना (सहम जाना) वाक्य-चोर पुलिस को देखकर भीगी-बिल्ली बन गया।
5. मरहम लगाना (सांत्वना देना) वाक्य-शहीद के घर जाकर सभी लोगों ने परिवार को मरहम लगाया।
6. ठहाका मारना (ज़ोर से हँसना) वाक्य-जोकर को देखकर बच्चे ठहाके मारने लगे थे।
7. खलल पड़ना (किसी काम में बाधा आना) वाक्य-लक्ष्य के आते ही वैदेही के काम में खलल पड़ गया।
8. कमर कसना (किसी काम के लिए निश्चयपूर्वक तैयार होना) वाक्य-मार्च आते ही विद्यार्थियों ने परीक्षा के लिए कमर कस ली।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि आप बेला हैं और दादा जी आपसे आपकी परेशानी का कारण जानना चाहते हैं। आप क्या उत्तर देंगी?
उत्तर:
मैं दादा जी को उत्तर देती कि परिवार के सदस्यों के साथ वह सामंजस्य बिठाने में न जाने क्यों असफल रही। वह सबके साथ मिल-जुलकर रहना चाहती है किन्तु फिर भी परिस्थितियाँ उसके अनुकूल नहीं बन पाती। ऐसी अवस्था में वह क्या करे? किस प्रकार सभी लोगों से तालमेल बिठाए? सबको कैसे खुश रखे?

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प्रश्न 2.
आज भारत में संयुक्त परिवार विघटित हो रहे हैं ? बताइए कि इसके क्या कारण हैं?
उत्तर:
इसमें निम्नलिखित कारण हैं-

  1. आज भारत में भौतिकतावादी संस्कृति का बोलबाला है।
  2. स्वार्थभावना सर्वोपरि समझी जा रही है।
  3. परस्पर ईर्ष्या, द्वेष की भावना बढ़ रही है।
  4. परिवार के लोगों में लालच और घृणा बढ़ता जा रहा है।
  5. प्रेमभाव, सद्भाव, सहयोग, आदर-सम्मान एवं श्रद्धाभाव कम हो रहे हैं।
  6. पश्चिमीकरण का दुष्प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 3.
नौकरी की तलाश में आज घर के सदस्यों को देश के दूर-दराज के इलाकों में ही नहीं, विदेशों में भी जाना पड़ता है, ऐसे में दादा जी की वटवृक्ष वाली कल्पना कहाँ तक प्रासंगिक है?
उत्तर:
वर्तमान युग वैश्वीकरण, औद्योगीकरण का युग है। वैश्वीकरण एवं भूमंडलीकरण के इस युग में कोई भी मनुष्य विश्व के किसी भी कोने में जाकर मेहनत से कमा सकता है। ऐसे में उस सदस्य को अपने परिवार से अलग रहना पड़ता है। ऐसे में दादा जी को वटवृक्ष वाली कल्पना अप्रासंगिक सी जान पड़ती है क्योंकि मनुष्य को अपनी आजीविका कमाने हेतु अपने बच्चों के साथ देश के किसी भी कोने तथा देश से बाहर जाकर रहना पड़ सकता है किन्तु इससे यह बात महत्त्वपूर्ण है कि भले ही वह मनुष्य शारीरिक रूप से परिवार के साथ वटवृक्ष की शाखाओं से जुड़कर न रह सके किंतु वह अंतर्मन से तो अपने परिवार के साथ जुड़ा रहता है। वह दूर रहकर भी परिवार के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का पूर्ण निर्वाह कर सकता है।

प्रश्न 4.
‘घर में नई बहू के आने पर घर के माहौल में घुल-मिल जाना जहाँ उसकी ज़िम्मेदारी है, वहीं परिवार के शेष सदस्यों की भी ज़िम्मेदारी है कि वे भी उसकी आशाओं-अपेक्षाओं के अनुसार खुद को बदलें’….. क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों?
उत्तर:
हाँ; मैं इस कथन से पूर्ण रूप से सहमत हूँ क्योंकि जब घर में नई बहू का आगमन होता है तो वहाँ का वातावरण और वहाँ के सदस्य उसके लिए बिल्कुल अनजान होते हैं। वह परिवार के किसी भी सदस्य को आचारव्यवहार से बिल्कुल अनजान होती है। नए घर में आने पर उसकी बहुत सी आशाएं और अपेक्षाएं होती हैं जिन्हें वह नए परिवार जनों के साथ सौहार्दपूर्ण एवं प्रेमपूर्वक पूर्ण करना चाहती है। घर के अन्य सदस्यों के अलावा वही अकेली नई होती है इसलिए घर के सभी सदस्यों को उसकी भावनाओं, आशाओं का ध्यान रखना चाहिए। यह परिवार के शेष सदस्यों की अहम ज़िम्मेदारी है। किंतु इसके साथ नई बहू को भी नए वातावरण के अनुसार खुद को बदलना चाहिए। पिछली बातों को भूलकर नए माहौल में घुल-मिल जाना चाहिए।

प्रश्न 5.
यदि आपके घर में कोई सदस्य या कोई आपका मित्र/रिश्तेदार धूम्रपान जैसी लत का शिकार है तो आप उसकी यह लत छुड़वाने में कैसे मदद करेंगे?
उत्तर:
मैं उसे धूम्रपान से होने वाली हानियाँ के बारे में बताऊँगा। उसे किसी अस्पताल में फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित रोगी से मिलवाऊँगा ताकि उसे देखकर धूम्रपान के द्वारा होने वाली क्षति को समझ सके।

प्रश्न 6.
जब दादा जी ने घर के सदस्यों को बुलाया तो घर के बालक तथा युवक तख्त और चारपाइयों पर बैठते हैं जबकि स्त्रियाँ बरामदे के फर्श पर मोढ़े और चटाइयों पर बैठती हैं-क्या आपको इस तरह की व्यवस्था उचित लगी और क्या आज भी आप स्त्रियों के साथ आप इस तरह का भेदभाव देखते हैं? इसकी कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से आप इस विषय पर चर्चा कीजिए।

प्रश्न 7.
दादा जी में अनेक चारित्रिक गुण हैं किंतु हुक्का गुड़गुड़ाते रहना तथा छोटी बहू से अपनी पोती के लिए दहेज की अपेक्षा करना उनके चरित्र की कमियाँ हैं-इस संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
निश्चित रूप से ये दोनों बातें दादा जी के चरित्र को कलुषित करती हैं। हुक्का गुड़गुड़ाते रहना केवल दादा जी के स्वास्थ्य के लिए ही हानिकारक नहीं है बल्कि पूरे परिवार के लिए हानिकारक है। इससे उत्पन्न धुआं सारे घर के लोगों को कैंसर का शिकार बनाता है। कैंसर ऐसा भयानक रोग है जो किसी भी परिवार को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक दृष्टि से तोड़ कर रख देता है। छोटी बहू से अपनी पोती के दहेज की अपेक्षा करना अत्यंत बुरी बात है। दहेज प्रथा समाज के लिए कलंक है। इसे समाप्त करना ही चाहिए और किसी भी तरह प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।

(घ) पाठ्येत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
‘सूखी डाली’ एकांकी को अपने स्कूल के मंच पर खेलिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने शिक्षक के सहयोग से इस एकांकी का मंच पर मंचन करें।

प्रश्न 2.
अपने पुस्तकालय से उपेंद्रनाथ अश्क के अन्य एकांकियों को लेकर पढ़िए।
उत्तर:
विद्यार्थी पुस्तकालय से उपेंद्रनाथ अश्क की अन्य एकांकियों जैसे-“देवताओं की छाया में पर्दा उठाओ, पर्दा गिराओ, पक्का गाना, चरवाहे” आदि को लेकर पढ़ें।

प्रश्न 3.
वट वृक्ष के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर:
वट वृक्ष जिसे बरगद का वृक्ष नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐतिहासिक वृक्ष है। भारतीय संस्कृति में वट वृक्ष का नाम बड़े आदर एवं सम्मान से लिया जाता है। हमारी संस्कृति में इसको पूजनीय एवं श्रद्धेय माना जाता है। इसकी पूजा की जाती है। प्राचीन संस्कृति में वट वृक्ष को परिवार के मुखिया की तरह पूजा जाता था। यह एक औषधीय वृक्ष है।

प्रश्न 4.
वट वृक्ष की भिन्न-भिन्न विशेषताओं को बताने वाले चित्र एकत्र कीजिए और उन्हें एक चार्ट पर चिपका कर अपनी कक्षा में लगाएं।
उत्तर:
विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
लाहौर शहर के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर:
आप अपने अध्यापक/अध्यापिका या इंटरनेट की सहायता से लाहौर की जानकारी प्राप्त कीजिए।

प्रश्न 6.
बच्चे, बूढ़े और जवान बात सुनो खोलकर कान धूम्रपान है मौत का सामान है तुम्हें क्या इसका ज्ञान-इस विषय पर स्कूल की प्रार्थना सभा में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से कीजिए।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 18 सूखी डाली

प्रश्न 7.
दहेज एक सामाजिक कलंक है। यह प्रथा अनैतिक, अवांछनीय एवं अविवेकपूर्ण है-इस विषय पर स्कूल में निबंध/कविता अथवा चित्रकला आदि गतिविधियों का आयोजन करके उसमें सक्रिय रूप से भाग लें।
उत्तर:
इस स्वयं करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. वटवृक्ष- भारत के राष्ट्रीय वृक्ष को ‘बरगद’ का पेड़ भी कहा जाता है। अंग्रेज़ी में यह ‘बनियन ट्री’ और वैज्ञानिक भाषा में ‘फाइकस वेनगैलेसिस’ नाम से प्रसिद्ध है। यह हिंदुओं का परम-पवित्र एवं पूजनीय वृक्ष है।

2. 1914 महायुद्ध-विश्व के अनेक देशों का प्रथम महायुद्ध सन् 1914 से लेकर 1919 तक चलता रहा था। यह एशिया, अफ्रीका और यूरोप में जल, थल और आकाश में पाँच वर्ष तक लड़ा जाता रहा था। अनेक देशों के द्वारा एक साथ लड़े जाने के कारण वे इसे महायुद्ध या विश्व युद्ध का नाम दिया गया है। इसमें विश्व भर की अपार क्षति हुई थी।

3. लाहौर-पाकिस्तान के इस नगर को उस देश का ‘दिल’ भी कहते हैं। यह पाकिस्तान के इतिहास, संस्कृति और शिक्षा को बहुत बड़ी देन है। यह वहां के पंजाब की राजधानी भी है।

4. ग्रेजुएट-जो व्यक्ति स्नातक डिग्री को प्राप्त कर चुका हो इसे ‘ग्रेजुएट’ कहते हैं। यह विश्वविद्यालय की पहली उपाधि होती है जो कला, विज्ञान, कॉमर्स आदि विषयों में होती है। पुराने ज़माने में विद्यार्थियों की शिक्षा गुरुकुलों में पूरी होती थी और तब पूरी शिक्षा प्राप्त कर लेने वाले विद्यार्थियों को पवित्र जल से स्नान करवा कर सम्मानित किया जाता था इसीलिए उन्हें ‘स्नातक’ कहते थे।

हुक्का गुड़गुडाना : हुक्का तंबाकू के प्रयोग का ही एक तरीका है, जिसका अपार प्रयोग अति हानिकारक होता है। यह शरीर के अधिकतर हिस्सों को अपार हानि पहुंचाता है। जिन लोगों की उपस्थिति में कोई व्यक्ति तंबाकू का उपयोग करता है वे सब भी हवा के माध्यम से इसके विष से प्रभावित होते हैं। भारत सरकार ने सार्वजनिक रूप से इसके प्रयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके सेवन से कैंसर हो जाता है। फेफड़े, मुँह, गले आदि के कैंसर का यह मुख्य कारण है। यह हृदय को तरह-तरह की बीमारियां प्रदान करता है। इसका उपयोग कदापि नहीं करना चाहिए। यह लत डालने वाला होता है।

PSEB 10th Class Hindi Guide सूखी डाली Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘सूखी डाली’ एकांकी में कैसे परिवार की कहानी का वर्णन है?
उत्तर:
‘सूखी डाली’ एकांकी में एक संयुक्त परिवार की कहानी का वर्णन है।

प्रश्न 2.
संयुक्त परिवार में कैसी बहू का आगमन हुआ?
उत्तर:
संयुक्त परिवार में एक सुशिक्षित, सुसंस्कृत, नवीन विचारों वाली बहू का आगमन हुआ।

प्रश्न 3.
इस एकांकी में संयुक्त परिवार को टूटने से कौन बचाता है?
उत्तर:
इस एकांकी में संयुक्त परिवार को टूटने से दादा जी बचाते हैं।

प्रश्न 4.
दादा जी ने परिवार की क्या संज्ञा दी है?
उत्तर:
दादा जी ने परिवार को एक वट वृक्ष की संज्ञा दी है। परिवार एक वट वृक्ष के समान है और परिवार के सभी सदस्य उसकी शाखाओं के समान हैं।

प्रश्न 5.
दादा जी परिवार के लोगों को क्या संदेश देते हैं?
उत्तर:
दादा जी परिवार के लोगों को परस्पर प्रेमभाव, सद्भाव एवं श्रद्धापूर्वक मिल-जुलकर रहने का संदेश देते हैं।

प्रश्न 6.
किसको सभ्य समाज में अत्यंत निंदनीय माना जाता है?
उत्तर:
तानाशाही को सभ्य समाज में अत्यंत निंदनीय माना जाता है।

प्रश्न 7.
‘सूखी डाली’ एकांकी का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘सूखी डाली’ उपेंद्रनाथ अश्क द्वारा रचित एक पारिवारिक एकांकी है। इसमें लेखक ने संयुक्त परिवार के आंतरिक सत्य की एक प्रामाणिक झांकी प्रस्तुत की है। दादा जी अपने परिवार रूपी वट वृक्ष की जड़ के समान है जो आखिरी तक अपने परिवार को टूटने एवं बिखरने से बचाते हैं। वे नई बहू के आने से सभी लोगों को सद्भाव से जोड़कर संयुक्त परिवार रूपी वट वृक्ष को सहारा देते हैं।

प्रश्न 8.
‘सूखी डाली’ एकांकी के आधार पर बेला का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
‘सूखी डाली’ एकांकी में बेला का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वह एक शिक्षित युवती थी। उसने बी० ए० तक शिक्षा प्राप्त की थी। वह एक प्रतिष्ठित कुल की कन्या थी। बेला दादा के संयुक्त परिवार में सबसे छोटी बहू थी। उस पर आधुनिकता का प्रभाव था। वह गर्व की भावना से युक्त थी। यही कारण था कि वह नये संयुक्त परिवार में अपने को अजनबी समझती थी। वह घर में सब कुछ नया चाहती थी। उसे घर की नौकरानी का काम पसंद नहीं थे। उसने उसे काम से हटा दिया था।

इंदु और मंझली बहू का व्यवहार उसे अधिक खिझा देता था। इससे बेला अंत: संघर्ष से पीड़ित हो गई थी। जब दादा को पता लगा कि बेला घर में अपने-आप को एक विचित्र स्थिति में महसूस कर रही थी तो उन्होंने उसे ठीक रास्ते पर लाने की युक्ति निकाल ली थी। अंत में दादा की युक्ति बेला के चरित्र में परिवर्तन ला दिया था। बेला भी अनुभव करती थी कि संयुक्त परिवार में रहने का अपना ही आनंद था। उसे जब घर में आदर के साथ स्नेह का भी भाव मिल गया तो वह घर के लोगों के साथ घुल-मिल गई थी।

प्रश्न 9.
‘सूखी डाली’ के आधार पर मंझली बहू का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
मंझली बहू स्वभाव से विनोदी थी। किसी के विचित्र व्यवहार पर हँस पड़ना उसके लिए सामान्य-सी बात थी। परेश और बेला में किसी बहस पर वह इतना हँसती थी कि बेकाबू हो जाती थी। उसकी हँसी बेला को और भी खिझा देती थी। उसकी इस दुर्बलता को दादा जी भी समझते थे। तभी तो वे उसे लक्ष्य कर कहा था-“मंझली बहू तुम अपनी हँसी उन लोगों तक ही सीमित रखो बेटा, जो उसे सहन कर सकते हैं। बाहर के लोगों पर घर में बैठ कर हँसा जा सकता है किन्तु घर के लोगों को तब तक हँसी का निशाना बनाना ठीक नहीं, जब तक कि वे पूर्णतया घर का अंग न बन जाएं।”

दादा की प्रेरणा से मंझली बहू में परिवर्तन आ गया था। बेला के प्रति उसके व्यवहार में परिवर्तन आ गया था। इतना ही नहीं, उसमें मनोवैज्ञानिक सूझ-बूझ आ गई थी। यथा, “क्यों, बेटी अब रंजवा कुछ काम सीख गई या नहीं? …..बुढ़िया है तो सयानी।” वह आगे बेला को लक्ष्य कर कहती है-“मैंने एक अनुभवी नौकरानी खोज लाने के लिए कह दिया है जो नये फैशन के बड़े घरों में काम कर चुकी हो, वास्तव में बहू, दादा जी पुराने नौकरों के हक में हैंदयानतदार होते हैं और विश्वसनीय। हमारे पास पीढ़ी-दर-पीढ़ी काम करते आ रहे हैं।”

इस प्रकार मंझली बहू का चरित्र एकांकी में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। लेखक ने उसके माध्यम से स्त्री-सुलभ गुण-दोषों पर प्रकाश डाला है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 18 सूखी डाली

प्रश्न 10.
‘सूखी डाली’ उद्देश्य प्रधान एकांकी है। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
‘सूखी डाली’ शीर्षक एकांकी अश्क जी की एक सोद्देश्य रचना है। इस एकांकी का मूल उद्देश्य संयुक्त परिवार प्रणाली का समर्थन करना है। आज का शिक्षित युवक अपने अहं की तुष्टि के लिए अपनी खिचड़ी अलग पकाना चाहता है। वह नहीं जानता कि मिल-जुल कर रहने का अपना आनंद है। इससे परिवार का गौरव और उसकी शक्ति बढ़ती है। एकता में बल है। लेखक ने वट वृक्ष के प्रतीक के माध्यम से बताया है कि दादा मूलराज जो परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं, उनकी स्थिति वट वृक्ष के समान है तथा अन्य सदस्य बेटे, बहुएं, पोते, पोतियां आदि उस वृक्ष की शाखाएं और पत्ते हैं। जिस प्रकार वृक्ष की शोभा उसकी शाखाओं और उसके पत्तों से है, उसी प्रकार परिवार की शोभा आपस में मिल-जुल कर रहने में है। जिस प्रकार वट वृक्ष अपने सशक्त तने और शाखाओं के बल पर आंधी-तूफ़ान का सामना करने में सक्षम बना रहता है, उसी प्रकार संयुक्त परिवार भी हर प्रकार के पारिवारिक संकट का सामना करने में समर्थ होता है।

प्रश्न 11.
‘सूखी डाली’ एक प्रतीकात्मक एकांकी है। इस दृष्टि से इसकी कथावस्तु की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
सूखी डाली’ एकांकी के रचयिता श्री उपेंद्रनाथ अश्क हैं। यह उनका एक प्रतीकात्मक एकांकी है जिसमें संयुक्त परिवार प्रणाली का समर्थन किया गया है। मूलराज अपने सारे परिवार को एक इकाई बनाये हुए हैं। वे एक महान् वट के समान हैं । वे उस वट की तरह हैं जिसकी लंबी-लंबी शाखाएं सारे आंगन को छाया प्रदान करती हैं। दादा मूलराज 72 वर्ष के हैं। उनकी सफेद दाढ़ी वट की लंबी-लंबी शाखाओं की भांति उनकी नाभि को छूती हुई मानो धरती को छूने का प्रण किए हुए हैं। उनका बड़ा लड़का सन् 1914 के महायुद्ध में सरकार की ओर से लड़ते-लड़ते काम आया था। उसके बलिदान के बदले में सरकार ने दादा को एक मुरब्बा ज़मीन प्रदान की थी। दादा ने अपनी मेहनत और अपने साहस के बल पर एक के दस मुरब्बे बनाये।

उनके दो बेटे तथा पोते सारे काम-काज की देखभाल करते हैं। सबसे छोटा पोता नायब तहसीलदार हो गया है। उसका विवाह लाहौर की एक सुशिक्षित युवती से हुआ है। घर में शिक्षित युवती के आगमन में एक संक-सा पैदा हो गया है। दादा की तीनों बहुएं घर में बड़ी भाभी, मंझली भाभी तथा छोटी भाभी के नाम से पुकारी जाती हैं। वे तीनों सीधी-सादी महिलाएं हैं। इन सब में उनकी (दादा की) पोती इंदु प्राइमरी तक पढ़ी है। वह स्वभाव से नटखट है। दादा भी उससे बड़ा प्यार करते हैं। पढ़ी-लिखी बहु बेला के आने से इस परिवार की शांति भंग होने लगती है।

अंत में ऐसी स्थिति आती है कि परेश तथा उसकी पत्नी बेला घर से अलग होने का निर्णय कर लेते हैं। दादा यह सहन नहीं कर सकते। वे नहीं चाहते कि घर के संयुक्त परिवार का कोई सदस्य-अलग हो। वे बड़ी युक्ति से इस टूटते हुए परिवार को बचा लेते हैं। उनका कथन है-“बेटा यह कुटुंब एक महान् वृक्ष है। हम सब इसकी डालियां हैं। डालियों ही से पेड़, पेड़ है…..और डालियां छोटी हों चाहे बड़ी सब उसकी छाया को बढ़ाती हैं। मैं नहीं चाहता कोई डाली इससे टूटकर पृथक् हो जाए।”

प्रश्न 12.
‘अश्क’ ने अपने नाटकों में किन समस्याओं को लिया है?
उत्तर:
अश्क’ ने अपने नाटकों में मुख्य रूप से सामाजिक तथा पारिवारिक समस्याओं का चित्रण किया है। इनमें से प्रमुख पारिवारिक विघटन, संयुक्त परिवार, भ्रष्टाचार, खानपान, रहन-सहन, पश्चिम का अंधानुकरण, भौतिकतावाद, दिखावा, कथनी और करनी में अंतर की समस्याएं हैं। इनके चित्रण द्वारा लेखक ने मानव को अपनी कमजोरियों को जानकर उन्हें त्यागने का संकेत दिया है।

प्रश्न 13.
आशय स्पष्ट करें-
(क) मीठी वे कब कहती हैं जो आज कड़वी कहेंगी।
(ख) कचहरी में होंगे तहसीलदार, घर में तो अभियुक्तों से भी गए बीते हो जाते हैं।
(ग) हल्की-सी खरोंच भी, यदि उस पर तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक बड़ा घाव बन जाती
उत्तर:
(क) प्रस्तुत कथन इंदु का है। छोटी भाभी इंदु से रजवा के रोने का कारण पूछती है और कहती है कि क्या छोटी बहू ने इसे कोई कड़वी बात कह दी है। इंदु छोटी भाभी के घर के सदस्यों के प्रति व्यवहार से असंतुष्ट है। झट से अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करती हुई कहती है कि छोटी भाभी (बेला) मीठी कब बोलती है जो आज कड़वा बोलेगी अर्थात् वे कभी मीठा तो बोलती ही नहीं। जब भी बोलती है, कड़वा ही बोलती है।

(ख) बेला पढ़ी-लिखी बहू है। इसलिए उसे घर के पुराने रीति-रिवाज पसंद नहीं। परिणामस्वरूप वह प्रायः खीझी रहती है। उसके इस व्यवहार को लेकर छोटी भाभी इंदु से कहती है कि क्या परेश (बेला का पति) उसे समझाता नहीं। यह सुनकर इंदु कहती है कि वहां परेश की कौन-सी सुनवाई होती है तभी मंझली भाभी हस्तक्षेप करती हुई कहती है कि परेश कचहरी में तहसीलदार होगा। घर में तो वह अपराधियों से भी गया-बीता है। यहां मंझली बहू के कथन में व्यंग्य का भाव है।

(ग) दादा मूलराज को जब पता चलता है कि घर में बेला (नयी बहू) को लेकर सदस्यों में मनमुटाव चल रहा है तो वे अपने बेटे कर्मचंद से कहते हैं कि यह बात पहले उन्हें क्यों नहीं बताई गई। यदि उन्हें पता होता तो वे इस समस्या का समाधान करते। उनका कथन है कि हल्की-सी खरोंच का भी तत्काल इलाज न किया जाए तो वह बढ़ कर घाव बन जाती है। घाव का उपचार करना कठिन होता है। भाव है कि घर में कोई ऐसी बात तूल न पकड़े, जो संयुक्त परिवारप्रणाली में बाधक बन जाए।

प्रश्न 14.
इस एकांकी का कौन-सा पात्र आपको सबसे अच्छा लगता है? उस चरित्र की तीन विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
दादा मूलराज ‘सूखी डाली’ के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पात्र हैं। वे एकांकी की कथावस्तु के केंद्र बिंदु हैं। उन्हीं के माध्यम से एकांकी का उद्देश्य उभर कर सामने आया है। उनका चरित्रांकन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है

अनुभवी व्यक्ति-दादा बहत्तर वर्ष के एक वृद्ध व्यक्ति हैं। इस आयु में अधिकांश वृद्ध चिड़चिड़े स्वभाव के तथा क्रोधी बन जाते हैं पर दादा इस तथ्य का अपवाद हैं। वे स्वभाव से सौम्य हैं। उन्हें संसार का गहरा अनुभव प्राप्त है। घर में उनकी स्थिति एक वट वृक्ष के समान है जो घर के सभी सदस्यों को छाया प्रदान करती है।

भावुक, सहृदय एवं संयुक्त परिवार-प्रणाली के समर्थक-दादा जी एक भावुक तथा सहृदय व्यक्ति हैं। वे घर के सभी सदस्यों से प्रेम करते हैं। बच्चों के प्रति उनका विशेष स्नेह है। वे यह सहन नहीं कर सकते कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य अलग हो। जब उनका बेटा कर्मचंद उन्हें बताता है कि परेश शायद अलग होना चाहता है तो वे चिंता में डूब जाते हैं। वे कहते हैं- “मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे वहीं मिटा देना चाहिए था। हल्की-सी खरोंच भी यदि उस पर तत्काल दवाई न लगाई जाए, बढ़ कर एक बड़ा घाव बन जाती है और वही घाव फिर नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ, ठीक ही नहीं होता।”

दूरदर्शी-दादा जी यह मान कर चलते हैं कि घृणा से घृणा तथा स्नेह से स्नेह उत्पन्न होता है। वे ऐसी युक्ति से काम लेते हैं कि एक टूटता हुआ परिवार टूटने से बच ही नहीं जाता बल्कि उसमें और अधिक स्थिरता आ जाती है। वे इन्दु तथा मंझली बहू को उनकी त्रुटियों से सूचित कर उन्हें बेला के प्रति स्नेह पूर्ण तथा आदरपूर्वक व्यवहार करने की प्रेरणा देते हैं। वे इन्दु और मंझली बहू को समझाते हुए कहते हैं-“मुझे शिकायत का अवसर न मिले (गला भर आता है)। यही मेरी आकांक्षा है कि सब डालियां साथ-साथ बढ़े, फले-फूलें, जीवन की सुखद, शीतल वायु के स्पर्श से झूमें और सरसायें। विटप से अलग होने वाली डाली की कल्पना ही मुझे सिहरा देती है।”

प्रश्न 15.
दादा मूलराज के घर में नई बहू बेला के आने से घर का वातावरण क्यों अशांत हो जाता है?
उत्तर:
नई बहू के घर में आ जाने से घर का वातावरण इसलिए अशांत हो जाता है क्योंकि बेला एक पढ़ी-लिखी युवती है। वह संपन्न परिवार से संबंध रखती है। उस पर आधुनिक जीवन-पद्धति की गहरी छाप है। परंपरावादी तथा संयुक्त परिवार-प्रणाली का समर्थन नहीं करती। वह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के पक्ष में है। उसे न अपने ससुराल का पुराने ढंग का फर्नीचर पसंद है और न ही पुराने ढंग का आचार-व्यवहार। यहां तक कि उसे घर के पुराने नौकर-चाकर तक पसंद नहीं। घर के अन्य सदस्यों से भी उसकी नहीं बनती। किसी न किसी बात पर बेला को आपत्ति है। यही कारण है कि नई बहू के घर में आने से घर का वातावरण अशांत हो जाता है।

प्रश्न 16.
“यही मेरी आकांक्षा है कि सब डालियां साथ-साथ बढ़ें, फले-फूलें, जीवन की सुखद, शीतल वायु के स्पर्श से झूमें और सरसाएं।” यह वार्तालाप किस का है तथा किस बात को व्यंजित करता है?
उत्तर:
यह वार्तालाप दादा मूलराज का है। वे संयुक्त परिवार प्रणाली के समर्थक हैं। वे अपने परिवार को वट वृक्ष के समान मानते हैं। जिस प्रकार वट वृक्ष अपनी हरी-भरी शाखाओं तथा पत्रों के साथ शीतल छाया देता है, उसी प्रकार संयुक्त परिवार में भी सब प्रकार की सुख-सुविधाएं रहती हैं। जिस प्रकार वट वृक्ष से अलग होने पर शाखा अपना अस्तित्व खो बैठती है, उसका विकास रुक जाता है। इसी प्रकार किसी सदस्य का परिवार से अलग हो जाना उसके अकेलेपन का सूचक है। दादा मूलराज भी अपने वट वृक्ष रूपी परिवार के सदस्यों रूपी शाखाओं को बिखरता नहीं देख सकते।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दादा किसके समान महान् दिखाई देते हैं?
उत्तर:
दादा वट के समान महान् दिखाई देते हैं।

प्रश्न 2.
परेश किस पद पर कार्य करता है?
उत्तर:
परेश नायब तहसीलदार के पद पर कार्य करता है।

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प्रश्न 3.
क्या चीज़ जल देने से नहीं पनपती?
उत्तर:
पेड़ से टूटी डाली जल देने से नहीं पनपती।

प्रश्न 4.
दादा जी क्या नहीं सह सकते?
उत्तर:
दादी जी परिवार से किसी का अलग होना नहीं सह सकते।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
बेला किसकी पत्नी है?
(क) जगदीश
(ख) भाषी
(ग) परेश
(घ) कर्मचंद।
उत्तर:
(ग) परेश

प्रश्न 2.
शायद छोटा अलग हो जाए-यह कथन किसका है?
(क) कर्मचंद का
(ख) जगदीश का
(ग) परेश का
(घ) भाषी का।
उत्तर:
(क) कर्मचंद

प्रश्न 3.
दादा की आयु कितनी है?
(क) 70
(ख) 72
(ग) 74
(घ) 76.
उत्तर:
(ख) 72

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न

प्रश्न 1.
‘मेरे मायके में यह होता है, मेरे मायके में यह नहीं होता’-इन्दु यह कथन किसके विषय में कह रही (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
छोटी बहू बेला

प्रश्न 2.
बस करो भाषी ! क्या खट-खट लगा रखी है? (हा या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 3.
यह परिवार बरगद के इस महान् पेड़ ही की भाँति है। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 4.
दादा जी के चार कपड़े धोने को कहा था, वे तो पड़े गुसलखाने में गल रहे हैं। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
सही

प्रश्न 5.
परेश की तो छोटी बहू बहुत सुनती है। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 6.
यदि कोई ………… थी तो उसे वहीं ……… देना चाहिए था।
उत्तर:
शिकायत, मिटा

प्रश्न 7.
मैं ऐसा ……… करती हूँ, जैसे मैं …….. में आ गयी हूँ।
उत्तर:
महसूस, परायों

प्रश्न 8.
मुझे केवल …………….. कहा कर, मेरी ………… इन्दु ।
उत्तर:
भाभी, प्यारी।

एकांकी भाग कठिन शब्दों के अर्थ

अराजकता = अव्यवस्था, जहाँ कानून न हो। हद = सीमा। सभ्य = संस्कृत। निंदनीय = निंदा योग्य। कुटुंब = परिवार। अटल = स्थिर। आच्छादित = ढके हुए, भाँति = समान। अगणित = असंख्य। वट = वट वृक्ष। प्रण = प्रतिज्ञा। कृपा = दया। सुशिक्षित = पढ़ी-लिखी। सुशिक्षित = अच्छा पढ़ा-लिखा। प्राइमरी = प्राथमिक। सम्मिलन = मिलन । कोलाहल = शोर। भृकुटी = भौंहें। विस्मित = हैरान। सिर्फ़ = केवल। निस्तब्धता = चुप्पी। मंझली = बीच वाली। नीरवता = शांति। स्वेच्छापूर्वक = अपनी इच्छा के अनुसार। तबदीली = ट्रांसफर। उद्धिग्नता = उदासीनता। तिलमिलाहट = गुस्सा। शाखा = टहनी। कृपा = दया। पूर्णतया = पूरी तरह से। बुद्धिमती = बुद्धि वाली। सुशिक्षित = अच्छी पढ़ी हुई। सुसंस्कृत = अच्छे संस्कार वाली। पूर्ववत् = पहले की तरह। आकुलता = व्याकुलता। बुहारना = लगाना। विश्वसनीय = विश्वास योग्य। सहसा = अचानक। सत्कार = सम्मान। निढाल = थकान।

एकांकी भाग Summary

एकांकी भाग लेखक-परिचय

अश्क जी की साहित्य के क्षेत्र में बहुमुखी प्रतिभा है। उनका जन्म सन् 14 दिसंबर, सन् 1910 ई० में हुआ था। उन्होंने हिंदी-साहित्य को अब तक अनेक अच्छे उपन्यास, कहानियां, बड़े नाटक, एकांकी तथा काव्य भेंट किए हैं। यद्यपि आपने आरंभ में उर्दू में साहित्य-रचना की थी पर अब आप हिंदी के श्रेष्ठ लेखकों में माने जाते हैं और आजकल लेखनी के द्वारा स्वतंत्र रूप से जीविकोपार्जन कर रहे हैं।

श्री उपेंद्रनाथ अश्क जी नाटक लिखते समय सदा रंगमंच का ध्यान रखते हैं अतः इनके नाटक रंगमंच पर बहुत सफल होते हैं। श्री अश्क के अंदर मानव-जीवन को बारीकी से देखने की अद्भुत शक्ति है। यथार्थ के चित्रण में उन्हें बहुत अधिक सफलता मिली है। उनके नाटकों में कहीं भी अस्वाभाविकता प्रतीत नहीं होती। श्री अश्क के पात्र सजीव होते हैं और जिन्दा-दिली से बात करते हैं। संवादों की भाषा बोल-चाल की और चुस्त होती है। कथानक में प्रवाह विद्यमान . रहता है। अश्क के नाटकों में कहीं भी नीरसता देखने को नहीं मिलती।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 18 सूखी डाली

अश्क के एकांकियों का मुख्य क्षेत्र सामाजिक तथा पारिवारिक है तथा उनमें लेखक का उद्देश्य कोई उपदेश देना न होकर मानव-स्वभाव की कमजोरियों को सामने रखना होता है। श्री अश्क स्वयं एक कठोर जीवन-संघर्ष में से गुजरे थे और उन्होंने चारों ओर के जीवन के सभी पहलुओं को निकटता से देखा था, इसलिए उनको यथार्थ का चित्रण करने में इतनी सफलता मिली है। श्री अश्क के सामाजिक व्यंग्य और हास्य विशेष रूप से सफल बन पड़े हैं।

श्री अश्क के प्रमुख एकांकी संग्रह हैं- “देवताओं की छाया में”, “पर्दा उठाओ पर्दा गिराओ” (प्रहसन), “पक्का गाना”, “चरवाहे”, “अंधी गली”, “साहब को जुकाम है”, पच्चीस श्रेष्ठ एकांकी आदि। इनके द्वारा रचित नाटक हैं-‘छठा बेटा’, ‘अंधी गली’, ‘कैद’, ‘पैंतरे’, ‘उड़ान’, ‘जय-पराजय’, ‘अंजो दीदी’, ‘अलग-अलग रास्ते’। इनके उपन्यास हैं-‘सितारों के खेल’, ‘गिरती दीवारें’, ‘गर्म राख’, ‘बड़ी-बड़ी आँखें’, ‘पत्थर अल पत्थर’, ‘शहर में घूमता आइना’, ‘एक नन्हीं कन्दील’।

लेखक के कहानी संग्रह हैं-‘पिंजरा’, ‘जुदाई की शाम का गीत’, ‘दो धारा’, ‘छीटें’, ‘काले साहब’, पलंग, सत्तर श्रेष्ठ कहानियां, कहानी लेखिका और जेहलम के सात पुल।

एकांकी भाग एकांकी का सार

प्रस्तुत एकांकी ‘सूखी डाली’ अश्क जी के ‘चरवाहे’ नामक एकांकी-संकलन से ली गई है। यह संयुक्त परिवारों से जुड़ी एक प्रामाणिक कहानी है जिसमें नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी की सोच में अंतर को प्रस्तुत किया गया है। इस एकांकी में अश्क जी ने बहत्तर वर्षीय दादा मूलराज के एक विस्तृत किंतु संगठित परिवार को अपनी लेखनी का केन्द्रबिन्दु बनाया है। दादा जी अपने परिवार के संगठन के लिए सदैव परेशान रहते हैं। दादा का व्यक्तित्व विशाल वट वृक्ष की तरह है जिसकी छत्रछाया में प्रत्येक प्राणी सुरक्षित है। उनके परिवार में स्त्री पात्रों में बेला की सास, छोटी भाभी, मंझली भाभी, बड़ी भाभी, बेला बहू, मंझली बहू, बड़ी बहू, बेला की ननद, इंदु तथा सेविका पारो एवं पुरुष पात्रों में कर्म चन्द, पौत्रों में नायब तहसीलदार परेश, अन्य छोटे भाई तथा मल्लू आदि हैं। दादा का परिवार संपन्न है। उनके पास . कृषि फार्म, डेयरी और चीनी का कारखाना है। समाज में उनकी अच्छी मर्यादा है। उनका पौत्र नायब तहसीलदार और उसकी पत्नी बेला सुशिक्षित बहू है।

बेला में पार्थक्य की प्रबल भावना है। वह अपने मायके को ससुराल से ऊंचा और इज्ज़तदार कहती रहती है। ‘पारो’ जैसी पुरानी सेविका को भी वह असभ्य कहकर अपनी सेवा से हटा देती है। ननद इंदु सहित परिवार के सभी सदस्य बेला के व्यवहार से दुःखी रहते हैं। उसका पति परेश भी उसके व्यवहार के प्रति चिंतित रहता है। दादा हेमराज को यह समाचार ज्ञात हो जाता है कि छोटी बहू बेला से सभी कटे-कटे रहते हैं। उन्हें अपनी पारिवारिक एकता भंग-सी होती जान पड़ती है। उनका वट वृक्ष कुछ शाखाहीन-सा होता जान पड़ता है। इस स्थिति से उनकी आत्मा तड़प उठती है। एक दिन सभी बहुओं को बुलाकर दादा समझाते हैं कि छोटी बहू नवागता और सुशिक्षित है। सभी लोग उनकी इज्जत करें और उसे कार्य न करने दें। उसका फर्नीचर भी बदल दें। यदि ऐसा नहीं होता तो इस घर से मेरा नाता सदा के लिए टूट जाएगा। देखते ही देखते सभी लोग बेला का आदर करने लगे और हिलमिल कर बातें भी करने लगे। इंदु अब गंदे कपड़े स्वयं धो लेती और बेला को छूने तक नहीं देती।

इस पारिवारिक परिवर्तन से बेला चकित हो उठती है। परिवार में अब उसका सम्मान बढ़ गया था। परिवार के नवीन व्यवहार से वह द्रवित हो उठती है। एक दिन इंदु के साथ ज़बरदस्ती वह भी कपड़े धोने चली जाती है। उसे ऐसा देखकर दादा कहते हैं कि कपड़ा धोना उसका कार्य नहीं है। उसे केवल पढ़ने-लिखने में लगे रहना चाहिए। उत्तर में बेला का गला भर आता है और कहती है-“दादा जी! आप पेड़ से किसी डाल का टूट कर अलग होना पसंद नहीं करते पर क्या यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी वह डाल सूख कर मुरझा जाए।” बेला के इस कथन से दादा का उद्देश्य पूरा हो जाता है।

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Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 श्री गुरु नानक देव जी Textbook Exercise Questions and Answers.

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Hindi Guide for Class 10 PSEB श्री गुरु नानक देव जी Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा, सन् 1469 ई० को शेखूपुरा के तलवंडी गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है।

प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी के माता और पिता का क्या नाम था?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी की माता का नाम तृप्ता देवी जी और पिता का नाम मेहता कालू जी था।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 17 श्री गुरु नानक देव जी

प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी ने छोटी आयु में ही कौन-कौन-सी भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया था ?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी ने छोटी-सी आयु में ही पंजाबी, फारसी, हिंदी और संस्कृत भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी को किस व्यक्ति ने दुनियावी तौर पर जीविकोपार्जन संबंधी कार्यों में लगाने का प्रयास किया था?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी को इनके पिता श्री मेहता कालू जी ने दुनियावी तौर पर जीविकोपार्जन कार्यों में लगाने का प्रयास किया था।

प्रश्न 5.
गुरु नानक देव जी को दुनियादारी में बांधने के लिए इनके पिता जी ने क्या किया?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी के पिता जी ने आप की शादी देवी सुलक्खनी से कर दी।

प्रश्न 6.
गुरु नानक देव जी के कितनी संतानें थीं और उनके नाम क्या थे?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी के दो संतानें थीं। एक का नाम लखमीदास और दूसरे का नाम श्रीचंद था।

प्रश्न 7.
इस्लामी देशों की यात्रा के दौरान आप ने किस धर्म की शिक्षा दी?
उत्तर:
मुस्लिम देशों की यात्रा के दौरान आप ने ‘सांझे धर्म’ की शिक्षा दी।

प्रश्न 8.
‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ में गुरु नानक देव जी के कुल कितने पद और श्लोक हैं?
उत्तर:
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी के 974 पद और श्लोक हैं।

प्रश्न 9.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में मुख्य कितने राग हैं?
उत्तर:
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में मुख्य 31 राग हैं।

प्रश्न 10.
गुरु नानक देव जी के जीवन के अंतिम वर्ष कहाँ बीते?
उत्तर:
श्री गुरु नानक देव जी के जीवन के अंतिम वर्ष करतारपुर में बीते थे जो अब पाकिस्तान में है।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी के जन्म के संबंध में भाई गुरदास जी ने कौन-सी तुक लिखी?
उत्तर:
भाई गुरदास जी ने लिखा था
‘सुनी पुकार दातार प्रभु,
गुरु नानक जगि माहिं पठाया।’

प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी पढ़ने के लिए किन-किन के पास गए थे?
उत्तर:
सात वर्ष की आयु में गुरु नानक देव जी को पांडे के पास पढ़ने के लिए पाठशाला भेजा गया था। मौलवी सैय्यद हुसैन ने भी इन्हें पढ़ाया था। इन्होंने पंडित ब्रजनाथ से भी शिक्षा प्राप्त की थी। छोटी-सी आयु में ही इन्होंने पंजाबी, फारसी, हिंदी, संस्कृत आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

प्रश्न 3.
साधुओं की संगति में रहकर गुरु नानक देव जी ने कौन-कौन से ज्ञान प्राप्त किए?
उत्तर:
साधुओं की संगति में रह कर गुरु नानक देव जी ने भारतीय धर्म का ज्ञान प्राप्त किया। आपने साधुओं की संगति से भी विभिन्न संप्रदायों का ज्ञान प्राप्त किया। भारतीय धर्म ग्रंथों और शास्त्रों का ज्ञान भी आपको साधुओं की संगति से ही हुआ। राग विद्या भी आपने इन्हीं दिनों प्राप्त की थी।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 17 श्री गुरु नानक देव जी

प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी ने यात्राओं के दौरान कौन-कौन से महत्त्वपूर्ण शहरों की यात्रा की?
उत्तर:
अपनी यात्राओं में गुरु नानक देव जी ने आसाम, लंका, ताशकंद, मक्का-मदीना आदि शहरों की यात्रा की थी। आपने हिमालय पर स्थित योगियों के केंद्रों की यात्रा भी की। आपने उन्हें सही धर्म सिखाया। आपने हिंदू, मुसलमान सब को सही मार्ग दिखाया।

प्रश्न 5.
गुरु नानक देव जी ने तत्कालीन भारतीय जनता को किन बुराइयों से स्वतंत्र कराने का प्रयास किया?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी के समय में भारतीय हिंदू-मुस्लिम जनता धार्मिक आडंबरों से ग्रस्त थी। आपने उन्हें इन रूढ़ियों और आडंबरों से मुक्त कराने के लिए उन्हें सद्-उपदेश दिया। उन्हें सही रास्ता दिखाया। आपके उपदेश सहज और सरल थे।

प्रश्न 6.
गुरु नानक देव जी की रचनाओं के नाम लिखें।
उत्तर:
गुरु नानक देव जी की रचनाएँ जपुजी, आसा दी वार, सिद्ध गोसटि, पट्टी, दक्खनी ऊँकार, पहरे-तिथि, बारह माह, सुचज्जी-कुचज्जी, आरती आदि हैं। गुरु जी की इन रचनाओं के अतिरिक्त वाणी, श्लोक, पद, अष्टपदियां, सोहले, छन्द आदि के रूप में विद्यमान हैं।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात वाक्यों में दीजिए

प्रश्न 1.
जिस समय गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ उस समय भारतीय समाज की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
जिस समय गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था उस समय भारतीय समाज अनेक बुराइयों से ग्रस्त था। वह अनेक जातियों, संप्रदायों और धर्मों में बंटा हुआ था। लोग रूढ़ियों में फंसे हुए थे। उनके विचार बहुत ही संकीर्ण थे। वे घृणा करने योग्य कार्यों में लगे रहते थे। धर्म के नाम पर दिखावे का बोल-बाला था। शासक वर्ग अत्याचारी था। आम जनता का अत्यधिक शोषण होता था। दलितों पर बहुत अत्याचार होते थे।

प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्राओं के दौरान कहाँ-कहाँ और किन-किन लोगों को क्या-क्या उपदेश दिए?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी ने सन् 1499 से 1522 ई० के बीच पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण चारों दिशाओं में यात्राएं कीं। इन यात्राओं में आपने आसाम, लंका, ताशकंद, मक्का-मदीना आदि स्थानों की यात्रा की थी। आप ने कश्मीर के पंडितों से विचार-विमर्श किया। हिमालय के योगियों को सही धर्म सिखाया। हिंदू नेताओं को देश सेवा का उपदेश दिया। मौलवी और मुसलमानों को साझे धर्म की शिक्षा देकर उन्हें सही रास्ता दिखाया। आपने अनेक फ़कीरों, सूफ़ियों, सन्तों आदि से भी धार्मिक विचार-विमर्श किए।

प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी की वाणी की विशेषता अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
गुरु नानक देव जी की वाणी के 974 पद और श्लोक आदि ग्रंथ में संकलित हैं। आपकी वाणी में अनेक विषयों की चर्चा प्राप्त होती है। आपने सृष्टि, जीव और ब्रह्म के संबंध में चर्चा की थी। आपने अकाल पुरुष के स्वरूप और स्थान का भी वर्णन किया है। आपने माया से दूर रहने तथा माया के बंधन काटने और शुद्ध मन से प्रभु का नाम जपने की प्रेरणा दी है। आपकी वाणी, जो ‘जपुजी साहिब’ के नाम से जानी जाती है, में सिक्ख सिद्धांतों का सार है। आपकी वाणी की शैली बहुत अद्भुत और अनूठी है।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित का संधि-विच्छेद कीजिए

परमात्मा, पतनोन्मुखी, जीविकोपार्जन, संगीताचार्य, देवोपासना, परमेश्वर।
उत्तर:
परमात्मा = परम + आत्मा
पतनोन्मुखी = पतन + उन्मुखी
जीविकोपार्जन = जीविका + उपार्जन
संगीताचार्य = संगीत + आचार्य
देवोपासना = देव + उपासना
परमेश्वर = परम + ईश्वर।

II. निम्नलिखित शब्दों के विशेषण शब्द बनाइए:

समाज, धर्म, अर्थ, परस्पर, राजनीति, पंडित, सम्प्रदाय, भारत, अध्यात्म, पंजाब।
उत्तर:
शब्द – विशेषण
समाज – सामाजिक
धर्म – धार्मिक
अर्थ – आर्थिक
परस्पर – पारस्परिक
राजनीति – राजनैतिक
पंडित – पांडित्य
सम्प्रदाय – साम्प्रदायिक
भारत – भारतीय
अध्यात्म – आध्यात्मिक
पंजाब – पंजाबी

III. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए:

महान्, सरल, सहज, हरा, समान, शांत।
उत्तर:
शब्द – भाववाचक संज्ञा
महान् – महानता
सरल – सरलता
सहज – सहजता
हरा – हरियाली
समान – समानता
शांत – शांति।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी आपके लिए किस तरह प्रेरणा स्रोत हैं। अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता

1. सिक्ख धर्म के सभी गुरुओं के जीवन चरित की जानकारी जुटाइए।

2. हिंदू, सिक्ख, मुस्लिम, ईसाई, जैन और बौद्ध आदि धर्मों के चिह्न बनाइए।

3.विभिन्न धार्मिक स्थानों जैसे-स्वर्ण मंदिर, आनंदपुर साहिब, हरिद्वार, मथुरा, मक्का मदीना आदि की जानकारी एकत्रित कीजिए।

प्रश्न 4.
श्री गुरु नानक देव जी की यात्राओं से संबंधित स्थानों को विश्व मानचित्र पर दर्शाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 5.
सिक्ख धर्म के पाँच चिह्नों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. ननकाना साहिब-पाकिस्तान में स्थित पंजाब प्रांत का यह शहर गुरु नानक देव जी के नाम पर है। प्राचीन काल में इसका नाम ‘राय-भोई-दी-तलवंडी’ था। इतिहास से जुड़ा हुआ यह नगर सिख धर्म के लिए अति पवित्र तीर्थ है।

2. सुल्तानपुर लोधी-यह कपूरथला जिले का अत्यंत पुराना शहर है जहाँ गुरु नानक देव जी पहले रहते थे। इसी शहर में उनकी बहन बीबी नानकी और उनके पति भाई जयराम जी भी निवास करते थे।

3. मक्का -इस्लाम धर्म का यह सबसे अधिक पवित्र नगर है। प्रति वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। इस्लामी पैगम्बर मोहम्मद के द्वारा इसी नगर में सातवीं शताब्दी में इस्लाम की घोषणा की गई। बाद में यह नगर साऊदी अरब के शासन के अधीन आ गया था। अब यह मक्काह प्रांत की राजधानी है।

4. ताशकन्द-यह उजबेकिस्तान और ताशकेंत की राजधानी है।

5. श्री लंका-यह दक्षिण एशिया का देश है जो हिन्द महासागर के उत्तर में विद्यमान है। भारत से इसकी दूरी केवल 31 कि०मी० है। सन् 1972 तक इसका नाम ‘सीलोन’ था लेकिन अब यह श्री लंका के नाम से जाना जाता है। इसका नगर कोलंबो समुद्री परिवहन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।

6. मदीना/अल-मदीना-इसे अति सम्मान के कारण ‘अल-मदीना-अल मुनवरा भी कहते हैं जिसका अर्थ हैचमकदार मदीना। यह इस्लाम धर्म का पवित्रतम दूसरा नगर है। इसी नगर में इस्लामी पैगम्बर मोहम्मद साहब की दफनगाह है। इस नगर का अपना ही विशेष ऐतिहासिक महत्त्व है।

7. श्री गुरु ग्रंथ साहिब-सिक्ख धर्म का परम पवित्र और प्रमुख ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी हैं जिसमें सिख गुरुओं तथा हिंदु-मुस्लिम संतों/भक्तों की वाणी भी संकलित की गई है। इसका संपादन सिक्ख धर्म के पाँचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने किया था। इसका पहला प्रकाश 16 अगस्त, सन् 1604 ई० को हरिमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ था। सन् 1705 ई० में गुरु गोबिंद सिंह जी ने इसमें गुरु तेग बहादुर जी के 116 शब्द जोड़ कर इसे पूर्ण किया था। इस पवित्र ग्रंथ में कुल पृष्ठ संख्या 1430 है। इसमें सिख गुरुओं के अतिरिक्त 30 अन्य हिंदू और मुस्लिम-भक्तों की पवित्र वाणी को भी स्थान प्रदान किया गया है।

8. जपुजी साहिब-श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की मूलवाणी ‘जपुजी साहिब’ गुरु नानक देव जी के द्वारा उच्चरित की गई अति पवित्र वाणी है। इसमें ब्रह्मज्ञान का अलौकिक ज्ञान समाया हुआ है।

PSEB 10th Class Hindi Guide श्री गुरु नानक देव जी Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी का बचपन किस शहर में बीता?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी का बचपन तलवंडी में बीता था।

प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी ने सच्चा सौदा कितने रुपयों में कैसे किया?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी ने सच्चा सौदा बीस रुपयों में भूखे साधुओं को खाना खिला कर किया।

प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी तीन दिन तक किस नदी में आलोप रहे?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी तीन दिन तक उई नदी में आलोप रहे।

प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी की कितनी उदासियाँ हैं?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी की चार उदासियाँ हैं।

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प्रश्न 5.
प्रातःकालीन प्रार्थना के लिए गुरु जी की कौन-सी वाणी है?
उत्तर:
प्रात:कालीन प्रार्थना के लिए ‘जपुजी साहिब’ आपकी वाणी है।

प्रश्न 6.
भाई गुरदास जी ने आपकी उदासियों के सम्बन्ध में क्या कहा है?
उत्तर:
भाई गुरदास जी आपकी उदासियों के बारे में लिखते हैं-‘चढ़िआ सोधन धरत लुकाई।’ आपने सन् 1499 ई० से 1522 ई० तक पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण की चार उदासियाँ कीं। इसी समय आपने करतारपुर नगर बसाया था। इन यात्राओं में आपने भटके हुए लोगों को उचित उपदेश देकर सद्मार्ग दिखाया था।

प्रश्न 7.
सुल्तानपुर में रहते हुए आप ने क्या कुछ देखा था?
उत्तर;
सूबे की राजधानी होने के कारण सुल्तानपुर धार्मिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र था। यहाँ रहते हुए आपने हुकूमत की ज्यादतियाँ, मुल्ला, काज़ियों और हिंदुओं के धार्मिक आडंबर, कर्मकांड, अंधविश्वास आदि देखे थे। आपने आध्यात्मिक अवस्थाओं से गिरे हुए बनावटी जीवन को भी देखा था।

प्रश्न 8.
अन्य संतों की अपेक्षा गुरु नानक देव जी के उपदेश देने की शैली की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
अन्य सन्त जब उपदेश देते थे तो उनके कटुतापूर्ण शब्द लोगों को बुरे लगते थे। वे अपने शुष्क व्यवहार से लोगों को नाराज़ कर देते थे। वे तर्क की छुरी चला कर सामाजिक बुराइयों की चीर-फाड़ कर लोगों के मन को आहत कर देते थे। परन्तु गुरु जी सामाजिक बुराइयों का खंडन कोमल भाषा में करते थे। जैसे शरद ऋतु की पूर्णिमा का चंद्रमा चारों ओर अपनी शीतलता बिखेरता है वैसे ही गुरु जी भी अपनी वाणी की शीतलता से सब को उपदेश देते थे। अन्य सन्तों के उपदेशों से आहत मन पर वे मरहम का लेप करते थे।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जब गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ तब भारत की क्या दशा थी?
उत्तर:
जब गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ तब भारत अनेक प्रकार के कुसंस्कारों से ग्रस्त था।

प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी को किन्होंने शिक्षा दी थी?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी को मौलवी सैय्यद हुसैन और पंडित बृजनाथ ने शिक्षा दी थी।

प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी सन् 1499 ई० में किस नदी में स्नान करने गए थे?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी बेईं नदी में स्नान करने गए थे।

प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी ने प्रातःकालीन प्रार्थना के लिए किस ग्रंथ की रचना की थी?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी ने प्रात:कालीन प्रार्थना के लिए ‘जपुजी’ साहिब की रचना की थी।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
श्री गुरु नानक देव जी ने कितने रुपयों से भूखे साधुओं को खाना खिला कर सच्चा सौदा किया?
(क) पाँच
(ख) दस
(ग) बीस
(घ) पच्चीस।
उत्तर:
(ग) बीस

प्रश्न 2.
‘चढ़िया सोधन धरत लुकाई’-किसका कथन है?
(क) भाई रामदास
(ख) भाई गुरदास
(ग) भाई प्रेमदास
(घ) भाई सुखदास।
उत्तर:
(ख) भाई गुरदास

प्रश्न 3.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में श्री गुरु नानक देव जी द्वारा रचित कितने पद और श्लोक हैं?
(क) 970
(ख) 972
(ग) 974
(घ) 976.
उत्तर:
(ग) 974

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न

प्रश्न 1.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में मुख्य कितने राग हैं? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
31

प्रश्न 2.
श्री गुरु नानक देव जी सन् 1539 में ज्योति-जोत समा गए। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 3.
भाई मरदाना श्री गुरु नानक देव जी के साथ कभी नहीं रहा। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं

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प्रश्न 4.
‘न कोई हिन्दू न मुसलमान’-ये शब्द श्री गुरु नानक देव जी के हैं। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
सही

प्रश्न 5.
गंगा नदी में प्रवेश कर श्री गुरु नानक देव जी तीन दिन अलोप रहे। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 6.
उस समय के ……………. शोषक का रूप …………. कर चुके थे।
उत्तर:
राजा, धारण

प्रश्न 7.
लगभग …………. वर्ष की आयु तक आप अनेक मतों के ……….. की संगति में रहे।
उत्तर:
अठारह, साधुओं

प्रश्न 8.
लगभग ……………. वर्ष आप घूम फिर कर …………. का प्रचार करते रहे।
उत्तर:
बाईस, धर्म।

श्री गुरु नानक देव जी कठिन शब्दों के अर्थ

कुसंस्कारों = बुरी आदतों। ग्रस्त = पकड़े हुए। विभाजित = बंटा हुआ। रूढ़ियाँ = गलत परंपरायें, गलत रीति-रिवाज। घृणित = घृणा करने योग्य, नफ़रत करने योग्य। आचार = व्यवहार, चालढाल, चालचलन। संकीर्णता = नीचता, संकरापन। तीव्र = तेज़। प्रहार = चोट । कटुता = कड़वाहट। शुष्कता = नीरसता, सूखापन। उक्त = उन। खण्डन = तोड़ने-फोड़ने का काम, किसी मत के खिलाफ़ बोलना। मृदु = कोमल। भाषी = बोलने वाला। शरत काल = शरद ऋतु । पूर्णचंद्र = पूरा चाँद, पूर्णिमा का चाँद । स्निग्धता = चिकनापन, चिकनाहट। निर्मलता = सफ़ाई, स्वच्छता, शुद्धता, पवित्रता। शीतलता = ठंडक। आलोकित = प्रकाशित, रोशनी से भर देना। उद्वेलित = छलछलाना। शल्यचिकित्सा = चीरफाड़ करना। विभूति = शक्ति, व्यक्ति। प्रवर्तक = शुरू करने वाला। पतनोन्मुखी = पतन की ओर जाने वाला। पथ-प्रदर्शक = रास्ता दिखाने वाला। प्रकृति = स्वभाव, आदत। भ्रमणशील = घूमते रहने वाले, घुमक्कड़। कर्म = कार्य। चतुर्दिक = चारों ओर, सब दिशाओं में। उदात्त = अच्छी, ऊँची। सागर = समुद्र।

आध्यात्मिक = आत्मा से संबंधित। पथ = रास्ता, मार्ग। अविचलित = अटल, स्थिर, जो विचलित न हो। पथिक = मुसाफिर। अल्प = कम, थोड़ी। पियासा = प्यास । प्रवृत्त = किसी काम में लगा हुआ, किसी काम में लगना। काल = समय। विरक्ति = वैराग्य। सरगर्मियाँ = गतिविधियाँ । हुकूमत = शासन। आडंबर = दिखावा। कर्मकांड = धर्म से संबंधित कार्य, यज्ञ, आदि करना। विचलित = अस्थिर, व्याकुल, डांवाडोल। उद्धार = कल्याण। सांझा धर्म = मानव धर्म। पांडित्य = विद्वता, ज्ञानी। संकीर्ण = छोटी सोच। शैली = तरीका। अलोप = गायब हो जाना, छिप जाना। सुरुचिपूर्ण = अच्छाइयों से भरा। दर्शाया = दिखाया। विचार-विमर्श = सलाह-मशवरा। तर्क-वितर्क = बहस करना। कुतर्कों = बुरी बहस। तत्कालीन = उस समय के। आडंबर = दिखावा। अनुग्रह = कृपा। करामात = चमत्कार। अहंकार = घमंड। प्रत्यक्ष = आँखों देखा। कुमार्ग = गलत रास्ता। सुमार्ग = सही रास्ता। शोचनीय = बहुत हीन, बहुत चिंताजनक। शोषण = शोषण करने वाला। जुल्म = अत्याचार। संगीताचार्य = संगीत के आचार्य, संगीत में निपुण। निर्विकार = विकारों से रहित, बुराइयों से रहित। अद्भुत = विचित्र। पारस्परिक = आपसी। दृष्टिकोण = देखने का नज़रिया।

श्री गुरु नानक देव जी Summary

श्री गुरु नानक देव जी लेखिका परिचय

डॉ० सुखविंदर कौर बाठ का जन्म सन् 1962 ई० में पंजाब के गुरदासपुर जिले के छिछरेवाला गाँव में हुआ था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की थी। इन्होंने अमृतसर से एम० ए०, एम० फिल०, पी-एच० डी० तथा डी० लिट की उपाधियाँ प्राप्त की। इनके पिता देश की सीमाओं के रक्षक थे इसलिए वे प्रायः बाहर ही रहते थे। इनकी शिक्षा और साहित्यिक रुचियों को जगाने वाली इनकी माता जी ही थीं। ‘गुरु तेग़ बहादुर जी की वाणी : संदर्भ और विश्लेषण’ इन का शोध-विषय था। इन्हें पंजाबी लोक-जीवन से विशेष लगाव रहा है। इसी कारण इन्होंने पंजाबी भाषा, संस्कृति, लोक-जीवन, लोक-गीतों आदि पर बहुत कार्य किया है। आप पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के पत्राचार विभाग में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।

डॉ० सुखविन्दर कौर बाठ की प्रमुख रचनाएं ‘पंजाब के संस्कार गत लोक-गीतों का विश्लेषणात्मक अध्ययन’, ‘पंजाबी लोक रंग’, ‘गुरु तेग़ बहादुर की वाणी : संदर्भ और विश्लेषण’ आदि हैं। हिसार से प्रकाशित ‘पंजाबी संस्कृति’ की आप अतिथि संपादिका हैं। आपने शिव कुमार बटालवी की रचना ‘लूणा’ का देवनागरी में लिप्यंत्रण भी किया है। आपके निबंधों की भाषा सहज, सरल तथा बोधगम्य है।

श्री गुरु नानक देव जी पाठ का सार

डॉ० सुखविंदर कौर बाठ द्वारा रचित लेख ‘श्री गुरु नानक देव जी’ में लेखिका ने अवतारी महापुरुष श्री गुरु नानक देव जी के जीवन के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने उनके उपदेशों को समस्त मानवता के लिए शुभ एवं हितकारी माना है।

श्री गुरु नानक देव जी के जन्म के समय देश की दशा बहुत खराब थी। लोग अनेक बुराइयों में फंस कर भिन्नभिन्न जातियों, धर्मों, सम्प्रदायों आदि में बंट गए थे। समाज रूढ़ियों तथा आडंबरों से ग्रस्त था। अनेक संतों ने अपने शुष्क तथा कट उपदेशों से लोगों को इन बुराइयों के लिए लताड़ कर अपने से नाराज़ कर दिया परंतु गुरु नानक देव जी ने अपनी कोमल वाणी से सब को अपने वश में करके समार्ग पर चलने की राह दिखायी।

पंजाब में भक्ति-आंदोलन को प्रारंभ करने वाले श्री गुरु नानक देव जी का जन्म शेखूपुरा जिले के तलवंडी गांव (पाकिस्तान) में सन् 1469 ई० को हुआ था। आपके पिता का नाम श्री मेहता कालू जी तथा माता का नाम तृप्ता देवी जी था। आप की एक बहन थी जिसका नामक नानकी था। सात वर्ष की आयु में आपको पाठशाला में पांडे जी से पढ़ने के लिए जाना पड़ा। इनके बाद आपने मौलवी सैय्यद हुसैन और पंडित ब्रजनाथ से भी शिक्षा प्राप्त की। छोटी-सी आयु में ही आपने पंजाबी, अरबी, फारसी, संस्कृत आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। आपके पिता ने आप को सांसारिक व्यापारों में लगाना चाहा लेकिन आप का मन उसमें नहीं लगा। आप अठारह वर्षों तक अनेक मतों को मानने वाले साधुओं की संगति में रहे। उनसे भारतीय धर्म शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त की। इसी समय आपने बीस रुपए से भूखे साधुओं को खाना खिला कर सच्चा सौदा किया। आपको गृहस्थ में बांधने के लिए आपके पिता ने आपका विवाह माता सुलक्खनी जी से कर दिया। आप की दो सन्तानें लखमीदास और श्री चन्द थीं।।

सुल्तानपुर में रहते हुए आप को शासन के अत्याचारों, धार्मिक आडंबरों, कर्मकांडों, अंधविश्वासों आदि का पता चला तो बहुत व्याकुल हो गए। आप वेई नदी में प्रवेश कर के तीन दिन तक आलोप रहे। जब आप प्रकट हुए तो आप की वाणी ने उच्चारण किया ‘न कोई हिन्दू न मुसलमान।’

श्री गुरु नानक देव जी ने सन् 1499 ई० से 1522 ई० तक चार उदासियाँ अर्थात् चार यात्रायें चारों दिशाओं में आसाम, लंका, ताशकंद, मक्का-मदीना आदि तक की थीं। इन यात्राओं में आपने सद्मार्ग से भटके हुए सभी वर्ग के लोगों को सद्मार्ग पर चलने का उपदेश दिया था। योगियों, सिद्धों, नेताओं, हिंदुओं और मुसलमानों सब को आपने सहज, सरल और मीठी निरंकारी भाषा से सहज धर्म पालन करने का उपदेश दिया।
उस युग के लोग आडंबरों, करामातों, तंत्र-मंत्र, चमत्कारों आदि में बहुत विश्वास रखते थे। आपने भोली-भाली जनता को उपदेश देकर सही मार्ग दिखाया।

श्री गुरु नानक देव जी के समय में शासन की दशा बहुत दयनीय थी। शासक जनता का शोषण करते थे। उनके वज़ीर भी कुत्तों के समान जनता का शोषण कर रहे थे। इस कारण आप ने अपनी वाणी में कहा है-

‘राजे सीहं मुकदम कुत्ते जाए जगाइन बैठे सुत्ते।’
आपने ऐसे जुल्मी शासन में दलित लोगों की सहायता की। इसलिए भाई गुरदास ने इसी कारण लिखा है-‘सुनी पुकार दातार प्रभु, गुरु नानक जगि माहिं पठाइया।’
श्री गुरु नानक देव जी एक श्रेष्ठ कवि तथा संगीताचार्य भी थे। ‘आदिग्रंथ’ में आपके 974 पद तथा 2 श्लोक संकलित हैं। आप ने इसमें उन्नीस रागों का प्रयोग किया है। इन पदों में सृष्टि, जीव और ब्रह्म, अकाल पुरुष, नाम सिमरण आदि विषयों पर चर्चा की गई है। इन पदों के अतिरिक्त आपने ‘जपुजी’ की रचना की है जिसमें सिक्ख सिद्धांतों का सार मिलता है। आपकी अन्य रचनाएँ ‘आसा दी वार’, सिद्ध गोसटि, दक्खनी ऊँकार, बारहमाह, पहरे-तिथि, सुचज्जि कुचन्जि, आरती आदि हैं। इनकी वाणी श्लोक, पद, अष्टपदियाँ, सोहले, छंद आदि के रूप में हैं। इनकी वाणी शैली पक्ष से अनूठी है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 17 श्री गुरु नानक देव जी

श्री गुरु नानक देव जी ने सांसारिक ईर्ष्या, द्वेष, वैर आदि को मिटाने तथा प्रेम, समानता, सरलता आदि अपनाने का संदेश दिया है। इस कारण आप युग निर्माता तथा समाज सुधारक भी माने जाते हैं। वास्तव में आप ने अपने उपदेशों के द्वारा एक ऐसे धर्म का बीज बो दिया जो आगे चलकर सिक्ख धर्म के रूप में विशाल वृक्ष बन कर प्रसिद्ध हुआ। जीवन के अंतिम वर्ष आपने करतारपुर में सद्-उपदेश देते हुए व्यतीत किए थे। सन् 1539 ई० में आप ज्योति-ज्योत समा गए थे। आप ने कर्मकांडों, बहुदेव पूजन आदि को नकारते हुए एक परमेश्वर की पूजा करने का उपदेश दिया था।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 16 ठेले पर हिमालय

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 ठेले पर हिमालय Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 ठेले पर हिमालय

Hindi Guide for Class 10 PSEB ठेले पर हिमालय Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक कौसानी क्यों गये थे?
उत्तर:
लेखक हिमालय पर जमी हुई बर्फ की शोभा को बहुत निकट से देखने के लिए गये थे।

प्रश्न 2.
बस पर सवार लेखक ने साथ-साथ बहने वाली किस नदी का ज़िक्र किया है?
उत्तर:
बस पर सवार लेखक ने साथ-साथ बहने वाली कोसी नदी का ज़िक्र किया है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 16 ठेले पर हिमालय

प्रश्न 3.
कौसानी कहाँ बसा हुआ है?
उत्तर:
नैनीताल से रानीखेत और रानीखेत से डरावने मोड़ों को पार करने के बाद कौसानी बसा हुआ है।

प्रश्न 4.
लेखक और उनके मित्रों की निराशा और थकावट किसके दर्शन से छूमंतर हो गई?
उत्तर:
लेखक और उनके मित्रों की निराशा और थकावट हिम दर्शन से छूमंतर हो गई।

प्रश्न 5.
लेखक और उनके मित्र कहां ठहरे थे?
उत्तर:
लेखक और उनके मित्र डाक बंगले में ठहरे थे।

प्रश्न 6.
दूसरे दिन घाटी से उतर कर लेखक और उनके मित्र कहां पहुंचे?
उत्तर:
दूसरे दिन घाटी से उतर कर लेखक और उनके मित्र बैजनाथ पहुंचे।

प्रश्न 7.
बैजनाथ में कौन-सी नदी बहती है?
उत्तर:
बैजनाथ में गोमती नदी बहती है।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक को ऐसा क्यों लगा जैसे वे ठगे गये हैं?
उत्तर:
लेखक को ऐसा इसलिए लगा कि जैसे वे सुंदरता से भरे हुए लोक से किसी दूसरे ही लोक में चले आए थे। लेखक कौसानी की कत्यूर की घाटी के अपार सौंदर्य को देखकर स्तब्ध रह गया था। यहां हरे मखमली कालीनों जैसे खेत, सुंदर गेरु की शिलाएं, काटकर बने हुए लाल रास्ते, किनारे सफेद पत्थर की पंक्ति, बेलों की लड़ियों-सी नदियां असीम सौंदर्य से परिपूर्ण थीं। यहां का सौंदर्य अति सुंदर, मोहक, सुकुमार और निष्कलंक था।

प्रश्न 2.
सबसे पहले बर्फ दिखाई देने का वर्णन लेखक ने कैसे किया है?
उत्तर:
लेखक को बर्फ बादलों के टुकड़े जैसी लगी थी जिसमें सफ़ेद, रूपहला और हलका नीला रंग शोभा दे रहा था। उसे ऐसा लगा जैसे घाटी के पार हिमालय पर्वत को बर्फ ने ढाँप रखा हो। उसे ऐसे लग रहा था जैसे कोई बाल स्वभाव वाला शिखर बादलों की खिड़की से झांक रहा हो।

प्रश्न 3.
खानसामे ने सब मित्रों को खुशकिस्मत क्यों कहा?
उत्तर:
खानसामे ने उन सब मित्रों को खुशकिस्मत कहा क्योंकि उन्हें वहाँ आते ही पहले ही दिन बर्फ दिखाई दे गई थी। उनसे पहले 14 टूरिस्ट वहाँ आकर पूरा हफ्ता भर रहे पर उन्हें बादलों के कारण बर्फ दिखाई नहीं दी थी।

प्रश्न 4.
सूरज के डूबने पर सब गुमसुम क्यों हो गए थे?
उत्तर:
सूरज के डूबने पर सब गुमसुम इसलिए हो गए थे क्योंकि सूरज डूबने के साथ ही उनके हिम दर्शन की सारी इच्छाएं और आशाएं धूमिल हो गई थीं। जिस हिमदर्शन की आशा में लेखक अपने मित्रों के साथ बहुत समय से टकटकी लगा कर देख रहे थे। वे उससे वंचित रह गए थे।

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प्रश्न 5.
लेखक ने बैजनाथ पहुँच कर हिमालय से किस रूप में भेंट की?
उत्तर:
लेखक ने बैजनाथ पहुँच कर देखा कि गोमती निरन्तर प्रवाहित हो रही थी। गोमती की उज्ज्वल जलराशि में हिमालय की बर्फीली चोटियों की छाया तैर रही थी। लेखक ने नदी के इस जल में तैरते हुए हिमालय से भेंट की।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
कोसी से कौसानी तक में लेखक को किन-किन दृश्यों ने आकर्षित किया?
उत्तर:
कोसी से कौसानी तक लेखक को अद्भुत प्राकृतिक दृश्य दिखाई दिए थे। उन्होंने लेखक को मंत्र मुग्ध कर दिया था। सुडौल पत्थरों पर कल-कल करती कोसी अद्भुत थी। सोमेश्वर की हरी-भरी घाटी के उत्तर में ऊंची पर्वतमाला के शिखर पर कौसानी बसा हुआ था। नीचे पचासों मील चौड़ी घाटी में हरे-भरे कालीनों जैसी सुंदर वनस्पतियां फैली हुई थीं। घाटी के पार हरे खेत, नदियां और वन क्षितिज के नीले कोहरे में छिप रहे थे। बादल के एक टुकड़े के हटते ही पर्वतराज हिमालय दिखायी दिया जो सुंदरता में अद्भुत था। ग्लेशियरों में डूबता सूर्य पिघले हुए केसर जैसा रंग बिखराने लगा था। बर्फ लाल कमल के फूलों जैसी प्रतीत होने लगी थी।

प्रश्न 2.
लेखक को ऐसा क्यों लगा कि वे किसी दूसरे ही लोक में चले आए हैं?
उत्तर:
लेखक अपने मित्रों के साथ जैसे ही सोमेश्वर की घाटी से चला वैसे ही उसे उत्तर दिशा में पर्वत-शिखर पर कौसानी दिखाई दिया। सारी घाटी में अपार सुंदरता बिखरी हुई थी। सारी घाटी रंग-बिरंगी दिखाई दे रही थी। हरेभरे मखमली कालीनों जैसे खेत थे। गेरु के लाल-लाल रास्ते थे और बेलों की लड़ियों जैसी सुंदर नदियां थीं। ऐसे अद्भुत दृश्यों को देखकर ऐसा लगा जैसे वे किसी दूसरे ही लोक में चले आए थे।

प्रश्न 3.
लेखक को ‘ठेले पर हिमालय’ शीर्षक कैसे सूझा?
उत्तर:
लेखक अपने मित्रों के साथ हिम दर्शन के लिए अल्मोड़ा यात्रा पर गए। लेखक अपने अल्मोड़ावासी मित्र के साथ एक पान की दुकान पर खड़ा था कि तभी ठेले पर बर्फ की सिले लादे हुए बर्फ वाला आया। उस ठंडी, चिकनी और चमकती बर्फ से भाप उड़ रही थी। लेखक क्षण भर उसे देखता रहा और उठती भाप में खोया-सा रहा। उसे ऐसा अनुभव हो रहा था कि यही बर्फ़ तो हिमालय की शोभा है। इसी शोभा को देखने लेखक मित्रों के साथ कौसानी गया था। इसके बाद वे सोमेश्वर घाटी पहुँचे जो अत्यंत सुंदर एवं मखमली थी। इस घाटी को पार कर लेखक ने बादलों के बीच में पर्वतराज हिमालय के दर्शन किए। इसे बादलों ने ढक रखा था। बादलों की खिड़की से एक मित्र ने पर्वत पर बर्फ को देखा। इस क्षण भर के दर्शन से सबकी खिन्नता, निराशा, थकावट नष्ट हो गई। तत्पश्चात् सभी बादलों के छंटने के बाद हिम दर्शन की प्रतीक्षा में लीन हो गए। किन्तु सूर्य डूबने से धीरे-धीरे ग्लेशियरों में पिघला केसर बहने लगा। बर्फ पिघलने लगी। इस प्रकार ठेले पर हिमालय शीर्षक सार्थक है।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित में संधि कीजिए

हिम + आलय ………..
सोम + ईश्वर ….
हर्ष + अतिरेक ………..
वि + आकुल ……
उत्तर:
हिम + आलय = हिमालय
हर्ष + अतिरेक = हर्षातिरेक
सोम + ईश्वर = सोमेश्वर
वि + आकुल = व्याकुल।

II. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए

अच्छी किस्मत वाला ……………..
चार रास्तों का समूह ……………..
अपने में लीन …………..
जहां कोई न रहता हो ……………
जिसका कोई पार न हो …………….
जिसमें कोई कलंक न हो …………….
उत्तर:
चार रास्तों का समूह = चौराहा
अपने में लीन = आत्मलीन
जहां कोई न रहता हो = निर्जन
जिसका कोई पार न हो = अपार
जिसकी कोई सीमा न हो = असीम
जिसमें कोई कलंक न हो = निष्कलंक
अच्छी किस्मत वाला = भाग्यशाली।

III. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिएपहाड़

सूरज ……………
धरती …………..
कमल ……………
मुंह ……………
नदी …………….
बादल ………….
हाथ …………
उत्तर:
पहाड़ = पर्वत, नग
धरती = धरा, धरणि
मुँह = मुख, आनन
बादल = मेघ, बदरा
सूरज = सूर्य, तरणि
कमल = पंकज, जलज
नदी = तटिनी, निर्झरिणी
हाथ = हस्त, कर।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
यदि हिमालय न होता तो क्या होता? इस विषय पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हिमालय को पर्वतों का राजा कहा जाता है। पर्वतराज हिमालय भारत वर्ष की आन-बान एवं शान है। यह भारतवर्ष की प्रहरी के समान रक्षा एवं सुरक्षा करता है। यदि हिमालय न होता तो हमारे देश की उत्तर दिशा की शोभा कम हो जाती। उत्तर दिशा से आने वाले ठंडी हवाएँ रुक नहीं पातीं। देश की गंगा, यमुना, आदि महत्त्वपूर्ण नदियां शुष्क हो जातीं। अनेक अमूल्य उपहार, औषधियां, लकड़ियां, धातुएं एवं खनिज प्राप्त नहीं होती। वातावरण असंतुलित हो जाता।

प्रश्न 2.
पहाड़, बर्फ, नदी, बादल, सीढ़ीनुमा खेत, घुमावदार रास्ते तथा हरियाली आदि शब्दों का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से प्रकृति पर पाँच-छः पंक्तियां लिखें।
उत्तर:

  1. प्रकृति हमारी माँ है।
  2. प्रकृति ने ही हमें सुंदर, आकर्षक पहाड़ दिए हैं।
  3. प्रकृति ने ही कल-कल करती नदियां प्रदान की हैं जो अपने निर्मल स्वच्छ जल से भारतवर्ष की भूमि को सींचती हैं।
  4. बादल प्रकृति की अनुपम भेंट है जो वर्षा करते हैं और धरा को हरी-भरी और उपजाऊ बनाते हैं।
  5. सीढ़ीनुमा खेतों में फ़सलें उगाई जाती हैं।
  6.  पहाड़ों के घुमावदार रास्ते अत्यन्त दर्शनीय होते हैं।
  7. प्रकृति के आंचल में चारों तरफ अपार हरियाली की शोभा विद्यमान है।

प्रश्न 3.
हम हर पल यात्रा करते हैं, कभी पैरों से तो कभी मन के पंखों पर-इस पर अपने विचार दीजिए।
उत्तर:
मनुष्य एक बुद्धिमान और सामाजिक प्राणी है। वह समाज में अपने कर्तव्यों को पूरा करने हेतु इधर-उधर आता-जाता रहता है। वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अनेक स्थानों पर प्रतिक्षण यात्रा करता है। वह एक कल्पनाशील प्राणी है। वह नई-नई कल्पनाएं करता है। वह किसी एक स्थान पर रहते हुए अपने मन के पँखों पर सवार होकर अनेक स्थानों की यात्राएं करता है। वह घर बैठे-बैठे विदेशों तक की यात्राएं कर लेता है। इतना ही मनुष्य कल्पना के बलबूते विश्व के कोने-कोने में यात्राएं करता रहता है। वह कभी धरा पर तो कभी आकाश में यात्राएं करता है।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता

प्रश्न 1.
हिन्दी यात्रा साहित्य के पितामह राहुल सांकृत्यायन जीवन पर्यत दुनिया की सैर करते रहे। उनके यात्रा वृत्तांत लाइब्रेरी से लेकर पढ़िए।
उत्तर:
छात्र अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
छुट्टियों में आप घूमने जाते हो तो उस यात्रा के अनुभव को एक डायरी में लिखिए और कक्षा में बताइए।
उत्तर:
छात्र अपने अनुभवों को डायरी में लिखें।

प्रश्न 3.
यात्रा के दौरान एक कैमरा साथ रखिए तथा प्रकृति के दुर्लभ और अद्भुत चित्रों को अपने कैमरे में कैद कीजिए।
उत्तर:
छात्र भ्रमण स्थल के अद्भुत चित्र एकत्र करें।

प्रश्न 4.
यात्रा के दौरान कैमरे से खींचे गए चित्रों को अपने कम्प्यूटर में अपलोड करना सीखिए।
उत्तर:
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. अल्मोड़ा-यह उत्तराखंड के कुमाऊँ का एक ज़िला है और नैनीताल से 70 कि०मी० दूर है। यह अति सुंदर है। यह हस्तकला, वन्यजीवन और खानपान के लिए पर्यटकों में अत्यंत प्रसिद्ध है।

2. कोसी- कोसी’ एक नदी का नाम है। यह अल्मोड़ा और फिर कौसानी जाते समय साथ-साथ बहती हुई दिखाई देती है। यह नदी उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के पट्टी बोरारू पल्ला के प्राकृतिक झरनों से निकल कर घुमावदार रास्तों से आगे बढ़ती है। इसके प्राकृतिक दृश्य वास्तव में ही अद्भुत हैं। यह बहती हुई सोमेश्वर की तरफ आगे बढ़ती है और वहाँ से अल्मोड़ा की तरफ दक्षिण-पूर्व की राह से पहुँचती है। रामनगर के निकट पहुँच कर यह नदी अपना अस्तित्व खो देती है।

3. कौसानी-यह पर्वतीय नगर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से लगभग 53 कि०मी० उत्तर में बसा हुआ अद्भुत रूप से सुंदर नगर है। यह बागेश्वर जिले में है जहाँ से हिमालय की सुंदरता भव्य रूप से दिखाई देते है। यहां से बर्फ से ढके नंदा देवी पर्वत की चोटी अतीव सुंदर दिखाई देती है। कौसानी सुंदरता के कारण भारत का स्विटज़रलैंड नाम से प्रसिद्ध है। इस का अस्तित्व कोसी और गोमती के बीच में ही है।

4. गोमती-उत्तर भारत की इस नदी का आरंभ पीलीभीत जिले में माधाटांडा के निकट से होता है। उत्तर प्रदेश में यह लगभग 900 कि०मी० लंबी दूरी तक बहती है। इसका अस्तित्व वाराणसी के निकट सैदपुर के पास गंगा नदी में समाप्त हो जाता है।

5. हिमनद/ग्लेशियर (हिमानी)-हमारी धरती पर लगातार गतिशील रहने वाले बर्फ के बड़े-बड़े पिंडों को हिमनद, हिमानी या ग्लेशियर कहते हैं। प्रायः पर्वत के ऊपर एक हिमखंड होता है और उसके पिघलने से जल नीचे बहता है। हिमालय पर्वत पर लगभग 3350 वर्ग किलोमीटर में हज़ारों हिमनद हैं।

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6. रानीखेत-उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में रानीखेत आता है जो भारतवर्ष का प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यहां देवदार और बलूत के अत्यधिक पेड़ हैं जो प्रकृति की शोभा को बढ़ाते हैं। यह काठ-गोदाम रेलवे स्टेशन से 85 कि०मी० की दूरी पर स्थित पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है, जिस कारण पर्यटकों को आने-जाने में कोई कठिनाई नहीं आती।

7. नैनीताल-यह उत्तराखंड का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ नैनी झील की सुंदरता अति अनूठी है। कुमाऊं क्षेत्र की यह झील अपनी सुंदरता से सभी को मोह लेती है। बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच बसा हुआ यह स्थान झीलों से घिरा हुआ है जिनमें से प्रमुख नैनी झील है, इसी कारण इन नगर का नाम ‘नैनीताल’ है।

8. बैजनाथ-यह नगर अल्मोड़ा जिले के उत्तराखंड में स्थित गोमती नदी के तट पर बसा हुआ है। इसमें गोमती और गंगा नदियों की धारा बहती है और इनके संगम के किनारे मंदिर समूह है। इस मंदिर समूह के सभी मंदिरों में शिव मंदिर सर्व प्रमुख है। दोनों नदियों का संगम अब एक झील में परिवर्तित हो चुका है।

PSEB 10th Class Hindi Guide ठेले पर हिमालय Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
हिमालय को किस संज्ञा से विभूषित किया जाता है?
उत्तर:
हिमालय को ‘पर्वतराज’ की संज्ञा से विभूषित किया जाता है।

प्रश्न 2.
लेखक के साथ उनके कौन-कौन मित्र थे?
उत्तर:
लेखक के साथ शुक्ल जी, सेन आदि कुछ मित्र थे।

प्रश्न 3.
लेखक की आँखों से अचानक क्या लुप्त हो गया?
उत्तर:
लेखक की आँखों से अचानक बर्फ़ लुप्त हो गया।

प्रश्न 4.
डाक बंगले के खानसामे ने लेखक और उनके साथियों को क्या बताया?
उत्तर:
डाक बंगले के खानसामे ने बताया कि वे बहुत खुशकिस्मत हैं क्योंकि उन्हें पहले दिन ही बर्फ के दर्शन हो गए अन्यथा पिछले यात्री हफ्ते भर पड़े रहे पर उन्हें दर्शन नहीं हुए।

प्रश्न 5.
गोमती की जलराशि में क्या तैर रही थी?
उत्तर:
गोमती की जलराशि में हिमालय की बर्फीली चोटियों की छाया तैर रही थी।

प्रश्न 6.
‘नैनीताल’ नाम की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
नैनीताल दो शब्दों के मेल से बना है। नैनी + ताल। नैनी का अर्थ है-आँखें और ताल का अर्थ है-झील अर्थात् झील की आँख । तात्पर्य यह है कि नैनीताल को झीलों का शहर कहा जाता है। इसमें नौ बड़ी झीलें हैं। इसलिए इसमें नौ झील होने के कारण भी इसका नाम नैनीताल पड़ा होगा।

प्रश्न 7.
‘हिमदर्शन से सारी खिन्नता, निराशा और थकावट छू मंतर हो गई’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है कि हिमालय प्रकृति की अनुपम एवं अनूठी धरोहर है। यह प्रकृति की अनुपम घटा को बिखेरता प्रतीत होता है। इसका सौंदर्य एवं आकर्षण असीम एवं अद्वितीय है। यह अपने में विराट प्राकृतिक सौंदर्य को संजोए हुए है। इसलिए इसे पर्वतराज की संज्ञा दी जाती है। इस अद्भुत सौंदर्य को देखकर मानव मन की सारी खिन्नता, निराशा और थकावट छू मंतर होना स्वाभाविक है। कोई भी थका हारा मनुष्य ऐसे अद्भुत सौंदर्य को देखते ही खुश हो जाता है। उसकी निराशा आशा में बदल जाती है।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पान की दुकान पर खड़े हुए लेखक को क्या दिखाई दिया?
उत्तर:
एक ठेले पर बरफ लादे हुए बरफ वाले को लेखक ने देखा।

प्रश्न 2.
अलमोड़ा वासी मित्र ने ठेले पर लदी बरफ को देखकर लेखक से क्या कहा?
उत्तर:
उसने कहा कि यही बरफ तो हिमालय की शोभा है।

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प्रश्न 3.
कोसी से बस चलने पर कौन-सी सुंदर घाटी उन्हें दिखाई दी?
उत्तर:
उन्हें सोमेश्वर की सुंदर घाटी दिखाई दी।

प्रश्न 4.
कौसानी अड्डे पर उतर कर लेखक को क्यों लगा कि वे तो ठगे गए?
उत्तर:
क्योंकि वहाँ बरफ का कहीं भी कोई नामो-निशान तक नहीं था।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
लेखक मित्रों के साथ कौसानी क्या देखने के लिए गया था?
(क) मंदिर
(ख) प्राकृतिक सौंदर्य
(ग) बरफ
(घ) जन-जीवन।
उत्तर:
(ग) बरफ

प्रश्न 2.
लेखक ने किसे रंग-बिरंगी घाटी कहा है?
(क) कुत्यूर
(ख) सोमेश्वर
(ग) किन्नौर
(घ) कोसी।
उत्तर:
(क) कुत्यूर

प्रश्न 3.
डाक बंगले में किसने उन्हें खुशकिस्मत बताया?
(क) मैनेजर
(ख) मैडम
(ग) खानसामे
(घ) चौकीदार।
उत्तर:
(ग) खानसामे

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के

प्रश्न 1.
क्या देखकर लेखक हर्षातिरेक से चीख उठा था? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
बरफ

प्रश्न 2.
घाटियाँ गहरी पीली हो गईं। (हाँ या नहीं में उत्तर दें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 3.
बरफ कमल के सफेद फूलों में बदलने लगी। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 4.
हिमालय की शीतलता माथे को छू नहीं रही है। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 5.
छोटा-सा बिल्कुल उजड़ा-सा गाँव। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
सही

प्रश्न 6.
कहीं-कहीं ……. निर्जन………. के जंगलों से गुज़रती थी।
उत्तर:
सड़क, चीड़

प्रश्न 7.
बाल स्वभाव वाला ……… बादलों की ……… से झाँक रहा है।
उत्तर:
शिखर, खिड़की

प्रश्न 8.
आज भी ………………. याद आती है तो मन ………….. उठता है।
उत्तर:
उसकी, पिरा।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 16 ठेले पर हिमालय

ठेले पर हिमालय कठिन शब्दों के अर्थ

यकीन = विश्वास। तत्काल = उसी समय। कष्टप्रद = कष्टदायी, दुख देने वाला। कुरुप = बुरा, असुंदर। विस्मय = हैरानी। सुडौल = मज़बूत। शिखर = चोटी। अंचल = आँचल। अकस्मात् = अचानक। सुकुमार = कोमल। निष्कलंक = बिना कलंक, बेदाग। कतार = पंक्ति। निगाह = दृष्टि। विस्मय = हैरान। अटल = स्थिर। बेसाख्ता = हार्दिकता से। नगाधिराज = पर्वतों का राजा। ढाँपना = ढंकना। ढाल = उतार। हर्षातिरेक = बहुत ज्यादा खुशी। खिन्नता = उदासी, परेशानी। छूमंतर = खत्म हो गई। अनाव्रत = खुली। हिम = बर्फ। शीतलता = ठंडक। आत्मलीन = स्वयं में लीन। जलराशि = जलकण। स्मृतियाँ = यादें। तत्काल = तुरंत। आसार = चिह्न। संवेदन = अनुभूति। पिराना = पीड़ा होना।

ठेले पर हिमालय Summary

ठेले पर हिमालय लेखक परिचय

डॉ० धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी-साहित्य के प्रमुख साहित्यकार थे। उनका जन्म 25 दिसम्बर, सन् 1926 ई० में इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम० ए० तथा पीएच० डी० की उपाधियां प्राप्त की थीं। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी-प्राध्यापक भी रहे। वे साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान सम्पादक भी रहे। उनकी साहित्यिक सेवाओं के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने सन् 1972 में उन्हें पदम श्री से सुशोभित किया।

रचनाएँ-डॉ० धर्मवीर भारती बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार थे। उन्होंने गद्य एवं पद्य दोनों क्षेत्रों में अपनी लेखनी चलाई। उनकी रचनाओं का उल्लेख इस प्रकार है-
कहानी संग्रह-स्वर्ग और पृथ्वी, चाँद और टूटे हुए लोग, मुर्दो का गाँव, बंद गली का आखिरी मकान, सांस की कलम से।
काव्य रचनाएं-सात गीत वर्ष, कनु प्रिया, ठंडा लोहा, सपना अभी भी। उपन्यास-सूरज का सातवां घोड़ा, ग्यारह सपनों का देश, गुनाहों का देवता, प्रारंभ व समापन। निबंध-संग्रह-कहानी-अनकहनी, ठेले पर हिमालय, पश्यंती। काव्य-नाटक-अंधायुग। आलोचना-प्रगतिवाद : एक समीक्षा, मानव मूल्य और साहित्य। विशेषताएँ-धर्मवीर भारती जी के काव्य में दार्शनिक तत्व की प्रधानता है। निबंधों एवं कथा-साहित्य में उन्होंने सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं का चित्रण किया है।
भाषा-धर्मवीर भारती जी की भाषा प्राय: सरल एवं सहज है। उनके साहित्यिक निबंधों की भाषा का स्तर स्वयं ही ऊँचा उठ गया है। अपने वर्णनात्मक निबंधों में उन्होंने तत्सम शब्दों तथा छोटे-छोटे वाक्यों को प्रमुखता दी है।

ठेले पर हिमालय पाठ का सार

‘ठेले पर हिमालय’ डॉ० धर्मवीर भारती का प्रमुख यात्रा वृत्तांत है। इस में लेखक ने पर्वतराज, हिम सम्राट हिमालय का सजीव एवं अनूठा चित्रण किया है। लेखक अपने शब्दों के माध्यम से पाठकों को उस हिमालय पर्वत के समीप ले जाता है जहां बादल ऊपर से नीचे उतर रहे थे और एक-एक कर नए शिखरों की हिम रेखाएं अनावृत हो रही थीं। इसमें लेखक ने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण करते हुए पर्वतीय स्थानों के प्रति आकर्षण जगाने का प्रयास किया है। लेखक अपने मित्रों शुक्ल, सेन आदि के साथ अलमोड़ा की यात्रा पर गए। वे वहाँ से केवल बर्फ़ को निकट से देखने के लिए ही कौसानी गए थे। वे नैनीताल से रानीखेत और रानीखेत से मझकाली के भयानक मोड़ों को पार करते हुए कोसी पहुँचे। यह रास्ता सूखा और कुरूप था किंतु कोसी से आगे का दृश्य बिल्कुल अलग था।

सुडौल पत्थरों पर कलकल करती हुई कोसी, किनारे पर छोटे-छोटे सुंदर गाँव और हरे मखमली खेत यहाँ सोमेश्वर की घाटी बहुत सुंदर थी। इस घाटी के उत्तर की पर्वतमाला ऊँची है। इसके शिखर पर कौसानी बसा हुआ है। कौसानी के बस अड्डे पर जब लेखक बस से उतरा तो अपार सौन्दर्य को देखकर पत्थर की मूर्ति-सा स्तब्ध खड़ा रह गया। पर्वतमाला ने अपने आंचल में कत्यूर की रंग-बिरंगी घाटी छिपा रखी थी। चारों तरफ अद्भुत सौंदर्य महक रहा था। इसी घाटी के पार पर्वतराज हिमालय दिखाई पड़ा, जिसे बादलों ने ढक रखा था। शुक्ल, सेन आदि सभी ने इस दृश्य को देखा पर अचानक वह लुप्त हो गया। इस हिम दर्शन ने लेखक तथा उसके मित्रों पर एक जादू-सा कर दिया। इसे देख सारी खिन्नता, निराशा और थकावट छू मंतर हो गई। तत्पश्चात् सभी हिम-दर्शन कर इंतजार करने लगे किन्तु डाक बंगले के खानसामे ने बताया कि वे खुशकिस्मत है जो उन्हें अचानक ही हिमालय के दर्शन हो गए थे।

इससे पहले चौदह पर्यटक हफ्ते भर इंतज़ार करते रहे थे लेकिन उन्हें हिमालय के दर्शन नहीं हुए थे। लेखक अपने मित्रों के साथ बरामदे में बैठकर अपलक हिमालय के दर्शनों का इंतज़ार करता रहा। सूर्य डूबने लगा और धीरे-धीरे ग्लेशिमरों में पिघला केसर बहने लगा। बर्फ कमल के लाल फूलों में बदल गई तथा घाटियां गहरी पीली हो गईं। अंधेरा होने लगा तो लेखक अपने मित्रों के साथ उठ गया। वे सभी मायूस होकर आत्मलीन हो गए। दूसरे दिन वे घाटी में उतरकर मीलों दूर बैजनाथ पहुँच गए। वहाँ गोमती की उज्ज्वल जलराशि में हिमालय की बर्फीली चोटियों की छाया तैरती हुई दिखाई दे रही थी।

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Sandhi संधि Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 10th Class Hindi Grammar संधि

1. निम्नलिखित में संधि-विच्छेद/संधि कीजिए।
PSEB 10th Class Hindi Grammar संधि 1
उत्तर:
(क) संधि-विच्छेद करना:
चरणामृत = चरण + अमृत
पुस्तकालय = पुस्तक + आलय
मुनीश = मुनि + ईश
लघूत्तर = लघु + उत्तर
दशमेश = दशम + ईश
यथेष्ट = यथा + इष्ट
लोकोक्ति = लोक + उक्ति
पर्यावरण = परि + आवरण
उपर्युक्त = उपरि + उक्त
इत्यादि = इति + आदि।
संधि करना:
प्रति + एक = प्रत्येक
गज + आनन = गजान
सु + अच्छ = स्वच्छ
वन + ओषधि = वनौषधि
यदि + अपि = यद्यपि
शिष्ट + आचार = शिष्टाचार
गुरू + आगमन = गुर्वागमन
सूर्य + उदय = सूर्योदय
अति + अंत = अत्यंत
मत + एक्य = मतैक्य।

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

[एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्नों के लिए ऐम० बी० डी० हिन्दी गाइड दसवीं भी देखें]
निम्नलिखित बहुविकल्पी प्रश्नों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-

प्रश्न 1.
प्रत्येक का संधि-विच्छेद होगा
(क) प्रति + एक
(ख) पर्त + एक
(ग) पृत्य + ऐक
(घ) प्रति + ऐक।
उत्तर:
(क) प्रति + एक

प्रश्न 2.
सूर्योदय का संधि-विच्छेद होगा
(क) सूर्य + ओदय
(ख) सूर्य + औदय
(ग) सूर्य + उदय
(घ) सूर्य + ऊदय।
उत्तर:
(ग) सूर्य + उदय

प्रश्न 3.
विद्यार्थी का संधि-विच्छेद होगा’
(क) विद् + आर्थी
(ख) विद्या +. अर्थी
(ग) विद्य + आर्थी
(घ) विद् + अर्थी।
उत्तर:
(ख) विद्या + अर्थी

प्रश्न 4.
उपरि + उक्त की संधि होगी
(क) उपरोक्त
(ख) उपरीउक्त
(ग) उपर्युक्त
(घ) उपरिउक्त।
उत्तर:
(ग) उपर्युक्त

प्रश्न 5.
परि + आवरण की संधि होगी-
(क) परीवरिण
(ख) पर्यावरण
(ग) पयार्वरण
(घ) पर्यावरण।
उत्तर:
(ख) पर्यावरण

प्रश्न 6.
सत्य + अर्थ की संधि होगी
(क) सत्यार्थ
(ख) सतिर्थ
(ग) सतीयर्थ
(घ) सत्यर्थ।
उत्तर:
(क) सत्यार्थ

प्रश्न 7.
महर्षि का संधि-विच्छेद महा + ऋषि (सही है या गलत)
उत्तर:
सही

प्रश्न 8.
राजा + ईश्वर की संधि राजीश्वर (सही है या गलत)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 9.
परम + ईश्वर की संधि है परमीश्वर (हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 10.
महात्मा का संधि-विच्छेद महा + आत्मा है (हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए)
उत्तर:
हाँ।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न निर्देशानुसार उत्तर दीजिए:

(क) निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए
रजनी + ईश
अथवा
निम्नलिखित शब्द का संधिविच्छेद कीजिए
प्रत्येक
उत्तर:
(क) रजनी + ईश = रजनीश
अथवा
प्रत्येक = प्रति + एक

(ख) निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए
सत्य + अर्थ
अथवा
निम्नलिखित शब्द का संधिविच्छेद कीजिए- .
परोपकार
उत्तर:
(ख) सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
अथवा
परोपकार = पर + उपकार

(ग) निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए
परम + अणु
अथवा
निम्नलिखित शब्द का संधिविच्छेद कीजिए
वसन्तर्तु
उत्तर:
(ग) परम + अणु = परमाणु
अथवा
वसन्ततु = वसंत + ऋतु

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

वर्ष
संधिविच्छेद कीजिए-
फलाहार, राजेन्द्र
उत्तर:
फलाहार = फल + आहार
राजेन्द्र = राजा + इन्द्र।

संधि कीजिए-
प्रति + एक,
गज + आनन
उत्तर:
प्रति + एक = प्रत्येक
गज + आनन = गजानन।

संधिविच्छेद कीजिए-
परमात्मा
संगीताचार्य
उत्तर:
परमात्मा = परम + आत्मा
संगीताचार्य = संगीत + आचार्य।

वर्ष
संधि कीजिए-
हत + उत्साहित
उत्तर:
हतोत्साहित

संधिविच्छेद कीजिए-
पित्रर्पण
उत्तर:
पितृ + अर्पण।

प्रश्न 1.
संधि किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संधि का सामान्य अर्थ है-मेल। मुख्य रूप से जब वर्गों का संयोजन होता है तो शब्दों की रचना होती है। दो वर्गों के विकार या परिवर्तन सहित मेल को संधि कहते हैं; जैसे-
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, = आ + अ = आ = ा
मत+ ऐक्य = मतैक्य = अ + ऐ = ऐं = ै
उत् + हरण = उद्धरण, = त् को न हो जाता है
निः + झर = निर्झर = निः के विसर्ग को ”’ हो जाता है।
वनः + पति = वनस्पति = न: के विसर्ग को स् हो जाता है
संधि से नए शब्दों की रचना होती है जिससे भाषा नए शब्दों को प्राप्त कर समृद्ध होती है।

प्रश्न 2.
संधि की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
परिभाषा: दो वर्गों के पास-पास आने से उनमें जो विकार सहित मेल होता है, उसे संधि कहते हैं।

प्रश्न 3.
संधि-विच्छेद किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब संधि हुए वर्गों को अलग-अलग कर उनकी पूर्व स्थिति में पहुँचा दिया जाता है, तो उसे संधि-विच्छेद कहते हैं। जैसे-
संधि = संधि-विच्छेद
परीक्षा = परि + ईक्षा
उच्चारण = उत् + चारण
नमस्कार = नमः + कार
मूसलाधार = मूसल + धार

प्रश्न 4.
संधि के कितने भेद हैं?
उत्तर:
संधि के तीन भेद हैं-
(i) स्वर संधि
(ii) व्यंजन संधि
(iii) विसर्ग संधि।
(i) स्वर संधि-स्वर से परे स्वर होने पर उनमें जो विकार होता है उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसेधर्म + अर्थ = धर्मार्थ, यहां अ और अ मिलकर आ हुआ है। दीर्घ स्वर संधि हुई है।

(ii) व्यंजन संधि-व्यंजन के पास व्यंजन या स्वर होने से व्यंजन में जो विकार होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं; जैसे-जगत् + ईश = जगदीश, जगत् + नाथ = जगन्नाथ, दिक् + गज = दिग्गज, वाक् + ईश = वागीश, वि + सम = विषम, वाक् + मय = वाङ्मय।

(iii) विसर्ग संधि-विसर्ग (:) के पास स्वर या व्यंजन होने से विसर्ग में जो विकार होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं; जैसे-निः + आशा = निराशा, तपः + वन = तपोवन, नमः + ते = नमस्ते, हरिः + चन्द्र = हरिश्चन्द्र, निः + धन = निर्धन।
पाठ्यक्रम में केवल स्वर संधि है, इसलिए इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

स्वर संधि

प्रश्न 1.
स्वर संधि किसे कहते हैं? इसके कितने भेद हैं?
उत्तर:
स्वरों के परस्पर निकट होने से उनमें जो विकार या परिवर्तन सहित मेल होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। स्वरों में परिवर्तन के आधार पर इसके पाँच भेद हैं-
1. दीर्घ संधि
2. गुण संधि
3. वृद्धि संधि
4. यण संधि
5. अयादि संधि।

1. दीर्घ संधि
परिभाषा-जब दो सवर्ण स्वर परस्पर निकट-निकट आ जाते हैं तो दोनों मिलकर उसी वर्ण का दीर्घ स्वर बनाते हैं। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
नियम-जब दो सवर्ण स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ) पास-पास आ जाते हैं तब दोनों के परस्पर मेल से एक ही दीर्घ स्वर (आ, ई, ऊ) बन जाता है।
‘उदाहरण
(क) अ+ अ = आ
चर + अचर = चराचर
स्व + अर्थ = स्वार्थ
अन्य + अर्थ = अन्यार्थ
परम + अर्थ = परमार्थ
सूर्य + अस्त = सूर्यास्त
स्व + आधीन = स्वाधीन
भाव + अर्थ = भावार्थ
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
परम + अणु = परमाणु
शस्त्र + अस्त्र = शस्त्रास्त्र
धर्म + अर्थ = धमार्थ
कर्म + अर्थ = कर्मार्थ
वेद + अंत = वेदांत
राम + अवतार = रामावतार
धर्म + अधर्म = धर्माधर्म
अन्य + अर्थ = अन्यार्थ
शश + अंक = शशांक
एक + एक = एकाएक
देश + अटन = देशाटन
सूर्य + उदय = सूर्योदय
अल्प + अवधि = अल्पावधि
जन्म + अंतर = जन्मांतर
पर + अस्त = परास्त
नव + अंकुर = नवांकुर
अनेक + अनेक = अनेकानेक
स्व + अनुभव = स्वानुभव
सत्य + असत्य = सत्यासत्य
मत + अनुसार = मतानुसार
देह + अंत = देहांत
हिम + आद्रि = हिमाद्रि
सह + अनुभूति = सहानुभूति
स्व + अधीन = स्वाधीन
देव + अर्चन = देवार्चन
सत्य + अन्वेषी = सत्यान्वेषी
सुख + अनुभूति = सुखानुभूति
स्व + अर्थी = स्वार्थी
शरण + अर्थी = शरणार्थी
शब्द + अर्थ = शब्दार्थ
कृष्ण + अवतार = कृष्णावतार
राम + अवतार = रामावतार
वस्त्र + अभाव = वस्त्राभाव
अन्न + अभाव = अन्नाभाव
अधिक + अंश = अधिकांश
मलय + अनिल = मलयानिल
दिन + अंक = दिनांक
कीट + अणु = कीटाणु
पीत + अंबर = पीतांबर
उत्तर + अंचल = उत्तरांचल
मुख्य + अध्यापक = मुख्याध्यापक
ब्रह्मा + अस्त्र = ब्रह्मास्त्र
मत + अधिकार = मताधिकार
शत + अधिक = शताधिक
योग + अभ्यास = योगाभ्यास
धन + अभाव = धनाभाव
परम + अर्थी = परमार्थी
हिम + अंशु = हिमांशु
रस + अयन = रसायन
जीव + अणु = जीवाणु
नील + अंबर = नीलांबर
देव + असुर = देवासुर
पुष्प + अंजलि = पुष्पांजलि
चरण + अमृत = चरणामृत
राग + अनल = रागानल
धर्म + अर्पित = धर्मार्पित

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(ख) अ + आ = आ

देव + आलय = देवालय
विश्राम + आलय = विश्रामालय
सचिव + आलय = सचिवालय
जन + आदेश = जनादेश
परम + आनंद = परमानंद
शिव + आनंद = शिवानंद
परम + आत्मा = परमात्मा
ध्वज + आरोहण = ध्वजारोहण
शुभ + आकांक्षी = शुभाकांक्षी
विरह + आतुर = विरहातुर
धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
नव + आशय = नवाशय
धन + आकांक्षी = धनाकांक्षी
कुश + आसन = कुशासन
युग + आदि = युगादि
वर्तुल + आकार = वर्तुलाकार
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
अभ्य + आगत = अभ्यागत
विवेक + आनंद = विवेकानंद
महत्त्व + आकांक्षी = महत्त्वाकांक्षी
देव + आसन = देवासन
पद्म + आसन = पद्मासन
मंगल + आचार = मंगलाचार
प्राण + आधार = प्राणाधार
शिव + आलय = शिवालय
धन + आदेश = धनादेश
हिम + आलय = हिमालय
भोजन + आलय = भोजनालय
वृक्ष + आरोपण = वृक्षारोपण
गज + आनन = गजानन
राम + आनंद = रामानंद
नव + आगत = नवागत
रत्न + आकर = रत्नाकर
अश्व + आरोहण = अश्वारोहण
फल + आदेश = फलादेश
काम + आतुर = कामातुर
मरण + आसन्न = मरणासन्न
दिव्य + आकार = दिव्याकार
छात्र + आवास = छात्रावास
मंडल + आकार = मंडलाकार
पंच + आनन = पंचानन
वाचन + आलय = वाचनालय
शरण + आगत = शरणागत
पूर्व + आग्रह = पूर्वाग्रह
शुभ + आरंभ = शुभारंभ
शव + आसन = शवासन
मयूर + आसन = मयूरासन
गत + आचार = गताचार
विस्मय + आदि = विस्मयादि
राम + आलय = रामालय
देव + आगम = देवागम
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह

(ग) आ + अ = आ

दीक्षा + अंत = दीक्षांत
कदा + अपि = कदापि
रेखा + अंश = रेखांश
यथा + अवसर = यथावसर
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
महा + अर्णव = महार्णव
विद्या + अर्जन = विद्यार्जन
यथा + अर्थ = यथार्थ
विद्या + अर्पण = विद्यार्पण
परीक्षा + अभ्यास = परीक्षाभ्यास
सेवा + अर्थ = सेवार्थ
सीमा + अंत = सीमांत
परा + अस्त = परास्त
सीता + अर्थ = सीतार्थ
यथा + अर्थ = यथार्थ
शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
सीमा + अंकन = सीमांकन
मिथ्या + अर्थ = मिथ्यार्थ
तथा + अपि = तथापि
विद्या + अभ्यास = विद्याभ्यास
दया + अर्थ = दयार्थ

(घ) आ + आ = आ

दया + आनंद = दयानंद
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
सदा + आचार = सदाचार
श्रद्धा + आनंद = श्रद्धानंद
सभा + आगार = सभागार
चिकित्सा + आलय = चिकित्सालय
महा + आशय = महाशय
कृपा + आलु = कृपालु
दिवा + आकर = दिवाकर
मिथ्या + आडंबर = मिथ्याडंबर
महा + आत्मा = महात्मा
विद्या + आलय = विद्यालय
महा + आनंद = महानंद
कारा + आवास = कारावास
कृपा + आकांक्षी = कृपाकांक्षी
प्रतीक्षा + आलय = प्रतीक्षालय
विद्या + आनंद = विद्यानंद
श्रद्धा + आलु = श्रद्धालु
छात्रा + आवास = छात्रावास
करुणा + आगार = करुणागार

(ङ) इ + इ = ई

कपि + इंद्र = कपींद्र
रवि + इंद्र = रवींद्र
गिरि + इंद्र = गिरींद्र
अभि + इष्ट = अभीष्ट
कवि + इच्छा = कवीच्छा
अति + इव = अतीव
प्रति + इति = प्रतीति
शशि + इंद्र = शशींद्र
मुनि + इंद्र = मुनींद्र
कवि + इंद्र = कवींद्र

(च) इ + ई = ई

मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा
मुनि + ईश = मुनीश
अधि + ईश्वर = अधीश्वर
कवि + ईश्वर = कवीश्वर
फणि + ईश्वर = फणीश्वर
कपि + ईश = कपीश
हरि + ईश = हरीश
रवि + ईश = रवीश
गिरि + ईश = गिरीश
कपि + ईश्वर = कपीश्वर
परि + ईक्षा = परीक्षा

(छ) ई + इ = ई

अवनी + इंद्र = अवनींद्र
नारी + इच्छा = नारीच्छा
यती + इंद्र = यतींद्र
नारी + इंद्र = नारींद्र
नदी + इंद्र = नदींद्र
पत्ली + इच्छा = पत्नीच्छा
मही + इंद्र = महींद्र
रजनी + इंदु = रजनींदु
देवी + इच्छा = देवीच्छा
नारी + इष्ट = नारीष्ट
महती + इच्छा = महतीच्छा
नारी + इंदु = नारीदु

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(ज) ई + ई = ई

रजनी + ईश = रजनीश
मही + ईश्वर = महीश्वर
सती + ईश = सतीश
नदी + ईश = नदीश
नारी + ईश = नारीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
फणी + ईश = फणीश
जानकी + ईश = जानकीश
योगी + ईश्वर = योगीश्वर
श्री + ईश = श्रीश
मही + ईश = महीश
जानकी + ईश्वर = जानकीश्वर

(झ) उ + उ = ऊ

भानु + उदय = भानूदय
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
सु + उक्ति = सूक्ति
लघु + उत्सव = लघूत्सव
साधु + उत्सव = साधूत्सव
बहु + उद्देशीय = बहूद्देशीय
अनु + उदित = अनूदित
लघु + उत्तर = लघूत्तर
विधु + उदय = विधूदय
लघु + उपदेश = लघूपदेश

(ञ) उ + ऊ = ऊ

सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
अंबु + ऊर्जा = अंबूर्जा
अंबु + ऊर्मि = अंबूर्मि

(ट) ऊ + उ = ऊ

भू + उन्नति = भून्नति
वधू + उत्सव = वधूत्सव
भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग
भू + उद्धार = भूद्धार
भू + उत्कर्ष = भूत्कर्ष
भू + उत्क्षेप = भूत्क्षेप

(ठ) ऊ + ऊ = ऊ

वधू + ऊर्मि = वधूमि
भू + ऊर्जा = भूर्जा
भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
सरयू + ऊर्मि = सूरयर्मि

2. गुण संधि
नियम-
(क) जब अ या आ के आगे इ या ई हो तो दोनों को मिलाने से ‘ए’ बनता है।
(ख) जब अ या आ के आगे उ या ऊ हो तो दोनों को मिलाने से ‘ओ’ बनता है।
(ग) जब अ या आ के आगे ऋहो तो ‘अर’ बनता है।
इसे गुण संधि कहते हैं।

क. (i) अ + इ = ए
उदाहरण-
ज्ञान + इंद्र = ज्ञानेंद्र
नर + इंद्र = नरेंद्र
रूप + इंद्र = रूपेंद्र
सत्य + इंद्र = सत्येंद्र
सुर + इंद्र = सुरेंद्र
वीर + इंद्र = वीरेंद्र
जैन + इंद्र = जैनेंद्र
स्व + इच्छा = स्वेच्छा
गज + इंद्र = गजेंद्र
धर्म + इंद्र = धर्मेंद्र
ज्ञान + इंद्र = ज्ञानेंद्र
जोग + इंद्र = जोगेंद्र
पूर्ण + इंद्र = पूर्णेद्र
शुभ + इच्छा = शुभेच्छा
कर्म + इंद्रिय = कर्मेंद्रिय
शुभ + इंदु = शुभेंदु
भारत + इंदु = भारतेंदु
सोम + इंद्र = सोमेंद्र
लोक + इंद्र = लोकेंद्र
पूर्ण + इंदु = पूर्णेदु

(ii) अ + ई = ए

रूप + ईश = रूपेश
गण + ईश = गणेश
भुवन + ईश्वर = भुवनेश्वर
सोम + ईश = सोमेश
देव + ईश्वर = देवेश्वर
राम + ईश्वर = रामेश्वर
विमल + ईश = विमलेश
अखिल + ईश = अखिलेश
योग + ईश = योगेश
नाग + ईश = नागेश
दिन + ईश = दिनेश
नर + ईश = नरेश
कमल + ईश्वर = कमलेश्वर
सुर + ईश = सुरेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
ज्ञान + ईश्वर = ज्ञानेश्वर
ब्रज + ईश = ब्रजेश
कमल + ईश = कमलेश
पर्वत + ईश्वर = पर्वतेश्वर
महा + ईश = महेश

(iii) आ + इ = ए

राजा + इंद्र = राजेंद्र
यथा + इष्ट = यथेष्ट
महा + इंद्र = महेंद्र
रमा + इंद्र = रमेंद्र

(iv) आ + ई = ए

राजा + ईश = राजेश
महा + ईश्वर = महेश्वर
रमा + ईश = रमेश
लंका + ईश = लंकेश
गंगा + ईश्वर = गंगेश्वर

ख. (i) अ + उ = ओ

सह + उदर = सहोदर
सर्व + उच्च = सर्वोच्च
सूर्य + उदय = सूर्योदय
धीर + उचित = धीरोचित
भाग्य + उदय = भाग्योदय
देव + उपम = देवोपम
नव + उदित = नवोदित
पूर्व + उदय = पूर्वोदय
प्रश्न + उत्तर = प्रश्नोत्तर
देव + उत्सव = देवोत्सव
हित + उपदेश = हितोपदेश
पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम
गृह + उपयोगी = गृहोपयोगी
जीर्ण + उद्धार = जीर्णोद्धार
ब्रह्म + ईश्वर = ब्रह्मेश्वर
उमा + ईश = उमेश
राजा + ईश्वर = राजेश्वर
लंका + ईश्वर = लंकेश्वर
नर्मदा + ईश्वर = नर्मदेश्वर
पर + उपकार = परोपकार
रोग + उपचार = रोगोपचार
सर्व + उदय = सर्वोदय
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
नव + उदय = नवोदय
सह + उदय = सहोदय
ग्राम + उन्मुख = ग्रामोन्मुख
नर + उचित = नरोचित
मद + उन्मत = मदोन्मत
चंद्र + उदय = चंद्रोदय
अछूत + उद्धार = अछूतोद्धार
वीर + उचित = वीरोचित
उत्तर + उत्तर = उत्तरोत्तर
शुभ + उदय = शुभोदय
वार्षिक + उत्तर = वार्षिकोत्सव
नव + उदित = नवोदित
दक्षिण + उत्तर = दक्षिणोत्तर
नर + उत्तम = नरोत्तम
पश्चिम + उत्तर = पश्चिमोत्तर
पूर्व + उत्तर = पूर्वोत्तर

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(ii) अ + ऊ = ओ

सागर + ऊर्मि = सागरोर्मि
नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा
सूर्य + ऊष्मा = सूर्योष्मा
समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि
भाव + ऊर्मि = भावोर्मि
दया + ऊर्मि = दयोर्मि
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
पय + ऊर्मि = पयोर्मि

(iii) आ + उ = ओ

महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उदय = महोदय
गंगा + उदक = गंगोदक
महा + उदधि = महोदधि
महा + उष्ण = महोष्ण
विद्या + उत्तमा = विद्योत्तमा

(iv) आ + ऊ = ओ

गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मि
रंभा + ऊरू = रंभोरू
महा + ऊर्जा = महोर्जा ग.

ग. (i) अ+ ऋ = अर्
देव + ऋषि = देवर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि
कनाद + ऋषि = कनादर्षि
राज + ऋषि = राजर्षि
वसंत + ऋतु = वसंतर्तु

(ii) आ + ऋ = अर्

महा + ऋषि = महर्षि
राजा + ऋषि = राजर्षि

3. वृद्धि संधि
नियम- जब ‘अ’, ‘आ’ के आगे ‘ए’ अथवा ‘ऐ’ हों तो उन्हें मिलाकर ‘ऐ’ विकार हो जाता है। इसी प्रकार ‘अ’, ‘आ’ के सामने ‘ओ’ अथवा ‘औ’ के होने की स्थिति में दोनों को मिलाने से ‘औ’ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं।
उदाहरण-
(क) अ + ए = ऐ

हित + एषी = हितैषी
लोक + एषणा = लोकैषणा
धन + एषणा = धनैषणा
एक + एक = एकैक

(ख) अ + ऐ = ऐ

नव + ऐश्वर्य = नवैश्वर्य
देव + ऐश्वर्य = दैवश्वर्य
परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
मत + ऐक्य = मतैक्य
लोक + ऐक्य = लौकेक्य
राज + ऐश्वर्य = राजैश्वर्य

(ग) आ + ए = ऐ

यथा + एव = यथैव
तथा + एव = तथैव
सदा + एव = सदैव
कदा + एव = कदैव

(घ) आ + ऐ = ऐ

रमा + ऐश्वर्य = रमैश्वर्य
राजा + ऐश्वर्य = राजैश्वर्य
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
इला + ऐश्वर्य = इलैश्वर्य

(ङ) अ+ ओ = औ

जल + ओध = जलौध
परम + ओजस्वी = परमौजस्वी
अधर + ओष्ठ = अधरौष्ठ
वन + ओषधि = वनौषधि
महा + ओज = महौज
दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ

(च) अ + औ = औ

देव + औदार्य = देवौदार्य
परम + औदार्य = परमौदार्य
जल + औध = जलौध
अत्यंत + औदार्य = अत्यंतौदार्य
वीर + औदार्य = वीरौदार्य
वन + औषध = वनौषध
परम + औषध = परमौषध
उत्तम + औषध = उत्तमौषध

(छ) आ + औ = औ

महा + औदार्य = महौदार्य
महा + औध = महौध
महा + औषध = महौषध
महा + औत्सुक्य = महौत्सुक्य

4. यण संधि
नियम-(क) जब ‘इ’ या ‘ई’ के बाद ‘इ’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आ जाए तो ‘इ’ या ‘ई’ का परिवर्तन ‘य’ में हो जाता है।
(ख) जब ‘उ’ या ‘ऊ’ के बाद ‘उ’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आ जाए तो ‘उ’ या ‘ऊ’ का परिवर्तन ‘व’ में हो जाता है।
(ग) जब ‘ऋ’ के बाद ‘ऋ’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आ जाए तो ‘ऋ’ का परिवर्तन ‘र’ में हो जाता है। इसे यण संधि कहते हैं।
उदाहरण-
क. (i) इ+ अ = य
प्रति + अक्षर = प्रत्यक्षर
अति + अधिक = अत्यधिक
अति + अंत = अत्यंत
अभि + अर्थी = अभ्यर्थी
यदि + अपि = यद्यपि
गति + अवरोध = गत्यावरोध

(ii) इ + आ = या

अभि + आगत = अभ्यागत
वि + आप्त = व्याप्त
अति + आचार = अत्याचार
परि + आवरण = पर्यावरण
इति + आदि = इत्यादि
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
अति + आनंद = अत्यानंद
प्रति + आगमन = प्रत्यागमन
वि + आयाम = व्यायाम

(iii) ई + अ = य

देवी + अर्पण = देव्यर्पण
नदी + अर्पण = नद्यर्पण

(iv) ई + आ = या

देवी + आगम = देव्यागम
सखी + आगमन = सख्यागमन
देवी + आलय = देव्यालय
रथी + आगम = रथ्यागम

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(v) इ + उ = यु

प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
अभि + उदय = अभ्युदय
अति + उत्तम = अत्युत्तम
मति + उदय = मत्युदय

(vi) इ + ऊ = यू

वि + ऊह = व्यूह
नि + ऊन = न्यून
प्रति + ऊष = प्रत्यूष
अति + ऊष्म = अत्यूष्म

(vii) ई + ऊ = यू

नदी + ऊर्मि = नयूर्मि

(viii) इ + ए = ये

प्रति + एक = प्रत्येक
अधि + एषणा = अध्येषणा
अधि + एता = अध्येता
गति + एषणा = गत्येषणा

(ix) ई + ऐ = यै

नदी + ऐश्वर्य = नयैश्वर्य
सखी + ऐश्वर्य = सख्यैश्वर्य

(x) इ + अं = यं

प्रति + अंचा = प्रत्यंचा
प्रति + अंग = प्रत्यंग

ख. (i) उ + अ = व

अनु + अय = अन्वय
सु + अच्छ = स्वच्छ
मधु + अरि = मध्वरि
सु + अस्ति = स्वस्ति
सु + अल्प = स्वल्प
मनु + अंतर = मन्वंतर

(ii) उ + आ = वा

सु + आगत = स्वागत
पशु + आदि = पश्वादि
मधु + आलय = मध्वालय
गुरु + आज्ञा = गुर्वाज्ञा

(iii) ऊ + अ = व

वधू + अनुसार = वध्वनुसार
सु + अल्प = स्वल्प

(iv) ऊ + आ = वा

वधू + आगमन = वध्वागमन
गुरू + आदेश = गुर्वादेश

(v) उ + इ = वि

अनु + इति = अन्विति
अनु + इत = अन्वित

(vi) उ + ई = वी

अनु + ईक्षक = अन्वीक्षक
अनु + ईक्षण = अन्वीक्षण

(vii) उ + ए = वे

अनु + ऐषक = अन्वेषक
अनु + एषण = अन्वेषण
प्रभु + एषणा = प्रभ्वेषणा

ग. (i) ऋ+ अ = र

मातृ + अनुमति = मात्रानुमति
पितृ + अर्पण = पित्रर्पण

(ii) ऋ+ आ = रा|

पितृ + आनंद = पित्रानंद
पितृ + आदेश = पित्रादेश
भ्रातृ + आज्ञा = भ्रात्राज्ञा
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
पितृ + आलय = पित्रालय
मातृ + आनंद = मात्रानंद

(iii) ऋ+ उ = रु

मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश
पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश

(iv) ऋ + इ = रि

पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा
मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा

(v) ऋ + ई = री
मातृ + ईश = मात्रीश

5. अयादि संधि

नियम-(क) जब ‘ए’ या ‘ऐ के बाद ‘ए’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ‘ए’ का ‘अय्’ और ‘ऐ’ का ‘आय’ हो जाता है।
(ख) जब ‘आ’ या औ’ के बाद ‘ओ’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ‘ओ’ का ‘अव’ तथा ‘औ’ का ‘आव’ हो जाता है। इसी को अयादि संधि कहते हैं।
उदाहरणक.
(i) ए + अ = अय्

चे + अन = चयन
ने + अन = नयन
शे + अन = शयन

(ii) ऐ + अ = आय्

नै + अक = नायक
गै + अन = गायन
गै + अक = गायक
सै + अक = सायक

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(iii) ऐ + इ = आयि

गै + इका = गायिका
नै + इका = नायिका

(iv) ओ + अ = अव्

भो + अन = भवन
हो + अन = हवन
पो + अन = पवन

(v) ओ + इ = अवि

पो + इत्र = पवित्र
भो + इष्य = भविष्य

(vi) औ + अ = आव्

पौ + अन = पावन
पौ + अक = पावक

(vii) औ + इ = आवि

नौ + इक = नाविक

(vii) औ + उ = आवु

भौ + उक = भावुक

उक्त पाँचों स्वर संधियाँ हिंदी में संस्कृत से आई हैं। इनके अतिरिक्त हिंदी की अपनी कुछ स्वर संधियाँ और भी हैं।

(क) पररूप संधि-हिंदी शब्दों में कहीं-कहीं अ, आ के बाद ए या ओ आ जाने पर अ या आ बाद वाले ए या ओ में मिलाकर एक हो जाते हैं तो उसे पररूप संधि कहते हैं। जैसे-
अ + ए = ए = साँप + एरा = सपेरा
आ + ए = ए = मामा + एरा = ममेरा
चाचा + एरा = चचेरा
अ + ओ = ओ = बिंब + ओष्ठ = बिंबोष्ठ
अधर + ओष्ठ = अधरोष्ठ
लूट + एरा = लुटेरा
शुद्ध + ओदन = शुद्धोदन।

(ख) वर्ण आगम संधि-कुछ शब्दों में समास होते समय प्रथम पद के अंतिम वर्ण में स्थित ‘अ’ का ‘आ’ हो जाता है। इसे वर्ण आगम संधि कहते हैं। जैसे-

फट + फट = फटाफट
दीन + नाथ = दीनानाथ
विश्व + मित्र = विश्वामित्र
मूसल + धार = मूसलाधार
काय + कल्प = कायाकल्प
धड़ + धड़ = धड़ाधड़।

(ग) लघुभाव संधि-प्रत्यय जोड़ने या समस्त पद बनाते समय आ को अ’, ‘ई को उ’, ‘ए को इ’ तथा ‘ओ को उ’ में बदला जाता है। उसे लघुभाव संधि कहते हैं। जैसे-

आ को अ = काठ + पुतली = कठपुतली
काला + मुँह = कलमुँहा
कान + कटा = कनकटा
मीठा + आई = मिठाई
ई को इ = भीख + आरी = भिखारी
ढीठ + आई = ढिठाई
ऊ को उ = दूध + मुँहा = दुधमुँहा
मूंछ + कटा = मुँछकटा
ए को इ = खेल + आड़ी = खिलाड़ी
लूट + एरा = लुटेरा
एक + तीस = इकतीस
एक + तारा = इकतारा
ओ को उ = दो + गुना = दुगुना
देख + आई = दिखाई
घोड़ा + दौड़ = घुड़दौड़
लोहा + आर = लुहार
आधा + खिला = अधखिला।
मोटा + आपा = मुटापा।

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

Punjab State Board PSEB 10th Class English Book Solutions English Grammar Reported Speech Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

Change the following sentences into the Indirect form of Narration.

Question 1.
1. Sunita says, “I am doing my homework.”
2. He will say, “I do not know you.”
3. The teacher says, “I am on leave.”
4. Bimla says, “Manju wrote a poem.”
5. He said, “Man is mortal.”
6. Rekha said,.“The first battle of Panipat was fought in 1526.”
7. He says, “I will be coming home.”
8. Preeti said, “She teaches English well.”
9. The old man said, “I am very sorry to tell you that it is true.”
10. She said to me, “You managed that very-nicely.”
Answer:
1. Sunita says that she is doing her homework.
2. He will say that he does not know me.
3. The teacher says that he is on leave.
4. Bimla says that Manju wrote a poem.
5. He said that man is mortal.
6. Rekha said that the first battle of Panipat was fought in 1526.
7. He says that he will be coming home.
8. Preeti said that she taught English well.
9. The old man said that he was very sorry to tell me that that was true.
10. She told me that I had managed that very nicely.

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

Question 2.
1. The young girl said, “If fashions do not change, many manufacturers will have to sit idle.” ’
2. The judge said, “Gandhiji was a victim of stupid fanaticism.”
3. Ram said, “I will write the story of my life.”
4. She said, “I may go there.”
5. Rekha said, “I am learning this art.”
6. Everybody said, “The culprit did not deserve such a severe punishment”
7. Rohit said, “I can catch the train.”
8. The Chief Election Commissioner said, “All elections will have been over by the middle of January.”
9. He said, “I will never forget you.”
10. He said to Rakesh, “We could have done much better.”
Answer:
1. The young girl said that if fashions do not change, many manufacturers will have to sit idle.
2. The judge said that Gandhiji was a victim of stupid fanaticism.
3. Ram said that he would write the story of his life.
4. She said that she might go,there.
5. Rekha said that she was learning that art.
6. Everybody said that the culprit had not deserved such a severe punishment.
7. Rohit said that he could catch the train.
8. The Chief Election Commissioner said that all elections would have been over by the middle of January.
9. He said that he would never forget me.
10. He told Rakesh that they could have done much better.

Question 3.
1. “Why are you so sad today ?” she said to Rani.
2. He said, “How is your mother ?”
3. I said to him, “Will you return tomorrow ?“
4. He said to me, “Do you like mangoes ?”
5. “Do you like this poem ?” he said to his sister.
6. The stranger said to me, “Can you tell me the way to the school ?”
7. He said to the boy, “What do you want from me ?”
8. The teacher said to Krish, “Where do you live ?”
9. He said to the porter, ‘When will the next train arrive ?”
10. She said to me, “Do you want any money ?”
Answer:
1. She asked Rani why she was so sad that day.
2. He asked me how my mother was.
3. I asked him if he would return the next day.
4. He asked me if I liked mangoes.
5. He asked his sister if she liked that poem.
6. The stranger asked me if I could tell him the way to the school.
7. He asked the boy what he wanted from him.
8. The teacher asked Krish where he lived.
9. He asked the porter when the next train would arrive.
10. She asked me if I wanted any money.

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

Question 4.
1. He said to me, “Why did you write me such an insulting letter ?”
2. My mother said to me, “Did you break the slate ?”
3. She said to me, “What brings you here ?”
4. The teacher said to the students, “Why did you not do the homework ?“
5. The postmaster said to the postman, “What are you doing ? Have you sorted the mail ?“
6. The mother said, “Son, why did the teacher punish you ?”
7. Jai said to me, “Why did you insult my brother ?”
8. He said to us, “Are you coming to the meeting today ?”
9. The master said to the servant, “Why did you not report for duty in time ?”
10. The teacher said to the boy, “Why are you late again ? Don’t you feel ashamed about it ?”
Answer:
1. He asked me why I had written him such an insulting letter.
2. My mother asked me if I had broken the slate.
3. She asked me what brought me there.
4. The teacher asked the students why they had not done the homework.
5. The postmaster asked the postman what he was doing and if he had sorted the mail.
6. The mother asked her son why the teacher had punished him.
7. Jai asked me why I had insulted his brother.
8. He asked us if we were going to the meeting that day.
9. The master asked the servant why he had not reported for duty in time.
10. The teacher asked the boy why he was late again and if he didn’t feel ashamed about that.

Question 5.
I said to him, “Don’t smoke.”
2. The teacher said to the boys, “Do not make a noise.”
3. The hare said to the tortoise, “Let us run a race.”
4. He said to me, “Go to the railway station.”
5. My father said to me, “Do not waste your time.”
6. Raju said to me, “Please give me your pen.” ‘
7. She said to her sister, “Take exercise regularly.”
8. My mother said, “Let’s sit in the sun.”
9. “Leave this room,” said the teacher to the boy.
10. I said to him, “Please be quiet.”
Answer:
1 forbade him from smoking.
2. The teacher asked the boys not to make a noise.
3. The hare suggested to the tortoise? that they should run a race.
4. He ordered me to go to the railway station.
5. My father advised me not to waste my time.
6. Raju requested me to give him my pen.
7. She advised her sister to take exercise regularly.
8. My mother proposed that we should sit in the sun.
9. The teacher ordered the boy to leave that room.
10. I requested him to be quiet.

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

Question 6.
1. Krishna said, “Let’s do our duty and not run after the reward.”
2. She said to her friend, “Marry him and be happy in life.”
3. Gobind said to his followers, “Throw the enemies out.”
4. My father said to me, “Avoid bad company.”
5. My father said to my mother, “Bring me a cup of tea.”
6. He said to me, “Let’s go to Shimla.”
7. The officer said to the clerk, “Show me all the records.”
8. Sita said to Ram, “Let Lakshman do what he wants.”
9. Kabir said to him, “Continue to worship God till there is life.”
10. “Stand up on the benches,” I said to the children.
Answer:
1. Krishna suggested that we should do our duty and hot run after the reward.
2. She advised her friend to marry him and be happy in life.
3. Gobind ordered his followers to throw the enemies out.
4. My father advised me to avoid bad company.
5. My father asked my mother to bring him a cup of tea.
6. He proposed to me that we should go to Shimla.
7. The officer ordered the clerk to show him all the records.
8. Sita asked Ram to let Lakshman do what he wanted.
9. Kabir advised him to continue to worship God till there was life.
10. I ordered the children to stand up on the benches.

Question 7.
1. The teacher said, “How tough the question paper is !”
2. He said, “Goodbye, friends.”
3. “What a charming scene !“ said the girl.
4. “What a lovely rose !” she said.
5. She said, “How sad you look !”
6. He said, “Alas ! He is no more !”
7. “What a clever fellow I am !” said the crow.
8. “Good morning, Raju,” said Anil. “How are you ?”
9. The old man said, “Alas ! I am ruined.”
10. We said, “May God bless your child !”
Answer:
1. The teacher exclaimed that the question paper was very tough.
2. He bade his friends goodbye.
3. The girl exclaimed with wonder that it was a very charming scene.
4. She exclaimed admiringly that it was a very lovely rose.
5. She exclaimed that I looked very sad.
6. He exclaimed sorrowfully that he was no more.
7. The crow exclaimed proudly that he was a very clever fellow.
8. Anil wished Raju good morning and asked him how he was.
9. The old man exclaimed sorrowfully that he was ruined.
10. We prayed that God might bless her child.

Question 8.
1. The visitor said to us, “Farewell !”
2. He said, “I wish I were a king !”
3. She said to me, “How charming Dalhousie is !”
4. “What a terrible storm it is !“ he said.
5. The boy said, “Hurrah ! My brother stands first !”
6. Harry said, ’’Alas ! I have failed !”
7. He said, “O, for a drop of water !”
8. Raghu said, “May God pardon this sinner !” ,
9. She said, “Alas ! How careless I have been !”
10. He said to them, “Congratulations ! You have done well.”
Answer:
1. The visitor bade us farewell.
2. He wished that he had been a king.
3. She exclaimed to me that Dalhousie was very charming.
4. He exclaimed that that was a very terrible storm.
5. The boy exclaimed with joy that his brother stood first.
6. Harry exclaimed sorrowfully that he had failed.
7. He longed for a drop of water.
8. Raghu prayed that God might pardon that sinner.
9. She exclaimed regretfully that.she had been very careless.
10. He congratulated them and praised them saying that they had done well.

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

Question 9.
1. They wished that their Prime Minister might live long.
2. She said that she had her own choice.
3. He told me that he loved me.
4. She said that she was not feeling well that day.
5. He requested me to help his brother.
6. He said that he had seen the Taj the previous year.
7. He says that Raju likes fruit.
8. She asked her mother if she might go out.
9. She asked me why I had written that letter.
10. The old man thanked him and asked if he could do something for him.
Answer:
1. They said, “May our Prime Minister live long !”
2. She said, “I have, my own choice.”
3. He said to me, “I love you.”
4. She said, “I am not feeling well today.”
5. He said to me, “Please help my brother.”
6. He said, “I saw the Taj last year.”
7. He says, “Raju likes fruit.”
8. She said to her mother, “May I go out ?”
9. She said to me, “Why did you write this letter ?”
10. The old man said to him, “Thank you. Can I do something for you ?“

Question 10.
1. He said to me, “Are you not afraid ?”
2. Father said, “Rani must learn the basics of a computer.”
3. She said to her friend, ‘Will you help me ?”
4. Radha says, “It is raining heavily.”
5. Rama said, “I had taken tea before you arrived.”
6. He said to the driver, “Be quick.”
7. Asha said to Sudha, “Let’s solve these sums.”
8. I said to him, “Do you need money ?”
9. He said to me, “Life is not a bed of roses.”
10. The Captain said, “All the players must report on time.”
Answer:
1. She asked me if I was not afraid.
2. Father said that Rani had to learn the basics of a computer.
3. She asked her friend if she would help her.
4. Radhu says that it is raining heavily.
5. Rama said that she had taken tea before he arrived.
6. He ordered the driver to lie quick.
7. Asha suggested to Sudha that they should solve those sums.
8. I asked him if he needed money.
9. He told me that life is not a body of roses.
10. The Captain ordered all the players to report on time.

Direct Speech को Indirect Speech में बदलते समय निम्नलिखित परिवर्तन किए जाते हैं

(1) Direct Speech में प्रयोग किए गए inverted commas हटा दिए जाते हैं।
(2) Reporting Verb के बाद लगा हुआ comma हटा दिया जाता है।
(3) यदि आवश्यकता हो तो Reporting Verb के बाद that, if अथवा whether का प्रयोग एक योजक शब्द (linking word) के रूप में किया जाता है।

(4) Pronouns के सम्बन्ध में होने वाले परिवर्तनों के लिए निम्नांकित नियम याद रखिए

  • Reported Speech में जो First Person के Pronouns होते हैं, उन्हें Reporting Verb के Subject (कर्त्ता) के Person में बदला जाता है।
  • Reported Speech में जो Second Person के Pronouns होते हैं, उन्हें Reporting Verb के Object (कर्म) के Person में बदला जाता है।
  • Reported Speech में जो Third Person के Pronouns होते हैं, उनके Person में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है।

(5) Tenses अथवा Verbs के सम्बन्ध में होने वाले परिवर्तनों के लिए निम्नांकित नियम याद रखिए

  • Reporting. Verb का Tense कभी भी बदला नहीं जाता है।
  • Reporting Verb में said to के स्थान पर told, asked, requested, ordered, exclaimed, आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है, परन्तु इसका Tense वही रहता है।
  • Reporting Verb यदि Present Tense अथवा Future Tense में हो, तो Reported Speech के Tense में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
  • Reporting Verb यदि Past Tense में हो, तो Reported-Speech के Verb का Tense नीचे दिए नियमों के अनुसार बदला जाता है
    V1, को V2 में बदल दो।
    V2 को had + V3 में बदल दो।
  • Reported Speech में यदि किसी Universal Truth, Habit, Fact अथवा किसी Historical
    Truth का वर्णन हो, तो इसे Indirect में बदलते समय इसके Tense में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है, यद्यपि Reporting Verb का Tense कुछ भी हो।

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

(vi) यदि Reported Speech में दो क्रियाएं एक ही समय पर हो रही हों (two actions taking place at the same time), तो इसे Indirect में बदलते समय इसके Tense में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है, यद्यपि Reporting Verb का Tense कुछ भी हो।

(vii) Reported Speech में दिया गया वाक्य यदि साधारण (Assertive) हो, तो योजक के रूप में that का प्रयोग किया जाता है।

(viii) Reported Speech में दिया गया वाक्य यदि प्रश्न-वाचक हो, तो योजक के रूप में if या whether का प्रयोग किया जाता है। परन्तु यदि प्रश्न-वाचक वाक्य What, When, Where, Why, Which, Who, How, आदि प्रश्न-वाचक शब्दों से आरम्भ हुआ हो, तो किसी भी योजक का प्रयोग नहीं किया जाता है। वाक्य के आरम्भ में लगा हुआ प्रश्न-वाचक शब्द ही योजक का काम करता है। प्रश्न-वाचक वाक्य को indirect में बदलने के बाद उस वाक्य को सादा (Assertive) बना दिया जाता है।

(ix) Reported Speech में दिया हुआ वाक्य यदि Imperative हो, तो Indirect में बदलते समय नीचे दिए परिवर्तन किए जाते हैं

  • Reporting Verb में दिए गए said to के स्थान पर ordered, asked, requested, begged, advised, आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
  • Imperative Verb के आगे to लगाकर उसे Infinitive बना दिया जाता है।

(6) समीपता (nearness) सूचक शब्दों को दूरी-सूचक शब्दों में बदल दिया जाना चाहिए। इन परिवर्तनों के लिए निम्नांकित तालिका याद रखिए

Direct Indirect Direct Indirect
Now Then Today That day
This That Tomorrow The next day
These Those Yesterday The previous day
Here There Last night The previous night
Ago Before Next month The following month

किन्तु ये परिवर्तन नहीं किए जाते हैं यदि समय अथवा स्थान की दूरी का भाव क्रिया के रूप से ही स्पष्ट हो जाता हो।

Change of Tenses

1. I said to the teacher, “I am sorry.”
I told the teacher that I was sorry.

2. I said to the teacher, “I am working hard.”
I told the teacher that I was working hard.

3. I said, “I have been ill since Monday.”
I said that I had been ill since Monday.

4. I said to him, “I was doing my duty.”
I told him that I had been doing my duty.

5. He said to me, “You have done well.”
He told me that I had done well.

6. He said, “I shall go there.”
He said that he would go there.

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

7. She said to me, ‘You will miss the train.”
She told me that I would miss the train.

Facts, Sayings & Universal Truths

1. He said, “God is great.”
He said that God is great.

2. The boy said, “I take exercise daily.”
The boy said that he takes exercise daily.

3. The teacher said, “The First Battle of Panipat was fought in 1526.”
The teacher said that the First Battle of Panipat was fought in 1526.

4. “Gandhiji believed in non-violence,” said the Prime Minister.
The Prime Minister said that Gandhiji believed in non-violence.

Interrogative Sentences

1. The teacher said to me, “Are you feeling well today ?”
The teacher asked me if I was feeling well that day.

2. The traveller said frame, “Can you tell me the way to the nearest inn ?”
The traveller asked me if I could tell him the way to the nearest inn.

3. Hari said to his father, “May I go to the pictures tonight ?”
Hari asked his father if he might go to the pictures that night.

4. I said to her, “Do you want my help ?”
I asked her if she wanted my help.

5. She said, “Kamla, do you like this book ?”
She asked Kamla if she liked that book.

6. He said to the old man, “What do you want ?”
He asked the old man what he wanted.

7. The teacher said to Hari, “Why haven’t you done your homework ?”
The teacher asked Hari why he hadn’t done his homework.

8. Sohan said to her, “If you fail what will you do ?”
Sohan asked her what she would do if she failed.

Imperative Sentences

1. The teacher said to the boy, “Shut the door.”
The teacher asked the boy to shut the door.

2. Mohan said to Rajan, “Please go to the station with me.”
Mohan requested Rajan to go to the station with him.

3. He said to me, “Trust in God and do the right.”
He advised me to trust in God and to do the right.

4. The boy said, “Papa ! Forgive me this time.”
The boy begged his papa to forgive him that time.

5. I said to my teacher, “Pardon me, sir.”
I respectfully begged my teacher to pardon me.

6. He said to his friends, “Please let me study.”
He requested his friends to let him study.

7. He said to his friend, “Let us dine out today.”
He proposed to his friend that they should dine out that day.

8. Mohan said to his friend, “Let me go home now.”
Mohan told his friend that he might be allowed to go home then.

Exclamatory Sentences

1. She said, “May you succeed, my son !”
She wished that her son might succeed.

2. He said, “What a great misery !”
He exclaimed with sorrow that it was a great misery.

3. The merchant said, “Alas ! I am ruined.”
The merchant exclaimed with sorrow that he was ruined.

4. The captain said, “Hurrah ! We have won.”
The captain exclaimed with joy that they had won.

5. Sita said, “Goodbye, my friend.”
Sita bade her friend goodbye.

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

6. He said, “0, for a glass of water !”
He strongly desired for a glass of water.

7. The young man said, “Would that I were a bird !”
The young man wished that he had been a bird.

8. The captain said, “Bravo ! A good shot.”
The captain applauded him saying that it was a good shot.

Simple Solved Sentences

Note : Answer Key has been given at the end of the exercises.

(A) Change the Narration.

1. I say, “Life is full of struggle.”
2. Ritu says, “Meena sings well.”
3. The teacher says, “He will succeed this year.”
4. She is saying to me, “Rita is getting married.”
5. I say to him, “Death is a reality.”
6. My mother says to me, “Slow and steady wins the race.”
7. She says to me, “The sunsets in the west.”
8. He says, “She teaches English well.”
9. Manjit says to Raju, “Beauty is everlasting.”
10. Father says to the child, “Good boys do not spit on the floor.”
Answer:
1. I say that life is full of struggle.
2. Ritu says that Meena sings well.
3. The teacher says that he will succeed this year.
4. She is telling me that Rita is getting married.
5. 1 tell him that death is a reality.
6. My mother tells me that slow and steady wins the race.
7. She tells me that the sun sets in the west.
8. He says that she teaches English well.
9. Manjit tells Raju that beauty is everlasting.
10. Father tells the child that good boys do not spit on the floor.

(B)
1. Hari said to Sham, “India is progressing by leaps and bounds.”
2. I said to my mother, “If winter comes, spring cannot be far behind.”
3. The teacher said to me, “The moon revolves round the earth.”
4. Rajni said to Shaloo, “Women are not slaves to their husbands.”
5. Dimple said to her friends, “These boys will fight to the finish today.”
6. I said to my mother, “I cannot do anything now.”
7. I said to Sweetoo, “The children entered the house and spoiled my studies yesterday.”
8. I said to the children, “You should not pluck flowers.”
9. Ram said to Sita, “Lakshman is loved by all.”
10. Rajeev said, “India is passing through a difficult period.”
Answer:
1. Hari told Sham that India was progressing by leaps and bounds.
2. I told my mother that if winter comes, spring cannot be far behind.
3. The teacher told me that the moon revolves round the earth.
4. Rajni told Shaloo that women are not slaves to their husbands.
5. Dimple told her friends that those boys would fight to the finish that day.
6. I told my mother that I could not do anything then.
7. I told Sweetoo that the children had entered the house and spoiled my studies the previous day.
8. I told the children that they should not pluck flowers.
9. Ram told Sita that Lakshman was loved by all.
10. Rajeev said that India was passing through a difficult period.

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

(C)
1. He said to you, “I have passed the test today.”
2. I said, “I love my country.”
3. You said, “I am going to sleep.”
4. Sanjay said to Nirmala, “We have lost the match.”
5. He said to me, “I love you.”
6. The old man said to his son, “I shall take care of your mother.”
7. The small boy said to his teacher, “Somebody has stolen my belt.”
8. The teacher said, “I will beat you.”
9. Ram said to Surjit, “You cannot save me now.”
10. I said to you, “You are very careless.”
Answer:
1. He told you that he had passed the test that day.
2. I said that I loved my country.
3. You said that you were going to sleep.
4. Sanjay told Nirmala that they had lost the match.
5. He told me that he loved me.
6. The old man told his son that he to would take care of his mother.
7. The small boy told his teacher that somebody had stolen his belt.
8. The teacher said that he would beat him.
9. Ram told Surjit that he could not save him then.
10. I told you that you were very careless.

(D)
1. Mother said; “I am not well today.”
2. I said to my mother, ‘You do not take medicine regularly.”
3. Father said to me, ‘You should give some milk to your mother regularly.”
4. Rani said to me, “My husband does not like me.”
5. Rajan said to me, “I have brought a gift for you.”
6. I said, “I am not to blame.”
7. I said to her, “I will see you tomorrow.”
8. He said, “It is time to go.”
9. The daughter said to her father, “I shall become something in my life.”
10. Mohinder said to me, “I will write a letter soon.”
Answer:
1. Mother said that she was not well that day.
2. I told my mother that she did not take medicine regularly.
3. Father told me that I should give some milk to my mother regularly.
4. Rani told me that her husband did not like her.
5. Rajan told me that he had brought a gift for me.
6. I said that I was not to blame.
7. I told her that I would see her the next day.
8. He said that it was time to go.
9. The daughter told her father that she would become something in her life.
10. Mohinder told me that he would write a letter soon.

(E)
1. I said to him, “Will you return tomorrow ?”
2. She said to me, “Will you come to the party ?”
3. She said to the fox, “Are the grapes sour ?”
4. He said to me, “Do you like sweets ?”
5. I said to him, “Do you like apples ?”
6. He said to me, “Do you need money ?”
7. I said to him, “Should I depend on you for help ?”
8. Rama said to Sohani, “Are you angry with me ?”
9. Ritu said to Gurvir, “Are you happy with my performance ?”
10. I said to him, “Did you like my new suit ?”
Answer:
1. I asked him if he would return the next day.
2. She asked me if I would come to the party.
3. She asked the fox if the grapes were sour.
4. He asked me if I liked sweets.
5. I asked him if he liked apples.
6. He asked me if I needed money.
7. I asked him if I should depend on him for help.
8. Rama asked Sohani if she was angry with her
9. Ritu asked Gurvir if he was happy with her performance.
10. I asked him if he had liked my new suit.

(F)
1. Sweety said to Inder, “Go and post this letter.”
2. Rikky said to Kalu, “Show the visitor in.”
3. He requested the host to let him drink a glass of water.
4. The tutor advised the students to do their homework every day.
5. Cherry said to me, “Please give me some cash.”
6. My elder brother said to me, “Let me finish my work today.”
7. The widow said to me, “Please save me from ruin.”
8. I said to my brother, “Let me study more.”
9. I ordered my servant not to disturb me when I was busy.
10. The prisoner begged the officer to let him see his child once.
Answer:
1. Sweety ordered Inder to go and post that letter.
2. Rikki told Kalu to show the visitor in.
3. He said to the host, “Please let me drink a glass of water.”
4. The tutor said to the students, “Do your homework every day.”
5. Cherry requested me to give her some cash.
6. My elder brother told me to let him finish his work that day.
7. The widow requested me to save her from ruin.
8. I told my brother to let me study more.
9. I said to my servant, “Do not disturb me when I am busy.”
10. The prisoner said to the officer, “Please let me see my child once.”

PSEB 10th Class English Grammar Reported Speech

(G)
1. He said, “May you live long !”
2. He said, “Alas ! I have failed.”
3. He said, “Would that I were rich !”
4. He said, “Goodbye ! my friends.”
5. He said, “O, for a glass of water !”
6. The captain said, “Bravo ! A good shot.”
7. He said, “Alas ! I have been ruined.”
8. The old man said, “May God bless you !”
9. “May you prosper !” said my mother to me.
10. “Pooh ! Go to-hell,” said the old lady to her son.
Answer:
1. He prayed that I might live long.
2. He exclaimed with sorrow that he had failed.
3. He wished that he had been rich.
4. He bade goodbye to his friends.
5. He cried out for a glass of water.
6. The captain applauded him saying that it was a good shot.
7. He exclaimed with sorrow that he had been ruined.
8. The old man prayed that God might bless me.
9. My mother prayed that I might prosper.
10. The old lady scolded her son telling him to go to hell.

(H)
1. The father said to the son, “Go and post this letter.”
2. The officer said to the peon, “Show the visitor in.”
3. I said to my servant, “Do not disturb me while I am busy.”
4. The teacher said to the girls, “Take exercise daily.”
5. The prisoner said, “Alas ! I wish I were free.”
6. They said to him, “Do not torture the little children.”
7. The widow said to her mother, “I shall the with my husband.”
8. The widow requested him to save her from ruin.
9. She proposed to them that they should go to see the fair.
10. The mother said to the child, “Be brave and face the world.”
Answer:
1. The father ordered the son to go and post that letter
2. The officer ordered the peon to show the visitor in.
3. I ordered my servant not to disturb me while I was busy.
4. The teacher advised the girls to take exercise daily.
5. The prisoner wished that he had been free.
6. They advised him not to torture the little children.
7. The widow told her mother that she would die with her husband.
8. The widow said to him, “Please save me from ruin.”
9. She said to them, “Let us go to see the fair.”
10. The mother advised the child to be brave and face the world.

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 15 सदाचार का तावीज़

Hindi Guide for Class 10 PSEB सदाचार का तावीज़ Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
राजा ने राज्य में किस चीज़ के फैलने की बात दरबारियों से पूछी?
उत्तर:
राजा ने राज्य में भ्रष्टाचार फैलने की बात दरबारियों से पूछी।

प्रश्न 2.
राजा ने भ्रष्टाचार ढूँढ़ने का काम किसे सौंपा?
उत्तर:
राजा ने भ्रष्टाचार ढूँढ़ने का काम विशेषज्ञों को सौंपा।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़

प्रश्न 3.
एक दिन दरबारियों ने राजा के सामने किसे पेश किया?
उत्तर:
एक दिन दरबारियों ने राजा के सामने एक साधु को पेश किया।

प्रश्न 4.
साधु ने राजा को कौन-सी वस्तु दिखायी?
उत्तर:
साधु ने राजा को एक तावीज़ दिखाया।

प्रश्न 5.
साधु ने तावीज़ का प्रयोग किस पर किया?
उत्तर:
साधु ने तावीज़ का प्रयोग कुत्ते पर किया।

प्रश्न 6.
तावीज़ों को बनाने का ठेका किसे दिया गया?
उत्तर:
तावीज़ों को बनाने का ठेका साधु बाबा को दिया गया।

प्रश्न 7.
राजा वेश बदलकर पहली बार कार्यालय कब गए थे?
उत्तर:
राजा वेश बदलकर पहली बार दो तारीख को कार्यालय गए थे।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
दरबारियों ने भ्रष्टाचार न दिखने का क्या कारण बताया?
उत्तर:
एक दरबारी के अनुसार भ्रष्टाचार को वे इसलिए नहीं देख पाते क्योंकि वह बहुत बारीक होता है। उसकी आँखें महाराज की विराटता को देखने की इतनी अधिक अभ्यस्त हो गई हैं कि उन्हें कोई बारीक चीज़ दिखाई नहीं देती। उनकी आँखों में तो सदा महाराज की सूरत बसी रहती है। ऐसी स्थिति में किसी और वस्तु को देख पाना कैसे संभव है।

प्रश्न 2.
राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से क्यों की?
उत्तर:
राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से इसलिए की क्योंकि उसने विशेषज्ञों की जाँच-पड़ताल से पाया कि भ्रष्टाचार अति सूक्ष्म है। वह अगोचर है। भ्रष्टाचार सर्वव्यापी है और ये सभी गुण एवं विशेषताएँ तो ईश्वर में होती हैं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से की।

प्रश्न 3.
राजा का स्वास्थ्य क्यों बिगड़ता जा रहा था?
उत्तर:
राजा के राज्य में खूब हल्ला मचा हुआ था कि यहाँ भ्रष्टाचार बहुत फैल रहा है। राजा को कहीं भी भ्रष्टाचार नहीं दिखाई दे रहा था। उसने अपने दरबारियों से पूछा कि अगर उन्होंने भ्रष्टाचार को कहीं देखा हो तो उसे लाकर राजा को दिखाओ, परन्तु दरबारियों को भी भ्रष्टाचार दिखाई नहीं दिया था। उनका मानना था कि जब महाराज को नहीं दिखा तो वे कैसे देख सकते हैं? अतः दरबारियों और विशेषज्ञों की रिपोर्ट का पुलिंदा देखकर राजा का स्वास्थ्य निरंतर बिगडता जा रहा था।

प्रश्न 4.
साधु ने सदाचार और भ्रष्टाचार के बारे में क्या कहा ?
उत्तर:
साधु ने कहा कि भ्रष्टाचार और सदाचार दोनों ही व्यक्ति की अपनी आत्मा में होते हैं। यह बाहर से आने वाली वस्तु नहीं है। मनुष्य को जब ईश्वर बनाता है तब वह किसी की आत्मा में ईमान की कल को फिट कर देता है और किसी की आत्मा में बेईमानी की कल को फिट कर देता है। इस कल में से ईमान या बेईमानी के स्वर ध्वनि के रूप में निरंतर निकलते रहते हैं। इन स्वर ध्वनियों को ही ‘आत्मा की पुकार’ कहा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति आत्मा की पुकार के अनुसार ही अपना कार्य करता है। किन्तु जिन व्यक्तियों की आत्मा से निरंतर बेईमानी के स्वर निकलते रहते हैं, उन्हें किस प्रकार से दबाया जाए। उनके बेईमानी के स्वर को ईमान के स्वर में कैसे परिवर्तित किया जाए। कई वर्षों तक निरन्तर चिंतन करने के बाद अब मैंने एक ऐसे तावीज़ का निर्माण किया है जो व्यक्ति को सदाचारी बनाता है। यह तावीज़ जिस व्यक्ति की भुजा पर बँधा होगा वह सदाचारी बन जाएगा।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़

प्रश्न 5.
साध को तावीज़ बनाने के लिए कितनी पेशगी दी गई?
उत्तर:
राज्य में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक मन्त्री के सुझाव पर राजा ने साधु को तावीज़ बनाने का ठेका दे दिया। तावीज़ बनाने के लिए साधु को पाँच करोड़ रुपए पेशगी के तौर पर दिए गए। देखते ही देखते लाखों तावीज़ बनकर तैयार हो गए उन्हें राज्य के हर कर्मचारी की भुजा पर बाँध दिया गया।

प्रश्न 6.
तावीज़ किस लिए बनवाए गए थे?
उत्तर:
भ्रष्टाचार को मिटाकर व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए राजा ने तावीज़ बनवाए थे। अपने दरबारियों के कहने से राजा ‘सदाचारी तावीज़’ वाले साधु से तावीजें बनवाकर अपने कर्मचारियों की भुजाओं पर बंधवाता है, जिससे वे सदाचारी बन जाएं क्योंकि साधु ने उसे बताया था कि जिस आदमी की भुजा पर यह बंधा होगा, वह सदाचारी हो जाएगा। उसने कुत्ते पर भी इसका प्रयोग किया था। यह तावीज़ गले में बांध देने से कुत्ता भी रोटी नहीं चुराता।

प्रश्न 7.
महीने के आखिरी दिन तावीज़ में से कौन-से स्वर निकल रहे थे?
उत्तर:
महीने के आखिरी दिन जब राजा वेश बदलकर तावीज़ का प्रभाव देखने के लिए एक कर्मचारी के पास काम करवाने गया और उसे पाँच का नोट दिखाया, जो उसने ले लिया। राजा ने उस कर्मचारी को उसी समय वहीं पकड़ लिया और पूछा कि क्या उसने तावीज़ नहीं बाँधा है? उसने तावीज़ बाँधी हुई थी। जब राजा ने तावीज़ पर कान लगाकर सुना तो तावीज़ में से आवाज़ आ रही थी कि ‘आज इकतीस है, आज तो ले ले!’

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार खत्म करने के क्या-क्या उपाय बताए?
उत्तर:
भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए विशेषज्ञों ने व्यवस्था परिवर्तन करने पर बल दिया। ऐसी नीतियां एवं कानून लाए जाएँ, जिनसे भ्रष्टाचार के अवसर पूर्णत: समाप्त किये जा सकें। जब तक समाज में ठेकेदारी प्रथा विद्यमान है, तब तक ठेकेदारों का अस्तित्व रहेगा और यह लोग अपना काम निकलवाने हेतु किसी न किसी अधिकारी को घूस खिलाते रहेंगे। अधिकारियों की घूस बंद होने के स्थान पर निरन्तर बढ़ती रहेगी। यदि ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर दिया जाए तो समाज से घूसखोरी समाप्त की जा सकती है। हमें उन सभी कारणों की जाँच-पड़ताल करनी होगी जिनके कारण भ्रष्टाचार उत्पन्न होता है तथा व्यक्ति या तो घूस लेता है या फिर किसी को घूस देता है।

प्रश्न 2.
साधु ने तावीज़ के क्या गुण बताए?
उत्तर:
साधु ने तावीज़ के गुणों को बताते हुए कहा कि यह तावीज़ जिस किसी की भुजा पर बँधा होगा उसमें बेईमानी नहीं आ सकती। वह गलत रास्ते पर नहीं चलेगा। भुजा पर बँधा तावीज़ उसे ईमानदारी के रास्ते पर चलने को बाध्य करता रहेगा। उसके मन से लालच, वैरभाव आदि सब कुछ दूर हो जाएगा। वह चाहकर भ्रष्टाचार के चंगुल में नहीं फँस पाएगा। उसका आचरण एकदम शुद्ध तथा आत्मा एकदम पवित्र हो जाएगी।

प्रश्न 3.
‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में छिपे व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘सदाचार का तावीज़’ पाठ मूल रूप से एक व्यंग्यात्मक रचना है। इस रचना के माध्यम से व्यंग्यकार लेखक हरिशंकर परसाई कहना चाहते हैं कि केवल भाषणों, कार्यकलापों, पुलसिया कार्यवाही, नैतिक स्लोगनों, वाद-विवाद आदि के ज़ोर से कभी भी भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए समाज में व्यक्ति को नैतिक स्तर दृढ़ करना होगा। जब व्यक्ति की नैतिकता में विकास होगा तभी व्यक्ति समाज और राष्ट्र का कल्याण कर सकेगा। देश में कार्यरत सभी कर्मचारियों को जब उनकी आवश्यकतानुसार पर्याप्त वेतन दिया जाएगा तब कहीं जाकर भ्रष्टाचार की नकेल कसी जा सकती है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं बल्कि इसकी जिम्मेदारी पूरे समाज की है, जिसे पूरी ईमानदारी से हमें निभाना चाहिए।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए

एक – ————
पाप – ———–
गुण – ————
विस्तार – ————
सूक्ष्म – ————-
ईमानदारी – ————–
उत्तर:
शब्द – विपरीत शब्द
एक – अनेक।
पाप – पुण्य।
गुण – अवगुण।
विस्तार – संकुचन।
सूक्ष्म – स्थूल।
ईमानदारी – बेइमानी।

2. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए

राजा – ————
कान – ————-
मनुष्य – ———–
दिन – ————-
सदाचार – ————
भ्रष्टाचार – ————
उत्तर:
शब्द – पर्यायवाची शब्द
राजा – नरेश, सम्राट्।
मनुष्य – नर, आदमी।
सदाचार – अच्छा आचरण, पवित्र।
कान – कर्ण, श्रवण।
दिन – दिवस, वार।
भ्रष्टाचार – बुरा आचरण, दुराचार।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़

3. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए

‘अच्छे आचरण वाला – —————
बुरे आचरण वाला – —————-
जो किसी विषय का ज्ञाता हो – ————–
हर तरफ फैला हुआ – —————-
जो दिखाई न दे – ————-
जिसकी आत्मा महान् हो – ————–
उत्तर:
वाक्यांश एक – शब्द
‘अच्छे आचरण वाला – सदाचारी
बुरे आचरण वाला – दुराचारी
जो किसी विषय का ज्ञाता हो – विशेषज्ञ
हर तरफ फैला हुआ – सर्वव्यापक, सर्वव्यापी
जो दिखाई न दे – अदृश्य
जिसकी आत्मा महान् हो – महात्मा।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
साधु के स्थान पर आप राजा को भ्रष्टाचार समाप्त करने का कौन-सा उपाय बताते?
उत्तर:
साधु के स्थान पर मैं राजा को भ्रष्टाचार समाप्त करने के निम्नलिखित उपाय बताता-

  1. ठेकेदारी प्रथा समाप्त की जाए।
  2. आम जनता तथा अधिकारियों के बीच दलालों को समाप्त किया जाए।
  3. रिश्वत लेने और देने वालों को सजा का प्रावधान हो।
  4. सरकारी तंत्र में व्याप्त घूसखोरी समाप्त की जाए।
  5. जमाखोरी और कालाबाजारी पर अंकुश लगाया जाए।
  6. मिलावट और नकली माल के उत्पादन पर रोक लगाई जाए।
  7. टैक्स की चोरी करने वालों पर सख्त कारवाई हो।

प्रश्न 2.
विद्यार्थी के रूप में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए आप कौन-कौन से कदम उठाएँगे?
उत्तर:
भ्रष्टाचार का अंत करने के लिए नैतिकता पर बल देना होगा। नैतिक क्रांति लानी होगी। चरित्र-निर्माण में बाधक तत्व-धन, लोभ और स्वार्थ को उखाड़ना होगा। राष्ट्र हित को सामने रखना होगा। शिक्षा-पद्धति में धार्मिक और नैतिक शिक्षा पर बल देना होगा। यह नैतिक क्रांति जनता को पहले अपने जीवन में लानी होगी। यही नैतिकता उसे निर्भीक और साहसी बनाएगी। उसके आगे रिश्वतखोर और भ्रष्ट अधिकारियों को घुटने टेकने पड़ेंगे। भ्रष्टाचार का एक सूक्ष्म कारण है हमारी सामाजिक अर्थव्यवस्था। हमारी आर्थिक नीतियाँ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं। पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार का अंत नहीं हो सकता, क्योंकि पूँजीवाद अर्थव्यवस्था धन की लिप्सा को अधिक बढ़ाती जाती है। पर जब तक अर्थव्यवस्था नहीं बदलती जनता को पग उठाना पड़ेगा, तभी भ्रष्टाचार समाप्त होगा।

प्रश्न 3.
भ्रष्टाचार या रिश्वत से सम्बन्धित आप अपना या अपने माता-पिता का कोई अनुभव लिखिए।
उत्तर:
एक बार मैं अपने माता-पिता के साथ रेल से पटना जा रहा था। हमने ए०सी० थर्ड में टिकट बुक करवाई थी। हमने दिल्ली स्टेशन से अपने आरक्षण कोच में प्रवेश किया। जल्दी ही हम अपनी सीट पर जा बैठे। हमारे साथ वाली सीट पर एक परिवार और था। उनके पास चार टिकट थी किंतु वे पाँच लोग थे। कुछ देर बाद टी०टी० आया उसने उनसे टिकट दिखाने को कहा तो उन्होंने टिकट दिखा दी। तब टी०टी० ने एक टिकट दूसरे दर्जे की होने पर उसे जुर्माने की बात कही। वे लोग जुर्माना भरना चाहते थे। किंतु टी०टी० ने उनसे कहा यदि वे उसे 500 रु० दे दें तो वह जुर्माने की रसीद नहीं काटेगा। यह एक भ्रष्टाचार का जीता जागता नमूना था। जो मैंने अपनी आँखों से देखा था।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता

प्रश्न 1.
भ्रष्टाचार के विरुद्ध स्लोगन लिखकर स्कूल में निश्चित स्थान पर लगाइए।
उत्तर:
1. देश को जगाना होगा,
भ्रष्टाचार को भगाना होगा।

2. देश का यदि चाहते हो विकास,
भ्रष्टाचार को न आने दो आस-पास।

3. गली-गली में शोर है,
भ्रष्टाचार का ज़ोर है।

4. अबकी बार यहीं पुकार,
जड़ से मिटाओ भ्रष्टाचार।

प्रश्न 2.
‘भ्रष्टाचार और उसका समाधान’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से कक्षा में स्वयं करें।

प्रश्न 3.
ईमानदारी से सम्बन्धित कहानियाँ पढ़िए।
उत्तर:
विद्यार्थी पुस्तकालय में जाकर ईमानदारी से संबंधित कहानियाँ खोजकर पढ़ें।

प्रश्न 4.
इस निबंध में आए संवादों के आधार पर किसी एक प्रसंग को लघु नाटिका में रूपांतरित करके उसे स्कूल/कक्षा में मंचित कीजिए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 5.
समय-समय पर विभिन्न पत्रिकाओं/समाचार-पत्रों आदि में ‘भ्रष्टाचार उन्मूलन’ संबंधी विषय पर कविता, निबंध, स्लोगन राइटिंग (नारे लेखन) आदि प्रतियोगिताओं में भाग लीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से विद्यालय में होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लें।

प्रश्न 6.
स्कूल अथवा अपने इलाके में चल रहे लीगल लिटरेसी क्लब के सक्रिय सदस्य बनें तथा अपने आस-पास हो रहे भ्रष्टाचार उन्मूलन में सहयोग करें।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने विवेक के आधार पर किसी सामाजिक संस्था का सदस्य बनकर देश हित में कार्य करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

I. हरिशंकर परसाई- परसाई जी हिंदी-साहित्य के श्रेष्ठ व्यंग्यकार हैं। इन्होंने व्यंग्य को साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान दिलवाया है। इन्होंने व्यंग्य को अपने लेखन से देश की विभिन्न समस्याओं के साथ जोड़ कर प्रस्तुत करने में अद्भुत सफलता प्राप्त की है। इन्होंने हास्य-व्यंग्य लिखने के साथ-साथ लंबे समय तक स्कूल-कॉलेजों में शिक्षण का कार्य भी किया है। बाद में इन्होंने साहित्य-लेखन के लिए अपनी शिक्षक की नौकरी त्याग दी थी। इनका व्यंग्य केवल हंसी-मज़ाक और मनोरंजन की वस्तु नहीं है बल्कि उन्होंने इसके माध्यम से समाज की अनेक समस्याओं को उजागर किया है। भ्रष्टाचार, शोषण, राजनीति, समाज आदि पर गहरा व्यंग्य करने के कारण ही इन्हें हिंदी-साहित्य में अनूठा स्थान प्राप्त हुआ है।

II. सदाचार-सदाचार (सत् + आचार) मानव के अच्छे आचरण से संबंधित शब्द है। यह शब्द सुशीलता, अच्छा चाल-चलन, अच्छे व्यवहार, नेक नियती, शुद्ध आचरण, नेकचलनी, शीलाचार आदि को व्यक्त करता है। सदाचार के मार्ग पर चलकर ही इन्सान विश्व भर में नाम कमा सकता है। स्वामी विवेकानन्द, पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री, मदर टेरेसा आदि सभी सदाचारी थे और हमें उनके जीवन से शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। हम सबको सदाचार के मार्ग पर चलने की प्रेरणा महापुरुषों से लेनी चाहिए। ऐसा करके ही हम अपने परिवार, समाज और देश का नाम ऊँचा कर सकेंगे।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़

III. भ्रष्टाचार-यह शब्द भ्रष्ट + आचार दो शब्दों से मिलकर बना है। पापाचार, दुष्ट व्यवहार, अनाचार, पतित व्यवहार, कदाचित बदनीयती, नीच आचार आदि शब्द भ्रष्टाचार को ही व्यक्त करते हैं। मानव जीवन के जो कार्य अनैतिक और अनुचित होते हैं, उन्हें ही भ्रष्टाचार कहते हैं। अपना लाभ और स्वार्थ को पूरा करने के लिए किए जाने वाले सभी प्रकार के अनैतिक कार्य भ्रष्टाचार ही होते हैं। रिश्वतखोरी, काला बाज़ारी, कमीशन खोरी, तस्करी आदि सब भ्रष्टाचार के ही रूप हैं। हमें भ्रष्टाचार से दूर रहकर इसे समाज से मिटाने का प्रयत्न करना चाहिए।

PSEB 10th Class Hindi Guide सदाचार का तावीज़ Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
राजा ने दरबारियों को किसे लाने को कहा?
उत्तर:
राजा ने दरबारियों से कहा कि जब कहीं भी कभी उन्हें भ्रष्टाचार दिखाई दे तो उसका नमूना अवश्य लाएँ ताकि भ्रष्टाचार के बारे में पता चले कि वह कैसा होता है।

प्रश्न 2.
राजा खुश क्यों हो रहा था?
उत्तर:
राजा को पहली बार पता चला था कि उसके राज्य में चमत्कारी साधु है इसलिए वह खुश हो रहा था।

प्रश्न 3.
दरबारियों ने भ्रष्टाचार के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
दरबारियों ने भ्रष्टाचार के बारे में बताया कि भ्रष्टाचार स्थूल नहीं सूक्ष्म है। वह सब जगह है लेकिन दिखाई नहीं देता।

प्रश्न 4.
राजा को कितने तावीज़ों की आवश्यकता जान पड़ रही थी?
उत्तर:
राजा राज्य के प्रत्येक नागरिक के हाथ पर ताबीज़ बाँधने के लिए करोड़ों तावीज़ों की आवश्यकता थी।

प्रश्न 5.
कर्मचारी ने माह की आखिरी तारीख को रिश्वत क्यों ली होगी?
उत्तर:
कर्मचारी ने माह की आखिरी तारीख को रिश्वत इसलिए ली होगी क्योंकि उसे जो वेतन मिलता होगा वह उसे पर्याप्त नहीं होता होगा और वह पूरा महीना नहीं चल पाता होगा।

प्रश्न 6.
लेखक ने व्यंग्य द्वारा ‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में क्या कहना चाहा है?
उत्तर:
लेखक ने व्यंग्य द्वारा ‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में कहा है कि केवल भाषणों, नैतिक स्लोगनों, तावीज़ों तथा डंडे के ज़ोर पर भ्रष्टाचार को नहीं मिटाया जा सकता।

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार भ्रष्टाचार को कैसे मिटाया जा सकता है?
उत्तर:
लेखक के अनुसार नैतिक मूल्यों की स्थापना करके तथा कर्मचारियों को पर्याप्त वेतन देकर भ्रष्टाचार को मिटाया जा सकता है।

प्रश्न 8.
राजा का व्यक्तित्व कैसा था?
उत्तर:
राजा केवल अपने बारे में सोचता था। उसे चापलूसी पसंद थी। चापलूस लोग ही उसके मंत्री थे।

प्रश्न 9.
विशेषज्ञों ने सिंहासन में हुए भ्रष्टाचार के विषय में क्या बताया?
उत्तर:
विशेषज्ञों ने बताया कि सिंहासन की रंगाई का जो बिल दिया गया वह लागत से दुगुना था। उसमें आधे पैसे राजा के अफसर खा गए थे।

प्रश्न 10.
विशेषज्ञों ने राजा को भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में क्या बताया?
उत्तर:
विशेषज्ञों के अनुसार भ्रष्टाचार को हाथ पकड़कर नहीं लाया जा सकता। वह सूक्ष्म, अगोचर और सर्वत्र व्याप्त है। उसे देखा नहीं, अनुभव किया जा सकता है। अब भ्रष्टाचार ईश्वर हो गया है। भ्रष्टाचार मुख्यतः घूस के रूप में रहता है।

प्रश्न 11.
विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार दूर करने के लिए क्या सुझाव दिया ?
उत्तर:
विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए महाराज को व्यवस्था में परिवर्तन करने के लिए कहा। वे ठेका प्रथा समाप्त करने के लिए ज़ोर दे रहे थे क्योंकि ठेकेदार अधिकारियों को घूस देकर अपना काम निकालते हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के अवसर घटाने तथा उन कारणों को दूर करने का भी सुझाव दिया जिन कारणों से घूसखोरी बढ़ती है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़

प्रश्न 12.
दरबारी भ्रष्टाचार दूर करने के लिए किसे लाए और क्यों ?
उत्तर:
दरबारी भ्रष्टाचार दूर करने के लिए एक साधु को ले आए। वह सदाचार का तावीज़ बनाता था। उसके बताए हुए तावीज़ को पहनकर बेईमान भी ईमानदार बन जाता था। उस साधु की बातों से राजा प्रभावित हो गया तथा उसने उसे लाखों तावीज़ बनाने का ठेका दे दिया। उसे इस काम के लिए पाँच करोड़ रुपए पेशगी भी दे दिए गए।

प्रश्न 13.
दरबारियों ने साधु को राजा के सामने प्रस्तुत करते हुए क्या बताया?
उत्तर:
एक दिन दरबारियों ने राजा के समक्ष एक साधु को प्रस्तुत किया। उन्होंने राजा से कहा कि यह साधु एक महान् तपस्वी है। यह एक गुफा में तपस्या कर रहा था। हम इसे अपने साथ ले आए हैं। इसने अपनी तपस्या शक्ति के बल पर एक ऐसे तावीज़ का निर्माण किया जो व्यक्ति को सदाचारी बनाता है। उसे भ्रष्टाचार से दूर रखता है। उसे निरंतर सद्विचार देता रहता है। व्यक्ति में अच्छे-बुरे को पहचानने की शक्ति प्रदान करता है। साधु द्वारा निर्माण किया गया तावीज़ पूर्णत: मंत्रों से सिद्ध है। यह व्यक्ति को सदाचारी बनाता है। उसके अंदर की बेईमानी को समाप्त कर उसे नेक इन्सान बनाकर सच्चाई के मार्ग पर लाता है।

प्रश्न 14.
राजा ने वेश बदलकर क्या करना चाहा था?
उत्तर:
राजा ने वेश बदलकर अपने राज्य में हो रहे भ्रष्टाचार को स्वयं अपनी आँखों से देखना चाहा। इसके लिए वह अपने राज्य कर्मचारियों को वेश बदलकर घूस देने की कोशिश करने लगा। पहली बार राजा कर्मचारियों को घूस देने में पूर्णतः असफल रहा क्योंकि कर्मचारियों ने घूस ली ही नहीं। कर्मचारियों के घूस न लेने के क्रियाकलाप को देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ कि उसके कर्मचारी राज्य और राजा के प्रति कितने निष्ठावान हैं। किन्तु वही कर्मचारी दूसरी बार रिश्वत लेने के लिए तैयार हो गए। रिश्वत लेने का यह दिन महीने का आखिरी दिन था। राजा को समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। रिश्वत न लेने वाले कर्मचारी रिश्वत कैसे लेने लगे। इन्हें अचानक क्या हो गया ? राजा को समझ नहीं आ रहा था।

प्रश्न 15.
‘सदाचार का तावीज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि कर्मचारियों ने महीने की आखिरी तारीख को रिश्वत क्यों ली?
उत्तर:
कर्मचारियों ने महीने की आखिरी तारीख़ को रिश्वत इसलिए ली होगी क्योंकि महीना भर काम करने के बाद उन्हें जो वेतन मिलता होगा, वह उन्हें पर्याप्त नहीं होता होगा। उस वेतन से उनकी आवश्यकताएं पूरी नहीं होती होंगी। उनका और उनके परिवार का पालन-पोषण ठीक प्रकार से नहीं हो पा रहा होगा, इसलिए महीने की इक्तीस तारीख को उनके मन में घूस लेने का भाव जागृत हुआ कि आज तो घूस ले ही लेनी चाहिए। बिना घूस लिए जीवनयापन करना अत्यंत कठिन है। कठिनता से जीवन जीने के स्थान पर घूस लेना ही उचित है। जब कल वेतन मिल जाएगा, तब फिर से घूस लेना बंद कर देंगे जब फिर से आवश्यकता होगी घूस ले लेंगे।

प्रश्न 16.
‘सदाचार का तावीज़’ किस प्रकार की रचना है?
उत्तर:
‘सदाचार का तावीज़’ हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्यात्मक लेख है। इसमें लेखक ने भ्रष्टाचार की व्याप्ति तथा उसे दूर करने के अनोखे उपायों पर कटाक्ष किया है।।

प्रश्न 17.
‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में लेखक ने किस समस्या को उठाया है और क्या संदेश देना चाहा है?
उत्तर:
लेखक ने अत्यंत रोचक कहानी के रूप में इस भ्रष्टाचार की समस्या को उजागर किया है और संदेश दिया है कि जब तक कर्मचारियों को उनके कार्य के अनुरूप उचित वेतन नहीं मिलेगा भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो सकता। लेखक ने व्यंग्यात्मक आलेखों के अनुरूप सहज, व्यावहारिक तथा कटाक्षपूर्ण भाषा-शैली का प्रयोग किया है। उनके व्यंग्य चुटीले तथा अर्थपूर्ण हैं। साधु की तावीज़ के गुण सुनकर राजा का प्रसन्न होकर यह कहना कि उसे तो ज्ञात ही नहीं था कि उसके राज्य में ऐसे चमत्कारी साधु भी हैं। महात्मन्, हम आपके बहुत आभारी हैं। आपने हमारा संकट हर लिया। हम सर्वव्यापी भ्रष्टाचार से बहुत परेशान थे। मगर हमें लाखों नहीं, करोड़ों तावीज़ चाहिए। हम राज्य की ओर से तावीज़ों का कारखाना खोल देते हैं। आप उसके जनरल मैनेजर बन जाएं और अपनी देख-रेख में बढ़िया तावीज़ बनवाएं। टोटकों को मानने वालों पर तीक्ष्ण प्रहार है।

प्रश्न 18.
‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में लेखक ने भ्रष्टाचार और उसके उन्मूलन के अनूठे उपायों पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?
उत्तर:
जब भ्रष्टाचार उन्मूलन की विशेषज्ञ समिति राजा को भ्रष्टाचार मिटाने के लिए व्यवस्था में परिवर्तन करने का सुझाव देती है तो राजा-दरबारियों से राय करता है। वे कहते हैं कि यह उचित योजना नहीं बल्कि एक मुसीबत है। इस योजना के आधार पर हमें व्यवस्था में अनेक बदलाव करने होंगे, जिसमें बहुत परेशानी हो सकती है। हमारी सारी व्यवस्था अव्यवस्था में बदल जाएगी। जो जैसा होता आ रहा है, यदि हम उसे बदलेंगे तो अनेक नई परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। हमें तो कोई ऐसी योजना अपनानी चाहिए जिससे बिना व्यवस्था में बदलाव लाए ही भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए। भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के सुझावों को नहीं मानना यही सिद्ध करता है कि दरबारी भी भ्रष्टाचार में लिप्त है।

प्रश्न 19.
विशेषज्ञों ने राजा के शासन में भ्रष्टाचार की सर्वव्यापकता के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
विशेषज्ञों ने राजा के शासन में भ्रष्टाचार की सर्वव्यापकता के बारे में बताते हुए कहा कि आप के सारे राज्य में भ्रष्टाचार घर कर गया है। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहाँ भ्रष्टाचार न हो। उदाहरण के लिए आप के सिंहासन के रंग का बिल झूठा बनाया गया। यह भ्रष्टाचार घूस के रूप में विद्यमान है। हर काम में घूसखोरी अपनी जगह बनाए हुए है। ठेकेदारी प्रथा इसका सशक्त उदाहरण है। रिश्वतखोरी अपनी चरम सीमा पर है। रिश्वतखोरी और जमाखोरी ने कर्मचारियों और अधिकारियों को नकारा बनाया हुआ है। उनका नैतिक पतन हो चुका है। लोगों में स्वार्थ की भावना बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 20.
राजा ने तावीज़ की जाँच किस प्रकार की ? उसके क्या परिणाम निकले?
उत्तर:
जब राजा वेश बदलकर इस तावीज़ के प्रभाव की जाँच करने किसी कार्यालय में काम करवाने के लिए कर्मचारी को पाँच रुपए देता है तो वह नहीं लेता। राजा प्रसन्न होता है कि भ्रष्टाचार समाप्त हो गया, परन्तु जब कुछ दिन बाद वह फिर वेश बदलकर उसी कर्मचारी को देता है तो वह ले लेता है। वह उसकी जाँच करता है तो तावीज़ उसकी भुजा पर बंधा था। राजा ने हैरानी में तावीज़ पर कान लगाया तो उसमें से आवाज़ आ रही थी, ‘अरे, आज इकतीस है। आज तो ले ले।’ पहली बार जब राजा आया था तो दो तारीख थी, कर्मचारी की जेब भरी थी, पर इकतीस को खाली हो गई थी। भ्रष्टाचार वहीं था, कहीं गया नहीं था।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राज्य में किस बात का हल्ला मचा?
उत्तर:
राज्य में भ्रष्टाचार बहुत फैलने का हल्ला मचा।

प्रश्न 2.
दरबारी को भ्रष्टाचार क्यों नहीं दिखाई दिया?
उत्तर:
क्योंकि वह बहुत बारीक होता है।

प्रश्न 3.
विशेषज्ञों के अनुसार भ्रष्टाचार कैसा होता है?
उत्तर:
भ्रष्टाचार सूक्ष्म, अगोचर, सर्वत्र व्याप्त, दिखाई नहीं देने वाला तथा अनुभव करने योग्य होता है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़

प्रश्न 4.
साधु के अनुसार भ्रष्टाचार कहाँ होता है?
उत्तर:
साधु के अनुसार भ्रष्टाचार मनुष्य की आत्मा में होता है, बाहर नहीं होता।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
विशेषज्ञ जाति के कितने आदमी बुलाए गए?
(क) तीन
(ख) पाँच
(ग) सात
(घ) नौ।
उत्तर:
(ख) पाँच

प्रश्न 2.
वेश बदले हुए राजा ने 2 तारीख को कर्मचारी को कितने रुपए की घूस दी?
(क) तीन
(ख) पाँच
(ग) सात
(घ) नौ।
उत्तर:
(ख) पाँच

प्रश्न 3.
साधु को तावीज़ बनाने के कारखाने को खोलने के लिए कितने करोड़ रुपए पेशगी मिले?
(क) दो
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) छह।
उत्तर:
(ग) पाँच

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न

प्रश्न 1.
विशेषज्ञों के अनुसार राजा के शासन में भ्रष्टाचार मुख्यतः किसके रूप में था? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
घूस के

प्रश्न 2.
हम भ्रष्टाचार बिल्कुल मिटाना चाहते हैं। (हाँ या नहीं में उत्तर दें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 3.
वह महाराज के सिंहासन में नहीं है। (हाँ या नहीं में उत्तर दें)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 4.
इस कल में से ईमान या बेईमानी के स्वर निकलते हैं। (सही या गलत में उत्तर दें)
उत्तर:
सही

प्रश्न 5.
अरे, आज इकतीस है। आज तो मत ले। (सही या गलत में उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 6.
राजा ……………. में पड़ गए।
उत्तर:
असमंजस

प्रश्न 7.
महाराज, राज्य क्यों …………… में पड़े।
उत्तर:
झंझट

प्रश्न 8.
राजा का ………. बिगड़ने लगा।
उत्तर:
स्वास्थ्य।

सदाचार का तावीज़ कठिन शब्दों के अर्थ

घूस = रिश्वत। झंझट = उलझन। सदाचार = अच्छा आचरण। सर्वव्यापी = हर तरफ फैला हुआ। प्रपितामह = पड़दादा। कंदरा = गुफा । मुख्यतः = प्रमुख रूप से। अंजन = काजल। तावीज़ = रक्षा कवच। उत्सुकता = अधीरता, बेचैनी। साधक = साधना करने वाला। सूक्ष्म = बारीक। पेशगी = काम करने के पहले दिया जाने वाला वंश। स्थूल = मोटा। विचारणीय = सोचने योग्य। भ्रष्टाचार = बुरा आचार-विचार । दरबार = राज्य सभा। यकायक = अचानक। कल = यंत्र, मशीन। अगोचर = अदृश्य, अप्रत्यक्ष। खलल = व्यवधान। आँचकर = आँखों में काजल लगाकर। जादू = चमत्कारी गुण। आदि = आदत, अभ्यस्त । साधक = साधना करने वाला। बिल = किसी वस्तु का भुगतान किया जाने वाला कागजी प्रमाण। नमूना = थोड़ा-सा अंश, सेंपल । व्यवस्था = शासन प्रणाली। छान-बीन = जाँच-पड़ताल। असमंजस = दुविधा। तरकीब = उपाय, युक्ति। विराटता = बहुत बड़ा, विशालता। सिंहासन = राजा के बैठने का स्थान। व्याप्त = समाया हुआ। विशेषज्ञ = किसी विषय-विशेष का ज्ञान रखने वाला। माह = महीना, मास। सर्वत्र = सब जगह। आस्तीन = पहनने के कपड़े का वह भाग जो बाँह को ढकता है।

सदाचार का तावीज़ Summary

सदाचार का तावीज़ लेखक परिचय

हिंदी के सुप्रसिद्ध व्यंग्य लेखक हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त, सन् 1922 ई० को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी नामक गाँव में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई थी। इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से हिंदी विषय में एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। आपने कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य किया परंतु बार-बार स्थानांतरणों से तंग आकर अध्यापन कार्य छोड़ लेखन करने का निर्णय किया।

परसाई जी जबलपुर में बस गए और वहीं से कई वर्षों तक ‘वसुधा’ नामक पत्रिका निकालते रहे। आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्हें यह पत्रिका बंद करनी पड़ी। परसाई जी की रचनाएँ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं। सन् 1984 ई० में ‘साहित्य अकादमी’ ने इन्हें इनकी पुस्तक ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ पर पुरस्कृत किया था। मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग ने इन्हें इक्कीस हज़ार रुपए का पुरस्कार प्रदान किया, जिसे वहां के मुख्यमंत्री ने स्वयं इनके घर जबलपुर आकर दिया। इन्हें बीस हज़ार रुपए के चकल्लस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। परसाई जी प्रगतिशील लेखक संघ के प्रधान रहे हैं।

हिंदी व्यंग्य लेखन को सम्मानित स्थान दिलाने में परसाई जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। सन् 1995 ई० में इनका देहांत हो गया। परसाई जी का व्यंग्य हिंदी साहित्य में अनूठा है। सुप्रसिद्ध पत्रिका ‘सारिका’ में इनका स्तंभ ‘तुलसीदास चंदन घिसे’ अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। इन सामाजिक विकृतियों को इन्होंने सदा ही अपने पैने व्यंग्य का विषय बनाया है। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
कहानी संग्रह–’हंसते हैं रोते हैं’, ‘जैसे उनके दिन फिरे’, ‘दो नाक वाले लोग’, ‘माटी कहे कुम्हार से’। उपन्यास-‘रानी नागफनी की कहानी’ तथा ‘तट की खोज’। निबंध संग्रह–’तब की बात और थी’, ‘भूत के पांव पीछे’, ‘बेइमानी की परत’, ‘पगडंडियों का जमाना’, ‘सदाचार का ताबीज़’, ‘शिकायत मुझे भी है’, ‘ठिठुरता हुआ गणतंत्र’, ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’, ‘निठल्ले की डायरी’।
व्यंग्य संग्रह-वैष्णव की फिसलन, तिरछी रेखाएँ, ठिठुरता हुआ गणतंत्र, विकलांग श्रद्धा का दौर। परसाई जी का सारा साहित्य ‘परसाई रचनावली’ के नाम से छप चुका है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 15 सदाचार का तावीज़

सदाचार का तावीज़ कहानी का सार

‘सदाचार का तावीज़’ हरिशंकर परसाई द्वारा रचित एक व्यंग्य रचना है, जिसमें लेखक ने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा उसके उन्मूलन के खोखले रूपों पर कटाक्ष किया है। लेखक एक काल्पनिक राज्य की कहानी सुनाता है जहाँ भ्रष्टाचार बहुत फैल गया था। वहाँ का राजा दरबारियों को कहता है कि प्रजा देश में फैले भ्रष्टाचार पर हल्ला मचा रही है, उन्हें तो आज तक यह नहीं दिखाई देता। अगर उन लोगों ने इसे कहीं देखा हो तो बताओ। दरबारियों को भी नहीं दिखाई देता। एक दरबारी के कहने पर विशेषज्ञों को भ्रष्टाचार ढूंढ़ने का काम सौंपा जाता है।

दो महीने की जांच के बाद विशेषज्ञ राजा को बताते हैं कि भ्रष्टाचार बहुत है पर उसे पकड़ कर नहीं लाया जा सकता क्योंकि वह सूक्ष्म तथा अगोचर है और सर्वत्र व्याप्त है। वह देखने की नहीं अनुभव करने की वस्तु है। राजा इन गुणों को ईश्वर के मानकर पूछता है कि तो क्या भ्रष्टाचार ईश्वर है ? वे उत्तर देते हैं कि अब तो भ्रष्टाचार ईश्वर हो गया है। उदाहरण के रूप में वे राजा को बताते हैं कि आप के सिंहासन के रंग का बिल झूठा बनाया गया। यह भ्रष्टाचार घूस के रूप में फैला हुआ है। जब राजा ने उनसे इसे दूर करने का उपाय पूछा तो उन्होंने व्यवस्था में बहुत से परिवर्तन करने तथा ठेकेदारी की प्रथा समाप्त करने के लिए कहा। राजा ने विचार करने के लिए उनकी योजना रख ली।

राजा और दरबारियों ने विशेषज्ञों की योजना का अध्ययन किया। राजा सोच-सोच कर बीमार हो गया तो एक दरबारी ने उन्हें कहा कि इस योजना को त्याग कर कोई ऐसा उपाय सोचना चाहिए जिससे बिना अधिक उलट-फेर किए ही भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए। इसके लिए दरबारियों ने एक साधु को खोज लिया जिसने सदाचार की तावीज़ बना ली थी जिसे भुजा पर बांधने से व्यक्ति सदाचारी बन जाता था। राजा को यह उपाय पसंद आ गया। एक मंत्री के सुझाव पर उसने साधु को तावीज़ बनाने का ठेका और पाँच करोड़ रुपए इस कार्य को करने के लिए पेशगी दे दिए। लाखों तावीज़ बने और प्रत्येक सरकारी कर्मचारी की भुजा पर बांध दिए गए।

एक दिन राजा वेश बदलकर तावीज़ का प्रभाव देखने दो तारीख को एक कार्यालय में गया और किसी कर्मचारी को पाँच रुपए देकर अपना काम करवाना चाहा तो उसने उसे ‘यहाँ घूस लेना पाप है’ कह कर भगा दिया। राजा प्रसन्न हुआ कि तावीज़ ने कर्मचारी ईमानदार बना दिए हैं। वह एक दिन फिर इकतीस तारीख को उसी कर्मचारी के पास काम करवाने गया और उसे पाँच का नोट दिखाया जो उसने ले लिया। राजा ने उसे पकड़ लिया और पूछा कि क्या उसने तावीज़ नहीं बांधा है? उसने तावीज़ बांधी हुई थी। जब राजा ने तावीज़ पर कान लगाया तो उसमें से आवाज़ आ रही थी कि आज इकतीस है, आज तो लें ले !’

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 14 राजेन्द्र बाबू

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 राजेन्द्र बाबू Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 14 राजेन्द्र बाबू

Hindi Guide for Class 10 PSEB राजेन्द्र बाबू Textbook Questions and Answers

(क) विषय बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
राजेंद्र बाबू को लेखिका ने प्रथम बार कहाँ देखा था?
उत्तर:
राजेंद्र बाबू को लेखिका ने सबसे पहले पटना के स्टेशन पर एक बेंच पर बैठे देखा था।

प्रश्न 2.
राजेंद्र बाबू अपने स्वभाव और रहन-सहन में किसका प्रतिनिधित्व करते थे?
उत्तर:
राजेंद्र बाबू अपने स्वभाव और रहन-सहन में एक सामान्य भारतीय या भारतीय कृषक का प्रतिनिधित्व करते थे।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 14 राजेन्द्र बाबू

प्रश्न 3.
राजेंद्र बाबू के निजी सचिव और सहचर कौन थे?
उत्तर:
राजेंद्र बाबू के निजी सचिव और सहचर भाई चक्रधर जी थे।

प्रश्न 4.
राजेंद्र बाबू ने किनकी शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए लेखिका से अनुरोध किया?
उत्तर:
राजेंद्र बाबू ने अपनी 15-16 पौत्रियों की शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए लेखिका से अनुरोध किया था।

प्रश्न 5.
लेखिका प्रयाग से कौन-सा उपहार लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंची थी?
उत्तर:
लेखिका प्रयाग से बारह सूपों का उपहार लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंची थी।

प्रश्न 6.
राष्ट्रपति को उपवास की समाप्ति पर क्या खाते देखकर लेखिका को हैरानी हुई?
उत्तर:
राष्ट्रपति के उपवास की समाप्ति पर कुछ उबले हुए आलू खाकर परायण करते हैरानी हुई थी।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
राजेंद्र बाबू को देखकर हर किसी को यह क्यों लगता था कि उन्हें पहले कहीं देखा है?
उत्तर:
राजेंद्र बाबू की मुखाकृति तथा शरीर का सम्पूर्ण गठन एक सामान्य भारतीय की तरह था। उनकी वेशभूषा भी सामान्य व्यक्तियों के समान थी। उनका स्वभाव तथा रहन-सहन भी एक सामान्य नागरिक जैसा ही था। इसलिए जो भी उन्हें देखता था उसे यही लगता था कि ऐसे व्यक्ति को तो पहले कहीं देखा था।

प्रश्न 2.
पं० जवाहर लाल नेहरू की अस्त-व्यस्तता तथा राजेंद्र बाबू की सारी व्यवस्था किसका पर्याय थी?
उत्तर:
पं० जवाहर लाल नेहरू की अस्त-व्यस्तता एक व्यवस्था से निर्मित होती थी। राजेंद्र बाबू की व्यवस्था ही अस्त-व्यस्तता से परिपूर्ण होती थी। इसलिए उनकी व्यवस्थता पं० जवाहर लाल नेहरू की अस्त-व्यस्तता की पर्याय थी तथा पं० जवाहर लाल नेहरू की अस्त-व्यस्तता राजेंद्र बाबू की व्यवस्था की पर्याय थी।

प्रश्न 3.
राजेंद्र बाबू की वेश-भूषा के साथ उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण लेखिका को क्यों हो आया ?
उत्तर:
राजेंद्र बाबू की वेशभूषा तथा अस्त-व्यस्तता से लेखिका को उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण हो गया था। चक्रधर बाबू तब तक अपने मोज़े तथा जूते नहीं बदलते थे जब तक मोज़ों से पाँचों उँगलियाँ बाहर नहीं निकलने लगती थीं तथा जूतों के तलों में सुराख नहीं हो जाते थे। वे अपने वस्त्र भी उनके जीर्ण-शीर्ण हो जाने तक नहीं बदलते थे। वे राजेंद्र बाबू के पुराने वस्त्रों को पहन कर ही वर्षों उनकी सेवा करते रहे थे।

प्रश्न 4.
लेखिका ने राजेंद्र बाबू की पत्नी को सच्चे अर्थों में धरती की पुत्री क्यों कहा है?
उत्तर:
लेखिका ने राजेंद्र बाबू की पत्नी को सच्चे अर्थों में धरती की पुत्री इसलिए कहा है क्योंकि वे धरती के समान सरल, क्षमामयी, सबके प्रति ममतालु तथा त्यागमयी थीं। बिहार के ज़मींदार परिवार की वधू होकर भी उन्हें अहंकार नहीं था। वे सबका बहुत ध्यान रखती थीं। वे अत्यंत विनम्र स्वभाव की थीं।

प्रश्न 5.
राजेंद्र बाबू की पोतियों का छात्रावास में रहन-सहन कैसा था ?
उत्तर:
राजेंद्र बाबू की पोतियां छात्रावास में सामान्य छात्राओं के समान बहुत सादगी और संयम से रहती थीं। वे सभी खादी के कपड़े पहनती थीं। उन्हें अपने वस्त्र स्वयं धोने होते थे। उन्हें अपने कमरे की सफ़ाई, झाड़-पोंछ स्वयं करनी होती थीं। वे अपने गुरुजनों की सेवा भी करती थीं। उन्हें साबुन, तेल आदि के लिए सीमित राशि ही दी जाती थी।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 14 राजेन्द्र बाबू

प्रश्न 6.
राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी राजेंद्र बाबू और उनकी पत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआउदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी राजेंद्र बाबू तथा उनकी पत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ था। अपनी पौत्रियों के संबंध में राजेंद्र बाबू ने लेखिका से कहा था कि उनकी पौत्रियाँ जैसी रहती आई हैं, अब भी वैसी ही रहेंगी। इसी प्रकार से उनकी पत्नी स्वयं भोजन बना कर पति, परिवार तथा परिजनों को खिलाने के बाद ही स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। उपवारर का णयण फल, मेवों, मिठाइयों आदि के स्थान पर वे उबले हुए आलू खाकर करते थे।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
राजेंद्र बाबू की शारीरिक बनावट, वेश-भूषा और स्वभाव का वर्णन करें।
उत्तर:
राजेंद्र बाबू के हाथ, पैर, शरीर सब में लंबाई की विशेषता थी। उनके काले, घने, छोटे कटे हुए बाल, चौड़ा मुख, चौड़ा माथा, घनी भौहें, बड़ी-बड़ी आँखें, कुछ भारी नाक, गोलाई लिए चौड़ी ठुड्डी, कुछ मोटे और सुडौल होंठ, गेहुँआ रंग, बड़ी-बड़ी मूंछे थीं। वे खादी की मोटी धोती-कुर्ता, काला बंद गले का कोट, गांधी टोपी, साधारण मौजे और जूते पहनते थे। उनका स्वभाव अत्यन्त शांत था। वे सदा सादगी पसंद करते थे। अपने स्वभाव तथा रहन-सहन में वे एक सामान्य भारतीय अथवा किसान के समान थे। उनका खान-पान अत्यन्त साधारण था।

प्रश्न 2.
पाठ के आधार पर राजेंद्र बाबू की पत्नी की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
राजेंद्र बाबू की पत्नी एक सच्ची भारतीय नारी थीं। वह धरती के समान सहनशील, क्षमामयी, ममतालु तथा सरल थीं। बचपन में ही उनका विवाह हो गया था। बिहार के ज़मीदार परिवार की वधू तथा स्वतंत्रता संग्राम के सुप्रसिद्ध सेनानी एवं भारत के प्रथम राष्ट्रपति की पत्नी होने का भी उन्हें अहंकार नहीं था। राष्ट्रपति भवन में वे स्वयं भोजन पकाती थी तथा पति, परिवार, परिजनों आदि को खिला कर ही स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। लेखिका के छात्रावास में अपनी पौत्रियों से मिलने आने पर वे छात्रावास की अन्य छात्राओं, सेवकों आदि को भी मिठाई बांट देती थीं। गंगा स्नान के समय वे खूब दान करती थीं।

प्रश्न 3.
आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) सत्य में जैसे कुछ घटाना या जोड़ना संभव नहीं रहता, वैसे ही सच्चे व्यक्तित्व में भी कुछ जोड़नाघटाना सम्भव नहीं है।
उत्तर:
भाव यह है कि सत्य अंत तक सत्य ही रहता है। उसमें से कुछ भी घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता। उसी प्रकार एक सच्चे व्यक्तित्व में कुछ भी घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता, क्योंकि सच्चा व्यक्ति सदैव एक ही रूप में नज़र आता है।

(ख) क्या वह सांचा टूट गया जिसमें ऐसे कठिन कोमल चरित्र ढलते थे?
उत्तर:
भाव यह है कि क्या ईश्वर से वह सांचा टूट गया है, जिसके माध्यम से वह राजेंद्र बाबू जैसे कठिन और कोमल चरित्र वाले व्यक्ति बनाता था। अब ईश्वर ने उन जैसे सरल तथा परिश्रमी व्यक्ति बनाना बंद कर दिया है। आज वह वातावरण नष्ट हो गया है जिस वातावरण में नैतिक चरित्रों का निर्माण होता था।

(ख) भाषा बोध

I. निम्नलिखित में संधि कीजिए

शीत + अवकाश, विद्या + अर्थी, मुख + आकृति, छात्र + आवास, प्रति + ईक्षा, प्रति + अक्ष।
उत्तर:
शीत + अवकाश = शीतावकाश
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
मुख + आकृति = मुखाकृति
छात्र + आवास = छात्रावास
प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा
प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष।

II. निम्नलिखित शब्दों में संधि विच्छेद कीजिए

राजेंद्र, वातावरण, फलाहार, व्यतीत, मिष्ठान्न, प्रत्येक, व्यवस्था, एकासन।
उत्तर:
राजेंद्र = राजा + इंद्र
वातावरण = वात + आवरण
फलाहार = फल + आहार
व्यतीत = वि + अतीत
मिष्ठान्न = मिष्ठा + अन्न
प्रत्येक = प्रति + एक
व्यवस्था = वि + अवस्था
एकासन = एक + आसन।

III. निम्नलिखित विग्रह पदों को समस्त पदों में बदलिए

राष्ट्र का पति
रसोई के लिए घर
कर्म में निष्ठा
विद्या की पीठ
गंगा में स्नान
राष्ट्रपति का भवन
उत्तर:
राष्ट्र का पति = राष्ट्रपति
रसोई के लिए घर = रसोईघर
कर्म में निष्ठा. = कर्मनिष्ठा
विद्या का पीठ = विद्यापीठ
गंगा में स्नान = गंगास्नान
राष्ट्रपति का भवन = राष्ट्रपति भवन

IV. निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए

गाँव का रहने वाला, नगर में रहने वाला, कृषि कर्म करने वाला, छात्रों के रहने का स्थान, जिसका कोई शत्रु न हो, जिसे पराजित न किया जा सके, अतिथि का स्वागत करने वाला।
उत्तर:
वाक्यांश = एक शब्द
गाँव का रहने वाला = ग्रामीण
नगर का रहने वाला = नागरिक
कृषि कर्म करने वाला = कृषक
छात्रों के रहने का स्थान = छात्रावास
जिसका कोई शत्रु न हो = अजातशत्रु
जिसे पराजित न किया जा सके = अपराजेय
अतिथि का स्वागत करने वाला = आतिथेय।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
राजेंद्र बाबू सादगी और सरलता की प्रतिमूर्ति थे। आप उनके कौन-कौन से गुणों को अपने जीवन में अपनाना चाहेंगे?
उत्तर:
हम राजेंद्र बाबू के जीवन से सादगी, सरलता, विनम्रता, सहजता आदि गुणों को अपने जीवन में अपनाना चाहते हैं।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 14 राजेन्द्र बाबू

प्रश्न 2.
आप किसी महान् व्यक्तित्व से मिले हो अथवा आपने किसी महान् व्यक्तित्व के बारे में पढ़ा हो तो संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
मैं स्वामी विवेकानंद जी के विषय में पढ़ रहा था तो मुझे उनसे संबंधित यह प्रसंग बहुत प्रेरणादायक लगा भारत के प्रतिनिधित्व करने वाले स्वामी विवेकानंद पार्लियामेंट ऑफ रिलीजंज़ में भाग लेने के लिए अमेरिका जाने वाले थे। आपके गुरु ठाकुर रामकृष्ण परम-हंस ब्रह्मलीन हो चुके थे। आप गुरु माँ शारदा देवी जी का आशीर्वाद लेने उनके पास पहुँचे। माँ शारदा रसोई घर में आटा मल रही थीं। उन्होंने विवेकानंद जी से चाकू मांगा। विवेकानंद जी ने चाकू का फल तो अपने हाथ में पकड़ा और चाकू की मूठ माँ की ओर बढ़ा दी। माँ ने प्रसन्न होकर आटे से सने हाथ से विवेकानंद को आशीर्वाद देते हुए विजयीभव कह दिया और कहा, “बेटा, चाकू पकड़ाने की छोटी-सी घटना ने आपकी महानता का परिचय दे दिया। आप दूसरों के कष्टों को अपने ऊपर झेलते हुए और अपना सुख दूसरों को बाँटते हुए पूरे विश्व में ठाकुर जी की शिक्षा का प्रचार करोगे।” इस प्रसंग से मैंने यह सीखा कि समस्त कष्ट अपने लिए होते हैं तथा सुख दूसरों के लिए होते हैं।

प्रश्न 3.
भारत के सभी राष्ट्रपतियों के चित्र एकत्र करके एक चार्ट पर चिपकाकर पुस्तकालय अथवा अन्य किसी समुचित स्थान पर लगाइए।
उत्तर:
आप स्वयं कीजिए।

प्रश्न 4.
भारत के राष्ट्रपति-चुनाव के संबंध में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका का सहायता से कीजिए।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता

प्रश्न 1.
राजेंद्र बाबू के बाद के भारत के विभिन्न राष्ट्रपतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जीवनियां पढ़िए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसी आकृति व वेशभूषा धारण करके फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता में भाग लीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
सरलता व सादगी का व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस विषय के पक्ष और विपक्ष में कक्षा में परिचर्चा करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद-
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद हमारे देश के पहले राष्ट्रपति थे। इनका जन्म जीरा देयू (बिहार) में 3 दिसंबर, सन् 1884 में हुआ था। इनके अभिभावक श्री महादेव सहाय थे। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की पत्नी का नाम राजवंशी देवी था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रेसीडेंसी कॉलेज (कलकत्ता) से प्राप्त की थी। इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् बी० एल० कानून में एम० ए० और पी० एच० डी० की उपाधियां प्राप्त की थीं। देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् इन्होंने 26 जनवरी, सन् 1950 से 13 मई सन् 1962 तक देश के राष्ट्रपति पद को अति सफलतापूर्वक संभाला था। इन्हें भारत रत्न की उपाधि प्राप्त हुई थी। इनका देहावसान 28 फरवरी, सन् 1963 ई० में पटना के सदाकत आश्रम में हो गया था।

2. राष्ट्रपति भवन-यह देश के राष्ट्रपति का भव्य निवास स्थान है। इसे सन् 1950 तक वाइसरॉय हाउस के नाम से जाना जाता था और भारत के गवर्नर जनरल तब इसमें रहा करते थे। यह दिल्ली के बीचो-बीच बना हुआ है जिसमें 340 कक्ष हैं। यह भवन विश्व के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के रहने वाले भवन से बड़ा है। इनकी भव्यता अद्भुत है।

3. भारत के राष्ट्रपतियों की क्रमानुसार सूची-

  • डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
  • डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  • डॉ० ज़ाकिर हुसैन
  • वी० वी० गिरी (बराहगिरी वेंकट गिरी)
  • फ़करुद्दीन अली अहमद
  • नीलम संजीवा रेड्डी
  • ज्ञानी जैल सिंह
  • रामास्वामी वेंकटरमण
  • डॉ० शंकरदयाल शर्मा
  • के० आर० नारायणन
  • डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम
  • प्रतिभा पाटिल
  • प्रणब मुखर्जी।
  • राम नाथ कोविंद

राष्ट्रपति भवन

भारत सरकार के राष्ट्रपति का सरकारी आवास ‘राष्ट्रपति भवन’ के नाम से जाना जाता है। सन् 1950 तक इसे वाइसरॉय हाउस नाम से पुकारा जाता था। तब यह उस समय भारत के गवर्नर जनरल का निवास स्थल था। यह नई दिल्ली के बीचोबीच बना हुआ है। इसमें 340 कक्ष हैं। यह पूरे संसार में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के घर से बड़ा है।

PSEB 10th Class Hindi Guide राजेन्द्र बाबू Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘राजेंद्र बाबू को मैंने पहले पहल एक सर्वथा गद्यात्मक वातावरण में देखा था।’ लेखिका द्वारा वर्णित ‘गद्यात्मक वातावरण’ का वर्णन करो।
उत्तर:
लेखिका ने जब पहली बार राजेंद्र बाबू को देखा था, तो वह उनके व्यक्तित्व से पूर्णतः अपरिचित थी। परंतु जैसे-जैसे वह उनके संपर्क में आती गई, वैसे-वैसे उनके जीवन में छिपे हुए गूढ़ रहस्यों को भी जानती गई। इसी ‘गद्यात्मक वातावरण’ का वर्णन लेखिका ने इस पाठ में किया है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्य में लेखिका ने राजेंद्र बाबू की किस विशेषता की ओर संकेत किया है? ‘पहली दृष्टि में ही जो आकृति स्मृति में अंकित हो गई थी, उसमें इतने वर्षों में न कोई नई रेखा जुड़ी है और न कोई नया रंग भरा है।’
उत्तर:
इन पंक्तियों में लेखिका ने राजेंद्र बाबू के प्रभावपूर्ण, आकर्षक एवं सच्चे व्यक्तित्व की ओर संकेत किया है।

प्रश्न 3.
लेखिका ने सूत्र रूप में राजेंद्र बाबू और पं० नेहरू में तुलना की है। उसे स्पष्ट रूप से समझाओ।
उत्तर:
पं० नेहरू के जीवन में फैली हुई अव्यवस्था में भी कोई न कोई व्यवस्था अवश्य छिपी रहती थी जबकि राजेंद्र बाबू का पूरा जीवन ही अव्यवस्थित था अपितु उनकी व्यवस्था में भी अव्यवस्था की झलक दिखाई पड़ती थी।

प्रश्न 4.
पाठ के किन वाक्यों से पता चलता है कि राजेंद्र बाबू अपनी वेश-भूषा के प्रति सचेष्ट नहीं रहते थे? ऐसा क्यों?
उत्तर:
लेखिका ने जब पहली बार राजेंद्र बाबू को देखा तो उसे उनकी वेश भूषा बहुत अस्त-व्यस्त लगी। उनके कोट के ऊपर के भाग का बटन टूट जाने के कारण खुला था। उनका एक मोज़ा जूते पर उतर आया था और दूसरा टखने पर घेरा बना रहा था। जूतों पर मिट्टी की पर्त चढ़ी हुई थी। उनके सिर पर पहनी हुई गांधी टोपी भौंहों पर खिसक आई थी। उनकी वेश-भूषा देखकर लगता था मानो वे किसी हड़बड़ी में चलते-चलते कपड़े पहनते आए हैं, जो जिस स्थिति में अटक गया, वह उसी स्थिति में अटका रह गया।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 14 राजेन्द्र बाबू

प्रश्न 5.
राजेंद्र बाबू की वेश-भूषा की अस्त-व्यस्तता के साथ उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण लेखिका को क्यों हो आया?
उत्तर:
राजेंद्र बाबू की वेश-भूषा की अस्त-व्यस्तता के साथ उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण लेखिका को इसलिए हो आया क्योंकि यह एक सच्चे शिष्य की भाँति राजेंद्र बाबू के पुराने वस्त्रों को पहन कर स्वयं को धन्य अनुभव करते थे।

प्रश्न 6.
भाव स्पष्ट कीजिए ‘व्यापकता ही सामान्यता की शपथ है, परंतु व्यापकता संवेदना की गहराई में स्थित रहती है।’
उत्तर:
भाव यह है कि संवेदनशीलता एक व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों से जोड़ती है, जिससे वह अपनी विशिष्टता के रहते हुए भी एक सामान्य व्यक्ति बन जाता है।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखिका प्रयाग में कौन-सी कक्षा में पढ़ती थी तथा शीतावकाश में कहाँ जा रही थी?
उत्तर:
लेखिका प्रयाग में बी०ए० में पढ़ती थी और शीतावकाश में भागलपुर जा रही थी।

प्रश्न 2.
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की वेशभूषा की क्या विशेषता दृष्टि को और भी उलझा देती थी?
उत्तर:
उनकी वेशभूषा की ग्रामीणता दृष्टि को और भी उलझा लेती थी।

प्रश्न 3.
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर:
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की सारी व्यवस्था ही अस्त-व्यस्तता की पर्याय थी।

प्रश्न 4.
फलाहार के साथ किन खाद्य पदार्थों की कल्पना लेखिका ने की थी?
उत्तर:
फलाहार के साथ उत्तम खाद्य पदार्थों की कल्पना लेखिका ने की थी।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
राजेन्द्र बाबू के निकट संपर्क में आने का अवसर लेखिका को कब मिला?
(क) 1935 में
(ख) 1937 में
(ग) 1939 में
(घ) 1941 में।
उत्तर:
(ख) 1937

प्रश्न 2.
राजेन्द्र बाबू के सचिव और सहचर थे
(क) चक्रधर
(ख) चक्रपाणि
(ग) चक्रभुज
(घ) चक्रम।
उत्तर:
(क) चक्रधर

प्रश्न 3.
लेखिका राष्ट्रपति भवन जाते समय अपने साथ क्या उपहार ले गई?
(क) कुशासन
(ख) शीतलपाटी
(ग) सूप
(घ) चटाई।
उत्तर:
(ग) सूप

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न

प्रश्न 1.
राजेन्द्र बाबू को जीवन मूल्यों की परख रखने वाली दृष्टि के कारण कौन-सी उपाधि मिली थी? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
देशरत्न

प्रश्न 2.
राजेन्द्र बाबू और उनकी सहधर्मिणी सप्ताह में एक दिन अन्न नहीं ग्रहण करते थे। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 3.
राजेन्द्र बाबू की 20-25 पौत्रियाँ थीं। (हाँ या नहीं में उत्तर दें)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 4.
पटना में भाई से मिलने की बात थी। (सही या गलत में उत्तर दें)
उत्तर:
सही

प्रश्न 5.
सच्चे व्यक्तित्व में कुछ भी जोड़ा-घटाया जा सकता है। (सही या गलत लिख कर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 14 राजेन्द्र बाबू

प्रश्न 6.
वे सच्चे अर्थ में ………… की पुत्री थीं।
उत्तर:
धरती

प्रश्न 7.
उस समय …………… के सैनिकों का ……….. जेल ही रहता था।
उत्तर:
संघर्ष, गंतव्य

प्रश्न 8.
मन की सरल ……….. ने उन्हें ………….. बना दिया।
उत्तर:
स्वच्छता, अजातशत्रु।

राजेंद्र बाबू कठिन शब्दों के अर्थ

अटूट = न टूटने वाला। शीतावकाश = सर्दियों की छुट्टियाँ। प्रतीक्षा = इंतज़ार। देहाती = गाँव में रहने वाला। विराजमान = उपस्थित। विहंगम = उड़ती-सी साधारण। अभिवादन = प्रणाम करना। स्मृति = याद। रोमिल = रोम, छोटे-छोटे बाल। अनायास = अचानक। स्वच्छंदतावाद = खुलापन। हड़बड़ी में = जल्दी में। कृषक = किसान। प्रतिनिधित्व करना = नेतृत्व करना। संवेदना = सहानुभूति। गरिमा = गौरव, बड़प्पन। अस्तव्यस्तता = अव्यवस्थित। संकुचित होना = शर्माना, सिकुड़ना। अनमिल = अमेल। सचिव = सलाहकार। गवाक्ष = झरोखा। सहेजना = समेट लेना। परिधान = वस्त्र। प्रसाधित = सजा हुआ। शिलान्यास = नींव का पत्थर रखना। संरक्षण = देख-रेख में। सहधर्मिणी = पत्नी। पर्दापण = आना, प्रवेश करना। अपराजेय = कभी न हारने वाला। कोलाहल = शोर। बिना विचलित हुए = बिना किसी घबराहट के। अपवाद = नियम विरुद्ध। संलग्न = जुड़ा होना, नत्थी। निमन्त्रण = बुलावा। विस्मय = आश्चर्य। तत्कालीन = उस समय की। उपवास = व्रत। खाद्य = खाने योग्य। दारापन = पेट भरना। अजातशत्रु = शत्रुओं से रहित। प्राप्य = पाने योग्य।

राजेंद्र बाबू Summary

राजेंद्र बाबू लेखिका परिचय

जीवन परिचय-छायावादी काव्य के चार प्रमुख कवियों में से एक मात्र कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म होली के दिन सन् 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद कस्बे में हुआ। इनकी आरंभिक शिक्षा इंदौर में हुई। मिडल की परीक्षा में सारे प्रांत में प्रथम आई थीं। इन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम० ए० किया। कुछ समय बाद ही उनकी नियुक्ति प्रयाग महिला विद्यापीठ में ही हो गई। इन्हें इसी संस्थान की प्राचार्य के पद पर कार्य करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। गाँधीवादी विचारधारा तथा बौद्ध दर्शन ने महादेवी को काफ़ी प्रभावित किया। स्वाधीनता आंदोलन में भी महादेवी वर्मा ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने कुछ वर्षों तक ‘चाँद’ नामक पत्रिका का संपादन कार्य कुशलतापूर्वक किया। 11 सितंबर, सन् 1987 को इनका देहावसान हो गया।

रचनाएँ-महादेवी वर्मा की मुख्य रचनाएँ निम्नलिखित हैंकाव्य
संग्रह-‘निहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, दीपशिखा, ‘प्रथम आयाम’, ‘अग्नि रेखा’।
गद्य रचनाएँ-‘पथ के साथी’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’, ‘मेरा परिवार और चिंतन के क्षण’।

‘यामा’ पर उन्हें ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ पुरस्कार प्राप्त हुआ तथा भारत सरकार ने उन्हें सन् 1956 में ‘पद्मभूषण अलंकरण’ से सम्मानित किया।

महादेवी वर्मा छायावाद की प्रमुख स्तंभ हैं। उनके काव्य में जन-जागरण की चेतना के साथ स्वतंत्रता की कामना भी अभिव्यक्त की गई है। उन्होंने भारतीय समाज में नारी पराधीनता के यथार्थ और स्वतंत्रता की विवेचना की है। नारी के दुःख, वेदना और करुणा की त्रिवेणी ने महादेवी को अन्य कवियों से अधिक संवेदनशील एवं भावुक बना दिया है। अपनी प्रेमानुभूति में उन्होंने अज्ञात एवं असीम प्रेमी को संबोधित किया है। इसलिए आलोचकों ने उसकी कविता में रहस्यवाद को खोजा है। अपने आराध्य प्रियतम के प्रति महादेवी वर्मा ने दुःख की अनुभूति के साथ करुणा का बोध भी अभिव्यक्त किया है।

महादेवी वर्मा एक सफल गद्यकार हैं। उन्होंने गद्य कृतियों में नारी स्वतंत्रता, असहाय चेतना और कमजोर वर्ग के प्रति संवेदनशील अनुभूतियाँ अभिव्यक्त की हैं। उन्होंने सामान्य मानवीय संवेदनाओं को अपने साहित्य की मूल प्रवृत्ति बनाया है।

राजेंद्र बाबू पाठ का सार

लेखिका श्रीमती महादेवी वर्मा ने राजेंद्र बाब को पहली बार पटना स्टेशन पर देखा। प्रथम दृष्टि में उनकी जो आकृति लेखिका की स्मृति पटल पर अंकित हुई, वह वर्षों के पश्चात् भी यथावत् बनी हुई थी। काले घने कटे हुए बाल, चौड़ा मुख, बड़ी-बड़ी आँखें, गेहुँआ वर्ण, बड़ी-बड़ी ग्रामीणों जैसी मूछे, लंबा कदकाठ ग्रामीणों की-सी वेश-भूषा, सिर पर गाँधी टोपी पहने हुए राजेंद्र बाबू का व्यक्तित्व बरबस हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित कर लेता था।

न केवल आकृति, शारीरिक गठन और वेश-भूषा में ही, अपितु अपने स्वभाव और रहन-सहन में भी वे एक सामान्य भारतीय का प्रतिनिधित्व करते थे। प्रतिभा और बुद्धि की विशिष्टता के साथ उनकी संवेदनशीलता भी उनके सामान्य व्यक्तित्व को गरिमामयी बना देती थी। राजेंद्र बाबू की वेश-भूषा और अपनी इस अस्त-व्यस्तता वास्तव में उनकी व्यवस्था का ही परिणाम होती थी और अपनी इस अस्त-व्यवस्ता के प्रकट होने की स्थिति में वे भूल करने वाले किसी बालक की तरह ही सिमट जाते थे।

लेखिका को राजेंद्र बाबू के संपर्क में आने का अवसर सन् 1937 में मिला, जब कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में बाबू जी ने महिला विद्यापीठ के महाविद्यालय के भवन की नींव डाली। तभी उन्होंने अपनी पौत्रियों की शिक्षा-व्यवस्था के लिए महादेवी से आग्रह किया और उन्हें विद्यापीठ के छात्रावास में भर्ती करवा दिया। इसी बीच लेखिका का परिचय राजेंद्र बाबू की पत्नी से हुआ जो स्वभाव की बहुत सरल, सीधी-सादी, क्षमाशील और ममत्व की मूर्ति थीं। एक ज़मींदार परिवार की वधू और महान् स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी होने पर भी उनमें अहंकार लेशमात्र भी न था। छात्रावास की बालिकाओं तथा नौकर-चाकरों पर वह समान रूप से अपने स्नेह की वर्षा करती थीं।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 14 राजेन्द्र बाबू

राजेंद्र बाबू भी सभी छात्राओं को स्नेहपूर्ण दृष्टि से देखते थे। यही नहीं उन्होंने अपनी पौत्रियों को भी सामान्य बालिकाओं के साथ सादगी एवं संयम से रहने का पाठ पढ़ाया था। वे उनमें अहंकार की भावना न देखना चाहते थे। इसलिए भारत के राष्ट्रपति बनने पर भी उन्होंने अपनी पोतियों को पहले की तरह ही सादगीपूर्ण रहते हुए कर्मनिष्ठ बनने की शिक्षा दी थी। राजेंद्र बाबू की पत्नी में भी कोई परिवर्तन न आया था। राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी वह एक सामान्य भारतीय नारी की तरह जीवन यापन करती थीं।

एक दिन जब महादेवी दिल्ली आने का विशेष निमंत्रण पाकर राष्ट्रपति-भवन पहुँची, तो वहाँ उनका खूब अतिथिसत्कार हुआ। भोजन के समय राजेंद्र बाबू और उनकी पत्नी का उपवास होने के कारण महादेवी को उनके साथ फलाहार लेना उचित लगा। उस दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति को सामान्य आसन पर बैठ कर दिन भर के उपवास के उपरान्त कुछ उबले हुए आलू खाकर पेट भरते देखकर लेखिका को आश्चर्य हुआ और उन्होंने उनके चेहरे पर संतोष की एक झलक महसूस की। वास्तव में जीवन मूल्य की सच्ची पहचान रखने वाले वे एक महान् व्यक्ति थे, जिन्हें ‘देशरत्न’ (भारत रत्न) की उपाधि दी गई। स्वभाव की इसी सरलता से उनके जीवन में कोई शत्रु नहीं था।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 13 मैं और मेरा देश

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 मैं और मेरा देश Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 13 मैं और मेरा देश

Hindi Guide for Class 10 PSEB मैं और मेरा देश Textbook Questions and Answers

(क) विषय बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक को अपनी पूर्णता का बोध कब हुआ?
उत्तर:
जब लेखक को यह पता चला कि उसे अनेक की अपने लिए ज़रूरत पड़ती है और वह भी अनेक की ज़रूरतें पूरी करता है तो उसे अपनी स्थिति की पूर्णता का बोध हुआ।

प्रश्न 2.
मानसिक भूकंप से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानसिक विचारों और विश्वासों में हलचल उत्पन्न होना मानसिक भूकंप होता है, जिससे मन में अनेक विचार आंदोलित होने लगते हैं।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 13 मैं और मेरा देश

प्रश्न 3.
किस तेजस्वी पुरुष के अनुभव ने लेखक को हिला दिया?
उत्तर:
स्वर्गीय पंजाब केसरी लाला लाजपतराय के विदेश यात्रा के दौरान भारतवर्ष की गुलामी की लज्जा के कलंक के अनुभव ने लेखक को हिला दिया।

प्रश्न 4.
मनुष्य के लिए संसार के सारे उपहारों और साधनों को व्यर्थ क्यों कहा?
उत्तर:
नुष्य के लिए संसार के सभी उपहार और साधन तब व्यर्थ हो जाते हैं जब उसका देश गुलाम हो या किसी भी अन्य रूप से हीन होता है।

प्रश्न 5.
युद्ध में ‘जय’ बोलने वालों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
युद्ध क्षेत्र में लड़ने के अतिरिक्त जय बेलने वाले सैनिकों का साहस बढ़ाने का कार्य करते हैं। इससे उनका उत्साह बढ़ता है।

प्रश्न 6.
दर्शकों की तालियाँ खिलाड़ियों पर क्या प्रभाव डालती हैं?
उत्तर:
दर्शकों की तालियाँ मैदान में खेलने वाले खिलाड़ियों के उत्साह को बढ़ाती हैं। उत्साह के बढ़ने से वो अधिक अच्छा और जोश से भर कर जीत के लिए खेलते हैं।

प्रश्न 7.
जापान के स्टेशन पर स्वामी रामतीर्थ क्या ढूंढ़ रहे थे?
उत्तर:
जापान के स्टेशन पर स्वामी रामतीर्थ फल ढूंढ़ रहे थे।

प्रश्न 8.
कमालपाशा कौन थे?
उत्तर:
कमालपाशा तुर्की के राष्ट्रपति थे।

प्रश्न 9.
बूढ़े किसान ने कमालपाशा को क्या उपहार दिया?
उत्तर:
बूढ़े किसान ने कमालपाशा को मिट्टी की छोटी-सी हाँडी में पाव-भर शहद का उपहार दिया था।

प्रश्न 10.
किसान ने पंडित जवाहर लाल नेहरू को क्या उपहार दिया?
उत्तर;
किसान ने पंडित नेहरू को रंगीन सुतलियों से बुनी खाट उपहार में दी।

प्रश्न 11.
लेखक के अनुसार हमारे देश को किन दो बातों की आवश्यकता है?
उत्तर:
लेखक के अनुसार हमारे देश को शक्ति बोध और सौंदर्य बोध इन दो बातों की आवश्यकता है।

प्रश्न 12.
शल्य कौन था?
उत्तर:
शल्य महाबली कर्ण का सारथि, माद्री का भाई, मद्रय देश का राजा तथा नकुल-सहदेव का मामा था।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लाला लाजपतराय के किस अनुभव ने लेखक की पूर्णता को अपूर्णता में बदल दिया?
अथवा
‘मैं और मेरा देश’ निबन्ध के आधार पर लिखें कि लाला लाजपतराय के किस अनुभव ने लेखक की पूर्णता को अपूर्णता में बदल दिया?
उत्तर:
लाला लाजपतराय संसार के अनेक देशों में घूमने गए थे। जब वे वहाँ से घूम कर अपने देश में लौटे तो उन्होंने अपना विदेशी यात्रा का अनुभव सुनाते हुए कहा कि वे अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस तथा संसार के दूसरे जिन देशों में भी गए उन पर भारतवर्ष की गुलामी की लज्जा का कलंक लगा ही रहा। उनके इस अनुभव ने लेखक की पूर्णता को अपूर्णता में बदल दिया था।

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प्रश्न 2.
स्वामी रामतीर्थ द्वारा फलों की टोकरी का मूल्य पूछने पर जापानी युवक ने क्या कहा?
उत्तर:
स्वामी रामतीर्थ के मुख से यह सुनकर कि जापान में शायद अच्छे फल नहीं मिलते। एक जापानी युवक एक टोकरी ताज़ा फल स्वामी जी को भेंट करते हुए कहता है कि लीजिए ताजे फल। स्वामी जी ने जब उसे फलों का मूल्य देना चाहा तो उसने मना किया और कहा कि आप इनका मूल्य देना ही चाहते हैं तो अपने देश में जाकर किसी से यह न कहिएगा कि जापान में अच्छे फल नहीं मिलते।

प्रश्न 3.
किसी देश के विद्यार्थी ने जापान में ऐसा कौन-सा काम किया जिससे उसके देश के माथे पर कलंक का टीका लग गया?
उत्तर:
किसी देश का कोई युवक जापान में शिक्षा लेने आया। वह सरकारी पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने लगा। उसने उस पुस्तक में से कुछ चित्र फाड़ लिए और पुस्तक वापस कर आया। किसी जापानी युवक ने इसकी शिकायत की और पुस्तकालय के अधिकारी को सूचित कर दिया। पुलिस ने तलाशी लेकर वे चित्र उस विद्यार्थी से बरामद कर लिए और उसे जापान से निकाल दिया। साथ ही उन्होंने पुस्तकालय के नोटिस-बोर्ड पर लिखवा दिया कि जिस देश का वह विद्यार्थी था उस देश का कोई भी निवासी इस पुस्तकालय में प्रवेश नहीं कर सकता। इस प्रकार उस युवक के इस काम से उसके देश के माथे पर कलंक का टीका लगा।

प्रश्न 4.
लेखक के अनुसार कोई भी कार्य महान् कैसे बन जाता है?
उत्तर:
महत्त्व किसी कार्य की विशालता में नहीं होता, महत्त्व सदा उस कार्य को करने की भावना में होता है। लेखक के अनुसार यदि कोई बड़े से बड़ा कार्य अच्छी भावना से न किया जाए तो वह कार्य हीन होता है। इसके विपरीत अच्छी भावना से किया गया छोटे-से-छोटा कार्य भी महान् होता है।

प्रश्न 5.
शल्य ने कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य किया? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
कर्ण का सारथि बन कर शल्य कर्ण के सम्मुख अर्जुन की अजेयता का बार-बार उल्लेख करता रहता था। इससे कर्ण के आत्मविश्वास में कमी आ गई जिससे बाद में वह अर्जुन से पराजित हो गया था। कर्ण जब भी अपने पक्ष की विजय से प्रसन्न होता, शल्य की अर्जुन की प्रशंसा उसे अपने पक्ष की हीनता का बोध कराती थी।

प्रश्न 6.
शक्ति-बोध और सौंदर्य-बोध से क्या तात्पर्य है? पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर:
शक्ति-बोध का अर्थ देश को शक्तिशाली बनाने से और सौंदर्य-बोध का अर्थ देश को सुंदर बनाने से है। लेखक शक्ति-बोध को स्पष्ट करते हुए कहता है कि यदि हम सार्वजनिक स्थलों पर अपने देश की बुराई करते हैं तथा अपने देश को हीन और दूसरे देशों को अपने देश से श्रेष्ठ बताते हैं तो इससे हमारे देश के शक्ति-बोध को चोट पहुँचती है। इसी प्रकार से सौंदर्य-बोध को स्पष्ट करते हुए लेखक कहता है कि जब हम अपने घर, मुहल्ले, गलियों, सार्वजनिक स्थलों आदि को गंदा रखते हैं तो हम अपने देश के सौंदर्य-बोध को क्षति पहुँचाते हैं।

प्रश्न 7.
हम अपने देश के शक्तिबोध को किस प्रकार चोट पहुंचाते हैं?
उत्तर:
जब हम रेलों, मुसाफिरखानों, क्लबों, चौपालों आदि सार्वजनिक स्थानों पर अपने देश की ख़ामियों का वर्णन करते हैं, दूसरे देशों की खुशहाली की प्रशंसा करते हैं, अपने देश की दयनीय दशा का वर्णन करते हैं, अपने देश को हीन तथा दूसरे देशों को श्रेष्ठ बताते हैं तो हम अपने देश के शक्ति-बोध को चोट पहुँचाते हैं। इससे हम स्वयं ही अपने देश के सामूहिक मानसिक बल को भी हीन कर देते हैं। हम अपने देश को तुच्छ तथा अन्य देशों को उच्च मानने लगते हैं।

प्रश्न 8.
हम अपने देश के सौंदर्य बोध को किस प्रकार चोट पहुंचाते हैं?
उत्तर:
जब हम अपने देश के प्रत्येक ऐसे स्थान को साफ-स्वच्छ नहीं रखते तो हम देश के सौंदर्य बोध को चोट पहुंचाते हैं। हमें अपना घर मुहल्ला, गली, गाँव, नगर आदि सभी की सफाई-स्वच्छता की ओर ध्यान देना चाहिए। यदि हमारा परिवेश गंदा रहेगा तो हमारे सौंदर्य बोध को धक्का लगेगा। सौंदर्य बोध हमारे मन-मस्तिष्क के साथ-साथ सोच पर भी आधारित होता है।

प्रश्न 9.
देश की उच्चता और हीनता की कसौटी क्या है?
उत्तर:
देश की उच्चता और हीनता की कसौटी ‘चुनाव’ है। जिस देश के लोग यह समझते हैं कि चुनाव में किसे अपना मत देना चाहिए और किसे नहीं देना चाहिए-वह देश उच्च है। जिस देश के नागरिक झूठे-उत्तेजक नारों या व्यक्तियों के गलत प्रभाव से अपना मत देते हैं, वे हीन हैं। उच्चता और हीनता की कसौटी ही किसी जाति और देश को ऊँचा उठाती है।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लाला लाजपतराय जी ने देश के लिए कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य किया? निबंध के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
लाला लाजपत राय देश के स्वतंत्रता सेनानियों में से प्रमुख थे। उन्होंने देश की पराधीन स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अनेक लेख लिखे थे। वे अपनी ओजस्वी वाणी द्वारा भारतीयों में गुलामी के विरुद्ध लड़ने के लिए जोश भर देते थे। उनका व्यक्तित्व अपूर्व था। जो भी उनसे मिलता था, प्रभावित हो जाता था। उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस आदि की यात्राएं की थीं। वे इस बात से दु:खी थे कि विदेशों में यात्रा करते समय उन पर भारतवर्ष की गुलामी की लज्जा का कलंक लग रहा था। उन्होंने भारतवासियों को इस कलंक से मुक्त होने के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 2.
तुर्की के राष्ट्रपति कमालपाशा और भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से संबंधित घटनाओं द्वारा लेखक क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
तुर्की के राष्ट्रपति कमालपाशा को उसकी वर्षगांठ के अवसर पर एक बूढ़ा किसान मिट्टी की हाँडी में पावभर शहद देता है, जिसे कमालपाशा ने उसी समय शहद को चाटकर किसान को कहा कि यह तो तुम्हारा सर्वोत्तम उपहार है। इसी प्रकार से प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को एक किसान ने रंगीन सुतलियों से बुनी खाट भेंट की, तो उसे देखकर पंडित जी भाव-विभोर हो गए थे। इन दोनों उपहारों में भेंटकर्ता के हृदय का शुद्ध प्यार झलक रहा था। इन घटनाओं से लेखक यह सिद्ध करना चाहता है कि अच्छी भावना से किया गया छोटे से छोटा कार्य भी महान् होता है। इन दोनों ने अपना-अपना उपहार हृदय की शुद्ध भावना से दिया था, इसलिए इन की छोटी-सी भेंट भी अत्यंत मूल्यवान हो गई।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 13 मैं और मेरा देश

प्रश्न 3.
लेखक ने देश के नागरिकों को चुनाव में किन बातों की ओर ध्यान देने के लिए कहा है?
उत्तर:
देश के प्रत्येक नागरिक को अपने मताधिकार का सही रूप से प्रयोग करना चाहिए। मत का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि मत सही व्यक्ति को दिया जा रहा है। किसी के गलत प्रभाव में आकर किसी गलत व्यक्ति को मत देना उचित नहीं है। हमें व्यक्ति विशेष के गुण-दोषों को विचार कर ही मतदान करना चाहिए। किसी प्रकार के लालच में आकर मतदान नहीं करना चाहिए।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए:

मनुष्य, ऊँचा, पूर्ण, लड़ना, स्वतंत्र, गुलाम, उच्च, व्यक्ति, हीन, पुरुष।
उत्तर:
शब्द = भाववाचक संज्ञा
मनुष्य = मनुष्यता
ऊँचा = ऊँचाई
पूर्ण = पूर्णता
लड़ना = लड़ाई
स्वतंत्र = स्वतंत्रता
गुलाम = गुलामी
उच्च = उच्चता
व्यक्ति = व्यक्तित्व
पुरुष = पौरुष
हीन = हीनता

II. निम्नलिखित शब्दों के विशेषण शब्द बनाइए

नगर, राष्ट्र, संसार, भारत, संस्कृति, दया, परिवार, घर।
उत्तर:
शब्द = विशेषण
नगर = नागरिक
राष्ट्र = राष्ट्रीय
संसार = सांसारिक
भारत = भारतीय
संस्कृति = सांस्कृतिक
दया = दयालु
परिवार = पारिवारिक
घर = घरेलू

III. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए:

ज्ञान, लाभ, अंधकार, सफल, जीवन, पराजय, साधारण, पक्ष, स्वतंत्र, सम्मान।
उत्तर:
शब्द – विपरीत शब्द
ज्ञान – अज्ञान
लाभ – हानि
अंधकार – उजाला
सफल – विफल
जीवन – मृत्यु
पराजय – विजय
साधारण – असाधारण
पक्ष – विपक्ष
स्वतंत्र – परतंत्र
सम्मान – अपमान

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप अपने देश के सम्मान और गरिमा को बनाए रखने में क्या योगदान दे सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अपने देश का गौरव बढ़ाने के लिए हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे हमारे देश की स्वतंत्रता और सम्मान को ठेस पहँचे। सार्वजनिक स्थलों पर कभी भी अपने देश को हीन तथा अन्य देशों को श्रेष्ठ नहीं बताना चाहिए। अपने घर, गली, सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी नहीं फैलानी चाहिए। जब भी कोई चुनाव हो हमें अपना मत योग्य व्यक्ति को देना चाहिए। कभी भी किसी गलत प्रलोभन में आकर किसी गलत व्यक्ति को मत नहीं देना चाहिए।

प्रश्न 2.
हम सभी अपने देश से जुड़े हैं। हमारे अच्छे और बुरे कार्यों का प्रभाव देश पर पड़ता है। इस सन्दर्भ में अपने अध्ययन और अनुभव के आधार पर किसी घटना का वर्णन करें।
उत्तर:
एक दिन मैं अपने पिता जी की आज्ञा के बिना उनका मोटर साइकिल लेकर ऐसे ही घूमने निकल गया। मेरे पास वाहन चलाने का लाइसैंस नहीं है। मैं अभी सोलह वर्ष का हूँ। मैंने सिर पर हैलमेट भी नहीं पहना था। चौराहे पर मुझे एक पुलिस वाले ने रोक लिया और मेरा चालान काटने लगा। मैं गिड़गिड़ाने लगा और अपनी जेब में रखा हुआ सौ का नोट उसे देकर पीछा छुड़ाया। यहीं से मैं घर लौट आया। जब मैंने सोचा तो मुझे लगा कि मैंने बुरा कार्य किया है। रिश्वत दी है तथा भ्रष्टाचार को अपनाया है। जो देश के साथ मैंने धोखा दिया। भविष्य में ऐसा कुछ न करने का मैंने प्रण किया।

प्रश्न 3.
आप अपने विद्यालय में शक्ति-बोध और सौंदर्य बोध कैसे ला सकते हैं? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हम अपने विद्यालय में देश-प्रेम, स्वदेश भक्ति, सत्यनिष्ठा, दृढ़ता, उदारता आदि भावों का प्रचार कर शक्तिबोध तथा विद्यालय परिसर को साफ़-सुथरा रख कर सौंदर्य बोध ला सकते हैं।

प्रश्न 4.
सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा हम सब कैसे करें। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सार्वजनिक संपत्ति की हमें उसी प्रकार से सुरक्षा करनी चाहिए जैसी सुरक्षा हम अपने घर तथा अपनी वस्तुओं की करते हैं। इस विषय पर विद्यार्थी अपने साथियों से चर्चा कर लिखें।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता

1. लाला लाजपतराय के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर इनके बारे में अपने विचार विद्यालय की प्रार्थना सभा में प्रस्तुत करें। (विद्यार्थी स्वयं करें)
2. ‘अकेला चना क्या भाड़ फोड़ेगा’ कहावत को शत प्रतिशत झूठ सिद्ध करने वाले देश भक्तों/महान् पुरुषों के चित्र एकत्रित कर कक्षा-पत्रिका तैयार कीजिए।

निम्नलिखित प्रेरक-प्रसंगों का कक्षा में मंचन कीजिए

  1. स्वामी रामतीर्थ और जापानी युवक का प्रसंग।
  2. पंडित जवाहर लाल नेहरू और किसान का प्रसंग।
  3. तुर्की के राष्ट्रपति और बूढ़े किसान का प्रसंग।।
  4. कर्ण और शल्य का प्रसंग।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

भामाशाह- भामाशाह अत्यंत देशभक्त थे। वे मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप के छुटपन से ही मित्र थे। उनके पास बहुत अधिक धन-दौलत थी जिसे उन्होंने अपने देश मेवाड़ के लिए महाराणा प्रताप को सौंप दी थी। उसी धन से प्रताप ने अपनी सेना का पुनर्गठन कर के मुगल शासकों को हराकर अपना मेवाड़ पुनः प्राप्त कर लिया था।

कर्ण-महाभारत काल में कर्ण का नाम सर्वोपरि है। उसकी माँ कुंती थी लेकिन कारण वश उसका पालन-पोषण उसने नहीं किया था। कर्ण दुर्योधन का अच्छा मित्र था और उसने उसी के पक्ष में रह कर अपने पांडव भाइयों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी। वह महान् दानी था और उसे सूर्य का पुत्र माना जाता है। सूर्य पुत्र होने के कारण ही उसे जन्मजात कवच-कुंडल प्राप्त हुए थे।

शल्य-शल्य पांडु के सगे साले थे और वे शल्य माद्रा के शासक थे। वे नकुल और सहदेव के मामा थे लेकिन इन्होंने महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ नहीं दिया था। ये युद्ध भूमि में कर्ण के सारथी बने थे और बाद में युधिष्ठिर के हाथों युद्ध के अंतिम दिन मारे गए थे।

चेखोव-ये रूस के अत्यंत प्रसिद्ध चिकित्सक, कथासार और नाटककार थे। इनका पूरा नाम एंटोन पाब्लोविच चेखोव था। इन्होंने लेखन कार्य करने के साथ-साथ सफलतापूर्वक चिकित्सा कार्य को भी निभाया था। वे मानते थे कि ‘चिकित्सा’ उनकी पत्नी थी और ‘साहित्य’ प्रेमिका।

कमालपाशा-कमालपाशा का पूरा नाम ‘अतातुर्क उर्फ मुस्तफ़ा कमालपाशा’ था। इनका काल 1881 से 1938 तक माना जाता है। आधुनिक तुर्की का वास्तविक विकास इन्होंने ही किया था। इन्होंने अपने समय के साम्राज्यवादी शासक सुल्तान अब्दुल हमीद द्वितीय को सिंहासन से हटा देने में सफलता प्राप्त की थी। उन्होंने अपने देश का चहुंमुखी विकास करने में पूरी तरह से सफलता प्राप्त की थी।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 13 मैं और मेरा देश

PSEB 10th Class Hindi Guide मैं और मेरा देश Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
युद्ध क्षेत्र में लड़ने के अतिरिक्त एक नागरिक और क्या कार्य कर सकता है?
उत्तर:
अपना-अपना कार्य ठीक प्रकार से करें। किसान खेती ठीक से करें जिससे लड़ने वालों को रसद पहुँच सके।

प्रश्न 2.
युद्ध में “जय” बोलने वालों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
युद्ध में “जय” बोलने वालों का बहुत महत्त्व है। इससे युद्ध लड़ने वालों को प्रोत्साहन मिलता है और वे नये जोश से युद्ध करने लगते हैं।

प्रश्न 3.
दर्शकों की तालियाँ खिलाड़ियों पर क्या प्रभाव डालती हैं?
उत्तर:
दर्शकों की तालियाँ खिलाड़ियों में नया जोश भर देती हैं। उनके पैरों में बिजली भर जाती है और हारते हुए खिलाड़ी भी जीत जाते हैं।

प्रश्न 4.
कवि-सम्मेलनों और मुशायरों की सफलता किस बात पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
कवि-सम्मेलनों और मुशायरों की सफलता दाद देने वालों पर निर्भर करती है। जिस कवि को अधिक दाद मिलती है, वह अधिक सफल माना जाता है।

प्रश्न 5.
कमालपाशा की घटना के द्वारा लेखक क्या बताना चाहता है ?
उत्तर:
कमालपाशा की घटना के द्वारा लेखक यह बताना चाहता है कि प्यार से दिया हुआ छोटा-सा उपहार भी अनमोल होता है। कमालपाशा की वर्षगांठ के अवसर पर उत्सव की समाप्ति के बाद एक देहाती बूढ़ा उन्हें उपहार देने आया। सैक्रेटरी ने बूढ़े से कहा कि समय बीत चुका है। बूढ़े के कहने पर कमालपाशा को सूचना भेजी गयी। उन्होंने आदर से बूढ़े किसान को बुलाया और उसके द्वारा लायी गई मिट्टी की हांडी में पाव-भर शहद के उपहार को स्वयं खोला और शहद चाटकर कहा कि सर्वोत्तम उपहार तुम्हारा ही है क्योंकि इसमें तुम्हारे हृदय का शुद्ध प्यार है।

प्रश्न 6.
एक किसान और पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीच घटित घटना का उल्लेख करें।
उत्तर:
एक किसान रंगीन सुतलियों से बुनी खाट प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को देने उनकी कोठी पर पहुँचा। पंडित . जी कोठी से बाहर आए तो वह खाट उसने पंडित जी को दे दी। पंडित जी को देख कर वह भाव-विभोर हो गया तो पंडित जी ने उससे पूछा कि वह क्या चाहता है? उसने कहा कि यह उपहार स्वीकार करें। पंडित नेहरू ने उस का यह उपहार प्यार से स्वीकार किया तथा अपनी एक फोटो पर दस्तखत करके उसे दे दी।

प्रश्न 7.
लेखक के आनंद की दीवार में दरार क्यों पड़ गयी?
उत्तर:
लेखक के आनंद की दीवार में दरार इसलिए पड़ गयी थी कि उसे पता चला कि उसकी स्थिति बहुत हीन हो गई है। उसका कहीं भी कोई भी अपमान कर सकता है। वह उस अपमान के लिए बदला लेना तो दूर, उसके लिए कहीं अपील या दया की प्रार्थना भी नहीं कर सकता क्योंकि वह एक गुलाम देश का नागरिक है।

प्रश्न 8.
लेखक की छटपटाहट का क्या कारण था?
उत्तर:
लेखक की छटपटाहट का कारण यह था कि यदि किसी मनुष्य के पास संसार के ही नहीं, यदि स्वर्ग के भी सब उपहार और साधन हों, पर उस का देश गुलाम हो या किसी भी दूसरे रूप से हीन हो, तो वे सारे उपहार और साधन उसे गौरव नहीं दे सकते। यह सोच कर उसका मन विभिन्न विचारों से छटपटाने लगा था।

प्रश्न 9.
लेखक ने जीवन को एक युद्ध क्यों कहा है?
उत्तर:
लेखक जीवन को एक युद्ध मानता है। वह युद्ध लड़ना ही युद्ध नहीं मानता है। उसके विचार में लड़ने वालों तक रसद पहुँचाना भी युद्ध लड़ने के समान है। इसके लिए किसानों को ठीक प्रकार से खेती करनी चाहिए। साथ युद्ध करने वालों की जय-जयकार भी करनी चाहिए। इससे युद्ध करने वालों की हिम्मत बढ़ती है।

प्रश्न 10.
हम अपने देश के सौंदर्य-बोध को किस प्रकार चोट पहुंचाते हैं?
उत्तर:
रास्ते में केले के छिलके फेंककर, अपने घर का कूड़ा बाहर फेंक कर, गन्दी बातें करके, सार्वजनिक स्थानों जैसे धर्मशाला, होटल आदि में थूक कर, उत्सव, समारोह आदि में धक्का-मुक्की करके, कहीं समय देकर वहाँ समय पर न पहुँच कर, अपने घर, दफ्तर, गली आदि को गन्दा रख कर हम देश के सौंदर्य-बोध को चोट पहुंचाते हैं।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक बड़ा कैसे हुआ?
उत्तर:
लेखक अपने पड़ोस में खेल कर तथा पड़ोसियों की ममता-दुलार पाकर बड़ा हुआ था।

प्रश्न 2.
लाला लाजपतराय को किस बात की लज्जा थी?
उत्तर:
उन्हें इस बात की लज्जा थी कि भारतवर्ष की गुलामी का कलंक उनके माथे पर लगा है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 13 मैं और मेरा देश

प्रश्न 3.
स्वामी रामतीर्थ कहाँ गए थे?
उत्तर:
स्वामी रामतीर्थ जापान गए थे।

प्रश्न 4.
चुनाव के समय प्रत्येक नागरिक का क्या कर्त्तव्य है?
उत्तर:
उसे सही व्यक्ति को अपना मत देना चाहिए।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
एक दिन किसकी दीवार में दरार पड़ गई
(क) संबंधों की
(ख) मित्रों की
(ग) आनन्द की
(घ) घर की।
उत्तर:
(ग) आनन्द की

प्रश्न 2.
भूकंप कहाँ उठा था?
(क) मानस में
(ख) रास्ते में
(ग) पहाड़ों में
(घ) संबंधों में।
उत्तर:
(क) मानस में

प्रश्न 3.
किसान पंडित नेहरू को उपहार में देने के लिए क्या लाया था
(क) शहद
(ख) खाट
(ग) चटाई
(घ) कुर्सी।
उत्तर:
(ख) खाट

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न

प्रश्न 1.
वह देश कैसा है जिस देश के नागरिक यह समझते हैं कि चुनाव में किसे मत देना चाहिए और किसे नहीं? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
उच्च

प्रश्न 2.
कमालपाशा ईरान के राष्ट्रपति थे। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 3.
युद्ध में जय बोलने वालों का भी महत्त्व है। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
सही

प्रश्न 4.
मैं अपने नगर के लोगों का सम्मान करता था, वे मेरा सम्मान नहीं करते थे। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 5.
मैं अपने घर में जन्मा था, पला था। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 6.
एक ………… पुरुष का …………. ही वह भूकंप था।
उत्तर:
तेजस्वी, अनुभव

प्रश्न 7.
एक …………. युवक …………….. पर खड़ा था।
उत्तर:
जापानी, प्लेटफार्म

प्रश्न 8.
राष्ट्रपति ……………… उसकी ………….. भेजी गई।
उत्तर:
तक, सूचना।

मैं और मेरा देश कठिन शब्दों के अर्थ

संपर्क = मेल-जोल। संचित = एकत्र किया हुआ। सम्मान = इज्ज़त। अपूर्णता = कमी। आनंद = खुशी, प्रसन्नता। अपूर्व = अनोखा। मानसिक = मन से सम्बन्धित। मानस = मन। पराधीनता = गुलामी। भौंचक्का = हैरान। उत्तेजना = प्रेरणा-वेगों को तीव्र करना। रसद = भोजन, खाने पीने की वस्तुएँ। दाद देना = तारीफ़ करना, प्रशंसा करना। साक्षी = गवाह। आग्रह = अनुरोध। सर्वोत्तम = सबसे अच्छा। ह्रास = गिरावट। अजेयता = जो जीता न जा सके। सघन = बहुत अधिक घना। सुरुचि = अच्छी पसन्द। संगठित = एकत्रित, जोड़ा हुआ। तुच्छ = नगण्य। भूकंप = भूचाल। बवंडर = आँधी-तूफ़ान। ठसक = अभिमान, गर्व। कसक = रुक-रुक कर होने वाली पीड़ा, टीस। लज्जा = शर्म, लाज। गौरव = आदर, सम्मान। धनिक = धनवान व्यक्ति। मुशायरों = उर्दू, फ़ारसी का कवि सम्मेलन। साक्षी = गवाही देने वाला। दुर्लभ = कठिनता से प्राप्त होने वाली। हीन = तुच्छ, नगण्य। लांछित = कलंकित। विश्राम = आराम। हंडिया = एक तरह की मिट्टी का बर्तन। निहाल = प्रसन्न एवं संतुष्ट। खाट = चारपाई। दस्तखत = हस्ताक्षर। विवरण = व्याख्या। कसौटी = परख, जाँच। संदेह = शंका। तरेड़ = दरार। जीनों में = सीढ़ियों में। ठेलम-ठेल = धक्कम धक्का।

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मैं और मेरा देश लेखक परिचय

शरी कन्हैया लाल मिश्र ‘प्रभाकर’ आधुनिक युग के प्रमुख गद्य लेखक हैं। उनका जन्म सन् 1906 में सहारनपुर जिले के देवबन्द ग्राम में हुआ था। प्रभाकर जी की रुचि सामाजिक कार्यों में थी, जिसके परिणामस्वरूप वे राष्ट्रीय आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेने लगे। आप सद्वृत्तियों एवं सामाजिक तथा राष्ट्रीय भावनाओं को जगाने वाले लेखक हैं। पत्रकारिता में आपकी विशेष रुचि है। आपने विकास, ज्ञानोदय तथा नया जीवन जैसी लोकप्रिय पत्रिकाओं का सम्पादन तथा संचालन किया।

प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
रेखाचित्र-नई पीढ़ी नए विचार, ज़िंदगी मुस्कराई, माटी हो गई सोना। निबंध संग्रह-बाजे पायलिया के धुंघरू। लघु कथा संग्रह-आकाश के तारे, धरती के फूल। संस्मरणात्मक रेखाचित्र-दीप जले, शंख बजे । रिपोर्ताज-क्षण बोले, कण मुस्काए, महके आंगन चहके द्वार।

इनकी रचनाओं पर इनके व्यक्तित्व की स्पष्ट छाप है। व्यावहारिक पक्ष की प्रबलता ने इनकी रचनाओं को प्रभावशाली बना दिया है। व्यंग्यात्मक शैली के कारण इनकी रचनाओं में रोचकता का समावेश है। इनकी रचनाएँ देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण हैं। इनके साहित्य में देशभक्ति का स्वर सुनाई देता है। इनकी भाषा सरल तथा व्यावहारिक है।

मैं और मेरा देश पाठ का सार

‘मैं और मेरा देश’ शीर्षक निबंध के रचयिता श्री कन्हैया लाल मिश्र ‘प्रभाकर’ हैं। इस निबंध के माध्यम से उन्होंने पराधीन देश और स्वाधीन देश का अंतर स्पष्ट करते हुए देश-प्रेम की शिक्षा दी है। एक नागरिक के रूप में जहां हमारे अधिकार हैं वहां कुछ कर्त्तव्य भी हैं। इन दोनों के बीच में समन्वय की ज़रूरत है।

पराधीनता का दर्द-लेखक की मान्यता है कि वह अपने घर में जन्मा, पला और आस-पड़ोस में खेल-कूद कर बड़ा हुआ है। अपने नगर के लोगों से मिलजुल कर उनका सम्मान करते हुए उनसे सम्मान पाता रहा है। वह सदा एकदूसरे के काम आया है तथा अन्य भी उसकी सहायता करते रहे हैं। इस प्रकार उसे लगता था कि वह पूर्ण रूप से संतुष्ट व्यक्ति है, किंतु एक दिन उसके इस आनंद में बाधा पड़ गयी जब उसे यह पता चला कि पराधीन व्यक्ति की स्थिति बड़ी हीन होती है। इसका पता लेखक को लाला लाजपतराय द्वारा व्यक्त किए गए अनुभव से चला।

लाला जी का अनुभव यह था, ‘मैं अमेरिका गया, इंग्लैंड गया, फ्रांस गया और संसार के दूसरे देशों में भी घूमा, पर जहां भी मैं गया भारतवर्ष की गुलामी की लज्जा का कलंक मेरे माथे पर लगा रहा।’ इस कथन ने लेखक को झकझोर दिया। वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि जब तक देश स्वतंत्र नहीं तब तक सब प्रकार की सुख-सुविधाएं व्यर्थ हैं। नागरिक को कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे उसके देश की स्वतंत्रता अथवा देश के सम्मान को धक्का पहुंचे। नागरिक भी देश के सम्मान का अधिकारी है।

देश का गौरव कैसे बढ़ायें-हर एक व्यक्ति अपने देश के गौरव को बढ़ाने में अपना योगदान दे सकता है। यह सोचना कि एक व्यक्ति देश के लिए क्या कर सकता है, गलत ढंग से सोचना है। जहां युद्ध में लड़ने वालों का महत्त्व है वहां युद्ध में सामग्री पहुंचाने वालों तथा उस सामग्री का उत्पादन करने वालों का भी महत्त्व है। किसान खेती न उपजाए तो रसद पहुंचाने वाले क्या कर सकते हैं? इतना ही नहीं, युद्ध में जय बोलने वालों का भी महत्त्व होता है। ‘जय’ का नारा सुनकर लड़ने वालों में जोश और उत्साह का भाव तीव्र होता है, जिससे वे अपनी सामर्थ्य से भी अधिक काम कर दिखाते हैं। दर्शकों की तालियां खिलाड़ियों को उत्साहित करती हैं। कवि सम्मेलनों तथा मुशायरों की अधिकांश सफलता तारीफ करने वालों पर निर्भर करती है। अतः साधारण-से-साधारण नागरिक अपने देश के लिए बहुत कुछ कर सकता है। कहावत प्रसिद्ध है कि ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।’ पर इतिहास इस बात का साक्षी है कि अनेक बार अकेले व्यक्ति ने भी बहुत बड़ा चमत्कार कर दिखाया है।

देशभक्ति का उदाहरण-एक बार महान् संत स्वामी रामतीर्थ जापान गए। वे रेल में यात्रा कर रहे थे। एक दिन उन्हें खाने के लिए फल न मिले। उन दिनों वे फलाहारी थे। फल न मिलने पर उनके मुँह से निकला-‘जापान में शायद अच्छे फल नहीं मिलते।’ एक जापानी युवक ने स्वामी जी की यह बात सुन ली। वह युवक अपनी पत्नी को रेल में बिठाने आया था। वह दौड़ कर कहीं दूर से फलों का ताज़ा टोकरा लेकर आया और स्वामी जी को भेंट कर दिया। स्वामी जी ने उसे उन फलों का मूल्य देना चाहा पर उस युवक ने कहा-‘आप इनका मूल्य देना ही चाहते हैं तो वह यह है कि आप अपने देश में जाकर किसी से यह न कहिएगा कि जापान में अच्छे फल नहीं मिलते।’ युवक के इस देशप्रेम ने स्वामी जी का मन मोह लिया।

देश को कलंकित करने का उदाहरण- एक अन्य घटना भी सुनिए-किसी दूसरे देश का निवासी एक युवक जापान में शिक्षा प्राप्त करने के लिए गया। उसने एक सरकारी पुस्तकालय की एक पुस्तक में से कुछ दुर्लभ चित्र निकाल लिये। किसी जापानी युवक ने उसकी इस हरकत को देख लिया। उसने पुस्तकालयाध्यक्ष को इसकी सूचना दे दी। पुलिस ने उस विद्यार्थी के कमरे की तलाशी ली और चित्र प्राप्त कर लिए। उस विद्यार्थी को जापान से निकाल दिया गया। उस विद्यार्थी के अपराध ने अपने सारे देश को बदनाम कर दिया। पुस्तकालय के बाहर बोर्ड पर लिख दिया गया कि उस देश का कोई निवासी इस पुस्तकालय में प्रवेश नहीं कर सकता।

कमालपाशा की महानता-इससे स्पष्ट है कि एक व्यक्ति की अच्छाई जहां देश को ऊंचा उठाती है वहां उसकी चरित्रहीनता पूरे देश के गौरव को हानि भी पहुंचाती है। लेखक का अनुभव है कि अच्छी भावना से किया गया छोटेसे-छोटा कार्य भी देश के लिए लाभकारी होता है। कमालपाशा अपने देश तुर्की के राष्ट्रपति थे। राजधानी में उनकी वर्षगांठ का उत्सव मनाया गया। उत्सव की समाप्ति पर जब वे अपने कक्ष में पहुंचे तो उस समय एक बूढ़ा वर्षगांठ का उपहार लेकर आया। राष्ट्रपति को इसकी सूचना भेजी गई।

वह बूढ़ा तीस मील की दूरी से पैदल चल कर आया था। राष्ट्रपति विश्राम के वस्त्रों में ही नीचे आए। उन्होंने बूढ़े किसान का उपहार स्वीकार किया। यह उपहार मिट्टी की हंडिया में पाव-भर शहद था। कमालपाशा ने उस हांडी को खोला। दो उंगलियां शहद की चाटीं। तीसरी उंगली शहद भर कर बूढ़े के मुँह में दे दी। बूढ़ा धन्य हो गया। इतना ही नहीं राष्ट्रपति ने उस उपहार को सर्वोत्तम उपहार बताया। बूढे को राष्ट्रपति की शाही कार में शाही सम्मान के साथ उसके गाँव भेज दिया गया।

नेहरू जी की सरलता-हमारे देश में भी एक किसान ने रंगीन सूतलियों से एक खाट बुनी और उसे अपने कन्धों पर उठा कर प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू की कोठी में पहुंचा और पंडित जी से उस खाट को स्वीकार करने की प्रार्थना की। पंडित जी ने उस खाट वाले की भावना का इतना सम्मान किया कि उसे अपने दस्तखत से युक्त अपनी एक फोटो भेंट में दे दी।

हम कैसे कार्य करें-हम जो भी काम करें वह देश के अनुकूल हों। कभी भी और किसी भी स्थान पर अपने देश की निन्दा नहीं करनी चाहिए और न ही अपने देश को दूसरे देशों से हीन समझना चाहिए। अपने देश की निंदा करना अथवा उसे हीन कहना अपने देश के शक्ति-बोध को भयंकर चोट पहुंचाना है। इससे देश के सामूहिक मानसिक बल को चोट पहुंचती है। शल्य महाबली कर्ण का सारथि था। जब कभी कर्ण अपने पक्ष की विजय की घोषणा करता तभी वह (शल्य) अर्जुन की अजेयता का उल्लेख भी कर देता। इस तरह उसने कर्ण के आत्म-विश्वास में दरार डाल दी। इस दरार ने कर्ण की पराजय की नींव डाल दी।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 13 मैं और मेरा देश

मतदान अवश्य करें-सफ़ाई की ओर उचित ध्यान देना, किसी सार्वजनिक स्थान को गंदा न करना भी देश-भक्ति का एक रूप है। यदि हम चाहते हैं कि अपने देश का सब काम ढंग से चल सके तो हम अपने मत का उचित प्रयोग करें। अतः प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि जब भी कोई चुनाव हो वह अपने मत का महत्त्व समझे और यह मान कर चले कि उनके मत को प्राप्त किए बिना महान्-से-महान् व्यक्ति भी अधिकारी नहीं बन सकता। इस विचार से हम अपने देश को ऊँचा उठा सकते हैं।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 मित्रता

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 मित्रता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 12 मित्रता

Hindi Guide for Class 10 PSEB मित्रता Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:

प्रश्न 1.
घर से बाहर निकल कर बाहरी संसार में विचरने पर युवाओं के सामने पहली कठिनाई क्या आती है?
उत्तर:
दृढ़ संकल्प वाले लोगों की घर से बाहर निकल कर बाहरी संसार में विचरने पर युवा पुरुष के सामने पहली कठिनाई मित्र चुनने की होती है।

प्रश्न 2.
हमसे अधिक दृढ़ संकल्प वाले लोगों का साथ बरा क्यों हो सकता है?
उत्तर:
दृढ़ संकल्प वाले लोगों की हमें हर बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 मित्रता

प्रश्न 3.
आजकल लोग दूसरों में कौन-कौन सी दो-चार बातें देखकर चटपट उसे अपना मित्र बना लेते हैं?
उत्तर:
आजकल लोग किसी का हँसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, थोड़ी चतुराई या साहस जैसी दो-चार बातें देखकर ही शीघ्रता से उसे अपना मित्र बना लेते हैं।

प्रश्न 4.
किस प्रकार के मित्र से भारी रक्षा रहती है?
उत्तर:
विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है क्योंकि जिसे ऐसा मित्र मिल जाए उसे समझना चाहिए कि खज़ाना मिल गया है।

प्रश्न 5.
चिंताशील, निर्बल तथा धीर पुरुष किस प्रकार का साथ ढूँढ़ते हैं?
उत्तर:
चिंताशील मनुष्य प्रफुल्लित व्यक्ति का, निर्बल बली का तथा धीर व्यक्ति उत्साही पुरुष का साथ ढूँढ़ते हैं।

प्रश्न 6.
उच्च आकांक्षा वाला चंद्रगुप्त युक्ति और उपाय के लिए किस का मुँह ताकता था?
उत्तर:
उच्च आकांक्षा वाला चंद्रगुप्त युक्ति और उपाय के लिए चाणक्य का मुँह ताकता था।

प्रश्न 7.
नीति-विशारद अकबर मन बहलाने के लिए किसकी ओर देखता था?
उत्तर:
नीति-विशारद अकबर मन बहलाने के लिए बीरवल की ओर देखता था।

प्रश्न 8.
मकदूनिया के बादशाह डेमेट्रियस के पिता को दरवाज़े पर कौन-सा ज्वर मिला था?
उत्तर:
मकदूनिया के बादशाह डेमेट्रियस के पिता को दरवाज़े पर मौज-मस्ती में बादशाह का साथ देने वाला कुसंगति रूपी एक हँसमुख जवान नामक ज्वर मिला था।

प्रश्न 9.
राजदरबार में जगह न मिलने पर इंग्लैंड का एक विद्वान् अपने भाग्य को क्यों सराहता रहा?
उत्तर:
इंग्लैंड के एक विद्वान् को युवावस्था में राजदरबारियों में जगह नहीं मिली। इस पर वह सारी उम्र अपने भाग्य को सराहता रहा। उसे लगता था कि राजदरबारी बन कर वह बुरे लोगों की संगति में पड़ जाता जिससे वह आध्यात्मिक उन्नति न कर पाता। बुरी संगति से बचने के कारण वह अपने आप को सौभाग्यशाली मानता है।

प्रश्न 10.
हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय क्या है?
उत्तर:
हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय स्वयं को बुरी संगति से दूर रखना है।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए:

प्रश्न 1.
विश्वासपात्र मित्र को खज़ाना, औषधि और माता जैसा क्यों कहा गया है?
उत्तर:
लेखक ने विश्वासपात्र मित्र को खज़ाना इसलिए कहा है क्योंकि जैसे खज़ाना मिलने से सभी प्रकार की कमियाँ दूर हो जाती हैं उसी प्रकार से विश्वासपात्र मित्र मिलने से ही सभी कमियाँ दूर हो जाती हैं। वह एक औषधि के समान हमारी बुराइयों रूपी बीमारियों को ठीक कर देता है। वह माता के समान धैर्य और कोमलता से स्नेह देता है।

प्रश्न 2.
अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को मित्र बनाने से क्या लाभ है?
अथवा
‘मित्रता’ निबन्ध के आधार पर लिखें कि अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को मित्र बनाने से क्या लाभ
उत्तर:
हमें अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को अपना मित्र बनाना चाहिए। ऐसा व्यक्ति हमें उच्च और महान् कार्यों को करने में सहायता देता है। वह हमारा मनोबल और साहस बढ़ाता है। उसकी प्रेरणा से हम अपनी शक्ति से अधिक कार्य कर लेते हैं। जैसे सुग्रीव ने श्री राम से मित्रता की थी। श्री राम से प्रेरणा प्राप्त कर उसने अपने से अधिक बलवान बाली से युद्ध किया था। ऐसे मित्रों के भरोसे से हम कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से कर लेते हैं।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 मित्रता

प्रश्न 3.
लेखक ने युवाओं के लिए कुसंगति और सत्संगति की तुलना किससे की और क्यों?
उत्तर:
सत्संगति से हमारा जीवन सफल होता है। सत्संगति सहारा देने वाली ऐसी बाहु के समान होती है जो हमें निरंतर उन्नति की ओर उठाती जाती है। कुसंगति के कारण हमारा जीवन नष्ट हो जाता है। कुसंगति पैरों में बंधी हुई चक्की के समान होती है जो हमें निरंतर अवनति के गड्ढे में गिराती जाती है।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सच्चे मित्र के कौन-कौन से गुण लेखक ने बताएं हैं?
उत्तर:
लेखक के अनुसार सच्चा मित्र पथ-प्रदर्शक के समान होता है, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकते हैं। वह हमारे भाई जैसा होता है, जिसे हम अपना प्रीति पात्र बना सकते हैं। सच्चे मित्र में उत्तम वैद्य-सी निपुणता, अच्छीसे-अच्छी माता-सा धैर्य और कोमलता होती है। सच्चा मित्र हमारी बहुत रक्षा करता है। सच्चा मित्र हमें संकल्पों में दृढ़ करता है, दोषों से बचाता है तथा उत्तमतापूर्वक जीवन-निर्वाह करने में हर प्रकार से सहायता देता है।

प्रश्न 2.
बाल्यावस्था और युवावस्था की मित्रता के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाल्यावस्था की मित्रता में एक मग्न करने वाला आनंद होता है। इसमें मन को प्रभावित करने वाली ईर्ष्या और खिन्नता का भाव भी होता है। इसमें बहुत अधिक मधुरता, प्रेम और विश्वास भी होता है। जल्दी ही रूठना और मनाना भी होता है। युवावस्था की मित्रता बाल्यावस्था की मित्रता की अपेक्षा अधिक दृढ़, शांत और गंभीर होती है। युवावस्था का मित्र सच्चे-पथ प्रदर्शक के समान होता है।

प्रश्न 3.
‘दो भिन्न प्रकृति के लोगों में परस्पर प्रीति और मित्रता बनी हो सकती है’-उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यह आवश्यक नहीं है कि मित्रता एक ही प्रकार के स्वभाव तथा कार्य करने वाले लोगों में हो। मित्रता भिन्न प्रकृति, स्वभाव और व्यवसाय के लोगों में भी हो जाती है जैसे मुग़ल सम्राट अकबर और बीरबल भिन्न स्वभाव के होते हुए भी मित्र थे। अकबर नीति विशारद तथा बीरबल हंसोड़ व्यक्ति थे। इसी प्रकार से धीर और शांत स्वभाव के राम और उग्र स्वभाव के लक्ष्मण में भी गहरी मित्रता थी।

प्रश्न 4.
मित्र का चुनाव करते समय हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
मित्र बनाते समय ध्यान रखना चाहिए कि वह हमसे अधिक दृढ़ संकल्प का न हो क्योंकि ऐसे व्यक्तियों की हर बात हमें बिना विरोध के माननी पड़ती है। वह हमारी हर बात को मानने वाला भी नहीं होना चाहिए क्योंकि तब हमारे ऊपर कोई नियंत्रण नहीं रहता। केवल हंसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, चतुराई आदि देखकर भी किसी को मित्र नहीं बनाना चाहिए। उसके गुणों तथा स्वभाव की परीक्षा करके ही मित्र बनाना चाहिए। वह हमें जीवन-संग्राम में सहायता देने वाला होना चाहिए। केवल छोटे-मोटे काम निकालने के लिए किसी से मित्रता न करें। मित्र तो सच्चे पथप्रदर्शक के समान होना चाहिए।

प्रश्न 5.
‘बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है। क्या आप लेखक की इस उक्ति से सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक का यह कथन पूरी तरह से सही है कि बुराई हमारे मन में अटल भाव धारण कर के बैठ जाती है। भद्दे और फूहड़ गीत हमें बहुत जल्दी याद हो जाते हैं। अच्छी और गंभीर बात जल्दी समझ में नहीं आती। इसी प्रकार से बचपन में सुनी अथवा कही हुई गंदी गालियां कभी नहीं भूलतीं। ऐसे ही जिस व्यक्ति को कोई बुरी लत लग जाती है, जैसे सिगरेट, शराब आदि पीना, तो उसकी वह बुरी आदत भी आसानी से नहीं छूटती है। कोई व्यक्ति हमें गंदे चुटकले आदि सुनाकर हंसाता है तो हमें बहुत अच्छा लगता है। इस प्रकार बुरी बातें सहज ही हमारे मन में प्रवेश कर जाती हैं।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए

मित्र = ————
बुरा = ————
कोमल = ————
अच्छा = ————
शांत = ————
निपुण = ————
लड़का = ————
दृढ़। = ————
उत्तर:
शब्द = भाववाचक संज्ञा
मित्र = मित्रता
बुरा = बुराई
कोमल = कोमलता
अच्छा = अच्छाई
शांत = शांति
निपुण = निपुणता
लड़का = लड़कपन
दृढ़ = दृढ़ता

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 मित्रता

II. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए

जिसका सत्य में दृढ़ विश्वास हो = ———–
जो नीति का ज्ञाता हो = ————-
जिस पर विश्वास किया जा सके = ————–
जो मन को अच्छा लगता हो = ————-
जिसका कोई पार न हो। = ————–
उत्तर:
वाक्यांश = एक शब्द
जिसका सत्य में दृढ़ विश्वास हो = सत्यनिष्ठ
जो नीति का ज्ञाता हो = नीतिज्ञ
जिस पर विश्वास किया जा सके = विश्वसनीय
जो मन को अच्छा लगता हो = मनोरम
जिसका कोई पार न हो = अपरंपार।

III. निम्नलिखित में संधि कीजिए

युवा + अवस्था
बाल्य + अवस्था
नीच + आशय
महा + आत्मा
नशा+ उन्मुख
वि + आहार
हत + उत्साहित,
प्रति + एक
सह + अनुभूति
पुरुष + अर्थी।
उत्तर:
युवा + अवस्था = युवावस्था
बाल्य + अवस्था . = बाल्यावस्था
नीच + आशय = नीचाशय
महा + आत्मा = महात्मा
नशा + उन्मुख = नशोन्मुख
वि + अवहार = व्यवहार
हत + उत्साहित = हतोत्साहित
प्रति + एक = प्रत्येक
सह + अनुभूति = सहानुभूति
पुरुष + अर्थी = पुरुषार्थी।

IV. निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कीजिए

नीति-विशारद, सत्यनिष्ठा, राजदरबारी, जीवन निर्वाह, पथप्रदर्शक, जीवन-संग्राम, स्नेह बंधन।
उत्तर:
नीति-विशारद = नीति का विशारद
सत्यनिष्ठा = सत्य की निष्ठा
राजदरबारी = राज का दरबारी
जीवन निर्वाह = जीवन का निर्वाह
पथप्रदर्शक = पथ का प्रदर्शक
जीवन-संग्राम = जीवन का संग्राम
स्नेह बंधन . = स्नेह का बंधन।

V. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए

कच्ची मिट्टी की मूर्ति-परिवर्तित होने योग्य-बच्चों की बुद्धि कच्ची मिट्टी की मूर्ति जैसी होती है।
खज़ाना मिलना-अधिक मात्रा में धन मिलना – हरजीत कौर को बज़ीफा क्या मिला जैसे उसे खज़ाना मिल गया हो।
जीवन की औषधि होना-जीवन रक्षा का साधन-बूढ़े खजान सिंह की पेंशन उसके जीवन की औषधि है। मुँह ताकना-आशा लगाए बैठना-अपने छोटे-से कामों के लिए किसी का मुँह ताकना उचित नहीं है।
ठट्ठा मारना-ठठोली करना, हँसी मज़ाक करना, ऐश करना-रोहित का चुटकुला सुनकर ललित ठट्ठा मार कर हँस पड़ा
पैरों में बंधी चक्की-पाँव की बेड़ी-शबनम को दिल्ली में अच्छी नौकरी मिली थी पर बूढ़े माँ-बाप उसके पैरों में बंधी चक्की बन गए और वह गांव में ही रहकर मजदूरी करने लगी।
घड़ी भर का साथ-थोड़ी देर का साथ-गाड़ी में मिले साथी घड़ी भर का साथ देकर अपने-अपने रास्ते चले जाते हैं।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आपने अपने मित्रों का चुनाव उनके किन-किन गुणों से प्रभावित होकर किया है? कक्षा में बताइए।
उत्तर:
मैंने अपने मित्रों का चुनाव उनके रहन-सहन, स्वभाव की विनम्रता, वाणी की मधुरता, दूसरों के प्रति उदारता, परोपकार की भावना, बड़ों के प्रति आदर, स्वच्छता, सादगी, मितव्ययता, सत्यवादिता, समयबद्धता आदि गुण देखकर किया है।

प्रश्न 2.
आपका मित्र बुरी संगति में पड़ गया है। आप उसे कुसंगति से बचाकर सत्संगति की ओर लाने के लिए, क्या उपाय करेंगे?
उत्तर:
बुरी संगत में पड़े हुए मित्र को सत्संगति की ओर लाने के लिए मैं उसे कुसंगति की हानियों से परिचित करते हुए उसके सम्मुख ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करूँगा जिनकी कुसंगति के कारण बुरी दशा हुई। इससे शिक्षा लेकर वह कुसंगति छोड़ कर सत्संगति की ओर प्रेरित होगा।

प्रश्न 3.
एक अच्छी पुस्तक, अच्छे विचार भी सच्चे मित्र की तरह ही होते हैं। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर:
हम इस कथन से पूरी तरह से सहमत हैं; जैसे-रामचरितमानस पढ़ने से हमें अच्छा मित्र, पुत्र, भाई, पति, पत्नी, राजा आदि बनने की प्रेरणा मिलती है। इसी प्रकार से अन्य अच्छी पुस्तकें भी एक सच्चे मित्र के समान हमारा मार्गदर्शन करती हैं।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 मित्रता

प्रश्न 4.
क्या आपने कभी अपनी बुरी आदत को अच्छी आदत में बदलने का प्रयास किया है? उदाहरण देकर कक्षा में बताइए।
उत्तर:
सुबह देर से उठना मेरी बुरी आदत थी। माता जी के बार-बार उठाने पर भी मैं ‘अभी उठता हूँ’ कह कर फिर सो जाता था। परीक्षा के दिनों में भी ऐसा ही हुआ। एक दिन देर से उठने के कारण मैं परीक्षा भवन में देर से पहुंचा तो मुझे परीक्षा नहीं देने दी गई। इससे मेरा एक वर्ष खराब हो गया। तब से मैं अब सुबह समय से उठ जाता हूँ।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता

1. सच्ची मित्रता पर कुछ सूक्तियाँ चार्ट पर लिखकर कक्षा में लगाइए।
2. सत्येन बोस द्वारा निर्देशित ‘दोस्ती’ फ़िल्म जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार तथा छः फ़िल्म फेयर अवार्ड भी मिले थे, देखिए।
3. अपने मित्रों की जन्म तिथि, टेलीफोन नंबर तथा उसका पता एक डायरी में नोट कीजिए।
4. अपने मित्रों के जन्म दिवस पर बधाई कार्ड बनाकर भेंट कीजिए।
5. कक्षा में अपने मित्रों की अच्छी आदतों की सूची तैयार कीजिए।
6. अपने सहपाठियों के साथ एक समूह चित्र (ग्रुप फोटो) खिंचवाकर अपने पास रखें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

राम-सुग्रीव-अयोध्या के राजा दशरथ और उनकी रानी कौशल्या के बड़े पुत्र श्री राम थे। राम के तीन अन्य भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न थे। श्रीराम के हनुमान भक्त थे और उन्होंने ही सुग्रीव से श्री राम की मित्रता करवाई थी। सुग्रीव अपने भाई बाली से डरते हुए ऋण्यमूक पर्वत पर छिप कर रहता था उसने श्री राम की सीता माता की खोज में सहायता की थी।

चन्द्रगुप्त-चाणक्य-चन्द्रगुप्त मौर्य अपने समय के अति बलशाली और बुद्धिमान् सम्राट् थे। उन्होंने चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से अति शक्तिशाली और समृद्ध शासन को बड़ी कुशलता से चलाया था। माना जाता है कि चाणक्य ने ही अपने बुद्धि-कौशल से मौर्य शासन को स्थापित कराया था। मगध के राजा महानंद से अपमानित होने के कारण उन्होंने नंदवंश को अपनी बुद्धि और कौशल से मिटा दिया था और चंद्रगुप्त को शासक बना दिया था। चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र को मौर्यकाल के भारत का दर्पण स्वीकार किया जाता है।

अकबर-बीरबल-अकबर मुग़ल शासन के अत्यंत उदार सहृदय और निपुण शासक थे। उन्होंने केवल तेरह वर्ष की आयु में ही बैरम खाँ के संरक्षण में गद्दी संभाल ली थी। उनके शासन काल को उदारता और समन्वय का समय माना जाता है। उनके दरबार में नौ अति बुद्धिमान् सहायक थे जिन्हें ‘नवरत्न’ कहा जाता है। उनमें बीरबल अत्यंत निपुण, हाजिर जवाब, बुद्धिमान् और समझदार था। उनकी कहानियां आज भी लोगों की जुबान पर हैं।

मकदूनिया-यूनान का मकदूनिया अति प्रसिद्ध गणराज्य था। सिकंदर वहीं का राजा था, जिसे अपनी वीरता और बुद्धिमत्ता के कारण ‘अलेग्जेंडर द ग्रेट’ कहते हैं। उस काल में यूनान के दो अन्य राज्य एथेन्स और स्पार्टा ज्ञान-विज्ञान के केंद्र बने हुए थे। सुकरात एथेन्स के थे। उन्हें स्वतंत्र विचारों के कारण अब भी अनूठा माना जाता है। वहां के शासक ने उनकी इसी बात से चिढ़ कर उन्हें ज़हर का प्याला पिलाकर मरवा दिया था। उसी काल में प्लेटो और अरस्तु जैसे विद्वान् उत्पन्न हुए थे। प्लेटो ने तब एक विद्यापीठ की स्थापना की थी। अरस्तु इसी विद्यापीठ का विद्यार्थी था। यह काल यूनान के लिए अति महत्त्व और गौरव का था जिसका अभी भी गुणगान किया जाता है।

PSEB 10th Class Hindi Guide मित्रता Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
हमारे जीवन की सफलता किस बात पर निर्भर करती है?
उत्तर:
हमारे जीवन की सफलता अच्छे मित्र के चुनाव पर निर्भर करती है क्योंकि अच्छा मित्र ही हमें सफलता की ओर ले जाता है।

प्रश्न 2.
सुग्रीव और राम की मित्रता द्वारा लेखक क्या स्थापित करना चाहता है?
उत्तरः
सुग्रीव और राम की मित्रता के द्वारा लेखक यह बताना चाहता है कि जिस प्रकार सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था वैसी ही मित्रता सबको करनी चाहिए।

प्रश्न 3.
अच्छी और बुरी संगति की तुलना लेखक ने किसके साथ की है?
उत्तर:
अच्छी संगति सहारा देने वाली बाहु के समान हमें निरंतर उन्नति की ओर उठाती जाती है। बुरी संगति पैरों में बंधी हुई चक्की के समान निरंतर अवनति के गड्ढे में गिराती जाती है।

प्रश्न 4.
बुरी संगति से बचने के लिए लेखक ने किस कहावत का उदाहरण दिया है?
उत्तर:
बुरी संगति से बचने के लिए लेखक ने इस कहावत का उदाहरण दिया है”काजल की कोठरी में कैसो ही सयानों जाय। एक लीक काजल की लागि है पै लागि है।”

प्रश्न 5.
मित्रों के चुनाव की उपयुक्तता पर मनुष्य के जीवन की सफलता किस प्रकार निर्भर होती है?
उत्तर:
उचित मित्र के चुनाव पर ही मनुष्य के जीवन की सफलता निर्भर करती है। उचित मित्र हमें जीवन में उन्नति करने के लिए सही सलाह देता है। यदि मित्र की संगति अच्छी है तो हम भी अच्छे बनेंगे। क्योंकि संगति का प्रभाव हमारे आचरण पर पड़ता है । इसलिए किसी को मित्र बनाने से पहले उसके आचरण, स्वभाव की अच्छी तरह से छानबीन कर लेनी चाहिए।

प्रश्न 6.
आत्मशिक्षा में मित्रता किस प्रकार सहायक सिद्ध होती है?
उत्तर:
मित्र हमें उत्तम संकल्पों से दृढ़ करते हैं। हमें दोषों और बुराइयों से बचाते हैं। हमें सत्य-मार्ग पर चलते हुए मर्यादित तथा पवित्र जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा देते हैं। हमें निराशा के समय सांत्वना देकर उत्साहित करते हैं। इस प्रकार मित्रों से हमें आत्मशिक्षा में भी सहायता मिलती है।

प्रश्न 7.
छात्रावस्था में मित्रता की धुन सवार क्यों रहती है?
उत्तर:
छात्रावस्था में मित्रता करने की धुन सवार रहती है। हृदय इतना अधिक निर्मल होता है कि किसी को भी मित्र बनाने के लिए तैयार रहता है। किसी की सुंदरता, प्रतिभा, स्वच्छंद स्वभाव आदि से आकर्षित होकर उसे मित्र बनाने की इच्छा उत्पन्न हो जाती है। मित्र बनाकर सब-कुछ बहुत लुभावना लगता है।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 मित्रता

प्रश्न 8.
लेखक ने मित्र के क्या कर्त्तव्य बताये हैं ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार मित्र हमारे अच्छे कार्यों में हमारा उत्साह इस प्रकार से बढ़ाता है कि हम अपनी सामर्थ्य से अधिक काम कर जाते हैं। वह दृढ़ चित्त और सत्य संकल्पों से यह कार्य करता है। वह सदा हमारी हिम्मत बढ़ाता रहता है। वह हमारे आत्मबल को बढ़ाता है।

प्रश्न 9.
बुरी संगति को लेखक ने छूत क्यों कहा है?
उत्तर”
जिस प्रकार से छूत की बीमारी लग जाती है, उसी प्रकार से बुरी संगति भी छूत की तरह जब लग जाती है तो छूटती नहीं है। भद्दे और फूहड़ गीत किसी गंभीर अथवा अच्छी धुन की अपेक्षा जल्दी याद हो जाते हैं। काजल की कोठरी में से कितना ही बच कर निकलने की कोशिश करें, कालिख लग ही जाती है। बचपन में सुनी हुई बुरी बातें कभी नहीं भूलती हैं।

प्रश्न 10.
‘विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में आचार्य शुक्ल यह बताना चाहते हैं कि मानव-जीवन में विश्वासपात्र मित्र का कितना अधिक महत्त्व है। लेखक की मान्यता है कि जिस मित्र पर विश्वास किया जा सके, वह मानव-जीवन के लिए दवाई के समान होता है। जैसे दवाई हमें विभिन्न बीमारियों से मुक्त करा देती है, वैसे ही विश्वासपात्र मित्र हमें जीवन के अनेक संकटों से बचा सकता है। लेखक का विचार है कि विश्वासपात्र मित्र हमारे विचारों को ऊँचा उठाते हैं, हमारे चरित्र को दृढ़ बनाते हैं, हमें बुराइयों और गलतियों से बचाते हैं। ऐसा मित्र हमारे मन और आचरण में सत्य-निष्ठता को जागृत करता है तथा हमें पवित्रतापूर्वक जीवन-यापन करने की प्रेरणा देता है। ऐसे मित्र की प्रेरणा से हम प्रेमपूर्वक मर्यादित जीवनयापन कर सकते हैं। हमें निराशा के क्षणों में प्रोत्साहन भी विश्वासपात्र मित्रों से ही प्राप्त होता है।

एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्वासपात्र मित्र जीवन का क्या है?
उत्तर:
विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषध है।

प्रश्न 2.
किस अवस्था में मित्रता की धुन सवार रहती है?
उत्तर:
छात्रावस्था में मित्रता की धुन सवार रहती है।

प्रश्न 3.
कौन-सा ज्वर सबसे भयानक होता है?
उत्तर:
कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है।

प्रश्न 4.
कौन-सी बातें हमारी धारणा में बहुत दिनों तक टिकती हैं?
उत्तर:
बुरी बातें हमारी धारणा में बहुत दिनों तक टिकती हैं।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
युवा पुरुष प्रायः किससे कम काम लेते हैं?
(क) विवेक
(ख) उत्साह
(ग) साहस
(घ) निडरता।
उत्तर:
(क) विवेक

प्रश्न 2.
सच्ची मित्रता में किस जैसी निपुणता और परख होती है?
(क) मंत्री
(ख) न्यायाधीश
(ग) वैद्य
(घ) राजा।
उत्तर:
(ग) वैद्य

प्रश्न 3.
नीति-विशारद अकबर मन बहलाने के लिए किसकी ओर देखता था?
(क) सलीम
(ख) बीरबल
(ग) टोडरमल
(घ) तानसेन।
उत्तर:
(ख) बीरबल

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 मित्रता

एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न

प्रश्न 1.
आजकल क्या बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
जान-पहचान

प्रश्न 2.
मकदूनिया का बादशाह अकबर था। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 3.
बुरी संगति की छूत से बचो। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 4.
हमारे और हमारे मित्र के बीच सच्ची सहानुभूति होनी चाहिए। (सही या गलत)
उत्तर:
सही]

प्रश्न 5.
मित्र सच्चे पथ प्रदर्शक के समान नहीं होना चाहिए। (सही या गलत)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 6.
संगति का गुप्त …………. हमारे ………… पर बड़ा भारी पड़ता है।
उत्तर:
प्रभाव, आचरण

प्रश्न 7.
चिन्ताशील मनुष्य ………. चिन्त का ………. ढूँढ़ता है।
उत्तर:
प्रफुल्लित, साथ

प्रश्न 8.
काजल की ……………. में कैसो ही ………….. जाय।
उत्तर:
कोठरी, सयानो।

मित्रता कठिन शब्दों के अर्थ

मित्रता = दोस्ती। युवा = जवान। एकांत = अकेला, निर्जन स्थान। उपयुक्तता = सही होना। परिणत होना = बदल जाना। चित्त = मन। संगति = साथ। हेल-मेल = मेल जोल, घनिष्ठता। अपरिमार्जित = जो साफ सुथरा न हो। प्रवृत्ति = स्वभाव, आदत। अपरिपक्व = जो पका न हो, अविकसित। दृढ़ संकल्प = पक्का इरादा। विवेक = अच्छे-बुरे को पहचानने की क्षमता। आश्चर्य = हैरानी। अनुसंधान = खोज, पड़ताल। त्रुटियों = गलतियों। चटपट = फटाफट, जल्दीजल्दी। आत्मशिक्षा = जीवन-ज्ञान। संकल्प = निश्चय। मर्यादा = जीवन अनुशासन। हतोत्साहित = जिसमें उत्साह न हो। उत्साहित = उत्साह, हौंसला। निपुण = कुशल, प्रवीण। परख = पहचानने की शक्ति। उमंग = रोमांच। खिन्नता = खीजना, चिढ़ जाना। अनुरक्ति = लीन होना, जुड़ना, लगाव। उद्गार = भाव। प्रफुल्लित = प्रसन्न। निर्बल = कमजोर। उथल-पुथल = हलचल। जीवन-संग्राम = जीवन संघर्ष। स्नेह = प्रेम-प्यार। प्रीति-पात्र = कृपा-पात्र। वांछनीय = अपेक्षित। चिंताशील = परेशान।

उच्च आकांक्षा = उत्कृष्ट इच्छा। मृदुल = कोमल। युक्ति = तरीका। नीति विशारद = नीति-निपुण, नीतिवान। कर्त्तव्य = फर्ज। सामर्थ्य = योग्यता। दृढ़ चित्त = पक्का इरादा। सत्य संकल्प = शुभ-विचार। आत्मबल = नैतिक शक्ति। प्रतिष्ठित = स्थापित होना। पुरुषार्थ = मेहनत, जीवन लक्ष्य (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष)। लिप्त = लीन। शिष्ट = सभ्य, सदाचारी। सत्यनिष्ठ = सत्य पर अडिग रहने वाला, सत्यवान। विनोद = मनोरंजन। मनचला = छिछला। बनाव सिंगार = टीमटाम, बनावट। निस्सार = सारहीन व्यर्थ। शोचनीय = चिंताजनक। सात्विकता = पवित्रता। अनंत = जिसका अंत नहीं होता। गंभीर = गहन। रहस्य = छुपा हुआ। इंद्रियविषय = इंद्रियों से संबंधित। नीचाशयों = घटिया इरादे। कुत्सित विचार = बुरे विचार। कलुषित = दूषित। कुसंग = बुरी-संगत। क्षय = हानि, कम होना। अवनति = पतन। चेष्टा = प्रयत्न। बेधना = घाव करना। चौकसी = सावधानी। सवृत्ति = अच्छी आदत। अभ्यस्त = निपुण। कुंठित = अप्रखर, अक्षम, कमज़ोर। निष्कलंक = निर्दोष, पवित्र।

मित्रता Summary

मित्रता लेखक परिचय

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म बस्ती जिले के ‘अगोना’ नामक ग्राम में सन् 1889 ई० में हुआ था। इनकी शिक्षा मिर्जापुर में हुई। इन्होंने सन् 1901 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद विपरीत परिस्थितियों के कारण ये आगे पढ़ नहीं पाए थे। कुछ समय के लिए इन्होंने मिर्जापुर के मिशन स्कूल में चित्रकला के अध्यापक पद पर कार्य किया। सन् 1908 में नागरी प्रचारिणी सभा में इन्हें ‘हिंदी शब्द सागर’ के सहकारी संपादक के रूप में नियुक्त किया गया। इन्होंने काफ़ी समय तक ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ का संपादन किया। कुछ समय तक ये काशी विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक रहे और सन् 1937 में बाबू श्यामसुंदर दास के अवकाश ग्रहण करने पर हिंदी-विभाग के अध्यक्ष नियुक्त किये गये। सन् 1941 में काशी में इनका देहावसान हो गया।

रचनाएँ-आचार्य शुक्ल ने कविता, कहानी, अनुवाद, निबंध, आलोचना, कोष-निर्माण, इतिहास-लेखन आदि अनेक क्षेत्रों में अपनी अपूर्व प्रतिभा का परिचय दिया है। इनकी सर्वाधिक ख्याति निबंध-लेखक और आलोचक के रूप में हुई है। इनकी प्रमुख रचनाएँ-हिंदी-साहित्य का इतिहास, जायसी ग्रंथावली, तुलसीदास, सूरदास, चिंतामणि (तीन भाग), रस-मीमांसा आदि हैं। सन् 1903 ई० में रचित इनकी कहानी ‘ग्यारह वर्ष का समय’ हिंदी की प्रारंभिक कहानियों में उल्लेखनीय है। इनके द्वारा रचित चिंतामणि के तीनों भाग इनकी मृत्यु के बाद छपे थे।

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 मित्रता

शुक्ल जी के निबंध हिंदी-साहित्य की अनुपम निधि हैं। अनुभूति और अभिव्यंजना की दृष्टि से उनके निबंध उच्चकोटि के हैं। इनमें गंभीर विवेचन के साथ-साथ गवेषणात्मक चिंतन का मणि-कांचन संयोग, निर्धांत-अनुभूति के साथ-साथ प्रौढ़ अभिव्यंजना का अद्भुत मिश्रण, लेखक के गंभीर व्यक्तित्व के साथ-साथ विषय-प्रतिपादन की प्रौढ़ता का औदार्य, विचार-शक्ति के स्वस्थ संघटन के साथ-साथ भाव-व्यंजना का वैचित्र्यपूर्ण माधुर्य तथा जीवन की विविध रसात्मक अनुभूतियों के साथ-साथ जगत् की विविध रहस्यपूर्ण गतिविधियों का अनोखा चमत्कार मिलता है।

मित्रता पाठ का सार

‘मित्रता’ आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित एक विचारात्मक निबंध है। लेखक का विचार है कि यों तो मेल-जोल से मित्रता बढ़ जाती है किंतु सच्चे मित्र का चुनाव एक कठिन समस्या है। नवयुवकों को यदि अच्छा मित्र मिल जाए तो उनका जीवन सफल हो सकता है क्योंकि संगत का प्रभाव हमारे आचरण पर पड़ता है तथा हमारा जीवन अपने मित्रों के संपर्क से बहुत अधिक प्रभावित होता है। इसलिए लेखक ने मित्र के चुनाव, मित्र के लक्षण आदि का विवेचन इस निबंध में किया है।

युवा व्यक्ति की मानसिक स्थिति-लेखक का विचार है कि जब कोई युवा व्यक्ति अपने घर से बाहर निकलकर संसार में प्रवेश करता है तो उसे सबसे पहले अपना मित्र चुनने में कठिनाई का अनुभव होता है। प्रारंभ में वह बिल्कुल अकेला होता है। धीरे-धीरे उसकी जान-पहचान का घेरा बढ़ने लगता है जिनमें से उसे अपने योग्य उचित मित्र का चुनाव करना पड़ता है। मित्रों के उचित चुनाव पर उसके जीवन की सफलता निर्भर करती है, क्योंकि संगति का प्रभाव हमारे आचरण पर भी पड़ता है। युवावस्था कच्ची मिट्टी के समान होती है जिसे कोई भी आकार प्रदान किया जा सकता है। सही मित्र की मित्रता ही हमें जीवन में उन्नति प्रदान करती है। केवल हँसमुख व्यक्तित्व से संपन्न मनुष्य को, बिना उसके गण-दोष परखे, मित्र बना लेना उचित नहीं है। हमें मित्र बनाते समय मैत्री के उद्देश्य पर भी विचार करना चाहिए क्योंकि मित्रता एक ऐसा साधन है जिससे आत्मशिक्षा का कार्य आसान हो जाता है। विश्वासपात्र मित्र हमें उत्तमतापूर्वक जीवन निर्वाह करने में सहायता देते हैं। ऐसी ही मित्रता करने का प्रयत्न प्रत्येक युवा व्यक्ति को करना चाहिए।

छात्रावस्था की मित्रता-प्राय: छात्रावस्था के युवकों में मित्रता की धुन सवार रहती है। मित्रता उनके हृदय से उमड़ पड़ती है। उनके हृदय से मित्रता के भाव बात-बात में उमड़ पड़ते हैं। युवा पुरुषों की मित्रता स्कूल के बालक की मित्रता से दृढ़, शांत और गंभीर होती है। वास्तव में, सच्चा मित्र जीवन संग्राम का साथी होता है। सुंदर-प्रतिभा, मन-भावनी चाल तथा स्वच्छंद तबीयत आदि दो-चार गुण ही मित्रता के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सच्चा-मित्र पथ-प्रदर्शक के समान होना चाहिए, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें। वह भाई के समान होना चाहिए जिसे हम अपना प्रेम-पात्र बना सकें।

भिन्न स्वभाव के लोगों में मित्रता-दो भिन्न प्रकृति, व्यवसाय और रुचि के व्यक्तियों में भी मित्रता हो सकती है। राम-लक्ष्मण तथा कर्ण और दुर्योधन की मित्रता परस्पर विरोधी प्रकृति के होते हुए भी अनुकरणीय है। वस्तुत: समाज में विभिन्नता देखकर ही लोग परस्पर आकर्षित होते हैं तथा हम चाहते हैं कि जो गुण हममें नहीं हैं, उन्हीं गुणों से युक्त मित्र हमें मिले। इसीलिए चिंतनशील व्यक्ति प्रफुल्लित व्यक्ति को मित्र बनाता है। निर्बल बलवान् को अपना मित्र बनाना चाहता है।

मित्र का कर्तव्य-लेखक एक सच्चे मित्र के कर्तव्यों के संबंध में बताता है कि वह उच्च और महान् कार्यों में अपने मित्र को इस प्रकार सहायता दे कि वह अपनी निजी सामर्थ्य से भी अधिक कार्य कर सके। इसके लिए हमें आत्मबल से युक्त व्यक्ति को अपना मित्र बनाना चाहिए। संसार के अनेक महान् पुरुष मित्रों के द्वारा प्रेरित किए जाने पर ही बड़े-बड़े कार्य करने में समर्थ हुए हैं। सच्चे मित्र उचित मंत्रणा के द्वारा अपने मित्र का विवेक जागृत करते हैं तथा उसे स्थापित करने में सहायक होते हैं। संकट और विपत्ति में उसे पूरा सहारा देते हैं। जीवन और मरण में सदा साथ रहते हैं।

मित्र के चुनाव में सावधानी-लेखक मित्र के चुनाव में सतर्कता का व्यवहार करने पर बल देता है क्योंकि अच्छे मित्र के चुनाव पर ही हमारे जीवन की सफलता निर्भर करती है। जैसी हमारी संगत होगी, वैसे ही हमारे संस्कार भी होंगे, अतः हमें दृढ़ चरित्र वाले व्यक्तियों से मित्रता करनी चाहिए। मित्र एक ही अच्छा है, अधिक की आवश्यकता नहीं होती। इस संबंध में लेखक ने बेकन के कथन का उदाहरण दिया है कि “समूह का नाम संगत नहीं है। जहाँ प्रेम नहीं है, वहाँ लोगों की आकृतियाँ चित्रवत् हैं और उनकी बातचीत झाँझ की झनकार है।” अत: जो हमारे जीवन को उत्तम और आनंदमय करने में सहायता दे सके ऐसा एक मित्र सैंकड़ों की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ है।

किन लोगों से मित्रता न करें-लेखक ऐसे लोगों से दूर रहने के लिए कहता है जो हमारे लिए कुछ नहीं कर सकते, न हमें कोई अच्छी बात बता सकते हैं, न हमारे प्रति उनके मन में सहानुभूति है और न ही वे बुद्धिमान् हैं । लेखक की मान्यता है कि आजकल हमें मौज-मस्ती में साथ देने के लिए अनेक व्यक्ति मिल सकते हैं जो संकट में हमारे निकट भी नहीं आयेंगे, ऐसे लोगों से कभी मित्रता नहीं करनी चाहिए। जो नवयुवक मनचलों के समान केवल शारीरिक बनावश्रृंगार में लगे रहते हैं, महफिलें सजाते हैं, सिगरेट का धुआँ उड़ाते हुए गलियों में ठट्टा मारते हैं, उनका जीवन शून्य, निःसार और शोचनीय होता है। वे अच्छी बातों के सच्चे आनंद से कोसों दूर रहते हैं। उन्हें प्राकृतिक अथवा मानवीय सौंदर्य के स्थान पर केवल इंद्रिय-विषयों में ही लिप्त रहना अच्छा लगता है। उसका हृदय नीच आशाओं तथा कुत्सित विचारों से परिपूर्ण रहता है। लेखक इस प्रकार के व्यक्तियों से सावधान रहते हुए इनसे मित्रता न करने पर बल देता है।

कुसंग का ज्वर-लेखक ने कुसंग को एक भयानक ज्वर का नाम दिया है जो केवल नीति और सद्वृत्ति का नाश नहीं करता, अपितु बुद्धि का भी क्षय करता है। बुरे व्यक्ति की संगत अथवा मित्रता करने वाला व्यक्ति दिन-प्रतिदिन अवनति के गड्ढे में ही गिरता जायेगा। अतः बुरे व्यक्तियों की संगत से सदा बचना चाहिए। इस संबंध में लेखक एक उदाहरण देता है कि इंग्लैंड के एक विद्वान् को युवावस्था में राज दरबारियों में स्थान नहीं मिला तो वह जीवन-भर अपने भाग्य को सराहता ही रहा। बहुत-से लोग तो इसे अपना बड़ा भारी दुर्भाग्य समझते, पर वह अच्छी तरह जानता था कि वहाँ वह बुरे लोगों की संगत में पड़ता जो उसकी आध्यात्मिक उन्नति में बाधक होते। इसी कारण वह राज-दरबारी न बनकर स्वयं को सौभाग्यशाली समझता था।

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बुरी आदतों का आकर्षण-लेखक के विचार में बुरी आदतें तथा बुरी बातें प्राय: व्यक्तियों को अपनी ओर शीघ्रता से आकर्षित कर लेती हैं। अतः ऐसे लोगों से कभी भी मित्रता नहीं करनी चाहिए जो अश्लील, अपवित्र और फूहड़ रूप से तुम्हारे जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं, क्योंकि यदि एक बार व्यक्ति को इन बातों अथवा कार्यों में आनंद आने लगेगा तो बुराई अटल भाव धारण कर उसमें प्रवेश कर जायेगी। व्यक्ति की भले-बुरे में अंतर करने की शक्ति भी नष्ट हो जायेगी तथा विवेक भी कुंठित हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति बुराई का भक्त बन जाता है। स्वयं को निष्कलंक रखने के लिए समस्त बुराइयों से बचना आवश्यक है क्योंकि-
“काजल की कोठरी में कैसो ही सयानों जाय।
एक लीक काजल की लागि है पै लागि है।”