PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल

PSEB 6th Class Physical Education Guide सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सफ़ाई हमारे घर के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
सफ़ाई (Cleanliness) हमारा शरीर अनोखी मशीन की तरह है। जैसे दूसरी मशीनों की सफ़ाई न की जाए तो वे खराब हो जाती है। इसी तरह शरीर की सफ़ाई की जानी भी ज़रूरी है। जैसे मोटरकार को चलाने के लिए पैट्रोल आदि की ज़रूरत पड़ती है, उसी तरह शरीर को चलाने के लिए अच्छी खुराक, पानी और हवा की ज़रूरत है। शारीरिक सफ़ाई, चोटों व बीमारी आदि से रक्षा करना मनुष्य की आदतों से सम्बन्धित है। अगर हम शरीर पर उचित ध्यान न दें, हमारे लिए. मानसिक, शारीरिक और आत्मिक उन्नति करना सम्भव नहीं होगा। गन्दगी ही हर तरह के रोगों का मूल कारण है। इसलिए यह जरूरी है कि शरीर के सारे अंगों की सफ़ाई की जाए। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे व्यक्तिगत सफ़ाई के साथ-साथ अपने घर तथा आस-पास की सफ़ाई की बहुत आवश्यकता होती है। सफ़ाई स्वास्थ्य की निशानी है। सफ़ाई के बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना भी की नहीं जा सकती। व्यक्तिगत सफ़ाई तो स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है ही, परन्तु घर, स्कूल तथा आस-पास की सफ़ाई भी स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए बहुत आवश्यक है। यदि हम अपने घर तथा आस-पास की सफ़ाई नहीं रखते तो कई प्रकार की बीमारियां फैल जाएंगी। बहुत-से लोग इन बीमारियों के शिकार हो जाएंगे। इससे हमारा देश तथा समाज कमज़ोर हो जाएगा। इसलिए देश तथा समाज की भलाई के लिए सफ़ाई आवश्यक है।

प्रश्न 2.
घर की सफ़ाई किस तरह रखी जा सकती है ?
उत्तर-
घर की सफ़ाई के ढंग (Methods of Cleanliness of a House)हमें अपने घर की सफाई रखने के लिए। निम्नलिखित ढंग अपनाने चाहिएं –
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 2 सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल 1

  • फलों, सब्जियों के छिलके और कूड़ाकर्कट ढक्कनदार ढोल में डालना चाहिए। इस ढोल को प्रतिदिन खाली करने की व्यवस्था होनी चाहिए। ढोल के कूड़े-कर्कट को किसी गड्ढे में दबा देना चाहिए। इस प्रकार यह खाद बन जाएगा।
  • घर की रसोई, स्नान घर और पाखाने के पानी के निकास का उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
  • पशुओं के गोबर एवं मल-मूत्र को बाहर दूर किसी गड्ढे में एकत्र करते रहना चाहिए। इस प्रकार कुछ दिनों के पश्चात् अच्छी खाद बन जाएगी।
  • घर के सभी सदस्यों को सफ़ाई के नियमों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

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प्रश्न 3.
घर के आस-पास की सफ़ाई में कौन-कौन सी बातें ध्यान देने योग्य हैं ?
उत्तर-
घर के आस-पास की सफ़ाई (Cleanliness of Surrounding of a House)-घर की सफाई के साथ-साथ इसके आस-पास की सफाई की भी बहुत आवश्यकता है। यदि घर साफ़-सुथरा है, परन्तु इसके इर्द-गिर्द गन्दगी के ढेर लगे हुए हैं तो इसका घर वालों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए घर के आस-पास की सफ़ाई की ओर भी विशेष ध्यान देना चाहिए
घर के आस-पास की सफ़ाई के लिए नीचे लिखी बातों की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है –

  1. घर के बाहर की नालियां और सड़कें खुली तथा साफ़-सुथरी होनी चाहिएं।
  2. घर के बाहर की नालियां गन्दी नहीं होनी चाहिए।
  3. घर के बाहर गलियों में तथा सड़कों पर पशु नहीं बांधने चाहिए।
  4. घर से बाहर गलियों तथा सड़कों पर कूड़ा-कर्कट नहीं फेंकना चाहिए। इसे या तो दबा देना चाहिए या जला देना चाहिए।
  5. घरों के आगे पानी खड़ा होने नहीं देना चाहिए। घरों के निकट गड्ढों में खड़े हुए पानी में डी० डी० टी० या मिट्टी का तेल डाल देना चाहिए।
  6. गलियों में तथा सड़कों पर चलते समय जगह-जगह नहीं थूकना चाहिए।
  7. इधर-उधर खड़े होकर पेशाब नहीं करना चाहिए। पेशाब केवल पेशाबखानों में ही करना चाहिए।

प्रश्न 4.
स्कूल की सफ़ाई रखने में विद्यार्थियों की क्या भूमिका हो सकती है ?
उत्तर-
स्कूल की सफ़ाई (Cleanliness of aSchool)-स्कूल विद्या का.मन्दिर है। व्यक्तिगत सफ़ाई के साथ-साथ स्कूल की सफ़ाई भी अवश्य रखनी चाहिए। स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां बच्चे दिन का काफ़ी समय व्यतीत करते हैं। यदि स्कूल का वातावरण साफ़ और शुद्ध नहीं होगा तो बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। वे कई प्रकार की बीमारियों का शिकार हो जाएंगे। इसलिए स्कूल की सफ़ाई रखना बहुत ही आवश्यक है।

स्कूल को साफ़-सुथरा रखने के लिए निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए –

  • स्कूल के आंगन में कागज़ आदि के टुकड़े नहीं फेंकने चाहिए। इन्हें कूड़ेदानों में फेंकना चाहिए।
  • स्कूल के सभी कमरों, डैस्कों तथा बैंचों को प्रतिदिन अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए।
  • स्कूल में घूमते हुए इधर-उधर थूकना नहीं चाहिए।
  • स्कूल के पाखानों तथा मूत्रालयों (पेशाब-घरों) की सफ़ाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। इन्हें प्रतिदिन फिनाइल के साथ धोना चाहिए।
  • स्कूल में पानी पीने वाले स्थान साफ़-सुथरे रहने चाहिएं।
  • दोपहर का खाना खाने के बाद बच्चों को बचा-खुचा खाना, कागज़ आदि स्कूल के भिन्न-भिन्न स्थानों पर पड़े कूड़ेदानों में फेंकना चाहिए।
  • स्कूल के खेल के मैदानों, घास के मैदानों तथा बगीचों को कूड़ा-कर्कट तथा कंकर फेंक कर गन्दा नहीं करना चाहिए।

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प्रश्न 5.
घर की वस्तुओं की सम्भाल किस तरह की जा सकती है ?
उत्तर-
घर की सम्भाल हमें आस-पड़ोस और स्कूल की सफाई के साथ-साथ इन स्थानों पर प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं को सम्भाल अवश्य करनी चाहिए। – घर का सारा सामान अपने निश्चित स्थान पर रखना चाहिए। ताकि ढूंढते समय कोई मुश्किल न आए। अपने निश्चित स्थान पर रखा हुआ सामान ढूंढ़ने में आसानी होती है और टूटने से बचा रहता है।

घर में मौसम अनुसार सर्दी में गर्मियों के कपड़े और गर्मी में सर्दियों के कपड़ों को सम्भाल कर रखना चाहिए।
घर में बने लकड़ी के फर्नीचर, खिड़कियां, दरवाज़े आदि को दीमक से बचाने के लिए समय पर दीमक नाशक दवाई का छिड़काव करना अच्छा होता है। लोहे को जंग लगने वाला सामान को समय-समय पेंट करवा लेना चाहिए। घर में इस्तेमाल करने वाले कांच के सामान चाकू, कैंची, पेचकस, सूई, नेलकटर, ब्लेड और कनक को बचाने और दूसरी दवाइयां फिनाइल और तेजाब की बोतल आदि सुरक्षा वाली जगह पर रखने चाहिए जिसके साथ यह चीजें छोटे बच्चों की पहुंच से दूर रहे।

प्रश्न 6.
स्कूल के सामान की सम्भाल के लिए बच्चों को कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
स्कूल और स्कूल के सामान की सम्भाल-हरेक विद्यार्थी को स्कूल और उसके सामान का ध्यान रखना चाहिए। विद्यार्थियों को स्कूल की दीवार पर पैन या पैंसिल के साथ लाइनें नहीं मारनी चाहिए। क्लास में रखे सामान जैसे-फर्नीचर आदि को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। क्लास में लगे पंखे, ट्यूब लाईट आदि को नहीं तोड़ना चाहिए। क्लास के बाहर जाने के समय बिजली के बटनों को बंद कर देना चाहिए। पानी पीने के पश्चात् विद्यार्थियों को नल को बंद कर देना चाहिए। स्कूल में लगे हुए बगीचे में से पौधे और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बल्कि उनके बचाव रखने से स्कूल की सुंदरता में बढ़ोतरी करनी चाहिए। स्कूल लाईब्रेरी की किताबें अच्छे ढंग से अपने निश्चित स्थान पर रखनी चाहिए। लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ते समय शांति बनाये रखनी चाहिए। इसके इलावा खेल का सामान एन०सी०सी० बैंड, स्कूल की अलग-अलग प्रयोगशाला के सामान आदि को भी उसके स्थान पर रखना चाहिए।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB सफ़ाई तथा सांभ-सम्भाल Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत सफ़ाई के साथ-साथ और किस वस्तु की सफ़ाई ज़रूरी है ?
उत्तर-
आस-पड़ोस की सफ़ाई।

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प्रश्न 2.
घर कैसे स्थान पर बनवाना चाहिए ?
उत्तर-
पक्के और ऊंचे स्थान पर।

प्रश्न 3.
गन्दे घर में रहने से क्या होता है ?
उत्तर-
कई तरह के रोग लग जाते हैं।

प्रश्न 4.
घर बनाते समय उस की नींव कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर-
चौड़ी, गहरी और मज़बूत।

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प्रश्न 5.
कमरों में किस वस्तु का प्रबंन्ध होना चाहिए ?
उत्तर-
रोशनी और हवा का।

प्रश्न 6.
गन्दे, बिना रोशनी और सींकरे घरों में रहने से क्या होता है ?
उत्तर-
मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता।

प्रश्न 7.
घर किन-किन से दूर होना चाहिए ?
उत्तर-
बाज़ार और रेलवे स्टेशन से।

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प्रश्न 8.
घर के कूड़ा-कर्कट को किसमें फेंकना चाहिए ?
उत्तर-
ढक्कनदार ढोल में।

प्रश्न 9.
घर में गन्दे पानी के निकास के लिए किसकी व्यवस्था होनी चाहिए ?
उत्तर-
ढकी हुई नालियों की।

प्रश्न 10.
घर में कूड़े-कर्कट को कैसे ठिकाने लगाना चाहिए ?
उत्तर-
गड्ढे में।

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प्रश्न 11.
पशुओं को किस स्थान पर नहीं बांधना चाहिए ?
उत्तर-
गलियों में।

प्रश्न 12.
पानी को शुद्ध करने के लिए इसमें क्या मिलाना चाहिए ?
उत्तर-
लाल दवाई (पोटाशियम परमैगनेट)।

प्रश्न 13.
पाखानों और मूत्रालयों को किस चीज़ से साफ करना चाहिए ?
उत्तर-
फीनाइल से।

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प्रश्न 14.
घरों के पास पानी से भरे गड्ढों में क्या डालना चाहिए ?
उत्तर-
डी० डी० टी०।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
घर के आसपास की सफ़ाई के लिए किन पांच बातों की तरफ ध्यान देना चाहिए ?
उत्तर-
घर के आसपास की सफ़ाई के लिए निम्नलिखित बातों की तरफ ध्यान देना चाहिए –

  • गलियों और सड़कों में कूड़ा-कर्कट नहीं फेंकना चाहिए।
  • घर के बाहर गलियों में पशु नहीं बांधने चाहिएं।
  • घर के सामने पानी खड़ा नहीं होने देना चाहिए।
  • घरों का कूड़ा-कर्कट गली में रखे ढक्कनदार ढोल में डालना चाहिए।
  • स्थान-स्थान पर थूकना नहीं चाहिए।

प्रश्न 2.
घरों की सफ़ाई के लिए पांच बातें लिखो।
उत्तर-
घर की सफाई के लिए विशेष बातें इस प्रकार हैं –

  • घर के कूड़े-कर्कट और गन्दे पानी के निकास का उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
  • घर के सभी कमरों को प्रतिदिन साफ़ करना चाहिए।
  • घर के कूड़े-कर्कट को ढक्कनदार ढोल में डालना चाहिए।
  • मक्खियों और मच्छरों से बचाव के लिए घर में फलीट अथवा फिनाइल का छिड़काव करना चाहिए।
  • घर की प्रत्येक वस्तु को उचित स्थान पर रखना चाहिए।

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प्रश्न 3.
स्कूल की सफ़ाई रखने के लिए कोई पांच बातें बताएं।
उत्तर-
स्कूल की सफाई रखने के लिए पांच बातें –

  • स्कूल के बैंचों और डैस्कों को साफ़ रखना चाहिए।
  • स्कूल के आंगन को कूड़ा-कर्कट फेंक कर गन्दा नहीं करना चाहिए।
  • लिखते समय स्याही फ़र्श पर नहीं गिरानी चाहिए।
  • स्कूल के कमरों की प्रतिदिन सफ़ाई करनी चाहिए।
  • पाखानों की सफ़ाई फिनाइल डाल कर करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
घर में गन्दगी होने के कारण बताएं।
उत्तर-
घर में गन्दगी होने के कारण –

  • फलों, सब्जियों के छिलके और घर का कूड़ा-कर्कट आदि के रखने के लिए उचित स्थान का न होना।
  • रसोई, पाखाने और स्नानागृह के पानी के निकास का उचित प्रबन्ध न होना।
  • पशुओं के गोबर एवं मल-मूत्र का उचित प्रबन्ध न होना।
  • घर में रहने वालों को सफ़ाई के नियमों का उचित ज्ञान न होना।
  • छोटे घर में अधिक जीवों का रहना।
  • घर में अधिक जीवों के रहने पर घर की सफाई का उचित प्रबन्ध न करना।

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प्रश्न 5.
घर में अधिक व्यक्तियों के होने से घर की सफ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वर्णन करो।
उत्तर-
घर में अधिक व्यक्तियों के होने से घर की सफ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यदि घर में अधिक व्यक्ति होंगे तो घर की सफ़ाई ठीक प्रकार से नहीं रखी जा सकती। बच्चे घर की वस्तुओं को इधर-उधर बिखेर देते हैं। वे कागज़ के टुकड़े आदि घर में इधर-उधर फेंक देते हैं। एक व्यक्ति घर में झाड़ देता रहेगा और बच्चे घर में गन्दगी फैलाते रहेंगे। इतना ही नहीं, एक घर में अधिक व्यक्तियों के आते-जाते रहने से बाहर से पांवों से मिट्टी लग कर घर में आ जाएगी। फलत: घर का फ़र्श गन्दा हो जाएगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि घर में अधिक व्यक्तियों के रहने से सफ़ाई अच्छी तरह नहीं रह सकेगी।

प्रश्न 6.
शरीर की सफाई के नियम बताओ।
उत्तर-
शरीर की सफ़ाई के मुख्य नियम निम्नलिखित हैं-

  • हमें प्रतिदिन ताज़े और साफ़ पानी से नहाना चाहिए।
  • नहाने के बाद शरीर को साफ़ तौलिये से अच्छी तरह पोंछना चाहिए।
  • बालों को अच्छी तरह सुखा करके कंघी करनी चाहिए।
  • नहाने के बाद मौसम के अनुसार साफ़-सुथरे कपड़े पहनने चाहिएं।
  • बालों की सफाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। गर्मियों में सप्ताह में कमसे-कम दो बार और सर्दियों में एक बार किसी बढ़िया साबुन, शैंपू, रीठे, आंवले, दही या नींबू से धोना चाहिए।
  • आंखों की सफाई के लिए आंखों पर ठण्डे पानी के छींटे मारने चाहिएं।
  • दांतों की सफाई के लिए प्रतिदिन सवेरे उठने के बाद और रात को सोने से पहले ब्रुश करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हर बार खाना खाने के बाद कुल्ला करना चाहिए।
  • शरीर के अन्य बाहरी अंगों (हाथ, नाक, कान, पैर आदि) की सफ़ाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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प्रश्न 7.
घर में गन्दगी फैलने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
घर में गन्दगी होने के कारण (Causes of Dirtness)

  • फलों, सब्जियों, पत्तों और घर के कूड़े-कर्कट के लिए उचित स्थान न होना।
  • रसोई, स्नान घर तथा पाखाने के गन्दे पानी के निकास की ठीक व्यवस्था न होना।
  • गोबर और मल-मूत्र आदि के लिए उचित व्यवस्था न होना।
  • घर वालों को सफ़ाई के नियमों का ज्ञान न होना।
  • छोटे घरों में अधिक सदस्यों का रहना।
  • घर में अधिक सदस्यों के कारण घर की सफ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ना।

प्रश्न 8.
एक अच्छा घर बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
अच्छा घर बनाने के लिए आवश्यक बातें-एक अच्छा घर बनाने के लिए हमें निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए
(क) घर की स्थिति (Situation of a House) –

  • घर खुश्क, सख्त तथा ऊंची भूमि पर बनाना चाहिए।
  • घर मण्डी, कारखाने, रेलवे स्टेशन तथा श्मशान घाट से दूर बनाना चाहिए।
  • घर तक पहुंचने का रास्ता साफ़, पक्का तथा खुला होना चाहिए।
  • घर में रोशनी तथा हवा काफ़ी मात्रा में आनी चाहिए। इसके लिए खिड़कियों और रोशनदानों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  • पड़ोसी अच्छे तथा मेल-मिलाप वाले होने चाहिएं। अच्छे पड़ोसी ही सुखदुःख के भागीदार होते हैं।

(ख) घर की बनावट (Construction of a House) –

  • घर की नींव गहरी, चौड़ी और दृढ़ होनी चाहिए।
  • घर भूमि या सड़क से काफ़ी ऊंचाई पर होना चाहिए ताकि वर्षा का पानी अन्दर न आ सके।
  • घर का फर्श पक्का एवं दृढ़ होना चाहिए। यह न तो अधिक खुरदरा हो और न ही अधिक फिसलने वाला हो। फ़र्श की ढलान भी उचित होनी चाहिए।
  • घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जालियां लगवानी चाहिएं ताकि मक्खीमच्छर अन्दर न आ सकें।
  • मकान पक्के बनवाने चाहिएं। कच्चे घरों में सफ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो सकती।
  • पाखाना, स्नान घर और रसोई घर एक-दूसरे कमरों से दूर बनाने चाहिएं।
  • रसोई, स्नान घर और पाखाना बनाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इनमें प्रकाश, हवा और पानी की विशेष व्यवस्था होनी चाहिए।
  • गन्दे पानी के निकास का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। रसोई में धुआं बाहर निकालने के लिए चिमनी आदि का प्रबन्ध होना चाहिए।

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निम्नलिखित वाक्यों में दिए गए खाली स्थानों को कोष्ठक में दिए गए उचित शब्द चुन कर भरो-

  1. हमें घर ……………. के निकट नहीं बनाना चाहिए। (स्कूल, रेलवे स्टेशन)
  2. घर …………… भूमि पर बनाना चाहिए।(सख्त और ऊंची, नरम और नीची)
  3. पानी को साफ़ करने के लिए ………….. का प्रयोग करना चाहिए। (नीली दवाई, लाल दवाई)
  4. पाखानों और मूत्रालय (पेशाबखानों) को प्रतिदिन …………. के साथ धोना चाहिए। (डी० डी० टी०, फिनाइल)
  5. हमें अपने पशुओं को ………….. में बांधना चाहिए। (गलियों, घरों)

उत्तर-

  1. रेलवे स्टेशन
  2. सख्त और ऊंची
  3. लाल दवाई
  4. फिनाइल
  5. घरों।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 1 स्वास्थ्य

PSEB 6th Class Physical Education Guide स्वास्थ्य Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर-
स्वास्थ्य (Health)-आमतौर पर रोगों से बचने वाले आदमी को स्वस्थ माना जाता है पर यह पूरी तरह ठीक नहीं। वर्ल्ड हैल्थ ओरगनाइस के अनुसार स्वास्थ्य मनुष्य के शरीर के साथ ही सीमित नहीं है। स्वास्थ्य का सम्बन्ध आदमी के मन, समाज और भावना के साथ जुड़ा है। स्वास्थ्य शिक्षा का वह भाग है जिसके साथ मनुष्य सारी जगह से वातावरण के साथ सुमेल कायम करके शारीरिक और मानसिक विकास कायम कर सके और उसका विकास कर सके। एक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य उतना ही ज़रूरी है जितनी कि फूल के लिए खुशबू। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार “स्वास्थ्य से भाव व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक की तरफ से स्वस्थ होना है। रोग या कमजोरी रहित होना ही स्वास्थ्य की निशानी नहीं है।”

According to W.H.O. “Health is a state of complete physical, mental and social well being, and not merely the absence of disease or infirmity.”
स्वस्थ व्यक्ति वह होता है जो अपने जीवन में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक आदि सारे पहलुओं में सन्तुलन रखता है।

स्वास्थ्य की किस्में
यह चार प्रकार की होती हैं –

  1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health)
  2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health)
  3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health)
  4. भावनात्मक स्वास्थ्य (Emotional Health)

1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health) शारीरिक स्वास्थ्य से भाव व्यक्ति के सभी अंग ठीक ढंग से काम करते हैं। शरीर फुर्तीला और तंदुरुस्त और हर रोज़ क्रियाएं करने के लिए तैयार रहना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति का शारीरिक ढांचा सुडौल, मज़बूत और सुन्दर होना चाहिए। उसकी सभी कार्य प्रणाली जैसे-सांस प्रणाली, पाचन प्रणाली, रक्त प्रणाली, अपना-अपना काम ठीक ढंग से करते हैं।

2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) इसका मतलब मनुष्य दिमागी तौर से सही और समय से फैसला लेता है और हमेशा ही अपने विश्वास को कायम रखता है। मानसिक तौर पर व्यक्ति हालात के साथ अपने-आप को ढाल लेता है।

3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health) इससे भाव व्यक्ति अपने समाज के साथ सम्बन्धित है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जिसको अपने हर रोज़ के कामों की पूर्ति के लिए परिवार और समाज के साथ चलना पड़ता है। मिलनसार व्यक्ति की समाज में इज्जत होती है।

4. भावनात्मक स्वास्थ्य (Emotional Health)-हमारे मन में अलग-अलग तरह की भावनाएँ जैसे-डर, खुशी, गुस्सा, ईर्ष्या आदि पैदा होती हैं। यह सारी भावनाओं को संतुलित करना ज़रूरी है। जिसके साथ हम अपना जीवन अच्छी तरह गुजार सकते हैं।

निजी स्वास्थ्य विज्ञान (Personal Hygiene)–शरीर की रक्षा को निजी शरीर सुरक्षा (Personal Hygiene) कहते हैं। यह दो शब्दों के मेल से बना है । Personal और Hygiene । ‘Personal’ अंग्रेजी का शब्द है जिसका अर्थ है निजी या व्यक्तिगत ‘Hygiene’ यूनानी भाषा के शब्द Hygeinous से बना है, जिसका भाव है आरोग्यता की देवी। आजकल Hygiene का अर्थ जीवन जांच से लिया जाता है। आरोग्यता कायम रखने के लिए शरीर विज्ञान प्राप्त करना ज़रूरी है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य

प्रश्न 2.
बच्चों को किस तरह का भोजन करना चाहिए ?
उत्तर-

  1. बच्चों को संतुलित एवं साफ़-सुथरा भोजन खाना चाहिए। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस, चिकनाई, खनिज लवण, विटामिन और पानी जैसे सारे तत्व होने चाहिए।
  2. खाना खाने से पहले हाथ और मुँह साबुन के साथ अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
  3. ज़रूरत से ज़्यादा गर्म या ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए।
  4. कम्प्यूटर या टी०वी० देखते हुए खाना नहीं खाना चाहिए।
  5. खाना सीधे बैठकर खाना चाहिए और लेटकर नहीं खाना चाहिए।
  6. फास्टफूड जैसे पीज़ा, बर्गर, न्यूडल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। बच्चों को ज़्यादातर घर का बना खाना ही खाना चाहिए।
  7. भोजन को मिट्टी, धूल और मक्खियों से बचाव के लिए ढक कर रखना चाहिए।
  8. फल हमेशा धोकर खाने चाहिए।

प्रश्न 3.
हमें स्वस्थ रहने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
1. डाक्टरी जांच-

  • बच्चों को अपने शरीर की जांच समय पर करवानी चाहिए और समय पर टीके भी लगवाते रहना चाहिए।
  •  किसी तरह की चोट लगने पर इलाज ज़रूर करवाना चाहिए।

2. स्वभाव-

  • बच्चों को हर समय खुश रहना चाहिए।
  • चिड़चिड़ा स्वभाव स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।
  • अच्छा स्वभाव स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।

3 आदतें-

  • समय पर उठना, खाना, पढ़ना और खेलना और आराम करना।
  • अपने शरीर और आस-पास की सफाई रखना।
  • पढ़ते समय रोशनी का उचित प्रबन्ध करना। कम रोशनी में पढ़ने से आँखें कमज़ोर हो जाती हैं।
  • बैठने और सोने के लिए ठीक तरह का फर्नीचर होना ज़रूरी है।

4. कसरत, खेलें और योगा-

  • अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कसरत या योगा करना ज़रूरी है।
  • कसरत अथवा योगा हमेशा खाली पेट करना चाहिए।
  • कसरत अथवा योगा के लिए खुला वातावरण होना ज़रूरी है।
  • बच्चों को ज्यादा से ज्यादा खेलों में भाग लेना चाहिए और पहले शरीर को गर्माना उचित होता है।

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प्रश्न 4.
भोजन खाने के समय कौन-सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-

  • भोजन खाने से पहले हाथ अच्छी तरह साबुन के साथ धोने चाहिए।
  • साफ़-सुथरा और संतुलित भोजन खाना चाहिए।
  • फास्टफूड से हमेशा बचना चाहिए और घर का बना भोजन ही खाना चाहिए।
  • बहुत गर्म या बहुत ठंडा भोजन नहीं खाना चाहिए।
  • भोजन ज़रूरत के अनुसार ही खाना चाहिए। भोजन अच्छी तरह चबा कर खाना चाहिए।
  • कम्प्यूटर या टी०वी० देखते हुए खाना नहीं खाना चाहिए।
  • खाना कभी भी लेटकर नहीं खाना चाहिए।
  • फल अच्छी तरह धोकर खाने चाहिए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर नोट लिखें
(क) चमड़ी की सफ़ाई, (ख) बालों की सफ़ाई, (ग) आंखों की सफ़ाई, (घ) कानों की सफाई, (ङ) नाक की सफ़ाई, (च) दांतों की सफ़ाई, (छ) नाखूनों की सफ़ाई।
उत्तर-
(क) चमड़ी की सफ़ाई (Cleanliness of Skin)-चमड़ी की दो परतें होती हैं। बाहरी परत (EPIDERMIS) और अन्दरूनी परत (DERMIS) बाहरी परत में न तो खून की नालियां होती हैं और न ही परतें और गिल्टियां तन्तु (Glands) होते हैं। अन्दरूनी परत जुड़वां तन्तुओं की बनी होती है। इसमें रक्त की नालियां होती हैं। यह नालियां चमड़ी को खुराक पहुंचाने का काम करती हैं।

चमड़ी शरीर के अन्दरूनी अंगों को ढक कर रखती है। जहरीले पदार्थों को बाहर निकालती है और शरीर के तापमान को ठीक रखती है। त्वचा हमारे शरीर को सुन्दरता प्रदान करती है। इसलिए हमें अपनी चमड़ी की सफ़ाई खूब अच्छी तरह करनी चाहिए। त्वचा की सफ़ाई का सबसे अच्छा ढंग नहाना है। नहाते समय हमें नीचे लिखी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए –

  • प्रतिदिन प्रातः साफ़ पानी से नहाना चाहिए।
  • नहाने से पहले पेट साफ़ और खाली होना चाहिए।
  • भोजन करने के तुरन्त बाद नहीं नहाना चाहिए।
  • व्यायाम (कसरत) करने या काम की थकावट के तुरन्त बाद भी नहीं नहाना चाहिए।
  • सर्दियों में नहाने से पहले धूप में बैठकर शरीर की अच्छी तरह मालिश करनी चाहिए।
  • साबुन के साथ नहाने की बजाए बेसन तथा संगतरे के छिलके से बने ऊबटन का प्रयोग करना चाहिए।
  • नहाने के बाद शरीर को साफ़ तथा खुरदरे तौलिए के साथ पोंछना चाहिए।
  • नहाने के बाद मौसम के अनुसार साफ़-सुथरे कपड़े पहनने चाहिएं।

चमड़ी की सफ़ाई के लाभ (Advantages of Cleanliness of Skin) चमड़ी की सफ़ाई के निम्नलिखित लाभ हैं –

  • चमड़ी हमारे शरीर को सुन्दरता प्रदान करती है।
  • यह हमारे शरीर के आन्तरिक भागों को ढांप कर रखती है तथा इनकी रक्षा करती है।
  • चमड़ी के द्वारा शरीर से पसीना तथा अन्य दुर्गन्ध वाली चीज़ों का निकास होता है।
  • यह हमारे शरीर के तापमान को ठीक रखती है।
  • इसको छूने से किसी चीज़ का गुण पता चलता है।

(ख) बालों की सफाई (Cleanliness of Hair) बाल हमारे शरीर और व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाते हैं। बालों की सुन्दरता उनके घने, मज़बूत और चमकदार होने में छुपी होती है।
बालों की सफाई और सम्भाल-बालों की सफ़ाई और सम्भाल अग्रलिखित ढंग से करनी चाहिए-

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य 1

  • बालों को साबुन, रीठे, आंवले, अण्डे की जर्दी या किसी बढ़िया शैम्पू के साथ धोना चाहिए।
  • रात्रि को सोने से पहले बालों में कंघी या ब्रुश करना चाहिए। सारा दिन बाल जिस ओर रहे हों इसकी उलट और बालों की जड़ों से लेकर अन्त तक कंघी करनी चाहिए।
  • खाली समय में सिर में सूखे हाथों से मालिश करनी चाहिए।
  • प्रात: उठकर बालों को कंघी करके संवारना चाहिए।
  • बालों को न ही अधिक खुश्क और न ही अधिक चिकना रखना चाहिए।
  • बालों में तीखी पिनें नहीं लगानी चाहिए। नहाने के बाद बालों को तौलिए के साथ रगड़ कर साफ करना चाहिए।
  • अच्छी खुराक जिसमें मक्खन, पनीर, सलाद, हरी सब्जियां तथा फलों आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  • बालों में खुशबूदार तेल नहीं लगाना चाहिए। सिर की कभी-कभी मालिश करनी चाहिए।

(ग) आंखों की सफ़ाई (Cleanliness of Eyes)—आंखें मानव शरीर का कोमल तथा महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इनसे हम देखते हैं। इनके बिना संसार अन्धेरा और जीवन बोझ बन जाता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि आंखें गईं तो जहान गया। इसलिए हमें आंखों की सफ़ाई और देखभाल की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि आंखों की सफ़ाई न रखी जाए तो आंखों के कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। जैसे आंखों का फ्लू, कुकरे, आंखों में जलन आदि।
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य 2

आंखों की सफाई और सम्भाल के लिए हमें निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

  • बहुत तेज़ या बहुत कम रोशनी में आंखों से काम नहीं लेना चाहिए, नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
  • लेट कर या बहुत नीचे झुक कर पुस्तक नहीं पढ़नी चाहिए।
  • पढ़ते समय पुस्तक को आंखों से कम-से-कम 30 सेंटीमीटर दूर रखना चाहिए।
  • आंखों को गन्दे रूमाल या कपड़े से साफ नहीं करना चाहिए।
  • किसी एक स्थान पर नज़र टिका कर नहीं रखनी चाहिए।
  • आंख में मच्छर आदि पड़ जाने पर आंख को मलना नहीं चाहिए। इसे साफ़ रूमाल से आंखों में से निकालना चाहिए या आंखों में ताजे पानी के छींटे मारने चाहिएं।
  • आंखों में पसीना नहीं गिरने देना चाहिए।
  • पढ़ते समय अपने कद के अनुसार कुर्सी और मेज़ का प्रयोग करना चाहिए।
  • खट्टी चीज़, तेल, शराब, तम्बाकू, चाय, लाल मिर्च, अफीम आदि चीज़ों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • आंखों की बीमारी होने पर किसी योग्य आंखों के चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
  • एक ही अंगुली या सलाई के साथ आंखों में दवाई या काजल नहीं डालना चाहिए।
  • चलती हुई गाड़ी या बस में या पैदल चलते हुए पुस्तक नहीं पढ़नी चाहिए।
  • सिनेमा या टेलीविज़न दूर से देखना चाहिए।
  • प्रतिदिन आंखों को साफ़ पानी के छींटे मारने चाहिए।

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(घ) कानों की सफ़ाई (Cleanliness of Ear)-कानों के द्वारा हम सुनते हैं। कान का पर्दा बहुत नाजुक होता है। यदि इसमें कोई नोकीली चीज़ लग जाए तो वह फट जाता है तथा मनुष्य की सुनने की शक्ति नष्ट हो जाती है। हमें कानों की सफ़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

यदि कानों की सफ़ाई करनी हो तो किसी मोटे तिनके पर सख्त रूई लपेटो। इसे हाइड्रोजन परॉक्साइड में भिगोकर कान में फेरो। इससे कान साफ़ हो जाएगा। ऐसा सप्ताह में एक या दो बार करो।

यदि कानों में से पीव बह रही हो तो एक ग्राम बोरिक एसिड को दो ग्राम ग्लिसरीन में घोलो। रात्रि को सोते समय इस घोल की दो बूंदें कानों में डालो। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन नहाने के बाद कान के बाहर के भाग को पानी से साफ़ करके अच्छी तरह पोंछो।

  • कानों में कोई तीखी या नोकदार वस्तु नहीं घुमानी चाहिए। इस तरह करने से कान का पर्दा फट जाता है और अच्छा भला मनुष्य बहरा हो सकता है।
  • कान में फिन्सी होने से कान में पीव बहने लगती है। इस अवस्था में कानों के डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
  • कानों की सफ़ाई कानों के डॉक्टर से ही करवानी चाहिए।
  • यदि कान बहने लग जाए तो छप्पर, तालाबों आदि में नहाना नहीं चाहिए।
  • अधिक शोर वाले स्थान पर काम नहीं करना चाहिए।
  • कान पर जोरदार चोट जैसे मुक्का आदि नहीं मारना चाहिए।
  • किसी बीमारी के कारण यदि कान भारी लगे तो डॉक्टर की सलाह अनुसार ही दवाई डालनी चाहिए।

(ङ) नाक की सफ़ाई (Cleanliness of Nose)-प्रतिदिन प्रात:काल और सायंकाल नाक को पानी से साफ़ करना चाहिए। एक नासिका में से जल अन्दर ले जाकर दूसरी नासिका द्वारा बाहर निकाल देना चाहिए।

(च) दांतों की सफ़ाई (Clean-liness of Teeth)-दांत भोजन के खाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। अच्छी तरह से चबा कर खाया भोजन शीघ्र हजम हो जाता है। जब बच्चा पैदा होता है तो कुछ महीने के बाद उसके दांत निकलने आरम्भ हो जाते हैं। ये दांत स्थायी नहीं होते। कुछ वर्षों के बाद दांत टूट जाते हैं। इनको दूध के दांत कहा जाता है। 6 से 12 वर्ष की आयु तक पक्के या स्थायी दांत निकल आते हैं। दांत भी हमारे शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। किसी ने ठीक ही कहा है, ‘दांत गए तो स्वाद गया।’ दांतों के खराब होने से दिल का रोग भी हो सकता है और मौत भी हो सकती है। इसके अतिरिक्त मुंह से दुर्गन्ध आती रहती है और स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो जाता है। यदि दांतों को साफ़ न रखा जाए तो पायोरिया नामक दांतों का रोग लग जाता है। इसलिए दांतों की सम्भाल की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

दांतों की सफाई तथा देखभाल इस प्रकार की जानी चाहिए –

  • प्रतिदिन प्रात: उठकर और रात को सोने से पहले दांतों को ब्रुश से साफ़ करना चाहिए। भोजन करने के बाद कुल्ला करना चाहिए।
  • गर्म दूध या चाय नहीं पीनी चाहिए तथा न ही बर्फ और ठण्डी चीज़ों का प्रयोग करना चाहिए।
  • दांतों में पिन आदि कोई तीखी चीज़ नहीं मारनी चाहिए।
  • दांतों के साथ न ही किसी शीशी का ढक्कन खोलना चाहिए तथा न ही बादाम या अखरोट जैसी कठोर चीज़ तोड़नी चाहिए।
  • ब्रुश मसूड़ों के एक ओर से दूसरी ओर करना चाहिए।
  • बिल्कुल खराब दांतों को निकलवा देना चाहिए।
  • भुने हुए दाने, गाजर, मूली आदि चीजें खानी चाहिएं। गन्ना चूसना भी दांतों के लिए लाभदायक है।
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  • दूध का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
  • दांत खराब होने पर किसी योग्य दांतों के डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए।
  • मिठाइयां, टॉफियां तथा चीनी नहीं खानी चाहिए।

(छ) नाखूनों की सफ़ाई (Cleanliness of Nails) शरीर के बाकी अंगों की सफ़ाई की तरह ही नाखून की सफ़ाई की भी बहुत आवश्यकता है। नाखूनों की सफ़ाई न रखने का अभिप्राय कई रोगों को निमन्त्रण देना है। नाखून की सफ़ाई के लिए निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए

(1) नाखून बढ़ाने नहीं चाहिए। (2) भोजन खाने के पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए। (3) नाखूनों को दांतों से नहीं काटना चाहिए। नाखूनों को नेल कटर से काटना चाहिए। (4) नाखूनों को सोडियम कार्बोनेट तथा पानी के घोल में डुबोना चाहिए। (5) हाथों के साथ-साथ पैरों के नाखून भी काटने चाहिएं।

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प्रश्न 6.
स्वास्थ्य की दृष्टि से कोई पांच अच्छी आदतों के बारे में लिखिए।
उत्तर-

  • हमेशा साफ़ सुथरा और संतुलित भोजन करना चाहिए।
  • शरीर के अंदरूनी अंग (जैसे : दिल, फेफड़े आदि) और बाहरी अंग (हाथ, पैर, आंखें आदि) के बारे जानकारी हासिल करनी और इसकी संभाल करनी चाहिये।
  • आपनी उम्र अनुसार ही संभाल करनी चाहिये।
  • समय-समय पर शरीर की डॉक्टरी जांच करवानी चाहिये।
  • शरीर की ज़रूरत और उम्र अनुसार सैर या कसरत करनी चाहिये।
  • हमेशा नाक से सांस लेनी चाहिए।
  • खुली हवा में रहना चाहिये।
  • ऋतु और मौसम के अनुसार कपड़े पहनने चाहिये।
  • हमेशा खुश रहना चाहिये।
  • हमेशा ठीक तरीके के साथ खड़े होना, बैठना और चलना चाहिये।
  • घर के कपड़ों की सफाई रखनी चाहिये।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB स्वास्थ्य Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
विज्ञान की उस शाखा को क्या कहते हैं जो हमें स्वस्थ रहने की शिक्षा देती है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान।

प्रश्न 2.
स्वस्थ मन का किस स्थान पर निवास होता है ?
उत्तर-
स्वस्थ शरीर में।

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प्रश्न 3.
यदि चमड़ी (त्वचा) की सफ़ाई न रखी जाए तो कौन-से रोग लग सकते हैं ?
उत्तर-
अन्दरूनी व बाहरी रोग।

प्रश्न 4.
आंखों को शरीर का कैसा अंग माना जाता है ?
उत्तर-
कोमल और कीमती।

प्रश्न 5.
आंखों की सफाई के लिए दिन में कई बार क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
ताज़े पानी के छींटे मारने चाहिए।

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प्रश्न 6.
दांतों की सफाई के लिए हमें प्रतिदिन क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
दातुन अथवा मंजन।

प्रश्न 7.
पढ़ते समय हमें पुस्तक को आंखों से कितनी दूरी पर रखना चाहिए ?
उत्तर-
30 सेंटीमीटर अथवा एक फुट।

प्रश्न 8.
दांतों की सफ़ाई न करने से कौन-सा रोग लग सकता है ?
उत्तर–
पाइरिया।

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प्रश्न 9.
बालों की सफ़ाई न रखने से सिर में क्या पड़ जाता है ?
उत्तर-
जुएं और सीकरी।

प्रश्न 10.
चमड़ी की सफ़ाई के लिए हमें हर रोज़ क्या करना चाहिए?
उत्तर-
नहाना चाहिए।

प्रश्न 11.
नहाने के पश्चात् हमें कैसे कपड़े पहनने चाहिए ?
उत्तर-
साफ़-सुथरे।

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प्रश्न 12.
क्या हमें चलती गाड़ी या बस में बैठ कर पुस्तक आदि पढ़नी चाहिए ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 13.
हमें अपने कानों को कैसी वस्तु से साफ़ करने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
पिन अथवा किसी नुकीली तीली से।

प्रश्न 14.
यदि आंख में कोई वस्तु पड़ जाए तो हमें क्या नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
आंखों को मलना नहीं चाहिए।

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प्रश्न 15.
कौन-से पोस्चर में पढ़ना हानिकारक है ?
उत्तर-
लेट कर या नीचे झुक कर।

प्रश्न 16.
कौन-से रोग होने से विशेष ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
खसरा और छोटी माता (चेचक)।

प्रश्न 17.
हमें श्वास मुख अथवा नाक द्वारा लेना चाहिए।
उत्तर-
नाकं द्वारा।

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प्रश्न 18.
दांतों के गिरने के बाद कौन-सी वस्तु चली जाती है ?
उत्तर-
स्वाद।

प्रश्न 19.
कौन-सी आयु में बच्चों के दूध के दांत गिर कर स्थायी दांत आते
उत्तर-
6 से 12 वर्ष तक।

प्रश्न 20.
यदि कानों में मैल जम जाए तो किस वस्तु का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
हाइड्रोजन परॉक्साइड।

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प्रश्न 21.
नाखूनों को कौन-सी वस्तु से नहीं काटना चाहिए ?
उत्तर-
मुख से।

प्रश्न 22.
यदि कानों में पीव बहने लगे तो कानों में कौन-से घोल की बूंदें डालनी चाहिए ?
उत्तर-
बोरिक ऐसिड और ग्लिसरीन।

प्रश्न 23.
बढ़े हुए नाखूनों को कैसे काटना चाहिए ?
उत्तर-
नेल कटर के साथ।

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प्रश्न 24.
नाक में छोटे-छोटे बाल कौन-सी वस्तु का काम धूल के लिए करते ।
उत्तर-
जाली का।

प्रश्न 25.
सुन्दर बाल मनुष्य के व्यक्तित्व को कैसा बनाते हैं ?
उत्तर-
अच्छा और प्रभावशाली।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वस्थ रहने के लिए कोई पांच नियम लिखें।
अथवा
व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान के कोई पांच नियम लिखें।
उत्तर-

  1. साफ़-सुथरा व सन्तुलित भोजन खाना चाहिए।
  2. श्वास हमेशा नाक द्वारा लेना चाहिए।
  3. आयु अनुसार नींद लेनी चाहिए।
  4. हमेशा खुश रहना चाहिए।
  5. समय-समय पर डॉक्टरी परीक्षण करवाते रहना चाहिए।

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प्रश्न 2.
हमें हमेशा नाक द्वारा श्वास क्यों लेना चाहिए ?
उत्तर-
हमें हमेशा नाक द्वारा श्वास लेना चाहिए। इसका कारण है कि नाक में छोटेछोटे बाल होते हैं। वायु में रोग कीटाणु और धूल कण इनमें अटक जाते हैं और शुद्ध वायु अन्दर जाती है। यदि हम नाक की बजाए मुंह द्वारा श्वास लेंगे तो रोग के कीटाणु हमारे शरीर में प्रवेश करके हमें रोगी बना देंगे। इसलिए हमें नाक द्वारा श्वास लेना चाहिए।

प्रश्न 3.
चमड़ी की सफ़ाई न करने से हमें क्या नुकसान हो सकते हैं ?
उत्तर-
चमड़ी हमारे शरीर के अन्दरूनी अंगों की रक्षा करती है। यदि चमड़ी की सफ़ाई न की जाए तो पसीना और इसकी बदबूदार वस्तुएं शरीर में जमा हो जाएंगी जिनके कारण अन्दरूनी और बाहरी रोग हो जाते हैं। इसलिए चमड़ी की सफ़ाई रखनी बहुत ज़रूरी है।

प्रश्न 4.
यदि आप के सिर में सीकरी पड़ जाए तो आप उसका क्या उपाय करेंगे ?
उत्तर-
सीकरी का इलाज-यदि सिर में सीकरी पड़ जाए तो 250 ग्राम पानी में एक चम्मच बोरिक पाऊडर डालकर सिर धोना चाहिए। नहाने से पहले बालों में नारियल का तेल लगाना चाहिए। ग्लिसरीन और नींबू लगाकर भी सीकरी से छुटकारा पाया जा सकता है। शिकाकाई और आंवलों को भिगोकर बने घोल के प्रयोग से भी सीकरी समाप्त हो जाती है।

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प्रश्न 5.
दांतों की सफ़ाई हमारे लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
दांत हमारे शरीर का महत्त्वपूर्ण भाग हैं। दांतों के खराब होने से हृदय रोग हो सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। इसके अलावा मुंह से बदबू आने लगती है और मनुष्य चिड़चिड़ा हो जाता है। दांतों की सफ़ाई न रखने से पाइरिया रोग नाम की बीमारी लग जाती है। इसलिए दांतों की सफ़ाई ज़रूरी है।

प्रश्न 6.
कपड़ों की सफ़ाई किस तरह की जा सकती है ? इसके क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
कपड़ों की सफ़ाई साबुन, सोडा, सर्फ़ तथा अन्य डिटर्जेंट पाऊडरों से की जा सकती है।
लाभ-कपड़ों की सफ़ाई हो तो मैल के कीटाणु हमारे शरीर से नहीं चिपकते जिससे कि हमारे शरीर के मुसाम बन्द नहीं होते। इस तरह शरीर अपने व्यर्थ पदार्थों का कुछ भाग पसीने आदि से निकालता रहता है, जिससे शरीर निरोग रहता है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान किसे कहते हैं ?
उत्तर—
Personal Hygiene शरीर की रक्षा को निजी शरीर सुरक्षा (Personal Hygiene) कहते हैं। यह दो शब्दों के मेल से बना है। Personal और Hygiene | ‘Personal’ अंग्रेज़ी का शब्द है जिसका अर्थ है निजी या व्यक्तिगत । ‘Hygiene’ यूनानी भाषा के शब्द Hygeineous से पैदा हुआ है। जिसका भाव है आरोग्यता की देवी। आजकल Hygiene का अर्थ जीवन जांच से लिया जाता है। आरोग्यता कायम रखने के लिए शरीर विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करना ज़रूरी है।

“निजी स्वास्थ्य, स्वास्थ्य शिक्षा का वह भाग है जिससे मनुष्य सारे पक्षों से वातावरण के साथ सुमेल कायम करके शारीरिक और मानसिक विकास कायम कर सके और उनका विकास कर सके।” एक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य उतना ही आवश्यक है जितनी कि पुष्प (फूल) के लिए सुगन्ध । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमें स्वस्थ रहने में व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान बहुत सहायता देता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो हमें नीरोग रहने के नियमों के बारे में जानकारी देती है। सत्य तो यह है कि इसमें व्यक्तिगत नीरोगता की वह अमृत धारा है जिसके नियमों का पालन करके मनुष्य स्वस्थ रह सकता है।

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प्रश्न 2.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए ?
उत्तर-
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए हमें निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए –

  • सदा साफ-सुथरा और सन्तुलित भोजन करना चाहिए।
  • शरीर के आन्तरिक अंगों (जैसे दिल, फेफड़े आदि) तथा बाह्य अंगों (हाथ, पैर, आंखें आदि) के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तथा इनकी संभाल करनी चाहिए।
  • अपनी आयु के अनुसार पूरी नींद लेनी चाहिए।
  • समय-समय पर शरीर की डॉक्टरी परीक्षा करवानी चाहिए।
  • शरीर की आवश्यकता तथा आयु के अनुसार सैर या व्यायाम (कसरत) करनी चाहिए।
  • सदा नाक के द्वारा ही सांस लेनी चाहिए।
  • खुली हवा में रहना चाहिए।
  • ऋतु और मौसम के अनुसार वस्त्र पहनने चाहिए।
  • सदा प्रसन्न रहना चाहिए।
  • सदा ठीक प्रकार से खड़े होना, बैठना तथा चलना चाहिए।
  • घर और कपड़ों की सफ़ाई रखनी चाहिए।

प्रश्न 3.
बालों को साफ़ न रखने से क्या हानियां होती हैं ?
उत्तर-
बालों को साफ़ न रखने से हानियां-यदि बालों को अच्छी तरह साफ़ न. रखा जाए तो कई प्रकार के बालों और त्वचा के रोग लग जाते हैं। ये रोग नीचे लिखे हैं
1. सिकरी (Dandruf)-सिकरी खुश्क त्वचा के मरे हुए अंश होते हैं। इन अंशों में साबुन और मिट्टी इकट्ठे हो जाते हैं। सिकरी से सिर की त्वचा में रोगाणु पैदा हो जाते हैं।

इलाज (Treatment)-सिर में सिकरी अधिक होने की दशा में 250 ग्राम पानी में एक चम्मच बोरिक पाऊडर डालकर सिर को धोना चाहिए। नहाने से पहले बालों में नारियल का तेल लगाना चाहिए। नींबू तथा ग्लिसरीन लगाकर भी सिकरी से छुटकारा पाया जा सकता है। शिकाकाई और ओलों को भिगोकर बने घोल के प्रयोग से भी सिकरी समाप्त हो जाती है।

2. जुएं पैदा होना (Lice) बालों की सफ़ाई न रखने पर सिर में जुएं पैदा हो जाती हैं। एक जूं एक बार कोई 300 अंडे देती है। दो सप्ताहों के बाद ये जुएं और अण्डे देने के योग्य हो जाती हैं। दैनिक सफ़ाई के अतिरिक्त नीचे लिखी बातों का ध्यान रखने से सिर में जुएं नहीं पैदा होंगी –

  • किसी दूसरे व्यक्ति की कंघी, ब्रुश, सिर की जाली, रूमाल, पगड़ी, टोपी आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • बस की सीट या सिनेमा हाल की कुर्सी की पीठ के साथ अपना सिर लगा कर नहीं बैठना चाहिए।
  • बालों को कंघी करने के बाद कंघी,को किसी ऐसी जगह रखना चाहिए जहां मिट्टी न पड़े।

3. बालों का गिरना (Felling of Hair) बालों की सफ़ाई न रखने से बाल कमज़ोर होकर गिरने लगते हैं। बालों के गिरने की रोकथाम के लिए प्रतिदिन बालों की सफ़ाई रखनी चाहिए तथा साथ ही अच्छा भोजन खाना चाहिए। इसके अतिरिक्त सख्त साबुन या सुगन्धित तेल का कम प्रयोग करना चाहिए।

4. बालों का सफ़ेद होना (Change in Colour)-जुकाम या अच्छी खुराक की कमी के कारण बाल जल्दी ही सफ़ेद हो जाते हैं। इसलिए बालों को सफ़ेद होने से रोकने के लिए सन्तुलित और पौष्टिक भोजन करना चाहिए। रोज़ शारीरिक सफ़ाई रखनी चाहिए।

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प्रश्न 4.
नाक के बालों के क्या लाभ हैं और नाक की सफ़ाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-
नाक के बालों के लाभ (Advantages of Hair in Nostril)-हम नाक द्वारा श्वास लेते हैं। नाक में छोटे-छोटे बाल होते हैं। इन बालों के अधिक लाभ होते हैं। ये बाल धूल आदि के लिए जाली का काम करते हैं। वायु में धूल कण और बीमारी के जर्म होते हैं। जब हम नाक द्वारा सांस लेते हैं तो यह धूल, कण और जर्म नाक के बालों में अटक जाते हैं और हमारे भीतर शुद्ध वायु प्रवेश करती है। यदि नाक में यह बाल न हों तो वायु में मिली धूलकण और जर्म हमारे भीतर चले जाएंगे जिस से हमें कई प्रकार के रोग लग सकते हैं। इसलिए नाक के बालों को काटना या उखाड़ना नहीं चाहिए।

नाक की सफाई (Cleanliness of Nose)-प्रतिदिन प्रातःकाल और सायंकाल नाक को पानी से साफ़ करना चाहिए। एक नासिका में से जल अन्दर ले जाकर दूसरी नासिका द्वारा बाहर निकाल देना चाहिए।

प्रश्न 5.
पैरों की सफाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-
पैरों की सफाई (Cleanliness of Feet)

  • पैरों की सफाई की तरफ़ भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे हम अपने शरीर के दूसरे अंगों की सफाई की तरफ ध्यान देते हैं। सुबह नहाते समय पैरों को और उंगलियों के बीच स्थान को अच्छी तरह साफ़ कर लेना चाहिए।
  • रात को सोने से पहले भी पैरों को धो कर अच्छी तरह साफ़ कर लेना चाहिए।
  • पैरों के लिए बूट या चप्पल लेते समय पैरों की बनावट और माप का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जूती या बूट आरामदायक और ठीक साइज़ के खुले होने चाहिए।
  • यदि पैरों में खारिश, दाद, चंबल आदि के रोग लगे हों तो नाइलोन की जुराबें नहीं पहननी चाहिए।
  • नंगे पांव कभी घूमना नहीं चाहिए।
  • पांवों के नाखून भी समय समय काटते रहना चाहिए।
  • पांवों के नीचे और ऊपर ग्लिसरीन अथवा सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 6.
हाथों की सफ़ाई कैसे रखी जा सकती है ?
उत्तर-
हाथों की सफ़ाई (Clealiness of Hands)

  • हाथों को साबुन और पानी के साथ दो बार धोकर भोजन खाना चाहिए।
  • हाथों को सदा नर्म और मुलायम रखने का यत्न करना चाहिए।
  • हाथों या उंगलियों में लाइनों या खुरदरेपन को ग्लेसरीन या किसी अच्छी किस्म की क्रीम से दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।
  • हाथों को साबुन और साफ़ पानी से धोना चाहिए जिस से छूत की बीमारियों जैसे टाइफाइड, पेचिश और हैज़ा आदि हाथों से न फैल सकें। अगर हाथ साफ़ न किए जाएं तो हाथों की मैल जिसमें कई तरह के कीटाणु होते हैं, पेट में चले जाते हैं।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति-

प्रश्न-
निम्नलिखित वाक्यों में दिए गए खाली स्थानों की कोष्ठक (ब्रैकट) में दिए शब्दों में से उचित शब्द चुन कर भरो –

(1) आंखों की सफ़ाई के लिए हमें दिन में कई बार ……. के छींटे मारने चाहिएं। . (ठण्डे पानी, कोसे पानी)
(2) पढ़ते समय पुस्तक को आंखों से कम-से-कम …….. दूर रखना चाहिए। (45 सेंटीमीटर, 30 सेंटीमीटर)
(3) हमें सदा …….. द्वारा सांस लेनी चाहिए। (मुंह, नाक)
(4) कानों में जमी हुई मैल को निकालने के लिए …….. का प्रयोग करना चाहिए। (सोडियम क्लोराइड, हाइड्रोजन परॉक्साइड)
(5) नाखूनों को ……… काटना नहीं चाहिए। (मुंह से, नेल कटर से)
(6) ……… की आयु तक के बच्चों के दूध के दांत गिर जाते हैं। (3 साल से, 5 साल से, 6 साल से, 12 साल)
(7) हमें कभी भी ………. नहीं पढ़ना चाहिए। (बैठ कर, लेट कर)
(8) नाक के बीच वाले छोटे-छोटे बाल ………. का काम करते हैं। (नाली, जाली)
(9) दांतों की सफ़ाई न रखने पर ………. नामक रोग हो जाता है। (हिस्टीरिया, पाइरिया)
(10) नहाने के बाद हमें ………. कपड़े से पहनने चाहिएं। (गन्दे, साफ़-सुथरे)
उत्तर-

  1. ठण्डे पानी
  2. 30 सेंटीमीटर
  3. नाक
  4. हाइड्रोजन परॉक्साइड
  5. मुंह से
  6. 6 साल से 12 साल
  7. लेट कर
  8. जाली
  9. पाइरिया
  10. साफ़ सुथरे

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Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Practical विभिन्न प्रकार के चूल्हे Notes.

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
चूल्हा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कोई भी ऐसी चीज़ जिसमें आग जलाकर भोजन पकाया जाए, उसको चूल्हा कहते हैं।

प्रश्न 2.
अंगीठी कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
अंगीठी दो प्रकार की होती है।

प्रश्न 3.
हैदराबादी या धुआँ रहित चूल्हा की खोज किसने की ?
उत्तर-
डॉक्टर राजू ने।

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प्रश्न 4.
ठोस ईंधन के अन्तर्गत कौन-कौन से ईंधन आते हैं ?
उत्तर-
लकड़ी, उपलें, लकड़ी का कोयला, पत्थर का कोयला (कोक)।

प्रश्न 5.
गाँवों में अधिकतर किस प्रकार के ईंधन का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
लकड़ी तथा उपलों का।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हैदराबादी या धुआँ रहित चूल्हा के बारे में तुम क्या जानते हो? सचित्र वर्णन करो।
उत्तर-
हैदाराबादी चूल्हे में लकड़ी या पत्थर का कोयला प्रयोग करते हैं। इसमें ईंधन कम खर्च होता है, क्योंकि थोड़ा-सा सेंक भी व्यर्थ नहीं जाता है। यह चूल्हा हैदराबाद के डॉ० राजू की खोज है। इसीलिए इसको हैदराबादी या डॉ० राजू का धुआँ रहित चूल्हा कहते हैं। इसका धुआँ चिमनी के रास्ते बाहर निकलता है। इसकी आकृति अंग्रेज़ी के अक्षर L की तरह होती है।
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चित्र 1.1. हैदराबादी चूल्हा

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प्रश्न 2.
देसी चूल्हा क्या है? इसके जलाने की विधि एवं सावधानी लिखो।
उत्तर-
गाँव के प्रत्येक घर में ईंट और मिट्टी का बना चूल्हा खाना बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसे देसी चूल्हा कहते हैं।
जलाने की विधि-किसी पुराने फटे कपड़े, फूस के कागज़ को आग लगाकर चूल्हे में रखकर ऊपर पतली लकड़ियाँ रखकर आग लगाई जाती है।
सावधानी-

  1. कपड़ा या कागज़ हाथ में पकड़कर आग लगाते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि हाथ जल न जाए।
  2. लकड़ियों पर ज़्यादा मिट्टी का तेल नहीं डालना चाहिए।

प्रश्न 3.
पम्प वाले स्टोव के बारे में तुम क्या जानते हो लिखो। सावधानियाँ बताओ।
उत्तर-
पम्प वाले स्टोव भी तेल से जलाये जाते हैं। इसमें तेल डालने के लिए एक टंकी होती है जिसमें तेल भर दिया जाता है। टंकी के बीच में ऊपर से एक बरनर लगा रहता है तथा पम्प के द्वारा हवा भर दी जाती है। हवा भरने में तेल की गैस बनकर एक छोटे से छिद्र के द्वारा बाहर निकलती है। ताप को नियन्त्रित करने के लिए बरनर के ऊपर एक कटोरी लगी होती है। स्टोव में तीन स्टैंड होते हैं जिसके ऊपर एक जाली जैसा तवा रहता है।
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चित्र 1.2. पम्प वाला स्टोव
सावधानियाँ-

  1. हवा भरते समय पम्प सावधानी से प्रयोग करना चाहिए।
  2. स्टोव जलाते समय लाइटर के साथ बरनर को गर्म करने के बाद ही पम्प से हवा भरनी चाहिए।
  3. यदि पम्प करते समय छेद बन्द हो तो पिन मारकर छेद को खोल लेना चाहिए।
  4. स्टोव प्रत्येक दिन साफ़ करना चाहिए।
  5. हमेशा मिट्टी के साफ़ तेल का प्रयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
ईंधन के रूप में उपले जलाने से लाभ तथा हानियों का उल्लेख करो।
उत्तर-
उपलों से लाभ यह है कि ये अन्य ईंधन से सस्ते पड़ते हैं तथा इनको बनाने के लिए ज़्यादा परिश्रम भी नहीं करना पड़ता।
उपलों से हानि यह है कि ये लकड़ी के समान ही धुआँ देते हैं जो रसोई में फैल जाता है। बर्तन तथा रसोई इसके कारण काले हो जाते हैं। इनको इकट्ठा करके रखना स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होता है, क्योंकि बरसात के दिनों में इनसे मच्छर उत्पन्न हो जाते हैं जो मलेरिया रोग फैलाते हैं।

प्रश्न 5.
ईंधन के रूप में लकड़ी जलाने से लाभ तथा हानियाँ बताओ।
उत्तर-
लकड़ी जलाने से लाभ-लकड़ी जलाने से एक लाभ यह है कि यह अन्य ईंधन की अपेक्षा सस्ती मिलती है और इसलिए अधिकतर घरों में जलायी जाती है। यह ताप उत्पन्न करने का उपयोगी एवं सुविधाजनक साधन है।

लकड़ी जलाने से हानियाँ-लकड़ी जलाने से रसोई में धुआँ फैलता है। बर्तन धुएँ के कारण काले हो जाते हैं। धुएँ के कारण दम घुटने लगता है। आँखों से पानी बहने लगता है। धुआँ होने से रसोई की दीवारें आदि खराब हो जाती है। अतः धुएँ से बचने के लिए चूल्हे के ऊपर चिमनी की व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 6.
लकड़ी के कोयले को ईंधन के रूप में प्रयोग करने से क्या लाभ तथा क्या हानियाँ हैं?
उत्तर-
लकड़ी के कोयले पर खाना पकाने से धुएँ की हानियों से बचा जा सकता है और बर्तन भी ज्यादा काले नहीं होते।
लकड़ी के कोयले से हानि यह है कि जल्दी ही इसकी राख बन जाती है और इसका उपयोग लकड़ी की अपेक्षा अधिक महँगा है।

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प्रश्न 7.
पत्थर के कोयले को ईंधन के रूप में प्रयोग करने से लाभ तथा हानि बताओ।
उत्तर-
पत्थर के कोयले से लाभ यह है कि ये देर तक सुलगते हैं तथा जल जाने के बाद धुआँ भी नहीं देते और इसके ताप से बर्तन भी काले नहीं होते।

इससे हानि यह है कि यह कोयला जलकर कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon monoxide) गैस उत्पन्न करता है। दरवाजे, खिड़कियाँ यदि बन्द रह जाएँ तो इस गैस का ज़हरीला प्रभाव पड़ता है और गैस से दम घुटने लगता है। यहाँ तक कि कभी-कभी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने की सम्भावना भी रहती है। अतः इसे जलाकर खिड़की व दरवाज़ों को खोलकर रखना चाहिए जिससे गैस का निकास हो सके।

प्रश्न 8.
स्टोव के प्रयोग से क्या लाभ तथा हानियाँ हैं?
उत्तर-
बिना बत्ती वाले अर्थात् गैस के स्टोव से लाभ यह है कि यह अधिक ताप देता है तथा भोजन जल्दी पक जाता है। यह तेल की बदबू एवं धुआँ नहीं देता। इसमें तेल कम खर्च होता है तथा श्रम की बचत होती है।
PSEB 6th Class Home Science Practical विभिन्न प्रकार के चूल्हे 3
चित्र 1.3. बत्ती वाला स्टोव
इससे हानि यह है कि गैस का दबाव बढ़ने से कभी-कभी इसके फटने का डर रहता है। बत्ती वाले स्टोव से लाभ यह है कि इसे जलाने में आसानी रहती है। लेकिन यह स्टोव तेल की बदबू एवं धुआँ देता है। यदि इसे असावधानी से प्रयोग किया जाये तो इसके खराब होने का डर रहता है। अतः इसकी बत्तियों को समय-समय पर काटते रहना चाहिए। तेल को छानकर टंकी में डालना चाहिए। टंकी में तेल भरा रहना चाहिए। बत्तियाँ छोटी-छोटी हो गई हों या बरनर खराब हो गया हो तो बदलते रहना चाहिए। स्टोव में तेल भर कर उसे बाहर से पोंछ देना चाहिए तथा इसकी समय-समय पर सफ़ाई करवाते रहना चाहिए।

प्रश्न 9.
ईंधन के रूप में गैस का प्रयोग किस प्रकार लाभदायक है ? इससे क्या हानि होती है?
उत्तर-
गैस से लाभ यह है कि ईंधन का यह एक सुविधाजनक साधन है, इससे धुआँ नहीं फैलता, श्रम एवं समय की बचत होती है, रसोई गन्दी नहीं होती तथा इसे जलाने तथा इसमें खाना बनाने में अधिक समय खर्च नहीं होता।
इससे हानि यह है कि ज़रा सी असावधानी से गैस के सिलिन्डर फटने का डर रहता है। परन्तु अब ऐसे प्रबन्ध किए गए हैं कि गैस सिलिन्डर अधिक सुरक्षित हैं।

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विभिन्न प्रकार के चूल्हे PSEB 6th Class Home Science Notes

  • कोई भी ऐसी चीज़ जिसमें आग जलाकर भोजन पकाया जाए, उसको चूल्हा कहते |
  • अंगीठी दो प्रकार की होती है
    • कोयले वाली
    • बूरे वाली (बुरादे वाली)।
  • हैदराबादी या धुआँ रहित चूल्हा की खोज डॉक्टर राजू ने की।
  • तेल के स्टोव भी दो प्रकार हैं-
    • पम्प वाला
    • एक या अधिक बत्तियों वाला।
  • स्टोव जलाते समय लाइटर के साथ बरनर को गर्म करने के बाद ही पम्प से हवा । भरनी चाहिए। |
  • रोटी बनाते समय ढीले-ढाले और आरामदायक कपड़े पहनना चाहिए।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 8 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Chapter 8 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Home Science Chapter 8 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

PSEB 6th Class Home Science Guide व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य क्या है ?
उत्तर-
मनुष्य के शरीर की रोग-रहित दिशा ही स्वास्थ्य है।

प्रश्न 2.
आँखों के लिए कौन-सा विटामिन महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर-
विटामिन ‘ऐ’।

प्रश्न 3.
दाँतों के लिए भोजन के कौन-से तत्त्व महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, विटामिन डी, फास्फोरस।

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प्रश्न 4.
खाना खाने के बाद कैसे फल खाने चाहिए ?
उत्तर-
ताजे तथा तेजाबी अंश वाले रसदार फल ।

प्रश्न 5.
आँखों को नीरोग रखने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
आँखों को धुआँ, धूल, धूप तथा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
आँखों की सम्भाल करनी क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
आँखें हमारे शरीर में अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इनसे ही हम विभिन्न वस्तुओं को देख सकते हैं। इसलिए यह कहावत कि ‘आँखें हैं तो जहान है’ कही जाती है। इनकी संभाल के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिएं –

  1. आँखों को बाहर की गन्दगी जैसे धूल-मिट्टी, कूड़ा-करकट, कीट-पतंगे आदि से बचाना चाहिए। कुछ धूल तथा जीवाणु तो आँख के द्वारा बाहर निकल जाते हैं। यदि किसी कारण से आँखों में कुछ गिर जाए तो उसको नार्मल सेलाइन या साफ़ जल से धो डालना चाहिए।
  2. मुंह तथा आँखों को कई बार धोने तथा पोंछने से सफ़ाई होती है।
  3. गन्दे हाथों से अथवा गन्दे रूमाल से आँखों को नहीं पोंछना चाहिए, न ही इन्हें रगड़ना या मलना चाहिए।
  4. तौलिया, साबुन, बाल्टी, मग तथा मुँह पोंछने का कपड़ा जिनका उपयोग दूसरे व्यक्ति करते हों, प्रयोग नहीं करना चाहिए। विशेषकर दुखती आँखों वाले व्यक्ति का।
  5. आँखों को तेज़ धूप, चकाचौंध अथवा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए। इसके लिए धूप के चश्मे आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
  6. कम प्रकाश में लिखना-पढ़ना अथवा कोई महीन काम करना आँखों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
  7. आँखों की विभिन्न बीमारियों जैसे-रोहे इत्यादि से आँखों को बचाना चाहिए और यदि इनमें से कोई रोग हो तो तुरन्त ही नेत्र-विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
काम करते समय रोशनी किस तरफ से आनी चाहिए ?
उत्तर-
काम करते समय रोशनी ठीक और बाएँ हाथ की ओर से आनी चाहिए, बाएँ हाथ से काम करने वालों के लिए यह रोशनी दाईं ओर से आनी चाहिए।

प्रश्न 3.
आँखों के व्यायाम के बारे में आप क्या जानते हो ? लिखो।
उत्तर-
प्रत्येक दिन सुबह उठकर ताजे पानी से आँखों को धोना चाहिए और ठण्डे पानी के हल्के-हल्के छींटे मारने चाहिएं। पुतली बाएँ से दाएँ, दाएँ से बाएँ, ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की तरफ़ बार-बार घुमाना चाहिए। इस व्यायाम में आँखें रुकनी नहीं चाहिएं।

प्रश्न 4.
यदि दाँत ठीक तरह साफ़ न किए जाएं तो क्या होता है ?
उत्तर-
यदि दाँतों को अच्छी तरह साफ़ न किया जाए तो भोजन के कण दाँतों के खोलों में इकट्ठे हो जाते हैं। इससे दाँत कमजोर होने लगते हैं। जीवाणुओं के प्रभाव से ये भोजन कण सड़ते हैं और एक अम्ल बनाते हैं जिनसे दाँतों में सड़न उत्पन्न होने लगती है और पाचन-क्रिया भी खराब हो जाती है। मसूड़ों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

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प्रश्न 5.
मिठाइयां, निशास्ते वाला भोजन और तेज़ गंध वाली चीजें और पान क्यों अधिक नहीं खाने चाहिएं ?
उत्तर–
दाँतों के लिए अधिक मिठाइयां, निशास्ते वाला भोजन जैसे मैदे की बनी चीजें दाँतों से चिपक जाती हैं। तेज़ गंध वाली चीज़ों को खाने से मुँह में गंध आ जाती है, जैसेलहसुन, प्याज, मछली आदि। अधिक पान खाने से दाँत मैले, कुचैले और काले हो जाते हैं और दाँतों पर निकोटीन की तरह जम जाती है। इससे दाँतों को नुक़सान होता है।

प्रश्न 6.
नाखून गन्दे क्यों नहीं रखने चाहिएं और इन्हें कैसे साफ़ रख सकते हों, लिखो।
उत्तर-
नाखूनों के अन्दर किसी प्रकार की गन्दगी नहीं होनी चाहिए क्योंकि भोजन के साथ इनमें उपस्थित रोगों के कीटाणु, जीवाणु आदि आहार नाल में पहुंचकर विकार उत्पन्न करेंगे। इसी कारण कई बार बच्चों की पाचन-क्रिया खराब हो जाती है और छोटी उम्र में बच्चों को दस्त लग जाते हैं और उल्टियां आने लगती हैं। सप्ताह में एक बार नाखून ज़रूर काटने चाहिएं।

प्रश्न 7.
कम रोशनी में क्यों नहीं पढ़ना चाहिए ?
उत्तर-
कम रोशनी में पढ़ने से आँखों पर दबाव पड़ता है इसलिए नहीं पढ़ना चाहिए।

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प्रश्न 8.
नहाने से पहले मालिश क्यों करनी चाहिए ?
उत्तर-
नहाने से पहले मालिश इसलिए करनी चाहिए कि शरीर स्वस्थ और सुन्दर बने।

प्रश्न 9.
सिगरेट पीने से दाँतों पर किस वस्तु की परत जम जाती है ?
उत्तर-
निकोटीन की।

प्रश्न 10.
दाँत काले हो जाने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
नसवार रगड़ने, पान खाने और सिगरेट पीने से दाँत काले हो जाते हैं।

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प्रश्न 11.
दाँतों का रंग सफ़ेद क्यों होता है ?
उत्तर-
दाँतों का रंग सफ़ेद इनैमल के कारण होता है।

प्रश्न 12.
‘आँखें गईं जहान गया’ से क्या भाव है ?
उत्तर-
इसका भाव यह है कि आँखों के बिना सचमुच ही यह संसार अंधकारमय है। यदि आँखें काम न करें तो दुनिया के ये सभी दृश्य व्यर्थ हैं।

प्रश्न 13.
आँखों के लिए कौन-सा विटामिन महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर-
विटामिन ‘ए’।

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प्रश्न 14.
भोजन के कौन-से तत्त्व दाँतों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, विटामिन ‘डी’ और फॉस्फोरस।

प्रश्न 15.
प्रत्येक व्यक्ति को अपने कपड़े तथा तौलिया अलग क्यों रखने चाहिए?
उत्तर-
प्रत्येक व्यक्ति को अपने कपड़े तथा तौलिया अलग-अलग रखने चाहिए क्योंकि एक साथ रखने पर छूत की बीमारी फैलने का भय रहता है जैसे-आँखों का रोग, खाज, खुजली, दाद आदि।

निबन्धात्मक प्रश्न अब

प्रश्न 1.
दाँत कैसे साफ़ और स्वस्थ रखे जा सकते हैं ?
उत्तर-
1. प्रत्येक भोजन करने के बाद दाँतों को अच्छी प्रकार साफ़ करना चाहिए। कुल्ली करके दाँतों में फंसे भोजन कण निकाल देने चाहिएं।

2. हर सुबह व रात्रि को सोने से पूर्व दाँतों को उँगली या दन्त ब्रुश से मन्जन या पेस्ट की सहायता से साफ़ करना चाहिए। ऐसा करने से दाँतों को रोगमुक्त रखा जा सकता है। दन्त ब्रुश बहुत बड़े बालों का नहीं होना चाहिए अन्यथा मसूड़ों में घाव होने की सम्भावना रहती है।

3. बचपन से ही दाँतों की सफ़ाई की उचित विधि की शिक्षा देनी चाहिए। दाँतों को सब ओर से, दाँतों के भीतर व बाहर आदि भोजन चबाने वाले ऊपर व नीचे के भागों को नियमपूर्वक साफ़ करना आवश्यक है।

4. दाँतों को तिनकों या सुई से कुरेदना नहीं चाहिए।

5. दन्त चिकित्सक से बच्चों के दाँतों का नियमित निरीक्षण करवाना चाहिए।

6. दाँतों की स्वस्थता के लिए उपयुक्त भोजन की आवश्यकता होती है। इससे निम्नलिखित लाभ होते हैं –
(i) दाँतों की सुदृढ़ता शरीर के सामान्य स्वास्थ्य पर बहुत निर्भर करती है। शरीर के उचित स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त भोजन आवश्यक होता है। प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस तथा विटामिन ‘C’ व ‘D’ दाँतों के निर्माण व स्वास्थ्य में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। भोजन में इन तत्त्वों की कमी दाँतों के स्वास्थ्य को बिगाड़ती है। अतः हमें अपने आहार में इन तत्त्वों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

(ii) कच्चे फल व सब्जियाँ चबा-चबाकर खाने से मसूड़ों को व्यायाम का अवसर मिलता है जिससे वे स्वस्थ बने रहते हैं।

(iii) मिठाइयां, मीठी व चिपकने वाली चॉकलेट, टॉफी, लॉलीपॉप आदि बहुत कम खाना चाहिए। मीठी वस्तुएं खाने के पश्चात् मुँह को कुल्ला करके साफ़ करना अत्यन्त आवश्यक है।

(iv) गरम भोजन के तुरन्त बाद ठण्डा पानी या पेय नहीं लेना चाहिए।

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प्रश्न 2.
स्नान के बारे में आप जो भी जानते हो विस्तार से लिखो।
उत्तर-
निरोग जीवन और व्यक्तिगत सफ़ाई के लिए स्नान बहुत ज़रूरी है। विशेष कर कान के पिछले भाग, बगले या जाँघों की सफाई करनी ज़रूरी है नहीं तो बदबू आने लगती है। काम करने से कई कोशिकाएं मरने के बाद चमड़ी पर इकट्ठी हो जाती हैं। इसको स्नान करके दूर करना ज़रूरी है। यदि पसीना बाहर निकलना रुक जाए तो गुर्दे अपना काम ठीक तरह से नहीं कर सकते।

स्नान से शारीरिक ताप भी ठीक रहता है। गर्मियों में खुश्की, फोड़े, फुसियाँ, पित्त आदि हो जाते हैं और गर्मी शरीर को झुलसाती है। ठीक तरह से स्नान करके त्वचा साफ़ रखने से ऐसे रोग नहीं होते। गर्मी में शारीरिक तापमान बढ़ जाता है। स्नान पर खुली हवा में बैठने से शारीरिक तापमान में गर्मी के कारण वृद्धि नहीं होती। यदि हो सके तो स्नान करते समय शरीर की सखी मालिश भी करनी चाहिए। मालिश करने से रक्त का दौरा तेज़ होता है। इससे रक्त साफ़ और शुद्ध होकर बहने लगता है।

हमें सप्ताह में एक बार सिर को मालिश करके बाल अच्छी तरह धो लेने चाहिएं। सुबह का समय स्नान के लिए सबसे अच्छा होता है। यदि हम स्नान नहीं करेंगे या सिर अच्छी तरह साफ़ नहीं करेंगे तो बालों में जुएँ पड़ जाएंगी इससे सिर की खोपड़ी कमजोर हो जाती है और सारा दिन खुजलाने के लिए एक हाथ सिर में ही रहता है। कुछ लोग गर्मियों में ठीक तरह से स्नान नहीं करते। वे अपना शरीर साफ़ नहीं करते। अतः उनके कपड़ों और शरीर पर भी जुएँ पड़ जाती हैं। ऐसे व्यक्ति के पास कोई भी नहीं बैठ सकता।

सर्दियों में गर्म पानी से स्नान करना चाहिए। इससे गर्मी मिलती है और शक्ति संचार होता है। खेलने के बाद गर्म पानी से स्नान करना चाहिए नहीं तो सर्द-गर्म होने का खतरा रहता है। लेकिन स्वस्थ और बलवान मनुष्य ठण्डे पानी से ही स्नान करते हैं। इससे ताजगी और प्रसन्नता की भावना पैदा होती है।

खाना खाने और थक जाने के पश्चात् स्नान करना ठीक नहीं रहता। ठण्डे देशों में भाप स्नान भी किया जाता है।

प्रश्न 3.
आँखों की सम्भाल कैसे करनी चाहिए ?
उत्तर-
कहते हैं आँख है तो जहान है क्योंकि इनसे ही हम संसार को देख सकते हैं। इनकी सम्भाल के लिए निम्न उपाय किए जाने चाहिएं –

  1. आँखों को बाहरी गंदगी, जैसे धूल-मिट्टी, कूड़ा-करकट, कीट-पतंगों आदि से बचाना चाहिए। गन्दी आँखें दुखने लगती हैं। यदि किसी कारण से आँखों में कुछ गिर जाए, तो साफ़ जल से धोकर निकाल देना चाहिए।
  2. गन्दे हाथों से अथवा गन्दे रूमाल से आँखों को नहीं पोंछना चाहिए।
  3. आँखों को रगड़ना या मलना नहीं चाहिए।
  4. आँखों को तेज़ धूप, चकाचौंध अथवा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए। इसके लिए धूप के चश्मे आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
  5. कम प्रकाश में लिखना-पढ़ना अथवा कोई महीन काम नहीं करना चाहिए।
  6. आँखों में तकलीफ होने पर नेत्र-चिकित्सक की राय लेनी चाहिए।

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Home Science Guide for Class 6 PSEB व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
शरीर-क्रिया विज्ञान में स्वास्थ्य की परिभाषा क्या होगी ?
उत्तर-
कोशिकाओं, अंगों व तन्त्रों की स्वाभाविक क्रियाशीलता को स्वास्थ्य कहते हैं।

प्रश्न 2.
WHO के विचार से स्वास्थ्य क्या है ?
उत्तर-
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के विचार से स्वास्थ्य में मनुष्य का सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक व संवेगात्मक कल्याण निहित है।

प्रश्न 3.
जीवन में सुखी रहने के लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर-
शरीर का स्वस्थ और शक्तिशाली होना।

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प्रश्न 4.
त्वचा को नियमित रूप से साफ़ करना आवश्यक क्यों है ?
उत्तर-
त्वचा से पसीना और अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं। यदि त्वचा को साफ़ नहीं किया जाता है तो मैल जम जाता है जिसके कारण त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं, इसलिए त्वचा को नियमित रूप से साफ़ करना आवश्यक है।

प्रश्न 5.
दाँतों को साफ़ करना आवश्यक क्यों है ?
उत्तर–
दाँतों को खोखले होने से, गिरने से, दर्द होने से बचाने के लिए दाँतों को साफ करना आवश्यक है।

प्रश्न 6.
कानों में सलाई या तिनका क्यों नहीं फेरना चाहिए ?
उत्तर-
कानों में सलाई या तिनका फेरने से कान में घाव हो जाते हैं और पर्दा भी फट सकता है। इसलिए कानों में सलाई नहीं फेरनी चाहिए।

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प्रश्न 7.
कान का संक्रमण होने पर इसका इलाज तुरन्त क्यों करवाना चाहिए ?
उत्तर-
कान का संक्रमण होने पर यदि इसका इलाज न करवाया जाए तो यह दिमाग़ तक नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इसका इलाज तुरन्त करवा लेना चाहिए।

प्रश्न 8.
धूप सेंकने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
धूप सेंकने से शरीर में विटामिन ‘D’ उत्पन्न होता है।

प्रश्न 9.
किस समय की धूप स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है ?
उत्तर-
प्रायः शीतकाल में प्रात:काल की धूप।

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प्रश्न 10.
घर में धूप का आना किसलिए आवश्यक है ?
उत्तर-
धूप जीवाणुओं को नष्ट करती है।

प्रश्न 11.
गूढ़ निद्रा शरीर के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
शरीर की थकावट दूर करने के लिए।

प्रश्न 12.
नियमित व्यायाम व उत्तम आसन शरीर के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
शरीर को सुन्दर, सुगठित व स्वस्थ रखने के लिए।

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प्रश्न 13.
दाँतों को केरीज रोग से बचाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिएं ?
उत्तर-

  1. भोजन के बाद कुल्ला करना चाहिए।
  2. दाँतों को अँगुली से साफ़ करना चाहिए।

प्रश्न 14.
दाँतों का केरीज रोग क्या होता है ?
उत्तर–
दाँतों में कार्बोहाइड्रेट युक्त तथा मीठे पदार्थों के सड़ने से जीवाणुओं की क्रिया से एसिड बनता है जो दाँतों के एनेमल को क्षीण कर देता है।

प्रश्न 15.
पायरिया रोग के क्या लक्षण हैं ?
उत्तर-

  1. मसूड़े सूजने लगते हैं,
  2. मसूड़ों में पीड़ा होती है,
  3. मसूड़ों से दाँत अलग होने लगते हैं,
  4. मुँह से दुर्गन्ध आती है।

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प्रश्न 16.
स्वस्थ बाल कैसे होते हैं ?
उत्तर-
चमकीले और साफ़।

प्रश्न 17.
स्वस्थ आँखें कैसी होती हैं ?
उत्तर-
चौकन्नी, साफ़ और मलविहीन।

प्रश्न 18.
स्वस्थ त्वचा की क्या पहचान है ?
उत्तर-
चिकनी, ठोस और जगह पर होती है।

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प्रश्न 19.
स्वस्थ नाक की क्या पहचान है ?
उत्तर-
साफ़ और सांस लेती हुई होती है।

प्रश्न 20.
स्वस्थ मुख और होंठ कैसे होते हैं ?
उत्तर-
स्वस्थ मुख प्रसन्न और आनन्दित तथा स्वस्थ होंठ लाल और गीले होते हैं।

प्रश्न 21.
स्वस्थ गला किसे कहते हैं ?
उत्तर-
साफ़, गीला तथा बाधा विहीन गले को।

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प्रश्न 22.
स्वस्थ दाँत कैसे होते हैं ?
उत्तर-
साफ, सही और कष्टविहीन।

प्रश्न 23.
स्वस्थ मसूड़े कैसे होने चाहिएं ?
उत्तर-
ठोस तथा लाल।

प्रश्न 24.
स्वस्थ तथा अस्वस्थ हाथ में क्या अन्तर होता है ?
उत्तर-
हाथ की हथेलियाँ लाल होने पर स्वस्थ तथा पीली होने पर अस्वस्थ मानी जाती हैं।

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प्रश्न 25.
सोने से पहले कोई परिश्रम या अधिक दौड़ भाग का काम क्यों नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
इससे निद्रा अच्छी नहीं आती।

प्रश्न 26.
छुट्टी वाले दिन क्या कार्य करने चाहिए ?
उत्तर-
हल्के और मनोरंजक कार्य करने चाहिएं।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यायाम शरीर के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
व्यायाम हमारे स्वास्थ्य के लिए तथा शरीर को निरोग रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। इसके विभिन्न कारण हैं –

  1. व्यायाम करने से भोजन शीघ्र पच जाता है था भूख खुलकर लगती है।
  2. व्यायाम करने से शरीर की गन्दगी शीघ्र बाहर निकल जाती है।
  3. व्यायाम करने से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं जिससे शरीर मजबूत होता है।
  4. व्यायाम करने से शरीर के सब अंग खुल जाते हैं। फेफड़े बड़े हो जाते हैं। श्वास की क्रिया तेजी से होती है।
  5. रक्त शुद्ध हो जाता है।
  6. व्यायाम करने से अधिक शुद्ध रक्त मिलता है जिससे वह तरोताज़ा रहता है।
  7. रोग रोधन क्षमता बढ़ जाती है।

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प्रश्न 2.
व्यायाम के सामान्य नियम क्या हैं ?
उत्तर-
व्यायाम (Exercise) करते समय व्यायाम के नियमों का पालन करना चाहिए। व्यायाम के नियम निम्नलिखित हैं –

  1. व्यायाम शुद्ध वायु तथा खुले स्थान पर करना चाहिए।
  2. व्यायाम बीमारी से तुरन्त उठने, भोजन के पश्चात् अथवा चिन्ता की दिशा में नहीं करना चाहिए।
  3. व्यायाम आयु तथा स्वास्थ्य के आधार पर करना चाहिए।
  4. व्यायाम को धीरे-धीरे बढ़ाइए। एकदम अधिक व्यायाम नहीं करना चाहिए।
  5. व्यायाम के तुरन्त बाद जल नहीं पीना चाहिए और न ही नहाना चाहिए।
  6. व्यायाम करते समय सर्दी से बचने के लिए शरीर पर कोई ढीला वस्त्र अवश्य रहना चाहिए।
  7. मस्तिष्क के कार्य करने वालों के लिए सैर करना, हल्की दौड़, ओस पर चलना ही उचित व्यायाम है।
  8. पेट के रोगियों को झुकने वाले व्यायाम करने चाहिएं।
  9. व्यायाम करते समय मुख से सांस नहीं लेना चाहिए।

प्रश्न 3.
नियमित स्नान के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
नियमित स्नान से शरीर को निम्न लाभ होते हैं –

  1. त्वचा की स्वच्छता होती है।
  2. रोमकूपों के मुँह खुल जाते हैं।
  3. ठण्डे पानी से नहाने से त्वचा के तापमान को सामान्य बनाने के लिए रक्त अधिक मात्रा में तथा तीव्र गति से त्वचा की ओर प्रवाहित होता है।
  4. नहाने के बाद तौलिए से शरीर रगड़ने से रक्त संचरण उत्तम होता है।
  5. स्नान से हानिकारक पदार्थों तथा रोगाणुओं से मुक्ति मिलती है।
  6. धुलकर बह जाने से पसीने की दुर्गन्ध जाती रहती है।

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बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्राम और निद्रा से स्वास्थ्य को क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
विश्राम और निद्रा से स्वास्थ्य को लाभ-विश्राम नितान्त आवश्यक होता है। हम जो भी शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करते हैं, उससे हमारे शरीर में थकान आ जाती है। वास्तव में, शारीरिक परिश्रम करते समय हमारे शरीर में अनेक विषैले पदार्थ एकत्र हो जाते हैं। ये पदार्थ ही हमारी माँसपेशियों को थकाते हैं। इसके अतिरिक्त कार्य करते समय हमारे शरीर के ऊतक अधिक टूटते-फूटते रहते हैं। कार्य करते समय इनकी मरम्मत नहीं हो पाती। अतः शरीर के स्वास्थ्य के लिए इन ऊतकों की मरम्मत तथा विषैले पदार्थों का बाहर निकलना अनिवार्य होता है। इन क्रियाओं के लिये विश्राम आवश्यक होता है।

विश्राम का सबसे उत्तम उपाय नींद है। नींद व्यक्ति के लिए वरदान है। निद्रा के समय हमारे शरीर में कार्य करने के परिणामस्वरूप हुई टूट-फूट ठीक हो जाती है तथा शरीर नई शक्ति अर्जित कर लेता है। पर्याप्त नींद ले लेने से व्यक्ति एकदम तरोताज़ा एवं स्वस्थ हो जाता है। नींद के समय हमारे शरीर के सभी अंगों को आराम मिलता है। इस समय हमारी नाड़ी एवं श्वास की गति भी कुछ मन्द हो जाती है तथा रक्तचाप भी घट जाता है, अतः सम्बन्धित अंगों को भी कुछ आराम मिलता है। यदि किसी व्यक्ति को पर्याप्त नींद नहीं आती तो उसका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। नींद के अभाव में व्यक्ति दुर्बल हो जाता है, स्वभाव में चिड़चिड़ाहट आ जाती है तथा चेहरे पर उदासी छा जाती है।

प्रश्न 2.
स्नान करने का महत्त्व स्पष्ट करें। किन देशों में नहाने का महत्त्व है ?
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 8 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
दाँतों के किसी रोग का नाम बताओ।
उत्तर-
केरीज़।

प्रश्न 2.
आँख गई ……………….. गया।
उत्तर-
जहान।

प्रश्न 3.
ठण्डे देश में …………………… स्नान भी किया जाता है।
उत्तर-
भाप।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 8 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

प्रश्न 4.
निरोगी जीवन के लिए …………………… बहुत आवश्यक है।
उत्तर-
स्नान।

प्रश्न 5.
खेलने के बाद ………………………. से नहाना चाहिए।
उत्तर-
गर्म पानी।

प्रश्न 6.
शारीरिक या मानसिक कार्य करने से क्या होता है ?
उत्तर-
थकावट।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 8 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

प्रश्न 7.
डैनटीन के अन्दर एक खोल होता है उसे क्या कहते हैं ?
उत्तर-
पलम खोल।

प्रश्न 8.
हमारे नाखून सफेद क्यों हो जाते हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, लोहे या खनिज पदार्थों की कमी के कारण।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 8 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान PSEB 6th Class Home Science Notes

  • व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान वह विज्ञान है जो हमारे शरीर को स्वस्थ एवं सुचालित रखने में हमारी सहायता करता है।
  • निरोग और बलिष्ठ मनुष्य ही देश की उन्नति में सहायता कर सकते हैं।
  • स्वस्थ और स्वच्छ रहने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने शरीर को स्वच्छ रखें और उसकी उचित देखभाल करें।
  • आँखें हमारे शरीर की बहुत ही महत्त्वपूर्ण और नाजुक अंग हैं। इनकी देखभाल बहुत ज़रूरी है। बड़ों का कहना है कि “आँखें गईं जहान गया।”
  • आँखों की स्वस्थता के लिए विटामिन ‘ए’ बहुत ज़रूरी है।
  • आँखों का दुखना एक छूत की बीमारी है।
  • आँखों के रोगी को अपना तौलिया, रूमाल और अन्य कपड़े दूसरों से अलग रखने चाहिएं।
  • मध्यम रोशनी में बारीक अक्षर पढ़ने से, सूर्यास्त के समय सिलाई-कढाई का काम करने से आँखों पर काफ़ी दबाव पड़ता है।
  • जब कभी रात के समय काम करना हो तो रोशनी ठीक और बाएँ हाथ की ओर होनी चाहिए, लेकिन बाएँ हाथ से काम करने वालों के लिए यह रोशनी दाईं ओर से आनी चाहिए।
  • प्रत्येक दिन सुबह उठकर ताजे पानी से आँखों को धोना चाहिए और ठण्डे पानी के हल्के-हल्के छींटे मारने चाहिएं।
  • यदि आँखों पर दबाव पड़ने वाला काम अधिक देर तक करना पड़े तो थोड़ी देर बाद कुछ पलों के लिए आँखों को धीरे से बन्द कर लेना चाहिए। इससे आँखों को आराम मिलता है।
  • दाँत मनुष्य की सुन्दरता को बढ़ाते हैं।
  • भोजन का सही स्वाद लेने के लिए दाँत बहुत ज़रूरी हैं।
  • यदि दाँतों को अच्छी तरह साफ़ न किया जाए तो भोजन का कुछ भाग दाँतों के खोलों में इकट्ठा हो जाता है। जिससे दाँतों में कई प्रकार की बीमारियाँ हो जाती है।
  • खाना खाने के बाद गर्म या नमक मिले पानी या लाल दवाई से घोल के साथ कुल्ली करना लाभदायक है।
  • दाँतों को दिन में कम-से-कम दो बार ब्रुश या दातुन से साफ़ करना चाहिए।
  • दाँतों से सख्त चीजें जैसे बादाम, अखरोट आदि नहीं तोड़ने चाहिएं।
  • छोटे बच्चे जब दाँत निकाल रहे हों तो उनके भोजन में विटामिन ‘डी’, कैल्शियम और फॉस्फोरस की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए।
  • कैल्शियम, विटामिन ‘डी’ और फॉस्फोरस की कमी के कारण दंतासिन नामक रोग हो जाता है।
  • साफ़ नाखून हाथों की सुन्दरता को बढ़ा देते हैं।
  • गन्दे हाथों से तैयार किया और खाया भोजन कई बीमारियाँ पैदा करता है, जैसे बदहज़मी, जी मितलाना, दस्त लगना, उल्टी आना आदि।
  • नींबू काटकर नाखूनों पर रगड़ने से चमक आ जाती है।
  • हमारे शरीर में विटामिन या किसी खनिज पदार्थ की कमी हो जाने से नाखून सफ़ेद हो जाते हैं या उन पर सफ़ेद निशान पड़ जाते हैं।
  • पसीने की ग्रंथियों से पसीना बाहर निकलता है।
  • नहाने से शारीरिक ताप भी ठीक रहता है।
  • सुबह का समय स्नान के लिए सबसे अच्छा होता है।
  • सर्दियों में गर्म पानी से स्नान करने पर गर्मी मिलती है।
  • ठण्डे देशों में भाप स्नान भी किया जाता है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 15 गुप्त साम्राज्य

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 15 गुप्त साम्राज्य Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 15 गुप्त साम्राज्य

SST Guide for Class 6 PSEB गुप्त साम्राज्य Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
समुद्रगुप्त की विजयों का वर्णन करें।
उत्तर-
समुद्रगुप्त एक महान् विजेता था। उसकी प्रमुख विजयों का वर्णन इस प्रकार है –
1. समुद्रगुप्त ने सबसे पहले उत्तरी भारत के तीन राजाओं को हराया और उनके राज्य . को गुप्त साम्राज्य में मिला लिया।

2. समुद्रगुप्त की सबसे बड़ी विजय दक्षिणी भारत की विजय थी। उसने दक्षिण के 12 राजाओं को हराया। परन्तु उनके द्वारा अधीनता स्वीकार करने पर उसने उनके राज्य लौटा दिए।

3. कुछ जंगली जातियों ने राज्य में अशांति फैला रखी थी। ये जातियां आमतौर पर उड़ीसा के जंगलों में रहती थीं। समुद्रगुप्त ने इन जातियों को युद्ध में हरा कर शान्ति स्थापित की।

वास्तव में समुद्रगुप्त ने फ्रांस के शासक तथा सेनापति नेपोलियन की तरह अनेक प्रदेशों पर विजय प्राप्त की। इसलिए उसे भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य समुद्रगुप्त का पुत्र था। उसे चन्द्रगुप्त द्वितीय भी कहा जाता है। वह गुप्त वंश का एक प्रतापी राजा था। उसने लगभग 380 ई० से 412 ई० तक राज्य किया।

  1. उसने पश्चिमी भारत के शकों को हराया। उसने अपनी सैनिक शक्ति द्वारा अपने साम्राज्य को अरब सागर तक बढ़ाया तथा सौराष्ट्र और काठियावाड़ को जीता।
  2. उसने दिल्ली में कुतुबमीनार के समीप लोहे का विशाल स्तम्भ बनवाया, जिस पर लिखे लेख में उसकी सफलताओं का वर्णन है।
  3. उसने कला तथा साहित्य को प्रोत्साहन दिया। उसके दरबार में नौ विद्वान् थे जिन्हें ‘नवरत्न’ कहा जाता था।
  4. वह धार्मिक दृष्टि से बहुत सहनशील था। वह स्वयं भगवान् विष्णु का भक्त था लेकिन वह सभी धर्मों का सम्मान करता था।
  5. उसने बड़ी मात्रा में सोने, चांदी तथा तांबे के सिक्के चलाए।
  6. उसके शासन काल में ही चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था।
  7. चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी, जिसका अर्थ है ‘वीरता का सूर्य’।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 15 गुप्त साम्राज्य

प्रश्न 3.
कालिदास के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
कालिदास संस्कृत के एक प्रसिद्ध कवि थे। वह गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार के ‘नवरत्नों’ में से एक थे। उन्होंने बहुत-से नाटकों तथा कविताओं की रचना की। शकुन्तला, रघुवंश, कुमारसम्भव तथा मेघदूत आदि उनकी अमर रचनाएं हैं। शकुन्तला नाटक संसार भर में प्रसिद्ध है।

प्रश्न 4.
गुप्तकाल में आर्थिक जीवन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
गुप्तकाल में आर्थिक जीवन बहुत समृद्ध था।

  1. कर बहुत कम थे तथा दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएं बहुत सस्ती थीं। आम लोग इन्हें ख़रीदने के लिए कौड़ियों अथवा तांबे के सिक्कों का प्रयोग करते थे। लेकिन इस काल में सबसे अधिक सोने के सिक्के चलाए गए। ऐसे सिक्कों को दीनार कहते थे।
  2. लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। कई प्रकार के अनाजों के अतिरिक्त फलों, तथा तेल-बीजों की कृषि भी की जाती थी।
  3. देशी तथा विदेशी, दोनों प्रकार का व्यापार उन्नत था। भारत के दक्षिण-पूर्वी एशिया, चीन, मध्य एशिया तथा यूरोपीय देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे।
  4. साहूकारों, व्यापारियों तथा उत्पादकों के अपने-अपने संगठन थे, जिन्हें श्रेणी अथवा निगम कहा जाता था।
  5. पशु-पालन तथा औद्योगिक-धन्धे अन्य प्रसिद्ध व्यवसाय थे।

प्रश्न 5.
गुप्तकाल को भारत का ‘स्वर्ण युग’ क्यों कहते हैं?
उत्तर-
गुप्तकाल में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बहुत उन्नति हुई थी, जिस कारण इसे भारत का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है।

  1. गुप्त साम्राज्य का शासन प्रबन्ध बहुत उत्तम था। राजा मन्त्रियों तथा अधिकारियों की सहायता से शासन चलाता था।
  2. लोग समृद्ध, सुखी तथा ईमानदार थे। कर बहुत कम थे। दैनिक प्रयोग की चीजें बहुत सस्ती थीं। इस काल में सोने के सिक्के बड़ी मात्रा में चलाए गए।
  3. कृषि तथा व्यापार का बहुत विकास हुआ था।
  4. गुप्तकाल में उच्चकोटि के साहित्य तथा कला की रचना हुई। साहित्यकारों तथा कलाकारों को राजाओं का संरक्षण प्राप्त था।
  5. सभी धर्मों का सम्मान किया जाता था। चाहे गुप्त राजा स्वयं हिन्दू धर्म को मानते थे लेकिन वे सभी धर्मों के लोगों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करते थे।सभी लोगों को पूर्ण धार्मिक स्वतन्त्रता प्राप्त थी।
  6. गुप्तकाल में विज्ञान तथा तकनीकी का बहुत विकास हुआ था। आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त तथा बाणभट्ट इस काल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे।
  7. शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत विकास हुआ था। ब्राह्मण तथा भिक्षु अध्यापक होते थे जो आमतौर पर मन्दिरों तथा मठों में शिक्षा देते थे। तक्षशिला, सारनाथ तथा नालन्दा गुप्तकाल के विश्वविद्यालय थे।
  8. गुप्तकाल में भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता का विदेशों में प्रचार किया गया।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. समुद्रगुप्त एक ………….. एवं ………….. था।
  2. कालिदास द्वारा लिखित नाटक …………. तथा काव्य ……….. बहुत प्रसिद्ध हैं।
  3. चन्द्रगुप्त द्वितीय ने बड़ी संख्या में ……….. और ……… के सिक्के जारी . किए।
  4. गुप्त साम्राज्य कई प्रांतों में बंटा हुआ था जिन्हें ………. कहा जाता है।
  5. (गुप्तकाल में) जिलों को …………… कहते थे।

उत्तर-

  1. महान् योद्धा, शासक
  2. सोने, चांदी
  3. भुक्ति
  4. विषय
  5. शकुंतला, मेघदूत।

III. सही जोड़े बनायें

  1. आर्यवर्त – (क) पंजाब
  2. मुद्रक – (ख) उत्तरी भारत
  3. लौह स्तम्भ – (ग) एक अधिकारी
  4. कुमारामात्य – (घ) दिल्ली

उत्तर-सही जोड़े

  1. आर्यवर्त – उत्तरी भारत
  2. मुद्रक – पंजाब
  3. लौह स्तम्भ – दिल्ली
  4. कुमारामात्य – एक अधिकारी

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IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) बताएं

  1. महाराज गुप्त प्रथम गुप्त राजा था।
  2. विक्रमादित्य ने समुद्रगुप्त की उपाधि धारण की थी।
  3. योद्येय दक्षिण भारत पर राज्य करते थे।
  4. फाह्यान यूनानी लेखक था।
  5. गुप्तों ने सोने के सिक्के जारी किए।
  6. आर्यभट्ट एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक था।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)
  6. (✓)

PSEB 6th Class Social Science Guide गुप्त साम्राज्य Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गुप्तवंश के पहले महान् शासक चन्द्रगुप्त प्रथम ने एक लिच्छवी राजकुमारी से विवाह किया था। उसका क्या नाम था?
उत्तर-
कुमार देवी।

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प्रश्न 2.
समुद्रगुप्त की उपलब्धियों से जुड़े इलाहाबाद स्तंभ लेख का लेखक कौन था?
उत्तर-
हरिषेण।

प्रश्न 3.
महरौली में कुतुबमीनार के समीप लौह स्तम्भ इतिहास में किस राजवंश के काल में बना था?
उत्तर-
गुप्त वंश।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गुप्तवंश के पतन में निम्न में से किन आक्रमणकारियों की विशेष भूमिका रही?
(क) ह्यूण
(ख) मंगोल
(ग) आर्य।
उत्तर-
(क) ह्यूण

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प्रश्न 2.
अजन्ता की गुफ़ाएं अपनी किस विशेषता के लिए प्रसिद्ध हैं?
(क) सुंदर भित्ति-चित्र
(ख) हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां
(ग) विशाल तोरण द्वार।
उत्तर-
(क) सुंदर भित्ति-चित्र

प्रश्न 3.
कालिदास ने मेघदूत तथा शकुंतला जैसे प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की। वह निम्न में से किस भाषा का कवि था?
(क) ब्रज
(ख) संस्कृत
(ग) पालि।
उत्तर-
(ख) संस्कृत

अति लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गुप्त वंश की जानकारी देने वाले चार स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर-
गुप्त वंश की जानकारी देने वाले चार स्रोत हैं –

  1. पुराण,
  2. कालिदास के नाटक,
  3. चीनी यात्री फाह्यान का वृत्तान्त,
  4. अभिलेख।

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प्रश्न 2.
गुप्त वंश का प्रथम स्वतन्त्र राजा कौन था?
उत्तर-
गुप्त वंश का प्रथम स्वतन्त्र राजा चन्द्रगुप्त प्रथम था।

प्रश्न 3.
चन्द्रगुप्त प्रथम ने कौन-से राज्यवंश के साथ वैवाहिक सम्बन्ध बनाए?
उत्तर-
चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवी वंश के साथ वैवाहिक सम्बन्ध बनाए।

प्रश्न 4.
चन्द्रगुप्त प्रथम का राज्यकाल बताएं।
उत्तर-
चन्द्रगुप्त प्रथम का राज्यकाल 320 ई० से 335 ई० तक था।

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प्रश्न 5.
समुद्रगुप्त राजगद्दी पर कब बैठा?
उत्तर-
समुद्रगुप्त 335 ई० में राजगद्दी पर बैठा।

प्रश्न 6.
समुद्रगुप्त ने कौन-से नाग राजाओं को पराजित किया?
उत्तर-
समुद्रगुप्त ने जिन नाग राजाओं को पराजित किया उनके नाम थे-अच्युत नाग, नागसेन तथा गणपति नाग।

प्रश्न 7.
भारत का नेपोलियन किस राजा को कहा जाता है?
उत्तर-
समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।

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प्रश्न 8.
समुद्रगुप्त ने कौन-से विदेशी राजा के साथ मित्रता स्थापित की?
उत्तर-
समुद्रगुप्त ने श्रीलंका के राजा मेघवर्मन के साथ मित्रता स्थापित की।

प्रश्न 9.
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य का राज्यकाल बताएं।
उत्तर-
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य का राज्यकाल 380 ई० से 415 ई० तक था।

प्रश्न 10.
पंचतन्त्र के लेखक का क्या नाम था?
उत्तर-
पंचतन्त्र का लेखक विष्णु शर्मा था।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चन्द्रगुप्त प्रथम की विजयों के बारे में लिखें।
उत्तर-
चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवी वंश की राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया। लिच्छवी वंश राजनीतिक रूप से शक्तिशाली था। इस वंश की सहायता से चन्द्रगुप्त प्रथम ने मगध, बिहार तथा इलाहाबाद के समीपवर्ती प्रदेशों को जीत लिया। उसने अपने नाम पर एक संवत् भी चलाया।

प्रश्न 2.
समुद्रगुप्त की कला के क्षेत्र में क्या देन थी?
उत्तर-
समुद्रगुप्त ने कला तथा साहित्य को पूर्ण सुरक्षा दी। उसको संगीत से बड़ा लगाव था। उसके राज्य के कुछ सिक्कों पर उसको वीणा बजाते हुए दिखाया गया है। हरिषेन उसका दरबारी कवि था।

प्रश्न 3.
गुप्तकाल की वैज्ञानिक उन्नति का ब्योरा दीजिए।
उत्तर-
गुप्तकाल में विज्ञान के क्षेत्र में बहुत उन्नति हुई। आर्यभट्ट इस काल का प्रसिद्ध ज्योतिषी तथा गणित का विद्वान् था। उसने संसार को शून्य, सूर्य ग्रहण तथा चन्द्र ग्रहण की जानकारी दी। ब्रह्मगुप्त गणित तथा बीज गणित का विद्वान् था। वराहमिहिर वनस्पति विज्ञान । तथा भूगोल का विद्वान् था।

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प्रश्न 4.
समुद्रगुप्त की दक्षिण विजयों का वर्णन करें।
उत्तर-
समुद्रगुप्त की सबसे महान् विजय दक्षिणी भारत की विजय थी। उसने दक्षिण – भारत के 12 राजाओं को पराजित किया । उसने उत्तरी भारत में सभी जीते हुए प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया, परन्तु दक्षिण भारत के सभी विजित प्रदेश उसने वहां के राजाओं को लौटा दिए। उनसे वह केवल कर वसूल करता रहा।

प्रश्न 5.
चन्द्रगुप्त द्वितीय के दूसरे देशों के साथ सम्बन्धों की जानकारी दें।
उत्तर-
चन्द्रगुप्त ने एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना करके विक्रमादित्य की उपाधि धारण की। उसने अपने साम्राज्य को दृढ़ करने के लिए पड़ोसी राजाओं के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए। उसने अपनी पुत्री प्रभावती का विवाह वाकाटक राज्य के राजकुमार रुद्रसेन द्वितीय के साथ किया। परन्तु दुर्भाग्य से रुद्रसेन द्वितीय की शीघ्र ही मृत्यु हो गई। अतः चन्द्रगुप्त ने प्रभावती तथा अपने अवयस्क दोहतों की वाकाटक राज्य को सम्भालने में सहायता की। चन्द्रगुप्त की इस नीति के कारण वाकाटक राज्य की जनता चन्द्रगुप्त की आभारी हो गई। गुप्त राजाओं के कुन्तल के कांदव शासक की पुत्रियों से भी विवाह हुए। इस प्रकार चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपनी शक्ति को और भी दृढ़ कर लिया।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फाह्यान के वृत्तांत का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
फाह्यान एक चीनी यात्री था। वह चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में भारत आया। वह भारत में बौद्ध तीर्थ स्थानों की यात्रा करने तथा बौद्ध ग्रन्थों की खोज के लिए भारत आया था। उसने अपने वृत्तांत में निम्नलिखित बातों का वर्णन किया है –

1. चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन के बारे में-फाह्यान ने चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के उदारवादी राज्य प्रबन्ध का वर्णन किया है। वह लिखता है कि दण्ड नर्म थे, फिर भी अपराध नहीं होते थे। सड़कें सुरक्षित थीं। राज्य प्रबन्ध को सुचारु रूप से चलाने के लिए साम्राज्य को प्रान्तों में बांटा हुआ था। प्रान्तों का प्रबन्ध गर्वनरों के हाथ में था।

2. लोगों के बारे में-फाह्यान के अनुसार गुप्त साम्राज्य में लोग समृद्ध, ईमानदार तथा अच्छे नागरिक थे। वे कानून का पालन करते थे। उनका नैतिक जीवन ऊंचा था। लोग मुख्य रूप में शाकाहारी थे। चण्डालों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता था। इसलिए वे नगर से बाहर रहते थे।

3. धर्म के बारे में – फाह्यान के वृत्तांत से पता चलता है कि गुप्तकाल में बौद्ध धर्म बहुत विकसित था। लेकिन गुप्त शासक स्वयं हिन्दू धर्म को मानते थे। वे विष्णु के पुजारी थे। लेकिन वे दूसरे धर्मों के प्रति उदारवादी थे।

प्रश्न 2.
गुप्तकाल के साहित्य की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
गुप्तकाल में राज दरबार की भाषा संस्कृत थी। इसलिए संस्कृत भाषा तथा साहित्य ने इस काल में विशेष उन्नति की।

  1. इस काल के प्रसिद्ध लेखक कालिदास ने संस्कृत भाषा में अनेक नाटक तथा कविताएं लिखीं। शकुन्तला, रघुवंश, मेघदूत तथा ऋतुसंहार उनके द्वारा रचित मुख्य नाटक हैं। कालिदास, चन्द्रगुप्त द्वितीय के नवरत्नों में से एक थे। उन्हें भारतीय शेक्सपीयर भी कहा जाता है।
  2. समुद्रगुप्त के समय हरिषेन एक प्रसिद्ध साहित्यकार था।
  3. विष्णु शर्मा का पंचतन्त्र, विशाखादत्त का मुद्राराक्षस तथा अमर सिंह का अमरकोष भी संस्कृत भाषा की अनमोल रचनाएं हैं।
  4. गुप्तकाल में नालन्दा, सारनाथ, तक्षशिला, पाटलिपुत्र, बनारस, मथुरा आदि शिक्षा के महत्त्वपूर्ण केन्द्र थे। इन केन्द्रों में साहित्य, धर्म, दर्शन, वेदों आदि की शिक्षा दी जाती थी।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक

SST Guide for Class 6 PSEB भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
सातवाहनों के प्रशासन के बारे में लिखें।
उत्तर-
सातवाहनों ने दक्कन में लगभग 300 वर्षों तक राज्य किया। इनका प्रशासन बहुत उत्तम था, जिस कारण राज्य में सुख-शान्ति तथा समृद्धि थी। इनके प्रशासन का वर्णन इस प्रकार है –

  1. राजा-सातवाहन साम्राज्य में राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। उसे धर्म का रक्षक तथा दैवी शक्तियों का मालिक माना जाता था। चाहे राजा निरंकुश था, फिर भी स्थानीय संस्थाओं को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त थी।
  2. अधिकारी-अमात्य तथा महामात्र आदि अधिकारी शासन चलाने में राजा की सहायता करते थे।
  3. प्रान्त-साम्राज्य प्रान्तों में बंटा हुआ था। प्रान्त का प्रशासन सेनापति द्वारा चलाया जाता था।
  4. जिले-प्रान्तों को जिलों में बांटा हुआ था। ज़िलों को अहारास कहा जाता था।
  5. गांवों का प्रशासन-गांवों का प्रशासन गांव के मुखिया द्वारा चलाया जाता था जो ‘गोलमिकास’ कहलाता था।
  6. न्याय तथा सेना-सातवाहनों की न्याय व्यवस्था कठोर थी। सेना में घोड़ों, पैदल सैनिकों, रथों, हाथियों तथा नौकाओं का प्रयोग किया जाता था।
  7. आय के साधन-सातवाहनों की आय का मुख्य साधन शायद भूमिकर था।

प्रश्न 2.
प्रथम महान् चोल शासक कौन था तथा उसकी प्राप्तियां कौन-सी थीं?
उत्तर-
प्रथम् महान् चोल शासक कारीकल था।
प्राप्तियां-

  1. कारीकल ने अपने पड़ोसी चेर तथा पांड्य राजाओं को बुरी तरह से हराया।
  2. उसने श्रीलंका पर आक्रमण किया।
  3. उसने जंगलों को साफ़ करके भूमि को कृषि योग्य बनाया और सिंचाई के लिए नहरों तथा तालाबों का प्रबन्ध किया।
  4. उसने बाढ़ों को रोकने के लिए कावेरी नदी पर बांध बनवाया।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक

प्रश्न 3.
200 ई० पू० से 300 ई० तक दक्षिण भारत के लोगों के जीवन बारे में लिखें।
उत्तर-
200 ई० पू० से 300 ई० तक दक्षिण भारत के लोगों का जीवन बहुत साधारण था। अधिकतर लोग किसान थे तथा गांवों में रहते थे।

  1. लेकिन शाही घराने के लोग तथा अमीर लोग शहरों के भीतरी भागों में रहते थे।
  2. बहुत-से व्यापारी तथा कारीगर समुद्री तटों के साथ लगते शहरों में बसे हए थे ताकि उन्हें व्यापार करने में आसानी रहे।
  3. लोग परिवार में मिल-जुल कर रहते थे। दिन भर काम करने के पश्चात् लोग अपना मनोरंजन करने के लिए संगीत, नृत्य, कविता-पाठ तथा जुआ आदि मनोरंजन के साधनों का प्रयोग करते थे।
  4. संगीत-यन्त्रों के रूप में वीणा, बांसुरी, तारों के तरंग वाले यन्त्रों तथा ढोल का प्रयोग किया जाता था। संगीत बहुत विकसित था। लोग रात तथा दिन के लिए अलगअलग राग बजाते-गाते थे।
  5. किसान, व्यापारी, पशु-पालक तथा कारीगर सरकार को टैक्स देते थे।

प्रश्न 4.
महापाषाण संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
दक्षिणी भारत में महापाषाण संस्कृति लगभग 1000 ई० पू० अस्तित्व में आई थी। इस भाग में वे लोग निवास करते थे, जिन्हें महापाषाण-निर्माता कहा जाता है। किसी विशाल पत्थर को महापाषाण कहते हैं। इस संस्कृति के लोग अपनी कब्रों को बड़े-बड़े पत्थरों के टुकड़ों से घेर देते थे। इसी कारण उनकी संस्कृति को महापाषाण संस्कृति का नाम दिया गया है।

महापाषाण संस्कृति की जानकारी हमें महाराष्ट्र में इनामगांव, तकलाघाट, म्यूरभाटी तथा दक्षिणी भारत में मास्की, कोपब्ल तथा ब्रह्मगिरि आदि स्थानों से मिले खण्डहरों से प्राप्त होती है। इन खण्डहरों से पता चलता है कि महापाषाण संस्कृति के लोग काले तथा लाल रंग के मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करते थे। इन बर्तनों में भिन्न-भिन्न प्रकार के मटके तथा अन्य बर्तन शामिल होते थे। कई बर्तन चाक पर बनाए जाते थे।

लोग कृषि तथा शिकार, दोनों प्रकार के व्यवसाय करते थे। कृषि का व्यवसाय काफ़ी उन्नत था, परन्तु अधिकतर लोग शिकार करना पसन्द करते थे।

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प्रश्न 5.
महापाषाण संस्कृति के दफ़नाने के ढंग सम्बन्धी लिखें।
उत्तर-
महापाषाण संस्कृति के लोग मृतकों को दफनाने के लिए एक विशेष रिवाज का पालन करते थे। वे मृतकों को दफ़नाकर उनके चारों ओर बड़े-बड़े पत्थरों का एक घेरा बनाते थे। इसके अतिरिक्त वे लोग मृतकों के बर्तन, औज़ार तथा हथियार आदि उनके साथ ही दफ़ना देते थे। शायद उन लोगों को विश्वास था कि मृत्यु के पश्चात् मनुष्य दूसरे संसार में चला जाता है तथा उसे वहाँ भी अपनी वस्तुओं की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
डिमिट्रियस तथा मिनेन्द्र कौन थे?
उत्तर-
1. डिमिट्रियस-डिमिट्रियस पहला हिन्द-यूनानी हमलावर था जिसने मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत पर हमला करके अफ़गानिस्तान, पंजाब तथा सिन्ध के एक बड़े भाग पर कब्जा कर लिया था। लेकिन डिमिट्रियस को मध्य एशिया के बलख प्रान्त से हाथ धोने पड़े थे क्योंकि वहां यूकेटाइस ने सफल विद्रोह किया था।

2. मिनेन्द्र-मिनेन्द्र हिन्द-यूनानियों का एक महान् शासक था। उसने बौद्ध धर्म अपना लिया था। बौद्ध साहित्य में यह मिलिन्द के नाम से प्रसिद्ध है। वह बहुत योग्य तथा वीर शासक था। उसने पुष्यमित्र शुंग के काल में भारत पर आक्रमण करके पंजाब (आधुनिक पाकिस्तान सहित) तथा कश्मीर के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 7.
शकों (सिथियन्ज) के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
सिथियन्ज़ अथवा शक अथवा मध्य एशिया के मूल निवासी थे। ये 200 ई० पू० के मध्य में भारत में आक्रमणकारी के रूप में आए थे तथा यहां ही स्थायी रूप में रहने लग पड़े। आरम्भ में इन लोगों की बस्तियां उत्तर-पश्चिमी पंजाब, उत्तर प्रदेश में मथुरा तथा मध्य भारत में थीं। परन्तु बाद में पश्चिमी भारत का गुजरात तथा मध्य प्रदेश का उज्जैन क्षेत्र उनकी शक्ति के केन्द्र बन गए। रुद्रदमन प्रथम, सिथियन्ज़ वंश का बहुत प्रसिद्ध शासक था, जिसने 200 ई० में राज्य किया। चौथी शताब्दी के अन्त में गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (चन्द्रगुप्त द्वितीय) ने सिथियन्ज़ को हरा कर उनके शासन का अन्त कर दिया।

प्रश्न 8.
कनिष्क पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था। उसने 78 ई० से 102 ई० तक शासन किया। वीरता की दृष्टि से उसकी तुलना समुद्रगुप्त के साथ की जाती है।
राज्य का विस्तार-कनिष्क के शासन काल में कुषाण राज्य का सबसे अधिक विस्तार हुआ। उसका राज्य बिहार तक फैला हुआ था, जिसमें मध्य भारत, गुजरात, सिन्ध, पंजाब, अफ़गानिस्तान तथा बलख शामिल थे। उसने चीनी सेनापति पान चाओ से भी युद्ध किया था।

बौद्ध धर्म तथा कनिष्क-बौद्ध धर्म के अनुयायी के रूप में कनिष्क की तुलना सम्राट अशोक से की जाती है। उसने बौद्ध धर्म के मठों तथा विहारों की मरम्मत करवाई तथा कई नवीन मठों तथा विहारों का निर्माण करवाया। उसने कश्मीर में बौद्ध धर्म के विद्वानों की एक सभा बुलाई थी, जिसे चतुर्थ बौद्ध सभा कहा जाता है। उसने अश्वघोष, नागार्जुन तथा वसुमित्र जैसे बौद्ध विद्वानों को आश्रय दिया।

कला-प्रेमी-कनिष्क एक महान् कला-प्रेमी था। उसके समय में महात्मा बुद्ध की अनेक सुन्दर मूर्तियां बनाई गईं। उसके काल में गंधार कला के अलावा मथुरा कला का भी विकास हुआ। उसने बहुत-से सोने-चांदी के सिक्के भी चलाए।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. गौतमीपुत्र शातकर्णी ने ……….. से ………….. तक राज्य किया।
  2. सातवाहनों ने नगरों तथा गाँवों को जोड़ने के लिए …………. बनवाई।
  3. सातवाहन शासक ………….. के अनुयायी थे।
  4. पाण्डेय राज्य की राजधानी …………. थी।
  5. पल्लव जिन्हें अंग्रेज़ी में ………….. कहते थे, ईरान से भारत आने वाला एक विदेशी कबीला था।
  6. कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा …………… था।

उत्तर-

  1. 106 ई०, 130
  2. सड़कें
  3. हिंदू धर्म
  4. मदुरै
  5. पार्थियन
  6. कनिष्क।

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III. निम्नलिखित के ठीक जोड़े बनायें

  1. गौतमीपुत्र शातकर्णी का उत्तराधिकारी – (क) यज्ञश्री शातकर्णी
  2. सातवाहनों का अन्तिम महान् शासक – (ख) वशिष्ठीपुत्र पुलमावि
  3. काले तथा लाल बर्तन – (ग) कुम्हार का काम
  4. दरांती और कस्सी – (घ) कुषाण शासक
  5. मिनेन्द्र – (ङ) चीनी सेनापति
  6. कुजुल कैडफिसिज़ – (च) हिन्द-यूनानी आक्रमणकारी
  7. पान चाओ – (छ) बौद्ध विद्वान्
  8. अश्वघोष – (ज) औज़ार

उत्तर-
सही जोड़े

  1. गौतमीपुत्र शातकर्णी का उत्तराधिकारी – वशिष्ठीपुत्र पुलमावि
  2. सातवाहनों का अन्तिम महान् शासक – यज्ञश्री शतकर्णी
  3. काले तथा लाल बर्तन – कुम्हार का काम
  4. दरांती तथा कस्सी – औज़ार
  5. मिनेन्द्र – हिन्द-यूनानी आक्रमणकारी
  6. कुजुल कैडफिसिज़ – कुषाण शासक
  7. पान चाओ – चीनी सेनापति
  8. अश्वघोष – बौद्ध विद्वान्।

IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) बताएं

  1. दक्कन में पाण्डेय मौर्यों के प्रसिद्ध उत्तराधिकारी थे।
  2. गौतमीपुत्र शातकर्णी ने 106 ई० से 131 ई० तक राज्य किया।
  3. संगीत, नाच, कविता-उच्चारण तथा जुआ आदि मनोरंजन की प्रसिद्ध किस्में थीं।
  4. शकों को चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने पराजित नहीं किया था।
  5. गोडोफ़र्नीज़ एक सिथियन शासक था।
  6. कनिष्क ने चौथी बौद्ध-सभा बुलाई थी।
  7. हुविष्क एक पार्थियन शासक था।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)
  7. (✗)

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PSEB 6th Class Social Science Guide भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गौतमी पुत्र शातकर्णी दक्कन राजवंश का एक प्रसिद्ध शासक था। उस वंश का नाम बताएं।
उत्तर-
सातवाहन।

प्रश्न 2.
सातवाहन शासक हिन्दू धर्म के अनुयायी थे। परंतु उनका व्यापारी वर्ग . एक अन्य धर्म को मानता था। वह धर्म कौन-सा था?
उत्तर-
बौद्ध धर्म।

प्रश्न 3.
भारत का प्रसिद्ध यूनानी शासक मिनेंद्र बौद्ध साहित्य में किस नाम से प्रसिद्ध है? .
उत्तर-
सम्राट् मिलिन्द।

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बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुषाण शासक कनिष्क ने निम्न में से किस चीनी सेनापति से युद्ध किया?
(क) पान चाओ
(ख) चिन पिंग
(ग) पिंग चिन।
उत्तर-
(क) पान चाओ

प्रश्न 2.
गांधार कला शैली किन दो कला शैलियों का मिश्रण थी?
(क) यूनानी तथा ईरानी
(ख) यूनानी तथा भारतीय
(ग). मथुरा तथा द्रविड़।
उत्तर-
(ख) यूनानी तथा भारतीय

प्रश्न 3.
अश्वघोष एक प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान था। बताएं कि निम्न में से वह किस शासक का दरबारी था?
(क) हुविष्क
(ख) मिनेंद्र
(ग) कनिष्क।
उत्तर-
(ग) कनिष्क

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सातवाहन वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुक था।

प्रश्न 2.
गौतमीपुत्र शतकर्णी का राज्यकाल लिखें।
उत्तर–
गौतमीपुत्र शतकर्णी ने 106 ई० से 130 ई० तक राज्य किया।

प्रश्न 3.
चोल वंश का प्रथम राजा कौन था?
उत्तर-
चोल वंश का प्रथम राजा कारीकल था।

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प्रश्न 4.
नेडूनचयशान किस वंश का प्रसिद्ध राजा था?
उत्तर-
पांड्य वंश का।

प्रश्न 5.
पल्लव शासक अंग्रेज़ी में किस नाम से जाने जाते हैं?
उत्तर-
पार्थियन।

प्रश्न 6.
क्षत्रप का क्या अर्थ है?
उत्तर-
शक जाति के कुछ लोग पल्लव राजाओं के अधीन प्रान्तों के मवर्नर बन गए थे। इन गवर्नरों को क्षत्रप कहा जाता था।

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प्रश्न 7.
कुषाण वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
कुषाण वंश का संस्थापक कुजुल कैडफीसिज़ था।

प्रश्न 8.
कनिष्क की राजधानी का नाम बताएं।
उत्तर-
कनिष्क की राजधानी पुरुषपुर (वर्तमान पेशावर) थी।

प्रश्न 9.
कनिष्क किस बौद्ध विद्वान् के प्रभावाधीन बौद्ध धर्म का अनुयायी बना?
उत्तर-
कनिष्क बौद्ध विद्वान् अश्वघोष के प्रभावाधीन बौद्ध धर्म का अनुयायी बना।

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प्रश्न 10.
कनिष्क ने कौन-सा नगर बसाया?
उत्तर-
कनिष्क ने बारामूला के निकट कनिष्कपुर नगर बसाया।

प्रश्न 11.
कनिष्क ने चौथी बौद्ध सभा का आयोजन कहां किया?
उत्तर-
कनिष्क ने चौथी बौद्ध सभा का आयोजन कश्मीर में किया।

प्रश्न 12.
अश्वघोष की पुस्तक का नाम बताएं।
उत्तर-
अश्वघोष की पुस्तक बुद्धचरित्रम् थी।

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प्रश्न 13.
200 ई० पू० से 300 ई० तक भारत में कला की कौन-सी दो शैलियों का आरम्भ हुआ?
उत्तर-
गन्धार शैली तथा मथुरा शैली का आरम्भ हुआ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शक जाति के आक्रमण के बारे में बताएँ।
उत्तर-
शक जाति मध्य एशिया की रहने वाली थी। लगभग 165 ई० पूर्व में चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में रहने वाली यू-ची जाति ने शक जाति को मध्य एशिया से खदेड़ दिया। अत: शकों ने मध्य एशिया से निकलकर कई यूनानी प्रदेशों को विजित कर लिया। इन्होंने अपने छोटे-छोटे राज्य स्थापित कर लिए।

प्रश्न 2.
कनिष्क की दो विजयों के बारे में बताएं।
उत्तर-
कनिष्क की दो विजयों का वर्णन इस प्रकार है –
1. कश्मीर की विजय-कश्मीर की विजय कनिष्क की प्रसिद्ध विजय थी। वहां उसने कई नये नगरों की स्थापना की। वर्तमान बारामूला के निकट स्थित कनिष्कपुर इन नगरों में से एक था।
2. मगध से युद्ध-उसने मगध के शासक के साथ भी युद्ध किया। वहां से वह पाटलिपुत्र के प्रसिद्ध भिक्षु अश्वघोष को अपने साथ ले आया।

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प्रश्न 3.
विदेशी आक्रमणों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तरा-
विदेशी आक्रमणों के कारण भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा।

  1. शक, हिन्द-यूनानी, पल्लव, कुषाण आदि अनेक विदेशी जातियों के लोग भारतीय समाज में शामिल हो गए। वे हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करने लगे।
  2. अनेक विदेशी लोगों ने भारतीयों के साथ विवाह सम्बन्ध स्थापित करके भारतीय संस्कृति को अपना लिया।
  3. कनिष्क आदि विदेशी राजाओं ने बौद्ध धर्म को अपनाया और इसका विदेशों में प्रचार करवाया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सातवाहनों का इतिहास लिखें।
उत्तर-
सातवाहनों की जानकारी वैदिक साहित्य से भी मिलती है। सातवाहनों ने कृष्णा नदी तथा गोदावरी नदी के बीच का प्रदेश (आंध्र) जीत लिया। इसलिए सातवाहनों को आन्ध्र भी कहा जाता है। सातवाहन ब्राह्मण जाति के थे।
1. सिमुक तथा कृष्ण-सिमुक सातवाहन वंश का संस्थापक था। सिमुक के बाद उसका छोटा भाई कान्हा या कृष्ण राजगद्दी पर बैठा।

2. शातकर्णी प्रथम-शातकर्णी प्रथम कृष्ण का पुत्र था। वह एक महान् विजेता था। उसने मध्य भारत में मालवा तथा बरार को जीत लिया और हैदराबाद को भी अपने साम्राज्य में मिलाया। उसने अश्वमेध यज्ञ भी किया तथा कई उपाधियां धारण कीं। शातकर्णी के राज्य की सीमाएं सौराष्ट्र, मालवा, बरार, उत्तरी कोंकण, पूना तथा नासिक तक फैली हुई थीं।

3. गौतमीपुत्र शातकर्णी-गौतमीपुत्र शातकर्णी सातवाहनों का बहुत ही शक्तिशाली राजा था। उसने 106 ई० से 130 ई० तक राज्य किया। उसने शक, यूनानी तथा पार्थियन्ज़ जाति की विदेशी शक्तियों का मुकाबला किया।

4. यज्ञश्री शातकर्णी-यज्ञश्री शातकर्णी सातवाहनों का अन्तिम महान् राजा था। उसके समय में शक जाति के बार-बार हमलों के कारण सातवाहनों की शक्ति को भारी हानि पहुंची।

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प्रश्न 2.
कनिष्क की प्रमुख विजयों के बारे में लिखें।
उत्तर-
कनिष्क कुषाण जाति का सबसे प्रसिद्ध राजा था। वह 78 ई० के लगभग राजगद्दी पर बैठा। उसने पुरुषपुर (पेशावर) को अपनी राजधानी बनाया। उसने अनेक प्रदेश जीते, जिनका वर्णन इस प्रकार है –

  1. शक क्षत्रपों पर विजय-उसने उज्जैन, मथुरा तथा पंजाब के शक क्षत्रपों को हराया तथा उनका राज्य अपने राज्य में मिला लिया।
  2. कश्मीर की जीत-कश्मीर कनिष्क की प्रसिद्ध विजय थी। वहां पर उसने कई नगरों की स्थापना की।
  3. मगध से युद्ध-उसने मगध के शासक के साथ भी युद्ध किया। वहां से वह पाटलिपुत्र के प्रसिद्ध भिक्षु अश्वघोष को अपने साथ ले आया।
  4. चीन की जीत-कनिष्क ने चीन पर दो बार आक्रमण किया। उसे दूसरी बार सफलता मिली। इस प्रकार उसे काश्गर, यारकन्द तथा खोतान प्रदेश चीन से मिल गए।

प्रश्न 3.
गंधार कला तथा मथुरा कला शैलियों के बारे लिखें।
उत्तर-
गंधार कला तथा मथुरा कला शैलियों का जन्म 200 ई० पूर्व से 300 ई० के बीच के समय में हुआ। इन शैलियों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है –

1. गंधार कला-इस कला का जन्म गंधार में हुआ, इसलिए इसका नाम गंधार कला रखा गया। इस कला का विकास कुषाण युग में हुआ। इस कला में मूर्तियों का विषय भारतीय था जबकि मूर्तियां बनाने का ढंग यूनानी था। गंधार शैली में मुख्य रूप से महात्मा बुद्ध की मूर्तियां बनाई गई थीं। इन मूर्तियों में चेहरे के भावों को बहुत ही आकर्षक रूप से दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, बुद्ध की मूर्ति के चेहरे पर शान्त भावों को आसानी से पढ़ा जा सकता है।

2. मथुरा शैली-कनिष्क के समय मथुरा में कुछ भारतीय कलाकार रहते थे। उन्होंने एक नवीन कला शैली को जन्म दिया, जिसे मथुरा शैली कहते हैं। यह शुद्ध भारतीय कला थी। इस पर विदेशी कला का कोई प्रभाव नहीं था। इसमें अधिकतर मूर्तियां महात्मा बुद्ध की बनाई जाती थीं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 13 मौर्य और शुंग काल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

SST Guide for Class 6 PSEB मौर्य और शुंग काल Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दें –

प्रश्न 1.
सिकन्दर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
सिकन्दर मकदूनिया के राजा फिलिप का पुत्र था। वह अपने पिता की मृत्यु के बाद मकदूनिया का शासक बना। उसकी इच्छा सारे संसार को जीतने की थी। इसलिए राज- गद्दी पर बैठते ही उसने संसार को जीतने का कार्य शुरू कर दिया। पहले दो वर्ष उसने मकदूनिया के आस-पास के प्रदेशों पर विजय प्राप्त की। फिर वह विशाल सेना को लेकर फारस (ईरान) को जीतने के लिए चल पड़ा। उसने एशिया माइनर, सीरिया, मिस्र तथा अफ़गानिस्तान को भी जीत लिया।

326 ई० पू० में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया तथा ब्यास नदी तक पंजाब में उत्तर-पश्चिम के कई राजाओं को हरा दिया। पहले उसने तक्षशिला के राजा अंभी तथा फिर जेहलम तथा चिनाब नदी के मध्य के प्रदेश के शासक पोरस को हराया। पोरस ने सिकन्दर का डट कर मुकाबला किया था। सिकन्दर के सैनिक पंजाब के लोगों की वीरता को देखकर डर गए थे। वे लगातार युद्ध तथा यात्रा करने से भी थक गए थे। इस कारण सिकन्दर को ब्यास नदी से ही वापिस जाना पड़ा। लेकिन वह अपने देश में न पहुंच सका। रास्ते में ही बुखार के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 2.
कौटिल्य के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
कौटिल्य को चाणक्य भी कहा जाता है। वह एक महान् विद्वान् तथा तक्षशिला विश्वविद्यालय में अध्यापक था। चन्द्रगुप्त मौर्य उसे अपना गुरु मानता था। उसकी सहायता से ही चन्द्रगुप्त मौर्य नन्द वंश को समाप्त करके मौर्य साम्राज्य स्थापित करने में सफल हुआ था। चन्द्रगुप्त के सम्राट् बनने के बाद कौटिल्य मौर्य साम्राज्य का प्रधानमन्त्री बन गया। कौटिल्य एक महान् लेखक भी था। उसकी पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ मौर्य शासन की जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

प्रश्न 3.
अशोक को ‘महान’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
अशोक को केवल भारत का ही नहीं, बल्कि संसार का एक महान् सम्राट माना जाता है। वह एक शक्तिशाली तथा महान् विजेता होते हुए भी शान्ति का पुजारी, मानवता प्रेमी तथा बेसहारों का मसीहा था। उसकी महानता उसके निम्नलिखित गुणों पर आधारित थी –

1. 261 ई० पू० में अशोक ने कलिंग (उड़ीसा) को जीता। इस लड़ाई में लाखों लोग मारे गए तथा अनेक घायल हुए। बहुत-से लोगों को कैद कर लिया गया। इस खून-खराबे से अशोक को बहुत दुःख हुआ। उसने हमेशा के लिए युद्ध करना छोड़ दिया तथा बौद्ध धर्म को अपना लिया।

2. कलिंग के युद्ध के बाद अशोक ने अपना शेष जीवन मानवता की भलाई में व्यतीत किया। उसने यात्रियों के लिए सड़कें तथा सरायें बनवाईं, कुएं खुदवाए तथा मनुष्यों एवं पशुओं के लिए अस्पताल खोले।

3. उसने शिकार करना छोड़ दिया तथा पशु-पक्षियों के मारने पर रोक लगा दी।

4. उसने अपनी प्रजा को अहिंसा का पालन करने, बड़ों का आदर करने तथा अपने से छोटों, नौकरों और सभी जीव-जन्तुओं के साथ प्रेम करने तथा दया का भाव रखने का सन्देश दिया।

5. उसने अपनी प्रजा को ग़रीबों को दान देने तथा सभी धर्मों का सम्मान करने का सन्देश दिया।

6. उसने अपने सन्देश चट्टानों और पत्थर के स्तम्भों पर खुदवा दिए तथा लोगों को उनका पालन करने के लिए कहा।

7. उसने लोगों में जन-कल्याण का सन्देश फैलाने के लिए विशेष अधिकारियों की नियुक्ति की।

प्रश्न 4.
मौर्य कला के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
मौर्य शासक कला प्रेमी थे तथा उन्होंने कला के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनके इस योगदान का वर्णन इस प्रकार है –
(1) चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल राजमहल बनवाया। यह राजमहल बहुत सुन्दर था तथा अनेक स्तम्भों पर खड़ा था। अशोक का महल भी बहुत शानदार था।
(2) चन्द्रगुप्त मौर्य ने गुजरात में सुदर्शन नामक एक विशाल झील का निर्माण करवाया था।
(3) अशोक ने बहुत-से स्तूपों का निर्माण करवाया। मध्य प्रदेश में सांची का स्तूप बहुत प्रसिद्ध है।
(4) अशोक ने श्रीनगर तथा ललित पाटन नामक दो नए नगर बसाए।
(5) अशोक ने भिक्षुओं तथा निर्ग्रन्थों के लिए बिहार के नागार्जुनी तथा बारबरा की पहाड़ियों में सुन्दर गुफ़ाएं बनवाईं।
(6) अशोक ने पत्थर के बड़े-बड़े स्तम्भ बनवाए। ये स्तम्भ 34 फुट ऊंचे हैं। इन पर बहुत बढ़िया पालिश की हुई है, जो शीशे की तरह चमकती है। इन स्तम्भों पर अशोक ने अपने लेख खुदवाए।
7) अशोक ने अपने स्तम्भों पर बैल, हाथी, शेर आदि की मूर्तियां लगवाईं। एक मूर्ति में चार शेर पीठ के साथ पीठ लगाकर बैठे दिखाए गए हैं। यह मूर्ति सारनाथ (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त हुई है। यही मूर्ति हमारा राष्ट्रीय चिन्ह है।
(8) मौर्य काल में यक्ष-यक्षियों की सुन्दर मूर्तियां भी बनवाई गईं थीं। ऐसी एक मूर्ति पटना के समीप दीदारगंज से प्राप्त हुई है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

II. रिक्त स्थानों की पर्ति करें

  1. सिकंदर के सैनिक पंजाब के लोगों की …………… से भयभीत हो गए।
  2. चंद्रगुप्त ने …………… ई० पू० तक राज्य किया।
  3. ……………. सैल्यूकस का यूनानी राजदूत था।
  4. कौटिल्य के ……….. तथा मैगस्थनीज़ की ……….. पुस्तक से हमें मौर्य साम्राज्य के राज्य प्रबंध की जानकारी मिलती है।
  5. मध्य प्रदेश में ……………. का स्तूप बहुत प्रसिद्ध है।

उत्तर-

  1. बहादुरी (वीरता)
  2. 297
  3. मैगस्थनीज़
  4. अर्थशास्त्र, इण्डिका
  5. सांची।

III. सही जोड़े बनायें

(1) मैगस्थनीज़ – (क) अर्थशास्त्र
(2) कौटिल्य – (ख) स्तूप
(3) साँची – (ग) मन्त्री
(4) अमात्य – (घ) इण्डिका।
उत्तर-
सही जोड़े
(1) मैगस्थनीज़ – इण्डिका
(2) कौटिल्य – अर्थशास्त्र
(3) साँची – स्तूप
(4) अमात्य – मन्त्री।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) बताएं

  1. सैल्यूकस ने चन्द्रगुप्त मौर्य को पराजित किया।
  2. अशोक ने लोहे के विशाल स्तम्भ बनवाए।
  3. महामात्र सिकन्दर के अफ़सर थे।
  4. अशोक ने कलिंग-युद्ध के पश्चात् बौद्ध धर्म अपनाया।
  5. चन्द्रगुप्त ने सुदर्शन झील का निर्माण करवाया।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✓)

PSEB 6th Class Social Science Guide मौर्य और शुंग काल Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सिकंदर मकदूनिया का एक महान् यूनानी विजेता था। उसने भारत पर कब आक्रमण किया ?
उत्तर-
326 ई० पू० में।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

प्रश्न 2.
महान् सम्राट अशोक किसका पुत्र था ?
उत्तर-
बिंदुसार का।

प्रश्न 3.
अशोक भारत का पहला सम्राट् था जिसने एक युद्ध के पश्चात् सदा के लिए युद्ध करने का त्याग कर दिया। बताएं कि वह कौन-सा युद्ध था ?
उत्तर-
कलिंग का युद्ध।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अंतिम मौर्य सम्राट् बृहद्रथ का वध उसके सेनापति ने किया था। निम्न में से वह सेनापति कौन था ?
(क) पुण्यमित्र शुंग
(ख) शैल्युकस निकातोर
(ग) मिनांडर।
उत्तर-
(क) पुण्यमित्र शुंग

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

प्रश्न 2.
किस मौर्य सम्राट् ने लोगों में नैतिक मूल्यों के प्रचार के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किए ?
(क) चन्द्रगुप्त मौर्य
(ख) बिंदुसार
(ग) अशोक।
उत्तर-
(ग) अशोक

प्रश्न 3.
नीचे तीन चित्र क, ख, तथा ग दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा चित्र हमारा राष्ट्र चिह्न है?
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 12 मौर्य और शुंग काल 1
उत्तर-
(ग)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण क्यों किया?
उत्तर-
सिकन्दर सम्पूर्ण संसार का राजा बनना चाहता था। इसलिए उसने कई प्रदेश जीतने के पश्चात् भारत पर आक्रमण कर दिया।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

प्रश्न 2.
तक्षशिला के राजा का क्या नाम था?
उत्तर-
तक्षशिला के राजा का नाम अंभी था।

प्रश्न 3.
कौन-से राजा ने सिकन्दर का डटकर मुकाबला किया?
उत्तर-
पोरस ने सिकन्दर का डटकर मुकाबला किया।

प्रश्न 4.
सिकन्दर के आक्रमण के समय मगध का राजा कौन था?
उत्तर-
सिकन्दर के आक्रमण के समय मगध का राजा महापदमनंद था।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

प्रश्न 5.
मौर्य साम्राज्य की जानकारी देने वाले दो स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर-
यूनानी यात्री मैगस्थनीज़ की इंडिका तथा चाणक्य का अर्थशास्त्र।

प्रश्न 6.
चन्द्रगुप्त द्वारा मगध की विजय के समय नन्द वंश का राजा कौन था?
उत्तर-
चन्द्रगुप्त द्वारा मगध की विजय के समय नन्द वंश का राजा धनानन्द था।

प्रश्न 7.
चन्द्रगुप्त मौर्य का राजतिलक कब हुआ?
उत्तर-
चन्द्रगुप्त मौर्य का राजतिलक 321 ई० पू० में हुआ।

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प्रश्न 8.
चन्द्रगुप्त मौर्य को सैल्युकस को पराजित करने के पश्चात् कौन-से चार प्रान्त मिले?
उत्तर-
सैल्युकस को पराजित करने के पश्चात् चन्द्रगुप्त मौर्य को काबुल, कंधार, हैरात तथा बलुचिस्तान के प्रान्त मिले।

प्रश्न 9.
चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यकाल बताएँ।
उत्तर-
चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यकाल 321 ई० पूर्व से 297 ई० पू० तक था।

प्रश्न 10.
अशोक का राजतिलक कब हुआ?
उत्तर-
अशोक का राजतिलक 269 ई० पू० में हुआ।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

प्रश्न 11.
अशोक ने कलिंग पर आक्रमण क्यों किया?
उत्तर-
अशोक को विरासत में प्राप्त विशाल साम्राज्य में कलिंग का प्रदेश शामिल नहीं था। इसलिए उसने 261 ई० पू० में कलिंग पर आक्रमण कर दिया।

प्रश्न 12.
अशोक के धर्म के कोई दो सिद्धान्त लिखें।
उत्तर-
अशोक के धर्म के दो सिद्धान्त थे –

  1. बड़ों का आदर तथा छोटों से प्यार करो,
  2. सदा सत्य बोलो।

प्रश्न 13.
अशोक का राज्यकाल बताएं।
उत्तर-
अशोक का राज्यकाल 269 ई० पूर्व से 232 ई० पूर्व तक था।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मौर्य राज्य की जानकारी देने वाले स्त्रोतों के नाम बताएं।
उत्तर-
मौर्य राज्य की जानकारी हमें निम्नलिखित स्रोतों से मिलती है –
(1) यूनानी यात्री मैगस्थनीज़ की इण्डिका,
(2) चाणक्य का अर्थशास्त्र,
(3) विशाखदत्त का नाटक मुद्राराक्षस,
(4) जैन तथा बौद्ध धर्म के ग्रन्थ,
(5) पुराण तथा अभिलेख,
(6) मूर्तियां, स्मारक, खण्डहर तथा सिक्के।

प्रश्न 2.
चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई० पूर्व में हुआ। उसके जीवन के सम्बन्ध में कई विचारधाराएं हैं। कई इतिहासकारों का विचार है कि चन्द्रगुप्त की माँ मुरा एक शूद्र घराने की थी। उसके नाम पर मौर्य शब्द का प्रयोग किया गया। लेकिन जैन परम्पराओं के अनुसार चन्द्रगुप्त की माँ मोर पालने वाले गांव के मुखिया की बेटी थी। कुछ इतिहासकार चन्द्रगुप्त का सम्बन्ध नन्द वंश के साथ जोड़ते हैं।

प्रश्न 3.
चन्द्रगुप्त मौर्य की पंजाब विजय के समय पंजाब की राजनीतिक दशा कैसी थी?
उत्तर-
चन्द्रगुप्त मौर्य की पंजाब विजय से पहले सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था। इस आक्रमण के कारण पंजाब की राजनीतिक दशा बहुत कमजोर हो चुकी थी। सिकन्दर यहां अपना राज्य स्थापित करके, अपने प्रतिनिधि को गवर्नर बनाकर छोड़ गया था। परन्तु पंजाब के लोग विदेशी राज्य के विरुद्ध थे। परिणामस्वरूप पंजाब में अराजकता फैल गई।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

प्रश्न 4.
चन्द्रगुप्त मौर्य की मगध विजय के बारे में लिखें।
उत्तर-
पंजाब पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् चन्द्रगुप्त ने चाणक्य की नीति के अनुसार मगध पर आक्रमण कर दिया। मगध का राजा धनानंद अत्याचारी था। इसलिए मगध की जनता उससे घृणा करती थी। चाणक्य भी नन्द राजा से अपने अपमान का बदला लेना चाहता था। चन्द्रगुप्त को इस स्थिति का बहुत लाभ हुआ। इसलिए उसने 321 ई० पू० में मगध पर अपना अधिकार कर लिया।

प्रश्न 5.
अशोक ने राजगद्दी कैसे प्राप्त की?
उत्तर-
अशोक मौर्य शासक बिन्दुसार का पुत्र था। बिन्दुसार की 273 ई० पू० में मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि अशोक ने अपने 99 भाइयों को मारकर मौर्य साम्राज्य की राजगद्दी प्राप्त की। अशोक का राजतिलक 269 ई० पू० में हुआ। हो सकता है कि 273 ई० पू० से 269 ई० पू० के बीच के समय में राजगद्दी के लिए गृह-युद्ध हुआ हो।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
चन्द्रगुप्त मौर्य की विजयों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
चन्द्रगुप्त मौर्य की विजयों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –
1. मगध पर विजय-चन्द्रगुप्त ने मगध पर एक बड़ी सेना सहित आक्रमण कर दिया। उस समय मगध पर धनानन्द राज्य करता था। युद्ध में धनानन्द हार गया तथा मगध के राज्य पर चन्द्रगुप्त मौर्य का अधिकार हो गया। इस प्रकार चन्द्रगुप्त लगभग सारे उत्तरी भारत का मालिक बन गया। मगध की राजधानी पाटलिपुत्र उसके राज्य की राजधानी बनी।

2. सैल्यूकस के साथ युद्ध-सैल्यूकस सिकन्दर का सेनापति था। सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात् वह काबुल, कन्धार, बलख तथा बुखारा का शासक बन बैठा था। उसने पंजाब के पश्चिमी भाग पर आक्रमण कर दिया। इन क्षेत्रों पर चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्य था। उसने सैल्यूकस को बुरी तरह हराया। सैल्युकस ने चन्द्रगुप्त मौर्य को काबुल, कन्धार तथा बलुचिस्तान के क्षेत्र दे दिए।

3. अन्य विजयें-उत्तरी भारत पर अधिकार करने के पश्चात् चन्द्रगुप्त ने गुजरातकाठियावाड़ पर हमला करके उसे अपने राज्य में मिलाया। दक्षिण के कुछ भागों पर भी चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रभुत्व स्थापित हो गया।

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प्रश्न 2.
चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य प्रबन्ध की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्य प्रबन्ध उच्चकोटि का था। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं –

1. केन्द्रीय शासन-राजा राज्य का सर्वोच्च अधिकारी था। उसकी शक्तियां असीमित थीं। वह सेना का मुखिया तथा न्याय का अन्तिम न्यायालय था। उसकी सहायता के लिए कई मन्त्री होते थे। उसके कुछ अन्य अधिकारी प्रधान, अमात्य, महामात्र आदि थे।

2. प्रान्त का शासन-सम्पूर्ण साम्राज्य प्रान्तों में बंटा हुआ था। प्रत्येक प्रान्त का प्रबन्ध राज परिवार का कोई राजकुमार करता था। उसका कर्तव्य प्रान्त में शान्ति-व्यवस्था बनाए रखना था। प्रान्त जिलों में बंटे हुए थे। जिले के मुखिया को स्थानिक कहते थे।

3. बड़े नगरों का प्रबन्ध-पाटलिपुत्र, तक्षशिला तथा उज्जैन जैसे बड़े-बड़े नगरों के प्रबन्ध के लिए समितियां स्थापित की गई थीं। प्रत्येक समिति में 30 सदस्य होते थे। समितियां पांच-पांच सदस्यों के छ: बोर्डों में बंटी हुई थीं।

4. न्याय-न्याय का सर्वोच्च अधिकारी राजा स्वयं था। न्याय सम्बन्धी सभी अन्तिम अपीलें वह स्वयं ही सुनता था। सभी को उचित न्याय मिलता था। दण्ड काफ़ी कठोर थे। लोग शान्तिप्रिय थे। अपराध काफ़ी कम होते थे।

5. प्रजा की भलाई के कार्य-चन्द्रगुप्त मौर्य प्रजा की भलाई का विशेष ध्यान रखता था। उसने कृषि की उन्नति के लिए सिंचाई की उचित व्यवस्था की हुई थी। यात्रियों की सुविधा तथा व्यापार की उन्नति के लिए सभी राज्यों में सड़कों का जाल बिछा हुआ था। इसके अतिरिक्त उसने सड़क के दोनों ओर छायादार वृक्ष लगवाए, धर्मशालाएं बनवाईं तथा कुएं खुदवाए।

6. आय-सरकार को आय करों से प्राप्त होती थी। भूमि कर आमतौर पर उपज का 1/6 भाग लिया जाता था। जन्म तथा मृत्यु कर, उत्पादन कर तथा बिक्री कर सरकार की आय के मुख्य साधन थे।

प्रश्न 3.
अशोक की कलिंग विजय का वर्णन करें।
उत्तर-
अशोक के दादा चन्द्रगुप्त मौर्य की दक्षिण विजय अधूरी रह गई थी क्योंकि कलिंग का राज्य अभी तक स्वतन्त्र था। इसलिए अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त करने का निश्चय किया तथा 261 ई० पू० में एक विशाल सेना के साथ कलिंग पर आक्रमण कर दिया। कलिंग के राजा के पास भी एक विशाल सेना थी। अशोक तथा कलिंग के राजा के बीच बहुत घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में अशोक की जीत हुई। अशोक के एक अभिलेख से पता चलता है कि इस युद्ध में लगभग एक लाख व्यक्ति मारे गए तथा उससे भी कहीं अधिक घायल हुए थे। कई लोग लापता हो गए। कलिंग युद्ध में हुए रक्तपात को देखकर अशोक का जीवन ही बदल गया। उसने युद्धों का हमेशा के लिए त्याग करके धर्म विजय की नीति अपनाई। इसी कारण वह बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 13 मौर्य और शुंग काल

प्रश्न 4.
अशोक के धर्म के सिद्धान्तों के बारे में लिखें। उसने बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए क्या किया?
उत्तर-
कलिंग के युद्ध के पश्चात् अशोक ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। परन्तु जो धर्म उसने जनता के सामने रखा, वह बौद्ध धर्म नहीं था। उसने सभी धर्मों की अच्छी बातें अपने धर्म में शामिल की। उसके धर्म की शिक्षाएं इस प्रकार थीं –

  1. बड़ों का आदर करो तथा छोटों से प्रेम करो।
  2. गुरुओं का आदर करो।
  3. पापों से दूर रहो तथा पवित्र जीवन व्यतीत करो।
  4. हमेशा सत्य बोलो। अन्त में सत्य की ही जीत होती है।
  5. अहिंसा में विश्वास रखो तथा किसी जीव की हत्या न करो।
  6. अपने सामर्थ्य के अनुसार साधुओं, विद्वानों तथा ग़रीबों को दान दो।
  7. अपने धर्म का पालन करो, लेकिन किसी दूसरे धर्म की निन्दा न करो।

अशोक द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार-अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए निम्नलिखित कार्य किए –

  1. उसने बौद्ध धर्म के नियमों को पत्थर के स्तम्भों तथा शिलाओं पर खुदवाया। ये नियम आम बोलचाल की भाषा में खुदवाए गए ताकि साधारण लोग भी इन्हें पढ़ सकें।
  2. उसने अनेक स्तूप तथा विहार बनवाए, जो बौद्ध धर्म के प्रचार का केन्द्र बने।
  3. उसने बौद्ध भिक्षुओं को आर्थिक सहायता दी।
  4. उसने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए विदेशों में प्रचारक भेजे।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Home Science Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

PSEB 6th Class Home Science Guide सूती कपड़ों की धुलाई Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
धोने से पहले वस्त्रों की छंटाई का क्या कारण है ?
उत्तर-
इससे रंगदार कपड़ों का रंग सफेद कपड़ों में न लग जाए तथा अधिक गन्दे तथा कम गन्दे कपड़े भी अलग कर लिए जाते हैं।

प्रश्न 2.
गन्दे वस्त्र पहनने से क्या हानि होती है ?
उत्तर-
गन्दे वस्त्रों में रोगों के जीवाणु वास करते हैं। गन्दे वस्त्र पहनने से रोगों का संक्रमण हमारे शरीर पर हो सकता है।

प्रश्न 3.
वस्त्र धोने से पहले दाग-धब्बे क्यों छुड़ा लेने चाहिएं ?
उत्तर-
दाग-धब्बे का वस्त्र की धुलाई की विधि में और अधिक पक्का होने का भय रहता है।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 4.
वस्त्रों की धुलाई के लिए पानी कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
मृदु।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़े को भिगोना क्यों चाहिए ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों को यदि रात को भिगो कर रख दिया जाए तो मेहनत, समय तथा साबुन की बचत होती है। भिगोने से ऊपर की मैल भी नरम हो जाती है, जिससे उसे साफ़ करना सरल हो जाता है। कई तरह के दाग तथा माया भी साफ़ हो जाती है। कपड़ों को साफ़ प्लास्टिक के टब या बाल्टी में भिगोना चाहिए। लोहे की बाल्टी में जंग लगने का डर रहता है। बाल्टी या टब इतना बड़ा होना चाहिए कि इसमें सारे कपड़े तथा पानी अच्छी तरह समा जाने चाहिए। रसोई के कपड़े तथा दूसरे झाड़न तथा मोटरग्रीज़ वाले एप्रिनों को पानी में सोडा मिलाकर भिगोना चाहिए। इन्हें दूसरे कपड़ों से अलग ही भिगोना चाहिए। बिस्तरों तथा पहनने वाले कपड़ों को भी अलग-अलग भिगोना चाहिए। ज़्यादा गन्दे कपड़ों को काफ़ी नीचे तथा साफ़ कपड़ों को ऊपर रखना चाहिए। ज्यादा गन्दे भागों को साबुन लगाकर भिगोना चाहिए। कपड़ों को 24 घण्टे से अधिक समय तक एक ही पानी में नहीं भिगोना चाहिए, क्योंकि कपड़ों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो कपड़ों को हानि पहुँचाते हैं।

प्रश्न 2.
सफ़ेद कपड़े पीले या स्लेटी रंग के क्यों हो जाते हैं ? इस दोष को कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर-
कई बार जब सफ़ेद कपड़े पुराने हो जाते हैं या धोने वाले साबुन में ज़्यादा क्षार होती है तो कपड़े पीले दिखाई देने लगते हैं। कपड़ों को धोने के बाद यदि उनसे अच्छी तरह साबुन न निकाला जाए या ज्यादा नील लग जाए तो कपड़े स्लेटी रंग के हो जाते हैं। इस दोष को दूर करने के लिए कपड़ों को 20 मिनटों के लिए पानी में उबालते हैं। उबालने के बाद हल्के गर्म पानी में कई बार खंगालते हैं, इसके बाद नील लगाकर धूप में सुखाते है।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 3.
कपड़ों को नील कैसे तथा क्यों लगाई जाती है ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों की नील लगाने के लिए इसका घोल बनाया जाता है। कपड़े को निचोड़ने के बाद इसे घोल में डालते हैं तथा हाथों से दबाते हैं। इसके बाद निचोड़कर धूप में सुखाते हैं। नील से कपड़ों में चमक आ जाती है जिससे व्यक्ति स्मार्ट लगने लगता है और उसके व्यक्तित्व में निखार आ जाता है।

प्रश्न 4.
कपड़ों को कलफ कैसे तथा क्यों लगाई जाती है ?
उत्तर-
माया का घोल बना लिया जाता है। कपड़े को निचोड़कर इसे घोल में डालते हैं तथा दोनों हाथों से दबाया जाता है। इसके बाद धूप में सुखाते हैं। इससे कपड़े में चमक आ जाती है तथा रेशा मज़बूत हो जाता है तथा सिलवटें भी नहीं पड़ती हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़ों को धोने से पहले उनकी क्या तैयारी करोगे ?
उत्तर-
कपड़ों को धोने से पहले तैयारी –

  1. सभी कपड़ों की अच्छी तरह जाँच करनी चाहिए।
  2. कोई भी कपड़ा कहीं से फटा या उधड़ा हों तो उसे ठीक कर लेना चाहिए।
  3. कपड़ों के बटन या हुक टूटे हुए हों तो उन्हें धोने के बाद तथा प्रेस करने से पहले ठीक कर लेना चाहिए।
  4. कपड़े धोने से पहले जेबों को देख लेना चाहिए। उनमें कोई कागज़, पैसे या कुछ और चीजें हों तो उसे निकाल लेना चाहिएं।
  5. कपड़े पर कोई ऐसे बटन या बक्कल आदि हों जिनका पानी से खराब होने का डर हो तो उन्हें उतार कर रख लेना चाहिए।
  6. कपड़ों पर कोई ऐसे दाग हों जो कि पानी तथा साबुन से न उतर सकते हों तो उन्हें पहले ही उसके विशेष प्रतिकारक से साफ़ कर लेना चाहिए।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 2.
सफ़ेद कपड़ों को नील तथा माया कैसे लगाओगे ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों को नील तथा माया एक साथ ही लगाए जाते हैं। माया का घोल बनाकर उसमें ही नील भी अच्छी तरह मिलाना चाहिए। कपड़े को निचोड़ने के बाद इसे घोल में डाल देना चाहिए तथा हाथों से दबाना चाहिए। इसके बाद निचोड़कर धूप में सुखा देना चाहिए।
PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई 1

प्रश्न 3.
प्रैस करने के क्या नियम हैं ?
उत्तर–
प्रेस करने के निम्नलिखित नियम हैं –
1. प्रेस करने के लिए ऐसी मेज़ लेनी चाहिए जो न बहुत ऊँची, न बहुत नीची हो और हिलती भी न हो। उस पर कोई पुराना कम्बल या खेस बिछाना चाहिए तथा उसके ऊपर साफ़ चादर बिछा देनी चाहिए। चादर को मेज़ के पायों से बाँध देना चाहिए ताकि वह हिले नहीं।

2. पानी का प्याला तथा मलमल का कपड़ा बाईं ओर ऊपर से रखना चाहिए तथा प्रैस रखने के लिए पत्थर दाईं ओर नीचे की तरफ़ रखना चाहिए। पानी के छींटे मारने के लिए छिद्रों वाले ढक्कन वाला डिब्बा या बोतल भी इस्तेमाल की जा सकती है।

3. कपड़े ठीक तरह नमी युक्त होने चाहिएं। यदि कपड़े कम नमी वाले रह जाएंगे तो कपड़ों पर सिलवटें रह जाएंगी और अधिक ज़्यादा गीले हो जाने पर समय तथा ईंधन अधिक लगेगा।

4. प्रैस को गर्म कर लेना चाहिए। प्रैस सफ़ेद कपड़ों के लिए अधिक गर्म तथा रंगदार के लिए कम गर्म होनी चाहिए।

5. सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़ों को सीधी ओर तथा गाढ़े रंग के कपड़ों को उल्टी ओर प्रैस करना चाहिए। सिलाइयों को पहले उल्टी ओर से प्रैस करना चाहिए।

6. कपड़े इकहरे प्रेस करना चाहिए तथा प्रैस को सदा सीधी रेखा में नीचे से ऊपर की ओर या दाईं ओर से बाईं ओर फेरना चाहिए।
PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई 2

7. कढ़ाई वाले कपड़े को फलालेन के कपड़े पर उल्टा रखकर प्रेस करना चाहिए।

8. कपड़ों को प्रेस करने के बाद कुछ देर हवा में रखना चाहिए ताकि वे पूरी तरह सूख जाएँ।

9. इलास्टिक वाले भागों पर प्रैस नहीं करना चाहिए।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 4.
किन-किन बातों का ध्यान रखकर कपड़ों को छांटना चाहिए ?
उत्तर-
कपड़ों को छाँटते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –

  1. सबसे पहले रंगदार कपड़े तथा सफ़ेद कपड़ों को अलग-अलग छाँटना चाहिए। इसमें से जिन कपड़ों के रंग कच्चे हों, उनको सबसे पहले या सबसे बाद में दूसरे कपड़ों से अलग करके धोना चाहिए ताकि दूसरे कपड़ों को रंग न लगे।
  2. मुलायम कपड़े जैसे-चंदेरी, आरकण्डी, रूबिया, मलमल आदि।
  3. बाहर पहनने वाले कपड़े-सलवार, कमीज़, पैंट, फ्रॉक आदि।
  4. अन्दर पहनने वाले कपड़े-कच्छे, बनियान आदि।
  5. बिस्तरों और घर के अन्य कपड़े-चादरें, सिरहाने के गिलाफ, तौलिए, मेज़पोश, टेबल, मैटस, झाड़न नैपकिन्स आदि।
  6. छोटे बच्चों के लंगोट।
  7. रूमाल-खासकर जुकाम के लिए इस्तेमाल किए गए रूमालों को अलग धोना चाहिए।
  8. एप्रिन, रसोई के और अन्य झाड़न।

Home Science Guide for Class 6 PSEB सूती कपड़ों की धुलाई Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे वस्त्र गन्दे क्यों हो जाते हैं ?
उत्तर-
धूल व अन्य बाहरी अशुद्धियाँ तथा पसीने के सम्पर्क से।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 2.
धोने से पूर्व वस्त्रों की छंटाई का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
वस्त्रों को उनकी प्रकृति एवं अवस्था के अनुसार छाँट कर अलग-अलग धोना, जैसे सफ़ेद व रंगीन वस्त्रों को अलग-अलग धोना।

प्रश्न 3.
वस्त्रों को धोने से पूर्व उनकी मरम्मत क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
फटे हुए, सिलाई हुई, उधड़े हुए या छेद हुए वस्त्रों को धोने से पूर्व उनकी मरम्मत इसलिए आवश्यक है कि वे और अधिक न फटे या न उधड़े या छेद और बड़ा न हो।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्रों में कलफ लगाने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
वस्त्रों में कलफ लगाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं –

  1. वस्त्रों में कलफ लगाने से चमक और नवीनता आ जाती है।
  2. कपड़े में कलफ रहने से कपड़े में कड़ापन आ जाता है।
  3. कल्फ लगे वस्त्रों पर धूल नहीं जमती क्योंकि यह धागों के बीच के रिक्त स्थानों की पूर्ति करती है।
  4. वस्त्रों पर सिलवटें नहीं पड़ती हैं। वस्त्रों का आकार ठीक लगता है।
  5. कलफ लगे वस्त्र पहनने पर व्यक्ति स्मार्ट लगता है, उसके व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। कलफ सूती वस्त्र, लिनन के वस्त्र व रेशमी वस्त्र पर किया जाता है।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 2.
सूती वस्त्रों की धुलाई हम कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर-
सूती वस्त्रों की धुलाई के लिए दो विधियाँ काम में लाई जाती हैं –
(अ) रगड़, (ब) हल्का दबाव।
रगड़कर वस्त्र धोने की विधि में साबुन, गर्म पानी, रगड़ने वाला तख्ता तथा ब्रुश की आवश्यकता होती है। इस विधि से वे वस्त्र धोए जाते हैं जो मज़बूत और टिकाऊ धागों से बने होते हैं। पानी में भिगोकर, साबुन लगाकर, रगड़ने वाले तख्ते पर ब्रश से वस्त्र को तब तक रगड़ा जाता है जब तक कि मैल पूरी तरह से दूर न हो जाए।

रंगीन तथा कोमल वस्त्रों को हल्के दबाव की विधि से धोया जाता है। टब में गुनगुना पानी लेकर उसमें साबुन का चूरा या डिटरजेन्ट पाउडर आदि घोलकर उसमें वस्त्र डाल दिए जाते हैं। बाद में हाथों द्वारा हल्के दबाव में मसलकर वस्त्रों को साफ़ किया जाता है।

वस्त्रों की धुलाई में अच्छे साबुन का प्रयोग करना चाहिए। धोते समय वस्त्रों को अधिक पीटने से उनके तन्तु कमज़ोर हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
सूती वस्त्रों की विशेषताएं बताइए।
उत्तर-

  1. ये अत्यधिक शक्तिशाली तथा मजबूत होते हैं।
  2. इन्हें रगड़ने तथा पीटने से कोई भी हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं।
  3. ये ग्रीष्म ऋतु के लिए अति उत्तम होते हैं।
  4. इनमें सिलवटें शीघ्र पड़ जाती हैं।
  5. सूती वस्त्र नमी को जल्दी सोखते हैं।
  6. इन्हें धोने में किसी प्रकार की विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं होती।
  7. इनमें ताप-सहन क्षमता सबसे अधिक होती है।
  8. इन पर अम्ल का बुरा प्रभाव पड़ता है और क्षार का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 4.
सूती वस्त्रों पर इस्तरी करने से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
सूती वस्त्रों पर इस्तरी करने से निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. वस्त्रों पर चमक आ जाती है।
  2. वस्त्रों में सुन्दरता तथा निखार आ जाता है।
  3. सिलवटें समाप्त हो जाती हैं।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भारत में सबसे अधिक कौन-से कपड़े का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
सूती कपड़े का।

प्रश्न 2.
रंगदार कपड़ों को कहां सुखाना चाहिए?
उत्तर-
छाया में।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 3.
कपड़े के कौन-से भाग में प्रेस नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
इलास्टिक वाले भाग में।

प्रश्न 4.
कढ़ाई वाले कपड़े को …………………. के कपड़े पर उल्टा रख कर प्रैस करें।
उत्तर-
फ्लालेन।

प्रश्न 5.
अधिक नील लगने से कपड़े का रंग कैसा हो जाता है ?
उत्तर-
स्लेटी।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 6.
कौन से पानी में साबुन की झाग नहीं बनती ?
उत्तर-
भारे पानी में।

सूती कपड़ों की धुलाई PSEB 6th Class Home Science Notes

  • भारत में सबसे अधिक सूती कपड़ों को ही प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि ये सस्ते तथा अधिक समय तक चलने वाले होते हैं।
  • सूती कपड़े धोते समय नीचे लिखी बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है –
    1. कपड़े की बनावट
    2. कपड़े का रंग (कच्चा या पक्का)
    3. कपड़े की परिसज्जा।
  • कपड़ों को छाँटते समय सबसे पहले रंगदार कपड़े तथा सफ़ेद कपड़ों को अलग-अलग कर लेना चाहिए।
  • सफ़ेद सूती कपड़ों को यदि रातभर भिगोकर रख दिया जाए तो मेहनत, समय तथा साबुन की बचत होती है।
  • रसोई के झाड़न तथा मोटर ग्रीज़ वाले एप्रिनों को पानी में सोडा मिलाकर भिगोना चाहिए।
  • बिस्तरों तथा पहनने वाले कपड़ों को भी अलग-अलग भिगोना चाहिए।
  • कपड़ों को 24 घण्टे से अधिक समय तक एक ही पानी में नहीं भिगोना चाहिए क्योंकि कपड़ों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो कपड़ों को हानि पहुँचाते है।
  • सभी सफ़ेद कपड़ों को धोने के बाद खंगालना चाहिए।
  • सफ़ेद कपड़ों को धूप में सुखाना चाहिए। इससे कपड़ों में सफ़ेदी तथा ताज़गी आती है।
  • रंगदार कपड़ों को छाँव में सुखाना चाहिए ताकि उनका रंग खराब न हो।
  • सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़ों को सीधी ओर तथा गाढ़े रंग के कपड़ों को उल्टी ओर प्रैस करना चाहिए।
  • कपड़ों को प्रेस करने के बाद कुछ देर हवा में रखना चाहिए ताकि वे पूरी तरह सूख जाएँ।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 12 भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 12 भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 12 भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक

SST Guide for Class 6 PSEB भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दें

प्रश्न 1.
महाजनपद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
600 ई० पू० के लगभग भारत में अनेक गणतंत्र तथा राजतंत्र राज्यों की स्थापना हुई। इसमें से जो राज्य अधिक शक्तिशाली थे, उन्हें महाजनपद कहा जाता था। बौद्ध तथा जैन साहित्य के अनुसार इनकी संख्या 16 थी।

प्रश्न 2.
किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण जनपदों के बारे में लिखें।
उत्तर-
मगध, कोशल, वत्स तथा अवन्ति चार महत्त्वपूर्ण जनपद थे।
1. मगध-मगध सबसे अधिक शक्तिशाली जनपद था। इसमें बिहार प्रान्त के गया तथा पटना के प्रदेश शामिल थे। इसकी राजधानी राजगृह थी।

2. कोशल-कोशल की राजधानी अयोध्या (साकेत) थी। इसमें आधुनिक उत्तर प्रदेश का अवध प्रदेश शामिल था।

3. वत्स-वत्स की राजधानी कौशांबी थी। यह जनपद काशी के पश्चिम भाग में प्रयाग के आस-पास के क्षेत्र में फैला हुआ था। इस जनपद का अवन्ति जनपद के साथ संघर्ष चलता रहता था।

4. अवन्ति-अवन्ति जनपद की राजधानी उज्जैन थी। इसमें मालवा तथा मध्य प्रदेश का कुछ भाग शामिल था।

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प्रश्न 3.
हर्यक वंश के अधीन मगध के उत्थान का वर्णन करें।
उत्तर-
मगध राज्य में आरम्भ में केवल बिहार प्रान्त के गया तथा पटना के प्रदेश ही शामिल थे, लेकिन बाद में हर्यक वंश के राजाओं बिम्बिसार तथा अजातशत्रु के अधीन इसका बहुत उत्थान हुआ।

1. बिम्बिसार-बिम्बिसार मगध का सबसे अधिक शक्तिशाली शासक था। उसने 543 ई०पू० से 492 ई०पू० तक शासन किया। उसने गंगा नदी पर अधिकार कर लिया। उसने दक्षिण-पूर्व के अंग राज्य को जीता तथा गंगा तट की मुख्य बन्दरगाह चम्पा पर अधिकार जमाया। उसकी राजधानी नालन्दा के समीप राजगृह थी।

2. अजातशत्रु-अजातशत्रु बिम्बिसार का पुत्र था। उसने 492 ई० पू० से 460 ई० पू० तक राज्य किया। उसने पड़ोसी राज्यों पर हमला करके अपने राज्य का विस्तार किया। उसने काशी, कोशल तथा वैशाली पर विजय प्राप्त करके मगध को उत्तरी भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य बना दिया। उसने पाटलिपुत्र (पटना) को अपनी नई राजधानी बनाया।

प्रश्न 4.
इस काल (600 ई० पू० से 400 ई० पू० तक) में जाति-प्रथा एवं चार आश्रमों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
600 ई० पूर्व से 400 ई० पूर्व तक के भारत में जाति प्रथा समाज की महत्त्वपूर्ण विशेषता थी। जाति प्रथा कठोर थी। समाज मुख्य तौर पर चार जातियों में बंटा हुआ था। ये जातियां ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र थीं। समाज में ब्राह्मणों को बहुत सम्मान दिया जाता था, जबकि शूद्रों की स्थिति बहुत ख़राब थी तथा उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। जाति प्रथा जन्म पर आधारित थी।

उपरोक्त चार जातियों के अलावा समाज में व्यवसाय पर आधारित अनेक उपजातियां भी थीं। इन उपजातियों में बढ़ई, लोहार, सुनार, रथकार, कुम्हार तथा तेली आदि शामिल थे।

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प्रश्न 5.
आहत-सिक्कों के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
600 ई० पूर्व से 400 ई० पूर्व तक के भारत में वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिए तांबे तथा चांदी के बने सिक्कों का प्रयोग किया जाता था। इन सिक्कों का भार तो निश्चित होता था, लेकिन इनका कोई आकार नहीं होता था। इन पर कई प्रकार की आकृतियों के ठप्पे लगाए जाते थे। इन्हें आहत-सिक्के कहा जाता था।

प्रश्न 6.
जैन धर्म के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
जैन धर्म 600 ई० पूर्व में अस्तित्व में आया था। इस धर्म के 24 गुरु हुए हैं, जिन्हें तीर्थंकर कहते हैं। आदिनाथ (ऋषभ नाथ) पहले तीर्थंकर तथा वर्धमान महावीर 24वें तीर्थंकर थे।
शिक्षाएं-जैन धर्म की शिक्षाएं निम्नलिखित हैं –

  1. अहिंसा-अहिंसा जैन धर्म का मुख्य सिद्धान्त है। इसका अर्थ यह है कि मनुष्य को मन, वचन तथा कर्म से किसी को कष्ट नहीं देना चाहिए।
  2. अस्तय-मनुष्य को सत्य बोलना चाहिए और कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
  3. चोरी न करना-चोरी करना पाप है। बिना आज्ञा से किसी की वस्तु लेना अथवा धन लेना चोरी है। इससे दूसरों को कष्ट होता है।
  4. अपरिग्रह-आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना। सम्पत्ति इकट्ठी करना उचित नहीं है। इससे जीवन में लगाव पैदा होता है तथा मनुष्य सांसारिक बन्धनों में बंध जाता है।
  5. ब्रह्मचर्य-मनुष्य को संयमपूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहिए।
  6. कठोर तपस्या-कठोर तपस्या करने से मनुष्य को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
  7. त्रिरत्न-त्रिरत्न मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग है। ये त्रिरत्न शुद्ध ज्ञान, शुद्ध दर्शन तथा शुद्ध चरित्र हैं।

जैन धर्म के सम्प्रदाय-श्वेताम्बर तथा दिगम्बर, जैन धर्म के दो सम्प्रदाय हैं।

  1. श्वेताम्बर-जैन धर्म के इस सम्प्रदाय के मुनि सफ़ेद कपड़े पहनते हैं।
  2. दिगम्बर-जैन धर्म के इस सम्प्रदाय के मुनि कोई कपड़ा नहीं पहनते।

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प्रश्न 7.
बौद्ध धर्म की प्रमुख शिक्षाएं कौन-सी हैं?
उत्तर-
बौद्ध धर्म की प्रमुख शिक्षाएं निम्नलिखित हैं –
1. चार महान् सत्य-बौद्ध धर्म के चार महान् सत्य ये हैं –
(i) संसार दुःखों का घर है।
(ii) दुःखों का कारण इच्छाएं (तृष्णा) हैं।
(iii) इच्छाओं (तृष्णा) को नियन्त्रण में करने से दुःखों से छुटकारा मिल सकता है।
(iv) इच्छाओं (तृष्णा) का दमन अष्टमार्ग द्वारा हो सकता है।

2. अष्टांग मार्ग-महात्मा बुद्ध ने दुःखों से छुटकारा पाने तथा निर्वाण प्राप्त करने के लिए अष्टांग मार्ग बताया है। इस मार्ग के आठ सिद्धान्त ये हैं –
(i) सच्ची (सम्यक्) दृष्टि,
(ii) सच्चा संकल्प,
(iii) सत्य वचन,
(iv) सच्चा कर्म,
(v) सच्ची आजीविका,
(vi) सच्चा यत्न,
(vii) सच्ची स्मृति,
(viii) सच्ची समाधि।

3. मध्य मार्ग- महात्मा बुद्ध ने मध्य मार्ग अपनाने की भी शिक्षा दी। उनके अनुसार, मनुष्य को न तो कठोर तपस्या के द्वारा अपने शरीर को अधिक कष्ट देना चाहिए तथा न ही अपने जीवन को व्यर्थ भोग-विलास में डुबोकर रखना चाहिए।

4. नैतिक शिक्षा-बुद्ध धर्म की नैतिक शिक्षाओं में अहिंसा, सत्य बोलना, नशीली वस्तुओं का सेवन न करना, धन से दूर रहना, समय पर भोजन करना तथा किसी की सम्पत्ति पर नज़र न रखना आदि शामिल हैं।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. बिम्बिसार ने …………… से ……………. ई० पू० तक राज्य किया।
  2. मंत्रियों को …………… भी कहा जाता था।
  3. कृषि एवं पशुपालन …………… मुख्य व्यवसाय थे।
  4. जैन धर्म के कुल ……………… तीर्थंकर हुए हैं।
  5. गौतम बुद्ध का वास्तविक नाम ………. था।
  6. भगवान महावीर ने लगभग …………. वर्षों तक गृहस्थ जीवन व्यतीत किया।

उत्तर-

  1. 543, 492
  2. अमात्य
  3. लोगों का
  4. 24.
  5. सिद्धार्थ
  6. 30.

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III. सही जोड़े बनायें –

(1) मगध – (क) गणतन्त्र
(2) अजातशत्रु – (ख) महाजनपद
(3) वज्जि – (ग) निगम (शिल्प संस्था)
(4) श्रेणी – (घ) राजा
(5) पार्श्वनाथ – (ङ) तीर्थंकर।
उत्तर-
सही जोड़े –
(1) मगध – महाजनपद
(2) अजातशत्रु – राजा
(3) वज्जि – गणतन्त्र
(4) श्रेणी – निगम (शिल्प संस्था)
(5) पार्श्वनाथ – तीर्थंकर

IV. निम्नलिखित में से सही (✓) अथवा (✗) ग़लत बतायें –

  1. शोडष जनपदों का उल्लेख बौद्ध साहित्य में है।
  2. बिम्बिसार ने 543 से 492 ई० तक राज्य किया।
  3. मन्त्रियों को चेर के नाम से जाना जाता था।
  4. कृषि-कर प्रायः उपज का 1/4 भाग होता था।
  5. सार्थवाह व्यापारियों का नेता था।
  6. जैनियों का विश्वास है कि 24 तीर्थंकर थे।
  7. गौतम बुद्ध सिद्धार्थ का पुत्र था।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)
  7. (✗)

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PSEB 6th Class Social Science Guide भारत 600 ई. पू. से 400 ई. पू. तक Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जैनियों के 24 तीर्थंकर थे? क्या आप 23वें तीर्थंकर का नाम बता सकते
उत्तर-
भगवान पार्श्वनाथ।

प्रश्न 2.
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। क्या आप ‘बुद्ध’ शब्द का अर्थ बता सकते हैं?
उत्तर-
ज्ञानवान् पुरुष।

प्रश्न 3.
महात्मा बुद्ध के अनुसार दुःखों का कारण क्या है? ।
उत्तर-
तृष्णा।

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बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महात्मा बुद्ध की माता का नाम क्या था?
(क) यशोधरा
(ख) महामाया
(ग) विश्ववारा।
उत्तर-
(ख) महामाया

प्रश्न 2.
महावीर स्वामी को कठोर तप के पश्चात् कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। निम्न में से इसका क्या अर्थ है?
(क) स्वर्ग नरक का ज्ञान
(ख) मानव जाति का सम्पूर्ण ज्ञान
(ग) ब्राह्माण्ड का सम्पूर्ण ज्ञान।
उत्तर-
(ग) ब्राह्माण्ड का सम्पूर्ण ज्ञान

प्रश्न 3.
‘त्रिपिटक’ एक महान पुरुष की शिक्षाओं का संग्रह है। उस महान पुरुष का नाम निम्न में से क्या था?
(क) महावीर स्वामी
(ख) भक्त कबीर
(ग) भगवान बुद्ध।
उत्तर-
(ग) भगवान बुद्ध

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मगध राज्य सबसे पहले किस शासक के समय में अत्यधिक शक्तिशाली बना?
उत्तर-
बिंबिसार के समय में।

प्रश्न 2.
बिंबिसार के समय मगध की राजधानी कौन-सी थी?
उत्तर-
बिंबिसार के समय मगध की राजधानी राजगृह थी।

प्रश्न 3.
बिंबिसार ने कौन-से राज्यों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए?
उत्तर-
बिंबिसार ने कोशल, वैशाली तथा मादरा राज्यों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए।

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प्रश्न 4.
नन्द वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
नन्द वंश का संस्थापक महापदमनन्द था।

प्रश्न 5.
महावीर स्वामी का आरम्भिक नाम क्या था?
उत्तर-
महावीर स्वामी का आरम्भिक नाम वर्धमान था।

प्रश्न 6.
महावीर स्वामी के माता-पिता का नाम बताएं।
उत्तर-
महावीर स्वामी की माता का नाम त्रिशला तथा पिता का नाम सिद्धार्थ था।

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प्रश्न 7.
महावीर स्वामी को किस आयु में ज्ञान की प्राप्ति हुई?
उत्तर-
महावीर स्वामी को 42 वर्ष की आयु में ज्ञान की प्राप्ति हुई।

प्रश्न 8.
जैन धर्म के त्रिरत्नों के बारे में लिखें।
उत्तर-
जैन धर्म के त्रिरत्न सत्य विश्वास, सत्य ज्ञान तथा सत्य कर्म हैं। महावीर स्वामी के अनुसार मनुष्य इनका पालन करके मुक्ति प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 9.
महात्मा बुद्ध का जन्म कब तथा कहां हुआ?
उत्तर-
महात्मा बुद्ध का जन्म 567 ई० पू० में कपिलवस्तु में हुआ।

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प्रश्न 10.
महात्मा बुद्ध के माता-पिता का नाम बताएँ।
उत्तर-
महात्मा बुद्ध की माता का नाम महामाया तथा पिता का नाम शुद्धोधन था।

प्रश्न 11.
महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहां दिया? इसे क्या कहते हैं?
उत्तर-
महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ के हिरण पार्क में दिया। इसे “धर्म चक्र परिवर्तन” कहते हैं।

प्रश्न 12.
अष्टमार्ग के आठ सिद्धान्त लिखें।
उत्तर-
सच्ची दृष्टि, सच्चा संकल्प, सच्चा वचन, सच्चा कर्म, सच्चा रहन-सहन, सच्चा यत्न, सच्ची स्मृति, सच्चा ध्यान।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गणराज्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
600 ई० पूर्व के महाजनपदों में से कई गणराज्य थे। गणराज्य की राजनीतिक स्थिति राजतन्त्र से अलग थी। इनकी सरकार में कोई राजा नहीं होता था। इनकी सरकार लोगों द्वारा चुने हुए किसी मुखिया के हाथ में होती थी। इनका पद भी पैतृक नहीं होता था। सरकार का सारा काम चुने हुए व्यक्ति आपस में सलाह से करते थे।

प्रश्न 2.
राजतन्त्र की सरकार के बारे में लिखें।
उत्तर-
राजतन्त्र में राजा की सरकार थी। राजा का पद पैतृक था। राजा अपने मन्त्रियों की सहायता से शासन करता था। कानून बनाने, कानून को लागू करने तथा न्याय करने की सभी शक्तियां उसी के हाथों में थीं। वह जनता की समृद्धि, सुख-शान्ति तथा राज्य की उन्नति करने के लिए प्रयत्न करना अपना कर्त्तव्य समझता था। राज्य की आय का मुख्य स्रोत कर थे।

प्रश्न 3.
नन्द वंश का संस्थापक कौन था? उसके बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
नन्द वंश का संस्थापक महापदमनन्द था। उसके पास एक शक्तिशाली स्थायी सेना थी। उसकी शक्ति का बहुत अधिक दबदबा था। यहां तक कि यूनानी शासक सिकन्दर भी उससे डर कर ब्यास नदी को पार करने की हिम्मत न कर सका।

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प्रश्न 4.
नंद वंश के शासक धनानन्द पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
महापदमनन्द का पुत्र धनानन्द नंद वंश का अन्तिम शासक था। उसके पास एक बहुत बड़ी सेना थी। लेकिन वह आलसी, क्रोधी, विलासी तथा निर्दयी राजा था। वह प्रजा में बदनाम था। उसे चन्द्रगुप्त मौर्य ने हराकर नन्द वंश का अन्त कर दिया।

प्रश्न 5.
वर्धमान महावीर के बचपन तथा विवाह के बारे में लिखें।
उत्तर-
वर्धमान महावीर जैन धर्म के 24वें तथा अन्तिम तीर्थंकर थे। इनका जन्म 599 ई० पूर्व में वर्तमान बिहार के वैशाली के समीप कुण्डग्राम में हुआ। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला था। इनके पिता लिच्छवी कबीले के सरदार थे। राज परिवार से सम्बन्ध होते हुए भी महावीर जी ने बहुत सादा जीवन व्यतीत किया। उनका विवाह यशोदा नाम की राजकुमारी के साथ हुआ तथा इनके घर एक पुत्री का भी जन्म हुआ।

प्रश्न 6.
600 ई० पू० से 400 ई० पू० तक आश्रम व्यवस्था की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
इस काल में मनुष्य के जीवन को चार भागों में बांटा गया था। इन भागों को आश्रम कहते थे। ये आश्रम इस प्रकार थे-

  1. ब्रह्मचर्य आश्रम,
  2. गृहस्थ आश्रम,
  3. वानप्रस्थ आश्रम,
  4. संन्यास आश्रम।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बौद्ध धर्म का विकास क्यों हुआ?
उत्तर–
बौद्ध धर्म के विकास के मुख्य कारण निम्नलिखित थे –
(1) बौद्ध धर्म एक सरल धर्म था। इसकी शिक्षाएं बहुत सरल थीं।
(2) महात्मा बुद्ध ने अपने धर्म का प्रचार साधारण लोगों की भाषा में किया।
(3) लोग यज्ञों आदि से तंग आ चुके थे। बौद्ध धर्म ने उन्हें यज्ञों से छुटकारा दिलाया।
(4) बौद्ध धर्म में जाति-पाति का कोई भेदभाव नहीं था। इसलिए शूद्र जाति के लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए।
(5) महात्मा बुद्ध ने मठों की स्थापना की। इन मठों में बौद्ध भिक्षु रहते थे। उनके शुद्ध जीवन से प्रभावित होकर अनेक लोगों ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।
(6) बौद्ध धर्म को कई राजाओं ने भी अपनाया। अशोक तथा कनिष्क जैसे राजाओं ने बौद्ध धर्म का प्रचार न केवल अपने राज्य में किया, बल्कि उन्होंने इसका प्रचार विदेशों में भी करवाया।
(7) लोग महात्मा बुद्ध के.ऊंचे चरित्र से भी प्रभावित हुए।
इन सभी कारणों से बौद्ध धर्म भारत, चीन, कोरिया, तिब्बत, जापान, श्रीलंका आदि अनेक देशों में फैल गया।

प्रश्न 2.
बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म में क्या अन्तर था?
उत्तर-
बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म, दोनों 600 ई० पू० के धार्मिक आन्दोलन थे। दोनों धर्मों की उत्पत्ति उस समय हुई जब भारतीय समाज में बहुत-सी बुराइयां आ गई थीं। दोनों धर्म जाति-पाति के विरुद्ध तथा अहिंसा के पक्ष में थे। लेकिन इनमें कई भिन्नताएं भी थीं –

1. दोनों धर्म अहिंसा में विश्वास रखते थे, लेकिन जैन धर्म अहिंसा.पर बौद्ध धर्म से भी अधिक ज़ोर देता था। इसलिए जैन धर्म के अनुयायी पानी छानकर पीते हैं तथा नंगे . पांव चलते हैं।

2. बौद्ध धर्म में मुक्ति का मार्ग अष्टमार्ग है जबकि जैन धर्म में मुक्ति का मार्ग कठोर तपस्या तथा अपने शरीर को घोर कष्ट देने का रास्ता है।

3. बौद्ध धर्म ईश्वर के अस्तित्व के बारे में मौन है। जबकि जैन धर्म तो ईश्वर के अस्तित्व में बिल्कुल विश्वास नहीं रखता।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

This PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र will help you in revision during exams.

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

जान-पहचान (Introduction)
कम्प्यूटर को डाटा देने के लिए कुछ यन्त्र उपयोग किये जाते हैं जैसे माऊस, की-बोर्ड, इनको इनपुट यन्त्र कहा जाता है। कम्प्यूटर के बीच का डाटा देखने के लिए जो यन्त्र उपयोग किये जाते हैं उन्हें आऊटपुट कहा जाता है।

आऊटपुट यन्त्र (Output Devices)
आऊटपुट यन्त्र हमें इन्फॉरमेशन प्रोसैसिंग सिस्टम से पैदा हुए नतीजे दिखाते हैं। यह सूचना को मनुष्य द्वारा पढ़ने योग्य रूप में बदलते हैं। इनको कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। यह सूचना टैक्सट, आवाज़ तथा इमेज के रूप में हो सकता है। ये यन्त्र कम्प्यूटर से नतीजा प्राप्त करते हैं। आऊटपुट यन्त्र का प्रयोग-आऊटपुट यन्त्र कम्प्यूटर से सूचना प्राप्त करते हैं। यह सूचना किसी भी रूप में हो सकती है। हम कम्प्यूटर पर किये काम को आऊटपुट यन्त्रों द्वारा देख सकते हैं।

आऊटपुट यन्त्रों की किस्में (Types of Output Devices)
कम्प्यूटर के बीच वाला डाटा देखने के लिए हमें आऊटपुट यन्त्र की ज़रूरत पड़ती है। यह कई प्रकार के हो सकते हैं।

  • मानीटर
  • प्रिंटर
  • स्पीकर
  • हैडफोन
  • प्रोजैक्टर

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 1

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

मॉनीटर (Monitor)
मॉनीटर एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण यन्त्र है। यह टेलीविज़न की तरह नज़र आता है। अब बाज़ार में कई तरह के मॉनीटर आ रहे हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 2
मॉनीटर दो प्रकार के होते हैं –
1. कैथोड रे ट्यूब
2. फ्लैट पैनल डिस्प्ले।

(i) कैथोड रे ट्यूब मॉनीटर-ये मॉनीटर कैथोड रे ट्यूब से चलते हैं। इनका आकार ट्यूब की लंबाई रूप में मापा जाता है। यह मॉनीटर 15, 17, 19, तथा 20 इंच में उपलब्ध होते हैं। पहले ये ब्लैक एंड ह्वाइट होते थे अब ये रंगीन भी होते हैं। इनकी कुछ कमियां होती हैं।

  • ये आकार में बड़े होते हैं,
  • इनमें बिजली खपत ज्यादा होती है,
  • ये ज्यादा गर्मी पैदा करते हैं।

(ii) फ्लैट पैनल डिस्प्ले मॉनीटर-इनमें कैथोड रे ट्यूब के मुकाबले कम आकार, बिजली तथा भार होता है। इनको दीवार पर भी लगाया जा सकता है। ये मॉनीटर कैल्कुलेटर, विडियो गेम, मॉनीटर, लैपटॉप आदि में प्रयोग होते हैं।
इसकी कुछ उदाहरण हैं-

  • LCD
  • LED
  • प्लाज्मा।

CRT तथा LCD मॉनीटर में अंतर-CRT मॉनीटर आकार में बड़े होते है तथा LCD/TFT मॉनीटर आकार में छोटे होते हैं। इनमें निम्न अन्तर होते हैं –
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 4

स्पीकर (Speaker)
आडियो डाटे की आऊटपुट प्राप्त करने के लिए हमें स्पीकर का इस्तेमाल करना पड़ता है। ये साऊंड कार्ड से इनपुट प्राप्त करके उनको साऊंड तरंगों में बदल कर आऊटपुट पैदा करते हैं। हम कम्प्यूटर पर इनकी मदद से गाने भी सुन सकते हैं। स्पीकर कई आकार तथा शक्ल में उपलब्ध होते हैं। आमतौर पर एक कम्प्यूटर में दो स्पीकर लगाए जाते हैं।
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हैडफोन (Headphone)
हैडफोन भी स्पीकर की तरह काम करते हैं पर इन्हें कानों में लगाया जाता है। इनको Earphone भी कहा जाता है। यह हार्डवेयर यन्त्र है। इनको कानों में लगाया जाता है। इनकी मदद से हम किसी को तंग किये बगैर गाने सुन सकते हैं।
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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

प्रिंटर (Printer)
प्रिंटर कागज पर आऊटपुट प्राप्त करने का एक यंत्र होता है। ये कई प्रकार के होते हैं। प्रिंटर आऊटपुट को कागज़ पर छापते हैं। यह आऊटपुट यन्त्र होते हैं। इसकी आऊटपुट स्थाई होती है। इसको लम्बे समय तक सम्भाल कर रखा जा सकता है। बाज़ार में विभिन्न आकार तथा रफ्तार के प्रिंटर उपलब्ध हैं। यह ब्लैक एंड ह्वाइट या रंगीन दोनों प्रकार के होते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 7
आमतौर पर प्रिंटर तीन प्रकार के होते हैं
1. डाटमैट्रिक्स
2. इंकजैट
3. लेज़र।
(i) डाटमैट्रिक्स प्रिंटर-इसमें आगे पीछे तथा ऊपर नीचे घूमने वाला प्रिंट हैड होता है। प्रिंट हैड तेज़ गति से कागज़ पर छपाई करता है। यह बिंदुओं के मेल से छापते हैं। यह सस्ते होते हैं। यह धीरे चलते हैं। यह काम करते वक्त आवाज़ पैदा करते हैं। इनमें छपाई अच्छी नहीं होती।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 8

(ii) इंकजेट प्रिंटर-यह कागज पर स्याही की बूंदें गिरा कर छपाई करते हैं। यह रंगीन भी होते हैं। ये प्रिंटर सस्ते होते हैं। ये काम करते समय आवाज़ नहीं करते। ये डाट मैट्रिक्स से तेज होते हैं। इनकी क्वालिटी डाटमैट्रिक्स से बढ़िया होती है। इनकी मदद से हम तस्वीरें भी छाप सकते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 9

(iii) लेज़र प्रिंटर-ये इलैक्ट्रोस्टैटिक डिजीटल प्रिंटर होते हैं। ये लेज़र वीम की मदद से छपाई करते हैं। ये ब्लैक एंड ह्वाइट तथा रंगीन दोनों प्रकार के होते हैं। इनकी कीमत ज्यादा होती है तथा छपाई की गति काफी तेज़ होती है।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 10

प्लॉटर (Plotter) –
प्लॉटर काफ़ी बड़े आकार के आऊटपुट को छापते हैं। ये प्रिंटर की तरह ही काम करते हैं परन्तु बहुत बड़े आकार में। इनका प्रयोग CAD (Computer Aided Design) में किया जाता है। ये प्रिंटर से महंगे होते हैं। इनका प्रयोग इंजीनियरिंग तथा एड प्रिंटिंग में होता है। प्लॉटर आमतौर पर आर्किटेक्ट तथा डिजाइनरों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। इनका मुख्य उपयोग नक्शों को बड़े आकार में प्रिंट करने के लिए किया जाता है। आजकल प्लॉटर का उपयोग बड़ी प्लास्टिक शीट पर प्रिंटिंग करने के लिए भी किया जाता है जिसमें अक्सर किसी उत्पाद के बारे में जानकारी दी जाती है। प्लॉटर निम्न प्रकार के होते हैं।
1. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)
2. फ्लैट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter)
3. इन जेट प्लॉटर (Inkjet Plotter)

1. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)-ड्रम प्लॉटर ड्रम होता है। जिसकी सहायता से प्रिंटिंग की जाती है। इस ड्रम को पेज पर आगे पीछे घुमा कर वर्टिकल मोशन बनाया जाता है। इसके साथ ही इस प्लॉटर में एक या एक से ज्यादा पेन लगे होते हैं यह पैन उस ड्रम पर चलकर होरिजोंटल लाइनें बनाते हैं। इन लाइनों के मेल से आवश्यकतानुसार डिजाइन तथा ग्राफ बनाए जा सकते हैं। ड्रम तथा पेन की मूवमेंट को कम्प्यूटर द्वारा कंट्रोल किया जाता है। हर एक पेन अपने आप में स्वतन्त्र रूप से चलने लायक होता है। ये अलग-अलग फोल्डर में लगे होते हैं तथा इनसे रंगीन डिजाइन भी तैयार किए जा सकते हैं।

2. फ्लैट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter)-फ्लैट बैड प्लॉटर में एक फ्लैट बैड टेबल होता है जिसके ऊपर प्रिंट होने वाली सीट बिछाई जाती है। इस प्लाट में कागज़ घूमता नहीं है। इसमें पेन होल्डिंग यंत्र की आवश्यकता अनुसार घुमाया जाता है। इसके लिए पेन होल्डिंग तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसमें विभिन्न रंगों वाले पेन लगे होते हैं जो कि एक रंगीन डिजाइन तैयार करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इस प्लॉटर में प्रिंट होने वाली सीट का आकार A4 कागज से लेकर 50 फुट जहां उससे भी ज्यादा हो सकता है।

PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र

3. इंकजेट प्लॉटर (Inkjet Plotter)-इंकजेट प्लॉटर इंकजेट प्रिंटर की तरह ही इंकजेट टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं। यह प्लॉटर रंगीन होते हैं तथा स्याही के छिड़काव से डिजाइन तथा तस्वीरें तैयार करते हैं। यह प्लॉटर बाकी किस्म के प्लॉटर से ज्यादा तेज़ गति से कार्य करते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 11

प्रोजैक्ट (Projector)
प्रोजैक्ट स्क्रीन पर दिखाई देने वाली जानकारी को बड़ा कर दीवार या परदे पर दर्शाते हैं। प्रोजैक्टर का प्रयोग मीटिंग या क्लासरूम में प्रेजेन्टेशन देने में होता है। इससे हम सूचना को ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इन सबके अलावा कुछ यन्त्र ऐसे भी होते हैं जो इनपुट तथा आऊटपुट दोनों के लिए प्रयोग होते हैं।
PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र 12

  • डिजिटल कैमरा
  • पैन ड्राइव
  • CD/DVD
  • मॉडम
  • फैक्स आदि।

इनपुट तथा आऊटपुट यंत्रों में अंतर (Difference between Input and output Devices)
इनपुट तथा आऊटपुट यंत्रों में निम्न अंतर होते हैं।

इनपुट आऊटपुट
(i) इन यंत्रों का उपयोग में डाटा इनपुट करने प्राप्त करने के लिए किया जाता है। (i) इन यंत्रों का उपयोग कम्प्यूटर से नतीजा के लिए किया जाता है।
(ii) इनपुट करने के बाद डाटा प्रोसेसिंग होती है। (ii) डाटा प्रोसेसिंग के बाद आऊटपुट प्राप्त होता है।
(iii) ये यंत्र काफी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। (iii) यह यंत्र ज्यादा मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं।