PSEB 10th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)
→ रासायनिक समीकरण किसी रासायनिक अभिक्रिया को दर्शाता है।

→ शब्दों की अपेक्षा रासायनिक सूत्र का उपयोग करके रासायनिक समीकरणों को अधिक संक्षिप्त तथा उपयोगी बनाया जा सकता है।

→ किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है न ही विनाश।

→ किसी रासायनिक अभिक्रिया में तीर के निशान के दोनों ओर के प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान हो तो वह एक संतुलित रासायनिक समीकरण है।

→ अभिकारकों तथा उत्पादों के ठोस, गैस, द्रव तथा जलीय अवस्थाओं को क्रमशः (s), (g), (1) तथा (aq) से दर्शाया जाता है।

→ अभिकारक तथा उत्पादों में जब जल घोल के रूप में उपस्थित रहता है तब उसे (aq) लिखते हैं।

→ ऐसी अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं उसे संयुक्त अभिक्रिया कहते हैं।

→ पाचन क्रिया के दौरान खाद्य पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है।

→ साग-सब्जियों का विघटित होकर कंपोस्ट बनना भी ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का ही उदाहरण है।

→ जिस अभिक्रिया में एकल अभिकर्मक टूट कर छोटे-छोटे उत्पाद प्रदान करता है, उसे वियोजन अभिक्रिया कहते हैं।

→ सूर्य के प्रकाश में श्वेत रंग का सिल्वर क्लोराइड धूसर रंग का हो जाता है।

→ जिन अभिक्रियाओं में ऊर्जा अवशोषित होती है उन्हें ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं।

→ वे अभिक्रियाएं जिनमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है उन्हें द्विविस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। जिस अभिक्रिया में अवक्षेप का निर्माण होता है उसे अवक्षेपण अभिक्रिया कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

→ यदि किसी अभिक्रिया में एक अभिकारक उपचरित तथा दूसरा अभिकारक अपचरित होता है तो इन अभिक्रियाओं को उपचयन-अपचयन अथवा रेडॉक्स अभिक्रिया कहते हैं।

→ किसी अभिक्रिया में पदार्थ का उपचयन तब होता है जब उनमें O2, की वृद्धि या H2, का ह्रास होता है।

→ पदार्थ का अपचयन तब होता है जब उसमें O2, का ह्रास या H2, की वृद्धि होती है।

→ जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, नमी आदि के संपर्क में आती है तब वह संक्षारित होती है और उस क्रिया को संक्षारण कहते हैं।

→ चांदी के ऊपर काली पर्त और ताँबे के ऊपर हरी पर्त चढ़ना, संक्षारण के उदाहरण हैं।

→ उपचयित होने पर तेल एवं वसा विकृत गंधी हो जाते हैं तथा उनके स्वाद अथवा गंध बदल जाते हैं।

→ हमारे इर्द-गिर्द विभिन्न प्रकार की रासायनिक क्रियाएं हो रही हैं।

→ रासायनिक समीकरण किसी रासायनिक अभिक्रिया को प्रदर्शित करती है।

→ रासायनिक क्रिया में न तो द्रव्यमान का निर्माण किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।

→ एक पूर्ण रासायनिक समीकरण अभिकारकों, उत्पादों तथा उनकी भौतिक अवस्था को संकेतिक तौर पर प्रदर्शित करती है।

→ रासायनिक समीकरण सदैव संतुलित होनी चाहिए।

→ रासायनिक समीकरण में भाग ले रहे प्रत्येक परमाणु की संख्या समीकरण के अभिकारकों की ओर तथा उत्पादों की ओर एक समान होनी चाहिए।

→ रासायनिक संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके एक नया पदार्थ बनाते हैं।

→ अपघटन अभिक्रिया में एक अभिकारक विघटित होकर दो अथवा दो से अधिक उत्पाद बनाते हैं। यदि अपघटन क्रिया गर्म करने पर सम्पन्न होती है तो उसे ताप-अपघटन अभिक्रिया कहते हैं।

→ यदि रासायनिक अभिक्रिया में ऊर्जा अवशोषित होती (ऊष्मा, प्रकाश अथवा विद्युत की आवश्यकता पड़ती है) है तो यह ऊष्मा-शोषी अभिक्रिया कहलाती है।

→ दोहरी द्विविस्थापन अभिक्रिया में विभिन्न परमाणुओं अथवा आयनों का परस्पर आदान-प्रदान होता है।

→ रेडॉक्स अभिक्रिया में पदार्थों द्वारा ऑक्सीजन अथवा हाइड्रोजन का लाभ अथवा हानि होती है।

→ रासायनिक अभिक्रिया के समय ऑक्सीजन का लाभ अथवा हाइड्रोजन की हानि होने पर क्रिया को ऑक्सीकरण कहते हैं।

→ ऑक्सीजन की हानि अथवा ऑक्सीजन का लाभ होने पर अभिक्रिया लघुकरण (अपचयन) कहलाती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वन्य संपदा की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से उपाय हैं ?
उत्तर-
वन्य संपदा की सुरक्षा के उपाय-

  • वृक्षों को काटना बंद होना चाहिए।
  • केवल वे ही वृक्ष काटे जाएं तो सूख जाएं या जिन्हें कोई गंभीर बीमारी लग जाए और उनके स्थान पर नये वृक्ष लगाये जाने चाहिए।
  • वृक्षों की प्रति वर्ष गिनती की जानी चाहिए और वृक्षारोपण के लक्ष्य को पूर्ण करना चाहिए।
  • वन-महोत्सव मनाया जाना चाहिए। यह हमारे देश की वृक्षारोपण की परंपरा है जिसके अनुसार वनमहोत्सव सप्ताह में हज़ारों नये वृक्ष लगाये जाते हैं।
  • नये लगाए गए वृक्षों की देखभाल करनी चाहिए।
  • वनारोपण की नयी योजना लागू होनी चाहिए।
  • वन संपदा को जंगल की आग से बचाने के लिए उचित प्रबंध होना चाहिए।
  • वृक्षों को बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रदूषण के घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव तथा पर्यावरण का आपस में गहरा तथा अटूट संबंध है। मानव ही पर्यावरण को स्वच्छ या प्रदूषित करता है तथा उसका प्रभाव मानव को ही उसी रूप में प्रभावित करता है। मानव समाज के लिए स्वच्छ तथा स्वास्थ्यवर्धक पर्यावरण अति आवश्यक है। परंतु पर्यावरण को स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक बनाना मनुष्यों पर ही निर्भर करता है।

मानव की क्रियाओं का अनियोजन होना पर्यावरण को उतनी ही अधिक हानि पहुंचाता है। महानगरों में ट्रकों तथा बसों से निकलता काला धुंआ, नदियों में नालों का गंदा पानी तथा सड़कों पर बिखरा कूड़ा-कर्कट आदि महानगरों के पर्यावरण को दूषित करते हैं। ये सभी क्रियाकलाप मिलजुल कर हमारे पर्यावरण के सभी घटकों जैसे-जल, वायु तथा मृदा के साथ-साथ हमें जीवित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

जनसंख्या में लगातार वृद्धि पर्यावरण को प्रदूषित करने में मानव की प्रमुख भूमिका है। जनसंख्या के बढ़ने से आवास, वस्त्र तथा खाद्य पदार्थों की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संपदाओं की हानि होती है। जैसे जंगलों को अत्यधिक काटा जाना; भूमिगत जल का अनियंत्रित उपयोग, जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग, औद्योगिकीकरण आदि। वे सभी किसी-न-किसी रूप में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।

जब प्राकृतिक साधन पर्यावरण को पुनः स्वच्छता प्रदान नहीं कर सकते तो प्रदूषण होता है। औद्योगिक दुर्घटनाओं तथा बिना नियोजित लगाए गए कारखानों आदि से भी पर्यावरण प्रदूषित होता है। अत्यधिक रसायनों का उपयोग भी इसी का एक घटक है। प्राकृतिक संपदाओं का अतिशोषण भी पर्यावरण के प्रदूषण को बढ़ावा देता है। औद्योगिक क्रांति से वायु तथा जल प्रदूषण होता है। अम्लीय वर्षा, अंतः दहन इंजनों द्वारा प्रचलित वाहनों द्वारा अधिक मात्रा में सल्फर युक्त यौगिकों को वायु में मुक्त करने का परिणाम है। ऐरोसाल के उपयोग से ओजोन सतह की हानि हो रही है।

मानव के विभिन्न क्रियाकलापों के परिणाम से उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करने में सबसे आगे हैं। ये अपशिष्ट पदार्थ अत्यंत घातक होते हैं तथा इनका प्रभाव दूर-दूर तक फैल जाता है। इनका निपटान आजकल विश्व की समस्या है। इनका पुन: चक्रण ही पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकता है। पर्यावरण को प्रदूषित करने में मुख्य भूमिका मनुष्य की है, इसके साथ-साथ इस प्रदूषित पर्यावरण का शिकार भी प्रमुख रूप से मानव ही है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 3.
कोयला एवं पेट्रोलियम का प्रयोग सावधानीपूर्वक क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
कोयला और पेट्रोलियम पेड़-पौधों तथा जीव जंतुओं से बनते हैं जिनमें कार्बन के अतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन एवं सल्फर भी होते हैं। जब इन्हें जलाया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा सल्फर के ऑक्साइड उत्पन्न होती हैं। अपर्याप्त वायु में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्थान पर मोनो ऑक्साइड उत्पन्न होती है। इन उत्पादों में से नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड तथा कार्बन मोनोआक्साइड विषैली गैसें हैं। कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीन हाउस गैस है।

कोयला और पेट्रोलियम कार्बन के विशाल भंडार हैं। यदि इनकी संपूर्ण मात्रा का कार्बन न जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो गया तो पृथ्वी पर ऑक्सीजन की उपलब्धता तो अत्यंत हो जाएगी पर साथ ही साथ कार्बन डाइऑक्साइड से अधिकता वैश्विक ऊष्मण होने का कारण बन जाएगी। इसलिए इन संसाधनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

प्रश्न 4.
गंगा का प्रदूषण किस प्रकार हो रहा है ? इसकी सफाई योजना पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
गंगा हिमालय पर्वत में स्थित गंगोत्री से लेकर बंगाल की खाड़ी तक लगभग 2500 किलोमीटर तक यात्रा करती है। वह विभिन्न राज्यों के सौ से अधिक नगरों और कस्बों से गुजरती है जिस कारण उसमें तरह-तरह की गंदगियों का मिलना स्वाभाविक है।

गंगा का प्रदूषण मुख्य रूप से अग्रलिखित प्रकार का है-

  • औद्योगिक कचरा।
  • अनौपचारित मल और अपशिष्ट।
  • मृत शरीरों को तटों पर जलाना, जल में बहाना और मृत शरीरों की राख और हड्डियों को गंगा के जल में डालना।
  • अंधविश्वास के कारण गंगा में नहाना। गंगा की सफाई योजना गंगा के जल में धार्मिक कारणों से अस्थि प्रवाह किया जाता है।

इसलिए इसके जल में, मानव आंत में पाया जाने वाला कोलिफार्म जीवाणु उपस्थित है और उसकी MPN (Most Probable Number) जल के अधोप्रवाह में बढ़ता जाता है। सन् 1985 में, गंगा के प्रदूषण को दूर करने के लिए गंगा सफाई योजना शुरू की गयी थी। जिसका बजट प्रथम चरण में 462 करोड़ रुपये और द्वितीय चरण में 416 करोड़ रुपये था। इस अभियान के अनुसार 873 मिलियन लीटर जल प्रतिदिन उपचारित करना था। वर्तमान में गंगा की सफाई योजना में तेजी लाए जाने की परम आवश्यकता है तभी इसमें निरंतर बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्राकृतिक संसाधन को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)-प्रकृति में पाए जाने वाले मनुष्य के लिए उपयोगी पदार्थों को प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। उदाहरण-वायु, जल, मिट्टी, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम आदि प्राकृतिक संसाधन हैं।

प्रश्न 2.
3R के सिद्धांत से आप क्या समझते हो ? वर्णन करो।
उत्तर-
पहले ‘R’ का अर्थ है Reduce अर्थात् कम करना। इसका यह अर्थ है कि हमें कम-से-कम वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए हम बिजली के पंखे तथा बल्ब के स्विच बंद करके विद्युत् के अपव्यय को रोक सकते हैं। इसी प्रकार कम-से-कम जल का उपयोग करके तथा लीक होने वाले नल तथा पाइप की मरम्मत करवा के भी हम जल के अपव्यय को रोक सकते हैं।

दूसरे ‘R’ का अर्थ है Recycle अर्थात् पुनः चक्रण। इसका अर्थ है कि हमें प्लास्टिक, कागज़, काँच, धातु की वस्तुएँ आदि पदार्थों का पुनः चक्रण करके इनसे उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिएं। हमें ऐसी चीज़ों को कचरे के डिब्बे में नहीं डालना चाहिए बल्कि इन्हें अपने कचरे से अलग करना होगा ताकि यह दुबारा उपयोगी बनाई जा सकें।

तीसरा ‘R’ है Reuse अर्थात् पुन: उपयोग। यह पुन:चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुनःचक्रण से भी कुछ न कुछ ऊर्जा व्यर्थ जाती है। पुन: उपयोग के तरीके में हम एक ही वस्तु का बार-बार उपयोग कर सकते हैं। उदाहरणविभिन्न खाद्य पदाथों के साथ आए डिब्बे तथा केन हम अन्य सामान रखने में प्रयोग कर सकते हैं।

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प्रश्न 3.
गंगा के जल प्रदूषण को किस प्रकार रोका जा सकता है ?
उत्तर-
गंगा के जल प्रदूषण को निम्नलिखित विधियों से रोका जा सकता है

  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले हानिकारक कचरे को गंगा में गिरने से रोक कर।
  • नदी में मृत पशुओं को बहाने से रोक कर।
  • घरों-व्यापारिक संस्थानों से निकले कूड़े को नदी में न बहा कर।
  • नदी में कपड़े न धो कर।
  • जल स्रोतों के निकट मल-मूत्र को न त्याग कर।
  • नदी में राख और शवों को न बहा कर।

प्रश्न 4.
पुनः चक्रण क्या है ? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
पुनः चक्रण-पुरानी अखबारों, कॉपी-किताबों, धातु से बनी पुरानी-बेकार वस्तुओं, प्लास्टिक आदि को कुछ प्रक्रियाओं के द्वारा नए रूप में परिवर्तित किया जा सकता है, जिसे पुनः चक्रण कहते हैं। पुनः चक्रण के लिए हम अग्रलिखित कार्य कर सकते हैं-

  • ऐसी वस्तुएं खरीदें जिनका पुनः चक्रण संभव हो।
  • ऐसी वस्तुएं प्रयोग करें जो पुनः चक्रण से निर्मित हों।
  • पुन: चक्रण के लिए उपयुक्त वस्तुओं को खराब होने से पहले बेच दें।

प्रश्न 5.
‘चिपको आंदोलन’ ने सरकार तथा लोगों को क्या सिखाया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
चिपको आंदोलन-‘चिपको आंदोलन’ बहुत तेजी से विभिन्न समुदायों में फैल गया है। जन संचार माध्यमों ने भी इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसने सरकार को यह सोचने पर विवश कर दिया कि वन संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए प्राथमिकता तय करने के लिए पुनर्विचार की आवश्यकता है। लोगों को अनुभव ने सिखा दिया है कि वनों के विनाश से केवल वन की उपलब्धता ही प्रभावित नहीं होती बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता और जल स्रोत भी प्रभावित होते हैं। स्थानीय लोगों की भागीदारी निश्चित रूप से वनों के प्रबंधन में होनी चाहिए।

प्रश्न 6.
भौम जल के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
भौम जल के लाभ-

  • यह जल वाष्पित होकर वायुमंडल में मिलता नहीं है।
  • इसमें जीव जंतु तथा पादपों का जनन नहीं हो पाता।
  • यह भौम स्तर में सुधार लाता है।
  • यह पौधों को नमी प्रदान करता है।
  • यह जीव-जंतुओं के कारण प्रदूषित और संदूषित नहीं हो पाता।

प्रश्न 7.
जीवाश्म ईंधन क्या हैं तथा किस प्रकार बनते हैं ? इसके दो उदाहरण बताओ।
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन-जंतु तथा वनस्पति के अवशेष पृथ्वी की सतह में दबते रहे हैं जो धीरे-धीरे तलछट के नीचे दब कर एकत्रित होते जाते हैं। इस प्रकार उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होती। तलछट के आवरण के नीचे न तो इनका ऑक्सीकरण होता है और न ही विघटन, परंतु इसी तलछट के भार के कारण इन अवशेषों से पानी तथा अन्य वाष्पीजन्य पदार्थ निचुड़ कर बाहर निकल जाते हैं। इन्हीं पदार्थों को जीवाश्म ईंधन कहते हैं। जीवाश्म ईंधन ऊर्जा युक्त कार्बन यौगिकों के वे अणु हैं जिनका निर्माण मूलत: सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए वनस्पतियों ने किया था। जीवाश्म ईंधन के उदाहरण कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस हैं।

प्रश्न 8.
“जल जीवन के लिए आवश्यक है।” इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
जल निम्नलिखित कारणों से जीवन के लिए आवश्यक है

  • जल हमारे शरीर की सभी रासायनिक प्रक्रियाओं में भाग लेता है।
  • जल शरीर में तापमान को स्थिर रखता है।
  • जल पोषक पदार्थों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है।
  • जल भल-मूत्र के विसर्जन में सहायता करता है।
  • जल पदार्थों के परिवहन में सहायता करता है।
  • कृषि, कारखानों तथा विद्युत् के लिए भी जल आवश्यक है।

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प्रश्न 9.
जल संरक्षण के कुछ प्रमुख उपाय लिखिए।
उत्तर-
जल के संरक्षण हेतु उपाय

  • जल को सिंचाई के लिए उपयोग करना।
  • बाढ़ नियंत्रण तथा हाइड्रोलोजिकल सर्वे और बाँध निर्माण करना।
  • भूमिगत जल की रिचार्जिंग तथा व्यय को रोकना।
  • अधिक जल तथा कम जल वाले स्थानों को स्थानांतरण करना।
  • मृदा अपरदन को रोकने के लिए बाह्य मृदा को बनाए रखना।

प्रश्न 10.
कुछ वायु प्रदूषकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
वायु के मुख्य प्रदूषक निम्नलिखित हैं-

  • कार्बन मोनोक्साइड
  • कार्बन डाइऑक्साइड
  • सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड
  • फ्लोराइडज के यौगिक
  • धातुएं तथा हाइड्रोकार्बन।

प्रश्न 11.
प्रदूषण नियंत्रण के पाँच उपाय बताओ।
उत्तर-
प्रदूषण को रोकने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएँ –

  • गोबर गैस का निर्माण करना चाहिए।
  • अजैव विघटनशील पदार्थों को गड्ढों में डालना चाहिए।
  • अपशिष्ट पदार्थों का चक्रीकरण करना चाहिए।
  • वाहित मल तथा उत्सर्जी पदार्थ आदि का सही ढंग से विसर्जन करना चाहिए।
  • आटोमोबाइल्स में सी० एन० जी० का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 12.
वनों के कटने से क्या हानि होती है ?
उत्तर-
यदि वृक्षों के कटने की दर उनकी वृद्धि से अधिक हो तो वृक्षों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जाएगी। वृक्ष वाष्पण की क्रिया से बड़ी मात्रा में जल मुक्त करते हैं। इससे वर्षा वाले बादल आसानी से बनते हैं। जब वन कम हो जाते हैं तब उस क्षेत्र में वर्षा कम होती है। इससे वृक्ष कम संख्या में उग पाते हैं। इस प्रकार एक दुष्चक्र आरंभ हो जाता है और वह क्षेत्र रेगिस्तान भी बन सकता है। वृक्षों के बहुत अधिक मात्रा में कटने से जैव पदार्थों से समृद्ध मिट्टी की सबसे ऊपरी परत वर्षा के पानी के साथ बहकर लुप्त होने लगती है।

प्रश्न 13.
कोयला और पेट्रोलियम को किस प्रकार लंबे समय तक बचाया जा सकता है ?
उत्तर-
कोयला पेट्रोलियम का उपयोग मशीनों की दक्षता पर भी निर्भर करता है। यातायात के साधनों में आंतरिक दहन-इंजन का प्रयोग होता है। लंबे समय से इसके उपयोग के लिए शोध किया जा रहा है कि इनमें ईंधन का पूर्ण दहन किस प्रकार सुनिश्चित किया जा सकता है। यह भी प्रयत्न किया जा रहा है कि इनकी दक्षता भी बढ़े तथा वायु प्रदूषण को भी कम किया जा सके और इन्हें लंबे समय तक बचाया जा सके।

प्रश्न 14.
राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभयारण्य में अंतर लिखिए।
उत्तर-

राष्ट्रीय उद्यान जीव अभयारण्य
(1) चीता, गैंडा, शेर आदि विशेष वन्य जीवों को आवास प्रदान किया जाता है। (1) जीव-जंतुओं की सामान्य प्रजातियों को प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षा दी जाती है।
(2) क्षेत्र 100 वर्ग किलोमीटर से 500 वर्ग किलोमोटर तक होता है। (2) क्षेत्र 500 वर्ग किलोमीटर से 1000 वर्ग किलोमीटर तक होता है।
(3) चारों ओर पक्की दीवारें बनाई जाती हैं। (3) चारों ओर ऊँची जालीदार अस्थायी दीवारें बनाई जाती हैं।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रदूषण क्या है?
उत्तर-
प्रदूषण-प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले अथवा शुद्ध रूप में पाए जाने वाले पदार्थों में धूल कण तथा अन्य नुकसानदेह पदार्थों का मिश्रण प्रदूषण कहलाता है।

प्रश्न 2.
किन्हीं पाँच प्राकृतिक संसाधनों के नाम बताएँ।
उत्तर-

  1. वन
  2. वन्य जीवन
  3. जल
  4. कोयला
  5. पेट्रोलियम।

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प्रश्न 3.
पर्यावरण को बचाने के लिए तीन R. के नाम बताएँ।
उत्तर-

  1. Reduce (कम करो)
  2. Recycle (पुनः चक्रण)
  3. Reuse (पुनः प्रयोग)।

प्रश्न 4.
किन वस्तुओं को पुनः चक्रण द्वारा दुबारा इस्तेमाल कर सकते हैं?
उत्तर-
प्लास्टिक, काँच, कागज़ एवं धातु की वस्तुएँ।

प्रश्न 5.
CFC का पूरा नाम बताएँ।
उत्तर-
क्लोरो फलोरो कार्बन।

प्रश्न 6.
ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण दें।
उत्तर-
कोयला एवं पेट्रोलियम।

प्रश्न 7.
ऊर्जा के दो परंपरागत स्त्रोतों के नाम बताएँ।
उत्तर-
खनिज ईंधन और बहता हुआ पानी।

प्रश्न 8.
संसाधन यदि वर्तमान दर से प्रयोग में आते रहे तो यह कितने समय तक उपलब्ध रहेंगे ?
उत्तर-
पेट्रोलियम के संसाधन लगभग अगले 40 वर्षों तथा कोयले के संसाधन अगले 200 वर्षों तक उपलब्ध रह सकते हैं।

प्रश्न 9.
अपशिष्ट पदार्थों को किन दो वर्गों में रखा जा सकता है ? इनमें से कौन-सा अधिक घातक होता है ?
उत्तर-

  1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ।
  2. जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ। इन दोनों में से जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ अधिक घातक हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इंदिरा गाँधी नहर से किस राज्य के बड़े क्षेत्र को हरा-भरा बनाने में सहायता मिली ?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) उत्तराखंड
(c) छत्तीसगढ़
(d) राजस्थान।
उत्तर-
(d) राजस्थान।

प्रश्न 2.
अमृता देवी बिश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जाता है
(a) जीव संरक्षण हेतु
(b) वनोन्मूलन हेतु
(c) वनों के विनाश को रोकने हेतु
(d) जल संरक्षण हेतु।
उत्तर-
(a) जीव संरक्षण हेतु।

प्रश्न 3.
जल संग्रह की “कुल्ह” तकनीक प्रचलन में है
(a) राजस्थान में
(b) हिमाचल प्रदेश में
(c) उत्तराखंड में
(d) मध्यप्रदेश में।
उत्तर-
(b) हिमाचल प्रदेश में।

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प्रश्न 4.
1970 के प्रथम दशक में चिपको आंदोलन कहां आरंभ हुआ ?
(a) कुमायुं में
(b) गढ़वाल में
(c) हिमाचल प्रदेश में
(d) असम में।
उत्तर-
(b) गढ़वाल में।

प्रश्न 5.
गंगा सफाई योजना कब आरंभ हुई ?
(a) 1945 में
(b) 1965 में
(c) 1985 में
(d) 2005 में।
उत्तर-
(c) 1985 में।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय वन पॉलिसी बनाई गई थी ?
(a) 1988
(b) 1989
(c) 1990
(d) 1991.
उत्तर-
(a) 1988.

प्रश्न 7.
पुनः चक्रण किया जा सकता है
(a) प्लास्टिक
(b) पॉलिथीन
(c) धातु
(d) इन सभी का।
उत्तर-
(d) इन सभी का।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) प्रकृति में मिलने वाले मनुष्य के लिए उपयोगी पदार्थों को ………………………. कहते हैं।
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधन

(ii) ……………………… समाप्त होने वाला प्राकृतिक संसाधन है।
उत्तर-
मिट्टी

(iii) ……………………………… न समाप्त होने वाला प्राकृतिक संसाधन है।
उत्तर-
सौर ऊर्जा

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

(iv) किसी बड़े क्षेत्र में अधिक वृक्ष लगाकर जंगलों को विकसित करना ………………………… कहलाता है।
उत्तर-
वनीकरण

(v) CFC का पूरा नाम …………………………. है।
उत्तर-
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए
(i) पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवोम या बायोम।
(ii) आहार श्रृंखला तथा खाद्य जाल।
(iii) मांसाहारी और सर्वभक्षी।
उत्तर-
(i) पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवोम या बायोम –

पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) जीवोम या बायोम (Biome)
(1) यह जैव जगत् की स्वयंधारी (Self-Sustaining) इकाई है। (1) यह बहुत से पारिस्थितिक तंत्रों का समूह है।
(2) यह जैव जीवों और अजैव पर्यावरण से मिल क्षेत्र के अनेक पारिस्थितिक तंत्र होते हैं। (2) इसमें समान जलवायु वाले एक निश्चित भौगोलिक कर बना है।
(3) यह जैव जगत् की अपेक्षाकृत छोटी इकाई है। (3) यह जैव जगत् की एक बहुत बड़ी इकाई है।

(ii) आहार श्रृंखला तथा खाद्य जाल –

आहार श्रृंखला (Food Chain) खाद्य जाल (Food Web)
(1) यह किसी पारितंत्र में भोजन तथा ऊर्जा प्रवाह को प्रदर्शित करती है। (1) इसमें पोषण स्तर की खाद्य शृंखलाओं से जुड़े होते हैं।
(2) यह भोजन प्राप्त करने की क्रमबद्ध आहार श्रृंखला है। (2) इसमें एक खाद्य श्रृंखला के जीव किसी-न-किसी पोषण स्तर पर अन्य खाद्य श्रृंखलाओं से जुड़ कर खाद्य श्रृंखलाओं का जाल-सा बनाते हैं।
(3) इसमें पोषण स्तर सीमित है। (3) इसमें पोषण स्तर पारितंत्र में प्राकृतिक संतुलन को प्रकट करते हैं।
(4) यह सीमित और छोटी होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1
(4) यह कई खाद्य श्रृंखलाओं का जाल है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 2

(iii) मांसाहारी और सर्वभक्षी

मांसाहारी (Carnivore) सर्वभक्षी (Omnivore)
(1) ये अन्य जीव-जंतुओं का मांस ही खाते हैं जैसे शेर, चीता आदि। (1) ये जीव-जंतुओं का मांस तथा पेड़-पौधों दोनों से अपना भोजन प्राप्त कर लेते हैं, जैसे मनुष्य, चील आदि।
(2) ये खाद्य श्रृंखला के तीसरे या उससे आगे के स्तर पर आते हैं। (2) ये प्रायः दूसरे पोषण स्तर पर होते हैं।
(3) ये प्राय: जंगलों में रहते हैं। (3) यह किसी भी स्थान पर रह सकते हैं।
(4) इनके कंतक दांत कम विकसित और कील दांत तथा नाखून अधिक विकसित होते हैं। (4) इनमें दोनों प्रकार के दांत और नाखून विकसित

प्रश्न 2.
आहार श्रृंखला छोटी कैसे हो जाती है ?
उत्तर-
ऊर्जा का प्रवाह एक ही दिशा में होता है तथा उसका विभिन्न चरणों में स्थानांतरण होता रहता है। ऊर्जा के प्रत्येक स्थानांतरण पर ऊर्जा का 10% भाग रह जाता है। यदि आहार श्रृंखला में अधिक चरण हों तो ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा व्यर्थ हो जाएगी। ऊर्जा को बचाने के लिए प्रकृति में आहार श्रृंखलाएं छोटी हो जाती हैं। आहार श्रृंखला में ऊर्जा स्थानांतरण के दौरान उत्पादक स्तर पर अधिक ऊर्जा उपलब्ध होती है। आहार श्रृंखला में दाहिने हाथ की ओर जाने पर ऊर्जा की उपलब्धता कम होती जाती है। उदाहरण : घास → टिड्डा → मेंढक → सांप → मोर

यदि इस श्रृंखला में मेंढक को समाप्त कर दिया जाये तो श्रृंखला प्रभावित हो जाएगी। इस अवस्था में निम्नलिखित परिवर्तन दिखायी देंगे

  • टिड्डों की संख्या बढ़ जाएगी।
  • मेंढक न मिलने के कारण सांपों की संख्या कम हो जाएगी।
  • सांपों की संख्या का मोरों की संख्या पर प्रभाव पड़ेगा।

मनुष्य के अवांछनीय अनेक कार्यों के कारण खाद्य शृंखला छोटी हो जाती है और उससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 3.
क्या आहार श्रृंखला में छः से अधिक स्तर हो सकते हैं? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर-
आहार श्रृंखला के प्रत्येक चरण में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है तथा ऊर्जा में लगातार कमी होती जाती है। तीन या चार चरणों के उपरांत ऊर्जा केवल नाम मात्र की ही रह जाती है। प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा हरे पौधे सौर ऊर्जा का केवल 1% भाग ही अंतर्ग्रहण करते हैं तथा शेष वातावरण में ही व्यर्थ हो जाता है। दूसरे चरण में पौधों को शाकाहारी खाते हैं तो कैवल 10% ही ऊर्जा शाकाहारियों को प्राप्त होती है।

यदि हम सौर ऊर्जा से प्राप्त ऊर्जा को केवल 1000 J मान लें तो पौधे केवल 10 J ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं तथा शाकाहारी केवल 1 J ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार जब शाकाहारी को मांसाहारी भक्षण करते हैं तो उसे केवल 0.01 J ऊर्जा ही प्राप्त होगी। अतः ज्यों-ज्यों आहार श्रृंखला के चरण बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे ही उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा भी कम होती जाती है। इसी आधार पर यह परिणाम निकलता है कि किसी भी आहार श्रृंखला में छः या अधिक चरण संभव नहीं होते हैं। उत्पादक स्तर पर ऊर्जा अधिक उपलब्ध होती है तथा बाद में लगातार कम होती जाती है तथा अंतिम स्तर पर ऊर्जा अत्यधिक कम प्राप्त होती है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पर्यावरण को परिभाषित करो। इसके प्रमुख घटकों के नाम लिखिए।
अथवा
पर्यावरण पदधति क्या होती है ? इसके कितने भाग होते हैं?
उत्तर-
पर्यावरण वह भौतिक एवं जैव संसार है जिसमें हम सभी रहते हैं। इसके प्रमुख घटक जैव और अजैव हैं। जैव घटक-समस्त जीव-जंतु, पौधे तथा मानव जैव घटक के वर्ग में आते हैं। अजैव घटक- भौतिक या अजैव घटकों में वायु, जल तथा स्थल हैं। वायु से श्वसन क्रिया होती है, जल को हम पीते हैं तथा स्थल पर हमारा निवास होता है। इनके अतिरिक्त मौसम संबंधी घटक हैं-सौर ऊर्जा, ताप, प्रकाश, वर्षा आर्द्रता, पवन-वेग इत्यादि।

प्रश्न 2.
जैव निम्नीकरण अपशिष्ट तथा अजैव निम्नीकरण अपशिष्ट पदार्थों में अंतर बताओ। प्रत्येक के उचित उदाहरण भी दो।
उत्तर –

जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ
(1) ये वे अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें हानि रहित पदार्थों में तोड़ा जा सकता है जैसे-गोबर घास आदि। (1) ये वे अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें हानिरहित पदार्थों में नहीं तोड़ा जा सकता है। जैसे-डी० डी० टी०, प्लास्टिक आदि।
(2) ये पदार्थ जीवाणुओं, बैक्टीरिया द्वारा अपघटित हो जाते हैं और इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाये रखते हैं। (2) ये पदार्थ बैक्टीरिया जैसे जीवाणुओं द्वारा अपघटित नहीं होते हैं।

प्रश्न 3.
जीवमंडल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
जीवमंडल-जीवमंडल का अर्थ है ‘जीव का क्षेत्र’। पृथ्वी पर स्थल, जल तथा वायु विद्यमान हैं जो पौधों तथा जंतुओं का जीवन बनाए रखने में सहायता करते हैं। पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने वाले ये क्षेत्र आपस में मिल कर जीवमंडल का निर्माण करते हैं। पृथ्वी के स्थलमंडल,जलमंडल और वायुमंडल तथा उनमें रहने सभी पौधों तथा जंतुओं को इकट्ठे रूप से जीवमंडल (Biosphere) कहते हैं।

प्रश्न 4.
पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं ? इसका जीवमंडल से क्या संबंध है ?
उत्तर –
पारिस्थितिक तन्त्र-जीवमंडल में ऊर्जा और पदार्थ का आदान-प्रदान जैव एवं अजैव घटकों के बीच लगातार होता रहता है, इस तंत्र को ही पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। तालाब, झील, जंगल, खेत और मानव-निर्मित जीवशाला में जैव और अजैव घटक आपस में क्रियाएं करते रहते हैं जो एक पारिस्थितिक तंत्र को प्रकट करते हैं। जैव संख्या, जैव तथा अजैव पारिस्थितिक तंत्र के घटक हैं, जो इस तंत्र को संरचना तथा गतिशीलता प्रदान करते हैं। कोई तालाब, वन या घास का मैदान पारिस्थितिक तंत्र के उदाहरण हैं।

जीवमंडल का प्रत्येक घटक अपना विशिष्ट कार्य करता है। इनके कुल कार्यों का सारा योग जीवमंडल को स्थिरता प्रदान करता है। किसी भौगोलिक क्षेत्र में सारे पारिस्थितिक तंत्र एक साथ मिलकर बायोम बनाते हैं तथा समस्त बायोम मिलकर जीवमंडल बनाते हैं। अतः जीवमंडल का एक प्रमुख घटक पारिस्थितिक तंत्र है जो जीवमंडल को गतिशीलता प्रदान करता है।

प्रश्न 5.
उत्पादक और उपभोक्ता में अंतर बताओ।
उत्तर-

उत्पादक (Producer) उपभोक्ता (Consumer)
(1) ऐसे जीव जो प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से अपना भोजन बनाते हैं उन्हें उत्पादक कहते हैं। (1) ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहते हैं।
(2) हरे पौधे उत्पादक जीव कहलाते हैं। (2) सारे जंतु उपभोक्ता कहलाते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 6.
अपघटक क्या हैं ? जीवमंडल में अपघटकों का क्या महत्त्व है ?
अथवा
पदार्थों के पुन: चक्रण में अपघटकों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अपघटक-अपघटक वे सूक्ष्म जीव हैं जो मृत पौधों एवं जंतुओं के शरीर में उपस्थित कार्बनिक यौगिकों का अपघटन करते हैं तथा उन्हें सरल यौगिकों और तत्वों में बदल देते हैं। ये सरल यौगिक तथा तत्व पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस चले जाते हैं। जीवमंडल में अपघटकों का महत्त्व-अपघटक जीव मृत पौधों और जंतुओं के मृत शरीरों के अपघटन में सहायता करते हैं तथा इस प्रकार वातावरण को स्वच्छ रखने का कार्य करते हैं। अपघटक जीव मृत पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीरों में उपस्थित विभिन्न तत्वों को फिर से पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस पहुँचाने का कार्य भी करते हैं। पोषक तत्व पुनः प्राप्त हो जाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है और यह मिट्टी बार-बार फ़सलों का पोषण करती रहती है।

प्रश्न 7.
ऊर्जा की दृष्टि से कौन-सा व्यक्ति-शाकाहारी या मांसाहारी-अधिक लाभ प्राप्त करता है ? क्यों ?
उत्तर-
ऊर्जा की दृष्टि से शाकाहारी व्यक्ति अधिक लाभ प्राप्त करता है। कारण-पौधे प्रथम पोषी स्तर हैं। एक पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर को सामान्य रूप में लगभग 10% कम ऊर्जा का स्थानांतरण होता है। इससे स्पष्ट है कि मांसाहारी व्यक्ति को शाकाहारी व्यक्ति की तुलना में कम ऊर्जा प्राप्त होती है।

प्रश्न 8.
पारिस्थितिक संतुलन किस प्रकार बना रहता है ?
उत्तर-
प्रकृति में खाद्य श्रृंखलाएँ जुड़ी होती हैं। कई बार उनमें से एक की कोई कड़ी किसी कारण समाप्त हो जाती है। तब उस आहार श्रृंखला का किसी अन्य श्रृंखला से संबंध जुड़ जाता है और खाद्य पदार्थों और ऊर्जा के प्रवाह का संतुलन बना रहता है। यदि ऐसे किसी जंगल में सारे हिरण समाप्त हो जायें तो इसकी पूर्ति करने के लिए जंगल का शेर किसी जंगली जानवर को मार कर कड़ी को पूरा कर लेता है। इस प्रकार पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है।

प्रश्न 9.
कौन-से रसायन ओज़ोन छिद्र के लिए प्रमुख कारण बने हुए हैं ?
उत्तर-
ओज़ोन छिद्र के मुख्य कारण-

  1. एयरोसोल दहन
  2. आधुनिक अग्निशामक
  3. नाभिकीय विस्फोट
  4. हैलोजन
  5. सल्फेट एयरोसोल
  6. CFCs (क्लोरोफ्लोरो कार्बन), CBC (क्लोरो ब्रोमो कार्बन आदि जिनका प्रशीतकों में उपयोग किया जाता है।)

प्रश्न 10.
पारिस्थितिक पिरामिड जीवमंडल में पोषण रीति की संरचना को किस प्रकार प्रदर्शित करते हैं ?
उत्तर-
पारिस्थितिक पिरामिड आहार श्रृंखलाओं तथा उनके पोषी स्तरों का ग्राफीय निरूपण (graphical representation) करते हैं। पारिस्थितिक पिरामिड विभिन्न पोषी स्तरों को इस प्रकार प्रदर्शित करते हैं; पारिस्थितिक पिरामिड का ‘आधार’ उत्पादक जीवों जैसे कि पौधों से प्रदर्शित करता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 3
पिरामिड के आधार (base) से जैसे-जैसे ऊपर जाते हैं, पिरामिड का आकार पतला होता जाता है तथा उच्चतर पोषी स्तरों को प्रकट करता है। पारिस्थितिक पिरामिड की चोटी सर्वोच्च मांसाहारी जीवों को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 11.
वायुमंडल में ओज़ोन किस प्रकार बनती है ? इसके रिक्तिकरण को स्पष्ट करें।
उत्तर-
ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से ओज़ोन 0, के अणु बनते हैं। सामान्य ऑक्सीजन के अणु में दो परमाणु होते हैं। ऑक्सीजन सभी प्रकार के वायविक प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक है। पर ओज़ोन एक घातक विष है। वायुमंडल के ऊपरी स्तर में ओज़ोन अति आवश्यक कार्य पूरा करती है। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी के लिए एक सुरक्षा कवच तैयार करती है। पराबैंगनी विकिरण पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है। ये विकिरण त्वचा का कैंसर उत्पन्न करती है।

वायुमंडल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी (UV) विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन (O2) अणुओं से ओजोन बनती है। उच्च ऊर्जा वाले पराबैंगनी (UV) विकिरण ऑक्सीजन अणुओं (O2) को विघटित कर स्वतंत्र ऑक्सीजन (O) परमाणु बनाती हैं। ऑक्सीजन के यह स्वतंत्र परमाणु संयुक्त होकर ओज़ोन बनाते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 4

प्रश्न 12.
भोजन श्रृंखला क्या होती है ? उदाहरण भी दो।
उत्तर-
भोजन श्रृंखला-उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटक से मिलकर बनने वाली शृंखला भोजन श्रृंखला कहलाती है। भोजन श्रृंखला के उदाहरण-घास → टिड्डा → मेंढक → साँप → मोर।

प्रश्न 13.
विघटक क्या होते हैं ? पारितंत्र में विघटकों की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
विघटक-जीवाणु तथा कवक जैसे सूक्ष्मजीव मृत जीवों के अवेशषों का विघटन करते हैं, जिन्हें विघटक कहते हैं। पारितंत्र में विघटक की भूमिका-विघटक जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं जो मिट्टी में मिल जाते हैं तथा पौधों द्वारा पुन: उपयोग में लाए जाते हैं।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘जैव निम्नीकरणीय’ पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रमों द्वारा अपघटित हो जाते हैं उन्हें ‘जैव निम्नीकरणीय’ कहते हैं।

प्रश्न 2.
किन्हीं चार जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
सब्जी-फलों के छिलके, कागज, भूसा, चारा।

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प्रश्न 3.
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रमों द्वारा अपघटित नहीं हो पाते उन्हें अजैव निम्नीकरणीय कहते हैं।

प्रश्न 4.
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
प्लास्टिक, काँच।

प्रश्न 5.
पारितंत्र के अजैव कारकों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
ताप, वर्षा, वायु, मिट्टी, खनिज आदि।

प्रश्न 6.
प्राकृतिक पारितंत्र के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
वन, तालाब, झील।

प्रश्न 7.
उत्पादक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से सूर्य के प्रकाश और क्लोरोफिल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थ का निर्माण पर सकते हैं, उन्हें उत्पादक कहते हैं।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो जीव भोजन के लिए सीधे या परोक्ष रूप से उत्पादकों पर आश्रित रहते हैं, उन्हें उपभोक्ता कहते हैं।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
मानव, शेर, बंदर, चिड़िया।

प्रश्न 10.
सूक्ष्मजीव अपमार्जक क्यों कहलाते हैं ?
उत्तर-
सूक्ष्मजीव जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मिट्टी में चले जाते हैं और पुनः पौधों के द्वारा उनका उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
जीवमंडल किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी प्राकृतिक क्षेत्र तथा उसमें पाए जाने वाले सभी जीव-जंतु परस्पर मिलकर जीवमंडल कहलाते हैं।

प्रश्न 12.
जीवमंडल के प्रमुख घटक लिखिए।
उत्तर-
जैव घटक तथा अजैव घटक जीवमंडल के प्रमुख घटक हैं।

प्रश्न 13.
सर्वभक्षी या सर्वाहारी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वे जीव जो भोजन के लिए पौधे एवं जंतुओं दोनों का उपयोग करते हैं उन्हें सर्वभक्षी या सर्वाहारी कहते हैं, जैसे-मानव।

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प्रश्न 14.
किसी जलीय आहार श्रृंखला का उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
काई या शैवाल → छोटे जंतु → छोटी मछली → बड़ी मछली।

प्रश्न 15.
जैव यौगिकीकरण क्या है ?
उत्तर-
जीवाणुओं तथा शैवाल द्वारा किए गए नाइट्रोजन स्थिरीकरण को जैव यौगिकीकरण कहते हैं।

प्रश्न 16.
जैव-निम्नीकरण कचरा क्या होता है ?
उत्तर-
जैव-निम्नीकरण कचरा-ऐसा कचरा जो जैविक प्रक्रमों से अपघटित हो जाता है। ऐसा कचरा जीवाणुओं तथा अन्य प्राणियों के द्वारा उत्पन्न हुए एन्जाइमों की सहायता से समय के साथ अपने आप अपघटित हो जाता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नकरणीय पदार्थ हैं ?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर-
(a) (c) तथा (d)।

प्रश्न 2.
निम्न से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं ?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी।
उत्तर-
(b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3.
घास स्थल परितंत्र में उत्पादक है –
(a) घास
(b) टिड्डा
(c) मेंढक
(d) साँप।
उत्तर-
(a) घास।

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प्रश्न 4.
जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ है-
(a) कागज़
(b) मृतपादप
(c) पॉलिथीन
(d) कच्चे फल।
उत्तर-
(c) पॉलिथीन।

प्रश्न 5.
जीवमंडल में ऊर्जा का मुख्य स्रोत है
(a) वायु
(b) सूर्य
(c) पौधे .
(d) परमाणु ऊर्जा।
उत्तर-
(b) सूर्य।

प्रश्न 6.
जीवमंडल में सम्मिलित है –
(a) वायुमंडल
(b) स्थलमंडल
(c) जलमंडल
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 7.
वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण नहीं करता है:
(a) राइज़ोबियम
(b) ई० कोलाई
(c) नाइट्रोसोमोनास
(d) नीले हरे शैवाल।
उत्तर-
(b) ई० कोलाई।

प्रश्न 8.
क्लोरो-फ्लुओरो-कार्बन्स (CFCs) का प्रयोग होता है
(a) रेफ्रिजरेटर में
(b) एयरकंडीशनर में
(c) गद्देदार फोम में
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) ……………………….. जैविक तथा अजैविक अवयवों के पूर्ण समन्वय से बनी व्यवस्था है।
उत्तर-
जैवमंडल

(ii) एक खाद्य श्रृंखला में …………………………. को छोड़कर सभी जीव उपभोक्ता हैं।
उत्तर-
उत्पादक

(iii) किसी भी खाद्य श्रृंखला में प्रायः प्रथम पोषक स्तर ……………………….. होते हैं।
उत्तर-
हरे पादप

(iv) अधिकतर खाद्य शृंखलाएँ …………………. से शुरू होती हैं।
उत्तर-
पौधों

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(v) ……………………….. अपशिष्ट पदार्थों तथा मृत जीवों के शरीर के भागों को सरल पदार्थों में तोड़कर अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
उत्तर-
अपघटक।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

प्रश्न 1.
त्रिकोणमितीय अनुपातों sin A, sec A और tan A को cot A के पदों में व्यक्त कीजिए।
हल :
सर्वसमिका का प्रयोग करने पर, cosec2 A – cot2 A = 1
⇒ cosec2 A = 1 + cot2 A
⇒ (cosec A)2 = cot2 A + 1
⇒ (\(\left(\frac{1}{\sin A}\right)^{2}\)) = cot2 A + 1
⇒ (sin A)2 = \(\frac{1}{\cot ^{2} A+1}\)
sin A = ± \(\frac{1}{\sqrt{\cot ^{2} A+1}}\)
हम न्यून कोण A के लिए sin A के ऋणात्मक मानों को छोड़ देते हैं।
अतः, sin A = \(\frac{1}{\sqrt{\cot ^{2} A+1}}\)
सर्वसमिका का प्रयोग करने पर,
sec2 A – tan2 A = 1
⇒ sec2 A = 1 + tan2 A
= 1 + \(\frac{1}{\cot ^{2} \mathrm{~A}}\)

= \(\frac{\cot ^{2} \mathrm{~A}+1}{\cot ^{2} \mathrm{~A}}\)

sec A = \(\frac{\sqrt{\cot ^{2} A+1}}{\cot A}\)

tan A = \(\frac{1}{\cot \mathbf{A}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

प्रश्न 2.
∠A के सभी त्रिकोणमितिय अनुपतों को sec A के पदों में लिखिए।
हल :
sin2 A + cos2 A = 1
sin2 A = 1 – cos2 A

= 1 – \(\frac{1}{\sec ^{2} A}\)

= \(\frac{\sec ^{2} \mathrm{~A}-1}{\sec ^{2} \mathrm{~A}}\)

(sin A)2 = \(\frac{\sec ^{2} \mathrm{~A}-1}{\sec ^{2} \mathrm{~A}}\)

sin A = ± \(\sqrt{\frac{\sec ^{2} \mathbf{A}-1}{\sec ^{2} \mathbf{A}}}\)

[न्यून कोण A के लिए – ve चिन्ह को छोड़ दीजिए।]

sin A = \(\sqrt{\frac{\sec ^{2} \mathbf{A}-1}{\sec ^{2} \mathbf{A}}}\)
cos A = \(\frac{1}{\sec A}\)

1 + tan2 A = sec2 A
tan2 A = sec2 A – 1
(tan A)2 = sec2 A – 1
tan A = ± \(\sqrt{\sec ^{2} A-1}\)
[न्यून कोण A के लिए – ve चिन्ह को छोड़ दीजिए।]
अर्थात
tan A = \(\sqrt{\sec ^{2} A-1}\)
cosec A = \(\frac{1}{\sin \mathrm{A}}=\frac{1}{\frac{\sqrt{\sec ^{2} \mathrm{~A}-1}}{\sec \mathrm{A}}}\)

= \(\frac{\sec \mathrm{A}}{\sqrt{\sec ^{2} \mathrm{~A}-1}}\)

cos A = \(\frac{1}{\tan A}=\frac{1}{\sqrt{\sec ^{2} A-1}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

प्रश्न 3.
मान ज्ञात लिका लिए:
(i) \(\frac{\sin ^{2} 63^{\circ}+\sin ^{2} 27^{\circ}}{\cos ^{2} 17^{\circ}+\cos ^{2} 73^{\circ}}\)
(ii) sin 25° cos 65° + cos 25° sin 65°.
हल :
(i) PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 1

(ii) sin 25° cos 65° + cos 25° sin 65°
= sin 25° × cos (90° – 25°) + cos 25° × sin (90° – 25°)
∵ [cos (90° – θ) = sin θ
sin (90° – θ) = cos θ]
= sin 25° × sin 25° + cos 25° × cos 25°
= sin2 25° + cos2 25°
= 1.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनिए और अपने विकल्प की पुष्टि कीजिरा:
(i) 9 sec2 A – 9 tan2 बराबर:
(A) 1
(B) 9
(C) 8
(D) 0.

(ii) (1 + tan θ + sec θ) (1 + cot θ – cosec θ) =
(A) 0
(B) 1
(C) 2
(D) – 1.

(iii) (sec A + tan A) (1 – sin A) बराबर:
(A) sec A
(B) sin A
(C) cosec A
(D) cos A.

(iv) \(\frac{1+\tan ^{2} A}{1+\cot ^{2} A}\) कीजिरा:
(A) sec2 A
(B) – 1
(C) cot2 A.
(D) tan2 A.
हल :
(i) 9 sec2 A – 9 tan2 A
= 9 (sec2 A – tan2 A)
= 9 × 1 = 9.
∴ सही विकल्प (B) है।

(ii) (1 + tan θ + sec θ) (1 + cot θ – cosec θ)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 2

∴ सही विकल्प (B) है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

(iii) (sec A + tan A) (1 – sin A)
= \(\left(\frac{1}{\cos A}+\frac{\sin A}{\cos A}\right)\) × (1 – sin A)

= \(\frac{(1+\sin A)}{\cos A}\)× (1 – sin A)

= \(\frac{(1+\sin A)(1-\sin A)}{\cos A}\)

= \(\frac{(1)^{2}-(\sin \mathrm{A})^{2}}{\cos \mathrm{A}}=\frac{1-\sin ^{2} \mathrm{~A}}{\cos \mathrm{A}}=\frac{\cos ^{2} \mathrm{~A}}{\cos \mathrm{A}}\)

[∵ cos2 A = 1 – sin2 A]

∴ सही विकल्प (D) है।

(iv) \(\frac{1+\tan ^{2} \mathrm{~A}}{1+\cot ^{2} \mathrm{~A}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 3

∴ सही विकल्प (D) है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

प्रश्न 5.
निम्नलिखित सर्वसमिकाएँ सिद्ध कीजिए जहाँ वे कोण, जिनके लिए व्यंजक परिभाषित है, न्यून कोण है।
(i) (cosec θ – cot θ)2 = \(\frac{1-\cos \theta}{1+\cos \theta}\)

(ii) \(\frac{\cos \mathbf{A}}{1+\sin \mathbf{A}}+\frac{1+\sin \mathbf{A}}{\cos \mathbf{A}}\) = 2 sec A

(iii) \(\frac{\tan \theta}{1-\cot \theta}+\frac{\cot \theta}{1-\tan \theta}\) = 1 + sec θ cosec θ
[संकेत : व्यंजकों को sin θ और cos θ के पदों में लिखिए।

(iv) \(\frac{1+\sec A}{\sec A}=\frac{\sin ^{2} A}{1-\cos A}\)
[संकेत : L.H.S. और R.H.S. को अलग-अलग सरल कीजिए।]

(v) \(\frac{\cos A-\sin A+1}{\cos A+\sin A-1}\) = cosec A + cot A, सर्वसमिका cosec2 A = 1 + cot2 A को लागू करके

(vi) \(\sqrt{\frac{1+\sin A}{1-\sin A}}\) = sec A + tan A

(vii) \(\frac{\sin \theta-2 \sin ^{3} \theta}{2 \cos ^{3} \theta-\cos \theta}\) = tan θ

(viii) (sin A + cosec A)2 + (cos A + sec A) = 7 + tan2 A + cot2 A

(ix) (cosec A – sin A) (sec A – cos A) = \(\frac{1}{\tan A+\cot A}\)
[संकेत : L.H.S. और R.H.S. को अलग-अलग सरल कीजिए।]

(x) \(\left(\frac{1+\tan ^{2} A}{1+\cot ^{2} A}\right)=\left(\frac{1-\tan A}{1-\cot A}\right)^{2}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4
हल :
(i) L.H.S. = (cosec θ – cot θ)2

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 4

(ii) L.H.S. = \(\frac{\cos A}{1+\sin A}+\frac{1+\sin A}{\cos A}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 5

∴ L.H.S = R.H.S

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

(iii) L.H.S. = \(\frac{\tan \theta}{1-\cot \theta}+\frac{\cot \theta}{1-\tan \theta}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 6

∴ L.H.S = R.H.S

(iv) L.H.S. = \(\frac{1+\sec \mathrm{A}}{\sec \mathrm{A}}=\frac{1+\frac{1}{\cos \mathrm{A}}}{\frac{1}{\cos \mathrm{A}}}\)
= 1 + cos A
R.H.S = \(\frac{\sin ^{2} A}{1-\cos A}\)

= \(\frac{1-\cos ^{2} \mathrm{~A}}{1-\cos \mathrm{A}}\)

= \(\frac{(1+\cos A)(1-\cos A)}{(1-\cos A)}\)

= 1 + cos A

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

(v) \(\frac{\cos A-\sin A+1}{\cos A+\sin A-1}\)
(अंश और हर को sin A से विभाजित करने पर

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 7

= cosec A + cos A
= R.H.S

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

(vi) LH.S = \(\sqrt{\frac{1+\sin \mathrm{A}}{1-\sin \mathrm{A}}}\)

= \(\sqrt{\frac{(1+\sin A)(1+\sin A)}{(1-\sin A)(1+\sin A)}}\)

= \(\sqrt{\frac{(1+\sin A)^{2}}{(1)^{2}-(\sin A)^{2}}}\)

= \(\sqrt{\frac{(1+\sin A)^{2}}{1-\sin ^{2} A}}=\sqrt{\frac{(1+\sin A)^{2}}{\cos ^{2} A}}\)

= \(\frac{1+\sin \mathrm{A}}{\cos \mathrm{A}}=\frac{1}{\cos \mathrm{A}}+\frac{\sin \mathrm{A}}{\cos \mathrm{A}}\)

= sec A + tan A

(vii) L.H.S = \(\frac{\sin \theta-2 \sin ^{3} \theta}{2 \cos ^{3} \theta-\cos \theta}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 8

∴ L.H.S = R.H.S

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

(viii) L.H.S = (sin A + cosec A)2 + (cos A + sec A)2
= {sin2 A + cosec2 A + 2 sin A × cosec A} + {cos2 A + sec2 A + 2 cos A × sec A}
[∵ cosec A = \(\frac{1}{\sin A}\)]
= [sin2 A + cosec2 A + 2 sin A ×\(\frac{1}{\sin A}\)] + [cos2 A + sec2 A + 2 cos A × \(\frac{1}{\cos A}\)]
= {sin2 A + cosec2 A + 2} + {cos2 A + sec2 A + 2}
[∵ sec A = \(\frac{1}{\cos A}\)]
= 2 + 2 + (sin2 A + cos2 A) + sec2 A + cosec2 A
= 2 + 2 + 1 + 1 + tan2 A + 1 + cot2 A
[∵ sec2 A = tan2 A + 1, cosec2 A = cot2 A + 1]
= 7 tan2 A + cot2 A
∴ L.H.S. = R.H.S.

(ix) L.H.S. = (cosec A – sin A) (sec A – cos A)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 9

= \(\frac{\sin A \cos A}{\sin ^{2} A+\cos ^{2} A}=\frac{\sin A \cos A}{1}\)
∴ L.H.S. = R.H.S.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

(x) L.H.S = \(\left(\frac{1+\tan ^{2} A}{1+\cot ^{2} A}\right)=\frac{\sec ^{2} A}{\ {cosec}^{2} A}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 10

∴ L.H.S. = R.H.S.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
चित्र की सहायता से बॉक्सनुमा सौर कुक्कर की संरचना व कार्यविधि का वर्णन कीजिए।
अथवा
सौर कुक्कर का सिद्धांत, रचना और कार्यविधि अंकित चित्र द्वारा समझाओ।
अथवा
सौर परावर्तक और सौर संकेंद्रक क्या है ? यह कहाँ पर उपयोग किए जाते हैं ? एक बॉक्सनुमा सौरकुक्कर की कार्यविधि की व्याख्या करो।
अथवा
बॉक्सनुमा सौर कुक्कर की बनावट तथा कार्यविधि का एक साफ़ तथा लेबल किए हुए चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सौर परावर्तक-ये समतल दर्पण हैं जिनका प्रयोग सौर विकिरणों को परावर्तन करने के लिए किया जाता है। सौर परावर्तकों का प्रयोग उन यंत्रों में किया जाता है जहाँ मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है। यहाँ सौर-विकिरणों का परावर्तन समतल दर्पणों द्वारा किया जाता है और ये विकिरणें काले रंग के बर्तन पर पड़ती हैं। काली सतह वाले बर्तन विकिरणों को अवशोषित करके गर्म हो जाते हैं। यह आयोजन सौर कुक्करों और सौर-जल ऊष्मकों (हीटरों) में उपयोग किया जाता है।

सौर संकेंद्रक-ये प्रायः अभिसारी लेंस या दर्पण हैं जिनके द्वारा सौर विकिरणों को केंद्रित करके उच्चताप प्राप्त किया जाता है। इनका प्रयोग मुख्यतः सौर संकेंद्रक कुक्करों में जहाँ बेक करना या तलने की आवश्यकता हो, किया जाता है। इनमें परावर्तक अवतल या परावलयिक हैं। इस प्रकार ऊर्जा एक बड़े क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में संकेंद्रित की जाती है। इनके प्रयोग 1000 या अधिक लोगों के लिए आवश्यक रसोई घरों में भाप उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

बॉक्सनुमा सोलर कुक्कर- यह एक ऐसी युक्ति है, जिसमें सौर ऊर्जा का उपयोग करके भोजन को पकाया जाता है, इसलिए इसे सौर चूल्हा भी कहते हैं। चित्र में बॉक्सनुमा सौर कुक्कर को प्रदर्शित किया गया है। सिद्धांत-काली सतह अधिक ऊष्मा का अवशोषण करती है परंतु कुछ समय पश्चात् काली सतह इस अवशोषित ऊष्मा का विविकरण प्रारंभ कर देती है। ऊष्मा की इस हानि को रोकने के लिए काली पट्टी को किसी ऊष्मारोधी बाक्स में रखकर उसे काँच की पट्टी से ढक दिया जाता है। बाक्स की अंदर की दीवारों को काले रंग से पेंट कर दिया जाता है ताकि अधिक-से-अधिक ऊष्मा का अवशोषण हो सके तथा परावर्तन द्वारा ऊष्मा का नुकसान कम-से-कम हो।

संरचना-सामान्यत: यह एक लकड़ी का बक्सा A होता है जिसे बाहरी बक्सा भी कहते हैं। इस लकड़ी के बक्से के अंदर लोहे अथवा ऐलुमिनियम की चादर का बना एक और बक्सा होता है, इसे भीतरी बक्सा कहते हैं। भीतरी बक्से के अंदर की दीवारें तथा नीचे की सतह काली कर दी जाती है, जिससे कि सौर ऊर्जा का अधिक-सेअधिक अवशोषण हो तथा परावर्तन द्वारा ऊष्मा की कम-से-कम हानि हो। भीतरी बक्से तथा बाहरी बक्से के बीच
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 1
के खाली स्थान में थर्मोकोल अथवा काँच की रुई अथवा कोई भी ऊष्मारोधी पदार्थ भर देते हैं, इससे सौर कुक्कर की ऊष्मा बाहर नहीं जा पाती। सौर कुक्कर के बक्से के ऊपर एक लकड़ी के फ्रेम में मोटे काँच का एक ढक्कन G लगा होता है, जिसे आवश्यकतानुसार खोला तथा बंद किया जा सकता है, तथा यह ग्रीन हाऊस प्रभाव पैदा करता है। सौर कुक्कर के बक्से में एक समतल दर्पण M भी लगा होता है जो कि परावर्तक तल का कार्य करता है।

कार्यविधि- पकाए जाने वाले भोजन को स्टील अथवा ऐलुमिनियम के एक बर्तन C में डालकर जिसकी बाहरी सतह काली पुती हो, सौर कुक्कर के अंदर रख देते हैं तथा ऊपर से शीशे के ढक्कन को बंद कर देते हैं। परावर्तक तल M अर्थात् समतल दर्पण को चित्रानुसार खड़ा करके सौर कुक्कर को धूप में रख देते हैं। जब सूर्य के प्रकाश की किरणें परावर्तक तल M पर गिरती हैं तो परावर्तक तल उन्हें तीव्र प्रकाश किरण पुंज के रूप में सौर कुक्कर के ऊपर डालता है।

सूर्य की ये किरणें काँच के ढक्कन में से गुज़रकर सौर कुक्कर के बक्से में प्रवेश कर जाती हैं तथा कुक्कर के अंदर की काली सतह द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। अब यह सतहें ऊष्मा की पराबैंगनी विकिरणों के रूप में निकास करना आरंभ करती हैं परंतु ऊपर की सतह पर स्थापित काँच की पट्टी इन विकिरणों को बाहर नहीं जाने देती हैं। इसलिए बक्से के भीतर की ऊष्मा अंदर रह जाती है। कुक्कर का भीतरी तापमान 2-3 घंटे में 100°C से 140°C हो जाता है। जिन भोज्य पदार्थों को हल्की गर्मी की आवश्यकता होती है उन्हें इस सौर कुक्कर में सुगमता से पकाया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
एक नामांकित चित्र बनाकर सौर जल ऊष्मक की संरचना तथा कार्य-विधि का वर्णन करो।
उत्तर-
सौर जल ऊष्मक- यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें सौर ऊर्जा का उपयोग करके पानी गर्म किया जाता है। सौर जल ऊष्मक का नामांकित चित्र नीचे दर्शाया गया है :
सौर जल ऊष्मक में एक ऊष्मारोधी बक्सा B होता है जो अंदर से काला पेंट किया होता है। इसके अंदर काले रंग से पुती हुई तांबे की ट्यूबें T एक कुंडली के रूप में होती हैं। सौर जल ऊष्मक का बक्सा तथा तांबे की ट्यूबें काले रंग की इसलिए की जाती हैं कि वे अधिक दक्षता से सूर्य की ऊष्मीय किरणों को अवशोषित कर सकें। संवहन तथा विकिरण द्वारा ऊष्मा की हानि को रोकने के लिए बक्से के ऊपर शीशे का ढक्कन लगाया जाता है। सौर जल ऊष्मक की तांबे की ट्यूबों के दोनों सिरे जल भंडारण टैंक D से जुड़े होते हैं। सौर जल ऊष्मक के भंडारण टैंक को भवन की छत के ऊपर रखा जाता है ताकि उन्हें सूर्य का प्रकाश सारा दिन प्राप्त हो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 2
कार्य-विधि-ठंडा पानी पाइप P के रास्ते भंडारण टैंक D में प्रवेश होता है तथा वहां से पाइप Q के द्वारा जल ऊष्मक B तांबे की ट्यूबों T में चला जाता है। ये तांबे की ट्यूबें सौर ऊर्जा का अवशोषण करके गर्म हो जाती हैं। जब ठंडा जल इन गर्म तांबे की ट्यूबों में से गुज़रते हुए गर्म हो जाता है। यह गर्म जल तांबे की ट्यूब के दूसरे सिरे से निकल कर पाइप R की सहायता से भंडारण टैंक के ऊपरी भाग में चला जाता है। गर्म जल हल्का होने के कारण भंडारण टैंक के ऊपरी भाग में ही रहता है तथा पाइप S के द्वारा उपयोग के लिए बाहर निकाला जा सकता है। इस प्रकार सौर जल ऊष्मक के भंडारण टैंक का सारा जल काफ़ी गर्म हो जाता है।

प्रश्न 3.
(i) अंकित चित्र की सहायता से गुंबद आकार जैव गैस संयंत्र की रचना व कार्यविधि समझाओ।
(ii) तैरते हुए गैस होल्डर बायो गैस संयंत्र की रचना और कार्यविधि समझाओ।
अथवा
जैव अपशिष्ट से जैव गैस प्राप्त करने की विधि का विस्तृत वर्णन कीजिए। इस गैस को प्राप्त करने के कोई दो लाभ लिखिए।
उत्तर-
जैव गैस का निर्माण-जैव गैस कई ईंधन गैसों का मिश्रण है। इसे ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव पदार्थों के अपघटन से प्राप्त किया जाता है। जैव गैस का मुख्य संघटक मेथेन (CH4) गैस है जो कि एक आदर्श ईंधन जैव गैस उत्पादन के लिए गोबर, वाहित मल, फल-सब्जियों तथा कृषि आधारित उद्योगों के अपशिष्ट आदि का प्रयोग किया जाता है। जैव गैस बनाने के लिए दो प्रकार के संयंत्रों का प्रयोग किया जाता है-

  • स्थायी गुंबद संयंत्र तथा
  • प्लावी (तैरती) गैस होल्डर वाला बायो गैस संयंत्र।

(i) स्थिर गुंबदाकार बायोगैस संयंत्र की कार्यविधि-गोबर तथा पानी की बराबर मात्रा का घोल बनाकर टैंक M में लिया जाता है। गोबर तथा पानी के इस घोल को प्रवेश चैंबर I के रास्ते से संपाचक टैंक T में भेज दिया जाता है। संपाचक टैंक का काफ़ी भाग गोबर तथा पानी के मिश्रण से भर दिया जाता है परंतु उसके ऊपर का गुंबद D बायोगैस एकत्रित करने के लिए खाली छोड़ दिया जाता है। मिश्रण 50-60 दिन रखा रहने दिया गया है।

इस अवधि के दौरान गोबर का पानी की उपस्थिति में अनॉक्सी-सूक्ष्मजीवों द्वारा निम्नीकरण होता है जिससे बायोगैस बनाने लगती है और धीरे-धीरे गुंबदाकार टंकी D में इकट्ठी होती रहती है। गुम्बर में इकट्ठी हुई बायोगैस को गैस निर्गम S से पाइपों द्वारा घरों तक पहुंचाया जाता है। बायोगैस की उपलब्धता लगातार बनाए रखने के लिए बायोगैस संयंत्र में नियमित रूप से घोल डाला जाता है। संपाचक टैंक में बायोगैस बनने के बाद शेष बचा गोबर का घोल, निर्गम चैंबर के रास्ते टैंक F में लाया जाता है। टैंक F से गोबर के अपयुक्त घोल या स्लरी को खेती में ले जाकर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 3

(ii) तैरते हुए गैस होल्डर वाले बायोगैस संयंत्र की कार्य-विधि-बायोगैस या जैव गैस बनाने के लिए आवश्यक पदार्थ हैं-पशुओं का गोबर तथा पानी। गोबर तथा पानी की बराबर मात्रा टैंक M में मिलाकर गोबर का घोल या स्लरी (slurry) बना लेते हैं। गोबर तथा पानी के इस घोल को प्रवेश पाइप I द्वारा संपाचक टैंक T में डाल दिया जाता है। धीरे-धीरे संपाचक टैंक को तो गोबर तथा पानी के मिश्रण से भर दिया जाता है, परंतु उसके ऊपर बायोगैस इकट्ठी करने के लिए तैरती हुई टंकी छोड़ दी जाती है।
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गोबर तथा पानी के घोल को संपाचक टैंक में लगभग 60 दिन के लिए रखा रहने देते हैं। इस अवधि के दौरान गोबर का पानी की उपस्थिति में अनॉक्सी-सूक्ष्मीजीवों द्वारा निम्नीकरण होता है जिससे बायोगैस बनती है जो धीरेधीरे तैरती हुई टंकी H में इकट्ठी होती रहती है। तैरती हुई गैस टंकी में एकत्रित बायोगैस को निर्गम S से पाइपों द्वारा घरों तक पहुंचाया जाता है।

बायोगैस की उपलब्धता लगातार बनाये रखने के लिए बायोगैस संयंत्र में नियमित रूप से समय-समय पर गोबर का घोल डाला जाता है। संपाचक टैंक T में बायोगैस बनने के बाद बची हुई स्लरी, निर्गम पाइप 0 के रास्ते टैंक F में आ जाती है। टैंक F से गोबर के उपयुक्त घोल या स्लरी को खेतों में ले जाकर खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। जैव-गैस के लाभ- यह एक उत्तम ईंधन है जो बिना धुआँ दिए जलती है। इसको जलाने से राख जैसा कोई ठोस अपशिष्ट भी नहीं बचता है। इस प्रकार, जैव-गैस एक पर्यावरण हितैषी ईंधन है।

डाइजेस्टर में, जैव गैस प्राप्त करने के पश्चात् शेष स्लरी में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के यौगिक प्रचुर मात्रा में होते हैं; अतः एक उत्तम खाद का कार्य करती है। इस प्रकार, जैव गैस प्राप्त करने की क्रिया में न केवल हमें एक उत्तम ईंधन प्राप्त होता है, साथ ही खेतों के लिए खाद भी प्राप्त होती है तथा पर्यावरण भी प्रदूषित होने से बच जाता है।

अवायुजीवी (अनॉक्सी) अपघटन-डाइजेस्टर में उपस्थित अवायुजीवी सूक्ष्मजीवों को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है; अतः ये ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ही स्लरी का अपघटन करते हैं। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होने वाला इस प्रकार का अपघटन अवायुजीवी अथवा अनॉक्सी अपघटन कहलाता है।

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प्रश्न 4.
पवन चक्की का कार्य-सिद्धांत क्या है ? पवन चक्की का विवरण चित्र सहित समझाइए।
अथवा
पवन चक्की के कार्य-सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पवन चक्की का सिद्धांत, रचना, कार्य-विधि चित्र सहित समझाएं। पवन ऊर्जा के उपयोग तथा सीमाएँ भी लिखिए।
उत्तर-
पवन चक्की- यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें पवन की गतिज ऊर्जा को घूर्णन गति द्वारा यांत्रिक ऊर्जा और फिर विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है।
पवन चक्की की रचना-पवन चक्की की रचना को चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इसमें ऐलुमिनियम के पतले-चपटे आयताकार खंडों के रूप में, बहुत-सी पंखुड़ियाँ लोहे के पहिये पर लगी रहती हैं। यह पहिया एक ऊर्ध्वाधर स्तंभ के ऊपरी सिरे पर लगा रहता है तथा अपने केंद्र से घूमने वाली शाफ्ट यांत्रिक बंधन गुजरने वाली लौह शाफ्ट (अक्ष) के परितः घूम सकता है। पहिये का तल स्वतः वायु की गति की ब्लेड दिशा के लंबवत् समायोजित हो जाता है, जिससे वायु सदैव पंखुड़ियों पर सामने से टकराती है। पहिये की अक्ष एक लोहे की फ्रैंक से जुड़ी रहती है। बैंक का दूसरा सिरा उस मशीन अथवा डायनमों से जुड़ा रहता है, जिसे पवन ऊर्जा द्वारा गति प्रदान करनी होती है।
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कार्यविधि-जब तीव्र गतिशील पवन, पवन-चक्की के ब्लेडों से टकराती है तो वह उन पर एक बल लगाती है, जिसके कारण पवन चक्की के ब्लेड घूमते लगने हैं। पवन चक्की के घूर्णन (rotation) का प्रभाव उसके ब्लेडों की विशेष बनावट के कारण होता है तो बिजली के पंखे के ब्लेडों के समान होती है। पवन चक्की को एक ऐसा बिजली का पंखा समझा जा सकता है जो विपरीत दिशा में कार्य कर रहा हो क्योंकि जब पंखे के ब्लेड घूमते हैं तो पवन बहती है परंतु जब पवन बहती है तो पवन चक्की के ब्लेड घूमते हैं। घूमते हुए ब्लेडों की घूर्णन गति के कारण पवन चक्की से गेहूं पीसने की चक्की को चलाना, जल-पंप चलाना, मिट्टी के बर्तन के चाक को घुमाना आदि कार्य किए जा सकते हैं। पवन चक्की ऐसे स्थानों पर लगाई जाती है, जहाँ वायु लगभग पूरे वर्ष तीव्र गति से चलती रहती है।

चित्र में पवन चक्की द्वारा पानी खींचने की क्रिया का प्रदर्शन किया गया है। पवन चक्की की फ्रैंक एक जल-पंप की पिस्टन छड़ से जोड़ दी जाती है। जब वायु, पवन चक्की के ब्लेड से टकराती है तो चक्की का पहिया घूमने लगता है, और पहिये से जुड़ी अक्ष घूमने लगती है। शाफट की घूर्णन गति के कारण फ्रैंक ऊपर-नीचे होने लगती है और जल-पंप की पिस्टन छड़ भी ऊपर-नीचे गति करने लगती है तथा जल-पंप से जल बाहर निकलने लगता है।
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पवन ऊर्जा के उपयोग

  • पाल-चालित नौकाओं को चलाने के लिए।
  • पवन चक्कियों से आटा-चक्कियाँ और जल पंप आदि को चलाने के लिए।
  • वायुयानों द्वारा उड़ान भरने के लिए।
  • विद्युत् उत्पन्न करने के लिए।

पवन ऊर्जा की हानियाँ (सीमाएँ) –
यद्यपि पवन ऊर्जा के अनेक लाभ हैं, परंतु इसमें कई बाधाएं भी हैं जैसे मान लो जब हमें ऊर्जा की आवश्यकता हो और उस समय पवन प्रवाह न हो रहा हो। इसके अतिरिक्त यह भी हो सकता है कि उस समय पवन-प्रवाह तीव्र न हो और यह चक्की को न चला सके। पवन-चक्की को स्थापित करने के लिए खुला क्षेत्र भी चाहिए। एक अन्य कमी यह भी है कि इसे स्थापित करने के लिए निर्माण के लिए लागत अत्याधिक आती है।

प्रश्न 5.
सौर सेल क्या होता है ? इनका क्या उपयोग है ?
अथवा
सौर सेल क्या होता है ? इसका क्या सिद्धांत है ? इसकी रचना चित्र बनाकर स्पष्ट करो। कोई चार उपयोग लिखें।
अथवा
सौर सेल क्या है ? सौर सेलों के विकास तथा उपयोगों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
सौर सेल-यह एक ऐसी युक्ति (या यंत्र) है जो सौर ऊर्जा को सीधे ही विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है। चूंकि सौर ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा भी कहते हैं इसलिए हम भी कह सकते हैं कि “सौर सेल एक ऐसी युक्ति या (यंत्र) है जो प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है।”

सौर सेल का विकास-आज से लगभग 100 वर्ष पहले यह खोज हो चुकी थी कि सेलीनियम की किसी पतली पर्त को सौर प्रकाश में रखने पर विद्युत् उत्पन्न होती है। यह भी ज्ञात था कि सेलेनियम के किसी टुकड़े पर आपतित सौर ऊर्जा का केवल 0.6% भाग ही विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित हो पाता है। चूँकि इस प्रकार के सौर सेल की दक्षता बहुत कम थी, इसलिए विद्युत् उत्पादन के लिए इस परिघटना का उपयोग करने के कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए।

प्रथम व्यावहारिक सौर सेल सन् 1954 में बनाया गया था। यह सौर सेल लगभग 1.0% सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर सकता था। इस सौर सेल की दक्षता भी बहुत कम थी। अंतरिक्ष कार्यक्रमों द्वारा बढ़ती हुई माँग के कारण अधिक-से-अधिक दक्षता वाले सौर सेलों को विकसित करने की दर तेज़ी से बढ़ी है। सौर सेलों के निर्माण के लिए अर्धचालकों के उपयोग से सौर सेलों की दक्षता बहुत अधिक बढ़ गई है। सिलिकॉन, गैलियम तथा जर्मेनियम जैसे अर्धचालकों से बने हुए सौर सेलों की दक्षता 10 से 18% तक होती है। सेलेनियम से बने आधुनिक सौर सेलों की दक्षता 25% तक होती है।
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सौर सेलों के उपयोग-सौर सेलों का उपयोग दुर्गम तथा दूरस्थ स्थानों में विद्युत् ऊर्जा उपलब्ध कराने में अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हुआ है। सौर सेलों के महत्त्वपूर्ण उपयोग अग्रलिखित हैं-

(i) अंतरिक्ष में उपयोग-कृत्रिम उपग्रहों और अंतरिक्ष में भेजे गये अनुसंधान यंत्रों के लिए विद्युत् का प्रयोजन करने के लिए।

(ii) ग्रामीण विद्युतीकरण-विद्युत् का संग्रहण करके सौर सेल ग्रामीण क्षेत्रों को 24 घंटे बिजली दे सकते हैं।

(iii) गलियों को प्रकाशित करना-छोटे सौर पैनलों और स्टोरेज बैटरी के प्रयोग से बहुत से स्थानों पर स्ट्रीट लाइट का प्रबंध किया गया है। इनका प्रयोग समुद्र में स्थित प्रकाश स्तंभों (Light houses) में भी किया गया है।

(iv) जल खींचना-कृषि में सिंचाई कार्यों के लिए जलपंपों द्वारा धरती की गहराई से जल खींचने के लिए सौर सेलों भी प्रयोग किया जा चुका है।

(v) जल का खारापन दूर करने/शुद्ध करने वाले संयंत्र-अनेक स्थानों पर सौर सेलों द्वारा उत्पन्न शक्ति के आधार पर जल का शोधन करने के लिए उद्योग लगाये गये हैं।

(vi) हाइड्रोजन उत्पादन-सौर सेल विद्युत् उत्पन्न करते हैं जिससे जल का विद्युत् अपघटन करके हाइड्रोजन उत्पन्न की जाती है। इस हाइड्रोजन को साफ़ ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

(vii) शक्ति फ़ार्म-सौर सेलों के बड़े पैनलों को परस्पर जोड़ कर अधिक शक्ति उपलब्ध हो जाती है। उचित ढंग द्वारा इसे दिष्ट धारा (D.C.) से प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) में परिवर्तित किया जाता है और फिर आगे शक्ति ग्रिड से जोड़ दिया जाता है।

(viii) अन्य उपयोग-उच्च सुयोग्यता वाले सेल इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां या केलक्यूलेटरों में भी देखे जा सकते हैं।

प्रश्न 6.
सौर पैनल क्या हैं ? सौर पैनलों के उपयोग की व्याख्या करने के लिए एक ब्लॉक रेखाचित्र बनाओ।
उत्तर-
सौर सेल पैनल- यह अर्ध-चालकों की सहायता से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करती है। सूर्य की किरणें बनावटसौर सेल पैनल अनेक सौर सेलों के सामूहिक रूप से कार्य करने की योग्यता पर आधारित होते हैं। अनेक सौर सेलों के विशेष क्रम में सौर सेल व्यवस्थित करके सौर सेल पैनल बनाये जाते हैं। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहां पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो। पैनल की दिशा को बदलने की सौर पैनल से डी० सी० आऊटपुट लाने वाली तारें व्यवस्था भी की जाती है।
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कार्यविधि-सिलिकॉन तथा गैलियम जैसे अर्ध-चालकों की सहायता से बनाये गए सौर सेलों के पैनल पर जब सौर ऊर्जा पड़ती है तो अर्ध-चालक के दो भागों में विभवांतर स्टोरेज बैटरी उत्पन्न हो जाता है। चार वर्ग सेमी० के एक सौर सेल के द्वारा 60 मि० ली० ऐंपियर धारा लगभग 0.4 – 0.5 वोल्ट पर उत्पन्न होती है। सौर सेलों की कम या अधिक संख्या के आधार पर कम या अधिक विदयुत् ऊर्जा प्राप्त की जाती है।

उपयोग-

  • सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।
  • कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यानों में विद्युत् का प्रबंध किया जाता है।

प्रश्न 7.
नाभिकीय (न्यूक्लीयर) विखंडन से आपका क्या तात्पर्य है ? नाभिकीय (न्यूक्लीयर) विखंडन का एक उदाहरण दो।
अथवा
नाभिकीय विखंडन से क्या अभिप्राय है ? इसको एक उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
न्यूक्लीयर विखंडन- यह वह क्रिया है जिसमें भारी परमाणु (जैसे यूरेनियम, प्लूटोनियम या थोरियम) के नाभिक को निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी कराकर हल्के नाभिकों में तोड़ा जाता है जिसके फलस्वरूप विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया में थोड़े से द्रव्यमान (mass) की हानि होती है जो अत्यधिक ऊर्जा के रूप में प्रकट होती है।

नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया में मूल नाभिक तथा उत्पाद नाभिकों के द्रव्यमानों का अंतर Δm, ऊर्जा E में परिवर्तित हो जाता है। जो E = mc2 द्वारा नियंत्रित की जाती है, यहाँ c प्रकाश की निर्वात में चाल है। नाभिकीय ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन वोल्ट के मात्रक में व्यक्त किया जाता है।
1 eV = 1.602 x 10-19J

न्यूक्लीयर विखंडन का उदाहरण-यूरेनियम-235 में न्यूक्लीयर विखंडन की प्रक्रिया मंद गति से चलने वाले न्यूट्रॉनों की बमबारी से होती है। जब यूरेनियम-235 परमाणुओं पर धीमी गति वाले न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है तो यूरेनियम का भारी नाभिक टूटकर दो मध्यम भार वाले परमाणु, बेरियम-139 तथा क्रिप्टॉन-94 बना देता है तथा तीन न्यूट्रॉन उत्सर्जित करता है। इस विखंडन प्रक्रिया के दौरान यूरेनियम का कुछ द्रव्यमान खो जाता है तथा इसके बदले ऊर्जा की गति विशाल मात्रा उत्पन्न होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 9
इस नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पादन के लिए किया जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 8.
नाभिकीय संलयन से क्या अभिप्राय है ? एक उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।
अथवा
न्यूक्लीयर संलयन से क्या तात्पर्य है ? इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
नाभिकीय संलयन- यह वह प्रक्रिया है जिसमें दो हल्के न्यूक्लियस (नाभिक) आपस में संयोग करके एक भारी न्यूक्लियस बनाते हैं तथा ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा उत्पन्न होती है। इस प्रक्रिया में थोड़े से द्रव्यमान की हानि होती है जो ऊर्जा के रूप में प्रकट होती है।
उदाहरण-भारी हाइड्रोजन जिसे ड्यूटीरियम भी कहा जाता है हाइड्रोजन तत्व का एक आइसोटोप है जिसे 12H संकेत से दर्शाया जाता है। जब ड्यूटीरियम के परमाणुओं को उच्च ताप तक गर्म किया जाता है तो ड्यूटीरियम के दो नाभिक परस्पर संयोग करके हीलियम का भारी नाभिक बना देते हैं तथा ऊर्जा की विशाल मात्रा मुक्त होती है इस अभिक्रिया को निम्नलिखित समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 10
सूर्य के भीतर भारी हाइड्रोजन का हीलियम में परिवर्तन नाभिकीय संलयन अभिक्रिया का उदाहरण है।

प्रश्न 9.
नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलयन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
न्यूक्लियर विखंडन तथा न्यूक्लीयर संलयन में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर–
नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलयन में अंतर-

नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)
(1) भारी नाभिक हल्के नाभिक में परिवर्तित होते हैं। (1) हल्के नाभिक भारी नाभिक में परिवर्तित होते हैं।
(2) इस अभिक्रिया के संपन्न होने के लिए ताप की आवश्यकता होती है। (2) इस अभिक्रिया के संपन्न होने के लिए ताप की आवश्यकता नहीं होती है।
(3) नाभिकीय विखंडन के उत्पाद साधारणतः रेडियोएक्टिव होते हैं और उन्हें प्रक्रिया के बाद निपटाने की समस्या होती है। (3) नाभिकीय संलयन के उत्पाद रेडियो एक्टिव नहीं होते हैं। अतः उन्हें निपटाने की समस्या नहीं होती है।
(4) यह एक नियंत्रित अभिक्रिया है। (4) यह एक अनियंत्रित अभिक्रिया है।
(5) इस प्रक्रिया में अपेक्षाकत कम ऊर्जा उत्पन्न है। (5) इस प्रक्रिया में विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती होती है।
(6) यह परमाणु बम बनाने का आधार होती है। (6) यह हाइड्रोजन बम बनाने का आधार होती है।
(7) इस प्रक्रिया में विखंडनीय ईंधन बहुत महंगा सस्ते तथा सुलभ प्राप्त हो जाते हैं। (7) इस प्रक्रिया को प्रारंभ करने वाले पदार्थ बहुत होता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जीवाश्म किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जीवाश्म या फॉसिल (Fossils)-पौधों तथा जंतुओं के कठोर भाग या उनके चट्टानों पर बने हुए प्राचीन चिह्न जो हमें चट्टानों की खुदाई करते समय मिलते हैं, उनको जीवाश्म कहते हैं। फॉसिल लातीनी (Latin) भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ “खोदकर निकाली गई वस्तु” है। जैसे पशुओं की हड्डियों, उनके पिंजर, उनके पैरों के चिह्न, पंजे या पंजों के छपे निशान सभी जीवाश्म हैं। इनसे हमें जीव विकास के विषय में पता चलता है।

प्रश्न 2.
जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) की परिभाषा दीजिए। उसकी उचित उदाहरण दीजिए। ऊर्जा संकट से निपटने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग के लिए ध्यान में रखने वाली दो सावधानियां बताइए।
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन-जीव-जंतुओं के अवशेष जो भूमि के नीचे दबे रहे और ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होकर ईंधन बने उन्हें जीवाश्म ईंधन कहते हैं। ऊर्जा संकट से बचने के लिए सावधानियां कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे ऊर्जा स्रोतों के समाप्त होने के खतरे से निम्नलिखित ढंगों द्वारा बचा जा सकता है –

  • हमें जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा का प्रयोग करते समय अत्यंत ध्यान रखना चाहिए और केवल उसी समय इस ईंधन का उपयोग करना चाहिए जब इसका कोई वैकल्पिक नवीकरणीय स्रोत उपलब्ध न हो।
  • हमें नई वैकल्पिक टैक्नालॉजी का पता लगाना चाहिए ताकि हम ऊर्जा से भरपूर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे-बायोमास तथा सूर्य आदि से ऊर्जा प्राप्त कर सकें।
  • हमें ऊर्जा को व्यर्थ नष्ट नहीं होने देना चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि हम जीवाश्म ईंधनों का उपयोग अत्यधिक तीव्र दर से करें तो उसका परिणाम क्या होगा ? कारण सहित समझाएं।
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन पृथ्वी के अंदर अत्यंत मंद गति से होने वाली असामान्य प्रक्रियाओं द्वारा बने हैं। दबे हुए पेड़-पौधों तथा जंतु अवशेषों से जीवाश्म ईंधन बनने की प्रक्रिया में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। जो जीवाश्म ईंधन हम आजकल पृथ्वी में से खोद कर निकाल रहे हैं, वे करोड़ों वर्ष पहले पृथ्वी में दबे जीव-जंतुओं से बने हैं। यदि हम जीवाश्म ईंधनों का उपयोग अत्यंत तेज़ गति से करेंगे तो वे शीघ्र ही समय से पूर्व समाप्त हो जाएंगे।

प्रश्न 4.
L.P.G. को एक आदर्श ईंधन क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
L.P.G. एक आदर्श ईंधन-L.P.G. को निम्नलिखित विशेषताओं के कारण आदर्श ईंधन माना जाता है-

  • L.P.G. का कैलोरीमान अधिक है।
  • L.P.G. का ज्वलनाँक अधिक है।
  • L.P.G. के दहन के पश्चात् विषैले पदार्थों की उत्पत्ति बहुत कम होती है।
  • L.P.G. की दहन दर संतुलित होती है।
  • L.P.G. में अदाह्य पदार्थ की मात्रा कम होती है।

प्रश्न 5.
किसी अच्छे ईंधन की क्या विशेषताएँ हैं ?
अथवा
अच्छे ( आदर्श ) ईंधन की कम-से-कम 6 विशेषताएँ लिखो।
अथवा
उत्तम ईंधन के गुण लिखें।
उत्तर-
उत्तम ( आदर्श ) ईंधन के गुण-

  • इसका ऊष्मीय मान (कैलोरीमान) अधिक होना चाहिए।
  • ईंधन का उचित ज्वलन ताप होना चाहिए।
  • ईंधन के दहन की दर संतुलित होनी चाहिए अर्थात् न अधिक हो और न कम हो।
  • ईंधन में अज्वलनशील पदार्थों की मात्रा जितनी कम हो उतना अच्छा होता है।
  • ईंधन के पश्चात् विषैले पदार्थों की उत्पत्ति कम-से-कम होनी चाहिए।
  • ईंधन की उपलब्धता पर्याप्त तथा सुलभ होनी चाहिए।
  • ईंधन कम मूल्य पर प्राप्त हो सके।
  • ईंधन का आसानी से भंडारण तथा परिवहन सुरक्षित होना चाहिए।

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प्रश्न 6.
पनविद्युत् कैसे उत्पन्न की जाती है ? इसके लाभ और हानि बताओ।
अथवा
जल-विद्युत् संयंत्र में विद्युत् कैसे पैदा की जाती है ? चित्र सहित समझाओ।
उत्तर –
पनविद्युत् उत्पन्न करने का मूल सिद्धांत-नदियों में बहते हुए पानी को बांध की सहायता से इकट्ठा कर लिया जाता है। अब बांध के उच्च स्तर से जल को पइपों द्वारा उसकी तली के पास लगाए विद्युत् जनित्र पर गिराया जाता है। इस प्रक्रम में जल की स्थितिज ऊर्जा गिरते पानी की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है। यह गतिशील पानी टरबाइनों को घुमाता है जिसके परिणामस्वरूप विद्युत् जनित्र में लगी आरमेचर घूमती है जिससे विद्युत् ऊर्जा उत्पादित होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 11

लाभ-

  • वायुमंडल में किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलता क्योंकि इसमें किसी ईंधन को नहीं जलाया जाता।
  • पनविद्युत् की प्राप्ति के साथ-साथ नहरों से सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी को प्राप्ति हो जाती है।

हानियाँ-

  • वातावरण से संबंधित अनेक परिस्थितिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का प्राकृतिक वातावरण नष्ट हो जाता है।
  • सामाजिक जीवन प्रभावित होता है। लोग अपनी धरती से अलग हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
जीव द्रव्यमान क्या है ?
उत्तर-
जीव द्रव्यमान-पेड़-पौधों (या वनस्पतियों) तथा जंतुओं के शरीर में स्थित पदार्थों को जीव द्रव्यमान अथवा बायो-मास (Bio-mass) कहते हैं।

प्रश्न 8.
बायोगैस क्या है ? इसके कोई चार उपयोग लिखो।
उत्तर-
बायोगैस-जंतुओं तथा पौधों के अपशिष्ट का पानी की उपस्थिति तथा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटन होने पर मीथेन (CH4 ) कार्बन डाइआक्सॉइड (CO2), हाइड्रोजन (H2) तथा नाइट्रोजन (N2) गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे बायोगैस कहते हैं। इसका मुख्य तत्त्व मीथेन है।
बायोगैस का संघटन मीथेन = 50% से 70%
कार्बन डाइऑक्साइड = 30% से 40%
हाइड्रोजन = 5% से 10%
नाइट्रोजन = 1% से 2%
तथा हाइड्रोजन सल्फाइड = कम मात्रा में।

बायोगैस के उपयोग (लाभ)-

  • यह भोजन पकाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • यह इंजन को चलाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • इसको सड़कों पर प्रकाश करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 9.
जब गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के कोई दो कारण बताइए ।
उत्तर-
जैव गैस प्लांट में गोबर के प्रयोग के कारण-

  1. गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने से साफ़-सुथरा ईंधन प्राप्त होने के पश्चात् अपशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  2. गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक धुआं उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है। दूसरी ओर जैव गैस बनती है जिससे वायु प्रदूषित नहीं होती।

प्रश्न 10.
कारण बताइएबायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वरदान क्यों समझे जाते हैं ? ..
उत्तर-
आधुनिक युग में बायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वास्तव में एक वरदान है। इस संयंत्र द्वारा जंतुओं तथा वनस्पति के अपशिष्ट पदार्थों का सरलता से ऑक्सी-सूक्ष्म जीवों द्वारा पानी की उपस्थिति में निम्नीकरण किया जाता है। इस प्रक्रिया में बायोगैस (मीथेन, CO2, H2, H2S का मिश्रण) उत्पन्न होती है जो एक अत्यंत लाभदायक धुआं रहित ईंधन है। इस ईंधन का प्रयोग घरों में गैस स्टोव में ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त शेष जो घोल बच जाता है उसमें नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस की मात्रा अत्यधिक होती है जिसे एक अच्छी अजैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।

इस सारी प्रक्रिया में वातावरण भी प्रदूषित नहीं होता। बायोगैस का उपयोग करके किसान खेतों की सिंचाई करने के लिए पंप सैट के इंजन चलाते हैं। बायोगैस का उपयोग डीज़ल की अपेक्षा सस्ता होता है। इन उपयोगों के आधार पर कहा जाता है कि बायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वरदान है।

प्रश्न 11.
सामूहिक बायोगैस संयंत्र से क्या तात्पर्य है ? इन्हें लगाने के मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर–
सामूहिक बायोगैस संयंत्र- बहुत से परिवारों द्वारा मिल कर लगाया गया बायोगैस संयंत्र सामूहिक बायोगैस संयंत्र कहलाता है। इस प्रकार के संयंत्र निम्नलिखित कारणों से लगाए जा रहे हैं-

  • अनेक परिवारों में संयंत्र को क्रियाशील रखने के लिए बड़ी मात्रा में जंतु नहीं होते।
  • कुछ परिवार आरंभ में होने वाला खर्च उठाने में असमर्थ होते हैं।
  • अनेक संयंत्र लगाने की जगह सांझा एक ही संयंत्र लगाना सस्ता पड़ता है।

प्रश्न 12.
जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के कोई दो कारण बताइए ।
उत्तर-

  • गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने से साफ़-सुथरा ईंधन प्राप्त करने के पश्चात् अवशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  • गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक धुआं उत्पन्न होता है जिसमें वायु प्रदूषित होती है। दूसरी ओर जैव गैस बनती है जिससे वायु प्रदूषित नहीं होती।

प्रश्न 13.
खाना पकाने के लिए उपलों का प्रयोग करने के स्थान पर गोबर को बायोगैस संयंत्र में प्रयोग करना क्यों अच्छा है ? इसके तीन कारण बताइए।
उत्तर-
जब गोबर जलता है तो यह काफ़ी धुआं उत्पन्न करता है जिससे वायु प्रदूषण होता है। गोबर का बायोगैस संयंत्र में प्रयोग निम्नलिखित बातों के कारण अच्छा समझा जाता है-

  1. बायोगैस बिना धुएं के जलती है।
  2. बायोगैस काफ़ी मात्रा में ऊष्मा पैदा करती है।
  3. संयंत्र में बचा हुआ व्यर्थ पदार्थ नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के यौगिकों से भरा हुआ होता है और इसे खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 14.
सूर्य की ऊर्जा का स्रोत क्या है ?
उत्तर-
सूर्य से ऊर्जा का विमोचन नाभिकीय संलयन अभिक्रिया द्वारा होता है। सूर्य के क्रोड में हाइड्रोजन के नाभिक अत्यधिक तीव्र गति से गतिशील रहते हैं। जब ये नाभिक परस्पर संलयित होकर अधिक द्रव्यमान वाले तत्त्व के नाभिक बनाते हैं तब अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा हमें उस समय प्राप्त होती है जब पृथ्वी सूर्य के सामने होती है। सूर्य में उपस्थित हाइड्रोजन के भारी आइसोटोप ड्यूटीरियम के नाभिक सूर्य के अंदर परस्पर मिल कर हीलियम उत्पन्न करते हैं तथा इसके साथ-साथ ऊर्जा भी उत्पन्न होती है। हाइड्रोजन के संलयन हेतु नाभिकों को उच्च वेग से टकराना आवश्यक होता है। यह तभी संभव होता है जब ताप लगभग 4000,000°C हो।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 15.
यद्यपि सूर्य ऊर्जा का विशाल स्रोत है फिर भी सौर ऊर्जा केवल सीमित रूप से उपयोग में क्यों लाई जा रही है ?
उत्तर-
सूर्य हमारी पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे विशाल स्रोत है। यह ऊर्जा हम तक बहुत ही विसरित रूप में पहुंचती है। पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी भाग के प्रत्येक वर्ग मीटर द्वारा 1.36 kJ ऊर्जा प्रति सैकिंड प्राप्त की जाती है। इसका 47% भाग पृथ्वी तल के प्रत्येक वर्गमीटर तक एक सेकिंड में पहुंचता है। ऊर्जा की यह अल्प मात्रा भी समान रूप से उपलब्ध नहीं है। इसी कारण सौर ऊर्जा का केवल सीमित उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
सौर ऊर्जा का दैनिक कार्यों में प्रमुख पारंपरिक उपयोग बताओ।
उत्तर-
सौर ऊर्जा पारंपरिक रूप में निम्नलिखित दैनिक कार्यों के लिए. उपयोग की जा रही है-

  • कपड़े सुखाने में।
  • समुद्री जल से नमक बनाने में।
  • फसल काटने के बाद अनाज में से नमी की मात्रा कम करने में।
  • सब्जियाँ, फल और मछली सुखाने में।

प्रश्न 17.
सौर ऊर्जा का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से किस प्रकार दोहन किया जाता है ? बताओ।
अथवा
सौर ऊर्जा के चार उपयोग बताओ।
उत्तर-
सौर ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में इकट्ठा करके या विद्युत् में परिवर्तित करके इसका दोहन किया जा सकता है। पौधों में सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल कर तथा सागरीय लहरों की ऊर्जा का दोहन करके सौर ऊर्जा को अप्रत्यक्ष रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 18.
सौर ऊष्मक युक्तियों में कांच की पट्टी का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
सौर ऊष्मक युक्तियों में कांच की पट्टी का महत्त्व-ऊष्मारोधी बाक्स में काली पट्टी की ऊपरी सतह को किसी कांच की पट्टी से ढक दिया जाता है। कांच की पट्टी का यह विशेष गुण है कि यह सौर प्रकाश में विद्यमान अवरक्त विकिरणों को अपने भीतर से गुज़रने देती है। कांच की पट्टी को पार करने के बाद उस की तैरंगदैर्ध्य अधिक हो तथा जिनका उत्सर्जन उन वस्तुओं से हो रहा हो जो तुलनात्मक रूप से निम्न ताप पर हैं।

प्रश्न 19.
सौर तापन युक्तियों की कोई दो परिसीमाएं लिखो।
उत्तर-
सौर तापन युक्तियों की परिसीमाएं-

  1. इन्हें सूर्य ऊर्जा से बहुत अल्प मात्रा में तथा विसरित रूप में प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार उच्च ताप प्राप्त करने में इन युक्तियों की क्षमता नहीं होती है। इसके अतिरिक्त एक ही स्थान पर सौर ऊर्जा समान रूप से प्राप्त नहीं होती बल्कि प्रतिदिन बदलती रहती है। ये युक्तियां वर्षा वाले दिन काम करने में असमर्थ होती हैं।
  2. सभी सौर तापन युक्तियों को सूर्य की दिशा में लगातार बदलना पड़ता है ताकि उन पर सौर किरणेंलंबरूप सीधी पड़े।

प्रश्न 20.
हमारी ऊर्जा की सभी आवश्यकताओं की आपूर्ति सौर-सेलों के उपयोग से क्यों नहीं हो सकती ? दो कारण लिखिए।
उत्तर-
यद्यपि सौर सेल किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाते और इसका प्रयोग भी बहुत सुविधाजनक है पर फिर भी इनका प्रयोग हम अपनी सभी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नहीं कर सकते। इसके प्रमुख कारण हैं-

  • सौर सेलों की कार्य-क्षमता केवल 20% होती है।
  • सौर सेल रात और आकाश में बादलों के समय काम नहीं करते।
  • सौर सेलों का निर्माण बहुत महंगा है।

प्रश्न 21.
उन चार क्षेत्रों के नाम लिखिए जहाँ सौर सेलों को ऊर्जा-स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है।
उत्तर-
सौर सेलों का उपयोग-

  1. कृत्रिम भू-उपग्रहों और अंतरिक्ष अन्वेषकों में।
  2. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में।
  3. सड़कों पर प्रकाश व्यवस्था और दूर-स्थित क्षेत्रों में टेलीविज़न कार्यक्रमों को प्रदर्शित करने में।
  4. समुद्रों में स्थित प्रकाश स्तंभों (light houses) तथा पेट्रोलियम प्राप्त करने वाले स्थलों पर।

प्रश्न 22.
यह समझाइये कि पिछले कुछ दशकों में सौर सेलों का महत्त्व क्यों बढ़ गया है ?
उत्तर-
सौर सेल में उपयोग किए जाने वाले तत्व अधिक मात्रा में कम दाब में उपलब्ध हैं तथा इनकी अधिक क्षमता है। सौर सेल के उपयोग से प्रदूषण नहीं होता। कृत्रिम उपग्रहों, सौर पैनलों, वैज्ञानिक उपकरणों, दूरसंचार साधनों आदि में इनका प्रयोग सरलता से किया जा सकता है। इन कारणों के फलस्वरूप सौर सेलों का महत्त्व पिछले कुछ दर्शकों में बढ़ गया है।

प्रश्न 23.
पवन ऊर्जा-फॉर्म केवल कुछ विशेष क्षेत्रों में ही क्यों स्थापित किए जा सकते हैं ? कारण लिखिए।
उत्तर-
पवन ऊर्जा की प्राप्ति सभी जगह पर नहीं हो सकती। यह केवल उन्हीं स्थानों पर संभव हो सकती है। जहाँ इसके लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हों। पवन ऊर्जा-फॉर्मों के लिए निम्नलिखित आवश्यकताओं की पूर्ति होनी चाहिए-

  • पवन की गति 15 किमी/घंटा या इससे अधिक होनी चाहिए।
  • सारा वर्ष पवन को इसी गति से प्रतिदिन 12 घंटे या इससे अधिक समय के लिए बहना चाहिए। यदि वे शर्ते पूर्ण हो जाती हों तो पवन ऊर्जा फ़ार्मो की स्थापना की जा सकती है।

प्रश्न 24.
अर्ध-चालक क्या होते हैं ?
उत्तर-
अर्ध-चालक- अर्धचालक वे पदार्थ हैं जिनकी विद्युत् चालकता से कम परंतु रोधकों की अपेक्षा अधिक होती है। आमतौर पर प्रयोग किये जाने वाले अर्ध-चालक पदार्थ जर्मेनियम और सिलिकॉन हैं।

प्रश्न 25.
पवन किसे कहते हैं ? पवन किस प्रकार चलती है ?
उत्तर-
पवन-गतिशील वायु को पवन कहते हैं । पवन का चलना-धुव्रीय क्षेत्रों की तुलना में भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों में सौर प्रकाश की तीव्रता अधिक होती है। परिणामस्वरूप भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह के निकट की वायु शीघ्र ही गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती है। इस खाली स्थान को भरने के लिए ध्रुवीय क्षेत्रों की अपेक्षाकृत ठंडी वायु भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों की ओर प्रवाह करने लगती है और निरंतर हवा चलने लगती है। वायु के इस प्रवाह में पृथ्वी के घूर्णन तथा स्थानीय परिस्थितियों के कारण लगातार बाधा पड़ती रहती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 26.
ऐसे तीन कारक बताइये जो पवन को गतिशील करने के लिए उत्तरदायी हैं ।
उत्तर-
पवन को गतिशील करने के लिए निम्नलिखित तीन कारक उत्तरदायी हैं

  • सूर्य की स्थिति
  • वायु के तापमान का अंतर
  • वायु के दाब का अंतर।

प्रश्न 27.
किसी बाँध द्वारा उत्पन्न की गई जल-विद्युत् को सौर ऊर्जा का ही अन्य रूप माना जा सकता है। समझाइए।
उत्तर-
बहुत हुए जल से उत्पन्न विद्युत् को जल-विद्युत् कहते हैं। सौर ऊर्जा की ऊष्मा को समुद्र, वृक्षों के पत्तों तथा पृथ्वी की सतह पर उपस्थित जल स्रोतों में से जल का वाष्पीकरण करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार उत्पादित जल वाष्प वायुमंडल में ऊपर उठते हैं। यह जल वाष्प ठंडे होकर वापिस वर्षा के रूप में नीचे गिरते हैं।

वर्षा का पानी तथा बर्फ के पिघलने तथा बर्फ से बना जल, जल-बांध में इकट्ठा कर लिया जाता है। इस प्रकार सौर ऊर्जा जल की स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है। इस पानी को तीव्र गति से प्रवाहित किया जाता है और इस प्रकार स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। जब यह तीव्र गति में बह रहा जल टरबाइन के ब्लेडों से टकराता है तो इसकी गतिज ऊर्जा टरबाइन की स्थानांतरित हो जाती है जिससे विद्युत् उत्पन्न होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जल विद्युत् सौर ऊर्जा का अन्य रूप है।

प्रश्न 28.
जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिबंध (limitation) बताइए। इसका एक लाभ भी लिखें।
उत्तर-
जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिबंध यह है कि पन-चक्की को चलाने के लिए बहता हुआ जल प्रत्येक स्थान पर अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। इसलिए कार्य को करने के लिए जल ऊर्जा का उपयोग केवल उन्हीं स्थानों पर हो सकता है जहां बहता हुआ जल अधिक मात्रा में उपलब्ध हो। जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इसके उपयोग से पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता।

प्रश्न 29.
समुद्र तापीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर-
समुद्र तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy या OTE)-सागर ऊर्जा के बड़े भंडार हैं। यदि ऊर्जा के इस स्रोत को प्रयोग में लाया जा सके तो हमें बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उपलब्ध हो जाएगी। महासागरों की ‘सतह के जल’ तथा ‘1000m गहराई के जल’ के ताप में सदैव कुछ अंतर होता है। सागर में कई स्थानों पर तो ताप में यह अंतर 20°C तक भी होता है। महासागर की सतह के जल तथा गहराई के जल के ताप में अंतर के कारण उपलब्ध ऊर्जा को ‘सागरीय तापीय ऊर्जा’ कहते हैं।

प्रश्न 30.
सौर ऊर्जा महासागरों में किन दो रूपों में प्रकट होती है ? उनके नाम लिखिए ।
उत्तर-

  1. सौर ऊर्जा के प्रभाव से पवनें चलती हैं। समुद्र तल पर बहने वाली पवनें जल तरंगों को उत्पन्न करती हैं और उन्हें तटों की ओर निरंतर बहने के लिए गति प्रदान करती हैं जिससे जल को गतिज ऊर्जा उपयोगी कार्यों के करने में सहायक बनती है।
  2. सूर्य की गर्मी से समुद्रों का पानी गर्म होता है। उसकी लहरों का तापमान बदलता है जिस कारण सागर ऊष्मीय ऊर्जा (OTE) प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 31.
“महासागर ऊर्जा के विशाल भंडार हैं ।”-इस कथन को स्पष्ट करो ।
उत्तर-
महासागर ऊर्जा के विशाल भंडार- महासागर वास्तव में ही ऊर्जा के विशाल भंडार हैं जिनके द्वारा अपार मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा उत्पत्ति के आधार निम्नलिखित हैं-

  • सागरों की लहरें गतिज ऊर्जा के कारण विद्युत् उत्पन्न करती हैं।
  • सागरों की विभिन्न सतहों के ताप के अंतर से विद्युत् ऊर्जा की उत्पत्ति की जा सकती है।
  • चंद्रमा और सूर्य के आकर्षण के कारण उत्पन्न ज्वार-भाटा से टरबाइन घुमाकर विद्युत् उत्पन्न की जा सकती है जो सागर तटों पर रहने वालों के लिए वरदान बन सकती है।
  • सागरों के विभिन्न स्थानों पर लवणों की सांद्रता अलग-अलग होने के कारण उनसे ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
  • समुद्री जीवन को ईंधन के रूप में प्रयुक्त करके पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 32.
भू-तापीय ऊर्जा क्या है ? इसके मुख्य उपयोग क्या हैं ?
उत्तर-
भू-तापीय ऊर्जा-पृथ्वी की सतह के निचले गर्म चट्टानों वाले स्रोत को भू-तापीय ऊर्जा कहा जाता है। भ-तापीय ऊर्जा का अस्तित्व पथ्वी के मध्य भाग के बहत अधिक गर्म होने के कारण है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सूर्य पर निर्भर नहीं। धरती के नीचे स्थित पिघली हुई चट्टानें, जिनको मैग्मा कहा जाता है, भू-तापीय ऊर्जा के स्रोत हैं। जब मैग्मा पृथ्वी की सतह के कुछ निकट आता है तो स्थान गर्म बन जाता है। इसके संपर्क में आने वाला जल गर्म हो जाता है और भाप में बदल जाता है।

यह भाप चट्टानों के बीच में फंस जाती है और बहुत उंचे दबाव पर होती है। जब पृथ्वी के अंदर इन गर्म स्थानों तक पाइप डाले जाते हैं तो भाप बहुत अधिक दबाव से बाहर निकलती है। इस भाप को टरबाइनों को चलाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। टरबाइनों के चलने से विद्युत् उत्पन्न होती है।

  • सारा साल प्रतिदिन 24 घंटे तक विद्युत् चल सकती है।
  • क्योंकि इनमें कोई ईंधन नहीं जलाया जाता, अतः प्रदूषण नहीं होता है।
  • विद्युत् उत्पन्न करने में खर्च भी कम आता है।

प्रश्न 33.
विखंडन तथा संलयन में उत्पन्न होने वाली ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर-
विखंडन और संलयन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा में बहुत बड़ा अंतर है। जब एक ग्राम यूरेनियम को विखंडित किया जाता है तो लगभग 6.2 x 1010 J ऊर्जा उत्पन्न होती है। लेकिन जब 1 ग्राम ड्यूटीरियम को संलयित किया जाता है तो 2.3 x 1012 J ऊर्जा उत्पन्न होती है। परमाणु विखंडन को संलयन की अपेक्षा अधिक हानिकारक माना जाता है क्योंकि विखंडन प्रक्रिया से वातावरण में रेडियो सक्रियता बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप गुणसूत्रों और जीन में परिवर्तन आ जाता है। ल्यूकीरिया (blood cancer) हो जाता है तथा जैविक आधार पर अनेक दोष उत्पन्न हो जाते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 34.
ऊर्जा के नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्रोतों के बीच अंतर स्पष्ट करो ।
अथवा
ऊर्जा के नवीकरणीय और अनवीकरणीय साधनों के बीच अंतर बताओ।
उत्तर-
हमारे घरों में मुख्य रूप से प्रयुक्त की जाने वाली ऊर्जा दो प्रकार की है-
अनवीकरणीय (Non-renewable)-ऊर्जा के वे स्रोत जिनकी खपत हो जाने के पश्चात् उन्हें दोबारा उत्पादित नहीं किया जा सकता, ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं। खाना पकाने के लिए हम कोयला, मिट्टी का तेल, L.P.G. आदि का प्रयोग करते हैं । सर्दियों में लकड़ी का कोयला भी गर्मी प्राप्त करने के लिए जलाते हैं। एक बार प्रयुक्त हो जाने के पश्चात् पुनः इन की प्राप्ति नहीं हो सकती। पेड़-पौधों की लकड़ी को भी इसी के अंतर्गत लिया जाता है। यह स्रोत प्रदूषण फैलाते हैं। इसकी उपलब्धता सीमित है।

नवीकरणीय (Renewable)-ऊर्जा के वे स्रोत जिनका कुछ समय के पश्चात् पुनउत्पादन किया जा सकता है, नवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं। ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत बहुत-से हैं। सूर्य, वायु, जल आदि कुछ नवीकरणीय स्रोत हैं। इनका प्रयोग करने से ये पुनउत्पादित हो जाते हैं। इन स्रोतों के उपयोग से प्रदूषण भी नहीं होता है। ये असीमित और साफ़ ऊर्जा के स्रोत हैं।

प्रश्न 35.
क्या ऊर्जा के सारे नवीकरणीय स्रोत प्रदूषण उत्पन्न नहीं करते ? व्याख्या करो।
उत्तर-
ऊर्जा के अधिकांश नवीकरणीय स्रोत लगभग प्रदूषण रहित हैं, केवल जैव मात्रा (जैव अपशिष्ट पदार्थ) ऐसा नहीं है। ऊर्जा के अधिकांश नवीकरणीय स्रोत बहुत-से हैं। सूर्य, वायु, जल, कृषि के अपशिष्ट, लकड़ी और पशुओं का गोबर आदि। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है। जल से ऊर्जा प्राप्त की जाती है। जैव मात्रा जलाने वाली लकड़ी, पशुओं का गोबर, शहरों में उपलब्ध विघटनकारी अपशिष्ट पदार्थ, फसलों के अपशिष्ट पदार्थ आदि को जलाने पर यह ऊर्जा का कार्य करता है और उत्सर्जित हुआ धुआँ वायु का प्रदूषण करता है।

प्रश्न 36.
पवन चक्की क्या होती है ? इसके लाभ लिखो।
उत्तर-
पवन चक्की- यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें पवन की गतिज ऊर्जा को घूर्णन गति द्वारा यांत्रिक ऊर्जा और फिर विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है। पवन चक्की की रचना-पवन चक्की की रचना को चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इसमें ऐलुमिनियम के पतले-चपटे आयताकार खंडों के रूप में, बहुत-सी पंखुड़ियाँ लोहे के पहिये पर लगी रहती हैं। यह पहिया एक ऊर्ध्वाधर स्तंभ के ऊपरी सिरे पर लगा रहता है तथा अपने केंद्र से घूमने वाली शाफ्ट यांत्रिक बंधन गुजरने वाली लौह शाफ्ट (अक्ष) के परितः घूम सकता है। पहिये का तल स्वतः वायु की गति की ब्लेड दिशा के लंबवत् समायोजित हो जाता है, जिससे वायु सदैव पंखुड़ियों पर सामने से टकराती है। पहिये की अक्ष एक लोहे की फ्रैंक से जुड़ी रहती है। बैंक का दूसरा सिरा उस मशीन अथवा डायनमों से जुड़ा रहता है, जिसे पवन ऊर्जा द्वारा गति प्रदान करनी होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 5

कार्यविधि-जब तीव्र गतिशील पवन, पवन-चक्की के ब्लेडों से टकराती है तो वह उन पर एक बल लगाती है, जिसके कारण पवन चक्की के ब्लेड घूमते लगने हैं। पवन चक्की के घूर्णन (rotation) का प्रभाव उसके ब्लेडों की विशेष बनावट के कारण होता है तो बिजली के पंखे के ब्लेडों के समान होती है। पवन चक्की को एक ऐसा बिजली का पंखा समझा जा सकता है जो विपरीत दिशा में कार्य कर रहा हो क्योंकि जब पंखे के ब्लेड घूमते हैं तो पवन बहती है परंतु जब पवन बहती है तो पवन चक्की के ब्लेड घूमते हैं। घूमते हुए ब्लेडों की घूर्णन गति के कारण पवन चक्की से गेहूं पीसने की चक्की को चलाना, जल-पंप चलाना, मिट्टी के बर्तन के चाक को घुमाना आदि कार्य किए जा सकते हैं। पवन चक्की ऐसे स्थानों पर लगाई जाती है, जहाँ वायु लगभग पूरे वर्ष तीव्र गति से चलती रहती है।

चित्र में पवन चक्की द्वारा पानी खींचने की क्रिया का प्रदर्शन किया गया है। पवन चक्की की फ्रैंक एक जल-पंप की पिस्टन छड़ से जोड़ दी जाती है। जब वायु, पवन चक्की के ब्लेड से टकराती है तो चक्की का पहिया घूमने लगता है, और पहिये से जुड़ी अक्ष घूमने लगती है। शाफट की घूर्णन गति के कारण फ्रैंक ऊपर-नीचे होने लगती है और जल-पंप की पिस्टन छड़ भी ऊपर-नीचे गति करने लगती है तथा जल-पंप से जल बाहर निकलने लगता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 6
पवन ऊर्जा के उपयोग

  • पाल-चालित नौकाओं को चलाने के लिए।
  • पवन चक्कियों से आटा-चक्कियाँ और जल पंप आदि को चलाने के लिए।
  • वायुयानों द्वारा उड़ान भरने के लिए।
  • विद्युत् उत्पन्न करने के लिए।

पवन ऊर्जा की हानियाँ (सीमाएँ) –
यद्यपि पवन ऊर्जा के अनेक लाभ हैं, परंतु इसमें कई बाधाएं भी हैं जैसे मान लो जब हमें ऊर्जा की आवश्यकता हो और उस समय पवन प्रवाह न हो रहा हो। इसके अतिरिक्त यह भी हो सकता है कि उस समय पवन-प्रवाह तीव्र न हो और यह चक्की को न चला सके। पवन-चक्की को स्थापित करने के लिए खुला क्षेत्र भी चाहिए। एक अन्य कमी यह भी है कि इसे स्थापित करने के लिए निर्माण के लिए लागत अत्याधिक आती है।

प्रश्न 37.
सौर सैल पैनल कैसे तैयार किया जाता है ? चित्र सहित वर्णन करें।
उत्तर-
सौर सैल पैनल का निर्माण-सौर सेल पैनल अनेक सौर सैलों के सामूहिक रूप से निर्मित किया जाता है। यहाँ अनेक सौर सैलों को विशेष क्रम में व्यवस्थित करके सौर सैल पैनल बनाये जाते हैं, जिससे उसकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है।

सौर सेल पैनल- यह अर्ध-चालकों की सहायता से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करती है। सूर्य की किरणें बनावटसौर सेल पैनल अनेक सौर सेलों के सामूहिक रूप से कार्य करने की योग्यता पर आधारित होते हैं। अनेक सौर सेलों के विशेष क्रम में सौर सेल व्यवस्थित करके सौर सेल पैनल बनाये जाते हैं। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहां पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो। पैनल की दिशा को बदलने की सौर पैनल से डी० सी० आऊटपुट लाने वाली तारें व्यवस्था भी की जाती है।
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कार्यविधि-सिलिकॉन तथा गैलियम जैसे अर्ध-चालकों की सहायता से बनाये गए सौर सेलों के पैनल पर जब सौर ऊर्जा पड़ती है तो अर्ध-चालक के दो भागों में विभवांतर स्टोरेज बैटरी उत्पन्न हो जाता है। चार वर्ग सेमी० के एक सौर सेल के द्वारा 60 मि० ली० ऐंपियर धारा लगभग 0.4 – 0.5 वोल्ट पर उत्पन्न होती है। सौर सेलों की कम या अधिक संख्या के आधार पर कम या अधिक विदयुत् ऊर्जा प्राप्त की जाती है।

उपयोग-

  • सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।
  • कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यानों में विद्युत् का प्रबंध किया जाता है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ऊर्जा का अंतत: मुख्य स्रोत कौन-सा है ?
उत्तर-
सूर्य।

प्रश्न 2.
ऊर्जा के स्रोतों को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
ऊर्जा के स्रोतों को दो भागों में बांटा जा सकता है-

  1. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
  2. अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत।

प्रश्न 3.
बायोगैस के अवयव कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
CH4, CO2, H2, तथा H2S । इनमें से मीथेन 65% होती है।

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प्रश्न 4.
किन्हीं दो जीवाश्म ईंधनों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. कोयला,
  2. पेट्रोलियम।

प्रश्न 5.
एक कारण बताओ जिसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि बायोगैस एक अच्छा ईंधन है।
उत्तर-
इसका अधिक भाग मीथेन है जो स्वयं उत्तम ईंधन है।

प्रश्न 6.
बायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वरदान क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
इसमें गैसीय ईंधन के अतिरिक्त स्लरी के रूप में खाद मिलती है।

प्रश्न 7.
L.P.G. के अवयव लिखिए।
उत्तर-
इथेन, प्रोपेन तथा ब्यूटेन। L.P.G. का मुख्य अवयव ब्यूटेन है, जिसे उच्च दाब पर तरल रूप में बदला जा सकता है।

प्रश्न 8.
अनवीकरणीय ईंधन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  • कोयला,
  • पेट्रोलियम तथा
  • प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 9.
कोल गैस क्या है ?
उत्तर-
कोल गैस –यह हाइड्रोजन, मीथेन तथा कार्बन मोनोऑक्साइड का मिश्रण है।

प्रश्न 10.
जीव द्रव्यमान (biomass) क्या होता है ?
उत्तर–
जीव द्रव्यमान-पौधों तथा जंतुओं के शरीर में उपस्थित पदार्थों को जीव द्रव्यमान कहते हैं।

प्रश्न 11.
पवन ऊर्जा की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
पवन ऊर्जा (Wind Energy)-वायु के विशाल द्रव्यमान की गतिशीलता से संबंधित गतिज ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 12.
ईंधन के रूप में गोबर की उपलों की कोई दो हानियां लिखो।
उत्तर-

  1. इनका दहन अपूर्ण होता है, जिससे धुआं उत्पन्न होता है।
  2. गोबर में उपस्थित लाभप्रद तत्व नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
बायोगैस का मुख्य स्त्रोत क्या हैं ?
उत्तर–
बायोगैस का मुख्य स्रोत गोबर है।

प्रश्न 14.
ईंधन के अतिरिक्त बायोगैस का एक उपयोग लिखिए ।
उत्तर-
बायोगैस का प्रयोग सड़कों का प्रकाश करने में होता है।

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प्रश्न 15.
बायोगैस संयंत्र की कौन-सी विभिन्न किस्में हैं ?
उत्तर-

  • स्थायी गुंबद संयंत्र
  • तैरती गैस टंकी संयंत्र।

प्रश्न 16.
सौर पैनल क्या है ?
उत्तर-
सौर पैनल- यह अर्ध-चालकों से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करता है।

प्रश्न 17.
किन्हीं चार अर्ध-चालकों के नाम बनाओ जिनसे सौर सैल बनाये जाते हैं।
अथवा
ऐसे दो पदार्थों के नाम बनाओ जिनका उपयोग सौर सैल के निर्माण में किया जाता है ?
उत्तर-
सिलिकॉन, गैलियम, सेलेनियम, जर्मेनियम।।

प्रश्न 18.
अर्ध-चालकों से निर्मित सौर सेलों की दक्षता कितनी है ?
उत्तर-
10%-18%.

प्रश्न 19.
सागरीय तापीय ऊर्जा को किस उपयोगी रूप में बदला जा सकता है ?
उत्तर-
विद्युत् में।

प्रश्न 20.
अर्ध-चालकों की चालकता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर-
अर्ध-चालकों की चालकता को विशेष अपद्रव्य (Impurity) मिलाकर बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 21.
पारंपरिक रूप से सौर ऊर्जा के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर-

  • कपड़े सुखाने से,
  • समुद्र के पानी से नमक बनाने में।

प्रश्न 22.
सौर पैनेलों के दो लाभ लिखिए।
उत्तर-

  1. सड़कों पर प्रकाश करने,
  2. जल-पंप चलाने में।

प्रश्न 23.
कृत्रिम उपग्रहों में विद्युत् ऊर्जा किस साधन से प्राप्त की जाती है ?
उत्तर-
सौर पैनलों से।

प्रश्न 24.
जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन-जीव-जंतुओं के अवशेष धरती के नीचे दबे रहे और ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होकर ईंधन में परिवर्तित हो गए जिसे जीवाश्म ईंधन कहा जाता है। उदाहरण-कोयला, पेट्रोलियम ।

प्रश्न 25.
अनवीकरणीय ईंधनों के तीन उदाहरण दें।
उत्तर-

  1. कोयला
  2. मिट्टी का तेल
  3. L.P.G.

प्रश्न 26.
किन्हीं दो नवीनीकृत स्रोतों के नाम लिखो।
उत्तर-
नवीनीकृत स्रोतों के नाम (Names of Renewable Sources)-

  • जल
  • हवा।

प्रश्न 27.
बायोगैस किन पदार्थों से तैयार की जाती है ?
उत्तर-
बायोगैस-जंतुओं तथा पौधों के अपशिष्ट, जल की उपस्थिति तथा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटन होने पर बायोगैस तैयार होती है।

प्रश्न 28.
समुद्र तापीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर-
समुद्र तापीय ऊर्जा-समुद्र की सतह के जल तथा गहराई वाले जल के तापमान में अंतर के कारण प्राप्त हुई ऊर्जा को समुद्र तापीय ऊर्जा कहते हैं।

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प्रश्न 29.
शारीरिक कार्यों को करने के लिए किस ऊर्जा को आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
पेशीय ऊर्जा।

प्रश्न 30.
किस ईंधन के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया ?
उत्तर-
कोयले के उपयोग ने ।

प्रश्न 31.
जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के कैसे स्रोत हैं ?
उत्तर-
अनवीकरणीय स्रोत।

प्रश्न 32.
विद्युत् संयंत्रों में किस ईंधन को जलाकर प्रायः भाप बनाई जाती है ?
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन (कोयला) को।

प्रश्न 33.
जिन संयंत्रों में ईंधन को जलाकर ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, उन्हें क्या कहते हैं ?
उत्तर-
तापीय विद्युत् संयंत्र।

प्रश्न 34.
जल विद्युत् संयंत्रों में स्थितिज ऊर्जा का परिवर्तन किस प्रकार की ऊर्जा में होता है ?
उत्तर-
गतिज ऊर्जा से विद्युत् ऊर्जा।

प्रश्न 35.
पवन ऊर्जा फार्म किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब किसी विशाल क्षेत्र में अनेक पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं तो उस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।

प्रश्न 36.
किस देश को पवनों का देश कहा जाता है ?
उत्तर-
डेनमार्क को।

प्रश्न 37.
पवन ऊर्जा के लिए पवनों की चाल कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर-
15 Km/h से अधिक।

प्रश्न 38.
सौर कक्कर में कांच की शीट का ढक्कन क्यों लगाया जाता है ?
उत्तर-
ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करने के लिए।

प्रश्न 39.
सौर सेल सौर ऊर्जा को किस ऊर्जा में रूपांतरित करते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा में।

प्रश्न 40.
महासागरों में जल का स्तर किस कारण चढ़ता और गिरता है ?
उत्तर-
चंद्रमा के गुरुत्वीय आकर्षण के कारण।

प्रश्न 41.
नाभिकीय ऊर्जा किस कारण उत्पन्न होता है ?
उत्तर-
नाभिकीय विखंडन से।

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प्रश्न 42.
भारी नाभिक तत्त्वों के तीन उदाहरण दीजिए ।
उत्तर-

  • यूरेनियम,
  • प्लूटोनियम,
  • थोरियम।

प्रश्न 43.
अल्बर्ट आइंस्टीन का नाभिकीय विखंडन संबंधी सूत्र लिखिए।
उत्तर-
E = Δ mc2 |

प्रश्न 44.
हमारे देश में नाभिकीय विद्युत् संयंत्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं ?
उत्तर-
तारापुर (महाराष्ट्र) राणा प्रताप सागर (राजस्थान), कलपाक्कम (तमिलनाडु), नरौरा (उत्तर प्रदेश), कटरापर (गुजरात) और कैगा (कर्नाटक) ।

प्रश्न 45.
C.N.G. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
संपीड़ित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas).

प्रश्न 46.
ऊर्जा का अंततः मुख्य स्रोत कौन-सा है ?
उत्तर-
सूर्य।

प्रश्न 47.
सौर सैल किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में परिवर्तित करता है ?
उत्तर-
सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में।।

प्रश्न 48.
विद्युत् उत्पादन करने के लिए किस ऊर्जा का उपयोग करने से पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता ?
उत्तर-
पवन ऊर्जा।

प्रश्न 49.
सौर सैल क्या होते हैं ?
उत्तर-
सौर सैल एक ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करती है।

प्रश्न 50.
कृत्रिम उपग्रहों में विद्युत् ऊर्जा किस साधन से प्राप्त की जाती है ?
उत्तर-
सौर पैनलों से।

प्रश्न 51.
चित्र में दर्शाए गए यंत्र में किस किस्म का दर्पण अधिक सही होता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 11
उत्तर-
समतल दर्पण।

प्रश्न 52.
नीचे दिए चित्र में दर्शाए गए यंत्र का नाम लिखो। इसमें क्या तैयार किया जा रहा है?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 12
उत्तर-
यंत्र का नाम-स्थिर गुम्बदाकार बायो गैस संयंत्र है। इस यंत्र में बायो गैस (जैव गैस) तैयार की जा रही है ।

प्रश्न 53.
नीचे दिए गये चित्र में 1 तथा 2 को अंकित करो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 13
उत्तर-
1. समतल दर्पण
2. बाहरी लकड़ी का बक्सा।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनवीकरणीय स्रोत है
(a) सौर ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) प्राकृतिक गैस
(d) जल।
उत्तर-
(c) प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 2.
जल विद्युत् संयंत्र में प्रयोग की जाती है
(a) पवन ऊर्जा
(b) बहते जल की ऊर्जा
(c) कोयले के जलने से उत्पन्न हुई ऊर्जा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(b) बहते जल की ऊर्जा।

प्रश्न 3.
एक ताप विद्युत् संयंत्र में प्रयोग की जाती है
(a) पवन ऊर्जा
(b) बहते जल की ऊर्जा
(c) जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्पन्न ऊर्जा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(c) जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्पन्न ऊर्जा।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 4.
एक बॉक्सनुमा सौर कुक्कर को 2-3 घंटे सूर्य के प्रकाश में रखने पर उसका ताप परिसर होगा –
(a) 60°C से 80°C
(b) 80°C से 100°C
(c) 100°C से 140°C
(d) 140°C से 180°C.
उत्तर-
(c) 100°C से 140°C.

प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलता है-
(a) सौर जल ऊष्मक
(b) सौर सैल पैनल
(c) सौर भट्टी
(d) सौर कुक्कर।
उत्तर-
(b) सौर सैल पैनल।

प्रश्न 6.
सौर सैल बनाने के लिए किसका उपयोग किया जाता है ?
(a) कार्बन
(b) सिलिकॉन
(c) सोडियम
(d) कोबाल्ट।
उत्तर-
(b) सिलिकॉन।

प्रश्न 7.
वह उपकरण जो ऊर्जा के एक रूप को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है क्या कहलाता है ?
(a) सौर कुक्कर
(b) सौर सैल
(c) इंजन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) इंजन।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन जैव मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है ?
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) कोयला
(d) नाभिकीय गैस।
उत्तर-
(d) नाभिकीय ऊर्जा।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन ठोस ईधन नहीं है ?
(a) कोयला
(b) लकड़ी
(c) कोक
(d) किरोसीन।
उत्तर-
(d) किरोसीन।

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन-सा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है ?
(a) पवन ऊर्जा
(b) सौर ऊर्जा
(c) जीवाश्मी ईंधन
(d) जल ऊर्जा।
उत्तर-
(c) जीवाश्मी ईंधन।

प्रश्न 11.
ऊर्जा का वास्तविक एकमात्र स्रोत क्या है ?
(a) सूर्य
(b) जल
(c) यूरेनियम
(d) जीवाश्मी ईंधन।
उत्तर-
(a) सूर्य।

प्रश्न 12.
बायोगैस का मुख्य अवयव है
(a) CO2
(b) CH4
(c) H2
(d) H2S.
उत्तर-
(b) CH4

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) सोलर कुक्कर …………………. ऊर्जा को …………………………. ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
उत्तर-
प्रकाश, ऊष्मीय

(ii) टार्च का जलना ……………………………. ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपांतरण है।
उत्तर-
रासायनिक

(iii) ……………………… गैस, जैव गैस का मुख्य घटक है।
उत्तर-
मीथेन

(iv) पवन-चक्की में पवन की …………………………. ऊर्जा का उपयोग यांत्रिक कार्यों को करने में होता है।
उत्तर-
गतिज

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

(v) जल-विद्युत सयंत्रों में गिरते हुए जल की …………………………… ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है।
उत्तर-
स्थितिज।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
परिनालिका क्या होती है ? इसके चुंबकीय क्षेत्र में लोहे क्रोड का क्या प्रभाव है? परिनालिका में चुंबक को शक्तिशाली बनाने के लिए कौन-कौन से उपाय हैं ?
उत्तर-
परिनालिका- यह एक कुंडली की आकृति की तार होती है जिसमें एक रोधित चालक तार के अनेक लपेट (वलय) होते हैं। इस कुंडली को किसी कोर (core) के गिर्द लपेटा जाता है। जब इस परिनालिका में से विद्युत् धारा प्रवाहित होती है तो यह भी चुंबकीय गुणों का प्रदर्शन करती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 1

परिनालिका के चुंबकीय क्षेत्र में लोह-क्रोड का प्रभाव-
जब परिनालिका में लोह-क्रोड रख दिया जाता है तो उस समय परिनालिका के तार में विद्युत् धारा की अपेक्षाकृत काफ़ी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है इसका ज्ञान चुंबकीय सूई के विक्षेपण से कर सकते हैं। विद्युत् धारा के कारण चुंबक बनने वाली लोह-क्रोड युक्त परिनालिका को ही विद्युत् चुंबक कहते हैं। . याद रखो कि नर्म लोहे के क्रोड (Core) वाला विद्युत् चुंबक स्टील क्रोड वाले चुंबक से अधिक शक्तिशाली होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 2
एक धारावाही परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है-

  • परिनालिका में वलयों की संख्या-यदि परिनालिका में वलयों की संख्या अधिक होगी तो चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता अधिक होगी।
  • परिनालिका में से प्रवाहित धारा-यदि परिनालिका में से प्रवाहित हो रही धारा अधिक होगी तो चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता अधिक होगी।
  • कोर(कोड) के पदार्थ की प्रकृति जिस पर परिनालिका लिपटी होती है- यदि हम परिनालिका के भीतर नरम लोहे की छड़ रखें तो चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ जाती है।

परिनालिका की विशेषताएँ-

  • एक धारावाही परिनालिका द्वारा उत्पन्न हुए चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता वलयों की संख्या, प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा तथा कोर (कोड) के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है।
  • कारखानों में भारी बोझ को उठाने के लिए क्रेन के रूप मे इसका उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त विद्युत् घंटी, टैलीग्राफ, मोटर आदि में इसका उपयोग किया जाता है।
  • इसके उपयोग से शक्तिशाली चुंबक बनाया जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
दिष्ट धारा (D.C.) जनित्र के सिद्धांत, रचना और कार्य को चित्र सहित संक्षेप में वर्णित कीजिए।
उत्तर-
विद्युत् जैनरेटर-जैनरेटर एक ऐसा यंत्र है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह केवल ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित करता है। जैनरेटर में निवेश के रूप में यांत्रिक ऊर्जा दी जाती है और विद्युत् ऊर्जा उत्पादन के रूप में प्राप्त होती है।
सिद्धांत- जैनरेटर इस सिद्धांत पर आधारित है कि “जब कोई चालक चुंबकीय बल रेखाओं को काटता है, तो फैराडे के विद्युत्-चुंबकीय प्रेरण के नियमानुसार इसमें विद्युत् वाहक बल (Electro-motive force) प्रेरित हो जाता है जिससे परिपथ में धारा प्रवाहित होती है, जब चालक परिपथ को बंद कर दिया जाता है।”

रचना-दिष्ट धारा जनित्र में निम्नलिखित प्रमुख भाग होते हैं-

  • आर्मेचर (Armature)-इसमें एक कुंडली ABCD होती है जिसमें मृदु लोहे पर तांबे की अवरोधी तार को बड़ी संख्या में लपेटे दिए जाते हैं। इसे आर्मेचर कहते हैं। इसे एक धुरी पर लगाया जाता है जो भाप, पानी या बहते पानी के बल से अपने चारों ओर घूम सकता है।
  • क्षेत्र चुंबक (Field Magnet)-दो चुंबकों के शक्तिशाली ध्रुव जिन के बीच कुंडली को स्थापित किया जाता है तथा जिसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। छोटे जनित्रों में स्थायी चुंबकों का प्रयोग किया जाता है तथा बड़े जनित्रों में विद्युत्-चुंबक लगाए जाते हैं।
  • स्पिलिट रिंग्ज़ (Split Rings)-कुंडली के दोनों सिरों को तांबे के बने आधे रिंग्ज R1, और R2, के साथ जोड़ा जाता है। ये दोनों कंम्यूटेटरों का कार्य करते हैं।
  • कार्बन ब्रुश (Carbon Brush)-कार्बन के दो ब्रुश B1, और B2, दोनों आधे रिंग्ज R1, और R2, के साथ स्पर्श करते हैं। जब कुंडली घूमती है तो R1, और R2, बारी-बारी से B1, और B2, को छूते हैं। इनसे उत्पन्न विद्युत् धारा की प्राप्ति होती है।

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  • दोनों ब्रुशों B1, और B2, से विद्युत् धारा को लोड के द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है जो दोनों ब्रुशों B1, और B2, पर लगाया जाता है। रेखांकन में इसके स्थान पर गैल्वनोमीटर को लगा हुआ दिखाया गया है।

कार्य विधि-जब कुंडली को अपने अक्ष पर घुमाया जाता है, तो भुजाओं AB और CD में विद्युत् वाहक बल प्रेरित होता है। फ्लेमिंग के दायां हस्त नियम द्वारा प्रेरित विद्युत् चुंबकीय बल की दिशा ज्ञात की जा सकती है। मान लो आरंभ में कुंडली उर्ध्वाधर स्थिति (Vertical Position) में है, इसकी भुजा AB नीचे की ओर और भुजा CD ऊपर की ओर है, जब कुण्डली को अपने अक्ष के चारों ओर घुमाया जाता है तो पहले अर्ध घूर्णन के दौरान भुजा AB ऊपर की ओर और भुजा CD नीचे की ओर गति करती है।

फ्लेमिंग के दायाँ हस्त नियम के अनुसार प्रेरित धारा की दिशा, भुजा AB में A में B की ओर और भुजा CD में C से D की ओर होती है। जब भुजा AB शीर्ष स्थिति पर पहुँचती है, तब यह नीचे की ओर गति करना आरम्भ करती है जिससे भुजा CD ऊपर की ओर गति करना आरम्भ करेगी। इसलिए इन भुजाओं से प्रेरित धारा की दिशा भी विपरीत हो जाती है। लोड (Load) में धारा की समान दिशा, रखने के लिए विभक्त वलयों (Split rings) का प्रयोग किया जाता है। कुंडली के दूसरे अर्ध घूर्णन के दौरान इनका सिरा A विभक्त वलय R1, के संपर्क में और सिरा D विभक्त वलय R2, के संपर्क में आ जाता है जिससे लोड में धारा की दिशा वही बनी रहती है।

प्रश्न 3.
यह दर्शाओ कि एक चुंबकीय क्षेत्र में रखे धारावाही चालक पर एक बल क्रिया करता है। वह नियम बताओ जिससे बल की दिशा ज्ञात होती है।
उत्तर-
प्रयोग-किसी स्थिर सहारे से ऊर्ध्वाधर दिशा में स्प्रिंग लगी एल्यूमीनियम की एक छड़ हार्स-शू (घोड़े की नाल) चुंबक के दोनों ध्रुवों के बीच लटकाओ जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। कुंजी K के द्वारा छड़ को बैटरी के टर्मिनल से जोड़ो। अब कुंजी K को दबा कर बंद करो। छड़ AB कागज़ के तल के समानांतर है। परंतु चुंबकीय क्षेत्र की दिशा (N से S की ओर) के अभिलंब रूप में है।

छड़ AB में धारा A से B की ओर प्रवाहित होती है। जैसे ही छड़ में से धारा प्रवाहित होगी छड़ एक बल महसूस करेगा और फ्लेमिंग के बायाँ हस्त नियम के अनुसार बल की दिशा नीचे की ओर होगी। इस तरह छड़ नीचे खिंच जाएगी और स्प्रिंग लंबे हो जाएंगे। यदि धारा की दिशा उल्टा दी जाये तो बल भी विपरीत दिशा में क्रिया करेगा। चुंबकीय क्षेत्र में रखे गए धारावाही चालक पर क्रिया कर रहे बल की दिशा फ्लेमिंग का बायां हस्त नियम लगाकर पता की जा सकती है।
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फ्लेमिंग का बायाँ हस्त का नियम- इस नियम गति (बल) के अनुसार, अपने बायें हाथ की पहली अंगुली, मध्यमा अंगुली और अंगूठे को इस प्रकार फैलाओ ताकि ये तीनों एक-दूसरे पर लंबवत् रूप में हों जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। अब अपने बायें हाथ को इस प्रकार गति (बल) रखो कि पहली अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में संकेत करे (N से S की ओर) और मध्यमा अंगुली धारा की दिशा में हो, तो अंगूठे की दिशा से हमें बल की दिशा पता चल जायेगी।
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प्रश्न 4.
एक क्रिया-कलाप का आयोजन करें जिससे यह स्पष्ट हो कि चुंबकीय क्षेत्र विद्युत् धारा उत्पन्न करता है।
उत्तर-
एक कुंडली XY लो जिसमें बहुत वलय हों। इस कुंडली के सिरों के बीच एक गेल्वेनोमीटर जोड़ो। इस आयोजन में विद्युत् धारा का कोई स्त्रोत नहीं लगाया गया है।
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अब चित्र (a) के अनुसार एक चुंबक को तीव्रता से कुंडली के निकट लाओ परंतु चुंबक कुंडली को स्पर्श न करे। आप देखेंगे कि गेल्वेनोमीटर में विक्षेपण हो गया है जो इस बात का प्रमाण है कि गेल्वेनोमीटर में से विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है। विक्षेपण की दिशा नोट करो। अब चुंबक को पीछे की ओर ले जाओ, आप देखोगे कि गेल्वेनोमीटर में फिर विक्षेपण हुआ है परंतु अब यह पहले से विपरीत दिशा में है चित्र (b)। जब चुंबक स्थिर होता है तो गेल्वेनोमीटर में कोई विक्षेपण नहीं होता। इस क्रिया से यह स्पष्ट है कि जब चुंबक और कुंडली के मध्य सापेक्ष गति होती है तो परिपथ में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 5.
विद्युत् का उपयोग करते समय आप किन-किन सावधानियों का ध्यान रखोगे ?
उत्तर-
विद्युत् का उपयोग करते समय निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान में रखना आवश्यक है-

  • सभी जोड़ विद्युत् रोधी टेप से भली-भांति ढके होने चाहिए।
  • भू-तार का प्रयोग अवश्य होना चाहिए।
  • परिपथ में फ्यूज़ का प्रयोग होना आवश्यक है।
  • सभी पेंच अच्छी तरह से कसे हुए होने चाहिए।
  • परिपथ की मरम्मत करते समय रबड़ के दस्ताने और जूतों का प्रयोग करना चाहिए।
  • जब विद्युत् धारा उपकरण में से बह रही हो तो उपकरण के फ्रेम (धातु-आवरण) को नहीं छूना चाहिए।
  • पेचकस, प्लास, टैस्टर आदि उपकरणों पर विद्युत् रोधी आवरण होना चाहिए।
  • खराब और दोषपूर्ण स्विचों को शीघ्र ही बदल देना चाहिए।
  • आग लगने या दुर्घटना की स्थिति में परिपथ का स्विच शीघ्र ही बंद कर देना चाहिए।
  • प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में फ्यूज़ तथा स्विच विद्युन्मय तार में लगाने चाहिए।
  • उचित क्षमता का फ्यूज़ प्रयुक्त किया जाना चाहिए।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आप किस प्रकार सिद्ध करेंगे कि तांबे की तार में से प्रवाहित विद्युत् धारा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करती है।
उत्तर-
तांबे की एक मोटी तार में से विद्युत् धारा गुज़ारने पर दिक्सूचक सूई विक्षेपित हो जाती है जिससे स्पष्ट हो जाता है कि तार से प्रवाहित विद्युत् धारा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करती है।

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प्रश्न 2.
विद्युत् धारा के चुंबकीय प्रभाव से आप क्या समझते हैं ? इस प्रभाव को समझने के लिए ओर्टेड का प्रयोग लिखो।
उत्तर-
विद्युत् धारा का चुंबकीय प्रभाव-जब किसी चालक तार में से धारा प्रवाहित होती है तो उसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है। धारा के इस प्रभाव को विद्युत् धारा का चुंबकीय प्रभाव कहा जाता है।
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ओर्टेड ने प्रदर्शित किया कि जब चुंबकीय सुई के ऊपर रखे चालक में से विद्युत् धारा प्रवाहित होती है तो सूई का उत्तरी ध्रुव विक्षेपित होता है। इसी प्रकार यदि धारा की दिशा बदल दी जाए तो उत्तरी ध्रुव दूसरी दिशा की ओर विक्षेपित होता है। यदि सूई को तार के ऊपर रखा जाए तो सूई के उत्तरी ध्रुव की विक्षेपण दिशा पहले से उलट होगी। विक्षेपण की दिशा SNOW नियम द्वारा याद रखा जा सकता है। नोट-SNOW नियम यह बताता है कि यदि धारा S से N की ओर हो और सूई तार के ऊपर रखी गई हो तो उत्तरी ध्रुव दक्षिण की ओर विक्षेपित होगा।

प्रश्न 3.
चुंबकीय क्षेत्र की परिभाषा दो और चुंबकीय बल रेखाओं के महत्त्वपूर्ण गुण लिखो।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic field)-
यह किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र है जिसमें चुंबक का प्रभाव (आकर्षण बल या प्रतिकर्षण बल) अनुभव किया जा सकता है। – चुंबकीय बल रेखाएं-जब एकांक उत्तरी ध्रुव गति करने के लिए स्वतंत्र हो तो जिस पथ पर उत्तरी ध्रुव गति करता है, उसे चुंबकीय बल रेखा कहा जाता है।

चुंबकीय बल रेखाओं के महत्त्वपूर्ण गुण (Important Properties of Magnetic lines of Forces)-

  • चुंबकीय बल रेखाएं चुंबक के उत्तरी ध्रुव से शुरू हो कर चुंबक के दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं।
  • कोई दो चुंबकीय बल रेखाएं एक-दूसरे को नहीं काटतीं यदि वे एक-दूसरे को काटें तो इसका अर्थ है कि उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएं होंगी जो कि असंभव है।
  • किसी बिंदु पर चुंबकीय बल की दिशा चुंबकीय बल रेखा पर टैंजेन्ट (स्पर्श रेखा) की दिशा में होती है।

प्रश्न 4.
आप समान और असमान चुंबकीय क्षेत्र को कैसे प्रदर्शित करोगे ?
उत्तर-
समान चुंबकीय क्षेत्र को समान दूरी वाली समानांतर रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तथा असमान चुंबकीय क्षेत्र को भिन्न-भिन्न दूरियों वाली समानांतर या फिर असमानांतर रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
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प्रश्न 5.
चित्र में दर्शाए गए चुंबक के इर्द-गिर्द की रेखाओं को क्या कहा जाता है ? इनके कोई दो गुण भी बताइए।
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उत्तर-
रेखाओं को चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं कहा जाता है।
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण-

  • चुंबक के बाहर चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुंबक के अंदर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती हैं।
  • चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा (Tangent) उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 6.
आप धारावाही चालक के द्वारा उत्पन्न की गई चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा कैसे ज्ञात करेंगे ?
उत्तर-
धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा मैक्सवैल के दायें हाथ के नियम की सहायता से ज्ञात की जा सकती है। धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा ज्ञात करने के लिए, चालक को दायें हाथ में इस प्रकार पकड़ो ताकि आपका अंगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करे तो आपकी अंगुलियों की दिशा से चालक के चारों ओर क्षेत्रीय रेखाओं की दिशा ज्ञात हो जाती है।
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प्रश्न 7.
मैक्सवेल का दायाँ हस्त अंगष्ठ नियम क्या है ? इसका प्रयोग किस उददेश्य के लिए किया जाता है ?
उत्तर-
मैक्सवेल का दायाँ हस्त अंगुष्ठ नियम- इस नियम के अनुसार “धारावाही सीधे चालक के इर्द-गिर्द चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए यदि चालक को दायें हाथ में इस प्रकार पकड़ा जाए कि आपका अंगूठा धारा की दिशा और आपकी अंगुलियों की दिशा, चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्रीय बल रेखाओं की दिशा बताएगी।” इस नियम का प्रयोग धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा ज्ञात करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 8.
चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं ? किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है?
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र-चुंबक के आस-पास के क्षेत्र में जहां एक चुंबक के आकर्षण और विकर्षण के बल को अनुभव किया जा सकता है उसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं-वह परिपथ जिस पर चुंबक का उत्तरी ध्रुव चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त अवस्था में आने पर गति करेगा उसे चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।

चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है।
(i) लोह चूर्ण की सहायता से एक गत्ते पर चुंबक रखो और उस पर लोह-चूर्ण छिड़क कर गत्ते को धीरे-धीरे थपथपाओ। लोह चूर्ण अपने आप चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में चित्र के अनुसार व्यवस्थित हो जाएगा।
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(ii) एक छड़ चुंबक के इर्द-गिर्द बल रेखाओं का खींचनाक्रिया-कलाप-चुंबक के उत्तरी ध्रुव के निकट एक चुंबकीय दिक्सूचक रखो। अब एक नुकीली पेंसिल से दिक्सूचक के ध्रुवों की स्थिति अंकित करो। अब दिक्सूचक को इस प्रकार चलाओ ताकि इसका दक्षिणी ध्रुव उसी स्थिति पर हो जहाँ पर पहले इसका उत्तरी ध्रुव था। इस स्थिति को अंकित करो। इस क्रिया-कलाप को दोहराओ ताकि आप चुंबक के दक्षिणी ध्रुव तक पहुँच जाओ। इन बिंदुओं को वक्र रेखा द्वारा मिलाओ; जो एक बल रेखा को प्रदर्शित करता है।
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इसी प्रकार छड़ चुंबक के निकट चुंबकीय दिक्सूचक की स्थितियाँ अंकित करो। आपको बल रेखाओं का एक नमूना (Pattern) प्राप्त हो जायेगा।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 9.
प्रयोग द्वारा सिद्ध करो कि किसी चालक तार में से विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर उसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
उत्तर-
जब किसी चालक में से विद्युत् धारा गुज़ारी जाती है तो चालक के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। प्रयोग-एक समतल गत्ते का टुकड़ा लो। इस पर एक सफ़ेद कागज़ लगाकर उसे स्टैंड में क्षैतिज लगाओ। इसके बीचों-बीच एक तांबे की तार XY गुज़ारो। तार को एक सैल E तथा कुंजी K से जोड़कर तांबे की तार परिपथ पूरा करो। अब कुंजी K को दबाकर तार XY में से विद्युत् धारा गुज़ारो। तार के पास एक चुंबकीय सूई ले जाओ। चुंबकीय सूई विक्षेपित होने के पश्चात् एक विशेष दिशा में रुकती है। इस प्रकार इस प्रयोग से विद्युत् धारा द्वारा यह सिद्ध होता है कि किसी चालक तार में से विद्युत् धारा गुज़ारने पर चुंबकीय क्षेत्र इसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। जैसे-जैसे तार में प्रवाहित विद्युत् धारा के परिमाण में वृद्धि होती है वैसे-वैसे किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र के परिमाण में भी वृद्धि होती है।
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प्रश्न 10.
एक वृत्ताकार कुंडली के कारण चुंबकीय क्षेत्र की रूपरेखा खींचो।
उत्तर-
वृत्ताकार कुंडली में धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र-वृत्ताकार कुंडली में प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए निम्नलिखित प्रयोग करो प्रयोग- एक कुंडली के रूप में मुड़े हुए तार के टुकड़े को एक क्षितिजीय गत्ते में से गुजारो। अब कुंडली में शक्तिशाली विद्युत् धारा प्रवाहित करो तथा कार्ड पर लोह चूर्ण बिछा कर कार्ड को धीरे से थपथपाओ। आप देखोगे कि लोह चूर्ण एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित हो जाता है जो धारावाही कुंडली के कारण उत्पन्न बल रेखाओं को प्रदर्शित करता है।
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जैसे-जैसे हम कंडली से दूर जाते हैं उन वृत्तों के अद्र्धव्यास बढ़ते जाते हैं। जब हम कुंडली के केंद्र पर पहुंच जाते हैं तो क्षेत्रीय बल रेखाएं एक-दूसरे के समानांतर हो जाती हैं।

चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ाने के कारक-

  • कुंडली के वलयों की संख्या बढ़ाने से।
  • कुंडली में से प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा बढ़ा कर।
  • कुंडली का अर्धव्यास कम करके।

प्रश्न 11.
विद्युत् चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं ? कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा अधिकतम कब होती है ?
उत्तर-
विद्युत् चुंबकीय प्रेरण (Electro-magnetic induction)-किसी परिपथ से संबंधित चुंबकीय बल रेखाओं को परिवर्तित करके विद्युत्वाहक बल उत्पन्न करने की प्रक्रिया को विद्युत् चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है। इस प्रकार उत्पन्न हुए विद्युत्वाहक बल को प्रेरित विद्युत्वाहक बल कहते हैं। इसे किसी कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा या तो उसे किसी चुंबकीय क्षेत्र में गति कराकर अथवा उसके चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र को परिवर्तित करके उत्पन्न कर सकते हैं। चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली को गति प्रदान कराकर प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना अधिक सुविधाजनक होता है। जब कुंडली की गति की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है, तब कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा अधिकतम होती है।

प्रश्न 12.
हम कभी-कभी देखते हैं कि अचानक विद्युत् बल्ब सामान्य से कम अथवा अधिक तीव्रता से प्रकाश दे रहा है। इसका क्या कारण है ?
उत्तर-
घरों में आने वाली विद्युत् धारा 220 वोल्ट की होती है। कभी-कभी जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो बल्ब का प्रकाश सामान्य से अधिक हो जाता है और जब इसकी मात्रा कम हो जाती है तो बल्ब का प्रकाश सामान्य से कम हो जाता है।

प्रश्न 13.
तांबे की तार की कुंडली किसी गेल्वेनोमीटर से जुड़ी है। क्या होगा यदि किसी छड़ चुंबक
(i) का उत्तरी ध्रुव कुंडली के अंदर डाला जाए।
(ii) को कुंडली के अंदर स्थिर रख दिया जाए।
(iii) को कुंडली के अंदर रखी स्थिति से बाहर खींच लिया जाए ?
उत्तर-
(i) गेल्वेनोमीटर की सूई विक्षेपित होगी, जिससे परिपथ में धारा के अस्तित्व का पता चलता है। यदि चुंबक को तीव्रता से चलाया जाए तो विक्षेपण और अधिक हो जाएगा।
(ii) यदि छड़ चुंबक को कुंडली के अंदर स्थिर रखा जाए तो गेल्वेनोमीटर कोई विक्षेपण नहीं दर्शाएगा।
(iii) यदि छड़ चुंबक को पुनः कुंडली से बाहर खींचा जाए तो गेल्वेनोमीटर में फिर विक्षेपण होगी किंतु विलोम दिशा में।

प्रश्न 14.
कुछ ऐसे विद्युत् उपकरण बताओ जिनमें विद्युत् मोटर प्रयोग की जाती है ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर की सहायता से वे सभी उपकरण कार्य करते हैं, जिनमें घूर्णन गति उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है जैसे बिजली का पंखा, टेपरिकार्डर, मिक्सर आदि।

प्रश्न 15.
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर –
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर –

प्रत्यावर्ती धारा(Alternating Current) दिष्ट धारा (Direct Current)
(1) यह धारा एक समान नहीं होती। (1) यह धारा एक समान होती है।
(2) इस धारा का परिमाण एक समान बढ़ता रहता है। (2) इसका परिमाण सदा एक समान ही रहता है।
(3) इस धारा की दिशा एक विशेष समय के अंतराल के पश्चात् बदल जाती है। (3) इस धारा की दिशा नहीं बदलती|
(4) इस धारा का ग्राफ एक समान नहीं बल्कि वलयाकार होता है। (4) इस धारा का ग्राफ एक सीधी रेखा होता है।

प्रश्न 16.
फ्यूज़ क्या होता है ? इसके क्या लाभ हैं ?
उत्तर –
विद्युत् फ्यूज़- यह विद्युत् के परिपथों में प्रयोग किया जाने वाला एक ऐसा उपकरण है जो विद्युत् के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से उपकरण को सुरक्षित रखता है। जिस मिश्र धातु का यह फ्यूज़ बना होता है उसका गलनांक बहुत कम होता है। लाभ-यदि विद्युत् परिपथ में किसी कारण से विद्युत् धारा की अधिक मात्रा प्रवाहित होने लगे तो यह फ्यूज़ पिघल कर परिपथ को तोड़ देता है तथा दुर्घटना टल जाती है।

प्रश्न 17.
फ्यूज़ की तार उच्च प्रतिरोध तथा निम्न पिघलाँक वाली क्यों होनी चाहिए ?
उत्तर-
फ्यूज़ की तार उच्च प्रतिरोध तथा लघु पिघलाँक वाली इसलिए होनी चाहिए ताकि जब ऐसी तार को परिपथ में शृंखलाबद्ध जोड़ा जाए तो यह अत्यधिक धारा बहने पर विद्युत् यंत्र को बिना कोई हानि पहुंचाए पिघल जाए।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 18.
विद्युत् शॉक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
यदि हमारे शरीर का कोई भाग विद्युत् की नंगी तार को छू जाए तो हमारे तथा धरती के बीच विभवांतर स्थापित हो जाता है। ऐसा होने पर हमें झटका महसूस है। इस झटके को विद्युत् शॉक कहते हैं। कभी-कभी इन झटकों से मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है।

प्रश्न 19.
अतिभारण (Overloading) और लघुपथन (Short circuiting) से क्या भाव है ?
उत्तर-अतिभारण (Overloading)-परिपथ में प्रवाहित धारा इससे जुड़े उपकरणों की शक्ति दर पर निर्भर करती है। तारों का चयन इनमें से गुजरने वाली अधिकतम विद्युत् धारा के परिमाप पर निर्भर करता है। यदि सभी उपकरणों की शक्ति निश्चित सीमा से अधिक हो जाए तो उपकरण आवश्यकता से अधिक धारा खींचने लगते हैं। इसे अतिभारण (Overloading) कहते हैं।\

लघु पथन (Short Circuiting)-कभी-कभी विद्युन्मय और उदासीन तारें क्षतिग्रस्त होने के कारण परस्पर संपर्क में आ जाती हैं। ऐसा होने पर परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है और इसमें से अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है। इसे लघु पथन कहते हैं। लघु पथन के समय तार अत्यधिक गर्म हो जाती है और उपकरणों को हानि पहुंचती है। इससे बचाव के लिए फ्यूज़ प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 20.
विद्युत् धारा के क्या-क्या संकट हो सकते हैं ? किन्हीं दो संकटों से बचने के उपाय लिखो।
उत्तर-
विद्युत् धारा के कारण संकट तथा बचने के उपाय –

  • विद्युत् आघात लगने के कारण हमारे शरीर की कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं।
  • विद्युत् आघात लगने पर शरीर की मांसपेशियों पर बुरा प्रभाव पड़ने से इनकी हिल-जुल कम हो जाती है।
  • यदि विद्युत् आघात का प्रभाव हृदय की मांसपेशियों पर पड़े तो मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है।
  • यदि विद्युत् परिपथ में मोटी फ्यूज़ तार प्रयोग की जाए तो अधिक तीव्र धारा का प्रवाह होने पर यदि फ्यूज़ तार न पिघले तो आग लग सकती है और विद्युत् उपकरणों को हानि भी हो सकती है।

बचाव के उपायविद्युत् आघात से बचने के लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • जिस तार में से विद्युत् गुज़र रही हो, उसे गीले हाथ नहीं लगाने चाहिए।
  • घरों में प्रयोग किए जाने वाले उपकरण बढ़िया गुणवत्ता वाले तथा आई० एस० आई० द्वारा प्रमाणित होने चाहिए।
  • घरों में प्रयोग किए जाने वाले विद्युत् उपकरणों के साथ भू-तार अवश्य लगी होनी चाहिए।
  • खराब प्लग तथा स्विचों को तुरंत बदल देना चाहिए।

प्रश्न 21.
विद्युन्मय, उदासीन तथा भू-तारों को जोड़ने के लिए सामान्यतया किस-किस रंग के तार उपयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
पुरानी मान्यता के अनुसार विद्युन्मय के लिए लाल, उदासीन के लिए काली तथा भू-संपर्कित के लिए हरे रंग की तार प्रयुक्त होती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई मान्यता विद्युन्मय के लिए भूरी, उदासीन के लिए हल्की नीली और भू-संपति के लिए हरी या हरी-पीली तार का उपयोग होता है। भू-संपर्कित तार मोटी होती है ताकि यह शक्तिशाली धारा को सह सके। अन्य तारों की मोटाई उपकरण की दर पर निर्भर करती है। प्रत्येक तार धारा की सीमित मात्रा को सह सकती है। यदि धारा इस सीमा से अधिक हो जाए (अतिभारण या लघु पथन के कारण) तो अधिक तापन के कारण यह जल सकती है तथा आग भी लग सकती है।

प्रश्न 22.
हमारे देश में 220V की विद्युत् धारा घरों में प्रयोग के लिए दी जाती है जबकि अमेरिका जैसे विकसित और अमीर देशों में यह 110V की होती है। क्यों ?
उत्तर-
जब कोई व्यक्ति 220V की विद्युत् धारा को ले जाने वाली तार से छू जाता है तो उसकी मृत्यु हो सकती है या वह बुरी तरह जल सकता है पर 110V पर यह घातक नहीं होती। कम वोल्टेज़ पर दी जाने वाली विद्युत् में संचार ह्रास (Transmission losses) बहुत अधिक होता है। इसके लिए बहुत बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर लगाने पड़ते हैं जो आर्थिक दृष्टि से अविकासशील देशों के लिए कठिन कार्य है। इसके लिए लंबी योजनाओं की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 23.
पृथ्वी एक बड़े चुंबक की भांति व्यवहार क्यों करती है ?
उत्तर-
पृथ्वी बहुत बड़े छड़ चुंबक के रूप में कार्य करती है। इसके चुंबकीय क्षेत्र को तल से 3 x 104 किमी० ऊंचाई तक अनुभव किया जा सकता है। वास्तव में पृथ्वी के तल के नीचे कोई चुंबक नहीं है।

चुंबकीय क्षेत्र के निम्नलिखित कारण माने जाते हैं –

  • पृथ्वी के भीतर पिघली हुई अवस्था में विद्यमान धात्विक द्रव्य निरंतर घूमते हुए बड़े चुंबक की भांति व्यवहार करता है।
  • पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण इसका चुंबकत्व प्रकट होता है।
  • पृथ्वी के केंद्र की रचना लोहे और निक्कल से हुई है। पृथ्वी के निरंतर घूमने से इनका चुंबकीय व्यवहार प्रकट होता है।

प्रश्न 24.
पृथ्वी एक छड़ चुंबक की भांति किस प्रकार व्यवहार करती है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 16
उत्तर-
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ऐसा है जैसे इसके भीतर एक बहुत बड़ा चुंबक है। इसका दक्षिणी ध्रुव कनाडा के उत्तरी गोलार्ध में 70.5° उत्तरी अक्षांश और 96° पश्चिमी रेखांश पर है। यह उत्तरी ध्रुव से लगभग 1600 किमी दूर है। इससे गुज़रता क्षैतिज तल भूगोलीय मीरिडियन कहलाता है। उत्तर और दक्षिण से गुजरता हुआ तल चुंबकीय मीरिडियन के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 25.
चित्र में किस नियम को दर्शाया गया है ? नियम की परिभाषा दो। इसका उपयोग किस यंत्र में किया जाता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 17
उत्तर-
चित्र में फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम दर्शाया गया है। फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम (बायाँ हाथ नियम)- इस नियम के अनुसार, “अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् हों (जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है)। यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा अंगुली चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा या चालक पर लग रहे बल की दिशा की ओर संकेत करेगा। इस नियम का उपयोग विद्युत मोटर बनाने के लिए किया जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 26.
नीचे दिए गए चित्र में कौन-सा नियम दर्शाया गया है ? इस नियम के अनुसार 1 तथा 2 को अंकित कीजिए।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 18
उत्तर-
चित्र में फ्लेमिंग का दायां हाथ का नियम दर्शाया गया है।
1 चुम्बकीय क्षेत्र
2 प्रेरित विद्युत धारा।

प्रश्न 27.
नीचे दिए गये चित्र में कौन-सा नियम दर्शाया गया है ? इस नियम के अनुसार 1 तथा 2 को अंकित करो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 19
उत्तर-
चित्र में फ्लेमिंग के बाएं हाथ का नियम दर्शाया गया है।
1. चुंबकीय क्षेत्र
2. विद्युत् धारा।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पृथ्वी एक बड़ा चुंबक है। इसका चुंबकीय दक्षिणी ध्रुव किस ओर स्थित होता है ?
उत्तर-
भौगोलिक उत्तरी ध्रुव की ओर।

प्रश्न 2.
तीन चुंबकीय पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर-
चुंबकीय पदार्थ-

  1. लोहा,
  2. कोबाल्ट तथा
  3. निक्कल।

प्रश्न 3.
चुंबक के किस भाग में आकर्षण बल अधिक प्रबल होता है ?
उत्तर-
सिरों (ध्रुवों) पर।

प्रश्न 4.
जब किसी चुंबक को मुक्त रूप से लटकाया जाता है तो यह किस दिशा में संकेत करता है ?
उत्तर-
उत्तर-दक्षिण दिशा में।

प्रश्न 5.
मुक्त रूप से लटकाये गए चुंबक का उत्तरी ध्रुव किस दिशा में संकेत करता है ?
उत्तर-
भौगोलिक उत्तर दिशा की ओर।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 6.
फ्यूज़ की तार का प्रतिरोध कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
अधिक प्रतिरोध ताकि गर्म होकर पिघल सके।

प्रश्न 7.
चुंबकीय क्षेत्र के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या होती है ?
उत्तर-
जो दिशा उस बिंदु पर रखी कम्पास सूई के दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर खींची गई रेखा की दिशा है।

प्रश्न 8.
यदि स्वतंत्रतापूर्वक लटकी रही परिनालिका में विद्युत्धारा की दिशा बदल दी जाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
विद्युत्धारा की दिशा बदलने से परिनालिका 180° से घूम जायेगी।

प्रश्न 9.
उदासीन बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान बताओ।
उत्तर-
उदासीन बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान शून्य होता है।

प्रश्न 10.
धारावाही परिनालिका के समीप चुंबकीय सूई लाने पर क्या होगा ?
उत्तर-
चुंबकीय सूई विक्षेपित होकर सूई के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में ठहरेगी।

प्रश्न 11.
विद्युत् मोटर तथा विद्युत् जनित्र में सैद्धांतिक क्या अंतर है ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर में विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में तथा विद्युत् जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है।

प्रश्न 12.
यदि छड़ चुंबक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के सामने सिरे से दूर ले जाया जाए तो इस सिरे में कौन-सा ध्रुव प्रेरित होगा ?
उत्तर-
दक्षिण ध्रुव।

प्रश्न 13.
दक्षिण हस्त अंगूठा नियम किसकी दिशा दर्शाता है ?
उत्तर-
धारावाही चालक के कारण चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दर्शाता है।

प्रश्न 14.
फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम में अंगूठा किसकी दिशा का सूचक होता है ?
उत्तर-
धारावाही चालक पर लगने वाले बल का।

प्रश्न 15.
चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान चालक में प्रेरित धारा की दिशा किस नियम द्वारा ज्ञात की जाती है ?
उत्तर-
फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से।

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प्रश्न 16.
विद्युत् चुंबकीय प्रेरण की घटना की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी ?
उत्तर-
माइकल फैराडे ने।

प्रश्न 17.
हमारे घरों में उपलब्ध मेन्स विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता कितनी होती है ?
उत्तर-
220 वोल्ट।

प्रश्न 18.
घरेलू परिपथ को अतिभारण तथा लघुपथन से बचाने के लिए कौन-सी युक्ति प्रयोग में लायी जाती है ?
उत्तर-
फ्यूज़ तार।

प्रश्न 19.
भूसंपर्क तार का रंग कौन-सा होता है ?
उत्तर-
हरा।

प्रश्न 20.
धात्विक फ्रेम वाले विद्युत् उपकरणों को विद्युत् के झटके से बचने के लिए क्या सावधानी बरती जाती है ?
उत्तर-
फ्रेम को भूसंपर्कित किया जाता है।

प्रश्न 21.
धारावाही चालक के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा किस नियम द्वारा ज्ञात की जाती है ?
उत्तर-
दाएं हाथ के अगूंठा नियम दवारा।

प्रश्न 22.
विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करने वाले यंत्र का नाम बताओ।
उत्तर-
विद्युत् मोटर।

प्रश्न 23.
MRI शब्द का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन (Magnetic Resonance Imaging)।

प्रश्न 24.
यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने वाले यंत्र का नाम लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् जनित्र।

प्रश्न 25.
डायनमो किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में परिवर्तित करता है ?
उत्तर-
यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में।

प्रश्न 26.
डायनमों में उत्पन्न प्रेरित विद्युत्धारा की दिशा किस नियम द्वारा ज्ञात की जाती है ?
उत्तर-
फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम द्वारा।

प्रश्न 27.
50 साइकिल की प्रत्यावर्ती धारा का दोलनकाल बताओ।
उत्तर-
1/50 सेकंड।

प्रश्न 28.
एक प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्टस (Hz) है। बताइए एक सेकंड में इसकी दिशा कितनी बार बदलेगी ?
उत्तर-
100 बार।

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प्रश्न 29.
दर्शाए गए चित्र में अँगूठा किस बात का संकेत देता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 20
उत्तर-
विद्युत् धारा की दिशा।

प्रश्न 30.
चित्र में कौन-सी विद्युत् प्रक्रिया के कारण ग्लवैनोमीटर की सूई विक्षेपित होती है ?
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उत्तर-
विद्युत् चुंबकीय प्रेरण।

प्रश्न 31.
दो चुंबकों की चुंबकीय रेखाएं चित्र में दर्शाई गई हैं। इन दोनों चुंबकों के आमने-सामने वाले ध्रुवों के नाम लिखो।
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उत्तर-
दोनों उत्तरीय (N) ध्रुव हैं।

प्रश्न 32.
नीचे दिए गए चित्र में लौह चूर्ण एक विशेष पैटर्न में व्यवस्थित हो जाता है। यह पैटर्न क्या दर्शाता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 23
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ।

प्रश्न 33.
साधारण विद्युत् मोटर के दिए गए चित्र में P तथा 0 क्या दर्शाता है तथा इसका क्या कार्य है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 24
उत्तर-
P तथा Q विभक्त विलय (स्पिलिट रिंग)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी चालक में विद्युत्धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करते हैं-
(a) मैक्सवेल के दाएं हाथ के नियम से
(b) फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम से
(c) फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से
(d) फैराडे के नियम से।
उत्तर-
(a) मैक्सवेल के दाएं हाथ के नियम से।

प्रश्न 2.
किसी तीव्र चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही कुंडली रखने पर उत्पन्न बल की दिशा ज्ञात करते हैं
(a) मैक्सवेल के दाएं हाथ के नियम से
(b) फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम से
(c) फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से
(d) फैराडे के नियम से।
उत्तर-
(c) फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से।

प्रश्न 3.
घरेलू परिपथ में प्रयुक्त उदासीन तार का रंग होता है
(a) काला
(b) लाल
(c) हरा
(d) कोई निश्चित नहीं।
उत्तर-
(a) काला।

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प्रश्न 4.
जब विद्युत् ले जाने वाली और उदासीन तार पर आपसी संपर्क होने पर अत्यधिक धारा प्रवाहित होने लगती है तो उस व्यवस्था को क्या कहते हैं?
(a) अतिभार
(b) लघु पथन
(c) भू-संपर्कित
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) लघु पथन।

प्रश्न 5.
उच्च शक्ति वाले विद्युत् उपकरणों के धात्विक फ्रेम के घरेलू परिपथ को भूतार से जोड़ना क्या कहलाता है ?
(a) अतिभार
(b) लघु पथन
(c) भू-संपर्कित
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) भू-संपति ।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन दिष्टधारा के स्त्रोत है ?
(a) शुष्क शैल
(b) बटन सैल
(c) लैड बैटरियां
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
विद्युत् धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं –
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) मोटर
(d) ऐमीटर।
उत्तर-
(a) जनित्र।

प्रश्न 8.
समान चुंबकीय ध्रुव क्या करते हैं ?
(a) प्रतिकर्षित
(b) आकर्षित
(c) दोनों प्रतिकर्षण तथा आकर्षण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) प्रतिकर्षित।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) वह युक्ति जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है …………………….. कहलाती है।
उत्तर-
जनित्र

(ii) फ्लेमिंग के दाहिने हाथ के नियम से …………………………… की दिशा ज्ञात करते हैं।
उत्तर-
प्रेरितधारा

(iii) मैक्सवैल के दाएँ हाथ के नियम से …………………………….. की दिशा ज्ञात की जाती है।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र की दिशा

(iv) …………………………. के क्रोड से अधिक शक्तिशाली विद्युत चुंबक बनता है।
उत्तर-
नरम लोहे

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(v) पृथ्वी एक विशाल ……………………….. की भांति व्यवहार करता है।
उत्तर-
चुंबक।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.3

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.3 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का मान निकालिए :
(i) \(\frac{\sin 18^{\circ}}{\cos 72^{\circ}}\)
(ii) \(\frac{\tan 26^{\circ}}{\cos 64^{\circ}}\)
(iii) cos 48° – sin 42°
(iv) cosec 31° – sec 59°.
हल :
(i) \(\frac{\sin 18^{\circ}}{\cos 72^{\circ}}=\frac{\sin 18^{\circ}}{\cos \left(90^{\circ}-18^{\circ}\right)}\)

= \(\frac{\sin 18^{\circ}}{\sin 18^{\circ}}\) = 1
[∵ cos(90° – θ) = sin θ]

(ii) \(\frac{\tan 26^{\circ}}{\cos 64^{\circ}}=\frac{\tan 26^{\circ}}{\cot \left(90^{\circ}-26^{\circ}\right)}\)

= \(\frac{\tan 26^{\circ}}{\tan 26^{\circ}}\) = 1.
[∵ cot (90° – θ) = tan θ]

(iii) cos 48° – sin 42°
= cos (90° – 42°) – sin 42° [∵ cos (90° – θ) = sin θ]
= sin 42° – sin 42° = 0.

(iv) cosec 31° – sec 59°
= cosec 31° – sec (90° – 31°)
= cosec 31° – cosec 31°
[∵ sec (90° – θ) = cosec θ]
= 0.

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प्रश्न 2.
दिखाइरा कि:
(i) tan 48° tan 23° tan 42° tan 67° = 1
(ii) cos 38° cos 52° – sin 38° sin 52° = 0
(i) L.H.S.
= tan 48° tan 23° tan 42° tan 67°
=tan 48° × tan 23° × tan (90°- 48°) × tan (90°-239)
= tan 48° × tan 23° × cot 48° × cot 23°
= tan 48° × tan 23° × \(\frac{1}{\tan 48^{\circ}}\) × \(\frac{1}{\tan 23^{\circ}}\)
= 1
∴ L.H.S. = R.H.S.

(ii) L.H.S.= cos 38° cos 52° – sin 38° sin 52°
= cos 38° × cos (90° – 38°) – sin 38° × sin (90° – 38°)
= cos 38° × sin 38° – sin 38° × cos 38°
= 0.
∴ L.H.S. = R.H.S.

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प्रश्न 3.
यदि tan 2A = cot (A – 18°), जहाँ 2A एक न्यून कोण है, तोA का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : tan 2A = cot (A – 18°)
A ज्ञात करने के लिए हमें दोनों ओर या तो cot e चाहिए या tane चाहिए।
[∵ cot (90° – θ) = tan θ]
⇒ cot (90° – 2A) = cot (A – 18°)
⇒ 90° – 2A = A – 18°
⇒ 3A = 108°
⇒ A = 36°.

प्रश्न 4.
यदि tan A = cot B, तो सिद्ध कीजिए कि A + B = 90°.
हल :
दिया है : tan A = cot B
A + B = 90°
दिखाने के लिए दोनों ओर या तो tan θ चाहिए या cot θ
[∵ tan (90° – θ) = cot θ]
⇒ tan A = tan (90° – B)
⇒ A = 90° – B
⇒ A + B = 90°.

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प्रश्न 5.
यदि sec 4A = cosec (A – 20°), जहाँ 4A एक न्यून कोण है, तो A का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : sec 4A = cosec (A – 20°)
A, ज्ञात करने के लिए हमें दोनों ओर sec θ या cosec θ चाहिए
[∵ cosec (90° – θ) = sec θ]
⇒ cosec (90° – 4A) = cosec (A – 20°)
⇒ 90° – 4A = A – 20°
⇒ 5A = 110°
⇒ A = 22°.

प्रश्न 6.
यदि A, B और C त्रिभुज ABC, के अंत: कोण हो, तो दिखाइए कि \(\sin \left(\frac{B+C}{2}\right)=\cos \left(\frac{A}{2}\right)\).
हल :
क्योंकि A, B और C त्रिभुज के अंत: कोण हैं
∴ A + B + C = 180°
[त्रिभुज के तीनों कोणों का जोड़ 180° होता है]
⇒ B + C = 180° – A
⇒ \(\frac{\mathrm{B}+\mathrm{C}}{2}=\frac{180^{\circ}-\mathrm{A}}{2}\)
⇒ \(\frac{\mathrm{B}+\mathrm{C}}{2}=\left(90^{\circ}-\frac{\mathrm{A}}{2}\right)\)
दोनो ओर sin लेने पर,
⇒ \(\sin \left(\frac{\mathrm{B}+\mathrm{C}}{2}\right)=\sin \left(90^{\circ}-\frac{\mathrm{A}}{2}\right)\) = cos \(\frac{A}{2}\)
[∵ sin (90° – θ) = cos θ]

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प्रश्न 7.
sin 67° + cos 75° को 0° और 45° के बीच के कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपातों के पदों में व्यक्त कीजिए।
हल :
sin 67° + cos 75° = sin (90° – 23°) + cos (90° – 15°)
= cos 23° + sin 15°
{∵ sin (90° – θ) = cos θ और cos (90° – θ) = sin θ}

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
(क) विद्युत् धारा के ऊष्मन प्रभाव संबंधी नियम लिखें
(ख) विद्युतीय शक्ति की परिभाषा दें। इसकी इकाई की भी परिभाषा दें।
(ग) विद्युतीय ऊर्जा क्या है ? इसकी इकाइयों की परिभाषा लिखें।
उत्तर –
(क) ऊष्मन प्रभाव के नियम-जब भी किसी चालक में से विद्युत् धारा गुज़ारी जाती है, तो यह गर्म हो जाता है। इसे जूल का ऊष्मन नियम (Joule’s Heating Effect) कहा जाता है। इस नियम के अनुसार जब चालक में से धारा प्रवाहित की जाती है तो उत्पन्न ताप

  • धारा के वर्ग के समानुपाती होता है। H ∝ I2 (जब प्रतिरोध, R, समय न हो)
  • चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है H ∝ R (जब धारा I, समय न हो)
  • समय के समानुपाती होता है जितने समय के लिए धारा प्रवाहित की जाती है।

H∝ t (जब प्रतिरोध R तथा धारा I हो)
संयुक्त करने पर H ∝ I2Rt (समानुपाती नियतांक) का मान मात्रक की प्रणाली पर निर्भर करता है। S.I. प्रणाली में इसका मान ‘1’ है। अतः
H = I2Rt (जूल में)

(ख) विद्युत् शक्ति- विद्युतीय कार्य करने की दर को विद्युत् शक्ति कहते हैं। मान लें कि चालक के सिरों के मध्य V विभवांतर वाले चालक में धारा I गुज़ारी जाती है। समय t के लिए धारा I प्रवाहित करने में किया गया कार्य इस प्रकार होगा
W = VIt
किंतु परिपथ की शक्ति इस प्रकार दी जाती है-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 1
= \(\frac{\mathrm{W}}{t}\)
= \(\frac{\mathrm{VI} t}{t}\)
= V × I
P = V × I
∴ P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) [∵ I = \(\frac{V}{R}\) ]
और P = I2R

विद्युत् शक्ति की इकाई P = VI
यदि V वोल्ट तथा I एम्पियर में मापी जाए, तो शक्ति वाट में होगी।
वाट की परिभाषा- विद्युत् परिपथ में एक वाट विद्युत् शक्ति होगी यदि एक एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही हो। जब किसी चालक जिसके सिरों के मध्य एक वोल्ट का विभवांतर हो।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 एम्पियर
शक्ति की बड़ी इकाई किलोवाट (KW) है।
1 किलोवाट = 1000 वाट

(ग) विद्युत् ऊर्जा-किसी निश्चित समय में धारा द्वारा कुल किए गए कार्य की मात्रा, विद्युत् ऊर्जा कहलाती है। मान लें किसी चालक में से I एम्पियर की धारा समय 1 के लिए प्रवाहित होती है, जबकि इसके सिरों के बीच विभवांतर V होता है। तब प्रयुक्त ऊर्जा या किया गया कार्य इस प्रकार होता है-
W = VIt
विद्युत् ऊर्जा की मानक इकाई जूल या वाट-सेकंड है किंतु यह एक लघु (छोटी) इकाई है। विद्युत् ऊर्जा की वृहत् (बड़ी) इकाई वाट-घंटा है। वाट-घंटे की परिभाषा-विद्युत् ऊर्जा एक वाट-घंटा कहलाती है जब चालक में से एक एम्पियर धारा एक घंटे के लिए प्रवाहित होती है जब इसके सिरों के बीच एक वोल्ट का विभवांतर होता है।
1 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा
= 1 वोल्ट x 1 एम्पियर x 1 घंटा
1 किलोवाट घंटा = 1000 वाट घंटा
विद्युतीय ऊर्जा की बड़ी इकाई किलोवाट-घंटा है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 2.
किसी चालक के प्रतिरोध से क्या भाव है ? किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध-देखें लघु उत्तरात्मक प्रश्न 14. चालक के प्रतिरोध की निर्भरता के कारक-देखें अध्याय के अंतर्गत प्रश्न 1 पृष्ठ 336.

प्रश्न 3.
प्रयोग द्वारा मालूम करें कि किसी चालक के लिए प्रतिरोध का मान किन-किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर–
किसी धातु चालक का प्रतिरोध जिन कारकों पर निर्भर करता है उसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दर्शाया जा सकता है –
प्रयोग-एक बैटरी, एमीटर, प्रतिरोधक तार और स्विच की सहायता से विद्युत् परिपथ बनाओ। स्विच को दबा कर इसके परिपथ में से विद्युत् धारा प्रवाहित करें। एमीटर से विद्युत् धारा का मान नोट करें। अब इस तार के स्थान पर समान लंबाई और मोटाई की किसी अन्य धातु की तार द्वारा जोड़े तथा एमीटर द्वारा धारा का मान नोट करें। आप देखते हैं कि विद्युत् धारा का मान बदल जाता है। इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि चालक का प्रतिरोध उसके स्वभाव पर निर्भर करता है। अर्थात् एक ही ताप पर समान लंबाई तथा मोटाई वाले भिन्न-भिन्न धातुओं के चालकों का प्रतिरोध भिन्न-भिन्न होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 2
अब पहले तार के व्यास के बराबर तथा उसी धातु से बनी एक तार लो जिसकी लंबाई पहले तार से दुगनी हो। इस तार को परिपथ में जोड़ें और इसमें से विद्युत् धारा प्रवाहित करो। आप देखेंगे कि यह माप पहले से अमर हो गया है या प्रतिरोध दुगुना हो गया है। इससे सिद्ध होता है कि प्रतिरोध लंबाई के समानुपाती होता है। यदि चालक का प्रतिरोध R और तार की लंबाई l हो तो
R α l ……………………..(1)
अब एक ही धातु की बनी दो तारें लीजिए जिनकी लंबाई एक समान हो परंतु अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (Areas of cross-section) अलग-अलग हों। पहले कम अनुप्रस्थ वाले तार को परिपथ में जोड़ो तथा बाद में अधिक अनुप्रस्थ काट वाले तार को परिपथ में जोड़ें। आप देखते हो कि तार में विद्युत् धारा का मान पहले की अपेक्षा अधिक प्रवाहित हो रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि दूसरे तार का प्रतिरोध पहले की अपेक्षा कम है। इससे सिद्ध होता है कि चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है। यदि चालक का प्रतिरोध R तथा तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है, तो
R α \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\) ……………………………… (2)
(1) और (2) को जोड़ने पर,
R α \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
अथवा
R= ρ\(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
जहां पर ρ स्थिरांक है और इसे चालक का प्रतिरोधकता कहते हैं। इसका मान चालक के पदार्थ के स्वभाव पर निर्भर करता है।

प्रश्न 4.
ओम का नियम क्या है? आप प्रयोगशाला में इसकी पुष्टि कैसे करोगे?
अथवा
ओम का नियम लिखो। चित्र बनाकर समझाइए कि इसकी प्रयोगशाला में व्याख्या कैसे की जाती है ?
अथवा
ओम का नियम लिखो। इसे प्रयोगशाला में प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध करने के लिए एक परिपथ चित्र बनाओ।
उत्तर-
ओम का नियम (Ohm’s Law)-ओम के नियम के अनुसार किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा I का अनुपात सदा स्थिर रहता है, यदि चालक की भौतिक परिस्थितियां (ताप और दबाव आदि) न बदलें।
या
\(\frac{V}{I}\) = R (स्थिरांक)
इस स्थिरांक को चालक का प्रतिरोध कहा (R) जाता है।
ओम के नियम की पुष्टि-दिए गए चालक PQ को बैटरी (B), एक धारा नियंत्रक (Rh), एक एममीटर (A) और एक कुंजी (K) को दिए गए परिपथ में जोड़ो। चालक PQ के सिरों के बीच में वोल्टमीटर V लगाओ जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 3
अब कुंजी में प्लग लगाकर चालक PQ में प्रवाहित हो रही धारा I का मान एममीटर के पाठ्यांक और चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V का मान वोल्टमीटर पाठ्यांक से नोट करो।

अब V और I का अनुपात \(\left(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\right)\) मालूम करो। अब नियंत्रक की सहायता से परिपथ में धारा का मूल्य बदलो और वोल्टमीटर तथा एममीटर का नया पाठ्यांक नोट करो। दोबारा विभवांतर और धारा का अनुपात \(\left(\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}\right)\) का मूल्य निकालो। धारा नियंत्रक की स्थिति बदल कर इस प्रयोग को दोहराओ। मान लो इस बार एममीटर का पाठ्यांक I2 और वोल्टमीटर का पाठ्यांक V2 है। अब फिर \(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\) अनुपात ज्ञात करो। आप देखेंगे कि प्रत्येक बार विभवांतर और धारा का अनुपात स्थिर है।

अर्थात् \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}=\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\) = ………………………. = R (स्थिरांक)
इस स्थिरांक को प्रतिरोध कहा जाता है। इस प्रकार ओम के नियम की पुष्टि हो जाती है। अब चालक PQ के विभवांतर के भिन्न-भिन्न मूल्यों और इनके अनुसार धारा के भिन्न-भिन्न मूल्यों का ग्राफ खींचो। ‘ग्राफ का एक सीधी रेखा होना, ओम के नियम की पुष्टि करता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। ग्राफ से पता चलता है कि जैसे-जैसे चालक का विभवांतर बढ़ता है, धारा में भी रैखिक वृद्धि होती है, जो ओम के नियम को सत्यापित करता है।
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प्रश्न 5.
श्रेणीक्रम में जोड़े गये प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होता है, इसके लिए एक संबंध व्युत्पन्न करो।
अथवा
श्रेणीक्रम में जोड़े गए प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा ? चित्र बनाओ तथा संबंध स्थापित करो।
उत्तर-
जब प्रतिरोधकों को श्रेणीबद्ध किया जाता है तो संयोजन का प्रतिरोध पृथक्-पृथक् प्रतिरोधों के जोड़े के बराबर होता है।
श्रेणीबद्ध किये गये प्रतिरोधों को तथा उनका तुल्य प्रतिरोध के मध्य संबंध का व्युत्पन्न-
श्रेणीबद्ध (शृंखला) जुड़े तीन प्रतिरोधों r1,r2 और r3, पर विचार करो जैसे कि चित्र में दर्शाया गया है। मान लो प्रत्येक में से धारा I प्रवाहित होती है। प्रतिरोध के पार विभवांतर इसके प्रतिरोध के समानुपाती है।
मान लो, V1 = r1, के सिरों के मध्य विभवांतर
V2= r2, के सिरों के मध्य विभवांतर
V3 = r3, के सिरों के मध्य विभवांतर

∴ V = V1 + V2 + V3 ……………………..(i)

मान लो Rs पूर्ण श्रृंखला का तुल्य प्रतिरोध है।
ओम-नियम के अनुसार
V = IRs
इसी प्रकार
V1 = IRs
V2 = Ir2
V3 = Ir3
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(i) में मान प्रतिस्थापित करके
IRs = Ir1 + Ir2 + Ir3
IRs = I(r1 + r2 +r3)
Rs = r1 + r2 +r3
अतः जब प्रतिरोध शृंखलाबद्ध जोड़े जाते हैं तो इनका कुल प्रतिरोध सभी प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है।

प्रश्न 6.
जब तीन प्रतिरोधकों को समानांतर क्रम में एक बैटरी से जोड़ा जाता है तो इनके तुल्य प्रतिरोध विद्युत् के लिए एक संबंध ज्ञात करो।
अथवा
समानांतर क्रम में जोड़े गए कुछ प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा? चित्र बनाओ तथा संबंध स्थापित करो।
अथवा
विद्युत् सर्किट में जब दो या अधिक प्रतिरोधों (R1,R2, R3, ………) को समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है तो परिणामी प्रतिरोध (R) प्राप्त करने के लिए पुटैंशल अंतर (V) तथा विद्युत् धारा (I) के लिए संबंध/सूत्र स्थापित करो। अंकित चित्र भी बनाओ।
उत्तर-
समानांतर क्रम में प्रतिरोधक-मान लो कि तीन प्रतिरोधक R1, R2, और R3, बिंदु A और B के मध्य समांतर क्रम में जोड़े गए हैं। अब यदि बिंदु A और B के मध्य विभवांतर लगाने पर मुख्य परिपथ में विद्युत् धारा I प्रवाहित हो रही हो तो बिंदु A पर यह विद्युत् धारा तीन भागों में बँट जाती है। मान लो प्रतिरोध R1, R2, R3, में से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा क्रमशः I1, I2, I3, है तो
I = I1 + I2, + I3
यदि दोनों सिरों के मध्य विभवांतर V है तो ओम के नियमानुसार
I1 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}\),
I2 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}\),
I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) जहाँ र तुल्य (परिणामी) प्रतिरोध है|
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\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{3}}\)
\(\frac{V}{R}=V\left[\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\right]\)
या \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{3}} \)

प्रश्न 7.
विद्युत्-ऊर्जा और विद्युत्-शक्ति की परिभाषा दो और इनके मात्रक बताओ।
अथवा
विद्युत् शक्ति की परिभाषा लिखें। इसके मात्रक वाट की भी परिभाषा दें।
अथवा
विद्युत् ऊर्जा क्या है ? इनकी इकाई किलोवाट घंटा की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
विद्युत् शक्ति-विद्युत् द्वारा कार्य करने की दर को विद्युत् शक्ति कहते हैं। मान लो अपने सिरों के पार V विभवांतर वाले चालक में से I धारा गुज़ारी जाती है। 1 समय के लिए I धारा प्रवाहित करने में किया गया कार्य इस प्रकार होगा-
W = VIt
किंतु परिपथ की शक्ति इस प्रकार दी जाती है
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= \(\frac{\mathrm{W}}{t}\)
= \(\text { VIt }\)
= V x I
P = V x I

ओम-नियम के अनुसार
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) [∵ I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) ]
और P = I2R [∵ V = IR]
विद्युत् शक्ति की इकाई
हम जानते हैं P = VI
यदि V वोल्ट में तथा I एम्पियर में मापी जाए तो शक्ति वाट में होगी।

वाट की परिभाषा- विद्युत् परिपथ में एक वाट विद्युत् शक्ति उस समय होती है, जब एक एम्पियर धारा किसी चालक में से प्रवाहित हो और इसके सिरों के मध्य एक वोल्ट का विभवांतर स्थापित हो।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 एम्पियर
शक्ति की बड़ी इकाई किलोवाट (KW) है।
1 किलोवाट = 1000 वाट
विद्युत् ऊर्जा- किसी निश्चित समय में धारा द्वारा कुल किये गये कार्य की मात्रा, विद्युत् ऊर्जा कहलाती है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विद्युत् का हमारे दैनिक जीवन में क्या योगदान है?
उत्तर-
विद्युत् का हमारे जीवन में योगदान-विद्युत् का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। इससे जीवन में कई सुविधाएं मिलती हैं जैसे-रात को अंधेरा दूर करने के लिए इसका उपयोग विद्युत् बल्ब तथा ट्यूबलाइट में किया जाता है, गर्मियों में डेजर्ट कूलर, ऐयर कंडीशनर आदि से विद्युत् का उपयोग करके घरों को ठंडा और सर्दियों में हीटर आदि से गर्म किया जाता है। इसके अतिरिक्त विद्युत् का उपयोग करके टेलीविज़न, रेडियो, चलचित्र और संगीत आदि से मनोरंजन होता है। कृषि, परिवहन और उद्योग में मशीनों आदि को चलाने के लिए भी विद्युत् का उपयोग किया जाता है।

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प्रश्न 2.
स्थिर वैद्युत् से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
स्थिर वैद्युत् (Static Electricity)- जब दो वस्तुओं को परस्पर एक-दूसरे के साथ रगड़ा जाता है तो उन दोनों में छोटी-छोटी ओर हल्की वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है। रगड़ द्वारा उत्पन्न हुई वैद्युत् को घर्षण वैद्युत् या स्थिर वैद्युत् कहते हैं। स्थिर आवेशों के अध्ययन को इलैक्ट्रोस्टैटिक्स कहते हैं। उदाहरण-जब किसी प्लास्टिक के पैन को शुष्क बालों के साथ रगड़ा जाता है तो यह कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। ऐसा रगड़ द्वारा विद्युत् पैदा होने के कारण होता है।

प्रश्न 3.
धन तथा ऋण आवेश क्या होते हैं? यह कैसे पैदा होते हैं?
उत्तर –
धन आवेश (Positive Charge)-रेशम के कपड़े के साथ रगड़ने पर कांच की छड़ पर पैदा हुए आवेश को धन आवेश कहा जाता है। ऋण आवेश (Negative Charge)-बिल्ली की खाल से रगड़ने पर आबनूस की छड़ पर पैदा हुए आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है।

प्रश्न 4.
चालकों और रोधकों के बीच अंतर स्पष्ट करो।
अथवा
चालक और रोधक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
चालक और रोधक में अंतर-
चालक-चालकों में बहुत सारे स्वतंत्र इलैक्ट्रॉन होते हैं जो विद्युत् धारा के प्रभाव अधीन गति करते हैं। जब चालक को बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तो ये इलैक्ट्रॉन इसके धन टर्मिनल की ओर आकर्षित होते हैं और ऋण टर्मिनल से प्रतिकर्षित होते हैं। इसलिए चालक में इन इलैक्ट्रॉनों की गति के कारण आवेश का स्थानांतरण होता है। अत: चालक वे पदार्थ हैं जिनमें आसानी से विद्युत्-धारा प्रवाहित होती है। उदाहरण-ताँबा, चाँदी, एल्यूमीनियम आदि।

रोधक-ऐसे पदार्थ जिनमें स्वतंत्र इलैक्ट्रॉन बहुत कम होते हैं। इन पदार्थों में इलैक्ट्रॉन आसानी से गति नहीं कर सकते हैं अर्थात् जिनमें से विद्युत् धारा का प्रवाह नहीं होता रोधक कहलाते हैं। उदाहरण- रबड़, काँच, प्लास्टिक आदि।

प्रश्न 5.
विद्युत् विभव का क्या अर्थ है ? धन विभव तथा ऋण विभव का अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
विद्युत् विभव-यह चालक की एक विशेष विदयुतीय अवस्था है जो हमें यह बताती है कि किसी दूसरे चालक के संपर्क में आने पर विद्युत् आवेश का प्रवाह किस दिशा में होगा। किसी चालक का विभव पृथ्वी के सापेक्ष मापा जाता है। धन विभव-यदि धन आवेश वस्तु से पृथ्वी की ओर बहे या इलैक्ट्रॉन पृथ्वी से वस्तु की ओर प्रवाहित हो तो उस वस्तु के विभव को धन विभव कहते हैं।

प्रश्न 6.
किसी सेल के विद्युत् वाहक बल का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
सेल का विद्युत् वाहक बल-एकांक आवेश को पूरे परिपथ में प्रवाहित कराने में परिपथ में जुड़े सेल के द्वारा व्यय की जाने वाली ऊर्जा को सेल का विद्युत् वाहक बल कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित किया जाता है। विद्युत् वाहक बल का S.I. मात्रक वोल्ट है।

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प्रश्न 7.
स्थिर वैद्युत् से कूलॉम का नियम वर्णित करो और इसकी व्याख्या करो।
अथवा
स्थिर विद्युत् की में कूलॉम का नियम परिभाषित करो और इसकी व्याख्या करो।
उत्तर-
स्थिर वैद्युत् में कूलॉम का नियम- कूलॉम के नियम के अनुसार दो सजातीय रूप से आवेशित वस्तुओं के मध्य प्रतिकर्षण बल या दो विजातीय आवेश वाली वस्तुओं के मध्य आकर्षण बल उन आवेशों की मात्रा के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके मध्य दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
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मान लो दो बिंदुओं पर आवेशों की मात्रा q1 और q2 है और इनके मध्य दूरी ‘d’ है। यदि इनके मध्य क्रिया कर रहा बल F हो तो F ∝q1 q2 ……………………………… (i)
और F ∝ \(\frac{1}{d^{2}}\) ………………………………….(ii)
समीकरण (i) और (ii) को मिलाकर,
F∝ \(\frac{q_{1} q_{2}}{d^{2}}\)
या F= \(\frac{\mathrm{K} q_{1} q_{2}}{d^{2}}\)
जहाँ K अनुपात अंक है जिसका मूल्य आवेशों के माध्यम पर निर्भर करता है। जब आवेशों को कूलॉम में और दूरी को मीटरों में लिया जाए तो वायु या निर्वात के लिए K = 9 x 109 है।
∴ F = \(9 \times 10^{9} \times \frac{q_{1} \times q_{2}}{d^{2}} \) न्यूटन

प्रश्न 8.
पुटैंशल अंतर (विभवांतर ) किसे कहते हैं ?
अथवा
विभांतर से क्या भाव है ? इसकी इकाई क्या है?
अथवा
विभावंतर क्या है ? इसका मात्रक बताओ।
उत्तर-
पुटैंशल अंतर (विभवांतर)- एक विद्युत् क्षेत्र में दो बिंदुओं के मध्य पुटैंशनल अंतर उस क्षेत्र के कारण स्थिर विद्युत् बल के विपरीत एक इकाई धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य की मात्रा है। विभवांतर की इकाई वोल्ट है।

प्रश्न 9.
वोल्ट की परिभाषा लिखो। यह किस भौतिक राशि की इकाई है?
उत्तर-
वोल्ट-विद्युत् क्षेत्र के दो बिंदुओं के मध्य पुटैंशनल अंतर एक वोल्ट होता है जब एक कूलॉम धन आवेश एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में एक जूल कार्य किया गया हो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 9
वोल्ट भौतिक राशि पुटैंशल अंतर (विभवांतर) इकाई है।

प्रश्न 10.
हम कैसे कह सकते हैं कि विद्युत् धारा आवेश के प्रवाह के कारण होती है ?
उत्तर-
यदि हम एक आवेशित विद्युत्दर्शी को तारों द्वारा अनावेशित विद्युत्दर्शी के साथ जोड़ें तो आवेश आवेशित विद्युत्दर्शी से अनावेशित विद्युत्दर्शी की ओर प्रवाहित करना आरंभ कर देगा। इससे अनावेशित विद्युत्दर्शी के पत्र फैलकर एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे अर्थात् खुल जाएंगे। धारा का यह प्रवाह उतनी देर तक चलता रहेगा जब तक कि इन दोनों विद्युत्दर्शियों के पत्र एक समान नहीं हो जाते। समानता आने पर विद्युत्दर्शियों के पत्र एक समान खुलेंगे। आवेश के इस प्रवाह को ही विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रश्न 11.
विद्युत् धारा से क्या अभिप्राय है?
अथवा
विद्युत् धारा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् धारा (Electric Current)-जब दो बिंदु जो कि भिन्न-भिन्न विभव (पुटैंशल) पर हों, एक तांबे की तार द्वारा जोड़ दिया जाए तो आवेश उच्च विभव (पुटैंशल) से निम्न विभव (पुटैंशल) वाले बिंदु की ओर बहना शुरू कर देता है। यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि दोनों बिंदुओं का विभव (पुटैंशल) बराबर नहीं हो जाता। यदि दोनों बिंदुओं में विभवांतर (पुटैंशल अंतर) कायम रहे तो आवेश का बहना जारी रहता है। इस तरह आवेश के निरंतर प्रवाह को विद्युत् धारा कहते हैं।

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प्रश्न 12.
विद्युत् धारा किस प्रकार ऊष्मा उत्पन्न करती है?
उत्तर-
किसी धात्विक चालक में बहुत बड़ी संख्या में मुक्त इलैक्ट्रॉन यादृच्छिक गति करते हैं। जब चालक को विद्युत् स्रोत से जोड़ा जाता है, तो मुक्त इलैक्ट्रॉन उच्च विभव से निम्न विभव की ओर प्रवाहित होते हैं, जिससे इलैक्ट्रॉन चालक के परमाणुओं से टकराते हैं। इस टक्कर के कारण मुक्त इलैक्ट्रॉनों की गति ऊर्जा चालक के परमाणुओं में स्थानांतरित हो जाती है। परमाणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है और इस कारण चालक के ताप में वृद्धि हो जाती है और ऊष्मा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 13.
किसी चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा से उत्पन्न उष्मा का संबंध (सूत्र ) स्थापित करो।
उत्तर-
विद्युत् के ऊष्मीय प्रभाव का सूत्र-जब किसी चालक में से विद्युत् धारा गुजारी जाती है तो वह गर्म हो जाता है। सबसे पहले जूल नामक वैज्ञानिक ने हमें यह बताया था। इसलिए इसे जूल के ऊष्मीय प्रभाव का नियम कहते हैं।
क्योंकि चालक धारा के प्रवाह का प्रतिरोध करते हैं, इसलिए चालक में से लगातार विद्युत् धारा प्रवाहित करने के लिए कार्य करना पड़ता है। किसी R प्रतिरोध के चालक में 1 समय तक I विद्युत् धारा, V विभवांतर पर प्रवाहित हो रही है और 1 समय में I धारा Q आवेश के कारण हो तो
I = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\)
या Q = It
और Q आवेश पर V विभवांतर पर किया गया कार्य
W = QV
= (It) V (∴ Q = It)
= (It) v (∴ V= IR)
= I2Rt
यदि यह उत्सर्जित ऊष्मा H द्वारा प्रकट की जाए तो H (जूल में) = I2 Rt

प्रश्न 14.
चालक के प्रतिरोध की परिभाषा दो। इसकी मात्रक बताओ।
अथवा
किसी चालक के प्रतिरोध से क्या भाव है ? इसके मात्रक की परिभाषा दें।
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध-किसी चालक के सिरों के बीच के विभवांतर और इसमें से प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा के अनुपात को चालक का प्रतिरोध कहा जाता है। इसे R से प्रदर्शित किया जाता है। यदि चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V हो और इसमें से गुज़र रही धारा की मात्रा l हो तो
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प्रतिरोध का मात्रक-S.I. पद्धति में प्रतिरोध का मात्रक ओम है।
ओम-किसी चालक का प्रतिरोध एक ओम होगा यदि उसके सिरों के बीच का विभवांतर एक वोल्ट हो और इसमें से गुजर रही विद्युत् धारा की मात्रा एक एम्पियर हो। अर्थात् यह एक धातु के घन का प्रतिरोध है जिसकी प्रत्येक भुजा 1 मीटर है और धारा इसके आमने-सामने सम्मुख फलकों के लंबवत् प्रवाहित हो रही है।

प्रश्न 15.
प्रतिरोधकता से क्या तात्पर्य है? इसका SI मात्रक लिख कर महत्त्व प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-
प्रतिरोधकता-किसी चालक तार की इकाई लंबाई और इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का प्रतिरोध उसकी प्रतिरोधकता कहलाती है। इसका SI मात्रक Ω-m है।
महत्त्व-

  • यह तापमान के साथ परिवर्तित होती है।
  • जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता अधिक होती है, वे विद्युत् के न्यून/कम चालक होते हैं। उदाहरण-प्लास्टिक, रबड़, आदि।
  • जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता कम होती है, वे विद्युत् के अच्छे चालक होते हैं। उदाहरण-धातु, मिश्रधातु, आदि।
  • किसी मिश्रधातु की प्रतिरोधकता इसकी घटक घातुओं से अधिक होती है।

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प्रश्न 16.
तापन युक्तियों में धातुओं और मिश्रधातुओं का उपयोग किस कारण किया जाता है ?
उत्तर-
उच्च प्रतिरोधकता के गुणों से संपन्न धातुओं और मिश्रधातुओं का उपयोग तापन युक्ति में किया जाता है क्योंकि

  • ये अधिक तापमान पर ऑक्सीकृत नहीं होते।
  • ये अधिक प्रतिरोध प्रदान करते हैं।
  • ये उच्च तापमान पर भी जल्दी जलते नहीं हैं।

प्रश्न 17.
विद्युत् परिपथ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
विद्युत् परिपथ- यह एक बंद पथ होता है जिसमें इलैक्ट्रॉन (आवेश) बहुत तीव्रता से प्रवाहित होते हैं। जब किसी चालक को बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तो इलैक्ट्रॉन बैटरी के ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की ओर प्रवाहित होते हैं। परंतु धारा (I) की पारंपरिक दिशा इलैक्ट्रॉनों के वहन की दिशा से विपरीत ली जाती है।

प्रश्न 18.
विद्युत् धारा क्या है ? इसके मात्रक बताओ।
अथवा
विद्युत् करंट क्या है ? इसकी SI प्रणाली में इकाई की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
विद्युत् धारा (Current)-यदि दो आवेशित वस्तुओं को परस्पर एक चालक से जोड़ा जाए तो इलैक्ट्रॉन (आवेश) एक वस्तु से दूसरी वस्तु की ओर प्रवाहित होते हैं। इलैक्ट्रॉनों के प्रवाह की दर को, विदवत धारा (I) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में इकाई समय में प्रवाहित हो रहे आवेश को विद्युत् धारा कहा जाता है।
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∴ I = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\)
SI पद्धति में धारा का मात्रक एम्पियर (A) है।
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जबकि 1 कूलॉम = \(\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलैक्ट्रॉन
= 6.25 x 1018 इलैक्ट्रॉन
एम्पियर (Ampere)-जब किसी चालक में से सेकंड में एक कूलॉम आवेश प्रवाहित किया जाता है तो धारा की मात्रा को एक एम्पियर कहा जाता है। धारा की छोटी मात्रक मिली-एम्पियर है।
1 मिली-एम्पियर = \(\frac{1}{1000}\) एमम्पियर
=10-3 एम्पियर

प्रश्न 19.
धारा मापने के लिए किस यंत्र का उपयोग किया जाता है ? परिपथ में इसे कैसे जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
परिपथ में प्रवाहित धारा मापने के लिए एममीटर का उपयोग किया जाता है। यह परिपथ में सदा इस विधि से जोड़ा जाता है कि संपूर्ण | धारा इसमें से प्रवाहित हो अर्थात् श्रृंखला क्रम में जोड़ा जाता है। एममीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है।
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प्रश्न 20.
विद्युत् ऊर्जा की इकाई की परिभाषा लिखो।
अथवा
एक वाट-घंटा की परिभाषा दें।
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा की इकाई जूल/वाट-सेकंड (वाट-घंटा) है।
वाट-घंटे की परिभाषा-विद्युत् ऊर्जा एक वाट-घंटा कहलाती है जब चालक में से एक एम्पियर धारा एक घंटे के लिए प्रवाहित होती है तथा जब इसके सिरों के बीच एक वोल्ट का विभवांतर होता है।
1 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा
= 1 वोल्ट x एम्पियर x 1 घंटा
विद्युतीय ऊर्जा की वृहत् इकाई को किलोवाट-घंटा कहते हैं।
1 किलोवाट-घंटा = 1000 वाट-घंटा।

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प्रश्न 21.
एक किलोवाट घंटे में कितने जूल होते हैं ?
अथवा
एक किलोवाट घंटा को परिभाषित करें।
उत्तर-
किलोवाट घंटा- यदि एक किलोवाट विद्युत् शक्ति को 1 घंटे तक प्रयोग किया जाये तो विद्युत्ऊर्जा एक किलोवाट घंटा (Kwh) होती है।
1 Kwh = 1 Kw x 1 घंटा
= 1000 वाट x 3600 सेकंड
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1 किलोवाट घंटा (1 Kwh) = 36 x 105 जूल

प्रश्न 22.
क्या कारण है कि विद्युत् वाहक तारों में बहुत कम ताप उत्पन्न होता है, जबकि विद्युत् बल्ब के तंतु में उच्च ताप उत्पन्न होता है?
उत्तर-
विद्युत् बल्ब के तंतु का प्रतिरोध, विद्युत् वाहक तारों के प्रतिरोध की तुलना में बहुत अधिक होता है; अतः समान विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर बल्ब के तंतु में उच्च ताप उत्पन्न होता है, परंतु विद्युत् वाहक तारों में नहीं।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए
(i) यदि आप अमीटर को समांतर-क्रम में जोड़ देते हैं तो अमीटर क्यों जल जाता है?
(ii) एक निश्चित ताप से नीचे कुछ पदार्थों की प्रतिरोधकता घटकर एकदम शून्य क्यों हो जाती है?
उत्तर-
(i) अमीटर के जलने का कारण-परिपथ की अन्य युक्तियों की तुलना में अमीटर का प्रतिरोध नगण्य होता है। जब अमीटर को परिपथ के समांतर-क्रम में जोड़ा जाता है तो परिपथ का कुल विभवांतर अमीटर के सिरों के बीच भी कार्य करता है, जिससे अमीटर में उच्च धारा प्रवाहित होती है और उसमें बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और अमीटर जल जाता है।
(ii) जब किसी चालक पदार्थ का ताप क्रांतिक ताप से कम हो जाता है तो पदार्थ अतिचालक में बदल जाता है, जिससे उसका प्रतिरोध घटकर एकदम शून्य हो जाता है।

प्रश्न 24.
विद्युत् उपकरणों के पार्यक्रम जोड़ने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
पार्यक्रम जोड़ने के लाभ

  • प्रतिरोधों को पार्यक्रम जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत् धारा स्वतंत्रतापूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है।
  • ऐसा करने से सभी समानांतर शाखाओं के सिरों के बीच का विभवांतर बराबर होता है। इसलिए लैंप, बिजली की रेफ्रीजरेटर, रेडियो तथा टेलीविज़न आदि को एक ही विभव पर प्रचलन के योग्य बनाया जा सकता है।

प्रश्न 25.
प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ता है, यदि (i) तार की लंबाई बढ़ा दी जाए। (ii) काट का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाए।
उत्तर-
(i) प्रतिरोध तार की लंबाई के सीधा समानुपाती होता है। इसलिए तार की लंबाई बढ़ाने पर प्रतिरोध अधिक हो जाता है।
(ii) मोटे तार का प्रतिरोध बारीक तार की अपेक्षा कम होता है। इसलिए यदि तार का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाए अर्थात् तार मोटी ली जाए तो प्रतिरोध कम हो जाता है।

प्रश्न 26.
संयोजक तारें ताँबे की क्यों बनाई जाती हैं? वे तारें मोटी क्यों होती हैं?
उत्तर-
तांबा विद्युत् का चाँदी के बाद अधिकतम सुचालक है। इसका प्रतिरोध कम होने के कारण इसमें से विद्युत् धारा सुगमता से प्रवाह कर सकती है। तारें मोटी रखी जाती हैं क्योंकि किसी तार का प्रतिरोध उसका मोटाई के विलोमानुपाती होता है। जो तार जितनी अधिक मोटी होगी उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा। इसके परिणामस्वरूप विद्युत् धारा अधिक क्षमता से प्रवाहित हो सकेगी।

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प्रश्न 27.
विद्युत चालक क्या होते हैं ? दो उदाहरण दो।
उत्तर-
विद्युत चालक-ऐसे पदार्थ जिनमें से विद्युत धारा का प्रवाह सुगम हो जाता है, विद्युत के चालक कहलाते हैं।
उदाहरण-

  • तांबा
  • एल्यूमीनियम,
  • अम्ल युक्त जल।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Problems)

प्रश्न 1.
दो छोटे आवेशित गोलों पर 2 x 10-7 कूलॉम और 3 x 10-7 कूलॉम के आवेश हैं और यह वायु में 30 cm. की दूरी पर रखे गये हैं। इनके मध्य बल पता करो।
हल : यहाँ पहले गोले पर आवेशq1 = 2 x 10-7 कूलॉम
दूसरे गोले पर आवेश q2 = 3 x 10-7 कूलॉम
गोलों के बीच की दूरी d = 30 सेमी०
= \(\frac{30}{100} \)
= 0.30 m
माध्यम वायु के लिए K = 9 x 109

दोनों गोलों के मध्य विद्युतीय बल F= ?
कूलॉम के नियमानुसार, F = K x \(\frac{q_{1} \times q_{2}}{d_{2}}\)
= \(\frac{9 \times 10^{9} \times 2 \times 10^{-7} \times 3 \times 10^{-7}}{0.30 \times 0.30}\)
= \(\frac{9 \times 10^{9} \times 2 \times 3 \times 100 \times 100}{10^{7+7} \times 30 \times 30}\)
= \(\frac{9 \times 2 \times 3 \times 10^{13}}{10^{16} \times 9}\)
= \(\frac{6}{10^{3}}\) = 6 x 10-3 N उत्तर

प्रश्न 2.
एक चालक की लंबाई 3.0 m, परिक्षेत्रफल 0-02 mm2 और प्रतिरोध 2 ओम है। इसकी प्रतिरोधकता ज्ञात करो।
हल:
यहाँ चालक की लंबाई (l) = 3.0 m
चालक का परिक्षेत्रफल (a) = 0.02 mm2
= \(\frac{0.02}{10^{6}}\) m2
चालक का प्रतिरोध (R) = 2
ओम चालक की प्रतिरोधकता (ρ) = ?
हम जानते हैं, R = ρ × \(\frac{l}{a}\)
2 = ρ × \(\frac{3}{0.02 \times 10^{-6}}\)
∴ ρ = \( \frac{2 \times 0 \cdot 02 \times 10^{-6}}{3}\)
= \(\frac{2 \times 2}{3 \times 10^{2}} \times 10^{-6}\)
= \(\frac{2 \times 2}{3 \times 10^{2}} \times 10^{-6}\)
= \(\frac{4}{3} \times 10^{-8}\)
ρ = 1.33 x 10-8 ओम-मीटर उत्तर

प्रश्न 3.
30Ω, 50Ω और 80Ω के श्रेणीक्रम में जोड़े गए तीन प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध पता करो।
हल : यहाँ,
r1 = 30Ω
r2 = 50Ω
r3 = 80 Ω
अब क्योंकि तीनों प्रतिरोधों, r1, r2 तथा r3 को श्रेणीबद्ध किया गया है इसलिए उनका तुल्य प्रतिरोध (R) तीनों के जोड़ के बराबर है।
∴ R = r1+r2 +r3
= 30Ω + 50Ω + 80Ω
R = 160Ω उत्तर

प्रश्न 4.
40Ω, 60Ω और 90Ω के तीन प्रतिरोधों को समानांतर श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध कितना है?
हल : यहाँ,
r1 = 40Ω
r2 = 60Ω
r3 = 90Ω
मान लो तीनों का तुल्य प्रतिरोध R है। क्योंकि तीनों प्रतिरोध समानांतर में संयोजित किये गए हैं,
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}\)
= \(\frac{1}{40}+\frac{1}{60}+\frac{1}{90}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{9+6+4}{360}\)
या \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{19}{360}\)
∴ R = \(\frac{360}{19}\) = 18.95 Ω उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
6Ω, 8Ω, और 10Ω के तीन प्रतिरोध श्रृंखलाबद्ध क्रम में जोड़े गए हैं। परिपथ का कुल प्रतिरोध ज्ञात करो।
हल-
दिया है, R1 = 6Ω , R2 = 8Ω , R3 = 10Ω मान लो परिपथ का कुल प्रतिरोध R है, तो शृंखलाबद्ध क्रम संयोजन का कुल प्रतिरोध, R=R1+ R2 + R3
= 6Ω + 8Ω + 10Ω
= 24Ω उत्तर

प्रश्न 6.
5Ω, 8Ω और 12Ω के तीन प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़े गए हों तो विद्युत परिपथ का परिणामी प्रतिरोध पता करो।
हल-
दिया है, R1 = 5Ω ,R2 = 8Ω , R3= 12Ω मान लो परिपथ का परिणामी प्रतिरोध R है, तो शृंखलाक्रम संयोजित परिपथ का परिणामी प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3
= 5Ω + 8Ω + 12Ω
= 25Ω उत्तर

प्रश्न 7.
4Ω, 8Ω, 12Ω और 24Ω के प्रतिरोधों को किस क्रम में जोड़ा जाए कि अधिक से अधिक प्रतिरोध प्राप्त हो ? परिपथ का परिणामी प्रतिरोध भी ज्ञात करो।
उत्तर-
दिया है, R1 = 4Ω R2= 8Ω , R3 = 12Ω , R4 = 24Ω मान लो परिणामी प्रतिरोध R है।

यदि इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीबद्ध क्रम में संयोजित किया जाए तो अधिकतम परिणामी प्रतिरोध प्राप्त होगा। .:. परिणामी प्रतिरोध,
R = R1 + R2 + R3 + R4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
= 48Ω उत्तर

प्रश्न 8.
4Ω, 8Ω, 10Ω तथा 20Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को संयोजित करने से (1) अधिकतम (2) निम्नतम प्रतिरोध कितना और किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है ?
हल:
(i) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु संयोजन-इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में रखा जाए तो अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
Rs = R1 + R2 + R3+ R4
= 4Ω + 8Ω + 10Ω + 20Ω
= 42Ω उत्तर

(ii) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु-यदि दिए गए चारों प्रतिरोधों को समानांतर (पार्श्व) क्रम में जोड़ा जाए तो कुल प्रतिरोध न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
∴ \( \frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{3}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{4}}\)
= \(\frac{1}{4}+\frac{1}{8}+\frac{1}{10}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{10+5+4+2}{40}\)
∴ = \(\frac{21}{40}[/katex] Ω
Rp = [latex]\frac{40}{21}\) Ωउत्तर

प्रश्न 9.
बिजली के पाँच बल्बों को, जिनमें से प्रत्येक का प्रतिरोध 400 ओम है, 220 V की आपूर्ति से जोड़ा जाता है।
(क) प्रत्येक लैंप की वोल्टेज
(ख) यदि बल्बों को प्रतिदिन 5 घंटे के लिए 30 दिनों तक जलाया जाये तो बिजली का बिल ज्ञात करो, यदि ऊर्जा की दर 3₹ प्रति यूनिट हो।
हल:
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध 1 = 440 ओम
5 बल्ब समानांतर संयोजित किए गये हैं और उनका कुल प्रतिरोध (R) है।
∴ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}\)
= \(\frac{1+1+1+1+1}{440}\)
⇒ R = \(\frac{440}{5}\)
∴ R = 88 ओम
विभवांतर V = 220 v

हम जानते हैं, P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220 \times 220}{88}\)
= \(\frac{5 \times 220}{2}\)
= 550w

∴ प्रत्येक बल्ब की वोल्टेज = \(\frac{550}{5}\) `= 110 वाट
समय = 30×5 घंटे
= 150 घंटे

ऊर्जा की खपत = Pxt
= 550 वाट x 150 घंटे
= 82500 वाट-घंटे
= \(\frac{82500}{1000}\) किलोवाट-घंटे
= \(\frac{825}{10}\) यूनिट
आपूर्ति की दर = ₹ 3 रु प्रति यूनिट
∴बिजली के बिल की रकम = \(\frac{825}{10} \times 3\)
= ₹ 247.50 उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 10.
दो तारों को समानांतर जोड़ने पर इनका प्रतिरोध 12 Ω और श्रेणी में जोड़ने पर प्रतिरोध 50Ω है। प्रत्येक प्रतिरोध का मूल्य पता करो।
हल : मान लो कि ये दो प्रतिरोध R1 और R2 हैं। जब इन्हें श्रेणीबद्ध किया जाता है तो कुल प्रतिरोध Rs = R1+ R2 = 50Ω ……………………………. (i)
समानांतर में श्रेणीबद्ध करने पर इनका समूचा प्रतिरोध RP = 12 Ω है।
RP = \(\frac{R_{1} R_{2}}{R_{1}+R_{2}}\) \(\left[\because \frac{1}{R_{p}}=\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}\right]\)
12 = \(\frac{\mathrm{R}_{1} \mathrm{R}_{2}}{50} \) \(\left[\frac{1}{\mathrm{R}_{\mathrm{p}}}=\frac{\mathrm{R}_{2}+\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{1}+\mathrm{R}_{2}}\right]\)
या R1R2 = 12 × 50 = 600
∴ R2 = \(\frac{600}{R_{1}}\) ………………………………. (ii)

(i) और (ii) से हम प्राप्त करते हैं : R+\(\frac{600}{R_{1}}\) = 50
या R12 – 50 R1 + 600 = 0
या R12 – 30 R1 + 600 = 0
या R1 (R1 – 30) – 20 (R1 – 30) = 0
या (R1 – 30) (R1 – 20) = 0
इसलिए
R1 – 30 = 0 या R1 – 20 = 0
∴ R1 = 30 Ω या R2 = 20 Ω
इसलिए एक प्रतिरोध R1 = 30 Ω और दूसरा प्रतिरोध R2 = 20 Ω
या हम R1 को 20 Ω और R2 को 30 Ω ले सकते हैं।

प्रश्न 11.
एक परिपथ A आकार का है जिसमें 1 ओम प्रति सैंटीमीटर के पाँच प्रतिरोध लगे हुए हैं। इसकी दो भुजाएं 20 सेमी० हैं और बीच में लंबाई 10 सेंमी० है जबकि शीर्ष कोण 60° है इसके प्रतिरोध को ज्ञात कीजिए।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 15
हल : प्रश्न में दिया गया रेखांकन वास्तव में ऐसा है
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 16
चित्र यहाँ DA और AE श्रेणीबद्ध हैं-
∴ DA और AE के जोड़े का तुल्य प्रतिरोध = 10 + 10 = 20Ω
यह DE के समानांतर है
∴ DAED का तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{r}=\frac{1}{10}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{2+1}{20}=\frac{3}{20}\)
r = \(\frac{20}{3}\) Ω

अब BD, DAED और EC क्रमबद्ध है
∴ B और C के बीच कुल प्रतिरोध = 10 + \(\frac{20}{3}\) + 10
= \(\frac{30+20+30}{3}\)
= \(\frac{80}{3}\)
= 26.67Ω उत्तर

प्रश्न 12.
एक बल्ब 200 V तथा 100 W का है। इसका प्रतिरोध क्या होगा? यह बल्ब 4 घंटे जलता है। इसने कितनी विद्युत् ऊर्जा का प्रयोग किया? इसका ₹ 2.50 प्रति यूनिट की दर से खर्च बताओ।
हल:
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
या R = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{P}}\)
= \(\frac{(200)^{2}}{100}\)
= \(\frac{200 \times 200}{100}\)
= 400 Ω

प्रयुक्त ऊर्जा = \(\frac{100 \times 4}{1000}\)
= \(\frac{400}{1000}\)
= 0.4kWh
कुल खर्च = 0.4 x 2.50 = ₹1

प्रश्न 13.
200 V के स्रोत को चार 40 w, 220 V के बल्बों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर प्रत्येक से प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिए। यदि एक बल्ब फ्यूज हो जाए तो 220 V स्रोत से प्रवाहित हो रही धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हल :
40 वाट के बल्बों का प्रतिरोध = \(\frac{(220)^{2}}{40}\)
श्रेणी क्रम में संयोजित किए गए 40 वाट के चार बल्बों का प्रतिरोध = \(\frac{4 \times(220)^{2}}{40}\)
= \(\frac{4 \times 220 \times 220}{40}\)
= 4840Ω
प्रवाहित धारा I = \(\frac{220}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220}{4840}\) = 0.045 उत्तर
एक बल्ब के फ्यूज होने से उसमें धारा का प्रवाह नहीं होगा। उत्तर

प्रश्न 14.
12 v विभवांतर के दो बिंदुओं के बीच 2 C आवेश को ले जाने में कितना कार्य किया जाता है?
हल : विभवांतर V(= 12 वोल्ट) के दो बिंदुओं के बीच प्रवाहित आवेश का परिणाम Q (= 2 कूलॉम) है। इसलिए आवेश को स्थानांतरित करने में किया गया कार्य है
W = V x Q
= 12 V x 2c
= 24 J. उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 15.
एक विद्युत् लैंप, जिसका प्रतिरोध 20Ω है तथा एक 4Ω प्रतिरोध का चालक एक 6 V की बैटरी से चित्र के अनुसार जुड़े हैं। परिकलित कीजिए-(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध, (b) परिपथ में प्रवाहित धारा।
हल : दिया है : लैंप का प्रतिरोध R1 = 20Ω
तथा चालक का प्रतिरोध R1 = 4Ω
बैटरी का विभवांतर V = 6 V
(a) ∵ दोनों प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं,
∴ परिपथ का कुल प्रतिरोध R = R1 + R2
= 20 Ω + 4Ω
= 24Ω
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 17

(b) ∵ परिपथ में लगा कुल विभवांतर V = 6 V
कुल प्रतिरोध R = 24 Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{6 \mathrm{~V}}{24 \Omega}\)
= 0.25 A उत्तर

प्रश्न 16.
एक 42 के प्रतिरोधक में 100 J ऊष्मा प्रति सेकंड की दर से उत्पन्न हो रही है। प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है : उष्मा H = 100J, समय t = 1s, प्रतिरोध R = 4Ω
सूत्र H = I2Rt से,
प्रतिरोधक में विद्युत् धारा
I = \(\sqrt{\frac{\mathrm{H}}{\mathrm{R} t}}\)
= \(\sqrt{\frac{100 \mathrm{~J}}{4 \Omega \times 1 s}}\)
= 5A
परंतु सूत्र V = Ix R से,
∴ प्रतिरोधक के सिरों के मध्य विभवांतर, V = 5A x 4Ω
= 20 V उत्तर

प्रश्न 17.
संलग्न चित्र में R1 = 10 Ω, R2 = 40 Ω, R3 = 30Ω, R4 = 20 Ω तथा R5 = 60 Ω हैं तथा 12 v की एक बैटरी इस संयोजन से जुड़ी है। परिकलित कीजिए-
(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध तथा
(b) परिपथ में प्रवाहित धारा।
हल:
(a) माना कि प्रतिरोधकों R1 व R2 के समानांतर संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R है, तब
\(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\)
= \(\frac{1}{10}+\frac{1}{40}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 18

(b) \(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{4+1}{40}\)
= \(\frac{5}{40}\)
= \(\frac{1}{8}\)
∴ R’ = 8Ω
अब R3, R4 तथा R5 समानांतर क्रम में हैं यदि R’ इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध है तो
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 19
स्पष्ट है R’ तथा R” दोनों श्रेणी क्रम में संयोजित हैं जिसका कुल प्रतिरोध R है तो
R = R’ + R”
= 8Ω + 10Ω
= 18Ω

(b) विभवांतर V = 12V
परिपथ का कुल प्रतिरोध R = 18 Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{12 \mathrm{~V}}{18 \Omega}\)
= 0.67 A

प्रश्न 18.
जब एक विद्युत् हीटर किसी स्रोत से 4A की धारा लेता है तो इसके सिरों के बीच 60 V का
हल : प्रथम दशा में,
दिया है : विद्युत् हीटर द्वारा ली गई धारा I1 = 4 A
तथा विद्युत् हीटर के सिरों का विभवांतर V1 = 60 V
विद्युत् हीटर की कुंडली का प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}\)
= \(\frac{60 \mathrm{~V}}{4 \mathrm{~A}}\)
= 15Ω

ओम के नियम के अनुसार कुंडली का प्रतिरोध नियत रहेगा।
दूसरी दशा में, विभवांतर V2 = 120 V
तब ली गई धारा I2 = ?
∴ दूसरी दशा से, R = \(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\)
∴ विद्युत् हीटर द्वारा ली गई धारा I2 = \(\frac{V_{2}}{R}\)
= \(\frac{120 \mathrm{~V}}{15 \Omega}\)
= 8 A उत्तर

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी बिंदु पर विद्युत् विभव क्या होता है?
उत्तर-
इकाई आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर विद्युत् विभव कहते हैं।
W = QV
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 21

विभव को वोल्ट में मापते हैं।

प्रश्न 2.
विद्युत् चुंबक की ध्रुवता में परिवर्तन किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर-
विद्युत् चुंबक की ध्रुवता में परिवर्तन विद्युत् धारा की दिशा बदल कर किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
कौन-से आवेश परस्पर आकर्षण करते हैं तथा कौन-से प्रतिकर्षण?
उत्तर-
समान आवेश परस्पर प्रतिकर्षण करते हैं तथा विजातीय (असमान) आवेश परस्पर आकर्षित करते हैं।

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प्रश्न 4.
किसी चालक का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है

  • लंबाई के समानुपाती।
  • क्षेत्रफल के विलोमानुपाती।

प्रश्न 5.
किसका प्रतिरोध कम है : 100 W के बल्ब का या 60 W बल्ब का?
उत्तर-
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
क्योंकि
P ∝ \(\frac{1}{R}\)
∴ अधिक शक्ति वाले बल्ब का प्रतिरोध कम होगा।
इसलिए 100 W वाले बल्ब का प्रतिरोध कम होगा।

प्रश्न 6.
यदि तार की लंबाई दुगुनी तथा क्षेत्रफल आधा कर दिया जाए तो प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर
R1 = ρ \(\frac{l_{1}}{\mathrm{~A}_{1}}\)
R2 = \(\frac{\rho_{2} l_{2}}{\mathrm{~A}_{2}}\)
= \(\frac{\rho \times 2 l_{1}}{\mathrm{~A}_{1} / 2}\)
= \(\frac{2 \times 2 \times \rho \times l_{1}}{A}\)
= 4R1
∴ प्रतिरोध चार गुना हो जाएगा।

प्रश्न 7.
विद्युत् विभव की इकाई क्या है ?
उत्तर-
वोल्ट।

प्रश्न 8.
प्रतिरोध का मात्रक क्या है?
उत्तर-
ओम।

प्रश्न 9.
विद्युत् शक्ति की इकाई क्या है?
उत्तर-
वाट।

प्रश्न 10.
आपको 40 W और 100 W के दो बल्ब A और B दिए गए हैं। किस बल्ब के तंतु का प्रतिरोध अधिक होगा?
उत्तर-
100 W बल्ब का।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 11.
एक किलोवाट घंटा में कितने जूल होते हैं?
उत्तर-
1 किलोवाट घंटा (kwh) = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 12.
हमारे घरों में विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता कितनी है?
उत्तर-
220 V – 230 VI

प्रश्न 13.
ओम का नियम लिखिए तथा इसे गणितीय रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर-
ओम का नियम-किसी चालक से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा (I) उसके सिरों के विभवांतर (V) के समानुपाती होती है।
गणितीय रूप में, V ∝ I अथवा \(\frac{V}{I}\) = R (चालक के लिए नियतांक)

प्रश्न 14. चाँदी की प्रतिरोधकता 1.6 x 10-82m है। इस कथन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
इस कथन का यह अर्थ है कि चाँदी 1m लंबे तथा 1m2 अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध 1.6 x 10-8Ω होगा।

प्रश्न 15.
अमीटर को किसी परिपथ में कैसे जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
जिस विद्युत् परिपथ के अवयव से प्रवाहित होने वाली धारा का मापन होता है, अमीटर को उस अवयव के साथ श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।

प्रश्न 16.
किसी का प्रतिरोध अधिक होगा-50 W के लैंप का अथवा 25 W के लैंप का और कितने गुना होगा?
उत्तर-
माना कि लैंपों के प्रतिरोध R1 व R2 हैं तथा लगाया गया विभवांतर V है, तो
P1 =50 = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{1}}\) , तथा P2 = 25 = \( \frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{2}}\)
∴ \(\frac{P_{1}}{P_{2}}=\frac{50}{25}=\frac{V^{2}}{R_{1}} \times \frac{R_{2}}{V^{2}}\)
⇒ 2 = \(\frac{\mathrm{R}_{2}}{\mathrm{R}_{1}}\)
⇒ R2 = 2R1

प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में कुंजी या स्विच (Plug) के चिह्न बताओ जब परिपथ (i) खुला हो (ii) बंद हो।
उत्तर-

  • खुले परिपथ में कुंजी या स्विच-()
  • बंद परिपथ में कुंजी या स्विच -( . )

प्रश्न 18.
दो विद्युत् सुचालकों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. कॉपर
  2. एल्यूमिनियम।

प्रश्न 19.
विद्युत् ऊर्जा की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा-किसी निश्चित समय में धारा द्वारा किए गए कार्य को विद्युत् ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 20.
विद्युत् सर्कट में वोल्ट मीटर को कैसे जोड़ा जाता है?
उत्तर-
समानांतर क्रम में।

प्रश्न 21.
धारा की इकाई बतायें।
उत्तर-
एम्पीयर।

प्रश्न 22.
विद्युत् शक्ति का बड़ा मात्रक क्या है?
उत्तर–
किलोवाट (Kw)।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 23.
धातुओं में विद्युत् धारा का प्रवाह किस परमाणु कण के कारण होता है ?
उत्तर-
इलैक्ट्रॉन।

प्रश्न 24.
एक इलैक्ट्रॉन पर कितने कूलॉम का आवेश होता है?
उत्तर-
1.6 x 10-19 C

प्रश्न 25.
एक कूलॉम आवेश कितने इलैक्ट्रानों के आवेश के तुल्य है?
उत्तर-
6.25 x 10-18 इलैक्ट्रॉनों के आवेश के तुल्य।

प्रश्न 26.
विद्युत् के सर्वश्रेष्ठ चालक का नाम बताइए।
उत्तर-
चाँदी।

प्रश्न 27.
ताँबे तथा लोहे में कौन-सी धातु विद्युत् की अच्छी चालक है?
उत्तर-
ताँबा।

प्रश्न 28.
विद्युत् बल्ब के तंतु किस धातु के बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
टंगस्टन धातु के।

प्रश्न 29.
विद्युत् इस्तरी तथा टोस्टर के तंतु किस पदार्थ के बने होते हैं?
उत्तर-
नाइक्रोम मिश्रधातु के।

प्रश्न 30.
विद्युत् धारा का S.I. मात्रक बताइए।
उत्तर-
ऐम्पियर।

प्रश्न 31.
विद्युत् प्रतिरोध S.I. मात्रक क्या है ?
उत्तर-
ओम।

प्रश्न 32.
किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर-
ओम-मीटर (Ω-m)

प्रश्न 33.
विद्युत् आवेश के S.I. मात्रक का नाम लिखिए।
उत्तर-
कूलॉम।

प्रश्न 34.
प्रतिरोध के श्रेणी संयोजन तथा समांतर संयोजन में किसका प्रतिरोध अधिकतम होता है तथा किसका न्यूनतम?
उत्तर-
श्रेणी संयोजन का अधिकतम तथा समांतर संयोजन का न्यूनतम प्रतिरोध होता है।

प्रश्न 35.
विद्युत् ऊर्जा की व्यापारिक इकाई क्या है?
उत्तर-
किलो वाट घंटा (kWh)।

प्रश्न 36.
1 kWh कितने जूल के बराबर होता है ?
उत्तर-
lkWh = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 37.
घरों में विद्युत् उपकरण किस व्यवस्था में जुड़े होते हैं?
उत्तर-
समांतर संयोजन व्यवस्था में।

प्रश्न 38.
दिष्ट धारा के एक स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् सेल अथवा बैटरी।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 39.
विद्युत् सेल तथा बिना सन्धि के तार क्रासिंग के लिए संकेत लिखें।
उत्तर-
विद्युत् सेल का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 22
बिना सन्धि के तार क्रासिंग का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 23

प्रश्न 40.
(i) प्रतिरोध और
(ii) ऐम्मीटर के लिए संकेत लिखें।
उत्तर-
(i) प्रतिरोध का संकेत :PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 24
(ii) ऐम्मीटर का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 25

प्रश्न 41.
विद्युत् के लिए बैटरी या सेलों के संयोजन और तार सन्धि के संकेत लिखो।
उत्तर-
(i) बैटरी या सेलों के संयोजन का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 26
(ii) तार सन्धि के लिए संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 27

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
V∝ I का नियम प्रतिपादित किया है
(a) फैराडे ने
(b) वाट ने
(c) ओम ने।
(d) कूलॉम ने।
उत्तर-
(c) ओम ने।

प्रश्न 2.
विभव का मात्रक है
(a) ऐम्पीयर
(b) वोल्ट।
(c) ओह्म
(d) वाट।
उत्तर-
(b) वोल्ट।

प्रश्न 3.
विद्युत शक्ति का मात्रक है
(a) ऐम्पीयर
(b) वोल्ट
(c) ओह्म
(d) वाट।
उत्तर-
(d) वाट।

प्रश्न 4. \(\frac{1}{3}\) Ω के तीन प्रतिरोधकों को किसी भी प्रकार जोड़कर कितना अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त कर सकते हैं ?
(a) \(\frac{1}{3}\) Ω
(b) 1Ω
(c) \(\frac{1}{9}\) Ω
(d) 3Ω.
उत्तर-
(b) 1Ω.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
फ्यूज को युक्ति के साथ कौन-से क्रम में जोड़ा जाता है ?
(a) समांतर
(b) श्रेणी
(c) समांतर तथा श्रेणी दोनों में जोड़ा जा सकता है
(d) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(b) श्रेणी।

प्रश्न 6.
विद्युत् आवेश का SI मात्रक है
(a) वाट
(b) किलोवाट
(c) कूलॉम
(d) ऐम्पीयर।
उत्तर-
(c) कूलॉम।

प्रश्न 7.
विद्युत् धारा को किस मात्रक के द्वारा व्यक्त किया जाता है ?
(a) कूलॉम
(b) ऐम्पीयर
(c) वाट
(d) किलोवाट।
उत्तर-
(b) ऐम्पीयर।

प्रश्न 8.
परिपथों की विद्युत धारा को किससे मापा जा सकता है ?
(a) ऐमीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) विद्युत् मीटर।
उत्तर-
(a) ऐमीटर।

प्रश्न 9.
ऐमीटर को परिपथ में सदा कैसे संयोजित किया जाता है ?
(a) श्रेणी क्रम में
(b) पार्श्व क्रम में
(c) श्रेणी तथा समांतर क्रम दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) श्रेणी क्रम में।

प्रश्न 10. विभवांतर को किस यंत्र से मापा जाता है ?
(a) ऐमीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) विद्युत मीटर।
उत्तर-
(b) वोल्टमीटर।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) समानांतर क्रम में संयोजित प्रत्येक प्रतिरोधों में प्रवाहित विद्युत धारा …………………….. होगी।
उत्तर-
अलग-अलग

(ii) ओम के नियम अनुसार किसी चालक तार के लिए V तथा I के मध्य संबंध ……………………….. है।
उत्तर-
R

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

(iii) किसी विद्युत परिपथ में विभवांतर का मापन …………………………. द्वारा किया जाता है।
उत्तर-
वोल्ट मीटर

(iv) एक किलोवाट घंटा (kwh) ………………………. का मात्रक है।
उत्तर-
विद्युत ऊर्जा

(v) किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा को मापने वाला यंत्र ……………………… है।
उत्तर-
एमीटर।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित के मान निकालिए:
(i) sin 60° cas 30° + sin 30° cos 60°
(ii) 2 tan2 45° + cos2 30° – sin2 60°
(iii) \(\frac{\cos 45^{\circ}}{\sec 30^{\circ}+\ {cosec} 30^{\circ}}\)

(iv) \(\frac{\sin 30^{\circ}+\tan 45^{\circ}-\ {cosec} 60^{\circ}}{\sec 30^{\circ}+\cos 60^{\circ}+\cot 45^{\circ}}\)

(v) \(\frac{5 \cos ^{2} 60^{\circ}+4 \sec ^{2} 30^{\circ}-\tan ^{2} 45^{\circ}}{\sin ^{2} 30^{\circ}+\cos ^{2} 30^{\circ}}\)
हल :
(i) दिया है :
sin 60° cos 30° + sin 30° cos 60° = \(\left(\frac{\sqrt{3}}{2}\right)\left(\frac{\sqrt{3}}{2}\right)+\left(\frac{1}{2}\right)\left(\frac{1}{2}\right)\)

= \(\left(\frac{\sqrt{3}}{2}\right)^{2}+\left(\frac{1}{2}\right)^{2}\)

= \(\frac{3}{4}+\frac{1}{4}\) = 1

(ii) दिया है :
2 tan2 45° + cos2 30° – sin2 60° = 2 (tan 45°)2 + (cos 30°)2 – (sin 60°)2
= 2(1)2 + \(\left(\frac{\sqrt{3}}{2}\right)^{2}-\left(\frac{\sqrt{3}}{2}\right)^{2}\) = 2

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2

(iii) दिया है :- \(\frac{\cos 45^{\circ}}{\sec 30^{\circ}+\ {cosec} 30^{\circ}}\)

= \(\frac{\frac{1}{\sqrt{2}}}{\left(\frac{2}{\sqrt{3}}\right)+(2)}=\frac{\frac{1}{\sqrt{2}}}{\frac{2+2 \sqrt{3}}{\sqrt{3}}}\)

= \(\frac{1}{\sqrt{2}} \times \frac{\sqrt{3}}{2+2 \sqrt{3}}=\frac{\sqrt{3}}{2 \sqrt{2}(\sqrt{3}+1)}\)

= \(\frac{\sqrt{3}(\sqrt{3}-1)}{2 \sqrt{2}(\sqrt{3}+1)(\sqrt{3}-1)}\)

= \(\frac{\sqrt{2} \times \sqrt{3} \times(\sqrt{3}-1)}{4(3-1)}=\frac{3 \sqrt{2}-\sqrt{6}}{8}\)

(iv) दिया है :- \(\frac{\sin 30^{\circ}+\tan 45^{\circ}-\ {cosec} 60^{\circ}}{\sec 30^{\circ}+\cos 60^{\circ}+\cot 45^{\circ}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2 1

(v) दिया है :- \(\frac{5 \cos ^{2} 60^{\circ}+4 \sec ^{2} 30^{\circ}-\tan ^{2} 45^{\circ}}{\sin ^{2} 30^{\circ}+\cos ^{2} 30^{\circ}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2 2

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनिए और अपने विकल्प का औचित्य दीजिए :
(i) \(\frac{2 \tan 30^{\circ}}{1+\tan ^{2} 30^{\circ}}\) =
(A) sin 60°
(B) cos 60°
(C) tan 60°
(D) sin 30°.

(ii) \(\frac{1-\tan ^{2} 45^{\circ}}{1+\tan ^{2} 45^{\circ}}\) =
(A) tan 90°
(B) 1
(C) sin 45°
(D) 0.

(iii) sin 2A = 2 sin A तब सत्य होता है, जबकि A बराबर है:
(A) 0°
(B) 30°
(C) 45°
(D) 60°.

(iv) \(\frac{2 \tan 30^{\circ}}{1-\tan ^{2} 30^{\circ}}\) बराबर है:
(A) cos 60°
(B) sin 60°
(C) tan 60°
(D) sin 30°.
2 tan 30°
हल :
(i) \(\frac{2 \tan 30^{\circ}}{1+\tan ^{2} 30^{\circ}}=\frac{2\left(\frac{1}{\sqrt{3}}\right)}{1+\left(\frac{1}{\sqrt{3}}\right)^{2}}\)

= \(\frac{\frac{2}{\sqrt{3}}}{1+\frac{1}{3}}=\frac{2}{\sqrt{3}} \times \frac{3}{4}=\frac{\sqrt{3}}{2}\) =sin 60°
∴ विकल्प (A) सही है।

(ii) \(\frac{1-\tan ^{2} 45^{\circ}}{1+\tan ^{2} 45^{\circ}}=\frac{1-(1)^{2}}{1+(1)^{2}}\) = 0
∴ विकल्प (D) सही है।

(iii) दिया है, sin 2A = 2 sin A
A = 0° हो तो
sin 2(0) = 2 sin 0 sin 0 = 0
0 = 0 ; जो सत्य है।
∴ विकल्प (A) सही है।

(iv) \(\frac{2 \tan 30^{\circ}}{1-\tan ^{2} 30^{\circ}}=\frac{2\left(\frac{1}{\sqrt{3}}\right)}{1-\left(\frac{1}{\sqrt{3}}\right)^{2}}\)

= \(\frac{\frac{2}{\sqrt{3}}}{1-\frac{1}{3}}=\frac{2}{\sqrt{3}} \times \frac{3}{2}\)

= √3 = tan 60°
∴ विकल्प (C) सही है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2

प्रश्न 3.
यदि tan (A + B) = √3 और tan (A – B) = \(\frac{1}{\sqrt{3}}\); 0° < A + B ≤ 90° ; A > B तो A और B का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
tan (A + B) = √3.
tan (A + B) = tan 60°
⇒ A + B = 60° …………….(1)
tan (A – B) = \(\frac{1}{\sqrt{3}}\)
या tan (A – B) = tan 30°
⇒ A – B = 30° ………….(2)
(1) और (2) जोड़ने पर।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2 3

A = \(\frac{90^{\circ}}{2}\) = 45°
A = 45°
(1)) में मान भरने पर A = 45°
45° + B = 60°
B = 60° – 45°
B = 150 .
अत : A = 45° और B = 15°

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2

प्रश्न 4.
बताइए कि निम्नलिखित में कौन-कौन सत्य हैं या असत्य हैं। कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(i) sin (A + B) = sin A + sin B.
(ii) θ में वृद्धि होने के साथ sin θ के मान में भी वृद्धि होती है।
(iii) θ में वृद्धि होने के साथ cos θ के मान में भी वृद्धि होती है।
(iv) θ के सभी मानों पर sin θ = cos θ.
(v) A = 0° पर cot A परिभाषित नहीं है।
हल :
(i) असत्य
जब A = 60°, B = 30°
L.H.S. = sin (A + B)
= sin (60° + 30°)
= sin 90° = 1
R.H.S. = sin A + sin B
= sin 60° + sin 30°
= \(\frac{\sqrt{3}}{2}+\frac{1}{2}\) ≠ 1
अर्थात् L.H.S. ≠ R.H.S.

(ii) सत्य
sin 30° = \(\frac{1}{2}\) = 0.5,
क्योंकि sin 0° = 0,
sin 45° = \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) = 0.7 (लगभग)
sin 60° = \(\frac{\sqrt{3}}{2}\) = 0.87 (लगभग)
और sin 90° = 1
अर्थात्, जब θ का मान 0° से 90° तक बढ़ता है तो sin e का मान भी बढ़ता है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2

(iii) असत्य
क्योंकि cos 0° = 1,
cos 30° = \(\frac{\sqrt{3}}{2}\) = 0.87 (लगभग)
cos 45° = \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) = 0.7 (लगभग)
cos 60° = \(\frac{1}{2}\) = 0.5
और cos 90° = 0.
जब θ का मान 0° से 90° तक बढ़ता है तो cos θ का मान घटता है।

(iv) असत्य
चूंकि sin 30° = \(\frac{1}{2}\)
और cos 30° = \(\frac{\sqrt{3}}{2}\)
sin 30° ≠ cos 30° हमें केवल प्राप्त है :
sin 45° = cos 45°.
\(\frac{1}{\sqrt{2}}=\frac{1}{\sqrt{2}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.2

(v) सत्य
cot 0° = \(\frac{1}{\tan 0^{\circ}}=\frac{1}{0}\),या परिभाषित नहीं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

प्रश्न 1.
∆ABC में, जिसका कोण B समकोण है, AB = 24 cm और BC = 7 cm है। निम्नलिखित का मान ज्ञात कीजिए।
(i) sin A, cos A
(ii) sin C, cos C.
हल :
(i) हमें ज्ञात करना है sin A, cos A
AB = 24 cm ; BC = 7 cm

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 1
पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
AC2 = AB2 + BC2
AC2 = (24)2 + (7)2
AC2 = 576 +49
AC2 = 625.
AC = √625
AC = 25 cm.
sin A = \(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}\)

sin A = \(\frac{7 \mathrm{~cm}}{25 \mathrm{~cm}}=\frac{7}{25}\)

sin A = \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{AC}}=\frac{24 \mathrm{~cm}}{25 \mathrm{~cm}}\)

cos A = \(\frac{24}{25}\)
अतः, sin A = \(\frac{7}{25}\) और cos A = \(\frac{24}{25}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

(ii) sin C = \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{AC}}=\frac{24 \mathrm{~cm}}{25 \mathrm{~cm}}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 2

sin C = \(\frac{24}{25}\)

cos C = \(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}=\frac{7 \mathrm{~cm}}{25 \mathrm{~cm}}\)

cos C = \(\frac{7}{25}\)
अतः, sin C = \(\frac{24}{25}\) और cos C = \(\frac{7}{25}\).

प्रश्न 2.
आकृति में, tan P – cot R का मान ज्ञात कीजिए।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 3

हल :
कर्ण PR = 13 cm

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 4

पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
PR2 = PQ2 + QR2
(13)2 = (12)2 + QR2
169 = 144 + (QR)2
या 169 – 144 = (QR)2
या 25 = (QR)2
या QR = + 125
या QR = 5, – 5.
परन्तु QR = 5 cm.
[QR ≠ – 5 क्योंकि भुजा ऋणात्मक नहीं हो सकती]
tan P = \(\frac{\mathrm{RQ}}{\mathrm{QP}}=\frac{5}{12}\)
cot R = \(\frac{\mathrm{RQ}}{\mathrm{PQ}}=\frac{5}{12}\)
∴ tan P- cot R = \(\frac{5}{12}-\frac{5}{12}\) = 0
अतः tan P – cot R = 0.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

प्रश्न 3.
यदि sin A =, तो cos A और tanA का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए ABC कोई समकोण त्रिभुज है जिसमें कोण B पर समकोण है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 5

sin A = \(\frac{3}{4}\)
परन्तु sin A = \(\frac{BC}{AC}\) [आकृति से]
∴ \(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}=\frac{3}{4}\)

परन्तु \(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}=\frac{3}{4}\) = K

जहां K, आनुपातिकता स्थिरांक है।
BC = 3K.
AC = 4K
पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर
AC2 = AB2 + BC2
(4K)2 = (AB)2 + (3K)2
16K2 = AB2 + 9K2
या 16K2 – 9K2 = AB2
7K2 = AB2
या AB = ± \(\sqrt{7 \mathrm{~K}^{2}}\)
AB = ± √7K
[AB ≠ ± √7K क्योंकि भुजा ऋणात्मक नहीं हो सकती]
⇒ AB = √7K
cos A = \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{AC}}\)
cos A = \(\frac{\sqrt{7} K}{4 K}=\frac{\sqrt{7}}{4}\)

tan A = \(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AB}}=\frac{3 \mathrm{~K}}{\sqrt{7} \mathrm{~K}}=\frac{3}{\sqrt{7}}\)

अत: cos A = \(\frac{\sqrt{7}}{4}\) और tan A = \(\frac{3}{\sqrt{7}}\).

प्रश्न 4.
यदि 15 cot A = 8 हो तो sin A और sec A का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए ABC कोई समकोण त्रिभुज है जिसमें A न्यून कोण है और B पर समकोण है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 6

15 cot A = 8
cot A = \(\frac{8}{15}\)

परन्तु cot A = \(\frac{AB}{BC}\) [आकृति से]

⇒ \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BC}}=\frac{8}{15}\) = K

जहां K आनुपातिकता स्थिरांक है।
⇒ AB = 8 K, BC = 15 K
पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
AC2 = (AB)2 + (BC)2
(AC)2 = (8K)2 + (15K)2
(AC)2 = 64K2 + 225 K2
(AC)2 = 289 K2
AC = ± \(\sqrt{289 \mathrm{~K}^{2}}\)
AC = ± 17K
⇒ AC = 17K
[AC = – 17 K, क्योंकि भुजा ऋणात्मक नहीं हो सकती]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 7

अत: sin A = \(\frac{15}{17}\) और sec A = \(\frac{17}{8}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

प्रश्न 5.
यदि sec θ = 13 हो तो अन्य सभी त्रिकोणमितीय परिकलित अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए ABC कोई समकोण त्रिभुज है जिसमें B पर समकोण है।
मान लीजिए ∠BAC = θ

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 8

sec θ = \(\frac{13}{12}\)

परन्तु sec θ = \(\frac{AC}{AB}\) …[आकृति से]

जहां k आनुपातिकता स्थिरांक है।
AC = 13k और AB = 12k
त्रिकोणमिति का परिचय पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
AC2 = (AB)2 + (BC)2
(13k)2 = (12k)2 + (BC)2
169k2= 144k2 + (BC)2
169k2 – 144k2 = (BC)2
(BC)2 = 25k2
BC = ± \(\sqrt{25 k^{2}}\)
BC = ± 5k
BC = 5k. [BC ≠ – 5k क्योंकि भुजा ऋणात्मक नहीं हो सकती]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 9

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

प्रश्न 6.
यदि ∠A और ∠B न्यून कोण हों, जहां cos A = cos B, तो दिखाइए कि ∠A = ∠B.
हल :
मान लीजिए ABC कोई त्रिभुज है जहां ∠A और ∠B न्यून कोण हैं। cos A और cos B ज्ञात करने हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 10

CM ⊥ AB खींचिए
∠AMC = ∠BMC = 90°
समकोण ∆AMC में,
\(\frac{\mathrm{AM}}{\mathrm{AC}}\) = cos A …………..(1)
समकोण ∆BMC में,
\(\frac{\mathrm{BM}}{\mathrm{BC}}\) = cos B …………….(2)
परन्तु cos A = cos B [दिया है। …………..(3)
(1), (2) और (3) से,
\(\frac{\mathrm{AM}}{\mathrm{AC}}=\frac{\mathrm{BM}}{\mathrm{BC}}\)
\(\frac{\mathrm{AM}}{\mathrm{BM}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{BC}}=\frac{\mathrm{CM}}{\mathrm{CM}}\)
∴ ∆AMC ~ ∆BMC [SSS समरूपता से)
⇒ ∠A = ∠B [. क्योंकि समरूप त्रिभुजों के संगत कोण बराबर होते हैं]

प्रश्न 7.
यदि cot2 θ = , तो
(i) \(\frac{(1+\sin \theta)(1-\sin \theta)}{(1+\cos \theta)(1-\cos \theta)}\)
(ii) cot2 θ का मान निकालिए।
हल :
(i) ∠ABC = θ.
समकोण त्रिभुज ABC में C पर समकोण है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 11

दिया है : cot θ = \(\frac{7}{8}\)
परन्तु cot θ = \(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}\) [आकृति से]
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}=\frac{7}{8}\)
मान लीजिए \(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}=\frac{7}{8}\) = k
जहां k आनुपातिकता स्थिरांक है।
⇒ BC = 7k, AC = 8k
पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने से,
AB2 = (BC)2 + (AC)2
या (AB)2 = (7k)2 + (8k)2
या (AB)2 = 49k2 + 64k2
या (AB)2 = 113k2
या AB = ± \(\sqrt{113 k^{2}}\)
AB = \(\sqrt{113}\) k
[AB ≠ – \(\sqrt{113}\) k क्योंकि भुजा ऋणात्मक नहीं हो सकती]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 12

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 13

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

प्रश्न 8.
यदि 3 cot A = 4 तो जांच कीजिए कि \(\) = cos2 A – sin2 A है या नहीं।
हल :
मान लीजिए ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें B पर समकोण है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 14

यह दिया है कि 3 cot A =4
cot A = \(\frac{4}{3}\)
परन्तु cot A = \(\frac{AB}{BC}\) [आकृति से]

\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BC}}=\frac{4}{3}\)

परन्तु \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BC}}=\frac{4 k}{3 k}\)
⇒ AB = 4k, BC = 3k
पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
(AC)2 = (AB)2 + (BC)2
(AC)2 = (4k)2 + (36)2
(AC)2 = 16k2 + 9k2
(AC)2 = 25k2
AC = ± \(\sqrt{25 k^{2}}\)
AC = ± 5k
परन्तु AC = 5k. [AC ≠ – 5k, क्योंकि भुजा ऋणात्मक नहीं हो सकती]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 15

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 16

∴ cos2 A – sin2 A = \(\frac{7}{25}\) …………(2)
(1) और (2) से,
L.H.S = R.H.S.
अर्थात \(\frac{1-\tan ^{2} \mathrm{~A}}{1+\tan ^{2} \mathrm{~A}}\) = cos2 A – sin 2A.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

प्रश्न 9.
ABC में, जिसका कोण B समकोण है, यदि tan A = \(\frac{1}{\sqrt{3}}\) तो निम्नलिखित के मान ज्ञात कीजिए।
(i) sin A cos C + cos A sin C
(ii) cos A cos C – sin A sin C.
हलः
(i) दिया है : ∆ABC जिसका कोण B समकोण | है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 17

tan A = \(\frac{1}{\sqrt{3}}\) …………..(1)
परन्तु tan A = \(\frac{B C}{A B}\) ……………(2)
(1) और (2) से,
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AB}}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)
मान लीजिए
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AB}}=\frac{1}{\sqrt{3}}\) = k
BC = k, AB = √3k
जहां k आनुपातिकता स्थिरांक है।
समकोण त्रिभुज ABC में, पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
(AC)2 = (AB)2 + (BC)2
(AC)2 = (√3k)2 + (k)2
AC2 = 3k2 + k2
AC2 = 4k2
AC = ± \(\sqrt{4 k^{2}}\)
AC = ± 2k.
AC = 2k [AC ≠ – 2k ∵ भुजा ऋणात्मक नहीं हो सकती]

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 18

sin A cos C + cos A sin C = \(\frac{1}{4}+\frac{3}{4}\)
= \(\frac{1+3}{4}=\frac{4}{4}\) = 1
∴ sin A cos C + cos A sin C = 1.

(ii) cos A cos C = \(\left(\frac{\sqrt{3}}{2}\right)\left(\frac{1}{2}\right)=\frac{\sqrt{3}}{4}\) [(3) से

sin A sin C = \(\left(\frac{1}{2}\right)\left(\frac{\sqrt{3}}{2}\right)=\frac{\sqrt{3}}{4}\) [(3) से]

cos A cos C – sin A sin C = \(\left(\frac{\sqrt{3}}{4}\right)-\left(\frac{\sqrt{3}}{4}\right)\) = 0

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

प्रश्न 10.
∆PQR में, जिसका कोण Q समकोण है, PR + QR = 25 cm और PQ = 5 cm. है। sin P, cos P और tan P के मान ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : ∆PQR, में Q पर समकोण है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 19
PR + QR = 25 cm
PQ = 5 cm
समकोण त्रिभुज PQR में, पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
(PR)2 = (PQ)2 + (RQ)2
(PR)2 = (5)2 + (RQ)2
[∵ PR + QR = 25
QR = 25 – PR]
या (PR)2 = 25 + [25 – PR]2
या (PR)2 = 25 + (25)2 + (PR)2 – 2×25 x PR
या (PR)2 = 25+625 + (PR)2 – 50 PR
या (PR)2 – (PR)2 + 50 PR = 650
या 50 PR = 650
PR = \(\frac{650}{50}\)
PR = 13.
QR = 25 – PR
QR = 25 – 13
QR = 12 cm.
sin P = \(\frac{\mathrm{QR}}{\mathrm{PR}}=\frac{12}{13}\)

cos P = \(\frac{\mathrm{PQ}}{\mathrm{PR}}=\frac{5}{13}\)

tan P = \(\frac{\mathrm{QR}}{\mathrm{PQ}}=\frac{12}{5}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

प्रश्न 11.
बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य है या असत्य कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(i) tan A का मान सदैव 1 से कम होता है
(ii) कोण A के किसी मान के लिए sec A = \(\frac{12}{5}\)
(iii) cos A कोण A के cosecant के लिए प्रयुक्त एक संक्षिप्त रूप है।
(iv) cot A, cot और A का गुणनफल होता है।
(v) किसी भी कोण 8 के लिए sin θ = \(\frac{4}{3}\)
हल :
(i) असत्य
∴ tan 60° = √3 = 1.732 > 1.

(ii) सत्य
sec A = \(\frac{12}{5}\) = 2.40 > 1 (सत्य) ∵ Sec A सदैव 1 से बड़ा होता है।

(iii) असत्य
क्योंकि cos A, cosine A के लिए प्रयोग किया जाता है।

(iv) असत्य।
क्योंकि cot A, कोण A का cotangent न कि cot और A का गुणनफल।

(v) असत्य sin θ = \(\frac{4}{3}\) = 1.666 > 1 (असत्य)
क्योंकि sin θ सदैव 1 से कम होता है।